HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

प्रश्न 13.1.
(a) लीथियम के दो स्थायी समस्थानिकों 63Li एवं 22Li की बहुलता का प्रतिशत क्रमशः 7.5 एवं 92.5 हैं। इन समस्थानिकों के द्रव्यमान क्रमश: 6.01512 u एवं 7.01600 u हैं। लीथियम का परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
(b) बोरॉन के दो स्थायी समस्थानिक 105B एवं 115B हैं। उनके द्रव्यमान क्रमशः 10.01294 u एवं 11.00931 u एवं बोरॉन का परमाणु भार 10.811 u है। 105B एवं 115B की बहुलता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है
Li का द्रव्यमान = 6.01512 u तथा बहुलता प्रतिशत = 7.5%
3Li का द्रव्यमान =7.01600 u तथा बहुलता प्रतिशत = 92.5%
(a) लीथियम का परमाणु द्रव्यमान
= \(\frac{7.5 \times 6.01512 \mathrm{u}+92.5 \times 7.016004 \mathrm{u}}{7.5+92.5}\)
= \(\left(\frac{45.1134+648.98}{100}\right) \mathrm{u}\)
= 6.941 u

(b) यहाँ पर दिया गया है – B का परमाणु भार = 10.811 u माना B और B समस्थानिकों की b% व (100 – b)% क्रमशः बहुलतायें हैं।
∴ 10.811 = \(\frac{\mathrm{b} \times 10.01294+(100-\mathrm{b}) \times 11.00931}{100}\)
या
10.811 x 100 = 10.01294b + 1100.931 – 11.00931b
(11.00931 – 10.01294)b = 1100.931 – 1081.1
या 0.99637b = 19.831
या b = 19.831/0.99637
या b = 19.831/0.99637 = 1983100/99637
b = 19.9%
100 – b = 80.1%
B10 की बहुलता = 19.9%
SB11 की बहुलता = 80.1%

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प्रश्न 13.2.
नियॉन के तीन स्थायी समस्थानिकों की बहुलता क्रमश: 90.51%, 0.27% एवं 9.22% है। इन समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान क्रमश: 19.99 u, 20.99u एवं 21.99u हैं। नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना नियॉन का माध्य परमाणु द्रव्यमान m(Ne) है।
m(Ne) = \(\frac{90.51 \times 19.99+0.27 \times 20.99+9.22 \times 21.99}{90.51+0.27+9.27}\)
= \(\left(\frac{1809.29+5.67+202.75}{100}\right) \mathrm{u}\)
= 20.18u

प्रश्न 13.3.
नाइट्रोजन नाभिक (N) की बंधन-ऊर्जा Mev में ज्ञात कीजिए mN = 14.00307 u.
उत्तर:
दिया गया है:
Z = 7
तथा
A = 14
A – Z= 14 – 7 = 7
7 प्रोटॉनों का द्रव्यमान = 7 x 1.007825
= 7.054775 u
7 न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान = 7 x 1.008665 u
= 7.060655 u
नाभिक का द्रव्यमान 7.054775 u + 7.060655
= 14.11543 u
बंधन ऊर्जा = (14.11543u – 14.00307u ) × 931.5 MeV
= (0.11236) × 931.5 Mev
= 104.66 Mev
= 104.7 MeV

प्रश्न 13.4.
निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर 5626Fe एवं 20983Bi नाभिकों की बंधन-ऊर्जा Mev में ज्ञात कीजिए।
m(5626Fe) = 55.934939 u
m(20983Bi) = 208.980388u
उत्तर:
(i) 5626Fe नाभिक में 26 प्रोटॉन तथा 56 – 26 = 30
न्यूट्रॉन होते हैं।
26 प्रोटॉन का द्रव्यमान = 26 × 1.007825
= 26.20345 a.m.u.
30 न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = 30 x 1.008665
= 30.25995 a.m.u.
25 न्यूक्लिऑन का कुल द्रव्यमान = 26.20345 + 30.25995 = 56.46340 a.m.u.

5626Fe नाभिक का द्रव्यमान = 55.934939 a.m.u.
इसलिए द्रव्यमान क्षति ∆m = 56.46340 – 55.934939
= 0.528461 a.m.u.
∴ कुल बंधन ऊर्जा = 0.528461 × 931.5 Mev
= 492.26 Mev
प्रतिन्यूक्लिऑन माध्य बंधन ऊर्जा
B = ∆E/V = \(\frac{492.26}{56}\)
= 8.790Me V

(ii) 20983Bi नाभिक में 83 प्रोटॉन तथा (209 – 83) = 126 न्यूट्रॉन होते हैं।
83 प्रोटॉन का द्रव्यमान = 83 x 1.007825
= 83.64975 a.m.u.
126 न्यूट्रॉन का द्रव्यमान = 126
1.008665
= 127.09190 a.m.u.
न्यूक्लिऑन का कुल द्रव्यमान = 210.741260 am.u
20983Bi नाभिक का द्रव्यमान 208.980388 amu.
∴ द्रव्यमान क्षति ∆m = 210.741260 amu – 208.980388 a.m.u.
= 1.760872 a.m.u.
कुल बंधन ऊर्जा = 1.760872 x 9315 Mev
= 1640.26 Mev
प्रति न्यूक्लिऑन माध्य बंधन ऊर्जा
B = ∆E/V = \(\frac{1640.26}{209} \mathrm{MeV}\)
= 7.84 Mev
अतः 5626Fe की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा 20983Bi से अधिक है।

प्रश्न 13.5.
एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0g है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो सरलता के लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णतः 6329CU परमाणुओं का बना है (6329Cu का द्रव्यमान = 62.92960u)।
उत्तर:
परमाणु का द्रव्यमान = 62.92960 u
29 इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 29 x 0.000548 u
= 0.015892 u
नाभिक का द्रव्यमान = (62.92960 – 0.015892)u = 62.913708 u
29 प्रोटॉन का द्रव्यमान = 29 x 1.007825 u
= 29.226925 u
(63 – 29 = 34) न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान
= 34 × 1.008665 u
= 34.29461 u
प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन का कुल द्रव्यमान
= (29.226925 +34.29461) u = 63.521535 u
बंधन ऊर्जा = (63.521535 – 62.913708) × 931.5 Mev
= 0.607827 × 931.5 Mev
1 कॉपर नाभिक के लिए बंधन ऊर्जा की मात्रा
= 0.607827 x 931.5 Mev
63g कॉपर में, कॉपर परमाणुओं की संख्या आवोगाद्रो संख्या
N = 6.023 x 1023
1g कॉपर में 6.023 x 1023/63
अतः
3g कॉपर में 6.023 x 1023/23 x 3
अतः बंधन ऊर्जा की आवश्यकता होगी
= \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{63}\)
x 0.607827 x 931.5 Mev
= 1.584 × 1025 MeV
= 1.584 × 1025 x 10 x 1.6 × 10-19
= 2.535 x 1012J

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प्रश्न 13.6.
निम्नलिखित के लिए नाभिकीय समीकरण लिखिए:
(1) 22688Ra का Q-क्षय
(ii) 242 94Pu का C-क्षय
(iii) 3215P का -क्षय
(iv) 21083Bi का B -क्षय
(v) 116C का B+ क्षय
(vi) 9743Te का B+ क्षय
(vii) 12054xe का इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण।
उत्तर:
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एक रेडियोएक्टिव समस्थानिक की अर्धायु T वर्ष है। कितने समय के
(a) 3.125% तथा
(b) 1% रह जाएगी?
उत्तर:
माना आरम्भिक सक्रियता = No
t समय के पश्चात् सक्रियता = N
रेडियो समस्थानिक का अर्ध जीवनकाल = T
विखण्डन नियतांक = λ
दिया गया है:
N = 3.125% (No का )
N = 3.125/100
No = 1/32 No
हम जानते हैं:
N = No e-λt
∴ 1/32 No = No e-λt
1/32 = e–λt
e-λt = 32 = 25
logeλt = loge 25
λt = 5 loge 2 …..(1)
हम जानते हैं:
λ = 0.693/T …..(2)
समीकरण (1) में λ का मान समीकरण (2) से रखने पर
या (0.693/T)t = 5 x 0.693
या t = 5 T वर्ष
(b) N = 1/100 No
N = No eλt
100 = eλt
λt = loge 100
∵ loge = 1
λt = loge (10)2 = 2loge 10
λt = 2 × 2.303 log10 10
= 4.606 × 1
या (0.693/T)t = 4.606
या t = 4.606T/0.693 = 6.65Tवर्ष

प्रश्न 13.8.
जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समस्थानिक 146C के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव 126C के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमंडल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। 146C की ज्ञात अर्धायु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली 146C कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धांत है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ो से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता की सन्निकट आयु का आकलन कीजिए।
उत्तर:
माना t = 0 पर C14 के परमाणुओं की संख्या (प्रति ग्राम) No थी जबकि इसका क्षय 15 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम की सक्रियता पर, t समय के बाद, आज C14 के शेष परमाणु प्रति ग्राम माना N है और यह एक क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम की सक्रियता दर्शाता है। हम यह जानते हैं कि उपस्थित रेडियोधर्मी परमाणुओं की संख्या के सक्रियता अनुक्रमानुपाती होती है।
अतः N/N0 = 9/15
हम यह भी जानते हैं कि
N/N0 = e-λt
या 9/15 = e-λt
या 15/9 = e-λt
या 5/3 = eλt
या loge(5/3) = logeλt = λtloge
या loge(5/3) = λt × 1
या t = 1/λloge(5/3) = 1/λ × 2/303 log10(5/3)
= 1/λ × 2.303 log10(1.6667)
या t = 1/λ × 2.303 × 0.2219
= 1/λ × 0.5109
या t = 0.5110/λ …………. (1)
हम यह भी जानते हैं कि
क्षय स्थिरांक λ = 0.693/T1/2
λ = 0.693/5730 ….(2)
समीकरण (1) तथा (2) से
t = 0.5110/0.693/5730
= \(\frac{0.5110 \times 5730}{0.693}\)
= 4225.15 वर्ष
= 4225 वर्ष

प्रश्न 13.9.
8.0mCi सक्रियता का रेडियोऐक्टिव स्रोत प्राप्त करने के लिए 6027Co की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी? 6027Co की अर्धायु 5.3 वर्ष है।
उत्तर:
दिया गया है:
रेडियोधर्मी स्रोत की शक्ति
8.0mCi
= 8.0 × 103 Ci
= 8 × 103 × 3.7 x 1010 विखण्डन / सेकण्ड
= 29.6 × 107 विखण्डन / सेकण्ड
1 Ci = 3.7 x 1010 विखण्डन / सेकण्ड
dN/dt =- 29.6 x 107
किन्तु dN/dt = – λN
-λN = – 29.6 × 107
N = 29.6 × 107
लेकिन
λ = 0.693/T
∴ N = 29.6 ×107 x T/0.693
6027Co का अर्धजीवनकाल = T1/2 = 5.3 वर्ष
= 5.3 × 365 × 24 x 60 x 60
= 1.67 x 108 सेकण्ड
अतः
N = \(\frac{29.6 \times 10^7 \times 1.67 \times 10^8}{0.693}\)
= 7.133 × 1016
6027Co की मात्रा = ?
हम जानते हैं कि कोबाल्ट के 60g में 6.023 x 1023 के परमाणु या नाभिक होते हैं।
अर्थात् 6.023 x 1023 Co के परमाणुओं का द्रव्यमान = 60g
∴ Co के 1 परमाणु का द्रव्यमान = \(\frac{60}{6.023 \times 10^{23}} \mathrm{~g}\)
7.133 x 1016 Co के परमाणुओं का द्रव्यमान
= \(\frac{60}{6.023 \times 10^{23}}\) x 7.133 x 1016
अर्थात् आवश्यक 6027CO की मात्रा = 7.11 g है
या = 7.11 x 10-6 g

प्रश्न 13.10.
9038Sr की अर्धायु 28 वर्ष है। इस समस्थानिक के 15 mg की विघटन दर क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
9038Sr का अर्धकाल = T1/2 = 28.0 वर्ष
= 28 × 365 × 24 x 3600 Second
= 88.3 × 107 S
9038Sr की मात्रा = 15 mg = 15 x 1023 g
90g के Sr में परमाणुओं की
संख्या = 6.023 x 1023
∴ Sr के 1g में परमाणुओं की संख्या = imm
∴ 15 mg में 90Sr के परमाणुओं की संख्या
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∵ 1 Ci = 3.7 x 1010 विखण्ड प्रति सेकण्ड
= 2.13 Ci
विखण्डन दर
= 2.13 Ci या 7.879 x 1010 (Bq)

प्रश्न 13.11.
स्वर्ण के समस्थानिक 19779Au एवं रजत के समस्थानिक 10747Ag की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं, गोलीय नाभिक के लिए R = Ro A1/3 होता है।
जहाँ A = नाभिक की द्रव्यमान संख्या है R0 = प्रयोगाश्रित स्थिरांक है।
माना 19779Au की द्रव्यमान संख्या व उसकी त्रिज्या क्रमशः A1, R1 है।
और हमने यहाँ पर यह भी माना है कि 197Ag समस्थानिक की द्रव्यमान संख्या व त्रिज्या A2, R2 है, तब
R1 = A0 (197)1/3 ……(1)
और इसी तरह से
R2 = Ag (107)1/3 ……..(2)
समीकरण (1) तथा (2) से
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(\frac{A_0(197)^{1 / 3}}{A_0(107)^{13}}\)
या \(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(\left(\frac{197}{107}\right)^{1 / 3}\) = (1.841)1/3
R1/R2 = 1.23

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प्रश्न 13.12.
(a) 22688Ra एवं (b) 22086Rn नाभिकों के C-क्षय में उत्सर्जित Q कणों का Q-मान एवं गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
दिया है:
m (22688Ra) = 226.02540 u
m (22286Rn) = 222.01750 u,
m (22086Rn) = 220.01137 u,
m (21684Po) =216.00189 u.
उत्तर:
(a) मूल नाभिक और क्षय नाभिक के द्रव्यमान में अन्तर
= 226.02540 u – (222.01750 u + 4.00260 u )
= 226.02540 u – 226.02010
= + 0.00530
तुल्य ऊर्जा का मान = 0.0053 x 931.5 Mev
= 4.93695 MeV = 4.94 Mev
उत्सर्जित α कण की K. E
= 222/222+4 x 4.94
= 222/226 x 4.94
= 4.85 Mev

(b) मूल नाभिक और क्षय नाभिक के द्रव्यमान में अन्तर
= 220.01137 u- (216.00189 u + 4.00260u )
= 220.01137 u – (220.00449)
= + 0.00688 u
तुल्य ऊर्जा का मान 0.00688 931.5 Mev
= 6.41 Mev
माना उत्सर्जित – कणों की गतिज ऊर्जा (K. E) = Eα
Eα = (216/216 + 4) × 6.14Mev
= 6.289
= 6.29 MeV

प्रश्न 13.13.
रेडियोन्यूक्लाइड “C का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है,
116C → 115B + e+ + v T1/2 = 20.3 min
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा 0.960 Mev है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं-
m (116C ) = 11.011434 u तथा m (116B) = 11.009305u, Q-मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
क्षय प्रक्रम का समीकरण
116C → 115B + e+ + v + Q
जहाँ प्रक्रिया का Q मान या α कण की KE = a.m.u. में द्रव्यमान त्रुटि
= [m(116C) – 6me] [m(115B) – 5me + me
= m (116C) – m(115B) – 2me
= 11.011434 u – 11.009305 u – 2 x 0.000548 u
= 0.001033 u
Q = 0.001033 × 931.5 Mev
= 0.962 Mev …..(1)
उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा
(K.E) = 0.960Mev …..(2)
समीकरण (1) तथा (2) से हम निष्कर्ष निकालते हैं कि प्रक्रिया का Q मान क्षय प्रक्रम में निकली वास्तविक ऊर्जा के समकक्ष है।
∴ Q = Ed + Ee + Ev
e+ व v की तुलना में पुत्री नाभिक बहुत भारी है अतः यह नगण्य ऊर्जा वाहक (Ed = 0) यदि न्यूट्रॉनों (v) द्वारा ले जाई जाने वाली गतिज ऊर्जा (Ev) न्यूनतम है ( अर्थात् शून्य) पॉजिट्रॉन अधिकतम ऊर्जा ले जाता है और यही वास्तव में समस्त ऊर्जा Q है, अतः अधिकतम
E = Q = 0.962 Mev

प्रश्न 13.14.
2310Ne का नाभिक, B उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस B-क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। m (2310Ne) = 22.994466 u; m (2511Na) = 22.089770 u.
उत्तर:
Q = [(2310Ne) – m(2511Na) – mc]c2
जब न्यूट्रॉन का विराम द्रव्यमान को अपेक्षित किया गया है।
∴ Q = [m(2310Ne) – 10m – m(2511Na) + 11mc – mc]c2
= [(2310Ne) – m(2511Na) – mc]c2
= (22.094466 uc2
= 0.004696 × 931.5 Mev
= 4.374 Mev
यह गतिज ऊर्जा e युग्म द्वारा मुख्यतः सहभाजित होती है। चूँकि 23 Na इस युग्म से कांफी अधिक भारी है और इसलिए इसकी प्रतिक्षेप ऊर्जा नगण्य है।
उत्सर्जन की अधिकतम ऊर्जा e – v युग्म की कुल गतिज ऊर्जा के बराबर है। जब इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा होती है, न्यूट्रॉनों की कोई ऊर्जा नहीं होती है। इस प्रकार B उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा 4.374 MeV है।

प्रश्न 13.15.
किसी नाभिकीय अभिक्रिया A + b ⇒ C + d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है, Q = [mA + mb – mC – md]C2
जहाँ दिए गए द्रव्यमान नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी-
(i) 11H + 31H → 21H + 21H
(ii) 126C + 126C → 2010Ne + 42He
दिए गए परमाणु द्रव्यमान इस प्रकार हैं:
m(21H) = 2.014102 u
m (31H) = 3.016049_u
m(126C) = 12.000000
m (2010Ne) = 19.992439 u
उत्तर:
(i) अभिक्रिया का Q मान
Q= [m(126C) + m(31H) – 2m (21H) ]c2
Q = (1.007825 + 3.016049 2 x 2.014102) uc2
(4.023874 – 4.028204)u c2
= (- 0.004330) uc2
= – 0.00433 x 931.5 Mev
= – 4.03 Mev
चूँकि Q ऋणात्मक है, अतः अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।

(ii) Q= [2m(126C) – m (2010Ne) – m (42He) ] c2
= (2 x 12.000000 19.992439 – 4.002603)u c2
= (24.000000 – 23.995042)u c2
= (0.0049584) uc2
= 0.0049584 x 931.5 Mev
= 4.6175 MeV
= 4.62 Mev
चूँकि Q धनात्मक है अतः अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है।

प्रश्न 13.16.
माना कि हम 5626Fe नाभिक के दो समान अवयवों 2813Al में विखंडन पर विचार करें क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखंडन संभव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर:
दिया है : m (5626Fe ) = 55.93494 u
एवं m (2813Al) = 27.98191 u
हल-Q = [m (5626Fe) – 2m (2813Al) ]C2
= (55.93494 u – 2 x 27.98191)uc2
= (55.93494 – 55.96382)u c2
= – 0.02888u × 931.5 Mev/u
= – 0.02888 x 931.5 Mev
= – 26.90 Mev
स्पष्टतः 56Fe26 के दो समान अवयव 13Al28 में विखण्डन के लिए बाह्य रूप से 26.9 Mev ऊर्जा देनी होगी। अतः 56Fe26 का इस प्रकार विखण्डन सम्भव नहीं है।

प्रश्न 13.17.
23994Pu के विखंडन गुण बहुत कुछ 23592U से मिलते-जुलते हैं प्रति विखंडन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 Mev है। यदि 1 kg शुद्ध 23994Pu के सभी परमाणु विखंडित हों तो कितनी Mev ऊर्जा विमुक्त होगी?
उत्तर:
239g 23994Pu में 6.023 x 1023 नाभिक है।
∴ 1000 g 23994Pu में होंगे = \(\frac{6.023 \times 10^{23} \times 1000}{239}\)
= 2.52 x 1024 नाभिक
प्रत्येक नाभिक के प्रति विखण्डन द्वारा विमुक्त ऊर्जा
= 180 Mev
∴ कुल विमुक्त ऊर्जा = 180 x 2.52 x 1024 Mev
= 4.54 x 1026 Mev

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प्रश्न 13.18.
किसी 1000 MW विखंडन रिएक्टर के आधे ईंधन का 5.00 वर्ष में व्यय हो जाता है। प्रारंभ में इसमें कितना 23592U था? मान लीजिए कि रिएक्टर 80% समय कार्यरत रहता है, इसकी संपूर्ण ऊर्जा 23592U के विखंडन से ही उत्पन्न हुई है तथा 23592U न्यूक्लाइड केवल विखंडन प्रक्रिया में ही व्यय होता है।
उत्तर:
शक्ति = P = 1.000 MW
= 103 × 106 w = 109 J s-1
समय = T = 5 वर्ष 5 x 365 x 24 x 3600
= 1.577 x 108 s
जब अणु भट्टी 80% समय तक कार्य करती है, यदि इसके द्वारा दी जाने वाली ऊर्जा E है तब
E = PT1 लेकिन T1 = 80/100T
= 109 x 80/100T
= \(\frac{10^9 \times 80}{100}\) x 1.577 × 108 J
= 1.2616 × 1017 J
23592U के प्रति विखण्डन में उत्पन्न ऊर्जा जो अणु भट्टी से
= 200 Mev
= 200 × 106 × 1.6 x 10-19 J = 3.2 x 10-11 J
माना 5 वर्ष में n विखण्डन होते हैं
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= \(\frac{1.2616 \times 10^{17}}{3.2 \times 10^{-11}}\)
अब 23592U के 235 g विखण्डन में 6.0 x 1023 परमाणु उत्पन्न
पाँच वर्ष में 23592U का उपयुक्त द्रव्यमान
m = \(\frac{235}{6.0 \times 10^{23}}\) × n
= \(\frac{235}{6.0 \times 10^{23}}\) × \(\frac{1.2616 \times 10^{17}}{3.2 \times 10^{-11}}\)
= 15.4415 × 105 g
= 1544.15 x 103 g = 1544.15 kg
या
m’ = 5g में आधा उपयुक्त ईंधन
23592U का आरम्भिक द्रव्यमान M है, तब
M = 2m
= 2 × 1544.15
= 3088.3 kg

प्रश्न 13.19.
2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैंप कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है:
21H + 21H → 32He + n + 3.27 Mev
उत्तर:
ड्यूटीरियम के 2 नाभिकों के संलयन में विमुक्त ऊर्जा की मात्रा = 3.2 Mev
उपयोग में ड्यूटीरियम की मात्रा = 2 kg
21H ( ड्यूटीरियम) के 2kg में ड्यूटीरियम परमाणु या नाभिक की संख्या
= 6.023 x 1023
21H के 2 kg या 2000 g में ड्यूटीरियम परमाणु या नाभिक की संख्या
= \(\frac{6.023 \times 10^{23}}{2}\) × 200
= 6.023 x 1026
2 नाभिकों के संलयन में विमुक्त ऊर्जा = 3.2 Mev
6.023 x 1026 नाभिकों के संलयन में विमुक्त ऊर्जा
= 32/2 × 6.023 x 1026
= 9.6368 × 1026 Mev
= 9.6368 × 1026 x 1.6 x 10-13 J
= 15.42 × 1013 J
= 15.42 × 1013 WS
शक्ति P = 100 W
माना इस ऊर्जा से t सेकण्ड तक प्रकाशित रखा जा सकता है।
अतः उपर्युक्त विद्युत शक्ति = 100 t
100 t = 15.42 x 1013
या
t = 15.42 x 1013/100
या
= 15.42 × 1011 सेकण्ड
= \(\frac{15.42 \times 10^{11}}{365 \times 60 \times 60 \times 24}\)
t = 4.9 x 104 वर्ष

प्रश्न 13.20
दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
(संकेत- कूलॉम अवरोध की ऊँचाई का मान इन ड्यूट्रॉन के बीच लगने वाले उस कूलॉम प्रतिकर्षण बल के बराबर होता है जो एक-दूसरे को संपर्क में रखे जाने पर उनके बीच आरोपित होता है। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 fm प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
उत्तर:
आमने-सामने की टक्कर के लिए दो ड्यूट्रॉनों के केन्द्रों के बीच की दूरी = r = 2 x त्रिज्या
= 2 × (2 fm)
= 4 fm = 4 × 10-15 m
प्रत्येक ड्यूट्रॉन का आवेश (e) = 1.6 x 10-19 C
दो ड्यूट्रॉन को परस्पर सम्पर्क में रखने पर इनके मध्य प्रभावी
दूरी R = 2r = 4 x 10-15 m
अतः स्थितिज ऊर्जा का मान = \(\frac{e^2}{4 \pi \epsilon_0 r}\)
= \(\frac{9 \times 10^9 \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{4 \times 10^{-15}}\) जूल
= 360 Kev
स्थितिज ऊर्जा (P.E) = 2 x प्रत्येक ड्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा = 360 Kev
इस प्रकार ड्यूट्रॉन के कूलॉम अवरोध की ऊँचाई = दो ड्यूट्रॉन परमाणुओं के बीच स्थितिज ऊर्जा
= 360 Kev

प्रश्न 13.21.
समीकरण R = RoA1/3 के आधार पर दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है ( अर्थात् A पर निर्भर नहीं करता है) यहाँ Ro एक नियतांक है द्रव्यमान संख्या है। एवं A नाभिक की जाता है।
उत्तर:
नामिक की त्रिज्या का व्यंजक R = Ro A1/3 से दिया …..(1)
यदि नामिक का आयतन V है, तब
V = 4/3πr1/3
= 4/3π(R0A1/3)1/3
(समीकरण 1 से मान रखने पर)
= 4/3π(R1/30A …………..(2)
यदि नाभिक का घनत्व p है, तब
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इस प्रकार समीकरण (3) से हम देख सकते हैं कि p घनत्व A से स्वतंत्र है। अतएव हम यह निष्कर्ष ले सकते हैं कि P नाभिकों के लिए लगभग स्थिर है।

प्रश्न 13.22.
किसी नाभिक से B+ (पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आंतरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से
नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनो, उत्सर्जित करता है) ।
e+ + ZAX → Z-1AY + v
दर्शाइए कि यदि B+ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परंतु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
उत्तर:
प्रतियोगी प्रक्रमों पर विचार करने पर
AZX → AZ-1Y + e+ + Ve + Q1 (पॉजिट्रॉन उत्सर्जन से )
e + AZx → AZ-1Y + Ve + Q2 (इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण से)
Q1 = [mN(AZX) – mN(AZ-1Y) – me]C2
= [mN(AZX) – me – m(AZ-1Y) – (Z – 1) me – me]C2
= [mN(AZX) – m(AZ-1Y) – 2me]C2
यहाँ पर mN नाभिक का द्रव्यमान तथा m परमाणु का द्रव्यमान प्रदर्शित करते हैं।
Q2 = [mN(AZX) + me – mN(AZ-1Y)]C2
= [mN(AZX) – me – m(AZ-1Y) – (Z – 1) me – me]C2
= [mN(AZX) – m(AZ-1Y)]C2 …………… (2)
यदि Q1 > 0 तब Q2 > 0
अर्थात् यदि ऊर्जीय रूप से पॉजिट्रॉन उत्सर्जन अनुमत है, इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण (परिग्रहण) अनिवार्य रूप से अनुमत होगा। Q2 > 0 का अनिवार्य अर्थ यह नहीं है कि Q1 > 0 अतः विलोम असत्य है अर्थात् यह अनुमत नहीं है।

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):

प्रश्न 13.23
आवर्त सारणी में मैग्नीशियम का औसत परमाणु द्रव्यमान 24.312 u दिया गया है। यह औसत मान, पृथ्वी पर इसके समस्थानिकों की सापेक्ष बहुलता के आधार पर दिया गया है। मैग्नीशियम के तीनों समस्थानिक तथा उनके द्रव्यमान इस प्रकार हैं: 2412Mg (23.98504 u ), 2512Mg (24. 98584) एवं 2612Mg (25.98259 u)। प्रकृति में प्राप्त मैग्नीशियम में 2412Mg की (द्रव्यमान के अनुसार) बहुलता 78.99% है। अन्य दोनों समस्थानिकों की बहुलता का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
मैग्नीशियम का औसत परमाण्विक द्रव्यमान = 24.312u
समस्थानिक
2412Mg
2512Mg
2612Mg
परमाणु द्रव्यमान (Z)
23.98504
24.98584
25.98259
बहुलता
7.899%
x%
100 – (7.899 + x)%
हम जानते हैं कि औसत परमाणु द्रव्यमान सम्बन्ध
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240.312 x 100 = 1894.58 + 24.98584 x + 545.89 – 25.98259 x
2431.2 = 2440.47 – 0.99675 x
या
0.99675 x = 9.27
या
x = \(\frac{9.27}{0.99675}\) = 9.30
या
21.01 – x = 21.01 – 9.30 = 11.71
2412Mg की आपेक्षिक प्रबलता = 9.30%
2612Mg की आपेक्षिक प्रबलता = 11.71%

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प्रश्न 13.24.
न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा (Separation energy), परिभाषा के अनुसार, वह ऊर्जा है जो किसी नाभिक से एक न्यूट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक होती है। नीचे दिए गए आँकड़ों का इस्तेमाल करके #Ca एवं HAI नाभिकों की न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
m(4020Ca) = 39.962591 u
m(4120Ca) = 40.962278 u
m(2613Al) = 25.986895 u
m(2713Al) = 26.981541 u
उत्तर:
(i) 4120Ca न्यूट्रॉन पृथक्करण की ऊर्जा जब 4020CaCa से एक न्यूट्रॉन पृथक हो जाता है तब हमारे पास4020Ca रह जाता है।
इस प्रकार नाभिकीय अभिक्रिया
4020Ca → 4020Ca + 10n द्वारा दी जाती है।
∴ द्रव्यमान में त्रुटि ∆m = m (4020Ca) + mn – m (4120Ca)
द्वारा दी जाती है।
= 39.962591 + 1.008665 – 40.962278
= 40.971256 – 40.962278
= 0.008978a.m.u.
इस प्रकार न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा का मान
= 0.008978 × 931.5 Mev
= 8.363 MeV

(ii) 2713Al का न्यूट्रॉन पृथक्करण: जब 2713Al से एक न्यूट्रॉन पृथक् किया जाता है तो हमारे पास 2713AI शेष रह जाता है। इस प्रकार
नाभिकीय अभिक्रिया:
2713Al → 2613Al + 10n से दी जाती है।
∴ द्रव्यमान त्रुटि ∆m = m (2613Al) + mn – m) (2713Al) से दी जाती है।
= 25.986895 + 1.008665 – 26.981541
= 26.99556 – 26.981541
= 0.014019 a.m.u.
अतएव न्यूट्रॉन पृथक्करण ऊर्जा
= ∆m x 931.5 Mev
= 0.014019 x 931.5 Mev
= 13.06 MeV

प्रश्न 13.25.
किसी स्रोत में फॉस्फोरस के दो रेडियो न्यूक्लाइड निहित हैं 3215P (T1/2 = 14.3 d) एवं 3315P (T 1/2 = 25.3 d)। प्रारंभ 3315P से 10% क्षय प्राप्त होता है। इससे 90% क्षय प्राप्त करने के लिए कितने समय प्रतीक्षा करनी होगी?
उत्तर:
माना 3315P व 3215P की आरम्भिक सक्रियता क्रमश: Ro1 व Ro2 है।
हमने यहाँ पर यह भी माना है कि किसी क्षण पर उनकी सक्रियता क्रमश: R1 व R2 है।
∴ कुल आरम्भिक सक्रियता = R01 + R02 …..(1)
t समय पर कुल सक्रियता = R1 + R2
दिया गया है:
R01 = कुल सक्रियता का 10%
R01 = 10/100 × (R01 + R02
या 10R01 = R01 + R02
या 9R01 = R02 ……….. (3)
t समय पर
R1 =
R1 = 90% (R1 + R2) भी
R1 = 90/100 (R1 + R2)
R1 = 9/10 (R1+R2)
10 R1 = 9R + 9R2
R1 = 9R2
∴ R2 = 1/9R1 …………. (4)
समीकरण (3) तथा (4) से
\(\frac{\mathrm{R}_2}{\mathrm{R}_{02}}\) = \(\frac{\frac{1}{9} R_1}{9 R_{01}}\) = \(\frac{1}{81} \frac{R_1}{R_{01}}\)
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(81 \frac{R_{01}}{R_{02}}\) ………(5)
हम यह भी जानते हैं:
R = R01e-λ1t
∴ R1 = R01e-λ1t …………. (6)
और R2 = R02e-λ1t ………… (7)
समीकरण (6) में (7) का भाग देने पर
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}\) = \(\frac{\mathrm{R}_{01}}{\mathrm{R}_{02}}\) × \(\frac{e^{-\lambda_1 t}}{e^{-\lambda_2 t}}\)
या
\(81 \frac{R_{01}}{R_{02}}\) = \(\frac{R_{01}}{R_{02}}\) × \(\frac{e^{-\lambda_1 t}}{e^{-\lambda_2 t}}\)
[समीकरण (5) का प्रयोग करने पर
\(\frac{e^{-\lambda_1 t}}{e^{-\lambda_2 t}}\) = 81
या
e(λ1 – λ2)t = 81
दोनों तरफ लघुगणक लेने पर
loge(λ1 – λ2)t = loge 81
या
2 – λ1)t loge = 2.303 log 1081
2 – λ1)t = 2.303 log 1081 ….. (8)
हम यह भी जानते हैं:
λ = 0.693/t1/2
माना (t1/2) 1 और (t1/2)2. 3315P व 3215P को क्रमशः अर्धकाल है
(t1/2) = 25.3 दिन
(t1/2) = 14.3 दिन
λ1 = 0.693/(t1/2) = 0.693/25.3
इसी तरह से
λ2 = 0.693/(t1/2) = 0.693/14.3
समीकरण (8) में मान रखने पर
(0.693/14.3 – 0.693/25.3) t= 2.303 log1081
या 0.693 \(\left(\frac{25.3-14.3}{14.3 \times 25.3}\right)\) t = 2.303 log1081
या
t = \(\frac{2.303 \log _{10} 81 \times 14.3 \times 25.3}{0.693 \times 11}\)
= \(\frac{2.303 \times 1.9085 \times 14.3 \times 25.3}{0.693 \times 11}\)
= \(\frac{1590.167}{7.623}\)
= 208.601 दिन
= 209 दिन

प्रश्न 13.26.
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, एक नाभिक, α-कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए:
22388Ra → 20982Pb + 146C
22388Ra → 21986Rn + 42He
इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से संभव हैं।
उत्तर:
22388Ra के क्षय से 146C उत्सर्जन के लिए
जहाँ पर प्रक्रम में 22388Ra → 20982Pb + 146C + Q है।
Q = [mN(22388Ra) – mN(20982Pb) – mN(146C)]C2
Q = [m(22388Ra) – m(20982Pb) – m(146C)]C2
= [223.01850 u – 222.984314 u]C2
= 0.034186uC2
= 0.034186 u x 931.5/u
= 0.034186 × 931.5 Mev
= 31.85 MeV
Ra के क्षय प्रक्रम He प्राप्त करने के लिए
Ra→ 3 Rn + / He + Q अभिक्रिया होती है। जहाँ अभिक्रिया का Q मान
Q = [mN(22388Ra) – mN(21986Rn) – mN(42He)]C2
= [mN(22388Ra) – mN(21986Rn) – mN(42He)]C2
= [223.01850 u – 219.00948 u – 4.00260 u]C2
= [223.01850 u – 219.01208 u]C2
= [4.00642 u] × 931.5 MeV
= 5.98 Mev
∵ दोनों ही क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q धनात्मक है। अतः ये प्रक्रियायें ऊर्जा दृष्टि से सम्भव हैं।

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प्रश्न 13.27.
तीव्र न्यूट्रॉनों द्वारा m23892U के विखंडन पर विचार कीजिए। किसी विखंडन प्रक्रिया में प्राथमिक अंशों (Primary fragments) के बीटा क्षय के पश्चात् कोई न्यूट्रॉन उत्सर्जित नहीं होता तथा 14058Ce तथा 9944Ru अंतिम उत्पाद प्राप्त होते हैं। विखंडन प्रक्रिया के लिए Q के मान का परिकलन कीजिए आवश्यक आँकड़े इस प्रकार हैं:
m (23892U) = 238.05079 u
m(14058Ce) = 139.90543 u
m(9944Ru) = 98.90594 u
उत्तर:
विखण्डन अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है:
23892U + 10n → 14058Ce + 9944Ru + Q
अभिक्रिया के Q का मान
Q= [m(23892U) + m(10n) – m(14058Ce) – m(9944Ru)]C2
= [238.05079 u + 1.00867u – 139.90543 u – 98.90594 u]C2
= [239.05946 u – 238.81137 u]C2
= [0.24809 u] × 931.5/U Mev
= 231.1 MeV

प्रश्न 13.28.
D-T अभिक्रिया ( ड्यूटीरियम-ट्रीटियम संलयन),
21H + 31H → 42He + n पर विचार कीजिए।
(a) नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान MeV में ज्ञात कीजिए।
m(21H) = 2.014102 u
m(31H) = 3.016049 u
(b) ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 fm मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है ? अभिक्रिया प्रारंभ करने के लिए गैसों (D तथा T गैसें) को किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
(संकेत- किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा = 2 (3kT/2); k : बोल्ट्जमान नियतांक तथा T = परम ताप)
उत्तर:
(a) DT संलयन अभिक्रिया
21H + 31H → 42He + 1nn + Q से दी जाती है। जहाँ अभिक्रिया
में Q का मान
Q= [m (H) + m (H) – m(He) – ml c2
= [2.014102 u + 3.016049u 4.002603 u – 1.008665u]c2
= [5.030151 u – 5.011268 u] c2
= [0.018883 u] c2
= (0.018883 u) x 931.5/uMev
= 17.59 MeV

(b) यहाँ 21H या 31H की त्रिज्या = r = 1.5 fm
r= 1.5 x 10-15 m
21H या 31H के बीच जब दोनों नाभिक एक-दूसरे से छूने
तक के सम्पर्क में आते हैं
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प्रत्येक पर आवेश अर्थात्
q1 = 1.6 x 10-19 c
q2= 1.6 x 10-19 c
D-T निकाय की P.E जब दोनों कण लगभग एक-दूसरे के
सम्पर्क में आ जाते हैं।
P.E = 1/4 πe0 q1q2/2r से दी जाती है।
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 1.6 \times 10^{-19}}{2 \times 1.5 \times 10^{-15}}\)
= 7.68 × 10-14 J
कूलॉम प्रतिकर्षण को पार पाने के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा (KE) स्थितिज ऊर्जा (P.E) के तुल्य है।
आवश्यक (K.E) = 7.68 x 10-14J
(किसी संलयन क्रिया के लिए आवश्यक गतिज ऊर्जा = संलयन क्रिया में संलग्न कणों की औसत तापीय गतिज ऊर्जा =
k: बोल्ट्जमान नियतांक तथा T = परम ताप )
3kT = 7.68 × 10-14
यहाँ पर बोल्ट्ज़मान k का मान = 1.38 x 10-23 JK-1 होता है।
T = \(\frac{7.68 \times 10^{-14}}{3 \mathrm{k}}\) = \(\frac{7.68 \times 10^{-14}}{3 \times 1.38 \times 10^{-23}}\)
T = 1.86 × 109K

प्रश्न 13.29.
नीचे दी गई विकिरण आवृत्तियाँ एवं β कणों की कीजिए दिया है :
क्षय-योजना में, y-क्षयों की अधिकतम गतिज ऊर्जाएँ ज्ञात
m(198Au) = 197.968233 u
m(198Hg) =197.966760 u
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उत्तर:
माना उत्सर्जित y-किरण फोटॉन की क्रमशः आवृत्तियाँ v2 तथा v3 हैं।
न्यूनतम अवस्था में ऊर्जा
E1 = 0
प्रथम उत्तेजित अवस्था की ऊर्जा
= E2 = 0.412 Mev
= 0.412X × 1.6 x 10-13
द्वितीय उत्तेजित अवस्था की ऊर्जा
= E3 = 1.088 Mev
E3 = 1.088 × 1.6 x 10-13
∴ Y1 के लिए
v1 = E3 – E1/h
= \(\frac{1.088 \times 1.6 \times 10^{-13}-0}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 2.626 × 1020 Hz
Y2 के लिए
v2 = E2 – E1/h
= \(\frac{0.412 \times 1.6 \times 10^{-13}-0}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 0.994 × 1020 Hz
Y3 के लिए
v3 = E3 – E2/h
= \(\frac{1.088 \times 1.6 \times 10^{-13}-0.412 \times 1.6 \times 10^{-13}}{6.63 \times 10^{-34}}\)
= 1.631 × 1020 Hz
अब Q1 (β1-) = [m(19879Au) – m(19880Hg)]c2 – 1.088 MeV
= [197.968233 u – 197.966760 u]c2 – 1.088 MeV
= [0.001473 u] c2 – 1.088 Mev
= [0.001473 u] x 931.5/u Mev – 1.088 Mev
= 1.372 Mev – 1.088 MeV
= 0.284 MeV ≈ Emax (B1)

Q (B2)= [m(19879Au) – m(19880Hg)]c2 – 0.412 Mev
= [197.968233 u – 197.966760 u]c2 – 0.412 Mev
= [0.001473 u]C2 – 0.412 Mev
= [0.001473 u] x 931.5/u Mev – 0.412 MeV
= 1.372 Mev – 0.412 Mev
= 0.960 MeV = Emax(β2)

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक

प्रश्न 13.30.
सूर्य के अभ्यंतर में (a) 1 kg हाइड्रोजन के संलयन के समय विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (b) विखंडन रिएक्टर में 1.0 kg 235 के विखंडन में विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (a) तथा (b) प्रश्नों में विमुक्त ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर:
(a) सूर्य में होने वाली संलयन अभिक्रिया
41H → 24He + 2e2 + 2 + 26 Mev
अर्थात् 4 हाइड्रोजन परमाणु प्रति घटना में मिलकर 26 Mev ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान = 1 kg लिया
अब हाइड्रोजन के 1g में 6.023 x 1023
= 1,000 g नाभिक है।
1,000 g हाइड्रोजन में 6.023 x 1023 x 103 नाभिक होंगे।
= 6.023 x 1026 नाभिक यदि Q इन सभी नाभिकों के संलयन से मुक्त ऊर्जा
Q1 = \(\frac{26 \times 6.023 \times 10^{26}}{4}\)
= 39.15 × 1026 Mev
(b) 235U के एकल नाभिक के विखण्डन में = 200 Mev ऊर्जा मुक्त होती है, जो BU की अभिक्रिया
23592U + 0 1n → 92 36Kr + 30 1n + Q2 = 200 Mev
यदि Q2 इन सभी नाभिकों के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा हो तब
Q2 = \(\frac{1000 \times 6.023 \times 10^{23} \times 200}{235}\)
= 5.1 x 1026 Mev
\(\frac{\mathrm{Q}_1}{\mathrm{Q}_2}\) = \(\frac{39.15 \times 10^{26}}{5.1 \times 10^{26}}\)
= 7.68≈ 8
Q1 = 8Q2
अर्थात् 1 kg हाइड्रोजन के संलयन में विमुक्त ऊर्जा, 1 kg, U235 के विखण्डन में विमुक्त ऊर्जा से लगभग 8 गुना अधिक है।

प्रश्न 13.31.
मान लीजिए कि भारत का लक्ष्य 2020 तक 200,000 MW विद्युत शक्ति जनन का है इसका 10% नाभिकीय शक्ति संयंत्रों से प्राप्त होना है। माना कि रिएक्टर की औसत उपयोग दक्षता (ऊष्मा को विद्युत में परिवर्तित करने की क्षमता) 25% है। 2020 के अंत तक हमारे देश को प्रति वर्ष कितने विखंडनीय यूरेनियम की आवश्यकता होगी? 235U प्रति विखंडन उत्सर्जित ऊर्जा 200 Mev है।
उत्तर:
कुल लक्ष्यित विद्युत शक्ति
P = 200,000 MW = 2 x 1011 W
कुल नाभिकीय शक्ति लक्ष्य
= 2 × 1011 W का 10%
= 10/100 x 2 x 1011 = 2 x 1010 w
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक 8
n = 25%
कुल उत्पादित शक्ति
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक 9
= 8 × 1010 W = 8 × 1010 Js-1
∴2020 तक प्रतिवर्ष वांछित ऊर्जा
E = P x t
E = 8 × 1010 × 365 x 24 x 60 x 60
= 2.523 x 1018J
235U के विखण्डन से उत्पन्न ऊर्जा
= 200 Mev
= 200 x 106 x 1.6 x 10-19 J
= 3.2 × 10-11 J
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 13 नाभिक 10
= 7.884 x 1028
अब 23592U के 6.023 x 1023 परमाणुओं का द्रव्यमान
= 235g = 235 x 10-3 kg
∴ 7.884 x 1028 उत्पन्न करने के लिए आवश्यक PU के द्रव्यमान में नामिक
=\(\frac{235 \times 10^{-3}}{6.023 \times 10^{23}}\) × 7.884 × 1028 kg
= \(\frac{235 \times 7.884 \times 10^{25}}{6.023 \times 10^{23}}\)
= 307.61 × 102 kg
= 3.0761 x 104 kg

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