Author name: Prasanna

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 2 जीव जगत का वर्गीकरण

प्रश्न 1.
वर्गीकरण की पद्धतियों में समय के साथ आये परिवर्तनों की व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
अरस्तू (Aristotle) ने जीवधारियों को जन्तु तथा पादप में वर्गीकृत किया। इन्होंने जन्तुओं को पुनः इनैइमा (Enaima) तथा ऐनैइमा ( Anaima) में तथा पादपों को शाक, झाड़ी एवं वृक्ष में विभाजित किया। लीनियस ने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी में जीवधारियों को दो जगतों प्लांटी तथा एनीमेलिया में बाँटा । इनकी इस प्रणाली को द्विजगत प्रणाली कहते हैं। इनके द्वारा प्रतिपादित जन्तु जगत में एककोशिकीय प्रोटोजोआ एवं बहुकोशिकीय जन्तुओं को सम्मिलित किया गया। पादप जगत में सभी हरे पौधे मॉस, समुद्री घास, मशरूम, लाइकेन, कवक तथा जीवाणु को रखा गया है।

द्विजगत पद्धति में प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक जीवों को एक साथ रखा गया है। इसमें हरे पादपों एवं कवकों को एककोशिकीय तथा बहुकोशिकीय जीवों को तथा प्रकाशसंश्लेषी एवं अप्रकाशसंश्लेषी जीवों को एक साथ रखा गया। युग्लीना, माइकोप्लाज्मा आदि को कुछ वैज्ञानिक जन्तु जगत में और कुछ पादप जगत में मानते हैं। इसलिए जीव वैज्ञानिक हैकल (Hacckel; 1886) ने एक तीसरे जगत प्रोटिस्टा की स्थापना की। इसमें जीवाणु कवक, शैवाल तथा प्रोटोजोआ को रखा गया। आर. एच. डीटेकर (R. H. Whittaker) ने दो जगत एवं तीन जगत पद्धतियों को दोषमुक्त करने के लिये पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली स्थापित की। इन्होंने जीवधारियों को पाँच जगतों –
(i) मोनेरा
(ii) प्रोटिस्टा
(ii) फंजाई
(iv) प्लान्टी तथा
(v) एनीमेलिया में वर्गीकृत किया। यह वर्गीकरण कोशिका के प्रकार, कोशिकीय या शारीरिक संगठन, पोषण, पारिस्थितिक भूमिका (coological role ) एवं जातिवृत्तीय सम्बन्धों पर आधारित है।

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rRNA के क्रमों (sequences) में समानता के आधार पर कार्ल वीज (Corl Woese) ने तीन डोमेन वर्गीकरण दिया है जिसमें सभी जीवों को डोमेन वैक्टीरिया, डोमेन आर्किया तथा डोमेन यूकैरिया में विभाजित किया है। पाँच जगत वर्गीकरण के जगत् प्रोटिस्टा, फंजाई प्लाण्टी व एनीमेलिया जगत से बड़े संवर्ग डोमेन में सम्मिलित किए गए हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित के बारे में आर्थिक दृष्टि से दो महत्वपूर्ण उपयोगों को लिखिए-
(क) परपोषी बैक्टीरिया (Heterotrophic bacteria)
(ख) आद्य बैक्टीरिया (Archebacteria)
उत्तर:
(क) परपोषी बैक्टीरिया (Heterotrophic Bacteria) – इसके आर्थिक उपयोग निम्नलिखित हैं-
(i) लैक्टोबेसीलस दूध से दही बनाने में तथा अन्य दुग्ध उत्पाद बनाने में प्रयुक्त होते हैं स्ट्रेप्टोमाइसिस से एंटीबायोटिक्स बनती हैं।
(ii) बेसीलस यूरिन्जिएंसिस से प्राप्त जीन को कीटनाशक प्रतिरोधकता हेतु प्रयोग किया जाता है।

(ख) आद्य बैक्टीरिया (Archebacteria) ये विशिष्ट प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं। मीथेनोजन जुगाली करने वाले पशुओं (जैसे- गाय, भैंस) की आन्त्र में पाये जाते हैं, तथा
(i) मेथेन गैस (बायोगैस का उत्पादन होता है।
(ii) वाहितमल उपचार (sewage treatment) में प्रयोग किए जाते हैं।

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प्रश्न 3.
डाएटम की कोशिका भित्ति के क्या लक्षण हैं ?
उत्तर:
डाएटम्स (Diatoms) एककोशिकीय प्रकाश संश्लेषी प्रोटिस्ट होते हैं। इनमें कोशिका भित्ति (cell wall) साबुनदानी की भाँति दो अतिछादित कवच (overlapped shell) बनाती है। कोशिका भिति में सेल्यूलोस के साथ अत्यधिक मात्रा में सिलिका कण पाये जाते हैं सिलिका की उपस्थिति के कारण इनका अपघटन आसानी से नहीं होता है। इस प्रकार मृत डाएटम्स अपने वातावरण में कोशिका भित्तियों के अवशेष बड़ी संख्या में छोड़ जाते हैं। लाखों वर्षों में जमा हुए इस अवशेष को डाएटमी भृदा कहते हैं। इस मृदा का प्रयोग अग्निसह ईंटें (fire resistant bricks) तथा सौन्दर्य प्रसाधन, पॉलीशिंग बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 4.
‘शैवाल पुष्पन’ (Algal bloom) तथा ‘लाल तरंगें’ (Red-tides) क्या दर्शाती हैं ?
उत्तर:
शैवाल पुष्पन (Algal blooms) जलाशयों एवं पोखरों में जब पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है तो इन पर आश्रित शैवालों की संख्या में भी अपार वृद्धि होती है, इसे शैवाल पुष्पन (algal bloom) कहते हैं। यह शैवाल जल की सतह पर तैरते हैं। इनकी मृत्यु व इनके कार्बनिक पदार्थों पर जीवाणुओं की वृद्धि से जल दुर्गन्धयुक्त हो जाता है तथा यह स्थिति जलाशय के सुपोषीकरण (eutrophication) को जन्म देती है। इससे मछलियों की मृत्यु हो जाती है तथा यह जलाशय में जहरीले पदार्थ भी मुक्त करते हैं 1

लाल तरंगें (Red-tides) – प्रोटिस्ट डाएनोफ्लैजेलेट की संख्या में कभी इतनी वृद्धि होती है कि इन एककोशिकीय जीवों की संख्या एक मिमी. में 30000 तक हो जाती है। ऐसे ही डाएनोफ्लैजेलेट, गोनी आलेक्स (Goryantax) तथा जिम्नोडिनियम ब्रेक्सि (Gymnodinium brevis) के घनत्व में वृद्धि के कारण समुद्र के पानी का रंग लाल हो जाता है, जिसे रेड टाइड (Red tide) कहते हैं। यह एक न्यूरो ऑक्सिन भी बनाता है जिससे मछलियाँ मर जाती हैं।

प्रश्न 5.
वाइरस से वाइरॉइड किस प्रकार भिन्न होते हैं ?
उत्तर:
वाइरस तथा वाइरॉइड में अन्तर (Differences between virus and viroids) –

‘विषाणु (Virus)
1. वाइरस नाभिकीय अम्ल व प्रोटीन कोट के बने होते हैं।
2. इनमें आनुवंशिक पदार्थ DNA या RNA होता है।

वाइरॉइड (Viroid)
ये वाइरस से छोटे होते हैं। इनमें प्रोटीन कोट नहीं होता ।
इनमें आनुवंशिक पदार्थ RNA होता है।

प्रश्न 6.
प्रोटोजोआ के चार प्रमुख समूहों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रोटोजोआ (Protozoans ) –
ये जगत प्रोटिस्टा (Kingdom Protista) के अन्तर्गत आने वाले सुकेन्द्रकीय (eukaryotic), सूक्ष्मदर्शीय, एककोशिकीय, परपोषी तथा सरलतम जन्तुओं का समूह है। इनके चार समूह निम्न प्रकार हैं-

1. अमीबीय प्रोटोजोआ (Amoebic Protozoa) – ये स्वच्छजलीय या समुद्री प्रोटोजोअन्स हैं। इसके कुछ सदस्य गीली मृदा में भी पाये जाते हैं। समुद्री या लवणीय प्रोटोजोअन्स की सतह पर सिलिका का कवच पाया जाता है। प्रचलन कूटपादों (pseudopodia) की सहायता से होता है। एन्टअमीबा हिस्टोलाइटिका (Entamoeba histolytica) परजीवी प्रोटोजोआ है जो अमीबिक पेचिश (amoebic dysentery) रोग उत्पन्न करता है। उदाहरण- अमीबा (Amoeba) ।

2. कशाभी प्रोटोजोआ (Flagellate या Zooflagellates ) – इस समूह के सदस्य प्रायः परजीवी होते हैं। प्रचलन कशाभिकाओं (flagella) द्वारा होता है। ट्रिपेनोसोमा (Trypanosoma), कशाभी प्रोटोजोआ परजीवी होता है और अफ्रीकी निद्रालु रोग (african sleeping sickness) उत्पन्न करता है। लीशमानिया (Leishmania) से काला अजार रोग होता है।

3. पक्ष्माभी प्रोटोजोआ (Ciliate protozoans ) – इस समूह के सदस्य जलीय होते हैं। इनके सम्पूर्ण शरीर पर पक्ष्माभ (cilia) पाये जाते हैं। शरीर पर प्रोटीन का बना एक दृढ़ मगर लचीला आवरण होता है जिसे पेलिकल कहते हैं। पक्ष्माभों की तालबद्ध ( rythmic) गति के कारण भोजन कोशिका मुख में पहुँचता है। उदाहरण- पैरामीशियम (Paramecium)

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4. स्पोरोजोआ प्रोटोजोआ (Sporozoa Protozoa)- ये अन्तःपरजीवी होते हैं जो अन्य जीवों की कोशिका या ऊतकों में पाये जाते हैं। इनमें प्रचलन अंगों का अभाव होता है। इनका जीवन वृत्त जटिल अलैंगिक जनन बहुविभाजन द्वारा होता है। इनमें प्रायः बीजाणु जनन होता है। मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम (Plasmodium) इस समूह का प्रमुख सदस्य है जो मलेरिया (malaria) रोग उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.
पादप स्वपोषी हैं। क्या आप ऐसे कुछ पादपों को बता सकते हैं जो आंशिक रूप से परपोषित हैं ?
उत्तर:
परजीवी पौधे (Parasitic plants) – ये पौधे पूर्ण या आंशिक परजीवी होते हैं जो दूसरे पौधों से भोजन प्राप्त करते हैं। अमरबेल (Cuscata), रैपलीशिया (Rafflesia), गठवा (Orobanche) पूर्ण परजीवी पौधे हैं। चन्दन (Santalum ), विस्कम (Viscum), अपूर्ण या आंशिक परजीवी हैं। निओशिया (Neotia), मोनोट्रोपा (Monotropa) मृतोपजीवी पौधे हैं। नेपेन्थीज (Nepenthes), ड्रासेरा (Drosera), यूटीकुलेरिया (Utricularia) कीटाहारी पौधे हैं।

प्रश्न 8.
शैवालांश तथा कवकांश शब्दों से क्या पता चलता है ?
उत्तर:
शैवालांश ( Phycobionts) तथा कवकांश (Mycobionts), लाइकेन्स (Lichens) के दो जैविक घटक हैं। शैवाल तथा कवक दोनों घटक मिलकर एक सहजीवी संरचना लाइकेन बनाते हैं। लाइकेन का शैवालांश या शैवाल घटक, प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करता है और स्वपोषी भाग कहलाता है। कवकोश, शैवाल घटक को सुरक्षा प्रदान करता है तथा खनिज एवं जल अवशोषण करके शैवाल को उपलब्ध कराता है।

प्रश्न 9.
कवक (फंजाई) जगत के वर्गों का तुलनात्मक विवरण निम्नलिखित बिन्दुओं पर कीजिए-
(क) पोषण की विधि,
(ख) जनन की विधि
उत्तर:
कवक (फंजाई) जगत के प्रमुख वर्गों का तुलनात्मक विवरण –

फाइकोमाइसिटी (Phycomycetes) वर्गएस्कोमाइसिटीज (Ascomycetes) वर्गबेसीडियोमाइसिटीज (Basidiomycetes) वर्ग 

ड्यूटेरोमाइसिटीज (Deuteromycetes) वर्ग

(क) पोषण विधि के आधार पर
1. इस वर्ग के सदस्य उच्च पादपों पर अविकल्पी परजीवी (obligate parasite) होते हैं। उदाहरण मृतजीवी- राइजोपस परजीवी – एल्ब्यूगोइस वर्ग के सदस्य मृतजीवी, अपघटक, परजीवी या शमलरागी (coprophilous) होते हैं। उदाहरण मृतजीवी- मौर्केला, परजीवी क्लेवीसेप्स परप्युरियाइस वर्ग के सभी सदस्य मृतजीवी (Saprabiotic) या (Parasitic ) होते हैं। उदाहरण मृतजीवी – एगेरिकस परजीवी-सक्सीनिआइस वर्ग के सदस्य भी मृतजीवी या परजीवी होते हैं।

उदाहरण परजीवी – अल्टरनेरिया

(ख) जनन की विधि के आधार पर
2. इनमें अलैंगिक जनन चल बीजाणुओं (zoospores) द्वारा होता है। ये बीजाणुधानी में अन्तर्जातीय उत्पन्न होते हैं।इनमें अलैंगिक जनन कोनीडिया (conidia) द्वारा होता है।इनमें लैंगिक बीजाणुओं का निर्माण प्रायः नहीं होता है।इनमें कोनिडिया द्वारा केवल अलैंगिक जनन होता है।
3. लैंगिक जनन (plasmogamy) समयुग्मकी असमयुग्मकी अथवा विषमयुग्मकी हो सकता है।लैंगिक अवस्था के बीजाणु एस्कोस्पोर कहलाते हैं जो एस्कस में अन्तर्जात (endogenously) रुप से बनते हैं। n +n अवस्था पाई जाती है।लैंगिक जनन के बीजाणु बैसिडियोस्पोर कहलाते हैं जो बैसीडियम पर बहिर्जात ( exogenously) रुप से बनते हैं। अवस्था (द्विकेन्द्रक प्रावस्था) n + n पाई जाती है।लैंगिक जनन ज्ञात नहीं है।
4. युग्मक संलयन करके युग्माणु बनाते हैं।‘ऐस्कोकार्प (फलनकाय) बनते हैं।इसके फलनकाय को बैसीडियोकार्प कहते हैं।इनमें फलनकाय का निर्माण नहीं होता है।

प्रश्न 10.
युग्लीनॉइड के विशिष्ट चारित्रिक लक्षण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
युग्लीनॉइड के चारित्रिक लक्षण (Characteristic Features of Euglenoids) –
1. इनके अधिकांश सदस्य स्वच्छ तथा स्थिर जल ( stagnant water) में पाये जाते हैं।
2. इनमें कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती किन्तु शरीर पर लचीला, प्रोटीनयुक्त रक्षात्मक आवरण पेलीकल (pellicle) पाया जाता है।
3. इनमें एक चाबुक के समान कशाभ पाया जाता है।
4. उच्च पादपों के समान प्रकाश संश्लेषी वर्णक (pigments) पाये जाते हैं।
5. ये स्वपोषी या जन्तु समभोजी होते हैं। यह इनका एक अनूठा व विशिष्ट गुण है। अतः इन्हें जन्तु एवं पादप के बीच एक कड़ी के रूप में माना जाता है।
उदाहरण: युग्लीना (Euglena)

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प्रश्न 11.
संरचना तथा आनुवंशिक पदार्थ की प्रकृति के सन्दर्भ में वाइरस का संक्षिप्त विवरण दीजिये। वाइरस से होने वाले चार रोगों के नाम भी लिखिए।
उत्तर:
विषाणु (Virus):
ये अतिसूक्ष्म जीवित कण हैं, जो केवल नाभिकीय अम्ल तथा प्रोटीन के बने होते हैं। प्रत्येक वाइरल कण में DNA या RNA का बना एक केन्द्रीय कोर (Core) होता है जो प्रोटीन के एक खोल कैप्सिड (capsid) द्वारा घिरा होता है। किसी भी वाइरस में DNA तथा RNA दोनों एक साथ नहीं पाये जाते हैं। प्रोटीन आवरण छोटी-छोटी उप इकाइयों से बना होता है जिन्हें कैप्सोमीअर कहते हैं। यह गोल, बहुभुजी, छड़ाकार, टैडपोल के आकार के हो सकते हैं।

सभी पादप विषाणुओं में एकरज्जुकी (single stranded ) RNA तथा सभी जन्तु विषाणुओं में एक अथवा द्विरज्जुकी RNA अथवा DNA होता है। जीवाणुभोजी (Bacteriophage) में द्विरज्जुकी (double stranded) DNA होता है। विषाणुओं से होने वाले रोग (Disease caused by virus) – मनुष्य में विषाणुओं द्वारा – एड्स (AIDS), इन्फ्लुएंजा (influenza), मम्प्स (mumps ), हिपेटाइटिस (hepatitis) आदि तथा पादपों में पौधों का मोजैक टमाटर का पूर्ण वेलन, केला का बन्ची टॉप पर्ण कुंचन आदि रोग होते हैं।

विषाणुओं से होने वाले रोग (Disease caused by virus) – मनुष्य में विषाणुओं द्वारा – एड्स (AIDS), इन्फ्लुएंजा (influenza ), मम्प्स (mumps), हिपेटाइटिस ( hepatitis) आदि तथा पादपों में पौधों का मोजैक टमाटर का पर्ण वेलन, केला का बन्ची टॉप, पर्ण कुंचन आदि रोग होते हैं।

प्रश्न 12.
अपनी कक्षा में इस शीर्षक ‘क्या वाइरस सजीव है अथवा निर्जीव पर चर्चा करें।
उत्तर:
विषाणुओं को सजीव तथा निर्जीव के बीच की कड़ी माना जाता है। निर्जीव पदार्थ की तरह क्रिस्टलीकृत किए जा सकने योग्य विषाणुओं में जीवाधारियों के विभेदक लक्षण जैसे – कोशिकीय संरचना, उपापचय आदि नहीं पाये जाते हैं। अतः इस दृष्टि से यह जीवों की श्रेणी में सम्मिलित नहीं किए जा सकते हैं लेकिन चूंकि इनमें पोषक कोशिकीओं के अन्दर गुणन (Multiplication) प्रजनन की क्षमता होती है अतः इन्हें जीव मानना उचित प्रतीत होता है। कुछ वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि विषाणु अत्यधिक विकसित जीव हैं जिनमें अनेक जैविक गुणों का ह्रास हो गया है। यह पोषक कोशिका के आनुवंशिक पदार्थ पर नियन्त्रण कर उसके उपापचय को अपने हित में प्रयोग करते हैं।

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Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 1 जीव जगत Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
जीवों को वर्गीकृत क्यों करते हैं ?
उत्तर:
हमारी पृथ्वी पर जीवधारियों की 17 से 18 लाख जातियाँ ज्ञात हैं। अनेक नयी जीव जातियों की खोज प्रतिवर्ष कर ली जाती है। जीवधारियों की इस विशाल संख्या का व्यक्तिगत रूप से अध्ययन करना असम्भव है। इसलिए हमें इनकी समानताओं, असमानताओं एवं लक्षणों के आधार पर छोटे-छोटे समूहों दिया जाता है। किसी भी समूह के एक सदस्य का अध्ययन उस समूह के सम्पूर्ण सदस्यों का प्रतिनिधिक अध्ययन होता है।
अतः वर्गीकरण जीवधारियों की पहचान व उनके सुव्यवस्थित अध्ययन के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 2.
वर्गीकरण प्रणाली को बार-बार क्यों बदलते हैं ?
उत्तर:
विज्ञान के क्षेत्र में हुई उन्नति से जीवधारियों से सम्बन्धित नये तथ्यों की खोज होती है जिससे उनके बीच के सम्बन्धों को पुनः परिभाषित किया जाता है। नये जीव व जीवाश्मों की खोज से भी नई जानकारी प्राप्त होती है। कोशिका की परारचना के ज्ञान के बाद ही प्रोकैरियोटिक नील हरित शैवाल (साएनोबैक्टीरिया) को शैवालों से अलग वर्गीकृत किया गया। वर्गीकरण का आधार अब अधिक व्यापक व वैज्ञानिक है।

प्रश्न 3.
जिन लोगों से आप प्राय मिलते रहते हैं आप उनको किस आधार पर वर्गीकृत करना पसन्द करेंगे ?
(संकेत ड्रेस मातृभाषा, प्रदेश जिसमें वे रहते हैं, आर्थिक स्तर आदि)
उत्तर:
यह वर्गीकरण वैज्ञानिक आधार वाला नहीं होगा। फिर भी आस-पास के व्यक्तियों को उनकी मातृभाषा के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, क्योंकि पहनावा तथा आर्थिक स्तर बदला जा सकता है। चूंकि प्रश्न में आस-पास के लोगों की बात कही गयी है अतः सभी उसी प्रदेश के होंगे। दूसरे शब्दों में हम अपने आस-पास के लोगों का वर्गीकरण प्रश्न में दिये गये लक्षणों के आधार पर कर सकते हैं हमारे देश के विभिन्न राज्यों की वेशभूषा में काफी अन्तर देखने को मिलता है जैसे कश्मीरी लिबास, बंगाली लिबास आदि विभिन्न राज्यों एवं सूबों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती है जैसे-बंगाली, पंजाबी, मराठी आदि प्रदेशों के आधार पर भी लोगों को वर्गीकृत किया जा सकता है जैसे-पहाड़ी क्षेत्र के लोग, मैदानी क्षेत्र के लोग आर्थिक स्तर पर लोगों का वर्गीकरण धनी, मध्यम एवं निर्धन के रूप में किया जा सकता है। यदि लोगों को उपरोक्त लक्षणों के आधार पर वर्गीकृत करना पड़े तो इन्हें प्रदेश के आधार पर वर्गीकृत करना अधिक उचित होगा, क्योंकि ड्रेस, भाषाएँ एवं आर्थिक स्तर प्रवसन (migration) होने पर बदल सकते हैं।

प्रश्न 4.
व्यट्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
व्यष्टि (Individual) तथा समष्टि (poulation)- जीवधारियों का वह समूह जो प्रकृति में परस्पर जनन करके प्रजनन सक्षम सन्तान उत्पन्न कर सकते हैं, प्रजाति (Species) कहलाता है। जब एक ही जाति के सदस्य विभिन्न भौगोलिक आवासों तथा पर्यावरण में रहते हैं तो इनके रंग, रूप, आकार एवं व्यवहार में बदलाव आ जाते हैं, ऐसे समूह को समष्टि या आबादी (population) कहते हैं। व्यष्टि तथा समष्टि की पहचान से हमें उस प्रजाति विशेष के लक्षणों के अध्ययन का अवसर मिलता है।

प्रश्न 5.
आम का वैज्ञानिक नाम निम्नलिखित है ? इसमें से कौन-सा सही है ?
(i) मैजीफेरा इंडिका (Mangifera Indica )
(ii) मैजीफेरा इंडिका (Mangifera indica)
उत्तर:
आम का सही वैज्ञानिक नाम मैजीफेरा इंडिका (Mangifera indica) है। वंश का प्रथमाक्षर अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षर (Capital letter) तथा जाति का प्रथमाक्षर अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे तथा शेष सभी अधर वर्णमाला के छोटे अक्षरों (Small letters) में लिखे जाते हैं। दोनों ही शब्दों को टेड़ा छापा जाता है।

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प्रश्न 6.
टैक्सान की परिभाषा दीजिए। विभिन्न पदानुक्रम स्तर पर टैक्सा के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वर्गक (Taxon) वर्गीकरण की श्रेणियों (categories) अर्थात् संवर्गों जैसे- वंश, कुल वर्ग आदि से प्रत्यक्ष जीव का ज्ञान नहीं होता, लेकिन वर्गक (Taxon) किसी जीव जीव समूह का प्रत्यक्ष प्रदर्शन करते हैं। यह किसी भी श्रेणी या संवर्ग के हो सकते हैं। जैसे-बिल्ली (cat) एक वर्गक (Taxon) है व इसका स्तर कुल हैं। यह किसी श्रेणी या संवर्ग के हो सकते हैं। जैसे-बिल्ली (cat) एक वर्गक (Taxon) है व इसका कुल है। इसी प्रकार स्तनधारी (Mammal) एक वर्ग श्रेणी का वर्गक है। अर्थात् एक वर्गक जीवों का एक समूह है जो किसी श्रेणी या संवर्ग में पाया जाता है उसे भरता है।

प्रश्न 7.
क्या आप वर्गिकी संवर्ग का सही क्रम पहचान सकते हैं ?
(अ) जाति (स्पीशीज) → गण (आर्डर) → संघ (फाइलम) → जगत (किंगडम)
(ब) वंश (जीनस) → गण → जागत
(स) जाति →वंश गण → संघ
उत्तर:
सही वर्गिकी संवर्ग है-
जाति (Species) वंश (Genus) कुल (Family) गण (Order) वर्ग (Class) संघ (Phylum) (Kingdom)।
चूंकि वैज्ञानिक नाम में प्रजाति तथा वंश दोनों का नाम शामिल होना जरुरी है अतः उपर्युक्त विकल्पों में से ‘स’ को सही माना जा सकता है। ‘अ’ विकल्प में वंश का नाम नहीं दिया है।

प्रश्न 8.
जाति शब्द के सभी मानवीय वर्तमान कालिक अर्थों को एकत्र कीजिये क्या आप अपने शिक्षक से उच्चकोटि के पौधों तथा प्राणियों तथा बैक्टीरिया की स्पीशीज का अर्थ जानने के लिए चर्चा कर सकते हैं ?
उत्तर:
जाति की अवधारणा (Concept of Species) जीवधारियों के लिए जाति (Species) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जॉन रे (John Ray) ने किया। जाति वर्गीकरण एवं जैव विकास दोनों की ही मूलभूत इकाई (basic unit) है अतः जाति ऐसे जीवों का समूह है जिनकी संरचना एवं कार्यों में अत्यधिक समानता होती है। जाति के सदस्य आपस में प्राकृतिक रूप से प्रजनन करने में सफल होते हैं तथा इनका विकास एक ही पूर्वज (ancestor) से होता है। मायर (Mayr 1942) के अनुसार, “जाति आपस में प्रजनन करने वाले एक समान जीवों का समूह

प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों को समझिए तथा परिभाषित कीजिये-
(i) संघ
(ii) वर्ग
(iii) कुल
(iv) गण
(v) वंश
उत्तर:
(i) संघ (Phylum) आपस में सम्बन्धित विभिन्न वर्गों का समूह संघ कहलाता है। जैसे—मत्स्य उभयचर, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी वर्ग को उच्च संवर्ग संघ-कोटा (Phylum chordata) में रखते हैं।

(ii) वर्ग (Class) अनेक आपस में सम्बन्ध रखने वाले गण (Orders) का समूह वर्ग (Class) कहलाता है। उदाहरणार्थ कृन्तक जन्तुओं का गण रोडेशिया (Rodentia), समुद्री स्तनधारियों का गण सिटेसिया (Cetacea), उड़ने वाले स्तनधारियों का गण काइरोप्टेरा (Chiroptera), माँसाहारी शक्तिशाली स्तनधारियों का गण कार्निवोरा (Carnivora) बुद्धिमान स्तनधारियों का गम प्राइमेट्स (Primates) आदि सभी वर्ग स्तनधारी (Class-mammalia) में सम्मिलित हैं।

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(iii) कुल (Family) – यह अनेक सम्बन्धित वंशों (Genera) का समूह है। उदाहरणार्थ, सोलेनम (Solanum), पिटूनिया (Petunia) तथा क्रा (Datura) वंशों को कुल सोलेनेसी (Solanaceae) में सम्मिलित किया गया है।

(iv) गण (Order) आपस में कुछ समानताएँ रखने वाले विभिन्न कुलों के सदस्यों को एक गण ( Order) में सम्मिलित किया जाता है अर्थात गण समानता प्रदर्शित करने वाले अनेक कुलों का समूह है। जैसे—कार्नियोरा (Carnivora) गण में फैलिडी (Felidae) तथा कैनिडी (Canidae) कुलों को रखा गया है। गण, कुल की अपेक्षा कम समानता दर्शाते हैं।

(v) वंश (Genus) – यह सम्बन्धित जातियों का संवर्ग (Category) है। उदाहरणार्थ- बैंगन, आलू, मकोय आदि अलग-अलग जातियाँ हैं किन्तु इन सभी को एक ही वंश सोलेनम (Solanum) में रखा गया है।

प्रश्न 10.
जीव के वर्गीकरण तथा पहचान में कुंजी किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर:
कुंजी (key) वर्गिकी सहायता साधनों में एक अन्य साधन सामग्री है। इसका प्रयोग समानताओं तथा असमानताओं पर आधारित होकर पौधों तथा जन्तुओं की पहचान में किया जाता है यह तुलनात्मक लक्षणों पर आधारित होती है वर्गिकी संवर्ग प्रत्येक श्रेणी, जैसे—जाति, वंश, कुल, गण, वर्ग, संघ के लिए अलग-अलग कुंजियों का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
पौधों व प्राणियों के उचित उदाहरण देते हुए वर्गिकी पदानुक्रम का चित्रण कीजिए।
उत्तर:
वनस्पति जगत का उदाहरण
तुलसी (Holy basil)
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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 9 ठोसों के यांत्रिक गुण

प्रश्न 1.
4.7m लम्बे व 3.0 x 10-5 m2 अनुप्रस्थ काट के स्टील के तार तथा 3.5 m लम्बे व 4.0 x 10-5 m2 अनुप्रस्थ काट के ताँबे के तार पर दिए गए समान परिमाण के भारों को लटकाने पर उनकी लम्बाइयों में समान वृद्धि होती है। स्टील तथा ताँबे के यंग प्रत्यास्थता गुणांकों में क्या अनुपात है?
उत्तर:
यंग प्रत्यास्थता गुणांक
Y = \(\frac{\mathrm{F} / \mathrm{A}}{\Delta \mathrm{L} / \mathrm{L}}=\frac{\mathrm{FL}}{\mathrm{A} \Delta \mathrm{L}}\)
समान भार F तथा समान वृद्धि (∆L) के लिए
Y α \(\frac{\mathrm{L}}{\mathrm{A}}\)
अतः
\(\frac{\mathrm{Y}_s}{\mathrm{Y}_c}=\frac{\mathrm{L}_s}{\mathrm{~L}_c} \times \frac{\mathrm{A}_c}{\mathrm{~A}_s}\)
∵ L, = 4.7m, A = 3.0 x 10-5 m2
L = 3.5m,
Ac = 4.0 x 10-5 m2
∴ \(\frac{Y_s}{Y_c}=\frac{4 \cdot 7}{3 \cdot 5} \times \frac{4 \cdot 0 \times 10^{-5}}{3.0 \times 10^{-5}}=1.8\)
अत:
Ys : Yc = 1.8 : 1

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प्रश्न 2.
चित्र में किसी दिए गए पदार्थ के लिए प्रतिबल विकृति वक्र दर्शाया गया है। इस पदार्थ के लिए (a) यंग प्रत्यास्थता गुणांक, तथा (b) सन्निकट पराभव सामर्थ्य क्या है?

उत्तर:
(a) ग्राफ पर स्थित बिन्दु A पर,
i cy a = 150 x 106 Nm2
तथा
विकृति e = 0.002
∴ यंग प्रत्यास्थता गुणांक Y = \(\frac{\sigma}{\varepsilon}\)
= \(\frac{150 \times 10^6 \mathrm{Nm}^{-2}}{0.002}\)
= 7.5 x 10 1010 Nm2

(b) पराभव सामर्थ्य = ग्राफ के उच्चतम बिन्दु के संगत
प्रतिबल = 300 × 106 Nm2 लगभग

प्रश्न 3.
दो पदार्थों A और B के लिए प्रतिबल – विकृति ग्राफ चित्र 9.20 में दर्शाए गए हैं।

इन ग्राफों को एक ही पैमाना मानकर खींचा गया है।
(a) किस पदार्थ का यंग प्रत्यास्थता गुणांक अधिक है?
(b) दोनों पदार्थों में कौन अधिक मजबूत है?
उत्तर:
(a) ग्राफ A के सरल रेखीय भाग का ढाल, B की अपेक्षा अधिक है। चूँकि सरल रेखीय भाग का ढाल प्रतिबल/विकृति = Y को प्रकट करता है। अतः A का यंग प्रत्यास्थता गुणांक, B की अपेक्षा अधिक है।
(b) पदार्थ A अधिक मजबूत है क्योंकि इसका प्रत्यास्थता गुणांक पदार्थ B से अधिक है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित दो कथनों को ध्यान से पढ़िए और कारण सहित बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य:
(a) इस्पात की अपेक्षा रबर का यंग प्रत्यास्थता गुणांक अधिक है;
(b) किसी कुण्डली का तनन उसके अपरूपण गुणांक से निर्धारित होता है।
उत्तर:
(a) माना स्टील व रबर के दो तार समान लम्बाई L व समान त्रिज्या r के हैं। माना इन पर Mg भार लटकाने से स्टील के तार में वृद्धि
ls व रबर की डोरी की लम्बाई में वृद्धि lR है। यदि स्टील व रबर के यंग प्रत्यास्थता गुणांक क्रमश: Ys व Ypहैं, तो
\(\mathrm{Y}_{\mathrm{S}}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 l_{\mathrm{S}}}\)
तथा
\(\mathrm{Y}_{\mathrm{R}}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 l_{\mathrm{R}}}\)
\(\frac{\mathrm{Y}_{\mathrm{R}}}{\mathrm{Y}_{\mathrm{S}}}=\frac{\mathrm{MgL} / \pi r^2 l_{\mathrm{R}}}{\mathrm{MgL} / \pi r^2 l_{\mathrm{S}}}=\frac{l_{\mathrm{S}}}{l_{\mathrm{R}}}\)
चूँकि रबर की डोरी स्टील के तार के तुलना में समान भार के लिए लम्बाई में अधिक खिंचता है अर्थात् lR > ls अतः स्पष्ट है Ys > YR अर्थात् रबर की अपेक्षा स्टील अधिक प्रत्यास्थ है अतः यह कथन असत्य है।
(b) सत्य; क्योंकि कुण्डली का तनन करने पर न तो लम्बाई में वृद्धि होती है और न ही आयतन में परिवर्तन होता है। चूँकि कुण्डली की आकृति में परिवर्तन होता है।

प्रश्न 5.
0.25cm व्यास के दो तार, जिनमें एक इस्पात का तथा दूसरा पीतल का है चित्र 9.21 के अनुसार भारित हैं। बिना भार लटकाये इस्पात तथा पीतल के तारों की लम्बाइयाँ क्रमश: 1.5m तथा 1.0m हैं। यदि इस्पात तथा पीतल के यंग प्रत्यास्थता गुणांक क्रमशः 2.0 x 1011 Pa तथा 0.91 ×1011 Pa हों, तो इस्पात तथा पीतल के तारों में विस्तार की गणना कीजिए।
उत्तर:
∴ इस्पात के तार के लिए
E = 1.5m,
M = (4.0 + 6.0)
= 10.0kg
r = \(\frac{0 \cdot 25}{2}\) Cm
= 0.125 × 10-2m,
Y1 = 2.0 × 10-2 Pa
\(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{MgL}}{\pi r^2 \Delta \mathrm{L}}\)
\(\Delta \mathrm{L}_1=\frac{10.0 \times 9.8 \times 1.5}{3.14 \times\left(0.125 \times 10^{-2}\right)^2 \times 2.0 \times 10^{11}}\)
= 1.5 x 10-4m
तथा पीतल के तार के लिए,
L = 10m, M = 6.0 kg,
Y2 = 0.91 × 1011Pa

= 1.3 × 10-4 m

प्रश्न 6.
ऐलुमिनियम के किसी घन के किनारे 10 cm लम्बे हैं। इसकी एक फलक किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से कसकर जुड़ी हुई है। इस के सम्मुख फलक से 100 kg का एक द्रव्यमान जोड़ दिया गया है। ऐलुमिनियम का अपरूपण गुणांक 25 GPa है। इस फलक का ऊर्ध्वाधर विस्थापन कितना होगा?
उत्तर:
दिया है : अपरूपण गुणांक η = 25 GPa
= 25 × 109 Nm-2
आरोपित बल का क्षेत्रफल
A = 10 cm x 10 cm
= 100 cm2 = 100 × 10-4m2
आरोपित बल F = 100 kg x 9.8N/kg = 980 N

माना फलक का ऊर्ध्वं विस्थापन = ∆x
जबकि L = 10cm = 0.1m
∴ सूत्र η = \(\frac{(\mathrm{F} / \mathrm{A})}{(\Delta x / \mathrm{L})}\)
फलक का विस्थापन
\(\Delta x=\frac{\mathrm{FL}}{\eta \mathrm{A}}\)
= \(\frac{980 \times 0.1}{25 \times 10^9 \times 100 \times 10^{-4}}\)
= 3.92 × 10-7m
= 4 x 10-7 m

प्रश्न 7.
मृदु इस्पात के चार समरूप खोखले बेलनाकार स्तम्भ 50000 kg द्रव्यमान के किसी बड़े ढाँचे को आधार दिये हुए हैं। प्रत्येक स्तम्भ की भीतरी तथा बाहरी त्रिज्याएँ क्रमशः 30 तथा 60 cm हैं। भार वितरण को एकसमान मानते हुए प्रत्येक स्तम्भ की सम्पीडन विकृति की गणना कीजिए।
उत्तर:
ढाँचे का कुल भार F = 50000 kg x 9.8Nkg-1
= 4.9 x 105N
∵ ढाँचे का भार चारों स्तम्भों पर एकसमान पड़ता है अतः प्रत्येक
स्तम्भ पर पड़ने वाला भार
F1 = \( \frac{F}{4}\)
= \(\frac{4.9 \times 10^5}{4}\)
= 1-225 × 105 N
तथा प्रत्येक स्तम्भ का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल
A = π
= 3.14[(0.6)2 – (0.3)2]
= 0.8478 m2 = 0.85m2
सूत्र \(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{FL}}{\mathrm{A \Delta L}}\) से,
सम्पीडन विकृति (% में) \(\frac{\Delta \mathrm{L}}{\mathrm{L}} \times 100=\frac{\mathrm{F}_1}{\mathrm{AY}} \times 100\)
= \(\frac{1.225 \times 10^5}{0.85 \times 2 \times 10^{11}} \times 100\)
[ ∵ Y = 2 × 1011 Nm2]
सम्पीडन विकृति % = 7.2 x 10-5 x 4
अतः सभी स्तंभों की संपीडन विकृति %
= 7.2 x 10-5 x 4
= 2.88 x 10-5 %

प्रश्न 8.
ताँबे का एक टुकड़ा, जिसका अनुप्रस्थ परिच्छेद 15.2 mm x 19.1 mm का है, 44500 N बल के तनाव से खींचा जाता है, जिससे केवल प्रत्यास्थ विरूपण उत्पन्न हो । उत्पन्न विकृति की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है F = 44500N,
A = 15.2mm x 19.1mm
= 15.2 × 10-3m × 19.1 × 10-3 m
= 2.90 × 10-4 m2
ताँबे के लिए Y = 1.1 × 1011 Nm-2,
विकृति = ?
सूत्र \(Y=\frac{(F / A)}{(\Delta L / L)}\)
∴ विकृति
= \(\frac{44500}{2.9 \times 10^{-4} \times 1 \cdot 1 \times 10^{11}}\)
= 0.00139
प्रतिशत विकृति \(\frac{\Delta \mathrm{L}}{\mathrm{L}}\) x 100
= 0.00139 x 100 = 0.139%

प्रश्न 9.
1.5 cm त्रिज्या का एक इस्पात का केबिल भार उठाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यदि इस्पात के लिए अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल 108 Nm-2 है तो उस अधिकतम भार की गणना कीजिए जिसे केबिल उठा सकता है।
उत्तर:
दिया है
अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल = 108 Nm-2
त्रिज्या r = 1.5 cm
= 1.5 x 10-2 m
लटकाया गया अधिकतम भार= ?
अधिकतम अनुज्ञेय प्रतिबल =
= अनुज्ञेय प्रतिबल x A
∴ अधिकतम भार (Mg)
= 108 x πr2
= 108 × 3.14 × (1-5 × 10-2)2
= 7.07 × 104 N

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प्रश्न 10.
15 kg द्रव्यमान की एक दृढ़ पट्टी को तीन तारों, जिनमें प्रत्येक की लम्बाई 2 m है, से सममित लटकाया गया है। सिरों के दोनों तार ताँबे के हैं तथा बीच वाला लोहे का है। तारों के व्यासों के अनुपात निकालिए, प्रत्येक पर तनाव उतना ही रहना चाहिए।
उत्तर:
पट्टी, तारों से सममिति से लटकी है अतः प्रत्येक पट्टी के भार का एक तिहाई भार का वहन करेगा।
माना एक तार का व्यास D है, तब त्रिज्या r = \(\frac{\mathrm{D}}{2}\)

प्रश्न 11.
एक मीटर अतानित लम्बाई के इस्पात के तार के एक सिरे से 14.5 kg का द्रव्यमान बाँधकर उसे एक ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमाया जाता है, वृत्त की तली पर उसका कोणीय वेग 2 rev/s है। तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल 0.065 cm2 है। तार में विस्तार की गणना कीजिए जब द्रव्यमान अपने पथ के निम्नतम बिन्दु पर है।
उत्तर:
दिया है
M = 14.5 kg, L = 1 m
A = 0.065 cm2 = 6.5 x 10-6 m2
वृत्त की त्रिज्या R = 1m, AL = ?
ω = 2π x 2 = 4π rad/s; Y = 2 x 1011 Nm-2

माना वृत्त के निम्नतम बिन्दु पर तनाव T है, तब
T – Mg = MRω2
या
T = M(g + Rω2)
परन्तु
\(\mathrm{Y}=\frac{\mathrm{T} / \mathrm{A}}{\Delta \mathrm{L} / \mathrm{L}}\) से,
तार में विस्तार

= 1.86 x 10-3 मी = 0.186 सेमी

प्रश्न 12.
नीचे दिए गए आँकड़ों से जल के आयतन प्रत्यास्थता गुणांक की गणना कीजिए:
प्रारम्भिक आयतन 100.00 लीटर, दाब में वृद्धि 100.0atm (1 atm = 1.013 × 105 Pa) अन्तिम आयतन 100.5 लीटर। नियत ताप पर जल तथा वायु के आयतन प्रत्यास्थता गुणांकों की तुलना कीजिए। सरल शब्दों में समझाइए कि यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?
उत्तर:
दिया है:
∆P = 100 वायुमण्डलीय दाब
= 100 × 1.013 × 105 Pa
= 1.013 × 107 Pa
V1 = 100 लीटर,
V2 = 100.5 लीटर

आयतन में परिवर्तन ∆V = V2 – V1
= 100.5 – 100 = 0.5 लीटर
= 0.5 × 10-3 m3
∴ जल का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक
= \(\frac{\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}=\frac{\mathrm{V} \Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V}}\)
Bजल =
B. = 2.206 × 109 Pa
तथा वायु का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक
Bवायु = 1.0 × 105 Nm2

इतना अधिक अनुपात होने का कारण यह है कि गैसों में अन्तराष्विक बल, द्रवों की तुलना में नगण्य होते हैं।

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प्रश्न 13.
जल का घनत्व उस गहराई पर जहाँ दाब 80.0 atm हो, कितना होगा? दिया गया है कि पृष्ठ पर जल का घनत्व 1.03 x 103 kg m-3, जल की सम्पीड्यता 45.8 x 10-11 Pa-1 (1 Pa = 1 Nm-2)
उत्तर:
आयतन प्रत्यास्थता गुणांक B =
∴ B = 2.18 x 109 Pa
माना जल का द्रव्यमान M, आयतन V तथा घनत्व p है, तब
द्रव्यमान = आयतन घनत्व
M= Vp = नियत
अवकलित करने पर, V∆p + p∆v = 0
अतः आयतन विकृति \(\frac{\Delta V}{V}=-\frac{\Delta \rho}{\rho}\) ….(1)
तथा आयतन प्रत्यास्थता गुणांक
\(\mathrm{B}=-\frac{\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\)
= \(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}=-\frac{\Delta \mathrm{P}}{\mathrm{B}}\) ……….(2)
समी (1) व (2) से,
\(\frac{\Delta \rho}{\rho}=\frac{\Delta P}{B}\)
या
\(\Delta \rho=\frac{\Delta P \rho}{B}\)
∴ ∆p = दाब में परिवर्तन
= गहराई में दाब – सतह पर दाब
= 80 – 1
∆p = 79 वायुमण्डल
= 79 × 1.013 × 105 Nm2
अतः
\(\Delta \rho=\frac{\left(79 \times 1.013 \times 10^5\right) \times 1.03 \times 10^3}{2.18 \times 10^9}\)
∆p = 4kgm-3
= 0.004 x 103 kg m-3
∴ गहराई पर जल का घनत्व
p = p + ∆p
= 1.03 × 103 + 0.004 × 103
= 1.034 x 103 kg m-3

प्रश्न 14.
काँच के स्लैब पर 10 atm का जलीय दाब लगाने पर उसके आयतन के भिन्नात्मक अन्तर की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है
∆p = 10 atm = 10 x 105 Pa
काँच की आयतन प्रत्यास्थता B = 37 x 109 Nm-2
आयतन प्रत्यास्थता B = \(\frac{-\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\)
अतः
∴ स्लैब के आयतन में भिन्नात्मक अन्तर
\(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}=\frac{10 \times 10^5}{37 \times 10^9}\) = 2.70 × 10-5
अथवा
\(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}\) × 100 = 2.7 × 105 × 100%
= 0.0027%

प्रश्न 15.
ताँबे के एक ठोस घन का एक किनारा 10 cm का है। इस पर 7.0 x 106 Pa का जलीय दाब लगाने पर इसके आयतन में संकुचन निकालिए।
उत्तर:
दिया है घन की भुजा a = 10 cm = 0.1m
∴ घन का आयतन V = a = (0.1)3 = 103 m3
जलीय दाब P = 7 x 106 Pa
तथा
ताँबे के लिए B = 140 x 109 Pa
सूत्र
B = \(\frac{{ }^{\prime} \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\) से,
आयतन में संकुचन
∆v = \(\frac{\Delta \mathrm{PV}}{\mathrm{B}}=\frac{7 \times 10^6 \mathrm{~Pa} \times 10^{-3} \mathrm{~m}^3}{140 \times 10^9 \mathrm{~Pa}}\)
= 5 × 108 m3
= 0.05 cm3

प्रश्न 16.
1 लीटर जल पर दाब में कितना अन्तर किया जाए कि वह 0.10% से सम्पीडित हो जाए?
उत्तर:
दिया है:
V = 1 लीटर,
B = 2.2 x 109 Nm-2
\(\frac{\Delta \mathrm{V}}{\mathrm{V}}\) x 100 = 0.10 या ∆V = \(\frac{0 \cdot 10}{100}\) × 1
= \(\frac{1}{1000}\) लीटर
∵ \(B=\frac{\Delta P}{\Delta V / V}\)
∴ \(\Delta P=B \frac{\Delta V}{V}\)
= 2.2 × 109 × \(\frac{1}{1000}\)
∆P = 2.2 × 106 Pa

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 17.
हीरे के एकल क्रिस्टलों से बनी निहाइयों जिनकी आकृति चित्र 9.24 में दिखाई गई है, का उपयोग अति उच्च दाब के अन्तर्गत द्रव्यों के व्यवहार की जाँच के लिए किया जाता है। निहाई के संकीर्ण सिरों पर सपाट फलकों का व्यास 0.50mm है। यदि निहाई के चौड़े सिरों पर 50000 N का बल लगाया गया हो तो उसकी नोंक पर दाब ज्ञात कीजिए।

उत्तर:
सपाट फलक की त्रिज्या
R = \(\frac{D}{2}=\frac{0.50}{2}\) = 0.25 mm
= 2.5 × 10-4 m
∴ नोंक पर दाब P = \(\frac{F}{A}=\frac{F}{πr^2}=\frac{50000 \mathrm{~N}}{3.14 \times\left(2.5 \times 10^{-4}\right)^2}\)
= 2.55 × 1011 Pa

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प्रश्न 18.
1.05m लम्बाई तथा नगण्य द्रव्यमान की एक छड़ को बराबर लम्बाई के दो तारों, एक इस्पात का (तार A) तथा दूसरा ऐल्युमिनियम का तार (तार B) द्वारा सिरों से लटका दिया गया है, जैसा कि निम्न चित्र में दिखाया गया है। A तथा B के तारों के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल क्रमश: 1.0 mm और 2.0 mm हैं। छड़ के किस बिन्दु से एक द्रव्यमान m को लटका दिया जाए ताकि इस्पात तथा ऐलुमिनियम के तारों में
(a) समान प्रतिबल तथा
(b) समान विकृति उत्पन्न हो।

उत्तर:
तारों के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल
AA = 1.0 mm2 , AB = 2.0 mm2
तथा YA = 2 × 1011 Nm-2,
YB = 0.7 × 1011 Nm-2
माना द्रव्यमान को तार A वाले सिरे से, x दूरी पर बिन्दु P से लटकाया गया है तब इसकी दूसरे सिरे से दूरी (1.05 – x ) m होगी।
माना इस भार के कारण तारों में T तथा T तनाव उत्पन्न होते हैं। तब P के परितः बलों के आघूर्णी का बीजीय योग साम्यावस्था में शून्य होना चाहिए, अतः
TA . x = TB(1.05 – x) …………(1)
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}=\frac{1 \cdot 05-x}{x}\)

(a) तारों में समान प्रतिबल है अतः
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}\)
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}=\frac{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}\) …………(2)
समीकरण (1) व (2) की तुलना करने पर
\(\frac{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}=\frac{1 \cdot 05-x}{x}\)
\(\frac{1 \cdot 05-x}{x}=\frac{1 \mathrm{~mm}^2}{2 \mathrm{~mm}^2}\)
x = 2 ( 1.05 – x)
या x = 2.10 – 2x
3x = 2.10
x = 0.70 = 70 cm
अतः द्रव्यमान को तार A वाले सिरे से 70 cm की दूरी पर लटकाना चाहिए।

(b) सूत्र Y = \(\frac {FL}{A∆L}\) से, \(\frac { ∆L }{ L }\) = \(\frac {F}{AY}\)
दोनों तारों में समान विकृति उत्पन्न होती है
अतः
\(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{A}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{A}} \mathrm{Y}_{\mathrm{A}}}=\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{B}} \mathrm{Y}_{\mathrm{B}}}\)
समी (1) में समी (3) से भाग देने पर,
AAYA x = (1.05 – x ) ABYB
या \(\frac{x}{1 \cdot 05-x}=\frac{\mathrm{A}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{A}_{\mathrm{A}}} \times \frac{\mathrm{Y}_{\mathrm{B}}}{\mathrm{Y}_{\mathrm{A}}}\)
या \(\frac{x}{1.05-x}=\frac{2 \mathrm{~mm}^2}{1 \mathrm{~mm}^2} \times \frac{0.7 \times 10^{11} \mathrm{Nm}^{-2}}{2.0 \times 10^{11} \mathrm{Nm}^{-2}}\)
या \(\frac{x}{1 \cdot 05-x}=\frac{7}{10}\)
या 10x = 1.05 × 7 – 7x
या 17x = 7.35
⇒ x = \(\frac {7.35}{17}\) = 0.43m = 43 cm
अतः द्रव्यमान को तार A वाले सिरे से 43 cm की दूरी पर लटकाना चाहिए।

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प्रश्न 19.
मृदु इस्पात के एक तार, जिसकी लम्बाई 1.0 m तथा अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल 0.50 × 102 cm2 है, को दो खम्बों के बीच क्षैतिज दिशा में प्रत्यास्थ सीमा के अन्दर ही तनित किया जाता है। तार के मध्य बिन्दु से 100g का एक द्रव्यमान लटका दिया जाता है। मध्य- बिन्दु पर अवनमन की गणना कीजिए ।
उत्तर:

दिया है
L = 1m
A = 0.5 × 102 cm2
A = \(0.50 \times 10^{-2} \mathrm{~cm}^2=5 \times 10^{-7} \mathrm{~m}^2\)
m = 100gm = 0.1 kg
Y = 2 × 1011 Nm-2
सन्तुलन की स्थिति में तार के दोनों भागों में तनाव समान होगा, जो कि T है तब,
2T cos θ = mg
(C तार का मध्य- बिन्दु है जो भार लटकाने पर P तक विस्थापित हो जाता है।)
तब
l =AC = BC = \(\frac {1}{2}\) = 0.5 m
माना अवनमन PC है, जो कि अत्यन्त कम है
AP = \(\sqrt{\mathrm{AC}^2+\mathrm{PC}^2}=\sqrt{l^2+x^2}\)
भाग AC की लम्बाई में वृद्धि

= 0.5 × 2.13 × 10-6 m
∴ x = 0.01 m

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प्रश्न 20.
धातु के दो पहियों के सिरों को चार रिवेट से आपस में जोड़ दिया गया है। प्रत्येक रिवेट का व्यास 6 mm है। यदि रिवेट पर अपरूपण प्रतिबल 6.9 x 107 Pa से अधिक नहीं बढ़ना हो तो रिवेट की हुई पट्टी द्वारा आरोपित तनाव का अधिकतम मान कितना होगा? मान लीजिए कि प्रत्येक रिवेट एक चौथाई भार वहन करता है।
उत्तर:
प्रत्येक रिवेट पर अधिकतम प्रतिबल
Smax = 6.9 × 107 Pa
रिवेट का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल
A = πr2
= 3.14 × (3 × 10-3 m)2
= 28.26 × 10-6 m2
. प्रत्येक रिवेट पर अधिकतम तनाव बल
= Smax × अनुप्रस्थ क्षेत्रफल
= 6-9 × 107 × 28.26 × 10-6
= 1.95 × 103 N
तथा रिवेट की गई पट्टी द्वारा आरोपित अधिकतम तनाव
= 4 × 1.95 × 103
= 7.8 × 103 N

प्रश्न 21.
प्रशांत महासागर में स्थित मैरिना खाई एक स्थान पर पानी की सतह से 11 km नीचे चली जाती है और उस खाई में नीचे तक 0.32 m3 आयतन का इस्पात का एक गोला गिराया जाता है तो गोले के आयतन में परिवर्तन की गणना करें। खाई के तल पर जल का दाब 1.1 x 108 Pa है और इस्पात का आयतन गुणांक 160 GPaहै
उत्तर:
दाब में परिवर्तन ∆P तली पर जल का दाब
= 1.1 × 108 Pa
गोले का आयतन V = 0.32m3,
इस्पात के लिए B = 160 GPa
= 160 × 109 Pa
परिभाषा से, \(\mathrm{B}=-\frac{\Delta \mathrm{P}}{\Delta \mathrm{V} / \mathrm{V}}\)
अतः आयतन में कमी
\(\Delta V=\frac{\Delta P V}{B}\)
= \(\frac{1.1 \times 10^8 \mathrm{~Pa} \times 0.32 \mathrm{~m}^3}{160 \times 10^9 \mathrm{~Pa}}\)
= 2.2 × 10-4 m3

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.1.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिण्ड का परिरक्षण निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों के द्वारा कर सकते हैं।
(b) पृथ्वी के परित: परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है।
(c) यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें। तो आप यह पायेंगे कि
सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिये गये आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं।) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों?
उत्तर:
(a) नहीं, वस्तु का गुरुत्वीय प्रभाव से परिरक्षण नहीं किया जा सकता क्योंकि गुरुत्वीय बल पर मध्यवर्ती माध्यम का कोई प्रभाव नहीं होता है।
(b) हाँ, यदि अन्तरिक्षयान पर्याप्त रूप से बड़ा है तो यात्री उस स्टेशन के कारण गुरुत्व बल का अनुभव करेगा।
(c) किसी ग्रह के कारण ज्वारीय प्रभाव दूरी के घन के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अतः सूर्य की पृथ्वी से दूरी की तुलना में, चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी कम है। अतः चन्द्रमा के कारण ज्वारीय प्रभाव अधिक होता है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.2.
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) बढ़ती तुंगता के साथ गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(b) बढ़ती गहराई के साथ (पृथ्वी को एकसमान घनत्व का गोला मानकर) गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(c) गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान/पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
(d) पृथ्वी के केन्द्र r2 से r1 तथा स्थितिज ऊर्जा अन्तर के लिए GMm(\(1 / r_2-1 / r_1\)) सूत्र mg(r2 – r2) से अधिक/कम यथार्थ है।
दूरियों के दो बिन्दुओं के बीच GMm (r2 – r1) सूत्र
उत्तर:
(a) घटता है,
(b) घटता है।
(c) g का मान पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता, जबकि पृथ्वी के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
(d) सूत्र \(G M m\left[\frac{1}{r_2}-\frac{1}{r_1}\right]\) अधिक यथार्थ है।

प्रश्न 8.3.
मान लीजिए एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के परितः पृथ्वी की तुलना में दो गुनी चाल से गति करता है, तब पृथ्वी की कक्षा की तुलना में इसका कक्षीय आमाप क्या है?
उत्तर:
माना पृथ्वी का परिक्रमण काल Te
∴ ग्रह का परिक्रमण काल Tp
[∵ ग्रह की चाल पृथ्वी से दो गुनी है।]
∵ केप्लर के नियम से,
T2 α R3
\(\frac{R_p^3}{R_e^3}=\frac{T_p^2}{T_e^2}\)
या
\(R_p=R_e\left[\frac{T_p}{T_e}\right]^{2 / 3}\)
= \(R_e\left[\frac{T_e / 2}{T_e}\right]^{2 / 3}\)
या
\(R_p=\left[\frac{1}{2}\right]^{2 / 3}\)
Re = 0.63Re
अतः ग्रह की आमाप पृथ्वी से 0.63 गुना छोटी है।

प्रश्न 8.4.
बृहस्पति के एक उपग्रह आयो (I0) की कक्षीय अवधि 1.769 दिन तथा कक्षा की त्रिज्या 4.22 x 106 m है। यह दर्शाइए कि बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग \(\frac{1}{1000}\) गुना है।
उत्तर:
∵ \(T^2=\frac{4 \pi^2}{G M} \cdot R^3\)
पृथ्वी का सूर्य के परितः परिक्रमण काल T2 = 365 दिन
∴ \(T_e^2=\frac{4 \pi^2 R_1^3}{G M_s}\) ………(1)
यहाँ पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या R1 = 1AU
त्रिज्या R = 1.5 x 1011 m
उपग्रह (I0) के लिए
\(T_{I_o}^2=\frac{4 \pi^2}{G m_i} R_2^3\)
R2 = उपग्रह की कक्षा की त्रिज्या
= 4.22 × 108 m
∴ समीकरण (1) व (2) से,
\(\frac{T_e^2}{T_{I_o}^2}=\left(\frac{T_1}{R_2}\right)^3 \times \frac{M_i}{M_s}\)
\(\left(\frac{365}{1769}\right)=\left(\frac{15 \times 10^{11}}{4.22 \times 10^8}\right) \times \frac{M_j}{M_e}\)
∴ \(M_j=\left(\frac{1}{1000}\right) M_e\)
अतः बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग \(\frac{1}{1000}\) गुना है।

प्रश्न 8. 5.
मान लीजिए कि हमारी आकाश गंगा में एक सौर द्रव्यमान के 2.5 x 1011 तारे है। मन्दाकिनीय केन्द्र से 50000/y दूरी पर स्थित कोई तारा अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेगा? आकाश गंगा का व्यास 105ly लीजिए।
उत्तर:
∵ \( T^2=\frac{4 \pi^2}{G M} R^3\)
∴ R = 50,0001y
T = \(2 \pi \sqrt{\frac{R^2}{G M}}\)
∵ 11y = 9.46 x 1011 m ( प्रकाश वर्ष )
R = 50,000 x 9.46 x 1011m
= 4.75 x 1020m
∵ 1 सौर द्रव्यमान = 2 x 1020 kg
∴ M = 25 x 1011 × 2 × 1030
= 5 x 1041 kg
∴ T = 2 x 3.14, \(\sqrt[4]{\frac{\left(4.75 \times 10^{20}\right)^3}{6.67 \times 10^{-11} \times 5 \times 10^{41}}}\)
= 1.12 × 1016 s

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.6
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य अनन्त पर है तो कक्षा में परिक्रमा करते किसी उपग्रह की कुल ऊर्जा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।
(b) कक्षा में परिक्रमा करने वाले किसी उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा समान ऊँचाई (जितनी उपग्रह की है) के किसी स्थिर पिण्ड को पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से अधिक / कम होती है।
उत्तर:
(a) गतिज ऊर्जा [ ∵ कुल ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)]
गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)

(b) कम [∵ कक्षा में परिक्रमा करने वाले उपग्रह को मुक्त करने के लिए आवश्यक ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{G M m}{r}\)
जबकि पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक = \(\frac{G M m}{r}\)

प्रश्न 8.7.
क्या किसी पिण्ड की पृथ्वी से पलायन चाल
(a) पिण्ड के द्रव्यमान
(b) प्रक्षेपण बिन्दु की अवस्थिति
(c) प्रक्षेपण की दिशा
(d) पिण्ड के प्रमोचन की अवस्थिति की ऊँचाई पर निर्भर करती ना है।
उत्तर:
(a) नहीं, (b) नहीं, (c) नहीं, (d) हाँ, ऊँचाई बढ़ाने से. पलायन चाल घटती है।

प्रश्न 8.8.
कोई धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में कर रहा है। क्या अपनी कक्षा में धूमकेतु की शुरू से अन्त तक (a) रैखिक चाल, (b) कोणीय चाल, (2) कोणीय संवेग, (d) गतिज ऊर्जा, (e) स्थितिज ऊर्जा (1) कुल ऊर्जा, नियत रहती है? सूर्य के अति निकट आने पर धूमकेतु के द्रव्यमान में ह्रास को नगण्य मानिए।
उत्तर:
(a) नहीं, (b) नहीं, (c) हाँ, कोणीय संवेग संरक्षित रहता है। (d) नहीं, (e) नहीं, (f) हाँ, ऊर्जा नियत रहती है।

प्रश्न 8.9.
निम्नलिखित में से कौन-से लक्षण अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्री के लिए दुखदायी हो सकते हैं?
(a) पैरों में सूजन, (b) चेहरे पर सूजन, (c) सिर दर्द, (d) दिक्विन्यास समस्या।
उत्तर:
(a) पैरो में सूजन गुरुत्कार्षण बल के कारण उत्पन्न होती है। अन्तरिक्ष में भारहीनता के कारण पैरों में सूजन की समस्या नहीं होती है।
(b), (c), (d) ये सभी समस्याएँ सम्भव हैं क्योंकि भारहीनता के कारण मस्तिष्क में अधिक खून की आपूर्ति होती है, तनाव से सिरदर्द हो सकता है। भारहीनता के कारण ही ऊर्ध्वाधर दिशा का ज्ञान नहीं होता है, अतः दिविन्यास की समस्या उत्पन्न होती है।

प्रश्न 8.10.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व की अर्द्ध गोलीय खोलों द्वारा परिभाषित ढोल के पृष्ठ के केन्द्र पर गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा चित्रानुसार (i) a, (ii) b, (iii) c (iv) o, में किस तीर द्वारा दर्शाई जायेगी।

उत्तर:
गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा g की दिशा में ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर होगी। अतः (iii) C

प्रश्न 8.11.
उपर्युक्त समस्या में किसी यादृच्छिक बिन्दु पर गुरुत्वीय तीव्रता किस तीर (i) d, (ii) e, (iii) f (iv) g द्वारा व्यक्त की जायेगी।
उत्तर:
(ii) e दिशा में।

प्रश्न 8.12.
पृथ्वी से किसी रॉकेट को सूर्य की ओर दागा गया है। पृथ्वी के केन्द्र से किस दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है? सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 किग्रा, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 किग्रा । अन्य ग्रहों आदि के प्रभावों की उपेक्षा कीजिए। (कक्षीय त्रिज्या = 1.5 × 1011 मी)।
उत्तर:
माना, रॉकेट का द्रव्यमान M है तथा पृथ्वी के केन्द्र से सूर्य की ओर x दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है। इस क्षण रॉकेट. की सूर्य से दूरी (x) मी रॉकेट = (r – x) भी

जहाँ r = सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी अर्थात् पृथ्वी की कक्षीय त्रिज्या = 15 x 1011 मी यह तब भी सम्भव है जबकि
पृथ्वी द्वारा रकिट पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल = सूर्य द्वारा किट
पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल
अर्थात् \(\frac{G M_e m}{x^2}=\frac{G M_s m}{(r-x)^2}\)
जहाँ m = रॉकेट का द्रव्यमान Mc = पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 x 1024 किग्रा
तथा
Ms = सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 किग्रा
अत:
\(\left(\frac{r-x}{x}\right)^2=\frac{M_s}{M_e}=\frac{2 \times 10^{24}}{6 \times 10^{24}}=\frac{1}{3} \times 10^6\)
∴ \(\left(\frac{r-x}{x}\right)=\sqrt{\frac{1}{3} \times 10^6}=\frac{10^3}{\sqrt{3}}=\frac{10^3}{1732}\)
अथवा
r = x = 57737x
या 57837x = r
∴ x = \(\left(\frac{r}{578.37}\right)=\frac{1.5 \times 10^{11}}{578.37}\) मी
= 2593 × 108 मी = 26 x 108 मी

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प्रश्न 8.13.
आप सूर्य को कैसे तोलेंगे, अर्थात् उसके द्रव्यमान का आकलन कैसे करेंगे? सूर्य के परितः पृथ्वी की कक्षा की औसत त्रिज्या 1.5 x 108 किमी है।
उत्तर:
पृथ्वी के परित: उपग्रह के परिक्रमण काल सूत्र \(T=2 \pi \sqrt{\frac{r^3}{G M_e}}\) के अनुरूप सूर्य के परितः पृथ्वी का परिक्रमण काल
\(T=2 \pi \sqrt{\frac{r^3}{G M_e}}\)
जहाँ Me = सूर्य का द्रव्यमान
∴ \(T^2=\frac{4 \pi^2 r^3}{G M_s}\)
अतः सूर्य का द्रव्यमान Ms = \(\frac{4 \pi^2 r^3}{T^2 G}\) ……(1)
यहाँ, पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या r = 15 x 108 किमी = 15 x 1011
पृथ्वी का सूर्य के परितः परिक्रमण काल T = 1 वर्ष = 3.15 x 107
सेकण्ड
∴ \(M_s=\left[\frac{4 \times(3.14)^2\left(1.5 \times 10^{11}\right)^3}{\left(3.15 \times 10^7\right)^2\left(6.67 \times 10^{-11}\right)}\right]\)
= 20 x 1030 किग्रा

प्रश्न 8.14.
एक शनि – वर्ष एक पृथ्वी वर्ष का 29.5 गुना है। यदि पृथ्वी सूर्य से 1.5 x 108 किग्रा दूरी पर है, तो शनि सूर्य से कितनी दूरी पर है?
उत्तर:
पृथ्वी की सूर्य से दूरी RSE = 1.5 x 108
किमी माना पृथ्वी का परिक्रमण काल = TE
तब शनि का परिक्रमण काल Ts = 29.5TE
शनि की सूर्य से दूरी Rss = ?
परिक्रमण कालों के नियम से,

= 1.5 ×108 x (29.5)2/3 किमी
= 1.5 x 108 x 9.55 किमी
= 1.43 x 109 किमी
अतः शनि की सूर्य से दूरी 1.43 x 109 किमी है।

प्रश्न 8.15.
पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 63 N है। पृथ्वी की त्रिज्या की आधी ऊँचाई पर पृथ्वी के कारण इस वस्तु पर गुरुत्वीय बल कितना है?
उत्तर:
यदि पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण g हो, तो पृथ्वी तल से ऊँचाई पर गुरुत्वीय त्वरण
\(g^I=g\left(1+\frac{h}{R_e}\right)^2\)
यदि वस्तु का द्रव्यमान हो तो दोनों पक्षों में m से गुणा करने पर,
\(m g^I=\frac{m g}{\left(1+\frac{h}{R_e}\right)^2}\)
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या )
यहाँ mg = पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार = 63N
mg’ पृथ्वी तल से ऊँचाई पर वस्तु का भार अर्थात् पृथ्वी के कारण वस्तु पर गुरुत्वीय बल Fg तथा \(h=\frac{R_e}{2}\)
∴ \(F_g=\frac{63 \mathrm{~N}}{\left(1+\frac{R_e / 2}{R_e}\right)^2}\)
\(=\frac{63 N}{\left(\frac{9}{4}\right)}=\left(\frac{63 \times 4}{9}\right) N\)
N = 28 N

प्रश्न 8.16.
यह मानते हुए कि पृथ्वी एकसमान घनत्व का एक गोला है तथा इसके पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 250 N है, यह ज्ञात कीजिये कि पृथ्वी के केन्द्र की ओर आधी दूरी पर इस वस्तु का भार क्या होगा?
उत्तर:
पृथ्वी तल से h गहराई पर गुरुत्वीय त्वरण
\(g^I=g\left(1-\frac{h}{R_e}\right)\) (जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या)
अथवा
\(m g^{\prime}=m g\left(1+\frac{h}{R_e}\right)\)
यहाँ पृथ्वी के पृष्ठ पर वस्तु का भार mg = 250N
h = \(\frac{R_e}{2}\)
(जहाँ Re = पृथ्वी की त्रिज्या )
mg’ = इस गहराई पर वस्तु का भार w
∴ \(W^I=250 \mathrm{~N}\left(1-\frac{\frac{R_e}{2}}{R_e}\right)=\left(250 \times \frac{1}{2}\right) \mathrm{N}\)
N = 125 N

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प्रश्न 8.17.
पृथ्वी के पृष्ठ से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर कोई रॉकेट 5 kms-1 की चाल से दागा जाता है। पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट पृथ्वी से कितनी दूरी तक जाएगा?
पृथ्वी का द्रव्यमान = 60 × 1024 किग्रा,
पृथ्वी की माध्य त्रिज्या = 64 x 106 मी तथा G = 6.67 x 10-11 न्यूटन मी-2/ किग्रा-2
उत्तर:
माना रॉकेट का द्रव्यमान = m,
पृथ्वी से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर रॉकेट का प्रक्षेप्य वेग = 5
किमी से-1 = 5 x 103 मी से-1
माना रॉकेट पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व पृथ्वी से अधिकतम दूरी ऊँचाई तक जाता है। अतः इस ऊँचाई पर रॉकेट का वेग शून्य हो जाता है। ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त से पृथ्वी तल से महत्तम ऊंचाई पर पहुँचने पर
वृद्धि
रॉकेट की गतिज ऊर्जा में कमी उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा में

= 1.6 x 106 मी
= 1600 × 103 मी 1600 किमी
या
\(\frac{1}{2} v^2=h\left(g=\frac{1}{2} \frac{v^2}{R_4}\right)\)
या
\(\frac{1}{2} v^2=h\left[\frac{2 g R_4=\mu^3}{4 \mu_g}\right]\)
या
\(h=\frac{v^3 R_g}{2 g h_g=v^3}\)
∴\(h=\frac{\left(3 \times 10^4\right)^3 \times 6.4 \times 10^6}{\left(2 \times 9.8 \times 6.4 \times 10^8\right)=\left(5 \times 10^3\right)^2}\)
∴ h = 5km /s
= 5 x 103 m/s
H4 = 6.4 x 108 m
पृथ्वी से दूरी h = 1.6 x 106 m
∴ पृथ्वी के केन्द्र से दूरी
= R4 + h = 64 × 108 + 1.6 x 108
= 8.0 × 106 m

प्रश्न 8.18.
पृथ्वी के पृष्ठ पर प्रक्षेप की पलायन चाल 11.2 kmg-1 है। किसी वस्तु को इस चाल पर तीन गुनी चाल से प्रक्षेपित किया जाता है। पृथ्वी से अत्यधिक दूर जाने पर इस वस्तु की चाल क्या होगी? सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उपस्थिति की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
उदाहरण 3 के अनुसार,
vf = Ve\(\sqrt{n^2-1}\)
vf = 11.2√9-1
= 11.2 × 2√2
= 112 × 2 × 1.41
= 31.6km/s
{n = 3 ve = 11.2km/s)

प्रश्न 8.19.
कोई उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से 400km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। इस उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने में कितनी ऊर्जा खर्च होगी? उपग्रह का द्रव्यमान = 200 kg, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1044 kg पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 x 106 m, तथा G = 6.67 x 10-11 Nm82 kg-1
उत्तर:
हम जानतें हैं कि उपग्रह की कुल ऊर्जा
= \(-\frac{1}{2} \frac{G M_e^m}{\left(R_e+h\right)}\)
उपग्रह को मुक्त करने के लिए बन्धन ऊर्जा
= \(+\frac{1}{2} \frac{G M_e m}{\left(R_e+h\right)}\)
= \(\frac{1}{2} \times \frac{6.67 \times 10^{-11} \times 6.0 \times 10^{24} \times 200}{\left(64 \times 10^6+0.4 \times 10^8\right)}\)
= 5.89 × 109 J

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प्रश्न 8.20.
दो तारें जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान (2 x 1030 kg) के बराबर है, एक-दूसरे की ओर सम्मुख टक्कर के लिए आ रहे हैं। जब वे 10 km दूरी पर है तब इनकी चाल उपेक्षणीय है। ये तारे किस चाल से टकराएँगे? प्रत्येक तारे की त्रिज्या 104 km है। यह मानिए कि टकराने से पूर्व तक तारों में कोई विरूपण नहीं होता। G के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए।
उत्तर:
तारों का द्रव्यमान m1 = m2
सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg
दूरी R = 109 km = 1012 m
प्रारम्भ में निकाय की कुल ऊर्जा E1 = \(\frac{G m_1 m_2}{R_1}\)
माना टकराते समय उनकी चाल v है।
टकराते समय उनके बीच की दूरी = 2 x त्रिज्या
R2 = 2 x 104 km
= 2 x 107 m
अन्तिम ऊर्जा
= \(\frac{G m_1 m_2}{R_2}+\frac{1}{2} m_1 v^2+\frac{1}{2} m_1 v^2+\frac{1}{2} m_2 v^2\)
∵ m1 = m2
∴ E2 = \(\frac{G m_1 m_2}{R_2}+m_1 v^2\)
∴ ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
E1 = E2

= 6.67 x 1012
टकराते समय प्रत्येक तारे का वेग
v = \(\sqrt{667 \times 10^{12}}\)
= 2.58 x 106m/s

प्रश्न 8.21.
दो भारी गोले जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 100 kg तथा त्रिज्या 0.10m है। किसी क्षैतिज मेज पर एक-दूसरे से 1.0m दूरी पर स्थित हैं। दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा को मध्य बिन्दु पर गुरुत्वीय बल तथा विभव क्या हैं? क्या इस बिन्दु पर रखा कोई पिण्ड सन्तुलन में होगा? यदि हाँ, तो यह सन्तुलन स्थायी होगा अथवा अस्थायी?
उत्तर:
माना केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा AB X- अक्ष के अनुदिश है तथा इसका मध्य- बिन्दु C मूलबिन्दु के साथ सम्पाती है।
माना बिन्दु C पर एक बिन्दु द्रव्यमान m रखा हैं, तब इस द्रव्यमान
पर गोले B के कारण बल

= -2.7 x 10-8 J/kg
बिन्दु C पर परिणामी बल शून्य है अतः पिण्ड सन्तुलन में रहेगा।
यदि यह पिण्ड किसी दिशा में विस्थापित हो तो पिण्ड वापस उस बिन्दु पर नहीं लौटेगा। अतः यह अस्थायी सन्तुलन अवस्था है।

अतिरिक्त अभ्यास:

प्रश्न 8.22.
जैसा कि आपने इस अध्याय में सीखा है कि कोई तुल्यकाली उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से लगभग 36000km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस उपग्रह के निर्धारित स्थल पर पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण विभव क्या है? (अनन्त पर स्थितिज ऊर्जा शून्य लीजिए) पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1024 kg, पृथ्वी की त्रिज्या
उत्तर:
दिया है।
M = 6.0 x 1024kg
Re = 6400km = 64 x 106 m
पृथ्वी की सतह से ऊँचाई पर गुरुत्वीय विभव
\(V=-\frac{G M}{\left(R_e+h\right)}=-\frac{6.67 \times 10^{-11} \times 6 \times 10^{24}}{\left(64 \times 10^6+36 \times 10^6\right)}\)
= -94 × 106 J/kg.

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

प्रश्न 8.23.
सूर्य के द्रव्यमान से 2.5 गुने द्रव्यमान का कोई तारा 12 km आमाप से निपात होकर 1.2 परिक्रमण प्रति सेकण्ड से घूर्णन कर रहा है। (इसी प्रकार के सहत तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं। कुछ प्रेक्षित तारकीय पिण्ड, जिन्हें पल्सार कहते हैं, इसी श्रेणी में आते हैं।) इसके विषुवत् वृत्त पर रखा कोई पिण्ड, गुरुत्व बल के कारण, क्या इसके पृष्ठ से चिपका रहेगा? (सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030kg)
उत्तर:
ल-तारे का द्रव्यमान M
2.5 x सूर्य का द्रव्यमान
= 25 × 2 ×1030 kg.
तारे की त्रिज्या R = 12km = 12 x 103 m
घूर्णन आवृत्ति n = 1.2 rev/sec
कोणीय वेग ω = 2πn
= 2 x 2.14 x 12
= 7.54 rad/s
तारे के विषुवत् वृत्त पर गुरुत्वीय त्वरण g = \(\frac{G m}{R^2}\)
∴ g = \(\frac{667 \times 10^{-11} \times 2.5 \times 2 \times 10^{30}}{\left(12 \times 10^3\right)^2}\)
= 23 x 1012 ms-2
विषुवत् वृत्त पर चिपके रहने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र
त्वरण a = Rω2 = 12 x 103 x ( 7.54 )2 682 x 105 ms2
∵ g >> a अतः विषुवत् पर रखा पिण्ड, तारे के पृष्ठ से चिपका रहेगा।

प्रश्न 8.24.
कोई अन्तरिक्ष यान मंगल पर ठहरा हुआ है। इस अन्तरिक्षयान पर कितनी ऊर्जा खर्च की जाये कि इसे सौरमण्डल से बाहर धकेला जा सके। अन्तरिक्षयान का द्रव्यमान 1000 kg, सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 kg
मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg,
मंगल की त्रिज्या = 3395km
मंगल की कक्षा की त्रिज्या = 2.28 x 108 km
तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
उत्तर:
यान का द्रव्यमान m = 1000kg = 103 kg
सूर्य का द्रव्यमान Mx = 2 x 1030 kg
मंगल की कक्षा की त्रिज्या Rm = 2.28 x 1011 m
Mm = 6.4 x 1023 kg
मंगल की त्रिज्या R = 3395km
= 3.395 × 106m
सूर्य के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
= – \(\frac{G M_5 m}{R m}\)
मंगल के कारण यान की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-G M_m m}{R}\)
यान की कुल ऊर्जा
= \(-G m\left(\frac{M_s}{R_m}+\frac{M_m}{R}\right)\)
∴ मुक्त करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= \(G m\left(\frac{M_s}{R_m}+\frac{M_m}{R}\right)\)
= 667 × 1011 × 103
= 667 × 108 × 1017 (87.72 + 188)
= 5.97 × 1011 J

प्रश्न 8.25.
किसी रॉकेट को मंगल के पृष्ठ से 2 kms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर ऊपर दागा जाता है। यदि मंगल के वातावरणीय प्रतिरोध के कारण इसकी 20% आरम्भिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। तो मंगल के पृष्ठ पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट मंगल से कितनी दूरी तक जाएगा? मंगल का द्रव्यमान = 6.4 x 1023 kg, मंगल की त्रिज्या = 3395 m तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg
उत्तर:
प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)mv2
स्थितिज ऊर्जा = \(-\frac{G M m}{R}\)
∵ 20% आरंभिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
शेष गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2} m v^2 \times \frac{80}{100}\)
= 0.4mv2
∴ कुल प्रारम्भिक बची हुई ऊर्जा
E1 = 0.4 mv2 – \(\frac{G M m}{R}\)
h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा = \(-\frac{G M m}{R+h}\)
∴ h ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा E2 = \(-\frac{G M m}{R+h}\)
∵ ऊर्जा संरक्षण के नियम से

= 495 × 103m = 495 km

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.1.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिण्डों में प्रत्येक के द्रव्यमान केन्द्र की अवस्थिति लिखिए:
(a) गोला,
(b) सिलिण्डर,
(c) छल्ला तथा
(d) घन।
क्या किसी पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र आवश्यक रूप में उस पिण्ड के भीतर स्थित होता है?
उत्तर:
उपर्युक्त चारों पिण्ड सममित हैं अतः उनका ज्यामितीय केन्द्र ही द्रव्यमान केन्द्र होगा। द्रव्यमान केन्द्र पिण्ड के भीतर होना आवश्यक नहीं है, जैसे छल्ले में द्रव्यमान केन्द्र उस स्थानपर होता है जहाँ कोई द्रव्यमान नहीं है।

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प्रश्न 7.2.
HCl अणु में दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच पृथकन लगभग 1.27 A (1 A = 10-10m) है। इस अणु के द्रव्यमान केन्द्र की लगभग अवस्थिति ज्ञात कीजिए। यह ज्ञात है कि क्लोरीन का परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु की तुलना में 35.5 गुना भारी होता है तथा किस परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक पर केन्द्रित होता
उत्तर:
माना H परमाणु का द्रव्यमान = m
∴ Cl परमाणु का द्रव्यमान = 35.5m

माना द्रव्यमान केन्द्र (CM) मूलबिन्दु पर है।
∴ m x x = (1.27 – x ) x 35.5m
x = 1. 27 x 35.5 – x x 35.5
या 36.5x = 1.27 x 35.5
या
∴ x = \(\frac{1.27 \times 35.5}{365}\)
= 1.24 A
अतः H सिरे से 1.24 À दूरी पर द्रव्यमान केन्द्र है।

प्रश्न 7.3.
कोई बच्चा किसी चिकने फर्श पर एकसमान चाल से गतिमान किसी लम्बी ट्रॉली के एक सिरे पर बैठा है। यदि बच्चा खड़ा होकर ट्रॉली पर किसी भी प्रकार से दौड़ने लगता है, तब निकाय (ट्रॉली + बच्चा) के द्रव्यमान केन्द्र की चाल क्या है?
उत्तर:
इस क्रिया में आरोपित बल आन्तरिक बल है। अतः बाह्य बल नहीं होने के कारण, निकाय में द्रव्यमान केन्द्र की चाल नियत रहगी।

प्रश्न 7.4.
दर्शाइए कि \(\vec{a}\) एवं \(\vec{b}\) है के बीच बने त्रिभुज का क्षेत्रफल \(\vec{a} \times \vec{b}\) के परिणाम का आधा है।
उत्तर:
माना \(\overrightarrow{A B}=\vec{a}\)
तब \(\overrightarrow{A D}=\vec{b}\)
इनके मध्य त्रिभुज ABD प्राप्त होता है।
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इसके ABCD समान्तर चतुर्भुज बनाया।
∵\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = absinθ = (AB) (AD)sinθ
∆ AND में,
sin θ = \( \frac{D N}{A D}\)
∴ AD = \(\frac{D N}{\sin \theta}\)
∴ \( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = AB × \(\frac{D N}{\sin \theta}\) × sinθ
\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) = AB × DN
= समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल
= 2 x ∆ABD का क्षेत्रफल
∴ ∆ABD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\)\( |\vec{a} \times \vec{b}|\) यही सिद्ध करना है।

प्रश्न 7.5.
दर्शाइए कि \(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) का परिमाण तीनों सदिशों \(\vec{a}, \vec{b}\) तथा \(\vec{c}\) से बने समान्तर षट्फलक के आयतन के बराबर है।
उत्तर:
माना \(\vec{a}=\overrightarrow{O X}\)
\(\vec{b}=\overrightarrow{O Y}\)
\(\vec{z}=\overrightarrow{O Z}\)
\(\vec{b} \times \vec{c}\) = bcsin90°
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\(\hat{n}\) की दिशा b व c के लम्बवत् अर्थात् दिशा में होगी।
∴ \(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) = \(\vec{a}\) bc. \(\hat{n}\) = abccos0° = abc
\(\vec{a} \cdot(\vec{b} \times \vec{c})\) = समान्तर षट्फलक का आयतन

प्रश्न 7.6.
एक कण जिसके स्थिति सदिश \(\overrightarrow{\boldsymbol{r}}\) के X, Y Z अक्षों के अनुदिश अवयव क्रमशः x,y,z हैं और रेखीय संवेग सदिश \(\vec{p}\) के अवयव Px. Py. Pz हैं। कोणीय संवेग L के अक्षों के अनुदिश अवयव ज्ञात कीजिए। दर्शाइए कि यदि कण केवल x-y तल में ही गतिमान हो तो कोणीय संवेग का केवल :-अवयव ही होता है।
उत्तर:
\(\vec{r}=x \hat{i}+y \hat{j}+z \hat{k}\)
\(\vec{p}=p_x \hat{i}+p_y \hat{j}+p_z \hat{k}\)
कोणीय संवेग
L = (yPz – zpy)\( \hat{i}\) + (px – xpz ) j + (xpy – yPx) k
∴ Lx = (ypz – zpy)
Ly = (2px – xpz)
Lz = (xpy – yPx)
= 0, Ly = 0, Lg = (xpy – yPx)
अर्थात् कोणीय संवेग में केवल z अवयव होगा।

प्रश्न 7.7.
दो कण जिनमें से प्रत्येक का द्रव्यमान m एवं चाल है 4 दूरी पर, समान्तर रेखाओं के अनुदिश, विपरीत दिशाओं में चल रहे हैं। दर्शाइए इस द्विकण निकाय का सदिश कोणीय संवेग समान रहता है, चाहे हम जिस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग लें।
उत्तर:
माना दो कण समान्तर रेखाओं AB व CD के अनुदिश परस्पर विपरीत दिशाओं में चाल से गति कर रहे हैं।
बिन्दु P के सापेक्ष कोणीय संवेग

इसी प्रकार Q के सापेक्ष कोणीय संवेग
\(\overrightarrow{L_Q}=m \vec{v} \times d \times m \vec{v} \times 0\)
= \(m \vec{v} d\)
एक अन्य बिन्दु 0 माना कण P से दूरी पर है। इसी प्रकार 0 के सापेक्ष कोणीय संवेग
\(\overrightarrow{L_O}=m \vec{v} x+m \vec{v}(d-x)\)
= \(m \vec{v} x+\vec{m} v d-m \vec{v} x\)
∴ \(\overrightarrow{L_O}=m \vec{v} d\)
स्पष्ट है कि \(\overrightarrow{L_P}=\overrightarrow{L_B}=\overrightarrow{L_O}\) यही सिद्ध करना है।
अतः द्विकण निकाय का किस बिन्दु के परितः कोणीय संवेग समान रहता है।

प्रश्न 7.8.
1 भार की एक असमांग छड़ को, उपेक्षणीय भार वाली दो डोरियों से चित्र में दर्शाए अनुसार लटकाकर विरामावस्था में रखा गया है। डोरियों द्वारा ऊर्ध्वाधर से बने कोण क्रमश: 36.9° एवं 53.1° हैं। छड़ 2m लम्बाई की है। छड़ के बाएँ सिरे से इसके गुरुत्व केन्द्र की दूरी d ज्ञात कीजिए।

उत्तर:
चित्र में θ1 = 369° θ2 = 53.1° यदि डोरी से लगे तनाव T1 व T2 को क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर में वियोजित करें, तो
T1 sinθ1 = T2 sinθ2
या

माना द्रव्यमान केन्द्र एक सिरे से d दूरी पर है।
अत: C के सापेक्ष घूर्णन सन्तुलन के लिए,
या
T1 cosθ1 x d = T2 cosθ2 x (2 – d)
T1 cos 36.9°x d = T2 cos 53.1 x ( 2 – d )
या T1 x 0.8366 x d = T2 x 0.6718 x (2 – d)
∵ T1 = 1.352372
∴ 1.3523 T2 × 0.8366d = 2T2 ×0.6718 -T2 x 0.6718 x d
या (1.1313 + 0.6718) d = 1.3436
1.8d = 1.3
या
d = \(\frac{1.3}{1.8}\) = 0.72 m
अतः बाएँ सिरे से गुरुत्व केन्द्र की दूरी 72 cm

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प्रश्न 7.9.
एक कार का भार 1800 kg है। इसकी अगली और पिछली धुरियों के बीच की दूरी 1.8m है। इसका गुरुत्व केन्द्र अगली धुरी से 1.05m पीछे है। समतल धरती द्वारा इसके प्रत्येक अगले और पिछले पहियों पर लगने वाले बल की गणना कीजिए।
उत्तर:
m = 1800kg
द्रव्यमान केन्द्र की अगली धुरी से दूरी = 1.05m
दोनों धुरी के मध्य दूरी = 1.8m
माना R1 व R2 पहियो पर धरती द्वारा लगा प्रतिक्रिया बल है।

गाड़ी सन्तुलन अवस्था में है, अतः ऊर्ध्वाधर दिशामें लगे बलों का सदिश योग शून्य होगा।
R1 + R2 – mg = 0
या
R1 + R2 = mg
या R1 + R2 = 1800× 9 8 = 17640 …….(1)
बिन्दु C के सापेक्ष घूर्णी सन्तुलन के लिए,
R1 × 1.05 = R2 (1.8 – 1.05 ) = R2 x 0.75
या
\(\frac{R_1}{R_2}=\frac{5}{7}\)
R1 का मान समी० (1) में मान रखने पर,
\(\frac{5}{7}\)R2 + R2 = 1800 x 9.8
या
\(\frac{12}{7}\)R2 = 1800 x 9.8
∴ \(R_2=\frac{1800 \times 9.8 \times 7}{12}\)
= 10290 N
R2 का मान समी० (1) में रखने पर,
R1 + 10290 = 17640
R1 = 17640 – 10290 = 7350 N

प्रश्न 7.10.
(a) किसी गोले का, इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{2}{5}\)MR2 है। यहाँ M गोले का द्रव्यमान एवं R इसकी त्रिज्या है। गोले पर खींची गई स्पर्श रेखा के परितः इसका जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
(b) M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या वाली किसी डिस्क का इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{M R^2}{4}\) है। डिस्क के लम्बवत् इसकी कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः चकती का जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(a) गोले का व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण
= \(\frac{2}{5}\)MR2
समान्तर अक्षों की प्रमेय से स्पर्श रेखा के परितः जड़त्व आघूर्ण (समान्तर अक्षों की प्रमेय से)
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{z^{\prime}}\) + Ma2
या
\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{2}{5}\)2 + MR2

∵ समान्तर अक्षों के मध्य दूरी: = a = R
=\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{7}{5}\)2 + MR2
(b) डिस्क का व्यास के परित: जड़त्व आघूर्ण = \(\frac{M R^2}{4}\)
इसलिए चकती के केन्द्र से गुजरने वाली व तल के लम्बवत् अक्ष के
सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{x^{\prime}}\) + \(I_{y^{\prime}}\) (लम्ब अक्ष की प्रमेय से)
∵ दोनों व्यास समान हैं,
अत:
\(I_{x^{\prime}}\) = \(I_{y^{\prime}}\)
या
∴ \(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{x^{\prime}}\) + \(I_{x^{\prime}}\) = 2\(I_{x^{\prime}}\)
या \(I_{z^{\prime}}\) = 2 × \(\frac{M R^2}{4}\) = \(\frac{M R^2}{2}\)
∴ डिस्क के लम्बवत् कोर से गुजरने वाली अक्ष के परितः चकती का जड़त्व आघूर्ण (समान्तर अक्षों की प्रमेय से)
\(I_{z^{\prime}}\) = \(I_{z^{\prime}}\) + Ma2
या

\(I_{z^{\prime}}\) = \(\frac{M R^2}{2}\) + MR2

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प्रश्न 7.11.
समान द्रव्यमान और त्रिज्या के एक खोखले बेलन और एक ठोस गोले पर समान परिमाण के बल आघूर्ण लगाये गये हैं। बेलन अपनी सामान्य सममित अक्ष के परितः घूम सकता है और अपने केन्द्र में गुजरने वाली किसी अक्ष के परितः एक दिये गये मय के बाद दोनों में कौन अधिक कोणीय चाल प्राप्त कर लेगा?
उत्तर:
खोखले बेलन का अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण I1 = MR2
τ = I1α1
∴ α1 = \(\frac{\tau}{I_1}=\frac{\tau}{M R^2}\)
∴ कोणीय चाल ω1 = ω0 + α1t
ω1 = 0 + \(\frac{\tau}{M R^2}\) t = \(\frac{\tau}{M R^2}\) t …(1)
इसी प्रकार ठोस गोले का केन्द्र से गुजरने वाली अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण
I1 = MR2,
τ = l2α2
∴ \(\alpha_2=\frac{\tau}{I_2}=\frac{\tau}{2 M R^2} \times 5\)
कोणीय चाल ω2 = \(\frac{5 \tau}{2 M R^2}\)
\(\frac{\omega_1}{\omega_2}=\frac{2}{5}\) अर्थात् ω2 > ω1
अतः गोले की कोणीय चाल अधिक होगी।

प्रश्न 7.12.
20 kg द्रव्यमान का कोई ठोस सिलिण्डर अपने अक्ष के परितः 100 rads-1 की कोणीय चाल से घूर्णन कर रहा है। सिलिण्डर की त्रिज्या 0.25m है। सिलिण्डर के घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा क्या है? सिलिण्डर का अपने अक्ष के परितः कोणीय संवेग का परिमाण क्या है?
उत्तर:
सिलिण्डर का द्रव्यमान
M = 20kg
ω = 100 rad s-1
त्रिज्या R = 0.25m
अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण I = \(\frac{\tau}{M R^2}\)
= \(\frac{1}{2}\) x 20 x (0.25)2
= 0.625kgm2
घूर्णन से सम्बद्ध गतिज ऊर्जा K = \(\frac{1}{2}\)Iω2
= \(\frac{1}{2}\) x 0625 x (100)2
= 3.125 × 103 J
कोणीय संवेग का परिमाण L = Iω = 0.625 × 100
= 62.5 kgm2 S-1

प्रश्न 7.13.
(a) कोई बच्चा किसी घूर्णिका (घूर्णी मंच) पर अपनी दोनों भुजाओं को बाहर की ओर फैलाकर खड़ा है। घूर्णिका को 40 rev/min की कोणीय चाल से घूर्णन कराया जाता है। यदि बच्चा अपने हाथों को वापस सिकोड़कर अपना जड़त्व आघूर्ण अपने आरम्भिक जड़त्व आघूर्ण का-गुना कर लेता है। तो इस स्थिति में उनकी कोणीय चाल क्या होगी? यह मानिए कि घूर्णिका की घूर्णन गति घर्षणरहित है।
(b) यह दर्शाइए कि बच्चे की घूर्णन की नयी गतिज ऊर्जा उसकी आरम्भिक घूर्णन की गतिज ऊर्जा से अधिक है। आप गतिज ऊर्जा में हुई इस वृद्धि की व्याख्या किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
(a) प्रारम्भ में निकाय का जड़त्व आघूर्ण l1 = I
हाथों को सिकोड़ने पर जड़त्व आघूर्ण l2 = \(\frac{2}{5}\)I
ω1 = 40 rev/min, ω2 = ?
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
I1ω1 = I2ω2
∴ ω2 = \(\frac{I_1 \omega_1}{I_2}=\frac{I \times 40}{2 / 5 I}=\frac{40 \times 5}{2}\)
= 100 rev/min.
(b) प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा K1 = \(\frac{1}{2}\)Iω12
अन्तिम गतिज ऊर्जा K2 = \(\frac{1}{2}\)I2ω12
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{2}{5}\) × \(\left(\frac{5 \omega_1}{2}\right)\)2
= \(\frac{5}{2}\) \(\frac{1}{2}\)Iω12
∴ K2 = \(\frac{5}{2}\)K1 = 2.5 K1
अर्थात् अन्तिम गतिज ऊर्जा, प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा की 2.5 गुनी है। व्याख्या-बच्चा हाथ सिकोड़ने में अपनी पेशियों की आन्तरिक ऊर्जा खर्च करता है जिससे गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है।

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प्रश्न 7.14.
3 kg द्रव्यमान तथा 40 cm त्रिज्या के किसी खोखले सिलिण्डर पर कोई नगण्य द्रव्यमान की रस्सी लपेटी गई है। यदि रस्सी को 30 N बल से खींचा जाये तो सिलिण्डर का कोणीय त्वरण क्या होगा? रस्सी का रैखिक त्वरण क्या है?
यह मानिए कि इस प्रकरण में कोई फिसलन नहीं है।
उत्तर:
सिलिण्डर का द्रव्यमान M = 3kg
त्रिज्या R = 0.4m
खोखले सिलिण्डर का जड़त्व आघूर्ण
1 = MR2 = 3 x (0.4)2
= 0.48 kgm2
रस्सी पर आरोपित बल F = 30N
τ = rF
= 0.4 × 30 = 12Nm
∴ कोणीय त्वरण α = \(\frac{\tau}{I}=\frac{12}{0.48}\)
= 25 rad s-1
रस्सी का रेखीय त्वरण a = rα
= 04 x 25 = 10ms-2

प्रश्न 7.15.
किसी घूर्णक (रोटर) की 200 rad s-1 की एकसमान कोणीय चाल बनाये रखने के लिए एक इंजन द्वारा 180 Nm का बल-आघूर्ण प्रेषित करना आवश्यक होता है। इंजन के लिए आवश्यक शक्ति ज्ञात कीजिए। (नोट: घर्षण की अनुपस्थिति में एकसमान कोणीय वेग होने में यह समाविष्ट है कि बल-आघूर्ण शून्य है। व्यवहार में लगाये गये बल की आवश्यकता घर्षणी बल-आघूर्ण को निरस्त करने के लिए होती है।) यह मानिए कि इंजन की दक्षता 100% है।
उत्तर:
दिया है = 200 rads-1 (नियत है)
r = 180Nm
इंजन के लिए आवश्यक शक्ति
P = इंजन द्वारा घूर्णक को दी गई शक्ति
[∵ n = 100%]
= τω = 180Nm x 200rad s
= 36 × 103W = 36 kW

प्रश्न 7.16.
R त्रिज्या वाली समांग डिस्क से \(\frac{R}{2}\) त्रिज्या का एक वृत्ताकार भाग काट कर निकाल दिया गया है। इस प्रकार बने वृत्ताकार सुराख का केन्द्र मूल डिस्क के केन्द्र से \(\frac{R}{2}\)
दूरी पर है। अवशिष्ट डिस्क के गुरुत्व केन्द्र की स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना दिये हुए वृत्ताकार पटल का केन्द्र O और व्यास AB है।
OA =OB = R = त्रिज्या

इस पटल से, व्यास OB का वृत्त काटकर निकाल दिया जाता है।
माना इकाई क्षेत्रफल का द्रव्यमान = m
मूल डिस्क का द्रव्यमान M = m x πR2
हटाई गई चकती का द्रव्यमान M = m x π\(\frac{R}{2}\)2
= m x \(\frac{\pi R^2}{4}\) = \(\frac{M}{4}\)
∴ शेष चकती का द्रव्यमान M2 = M – \(\frac{M}{4}\)
= \(\frac{3M}{4}\)
∴ सन्तुलन के लिए गुरुत्व केन्द्र बिन्दु G पर है जो O से x दूरी पर है। माना O मूलबिन्दु है।
∴ M1\(\left(\frac{R}{2}\right)\) + M2x = 0
या
\(\frac{M}{4} \times \frac{R}{2}+\frac{3 M}{4} \times x\)
या
\(\frac{R}{2}\) = -3x
x = –\(\frac{R}{6}\)
अतः गुरुत्व केन्द्र O से \(\frac{R}{6}\) दूरी पर बायीं ओर है।

प्रश्न 7.17.
एक मीटर छड़ के केन्द्र के नीचे क्षुर-धार रखने पर सन्तुलित हो जाती है। जब दो सिक्के, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 5 g है, 12.0 cm के चिह्न पर एक के ऊपर एक रखे जाते हैं तो छड़ 45.0cm चिह्न पर सन्तुलित हो जाती है। मीटर छड़ का द्रव्यमान क्या है?
उत्तर:
माना मीटर छड़ का द्रव्यमान M है।
छड़ के G पर 455 cm दूर सन्तुलन की स्थिति में
10g x (45 – 12) = mg (50 – 45)
या
10g × 33 = mg x 5
∴ m = \(\frac{10 \times 33}{5}\) = 66g

प्रश्न 7.18.
एक ठोस गोला, भिन्न नति के दो आनत तलों पर एक ही ऊँचाई से लुढ़कने दिया जाता है।
(a) क्या वह दोनों बार समान चाल से तली में पहुँचेगा?
(b) क्या उसको एक तल पर लुढ़कने में दूसरे से अधिक समय लगेगा?
(c) यदि हाँ, तो किस पर और क्यों?
उत्तर:
गोले के लिए, वेग \(v=\sqrt{\frac{2 g h}{1+K^2 / r^2}}\)
ठोस गोले के लिए, I = MK2 = \(\frac{2}{5}\)M
\(\frac{k^2}{r^2}=\frac{2}{5}\)
\(v=\sqrt{\frac{2 g h}{1+\frac{2}{5}}}\)
= \(\sqrt{\frac{10}{7} g h}\)
अतः सूत्र से स्पष्ट है वेग झुकाव कोण θ पर निर्भर नहीं है। अतः दोनों तलों पर एक ही वेग से नीचे पहुँचेगा।
(b) समय \(t=\sqrt{\frac{2 s\left(1+K^2 / r^2\right)}{g \sin \theta}}\)
(c) अतः समय झुकाव कोण पर निर्भर करता है। झुकाव कोण जितना कम होगा, गोलों को लुढ़कने में उतना ही अधिक समय लगेगा।

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प्रश्न 7.19
2m त्रिज्या के एक वलय (छल्ले) का भार 100 kg है। यह एक क्षैतिज फर्श पर इस प्रकार लोटनिक गति करता है कि इसके द्रव्यमान केन्द्र की चाल 20 cm/s हो। इसको रोकने के लिए कितना कार्य करना होगा?
उत्तर:
वलय की गतिज ऊर्जा
K = \(\frac{1}{2}\)Iω2 + \(\frac{1}{2}\)Mv2cm
∴ वलय का जड़त्व आघूर्ण
I = MR2
{∵ M = 100kg, R = 2 m}
= 100x (2)2 = 400kgm2
Vcm = 20cms-1
= 0.2ms-1
ω = \(\frac{v_{c m}}{R}\) = \(\frac{0.2}{2}\)
= 0.1 rads-1
∴ K = \(\frac{1}{2}\) x 400 x (0.1)2 + \(\frac{1}{2}\) x 100 x (0.2)2
= 2 + 2 =4J
कार्य ऊर्जा प्रमेय से गतिज ऊर्जा ही रोकने के लिए किये गये कार्य के तुल्य होगी।
∴ किया गया कार्य W = ∆K
= 4 – 0 = 4J

प्रश्न 7.20.
ऑक्सीजन अणु का द्रव्यमान 5.30 x 10-26 kg है तथा इसके केन्द्र से होकर गुजरने वाली और इसके दोनों परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण 1.94 × 10-46 kgm2 है। मान लीजिए किसी गैस के ऐसे अणु की औसत चाल 500 m/s है और इसके घूर्णन की गतिज ऊर्जा, की गतिज ऊर्जा की दो-तिहाई है। अणु का औसत कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
m = 5.3 x 10-26 kg
I = 1.94 × 10-46 kgm2
v = 500ms-1
स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा
Kt = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{1}{2}\) × 5.3 × 10-26 × (500)2
= 6.625 × 10-21J
घूर्णन गतिज ऊर्ज Kr = \(\frac{2}{3}\)Kt
\(\frac{1}{2}\)Iω2 = \(\frac{2}{3}\) × 6.625 × 10-21
या
ω2 = \(\frac{2}{3} \times \frac{6.625 \times 10^{-21} \times 2}{1.94 \times 10^{-46}}\)
या
ω2 = 4.45 × 1024
या
∴ ω = \(\sqrt{45.5 \times 10^{24}}\)
= 6.75 × 1012 rad s-1

प्रश्न 7.21.
एक बेलन 30° कोण बनाते हुए आनत तल पर लुढ़कता हुआ ऊपर चढ़ता है। आनत तल की तली में बेलन के द्रव्यमान केन्द्र की चाल 5m/s है।
(a) आनत तल पर बेलन कितना ऊपर जायेगा?
(b) वापस तली तक लौट आने में इसे कितना समय लगेगा?
उत्तर:
(a) θ = 30°;
Vcm = 5ms-1
mgh = \(\frac{1}{2}\) mv2cm \(\left[1+\frac{K^2}{R^2}\right]\)
∵ बेलन के लिए, I = MK2 = MR2
\(\frac{K^2}{R^2}=\frac{1}{2}\)

gh = \(\frac{1}{2}\)v2cm\(\left[1+\frac{1}{2}\right]\)
= \(\frac{3}{4}\)v2cm
h = \(\frac{3 v_{c m}^2}{4 g}\)
= \(\frac{3 \times(5)^2}{4 \times 9.8}\)
= 1.91 cm
∵ sinθ = \(\frac{h}{s}\)
∴ s = \(\frac{h}{\sin \theta}=\frac{1.91}{\sin 30^{\circ}}\)
= 1.91 × 2 = 3.82m

प्रश्न 7.22.
जैसा चित्र में दिखाया गया है, एक खड़ी होने वाली सीढ़ी के दो पक्षों BA और CA की लम्बाई 1.6m है और इनको 4 पर कब्जा लगाकर जोड़ा गया है। इन्हें ठीक बीच में 0.5m लम्बी रस्सी DE द्वारा बाँधा गया है। सीढ़ी BA के अनुदिश B से 1.2m की दूरी पर स्थित बिन्दु से 40 kg का एक भार लटकाया गया है। यह मानते हुए कि फर्श घर्षणरहित है और सीढ़ी का भार उपेक्षणीय है, रस्सी में तनाव और सीढ़ी पर फर्श द्वारा लगाया गया बल ज्ञात कीजिए।
(g = 9.8 m/s2 लीजिए)।

[संकेत-सीढ़ी के दोनों ओर के सन्तुलन पर अलग-अलग विचार कीजिए।]
उत्तर:
माना रस्सी DG में तनाव T है।
N1 व N2 क्रमश: B व C पर प्रतिक्रिया बल हैं।

∵ दिया है: BA – CA = 1.6m, DE = 0.5m,
m = 40kg BF = 1.2m, DE = 0.5m
∴ DG = 0.25 m
∴ BC = 0.5 x 2 = 1.0m
∴ BK = 0.5 = CK,
FH = \(\frac{1}{2}\) DG
= \(\frac{1}{2}\) x 0.25 = 0.125 m
AD = 0.8m
AG = \(\sqrt{A D^2-D G^2}\)
= \(\sqrt{(0.8)^2-(0.25)^2}\)
= 0.76m
सन्तुलन की स्थिति में N1 + N2 = mg = 40 x 9.8
N1 + N2 = 392
बिन्दु A के सापेक्ष घूर्णी सन्तुलन के लिए,
– N1 × BK + mg X FH + N2 × CK + T × AG – T× AG = 0
-N1 x 0.5 + 40 × 9.8 × 0.125 + N2 x 0.5 = 0
या
(N1 – N2) 0.5 = 40 x 9.8 x 0.125
या
N1 – N2 = 392 × 0.125 x 2
या
N1 – N2 = 98
समी० (1) व (2) को जोड़ने पर 2N1 = 490
या
N1 = 245 N
N2 = 392 – 245
= 147N
AB सीढ़ी का घूर्णी सन्तुलन, A के सापेक्ष लेने पर,
mg x FH – N1 x BH +T X AG = 0
या
40 × 9.8 × 0.125 – 245 x 0.5 + 7 x 0.76=0
Tx 0.76 = 245 x 0.5 – 40 x 9.8 x 0.125
122.5 – 49 = 73.5
∴ T = \(\frac{73.5}{0.76}\)
= 96.7N

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.23.
कोई व्यक्ति एक घूमते हुए प्लेटफार्म पर खड़ा है, उसने अपनी दोनों बाँहें फैला रखी हैं और उनमें से प्रत्येक में 5 kg भार पकड़ रखा है। प्लेटफार्म की कोणीय चाल 30 rev/min है। फिर वह व्यक्ति बाँहों को अपने शरीर के पास ले आता है जिससे घूर्णन पथ से प्रत्येक भार की दूरी 90cm से बदलकर 20 cm हो जाती है। प्लेटफार्म सहित व्यक्ति के जड़त्व आघूर्ण का मान 7.6 kg m2 ले सकते हैं।
(a) उसका नया कोणीय वेग क्या है? (घर्षण की उपेक्षा कीजिए)।
(b) क्या इस प्रक्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित होती है, यदि नहीं तो इसमें परिवर्तन का स्रोत क्या है?
उत्तर:
प्लेटफॉर्म सहित व्यक्ति का जड़त्व आघूर्ण I = 7.6kgm2
ω2 = 30 rev/min; ω2 = ?
गोलों का द्रव्यमान = m2 =5kg;
अक्ष से दूरी r2 = r3 = 0.9m
I1 = I + m2r22 + m3r32
= 7.6 + 5 x (0.9) + 5 x (0.9)
= 15.7 kg m2
बाँहों को सिकोड़ने पर दूरी r2 = r3 = 0.2m
I2 = I + m2r2 + m3r32
= 7.6 + 5 × (0.2)2 + 5 × (0.2)2 = 8 kgm2
(a) कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से,
I1ω1 = I2ω2
नया कोणीय वेग = 59 rev/min.
(b) इस क्रिया में गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं रहती है बल्कि हाथों को मोड़ने पर कार्य करने से गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.24.
10g द्रव्यमान और 500 m/s चाल वाली बन्दूक की गोली एक दरवाजे के ठीक केन्द्र से टकराकर उसमें अन्तः स्थापित हो जाती है। दरवाजा 1.00m चौड़ा है और इसका द्रव्यमान 12 kg है। इसके एक सिरे पर कब्जे लगे हैं और यह इनमें गुजरती एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः लगभग बिना घर्षण के घूम सकता है। गोली के दरवाजे में अन्तः स्थापन के ठीक बाद इसका कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
[संकेत- एक सिरे से गुजरती ऊर्ध्वाधर अक्ष के परितः दरवाजे का जड़त्व आघूर्ण = \(\frac{\mathrm{Ml}^2}{3}\)2
उत्तर:
जड़त्व आघूर्ण I = \(\frac{\mathrm{ML}^2}{3}\) = \(\frac{1}{3}\) × 12 × (1.0)2
= 4.0kgm2
कोणीय संवेग संरक्षण के नियम से, संघट्ट के पूर्व गोली का कोणीय संवेग
= संघट्ट के बाद दरवाजे का कोणीय संवेग
mvr = lw या 0.01 x 500 x \(\frac{1}{2}\) = 4 x ω
∴ ω = \(\frac{2.5}{4}\) = 0.625 rad s-1
अतः गोली धँसने के तुरन्त बाद दरवाजा 0.625 rad s-1 कोणीय वेग से घूमना प्रारम्भ करेगा।

प्रश्न 7.25.
दो चक्रिकाएँ जिनके अपने-अपने अक्षों (चक्रिका के अभिलम्बवत् तथा चक्रिका के केन्द्र से गुजरने वाले) के परितः जड़त्व आघूर्ण I1 तथा I2 हैं और जो ω1 तथा ω2 कोणीय चालों से घूर्णन कर रही हैं, को उनके घूर्णन अक्ष सम्पाती करके आमने-सामने (सम्पर्क में) लाया जाता है। (a) इस दो चक्रिका निकाय की कोणीय चाल क्या है? (b) यह दर्शाइए कि इस संयोजित निकाय की गतिज ऊर्जा दोनों चक्रिकाओं की आरम्भिक गतिज ऊर्जाओं के योग से कम है। ऊर्जा में हुई इस हानि की आप कैसे व्याख्या करेंगे? ω12 लीजिए।
उत्तर:
माना सम्पर्क में आने के पश्चात् दोनों चक्रिकाएँ उभयनिष्ठ कोणीय वेग ω से घूर्णन करती हैं।
∵ निकाय पर बाह्य बल आघूर्ण शून्य है। अतः निकाय का कोणीय संवेग संक्षित रहेगा।
∴ I1ω1 + I2ω2 = (I1 + I2
∴ निकाय की नई कोणीय चाल ω = \(\frac{I_1 \omega_1+I_2 \omega_2}{I_1+I_2}\)
निकाय की नई गतिज ऊर्जा
K2 = \(\frac{1}{2}\)(I1 + I22
= \(\frac{1}{2}\)(I1 + I2)\(\left(\frac{I_1 \omega_1+I_2 \omega_2}{I_1+I_2}\right)^2\)
= \(\frac{1}{2}\)\(\frac{\left(I_1 \omega_1+I_2 \omega_2\right)^2}{\left(I_1+I_2\right)}\)
जबकि प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा
K1 = \(\frac{1}{2}\)I1ω12 + \(\frac{1}{2}\)I2ω22
∴ ∆K = K1 – K2
= \(\frac{1}{2}\)(I1ω12 + I2ω22) – \(\frac{\left(I_1 \omega_1+I_2 \omega_2\right)^2}{\left(I_1+I_2\right)}\)
= \(\frac{1}{2\left(I_1+I_2\right)}\) [I12ω12 + I22ω22 + I1I212 + ω22) – I12ω12 – I22ω22 – 2I1I2ω1ω2]
= \(\frac{I_1 I_2}{2\left(I_1+I_2\right)}\) [ ω12 + ω22 – 2ω1ω2]
= \(\frac{I_1 I_2}{2\left(I_1+I_2\right)}\)(ω1 – ω2)2
अतः एक चक्रिका में ऊर्जा हानि होती है। यह हानि चक्रिका की सम्पर्क सतह पर घर्षण बल के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 7.26.
(a) लम्बवत् अक्षों के प्रमेय की उत्पत्ति करें।
(b) समान्तर अक्षों के प्रमेय की उत्पत्ति करें।
उत्तर:
(a) लम्बवत् अक्षों की प्रमेय की उत्पत्ति अनुच्छेद (Perpendicular Axes):
इस प्रमेय के अनुसार, ” किसी समतल पटल (plane lamina) का इसके तल के लम्बवत् अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण पटल के तल में स्थित दो पारस्परिक लम्बवत् अक्षों के सापेक्ष जड़त्व-आघूर्णों के योग के तुल्य होता है जबकि अभीष्ट अक्ष दोनों लम्बवत् अक्षों के कटान बिन्दु से होकर गुजरती है।”
यदि समपटल के तल में स्थित दो लम्बवत अक्षों OX तथा OY के परित: पटल के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः IX तथा IY तथा इन अक्षों के कटान बिन्दु से जाने वाली तथा तल के लम्बवत् अक्ष OZ के परित: समपटल का जड़त्व आघूर्ण IZ हो तो
IZ = IX + IY
उपपत्ति (Proof):
माना X व Y पटल के तल में स्थित दो लम्बवत् अ क्षें हैं, जो O पर मिलती हैं और O से ही पटल के तल के लम्बवत् अभीष्ट अक्ष गुजरती है। माना बिन्दु P(x, y) पर स्थित द्रव्यमान कण का द्रव्यमान m है तथा यह Z अक्ष से r दूरी पर स्थित है।

∴ Z-अक्ष के सापेक्ष पटल का जड़त्व आघूर्ण
IZ = ∑mr2 ……..(1)
इसी प्रकार X व Y अक्ष के सापेक्ष पटल के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः
IX = ∑my2
तथा IY = ∑mx2
r2 = x2 + y2
अत: समी० (1) से
IZ = ∑m(x2 + y2)
= ∑mx2 + ∑my2
= IY + IX
था
IZ = IX + IY ………..(2)
प्रत्येक पिण्ड घूर्णन अक्ष के लम्बवत् अनेक समतल पटलों में विभाजित किया जा सकता है। अतः उपरोक्त प्रमेय सभी द्विविमीय पिण्डों के लिए यथार्थ होती है।

(b) समान्तर अक्षों की प्रमेय:
उपपत्ति-माना पिण्ड के भीतर स्थित m द्रव्यमान के किसी कण पर द्रव्यमान केन्द्र से दूरी x है।
कण का AB अक्ष के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण I = m(x + a)2
∴ सम्पूर्ण पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण (AB अक्ष के सापेक्ष)
I = Em(x + a)2
या
= Em(x2 + a2 + 2ax)
= Emx2 + Ema2 + 2a∑mx
I = I + a2∑m+0
(∴ ∑mx = 0 द्रव्यमान केन्द्र के परितः कणों के द्रव्यमान आघूणों का योग शून्य होता है।)
या
I = Ic + Ma2

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.27.
सूत्र को गतिकीय दृष्टि (अर्थात् बलों तथा बल आघूर्णो के विचार) से व्युत्पन्न कीजिए। जहाँ लोटनिक गति करते पिण्ड (वलय, डिस्क, बेलन या गोला) का आनत तल की तली में वेग है। आनत तल पर वह ऊँचाई है जहाँ से पिण्ड गति प्रारम्भ करता है। K सममित अक्ष के परितः पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या है और R पिण्ड की त्रिज्या है।
उत्तर:
चित्र में m द्रव्यमान व R त्रिज्या का कोई गोलीय पिण्ड, जिसका द्रव्यमान केन्द्र C है, ऐसे आनत तल पर लुढ़कता है। जो क्षैतिज से θ कोण पर झुका है। इस स्थिति में लगने वाले बल

(i) mg (भार) नीचे
(ii) आनत तल की प्रतिक्रिया N ( लम्बवत् ऊपर की ओर )
(iii) स्पर्श रेखीय स्थैतिक घर्षण बल fs (आनत तल के समान्तर ऊपर की ओर)
∴ mg sinθ – f = ma …(1)
N = mg cosθ …(2)
यदि बल आघूर्ण τ = Rfs
∵ τ = Iα
∴ Rfs = Iα = I.\(\frac{a}{R}\)
[∵ a = αR ,α = \(\frac{a}{R}\)]
fs = \(\frac{I a}{R^2}\) का मान समीकरण (1) में रखने पर,
mg sinθ – \(\frac{I a}{R^2}\) = ma

प्रश्न 7.28.
अपने अक्ष पर ω कोणीय चाल से घूर्णन करने वाली किसी चक्रिका को धीरे से (स्थानान्तरीय धक्का दिये बिना) किसी पूर्णत: घर्षण रहित मेज पर रखा जाता है। चक्रिका की त्रिज्या R है। चित्र में दर्शाई गई चक्रिका के बिन्दुओं A, B तथा C पर रैखिक वेग क्या हैं? क्या यह चक्रिका चित्र में दर्शाई गई दिशा में लोटनिक गति करेंगी?

उत्तर:
वेग v = rω
बिन्दु A पर, vA = Rω0(A X के अनुदिश)
बिन्दु B पर, vB = Rω0(BX) के अनुदिश
बिन्दु C पर, vC = \(\frac{R}{2}\)ω0 (AX के समान्तर)
यहाँ घर्षण बल नहीं है अत: चक्रिका लोटनिक गति नहीं करेगी।

प्रश्न 7.29.
स्पष्ट कीजिए कि 7.28 में दिए गए चित्र में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?
(a) B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरम्भ होने के पूर्व घर्षणी बल आघूर्ण की दिशा क्या है?
(b) परिशुद्ध लोटनिक गति आरम्भ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?
उत्तर:
(a) B पर घर्षण बल, B के वेग का विरोध करता है। अत: घर्षण बल तथा तीर की दिशा समान है। घर्षण बल आघूर्ण के कार्य करने की दिशा इस प्रकार है कि यह कोणीय गति का विरोध करता है।
इसमें ω कागज के पृष्ठ के अन्तर्मुखी तथा τ कागज के पृष्ठ के बहिर्मुखी है।
(b) लोटनिक गति के लिए आवश्यक है कि B बिन्दु पर वेग शून्य है। इस समय घर्षण बल का मान भी शून्य हो जाता है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति

प्रश्न 7.30.
10 cm त्रिज्या की कोई ठोस चक्रिका तथा इतनी ही त्रिज्या का कोई छल्ला किसी क्षैतिज मेज पर एक ही क्षण 10π rad s-1 की कोणीय चाल से रखे जाते हैं। इनमें से कौन पहले लोटनिक गति आरम्भ कर देगा? गतिज घर्षण गुणांक, μs = 0.21
उत्तर:
समय में द्रव्यमान केन्द्र द्वारा प्राप्त वेग
v = u + at
v = at …(1)
द्रव्यमान केन्द्र की स्थानान्तरीय गति प्रारम्भ के लिए आवश्यक बल घर्षण से मिलता है।
∴ F = ma = μkmg
या
a = μkmg
∴ समी० (1) से,
v = μkgt …(2)
घर्षण के कारण बल आघूर्ण कोणीय वेग ω0 में मन्दन उत्पन्न करता है।
∴ τ = -Iα = RF = Rμkmg
∴ α = \(\frac{-\mu_k m g R}{I}\)
∴ ω = ω0 + αt = ω0 – \(\left(\frac{\mu_k m g R}{I}\right) t\) …..(3)
लोटनिक गति प्रारम्भ होने की शर्त v = Rω
समी० (2) व (3) से,
μkgt = \(R\left[\omega_0-\left(\frac{\mu_k m g R}{I}\right) t\right]\)
या
μkgt = Rω0 – \(\frac{\mu_k m g R^2}{I}\) × t
या
μkgt \(\left[1+\frac{m R^2}{I}\right]\) = Rω0
वलय में,
I = mR2
या
∴ μkgt[1 + 1] = Rω0
या
t = \(\frac{\omega_0 R}{2 \mu_k g}\) ……..(4)
चक्रिका में,
\(I=\frac{M R^2}{2}\)
…(4)
∴ μkgtd \(\left[1+\frac{m R^2 \times 2}{m R^2}\right]\) = Rω0
समी० (4) व (5) से स्पष्ट है कि
tR > td
स्पष्ट है कि td का मान कम है। अतः चक्रिका पहले लोटनिक गति प्रारम्भ करेगी।
tR = \(\frac{0.1 \times 10}{0.2 \times 9.8 \times 2}\)
= 0.25 s
तथा
td = \(\frac{0.1 \times 10}{0.2 \times 9.8 \times 3}\) …(6)
= 0.17s

प्रश्न 7.31
10 kg द्रव्यमान तथा 15 cm त्रिज्या का कोई सिलिण्डर किसी 30° झुकाव के समतल पर परिशुद्धतः लोटनिक गति कर रहा है। स्थैतिक घर्षण गुणांक μs = 0.25 है।
(a) सिलिण्डर पर कितना घर्षण बल कार्यरत है?
(b) लोटन की अवधि में घर्षण के विरुद्ध कितना कार्य किया जाता है?
(c) यदि समतल के झुकाव 8 में वृद्धि कर दी जाये तो θ के किस मान पर सिलिण्डर परिशुद्धता लोटनिक गति करने की बजाय फिसलना आरम्भ कर देगा?

उत्तर:
लोटनिक गति में द्रव्यमान केन्द्र का त्वरण
a = \(\frac{g \sin \theta}{1+K^2 / R^2}\)
सिलिण्डर के लिए
gsine 1+K2/R2
I = MK2 = \(\frac{1}{2}\) MR2
\(\frac{K^2}{R^2}=\frac{1}{2}\)
⇒ a = \(\frac{g \sin \theta}{1+\frac{1}{2}}=\frac{2}{3} g \sin \theta\)
∴ a = \(\frac{2}{3}\) × 9.8sin30°
= \(\frac{2}{3}\) × 9.8 × \(\frac{1}{2}\)
= \(\frac{9.8}{3}\)m/s2
(a) चित्र में, mg sinθ – f = ma
सिलिण्डर पर घर्षण बल f = mg sinθ – ma
f = m (g sinθ – a)
= 10[9.8 × sin 30° – \(\frac{9.8}{3}\)]
= 10 [ 9.8 x \(\frac{1}{2}\) – \(\frac{9.8}{3}\)]
= 16.4 N

(b) लोटन की अवधि में सम्पर्क पिण्ड विरामावस्था में होता है।
अतः घर्षण के लिए किया गया कार्य W = 0

(c) τ = Iα = \(\frac{I a}{R}\)
a का मान रखने पर, RF = \(\frac{I a}{R}\)
∴ F = \(\frac{I a}{R^2}=\frac{I \times \frac{2}{3} g \sin \theta}{R^2}\)
∵ सिलिण्डर में,
I = \(\frac{m R^2}{2}\)
∴ F = \(\frac{m R^2}{2} \times \frac{2}{3} \frac{g \sin \theta}{R^2}\)
∵ F = μsR,
F = \(\frac{1}{3}\)mg sinθ
∵ चित्र में Rmg cosθ
s = tanθ
{∵ μs = 0.25}
या
3 x 0.25 = tantanθ
या
tanθ = 0.75
∴ θ = 37°

प्रश्न 7.32.
नीचे दिये गये प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा कारण सहित उत्तर दीजिए कि इनमें से कौन-सा सत्य है और कौन-सा असत्य?
(a) लोटनिक गति करते समय घर्षण बल उसी दिशा में कार्यरत होता है जिस दिशा में पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र गति करता है।
(b) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।
(e) लोटनिक गति करते समय सम्पर्क बिन्दु का तात्क्षणिक त्वरण शून्य होता है।
(d) परिशुद्ध लोटनिक गति के लिए घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) किसी पूर्णत: घर्षणरहित आनत समतल पर नीचे की ओर गति करते पहिये की गति फिसलन गति ( लोटनिक गति नहीं ) होगी।
उत्तर:
(a) सत्य, घर्षण, सम्पर्क बिन्दु पर वेग की विपरीत दिशा में कार्य करता है अर्थात् द्रव्यमान केन्द्र की दिशा में गति करता है।
(b) सत्य, लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु पर तात्क्षणिक चाल शून्य है।
(c) असत्य, सम्पर्क बिन्दु पर वेग की दिशा बदलने से त्वरण शून्य नहीं होती है।
(d) सत्य, सम्पर्क बिन्दु पर घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।”
(e) सत्य, घर्षण बल ही लोटनिक गति के लिए आवश्यक बल आघूर्ण उत्पन्न करता है।

प्रश्न 7.33.
कणों के किसी निकाय की गति को इसके द्रव्यमान केन्द्र की गति और द्रव्यमान केन्द्र के परितः गति में अलग-अलग करके विचार करना।
दर्शाइए कि – (a) \(\overrightarrow{p_i}=\overrightarrow{p_i^{\prime}}+m_i \overrightarrow{v_i}\)
जहाँ \(\vec{p}_i \) (m) द्रव्यमान वाले)/ वें कण का संवेग और
\(\overrightarrow{p_i^{\prime}}=m_i \overrightarrow{v_i^{\prime}}\)
ध्यान दें कि \(\overrightarrow{v_i^{\prime}}\) द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष वें कण का वेग है। द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा का उपयोग करके यह भी सिद्ध कीजिए कि \(\Sigma \overrightarrow{p_i^{\prime}}=0\)

(b) K = K’+ \(\frac{1}{2}\) Mv2
K कणों के निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, K’ निकाय की कुल गतिज ऊर्जा, जबकि कणों की गतिज ऊर्जा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष ली जाए। Mv2/2 सम्पूर्ण निकाय के (अर्थात् निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के) स्थानान्तरण की गतिज ऊर्जा है।

(c) \(\text { (c) } \vec{L}=\overrightarrow{L^{\prime}}+\vec{R} \times M \vec{v}\)
जहाँ \(L^{\prime}=\Sigma \overrightarrow{r_i^{\prime}} \times \overrightarrow{p_i^{\prime}}\) द्रव्यमान के परितः निकाय का कोणीय संवेग है जिसकी गणना में वेग द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष मापे गये हैं। याद कीजिए \(\overrightarrow{r_i^{\prime}}=\overrightarrow{r_i}-\vec{R}\) शेष सभी चिह्न अध्याय में प्रयुक्त विभिन्न राशियों के मानक चिह्न हैं। ध्यान दें कि \(\overrightarrow{\boldsymbol{L}}\) द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय का कोणीय संवेग एवं \(\overrightarrow{M R} \times \vec{v}\) इसके द्रव्यमान केन्द्र का कोणीय संवेग है।

(d) \(\frac{d \overrightarrow{L^{\prime}}}{d t}=\Sigma \overrightarrow{r_i^{\prime}} \times \frac{d \overrightarrow{p^{\prime}}}{d t}\)
यह भी दर्शाइए कि \(\frac{d L^{\prime}}{d t}=\vec{\tau}_{\text {ext }}\)
(जहाँ \(\tau \text { ext }\) द्रव्यमान केन्द्र के परितः निकाय पर लगने वाले सभी बाह्य बल आघूर्ण हैं।)
[संकेत: द्रव्यमान केन्द्र की परिभाषा एवं न्यूटन के गति के तृतीय नियम का उपयोग कीजिए। यह मान लीजिए कि किन्हीं दो कणों के बीच के आन्तरिक बल उनको मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।]
उत्तर:
माना दृढ़ पिण्ड के कणों के द्रव्यमान क्रमश: m1 m2 हैं जिनकी मूलबिन्दु 0 के सापेक्ष स्थिति सदिश क्रमश: r1r2 हैं। दृढ़ पिण्ड का द्रव्यमान केन्द्र G है जिसका मूलबिन्दु के सापेक्ष स्थिति सदिश तथा द्रव्यमान केन्द्र के सापेक्ष कणों की स्थिति क्रमशः
r1r2 …………हैं।
सदिश से,

(c) समी० (1) में \(\vec{p}_i=m_i \overrightarrow{v_i}+p_1^{\prime}\)
बाईं ओर से का सदिश गुणा करने पर

यहाँ I सम्पूर्ण पिण्ड का मूलबिन्दु के परितः कोणीय संवेग है तथा \(\vec{R} \times M \vec{v}\) द्रव्यमान केन्द्र का मूलबिन्दु के सापेक्ष कोणीय संवेग तथा \(\Sigma r_i^{\prime} \times p_i^{\prime}=L_i^{\prime}\) पिण्ड का द्रव्यमान के सापेक्ष कोणीय संवेग है।

यहाँ \(\frac{d \overrightarrow{p_i^{\prime}}}{d t}=\vec{F}_i\) वें कण पर कार्यरत् नेट बल है।
माना इस कण पर अन्य कणों द्वारा आरोपित बलों का परिणामी \(\vec{F}_i\)(int) है तथा बाह्य आरोपित बल \(\vec{F}_i\)(text) है।
\(\vec{F}_i=\vec{F}_{i \text { int }}+\vec{F}_{i \text { ext }}\)
\(\frac{d L^{\prime}}{d t}=\Sigma r_i^{\prime} \times F_{i \text { int }}+\Sigma r_i^{\prime}+\vec{F}_{i \text { ext }}\)
परन्तु सभी कणों के आरोपित आन्तरिक क्रिया-प्रतिक्रिया बल सन्तुलन में होते हैं तथा द्रव्यमान केन्द्र के परितः इन बलों के आघूर्णो का सदिश योग शून्य होता है।
\(\Sigma \overrightarrow{r_i} \times \vec{F}_{i(\text { int })}=0\)
जबकि
\(\Sigma \overrightarrow{r_i} \times F_{i \mathrm{ext}}=\vec{\tau}_{\mathrm{ext}}\)
यहाँ \(\vec{\tau}_{\text {ext }}\) पिण्ड पर आरोपित बाह्य बल का द्रव्यमान केन्द्र के परित: आघूर्ण है।
\(\frac{d \vec{L}}{d t}=\vec{\tau}_{\text {ext }}\)

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 14.1.
किसी n प्रकार के सिलिकॉन में निम्नलिखित में से कौन-सा प्रकथन सत्य है?
(a) इलेक्ट्रॉन बहुसंख्यक वाहक हैं और त्रिसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।
(b) इलेक्ट्रॉन अल्पसंख्यक वाहक हैं और पंचसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।
(c) होल (विवर) अल्पसंख्यक वाहक हैं और पंचसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।
(d) होल (विवर) बहुसंख्यक वाहक हैं और त्रिसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।
उत्तर:
(c) होल (विवर) अल्पसंख्यक वाहक हैं और पंचसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 14.2.
अभ्यास 14.1 में दिए गए कथनों में से कौन-सा p- प्रकार के अर्धचालकों के लिए सत्य है?
उत्तर:
(d) होल (विवर) बहुसंख्यक वाहक हैं और त्रिसंयोजी परमाणु अपमिश्रक हैं।

प्रश्न 14.3.
कार्बन, सिलिकॉन और जर्मेनियम, प्रत्येक में चार संयोजक इलेक्ट्रॉन हैं। इनकी विशेषता ऊर्जा बैंड अंतराल द्वारा पृथक्कृत संयोजकता और चालन बैंड द्वारा दी गई हैं, जो क्रमशः (Eg)C (Eg) si तथा (Eg)Ge के बराबर हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा प्रकथन सत्य है?
(a) (Eg)si < (Eg)Ge < (Eg)C
(b) (Eg)C < (Eg)Ge > (Eg)si
(c) (Eg)C > (Eg)si > (Eg)Ge
(d) (Eg)C = (Eg)si = (Eg) Ge
उत्तर:
(c) (Eg)C > (Eg)si > (Eg)Ge

प्रश्न 14.4.
बिना बायस p-n संधि से होल p- क्षेत्र में n क्षेत्र की ओर विसरित होते हैं, क्योंकि
(a) n क्षेत्र में मुक्त इलेक्ट्रॉन उन्हें आकर्षित करते हैं।
(b) ये विभवांतर के कारण संधि के पार गति करते हैं।
(c) p- क्षेत्र में होल-सांद्रता 1- क्षेत्र में इनकी सांद्रता से अधिक है।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(c) p- क्षेत्र में होल सांद्रता n क्षेत्र में इनकी सांद्रता से अधिक है।

प्रश्न 14.5.
जब p-n संधि पर अग्रदिशिक बायस अनुप्रयुक्त किया जाता है, तब यह
(a) विभव रोधक बढ़ाता है।
(b) बहुसंख्यक वाहक धारा को शून्य कर देता है।
(c) विभव रोधक को कम कर देता है।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) विभव रोधक को कम कर देता है।

प्रश्न 14.6.
अर्ध-तरंगी दिष्टकरण में, यदि निवेश आवृत्ति 50 Hz है तो निर्गम आवृत्ति क्या है? समान निवेश आवृत्ति हेतु पूर्ण तरंग दिष्टकारी की निर्गम आवृत्ति क्या है?
उत्तर:
अर्ध-तरंगी दिष्टकरण केवल आधा निवेशी A. C. को दिष्ट में करती है।
∴ निर्गत A. C. की आवृत्ति = निवेशी AC की आवृत्ति = 50 Hz
पूर्ण तरंगी दिष्टकरण, AC निवेशी के दोनों अद्धों को दिष्ट करता है।
∴ निर्गत AC की आवृत्ति = 2 x निवेशी AC की आवृत्ति
= 2 × 50 = 100 Hz

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 14.7.
कोई p-n फोटोडायोड 2.8eV बैंड अंतराल वाले अर्धचालक से संविरचित है। क्या यह 6000 nm की तरंगदैर्ध्य का संसूचन कर सकता है?
उत्तर:
बैण्ड अंतराल Eg = 2.8 ev
6000 nm की तरंगदैर्ध्य संगत ऊर्जा बैण्ड अन्तराल माना E
∴ हम जानते हैं:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 1
बैण्ड अन्तराल Eg का मान E से अधिक ही है। अतः यह 6000 nm की तरंगदैर्घ्य का संसूचन नहीं कर सकता है।

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):

प्रश्न 14.8.
सिलिकॉन परमाणुओं की संख्या 5 x 1028 प्रति m” है। यह साथ ही साथ आर्सेनिक के 5 x 1022 परमाणु प्रति ms और इंडियम के 5 x 1020 परमाणु प्रतिm से अपमिश्रित किया गया है। इलेक्ट्रॉन और होल की संख्या का परिकलन कीजिए दिया है कि n = 1.5 x 1016 m ” दिया गया पदार्थ n प्रकार का या p प्रकार का?
उत्तर:
दिया गया है:
ND = 5 x 1022 परमाणु / मीटर3
Na = 5 × 1020 परमाणु / मीटर3
ni = 1.5 x 1016 प्रति / मीटर3
यहाँ पर स्पष्ट है कि ni << ND और भी << NA
ND – NA = ne – nh और nenh = ni2
या
nh = ni2/ne
या
ND – NA = ne – ni2/ne
(ND – NA) x ne = ne2 – ni2
या ne2 – (ND – NA ) ne – ni2 = 0
उपर्युक्त समीकरण (ne) में द्विघात है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 2
(ND – NA) की अपेक्षा बहुत छोटा है अतः और भी छोटा होगा। अतः इसको छोड़ा जा सकता है।
= 1/2 [4.95 × 1022 + 4.95 × 1022]
ne = 4.95 x 1022
और
nh = ni2/ne
= \(\frac{2.25 \times 10^{32}}{4.95 \times 10^{22}}\)
nh = 4.55 x 109
चूँकि ne >> nh, इसलिए दिया गया पदार्थ n – प्रकार का है।

प्रश्न 14.9.
किसी नैज अर्धचालक में ऊर्जा अंतराल Eg का मान 1.2ev है। इसकी होल गतिशीलता इलेक्ट्रॉन गतिशीलता की तुलना में काफी कम है तथा ताप पर निर्भर नहीं है। तथा 300 K पर चालकताओं का क्या अनुपात है? नैज वाहक सांद्रता की ताप निर्भरता इस प्रकार इसकी 600 K यह मानिए कि व्यक्त होती है:
ni = noexp(-E/2KBT)
जहाँ no एक स्थिरांक है।
उत्तर:
दिया गया है:
नैज अर्धचालक का ऊर्जा अन्तराल =
Eg = 1.2 ev
T = 600 K
T2 = 300 K
माना अर्धचालक T1 व T2 की चालकतायें क्रमशः σ1 व σ2
σ1/σ2 = ?
हम जानते हैं:
σ = 1/P
= e(neμe + nnμn) ………….(1)
नैज अर्धचालक के लिए
∴ समीकरण (1) से
σ = e niμe …………. (2)
यह भी दिया गया है कि
nj = nge Eg/2KAT …………… (3)
समीकरण (2) व (3) से हम
σ = e n0μ0 e-Eg/2KAT
σ = e-Eg/2KAT ………….(4)
जहाँ पर
K = 1.38 x 10-23 JK-1
= 8.62 x 10-5 eVK-1
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 3
= exp[11.600928] = e11.600928
σ1/σ2 = e11.6
दोनों तरफ log लेने पर
loge(σ1/σ2) = 11.6 loge
2.303log(σ1/σ2) = 11.6
log(σ1/σ2) = 11.6/2.303 = 5.3069 = 5.307
σ1/σ2 = Antilog(5.3037) = 1.1 x 105
इससे हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि नैज अर्धचालक की चालकता ताप से बहुत प्रभावित होती है।

प्रश्न 14.10.
किसी p-n संधि डायोड में धारा I को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है:
I = Io exp(ev/2kT – 1)
जहाँ Io को उत्क्रमित संतृप्त धारा कहते हैं, V डायोड के सिरों पर वोल्टता है तथा यह अग्रदिशिक बायस के लिए धनात्मक तथा पश्चदिशिक बायस के लिए ऋणात्मक है। I डायोड से प्रवाहित धारा है, kp बोल्ट्जमान नियतांक ( 8.6 x 10-5 eV/K) है तथा T परम ताप है। यदि किसी दिए गए डायोड के लिए I = 5 x 10-12 A तथा T = 300 K है, तब
(a) 0.6 V अग्रदिशिक वोल्टता के लिए अग्रदिशिक धारा क्या होगी?
(b) यदि डायोड के सिरों पर वोल्टता को बढ़ाकर 0.7 V कर दें तो धारा में कितनी वृद्धि हो जाएगी?
(c) गतिक प्रतिरोध कितना है?
(d) यदि पश्चदिशिक वोल्टता को 1 V से 2 V कर दें तो धारा का मान क्या होगा?
उत्तर:
(a) HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 4
= 5 × 10-12 [exp (11.6279 ) – 1]
= 5 x 10-12 [1.119 × 105 – 1]
(11.6279) 1.119 x 105
= 5 x 10-12 x 1.119 x 105
= 5.595 x 10-7
= 0.5595 μA
= 0.6 μA

(b) प्रश्नानुसार V = 0.7 वोल्ट
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 5
= 5 x 10-2 [exp (13.5658) – 1]
= 5 x 102 [7.811 x 105 – 1]
= 5 x 102 x 7.811 × 105
∵exp (13.5658) = 7.811 x 105
= 39.055 x 107
= 3.9055 μA
∵ धारा में वृद्धि∆l = I – I
= (3.9055 – 0.5595) μA
= 3.3460 PA
= 3.3460 x 10-6A

(c) गतिक प्रतिरोध
R = ∆V/∆I = \(\frac{0.7-0.6}{3.3460 \times 10^{-6}}\)
= \(\frac{0.1}{3.3460 \times 10^{-6}}\)
= 0.2988 × 105 ओम
= 0.3 x 105 ओम

(d) पश्च बायस में V ऋणात्मक तथा उच्च होने से
exp(ev/2KT – 1)
जिससे धारा सम्बन्ध ऋणात्मक हो जाता है।
अतः 1 वोल्ट या 2 वोल्ट के पश्च विभव के लिए धारा 1 का मान I के बराबर होगा, जिससे
R = \(\frac{2-1}{5 \times 10^{-12}-5 \times 10^{-12}}\)
अर्थात् गतिक प्रतिरोध अनन्त हो जाएगा।

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 14.11.
आपको चित्र में दो परिपथ दिए गए हैं। यह दर्शाइए कि परिपथ (a) OR गेट की भाँति व्यवहार करता है जबकि परिपथ (b) AND गेट की भाँति कार्य करता है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 6
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 7

ABY = \(\overline{A+B}\)Y = \(\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}}\)
0010
0101
1001
1101

अतः परिपथ OR गेट की भाँति कार्य करता है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 8

ABABY
00100
01010
10010
11011

अतः परिपथ AND गेट की भाँति कार्य करता है।

प्रश्न 14.12.
नीचे दिए गए चित्र में संयोजित NAND गेट. संयोजित परिपथ की सत्यमान सारणी बनाइए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 9
अतः इस परिपथ द्वारा की जाने वाली यथार्थ तर्क संक्रिया का अभिनिर्धारण कीजिए ।
उत्तर:
दिये गये NAND द्वार के दोनों निवेशी समान हैं अर्थात् A हैं अतः निर्गत
Y = A.B = A.A = A
(∵ A.A = A )
अतः सत्यता सारणी

निवेशी Aनिर्गत Y = A
01
10

इस प्रकार यह परिपथ एक NOT द्वार का कार्य करता है।

प्रश्न 14.13.
आपको निम्न चित्र में दर्शाए अनुसार परिपथ दिए गए हैं जिनमें NAND गेट जुड़े हैं। इन दोनों परिपथों द्वारा की जाने वाली तर्क संक्रियाओं का अभिनिर्धारण कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 10
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 11

ABYYY
00110
01101
10011
11001

अतः परिपथ AND संक्रिया को प्रस्तुत करता है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 12

ABYY
0010
0110
1010
1101

अतः परिपथ OR संक्रिया प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 14.14.
चित्र में दिए गए NOR गेट युक्त परिपथ की सत्यमान सारणी लिखिए और इस परिपथ द्वारा अनुपालित तर्क संक्रियाओं (OR, AND NOT) को अभिनिर्धारित कीजिए।
(संकेत – A = 0, B = 1 तब दूसरे NOR गेट के निवेश A और B 0 होंगे और इस प्रकार Y = 1 होगा। इसी प्रकार A और B के दूसरे संयोजनों के लिए Y के मान प्राप्त कीजिए । OR, AND, NOT द्वारों की सत्यमान सारणी से तुलना कीजिए और सही विकल्प प्राप्त कीजिए।)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 13
उत्तर:
यहाँ उपर्युक्त चित्र एक NOT द्वारा अनुसरित NOR द्वार दर्शाता है जो NOR द्वार से ( NOT द्वार) प्राप्त किया गया है। इस प्रकार निर्गम Y NOR द्वार का निर्गम दर्शाता है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 14
जिसे NOT द्वार को पुष्ट करने के काम लाया जाता है। इस प्रकार हम एक OR द्वार प्राप्त करते हैं जैसा कि सत्य तालिका में दर्शाया गया है तथा बुलियन संक्रिया भी यहाँ दर्शाई गई है, जो इन पर की
गई है।

ABY = \(\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}}\)Y = \(\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}}\)
0010
0101
1001
1101

इस प्रकार A, B और Y OR द्वार की तालिका दर्शाते हैं अतः यह परिपथ OR द्वार के तुल्य है अर्थात् जब A = B = O तब Y’ उच्च होगा क्योंकि NOR द्वार संक्रिया में यदि दोनों निवेश निम्न हैं तो निर्गम उच्च होगा और निर्गम निम्न होगा। यदि एक या दोनों निवेश उच्च हों
इसी प्रकार जब
A = 0, B = 1 Y = 0
A = 1, B = 0, Y = 0
A = B = 1, Y’ = 0

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ

प्रश्न 14.15.
चित्र में दर्शाए गए केवल NOR गेटों से बने परिपथ की सत्यमान सारणी बनाइए। दोनों परिपथों द्वारा अनुपालित तर्क संक्रियाओं (OR, AND NOT) को अभिनिर्धारित कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 14 अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी-पदार्थ, युक्तियाँ तथा सरल परिपथ 15
उत्तर:
(a) NOR गेट की सत्य सारणी नीचे दी गई है:

ABY
001
010
100
110

दिए गए परिपथ में दो इनपुटों को साथ-साथ जोड़ा गया है। NOR द्वार के लिए यदि एक या दोनों निवेश उच्च हों तो निर्गम निम्न होगा और यदि दोनों निवेश निम्न हों तो निर्गम उच्च
(b)

ABABY
00110
01100
10010
11001

इस प्रकार निवेश A व B तथा निर्गम Y के साथ हटा AND द्वार की सत्य मान तालिका प्राप्त करते हैं।

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

प्रश्न 13.1.
(a) लीथियम के दो स्थायी समस्थानिकों 63Li एवं 22Li की बहुलता का प्रतिशत क्रमशः 7.5 एवं 92.5 हैं। इन समस्थानिकों के द्रव्यमान क्रमश: 6.01512 u एवं 7.01600 u हैं। लीथियम का परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
(b) बोरॉन के दो स्थायी समस्थानिक 105B एवं 115B हैं। उनके द्रव्यमान क्रमशः 10.01294 u एवं 11.00931 u एवं बोरॉन का परमाणु भार 10.811 u है। 105B एवं 115B की बहुलता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है
Li का द्रव्यमान = 6.01512 u तथा बहुलता प्रतिशत = 7.5%
3Li का द्रव्यमान =7.01600 u तथा बहुलता प्रतिशत = 92.5%
(a) लीथियम का परमाणु द्रव्यमान
= \(\frac{7.5 \times 6.01512 \mathrm{u}+92.5 \times 7.016004 \mathrm{u}}{7.5+92.5}\)
= \(\left(\frac{45.1134+648.98}{100}\right) \mathrm{u}\)
= 6.941 u

(b) यहाँ पर दिया गया है – B का परमाणु भार = 10.811 u माना B और B समस्थानिकों की b% व (100 – b)% क्रमशः बहुलतायें हैं।
∴ 10.811 = \(\frac{\mathrm{b} \times 10.01294+(100-\mathrm{b}) \times 11.00931}{100}\)
या
10.811 x 100 = 10.01294b + 1100.931 – 11.00931b
(11.00931 – 10.01294)b = 1100.931 – 1081.1
या 0.99637b = 19.831
या b = 19.831/0.99637
या b = 19.831/0.99637 = 1983100/99637
b = 19.9%
100 – b = 80.1%
B10 की बहुलता = 19.9%
SB11 की बहुलता = 80.1%

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

प्रश्न 13.2.
नियॉन के तीन स्थायी समस्थानिकों की बहुलता क्रमश: 90.51%, 0.27% एवं 9.22% है। इन समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान क्रमश: 19.99 u, 20.99u एवं 21.99u हैं। नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना नियॉन का माध्य परमाणु द्रव्यमान m(Ne) है।
m(Ne) = \(\frac{90.51 \times 19.99+0.27 \times 20.99+9.22 \times 21.99}{90.51+0.27+9.27}\)
= \(\left(\frac{1809.29+5.67+202.75}{100}\right) \mathrm{u}\)
= 20.18u

प्रश्न 13.3.
नाइट्रोजन नाभिक (N) की बंधन-ऊर्जा Mev में ज्ञात कीजिए mN = 14.00307 u.
उत्तर:
दिया गया है:
Z = 7
तथा
A = 14
A – Z= 14 – 7 = 7
7 प्रोटॉनों का द्रव्यमान = 7 x 1.007825
= 7.054775 u
7 न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान = 7 x 1.008665 u
= 7.060655 u
नाभिक का द्रव्यमान 7.054775 u + 7.060655
= 14.11543 u
बंधन ऊर्जा = (14.11543u – 14.00307u ) × 931.5 MeV
= (0.11236) × 931.5 Mev
= 104.66 Mev
= 104.7 MeV

प्रश्न 13.4.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर 5626Fe एवं 20983Bi नाभिकों की बंधन-ऊर्जा Mev में ज्ञात कीजिए।
m(5626Fe) = 55.934939 u
m(20983Bi) = 208.980388u
उत्तर:
(i) 5626Fe नाभिक में 26 प्रोटॉन तथा 56 – 26 = 30
न्यूट्रॉन होते हैं।
26 प्रोटॉन का द्रव्यमान = 26 × 1.007825
= 26.20345 a.m.u.
30 न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = 30 x 1.008665
= 30.25995 a.m.u.
25 न्यूक्लिऑन का कुल द्रव्यमान = 26.20345 + 30.25995 = 56.46340 a.m.u.

5626Fe नाभिक का द्रव्यमान = 55.934939 a.m.u.
इसलिए द्रव्यमान क्षति ∆m = 56.46340 – 55.934939
= 0.528461 a.m.u.
∴ कुल बंधन ऊर्जा = 0.528461 × 931.5 Mev
= 492.26 Mev
प्रतिन्यूक्लिऑन माध्य बंधन ऊर्जा
B = ∆E/V = \(\frac{492.26}{56}\)
= 8.790Me V

(ii) 20983Bi नाभिक में 83 प्रोटॉन तथा (209 – 83) = 126 न्यूट्रॉन होते हैं।
83 प्रोटॉन का द्रव्यमान = 83 x 1.007825
= 83.64975 a.m.u.
126 न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = 126
1.008665
= 127.09190 a.m.u.
न्यूक्लिऑन का कुल द्रव्यमान = 210.741260 am.u
20983Bi नाभिक का द्रव्यमान 208.980388 amu.
∴ द्रव्यमान क्षति ∆m = 210.741260 amu – 208.980388 a.m.u.
= 1.760872 a.m.u.
कुल बंधन ऊर्जा = 1.760872 x 9315 Mev
= 1640.26 Mev
प्रति न्यूक्लिऑन माध्य बंधन ऊर्जा
B = ∆E/V = \(\frac{1640.26}{209} \mathrm{MeV}\)
= 7.84 Mev
अतः 5626Fe की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा 20983Bi से अधिक है।

प्रश्न 13.5.
एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0g है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो सरलता के लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णतः 6329CU परमाणुओं का बना है (6329Cu का द्रव्यमान = 62.92960u)।
उत्तर:
परमाणु का द्रव्यमान = 62.92960 u
29 इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 29 x 0.000548 u
= 0.015892 u
नाभिक का द्रव्यमान = (62.92960 – 0.015892)u = 62.913708 u
29 प्रोटॉन का द्रव्यमान = 29 x 1.007825 u
= 29.226925 u
(63 – 29 = 34) न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान
= 34 × 1.008665 u
= 34.29461 u
प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन का कुल द्रव्यमान
= (29.226925 +34.29461) u = 63.521535 u
बंधन ऊर्जा = (63.521535 – 62.913708) × 931.5 Mev
= 0.607827 × 931.5 Mev
1 कॉपर नाभिक के लिए बंधन ऊर्जा की मात्रा
= 0.607827 x 931.5 Mev
63g कॉपर में, कॉपर परमाणुओं की संख्या आवोगाद्रो संख्या
N = 6.023 x 1023
1g कॉपर में 6.023 x 1023/63
अतः
3g कॉपर में 6.023 x 1023/23 x 3
अतः बंधन ऊर्जा की आवश्यकता होगी
= \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{63}\)
x 0.607827 x 931.5 Mev
= 1.584 × 1025 MeV
= 1.584 × 1025 x 10 x 1.6 × 10-19
= 2.535 x 1012J

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

प्रश्न 13.6.
निम्नलिखित के लिए नाभिकीय समीकरण लिखिए:
(1) 22688Ra का Q-क्षय
(ii) 242 94Pu का C-क्षय
(iii) 3215P का -क्षय
(iv) 21083Bi का B -क्षय
(v) 116C का B+ क्षय
(vi) 9743Te का B+ क्षय
(vii) 12054xe का इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण।
उत्तर:
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक 1

एक रेडियोएक्टिव समस्थानिक की अर्धायु T वर्ष है। कितने समय के
(a) 3.125% तथा
(b) 1% रह जाएगी?
उत्तर:
माना आरम्भिक सक्रियता = No
t समय के पश्चात् सक्रियता = N
रेडियो समस्थानिक का अर्ध जीवनकाल = T
विखण्डन नियतांक = λ
दिया गया है:
N = 3.125% (No का )
N = 3.125/100
No = 1/32 No
हम जानते हैं:
N = No e-λt
∴ 1/32 No = No e-λt
1/32 = e–λt
e-λt = 32 = 25
logeλt = loge 25
λt = 5 loge 2 …..(1)
हम जानते हैं:
λ = 0.693/T …..(2)
समीकरण (1) में λ का मान समीकरण (2) से रखने पर
या (0.693/T)t = 5 x 0.693
या t = 5 T वर्ष
(b) N = 1/100 No
N = No eλt
100 = eλt
λt = loge 100
∵ loge = 1
λt = loge (10)2 = 2loge 10
λt = 2 × 2.303 log10 10
= 4.606 × 1
या (0.693/T)t = 4.606
या t = 4.606T/0.693 = 6.65Tवर्ष

प्रश्न 13.8.
जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक 146C के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव 126C के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमंडल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। 146C की ज्ञात अर्धायु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली 146C कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धांत है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता की सन्निकट आयु का आकलन कीजिए।
उत्तर:
माना t = 0 पर C14 के परमाणुओं की संख्या (प्रति ग्राम) No थी जबकि इसका क्षय 15 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम की सक्रियता पर, t समय के बाद, आज C14 के शेष परमाणु प्रति ग्राम माना N है और यह एक क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम की सक्रियता दर्शाता है। हम यह जानते हैं कि उपस्थित रेडियोधर्मी परमाणुओं की संख्या के सक्रियता अनुक्रमानुपाती होती है।
अतः N/N0 = 9/15
हम यह भी जानते हैं कि
N/N0 = e-λt
या 9/15 = e-λt
या 15/9 = e-λt
या 5/3 = eλt
या loge(5/3) = logeλt = λtloge
या loge(5/3) = λt × 1
या t = 1/λloge(5/3) = 1/λ × 2/303 log10(5/3)
= 1/λ × 2.303 log10(1.6667)
या t = 1/λ × 2.303 × 0.2219
= 1/λ × 0.5109
या t = 0.5110/λ …………. (1)
हम यह भी जानते हैं कि
क्षय स्थिरांक λ = 0.693/T1/2
λ = 0.693/5730 ….(2)
समीकरण (1) तथा (2) से
t = 0.5110/0.693/5730
= \(\frac{0.5110 \times 5730}{0.693}\)
= 4225.15 वर्ष
= 4225 वर्ष

प्रश्न 13.9.
8.0mCi सक्रियता का रेडियोऐक्टिव स्रोत प्राप्त करने के लिए 6027Co की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी? 6027Co की अर्धायु 5.3 वर्ष है।
उत्तर:
दिया गया है:
रेडियोधर्मी स्रोत की शक्ति
8.0mCi
= 8.0 × 103 Ci
= 8 × 103 × 3.7 x 1010 विखण्डन / सेकण्ड
= 29.6 × 107 विखण्डन / सेकण्ड
1 Ci = 3.7 x 1010 विखण्डन / सेकण्ड
dN/dt =- 29.6 x 107
किन्तु dN/dt = – λN
-λN = – 29.6 × 107
N = 29.6 × 107
लेकिन
λ = 0.693/T
∴ N = 29.6 ×107 x T/0.693
6027Co का अर्धजीवनकाल = T1/2 = 5.3 वर्ष
= 5.3 × 365 × 24 x 60 x 60
= 1.67 x 108 सेकण्ड
अतः
N = \(\frac{29.6 \times 10^7 \times 1.67 \times 10^8}{0.693}\)
= 7.133 × 1016
6027Co की मात्रा = ?
हम जानते हैं कि कोबाल्ट के 60g में 6.023 x 1023 के परमाणु या नाभिक होते हैं।
अर्थात् 6.023 x 1023 Co के परमाणुओं का द्रव्यमान = 60g
∴ Co के 1 परमाणु का द्रव्यमान = \(\frac{60}{6.023 \times 10^{23}} \mathrm{~g}\)
7.133 x 1016 Co के परमाणुओं का द्रव्यमान
= \(\frac{60}{6.023 \times 10^{23}}\) x 7.133 x 1016
अर्थात् आवश्यक 6027CO की मात्रा = 7.11 g है
या = 7.11 x 10-6 g

प्रश्न 13.10.
9038Sr की अर्धायु 28 वर्ष है। इस समस्थानिक के 15 mg की विघटन दर क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
9038Sr का अर्धकाल = T1/2 = 28.0 वर्ष
= 28 × 365 × 24 x 3600 Second
= 88.3 × 107 S
9038Sr की मात्रा = 15 mg = 15 x 1023 g
90g के Sr में परमाणुओं की
संख्या = 6.023 x 1023
∴ Sr के 1g में परमाणुओं की संख्या = imm
∴ 15 mg में 90Sr के परमाणुओं की संख्या
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∵ 1 Ci = 3.7 x 1010 विखण्ड प्रति सेकण्ड
= 2.13 Ci
विखण्डन दर
= 2.13 Ci या 7.879 x 1010 (Bq)

प्रश्न 13.11.
स्वर्ण के समस्थानिक 19779Au एवं रजत के समस्थानिक 10747Ag की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं, गोलीय नाभिक के लिए R = Ro A1/3 होता है।
जहाँ A = नाभिक की द्रव्यमान संख्या है R0 = प्रयोगाश्रित स्थिरांक है।
माना 19779Au की द्रव्यमान संख्या व उसकी त्रिज्या क्रमशः A1, R1 है।
और हमने यहाँ पर यह भी माना है कि 197Ag समस्थानिक की द्रव्यमान संख्या व त्रिज्या A2, R2 है, तब
R1 = A0 (197)1/3 ……(1)
और इसी तरह से
R2 = Ag (107)1/3 ……..(2)
समीकरण (1) तथा (2) से
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(\frac{A_0(197)^{1 / 3}}{A_0(107)^{13}}\)
या \(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(\left(\frac{197}{107}\right)^{1 / 3}\) = (1.841)1/3
R1/R2 = 1.23

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प्रश्न 13.12.
(a) 22688Ra एवं (b) 22086Rn नाभिकों के C-क्षय में उत्सर्जित Q कणों का Q-मान एवं गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
दिया है:
m (22688Ra) = 226.02540 u
m (22286Rn) = 222.01750 u,
m (22086Rn) = 220.01137 u,
m (21684Po) =216.00189 u.
उत्तर:
(a) मूल नाभिक और क्षय नाभिक के द्रव्यमान में अन्तर
= 226.02540 u – (222.01750 u + 4.00260 u )
= 226.02540 u – 226.02010
= + 0.00530
तुल्य ऊर्जा का मान = 0.0053 x 931.5 Mev
= 4.93695 MeV = 4.94 Mev
उत्सर्जित α कण की K. E
= 222/222+4 x 4.94
= 222/226 x 4.94
= 4.85 Mev

(b) मूल नाभिक और क्षय नाभिक के द्रव्यमान में अन्तर
= 220.01137 u- (216.00189 u + 4.00260u )
= 220.01137 u – (220.00449)
= + 0.00688 u
तुल्य ऊर्जा का मान 0.00688 931.5 Mev
= 6.41 Mev
माना उत्सर्जित – कणों की गतिज ऊर्जा (K. E) = Eα
Eα = (216/216 + 4) × 6.14Mev
= 6.289
= 6.29 MeV

प्रश्न 13.13.
रेडियोन्यूक्लाइड “C का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है,
116C → 115B + e+ + v T1/2 = 20.3 min
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा 0.960 Mev है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं-
m (116C ) = 11.011434 u तथा m (116B) = 11.009305u, Q-मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
क्षय प्रक्रम का समीकरण
116C → 115B + e+ + v + Q
जहाँ प्रक्रिया का Q मान या α कण की KE = a.m.u. में द्रव्यमान त्रुटि
= [m(116C) – 6me] [m(115B) – 5me + me
= m (116C) – m(115B) – 2me
= 11.011434 u – 11.009305 u – 2 x 0.000548 u
= 0.001033 u
Q = 0.001033 × 931.5 Mev
= 0.962 Mev …..(1)
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
(K.E) = 0.960Mev …..(2)
समीकरण (1) तथा (2) से हम निष्कर्ष निकालते हैं कि प्रक्रिया का Q मान क्षय प्रक्रम में निकली वास्तविक ऊर्जा के समकक्ष है।
∴ Q = Ed + Ee + Ev
e+ व v की तुलना में पुत्री नाभिक बहुत भारी है अतः यह नगण्य ऊर्जा वाहक (Ed = 0) यदि न्यूट्रॉनों (v) द्वारा ले जाई जाने वाली गतिज ऊर्जा (Ev) न्यूनतम है ( अर्थात् शून्य) पॉजिट्रॉन अधिकतम ऊर्जा ले जाता है और यही वास्तव में समस्त ऊर्जा Q है, अतः अधिकतम
E = Q = 0.962 Mev

प्रश्न 13.14.
2310Ne का नाभिक, B उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस B-क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। m (2310Ne) = 22.994466 u; m (2511Na) = 22.089770 u.
उत्तर:
Q = [(2310Ne) – m(2511Na) – mc]c2
जब न्यूट्रॉन का विराम द्रव्यमान को अपेक्षित किया गया है।
∴ Q = [m(2310Ne) – 10m – m(2511Na) + 11mc – mc]c2
= [(2310Ne) – m(2511Na) – mc]c2
= (22.094466 uc2
= 0.004696 × 931.5 Mev
= 4.374 Mev
यह गतिज ऊर्जा e युग्म द्वारा मुख्यतः सहभाजित होती है। चूँकि 23 Na इस युग्म से कांफी अधिक भारी है और इसलिए इसकी प्रतिक्षेप ऊर्जा नगण्य है।
उत्सर्जन की अधिकतम ऊर्जा e – v युग्म की कुल गतिज ऊर्जा के बराबर है। जब इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा होती है, न्यूट्रॉनों की कोई ऊर्जा नहीं होती है। इस प्रकार B उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा 4.374 MeV है।

प्रश्न 13.15.
किसी नाभिकीय अभिक्रिया A + b ⇒ C + d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है, Q = [mA + mb – mC – md]C2
जहाँ दिए गए द्रव्यमान नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी-
(i) 11H + 31H → 21H + 21H
(ii) 126C + 126C → 2010Ne + 42He
दिए गए परमाणु द्रव्यमान इस प्रकार हैं:
m(21H) = 2.014102 u
m (31H) = 3.016049_u
m(126C) = 12.000000
m (2010Ne) = 19.992439 u
उत्तर:
(i) अभिक्रिया का Q मान
Q= [m(126C) + m(31H) – 2m (21H) ]c2
Q = (1.007825 + 3.016049 2 x 2.014102) uc2
(4.023874 – 4.028204)u c2
= (- 0.004330) uc2
= – 0.00433 x 931.5 Mev
= – 4.03 Mev
चूँकि Q ऋणात्मक है, अतः अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।

(ii) Q= [2m(126C) – m (2010Ne) – m (42He) ] c2
= (2 x 12.000000 19.992439 – 4.002603)u c2
= (24.000000 – 23.995042)u c2
= (0.0049584) uc2
= 0.0049584 x 931.5 Mev
= 4.6175 MeV
= 4.62 Mev
चूँकि Q धनात्मक है अतः अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है।

प्रश्न 13.16.
माना कि हम 5626Fe नाभिक के दो समान अवयवों 2813Al में विखंडन पर विचार करें क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखंडन संभव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर:
दिया है : m (5626Fe ) = 55.93494 u
एवं m (2813Al) = 27.98191 u
हल-Q = [m (5626Fe) – 2m (2813Al) ]C2
= (55.93494 u – 2 x 27.98191)uc2
= (55.93494 – 55.96382)u c2
= – 0.02888u × 931.5 Mev/u
= – 0.02888 x 931.5 Mev
= – 26.90 Mev
स्पष्टतः 56Fe26 के दो समान अवयव 13Al28 में विखण्डन के लिए बाह्य रूप से 26.9 Mev ऊर्जा देनी होगी। अतः 56Fe26 का इस प्रकार विखण्डन सम्भव नहीं है।

प्रश्न 13.17.
23994Pu के विखंडन गुण बहुत कुछ 23592U से मिलते-जुलते हैं प्रति विखंडन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 Mev है। यदि 1 kg शुद्ध 23994Pu के सभी परमाणु विखंडित हों तो कितनी Mev ऊर्जा विमुक्त होगी?
उत्तर:
239g 23994Pu में 6.023 x 1023 नाभिक है।
∴ 1000 g 23994Pu में होंगे = \(\frac{6.023 \times 10^{23} \times 1000}{239}\)
= 2.52 x 1024 नाभिक
प्रत्येक नाभिक के प्रति विखण्डन द्वारा विमुक्त ऊर्जा
= 180 Mev
∴ कुल विमुक्त ऊर्जा = 180 x 2.52 x 1024 Mev
= 4.54 x 1026 Mev

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प्रश्न 13.18.
किसी 1000 MW विखंडन रिएक्टर के आधे ईंधन का 5.00 वर्ष में व्यय हो जाता है। प्रारंभ में इसमें कितना 23592U था? मान लीजिए कि रिएक्टर 80% समय कार्यरत रहता है, इसकी संपूर्ण ऊर्जा 23592U के विखंडन से ही उत्पन्न हुई है तथा 23592U न्यूक्लाइड केवल विखंडन प्रक्रिया में ही व्यय होता है।
उत्तर:
शक्ति = P = 1.000 MW
= 103 × 106 w = 109 J s-1
समय = T = 5 वर्ष 5 x 365 x 24 x 3600
= 1.577 x 108 s
जब अणु भट्टी 80% समय तक कार्य करती है, यदि इसके द्वारा दी जाने वाली ऊर्जा E है तब
E = PT1 लेकिन T1 = 80/100T
= 109 x 80/100T
= \(\frac{10^9 \times 80}{100}\) x 1.577 × 108 J
= 1.2616 × 1017 J
23592U के प्रति विखण्डन में उत्पन्न ऊर्जा जो अणु भट्टी से
= 200 Mev
= 200 × 106 × 1.6 x 10-19 J = 3.2 x 10-11 J
माना 5 वर्ष में n विखण्डन होते हैं
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक 3
= \(\frac{1.2616 \times 10^{17}}{3.2 \times 10^{-11}}\)
अब 23592U के 235 g विखण्डन में 6.0 x 1023 परमाणु उत्पन्न
पाँच वर्ष में 23592U का उपयुक्त द्रव्यमान
m = \(\frac{235}{6.0 \times 10^{23}}\) × n
= \(\frac{235}{6.0 \times 10^{23}}\) × \(\frac{1.2616 \times 10^{17}}{3.2 \times 10^{-11}}\)
= 15.4415 × 105 g
= 1544.15 x 103 g = 1544.15 kg
या
m’ = 5g में आधा उपयुक्त ईंधन
23592U का आरम्भिक द्रव्यमान M है, तब
M = 2m
= 2 × 1544.15
= 3088.3 kg

प्रश्न 13.19.
2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैंप कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है:
21H + 21H → 32He + n + 3.27 Mev
उत्तर:
ड्यूटीरियम के 2 नाभिकों के संलयन में विमुक्त ऊर्जा की मात्रा = 3.2 Mev
उपयोग में ड्यूटीरियम की मात्रा = 2 kg
21H ( ड्यूटीरियम) के 2kg में ड्यूटीरियम परमाणु या नाभिक की संख्या
= 6.023 x 1023
21H के 2 kg या 2000 g में ड्यूटीरियम परमाणु या नाभिक की संख्या
= \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{2}\) × 200
= 6.023 x 1026
2 नाभिकों के संलयन में विमुक्त ऊर्जा = 3.2 Mev
6.023 x 1026 नाभिकों के संलयन में विमुक्त ऊर्जा
= 32/2 × 6.023 x 1026
= 9.6368 × 1026 Mev
= 9.6368 × 1026 x 1.6 x 10-13 J
= 15.42 × 1013 J
= 15.42 × 1013 WS
शक्ति P = 100 W
माना इस ऊर्जा से t सेकण्ड तक प्रकाशित रखा जा सकता है।
अतः उपर्युक्त विद्युत शक्ति = 100 t
100 t = 15.42 x 1013
या
t = 15.42 x 1013/100
या
= 15.42 × 1011 सेकण्ड
= \(\frac{15.42 \times 10^{11}}{365 \times 60 \times 60 \times 24}\)
t = 4.9 x 104 वर्ष

प्रश्न 13.20
दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
(संकेत- कूलॉम अवरोध की ऊँचाई का मान इन ड्यूट्रॉन के बीच लगने वाले उस कूलॉम प्रतिकर्षण बल के बराबर होता है जो एक-दूसरे को संपर्क में रखे जाने पर उनके बीच आरोपित होता है। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 fm प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
उत्तर:
आमने-सामने की टक्कर के लिए दो ड्यूट्रॉनों के केन्द्रों के बीच की दूरी = r = 2 x त्रिज्या
= 2 × (2 fm)
= 4 fm = 4 × 10-15 m
प्रत्येक ड्यूट्रॉन का आवेश (e) = 1.6 x 10-19 C
दो ड्यूट्रॉन को परस्पर सम्पर्क में रखने पर इनके मध्य प्रभावी
दूरी R = 2r = 4 x 10-15 m
अतः स्थितिज ऊर्जा का मान = \(\frac{e^2}{4 \pi \epsilon_0 r}\)
= \(\frac{9 \times 10^9 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{4 \times 10^{-15}}\) जूल
= 360 Kev
स्थितिज ऊर्जा (P.E) = 2 x प्रत्येक ड्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा = 360 Kev
इस प्रकार ड्यूट्रॉन के कूलॉम अवरोध की ऊँचाई = दो ड्यूट्रॉन परमाणुओं के बीच स्थितिज ऊर्जा
= 360 Kev

प्रश्न 13.21.
समीकरण R = RoA1/3 के आधार पर दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है ( अर्थात् A पर निर्भर नहीं करता है) यहाँ Ro एक नियतांक है द्रव्यमान संख्या है। एवं A नाभिक की जाता है।
उत्तर:
नामिक की त्रिज्या का व्यंजक R = Ro A1/3 से दिया …..(1)
यदि नामिक का आयतन V है, तब
V = 4/3πr1/3
= 4/3π(R0A1/3)1/3
(समीकरण 1 से मान रखने पर)
= 4/3π(R1/30A …………..(2)
यदि नाभिक का घनत्व p है, तब
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इस प्रकार समीकरण (3) से हम देख सकते हैं कि p घनत्व A से स्वतंत्र है। अतएव हम यह निष्कर्ष ले सकते हैं कि P नाभिकों के लिए लगभग स्थिर है।

प्रश्न 13.22.
किसी नाभिक से B+ (पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आंतरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से
नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनो, उत्सर्जित करता है) ।
e+ + ZAX → Z-1AY + v
दर्शाइए कि यदि B+ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परंतु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
उत्तर:
प्रतियोगी प्रक्रमों पर विचार करने पर
AZX → AZ-1Y + e+ + Ve + Q1 (पॉजिट्रॉन उत्सर्जन से )
e + AZx → AZ-1Y + Ve + Q2 (इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण से)
Q1 = [mN(AZX) – mN(AZ-1Y) – me]C2
= [mN(AZX) – me – m(AZ-1Y) – (Z – 1) me – me]C2
= [mN(AZX) – m(AZ-1Y) – 2me]C2
यहाँ पर mN नाभिक का द्रव्यमान तथा m परमाणु का द्रव्यमान प्रदर्शित करते हैं।
Q2 = [mN(AZX) + me – mN(AZ-1Y)]C2
= [mN(AZX) – me – m(AZ-1Y) – (Z – 1) me – me]C2
= [mN(AZX) – m(AZ-1Y)]C2 …………… (2)
यदि Q1 > 0 तब Q2 > 0
अर्थात् यदि ऊर्जीय रूप से पॉजिट्रॉन उत्सर्जन अनुमत है, इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण (परिग्रहण) अनिवार्य रूप से अनुमत होगा। Q2 > 0 का अनिवार्य अर्थ यह नहीं है कि Q1 > 0 अतः विलोम असत्य है अर्थात् यह अनुमत नहीं है।

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):

प्रश्न 13.23
आवर्त सारणी में मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान 24.312 u दिया गया है। यह औसत मान, पृथ्वी पर इसके समस्थानिकों की सापेक्ष बहुलता के आधार पर दिया गया है। मैग्नीशियम के तीनों समस्थानिक तथा उनके द्रव्यमान इस प्रकार हैं: 2412Mg (23.98504 u ), 2512Mg (24. 98584) एवं 2612Mg (25.98259 u)। प्रकृति में प्राप्त मैग्नीशियम में 2412Mg की (द्रव्यमान के अनुसार) बहुलता 78.99% है। अन्य दोनों समस्थानिकों की बहुलता का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
मैग्नीशियम का औसत परमाण्विक द्रव्यमान = 24.312u
समस्थानिक
2412Mg
2512Mg
2612Mg
परमाणु द्रव्यमान (Z)
23.98504
24.98584
25.98259
बहुलता
7.899%
x%
100 – (7.899 + x)%
हम जानते हैं कि औसत परमाणु द्रव्यमान सम्बन्ध
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240.312 x 100 = 1894.58 + 24.98584 x + 545.89 – 25.98259 x
2431.2 = 2440.47 – 0.99675 x
या
0.99675 x = 9.27
या
x = \(\frac{9.27}{0.99675}\) = 9.30
या
21.01 – x = 21.01 – 9.30 = 11.71
2412Mg की आपेक्षिक प्रबलता = 9.30%
2612Mg की आपेक्षिक प्रबलता = 11.71%

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प्रश्न 13.24.
न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा (Separation energy), परिभाषा के अनुसार, वह ऊर्जा है जो किसी नाभिक से एक न्यूट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक होती है। नीचे दिए गए आँकड़ों का इस्तेमाल करके #Ca एवं HAI नाभिकों की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
m(4020Ca) = 39.962591 u
m(4120Ca) = 40.962278 u
m(2613Al) = 25.986895 u
m(2713Al) = 26.981541 u
उत्तर:
(i) 4120Ca न्यूट्रॉन पृथक्करण की ऊर्जा जब 4020CaCa से एक न्यूट्रॉन पृथक हो जाता है तब हमारे पास4020Ca रह जाता है।
इस प्रकार नाभिकीय अभिक्रिया
4020Ca → 4020Ca + 10n द्वारा दी जाती है।
∴ द्रव्यमान में त्रुटि ∆m = m (4020Ca) + mn – m (4120Ca)
द्वारा दी जाती है।
= 39.962591 + 1.008665 – 40.962278
= 40.971256 – 40.962278
= 0.008978a.m.u.
इस प्रकार न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा का मान
= 0.008978 × 931.5 Mev
= 8.363 MeV

(ii) 2713Al का न्यूट्रॉन पृथक्करण: जब 2713Al से एक न्यूट्रॉन पृथक् किया जाता है तो हमारे पास 2713AI शेष रह जाता है। इस प्रकार
नाभिकीय अभिक्रिया:
2713Al → 2613Al + 10n से दी जाती है।
∴ द्रव्यमान त्रुटि ∆m = m (2613Al) + mn – m) (2713Al) से दी जाती है।
= 25.986895 + 1.008665 – 26.981541
= 26.99556 – 26.981541
= 0.014019 a.m.u.
अतएव न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा
= ∆m x 931.5 Mev
= 0.014019 x 931.5 Mev
= 13.06 MeV

प्रश्न 13.25.
किसी स्रोत में फॉस्फोरस के दो रेडियो न्यूक्लाइड निहित हैं 3215P (T1/2 = 14.3 d) एवं 3315P (T 1/2 = 25.3 d)। प्रारंभ 3315P से 10% क्षय प्राप्त होता है। इससे 90% क्षय प्राप्त करने के लिए कितने समय प्रतीक्षा करनी होगी?
उत्तर:
माना 3315P व 3215P की आरम्भिक सक्रियता क्रमश: Ro1 व Ro2 है।
हमने यहाँ पर यह भी माना है कि किसी क्षण पर उनकी सक्रियता क्रमश: R1 व R2 है।
∴ कुल आरम्भिक सक्रियता = R01 + R02 …..(1)
t समय पर कुल सक्रियता = R1 + R2
दिया गया है:
R01 = कुल सक्रियता का 10%
R01 = 10/100 × (R01 + R02
या 10R01 = R01 + R02
या 9R01 = R02 ……….. (3)
t समय पर
R1 =
R1 = 90% (R1 + R2) भी
R1 = 90/100 (R1 + R2)
R1 = 9/10 (R1+R2)
10 R1 = 9R + 9R2
R1 = 9R2
∴ R2 = 1/9R1 …………. (4)
समीकरण (3) तथा (4) से
\(\frac{\mathrm{R}_2}{\mathrm{R}_{02}}\) = \(\frac{\frac{1}{9} R_1}{9 R_{01}}\) = \(\frac{1}{81} \frac{R_1}{R_{01}}\)
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(81 \frac{R_{01}}{R_{02}}\) ………(5)
हम यह भी जानते हैं:
R = R01e-λ1t
∴ R1 = R01e-λ1t …………. (6)
और R2 = R02e-λ1t ………… (7)
समीकरण (6) में (7) का भाग देने पर
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(\frac{\mathrm{R}_{01}}{\mathrm{R}_{02}}\) × \(\frac{e^{-\lambda_1 t}}{e^{-\lambda_2 t}}\)
या
\(81 \frac{R_{01}}{R_{02}}\) = \(\frac{R_{01}}{R_{02}}\) × \(\frac{e^{-\lambda_1 t}}{e^{-\lambda_2 t}}\)
[समीकरण (5) का प्रयोग करने पर
\(\frac{e^{-\lambda_1 t}}{e^{-\lambda_2 t}}\) = 81
या
e(λ1 – λ2)t = 81
दोनों तरफ लघुगणक लेने पर
loge(λ1 – λ2)t = loge 81
या
2 – λ1)t loge = 2.303 log 1081
2 – λ1)t = 2.303 log 1081 ….. (8)
हम यह भी जानते हैं:
λ = 0.693/t1/2
माना (t1/2) 1 और (t1/2)2. 3315P व 3215P को क्रमशः अर्धकाल है
(t1/2) = 25.3 दिन
(t1/2) = 14.3 दिन
λ1 = 0.693/(t1/2) = 0.693/25.3
इसी तरह से
λ2 = 0.693/(t1/2) = 0.693/14.3
समीकरण (8) में मान रखने पर
(0.693/14.3 – 0.693/25.3) t= 2.303 log1081
या 0.693 \(\left(\frac{25.3-14.3}{14.3 \times 25.3}\right)\) t = 2.303 log1081
या
t = \(\frac{2.303 \log _{10} 81 \times 14.3 \times 25.3}{0.693 \times 11}\)
= \(\frac{2.303 \times 1.9085 \times 14.3 \times 25.3}{0.693 \times 11}\)
= \(\frac{1590.167}{7.623}\)
= 208.601 दिन
= 209 दिन

प्रश्न 13.26.
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, एक नाभिक, α-कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए:
22388Ra → 20982Pb + 146C
22388Ra → 21986Rn + 42He
इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से संभव हैं।
उत्तर:
22388Ra के क्षय से 146C उत्सर्जन के लिए
जहाँ पर प्रक्रम में 22388Ra → 20982Pb + 146C + Q है।
Q = [mN(22388Ra) – mN(20982Pb) – mN(146C)]C2
Q = [m(22388Ra) – m(20982Pb) – m(146C)]C2
= [223.01850 u – 222.984314 u]C2
= 0.034186uC2
= 0.034186 u x 931.5/u
= 0.034186 × 931.5 Mev
= 31.85 MeV
Ra के क्षय प्रक्रम He प्राप्त करने के लिए
Ra→ 3 Rn + / He + Q अभिक्रिया होती है। जहाँ अभिक्रिया का Q मान
Q = [mN(22388Ra) – mN(21986Rn) – mN(42He)]C2
= [mN(22388Ra) – mN(21986Rn) – mN(42He)]C2
= [223.01850 u – 219.00948 u – 4.00260 u]C2
= [223.01850 u – 219.01208 u]C2
= [4.00642 u] × 931.5 MeV
= 5.98 Mev
∵ दोनों ही क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q धनात्मक है। अतः ये प्रक्रियायें ऊर्जा दृष्टि से सम्भव हैं।

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प्रश्न 13.27.
तीव्र न्यूट्रॉनों द्वारा m23892U के विखंडन पर विचार कीजिए। किसी विखंडन प्रक्रिया में प्राथमिक अंशों (Primary fragments) के बीटा क्षय के पश्चात् कोई न्यूट्रॉन उत्सर्जित नहीं होता तथा 14058Ce तथा 9944Ru अंतिम उत्पाद प्राप्त होते हैं। विखंडन प्रक्रिया के लिए Q के मान का परिकलन कीजिए आवश्यक आँकड़े इस प्रकार हैं:
m (23892U) = 238.05079 u
m(14058Ce) = 139.90543 u
m(9944Ru) = 98.90594 u
उत्तर:
विखण्डन अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:
23892U + 10n → 14058Ce + 9944Ru + Q
अभिक्रिया के Q का मान
Q= [m(23892U) + m(10n) – m(14058Ce) – m(9944Ru)]C2
= [238.05079 u + 1.00867u – 139.90543 u – 98.90594 u]C2
= [239.05946 u – 238.81137 u]C2
= [0.24809 u] × 931.5/U Mev
= 231.1 MeV

प्रश्न 13.28.
D-T अभिक्रिया ( ड्यूटीरियम-ट्रीटियम संलयन),
21H + 31H → 42He + n पर विचार कीजिए।
(a) नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान MeV में ज्ञात कीजिए।
m(21H) = 2.014102 u
m(31H) = 3.016049 u
(b) ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 fm मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है ? अभिक्रिया प्रारंभ करने के लिए गैसों (D तथा T गैसें) को किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
(संकेत- किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा = 2 (3kT/2); k : बोल्ट्जमान नियतांक तथा T = परम ताप)
उत्तर:
(a) DT संलयन अभिक्रिया
21H + 31H → 42He + 1nn + Q से दी जाती है। जहाँ अभिक्रिया
में Q का मान
Q= [m (H) + m (H) – m(He) – ml c2
= [2.014102 u + 3.016049u 4.002603 u – 1.008665u]c2
= [5.030151 u – 5.011268 u] c2
= [0.018883 u] c2
= (0.018883 u) x 931.5/uMev
= 17.59 MeV

(b) यहाँ 21H या 31H की त्रिज्या = r = 1.5 fm
r= 1.5 x 10-15 m
21H या 31H के बीच जब दोनों नाभिक एक-दूसरे से छूने
तक के सम्पर्क में आते हैं
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प्रत्येक पर आवेश अर्थात्
q1 = 1.6 x 10-19 c
q2= 1.6 x 10-19 c
D-T निकाय की P.E जब दोनों कण लगभग एक-दूसरे के
सम्पर्क में आ जाते हैं।
P.E = 1/4 πe0 q1q2/2r से दी जाती है।
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 1.6 \times 10^{-19}}{2 \times 1.5 \times 10^{-15}}\)
= 7.68 × 10-14 J
कूलॉम प्रतिकर्षण को पार पाने के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा (KE) स्थितिज ऊर्जा (P.E) के तुल्य है।
आवश्यक (K.E) = 7.68 x 10-14J
(किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा =
k: बोल्ट्जमान नियतांक तथा T = परम ताप )
3kT = 7.68 × 10-14
यहाँ पर बोल्ट्ज़मान k का मान = 1.38 x 10-23 JK-1 होता है।
T = \(\frac{7.68 \times 10^{-14}}{3 \mathrm{k}}\) = \(\frac{7.68 \times 10^{-14}}{3 \times 1.38 \times 10^{-23}}\)
T = 1.86 × 109K

प्रश्न 13.29.
नीचे दी गई विकिरण आवृत्तियाँ एवं β कणों की कीजिए दिया है :
क्षय-योजना में, y-क्षयों की अधिकतम गतिज ऊर्जाएँ ज्ञात
m(198Au) = 197.968233 u
m(198Hg) =197.966760 u
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उत्तर:
माना उत्सर्जित y-किरण फोटॉन की क्रमशः आवृत्तियाँ v2 तथा v3 हैं।
न्यूनतम अवस्था में ऊर्जा
E1 = 0
प्रथम उत्तेजित अवस्था की ऊर्जा
= E2 = 0.412 Mev
= 0.412X × 1.6 x 10-13
द्वितीय उत्तेजित अवस्था की ऊर्जा
= E3 = 1.088 Mev
E3 = 1.088 × 1.6 x 10-13
∴ Y1 के लिए
v1 = E3 – E1/h
= \(\frac{1.088 \times 1.6 \times 10^{-13}-0}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 2.626 × 1020 Hz
Y2 के लिए
v2 = E2 – E1/h
= \(\frac{0.412 \times 1.6 \times 10^{-13}-0}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 0.994 × 1020 Hz
Y3 के लिए
v3 = E3 – E2/h
= \(\frac{1.088 \times 1.6 \times 10^{-13}-0.412 \times 1.6 \times 10^{-13}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 1.631 × 1020 Hz
अब Q1 (β1-) = [m(19879Au) – m(19880Hg)]c2 – 1.088 MeV
= [197.968233 u – 197.966760 u]c2 – 1.088 MeV
= [0.001473 u] c2 – 1.088 Mev
= [0.001473 u] x 931.5/u Mev – 1.088 Mev
= 1.372 Mev – 1.088 MeV
= 0.284 MeV ≈ Emax (B1)

Q (B2)= [m(19879Au) – m(19880Hg)]c2 – 0.412 Mev
= [197.968233 u – 197.966760 u]c2 – 0.412 Mev
= [0.001473 u]C2 – 0.412 Mev
= [0.001473 u] x 931.5/u Mev – 0.412 MeV
= 1.372 Mev – 0.412 Mev
= 0.960 MeV = Emax(β2)

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प्रश्न 13.30.
सूर्य के अभ्यंतर में (a) 1 kg हाइड्रोजन के संलयन के समय विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (b) विखंडन रिएक्टर में 1.0 kg 235 के विखंडन में विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (a) तथा (b) प्रश्नों में विमुक्त ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर:
(a) सूर्य में होने वाली संलयन अभिक्रिया
41H → 24He + 2e2 + 2 + 26 Mev
अर्थात् 4 हाइड्रोजन परमाणु प्रति घटना में मिलकर 26 Mev ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान = 1 kg लिया
अब हाइड्रोजन के 1g में 6.023 x 1023
= 1,000 g नाभिक है।
1,000 g हाइड्रोजन में 6.023 x 1023 x 103 नाभिक होंगे।
= 6.023 x 1026 नाभिक यदि Q इन सभी नाभिकों के संलयन से मुक्त ऊर्जा
Q1 = \(\frac{26 \times 6.023 \times 10^{26}}{4}\)
= 39.15 × 1026 Mev
(b) 235U के एकल नाभिक के विखण्डन में = 200 Mev ऊर्जा मुक्त होती है, जो BU की अभिक्रिया
23592U + 0 1n → 92 36Kr + 30 1n + Q2 = 200 Mev
यदि Q2 इन सभी नाभिकों के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा हो तब
Q2 = \(\frac{1000 \times 6.023 \times 10^{23} \times 200}{235}\)
= 5.1 x 1026 Mev
\(\frac{\mathrm{Q}_1}{\mathrm{Q}_2}\) = \(\frac{39.15 \times 10^{26}}{5.1 \times 10^{26}}\)
= 7.68≈ 8
Q1 = 8Q2
अर्थात् 1 kg हाइड्रोजन के संलयन में विमुक्त ऊर्जा, 1 kg, U235 के विखण्डन में विमुक्त ऊर्जा से लगभग 8 गुना अधिक है।

प्रश्न 13.31.
मान लीजिए कि भारत का लक्ष्य 2020 तक 200,000 MW विद्युत शक्ति जनन का है इसका 10% नाभिकीय शक्ति संयंत्रों से प्राप्त होना है। माना कि रिएक्टर की औसत उपयोग दक्षता (ऊष्मा को विद्युत में परिवर्तित करने की क्षमता) 25% है। 2020 के अंत तक हमारे देश को प्रति वर्ष कितने विखंडनीय यूरेनियम की आवश्यकता होगी? 235U प्रति विखंडन उत्सर्जित ऊर्जा 200 Mev है।
उत्तर:
कुल लक्ष्यित विद्युत शक्ति
P = 200,000 MW = 2 x 1011 W
कुल नाभिकीय शक्ति लक्ष्य
= 2 × 1011 W का 10%
= 10/100 x 2 x 1011 = 2 x 1010 w
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n = 25%
कुल उत्पादित शक्ति
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= 8 × 1010 W = 8 × 1010 Js-1
∴2020 तक प्रतिवर्ष वांछित ऊर्जा
E = P x t
E = 8 × 1010 × 365 x 24 x 60 x 60
= 2.523 x 1018J
235U के विखण्डन से उत्पन्न ऊर्जा
= 200 Mev
= 200 x 106 x 1.6 x 10-19 J
= 3.2 × 10-11 J
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= 7.884 x 1028
अब 23592U के 6.023 x 1023 परमाणुओं का द्रव्यमान
= 235g = 235 x 10-3 kg
∴ 7.884 x 1028 उत्पन्न करने के लिए आवश्यक PU के द्रव्यमान में नामिक
=\(\frac{235 \times 10^{-3}}{6.023 \times 10^{23}}\) × 7.884 × 1028 kg
= \(\frac{235 \times 7.884 \times 10^{25}}{6.023 \times 10^{23}}\)
= 307.61 × 102 kg
= 3.0761 x 104 kg

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 12.1.
प्रत्येक कथन के अंत में दिए गए संकेतों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
(a) टॉमसन मॉडल में परमाणु का साइज, रदरफोर्ड मॉडल में परमाणवीय साइज से ………… होता है।
( अपेक्षाकृत काफी अधिक भिन्न नहीं, अपेक्षाकृत काफ़ी कम )
(b) ……….. में निम्नतम अवस्था में इलेक्ट्रॉन स्थायी साम्य . में इलेक्ट्रॉन, सदैव नेट बल अनुभव करते में होते हैं जबकि हैं।
(टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल)
(c) ……….. पर आधारित किसी क्लासिकी परमाणु का नष्ट (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल) में लगभग संतत होना निश्चित है।
(d) किसी परमाणु के द्रव्यमान का वितरण होता है लेकिन होता है।
(e) …………… में अत्यंत असमान द्रव्यमान वितरण (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल) में परमाणु के धनावेशित भाग का द्रव्यमान सर्वाधिक होता है।
उत्तर:
(a) भिन्न नहीं।
( रदरफोर्ड मॉडल, दोनों मॉडलों)
(b) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल।
(c) रदरफोर्ड मॉडल।
(d) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल।
(e) दोनों मॉडलों।

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प्रश्न 12.2.
मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन 14 K से नीचे ताप पर ठोस हो जाती है।) आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु का नाभिक प्रोटॉन है । इसका द्रव्यमान 1.67 x 10-27 kg है, जबकि आपतित ऐल्फा कण का द्रव्यमान 6.64 × 10-27 kg है। क्योंकि प्रकीर्ण होने वाले कण का द्रव्यमान लक्ष्य नाभिक (प्रोटॉन) से अत्यधिक है इसलिए प्रत्यक्ष संघट्ट में भी ऐल्फा- कण वापस नहीं आएगा। यह ऐसा ही है जैसे कि कोई फुटबाल, विरामावस्था में टेनिस की गेंद से टकराए। इस प्रकार प्रकीर्णन बड़े कोणों पर नहीं होगा।

प्रश्न 12.3.
पाश्चन श्रेणी में विद्यमान स्पेक्ट्रमी रेखाओं की लघुतम तरंगदैर्ध्य क्या है?
उत्तर:
हम जानते हैं पाश्चन श्रेणी के लिए n1 = 3, n2 = ∞
आवृत्ति v = Rc(1/3-2 – 1/n2)
n = 4, 5, 6, ….
लघुतम तरंगदैर्घ्य के लिए n2 = ∞
∴ v = Rc(1/3-2 – 1/∞ -2)
या
v/c = R(1/9 – 0) = R/9
∴ 1/λmin = R/9
या λmin = 9/R = 9/1.097 x 10-7
या
= 8.204 × 10-7m
= 820.4 nm

प्रश्न 12.4.
2.3 eV ऊर्जा अंतर किसी परमाणु में दो ऊर्जा स्तरों को पृथक कर देता है। उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति क्या होगी यदि परमाणु में इलेक्ट्रॉन उच्च स्तर से निम्न स्तर में संक्रमण करता है?
उत्तर:
दिया गया है:
∆E = E2 – E1 = 2.3 ev
= 2.3 × 1.6 × 10-19 J
प्लांक नियतांक h = 6.63 × 10-34 JS
उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति = v = ?
हम जानते हैं:
सम्बन्ध ∆E = hv
या v = ∆E/h
मान रखने पर
= \(\frac{2.3 \times 1.6 \times 10^{-19}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
~ 5.6 x 104 Hz

प्रश्न 12.5.
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा -13.6 eV है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज और स्थितिज ऊर्जाएँ क्या होंगी?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा दी जाती है:
Ep = -1/4πE0 . e2/r
तथा गतिज ऊर्जा EK = 1/2 × 1/4πE0 . e2/r = 1/2EP
दिया है
Ep+ Ek =- 13.6 ev
निम्नतम अवस्था में कुल ऊर्जा E = – 13.6 ev
Ep – 1/2Ep= = -13.6 ev
या
1⁄2 EP = – 13.6 ev
या
Ep = – 27.2 ev
Ek = -1/2 Ep = 272/2
= 13.6 eV

प्रश्न 12.6.
निम्नतम अवस्था में विद्यमान एक हाइड्रोजन परमाणु एक फोटॉन को अवशोषित करता है जो इसे n = 4 स्तर तक उत्तेजित कर देता है। फोटॉन की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
यहाँ पर हाइड्रोजन परमाणु एक फोटॉन को अवशोषित करता है, जो इसे n = 4 स्तर तक उत्तेजित कर देता है। अतः फोटॉन की तरंगदैर्ध्य का मान निम्न होगा
1/λ = R(1/12 – 1/42)
= R(1 – 1/16) = 15/16R
या तरंगदैर्ध्य λ = 16/15R = \(\frac{16}{15 \times 1.097 \times 10^7}\)
हम जानते हैं c = vλ
∴ आवृत्ति v = c/λ = \(\frac{3 \times 10^8}{97.24 \times 10^{-9}}\)
= 3.1 x 1015 Hz

प्रश्न 12.7.
(a) बोर मॉडल का उपयोग करके किसी हाइड्रोजन परमाणु में n = 1, 2 तथा 3 स्तरों पर इलेक्ट्रॉन की चाल परिकलित कीजिए। (b) इनमें से प्रत्येक स्तर के लिए कक्षीय अवधि परिकलित कीजिए।
उत्तर:
(a) हम जानते हैं कि बोर मॉडल का उपयोग करके nth कक्षा में कक्षा की त्रिज्या एवं इलेक्ट्रॉन की चाल
rn = \(\frac{n^2 h^2}{4 \pi^2 K m e^2}\) ………….. (i)
और
vn = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi \mathrm{mr}_{\mathrm{n}}}\) = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi \mathrm{m}}\) × \(\frac{4 \pi^2 \mathrm{Kme^{2 }}}{\mathrm{n}^2 \mathrm{~h}^2}\)
vn = \(\frac{2 \pi \mathrm{Ke}^2}{\mathrm{nh}}\) = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\) \(\frac{2 \pi \mathrm{e}^2}{\mathrm{~h}}\) 1/n
हम जानते हैं
e = 1.6 × 10-19 C
h = 6.63 × 10-34 JS
K = 1/4πe0
= 9 × 109 Nm2C2
ये सभी मान समीकरण (2) में रखने पर
vn = \(\frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 3.14 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{6.63 \times 10^{-34}}\)
vn = \(\frac{21.871 \times 10^5}{\mathrm{n}} \mathrm{m} / \mathrm{s}\)
माना n = 1, 2 तथा 3 में इलेक्ट्रॉन की चाल V1. V2 तथा v3 हैं
V1 = 21.871/1 x 105
= 21.871 × 105 m/s
= 2.19 × 106 m/s
V2 = 21.871/2 x 105 m/s
= 10.935 × 105 m/s
= 1.094 × 106 m/s
v3 = 21,871/3 x 105 m/s
= 7.290 × 105 m/s
= 0.729 × 106 m/s

(b) माना स्तर 1, 2 व 3 में कक्षीय आवर्तकाल क्रमश: T1. T2 और T3 है।
इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या (हाइड्रोजन परमाणु के लिए )
अतः
rn = (0.529 × 10-10) n2 मीटर
r1 = 0.529 × 10-10 मीटर
r2 = 4 x 0.529 x 10-10 मीटर
तथा r3 = 9 x 0.529 x 10-10 मीटर
अतः कक्षीय चाल
T = 2πr/v से
T1 = \(\frac{2 \times 3.14 \times 0.529 \times 10^{-10}}{2.19 \times 10^6}\)
= 1.52 x 10-16 सेकण्ड
T2 = \(\frac{2 \times 3.14 \times 4 \times 0.529 \times 10^{-10}}{1.094 \times 10^6}\)
= 12.16 × 10-16 सेकण्ड
तथा T3 = \(\frac{2 \times 3.14 \times 9 \times 0.529 \times 10^{-10}}{0.729 \times 10^6}\)
= 41.01 × 10-16 सेकण्ड

प्रश्न 12.8.
हाइड्रोजन परमाणु में अंतरतम इलेक्ट्रॉन-कक्षा की त्रिज्या 5.3 x 10-11m है। कक्षा n = 2 और n = 3 की त्रिज्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं:
rn α n2 और दिया गया है:
r1 = 5.3 x 10-11 m
r2/r1 = (2/1) = 4
या r2 = 4r1 = 4 x 5.3 x 10-11 m
= 2.12 × 10-11 m
= 2.12 A
पुनः
r3/r1 = (3/1)2 = 9/1
r3 = 9r1
= 9 x 5.3 x 10-11 m
= 4.77 x 10-10 m
= 4.77 A

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 12.9.
कमरे के ताप पर गैसीय हाइड्रोजन पर किसी 12.5 eV की इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी की गई। किन तरंगदैयों की श्रेणी उत्सर्जित होगी ?
उत्तर:
दिया है इलेक्ट्रॉन पुंज की ऊर्जा = 12.5 ev
मूल अवस्था में हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
= – 13.6 ev
अतः इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी से हाइड्रोजन के कक्षीय
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
= – 13.6 + 12.5
= – 1.1 ev
यह ऊर्जा n = 3 में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
E3 = -136/9 = – 1.5 eV से अधिक है।
अतः इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी से इलेक्ट्रॉन तृतीय कक्षा तक उत्तेजित होगा तथा चित्रानुसार निम्न संक्रमण सम्भव है-
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु 1
(i) n2 = 3 से n = 1 में
(ii) n 2 = 2 से n1 = 1 में
उपरोक्त में लाइमन श्रेणी तथा
(iii) n3 = 3 से n1 = 2 में बामर श्रेणी
पुनः चूँकि hv = hc/λ = ∆E
अतः उत्सर्जित विकिरण की तरंगदैर्ध्य
λ = hc/∆E (जूल में)
अत: (i) n2 = 3 से n1 = 1 संक्रमण के लिए
λ1 = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{[-1.5-(-13.6)] \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{12.1 \times 1.6}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{19.36}\)
या = 1.027 × 10-7 मीटर
= 102.7 x 10-9 मीटर
λ2 = 102.6nm

(ii) n2 = 2 से n1 = 1 संक्रमण के लिए
λ2 = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{[-3.4-(-13.6)] \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{10.2 \times 1.6}\) = \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{16.32}\) मीटर
= 1.219 × 10-7 = 121.9 x 10-9 मीटर
= 121.9 nm

(iii) n2 = 3 से n1 = 2 संक्रमण के लिए
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{[-1.5-(-3.4)] \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{1.9 \times 1.6}\) मीटर
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{3.040}\) मीटर
= 6.543 × 10-7 मीटर
या
= 654.3 × 10-9 मीटर
λ = 654.3nm

प्रश्न 12.10.
बोर मॉडल के अनुसार सूर्य के चारों ओर 1.5 x 1011 m त्रिज्या की कक्षा में, 3 x 104 m/s के कक्षीय वेग से परिक्रमा करती पृथ्वी की अभिलाक्षणिक क्वांटम संख्या ज्ञात कीजिए ( पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1024 kg)
उत्तर:
दिया गया है:
r = 1.5 x 1011 m
v = 3 x 104 m/s
पृथ्वी का द्रव्यमान m. = 6.0 x 1024 kg
बोर की परिकल्पनाओं का प्रयोग करते हैं
mvr = nh/2π
या
n = 2n mvr/h
मान रखने पर:
n = \(\frac{2 \times 3.14 \times 6 \times 10^{24} \times 3 \times 10^4 \times 1.5 \times 10^{11}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= \(\frac{6.28 \times 27 \times 10^{39}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 2.557 x 1074
= 2.6 x 1074

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):

प्रश्न 12.11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए जो आपको टॉमसन मॉडल और रदरफोर्ड मॉडल में अंतर समझने हेतु अच्छी तरह से सहायक हैं।
(a) क्या टॉमसन मॉडल में पतले स्वर्ण पन्नी से प्रकीर्णित co- कणों का पूर्वानुमानित औसत विक्षेपण कोण, रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान से अत्यंत कम लगभग समान अथवा अत्यधिक बड़ा है?
(b) टॉमसन मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित पश्च प्रकीर्णन की प्रायिकता (अर्थात् कणों का 90° से बड़े कोणों पर प्रकीर्णन ) रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान से अत्यंत कम लगभग समान अथवा अत्यधिक है?
गया है कि कम मोटाई
(c) अन्य कारकों को नियत रखते हुए, प्रयोग द्वारा यह पाया के लिए मध्यम कोणों पर प्रकीर्णित ca-कणों की संख्या के अनुक्रमानुपातिक है। पर यह रैखिक निर्भरता क्या संकेत देती है?
(d) किस मॉडल में Q-कणों के पतली पन्नी से प्रकीर्णन के पश्चात् औसत प्रकीर्णन कोण के परिकलन हेतु बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा करना पूर्णतया गलत है?
उत्तर:
(a) लगभग समान इसलिए कि हम विक्षेपण कोण का औसत मान लेते हैं।
(b) काफी कम क्योंकि थॉमसन परमाणु प्रतिरूप (मॉडल) में केन्द्रीय भारी क्रोड (नाभिक) का अभाव है जैसा कि रदरफोर्ड मॉडल में माना गया है।
(c) यह संकेत मिलता है कि प्रकीर्णन मुख्यतः एक संघट्ट के कारण है क्योंकि एक संघट्ट की संभावना लक्ष्य परमाणुओं की संख्या के साथ रैखिकत बढ़ती है और इसलिए मोटाई के साथ रैखिकतः बढ़ती है।
(d) टॉमसन मॉडल में गोलीय परमाणु पर धनात्मक आवेश एकसमान रूप से वितरित होता है इसलिए एकल संघट्ट के कारण बहुत कम विक्षेप होता है। अतः प्रेक्षित औसत प्रकीर्णन कोण की व्याख्या केवल बहुप्रकीर्णन को ध्यान में रखकर ही की जा सकती है। इसलिए टॉमसन मॉडल में बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा गलत है। रदरफोर्ड मॉडल में अधिकतर प्रकीर्णन एक संघट्ट के कारण होता है और बहुप्रकीर्णन प्रभाव की प्रथम सन्निकटन पर उपेक्षा की जा सकती है।

प्रश्न 12.12.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन के मध्य गुरुत्वाकर्षण, कूलॉम-आकर्षण से लगभग 100 के गुणक से कम है। इस तथ्य को देखने का एक वैकल्पिक उपाय यह है कि यदि इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन गुरुत्वाकर्षण द्वारा आबद्ध हों तो किसी हाइड्रोजन परमाणु में प्रथम बोर कक्षा की त्रिज्या का अनुमान लगाइए। आप मनोरंजक उत्तर पाएँगे।
उत्तर:
यदि इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन के मध्य गुरुत्वाकर्षण कूलॉम आकर्षण है, तब
F = Gmemp/r2
लेकिन
F = mev2/r गोलाकार कक्षा के लिए
∴ mev2/r = Gmemp/r2
या
mev2r = Gmemp ………… (1)
बोर की परिकल्पना से
mevr = nh/2π
दोनों ओर का वर्ग करने पर me2v2r2 = \(\) ……………. (2)
समीकरण (2) में समीकरण (1) से भाग देने पर
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु 2
पहली कक्षा के लिए
n = 1 होने पर r = r1 =a0
G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-2
me = 9.1 × 10-31 kg
तथा mp = 6.67 × 10-27kg
मान रखने पर
a0 = \(\frac{(1)^2 \times\left(6.63 \times 10^{-34}\right)^2}{4 \times 9.87 \times 6.67 \times 10^{-11} \times\left(9.1 \times 10^{-31}\right) \times 1.67 \times 10^{-27}}\)
ag = 1.21 × 1029 m
यह मान सम्पूर्ण विश्व के आकलित आकार से कहीं अधिक है।

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 12.13.
जब कोई हाइड्रोजन परमाणु स्तर n से स्तर (n – 1) पर व्युत्तेजित होता है तो उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए n के अधिक मान हेतु दर्शाइए कि यह आवृत्ति, इलेक्ट्रॉन की कक्षा में परिक्रमण की क्लासिकी आवृत्ति के बराबर है।
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु की nth कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
En = \(\frac{-2 \pi^2 m e^4 K^2}{n^2 h^2}\) व्यंजक से प्राप्त होती है।
जहाँ पर K एक स्थिरांक है, जिसका मान 1/4πe0 होता है।
हाइड्रोजन की (n – 1)th कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा भी होगी
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु 3

n के विशाल मान के लिए 2n – 1 = 2n और n – 1 – n लेने पर
= \(\frac{2 \pi^2 \mathrm{~K}^2 m e^4}{\mathrm{~h}^3}\) × \(\frac{2 n}{n^2 \times n^2}\)
= \(\frac{4 \pi^2 \mathrm{~K}^2 m \mathrm{e}^4}{\mathrm{n}^3 \mathrm{~h}^3}\) ……… (1)
इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण की चिरसम्मत ( क्लासिकी) आवृत्ति निम्न होती है
vc = v/2πr …………. (2)
बोर के कोणीय संवेग के प्रतिबन्ध के अनुसार
mvr = nh/2π
या
v = nh/2πmr …..(3)
समीकरण (3) का मान समीकरण (2) में रखने पर
vc = nh/4π2mr2 ……….. (4)
लेकिन इलेक्ट्रॉन की nवीं कक्षा की त्रिज्या
r = \(\frac{n^2 h^2}{4 \pi^2 m K e^2}\)
समीकरण (4) में का मान रखने पर
vc = \(\frac{\mathrm{nh}}{4 \pi^2 \mathrm{~m}\left(\frac{\mathrm{n}^2 \mathrm{~h}^2}{4 \pi^2 \mathrm{mKe}^2}\right)^2}\)
= \(\frac{\mathrm{nh}}{4 \pi^2 \mathrm{~m}}\) × \(\left(\frac{4 \pi^2 \mathrm{mKe}}{\mathrm{n}^2 \mathrm{~h}^2}\right)^2\)
vc = \(\frac{4 \pi^2 \mathrm{mK}^2 \mathrm{e}^4}{\mathrm{n}^3 \mathrm{~h}^3}\) ………….. (5)
∴ समीकरण (1) व (5) से हम देखते हैं कि v = vc अर्थात् n के बृहद् मान के लिए, nth कक्षा में इलेक्ट्रॉन चक्रण की चिरसम्मत आवृत्ति उतनी ही है जितनी हाइड्रोजन परमाणु से nth स्तर से (n – 1)th स्तर पर अनुसेजन के कारण उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति इसे बोर का संगत सिद्धान्त कहते हैं।

प्रश्न 12.14.
क्लासिकी रूप में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी भी कक्षा में हो सकता है। तब प्ररूपी परमाण्वीय साइज किससे निर्धारित होता है? परमाणु अपने प्ररूपी साइज की अपेक्षा दस हजार गुना बड़ा क्यों नहीं है? इस प्रश्न ने बोर को अपने प्रसिद्ध परमाणु मॉडल जो आपने पाठ्यपुस्तक में पढ़ा है, तक पहुँचने से पहले बहुत उलझन में डाला था। अपनी खोज से पूर्व उन्होंने क्या किया होगा, इसका अनुकरण करने के लिए हम मूल नियतांकों की प्रकृति के साथ निम्न गतिविधि करके देखें कि क्या हमें लंबाई की विमा वाली कोई राशि प्राप्त होती है, जिसका साइज, लगभग परमाणु के ज्ञात साइज (~10-10m) के बराबर है।
(a) मूल नियतांकों e, m, और c से लंबाई की विमा वाली राशि की रचना कीजिए। उसका संख्यात्मक मान भी निर्धारित कीजिए।
(b) आप पाएँगे कि (a) में प्राप्त लंबाई परमाण्वीय विमाओं के परिमाण की कोटि से काफी छोटी है। इसके अतिरिक्त इसमें c सम्मिलित है। परंतु परमाणुओं की ऊर्जा अधिकतर अनापेक्षिकीय क्षेत्र (non-relativisitic domain) में है जहाँ c की कोई अपेक्षित भूमिका नहीं है। इसी तर्क ने बोर को c का परित्याग कर सही परमाण्वीय साइज को प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य’ देखने के लिए प्रेरित किया। इस समय प्लांक नियतांक h का कहीं और पहले ही आविर्भाव हो चुका था। बोर की सूक्ष्मदृष्टि ने पहचाना कि h, me और e के प्रयोग से ही सही परमाणु साइज प्राप्त होगा। अतः h me और e से ही लंबाई की विमा वाली किसी राशि की रचना कीजिए और पुष्टि कीजिए कि इसका संख्यात्मक मान, वास्तव में सही परिमाण की कोटि का है।
उत्तर:
(a) राशि \(\left(\frac{\mathrm{e}^2}{4 \pi \in_0 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}} \mathrm{c}^2}\right)\) की विमा लंबाई की विमा है
राशि का संख्यात्मक मान
= \(\frac{\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{\left(\frac{1}{9 \times 10^9}\right) \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(3 \times 10^8\right)^2}\)
= 2.82 × 10-15 m
यह मान परमाणु की ज्ञात साइज (- 1010 मीटर) से बहुत अधिक कम है।
(b) c का त्याग करके नियतांक h me एवं e की सहायता से ऐसी राशि जिसकी विमा लम्बाई के समान है, \(\) \(\)
प्राप्त होती है अतः इस राशि का संख्यात्मक मान
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु 4
= 0.529 × 10-10 मीटर
यह मान परमाणु के आकार की कोटि का है।

प्रश्न 12.15.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा लगभग – 3.4 eV है।
(a) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा क्या है?
(b) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा क्या है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर के चयन में परिवर्तन कर दिया जाए तो ऊपर दिए गए उत्तरों में से कौन-सा उत्तर परिवर्तित होगा?
उत्तर:
दिया गया है – यहाँ, H परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में कुल ऊर्जा n = 2 के लिए
E = – 3.4 ev
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
(K.E.) = Khe2/2r जहाँ पर
K = 1/4πe0
और स्थितिज ऊर्जा
(P.E.) = -Kze2/r
= – 2 (K.E.)
प्रथम उत्तेजित अवस्था में कुल ऊर्जा का मान
E = K.E. + P.E.
= K.E. + [- 2 (K.E.)]
= – K.E.
(a) K.E. = – E = – (- 3.4) eV = + 3.4 eV

(b) P.E = – 2 (KE.) = – 2 × 3.4
= – 6.8 eV

(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर का भिन्न तरीके से चयन किया जाता है तो गतिज ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है गतिज ऊर्जा का मान + 3.4 eV, स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर के चयन पर निर्भर नहीं करता है। यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य स्तर भिन्न ढंग से चयनित किया जाता है तो इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा एवं कुल ऊर्जा अवस्था परिवर्तित हो जाएगी।

प्रश्न 12.16.
यदि बोर का क्वांटमीकरण अभिगृहीत (कोणीय संवेग = nh/2r) प्रकृति का मूल नियम है तो यह ग्रहीय गति की दशा में भी लागू होना चाहिए। तब हम सूर्य के चारों ओर ग्रहों की कक्षाओं के क्वांटमीकरण के विषय में कभी चर्चा क्यों नहीं करते?
उत्तर:
ग्रहीय गति से संबद्ध कोणीय संवेग के सापेक्ष अद्वितीय रूप से बड़ा है। उदाहरणार्थ, अपनी कक्षीय गति में पृथ्वी का कोणीय संवेग 1070 A कोटि का है। बोर के क्वांटमीकरण अभिगृहीत के पदों में, यह n के बहुत बड़े (1070 की कोटि का) मान के संगत है। ॥ के इतने बड़े मान के लिए बोर मॉडल के क्वांटित स्तरों के उत्तरोत्तर ऊर्जाओं और कोणीय संवेगों के अंतर व्यावहारिक उद्देश्यों के संतत स्तरों की क्रमशः ऊर्जाओं और कोणीय संवेगों की तुलना में बहुत कम हैं।

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 12.17.
प्रथम बोर-त्रिज्या और म्यूओनिक हाइड्रोजन परमाणु [अर्थात् कोई परमाणु जिसमें लगभग 207 m, द्रव्यमान का ऋणावेशित म्यूऑन (p) प्रोटॉन के चारों ओर घूमता है] की निम्नतम अवस्था ऊर्जा को प्राप्त करने का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 11.1.
30 kV इलेक्ट्रॉनों के द्वारा उत्पन्न X – किरणों की (a) उच्चतम आवृत्ति तथा (b) निम्नतम तरंगदैर्ध्य प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
(a) दिया गया है:
V = 30 KV = 30 × 1000 = 30,000 v
= 3 × 104
हम जानते हैं- E = hv = eV
∴ Vmax = ev/h
जहाँ पर
h = 6.63 × 10-34 Js
e = 1.6 x 10-19 C
Umax = \(\frac{1.6 \times 10^{-19} \times 3 \times 10^4}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 7.24 × 1018 Hz

(b) माना उत्पन्न न्यूनतम X – किरण तरंगदैर्घ्य = λmin = ?
∴ λmin = c/vmax
मान रखने पर λmin = \(\frac{3 \times 10^8}{7.24 \times 10^{18}}\)
= 4.14 × 1011 m
= 4.14 × 10-11 x 1010A
= 4.14 × 10-1 A
= 0.414 A = 0.0414 nm

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 11.2.
सीजियम धातु का कार्य फलन 2.14ev है। जब 6 × 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश धातु-पृष्ठ पर आपतित होता है, इलेक्ट्रॉनों का प्रकाशिक उत्सर्जन होता है।
(a) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा,
(b) निरोधी विभव, और
(c) उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम चाल कितनी
उत्तर:
दिया गया है:
सीजियम धातु का कार्य फलन Φ = 2.14 ev
तथा
= 2.14 × 1.6 x 10-19 J
आवृत्त = 0 = 6 × 1014 Hz
h = 6.63 Js
(a) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा = Kmax = ?
आइन्सटीन के प्रकाश विद्युत समीकरण से
hv = Kmax + Φ0
∴ kmax = hv – Φ0
मान रखने पर
Kmax = 6.63 × 1034 x 6 x 104 – 2.14
× 1.6 × 10-19
= 6.63 × 6 × 10-20 – 2.14 x 1.6 x 10-19
= 39.78 × 10-20 – 3.424 x 10-19
= 3.978 x 10-19 – 3.424 x 10-19
= 0.554 × 10-19 J
∴ Kmax = \(\frac{0.554 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}ev\)
= 0.34 ev/e

(b) निरोधी विभव Vo = HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 1
= 0.34 eV
= 0.34V

(c) उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन की अधिकतम चाल = V
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = m = 9.1 x 10-31 kg
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 2
= 3.44 x 105 m/s
= \(\frac{3.44 \times 10^5}{10^3}km/s\)
= 344 km/s

प्रश्न 11.3.
एक विशिष्ट प्रयोग में प्रकाश-विद्युत प्रभाव की अंतक वोल्टता 1.5 V है। उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा कितनी है?
उत्तर:
अंतक वोल्टता या निरोधी विभव
Vo= 1.5 V
एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = Kmax = ?
उत्सर्जित अधिकतम गतिज ऊर्जा = e= 1.6 x 10-19 C
सम्बन्ध
K.E = Kmax = eVo से
Kmax = 1.6 x 10-19 x 1.5 V J
= 2.40 × 10-19 J
= \(\frac{2.40 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}ev\)
= 1.5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट

प्रश्न 11.4.
632.8 nm तरंगदैर्घ्य का एकवर्णी प्रकाश एक हीलियम-नियॉन लेसर के द्वारा उत्पन्न किया जाता है। उत्सर्जित शक्ति 9.42mW है।
(a) प्रकाश के किरण-पुंज में प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा तथा संवेग प्राप्त कीजिए,
(b) इस किरण-पुंज के द्वारा विकिरित किसी लक्ष्य पर औसतन कितने फोटॉन प्रति सेकंड पहुँचेंगे? (यह मान लीजिए कि किरण-पुंज की अनुप्रस्थ काट एकसमान है जो लक्ष्य के क्षेत्रफल से कम है), तथा
(c) एक हाइड्रोजन परमाणु को फोटॉन के बराबर संवेग प्राप्त करने के लिए कितनी तेज चाल से
उत्तर:
दिया गया है:
चलना होगा ?
λ = 632.8 nm
= 632.8 x 10-9 m
शक्ति P = 9.42 mW
= 9.42 × 10-3 W

(a) प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा
= K= ?
प्रत्येक फोटॉन का संवेग = p= ?
h = 6.63 × 10-34 J
c= 3 x 10-8 m/s
सम्बन्ध E = hv = hc/λ का उपयोग करने पर
मान रखने पर
= \(\frac{2.40 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}ev\)
= 3.14 × 10-19 J
= \(\frac{3.14 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 1.96eV

तथा संवेग (p) = h/λ से
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{632.8 \times 10^{-9}}\)
= 1.05 x 10-27 kg m/s

(b) फोटॉन प्रति सेकण्ड उत्सर्जित की दर
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 3
= 3 x 1016 फोटॉन/s

(c) माना हाइड्रोजन परमाणु की चाल = VH = ?
हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान = my = 1.67 x 10-27 kg
माना हाइड्रोजन परमाणु का संवेग p’ = MHVн
प्रश्नानुसार p = p = फोटॉन का संवेग
या mHVH = 1.05 x 10-27
∴ VH = \(\frac{1.05 \times 10^{-27}}{\mathrm{~m}_{\mathrm{H}}}\)
= \(\frac{1.05 \times 10^{-27}}{1.67 \times 10^{-27}}\)
= 0.628m/s
= 0.63 m/s

प्रश्न 11.5.
पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने वाला सूर्य प्रकाश का ऊर्जा – अभिवाह (फ्लक्स) 1.388 x 10 W/m2 है। लगभग कितने फोटॉन प्रति वर्ग मीटर प्रति सेकंड पृथ्वी पर आपतित होते हैं? यह मान लें कि सूर्यप्रकाश में फोटॉन का औसत तरंगदैर्घ्य 550 nm है।
उत्तर:
दिया गया है:
ऊर्जा फ्लक्स Φ = = 1.388 x 103 W/m2
फोटॉन का औसत तरंगदैर्घ्य
λ = 550nm
A = 550 x 10-9 m
h = 6.23 x 10-34 Js
c = 3 x 108 m/s2
∴ प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E = hc/λ से
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{550 \times 10^{-9}}\)
= 3.62 × 10-19 J
∴ प्रोटॉन प्रति वर्ग मीटर प्रति सेकण्ड पृथ्वी पर
n = Φ/E
= \(\frac{1.388 \times 10^3}{3.62 \times 10^{-19}}\)
= 3.8 × 1021
= 4 x 1021
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 11.6.
प्रकाश – विद्युत प्रभाव के एक प्रयोग में, प्रकाश आवृत्ति के विरुद्ध अंतक वोल्टता की ढलान 4.12 x 10-15 V s प्राप्त होती है। प्लांक स्थिरांक का मान परिकलित कीजिए।
उत्तर:
VS = V की प्रवणता
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हम जानते हैं:
eV0 = h (v – v0)
=> h = \(\frac{\mathrm{eV}_0}{v-v_0}\) = \(\left(\frac{V_0}{v-v_0}\right)\)
h = 1.6 × 10-19 x 4.12 x 10-15
= 6.592 × 1034 Js

प्रश्न 11.7.
एक 100 W सोडियम बल्ब (लैंप) सभी दिशाओं में एकसमान ऊर्जा विकिरित करता है। लैंप को एक ऐसे बड़े गोले के केंद्र पर रखा गया है जो इस पर आपतित सोडियम के संपूर्ण प्रकाश को अवशोषित करता है। सोडियम प्रकाश का तरंगदैर्ध्य 589 nm है। (a) सोडियम प्रकाश से जुड़े प्रति फोटॉन की ऊर्जा कितनी है ? (b) गोले को किस दर से फोटॉन प्रदान किए जा रहे हैं?
उत्तर:
दिया गया है:
सोडियम लैम्प की शक्ति P = 100 W
सोडियम प्रकाश का तरंगदैर्घ्य
λ = 589nm
A = 589 x 10-9 m

(a) फोटॉन की ऊर्जा
E = hc/λ
मान रखने पर
E = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{589 \times 10^{-9}}\)
= 3.38 × 10-19 J
= 2.11 eV

(b) गोले को किस दर से फोटॉन प्रदान किये जा रहे हैं ?
n = p/E
= \(\frac{100}{3.38 \times 10^{-19}}\)
= 2.96 × 1020
= 3.0 x 1020 फोटॉन/s

प्रश्न 11.8.
किसी धातु की देहली आवृत्ति 3.3 x 1014 Hz है। यदि 8.2 x 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश धातु पर आपतित हो, तो प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन के लिए अंतक वोल्टता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
आवृत्ति v = 8.2 x 1014 Hz
देहली आवृत्ति vo = 3.3 x 1014 Hz
h = 6.63 × 10-34 Js
इलेक्ट्रॉन पर आवेश
e = 1.6 x 10-19 C
आइन्सटीन के प्रकाश विद्युत प्रभाव के समीकरण से
hv – hv0 = eVo
∴ h(v – v0) = ev0
v0 = h(v – v0)/e
मान रखने पर
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प्रश्न 11.9.
किसी धातु के लिए कार्य फलन 4.2 ev है। क्या यह धातु 330nm तरंगदैर्घ्य के आपतित विकिरण के लिए प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन देगा?
उत्तर:
दिया गया है:
कार्यफलन 40 = 4.2 ev
= 4.2 x 1.6 × 10-19 J
= 6.72 x 10-19 J
तरंगदैर्घ्य A = 330 nm = 330 x 10-9 nm
कार्यफलन Φo = hov0 का उपयोग करने पर
∴ देहली आवृत्ति v0 = Φo/h
मान रखने पर
vo = \(\frac{6.72 \times 10^{-19}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
Vo = 1 x 1015 Hz
c = vλ का भी उपयोग करने पर
आपतित विकिरण की आवृत्ति
v = c/λ
मान रखने पर
v = \(\frac{3 \times 10^8}{330 \times 10^{-9}}\)
= 9 × 1014 Hz …………. (ii)
अब समीकरण (i) व (ii) से यह स्पष्ट है कि आपतित विकिरण की आवृत्ति 1 देहली आवृत्ति 00 से कम है अतः इस विकिरण के लिए प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन नहीं हो सकता।

प्रश्न 11.10.
7.21 × 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश एक धातु-पृष्ठ पर आपतित है इस पृष्ठ से 6.0 x 105 m/s की उच्चतम गति से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो रहे हैं। इलेक्ट्रॉनों के प्रकाश उत्सर्जन के लिए देहली आवृत्ति क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
प्रकाश की आवृत्ति
= 7.21 × 1014 Hz
पृष्ठ से निकले इलेक्ट्रॉन की अधिकतम चाल
Vmax = 6.0 x 10 m/s
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = m = 9.1 x 10-31 kg
देहली आवृत्ति = Up = ?
प्लांक का नियतांक = h = 6.63 × 10-34 Js
आइन्सटीन के प्रकाश-वैद्युत समीकरण का उपयोग करने पर
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प्रश्न 11.11.
488 nm तरंगदैर्ध्य का प्रकाश एक ऑर्गन लेसर से उत्पन्न किया जाता है, जिसे प्रकाश-विद्युत प्रभाव के उपयोग में लाया जाता है जब इस स्पेक्ट्रमी रेखा के प्रकाश को उत्सर्जक पर आपतित किया जाता है तब प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का निरोधी (अंतक) विभव 0.38 V है। उत्सर्जक के पदार्थ का कार्य-फलन ज्ञात करें।
उत्तर:
तरंगदैर्ध्य λ = 488 nm
= 488 × 109 m
निरोधी विभव Vo = 0.38 V
उत्सर्जक के पदार्थ का कार्यफलन Φ0 = ?
प्रकाश-विद्युत समीकरण को इस प्रकार से उपयोग करने पर
eV0 = ho – po
∴ Φo = ho – eVo
= hc/λ – evo
मान रखने पर
Φo = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{488 \times 10^{-9}}\) – 1.6×10-19 × 0.38
= 4.08 × 10-19 – 0.608 × 10-19
= 3.472 × 10-19 J
= \(\frac{3.472 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
= 2.17 eV

प्रश्न 11.12.
56 V विभवांतर के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का
(a) संवेग, और
(b) दे- बॉली तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।
उत्तर:
(a) दिया गया है:
लगाया गया विभवांतर = V = 56 V
इलेक्ट्रॉन का संवेग = p = ?
दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य = λ = ?
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m = 9.1 x 10-31 kg
हम जानते हैं:
संवेग p = √2meV
मान रखने पर
\(\sqrt{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 1.6 \times 10^{-19} \times 56}\)
या p= 4.04 x 10-24 kg m/s

(b) दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = h/p = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{4.04 \times 10^{-24}}\)
= 1.64 x 10-10 mn
= 0.164 nm
= 1.64 Å

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प्रश्न 11.13.
एक इलेक्ट्रॉन जिसकी गतिज ऊर्जा 120 ev है, उसका
(a) संवेग, (b) चाल और (c) दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
K = 120 ev
(a) अतः संवेग
P = √2mK
= \(\sqrt{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 120 \mathrm{eV}}\)
= \(\sqrt{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 120 \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\sqrt{2 \times 9.1 \times 120 \times 1.6 \times 10^{-50}}\)
= 5.91 × 10-24 kg m/s

(b) चाल v = imm
v = \(\frac{5.91 \times 10^{-24}}{9.1 \times 10^{-31}}\)
= 6.5 × 106 m/s

(c) डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = h/p
= 1.12 × 10-10m
= 1.12Å
= 0.112 nm

प्रश्न 11.14.
सोडियम के स्पेक्ट्रमी उत्सर्जन रेखा के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य 589 nm है। वह गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए जिस पर
(a) एक इलेक्ट्रॉन, और (b) एक न्यूट्रॉन का दे-बॉली तरंगदैर्घ्य समान होगा।
उत्तर:
दिया गया है:
प्रकाश का तरंगदैर्घ्य = λ = 589nm
λ = 589 x 10-9 m
हम जानते हैं:
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = mc = 9.1 x 10-31 kg
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = mg = 1.67 x 10-27 kg
प्लांक का नियतांक = h = 6.63 x 10-34 Js

(a) माना इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा (K.E) = K1 = ?
सम्बन्ध λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{c}} \mathrm{K}_1}}\) का उपयोग करके
हम
λ2 = \(\frac{\mathbf{h}^2}{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}} \mathbf{K}_1}\) प्राप्त करते हैं।
∴ K1 = \(\frac{h^2}{2 m_e \lambda^2}\)
मान रखने पर
K1 = \(\frac{\left(6.63 \times 10^{-34}\right)^2}{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(589 \times 10^{-9}\right)^2}\)
= 6.94 × 10-25 J
= \(\frac{6.94 \times 10^{-25}}{16 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
K1 = 4.34 × 10-6 eV
= 4.34 HeV

(b) न्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा (KE) = K2 = ?
K2 = \(\frac{h^2}{2 m_n \lambda^2}\)
मान रखने पर
= \(\frac{\left(6.63 \times 10^{-34}\right)^2}{2 \times 1.67 \times 10^{-27} \times\left(589 \times 10^{-9}\right)^2}\)
= 3.79 × 10-28 J
= \(\frac{3.79 \times 10^{-28}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
= 2.36 × 10-9 eV
= 2.36 neV

प्रश्न 11.15.
(a) एक 0.040 kg द्रव्यमान का बुलेट जो 1.0km/s की चाल से चल रहा है, (b) एक 0.060 kg द्रव्यमान की गेंद जो 1.0 km/s की चाल से धूल-कण जिसका द्रव्यमान 1.0 x 10-9 kg चल रही है, और (c) एक kg और जो 2.2 m/s की चाल से अनुगमित हो रहा है, का दे-बॉग्ली तरंगदैर्ध्य कितना होगा?
उत्तर:
दिया गया है:
(a) बुलेट का द्रव्यमान = mg = 0.040 kg
बुलेट का वेग = Vo = 1.0 km/s = 1000 m/s
माना बुलेट का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य = λb = ?
हम जानते हैं।
λ = h/p = h/mv का उपयोग करने पर
∴ λb = h/mbvb
समीकरण के मान रखने पर λb = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{0.040 \times 1000}\)
= 1.655 x 10-35
= 1.7 x 10-35 m

(b) यहाँ पर दिया गया है ( गेंद के लिए)
m = 0.060 kg = 60 x 10-13 kg
v = 1.00 m/s
λ = ?
∴ λ = h/mv = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{60 \times 10^{-3} \times 1.0}\)
= 1.1 x 10-2m

(c) दिया गया है: ( धूल कण के लिए)
m = 1.0 × 10-9 kg
v = 2.2m/s
दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = ?
λ = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{1.0 \times 10^{-9} \times 2.2}\)
= 3.01 × 10-25m

प्रश्न 11.16.
एक इलेक्ट्रॉन और एक फोटॉन प्रत्येक का तरंगदैर्घ्य 1.00nm है।
(a) इनका संवेग,
(b) फोटॉन की ऊर्जा, और
(e) इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
= λc = 1.0nm
∴ λc = 1 × 10-9 m
फोटॉन का तरंगदैर्घ्य = λp = 10-9 m
हम जानते हैं:
प्लांक नियतांक h = 6.63 x 10-34 Js
c = 3 x 108 m/s

(a) माना इलेक्ट्रॉन का संवेग = Pe = ?
हम जानते हैं
λ = h/p = सूत्र से
∴ Pc = h/λe
मान रखने पर
Pe = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{10^{-9}}\)
= 6.63 × 10-25 kg m/s
इलेक्ट्रॉन और फोटॉन के लिए समान है।

(b) फोटॉन की ऊर्जा
Ep = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_P}\)
या
Ep = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{10^{-9}}\)
= 1.99 × 10-16 J
= \(\frac{1.99 \times 10^{-16}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
= 1.24 × 103 ev
= 1.24 Kev
1KeV = 10 eV

(c) इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा = Kc = ?
सूत्र λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\)q से
या λ2 = \(\frac{h^2}{2 \mathrm{mK}}\)
∴ K = \(\frac{h^2}{2 m \lambda^2}\)
चूँकि इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा के लिए है।
∴ Ke = \(\frac{\mathrm{h}^2}{2 m_e \lambda_e^2}\)
मान रखने पर
Ke = \(\frac{\left(6.63 \times 10^{-34}\right)^2}{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(10^{-9}\right)^2}\)
= \(\frac{43.9569 \times 10^{-68}}{18.2 \times 10^{-49}}\)
= 2.415 x 10-19 ev
= \(\frac{2.415 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
= 1.51 ev

प्रश्न 11.17.
(a) न्यूट्रॉन की किस गतिज ऊर्जा के लिए दे- बॉली तरंगदैर्घ्य 1.40 x 10-10 m होगा?
(b) एक न्यूट्रॉन, जो पदार्थ के साथ तापीय साम्य में है और जिसकी 300 K पर औसत गतिज ऊर्जा 3/2KT है, का भी दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(a) दिया गया है:
दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य = λ = 1.40 x 10-10 m
न्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा = K = ?
हम जानते हैं
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = mg = 1.67 x 10-27 kg
h = 6.63 x 1034 Js
सूत्र: λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\) का उपयोग करने पर
हम K = \(\frac{h^2}{2 \mathrm{~m} \lambda^2}\) प्राप्त करते हैं।
न्यूट्रॉन के लिए K = \(\frac{h^2}{2 m_n \lambda_n^2}\)
मान रखने पर
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(b) यहाँ पर परम ताप = T = 300K.
वोल्ट्जमान नियतांक = k = 1.38 x 10-23 JK-1
दिया गया है औसत गतिज ऊर्जा
Kaverage = 3/2KT
= 1.5 × 1.38 × 10-23 x 300
Kaverage = 6.21 × 10-21 J.
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = m = 1.67 x 10-27 kg
माना न्यूट्रॉन का तरंगदैर्घ्य = λn = ?
सम्बन्ध सूत्र:
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प्रश्न 11. 18.
यह दर्शाइए कि वैद्युतचुंबकीय विकिरण का तरंगदैर्ध्य इसके क्वांटम ( फोटॉन) के तरंगदैर्घ्य के बराबर है।
उत्तर:
वैद्युत चुम्बकीय विकिरण के लिए
c = Uλ
या
λ = c/v …..(i)
तथा फोटॉन के लिए
λ = h/p
लेकिन
E = pc होता है
p = E/c से λ का
λ = h/Ec = hc/E
λ = hc/hv
E = hv
λ = c/v ………(ii)
इस प्रकार डी ब्रोग्ली सम्बन्ध से तथा वैद्युत चुम्बकीय विकिरण के लिए A का मान समान है।

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 11.19.
वायु में 300 K ताप पर एक नाइट्रोजन अणु का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य कितना होगा? यह मानें कि अणु इस ताप पर अणुओं के चाल वर्ग माध्य से गतिमान है (नाइट्रोजन का परमाणु द्रव्यमान = 14.0076 u )
उत्तर:
दिया गया है:
तापमान T = 300 K
नाइट्रोजन के अणु का द्रव्यमान = m = 2 x 14.0076 u
= 2 × 14.0076 × 1.6606 x 10-27 kg
= 46.52 × 10-27 kg
डी- ब्रोग्ली तरंगदैर्घ्य =
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अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):

प्रश्न 11.20.
(a) एक निर्वात नली के तापित कैथोड से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उस चाल का आकलन कीजिए जिससे वे उत्सर्जक की तुलना में 500V के विभवांतर पर रखे गए एनोड से टकराते हैं इलेक्ट्रॉनों के लघु प्रारंभिक चालों की उपेक्षा कर दें। इलेक्ट्रॉन का आपेक्षिक आवेश अर्थात् e/m = 1.76 x 1011 Ckg-1 है।
(b) संग्राहक विभव 10MV के लिए इलेक्ट्रॉन की चाल ज्ञात करने के लिए उसी सूत्र का प्रयोग करें, जो (a) में काम में लाया गया है। क्या आप इस सूत्र को गलत पाते हैं? इस सूत्र को किस प्रकार सुधारा जा सकता है?
उत्तर:
(a) दिया गया है:
विभवान्तर V = 500 Volt
e/m = 1.76 x 1011 C kg-1
हम जानते हैं
वेग \(\sqrt{\frac{2 \mathrm{eV}}{\mathrm{m}}}\)
∵ 1/2 mv2 = eV
मान रखने पर
वेग v = \(\sqrt{2 \times 1.76 \times 10^{11} \times 500}\)
= 1.33 × 107 m/s
V = 10 MV = 10 x 106 v
= 107 V

(b) दिया गया है:
वेग v = \(\sqrt{2 \times\left(\frac{\mathrm{e}}{\mathrm{m}}\right) \mathrm{V}}\)
= \(\sqrt{2 \times 1.76 \times 10^{11} \times 10^7}\)
= \(\sqrt{3.52 \times 10^{18}}\)
= 1.88 x 109 m/s
यदि हम V = 107 V के लिए उसी सूत्र का प्रयोग करें, तो “v = 1.88 × 109 ms-1 आता है। यह स्पष्ट रूप से गलत है, क्योंकि कोई भी द्रव्य कण प्रकाश के वेग ( c = 3 x 108 ms-1) से अधिक वेग से नहीं चल सकता। वस्तुतः गतिज ऊर्जा के लिए उपर्युक्त सूत्र (mv2/ 2 ) केवल (v/c) << 1 के लिए वैध है। बहुत अधिक चाल पर, जब (v/c) के लगभग तुल्य (यद्यपि हमेशा 1 से कम ) होता है, तो आपेक्षिकीय प्रभाव क्षेत्र के कारण निम्नलिखित सूत्र वैध होते हैं
आपेक्षिकीय संवेग p = mv
कुल ऊर्जा E = mc2
गतिज ऊर्जा K = mc72 – moc2
जहाँ आपेक्षिकीय द्रव्यमान ॥ निम्नानुसार दिया जाता है:
m = m0\(m_0\left(1-\frac{v^2}{c^2}\right)^{-1 / 2}\)
m0 कण का विराम द्रव्यमान कहलाता है। इन संबंधों से प्राप्त होता है:
E = \(\left(p^2 c^2+m_0^2 c^4\right)^{1 / 2}\)
ध्यान दीजिए कि आपेक्षिकीय प्रभाव क्षेत्र में, जब V/c लगभग 1 के बराबर होता है, तो कुल ऊर्जा E > m0c2 (विराम द्रव्यमान ऊर्जा)। इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा लगभग 0.51 Mev होती है। इसलिए 10 MeV की गतिज ऊर्जा, जो इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा से बहुत अधिक है, आपेक्षिकीय प्रभाव क्षेत्र को व्यक्त करती है। आपेक्षिकीय सूत्रों के प्रयोग से (10 Mev गतिज ऊर्जा के लिए) = 0.999 c

प्रश्न 11.21.
(a) एक समोर्जी इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज जिसमें इलेक्ट्रॉन की चाल 5.20 x 106 ms-1 है, पर एक चुंबकीय क्षेत्र 1.30 x 10-4 T किरण-पुंज की चाल के लंबवत् लगाया जाता है। किरण-पुंज द्वारा आरेखित वृत्त की त्रिज्या कितनी होगी, यदि इलेक्ट्रॉन के e/m का मान 1.76 x 1011 Ckg है?
(b) क्या जिस सूत्र को (a) में उपयोग में लाया गया है। वह यहाँ भी एक 20 Mev इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज की त्रिज्या परिकलित करने के लिए युक्तिपरक है? यदि नहीं तो किस प्रकार इसमें संशोधन किया जा सकता है?
उत्तर:
(a) दिया गया है:
इलेक्ट्रॉन की चाल = v = 5.20 x 106 m/s
चुम्बकीय क्षेत्र = B = 1.30 × 10-4 T
तथा
m = 1.76 x 1011 C kg-1
θ = 90°
इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय क्षेत्र B द्वारा आरोपित बल
या
= qvB sin θ
= qvB × 1
∵ θ = 90°
F= qvB
यह बल वृत्त खींचने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है।
∴ qvB = mv2/r
या
r = mv2/qvB
या
r = mv/qB
या
r = mv/eB
∵ q = e
या
r = \(\frac{v}{\left(\frac{e}{m}\right) \times B}\)
मान रखने पर
r = \(\frac{5.20 \times 10^6}{1.76 \times 10^{11} \times 1.30 \times 10^{-4}}\)
= 0.227 m = 22.7 cm

(b) यहाँ पर दिया गया है
K = ऊर्जा = 20 Mev
K = 20 × 1.6 × 10-19 J
सम्बन्ध K = 1/2mv2 का उपयोग करने पर
या v = \(\) = \(\)
= 2.65 x 109 m/s
जो कि प्रकाश के वेग से अधिक है।
इसलिए 20 Mev इलेक्ट्रॉन किरण पुंज के r का आकलन करने के लिए स्थिति (a) में प्रयुक्त सूत्र अर्थात् r = mv/eB मान्य नहीं है या प्रामाणिक नहीं है; क्योंकि इतनी अधिक ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन का वेग आपेक्षिकता क्षेत्र में है अर्थात् प्रकाश वेग के तुलनीय है तथा द्रव्यमान वेग बढ़ने के साथ परिवर्तित होता है; परन्तु हमने इसे स्थिर लिया है।
∴ m = \(\frac{\mathrm{m}_0}{\sqrt{1-\frac{\mathrm{v}^2}{\mathrm{c}^2}}}\) पर विचार किया जाना है।
अतएव रूपान्तरित किया हुआ समीकरण
r = \(\left(\frac{m_0}{\sqrt{1-\frac{v^2}{c^2}}}\right) \frac{v}{e B}\) हो जाता है।

प्रश्न 11.22.
एक इलेक्ट्रॉन गन जिसका संग्राहक 100 v विभव पर है, एक कम दाब (~10-2mm Hg) पर हाइड्रोजन से भरे गोलाकार बल्ब में इलेक्ट्रॉन छोड़ती है। एक चुंबकीय क्षेत्र जिसका मान 2.83 x 10-4 T है, इलेक्ट्रॉन के मार्ग को 12.0 cm त्रिज्या के वृत्तीय कक्षा में वक्रित कर देता है (इस मार्ग को देखा जा सकता है क्योंकि मार्ग में गैस आयन किरण-पुंज को इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करके और इलेक्ट्रॉन प्रग्रहण के द्वारा प्रकाश उत्सर्जन करके फोकस करते हैं: इस विधि को ‘परिष्कृत किरण-पुंज नली’ विधि कहते हैं।) आँकड़ों से e/m का मान निर्धारित कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
V = 100 Volt
B = 2.83 × 10-4 T
r = 12.0 cm = 12 x 10-2 m
अब
K = 1⁄2mv-2 = eV
∴ mv-2 = 2eV
v 2 = 2ev/m ………… (i)
तथा वृत्ताकार पथ के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल
mv2/r = evB
या
V = eBr/m
v2 = e2b2r2/m2 ………….. (ii)
समीकरण (i) व (ii) से
e2b2r2/m2 = 2ev/m
= e/m = 2v/b2r2 = \(\frac{2 \times 100}{\left(2.83 \times 10^{-4}\right) \times\left(12 \times 10^{-2}\right)^2}\)
= 1.734 × 1011 कूलॉम / किग्रा.

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 11.23.
(a) एक X-किरण नली विकिरण का एक संतत स्पेक्ट्रम जिसका लघु तरंगदैर्घ्य सिरा 0.45 पर है, उत्पन्न करता है। विकिरण में किसी फोटॉन की उच्चतम ऊर्जा कितनी है? (b) अपने (a) के उत्तर से अनुमान लगाइए कि किस कोटि की त्वरक वोल्टता (इलेक्ट्रॉन के लिए) की इस नली में आवश्यकता है?
उत्तर:
(a) दिया गया है:
λmin = 0.45 A
= 0.45 x 10-10 m
∴ Emax = hc/λmin
लेकिन हम जानते हैं:
h= 6.63 × 10-4 Js.
c = 3 x 108 m/s
मान रखने पर
Emax = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{0.45 \times 10^{-10}}\)
= \(\frac{6.63 \times 3 \times 10^{-16}}{0.45}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-15}}{4.5}\)
= 4.42 × 10-15 J
= \(\frac{4.42 \times 10^{-15}}{1.6 \times 10^{-16}} \mathrm{KeV}\)
= 27.6 KeV

(b) Kmax = eV
∴ V = kmax/e
= \(\frac{4.42 \times 10^{-15}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{~V}\)
= 27.61 × 103‘ v
= 27.61 KV
∴ त्वरण विभव की कोटि = 30 KV है।

प्रश्न 11.24.
एक त्वरित्र (accelerator) प्रयोग में पाजिट्रॉनों (e) के साथ इलेक्ट्रॉनों के उच्च ऊर्जा संघट्टन पर, एक विशिष्ट घटना की व्याख्या कुल ऊर्जा 10.2 Bev के इलेक्ट्रॉन- पाजिट्रॉन युग्म के बराबर ऊर्जा की दो -किरणों में विलोपन के रूप में की जाती है। प्रत्येक y-किरण से संबंधित तरंगदैघ्यों के मान क्या होंगे? (1 BeV = 109 ev)
उत्तर:
y – किरणों के युग्म द्वारा ले जाने वाली ऊर्जा की मात्रा
= 10.2 BeV
∴ प्रत्येक किरण की ऊर्जा है।
E = 102/2 = 5.1 BeV
= 5.1 × 109 ev
= 5.1 x 109 x 1.6 x 10-19 J = 8.16 × 10-10 J
हम जानते हैं:
E = hc/λ का उपयोग करने पर
λ = hc/E
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{8.16 \times 10^{-10}}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-16}}{8.16}\)
= 2.44 x 10-16m

प्रश्न 11.25
आगे आने वाली दो संख्याओं का आकलन रोचक हो सकता है। पहली संख्या यह बताएगी कि रेडियो अभियांत्रिक फोटॉन की अधिक चिंता क्यों नहीं करते। दूसरी संख्या आपको यह बताएगी कि हमारे नेत्र ‘फोटॉनों की गिनती क्यों नहीं कर सकते, भले ही प्रकाश साफ-साफ संसूचन योग्य हो।
(a) एक मध्य तरंग (medium wave) 10 kW सामर्थ्य के प्रेषी, जो 500m तरंगदैर्ध्य की रेडियो तरंग उत्सर्जित करता है, के द्वारा प्रति सेकंड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या।
(b) निम्नतम तीव्रता का श्वेत प्रकाश जिसे हम देख सकते हैं (~10-10 Wm2) के संगत फोटॉनों की संख्या जो प्रति सेकंड हमारे नेत्रों की पुतली में प्रवेश करती है। पुतली का क्षेत्रफल लगभग 0.4 cm2 और श्वेत प्रकाश की औसत आवृत्ति को लगभग 6 x 1014 Hz मानिए।
उत्तर:
दिया गया है;
P = 10 kW = 10 x 1000 W
= 104 W
λ = 500m
(a) प्रति सेकण्ड उत्सर्जित फोटॉन की संख्या
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 10
∴ n = p/E
हम जानते हैं:
E = hc/λ
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{500}\)
= 3.98 × 10-28 J
∴ n = p/E = \(\frac{10^4}{3.98 \times 10^{-28}}\)
= 10/3.98 × 1031
= 2.52 × 1031 = 3 x 1031 S-1

हम देखते हैं कि रेडियोफोटॉन की ऊर्जा बहुत कम है और रेडियो पुंज में प्रति सेकंड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या बहुत अधिक है। इसलिए यहाँ ऊर्जा के न्यूनतम क्वांटम ( फोटॉन) के अस्तित्व को उपेक्षित करने और रेडियो तरंग की कुल ऊर्जा को सतत मानने में नगण्य त्रुटि आती है।
(b) न्यूनतम तीव्रता का मान 1= 10-10 Wm-2
आँख की पुतली का क्षेत्रफल = A = 0.4 cm2
∴ A = 0.4 x 10-4 m-2
माध्य आवृत्ति V = 6 × 1014 Hz
∴ प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा का मान = E = hv
E = 6.63 × 1034 x 6 × 1014
= 39.78 x 10-20
= 3.98 × 10-19 J = 4 x 10-19 J
आवृत्ति v = 6 × 1014 Hz के लिए E = 4 x 10-19 J
न्यूनतम तीव्रता के संगत फोटॉनों का अभिवाह (फ्लक्स)
Φ = T/E = \(\frac{10^{-10}}{4 \times 10^{-19}}\) = 25 x 108
4 = 2.5 x 108 m-2 S-1
आँख की पुतली में प्रवेश करने वाले फोटॉनों की संख्या प्रति सेकंड sal 10ts- यद्यपि यह फोटॉनों = 2.5 × 108 x 0.4 x 10-4 S-1 की संख्या (a) की तरह अत्यधिक नहीं है, फिर भी हमारे लिए यह काफी अधिक है, क्योंकि हम कभी भी अपनी आँखों से फोटॉनों को न तो अलग-अलग देख सकते हैं, न ही गिन सकते हैं।

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प्रश्न 11.26.
एक 100 W पारद (Mercury) स्रोत से उत्पन्न 2271 Å तरंगदैर्घ्य का पराबैंगनी प्रकाश एक मालिब्डेनम धातु से निर्मित प्रकाश सेल को विकिरित करता है। यदि निरोधी विभव 1.3 V हो, तो धातु के कार्य फलन का आकलन कीजिए। एक He Ne लेसर द्वारा उत्पन्न 6328 A के उच्च तीव्रता (10<sup5 w m2 ) के लाल प्रकाश के साथ प्रकाश सेल किस प्रकार अनुक्रिया करेगा?
उत्तर:
दिया गया है:
शक्ति P = 100 W
निरोधी विभव Vo = 1.3 V (परिमाण)
अवरक्त प्रकाश का तरंगदैर्घ्य = 6328 x 10-10 m
प्लांक नियतांक = h = 6.63 × 10-4 JS
c = 3 × 108m/s
UV प्रकाश का तरंगदैर्घ्य = u = 2271 Å
= 2271 × 10-10 m
धातु का कार्यफलन = Φo = ?
आइन्सटीन का प्रकाश विद्युत समीकरण का उपयोग करने पर
hv = Φ0 + ev0
∴ Φ0 = hv – ev0
या
Φ0 = hc/λ – eV0
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{2271 \times 10^{-10}}\) – 1.6 × 10-19 × 1.3
= 8.76 x 10-19 – 2.08 x 10-19
= 6.68 × 10-19 J
= \(\frac{6.68 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
= 4.175 eV = 4.2 ev
पुनः तरंगदैर्घ्य λ1 = 6328 A = 6328 x 10-10 मी. के संगत
फोटॉन ऊर्जा
E1 = hc/λ1 = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{6328 \times 10^{-10}}\)
= 3.14 × 10-19 J
= \(\frac{3.14 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= 1.97 ev

स्पष्टतः E1 < Φ0 अतः इस लाल प्रकाश के लिए प्रकाश सेल, फोटो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं करेगा चाहे इसकी तीव्रता कितनी ही क्यों न हो।

प्रश्न 11.27.
एक नियॉन लैंप से उत्पन्न 640.2nm (1nm = 10-9 m ) तरंगदैर्घ्य का एकवर्णी विकिरण टंग्स्टन पर सीजियम से निर्मित प्रकाशसंवेदी पदार्थ को विकिरित करता है। निरोधी वोल्टता 0.54 मापी जाती है। स्रोत को एक लौह-स्रोत से बदल दिया जाता है। इसकी 427.2nm वर्ण-रेखा उसी प्रकाश सेल को विकिरित करती है। नयी निरोधी बोल्टता ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
दिया गया है:
A = 640.2 nm
= 640.2 × 10-9m
निरोधी वोल्टता = Vo = 0.54 V
आइन्सटीन का विद्युत प्रभाव समीकरण से
पहले स्रोत के लिए eV0 = ho – Φ0 का उपयोग करने पर
या
Φ0 = hv – eVo
= hc/λ – eVo
मान रखने पर =
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{640.2 \times 10^{-9}}\) – 1.6 x 10-19 × 0.54
= 3.10 x 10-19 – 8.64 × 10-20
= 3.10 × 10-19 – 0.864 x 10-19
= 2.236 × 10-19 = 2.24 × 10-19 J
∴ Φo = \(\frac{2.24 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)eV = 1.40 V
दूसरे स्रोत के लिए
λ = 427.2nm
= 427.2 × 10-9 m
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 11

प्रश्न 11. 28.
एक पारद लैंप, प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन की आवृत्ति निर्भरता के अध्ययन के लिए एक सुविधाजनक स्रोत है, क्योंकि यह दृश्य – स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी (UV) से लाल छोर तक कई वर्ण-रेखाएँ उत्सर्जित करता है। रूबीडियम प्रकाश सेल के हमारे प्रयोग में, पारद (Mercury) स्रोत की निम्न वर्ण-रेखाओं का प्रयोग किया गया:
λ1 = 3650Å, λ2 = 4047 Å, λ3 = 4358 Å. λ4 = 5461 Å, λ5 = 6907 Å,
निरोधी वोल्टताएँ, क्रमशः निम्न मापी गई:
V01 = 1.28 V, Vo2 = 0.95 V, Vo3 = 0.74 V, V04 = 0.16 V, Vo5 = 0V
(a) प्लॅक स्थिरांक h का मान ज्ञात कीजिए।
(b) धातु के लिए देहली आवृत्ति तथा कार्य-फलन का आकलन कीजिए।
[नोट-उपर्युक्त आँकड़ों से h का मान ज्ञात करने के लिए आपको e = 1.6 x 10-19 C की आवश्यकता होगी। इस प्रकार के प्रयोग Na, Li, K आदि के लिए मिलिकन ने किए थे। मिलिकन ने अपने तेल बूँद प्रयोग से प्राप्त के मान का उपयोग कर आइंस्टाइन के प्रकाश-विद्युत समीकरण को सत्यापित किया तथा इन्हीं प्रेक्षणों से h के मान के लिए पृथक् अनुमान लगाया।]
उत्तर:
(a) दिये गये तरंगदैर्घ्य के मान से विकिरण आवृत्ति ज्ञात करने पर
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 12
प्रकाश विद्युत समीकरण से
eV0 = ho – ¢o ………… (1)
∴ Vo = hv/e – ¢o/e
यह एक सरल रेखा का समीकरण है अतः v तथा Vo बीच ग्राफ सरल रेखा प्राप्त होगी, जिसका ढाल होगा
h/e = ∆v0/∆v = \(\frac{V_{01}-V_{04}}{v_1-v_4}\)
= \(\frac{1.28-0.16}{(8.219-5.493) \times 10^{14}}\)
= 4.15 × 10-15 Vs
h = 4.15 × 10-15 x e
= 4.15 × 10-15 x 1.6 x 10-19
= 6.64 × 10-34 Js

(b) समीकरण (1) का उपयोग करने पर कार्यफलन
¢o = hv – eVo
= hc/λ – eVo
या
¢o = hc/λ2 – ev02
= \(\frac{6.64 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{4047 \times 10^{-10}}\) – 1.6 x 10-19 × 0.95
= 4.89 × 10-19 – 1.52 x 10-19
= 3.37 × 10-19J = \(\frac{3.37 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\) = 2.11ev
देहली आवृत्ति vo = ¢o/h = \(\frac{3.37 \times 10^{-19}}{6.64 \times 10^{-34}}\)
= 5.11 × 1014 Hz

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

प्रश्न 11.29.
निम्न धातुओं के कार्य-फलन निम्न प्रकार दिए गए हैं:
Na: 2.75 eV; K: 2.30 eV; Mo: 4.17 eV; Ni: 5.15 EV इनमें धातुओं में से कौन प्रकाश सेल से 1m दूर रखे गए He Cd लेसर से उत्पन्न 3300 À तरंगदैर्ध्य के विकिरण के लिए प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन नहीं देगा? लेसर को सेल के निकट 50 cm दूरी पर रखने पर क्या होगा?
उत्तर:
दिया गया है:
λ = 3300 A = 3300 x 10-10 m
= 33 × 10-8 m
दूरी r = 1m
तथा r’ = 50 cm = 1/2
E = hv = उपयोग करने पर
E = hc/λ
मान रखने पर
E = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{33 \times 10^{-8}}\)
= 663/11 × 10-18
= 6.02 × 10-19 J
= \(\frac{6.02 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
E = 3.76 eV

जो Na और K के से छोटा इसलिए Na और r’ = 50 cm = 0.50m लिए 40 से बड़ा है और Mo और Ni K में उत्सर्जन होगा। अब r = 1m, यदि लेसर को निकट लाया जाये, आपतित विकिरण की तीव्रता बढ़ जाती है। यह Mo और Ni धातुओं के परिणामों को प्रभावित नहीं करता, जबकि Na और K से उत्सर्जित प्रकाश वैद्युत बढ़ जायेगा जो तीव्रता के अनुपाती है।
∵ I α 1/R2 होता है।
और 4 गुना हो जाता है जबकि r1 = 1⁄2r

प्रश्न 11.30
10-5 Wm-2 तीव्रता का प्रकाश एक सोडियम प्रकाश सेल के 2 cm2 क्षेत्रफल के पृष्ठ पर पड़ता है। यह मान लें कि ऊपर की सोडियम की पाँच परतें आपतित ऊर्जा को अवशोषित करती हैं, तो विकिरण के तरंग चित्रण में प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन के लिए आवश्यक समय का आकलन कीजिए धातु के लिए कार्य फलन लगभग 2 ev दिया गया है। आपके उत्तर का क्या निहितार्थ है?
उत्तर:
दिया गया है:
I = 10-3 Wm-2
A = 2 cm2 = 2 x 10-4m2
Φ0 = 2ev
= 2 × 1.6 × 10-19 J
= 3.2 × 10-19 J
परमाणु की लगभग त्रिज्या 10-10 m लेने पर सोडियम परमाणु
का प्रभावी क्षेत्रफल r2 = 10-20 m
∴ Na की 5 परतों में परमाणुओं की संख्या
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 13
= \(\frac{5 \times 2 \times 10^{-4}}{10^{-20}}\)
आपतित शक्ति P = IA
P = 105 × 2 × 104
= 2 × 10-9 w
तरंग चित्रण (प्रकृति) में आपतित शक्ति सभी इलेक्ट्रॉनों द्वारा सतत रूप से एकसमान अवशोषित होती है। परिणामस्वरूप प्रति इलेक्ट्रॉन प्रति सेकण्ड अवशोषित ऊर्जा
= \(\frac{2 \times 10^{-9}}{10^{17}}\) = 2 ×10-26 W
प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए आवश्यक समय
= \(\frac{3.2 \times 10^{-19}}{2 \times 10^{-26}}\)
= 1.6 x 107 S
जो कि लगभग आधा (0.5) वर्ष है।
महत्त्व – प्रायोगिक रूप से, प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन लगभग तात्क्षणिक (-109 S) प्रेक्षित होता है। इसलिए तरंग प्रकृति प्रयोग से पूर्ण असहमति में है। फोटॉन-चित्रण में, ऊपरी सतह में विकिरण की ऊर्जा सभी इलेक्ट्रॉनों द्वारा समान रूप से साझित नहीं होती है बल्कि ऊर्जा असतत ‘क्वांटा’ के रूप में आती है और ऊर्जा का अवशोषण धीरे- धीरे नहीं होता। फोटॉन या तो अवशोषित नहीं होता है, या लगभग तात्क्षणिक रूप से इलेक्ट्रॉन द्वारा अवशोषित होता है।

प्रश्न 11.31.
X – किरणों के प्रयोग अथवा उपयुक्त वोल्टता से त्वरित इलेक्ट्रानों से क्रिस्टल- विवर्तन प्रयोग किए जा सकते हैं। कौन-सी जाँच अधिक ऊर्जा संबद्ध है? [परिमाणिक तुलना के लिए, जाँच के लिए तरंगदैर्घ्य को 1 Å लीजिए, जो कि जालक (लेटिस) में अंतर- परमाणु अंतरण की कोटि का है ] (me = 9.11 x 10-31 kg )।
उत्तर:
दिया गया है:
तरंगदैर्घ्य = λ = 1 Å = 10-10 m
mc = 9.11 x 10-31 kg
फोटॉन की ऊर्जा
= E = hv = hc/λ
E = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{10^{-10}}\)
= 19.89 × 10-16 J
= \(\frac{19.89 \times 10^{-16}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
= 12.43 Kev
इलेक्ट्रॉन की स्थिति में
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 14
λ = 1 Å के लिए, इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा = 150 ev समान तरंगदैर्ध्य के लिए फोटॉन की ऊर्जा, इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा से काफी अधिक होती है।

प्रश्न 11.32.
(a) एक न्यूट्रॉन, जिसकी गतिज ऊर्जा 150 ev है, का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य प्राप्त कीजिए। जैसा कि आपने अभ्यास 11.31 में देखा है, इतनी ऊर्जा का इलेक्ट्रॉन किरण-पुंज क्रिस्टल विवर्तन प्रयोग के लिए उपयुक्त है क्या समान ऊर्जा का समान रूप में उपयुक्त एक न्यूट्रॉन किरण-पुंज इस प्रयोग के लिए होगा? स्पष्ट कीजिए। (ma = 1.675 × 10-27kg )
(b) कमरे के सामान्य ताप (27 °C) पर ऊष्मीय न्यूट्रॉन से जुड़े दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। इस प्रकार स्पष्ट कीजिए कि
क्यों एक तीव्रगामी न्यूट्रॉन को न्यूट्रॉन-विवर्तन प्रयोग में उपयोग में लाने से पहले वातावरण के साथ तापीकृत किया जाता है।
हल
दिया गया है:
न्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा =
K = 150eV = 150 x 1.6 x 109 J
λ = ?
m, = 1.675 x 10-27 kg
T = (27 + 273 ) K = 300K
(a) हम जानते हैं
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 15
= 2.34 x 10-12 m

अंतरापरमाण्विक (Interatomic) दूरियाँ इससे लगभग सौ गुना बड़ी हैं। इसलिए 150eV ऊर्जा का न्यूट्रॉन-पुंज विवर्तन प्रयोगों के लिए उपयुक्त नहीं है।
(b) T = (27 + 273) K = 300K
न्यूट्रॉन की ऊर्जा (कक्ष ताप पर )
गतिज ऊर्जा (K) = E = 3/2KT
E = 3/2KT
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\)
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{3 \mathrm{mkT}}}\)
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{\sqrt{3 \times 1.675 \times 10^{-27} \times 1.38 \times 10^{-23} \times 300}}\)
λ = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 10^{24}}{\sqrt{9 \times 1.675 \times 1.38}}\)
= 1.45 × 10-10 m = 1.45 A
यह तरंगदैर्घ्य, परमाण्वीय दूरी 1 (10-10 मी.) की कोटि की है। अतः विवर्तन प्रयोग में ये तापीय ऊर्जा के न्यूट्रॉन उपयुक्त हैं यही कारण है कि उच्च ऊर्जा के न्यूट्रॉन पुंज से विवर्तन प्रयोग के लिए पहले उन्हें वातावरण के साथ तापीकृत किया जाता है।

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प्रश्न 11.33.
एक इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी में 50kV वोल्टता के द्वारा त्वरित इलेक्ट्रॉनों का उपयोग किया जाता है। इन इलेक्ट्रॉनों से जुड़े दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए। यदि अन्य बातों (जैसे कि संख्यात्मक द्वारक, आदि) को लगभग समान लिया जाए, इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता की तुलना पीले प्रकाश का प्रयोग करने वाले प्रकाश सूक्ष्मदर्शी से किस प्रकार होती है?
उत्तर:
दिया गया है:
त्वरण विभव = V = 50 kV
= 50 x 103 V = 5 x 104 v
mg = 9.1 × 10-31 kg
e = 1.6 x 10-19 C
h = 6.63 × 10-34 J
इलेक्ट्रॉन का तरंगदैर्घ्य = λ = ?
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा = K = ?
K = 1⁄2mv2 = eV
द्वारा इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा दी जाती है।
K = 1.6 x 10-19 x 5 x 104
= 8 × 10-15 J
सूत्र λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\) का उपयोग करने पर
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}} \mathrm{K}}}\) प्राप्त करते हैं।
या
λ = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{\sqrt{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 8 \times 10^{-15}}}\)
λ = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{12.07 \times 10^{-23}}\)
= 5.5 x 10-12 m
पीले प्रकाश के लिए भी λy = 5990A
= 5990 x 10-10 m
हम जानते हैं कि सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता उपयुक्त प्रकाश विकिरण के तरंगदैर्घ्य के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
अर्थात् R.P. (Resolving Power) α 1/λ
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 16
= 1.1 × 105
अर्थात् इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता (Resolving Power) प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता से 105 गुणा अधिक होती है।

प्रश्न 11.34.
किसी जाँच की तरंगदैर्घ्य उसके द्वारा कुछ विस्तार में जाँच की जा सकने वाली संरचना के आकार की लगभग आमाप है। प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों की क्वार्क (quark) संरचना 10-15m या इससे भी कम लंबाई के लघु पैमाने की है। इस संरचना को सर्वप्रथम 1970 के दशक के प्रारंभ में, एक रेखीय त्वरित्र (Linear accelerator) से उत्पन्न उच्च ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों के किरण-पुंजों के उपयोग द्वारा, स्टैनफोर्ड, संयुक्त राज्य अमेरिका में जाँचा गया था। इन इलेक्ट्रॉन किरण-पुंजों की ऊर्जा की कोटि का अनुमान लगाइए (इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा 0.511 Mev है।)
उत्तर:
दिया गया है:
A = 10-15 m
इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा = mc2 = 0.511
M0C2 = 0.511 × 100 × 1.6 x 10-19 J
= 8.18 x 10-14J
सूत्र λ = h/p का उपयोग करने पर
या
p = h/λ

= 6.63 x 10-19 kgms-1
कण के लिए ऊर्जा का आपेक्षिक सूत्र का उपयोग करने पर
E2 = m02c4 + p2c2
E2 = (m0c2 )2 + p2c2
= (8.18 x 10-14) 2 + ( 6.63 x 10-19)2 x (3 × 108)2
= 66.91 × 10-28 + 43.96 x 10-38 x 9 x 1016
= 0.6691. x 10-26 + 3.96 x 10-20
प्रथम पद, द्वितीय पंद की तुलना में नगण्य है अतः
E2= 3.96 × 10-20
E = \(\sqrt{3.96 \times 10^{-20}}\)
= 1.99 × 10-10 J
= \(\frac{1.99 \times 10^{-10}}{1.6 \times 10^{-19}} \mathrm{eV}\)
= 1.24 × 109 ev
∴ E = 1.24 BeV
( ∵ 1 BeV = 109 eV)
अतः त्वरक (Accelerator) से निकले इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा कुछ BeV की कोटि की अवश्य होनी चाहिए।

प्रश्न 11.35.
कमरे के ताप (27 °C) और 1 atm दाब पर He परमाणु से जुड़े प्रारूपी दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए और इन परिस्थितियों में इसकी दूरी से कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
T = (27 + 273) K = 300K
तुलना दो परमाणुओं के बीच औसत
He परमाणु के लिए
m = 4mg
जहाँ mn एक न्यूक्लिऑन का द्रव्यमान है।
mg = 1.675 x 10-27 kg
∴ m = 4 × 1.675 × 10-27 kg
= 6.67 x 10-27 kg
गतिज ऊर्जा
K = 3/2kT
= 3/2 x 1.38 × 1023 x 300 J
हम जानते हैं:
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{mK}}}\) = \(\frac{h}{\sqrt{2 m \times \frac{3}{2} k T}}\)
मान रखने पर
λ = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{\sqrt{2 \times 6.67 \times 10^{-27} \times \frac{3}{2} \times 1.38 \times 10^{-23} \times 300}}\)
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 10^{24}}{\sqrt{6.67 \times 9 \times 1.38}}\)
= \(\frac{6.63 \times 10^{-10}}{\sqrt{82.84}}\)
= 0.73 Å
अब PV = RT = kNT
या V/N = KT/P
परमाणुओं के बीच माध्य पृथक्करण
r0 = (V/N)1/3 = (kT/P)1/3
यहाँ पर P = 1.01 x 105 Nm2 (परमाणुक दाब है)
ro = 3.4 x 109 m
ro = 34 A
समीकरण (i) तथा (ii) से
ro/λ = 34/0.73 = 3400/73 46.58
= 46.58
स्पष्टतः हीलियम परमाणुओं के बीच की दूरी, डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य की तुलना में बहुत अधिक होती है।

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प्रश्न 11.36.
किसी धातु में (27 °C) पर एक इलेक्ट्रॉन का प्रारूपी दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए और इसकी तुलना धातु में दो इलेक्ट्रॉनों के बीच औसत पृथक्य से कीजिए जो लगभग 2 x 10-10 m दिया गया है।
[नोट- अभ्यास 11.35 और 11.36 प्रदर्शित करते हैं कि जहाँ सामान्य परिस्थितियों में गैसीय अणुओं से जुड़े तरंग पैकेट अ- अतिव्यापी हैं किसी धातु में इलेक्ट्रॉन तरंग पैकेट प्रबल रूप से एक-दूसरे से अतिव्यापी हैं। यह सुझाता है कि जहाँ किसी सामान्य गैस में अणुओं की अलग पहचान हो सकती है, किसी धातु में इलेक्ट्रॉन की एक-दूसरे से अलग पहचान नहीं हो सकती। इस अप्रभेद्यता की कई मूल निहितार्थताएँ हैं जिन्हें आप भौतिकी के अधिक उच्च पाठ्यक्रमों में जानेंगे ।]
उत्तर:
दिया गया है:
t = 27 °C
T = 27 + 273 = 300 K
धातु में दो इलेक्ट्रॉनों के बीच औसत पृथक्कीकरण
r0 = 2 × 10-10 m
= 2 A
दे- ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य = λ = ?
हम जानते हैं
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = mc = 9.1 x 10-31 kg
h = 6.63 × 10-34 JS
वोल्ट्जमान नियतांक k = 1.38 x 10-23 JK-1 mol-1
T पर इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा = K = 3/2T
∴ इलेक्ट्रॉन का दे ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m K}}\) के उपयोग से
λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{2 \mathrm{~m}_{\mathrm{c}} \times \frac{3}{2} \mathrm{kT}}}\) = \(\frac{\mathrm{h}}{\sqrt{3 m_{\mathrm{e}} \mathrm{kT}}}\)
मान रखने पर λ = \(\frac{6.63 \times 10^{-34}}{\sqrt{3 \times 9.1 \times 10^{-31} \times 1.38 \times 10^{-23} \times 300}}\)
= 6.2 × 10-9 m
= 62 × 10-10 m
∴ λ/r0 = \(\frac{62 \times 10^{-10}}{2 \times 10^{-10}}\)
अतः λ >> ro
अर्थात् धातुओं में तरंग पैकेट एक-दूसरे को अतिव्यापित करते हैं। गैसीय परमाणुओं में यह नहीं होता है।

प्रश्न 11.37.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) ऐसा विचार किया गया है कि प्रोटॉन और न्यूट्रॉन भीतर क्वार्क पर आंशिक आवेश होते हैं [ ( +2/3)e; (-1/3)e ]। यह मिलिकन तेल-बूँद प्रयोग में क्यों नहीं प्रकट होते?
(b) e / m संयोग की क्या विशिष्टता है? हम e तथा m के विषय में अलग-अलग विचार क्यों नहीं करते?
(c) गैसें सामान्य दाब पर कुचालक होती हैं परंतु बहुत कम दाब पर चालन प्रारंभ कर देती हैं। क्यों?
(d) प्रत्येक धातु का एक निश्चित कार्य फलन होता है। यदि आपतित विकिरण एकवर्णी हो तो सभी प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन समान ऊर्जा के साथ बाहर क्यों नहीं आते हैं? प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का एक ऊर्जा वितरण क्यों होता है?
(e) एक इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा तथा इसका संवेग इससे जुड़े पदार्थ तरंग की आवृत्ति तथा इसके संबंधित होते हैं
तरंगदैर्घ्य के साथ निम्न प्रकार
E = ho, p = h/v
परंतु 2 का मान जहाँ भौतिक महत्त्व का है, 0 के मान (और इसलिए कला चाल 02 का मान ) का कोई भौतिक महत्त्व नहीं है। क्यों?
उत्तर:
(a) क्वार्क, न्यूट्रॉन या प्रोटॉन में ऐसे बलों से बँधे माने जाते हैं, जो उनको दूर खींचने पर प्रबल होते हैं। इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि यद्यपि प्रकृति में भिन्नात्मक आवेश हो सकते हैं, तथापि प्रेक्षणीय आवेश के पूर्ण गुणज होते हैं।
(b) विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए क्रमशः दोनों मूल सम्बन्ध eV = (1/2) mv2 या eE = ma तथा eBv=mv2 / r, प्रदर्शित करते हैं कि इलेक्ट्रॉन की गतिकी एवं m दोनों द्वारा अलग-अलग निर्धारित नहीं होती, बल्कि e/m द्वारा निर्धारित होती है।
(c) निम्न दाबों पर आयनों की उनके संगत इलेक्ट्रोडों पर पहुँचने और धारा की रचना करने की सम्भावना होती है। सामान्य दाबों पर, गैस अणुओं से टक्कर और पुनर्संयोजन के कारण आयनों की ऐसी कोई सम्भावना नहीं होती।
(d) कार्य फलन, इलेक्ट्रॉन को चालन बैंड के ऊपरी स्तर से धातु से बाहर निकालने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा मात्र है। धातु के सभी इलेक्ट्रॉन इस स्तर (ऊर्जा अवस्था) में नहीं होते। वे स्तरों की संतत बैंड में रहते हैं। परिणामस्वरूप एक ही आपतित विकिरण के लिए विभिन्न स्तरों से निकले इलेक्ट्रॉन, विभिन्न ऊर्जाओं के साथ निर्गत होते हैं।
(e) किसी कण की ऊर्जा E (न कि संवेग p) का परम मान एक योगात्मक स्थिरांक के अधीन स्वतंत्र है इसलिए जहाँ भौतिक रूप से महत्वपूर्ण है, वहीं एक इलेक्ट्रॉन की द्रव्य तरंग के लिए के परम मान का कोई सीधा भौतिक महत्व नहीं होता है। इसी तरह कला चाल vi भी भौतिक कण से महत्वपूर्ण नहीं है समूह चाल भौतिक रूप से अर्थपूर्ण है।

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HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.1.
किसी वस्तु पर किसी बल द्वारा किये गये कार्य का चिह्न समझना महत्त्वपूर्ण है। सावधानीपूर्वक बताइए कि निम्नलिखित राशियाँ धनात्मक हैं या ऋणात्मक:
(a) किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुएँ में से रस्सी से बँधी बाल्टी को रस्सी द्वारा बाहर निकालने में किया गया कार्य।
(b) उपर्युक्त स्थिति में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य।
(c) किसी आनत तल पर फिसलती हुई किसी वस्तु पर घर्षण द्वारा किया गया कार्य।
(d) किसी खुरदरे क्षैतिज तल पर एक समान वेग से गतिमान किसी वस्तु पर लगाये गये बल द्वारा किया गया कार्य।
(e) किसी दोलायमान लोलक को विरामावस्था में लाने के लिए वायु के प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य।
उत्तर:
(a) धनात्मक, क्योंकि व्यक्ति द्वारा बाल्टी पर लगाया गया बल व विस्थापन दोनों ऊपर की ओर समान दिशा में अर्थात् θ = 0
(b) ऋणात्मक, इस स्थिति में गुरुत्वीय बल नीचे की ओर कार्य करता है, अत: θ = 180°.
(c) ऋणात्मक वस्तु नीचे की ओर विस्थापित होगी, जबकि घर्षण विपरीत दिशा में कार्य करेगा, अतः θ = 180°.
(d) धनात्मक, वस्तु पर लगाया गया बल व विस्थापन एक ही दिशा में हैं, θ = 80.
(e) ऋणात्मक, वस्तु का प्रतिरोध बल गति को रोकने को प्रयास करता है, अत: θ = 180°

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.2.
2 kg द्रव्यमान की कोई वस्तु जो आरम्भ में विरामावस्था में है, 7N के किसी क्षैतिज बल के प्रभाव से एक मेज पर गति करती है। मेज का गतिज घर्षण गुणांक 0.1 है। निम्नलिखित का परिकलन कीजिए और अपने परिणामों की व्याख्या कीजिए:
(a) लगाए गये बल द्वारा 10s में किया गया कार्य।
(b) घर्षण द्वारा 10s में किया गया कार्य।
(c) वस्तु पर कुल बल द्वारा 10s में किया गया कार्य।
(d) वस्तु की गतिज ऊर्जा में 10s में परिवर्तन।
उत्तर:
m = 2kg; u = 0; F = 7N; μ = 0.1; t = 10s
बल द्वारा उत्पन्न त्वरण
a1 = F /m = 7 /2 = 3.5ms-2
घर्षण बल
ff= μR = μmg = 0.1 x 2 x 9.8 = 1.96 N
घर्षण बल द्वारा उत्पन्न त्वरण
a2 = -ff/m = – \(\frac{1.96}{2}\)
∴ वस्तु पर परिणामी त्वरण
a = a1 + a2 = 3.5 – 0.98 = 2.52 ms-2
∴ वस्तु द्वारा 10s में तय की गयी दूरी
s = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
= 0 +\(\frac{1}{2}\) × 2.52 × (10)2
= 126m
(a) 10s में बल द्वारा किया गया कार्य W1 = Fscosθ
= 7 x 126 = +882J
(b) घर्षण द्वारा 10s में किया गया कार्य W2 = f1scos180°
= 1.96 × 126 × (- 1) = – 247J
(c) कुल बल द्वारा किया गया कार्य
W = W1 + W2
= 882 – 247 = 635 J
(d) कार्य ऊर्जा प्रमेय से,
गतिज ऊर्जा में परिवर्तन ∆K = किया गया कुल कार्य
= 635 J

प्रश्न 6.3.
चित्र में कुछ एकविमीय स्थितिज ऊर्जा फलनों के उदाहरण दिये गये हैं। कण की कुल ऊर्जा कोटि-कक्ष पर क्रॉस द्वारा निर्देशित की गई है। प्रत्येक स्थिति में, कोई ऐसे क्षेत्र बताइए, यदि कोई हैं तो, जिनमें दी गई ऊर्जा के लिए, कण को नहीं पाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा भी निर्देशित कीजिए। कुछ ऐसे भौतिक सन्दर्भों के विषय में सोचिए जिनके लिए ये स्थितिज ऊर्जा आकृतियाँ प्रासंगिक हों।

उत्तर:
कण की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक नहीं हो सकत है अतः जिस स्थिति में कण की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी, कण नहीं पाया जा सकता है।
(a) x > a में Vo > E
∵ K = E – V
अतः गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी।
अतः
कण > a में नहीं पाया जा सकता।
कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा E = 0
(b) सम्पूर्ण मान में > E, अतः कहीं नहीं जायेगा। की कुल न्यूनतम
ऊर्जा E = V1
(c) x < a तथा x > b के मध्य Vo < E
अतः कण इस क्षेत्र में रहेगा। कण की कुल न्यूनतम ऊर्जा
E = -V1
(d) \(-\frac{d}{2}\) < x < \(-\frac{a}{2}\) तथा \(\frac{a}{2}\) < x < \(\frac{b}{2}\) में कण नहीं रहेगा, कण की
कुल न्यूनतम ऊर्जा E = -V1

प्रश्न 6.4.
रेखीय सरल आवर्त गति कर रहे किसी कण का स्थितिज ऊर्जा फलन v(x) = \(\frac{k x^2}{2}\) है, जहाँ दोलक का बल नियतांक है। k = 0.5 Nm-1 के लिए V(x) व x के मध्य ग्राफ चित्र में दिखाया गया है। यह दिखाइए कि इस विभव के अन्तर्गत गतिमान कुल 1J ऊर्जा वाले कण को अवश्य ही ‘वापस आना चाहिए जब यह x = +2m पर पहुँचता है।

उत्तर:
स्थितिज ऊर्जा फलन V(x) = \(\frac{k x^2}{2}\)
सरल आवर्त गति में कुल ऊर्जा E = \(\frac{1}{2}\)mv2 + \(\frac{1}{2}\)kx2
परन्तु कण उस स्थिति से वापस लौटेगा जब उसकी गतिज ऊर्जा शून्य हो जायेगी।
अत:
E = \(\frac{1}{2 k x^2}\)
या
1 = \(\frac{1}{2}\) x 0.5 x x2m
या
x2m = \(\frac{2}{0.5}\) = 4
xm = ±2m
अतः कण 2m से वापस आयेगा।
∵ E = 1J, 1 = 0.5 Nm2

प्रश्न 6.5.
निम्नलिखित का उत्तर दीजिए:
(a) किसी रॉकेट का बाह्य आवरण उड़ान के दौरान घर्षण के कारण जल जाता है। जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा किसके व्यय पर प्राप्त की गई रॉकेट या वातावरण?
(b) धूमकेतु सूर्य के चारों ओर बहुत ही दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में घूमते हैं। साधारणतः धूमकेतु पर सूर्य का गुरुत्वीय बल धूमकेतु के लम्बवत् नहीं होता। फिर भी धूमकेतु की सम्पूर्ण कक्षा में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। क्यों?
(c) पृथ्वी के चारों ओर बहुत ही क्षीण वायुमण्डल में घूमते हुए किसी कृत्रिम उपग्रह की ऊर्जा धीरे-धीरे वायुमण्डलीय प्रतिरोध (चाहे यह कितना ही कम क्यों न हो) के विरुद्ध क्षय के कारण कम होती जाती है फिर भी जैसे-जैसे कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी के समीप आता है तो उसकी चाल में लगातार वृद्धि क्यों होती है?
(d) चित्र (i) में एक व्यक्ति अपने हाथों में 15 kg का कोई द्रव्यमान लेकर 2m चलता है। चित्र (ii) में वह उतनी ही दूरी अपने पीछे रस्सी को खींचते हुए चलता है। रस्सी घिरनी पर चढ़ी हुई है और उसके दूसरे सिरे पर 15 kg का द्रव्यमान लटका हुआ है। परिकलन कीजिए कि किस स्थिति में किया गया कार्य अधिक है?

उत्तर:
(a) रॉकेट की कुल ऊर्जा = mgh + \(\frac{1}{2}\) mv2 जलने पर द्रव्यमान घटने से कुल ऊर्जा भी घटेगी अतः जलने के लिए आवश्यक ऊष्मीय ऊर्जा रॉकेट की ऊर्जा से ही प्राप्त होगी।
(b) धूमकेतु द्वारा सूर्य पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल संरक्षी बल है। तथा संरक्षी बल द्वारा बन्द पथ में किया गया परिणामी कार्य शून्य होता है। अतः धूमकेतु की सम्पूर्ण कक्षा में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।
(c) जब उपग्रह पृथ्वी के समीप आता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा घटती है जबकि गतिज ऊर्जा बढ़ती है, अतः उसकी चाल में वृद्धि होगी।
(d) प्रथम स्थिति (i) में द्रव्यमान को उठाये रखने के लिए भार के विरुद्ध ऊपर की ओर बल लगता है जबकि विस्थापन क्षैतिज दिशा में है।
∴ θ = 90°
किया गया कार्य W = Fdcos 90°
= 0
∴ द्वितीय स्थिति (ii) में व्यक्ति द्वारा लगाया गया बल क्षैतिज दिशा में है व विस्थापन भी क्षैतिज दिशा में है।
θ = 0°
W = Fdcos 0° = mgdcos 0°
= 15 × 98 x 2 x 1
= 294 J
अतः दूसरी स्थिति में कार्य अधिक है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.6.
सही विकल्प को रेखांकित कीजिए:
(a) जब कोई संरक्षी बल किसी वस्तु पर धनात्मक कार्य करता है तो वस्तु की स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है/ घटती है/ अपरिवर्ती रहती है।
(b) किसी वस्तु द्वारा घर्षण के विरुद्ध किये गये कार्य का परिणाम हमेशा इसकी गतिज स्थिति ऊर्जा में क्षय होता है।
(c) किसी बहुकण निकाय के कुल संवेग परिवर्तन की दर निकाय के बाह्य बल / आन्तरिक बलों के जोड़ के अनुक्रमानुपाती होती है।
(d) किन्हीं दो पिण्डों के अप्रत्यास्थ संघट्ट में वे राशियाँ, जो संघट्ट के बाद नहीं बदलती हैं, निकाय की कुल गतिज ऊर्जा / कुल रेखीय संवेग / कुल ऊर्जा हैं।
उत्तर:
(a) घटती है, क्योंकि धनात्मक कार्य के कारण वस्तु, बल की दिशा में विस्थापित होकर बल केन्द्र की ओर विस्थापित होती है। अतः इस स्थिति में x कम होगा तथा स्थितिज ऊर्जा kr2 घटेगी।
(b) गतिज घर्षण, वस्तु की गति में ही कार्य करता है, अतः इसकी गतिज ऊर्जा में क्षय होता है।
(c) बाह्य बल, क्योंकि आन्तरिक बल संवेग में परिवर्तन नहीं करते हैं।
(d) कुल रेखीय संवेग, प्रत्येक संघट्ट में कुल रेखीय संवेग सदैव संरक्षित रहता है। प्रत्यास्थ संघट्ट में गतिज ऊर्जा भी संरक्षित रहती है।

प्रश्न 6.7.
बतलाइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य। अपने उत्तर के लिए कारण भी दीजिए:
(a) किन्हीं दो पिण्डों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, प्रत्येक पिण्ड का संवेग व ऊर्जा संरक्षित रहती है।
(b) किसी पिण्ड पर चाहे कोई भी आन्तरिक व बाह्य बल क्यों न लग रहा हो, निकाय की कुल ऊर्जा सर्वदा संरक्षित रहती है।
(c) प्रकृति में प्रत्येक बल के लिए किसी बन्द लूप में, किसी पिण्ड की गति में किया गया कार्य शून्य होता है।
(d) किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट में, किसी निकाय की अन्तिम गतिज ऊर्जा, आरम्भिक गतिज ऊर्जा से हमेशा कम होती है।
उत्तर:
(a) असत्य, टक्कर से पूर्व व टक्कर के पश्चात् निकाय का संवेग व गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है न कि प्रत्येक पिण्ड की।
(b) असत्य, कुल ऊर्जा सदैव संरक्षित है परन्तु बाह्य बल वस्तु की ऊर्जा परिवर्तित कर सकते हैं।
(c) असत्य, केवल संरक्षी बलों में बन्द लूप में किया गया कार्य शून्य होता है।
(d) असत्य, प्रत्यास्थ टक्कर में सामान्यतः ऊर्जा की हानि होती है परन्तु विशेष परिस्थिति में ऊर्जा बढ़ भी सकती है।

प्रश्न 6.8.
निम्नलिखित का उत्तर ध्यानपूर्वक, कारण सहित दीजिए:
(a) किन्हीं दो बिलियर्ड गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट में, क्या गेंदों के संघट्टकी अल्पावधि में (जब वे सम्पर्क में होती हैं) कुल गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है?
(b) दो गेंदों के किसी प्रत्यास्थ संघट्ट की लघु अवधि में क्या कुल रेखीय संवेग संरक्षित रहता है?
(c) किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट के लिए प्रश्न (a) व (b) के लिए आपके उत्तर क्या हैं?
(d) यदि दो बिलियर्ड गेंदों की स्थितिज ऊर्जा केवल उनके केन्द्रों के मध्य, पृथक्करण दूरी पर निर्भर करती है तो संघट्ट प्रत्यास्थ होगा या अप्रत्यास्थ? ( ध्यान दीजिए कि यहाँ हम संघट्ट के दौरान बल के संगत स्थितिज ऊर्जा की बात कर रहे हैं, न कि गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा की )।
उत्तर:
(a) नहीं, संघट्ट के समय गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
(b) हाँ, रेखीय संवेग संरक्षित रहता है।
(c) अप्रत्यास्थ टक्कर होने पर भी समान उत्तर होंगे।
(d) प्रत्यास्थ, चूँकि स्थितिज ऊर्जा दूरी पर निर्भर करती है, अतः पिण्डों के बीच लगने वाला बल संरक्षी बल है।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.9.
कोई पिण्ड जो विरामावस्था में है, अचर त्वरण से एकविमीय गति करता है। इसको किसी समय पर दी गई शक्ति अनुक्रमानुपाती है।
(i) t1/2
(ii) t
(iii) t3/2
(iv) t2
उत्तर:
त्वरण अचर है, u = 0,
v = at से,
बल F = ma (अचर)
शक्ति P = F.v = ma.at = ma2t
P ∝t

प्रश्न 6.10.
एक पिण्ड अचर शक्ति के स्रोत के प्रभाव में एक ही दिशा में गतिमान है। इसका समय में विस्थापन, अनुक्रमानुपाती है।
(i) t1/2
(ii) t
(iii) t3/2
(iv) t2
उत्तर:
P = F.v
शक्ति की विमा, [ML2T-3 ] नियत
∴ L2T-3 = नियत
या L2 ∝ T3
या L ∝ T3/2
उत्तर: (iii)
∴ विस्थापन x ∝ t3/2

प्रश्न 6.11.
किसी पिण्ड पर नियत बल लगाकर उसे किसी निर्देशांक प्रणाली के अनुसार Z-अक्ष के अनुदिश गति करने के लिए बाध्य किया गया है, जो इस प्रकार है।
\(\vec{F}=(-\hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k}) \mathrm{N}\)
जहाँ, \(\hat{i}\) तथा \(\hat{j}\) क्रमश: X, Y एवं Z – अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश हैं। इस वस्तु को Z-अक्ष के अनुदिश 4m की दूरी तक गति कराने के लिए आरोपित बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
\(\vec{F}=(-\hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k}) \mathrm{N}\)
\(\vec{d}=4 \hat{k}\)
(वस्तु Z – अक्ष के अनुदिश गति करती है।)
W = \(\vec{F} \cdot \vec{d}\) = \((-\hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k}) \cdot(4 \hat{k})\)
= 12 J

प्रश्न 6.12.
किसी अन्तरिक्ष किरण प्रयोग में एक इलेक्ट्रॉन और एक प्रोटॉन का संसूचन होता है जिसमें पहले कण की गतिज ऊर्जा 10 keV है और दूसरे कण की गतिज ऊर्जा 100 keV है। इनमें कौन-सा तीव्रगामी है – इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन? इनकी चालों का अनुपात ज्ञात कीजिए (इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 9.11 x 10-31 kg. प्रोटॉन का द्रव्यमान = 1.67 x 10-27 kg, 1eV = 1.60 x 10-19 J
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
E1 = \(\frac{1}{2}\)meve2
= 10 kev
= 10 x 16 × 10-16 J
प्रोटॉन की गतिज ऊर्जा
E2 = \(\frac{1}{2}\)mpv2p
= 100 kev
= 100× 1.6 × 10-16 J

Ve = 13.5vp
अर्थात् इलेक्ट्रॉन तीव्रगामी है

प्रश्न 6.13.
2mm त्रिज्या की वर्षा की कोई बूँद 500m की ऊँचाई से पृथ्वी पर गिरती है। यह अपनी आरम्भिक ऊँचाई के आधे हिस्से तक (वायु के श्यान प्रतिरोध के कारण) घटते त्वरण के साथ गिरती है और अपनी अधिकतम (सीमान्त) चाल प्राप्त कर लेती है और उसके बाद एकसमान चाल से गति करती है। वर्षा की बूँद पर उसकी यात्रा के पहले व दूसरे अर्ध भागों में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? यदि बूँद की चाल पृथ्वी तक पहुँचने पर 10ms-1 हो तो सम्पूर्ण यात्रा में प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
r = 2 mm = 2 x 10-3
g = 9.8ms-2
h = 500mm
∴ अर्ध भाग की लम्बाई h1 = h2 = 250m
पानी का घनत्व p= 103 kg m-3
बूँद का द्रव्यमान m = \(\frac{4}{3}\)πr3 × p
= \(\frac{4}{3}\) × 3.14 × (2 × 10-3)3 x 103
= 3.35 × 10-5 kg
बूँद पर भार (गुरुत्वीय बल)
F1 = mg
= 3,35 × 10-5 × 9.8
= 3,35 × 10-4 N
कार्य: W = mg x h1 = 3.35 × 10-4 x 250 = 0.082J
गुरुत्वीय बल द्वारा दोनों स्थितियों में किया गया कार्य समान ही होगा।
कुल कार्य W = 2 x W1 = 2 × 0.082 = 0.164J
गतिज ऊर्जा E = mv2
बूँद की चाल = 10ms-1
= \(\frac{1}{2}\) × 3.35 × 10-1 x (10)2
= 1.675 × 10-3 J = 0.001675
∴ सम्पूर्ण भाग में प्रतिरोध बल द्वारा किया गया कार्य
= E – W
= 0.001675 – 0.164
= – 1.63 J

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.14.
किसी गैस पात्र में कोई अणु 200ms-1 की चाल से अभिलम्ब के साथ 30° का कोण बनाता हुआ क्षैतिज दीवार से टकराकर पुन: उसी चाल से वापस लौट जाता है। क्या इस संघट्ट में संवेग संरक्षित है? यह संघट्ट प्रत्यास्थ है या अप्रत्यास्थ?
उत्तर:
v = 200 ms-1
u = 200ms-1: θ = 30°
प्रत्येक टक्कर में संवेग सदैव संरक्षित रहता है।
टक्कर से पूर्व गतिज ऊर्जा E1 = \(\frac{1}{2}\)mu2
= \(\frac{1}{2}\)m × (200)2
टक्कर के पश्चात् गतिज ऊर्जा Ex = \(\frac{1}{2}\)mv2
= \(\frac{1}{2}\)m(200)2
स्पष्ट है कि गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है। अतः टक्कर प्रत्यास्थ है।

प्रश्न 6.15.
किसी भवन के भूतल पर लगा कोई पम्प 30m3 आयतन की पानी की टंकी को 15 मिनट में भर देता है। यदि टंकी पृथ्वी तल से 40m ऊपर हो और पम्प की दक्षता 30% हो तो पम्प द्वारा कितनी विद्युत् शक्ति का उपयोग किया गया?
उत्तर:

पानी का द्रव्यमान = आयतन x घनत्व
= 30 x 103 kg
समय t = 15 मिनट 15 x 60 सेकण्ड = 900s;
निर्गत शक्ति

= 44443W
= 44.443 kW
= 44.4kW

प्रश्न 6.16.
दो समरूपी बॉल-बियरिंग एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं और किसी घर्षणरहित मेज पर विरामावस्था में हैं। इनके साथ समान द्रव्यमान का कोई दूसरा बॉल-बियरिंग, जो आरम्भ में v चाल से गतिमान है, सम्मुख संघट्ट करता है। यदि संघट्ट प्रत्यास्थ है तो संघट्ट के पश्चात् निम्नलिखित चित्र में से कौन-सा परिणाम सम्भव है?

उत्तर:
(i) माना प्रत्येक बॉल-बियरिंग का द्रव्यमान m है। संघट्ट से पूर्व निकाय की गतिज ऊर्जा
= \(\frac{1}{2}\)mV2 + 0 + 0
(ii) स्थिति में गतिज ऊर्जा
= 0 + 0 + \(\frac{1}{2}\)mV2 = 2mv2
अर्थात् गतिज ऊर्जा समान प्राप्त होती है।
अन्य सभी स्थितियों में गतिज ऊर्जा कम हो रही है।

प्रश्न 6.17.
किसी लोलक के गोलक 1 को, जो ऊर्ध्वाधर से 30° का कोण बनाता है, छोड़े जाने पर मेज पर, विरामावस्था में रखे दूसरे गोलक 8 से टकराता है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है। ज्ञात कीजिए कि संघट्ट के पश्चात् गोलक 4 कितना ऊँचा उठता है? गोलकों के आकारों की उपेक्षा कीजिए और मान लीजिए कि संघट्ट प्रत्यास्थ है।

उत्तर:
समान द्रव्यमान के पिण्डों की प्रत्यास्थ टक्कर में टक्कर के पश्चात् पिण्डों के वेग परिवर्तित हो जाते हैं अतः टक्कर के पश्चात् 4 पिण्ड स्थिर हो जायेगा व B पिण्ड, A के वेग से ऊपर उठेगा।

प्रश्न 6.18.
किसी लोलक के गोलक को क्षैतिज अवस्था में छोड़ा गया है। यदि लोलक की लम्बाई 1.5 m है तो निम्नतम बिन्दु पर आने पर गोलक की चाल क्या होगी? यह दिया गया, कि इसकी आरम्भिक ऊर्जा का 5% अंश वायु प्रतिरोध के विरुद्ध क्षय हो जाता है।
उत्तर:
h = 1.5m u = 0
बिन्दु A पर गोलक की कुल ऊर्जा = mgh
= m x 9.8 × 1.5
= 14.7 mJ
∵ 5% ऊर्जा क्षय हो जाती है
∴ शेष ऊर्जा = 95%
= \(\frac{95}{100}\) x 14.7m

माना बिन्दु B पर वेग हो तो ऊर्जा संरक्षण से,
\(\frac{1}{2}\)mV2 = \(\frac{95}{100}\) × 14.7cm
v = \(\\sqrt{\frac{95}{100} \times 14.7 \times 2}\) = \(\\sqrt{27.93}\)
v = 5.285ms-1

प्रश्न 6.19.
300 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली, 25 kg रेत का बोरा लिये हुए किसी घर्षणरहित पथ पर 27 kmh की एकसमान चाल से गतिमान है। कुछ समय पश्चात् बोरे में किसी छिद्र से रेत 0.05 kgs-1 की दर से निकलकर ट्रॉली के फर्श पर रिसने लगती है। रेत का बोरा खाली होने के पश्चात् ट्रॉली की चाल क्या होगी?
उत्तर:
ट्रॉली एकसमान चाल से चल रही है। अतः बाह्य बल F = 0 अतः निकास का रेखीय संवेग नियत रहेगा। अतः ट्रॉली की चाल 27 kmh-1 ही रहेगी।

प्रश्न 6.20
0.5 kg द्रव्यमान का एक कण v = ax3/2 सरल रेखीय गति करता है। जहाँ a = 5m1/2g-1 है। x = 0 से x = 2m तक इसके विस्थापन में कुल बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा?
उत्तर:
x = 0 पर, V1 = 0
x = 2 पर, V2 = 5 x (2)3/2
कार्य = गतिज ऊर्जा में वृद्धि = \(\frac{1}{2}\)mv22 – \(\frac{1}{2}\)m12
= 2m2v7
= \(\frac{1}{2}\)m22 [∵ V1 = 0]
= 2 × 0.5 × 25 × (2)3
= 50J

प्रश्न 6.21.
किसी पवनचक्की के ब्लेड, क्षेत्रफल 4 के वृत्त जितना क्षेत्रफल प्रसर्प करते हैं:
(a) यदि हवा, वेग से वृत्त के लम्बवत् दिशा में बहती है तो समय में इससे गुजरने वाली वायु का द्रव्यमान क्या होगा? (b) वायु की गतिज ऊर्जा क्या होगी? (c) मान लीजिए कि पवनचक्की हवा की 25% ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित कर देती है। यदि A = 30m2, और V = 36kmh-1 और वायु का घनत्व 1.2kgm-3 ‘है तो उत्पन्न विद्युत् शक्ति का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
A = 30m2;
v = 36kmh-1
= 10ms-1
वायु का घनत्व p = 1.2kgm-3
(a) t समय में वृत्त से गुजरी वायु का आयतन = Avt
(आयतन = क्षेत्रफल x दूरी)
∴ वायु का द्रव्यमान ( t समय में) = Avtp
(b) वायु की गतिज ऊर्जा
K = 2m2 = 2 Avtpv2 = Aptv2
(c) t समय में उत्पन्न विद्युत ऊर्जा
E = \(\frac{25}{100}\) × \(\frac{1}{8}\) Apv3t
विद्युत शक्ति P = \(\frac{E}{t}\) = \(\frac{1}{8}\)Aptv3
P = \(\frac{1}{8}\) × 30 × 1.2 × (10)3
= 4500W
= 4.5 kW

प्रश्न 6.22.
कोई व्यक्ति वजन कम करने के लिए 10 kg द्रव्यमान को 0.5m की ऊँचाई तक 1000 बार उठाता है। मान लीजिए कि प्रत्येक बार द्रव्यमान को नीचे लाने में खोई हुई ऊर्जा क्षयित हो जाती है। (a) वह गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध कितना कार्य करता है? (b) यदि वसा 3.8 x 107 J ऊर्जा प्रति किलोग्राम आपूर्ति करती हो जो कि 20% दक्षता की दर से यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है तो वह कितनी वसा खर्च कर डालेगा?
उत्तर:
m = 10kg; h = 0.5m n = 1000
(a) मनुष्य द्वारा 1000 बार ऊपर उठाने में किया गया कार्य
W = n (mgh)
= 1000 x 10 x 9.8 x 0.5 = 49000 J
(b) 1 kg वसा द्वारा प्रदान की गई यान्त्रिक ऊर्जा
= 3.8 x 107J का 20%
= 3.8 × 107 x \(\frac{20}{100}\)
= 3.8 × 107 (J)
= \(\frac{3.8 \times 10^7}{5}\) (J)
= \(\frac{3.8 \times 10^7}{5}\) J ऊर्जा प्राप्त होगी = 1 kg वसा से
∴ 49000J ऊर्जा प्राप्त होगी
= \(\frac{5}{3.8 \times 10^7}\) x 49000kg वसा से
= 6.45 × 10-3 kg वसा से
अतः व्यक्ति 6.45 x 10-3 kg वसा खर्च कर देगा।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.23.
कोई परिवार 8 kW विद्युत शक्ति का उपभोग करता है। (a) किसी क्षैतिज सतह पर सीधे आपतित होने वाले सौर ऊर्जा की औसत दर 200 Wm-2 है। यदि इस ऊर्जा का 20% भाग लाभदायक विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित किया जा सकता है तो 8KW की विद्युत् आपूर्ति के लिए कितने क्षेत्रफल की आवश्यकता होगी? (b) इस क्षेत्रफल की तुलना किसी विशिष्ट भवन की छत के क्षेत्रफल से कीजिए।
उत्तर:
(a) शक्ति P = 8kW = 8000W,
सौर ऊर्जा की औसत दर = 200Wm-2
इसका 20% भाग विद्युत् ऊर्जा में रूपान्तरित होता है।
= 200 x \(\frac{20}{100}\) = 40W
∴ 40W उपयोगी शक्ति प्राप्त होगी
= 1m2 क्षेत्रफल से
IW शक्ति प्राप्त होगी = \(\frac{1}{40}\) m2 क्षेत्रफल से
8000 W शक्ति प्राप्त होगी
= \(\frac{1}{40}\) x 8000m2 क्षेत्रफल से
= 200m2 क्षेत्रफल
अतः 8kW शक्ति प्राप्त करने के लिए 200m2 क्षेत्रफल की आवश्यकता होगी।
(b) इसके लिए लगभग 15m x 14m आकार का भवन उपयुक्त होगी।

अतिरिक्त अभ्यास (Additional Exercise):

प्रश्न 6.24
0.012 kg द्रव्यमान की कोई गोली 70ms-1 की क्षैतिज चाल से चलते हुए 0.4 kg द्रव्यमान के लकड़ी के गुटके से टकराकर गुटके के सापेक्ष तुरन्त ही विरामावस्था में आ जाती है। गुटके को छत से पतली तारों द्वारा लटकाया गया है। परिकलन कीजिए कि गुटका किस ऊँचाई तक ऊपर उठता है? गुटके में पैदा ऊष्मा की मात्रा का भी अनुमान लगाइए।
उत्तर:
m1 = 0.012kg m2 = 0.4kg v = ?
u1 = 70ms-1; u2 = 0
या
v= \(\frac{m_1 u_1+m_2 u_2}{\left(m_1+m_2\right)}=\frac{0.012 \times 70+0}{(0.012+0.4)}\)
= \(\frac{0.012 \times 70}{0.412}\)
= 2.04ms-1
माना गुटका ऊँचाई तक ऊपर जाता है।
∴ v2 = 2gh
या
h = \(\frac{v^2}{2 g}\)
= \(\frac{2.04 \times 2.04}{2 \times 9.8}\)
= 0.212m = 21.2cm
इस क्रिया में ऊर्जा हानि ऊष्मा में परिवर्तित होगी।
अतः
W = \(\frac{1}{2}\) m1u12 – \(\frac{1}{2}\)(m1 + m2)v2
= \(\frac{1}{2}\) × 0.012 × (70)2 – \(\frac{1}{2}\) × (0.412) × (2.04)2
= 29.4 – 0.86
= 28.52 जूल

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प्रश्न 6.25.
दो घर्षण रहित आनत पथ, जिनमें से एक की ढाल अधिक है और दूसरे की ढाल कम है, बिन्दु पर मिलते हैं। बिन्दु से प्रत्येक पथ पर एक-एक पत्थर को विरामावस्था से नीचे सरकाया जाता है। चित्रानुसार क्या ये पत्थर एक ही समय पर नीचे पहुँचेंगे? क्या वे वहाँ एक ही चाल से पहुँचेंगे? व्याख्या कीजिए। यदि θ1 = 30°, θ2 = 60° और h = 10m दिया है तो दोनों पत्थरों की चाल एवं उनके द्वारा नीचे पहुँचने में लिए गये समय क्या हैं?

उत्तर:
चूँकि दोनों आनत पथ की ऊँचाई समान है। अतः दोनों वस्तुएँ एक ही चाल से नीचे पहुंचेंगी।
त्वरण a1 = g sinθ1 तथा a2 = gsinθ2
∵ θ1 < θ2
∴ a1 < a2
∴ v = u + at से u = 0 हो तो t =
t1 < t2 या t2 < t1
अतः दूसरा पत्थर पहले की तुलना में पहले नीचे आयेगा।
h = 10m हो, तो वेग v = √2gh
= \(\sqrt{2 \times 9.8 \times 10}\) = 14 ms1
θ1 = 30° के लिए समय
v = u + at, v = gsinθ1t1

प्रश्न 6.26.
किसी रूक्ष आनत तल पर रखा हुआ 1kg द्रव्यमान का गुटका किसी 100Nm स्प्रिंग नियतांक वाले स्प्रिंग से दिये गये चित्र के अनुसार जुड़ा है। गुटके को स्प्रिंग की बिना खिंची स्थिति में, विरामावस्था से छोड़ा जाता है। गुटका विरामावस्था में आने से पहले आनत तल पर 10 cm नीचे खिसक जाता है। गुटके और आनत तल के म घर्षण गुणांक ज्ञात कीजिए। मान लीजिए कि स्प्रिंग का द्रव्यमान उपेक्षणीय है और घिरनी घर्षणरहित है।

उत्तर:
चित्र में गुटके पर लगने वाले बल प्रदर्शित हैं।
प्रतिक्रिया R = mg cos 37
∴ घर्षण f = μR = μmg cos 37° गुटके पर नीचे की ओर परिणामी बल
= mg sin 37° – μmg cos 37°
= mg [sin 37°- μcos 37°]
x विस्थापन में किया गया कार्य
W = mg (sin 37° – μcos 37° ) x x ……..(1)
इस स्थिति में स्प्रिंग 10cm विस्थापित होती है। अतः स्प्रिंग द्वारा किया गया कार्य
∵ x = 10cm = 0.1m; ∴ k = 10Nm-1
समी० (1) व (2) से,
\(\frac{1}{2}\)kx2 = mg [sin 37° – μcoscos 37°) x x
या \(\frac{1}{2}\) x 100 x (0.1) = 1 x 10 x [0.601 – μ0.798]
[∵ sin 37° = 0.6017 cos 37° = 0.798]
या
\(\frac{1}{2}\) = [0.601 – μ × 0.798]
या μ × 0.798 = [ 0.601 – 0.5]
∴ μ = \(\frac{0.101}{0.798}\)
= 0.126

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प्रश्न 6.27
0.3 kg द्रव्यमान का कोई बोल्ट 7ms-1 की एकसमान चाल से नीचे आ रही किसी लिफ्ट की छत से गिरता है। यह लिफ्ट के फर्श से टकराता है (लिफ्ट की लम्बाई 3m) और वापस नहीं लौटता है। टक्कर द्वारा कितनी ऊष्मा उत्पन्न हुई? यदि लिफ्ट स्थिर होती तो क्या आपका उत्तर इससे भिन्न होता?
उत्तर:
m = 0.4 kg; μ = 7ms-1; h = 3m
लिफ्ट की छतपर बोल्ट की स्थितिज ऊर्जा
= mgh
= 0.3 × 9.8 × 3
= 8.82 J
टक्कर के पश्चात् वोल्ट वापस नहीं लौटता है, अतः सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा, ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है = 8.82J
लिफ्ट एकसमान चाल से गति कर रही है। अतः त्वरण a = 0, अतः लिफ्ट स्थिर होने पर भली उत्तर अपरिवर्तित रहेगा। लिफ्ट जड़त्वीय निर्देश तन्त्र की भाँति व्यवहार करेगा।

प्रश्न 6.28.
200 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली किसी घर्षणरहित पर 36 kmh की एकसमान चाल से गतिमान है। 20 kg द्रव्यमान का कोई बच्चा ट्रॉली के एक सिरे से दूसरे सिरे तक (10m दूर) ट्रॉली के सापेक्ष 4ms-1 चाल से ट्रॉली की गति की विपरीत दिशा में दौड़ता है और ट्रॉली से बाहर कूद जाता है। ट्रॉली की अन्तिम चाल क्या है? बच्चे के दौड़ना आरम्भ करने के समय से ट्रॉली ने कितनी दूरी तय की?
उत्तर:
ट्रॉली का द्रव्यमान
m1 = 200kg
चाल u1 = 36km h
= 36 x \(\frac{5}{18}\)
= 10ms-1
बच्चे का द्रव्यमान
m2 = 20kg
माना बच्चे की चाल = x
ट्रॉली के सापेक्ष बच्चे की चाल
V2 = 4ms-1
V2 = V1 – x
माना ट्रॉली की अन्तिम चाल
∴ बच्चे की वास्तविक चाल x = V1 – V2
संवेग संरक्षण से,
बच्चे के दौड़ना प्रारम्भ करने से पूर्व निकाय का संवेग = ट्रॉली से कूदते समय निकाय का संवेग
(m1 + m2) u1 = m1v1 + m2(V1 – V2 )
या (200 + 20) x 10 = 200 v1 + 20(v1 – 4)
या 220v1 – 80 = 2200
∴ v1 = \(\frac{2280}{220}\)
= 10.36ms-1

प्रश्न 6.29.
चित्र में दिये गये स्थितिज ऊर्जा वक्रों में से कौन-सा वक्र सम्भवतः दो बिलियर्ड गेंदों के प्रत्यास्थ संघट्ट का वर्णन नहीं करेगा? यहाँ गेंदों के केन्द्रों के मध्य की दूरी है और प्रत्येक गेंद का अर्द्धव्यास R है।

उत्तर:
(i), (ii), (iii), (iv), (vi) ये संघट्ट का वर्णन नहीं करेंगे।
व्याख्या: जब दो गेंद संघट्ट करेंगी तो एक-दूसरे को संपीडित करेंगी जिससे दूरी घटेगी तथा स्थितिज ऊर्जा बढ़ेगी। परन्तु टक्कर के पश्चात् गेंदें दूर हटेंगी तो उनकी स्थितिज ऊर्जा घटेगी। पुन: प्रारम्भिक आकार प्राप्त करने पर स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जायेगी। अतः (v) स्थिति इसकी सही व्याख्या करता है (टक्कर के पश्चात्)। अन्य वक्र संघट्ट का वर्णन नहीं करेंगे।

HBSE 11th Class Physics Solutions Chapter 6 कार्य, ऊर्जा और शक्ति

प्रश्न 6.30.
विरामावस्था में किसी मुक्त न्यूट्रॉन के क्षय पर विचार कीजिए n → p + e प्रदर्शित कीजिए कि इस प्रकार के द्विपिण्ड क्षय से नियत ऊर्जा का कोई इलेक्ट्रॉन अवश्य उत्सर्जित होना चाहिए, और इसलिए यह किसी न्यूट्रॉन या किसी नाभिक के 3-क्षय में प्रेक्षित सतत ऊर्जा वितरण का स्पष्टीकरण नहीं दे सकता।

उत्तर:
इस अभिक्रिया में वैज्ञानिक पॉली ने सुझाव दिया कि इसमें एक अन्य कण जिसे न्यूट्रिनों (v) कहा जाता है उत्सर्जित होता है। यह उदासीन व द्रव्यमान रहित कण है। इसका चक्रण \(\frac{1}{2}\) है।
अतः सही अभिक्रिया निम्न है n → p + e + v

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

प्रश्न 1.
589 nm तरंगदैघ्र्य का एकवर्णिय प्रकाश वायु से जल की सतह पर आप्तित होता है।
(a) परावर्तित तथा
(b) अपरवार्तित प्रकाश की तरंगदैघ्र्य, आवृत्ति तथा चाल क्या होगी? जल का आवरत्नांक 1.33 है।
उत्तर:
दिया गया है:
एकवर्णीय प्रकाश का तरंगदैर्घ्य = 589nm
A = 589 × 109 m
प्रकाश की चाल c = 3 x 108 m/s,
वायु का अपवर्तनांक = n = 1

(a) परावर्तित प्रकाश के लिए:
परावर्तित प्रकाश का तरंगदैर्घ्य = 1
परावर्तित प्रकाश की आवृत्ति = v
परावर्तित प्रकाश की चाल = v
(i) चूँकि परावर्तित प्रकाश का तरंगदैर्घ्य अपरिवर्तित रहता है। चूँकि वायु का अपवर्तनांक 1 है इसलिए अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
चाल
λ1 = λ/n
= 589 × 10-9/1
λ1 = 589 x 10-9 m
(ii) चूँकि परावर्तन एक ही माध्यम में होता है अतः प्रकाश की
= v = c = 3 x 108 m/s
(iii) अपवर्तित प्रकाश की आवृत्ति =0
आवृत्ति v = c/λ
= \(\frac{3 \times 10^8 \mathrm{~m} / \mathrm{s}}{589 \times 10^{-9} \mathrm{~m}}\)
= 5.09 × 1014 Hz

(b) अपवर्तित प्रकाश के लिए:
जल का अपवर्तनांक = 1.33
अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य λ = λ/n
= \(\frac{589 \times 10^{-9}}{1.33}\)
= 442.857 nm
≈ 443 nm

अपवर्तित प्रकाश की आवृत्ति आपतित प्रकाश की आवृत्ति के समान होती है।
अतः आवृत्ति v’ = 0 = 5.09 × 1014 Hz
अपवर्तित प्रकाश की चाल (Vg) = c/n = \(\frac{3 \times 10^8}{1.33}\)
= 2.26 × 108m/s

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी

प्रश्न 10.2.
निम्नलिखित दशाओं में प्रत्येक तरंगाय की आकृति क्या है?
(a) किसी बिंदु स्रोत से अपसरित प्रकाश।
(b) उत्तल लेन्स से निर्गमित प्रकाश, जिसके फोकस बिंदु पर कोई बिंदु स्रोत रखा है।
(c) किसी दूरस्थ तारे से आने वाले प्रकाश तरंगाय का पृथ्वी द्वारा अवरोधित (intercepted) भाग।
उत्तर:
(a) तरंगाग्र गोलीय अभिसारी प्रकार का होता है।
(b) जब बिन्दु स्रोत को उत्तल लेंस के फोकस पर रखा जाता है तब लेंस से निर्गत प्रकाश किरणें एक-दूसरे के समान्तर होती हैं तथा तरंगाग्र समतल होगा।
(c) तरंगा की आवृत्ति लगभग समतल होती है क्योंकि प्रकाश स्रोत अर्थात् पृथ्वी से दूरस्थ है तारा। अतः बड़े गोले की सतह का एक छोटा क्षेत्र लगभग समतलीय होता है।

प्रश्न 10.3.
(a) काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। काँच में प्रकाश की चाल क्या होगी ? (निर्वात में प्रकाश की चाल 3.0 x 108 ms-1 है।)
(b) क्या काँच में प्रकाश की चाल, प्रकाश के रंग पर निर्भर करती है? यदि हाँ, तो लाल तथा बैंगनी में से कौन-सा रंग काँच के प्रिज्म में धीमा चलता है?
उत्तर:
(a) दिया गया है:
काँच का अपवर्तनांक= 1.5
n = 1.5
निर्वात में प्रकाश की चाल = c = 3.0 x 108 m/s
काँच में प्रकाश की
चाल = Vg (माना)
= \(\mathrm{v}_{\mathrm{g}}\) = \(\frac{\mathrm{c}}{\mathrm{n}}\) = \(\frac{3.0 \times 10^8}{1.5}\)
Vg = 2 × 108 m/s.

(b) हाँ, काँच में प्रकाश की चाल इसके रंग से स्वतंत्र नहीं है। कोची सूत्र से अपवर्तनांक का मान रंग पर निर्भर करता है। अर्थात्
अपवर्तनांक (n) = a + b/ λ2 + c/λ4 + …………….
या c/vg = a + b/ λ2 + c/ λ4 + ……………..
यहाँ पर a, b तथा c स्थिरांक हैं।
∴ vg or λ2 स्पष्टतः है कि प्रकाश की चाल तरंगदैर्घ्य के वर्ग के अनुक्रमानुपाती है। हम जानते हैं कि
अर्थात् बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य लाल रंग के तरंगदैर्ध्य से कम है। इसलिए काँच में से बैंगनी प्रकाश लाल रंग की अपेक्षा धीमे चलेगा।

प्रश्न 10.4.
यंग के द्विझिरी प्रयोग में झिरियों के बीच की दूरी 0.28mm है तथा परदा 1.4m की दूरी पर रखा गया है। केंद्रीय दीप्त फ्रिंज एवं चतुर्थ दीप्त फ्रिंज के बीच की दूरी 1.2cm मापी गई है। प्रयोग में उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
झिरियों के बीच की दूरी = d = 0.28mm
d = 0.28 × 103 m
झिरियों और पर्दे के बीच
दूरी = D= 1.4m
धारी की कोटि = n = 4
x = 1.2 cm = 1.2 x 102 m
सम्बन्ध सूत्र
x = nλD/d से हम प्राप्त करते हैं
या
λ = xd/nD
मान रखने पर
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी 1
= 600 × 109 m
= 6000 Å

प्रश्न 10.5.
यंग के द्विझिरी प्रयोग में, λ तरंगदैर्ध्य का एकवर्णीय प्रकाश उपयोग करने पर परदे के एक बिंदु पर जहाँ पथांतर λ है, प्रकाश की तीव्रता K इकाई है। उस बिंदु पर प्रकाश की तीव्रता कितनी होगी जहाँ पथांतर λ/3 है?
उत्तर:
एकवर्णीय प्रकाश के लिये
I1 = I2 = l0
तथा पथान्तर
∆ = λ
तब कलान्तर ¢ = 2π/λ .∆
¢ = 2π/λ .λ = 2π
परिणामी तीव्रता
= K
अतः
K = I1 + I2 + 2 √I1, √I2 cos ¢
= Io + I0 + 2√I0√I0 cos 2π
= 2I0 + 2I0 × 1 (∵ cos 2π = 1)
K = 4lo
⇒ Io = 1/4K
जब ∆ = λ/3
कलान्तर ¢ = 2π/λ × λ/3 = 2π/3
परिणामी तीव्रता I = – 1/4k + 1/4k + 2K/4 cos 2π/3
I = 1/2k + 1/2K(-1/2)
I = 1/4K

प्रश्न 10.6
यंग के द्विझिरी प्रयोग में व्यतिकरण फ्रिजों को प्राप्त करने के लिए 650 nm तथा 520 nm तरंगदैयों के प्रकाश-पुंज का उपयोग किया गया।
(a) 650nm तरंगदैर्घ्य के लिए परदे पर तीसरे दीप्त फ्रिज की केंद्रीय उच्चिष्ठ से दूरी ज्ञात कीजिए।
(b) केंद्रीय उच्चिष्ठ से उस न्यूनतम दूरी को ज्ञात कीजिए जहाँ दोनों तरंगदैघ्यों के कारण दीप्त फ्रिज संपाती (coincide) होते हैं।
दोनों झिरियों के बीच की दूरी 2 mm तथा झिरियों से पर्दे की दूरी 12m है।
उत्तर:
दिया गया है:
λ1 = 650 nm = 650 x 109 m.
= 650 x 107 cm.
= 65 × 10-6 cm.
n = 3, D = 1.2 m = 120 cm.
d = 2 mm = 2 × 10-1 cm.
λ2 = 520 nm
= 520 x 10-9 m.
= 520 × 10-7 cm.
= 52 × 10-6 cm.

(a) केन्द्रीय फ्रिंज से nवीं दीप्त फ्रिंज की दूरी x = nλD/d
X = \(\frac{3 \times 65 \times 10^{-6} \times 120}{2 \times 10^{-1}}\)
∵ n = 3
= 117 × 103 cm.
= 0.117 cm = 1.17 mm.

(b) प्रश्नानुसार न्यूनतम दूरी वह होगी, जहाँ पर एक तरंगदैर्घ्य के कारण वें क्रम की दीप्त फ्रिंज दूसरे तरंगदैर्घ्य के कारण (n + 1)d वें क्रम की दीप्त फ्रिज के सम्पाती होगी।
अतः
x = \(\frac{\mathrm{n} \lambda \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\)
\(\frac{\mathrm{n} \lambda_1 \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\) = \(\frac{(n+1) \lambda_2 D}{d}\)
nλ1 = (n + 1)λ2
या n × 65 × 10-6 = (n + 1) × 52 × 10-6
या 5n = (n + 1) × 4 = 4n + 4
या n = 4
अतः न्यूनतम दूरी x = \(\frac{\mathrm{n} \lambda_1 \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\) = \(\frac{4 \times 65 \times 10^{-6} \times 120}{2 \times 10^{-1}}\)
x = 0.156 cm = 1.56mm.

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प्रश्न 10.7.
एक द्विझिरी प्रयोग में एक मीटर दूर रखे परदे पर एक फ्रिज की कोणीय चौड़ाई 0.2° पाई गई। उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 600 nm है। यदि पूरा प्रायोगिक उपकरण जल में डुबो दिया जाए तो फ्रिज की कोणीय चौड़ाई क्या होगी? जल का अपवर्तनांक 4/3 लीजिए।
उत्तर:
कोणीय चौड़ाई θ = λ/d
या θ α λ
जहाँ
θ = 0.2°
nw = 4/3
\(\frac{\theta_w}{\theta}\) = \(\frac{\lambda_w}{\lambda}\)
∵ n = v1/v2 = λ1/λ2
अतः
nw = \(\frac{\lambda}{\lambda_w}\)
या = \(\frac{\lambda}{\mathrm{n}_{\mathrm{w}}}\)
\(\frac{\theta_w}{\theta}\) = \(\frac{\lambda}{\mathrm{n}_{\mathrm{w}} \lambda}\) = \(\frac{1}{\mathrm{n}_{\mathrm{w}}}\)
∴ θw = \(\frac{\theta}{n_w}\)
मान रखने पर
θ = \(\frac{0.2^{\circ}}{4 / 3}\) = \(\frac{0.2^{\circ} \times 3}{4}\)
θ = 0.15°

प्रश्न 10.8.
वायु से काँच में संक्रमण (transition ) के लिए ब्रूस्टर कोण क्या है? (काँच का अपवर्तनांक = 1.5 )।
उत्तर:
वायु से काँच में संक्रमण के लिए n = tan iB
यहाँ पर iB = ब्रूस्टर कोण है जिसे ध्रुवण कोण भी कहते हैं।
1.5 = tan iB
या
iB = tan-1 (1.5)
= 56.3°

प्रश्न 10.9
5000 À तरंगदैर्घ्य का प्रकाश एक समतल परावर्तक सतह पर आपतित होता है। परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य एवं आवृत्ति क्या है? आपतन कोण के किस मान के लिए परावर्तित किरण आपतित किरण के लंबवत् होगी?
उत्तर:
दिया गया है
λ = 5000 A = 5000 x 10-10m
λ = 5 x 107 m
c = 3 × 108 m/s.
∴ परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य = आपतित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
अतः परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
= 5000 A
अब आवृत्ति v = c/λ से
= \(\frac{3 \times 10^8}{5 \times 10^{-7}}\) = \(\frac{3 \times 10^8}{5 \times 10^{-7}}\)
= 6 × 1014 Hz
अब परावर्तन के नियमानुसार i = r
अब i + r = 90°
∴ i + i = 90°
या 2i = 90°
या i = 45°

प्रश्न 10.10.
उस दूरी का आकलन कीजिए जिसके लिए किसी 4 mm के आकार के द्वारक तथा 400 nm तरंगदैर्ध्य के प्रकाश के लिए किरण प्रकाशिकी सन्निकट रूप से लागू होती है।
उत्तर:
दिया गया है:
प्रकाश का तरंगदैर्ध्य = λ = 400 nm
λ = 400 x 10-9 m
= 4 × 10-7 m
छिद्र के द्वारक का आकार a = 4 mm
= 4 × 10-3 m
Zf = फ्रेनेल दूरी = वह दूरी जिसके लिए रेखा प्रकाशिकी एक अच्छा निकटतम है।
किरण प्रकाशिकी की वैधता
सूत्र
Zf = a2/λ से
= \(\frac{\left(4 \times 10^{-3}\right)^2}{4 \times 10^{-7}}\) = \(\frac{16 \times 10^{-6}}{4 \times 10^{-7}}\)
= 4 × 10 = 40m

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):

प्रश्न 10.11.
एक तारे में हाइड्रोजन से उत्सर्जित 6563 A की Hg लाइन में 15 का अभिरक्त विस्थापन ( red-shift) होता है। पृथ्वी से दूर जा रहे तारे की चाल का आकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
∆λ = 15 x 10-10
m
λ = 6563
Å = 6563 x 10-10 m
c = 3 × 108 m/s.
हम जानते हैं λ – λ = vλ/c
या v = \(\frac{\left(\lambda^{\prime}-\lambda\right) \times c}{\lambda}\) = \(\frac{\Delta \lambda \times c}{\lambda}\)
= \(\frac{15 \times 10^{-10} \times 3 \times 10^8}{6563 \times 10^{-10}}\)
= \(\frac{15 \times 3 \times 10^8}{6563}\)
= 6.86 × 105 m/s

प्रश्न 10.12.
किसी माध्यम (जैसे जल में प्रकाश की चाल निर्वात में प्रकाश की चाल से अधिक है। न्यूटन के कणिका सिद्धांत द्वारा इस आशय की भविष्यवाणी कैसे की गई? क्या जल में प्रकाश की चाल प्रयोग द्वारा ज्ञात करके इस भविष्यवाणी की पुष्टि हुई ? यदि नहीं, तो प्रकाश के चित्रण का कौन-सा विकल्प प्रयोगानुकूल है?
उत्तर:
न्यूटन के कणिका सिद्धान्त के अनुसार अपवर्तन में, विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करते समय आपतित कण सतह के लम्बवत् आकर्षण बल का अनुभव करता है। यह परिणाम वेग के अभिलम्ब घटक की वृद्धि में होगी लेकिन पृष्ठ के अनुदिश घटक अपरिवर्तित रहता है। इसका तात्पर्य
c sin i = v sin r
या v/c = sini/sinr
चूँकि n > 1 ∴ v > c
यह अवधारणा प्रायोगिक परिणाम के विरुद्ध है (v< c) प्रकाश का तरंग सिद्धान्त प्रयोग संगत है।

प्रश्न 10.13.
आप मूल पाठ में जान चुके हैं कि हाइगेंस का सिद्धांत परावर्तन और अपवर्तन के नियमों के लिए किस प्रकार मार्गदर्शक है। इसी सिद्धांत का उपयोग करके प्रत्यक्ष रीति से निगमन (deduce ) कीजिए कि समतल दर्पण के सामने रखी किसी वस्तु का प्रतिबिंब आभासी बनता है, जिसकी दर्पण से दूरी, बिंब से दर्पण की दूरी के बराबर होती है।
उत्तर:
बिन्दु बिम्ब (वस्तु) को केन्द्र लेकर दर्पण को स्पर्श करते हुए एक वृत्त खींचिये यह गोलीय तरंगाग्र का बिम्ब से दर्पण पर पहुँचने वाला समतलीय भाग है। अब दर्पण की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति में समय के बाद उसी तरंगाग्र की इन्हीं स्थितियों को आलेखित कीजिए। आप दर्पण के दोनों ओर स्थित दो एक जैसे चाप पायेंगे। सरल ज्यामिति के उपयोग से परावर्तित तरंगाग्र का केन्द्र ( वस्तु का प्रतिबिम्ब) दर्पण से वस्तु की बराबर दूरी पर दिखाई देगा।

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प्रश्न 10.14
तरंग संचरण की चाल को प्रभावित कर सकने वाले कुछ संभावित कारकों की सूची है:
(i) स्रोत की प्रकृति,
(ii) संचरण की दिशा,
(iii) स्रोत और / या प्रेक्षक की गति,
(iv) तरंगदैर्घ्य, तथा
(v) तरंग की तीव्रता।
बताइए कि:
(a) निर्वात में प्रकाश की चाल,
(b) किसी माध्यम ( माना काँच या जल) में प्रकाश की चाल इनमें से किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
(a) निर्वात में प्रकाश की चाल एक सार्वभौमिक स्थिरांक है जो सूचीबद्ध कारकों में से किसी पर भी निर्भर नहीं है। यह स्रोत तथा प्रेक्षक की सापेक्ष गति पर भी निर्भर नहीं करता है। यह तथ्य आइंसटाइन के आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त का मूल अभिगृहीत है।

(b) माध्यम में प्रकाश की चाल की निर्भरता:
(i) माध्यम में प्रकाश की चाल स्रोतों की प्रकृति से स्वतंत्र है। प्रकाश की चाल का निर्धारण माध्यम के संचरण गुणों से है। यह तथ्य अन्य तरंगों के लिए भी सत्य है, जैसे ध्वनि तरंगों एवं जल तरंगों आदि के लिए।
(ii) समदैशिक माध्यम के लिए संचरण दिशा पर निर्भर नहीं है।
(iii) माध्यम की अपेक्षा स्रोत की चाल से उसमें प्रकाश की चाल स्वतंत्र है परन्तु माध्यम की अपेक्षा प्रेक्षक की चाल पर निर्भर है।
(iv) किसी माध्यम में प्रकाश की चाल तरंगाग्र पर निर्भर है। अर्थात् तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है।
(v) किसी माध्यम में प्रकाश की चाल उसकी तीव्रता से स्वतंत्र है अर्थात् तीव्रता पर निर्भर नहीं करती (यद्यपि अधिक तीव्र किरण पुंज के लिए यह स्थिति अधिक जटिल है तथा यहाँ हमारे लिए यह महत्त्वपूर्ण नहीं है)।

प्रश्न 10.15
ध्वनि तरंगों में आवृत्ति विस्थापन के लिए डॉप्लर का सूत्र निम्नलिखित दो स्थितियों में थोड़ा-सा भिन्न है:
(i) स्रोत विरामावस्था में तथा प्रेक्षक गति में हो, तथा
(ii) स्रोत गति में परंतु प्रेक्षक विरामावस्था में हो जबकि प्रकाश के लिए डॉप्लर के सूत्र निश्चित रूप से निर्वात में इन दोनों स्थितियों में एकसमान हैं। ऐसा क्यों है? स्पष्ट कीजिए क्या आप समझते हैं कि ये सूत्र किसी माध्यम में प्रकाश गमन के लिए भी दोनों स्थितियों में पूर्णतः एकसमान होंगे?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए माध्यम आवश्यक है। यद्यपि (i) तथा (ii) स्थिति में संगत समान सापेक्ष गति (स्रोत तथा प्रेषक के मध्य) भौतिक रूप से समरूपी नहीं है क्योंकि माध्यम के सापेक्ष प्रेषक की गति इन दोनों स्थितियों में भिन्न है। अतः (i) तथा (ii) स्थितियों में हम ध्वनि के लिए डॉप्लर के सूत्रों की समानता की अपेक्षा नहीं कर सकते निर्वात में प्रकाश तरंगों के लिए स्पष्टतया (i) तथा (ii) स्थिति के बीच कोई भेद नहीं है। यहाँ मात्र स्रोत तथा प्रेक्षक की सापेक्ष गतियाँ ही अर्थ रखती हैं तथा आपेक्षिकीय डॉप्लर का सूत्र (i) तथा (ii) स्थिति के लिए समान है। माध्यम में प्रकाश संचरण के लिए पुनः ध्वनि तरंगों के समान दोनों स्थितियाँ समान नहीं हैं तथा (i) तथा (ii) स्थितियों के लिए हमें डॉप्लर के सूत्र के भिन्न होने की अपेक्षा रखनी चाहिए।

प्रश्न 10.16.
द्विझिरी प्रयोग में 600 nm तरंगदैर्घ्य का प्रकाश करने पर, एक दूरस्थ परदे पर बने फ्रिज की कोणीय चौड़ाई 0.1° है। दोनों झिरियों के बीच कितनी दूरी है?
उत्तर:
दिया गया है:
धारी की कोणीय
चौड़ाई = β = 0.1°
β = 0.1 x π/180 रेडियन
= π/1800 रेडियन
प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
= λ = 600nm
λ = 600 x 10-9 m
= 6 × 10-7 m
झिरियों में दूरी = d = ?
∴ सूत्र β = λ/d का उपयोग करने पर
या
d = λ/β = \(\frac{6 \times 10^{-7} \times 1800}{\pi}\)
= \(\frac{108 \times 10^{-5}}{3.14}\)
= 3.44 x 10-4 m

प्रश्न 10.17.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) एकल झिरी विवर्तन प्रयोग में झिरी की चौड़ाई मूल चौड़ाई से दोगुनी कर दी गई है। यह केंद्रीय विवर्तन बैंड के साइज तथा तीव्रता को कैसे प्रभावित करेगी?
(b) द्विझिरी प्रयोग में, प्रत्येक झिरी का विवर्तन, व्यतिकरण पैटर्न से किस प्रकार संबंधित है?
(c) सुदूर स्रोत से आने वाले प्रकाश के मार्ग में जब एक लघु वृत्ताकार वस्तु रखी जाती है तो वस्तु की छाया के मध्य एक प्रदीप्त बिंदु दिखाई देता है। स्पष्ट कीजिए क्यों?
(d) दो विद्यार्थी एक 10m ऊँची कक्ष विभाजक दीवार द्वारा 7m के अंतर पर हैं। यदि ध्वनि और प्रकाश दोनों प्रकार की तरंगें वस्तु के किनारों पर मुड़ सकती हैं तो फिर भी वे विद्यार्थी एक-दूसरे को देख नहीं पाते यद्यपि वे आपस में आसानी से वार्तालाप किस प्रकार कर पाते हैं?
(e) किरण प्रकाशिकी, प्रकाश के सीधी रेखा में गति करने की संकल्पना पर आधारित है। विवर्तन प्रभाव (जब प्रकाश का संचरण एक द्वारक / झिरी या वस्तु के चारों ओर प्रेक्षित किया जाए) इस संकल्पना को नकारता है तथापि किरण प्रकाशिकी की संकल्पना प्रकाशकीय यंत्रों में प्रतिबिंबों की स्थिति तथा उनके दूसरे अनेक गुणों को समझने के लिए सामान्यतः उपयोग में लाई जाती है। इसका क्या औचित्य है?
उत्तर:
(a) आकार – Md सूत्र के अनुसार, आकार आधा रह जाता है तीव्रता चार गुनी बढ़ जाती है।

(b) द्वि-झिरी समायोजन में व्यतिकरण फ्रिजों की तीव्रता प्रत्येक झिरी के विवर्तन पैटर्न द्वारा माडुलित (modulated) होती है।

(c) वृत्तीय अवरोध के किनारों से विवर्तित तरंगें छाया के केंद्र पर संपोषी व्यतिकरण द्वारा प्रदीप्त बिंदु उत्पन्न करती हैं। अतः छाया केंन्द्र पर चमकीला धब्बा दिखाई देता है।

(d) तरंगों के बड़े कोण पर विवर्तन अथवा मुड़ने के लिए अवरोधों / द्वारकों का आकार तरंग की तरंगदैर्घ्य के समकक्ष होना चाहिए। यदि अवरोध / द्वारक का आकार तरंगदैर्घ्य की तुलना में बहुत बड़ा है तो विवर्तन छोटे कोण से होगा। यहाँ आकार कुछ मीटरों की कोटि का होता है। प्रकाश की तरंगदैर्घ्य लगभग 5 x 107m है, जबकि ध्वनि- तरंगों; जैसे lk Hz आवृत्ति वाली ध्वनि की तरंगदैर्घ्य लगभग 0.3m है। इस प्रकार ध्वनि तरंगें विभाजक के चारों ओर मुड़ सकती हैं जबकि प्रकाश तरंगें नहीं मुड़ सकतीं। अतः ध्वनि तरंगें विवर्तित हो जाती हैं जिससे दोनों विद्यार्थी एक-दूसरे की आवाज सुन लेते हैं।

(e) प्रकाशीय यन्त्रों में द्वारकों के आकार प्रकाश के तरंगदैर्ध्य की तुलना में बहुत बड़े होते हैं विवर्तन के लिये द्वारक के आकार को तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिये। अतः विभिन्न प्रकाशीय यन्त्रों में बने प्रतिबिम्बों की स्थितियों और गुणों का अध्ययन करने के लिये ज्यामितीय प्रकाशिकी की परिकल्पना को ही प्रयुक्त करते हैं।

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प्रश्न 10.18.
दो पहाड़ियों की चोटी पर दो मीनारें एक-दूसरे से 40km की दूरी पर हैं। इनको जोड़ने वाली रेखा मध्य में आने वाली किसी पहाड़ी के 50m ऊपर से होकर गुजरती है। उन रेडियो तरंगों की अधिकतम तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए, जो मीनारों के मध्य बिना पर्याप्त विवर्तन प्रभाव के भेजी जा सकें। हल दिया गया है:
a = 50m
ZF = 40/2 = 20 km.
ZF = 20 x 103 = 2 x 104m.
तरंगदैर्ध्य λ = ?
हम जानते हैं:
ZF = a2/λ से
या
λmax = \(\frac{(50)^2}{2 \times 10^4}\) = \(\frac{(50)^2}{2 \times 10^4}\)
= \(\frac{50 \times 50}{2 \times 10^4}\)

प्रश्न 10.19.
500nm तरंगदैर्घ्य का एक समांतर प्रकाश-पुंज एक पतली झिरी पर गिरता है तथा 1m दूर परदे पर परिणामी विवर्तन पैटर्न देखा जाता है। यह देखा गया कि पहला निम्निष्ठ परदे के केंद्र से 2.5 mm कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
दूरी पर है। झिरी की चौड़ाई ज्ञात
λ = 500nm
= 5 × 107 m
D = 1 m, n = 1 x = 2.5 mm
= 2.5 × 104 m
झिरी की चौड़ाई = ?
केन्द्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई
2x = \(\frac{2 \mathrm{D} \lambda}{\mathrm{a}}\)
a = \(\frac{D \lambda}{x}\)
= \(\frac{1 \times 5 \times 10^{-7}}{25 \times 10^{-4}}\)
= 2 × 104m
= 0.2 mm

प्रश्न 10.20.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) जब कम ऊँचाई पर उड़ने वाला वायुयान ऊपर से गुजरता है तो हम कभी-कभी टेलीविजन के परदे पर चित्र को हिलते हुए पाते हैं। एक संभावित स्पष्टीकरण सुझाइए।
(b) जैसा कि आप मूल पाठ में जान चुके हैं कि विवर्तन तथा व्यतिकरण पैटर्न में तीव्रता का वितरण समझने का आधारभूत सिद्धांत तरंगों का रेखीय प्रत्यारोपण है। इस सिद्धांत की तर्कसंगति क्या है?
उत्तर:
(a) ऐंटीना द्वारा प्राप्त सीधे संकेत तथा गुजरने वाले वायुयान से परावर्तित संकेतों का व्यतिकरण के कारण होता है। अर्थात् कम ऊँचाई पर उड़ता हुआ वायुयान T.V. सिग्नल को परावर्तित कर देता है। सीधे आने वाले सिग्नल और परावर्तित सिग्नल में व्यतिकरण के कारण T.V. स्क्रीन पर चित्र कुछ हिलते हुए दिखाई देते हैं।

(b) अध्यारोपण का सिद्धांत तरंगगति को नियंत्रित करने वाली अवकल (differential) समीकरण के रेखीय चरित्र से प्रतिपादित है। यदि Y1 और Y2 इस समीकरण के हल हैं, तो Y1 और Y2 का रेखीय योग भी उनका हल होगा। जब आयाम बड़े हों (उदाहरण के लिए उच्च तीव्रता का लेजर किरण पुंज) तथा अरैखिक प्रभाव महत्वपूर्ण हो तो यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है, जिसका समझना यहाँ आवश्यक नहीं है।

प्रश्न 10.21.
एकल झिरी विवर्तन पैटर्न की व्युत्पत्ति में कथित है कि n/a कोणों पर तीव्रता शून्य है। इस निरसन (cancellation) को, झिरी को उपयुक्त भागों में बाँटकर सत्यापित कीजिए।
उत्तर:
किसी एकल झिरी को n छोटी झिरियों में बाँटिए जिनमें प्रत्येक की चौड़ाई a = a/n है। कोण θ = nλ/a = λa प्रत्येक छोटी झिरी से कोण 6 की दिशा में तीव्रता शून्य है। इनका संयोजन भी शून्य तीव्रता प्रदान करता है।

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