HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 12 परमाणु

प्रश्न 12.1.
प्रत्येक कथन के अंत में दिए गए संकेतों में से सही विकल्प का चयन कीजिए
(a) टॉमसन मॉडल में परमाणु का साइज, रदरफोर्ड मॉडल में परमाणवीय साइज से ………… होता है।
( अपेक्षाकृत काफी अधिक भिन्न नहीं, अपेक्षाकृत काफ़ी कम )
(b) ……….. में निम्नतम अवस्था में इलेक्ट्रॉन स्थायी साम्य . में इलेक्ट्रॉन, सदैव नेट बल अनुभव करते में होते हैं जबकि हैं।
(टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल)
(c) ……….. पर आधारित किसी क्लासिकी परमाणु का नष्ट (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल) में लगभग संतत होना निश्चित है।
(d) किसी परमाणु के द्रव्यमान का वितरण होता है लेकिन होता है।
(e) …………… में अत्यंत असमान द्रव्यमान वितरण (टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल) में परमाणु के धनावेशित भाग का द्रव्यमान सर्वाधिक होता है।
उत्तर:
(a) भिन्न नहीं।
( रदरफोर्ड मॉडल, दोनों मॉडलों)
(b) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल।
(c) रदरफोर्ड मॉडल।
(d) टॉमसन मॉडल, रदरफोर्ड मॉडल।
(e) दोनों मॉडलों।

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प्रश्न 12.2.
मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन 14 K से नीचे ताप पर ठोस हो जाती है।) आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु का नाभिक प्रोटॉन है । इसका द्रव्यमान 1.67 x 10-27 kg है, जबकि आपतित ऐल्फा कण का द्रव्यमान 6.64 × 10-27 kg है। क्योंकि प्रकीर्ण होने वाले कण का द्रव्यमान लक्ष्य नाभिक (प्रोटॉन) से अत्यधिक है इसलिए प्रत्यक्ष संघट्ट में भी ऐल्फा- कण वापस नहीं आएगा। यह ऐसा ही है जैसे कि कोई फुटबाल, विरामावस्था में टेनिस की गेंद से टकराए। इस प्रकार प्रकीर्णन बड़े कोणों पर नहीं होगा।

प्रश्न 12.3.
पाश्चन श्रेणी में विद्यमान स्पेक्ट्रमी रेखाओं की लघुतम तरंगदैर्ध्य क्या है?
उत्तर:
हम जानते हैं पाश्चन श्रेणी के लिए n1 = 3, n2 = ∞
आवृत्ति v = Rc(1/3-2 – 1/n2)
n = 4, 5, 6, ….
लघुतम तरंगदैर्घ्य के लिए n2 = ∞
∴ v = Rc(1/3-2 – 1/∞ -2)
या
v/c = R(1/9 – 0) = R/9
∴ 1/λmin = R/9
या λmin = 9/R = 9/1.097 x 10-7
या
= 8.204 × 10-7m
= 820.4 nm

प्रश्न 12.4.
2.3 eV ऊर्जा अंतर किसी परमाणु में दो ऊर्जा स्तरों को पृथक कर देता है। उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति क्या होगी यदि परमाणु में इलेक्ट्रॉन उच्च स्तर से निम्न स्तर में संक्रमण करता है?
उत्तर:
दिया गया है:
∆E = E2 – E1 = 2.3 ev
= 2.3 × 1.6 × 10-19 J
प्लांक नियतांक h = 6.63 × 10-34 JS
उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति = v = ?
हम जानते हैं:
सम्बन्ध ∆E = hv
या v = ∆E/h
मान रखने पर
= \(\frac{2.3 \times 1.6 \times 10^{-19}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
~ 5.6 x 104 Hz

प्रश्न 12.5.
हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा -13.6 eV है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज और स्थितिज ऊर्जाएँ क्या होंगी?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा दी जाती है:
Ep = -1/4πE0 . e2/r
तथा गतिज ऊर्जा EK = 1/2 × 1/4πE0 . e2/r = 1/2EP
दिया है
Ep+ Ek =- 13.6 ev
निम्नतम अवस्था में कुल ऊर्जा E = – 13.6 ev
Ep – 1/2Ep= = -13.6 ev
या
1⁄2 EP = – 13.6 ev
या
Ep = – 27.2 ev
Ek = -1/2 Ep = 272/2
= 13.6 eV

प्रश्न 12.6.
निम्नतम अवस्था में विद्यमान एक हाइड्रोजन परमाणु एक फोटॉन को अवशोषित करता है जो इसे n = 4 स्तर तक उत्तेजित कर देता है। फोटॉन की तरंगदैर्ध्य तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
यहाँ पर हाइड्रोजन परमाणु एक फोटॉन को अवशोषित करता है, जो इसे n = 4 स्तर तक उत्तेजित कर देता है। अतः फोटॉन की तरंगदैर्ध्य का मान निम्न होगा
1/λ = R(1/12 – 1/42)
= R(1 – 1/16) = 15/16R
या तरंगदैर्ध्य λ = 16/15R = \(\frac{16}{15 \times 1.097 \times 10^7}\)
हम जानते हैं c = vλ
∴ आवृत्ति v = c/λ = \(\frac{3 \times 10^8}{97.24 \times 10^{-9}}\)
= 3.1 x 1015 Hz

प्रश्न 12.7.
(a) बोर मॉडल का उपयोग करके किसी हाइड्रोजन परमाणु में n = 1, 2 तथा 3 स्तरों पर इलेक्ट्रॉन की चाल परिकलित कीजिए। (b) इनमें से प्रत्येक स्तर के लिए कक्षीय अवधि परिकलित कीजिए।
उत्तर:
(a) हम जानते हैं कि बोर मॉडल का उपयोग करके nth कक्षा में कक्षा की त्रिज्या एवं इलेक्ट्रॉन की चाल
rn = \(\frac{n^2 h^2}{4 \pi^2 K m e^2}\) ………….. (i)
और
vn = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi \mathrm{mr}_{\mathrm{n}}}\) = \(\frac{\mathrm{nh}}{2 \pi \mathrm{m}}\) × \(\frac{4 \pi^2 \mathrm{Kme^{2 }}}{\mathrm{n}^2 \mathrm{~h}^2}\)
vn = \(\frac{2 \pi \mathrm{Ke}^2}{\mathrm{nh}}\) = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}\) \(\frac{2 \pi \mathrm{e}^2}{\mathrm{~h}}\) 1/n
हम जानते हैं
e = 1.6 × 10-19 C
h = 6.63 × 10-34 JS
K = 1/4πe0
= 9 × 109 Nm2C2
ये सभी मान समीकरण (2) में रखने पर
vn = \(\frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 3.14 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{6.63 \times 10^{-34}}\)
vn = \(\frac{21.871 \times 10^5}{\mathrm{n}} \mathrm{m} / \mathrm{s}\)
माना n = 1, 2 तथा 3 में इलेक्ट्रॉन की चाल V1. V2 तथा v3 हैं
V1 = 21.871/1 x 105
= 21.871 × 105 m/s
= 2.19 × 106 m/s
V2 = 21.871/2 x 105 m/s
= 10.935 × 105 m/s
= 1.094 × 106 m/s
v3 = 21,871/3 x 105 m/s
= 7.290 × 105 m/s
= 0.729 × 106 m/s

(b) माना स्तर 1, 2 व 3 में कक्षीय आवर्तकाल क्रमश: T1. T2 और T3 है।
इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या (हाइड्रोजन परमाणु के लिए )
अतः
rn = (0.529 × 10-10) n2 मीटर
r1 = 0.529 × 10-10 मीटर
r2 = 4 x 0.529 x 10-10 मीटर
तथा r3 = 9 x 0.529 x 10-10 मीटर
अतः कक्षीय चाल
T = 2πr/v से
T1 = \(\frac{2 \times 3.14 \times 0.529 \times 10^{-10}}{2.19 \times 10^6}\)
= 1.52 x 10-16 सेकण्ड
T2 = \(\frac{2 \times 3.14 \times 4 \times 0.529 \times 10^{-10}}{1.094 \times 10^6}\)
= 12.16 × 10-16 सेकण्ड
तथा T3 = \(\frac{2 \times 3.14 \times 9 \times 0.529 \times 10^{-10}}{0.729 \times 10^6}\)
= 41.01 × 10-16 सेकण्ड

प्रश्न 12.8.
हाइड्रोजन परमाणु में अंतरतम इलेक्ट्रॉन-कक्षा की त्रिज्या 5.3 x 10-11m है। कक्षा n = 2 और n = 3 की त्रिज्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
हम जानते हैं:
rn α n2 और दिया गया है:
r1 = 5.3 x 10-11 m
r2/r1 = (2/1) = 4
या r2 = 4r1 = 4 x 5.3 x 10-11 m
= 2.12 × 10-11 m
= 2.12 A
पुनः
r3/r1 = (3/1)2 = 9/1
r3 = 9r1
= 9 x 5.3 x 10-11 m
= 4.77 x 10-10 m
= 4.77 A

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प्रश्न 12.9.
कमरे के ताप पर गैसीय हाइड्रोजन पर किसी 12.5 eV की इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी की गई। किन तरंगदैयों की श्रेणी उत्सर्जित होगी ?
उत्तर:
दिया है इलेक्ट्रॉन पुंज की ऊर्जा = 12.5 ev
मूल अवस्था में हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
= – 13.6 ev
अतः इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी से हाइड्रोजन के कक्षीय
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
= – 13.6 + 12.5
= – 1.1 ev
यह ऊर्जा n = 3 में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
E3 = -136/9 = – 1.5 eV से अधिक है।
अतः इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी से इलेक्ट्रॉन तृतीय कक्षा तक उत्तेजित होगा तथा चित्रानुसार निम्न संक्रमण सम्भव है-
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(i) n2 = 3 से n = 1 में
(ii) n 2 = 2 से n1 = 1 में
उपरोक्त में लाइमन श्रेणी तथा
(iii) n3 = 3 से n1 = 2 में बामर श्रेणी
पुनः चूँकि hv = hc/λ = ∆E
अतः उत्सर्जित विकिरण की तरंगदैर्ध्य
λ = hc/∆E (जूल में)
अत: (i) n2 = 3 से n1 = 1 संक्रमण के लिए
λ1 = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{[-1.5-(-13.6)] \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{12.1 \times 1.6}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{19.36}\)
या = 1.027 × 10-7 मीटर
= 102.7 x 10-9 मीटर
λ2 = 102.6nm

(ii) n2 = 2 से n1 = 1 संक्रमण के लिए
λ2 = \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{[-3.4-(-13.6)] \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{10.2 \times 1.6}\) = \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{16.32}\) मीटर
= 1.219 × 10-7 = 121.9 x 10-9 मीटर
= 121.9 nm

(iii) n2 = 3 से n1 = 2 संक्रमण के लिए
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{[-1.5-(-3.4)] \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{1.9 \times 1.6}\) मीटर
= \(\frac{19.89 \times 10^{-7}}{3.040}\) मीटर
= 6.543 × 10-7 मीटर
या
= 654.3 × 10-9 मीटर
λ = 654.3nm

प्रश्न 12.10.
बोर मॉडल के अनुसार सूर्य के चारों ओर 1.5 x 1011 m त्रिज्या की कक्षा में, 3 x 104 m/s के कक्षीय वेग से परिक्रमा करती पृथ्वी की अभिलाक्षणिक क्वांटम संख्या ज्ञात कीजिए ( पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 x 1024 kg)
उत्तर:
दिया गया है:
r = 1.5 x 1011 m
v = 3 x 104 m/s
पृथ्वी का द्रव्यमान m. = 6.0 x 1024 kg
बोर की परिकल्पनाओं का प्रयोग करते हैं
mvr = nh/2π
या
n = 2n mvr/h
मान रखने पर:
n = \(\frac{2 \times 3.14 \times 6 \times 10^{24} \times 3 \times 10^4 \times 1.5 \times 10^{11}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= \(\frac{6.28 \times 27 \times 10^{39}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 2.557 x 1074
= 2.6 x 1074

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):

प्रश्न 12.11.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए जो आपको टॉमसन मॉडल और रदरफोर्ड मॉडल में अंतर समझने हेतु अच्छी तरह से सहायक हैं।
(a) क्या टॉमसन मॉडल में पतले स्वर्ण पन्नी से प्रकीर्णित co- कणों का पूर्वानुमानित औसत विक्षेपण कोण, रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान से अत्यंत कम लगभग समान अथवा अत्यधिक बड़ा है?
(b) टॉमसन मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित पश्च प्रकीर्णन की प्रायिकता (अर्थात् कणों का 90° से बड़े कोणों पर प्रकीर्णन ) रदरफोर्ड मॉडल द्वारा पूर्वानुमानित मान से अत्यंत कम लगभग समान अथवा अत्यधिक है?
गया है कि कम मोटाई
(c) अन्य कारकों को नियत रखते हुए, प्रयोग द्वारा यह पाया के लिए मध्यम कोणों पर प्रकीर्णित ca-कणों की संख्या के अनुक्रमानुपातिक है। पर यह रैखिक निर्भरता क्या संकेत देती है?
(d) किस मॉडल में Q-कणों के पतली पन्नी से प्रकीर्णन के पश्चात् औसत प्रकीर्णन कोण के परिकलन हेतु बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा करना पूर्णतया गलत है?
उत्तर:
(a) लगभग समान इसलिए कि हम विक्षेपण कोण का औसत मान लेते हैं।
(b) काफी कम क्योंकि थॉमसन परमाणु प्रतिरूप (मॉडल) में केन्द्रीय भारी क्रोड (नाभिक) का अभाव है जैसा कि रदरफोर्ड मॉडल में माना गया है।
(c) यह संकेत मिलता है कि प्रकीर्णन मुख्यतः एक संघट्ट के कारण है क्योंकि एक संघट्ट की संभावना लक्ष्य परमाणुओं की संख्या के साथ रैखिकत बढ़ती है और इसलिए मोटाई के साथ रैखिकतः बढ़ती है।
(d) टॉमसन मॉडल में गोलीय परमाणु पर धनात्मक आवेश एकसमान रूप से वितरित होता है इसलिए एकल संघट्ट के कारण बहुत कम विक्षेप होता है। अतः प्रेक्षित औसत प्रकीर्णन कोण की व्याख्या केवल बहुप्रकीर्णन को ध्यान में रखकर ही की जा सकती है। इसलिए टॉमसन मॉडल में बहुप्रकीर्णन की उपेक्षा गलत है। रदरफोर्ड मॉडल में अधिकतर प्रकीर्णन एक संघट्ट के कारण होता है और बहुप्रकीर्णन प्रभाव की प्रथम सन्निकटन पर उपेक्षा की जा सकती है।

प्रश्न 12.12.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन के मध्य गुरुत्वाकर्षण, कूलॉम-आकर्षण से लगभग 100 के गुणक से कम है। इस तथ्य को देखने का एक वैकल्पिक उपाय यह है कि यदि इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन गुरुत्वाकर्षण द्वारा आबद्ध हों तो किसी हाइड्रोजन परमाणु में प्रथम बोर कक्षा की त्रिज्या का अनुमान लगाइए। आप मनोरंजक उत्तर पाएँगे।
उत्तर:
यदि इलेक्ट्रॉन एवं प्रोटॉन के मध्य गुरुत्वाकर्षण कूलॉम आकर्षण है, तब
F = Gmemp/r2
लेकिन
F = mev2/r गोलाकार कक्षा के लिए
∴ mev2/r = Gmemp/r2
या
mev2r = Gmemp ………… (1)
बोर की परिकल्पना से
mevr = nh/2π
दोनों ओर का वर्ग करने पर me2v2r2 = \(\) ……………. (2)
समीकरण (2) में समीकरण (1) से भाग देने पर
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पहली कक्षा के लिए
n = 1 होने पर r = r1 =a0
G = 6.67 x 10-11 Nm2kg-2
me = 9.1 × 10-31 kg
तथा mp = 6.67 × 10-27kg
मान रखने पर
a0 = \(\frac{(1)^2 \times\left(6.63 \times 10^{-34}\right)^2}{4 \times 9.87 \times 6.67 \times 10^{-11} \times\left(9.1 \times 10^{-31}\right) \times 1.67 \times 10^{-27}}\)
ag = 1.21 × 1029 m
यह मान सम्पूर्ण विश्व के आकलित आकार से कहीं अधिक है।

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प्रश्न 12.13.
जब कोई हाइड्रोजन परमाणु स्तर n से स्तर (n – 1) पर व्युत्तेजित होता है तो उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए n के अधिक मान हेतु दर्शाइए कि यह आवृत्ति, इलेक्ट्रॉन की कक्षा में परिक्रमण की क्लासिकी आवृत्ति के बराबर है।
उत्तर:
हाइड्रोजन परमाणु की nth कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
En = \(\frac{-2 \pi^2 m e^4 K^2}{n^2 h^2}\) व्यंजक से प्राप्त होती है।
जहाँ पर K एक स्थिरांक है, जिसका मान 1/4πe0 होता है।
हाइड्रोजन की (n – 1)th कक्षा में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा भी होगी
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n के विशाल मान के लिए 2n – 1 = 2n और n – 1 – n लेने पर
= \(\frac{2 \pi^2 \mathrm{~K}^2 m e^4}{\mathrm{~h}^3}\) × \(\frac{2 n}{n^2 \times n^2}\)
= \(\frac{4 \pi^2 \mathrm{~K}^2 m \mathrm{e}^4}{\mathrm{n}^3 \mathrm{~h}^3}\) ……… (1)
इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण की चिरसम्मत ( क्लासिकी) आवृत्ति निम्न होती है
vc = v/2πr …………. (2)
बोर के कोणीय संवेग के प्रतिबन्ध के अनुसार
mvr = nh/2π
या
v = nh/2πmr …..(3)
समीकरण (3) का मान समीकरण (2) में रखने पर
vc = nh/4π2mr2 ……….. (4)
लेकिन इलेक्ट्रॉन की nवीं कक्षा की त्रिज्या
r = \(\frac{n^2 h^2}{4 \pi^2 m K e^2}\)
समीकरण (4) में का मान रखने पर
vc = \(\frac{\mathrm{nh}}{4 \pi^2 \mathrm{~m}\left(\frac{\mathrm{n}^2 \mathrm{~h}^2}{4 \pi^2 \mathrm{mKe}^2}\right)^2}\)
= \(\frac{\mathrm{nh}}{4 \pi^2 \mathrm{~m}}\) × \(\left(\frac{4 \pi^2 \mathrm{mKe}}{\mathrm{n}^2 \mathrm{~h}^2}\right)^2\)
vc = \(\frac{4 \pi^2 \mathrm{mK}^2 \mathrm{e}^4}{\mathrm{n}^3 \mathrm{~h}^3}\) ………….. (5)
∴ समीकरण (1) व (5) से हम देखते हैं कि v = vc अर्थात् n के बृहद् मान के लिए, nth कक्षा में इलेक्ट्रॉन चक्रण की चिरसम्मत आवृत्ति उतनी ही है जितनी हाइड्रोजन परमाणु से nth स्तर से (n – 1)th स्तर पर अनुसेजन के कारण उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति इसे बोर का संगत सिद्धान्त कहते हैं।

प्रश्न 12.14.
क्लासिकी रूप में किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर किसी भी कक्षा में हो सकता है। तब प्ररूपी परमाण्वीय साइज किससे निर्धारित होता है? परमाणु अपने प्ररूपी साइज की अपेक्षा दस हजार गुना बड़ा क्यों नहीं है? इस प्रश्न ने बोर को अपने प्रसिद्ध परमाणु मॉडल जो आपने पाठ्यपुस्तक में पढ़ा है, तक पहुँचने से पहले बहुत उलझन में डाला था। अपनी खोज से पूर्व उन्होंने क्या किया होगा, इसका अनुकरण करने के लिए हम मूल नियतांकों की प्रकृति के साथ निम्न गतिविधि करके देखें कि क्या हमें लंबाई की विमा वाली कोई राशि प्राप्त होती है, जिसका साइज, लगभग परमाणु के ज्ञात साइज (~10-10m) के बराबर है।
(a) मूल नियतांकों e, m, और c से लंबाई की विमा वाली राशि की रचना कीजिए। उसका संख्यात्मक मान भी निर्धारित कीजिए।
(b) आप पाएँगे कि (a) में प्राप्त लंबाई परमाण्वीय विमाओं के परिमाण की कोटि से काफी छोटी है। इसके अतिरिक्त इसमें c सम्मिलित है। परंतु परमाणुओं की ऊर्जा अधिकतर अनापेक्षिकीय क्षेत्र (non-relativisitic domain) में है जहाँ c की कोई अपेक्षित भूमिका नहीं है। इसी तर्क ने बोर को c का परित्याग कर सही परमाण्वीय साइज को प्राप्त करने के लिए कुछ अन्य’ देखने के लिए प्रेरित किया। इस समय प्लांक नियतांक h का कहीं और पहले ही आविर्भाव हो चुका था। बोर की सूक्ष्मदृष्टि ने पहचाना कि h, me और e के प्रयोग से ही सही परमाणु साइज प्राप्त होगा। अतः h me और e से ही लंबाई की विमा वाली किसी राशि की रचना कीजिए और पुष्टि कीजिए कि इसका संख्यात्मक मान, वास्तव में सही परिमाण की कोटि का है।
उत्तर:
(a) राशि \(\left(\frac{\mathrm{e}^2}{4 \pi \in_0 \mathrm{~m}_{\mathrm{e}} \mathrm{c}^2}\right)\) की विमा लंबाई की विमा है
राशि का संख्यात्मक मान
= \(\frac{\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{\left(\frac{1}{9 \times 10^9}\right) \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(3 \times 10^8\right)^2}\)
= 2.82 × 10-15 m
यह मान परमाणु की ज्ञात साइज (- 1010 मीटर) से बहुत अधिक कम है।
(b) c का त्याग करके नियतांक h me एवं e की सहायता से ऐसी राशि जिसकी विमा लम्बाई के समान है, \(\) \(\)
प्राप्त होती है अतः इस राशि का संख्यात्मक मान
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= 0.529 × 10-10 मीटर
यह मान परमाणु के आकार की कोटि का है।

प्रश्न 12.15.
हाइड्रोजन परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा लगभग – 3.4 eV है।
(a) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा क्या है?
(b) इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा क्या है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर के चयन में परिवर्तन कर दिया जाए तो ऊपर दिए गए उत्तरों में से कौन-सा उत्तर परिवर्तित होगा?
उत्तर:
दिया गया है – यहाँ, H परमाणु की प्रथम उत्तेजित अवस्था में कुल ऊर्जा n = 2 के लिए
E = – 3.4 ev
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
(K.E.) = Khe2/2r जहाँ पर
K = 1/4πe0
और स्थितिज ऊर्जा
(P.E.) = -Kze2/r
= – 2 (K.E.)
प्रथम उत्तेजित अवस्था में कुल ऊर्जा का मान
E = K.E. + P.E.
= K.E. + [- 2 (K.E.)]
= – K.E.
(a) K.E. = – E = – (- 3.4) eV = + 3.4 eV

(b) P.E = – 2 (KE.) = – 2 × 3.4
= – 6.8 eV

(c) यदि स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर का भिन्न तरीके से चयन किया जाता है तो गतिज ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है गतिज ऊर्जा का मान + 3.4 eV, स्थितिज ऊर्जा के शून्य स्तर के चयन पर निर्भर नहीं करता है। यदि स्थितिज ऊर्जा का शून्य स्तर भिन्न ढंग से चयनित किया जाता है तो इलेक्ट्रॉन की स्थितिज ऊर्जा एवं कुल ऊर्जा अवस्था परिवर्तित हो जाएगी।

प्रश्न 12.16.
यदि बोर का क्वांटमीकरण अभिगृहीत (कोणीय संवेग = nh/2r) प्रकृति का मूल नियम है तो यह ग्रहीय गति की दशा में भी लागू होना चाहिए। तब हम सूर्य के चारों ओर ग्रहों की कक्षाओं के क्वांटमीकरण के विषय में कभी चर्चा क्यों नहीं करते?
उत्तर:
ग्रहीय गति से संबद्ध कोणीय संवेग के सापेक्ष अद्वितीय रूप से बड़ा है। उदाहरणार्थ, अपनी कक्षीय गति में पृथ्वी का कोणीय संवेग 1070 A कोटि का है। बोर के क्वांटमीकरण अभिगृहीत के पदों में, यह n के बहुत बड़े (1070 की कोटि का) मान के संगत है। ॥ के इतने बड़े मान के लिए बोर मॉडल के क्वांटित स्तरों के उत्तरोत्तर ऊर्जाओं और कोणीय संवेगों के अंतर व्यावहारिक उद्देश्यों के संतत स्तरों की क्रमशः ऊर्जाओं और कोणीय संवेगों की तुलना में बहुत कम हैं।

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प्रश्न 12.17.
प्रथम बोर-त्रिज्या और म्यूओनिक हाइड्रोजन परमाणु [अर्थात् कोई परमाणु जिसमें लगभग 207 m, द्रव्यमान का ऋणावेशित म्यूऑन (p) प्रोटॉन के चारों ओर घूमता है] की निम्नतम अवस्था ऊर्जा को प्राप्त करने का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
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