Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 22 रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 22 रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण
प्रश्न 1.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिये-
(अ) बहिःस्रावी ग्रन्थियाँ,
(ब) अंतःस्रावी ग्रन्थियाँ
(स) हॉर्मोन ।
उत्तर:
(अ) बहिःस्रावी ग्रन्थियाँ (Exocrine Glands).
इन प्रन्थियों में सँकरी नलिकाएँ या वाहिकाएँ (ducts) होती हैं, जिनके द्वारा इनमें बनने वाला स्रावित पदार्थ शरीर के किसी निश्चित अंग या शरीर की सतह पर पहुँचाये जाते हैं। ऐसी मन्थियों को बहिःस्त्रावी ग्रन्थियाँ या नलिकायुक्त या प्रणाल ग्रन्थियाँ कहते हैं। उदाहरण – स्तनियों में स्वेदग्रन्थियाँ, तैलप्रन्थियाँ, लार ग्रन्थियाँ, अश्रुग्रन्थियाँ, दुग्ध प्रन्थियाँ आदि।
(ब) अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine Glands)
इन प्रन्थियों में स्रावित पदार्थ के परिवहन के लिए नलिकाओं या वाहिकाओं (ducts) का अभाव होता है। अतः इनके द्वारा स्रावित पदार्थ ऊतक द्रव्य के माध्यम से सीधे रुधिर में मुक्त होकर शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँच जाता है। नलिका न होने के कारण इन प्रन्थियों को नलिका विहीन या अप्रणाल ग्रन्थियाँ (Ductless glands) भी कहते हैं। इन प्रन्थियों के स्रावों को हॉर्मोन्स (Hormones) कहते हैं। ऐसी ग्रन्थियों में रुधिर वाहिनियाँ अपेक्षाकृत अधिक होती हैं। उदाहरण – पीयूष ग्रन्थि, थायरॉइड ग्रन्थि, अधिवृक्क ग्रन्थि आदि ।
(स) हॉर्मोन (Hormone)
ये अन्तःस्रावी ग्रन्थियों में बनने वाले ऐसे सक्रिय तथा कार्यकारी जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं, जो रुधिर द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचकर विशेष अंगों की कोशिकाओं की कार्यिकी को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार ये रासायनिक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। रासायनिक दृष्टि से ये स्टीरॉइड्स या प्रोटीन या प्रोटीन से व्युत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 2.
हमारे शरीर में पाई जाने वाली अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की स्थिति चित्र बनाकर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
देखिए चित्र 22.1
22.1. आंतरिक समन्वय तन्त्र : अन्त:स्रावी तन्त्र (Internal Coordination System : Endocrine System)
हमारे शरीर के आन्तरिक समन्वय के लिए निम्न प्रकार की ग्रन्थियाँ सम्मिलित होती हैं, जो मिलकर अंतः स्रावी तन्त्र बनाती हैं-
(i) बहि:स्रावी ग्रन्थियाँ (Exocrine glands)
(ii) अन्तस्तावी प्रन्थियाँ (Endocrine glands)
(iii) मिश्रित प्रन्थियाँ (Mixed glands)
(1) बहि: खावी ग्रन्थियाँ (Exocrine Glands)-इन ग्रन्थियों में सँकरी नलिकाएँ या वाहिकाएँ (ducts) होती हैं, जिनके द्वारा इनमें बनने वाले स्रावित पदार्थ शरीर के किसी निश्चित अंग या शरीर की सतह पर पहुँचाये जाते हैं। ऐसी प्रन्थियों को बहि:स्रावी प्रन्थियाँ या नलिकायुक्त या प्रणाल प्रन्थियाँ कहते हैं। उदाहरण-स्तनियों में स्वेदग्रन्थियाँ, तैलग्रन्थियाँ, लार प्रन्थियाँ, अश्रुप्रन्थियाँ, दुग्ध प्रन्थियाँ आदि।
(2) अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine Glands) -इन प्रन्थियों में स्नावित पदार्थ के परिवहन के लिए नलिकाओं या वाहिकाओं (ducts) का अभाव होता है। अतः इनके द्वारा स्रावित पदार्थ ऊतक द्रव्य के माध्यम से सीधे रुधिर में मुक्त होकर शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँच जाता है। नलिका न होने के कारण इन प्रन्थियों को नलिका विहीन या अप्रणाल प्रन्थियाँ (Ductless glands) भी कहते हैं। इन प्रन्थियों के स्रावों को होंरोन्स (Hormones) कहते हैं। ऐसी प्रन्थियों में रधिर वाहिनियाँ अपेक्षाकृत अधिक होती हैं। उदाहरण-पीयूष ग्रन्थि, थायरॉइड ग्रन्थि, अधिवृक्क प्रन्थि आदि।
(3) मिश्रित ग्रन्धियाँ-ये ग्रन्थियाँ वाहिकायुक्त होती हैं, परन्तु इसमें बहि.स्तावी तथा अन्तःस्तावी दोनों ही प्रकार के ऊतक या कोशिकाएँ होती हैं। उदाहरण-अग्नाशय (Pancreas) तथा जनद (gonads)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित द्वारा स्त्रावित हॉर्मोन का नाम लिखिए।
(अ) हाइपोथैलेमस,
(ब) पीयूष ग्रन्थि,
(स) थायरॉइड
(द) पैराथायरॉइड,
(स) अधिवृक्क ग्रन्थि
(र) अग्न्याशय
(ल) वृषण,
(व) अंडाशय,
(श) थायमस,
(स) एट्रियम
(घ) वृक्क
(ह) जठर- आंत्रीय पथ।
उत्तर:
ग्रन्थि का नाम (Glands) | स्रावित हॉर्मोन का नाम (Secreted Hormone) |
(अ) हाइपोथैलेमस Hypothalamus | तंत्रिहॉर्मोन (न्यूरोहॉर्मोन) |
(ब) पीयूष ग्रन्थि Pituitary gland | सोमेटोट्रोपिन या वृद्धि हॉर्मोन GH गोनेडोट्रोपिन, प्रोलैक्टिन (PRL) ऑक्सीटोसिन, पुटिका प्रेरक हॉर्मोन (FSH) थाइरोट्रॉपिक हॉर्मोन (T.S.H.) वेसोप्रेसिन ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (L.H.) आदि। |
(स) थायरॉइड Thyroid | टेट्राआयडोथाइरोनीन (T4) (थायरॉक्सिन), ट्राई आयडोथायरोनीन (T3) |
(द) पैराथायरॉइड Parathyroid | पैराथार्मोन |
(य) अधिवृक्क ग्रन्थि Adrenal gland | एड्रीनेलिन, कोर्टीकोस्टीरोन्स, ऐल्डेस्टीरोन, ऐन्ड्रोजेन्स, एस्ट्रोजेन्स |
(र) अग्न्याशय Pancreas | इन्सुलिन, ग्लूकेगोन (लैंगरहेन्स द्वीपिकाएँ) |
(ल) वृषण (Testes), टेस्टोस्टीरॉन, ऐण्डोस्टीरॉन | ऐस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रॉन, रिलैक्सिन |
(व) अण्डाशय (Ovary) | ऐस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रॉन, रिलैक्सिन |
(श) थाइमस (Thymus) | थाइमोसिन |
(स) एर्टियस (Atrius) | एट्रियल नेट्रियुरेटिक कारक (ANF) |
(ष) वृक्क (Kidney) | इरिथ्रोपोइटिंन |
(ह) जठर-आंत्रीय पथ (Gastric intestine path) | गैस्ट्रिन, सीक्रेटिन, कोलीसिस्टोकाइनिन, जठर अवरोधी पेप्टाइड |
प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- हॉर्मोन
(अ) हाइपोथैलेमिक हॉर्मोन
(ब) थायरोट्रॉफिन (टी. एच. एस)
(स) कॉर्टिकोट्रॉफिन (ए. सी. टी. एच)
(द) गोनेडोट्रॉपिन (एल. एच. एफ. एस. एच)
(य) मेलानोट्रॉफिन (एम. एस. एच)
लक्ष्य ग्रन्थि
………….
………….
………….
………….
………….
उत्तर:
लक्ष्य ग्रन्थि
(अ) हाइपोथैलेमस
(ब) थायरॉइड ग्रन्थि
(द) वृषण अथवा अण्डाशय
(स) अधिवृक्क वल्कुट
(य) मिलैनोसाइट्स (त्वचा की रंग कोशिकाएँ)
प्रश्न 5.
निम्नलिखित हॉर्मोन के कार्यों के बारे में टिप्पणी लिखिए-
(अ) पैराथायरॉइड हॉर्मोन (पी. टी. एच),
(ब) थायरॉइड हॉर्मोन
(द) एंड्रोजन
(स) थाइमोसिन
(य) एस्ट्रोजन
(र) इन्सुलिन एवं ग्लूकेगॉन
हॉर्मोन (Hormone) | हॉर्मोन का जैविक कार्य (Biotic Functions of Hormone) |
(अ) पैराथायरॉइड हॉम्मोन (P.T.Y) (Parathyroid Hormone) | पेशियों की क्रियाशीलता का नियमन करना, रुधि में Ca एवं PO4 आयनों की संख्या का नियमन करना, अस्थियों की वृद्धि तथा दाँतों का निर्माण करना। |
(ब) थायरॉइड हॉर्मोन (Thyro Hormone) | आधारी उपापचय दर (B. M. R.) का नियंत्रण करना, ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाना, शरीर के ताप को नियंत्रित करना, तंत्रिका तंत्र के कार्य को बढ़ाना, प्रोटीन संश्लेषण, O2 एवं ग्लूकोज की खपत बढ़ाना। |
(द) धाइमोसिन (Thymosin) | शरीर में प्रतिरक्षी पदार्थों (एण्टीबॉडीज) का संश्लेषण एवं नियमन करना T लिम्फोसाइट्स का प्रचुरोद्भवन एवं विभेदीकरण द्वारा शरीर की सुरक्षा करना। |
(स) एण्ड्रोजन (Androgens) | पुरुष में सहायक जनन म्न्थियों के विकास को प्रेरित करना, (दाढ़ी-मूँछों का उगना, आवाज भारी होना, अस्थियों का सुद्ढ होना, पेशियों और शरीर का सुडौल होना, कन्धों का फैलना आदि)। |
(य) ऐस्ट्रोजन (Estrogens) | स्त्रियों में यौवनारंभ करना, मासिक स्राव प्रारंभ करना, स्तनों, दुग्ध प्रन्थियों एवं यौनांगों का विकास करना आदि। |
(र) (i) इन्तुलिन (Insulin) (ii) ग्लूकेगोन (Glucagon) | इन्सुलिन आवश्यकता से अधिक शर्करा को ग्लाइकोजन में बदलता है (ग्लाइकोजिनेसिस क्रिया)। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम होने पर ग्लूकागोन संचित ग्लाइकोजन को ग्लूकोज (शर्करा) में बदल देता है। (ग्लाइकोजेनोलिसिस) क्रिया)। |
प्रश्न 6.
निम्नलिखित के उदाहरण दीजिए-
(अ) हाइपर ग्लाइसीमिक हॉर्मोन एवं हाइपोग्लाइसीमिक हॉर्मोन
(ब) हाइपर कैल्सीमिक हॉर्मोन
(स) गोनेडोट्रॉपिक हॉर्मोन
(द) प्रोजेस्टेरॉनल हॉर्मोन
(य) रक्त दाब निम्नकारी हॉर्मोन
(र) एन्ड्रोजन एवं एस्ट्रोजन ।
उत्तर:
हॉर्मोन का नाम | उदाहरण |
(अ) हाइपरग्लाइसीमिक हॉर्मोन हाइपोग्लाइसीमिक हॉर्मोन | ग्लूकागॉन एवं ग्लूकोकॉर्टिकोएड्स, इन्सुलिन एवं ग्लूकॉकोकॉर्टिकोएड्स |
(ब) हाइपर कैल्सीमिक. हॉर्मोन | पैराथार्मोन |
(स) गोनेडोट्रापिक हॉर्मोन | ल्यूटीनाइजिंग हॉर्मोन (L.H), पुटिका प्रेरक हॉर्मोन (F.S.H) |
(द) प्रोजेस्टेरॉनल हॉर्मोन | प्रोजेस्टोरॉन, हॉर्मोन्स |
(य) रक्त दाब निम्नकारी हॉर्मों | पेप्टाइड हॉर्मोन (ANF) |
(र) एन्ड्रोजेन | टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन एस्ट्रोन, |
प्रश्न 7.
निम्नलिखित विकार किस हॉर्मोन की कमी के कारण होते हैं-
(अ) डायबिटीज
(ब) गाइटर
(स) क्रेटीनिज्म ।
उत्तर:
(अ) डायबिटीज (Diabetes ) – यह विकार इन्सुलिन हॉर्मोन के अल्प या न्यून स्रावण के कारण उत्पन्न होता है ।
(ब) गाइटर (Goitre) – यह विकार आयोडीन की कमी से कम मात्रा में थाइरॉक्सिन हॉमोन स्त्रावण के कारण उत्पन्न होता है ।
(स) क्रेटीनिज्म (Cretinism ) – इस विकार को जड़वामनता भी कहते हैं। यह थाइरॉक्सिन हॉर्मोन की कमी से हो जाता है। इससे बच्चे बौने रह जाते हैं।
प्रश्न 8.
एफ. एस. एच. की कार्य विधि का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एफ. एस. एच. की कार्य-विधि (Mechanism of FSH)
FSH अर्थात् पुटिका प्रेरक हॉर्मोन पुरुषों के वृषणों (testes) की शुक्रजनन नलिकाओं की वृद्धि तथा शुक्राणुजनन को प्रेरित करता है। स्त्रियों में यह अण्डाशय की ग्रैफियन पुटिकाओं की वृद्धि और विकास तथा अण्डजनन को प्रेरित करता है । यह स्त्रियों में एस्ट्रोजेन के स्त्रावण को प्रेरित करता है ।
ऋणात्मक पुनर्निवेशन नियंत्रण में यह प्रमुख हॉर्मोन पुरुषों में प्रमुख हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन FSH के स्रावण का तथा स्त्रियों में यह प्रमुख हॉर्मोन एस्ट्रोजेन FSH के स्रावण का अवरोध करते हैं। स्त्रियों में 40 वर्ष की आयु के पश्चात् अण्डाशयों पर FSH का प्रभाव बहुत कम हो जाता है। अतः मासिक स्राव, अण्डजनन एवं मादा हॉर्मोन का स्त्रावण आदि समाप्त होने लगते हैं और 48 वर्ष की आयु में रजोनिवृत्ति हो जाती है ।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित के जोड़े बनाइए-
स्तंभ – I | स्तंभ- II |
(i) टी. | (अ) हाइपोथैलेमस |
(ii) पी टी एच | (ब) थायरॉइड |
(iii) गोनेडोट्रापिक रिलीजिंग हॉर्मोन | (स) पीयूष ग्रन्थि |
(iv) ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन | (द) पैराथायरॉइड |
उत्तर:
स्तंभ – I | स्तंभ – II |
(i) टी. | (ब) थायरॉइड |
(ii) पी टी एच | (द) पैराथायरॉइड |
(iii) गोनेडोट्रापिक रिलीजिंग हॉर्मोन | (अ) हाइपोथैलेमस |
(iv) ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन | (स) पीयूष ग्रन्थि |