Class 12

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. PH3 (फॉस्फीन) में फॉस्फोरस परमाणु पर संकरण है-
(अ) sp
(ब) sp2
(स) sp3d
(द) sp3
उत्तर:
(द) sp3

2. ns2np5 बाह्यतम सामान्य विन्यास वाला तत्व है-
(अ) नाइट्रोजन वर्ग का
(ब) ऑक्सीजन वर्ग का
(स) हैलोजन वर्ग का
(द) अक्रिय गैस वर्ग का
उत्तर:
(स) हैलोजन वर्ग का

3. अंतराहैलोजन यौगिक है-
(अ) PCl5
(ब) SF6
(स) ICl
(द) XeF2
उत्तर:
(स) ICl

4. हैलोजनों की क्रियाशीलता का सही क्रम है-
(अ) F2 > Br2 > Cl2 > I2
(ब) F2 > Cl2 > Br2 > I2
(स) I2 > Br2 > Cl2 > F2
(द) F2 = Cl2 > Br2 = I2
उत्तर:
(ब) F2 > Cl2 > Br2 > I2

5. OF2 में ऑक्सीज़न की ऑक्सीकरण अवस्था है-
(अ) -2
(ब) +1
(स) +2
(द) -1
उत्तर:
(स) +2

6. अभिक्रिया 2SO2 + O2 → 2SO3 + x k.cal में अधिक मात्रा में उत्पाद बनाने के लिए अनुकूल शर्तें हैं-
(अ) कम ताप एवं कम दाब
(ब) कम दाब एवं अधिक ताप
(स) कम ताप एवं अधिक दाब
(द) अधिक ताप, अधिक दाब तथा O2 की कम मात्रा
उत्तर:
(स) कम ताप एवं अधिक दाब

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

7. वर्ग 16 के तत्व कहलाते हैं-
(अ) हैलोजन
(ब) कैल्कोजन
(स) संक्रमण तत्व
(द) उत्कृष्ट गैसें
उत्तर:
(ब) कैल्कोजन

8. सल्फर की अधिकतम सहसंयोजकता कितनी हो सकती है?
(अ) 2
(ब) 4
(स) 6
(द) 8
उत्तर:
(स) 6

9. निम्नलिखित में से कौनसा तत्व +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अधिक स्थायी यौगिक बनाता है?
(अ) P
(ब) As
(स) Sb
(द) Bi
उत्तर:
(द) Bi

10. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक चिली साल्ट पीटर या चिली शोरा कहलाता है?
(अ) NaNO3
(ब) KNO3
(स) Na2SO4
(द) K2SO4
उत्तर:
(अ) NaNO3

11. निम्नलिखित में से किस तत्व में अक्रिय युग्म प्रभाव सबसे अधिक प्रभावी होता है?
(अ) N
(ब) P
(स) As
(द) Bi
उत्तर:
(द) Bi

12. निम्नलिखित में से नाइट्रोजन का कौनसा हाइड्राइड अम्लीय है?
(अ) NH3
(ब) N3H
(स) N2H4
(द) N2H2
उत्तर:
(ब) N3H

13. निम्नलिखित में से किसका क्वथनांक न्यूनतम होता है?
(अ) H2O
(ब) H2S
(स) H2Se
(द) H2Te
उत्तर:
(ब) H2S

14. H2SO4 के लिए निम्नलिखित में से कौनसा कथन असत्य है?
(अ) यह एक ऑक्सीकारक है।
(ब) यह निर्जलीकारक है।
(स) यह द्विक्षारकीय अम्ल है।
(द) यह दुर्बल अम्ल है।
उत्तर:
(द) यह दुर्बल अम्ल है।

15. विरंजक के रूप में प्रयुक्त होने वाला हैलोजन है-
(अ) F2
(ब) Cl2
(स) Br2
(द) I2
उत्तर:
(ब) Cl2

16. प्रबलतम अम्ल है-
(अ) HF
(ब) HCl
(स) HBr
(द) HI
उत्तर:
(द) HI

17. HClO है, एक-
(अ) ऑक्साइड
(ब) ऑक्सी अम्ल
(स) क्लोराइड
(द) हाइड्राइड
उत्तर:
(ब) ऑक्सी अम्ल

18. कौनसा तत्व केवल -1 ऑक्सीकरण अवस्था ही दर्शाता है?
(अ) F
(ब) Cl
(स) Br
(द) I
उत्तर:
(अ) F

19. किस तत्व की इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी अधिकतम ऋणात्मक होती है?
(अ) F
(ब) Cl
(स) Br
(द) I
उत्तर:
(ब) Cl

20. निम्नलिखित में से कौनसा ऑक्साइड सर्वाधिक अम्लीय है?
(अ) N2O5
(ब) P2O5
(स) As2O5
(द) Sb2O5
उत्तर:
(अ) N2O5

21. XeF2 में Xe पर कितने एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित हैं?
(अ) 2
(ब) 3
(स) 1
(द) 4
उत्तर:
(ब) 3

22. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक नहीं बनता?
(अ) XeF5
(ब) XeF
(स) XeF3
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

23. निम्नलिखित में से कौनसा तत्व +1 से +5 सभी ऑक्सीकरण अवस्थाओं में ऑक्साइड बनाता है?
(अ) P
(ब) Sb
(स) N
(द) As
उत्तर:
(स) N

24. XeF3 की जल से क्रिया द्वारा कौनसा यौगिक बनाया जा सकता है?
(अ) XeO3
(ब) XeOF4
(स) XeO2F2
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

25. BrF3 की आकृति है-
(अ) त्रिकोणीय समतल
(ब) बेन्ट- T आकृति
(स) पिरैमिडी
(द) वर्गाकार समतलीय
उत्तर:
(ब) बेन्ट- T आकृति

26. निम्नलिखित में से किसकी आकृति रेखीय है?
(अ) SO2
(ब) O3
(स) \(\mathrm{NO}_2^{-}\)
(द) \(\stackrel{+}{\mathrm{N}} \mathrm{O}_2\)
उत्तर:
(द) \(\stackrel{+}{\mathrm{N}} \mathrm{O}_2\)

27. निम्नलिखित में से कौनसा क्रम (उनके साथ दिए गए गुणों के आधार पर) सही नहीं है?
(अ) ऑक्सीकारक गुण F2 > Cl2 > Br2 > I2
(ब) विद्युतत्रणता F > Cl > Br > I
(स) अम्लीय गुण HI > HBr > HCl > HF
(द) बन्ध वियोजन एन्थैल्पी F2 > Cl2 > Br2 > I2
उत्तर:
(द) बन्ध वियोजन एन्थैल्पी F2 > Cl2 > Br2 > I2

28. निम्नलिखित में से किसमें सभी बन्ध समान नहीं हैं?
(अ) XeF4
(ब) SF4
(स) \(\mathrm{BF}_4^{-}\)
(द) SiF4
उत्तर:
(ब) SF4

29. वह यौगिक कौनसा है जो गैस अवस्था में आण्विक प्रकृति रखता है लेकिन ठोस अवस्था में उसमें आयनिक गुण आ जाता है?
(अ) PCl3
(ब) NCl3
(स) POCl3
(द) PCl5
उत्तर:
(द) PCl5

30. H2SO5 में सल्फर की ऑक्सीजन अवस्था है-
(अ) +8
(ब) +4
(स) +6
(द) -2
उत्तर:
(स) +6

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

31. कौनसा अम्ल अधिकतम वाष्पशील है?
(अ) HF
(ब) HCl
(स) HBr
(द) HI
उत्तर:
(ब) HCl

32. निम्नलिखित में से किसमें P-O-P बन्ध पाया जाता है?
(अ) H3PO3
(ब) H4P2O6
(स) H4P2O7
(द) H3PO4
उत्तर:
(स) H4P2O7

33. \(\mathrm{NO}_3^{-}\) के परीक्षण में भूरी वलय निम्नलिखित में से किसके बनने के कारण बनता है?
(अ) [Fe(H2O)5.NO]SO4
(ब) [Fe(SO4)2.NO]H2O
(स) Fe2(SO4)3. NO
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) [Fe(H2O)5.NO]SO4

34. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) आवर्त सारणी के वर्ग 15 में हाइड्राइडों का स्थायित्व NH3 से BiH3 तक बढ़ता है।
(ब) नाइट्रोजन dπ-pπ बन्ध नहीं बना सकता।
(स) N-N एकल बन्ध P-P एकल बन्ध की अपेक्षा दुर्बल होता है।
(द) N2O4 की दो अनुनादी संरचनाएँ होती हैं।
उत्तर:
(अ) आवर्त सारणी के वर्ग 15 में हाइड्राइडों का स्थायित्व NH3 से BiH3 तक बढ़ता है।

35. निम्नलिखित में से कौन-सा यौगिक O3 द्वारा ऑक्सीकृत नहीं होता है?
(अ) KI
(ब) FeSO4
(स) K2MnO4
(द) KMnO4
उत्तर:
(द) KMnO4

36. XeF2, XeF4 तथा XeF6 में Xe के एकल इलेक्ट्रॉन युग्मों की संख्या है-
(अ) 3,2,1
(ब) 2,4,6
(स) 1,2,3
(द) 6,4,2
उत्तर:
(अ) 3,2,1

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
वर्ग 15 के तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ बताइए।
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्थाएँ – 3,+ 3 तथा +5 होती हैं।

प्रश्न 2.
नाइट्रोलियम का सूत्र बताइए।
उत्तर:
नाइट्रोलियम का सूत्र Ca CN2 होता है।

प्रश्न 3.
वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में बन्ध कोण का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
BiH3 < SbH3 < AsH3 < PH3 < NH3

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन के उदासीन ऑक्साइड कौनसे होते हैं?
उत्तर:
N2O तथा NO

प्रश्न 5.
वर्ग 15 के तत्वों में कौनसा तत्व मुक्त अवस्था में अधिक मात्रा में पाया जाता है?
उत्तर:
नाइट्रोजन।

प्रश्न 6.
नाइट्रोजन का वह यौगिक कौनसा है जो ऑक्सीकारक, अपचायक दोनों की भाँति व्यवहार करता है?
उत्तर:
नाइट्रस अम्ल (HNO2)।

प्रश्न 7.
किसी एक समीकरण द्वारा नाइट्रिक अम्ल के ऑक्सीकारण गुण को बताइए।
उत्तर:
2HNO3 + 3SO2 + 2H2O → 3H2SO4 + 2NO

प्रश्न 8.
H3PO3 में π बन्ध की प्रकृति HNO3 के π बन्ध से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
H3PO3 में π बन्ध p-p समपाश्रिक अतिव्यापन से बनता है जबकि H3PO3 में d कक्षकों के प्रयोग से pπ-dπ अतिव्यापन होता है।

प्रश्न 9.
सान्द्र HNO3 को ऐलुमिनियम तथा क्रोमियम के पात्र में रखा जा सकता है, क्यों?
उत्तर:
ऐलुमिनियम तथा क्रोमियम धातुएँ सान्द्र HNO3 में विलेय नहीं होतीं क्योंकि इनकी सतह पर ऑक्साइड की एक निष्क्रिय परत बन जाती है अतः सान्द्र HNO3 को ऐलुमिनियम तथा क्रोमियम के पात्र में रखा जा सकता है।

प्रश्न 10.
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में सान्द्र HNO3 रंगहीन न होकर पीला होता है, क्यों?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश में HNO3 का आंशिक विघटन हो जाता है जिससे NO2 गैस बनती है जिसके कारण HNO3 पीलुा होता है।

प्रश्न 11.
वह यौगिक कौनसा है जिससे लाल तथा श्वेत फॉस्फोरस के मिश्रण को पृथक् किया जा सकता है तथा क्यों?
उत्तर:
NaOH, लाल फॉस्फोरस से क्रिया नहीं करता जबकि श्वेत फॉस्फोरस, NaOH से क्रिया करके विलेय NaH2PO2 बनाता है अत: NaOH द्वारा लाल तथा श्वेत फॉस्फोरस के मिश्रण को पृथक् किया जा सकता है।

प्रश्न 12.
नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्सो अम्लों के नाम तथा सूत्र बताइए।
उत्तर:

  • हाइपोनाइट्रस अम्ल (H2N2O2)
  • नाइट्रस अम्ल (HNO2)
  • नाइट्रिक अम्ल (HNO3)

प्रश्न 13.
फॉस्फोरस का कौनसा अपररूप विद्युत का चालक होता है?
उत्तर:
काला फॉस्फोरस।

प्रश्न 14.
ऐसे यौगिक बताइए जिनमें ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था क्रमशः +2, -1 तथा –\(\frac { 1 }{ 2 }\) हो।
उत्तर:
OF2 (+ 2), H2O2(- 1) तथा KO2 (-\(\frac { 1 }{ 2 }\))

प्रश्न 15.
सल्फर का एक यौगिक बताइए जिसे रसायनों का राजा कहा जाता है।
उत्तर:
सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) |

प्रश्न 16.
H2S2O7 (पायरो सल्फ्यूरिक अम्ल) की संरचना लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 1

प्रश्न 17.
SO2 के अपचायक गुण को दर्शाने वाला एक समीकरण दीजिए।
उत्तर:
2Fe3+ + SO2 + 2H2O → 2Fe2+ + \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) + \(4 \stackrel{+}{\mathrm{H}}\)

प्रश्न 18.
सल्फर के कौनसे दो ऑक्सो अम्लों में परऑक्साइड (-O-O-) बन्ध पाया जाता है?
उत्तर:
H2SO5 तथा H2S2O8
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 2

प्रश्न 19.
H2SO5 तथा H2S2O8 में सल्फर की ऑक्सीकरण अवस्था बताइए।
उत्तर:
इनमें पराक्साइड बन्ध होने के कारण सल्फर की ऑक्सीकरण अवस्था +6 होती है।

प्रश्न 20.
H2SO5 तथा H2S2O8 के विशिष्ट नाम बताइए।
उत्तर:
H2SO5 को कैरो अम्ल तथा H2S2O8 को मार्शल अम्ल कहा जाता है।

प्रश्न 21.
वर्ग 16 का वह हाइड्राइड कौनसा होता है जो रंगहीन, गंधहीन द्रव है तथा जीवन के लिए अतिआवश्यक होता है।
उत्तर:
जल (H2O)।

प्रश्न 22.
सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की श्यानता तथा क्वथनांक अधिक होते हैं, क्यों?
उत्तर:
H2SO4 के अधिक अणुभार तथा इसके अणुओं के मध्य पाए जाने वाले प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध के कारण इसकी श्यानता तथा क्वथनांक अधिक होते हैं।

प्रश्न 23. निम्नलिखित ऑक्साइडों की प्रकृति बताइए-
(i) Al2O3
(ii) K2O
(iii) CO
(iv) P2O5
उत्तर:
(i) Al2O3 उभयधर्मी
(ii) K2O क्षारीय
(iii) CO उदासीन
(iv) P2O5 अम्लीय

प्रश्न 24.
गंधक का वह यौगिक कौनसा है जो ऑक्सीकारक तथा अपचायक दोनों की तरह व्यवहार करता है?
उत्तर:
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) |

प्रश्न 25.
निम्नलिखित यौगिकों के विशिष्ट नाम बताइए-
(i) H2SO4
(ii) FeS2
(iii) FeSO2. 7H2O
उत्तर:
(i) कसीस का तेल (ऑयल ऑफ विट्रियॉल )
(ii) मूर्खों का सोना (फूल्स गोल्ड)
(iii) हरा कसीस।

प्रश्न 26.
SO2 के प्रतिक्लोर गुण को दर्शाने वाला समीकरण लिखिए।
उत्तर:
Cl2 + SO2 + 2H2O → 2HCl + H2SO4

प्रश्न 27.
SF6, SeF6 तथा TeF6 की क्रियाशीलता का क्रम बताइए।
उत्तर:
SF6, < SeF6 < TeF6

प्रश्न 28.
वर्ग 16 के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी का मान वर्ग 15 के संगत तत्वों की आयनन एन्थैल्पी से कम होता है, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों का अर्धपूरित स्थायी विन्यास (ns2np3) होता है अतः उनमें से इलेक्ट्रॉन निकालना अधिक मुश्किल होता है।

प्रश्न 29.
HF, HCl, HBr तथा HI के क्वथनांक का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
HCl < HBr < HI < HF

प्रश्न 30.
क्लोरीन की गर्म तथा सान्द्र NaOH के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 3

प्रश्न 31.
CIF5 में क्लोरीन पर संकरण बताइए।
उत्तर:
sp3d2

प्रश्न 32.
F2, Cl2, Br2 तथा I2 की बन्ध वियोजन एन्थैल्पी का घटता क्रम बताइए।
उत्तर:
CI-CI > Br-Br > F-F > I-I

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 33.
फ्लुओरीन के अन्तराहैलोजन यौगिकों की संख्या सबसे अधिक होती है, क्यों?
उत्तर:
फ्लुओरीन के छोटे आकार, उच्च विद्युतत्तणता तथा प्रबल ऑक्सीकारक गुण के कारण इसके अन्तराहैलोजन यौगिकों की संख्या सबसे अधिक होती, है।

प्रश्न 34.
अश्रु गैस के रूप में प्रयुक्त होने वाले एक यौगिक का नाम बताइए जिसमें हैलोजन होता है।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 4

प्रश्न 35.
क्लोरीन का विरंजक गुण इसके किस गुण के कारण होता है?
उत्तर:
ऑक्सीकारक गुण।

प्रश्न 36.
हैलोजनों के ऑक्सीकारक गुण का क्रम बताइए।
उत्तर:
F2 > Cl2 > Br2 > I2

प्रश्न 37.
वह हैलोजन कौनसा होता है जिसमें ऊध्र्वपातन का गुण पाया जाता है?
उत्तर:
आयोडीन (I2) ।

प्रश्न 38.
फ्लुओरीन केवल -1 ऑक्सीकरण अवस्था ही दर्शाती है। इसका कारण बताइए।
उत्तर:
अधिक विद्युतत्रणता तथा d कक्षकों की अनुपस्थिति।

प्रश्न 39.
\(\mathrm{ClO}_4^{-}\) में Cl पर कौनसा संकरण होता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 5

प्रश्न 40.
जीनॉन, केवल फ्लुओरीन तथा ऑक्सीजन के साथ ही यौगिक बनाती है, क्यों?
उत्तर:
फ्लुओरोन तथा ऑक्सीजन की विद्युत्तरणता अधिक होने के कारण इनमें ऑक्सीकारक गुण पाया जाता है, अतः जीनॉन इनके साथ ही यौगिक बनाती है।

प्रश्न 41.
न्यूनतम क्वथनांक वाली उत्कृष्ट गैस कौनसी होती है?
उत्तर:
हीलियम (He)।

प्रश्न 42.
He को p-ब्लॉक में रखा गया है जबकि इसमें इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में नहीं भरे जाते, क्यों?
उत्तर:
He के गुणों के आधार पर इसे अन्य उत्कृष्ट गैसों के साथ p-ब्लॉक में रखा गया है।

प्रश्न 43.
आवर्त सारणी में He की आयनन एन्थैल्पी अधिकतम होती है। क्यों?
उत्तर:
He के छोटे आकार तथा पूर्ण पूरित विन्यास के कारण इसकी इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति नगण्य होती है अतः इसकी आयनन एन्थैल्पी अधिकतम होती है।

प्रश्न 44.
जीनॉन के फ्लुओराइडों के स्थायित्व का क्रम लिखिए।
उत्तर:
XeF2 > XeF4 > XeF6

प्रश्न 45.
XeO3 की संरचना बताइए।
उत्तर:
XeO3 में sp3 संकरण होता है तथा इसकी ज्यामिति पिंरैमिडी होती है।

प्रश्न 46.
H2SO4 में S की संकरण अवस्था बताइए।
उत्तर:
sp3 संकरण।

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में से कौनसे यौगिक ज्ञात नहीं हैं?
BiCl5, PCl3, SbCl3, NCl5, PCl5
उत्तर:
NCl5 तथा BiCl5

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
अमोनिया की FeCl3 तथा ZnSO4 के साथ अभिक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक गुण:
(i) अम्लों से क्रिया-अमोनिया की अम्लों से क्रिया कराने पर अमोनियम लवण बनते हैं। इससे इसकी दुर्बल क्षारीय प्रकृति की पुष्टि होती है।
NH3 + HCl → NH4Cl (अमोनियम क्लोराइड)
2NH3 + H2SO4 → (NH4)2SO4 (अमोनियम सल्फेट)

प्रश्न 2.
Cu2+ तथा Ag+ आयनों की NH3 द्वारा पहचान की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
Cu2+ तथा Ag+ आयन, NH3 के साथ उपसहसंयोजी बन्ध बनाकर संकुल बना लेते हैं जिनमें NH3 धातु आयन को एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करता है (लुइस क्षार)। इन संकुल यौगिकों से ही आयनों की पहचान की जाती है। जैसे Cu+2, NH3 के साथ गहरा नीला संकुल बनाता है जबकि NH3 विलयन में AgCl का अवक्षेप विलेय हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 6

प्रश्न 3.
नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइडों को कैसे बनाया जाता है? केवल अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 7

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन के विभिन्न ऑक्साइडों की उ्यामिति बताइए।
उत्तर:
नाइट्रोजन के विभिन्न औक्साइड N2O, NO, N2O3, NO2, N2O4 तथा N2O5 होते हैं। N2O, N2O3, NO2, N2O4 तथा N2O5 की ज्यामिति क्रमशः रेखीय, समतलीय, कोणीय तथा समतलीय होती हैं।

प्रश्न 5.
अमोनिया से नमी को दूर करने के लिए निर्जल CaCl2 या P4O10 या सान्द्र H2SO4 प्रयुक्त नहीं किए जाते। क्यों?
उत्तर:
NH3 क्षारीय होती है अतः अम्लीय प्रकृति के निर्जलीकारक (जैसे P4O10 या सान्द्र H2SO4) इसमें से नमी को दूर करने के लिए प्रयुक्त नहीं किए जा सकते क्योंकि ये NH3 से क्रिया करके लवण बना लेते हैं तथा CaCl2, NH3 के साथ क्रिया करके योगोत्पाद बनाता है।

प्रश्न 6.
वर्ग 15 क एक तत्व का हाइड्राइड (Y) का जलीय विलयन (i) लाल लिटमस को नीला करता है। (ii) CuSO4 विलयन के साथ आधिक्य में प्रयुक्त करने पर गहरा नीला विलयन देता है तथा (iii) FeCl3 विलयन के साथ भूरा अवक्षेप देता है तो यौगिक Y तथा अभिक्रिया (ii) एवं (iii) के उत्पाद बताइए।
उत्तर:
(i) यौगिक Y, NH3 है जिसका जलीय विलयन (NH4 OH) क्षारीय होता है अंतः यह लाल लिटमस को नीला करता है। अभिक्रिया (ii) में प्राप्त उत्पाद [Cu(NH3 )4 ]SO4 तथा अभिक्रिया (iii) का उत्पाद Fe(OH)3 होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 8

प्रश्न 7.
श्वेत फॉस्फोरस की निम्नलिखित के साथ क्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) वायु
(ii) HNO3
(iii) H2SO4
(iv) NaOH
(v) Ca
उत्तर:
(i) P4 + 5O2 → P4O10 (फॉस्फोरस पेन्य ऑक्साइड)
(ii) P4 + 2oHNO3 → 4H3PO4 + 2oNO2 + 4H2O
(iii) P4 + 10H2SO4 → 4H3PO4 + 10SO2 + 4H2O
(iv) P4 + 3NaOH + 3H2O → PH3 + 3NaH2PO2 (सोडियम हाइपोफॉस्फाइट)
(v) P4 + 6Ca → 2Ca3P2 (कैल्सियम फॉस्फाइड)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 8.
फॉस्फीन की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया बताइए-
(i) ऑक्सीजन
(ii) सान्द्र HNO3
(iii) कॉपर सल्फेट तथा मरक्यूरिक क्लोराइड।
उत्तर:
(i) ऑक्सीजन से क्रिया- PH3 की वायु के साथ क्रिया होने पर P2O5 बनता है।
2PH3 + 4O2 → P2O5 + 3H2O

(ii) सान्द्र HNO3 द्वारा PH3 का ऑक्सीकरण हो जाता है तथा P2O5 बनता है।
2PH3 + 16HNO3 → P2O5 + 16NO2 + 11H2O

(iii) कॉपर सल्फेट तथा मरक्यूरिक क्लोराइड, फॉस्फीन के साथ क्रिया करके संगत फॉस्फाइड बनाते हैं।
3CuSO4 + 2PH3 → Cu3P2 + 3H2SO4
3HgCl2 + 2PH3 → Hg3P2 + 6HCl

प्रश्न 9.
PCl3 तथा PCl5 की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं की तुलना कीजिए-
(i) C3H3OH
(ii) CH3COOH
उत्तर:
(i) C2H5OH के साथ PCl3 तथा PCl5 दोनों की क्रिया से ही मुख्य उत्पाद C5H5Cl बनता है लेकिन इसके साथ ही PCl3 द्वारा H3PO3 तथा PCl5 द्वारा POCl3 एवं HCl बनते हैं।
3C2H5OH + PCl3 → 2C2H5Cl + H3PO3
C2H5OH + PCl5 → C2H5Cl + HCl + POCl3

(ii) CH3COOH की PCl3 तथा PCl5 के साथ क्रिया द्वारा CH3COCl बनता है तथा सहउत्पाद C2H5OH के साथ क्रिया के समान ही होते हैं।

3CH3COOH + PCl3 → 3CH3COCl + H3PO3
CH3COOH + PCl5 → CH3COCl + POCl3 + HCl

प्रश्न 10.
फॉस्फोरस के विभिन्न ऑक्सो अम्लों को बनाने के . लिए आवश्यक यौगिक बताइए।
उत्तर:
फॉस्फोरस के विभिन्न ऑक्सो अम्लों को बनाने के लिए आवश्यक यौगिक निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 9

प्रश्न 11.
(a) ठोस अवस्था में PCl5 किस रूप में पाया जाता है?
(b) H3PO2, H3PO3 तथा H3PO4 तीनों में ही हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या समान है फिर भी इनकी क्षारकता क्रमश: 1 , 2 तथा 3 है। क्यों?
उत्तर:
(a) ठोस अवस्था में PCl5 एक आयनिक ठोस [PCl4]+[PCl6] के रूप में पाया जाता है, जिसमें धनायन [PCl4+] चतुष्फलकीय होता है तथा ऋणायन [PCl6] अष्टफलकीय होता है जिनमें क्रमशः sp3 तथा sp3d2 संकरण होता है।

(b) फॉस्फोरस के ऑक्सो अम्लों में केवल वे ही हाइड्रोजन आयनित होकर H+ देते हैं जो ऑक्सीजन से जुड़े होते हैं अतः H3PO2, H3PO3 तथा H3PO4 की क्षारकता क्रमशः 1, 2 तथा 3 है क्योंकि इनमें क्रमशः एक, दो तथा तीन -OH बन्ध पाए जाते हैं।

प्रश्न 12.
SO2 के अम्लीय गुण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अम्लीय गुण:
SO2 गैस जल में विलेय होकर H2SO3 (सल्फ्यूरस अम्ल) बनाती है अतः इसे सल्फ्यूरस एन्हाइड्राइड भी कहते हैं। यह विलयन नीले लिटमस को लाल कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 10
यह सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ अभिक्रिया कर सोडियम सल्फाइट बनाती है जो कि सल्फरडाइऑक्साइड के आधिक्य के साथ अभिक्रिया कर सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट में परिवर्तित हो जाता है।
2NaOH + SO2 → Na2SO2 + H2O
Na2 SO3 + H2O + SO2 → 2NaHSO3

प्रश्न 13.
सल्फर डाइऑक्साइड के अपचायक गुण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अपचायक गुण-नमी की उपस्थिति में SO2 अपचायक की भाँति व्यवहार करती है।
उदाहरण-(a) यह अम्लीय पोटेशियम परमैंगनेट विलयन (गुलाबी) को रंगहीन कर देती है। इस अभिक्रिया से SO2 गैस का परीक्षण किया जा सकता है।
5SO2 + \(\begin{gathered} 2 \mathrm{MnO}_4^{-} \\ +7 \end{gathered}\) + 2H2O → 2Mn2+ + \(5 \mathrm{SO}_4^{2-}\) + 4H+

(b) यह अम्लीय पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन (नारंगी) को हरा कर देती है।
\(\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}\) + 3SO2 + 2H+ → 2Cr3+ + \(3 \mathrm{SO}_4^{2-}\) + H2O

(c) सल्फरडाइऑक्साइड, Fe(III) को Fe(II) में अपचयित कर देती है।
2Fe3+ + SO2 + 2H2O → 2Fe2+ + \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) + 4H+

(d) सल्फर डाइऑक्साइड हैलोजनों को हैलोजन अम्लों में परिवर्तित कर देती है।
Cl2 + SO2 + 2H2O → 2HCl + H2SO4

इस अभिक्रिया में क्लोरीन का गुण नष्ट हो रहा है अतः SO2 को प्रतिक्लोर (Antichlor) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 14.
नमी की उपस्थिति में SO2 विरंजक का कार्य करती है। इस कथन की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
नमी की उपस्थिति में SO2 रंगीन वनस्पतियों आदि का रंग उड़ा देती है। यहाँ भी यह अपचायक का ही कार्य करती है। अतः SO2 को विरंजक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
SO2 + 2H2O → H2SO4 + 3S
ये हाइड्रोजन परमाणु पदार्थ का विरंजन करते हैं लेकिन यह विरंजन अस्थायी होता है क्योंकि रंगहीन पदार्थ (अपचयित रूप) वायुमण्डल्भिय ऑक्सीजन के सम्पर्क में आते ही ऑक्सीकृत होकर पुनः वास्तविक रूप (रंगीन ) में आ जाता है।

प्रश्न 15.
सान्द्र H2SO4 का तनुकरण करते समय जल में H2SO4 डालना चाहिए न कि H2SO4 में जल। क्यों?
उत्तर:
सांद्र H2SO4 का तनुकरण करते समय H2SO4 की कम मात्रा को धीरे-धीरे जल में डालना चाहिए तथा इसको लगातार हिलाते रहना चाहिए क्योंकि H2SO4 का जल में विलयन बनना उच्च ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है, जिसमें बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्सर्जित होती है। अतः इसका विपरीत अर्थात् H2SO4 में जल मिलाने पर विस्फोट होकर दुर्घटना हो सकती है।

प्रश्न 16.
सल्प्यूरिक अम्ल एक प्रबल अम्ल है तथा यह एक निर्जलीकारक भी होता है, व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सल्फ्यूरिक अम्ल के उपयोग – सल्फ्यूरिक अम्ल एक बहुत महत्वपूर्ण औद्योगिक रसायन होता है। इसके मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं-

  • उर्वरकों के उत्पादन में (जैसे अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट );
  • पेट्रोलियम के शुद्धिकरण में;
  • अपमार्जक उद्योग में;
  • संचायक बैटरियों में;
  • प्रयोगशाला में महत्त्वपूर्ण अभिकर्मक के रूप में;
  • वर्णकों, प्रलेपों (Paints) तथा रंजकों के मध्यवर्तियों के उत्पादन में;
  • धातुकर्म में इनेमलन (enameling), वैद्युतलेपन एवं यशदलेपन (Galvanisation) प्रक्रमों से पहले धातुओं के शोधन में;
  • नाइट्रोसेलुलोज उत्पादों के निर्माण में।

प्रश्न 17. H2SO4 के ऑक्सीकरण गुण को समझाइए।
उत्तर:
ऑक्सीकारक गुण – सांद्र H2SO4 गरम अवस्था में मध्यम आक्सीकारक होता है। यह धातुओं तथा अधातुओं को आक्सीकृत कर देता है तथा स्वयं SO2 में अपचयित हो जाता है। ऑक्सीकारक गुण में यह H3PO4 तथा HNO3 के बीच का होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 11

(a) धातुओं से क्रिया-सक्रिय धातुएँ तनु H2SO4 से क्रिया करके H2 गैस देती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 12

(b) अधातुओं से क्रिया-सल्फर तथा कार्बन की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से संगत ऑक्साइड तथा जल प्राप्त होता है।
3S + H2SO4 (सांद्र) → 3SO2 + 2H2O
C + 2H2SO4 (सांद्र) → CO2 + 2SO2 + 2H2O

प्रश्न 18.
(a) SF6 ज्ञात है जबकि SH6 नहीं, क्यों?
(b) ऑक्सीजन का अणुसूत्र O2 है जबकि सल्फर का S8, क्यों?
उत्तर:
(a) S की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था (+ 6) उच्च विद्युत ऋणी तत्वों जैसे फ्लुओरीन के साथ संयोग से प्राप्त हो जाती है, अतः SF6 ज्ञात है लेकिन हाइड्रोजन ऐसा नहीं कर सकता अतः SH6 नहीं बनता।

(b) ऑक्सीजन के छोटे परमाणु आकार के कारण इसमें pπ – pπ अतिव्यापन द्वारा यह O2 (O = O) बना लेता है जबकि सल्फर के बड़े आकार के कारण इसमें π बन्ध नहीं बनता अतः इसके परमाणु एकल बन्ध द्वारा जुड़कर S8 बनाते हैं।

प्रश्न 19.
सान्द्र H2SO4 का प्रयोग H2 तथा H2S से नमी हटाने में नहीं किया जाता। इसका कारण बताइए।
उत्तर:
(i) H2SO4 द्वारा नमी के अवशोषण के दौरान बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसके कारण हाइड्रोजन गैस जल उठती है अतः H2 के शुष्कन हेतु H2SO4 का प्रयोग नहीं किया जाता।

(ii) जब H2S से नमी के अवशोषण हेतु H2SO4 का प्रयोग करते हैं तो यह H2S का ऑक्सीकरण कर देता है अतः इसे H2S के शुष्कन हेतु भी प्रयोग नहीं किया जाता।
H2S + H2SO4 → H2O + SO2 + S

प्रश्न 20.
(a) O2 अनुचुम्बकीय होती है जबकि O3 प्रतिचुम्बकीय, क्यों?
(b) ओजोन की क्रियाशीलता, ऑक्सीजन से अधिक होती है, इसका कारण दीजिए।
उत्तर:
(a) अणु कक्षक सिद्धान्त (MOT) के अनुसार O2 में दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं अतः यह अनुचुम्बकीय होती है जबकि ओजोन में सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं अतः यह प्रतिचुम्बकीय होती है।

(b) ओजोन का बनना एक ऊष्माशोषी अभिक्रिया होती है अतः ओजोन का अणु अधिक ऊर्जा युक्त होता है जिसके कारण इसका पुनः वियोजन हो जाता है। इसलिए इसकी क्रियाशीलता अधिक होती है जबकि O2 में O = O के कारण यह अधिक स्थायी होती है अतः इसकी क्रियाशीलता कम होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 21.
(a) SO2 केवल गीले फूलों का रंग ही उड़ा पाती है, सूखों का नहीं, क्यों?
(b) अधिक भीड़युक्त स्थानों पर ओजोन का प्रयोग किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
(a) SO2 का विरंजक गुण क्रियाशील हाइड्रोजन परमाणुओं के कारण होता है, जो केवल नमी की उपस्थिति में ही उत्पन्न होते हैं अतः SO2 केवल गीले फूलों का रंग ही उड़ा पाती है, सूखों का नहीं।
SO2 + 2H2O → H2SO4 + 2H

(b) ओजोन अस्थायी होती है अतः इसके विघटन से O2 प्राप्त हो जाती है इसलिए अधिक भीड़युक्त स्थान जहाँ पर ऑक्सीजन को कमी होती है, उसकी पूर्ति हो जाती है अतः इन स्थानों पर ओजोन का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 22.
क्लोरीन से निम्नलिखित यौगिक प्राप्त करने के लिए समीकरण लिखिए-
(i) NaOCl
(ii) NaClO3
(iii) विरंजक चूर्ण
(iv) NH4Cl
(v) NCl3 |
उत्तर:
(i) 2NaOH + Cl2 → NaCl + NaOCl + H2O ठण्डा तथा तनु
(ii) 6NaOH + Cl2 → 5NaCl + NaClO3 + 3H2O गर्म तथा सान्द्र
(iii) Ca(OH)2 +2Cl2 → [Ca(OCl)2 + CaCl2 + 2H2O] विरंजक चूर्ण
(iv) 8NH3 + 3Cl2 → 6NH4Cl + N2 अधिक्य
(v) NH3 + 3Cl2 (आधिक्य) → NCl3 + 3HCl

प्रश्न 23.
क्लोरीन के ऑक्सीकारक गुण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्लोरीन बनाने की औद्योगिक विधियाँ-ये विधियाँ निम्नलिखित हैं-
(i) वैद्युतअपघटन-लवण जल (सांद्र NaCl विलयन या ब्राइन ) के वैद्युतअपघटन से क्लोरीन प्राप्त की जाती है। ब्राइन के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर ऐनोड पर क्लोरीन प्राप्त होती है। इस प्रक्रम में कास्टिक सोडा (NaOH) का निर्माण भी होता है। अतः क्लोरीन यहाँ अन्य उत्पाद है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 13
गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से कैथोड पर सोडियम तथा ऐनोड पर क्लोरीन प्राप्त होती है।

(ii) डेकॉन विधि – हाइड्रोजन क्लोराइड गैस का CuCl2 उत्प्रेरक की उपस्थिति में 723K ताप पर वायुमंडलीय ऑक्सीजन द्वारा ऑक्सीकरण करने पर क्लोरीन प्राप्त होती है।

प्रश्न 24.
क्लोरीन का विरंजक गुण समझाइए।
उत्तर:
विरंजक गुण-क्लोरीन एक प्रबल विरंजक है। इसकी विरंजन क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है, जो कि नवजात ऑक्सीजन उत्पन्न करती है।
Cl2 + H2O → 2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ
क्लोरीन नमी की उपस्थिति में ही वनस्पति अथवा कार्बनिक पदार्थों का विरंजन करती है तथा क्लोरीन का यह विरंजक प्रभाव स्थायी होता है। लेकिन SO2 का विरंजक प्रभाव अस्थायी होता है।

प्रश्न 25.
HCl एक अपचायक है, समझाइए।
उत्तर:
अपचायक गुण – प्रबल ऑक्सीकारकों के साथ क्रिया कराने पर यह अपचायक की तरह व्यवहार करती है। जैसे- MnO2, K2Cr2O2 तथा KMnO4 इत्यादि।

4HCl + MnO2 → MnCl2 + 2H2O + Cl2
14HCl + K2Cr2O7 → 2CrCl3 + 2KCl + 3Cl2 + 7H2O
16HCl + 2KMnO4 → 2MnCl2 + 2KCl + 5Cl2 + 8H2O

प्रश्न 26.
अम्लराज (एक्वारेजिया) कैसे बनाया जाता है? तथा इसके उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
सान HCl त्षा यान्द्र HNO3 को 3 : 1 में मिलाने पर एक्यांजिजिया बनता है जिसे घोने तथा प्लेटिनम औैसी उल्क्ष्ट धातुओं को घोलने के लिए प्रयुक्त किया काता है।
Au + 4H+ + \(\mathrm{NO}_3^{-}\) + \(4 \mathrm{Cl}^{-}\) → \(\mathrm{AuCl}_4^{-}\) + NO + 2H2O3Pt + 16H+ + \(4 \mathrm{NO}_3^{-}\) + \(18 \mathrm{Cl}^{-}\) → \(3 \mathrm{PtCl}_6^{2-}\) + 4NO + 8H2O

प्रश्न 27.
इकृष्ट गैसों की द्रव तथा ठोस अवस्था में पाएँ जाने वाले आकर्षण बलों को समझाइए।
उत्तर:
उत्कृष्ट गैसों के परमाणु अधुखीय होते हैं लेकिन यह माना जात है कि इलेक्यान अभक्षे हिचलन से इमें धुवता उत्पन्न हो जती है तबा एक परमायु अन्य पस्मागुओं को भी पुवित कर सेत है। इन ज्ञनणुओं के मध्य उनक्षित आकर्षंग बस, परिशेपग बल या सन्द्न बल कहागता है। यह एक प्रकर का वन्डवल कल है तथा इस्ते के कारण उत्लृष्ट शैसों बदी द्रव तथा वोस अयलक्वा होती है।

प्रश्न 28.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) XeF2 का जल अघघटन
(ii) XeF4 का अषचयन
(iii) XeF2 की PF5 से किया
(iv) XeF4 की SbF5 से लिख्या
(v) XeF6 से NaF से क्रिया।
उत्तर:
(i) 2XCF2(S) + 2H2O(l) → 2Xe(g) + 4HF(aq) + O2(g)
(ii) XeF4 + 2H2 → Xe + 4HF
(iii) XeF2 + PF5 → [XeF]+ [PF6]
(iv) XeF4 + SbF5 → [XeF3]+ [SbF6]
(v) XeF6 + NaF → Na+ [XeF7]

प्रश्न 29.
XeO3, XeOF4 तथा XeO2F2 को विस्स प्रकास बनाया जाता है? समझाइए।
उत्तर:
XeO3 : XeF4 तथा XeF6 के जल अकघटन से XeO3 बना है।
6XeF4 + 12H2O → 4Xe + 2XeO3 + 24HF + 3O2
XeF6 + 3H2O → XeO3 + 6HF

XeOF4 तथा XeO2F2 :

XeF6 के आंिक क्ल अपवटन से आक्यीफ्तुओंग्ड XeOF4 तथा XeO2F2 प्राप्त होते हैं।
XeF6 + H2O → XeOF4 + 2HF
XeF6 + 2H2O → XeO2F2 + 4HF

प्रश्न 30.
XeF6 तथा XeOF4 की आकृति को समझाइए।
उ्तर:
XeF6 में Xe पर 6 खची क्लेकट्रॉन युग्म तथा एक एक्लकी इसेष्ट्रोन युग्म वपास्थित होते है अतः इस पर sp3d3 संकर्य होत है तथा झसकी अकृति विकृत अष्टफलकीय होती है। XeOF4 में Xe पर 5 बंधी इलेक्ट्रॉन युग्म तथा एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होने के कारण sp3d2 संकरण होता है तथा इसकी आकृति वर्ग पिरैमिडी होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 14
XeF6 की विकृत अष्ठल्लकीय अवृति XeOF6 की वर्ग विर्मिड्री आकृति

प्रश्न 31.
वर्ग 16 के तत्वों के हाइड़ाइडों में निम्नलिखित गुणों वाले यौगिक बताइए।
(i) अधिकतम बन्ध कोण
(ii) निम्नतम क्वथनांक
(iii) अधिकतम अम्लीय गुण।
उत्तर:
(i) H2O
(ii) H2S
(iii) H2Te

प्रश्न 32.
SF6 ज्ञात है लेकिन SCl2 नहीं, क्यों?
उत्तर:
फ्नुओरीन की विद्युतत्ताणता अधिक होने के कारण यह प्रबल औक्सीकारक होती है इसलिए यह सल्फर को + 6 औक्सीकरण अवस्था तक ऑवसीकृत कर देती है अतः SF6 ज्ञात है। लेकिन क्लोरीन की दुर्बल ऑक्सीकारक प्रवृत्ति के कारण यह सल्फर को + 4 ऑक्सीकरण अवस्था तक ही ऑक्सीकृत कर पाती है, इसलिए SCl6 ज्ञात नहीं है।

प्रश्न 33.
SO2 की विरंजक क्रिया अस्थायी होती है, जबकि Cl2 की विरंजक क्रिया स्थायी होती है, क्यों?
उत्तर:
SO2 की जल के साथ क्रिया द्वारा नवजात हाइड्रोजन उत्पन्न होती है जो कि रेगीन पदार्थ को अपचयित करके रंगहीन कर देती है, लेकिन यह पदार्थ वायु द्वारा आंक्सीकृत होकर पुनः रेगीन हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 15
जबकि क्लोरीन, जल से क्रिया करके नवजात आंक्लीजन देती है जो कि रंगहीन पदार्थ को आंक्सीकृत करके रंगहीन कर देती है जिस पर वायु का कोई प्रभाव नर्हीं होता।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 16

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
सफफेद् फॉस्फोरस की अपेक्षा लाल फॉस्फोरस कम क्रियाशील क्यों होता है?
उत्तर:
सफेद फॉस्फोरस के P4 अणुओं में कोणीय तनाव के कारण (60° का कोण ) यक कम स्थायी होता है अतः यह अधिक क्रियाशील होता है जबकि लाल फॉस्फोरस में ऐसा नहीं होता इसलिए सफेद फॉस्फोरस की अपेक्ष लाल फॉर्फोरस कम क्रियाशील होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
(i) XeF2 + H4O →
(ii) PH3 + HgCl2
उत्तर:
(i) 2XeF2(s) + 2H2O(l) → 2Xe(g) + 4HF(aq) + O2(g)
(ii) PH3 + 3HgCl2 → Hg3P2 + 6HCl मरक्यूरिक फॉस्फाइड

प्रश्न 3.
(a) निम्नलिखित की संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) XeF4
(ii) H2S2O7
(b) निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) नाइट्रोजन की अपेक्षा फॉस्फोरस में शृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
(ii) इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी का ऋणात्मक मान फ्लुओरीन के लिए, क्लोरीन के अपेक्षाकृत कम होता है।
(iii) हाइड्रोजन क्नोराइड की अपेक्षा हाइड्रोजन फ्लुओराइड का क्वथनांक बहुत अधिक होता है।
अथवा
(a) निम्नलिखित की संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) PCl3(s)
(ii) \(\mathrm{SO}_3^{2-}\)

(b) निम्नलिखित अवलोकनों के आधार स्पष्ट कीजिए-
(i) फॉस्फीन की अपेक्षा अमोनिया का क्वथनांक उच्चतर होता है।
(ii) हीलियम कोई रासायनिक योगिक नहीं बनाता है।
(iii) Sb(V) की अपेक्षा Bi(V) एक अधिक प्रबल उपचायक है।
उत्तर:
(a) XeF4 वथा H2S2O7 की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 17

(b) (i) नाइट्रोजन की अवेक्षा फैस्फोरस में शृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है क्योंकि फॉस्फोरस विवृत (open) तथा संवृत (closed) दोनों प्रकार की श्रंखला बनाता है तथा नाइट्रोजन के छोटे आकार के कारण यह N ≡ N बनाकर, N2 के रूप में ही पाया जाता है ल्लेकिन फॉस्फोरस के बड़े आकार के कारण यह द्विपरमाणुक अणु नहीं बनाता।

(ii) हाइड्रोजन क्लोराइड की अपेक्षा हाइड्रोजन फ्लुओराइड का क्वथनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि HF के अणुओं के मध्य प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसके कारण अणु बहुत अधिक पास आ जाते हैं जिन्हें दूर-दूर करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता ह्षेती है, जबकं HCl के अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है।
अथवा
(a) (i) PCl5(s) → ठोस अवस्था में PCl5 एक आयनिक ठोस के रूप में पाया जाता है जिसमें चतुष्फलकीय \(\mathrm{PCl}_4^{+}\) तथा अष्टफल्लकीय \(\mathrm{PCl}_6^{-}\) पाया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 18
(b) (i) फॉस्फीन की अपेक्षा अमोनिया का क्वधनांक उच्च होता है क्यौंकि NH3 में धुरुखीय बन्य (N-H) होने के कारण इसके अणुओं के मध्य अन्तरअणुक छाइडोजन बन्ध पाचा जाता है जिससे आण्विक संगुणन अधिक हो जाता है उबकि PH3 के अणुओं के मध्य दुर्बल बान्डरवाल बल पाया जाता है।

(ii) हीलियम कोई रुसायनिक यौगिक नहीं बनाता है ब्योकि हीलियम के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (1s2) में पूर्ण पूरित कोश है अतः इसके पास कोई अयुम्मित इलेक्टॉन नहैं है तथा इसके छोटे आकार के कारण इसकी आयनन एव्थैल्पी भी उच्च होती है इसलिए इसमें इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृति भी नही होती तथा धनात्रक इ्लेक्ट्रॉन ल्यिं एन्येल्पी के कारण यह इ्लेक्ट्रॉन स्रक्षण भी नहीं करती।

(iii) Sb(V) की अपेक्षा Bi(V) अधिक प्रबल उपचायक (ऑक्सीकारक ) होता है क्योंकि Bi+5 अवस्था की अपेक्षा Bi+3 अवस्था अधिक स्थायी होती है (निक्रिय युग्म प्रभास के कारण) अतः Bi(V) आसानी से इसेक्ट्रॉन ग्रहण करके Bi(III) बनाता है जिसके कारण इसका औक्सीकारक गुण अधिक छोता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 4.
फ्तुओरीन कोई धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित नहीं करती। क्यों?
उत्तर:
फ्लुओरीन की विद्युप्रणता सर्वाधिक होती है तथा इसके संयोजी कोश में रिक्त d कक्षेक भी उपलय्ध नलीं है अतः इसमें अश्टक का प्रस्तर नहीं हैता इस्स कारण यह केवल -1 औक्सीकरण अवस्था दर्शाती है अधाँत् यह कोई धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्था प्रक्रांत नहर्ती करती।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया समीकर्णों को पूरा कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 19

प्रश्न 6.
निम्नलिखित योगिकों के संखचा सूत्र बनाइए-
(i) H4P2O5
(ii) XeF4
उत्तर:
H4P2O5 तखा XeF4 की संरचना निम्न फ्रकार सेती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 20

प्रश्न 7.
निम्नलिखित को कारण देते हुए आष कैसे समझाएंगे-
(i) NCl3 एक ऊष्माशोषी यौगिक है जलकि NF3 ऊष्चाजिया है।
(ii) XeF2 मुड्ता हुभा न द्रोका एक सीधा रेख्रिय आकार वाता क्या है।
उत्तर:
(i) NCl3 एक कप्माोोी वौगिक है वबकि NF3 ऊप्यारेपी है क्योंकि NCl3 बनते समय कर्न का अवरोष्य होता है हसका कारण Cl-Cl बन्थ वियोग्यन एन्देली कर मान F-F बन्ध क्लिजन एन्थैल्पी से अधिक होना है अतः इस बन्य को तोड़ने के हिए अधिक ऊर्जा की आवस्पकता हैती है जबकि फ्लुओरीन के होटे आलार के बाएग प्रयत्त बन्य बनती है अतः NF3 बनते समख कर्जा उत्सरित होती है।

(ii) XeF2 में Xe पा दो बन्धित क्षेक्टॉन युग्म वथा तीन एकाही इलेकट्टॉन तुम्य कोते है। (sP3d स्थिकण) VSEPR स्द्धान्त के अनुसार रेखीय ज्यामिति होने पर प्रतिकर्षण न्यूनत्न होता है उतः XeF2 रेखीय ख्वामिति युक्ल अणु है।

प्रश्न 8. निम्नलिखित के वया कााएण हैं-
(i) H2O की अपेक्षा H2S अधिक अम्लीय है।
(ii) \(\mathrm{NO}_2^{-}\) में N-O आबंध \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में N-O काजंध से छोटा होता है।
(iii) O2 और F2 दोनों ही उख्य उपषयन अवस्तुओ को स्थायित्य केते हैं परन्तु इसमें फलुओरीन की आवेक्षा औंवसीजन बक्रात है।
उत्तर:
(i) H2O की अपेक्षा H2S अधिक अम्लीय है क्योंकि सल्फर के बड़े आकार के कारण S-H बन्ध वियोजन एन्थैल्पी का मान O-H बन्ध वियोजन एन्थैल्पी से कम होता है अतः H2S की H+ देने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 21
\(\mathrm{NO}_2^{-}\) में एक N = O तथा एक N-O बन्थ होता है जबकि \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में एक N = O तथा दो N-O बन्ध होते हैं अतः \(\mathrm{NO}_2^{-}\) में औसत बन्ध क्रम (1.5), \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में औसत बन्ध क्रम (1.33) से अधिक है अतः \(\mathrm{NO}_2^{-}\) में N-O आब्दैघ, \(\mathrm{NO}_3^{-}\) में N-O आबन्ध से छोटा होत है।

(iii) O2 तथा F2 दोनों ही उच्च उपचयन अवस्थाओं (आक्सीकरण अवस्थाओं) को स्थायित्व देते हैं लेकिन ऑक्सीजन कौ द्विन्ध बनाने की क्षमत के कारण या उच्च ओंक्सीकरण अवस्था को अंक ए्थायित्व प्रदान करता है जबक्षक फ्लुओरीन में द्विआंन्ध नहीं बनखा।

प्रश्न 9.
(a) निम्नलिखित अणुओं की संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) (HPO3)3
(ii) BrF2
(b) निम्नलिखित रासायनिक समीकरणों को पूरा कीजिए-
(i) HgCl2 + PH2
(ii) SO3 + H2SO4
(iii) XeF4 + H2O →
अथवा
(a) क्या होता है जब
(i) NaOH के सान्द्र गरम विलयन में क्लोरीन गैस प्रवाहित की जाती है?
(ii) Fe(III) लवण के जलीय विलयन में से सस्फर डाइओंक्साइड गैस प्रवाहित की जाती है ?

(b) निम्नलिखित के उत्तर दीजिए-
(i) H3PO3 की क्षार्त्ता (basicity) ब्या है और क्यों?
(ii) अन्तराहललोजन यौगिकों में फ्लुओरीन केन्द्रीय पसमाणु की भूमिका में क्यों नहीं होती है?
(iii) उत्कृष्ट (नोबल) गैसों के क्वथनांक बहुत कम क्यों होते हैं?
उत्तर:
(a) (i) (HPO3)3 पौलीमेटाफॉस्पेरिक अम्ल की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 22

(ii) BrF3 की संरचना बंकित T जैसी होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 23
(b) (i) 3HgCl2 + 2PH3 → Hg3P2 + 6HCl
(ii) SO3 + H2SO4 → H2S2O7 (अ)लिम)
(iii) 6XeF4 + 12H2O → 4Xe + 2XeO3 + 24HF + 3O2
अधवा
(a) (i) NaOH के सान्द्र स्वम विलयन में करोरोन सैस प्रवाहित कहने का NaCl तथा NaClO3 (संडियम बलोरोट) बनल है।
6NaOH + 3Cl2 → 5NaCl + NaClO3 + 3H2O
गन् तथा बान्द्र

(ii) Fe(III) के लवण के जलीय विलयन में से सल्फर डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर फैरस (Fe2+) तथा सल्फेट आयन बनते हैं।
2Fe3+ + SO2 + 2H2O → 2Fe2+ + \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) + 4H+

(b) (i) H3PO3 की क्षारकता दो होती है क्योंकि इसकी संरचना में दो -O-H बन्ध होते हैं जिसके आयनन से H+ प्राप्त होते हैं, लेकिन P-H बन्ध का आयनन नहीं होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 24

(ii) अन्तराहैलोजन यौगिकों में केन्द्रीय परमाणु पर अष्टक का प्रंसार होता है चूँकि फ्लुओरीन में रिक्त $\mathrm{d}$ कक्षक उपलब्ध नहीं होते अतः इसमें अष्टक का प्रसार नहीं हो पाता। इस कारण अन्तराहैलोजन यौगिकों में फ्लुओरीन, केन्द्रीय परमाणु की भूमिका में नहीं होती है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में सो प्रत्येक के लिए उषघुक्त उद्बाहला बेते हुए उनखा स्पष्टीसरण कीजिए-
(i) NF3 एक कब्मांक्षेपी चौनिक है जक्कि NCl3 एमा नहीं है।
(ii) SF4 में सभी आघन्ध समतुल्ब नहीं हैं।
उत्तर:
(i) क्सी भाग (विभिन्न पणिधाओं के प्रश्न ) में प्रश्न संख्या 7(i) क्ष उत्तर देखें।
(ii) SF4 में सल्फर पर चार बन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म तथा एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित है। (sp3d संकरण) तथा इसकी ज्यामिति सी सॉं (see saw) जैसी होती है जिसमें निरक्षीय बन्धों की तुलना में विषुवतरेखीय बन्धों पर अधिक तनाव होता है अतः इनकी बन्ध लम्बाई कुछ अधिक होती है SF4 के सभी बन्य सनतात्व नली कोते।

प्रश्न 11.
SbH3 तथा BiH3 में खौन अधिक प्रबल भबचादक है और वर्खों ?
उत्तर:
SbH3 तथा BiH3 में से BiH3 अधिक प्रबल अपचायक है क्योंकि BiH3 में Bi के बड़े आकार के कारण बन्ध वियोजन एन्थैल्पी कम होती है अतः हाइड्रोजन परमाणुओं के प्राप्त होने की सम्भावना अधिक होती है।

प्रश्न 12.
(a) निम्नलिखित यौगिकों की आण्विक संरचनाएँ आरेखित कीजिए-
(i) N2O5
(ii) XeOF4
(b) निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) ऑक्सीजन की अपेक्षा सल्फर में श्रृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
(ii) I2 की अपेक्षा ICI अधिक क्रियाशील है।
(iii) फ्लुओरीन की इलेक्ट्रॉन प्राप्ति एन्थैल्पी ऋण चिह्न के साथ यद्यपि क्लोरीन की अपेक्षा कम है, फिर भी फ्लुओरीन (F2) अपेक्षाकृत क्लोरीन (Cl2) से प्रबल ऑक्सीकारक है।
अथवा
(a) निम्नलिखित रासायनिक समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
(i) Cu + HNO3 (तनु) →
(ii) XeF4 + O2F2
(b) निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) नाइट्रोजन की अपेक्षा फॉस्फोरस में श्रृंखलन की प्रवृत्ति अधिक होती है।
(ii) ऑक्सीजन एक गैस है जबकि सल्फर एक ठोस है।
(iii) हैलोजन रंगीन होते हैं। क्यों?
उत्तर:
(a) N2O5 तथा XeOF4 की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 25
(b) ऑक्सीजन के छोटे आकार के कारण यह pπ-pπ अतिव्यापन द्वारा बन्ध बनाकर O2 के रूप में पाया जाता है। जबकि सल्फर के बड़े आकार के कारण यह π बन्ध नहीं बनाता तथा बहुत से परमाणु आपस में जुड़कर S8 बनाते हैं अर्थात् सल्फर में श्रृंखलन की प्रवृत्ति; ऑक्सीजन की अपेक्षा अधिक होती है।
अथवा
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 26
(b) हैलोजनों में दृश्य क्षेत्र में विकिरणों का अवशोषण होता है जिससे बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर उच्च ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं। जब ये इलेक्ट्रॉन वापस निम्न ऊर्जा स्तर में आते हैं तो ऊर्जा उत्सर्जित होती है जिसके कारण हैलोजन रंगीन होते हैं। विकिरण के भिन्न-भिन्न क्वान्टम अवशोषित करने के कारण इनका रंग भी भिन्न-भिन्न होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 13.
(i) ‘इंडियन साल्टपीटर’ का नाम एवं रासायनिक सूत्र लिखिए।
(ii) क्या होता है जब अमोनिया के जलीय विलयन को- (A) Cu2+ आयन युक्त जलीय विलयन में डालते हैं ( समीकरण सहित ) ।
(B) Cl आयनों की उपस्थिति में Ag+ आयन युक्त जलीय विलयन में डालते हैं। (समीकरण सहित )
(iii) H3PO4 अम्ल की संरचना बनाइये।
अथवा
(i) किस वर्ग के तत्व चैल्कोजेन कहलाते हैं और क्यों?
(ii) (A) फ्लोरीन केवल 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाता है, क्यों?
(B) फ्लोरीन के अलावा अन्य हैलोजन धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी दर्शाते हैं, क्यों?
(iii) विषमलंबा गंधक की Ss आणविक संरचना को चित्रित कीजिए।
उत्तर:
(i) पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3) को इंडियन साल्टपीटर कहते हैं।
(ii) (A) Cu2+ आयन युक्त जलीय विलयन में अमोनिया का जलीय विलयन डालने पर गहरे नीले रंग का विलेयशील संकुल टेट्राऐमीन कॉपर (II) सल्फेट बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 27
(B) Cl आयनों की उपस्थिति में Ag+ के जलीय विलयन में अमोनिया का जलीय विलयन डालने पर एक विलेय संकुल डाइऐमीन सिल्वर (I) क्लोराइड प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 28
(iii) H3PO4 (आर्थो फॉस्फोरिक अम्ल) की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 29
अथवा
(i) 16वें वर्ग (ऑक्सीजन परिवार) के तत्वों को चैल्कोजेन कहते हैं क्योंकि इसका अर्थ है अयस्क बनाने वाला तथा सामान्यतः अयस्कों में ऑक्सीजन तथा सल्फर होता है अर्थात् अयस्क ऑक्साइड तथा सल्फाइड के रूप में पाए जाते हैं।

(ii) (A) फ्लोरीन केवल – 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शता है क्योंकि इसका परमाणु आकार छोटा होता है तथा इसमें d कक्षक अनुपस्थित है एवं इसकी विद्युत ऋणात्मकता भी सबसे अधिक होती है।

(B) फ्लोरीन के अलावा अन्य हैलोजन धनात्मक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ भी दर्शाते हैं क्योंकि इनमें रिक्त d कक्षक उपस्थित होते हैं अतः ये अपने अष्टक का प्रसार कर सकते हैं। इनकी ये ऑक्सीकरण अवस्थाएँ + 1, + 3, + 5 तथा + 7 होती हैं।

(iii) विषम लंबा गंधक की S8 आण्विक संरचना क्राउन शेप यानी किरीटाकार वलय होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 30

प्रश्न 14.
(अ) निम्नलिखित समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
(i) Cl2 + NaOH (ठण्डा व तनु) →
(ii) C + सान्द्र HNO3
(ब) निम्नलिखित को समझाइए –
(i) 17वें वर्ग में F2 प्रबल ऑक्सीकारक है।
(ii) ऑक्सीजन गैस है जबकि सल्फर ठोस है।

(स) निम्नलिखित की संरचना बनाइए-
(i) N2O5
(ii) H3PO4
अथवा

(अ) निम्नलिखित समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 31

(ब) निम्नलिखित को समझाइए-
(i) नाइट्रोजन का अणुसूत्र N2 है जबकि फॉस्फोरस का P4 है।
(ii) नाइट्रोजन की तुलना में फॉस्फोरस अधिक क्रियाशील है।
(स) निम्नलिखित की संरचना बनाइए-
(i) H2S2O7
(ii) XeF2
उत्तर:
(अ) (i) Cl2 + NaOH (ठण्डा व तनु ) → NaCl + NaClO + H2O
(ii) C + 4HNO3 (सान्द्र) → CO2 + 2H2O + 4NO2

(च) (i) 17वें वर्ग में F2 प्रबल ऑक्सीकारक है क्योंकि F-F आबंध की वियोजन एन्थैगी कम है तथा F की जलयोजन एन्यैल्पी का मान उच्च होता है, अतः F में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

(ii) ऑक्सीजन परमाणु के छोटे आकार तथा संयोजी कोश में d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इसमें pπ-pπ बन्ध बनाने की प्रबल प्रवृत्ति होती है अतः यह O = O बनाकर अपना अष्टक पूर्ण कर लेती है। तथा O2 के विविक्त अणुओं के रूप में गैस अवस्था में पायी जाती है। लेकिन सल्फर के बड़े आकार के कारण S = S बन्ध एन्पी कम होती है अतः यह S2 न बनाकर S8 के रूप में पाया जाता है जिससे अणुओं के मध्य आकर्षण बल बढ़ जाता है। इसी कारण सल्फर ठोस अवस्था में पाया जाता है।

(स) N2O5 तथा H3PO4 की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 32

(ब) (i) नाइट्रोजन द्विपरमाणुक अणु N2 के रूप में पाया जाता है क्योंकि नाइट्रोजन परमाणु के छोटे आकार तथा d कक्षकों की अनुपस्थिति के कारण इसमें बहुल आबन्ध (N ≡ N) बनाने की प्रबल क्षमता होती है जबकि फॉस्फोरस P4 के रूप में पाया जाता है क्योंकि इसके बड़े आकार के कारण इसमें बहुल आबन्ध बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती तथा आन्तरिक अबन्धित इलेक्ट्रॉनों के बीच प्रतिकर्षण होता है अतः इसमें P-P-P बन्ध कोण 60″ होता है इसलिए pπ-pπ बन्ध संभव नहीं है।

(ii) नाइट्रोजन की तुलना में फॉस्फोरस अधिक क्रियाशील है क्योंकि नाइट्रोजन का आकार बहुत छोटा होता है तथा इसकी विद्युतॠणता एवं आयनन एन्फैल्पी, फॉस्फोरस की तुलना में अधिक होती है। नाइट्रोजन के संयोजी कोश में रिक्त d कक्षक उपलब्ध नहीं हैं जबकि फॉस्फोरस के संयोजी कोश में रिक्त d कक्षक होते हैं नाइट्रोजन में pπ-pπ अतिव्यापन द्वारा त्रिआबन्ध बनाने की प्रवृत्ति होती है अतः इसकी [बन्ध एन्येपी बहुत अधिक होती है जिसके कारण वह बहुत कम क्रियाशील होता है जबकि फॉस्फोरस में pπ-pπ अतिव्यापन नहीं होता।

(स) H2S2O7 तथा XeF2 की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 33

प्रश्न 15.
(अ) वर्ग 15 में ऊपर से तीसरे तत्व का नाम एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
(ब) अमोनिया अणु की संरचना बनाइए ।
(स) NH3 लुइस क्षारक की तरह व्यवहार करती है। क्यों?
(द) तनु एवं सान्द्र HNO3 की Zn के साथ अभिक्रिया के समीकरण दीजिए।
उत्तर:
(अ) वर्ग 15 में ऊपर से तीसरे तत्व का नाम आर्सेनिक 33(As) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d104s24p3 है।
(ब) अमोनिया का अणु त्रिकोणीय पिरैमिडी होता है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन पर sp3 संकरण होता है। (3σ बन्ध तथा एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ) इसे निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 34

(स) अमोनिया में नाइट्रोजन परमाणु पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म, प्रदान करने के लिए उपलब्ध है अतः यह लूइस धारक की तरह व्यवहार करती है।
(द) 4Zn + 10 HNO3
तनु → 4Zn (NO3)2 + 5H2O + N2O
Zn + 4HNO3 (सांद्र ) → Zn (NO3)2 + 2H2O + 2NO2

प्रश्न 16.
(अ) वर्ग 15 के धातु तत्व का नाम एवं इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
(ब) क्लोरीन गैस की विरंजन क्रिया का कारण समझाइए ।
(स) भूरी वलय परीक्षण के समीकरण लिखिए।
(द) PCl5 अणु की संरचना बनाइए ।
उत्तर:
(अ) वर्ग 15 का धातु तत्व बिस्मथ (88Bi) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe]-4f14 5d10 6s2 6p3 है।

(ब) क्लोरीन गैस की विरंजन क्रिया ऑक्सीकरण के कारण होती है। नमी की उपस्थिति में क्लोरीन नवजात ऑक्सीजन [O] देती है जो रंगीन पदार्थ का ऑक्सीकरण करके उसे रंगहीन कर देती है।
Cl2 + H2O → 2HCl + [O]
रंगीन पदार्थ + [O] → रंगहीन पदार्थ

(स) भूरी वलय परीक्षण नाइट्रेट आयन के लिए किया जाता है। इसमें प्रयुक्त समीकरण निम्नलिखित हैं-
NO3 + 3Fe2+ + 4H+ → NO + 3Fe3+ + H2O
[Fe(H2O)6]2+ + NO → [Fe(H2O)5(NO)]2+ + H2O भूरी वलय

(द) PCl5 की संरचना त्रिकोणीय द्विपिरैमिडी होती है क्योंकि इसमें फॉस्फोरस पर 5 σ बन्ध होते हैं। (sp3d संकरण) इसे निम्न प्रकार दर्शाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 35

प्रश्न 17.
(i) H3PO3 की क्षारकता कितनी होती है तथा क्यों?
(ii) क्लोरीन गैस से बनाई जा सकने वाली दो जहरीली गैसों का नाम बताइए।
(iii) नाइट्रोजन +5 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है फिर भी यह पेन्टालाइड नहीं बनाती, क्यों?
उत्तर:
(i) H3PO3 की धारकता दो होती है क्योंकि इसमें दो O-H बन्ध होते हैं।
(ii) फॉस्जीन (COCl2) तथा मस्टर्ड गैस (ClCH2– CH2SCH2CH2Cl)
(iii) नाइट्रोजन में d कवक अनुपस्थित होते हैं अतः यह पेन्टालाइड नहीं बनाती।

प्रश्न 18.
R3P = O पाया जाता है जबकि R3N = O नहीं क्यों ? (R= ऐल्किल समूह)
उत्तर:
वर्ग 15 के तत्वों में अतिरिक्त स्थायित्व प्राप्त अर्धपूरित इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के p-कक्षक होते हैं। अतः वर्ग 16 के तत्वों की तुलना में इनमें से इलेक्ट्रॉन को निकालने में बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, अतः वर्ग 15 के तत्वों की तुलना में वर्ग 16 के तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी का मान कम होता है।

प्रश्न 19.
(a) निम्नलिखित की संरचनाएँ बताइए-
(i) XeF2
(ii) BrF3
(b) H3PO3 की अपेक्षा H2PO2 अधिक प्रबल अपचायक है, क्यों?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 36
(b) H3PO2 में ऐ P-H बन्ध होते हैं तथा इसमें की ऑक्सीकरण अवस्था निम्न (+1) है। अतः यह उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तित हो सकता है। जबकि H3PO3 में एक P-H बन्ध एवं P की ऑक्सीकरण अवस्था उच्च (+ 3) है अतः H3PO3 की अपेक्षा H3PO2 अधिक प्रबल अपचायक है।

प्रश्न 20.
(अ) क्लोरीन के चार ऑक्सो अम्लों के रासायनिक सूत्र लिखिए।
(ब) उत्कृष्ट गैस समूह का सामान्य इलेक्ट्रॉन विन्यास लिखिए। चुम्बकीय अनुनाद प्रतिविम्ब (MRI) में इस समूह का कौन-सा तत्व उपयोगी है?
(स) C2H5OH की PCl3 एवं PCl5 के साथ पृथक् पृथक् रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
अथवा
(अ) सल्फर के चार ऑक्सो अम्लों के रासायनिक सूत्र लिखिए।
(ब) केल्कोजेन समूह का सामान्य इलेक्ट्रॉन विन्यास लिखिए। एप्सम लवण का रासायनिक सूत्र लिखिए।
(स) अमोनिया एक लुइस क्षारक की तरह व्यवहार करता है। समझाइए |
उत्तर:
(अ) क्लोरीन के चार ऑक्सो अम्ल निम्नलिखित हैं- HOCl (हाइपोक्लोरस अम्ल) HClO2 (क्लोरस अम्ल), HClO3 (क्लोरिक अम्ल) तथा HCIO4 (परक्लोरिक अम्ल)।

(ब) उत्कृष्ट गैस समूह का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np2 होता है जहाँ n = 2 से 6 [He (1s2) के अतिरिक्त), चुम्बकीय अनुनाद प्रतिषिध (MRI) में हीलिंगम प्रयुक्त होती है।

(स) C2H5OH + PCl5 → C2H5Cl + HCl + POCl3
2C2H5OH + PCl3 → 3C2H5Cl + P(OH)3 या H3PO3
अथवा

(अ) सल्फर के चार ऑक्सो अम्ल निम्नलिखित है-
H2SO3 (सल्फ्यूरस अम्ल), H2SO4 (सल्फ्यूरिक अम्ल), H2S2O8 (परॉक्सो डाइसल्फ्यूरिक अम्ल) तथा H2S2O7 (पायरो सल्फ्यूरिक अम्ल )।

(ब) केल्कोजेन समूह ऑक्सीजन समूह होता हैं जिसका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np4 है जहाँ n = 2 से 61 एप्सम लवण का रासायनिक सूत्र MgSO4 . 7H2O होता है।

(स) अमोनिया में नाइट्रोजन पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करने के लिए उपलब्ध है अतः यह लुइस क्षारक की तरह व्यवहार करता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 p-ब्लॉक के तत्व

प्रश्न 21.
Ba(N3)2 के तापीय अपघटन से क्या होता है? (केवल अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।)
उत्तर:
Ba(N3)2 के तापीय अपघटन से बेरियम तथा नाइट्रोजन गैस प्राप्त होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 37

प्रश्न 22.
H3PO3 की क्षारकता क्या है?
उत्तर:
H3PO3 में दो P-OH बन्ध उपस्थित हैं अतः इसकी क्षारकता 2 है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 38

प्रश्न 23.
(अ) क्लोरीन के ठण्डे व तनु NaOH विलयन से अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
(ब) H3PO2 की अपचायक प्रकृति को समझाइए |
अथवा
(अ) क्लोरीन की गरम व सान्द्र NaOH विलयन से अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
(ब) PCl5 के पाँचों बन्ध समतुल्य क्यों नहीं हैं? समझाइए |
उत्तर:
(अ) क्लोरीन की ठण्डे व तनु NaOH मिलयन से अभिक्रिया कराने पर सोडियम क्लोराइड (NaCl) तथा सोडियम हाइपोक्लोराइट (NaClO) बनते हैं।

Cl2 + 2NaOH → NaCl + NaClO + H2O

(ब) H3PO2 में दो P-H बन्ध होने के कारण वह एक अच्छा अपचायक होता है। इसी कारण वह AgNO3 को Ag में अपचारित कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 39
अथवा
OH
(अ) क्लोरीन की गरम व सान्द्र NaOH विलयन से अभिक्रिया कराने पर सोडियम क्लोराइड (NaCl) तथा सोडियम क्लोरेट (NaClO3) प्राप्त होते हैं।
3Cl2 + 6NaOH → 5NaCl + NaClO3 + 3H2O

(ब) PCl5 के पाँच बन्धों में से तीन निरक्षीय बन्ध समान होते हैं। जबकि वे अक्षय बन्यों की बन्ध लम्बाई अधिक होती है क्योंकि निरखीय बन्ध युग्मों की अपेक्ष अक्षीय बन्ध युग्मों पर प्रतिकर्षण अधिक होता है। PCl5 की त्रिकोणीय द्विपिरैमिडी संरचना होती है (sp3d संकरण ) ।

प्रश्न 24.
(a) निम्नलिखित के कारण देते हुए स्पष्ट कीजिए-
(i) \(\mathrm{NH}_4^{+}\) में आबन्ध कोण अपेक्षाकृत NH3 वाले कोण से बड़ा है।
(ii) अपचायक व्यवहार SO3 से TeO2 की ओर घटता है।
(iii) HClO की अपेक्षा HClO4 प्रबलतर अम्ल है।

(b) निम्नलिखित की संरचनाएँ आरेखित कीजिए—
(i) H2S2O8
(ii) XeOF4
अथवा
(a) जब सफेद फॉस्फोरस को सान्द्र NaOH के विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो कौनसी जहरीली गैस निकलती है? रासायनिक समीकरण लिखिए।
(b) एन. बेर्टलेट द्वारा बनाए गए उत्कृष्ट गैस के प्रथम यौगिक का सूत्र लिखिए। इस यौगिक को बनाने के लिए एन. बैर्टलेट की प्रेरणा क्या थी?
(c) क्लोरीन की अपेक्षा फ्लुओरीन प्रबलतर उपचाचक है क्यों?
(d) क्लोरीन गैस का एक उपयोग लिखिए।
(e) निम्नलिखित समीकरण को पूर्ण कीजिए-
CaF2 + H2SO4
उत्तर:
(a) (i) NH3 तथा \(\mathrm{NH}_4^{+}\) दोनों में से नाइट्रोजन sp3 संकरित है। लेकिन \(\mathrm{NH}_4^{+}\) में आबन्ध कोण अपेक्षाकृत NH3 वाले बन्ध कोण से बड़ा है क्योंकि इसमें चारों ही बन्धित इलेक्ट्रॉन युग्म है जबकि NH3 में N पर एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म है जो कि एकाकी युग्म आबंध युग्म प्रतिकर्षण के लिए उत्तरदायी है, जिससे NH3 में आबन्ध कोण कम हो जाता है।

(ii) अपचायक व्यवहार SO2 से TeO2 की ओर घटता है, क्योंकि इस वर्ग में नीचे जाने पर 6 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व कम होता है तथा 4 ऑक्सीकरण अवस्था का स्थायित्व बढ़ता है। अतः इनकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति भी कम होती जाती है।

(iii) HClO की अपेक्षा HClO4 प्रबलतम अम्ल है क्योंकि HClO में Cl का ऑक्सीकरण अंक + 1 है जबकि HClO4 में Cl का ऑक्सीकरण अंक + 7 है अतः HClO4 में Cl की इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति अधिक होती है जिससे इसका आयनन होकर H+ आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।
(b) (i) H2S2O8
(ii) XeOF4
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 40
अथवा
(a) जब सफेद फॉस्फोरस को सान्द्र NaOH के विलयन के साथ गर्म किया जाता है तो फाल्जीन (PH3) गैस निकलती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 7 Img 41
(b) इस प्रश्न के उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न संख्या 7.30 का उत्तर देखें।

(c) क्लोरीन की अपेक्षा फ्लुओरीन प्रबलतर उपचायक (ऑक्सीकारक) है क्योंकि क्लोरीन के मानक अध्ययन विभव का मान फ्लुओरीन के मानक अपचयन विभव के अपेक्षा कम होता है। इसी कारण फ्लुओरीन जल को ऑक्सीजन में ऑक्सीकृत कर देती है जबकि क्लोरीन, जल के साथ अभिक्रिया करके HCl तथा HClO बनाती है।

(d) क्लोरीन को पीने के जल को जीवाणुरहित करने में प्रयुक्त किया जाता है।

(e) CaF2 + H2SO4 → CaSO4 + 2HF

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. असममित कार्बन परमाणु युक्त यौगिक है-
(अ) C6H5CH2COOH
(ब) HOOC (CH2)2COOH
(स) HO(CH2)2OH
(द) HOOC CH(OH)CH2COOH
उत्तर:
(द) HOOC CH(OH)CH2COOH

2. ध्रुवण घूर्णकता निम्न में से किसके कारण पायी जाती है-
(अ) सममिति तल
(ब) आणविक सममितता
(स) आणविक असममितता
(द) सममित कार्बन परमाणु
उत्तर:
(स) आणविक असममितता

3. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक ध्रुवण घूर्णक नहीं है ?
(अ) लैक्टिक अम्ल
(स) सिट्रिक अम्ल
(ब) टार्टरिक अम्ल
(द) मैलिक अम्ल
उत्तर:
(स) सिट्रिक अम्ल

4. अग्निशामक के रूप में प्रयुक्त होने वाला यौगिक है-
(अ) CH3Cl
(ब) CH2Cl2
(स) CHCl3
(द) CCI4
उत्तर:
(द) CCI4

5. ऐरिल हैलाइड (हैलोएरीन) का उदाहरण है-
(अ) C6H3Cl
(ब) C6H5CH2Cl
(स) C6H5Cl
(द) C6H6Cl6
उत्तर:
(स) C6H5Cl

6. 2° ऐल्किल हैलाइड का उदाहरण है-
(ब) आइसोब्यूटिल क्लोराइड
(स) आइसोप्रोपिल क्लोराइड
(द) उपरोक्त सभी
(अ) n – ब्यूटिल क्लोराइड
उत्तर:
(स) आइसोप्रोपिल क्लोराइड

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

7. प्रोपेन के संभावित डाइक्लोरो व्युत्पन्नों की संख्या है-
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) पाँच
उत्तर:
(स) चार

8. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक SN1 अभिक्रिया सुगमता से दर्शाता है ?
(अ) CH3Cl
(ब) (CH3)2CH-Cl
(स) (CH)3C-Cl
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) (CH)3C-Cl

9. ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया है-
(अ) इलेक्ट्रॉनस्नेही संकलन
(ब) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन
(स) इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन
(द) नाभिकस्नेही संकलन
उत्तर:
(ब) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन

10. निम्न में से न्यूनतम क्वथनांक वाला यौगिक कौनसा है?
(अ) CH3Cl
(ब) C2H5Cl
(स) CH3-CH2-CH2-Cl
(द) C4H9Cl
उत्तर:
(अ) CH3Cl

11. ऐल्किल हैलाइडों की क्रियाशीलता का घटता क्रम है-
(अ) RI < RBr < RCI
(ब) RBr < RI < RCl
(स) RBr > RCI > RI
(द) RI > RBr > RCI
उत्तर:
(द) RI > RBr > RCI

12. मोनो हैलोऐल्केन्स की श्रेणी
(अ) CnH2n+1 X
(ब) C2nH2n+1 X
(स) CnH2n-1 X
(द) CnH2n+2 X
उत्तर:
(अ) CnH2n+1 X

13. निम्नलिखित में से किस यौगिक को प्रशीतक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है ?
(अ) CH3COCH3
(ब) CCl4
(स) CF4
(द) CCl2F2
उत्तर:
(द) CCl2F2

14. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक एक जेम डाइहैलाइड है ?
(अ) एथिलीन डाइक्लोराइड
(ब) 2,2-डाइक्लोरोप्रोपेन
(स) 1,3 – डाइक्लोरोप्रोपेन
(द) 1,2- डाइक्लोरोप्रोपेन
उत्तर:
(ब) 2,2-डाइक्लोरोप्रोपेन

15. किसी ऐल्कोहॉल से क्लोरो ऐल्केन बनाने के लिए सबसे उपयुक्त अभिकर्मक है-
(अ) PCl3
(ब) Cl2/CCl4
(स) SOCl2
(द) HCl / ZnCl2
उत्तर:
(स) SOCl2

16. विहाइड्रोहैलोजेनीकरण के लिए आवश्यक विशिष्ट अभिकर्मक है-
(अ) जलीय KOH
(ब) ऐल्कोहॉलिक KOH
(स) जलीय NaOH
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) ऐल्कोहॉलिक KOH

17. FeCl3 की उपस्थिति में टॉलुईन की Cl2 से क्रिया द्वारा बना मुख्य उत्पाद होगा-
(अ) बेन्जिल क्लोराइड
(ब) बेन्जल क्लोराइड
(स) m-क्लोरोटॉलुईन
(द) o- तथा p-क्लोरो टॉलुईन
उत्तर:
(द) o- तथा p-क्लोरो टॉलुईन

18. नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के लिए न्यूनतम क्रियाशीलता वाला यौगिक कौनसा है ?
(अ) CH2 = CH – Cl
(ब) CH3 – CH2Cl
(स) (CH3), C – Cl
(द) CH2 = CH – CH2Cl
उत्तर:
(अ) CH2 = CH – Cl

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

19. निम्नलिखित में से किस यौगिक का क्वथनांक उच्चतम होगा?
(अ) CH3 – CH2 – CH – Cl
(ब) CH3 – CH3 – CH – CH2-Cl
(स) CH3CH(CH3)CH2Cl
(द) (CH3)3C – Cl
उत्तर:
(ब) CH3 – CH3 – CH – CH2-Cl

20. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 1, यह अभिक्रिया है-
(अ) विलोपन
(ब) संकलन
(स) प्रतिस्थापन
(द) पुनर्विन्यास
उत्तर:
(स) प्रतिस्थापन

21. शल्य चिकित्सा में निश्चेतक के रूप में प्रयुक्त हैलोजन युक्त यौगिक है-
(अ) थाइरॉक्सिन
(ब) हैलोथेन
(स) फ्रेऑन
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) हैलोथेन

22. सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में क्लोरोबेन्जीन तथा क्लोरैल को गर्म करने से प्राप्त उत्पाद है-
(अ) BHC
(ब) C2Cl6
(स) DDT
(द) CF2Cl2
उत्तर:
(स) DDT

23. I Cl तथा Br की नाभिकस्नेहिता का बढ़ता क्रम क्या होगा ?
(अ) I < Br Cl
(ब) Br < Cl < I
(स) Cl < Br < I
(द) I < Cl < Br
उत्तर:

24. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 2B, में यौगिक B मुख्य रूप से क्या होगा ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 4

25. यौगिक HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 5का IUPAC का नाम होगा-
(अ) 1- ब्रोमो – 3 – क्लोरो साइक्लोहेक्सीन
(ब) 3- ब्रोमो – 1 – क्लोरो साइक्लोहेक्स – 1 – ईन
(स) 2- ब्रोमो – 5-क्लोरो साइक्लोहेक्स – 1 – ईन
(द) 6- ब्रोमो – 1 – क्लोरो साइक्लोहेक्स- 1- ईन
उत्तर:
(ब) 3- ब्रोमो – 1 – क्लोरो साइक्लोहेक्स – 1 – ईन

26. अभिक्रिया CH3Br + OH → CH3OH + Br ; SN2 क्रियाविधि द्वारा सम्पादित होती है। इस अभिक्रिया की दर किसकी सान्द्रता पर निर्भर करती है?
(अ) CH3Br, OH
(ब) केवल CH3Br
(स) केवल OH
(द) CH, Br, CH3 OH
उत्तर:
(ब) केवल CH3Br

27. निम्नलिखित में से कौन-सा यौगिक I2 तथा NaOH के साथ पीला अवक्षेप देगा ?
(अ) ICH2COCH2CH3
(ब) CH3COOCOCH3
(स) CH3-CH2 CH(OH) CH2CH3
(द) CH3COOH
उत्तर:
(स) CH3-CH2 CH(OH) CH2CH3

28. क्लोरोबेन्जीन की अपेक्षा मेथिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध-
(अ) लम्बा तथा दुर्बल है
(ब) छोटा तथा दुर्बल है
(स) छोटा तथा प्रबल है
(द) लम्बा तथा प्रबल है
उत्तर:
(अ) लम्बा तथा दुर्बल है

29. यौगिक (A) C8H9Br को जब ऐल्कोहॉलिक AgNO3 के साथ गर्म करते हैं तो सफेद अवक्षेप आता है। (A) के ऑक्सीकरण पर एक अम्ल (B) C3H6O4 प्राप्त होता है। (B) गर्म करने पर आसानी से एनहाइड्राइड बनाता है तो यौगिक A है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 6
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 7

30. परॉक्साइड की अनुपस्थिति में प्रोपीन पर HBr के संयोजन में प्रथम
पद में संयोजन होता है-
(अ) H+ का
(ब) Br का
(स) H
(द) Br का
उत्तर:
(अ) H+ का

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1- क्लोरोप्रोपेन से 1 आयोडोप्रोपेन प्राप्त करने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 8
इसे फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया कहते हैं। यह एक हैलोजन विनिमय अभिक्रिया है।

प्रश्न 2.
स्वास अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 9

प्रश्न 3.
अणुसूत्र C4H8Br2 से कितने जेम डाइहैलाइड संभव हैं?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 10

प्रश्न 4.
C3H6Cl2 से बनने वाले सभी यौगिकों के सूत्र लिखिये।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 11

प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रिया का उत्पाद बताइए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 12
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 13 क्योंकि HCl के संकलन में परॉक्साइड प्रभाव नहीं लगता है।

प्रश्न 6.
CH3F, CH3Cl, CH3Br तथा CH3I को द्विध्रुव आघूर्ण के बढ़ते क्रम में लिखिए।
उत्तर:
CH3I < CH3Br < CH3F < CH3 – Cl

प्रश्न 7.
विभिन्न हैलोजन अम्लों की क्रियाशीलता का अवरोही क्रम लिखिए।
उत्तर:
HI > HBr > HCl > HF

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 8.
ऐल्केनॉल से हैलोएल्केन बनाने के लिए HCl, PCl3 तथा SOCl2 में से सर्वाधिक उपयुक्त अभिकर्मक कौनसा है?
उत्तर:
SOCl2

प्रश्न 9.
मेथिल आयोडाइड से एथेनॉइक अम्ल बनाने के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 14

प्रश्न 10.
टेट्राएथिल लैड का एक उपयोग बताइए।
उत्तर:
टेट्राएथिल लैड (C2H5)4 Pb एक अपस्फोटरोधी यौगिक होता है।

प्रश्न 11.
CH3-CH2-CH2-Cl तथा (CH3)3C-Cl में से किसका विहाइड्रोहैलोजेनीकरण अधिक सुगमता से होगा तथा क्यों?
उत्तर:
(CH3)3C-Cl का विहाइड्रोहैलोजेनीकरण अधिक सुगमता से होगा क्योंकि यह एक 3° हैलोऐल्केन है जो कि अधिक क्रियाशील है।

प्रश्न 12.
हैलाइड आयनों की नाभिकस्नेही प्रबलता का क्रम बताइए।
उत्तर:
\(\stackrel{-}{I}\) > \(\stackrel{-}{B}\)r > \(\stackrel{-}{C}\)l > \(\stackrel{-}{F}\)

प्रश्न 13.
वुर्ट्स अभिक्रिया द्वारा किस ऐल्केन का संश्लेषण नहीं होता ?
उत्तर:
मेथेन (CH4)

प्रश्न 14.
वह कौनसा हैलोएल्केन है जिससे एक ही पद में मेथेन तथा एथेन दोनों का संश्लेषण किया जा सकता है? समीकरण भी दीजिए।
उत्तर:
CH3 – X (मेथिल हैलाइड)
समीकरण –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 15

प्रश्न 15.
शुद्ध CHCl में सिल्वर नाइट्रेट विलयन डालने पर AgCl का अवक्षेप नहीं आता, क्यों?
उत्तर:
CHCl3 एक सहसंयोजी यौगिक है अतः इसका आयनन नहीं होने के कारण विलयन में Cl उपलब्ध नहीं होंगे इसलिए यह AgNO3 विलयन के साथ कोई अवक्षेप नहीं देता।

प्रश्न 16.
हैलोऐरीन की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के लिए क्रियाशीलता कब बढ़ती है?
उत्तर:
हैलोऐरीन में आर्थो तथा पैरा स्थिति पर इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह जैसे – NO2 उपस्थित होने पर इसकी नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के लिए क्रियाशीलता बढ़ जाती है।

प्रश्न 17.
फ्रेऑन- 112 का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
C2F2Cl4

प्रश्न 18.
BHC के अन्य व्यापारिक नाम तथा IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
BHC (बेन्जीन हेक्सा क्लोराइड) के विभिन्न व्यापारिक नाम गेमेक्सीन, गेमेन, लिन्डेन व 666 हैं तथा इसका IUPAC नाम 1, 2, 3, 4, 5, 6 हेक्साक्लोरो साइक्लोहेक्सेन है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 16

प्रश्न 19.
वेस्ट्रॉन तथा वेस्ट्रोसॉल के सूत्र बताइए तथा इनका क्या उपयोग है?
उत्तर:
CHCl2-CHCl2 (वेस्ट्रॉन) तथा HCCl = CCl2 (वेस्ट्रोसॉल) विलायक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

प्रश्न 20.
बेन्जल क्लोराइड को जलीय NaOH के साथ उबालने पर क्या होता है?
उत्तर:
बेन्जेल्डिहाइड बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 17

प्रश्न 21.
B\(\stackrel{-}{r}\) तथा \(\stackrel{-}{I}\) में से कौनसा प्रबल नाभिकस्नेही है तथा क्यों?
उत्तर:
B\(\stackrel{-}{r}\) तथा \(\stackrel{-}{I}\) में से \(\stackrel{-}{I}\) प्रबल नाभिकस्नेही है क्योंकि \(\stackrel{-}{I}\) का आकार बड़ा है तथा इसकी विद्युतॠणता Br से कम है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) पाँच कार्बन युक्त हैलोएल्केन की संरचना बताइए जिसके द्वारा प्रकाशिक समावयवता दर्शायी जाती है।
(ii) 1 – क्लोरो ब्यूटेन तथा 1 – क्लोरो – 2 – मेथिल प्रोपेन में कौनसी समावयवता होती है ?
(iii) अणु सूत्र C4H9Cl वाले स्थिति समावयवी बताइए जिनमें सीधी श्रृंखला हो।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 18

प्रश्न 2.
सैन्डमायर अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ऐमीनो से-सैन्डमायर अभिक्रिया द्वारा- किसी एरोटिक प्राथमिक एमीन (जिसमें – NH2 समूह बेन्जीन वलय से सीधा जुड़ा होता है) की क्रिया सोडियम नाइट्राइट तथा ठण्डे जलीय खनिज अम्ल (HX) से की जाती है तो डाइएजोनियम लवण बनता है। इस डाइएजोनियम लवण की क्रिया Cu2X2 (क्युप्रस हैलाइड) से करवाने पर डाइएजोनियम समूह के स्थान पर हैलोजन आ जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 19
(i) क्लोरीनीकरण तथा ब्रोमोनीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 20
इस अभिक्रिया में CuCl2 तथा Cu2Br2 के स्थान पर Cu लेने पर इसे गाटरमान अभिक्रिया कहते हैं।

(ii) आयोडीनीकरण-आयोडोबेन्जीन बनाने के लिए डाइएजोनियम लवण की क्रिया KI सें करवायी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 21

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को समझाइए-
(i) टॉलुईन का इलेक्ट्रॉनस्नेही क्लोरीनीकरण (प्रतिस्थापन)
(ii) ऐल्केनों का मुक्तमूलक हैलोजेनीकरण।
उत्तर:
(i) इलेक्ट्रॉनस्नेही (इलेक्ट्रॉन रागी) प्रतिस्थापन द्वाराएरिल हैलाइडों का विरचन-जब बेन्जीन, टॉलूईन इत्यादि की क्रिया Fe या FeCl3 (लुईस अम्ल) की उपस्थित में C2 या Br2 से करवाई जाती है तो वलय के हाइड्रोजन का प्रतिस्थापन हैलोजेन द्वारा हो जाता है। यह एक इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है तथा इससे एरिल हैलाइड प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 22
अभिक्रिया से बने आर्थो तथा पैरा समावयवियों के गलनांकों में अधिक अंतर होने के कारण इन्हें आसानी से पृथक् किया जा सकता है।

फ्लुओरीन बहुत अधिक क्रियाशील होती है अतः इस विधि से फ्लुओरो व्युत्पन्न नहीं बना सकते तथा आयोडीन के साथ अभिक्रिया उत्क्रमणीय होने के कारण प्राप्त HI को ऑक्सीकृत करने के लिए HNO3 या HIO3 प्रयुक्त किया जाता है।

(ii) ऐल्केनों के मुक्त मूलक हैलोजेनीकरण द्वारा-सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ऐल्केनों की Cl2 या Br2 से क्रिया करवाने पर समावयवी मोनो तथा पॉली हैलोऐल्केनों का मिश्रण बनता है। अतः किसी एक यौगिक की लब्धि कम होती है तथा इस मिश्रण को पृथक् करना मुश्किल होता है।
इस अभिक्रिया के लिए हाइड्रोजन परमाणुओं के प्रतिस्थापन का क्रम निम्नलिखित है-
3°H > 2°H > 1°H
अतः प्रोपेन की क्लोरीन से क्रिया करवाने पर 2-क्लोरोप्रोपेन (2°) अधिक मात्रा में प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 23
97 %, 2-ब्रोमो प्रोपेन प्राप्त होने का कारण ब्रोमीन की वरणशीलता (Selectivity) है।
ऐल्केनों के हैलोजेनीकरण में विभिन्न हैलोजनों की क्रियाशीलता निम्न क्रम में होती है-
F2 > Cl2 > Br2 > I2
फ्लुओरीनीकरण विस्फोटक होता है जबकि आयोड़ीनीकरण बहुत धीमी गति से होता है अतः यह एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया है। इसलिए इसे आयोडिक अम्ल (HIO3) की उपस्थिति में करवाया जाता है। जो कि अभिक्रिया से प्राप्त HI (अपचायक) से क्रिया करके I2 तथा H2O बना देता है ताकि यह पुनः R-I से क्रिया करके ऐल्केन न बना सके तथा प्राप्त I2 पुनः अभिक्रिया को अग्र दिशा में ले जाने में सहायक होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 24

प्रश्न 4.
ऐल्कीनों पर HX तथा हैलोजेन के योग की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) ऐल्कीनों पर हाइड्रोजन अम्ल (HX) के संकलन (संयोजन) से-ऐल्कीनों पर HX के संकलन से हैलोऐल्केन बनते हैं। असममित ऐल्कीनों पर HX के संकलन में प्राप्त उत्पाद मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होता है तथा परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का संकलन परॅक्साइड प्रभाव के अनुसार होता है।

इस अभिक्रिया के लिए विभिन्न हाइड्रोजन हैलाइडों की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 25
मार्कोनीकॉफ का नियम-जब किसी असममित ऐल्कीन पर HX का योग होता है तो ऋणात्मक भाग (\(\overline{\mathbf{X}}\)) उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है।

यह एक इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया है।

अभिक्रिया की क्रियाविधि-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 26
परॉक्साइड प्रभाव या खराश प्रभाव-जब किसी असममित ऐल्कीन पर परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का योग होता है तो ब्रोमीन परमाणु उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 27

(ii) ऐल्कीनों पर हैलोजन के संकलन से-ऐल्कीन पर हैलोजन की क्रिया से विसिनल डाइहैलाइड बनते हैं। ब्रोमीन के कार्बन टेट्रा क्लोराइड में विलयन की क्रिया एल्कीन से करवाने पर ब्रोमीन के विलयन का लाल रंग गायब हो जाता है। यह किसी यौगिक में द्विआबंध तथा त्रिआबन्ध की पहचान करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि है। इसमें बना विसिनल डाइब्रोमाइड रंगहीन होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 28

प्रश्न 5.
मार्कोनीकॉफ के नियम तथा परॉक्साइड प्रभाव की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए ।
उत्तर:
(i) ऐल्कीनों पर हाइड्रोजन अम्ल (HX) के संकलन (संयोजन) से-ऐल्कीनों पर HX के संकलन से हैलोऐल्केन बनते हैं। असममित ऐल्कीनों पर HX के संकलन में प्राप्त उत्पाद मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होता है तथा परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का संकलन परॅक्साइड प्रभाव के अनुसार होता है।

इस अभिक्रिया के लिए विभिन्न हाइड्रोजन हैलाइडों की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 25
मार्कोनीकॉफ का नियम-जब किसी असममित ऐल्कीन पर HX का योग होता है तो ऋणात्मक भाग (\(\overline{\mathbf{X}}\)) उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या कम होती है।

यह एक इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया है।

अभिक्रिया की क्रियाविधि-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 26
परॉक्साइड प्रभाव या खराश प्रभाव-जब किसी असममित ऐल्कीन पर परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का योग होता है तो ब्रोमीन परमाणु उस असंतृप्त कार्बन पर जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या अधिक होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 27

प्रश्न 6.
प्रोपेन के मोनोक्लोरीनीकरण तथा मोनोब्रोमीनीकरण के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 29

प्रश्न 7.
प्रोपीन पर HCI के योग की क्रियाविधि बताइए।
उत्तर:
अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 30
यह अभिक्रिया दो पदों में होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 31

प्रश्न 8.
निम्नलिखित के समीकरण लिखिए-
(i) C2H5NH2 से C2H5Cl बनाना
(ii) CH3CH2COOAg से CH3
उत्तर:
(i) C2H5NH2 + NOCl → C2H5Cl + N2 + H2O
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 32

प्रश्न 9.
निम्नलिखित परिवर्तनों के समीकरण लिखिए-
(i) C2H5I से CH3-CH2COOH
(ii) CH3Cl से CH3CONH2
(iii) CH3-CH2-Cl से CH3-CH2-CH2-NH2
(iv) CH3Cl से CH3CHO
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 33

प्रश्न 10.
निम्नलिखित समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 34
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 35

प्रश्न 11.
स्ट्रेकर अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ऐल्किल सल्फोनेट का संश्लेषण (स्ट्रेकर अभिक्रिया)हैलोऐल्केन की क्रिया सोडियम सल्फाइट के साथ करवाने पर सोडियम ऐल्किल सल्फोनेट प्राप्त होता है। इसे स्ट्रेकर अभिक्रिया कहते हैं।

इस अभिक्रिया को अपमार्जकों के संश्लेषण में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 12.
(i) CH3I की KNO2 तथा AgNO2 से अभिक्रिया के समीकरण लिखिए।
(ii) बेन्जीन से टॉलुईन बनाने की फ्रीडेल क्राफ्ट अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 37
(ii) फ्रिडेल क्राफ्ट अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 38

प्रश्न 13.
SN1 तथा SN2 अभिक्रियाओं में अन्तर बताइए।
उत्तर:
SN1 तथा SN2 अभिक्रियाओं में अन्तर
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 39

प्रश्न 14.
सममिति तत्त्व कितने होते हैं? परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
आण्विक असममितता, किरैलता तथा प्रतिबिम्ब रूप (Molecular Asymmetry, Chirality and Enantiomers) लुइस पाश्चर (1848) के अनुसार कुछ यौगिकों के क्रिस्टल दर्पण प्रतिबिम्ब रूपों (d तथा l) में पाए जाते हैं तथा इन दोनों क्रिस्टलीय रूपों के समान सान्द्रता के जलीय विलयन, समान मात्रा (परिमाण) में लेकिन विपरीत दिशा में ध्रुवण घूर्णन दर्शाते हैं। घूर्णन में यह अन्तर इन यौगिकों में परमाणुओं तथा समूहों की त्रिविमीय व्यवस्था (विन्यास) में भिन्नता के कारण होता है।

असममित (किरेल) कार्बन परमाणु अथवा त्रिविम केन्द्र [Asymmetric (Chiral) Carbonatom or Stereo Centre]ले बेल तथा वान्ट हॉफ के अनुसार किसी कार्बनिक यौगिक में केन्द्रीय कार्बन परमाणु के चारों ओर परमाणुओं या समूहों की व्यवस्था चतुष्फलकीय (Tetrahedral ) होती है। जब किसी यौगिक में किसी कार्बन परमाणु से जुड़े सभी चार परमाणु तथा समूह भिन्न-भिन्न होते हैं तो ऐसे कार्बन को असममित (किरेल) कार्बन या त्रिविम केन्द्र कहते हैं, इस प्रकार के अणु को असममित (किरेल) अणु कहते हैं। वे अणु जो असममित होते हैं अर्थात् जिनमें असममित कार्बन परमाणु उपस्थित होता है वे प्रकाशिक समावयवता ( धुवण समावयवता) दर्शाते हैं। इन यौगिकों में कोई सममिति तत्त्व नहीं होता है।

सममिति तत्त्व मुख्यतः तीन होते हैं-सममिति तल, सममिति अक्ष तथा सममिति केन्द्र।

सममिति तल-किसी वस्तु या यौगिक का वह तल जो उसे दो समान भागों में विभाजित कर देता है, उसे सममिति तल कहते हैं। ये दोनों भाग एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब होते हैं, जो कि एक-दूसरे पर अध्यारोपित नहीं होते। जैसे अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर A में ऊर्ध्व्वाधर सममिति तल तथा B में क्षैतिज सममिति तल होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 40
सममिति अक्ष – किसी वस्तु या यौगिक का वह अक्ष जिस पर उसे घुमाने पर वही रूप प्राप्त हो जो उसके मूल रूप पर अध्यारोपित हो जाता है उसे सममिति अक्ष कहते हैं।

सममिति केन्द्र-किसी वस्तु का वह काल्पनिकःबिन्दु जिस पर से एक सरल रेखा खींचने पर, उस बिन्दु के दोनों और स्थित समूह समान दूरी पर पाए जाते हैं उसे सममिति केन्द्र कहते हैं।

किरेल तथा किरेलता-वे वस्तुएँ या यौगिक जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते उन्हें किरेल कहते हैं तथा इस गुण को किरेलता कहते हैं तथा वे वस्तुएँ जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित हो जाती हैं, उन्हें अकिरेल कहते हैं।

उदाहरण-अपने दोनों हाथ व पैर किरेल तथा गोले एवं चित्र में दिखाए गए शंकु अकिरेल होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 41

प्रश्न 15.
(i) CH3-I, Mg तथा शुष्क ईथर के प्रयोग से एथेन किस प्रकार बनाया जा सकता है?
(ii) CH3COOH से प्रारम्भ करके एथिल एथेनॉएट बनाने में प्रयुक्त समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 41a

प्रश्न 16.
हैलोएल्केन से फ्रैंकलैण्ड अभिकर्मक तथा टेट्रामेथिल लैड बनाने के लिए आवश्यक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 41b

प्रश्न 17.
हैलोऐल्केन के अपचयन से ऐल्केन कितने प्रकार से बनाया जा सकता है? समीकरण सहित समझाइए |
उत्तर:
(i) अपचायकों द्वारा – ऐल्किल हैलाइडों का अपचयन विभिन्न अपचायकों द्वारा किया जा सकता है तथा इससे ऐल्केन प्राप्त होते हैं। ये अपचायक Na + C2H5OH, Zn + HCl तथा ZnCu युग्म +C2H5OH हो सकते हैं।
R – X + 2H → RH + HX
C2H3Br + 2H → C2H6 + HBr

(ii) उत्प्रेरकी हाइड्रोजनीकरण – धातु उत्प्रेरक की उपस्थिति में R – X की क्रिया हाइड्रोजन से करवाने पर भी ऐल्केन बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 42

(iii) लीथियम ऐलुमीनियम हाइड्राइड (LiAIH4) या सोडियम बोरो हाइड्राइड (NaBH4) द्वारा अपचयन – RX का अपचयन LiAlH4 या NaBH4 से करवाने पर भी एल्केन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया हाइड्राइड आयन (H) प्रयुक्त होता है, अतः यह एक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया है।
4R – X + LiAlH4 → 4RH + LiAlX4

(iv) हाइड्रोजन आयोडाइड द्वारा अपचयन – लाल- फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐल्किल हैलाइडों का अपचयन, HI से कराने पर भी ऐल्केन प्राप्त होते हैं। इसे बर्थेलो विधि कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 43

प्रश्न 18.
हैलोऐल्केनों की मुख्य अभिक्रिया नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन होती है जबकि हैलोऐरीनों की मुख्य अभिक्रिया इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन, क्यों?
उत्तर:
हैलोऐल्केनों में कार्बन हैलोजन बन्ध ध्रुवीय होता है HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 44अतः इनके कार्बन पर नाभिकस्नेही का आक्रमण होकर, हैलोजन का प्रतिस्थापन हो जाता है, अतः ये मुख्यतः नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दर्शाते हैं।
\(\mathrm{R}-\stackrel{+\delta}{\mathrm{CH}_2}-\stackrel{-\delta}{\mathrm{X}}+\mathrm{N} \overline{\mathrm{u}} \longrightarrow \mathrm{R}-\mathrm{CH}_2-\mathrm{Nu}+\overline{\mathrm{X}}\)
हैलोऐरीनों में उपस्थित बेन्जीन वलय के ऐरोमैटिक षट्क ( 6 इलेक्ट्रॉन) के कारण इसमें इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिक होता है। अतः वलय पर इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण सुगमता से हो जाता है इसलिए ये मुख्यतः इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दर्शाते हैं।

प्रश्न 19.
एक अणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1) के लिए बेंजिल हैलाइड की क्रियाशीलता, हैलोबेन्जीन की तुलना में अधिक होती है। इसका उचित कारण दीजिए।
उत्तर:
SN1 अभिक्रिया में कार्बोकैटायन मध्यवर्ती बनता है। बेन्जिल हैलाइड के C-X बन्ध के वियोजन से प्राप्त बेन्जिल कार्बोकैटायन \(\left(\mathrm{C}_6 \mathrm{H}_5 \stackrel{+}{\mathrm{C}} \mathrm{H}_2\right)\) अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है अतः इसका बनना सुग होता है। इसके विपरीत हैलोबेन्जीन में हैलोजन के + M प्रभाव के कारण कार्बन हैलोजन बन्ध में द्विबन्ध के गुण आ जाते हैं, अतः बन्ध का टूटना मुश्किल होता है तथा C – X बन्ध के वियोजन से प्राप्त \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}_6 \mathrm{H}_5\) (फेनिल कार्बधनायन) में अनुनाद नहीं होने के कारण यह अस्थायी होता है अतः इसके बनने की संभावना कम होती है। इसी कारण SN1 अभिक्रिया के लिए बेंजिल हैलाइड की क्रियाशीलता हैलोबेन्जीन की तुलना में अधिक होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 20.
क्लोरोबेन्जीन में कार्बन क्लोरीन (C-Cl) आबन्ध लम्बाई, C2H5Cl में C-Cl आबन्ध लम्बाई की अपेक्षा कम होती है, क्यों?
उत्तर:
क्लोरोबेन्जीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 45 में क्लोरीन के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म, बेन्जीन वलय के इलेक्ट्रॉनों के साथ संयुग्मन में होते हैं अतः इसमें वलय की तरफ अनुनाद ( + M प्रभाव) होता है जिसके कारण C-CI बन्ध बन्ध के गुण आ जाते हैं। इसलिए C-Cl बन्ध लम्बाई कम हो जाती है जबकि C2H5Cl में कोई अनुनाद नहीं होता अतः इसमें C-Cl बन्ध लम्बाई अधिक होती है।

प्रश्न 21.
हुसडीकर अभिक्रिया ऐल्किल आयोडाइड बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है, क्यों ?
उत्तर:
हुन्सडीकर अभिक्रिया में जब RCOOAg की I2 के साथ क्रिया की जाती है तो ऐल्किल आयोडाइड के स्थान पर एस्टर मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है। अतः यह अभिक्रिया ऐल्किल आयोडाइड बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
2RCOOAg + I2 → RCOOR + CO, + 2AgI

प्रश्न 22.
क्लोरोफॉर्म को रंगीन बोतल में अंधेरे में रखा जाता है। क्यों ?
उत्तर:
क्लोरोफॉर्म प्रकाश की उपस्थिति में वायु में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करके विषैली गैस फॉस्जीन बनाता है अतः इसे रंगीन बोतल में अंधेरे में रखा जाता है ताकि इसका ऑक्सीकरण न हो।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 46

प्रश्न 23.
निम्नलिखित यौगिकों की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के प्रति क्रियाशीलता का क्रम कारण सहित बताइए –
CH3F, CH3Cl, CH3Br तथा CH3 – I
उत्तर:
CH3F < CH3Cl < CH3Br < CH3 – I
कार्बन हैलोजन बन्ध ऊर्जा का क्रम निम्न प्रकार होता है-
CF > C – Cl > C Br> C – I क्योंकि बन्ध ऊर्जा परमाणु आकार के व्युत्क्रमानुपाती होती है अतः बन्ध ऊर्जा कम होने पर बन्ध का वियोजन आसानी से होगा तथा अभिक्रिया का वेग अधिक होगा। इसी कारण CH,F की क्रियाशीलता न्यूनतम तथा CH3 – I की क्रियाशीलता अधिकतम है।

प्रश्न 24.
(i) निम्नलिखित अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए-
CH2 = CH – CH2 – Br HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 47
(ii) आइसोप्रोपिल ब्रोमाइड से n – प्रोपिल ब्रोमाइड किस प्रकार बनाया जाता है ?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 48

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अभिक्रिया समीकरणों को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 49
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 50

प्रश्न 2.
निम्नलिखित युग्मों में से कौनसा एक SN1 प्रतिस्थापन अभिक्रिया अधिक तीव्रता से करता है और क्यों?
अथवा
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 51
अथवा
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 52
उत्तर:
(i) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 53क्योंकि तृतीयक कार्बोकैटायन का स्थायित्व अधिक होने के कारण तृतीयक ऐल्किल हैलाइड की अभिक्रियाशीलता SN1 अभिक्रिया के लिए द्वितीयक ऐल्किल हैलाइड से अधिक होती है।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 54, क्योंकि प्राथमिक कार्बोकैटायन की तुलना में द्वितीयक कार्बोकैटायन का स्थायित्व अधिक होने के कारण इसमें SN1 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से होगी।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 55

प्रश्न 3.
निम्न यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) पद्धति अनुसार नाम दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 56
उत्तर:
4-ब्रोमो-3-मेथिल-पेन्ट-2-ईन

प्रश्न 4.
प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं की SN1 और SN2 क्रियाविधियों के बीच आप कैसे अंतर करेंगे? प्रत्येक प्रकार का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 57
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 57a

प्रश्न 5.
निम्नलिखित यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) नाम लिखिए-
CH2 = CHCH2Br
उत्तर:
3-ब्रोमो प्रोप-1-ईन।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रत्येक समूह के यौगिकों को उनके SN2 विस्थापन की सक्रियता के क्रम में लिखिए-
(i) 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमोपेन्टेन
(ii ) 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो3-मेथिलब्यूटेन
(iii) 1-ब्रोमोब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन, 1-ब्रोमो-2मेथिलब्यूटेन
उत्तर:
विभिन्न ऐल्किल हैलाइडों में SN² अभिक्रिया के लिए क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है- \(\stackrel{\circ}{1}>\stackrel{\circ}{2}>\stackrel{\circ}{3}\) तथा जब ऐल्किल हैलाइड समान प्रकार के होते हैं तो वह ऐल्किल हैलाइड जिसमें हैलोजनयुक्त कार्बन पर बड़ा समूह जुड़ा होता है तो वह त्रिविम विन्यासी बाधा उत्पन्न करता है जिससे उसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है। क्योंकि स्थूल (बड़ा) समूह आक्रमणकारी नाभिकरागी के लिए अवरोध उत्पन्न करता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 58

प्रश्न 7.
जब CH2 = CH – CH2 – C ≡ CH पर ब्रोमीन की क्रिया होती है, तो क्या होता है?
उत्तर:
निम्न अभिक्रिया होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 59
इसका कारण यह है कि त्रिआबन्ध की तुलना में द्विआबन्ध अधिक क्रियाशील होता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) किसी यौगिक की किरेलिटी का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए।
(ii) निम्नलिखित यौगिकों में से कौनसा KOH द्वारा अधिक सरलता से जल-अपघटित होता है और क्यों ?
CH3CHClCH2CH3 अथवा CH3CH2CH2Cl
(iii) इनमें कौन SN² प्रतिस्थापन अभिक्रिया अधिक तेजी से करता है और क्यों ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 60
उत्तर:
(i) वे वस्तुएँ या यौगिक जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते हैं उन्हें किरेल कहते हैं तथा इस गुण को किरेलता (किरेलिटी) कहते हैं। उदाहरण- लैक्टिक अम्ल |

(ii) CH3 – CHClCH2CH3 का KOH द्वारा अधिक सरलता से जल अपघटन होगा क्योंकि यह एक \(\stackrel{\circ}{2}\) ऐल्किल हैलाइड है तथा \(\stackrel{\circ}{2}\)– ऐल्किल हैलाइड की क्रियाशीलता \(\stackrel{\circ}{1}\) ऐल्किल हैलाइड से अधिक होती है तथा दूसरा ऐल्किल हैलाइड \(\stackrel{\circ}{1}\) है।

(iii) उपरोक्त में से HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 61 में SN2 अभिक्रिया अधिक तेजी से होगी क्योंकि क्लोरीन की तुलना में आयोडीन का आकार बड़ा होने के कारण C – I बन्ध सुगमता से टूट जाता है।

प्रश्न 9.
ऐरिल हैलाइड नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति ऐल्किल हैलाइड से कम क्रियाशील होते हैं, कारण समझाइए।
अथवा
एथिल क्लोराइड KCN से क्रिया करके मुख्य उत्पाद एथिल सायनाइड बनाता है जबकि AgCN से क्रिया करके एथिल आइसोसायनाइड बनाता है, समझाइए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (Nucleophilic Substitution Reaction )-नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया के लिए ऐरिल हैलाइड की क्रियाशीलता ऐल्किल हैलाइड, ऐलिलिक हैलाइड तथा बेन्जिलिक हैलाइड की तुलना में कम होती है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
(i) कार्बन हैलोजन आबंध (C-X) में कार्बन परमाणु के संकरण में भिन्नता-हैलोऐल्केन में हैलोजन से जुड़ा कार्बन परमाणु sp³ संकरित होता है जबकि हैलोऐरीन में इस कार्बन परमाणु पर sp² संकरण होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 62
संकरण में s लक्षण बढ़ने पर कार्बन की विद्युत-ऋणता बढ़ती है अतः sp³ संकरित कार्बन की तुलना में sp² संकरित कार्बन अधिक विद्युतत्रणी होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 63
अतः हैलोऐरीन का कार्बन, बन्ध के इलेक्ट्रॉन युग्म को अधिक आकर्षित करता है। अतः इसकी बन्ध लम्बाई कम हो जाती है तथा बन्ध की प्रबलता बढ़ जाती है जिससे बन्ध का टूटना मुश्किल हो जाता है।

(ii) मेसोमरी प्रभाव (अनुनाद प्रभाव)-हैलोऐरीन में हैलोजन परमाणु पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय के π इलेक्ट्रॉनों के साथ संयुग्मन (Conjugation) में होते हैं अतः इसमें अनुनाद होता है। (+ M प्रभाव) क्लोरोबेन्जीन की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 64
+ M प्रभाव के कारण कार्बन हैलोजन बन्ध में द्विबंध के लक्षण आ जाते हैं जिसके कारण इस बन्ध की प्रबलता बढ़ जाती है, अतः हैलोएरीन में हैलोएल्केन की अपेक्षा यह बन्ध मुश्किल से टूटता है। इसलिए ये नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के लिए कम क्रियाशील होते हैं।

(iii) फेनिल धनायन का कम स्थायित्व-हैलोऐरीनो के स्वतः आयनन से बना फेनिल कार्ब धनायन स्थायी नहीं हो पाता क्योंकि इसमें अनुनाद नहीं होता है। अतः इसमें SN1 क्रियाविधि की संभावना नहीं होती।

(iv) प्रतिकर्षण-इलेक्ट्रॉनधनी नाभिकस्नेही की इलेक्ट्रॉनधनी ऐरीन वलय की ओर जाने की संभावना कम होती है, क्योंकि इनमें प्रतिकर्षण होता है। अतः ऐरिल हैलाइडों की नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ विशेष परिस्थितियों में उच्च ताप पर ही हो सकती हैं।
अथवा
KCN आयनिक होता है अतः यह विलयन में सायनाइड आयन देता है। यद्यपि कार्बन तथा नाइट्रोजन दोनों ही परमाणु इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान कर सकते हैं परन्तु आक्रमण मुख्यतः कार्बन परमाणु के द्वारा होता है, न कि नाइट्रोजन परमाणु के द्वारा, क्योंक C-C आबंध C-N आबंध की तुलना में अधिक स्थायी होता है। अतः मुख्य उत्पाद सायनाइड बनतां है। जबकि $\mathrm{AgCN}$ सहसंयोजक होता है तथा इसका नाइट्रेजन परमाणु इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान कर सकता है अतः इससे आइसोसायनाइड मुख्य उत्पाद के रूप में बनता है।

प्रश्न 10.
क्या होता है जब (केवल समीकरण दीजिए) –
(i) क्लोरोबेन्जीन की क्रिया नाइट्रीकारी मिश्रण से कराई जाती है।
(ii) एथिल ब्रोमाइड मैग्नीशियम से क्रिया करता है।
(iii) क्लोरोफॉर्म की प्रकाश की उपस्थिति में O2 से क्रिया होती है।
(iv) ऐरिल हैलाइड सोडियम से क्रिया करता है।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 65

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रत्येक युग्मों में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH के साथ SN1 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा? कारण दीजिए-
(अ) CH3 – CH2 – Br अथवा CH3 – CH2 – Cl
(ब) CH3 – CH2 – CH2 – CH2 – X अथवा (CH3)3 C X
अथवा
निम्नलिखित अभिक्रियाओं की क्रियाविधि लिखिए-
(अ) CH3 – Cl + जलीय KOH → CH3 – OH + KCl
(ब) (CH3)3 CCl + जलीय KOH → (CH2), COH+KCI
उत्तर:
(अ) CH3 – CH2 – Br तथा CH3 – CH2 – Cl में से CH3 – CH2 – Br, जलीय KOH के साथ SN1 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से देगा क्योंकि C – Br बन्ध C- Cl बन्ध की तुलना में अधिक दुर्बल है क्योंकि Br का आकार C] से बड़ा है। अतः यह आसानी से टूटकर कार्बोकटायन बना देता है।

(ब) CH3 – CH2 – CH2 – CH2 – X तथा (CH3)3 C – X में से (CH3)3C – X जलीय KOH के साथ SN1 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से देगा क्योंकि यह एक \(\stackrel{\circ}{3}\) ऐल्किल हैलाइड है जिसमें बना कार्बोकटायन अधिक स्थायी होता है।
अथवा
(अ) अभिक्रिया CH3 – Cl + जलीय KOH → CH3OH + KCl
क्रियाविधि – SN2 (द्वितीय कोटि अभिक्रिया)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 66
यह एक पदीय अभिक्रिया है तथा इसमें संक्रमण अवस्था मानी जाती है।

(ब) अभिक्रिया (CH3)3 C – Cl + जलीय KOH (CH3)3 C – OH + KCl
क्रियाविधि – SN1 (प्रथम कोटि अभिक्रिया)
यह दो पदीय अभिक्रिया है तथा इसमें कार्बोकैटायन मध्यवर्ती बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 67

प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(अ) फिटिग अभिक्रिया
(ब) फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया।
उत्तर:
(अ) फिटिंग अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 68

(ब) फिंकेल्स्टाइन अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 69

प्रश्न 13.
बेन्जिलिक क्लोराइड तथा वाइनिलिक क्लोराइड के संरचना सूत्र लिखिए। इन यौगिकों में क्लोरीन परमाणुओं से जुड़े कार्बन परमाणुओं की संकरण अवस्थाएँ भी लिखिए।
उत्तर:
(i) बेन्जिलिक क्लोराइड HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 70
इसमें क्लोरीन परमाणु से जुड़े कार्बन पर sp संकरण है क्योंकि इस पर चार σ आबन्ध हैं।

(ii) वाइनिलिक क्लोराइड HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 71
इसमें क्लोरीन परमाणु से जुड़े कार्बन पर sp³ संकरण है क्योंकि इस पर चार σ आबन्ध है।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(अ) वुर्ज अभिक्रिया
(ब) वुर्ज-फिटिग अभिक्रिया।
उत्तर:
(अ) वुर्ज अभिक्रिया- शुष्क ईथर
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 72

(ब) वुर्ज-फिटिग अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 73

प्रश्न 15.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 74
उत्तर:
(i) 2- क्लोरो-3, 3- डाइमेथिलब्यूटेन
(ii) 1,4-डाइक्लोरो-2- मेथिल बेन्जीन

प्रश्न 16.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के मुख्य उत्पादों की संरचना लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 75
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 76

प्रश्न 17.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों का अनुमान लगाइए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 77
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 78

प्रश्न 18.
द्वि-अणुक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2) तथा एकाण्विक नाभिकरागी प्रतिस्थापन (SN1) अभिक्रिया की क्रियाविधियों में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
द्वि- अणुक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN2) तथा एकाण्विक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1) की क्रियाविधियों में निम्न अंतर हैं-

  • SN2 अभिक्रिया एक पद में होती है जबकि SN1 अभिक्रिया दो पदों में होती है।
  • SN2 अभिक्रिया में काल्पनिक संक्रमण अवस्था मानी जाती है जबकि SN1 अभिक्रिया में कार्बोकैटायन मध्यवर्ती बनता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 19.
अधोलिखित अभिक्रिया को पूर्ण कर इसकी क्रियाविधि समझाइए –
(CH3)3 CBr + ŌH (जलीय ) →
उत्तर:
(CH3)3 CBr + ŌH (जलीय ) → (CH3)3COH + Br यह एकअणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया (SN1) है जिसकी क्रियाविधि निम्न प्रकार है – यह अभिक्रिया दो पदों में होती है-

प्रथम पद में C-Br बन्ध का विखण्डन होकर कार्बोकैटायन (कार्बोनियम आयन) या कार्ब – धनायन बनता है। द्वितीय पद में इस पर नाभिकस्नेही (ŌH) आक्रमण करके प्रतिस्थापन उत्पाद देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 79
प्रथम पद में C-Br बन्ध के विखण्डन के लिए आवश्यक ऊर्जा, विलायक से प्राप्त प्रोटोन द्वारा, हैलाइड आयन के विलायकन से प्राप्त होती है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 80
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 81

प्रश्न 21.
निम्नलिखित युग्म में से कौन SN2 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से करेगा :
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 82
उत्तर:
उपर्युक्त युग्म में से C6H5 CH2 CH2 – Br, SN2 अभिक्रिया अधिक तीव्रता से करेगा।

प्रश्न 22.
आप निम्नलिखित का रूपान्तरण कैसे करेंगे:
(i) प्रोप- 1- ईन को प्रोपेन 2- ऑल में
(ii) ब्रोमोबेन्जीन को 2 – ब्रोमोऐसीटोफीनोन में
(iii) 2- ब्रोमोब्यूटेन को ब्यूट – 2 – ईन में।
अथवा
क्या होता है जब
(i) एथिल क्लोराइड को NaI के साथ ऐसीटोन की उपस्थिति में उपचारित किया जाता है,
(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में क्लोरोबेन्जीन को Na धातु के साथ उपचारित किया जाता है,
(iii) मेथिल क्लोराइड को KNO2 के साथ उपचारित किया जाता है ?
अपने उत्तर के पक्ष में रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
(i) प्रोप- 1 – ईन का प्रोपेन-2-ऑल में रूपान्तरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 83

(ii) ब्रोमोबेन्जीन का 2- ब्रोमोऐसीटोफीनोन में रूपान्तरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 84

(iii) 2- ब्रोमोब्यूटेन का ब्यूट-2 ईन में रूपान्तरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 85
अथवा
(i) एथिल क्लोराइड को ऐसीटोन की उपस्थिति में Nal के साथ उपचारित करने पर हैलोजन का विनिमय होकर एथिल आयोडाइड प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 86

(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में क्लोरोबेन्जीन को Na धातु के साथ उपचारित करने पर बाइफेनिल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 87

(iii) मेथिल क्लोराइड को KNO2 के साथ उपचारित करने पर मेथिल नाइट्राइट बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 88

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. फ्लोरीकल्चर (Floriculture) से क्या तात्पर्य है ?
(अ) आटे को गूंथना
(ब) फर्श की सफाई
(स) पुष्पों की खेती
(द) शहद निकालना
उत्तर:
(स) पुष्पों की खेती

2. काली मिर्च में बीजाण्डकाय का कुछ बचा हुआ भाग एक झिल्ली के रूप में रहता है जिसे कहते हैं-
(अ) भ्रूणकोष
(ब) परिभ्रूणपोष
(स) भ्रूणपोष
(द) निलम्बस
उत्तर:
(ब) परिभ्रूणपोष

3. लैंगिक जनन की आधारभूत आवश्यकताएँ हैं-
(अ) अर्द्धसूत्री विभाजन
(ब) युग्मक संलयन
(स) ‘अ’ व ‘ब’ दोनों
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) ‘अ’ व ‘ब’ दोनों

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

4. आर्कटिक टुंड्रा में प्राप्त किसके बीज थे-
(अ) ल्यूपाइन
(ब) फोयेनिक्स
(स) डैक्टीलीफेरा
(द) पाइनस
उत्तर:
(अ) ल्यूपाइन

5. निम्फिया (Nymphea) जलीय पादप है इसमें किसके द्वारा परागण होता है ?
(अ) जल द्वारा
(ब) कीट द्वारा
(स) वायु द्वारा
(द) पक्षी द्वारा
उत्तर:
(ब) कीट द्वारा

6. खिलाड़ियों एवं धावक अश्वों (घोड़ों) की कार्यदक्षता में वृद्धि करता है-
(अ) अण्डप गोलियां
(ब) बीजाण्ड की गोलियां
(स) वर्तिकाग्र गोलियां
(द) पराग गोलियां
उत्तर:
(द) पराग गोलियां

7. निम्न में से आभासी फल है-
(अ) अनार
(ब) काजू
(स) बादाम
(द) अखरोट
उत्तर:
(द) अखरोट

8. यदि एक पौधे की लघुबीजाणु मातृ कोशिका में 12 गुणसूत्र हैं तो भ्रूणपोष में कितने गुणसूत्र होंगे-
(अ) 6
(ब) 12
(स) 18
(द) 20
उत्तर:
(स) 18

9. निम्न में से किस पुष्प समूह में चमगादड़ द्वारा पर- परागण होता है ?
(अ) कदम्ब व कचनार
(ब) वेलिसनेरिया व निम्फिया
(स) निकोटिआना व कोमेलाइना
(द) युका व एमोरफोफेलस
उत्तर:
(अ) कदम्ब व कचनार

10. बीजाण्ड में अर्ध-सूत्री विभाजन कहाँ होता है-
(अ) बीजाण्डकाय
(ब) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका
(स) गुरुबीजाणु
(द) भ्रूणकोश
उत्तर:
(ब) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका

11. परागण के समय परागकण होते हैं-
(अ) चार- कोशिकीय
(ब) त्रि – कोशिकीय
(स) द्वि- कोशिकीय
(द) बहुकोशिकीय
उत्तर:
(स) द्वि- कोशिकीय

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

12. आवृतबीजी पादपों के मादा युग्मकोद्भिद में सामान्यतः कितने विभाजन होते हैं-
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तर:
(स) तीन

13. बीजावरण का विकास होता है-
(अ) अध्यावरण से
(ब) बीजाण्डकाय से
(स) बीजाण्डवृन्त से
(द) नाभिका से
उत्तर:
(अ) अध्यावरण से

14. त्रि-संलयन के फलस्वरूप विकसित होता है-
(अ) भ्रूण
(ब) भ्रूणकोश
(स) भ्रूणपोष
(द) बीज
उत्तर:
(स) भ्रूणपोष

15. अनुन्मील्यता का उदाहरण है-
(अ) वायोला
(ब) मिराबिलिस
(स) पपीता
(द) ग्लोरिओसा
उत्तर:
(अ) वायोला

16. परागकण किसका प्रतीक है-
(अ) नर युग्मकोद्भिद
(ब) मादा युग्मकोद्भिद
(द) पुंकेसर
(स) लघुबीजाणुधानी
उत्तर:
(अ) नर युग्मकोद्भिद

17. प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक होता है-
(अ) n
(ब) 2n
(स) 3n
(द) 4n
उत्तर:
(स) 3n

18. पुष्पीय पौधों के भ्रूणकोश में कितने केन्द्रक होते हैं-
(अ) पांच
(ब) चार
(स) सात
(द) आठ
उत्तर:
(द) आठ

19. 100 परागकणों के निर्माण हेतु कितने अर्ध-सूत्री विभाजनआवश्यक हैं-
(अ) 100
(ब) 50
(स) 25
(द) 20
उत्तर:
(स) 25

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20. 80% परागण होता है-
(अ) मधुमक्खियों से
(ब) चिड़ियों से
(स) चमगादड़ से
(द) घोंघों से
उत्तर:
(अ) मधुमक्खियों से

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
मादा युग्मकोद्भिद का अन्य नाम बताइये ।
उत्तर:
भ्रूणकोश (embryo sac) ।

प्रश्न 2.
यदि वर्तिकाग्र की सतह से पोषक पदार्थों का स्राव न हो तो निषेचन की क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
परागकण के अंकुरण हेतु उचित माध्यम प्राप्त नहीं होता । फलस्वरूप अंकुरण नहीं होगा।

प्रश्न 3.
परागकणों के जीवाश्म रूप में परिरक्षित पाये जाने का कारण बताइये।
उत्तर:
परागकण के बाह्यचोल में उपस्थित स्पोरोपोलेनिन के कारण परागकण जीवाश्म रूप में परिरक्षित रहते हैं ।

प्रश्न 4.
अण्ड समुच्चय क्या होता है?
उत्तर:
भ्रूणकोश में बीजाण्डद्वार की ओर अण्ड समुच्चय या अण्ड उपकरण होता है जिसमें एक अण्ड कोशिका तथा दो सहायक कोशिकाएँ होती हैं।

प्रश्न 5.
द्वितीयक केन्द्रक कैसे बनता है?
उत्तर:
भ्रूणकोश में प्रत्येक ध्रुव से एक-एक केन्द्रक आकर केन्द्र में संयुक्त होकर द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक बनाते हैं ।

प्रश्न 6.
एक किसान को अपने खेत में काम करके लौटने के बाद लगातार छींक आती रही तथा शरीर पर खुजली भी होने लगी, इसका सम्भावित कारण लिखिए।
उत्तर:
पराग एलर्जी के कारण छींक व शरीर पर खुजली होने लगी ।

प्रश्न 7.
मादा युग्मकोद्भिद का विकास किस कोशिका से होता है?
उत्तर:
क्रियाशील गुरुबीजाणु मातृ कोशिका से ।

प्रश्न 8.
बीजाण्ड अपने लिये भोज्य पदार्थ किससे प्राप्त करता है ?
उत्तर:
बीजाण्ड अपने लिये भोज्य पदार्थ बीजाण्डासन से प्राप्त करता है।

प्रश्न 9.
स्वपरागण किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ही पुष्प के परागकणों का उसी पुष्प की वर्तिका पर या उसी पौधे के अन्य पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचने की क्रिया को स्वपरागण कहते हैं ।

प्रश्न 10.
अनुन्मील्य पुष्प किसे कहते हैं ? उदाहरण बताइये ।
उत्तर:
द्विलिंगी पुष्प जो कभी नहीं खुलते हैं, अनुन्मील्य पुष्प कहलाते हैं; जैसे- कोमेलाइना ।

प्रश्न 11.
अनिषेकजनन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
बिना निषेचन के अण्डाशय फल में विकसित होता है। ऐसा फल अनिषेक फल तथा फल बनने की इस प्रक्रिया को अनिषेकजनन कहते हैं।

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प्रश्न 12.
लघुबीजाणुधानी की सबसे भीतरी पर्त का क्या नाम है ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
सबसे भीतरी पर्त टेपीटम होती है, यह विकसित होते हुये परागकणों को पोषण प्रदान करती है ।

प्रश्न 13.
पुष्प के दल का क्या कार्य है ?
उत्तर:
सबसे बाहरी हरे रंग के बाह्य दल जो पुष्प की रक्षा व पुष्प के अन्य भागों को बांधे रहते हैं तथा इसके अन्दर का दूसरा चक्र दलपुंज होता है जो नाना प्रकार के रंगों से बना होने के कारण परागण क्रिया हेतु जीवों को आकर्षित करता है।

प्रश्न 14.
निम्न शब्दों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित कीजिए – परागकण, लघुबीजाणु जनन ऊतक, लघुबीजाणु चतुष्टक, लघुबीजाणु मातृ कोशिका ।
उत्तर:
लघुबीजाणु जनन ऊतक, लघुबीजाणु मातृकोशिका, लघुबीजाणु चतुष्टक, परागकण ।

प्रश्न 15.
बहुभ्रूणता क्या है ?
उत्तर:
पौधों के बीजों में एक से अधिक भ्रूणों के विकसित होने की प्रक्रिया को बहुभ्रूणता कहते हैं। उदा. सिट्स, आम ।

प्रश्न 16.
निम्न शब्दों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित कीजिए- चतुष्क गुरुबीजाणु, गुरुबीजाणु मातृ कोशिका, बीजाण्डकाय कोशिकाएँ, क्रियाशील गुरुबीजाणु ।
उत्तर:
बीजाण्डकाय कोशिकाएँ, गुरुबीजाणु मातृ कोशिका, चतुष्क गुरुबीजाणु क्रियाशील गुरुबीजाणु ।

प्रश्न 17.
परागकण के बाह्य चोल में पाये जाने वाले कठोर प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ का नाम बताइये ।
उत्तर:
परागकण के बाह्य चोल में पाये जाने वाले कठोर प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ का नाम स्पोरोपोलेनिन (Sporopollenin) है।

प्रश्न 18.
पार्थेनियम पादप से विकसित कौन-सी रचना मानव में ‘एलर्जी’ रोग उत्पन्न करती है ?
उत्तर:
पार्थेनियम पादप के परागकण मानव में श्वसनी वेदना एवं एलर्जी रोग उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 19.
वायु परागण होने वाले पुष्पों में क्या लक्षण मिलते हैं?
उत्तर:
प्राय: सफेद रंग, बहुत छोटे तथा परागकण अधिक संख्या में बनते हैं।

प्रश्न 20.
कोई दो उदाहरण बताइये जिनके फलों में बहुत अधिक संख्या में बीज बनते हैं।
उत्तर:
ओरोबैंकी तथा स्ट्राइगा।

प्रश्न 21.
पुष्पी पादपों में भ्रूणपोष की सूत्रगुणिता क्या होती है ?
उत्तर:
त्रिगुणित ।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
एक प्रारूपिक पुष्प के लम्बवत् काट का आरेखीय चित्र बनाते हुये उसके विभिन्न अंगों को बताइए।
उत्तर:
एक पुष्प में चार चक्र होते हैं। सबसे बाहरी चक्र हरे रंग का व छोटा होता है जिसे बाह्यदल पुंज (calyx) कहते हैं, इसके प्रत्येक सदस्य को बाह्यदल (sepal) कहा जाता है। दूसरा चक्र बड़ा व विविध रंगों से बना दलपुंज (corolla) होता है, जिसके प्रत्येक सदस्य को पंखुड़ी या दल (petal) कहते हैं। बाह्यदलपुंज व दलपुंज पुष्प के सहायक चक्र (accessory whorl) होते हैं, जो पुष्प के अन्दर के चक्रों की रक्षा करते हैं ।

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पुष्प के अन्दर दो चक्र जनन अंगों का होता है, जो पुष्प के परमावश्यक चक्र या जनन चक्र ( essential whorl or reproductive whorl) होते हैं। इनमें से बाहर का चक्र पुमंग (androecium) होता है जिसके प्रत्येक सदस्य को पुंकेसर (stamen ) कहते हैं। यह नर जनन अंग होता है। प्रत्येक पुंकेसर में तंतु (filament) व परागकोश (anther lobe) होता है। सबसे अन्दर का चक्र जायांग (gynoecium) होता है। इसके एक सदस्य को अंडप (Carpel) कहते हैं, प्रत्येक अंडप में अंडाशय (ovary), वर्तिका ( style) व वर्तिका ( stigma ) होता है।

प्रश्न 2.
परागकण हानिप्रद व लाभप्रद दोनों ही होते हैं, समझाइए ।
उत्तर:
परागकण नर जननांग से सम्बन्धित हैं, इसी से नर युग्मक बनते हैं। परागकणों के कारण ज्वर (hay fever) तथा विभिन्न प्रकार के पराग एलर्जी (pollen allergy ) रोग उत्पन्न हो जाते हैं। उदाहरणार्थ, चीनोपोडियम ( Chenopodium ) व कांग्रेस घास (Parthenium hysterophorous) तथा ज्वार ( Sorghum vulgare), ये सभी मानव में एलर्जी रोग उत्पन्न करते हैं।

वर्तमान में परागकण अध्ययन हेतु विज्ञान की एक पृथक् शाखा परागकण विज्ञान (Palynology) है। भारत में आयातित गेहूँ के साथ कांग्रेस या गाजर घास (पार्थेनियम) आकर सर्वव्यापी हो चुका है जो मानव में दमा तथा श्वसनी शोथ उत्पन्न करता है। पार्थेनियम पौधा छोटे-छोटे श्वेत पुष्पों वाला होता है जो वर्षा के दिनों में घरों के आस-पास बहुतायत से उग जाता है।

उपर्युक्त हानिप्रद प्रभावों के अतिरिक्त ये लाभप्रद भी हैं। अन्य पौधों के परागकण पोषण से भरपूर होते हैं । हाल कुछ ही वर्षों से आहार संपूरकों के रूप में पराग गोलियों (tablets) के लेने का प्रचलन बढ़ा है। पश्चिमी देशों में तो भारी मात्रा में पराग उत्पाद गोलियों एवं सीरप के रूप में बाजारों में उपलब्ध है। यह बताया गया है कि पराग की गोलियाँ खिलाड़ियों तथा धावक अश्वों (घोड़ों) की कार्यदक्षता को बढ़ाती हैं।

प्रश्न 3.
क्या होगा यदि अपरिपक्व परागकोश से टेपीटम का अपह्रास कर दिया जाये ?
उत्तर:
परागकोश की भित्ति की सबसे अन्दर वाली परत टेपीटम होती है। इनकी कोशिकाओं में जीवद्रव्य गाढ़ा तथा केन्द्रक बड़ा व
सुस्पष्ट होता है। परागकण परिवर्धन में टेपीटम की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। यह विकासशील परागकणों को पोषण प्रदान करती है। यदि परागकोश में परागकणों के विकास के पूर्व ही टेपीटम ह्रास हो जाता है। तो उसके परागकण बन्ध्यता ( sterility ) या रुद्ध ( abortine) वृद्धि प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 4.
स्व- परागण हेतु पुष्पों में पाए जाने वाले दो अनुकूलन बताइये ।
उत्तर:
स्व- परागण प्रक्रिया के लिए पादपों में निम्न अनुकूलन पाये जाते हैं-
(i) उभयलिंगता ( Bisexuality) – ऐसे पौधों में उभयलिंगी (Bisexual) पुष्प पाए जाते हैं।

(ii) समकालपक्वता (Homogamy) – ऐसे पौधों के पुष्पों में पुमंग एवं जायांग एक साथ परिपक्व होते हैं अर्थात् इनमें समकालपक्वता (Homogamy) पाई जाती है। परागकण एवं वर्तिकाग्र एक ही समय परिपक्व होने की पूरी संभावना रहती है। उदाहरण – मिराबिलिस (Mirabilis), कैथेरैन्थस (Catharanthus) ।

(iii) अनुन्मील्यता (Cleistogamy) – कुछ पौधों के पुष्प बंद ही रहते हैं, अर्थात् ये कभी नहीं खुलते। अतः इनमें आवश्यक रूप से स्वपरागण होता है। उदाहरण- कनकौआ ( Commelina), वायोला (Viola), आग्जेलिस (Oxalis), ड्रॉसेरा (Drosera) इत्यादि ।

प्रश्न 5.
परागनलिका का भ्रूणकोश में प्रवेश कहाँ से होता है? उत्तर- परागनलिका वर्तिका से होती हुई अण्डाशय क्षेत्र में पहुँच जाती है। रसायनुवर्ती कारक के फलस्वरूप परागनलिका की वृद्धि अण्डाशय की ओर होती है। परागनलिका का बीजाण्ड में प्रवेश तीन प्रकार से होता है-
(क) बीजाण्डद्वारी प्रवेश
(ख) निभागी प्रवेश
(ग) अध्यावरणी प्रवेश ।
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(क) बीजाण्डद्वारी प्रवेश ( Porogamy) – बीजाण्ड में परागनलिका का प्रवेश बीजाण्ड द्वार (Micropyle) से होता है। अधिकांश पौधों में बीजाण्डद्वारी प्रवेश पाया जाता है।

(ख) निभागी प्रवेश (Chalazogamy) – बीजाण्ड में परागनलिका का प्रवेश निभाग छोर (Chalazal end) से होता है। उदाहरण- कैजुराइना, बिटुला, जुगलैन्स आदि ।

(ग) अध्यावरणी प्रवेश (Mesogamy) – इसमें पराग नलिका अध्यावरण (Integuments) को बेधती हुई बीजाण्ड में प्रवेश करती है। उदाहरण- कुकरबिटा, पोपुलस आदि ।

प्रश्न 6.
द्विनिषेचन क्या होता है?
उत्तर:
आवृतबीजियों में निषेचन के समय एक नर युग्मक का संलयन अण्ड से होता है तथा दूसरा संलयन दूसरे नर युग्मक व द्वितीयक केन्द्रक के बीच होता है। इस प्रकार दो बार निषेचन होने को द्विनिषेचन कहते हैं।

प्रश्न 7.
त्रिक् संलयन का महत्त्व बताइये ।
उत्तर:
आवृतबीजी पादपों में द्विनिषेचन की क्रिया होती है। द्विनिषेचन क्रिया में एक नर युग्मक, अण्ड से संयोजित होकर द्विगुणित युग्मनज बनाता है जिससे भ्रूण का निर्माण होता है। दूसरा नर युग्मक द्वितीयक केन्द्र (जो दो ध्रुवीय केन्द्रकों के संयोजन से बनता है) से संयोजित होकर त्रिगुणित भ्रूणपोष केन्द्रक बनाता है, इसे त्रिक् संलयन कहते हैं। भ्रूणपोष केन्द्रक से भ्रूणपोष का निर्माण होता है। भ्रूणपोष परिवर्द्धित होते हुए भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। भ्रूणपोष के अभाव में पूर्ण भ्रूण का निर्माण नहीं हो पाता है ।

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प्रश्न 8.
भ्रूणपोष का महत्त्व समझाइए ।
उत्तर:
द्विनिषेचन के फलस्वरूप युग्मनज (Zygote = 2n) एवं भ्रूणपोष केन्द्रक (Endosperm nucleus = 3n) का निर्माण होता है। भ्रूणपोष केन्द्रक विकसित होकर भ्रूणपोष का निर्माण करता है । यह त्रिगुणित (triploid) होता है एवं इसमें नर एवं मादा दोनों के गुणसूत्र उपस्थित होते हैं, अत: यह संकर ओज (Hybrid vigour) का प्रदर्शन करते हैं । भ्रूणपोष का प्रमुख कार्य विकसित हो रहे भ्रूण ( embryo) को पोषण प्रदान करना होता है। इसमें भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक पोषक प्रदान करता है। अतः भ्रूण के विकास के लिए भ्रूणपोष का निर्माण होना अत्यन्त आवश्यक होता है।

प्रश्न 9.
बीजाण्ड से बीज किस प्रकार बनता है?
उत्तर:
वास्तव में, बीज के निर्माण के अन्तर्गत भ्रूण विकास, भ्रूणपोष विकास व बीजाण्ड में होने वाले परिवर्तन आते हैं। इन सबके कारण बीजाण्ड (Ovule), बीज में परिवर्तित हो जाता है। दोनों अध्यावरण बीजावरण (Seed Coats) बना देते हैं जिसमें बाहर वाला बीज चोल (Testa) व अन्दर वाला टेगमेन ( Tegmen) कहलाता है। बीजाण्डवृन्त बीज का वृन्त बनाता है।

नाभिका (Hilum ), बीजाण्डद्वार (Micropyle ), रैफी ( Raphe) और निभाग (Chalaza) में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता है। विकास के समय बीजाण्डकाय (Nucellus) पूर्णरूप से प्रयोग में आ जाता है किन्तु कुछ बीजों में भ्रूणपोष शेष रहकर एक पतली झिल्ली (Membrane) के रूप में रह जाता है जिसे परिभ्रूणपोष (Perisperm) कहते हैं ।

प्रश्न 10.
आवृतबीजी पादपों में पाये जाने वाले भ्रूण तथा भ्रूणपोष में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर:
भ्रूण व भ्रूणपोष में अन्तर-

भूरण (Embryo)भ्रूणपोष (Endosperm)
1. यह निषेचित अण्ड से बनता है।यह द्वितीयक केन्द्रक से त्रिसंलयन (Triple Fusion) के बाद बनता है।
2. यह नए पौधे का जन्मदाता है।यह बढ़ने वाले भूरू का केवल पोषण करता है।
3. भ्रूणपोष की अनुपस्थिति में भ्रूण मर जाता है।भूरणपोश की अनुपस्थिति में भूरण नहीं मरता है।
4. इसमें से बीजपत्र, मूलांकुर तथा प्रांकुर बनते हैं।इसमें ऐसी कोई संरचना नहीं बनती है।
5. बीज में भ्रूण पाया जाता है।केवल भूणपोश बीजों में ही भ्रूणपोश मिलता है अन्यथा यह बीज बनने के साथ-साथ समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 11.
आवृतबीजी भ्रूणकोश में पाये जाने वाली अण्ड कोशिका तथा द्वितीयक केन्द्रक में अन्तर बताइये ।
उत्तर:
अण्ड कोशिका व द्वितीयक केन्द्रक में अन्तर-

अण्ड कोशिका (Egg Cell)द्वितीयक केन्द्रक (Secondary Nucleus)
यह अण्डद्वार (Micropyle) के पास स्थित होता है।यह भ्रूणकोष (Embryo-sac) के मध्य में स्थिर होता है।
अण्ड सामान्यतः दो सहायक कोशिकाओं (Synergids) द्वारा घिरा रहता है।इसमें ऐसा नहीं होता है।
इसमें केवल एक केन्द्रक (Nucleus) होता है।इसमें दो केन्द्रक होते हैं अथवा दो के न्द्रको का संयोजन (Fusion) होता है।
गुणसूत्र की संख्या आधी (Haploid) होती है।गुणसूत्र की संख्या द्विगुणित (Diploid) होती है।
एक नर युग्मक (Male Gamete) के साथ संलयन कर यह द्विगुणित (Diploid) भूरूण बनाता है।एक नर युग्मक के साथ संलयन कर यह त्रिगुणित (Triploid) भूरणपोश (Endosperm) बनाता है।

प्रश्न 12.
आवृतबीजियों में परागण तथा निषेचन क्रिया में अन्तर बताइये ।
उत्तर:
परागण व निषेचन क्रिया में अन्तर-

परागण (Pollination)निषेचन (Fertilization)
1. परागकणों (Pollengrains) का एक पुष्प के परागकोश से उसी जाति के उसी पुष्प अथवा किसी दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र (Stigma) तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं।बीजाण्ड में स्थित भ्रूणकोश (Embryosac) में अण्ड कोशिका (Egg Cell) तथा नर युग्मक के संलयन को निषेचन (Fertilization) कहते हैं।
2. यह क्रिया निषेचन से पूर्व होती है।यह क्रिया परागण के पश्चात् होती है।
3. इस क्रिया को पूर्ण करने में किसी न किसी बाहरी माध्यम; जैसे कीट, पानी, वायु आदि की आवश्यकता होती है।इस क्रिया में कोई बाहरी माध्यम प्रयोग में नहीं आता है।
4. इसमें परागनली नहीं बनती है।परागनली बनती है जिसमें से होकर नर युग्मक अण्ड कोशिका तक पहुँचते हैं।
5. यह क्रिया पुष्प के बाह्य भाग में सम्पन्न होती है, अतः बाह्य क्रिया है।यह क्रिया पुष्प के भीतर होती है, अतः आन्तरिक क्रिया है।

प्रश्न 13.
युग्मक संलयन व द्विनिषेचन को समझाइये।
उत्तर:
[ संकेत- अण्डकोशिका तथा एक नर युग्मक के संलयन को युग्मक संलयन ( gametic fusion or syngamy) या सत्य निषेचन (true fertilization) कहते हैं। यह पहला निषेचन होता है। संलयन के फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज ( diploid zygote) बनता है। आवृतबीजी पादपों में निषेचन की प्रक्रिया दो बार होती है। एक नर युग्मक व अण्ड कोशिका से तथा दूसरा नर युग्मक का द्वितीयक केन्द्रक से संलयन होता है। अतः इसे द्विनिषेचन ( double fertilization) कहते हैं। द्विनिषेचन व त्रिसंलयन केवल मात्र आवृतबीजी पादपों की ही विशेषता है।]

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प्रश्न 14.
बीजाण्ड से बीज बनने के दौरान में होने वाले प्रमुख परिवर्तनों को सारणी बनाकर बताइये ।
उत्तर:
भूरण (Embryo)-
वैज्ञानिक हैन्सटीन ने द्विबीजपत्री भ्रूण के विकास का अध्ययन कैप्सेला बर्सा पैस्टोरिस (Capsella bursa pastories) में किया। इसमें युग्मनज (zygote) का प्रथम विभाजन अनुप्रस्थ होता है जिससे एक शीर्षस्थ (apical) कोशिका तथा एक आधारीय (basal) कोशिका बनती है। शीर्षस्थ कोशिका निभाग की ओर तथा आधारीय कोशिका बीजाण्डद्वार की ओर बनती है।

आधारीय कोशिका में अनुप्रस्थ तथा शीर्षस्थ कोशिका में अनुदैर्घ्य विभाजन होता है। अनुदैर्घ्य विभाजन से शीर्ष पर बनी दोनों कोशिकाओं में फिर से अनुदुर्घ्य विभाजन होता है। इससे चार कोशिकायें या चतुष्टांशक (quadrant) बनता है, इसमें अनुप्रस्थ विभाजन होने से अष्टांशक (octant) बनता है।

अष्टांशक की प्रत्येक कोशिका में परिनत विभाजन से एक बाह्य परत डर्मेटोजन (dermatogen) तथा एक आन्तरिक परत बनती है। डर्मेटोजन से भूरण की त्वचा (epidermis) बनती है। आन्तरिक कोशिकाओं से बीजपत्राधार (hypocotyl), बीजपत्रों (cotyledons) के भरण विभज्योतक (ground meristem) तथा प्राक्एधा तंत्र (procambial system) बनते है।

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आधारीय कोशिकां में अनेक अनुप्रस्थ विभाजनों से 7 से 10 कोशिकीय लम्बा निलम्बक (suspensor) बनता है। निलम्बक की अन्तिम कोशिका फूल कर चूषकांग कोशिका बनाती है जो भूरणोष से खाद्य पदार्थों के अवशोषण का कार्य करती है। शीर्षस्थ कोशिका से बनी कोशिकाओं में निरन्तर विभाजन से भ्रूण हृदयाकार (heart shape) हो जाता है।

इसकी दोनों पालियाँ बीजपत्र बनाती हैं तथा खाँच (notch) में प्रांकुर (plumule) का विकास होता है। इनमें प्रांकुर शीर्षस्थ तथा बीजपत्र पाश्वीय होते हैं। परिपक्व भूरण में भूर्णीय अक्ष पर दो बीजपत्र लगे होते हैं। भूरण अक्ष का बीजपत्रों के स्तर से ऊपर का भाग बीजपत्रोपरिक (epicotyl) तथा नीचे का भाग बीजपत्राधार (hypocotyl) कहलाता है।

एकबीजपत्री में भ्रूण का विकास (Development of monocot embryo)-
इनमें प्रारम्भिक विकास द्विबीजपत्री के जैसे ही होता है। परिपक्व भूरण में एक बीजपत्र होता है जिसे वरुथिका या स्कुटेलम (scutellum) कहते हैं। बीजपत्र शीर्षस्थ व प्रांकुर पाश्व्वीय स्थिति में होते हैं। भूर्णीय अक्ष को बीजपत्रोपरिक (epicotyl) कहते हैं  तथा इसके आधारी भाग को मूलांकुर चोल (coleorhiza) व शीर्ष भाग को प्रांकुर चोल (coleoptile) कहते हैं।
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प्रश्न 15.
परागण प्रक्रिया के अन्तर्गत उदाहरण सहित किसी सह-संबंध को बताइये ।
उत्तर:
इसका उदाहरण शलभ की एक प्रजाति प्रोनुबा युक्का सेल्ला (Pronuba yuccasella) तथा युक्का (Yucca) पादप के मध्य मिलता है। इन दोनों में सह-सम्बन्ध (symbiosis) होता है। यहाँ दोनों ही प्रजाति-शलभ एवं पादप युक्का बिना एक-दूसरे के अपना जीवन-चक्र नहीं पूरा कर सकते हैं। इसमें शलभ (Moth) अपने अंडे पुष्प के अंडाशय के कोष्ठक में देती है। जबकि इसके बदले में वह शलभ द्वारा परागित होता है। शलभ का लारवा (larva) अण्डे से बाहर तब आता है जब बीज विकसित होना प्रारंभ होता है।

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प्रश्न 16.
कुछ इस प्रकार के फलों का वर्णन कीजिये जिनमें अधिक संख्या में बीजों का निर्माण होता है।
उत्तर:
प्रायः फलों में एक या इससे अधिक बीज मिलते हैं परन्तु अनेक ऐसे पौधे हैं जिनमें असंख्य छोटे-छोटे बीज उत्पन्न होते हैं। आर्किड (Orchid ) के फल में 1000 से भी अधिक लघु बीज बनते हैं। परजीवी प्रजाति के फल जैसे ओरोबैंकी (Orobanche) व स्ट्राइगा (Striga) में असंख्य लघु बीजों का निर्माण होता है। फाइकस (Ficus अर्थात् अंजीर) के फलों में भी छोटे-छोटे असंख्य बीज होते हैं और इनके छोटे बीज से विशालकाय पादप का विकास होता है।

प्रश्न 17.
बीजों की जीवन क्षमता को समझाइये |
उत्तर:
एक बीज कितने समय तक जीवित रह सकता है ? इस प्रश्न का निश्चित उत्तर नहीं है क्योंकि विभिन्न प्रजातियों के बीजों की जीवन क्षमता अलग-अलग होती है। कुछ प्रजातियों के बीज अपनी जीवन क्षमता कुछ महीनों में ही खो देते हैं किन्तु अनेक प्रजातियों के बीज अनेक वर्षों तक जीवनक्षम रहते हैं। यहाँ तक कि कुछ पौधों के बीज अनेक वर्षों तक जीवनक्षम रहते हैं।

उदाहरण के तौर पर ल्युपिनस आर्कटीकस (Lupinus arcticus) को आर्कटिक टुंड्रा पर खुदाई से प्राप्त किया गया था जो अनुमानित रिकार्ड 10,000 वर्ष की प्रसुप्ति के पश्चात् बीज अंकुरित व पुष्पित हुआ था। वर्तमान में एक रिकार्ड 2000 वर्ष पुराने खजूर के जीवन क्षम बीज – फोयेनिक्स डैक्टीलीफेरा (Phoenix dactylifera) का है जिसे मृत सागर के पास किंग हैराल्ड के महल की पुरातात्विक खुदाई के दौरान पाया गया था।

प्रश्न 18.
स्वपरागण तथा पर परागण में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
स्व-परागण तथा पर-परागण में अन्तर-

स्व-परागण (Self-pollination)पर-परागण (Cross-pollination)
1. इस प्रक्रिया में किसी एक पुष्प के परागकणों का स्थानान्तरण उसी पुष्प के या उसी पौधे में उपस्थित किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है।एक पौधे के पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी दूसरे पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं।
2. पुष्प प्रायः सुगन्धरहित, अनाकर्षक, छोटे तथा मकरन्दरहित होते हैं।पुष्प प्रायः ( वायु परागित पुष्पों के अतिरिक्त) गन्धयुक्त, आकर्षक, बड़े या छोटे दो समूह में तथा मकरन्दयुक्त होते हैं।
3. इस प्रक्रिया में पुष्पों का द्विलिंगी या उभयलिंगी होना आवश्यक है।आवश्यक नहीं है।
4. इसमें परागकण व्यर्थ नहीं होते।इस प्रक्रिया में परागकण बहुत अधिक व्यर्थ होते हैं।
5. इस क्रिया हेतु किन्हीं कर्मकों की आवश्यकता नहीं होती है।इसके लिये कर्मकों की आवश्यकता होती है तभी परागण सम्भव होता है।
6. इसमें नर तथा मादा जनन अंग साथ-साथ परिपक्व होते हैं।अलग-अलग समय पर परिपक्व होते हैं।
7. इस प्रकार के परागण से पौधों की शुद्धता बनी रहती है परन्तु विभिन्नता व विकास की सम्भावनाएँ कम होती हैं।शुद्धता न रहकर दोनों जनकों के लक्षणों का मिश्रण होता है, विभिन्नताएँ व विकास की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं।
8. बार-बार स्वपरागण के फलस्वरूप बनने वाले पौधे दुर्बल व अस्वस्थ तथा बीज छोटे व हल्के होते हैं।पौधे स्वस्थ होते हैं तथा बीज भारी व बड़े होते हैं।

प्रश्न 19.
परागण से क्या तात्पर्य है? स्वयुग्मन ( आटोगेमी ) हेतु आवश्यक कोई दो अनुकूलनों को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर:
परागण – पुंकेसर के परागकोष से पुष्प के जायांग की वर्तिका पर परागकणों के स्थानान्तरण को परागण कहते हैं । स्वयुग्मन के निम्नलिखित दो अनुकूलन होते हैं-
1. समकालपक्वता (Homogamy) – इस प्रकार के पौधों में पुष्पों में स्थित पुमंग व जायांग एक साथ परिपक्व होते हैं। परागकण तथा वर्तिकाग्र एक ही समय परिपक्व होने की पूर्ण संभावना रहती है। अतः स्वयुग्मन के अवसर बढ़ जाते हैं, उदा. मिराबिलिस, कैथेरैन्थस आदि।

2. अनुन्मील्यता (Celestogamy) – कुछ पौधों में पुष्प सदैव बन्द ही रहते हैं, इस कारण इनमें आवश्यक रूप से स्वयुग्मन होता है। उदा. – कनकोआ (Commelina), वायोला ( Viola), आक्जेलिस (Oxalis), जंक्स (Juncus) तथा ड्रॉसेरा (Drosera) आदि ।

प्रश्न 20.
परागण किसे कहते हैं? वेलिसनेरिया तथा समुद्री घासों में परागण की क्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परागकणों का स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक स्थानान्तरण या संचारण को परागण कहा जाता है। वेलिसनेरिया पादप जल में डूबा रहता है, इसके नर व मादा पौधे अलग-अलग होते हैं। नर में पुष्प छोटे व असंख्य होकर स्थूलमंजरी (spadix ) पुष्पक्रम में लगे होते हैं। पुष्पक्रम जल-निमग्न होता है। नर पुष्प पृथक् होकर जल की सतह पर तैरते रहते हैं।

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मादा पुष्प एकल तथा इसका लम्बा, कुण्डलित वृन्त पुष्प के परिपक्व होने पर खुल जाता है व पुष्प जल की सतह पर पहुँच जाता हैं तैरते हुए नर पुष्प जब मादा पुष्पों के सम्पर्क में आते हैं तो उनके परागकोश झटके से फट जाते हैं तथा परागकण वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं। अतः जल की सतह पर, जल के माध्यम से वेलिसनेरिया में जल परागण होता है। समुद्री घासों (सीग्रासेस) में मादा पुष्प जल की सतह के नीचे ही पानी में डूबा रहता है और परागकणों को जल के अन्दर ही अवमुक्त किया जाता है।

प्रश्न 21.
25 प्राथमिक शुक्र कोशिकाओं तथा 25 प्राथमिक अण्ड कोशिकाओं से बनने वाले शुक्राणुओं तथा अण्डाणुओं का अनुपात कितना होगा? कारण सहित समझाइए ।
उत्तर:
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प्रश्न 22.
उन्मील परागणी पुष्प एवं अनुन्मील परागणी पुष्प अन्तर लिखिए ।
उत्तर:
उन्मील परागणी पुष्प (Chasmogamous Flowers ) – ये सामान्य पुष्पों के समान होते हैं, इनके परागकोश एवं वर्तिकाग्र अनावृत होते हैं। इनमें सामान्य पुष्पों की जैसे परागण होता है।

अनुन्मील्य परागणी पुष्प (Cleistogamous Flowers) – ये पुष्प सदैव बन्द रहते हैं। इन पुष्पों में परागकोश (anther) एवं वर्तिकाग्र (stigma) एक-दूसरे के बिल्कुल नजदीक स्थित होते हैं। जब पुष्प कलिका में परागकोश स्फुटित होते हैं तब परागण क्रिया सम्पन्न होती है। इनमें सदैव स्वपरागण होता है, क्योंकि इनके वर्तिकानों पर अन्य पुष्पों के परागकण नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे पुष्पों में बीज निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित होती है। उदाहरण- वायोला, कोमेलीना आदि ।

प्रश्न 23.
भ्रूणपोष किसे कहते हैं? मुक्त केन्द्रकी भ्रूणपोष एवं कोशिकीय भ्रूणपोष का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
द्वि- निषेचन ( double fertilization) तथा त्रिसंलयन (triple fusion) के फलस्वरूप भ्रूणकोष में बने हुए त्रिगुणित केन्द्रक से एक पोषक संरचना का परिवर्द्धन होता है। इसे भ्रूणपोष कहते हैं। यह विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है ।

केन्द्रकीय भ्रूणपोष (Nuclear endosperm ) – इस प्रकार के भ्रूणपोष में परिवर्द्धन के समय भ्रूणपोष केन्द्रक स्वतन्त्र रूप से विभाजित होता रहता है और विभाजनों के साथ भित्तियों (walls) का निर्माण नहीं होता है। विभाजन के फलस्वरूप बने केन्द्रक भ्रूणकोष (embryo sac ) में परिधि से केन्द्र की ओर विन्यसित हो जाते हैं। अन्त में परिधि से केन्द्र की ओर कोशिका भित्ति का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है। उदाहरण- कैप्सेला ( Capsella)।

कोशिकीय भ्रूणपोष ( Cellular endosperm ) – भ्रूणपोष केन्द्रक के प्रत्येक बार विभाजन के पश्चात् कोशिका भित्ति का निर्माण होता है। इस प्रकार पूरा भ्रूणपोष अनियमित व्यवस्था वाली कोशिकाओं का एक ऊतक होता है। जैसे एडोक्सा ( Adoxa) ।

प्रश्न 24.
पराग – स्त्रीकेसर संकर्षण (पारस्परिक क्रिया) को विस्तार से समझाइए ।
उत्तर:
पुष्पी पादपों के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पराग अवस्थित होने से लेकर बीजाण्ड में पराग नलिका के प्रविष्ट होने तक की सभी घटनाओं को परागस्त्रीकेसर संकर्षण के नाम से सम्बोधित किया जाता है। परागण क्रिया के द्वारा परागकणों का स्थानान्तरण तो होता है परन्तु यह सुनिश्चित नहीं होता है कि उसी प्रजाति का सुयोग्य पराग वर्तिकाग्र तक पहुँचे।

कभी-कभी गलत प्रकार के पराग भी उसी वर्तिकाग्र पर आ जाते हैं (जिसमें ये या तो उसी पादप से होते हैं या फिर अन्य पादप से) । स्त्रीकेसर में यह सक्षमता होती है कि वह पराग को पहचान सके कि वह उसी वर्ग के सही प्रकार का पराग (सुयोग्य ) है या फिर गलत प्रकार का ( अयोग्य) है। यदि पराग सही प्रकार का होता है तो स्त्रीकेसर उसे स्वीकार कर लेता है तथा परागण पश्च घटना हेतु प्रोत्साहित करता है जो कि निषेचन की ओर बढ़ता है।

यदि पराग गलत प्रकार का होता है तो स्त्रीकेसर वर्तिकाग्र पर पराग अंकुरण या वर्तिका में पराग नलिका वृद्धि रोककर पराग को अस्वीकार कर देता है। पराग को पहचानने की यह क्षमता स्त्रीकेसर तथा पराग के रासायनिक घटकों के संकर्षण द्वारा होती है। वैज्ञानिकों ने स्त्रीकेसर एवं पराग के घटकों को जानकर उनके बीच संकर्षण (परस्पर क्रिया) को स्वीकृति या अस्वीकृति के रूप में जाना है ।

सुयोग्य परागकण होने पर, परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होकर जनन छिद्र के माध्यम से एक परागनलिका उत्पन्न करते हैं। परागनलिका वर्तिकाग्र तथा वर्तिका के ऊतकों के माध्यम से वृद्धि करती है और अण्डाशय तक पहुँचती है। अण्डाशय में पहुँचकर बीजाण्ड द्वार के माध्यम से बीजाण्ड में प्रवेश करती है।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
परागण के विभिन्न अभिकर्मकों को विस्तार से बताइये ।
उत्तर:
परागण (Pollination)-
परागकणों के परागकोश से मुक्त होकर जायांग के वर्तिकाग्र (stigma) तक पहुँचने की प्रक्रिया को परागण कहते हैं। परागण मुख्यतः दो प्रकार से होता है-

  1. स्व-परागण तथा
  2. पर-परागण।

1. स्वपरागण (Self-pollination)-इस प्रक्रिया के अन्तर्गत किसी एक पुष्प के परागकणों का स्थानान्तरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है। यह दो प्रकार से हो सकता है-

  • स्वयुग्मन (Autogamy)-इसमें एक पुष्प के परागकण उसी पुष्य के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं। अतः यह क्रिया केवल द्विलिंगी (bisexual) पुष्यों में ही हो सकती है।
  • सजातपुष्पी परागण (Geitonogamy)-जब एक पुष्प के परागकण उसी पौधे में उपस्थित किसी दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं। सजातपुष्पी परागण एक ही पौधे में उपस्थित दो अलगअलग पुष्पों के बीच होता है।

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स्वपरागण हेतु अनुकूलन (Adaptations for selfpollination)-जिन पादपों में स्वपरागण होता है उनमें कुछ विशेषताएँ होती हैं जो निम्न प्रकार से हैं-

  • उभयलिंगता (Bisexuality)-इस प्रकार के पादपों में द्विलिंगी (bisexual) पुष्प लगते हैं।
  • समकालपक्वता (Homogamy)-इस प्रकार के पौधों में पुमंग व जायांग एक साथ परिपक्व होते हैं, इस लक्षण को समकालपक्वता कहते हैं। परागकण एवं वर्तिकाग्र एक ही समंय परिपक्व होने के कारण स्वपरागण होने की पूरी सम्भावना रहती है। उदा.-मिराबिलिस (गुलब्वास), कै थेरैन्थस।
  • अनुन्मील्यता (Cleistogamy)-कुछ पौधों में पुष्प सदैव बन्द रहते हैं। ऐसे पुष्पों को अनु न्मील्य पुष्प (cle istog a mous flowers) कहते हैं। अत: इनमें आवश्यक रूप से स्वपरागण होता है। ऐसे पुष्प सुगन्ध व मकरन्द रहित, अनाकर्षक तथा छोटे होते हैं।

उदा.-कनकोआ (Commelina), वायोला (Viola), ऑक्जे लिस (Oxalis)। कनकोआ में अनुन्मील्य पुष्प भमिगत होते हैं। इसी पौधे के वायवीय भाग पर सामान्य पुष्प या उन्मील परागणी या कै जमोगेमस (Chasmogamous) अर्थात् खुले पुष्प होते हैं।
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स्वपरागण के लाभ (Advantages of self-pollination)-

  • इस परागण की सफलता निश्चित होती है क्योंकि इसमें किसी बाहरी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
  • सन्तति में जाति के गुण वही रहते हैं। अतः लक्षणों की शुद्धता रहती है। इसमें लक्षणों की शुद्धता को आगामी पीढ़ियों में बनाये रखा जा सकता है क्यों कि इससे प्राप्त पादप समयुग्मजी (Homozygous) होते हैं।
  • इस प्रकार के परागण के लिये अधिक परागकण उत्पन्न करने की जरूरत नहीं होती है, अतः यह एक मितव्ययी विधि है।
  • इसमें परागण अभिकर्त्तां (agents) को आकर्षित करने के लिये रंग, गन्ध या मकरन्द आदि उत्पन्न नहीं करना पड़ता है।
  • पौधों के उपयोगी लक्षणों को असीमित काल के लिये संरक्षित किया जा सकता है।

स्वपरागण से हानियाँ (Disadvantages of self-pollination)-

  • स्वपरागण के द्वारा पौधों में विभिन्नताएँ नहीं आतीं अतः पौधों की नई किस्मों या प्रजातियों का उद्भव नहीं होता है।
  • इससे बने बीज अच्छे नहीं होते व बनने वाला पौधा भी दुर्बल व कम प्रतिरोधक क्षमता वाला होता है।
  • पौधों की जीवन क्षमता का भी निरन्तर ह्रास होता जाता है।
  • पौधों की उत्पादन क्षमता निरन्तर आने वाली पीढ़ियों में कम होती जाती है।

2. पर-परागण (Cross-pollination)-इस विधि में एक पौधे के पुष्प के परागकण उसी जाति के किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं, तो इसे पर-परागण कहते हैं। परपरागण को एलोगेमी (Allogamy) या जीनोगेमी (Xenogamy) भी कहते हैं। इस प्रकार पर-परागण में दो भिन्न पौधों के नर एवं मादा युग्मकों में निषेचन होता है। पौधों में पर-परागण क्रिया द्वारा पुनर्योंजन (recombination) एवं विभिन्नताएँ (variations) उत्पन्न होने की सम्भावनाएँ रहती हैं।

पर-परागण के लिये अनुकूलन (Adaptations for cross pollination)-
(i) स्वबन्ध्यता (Self-sterlity)-कुछ पादपों में यदि पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँच जाते हैं तो वे अंकुरित नहीं होते, इसे स्वबन्ध्यता कहते हैं। उदा.-राखीबेल या झुमकलता (Passiflora), अंगूर, आलू, तम्बाकू, चाय तथा सेब (Malus) इत्यादि।

(ii) एकलिंगता (Unisexuality)-कुछ पौधों में पुष्प एकलिंगी होते हैं। इन पुष्पों में नर या मादा दोनों में से कोई एक प्रकार के जनन अंग होते हैं। अतः इनमें पर-परागण ही होता है। यदि नर व मादा दोनों प्रकार के पुष्प एक ही पौधे पर मौजूद हों तो पौधे को उभयलिंगाश्रयी (monoecious) कहते हैं अथवा नर व मादा पुष्म अलग-अलग पौधों पर उपस्थित होते हैं तो पौधे को एकलिंगाश्रयी (dioecious) कहा जाता है, उदा -पपीता।

(iii) भिन्नकालपक्वता (Dichogamy)-कुछ पादपों के पुष्पों में परागकोश व वर्तिकाग्र के परिपक्व होने का समय अलग-अलग होता है, जैसे साल्विया (Salvia) में परागकोश वर्तिकाग्र से पूर्व परिपक्व होते हैं। इस लक्षण को पुंपूर्वता (protandry) कहते हैं। बैंगन, मक्का व ब्रैसीकेसी (Brassicaceae) कुल के पौधों में वर्तिकाग्र परागकोश से पूर्व परिपक्व होते हैं, इसे स्त्रीपूर्वता (protogyny) कहा जाता है।
दोनों जनन अंगों के परिपक्व होने का समय अलग-अलग होने से परपरागण ही होता है।

(iv) बन्धन युति या हरकोगेमी (Herkogamy)-कुछ पौधों के पुष्पों में वर्तिकाग्र एवं परागकोश के बीच प्राकृतिक संरचनात्मक अवरोध (structural barrier) होता है। उदा.- कै रियोफिलेसी (Caryophyllaceae) कुल के पादपों में वर्तिका की लम्बाई पुंकेसर से काफी अधिक होने के कारण इनके बीच परागण संभव नहीं हो पाता है। आक या मदार (Calotropis) में परागकण परागपिण्डां (pollinia) में व्यवस्थित रहते हैं। इन परागपिण्डों को कीट द्वारा ही हटाया जाता है। अतः पर-परागण ही सम्भव होता है।

(v) विषमवर्तिकात्व (Heterostyly)-कुछ पुष्पों में वर्तिका की लम्बाई अलग-अलग प्रकार की होती है। प्रिमुला (Primula) पादप में दो प्रकार के पुष्प होते हैं-एक जिसमें वर्तिका लम्बी तो पुंकेसर छोटे होते हैं, दूसरे जिनमें वर्तिका छोटी तो पुंकेसर लम्बे होते हैं। इस प्रकार पौधे में द्विरूपी (dimorphic) पुष्प लगते हैं। अतः इनमें स्वपरागण सम्भव न होकर पर-परागण ही होता है।

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पर-परागण से लाभ (Advantages of Cross-pollination)-

  • इस प्रक्रिया से नवीन संयोजन या पुनयर्रेजन (recombination) विकसित होते हैं, इससे अगली पीढ़ियों में विभिन्नताएँ (variations) आती हैं।
  • पुनर्योजन व विभिन्नताओं द्वारा नवीन व उन्नत किस्में विकसित होती हैं तथा विकास एवं अनुकूलन की अधिक सम्भावना होती है।
  • पर-परागण से संतति पीढ़ियों में जीवन क्षमता, रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है। पौधे सबल, स्वस्थ व उत्तम गुण वाले होते हैं।
  • इस प्रक्रिया द्वारा हानिप्रद लक्षणों को अग्रिम पीढ़ियों में हटाया जा सकता है व इनमें बीजों की संख्या भी अधिक होती है।

पर-परागण से हानियाँ (Disadvantages of crosspollination)-

  • इस प्रक्रिया में असंख्य परागकण बनते हैं तथा अधिकतर व्यर्थ व नष्ट हो जाते हैं।
  • यह प्रक्रिया सुनिश्चित न होकर संयोग मात्र की है।
  • यह प्रक्रिया विभिन्न माध्यमों के द्वारा होती है, अतः कीटों व प्राणियों को आकर्षित करने के लिये पुष्पों में रंग, गंध, मकरंद आदि उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है।
  • पर-परागण विधि द्वारा लाभदायक गुणों को संरक्षित नहीं किया जा सकता। इसमें आगे की पीढ़ियों में हानिकारक या अनिच्छित गुण प्रविष्ट हो सकते हैं।

पर-परागण के अभिकर्मक या कारक (Agents of Crosspollination)
पर-परागण में परागकणों को एक पुष्य से दूसरे पौधे पर उपस्थित पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित करने के लिये बाहरी साधनों की आवश्यकता होती है। पर-परागण के ये साधन कर्मक कहलाते हैं। ये साधन जीवीय या अजीवीय हो सकते हैं। अधिकतर पौधे पर-परागण के लिये जीवीय कारकों का उपयोग करते हैं, अजीवीय कारकों का कम उपयोग होता है। इन साधनों के आधार पर पर-परागण अग्र प्रकार का हो सकता है-

(i) वायु परागण (Anemophily)-परागकणों का स्थानान्तरण वायु के द्वारा होता है। इस प्रकार के परागण में परागकण का वर्तिकाग्र के सम्पर्क में आना महज संयोगात्मक घटना है। इनमें परागकणों का उत्पादन अधिक संख्या में होता है तथा परागकण छोटे, हल्के, चिकने व शुष्क होते हैं। वायु परागित पुष्पों में वर्तिकाग्र में अनुकूलन पाए जाते हैं।

इसमें परागकण सरलता से वायु में उड़ते हैं तथा मादा पुष्प वृहद व पिच्छ वर्तिकाग्र युक्त होते हैं ताकि सरलता से वायु में उड़ते हुए परागकणों को आबद्ध किया जा सके। घास में वर्तिकाग्र पक्ष्माभी (feathery), टाइफा (Typha) में ब्रश की भांति होते हैं। मक्का में वायु परागण होता है। इसके वायु में उड़ते परागकण रेशमी वर्तिकाग्रों (भुट्टे से निकले हुए अनेक रेशमी बाल जैसे) द्वारा पकड़ लिये जाते हैं।

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(ii) जल परागण (Hydrophily)-जल में डूबे हुये पौधों में अधोजल परागण होता है। उदा.-समुद्री घास या जोस्टेरा (Zostera), सिरेटोफिलम (Ceratophyllum)। अनेक जलीय पादपों के पुष्प जल की सतह पर रहकर परागित होते हैं तो इसे अधिजल परागण कहते हैं। उदा.-वेलिस्नेरिया (Vallisnaria), पोटेमोजिटोन (Potamogeton) में परागण वायु द्वारा होता है। निम्फिया (Nymphaea) भी जलीय पादप है परन्तु इसमें कीट परागण होता है।

(iii) कीट परागण (Entomophily)-मधुमक्खियाँ (bees), मक्खियाँ (flies), पतंगा (moth), तितली (butter fly), वैस्प (wasp), बीटल (beetle) आदि कीट परागण में सहायता करते हैं। यह माना जाता है कि 80% कीट परागण मधुमक्खियों के द्वारा होता है। जिन पौधों के पुष्पों में कीट परागण होता है वे रंगीन, चमकदार, गंधयुक्त तथा मकरंदयुक्त होते हैं।

(iv) पक्षी परागण (Ornithophily)-विभिन्न प्रकार के उण्ण कटिबंधीय (tropical) पौधों में पक्षी परागण होता है। इनके पुष्म प्यालेनुमा (उदा.-कैलीस्टेमोन), नलिकाकार (उदा –निकोटिआना) या कुंभाकार (उदा,-एरीकेसी कुल के पादप) होते है। इन पौधों के पुष्य चमकदार, आकर्षक तथा मकरंदयुक्त होते हैं। मकरंद से आकर्षित होकर आए पक्षियों की चोंच व शरीर से पराग कण चिपक जाते हैं तथा इनके साथ ही अन्य पौर्धों वक पहुँच जाते हैं।

(v) चमगादड परागण (Cheiropterophily)-कुछ पाद्पों में पुष्म रात्रि में खिलते हैं तथा अत्यधिक माग्रा में मकरंद स्रावित करते हैं। चमगादड़ निशाचर (nocturnal) प्रवृत्ति के होने के कारण इन पौधों के परागण में सहायक होते हैं। उदा.-कचनार (Bauhinia), गोरख इमली (Adansonia), कदम्ब (Anthocephalus), बालमखीरा (Kiglia) इत्यादि। इसके अतिरिक्त सर्पवृक्ष (Arisaema) और ऑरिक्ड (Orchid) में घोंघे के द्वारा तथा गुलमोहर व सेमल में गिलहरी के द्वारा परागण होता है।

नोट-कीट परागण के अन्तर्गत कुछ इस प्रकार के उदाहरण भी हैं जो अंडा देने का सुरक्षित स्थान बना लेते हैं। उदा,-एमोरफोफेलस (Amorphophallus) में पुष्य बहुत लम्बा (लगभग 6 फुट) होता है, जिसमें अंड्रा सुरक्षित रहता है। इसी प्रकार शलभ की एक जाति प्रोनूबा (Pronuba yuccasella) व युक्का (Yucca) में सह-संबंध होता है। प्रोनूबा की मादा परागण हेतु विशेष कार्य करती है।

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युक्का के पुष्य घंटाकार व उल्टे लटके हुए होते हैं। वर्तिका पुंकेसरों से लम्बी तथा वर्तिकाग्र प्याले की जैसे तथा नीचे की ओर लटके रहते हैं। इस प्रकार से इस पुष्य के परागकण इसी के वर्तिकाग्र पर नहीं गिर सकते हैं। मादा शलभ परागकण अपने सुँह में एकत्रित कर, पुष्प के अन्दर घुसकर पुष्म के अप्डाशय के भीतर अपने अण्डे रखती है। अण्डे रखने के बाद शलभ वर्तिका से होती हुई वर्तिकाग्र पर पहुँच कर अपने हुँह में रखे परागकणों को उगल देती है।

पर-परागण के उदाहरण-
(i) बैलिस्नेरिया में जल परागण (Hydrophily in Vallisneria)-वैलिस्नेरिबा जल में उगने वाला निमग्न पादप है। इसमें नर व मादा पौधे अलग-अलग होते हैं अर्थात् यह एक एकलिंगाश्रयी (dioecious) पादप होता है। नर पौधे में पुंकसेरी पुष्प फीते के आकार की पत्तियों के कक्ष में स्थूलमंजरी (spadix) में लगते हैं। इसमें अपरिपक्व अवस्था में स्पेथ के टूट जाने से नर पुष्प पुष्पक्रम से पृथक् होकर जल की सतह पर तैरने लगते हैं।

मादा पौधों में स्त्री पुष्प एकल लगते हैं, परन्तु इनका पुष्पवृन्त इतना लम्बा होता है कि पुष्प जल की सतह पर आ जाते हैं। नर पुष्प के परिपक्व होने पर इनसे परागकण मुक्त होकर जल की लहरों पर तैरते हुए, मादा पुष्पों के वर्तिकाग्र के सम्पर्क में आ जाते हैं। परागकण प्राप्त करने के पश्चात् मादा पुष्पों का पुष्पवृन्त कुण्डलित होकर पुष्प को जल के अन्दर पत्तियों के बीच में खींच लेता है तथा फल भी अन्दर ही बनता है।

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(ii) साल्विया में कीट परागण (Entomophily in Salvia)-साल्विया तुलसी कुल का पादप है। इसका पुष्प द्विओष्ठी (bilabiate) होता है। इसमें से एक ओष्ठ ऊपर एवं दूसरा नीचे की ओर होता है। पुष्प की विशेष बनावट के कारण प्रायः एक ही प्रकार के कीट, जैसे बर्र (vasps) इस पुष्प में पर-परागण कर सकते हैं। पुष्प का ऊपरी ओष्ठ दो दलों से बना होता है तथा ऊपर की ओर उठा हुआ व अन्दर की ओर मुड़ा रहता है। इसी मुड़े हुए हिस्से में पुंकेसर व वर्तिका स्थित होते हैं।

पुष्प का निचला ओष्ठ कीट के लिए मंच का कार्य करता है। साल्विया के पुष्प पुंपूर्वी (protandrous) होते हैं। इसके पुष्प में दो पुंकेसर होते हैं। प्रत्येक पुंकेसर की योजी (connective) अधिक लम्बी होती है जिससे परागकोश (anther) की दोनों पालियाँ अलग हो जाती हैं। इसकी ऊपरी पाली में परागकण उत्पन्न होते हैं किन्तु निचली पाली बन्ध्य (sterile) होती है। पुंकेसर का पुतन्तु (filament) योजी से परागकोश की बन्ध्य पाली के पास जुड़ा होता है।

इस कारण पुंकेसर एक लीवर (lever) की तरह कार्य करता है। जब कोई कीट मकरन्द की तलाश में पुष्प की ओर आकर्षित होकर दलपुंज द्वारा बने मंच पर बैठकर दलपुंज की नली में अपने सिर को डालता है तो इससे बन्ध्य पाली के पीछे की ओर धकेल दी जाती है, इस कारण योजी के ऊपरी सिरे पर लगा परागकोश झटके के साथ नीचे झुक कर कीट की पीठ से टकराकर परागकण बिखेर देता है। जैसे ही यह कीट किसी अन्य पुष्प पर जाकर पुष्प के अन्दर प्रवेश करने का प्रयत्न करता है, उस समय झुका हुआ वर्तिकाग्र कीट की पीठ पर रगड़ जाता है। पीठ पर पहले से ही परागकण होते हैं अतः पुष्प में परागण सम्पन्न हो जाता है।
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परागकण-जायांग संकर्षण या पारस्परिक क्रिया (Pollen grainpistil interaction)-
एक ही प्रजाति के परागकण उसी प्रजाति के जायांग के वर्तिकाग्र पर अंकुरित होते हैं। वर्तिकाग्र इतनी सक्षम होती है कि वह अन्य प्रजाति के परागकण को स्वीकार नहीं करती है। सहीं या सुयोग्य परागकण होने पर परागकण का वर्तिकाग्र पर अंकुरण होता है। परागकण के जनन छिद्र से पराग नलिका बनकर वह वर्तिकाग्र तथा वर्तिका के ऊतकों के माध्यम से वृद्धि करती हुई अंडाशय तक पहुँचती है। ये सभी प्रक्रियाएँ परागकण-जायांग संकर्षण होती हैं।

कृत्रिम संकरण (Artificial hybridization)-
कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए पाद्प प्रजनक भिन्न प्रजातियों के बीच क्रॉसिंग करवाते हैं। क्रॉसिंग करवाने के लिये दोनों जनक उत्तम गुणवत्ता वाले लिये जाते हैं। क्रॉसिंग करवाते समय इच्छित पाद्प के परागकण मादा के वर्तिकाग्र पर डाले जाते हैं तथा वर्तिकाग्र को संदूषण (अनापेक्षित पराग कणों) से बचाया जाता है।

इसके लिये बोरावस्त्र तकनीक (bagging technique) तथा विपुंसन (emasculation) का उपयोग किया जाता है। यदि कोई मादा जनक में द्विलिंगी पुष्प होता है तो उसके परागकोशों को कलिका स्थिति में ही चिमटी से पकड़कर हटा दिया जाता है, इस क्रिया को विपुंसन कहते हैं।

विपुंसित पुष्यों को उपयुक्त आकार की थैली (बटर पेपर से बनी हुई) से ढक देते हैं ताकि अनापेक्षित परागकणों से बचाया जा सके। इस प्रक्रिया को बोरावस्त्राकरण (Bagging) कहते हैं। जैसे ही बैगिंग पुष्प का वर्तिकाग्र सुग्राही होता है त्योंही नर जनक से एकत्रित किये गये परागकणों को इस वर्तिकाग्र पर छिड़क देते हैं तथा पुनः थैली ओढ़ाकर फल विकसित होने तक छोड़ दियां जाता है। एकलिंगी पुष्पों में विपुंसन की आवश्यकता तो नहीं होती किन्तु इसे संदूषण से बचाने के लिये थैली से ढकना पड़ता है।

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प्रश्न 2.
आवृतबीजी पादप में नर युग्मकोद्भिद के परिवर्धन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुंकेसर, लघुबीजाणुधानी तथा परागकण (Stamen, microsporangium and pollen grain)
पुष्पों में नर जनन अंग पुमंग (androecium) होता है जिसके एक सदस्य को पुंकेसर (stamen) कहते हैं। प्रायः एक पुंकेसर के दो भाग होते हैं -परागकोश (anther) तथा पुतन्तु (filament) । एक पुं के सर का परागकोश प्रायः दो पालियों (lobes) से बना होता है।

दोनों पालियाँ या परागकोश आपस में तथा पुतन्तु के साथ योजी (connective) नामक ऊतक से जुड़ी होती हैं। पुंकेसर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग परागकोश है। जिस पुंके सर में दो पराग पालियाँ होती हैं, उसे द्वि कोष्ठी या द्विपालित (dithecous or bilobed) कहते हैं। परन्तु मालवेसी कुल के सदस्यों जैसे भिंडी या गुड़हल के पुंकेसरों में केवल एकपाली या एककोष्ठी (unilobed or monothecous) स्थिति होती है।

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लघुबीजाणुधानी की संरचना (Structure of microsporangium)-एक प्रारूपिक पुंकेसर के परिपक्व परागकोश के अनुप्रस्थ काट का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि परागकोश की एक पाली में दो प्रकोष्ठ (chambers) होते हैं, इन प्रकोष्ठों को परागपुटी या लघुबीजाणुधानी (Pollen sacs or microsporangium) कहते हैं। इस प्रकार एक परागकोश में चार परागपुटी या लघुबीजाणुधानी होती हैं। अतः एक परिपक्व परागकोश भित्ति तथा पराग प्रकोष्ठ (Pollen chamber) से मिलकर बना होता है।

1. परागकोश की भित्ति (Wall of anther)-परागकोश चार भिन्न परतों से आवरित होता है-
(i) बाह्य त्वचा,
(ii) अन्तस्थीसियम,
(iii) मध्य परतें तथा
(iv) टेपीटम

(i) बाह्य त्वचा (Epidermis)-यह सबसे बाहरी एक कोशिकीय परत होती है तथा इसका कार्य सुरक्षा करना होता है।

(ii) अन्तस्थीसियम (Endothecium)-यह बाह्यत्वचा के नीचे अरीय (radially) प्रकार से लम्बी कोशिकाओं की एकस्तरीय परत होती है। इनकी कोशिकाओं में α -सैल्यूलोज ( α-cellulose) के जम जाने से रेशेदार पट्टियाँ (fibrous bands) बन जाती हैं। इन पट्टियों के कारण अन्तस्थीसियम कोशिकाओं की प्रकृति आर्द्रताग्राही हो जाती है। ये पट्टियाँ परागकोश के स्फुटन में सहायक होती हैं। इनके बीच कुछ कोशिकाओं में इस प्रकार की पद्टियाँ नहीं पायी जाती हैं, इन्हें स्टोमियम (stomium) कहते हैं। परांगकोश का स्फुटन इन स्थानों से होता है।

(iii) मध्य परतें (Middle layers)-अन्तस्थीसियम के नीचे लगभग 3-4 पतली भित्ति वाली परतें पाई जाती हैं। परिपक्व परागकोश में ये परतें सामान्यतः नष्ट हो जाती हैं तथा विकसित होते हुए लघुबीजाणुओं को पोषण प्रदान करती हैं।
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(iv) टेपीटम (Tapetum)-यह परागकोश की भित्ति की सबसे अन्दर की परत होती है। टेपीटम की कोशिकाओं का जीवद्रव्य गाढ़ा तथा केन्द्रक बड़ा व सुस्पष्ट होता है। परिपक्व टेपीटम की कोशिकायें प्राय: बहुकेन्द्रकी हो जाती हैं। इसका मुख्य कार्य विकसित होते हुए लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं का पोषण प्रदान करना होता है। टेपीटम की कोशिकाओं से एन्जाइम और हार्मोन, दोनों का निर्माण होता है। आवृतबीजी (angiosperms) पादपों में टेपीटम दो प्रकार के होते हैं-

(अ) अमीबीय अथवा पैरिप्लाज्मोडियल (Amoeboid or Periplasmodial)-इस प्रकार के टेपीटम की कोशिकाओं की कोशिका भित्ति टूट जाती है तथा इनके जीवद्रव्य बीजाणु मातृ कोशिकाओं के बीच विचरण कर वृद्धिशील परागकणों को पोषण प्रदान करते हैं। उदा.-ट्रेडस्केंशिया (Tradescantia), टाइफा (Typha) आदि।

(ब) सावी अथवा ग्रन्थिल टेपीटम (Secretory or glandular tapetum)-आवृतबीजी पादपों में प्रायः इस प्रकार का टेपीटम पाया जाता है। इस प्रकार के टेपीटम की कोशिकाओं की आन्तरिक सतह से खाद्य पदार्थों का स्रावण होता है, इससे वृद्धिशील परागकणों को पोषण प्राप्त होता है। स्रावी प्रकृति के टेपीटम की कोशिकाओं में लिपिड प्रकृति की गोलाकार संरचनाएँ मिलती हैं, जिन्हें प्रोयूबिश काय (proubish bodies) कहते हैं। इनके चारों ओर स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin)नामक जटिल पदार्थ जम जाता है। इससे परागकणों की बाहरी सतह अर्थात् बाह्यचोल (exine) का निर्माण होता है।

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परागकणों के बनने के समय टेपीटम सबसे अधिक विकसित होता है तथा परागकणों के परिवर्धन में टेपीटम महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह इन्हें पोषण प्रदान करता है। यदि किसी परागकोश में परागकणों के विकास से पूर्व ही टेपीटम नष्ट हो जाता है तो इसके परागकण बन्ध्य (sterile) या रुद्ध (abortive) होते हैं।

2. बीजाणुजन कोशिकाएँ (Sporogenous cells)-जैसा कि पूर्व में बताया गया है कि प्रत्येक परागकोश में चार पालियाँ होती हैं। प्रत्येक पाली भित्ति परतों से आवरित होती है तथा सबसे अन्दरी परत टेपीटम के अन्दर सजातीय कोशिकाओं का समूह होता है। इस समूह को प्राथमिक बीजाणुजन कोशिकायें (primary sporogenous cells) कहते हैं। ये कोशिकाएँ लघुबीजाणु या पराग मातृ कोशिकाएँ (microspore or pollen mother cells) बनाती हैं।

लघुबीजाणुजनन (Microsporogenesis)-परागकोश के विकास के साथ-साथ प्रत्येक सक्रिय लघुबीजाणु मातृ कोशिका अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार लघुबीजाणु (microspores) बनाती है। लघुबीजाणु मातृ कोशिका से लघुबीजाणु बनने की प्रक्रिया को लघुबीजाणुजनन कहते हैं। चारों लघुबीजाणु चतुष्क (tetrad) के रूप में व्यवस्थित रहते हैं।

विभिन्न प्रकार के पौधों में लघुबीजाणुओं की व्यवस्था के क्रम के अनुसार चतुष्क निम्न प्रकार के हो सकते हैं-

  • चतुष्फलकीय (Tetrahedral)-ये अधिकतर द्विबीजपत्री पौधों में पाए जाते हैं। इनके एक ओर से देखने पर केवल तीन लघुबीजाणु दिखाई देते हैं और चौथा लघुबीजाणु इन तीनों के पीछे की ओर स्थित होता है। सबसे अधिक पादपों में यह व्यवस्था होती है।
  • समद्विपार्शिवक (Isobilateral)-प्रायः ये एकबीजपत्रियों में पाये जाते हैं। इनमें चारों लघुबीजाणु एक ही तल में होते हैं।
  • क्रॉसित (Decussate)-इनमें दो-दो लघुबीजाणु एकदूसरे से 90° का कोण बनाते हैं।
  • रैखिक (Linear)-सभी लघुबीजाणु एक सीधी रेखा में व्यवस्थित होते हैं।
  • T- आकार (T-Shaped)-इनमें दो लघुबीजाणु अनुप्रस्थ रूप में तथा दो लम्बवत् रूप में विन्यासित रहते हैं।

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B. समद्विपाश्वक, C. क्रॉसित, D. T- आकार तथा E. रैखिक। लघुबीजाणुओं के बीच में कैलोज की बनी हुई भित्ति होती है। इस भित्ति के घुल जाने पर लघुबीजाणु स्वतन्त्र हो जाते हैं। चतुष्क से मुक्त होने के पश्चात् ये गोलाकार हो जाते हैं तथा इन्हें परागकण (pollen grain) कहते हैं। एक लघुबीजाणुधानी में अनेक परागकण स्वतन्त्र रूप से बिखरे रहते हैं। परागकोश के परिपक्व होने पर टेपीटम तथा मध्य भित्ति परतें धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। अन्त में केवल बाह्यत्वचा व अन्तस्थीसियम (endothecium) ही रह जाती हैं।

दोनों ओर के दो पराग पुटों के मध्य का पट नष्ट हो जाता है। इस प्रकार से एक ओर के परागपुट एक-दूसरे से सम्पर्क में आ जाते हैं। परिपक्व होने पर अंतःस्थीसियम से जल का ह्रास होता है, जिसके कारण इन कोशिकाओं की भित्तियों के अन्दर की ओर सिकुड़ने से ओष्ठ कोशिकाओं या स्टोमियम (stomium) पर दाब पड़ता है। अतः ये एकदूसरे से पृथक् हो जाते हैं तथा परागकण बाहर निकल जाते हैं। परागकोश के परिपक्व होने पर टेपीटम तथा मध्य भित्ति परतें धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।

अन्त में केवल बाह्यत्वचा व अन्तस्थीसियम (endothecium) ही रह जाती हैं। दोनों ओर के दो पराग पुटों के मध्य का पट नष्ट हो जाता है। इस प्रकार से एक ओर के परागपुट एक-दूसरे से सम्पर्क में आ जाते हैं। परिपक्व होने पर अंतःस्थीसियम से जल का ह्रास होता है, जिसके कारण इन कोशिकाओं की भित्तियों के अन्दर की ओर सिकुड़ने से ओष्ठ कोशिकाओं या स्टोमियम (stomium) पर दाब पड़ता है। अतः ये एकदूसरे से पृथक् हो जाते हैं तथा परागकण बाहर निकल जाते हैं।
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परागकण की संरचना (Structure of Pollen grain)परागकोश की लघुबीजाणुधानियों में लघुबीजाणु या परागकण बनते हैं। परागकणों के निर्माण से पूर्व अर्द्धसूत्री विभाजन होता हैं, अतः ये अगुणित होते हैं। इस प्रकार लघुबीजाणु या परागकण नर युग्मकोद्भिद् पीढ़ी की प्रथम अवस्था या कोशिका होती है। परागकण एककोशीय, एक केन्द्रीय व अगुणित संरचना होती है। परागकण की भित्ति द्विस्तरीय होती है। बाहरी स्तर बाह्यचोल (exine) तथा भीतरी स्तर अन्तश्चोल (intine) होती है। परागकण की आकृति, संख्या व बाहरी सतह अलग-अलग पादपों में भिन्न प्रकार की होती है।

(i) बाह्यचोल (Exine)-इसकी सतह पर विभिन्न प्रकार के अलंकरण (ornamentations) मिलते हैं।
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ये जालिकावत्, धारीदार या कांटेदार इत्यादि हो सकते हैं। बाह्यचोल सख्त प्रतिरोधी व मोटी होती है। इस परत में एक विशेष रासायनिक पदार्थ स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin) होता जो कै रिटिनॉ ड् स का ऑक्सीकारी बहुलक (polymer) होता है। इसी कारण ये गहरे रंग के होते हैं, प्रायः इनका पीला रंग होता है। स्पोरोपोलेनिन सबसे अधिक प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ है जो उच्च ताप व सान्द्र अम्लों व क्षारों को भी सह सकने में सक्षम होता है।

स्पोरोपोलेनिन के कारण बाह्यचोल का भौतिक व जैविक अपघटन नहीं हो पाता है। इस पदार्थ की प्रतिरोधक क्षमता के गुण के फलस्वरूप परागकण लम्बे समय तक सुरक्षित रहते हैं। स्पोरोपोलेनिन के कारण ही जीवाश्मी प्रारूपों में परागकण संरक्षित रहते हैं। बाह्यचोल पर छोटी-छोटी छिद्रनुमा संरचना भी होती है, जिसे जनन छिद्र (germ pores) कहते हैं। द्विबीजपत्री पादपों के परागकण पर तीन जनन छिद्र होते हैं परन्तु एकबीजपत्री पादप के परागकण में एक जनन छिद्र होता है।

(ii) अन्तश्चोल (Intine)-बाह्यचोल के ठीक नीचे पतली, कोमल, पेक्टोसेलूलोज से बनी अन्तश्चोल होती है। यह परागकण के कोशिका द्रव्य को ढके रखती है। अंकुरण के समय अन्तश्चोल जनन छिद्र में से होकर एक अतिवृद्धि के रूप में जनन नली (germ tube) बनाती है तथा आगे जाकर यह जनन नली, परागनलिका (pollen tube) के रूप में विकसित हो जाती है।

पराग उत्पाद (Pollen product)-पोषणता की दृष्टि से परागकण उपयुक्त होते हैं। वर्तमान में आहार में रही कमी की पूर्ति के लिये पराग गोलियों (pollen tablets) के उपयोग का प्रचलन बढ़ता जा रहा हैं। पश्चिमी देशों में तो इनका उपयोग अधिक किया जाता है तथा अत्यधिक मात्रा में पराग उत्पाद की गोलियाँ व सीरप (syrup) बाजार में  उपलब्ध होती हैं। पराग उत्पाद खिलाड़ियों व धावकों में अत्यधिक कार्यदक्षता की वृद्धि करते हैं।
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परागकण जीवन क्षमता (Pollen viability)-परागकण जैसे ही परागकोश से बाहर आते हैं तो यह प्रश्न उठता है कि उसकी जीवन क्षमता कितने समय की होती है। परागकण की जीवन क्षमता तापमान व आर्द्रता कारक पर निर्भर करती है। परागकण जीवन क्षमता के सम्बन्ध में विविधताएँ हैं। कुछ परागकण तो कुछ मिनटों, कुछ दिनों, कुछ महीनों तक जीवन क्षमता वाले होती हैं।

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परन्तु विभिन्न प्रजातियों के परागकणों को कृत्रिम रूप से द्रव नाइट्रोजन (-196°C) में अनेक वर्षों तक भण्डारित कर सकते हैं। इस प्रकार फसल प्रजनन कार्यक्रम के लिये पराग भण्डारों का उपयोग किया जाता है। लघुयुग्मक जनन या नर युग्मकोद्भिद् का विकास (Microgametogenesis or development of male gametophyte)-पराग कण से पूर्ण विकसित नर युग्मकोद्भिद् बनने तक के क्रम को लघुयुग्मकजनन कहते हैं। वस्तुतः नर युग्मकोद्भिद् का विकास परागकोश के अन्द्र ही प्रारम्भ हो जाता है।

लघुयुग्मकजनन के दौरान होने वाले सभी केन्द्रकीय विभाजन सूत्री विभाजन (mitosis) होते हैं। प्रारम्भ में लघुबीजाणु का जीवद्रव्य गाढ़ा एवं केन्द्रक सुस्पष्ट होता है। जैसे ही ये चतुष्क से पृथक् होते हैं, वैसे ही परागकण का आकार तेजी से बढ़ता है जिससे रसधानियाँ (vacuoles) उत्पन्न हो जाती हैं। परागकण में समसूत्री विभाजन होने से दो असमान कोशिकायें बनती हैं। इसमें बड़ी कोशिका कायिक कोशिका (vegetative cell) तथा छोटी कोशिका जनन कोशिका (generative cell) होती है।

कायिक एवं जनन कोशिका की संरचना (Structure of vegetative and generative cell)-
कायिक कोशिका (Vegetative cell)-इसका केन्द्रक बड़ा, गोलाकार, अनियमित होता है। कोशिका का आकार बड़ा होता है तथा रसधानियाँ नहीं होतीं। केन्द्रक में केन्द्रिक (nucleolus) का अभाव होता है तथा RNA व प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। जनन कोशिका (Generative cell)-प्रारम्भ में यह कोशिका मसूराकार (lenticular) होती है परन्तु धीरे-धीरे यह लम्बी होकर कृमिरूपी (vermiform) दिखाई देने लगती है। इसमें कोशिका द्रव्य की मात्रा कम होती है।

परागकण में उपस्थित कायिक व जनन कोशिका इसकी दोकोशिकीय अवस्था है। प्रायः आवृतबीजियों में परागकण दो-कोशिकीय अवस्था में ही परागकोश से मुक्त होते हैं। कुछ में तीन-कोशिकीय अवस्था में भी मुक्त होते हैं। परागकण स्वतन्त्र होने पर परागण क्रिया के अन्तर्गत जाते हैं। परागकणों के परागकोश से मुक्त होकर जायांग के वर्तिकाग्र (stigma) तक पहुंचने की प्रक्रिया को परागण (pollination) कहते हैं। परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होता है।

अतः अन्तःचोल किसी एक जनन छिद्र से निकलकर जनन नलिका बनाती है। यही नलिका वृद्धि करके पराग नलिका (pollen tube) बनाती है। पराग नलिका में आगे कायिक या नलिका कोशिका (vegetative or tube cell) होती है तथा इसके पीछे जनन कोशिका होती है। कभी-कभी जनन कोशिका परागकण में ही विभाजित हो जाती है, यदि वहाँ विभाजन नहीं हुआ हो तो इसका विभाजन पराग नलिका में होता है। जनन कोशिका का समसूत्री विभाजन होने से दो नर युग्मक  बनते हैं। यह अंकुरित परागकण जिसमें पराग नलिका व दो नर-युग्मक होते हैं, इस सम्पूर्ण संरचना को नर-युग्मकोद्भिद् कहते हैं।
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प्रश्न 3.
आवृतबीजी पादप में मादा युग्मकोद्भिद के परिवर्धन का सचित्र वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
स्त्रीके सर, गुरुबीजाणुधानी ( बीजांड ) तथा भूणकोश (Pistil, Megasporangium (ovule) and embryo-sac)
पुष्य में स्थित जायांग मादा या स्त्री जनन अंग होता है। जायांग एक (एकाण्डपी) या अनेक अण्डपों (बहुअण्डपी) का बना होता है। जायांग में जब एक से अधिक अण्डप होते हैं तो वे आपस में स्वतन्त्र (वियुक्ताण्डपी) या आपस में जुड़े (युक्ताण्डपी) होते हैं (चित्र 2.10 ब, स)। प्रत्येक स्त्रीकेसर का निचला फूला हुआ भाग अण्डाशय (ovary) होता है जो कि अन्तस्थ घुण्डी के समान संरचना वर्तिकाग्र (stigma) से, एक पतली नली के समान वर्तिका (style) द्वारा जुड़ा होता है।
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बीजाण्ड या गुरुबीजाणुधानी की संरचना (Structure of ovule or Megasporangium)-
स्त्रीकेसर के अण्डाशय के अन्दर अनेक छोटी-छोटी अण्डाकार संरचनाएँ पाई जाती हैं। इन संरचनाओं को बीजाण्ड या गुरुबीजाणुधानी (megasporangium) कहते हैं। प्रत्येक बीजाण्ड एक वृन्त जैसी संरचना द्वारा अण्डाशय की भीतरी भित्ति पर उपस्थित उभार अथवा बीजाण्डासन (placenta) से जुड़ा रहता है। बीजाण्ड के वृन्त को बीजाण्डवृन्त (funicle) कहते हैं। वह स्थान जहाँ बीजाण्डवृन्त बीजाण्ड के साथ जुड़ता है, हाइलम (hilum) कहलाता है। कभी-कभी बीजाण्डवृन्त के जुड़ने के स्थान पर एक उभरी हुई संरचना होती है जिसे रेफी (raphe) कहते हैं।
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एक प्रारूपिक परिपक्व बीजाण्ड लगभग गोल संरचना होती है। इसका मुख्य शरीर सजीव मृदूतकीय कोशिकाओं से बना होता है जिसे बीजाण्डकाय (nucellus) कहते हैं। प्रायः बीजाण्डकाय एक या दो आवरणों द्वारा घिरा होता है जिन्हें अध्यावरण (integuments) कहते हैं। बाहरी आवरण को बाह्य अध्यावरण (outer integument) तथा आंतरिक आवरण को अंतः अध्यावरण (inner integument) कहते हैं।

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अध्यावरणों की संख्या दो होने पर बीजाण्ड द्विअध्यावरणी (bitegmic) तथा एक होने पर एकअध्यावरणी (unitegmic) कहलाते है। अध्यावरण अनुपस्थित होने पर बीजाण्ड अध्यावरण रहित (ategmic) कहलाता है। बीजाण्ड के शीर्ष भाग पर एक छिद्र होता है जिसे बीजाण्डद्वार (micropyle) कहते हैं। बीजाण्ड के आधार भाग को निभाग (chalaza) कहते हैं। बीजाण्डकाय में बीजाण्डद्वार के पास भ्रूणकोश (embryo) होता है।

गुरुबीजाणुजनन (Megasporogenesis)-
आवृतबीजी पादपों में बीजाण्ड वस्तुतः गुरुबीजाणुधानी (megasporangium) होता है। बीजाण्ड के मुख्य शरीर बीजाण्डकाय (nucellus) में गुरुबीजाणु का विकास होता है। अतः गुरुबीजाणु मातृ कोशिका (megaspore mother cell) से गुरुबीजाणुओं (megaspores) के बनने की प्रक्रिया को गुरुबीजाणुजनन कहते हैं। विकास के दौरान बीजाण्डकाय में से एक कोशिका आकृति में बड़ी, सघन जीवद्रव्ययुक्त व स्पष्ट केन्द्रक वाली हो जाती है, जिसे गुरुबीजाणु मातृ कोशिका कहते हैं।

गुरुबीजाणु मातृ कोशिका अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार अगुणित गुरुबीजाणु बनाती है। चारों गुरुबीजाणु रैखिक क्रम में व्यवस्थित होते हैं। इन चार में से प्रायः एक ही गुरुबीजाणु सक्रिय होता है जिससे मादा युग्मकोद्भिद् बनता है, शेष तीन गुरुबीजाणु नष्ट होकर सक्रिय गुरुबीजाणु को पोषण प्रदान करते हैं।

मादा युग्मकोद्भिद् या भूणकोश (Female gametophyte or Embryo-sac) –
सक्रिय गुरुबीजाणु विकसित, होकर मादा युग्मकोद्भिद् अर्थात भूरक्रोश का निर्माण करता है। एक अकेले गुरुबीजाणु से भूगकोश के बनने की विधि को एक-बीजाणुज (monosporic) विकास कहते हैं। सक्रिय गुरुबीजाणु अगुणित तथा मादा युग्मकोद्भिद् की प्रथम कोशिका है।

प्रायः रैखिक चतुष्क में तीन गुरुबीजाणु जो बीजाण्ड द्वार की ओर होते हैं, नष्ट हो जाते हैं परन्तु निभाग की ओर स्थित गुरुबीजाणु सक्रिय होता है। सक्रिय गुरुबीजाणु आकार में बड़ा होने लगता है तथा इसे भ्रूणकोश मातृ कोशिका कहते हैं क्योंकि इसी से भ्रूणकोश का विकास होता है। गुरुबीजाणु के केन्द्रक में तीन सूत्री विभाजन होते हैं जिसके फलस्वरूप आठ केन्द्रक बनते हैं।

प्रथम विभाजन द्वारा बने दो केन्द्रकों में से एक-एक केन्द्रक विपरीत ध्रुवों (बीजाण्ड-द्वार तथा निभाग की ओर) पर स्थित हो जाते हैं। प्रत्येक केन्द्रक पुन: दो बार विभाजित होता है जिसके फलस्वरूप प्रत्येक ध्रुव पर अब चार-चार (कुल आठ) केन्द्रक होते हैं। गुरुबीजाणु अब एक थैले की आकृति ले लेता है, जिसे भ्रूणकोश कहते हैं।

प्रत्येक ध्रुव पर उपस्थित चार केन्द्रकों में से एक-एक केन्द्रक (कुल दो केन्द्रक) कोशिका के केन्द्र  की ओर आकर ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei) बनाते हैं। कोशिका के मध्य में आकर दोनों केन्द्रक संयुक्त होकर द्विगुणित केन्द्रक बनाते हैं जिसे द्वितीयक केन्द्रक (secondary nucleus) कहते हैं।
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दोनों ध्रुवों पर शेष तीन-तीन केन्द्रक अपने चारों ओर कोशिका द्रव्य एकत्रित करके कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। इसमें बीजाण्डद्वार की ओर स्थित तीन कोशिकायें अण्ड समुच्चय या अण्ड उपकरण (egg apparatus) का निर्माण करती हैं। इनमें से मध्य भाग में स्थित अण्ड कोशिका (egg cell), दो सहायक कोशिकाओं (synergids) से घिरी होती हैं।

अण्ड कोशिका में बीजाण्ड द्वार की ओर रिक्तिका (vacuole) और नीचे की ओर केन्द्रक स्थित होता है। इसके दोनों पाश्वों पर स्थित दो सहायक कोशिकाओं में से प्रत्येक में एक तन्तुरूप उपकरण (filiform apparatus) होता है। यह पराग नलिका को अपनी ओर आकर्षित करता है। सहायक कोशिका में केन्द्रक ऊपर की ओर व रिक्तिका नीचे की ओर होती है। दूसरे ध्रुव पर (निभाग की ओर) बनने वाली तीन कोशिकायें प्रतिमुखी या प्रतिव्यासांत (antipodal cell) कहलाती हैं।

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इस प्रकार से, एक प्ररूपी आवृतबीजी भ्रूणकोश परिपक्व होने पर 8 केन्द्रीय तथा 7 कोशिकीय अवस्था का होता है। इस प्रकार का भ्रूणकोश 70% आवृतबीजी पादपों में पाया जाता है। इस प्रकार के भ्रूणकोश को “पॉलीगोनम प्रकार” (Polygonum type) का कहते हैं क्योंकि इसे सबसे पहले पॉलीगोनम-डाइवेरीकेटम (Polygonum divaricatum) में स्ट्रासबर्गर के द्वारा 1879 में वर्णित किया गया था।

प्रश्न 4.
बीज कितने प्रकार के होते हैं? इनकी संरचना को समझाइये |
उत्तर:
बीजपत्र के आधार पर बीज दो प्रकार के होते हैं-

  • एकबीजपत्री तथा
  • द्विबीजपत्री।

भ्रूणपोष की उपस्थिति व अनुपस्थिति के आधार पर भी बीज दो प्रकार के होते हैं-

  • भ्रूणपोषी बीज तथा
  • अभ्रूणपोषी बीज ।

एकबीजपत्री बीज (Monocot seed)- इनमें केवल एकबीजपत्र होता है। घास परिवार में बीजपत्र को प्रशल्क ( scutellum) कहते हैं तथा यह ढाल के आकार का होता है। प्रशल्क भ्रूणीय अक्ष के एक तरफ (पाश्र्व की ओर) स्थित होता है। इसके निचले सिरे पर भ्रूणीय अक्ष में एक गोलाकर और मूल आवरण एक बिना विभेदित पर्त से आवृत होता है जिसे मूलांकुर चोल (coleorrhiza ) कहते हैं।

प्रशल्क (scutellum ) के जुड़ाव के स्तर से ऊपर, भ्रूणीय अक्ष के भाग को बीजपत्रोपरिक (epicotyl) कहते हैं। बीजपत्रोपरिक में प्ररोह शीर्ष तथा कुछ आदिकालिक पर्ण होते हैं, जो एक खोखली पर्णीय संरचना को घेरते हैं, जिसे प्रांकुरचोल (coleoptile ) कहते हैं। द्विबीजपत्री बीज (Dicot seed) – बीज एक या दो आवरणों से ढका होता है, जिन्हें बीजावरण या बीजचोल (seed coat) कहते हैं। बाह्य बीजावरण को टेस्टा (testa) व अन्त: बीजावरण को टेगमेन (tegmen) कहते हैं।

कुछ बीजों में केवल एक ही बीजचोल मिलता है। बाहरी आवरण मोटा व कठोर जो प्रतिकूल परिस्थितियों और प्रसुप्ति काल में भ्रूण की सुरक्षा करता है। टेगमेन या अन्तः चोल पतला होता है। द्विबीजपत्री बीज में दो बीजपत्र होते हैं। दोनों बीजपत्र भ्रूणाक्ष (embryo axis) के साथ पार्श्व में लगे होते हैं और भ्रूणाक्ष मध्य में होता है। बीजपत्र के स्तर से ऊपर भ्रूणीय अक्ष या भ्रूणाक्ष का भाग पत्रोपरिक (epicotyl) होता है जो प्रांकुर ( plumule ) या स्तम्भ शीर्ष (shoot apex ) बनाता है।

बीजपत्रों के स्तर से नीचे भ्रूणीय अक्ष का भाग बीजपत्राधार ( hypocotyl ) होता है जिससे मूल शीर्ष या मूलांकुर (root tip or radical) बनता है। उन बीजपत्रों में जिनमें भ्रूणपोष नहीं पाया जाता है, बीजपत्र भ्रूणपोष को सोख कर मोटे और गूदेदार हो जाते हैं। कुछ बीजों में बीजपत्र अंकुरण काल में भूमि से ऊपर आ जाते हैं और हरे होकर, प्रथम पत्तियों के बनने तक प्रकाश- संश्लेषण कर पादप के लिये खाद्य बनाते हैं।
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भ्रूणपोषी व अभ्रूणपोषी बीज (Endospermic and Non- endospermic seed)
कुछ बीजों में भ्रूण एक विशेष प्रकार के मृदूतकी ऊतक द्वारा परिबद्ध रहता है। इस ऊतक की कोशिकाओं में प्रचुर मात्रा में खाद्य संग्रहित रहता है। यह खाद्य विकसित होकर भ्रूण को पोषण प्रदान करता है, इसी कारण इसे भ्रूणपोष कहते हैं। इस प्रकार के बीज जिनमें भ्रूणपोष उपस्थित रहता है, उन बीजों को भ्रूणपोषी या एल्बुमिनिस बीज (endospermic or albuminous seed) कहते हैं।

अधिकांश एकबीजपत्री पौधों जैसे गेहूँ, मक्का, धान, बाजरा और कुछ द्विबीजपत्री बीज जैसे अरण्ड आदि भ्रूणपोषी बीज होते हैं। बीज के अंकुरण के समय प्रथम मूल व प्रथम पर्णों के बनने तक श्रूण को पोषण भ्रूणपोष से मिलता है। कुछ पौधों जैसे-चना, मटर, सेम, लौकी, इमली, अमरूद व सूर्यमुखी के बीजों में भ्रूणपोष का अभाव होता है, क्योंकि इनका भूर विकास के दौरान सम्पूर्ण भूरणपोष का उपयोग कर लेता है। ऐसे बीजों को अभ्रूणपोषी या गैर-एल्बुमिनिस बीज (Non-endospermic or ex-albuminous seed) कहते हैं। अभ्रूणपोषी बीजों में खाद्य का संग्रह बीजपत्र में होता है, अतः ये मोटे व गूदेदार होते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. पादप का वह भाग कौन-सा है जिसमें दो पीढ़ी एक पीढ़ी दूसरे के अन्दर होती है- (NEET-2020)
(1) परागकोश के अन्दर परागकण
(2) दो नर युग्मकों वाली अंकुरित परागकण
(3) फल के अन्दर बीज
(4) बीजाण्ड के अन्दर भ्रूणकोष
(अ) (1), (2) और (3)
(ब) (3) और (4)
(स) (1) और (4)
(द) केवल (1)
उत्तर:
(स) (1) और (4)

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2. बीजाण्ड का पिण्ड, बीजाण्ड वृन्त से कहाँ पर संलयित होता है? (NEET-2020)
(अ) बीजाण्ड द्वार
(ब) बीजाण्ड काय
(स) निभाग
(द) नाभिका
उत्तर:
(द) नाभिका

3. जलकुम्भी और जललिली में परागण किसके द्वारा होता है? (NEET-2020)
(अ) केवल जल धाराओं द्वारा
(ब) वायु और जल द्वारा
(द) कीट या वायु द्वारा
(स) कीट और जल द्वारा
उत्तर:
(द) कीट या वायु द्वारा

4. पुष्पी पादपों में निषेचन के पश्चात् विकास के विषय में निम्नलिखित में से कौनसा कथन गलत है? (NEET-2019)
(अ) बीजाण्ड, भ्रूणकोश में विकसित होते हैं ।
(ब) अण्डाशय, फल में विकसित होता है।
(स) युग्मनज, भ्रूण में विकसित होता है।
(द) केन्द्रीय कोशिका भ्रूणपोश में विकसित होती है
उत्तर:
(अ) बीजाण्ड, भ्रूणकोश में विकसित होते हैं ।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा परागकण को जीवाश्मों के रूप में परिरक्षित करने में सहायक साबित हुआ?
(अ) तैलीय अवयव
(ब) सेलुलोज वाला अन्त: चोल
(स) पराग किट
(द) स्पोरोलिन
उत्तर:
(द) स्पोरोलिन

6. सपक्ष परागकण किसमें होते हैं? (NEET-2018)
(अ) आम
(ब) साइकस
(स) सरसों
(द) पाइनस
उत्तर:
(स) सरसों

7. परागकणों को कई वर्षों तक द्रव नाइट्रोजन में संरक्षित रखा जा सकता है, जिसका तापमान होता है। (NEET-2018)
(अ) – 196°C
(ब) – 80°C
(स) – 120°C
(द) – 160°CGyT
उत्तर:
(अ) – 196°C

8. एक आवृतबीजी पादप में कार्यशील गुरुबीजाणु क्या विकसित होता है? (NEET-2017)
(अ) बीजाण्ड
(ब) भ्रूणपोष
(स) भ्रूण कोष
(द) भ्रूण
उत्तर:
(स) भ्रूण कोष

9. सम्मोहक और पारितोषिक किसके लिए आवश्यक होते हैं ?(NEET-2017)
(अ) वायु परागण
(ब) कीट परागण
(स) जल परागा
(द) अनुन्मुल्य परागण
उत्तर:
(ब) कीट परागण

10. वे पुष्प, जिनमें अण्डाशय में एक बीजाण्ड होता है और वे एक पुस्पक्रम में बंधे रहते हैं, सामान्यतः किसके द्वारा परागित होते हैं- (NEET-2017)
(अ) जल
(ब) मधुमक्खी
(स) वायु
(द) चमगादड़
उत्तर:
(स) वायु

11. एकलिंगाश्रयी पुष्पी पादप निम्नलिखित में किन दोनों को रोकते हैं? (NEET-2017)
(अ) स्वयुग्मन और परानिषेचन
(ब) स्वयुग्मन और सजात पुष्पी परागण
(स) सजात पुष्पी परागण और परानिषेचन
(द) अनुन्मील्य परागण और परानिषेचन
उत्तर:
(ब) स्वयुग्मन और सजात पुष्पी परागण

12. जल हायसिन्थ और जल कुमुदिनी में परागण किसके द्वारा होता है? (NEET-2016)
(अ) पक्षी
(ब) चमगादड़
(स) जल
(द) कीट या पवन
उत्तर:
(द) कीट या पवन

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

13. अधिकांश आवृतबीजी पादपों में – (NEET-II 2016)
(अ) अर्धसूत्री विभाजन, गुरुबीजाणु मातृ कोशिकाओं में होता है।
(ब) भ्रूणकोष में एक लघु केन्द्रीय कोशिका होती है।
(स) अण्ड में तंतुरूप समुच्वय होता है।
(द) बहुत-सी प्रतिव्यासांत कोशिकाएँ होती हैं।
उत्तर:
(अ) अर्धसूत्री विभाजन, गुरुबीजाणु मातृ कोशिकाओं में होता है।

14. पुष्पी पादपों में बिना निषेचन के बीज बनना निम्नलिखित में से कौनसी प्रक्रिया है? (NEET-2016)
(अ) कायिक संकरण
(ब) असंगजनन
(स) बीजाणुकजनन
(द) मुकुलन
उत्तर:
(ब) असंगजनन

15. पुंकेशर के तन्तु का समीपस्थ छोर किससे जुड़ा होता है?
(अ) प्लेसेन्टा
(ब) पुस्पाषन या पुष्पदल
(स) परागकोश
(द) संयोजी
उत्तर:
(ब) पुस्पाषन या पुष्पदल

16. आवृतबीजी पादपों में नरयुग्मकोद्भिद् क्या बनाता है? (NEET-2015)
(अ) एक शुक्राणु और एक कायिक कोशिका
(ब) एक शुक्राणु और दो कायिक कोशिकाएँ
(स) तीन शुक्राणु
(द) दो शुक्राणु और एक कायिक कोशिका
उत्तर:
(द) दो शुक्राणु और एक कायिक कोशिका

17. पराग गोलियां बाजार में किस लिए उपलब्ध हैं? (NEET-2014)
(अ) पात्र निषेचन के लिए
(ब) प्रजनन योजनाओं के लिए
(द) बाह्यस्थाने संरक्षण के लिए
(स) आहार सम्पूरक के लिए
उत्तर:
(स) आहार सम्पूरक के लिए

18. सजातपुष्पी परागण में क्या होता है? (NEET-2014)
(अ) एक पुष्प का निषेचन उसी पादप के दूसरे पुष्प के पराग से
(ब) एक पुष्प का निषेचन उसी पुष्प के पराग से
(स) एक पुष्प का निषेचन उसी समष्टि के दूसरे पादप के पुष्प के पराग से
(द) एक पुष्प का निषेचन दूरस्थ समष्टि के दूसरे पादप के पुष्प के पराग से
उत्तर:
(अ) एक पुष्प का निषेचन उसी पादप के दूसरे पुष्प के पराग से

19. अनुन्मील्य परागण का क्या लाभ है?
(अ) उच्चतर आनुवंशिक विविधता
(ब) अधिक प्रबल संतान
(स) परागण कारकों पर निर्भरता नहीं
(द) सजीवप्रजकता ।
उत्तर:
(स) परागण कारकों पर निर्भरता नहीं

20. गुरुबीजाणुधानी किसके समतुल्य है? (NEET-2013)
(अ) भ्रूणकोष
(ब) फल के
(स) बीजाण्ड काय
(द) बीजाण्ड
उत्तर:
(स) बीजाण्ड काय

21. जनन छिद्र का क्या कार्य है? (NEET-2012, CBSE PMT-2012)
(अ) मूलांकुर का निकलना
(ब) बीजांकुरण हेतु जल का अवशोषण
(स) परागनली का आरम्भन
(द) नर युग्मकों को बाहर आने देना ।
उत्तर:
(स) परागनली का आरम्भन

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

22. वह कौनसा ऑर्गेनिक (कार्बनिक) पदार्थ है जो चरम पर्यावरणों को सहन कर सकता है तथा किसी भी एंजाइम द्वारा निम्नीकरण नहीं किया जा सकता है। (NEET-2012)
(अ) क्यूटिकल
(ब) स्पोरोलैनिन
(स) लिग्निन
(द) सेलुलोज
उत्तर:
(ब) स्पोरोलैनिन

23. यदि किसी पौधे की जड़ की कोशिका में गुण सूत्र संख्या 14 हैं तो उसके बीजण्ड की सहायक कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या होगी- (BHU-2012)
(अ) 7
(स) 21
(ब) 14
(द) 28
उत्तर:
(अ) 7

24. नारियल का पानी तथा इसका खाया जाने वाला भाग किसके तुल्य होता है? (CBSE PMT (Pre)-2012)
(अ) भ्रूणपोष
(स) मीजोकार्प
(ब) एण्डोकार्प
(द) भ्रूण
उत्तर:
(अ) भ्रूणपोष

25. वायु परागण सामान्यतः किसमें होता है ? (NEET 2011)
(अ) शिंबों में
(स) घासों में
(ब) लिलियों में
(द) आर्किडस में
उत्तर:
(स) घासों में

26. कायिक जनन तथा असंगजनन के बीच क्या समानता है? (Mains 2011, CBSE PMT (Mains)-2011)
(अ) दोनों पैतृक के समान सन्तति उत्पन्न करते हैं।
(ब) दोनों केवल द्विबीजपत्री पादपों में ही लागू है
(स) दोनों पुष्पन अवस्था को टालते हैं।
(द) दोनों सम्पूर्ण वर्ष होते हैं।
उत्तर:
(अ) दोनों पैतृक के समान सन्तति उत्पन्न करते हैं।

27 आवृतबीजी पौधों के नर युग्मक इनके विभाजन द्वारा बनते हैं- (CBSE PMT-2007, MP PMT-2010, RPMT-2010)
(अ) कायिक कोशिका के
(ब) जनन कोशिका के
(स) लघु बीजाणु के
(द) लघु बीजाणु मातृ कोशिका ।
उत्तर:
(ब) जनन कोशिका के

28. भ्रूणकोष स्थित होता है- (CPMT-2010)
(अ) बीज में
(ब) भ्रूण में
(स) बीजाण्ड में
(द) भ्रूणपोष में
उत्तर:
(स) बीजाण्ड में

29. एन्जियोस्पर्म का अण्ड उपकरण किससे मिलकर बना होता है- (AFMC-2009, DUME-2010, Orissa-2010)
(अ) एक अण्डकोशिका तथा दो सहायक कोशिकाएँ
(ब) एक अण्डकोशिका, 2 सहायक कोशिकाएँ तथा तीन प्रतिमुख कोशिकाएँ
(स) 3 प्रतिमुखी कोशिकाएँ
(द) द्वितीयक केन्द्रक तथा अण्ड कोशिका
उत्तर:
(अ) एक अण्डकोशिका तथा दो सहायक कोशिकाएँ

30. परागकोष का सबसे भीतरी स्तर टेपीटम का कार्य है- (RPMT-2002, DPMT-2006, CPMT-2009)
(अ) स्फुटन
(ब) यांत्रिकीय
(स) सुरक्षात्मक
(द) पोषक
उत्तर:
(द) पोषक

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

31. भ्रूण का विकास के दौरान किस बीज का एण्डोस्पर्म पूर्णतया उपयोग हो जाता है- (CBSE PMT 2008, AMW ( Med) – 2009)
(अ) मटर
(ब) मक्का
(स) नारियल
(द) केस्टर
उत्तर:
(अ) मटर

32. हरे नारियल का दूधिया पानी है- (RPMT-2006, Orissa JEE-2009)
(अ) तरल भ्रूण
(ब) तरल भ्रूणपोष
(स) मादा युग्मकोद्भिद् का तरल पदार्थ
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) तरल भ्रूणपोष

33. परागकण की बाह्य भित्ति बनी होती है- (MP PMT 2009)
(अ) सेल्यूलोज से
(ब) स्पोरोपोलेनिन से
(स) पेक्टोसेल्यूलोज से
(द) लिग्निन से
उत्तर:
(ब) स्पोरोपोलेनिन से

34. निम्न में से किसमें क्लिस्टोगेमस पुष्प पाये जाते हैं- (J&K CET-2008)
(अ) सूरजमुखी
(ब) वेलिसनेरिया
(स) कॉमेलाइना
(द) केलोट्रोपिस
उत्तर:
(स) कॉमेलाइना

35. एंजियोस्पर्म (पुष्पीय पौधों) में भ्रूणपोष है- (RPMT-2006, Orissa JEE-2008)
(अ) एकगुणित
(ब) द्विगुणित
(स) त्रिगुणित
(द) बहुगुणित
उत्तर:
(स) त्रिगुणित

36. बीजाण्ड में अर्धसूत्री विभाजन कहा होता है- (AIPMT-2008)
(अ) बीजाण्ड काय
(ब) गुरुबीजाणु मातृकोशिका
(स) गुरुबीजाणु
(द) भ्रूणकोष
उत्तर:
(ब) गुरुबीजाणु मातृकोशिका

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

37. पुष्पीय पौधों में नर युग्मक किसके विभाजन से बनते हैं- (CBSE PMT 2007, MP PMT – 2007 )
(अ) लघुबीजाणु
(ब) जनन कोशिका
(स) कार्यक कोशिका
(द) लघुबीजाणु मातृकोशिका
उत्तर:
(ब) जनन कोशिका

38. निम्नलिखित में से कौन एक केलोस भित्ति द्वारा घिरा रहता है- (CBSE PMT-2007, NEET-2007, NEET 2002)
(अ) नर युग्मक
(ब) अण्ड
(स) परागकण
(द) लघुबीजाणु मातृकोशिका
उत्तर:
(द) लघुबीजाणु मातृकोशिका

39. बिना निषेचन के फल का निर्माण कहलाता है- (RPMT-2006)
(अ) बहुभ्रूणता
(ब) बहुबीजाणुकता
(स) अनिषेकजनन
(द) अनिषेकफलन
उत्तर:
(द) अनिषेकफलन

40. द्विबीजपत्री पौधों के सामान्य भ्रूणकोश में केन्द्रकों की क्या व्यवस्था होती है- (NEET-2006)
(अ) 2 + 4 + 2
(ब) 3 + 2 + 3
(स) 2 + 3 + 3
(द) 3 + 3 + 2
उत्तर:
(ब) 3 + 2 + 3

41. परागकण का निर्माण होता है- ( Haryana PMT-2005)
(अ) एन्थर में
(ब) स्टिगमा में
(स) फिलामेंन्ट में
(द) परागकोष में
उत्तर:
(ब) स्टिगमा में

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42. त्रिसंलयन विशिष्ट लक्षण है- (Kerala PMT-2004)
(अ) थैलोफाइटस का
(ब) ब्रायोफाइटस का
(स) टेरिडोफाइटस का
(द) जिम्नोस्पर्म का
उत्तर:
(ब) ब्रायोफाइटस का

43. मक्के के बीज में स्क्यूटेलम को बीजपत्र माना गया है क्योंकि यह- (AIEEE Pharmacy-2004)
(अ) भ्रूण की रक्षा करता है
(ब) भ्रूण के लिए भोजन रखता है
(स) भोज्य पदार्थ को अवशोषित कर भ्रूण को आपूर्ति करता है।
(द) स्वयं ही मोनोकोट की पत्ती में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर:
(स) भोज्य पदार्थ को अवशोषित कर भ्रूण को आपूर्ति करता है।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. निम्नलिखित में से किस धातु का निक्षालन (निष्कर्षण) सायनाइड विधि द्वारा किया जाता है?
(अ) सोडियम
(ब) सिल्वर
(स) ऐलुमिनियम
(द) कॉंपर
उत्तर:
(ब) सिल्वर

2. निम्नलिखित अभिक्रिया धातुओं के शोधन की किस विधि से सम्बन्धित है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 1
(अ) मंडल परिक्करण
(ब) वॉन-आरकलल विधि
(स) मान्ड प्रक्रम
(द) वर्णलेखिकी
उत्तर:
(ब) वॉन-आरकलल विधि

3. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक ऐलुमिनियम का अयस्क है?
(अ) Al2O3
(ब) Na3AlF6
(स) Al2O3 . H2O
(द) Al2O3 . 2H2O
उत्तर:
(द) Al2O3 . 2H2O

4. भूपर्पटी में सबसे अधिक मात्रा में पायी जाने वाली धातु है-
(अ) Mg
(ब) Ag
(स) Al
(द) Cu
उत्तर:
(स) Al

5. अयस्कों के सान्द्रण की फेन (झाग) प्लवन विधि कौनसे अयस्कों के लिए प्रयुक्त होती है?
(अ) कार्बोनेट अयस्क
(ब) सल्फाइड अयस्क
(स) औंक्साइड अयस्क
(द) हेलाइड अयस्क
उत्तर:
(ब) सल्फाइड अयस्क

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

6. सल्फाइड अयस्कों को ऑक्साइड में परिवर्तित करने का प्रक्रम है-
(अ) निस्तापन
(ब) भर्जंन
(स) निक्षालन
(द) फेन प्लवन विधि
उत्तर:
(ब) भर्जंन

7. कॉपर के धातु कर्म में FeO की अशुद्धि को हटाने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला गालक है-
(अ) CaO
(ब) CaCO3
(स) SiO2
(द) Cu2S
उत्तर:
(स) SiO2

8. जिंक ऑक्साइड के अपचयन के लिए कौनसा अपचायक प्रयुक्त किया जाता है?
(अ) CO
(ब) कोक
(स) Al
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ब) कोक

9. पीतल बनाने में प्रयुक्त धातुएँ है-
(अ) Cu + Ni
(ब) Fe + Cu
(स) Cu + Zn
(द) Cu + Mn
उत्तर:
(स) Cu + Zn

10. निम्नलिखित में से मैग्नेटाइट अयस्क कौनसा है?
(अ) Fe2O3
(ब) ZnO
(स) Na3AlF6
(द) Fe3O4
उत्तर:
(द) Fe3O4

11. जिंक धातु के शोधन की विधि है-
(अ) मंडल परिष्करण
(ब) प्रभाजी आसवन
(स) वाष्म अवस्था परिष्करण
(द) वैद्युत अपघटनी शोधन
उत्तर:
(ब) प्रभाजी आसवन

12. कैलामाइन, निम्नलिखित में से किस धातु का अयस्क है?
(अ) Cu
(ब) Ag
(स) Zn
(द) Al
उत्तर:
(स) Zn

13. धातकर्म में निस्तान प्रत्रम किस प्रक्र है अयस्कों के लिए प्रयुक्त नहाँ होत है?
(अ) कलयेज्ञित औक्साइड
(ब) काबनिद
(स) सक्फाइड
(द) उपर्वुक्त सभी
उत्तर:
(स) सक्फाइड

14. मंड्डल परिफ्राग किजि किस शतु के शोधन के लिए प्रदुम्त्त की जाती है?
(अ) जम्निनिम्म
(ब) गैलिखम
(स) इंध्यिम
(द) उर्ज्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उर्ज्युक्त सभी

15. Al2O3 के वैद्युत अपषटन से Al प्राप्त करने की सिधि है-
(अ) मौन्ड प्रक्रम
(ब) बॉन-असक्त विधि
(स) सल- हेराएट प्रक्म
(द) मदल बिंजि
उत्तर:
(स) सल- हेराएट प्रक्म

16. नौतय, निम्नलिखित में से किसका सुनि है?
(अ) Cu
(ब) Al
(स) Zn
(द) Fe
उत्तर:
(ब) Al

17. कौपर के बैद्युत अपषटनी शोधन में सौने की कुछ माता किस हूप में मिलती है?
(अ) कैषेड
(ब) वैद्युत अनबटृद
(स) श्नोड मंक
(द) कैराड पंक
उत्तर:
(स) श्नोड मंक

18. निम्नलिखित में से किस धात्व के पहुकार्म में दर्मद्ध किधि का प्रयोग किवा जाता है?
(अ) Ag
(ब) Pb
(स) Fe
(द) Cr
उत्तर:
(द) Cr

19. मोडिवम के निबर्बें की किषि है-
(अ) केषर की विधि
(ब) धर्नाइट विधि
(स) द्वॉक की विधि
(द) सर्पक की विधि
उत्तर:
(ब) धर्नाइट विधि

20. चौड़ी के धातुकर्म में बना वौगिक है-
(अ) AgCN
(ब) [Na[Ag(CN)2]
(स) Na3[Ag(CN)4]
(द) वपर्वुक्त समी
उत्तर:
(ब) [Na[Ag(CN)2]

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

21. धातुं के सल्पद्ड अवस्कों को समान्यक् फेन सबन बिधि दूरा सान्हित किय जल है। निम्नलिखित सार्फाइड अवस्कों में से कौनसा अपवाद है गिले रासायनिक विषिए त्वरा सन्द्रित किया ज्ञाता है?
(अ) अजेंन्टम्ट
(ब) गैलेना
(स) कापर घझढ़्ट
(द) सेलेरइट
उत्तर:
(द) सेलेरइट

22. गालक, अगतनीय अथृद्धियों को गलाइए बनात है-
(अ) अधत्री
(ब) धतुमाल
(सं) मैट
(द) मैट्रिक्य
उत्तर:
(ब) धतुमाल

23. कॉचर के निद्रांग में कौन अयस्क को सिलिक तथा क्षेक दूरा है। घतुमल क अगुसात्र है-
(अ) FeSiO3
(ब) Fe2O3
(स) FeSi ( वोस)
(द) FeSi (बाल)
उत्तर:
(अ) FeSiO3

24. निम्नलिखित कपनों में से गसत क्षच को पहचानिदे-
(अ) अयन्त के सान्दूर में द्रवीब धवन से हूके कैं के कर जल के साध बहकर बाहर निकल वाते हैं तथा अ्यस्क के भागी का शोष चर ज्ञाते हैं।
(ब) श्रद्ध Al2O3 को, बौक्साद्ट अपस्क का सान सोडियम लम्ड्रौस्सद्ड के संथ निषालन से प्राप्त कहीं किपा व्या सकत है।
(स) फेन प्लवन विधि के दौरन अयस्क के कण को फेन के रूप में अलग कर लिया जाता है और गैंग शेष बचा रहता है।
(द) सल्फाइड अयस्कों को, फेन-प्लवन विधि में तेल तथा जल का अनुपात परिवर्तित करके सफलतापूर्वक अलग किया जा सकता है।
उत्तर:
(ब) श्रद्ध Al2O3 को, बौक्साद्ट अपस्क का सान सोडियम लम्ड्रौस्सद्ड के संथ निषालन से प्राप्त कहीं किपा व्या सकत है।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाने वाली तीन धातुएँ बताइए।
उत्तर:
सोना, चाँदी तथा प्लेटिनम।

प्रश्न 2.
सान्द्रण की फेन प्लवन विधि किस प्रकार के अयस्कों के लिए प्रयुक्त की जाती है?
उत्तर:
सल्फाइड अयस्कों के लिए।

प्रश्न 3.
गालक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो अशुद्धियों के गलनांक को कम करने के लिए प्रगलन प्रक्रम में मिलाए जाते हैं, उन्हें गालक कहते हैं।

प्रश्न 4.
धातुमल क्या होता है?
उत्तर:
अशुद्धि तथा गालक की क्रिया से बना पदार्थ धातुमल या कीट कहलाता है। इसका गलनांक कम होने के कारण यह आसानी से पिघल जाता है।

प्रश्न 5.
आधात्री या गैंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
अयस्क के साथ उपस्थित अवांछनीय पदार्थों जैसे कंकड़, रेत तथा मिट्टी को आधात्री या मैट्रिक्स कहते हैं।

प्रश्न 6.
प्लवन कारक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो सल्फाइड अयस्क के कणों को जल प्रतिकर्षी बनाकर जल की सतह पर लाते हैं, उन्हें प्लवन कारक कहते हैं।

प्रश्न 7.
प्लवन कारकों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
सोडियम एथिल जेन्थेट तथा सोडियम ऐमिल जेन्थेट प्लवन कारक होते हैं।

प्रश्न 8.
किस प्रकार के अयस्कों के लिए निस्तापन प्रक्रम की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
जलयोजित ऑक्साइड, कार्बोनेट तथा हाइड्रॉक्साइड अयस्कों के लिए निस्तापन प्रक्रम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 9.
थर्माइट क्या होता है?
उत्तर:
धातु ऑक्साइड तथा ऐलुमिनियम चूर्ण के मिश्रण को थर्माइट कहते हैं।

प्रश्न 10.
क्रोमियम के ऑक्साइड (Cr2O3) के अपचयन के लिए कार्बन के स्थान पर Al का प्रयोग किया जाता है, क्यों?
उत्तर:
Cr की ऑक्सीजन से बन्धुता, कार्बन की ऑक्सीजन से बन्धुता की तुलना में अधिक होती है, अतः क्रोमियम ऑक्साइड का अपचयन कार्बन के बजाय Al से किया जाता है।

प्रश्न 11.
पायरोधातुकर्म या तापीय अपचयन क्या होता है?
उत्तर:
धातु ऑक्साइडों को गर्म करके धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पायरोधातुकर्म कहते हैं।

प्रश्न 12.
वर्णलेखिकी के विभिन्न प्रकार बताइए।
उत्तर:
वर्णलेखिकी मुख्यतः चार प्रकार की होती है-

  • पेपर वर्णलेखिकी
  • स्तंभ वर्णलेखिकी
  • गैस वर्णलेखिकी
  • पतली परत वर्णलेखिकी।

प्रश्न 13.
स्तंभ वर्णलेखिकी में प्रयुक्त अधिशोषक बताइए।
उत्तर:
ऐलुमिना जेल (Al2O3)

प्रश्न 14.
कॉपर का शोधन किस विधि द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
कॉपर का शोधन वैद्युत अपघटनी विधि से किया जाता है।

प्रश्न 15.
सिलिकॉन के शोधन की विधि का नाम बताइए।
उत्तर:
मण्डल परिष्करण विधि।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 16.
कॉपर तथा मैग्नीशियम के मिश्रण में से इन धातुओं को किस विधि द्वारा पृथक् किया जाता है तथा क्यों?
उत्तर:
Mg तथा Cu के मिश्रण में से इन धातुओं को द्रवण विधि द्वारा पृथक् किया जाता है क्योंकि Mg की तुलना में Cu का गलनांक उच्च होता है।

प्रश्न 17.
जिंक तथा आयस के मिश्रण के पुथक्करण की विधि बताइए।
उत्तर:
Zn तथा Fe के मिश्रण को आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है क्योंकि Zn का वाष्पीकरण सुगमता से हो जाता है।

प्रश्न 18.
थर्माइट विधि द्वारा कौनसे धातु ऑक्साइडों का अपचयन किया जाता है?
उत्तर:
Cr2O3, MnO2 इत्यादि।

प्रश्न 19.
प्रगलन की प्रक्रिया कौनसी भट्टी में की जाती है?
उत्तर:
वात्या भट्टी।

प्रश्न 20.
Zn, Cd तथा Hg के शोधन के लिए कौनसी विधि प्रयुक्त की जाती है?
उत्तर:
आसवन विधि।

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
भर्जन प्रक्रम को समझाइए।
उत्तर:
भर्जन (Roasting)-इस प्रक्रम में सल्फाइड अयस्कों को वायु (O2) की उपस्थिति में धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर परावर्तनी भट्टी में तेजी से गर्म करते हैं जिससे सल्फाइड, ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं तथा SO2 गैस निकल जाती है।
उदाहरण-
2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2
2Pbs + 3O2 → 2Pbo + 2SO2
2Zns + 3O2 → 2Zno + SO2

प्रश्न 2.
धातु ऑक्साइडों के अपचयन की थर्माइट विधि को समझाइए।
उत्तर:
धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन – धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन विभिन्न विधियों द्वारा किया जा सकता है जो कि धातु ऑक्साइड की प्रकृति पर निर्भर करता है।

(i) रासायनिक अपचयन (प्रगलन ) – इस विधि में धातु ऑक्साइड का अपचयन कार्बन या CO द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रम वात्या भट्टी में किया जाता है, जिसके लिए धातु ऑक्साइड, कार्बन (अपचायक) तथा गालक (फ्लक्स) के मिश्रण को भट्टी में डालकर गर्म किया जाता है तो कार्बन द्वारा धातु ऑक्साइड के अपचयन से धातु प्राप्त होती है जो कि द्रवित अवस्था में होती है। कुछ धातु ऑक्साइड आसानी से अपचयित हो जाते हैं, जबकि कुछ को अपचयित करना कठिन होता है। अपचयन की सामान्य अभिक्रिया निम्नलिखित है-

MxOy + yC → xM + yCO

ऊष्मागतिकी की मूल धारणाएँ धातुकर्मीय परिवर्तनों के सिद्धान्त को समझने में सहायक होती हैं। तापीय अपचयन (पायरो धातुकर्म) के लिए आवश्यक ताप परिवर्तन तथा ऑक्साइड के अपचयन के लिए आवश्यक अपचायक की पहचान गिब्ज ऊर्जा द्वारा की जाती है। इसके लिए यह आवश्यक है कि दिए गए ताप पर गिब्ज ऊर्जा का मान ऋणात्मक हो।
उदाहरण- Fe के धातुकर्म में होने वाली अभिक्रियाएँ-

Fe2O3 + 3C → 2Fe + 3CO
Fe2O3 + CO → 2FeO + CO2
FeO + CO → Fe + CO2

इस प्रक्रम में कार्बन (कोक) ईंधन तथा अपचायक दोनों का कार्य करता है। धातु के साथ उपस्थित अशुद्धियों का गलनांक उच्च होने के कारण वे आसानी से नहीं पिघलतीं अतः इनके गलनांक को कम करने के लिए फ्लक्स या गालक मिलाया जाता है जो अशुद्धि के साथ क्रिया करके धातुमल (slag) बनाता है, यह आसानी से पिघल जाता है तथा हल्का होने के कारण द्रवित धातु की सतह पर तैरता है। आयरन के धातुकर्म में SiO2 की अशुद्धि होती है जिसके लिए गालक के रूप में CaO(CaCO3) प्रयुक्त किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 2
ताँबे के धातुकर्म में FeO की अशुद्धि उपस्थित होने पर SiO2 को गालक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 3
ताँबा, कॉपर मेट के रूप में प्राप्त होता है जिसमें Cu2S तथा FeS होता है।

(ii) थर्माइट विधि (गोल्डश्मिट विधि) या एलुमिनोतापी Cr तथा Mn के ऑक्साइड कार्बन द्वारा आसानी से अपचयित नहीं होते अतः इनका अपचयन सक्रिय धातुओं जैसे Al से किया जाता है। धातु ऑक्साइड तथा ऐलुमिनियम चूर्ण के मिश्रण को थर्माइट कहते हैं। अतः इस विधि को थर्माइट विधि भी कहते हैं। इस विधि में ऑक्साइड को ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ Mg से जलाते हैं। प्रक्रिया ऊष्माक्षेपी होती है, अतः यह स्वतः चलती रहती है।
Cr2O3 + 2 Al → Al2O3 + 2Cr + x K. Cal
3 MNO2 + 4Al → 2Al2O3 + 3Mn + x K.Cal
भारी धातु (द्रव) नीचे रहती है तथा द्रवित Al2O3 ऊपर की तरफ रहता है, जिसे टेपिंग होल द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 3.
(a) कच्चे लोहे तथा ढलवाँ लोहे का संघटन बताइए तथा कच्ये लोहे से ढलवाँ लोहा किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
(b) ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहा कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
(a) कच्चे लोहे में 4% कार्बन तथा सूक्ष्म मात्रा में S, P, Si तथा Mn की अशुद्धियाँ होती हैं। इसे विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकता है। ढलवाँ लोहा में 3% कार्बन होता है। यह अतिकठोर तथा भंगुर होता है, अतः इसे पीटा नहीं जा सकता। कच्चे लोहे को रद्दी लोहे तथा कोक के साथ गर्म करने पर ढलवाँ लोहा प्राप्त होता है।

(b) ढलवाँ लोहे को हेमाटाइट की परत चढ़ी परावर्तनी भट्टी में गर्म करने से अशुद्धियाँ आक्सीकृत हो जाती हैं तथा हेमाटाइट कार्बन को कार्बन मोनोक्साइड में आक्सीकृत कर देता है-
Fe2O3 + 3C → 2Fe + 3CO
इसमें चूना पत्थर को गालक के रूप में मिलाया जाता है जिससे सल्फर, सिलिकन तथा फॉस्फोरस ऑक्सीकृत होकर धातुमल में चले जाते हैं। धातु को निकाल लिया जाता है तथा रोलरों पर से गुज़ार कर धातुमल से पृथक् कर लिया जाता है। पिटवाँ लोहा, लोहे का शुद्धतम रूप है तथा यह आघातवर्धनीय होता है। इसमें 0.25 तक कार्बन होता है।

प्रश्न 4.
अयस्क के सान्द्रण के लिए निक्षालन प्रक्रम का प्रयोग कब किया जाता है? सोने के निष्कर्षण के उदाहरण द्वारा इस प्रक्रम को समझाइए।
उत्तर:
जब कोई अयस्क, किसी उपयुक्त विलायक में विलेय हो तो प्रायः सान्द्रण की निक्षालन विधि का प्रयोग किया जाता है। सोने के निष्कर्षण में सायनाइड द्वारा निक्षालन किया जाता है। इसमें Au का ऑक्सीकरण होता है। इसके पश्चात् अधिक सक्रिय धातु जैसे जिंक का अपचायक के रूप में प्रयोग करके Au को विस्थापित कर लिया जाता है। इस प्रक्रम में प्रयुक्त अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
4Au(s) + 8CN(aq) + 2H2O(aq) + O2(g) → 4[Au(CN)2](aq) + 4OH(aq)
2[Au(CN)2](aq) + Zn(s) → 2Au(s) + [Zn(CN)4]2-(aq)

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
‘ताप धातुकर्म’ से क्या तात्पर्य होता है?
उत्तर:
धातु ऑक्साइडों को गर्म करके धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को ताप धातुकर्म या तापीय अपचयन कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित की भूमिका का वर्णन कीजिए-
(i) सिल्वर अयस्क से सिल्वर के निष्कर्षण में NaCN की
(ii) विशुद्ध ऐलुमिना से ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में क्रायोलाइट की।
उत्तर:
(i) सिल्वर अयस्क से सिल्वर के निष्कर्षण में NaCN का उपयोग, सिल्वर का संकुल बनाने में किया जाता है जिसे पृथक् करके इसकी क्रिया सक्रिय धातु (Zn) से कराकर Ag को प्राप्त कर लिया जाता है।
(ii) ऐलुमिनियम के धातु कर्म में क्रायोलाइट इसलिए मिलाया जाता है क्योंकि इससे मिश्रण का गलनांक कम हो जाता है तथा विलयन की चालकता बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित की भूमिका का वर्णन कीजिए-
(i) टाइटेनियम के परिष्करण में आयोडीन की
(ii) ऐलुमिनियम के धातुकर्म में क्रायोलाइट की।
उत्तर:
(i) जर्कोनियम या टाइटेनियम के शोधन के लिए वॉनआरकैल विधि-यह विधि Zr तथा Ti जैसी धातुओं से अशुद्धियों के रूप में उपस्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को हटाने में प्रयुक्त की जाती है। अपरिष्कृत धातु को निर्वातित पात्र में आयोडीन के साथ गरम करते हैं, जिससे धातु आयोडाइड बनता है। यह अधिक सहसंयोजी होने के कारण आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है तथा अशुद्धि बच जाती है।
Zr + 2I2 → ZrI4
धातु आयोडाइड को 1800K ताप पर विद्युत द्वारा गरम किए गए टंग्टन तंतु पर गर्म किया जाता है, जिससे यह विघटित होकर शुद्ध धातु देता है जो कि तंतु पर जमा हो जाती है।
ZrI4 → Zr + 2I2

(ii) ऐलुमिनियम के धातु कर्म में क्रायोलाइट इसलिए मिलाया जाता है क्योंकि इससे मिश्रण का गलनांक कम हो जाता है तथा विलयन की वालकता बढ़ जाती है।

प्रश्न 4.
एक खनिज और एक अयस्क में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यौगिक जिन्हें खनन द्वारा प्राप्त किया जाता है, उन्हें खनिज कहते हैं लेकिन अयस्क वे खनिज होते हैं जिनसे धातु का निष्कर्षण आसानी से हो सके तथा आर्थिक दृष्टि से लाभदायक हों।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक प्रक्रम के निर्धारक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए-
(i) टाइटेनियम धातु का वाष्प प्रावस्था परिष्करण
(ii) सल्फाइड अयस्क का झाग प्लवन विधि द्वारा सान्द्रण।
उत्तर:
(i) जर्कोनियम या टाइटेनियम के शोधन के लिए वॉनआरकैल विधि-यह विधि Zr तथा Ti जैसी धातुओं से अशुद्धियों के रूप में उपस्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को हटाने में प्रयुक्त की जाती है। अपरिष्कृत धातु को निर्वातित पात्र में आयोडीन के साथ गरम करते हैं, जिससे धातु आयोडाइड बनता है। यह अधिक सहसंयोजी होने के कारण आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है तथा अशुद्धि बच जाती है।
Zr + 2I2 → ZrI4
धातु आयोडाइड को 1800K ताप पर विद्युत द्वारा गरम किए गए टंग्टन तंतु पर गर्म किया जाता है, जिससे यह विघटित होकर शुद्ध धातु देता है जो कि तंतु पर जमा हो जाती है।
ZrI4 → Zr + 2I2

(ii) सान्द्रण की यह विधि सल्फाइड अयस्कों को गैंग से मुक्त करने के लिए प्रयुक्त की जाती है, जैसे कॉपर पाइराइटीज, गैलेना इत्यादि। इस विधि में चूर्णित अयस्क का पानी के साथ निलंबन बनाकर इसमें संग्राही (Collectors) तथा फेन-स्थायीकारी (Froth stabilisers) मिला देते हैं। संग्राही (जैसे चीड़ का तेल, यूकेलिप्टस का तेल, वसा अम्ल, जैंथेट इत्यादि ) अयस्क कणों के नहीं भीगने के गुण अक्लेदनीयता को बढ़ा देते हैं तथा फेन (झाग) स्थायीकारी (जैसे क्रिसॉल, ऐनीलीन ) फेन को स्थायित्व प्रदान करते हैं।

चीड़ का तेल इत्यादि झागकारक होते हैं तथा जैन्थैट जैसे सोडियम एथिलजैन्थैट या सोडियम एमिलजैन्थैट सल्फाइड अयस्क के कणों को जल प्रतिकर्षी बनाकर उन्हें जल की सतह पर लाने तथा तैरने में सहायक होते हैं, अतः इन्हें प्लवनकारक कहते हैं। फेन प्लवन विधि अयस्क तथा आधात्री के भीगने के गुणों में अन्तर पर आधारित है। अयस्क के कण तेल से, जबकि गैंग या (आधात्री ) के कण जल से भीगते हैं।

पैडल मिश्रण को विलोडित करता है तथा इससे वायु प्रवाहित होती है, जिससे झाग बनते हैं जिसमें अयस्क के कण होते हैं। झाग हल्के होते हैं जिन्हें मथकर अलग निकाल लिया जाता है। अयस्क के कणों को प्राप्त करने के लिए इसे सुखा लिया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 4

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 6.
निम्न श्रेणी के अपने अयस्कों से कॉपर का निष्कर्षण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
निम्न कोटि अयस्कों तथा रद्दी धातु से कॉपर का निष्कर्षण – वैद्युत रासायनिक सिद्धान्त का उपयोग करते हुए निम्न कोटि अयस्कों से कॉपर का निष्कर्षण हाइड्रो धातुकर्म द्वारा किया जाता है। निम्न कोटि अयस्कों में कॉपर बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है। कॉपर प्राप्त करने के लिए, अयस्क का निक्षालन अम्ल या जीवाणु (बैक्टीरिया) के उपयोग द्वारा किया जाता है, जिससे कॉपर आयन (Cu2+) विलयन में चले जाते हैं जिनकी क्रिया H2 या रद्दी आयरन से करके Cu प्राप्त किया जाता है। इस क्रिया में Cu2+ का अपचयन होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 5

प्रश्न 7.
निम्नलिखित धातुओं को परिष्कृत करने के लिए कौन-कौन सी विधियाँ साधारण रूप से काम में लाई जाती हैं-
(i) निकल
(ii) जर्मनियम
इन विधियों के पीछे निहित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(i) वाष्प प्रावस्था परिष्करण – शोधन की इस विधि में, धातु को वाष्पशील यौगिक में बदल कर उसे दूसरी जगह एकत्रित कर लेते हैं तथा इस वाष्पशील यौगिक के विघटन से शुद्ध धातु प्राप्त कर ली जाती है। इस विधि के लिए दो शर्तें आवश्यक हैं-
(i) उपलब्ध अभिकर्मक के साथ धातु वाष्पशील यौगिक बनाती हो तथा
(ii) वाष्पशील पदार्थ आसानी से विघटित होने वाला हो, ताकि धातु आसानी से पुनः प्राप्त की जा सके। इस विधि से Zr, Ti तथा Ni का शोधन किया जाता है।

उदाहरण- (a) निकल के शोधन की मॉन्ड की विधि-इस विधि में Ni को CO के प्रवाह में गर्म करने पर वाष्पशील संकुल यौगिक निकल टेट्राकार्बोनिल बनता है, जिसे उच्च ताप पर गर्म करने पर इसके विघटन से शुद्ध निकैल प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार निकल से अशुद्धियाँ पृथक् हो जाती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 6

(ii) मंडल परिष्करण या जोन परिष्करण – मंडल परिष्करण द्वारा अतिशुद्ध धातु प्राप्त होती है। यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि अशुद्धियों की विलेयता धातु की ठोस अवस्था की अपेक्षा गलित अवस्था में अधिक होती है। इस विधि में अशुद्ध धातु की छड़ के एक किनारे पर एक वृत्ताकार गतिशील हीटर ( तापक) लगा होता है। जो छड़ को हर तरफ से घेरे रहता है। हीटर जैसे ही आगे बढ़ता है, गलित मण्डल भी आगे बढ़ता जाता है और गलित से शुद्ध धातु क्रिस्टलित हो जाती है तथा अशुद्धियाँ पास वाले गलित जोन में चली जाती हैं।

इस प्रक्रिया को कई बार दोहराते हैं तथा हीटर को एक ही दिशा में बार-बार चलाते जाते हैं। अशुद्धियाँ छड़ के एक किनारे पर एकत्रित हो जाती हैं, जिसे काटकर अलग कर लेते हैं। इस विधि से अति शुद्ध अर्धचालकों तथा अन्य शुद्ध धातुओं; जैसे-जर्मेनियम, सिलिकॉन, बोरॉन, गैलियम तथा इंडियम को प्राप्त किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 7

प्रश्न 8.
वैद्युत अपघटन क्रिया का ताँबे के शोधन में किस प्रकार प्रयोग होता है? समीकरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैद्युत अपघटनी शोधन – धातुओं के शोधन की इस विधि में अशुद्ध धातु का ऐनोड तथा शुद्ध धातु की पट्टी का कैथोड बनाया जाता है। वैद्युत अपघटनी सेल में उसी धातु के किसी उपयुक्त लवण का जलीय विलयन वैद्युत अपघट्य के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसमें अधिक क्षारीय धातु विलयन में तथा कम क्षारीय धातुएँ ऐनोड पंक (anode mud) के रूप में प्राप्त होती हैं।

वैद्युत अपघटन की इस प्रक्रिया की व्याख्या इलेक्ट्रॉड विभव, अधिविभव तथा गिब्ज ऊर्जा की सहायता से की जा सकती है। वैद्युत अपघटन करने पर शुद्ध धातु कैथोड पर जमा हो जाती है तथा अशुद्धियाँ ऐनोड पर ऐनोड पंक के रूप में एकत्रित हो जाती हैं। वैद्युत अपघटन की सामान्य अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

कैथोड पर Mn+ + ne → M
ऐनोड पर M → Mn+ + ne

प्रश्न 9.
फेन प्लवन विधि में संग्राही व फेन स्थायीकारक के नाम व भूमिका दीजिए।
उत्तर:
फेन प्लवन विधि में संग्राही के रूप में चीड़ का तेल, यूकेलिप्टस का तेल, वसा अम्ल या जैन्थेट प्रयुक्त किया जाता है तथा फेन स्थायीकारक के रूप में क्रिसॉल या ऐनीलिन का प्रयोग किया जाता है। संग्राही अयस्क कणों के नहीं भीगने का गुण बढ़ाता है जबकि फेन स्थायीकारक फेन को स्थायित्व प्रदान करता है।

प्रश्न 10.
बॉक्साइट अयस्क में उपस्थित किन्हीं दो अशुद्धियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बॉक्साइट अयस्क में सिलिका (SiO2) तथा टाइटेनियम आक्साइड (TiO2) की अशुद्धियाँ उपस्थित होती हैं।

प्रश्न 11.
निकल धातु शोधन के मॉन्ड प्रक्रम से सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 8

प्रश्न 12.
(i) कॉपर का शुद्धिकरण किस विधि से किया जाता है?
(ii) ऐलुमिनियम के मुख्य अयस्क का नाम बताइए तथा ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में निक्षालन के महत्त्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) कॉपर के शुद्धिकरण में वैद्युत अपघटनी विधि का प्रयोग किया जाता है।
(ii) ऐलुमिनियम का मुख्य अयस्क बॉक्साइट (Al2O3 . 2H2O) है। ऐलुमिनियम के निष्कर्षण में निक्षालन के महत्व की व्याख्या के लिए बॉक्साइट से ऐलुमिना का निक्षालन, बेयर की विधि – निक्षालन विधि से मुख्यतः ऐलुमिनियम के अयस्क बॉक्साइट का सान्द्रण किया जाता है। बॉक्साइट (Al2O3.2H2O) में मुख्यतः सिलिका (SiO2), आयरन ऑक्साइड (Fe2O3) तथा टाइटेनियम ऑक्साइड (TiO2) की अशुद्धियाँ होती हैं।

ऐलुमिना से सिलिका इत्याद को पृथक् करने के लिए 473 – 523K ताप तथा 35 bar दाब पर चूर्ण किए हुए अयस्क को सान्द्र NaOH विलयन से क्रिया कराकर सान्द्रित किया जाता है, चूँकि SiO2 अम्लीय, Al2O3 उभयधर्मी तथा NaOH क्षारीय हैं, अतः इनकी क्रिया से Al2O3, सोडियम ऐलुमिनेट के रूप में एवं SiO2 सोडियम सिलिकेट के रूप में प्राप्त होता है, जो जल में विलेय होने के कारण निक्षालित हो जाते हैं तथा अन्य अशुद्धियाँ बच जाती हैं।

Al2O3(s) + 2NaOH(aq) + 3H2O(l) → 2Na [A]

जल में विलेय सोडियम ऐलुमिनेट विलयन में CO2 गैस प्रवाहित करने से ऐलुमिनेट उदासीन होंकर जलयोजित Al2O3 के रूप में अवक्षेपित हो जाता है। यहाँ पर विलयन में थोड़ा-सा ताजा बना जलयोजित Al2O3 डालने पर अवक्षेपण की दर बढ़ जाती है। इसे बीजारोपण कहा जाता है।

2Na[Al(OH)4](aq) + 2CO2(g) → Al2O3 . 2H2O(s) + 2NaHCO3(aq) + H2O

सोडियम सिलिकेट विलयन में बच जाता है तथा जलयोजित ऐलुमिना को छानकर, सुखाकर, गरम करने से पुनः शुद्ध Al2O3 प्राप्त हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 9

प्रश्न 13.
निम्नलिखित विधियों द्वारा धातुओं के शोधन में प्रयुक्त सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए-
(i) वाष्प अवस्था परिष्करण
(ii) मंडल परिष्करण।
उत्तर:
(i) वाष्प प्रावस्था परिष्करण – शोधन की इस विधि में, धातु को वाष्पशील यौगिक में बदल कर उसे दूसरी जगह एकत्रित कर लेते हैं तथा इस वाष्पशील यौगिक के विघटन से शुद्ध धातु प्राप्त कर ली जाती है। इस विधि के लिए दो शर्तें आवश्यक हैं-
(i) उपलब्ध अभिकर्मक के साथ धातु वाष्पशील यौगिक बनाती हो तथा
(ii) वाष्पशील पदार्थ आसानी से विघटित होने वाला हो, ताकि धातु आसानी से पुनः प्राप्त की जा सके। इस विधि से Zr, Ti तथा Ni का शोधन किया जाता है।
उदाहरण:
(a) निकल के शोधन की मॉन्ड की विधि-इस विधि में Ni को CO के प्रवाह में गर्म करने पर वाष्पशील संकुल यौगिक निकल टेट्राकार्बोनिल बनता है, जिसे उच्च ताप पर गर्म करने पर इसके विघटन से शुद्ध निकैल प्राप्त हो जाता है। इस प्रकार निकल से अशुद्धियाँ पृथक् हो जाती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 10
(b) जर्कोनियम या टाइटेनियम के शोधन के लिए वॉनआरकैल विधि – यह विधि Zr तथा Ti जैसी धातुओं से अशुद्धियों के रूप में उपस्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन को हटाने में प्रयुक्त की जाती है। अपरिष्कृत धातु को निर्वातित पात्र में आयोडीन के साथ गरम करते हैं, जिससे धातु आयोडाइड बनता है। यह अधिक सहसंयोजी होने के कारण आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है तथा अशुद्धि बच जाती है।
Zr + 2I2 → Zrl4
धातु आयोडाइड को 1800K ताप पर विद्युत द्वारा गरम किए गए टंग्टन तंतु पर गर्म किया जाता है, जिससे यह विघटित होकर शुद्ध धातु देता है जो कि तंतु पर जमा हो जाती है।
Zrl4 → Zr + 2I2

(ii) मंडल परिष्करण या जोन परिष्करण – मंडल परिष्करण द्वारा अतिशुद्ध धातु प्राप्त होती है। यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है कि अशुद्धियों की विलेयता धातु की ठोस अवस्था की अपेक्षा गलित अवस्था में अधिक होती है। इस विधि में अशुद्ध धातु की छड़ के एक किनारे पर एक वृत्ताकार गतिशील हीटर (तापक) लगा होता है। जो छड़ को हर तरफ से घेरे रहता है। हीटर जैसे ही आगे बढ़ता है, गलित मण्डल भी आगे बढ़ता जाता है और गलित से शुद्ध धातु क्रिस्टलित हो जाती है तथा अशुद्धियाँ पास वाले गलित जोन में चली जाती हैं।

इस प्रक्रिया को कई बार दोहराते हैं तथा हीटर को एक ही दिशा में बार-बार चलाते जाते हैं। अशुद्धियाँ छड़ के एक किनारे पर एकत्रित हो जाती हैं, जिसे काटकर अलग कर लेते हैं। इस विधि से अति शुद्ध अर्धचालकों तथा अन्य शुद्ध धातुओं; जैसे-जर्मेनियम, सिलिकॉन, बोरॉन, गैलियम तथा इंडियम को प्राप्त किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 11

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

प्रश्न 14.
निक्षालित निम्न कोटि अयस्क से कॉपर प्राप्त करने के लिए कौनसा अपचायक प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
निक्षालित निम्न कोटि अयस्क से कॉपर प्राप्त करने के लिए हाइड्रोजन या रद्दी आयरन (स्क्रेप आयरन) का अपचायक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 15.
ऐलुमिनियम के निष्कर्षण के लिए वैद्युत अपघटनी सेल का नामांकित चित्र बनाइए एवं इसमें होने वाली सम्पूर्ण अभिक्रिया लिखिए।
अथवा
मंडल परिष्करण प्रक्रम का नामांकित चित्र बनाइए। यह विधि मुख्य रूप से किसमें उपयोगी है?
उत्तर:
ऐलुमिनियम के निष्कर्षण के लिए वैद्युत अपघटनी सेल का नामांकित चित्र निम्न है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 12
इस प्रक्रम में होने वाली सम्पूर्ण अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-
2Al2O3 + 3C → 4Al + 3CO2
अधवा
मंडल परिष्करण प्रक्रम का नामांकित चित्र निम्न है
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 13

प्रश्न 16.
निस्तापन तथा भर्जन को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
निस्तापन-निस्तापन में अयस्क को धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर वायु की अनुपस्थिति में धीर-धीरे गर्म करते हैं जिससे वाष्पशील पदार्थ जैसे CO2, H2O इत्यादि निकल जाते हैं तथा धातु ऑक्साइड बच जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 6 Img 14
भर्जन-भर्जन प्रक्रम में सल्फाइड अयस्कों को वायु की उपस्थिति में धातु के गलनांक से नीचे के ताप पर गर्म करते हैं जिससे सल्फाइड, ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं तथा S, P, As, Sb इत्यादि की अशुद्धियाँ वाष्पशील ऑक्साइड के रूप में निकल जाती हैं।
उदाहरण – 2Cu2S + 3O2 → 2Cu2O + 2SO2

प्रश्न 17.
(i) टाइटेनियम के परिष्करण के लिए प्रयुक्त होने वाली विधि का नाम लिखिए।
(ii) सिल्वर के निष्कर्षण में Zn की क्या भूमिका होती है?
(iii) धातु ऑक्साइड का धातु में अपचयन सरल हो जाता है यदि प्राप्त धातु द्रव अवस्था में हो। क्यों?
उत्तर:
(i) टाइटेनियम के परिष्करण के लिए वॉन-ऑरकेल विधि का प्रयोग किया जाता है।

(ii) सिल्वर के निष्कर्षण में Zn मिलाने पर सिल्वर के संकुल Na[Ag(CN)2] में उपस्थित Ag का विस्थापन होकर Zn का संकुल बन जाता है तथा सिल्वर प्राप्त हो जाती है। यह Zn अपचायक का कार्य करता है।

(iii) जब धातु ठोस अवस्था की अपेक्षा द्रव अवस्था में होती है तो उसकी एन्ट्रॉपी अधिक होती है। जब निर्मित धातु द्रव अवस्था में होती है और अपचयित होने वाली धातु ऑक्साइड ठोस अवस्था में होती है तो अपचयन प्रक्रम के एन्ट्रॉपी परिवर्तन (△S) का मान अधिक धनात्मक हो जाता है। अतः △G° का मान अधिक ऋणात्मक हो जाता है और अपचयन आसान हो जाता है।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. अणु सूत्र C3H8O से सम्बन्धित ऐल्कोहॉल हो सकते हैं-
(अ) केवल प्राथमिक
(ब) केवल द्वितीयक
(स) प्राथमिक एवं द्वितीयक
(द) प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक
उत्तर:
(स) प्राथमिक एवं द्वितीयक

2. निम्नलिखित में से किस यौगिक से सोडियम धातु की क्रिया नहीं होती ?
(अ) CH3-OH
(ब) CH3COOH
(स) C6H5OH
(द) CH3-O-CH3
उत्तर:
(द) CH3-O-CH3

3. 413K ताप पर एथेनॉल के आधिक्य को सान्द्र H2SO4 साथ गर्म करने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) CH2 = CH2
(ब) C2H5 – O – C2H5
(स) C2H5HSO4
(द) (C2H5)2 SO4
उत्तर:
(ब) C2H5 – O – C2H5

4. फ़ीनॉल पर KOH तथा CHCl3 की अभिक्रिया का नाम है-
(अ) डाइऐजोटीकरण
(ब) नाइट्रोसोकरण
(स) फार्मिलीकरण
(द) कार्बोक्सिलीकरण
उत्तर:
(स) फार्मिलीकरण

5. मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों का सामान्य सूत्र है-
(अ) CnH2n+1O2
(ब) CnH2n+2
(स) CnH2n+2O
(द) CnH2nOH
उत्तर:
(स) CnH2n+2O

6. C2H5MgCl + CH3CHO → HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 1
उपरोक्त अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक Y है-
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल
(ब) ब्यूटेन-2-ऑल
(स) 2-मेथिल-ब्यूटेन-2-ऑल
(द) 2-मेथिल-ब्यूटेन- 1 – ऑल
उत्तर:
(ब) ब्यूटेन-2-ऑल

7. एथेनॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 443K ताप पर गर्म करने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) ईथर
(ब) एथिल हाइड्रोजन सल्फेट
(स) एथीन
(द) प्रोपीन
उत्तर:
(ब) एथिल हाइड्रोजन सल्फेट

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

8. ऐल्कोहॉल की निम्नलिखित में से किसके साथ क्रिया द्वारा एस्टर बनाता है?
(अ) RCOOH
(ब) RCOCl
(स) (RCO)O2
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

9. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक जल में विलेय है?
(अ) CHCl3
(ब) C2H5-O-C2H5
(स) CCl4
(द) CH3-CH2-OH
उत्तर:
(द) CH3-CH2-OH

10. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 2 का IUPAC नाम है-
(अ) 1- मेथॉक्सी प्रोपेन
(ब) मेथॉक्सी मेथिल एथेन
(स) 2- मेथॉक्सी प्रोपेन
(द) आइसोप्रोपिल मेथिल ईथर
उत्तर:
(स) 2- मेथॉक्सी प्रोपेन

11. ईथरों में निम्न में से कौनसी समावयवता नहीं होती ?
(अ) श्रृंखला
(ब) प्रकाशिक
(स) ज्यामितीय
(द) स्थिति समावयवता
उत्तर:
(स) ज्यामितीय

12. 1 – मेथॉक्सीप्रोपेन निम्नलिखित में से किस यौगिक का क्रियात्मक समूह समावयवी है?
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल
(ब) प्रोपेन 1-ऑल
(स) ब्यूटेनैल
(द) ब्यूटेनॉन
उत्तर:
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल

13. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक एक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 4

14 कैटिकॉल का सूत्र है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 5
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 6

15. कीटोनों के अपचयन से बनने वाला यौगिक है-
(अ) प्राथमिक ऐल्कोहॉल
(ब) द्वितीयक ऐल्कोहॉल
(स) तृतीयक ऐल्कोहॉल
(द) फ़ीनॉल
उत्तर:
(ब) द्वितीयक ऐल्कोहॉल

16. निम्नलिखित में से किस ऐल्कोहॉल की हाइड्रोजन आयन देने की प्रवृत्ति अधिकतम है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 7
उत्तर:
(ब) CH3-O-H

17. सैलिसिलिक अम्ल के एसिटिलीकरण से बना यौगिक है-
(अ) सेलॉल
(ब) ऐस्पिरिन
(स) पिक्रिक अम्ल
(द) पैरासिटामोल
उत्तर:
(ब) ऐस्पिरिन

18. इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन में फ़ीनॉल का – OH समूह है-
(अ) m-निर्देशी
(ब) p-निर्देशी
(स) o, p निर्देशी
(द) 0-निर्देशी
उत्तर:
(स) o, p निर्देशी

19. फ़ीनॉल की यशद रज (Zn dust) के साथ अभिक्रिया से बना उत्पाद है-
(अ) टॉलुईन
(ब) बेन्जीन
(स) नाइट्रोबेन्जीन
(द) एनीलीन
उत्तर:
(ब) बेन्जीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

20. शीरे (मोलैसेज) के किण्वन में शर्करा (सुक्रोस) से ग्लूकोस तथा फ्रक्टोज के बनने में प्रयुक्त एन्जाइम है-
(अ) जाइमेज
(ब) इनवर्टेज
(स) माल्टेज
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) इनवर्टेज

21. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 8 की HI से अभिक्रिया के उत्पाद हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 9
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 10

22. निम्नलिखित में से कौनसा समूह फ़ीनॉल के अम्लीय गुण में वृद्धि करता है?
(अ) -CH3
(ब) -OCH3
(स) – NO2
(द) OH
उत्तर:
(स) – NO2

23. तृतीयक ऐल्कोहॉल को Cu या ZnO के साथ 573 K ताप पर गर्म करने से प्राप्त उत्पाद होगा-
(अ) कीटोन
(ब) ऐल्डिहाइड
(स) ऐल्कीन
(द) अम्ल
उत्तर:
(स) ऐल्कीन

24. निम्नलिखित में से मिश्रित ईथर कौनसा है?
(अ) CH3-O-CH3
(ब) CH3-O-CH2-CH3
(स) C2H5-O-C2H5
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) CH3-O-CH2-CH3

25. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक NaHCO3 के साथ क्रिया करता है?
(अ) CH3-OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 11
(स) CH3COOH
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) CH3COOH

26. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 12 का IUPAC नाम है-
(अ) 3,3 – डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन -1-ऑल
(ब) 1,1 – डाइमेथिल – 3 – हाइड्रॉक्सी साइक्लोहेक्सेन
(स) 1,1 – डाइमेथिल – 3 – साइक्लो हेक्सेनॉल
(द) 3,3 – डाइमेथिल- 1- हाइड्रॉक्सी साइक्लोहेक्सेन
उत्तर:
(अ) 3,3 – डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन -1-ऑल

27. अणुसूत्र C5H11-OH द्वारा कितने प्राथमिक ऐल्कोहॉल संभव हैं?
(अ) 4
(ब) 3
(स) 5
(द) 6
उत्तर:
(अ) 4

28. अणुसूत्र C4H10O से कुल कितने संरचना समावयवी संभव हैं?
(अ) 4
(ब) 7
(स) 6
(द) 5
उत्तर:
(ब) 7

29. फीनॉल की NaOH तथा CO2 के साथ क्रिया का मुख्य उत्पाद निम्नलिखित में से कौनसा है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 13
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 14

30. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 15 में निम्न में से कौनसा इलेक्ट्रॉनस्नेही बेन्जीन वलय पर आक्रमण करता है?
(अ) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HO
(स) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HCl2
(ब) :CHCl2
(द) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)Cl3
उत्तर:
(स) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HCl2

31. निम्नलिखित में से किस ऐल्कोहॉल की जल में विलेयता सर्वाधिक होती है?
(अ) आइसोब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(ब) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(स) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(द) n ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(ब) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल

32. प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल को विभेदित किया जा सकता है-
(अ) राइमर टीमान अभिक्रिया द्वारा
(ब) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा
(स) ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा
(द) लैसोनें परीक्षण द्वारा
उत्तर:
(स) ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

33. p और m – नाइट्रो फीनॉलों की अपेक्षा ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल जल में कम घुलनशील होता है क्योंकि-
(अ) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल भाप में m और p- समावयवियों की अपेक्षा अधिक वाष्पशील है।
(ब) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तरआण्विक H-बन्धन दर्शाता है।
(स) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तः आण्विक H-बन्धन दर्शाता है।
(द) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल का गलनांक अपेक्षाकृत m और p- समावयवियों से कम होता है।
उत्तर:
(स) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तः आण्विक H-बन्धन दर्शाता है।

34. निम्नलिखित में से किस यौगिक का निर्जलीकरण अत्यधिक सरलता से होगा?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 16
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 17

35. बेन्जीन को बेन्जोइक अम्ल को X के साथ गर्म करके अथवा फीनॉल को Y के साथ गर्म करके प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ, X तथा Y क्रमशः हैं-
(अ) जिंक चूर्ण तथा सोडालाइम
(ब) सोडालाइम तथा जिंक चूर्ण
(स) जिंक चूर्ण तथा NaOH
(द) सोडालाइम तथा कॉपर
उत्तर:
(ब) सोडालाइम तथा जिंक चूर्ण

36. ईथर के लिये कुछ अभिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से कौनसी सही नहीं है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 18
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 19

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ईथर में ऑक्सीजन पर कौनसा संकरण होता है?
उत्तर:
ईथर में ऑक्सीजन पर sp³ संकरण होता है।

प्रश्न 2.
सर्बिटॉल, किस प्रकार का ऐल्कोहॉल होता है?
उत्तर:
सर्बिटॉल एक पॉलिहाइड्रिक ऐल्कोहॉल है जिसमें 1° तथा 2° – OH समूह उपस्थित होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 20

प्रश्न 3.
अणुसूत्र C5H12O द्वारा कुल कितने ऐल्कोहॉल संरचना समावयवी संभव हैं?
उत्तर:
आठ।

प्रश्न 4.
ब्यूटेन- 1- ऑल तथा 2-मेथिल प्रोपेन- 1- ऑल के युग्म कौनसी समावयवता है?
उत्तर:
श्रृंखला समावयवता।

प्रश्न 5.
m – क्रीसॉल का एक क्रियात्मक समूह समावयवी बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 21

प्रश्न 6.
ईथर में मध्यावयवता का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 22
आपस में मध्यावयवता दर्शाते हैं।

प्रश्न 7.
साबुनीकरण क्या होता है?
उत्तर:
किसी एस्टर के क्षारीय जल अपघटन को साबुनीकरण कहते हैं।

प्रश्न 8.
एथिल ऐमीन की नाइट्स अम्ल के साथ अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 23

प्रश्न 9.
300°C पर V2O5, की उपस्थिति में बेन्जीन का ऑक्सीकरण करने पर बना उत्पाद बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 24

प्रश्न 10.
एक यौगिक जो सोडियम के साथ क्रिया करता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण भी देता है उसका नाम तथा सूत्र बताइए।
उत्तर:
CH3-CH2-OH (एथिल ऐल्कोहॉल)

प्रश्न 11.
किस प्रकार के ऐल्कोहॉल, विक्टरमेयर परीक्षण से नीला रंग देते हैं?
उत्तर:
द्वितीयक ऐल्कोहॉल।

प्रश्न 12.
फीनॉल की ऐसीटिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 25

प्रश्न 13.
ब्यूटेन- 1- ऑल के निर्जलीकरण से प्राप्त मुख्य ऐल्कीन कौनसी होती है?
उत्तर:
CH3-CH = CH-CH3 (ब्यूट-2-ईन)

प्रश्न 14.
ल्यूकास अभिकर्मक किसे कहते हैं तथा इसका उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl के मिश्रण को ल्यूकास अभिकर्मक कहते हैं तथा इससे 1°, 2° तथा 3° ऐल्कोहॉलों में विभेद किया जाता है।

प्रश्न 15.
डायस्टेस एन्जाइम का कार्य बताइए।
उत्तर:
डायस्टेस एन्जाइम, स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित करता है।

प्रश्न 16.
फीनॉल से एनिसॉल तथा फेनिटोल बनाने के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 26

प्रश्न 17.
पेन्टेन- 1- ऑल (I), 2- मेथिल ब्यूटेन – 2 – ऑल (II) तथा पेन्टेन-2-ऑल (III) की जल में विलेयता का क्रम बताइए।
उत्तर:
(II) > (III) > (I)

प्रश्न 18.
एथेनॉल (I), प्रोपेन (II) तथा मेथॉक्सी मेथेन (III) के क्वथनांक का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
(II) < (III) < (I)

प्रश्न 19.
C2H5OH जल में विलेय है लेकिन C2H5O C2H5 नहीं, क्यों?
उत्तर:
C2H5OH, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बना लेता है। लेकिन C2H5 O C2H5 जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकता। अतः C2H5OH जल में विलेय है, C2H5 O C2H5 नहीं।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 27
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 28

प्रश्न 21.
एथॉक्सीएथेन के दहन का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
C2H5 O C2H5 + 6O2 → 4CO2 + 5H2O

प्रश्न 22.
विवृत श्रृंखलायुक्त संतृप्त ईथरों का सामान्य सूत्र बताइए।
उत्तर:
CnH2n+2O

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 23.
ईथर की विभिन्न हैलोजन अम्लों के साथ क्रियाशीलता का क्रम लिखिए।
उत्तर:
HI > HBr > HCl

प्रश्न 24.
CH3OH, CH3OCH3 तथा C6H5OH को बन्ध कोण के बढ़ते क्रम में रखिए।
उत्तर:
CH3OH < C6H5OH < CH3-O-CH3

प्रश्न 25.
किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित – OH समूह की पहचान कैसे करेंगे कि यह ऐल्कोहॉलिक है या फीनॉलिक?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक की उदासीन FeCl3 विलयन के साथ क्रिया से गहरा बैंगनी रंग आता है तो यह – OH समूह फीनॉलिक है अन्यथा ऐल्कोहॉलिक।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से फीनॉल कैसे बनाया जाता है?
(b) सैलिसिलिक अम्ल को फीनॉल में किस प्रकार परिवर्तित किया जाता है ?
उत्तर:
(a) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड को जल के साथ उबालने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 29

(b) सैलिसिलिक अम्ल को सोडालाइम के साथ गर्म करने पर विकार्बोक्सिलीकरण होकर फीनॉल बनता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 30

प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के अपचयन द्वारा ऐल्कोहॉल बनाने के समीकरण दीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 31
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 32

प्रश्न 3.
अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों के अपचयन से ब्यूटेन1-ऑल कैसे बनाते हैं ?
उत्तर:
अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों का लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड द्वारा अपचयन कराने पर प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनते हैं। इस विधि द्वारा ब्यूटेन-1-ऑल निम्न प्रकार बनाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 33

प्रश्न 4.
कार्बोनिल यौगिकों की ग्रीन्यार अभिकर्मक के साथ क्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनाने की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रीन्यार अभिकर्मकों की कार्बोनिल यौगिकों से क्रिया द्वारा (By the reaction of Grignard reagents with carbonyl compounds) – ग्रीन्यार अभिकर्मकों की विभिन्न ऐल्डिहाइड और कीटोन के साथ अभिक्रिया से संगत ऐल्कोहॉल बनते हैं।

अभिक्रिया के प्रथम पद में कार्बोनिल समूह पर ग्रीन्यार अभिकर्मक का नाभिकरागी (नाभिकस्नेही) योग होकर योगोत्पाद बनता है जिसके जल अपघटन से ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं। मेथेनैल (HCHO) से प्राथमिक ऐल्कोहोल, किसी अन्य ऐल्डिहाइड (RCHO) से द्वितीयक ऐल्कोहॉल तथा कीटोन (RCOR) से तृतीयक ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं।

अभिक्रिया की सामान्य रूपरेखा को निम्न प्रकार प्रदशित किया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 34
विभिन्न ऐल्डिहाइडों एवं कीटेनों की ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 35

प्रश्न 5.
ऐस्टरों के जल अपघटन से ऐल्कोहॉल बनाने की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एस्टरों (ऐल्किल ऐल्केनॉएट) के जल अपघटन द्वारा [By the Hydrolysis of Esters (Alkyl Alkanoate)] – एस्टरों के जल अपघटन से संगत कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं। यह जल अपघटन भाप द्वारा, अम्लीय माध्यम में, क्षारीय माध्यम में या एन्जाइम (हाइड्रोलेस) की उपस्थिति में किया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 36
यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय है अतः इसमें ऐल्कोहॉल की लब्धि कम होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 37
जलीय KOH या NaOH द्वारा जल अपघटन से R COO Na बनते हैं तथा इस अभिक्रिया को साबुनीकरण (Saponification) कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 38

प्रश्न 6.
बेन्जीन से फीनॉल बनाने की राशिग विधि को समझाइए।
उत्तर:
बेन्जीन से (From Benzene)-ताम्रलौह उत्प्रेरक की उपस्थिति में बेन्जीन की HCl तथा वायु (ऑक्सीजन) के साथ क्रिया करवाने पर पहले क्लोरोबेन्जीन बनती है जिसका SiO2 की उपस्थिति में जल अपघटन करवाने पर फीनॉल प्राप्त होता है। इसे राशिग प्रक्रम कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 39

प्रश्न 7.
एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से बना उत्पाद अभिक्रिया की परिस्थिति पर निर्भर करता है। इस कथन की व्याख्या विभिन्न समीकरणों द्वारा कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न परिस्थितियों में एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से प्राप्त उत्पाद निम्नलिखित हैं-
(i) 0°C तथा उच्च दाब पर-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 40

(ii) 80-100°C पर-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 41

(iii) एथिल ऐल्कोहॉल के आधिक्य में 140°C पर –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 42

(iv) सान्द्र H2SO4 के आधिक्य में 170° C पर-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 43

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रमों में X, Y तथा Z की पहचान कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 44
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 45

प्रश्न 9.
एक यौगिक (X) PCl5 से क्रिया करके यौगिक Y बनाता है। यौगिक Y की क्रिया मैग्नीशियम के ईथरी विलयन से कराने से प्राप्त यौगिक (Z) की क्रिया प्रोपेनॉन के साथ कराकर जल अपघटन करने से 2 – मेथिल प्रोपेन-2- ऑल बनता है। यौगिक X तथा Y क्या हैं तथा अभिक्रियाओं के समीकरण भी दीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 46
अन्तिम उत्पाद चार कार्बन का 3° ऐल्कोहॉल है जो कि प्रोपेनॉन की यौगिक (Z) से क्रिया कराने पर प्राप्त हो रहा है। अतः यौगिक Z एक कार्बनयुक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक है इसलिए प्रारम्भिक यौगिक X एक कार्बन का ऐल्कोहॉल होगा तथा अभिक्रया अनुक्रम निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 47

प्रश्न 10.
एक कार्बनिक यौगिक X (C4H10O) की HCl से क्रिया कराने पर यौगिक Y (C4H9Cl) बनता है जिसके अपचयन सेब्यूटेन प्राप्त होता है। यौगिक X के ऑक्सीकरण से पहले एक कार्बोनिल यौगिक (Z) प्राप्त होता है इसके पश्चात् उतने ही कार्बन का कार्बोक्सिलिक अम्ल (P) बनता है। X, Y Z तथा P का सूत्र बताइए तथा अभिक्रिया अनुक्रम भी लिखिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार यौगिक X, n ब्यूटिल ऐल्कोहॉल है क्योंकि इसके ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद उतने ही कार्बन का कार्बोक्सिलिक अम्ल है। इन अभिक्रियाओं के समीकरण निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 48

प्रश्न 11.
एक कार्बनिक यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है तथा यह सोडियम धातु के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस भी देता है तथा इसके ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद एथेनॉइक अम्ल है तो यह यौगिक कौनसा है? समीकरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह ऐल्कोहॉल या कार्बोनिल यौगिक होना चाहिए लेकिन कार्बोनिल यौगिक सोडियम धातु के साथ क्रिया नहीं करते तथा इस यौगिक के ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद एथेनॉइक अम्ल है अतः यह यौगिक एथेनॉल होगा। अभिक्रियाओं के समीकरण निम्न हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 49

प्रश्न 12.
फीनॉल के अम्लीय गुण पर प्रतिस्थापियों के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फीनॉल के अम्लीय गुण पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव- फीनॉल में इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह ( – I प्रभाव) जुड़ने पर इसके अम्लीय गुण में वृद्धि होती है। ये समूह जब आर्थो तथा पैरा स्थितियों पर होते हैं तो अम्लीय गुण अधिक बढ़ता है क्योंकि इनसे फीनॉक्साइड आयन के ऋणावेश का विस्थापन अधिक मात्रा में होता है। लेकिन इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी (+ I प्रभाव ) समूहों (जैसे CH3-, C2H5-) के कारण फीनॉल का अम्लीय गुण कम हो जाता है, क्योंकि ये फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व में कमी करते हैं जिससे -O-H बन्ध का आयनन कम हो जाता है। + I प्रभाव वाले समूहों की संख्या बढ़ने पर अम्लीय गुण में कमी होती है।

उदाहरण –
फीनॉल की तुलना में क्रीसॉलों को अम्लीय गुण कम होता है तथा इनके om – तथा p- समावयवियों के अम्लीय गुणका क्रम – निम्न प्रकार होता है-
m > p ≈ O
फीनॉल की तुलना में नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होते हैं तथा इनके o, m तथा p- समावयवियों के अम्लीय गुण का क्रम निम्न है – p > 0 > m
फीनॉल में – OR समूह जुड़ने पर इसके अम्लीय गुण में सामान्यतः कमी होती है क्योंकि OR समूह +M प्रभाव दर्शाता है जिससे फीनॉल का आयनन कम हो जाता है।

इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूहों की संख्या बढ़ने पर भी फीनॉल के अम्लीय गुण में वृद्धि होती है अतः 2 – नाइट्रोफीनॉल की तुलना में 2, 4- डाइनाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होता है तथा 2, 4, 6 ट्राइनाइट्रोफीनॉल (पिक्रिक अम्ल) का अम्लीय गुण तो कार्बोक्सिलिक अम्लों के समतुल्य हो जाता है।

फनॉल तथा प्रतिस्थापित फीनॉलों के Pka मान निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं जिससे इनके अम्लीय गुणों की तुलना की जा सकती है।

क्रम सं.यौगिकPka मान
1.p-नाइट्रोफीनॉल7.1
2.0-नाइट्रोफीनॉल7.2
3.m-नाइट्रोफीनॉल8.3
4.फीनॉल10.0
5.m-क्रीसॉल10.1
6.o-क्रीसॉल10.2
7.p-क्रीसॉल10.2

नोट – Pka मान बढ़ने पर अम्लीय गुण में कमी होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 13.
C2H5OH की निम्नलिखित अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए –
(i) शॉटन बोमान अभिक्रिया
(ii) सान्द्र HNO3 से क्रिया
(iii) NH, के आधिक्य से क्रिया
(iv) लाल P तथा HI से अपचयन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 50

प्रश्न 14.
C2H5OH की निम्नलिखित यौगिकों के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) CH2N2 (डाइएजोमेथेन )
(ii) कीटीन
(iii) HC = CH (एथाइन)
(iv) CH3NCO (मेथिल – आइसोसायनेट)
(v) CH3CHO (एथेनैल)
(vi) 0°C पर सान्द्र H2SO4
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 51

प्रश्न 15.
निम्नलिखित को समझाइए –
(a) हैलोफॉर्म अभिक्रिया
(b) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल की फेन्टन अभिकर्मक से क्रिया।
उत्तर:
(a) हैलोफॉर्म अभिक्रिया (Haloform Reaction) – HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 52समूह, युक्त ऐल्कोहॉलों की क्षार की उपस्थिति में हैलोजन से क्रिया करवाने पर हैलोफॉर्म बनते हैं, इसे हैलोफॉर्म अभिक्रिया कहते हैं। उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 53
इस अभिक्रिया नं क्लोरीन के स्थान पर आयोडीन लेने पर आयोडोफॉर्म (CH3 बनता है जो कि पीला अविलेय ठोस होता है। इसे आयोडोफॉर्म परीक्षण कहते हैं।

(b) फेन्टन अभिकर्मक से अभिक्रिया (Reaction with Fenton’s Reagent) – फेन्टन अभिकर्मक (FeSO4 + H2O2) से ऐल्कोहॉलों का ऑक्सीकारक संघनन द्वितीयकरण होकर ऐल्केन डाइऑल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 54

प्रश्न 16.
मेथेनॉल तथा एथेनॉल में विभेद कीजिए।
उत्तर:
मेथेनॉल (CH3OH) तथा ऐथेनॉल (C2H5OH) में विभेद (Difference in Methanol and Ethanol)- दोनों ही प्राथमिक ऐल्कोहॉल श्रेणी के प्रथम तथा द्वितीय सदस्य हैं फिर भी इनमें निम्नलिखित विभेद हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 55
ऐल्कोहॉलों में अन्तर्परिवर्तन (Interconversions in Alcohols)
(1) निम्न ऐल्कोहॉल से उच्च ऐल्कोहॉल बनाना
उदाहरण – CH-OH से C2H5OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 56

(2) उच्च ऐल्कोहॉल से निम्न ऐल्कोहॉल बनाना
CH3-CH2-CH2-OH से CH3CH2OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 57

(3) 1° – ऐल्कोहॉल से 2° – ऐल्कोहॉल बनाना-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 58

प्रश्न 17.
फीनॉल की सल्फोनीकरण अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सल्फोनीकरण (Sulphonation)-कक्ष ताप पर फीनॉल की सान्द्र H2SO4 से क्रिया कराने पर o – तथा p-फीनॉल सल्फोनिक अम्लों का मिश्रण बनता है। इस अभिक्रिया में उच्च ताप (100°C) पर p-समावयवी तथा निम्न ताप (25°C) पर o- समावयवी अधिक मात्रा में बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 59

प्रश्न 18.
फीनॉल की फीडेल क्राफ्ट अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(i) ऐल्किलीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 60

(ii) ऐसिटिलीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 61

प्रश्न 19.
फीनॉल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड
(ii) एसीटोन
(iii) थैलिक एन्टाइ
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 62

प्रश्न 20.
लेडेरर मानेसे अभिक्रिया क्या होती है ? समझाइए।
उत्तर:
फार्मेल्डिहाइड के साथ अभिक्रिया (लेडेरर मानेसे अभिक्रिया) [Reaction with Formaldehyde (Lederer Manese Reaction)]-तनु अम्ल या क्षार की उपस्थिति में फीनॉल तथा फार्मेल्डिहाइड की क्रिया द्वारा o – तथा p – हाइड्रॉक्सी बेन्जिल ऐल्कोहॉल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 63a
फीनॉल के साथ फॉर्मेल्डिहाइड को अधिक मात्रा में लेकर गर्म करने पर संघनन बहुलकीकरण द्वारा एक त्रिविमीय बहुलक बैकेलाइट बनता है। बैकेलाइट एक ताप सुदृढ़ प्लास्टिक होता है जिसे विद्युत रोधन में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 21.
फीनॉल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ लिखिए-
(i) PCl5 के साथ
(ii) NH3 के साथ
(iii) हिन्सबर्ग अभिकर्मक
(iv) हाइड्रोजन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 63

प्रश्न 22.
t-ब्यूटिल मेथिल ईथर की सान्द्र HI के साथ अभिक्रिया लिखिए तथा इसकी क्रियाविधि भी बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 64
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN1 होती है।

प्रश्न 23.
CH3O C2H5 की HI से क्रिया द्वारा बने उत्पाद बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 65

प्रश्न 24.
CH3O C2H5 के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
हैलोजन अम्लों के साथ क्रिया – डाइऐल्किल ईथर की क्रिया, हैलोजन अम्लों के आधिक्य से करवाने पर ऐल्किल हैलाइड के दो मोल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 66
HX की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-HI > HBr > HCl तथा यह अभिक्रियां सान्द्र HI या HBr द्वारा उच्च ताप पर होती है।
ईथर में एक तृतीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होने पर तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनता है।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 67
इस अभिक्रिया में तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनने का स्पष्टीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि (SN1) से हो जाता है।
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 68
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 69
पद – III
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 70
पद II में CH3OH तथा t – ब्यूटिल कार्बोकैटायन (3°) बनता है जो कि अधिक स्थायी होता है जिस पर आयोडाइड (I) की क्रिया से t – ब्यूटिल आयोडाइड बनता है अतः यह SN1 अभिक्रिया है।

एथिल मेथिल ईथर की HI के एक मोल के साथ अभिक्रिया से मेथिल ऐल्कोहॉल तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं। लेकिन HI का आधिक्य लेने पर मेथिल आयोडाइड तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं।
CH3 – O – C2H5 + HI → CH3OH + C2H5I
CH3O C2H5 + 2HI → CH3I + C2H5I +H2O
इस अभिक्रिया से प्राप्त उत्पादों की व्याख्या इसकी क्रियाविधि से की जा सकती है।
क्रियाविधि –
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 71
पद I से प्राप्त ऑक्सोनियम आयन के कम प्रतिस्थापित कार्बन पर I के आक्रमण से ऐल्किल आयोडाइड तथा ऐल्कोहॉल बनते हैं तथा इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN2 होती है।
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 72

अतः दो भिन्न-भिन्न ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर से बनने वाले ऐल्कोहॉल तथा ऐल्किल आयोडाइड, ऐल्किल समूहों की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। जब ईथर में प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं तो छोटा ऐल्किल समूह ऐल्किल आयोडाइड बनाता है।

पद – III – जब HI के आधिक्य में उच्च ताप पर अभिक्रिया की जाती है तो एथेनॉल, HI के दूसरे अणु के साथ क्रिया करके C2H5I दूसरा अणु बना देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 73
चक्रीय ईथर, HBr तथा HI के साथ क्रिया करके डाइलो एल्केन बनाते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 74
मिश्रित एरोमैटिक ईथर जैसे ऐनिसॉल में C-O बन्ध अधिक स्थायी होता है अतः ऐल्किल समूह के कार्बन तथा ऑक्सीजन के मध्य बन्ध का विदलन होकर फीनॉल एवं ऐल्किल हैलाइड बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 75
इस अभिक्रिया में ऐनिसोल के प्रोटोनीकरण द्वारा मेथिलफेनिल ऑक्सोनियम आयन IMG बनता है। फेनिल समूह के कार्बन की sp² संकरित अवस्था तथा (O – C6H5) समूह के आंशिक द्विबंध के गुण के कारण O-C6H5 आबंध O-CH3 आबन्ध की तुलना में प्रबल होता है। इसलिए I- आयन के आक्रमण से O – CH3 आबंध टूटकर CH3I बनता है तथा फीनॉल पुनः अभिक्रिया करके C6H5I नहीं देते क्योंकि फीनॉल Tsp संकरित कार्बन नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं दर्शाता जो कि CHI में परिवर्तन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 25.
एक मिश्रित ईथर जिसमें प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित हैं, की एक मोल HI से क्रिया कराने पर आयोडाइड आयन (I) कौनसे ऐल्किल समूह से जुड़ता है तथा क्यों?
उत्तर:
प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर की क्रिया HI के साथ कराने पर आयोडाइड आयन कम प्रतिस्थापित कार्बन या छोटे ऐल्किल समूह पर जुड़ता है क्योंकि इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN होती है जिसमें संक्रमण अवस्था बनती है। आयोडाइड के बड़े आकार के कारण यह बड़े या अधिक प्रतिस्थापित ऐल्किल समूह से नहीं जुड़ता क्योंक उस पर त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण प्रतिकर्षण होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 26.
एनिसॉल की HI के साथ क्रिया द्वारा फीनॉल तथा मेथिल आयोडाइड बनते हैं न कि आयोडोबेन्जीन तथा मेथिल ऐल्कोहॉल। इस कथन की व्याख्या कारण सहित कीजिए।
उत्तर:
हैलोजन अम्लों के साथ क्रिया – डाइऐल्किल ईथर की क्रिया, हैलोजन अम्लों के आधिक्य से करवाने पर ऐल्किल हैलाइड के दो मोल बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 66
HX की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-HI > HBr > HCl तथा यह अभिक्रियां सान्द्र HI या HBr द्वारा उच्च ताप पर होती है।
ईथर में एक तृतीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होने पर तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनता है।
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 67
इस अभिक्रिया में तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनने का स्पष्टीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि (SN1) से हो जाता है।
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 68
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 69
पद – III
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 70
पद II में CH3OH तथा t – ब्यूटिल कार्बोकैटायन (3°) बनता है जो कि अधिक स्थायी होता है जिस पर आयोडाइड (I) की क्रिया से t – ब्यूटिल आयोडाइड बनता है अतः यह SN1 अभिक्रिया है।

एथिल मेथिल ईथर की HI के एक मोल के साथ अभिक्रिया से मेथिल ऐल्कोहॉल तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं। लेकिन HI का आधिक्य लेने पर मेथिल आयोडाइड तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं।
CH3 – O – C2H5 + HI → CH3OH + C2H5I
CH3O C2H5 + 2HI → CH3I + C2H5I +H2O
इस अभिक्रिया से प्राप्त उत्पादों की व्याख्या इसकी क्रियाविधि से की जा सकती है।
क्रियाविधि –
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 71
पद I से प्राप्त ऑक्सोनियम आयन के कम प्रतिस्थापित कार्बन पर I के आक्रमण से ऐल्किल आयोडाइड तथा ऐल्कोहॉल बनते हैं तथा इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN2 होती है।
पद – II
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 72

अतः दो भिन्न-भिन्न ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर से बनने वाले ऐल्कोहॉल तथा ऐल्किल आयोडाइड, ऐल्किल समूहों की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। जब ईथर में प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं तो छोटा ऐल्किल समूह ऐल्किल आयोडाइड बनाता है।

पद – III – जब HI के आधिक्य में उच्च ताप पर अभिक्रिया की जाती है तो एथेनॉल, HI के दूसरे अणु के साथ क्रिया करके C2H5I दूसरा अणु बना देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 73
चक्रीय ईथर, HBr तथा HI के साथ क्रिया करके डाइलो एल्केन बनाते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 74
मिश्रित एरोमैटिक ईथर जैसे ऐनिसॉल में C-O बन्ध अधिक स्थायी होता है अतः ऐल्किल समूह के कार्बन तथा ऑक्सीजन के मध्य बन्ध का विदलन होकर फीनॉल एवं ऐल्किल हैलाइड बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 75
इस अभिक्रिया में ऐनिसोल के प्रोटोनीकरण द्वारा मेथिलफेनिल ऑक्सोनियम आयन IMG बनता है। फेनिल समूह के कार्बन की sp² संकरित अवस्था तथा (O – C6H5) समूह के आंशिक द्विबंध के गुण के कारण O-C6H5 आबंध O-CH3 आबन्ध की तुलना में प्रबल होता है। इसलिए I- आयन के आक्रमण से O – CH3 आबंध टूटकर CH3I बनता है तथा फीनॉल पुनः अभिक्रिया करके C6H5I नहीं देते क्योंकि फीनॉल Tsp संकरित कार्बन नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं दर्शाता जो कि CHI में परिवर्तन के लिए आवश्यक है।

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिक का IUPAC नाम बताइए-
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 76

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) एथेनॉल का क्वथनांक मेथॉक्सीमेथेन के क्वथनांक से उच्च होता है।
(ii) फीनॉल एथेनॉल से अधिक अम्लीय होता है।
(iii) o- और p- नाइट्रोफीनॉल अपेक्षाकृत फीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं।
उत्तर:
(i) एथेनॉल में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जबकि मेथॉक्सी मेथेन में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण (वान्डरवाल बल) पाया जाता है। अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध की प्रबलता, द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण से अधिक होती है। अतः एथेनॉल का क्वथनांक, मेथॉक्सी मेथेन की तुलना में उच्च होता है।

(ii) फीनॉल के आयनन से प्राप्त C6H5O, अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है जबकि C2H5O में ऐसा नहीं होता। अतः फीनॉल (C6H5OH) की H+ देने की प्रवृत्ति अधिक होती है इसलिए यह ऐथेनॉल से अधिक अम्लीय होता है।

(iii) o-नाइट्रोफ़ीनॉल अंतःअणुक हाइड्रोजन बन्ध (Intramolecular H-bond) के कारण भाप में वाष्पशील है क्योंकि इसमें अन्तराअणुक बल, p- समावयवी की तुलना में दुर्बल होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 77

प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिक की अणु संरचना लिखिए जिसका आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) पद्धति अनुसार नाम इस प्रकार है-
1- फेनिलप्रोपेन-2-ऑल
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 78

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का रूपांतर कैसे करेंगे :
(i) फीनॉल का बेन्जोक्विनोन में
(ii) प्रोपेनोन का 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऑल में या मेथिल मैग्नीशियम
ब्रोमाइड से 2 – मेथिल प्रोपेन-2-ऑल
(iii) प्रोपीन का प्रोपेन- 2 – ऑल में ।
उत्तर:
(i) फीनॉल का ऑक्सीकरण क्रोमिक अम्ल (Na2Cr2O7 + H2SO4) द्वारा करवाने पर बेन्जोक्विनोन प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 79

(ii) प्रोपेनॉन की क्रिया मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड (CH3MgBr) से करवाने पर पहले योगोत्पाद बनता है जिसके जल अपघटन से 2- मेथिल प्रोपेन 2- ऑल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 80

(iii) प्रोपीन की तनु H2SO4 से क्रिया करवाने पर जलयोजन होकर प्रोपेन- 2 – ऑल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 81

प्रश्न 5.
एथेनॉल को एथीन में आप कैसे रूपांतरित करेंगे?
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर एथीन प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया में निर्जलीकरण होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 82

प्रश्न 6.
एक ऐल्कीन के अम्ल उत्प्रेरित जलयोजन से सम्बद्ध ऐल्कोहॉल बनाने की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एथीन का जलयोजन-तनु अम्ल (HCl, H2SO4) की उपस्थिति में एल्कीन की जल के साथ अभिक्रिया से ऐल्कोहॉल बनता है तथा असममित ऐल्कीनों में योगात्मक अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होती है।
एथीन का जलयोजन निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 83
क्रियाविधि-इस अभिक्रिया की क्रियाविधि में निम्नलिखित तीन पद होते हैं-
पद 1-H3O+ के इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण के द्वारा ऐल्कीन के प्रोटोनीकरण (Protonation) से कार्बोकैटायन बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 84
पद 2-कार्बोकैटायन पर जल का नाभिकस्नेही (Nucleophyllic) आक्रमण
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 85
पद 3-विप्रोटोनीकरण (deprotonation) जिससे ऐल्कोहोल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 86

प्रश्न 7.
निम्नलिखित व्यवहारों की व्याख्या कीजिए-
(i) तुलनीय आण्विक द्रव्यमानों के हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक घुलनशील होते हैं।
(ii) ऑर्थो – मेथॉक्सीफीनॉल की अपेक्षा ऑर्थो – नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होता है।
उत्तर:
(i) ऐल्कोहॉलों में ध्रुवीय -OH समूह उपस्थित होने के कारण ये जल के साथ आसानी से हाइड्रोजन बन्ध बना लेते हैं जबकि हाइड्रोकार्बन, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकते। अतः समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं।

(ii) ऑर्थो-नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो-मेथॉक्सी फ़ीनॉल से अधिक अम्लीय होती है क्योंकि – NO2 समूह का इलेक्ट्रॉन-आकर्षी अनुनाद प्रभाव ( -I तथा – M) फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि – OCH3 ( मेथॉक्सी) समूह का इलेक्ट्रॉन-प्रतिकर्षी प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर

प्रश्न 8.
शर्करा के किण्वन से एथेनॉल बनाते समय हम प्रभाजी आसवन विधि से 95% से अधिक सान्द्रता का एथेनॉल क्यों नहीं बना सकते हैं?
उत्तर:
शर्करा के किण्वन से एथेनॉल बनाते समय प्रभाजी आसवन विधि से 95% से अधिक सान्द्रता का एथेनॉल नहीं बना सकते क्योंकि 95% एथेनॉल तथा 5% जल का मिश्रण स्थिर क्वथनांकी मिश्रण होता है, जिसका प्रभाजी आसवन सम्भव नहीं है क्योंकि इसका क्वथनांक निश्चित होता है।

प्रश्न 9.
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 87
उपर्युक्त अभिक्रिया में बने उत्पाद X व Y के रासायनिक सूत्र तथा नाम लिखो। X तथा Y को वाष्पीय आसवन विधि से पृथक् क्यों किया जा सकता है?
उत्तर:
फीनॉल की तनु HNO3 से क्रिया निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 88
उपर्युक्त अभिक्रिया से प्राप्त दोनों समावयवियों को वाष्पीय आसवन से पृथक् कर सकते हैं क्योंकि o- नाइट्रोफीनॉल अंतः अणुक (intra- molecular H-bond) हाइड्रोजन बन्ध के कारण भाप में वाष्पशील होता है तथा इसमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध, p-समावयवी की तुलना दुर्बल है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 89

प्रश्न 10.
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 90 उपर्युक्त अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए एवं अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 91
एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 92
II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation )यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 93
III. विप्रोटोनीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 94
पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में A, B, C व D को पहचानिए –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 95
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 96

प्रश्न 12.
निम्नलिखित के कारण दीजिए-
(अ) ऐथिल ऐल्कोहॉल से फीनॉल अधिक अम्लीय है।
(ब) प्रोपेनॉल का क्वथनांक ब्यूटेन से अधिक है।
उत्तर:
(अ) फीनॉलों का अम्लीय गुण तथा ऐल्कोहॉल के अम्लीय गुण से इसकी तुलना-फीनॉल का अम्लीय गुण, ऐल्कोहॉल की तुलना में अधिक होता है तथा फीनॉल एथेनॉल से लगभग दस लाख गुना अधिक अम्लीय होता है। इसकी पुष्टि इसकी जलीय NaOH के साथ क्रिया द्वारा भी होती है।

फीनॉल के अधिक अम्लीय गुण की व्याख्या निम्न प्रकार की ज़ा सकती है-
फीनॉल में -OH समूह, बेन्जीन वलय के sp² संकरित कार्बन से जुड़ा होता है जिसकी विद्युत ऋणता अधिक होने के कारण यह इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह की तरह कार्य करता है जिसके कारण फीनॉल में अनुनाद होता है एवं इसकी ऑक्सीजन धनावेशित होकर -O-H बन्ध की ध्रुवता बढ़ा देती है जिससे ऐल्कोहॉल की तुलना में फीनॉल का आयनन अधिक होता है। फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 97
ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल का आयनन निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 98
ऐल्कॉक्साइड आयन में ऋणावेश ऑक्सीजन पर ही स्थायीकृत (Localised) रहता है जबकि फीनॉक्साइड आयन में अनुनाद के कारण ऋणावेश का विस्थानीकरण (Delocalisation) हो जाता है जिससे इसका स्थायित्व अधिक होता है। इसी कारण फीनॉल का आयनन, ऐल्कोहॉल की तुलना में अधिक होता है जो इसके अधिक अम्लीय गुण के लिए उत्तरदायी है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 99
फीनॉल में भी अनुनाद के द्वारा आवेश का विस्थानीकरण (delocalisation) होता है लेकिन इसकी अनुनादी संरचनाओं में आवेशों का पृथक्करण (Separation) होता है अत: फीनॉक्साइड आयन की तुलना में फीनॉल कम स्थायी होता है।

(ब) प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक होता है क्योंकि प्रोपेनॉल में प्रबल अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है; जबकि ब्यूटेन में अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 13.
हिन्सबर्ग अभिकर्मक का रासायनिक नाम एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
ऐरिल सल्फोनिल क्लोराइड को हिन्सबर्ग अभिकर्मक कहते हैं, जैसे- बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 100

प्रश्न 14.
(अ) द्वितीयक – ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
(ब) निम्नलिखित यौगिकों से फीनॉल विरचन के समीकरण दीजिए-
(i) बेन्जीन
(ii) ऐनिलीन।
(स) फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
अथवा
(अ) मेथिल n प्रोपिल ईथर का IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
(ब) निम्नलिखित अभिक्रियाओं द्वारा ईथर विरचन के समीकरण दीजिए-
(i) ऐल्कोहॉल के निर्जलन द्वारा
(ii) विलियम्सन संश्लेषण द्वारा।
(स) ऐल्कॉक्सी बेन्जीन की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
(अ) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 101 होता है तथा इसका IUPAC नाम
(ब)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 102
(स) फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 103
अथवा
(अ) मेथिल n. प्रोपिल ईथर का संरचना सूत्र CH3-O-CH2-CH2-CH3 होता है तथा इसका IUPAC नाम 1 मेथॉक्सी प्रोपेन है।

(ब) (i) ऐल्कोहॉल का निर्जलन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 104

(ii) विलियम्सन संश्लेषण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 105

(स) ऐल्कॉक्सी बेन्जीन (C6H5OR) की अनुनादी संरचनाएँ प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 106

प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिये –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 107
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 91
एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 92
II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation )यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 93
III. विप्रोटोनीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 94
पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।

प्रश्न 16.
विलियम्सन ईथर संश्लेषण में सन्निहित अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
विलियम्सन ईथर संश्लेषण में सन्निहित अभिक्रिया निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 108
उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 109

प्रश्न 17.
(i) निम्नलिखित में से कौनसा समावयवी अधिक वाष्पशील है : o – नाइट्रोफीनॉल या p- नाइट्रोफीनॉल।
(ii) निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में A, B तथा पहचानिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 110
उत्तर:
(i) o-नाइंट्रेफीनॉल, p-नाइट्रोफीनॉल से अधिक वाष्पशील होता है क्योंकि इसमें अन्तःअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है। अतः इसमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध p-नाइट्रोफीनॉल की तुलना में दुर्बल होता है।

(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 111

प्रश्न 18.
आप फिनॉल को बेन्जीन में परिवर्तित कैसे करेंगे?
उत्तर:
फीनॉल को यशदरज (जिंक चूर्ण) के साथ गर्म करने पर यह बेन्जीन में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 112

प्रश्न 19.
जब एथेनॉल की क्रिया सान्द्र H2SO4 के साथ 413K पर कराई जाती है, तब मुख्य उत्पाद क्या बनता है?
उत्तर:
एथेनॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ 413 K पर क्रिया कराने पर मुख्य उत्पाद ईधर प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 113

प्रश्न 20.
क्या होता है जब 19 एवं 2° पृथक् ऐल्कोहॉलों का निर्जल क्रोमियम ट्राइऑक्साइड (CrO3) द्वारा ऑक्सीकरण किया जाता है? रासायनिक समीकरणें लिखिए।
उत्तर:
निर्जल क्रोमियम ट्राइऑक्साइड (CrO3) द्वारा प्राथमिक ऐल्कोहॉलों के ऑक्सीकरण से ऐल्डिहाइड तथा द्वितीयक ऐल्कोहॉलों के ऑक्सीकरण से कीटोन प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 114

प्रश्न 21.
(अ) अधोलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
(i) CH2 = CH – CH2 – OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 115

(ब) निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) फीनॉल की CS2 की उपस्थिति में ब्रोमीन के साथ
(ii) एथेनॉल को Cu की उपस्थिति में 573 K ताप पर गरम करने पर।
अथवा
(अ) अधोलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 116

(ब) निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए –
(i) फीनॉल की सान्द्र HNO3 के साथ
(ii) फीनॉल की यशद रज के साथ।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 117

प्रश्न 22.
दिए गए यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 118
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर 119
इस यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. नाम 2 2 – डाईमेथिल प्रोपेन -1- ऑल है।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित के लिए कारण दीजिए :
(i) p- मेथिलफीनॉल की अपेक्षा p- नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय है।
(ii) फीनॉल में C-O आबन्ध लम्बाई अपेक्षाकृत छोटी है मेथेनॉल में के उसी आबन्ध से।
(iii) सोडियम मेथॉक्साइड (N\(\stackrel{+}{a}\)\(\stackrel{-}{O}\) CH3) के साथ अभिक्रिया करने पर (CH3)3C – Br मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्कीन देता है न कि ईथर |
उत्तर:
(i) p- मेथिल फीनॉल की अपेक्षा p-नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय है क्योंकि – NO2 समूह का – I तथा M प्रभाव फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि मेथिल ( – CH3) समूह का + I प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है, अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।

(ii) इस प्रश्न के उत्तर के लिए अभ्यास 11.1 में लघुत्तरात्मक प्रश्न संख्या 1 (b) का उत्तर देखें ।

(iii) सोडियम मेथॉक्साइड (N\(\stackrel{+}{a}\)\(\stackrel{-}{O}\) CH3) के साथ अभिक्रिया करने पर (CH3)3C – Br मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्कीन देता है न किं ईथर, क्योंकि सोडियम मेथॉक्साइड एक प्रबल नाभिक स्नेही एवं प्रबल क्षारक है अतः विलोपन अभिक्रिया, प्रतिस्थापन अभिक्रिया से अधिक प्रभावी होती है।
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Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. कोलॉइडी सॉल होता है-
(अ) वास्तविक विलयन
(ब) निलम्बन
(स) विषमांगी सॉल
(द) समांगी सॉल
उत्तर:
(स) विषमांगी सॉल

2. निम्नलिखित में से किस गैस का सक्रियित चारकोल पर अधिशोषण सुगमता से होगा?
(अ) SO2
(ब) O2
(स) N2
(द) H2
उत्तर:
(अ) SO2

3. दूध, निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?
(अ) पायस (इमल्शन )
(ब) निलम्बन
(स) सॉल
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) पायस (इमल्शन )

4. निम्नलिखित में से किस धातु का सॉल नहीं बनाया जा सकता?
(अ) Au
(ब) Pt
(स) Cu
(द) K
उत्तर:
(द) K

5. कोहरा निम्नलिखित में से किसका कोलॉइड है-
(अ) द्रव में परिक्षिप्त ठोस
(ब) गैस में परिक्षिप्त द्रव
(स) द्रव में परिक्षिप्त गैस
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) गैस में परिक्षिप्त द्रव

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6. log \(\frac { x }{ m }\) तथा log p के मध्य ग्राफ खींचने पर सीधी रेखा प्राप्त होती है जिसका ढाल किसके तुल्य होगा-
(अ) n
(ब) log k
(स) 1/n
(द) k
उत्तर:
(स) 1/n

7. किसी ऋणावेशित कोलॉइड के स्कंदन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त लवण है-
(अ) Na3PO4
(ब) K4[Fe(CN)6]
(स) AlCl3
(द) ZnSO4
उत्तर:
(स) AlCl3

8. निम्नलिखित में से किसका सॉल जलविरोधी है?
(अ) स्टार्च
(ब) गोंद
(स) प्रोटीन
(द) आसनियस सल्फाइड
उत्तर:
(द) आसनियस सल्फाइड

9. किसी आयन की कोलॉइड को स्कन्दित करने की क्षमता निर्भर करती है-
(अ) आयन के आकार पर
(ब) आयन के आवेश पर
(स) ताप पर
(द) आयन की मात्रा तथा आवेश पर
उत्तर:
(द) आयन की मात्रा तथा आवेश पर

10. अधिशोषण सिद्धान्त, निम्नलिखित में से किस प्रकार के उत्प्रेरण की व्याख्या करता है?
(अ) समांगी उत्प्रेरण
(ब) एन्जाइम उत्प्रेरण
(स) अम्ल-क्षार उत्प्रेरण
(द) विषमांगी उत्प्रेरण
उत्तर:
(द) विषमांगी उत्प्रेरण

11. निम्नलिखित में कौनसा कोलॉइड का उदाहरण नहीं है?
(अ) तेल तथा जल का मिश्रण
(ब) दूध तथा पानी
(स) साधारण जल
(द) पनीर
उत्तर:
(स) साधारण जल

12. कोलॉइड को आवेशविहीन करके अवक्षेपित करना कहलाता है-
(अ) अपोहन
(ब) स्कन्दन
(स) पायसीकरण
(द) परिरक्षण
उत्तर:
(ब) स्कन्दन

13. स्टार्च के माल्टोस में परिवर्तन हेतु उपयुक्त एन्जाइम है-
(अ) माल्टेज
(ब) डायस्टेज
(स) जाइमेज
(द) इन्वर्टेज
उत्तर:
(ब) डायस्टेज

14. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ अच्छा अधिशोषक है?
(अ) चारकोल
(ब) सिलिका जेल
(स) ऐलुमिना जेल
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

15. ताप बढ़ाने पर भौतिक अधिशोषण-
(अ) बढ़ता है
(ब) घटता है
(स) स्थिर रहता है
(द) कभी बढ़ता है, कभी घटता है
उत्तर:
(ब) घटता है

16. निम्नलिखित में से किस एन्जाइम का स्रोत यीस्ट (खमीर) नहीं है?
(अ) इन्वर्टेज
(ब) जाइमेज
(स) माल्टेज
(द) यूरिएज
उत्तर:
(द) यूरिएज

17. वृहदाण्विक कोलॉइड का उदाहरण निम्नलिखित में से कौनसा नहीं है?
(अ) संश्लेषित रबर
(ब) सल्फर सॉल
(स) स्टार्च
(द) एन्जाइम
उत्तर:
(ब) सल्फर सॉल

18. ऋणावेशित सॉल का उदाहरण है-
(अ) हिमोग्लोबिन
(ब) गोल्ड सॉल
(स) Al2O3 . x H2O
(द) TiO2 सॉल
उत्तर:
(ब) गोल्ड सॉल

19. निम्नलिखित में से कौनसा कोलॉइड का उदाहरण है-
(अ) पेंट
(ब) स्याही
(स) रबर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

20. समान सांद्रता पर कोलॉइडी विलयन के अणुसंख्यक गुणों का मान, वास्तविक विलयन की तुलना में-
(अ) कम होता है।
(ब) अधिक होता है।
(स) समान होता है।
(द) कभी कम तथा कभी अधिक होता है।
उत्तर:
(अ) कम होता है।

21. As2S3 के कोलॉइडी विलयन के स्कन्दन में निम्नलिखित में से किसका स्कन्दन मान न्यूनतम होगा-
(अ) BaCl2
(ब) KCl
(स) AlCl3
(द) NaCl
उत्तर:
(स) AlCl3

22. रक्षी कोलॉइडों A, B, C तथा D की स्वर्ण संख्या क्रमशः 0.5, 0.01 0.10 तथा 0.005 है तो इनकी रक्षण क्षमता का सही क्रम
(अ) B < D < A < C
(ब) C < B < D < A
(स) D < A < C < B
(द) A < C < B < D
उत्तर:
(द) A < C < B < D

23. निम्नलिखित में से जेल का उदाहरण है-
(अ) पनीर
(ब) कुहरा
(स) साबुन
(द) दूध
उत्तर:
(अ) पनीर

24. अधिशोषण प्रक्रम में किसका मान ऋणात्मक (शून्य से कम) होता है?
(अ) △H
(ब) △S
(स) △G
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

25. उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाता है-
(अ) सक्रियण ऊर्जा घटाकर
(ब) अभिकारकों से क्रिया करके
(स) उत्पादों से क्रिया करके
(द) सक्रियण ऊर्जा बढ़ाकर
उत्तर:
(अ) सक्रियण ऊर्जा घटाकर

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

26. सल्फर (गन्धक) के सॉल में होते हैं-
(अ) विविक्त सल्फर अणु
(ब) ठोस सल्फर में परिक्षिप्त जल
(स) सल्फर अणुओं के बड़े समूह
(द) विविक्त सल्फर परमाणु
उत्तर:
(स) सल्फर अणुओं के बड़े समूह

27. फिटकरी द्वारा जल का शोधन होता है-
(अ) अपोहन से
(ब) अधिशोषण से
(स) स्कन्दन से
(द) अवशोषण से
उत्तर:
(स) स्कन्दन से

28. कृत्रिम वर्षा निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है-
(अ) स्कन्दन
(ब) अपोहन
(स) वैद्युतकणसंचलन
(द) पेप्टीकरण
उत्तर:
(अ) स्कन्दन

29. मानव शरीर में वृक्क (Kidney) द्वारा रक्त का शोधन है-
(अ) स्कन्दन
(ब) अपोहन
(स) वैद्युत परासरण
(द) वैद्युतकणसंचलन
उत्तर:
(ब) अपोहन

30. विभिन्न विधियों से प्राप्त गोल्ड सॉल का रंग भिन्न-भिन्न होने का कारण है-
(अ) भिन्न सान्द्रण
(ब) कणों का भिन्न-भिन्न आकार
(स) भिन्न अशुद्धियाँ
(द) भिन्न संयोजकता
उत्तर:
(ब) कणों का भिन्न-भिन्न आकार

31. स्वर्णांक मापक है-
(अ) रक्षी कोलॉइड की रक्षण क्षमता का
(ब) स्वर्ण की शुद्धता का
(स) धात्विक स्वर्ण का
(द) विद्युत लेपित स्वर्ण का
उत्तर:
(अ) रक्षी कोलॉइड की रक्षण क्षमता का

32. निम्नलिखित में से कौनसा मिलान अशुद्ध है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 1
उत्तर:
(द)

33. फेरिक क्लोराइड का प्रयोग कटने के कारण होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता है, क्योंकि
(अ) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।
(ब) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक धनावेशित सॉल है।
(स) Cl आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि धनावेशित सॉल है।
(द) Cl आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।
उत्तर:
(अ) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
अधिशोषण एक सतही घटना है, क्यों?
उत्तर:
ठोस या द्रव की सतह पर मुक्त संयोजकताएँ पाई जाती हैं। अतः अधिशोषण सतह पर ही होता है अतः यह एक सतही घटना है।

प्रश्न 2.
अवशोषण को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ में प्रवेश करके समान रूप से वितरित हो जाते हैं, उसे अधिशोषण कहते हैं।

प्रश्न 3.
शर्करा के विलयन को रंगहीन करने के लिए कौनसा अधिशोषक प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
शर्करा विलयन को रंगहीन करने के लिए जान्तव चारकोल प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 4.
Pd, Pt, Au तथा Ni की अधिशोषण क्षमता का घटता क्रम बताइए।
उत्तर:
इन धातुओं की अधिशोषण का क्षमता क्रम निम्न प्रकार होता है Pd > Pt > Au > Ni

प्रश्न 5.
दो अधिशोषण सूचकों के नाम बताइए।
उत्तर:
ईओसीन तथा फ्लुओरेसीन अधिशोषण सूचक का कार्य करते हैं।

प्रश्न 6.
रासायनिक अधिशोषण पर ताप का प्रभाव बताइए ।
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण पहले बढ़ता है फिर कम होता है।

प्रश्न 7.
अधिशोषण समतापी क्या होता है?
उत्तर:
निश्चित ताप पर अधिशोषित गैस की मात्रा तथा साम्यावस्था दाब के मध्य सम्बन्ध को अधिशोषण समतापी कहते हैं।

प्रश्न 8.
समांगी उत्प्रेरण का सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
समांगी उत्प्रेरण, माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त पर कार्य करता है।

प्रश्न 9.
टेट्रा एथिल लैड (C2H5)4Pb का उपयोग क्या है?
उत्तर:
टेट्रा एथिल लैड पेट्रोल की गुणवत्ता बढ़ाकर उसके अपस्फोटन को कम करता है।

प्रश्न 10.
एन्जाइम की कार्यप्रणाली क्या होती है?
उत्तर:
एन्जाइम ताला चाबी सिद्धान्त पर कार्य करता है।

प्रश्न 11.
सहएन्जाइम क्या होते हैं?
उत्तर:
वे अप्रोटीन भाग जो एन्जाइम के साथ जुड़े होते हैं तथा एन्जाइम की सक्रियता में वृद्धि करते हैं, उन्हें सहएन्जाइम कहते हैं। मुख्यतः ये विटामिनों के व्युत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 12.
एन्जाइम की सक्रियता को कम करने वाले विषकारकों (उत्प्रेरक विष) के उदाहरण बताइए।
उत्तर:
CS2 तथा HCN विषकारकों की भाँति कार्य करते हैं।

प्रश्न 13.
पेप्सिन एन्जाइम का कार्य बताइए |
उत्तर:
पेप्सिन एन्जाइम प्रोटीनों को एमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है।

प्रश्न 14.
ऐल्कोहॉल को गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित करने वाला उत्प्रेरक कौनसा होता है?
उत्तर:
ZSM-5

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 15.
एन्जाइम के अणुओं का आकार कितना होता है?
उत्तर:
एन्जाइम के अणुओं का आकार 10Å से 1000Å तक होता है।

प्रश्न 16.
सर्वप्रथम उत्प्रेरक शब्द का प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक कौन थे?
उत्तर:
बर्जीलियस ने सर्वप्रथम उत्प्रेरक शब्द का प्रयोग किया था।

प्रश्न 17.
उत्प्रेरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी उत्प्रेरक द्वारा रासायनिक अभिक्रिया के वेग में वृद्धि करने की क्रिया को उत्प्रेरण कहते हैं।

प्रश्न 18.
वर्धक क्या होते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को बढ़ा देते हैं, उन्हें उत्प्रेरक वर्धक कहते हैं। जैसे NH3 के निर्माण में Mo, Fe की क्रियाशीलता को बढ़ा देता है।

प्रश्न 19.
दो गैसों के मिलाने पर कोलॉइड नहीं बनता, क्यों?
उत्तर:
कोलॉइड विषमांगी तंत्र होता है जबकि गैसें आपस में मिलकर हमेशा समांगी विलयन बनाती हैं अतः दो गैसों को मिलाने पर कोलॉइड नहीं बनता।

प्रश्न 20.
दूध को कोलॉइडी विलयनों की किस श्रेणी में लिया जाता है?
उत्तर:
दूध, जल में तेल श्रेणी का एक पायस है।

प्रश्न 21.
सबसे कम तथा सबसे अधिक स्वणांक वाले द्रव स्नेही कोलॉइडों का नाम बताइए।
उत्तर:
जिलेटिन का स्वर्णाक सबसे कम (0.005) तथा आलू के स्टार्च का स्वणांक सबसे अधिक (25) होता है।

प्रश्न 22.
द्रव स्नेही सॉल, द्रव विरोधी सॉल की तुलना में अधिक स्थायी होता है, क्यों?
उत्तर:
द्रव स्नेही सॉल के अधिक स्थायित्व का कारण उनके कणों का जलयोजन (विलायकन) है।

प्रश्न 23.
कैसियस का पर्पल क्या होता है?
उत्तर:
गोल्ड के कोलॉइडी विलयन को कैसियस का पर्पल कहते हैं।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित को किस प्रकार के कोलॉइड में वर्गीकृत किया जाएगा?
(i) साबुन का सान्द्र विलयन
(ii) जल में अण्डे का सफेद भाग ।
उत्तर:
(i) सहचारी कोलॉइड
(ii) वृहदाण्विक कोलॉइड (प्रोटीन) ।

प्रश्न 25.
कालाजार बुखार के इलाज के लिए प्रयुक्त कोलॉइड बताइए ।
उत्तर:
कोलॉइडी ऐण्टीमनी को कालाजार बुखार के इलाज के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 26.
फोटोग्राफी में जिलेटिन का क्या कार्य है?
उत्तर:
फोटोग्राफी में जिलेटिन रक्षी कोलॉइड का कार्य करता है।

प्रश्न 27.
दो नदियों के मिलने पर डेल्टा नहीं बनता, क्यों?
उत्तर:
दो नदियों में उपस्थित कोलॉइडी कणों पर समान आवेश होने के कारण, उनका स्कन्दन नहीं होता अतः डेल्टा नहीं बनता।

प्रश्न 28.
कोलॉइडों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन का कारण बताइए।
उत्तर:
कोलॉइडों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन ( टिन्डल प्रभाव ) का कारण परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के अपवर्तनांक में अन्तर है।

प्रश्न 29.
उत्प्रेरक किस प्रकार कार्य करते हैं?
उत्तर:
उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को कम करके उसे एक नया पथ प्रदान करते हैं जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।

प्रश्न 30.
एन्जाइम तथा अकार्बनिक उत्प्रेरक में एक अन्तर बताइए ।
उत्तर:
एन्जाइम उच्च अणुभार युक्त जटिल प्रोटीन होते हैं जबकि अकार्बनिक उत्प्रेरक सरल अणु या आयन होते हैं।

प्रश्न 31.
ब्राउनी गति किस सिद्धान्त के पक्ष में प्रायोगिक प्रमाण प्रस्तुत करती है?
उत्तर:
गैसों का अणुगति सिद्धान्त ।

प्रश्न 32.
भौतिक अधिशोषण बहुपरतीय होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण एकपरतीय क्यों?
उत्तर:
भौतिक अधिशोषण के बहुपरतीय होने का कारण वान्डरवाल बल है जबकि रासायनिक अधिशोषण के एकपरतीय होने का कारण रासायनिक बन्ध का बनना है।

प्रश्न 33.
अधिशोषक का विशिष्ट क्षेत्रफल क्या होता है?
उत्तर:
किसी अधिशोषक के प्रतिग्राम पृष्ठ क्षेत्रफल को उसका विशिष्ट क्षेत्रफल कहते हैं।

प्रश्न 34.
नमी को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त दो अधिशोषक बताइए।
उत्तर:
सिलिका जेल तथा ऐलुमिना जेल।

प्रश्न 35.
जल की कठोरता को दूर करने के लिए प्रयुक्त अधिशोषक कौनसा होता है?
उत्तर:
जिओलाइट।

प्रश्न 36.
एन्जाइम उत्प्रेरण समांगी होता है या विषमांगी ।
उत्तर:
एन्जाइम उत्प्रेरण विषमांगी होता है।

प्रश्न 37.
उस अभिक्रिया का समीकरण लिखिए जो माइकोडर्मा एसीटि एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है।
उत्तर:
माइकोडर्मा एसीटि
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

प्रश्न 38.
समान रंग के कोलाइड तथा वास्तविक विलयन में कैसे अन्तर करेंगे?
उत्तर:
टिन्डल प्रभाव द्वारा, क्योंकि वास्तविक विलयन में टिन्डल प्रभाव नहीं होता।

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण के प्रकार बताइए।
उत्तर:
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण को, अधिशोष्य तथा अधिशोषक के अणुओं के मध्य आकर्षण बलों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
(a) भौतिक अधिशोषण
(b) रासायनिक अधिशोषण या रसोवशोषण

(a) भौतिक अधिशोषण (Physical Adsorpiton or Physiorption) या वान्डरवाल अधिशोषण (Vanderwal Adsorption) – किसी ठोस की सतह पर जब गैस का अधिशोषण वान्डरवाल बलों के कारण होता है तो इसे भौतिक अधिशोषण कहते हैं। दुर्बल वान्डरवाल बलों के कारण ताप बढ़ाने से या दाब कम करने से इसे आसानी से कम किया जा सकता है। भौतिक अधिशोषण में अधिशोष्य तथा अधिशोषक के मध्य किसी प्रकार के रासायनिक बन्ध का निर्माण नहीं होता।

रासायनिक अधिशोषण या लेग्मूर अधिशोषण (Chemisorption or Chemical Adsorption or Langmuir Adsorption)-जब किसी ठोस की सतह पर गैस के अधिशोषण में रासायनिक बन्ध बनते हैं तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते हैं। ये रासायनिक बन्ध आयनिक या सहसंयोजक हो सकते हैं, लेकिन प्रायः यह बन्ध सहसंयोजक होता है। रासायनिक अधिशोषण की सक्रियण ऊर्जा उच्च होती है अतः इसे सक्रियत अधिशोषण (activated adsorption) भी कहते हैं।

भौतिक एवं रासायनिक अधिशोषण साथ-साथ भी हो सकते हैं। तब निम्न ताप पर होने वाला भौतिक अधिशोषण, ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण, H2 गैस पहले Ni की सतह पर वान्डरवाल बलों के द्वारा अधिशोषित होती है। उसके बाद हाइड्रोजन के अणु, परमाणुओं में वियोजित होकर रासायनिक अधिशोषण द्वारा निकल की सतह पर बंध जाते हैं, क्योंकि उच्च ताप पर अभिकारकों को सक्रियण ऊर्जा प्राप्त हो जाती है।

रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषक की सतह पर उत्पाद बनता है, अतः विशोषण के समय उत्पाद का ही विशोषण होता है। जैसे कार्बन की सतह पर O2 के अधिशोषण से CO तथा CO2 बनती है तथा इन्हीं CO तथा CO2 का विशोषण होता है।

प्रश्न 2.
रासायनिक अधिशोषण के मुख्य अभिलक्षण बताइए।
उत्तर:
रासायनिक अधिशोषण या लेग्मूर अधिशोषण (Chemisorption or Chemical Adsorption or Langmuir Adsorption)-जब किसी ठोस की सतह पर गैस के अधिशोषण में रासायनिक बन्ध बनते हैं तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते हैं। ये रासायनिक बन्ध आयनिक या सहसंयोजक हो सकते हैं, लेकिन प्रायः यह बन्ध सहसंयोजक होता है। रासायनिक अधिशोषण की सक्रियण ऊर्जा उच्च होती है अतः इसे सक्रियत अधिशोषण (activated adsorption) भी कहते हैं।

भौतिक एवं रासायनिक अधिशोषण साथ-साथ भी हो सकते हैं। तब निम्न ताप पर होने वाला भौतिक अधिशोषण, ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण, H2 गैस पहले Ni की सतह पर वान्डरवाल बलों के द्वारा अधिशोषित होती है। उसके बाद हाइड्रोजन के अणु, परमाणुओं में वियोजित होकर रासायनिक अधिशोषण द्वारा निकल की सतह पर बंध जाते हैं, क्योंकि उच्च ताप पर अभिकारकों को सक्रियण ऊर्जा प्राप्त हो जाती है।

रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषक की सतह पर उत्पाद बनता है, अतः विशोषण के समय उत्पाद का ही विशोषण होता है। जैसे कार्बन की सतह पर O2 के अधिशोषण से CO तथा CO2 बनती है तथा इन्हीं CO तथा CO2 का विशोषण होता है।

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प्रश्न 3.
भौतिक अधिशोषण तथा रासायनिक अधिशोषण की तुलना कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 2

प्रश्न 4.
(a) नारियल चारकोल द्वारा अक्रिय गैसों का पृथक्करण किस प्रकार किया जाता है? समझाइए।
(b) अधिधारण किसे कहते हैं?
उत्तर:
(a) अक्रिय गैसों के मिश्रण को नारियल चारकोल पर प्रवाहित करके इन्हें पृथक किया जाता है क्योंकि इस चारकोल की अधिशोषण क्षमता भिन्न-भिन्न गैसों के लिए भिन्न-भिन्न होती है। यह अधिशोषण भिन्नभिन्न तापों पर किया जाता है।
(b) किसी धातु के द्वारा हाइड्रोजन गैस के अधिशोषण को अधिधारण (Occlusion) कहते हैं।

प्रश्न 5.
एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(i) स्टार्च का माल्टोस में परिवर्तन-डायस्टेज एन्जाइम स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 3
(ii) माल्टोस का ग्लूकोस में परिवर्तन-माल्टेज एन्जाइम माल्टोस को ग्लूकोज में बदल देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 4
(iii) यूरिया का अमोनिया तथा कार्बन डाइऑक्साइड में अपघटन-यह अपघटन यूरिएज एन्जाइम द्वारा होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 5

प्रश्न 6.
निम्नलिखित एन्जाइमों द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाएँ लिखिए-
(i) इन्वर्टेस
(ii) जाइमेज
(iii) पेप्सिन
(iv) ट्रिप्सिन
(v) लैक्टोबैसिलस।
उत्तर:
(i) इन्बर्टेस एन्जाइम इक्षु शर्करा (सूक्रोस) को ग्लूकोस एवं फ्रक्टोस में परिवर्तित कर देता है। इसे शर्करा का प्रतीपन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 6
(ii) जाइमेज एन्जाइम से ग्लूकोस, ऐथिल ऐल्कोहॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 7
यहाँ ग्लूकोस का किण्वन हो रहा है।
(iii) पेप्सिन एन्जाइम, आमाशय में प्रोटीनों को पेप्टाइडों में परिवर्तित
(iv) ट्रिप्सिन एन्जाइम आँत में प्रोटीनों को ऐमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है।
(v) लेक्टोबैसिलस द्वारा दुग्ध का दही में परिवर्तन होता है।

प्रश्न 7.
स्वः उत्प्रेरक क्या होता है ? समझाइए।
उत्तर:
समांगी उत्प्रेरण- किसी अभिक्रिया में जब अभिकारकों तथा उत्प्रेरकों की भौतिक अवस्था समान (द्रव या गैस) होती है तो इसे समांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण:
(i) सीस कक्ष विधि (लेड चेंबर प्रक्रम) में नाइट्रिक ऑक्साइड उत्प्रेक की उपस्थिति में, सल्फर डाइऑक्साइड की ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया द्वारा सल्फर ट्राइऑक्साइड में ऑक्सीकरण-
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(ii) शर्करा का जल अपघटन, सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा प्राप्त H+ आयनों द्वारा होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 9
(iii) NO की उपस्थिति में CO का CO2 में ऑक्सीकरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 10
(iv) HCl द्वारा प्राप्त H+ आयनों की उपस्थिति में मेथिल ऐसीटेट का जल अपघटन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 11

प्रश्न 8.
कोलॉइडी विलयनों के अणुसंख्यक गुण वास्तविक विलयनों से कम होते हैं, क्यों?
उत्तर:
अणुसंख्य गुण, कणों की संख्या पर निर्भर करते हैं। कोलॉइडी कण बड़े पुंज या समूह के रूप में होते हैं अतः क्रोलॉइडी विलयन हैं में कणों की संख्या वास्तविक विलयन की अपेक्षा कम होती है। अतः समान सान्द्रता पर इसके अणुसंख्य गुणों (परासरण दाब, वाष्पदाब अवनमन, हिमांक अवनमन, क्वथनांक उन्नयन आदि) के मान वास्तविक विलयन से कम होते हैं।

प्रश्न 9
रक्षी कोलॉइड क्या होते हैं? इनसे द्रव विरोधी कोलॉइडों का रक्षण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
कोलॉइडी विलयनों के गुण:
कोलॉइडी विलयनों के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं-

  • विषमांगी प्रकृति – कोलॉइडी विलयन विषमांगी होता है, जिसमें दो घटक परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था होते हैं।
  • निस्यन्दता – कोलॉइडी विलयन के कण साधारण फिल्टर पत्र से छन जाते हैं लेकिन जान्तव झिल्ली या चर्म पत्र से नहीं छनते।
  • सतही क्षेत्रफल – कोलॉइड में उपस्थित कोलाँइडी कणों का सतही क्षेत्रफल बहुत अधिक होता है अतः कोलॉइड अच्छे अधिशोषक तथा प्रभावी उत्प्रेरक होते हैं।
  • स्थायित्व – द्रवस्नेही कोलॉइड, द्रव विरोधी कोलॉइड की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।

प्रश्न 10.
(a) वैद्युत परासरण किसे कहते हैं?
(b) निम्नलिखित सॉलों में से धनावेशित तथा ऋणावेशित सॉलों को वर्गीकृत कीजिए-
Sh2S3 सॉल, सिल्वर सॉल, इओसिन रंजक, जिलेटिन, हिमोग्लोबिन, TiO2 सॉल।
उत्तर:
(a) वैद्युत परासरण जब किसी उपयुक्त विधि द्वारा वैद्युतकणसंचलन अर्थात् कोलॉइडी कणों की गति को रोका जाता है तो विद्युत क्षेत्र द्वारा परिक्षेपण माध्यम गति करना प्रारम्भ कर देता है। इस प्रक्रम को वैद्युत परासरण कहते हैं।
(b) धनावेशित सॉल – हिमोग्लोबिन (रक्त) TiO2 सॉल
ऋणावेशित सॉल – Sb2S3 सॉल, सिल्लर सॉल, इओसिन रंजक, जिलेटिन।

प्रश्न 11.
(a) स्वर्णांक क्या होता है? समझाइए।
(b) खतरे के संकेत हमेशा लाल रंग के ही बनाए जाते हैं, नीले रंग के नहीं, क्यों?
उत्तर:
(a) स्वणांक से द्रव स्नेही सॉल (रक्षक कोलॉइड) की रक्षण क्षमता को व्यक्त किया जाता है। स्वर्णक, रक्षक कोलॉइड की मिलीग्राम में वह न्यूनतम मात्रा है, जो NaCl के 10 प्रतिशत विलयन के एक मिली आयतन को 10 मिली मानक गोल्ड सॉल में मिलाने पर उसके स्कन्दन को रोकने के लिए पर्याप्त होती है।

(b) लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है जिससे खतरे का संकेत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है जबकि नीले रंग का प्रकीर्णन अधिक होने के कारण संकेत फैला हुआ दिखाई देता है जो कि स्पष्ट नहीं होता । अतः खतरे के संकेत हमेशा लाल रंग के ही बनाए जाते हैं।

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प्रश्न 12.
उद्योगों में मिलों की चिमनियों में कॉट्रेल अवक्षेपक का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कोलॉइडों के अनुप्रयोग – कोलॉइडों के महत्वपूर्ण औद्योगिक अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-

(i) चर्मशोधन – पशुओं की खाल कोलॉइडी प्रकृति की होती है जिस पर धनात्मक आवेशित कण होते हैं। इसे टेनिन में भिगोया जाता है, जिसमें ऋणावेशित कोलॉइडी कण होते हैं, जिनसे पारस्परिक स्कंदन हो जाता है। इससे चमड़ा कठोर हो जाता है तथा इस प्रक्रिया को चर्मशोधन कहते हैं। टेनिन के स्थान पर क्रोमियम लवणों का उपयोग भी चर्मशोधन में किया जाता है।

(ii) धूम्र का विद्युतीय अवक्षेपण – धूम्र, कार्बन, आर्सेनिक यौगिकों, धूल आदि ठोस कणों
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का वायु में कोलॉइडी विलयन होता है। उद्योगों में चिमनी के बाहर आने से पहले धुएँ को इसके कणों से विपरीत आवेशित इलैक्ट्रोडों के कक्ष में से गुजारा जाता है। कण इन प्लेटों के संपर्क में आने पर अपना आवेश खोकर अवक्षेपित हो जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त कण कक्ष के फर्श पर बैठ जाते हैं। इस अवक्षेपक को कॉट्रेल अवक्षेपक कहते हैं।

(iii) पेयजल का शुद्धिकरण – प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त जल में प्रायः अशुद्धियाँ मिली होती हैं। ऐसे जल से अशुद्धियों को स्कंदित करने के लिए फिटकरी मिलाई जाती है जिससे जल पीने योग्य हो जाता है।

(iv) औषधियाँ – अधिकांश औषधियाँ कोलॉइडी प्रकृति की होती हैं। उदाहरणार्थ, आँखों का लोशन आर्जिरॉल, एक सिल्वर सॉल है। कोलॉइडी एन्टिमनी का उपयोग कालाजार के इलाज में होता है। कोलॉइडी गोल्ड का उपयोग अन्तःपेशी इन्जेक्शन में होता है। दूधिया मैग्नीशिया (पायस) का उपयोग पेट की बीमारियों में किया जाता है। कोलॉइडी औषधियों का पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होने के कारण, इनका स्वांगीकरण आसानी से होता है अतः ये अधिक प्रभावी होती हैं।

(v) फोटोग्राफी प्लेटें एवं फिल्में – जिलेटिन में प्रकाश संवेदी सिल्वर ब्रोमाइड के इमल्शन का ग्लास प्लेटों या सेलुलॉइड फिल्मों पर लेपन करके फोटोग्राफी की प्लेटें या फिल्म बनायी जाती हैं।

(vi) रबर उद्योग – लेटेक्स, रबर के ऋणात्मक आवेशित कणों का कोलॉइडी विलयन होता है। अतः रबर को लेटेक्स के स्कंदन से बनाया जाता है।

(vii) औद्योगिक उत्पाद – पेंट, स्याही, संश्लेषित प्लास्टिक, रबर, ग्रेफाइट, स्नेहक, सीमेन्ट आदि सभी पदार्थ कोलॉइड हैं।

(vii) औद्योगिक उत्पाद – पेंट, स्याही, संश्लेषित प्लास्टिक, रबर, ग्रेफाइट, स्नेहक, सीमेन्ट आदि सभी पदार्थ कोलॉइड हैं।

(viii) साबुन की शोधन क्रिया – साबुन की शोधन क्रिया में मिसेल का निर्माण होता है। इसकी व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है। हम पढ़ चुके हैं कि मिसेल निर्माण में जलविरोधी हाइड्रोकार्बन का एक केन्द्रीय कोड (भाग) होता है। शोधन क्रिया में साबुन के अणु तेल या चिकनाई की बूँदों के चारों ओर इस प्रकार मिसेल बनाते हैं कि स्टिऐरेट आयन (साबुन) का जलविरोधी भाग तेल की बूँदों के अंदर होता है एवं जल-स्नेही भाग चिकनाई की बूँदों के बाहर निकला रहता है।

(ix) वहित मल या अवशिष्ट का विसर्जन – नालियों में बहने वाले गन्दे जल में मल तथा मिट्टी के कण ऋणावेशित कोलॉइड के रूप में होते हैं, इसे शहर के बाहर बड़े-बड़े कुण्डों में लगे इलेक्ट्रोडों पर से प्रवाहित किया जाता है तो गन्दगी के कोलॉइडी कण अवक्षेपित होकर पृथक् हो जाते हैं, जिसे खाद के रूप में तथा जल को सिंचाई के लिए प्रयुक्त करते हैं। इस प्रकार के संयंत्रों को अवशिष्ट निस्तारण संयंत्र (Sewage Treatment Plant) कहते हैं।

प्रश्न 13.
(a) आइसक्रीम में जिलेटिन मिलाया जाता है, क्यों?
(b) गोंद तथा जिलेटिन का स्वर्णांक 0.10 तथा 0.005 है। इनमें से किसकी रक्षण क्षमता अधिक है तथा क्यों ?
उत्तर:
(a) आइसक्रीम में जिलेटिन मिलाने से इसमें उपस्थित दूध, . शर्करा तथा बर्फ का स्कन्दन नहीं होता है।
(b) गोंद तथा जिलेटिन में से जिलेटिन की रक्षण क्षमता अधिक है। क्योंकि जिस रक्षी कोलॉइड का स्वर्णाक कम होता है, उसकी रक्षण क्षमता अधिक होती है।

प्रश्न 14.
फाउण्टेन पेन की स्याही क्यों नहीं चिपकती है? कारण बताइए।
उत्तर:
स्याही बनाते समय इसमें काजल के साथ गोंद मिलाया जाता है जो कि रक्षी कोलॉइड है। यह स्याही को स्कन्दित होने से रोकता है अर्थात् उसको स्थायित्व प्रदान करता है। स्याही का स्कन्दन नहीं होने के कारण उसमें चिपचिपाहट नहीं होती अतः फाउण्टेन पेन की स्याही नहीं चिपकती।

प्रश्न 15.
सॉल, जेल तथा पायस में विभेद तथा उदाहरणों को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 13

प्रश्न 16. बादलों से कृत्रिम वर्षा किस प्रकार की जाती है? समझाइए।
उत्तर:
बादल, कोलॉइडी अवस्था में होते हैं, जिसमें वायु में जल के कण परिक्षिप्त रहते हैं। इनके ऊपर विपरीत आवेशयुक्त लवण का छिड़काव करने से बादल में उपस्थित कोलॉइडी कणों का आवेश समाप्त हो जाता है, जिससे उनका स्कंदन होकर पानी की बूँदों (वर्षा) के रूप में नीचे आ जाते हैं, इसे कृत्रिम वर्षा कहते हैं।

प्रश्न 17.
सूजी का हलवा बनाते समय उसमें गोंद मिलाने पर क्या प्रभाव होता है तथा क्यों?
उत्तर:
सूजी का हलवा एक प्रकार का कोलॉइड (जेल) होता है जिसमें सूजी में पानी कण परिक्षिप्त होते हैं। गोंद रक्षी कोलॉइड होता है जिसे मिलाने पर हलवे को स्थायित्व प्राप्त होता है जिससे इसका स्वाद बढ़ जाता है एवं काफी समय तक नर्म बना रहता है।

प्रश्न 18.
सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। क्यों ?
उत्तर:
सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज की ओर होता है अतः सूर्य से निकलने वाले प्रकाश की किरणें वायुमण्डल में लम्बी दूरी तय करती हैं। इसलिए वायु में उपस्थित धूल के कण प्रकाश के नीले भाग का प्रकीर्णन कर देते हैं अतः शेष भाग लाल दिखाई देता है।

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का वर्णन कीजिए-
(i) टिन्डल प्रभाव
(ii) आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण।
उत्तर:
(i) टिन्डल प्रभाव (Tyndal effect) – जब अंधेरे में रखा एक समांगी विलयन, प्रकाश की दिशा से देखा जाता है, तो यह स्वच्छ दिखाई देता है तथा यदि इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा के लंबवत् देखा जाता है तो यह पूर्णतया अदीप्त (Perfect dark) दिखाई देता है। कोलॉइडी विलयन को भी इसी प्रकार से पारगमन प्रकाश (Transmitted light) द्वारा देखने पर पर्याप्त स्वच्छ या पारदर्शी दिखाई देते हैं परन्तु इसे प्रकाश के पथ की दिशा से लम्बवत् देखने पर वह मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है।

अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं तथा प्रकाश का चमकीला शंकु (Cone), टिन्डल शंकु कहलाता है। इस प्रभाव को सर्वप्रथम फैराडे ने प्रेक्षित किया था अतः इसे फैराडे टिन्डल प्रभाव भी कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 14

(ii) आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण-वह उत्प्रेरकी अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की रन्द्र संरचना (Pore structure) तथा अभिकारक एवं उत्पाद अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उसे आकार वरणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के कारण जिओलाइट अच्छे आकृति-वरणात्मक उत्त्रेरक होते हैं। ये त्रिविमीय नेटवर्क वाले तथा सूक्ष्मरंध्री होते हैं। जिओलाइटों में होने वाली अभिक्रियाएँ जिओलाइटों के संरंध्रों एवं कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करती हैं। जिओलाइट प्रकृति में उपलब्ध होते हैं तथा उत्प्रेरक वरणात्मकता के लिए इनका संश्लेषण भी किया जाता है।

जिओलाइटों के उपयोग-

  • जिओलाइट, पेट्रोरसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बनों के भंजन (cracking) तथा समावयवीकरण (Isomerisation) में उत्प्रेरक की भाँति प्रयुक्त किए जाते हैं। इससे ईंधन की गुणवत्ता बढ़ती है।
  • ZSM-5 (एक जिओलाइट) ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण करके हाइड्रोकार्बन का मिश्रण बनाता है और यह उन्हें सीधे ही गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित कर देता है।
  • जल योजित सोडियम जिओलाइट, आयन विनिमयक के रूप में कठोर जल को मृदु करने में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 2.
कोलॉइडी विलयन के स्कन्दन से क्या समझा जाता है ? किसी एक विधि का नाम बताइए जिससे द्रव विरोधी सॉल का स्कन्दन किया जा सकता हो ।
देखें।
उत्तर:
कोलॉइडों का स्कंदन या अवक्षेपण – द्रवस्नेही कोलॉइड-द्रवस्नेही कोलॉइडों का स्थायित्व उन पर उपस्थित आवेश तथा कणों के विलायकन (Solvation) के कारण होता है। जब इन दोनों कारकों को हटा दिया जाए तो द्रवरागी सॉल का स्कंदन हो जाता है क्योंकि इसके कण गुरुत्व बल के कारण नीचे बैठ जाते हैं।

इसके लिए वैद्युत अपघट्य या उपयुक्त विलायक मिलाया जाता है। जब द्रवस्नेही सॉल में ऐल्कोहॉल एवं ऐसीटोन आदि विलायक मिलाते हैं तो परिक्षिप्त प्रावस्था का निर्जलीकरण हो जाता है। इस स्थिति में विद्युत अपघट्य की कम मात्रा से भी स्कंदन हो जाता है। अतः कोलॉइडी कणों के स्कंदित होकर नीचे बैठ जाने के प्रक्रम को स्कंदन या अवक्षेपण कहते हैं।

प्रश्न 3.
आकृति आधारित (शेष सेलेक्टिव) उत्प्रेरण का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
ज़िओलाइटों का आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण-
जिओलाइट-जिओलाइट, विभिन्न धातुओं के ऐलुमिनो सिलिकेट होते हैं जिनका सामान्य सूत्र \(\mathrm{M}_{\mathrm{x} / \mathrm{n}}\left[\left(\mathrm{Al}_2 \mathrm{O}_3\right)_{\mathrm{x}}\left(\mathrm{SiO}_2\right)_{\mathrm{y}}\right]_{\mathrm{z}}^{\mathrm{m}} \mathrm{H}_2 \mathrm{O}\) होता है। यहाँ n = धातु आयन पर आवेश।

जिओलाइट में पाए जाने जाने वाले धनायन मुख्यतः Na+, K+, Mg2+ तथा Ca2+ आदि होते हैं। जिओलाइट आकार वरणात्मक उत्प्रेरण में प्रयुक्त होते हैं। इनमें कुछ Si परमाणु Al परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापित होकर Al-O-Si दाँचे का निर्माण करते हैं।

आकृति वरणात्मक उत्त्रेरण – वह उत्प्रेरकी अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की रन्ध्र संरचना (Pore structure) तथा अभिकारक एवं उत्पाद् अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उसे आकार वरणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के कारण जिओलाइट अच्छे आकृति-वरणात्मक उत्प्रेरक होते हैं।

ये त्रिविमीय नेटवर्क वाले तथा सूक्ष्मरंध्री होते हैं। जिओलाइटों में होने वाली अभिक्रियाएँ जिओलाइटों के संरंध्रों एवं कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करती हैं। जिओलाइट प्रकृति में उपलब्ध होते हैं तथा उत्प्रेरक वरणात्मकता के लिए इनका संश्लेषण भी किया जाता है।

जिओलाइटों के उपयोग-

  • जिओलाइट, पेट्रोरसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बनों के भंजन (cracking) तथा समावयवीकरण (Isomerisation) में उत्प्रेरक की भाँति प्रयुक्त किए जाते हैं। इससे ईंधन की गुणवत्ता बड़ती है।
  • ZSM-5 (एक जिओलाइट) ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण करके हाइड्रोकार्बन का मिश्रण बनाता है और यह उन्हे सीधे ही गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित कर देता है।
  • जल योजित सोडियम जिओलाइट, आयन विनिमयक के रूप में कठोर जल को मुद करने में प्रयुक्त किया जाता है।

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प्रश्न 4.
परिक्षेपण माध्यम जल वाले कोलॉइडों का वर्गीकरण कीजिए । प्रत्येक वर्ग की विशेषता और एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
परिक्षेपण माध्यम जल वाले कोलॉइडों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है-
(i) जल स्नेही सॉल (द्रव स्नेही)
(ii) जल विरोधी सॉल (द्रव विरोधी)

विभिन्न प्रकार के कोलॉइडों में से सबसे अधिक उपयोगी एवं प्रचलित कोलॉइड, सॉल (द्रव में ठोस), जेल (ठोस में द्रव) तथा इमल्सन (द्रव में द्रव ) हैं।

सॉलों का वर्गीकरण – परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया के आधार पर कोलॉइडी सॉलों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, द्रवरागी या द्रवस्नेही (विलायक को आकर्षित करने वाले) एवं द्रवविरागी या द्रव विरोधी (विलायक को प्रतिकर्षित करने वाले )। जब परिक्षेपण माध्यम जल होता है तो जलरागी एवं जलविरागी शब्दों का प्रयोग किया जाता है।

(i) द्रवरागी या द्रवस्ने ही कोलॉइड – द्रवरागी का अर्थ है द्रव को आकर्षित करने वाला। वे कोलॉइड जिन्हें पदार्थों को उचित द्रव (परिक्षेपण माध्यम) में मिलाने से सीधे ही कोलॉइड प्राप्त हो जाते हैं उन्हें द्रवरागी कोलॉइड (सॉल) कहते हैं। जैसे गोंद, जिलेटिन, स्टार्च, रबर इत्यादि। इन्हें उत्क्रमणीय कोलॉइड भी कहते हैं क्योंकि परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था के पृथक् हो जाने के पश्चात् इन्हें पुनः मिश्रित करने पर कोलॉइड बन जाता है। ये स्थायी होते हैं अतः इनका स्कंदन आसानी से नहीं होता।

(ii) द्रवविरागी या द्रव विरोधी कोलॉइड (Lyophobic colloids )-द्रवविरागी का अर्थ है द्रव का विरोध करने वाला अर्थात् द्रव को प्रतिकर्षित करने वाला। परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम को मिश्रित करने से ये कोलॉइड नहीं बनते अतः इन्हें विशेष विधियों से बनाया जाता है। इस प्रकार के कोलॉइडों को द्रवविरोधी कोलॉइड कहते हैं। उदाहरण धातुएँ तथा उनके सल्फाइडों के सॉल।

द्रव विरोधी सॉलों को वैद्युत अपघट्य की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर, गर्म करके या हिलाकर आसानी से अवक्षेपित (स्कंदित) किया जा सकता है इसलिए ये स्थायी नहीं होते अतः एक बार अवक्षेपित होने के बाद, परिक्षेपण माध्यम मिलाने से ये पुनः कोलॉइड नहीं बनाते। अतः इनको अनुत्क्रमणीय कोलॉइड भी कहते हैं। द्रवविरागी सॉल के परिरक्षण के लिए स्थायी कारक आवश्यक होते हैं।

प्रश्न 5.
पेप्टीकरण पद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी अवक्षेप में वैद्युत अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाकर, परिक्षेपण माध्यम के साथ हिलाकर कोलॉइडी सॉल बनाने की प्रक्रिया को पेप्टीकरण कहते हैं।

प्रश्न 6.
प्रत्येक के लिए एक-एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए, निम्नलिखित पदों की व्याख्या कीजिए-
(i) ऐरोसॉल (Aerosol )
(ii) इमल्शन (Emulsion )
(iii) मिसेल (Micelle )
उत्तर:

  • ऐरोसॉल वह कोलॉइड होता है जिसमें परिक्षेपण माध्यम गैस होती है। उदाहरण-धुआँ (ठोस एरोसॉल) इसमें ठोस के कण गैस में परिक्षिप्त रहते हैं।
  • दो आंशिक मिश्रणीय या अमिश्रणीय द्रवों से मिलकर बने कोलॉइड को इमल्शन कहते हैं। उदाहरण- दूध (द्रव वसा का जल में परिक्षेपण) ।
  • वे पदार्थ जो कम सान्द्रता पर प्रबल वैद्युत अपघट्य के समान व्यवहार करते हैं, लेकिन उच्च सान्द्रताओं पर कोलॉइड की भाँति व्यवहार करते हैं, उन्हें मिसेल कहते हैं। उदाहरण-जल में साबुन ।

प्रश्न 7.
कोलॉइडी विलयन टिण्डल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। दो कारण दीजिए।
उत्तर:
कोलॉइडी विलयन के कणों का आकार वास्तविक विलयन से अधिक होता है तथा ये प्रकाश को अन्तराल में सभी दिशाओं में प्रकीर्णित करते हैं। प्रकाश का यह प्रकीर्णन कोलॉइडी परिक्षेपण में किरण के पथ को प्रदीप्त करता है। अतः कोलॉइडी विलयन टिण्डल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 8.
जल विरागी कोलॉइड का स्कन्दन आसानी से हो जाता है। कारण दीजिए।
उत्तर:
जल विरागी कोलॉइड विलायक को प्रतिकर्षित करते हैं तथा अस्थायी होते हैं। इनका स्थायित्व आवेश के कारण होता है। अतः किसी भी प्रकार से आवेश को समाप्त कर देने पर इनके कण एक-दूसरे के पास आकर आसानी से स्कंदित हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रक्रियाओं के प्रभाव को दर्शाने के लिए उपयुक्त शब्द दीजिए—
(अ) आर्सेनिक सल्फाइड सॉल में फेरिक हाइड्रोक्साइड सॉल मिलाया जाता है।
(ब) फेरिक हाइड्रोक्साइड के ताजा अवक्षेप में फेरिक क्लोराइड का विलयन मिलाया जाता है।
(स) आर्सेनिक ऑक्साइड के विलयन में H2S गैस प्रवाहित की जाती है।
(द) कोलॉइडी विलयन में प्रकाश पुंज गुजरता है।
उत्तर:
(अ) स्कन्दन (Coagulation)
(ब) पेप्टन या पेप्टीकरण ( Peptisation)
(स) As2S3 का कोलॉइडी विलयन बनता है।
(द) टिण्डल प्रभाव।

प्रश्न 10.
(अ) भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में दो अन्तर लिखिए।
(ब) समांगी एवं विषमांगी उत्प्रेरण को परिभाषित कीजिए। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
(स) विद्युत अपोहन का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में निम्न अन्तर हैं-

  • भौतिक अधिशोषण वान्डरवाल बलों के कारण होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण रासायनिक बन्ध बनने के कारण होता है।
  • भौतिक अधिशोषण उत्क्रमणीय होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण अनुत्क्रमणीय होता है।

(ब) (i) समांगी उत्प्रेरण किसी अभिक्रिया में जब अभिकारकों एवं उत्प्रेरकों की भौतिक अवस्था समान (द्रव या गैस) होती है तो इसे समांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण:
शर्करा का जल अपघटन, सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा उत्पन्न H+ आयनों से उत्प्रेरित होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 15

(ii) विषमांगी उत्प्रेरण – किसी अभिक्रिया में जब अभिकारक एवं उत्प्रेरक भिन्न-भिन्न भौतिक अवस्था में होते हैं तो इसे विषमांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 16

प्रश्न 11.
(अ) द्रवरागी एवं द्रवविरागी कोलॉइडों में दो अन्तर लिखिए।
(ब) यीस्ट में उपस्थित दो एन्जाइमों के नाम दीजिए। इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के समीकरण भी दीजिए।
(स) ब्रेडिंग आर्क विधि का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) (i) द्रवरागी कोलाइड उत्क्रमणीय होते हैं जबकि द्रवविरागी कोलाइड अनुत्क्रमणीय होते हैं।
(ii) द्रवरागी कोलाइड, पदार्थ को उचित परिक्षेपण माध्यम में मिलाने से सीधे ही प्राप्त हो जाते हैं क्योंकि इनमें पदार्थ द्रव को अपनी ओर आकर्षित ‘करता है जबकि द्रवविरागी कोलाइड विशेष विधियों द्वारा बनाए जाते हैं क्योंकि इनमें पदार्थ द्रव का विरोध करता है। रबर का कोलाइड द्रवरागी होता है जबकि धातु सल्फाइडों के कोलाइड द्रवविरागी होते हैं।

(ब) यीस्ट में इन्वर्ट्स तथा जाइमेज एन्जाइम पाए जाते हैं। इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) इन्वर्टेस एन्जाइम इक्षु शर्करा (सूक्रोस) को ग्लूकोस एवं फ्रक्टोस में परिवर्तित कर देता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 17
(ii) जाइमेज एन्जाइम से ग्लूकोस एथिल ऐल्कोहॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 18
(स) ब्रेडिंग आर्क विधि द्वारा कोलाइड बनाने का नामांकित चित्र निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 19

प्रश्न 12.
(i) जब एक प्रकाश किरण पुंज को कोलॉइडी विलयन में गुजारा जाता है, तो क्या होता है ?
(ii) बहु आण्विक कोलॉइड किसे कहते हैं?
उत्तर:
(i) जब एक प्रकाश किरण पुंज को कोलॉइडी विलयन में से गुजारा जाता है तथा इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा में लम्बवत् देखा जाता है तो प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं।

(ii) किसी पदार्थ को घोलने पर उसके बहुत से परमाणु या अणु एकत्रित होकर ऐसी स्पीशीज बनाते हैं जिनका आकार कोलॉइडी सीमा में होता है तो इन्हें बहु आण्विक कोलॉइड कहते हैं। उदाहरण- गोल्ड तथा सल्फर सॉल।

प्रश्न 13.
(i) द्रवस्नेही तथा द्रवविरोधी सॉल के एक-एक उदाहरण बताइए।
(ii) फ्रॉयन्डलिक अधिशोषण समतापी के सन्दर्भ में ठोसों पर गैसों के अधिशोषण के व्यंजक को एक समीकरण के रूप में लिखिए |
(iii) सहचारी कोलॉइड का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • द्रवस्नेही सॉल-गोंद
    द्रवविरोधी सॉल – सिल्वर सॉल
  • अधिशोषित गैस की मात्रा = \(\frac{x}{\mathrm{~m}}=\mathrm{kp}^{\frac{1}{n}}\)
  • साबुन तथा अपमार्जक सहचारी कोलॉइड के उदाहरण हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन

प्रश्न 14.
(अ) सोने का कोलाइडी सॉल बनाने की विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
(ब) सॉल एवं जैल में क्या अन्तर है ?
(स) स्कंदन किसे कहते हैं? समझाइए ।
अथवा
(अ) वैद्युत अपघट्य की अतिरिक्त मात्रा की अशुद्धियों वाले कोलाइडी विलयन के शुद्धिकरण की विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
(ब) एरोसॉल एवं फोम में क्या अन्तर है?
(स) पेष्टन किसे कहते हैं ? समझाइए ।
उत्तर:
(अ) सोने का कोलाइडी सॉल बनाने के लिए विद्युत परिक्षेपण विधि (ब्रेडिंग आर्क विधि) परिक्षेपण एवं संघनन दोनों ही होते हैं प्रयुक्त की जाती है। इस प्रक्रम में गोल्ड, सिल्वर तथा प्लेटिनम इत्यादि धातुओं के कोलॉइडी सॉल इस विधि से बनाये जाते हैं। इस विधि में परिक्षेपण माध्यम में डूबे हुए धातु के इलैक्ट्रोडों के बीच एक विद्युत आर्क उत्पन्न किया जाता है, इससे उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा द्वारा धातु वाष्पित हो जाती है जो पुनः हिमशीत जल द्वारा संघनित होकर कोलॉइडी अवस्था में आ जाती है। इसमें परिक्षेपण माध्यम सामान्यतः KOH या NaOH का तनु जलीय विलयन लिया जाता है।

(ब) सॉल वे कोलॉइड होते हैं जिनमें ठोस (परिक्षिप्त प्रावस्था), ठोस, द्रव या गैस (परिक्षेपण माध्यम ) में वितरित रहता है। मुख्यतः सॉल वे होते हैं जिनमें ठोस, द्रव में वितरित रहता है, जैसे गोंद, स्टार्च इत्यादि । जबकि जैल वे कोलॉइड हैं जिनमें द्रव प्रावस्था ठोस परिक्षेपण माध्यम में वितरित होती है, जैसे-पनीर, मक्खन इत्यादि ।

(स) स्कंदन – जब किसी सॉल में कोई विद्युत अपघट्य मिलाया जाता है तो उसका आवेश समाप्त हो जाता है जिससे इसके कण नीचे बैठ जाते हैं अर्थात् उनका अवक्षेपण हो जाता है। इसे सॉल का स्कंदन कहते हैं।

अथवा

(अ) कोलॉइडी विलयन में उपस्थित वैद्युत अपघट्यों की अशुद्धियों को अपोहन द्वारा पृथक् किया जाता है। इस विधि में एक उपयुक्त झिल्ली द्वारा वैद्युत अपघट्य के कणों को पृथक् किया जाता है। वास्तविक विलयन के कण जांतव झिल्ली ( ब्लैडर), पार्चमेन्ट पत्र या सेलोफेन शीट में से निकल जाते हैं परन्तु कोलॉइडी कण नहीं, अतः जांतव झिल्ली को अपोहन में प्रयुक्त किया जाता है। अपोहन के लिए प्रयुक्त उपकरण अपोहक कहलाता है।

अशुद्ध कोलॉइडी विलयन से भरा एक उपयुक्त झिल्ली का बैग पात्र में लटकाया जाता है जिसमें से होकर लगातार जल बहता रहता है। अणु एवं आयन झिल्ली में से विसरित होकर बाहरी जल में आ जाते हैं तथा शुद्ध कोलॉइडी विलयन बच जाता है। विद्युत प्रवाहित करने पर यह प्रक्रम जल्दी होता है तथा इस प्रक्रम को विद्युत अपोहन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 20
(ब) एरोसॉल में परिक्षेपण माध्यम गैस होती है जिसमें ठोस या द्रव परिक्षिप्त रहता है। जैसे तम्बाकू का धुआँ (ठोस एरोसॉल) तथा कोहरा (द्रव एरोसॉल), जबकि फोम में द्रव में गैस के कण परिक्षिप्त रहते हैं जैसे फेन (फ्रोथ ) तथा फेंटी हुई क्रीम।

(स) पेप्टन या पेप्टीकरण – किसी अवक्षेप में वैद्युत अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाकर परिक्षेपण माध्यम के साथ हिलाकर इसे कोलॉइडी सॉल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पेप्टन कहते हैं तथा पेप्टन में प्रयुक्त वैद्युत अपघट्य को पेप्टीकारक कहते हैं। यह स्कंदन का विपरीत प्रक्रम है। इस विधि से ताजा बने अवक्षेप को कोलॉइडी सॉल में परिवर्तित किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 21

प्रश्न 15.
(अ) एन्जाइम उत्प्रेरण किसे कहते हैं? एक उदाहरण लिखिए।
(ब) दूध किस प्रकार का इमल्शन है ? समझाइए।
(स) वैद्युतकणसंचलन को नामांकित चित्र सहित समझाइए।
अथवा
(अ) उत्प्रेरक की वरणात्मकता किसे कहते हैं ? उदाहरण लिखिए।
(ब) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड एवं आर्सेनियस सल्फाइड सॉल को मिश्रित करने पर क्या होता है ?
(स) टिन्डल प्रभाव को नामांकित चित्र सहित समझाइए ।
उत्तर:
(अ) एन्जाइमों द्वारा विभिन्न अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने की प्रक्रिया को एन्जाइम उत्प्रेरण कहते हैं। उदाहरण-
माल्टोस का ग्लूकोस में परिवर्तन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 22

(ब) दूध, जल में तेल प्रकार का इमल्शन है। दूध में जल परिक्षेपण माध्यम है जिसमें द्रव वसा के कण परिक्षिप्त रहते हैं।

(स) जब किसी कोलॉइडी विलयन में डूबे हुये दो प्लैटिनम इलैक्ट्रॉडों पर विद्युत विभव लगाते हैं तो कोलॉइडी कण विपरीत आवेशित इलैक्ट्रॉड की ओर गमन करते हैं। इसे वैद्युत कण संचलन कहते हैं। धनात्मक आवेशित कण कैथोड की ओर तथा ऋणात्मक आवेशित कण ऐनोड की ओर गति करते हैं । वैद्युत कण संचलन से कोलाइडी कणों पर आवेश की उपस्थिति की पुष्टि होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 23

(अ) उत्प्रेरक की उपस्थिति में किसी अभिक्रिया द्वारा विशिष्ट उत्पाद बनाने की क्षमता को उत्प्रेरक की वरणात्मकता कहते हैं अर्थात् विशिष्ट उत्पाद बनाते समय उत्प्रेरक अभिक्रिया को निश्चित दिशा प्रदान करता है। उदाहरण- Ni उत्प्रेरक की उपस्थिति में CO तथा H2 की क्रिया से CH4 बनती है जबकि Cu उत्प्रेरक की उपस्थिति में HCHO बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 24

(ब) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड ( धन-आवेशित सॉल) एवं आर्सेनियस सल्फाइड (ऋण आवेशित सॉल) को मिश्रित करने पर ये अवक्षेपित (स्कंदित) हो जाते हैं, इसे पारस्परिक स्कंदन भी कहते हैं।

(स) टिन्डल प्रभाव – जब अंधेरे में रखा एक समांगी विलयन, प्रकाश की दिशा से देखा जाता है, तो यह स्वच्छ दिखाई देता है तथा यदि इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा के लंबवत् देखा जाता है तो यह पूर्णतया अदीप्त (Perfect dark) दिखाई देता है। कोलॉइडी विलयन को भी इसी प्रकार से पारगमन प्रकाश (Transmitted light) द्वारा देखने पर पर्याप्त स्वच्छ या पारदर्शीं दिखाई देते हैं परन्तु इसे प्रकाश के पथ की दिशा से लम्बवत् देखने पर वह मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है।

अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं तथा प्रकाश का चमकीला शंकु (Cone), टिन्डल शंकु कहलाता है। इस प्रभाव को सर्वप्रथम फैराडे ने प्रेक्षित किया था अतः इसे फैराडे टिन्डल प्रभाव भी कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 Img 25

प्रश्न 16.
AlCl3 और NaCl में से कौन-सा ऋणात्मक सॉल को स्कंदित करने में अधिक प्रभावशाली है और क्यों?
उत्तर:
AlCl3 और NaCl में से AlCl3 ऋणात्मक सॉल को स्कंदित करने में अधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसमें धनायन (Al3+) पर आवेश अधिक है जो कि ऋणात्मक सॉल के कणों को अधिक आसानी से उदासीन करेगा।

प्रश्न 17.
एक उदाहरण सहित अधिशोषण को परिभाषित कीजिए । क्या कारण है कि अधिशोषण स्वभाव में ऊष्माक्षेपी होता है ? अधिशोष्य और अधिशोषी के बीच बलों की प्रकृति के आधार पर अधिशोषण के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
इस प्रश्न के उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न संख्या 5.1 तथा 5.8 का उत्तर देखें तथा अधिशोष्य और अधिशोषी (अधिशोषक) के बीच बलों की प्रकृति के आधार पर अधिशोषण दो प्रकार के होते हैं।

  • भौतिक अधिशोषण या वान्डरवाल अधिशोषण
  • रासायनिक अधिशोषण या लैग्म्यूर अधिशोषण।

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HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. क्लोन शब्द का अर्थ है-
(अ) संतति जनक के एकदम समान हो
(ब) आनुवंशिक रूप से एकसमान हो
(स) आकारिकीय दृष्टि से एकसमान हो
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

2. प्रोटिस्टा तथा मोनेरा में जनन का प्रकार है-
(अ) कलिका
(ब) कोशिका विभाजन
(स) द्विखंडन
(द) कलिकाएँ
उत्तर:
(ब) कोशिका विभाजन

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

3. अमीबा तथा पैरामीशियम में जनन विधि है-
(अ) द्विखंडन
(ब) कोशिका विभाजन
(स) जैम्यूल
(द) कोनिडिया
उत्तर:
(अ) द्विखंडन

4. निम्न में से अलैंगिक जननीय संरचनाएँ हैं-
(अ) कोनिडिया
(ब) कलिका
(स) जैम्यूल
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

5. बंगाल का आतंक ( Terror of Bengal) किसे कहते हैं ?
(अ) स्पंज
(ब) पैरामीशियम
(स) वाटर हायसिंथ
(द) ब्रायोफिल्लम
उत्तर:
(स) वाटर हायसिंथ

6. कायिक प्रवर्धन में पादपकों (Plantlcts) का उत्पत्ति स्थल होता है-
(अ) पर्वसंधि
(ब) पर्व
(स) कक्ष
(द) शीर्ष
उत्तर:
(अ) पर्वसंधि

7. वह पर्ण जिसके फलककोर से अपस्थानिक कलिकाएँ उत्पन्न होती हैं, वह है-
(अ) डहलिया
(ब) बोगेनविलिया
(स) ब्रायोफिल्लम
(द) ब्रायोफाइटा
उत्तर:
(स) ब्रायोफिल्लम

8. वह पादप जो जीवन अवधि में केवल एक बार पुष्प उत्पन्न करता है-
(अ) नारियल
(ब) वाटर हायसिंथ
(स) कटहल
(द) स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थिआना
उत्तर:
(द) स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थिआना

9. प्राइमेटों में जनन के दौरान चक्र होता है-
(अ) मद चक्र
(ब) स्राव चक्र
(स) ऋतुस्राव चक्र
(द) मौसमी चक्र
उत्तर:
(स) ऋतुस्राव चक्र

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

10. निम्न में से एकलिंगी प्राणी है-
(अ) केंचुआ
(ब) जोंक
(स) टेपवर्म
(द) तिलचट्टा
उत्तर:
(द) तिलचट्टा

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
जीवन अवधि से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
प्रत्येक जीव के जन्म से उसकी प्राकृतिक मृत्यु तक का काल, उस जीव की जीवन अवधि होती है।

प्रश्न 2.
नारियल का वृक्ष उभयलिंगाश्रयी होता है जबकि खजूर का वृक्ष एकलिंगाश्रयी होता है। उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
नारियल के वृक्ष में नर व मादा पुष्प एक ही पौधे पर पाये जाते हैं, इसलिये उन्हें उभयलिंगाश्रयी कहते हैं परन्तु खजूर के वृक्ष में नर पुष्प व मादा पुष्प अलग-अलग पौधों पर पाये जाने से, उन्हें एकलिंगाश्रयी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
प्रोटिस्टा तथा मोनेरा में किस प्रकार से जनन होता है?
उत्तर:
इनमें अलैंगिक जनन होता है। इन जीवों में जनक कोशिका दो भागों में विभक्त होकर नए जीवों को जन्म देती है। अतः इनमें कोशिका विभाजन एक प्रकार से जनन की क्रियाविधि है।

प्रश्न 4.
दो जनन लक्षण लिखिए जो सरीसृपों को उभयचरों की अपेक्षा अधिक सफल बनाते हैं।
उत्तर;
सरीसृप उभयचरों की अपेक्षा अधिक सफल है, क्योंकि-

  • सरीसृप भूमि पर अण्डे देते हैं।
  • सरीसृपों के अण्डों पर कवच होता है जो अण्डों को सूर्य के .. प्रकाश से सूखने से बचाता है।

प्रश्न 5.
कायिक प्रवर्धन करने वाले कुछ पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन भी एक प्रकार का अलैंगिक जनन है। अनेक पौधे कायिक प्रवर्धन से विकसित होते हैं; जैसे-आलू, अदरक, अगैव, जलकुंभी ( वाटर हायसिंथ), प्याज, शकरकन्द, गन्ना, केला, डहलिया आदि ।

प्रश्न 6.
ऐसे दो पौधों को बताइए जो अपने जीवन काल में केवल एक बार पुष्प उत्पन्न करते हैं। इनमें क्या विशेषता देखी जाती है?
उत्तर:
कुछ पौधे अपने जीवन काल में केवल एक बार ही पुष्प उत्पन्न करते हैं। जैसे बांस में प्रायः 50-100 वर्षों के बाद तथा स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थिआना (Strobilanthus Kunthiana ) में 12 वर्षों में एक बार पुष्प उत्पन्न होते हैं। इनमें अधिक संख्या में पुष्प व फल बनकर नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
वृद्धावस्था का क्या मापदंड है?
उत्तर:
प्रजनन आयु की समाप्ति को जीर्णता या वृद्धावस्था के मापदंड के रूप में माना जाता है।

प्रश्न 8.
उभयचरों तथा सरीसृपों में संयुग्मन (Syngamy) कहाँ होती है?
उत्तर:
उभयचरों में बाह्य निषेचन होता है, अतः संयुग्मन की क्रिया जल में होगी, जबकि सरीसृपों में निषेचन आन्तरिक होता है अतः संयुग्मन शरीर के अन्दर होगी।

प्रश्न 9.
एक मॉस ( Moss) का पौधा नर युग्मकों (antherogoids) का निर्माण बड़ी संख्या में करता है परन्तु उसकी तुलना में अण्ड कोशिकाओं की संख्या बहुत कम होती है। क्यों ?
उत्तर:
मॉस में नर युग्मक चल होते हैं जो अचल मादा युग्मक के साथ निषेचित होते हैं। इस प्रक्रिया में नर युग्मक के स्थानान्तरण में अनेक नर युग्मक नष्ट हो जाते हैं, इस कारण इनकी संख्या अधिक होती है ।

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प्रश्न 10.
समयुग्मकी लक्षण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
लैंगिक जनन क्रिया में नर व मादा युग्मक बनते हैं। जब किसी जीव में जैसे कुछ शैवालों में दोनों युग्मक देखने में एक-दूसरे के समान दिखाई देते हैं, तब ऐसे युग्मकों को समयुग्मकी ( Isogametes or Homogametes) कहते हैं।

प्रश्न 11.
अधिकतर लैंगिक जनन करने वाले जीवों में आकारिकी दृष्टि से किस प्रकार के युग्मक पाये जाते हैं?
उत्तर:
अधिकांश लैंगिक जनन करने वाले जीवों में आकारिकी दृष्टि से स्पष्ट रूप से दो विभिन्न आकार के युग्मक पाये जाते हैं, इन्हें विषमयुग्मक (Heterogametes) कहते हैं। ऐसे जीवों में नर युग्मकों को पुमणु या शुक्राणु (Antherozoid or Sperms) कहते हैं; जबकि मादा युग्मकों को अंड या डिंब (Egg or Ovum) कहते हैं।

प्रश्न 12.
किन्हीं दो उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) पादपों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कुकरबिट एवं नारियल वृक्ष उभयलिंगाश्रयी के उदाहरण हैं।

प्रश्न 13.
उभयलिंगी या द्विलिंगी प्राणी से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित बताइये ।
उत्तर:
जब किसी प्राणी में नर तथा मादा दोनों जनन अंग एक ही प्राणी में पाये जाते हैं तो उसे उभयलिंगी या द्विलिंगी (Hermaphrodite ) कहते हैं। उदाहरण – स्पंज (Sponge), टेपवर्म (Tapeworm), जोंक (Leech) व केंचुआ (Earthworm) ।

प्रश्न 14.
मानव, चूहा, आलू व प्याज में युग्मकों में पायी जाने वाली गुणसूत्रों की संख्या को बताइये ।
उत्तर:
युग्मकों (Gametes ) से तात्पर्य है कि वे अगुणित (n) होते हैं, अतः इनमें गुणसूत्रों की संख्या निम्न प्रकार से होती है-

जीव का नामयुग्मकों में अगुणित (n) गुणसूत्रों की संख्या
मानव23
चूहा21
आलू24
प्याज16

प्रश्न 15.
युग्मकों के बनने में निहित कोशिका विभाजन विभिन्न जीवों में एक ही समान प्रकार का नहीं होता। ऐसा कहना किस प्रकार न्यायोचित है? बताइए।
उत्तर:
युग्मकों के बनने में निहित कोशिका विभाजन विभिन्न जीवों में विभिन्न प्रकार का होता है। अगुणित जीवों (n) में युग्मकों के बनने में समसूत्री विभाजन होता है क्योंकि पैतृक जीव अगुणित होते हैं और बनने वाले युग्मक भी अगुणित होते हैं। इन जीवों में युग्मनज में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। द्विगुणित (2n ) जीवों में युग्मकों के निर्माण में अर्द्धसूत्री कोशिका विभाजन होता है जिसमें इसके युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या पैतृक जीव के गुणसूत्रों से आधी रह जाती है व निषेचन पश्चात् फिर से गुणसूत्रों की संख्या द्विगुणित हो जाती है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
भ्रूणोद्भव (Embryogenesis) को समझाइये।
उत्तर:
युग्मनज (Zygote) से भ्रूण (Embryo) के विकास की प्रक्रिया को भ्रूणोद्भव कहते हैं। इस प्रक्रिया में युग्मनज में समसूत्रण (Mitosis) के द्वारा कोशिका विभाजन होता है तथा उसी के साथ कोशिका विभेदीकरण (Cell Differentiation) भी होता है। भ्रूण के विकास के दौरान कोशिका विभाजन के फलस्वरूप कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है, उसी के साथ-साथ कोशिका विभेदीकरण होने से कोशिकाओं के समूह एक निश्चित रूपांतरणों से गुजरकर विशेषीकृत ऊतकों एवं अंगों की रचना करते हैं। इन प्रक्रियाओं के फलस्वरूप जीव का निर्माण होता है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन

प्रश्न 2.
अंडप्रजक (Oviparous ) तथा सजीवप्रजक (Viviparous ) से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
प्राणियों को दो श्रेणी अंडप्रजक तथा सजीवप्रजक में विभक्त किया गया है। यह विभक्तीकरण इस आधार पर किया गया है कि युग्मनज का विकास मादा जनक के शरीर के अन्दर हुआ है या बाहर। अंडप्रजक प्राणियों जैसे कि सरीसृप वर्ग ( Reptiles ) तथा पक्षी आदि के द्वारा निषेचित अंडे पर्यावरण के सुरक्षित स्थानों पर दिये जाते हैं तथा ये कठोर कैल्सियमयुक्त कवच से ढके रहते हैं।

ये अण्डे एक निश्चित निवेशन अवधि (Incubation Period) के पश्चात् स्फुटन द्वारा नये शिशु को जन्म देते हैं। सजीवप्रजक प्राणियों में (अधिकांश स्तनधारी जिसमें मानव भी शामिल है) युग्मनज का विकास मादा जीव के भीतर होकर शिशु का विकास करता है। इस शिशु का निश्चित अवधि तथा विकास के चरणों के पूरा होने के पश्चात् मादा जीव के शरीर से प्रसव के द्वारा बाहर आता है। इस विधि में भ्रूण का सही विकास व संरक्षण होता है, इसी कारण सजीवप्रजक जीवों की उत्तरजीविता के अच्छे अवसर होते हैं।

प्रश्न 3.
पुष्पीय पादपों में निषेचन क्रिया के पश्चात् क्या प्रभाव होता है तथा युग्मनज कहाँ बनता है?
उत्तर:
पुष्पीय पादपों में युग्मनज का निर्माण बीजाण्ड के अंदर होता है। निषेचन के बाद पुष्प के बाह्य दल, पंखुड़ी तथा पुंकेसर मुरझा कर झड़ जाते हैं। युग्मनज से भ्रूण बनता है तथा बीजाण्ड बीज में विकसित हो जाता है। अंडाशय (Ovary) फल में परिवर्तित हो जाता है। अंडाशय की भित्ति से फलभित्ति (Pericarp) बनती है, यह फल को सुरक्षा प्रदान करती है। चित्र में मटर की फली में बीज हैं जो पूर्व में बीजाण्ड थे व बाद में विकसित होकर बीज बन गये हैं। सरसों व टमाटर के अनुप्रस्थ काट में भी यही रचना दिखाई दे रही हैं। बीज फलभित्ति के अन्दर रहते हैं ।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन 1

प्रश्न 4.
समयुग्मक तथा विषमयुग्मक को सउदाहरण व चित्रों की सहायता से समझाइये।
उत्तर:
लैंगिक जनन की प्रक्रिया में युग्मकजनन होता है जिसमें दो प्रकार के नर व मादा युग्मकों का निर्माण होता है। कुछ शैवालों में दोनों प्रकार के युग्मक आकारिकीय दृष्टि से एकसमान दिखाई देते हैं। एकसमान होने से इन्हें नर व मादा में विभक्त नहीं किया जा सकता है, ऐसे युग्मकों को समयुग्मक (Isogametes) कहते हैं। उदाहरण- क्लैडोफोरा शैवाल।

अधिकांश जीवों में आकारिकीय दृष्टि से विभिन्न आकृति के नर व मादा युग्मक बनते हैं। नर युग्मक छोटे, चल (Motile) होते हैं तथा मादा बड़े व अचल (Non-motile) होते हैं। इनमें नर युग्मकों को पुमणु (Antherozoid) या शुक्राणु (Sperms) कहते हैं तथा मादा युग्मकों को अंड (Egg) या डिंब (Ovum) कहते हैं। विभिन्न आकृति के युग्मकों को विषमयुग्मक (Heterogametes) कहते हैं। उदाहरण- फ्यूकस (शैवाल)।

प्रश्न 5.
जीवों में पायी जाने वाली लैंगिकता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
लैंगिकता को स्पष्ट करने हेतु यहाँ पादपों के उदाहरण दिये जा रहे हैं। पादप में नर तथा मादा दोनों जनन संरचनाएँ पाई जाती हैं जब एक ही पौधे में दोनों नर तथा मादा जनन संरचनाएँ हों तो उसे द्विलिंगी (Bisexual) (चित्र अ व ब ) अथवा जब जनन संरचनाएँ भिन्न पादपों पर हों तो एकलिंगी (Unisexual) (चित्र-स) कहते हैं अनेक कवकों में द्विलिंगी अवस्था को दर्शाने के लिए उभयलिंगाश्रयी या समथैलसी (Monoccious or Homothallic) शब्द का प्रयोग करते हैं।

एकलिंगता को दर्शाने के लिये एकलिंगाश्रयी या विषमथैलसी (Dioecious or Heterothallic) शब्द का उपयोग करते हैं। प्रायः पुष्पों में दोनों लिंग (पुंकेसर व स्त्रीकेसर) होते हैं। कुछ पुष्पीय पादपों में अकेला पादप उभयलिंगाश्रयी (नर तथा मादा दोनों लिंगी) हो सकता है और इसमें पैदा होने वाले पुष्प एकलिंगी तथा द्विलिंगी दोनों हो सकते हैं। कुकरबिटा व नारियल वृक्ष उभयलिंगाश्रयी पादपों के उदाहरण हैं। पपीता व खजूर एकलिंगाश्रयी के उदाहरण हैं।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन 2प्राणियों में एकलिंगी व द्विलिंगी अवस्था होती है। केंचुए (Earthworm), स्पंज, टेपवर्म तथा जोंक (Leech) द्विलिंगी प्राणियों के उदाहरण हैं; इनमें दोनों प्रकार के जनन अंग एक ही प्राणी में मिलते हैं। तिलचट्टा (Cockroach) एकलिंगी प्राणी है।
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 1 जीवों में जनन 3

प्रश्न 6.
निषेचन के प्रकार पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
निषेचन से तात्पर्य है कि नर व मादा का संलयन। यह संलयन जीव के बाहर तथा उसके अन्दर हो सकता है। निषेचन दो प्रकार का होता है – बाह्य निषेचन (External Fertilization) तथा आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization) अधिकांश जलीय जीवों (शैवाल तथा मछलियाँ) व जल-स्थल चर प्राणियों में युग्मक संलयन बाहरी माध्यम (जल) में होता है अर्थात् जीव के शरीर के बाहर सम्पन्न होता है इस प्रकार के युग्मक संलयन को बाह्य निषेचन कहते हैं।

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जिन जीवों में बाह्य निषेचन होता है उनके दो लिंगों में व्यापक समकालिता होती है तथा संलयन के अवसर को बढ़ाने के लिये अधिक संख्या में युग्मक निर्मुक्त होते हैं। उदाहरण मेंढक तथा ‘बौनी फिश’ (Bony Fishes ) । इससे बहुत अधिक संख्या में संतानें उत्पन्न होती हैं परन्तु इनका शिकार होते रहने से कम ही संतानें जीवित रहती हैं।

अनेक स्थलीय जीवों जैसे फंजाई, उच्च श्रेणी के प्राणी जैसे- सरीसृप ( Reptiles ), पक्षी तथा स्तनधारी एवं अधिकांश पादप (ब्रायोफाइट्स, टेरिडोफाइट्स, जिम्नोस्पर्म एवं एंजिओस्पर्म) में युग्मक संलयन जीव शरीर के अंदर सम्पन्न होता है। इस प्रक्रिया को आंतरिक निषेचन कहते हैं।

इन सभी में अंडे की रचना मादा के शरीर के भीतर होती है ऐसे जीवों में नर युग्मक चलनशील होते हैं जो अंडे तक पहुँचते हैं। नर युग्मक के रूप में विशाल संख्या में शुक्राणु बनते हैं। मादा युग्मक अचल अण्ड होते हैं जो कम संख्या में बनते हैं। यद्यपि बीजीय पौधों में नर युग्मक अचल बनते हैं जो परागनली की सहायता से मादा युग्मक तक पहुँचते हैं।

प्रश्न 7.
क्लोन (Clone) शब्द से आप क्या समझते हैं? कुछ साधारण श्रेणी के जीवों में पाये जाने वाले अलैंगिक जनन का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन में जीव संतति उत्पन्न करते हैं। वह उत्पन्न संतति अपने जनक के एकदम समान होती है। आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से समान होती है। अतः आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान जीवों के लिये क्लोन शब्द का उपयोग किया जाता है। अलैंगिक जनन सामान्य रूप से एकल जीव, पादप तथा जीव (साधारण जीव) आदि में पाया जाता है प्रोटेस्टा तथा मोनेरा (Protists and Monerans ) में जनक कोशिका दो भागों में विभक्त होकर नये जीवों को जन्म देती है।

अतः इन जीवों में कोशिका विभाजन एक प्रकार से जनन की क्रियाविधि है (अमीबा, पैरामीशियम) अन्य एकल कोशिका जीव द्विखण्डन (Binary Fission) से उत्पन्न होते हैं। यीस्ट में छोटी कलिकाएँ (Buds) उत्पन्न होती हैं जो आरम्भ में तो जनक कोशिका से जुड़ी रहती हैं तथा बाद में पृथक् होकर नये यीस्ट जीव में परिपक्व हो जाती हैं कवक जगत के सदस्य तथा साधारण पादप जैसे शैवाल में विशेष अलैंगिक जनन संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें अलैंगिक चलबीजाणु ( Zoospores) कहते हैं ये रचनाएँ चलनशील होती हैं। अन्य अलैंगिक संरचनाओं में कोनिडियम (पैनीसीलियम), कलिका (हाइड्रा ) तथा जैम्यूल (स्पंज ) होते हैं।

प्रश्न 8.
वाटर हायासिंथ को बंगाल के आतंक के नाम से क्यों जाना जाता है? कारण सहित समझाइये।
उत्तर:
वाटर हायासिंध को बंगाल के आतंक के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह ठहरे जल में सर्वाधिक वृद्धि करने वाला खरपतवार है। यह जल से 0 खींच लेता है जिसके परिणामस्वरूप मछलियाँ मर जाती हैं। इसमें कायिक प्रवर्धन द्रुतगति से होती है और अल्प समय में ही सम्पूर्ण जलाशय में फैल जाता है और अपने आप से जलाशय को ढक लेता है और इससे छुटकारा पाना बहुत ही कठिन होता है। उक्त कारणों के कारण इसे बंगाल के आतंक के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 9.
सजीव प्रजक जीवों में संतानों की उत्तरजीविता की अधिक सम्भावनाएँ हैं। कारण सहित समझाइये।
अथवा
“सजीव प्रजक प्राणियों की संतानों की उत्तरजीविता अधिक जोखिमपूर्ण नहीं होता है।” दो कारण बताते हुए इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
अण्डप्रजक की तुलना में सजीवप्रजक प्राणियों से शिशु की उत्तरजीविता के सुअवसर क्यों बढ़ जाते हैं? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सजीव प्रजक प्राणियों में (अधिकांश स्तनधारी जिसमें मानव भी शामिल हैं) युग्मनज का विकास मादा जीव के भीतर होकर शिशु का विकास करता है। इस शिशु का निश्चित अवधि तथा विकास के चरणों के पूरा होने के पश्चात् मादा जीव के शरीर से प्रसव के द्वारा बाहर आता है। इस विधि में भ्रूण का सही विकास व संरक्षण होता है, इसी कारण सजीव प्रजक जीवों की उत्तरजीविता के अच्छे अवसर होते हैं।

प्रश्न 10.
“अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति को क्लोन कहना अधिक उपयुक्त है।” दो कारण बताते हुए इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
अलैंगिक जनन द्वारा जो संतति उत्पन्न होती है वह केवल एक-दूसरे के समरूप ही नहीं बल्कि अपने जनक के एकदम समान होती हैं। आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान होती है। अतः आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से एकसमान जीवों के लिए क्लोन शब्द की रचना की गई है।

प्रश्न 11.
बाह्य निषेचन एवं आंतर निषेचन में कोई चार अन्तर लिखिए ।
उत्तर:

बाह्य निषेचन (External fertilization)आन्तरिक निषेचन (Internal fertilization)
इसमें युग्मकसंलयन बाह्य माध्यम में होता है।आन्तरिक माध्यम में होता है।
इस प्रकार के निषेचन में दोनों प्रकार के युग्मक माध्यम में छोड़ दिये जाते हैं।इसमें केवल नर युग्मक ही माध्यम में छोड़े जाते हैं।
बाह्य निषेचन के द्वारा उत्पन्न हुए जीवों की संख्या अधिक होती है।जीवों की संख्या कम होती है ।
इस प्रकार के निषेचन में दोनों प्रकार के युग्मक अधिक संख्या में उत्पन्न किये जाते हैं।इसमें मादा युग्मक कम संख्या में परन्तु नर युग्मक अधिक संख्या में उत्पन्न किये जाते हैं।

प्रश्न 12.
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में कोई दो अन्तर लिखिए। ” कायिक जनन अलैंगिक जनन ही होता है।” समझाइये।
उत्तर:

लैंगिक जनन (Sexual Reproduction)अलैंगिक जनन (Asexual Reproduction)
प्रजनन में दो विपरीत लिंग वाले जनक भाग लेते हैं।इसमें एकल जीव संतति उत्पन्न करने की क्षमता रखता है।
इसमें युग्मक संलयन होता है।युग्मक संलयन नहीं होता है।

कायिक जनन में दो जनक भाग नहीं लेते हैं। इसमें पादप शरीर का कोई भी कायिक भाग उसके शरीर से पृथक् होकर, अनुकूल परिस्थितियों में नये पौधे का निर्माण करता है । अतः कायिक जनन, अलैंगिक जनन की एक विधि है ।

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
लैंगिक जनन को विस्तार से समझाते हुये, इसमें होने वाली विभिन्न घटनाओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर तथा मादा युग्मक ( Gametes) का निर्माण होता है तथा ये युग्मक आपस में संलयित होकर द्विगुणित युग्मनज (Zygote) का निर्माण कर नये जीव का विकास करते हैं । यह क्रिया एक जटिल विस्तृत एवं धीमी प्रक्रिया है। इसके परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह अपने जनकों के अथवा आपस में भी समरूप नहीं होती है।

प्रत्येक जीव परिपक्वता अवस्था प्राप्त करने के बाद लैंगिक जनन करता है। यद्यपि लैंगिक जनन से संबद्ध संरचनाएँ जीवों में एकदम भिन्न होती हैं तथा यह क्रिया विस्तृत व जटिल होने के बावजूद भी जीवों में लैंगिक जनन की घटनाएँ एक नियमित क्रम का अनुपालन करती हैं। इन घटनाओं को तीन भिन्न-भिन्न अवस्थाओं निषेचन पूर्व, निषेचन तथा निषेचन – पश्चात् में विभक्त किया जा सकता है।
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(अ) निषेचन पूर्व घटनाएँ (Pre-fertilization Events) – इसके अन्तर्गत युग्मकों के निषेचन पूर्व दो मुख्य घटनाएँ युग्मकजनन तथा युग्मक स्थानांतरण होती हैं।
(i) युग्मकजनन (Gamctogenesis) – युग्मकों के निर्माण को युग्मकजनन कहते हैं। युग्मक अगुणित होते हैं क्योंकि इनके निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होता है कुछ शैवालों में दोनों प्रकार ( नर व मादा) के युग्मक एकसमान दिखाई देते हैं तो उन्हें समयुग्मक (Isogametes) कहते हैं।

अधिकांश लैंगिक जनन करने वाले जीवों में दोनों युग्मक आकारिकी दृष्टि से भिन्न होते हैं, इन्हें विषमयुग्मक (Heterogametes) कहते हैं नर युग्मकों को पुमणु या शुक्राणु (Antherozoid or Sperms) तथा मादा युग्मकों को अंड या डिंब (Egg or Ovum) कहते हैं। लैंगिक जनन अंगों को धारण करने के आधार पर जीवों को उभयलिंगाश्रयी (Monoccious) अथवा एकलिंगाश्रयी (Dioecious ) कहते हैं।

(ii) युग्मक स्थानांतरण ( Gamete Transfer) – निषेचन क्रिया सम्पन्न होने के लिए दोनों युग्मक एक-दूसरे के पास आते हैं। प्रायः जीवों में नर युग्मक चलनशील तथा मादा अचल व स्थानबद्ध होते हैं। यद्यपि कुछ कवकों व शैवालों में दो प्रकार के युग्मक चलनशील होते हैं। इन्हें एक माध्यम की आवश्यकता होती है, जिसमें होकर नर युग्मक गति करता है ।

प्रायः साधारण पादपों जैसे शैवाल, ब्रायोफाइट्स तथा टैरिडोफाइट्स में जल माध्यम की आवश्यकता होती है नर युग्मक गति करके मादा युग्मक के पास जाता है। नर युग्मक संख्या में अधिक तथा मादा युग्मक तुलनात्मक कम बनते हैं। बीजीय पादपों में परागकण (Pollen Grain) नर युग्मकों के वाहक होते हैं तथा मादा युग्मक अर्थात् अंड, अण्डप के अन्दर होते हैं।

परागकण परागण (Pollination) क्रिया द्वारा पुष्प के वर्तिकाग्र (Stigma) पर स्थानांतरित हो जाते हैं। परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होकर परागनली बनाते हैं। परागनली नर युग्मकों को अपने साथ लेती हुई अंडप के अन्दर प्रवेश कर जाती है तथा नर युग्मकों को छोड़ देती है। एकलिंगाश्रयी प्राणियों में युग्मकों के स्थानांतरण हेतु विशेष प्रकार की क्रियाविधि विकसित करनी पड़ती है।

(ब) निषेचन ( Fertilization) – दो युग्मकों के संलयन (Fusion) की क्रिया को निषेचन कहते हैं। कुछ जीवों में बिना निषेचन के ही मादा युग्मक नये जीव में विकसित हो जाता है। उदाहरण- रोटीफर्स (Rotifers ), मधुमक्खियाँ, कुछ छिपकलियाँ तथा पक्षी (टर्की) आदि । इस प्रकार की घटना को अनिषेकजनन (Parthenogenesis) कहते हैं।

कुछ जीवों जैसे शैवाल व मछलियों में युग्मक संलयन बाहरी माध्यम (जल) अर्थात् जीव के शरीर के बाहर होता है, इसे बाह्य निषेचन (External Fertilization) कहते हैं । स्थलीय जीवों, उच्च श्रेणी के प्राणी, अधिकांश पादपों में यह संलयन जीव के शरीर के भीतर होता है, अतः इसे आंतरिक निषेचन कहते हैं।

(स) निषेचन – पश्च घटनाएँ (Post-fertilization Events) – निषेचन पश्चात् द्विगुणित युग्मनज (Zygote) का निर्माण होता है। बाह्य निषेचन करने वाले सभी जीवों में युग्मनज का निर्माण बाहरी माध्यम में होता है जबकि आंतरिक निषेचन वालों में उनके शरीर के भीतर युग्मनज बनता है। युग्मनज के अंगों का विकास जीव के अपने जीवन-चक्र तथा वहाँ के पर्यावरण पर निर्भर करता है।

युग्मनज अपने चारों ओर एक मोटी भित्ति स्रावित करता है जिससे उसकी शुष्कन व क्षति से रक्षा होती है। युग्मनज के अंकुरण पूर्व कुछ विश्रांति समय भी होता है । द्विगुणित जीवन- -चक्र वाले जीवों में युग्मनज अर्धसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर अगुणित अंडाणु का निर्माण करता है जिससे अगुणित जीव बनता है। इस प्रकार युग्मनज एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के जीव के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी है।

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भ्रूणोद्भव (Embryogenesis) – युग्मनज से भ्रूण के विकास को भ्रूणोद्भव कहते हैं। इस दौरान युग्मनज में कोशिका विभाजन तथा कोशिका विभेदन (Cell Differentiation) होता है। कोशिका विभाजन से कोशिकाओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो कोशिका विभेदीकरण से कोशिकाओं के समूह एक निश्चित रूपांतरणों से गुजरकर विशेषीकृत ऊतकों एवं अंगों की रचना करते हैं।

इसके फलस्वरूप जीव का निर्माण होता है। प्राणियों को युग्मनज के विकास आधार पर अंडप्रजक (Oviparous) तथा सजीवप्रजक (Viviparous ) में विभक्त किया गया है । यदि युग्मनज का विकास मादा जनक के शरीर से बाहर होता है तो उसे अंड प्रजक कहते हैं, उदाहरण सरीसृप वर्ग तथा पक्षी ।

सजीवप्रजक में युग्मनज का विकास जीव के शरीर के भीतर होता है। सजीवप्रजक में भ्रूण की सही देखभाल तथा संरक्षण होता है जिससे यह विधि जीवों के उत्तरजीविता हेतु उत्तरदायी है। पुष्पीय पौधों में भी युग्मनज का निर्माण बीजांड के अंदर होता है। इन पौधों में युग्मनज भ्रूण में तथा बीजाण्ड बीज में विकसित होता है एवं अंडाशय फल के रूप में बनता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. कुछ पादपों में मादा युग्मक बिना निषेचन के भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है। इस घटना को क्या कहा जाता है ? ( NEET-2019 )
(अ) अनिषेकजनन
(ब) स्वयुग्मन
(स) अनिषेक फलन
(द) युग्मक संलयन
उत्तर:
(अ) अनिषेकजनन

2. ‘ऑफसेटस’ किसके द्वारा उत्पादित होते हैं ? ( NEET 2018)
(अ) अनिषेक फलन द्वारा
(ब) सूत्री विभाजन द्वारा
(स) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा
(द) अनिषेकजनन द्वारा
उत्तर:
(ब) सूत्री विभाजन द्वारा

3. निम्नलिखित में से किसमें उसके जीवन काल में केवल एक बार ही पुष्पन होता है? (NEET-2018)
(अ) आम
(ब) कटहल
(स) बाँस स्पेशीज
(द) पपीता
उत्तर:
(स) बाँस स्पेशीज

4. निम्नलिखित में से कौनसा विभिन्नता वाले नये आनुवंशिक संयोजन के उत्पन्न करता है? (NEET-2016)
(अ) लैंगिक जनन
(ब) बीजाण्डकायिक बहुभ्रूणता
(स) कायिक जनन
(द) अनिषेकजनन
उत्तर:
(अ) लैंगिक जनन

5. कॉलम – I को कॉलम-II से सुमेलित कीजिए तथा नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही विकल्प को चुनिए । (NEET-2016)

कॉलम – Iकॉलम-II
1. आपस में जुड़े स्त्रीकेसर(i) युग्मकजनन
2. युग्मकों का बनना(ii) स्त्रीकेसर
3. उपचार ऐस्कोमाइसिटीज के कवक तन्तु(iii) मुक्ताण्डपी
4. एकलिंगी मादा पुष्प(iv) द्विकेन्द्रकी

उत्तर:

4. एकलिंगी मादा पुष्प(iv) द्विकेन्द्रकी

6. निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही नहीं है? (NEET-2016)
(अ) आलू, केला और अदरक में पादयक रूपान्तरिक तने में उपस्थित पर्वों से उत्पन्न होते हैं।
(ब) रुके हुए जल में उगती हुई जल हायसिन्थ जल से ऑक्सीजन खींच लेती है जिससे मछलियों की मृत्यु हो जाती है।
(स) अलैंगिक प्रजनन द्वारा उत्पन्न संतानों को क्लोन कहा जाता है ।
(द) सूक्ष्मदर्शीय, चल अलैंगिक प्रजनन संरचनायें, जल बीजाणु कहलाती हैं।
उत्तर:
(अ) आलू, केला और अदरक में पादयक रूपान्तरिक तने में उपस्थित पर्वों से उत्पन्न होते हैं।

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7. निम्नलिखित में से कौनसा युग्म सही रूप से नहीं मिलाया गया है ? (NEET-2015)

जनन का प्रकारउदाहरण
(अ) द्विखण्डनसारगेसम
(ब) कोनिडियापेलीसिलियम
(स) भूस्तारिका (ऑफसेट)वाटर हायसिन्थ
(द) राइजोमकेला

उत्तर:

(अ) द्विखण्डनसारगेसम

9. सामान्यतः लैंगिक जनन का उत्पाद क्या बनाता है? (NEET-2013)
(अ) बीज की लम्बी जीवन क्षमता
(ब) प्रवृद्धि सुसु
(स) नये आनुवंशिक संयोग जो विभिन्नता की ओर अग्रसर होते हैं।
(द) विशाल जीव संहिता
उत्तर:
(द) विशाल जीव संहिता

10. अर्धसूत्री विभाजन कहाँ होता है? (NEET-2013)
(अ) अर्धसूत्री कोशिका
(स) जेम्यूल
(ब) कोनिडिया
(द) गुरुबीजाणु
उत्तर:
(अ) अर्धसूत्री कोशिका

11. निम्नलिखित में से किस एक को सही मिलाया गया है? (NEET-2012)
(अ) प्याज- बल्ब
(ब) अदरक- अन्तः भूस्तारी
(स) क्लेमाइडोमोनास – कोनिडिया
(द) भीस्ट – चल बीजाणु
उत्तर:
(अ) प्याज- बल्ब

12. आले के कंद में जिन संरचनाओं को “आँखें” कहते हैं। वे क्या होती हैं? (NEET-2011)
(अ) मूल कलिकाएँ
(ब) पुष्प कलिकाएँ
(स) प्ररोह कलिकाएँ
(द) कक्षीय कलिकाएँ
उत्तर:
(द) कक्षीय कलिकाएँ

13. निम्न में से कौनसा पुष्पीय भाग निषेचन के बाद फल भित्ति (Pericarp) बनाता है। (MPPMT-2009 ORISSA JEE-2011)
(अ) भ्रूणपोष
(ब) बाह्य अध्यावरण
(स) अण्डाशय भित्ति
(द) अन्त: अध्यावरण
उत्तर:
(स) अण्डाशय भित्ति

14. जलकुम्भी में कायिक प्रवर्धन होता है- (MP PMT-2010)
(अ) तनों द्वारा
(ब) जड़ों द्वारा
(स) पत्तियों द्वारा
(द) जननांगों द्वारा
उत्तर:
(अ) तनों द्वारा

15. क्लोन, स्वयं का समूह है जिसे प्राप्त किया जाता है- (DPMT-2010)
(अ) स्वपरागण द्वारा
(ब) संकरण द्वारा
(स) कायिक जनन द्वारा
(द) परपरागण द्वारा
उत्तर:
(स) कायिक जनन द्वारा

16. पिस्टियों में कायिक प्रवर्धन किसके द्वारा होता है? (NEET 2010, CBSE PMT (Main) 2010)
(अ) भूस्तारिका
(ब) अपरिभूस्तारी
(स) अंत: भूस्तारी
(द) भूस्तारी
उत्तर:
(अ) भूस्तारिका

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17. पुदीने में कायिक प्रवर्धन किससे होता है? (CBSE, PMT-2009, NEET-2009)
(अ) अंत: भूस्तारी
(ब) उपरिभूस्तारी
(स) भूस्तारिका
(द) प्रमंद
उत्तर:
(अ) अंत: भूस्तारी

18. केला बीज रहित फल है यह उत्पन्न होता है- (BIHAR CECE-2006, WBJEE-2009)
(अ) अलैंगिक जनन के द्वारा
(ब) अनेषक जनन के द्वारा (पार्थिनोमार्पिक के द्वारा)
(स) त्रिगुणित के द्वारा
(द) परपरागण द्वारा
उत्तर:
(ब) अनेषक जनन के द्वारा (पार्थिनोमार्पिक के द्वारा)

19. बिना निषेचन से प्राप्त फल को कहते हैं या अण्डाशय बिना निषेचन के फल (Haryana PMT-2005, RPMT-2006, CPMT-2009)
(अ) अनिषेक फल
(ब) अनिषेकजनन
(स) बहुभ्रूणीयता
(द) पॉलीगेजी
उत्तर:
(अ) अनिषेक फल

20. निषेचन के बाद अण्डाशय परिवर्तित हो जाता है- (J&K CET-2008)
(अ) भ्रूण में
(ब) एण्डोरचर्म में
(स) फल में
(द) बीज में
उत्तर:
(स) फल में

21. निम्न युग्म के दोनों पौधे पत्ती द्वारा कायिक जनन करते हैं- (CBSE PMT 2005 NEET 2005)
(अ) ब्रायोफिल्लम और कालेनचोई
(ब) क्राइसेन्थियम और एगेव
(स) एगेव और कालेनचोई
(द) एस्पेरेगस और ब्रायोफिल्लम
उत्तर:
(अ) ब्रायोफिल्लम और कालेनचोई

22. अण्डयुग्मकों में निषेचन प्रक्रिया के दौरान ( NEET 2004)
(अ) गतिविहीन, एक छोटा मादा युग्मक और एक गतिशील नर युग्मक ।
(ब) एक बड़ा, गतिहीन मादा युग्मक और एक छोटा गतिशील नर युग्मक ।
(स) एक बड़ा, गतिविहीन मादा युग्मक और एक छोटा गतिविहीन नर युग्मक।
(द) एक बड़ा, गतिशील मादा युग्मक और एक छोटा गतिविहीन नर-युग्मक ।
उत्तर:
(अ) गतिविहीन, एक छोटा मादा युग्मक और एक गतिशील नर युग्मक ।

23. निम्न में से किस एक पौधे का उपयोग ‘पर्ण अपस्थानिक कलिका’ के रूप में कायिक प्रवर्धन के लिए किया जाता है- (AIEEE-2004)
(अ) केला
(ब) अदरक
(स) ब्रायोफिल्लम
(द) कोलोकेशिया
उत्तर:
(स) ब्रायोफिल्लम

24. पुनरुद्भवन के दौरान, एक अंग का दूसरे अंग में रूपान्तरण क्या कहलाता है? (NEET-2001)
(अ) सारफोजेनिसिस
(ब) एपिमार्फोसिस
(स) मार्फेलैम्सिस
(द) एक्रीएशनरी वृद्धि
उत्तर:
(ब) एपिमार्फोसिस

25. नर केन्द्रक के मादा केन्द्रक के साथ मिलने की क्रिया को कहा जाता है- (MP PMT-1995)
(अ) युग्मक संलयन (Syngamy)
(ब) त्रिसंयोजन (Triple-fusion )
(स) द्विनिषेचन (Double-fertilization)
(द) संयुग्मन (Conjugation)
उत्तर:
(अ) युग्मक संलयन (Syngamy)

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26. परागण की सही परिभाषा है- (AFMC-1994)
(अ) एन्थर से स्टिगमा तक परागकणों का स्थानान्तरण
(ब) परागकण का अंकुरण
(स) बीजाण्ड में परागनली की वृद्धि
(द) कीटों का पुष्पों पर आना
उत्तर:
(अ) एन्थर से स्टिगमा तक परागकणों का स्थानान्तरण

27. प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले अनिषेक फल (Parthino Carpic Fruit) है- (CPMT-1988)
(अ) अमरूद
(ब) आम
(स) केला
(द) सेब
उत्तर:
(स) केला

28. क्लोन, स्वयं का समूह है जिसे प्राप्त किया जाता है- (DPMT-1986)
(अ) स्वपरागण द्वारा
(ब) संकरण द्वारा
(स) कायिक प्रवर्धन द्वारा
(द) परपरागण द्वारा
उत्तर:
(स) कायिक प्रवर्धन द्वारा

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 1
की अभिक्रिया की कोटि तथा अणुसंख्यता क्रमशः है-
(अ) 1, 3
(ब) 1, 2
(स) 2, 1
(द) 2, 2
उत्तर:
(ब) 1, 2

2. प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु 100 सेकण्ड है तो इसका वेग स्थिरांक होगा-
(अ) 6.93 × 10-3s
(ब) 6.93 × 10-2s
(स) 0.693 s
(द) 6.93 s
उत्तर:
(अ) 6.93 × 10-3s

3. अभिक्रिया x + y → उत्पाद के लिए अभिक्रिया का वेग = k[x]a [y]b है तो अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) b
(ब) a
(स) a + b
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(स) a + b

4. x तथा y के मध्य अभिक्रिया का वेग 100 गुना हो जाता है जब x की सांद्रता 10 गुना बढ़ा देते हैं तो X ‘संदर्भ में अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) 10
(ब) 2
(स) 4
(द) 1
उत्तर:
(ब) 2

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

5. प्रथम कोटि अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई है-
(अ) सेकंड2
(ब) मोल लीटर-1 सेकंड-1
(स) सेकंड-1
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(स) सेकंड-1

6. अभिक्रिया के वेग की इकाई है-
(अ) मोल लीटर-1
(ब) मोल सेकंड-1
(स) मोल लीटर-1 सेकंड-1
(द) मोल लीटर-1 सेकंड
उत्तर:
(स) मोल लीटर-1 सेकंड-1

7. उत्प्रेरक की उपस्थिति में किसी अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा-
(अ) बढ़ जाती है।
(ब) कम हो जाती है।
(स) स्थिर रहती है।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं ।
उत्तर:
(ब) कम हो जाती है।

8. किसी अभिक्रिया का वेग स्थिरांक निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है?
(अ) सांद्रता
(ब) अभिक्रिया का ताप
(स) दाब
(द) माध्यम की प्रकृति
उत्तर:
(ब) अभिक्रिया का ताप

9. प्रथम कोटि की अभिक्रिया की अर्धायु निर्भर करती है-
(अ) क्रियाकारकों की सांद्रता पर
(ब) उत्पादों की सांद्रता पर
(स) वेग स्थिरांक पर
(द) उत्प्रेरक पर
उत्तर:
(स) वेग स्थिरांक पर

10. शून्य कोटि अभिक्रिया का उदाहरण है-
(अ) H2 + I2 → 2HI
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 2
(स) एस्टर का क्षारीय जल अपघटन
(द) \(\mathrm{C}_2 \mathrm{H}_{4(\mathrm{~g})}+\mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})} \rightarrow \mathrm{C}_2 \mathrm{H}_{6(\mathrm{~g})}\)
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 3

11. किसी अभिक्रिया का वेग, अभिकारकों की सांद्रता पर निर्भर नहीं करता तो उस अभिक्रिया की कोटि क्या होगी ?
(अ) 1
(ब) शून्य
(स) 2
(द) 3
उत्तर:
(ब) शून्य

12. किसी शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए निम्नलिखित में से कौनसा कथन सत्य है ?
(अ) वेग = k
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 4
(स) k का मात्रक = सेकण्ड-1
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) वेग = k

13. अभिक्रिया A + B = 2C के लिए A के लुप्त होने का वेग 10-2 मोल लीटर-1 सेकंड-1 है तो C के बनने का वेग क्या होगा-
(अ) 1.5 × 10-2 मोल लीटर10-1 सेकंड10-1
(ब) 0.5 × 10-2 मोल-1 लीटर सेकंड
(स) 1 × 10-2 मोल लीटर सेकंड
(द) 2.0 × 10-2 मोल लीटर सेकंड ।
उत्तर:
(द) 2.0 × 10-2 मोल लीटर सेकंड ।

14. \({ }_6 \mathrm{C}^{14}\) की अर्धायु 5760 वर्ष है। \({ }_6 \mathrm{C}^{14}\) का 100 mg का नमूना कितने वर्ष के बाद 25 mg रह जाएगा ?
(अ) 1440 वर्ष
(ब) 23040 वर्ष
(स) 11520 वर्ष
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) 11520 वर्ष

15. किसी रासायनिक अभिक्रिया के लिए देहली ऊर्जा होती है-
(अ) सक्रियण ऊर्जा – अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा
(ब) सक्रियण ऊर्जा + अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा
(स) सक्रियण ऊर्जा के बराबर
(द) अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा के बराबर.
उत्तर:
(ब) सक्रियण ऊर्जा + अभिकारकों की सामान्य ऊर्जा

16. अभिकारक अणुओं को उत्पाद में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा होती है-
(अ) गतिज ऊर्जा
(ब) स्थितिज ऊर्जा
(स) सक्रियण ऊर्जा
(द) गतिज ऊर्जा + स्थितिज ऊर्जा
उत्तर:
(स) सक्रियण ऊर्जा

17. अभिक्रिया 2A + B → 3C + D के लिए, निम्नलिखित में से कौनसा व्यंजक, अभिक्रिया के वेग को नहीं दर्शाता ?
(अ) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{A})}{2 \mathrm{dt}}\)
(ब) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{B})}{\mathrm{dt}}\)
(स) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{C})}{\mathrm{dt}}\)
(द) \(+\frac{\mathrm{d}(\mathrm{D})}{\mathrm{dt}}\)
उत्तर:
(स) \(-\frac{\mathrm{d}(\mathrm{C})}{\mathrm{dt}}\)

18. किसी अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को प्रभावित करने वाला कारक
(अ) ताप
(स) सांद्रता
(ब) टक्कर आवृत्ति
(द) ताप
उत्तर:
(द) ताप

19. किसी अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की ताप पर निर्भरता को निम्नलिखित में से किस समीकरण से दिया जाता है?
(अ) In k = In A – \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)
(ब) In A = In k – \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)
(स) In k = A\(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)
(द) In A = RT In Ea – In k
उत्तर:
(अ) In k = In A – \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{\mathrm{RT}}\)

20. शून्य कोटि अभिक्रिया का आलेख है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 5
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 6

21. किसी अभिक्रिया में अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता दुगुनी करने पर उस अभिक्रिया की अर्धआयु भी पहले की तुलना में दुगुनी हो जाती है तो इस अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) 3
(ब) 2
(स) शून्य
(द) 1
उत्तर:
(स) शून्य

22. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 7 यह ग्राफ किस कोटि की अभिक्रिया को दर्शाता है?
(अ) प्रथम
(ब) शून्य
(स) द्वितीय
(द) तृतीय
उत्तर:
(अ) प्रथम

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

23. रेडियोएक्टिव विघुटन की अभिक्रिया की कोटि कितनी होती है?
(अ) शून्य
(ब) 1
(स) 2
(द) 3
उत्तर:
(ब) 1

24. शून्य कोटि अभिक्रिया के पूर्ण होने में लगा समय है-
(अ) [R]o/k
(ब) 2k/[R]o
(स) [R]ok
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) [R]o/k

25. अभिक्रिया A + 2B → उत्पाद के लिए अवकलन दर समीकरण है-
(अ) \(-\frac{1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
(ब) \(\frac{1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
(स) \(\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{-1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
(द) \(\frac{\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)
उत्तर:
(स) \(\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{A}]}{\mathrm{dt}}=\frac{-1}{2} \frac{\mathrm{d}[\mathrm{B}]}{\mathrm{dt}}=\mathrm{k}[\mathrm{A}][\mathrm{B}]^2\)

26. अभिकर्मक की प्रारम्भिक सान्द्रता को दोगुना करने पर इसकी t1/2 आधी हो जाती है। इस अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) प्रथम कोटि
(ब) शून्य कोटि
(स) द्वितीय कोटि
(द) तृतीय कोटि
उत्तर:
(स) द्वितीय कोटि

27. यदि a तथा t1/2 क्रमशः अभिक्रियकों की प्रारम्भिक सान्द्रता तथा शून्य कोटि की अभिक्रिया की अर्द्ध आयु हो तो निम्नलिखित में से सही सम्बन्ध है?
(अ) t1/2 ∝ \(\frac { 1 }{ a }\)
(ब) t1/2 ∝ a
(स) t1/2 ∝ \(\frac{1}{a^2}\)
(द) t1/2 ∝ a2
उत्तर:
(ब) t1/2 ∝ a

28. प्रथम कोटि की अभिक्रिया के (t2/3) ज्ञात कीजिए। दिया है k = 5.48 × 10-14 सेकण्ड |
(अ) 2.00 × 1013 सेकण्ड
(ब) 2.00 × 1013 सेकण्ड
(स) 200 × 1020 सेकण्ड
(द) 0.200 × 1010 सेकण्ड
उत्तर:
(अ) 2.00 × 1013 सेकण्ड

29. 2A + B → उत्पाद (P) अभिक्रिया गति नियम दिया है। \(\frac { dp }{ dt }\) = k[A][B] जब [B] >> [A], तो इस परिस्थिति में अभिक्रिया की कोटि होगी-
(अ) 0
(ब) 1
(स) 2
(द) 1.5
उत्तर:
(ब) 1

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
शर्करा के क्रिस्टल की तुलना में शर्करा का पाउडर जल में जल्दी घुल जाता है। क्यों?
उत्तर:
पाठडर अवस्था में शर्करा का पृष्ठ क्षेत्रफल क्रिस्टल की तुलना में अधिक होता है अतः यह जल में जल्दी घुल जाता है।

प्रश्न 2.
N2O5 के विघटन की अभिक्रिया की कोटि बताइए।
उत्तर:
N2O5 का विघटन प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

प्रश्न 3.
किसी अभिक्रिया का औसत वेग तथा तात्क्षणिक वेग कब समान होता है?
उत्तर:
जब समय अन्तराल △t बहुत ही कम (शून्य के नजदीक) हो तब अभिक्रिया का औसत वेग तथा तात्क्षणिक वेग समान होगा।

प्रश्न 4.
किसी अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक तथा अभिक्रिया वेग की इकाई समान है तो इस अभिक्रिया की कोटि कितनी होगी?
उत्तर:
यह शून्य कोटि की अभिक्रिया है क्योकि इसके लिए-
वेग = k

प्रश्न 5.
किस प्रकार की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की इकाई सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती?
उत्तर:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक (k) की इकाई sec-1 होती है अतः यह सान्द्रता पर निर्भर नहीं करती।

प्रश्न 6.
अभिक्रिया के वेग स्थिरांक को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
किसी अभिक्रिया का वेग स्थिरांक अभिकारकों की प्रकृति तथा ताप पर निर्भर करता है।

प्रश्न 7.
शून्य कोटि अभिक्रिया में अभिकारकों की सान्द्रता को तीन गुना करने पर इसके वेग पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
अभिक्रिया का वेग अपरिवर्तित रहेगा क्योंकि शून्य कोटि अभिक्रिया का वेग सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है।

प्रश्न 8.
अभिक्रिया 2NO +O2 की आप्विकता तथा कोटि कितनी है?
उत्तर:
इस अभिक्रिया की कोटि तथा आण्विकता दोनों ही 3 हैं।

प्रश्न 9.
अभिक्रिया की कोटि तथा आण्विकता में एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
अभिक्रिया की आण्विकता हमेशा पूर्णांक होती है जबकि कोटि का पूर्णांक होना आवश्यक नहीं है।

प्रश्न 10.
कोई द्विअणुक अभिक्रिया किस स्थिति में प्रथम कोटि की होगी?
उत्तर:
द्विअणुक अभिक्रिया में किसी एक अभिकारक को आधिक्य में लेने पर अभिक्रिया प्रथम कोटि की होगी क्योंकि अभिक्रिया का वेग इस अभिकारक की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करेगा।

प्रश्न 11.
अवकल वेग समीकरण क्या होता है?
उत्तर:
किसी अभिक्रिया के लिए सांद्रता पर आधारित समीकरण को अवकल वेग समीकरण कहते हैं।

प्रश्न 12.
किसी अभिक्रिया का वेग निधाँक पद कौनसा होता है?
उत्तर:
जटिल अभिक्रियाओं में सबसे धीमा पद वेग निर्धारक पद होता है क्योंकि इससे अभिक्रिया का वेग निर्धारित किया जाता है।

प्रश्न 13.
किसी रेडियोएक्टिव विघटन अभिक्रिया की कोटि कितनी होती है?
उत्तर:
रेडियोएक्टिव विघटन अभिक्रिया हमेशा प्रथम कोटि की होती हैं।

प्रश्न 14.
प्रथम कोष्टि अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का मात्रक बताइए।
उत्तर:
समय-1 (सेकण्ड-1 या मिनट-1)

प्रश्न 15.
शून्य कोटि अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का सूत्र बताइए।
उत्तर:
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक
\(\mathrm{k}=\frac{[\mathrm{R}]_0-[\mathrm{R}]}{\mathrm{t}}\)

प्रश्न 16.
गैसीय अभिक्रिया A → B + C के लिए वेग नियतांक का सूत्र बताइए।
उत्तर:
\(k=\frac{2.303}{t} \log \frac{P_i}{\left(2 P_i-P_t\right)}\)

प्रश्न 17.
शून्य कोटि अभिक्रिया की अर्धयु ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
\(\mathbf{t}_{\frac{1}{2}}=\frac{[\mathrm{R}]_0}{2 \mathrm{k}}\)

प्रश्न 18.
यदि किसी अभिक्रिया में अभिकारक के सभी अणुओं के मध्य प्रभावी टक्कर हो जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
अभिक्रिया तीक्र वेग से होगी तथा लगभग पूर्ण हो जाएगी।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 19.
देहली ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी अभिकारक की वह न्यूनतम आवश्यक ऊर्जा जो उसे उत्पाद् में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक होती है, उसे देहली ऊर्जा कहते हैं।
देहली ऊर्जां = सामान्य अणु की ऊर्जा + सक्रियण ऊर्जा

प्रश्न 20.
किसी अभिक्रिया में टक्कर करने वाले अणुओं की पर्याप्त संख्या की ऊर्जा, देहली ऊर्जा से अधिक है फिर भी अभिक्रिया का वेग कम है, क्यों?
उत्तर:
अणुओं का अभिविन्यास सही नही होने के कारण अभिक्रिया का वेग कम है।

प्रश्न 21.
दो भिन्न-भिन्न अभिक्रियाएँ समान ताप पर करवाई जाती हैं तथा दोनों के लिए सक्रियण ऊर्जा भी समान है, तो क्या इन अभिक्रियाओं के वेग भी समान होंगे?
उत्तर:
इन अभिक्रियाओं के वेग समान नहीं हो सकते क्योंकि वेग नियतांक, पूर्व चरघातांकी गुणक (A) पर भी निर्भर करता है, जो कि भिन्नभिन्न अभिक्रियाओं के लिए भिन्न-भिन्न होता है।

प्रश्न 22.
प्रभावी टक्कर क्या होती है?
उत्तर:
वे टक्कर जिनके परिणामस्वरूप उत्पाद का निर्माण होता है, उन्हें प्रभावी टक्कर कहते है।

प्रश्न 23.
किसी अभिक्रिया के लिए t1/2 ∝ [R]0 है, तो इस अभिक्रिया की कोटि कितनी होगी?
उत्तर:
शून्य।

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
अभिक्रिया की कौटि तथा अणुसंख्यता (आणिवकता) में विभेद् कीजिए।
उत्तर:
किसी अभिक्रिया की कोटि तथा अणुसंख्यता में निम्नलिखित विभेद है-

  • अभिक्रिया की कोटि प्रायोगिक राशि है जबकि आण्विक्ता एक सैद्धान्तिक राशि है।
  • कोटि, शून्य या भिन्नात्मक भी हो सकती है जबकि आण्विकता हमेशा पूर्णांक होती है।
  • कोटि से अभिक्रिया की क्रियाविधि ज्ञात होती है, आण्विकता से नहीं।
  • अभिक्रिया की कोटि प्राथमिक तथा जटिल दोनों प्रकार की अभिक्रियाओं के लिए लाग होती है लेकिन अभिक्रिया की आण्विकता केवल प्राथमिक अभिक्रियाओ के लिए ही लागू होती है। जटिल अभिक्रियाओं की आण्विकता का कोई अर्थ नहीं होता। जटिल अभिक्रियाओं में कोटि सबसे धीमे पद से दी जाती है तथा सामान्यतः सबसे मंद पद की आण्विकता तथा कोटि समान होती है।
  • कोटि ताप, दाब या अभिक्रिया की परिस्थिति पर निभर करती है लेकिन आण्विकता नहीं।
  • कोटि सान्द्रता से सम्बन्धित होती है जबकि आण्विकता अणुओं की संख्या से सम्बन्धित है।

प्रश्न 2.
तीन अभिक्रियाएँ जिनकी कोटि 1,2 तथा 3 हैं इनके लिए वेग स्थिरांकों का मान समान है तो सान्द्रता का मान 1M, से कम तथा 1M से अधिक होने पर इन अभिक्रियाओं के वेगों का क्रम क्या होगा?
उत्तर:
माना R → उत्पाद्
प्रथम कोटि के लिए, वेग (v1)=k[R]
द्वितीय कोटि के लिए, वेग (v2)=k[R]2
तृतीय कोटि के लिए, वेग (v3)=k[R]3
अतः [R] = 1 होने पर v1 = v2 = v3
जब [R] = 1 तो v1 > v2 > v3
तथा [R] > 1 होने पर v1 < v2 < v3

प्रश्न 3.
किसी अभिक्रिया के वेग स्थिरांक तथा अभिक्रिया वेग में तीन अन्तर बताइए।
उत्तर:
वेग स्थिरांक तथा अभिक्रिया वेग में निम्नलिखित अन्तर होते है-

  • वेग स्थिरांक वह वेग है जब सभी अभिकारकों की सान्द्रता इकाई हो लेकिन इकाई समय में किसी अभिकारक या उत्पाद् की सान्द्रता में होने वाला परिवर्तन अभिक्रिया वेग होता है।
  • वेग स्थिरांक अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता जबकि अभिक्रिया का वेग सान्द्रता के समानुपाती होता है।
  • वेग स्थिरांक का मात्रक अभिक्रिया की क्रोटि पर निर्भर करता है जबकि वेग का मात्रक mol L-1 s-1 है। अर्थात् यह निश्चित होता है।

प्रश्न 4.
अभिक्रिया – HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 8 में पात्र का आयतन प्रारम्भिक आयतन का \(\frac { 1 }{ 3 }\) करने पर अभिक्रिया वेग पर क्या प्रभाव होगा तथा आयतन में इस परिवर्तन से अभिक्रिया की कोटि में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
समीकरण के अनुसार,
अभिक्रिया का प्रारम्भिक वेग (v)= k [A]2 [B]
जब्न पात्र का आयतन प्रारम्भिक आयतन का \(\frac { 1 }{ 3 }\) कर द्यि जाता है तो A तथा B दोनों की सान्द्रता 3 गुना हो जाएगी। अतः इस स्थिति में अभिक्रिया का वेग
v1 = k [3A]2[3B]
v1 = 27k [A]2[B]
अतः अभिक्रिया का वेग प्रारम्भिक वेग की तुलना में 27 गुना हो जाएगा लेकिन अभिक्रिया की कोटि पर कोई प्रभाव नहीं होगा क्योंकि कोटि सान्द्रता या आयतन पर निभर नहीं करती।

प्रश्न 5.
प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु का सूत्र ज्ञात कीजिए तथा सिद्ध कीजिए कि प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करती।
उत्तर:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 9
अतः किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अध्धायु का मान निश्चित होता है। अर्थात् यह अभिकारक की प्रारंभिक सांद्रता पर निर्भर नहीं करती।

प्रश्न 6.
प्रथम कोटि की गैसीय अभिक्रिया A(g) → B(g) + C(g) के लिए वेग नियतांक के सूत्र \(k=\frac{2.303}{t} \log \frac{P_i}{\left(2 P_i-P t\right)}\) की व्युत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया का अर्ध आयु काल:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 11
अतः किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्धायु का मान निश्चित होता है, अर्थात् यह अभिकारक की प्रारंभिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता।
इसे निम्नलिखित ग्राफ द्वारा दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 12
अत: n वीं कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्धायु (t1/2) का सूत्र निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 13
[R]0 = अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता
तथा किसी अभिक्रिया के लिए n अर्धायु के बाद बचा पदार्थ = \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{2^n}\)
प्रथम कोटि अभिक्रियाओं के उदाहरण-
(i) एथीन का हाइड्रोजनीकरण-
C2H4 (g) + H2 (g) → C2H4 (g)
वेग = k (C2H4) (इसमें H2 आधिक्य में होता है।)

(ii) नाभिकीय विखण्डन (प्राकृतिक या कृत्रिम) की सभी अभिक्रियाएँ प्रथम कोटि की होती हैं जैसे
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 14

(iii) नाइट्स्सक्साइड का अपघटन-
2N2O → 2N2 + O2
वेग = k[N2O]
अभिक्रिया की क्रियाविधि

  • N2O → N2 + O (धीमा पद)
  • N2O → N2 + O2 (तेज पद)

(iv) गैसीय अभिक्रिया का अध्ययन विभिन्न समय पर अभिकारकों तथा उत्पादों के आंशिक दाब ज्ञात करके किया जाता है।
अभिक्रिया A(g) → B(g) + C(g)
उदाहरण-एजो आइसोप्रोपेन का विघटन
C6H14N2 → N2 + C6H14
अभिक्रिया के लिए वेग = k[A]
अतः यह प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

माना कि गैस A का प्रारंभिक दाब Pi तथा ‘t’ समय पर अभिक्रिया मिश्रण का कुल दाब Pt है तो इस अभिक्रिया हेतु समाकलित वेग समीकरण निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते हैं-
कुल दाब Pt = PA + PB + PC
PA, PB तथा PC क्रमशः A, B तथा C के आंशिक दाब हैं।
माना t समय पर A के दाब में x atm की कमी होती है तो B तथा C प्रत्येक के दाब में x atm की वृद्धि होगी।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 15
यहाँ Pi = t = 0 समय पर A का प्रारंभिक दाब
Pt = (Pi – x) + x + x
Pt = Pi + x
x = Pt – Pi
t समय पर, PA = Pi – x
= Pi – (Pt – Pi)
या PA = 2Pi – Pt
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
[R]0 = Pi, [R] pt
अतः k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{p_i}{p_A}\)
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{p_i}{\left(2 p_i-p_t\right)}\)

प्रश्न 7.
उस अभिक्रिया की कोटि क्या होगी जिसके 50% पूर्ण होने में 2 घण्टे तथा 75% पूर्ण होने में 4 घण्टे लगते हैं?
उत्तर:
इस अभिक्रिया के 50% पूर्ण होने में 2 घण्टे लग रहे हैं अर्थात् इस अभिक्रिया की अर्धायु 2 घण्टे है। इसमें 4 घण्टे (दो अर्धायु) के बाद 75% अभिक्रिया पूर्ण हो जाती है अर्थात् 25% अभिकारक बच जाता है, जिसका तात्पर्य यह है कि इस अभिक्रिया की अध्धायु प्रारम्भिक सान्द्रता पर निभर नर्ही करती। अतः यह एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।

प्रश्न 8.
(a) किसी जटिल अभिक्रिया के धीमे पद् की अणुसंख्यता ही सम्पूर्ण अभिक्रिया की अणुसंख्यता होती है। समझाइए।
(b) उच्य कोटि की अभिक्रियाएँ सामान्यत: नहीं होती, क्यों?
उत्तर:
(a) जटिल अभिक्रियाओं की क्रियाविधि में सबसे धीमे पद को वेग निर्धारक पद माना जाता है। चूँक किसी अभिक्रिया के लिए अणुसंख्यता का मान सामान्यतया 3 से अधिक नहीं होता अतः धीमे पद में उपस्थित अणुओं से ही अभिक्रिया की अणुसंख्यता ज्ञात करते हैं, चाहे पूर्ण सन्तुलित समीकरण में अणुओ की संख्या अधिक हो।

(b) अभिक्रिया होते समय उन अणुओ के मध्य टक्कर होती है जो निश्चित दिशा में अभिविन्यासित होते हैं तथा जटिल अभिक्रियाओं में धीमे पद में जितने अणुओ की सान्द्रता में परिवर्तन होता है, वही अभिक्रिया की कोटि होती है। टककर में सामान्यतः तीन से अधिक अणु भाग नहीं लेते अतः उच्च कोटि की अभिक्रियाएँ सामान्यतः नहीं होती।

प्रश्न 9.
अभिक्रिया – 2N2O → 2N2 + O2 का प्रायोगिक वेग समीकरण निम्नलिखित है-वेग =k[N2O], इस अभिक्रिया की क्रियाविधि बताइए।
उत्तर:
वेग समीकरण में N2O की सान्द्रता की घात एक है अतः वेग निर्धारक पद (धीमा पद) में N2O का एक अणु उपस्थित होना चाहिए इसलिए इस अभिक्रिया की क्रियाविधि निम्नलिखित है-
N2O → N2 + O (धीमा पद)
N2O + O → N2 + O2 (तेज पद)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 10.
अभिक्रिया 2NO + Br2 → 2NOBr की क्रियाविधि निम्नलिखित है –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 10
तो इस अभिक्रिया का वेग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
अभिक्रिया की क्रियाविधि के आधार पर धीमे पद से अभिक्रिया के वेग को ज्ञात किया जाता है अतः
वेग = k[NOBr2][NO] ….(1)
चूँकि NOBr2 अभिकारक नहीं है बल्कि माध्यमिक यौगिक है तथा प्रथम पद उत्क्रमणीय है अतः
साम्य स्थिरांक Kc = \(\frac{\left[\mathrm{NOBr}_2\right]}{[\mathrm{NO}]\left[\mathrm{Br}_2\right]}\) …(2)
या [NOBr2] = Kc [NO][Br2]
यह मान समीकरण (i) में रखने पर
वेग = k Kc [NO][Br2][NO]
वेग = k1 [NO]2[Br2]
यहाँ k1 = k . Kc
अतः अभिक्रिया का वेग समीकरण निम्न प्रकार होगा-
वेग = k1 [NO]2[Br2]

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
(a) निम्नलिखित पदों को स्पष्ट कीजिए-

  • अभिक्रिया की दर
  • अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा

(b) फॉस्फोन, PH3, का अपघटन निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है-
4PH3(g) → P4(g) + 6H2(g)
यह पाया जाता है कि अभिक्रिया निम्नलिखित दर समीकरण के अनुसार होती है-
दर = k [PH3].
120°C पर PH3 की अर्ध-आयु 37.9 s है।

(i) PH3 के 3/4 भाग के अपघटित होने के लिए कितना समय लगेगा?
(ii) 1 मिनट के पश्चात् PH3 के मूल प्रतिदर्श का कौनसा प्रभाज शेष रह जाएगा?
अथवा
(a) निम्न पदों को स्पष्ट कीजिए-

  • एक अभिक्रिया की कोटि
  • एक अभिक्रिया की आण्विकता

(b) तापमान 300 K से बढ़कर 320 K हो जाने पर एक अभिक्रिया की दर चार गुनी हो जाती है। अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा का परिकलन कीजिए, यह मानते हुए तापमान बदलने के साथ इसका मान परिवर्तित नहीं होता है। (R = 8.314 JK-1 mol-1)
उत्तर:
(a) (i) अभिक्रिया की दर-काई समय में कसी अभिकारक या उत्पाद की सान्द्रता में जितना परिंवर्तन होता है, उसे अभिक्रिया की दर कहते हैं।
(ii) अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा-किसी अभिकारक को उत्पाद में परिवर्तित होने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा जो अभिकारक द्वारा ग्रहण करना आवश्यक है, उसे अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा कहते हैं।
(b) (i) अभिक्रिया 4PH3(g) → P4(g)(g) + 6H2(g) की दर = k[PH3] दी गई है अतः यह एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया है। इसके लिए
t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
k = 0.693/t1/2
t1/2 = 37.9 s
अतः k = \(\frac { 0.693 }{ 37.9 }\) = 0.01828
k = 1.82 × 10-2 s-1
समाकलित वेग समीकरण
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t समय पर PH3 का 3/4 भाग अपघटित हो रहा है।
अतः t = \(\frac { 2.303 }{ k }\)log\(\frac{[R]_0}{\frac{3}{4}[R]_0}\)
t = \(\frac{2.303}{1.82 \times 10^{-2}}\)log\(\frac { 4 }{ 3 }\)
t = 126.5 (log 4 – log 3)
t = 126.5 (0.6021 – 0.4771)
t = 126.5 × 0.125
t = 15.8 sec.

(ii) k = \(\frac { 2.303 }{ 37.9 }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t = 1 मिनट = 60 सेकण्ड
1.82 × 10-2 = \(\frac { 2.303 }{ 60 }\)log\(\frac{1}{[R]}\)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 16
अतः 1 मिनट (60 sec) के बाद पदार्थ का बचा अंश = 0.335 अर्थात् 33.5%
अथवा
(a) (i) अभिक्रिया की कोटि:
रासायनिक अभिक्रिया के दौरान अभिकारकों की सान्द्रता में परिवर्तन होता है, अतः किसी अभिक्रिया के प्रायोगिक वेग समीकरण (वेग नियम व्यंजक) में अभिकारकों की सान्द्रता के घातांकों का योग उस अभिक्रिया की कोटि कहलाता है।
अथवा
किसी अभिक्रिया में अभिकारक अणुओं की संख्या, जिनकी सान्द्रता में परिवर्तन होता है, उसे अभिक्रिया की कोटि कहते हैं।
अभिक्रिया aA + bB → उत्पाद के लिए
वेग = k [A]x[B]y
अतः अभिक्रिया की कोटि (n) = x + y
इस अभिक्रिया में अभिकारक A के प्रति अभिक्रिया की कोटि x है एवं अभिकारक B के प्रति अभिक्रिया की कोटि y है। अभिक्रिया की कोटि शून्य, एक, दो, तीन अथवा भिन्नात्मक भी हो सकती है। किसी अभिक्रिया की कोटि शून्य होने का अर्थ है कि उस अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सान्द्रता के शून्य घात के समानुपाती होता है अर्थात् अभिक्रिया का वेग, अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता।

किसी रासायनिक अभिक्रिया के संतुलित समीकरण द्वारा अभिक्रिया की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं होती। कुछ अभिक्रियाएँ एक पद में तथा कुछ अभिक्रियाएँ एक से अधिक पदों में सम्पन्न होती हैं। लेकिन एक पद में होने वाली अभिक्रियाएँ बहुत कम होती हैं। वे अभिक्रियाएँ जो एक पद में होती हैं, उन्हें प्राथमिक अभिक्रियाएँ (Elementary reactions) तथा एक से अधिक पदों में होने वाली अभिक्रियाओं को जटिल अभिक्रियाएँ (Complex reactions) कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में कुछ पद धीमे तथा कुछ पद तेज होते हैं, लेकिन धीमा पद अभिक्रिया का गति निर्धारक पद होता है जिससे अभिक्रिया का वेग लिखा जाता है।
जटिल अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं-

  • क्रमागत अभिक्रियाएँ
  • विपरीत अभिक्रियाएँ तथा
  • पाश्र्व अभिक्रियाएँ।

एथेन का CO2 तथा H2O में ऑक्सीकरण क्रमागत अभिक्रिया तथा फीनॉल का नाइट्रीकरण पार्श्व अभिक्रिया का उदाहरण है।

(ii) अभिक्रिया की आण्विकता:
प्राथमिक अभिक्रिया में भाग लेने वाली स्पीशीज (परमाणु, अणु या आयन ) की संख्या जो कि एक साथ टक्कर करके रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न करती हैं, उसे अभिक्रिया की आण्विकता कहते हैं।
उदाहरण – NH4NO2 → N2 + 2H2O (एक अणुक अभिक्रिया)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 18
तीन से अधिक अणुओं की उचित विन्यास के साथ एक साथ टक्कर होकर अभिक्रिया होने की सम्भावना बहुत ही कम होती है अतः अणुसंख्यता सामान्यतः तीन से अधिक नहीं होती है।
सरल अभिक्रियाओं की आण्विकता, संतुलित रासायनिक समीकरण में उपस्थित अभिकारक अणुओं की संख्या के बराबर होती है। उदाहरण-
H2 + I2 → 2HI (द्विअणुक अभिक्रिया)
जटिल अभिक्रियाएँ जिनमें तीन से अधिक अभिकारक अणु उपस्थित होते हैं, सामान्यतया एक से अधिक पदों में सम्पन्न होती हैं। जैसे-
KCIO3 + 6 FeSO4 + 3H2SO4 → KCI + 3Fe2 (SO4)3 + 3H2O

यह अभिक्रिया द्वितीय कोटि की है। इन जटिल अभिक्रियाओं की कोटि क्रियाविधि से ज्ञात होती है जिसमें धीमा पद गति निर्धारक पद होता है। अतः इनके लिए सम्पूर्ण अभिक्रिया की अणुसंख्यता का कोई महत्त्व नहीं होता है, केवल गति निर्धारक पद की अणुसंख्यता देखी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 17

प्रश्न 2.
अभिक्रिया कोटि को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया की कोटि:
रासायनिक अभिक्रिया के दौरान अभिकारकों की सान्द्रता में परिवर्तन होता है, अतः किसी अभिक्रिया के प्रायोगिक वेग समीकरण (वेग नियम व्यंजक) में अभिकारकों की सान्द्रता के घातांकों का योग उस अभिक्रिया की कोटि कहलाता है।
अथवा
किसी अभिक्रिया में अभिकारक अणुओं की संख्या, जिनकी सान्द्रता में परिवर्तन होता है, उसे अभिक्रिया की कोटि कहते हैं।
अभिक्रिया aA + bB → उत्पाद के लिए
वेग = k [A]x[B]y
अतः अभिक्रिया की कोटि (n) = x + y
इस अभिक्रिया में अभिकारक A के प्रति अभिक्रिया की कोटि x है एवं अभिकारक B के प्रति अभिक्रिया की कोटि y है। अभिक्रिया की कोटि शून्य, एक, दो, तीन अथवा भिन्नात्मक भी हो सकती है। किसी अभिक्रिया की कोटि शून्य होने का अर्थ है कि उस अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सान्द्रता के शून्य घात के समानुपाती होता है अर्थात् अभिक्रिया का वेग, अभिकारकों की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता।

किसी रासायनिक अभिक्रिया के संतुलित समीकरण द्वारा अभिक्रिया की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं होती। कुछ अभिक्रियाएँ एक पद में तथा कुछ अभिक्रियाएँ एक से अधिक पदों में सम्पन्न होती हैं। लेकिन एक पद में होने वाली अभिक्रियाएँ बहुत कम होती हैं। वे अभिक्रियाएँ जो एक पद में होती हैं, उन्हें प्राथमिक अभिक्रियाएँ (Elementary reactions) तथा एक से अधिक पदों में होने वाली अभिक्रियाओं को जटिल अभिक्रियाएँ (Complex reactions) कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में कुछ पद धीमे तथा कुछ पद तेज होते हैं, लेकिन धीमा पद अभिक्रिया का गति निर्धारक पद होता है जिससे अभिक्रिया का वेग लिखा जाता है।

जटिल अभिक्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं-

  • क्रमागत अभिक्रियाएँ
  • विपरीत अभिक्रियाएँ तथा
  • पाश्र्व अभिक्रियाएँ।

एथेन का CO2 तथा H2O में ऑक्सीकरण क्रमागत अभिक्रिया तथा फीनॉल का नाइट्रीकरण पार्श्व अभिक्रिया का उदाहरण है।

प्रश्न 3.
आप एक अभिक्रिया के दर नियम (वेग व्यंजक) और दर स्थिरांक (वेंग स्थिरांक) से क्या समझते हैं? दर स्थिरांक के निम्नलिखित मात्रकों से अभिक्रिया की कोटि की पहचान कीजिए-
(i) L-1 mol s-1
(ii) L mol-1 s-1
उत्तर:
किसी अभिक्रिया के वेग को अभिकारकों की सांद्रता के पदों में व्यक्त करना ही वेग नियम कहलाता है। अतः वेग नियम वह व्यंजक होता है जिसमें किसी अभिक्रिया के वेग को अभिकारकों की मोलर सांद्रता के पद पर कोई घातांक लगाकर व्यक्त किया जाता है। यह किसी संतुलित रासायनिक समीकरण में अभिकर्मकों के स्टॉइकियोमीट्री गुणांक के समान या भिन्न होता है।
वेग नियम को वेग समीकरण या वेग व्यजंक भी कहते हैं।
उदाहरण : अभिक्रिया-
a A + bB → cC + dD के लिए
अभिक्रिया का वेग ∝[A]x [B]y
x तथा y, a व b के समान भी हो सकते हैं अथवा भिन्न भी हो सकते हैं तथा x व y का मान प्रयोग द्वारा ज्ञात किया जाता है, अतः इसे प्रायोगिक वेग समीकरण कहते हैं।
या वेग = k[A]x [B]y
\(\frac{-\mathrm{d}[\mathrm{R}]}{\mathrm{dt}}\) = k[A]x [B]y
इसे अवकल वेग समीकरण कहते हैं।
यहाँ k = समानुपाती स्थिरांक जिसे वेग स्थिरांक या वेग नियतांक भी कहते हैं। अतः वेग नियम अभिक्रिया के वेग तथा अभिकारकों की सान्द्रता में सम्बन्ध दर्शाता है।
(i) शून्य कोटि
(ii) द्वितीय कोटि।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 4.
दिए गए ताप पर 2.4 × 10-3 s-1 के दर स्थिरांक के साथ HCO2H का ऊष्मीय विघटन एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया होता है। परिकलन कीजिए HCO2H की एक आरम्भिक मात्रा को इसके तीन-चौथाई तक विघटन में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t = \(\frac { 2.303 }{ k }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
t समय पर प्रारम्भिक मात्रा का तीन-चौथाई विघटन हो रहा है, अतः \(\frac { 1 }{ 4 }\) भाग बचेगा
t = \(\frac{2.303}{2.4 \times 10^{-3}}\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{\frac{1}{4}[\mathrm{R}]_0}\)
t = 0.9595 × 103 (log 4)
t = 0.9595 × 103 × 0.6021
t = 577.7 sec.

प्रश्न 5.
एक अभिक्रिया एक अभिकारक के सन्दर्भ में द्वितीय कोटि की है। यदि इस अभिकारक की सान्द्रता (i) दुगुनी कर दी जाए (ii) आधी कर दी जाए, तो दर (वेग) कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
वेग = k [R]2
(i) अभिकारक की सान्द्रता दुगुनी करने पर,
वेग = k [2R]2
वेग = 4k [R]2
अतः दर पहले की तुलना में 4 गुना हो जाएगी।
(ii) अभिकारक की सान्द्रता आधी करने पर,
वेग = \(\mathrm{k}\left[\frac{\mathrm{R}}{2}\right]^2\)
वेग = \(\frac{\mathrm{k}}{4}[\mathrm{R}]^2\)
अतः दर पहले की एक-चौथाई रह जाएगी।

प्रश्न 6.
(अ) रासायनिक अभिक्रिया में 10°C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक में लगभग दुगुनी वृद्धि हो जाती है। नामांकित वितरण वक्र से समझाइए।
(ब) ताप 350 K से 400 K परिवर्तित करने पर प्रथम कोटि अभिक्रिया का वेग स्थिरांक चार गुना बढ़ जाता है। सक्रियण ऊर्जा की गणना यह मानकर कीजिए कि यह ताप के साथ परिवर्तित नहीं होती है।
(R=8.314 जूल केल्विन-1 मोल-1, log 4=0.6021)
अथवा
(अ) उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया का वेग अधिक हो जाता है। इस कथन को अभिक्रिया निर्देशांक व ऊर्जा में वक्र बनाकर समझाइए।
(ब) एक अभिक्रिया के लिए क्रियाकारकों की प्रारम्भिक सान्द्रता 0.4 M तथा वेग स्थिरांक 2.5 × 10-4 मोल लीटर-1 से.-1 हैं। अभिक्रिया का अर्द्ध-आयुकाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(अ) किसी पदार्थ का ताप बढ़ाने पर Ea से अधिक ऊर्जायुक्त संघट्ट करने वाले अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। चित्र से स्पष्ट है कि वक्र मेंt +10 तापमान पर सक्रियण ऊर्जा या इससे अधिक ऊर्जायुक्त अणुओं को दर्शाने वाला क्षेत्रफल लगभग दो गुना हो जाता है अतः अभिक्रिया वेग भी दो गुना हो जाता है।
आर्रेनिसस समीकरण में कारक \(\mathrm{e}^{-\mathrm{E}_a / \mathrm{RT}}, \mathrm{E}_{\mathrm{a}}\) से अधिक गतिज ऊर्जा वाले अणुओं की भिन्न के संगत होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 19
(ब) log\(\frac{k_2}{k_1}\) = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{2.303 \mathrm{R}}\left[\frac{\mathrm{T}_2-\mathrm{T}_1}{\mathrm{~T}_1 \mathrm{~T}_2}\right]\)
प्रश्नानुसार,
\(\frac{\mathrm{k}_2}{\mathrm{k}_1}\) = 4, T1 = 350K, T2 = 400 K, R = 8.314 जूल केल्विन-1 मोल-1
मान रखने पर,
log 4 = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{2.303 \times 8.314}\left[\frac{400-350}{350 \times 400}\right]\)
0.6021 = \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{a}}}{19.1471}\left[\frac{50}{140000}\right]\)
Ea = \(\frac{0.6021 \times 19.1471 \times 140000}{50}\)
Ea = 32279.71 J mol-1
अथवा
उत्तर:
(अ) उत्प्रेरक अभिक्रिया को वैकल्पिक पथ प्रदान करता है जिससे सक्रियण ऊर्जा कम हो जाती है अतः यह ऊर्जा अवरोध में कमी करके अभिक्रिया को सम्पन्न करता है जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है। इसे निम्नलिखित वक्र से समझाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 20
(ब) यह शून्य कोटि अभिक्रिया है क्योंकि इसमें प्रारम्भिक सान्द्रता दी गई है। अतः इसके लिए
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 21

प्रश्न 7.
एथिल ऐसीटेट के जल अपघटन का उदाहरण लेकर छद्म प्रथम कोटि की अभिक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
छद्म प्रथम कोटि की अभिक्रिया-वह अभिक्रिया जिसकी कोटि एक हो तथा आण्विकता एक से अधिक हो उसे छद्म प्रथम कोटि अभिक्रिया कहते हैं। इस प्रकार की अभिक्रिया में दो अभिकारकों में से एक अभिकारक आधिक्य में होता है जिसकी सान्द्रता में परिवर्तन बहुत कम होता है अतः इसको नगण्य मानते हैं।
उदाहरण: एस्टर का अम्लीय माध्यम में जल अपघटन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 22

प्रश्न 8.
शून्य कोटि एवं प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के लिए वेग स्थिरांक की इकाइयाँ लिखिए।
उत्तर:
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की इकाई = mol L-1S-1
प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की इकाई =S-1

प्रश्न 9.
अभिक्रिया की अर्धायु किसे कहते हैं? प्रथम कोटि अभिक्रिया के वेग समीकरण से अर्धायु ज्ञात करने का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
अभिक्रिया की अर्धायु-किसी अभिक्रिया में जितने समय में अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता आधी रह जाती है, उसे अभिक्रिया की अर्धायु कहते हैं।
प्रथम कोटि अभिक्रिया का अवकल वेग समीकरण-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
[R]0 = प्रारम्भिक सान्द्रता, [R] = t समय पर सान्द्रता,
t = समय तथा k = वेग नियतांक
अर्धायु t1/2 पर, [R] = \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{2}\)
ये मान उपर्युक्त समीकरण में रखने पर,
k = \(\frac{2.303}{\mathrm{t}^{\frac{1}{2}}} \log \frac{\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]_0}}{2}\)
या t1/2 = \(\frac { 2.303 }{ k }\)log2
= \(\frac { 2.303 }{ k }\)log2
= \(\frac { 2.303 }{ k }\) × 0.3010
t1/2 = \(\frac { 0.693 }{ k }\)

प्रश्न 10.
(a) अभिक्रिया A + B → P के लिए वेग नियम v = \(\mathbf{k}[\mathbf{A}]^{\frac{1}{2}}[\mathrm{~B}]^2\) से दिया जाता है। इस अभिक्रिया की कोटि क्या होगी ?
(b) एक प्रथम कोटि अभिक्रिया का वेग नियतांक k = 5.5 × 10-14s-1 से दिया जाता है । इस अभिक्रिया की अर्धआयु कीजिए ।
उत्तर:
(a) अभिक्रिया की कोटि = \(\frac { 1 }{ 2 }\)+2 = 2\(\frac { 1 }{ 2 }\) या 2.5
(b) प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए-
अर्धआयु (t\(\frac { 1 }{ 2 }\)) = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
t\(\frac { 1 }{ 2 }\) = \(\frac{0.693}{5.5 \times 10^{-14}}\)
t\(\frac { 1 }{ 2 }\) = 1.26 × 1013s

प्रश्न 11.
स्थिर आयतन पर SO2Cl2 के प्रथम कोटि के तापीय विघटन के दौरान निम्नलिखित आँकड़े प्राप्त हुए-
SO2Cl2(g) → SO2(g) + Cl2(g)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 23
वेग नियतांक परिकलित कीजिए।
( दिया गया है – log 4 = 0.6021)
उत्तर:
अभिक्रिया SO2Cl2(g) → SO2(g) + Cl2(g)
अभिक्रिया Ag → B(g) + C(g) के समतुल्य है
अतः इसके लिए-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{P_i}{\left(2 P_i-P_t\right)}\)
यहाँ Pi = 0.4 atm, Pt = 0.7 atm तथा t = 100 s
k = \(\frac { 2.303 }{ 100 }\)log\(\frac{0.4}{(2 \times 0.4-0.7)}\)
= \(\frac { 2.303 }{ 100 }\)log\(\frac { 0.4 }{ 0.1 }\)
= \(\frac { 2.303 }{ 100 }\)log4
= \(\frac { 2.303 }{ 100 }\) × 0.6021
k = 0.01386 = 1.38 × 10-2 s-1

प्रश्न 12.
एक रासायनिक अभिक्रिया, R → P के लिए, समय (t) के प्रति सान्द्रता (R) में परिवर्तन को निम्नलिखित ग्राफ में दर्शाया गया है –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 24
(i) इस अभिक्रिया की कोटि बताइए ।
(ii) ग्राफ की प्रवणता ( ढलान ) क्या होगी ?
उत्तर:
(i) यह एक शून्य कोटि अभिक्रिया है ।
(ii) इस ग्राफ का ढाल = – k = –\(-\left[\frac{[\mathrm{R}]_0-[\mathrm{R}]}{\mathrm{t}}\right]\)
यदि [R]0 = a तथा [R] = a – x तो k = \(-\frac{x}{t}\)

प्रश्न 13.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं की कोटि बताइए-
(अ) कृत्रिम नाभिकीय क्षय
(ब) उच्च दाब पर गैसीय अमोनिया का तप्त Pt सतह पर वियोजन
(स) एथीन का हाइड्रोजनन
(द) N2O5 का अपघटन ।
उत्तर:
(अ) कृत्रिम नाभिकीय क्षय प्रथम कोटि अभिक्रिया होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 25
(ब) उच्च दाब पर गैसीय अमोनिया का तप्त Pt सतह पर वियोजन शून्य कोटि अभिक्रिया होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 26
वेग = k [NH3]

(स) एथीन का हाइड्रोजनन (हाइड्रोजनीकरण) एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है।
C2H4(g) + H2(g) → C2H6(g)
वेग = K [C2H4]

(द) N2O5 का अपघटन एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है।
2N2O5 → 4NO2 + O2
वेग = k[N2O5]

प्रश्न 14.
किसी अभिक्रिया की अर्धायु क्या है? प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए वेग समीकरण से यह पुष्टि कीजिए कि इस अभिक्रिया की अर्धायु अभिक्रियकों की प्रारम्भिक सान्द्रताओं पर निर्भर नहीं होती।
उत्तर:
किसी अभिक्रिया में अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता का आधा जितने समय में उत्पाद में बदल जाता है उसे अभिक्रिया की अर्धायु कहते हैं।
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग समीकरण
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\);
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) पर [R] = \(\frac{[\mathrm{R}]_0}{2}\)
R का यह मान रखने पर,
k = \(\frac{2.303}{\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}} \frac{[\mathrm{R}]_0}{\frac{[\mathrm{R}]_0}{2}}\)
या \(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log 2
= \(\frac { 2.303 }{ t }\) × 0.3010 (log 2 = 0.3010)
या \(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
अतः किसी प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए अर्धायु निश्चित होती है, अर्थात् यह अभिकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं होती।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 रासायनिक बलगतिकी

प्रश्न 15.
किसी अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक की इकाई सेकण्ड-1 है। अभिक्रिया की कोटि क्या होगी ?
उत्तर:
यह एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है।

प्रश्न 16.
अभिक्रिया 2A + B → उत्पाद हेतु अवकलन वेग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
अभिक्रिया 2A + B → उत्पाद के लिए अवकलन वेग समीकरण निम्न प्रकार होगा-
\(-\frac{\mathrm{d}[\mathrm{R}]}{\mathrm{dt}}\) = K[A]2[B]

प्रश्न 17.
प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु काल 10 sec
उत्तर:
प्रथम कोटि अभिक्रिया की अर्धायु काल
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 0.693 }{ k }\) यहाँ k = वेग स्थिरांक
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = 10 sec.
अतः वेग स्थिरांक k = \(\frac{0.693}{t_{1 / 2}}\)
k = \(\frac { 0.693 }{ 10 sec. }\) = 0.0693 sec-1

प्रश्न 18.
जलीय विलयन में मेथिल ऐसीटेट के जल- अपघटन से निम्नलिखित परिणाम प्राप्त हुए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 4 Img 27
(i) जल की सान्द्रता स्थिर रखते हुए प्रदर्शित कीजिए कि यह छद्म (स्यूडो) प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।
(ii) समयांतराल 30 से 60 सेकण्ड के बीच अभिक्रिया की औसत दर का परिकलन कीजिए।
अथवा
(a) एक अभिक्रिया A + B → P के लिए दर दिया गया है। दर = k [A]2 [B]

  • यदि A की सान्द्रता दुगुनी कर दी जाए, तो अभिक्रिया की दर कैसे प्रभावित होती है ?
  • यदि B बड़ी मात्रा में उपस्थित हो, तो अभिक्रिया की सम्पूर्ण कोटि क्या है?

(b) एक अभिक्रिया 50% पूर्ण होने में 23.1 मिनट लेती है और अभिक्रिया प्रथम कोटि की है। इस अभिक्रिया को 75% पूर्ण होने में कितना समय लगेगा, उसका परिकलन कीजिए। ( दिया गया है – log 2 = 0.301, log 3 = 0.4771, log 4 = 0.6021)
उत्तर:
(i) जल की सान्द्रता स्थिर है अतः यह छद्म प्रथम कोटि की अभिक्रिया है। प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक है-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{[\mathrm{R}]_0}{[\mathrm{R}]}\)
उपर्युक्त आँकड़ों से सूत्र द्वारा k का मान 30 S तथा 60 S पर ज्ञात करते हैं तो समान आता है जो कि 2.310 × 10-2 s-1 है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि यह एक छद्म प्रथम कोटि अभिक्रिया है।

(ii) अभिक्रिया की औसत दर (rav) = \(-\frac{\Delta[\mathrm{R}]}{\Delta \mathrm{t}}\)=\(\frac{\mathrm{C}_2-\mathrm{C}_1}{\Delta \mathrm{t}}\)
= \(-\frac{0.15-0.30}{60-30}\) = \(-\frac{(-0.15)}{30}\)
= 0.005
= 5 × 10-3 mol L-1
अथवा
(a) अभिक्रिया की दर = k [A]2 [B]

(i) जब A की सान्द्रता दुगुनी की जाती है तो उपरोक्त समीकरण के अनुसार
दर = k [24]2 [B]
दर = 4k [A]2 [B]
अतः अभिक्रिया की दर 4 गुना हो जाती है।
(ii) जब B बड़ी मात्रा में उपस्थित हो तो अभिक्रिया की दर इस पर निर्भर नहीं करेगी इसलिए अभिक्रिया की सम्पूर्ण कोटि 2 + 0 = 2 होगी।

(b) प्रथम कोटि अभिक्रिया के 50% पूर्ण होने में लगा समय अर्थात्
अर्धायु
\(\mathrm{t}_{\frac{1}{2}}\) = \(\frac { 0.693 }{ k }\)
या k = \(\frac{0.693}{t_{\frac{1}{2}}}\) \(\frac{0.693}{23.1 \mathrm{~min}}\)
= 0.03 = 3 × 10-2 min-1
अतः अभिक्रिया के 75% पूर्ण {[R] = 0.25} होने में लगा समय-
k = \(\frac { 2.303 }{ t }\)log\(\frac{\left[\mathrm{R}_0\right]}{[\mathrm{R}]}\)
t = \(\frac{2.303}{3 \times 10^{-2}}\)log\(\frac{1}{0.25}\) = \(\frac{2.303}{0.03}\)log 4
t = \(\frac { 2.303 }{ 0.03 }\)(0.6021) = 46.2 मिनट

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की मुख्य अभिक्रिया है-
(अ) इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(ब) इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(स) नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(द) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
उत्तर:
(स) नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया

2. कार्बोनिल समूह के कार्बन पर कौनसा संकरण होता है?
(अ) sp
(ब) sp²
(स) sp³
(द) sp³d
उत्तर:
(ब) sp²

3. निम्नलिखित में से किस यौगिक में कैनिजारो अभिक्रिया नहीं होती ?
(अ) C6H5CHO
(ब) HCHO
(स) CCl3CHO
(द) CH3 – CHO
उत्तर:
(द) CH3 – CHO

4. ऐल्किल सायनाइड के जल अपघटन से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 1
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 2

5. निम्नलिखित में से किसके द्वारा ऐल्डिहाइड तथा कीटोन में विभेद किया जा सकता है?
(अ) NaHCO3
(ब) HCN
(स) फेलिंग विलयन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) फेलिंग विलयन

6. सोडियम प्रोपेनॉएट (CH3-CH2-COONa) को सोडालाइम (NaOH + CaO) के साथ गर्म करने पर बना उत्पाद है-
(अ) ऐसीटोन
(स) ऐथेन
(ब) मेथेन
(द) एथीन
उत्तर:
(स) ऐथेन

7. यौगिक X फेनिल हाइड्रेजीन से क्रिया करता है लेकिन टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता तो यौगिक X होगा-
(अ) ऐमाइड
(ब) कीटोन
(स) ऐल्डिहाइड
(द) ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(ब) कीटोन

8. यौगिक जो ऐल्डोल संघनन नहीं देता, वह है-
(अ) CH3CHO
(ब) CH3 – COCH3
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 3
(द) HCHO
उत्तर:
(द) HCHO

9. टॉलेन अभिकर्मक निम्नलिखित में से किस धातु आयन का NH3 के साथ संकुल है?
(अ) Cu2+
(ब) Cu+1
(स) Ag+
(द) Co2+
उत्तर:
(स) Ag+

10. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक आयोडीन के क्षारीय विलयन के साथ गर्म करने पर पीला अवक्षेप देता है?
(अ) मेथेनैल
(ब) प्रोपेनोन
(स) प्रोपेनैल
(द) ब्यूटेनैल
उत्तर:
(ब) प्रोपेनोन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

11. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रबल अम्ल है-
(अ) HCOOH
(ब) CH3COOH
(स) CH3 – CH2-COOH
(द) Cl – CH2 – COOH
उत्तर:
(द) Cl – CH2 – COOH

12. ऐसीटिक अम्ल से ऐसीटिल क्लोराइड बनाने में निम्नलिखित में से किस अभिकर्मक को प्रयुक्त नहीं किया जा सकता ?
(अ) PCl5
(ब) PCl3
(स) SOCl2
(द) Cl2
उत्तर:
(द) Cl2

13. निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में उत्पाद D है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 4
(अ) CH3 – CH2NH2
(ब) CH3CN
(स) HCONH2
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 5
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 5

14. निम्नलिखित में से सिन्नेमैल्डिहाइड का सूत्र कौनसा है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 6
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 7

15. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 8 का IUPAC नाम है-
(अ) साइक्लोहेक्सेनैल
(ब) साइक्लोहेक्सेन ऐल्डिहाइड
(स) साइक्लोहेक्सेन कार्बेल्डिहाइड
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) साइक्लोहेक्सेन कार्बेल्डिहाइड

16. प्रोपाइन (CH3C ≡ CH) के जलयोजन से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 9
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 10

17. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 11 से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 12
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 13

18. ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से ………………
(अ) कम होते हैं
(स) समान होते हैं
(ब) अधिक होते हैं
(द) तुलना करना असंभव है
उत्तर:
(ब) अधिक होते हैं

19. कीटोनों की क्लीमेन्सन अपचयन अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक होते हैं-
(अ) ऐल्कोहॉल
(ब) ऐल्केन
(स) कार्बोक्सिलिक अम्ल
(द) ऐल्काइन
उत्तर:
(ब) ऐल्केन

20. फेलिंग परीक्षण में प्राप्त लाल अवक्षेप निम्नलिखित में से किस यौगिक के बनने के कारण आता है ?
(अ) Ag2O
(ब) CuO
(स) Cu2O
(द) Cu(OH)2
उत्तर:
(ब) CuO

21. एथिल ब्यूटेनोएट के जल अपघटन से प्राप्त यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 14
उत्तर:
(स) CH3 – CH2-CH2-COOH

22. निम्नलिखित में से सबसे दुर्बल अम्ल है-
(अ) HCOOH
(ब) C2H5-CH2-COOH
(स) CH3COOH
(द) CH3 – CH2-COOH
उत्तर:
(ब) C2H5-CH2-COOH

23. नाइलॉन 66 के निर्माण में किस यौगिक का प्रयोग होता है?
(अ) ब्यूटेन डाइओइक अम्ल
(ब) प्रोपेनोइक अम्ल
(स) हैक्सेन डाइ ओइक अम्ल
(द) बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(स) हैक्सेन डाइ ओइक अम्ल

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

24. बेन्जोइक अम्ल द्वारा निम्नलिखित में से कौनसी अभिक्रिया नहीं दर्शायी जाती?
(अ) नाइट्रीकरण
(ब) फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया
(स) हैलोजेनीकरण
(द) सल्फोनीकरण
उत्तर:
(ब) फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया

25. अभिक्रिया HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 15 का उत्पाद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 16
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 17

26. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है?
(अ) CH3COOH
(ब) CH3COCH3
(स) HCOOH
(द) C6H5COOH
उत्तर:
(स) HCOOH

27. एथेनैल निम्नलिखित में से कौनसा परीक्षण नहीं देता है?
(अ) टॉलेन परीक्षण
(ब) फेलिंग परीक्षण
(स) लुकाश परीक्षण
(द) आयोडोफॉर्म परीक्षण
उत्तर:
(स) लुकाश परीक्षण

28. प्रोपेनाइक अम्ल की श्मिट अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक है-
(अ) CH3 – NH2
(ब) CH3CONH2
(स) CH3 – CH2 – NH2
(द) CH3 – CN
उत्तर:
(स) CH3 – CH2 – NH2

29. ऐसीटिलीकरण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त यौगिक कौनसा है ?
(अ) CH3CONH2
(ब) CH3COOH
(स) (CH3CO)2O
(द) CH3COOC2H5
उत्तर:
(स) (CH3CO)2O

30. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 18 है-
(अ) श्मिट अभिक्रिया
(ब) हुन्स्डीकर अभिक्रिया
(स) राइमर टीमान अभिक्रिया
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) हुन्स्डीकर अभिक्रिया

31. एक हाइड्रोकार्बन के ओजोनी अपघटन पर एक मोल एसीटोन तथा एक मोल फॉर्मेल्डिहाइड बनता है तो वह हाइड्रोकार्बन है-
(अ) प्रोपीन
(ब) 2 – मेथिल प्रोपीन
(द) 2 – मेथिल – ब्यूट- 1 – ईन
(स) 2 – मेथिल – ब्यूट – 2 – ईन
उत्तर:
(ब) 2 – मेथिल प्रोपीन

32. कीटोन किस विधि द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं ?
(अ) रोजेनमुण्ड अपचयन द्वारा
(ब) इटार्ड अभिक्रिया द्वारा
(स) कैनिजारो अभिक्रिया द्वारा
(द) फ्रीडल – क्राफ्ट अभिक्रिया द्वारा
उत्तर:
(द) फ्रीडल – क्राफ्ट अभिक्रिया द्वारा

33. जब प्रोपेनोइक अम्ल की क्रिया जलीय सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ करवाई जाती है तो CO2 गैस निष्कासित होती है। CO2 का कार्बन कहाँ से आता है?
(अ) मेथिल समूह से
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह से
(स) मेथिलीन समूह से
(द) बाईकार्बोनेट से
उत्तर:
(द) बाईकार्बोनेट से

34. सोडियम एथॉक्साइड की उपस्थिति में एथिल ऐसीटेट के दो मोल के स्वः संघनन से प्राप्त होता है-
(अ) एथिल ब्यूटरेट
(ब) ऐसीटोऐसीटिक एस्टर
(स) मेथिल ऐसीटोऐसीटेट
(द) एथिल प्रोपिओनेट
उत्तर:
(ब) ऐसीटोऐसीटिक एस्टर

35. निम्नलिखित अभिक्रिया का अन्तिम उत्पाद है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 19
उत्तर:
(स) CH2 = CHOOOH

36. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक आयोडीन तथा NaOH के साथ पीला अवक्षेप देगा ?
(अ) ICH2COCH2CH3
(ब) CH3COOCOCH3
(स) CH3-CH2-CH(OH)CH2CH3
(द) CH3COOH
उत्तर:
(अ) ICH2COCH2CH3

37. निम्नलिखित में से किस यौगिक के ओजोनीकरण पश्चात् जल-अपघटन से ऐसीटोन प्राप्त होगा ?
(अ) 2- मेथिल – 2 – ब्यूटीन
(ब) 3 – मेथिल- 1- ब्यूटीन
(स) साइक्लोपेन्टेन
(द) 2-मेथिल- 1- ब्यूटीन
उत्तर:
(अ) 2- मेथिल – 2 – ब्यूटीन

38. निम्नलिखित कार्बोक्सिलिक अम्लों की अम्लीयता पर विचार करें-
(i) Ph-COOH
(ii) 0-NO2C6H4COOH
(iii) p-NO2C6H4COOH
(iv) m-NO2C6H4COOH
निम्नलिखित में से कौन-सा क्रम (अवरोही) सही है ?
(अ) (i), (ii), (iii), (iv)
(ब) (ii), (iv), (iii), (i)
(स) (ii), (iv), (i), (iii)
(द) (ii), (iii), (iv), (i)
उत्तर:
(द) (ii), (iii), (iv), (i)

39. CH3CHO और C6H5CH2CHO में किसके द्वारा अन्तर जा सकता है ?
(अ) बेनेडिक्ट विलयन द्वारा
(ब) आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा
(स) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा
(द) फेहलिंग विलयन द्वारा
उत्तर:
(ब) आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा

40. निम्नलिखित में से किस अभिक्रिया द्वारा बेन्जेल्डिहाइड नहीं बन सकता है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 20
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 21

41. यौगिक जो जलीय सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन द्वारा अभिक्रिया कर CO2 नहीं देता है, वह है-
(अ) बेन्जोइक अम्ल
(ब) बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल
(स) सेलिसिलिक अम्ल
(द) कारबोलिक अम्ल (फीनॉल)
उत्तर:
(द) कारबोलिक अम्ल (फीनॉल)

42. यौगिक HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 22 का IUPAC नाम है-
(अ) प्रोपे- 1, 2, 3-ट्राईकार्बेल्डिहाइड
(ब) 3 – फॉर्मिल – 1, 5- पेन्टेनडाईअल
(स) 3- प्रोपेन- 1, 2, 3 – ट्राई अल
(द) 3 – ऐल्डो -1, 5- पेन्टेनडाईअल
उत्तर:
(अ) प्रोपे- 1, 2, 3-ट्राईकार्बेल्डिहाइड

43. बेन्जेल्डिहाइड एवं फॉर्मेल्डिहाइड के मिश्रण की अभिक्रिया सान्द्र तथा गर्म NaOH से करवाने पर प्राप्त उत्पाद हैं-
(अ) C6H5COONa + CH3OH
(ब) C6H5CH2OH + HCOONa
(स) C6H5COONa + C6H5CH2OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 23
उत्तर:
(ब) C6H5CH2OH + HCOONa

44. निम्नलिखित में उत्पाद C होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 24
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 25

45. हेल – फोलार्ड – जेलिंस्की अभिक्रिया में 2- मेथिलप्रोपेनॉइक अम्ल एक यौगिक (A) देता है। यह यौगिक (A) है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 26
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 27

46. निम्नलिखित यौगिकों की अम्ल-सामर्थ्य का अवरोही क्रम है-
(अ) RCOOH > CH = CH > HOH > ROH
(ब) RCOOH > ROH > HOH > CH = CH
(स) RCOOH > HOH > ROH > CH = CH
(द) RCOOH > HOH > CH = CH > ROH
उत्तर:
(स) RCOOH > HOH > ROH > CH = CH

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 28
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 29

प्रश्न 2.
कार्बोक्सिलिक अम्लों से बेन्जेल्डिहाइड बनाने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 29a

प्रश्न 3.
ब्यूट – 2 – आइन के जलयोजन से कौनसा यौगिक बनता है?
उत्तर:
ब्यूटेन – 2 ऑन।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 29b

प्रश्न 4.
रोजेनमुंड अभिक्रिया से कौनसा ऐल्डिहाइड प्राप्त नहीं होता?
उत्तर:
HCHO फार्मेल्डिहाइड।

प्रश्न 5.
स्टीफैन अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 30

प्रश्न 6.
किसी ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से CH3COCH3 तथा CH3CHO प्राप्त होते हैं तो उस ऐल्कीन की संरचना बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 31

प्रश्न 7.
ईटाई अभिक्रिया द्वारा टॉलुईन से बेन्जेल्डिहाइड किस प्रकार बनाया जाता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 32

प्रश्न 8.
फार्मेल्डिहाइड की सान्द्र KOH से अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 33
इसे कैनिजारो अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 9.
एक यौगिक सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ करता है लेकिन फेलिंग विलयन से क्रिया नहीं करता, यह यौगिक होगा?
उत्तर:
यह यौगिक कोई कीटोन जैसे ऐसीटोन होगा।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 10.
पाँच कार्बन युक्त द्विशाखित ऐल्डिहाइड बताइए जो कैनिजारो अभिक्रिया देता है।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 34

प्रश्न 11.
एथेनोइक अम्ल से प्रोपेनोन प्राप्त करने का समीकरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 35

प्रश्न 12.
निम्नलिखित कार्बोनिल यौगिकों की HCN के साथ क्रिया के लिए क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम लिखिए-
C6H5CHO, CCl3,CHO, CH3CHO
उत्तर:
C6H5CHO < CH3CHO < CCl3CHO

प्रश्न 13.
वह कौनसा ऐल्डिहाइड जिसकी क्रिया सोडियम हाइपो आयोडाइट (NaOI ) के साथ करवाने पर आयोडोफॉर्म बनता है?
उत्तर:
CH3CHO (ऐसिटैल्डिहाइड)।

प्रश्न 14.
ऐसिटेल्डिहाइड से क्रोटोन ऐल्डिहाइड बनाने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 36

प्रश्न 15.
क्या होगा जब HCHO को कुछ दिन तक बेरायटा जल [Ba(OH)2] के सम्पर्क में रखा जाता है?
उत्तर:
HCHO को कुछ दिन तक Ba(OH)2 के सम्पर्क में रखने पर हेक्सोस शर्कराओं का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे फार्मेस कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 37

प्रश्न 16.
निम्न यौगिकों के क्वथनांक का आरोही क्रम बताइए-
n-ब्यूटेन (I) मेथॉक्सीमेथेन (II), ऐसीटोन (III) प्रोपेनैन (IV), तथा प्रोपेन- 1 ऑल (V)
उत्तर:
I < II < III < IV < V

प्रश्न 17.
CH3CHO की NH3 के साथ क्रिया का अन्तिम उत्पाद क्या होता है?
उत्तर:
CH3CHO की NH के साथ क्रिया कराने पर अन्तिम उत्पाद के रूप में 2, 4, 6 ट्राइमेथिल हेक्साहाइड्रो-1, 3, 5 ट्राइऐजीन ट्राइहाइड्रेट बनता है।

प्रश्न 18.
Br, CI. CN NO2 तथा CF3 समूह के -1 प्रभाव का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
Br < CI < CN < NO, < CF3

प्रश्न 19.
प्रोपेनोइक अम्ल की थायोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
CH3 – CH2 – COOH + SOCl2 → CH3 – CH2-COCl+SO2+HCl

प्रश्न 20.
ऐसीटिक अम्ल, क्लोरो ऐसीटिक अम्ल, डाइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल तथा ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल के अम्लीय सामर्थ्य का घटता क्रम क्या होगा ?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 38

प्रश्न 21.
सेब, नींबू तथा इमली में पाए जाने वाले अम्लों के सूचना सूत्र, सामान्य नाम तथा IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
सेब में मैलिक अम्ल
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 39

प्रश्न 22.
निम्नलिखित अम्लों के सूत्र लिखिए-
(i) स्टियरिक अम्ल
(ii) ऑलिक अम्ल।
उत्तर:
(i) C17H35COOH
(ii) C17H33COOH

प्रश्न 23.
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल को किन विधियों द्वारा नहीं बनाया जा सकता है?
उत्तर:
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल को ऐल्कीनों के कार्बोनिलीकरण तथा आर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया द्वारा नहीं बनाया जा सकता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 24.
प्रारम्भिक कार्बोक्सिलिक अम्ल जल में विलेय होते हैं, क्यों?
उत्तर:
प्रारम्भिक कार्बोक्सिलिक अम्ल, जल के साथ अंतराअणुक हाइड्रोजन बंध बना लेते हैं, अतः ये जल में विलेय होते हैं।

प्रश्न 25.
ऐसीटिक अम्ल से मैलोनिक अम्ल बनाने के लिए आवश्यक अभिक्रिया अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 40

प्रश्न 26.
सिरके का संघटन बताइए।
उत्तर:
ऐसीटिक अम्ल का तनु जलीय विलयन (8-10%) सिरका कहलाता है।

प्रश्न 27.
बेन्जोइक अम्ल की जल में विलेयता ऐसीटिक अम्ल की तुलना में कम होती है, क्यों?
उत्तर:
बेन्जोइक अम्ल (C6H5COOH) में फेनिल (हाइड्रोकार्बन) समूह के बड़े आकार के कारण इसकी जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाने की प्रवृत्ति कम होती है, अतः यह ऐसीटिक अम्ल की तुलना में जल में कम विलेय होता है।

प्रश्न 28.
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल में विभेद करने के लिए एक परीक्षण बताइए।
उत्तर:
फार्मिक अम्ल टॉलेन अभिकर्मक के साथ रजत दर्पण देता है जबकि ऐसीटिक अम्ल ऐसा नहीं करता है ।

प्रश्न 29.
सक्रिय हाइड्रोजन युक्त यौगिकों के ऐसिटिलीकरण के लिए ऐसिटिल क्लोराइड की तुलना में ऐसीटिक ऐन्हाइड्राइड अधिक उपयुक्त ह है, क्यों?
उत्तर:
ऐसिटिक ऐन्हाइड्राइड की तुलना में ऐसिटिल क्लोराइड अधिक क्रियाशील होता है। अतः अभिक्रिया का वेग अधिक होता है जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है अतः ऐसिटिलीकरण के लिए ऐसीटिक ऐन्हाइड्राइड अधिक उपयुक्त होता है।

प्रश्न 30.
ऐसीटिक अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों को क्वथनांक के बढ़ते क्रम में रखिए।
उत्तर:
CH3COCl < CH3COOCH5 < (CH3CO)2O < CH3CONH2

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बोनिल यौगिकों के सन्दर्भ में निम्नलिखित के उदाहरण दीजिए—
(i) मध्यावयवता
(ii) स्थिति समावयवता।
उत्तर:
(i) मध्यावयवता – यह समावयवता बहुसंयोजी समूह युक्त यौगिक कीटोन में होती है जिसमें > C = O से जुड़े ऐल्किल समूहों में भिन्नता होती है।
उदाहरण- पेन्टेन – 2 ऑन तथा पेन्टेन 3-ऑन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 41

(ii) स्थिति समावयवता भी कीटोन में ही होती है। उपरोक्त उदाहरण स्थिति समावयवता का भी है।

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प्रश्न 2.
टॉलुइन से बेन्जेल्डिहाइड बनाने की विभिन्न विधियाँ बताइए।
उत्तर:
टॉलुइन के पार्श्व शृंखला क्लोरीनीकरण-जल अपघटन द्वारा (By the Side Chain Chlorination-Hydrolysis of Soluene)-सूर्य के प्रकाश में टॉलुईन की क्रिया क्लोरीन से कराने पर पहले बेन्जल क्लोराइड बनता है जिसके जल अपघटन से बेन्जैल्डिहाइड प्राप्त होता है। बेन्जैल्डिहाइड बनाने की यह एक औद्योगिक विधि है।
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प्रश्न 3.
(i) रोजेनमुंड अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए। (ii) ऑक्सो अभिक्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
(i) ऐसिल क्लोराइडों के अपचयन द्वारा – रोजेनमुंड अपचयन (By the Reduction of Acyl Chlorides – Rosenmund Reduction) – Pd तथा BaSO की उपस्थिति में ऐसिल क्लोराइड पर हाइड्रोजन की क्रिया (हाइड्रोजनीकरण) से ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
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नोट – (i) इस अभिक्रिया में प्रयुक्त BaSO Pd की उत्प्रेरकं क्षमता को कम कर देता है जिससे ऐल्डिहाइड का पुनः अपचयन होकर प्राथमिक ऐल्कोहॉल नहीं बनता है ।
(ii) इस अभिक्रिया से HCHO नहीं बनाया जा सकता क्योंकि HC-CI अस्थायी होता है।

(ii) ऑक्सो अभिक्रिया द्वारा (हाइड्रोफार्मिलीकरण) (By Oxo Reaction (Hydroformylation) ] – कोबाल्ट उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐल्कीन की क्रिया कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन के मिश्रण के साथ करवाने पर ऐल्डिहाइड बनते हैं।
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इस अभिक्रिया में कोबाल्ट के स्थान पर [Co2(CO)2] को भी प्रयुक्त किया जा सकता है तथा इस अभिक्रिया में द्विबन्ध का वियोजन होकर हाइड्रोजन तथा फार्मिल समूह का योग होता है अतः इसे हाइड्रोफार्मिलीकरण भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) बेन्जीन का फ्रीडेल क्राफ्ट ऐसिटिलीकरण
(ii) गाटरमान कोख ऐल्डिहाइड संश्लेषण
(iii) गाटरमान ऐल्डिहाइड संश्लेषण।
उत्तर:
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प्रश्न 5.
कार्बोनिल यौगिक नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं, क्यों?
उत्तर:
कार्बोनिल यौगिकों में प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण से बना ऐल्कॉक्साइड आयन, इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण से बने कार्बोकेटायन की तुलना में अधिक स्थायी होता है। इसी कारण कार्बोनिल यौगिक नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं।

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प्रश्न 6.
बेन्जेल्डिहाइड तथा ऐसिटैल्डिहाइड में किस प्रकार विभेद किया जाता है?
उत्तर:
(i) बेन्जेल्डिहाइड (C6H5CHO) आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता जबकि ऐसिटैल्डिहाइड (CH3CHO) आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है।

(ii) C6H5CHO फेलिंग विलयन से क्रिया नहीं करता जबकि CH3CHO, फेलिंग विलयन को अपचयित कर देता है।

प्रश्न 7.
अणुसूत्र C4H8O वाला यौगिक हाइड्रेजीन के साथ क्रिया करके हाइड्रेजोन बनाता है तथा यह आयोडीन व NaOH के साथ क्रिया करके आयोडोफॉर्म बनाता है लेकिन इसकी फेलिंग विलयन से कोई क्रिया नहीं होती तो इस यौगिक की संरचना तथा आवश्यक समीकरण बताइए।
उत्तर:
यौगिक हाइड्रेजीन से क्रिया करता है अतः यह एक कार्बोनिल यौगिक है लेकिन इसकी फेलिंग विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं होती अतः यह कीटोन होगा तथा यह आयोडोफॉर्म बनाता है इसलिए यह ब्यूटेनोन (CH3COCH2-CH3) मेथिल कीटोन है जो कि अणुसूत्र से भी सिद्ध हो जाता है।

उपरोक्त अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
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प्रश्न 8.
CH3CHO की NH3 के साथ अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
परअम्लों से ऑक्सीकरण (बेयर विलिगर अभिक्रिया) परअम्लों द्वारा ऑक्सीकरण से ऐल्डिहाइड तथा कीटेन क्रमशः कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा एस्टर देते हैं।
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प्रश्न 9.
एथेनैल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं को समझाइए –
(i) C2H5NH2
(ii) फेनिल हाइड्रेजीन
(iii) सेमीकार्बेजाइड।
उत्तर:
(i) एथेनैल की C2H5NH2 के साथ क्रिया कराने पर एक शिफ क्षारक बनता है।
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प्रश्न 10.
ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से अधिक होते हैं, लेकिन ऐल्कोहॉलों से कम, क्यों?
उत्तर:
ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से अधिक होते हैं, क्योंकि ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण बल के कारण आण्विक संगुणन पाया जाता है। लेकिन इनके क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले ऐल्कोहॉलों से कम होते हैं क्योंकि ऐल्कोहॉलों में अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जो कि इनमें नहीं होता ।

प्रश्न 11.
(a) कार्बोनिल यौगिकों में -हाइड्रोजन अम्लीय होते हैं, क्यों?
(b) एथेनैल की एल्डोल संघनन अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(a) कार्बोनिल यौगिकों (ऐल्डिहाइड तथा कीटोन) में α-हाइड्रोजन अम्लीय होते हैं क्योंकि कार्बोनिल समूह -I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव) दर्शाता है तथा हाइड्रोजन आयन (Hsup>+) के निकलने से प्राप्त संयुग्मी क्षार, अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है।
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(b) एथेनैल में α-हाइड्रोजन उपस्थित होते हैं अतः तनु क्षार की उपस्थिति में इसके दो अणु क्रिया करके 3 -हाइड्रॉक्सी-ब्यूटैनैल बनाते हैं जिसे गर्म करने पर ब्यूट-2-ईनैल बनता है। इस अभिक्रिया को एल्डोल संघनन कहते हैं।
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प्रश्न 12.
निम्नलिखित कार्बोनिल यौगिकों का अम्लीय KMnO4 या अम्लीय K2Cr2O7 से ऑक्सीकरण करवाने पर प्राप्त
उत्पाद बताइए –
(i) CH3CHO
(ii) CH3COCH3
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उत्तर:
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अभिक्रिया (iii) में प्राप्त उत्पाद पोपाफ के नियम के अनुसार है।

प्रश्न 13.
पोपाफ का नियम क्या होता है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जब किसी असममित कीटोन के ऑक्सीकरण से दो असमान कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं तो > C = 0 समूह छोटे ऐल्किल समूह की तरफ जाता है।
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प्रश्न 14.
कार्बोनिल यौगिकों की नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया की क्रियाविधि-कार्बोनिल यौगिकों में कार्बोनिल समूह ध्रुवीय होता है HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 55 प्रथम पद में नाभिकस्नेही का आक्रमण धनावेशित (इलेक्ट्रॉन न्यून) कार्बन पर होता है इसी कारण इसे नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया कहते हैं। प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है-
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प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण से प्राप्त ऐल्कोक्साइड आयन इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण से प्राप्त कार्बोकैटायन की तुलना में अधिक स्थायी होता है, अतः कार्बोनिल समूह पर प्रथम पद में नाभिकस्नेही का आक्रमण होता है। यह पद उत्क्रमणीय होता है।

नाभिकस्नेही, कार्बोनिल समूह के कार्बन पर उस दिशा से आक्रमण करता है जो कार्बोनिल कार्बन के sp² संकरित कक्षकों के तल के लम्बवत् होती है तथा इस क्रिया में कार्बन की संकरण अवस्था sp² से sp³ हो जाती है। इसके पश्चात् द्वितीय पद में इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण होकर योगोत्पाद बन जाता है।

प्रश्न 15.
नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के लिए कार्बोनिल यौगिकों की अभिक्रियाशीलता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए कार्बोनिल यौगिकों की अभिक्रियाशीलता-इलेक्ट्रॉनिक तथा त्रिविम विन्यासी प्रभावों के कारण नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए ऐल्डिहाइड की क्रियाशीलता कीटोन से अधिक होती है क्योंकि ऐल्डिहाइडों में कार्बोनिल समूह के कार्बन से केवल एक ऐल्किल समूह जुड़ा होता है जबकि कीटोन में दो ऐल्किल समूह जुड़े होते हैं, जिनकी त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण कार्बोनिल कार्बन पर नाभिकस्नेही का आक्रमण मुश्किल हो जाता है तथा इन ऐल्किल समूहों के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I प्रभाव) के कारण ये कार्बोनिल कार्बन के धनावेश को कम कर देते हैं जिसके कारण नाभिकस्नेही के आक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है।

ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में ऐल्किल समूहों का आकार बढ़ने पर इनकी क्रियाशीलता कम होती जाती है, क्योंकि +I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा बढ़ती है।
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प्रश्न 16.
ऐसीटोन की HCN तथा NaHSO3 के साथ अभिक्रियाएँ बताइए।
उत्तर:
(i) ऐसीटोन की HCN के साथ क्रिया से ऐसीटोन सायनोहाइड्रिन प्राप्त होता है। शुद्ध HCN के साथ यह अभिक्रिया धीमी गति से होती है; अतः यह अभिक्रिया क्षार की उपस्थिति में करवायी जाती है।
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(ii) ऐसीटोन की NaHSO3 के साथ क्रिया से ऐसीटोन सोडियमहाइड्रोजन सल्फाइट (योगोत्पाद) बनता है।
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प्रश्न 17.
ऐल्डॉल संघनन की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
ऐल्डॉल संघनन की क्रियाविधि-क्षार से प्राप्त \(\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}\), कार्बोनिल यौगिक के α-H (सक्रिय) से क्रिया करके जल तथा कार्बत्रणायन मध्यवर्ती बनाता है जिसमें अनुनाद होता है।
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यह कार्ब ऋणायन (नाभिकस्नेही) कार्बोनिल यौगिक के दूसरे अणु से क्रिया करता है तथा जल से H+ को पुनः ग्रहण करके ऐल्डोल बना देता है।
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मिश्र या क्रॉस ऐल्डोल संघनन-जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड या कीटोन या एक ऐल्डिहाइड व एक कीटेन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। जब दोनों कार्बोनिल यौगिकों में α- हाइड्रोजन होते हैं तो इस अभिक्रिया द्वारा चार उत्पादों का मिश्रण प्राप्त होता है।

उदाहरण-यौगिक A तथा यौगिक B के ऐल्डोल संघनन से चार उत्पाद निम्न प्रकार बनते हैं-
सरल ऐल्डोल संघनन द्वारा-
(i) A पर A के संकलन से [A – A]
(ii) B पर B के संकलन से [B – B]

मिश्र ऐल्डोल संघनन द्वारा-
(iii) A पर B के संकलन से [A – B]
(iv) B पर A के संकलन से [B – A]

यहाँ उत्पाद A – B तथा B – A के संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न होंगे, जैसे-एथेनैल व प्रोपेनैल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
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α-H युक्त यौगिक, α-H रहित यौगिक से क्रिया करके भी ऐल्डोल संघनन दर्शाता है।

प्रश्न 18.
पिनेकॉल अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सोडामाइड या सोडियम के साथ अभिक्रिया-ऐसीटोन की क्रिया सोडियम या सोडामाइड के साथ ईथरी विलयन में कराने पर सोडियम ऐसीटेनेट प्राप्त होता है।
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प्रश्न 19.
ऐसिटैल्डिहाइड के त्रिलकीकरण तथा चतुष्टयीकरण के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 20.
ऐसीटोन से निम्नलिखित यौगिकों को किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
(i) मेसिटिल ऑक्साइड (ii) फोरोन (iii) मेसिटिलीन।
उत्तर”
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(i) शुष्क HCl की उपस्थिति में ऐसीटेन को गरम करने पर मेसिटिल ऑक्साइड तथा फोरोन का मिश्रण प्राप्त होता है।
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(ii) सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में ऐसीटोन को गरम करने पर संघनन तृतीयकरण द्वारा समचक्रीय एरोमैटिक यौगिक मेसिटिलीन प्राप्त होता है।
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प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं पर टिप्पणी लिखिए- (i) बेन्जोइन संघनन (ii) पर्किन अभिक्रिया।
उत्तर:
ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइडों की विशिष्ट अभिक्रियाएँ (Specific Reactions of Aromatic Aldehydes) –
(i) बेन्जॉइन संघनन-बेन्जैल्डिहाइड को जलीय ऐल्कोहॉली KCN के साथ गरम करने पर बेन्जोइन बनता है जो कि एक कीटोनिक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है। उत्पाद के नाम के आधार पर इस अभिक्रिया को बेन्जोइन संघनन कहते हैं।
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(ii) पर्किन अभिक्रिया-बेन्जैल्डिहाइड को ऐसीटिक एन्हाइड्राइड तथा सोडियम एसीटेट के साथ गरम करने पर सिन्नेमिक अम्ल (α, ß – असंतृप्त अम्ल) प्राप्त होता है, इसे पर्किन अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 22.
क्लेजन संघनन तथा नोवेनैजेल अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्लेजन संघनन-न्यूनतम दो α-हाइड्रोजन परमाणु युक्त ऐल्डिहाइड या कीटोन की क्रिया तनु क्षार की उपस्थिति में बेन्जैल्डिहाइड के साथ कराने पर α, ß असंतृप्त ऐल्डिहाइड या कीटोन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को क्लेजन संघनन कहते हैं।

उदाहरण-बेन्जैल्डिहाइड तथा ऐसीटैल्डिहाइड की क्रिया से सिन्नेमैल्डिहाइड बनता है।
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नोवेनैजेल अभिक्रिया-पिरिडीन की उपस्थिति में बेन्जैल्डिहाइड की क्रिया मैलोनिक एस्टर के साथ कराने पर सिन्नैमिक अम्ल प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया में मैलोनिक एस्टर में उपस्थित सक्रिय मेथिलीन समूह के दो हाइड्रोजन परमाणु जल के रूप में बाहर निकलते हैं।

प्रश्न 23.
ऐसीटोन की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) नाइट्र्स अम्ल
(ii) सोडामाइड।
उत्तर:
केवल कीटोनों की अभिक्रियाएँ (Reactions of only Ketones) – कुछ अभिक्रियाएँ केवल कीटोनों द्वारा ही दर्शायी जाती हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
(i) नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया-ऐसीटेन की क्रिया नाइट्रस अम्ल (HNO2) के साथ कराने पर ऑक्सिमीनोऐसीटोन तथा जल बनता है।
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(ii) क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया一क्षार की उपस्थिति में ऐसीयेन तथा क्लोरोफॉर्म की क्रिया से क्लोरीटोन बनता है जो कि निद्राकारी होता है।
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(iii) सोडामाइड या सोडियम के साथ अभिक्रिया-ऐसीटोन की क्रिया सोडियम या सोडामाइड के साथ ईथरी विलयन में कराने पर सोडियम ऐसीटेनेट प्राप्त होता है।
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प्रश्न 24.
क्या होता है? जब-
(i) लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल की क्रिया क्लोरीन से करवाई जाती है।
(ii) सिल्वर ऐसीटेट की क्रिया अक्रिय विलायक (CCl4) में ब्रोमीन से करवायी जाती है।
उत्तर:
(i) लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल, क्लोरीन से क्रिया करके मोनोक्लोरो एसीटिक अम्ल देता है। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
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(ii) अक्रिय विलायक में सिल्वर ऐसीटेट की क्रिया ब्रोमीन के साथ करवाने पर मेथिल ब्रोमाइड बनता है। इस अभिक्रिया को हुंस्डीकर अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 25.
कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा इनके व्युत्पन्नों में कार्बोनिल समूह पाया जाता है, फिर भी ये कार्बोनिल समूह के गुण नहीं दर्शाते, क्यों?
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा इनके व्युत्पन्नों में कार्बोनिल समूह (> C = O) पाया जाता है लेकिन इन यौगिकों में अनुनाद होता है जिससे कार्बोनिल समूह के कार्बन-ऑक्सीजन द्विबन्ध में एकल बन्ध के गुण आ जाते हैं अतः यह वास्तविक कार्बोनिल समूह नहीं रह पाता है इसी कारण ये यौगिक कार्बोनिल समूह के गुण जैसे ऑक्सिम बनाना इत्यादि नहीं दर्शाते।

अम्ल तथा इसके व्युत्पन्नों की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
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Z = OH तो कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा Z = विभिन्न समूह होने पर ये अम्ल के व्युत्पन्न होंगे।

प्रश्न 26.
निम्नलिखित परिवर्तनों के लिए आवश्यक समीकरण दीजिए-
(i) ऐसीटोफीनॉन से बेंजोइक अम्ल
(ii) प्रोपिओनिक अम्ल से ऐसीटिक अम्ल।
उत्तर:
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प्रश्न 27.
कार्बोक्सिलिक अम्लों में श्रृंखला तथा स्थिति समावयवता के उदाहरण बताइए ।
उत्तर:
(i) ब्यूटेनोइक अम्ल तथा 2 मेथिलप्रोपेनोइक अम्ल एक- दूसरे से श्रृंखला समावयवी हैं।
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(ii) 2-मेथिल ब्यूटेनॉइक अम्ल तथा 3- मेथिल ब्यूटेनोइक अम्ल एक-दूसरे के स्थिति समावयवी हैं।
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प्रश्न 28.
(i) वह सरलतम मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल कौनसा है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है तथा क्यों ?
(ii) प्रोपेनोइक अम्ल तथा एथिल मेथेनॉएट के युग्म में कौनसी समावयवता पायी जाती है तथा क्यों?
उत्तर:
(i) 2 – मेथिलब्यूटेनोइक अम्ल एक सरलतम मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है क्योंकि इसमें एक असममित कार्बन उपस्थित है।
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(ii) प्रोपेनोइक अम्ल तथा एथिल मेथेनॉएट एक-दूसरे के क्रियात्मक समूह समावयवी हैं क्योंकि इनमें भिन्न-भिन्न क्रियात्मक समूह उपस्थित हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 82

प्रश्न 29.
(i) ऐल्कीनो के कार्बोनिलीकरण से कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने की एक अभिक्रिया लिखिए।
(ii) आर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 83

(ii) आणर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया से (From Arndt Eistert Reaction)-ऐसिड हैलाइड की क्रिया डाइऐजोमेथेन से कराने पर प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने से कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं जिनमें ऐसिड हैलाइड की तुलना में एक कार्बन अधिक होता है। इस विधि को आण्ट्ट आइसटर्ट अभिक्रिया कहते हैं। इस विधि द्वारा न्यूनतम तीन कार्बन का अम्ल बनाया जा सकता है। अतः यह विधि HCOOH तथा CH3COOH बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
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इस विधि के लिए आवश्यक ऐसिड हैलाइड, कार्बोक्सिलिक अम्लों से ही प्राप्त होता है अतः इस अभिक्रिया को एक सजातीय श्रेणी में आरोहण के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 30.
एस्टरीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
एस्टरीकरण – सान्द्र H2SO4 या HCl गैस उत्प्रेरक की उपस्थिति में कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल के साथ करवाने पर संगत एस्टर बनते हैं तथा इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं।
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एस्टरीकरण की क्रियाविधि – कार्बोक्सिलिक अम्लों से एस्टर बनने की अभिक्रिया की व्याख्या निम्नलिखित क्रियाविधि की सहायता से की जा सकती है। समस्थानिक ऑक्सीजन \(\left(\begin{array}{l} 18 \\ \mathrm{O} \end{array}\right)\) युक्त यौगिकों के प्रयोग से यह सिद्ध हो गया है कि इस अभिक्रिया में बने जल में – OH समूह अम्ल से आता है न कि ऐल्कोहॉल से।

कार्बोक्सिलिक अम्लों की ऐल्कोहॉलों के साथ क्रिया द्वारा एस्टरों का बनना एक नाभिकस्नेही ऐसिल प्रतिस्थापन अभिक्रिया है। इसमें पहले कार्बोंक्सिलिक अम्ल में उपस्थित कार्बोनल समूह की ऑक्सीजन का प्रोटेनीकरण (Protonation) होता है, जिससे कार्बोनिल समूह, ऐल्कोहॉल के नाभिकस्नेही योग के लिए सक्रिय हो जाता है।

इसके पश्चात् ऐल्कोहॉल के योग से बने मध्यवर्ती में प्रोटॉन का स्थानान्तरण -OH समूह को –\(\stackrel{+}{\mathrm{O}}\)H2 में परिवर्तित कर देता है जो कि एक आसानी से निकलने वाला समूह होने के कारण, जल के अणु के रूप में निकल जाता है तथा इंस प्रकार बना प्रोटॉनित एस्टर प्रोटॉन को त्यागकर एस्टर बना देता है।
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प्रश्न 31.
बेन्जोइक अम्ल से निम्नलिखित यौगिक किस प्रकार बनाए जाते हैं?
(i) m नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(ii) m- ब्रोमो बेन्जोइक अम्ल।
उत्तर:
(i) बेन्जोइक अम्ल को सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO3 (नाइट्रीकारक मिश्रण) के साथ गरम करने पर II- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल प्राप्त होता है।
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(ii) FeBr3 की उपस्थिति में बेन्जोइक अम्ल की ब्रोमीन के साथ क्रिया करवाने पर m-ब्रोमोयेन्जोइक अम्ल प्राप्त होता है।
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प्रश्न 32.
ऐसिल क्लोराइड तथा ऐसिड ऐन्हाइड्राइड के जल अपघटन से कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 33.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक समतुल्य अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों, कीटोनों तथा ऐल्कोहॉलों से उच्च होते हैं, क्यों?
उत्तर:
समतुल्य अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों कीटोनों तथा ऐल्कोहॉलों की तुलना कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक उच्च होते हैं क्योंकि कार्बोक्सिलिक अम्लों में प्रबल अंतराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है। जिसके कारण इनके अणु आपस में संगुणित हो जाते हैं तथा अधिकांश अम्ल वाष्प अवस्था एवं ऐप्रोटिक विलायकों में द्विलक के रूप में पाए जाते हैं।

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प्रश्न 34.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्लीय गुणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल, क्षारों के साथ क्रिया करके लवण बनाते हैं जिससे इनके अम्लीय गुण की पुष्टि होती है। कार्बोंक्सिलिक
अम्लों के अम्लीय गुण की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती हैकार्बोक्सिलिक अम्ल, (RCOOH) जल में आयनित होकर RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) (कार्बोक्सिलेट आयन) तथा H3 (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं। RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है।
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इस अभिक्रिया के लिएसाम्य स्थिरांक, Keq = \(\frac{\left[\mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}\right]\left[\mathrm{RCOO}^{-}\right]}{\left[\mathrm{H}_2 \mathrm{O}\right][\mathrm{RCOOH}]}\)
अम्ल वियोजन स्थिरांक Ka = Keq[H2O] = ]\(\frac{\left[\mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}\right]\left[\mathrm{RCOO}^{-}\right]}{[\mathrm{RCOOH}]}\)
अम्लों की सामर्थ्य को सामान्यतः Ka मान की अपेक्षा PKa के से दर्शाते हैं
pKa = – log Ka
किसी अम्ल का pKa मान जितना कम होता है वह उतना ही प्र अम्ल होता है।
अम्लों की प्रबलता को pKa मानों से निम्न प्रकार सम्बन्धित किया जा सकता है-

pKaअम्लीय प्रबलता
1 से कमप्रबल अम्ल
1 से 5मध्यम प्रबल अम्ल
5 से 15दुर्बल अम्ल
15 से अधिकअत्यधिक दुर्बल अम्ल

कुछ अम्लीय यौगिकों के pK मान निम्नलिखित हैं-

यौगिकpKमानयौगिकpKमान
KCl– 7.0CH3COOH4.76
CF3COOH0.23C6H5OH10
C6H5COOH4.19C2H5OH~  1.6

ट्राइफ्लुओरो ऐसीटिक अम्ल (CF3COOH) के pKa मान से यह सिद्ध होता है कि यह प्रबलतम कार्बनिक अम्ल है। कार्बोक्सिलिक अम्ल, खनिज अम्लों से दुर्बल लेकिन ऐल्कोहॉलों तथा फीनॉलों से प्रबल होते हैं।

प्रश्न 35.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्ल सामर्थ्य पर विभिन्न प्रतिस्थापियों के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्ल सामर्थ्य पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव – कार्बोक्सिलिक अम्लों के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन जितना अधिक स्थायी होता है साम्य उतना ही अग्र दिशा में विस्थापित होता है जिससे हाइड्रोजन आयन (H+) अधिक बनते हैं अतः अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है।

कार्बोक्सिलिक अम्ल में उपस्थित प्रतिस्थापी कार्बोक्सिलेट आयन (संयुग्मी क्षारक) के स्थायित्व को प्रभावित करते हैं अतः इनसे इनके अम्लीय सामर्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।

इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह ( – I प्रभाव या EWG) कार्बोक्सिलेट आयन के स्थायित्व को बढ़ाते हैं क्योंकि ये साझित इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं जिससे ऋणावेशित ऑक्सीजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है अर्थात् ऋणावेश का विस्थानीकरण हो जाता है । अतः अम्ल की अम्लीय प्रबलता बढ़ जाती है।

विभिन्न समूहों के – I प्रभाव का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होता है-
C6H5 – < OCH3 < OH < I < Br < CI < F < CN < NO2 < CF3 (−I प्रभाव )

इसके विपरीत इलेक्ट्रॉन दाता समूह ( + I प्रभाव या EDG) के कारण कार्बोक्सिलेट आयन का स्थायित्व कम हो जाता है क्योंकि यह ऑक्सीजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व को बढ़ा देता है, जिससे इसकी क्रियाशीलता बढ़ जाती है अतः अम्ल की अम्लीय प्रबलता कम हो जाती है।

अतः निम्नलिखित अम्लों की अम्लीय प्रबलता का घटता क्रम निम्न प्रकार होता है-
(1) CF3COOH> CCl3COOH > CHCl2COOH > NO2CH2COOH > N≡C-CH2COOH > FCH2COOH > ClCH2COOH > BrCH2COOH > HCOOH > ClCH2CH2COOH > > C6H5COOH > C6H5CH2COOH > CH3COOH > CH3CH2COOH

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(+I प्रभाव कम हो रहा है, क्योंकि + I प्रभाव ऐल्किल समूह आकार के समानुपाती होता है। )

(3) अशाखित कार्बोक्सिलिक अम्लों की अम्लीय प्रबलता, शाखित अम्लों की तुलना में अधिक होती है क्योंकि शाखित ऐल्किल समूह का +I प्रभाव अधिक होता है।
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(4) इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह, – COOH समूह अम्लीय प्रबलता उतनी ही कम होगी।
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(5) – I प्रभाव वाले समूहों की संख्या बढ़ने पर अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है।
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(6) कार्बोक्सिल समूह पर वाइनिल या फेनिल समूह जुड़े होने पर अम्ल की प्रबलता बढ़ जाती है क्योंकि इनमें कार्बोक्सिल समूह से जुड़े कार्बन पर sp² संकरण होता है जिससे कार्बन की विद्युतऋणता बढ़ जाती है तथा इनमें अनुनाद भी पाया जाता है।
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(7) ऐलिफैटिक कार्बोक्सिलिक अम्लों के समान, ऐरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्लों में भी इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह के कारण अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है जबकि इलेक्ट्रॉनदाता समूह के कारण अम्लीय प्रबलता में कमी होती है।
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(8) बेन्जोइक अम्ल में ऑर्थोस्थिति पर कोई भी समूह (+I या -I प्रभाव दर्शाने वाला) उपस्थित होने पर अम्लीय गुण में वृद्धि होती है इसे ऑर्थोप्रभाव कहते हैं।
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(ii) धातुओं तथा क्षारों के साथ अभिक्रिया – ऐल्कोहॉलों के समान कार्बोक्सिलिक अम्ल भी सक्रिय धातुओं के साथ क्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस देते हैं।
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फनॉल के समान, कार्बोक्सिलिक अम्ल भी क्षारों के साथ क्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं, लेकिन NaHCO3 के साथ केवल कार्बोक्सिलिक अम्ल ही क्रिया करते हैं, फीनॉल नहीं । अतः इस अभिक्रिया द्वारा फीनॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल में विभेद किया जा सकता है।
R – COOH + 2NaOH → R – CO\(\overline{\mathrm{O}}\)N\(\overline{\mathrm{a}}\) + H2
2R COOH + Na2CO3 → 2R COONa + H2O + CO2
2R COOH + Ca(OH)2 → (RCOO)2 Ca + 2H2O
RCOOH + AgOH → RCOOAg + H2O
R – COOH + NaHCO3 → R – CO\(\overline{\mathrm{O}}\)N\(\overline{\mathrm{a}}\) + H2O + CO2

प्रश्न 36.
फार्मिक अम्ल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ दीजिए-
(i) सान्द्र H2SO4 (ii) जलीय Cl2
उत्तर:
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प्रश्न 37.
फ्लुओरीन की विद्युतॠणता, क्लोरीन की विद्युतॠणता से अधिक होती है फिर भी p-क्लोरोबेन्जोइक अम्ल की अम्लीय प्रबलता p-फ्लुओरोबेन्जोइक अम्ल से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर:
हैलोजन, +M तथा I दोनों प्रभाव दर्शाते हैं लेकिन फ्लुओरीन तथा कार्बन का परमाणु आकार लगभग समान होता है अतः p-फ्लुओरो बेन्जोइक अम्ल में +M प्रभाव p-क्लोरो बेन्जोइक अम्ल की तुलना में अधिक होता है । इसलिए इसमें – I प्रभाव कम प्रभावी रह जाता है इस कारण p-क्लोरोबेन्जोइक अम्ल की अम्लीय प्रबलता, P- फ्लुओरोबेन्जोइक अम्ल से अधिक होती है।

प्रश्न 38.
अणु सूत्र C12H12 युक्त एक ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से दो भिन्न-भिन्न यौगिक प्राप्त होते हैं जिनमें से एक यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है लेकिन टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता जबकि दूसरा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है लेकिन आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता तो इस ऐल्कीन तथा उत्पादों के नाम एवं सूत्र बताइए ।
उत्तर:
ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से प्राप्त एक यौगिक टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया नहीं करता अतः यह कीटोन होना चाहिए लेकिन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह मेथिल कीटोन होगा जबकि दूसरा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया करता है अतः यह एक ऐल्डिहाइड होगा चूंकि एल्कीन में छः कार्बन हैं। अतः एक यौगिक ऐसीटोन तथा दूसरा यौगिक प्रोपिऑन ऐल्डिहाइड होंगा जो कि निम्नलिखित अभिक्रिया से भी स्पष्ट है-
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ऐसीटोन (मेथिल कीटोन) आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है लेकिन प्रोपिऑन ऐल्डिहाइड नहीं।

प्रश्न 39.
(i) ऐसी दो विधियाँ बताइए जिनसे C = 0 समूह CH2 में परिवर्तित हो जाता है।
(ii) ऐल्डिहाइडों के शोधन में सोडियम बाइसल्फाइट का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
(i) क्लीमेन्सन अपचयन तथा वोल्फ किश्नर अपचयन द्वारा > C = 0 समूह CH2 में परिवर्तित हो जाता है।

(ii) ऐल्डिहाइड सोडियम बाइ सल्फाइट (NaHSO3) से क्रिया करते हैं लेकिन अन्य अशुद्धियाँ नहीं, अतः अशुद्ध ऐल्डिहाइड की NaHSO3 से क्रिया द्वारा प्राप्त श्वेत ठोस का जल अपघटन करके शुद्ध ऐल्डिहाइड प्राप्त कर लिया जाता है।

प्रश्न 40.
आप निम्नलिखित परिवर्तन कैसे करेंगे?
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उत्तर:
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प्रश्न 41.
बेन्जोइक अम्ल को ऐनिलीन में किस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है ?
उत्तर:
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प्रश्न 42.
(i) अपचायक के प्रयोग के बिना फॉर्मेल्डिहाइड से मेथेनॉल किस प्रकार बनाया जा सकता है?
(ii) फेलिंग विलयन में रोशेल लवण क्यों मिलाया जाता है?
उत्तर:
(i) फॉर्मेल्डिहाइड (HCHO) की सान्द्र NaOH के साथ अभिक्रिया से केनिजारो अभिक्रिया होकर मेथेनॉल (CH3OH) तथा सोडियम फॉर्मेट बनता है। इस अभिक्रिया में प्रयुक्त NaOH अपचायक नहीं है।
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(ii) फेलिंग विलयन में क्षारीय माध्यम होता है तथा क्षारीय माध्यम में Cu2+ आयन Cu(OH)2 के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं। अतः रोशेल लवण मिलाने पर Cu2+ तथा रोशेल लवण के मध्य संकुल बन जाता है। जिससे Cu2+ अवक्षेप के रूप में न रहकर विलयन में आ जाते हैं अन्यथा परीक्षण में बाधा उत्पन्न होगी।

प्रश्न 43.
(i) निम्नलिखित अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए-
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(ii) ऐसीटोफीनॉन की हाइड्रॉक्सिल ऐमीन के साथ क्रिया से बने दो समावयवियों की संरचना लिखिए।
उत्तर:
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(ii) ऐसीटोफीनॉन की हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ क्रिया से इसका ऑक्सिम बनता है जो कि दो ज्यामितीय समावयवी रूपों में पाया जाता है।
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बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) निम्नलिखित नामधारिक अभिक्रियाओं (Name reactions) को रासायनिक समीकरण देकर स्पष्ट कीजिए-
(i) कैनिजारो की अभिक्रिया
(ii) हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया

(b) निम्नलिखित यौगिक युग्मों में भिन्नता की पहचान करने के लिए एक-एक रासायनिक परीक्षण दीजिए-
(i) प्रोपेनेल तथा प्रोपेनोन में
(ii) ऐसीटोफीनोन और बेन्जोफीनोन में
(iii) फीनॉल और बेन्जोइक अम्ल में।
अथवा
(a) निम्नलिखित रूपांतरण आप कैसे करेंगे-
(i) एथेनॉल को 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनेल में
(ii) बेन्जैल्डिहाइड को बेन्जोफीनोन में

(b) एक ऑर्गोनिक (कार्बनिक) यौगिक A (आण्विक सूत्र C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से जल-अपघटित किया गया जिससे एक कार्बोक्सिलिक अम्ल B और एक ऐल्कोहॉल C उत्पादित हुआ। C के क्रोमिक अम्ल के साथ उपचयन (ऑक्सीकरण) से भी B प्राप्त होता है। C का निर्जलीकरण करने पर ब्यूट-1-ईन प्राप्त होता है। सन्निहित अभिक्रियाओं के लिए समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
(a) (i) फेलिंग अभिकर्मक से क्रिया-फेलिंग अभिकर्मक, फेलिंग विलयन A तथा फेलिंग विलयन B से मिलकर बना होता है।
फेलिंग विलयन A जलीय कॉपर सल्फेट (CuSO) का नीला तथा फेलिंग विलयन B सोडियम पोटैशियम टार्ट्रेट ( रोशेल लवण) का रंगहीन क्षारीय विलयन होता है। विलयन A तथा B को समान मात्रा में मिलाकर ऐल्डिहाइड के साथ गर्म करने पर क्युप्रस ऑक्साइड का लाल भूरा अवक्षेप बनता है।
R – CHO + 2Cu2+ + 5\(\overline{\mathrm{O}}\)H → RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) + Cu2O + 3H2O
एरोमैटिक ऐल्डिहाइड जैसे बेन्जेल्डिहाइड, फेलिंग अभिकर्मक में क्रिया नहीं करते हैं।
रोशेल लवण का सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 100 होता है, तथा इस अभिक्रिया में पहले गहरे नीले रंग का संकुल बनता है जिससे Cu2+ आयनों का अवक्षेप [Cu(OH)2] बनने के बजाय ये विलयन में आ जाते हैं। सकुल की संरचना निम्नलिखित है- HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 101 क्यूरिट आयन (गहरा नीला)

(ii) हैलोजेनीकरण-α, हाइड्रोजन परमाणु युक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया क्लोरीन या ब्रोमीन के साथ करवाने पर α – हैलोकार्बोंक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
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फॉस्फोरस की उपस्थिति में मोनोक्लोरो उत्पाद अधिक म्रात्रा में बनता है।

(b) (i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद – प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटोन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया जा सकता है-

  • आयोडोफॉर्म परीक्षण – जलीय NaOH तथा I2 के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल में कोई क्रिया नहीं होती जबकि प्रोपेनोन द्वारा आयोडोफॉर्म बनने के कारण पीला अवक्षेप आता है।
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 103
  • टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट) के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल रजत दर्पण देता है (रजत दर्पण परीक्षण) जबकि प्रोपेनोन में कोई क्रिया नहीं होती।
  • फेलिंग विलयन के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल से लाल अवक्षेप बनता है जबकि प्रोपेनोन से कोई अभिक्रिया नहीं होती।

(ii) ऐसीटोफ़ीनॉन एवं बेन्ज़ोफ़ीनॉन में विभेद – ऐसीटोफ़ीनॉन (CH3COC6H5) एक सेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ोफ़ीनॉन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 104यह परीक्षण नहीं देता।

(iii) फ़ीनॉल एवं बेन्ज़ोइक अम्ल में विभेद-
(1) फ़ीनॉल NaHCO3 विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि बेन्ज़ोइक अम्ल NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके CO2 गैस देता है।
C6H5COOH + NaHCO3 → C6H5COONa +CO2↑ + H2

(2) उदासीन FeCl3 विलयन के साथ फ़ीनॉल बैंगनी (Violet) रंग देता है जबकि बेन्ज़ोइक अम्ल के साथ इसकी कोई क्रिया नहीं होती।
अथवा
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(b) यौगिक A का अणुसूत्र तथा इसके जल अपघटन से कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल बनने से ज्ञात होता है कि यह एक संतृप्त एस्टर है। ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से ब्यूट-1-ईन प्राप्त होती है अतः ऐल्कोहॉल में सीधी श्रृंखला में चार कार्बन परमाणु हैं अतः कार्बोक्सिलिक अम्ल में भी चार कार्बन परमाणु ही होंगे। सन्निहित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
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प्रश्न 2.
1-फेनिल पेन्टेन-1-ओन का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 107

प्रश्न 3.
टॉलेन अभिकर्मक क्या होता है? इस अभिकर्मक की एक उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन को टॉलेन अभिकर्मक कहते हैं। इस अभिकर्मक से ऐल्डिहाइड तथा कीटोन में विभेद किया जा सकता है। ऐल्डिहाइड इसके साथ क्रिया करके रजत दर्पण देते हैं लेकिन कीटोन नहीं।

प्रश्न 4.
(a) निम्नलिखित नाम वाली अभिक्रियाओं को प्रत्येक के लिए रासायनिक समीकरण देकर लिखिए-
(i) क्लीमेन्सन अभिक्रिया
(ii) कैनिज़ारो की अभिक्रिया

(b) वर्णन कीजिए कि निम्नलिखित रूपांतरण कैसे किए जाते हैं-
(i) साइक्लोहेक्सैनॉल का साइक्लोहेक्सेन-1-ओन में
(ii) एथिलबेन्जीन का बेन्जोइक अम्ल में
(iii) ब्रोमोबेन्जीन का बेन्जोइक अम्ल में।
अथवा
(a) निम्नलिखित नामों की अभिक्रियाओं को उदाहरण के साथ लिखिए-
(i) हेल-फोलार्ड-जेलिंस्की अभिक्रिया
(ii) वोल्फ-किश्नर अपचयन अभिक्रिया

(b) निम्न रूपांतरण कैसे किए जा सकते हैं-
(i) मेथिल सायनाइड का एथेनोइक अम्ल में
(ii) ब्यूटेन-1-ऑल का ब्यूटेनोइक अम्ल में
सन्निहित अभिक्रियाओं के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(a) (i) क्लीमेन्सन अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों का अपचयन जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl(Zn/Hg + HCl) के मिश्रण से कराया जाता है तो ऐल्केन बनते हैं, इसे क्लीमेन्सन अपचयन कहते हैं।
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यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।

(ii) कैनिजारो अभिक्रिया-वे ऐल्डिहाइड जिनमें α हाइड्रोजन नहीं होते वे कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं। इन ऐल्डिहाइडों को सान्द्र क्षार (KOH या NaOH) के साथ गर्म करते हैं जिससे एक अणु का ऑक्सीकरण होकर कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण तथा दूसरे अणु के अपचयन से ऐल्कोहॉल बनता है। अतः यह एक असमानुपातन या विषमीकरण अभिक्रिया है।
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(b)
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अथवा
(a) (i) हैलोजेनीकरण-α, हाइड्रोजन परमाणु युक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया क्लोरीन या ब्रोमीन के साथ करवाने पर α – हैलोकार्बोंक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
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फॉस्फोरस की उपस्थिति में मोनोक्लोरो उत्पाद अधिक म्रात्रा में बनता है।

(ii) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों की हाइड्रैजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर > C = O समूह – CH2 समूह में बदल जाता है तथा ऐल्केन बनते हैं।
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उपरोक्त अभिक्रिया में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (HO-CH2-CH2-O-CH2-OH) तथा KOH लेने पर इसे हुएंगमिनलॉन अभिक्रिया कहते हैं।
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प्रश्न 5.
4-क्लोरोपेन्टेन 2-ओन की संरचना आरेखित कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 113a

प्रश्न 6.
(a) निम्नलिखित नाम वाली अभिक्रियाओं के उदाहरण दीजिए-
(i) कैनिज़ारो की अभिक्रिया
(ii) क्लीमेन्सन अपचयन

(b) निम्नलिखित को आप कैसे प्राप्त करेंगे-
(i) एथेनैल से ब्यूट – 2 – इनैल
(ii) ब्यूटेनॉल से ब्यूटेनोइक अम्ल
(iii) एथिलबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल।
अथवा
(a) निम्नलिखित में विभेद करने के लिए रासायनिक परीक्षणों को लिखिए-
(i) बेन्जोइक अम्ल और एथिल बेन्जोएट
(ii) बेन्जेल्डिहाइड और ऐसीटोफीनोन

(b) निम्नलिखित में अभिकारक अथवा उत्पाद जो न लिखे गए हों उन्हें लिखकर प्रत्येक संश्लेषण को पूर्ण कीजिए-
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उत्तर:
(a) (i) कैनिजारो अभिक्रिया-वे ऐल्डिहाइड जिनमें α हाइड्रोजन नहीं होते वे कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं। इन ऐल्डिहाइडों को सान्द्र क्षार (KOH या NaOH) के साथ गर्म करते हैं जिससे एक अणु का ऑक्सीकरण होकर कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण तथा दूसरे अणु के अपचयन से ऐल्कोहॉल बनता है। अतः यह एक असमानुपातन या विषमीकरण अभिक्रिया है।
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(ii) क्लीमेन्सन अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों का अपचयन जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl(Zn/Hg + HCl) के मिश्रण से कराया जाता है तो ऐल्केन बनते हैं, इसे क्लीमेन्सन अपचयन कहते हैं।
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यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित का आई.यू. पी. ए. सी. (IUPAC ) नाम लिखिए-
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उत्तर:
पेन्ट – 2 – ईन – 1- ऐल।

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प्रश्न 8.
(a) उपयुक्त रासायनिक समीकरण को लिखकर निम्नलिखित प्रत्येक रूपांतरण को पूर्ण कीजिए-
(i) ब्यूटेन – 1 – ऑल को ब्यूटेनॉइक अम्ल में
(ii) 4 – मेथिलऐ सीटोफीनोन को बेन्जीन-1, 4- डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल में

(b) एक ऑर्गेनिक (कार्बनिक यौगिक, जिसका आण्विक सूत्र C9H10O है, 2, 4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है, और कैनिजारो की अभिक्रिया देता है। तीव्र ऑक्सीकरण पर यह 1, 2 – बेन्जीनडाइकार्बोक्सिलिक अम्ल देता है । यौगिक की पहचान कीजिए।
अथवा
(a) निम्न के बीच अंतर करने के लिए रासायनिक जाँचों को दीजिए-
(i) प्रोपेनैल और प्रोपेनोन में
(ii) बेन्जेल्डिहाइड और ऐसीटीफीनोन में

(b) अग्रलिखित यौगिकों को उनके सामने दिए गए गुणधर्मों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
(i) ऐसीट-ऐल्डिहाइड, ऐसीटोन, मेथिल टर्ट (तृतीयक) ब्यूटिल कीटोन (HCN के प्रति क्रियाशीलता)
(ii) बेन्जोइक अम्ल, 3, 4 – डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल, 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल (अम्ल सामर्थ्य)
(iii) CH3CH2CH(Br)COOH, CH3CH(Br) CH3COOH,
(CH3)2CH COOH (अम्ल सामर्थ्य)
उत्तर:
(a)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 118
(b) यह कार्बनिक यौगिक 2,4-DNP व्युत्पन्न बनाता है। अतः यह कार्बोनिल यौगिक (ऐल्डिहाइड या कीटोन) होगा लेकिन यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचित (reduced) कर रहा है। अतः यह ऐल्डिहाइड है तथा यह कैनिजारो अभिक्रिया दे रहा है। अतः इसमें α-H अनुपस्थित है। इसके आक्सीकरण से 1,2 -बेन्जीनडाईकार्बोक्सिलिक अम्ल बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 119
ऑक्सीकरण के बाद बने उत्पाद से यह सिद्ध होता है कि इसमें एक बेन्जीन वलय है, एक COOH समूह – CHO समूह के ऑक्सीकरण से तथा दूसरा – COOH समूह ऐल्किल समूह के ऑक्सीकरण से प्राप्त होगा। अतः अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 120

अथवा
(a) (i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद-प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटेन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया जा सकता है-

(ii) (1) बेन्ज़ैल्डिहाइड (C6H5CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 121एक मेथिल कीटोन है अतः ऐसीटोफ़ीनॉन, आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ैल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता है।

(2) बेन्ज़ल्डिहाइड टॉलेन अभिकर्मक से ऑक्सीकृत हो जाता है, जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन इससे क्रिया नहीं करता।

(b) (i) ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की नाभिकरागी संकलन के लिए क्रियाशीलता + I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा पर निर्भर करती है। अतः इनकी HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होगा-डाइ तृतीयक – ब्यूटिल कीटोन – मेथिल तृतीयक ब्यूटिल कीटोन < ऐसीटोन – ऐसिटैल्डिहाइड

(ii) कार्बोक्सिलिक अम्लों का अम्लीय गुण, प्रेरणिक प्रभाव (+I तथा -I) तथा विभिन्न समूहों की स्थिति पर निर्भर करता है। अतः इनके अम्लीय गुण का क्रम निम्न प्रकार होगा-
(CH3)2CHCOOH < CH3CH2CH2COOH < CH3CH(Br)CH2COOH < CH3CH2CH(Br)COOH

(iii) 4 – मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल < 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल < 3, 4 – डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(अम्लता की सामर्थ्य का बढ़ता क्रम)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 122

प्रश्न 9.
निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों के आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 123
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 124

प्रश्न 10.
(i) रोजेनमुंड अपचयन अभिक्रिया लिखिए।
(ii) HCOOH, CF3COOH, ClCH2CUUH, अम्लों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए।
(iii) एथेनोइक अम्ल की क्रिया अमोनिया से कराने पर यौगिक A बनता है जिसे गर्म करने पर यौगिक B प्राप्त होता है। B का अम्लीय जल अपघटन कराने पर पुन: एथेनोइक अम्ल बनता है। A व B के IUPAC नाम एवं सूत्र लिखो व अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
(iv) कार्बोनिल समूह का कक्षीय आरेख चित्र बनाइए।
अथवा
(i) वोल्फ-किश्नर अपचयन की अभिक्रिया लिखिए।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 125संरचना में α हाइड्रोजन परमाणु की अम्लीय प्रकृति को समझाइए।
(iii) एक कार्बोनिल यौगिक A का ऑक्सीकरण टॉलन अभिकर्मक से कराने पर यौगिक B बनता है जिसका अपचयन LiAlH4 से कराने पर एथेनॉल बनता है। A व B के IUPAC नाम एवं सूत्र लिखिए।
(iv) ऐसीटेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ बनाइये।
उत्तर:
(i) Pd तथा BaSO4 की उपस्थित में ऐसिल क्लोराइड पर हाइड्रोजन की क्रिया से ऐल्डिहाइड बनते हैं। इसे रोजेनमुंड अपचयन अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 126

(ii) अम्लों की अम्लीयता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 127
अतः (A) = CH3COONH4 अमोनियम ऐसीटेट या अमोनियम एथेनॉएट
(B) = CH3CONH2 एथेनेमाइड

(iv) कार्बोनिल समूह में कार्बन परमाणु पर sp² संकरण होता है तथा ये तीन sp² संकरित कक्षक तीन σ बन्ध बनाते हैं एवं कार्बन का असंकरित p कक्षक, ऑक्सीजन के p – कक्षक के साथ सम्पार्श्विक अतिव्यापन द्वारा π बन्ध बनाता है।

इस प्रकार कार्बोनिल समूह का कार्बन तथा इससे जुड़े तीन परमाणु एक ही तल में स्थित होते हैं तथा π इलेक्ट्रॉन अभ्र इस तल के ऊपर एवं नीचे स्थित होता है। बंध कोण का मान लगभग 120° होता है तथा ज्यामिति त्रिकोणीय समतल होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 128
कार्बन की तुलना में ऑक्सीजन की विद्युतऋणात्मकता अधिक होने के कारण कार्बन-ऑक्सीजन द्विआबंध ध्रुवित हो जाता है अतः कार्बोनिल समूह का कार्बन एक इलेक्ट्रॉनस्नेही (लूइस अम्ल) केन्द्र तथा ऑक्सीजन एक नाभिकस्नेही (लूइस क्षारक) केन्द्र के समान व्यवहार करता है।

> C = O समूह की ध्रुवता के कारण ही कार्बोनिल यौगिकों के द्विध्रुव आघूर्ण का मान अधिक होता है तथा ये ईथर की तुलना में अधिक ध्रुवीय होते हैं। कार्बोनिल समूह की ध्रुवता का कारण अनुनाद है जिसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 129
अथवा
(i) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिक की हाइड्रेजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल (विलायक) में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर >C = O समूह -CH2 समूह में बदल जाता है तथा एल्केन बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 130

(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 131 संरचना में कार्बोनिल समूह है तथा कार्बोनिल यौगिकों के alpha-हाइड्रोजन परमाणु की अम्लता कार्बोनिल समूह के इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने के प्रबल प्रभाव तथा संयुग्मी क्षार के अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेने के कारण होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 132

(iii) कार्बोनिल यौगिक A का यॅलेन अभिकर्मक द्वारा ऑक्सीकरण हो रहा है अतः यौगिक A ऐल्डिहाइड होगा तथा ऐल्डिहाइड के ऑक्सीकरण से अम्ल बनता है अतः यौगिक B अम्ल होगा जिसका LiAlH4 के द्वारा अपचयन से एथेनॉल बन रहा है। अतः यौगिक B, CH3CHO तथा A, CH3CHO होगा। सम्पूर्ण अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 133

(iv) ऐसीटेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ निम्न हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 134

प्रश्न 11.
साइक्लोप्रोपेनॉन-2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन की संरचना दीजिए।
उत्तर:
साइक्लोप्रोपेनॉन – 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन की संरचना निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 135
यह साइक्लोप्रोपेनॉन की 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजीन के साथ क्रिया से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 136

प्रश्न 12.
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) कैनिजारो अभिक्रिया
(ii) ऐल्डोल संघनन
(ब) निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांक के बढ़ते क्रम में लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 137
(स) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा ऐल्डिहाइड एवं कीटोन में विभेद कैसे करेंगे?
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) रोजेनमुंड अपचयन
(ii) गाटरमान – कोख अभिक्रिया

(ब) निम्नलिखित यौगिकों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए-
(CH3)2 CH – COOH, HCOOH, CH3 – COOH, (CH3)3 C – COOH

(स) सोडियम बाइकार्बोनेट द्वारा कार्बोक्सिलिक अम्ल व फीनॉल में विभेद किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
(अ) (i) कैनिजारो अभिक्रिया – वे ऐल्डिहाइड, जिनमें a – हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार (NaOH या KOH) की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) दर्शाते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 138

(ii) ऐल्डोल संघनन – जिन ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों में a- हाइड्रोजन उपस्थित होते हैं, वे तनु क्षार (NaOH, Ca (OH)2) की उपस्थिति में आपस में क्रिया करके क्रमशः ß-हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (एल्डोल) अथवा p-हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) बनाते हैं। इस अभिक्रिया को ऐल्डोल संघनन कहते हैं।

उदाहरण – ऐसीटैल्डिहाइड का ऐल्डोल संघनन-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 139

(ब) क्वथनांक का बढ़ता क्रम-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 140

(स) ऐल्डिहाइड को अमोनियम सिल्वर नाइट्रेट विलयन (AgNO3 + NH4OH) (टॉलेन अभिकर्मक ) के साथ गर्म करने पर सिल्वर बनने के कारण चमकदार सिल्वर दर्पण बनता है तथा ऐल्डिहाइड संगत कार्बोक्सिलेट आयन में ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
RCHO + 2[Ag(NH3)2]+ + 3\(\overline{\mathrm{OH}}\) → RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) + 2Ag + 2H2O + 4NH3
कीटोन, टॉलेन अभिकर्मक के साथ क्रिया नहीं करते।
अथवा
(अ) (i) रोजेनमुंड अपचयन – Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में एसिल क्लोराइड की हाइड्रोजन के साथ क्रिया (हाइड्रोजनीकरण) से ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 141

(ii) गाटरमान – कोख अभिक्रिया – ऐलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में बेन्जीन की कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन क्लोराइड के साथ क्रिया कराते हैं तो बेन्जेल्डिहाइड प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 142
इस अभिक्रिया को गाटरमान – कोख अभिक्रिया कहते हैं।

(ब) अम्लीयता का बढ़ता क्रम-
(CH3)3 C – COOH < (CH3)2 CHCOOH < CH3COOH < HCOOH

(स) फीनॉल (C6H5OH) सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि कार्बोक्सिलिक अम्ल (RCOOH), NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है।
RCOOH + NaHCO3 → RCOONa + CO2 ↑ + H2O

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 13.
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C3H6O है, 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन के साथ नारंगी लाल अवक्षेप देता है किन्तु टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता है। यौगिक का IUPAC नाम व संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक C3H6O 2, 4- डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन के साथ नारंगी लाल अवक्षेप देता है अतः यह एक कार्बोनिल यौगिक ( ऐल्डिहाइड या कीटोन) है तथा यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता है अतः यह ऐल्डिहाइड नहीं है इसलिए यह एक कीटोन है। अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र तथा IUPAC नाम निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 143

प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र एवं IUPAC नाम दीजिए-
(अ) फार्मेल्डिहाइड
(ब) ऐसीटोन।
अथवा
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र एवं IUPAC नाम दीजिए-
(अ) मेलोनिक अम्ल
(ब) सक्सिनिक अम्ल।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 144

प्रश्न 15.
(अ) कार्बोक्सिलेट आयन किस प्रकार अनुनाद .द्वारा स्थायित्व प्राप्त करता है? संरचाओं द्वारा स्पष्ट करें।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल की अपेक्षा अधिक अम्लीय होता है। समझाइए |
उत्तर:
(अ) कार्बोक्सिलिक अम्ल, जल में आयनित होकर कार्बोक्सिलेट आयन RCOŌ तथा \(\mathrm{H}_3 \stackrel{+}{\mathrm{O}}\) (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं। RCOŌ अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है। इसकी अनुनादी संरचनाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 145
इस अभिक्रिया के लिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 146
यहाँ Keq साम्यावस्था स्थिरांक तथा Ka अम्ल वियोजन स्थिरांक है।

(ब) फीनॉल के आयनन से प्राप्त फीनॉक्साइड आयन (C6H5O) में ऋणात्मक आवेश केवल एक ऑक्सीजन परमाणु तथा कम विद्युतऋणी कार्बन पर होता है, जबकि कार्बोक्सिलिक आयन (RCO) में ऋणात्मक आवेश दो विद्युतऋणी ऑक्सीजन परमाणुओं पर वितरित होता है, अतः कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणात्मक आवेश का विस्थानीकरण, फीनॉक्साइड आयन से अधिक होता है इस कारण इसका अनुनाद स्थायीकरण अधिक होता है । इसलिए कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल से अधिक अम्लीय है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
CH3-CHO, CH3-CH2-OH, CH3-CH2-CH3
उत्तर:
CH3-CH2-CH3 < CH3-CHO < CH3-CH2-OH

प्रश्न 17.
(i) निम्नलिखित को किस प्रकार परिवर्तित करेंगे-
(a) प्रोपेनॉन से प्रोपेन – 2 – ऑल
(b) एथेनैल से 2- हाइड्रॉक्सीप्रोपेनॉइक अम्ल
(c) टॉलूईन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) निम्नलिखित में विभेद कीजिए-
(a) पेन्टेन – 2 – ऑन तथा पेन्टेन- 3 – ऑन
(b) एथेनैल तथा प्रोपेनैल।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 147

(ii) (a) पेन्टेन-2-ऑन एक मेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि पेन्टेन – 2 – ऑन यह परीक्षण नहीं देता है।
(b) एथेनैल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि प्रोपेनैल यह परीक्षण नहीं देता।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 148

प्रश्न 18.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 149
उत्तर:
(i) 3- हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल
(ii) 3-ऐमीनो ब्यूटेनैल
(iii) 4-हाइड्रॉक्सी पेन्टेन-2-ऑन

प्रश्न 19.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पाद लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 150
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 151

प्रश्न 20.
उचित उदाहरण के साथ निम्न को समझाइए –
(अ) रोजेनमुंड अपचयन
(ब) गाटरमान – कॉख अभिक्रिया।
अथवा
उचित उदाहरण के साथ निम्न को समझाइए-
(अ) क्लीमेन्सन अपचयन
(ब) स्टीफेन अभिक्रिया।
उत्तर:
(अ) रोजेनमुंड अपचयन – ऐसिल क्लोराइड पर Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में हाइड्रोजन की क्रिया कराने (हाइड्रोजनीकरण) पर ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 152

(ब) गाटरमान – कॉख अभिक्रिया – जब बेन्जीन की क्रिया ऐलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में कार्बनमोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन क्लोराइड के साथ कराते हैं तो बेन्जेल्डिहाइड बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 153
इस अभिक्रिया को गाटरमान कोख ऐल्डिहाइड संश्लेषण भी कहते हैं।
अथवा
(अ) क्लीमेन्सन अपचयन – इस अभिक्रिया में कार्बोनिल यौगिकों का जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl ( Zn / Hg + HCI) के मिश्रण से अपचयन कराया जाता है जिससे ऐल्केन बनते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 154
यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।

(ब) स्टीफेन अभिक्रिया – जब ऐल्केन नाइट्राइल का अपचयन SnCl2 + HCl से कराया जाता है तो संगत इमीन बनते हैं जिनके जल अपघटन से ऐल्डिहाइड बनते हैं। इसे स्टीफेन अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 155

प्रश्न 21.
आप एक पद में सोडियम एसिटेट को मेथेन में परिवर्तित कैसे करेंगे?
उत्तर:
सोडियम एसिटेट को सोडालाइम (NaOH तथा CaO का मिश्रण 3 : 1) के साथ गरम करने पर मेथेन प्राप्त होती है।
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प्रश्न 22.
(अ) रोजेनमुण्ड अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
(ब) फ्लोरोऐसीटिक अम्ल, क्लोरोऐसीटिक अम्ल की तुलना में अधिक अम्लीय है, क्यों?
(स) कार्बोक्सिलेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
अथवा
(अ) वोल्फ – किश्नर अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों से उच्च होते हैं, क्यों?
(स) एथेनॉइक अम्ल की वाष्प अवस्था में बनने वाले द्वितय की संरचना बनाइए।
उत्तर:
(अ) रोजेनमुंड अपचयन – ऐसिल क्लोराइड पर Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में हाइड्रोजन की क्रिया कराने (हाइड्रोजनीकरण) पर ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 152

(ब) फ्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित फ्लोरीन का इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव (-1 प्रभाव) क्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित क्लोरीन के – I प्रभाव से अधिक होता है अतः यह अम्ल के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन के ऋणावेशित ऑक्सीजन से इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करके उसका स्थायित्व बढ़ा देता है जिससे विलयन में H+ आयन अधिक प्राप्त होते हैं। अतः फ्लोरोऐसीटिक अम्ल, क्लोरोऐसीटिक अम्ल की तुलना में अधिक अम्लीय है।

(स) कार्बोक्सिलेट आयन (RCO\(\overline{\mathrm{O}}\)) की अनुनादी संरचनाएँ निम्न हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 158
अथवा
(अ) (i) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिक की हाइड्रेजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल (विलायक) में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर > C = O समूह – CH2 समूह में बदल जाता है तथा एल्केन बनते हैं।

(ब) कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों से उच्च होते हैं क्योंकि इनमें प्रचल अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसके कारण इनके अणु आपस में संगुणित हो जाते हैं तथा अधिकांश कार्बोक्सिलिक अम्ल वाष्प अवस्था तथा ऐप्रोटिक विलायकों में द्विलक के रूप में पाए जाते हैं।

(स) एथेनॉइक अम्ल की वाष्प अवस्था में बनने वाले द्वितय (द्विलक) की संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 159

प्रश्न 23.
बेन्जोइक अम्ल, 4 मेथिल बेन्जोइक अम्ल एवं 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल को अम्लीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
उपरोक्त अम्लों की अम्लीय सामर्थ्य का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 160

प्रश्न 24.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए :
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 161
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 162

प्रश्न 25.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में जो अभिकर्मक प्रयुक्त होते हैं, उन्हें लिखिए :
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 163
अथवा
निम्नलिखित यौगिकों को उनके सामने दिए गए गुणधर्म के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
(i) CH3CHO, C6H5CHO, HCHO
(नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के प्रति सक्रियता)
(ii) 2,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक एसिड, 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक एसिड, 4 – नाइट्रोबेन्जोइक एसिड (अम्लीय व्यवहार)।
उत्तर-
(i) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 164
(ii) CH3COOH + PCl5 → CH3COCl + HCl + POCl3
अतः अभिक्रिया (i) में Zn Hg व सान्द्र HCl तथा अभिक्रिया (ii) में PCL5 अभिकर्मक है।
अथवा
(i) CH3CHO, C6H5CHO HCHO का नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के प्रति सक्रियता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
C6H5CHO < CH3CHO < HCHO
उपरोक्त यौगिकों के अम्लीय व्यवहार का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार हैं –
4- मेक्सीबेन्जोइक एसिड < 4- नाइट्रोबेन्जोइक एसिड < 2,4- डाइनाइट्रोक एसिड
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 165

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

बहुविकल्पीय प्रश्न :

1. गैल्वेनिक सेल के लिए कौनसा कथन सत्य नहीं है?
(अ) ऐनोड ऋणावेशित होता है।
(ब) कैथोड धनावेशित होता है।
(स) ऐनोड पर अपचयन होता है।
(द) कैथोड पर अपचयन होता है।
उत्तर:
(स) ऐनोड पर अपचयन होता है।

2. इलेक्ट्रॉड अभिक्रिया, \(\mathbf{M}_{(\mathrm{aq})}^{\mathrm{n}+}+\mathrm{ne}^{-} \rightarrow \mathbf{M}_{(\mathrm{s})}\) के लिये नेन्ंस्ट अभिक्रिया है-
(अ) E = E° + \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\frac{1}{\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]}\)
(ब) E = E° + \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)
(स) E = E° + RT ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)
(द) \(\frac{E}{E^{\circ}}\) = \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)
उत्तर:
(ब) E = E° + \(\frac { RT }{ nF }\) ln \(\left[\mathrm{M}^{\mathrm{n}+}\right]\)

3. विशिष्ट चालकत्व की इकाई है-
(अ) S cm2 mol-1
(ब) Scm2
(स) S m-1
(द) cm-1
उत्तर:
(स) S m-1

4. लैड संचायक सेल को आवेशित करने पर-
(अ) PbO2 घुलता है।
(ब) लैड इलेक्ट्रोड पर PbSO4 जमता है।
(स) H2SO4 पुनः बनता है
(द) H2SO4 की मात्रा कम होती है।
उत्तर:
(स) H2SO4 पुनः बनता है

5. चार पृथक् पृथक् परखनलियों में भिन्न-भिन्न लवणों के रंगहीन विलयन उपस्थित हैं। इनमें कॉपर की छड़ डुबोने पर कौनसे विलयन का रंग नीला हो जाएगा-
(अ) Pb(NO3)2
(ब) AgNO3
(स) Zn(NO3)2
(द) Cd (NO3)2
उत्तर:
(ब) AgNO3

6. \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}\left|\mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{+2} \| \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}\right| \mathrm{Cu}\) में दो खड़ी समानान्तर रेखाएँ (||) किसको दर्शाती हैं?
(अ) कैथोड
(ब) ऐनोड
(स) लवण सेतु
(द) विद्युत अपघट्य
उत्तर:
(स) लवण सेतु

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

7. कॉपर को अम्लीय CuSO4 तथा क्षारीय Cu(CN)2 से निक्षेपित किया जा सकता है। यदि समान विद्युत धारा समान समय के लिए इनके विलयन में प्रवाहित की जाए तो निम्नलिखित में से कौनसा कथन सत्य है?
(अ) क्षारीय कॉपर सायनाइड (Cu(CN)2) से निक्षेपित कॉपर की मात्रा अम्लीय CuSO4 की तुलना में दुगुनी होगी।
(ब) क्षारीय कॉपर सायनाइड से निक्षेपित कॉपर की मात्रा अम्लीय CuSO4 की तुलना में आधी होगी।
(स) दोनों विलयनों से कॉपर की समान मात्रा निक्षेपित होगी।
(द) उपरोक्त सभी कथन गलत हैं।
उत्तर:
(स) दोनों विलयनों से कॉपर की समान मात्रा निक्षेपित होगी।

8. निम्नलिखित में से किसके जलीय विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसका विघटन होगा?
(अ) ग्लूकोस
(ब) यूरिया
(स) शर्करा
(द) सिल्वर नाइट्रेट
उत्तर:
(द) सिल्वर नाइट्रेट

9. गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद हैं-
(अ) NaOH, H2 तथा Cl2
(ब) Na तथा Cl2
(स) Na, NaOH तथा Cl2
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) Na तथा Cl2

10. Zn2+ | Zn (E° = – 0.76 V) तथा Cu2+ | Cu(E° = +0.34) से बने एक गैल्वेनिक सेल का EMF है-
(अ) 0.42 V
(ब) 1.10 V
(स) – 0.10 V
(द) – 0.42 V
उत्तर:
(ब) 1.10 V

11. मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव होता है-
(अ) 1.0 V
(ब) 0.0 v
(स) 1.10 V
(द) 0.20 V
उत्तर:
(ब) 0.0 v

12. धात्विक चालक में आवेश के वाहक होते हैं-
(अ) इलेक्ट्रॉन
(ब) आयन
(स) प्रोटोन
(द) लवण
उत्तर:
(अ) इलेक्ट्रॉन

13. Cu2+ आयन पर आवेश (कूलाम में ) है-
(अ) 96500
(ब) 57900
(स) 1.6 × 10-19
(द) 3.2 × 10-19
उत्तर:
(द) 3.2 × 10-19

14. लोहे पर जंग लगने से रोकने का सर्वोत्तम उपाय है-
(अ) लवणयुक्त जल में रखकर
(ब) कैथोडिक रक्षण
(स) टिन की परत चढ़ाकर
(द) साधारण जल में रखकर
उत्तर:
(ब) कैथोडिक रक्षण

15. \(\mathrm{MnO}_4^{-}\) के 1 मोल का MnO2 में अपचयन करने के लिए आवश्यक आवेश है-
(अ) 1F
(ब) 3F
(स) 5F
(द) 7F
उत्तर:
(ब) 3F

16. Na2SO4 के तनु जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन करने पर ऐनोड तथा कैथोड पर प्राप्त उत्पाद क्या होंगे? यदि Pt इलेक्ट्रॉड प्रयुक्त किया गया है-
(अ) O2, Na
(ब) H2. NaOH
(स) O2. H2
(द) \(\mathrm{S}_2 \mathrm{O}_8^{-2}, \mathrm{H}_2\)
उत्तर:
(स) O2. H2

17. निम्नलिखित में से किस अवस्था में विलयन की मोलर चालकता बढ़ती है?
(अ) सान्द्रता बढ़ाने पर
(ब) ताप कम करने पर
(स) तनुता बढ़ाने पर
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) तनुता बढ़ाने पर

18. डेनियल सेल में प्रयुक्त उपापचयी अभिक्रिया है-
(अ) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}\)
(ब) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e}^{-}\)
(स) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
(द) \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}\)
उत्तर:
(स) \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

19. प्रतिरोध का व्युत्क्रम होता है-
(अ) प्रतिरोधकता
(ब) चालकत्व
(स) सेल नियतांक
(द) चालकता
उत्तर:
(ब) चालकत्व

20. निम्नलिखित में से किसकी चालकता सर्वाधिक होती है?
(अ) सोडियम
(ब) सिल्वर
(स) गोल्ड
(द) कॉपर
उत्तर:
(ब) सिल्वर

21. इलेक्ट्रॉनिक चालकत्व निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है-
(अ) धातु की प्रकृति एवं संरचना
(ब) ताप
(स) प्रति परमाणु संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

22. किसी विलयन की चालकता का सूत्र है-
(अ) k = \(\frac { G }{ R }\)
(ब) k = \(\frac { l }{ A }\)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 1
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 2

23. लैड संचायक सेल में ऐनोड पर होने वाली अभिक्रिया है-
(अ) PbO2(s) → PbSO4(s)
(ब) PbSO4(s) → PbO2(s)
(स) \(\mathrm{Pb}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{SO}_{4(\mathrm{aq})}^{2-} \rightarrow \mathrm{PbSO}_{4(\mathrm{~s})}+2 \mathrm{e}^{-}\)
(द) Pb(s) + PbO2(s) + 2H2SO4(aq) → 2PbSO4(aq) + 2H2O(l)
उत्तर:
(स) \(\mathrm{Pb}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{SO}_{4(\mathrm{aq})}^{2-} \rightarrow \mathrm{PbSO}_{4(\mathrm{~s})}+2 \mathrm{e}^{-}\)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

24. H2 व O2 से बने ईंधन सेल में कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया है-
(अ) \(2 \mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})}+4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-} \rightarrow 4 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-}\)
(ब) \(2 \mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})}+\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})} \rightarrow 2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}\)
(स) \(\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-} \rightarrow 4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-}\)
(द) \(4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-} \rightarrow \mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-}\)
उत्तर:
(स) \(\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+4 \mathrm{e}^{-} \rightarrow 4 \mathrm{OH}_{(\mathrm{aq})}^{-}\)

25. सेल स्थिरांक किस पदार्थ के जलीय विलयन की चालकता मापकर ज्ञात करते हैं?
(अ) NaCl
(ब) CaCl2
(स) KCl
(द) MgCl2
उत्तर:
(स) KCl

26. किसी सेल अभिक्रिया की साम्यावस्था पर सेल का विद्युत वाहक बल (EMF) होता है-
(अ) धनात्मक
(ब) शून्य
(स) ऋणात्मक
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) शून्य

27. किसी स्वतः प्रवर्तित अभिक्रिया के लिए साम्य स्थिरांक E°सेल तथा △G क्रमशः होंगे-
(अ) <1, +ve, -ve
(ब) >1, +ve, -ve
(स) = 1, +ve, +ve
(द) = 1, – ve, -ve
उत्तर:
(ब) >1, +ve, -ve

28. लवण सेतु में KNO का संतृप्त विलयन प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि-
(अ) KNO3 की जल में विलेयता उच्च है।
(ब) K+ तथा \(\mathrm{NO}_3^{-}\) की गति लगभग समान होती है।
(स) K+ की गति \(\mathrm{NO}_3^{-}\) से अधिक होती है।
(द) K+ की गति \(\mathrm{NO}_3^{-}\) से कम होती है।
उत्तर:
(ब) K+ तथा \(\mathrm{NO}_3^{-}\) की गति लगभग समान होती है।

29. यदि सेल अभिक्रिया स्वतः परिवर्तित है, तो-
(अ) E° = -ve
(ब) E° = + ve
(स) emf = + ve
(द) (△G + E°) = + ve
उत्तर:
(स) emf = + ve

30. Zn – Cu सेल के लिए E° = 1.10 V है। यदि \(\mathrm{Cu}^{2+}{ }_{(\mathrm{aq})} / \mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\) युग्म का अपचयन विभव 0.34 V हो तो \(\mathrm{Zn}^{2+}(\mathrm{aq}) / \mathrm{nn}_{(\mathrm{s})}\) युग्म का अपचयन विभाग होगा-
(अ) – 0.76 V
(ब) 0.76 V
(स) 7.6 V
(द) 0.38 V
उत्तर:
(अ) – 0.76 V

31. 25°C पर, Zn + Cu2+ → Cu + Zn2+ का मानक विद्युत वाहक बल 1.10 है तो इस सेल में 0.1 M Cu2+ तथा 0.1 M Zn2+ विलयन का प्रयोग करने पर सेल के विद्युत वाहक बल का मान क्या होगा?
(अ) 1.10 V
(ब) + 0.110 V
(स) – 1.10 V
(द) – 0.11 V
उत्तर:
(अ) 1.10 V

32. तीन धात्विक धनायनों X, Y, Z के मानक अपचयन विभव मान क्रमश: 0.52 – 3.03 तथा – 1.18 V है | संगत धातुओं की अपचायक क्षमता का क्रम है-
(अ) Y > Z > X
(ब) X > Y > Z
(स) Z> Y> X
(द) Z > x > Y
उत्तर:
(अ) Y > Z > X

33. अभिक्रिया IMG गैलवेनिक सेल में होती है। इसका सही निरूपण है-
(अ) Ag/AgCl(s)/KCl(aq)//AgNO3(aq)/Ag
(ब) Pt, H2(g)/HCl(aq)//AgNO3(qa)/Ag
(स) Pt, H2(g)/HCl(aq)//AgCl(aq)/ Ag(s)
(द) Pt, H2(g)/KCl(aq)//AgCl(s)/Ag
उत्तर:
(स) Pt, H2(g)/HCl(aq)//AgCl(aq)/ Ag(s)

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
जब CuSO4 के जलीय विलयन में जिंक धातु की छड़ को डुबोते हैं तो विलयन का नीला रंग गायब हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
Zn+2 का मानक अपचयन विभव, Cu+2 के मानक अपचयन विभव से कम होने के कारण Zn Cu+2 को इलेक्ट्रॉन देकर उसे अपचयित कर देता है। अतः विलयन का नीला रंग गायब हो जाता है क्योंकि विलयन का नीला रंग Cu+2 आयनों के कारण होता है।

प्रश्न 2. मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड (SHE) में प्लैटिनम का कार्य बताइए।
उत्तर:
SHE में प्लैटिनम, उत्प्रेरक तथा धात्विक सम्पर्क हेतु अक्रिय धातु का कार्य करता है।

प्रश्न 3.
साम्यावस्था स्थिरांक Kc. E°(सेल) से सम्बन्धित होता है, न कि Eसेल से क्यों?
उत्तर:
Kc का सम्बन्ध E°(सेल) से होता है क्योंकि साम्य पर Eसेल का मान शून्य होता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रिया होगी या नहीं-
ZnSO4(aq) + 2Ag(s) → Ag2SO4(aq) + Zn(s)
उत्तर:
यह अभिक्रिया नहीं होगी क्योंकि Ag की ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति Zn की ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति से कम होती है।

प्रश्न 5.
Zn+2 की सान्द्रता बढ़ाने पर Zn इलेक्ट्रॉड के इलेक्ट्रॉड विभव के मान पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
Zn+2 की सान्द्रता बढ़ाने पर Zn इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव बढ़ता है।

प्रश्न 6.
विलयन की pH तथा हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड विभव में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 3

प्रश्न 7.
कॉपर सल्फेट (CuSO4) के जलीय विलयन को आयरन के पात्र में रखा जा सकता है या नहीं?
उत्तर:
CuSO4 के जलीय विलयन को आयरन के पात्र में नहीं रख सकते क्योंकि इसकी क्रियाशीलता Cu से अधिक है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 16 अतः Fe, Cu+2 को Cu में अपचयित कर देता है जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
\(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{+2}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

प्रश्न 8.
तनु H2SO4 से H2 को विस्थापित नहीं करने वाली धातुएँ बताइए।
उत्तर:
Cu, Ag. Au, Pt

प्रश्न 9.
Na, Al तथा Zn की क्रियाशीलता का अवरोही क्रम लिखिए।
उत्तर:
Na > Al > Zn

प्रश्न 10.
गैल्वेनी सेल में लवण सेतु में प्रयुक्त एक लवण का नाम बताइए।
उत्तर:
पोटेशियम क्लोराइड (KCl)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 11.
निम्नलिखित सेल अभिक्रिया का सेल आरेख लिखिए-
\(2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})}+3 \mathrm{Cd}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow 2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{+3}+3 \mathrm{Cd}_{(\mathrm{s})}\)
उत्तर:
उपर्युक्त सेल अभिक्रिया का सेल आरेख निम्न प्रकार होगा- एनोड-
एनोड \({ }^{-} \mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})}\left|\mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{+3} \| \mathrm{Cd}_{(\mathrm{aq})}^{2+}\right| \mathrm{Cd}_{(\mathrm{s})}{ }^{+}\) कैथोड

प्रश्न 12.
डेनियल सेल में धारा तथा इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा बताइए |
उत्तर:
डेनियल सेल में धारा का प्रवाह Cu से Zn इलेक्ट्रॉड की तरफ तथा इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह Zn से Cu इलेक्ट्रॉड की तरफ होता है अर्थात् धारा तथा इलेक्ट्रॉनों का प्रभाव एक-दूसरे से विपरीत दिशा में होता है।

प्रश्न 13.
सेल का ऋणात्मक मान क्या दर्शाता है?
उत्तर:
सेल के ऋणात्मक होने का अर्थ है, △G = +ve तथा इस स्थिति में सेल में कार्य नहीं होगा।

प्रश्न 14.
सेल अभिक्रिया \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}+2 \mathrm{Ag}_{(\mathrm{aq})}^{+} \rightarrow \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{Ag}_{(\mathrm{s})}\) के लिए EMF का मान बताइए जब \(\mathrm{E}_{\mathrm{Cu}^{+2 / \mathrm{Cu}}}^{\mathrm{o}}=0.34 \mathrm{~V}\) तथा \(\mathrm{E}_{\mathrm{Ag}^{+} / \mathrm{Ag}}^{\mathrm{o}}=0.80 \mathrm{~V}\)
उत्तर:
सेल = ER – EL
= 0.80 – (0.34)
सेल = 0.46 V

प्रश्न 15.
प्लैटिनम इलेक्ट्रॉड प्रयुक्त करके CuSO4 के विलयन का विद्युत अपघटन करने पर प्राप्त उत्पाद बताइए ।
उत्तर:
CuSO4 के विलयन का विद्युत अपघटन करने पर कैथोड पर कॉपर तथा एनोड पर ऑक्सीजन प्राप्त होती है।

प्रश्न 16.
Al3+ से एक मोल AI प्राप्त करने के लिए कितने कूलॉम आवेश चाहिए?
उत्तर:
Al3+ + 3e →Al
अभिक्रिया के अनुसार 1 मोल Al प्राप्त करने के लिए 3F= 3 × 96500 = 289500 कूलॉम आवेश आवश्यक होगा।

प्रश्न 17.
NaCl के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर विलयन की pH में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
NaCl के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करने पर विलयन की pH बढ़ जाती है (pH > 7) क्योंकि इसमें प्रबल क्षार (NaOH) बनता है।

प्रश्न 18.
विशिष्ट चालकत्व (K) तथा सेल स्थिरांक में सम्बन्ध बताइए |
उत्तर:
K = \(\frac { 1 }{ R }\) × \(\frac { 1 }{ A }\) (\(\frac { 1 }{ A }\) = सेल स्थिरांक)

प्रश्न 19.
मोलर चालकता ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
मोलर चालकता, \(\Lambda_{\mathrm{m}}=\frac{K \times 1000}{\mathrm{M}}\) (M = मोलरता)

प्रश्न 20.
मोलर चालकता तथा तुल्यांकी चालकता में क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 4

प्रश्न 21.
अधिविभव किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुछ वैद्युत रासायनिक प्रक्रम सम्भव होते हैं लेकिन उनकी गति इतनी कम होती है कि वे निम्न विभव पर आसानी से नहीं होते। इस स्थिति में प्रक्रम को करवाने के लिए अतिरिक्त विभव लगाना पड़ता है, उसे अधिविभव कहते हैं।

प्रश्न 22.
गलित PhBr2 का विद्युत अपघटन करने पर प्राप्त उत्पाद क्या होंगे? यदि अक्रिय इलेक्ट्रॉड लिया गया है।
उत्तर:
गलित PhBr2 का विद्युत अपघटन करने पर कैथोड पर Pb तथा एनोड पर Br2 प्राप्त होती है।

प्रश्न 23.
डिबाई हकल-आंनसेगर समीकरण क्या होता है?
उत्तर:
\(\Lambda_m=\Lambda_m^{\circ}-A \sqrt{C}\)
\(\Lambda_{\mathrm{m}}\) मोलर चालकता, \(\Lambda_{\mathrm{m}}^{\circ}\) = सीमान्त मोलर चालकता, A = स्थिरांक तथा C = सान्द्रता

प्रश्न 24.
विद्युत रासायनिक तुल्यांक (Z) किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी विद्युत अपघट्य के विलयन में एक ऐम्पियर की धारा एक सेकण्ड (एक कूलॉम आवेश ) तक प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रॉड पर निक्षेपित पदार्थ की मात्रा को उसका विद्युत रासायनिक तुल्यांक कहते हैं।

प्रश्न 25.
वैद्युत अपघटन से Na, Mg तथा Al कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
सोडियम तथा मैग्नीशियम को उनके गलित क्लोराइडों के वैद्युत अपघटन द्वारा तथा ऐलुमिनियम को क्रायोलाइट (Na3AlF6) की उपस्थिति में ऐलुमिनियम ऑक्साइड के वैद्युत अपघटन से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 26.
Al के लवणों के विद्युत अपघटन से Al धातु प्राप्त नहीं होती, क्यों?
उत्तर:
Al के लवणों के विद्युत अपघटन से Al धातु प्राप्त नहीं होती क्योंकि यह जल से क्रिया करके Al2O3 बना लेता है।

प्रश्न 27.
सीसा संचायक सेल को लगातार प्रयोग में लेने पर उसमें उपस्थित H2SO4 पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
सीसा संचायक सेल को लगातार प्रयोग में लेने पर उसमें उपस्थित H2SO4, का घनत्व कम हो जाता है क्योंकि अभिक्रिया होने पर सल्फेट (\(\mathrm{SO}_4^{2-}\)) आयन, Pb+2 से क्रिया करके PbSO4 बना देते हैं।

प्रश्न 28.
शुष्क सेल में जिंक क्लोराइड (ZnC12) का क्या कार्य है ?
उत्तर:
ZnCl2 से प्राप्त Zn2+, अभिक्रिया में उत्पन्न NH3 से क्रिया करके [Zn(NH3)4] 22+ संकुल आयन बना लेता है जिससे दाब उत्पन्न नहीं होता है तथा सील के टूटने की सम्भावना नहीं रहती ।

प्रश्न 29.
मर्क्यूरी सेल में सम्पूर्ण कार्य अवधि में विभव स्थिर रहता है, क्यों?
उत्तर:
मयूरी सेल की सम्पूर्ण सेल अभिक्रिया में कोई ऐसा आयन नहीं है, जिसकी सान्द्रता विलयन में होने के कारण बदलती हो ।

प्रश्न 30.
शुष्क सेल को काफी समय तक प्रयोग में नहीं लेने पर वह नष्ट हो जाता है, क्यों?
उत्तर:
शुष्क सेल को काफी समय तक प्रयोग में नहीं लेने पर इसमें उपस्थित अमोनियम क्लोराइड, उसके जिंक से बने पात्र को संक्षारित करके उसे नष्ट कर देता है।

प्रश्न 31.
लवणीय जल में जंग जल्दी लगती है, क्यों?
उत्तर:
लवण (NaCl), H2O के आयनन को बढ़ा देता है जिससे H+ की सान्द्रता बढ़ जाती है जो कि जंग लगने में सहायक है।

प्रश्न 32.
(i) 100 मिली विलयन में एक मोल NaCl तथा (ii) 250 मिली विलयन में एक मोल NaCl में से किसकी मोलर चालकता अधिक होगी तथा क्यों?
उत्तर:
विलयन (ii) की मोलर चालकता अधिक होगी क्योंकि \(\Lambda_{\mathrm{m}}=\kappa \times \mathrm{V}\) अर्थात् आयतन बढ़ने पर मोलर चालकता बढ़ती है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
कॉपर की HCl तथा HNO3 से अभिक्रिया कराने पर क्या होता है?
उत्तर:
कॉपर की HCl से कोई अभिक्रिया नहीं होती क्योंकि H+ आयन, Cu को ऑक्सीकृत नहीं कर सकता अर्थात् Cu, H+ को इलेक्ट्रॉन नहीं दे सकता क्योंकि कॉपर, हाइड्रोजन से कम क्रियाशील होता है। लेकिन Cu की HNO3 से क्रिया करवाने पर यह H+ से क्रिया न करके \(\mathrm{NO}_3^{-}\) आयनों द्वारा ऑक्सीकृत होता है।

प्रश्न 2.
गैल्वेनिक सेल में लवण सेतु की बनावट तथा कार्य बताइए ।
उत्तर:
गैल्वैनी सेल एक वैद्युत रासायनिक सेल है। इसमें स्वतः उपापचयी अभिक्रिया की गिब्ज ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा (वैद्युत कार्य ) में परिवर्तित होती है, जिससे मोटर, पंखा, गीजर, हीटर इत्यादि चलाए जाते हैं।

डेनियल सेल, गैल्वैनी सेल का एक उदाहरण है जिसमें Zn का ऐनोड तथा Cu का कैथोड लिया जाता है। इस सेल के दोनों इलेक्ट्रॉंडों को अर्ध सेल कहते हैं तथा इन पर होने वाली अभिक्रियाओं को अर्ध सेल अभिक्रिया कहते हैं। दोनों इलेक्ट्रॉडों को लवण सेतु से जोड़ा जाता है। डेनियल सेल में होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
यह अभिक्रिया निम्नलिखित दो अभिक्रियाओं का योग है-

(i) कैथोड पर Cu2+ + 2e → Cu(s) (अपचयन अर्ध अभिक्रिया)
(ii) ऐनोड पर Zu(s) → Zn2+ + 2e (ऑक्सीकरण अर्ध अभिक्रिया )

Z के ऑक्सीकरण से प्राप्त इलेक्ट्रॉन धातु के तार की सहायता से Cu की छड़ पर चले जाते हैं तथा CuSO4 विलयन से Cu2+ आयन, कॉपर की छड़ की ओर गमन करते हैं। ऐनोड (Zn छड़ ) पर इलेक्ट्रॉन निकलने के कारण इसे ऋण ध्रुव (-ve) कहते हैं तथा कैथोड (Cu छड़) पर Cu2+ आयन एकत्रित होने के कारण इसे धन ध्रुव (+ve) कहते हैं। बाहरी परिपथ में इलेक्ट्रॉन -ve इलेक्ट्रॉड से +ve इलेक्ट्रॉड की ओर जाते हैं। उपर्युक्त अभिक्रियाएँ डेनियल सेल के दो अलग-अलग भागों में होती हैं। अपचयन अर्ध अभिक्रिया कॉपर इलेक्ट्रॉड पर जबकि ऑक्सीकरण अर्ध अभिक्रिया ज़िंक इलेक्ट्रॉड पर होती है। डेन्यल सेल के ये भाग, अर्ध सेल या रेडॉक्स युग्म कहलाते हैं। कॉपर इलेक्ट्रॉड को अपचयन अर्ध सेल एवं ज़िंक इलेक्ट्रॉड को ऑक्सीकरण अर्ध सेल कहते हैं।

प्रश्न 3.
सान्द्रता सेल की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
वह सेल जिसमें दो समान इलेक्ट्रॉड अपने आयनों की भिन्न-भिन्न सान्द्रता के विलयनों में डूबे होते हैं। इस कारण इन इलेक्ट्रॉडों के विभव भी भिन्न-भिन्न होते हैं। अतः सेल में विभवान्तर उत्पन्न होता है। इसके लिए 298 K पर सेल विभव
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 5

प्रश्न 4.
किसी एक इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव ज्ञात करना सम्भव नहीं है। क्यों?
उत्तर:
किसी एक इलेक्ट्रॉड का इलेक्ट्रॉड विभव इसलिए ज्ञात नहीं किया जा सकता क्योंकि विद्युत वाहक बल (EMF) उसी स्थिति में माप सकते हैं जब परिपथ पूर्ण हो तथा एक इलेक्ट्रॉड से परिपथ पूर्ण नहीं होता ।

प्रश्न 5.
Fe2+ → Fe3+ (E° = – 0.77V)
तथा Cu → Cu2+ (E° = – 0.34V)
इन मानों के आधार पर ज्ञात कीजिए कि Cu+ आयन, Fe2+ आयन से अपचयित हो सकता है या नहीं।
उत्तर:
दिए गए मान ऑक्सीकरण विभव के हैं, अतः अपचयन विभव के मान Fe+3 → Fe2+ के लिए 0.77 V तथा Cu+2 → Cu के लिए 0.34 V होंगे। चूँकि Fe+3 का अपचयन विभव Cu2+ के अपचयन विभव से अधिक है। अतः Cu2+ आयन, Fe2+ आयन से अपचयित नहीं हो सकता।

प्रश्न 6.
अपचयन विभव तथा ऑक्सीकरण विभव क्या होते हैं?
उत्तर:
उपापचयी अभिक्रिया में अपचयन अर्ध- अभिक्रिया के विभव को अपचयन विभव तथा ऑक्सीकरण अर्ध-अभिक्रिया के विभव को ऑक्सीकरण विभव कहते हैं। किसी अर्ध-अभिक्रिया के लिए ऑक्सीकरण विभव तथा अपचयन विभव के मान समान होते हैं लेकिन उनके चिह्न विपरीत होते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 7.
सेल \(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}\left|\mathbf{Z n}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \| \mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{+2}\right| \mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\) के लिए सेल विभव का मान धनात्मक है। इससे क्या निष्कर्ष प्राप्त होता है?
उत्तर:
यह गैल्वेनिक सेल है तथा इसके लिए नेंस्ट समीकरण निम्न प्रकार लिखा जाता है-
\(\mathrm{E}_{\text {सेल }}=\mathrm{E}_{\text {सेल }}^0-\frac{0.059}{2} \log \frac{\left[\mathrm{Zn}^{2+}\right]}{\left[\mathrm{Cu}^{2+}\right]}\)
इस समीकरण से सिद्ध होता है कि Cu2+ की सान्द्रता अधिक होने पर ही Eसेल का मान धनात्मक होना सम्भव है। इस स्थिति में Zn ऑक्सीकृत होकर Zn2+ देता है तथा Cu2+ आयन का अपचयन होकर Cu प्राप्त होता है।

प्रश्न 8.
एक मोल इलेक्ट्रॉनों के आवेश की गणना कीजिए ।
उत्तर:
एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश 1.6021 × 10-19C (कूलॉम)
1 मोल इलेक्ट्रॉन = आवोगाद्रो संख्या (NA) = 6.022 × 1023
अतः एक मोल इलेक्ट्रॉनों का आवेश
= एक इलेक्ट्रॉन का आवेश × NA
= 1.6021 × 10-19 C × 6.022 × 1023 mol-1
= 96478 C mol-1 ≈ 96500 C mol-1 = 1 फैराडे (IF)

प्रश्न 9.
किसी विद्युत अपघट्य के विलयन के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद किन कारकों पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
वैद्युत अपघटन के उत्पाद: किसी पदार्थ (विद्युत अपघट्य) के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद (i) पदार्थ की अवस्था, (ii) प्रयुक्त किए गए इलेक्ट्रॉडों की प्रकृति तथा (iii) ओंक्सीकारक व अपचायक स्पीशीज एवं उनके मानक इलेक्ट्रोंड विभव पर निभर करते हैं। सक्रिय धातुओं के इलेक्ट्रॉडड लेने पर वे अभिक्रिया में भाग लेते हैं लेकिन अक्रिय धातुओं जैसे प्लैटिम इत्यादि के इलेक्ट्रॉड बनाने पर ये अभिक्रिया में भाग नहीं लेते तथा केवल इलेक्ट्रॉनों के स्रोत का कार्य करते हैं।

गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से कैथोड पर Na तथा ऐनोड पर Cl2 प्राप्त होती है क्योंकि द्रव अवस्था में केवल एक ही प्रकार के धनायन Na+ तथा ऋणायन (Cl हैं, जिनका क्रमशः अपचयन तथा ऑंक्सीकरण होता है-
कैथोड पर- Na+ + e → Na
ऐनोड पर- Cl → \(\frac { 1 }{ 2 }\)Cl2 + e

जब विद्युत अपघट्य का जलीय विलयन लिया जाता है तो विलयन में एक से अधिक प्रकार के धनायन तथा ऋणायन होते हैं क्योंकि कुछ मात्रा में H2O के आयनन से H+ तथा \(\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}\) आयन भी प्राप्त होते हैं। इस स्थिति में किसी इलेक्ट्रोंड पर कौनसा आयन विसर्जित होगा, इसे चयनात्मक विसर्ज्जन सिद्धान्त (Preferential Discharge Theory) के आधार पर समझाया जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार, जब विलयन में एक ही प्रकार (धनायन या ऋणायन) के एक से अधिक आयन होते हैं तो इलेक्ट्रॉंड पर वह आयन पहले विसर्जित (Discharge) होगा, जिसका विसर्जन विभव (Discharge Potential) कम हो अर्थात् जिसके विसर्जन हेतु कम ऊर्जा की आवश्यकता हो।

प्रश्न 10.
सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पादों को इलेक्ट्रॉड विभव मानों के आधार पर समझाइए |
उत्तर:
वैद्युत अपघटन के उत्पाद: किसी पदार्थ (विद्युत अपघट्य) के वैद्युत अपघटन से प्राप्त उत्पाद (i) पदार्थ की अवस्था, (ii) प्रयुक्त किए गए इलेक्ट्रॉडों की प्रकृति तथा (iii) ओंक्सीकारक व अपचायक स्पीशीज एवं उनके मानक इलेक्ट्रोंड विभव पर निभर करते हैं। सक्रिय धातुओं के इलेक्ट्रॉडड लेने पर वे अभिक्रिया में भाग लेते हैं लेकिन अक्रिय धातुओं जैसे प्लैटिम इत्यादि के इलेक्ट्रॉड बनाने पर ये अभिक्रिया में भाग नहीं लेते तथा केवल इलेक्ट्रॉनों के स्रोत का कार्य करते हैं।

गलित NaCl के वैद्युत अपघटन से कैथोड पर Na तथा ऐनोड पर Cl2 प्राप्त होती है क्योंकि द्रव अवस्था में केवल एक ही प्रकार के धनायन Na+ तथा ऋणायन (Cl हैं, जिनका क्रमशः अपचयन तथा ऑंक्सीकरण होता है-
कैथोड पर- Na+ + e → Na
ऐनोड पर- Cl → \(\frac { 1 }{ 2 }\)Cl2 + e

जब विद्युत अपघट्य का जलीय विलयन लिया जाता है तो विलयन में एक से अधिक प्रकार के धनायन तथा ऋणायन होते हैं क्योंकि कुछ मात्रा में H2O के आयनन से H+ तथा \(\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}\) आयन भी प्राप्त होते हैं। इस स्थिति में किसी इलेक्ट्रोंड पर कौनसा आयन विसर्जित होगा, इसे चयनात्मक विसर्ज्जन सिद्धान्त (Preferential Discharge Theory) के आधार पर समझाया जाता है। इस सिद्धान्त के अनुसार, जब विलयन में एक ही प्रकार (धनायन या ऋणायन) के एक से अधिक आयन होते हैं तो इलेक्ट्रॉंड पर वह आयन पहले विसर्जित (Discharge) होगा, जिसका विसर्जन विभव (Discharge Potential) कम हो अर्थात् जिसके विसर्जन हेतु कम ऊर्जा की आवश्यकता हो।

किसी आयन का विसर्जन विभव निम्न कारको पर निर्भर करता है-
(i) विद्युत रासायनिक श्रेणी में आयन का स्थान,
(ii) आयन की सान्द्रता तथा
(iii) इलेक्ट्रॉंड की प्रकृति।
इस आधार पर विभिन आयनों के विसर्जित होने का क्रम निम्न प्रकार होता है-
धनायन – Li+ < K+ <Na+ < Ca2+ < Mg2+ < Al3+ < Zn2+ < Fe2+ < Co2+ < Ni2+ < Sn2+ < H+ < Cu2+ < Hg2+ < Ag2+ < Au3+

ॠणायन – \(\mathrm{SO}_4^{2-}<\mathrm{NO}_3^{-}<\mathrm{OH}^{-}<\mathrm{Cl}^{-}<\mathrm{Br}^{-}<\mathrm{I}^{-}\)

(i) सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन-सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन के वैद्युत अपघटन से NaOH, Cl2 गैस तथा H2 गैस बनती है। इसमें Na+ एवं Cl के साथ H+ एवं OH आयन तथा विलायक के अणु (H2O) भी होते है। कैथोड पर निम्नलिखित दो अभिक्रियाएँ हो सकती है-

Na+(aq) + e → Na(s); E°सेल = – 2.71 V …(1)
H+(aq) + e → \(\frac { 1 }{ 2 }\)H2(g); E°सेल = 0.00 V …(2)

लेकिन कैथोड पर वह अभिक्रिया होती है जिसके लिए E° का मान अधिक हो, अतः कैथोड पर अभिक्रिया (2) होगी। \(\mathrm{H}_{(\mathrm{aq})}^{+}\), H2O के वियोजन से प्राप्त होता है, अतः कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिखा जाता है-

\(\mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(l)}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \frac{1}{2} \mathrm{H}_{2(\mathrm{~g})}+\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}_{(a q)}\)

ऐनोड पर होने वाली संभावित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

Cl(aq) → \(\frac { 1 }{ 2 }\) Cl2(g) + e; E°सेल = 1.36 V …(1)
2H2O(l) → O2(g) + 4H+(aq)+4e; E°सेल = 1.23 V …(2)

ऐनोड़ पर कम E° मान वाली अभिक्रिया पहले होती है अतः ऐनोड पर अभिक्रिया (2) होनी चाहिए लेकिन ऑक्सीजन के अधिविभव (Over Potential) के कारण अभिक्रिया (1) ही सम्पन्न होती है। अतः सम्पूर्ण अभिक्रिया को निम्न प्रकार से लिखा जाता है-

NaCl(aq) + H2O(l) →Na+ (aq) + OH(aq)+\(\frac { 1 }{ 2 }\)H2 (g)+\(\frac { 1 }{ 2 }\)Cl2(g)

नोट-इस विद्युत अपघटन में अक्रिय इलेक्ट्रोंड (Pt) प्रयुक्त किया जाता है लेकिन मर्करी का इलेक्ट्रॉंड प्रयुक्त करने पर कैथोड पर H+ का विसर्जन, Na+ की तुलना में मुश्किल से होता है। अतः कैथोड पर H2 के स्थान पर Na प्राप्त होता है तथा सोडियम अमलगम (Na/Hg) बन जाता है।

(ii) H2SO4 का वैद्युत अपघटन (Pt इलेक्ट्रॉड) – H2SO4 के वैद्युत अपघटन उत्पाद सान्द्रता पर निर्भर करते हैं अतः इसमें इलेक्ट्रॉड विभव के स्थान पर नेर्न्स्ट.समीकरण से प्राप्त इलेक्ट्रॉड विभव काम में लेते हैं।

(i) तनु H2SO4 के वैद्युत अपघटन पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
2H2O(l)→O2(g) + 4H+(aq) + 4e; E°सेल = +1.23 V

(ii) सांद्र H2SO4 लेने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
\(2 \mathrm{SO}_4^{2-}(\mathrm{aq}) \rightarrow \mathrm{S}_2 \mathrm{O}_8^{2-}(\mathrm{aq})+2 \mathrm{e}^{-} ; \mathrm{E}_{\text {(सेल) }}^{\circ}=+1.96 \mathrm{~V}\)

(iii) K2SO4 के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन (Pt इलेक्ट्रॉड) –
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 17
K+ की तुलना में H+ अधिक क्रियाशील है अतः कैथोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
2H+ + 2e → H2(g)

तथा \(\mathrm{SO}_4^{2-}\) की तुलना में OH अधिक क्रियाशील है अतः ऐनोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-

2OH → [O] + H2O + 2e
या 4OH → O2 + 2H2O + 4e

प्रश्न 11.
गलित NaCl का वैद्युत अपघटन किस प्रकार होता
उत्तर:
गलित NaCl में केवल Na+ तथा Cl आयन होते हैं अतः कैथोड पर Na+ अपचयित होकर Na बनाते हैं तथा ऐनोड पर Cl ऑक्सीकृत होकर Cl2 बनाते हैं।
कैथोड पर – 2Na+ + 2e → 2Na(s)
ऐनोड पर – 2Cl – 2e → Cl2(g)

प्रश्न 12.
तनु तथा सान्द्र H2SO4 के वैद्युत अपघटन में होने वाली अभिक्रियाएँ लिखिए ।
उत्तर:
तनु H2SO4 के वैद्युत अपघटन पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है-
2H2O(/) → O2(g) + 4H+ (aq) + 4e, \(E_{\text {(सेल) }}^{\circ}\) = +1.23V तथा सांद्र H2SO4 लेने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
\(2 \mathrm{SO}_4^{2-}(\mathrm{aq}) \rightarrow \mathrm{S}_2 \mathrm{O}_8^{2-}(\mathrm{aq})+2 \mathrm{e}^{-}, \mathrm{E}_{\text {(बेल) }}^{\circ}=+1.96 \mathrm{~V}\)

प्रश्न 13.
अनन्त तनुता पर किसी दुर्बल वैद्युत अपघट्य की मोलर चालकता को किस प्रकार ज्ञात किया जाता है?
उत्तर:
दुर्बल वैद्युत अपघट्यों की मोलर चालकता पर सान्द्रता या तनुता का प्रभाव-दुर्बल वैद्युत अपघट्यों में प्रारम्भ में सान्द्रता अधिक होने पर वियोजन कम होता है लेकिन इनकी तनुता बढ़ाने पर, वियोजन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे एक मोल वैद्युत अपघट्य युक्त विलयन में आयनों की संख्या में वृद्धि होती है, जिससे मोलर चालकता (\(\Lambda_m\)) का मान बढ़ जाता है। अतः निम्न सान्द्रता के समीप तनुता बढ़ाने पर \(\Lambda_m\) का मान तेजी से बढ़ता है। (ग्राफ) उदाहरण-ऐसीटिक अम्ल (CH3COOH) |

प्रश्न 14.
किसी अल्प विलेय लवण की विलेयता को चालकता मापन द्वारा किस प्रकार ज्ञात किया जाता है?
उत्तर:
अल्प विलेय लवणों जैसे BaSO की जल में विलेयता, बहुत ही कम होती है अतः इसके विलयन में आयनों की सान्द्रता बहुत ही कम होगी। इसलिए इसके विलयन को अनन्त तनु मान सकते हैं तथा इसके संतृप्त विलयन की सान्द्रता ही इसकी विलेयता होगी। इस विलयन की मोलर चालकता तथा विशिष्ट चालकत्व ज्ञात करके विलेयता की गणना निम्नलिखित सूत्र द्वारा की जा सकती है-
S = \(\frac{\kappa \times 1000}{\Lambda_{\mathrm{m}}^{\circ}}\)

प्रश्न 15.
विद्युत अपघटनी चालन तथा धात्विक चालन में अन्तर बताइए ।
उत्तर:

  • विद्युत अपघटनी चालन आयनों द्वारा होता है जबकि धात्विक चालन इलेक्ट्रॉनों द्वारा होता है।
  • विद्युत अपघटन चालन में विद्युत प्रवाहित करने पर आयन क्रिया में भाग लेते हैं अर्थात् वैद्युत अपघटन होता है जबकि धात्विक चालकों पर कोई प्रभाव नहीं होता।
  • विद्युत अपघटन चालकों का ताप बढ़ाने पर चालकता बढ़ती है जबकि ताप बढ़ाने पर धात्विक चालकों की चालकता कम हो जाती है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित युग्मों में से किसमें अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होगी तथा क्यों ?
(a) 25°C पर KCl विलयन तथा 50°C पर KCl विलयन
(b) 0.2M CH3COOH क्लियन तथा 2M CH3COOH विलयन
(c) 25°C पर NH4OH विलयन तथा 75°C पर NH4OH विलयन
(d) 25°C पर AI का तार तथा 50°C पर Al का तार ।
उत्तर:
(a) 50°C पर KCl विलयन, क्योंकि ताप बढ़ाने पर आयनों की गति बढ़ती है।
(b) 0.2M CH3COOH विलयन, क्योंकि तनु विलयन में दुर्बल वैद्युत अपघट्य का आयनन अधिक होता है।
(c) 75°C पर NH4OH विलयन, क्योंकि ताप बढ़ाने पर दुर्बल वैद्युत अपघट्य का आयनन अधिक होता है।
(d) 25°C पर Al का तार क्योंकि ताप बढ़ाने पर धातुओं की चालकता कम होती है।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन के विद्युत अपघटन में 3 घण्टे में 1.5 ग्राम कॉपर प्राप्त करने के लिए कितनी विद्युत धारा प्रवाहित करनी होगी ? [Cu का परमाणु भार = 63.5]
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 18
कॉपर का तुल्यांकी भार = \(\frac { 63.5 }{ 2 }\) = 31.75
क्योंकि Cu2+ से Cu बनता है जिसके लिए 2 इलेक्ट्रॉन आवश्यक है।
अतः \(Z=\frac{31.75}{96500}=3.29 \times 10^{-4}\)

फैराडे के प्रथम नियम से
W = ZIt
I = \(\frac { W }{ Zt }\)
W = 1.5 ग्राम, Z = 3.29 × 10-4, t = 3 × 60 × 60 सेकण्ड
अतः I = \(\frac{1.5}{3 \times 60 \times 60 \times 3.29 \times 10^{-4}}\)
I = 0.422 ऐम्पियर

प्रश्न 2.
गलित NaCl में 50 एम्पियर की धारा 2 घण्टे तक प्रवाहित करने पर
(a) ऐनोड पर कितने ग्राम क्लोरीन गैस प्राप्त होगी?
(b) प्राप्त क्लोरीन गैस का मानक ताप तथा दाब (NTP) पर आयतन कितना होगा?
उत्तर:
गलित NaCl में विद्युत प्रवाहित करने पर ऐनोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
(a) 2C → Cl2 + 2e
Cl2 का अणुभार = 35.5 × 2 = 71 ग्राम
आवेश Q = It
1 = 50 ऐम्पियर तथा t = 2 × 60 × 60 सेकण्ड = 7200 सेकण्ड
अतः Q = 50 × 7200 = 360000 C समीकरण के अनुसार,
2 × 96500 कूलॉम, Cl2 = 71 ग्राम Cl2 (1 मोल )
360000 कूलॉम Cl2 = \(\frac{360000}{2 \times 96500}\) × 71 = 132.4 ग्राम क्लोरीन

(b) 2 × 96500 कूलॉम Cl2 = 1 मोल Cl2
अतः 36,000 कूलॉम Cl2 = \(\frac{3,60,000}{2 \times 96500}\) = 1.8652 मोल क्लोरीन
NTP पर एक मोल Cl2 = 22.4 लीटर
अत: 1.8652 मोल Cl2 = 22.4 × 1.8652 = 41.78 लीटर क्लोरीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 3.
कॉपर धातु की सतह जिसका क्षेत्रफल 60 cm2 है पर 0.004 मिलीमीटर मोटी Ag की परत के लेपन के लिए AgNO3 के विलयन में 5.0 ऐम्पियर की धारा कितने सेकण्ड तक प्रवाहित करनी आवश्यक होगी?
(सिल्वर का घनत्व 10.5 ग्राम सेमी तथा Ag का परमाणु भार = 108)
उत्तर:
कॉपर पर लेपित Ag की मात्रा (W)
= आयतन × घनत्व
= सतह का क्षेत्रफल × सतह की मोटाई × घनत्व
= 60 × 0.004 × 10.5
W = 2.52 ग्राम
फैराडे के प्रथम नियम से
W = Zlt
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 18

अभिक्रिया \(\mathrm{Ag}_{(\mathrm{aq})}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Ag}_{(\mathrm{s})}\) में एक इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त हो रहा
है अतः Ag का तुल्यांकी भार
= \(\frac { 108 }{ 1 }\) = 108
अतः Z = \(\frac { 108 }{ 96500 }\)
समय t = \(\frac { W }{ ZI }\) = \(\frac{2.52 \times 96500}{108 \times 5}\)
t = 450.3 सेकण्ड

प्रश्न 4.
श्रेणीक्रम में जुड़े हुए दो विद्युत अपघटनी सेलों में क्रमशः अम्लीकृत जल तथा CuSO4 के विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर 200 ml H2 (NTP पर ) तथा 0.60 ग्राम Cu प्राप्त हुए, तो Cu का तुल्यांकी भार कितना होगा?
उत्तर:
H2 का अणुभार = 2 तथा तुल्यांकी भार = 1
NTP पर 22.4 लीटर (22400 ml) H2 ग्राम
अतः 200ml H2 = \(\frac{2 \times 200}{22400}\) = 0.01785 ग्राम
प्राप्त Cu का भार = 0.60 ग्राम
फैराडे के द्वितीय नियम से-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 6

प्रश्न 5.
AlCl3 के विलयन में 0.1 फैराडे विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड पर कितने ग्राम AI धातु प्राप्त होगी ? (Al का परमाणु भार = 27)
उत्तर:
कैथोड पर होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Al}_{(\mathrm{aq})}^{3+}+3 \mathrm{e} \rightarrow \mathrm{Al}_{(\mathrm{s})}\)
फैराडे के प्रथम नियम से-
W = ZQ
Z = \(\frac { M }{ nF }\)
अतः W = \(\frac{M}{n F} Q\)
Al के लिए M = 27, n = 3, F = 96500 कूलॉम
Q = 0.1. फैराडे = 9650 कूलॉम
W = \(\frac{27 \times 9650}{3 \times 96500}\) = 0.9 ग्राम

प्रश्न 6.
किसी आयन से परमाणु बनने पर होने वाले अपचयन में 6 × 1020 इलेक्ट्रॉन प्रयुक्त होते हैं तो आयन के तुल्यांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(\mathrm{X}^{\mathrm{n}+}+\mathrm{ne}^{-} \rightarrow \mathrm{X}\)
n = 6 × 1023 = 0.001 मोल
क्योंकि 6 × 1023 = 1 मोल
चूँकि एक तुल्यांक आयन 1 मोल इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है। अतः 0.001 मोल इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले आयन के तुल्यांक = 0.001

प्रश्न 7.
गलित AlCl3, CuSO4 के जलीय विलयन तथा गलित NaCl से भरे विभिन्न विद्युत अपघटनी सेलों में 3 फैराडे विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कैथोड पर प्राप्त Al, Cu तथा Na की मात्राओं का अनुपात क्या होगा ?
उत्तर:
(i) \(\mathrm{Al}_{(\mathrm{aq})}^{3+}+3 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Al}_{(\mathrm{s})}\) (कैथोडिक अभिक्रिया)
3 × 96500 कूलॉम विद्युत = 3
तुल्यांक Al = 1 मोल Al

(ii) \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e} \rightarrow \mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
3 × 96500 कूलॉम विद्युत = 3
तुल्यांक Cu = 1.5 मोल Cu

(iii) \(\mathrm{Na}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Na}_{(\mathrm{s})}\)
3 × 96500 कूलॉम विद्युत = 3
तुल्यांक Na = 3 मोल Na
अतः Al, Cu तथा Na की मात्राओं का अनुपात
= 1 : 1.5 : 3
=2 : 3 : 6

प्रश्न 8.
Mg2+ आयन के विलयन से 1 ग्राम Mg प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की कीमत 5.00 रुपए है तो Al3+ से 10 ग्राम Al प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की कीमत ज्ञात कीजिए। (AI का परमाणु भार = 27 तथा Mg का परमाणु भार = 24 ) हल – फैराडे के प्रथम नियम से-
Al के लिए- W = ZQ
Z = \(\frac { E }{ F }\) = \(\frac { M }{ nF }\)
अतः W = \(\frac{M}{n F} Q\)
W = 10 ग्राम तथा n 3 क्योंकि Al3+ से Al बनता है।
अतः Q = \(\frac { WnF }{ M }\) = \(\frac{10 \times 3 \times 96500}{27}\) = 107222 कूलाम
इसी प्रकार Mg के लिए, Q = \(\frac { WnF }{ M }\)
(W= 1 ग्राम तथा n = 2 क्योंकि Mg2+ से Mg बनता है।)
= \(\frac{1 \times 2 \times 96500}{24}\) = 8041 कूलाम
प्रश्नानुसार, 8041 कूलाम विद्युत = 5.00 रुपए तो
107222 कूलाम विद्युत = \(\frac { 5 }{ 8041 }\) × 107222 = 66.67 रुपए

प्रश्न 9.
HCl से अम्लीकृत किए गए जल में 1 ऐम्पियर की धारा 3000 सेकण्ड तक प्रवाहित करने पर कैथोड पर मुक्त H2 की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विद्युत धारा की मात्रा Q = It
I = 1 ऐम्पियर, t = 3000 सेकण्ड
Q = 1 × 3000 = 3000 कूलॉम
कैथोड पर निम्नलिखित अभिक्रिया होगी-
\(\mathrm{H}_{(\mathrm{aq})}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \frac{1}{2} \mathrm{H}_2\)
अतः इस अभिक्रिया के अनुसार \(\frac { 1 }{ 2 }\) मोल H2 (1g H2) प्राप्त होने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 96500 कूलॉम = (1 मोल इलेक्ट्रॉन)
चूँकि 96,500 कूलॉम से प्राप्त
H2 = 1 ग्राम
अतः 3000 कूलॉम से प्राप्त
H2 = \(\frac { 1 }{ 96500 }\) × 3000 = 0.0310 ग्राम

प्रश्न 10.
H+ आयन के विलयन के विद्युत अपघटन से 6 मोल H2 गैस प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा कूलॉम में ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(2 \mathrm{H}^{+}+2 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{H}_2\)
समीकरण के अनुसार 1 मोल H2 प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 2 फैराडे

अतः 6 मोल H2 प्राप्त करने के लिए आवश्यक विद्युत की मात्रा = 2 × 6 = 12 फैराडे
12F = 12 × 96500 कूलॉम
=1158000 कूलॉम
=11.58 × 105 कूलॉम

बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1.
सीमान्त मोलर चालकता क्या होती है ?
उत्तर:
किसी विलयन की अनन्त तनुता (लगभग शून्य सान्द्रता ) पर मोलर चालकता को सीमान्त मोलर चालकता कहते हैं। इसे \(\Lambda_{\mathrm{m}}^{\mathrm{o}}\) से दर्शाते हैं।

प्रश्न 2.
सेल स्थिरांक, सेल में विलयन का प्रतिरोध और विलयन की चालकता के बीच जो सम्बन्ध होता है, उसे स्पष्ट कीजिए। किस प्रकार विलयन की चालकता उसकी मोलर चालकता से सम्बन्धित होती है?
उत्तर:
(i) G = \(\frac { 1 }{ R }\) = \(\frac { A }{ pl }\) = k\(\frac { A }{ l }\)
यहाँ G = चालकत्व, k= चालकता (विशिष्ट चालकत्व)
\(\frac { l }{ A }\) = सेल स्थिरांक
R = विलयन का प्रतिरोध, p = प्रतिरोधकता

(ii) मोलर चालकता \(\Lambda_{\mathrm{m}}\) = \(\frac { k × 1000 }{ M }\)
K = चालकता, M = मोलरता

प्रश्न 3.
कुछ धातुओं के मानक इलेक्ट्रॉड विभव (E°) दिए गए हैं-
K+/K = – 2.93 V, Ag+/Ag = 0.80 V, Cu2+/Cu = 0.34 V, Mg2+/Mg = – 2.37 V, Cr2+ / Cr = – 0.74 V, Fe2+/ Fe = – 0.44 V.
इन धातुओं को उनके बढ़ते अपचायी सामर्थ्य के क्रम में पुनः व्यवस्थित कीजिए।
अथवा
एक विद्युत रासायनिक सेल की दो अर्ध-अभिक्रियाएँ नीचे दी गई हैं-
\(\mathrm{MnO}_4^{-}(\mathrm{aq})+8 \mathrm{H}^{+}(\mathrm{aq})+5 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Mn}^{2+}(\mathrm{aq})+4 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}(l), \mathrm{E}^{\circ}=+1.51 \mathrm{~V}\)

\(\mathrm{Sn}^{2+}(\mathrm{aq}) \rightarrow \mathrm{Sn}^{4+}(\mathrm{aq})+2 \mathrm{e}^{-}, \mathrm{E}^{\circ}=+0.15 \mathrm{~V}\)
इन दो अर्ध- अभिक्रियाओं के आधार पर रेडॉक्स (अपचयोपचय) अभिक्रिया का समीकरण लिखिए और मानक इलेक्ट्रॉड विभवों से सेल विभव परिकलित कीजिए और प्रागुक्ति कीजिए कि अभिक्रिया अभिकारक अनुकूली होगी अथवा उत्पाद अनुकूल होगी।
उत्तर:
मानक इलेक्ट्रॉड विभव के आधार पर इन धातुओं की बढ़ती अपचायी सामर्थ्य का क्रम निम्नलिखित है-
Ag < Cu < Fe < Cr < Mg < K [मानक इलेक्ट्रॉड विभव (अपचयन विभव) का घटता क्रम ]
अथवा
मानक इलेक्ट्रॉड विभव के आधार पर अभिक्रिया का संतुलित समीकरण निम्न प्रकार होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 7
अधिक क्रियाशील धातु (Mn) का एनोड होगा अतः
\(\mathrm{E}_{\mathrm{R}}^{\circ}=1.51 \mathrm{~V} \mathrm{E}_{\mathrm{L}}^{\circ}=-0.15 \mathrm{~V}\) (क्योंकि ऑक्सीकरण विभव दिया गया है अतः इसका विपरीत अपचयन विभव होगा)
सेल = 1.51 – (- 0.15 V)
सेल = 1.66 V
सेल का मान धनात्मक है अतः उपरोक्त अभिक्रिया सम्पन्न होगी, अर्थात् अभिक्रिया उत्पाद अनुकूली है।

प्रश्न 4.
(a) सीसा संचायक बैटरी किस प्रकार की बैटरी है? सीसा संचायक बैटरी के काम करने पर जो एनोड और कैथोड पर अभिक्रियाएँ होती हैं और कुल मिलाकर जो सेल अभिक्रिया होती है, उन्हें लिखिए।
(b) 0.10 M K2Cr2O7 (aq), 0.20 M Cr3+ (aq) और 1.0 × 10-4 M H+ (aq) वाले अर्ध-सेल का विभव परिकलित कीजिए । अर्ध- सेल अभिक्रिया इस प्रकार दी जाती है-
\(\begin{array}{r}\mathrm{Cr}_2 \mathrm{O}_7^{2-}(\mathrm{aq})+14 \mathrm{H}^{+}(\mathrm{aq})+6 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \\2 \mathrm{Cr}^{3+}(\mathrm{aq})+7 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}(l)\end{array}\)
इसके लिए मानक इलेक्ट्रॉड विभव दिया गया है, E° = 1.33V.
उत्तर:
(a) सीसा संचायक बैटरी (सेल) एक द्वितीयक सेल है। सीसा संचायक बैटरी के काम करने पर होने वाली अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 8

प्रश्न 5.
एक विद्युत अपघट्य के 1.5 M विलयन की मोलर चालकता 138.9 S mol-1 पाई जाती है। इस विलयन की चालकता परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 9

प्रश्न 6.
1 cm व्यास और 50 cm लम्बाई वाले 0.05 M NaOH विलयन के कॉलम का विद्युतीय प्रतिरोध 5.55 × 103 ohm है। इसकी प्रतिरोधकता, चालकता और मोलर चालकता का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
r = 1/2 = 0.5 cm
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
A = πr2 = 3.14 × 0.52 cm2 = 0.785cm2 = 0.785 × 10-4m2
l = 50 cm 0.5 m
प्रतिरोध R = \(\frac { pl }{ A }\)
या p = \(\frac { RA }{ l }\) = \(\frac{5.55 \times 10^3 \Omega \times 0.785 \mathrm{~cm}^2}{50 \mathrm{~cm}}\)
प्रतिरोधकता (p) = 87.135 Ω cm
चालकता \(\kappa=\frac{1}{\rho}=\left(\frac{1}{87.135}\right) \mathrm{S} \mathrm{cm}^{-1}\)
\(\mathcal{K}\) = 0.011476 s cm-1
\(\mathcal{K}\) = 0.01148 s cm-1
मोलर चालकता,
\(\Lambda_{\mathrm{m}}=\frac{\kappa \times 1000}{\mathrm{c}} \mathrm{cm}^3 \mathrm{~L}^{-1}\)
c = 0.05 mol L-1
\(\Lambda_{\mathrm{m}}=\frac{0.01148 \mathrm{~S} \mathrm{~cm}^{-1} \times 1000 \mathrm{~cm}^3 \mathrm{~L}^{-1}}{0.05 \mathrm{~mol} \mathrm{~L}^{-1}}\)
\(\Lambda_{\mathrm{m}}=229.6 \mathrm{~S} \mathrm{~cm}{ }^2 \mathrm{~mol}^{-1}\)
जब cm के स्थान पर m के पदों में गणना करें तो-
p = \(\frac { RA }{ l }\) = \(\frac{5.55 \times 10^3 \Omega \times 0.785 \times 10^{-4} \mathrm{~m}^2}{0.5 \mathrm{~m}}\)
= 87.135 × 10-2 Ω m
\(\mathcal{K}\) = \(\frac { l }{ p}\) = \(\frac { 100 }{ 87.135 }\)Ω cm
= 1.148 S m-1
तथा \(\Lambda_{\mathrm{m}}\) = \(\frac{\mathrm{K}}{\mathrm{c}}\) = \(\frac{1.148 \mathrm{~S} \mathrm{~m}^{-1}}{50 \mathrm{~mol} \mathrm{~m}^{-3}}\)
= 229.6 × 10-4 S m2 mol-1

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 वैद्युत रसायन

प्रश्न 7.
AgNO3 के विलयन को 2.0 ऐम्पियर की धारा से 30 मिनट तक वैद्युत अपघटित किया गया। कैथोड पर निक्षेपित चाँदी का द्रव्यमान क्या होगा?
(Ag का मोलर द्रव्यमान 108 ग्राम मोल-1, F = 96500 कूलाम मोल-1)
उत्तर:
समय (t) = 30 मिनट = 30 × 60 = 1800 sec.
I = 2 ऐम्पियर
आवेश = धारा × समय
Q = It = 2 × 1800 कूलाम
= 3600 amp sec. = 3600 कूलाम
\(\mathrm{Ag}_{(\mathrm{aq})}^{+}+\mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Ag}_{(\mathrm{s})}\) के अनुसार, एक मोल (108 g) Ag को निक्षेपित करने के लिए IF या 96500 कूलाम आवेश की आवश्यकता होती है।
अतः 3600 कूलाम आवेश द्वारा निक्षेपित Ag का द्रव्यमान
= \(\frac{108 \times 3600}{96500}\) = 4.029 = 4.03 ग्राम

प्रश्न 8.
KCl, HCl एवं CH3COOK के लिए \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) के मान क्रमशः 149.8 S Cm2 mol-1, 425.9 S cm2 mol-1 एवं 114.4 S Cm2 mol-1 हैं | CH3COOH के लिए \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (CH3COOH) = \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (CH3COOK) + \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (HCl) – \(\stackrel{\circ}{\Lambda}_m\) (KCl)
= 114.4 + 425.9 – 149,8
= 540.3 – 149.8
= 390.5 S cm2 mol-1

प्रश्न 9.
विद्युत चालन के आधार पर अचालक एवं अर्धचालक को समझाइए |
उत्तर:
अचालक या विद्युतरोधी – वे ठोस जिनकी चालकता बहुत कम (10-20 से 10-10 ohm-1 m-1 ) होती है, उन्हें अचालक कहते हैं। इनमें स्वतंत्र आयन या स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन नहीं होते अतः ये विद्युत का चालन नहीं करते हैं। इनमें संयोजी बैंड पूर्ण भरा होता है तथा संयोजी बैण्ड एवं चालन बैंड के मध्य ऊर्जा अन्तराल अधिक होता है। उदाहरण- यूरिया तथा शर्करा ।

अर्धचालक – वे ठोस जिनकी चालकता, चालक तथा अचालक के मध्य (10-6 से 104 ohm-1 m-1 ) होती है, उन्हें अर्धचालक कहते हैं। अर्धचालकों में संयोजी बैंड तथा चालक बैंड के मध्य ऊर्जा अन्तराल बहुत कम होता है अतः ये अल्प चालकता दर्शाते हैं। उदाहरण- सिलिकन एवं जर्मेनियम ।

प्रश्न 10.
साम्य अवस्था पर डेन्यल सेल के लिए नेन्ंस्ट समीकरण लिखिए एवं E°(सेल) तथा साम्य स्थिरांक (Kc) में सम्बन्ध व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
डेनियल सेल में प्रयुक्त अभिक्रिया-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 10
अतः T = 298 K पर R तथा F का मान रखने पर, उपर्युक्त समीकरण को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है-
सेल = \(\frac { 0.059V }{ 2 }\)log KC
डेन्यल सेल के लिए E°सेल =1.1 V
1.1 V = \(\frac { 0.059V }{ 2 }\)log Kc
log Kc = \(\frac{(1.1 \mathrm{~V} \times 2)}{0.059 \mathrm{~V}}\) = 37.288
Kc = Antilog 37.288 = 1.941 × 1037
Kc = 2 × 1037 (297 K परं)
अतः सामान्य रूप में,
सेल = \(\frac{2.303 \mathrm{RT}}{\mathrm{nF}}\)log Kc या E°सेल = \(\frac{0.059 \mathrm{~V}}{\mathrm{nF}}\) log Kc
यह समीकरण सेल के मानक विभव (E°सेल) तथा साम्य स्थिरांक (Kc) के मध्य सम्बन्ध है।

प्रश्न 11.
(अ) डेनियल सेल का नामांकित चित्र बनाइए ।
(ब) इलेक्ट्रॉडों पर होने वाली ऑक्सीकरण एवं अपचयन की अर्ध अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
(अ) डेनियल सेल को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 11
डेनियल सेल जिसमें जिंक एवं कॉपर इलेक्ट्रॉड अपने लवणों के विलयनों में उपस्थित हैं।
(ब) डेन्यल सेल में इलेक्ट्रॉडों पर होने वाली अर्ध अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

कैथोड पर-

(i) \(\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e}^{-} \rightarrow \mathrm{Cu}(\mathrm{s})\) (अपचयन अर्ध अभिक्रिया)
ऐनोड पर –
(ii) \(\mathrm{Zn}(\mathrm{s}) \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{e}^{-}\) (ऑक्सीकरण अर्ध अभिक्रिया) तथा सम्पूर्ण अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

प्रश्न 12.
डेनियल सेल का मानक इलेक्ट्रॉड विभव E° = + 1.1V है तो अभिक्रिया \(\mathbf{Z n}_{(\mathrm{s})}+\mathbf{C u}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathbf{Z n}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathbf{C u}_{(\mathrm{s})}\) के लिए △G° का परिकलन कीजिए। (F = 96500C mol-1)
उत्तर:
उपरोक्त अभिक्रिया के लिए n = 2
△G° = – nFE°सेल
= – 2 × 96500 × 1.1
= – 212,300
= – 212,300 जूल मोल-1
= 212.30 किलो जूल मोल-1

प्रश्न 13.
(i) 298 K पर निम्नलिखित सेल के विद्युत वाहक बल का परिकलन कीजिए-
Mg(s) | Mg2+ (0.1M) || Cu2+(0.01M) | Cu(s)
दिया गया है-
सेल = + 2.71V तथा 1F = 96500 C mol-1

(ii) अपोलो अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए विद्युत शक्ति उपलब्ध कराने के लिए प्रयुक्त सेल के प्रकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 12

प्रश्न 14.
(अ) क्या हम CuSO4 के विलयन को लोहे के पात्र में भण्डारण कर सकते हैं? समझाइए ।
(ब) कॉलराउश का नियम लिखिए एवं एक अनुप्रयोग बताइए ।
उत्तर:
(अ) CuSO4 के विलयन का लोहे के पात्र में भण्डारण नहीं किया जा सकता क्योंकि लोहा, कॉपर से अधिक क्रियाशील होता है। अर्थात् आयरन (लोहा) कॉपर की तुलना में प्रबल अपचायक है। अतः यह CuSO4 के विलयन से कॉपर को अवक्षेपित कर देता है।
\(\mathrm{CuSO}_{4(\mathrm{aq})}+\mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})} \rightarrow \mathrm{FeSO}_{4(\mathrm{aq})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)

(ब) कोलराडश के अनुसार वैद्युत अपघट्यों के वे युग्म जिनमें धनायन या ऋणायन समान हों, उनकी अनन्त तनुता पर मोलर चालकताओं (A) का अन्तर निश्चित होता है।
\(\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{KCl})}^{\circ}-\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{NaCl})}^{\circ}=\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{KBr})}^{\circ}-\Lambda_{\mathrm{m}(\mathrm{NaBr})}^{\circ}\)

अतः अनन्त तनुता पर किसी विद्युत अपघट्य का प्रत्येक आयन मोलर चालकता (\(\Lambda_{\mathrm{m}}\)) में एक निश्चित योगदान देता है तथा यह दूसरे आयन पर निर्भर नहीं करता। इस आधार पर कोलराडश ने आयनों के स्वतंत्र अभिगमन का नियम दिया जिसे कोलराडश का नियम कहते हैं। इसके अनुसार किसी वैद्युत अपघट्य की सीमान्त मोलर चालकता, उसके धनायन तथा ऋणायन की सीमान्त मोलर चालकता का योग होती है।
उदाहरण – KCl के लिए
\(\Lambda_{\mathrm{m}}^{\circ} \mathrm{KCl}=\lambda_{\mathrm{K}^{+}}^{\circ}+\lambda_{\mathrm{Cl}^{-}}^{\circ}\) \(\lambda_{\mathrm{K}^{+}}^{\circ}\)

\(\lambda_{\mathrm{K}^{+}}^{\circ}\) व \(\lambda_{\mathrm{Cl}^{-}}^{\circ}\) क्रमश: K+ तथा Cl की सीमान्त मोलर चालकता है। कोलराडश के नियम से किसी दुर्बल विद्युत अपघट्य की सीमान्त मोलर चालकता (अनन्त तनुता पर मोलर चालकता) ज्ञात की जा सकती है।
उदाहरण – CH3COOH (HAc) के लिए
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 13

प्रश्न 15.
(अ) लोहे के जंग लगने की सम्पूर्ण रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
(ब) डेन्यल सेल की सम्पूर्ण अभिक्रिया दीजिए एवं इस सेल के लिए नेर्नूस्ट समीकरण का गणितीय रूप लिखिए।
उत्तर:
(अ) लोहे के जंग लगने की सम्पूर्ण रासायनिक अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{O}_{2(\mathrm{~g})}+4 \stackrel{+}{\mathrm{H}}_{(\mathrm{aq})} \rightarrow 2 \mathrm{Fe}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+2 \mathrm{H}_2 \mathrm{O}_{(/)}\)
इसके पश्चात् वायुमण्डलीय ऑक्सीजन के द्वारा Fe2+ आयन पुनः ऑक्सीकृत होकर Fe3+ बनाते हैं। ये आयन जलयोजित फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3. x H2O) बना लेते हैं। यही जंग का रासायनिक संघटन है।

(ब) डेनियल सेल की सम्पूर्ण रासायनिक अभिक्रिया निम्नलिखित है-
\(\mathrm{Zn}_{(\mathrm{s})}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{aq})}^{2+} \rightarrow \mathrm{Zn}_{(\mathrm{aq})}^{2+}+\mathrm{Cu}_{(\mathrm{s})}\)
इसके लिए नेर्नूस्ट समीकरण इस प्रकार लिखा जा सकता है-
E(सेल) = E°सेल – \(\frac{\mathrm{RT}}{2 \mathrm{~F}} \ln \frac{\left[\mathrm{Zn}^{2+}\right]}{\left[\mathrm{Cu}^{2+}\right]}\)
सेल = मानक सेल विभव
समीकरण में प्राकृतिक लघुगणक को 10 के आधार में बदलने तथा R, F एवं T के मान रखने पर
E(सेल) = E°सेल – \(\frac{0.059}{2} \log \frac{\left[\mathrm{Zn}^{2+}\right]}{\left[\mathrm{Cu}^{2+}\right]}\)

प्रश्न 16.
प्रतिरोधकता का SI मात्रक लिखिये ।
उत्तर:
प्रतिरोधकता का SI मात्रक ओम मीटर (Ωm) होता है।

प्रश्न 17.
Mg2+ व Cl आयनों की सीमान्त मोलर चालकता क्रमश: 106.0 s.cm2.mol-1 तथा 76.3 s.cm2.mol-1 है। MgCl2 की सीमान्त मोलर चालकता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
MgCl2 की सीमान्त मोलर चालकता
\(\Lambda_{\mathrm{m}}^0\left(\mathrm{MgCl}_2\right)=\lambda^{\circ}\left(\mathrm{Mg}^{2+}\right)+2 \lambda^{\circ}\left(\mathrm{Cl}^{-}\right)\)
= 106.0 s.cm.mol-1 + 2( 76.3 s. cm2.mol-1) = 258.6 s.cm2.mol-1

प्रश्न 18.
(अ) फैराडे के विद्युत अपघटन के द्वितीय नियम को लिखिए।
(ब) मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रॉड का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) फैराडे के विद्युत अपघटन का द्वितीय नियम – विभिन्न वैद्युत अपघट्यों के विलयनों में विद्युत की समान मात्रा समान समय तक प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रॉडों पर प्राप्त विभिन्न पदार्थों की मात्राएँ उनके रासायनिक तुल्यांकी भारों के समानुपाती होती हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 14

प्रश्न 19.
जब 1.5 A की विद्युत धारा AgNO3 के विलयन में से प्रवाहित की जाती है तो कैथोड पर सिल्वर का 1.5 g जमा होने में जो समय लगता है, उसका परिकलन कीजिए ।
(Ag का मोलर द्रव्यमान = 108 g mol-1, 1 F = 96500 C mol-1)
उत्तर:
1 मोल (108g) Ag के निक्षेपित होने के लिए आवश्यक आवेश = 96500 कूलाम
अतः 1.5 g Ag के निक्षेपित होने के लिए प्रयुक्त आवेश
= \(\frac { 96500 }{ 108 }\) × 1.5 = 1340.3 कूलाम
आवेश Q = I × t
अतः समय (t) = \(\frac { Q }{ I }\) = \(\frac { 1340.3 }{ 1.5 }\) = 893.5 सेकण्ड
इसलिए 1.5 g सिल्वर के जमा होने में लगा समय = 893.5 सेकण्ड

प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया के लिए E°सेल और △rG° को 25°C पर परिकलित कीजिए-
A2+ + B+ → A3+ + B
दिया गया है – Kc = 1010, 1 F = 96500 C mol-1
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 3 Img 15

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. R3N में नाइट्रोजन परमाणु की संकरण अवस्था क्या है?
(अ) sp³
(ब) sp
(स) sp²
(द) sp³d
उत्तर:
(अ) sp³

2. अम्लीय माध्यम में Sn + HCI से नाइट्रोबेन्जीन का अपचयन करने पर प्राप्त उत्पाद होगा-
(अ) N-फेनिल हाइड्रॉक्सिल ऐमीन
(ब) फीनॉल
(स) ऐनिलीन
(द) N-मेथिल ऐनिलीन
उत्तर:
(स) ऐनिलीन

3. एथेन नाइट्राइल का LiAlH4 द्वारा अपचयन करने पर प्राप्त उत्पाद होगा-
(अ) मेथिल ऐमीन
(ब) एथिल ऐमीन
(स) डाइमेथिल ऐमीन
(द) ट्राइमेथिल ऐमीन
उत्तर:
(ब) एथिल ऐमीन

4. निम्नलिखित में से किसके द्वारा प्राथमिक ऐमीन की पहचान की जाती है?
(अ) NaOH
(ब) HCl
(स) CHCl3
(द) CHCl3 + KOH
उत्तर:
(द) CHCl3 + KOH

5. बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड की क्रिया यौगिक y से कराने पर एक रंजक बनता है तो यौगिक y है-
(अ) C6H6
(ब) C2H5OH
(स) H2O
(द) C6H5NH2
उत्तर:
(द) C6H5NH2

6. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 1का LiAlH4 / H2O से अपचयन कराने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) ऐथेनेमीन
(ब) प्रोपेन- 1- ऐमीन
(स) प्रोपेन -2- ऐमीन
(द) प्रोपेनॉइक अम्ल
उत्तर:
(ब) प्रोपेन- 1- ऐमीन

7. HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 2 का आई.यू.पी.ए.सी. नाम है-
(अ) एथेन डाइऐमीन
(ब) एथेन – 1, 2 – डाइऐमीन
(स) 1, 2 – डाइऐमीनोएथेन
(द) 2 – ऐमीनो ऐथेनेमीन
उत्तर:
(ब) एथेन – 1, 2 – डाइऐमीन

8. निम्नलिखित में से कौनसा तृतीयक ऐमीन है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 3
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 4

9. निम्नलिखित में से किसका क्वथनांक उच्चतम है ?
(अ) CH3-CH2-CH-NH2
(ब) CH3-NH-CH2-CH3
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 5
(द) सभी का समान
उत्तर:
(अ) CH3-CH2-CH-NH2

10. निम्नलिखित में से किसका pKb मान न्यूनतम है?
(अ) N- मेथिल मेथेनेमीन
(ब) N N डाइमेथिलमेथेनेमीन
(स) मेथेनेमीन
(द) बेन्जीनेमीन
उत्तर:
(अ) N- मेथिल मेथेनेमीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

11. निम्नलिखित में से अधिकतम क्षारीय यौगिक कौनसा है?
(अ) (C2H5)3N
(ब) (C2H5)2NH
(स) C2H5NH2
(द) NH3
उत्तर:
(ब) (C2H5)2NH

12. इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के लिए – NH2 समूह है-
(अ) निर्देशी
(ब) o, p-निर्देशी
(स) केवल 0-निर्देशी
(द) केवल p-निर्देशी
उत्तर:
(ब) o, p-निर्देशी

13. ऐनिलीन की ब्रोमीन जल से अभिक्रिया कराने पर बना यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 6
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 7

14. अभिक्रिया C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2, \(\stackrel{-}{C}\)l + KI से बना यौगिक है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 8
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 9

15. C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2, \(\stackrel{-}{C}\)l का अपचयन CH3CH2OH से कराने पर कौनसा उत्पाद नहीं बनेगा-
(अ) C6H6
(ब) C6H5 – CHO
(स) N2
(द) NH3
उत्तर:
(द) NH3

16. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 10
में यौगिक C है-
(अ) CH3 – CH2 – CH2 – NH2
(ब) CH3 – CH2 – NH – CH3
(स) CH3 – CH2 – CH2 NHCOCH3
(द) CH3 – CH2 – CONH – COCH3
उत्तर:
(स) CH3 – CH2 – CH2 NHCOCH3

17. अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 11
में यौगिक Z है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 12
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 13

18. निम्नलिखित में से कौनसी अभिक्रिया शॉटन बोमान अभिक्रिया कहलाती है?
(अ) CH3 NH2 + HCl → CH3N\(\stackrel{+}{H}\)3, \(\stackrel{-}{Cl}\)
(ब) CH3 – CH2 NH2 + C6H5 COCl → CH3 – CH2 – NH – COC6H5 + HCl
(स) C6H5 NH2 + CH3 COCl → C6H5 NH – COCH3 + HCl
(द) C6H5OH + CH3COCl → C6H5O COCH3 + HCl
उत्तर:
(ब) CH3 – CH2 NH2 + C6H5 COCl → CH3 – CH2 – NH – COC6H5 + HCl

19. निम्नलिखित में से कौनसे यौगिक की CH3COCl से अभिक्रिया नहीं होती?
(अ) C2H5OH
(ब) (CH3 – CH2)2 NH
(स) (CH3)3 N
(द) CH3 NH2
उत्तर:
(स) (CH3)3 N

20. निम्नलिखित में से किस यौगिक का अपचयन LiAIH4 द्वारा कराने पर \(\stackrel{\circ}{2}\) ऐमीन प्राप्त होता है?
(अ) CH3 – CH2 – NC
(ब) CH3CONH2
(स) CH3 – NO2
(द) CH3 – CH2 – CN
उत्तर:
(अ) CH3 – CH2 – NC

21. प्राथमिक ऐल्किल ऐमीन को क्लोरोफॉर्म एवं ऐल्कोहॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर बनता है-
(अ) ऐल्किल क्लोराइड
(ब) ऐल्किल ऐल्कोहॉल
(स) ऐल्किल आइसोसायनाइड
(द) ऐल्कीन
उत्तर:
(स) ऐल्किल आइसोसायनाइड

22. निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में उत्पाद की पहचान कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 14
(अ) 3, 4, 5 ट्राइबोमोबेन्जीन
(ब) 1, 2, 3 ट्राइब्रोमोबेन्जीन
(स) 3, 4, 5 ट्राइब्रोमोफीनॉल
(द) 3, 4, 5 ट्राइब्रोमोनाइट्रो बेन्जीन
उत्तर:
(ब) 1, 2, 3 ट्राइब्रोमोबेन्जीन

23. ऐमीन जो नाइट्स अम्ल के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन मुक्त नहीं करती है, वह है-
(अ) ट्राइमेथिल ऐमीन
(ब) एथिल ऐमीन
(स) द्वितीयक ब्यूटिल ऐमीन
(द) आइसोप्रोपिल ऐमीन
उत्तर:
(अ) ट्राइमेथिल ऐमीन

24. बेन्जिलऐमीन को क्लोरोफार्म तथा एथेनॉलिक KOH के साथ गर्म करने पर प्राप्त उत्पाद है-
(अ) बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(ब) बेन्जेल्डिहाइड
(स) बेन्जोनाइट्राइल
(द) बेन्जिल आइसोसायनाइड
उत्तर:
(द) बेन्जिल आइसोसायनाइड

25. निम्नलिखित में से कौन-सी अभिक्रिया द्वारा प्राथमिक ऐमीन प्राप्त नहीं होती?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 15
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 16

26. अणुसूत्र C4H11N से कितने प्राथमिक ऐमीनों का निर्माण सम्भव है-
(अ) 1
(ब) 2
(स) 3
(द) 4
उत्तर:
(द) 4

27. ऐनिलीन सर्वप्रथम ऐसीटिल क्लोराइड के साथ क्रिया करके यौगिक ‘A’ बनाती है। ‘A’ नाइट्रिक अम्ल / सल्फ्यूरिक अम्ल मिश्रण के साथ क्रिया करता है तथा यौगिक ‘B’ बनाता है जो जल अपघटित होकर यौगिक ‘C’ देता है। यौगिक ‘C’ क्या है?
(अ) ऐसीटेनिलाइड
(ब) p-नाइट्रो ऐसीटेनिलाइड
(स) p- नाइट्रोऐनीलीन
(द) सल्फोनिक अम्ल
उत्तर:
(स) p- नाइट्रोऐनीलीन

28. निम्नलिखित में से कौन सी अभिक्रिया गाटरमान अभिक्रिया कहलाती है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 17
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 18

29. O – टॉलुडीन से एक उत्पाद D बनता है
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 19
यह मुख्य उत्पाद D होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 20
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 21

30. निम्नलिखित अभिक्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 22
तो D होगा-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 23
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 24

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यौगिकों के निम्नलिखित युग्म में कौनसी समावयवता है?
CH3 – CH2 – CH2 – NH2 तथा HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 25
उत्तर:
स्थिति समावयवता।

प्रश्न 2.
ऐल्किल हैलाइड की अमोनिया के आधिक्य के साथ क्रिया कराने पर प्राप्त प्रमुख उत्पाद क्या होगा?
उत्तर:
प्राथमिक ऐमीन।

प्रश्न 3.
समान अणुभार वाले प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों के क्वथनांक का क्रम लिखिए।
उत्तर:
प्राथमिक ऐमीन > द्वितीयक ऐमीन > तृतीयक ऐमीन।

प्रश्न 4.
कौनसे ऐमीन जल में अविलेय होते हैं ?
उत्तर:
तृतीयक ऐमीन।

प्रश्न 5.
सल्फेनिलिक अम्ल का सूत्र तथा IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 26

प्रश्न 6.
ऐमीनों के प्राकृतिक स्रोत बताइए।
उत्तर:
प्रकृति में ऐमीन, प्रोटीन, विटामिन, ऐल्केलॉइड तथा हॉर्मोनों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
दो जैव सक्रिय ऐमीन बताइए जिनका उपयोग रक्त चाप बढ़ाने में किया जाता है।
उत्तर:
ऐड्रीनलिन और इफेड्रिन, ये द्वितीयक ऐमीन हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 8.
बैनेड्रिल का उपयोग बताइए। इसमें उपस्थित क्रियात्मक समूह भी बताइए।
उत्तर:
बैनेड्रिल प्रतिहिस्टैमिन के रूप में प्रयुक्त होता है तथा इसमें तृतीयक ऐमीन समूह उपस्थित होता है।

प्रश्न 9.
चतुष्क अमोनियम लवणों का एक उपयोग बताइए।
उंत्तर:
चतुष्क अमोनियम लवणों \(\left(\mathrm{R}_4 \stackrel{+}{\mathrm{N}} \overline{\mathrm{X}}\right)\) को पृष्ठ सक्रिय पदार्थों के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 10.
तृतीयक ब्यूटिल ऐमीन किस प्रकार की ऐमीन है?
उत्तर:
प्राथमिक ऐमीन।

प्रश्न 11.
वह सरलतम प्राथमिक ऐमीन कौनसा है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 27

प्रश्न 12.
मेथिल ऐमीन की अम्लीय प्रकृति को दर्शाने वाली एक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 28

प्रश्न 13.
एक प्राथमिक ऐमीन (अणु भार 31) HgCl2 की उपस्थिति में कार्बन डाइसल्फाइड के साथ क्रिया करके ऐसा यौगिक बनाता है जिसमें सरसों के तेल के समान गंध आती है तो प्राथमिक ऐमीन का सूत्र तथा रासायनिक समीकरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 29

प्रश्न 14.
हिन्सबर्ग अभिकर्मक से 2° तथा 3° ऐमीन में विभेद कैसे किया जाता है ?
उत्तर:
2° ऐमीन हिन्सबर्ग अभिकर्मक के साथ क्रिया कर लेती है। लेकिन 3° ऐमीन की हिन्सबर्ग अभिकर्मक के साथ कोई क्रिया नहीं होती।

प्रश्न 15.
ऐनिलीन की बैन्जेल्डिहाइड के साथ अभिक्रिया का समीकरण दीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 30

प्रश्न 16.
मेथेनैमीन को एथेन नाइट्राइल में रूपान्तरित करने के लिए आवश्यक अभिक्रिया अनुक्रम को लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 31

प्रश्न 17.
जल में विलेय तथा जल में अविलेय डाइएजोनियम लवण कौनसे होते हैं?
उत्तर:
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड (C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2\(\overline{Cl}\)) जल में विलय होता है लेकिन बेन्जीन डाइएजोनियम फ्लुओरो बोरेट [C6H5\(\stackrel{+}{N}\)2B\(\overline{F}\)4] जल में अविलेय होता है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित परिवर्तनों के लिए आवश्यक समीकरण दीजिए-
(i) एथेनैल से मेथेनेमीन
(ii) एथेनॉयल क्लोराइड से मेथेनेमीन
(iii) एथेनॉइक अम्ल से प्रोपेन- 1- ऐमीन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 32

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 33
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 34

प्रश्न 3.
ऐथेनेमीन जल में पूर्ण विलेय है, जबकि बेन्जीनेमीन (ऐनिलीन) जल में लगभग अविलेय है, क्यों?
उत्तर:
ऐथेनेमीन जल के साथ आसानी से अन्तरा अणुक हाइड्रोजन बन्ध बना लेती है, अतः यह जल में पूर्ण विलेय है लेकिन ऐनिलीन में फेनिल समूह के बड़े आकार के कारण यह जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना पाती है अतः यह जल में लगभग अविलेय है।

प्रश्न 4.
(i) ऐलुमिना की उपस्थिति में एथेनॉल के आधिक्य की क्रिया अमोनिया के साथ कराने पर प्राप्त उत्पाद बताइए।
(ii) निम्नलिखित यौगिकों से मेथिल ऐमीन किस प्रकार बनाया जाता है? समीकरण दीजिए।
(a) CH3-MgCl
(b) CH3COCl
उत्तर:
(i) ऐलुमिना (Al2O3) की उपस्थिति में एथेनॉल के अधिकय की क्रिया अमोनिया के साथ कराने पर प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐमीनों का मिश्रण प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 35

प्रश्न 5.
निम्नलिखित विधियों से प्राथमिक ऐमीन बनाने की अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(a) ऐल्किल आइसोसायनाइड का जल अपघटन
(b) कार्बोनिल यौगिकों का अपचायक ऐमीनीकरण
(c) ऐल्किल आइसोसायनेट का क्षारीय जल अपघटन
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 36

प्रश्न 6.
ऐथिलऐमीन क्षारीय होती है जबकि ऐसिटेमाइड उभयधर्मी होता है, इसका कारण बताइए।
उत्तर:
ऐथिलऐमीन में – NH2 समूह के नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म प्रोटोन ग्रहण करने के लिए आसानी से उपलब्ध हो जाता है लेकिन ऐसिटैमाइड में उपस्थित HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 37 समूह के – I प्रभाव के कारण, -NH2 समूह के नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म अनुनाद में भाग लेता है अतः यह प्रोटेन ग्रहण करने के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है इसलिए ऐथिलऐमीन क्षारीय होता है जबकि ऐसिटैमाइड उभयधर्मी होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 38

प्रश्न 7.
साइक्लोहेक्सेनैमीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 39 बेन्जीनेमीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 40की तुलना में अधिक क्षारीय होती है, क्यों?
उत्तर:
साइक्लोहेक्सेनैमीन में नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म आसानी से उपलब्ध हो जाता है क्योंकि इसमें अनुनाद नहीं होता जबकि बेन्जीनेमीन (ऐनिलीन) में अनुनाद के कारण नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है अतः साइक्लोहेक्सेनैमीन, बेन्जीनेमीन की तुलना में अधिक क्षारीय होती है।

प्रश्न 8.
मेथिलऐमीन की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया दीजिए-
(i) HAuCl4
(ii) H2PtCl6
(iii) CH3COCl
(iv) C6H5COCl
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 42

प्रश्न 9.
हॉफमान मस्टर्ड ऑइल अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हॉफमान मस्टर्ड ऑइल अभिक्रिया-ऐल्किल ऐमीन की क्रिया कार्बन डाइसल्फाइड CS2 के साथ कराने पर पहले N-ऐल्किल डाइथायोकार्बेमिक अम्ल बनता है जिसे मरक्यूरिक क्लोराइड (HgCl2) के साथ गरम करने पर ऐल्किल आइसोथायोसायनेट प्राप्त होता है जिसकी सरसों के तेल के समान गंध आती है। अतः इस अभिक्रिया को हॉफमान मस्टर्ड ऑइल अभिक्रिया कहते हैं तथा यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों के परीक्षण में प्रयुक्त होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 43
ऐरोमैटिक ऐमीन (जैसे ऐनिलीन) में यह अभिक्रिया निम्न प्रकार भी की जा सकती है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 44

प्रश्न 10.
ऐनिलीन से o-ब्रोमोऐनिलीन तथा p-ब्रोमोऐनिलीन किस प्रकार बनाया जाता है? समझाइए।
उत्तर:
ऐनिलीन की इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति अधिक क्रियाशीलता के कारण प्रतिस्थापन o – तथा p – दोनों स्थितियों पर हो जाता है अतः ऐनिलीन का एकल प्रतिस्थापी व्युत्पन्न बनाने के लिए – NH2 समूह के सक्रियण प्रभाव को कम करने के लिए पहले ऐसिटिलीकरण द्वारा इसका रक्षण किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 45

प्रश्न 11.
ऐनिलीन के नाइट्रीकरण से p-नाइट्रोऐनिलीन किस प्रकार बनाया जाता है ? समीकरण सहित समझाइए।
उत्तर:
नाइट्रीकारक मिश्रण में उपस्थित सान्द्र HNO3 के ऑक्सीकारक गुण के कारण यह ऐनिलीन का ऑक्सीकरण कर देता है अतः इस अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए नाइट्रीकरण से पहले ऐनिलीन का ऐसिटिलीकरण करके – NH2 समूह का रक्षण किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 46

प्रश्न 12.
नाइट्रोबेन्जीन को बेन्जीन में रूपान्तरित कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 47

प्रश्न 13.
p-ऐमीनोटॉलुइन से 2-ब्रोमो-4-मेथिल ऐनिलीन बनाने के लिए आवश्यक अभिक्रिया अनुक्रम बताइए।
उत्तर:
p-ऐमीनोटॉलुइन से 2 -ब्रोमो-4-मेथिल ऐनिलीन बनाने के लिए निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम आवश्यक होते हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 48

प्रश्न 14.
सैन्डमायर अभिक्रिया तथा गाटरमान अभिक्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हैलाइड अथवा सायनाइड आयन द्वारा प्रतिस्थापन (हैलोबेन्जीन अथवा सायनो बेन्जीन का निर्माण) –
(i) बेन्जीनडाइएजोनियम क्लोराइड की क्रिया Cu(I) की उपस्थिति में HCl, HBr तथा KCN के साथ करवाने पर क्रमशः C6H5Cl, C6H5Br तथा C6H5CN बनते हैं। इसे सैन्डमायर अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 49
इस अभिक्रिया में Cu(I) के स्थान पर कॉपर लेने परइसे गाटरमान अभिक्रिया कहते हैं लेकिन इसमें उत्पाद की लब्धि कम होती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 50
नोट-C6H5CN (बेन्जोनाइट्राइल) से बेन्जिल ऐमीन, बेन्जेमाइड तथा बेन्जोइक अम्ल का संश्लेषण किया जा सकता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 51

(ii) फ्लुओरोबेन्जीन का निर्माण – जब बेन्जीनडाइएजोनियम क्लोराइड की अभिक्रिया फ्लुओरोबोरिक अम्ल के साथ की जाती है तो पहले ऐरीनडाइएजोनियम फ्लुओरोबोरेट अवक्षेपित होता है जिसे गरम करने पर यह ऐरिलफ्लुओराइड देता है। इसे बाल्ज शीमान अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 52

(iii) आयोडोबेन्जीन का निर्माण – बेन्जीन वलय में आयोडीन को सीधे जोड़ना मुश्किल होता है अतः आयोडोबेन्जीन बनाने के लिए बेन्जीन डाइजोनियम क्लोराइड की क्रिया पोटेशियम आयोडाइड के साथ करवायी जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 53

प्रश्न 15.
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ बताइए-
(i) N, N-डाइमेथिल ऐनिलीन
(ii) ß – नैफ्थॉल।
उत्तर:
(i) N, N-डाइमेथिलऐनिलीन के साथ क्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 54

(ii) ß – नैफ्थॉल के साथ क्रिया
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 55

प्रश्न 16.
ऐमीनों के बनाने की वे कौनसी विधियाँ हैं जिनसे ऐनिलीन नहीं बनायी जा सकती ?
उत्तर:
ऐमीन बनाने की निम्नलिखित विधियों द्वारा ऐनिलीन नहीं बनायी जा सकती-

  • नाइट्राइलों का अपचयन
  • ऐमाइडों का अपचयन
  • ऑक्सिमों का अपचयन
  • कार्बोनिल यौगिकों का अपचायक ऐमीनीकरण।

प्रश्न 17.
अणुसूत्र C4H11N युक्त दो समावयवी A तथा B की HNO2 के साथ क्रिया से यौगिक C तथा D बनते हैं। C का ऑक्सीकरण मुश्किल से होता है लेकिन यह शीघ्रता से ल्युकास अभिकर्मक से क्रिया करता है जबकि D की ल्युकास अभिकर्मक से क्रिया 5 मिनट में होती है तथा यह हैलोफॉर्म अभिक्रिया भी देता है तो A, B, C तथा D की पहचान कीजिए।
उत्तर:
A = (CH3)3 C – NH2
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 56
A व B प्राथमिक ऐमीन हैं जिनकी HNO2 के साथ क्रिया से संगत ऐल्कोहॉल बनते हैं। C तृतीयक ऐल्कोहॉल है जिसका ऑक्सीकरण मुश्किल से होता है तथा यह ल्युकास अभिकर्मक से तुरन्त क्रिया कर लेता है तथा D एक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है अतः यह ल्युकास अभिकर्मक से 5 मिनट में क्रिया करता है एवं HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 57 समूह के कारण यह हैलोफॉर्म अभिक्रिया देता है।

प्रश्न 18.
आप निम्नलिखित परिवर्तन किस प्रकार करेंगे ?
(i) मेथिल ऐल्कोहॉल से एथिल ऐमीन
(ii) एथेनॉइक अम्ल से एथेनैमीन।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 58

प्रश्न 19.
बेन्जीन से फेनिल आइसोसायनाइड किस प्रकार बना जाता है ? आवश्यक ‘अभिक्रिया अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 59

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके जलीय विलयनों में क्षारीय सामर्थ्य के बढ़ते हुए क्रम में लिखिए-
NH3, CH3NH2, (CH3)2NH, (CH3)3N
उत्तर:
NH3 < (CH3)3 N < CH3 – NH2 < (CH3)2NH

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अभिक्रिया समीकरणों को पूर्ण रूप में लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 60
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 61

प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिक युग्मों में अंतर करने के लिए रासायनिक परीक्षण लिखिए-
(i) एथिलऐमीन और ऐनिलीन में
(ii) ऐनिलीन और बेन्जिलऐमीन में।
उत्तर:
(i) ऐथिलऐमीन बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोरइड से क्रिया करके ऐजो रंजक (Azo dye) नहीं बनाता जबकि ऐनिलीन, बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड से क्रिया करके एजोरंजक (पीला) बनाती है।

(ii) ऐनिलीन, बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड (C6H5\(\overline{N}\)2\(\overline{C}\)) से क्रिया करके एजोरंजक बनाती है लेकिन बेन्जिलऐमीन ऐसा नहीं करती।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रत्येक प्रक्रम में A और B की पहचान कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 62
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 63

प्रश्न 5.
निम्नलिखित को उनकी क्षारीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में पुनः व्यवस्थित कीजिए-
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2, (C6H5)2NH और CH3NH2
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 64

प्रश्न 6.
निम्नलिखित के कारण लिखिए-
(i) ऐनिलीन के लिए pKb का मान अपेक्षाकृत मेथिलऐमीन से अधिक होता है।
(ii) एथिलऐमीन जल में घुलनशील है परन्तु ऐनिलीन जल में नहीं घुलती।
(iii) प्राथमिक ऐमीनों के क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होते हैं।
उत्तर:
(i) मेथिल ऐमीन (CH3 – NH2) में मेथिल समूह के + I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव) के कारण नाइट्रोजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति अधिक होती है इसलिए इसका क्षारीय गुण अधिक होता है जबकि ऐनिलीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 65 में नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय के साथ अनुनाद (+M प्रभाव) करता है जिससे इसके नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति कम हो जाती है इसलिए इसका क्षारीय गुण कम होता है। इसी कारण ऐनिलीन का pKb मेथिलऐमीन की तुलना में अधिक होता है क्योंकि क्षारीय गुण \(\propto \frac{1}{pK}{b} \propto K{b}\) (क्षार वियोजन स्थिरांक)

(ii) ऐथिलऐमीन (C2H5 – NH2) जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाती है जबकि ऐनिलीन के C6H5 – समूह (अध्रुवीय) के बड़े आकार के इसमें जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाने की प्रवृत्ति नहीं होती अतः ऐथिलऐमीन जल में विलेय है जबकि ऐनिलीन नहीं।

(iii) प्राथमिक ऐमीनों में नाइट्रोजन पर दो हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित हैं जिनके कारण इनमें प्रबल अन्तराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध होता है जिससे आण्विक सगुणन (Molecular association) अधिक होता है जबकि तृतीयक ऐमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन परमाणु नहीं होने के कारण हाइड्रोजन बन्ध नहीं बनता अतः प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 66

प्रश्न 7.
प्रत्येक के लिए संगत रासायनिक समीकरण देकर निम्नलिखित का वर्णन कीजिए-
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया
(ii) हॉफमान की ब्रोमैमाइड अभिक्रिया
उत्तर:
(i) हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया या आइसोसायनाइड परीक्षण-ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों को क्लोरोफ़ार्म तथा एथेनॉलिक KOH या NaOH के साथ गर्म करने पर तीक्ष्ण दुर्गधधयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड अथवा कार्बिलऐमीन बनता है इसे हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन में यह अभिक्रिया नहीं होती तथा यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों के परीक्षण में प्रयुक्त की जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 67

(ii) हॉफमान ब्रोमामाइड निम्नीकरण अभिक्रिया या हॉफमान हाइपोब्रोमाइट अभिक्रिया द्वारा (By Hofmann Bromamide Degradation Reaction or Hofmann Hypobromite Reaction) – NaOH याँ KOH के जलीय अथवा एथेनॉलिक विलयन में ऐमाइडों की क्रिया ब्रोमीन के साथ करवाने पर प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया से प्राप्त ऐमीन में ऐमाइड की तुलना में एक कार्बन कम होता है। अतः इस अभिक्रिया को निम्नीकरण अभिक्रिया कहते हैं तथा इसे सजातीय श्रेणी में अवरोहण के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इस अभिक्रिया के प्रथम पद में ब्रोमामाइड (हाइपोब्रोमाइट) बनता है अतः इसे हॉफमान ब्रोमामाइड अभिक्रिया कहा जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 68
अभिक्रिया की क्रियाविधि – यह अभिक्रिया चार पदों में सम्पन्न होती है तथा इसमें नाइट्रीन मध्यवर्ती बनता है।
(i) ब्रोमीनीकरण (Bromination)-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 69
(ii) विहाइड्रोब्रोमीनीकरण (Dehydrobromination)-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 70

(iii) पुनर्विन्यास (Rearrangement) – इस पद में ऐल्किल समूह का स्थानान्तरण कार्बन परमाणु से नाइट्रोजन परमाणु पर होकर ऐल्किल आइसोसायनेट बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 71

(iv) जल अपघटन (Hydrolysis)-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 72

प्रश्न 8.
(i) ऐनिलीन के डाइएजोटीकरण से क्या अभिप्राय है? अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
(ii) ऐनिलीन की निम्नलिखित के साथ होने वाली अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(A) हिन्सबर्ग अभिकर्मक से
(B) ब्रोमीन जल से
(C) नाइट्रीकारी मिश्रण से
(D) क्षार की उपस्थिति में क्लोरोफार्म से
उत्तर:
(i) बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड बनाने के लिए निम्न ताप पर ऐनिलीन की नाइट्रस अम्ल के साथ क्रिया करवायी जाती है। इस अभिक्रिया के लिए आवश्यक नाइट्रस अम्ल को अभिक्रिया मिश्रण में ही सोडियम नाइट्राइट (NaNO2 तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) की क्रिया से उत्पन्न किया जाता है। प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन से डाइऐजोनियम लवण बनाने की इस अभिक्रिया को डाइऐजोकरण या डाइएजोटीकरण (Diazotisation) कहते हैं। यह अभिक्रिया उन्हीं प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीनों द्वारा दी जाती है जिनमें -NH2 समूह ऐरीमैटिक वलय से सीधे जुड़ा होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 73
बेन्जीन डाइएजोनियम लवण केवल विलयन में ही कुछ समय के लिए स्थायी होते हैं अतः इनका भण्डारण नहीं किया जा सकता तथा इन्हें बनते ही प्रयोग में ले लिया जाता है।

(ii)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 74

B. हैलोजेनीकरण या हैलोजनन (Halogenation)-ऐनिलीन कमरे के ताप पर ही ब्रोमीन जल से अभिक्रिया करके 2,4,6-ट्राइब्रोमोऐनिलीन का श्वेत अवक्षेप देती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 75
ऐनिलीन की इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति अधिक क्रियाशीलता के कारण प्रतिस्थापन आर्थो तथा पैरा दोनों स्थितियों पर हो जाता है। जब ऐनिलीन का एकल हैलो प्रतिस्थापी व्युत्पन्न बनाना हो तो NH2 समूह के सक्रियण प्रभाव को कम करने के लिए पहले ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड से ऐसिटिलीकरण द्वारा इसको रक्षित (Protect) किया जाता है, इसके पश्चात् प्रतिस्थापन करते हैं और फिर अंत में प्रतिस्थापित ऐमाइड का जल अपघटन किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 76
ऐसिटेनिलाइड की नाइट्रोजन पर स्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म, ऑक्सीजन परमाणु की इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रवृत्ति के कारण इसके साथ अनुनाद में भाग लेता है जिससे नाइट्रेजन के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का बेन्जीन वलय की तरफ अनुनाद (+M प्रभाव) कम हो जाता है। इसी कारण – NHCOCH3 समूह का सक्रियण प्रभाव, – NH2 समूह से कम होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 77

C. नाइट्रीकरण (Nitration ) – नाइट्रीकारक मिश्रण (सान्द्र HNO3 + सान्द्र H2SO4) में उपस्थित सान्द्र HNO3 ऑक्सीकारक होता है अतः ऐनिलीन के सीधे नाइट्रीकरण में नाइट्रोव्युत्पन्नों के साथ ऑक्सीकरण उत्पाद भी बनते हैं तथा ऐनिलीन H2SO4 से प्रोटोन ग्रहण करके ऐनिलीनियम आयन बना देती है जिसके m – निर्देशी प्रभाव के कारण o- तथा p- उत्पादों के साथ m – उत्पाद भी अपेक्षित मात्रा से अधिक बन जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 78

अतः ऐनिलीन की नाइट्रीकरण अभिक्रिया को नियंत्रित करने के लिए पहले, (CH3CO)2O के साथ क्रिया द्वारा – NH2 समूह का रक्षण (Protection) करते हैं इसके पश्चात् नाइट्रीकरण करके प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने से पैरानाइट्रोऐनिलीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है।

D. हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया या आइसोसायनाइड परीक्षण-ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों को क्लोरोफ़ार्म तथा एथेनॉलिक KOH या NaOH के साथ गर्म करने पर तीक्ष्ण दुर्गधधयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड अथवा कार्बिलऐमीन बनता है इसे हॉफमान कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन में यह अभिक्रिया नहीं होती तथा यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीनों के परीक्षण में प्रयुक्त की जाती है।
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प्रश्न 9.
(अ) ऐनिलीन एवं N मेथिल ऐनिलीन में विभेद के लिए एक रासायनिक समीकरण दीजिए।
(ब) डाइमेथिल ऐमीन मेथिल ऐमीन से प्रबल क्षार है । (कारण दीजिए)
(स) ऐनिलीन से कैसे प्राप्त करेंगे – (केवल समीकरण दीजिए)
(i) 2, 4, 6- ट्राइब्रोमोऐनिलीन?
(ii) बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड ?
उत्तर:
(अ) ऐनिलीन (1° – ऐमीन) CHCI, तथा क्षार के साथ कार्बिल ऐमीन परीक्षण देता है जबकि N- मेथिल ऐनिलीन (2°- ऐमीन) कार्बिल ऐमीन परीक्षण नहीं देती।
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(ब) डाइमेथिल ऐमीन, मेथिल ऐमीन से प्रबल क्षार है क्योंकि डाइमेथिल ऐमीन (2°) में दो मेथिल समूहों के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I प्रभाव) के कारण नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है अतः इसकी इलेक्ट्रॉन युग्म देने की प्रवृत्ति अधिक होती है।

(स)
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प्रश्न 10.
(अ) निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में X तथा Y को पहचानिए एवं प्रयुक्त दोनों अभिक्रियाओं के नाम भी लिखिए-
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(ब) ऐल्केनेमीन अमोनिया से प्रबल क्षारक है। कारण दीजिए।
उत्तर:
(अ) RCONH2 + Br2 + 4 NaOH → RNH2 + Na2CO3 + 2NaBr + 2H2O
यहाँ X = R-NH2 ( प्राथमिक ऐमीन) इस अभिक्रिया को हॉफमान ब्रोमामाइड निम्नीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 84
इस अभिक्रिया को कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया कहते हैं।

(ब) ऐल्केनेमीन, अमोनिया से प्रबल क्षारक है क्योंकि ऐल्केनेमीन में उपस्थित ऐल्किल समूह की इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रकृति के कारण यह इलेक्ट्रॉन युग्म को नाइट्रोजन की ओर प्रतिकर्षित करता है इससे नाइट्रोजन के असहभाजित इलेक्ट्रॉन युग्म की प्रोटॉन से साझेदारी के लिए उपलब्धता बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त ऐमीन से प्राप्त हुआ प्रतिस्थापित अमोनियम आयन, ऐल्किल समूह + I प्रभाव के कारण आवेश के वितरण द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है।

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प्रश्न 11.
निम्नलिखित की संरचना लिखिए-
(i) प्रोप-2-ईन-1-ऐमीन
(ii) N-मेथिल ऐथेनैमीन
(iii) 2-ऐमीनो टॉलुईन
उत्तर:
(i) CH2 = CH – CH2 – NH2
(ii) CH3 – CH2 – NH – CH3
(iii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 85

प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के मुख्य उत्पाद लिखिए-
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उत्तर:
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प्रश्न 13.
(i) निम्नलिखित यौगिकों की जल में विलेयता का आरोही क्रम लिखिए-
C6H5NH2, (C2H5)2NH, C2H5NH2
(ii) निम्नलिखित यौगिकों को क्षारीय प्रबलता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
C6H5NH2, C6H5NHCH3, C6H5CH2NH2
उत्तर:
(i) जल में विलेयता का आरोही क्रम
C6H5NH2 < (C2H5)2 NH < C2H5NH2

(ii) क्षारीय प्रबलता का बढ़ता क्रम
C6H5NH2 < C6H5NHCH3 < C6H5CH2NH2

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिवर्तन किस प्रकार करेंगे ? समीकरण दीजिए।
(i) नाइट्रोबेन्जीन से ऐनिलीन
(ii) एथेनॉइक अम्ल से मेथेनैमीन
(iii) ऐनिलीन से N – फेनिलएथेनैमाइड
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 88

प्रश्न 15.
हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
किसी ऐमाइड की NaOH या KOH के जलीय अथवा ऐथेनॉलिक विलयन में ब्रोमीन से अभिक्रिया कराने पर प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होती है। इसे हॉफमान ब्रोमाइड अभिक्रिया कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 88a

प्रश्न 16.
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड की फ़ीनॉल के साथ युग्मन अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड की फीनॉल के साथ अभिक्रिया कराने पर युग्मन द्वारा p-हाइड्रॉक्सीऐजोबेन्जीन बनता है जो कि एक ऐजोरंजक है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 89

प्रश्न 17.
(i) ऐलीफैटिक एवं (ii) ऐरोमैटिक प्राथमिक एमीनों की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
(i) ऐलीफैटिक प्राथमिक ऐमीन की नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया से मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्केनॉल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 90

(ii) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया द्वारा जीन डाइजोनियम लवण प्राप्त होता है।
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प्रश्न 18.
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 92 का IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
N, N-डाइएथिल ब्यूटेन-1-ऐमीन

प्रश्न 19.
क्या होता है जब बेंजीन डाइएजोनियम क्लोराइड की अभिक्रिया पोटेशियम आयोडाइड से कराई जाती है? (केवल अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।)
उत्तर:
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प्रश्न 20.
अधोलिखित यौगिकों को उनके बढ़ते हुए क्षारीय सामर्थ्य के क्रम में व्यवस्थित कर कारण स्पष्ट कीजिए-
C2H5NH2, NH3, C6H5NH2
उत्तर:
उपर्युक्त यौगिकों के क्षारीय सामर्थ्य का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
C2H5NH2 < NH3 < C6H5NH2
C6H5NH2(ऐनिलीन) में नाइट्रोजन पर उपस्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म का बेन्जीन वलय के साथ संयुग्मन (अनुनाद ) (+ M प्रभाव) हो जाता है। अतः यह प्रोटोन ग्रहण करने के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है इसलिए इसकी क्षारीय सामर्थ्य NH3 से कम होती है जबकि C2H5NH2 में एथिल समूह (C2H5-) के इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रभाव (+I प्रभाव ) के कारण नाइट्रोजन का एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म आसानी से प्रोटोन ग्रहण कर लेता है तथा इससे प्राप्त प्रतिस्थापित अमोनियम आयन में आवेश का वितरण हो जाता है जिससे वह स्थायी हो जाता है अतः एथिल एमीन (C6H5NH2) की क्षारीय सामर्थ्य, NH3 से अधिक होती है।

प्रश्न 21.
आणिकक सूत्र C7H7ON का एक ऐरोमैटिक यौगिक ‘A’ नीचे दिखाई गई एक अभिक्रिया श्रेणी में जाता है। निम्नलिखित अभिक्रियाओं में A, B, C, D और E की संरचनाएँ लिखिए :
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 94
अथवा
(a) जब ऐनिलीन निम्नलिखित अभिकारकों के साथ अभिक्रिया करता है तो प्राप्त उत्पादों की संरचनाएँ लिखिए :
(i) Br2 जल
(ii) HCl
(iii) (CH3CO)2O / पिरिडीन

(b) निम्नलिखित को उनके क्वथनांक के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए :
C2H5NH2, C2H5OH, (CH3)3 N

(c) यौगिकों के निम्नलिखित युग्म में अन्तर करने के लिए एक सामान्य रासायनिक जाँच दीजिए :
(CH3)2 – NH और (CH3)3N
उत्तर:
दिए गए ऐरोमैटिक यौगिक C7H7ON की अभिक्रिया श्रेणी निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 95
अतः
A = C6H5CONH2 बेन्जैमाइड
B = C6H5N2Cl बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड
C = C6H5CN फेनिल सायनाइड
D = C6H5NC फेनिल आइसोसायनाइड
E = C6H5OH फीनॉल
अथवा
(a)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 13 ऐमीन 96
(b) क्वथनांक का बढ़ता क्रम-
(CH3)3N < C2H5NH2 < C2H5OH

(c) (CH3)2NH (\({ }_2^{\circ}\)-ऐमीन) हिन्सबर्ग अभिकर्मक से अभिक्रिया करती है लेकिन (CH3)3 N (\({ }_3^{\circ}\)-ऐमीन) हिन्सबर्ग अभिकर्मक से अभिक्रिया नहीं करती। अतः हिन्सबर्ग अभिकर्मक की सहायता से इनमें अन्तर किया जा सकता है।

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