HBSE 10th Class Maths Notes Chapter 6 त्रिभुज

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Notes Chapter 6 त्रिभुज Notes.

Haryana Board 10th Class Maths Notes Chapter 6 त्रिभुज

→ त्रिभुज : तीन भुजाओं से घिरी बंद आकृति को त्रिभुज कहते हैं। इसके कोणों का योग 180°c होता है।

→ समरूप आकृतियाँ : समान आकार वाली आकृतियों को समरूप आकृतियाँ कहते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि वे समान आमाप की भी हों।

→ सर्वांगसम त्रिभुज : समान आकार तथा समान आमाप वाले दो त्रिभुजों को सर्वांगसम त्रिभुज कहा जाता है।

→ सभी सर्वांगसम आकृतियाँ समरूप होती हैं, परंतु सभी समरूप आकृतियों का सर्वांगसम होना आवश्यक नहीं है।

→ समरूप बहुभुज : भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप कहे जाते हैं यदि (i) उनके संगत कोण बराबर हों तथा (ii) उनकी संगत भुजाओं की लंबाइयाँ समानुपाती हों।

→ समानकोणिक त्रिभुज : यदि दो त्रिभुजों के संगत कोण बराबर हों, तो उन्हें समानकोणिक त्रिभुज कहा जाता है।

→ आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय : यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा के समांतर अन्य दो भुजाओं को भिन्न-भिन्न बिंदुओं पर प्रतिच्छेद करने के लिए एक रेखा खींची जाए तो ये अन्य दो भुजाओं को एक ही अनुपात में विभाजित करती है।

→ आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय का विलोम : यदि एक रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को एक ही अनुपात में विभाजित करे तो वह तीसरी भुजा के समांतर होती है।

→ यदि दो त्रिभुजों में, संगत कोण बराबर हों, तो उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात में (समानुपाती) होती हैं और इसीलिए ये त्रिभुज समरूप होते हैं। इसे कोण-कोण-कोण (AAA) समरूपता कहते हैं।

→ यदि एक त्रिभुज के दो कोण एक अन्य त्रिभुज के क्रमशः दो कोणों के बराबर हों, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं। इसे कोण-कोण (AA) समरूपता कहते हैं।

HBSE 10th Class Maths Notes Chapter 6 त्रिभुज

→ यदि दो त्रिभुजों में एक त्रिभुज की भुजाएँ दूसरे त्रिभुज की भुजाओं के समानुपाती हों, तो इनके संगत कोण बराबर होते हैं और इसीलिए दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं। इसे भुजा-भुजा-भुजा (SSS) समरूपता कहते हैं।

→ यदि एक त्रिभुज का एक कोण दूसरे त्रिभुज के एक कोण के बराबर हो तथा इन कोणों को बनाने वाली भुजाएँ समानुपाती हों, तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं। इसे भुजा-कोण-भुजा (SAS) समरूपता कहते हैं।

→ दो समरूप त्रिभुजों के क्षेत्रफलों का अनुपात इनकी संगत भुजाओं के अनुपात के वर्ग के बराबर होता है।

→ यदि किसी समकोण त्रिभुज के समकोण वाले शीर्ष से कर्ण पर लंब डाला जाए तो इस लंब के दोनों ओर बने त्रिभुज संपूर्ण त्रिभुज के समरूप होते हैं तथा परस्पर भी समरूप होते हैं।

→ पाइथागोरस प्रमेय : एक समकोण त्रिभुज में कर्ण का वर्ग शेष दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है।

→ पाइथागोरस प्रमेय का विलोम : यदि किसी त्रिभुज की एक भुजा का वर्ग अन्य दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर हो तो पहली भुजा का सम्मुख कोण समकोण होता है।

→ यदि दो समकोण त्रिभुजों में एक त्रिभुज का कर्ण तथा एक भुजा दूसरे त्रिभुज के कर्ण तथा एक भुजा के समानुपाती हो तो दोनों त्रिभुज समरूप होते हैं। इसे समकोण-कर्ण-भुजा (RHS) सर्वांगसमता कहते हैं।

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