Author name: Prasanna

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Veryshort Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले चुम्बकीय सिरे को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तरी ध्रुव।

प्रश्न 2.
दक्षिण दिशा की ओर संकेत करने वाले चुम्बकीय सिरे को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
दक्षिणी ध्रुव।

प्रश्न 3.
चुम्बकीय क्षेत्र कैसी राशि है ?
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं।

प्रश्न 4.
चुम्बक के ध्रुवों में आकर्षण व प्रतिकर्षण किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
चुम्बक के समान ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित एवं असमान ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

प्रश्न 5.
चुम्बकीय क्षेत्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
किसी चुम्बक के आस-पास के क्षेत्र में चुम्बक के आकर्षण या विकर्षण का प्रभाव जहाँ तक दिखाई दे उसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 6.
चुम्बकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता अधिकतम कहाँ होती है ?
उत्तर-
चुम्बक के ध्रुव पर।

प्रश्न 7.
मुक्त अवस्था में लटकाने पर चुम्बक किस-किस दिशा को प्रदर्शित करता है ?
उत्तर-
उत्तर और दक्षिण दिशा को।

प्रश्न 8.
विद्युत द्वारा बनाए गए चुम्बक को क्या कहते
उत्तर-
विद्युत चुम्बक।

प्रश्न 9.
किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर क्या होता है ?
उत्तर-
तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।

प्रश्न 10.
चुम्बकीय बल रेखायें किस ध्रुव से निकलती हुयी प्रतीत होती हैं ?
उत्तर-
उत्तरी ध्रुव (North pole)

प्रश्न 11.
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किस ओर होती है ?
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्षेत्र के किसी बिन्दु पर रखी गयी कम्पास सुई के दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर खींची गयी रेखा की दिशा में होती है।

प्रश्न 12.
किसी परिनालिका के बीच सभी बिंदुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र कैसा होता है ?
उत्तर-
सभी बिंदुओं पर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान होता है।

प्रश्न 13.
परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाह बंद करने पर क्या होता है ?
उत्तर-
चुम्बकीय प्रभाव समाप्त हो जाता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 14.
परिनालिका में धारा की दिशा बदलने पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
ध्रुवों की स्थिति परस्पर बदल जाती है।

प्रश्न 15.
तार के फेरों की संख्या पर चुम्बकीय शक्ति किस प्रकार निर्भर करती है ?
उत्तर-
तारों की संख्या बढ़ाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति बढ़ जाती है।

प्रश्न 16.
किस क्रोड से अधिक शक्तिशाली चुम्बक बनता है ?
उत्तर-
नर्म लोहे के क्रोड से।

प्रश्न 17.
यदि स्वतन्त्रता पूर्वक लटकी परिनालिका में विद्युत धारा की दिशा बदल दी जाये तो क्या होता है?
उत्तर-
विद्युत धारा की दिशा बदल देने पर परिनालिका 180° से घूम जायेगी।

प्रश्न 18.
धारावाही चालक पर आरोपित बल की दिशा किस नियम से निकाली जाती है?
उत्तर-
फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से।

प्रश्न 19.
धारावाही चालक की लम्बाई बढ़ाने पर चालक पर लगने वाले बल पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
बल बढ जायेगा।

प्रश्न 20.
चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक पर लगने वाले बल पर क्या प्रभाव पड़ेगा जब चालक में बहने वाली धारा को बढ़ा दिया जाये? .
उत्तर-
चालक पर बल बढ़ जायेगा।

प्रश्न 21.
विद्युत धारा का मान बढ़ाने पर विद्युत चुम्बकीय शक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय शक्ति अधिक हो जाती है।

प्रश्न 22.
नर्म लौह क्रोड एवं कुंडली को मिलाकर क्या कहते हैं ?
उत्तर-
आर्मेचर।

प्रश्न 23.
गैल्वेनोमीटर किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गैल्वेनोमीटर एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।

प्रश्न 24.
प्रत्यावर्ती धारा (ac) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐसी विद्युत धारा जो समान-समान अंतरालों के पश्चात् अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेती है उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं।

प्रश्न 25.
हमारे देश में धनात्मक और ऋणात्मक तारों के बीच कितना विभव होता है ?
उत्तर-
220VI .

प्रश्न 26.
विद्युत मोटर व विद्युत जनित्र में सिद्धान्ततः क्या अन्तर है ?
उत्तर-
विद्युत मोटर में विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में तथा विद्युत जनित्र में यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।

प्रश्न 27.
MRI का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर-
MRI-चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिंबन होता है।

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प्रश्न 28.
जनित्र किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जनित्र वह युक्ति है जो यांरिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है।

प्रश्न 29.
विद्युत चुम्बकों का प्रयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है?
उत्तर-
रेडियो, स्पीकरों, कम्प्यूटरों आदि में विद्युत चुम्बकों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 30.
विद्युत द्वारा बनाये गये चुम्बक को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
विद्युत चुम्बक।

प्रश्न 31.
किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर पर क्या होता है ?
उत्तर-
तारों के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।

प्रश्न 32.
विद्युत कुचालकों के दो उदाहरण दो। उत्तर-लकड़ी, रबड़।

प्रश्न 33.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
चुम्बकीय प्रभाव से विद्युत प्रभाव को उत्पन्न करने को विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।

प्रश्न 34.
किन्हीं चार उन यंत्रों के नाम लिखो जिनमें विद्युत चुम्बक प्रयोग होता है ? [RBSE 2015]
उत्तर-

  1. विद्युत स्पीकर
  2. टेलीग्राफ
  3. कम्प्यूटर
  4. रेडियो।

प्रश्न 35.
किसी कुण्डली में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं में परिवर्तन के कारण उसमें प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इस मूल परिघटना का मान लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण।

प्रश्न 36.
प्रेरित धारा की दिशा किस नियम से निकाली जाती है ?
उत्तर-
फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से।

प्रश्न 37.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिये कौन-सी दो सावधानियाँ बरतनी चाहिए? [राज. 2015]
उत्तर-
फ्यूज तथा M.C.V.।

प्रश्न 38.
शार्ट सर्किट किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
शार्ट सर्किट विद्युन्मय एवं उदासीन तारों के सीधे सम्पर्क में आने के कारण होता है।

प्रश्न 39.
विद्युत धारा कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
विद्युत धारा दो प्रकार की होती है

  • ए. सी. (प्रत्यावर्ती धारा),
  • डी. सी. (दिष्ट धारा)।

प्रश्न 40.
फ्यूज कैरियर क्या होता है ?
उत्तर-
यह चीनी मिट्टी का एक खोल होता है, जिसमें ताँबे के दो प्वाइंट होते हैं। इन दोनों को फ्यूज की तार द्वारा जोड़ देते हैं। इस खोल को फ्यूज कैरियर कहते हैं।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer type Questions)

प्रश्न 1.
पृथ्वी एक बड़े चुम्बक की तरह व्यवहार क्यों करती है ?
उत्तर-
पृथ्वी एक बहुत बड़े छड़ चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है। इसके चुम्बकीय क्षेत्र को तल से 3 x 104 किमी ऊँचाई तक अनुभव किया जा सकता है। चुम्बकीय क्षेत्र के निम्नलिखित कारण माने जाते हैं-

  1. पृथ्वी के भीतर पिघली हुई अवस्था में विद्यमान धात्विक द्रव्य लगातार घूमते हुए बड़े चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है।
  2. पृथ्वी के केन्द्र में लोहा व निकिल हैं, पृथ्वी के लगातार घूमने से इनका चुम्बकीय व्यवहार प्रकट होता है।
  3. पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण इसका चुम्बकत्व प्रकट होता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के प्रतिरूप खींचिए
(i) वृत्ताकार कुण्डली में प्रवाहित धारा,
(ii) धारावाही परिनालिका। [RBSE 2015]
उत्तर-
(i)
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प्रश्न 3.
(a) किसी धारावाही वृत्ताकार पाश (लूप) के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इस पाश के भीतर और बाहर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का पैटर्न खींचिए।
(b) इस पाश के भीतर और बाहर के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करने के नियम का नाम लिखिए और इस नियम का उल्लेख कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a)
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(b) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम (Right Hand Thumb Rule)- के द्वारा पाश के भीतर और बाहर के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात की जाती है जो इस प्रकार है: यदि दाहिने हाथ में धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हैं कि आपका अंगूठा विद्युत धारा की ओर संकेत करता है, तो अंगुलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाओं में लिपटी होंगी।
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प्रश्न 4.
चुम्बकीय क्षेत्र में किसी धारावाही विद्युत चालक द्वारा लगने वाले बल की दिशा निर्धारित करने वाला नियम बताइए। यह बल कैसे प्रवाहित होगा यदि
(i) धारा के प्रवाह को दुगुना किया जाए ?
(ii) जब धारा की दिशा विपरीत होती है। (CBSE 2017)
उत्तर-
फ्लेमिंग का वाम-हस्त का नियम। बल F = BIL.
(i) जब धारा का परिमाण दुगुना होता है तो बल का परिमाण भी दुगुना हो जाता है।
(ii) जब बल की दिशा विपरीत होती है तो प्रवाहित धारा की दिशा भी विपरीत हो जाती है।

प्रश्न 5.
चिकित्सा विज्ञान में चुम्बकत्व का क्या महत्व
उत्तर-
मानव शरीर में अत्यन्त कम चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह शरीर के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र के विभिन्न भागों के प्रतिबिम्ब प्राप्त करने का आधार बनता है। इसके लिए चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्ब (MRI) की सहायता से विशेष प्रतिबिम्ब लिये जाते हैं।

प्रश्न 6.
तार की वृत्तीय कुंडली में विद्युत धारा के प्रवाह द्वारा कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो जाता है। इस क्षेत्र की स्थापना की पहचान कैसे की जा सकती है? इस चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा की पूर्व उक्ति किस नियम से की जा सकती है?
उत्तर-
वृत्तीय कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उसके केन्द्र बिन्दु पर एक छोटी चुम्बकीय सुई रखने पर यदि यह सुई घूमने लगती है तो पता चलता है कि कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो चुका है। इस क्षेत्र की दिशा का पता हम मैक्सवेल के दाहिने हाथ के नियम से लगा सकते हैं। इस नियमानुसार, “किसी धारावाही चालक को हम अपने दाएँ हाथ से इस प्रकार पकड़ें कि यदि अंगूठा धारा की दिशा को प्रदर्शित करे तो अंगुलियों की लपेटें चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करेंगी।”

प्रश्न 7.
(a) यदि एक चालक तार जिस पर विद्युतरोधी कवर चढ़ा है, एक कुण्डली के रूप में है तथा यह कुण्डली चालक के तारों द्वारा एक गैल्वेनोमीटर G के साथ जुड़ी हुई है। अब यदि इस कुण्डली में एक छड़ चुंबक का S ध्रुव उसके एक तरफ से:
(i) तेजी से कुण्डली के भीतर डाला जाए
(ii) तेजी से कुण्डली से बाहर निकाला जाए
(iii) उसे कुण्डली के एक तरफ स्थिर रख दिया जाए। प्रत्येक स्थिति में आप क्या देखेंगे? यदि यही क्रियाएँ S ध्रुव के साथ दोहराई जाएँ तो आप क्या प्रेक्षण करेंगे?
(b) इस परिघटना से कौन-सा प्रक्रम जुड़ा है ? उसकी परिभाषा लिखिए।
(c) उस नियम को लिखिए जो इनमें से प्रत्येक स्थिति में विद्युत धारा की दिशा बताता है। (CBSE 2016)
उत्तर-
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(a)
(i) जब छड़ चुम्बक का उत्तरी सिरा कुंडली में डाला जाता है, तब गैल्वेनोमीटर में वामावर्त विक्षेपण होता है।
(ii) जब छड़ चुम्बक को कुंडली को कुंडली में स्थिर रखा जाता है, गैल्वेनोमीटर में कोई विक्षेपण नहीं होता।
(iii) जब छड़ चुम्बक को खींचकर बाहर निकाला जाता है, तो गैल्वेनोमीटर में दक्षिणावर्त विक्षेपण होता है।

परिणामतः यह निष्कर्ष निकलता है कि जब कुंडली में छड़ चुम्बक को गति करायी जाती है तो गैल्वेनोमीटर में विक्षेपण होता है अर्थात् कुंडली में एक प्रकार की विद्युत धारा उत्पन्न होती है, जो गैल्वेनोमीटर में विक्षेपण उत्पन्न करती है।

परिघटना-विद्युत चुम्बकीय प्रेरण।
यदि यही क्रिया S ध्रुव के साथ दोहराई जाएगी तो G में विक्षेप पहले से विपरीत होगा :

  • जब S ध्रुव को कुण्डली के भीतर ले जाते हैं तो G की सुई दक्षिणावर्त (बाईं तरफ) मुड़ जाती है।
  • जब S ध्रुव को कुण्डली से बाहर निकालते हैं तो G की सुई वामावर्त (दाईं तरफ) मुड़ जाती है।
  • जब S ध्रुव को कुण्डली के पास स्थिर रखा जाता है तो G की सुई 0 (शून्य) पर ही रहती है।

(b) इस परिघटना वैद्युत चुंबकीय प्रेरण प्रक्रम से जुड़ा है। इस क्रिया में चालक कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी चालक को परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र में रखने के कारण उस चालक में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, वैद्युत चुंबकीय प्रेरण कहलाता है।

(c) इस नियम का नाम है फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम जो इस प्रकार है :
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फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम के अनुसार, ‘अपने दाहिने हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लंबवत् हो। यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा की ओरर संकेत करती है तथा अँगूठा चालक की गति की दिशा की ओर संकेत करता है तो मध्यमा चालक में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा दर्शाती है।

प्रश्न 8.
वोल्टमीटर व ऐमीटर से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
वोल्टमीटर-अधिक प्रतिरोध वाले तार से युक्त साधित्र को वोल्टमीटर कहते हैं। यह उन दो बिन्दुओं के बीच जोड़ा जाता है जिनके बीच विभवान्तर ज्ञात करना होता है तथा इसे परिपथ में समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।
ऐमीटर-ऐमीटर, एक परिपथ में बहने वाली धारा को मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसे श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है, ऐमीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है। इस कारण से ऐमीटर को बहुत कम प्रतिरोध वाला गैल्वेनोमीटर भी कहते हैं।

प्रश्न 9.
a. c. जनित्र का मूल सिद्धान्त क्या है ?
उत्तर-
‘किसी जनित्र में तार का एक लूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करता है। एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा हुआ तार का एक आयताकार लूप होता है। लूप को जैसे ही क्षैतिज अक्ष के परितः घुमाया जाता है, लूप से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तित होता है तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 10.
विद्युत तारों में आग क्यों लगती है ?
उत्तर-
निम्नलिखित कारणों से तारों में आग लग जाती है-

  • तारों के संयोजन ढीले होने के कारण।
  • स्विच खराब हो।
  • तारों की अधिकतम क्षमता से अधिक वोल्टेज या धारा प्रवाहित हो जाए।
  • तार खराब हो।
  • तार अधिक गर्म हो जाए।

प्रश्न 11.
प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में कौनी-सी धारा अधिक उपयोगी है और क्यों?
उत्तर-
प्रत्यावर्ती धारा दिष्ट धारा की तुलना में अधिक उपयोगी है, इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. इसे उत्पन्न करना आसान है।
  2. यह सस्ती है।
  3. इसे एक स्थान से दसरे स्थान तक ले जाना आसान होता है।

प्रश्न 12.
दिष्ट धारा मोटर की शक्ति को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर-

  • कुंडली पर तारों के फेरों की संख्या को बढ़ाकर।
  • कुंडली के तलीय क्षेत्र को बढ़ाकर ।
  • चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति बढ़ाकर।
  • मृदु लोहे के केन्द्रक का प्रयोग करके।
  • एक ही मृदु लौह केन्द्रक पर कुंडलियाँ लपेट कर।

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प्रश्न 13.
दिक् परिवर्तक क्या है? यह दिष्ट धारा कैसे उत्पन्न करता है ?
उत्तर-
विभक्त वलय संचालक दो विभक्त वलयों का समूह है जो चुम्बक अथवा बाह्य प्रतिरोध से सम्पर्क रखने वाले ब्रुश से जोड़ा जाता है। यह प्रत्येक 180° के घूर्णन के बाद धारा की दिशा को उलट देता है। ऐसा विभक्त वलय के आयताकार कुंडली में सिरे के साथ सम्पर्क में परिवर्तन के द्वारा होता है।

प्रश्न 14.
विद्युत चुम्बक के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
विद्युत चुम्बक बहुत उपयोगी होता है। इसके कुछ प्रमुख उपयोग निम्न लिखित हैं-

  • विद्युत मोटरों और जनरेटरों के निर्माण में इनका प्रयोग होता है।
  • विद्युत उपकरणों जैसे-विद्युत घण्टी, पंखों, रेडियो, कम्प्यूटरों आदि में इनका प्रयोग किया जाता है।
  • इस्पात की छड़ों का चुम्बक बनाने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।
  • चट्टानों को तोड़ने में इनका प्रयोग होता है।
  • अयस्कों में से चुम्बकीय एवं अचुम्बकीय पदार्थों को अलग करने के लिए इनका प्रयोग होता है।

प्रश्न 15.
डायनमो तथा विद्युत मोटर में क्या अन्तर हैं?
उत्तर-
डायनमो तथा विद्युत मोटर में प्रमुख अन्तर निम्न हैं-

जनित्र या डायनमोविद्युत मोटर
1. डायनमो यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊ में परिवर्तित करता है।1. विद्युत मोटर विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
2. डायनमो विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।2. विद्युत मोटर धारा के चुम्बकीय प्रभाव के आधार पर कार्य करता है जिसके अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर एक बल लगता है।
3. इसमें चुम्बकीय क्षेत्र में कुंडली को घुमाकर प्रेरित वि. वा. ब. उत्पन्न किया जाता है।3. इसमें चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित कुंडली में धारा प्रवाहित करते हैं जिससे कुंडली घूमने लगती है।

प्रश्न 16.
विद्युत मोटर के झटकों को किस प्रकार नियन्त्रित किया जाता है?
उत्तर-
विद्युत मोटरों में कुंडली 0° और 180° पर अधिकतम बल प्रकट होता है परन्तु 90° और 270° पर कोई बल प्रकट नहीं हो पाता इसलिए कुंडली में झटके उत्पन्न होते हैं। इस झटकों को नियन्त्रित करने के लिए मृदु लोहे के टुकड़े के कुछ अंश पर तार को कई बार लपेटा जाता है।

प्रश्न 17.
धारामापी (गैल्वेनोमीटर) किसे कहते हैं?
उत्तर-
गैल्वेनोमीटर वह उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति को बताता है। यदि इससे प्रवाहित धारा शून्य हो तो इसका संकेतक शून्य पर रहता है। यह अपने शून्य चिन्ह के बायीं या दायीं तरफ विक्षेपित हो सकता है। यह विक्षेप विद्युत धारा की दिशा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 18.
एक घरेलू विद्युत परिपथ में 5 एम्पियर का फ्यूज है। 100 W (220V) के अधिकतम बल्बों की संख्या होगी जिनका इस परिपथ में सुरक्षित उपयोग कर सकें? [RBSE 2015]
उत्तर-
एक बल्ब के लिये उपयोगी धारा-
I1 = \(\frac{P}{V}=\frac{100}{220}=\frac{10}{22} A \)
माना कुल बल्बों की संख्या = N
अतः उपयोगी कुल धारा = NI1
= N\(\frac{10}{22}\) …………………..(1)
विद्युत परिपथ में 5 एम्पियर का फ्यूज है
\(\text { N. } \frac{10}{22}\) = 5
N = \(\frac{5 \times 22}{10}\) = 11 बल्ब .

प्रश्न 19.
ट्रांसफॉर्मर से क्या अभिप्राय है? ट्रांसफॉर्मर किस काम में लाए जाते हैं?
उत्तर-
ट्रांसफॉर्मर एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को कम या अधिक किया जा सकता है। जो ट्रांसफॉर्मर विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं, उन्हें उच्चायी ट्रांसफॉर्मर तथा जो वोल्टता में कमी करते हैं, उन्हें अपचायी ट्रांसफॉर्मर कहते हैं। पावर स्टेशनों पर उच्चायी ट्रांसफॉर्मर लगे होते हैं जो विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं तथा इस अधिक वोल्टता की विद्युत धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। शहरों में उपबिजलीघरों में अपचायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा अधिक प्रत्यावर्ती वोल्टता को कम वोल्टता में बदला जाता है तथा घरों में 220 वोल्ट तथा कारखानों में 440 वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा उपयोग में लायी जाती है।

प्रश्न 20.
वे कौन से कारक हैं, जिन पर उत्पन्न विद्युत धारा निर्भर करती है?
उत्तर-

  • कुंडली में लपेटों की संख्या-यदि कुंडली में लपेटों की संख्या बहुत अधिक होगी तो उत्पन्न विद्युत धारा भी अधिक होगी। लपेटों की संख्या कम होने पर इसमें भी कमी हो जाएगी।
  • चुम्बक की शक्ति-बन्द कुंडली की ओर शक्तिशाली चुम्बक बढ़ाने या पीछे हटाने से विद्युत धारा पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। चुम्बक की शक्ति अधिक होनी चाहिए।
  • चुम्बक को कुंडली की ओर बढ़ाने की गति-यदि चुम्बक को कुंडली की ओर तेजी से बढ़ाया जाए तो बन्द कुंडली में विद्युत का प्रेरण अधिक होता है।

प्रश्न 21.
शॉर्ट सर्किट क्या होता है? इससे क्या हनियाँ हो सकती हैं?
उत्तर-
शार्ट सर्किट-किसी विद्युत यन्त्र में धारा का कम प्रतिरोध से होकर प्रवाहित हो जाना शॉर्ट सर्किट कहलाता है।
हानियाँ-

  1. प्रतिरोध कम होने के कारण तारें अधिक गर्म हो जाती हैं और उनके ऊपर चढ़ा रोधी पदार्थ जल जाता है।
  2. विद्युत उपकरण बेकार हो सकता है।
  3. इससे घरों, दुकानों में आग लग सकती है।
  4. विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाता है।
  5. तारों के ऊपर चढ़े रोधी पदार्थ जल जाने पर तारें नंगी हो जाती हैं, जिससे विद्युत शॉक लग सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
(a) दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को कभी भी प्रतिच्छेदित क्यों नहीं करती ? व्याख्या कीजिए।
(b) किसी धारावाही परिनालिका के भीतर के चुम्बकीय क्षेत्र को एकसमान कहा जाता है। क्यों ?
(c) फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
(d) व्यावसायिक मोटरों की शक्ति में वृद्धि करने वाले दो कारकों की सूची बनाइए। (CBSE 2019)
उत्तर-
(a) दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती। किसी बिन्दु पर प्रतिच्छेद करने का अर्थ है कि दिक्सूचक, यदि किसी बिन्दु पर रखी जाए तो वह दो दिशाओं में एक साथ विक्षेपित हो, जो असंभव है।

(b) चूँकि धारावाही परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ समांतर सरल रेखाओं की भाँति होती हैं। इसलिए धारावाही परिनालिका के भीतर चुम्बकीय एक समान क्षेत्र होता है।

(c) फ्लेमिंग का वामहस्त नियम-इस नियम अनुसार यदि हम अपने बाएं हाथ के अंगूठे, तर्जनी तथा मध्यमा उंगलियों को परस्पर लंबवत फैलाएँ तो तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, मध्यमा विद्युत धारा की दिशा बताए तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।
(d)

  • विद्युत धारावाही कुंडली में फेरों की संख्या बढ़ाकर,
  • स्थायी चुम्बकों के स्थान पर विद्युत चुम्बक का प्रयोग करके।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 2.
धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय बल रेखाएँ खींचिए। [RBSE 2015] (CBSE 2018,19)
उत्तर-
धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय बलरेखाएँ (Magnetic Lines of Force of Current Carrying Solenoid) यदि किसी चालकीय तार को बेलननुमा कुंडली के रूप में इस प्रकार लपेटा जाए कि उसका व्यास उसकी लम्बाई की तुलना में बहुत छोटा हो, तो इस प्रकार की व्यवस्था को परिनालिका (solenoid) कहते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 7
जब परिनालिका में धारा प्रवाहित की जाती है, तो वह दण्ड-चुम्बक की भाँति व्यवहार करने लगती है अर्थात् परिनालिका के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो जाता है। बल रेखाओं से स्पष्ट है कि धारावाही परिनालिका की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक समान होता है। बल रेखाएँ जहाँ पर पास-पास होती हैं वहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल होता है। चुम्बकीय बल रेखाएँ परिनालिका के दक्षिणी ध्रुव से अन्दर की ओर जाती हैं और उत्तरी ध्रुव से बाहर की ओर निकलती हैं।

प्रश्न 3.
एक धारावाही परिनालिका छड़ चुम्बक के समान व्यवहार करती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
धारावाही परिनालिका की छड़ चुम्बक से समानता (Resemblance of Current Carrying Solenoid with Magnetic rod) धारावाही परिनालिका एवं छड़ चुम्बक में निम्नलिखित समानताएँ होती हैं-

  1. छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों को स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाए जाने पर दोनों के अक्ष उत्तर एवं दक्षिण दिशाओं में रुकते हैं।
  2. दोनों ही लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
  3. छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण एवं असमान ध्रुवों में आकर्षण होता है।
  4. छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के निकट कम्पास सुई विक्षेपित हो जाती है।
  5. छड़ चुम्बक एवं स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी धारावाही परिनालिका के निकट कोई तार लाने पर दोनों ही विक्षेपित हो जाते हैं।

धारावाही परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर उसका अक्ष सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकता है। यद्यपि धारावाही परिनालिका छड़ चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है, लेकिन इन दोनों के चुम्बकीय क्षेत्र में असमानता होती है। छड़ चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता इसके सिरों पर अधिकतम तथा मध्य में शून्य होती है जबकि धारावाही परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक समान (uniform) होता है। केवल परिनालिका के सिरों पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता थोड़ी कम होती है।

प्रश्न 4.
प्रयोगों के द्वारा विद्युत चुम्बकीय प्रेरण को कैसे प्रदर्शित करते हैं ?
उत्तर-
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) – सन् 1820 में ऑर्टेड ने यह खोज की थी कि विद्युत धारा के साथ चुम्बकीय क्षेत्र सदैव सम्बन्धित रहता है, अर्थात् जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। सन् 1830 में फैराडे ने यह विचार दिया कि जब गतिमान आवेश (अर्थात् विद्युत धारा) से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है तो गतिमान चुम्बकीय क्षेत्र से विद्युत धारा

उत्पन्न होनी चाहिए। इसके लिए फैराडे ने एक चुम्बक तथा धारामापी जुड़ी हुई एक कुंडली ली तथा उन्होंने चुम्बक को कुंडली के अन्दर गुजारा देखा कि जिस क्षण चुम्बक कुंडली से गुजरा, उसी क्षण धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हुआ (जबकि कुंडली के साथ कोई बैटरी नहीं जुड़ी थी)। स्पष्ट था कि कुंडली के अन्दर चुम्बक के गुजरने से कुंडली में क्षण भर के लिए धारा प्रवाहित हुई जिससे धारामापी में विक्षेप उत्पन्न हुआ। इस प्रकार फैराडे ने एक नई घटना की खोज की, जिसे विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।

इस घटना के सम्बन्ध में फैराडे ने अनेक प्रयोग किए जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 8
प्रयोग 1.
चित्र में तार की एक कुंडली के दोनों सिरे एक धारामापी से जुड़े हैं तथा NR S क्रमश: एक दण्ड-चुम्बक के उत्तरी व दक्षिणी ध्रुवों को प्रदर्शित करते हैं।

इस प्रयोग के प्रेक्षण निम्न प्रकार हैं-
(i) जब हम एक दण्ड-चुम्बक के उत्तरी ध्रुव N को कुंडली की ओर तेजी से गति कराते हैं, तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप उत्पन्न होता है, जो यह बताता है कि चुम्बक की गति के प्रभाव से कंडली में क्षणिक विद्यत धारा प्रवाहित होती है। इस धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि चुम्बक के N ध्रुव के पास वाला कुंडली का तल उत्तरी ध्रुव की भाँति कार्य करता है (चित्र ब)।

जब हम चुम्बक के उत्तरी ध्रुव N को कुंडली से दूर की ओर तेजी से गति कराते हैं, तो धारामापी में पुनः क्षणिक, परन्तु विपरीत दिशा में विक्षेप उत्पन्न होता है जो यह बताता है कि चुम्बक की गति के प्रभाव से कुंडली में क्षणिक, परन्तु पहले की विपरीत दिशा में धारा प्रवाहित होती है। इसका अर्थ यह है कि अब चुम्बक के N ध्रुव के पास वाला कुंडली का तल दक्षिणी ध्रुव की भाँति कार्य करता है (चित्र ब)।

इसी प्रकार यदि हम चुम्बक के दक्षिणी ध्रुव S को कुण्डली की ओर अथवा कुंडली से दूर की ओर गति कराएँ तो धारामापी में क्षणिक विक्षेप पहले से विपरीत दिशाओं में उत्पन्न होते हैं अर्थात् कुंडली में धारा की दिशा पहले से विपरीत दिशा में होती है। इस प्रकार चुम्बक के S ध्रुव के पास वाला कुंडली का तल क्रमशः दक्षिणी तथा उत्तरी ध्रुव की भाँति कार्य करता है, (चित्र स, द)।

(ii) यदि चुम्बक को कुंडली की ओर अथवा कुंडली से दूर की ओर गति कराते हुए यकायक रोक दिया जाता है, तो धारामापी में विक्षेप तुरन्त ही शून्य हो जाता है अर्थात् कुण्डली में धारा बन्द हो जाती है। स्पष्ट है कि कुंडली में धारा तभी तक बहती है जब तक कि चुम्बक कुंडली के सापेक्ष गति करता रहता है।

(iii) जितनी तेजी से चुम्बक कुंडली के सापेक्ष गति करता है उतनी ही अधिक कुंडली में धारा की प्रबलता होती है अर्थात् उतना ही अधिक धारामापी में विक्षेप होता है।

(iv) कुण्डली में फेरों की संख्या बढ़ाने पर अथवा कुंडली के अन्दर एक नर्म लोहे की क्रोड रखने पर अथवा अधिक शक्तिशाली चुम्बक लेने पर धारामापी में विक्षेप बढ़ जाता है अर्थात् कुंडली में धारा की प्रबलता बढ़ जाती है।

(v) कुंडली के साथ उच्च प्रतिरोध जोड़ने पर कुंडली में प्रवाहित धारा की प्रबलता घट जाती है|

(vi) यदि चुम्बक को स्थिर रखकर कुंडली को चुम्बक के समीप लाएँ अथवा चुम्बक से दूर ले जाएँ तो भी धारामापी में विक्षेप उत्पन्न होता है जो यह बताता है कि कुंडली में विद्युत धारा, कुंडली व चुम्बक के बीच ‘आपेक्षिक गति’ से उत्पन्न होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि चुम्बक गतिशील है अथवा कुंडली अथवा दोनों।

निष्कर्ष-उपर्युक्त प्रेक्षणों से यह निष्कर्ष निकलता है कि “जब किसी चुम्बक तथा कुंडली के बीच आपेक्षिक गति होती है तब कुंडली में एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है, जिसे प्रेरित विद्युत वाहक बल (induced e.m.f.) कहते हैं। यदि कुंडली एक बन्द परिपथ (Closed circuit) में हैं, तो प्रेरित विद्युत वाहक बल के कारण कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, जिसे प्रेरित धारा (induced current) कहते हैं।

इस घटना को विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण (electro-magnetic induction)- कहते हैं।” उल्ले खनीय है कि विद्युत वाहक बल परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता, परन्तु प्रेरित वैद्युत धारा परिपथ के प्रतिरोध पर ओम के नियम के अनुसार निर्भर करती है। यदि कुंडली खुले परिपथ (open circuit) में है तो प्रेरित विद्युत वाहक बल तो होगा, परन्तु विद्युत धारा नहीं (क्योंकि परिपथ का प्रतिरोध अनन्त है) वास्तव में, विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण की घटना में विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है न कि सीधे विद्युत धारा।

प्रश्न 5.
(a) विद्युत्-चुम्बक क्या होता है ? इसके कोई उपयोग लिखिए।
(b) विधुत्-चुम्बक कैसे बनाया जाता है ? इसे दर्शाने के लिए नामांकित आरेख खींचिए।
(c) विधुत-चुम्बक बनाने में नर्म लौह क्रोड का उपयोग किए जाने के उद्देश्य का उल्लेख कीजिए।
(d) यदि किसी विधुत-चुम्बक का पदार्थ निश्चित है तो उस विद्युत-चुम्बक की प्रबलता में वृद्धि करने के दो उपाय लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) विद्युत धारावाही परिनालिका के भीतर चुम्बकीय पदार्थ, जैस नर्म लोहा विद्युत चुम्बक की तरह कार्य करता है। विद्युत चुम्बक का प्रयोग विद्युत घंटियों, टेलीफोन रिसिवर, माइक्रोफोन आदि में किया जाता है।
(b) इसके दो उपयोग हैं-

  • विद्युत घंटी में (Electric bell),
  • विद्युत मोटर में।

(c) नर्म लोहे का उपयोग विद्युत चुम्बक द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण बनाने के लिए किया जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 9

(d) विद्युत चुम्बक की प्रबलता निम्न प्रकार से बढ़ाई जा सकती है :

  • परिनालिका में कुंडली के फेरों की संख्या बढ़ाकर।
  • परिनालिका में प्रवाहित धारा का मान बढ़ाकर।।

प्रश्न 6.
घरों में विद्युत के क्या-क्या खतरे हैं ? इन खतरों से बचने के लिए क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
उत्तर-
विद्युत से खतरे, बचाव तथा सावधानियाँ (Electrical Hazards, Preventions And Precautions)- विद्युत से खतरे-घरेलू वायरिंग के दोषपूर्ण होने के कारण उससे लगे उपकरण में तथा संयोजक तारों में आग लग सकती है। विद्युत के उपयोग में थोड़ी सी असावधानी होने पर ही दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। विद्युत परिपथ को कहीं से छू जाने पर मनुष्य को तीव्र झटका लगता है। कभी-कभी यह झटका इतना तेज होता है कि छू जाने वाले मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है।

विद्युत से खतरों के कारण-विद्युत से खतरों के कारण निम्नलिखित हैं-

  • यदि स्विच में खराबी है, तो इससे आग लगने तथा विद्युत उपकरणों के जलने की सम्भावना अधिक हो जाती है।
  • यदि संयोजन तारों का सम्बन्ध ठीक से कसा हुआ नहीं है तब तारों में आग लग सकती है।
  • यदि विद्युत परिपथ में लगे उपकरण भूसंपर्कित नहीं हैं, तो उन्हें छू जाने से मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है।

विद्युत खतरों से बचाव एवं सावधानियाँ –

  1. आग लगने पर तुरन्त मेन स्विच को बन्द कर देना चाहिए।
  2. प्रत्येक जोड़ विद्युतरोधी टेप (Insulation tape) से ढका होना चाहिए।
  3. प्लग टॉप, सॉकेट में भली-भाँति कसा होना चाहिए अर्थात् उसे ढीला नहीं छोड़ना चाहिए।
  4. स्विच को कभी भी गीले हाथ से नहीं छूना चाहिए।
  5. फ्यूज तार तथा स्विच को सदैव गर्म तार से श्रेणीक्रम में जोड़ना चाहिए।
  6. पावर विद्युत युक्तियों (जैसे-हीटर, प्रेस आदि) को उपयोग में लाते समय उनके बाहरी आवरण को कभी भी हाथ से नहीं छूना चाहिए।
  7. स्विच, प्लग, सॉकेट तथा जोड़ों पर सभी संयोजन (Combinations) अच्छी तरह कसे होने चाहिए।
  8. विद्युत परिपथ में यदि कोई खराबी ठीक करनी हो, तो रबर के दस्ताने तथा रबर के जूते पहन लेने चाहिए तथा इसके लिए उपयोग में लाए जाने वाले पेंचकस, प्लास, टेस्टर सभी पर रबर चढ़ी होनी चाहिए।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 7.
घरेलू परिपथ का नामांकित चित्र बनाइये तथा विद्युत के संचरण में ट्रॉसफॉर्मर की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिये,
उत्तर-
ट्रांसफॉर्मर एक ऐसी युक्ति है जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को कम या अधिक किया जा सकता है। जो ट्रांसफॉर्मर विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं, उन्हें उच्चायी ट्रांसफॉर्मर तथा जो वोल्टता में कमी करते हैं, उन्हें अपचायी ट्रांसफार्मर कहते हैं। पावर स्टेशनों पर उच्चायी ट्रांसफार्मर लगे होते हैं जो विद्युत धारा की वोल्टता में वृद्धि करते हैं तथा इस अधिक वोल्टता की विद्युत धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जाता है। शहरों में उपबिजलीघरों में अपचायी ट्रांसफॉर्मर द्वारा अधिक प्रत्यावर्ती वोल्टता को कम वोल्टता में बदला जाता है तथा घरों में 220 वोल्ट तथा कारखानों में440 वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा उपयोग में लायी जाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 10

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. किस उपकरण द्वारा किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित की जाती है?
(a) वोल्टमीटर
(b) ऐमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) गैल्वेनोमीटर।

2. हमारे देश में उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा कितने सेकण्ड पश्चात् अपनी दिशा उत्क्रमित करती है ?
(a) \(\frac{1}{10} \) सेकण्ड में
(b) \(\frac{1}{100} \) सेकण्ड में
(c) \(\frac{1}{1000} \) सेकण्ड में
(d) \(\frac{1}{10000} \) सेकण्ड में
उत्तर-
(b) \(\frac{1}{100} \) सेकण्ड में |

3. उच्च शक्ति के विद्युत साधित्रों के बाहरी आवरण को घरेलू परिपथ की भूतार से जोड़ना कहलाता है –
(a) अतिभार
(b) लघुपथन
(c) भू-संपर्कित
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) भू-संपति ।

4. समान चुम्बकीय ध्रुव क्या करते हैं?
(a) प्रतिकर्षित
(b) आकर्षित
(c) दोनों
(d) इसमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) प्रतिकर्षित।

5. चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ होती हैं
(a) सरल
(b) वक्र
(c) बन्द वक्र
(d) त्रिभुजाकार ।
उत्तर-
(c) बन्द वक्र।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

6. किसी विद्युत धारावाही चालक से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किस हस्त अंगुष्ठ नियम से जानी जा सकती है?
(a) दक्षिण
(b) वाम
(c) दक्षिण एवं वाम
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) दक्षिण।

7. कुंडली को चुम्बक के साक्षेप स्थिर रखने पर गैल्वेनोमीटर में कितना विक्षेप होता है?
(a) अधिकतम
(b) शून्य
(c) स्थिर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) शून्य।

8. जेनरेटर कौन-से प्रकार की धारा उत्पन्न करते हैं?
(a) ac
(b) dc
(c) ac तथा dc
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ac तथा dc.

9. विद्युत धारावाही तार किसकी तरह व्यवहार करती
(a) चुम्बक
(b) विद्युत
(c) लोहे
(d) प्रतिरोध।
उत्तर-
(a) चुम्बक।

10. स्थायी चुम्बक बनाए जाते हैं-
(a) ताँबे के
(b) नर्म लोहे के
(c) इस्पात के
(d) पीतल के।
उत्तर-
(c) इस्पात के।

11. सामान्यतया विद्युन्मय तार (Live wire) प्रयोग करना चाहिए
(a) काले रंग का
(b) हरे रंग का
(c) लाल रंग का
(d) किसी भी रंग का।
उत्तर-
(c) लाल रंग का।

12. विद्युत मोटर में रूपान्तरण होता है-
(a) रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में
(b) विद्युत ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा में
(c) विद्युत ऊर्जा का प्रकाश ऊर्जा में
(d) विद्युत ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में
उत्तर-
(b) विद्युत ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा में।

13. परिनालिका द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय बल क्षेत्र निर्भर करता है-
(a) परिनालिका के फेरों की संख्या पर
(b) परिनालिका से प्रवाहित धारा पर
(c) परिनालिका के पदार्थ पर
(d) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी पर।

14. दिक्परिवर्तक विभक्त वलय का उपयोग
(a) प्रत्यावर्ती धारा जनित्र में होता है
(b) दिष्ट धारा जनित्र में होता है
(c) प्रत्यावर्ती धारा मोटर में होता है
(d) उपर्युक्त सभी में।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी में।

15. प्रेरित धारा की दिशा निम्न में से किससे प्राप्त होती है
(a) फ्लेमिंग के दक्षिण-हस्त नियम से
(b) फ्लेमिंग के वाम-हस्त नियम से
(c) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम से
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम से।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

16. फ्यूज के तार का गलनांक
(a) कम होता है
(b) अधिक होता है
(c) न कम न अधिक होता है
(d) कुछ भी हो सकता है।
उत्तर-
(a) कम होता है।

17. घरेलू परिपथ में, फ्यूज को निम्न में से किस तार के साथ लगाया जाता है
(a) भू-सम्पर्क तार
(b) उदासीन तार
(c) विद्युन्मय तार
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) विद्युन्मय तार।।

18. विद्युत उपकरणों को भूसंपर्कित किया जाता है ताकि
(a) तीव्र विद्युत आघात न लगे
(b) विद्युत व्यर्थ न हो।
(c) लघुपथन से बचा जा सके
(d) अतिभारण से बच सकें।
उत्तर-
(a) तीव्र विद्युत आघात न लगे।

19. विद्युन्मय तार और उदासीन तार का आपस में बिना किसी प्रतिरोध से सम्पर्क में आने से –
(a) लघुपथन हो जाता है।
(b) कोई क्षति नहीं होती है
(c) अतिभारण हो जाता है
(d) आग लग जाती है।
उत्तर-
(a) लघुपथन हो जाता है।

20. सी वलय (slip ring) का उपयोग निम्न में से किसमें होता है –
(a) ac जनित्र
(b) dc जनित्र
(c) ac मोटर
(d) dc मोटर।
उत्तर-
(a) ac जनित्र।

रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए

1. विद्युत मोटर के घूमने वाले भाग को ………………………. कहते हैं।
उत्तर-
आर्मेचर।

2. एक विद्युत जनित्र वास्तव में ऊर्जा का …………… करने की युक्ति है।
उत्तर-
रूपान्तरित

3. धारावाही तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। यह नियम ………………………. ने प्रतिपादित किया।
उत्तर-
ऑर्टेड।

4. विद्युत चुम्बकीय प्रेरण उत्पन्न करने के लिए किसी चुम्बक तथा कुंडली में परस्पर सापेक्ष गति से ………………………. उत्पन्न करनी पड़ती है।
उत्तर-
धारा।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

5. विद्युत फ्यूज विद्युतधारा के ………………………. पर कार्य करता
उत्तर-
ऊष्मीय प्रभाव।

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न (Matrix Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिये

कॉलम-(x)कॉलम-(y)
(i) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा(A) फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम
(ii) चुम्बकीय बल की दिशा(B) मध्य में चुम्बकीय क्षेत्र शून्य
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता(C) विद्युत जनरेटर
(iv) परिनालिका(D) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम
(v) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण(E) काला या हरा
(vi) उदासीन तार(F) विद्युत धारा का अधिकतम होना
(vii) लघुपथन(G) फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम
(viii) प्रेरित धारा की दिशा(H) टेस्ला या ऑस्टेंड

उत्तर-

कॉलम-(x)कॉलम-(y)
(i) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा(D) दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम
(ii) चुम्बकीय बल की दिशा(A) फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता(H) टेस्ला या ऑस्टेंड
(iv) परिनालिका(B) मध्य में चुम्बकीय क्षेत्र शून्य
(v) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण(C) विद्युत जनरेटर
(vi) उदासीन तार(E) काला या हरा
(vii) लघुपथन(F) विद्युत धारा का अधिकतम होना
(viii) प्रेरित धारा की दिशा(G) फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Exercise 7.1

प्रश्न 1.
चतुर्भुज ACBD में, AC = AD है और AB कोण A को समद्विभाजित करता है (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि ΔABC ≅ ΔABD है।
BC और BD के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
हल :
यहाँ पर ΔABC और ΔABD में,
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 1
AC = AD [दिया है]
∠CAB = ∠BAD [∵ AB कोण Aको समद्विभाजित करता है।]
AB = AB [उभवनिष्ठ]
अतः ΔABC ≅ ΔABD [भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता]
⇒ BC = BD [∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग] [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1

प्रश्न 2.
ABCD एक चतुर्भुज है, जिसमें AD = BC और ∠DAB = ∠CBA है (देखिए आकृति)। सिद्ध कीजिए कि
(i) ΔABD ≅ ΔBAC
(ii) BD = AC
(iii) ∠ABD = ∠BAC
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 2
हल :
(i) यहाँ पर ΔABD और ΔBAC में,
AD = BC [दिया है]
∠DAB = ∠CBA [दिया है]
AB = AB [उभयनिष्ठ]
अतः ΔABD ≅ ΔBAC [भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता]

(ii) क्योंकि ΔABD ≅ ΔBAC ∴ BD = AC [∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग]

(iii) क्योंकि ΔABD ≅ ΔBAC ∴ ∠ABD = ∠BAC [∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग]
[इति सिद्धम]

प्रश्न 3.
एक रेखाखंड AB पर AD और RC दो बराबर लंब रेखाखंड हैं (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि CD, रेखाखंड AB को समद्विभाजित करता है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 3
हल :
यहाँ पर AB और CD, O पर प्रतिच्छेद करते हैं।
∴ ∠AOD = ∠BOC [शीर्षाभिमुख कोण]
ΔAOD और ΔBOC में,
∠AOD = ∠BOC [प्रमाणित]
∠DAO = ∠OBC
AD = BC [दिया है]
∴ ΔAOD ≅ ΔBOC [कोण-कोण-भुजा सर्वांगसमता]
⇒ OA = OB
[∵ सर्वागसम त्रिभुजों के संगत भाग]
अतः CD, रेखाखंड AB को समद्विभाजित करता है। [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1

प्रश्न 4.
l और m दो समांतर रेखाएं हैं जिन्हें समांतर रेखाओं p और q का एक अन्य युग्म प्रतिच्छेदित करता है (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि ΔABC ≅ ΔCDA है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 4
हल :
क्योंकि l तथा m समांतर रेखाएँ दूसरी समांतर रेखाओं p और q व द्वारा प्रतिच्छेदित की जाती हैं। अतः AD || BC तथा AB || CD
⇒ ABCD समांतर चुतर्भुज है।
⇒ AB = CD और BC = AD [∵ समांतर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।]
अब ΔARC और ΔCDA में,
AB = CD [प्रमाणित]
BC = AD [प्रमाणित]
AC = AC [उभयनिष्ठ]
ΔABC ≅ ΔCDA [भुजा-भुजा-भुजा सर्वांगसमता] [इति सिद्धम]

प्रश्न 5.
रेखा l कोण A को समद्विभाजित करती है और B रेखा l पर स्थित कोई बिंदु है। BP और BQ कोण A की भुजाओं पर B से डाले गए लंब हैं (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि –
(i) ΔAPB ≅ ΔAQB
(ii) BP = BQ है अर्थात बिंदु B कोण की भुजाओं से समदूरस्थ है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 5
हल :
(i) यहाँ पर ΔAPB तथा ΔAQB में,
∠APB = ∠AQB [प्रत्येक = 90°]
∠PAB = ∠QAB [क्योंकि AB, ∠PAQ का समद्विभाजक है।]
AB = AB [उभयनिष्ठ]
⇒ ΔAPB ≅ ΔAQB
[कोण-कोण भुजा सर्वांगसमता]

(ii) ∵ ΔAPB ≅ ΔAQB
∴ BP = BQ [सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग]
अर्थात बिंदु B, कोण A की भुजाओं से समदूरस्थ है। [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1

प्रश्न 6.
आकृति में, AC = AE, AB = AD और ∠BAD = ∠EAC है। दर्शाइए कि BC = DE है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 6
हल :
ΔBAD और ΔEAC में,
∠BAD = ∠EAC [दिया है।]
दोनों ओर ∠DAC जोड़ने पर,
∠BAD + ∠DAC = ∠EAC + ∠DAC
या ∠BAC = ∠EAD
अब ΔBAC और ΔEAD में,
AB = AD [दिया है]
∠BAC = ∠EAD [प्रमाणित]
AC = AE [दिया है]
अतः
ΔBAC ≅ ΔEAD [भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता]
⇒ BC = DE [सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग] [इति सिद्धम]

प्रश्न 7.
AB एक रेखाखंड है और Pइसका मध्य-बिंदु है। D और E रेखाखंड AB के एक ही ओर स्थित दो बिंदु इस प्रकार हैं कि ∠BAD = ∠ABE और ∠EPA = ∠DPB है। (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि
(i) ΔDAP ≅ ΔEBP
(ii) AD = BE
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 7
हल :
(i) ∠EPA = ∠DPB [दिया है|
दोनों ओर ∠DPE जोड़ने पर,
∠EPA + ∠DPE = ∠DPB + ∠DPE
⇒ ∠DPA = ∠EPB
अब, ΔEBP तथा ΔDAP में,
∠EPB = ∠DPA [प्रमाणित]
BP = AP [दिया है।]
और ∠EBP = ∠DAP [दिया है]
अतः ΔEBP ≅ ΔDAP [कोण-भुजा-कोण सर्वांगसमता]

(ii) क्योंकि ΔEBP ≅ ΔDAP
AD = BE
[∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1

प्रश्न 8.
एक समकोण त्रिभुज ABC में, जिसमें कोण समकोण है, M कर्ण AB का मध्य-बिंद्ध है। C को M से मिलाकर बिंदु D तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि DM = CM है। बिंदु D को बिंदु B से मिला दिया जाता है (देखिए आकृति)। दर्शाइए कि –
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 त्रिभुज Ex 7.1 - 8
(i) ΔAMC ≅ ΔBMD
(ii) ∠DRC एक समकोण है।
(iii) ΔDBC ≅ ΔACB
(iv) CM = \(\frac {1}{2}\)AB
हल :
(i) ΔAMC तथा ΔBMD में,
AM = BM [∵ M, AB का मध्य-बिंदु है]
∠AMC = ∠BMD [शीर्षाभिमुख कोण]
और CM = MD [दिया गया है]
अतः ΔAMC ≅ ΔBMD [भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता]
[इति सिद्धम]

(ii) क्योंकि
ΔAMC ≅ ΔBMD
∠BDM = ∠ACM [∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग]
परंतु ये एकांतर कोण है, अतः BD || CA
या ∠CBD + ∠BCA = 180° [∵ तिर्यक रेखा के एक ही ओर के आंतरिक कोण]
या ∠CBD + 90° = 180° [∵ ∠BCA = 90°]
या ∠DBC = 90° [इति सिद्धम]

(iii) अब ΔDBC तथा ΔACB में,
BD = CA [सर्वांगसम ΔBMD व ΔAMC के भाग]
∠DBC = ∠ACB [प्रत्येक = 90°]
BC = BC [उभयनिष्ठ]
ΔDBC ≅ ΔACB [भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता] [इति सिद्धम]

(iv) क्योंकि
CD = AB [∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग]
\(\frac {1}{2}\)CD = \(\frac {1}{2}\)AB
या CM = \(\frac {1}{2}\) AB
[इति सिद्धम]

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HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 बाज़ार एक सामाजिक संस्था के रूप में

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 बाज़ार एक सामाजिक संस्था के रूप में Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 बाज़ार एक सामाजिक संस्था के रूप में

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एडम स्मिथ किस देश से संबंध रखते थे?
(A) इंग्लैंड
(B) अमेरिका
(C) फ्रांस
(D) जर्मनी।
उत्तर:
इंग्लैंड।

प्रश्न 2.
एडम स्मिथ ने कौन-सी किताब लिखी थी?
(A) द रिचनेस आफ नेशन्स
(B) द वेल्थ ऑफ नेशन्स
(C) द मार्कीट इकॉनामी
(D) द वीकली मार्कीट।
उत्तर:
द वेल्थ ऑफ नेशन्स।

प्रश्न 3.
उस बल को एडम स्मिथ ने क्या नाम दिया था जो लोगों के लाभ की प्रवृत्ति को समाज के लाभ में बदल देता
(A) खुला व्यापार
(B) लेसे-फेयर
(C) अदृश्य हाथ
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
अदृश्य हाथ।

प्रश्न 4.
इनमें से किसका एडम स्मिथ ने समर्थन किया था?
(A) खुला व्यापार
(B) अदृश्य हाथ
(C) लेसे-फेयर
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
अदृश्य हाथ।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 बाज़ार एक सामाजिक संस्था के रूप में

प्रश्न 5.
समाजशास्त्री मानते हैं कि ………………. सामाजिक संस्थाएँ हैं जो विशेष सांस्कृतिक तरीकों द्वारा निर्मित है।
(A) बाजार
(B) परिवार
(C) विवाह
(D) नातेदारी।
उत्तर:
बाज़ार।

प्रश्न 6.
ज़िला बस्तर किस प्रदेश में स्थित है?
(A) पंजाब
(B) बिहार
(C) मध्य प्रदेश
(D) छत्तीसगढ़।
उत्तर:
छत्तीसगढ़।

प्रश्न 7.
किन क्षेत्रों में साप्ताहिक बाज़ार एक पुरानी संस्था है?
(A) जन-जातीय
(B) नगरीय
(C) ग्रामीण
(D) औद्योगिक।
उत्तर:
जन-जातीय।

प्रश्न 8.
किस मानवविज्ञानी के अनुसार बाज़ार का महत्त्व केवल उसकी आर्थिक क्रियाओं तक सीमित नहीं है?
(A) एडम स्मिथ
(B) एल्फ्रेड गेल
(C) जोंस
(D) मैकाइवर तथा पेज।
उत्तर:
एल्फ्रेड गेल।

प्रश्न 9.
औपनिवेशिक काल में ग्रामीण क्षेत्रों में कौन-सी व्यवस्था प्रचलित थी?
(A) जजमानी प्रथा
(B) रुपये का लेन-देन
(C) पारंपरिक प्रथा
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
जजमानी प्रथा।

प्रश्न 10.
इनमें से कौन-से समूह का मुख्य कार्य व्यापार करना है?
(A) ब्राह्मण
(B) क्षत्रिय
(C) वैश्य
(D) शूद्र।
उत्तर:
वैश्य।

प्रश्न 11.
किस प्रक्रिया के कारण भारत में नए बाज़ार सामने आए?
(A) आधुनिकीकरण
(B) संस्कृतिकरण
(C) पश्चिमीकरण
(D) उपनिवेशवाद।
उत्तर:
उपनिवेशवाद।

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प्रश्न 12.
इनमें से कौन-सा व्यापारिक समुदाय भारत में हर जगह पाया जाने वाला तथा सबसे अधिक जाना माना समुदाय है?
(A) मारवाड़ी
(B) नाकरट्टार
(C) चेट्टीयार
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
मारवाड़ी।

प्रश्न 13.
‘अदृश्य हाथ’ की संज्ञा देन है
(A) स्मिथ की
(B) मार्क्स की
(C) दुर्खीम की
(D) एम० एन० श्रीनिवास की।
उत्तर:
स्मिथ की।

प्रश्न 14.
इनमें से सामाजिक संस्था है-
(A) जाति..
(B) जनजाति
(C) बाज़ार
(D) सभी।
उत्तर:
सभी।

प्रश्न 15.
‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ नामक पुस्तक किसने लिखी
(A) एम० एन० श्रीनिवास
(B) कार्ल मार्क्स
(C) एडम स्मिथ
(D) रॉबर्ट माल्थस।
उत्तर:
एडम स्मिथ।

प्रश्न 16.
उदारवाद किस दशक में शुरू हुआ?
(A) 1960
(B) 1980
(C) 1970
(D) 1990.
उत्तर:
1990

प्रश्न 17.
पूंजीवाद का सिद्धांत किसने दिया?
(A) श्रीनिवास
(B) वेबर
(C) दूबे
(D) मार्क्स।
उत्तर:
वेबर।

प्रश्न 18.
आधुनिक काल में किस सदी से जाति तथा व्यवसाय के बीच संबंध ढीले हुए हैं?
(A) 18वीं
(B) 19वीं
(C) 20वीं
(D) इनमें से किसी में नहीं।
उत्तर:
20वीं।

प्रश्न 19.
इनमें से किस राजनीतिक अर्थशास्त्री ने बाज़ार अर्थव्यवस्था को समझने का प्रयास किया?
(A) एडम स्मिथ
(B) मार्क्स
(C) वेबर
(D) इनमें से कोई में नहीं।
उत्तर:
एडम स्मिथ।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
एडम स्मिथ कौन थे?
अथवा
‘द वेल्थ ऑफ नेशन्स’ किताब किसकी है?
उत्तर:
एडम स्मिथ इंग्लैंड के सबसे चर्चित राजनीतिक अर्थशास्त्री थे जिन्होंने पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ लिखी थी।

प्रश्न 2.
एडम स्मिथ ने अपनी पुस्तक में किस बात की व्याख्या की थी?
उत्तर:
एडम स्मिथ ने अपनी पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ में इस बात की व्याख्या की कि कैसे खुली बाजार अर्थव्यवस्था में तार्किक स्वयं-लाभ आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 3.
बाज़ार का क्या अर्थ है?
अथवा
बाज़ार की परिभाषा दें।
अथवा
बाज़ार का अर्थ बताएं।
अथवा
बाज़ार या मंडी किसे कहते हैं?
अथवा
‘द वेल्थ ऑफ नेशन्स’ किलाब किसकी है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में क्रय-विक्रय के स्थान को बाजार कहा जाता है अर्थात् जहां चीजें बेची तथा खरीदी जाती हैं परंतु समाजशास्त्र में बाज़ार सामाजिक संस्थाएं हैं जो विशेष सांस्कृतिक तरीकों द्वारा निर्मित हैं।

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प्रश्न 4.
एडम स्मिथ के अनुसार बाज़ारी अर्थव्यवस्था का क्या अभिप्राय है.?
उत्तर:
एडम स्मिथ के अनुसार बाजारी अर्थव्यवस्था व्यक्तियों में आदान-प्रदान या सौदों का एक लंबा क्रम है, जो अपनी क्रमबद्धता के कारण स्वयं ही एक कार्यशील और स्थिर व्यवस्था की स्थापना करती है। यह तब भी होता है जब करोड़ों के लेन-देन में शामिल लोगों में से कोई भी इसकी स्थापना का इरादा नहीं रखता।

प्रश्न 5.
खुले व्यापार का अर्थ बताएं।
अथवा
खुले व्यापार का समर्थन किसने किया?
उत्तर:
एडम स्मिथ के अनुसार खुले व्यापार का अर्थ एक ऐसे बाज़ार से है जो किसी भी प्रकार की राष्ट्रीय या अन्य रोकथाम से मुक्त हो, अर्थात् जिस पर कोई सरकारी नियंत्रण या हस्तक्षेप न हो। अगर हो तो भी वह इतना कम हो कि व्यापार में कोई बाधा उत्पन्न न हो।

प्रश्न 6.
लेसे-फेयर की नीति किसे कहा गया?
उत्तर:
फ्रांसीसी भाषा के शब्द लेसे-फेयर का अर्थ है बाजार को अकेला छोड़ दिया जाए या हस्तक्षेप न किया जाए। इसका अर्थ है कि बाज़ार सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो तथा इसमें सरकार का कोई दखल न हो।

प्रश्न 7.
साप्ताहिक बाज़ार का क्या अर्थ है?
अथवा
साप्ताहिक बाज़ार क्या है?
अथवा
साप्ताहिक बाज़ार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मुख्यतया साप्ताहिक बाजार आदिवासी क्षेत्रों में लगते हैं जहां पर आदिवासी वनों से इकट्ठी की हुई चीजें तथा अपनी उत्पादित वस्तुएं बेचने तथा उस कमाए हुए पैसे से अपनी आवश्यकता की वस्तुएं खरीदने आते हैं। यह बाज़ार चीज़ों के विनिमय के साथ-साथ उनके मेल-मिलाप की प्रमुख संस्था भी बन जाती है।

प्रश्न 8.
अल्पकालीन बाज़ार का अर्थ बताएं।
उत्तर:
अल्पकालीन बाज़ार, बाजार की वह स्थिति है जिसमें अगर किसी चीज़ की मांग बढ़ जाती है तो चीज़ के उत्पादक को एक सीमा तक पूर्ति बढ़ाने का समय मिल जाता है। यह सीमा उस उत्पादक के गोदाम अथवा माल इकट्ठा करके रखने तक की क्षमता होती है। इस बाज़ार के मूल्य को बाज़ार मूल्य कहते हैं।

प्रश्न 9.
दीर्घकालीन बाज़ार का अर्थ बताएं।
उत्तर:
दीर्घकालीन बाज़ार, बाज़ार की वह स्थिति है जिसमें वस्तु की मांग के अनुसार उसकी पूर्ति को कम या अधिक किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में वस्तु की मांग तथा पूर्ति में सामन्जस्य स्थापित हो सकता है। इस बाज़ार के मूल्य को सामान्य मूल्य कहते हैं।

प्रश्न 10.
जजमानी व्यवस्था का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह गांवों में मिलने वाली व्यवस्था थी जिसमें भिन्न जातियां उच्च जातियों को अपनी सेवाएं देती थीं। इस सेवा की एवज में उन्हें फसल के पश्चात् अनाज अथवा और वस्तुएं प्राप्त हो जाती थीं।

प्रश्न 11.
विनिमय का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अगर हम आम व्यक्ति के शब्दों में देखें तो विनिमय दो पक्षों के बीच होने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं के लेन-देन को कहते हैं। अर्थशास्त्र में विनिमय दो पक्षों के बीच होने वाले वैधानिक, ऐच्छिक तथा आपसी धन का लेन देन होता है।

प्रश्न 12.
पण्यीकरण कब होता है?
अथवा
वस्तुकरण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
पण्यीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पण्यीकरण तब होता है जब कोई वस्तु बाज़ार में बेची खरीदी न जा सकती हो और अक वह बेची-खरीदी जा सकती है अर्थात् अब वह बाज़ार में बिकने वाली चीज़ बन गई है। जैसे श्रम और कौशल अब ऐसी चीजें हैं जो खरीदी व बेची जा सकती हैं।

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प्रश्न 13.
उदारीकरण क्या होता है?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

प्रश्न 14.
भूमंडलीकरण क्या होता है?
अथवा
भूमंडलीकरण की परिभाषा लिखें।
अथवा
भूमंडलीकरण का अर्थ बताइए।
उत्तर:
भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है अर्थात् एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूंजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है।

प्रश्न 15.
उदारीकरण के क्या कारण होते हैं?
उत्तर:

  1. देश में रोजगार के साधन विकसित करने के लिए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके।
  2. उद्योगों में ज्यादा-से-ज्यादा प्रतिस्पर्धा पैदा करना ताकि उपभोक्ता को ज्यादा-से-ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न 16.
निजीकरण क्या होता है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देशों जहां पर मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था होती है। इस अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रम होते हैं जोकि सरकार के नियंत्रण में होते हैं। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी
हाथों में सौंपना ताकि यह और ज्यादा लाभ कमा सकें। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने को निजीकरण कहते हैं।

प्रश्न 17.
भारत पर भूमंडलीकरण का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:

  1. भारत की विश्व निर्यात के हिस्से में वृद्धि हुई।
  2. भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि हुई।
  3. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा।

प्रश्न 18.
हुंडी का क्या अर्थ है?
उत्तर:
हुंडी एक विनिमय बिल कर्ज पत्र की तरह थी जिसे व्यापारी लंबी दूरी के व्यापार में इस्तेमाल करते थे। देश के एक कोने से एक व्यापारी द्वारा जारी हुई हुंडी दूसरे कोने में व्यापारी द्वारा स्वीकार की जाती थी।

प्रश्न 19.
संस्था का क्या अर्थ है?
उत्तर:
समाज ऐसी कार्य प्रणालियों को विकसित करता है जो व्यक्तियों तथा समितियों को समाज द्वारा स्वीकृत तरीके बताती है। इन कार्य प्रणालियों, नियमों तथा तरीकों को संस्थाएँ कहते हैं।

प्रश्न 20.
विनिमय का अर्थ बताएं।
उत्तर:
किसी वस्तु के लेन-देन को विनिमय कहा जाता है अर्थात् वस्तु के स्थान पर किसी अन्य वस्तु के लेन देन को विनिमय कहते हैं।

प्रश्न 21.
‘द डिवीज़न ऑफ लेबर इन सोसायटी’ (The Division of Labour in Society) पुस्तक किसने लिखी थी?
उत्तर:
‘द डिवीज़न ऑफ लेबर इन सोसायटी’ पुस्तक के लेखक इमाइल दुर्खाइम थे।

प्रश्न 22.
पारंपरिक व्यापारिक समुदाय कौन-से होते हैं?
उत्तर:
जो समुदाय प्राचीन समय से लेकर आज तक व्यापार ही करते आये हों उन्हें पारंपरिक व्यापारिक समुदाय कहते हैं। उदाहरण के लिए वैश्य, मारवाड़ी इत्यादि।

प्रश्न 23.
मारवाड़ी व्यापार में क्यों सफल हुए?
उत्तर:
मारवाड़ी व्यापार में सफल अपने गहन सामाजिक तंत्रों की वजह से हुए हैं।

प्रश्न 24.
कब भारत पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से जुड़ गया था?
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में भारत पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से और अधिक जुड़ गया।

प्रश्न 25.
बाज़ार सार्वभौमिक रूप से हर कहीं पाए जाते हैं (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 26.
मुद्रा की अनुपस्थिति में विनिमय करने की प्रणाली वस्तु विनिमय कहलाती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 27.
सरल समाजों में बाज़ार एक आर्थिक सत्ता होती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 28.
जिस काम के लिए कोई पैसा न दिया जाये उसे …………………… कहते हैं।
उत्तर:
जिस काम के लिए कोई पैसा न दिया जाये उसे बेगार कहते हैं।

प्रश्न 29.
‘अदृश्य हाथ’ की अवधारणा किसने दी?
उत्तर:
‘अदृश्य हाथ’ की अवधारणा एडम स्मिथ ने दी थी।

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प्रश्न 30.
उपनिवेशवादी शासन के दौरान प्रचलित दो आधुनिक व्यापारिक नगर कौन-से थे?
उत्तर:
बंबई, मद्रास, कलकत्ता इत्यादि।

प्रश्न 31.
सिल्क रूट प्रसिद्ध व्यापारिक मार्ग हैं। (हा/नहीं)
उत्तर:
हां।

प्रश्न 32.
उपनिवेशवादी शासन में भारतीय मज़दूरों को कहाँ-कहाँ भेजा गया था?
उत्तर:
उपनिवेशवादी शासन में भारतीय मजदूरों को ब्रिटेन के उपनिवेशों जैसे कि दक्षिण अफ्रीका, फिजी इत्यादि देशों में भेजा गया था।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारीकरण के क्या मुख्य उद्देश्य हैं?
उत्तर:
उदारीकरण के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य हैं-

  • उदारीकरण का मुख्य उद्देश्य उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़ाना था।
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करना ताकि रोज़गार के अवसर बढ़े।
  • अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में खड़ा करना।
  • निजी क्षेत्र को ज्यादा-से-ज्यादा स्वतंत्रता प्रदान करना।
  • देश की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना।

प्रश्न 2.
उदारीकरण नीति की विशेषताएं बताएं।
उत्तर:

  • उदारीकरण के तहत कुछ विशेष चीजों को छोड़कर लाइसैंस राज की नीति को खत्म कर दिया गया ताकि सारे उद्योग आराम से विकसित हो सकें।
  • उदारीकरण के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करना शुरू कर दिया गया है ताकि घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को लाभ में बदला जा सके।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के लिए अब बहुत कम उद्योग रह गए हैं ताकि सभी उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • देश में विदेशी निवेश की सीमा भी बढ़ा दी गई है। कई क्षेत्रों में तो यह 51% तथा कई क्षेत्रों में पूर्ण निवेश तथा कई क्षेत्रों में यह 74% तक रखी गई है।

प्रश्न 3.
भूमंडलीकरण की विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने भूमंडलीकरण की चार विशेषताओं का वर्णन किया है-

  • भूमंडलीकरण में लोगों के लिए नए-नए उपकरण आ गए हैं क्योंकि अब विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां हर देश में आ रही हैं।
  • अब कंपनियों के लिए नए-नए बाज़ार खुल गए हैं क्योंकि भूमंडलीकरण में कंपनियां किसी भी देश में मुक्त व्यापार कर सकती हैं।
  • भूमंडलीकरण में कार्यों के संपादन के लिए नए-नए कर्ता आगे आ गए हैं जैसे रैडक्रास, विश्व व्यापार संगठन (W.T.O.)।
  • भूमंडलीकरण के कारण नए-नए नियम सामने आए हैं जैसे पहले नौकरी पक्की होती थी पर अब यह पक्की न होकर ठेके पर होती है।

प्रश्न 4.
भारत में उदारीकरण को कितने चरणों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:
भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया को चार चरणों में बांटा जा सकता है-

  • 1975 से 1980 का काल
  • 1980 से 1985 का काल
  • 1985 से 1991 का काल
  • 1991 से आगे का काल।

प्रश्न 5.
भूमंडलीकरण के कोई चार सिद्धांत बताओ।
उत्तर:

  • विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोलना।
  • सीमा शुल्क कम-से-कम करना।
  • सरकारी क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों का विनिवेश करना।
  • निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना।

प्रश्न 6.
जनजातीय साप्ताहिक बाज़ार में क्या परिवर्तन आए हैं?
अथवा
जनजातीय क्षेत्रों में साप्ताहिक बाज़ारों के स्वरूप में क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर:
समय के साथ जनजातीय साप्ताहिक बाज़ार में भी परिवर्तन आए हैं। अंग्रेजों के समय इनके दूर-दराज के इलाकों को क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ दिया गया। इनके क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण किया गया तथा इनके क्षेत्रों को बाहर के लोगों के लिए खोल दिया गया ताकि इनके समृद्ध जंगलों तथा खनिजों तक पहुंचा जा सके।

इस कारण इनके क्षेत्रों में व्यापारी, साहूकार तथा अन्य गैर-जनजातीय लोग आने लग गए। इनके बाजारों में नई प्रकार की वस्तुएं आ गईं। जंगल के उत्पादों को बाहरी लोगों को बेचा जाने लगा। आदिवासियों को खदानों तथा बगानों में मज़दूर रखा जाने लगा। साप्ताहिक बाज़ार में बाहर की वस्तुएं आने से यह लोग पैसा कर्ज़ पर लेकर उन्हें खरीदने लगे जिससे वह दरिद्र हो गए।

प्रश्न 7.
उपभोग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
किसी भी वस्तु के उत्पादन के साथ-साथ उपभोग का होना भी अति आवश्यक होता है क्योंकि बिना उत्पादन के खपत नहीं हो सकती। उपभोग का अर्थ है किसी भी वस्तु का उपभोग करना एवं उपभोग का अर्थ है, वह गुण जो किसी वस्तु को मानव की आवश्यकता पूरा करने के योग्य बनाता है। यह प्रत्येक समाज का मुख्य कार्य होता है कि वह उपभोग को समाज के लिए नियमित व नियंत्रित करे।

प्रश्न 8.
विनिमय का अर्थ बताएं।
उत्तर:
किसी भी वस्तु के लेन-देन को वर्तमान में ‘Exchange’ कहते हैं। इसका अर्थ है किसी वस्तु के स्थान पर किसी दूसरी वस्तु को लेना या देना। विनिमय वर्तमान में ही नहीं, बल्कि पुरातन समाज से ही चला आ रहा है। यह कई प्रकार का होता है, वस्तु के बदले वस्तु, सेवा के बदले सेवा, वस्तु के बदले धन, सेवा के बदले धन, यह दो प्रकार का होता है, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष। विनिमय सर्वप्रथम वस्तुओं का वस्तुओं के साथ, सेवा के बदले वस्तुओं के साथ और सेवा के बदले सेवा के लेने-देने के साथ होता है। अप्रत्यक्ष विनिमय में तोहफे का विनिमय सर्वोत्तम होता है।

प्रश्न 9.
विभाजन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आम व्यक्ति के लिए विभाजन का अर्थ वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान के ऊपर ले जाने से और बेचने से है। परंतु अर्थशास्त्र में विभाजन वह प्रक्रिया है, जिसके साथ किसी आर्थिक वस्तु का कुल मूल्य उन व्यक्तियों में बांटा जाता है, जिन्होंने उस वस्तु के उत्पादन में भाग लिया। भिन्न-भिन्न लोगों एवं समूहों का विशेष योगदान होता है जिस कारण उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। इस तरह उन्हें दिया गया धन या पैसा मुआवजा विभाजन होता है। जैसे ज़मीन के मालिक को किराया, मज़दूर को मज़दूरी, पैसे लगाने वाले को ब्याज, सरकार को टैक्स आदि के रूप में इस विभाजन का हिस्सा प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
पूंजीवाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:
पूंजीवाद एक आर्थिक व्यवस्था है, जिसमें निजी संपत्ति की बहुत महत्ता होती है। पूंजीवाद में उत्पादन बड़े स्तर पर होता है और अलग-अलग पूंजीवादियों में बहुत अधिक मुकाबला देखने को मिलता है। पूंजीपति अधिक से-अधिक लाभ प्राप्त करने की कोशिश करता है और इसी कारण से वह निवेश भी करता है। इसमें धन एवं उधार की काफी महत्ता होती है। पूंजीवाद का सबसे बड़ा लक्षण इसके मजदूरों का शोषण होता है।

प्रश्न 11.
पूंजीवाद की विशेषताएं बताएं।
उत्तर:

  • पूंजीवाद में बड़े स्तर पर उत्पादन होता है।
  • पूंजीवाद का आधार निजी संपत्ति होता है।
  • पंजीवाद में भिन्न-भिन्न वर्गों में बहत अधिक उपयोगिता होती है।
  • पूंजीवाद में पूंजीपति लाभ कमाने हेतु निवेश करता है।
  • पूंजीवाद में मज़दूर का शोषण होता है और उसकी स्थिति दयनीय होती है।
  • पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में धन एवं उधार की काफ़ी महत्ता होती है।

प्रश्न 12.
अतिरिक्त मूल्य का क्या अर्थ है?
अथवा
अतिरिक्त मूल्य क्या हैं?
उत्तर:
अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत कार्ल मार्क्स ने दिया था। यह उसने अपनी पुस्तक ‘दास कैपीटल’ में दिया था। मार्क्स के अनुसार किसी व्यक्ति का वह मूल्य है जो उसे अपनी श्रम शक्ति के एवज में प्राप्त होता है। दूसरे शब्दों में पूँजीवादी युग में मज़दूर अपने श्रम को पूँजीपतियों को अपना जीवन चलाने के लिए बेचता है। जिसका मूल्य उसे कुछेक सिक्कों के रूप में मिलता है।

यही मूल्य उसकी मज़दूरी है। इस प्रकार मार्क्स के अनुसार पूंजीपति की यह नीति थी कि मजदूरों को कम से कम मजदूरी देकर अधिक से अधिक कार्य करवाया जो। इस प्रकार जो अधिक लाभ होता है उसे पूँजीपति हड़प कर जाता है तथा जो मार्क्स के अनुसार मजदूरों का ही अधिकार है तथा उन्हें ही मिलना चाहिए। इस मानवीय श्रम के लिए मूल्य को मज़दूरों को उनकी मज़दूरी के रूप में नहीं दिया जाता। यही अतिरिक्त मूल्य है जो मज़दूरों द्वारा उत्पन्न की जाती है तथा पूंजीपतियों द्वारा हड़प कर ली जाती है।

प्रश्न 13.
उत्पादन विधि का क्या अर्थ है?
उत्तर:
उत्पादन विधि वह है जो कुल्हाड़ी, लोहे की कुदाल, हल, ट्रैक्टर, मशीनों इत्यादि की सहायता से की जाती है। मनुष्य उत्पादन के साधनों का प्रयोग करके अपने उत्पादन कौशल के आधार पर ही भौतिक वस्तुओं का उत्पादन करता है तथा यह सभी तत्व इक्ट्ठे मिल कर उत्पादन की शक्तियों का निर्माण करते हैं। उत्पादन की विधियों पर पूंजीपतियों का अधिकार होता है तथा वह इन की सहायता से अतिरिक्त मूल्य का निर्माण करके मज़दूर वर्ग का शोषण करता है। इन उत्पादन की विधियों की सहायता से वह अधिक अमीर होता जाता है जिनका प्रयोग वह मजदूर वर्ग को दबाने के लिए करता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भूमंडलीकरण क्या होता है? इसके सिद्धांतों का वर्णन करो।
अथवा
भूमंडलीकरण की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में 1991 में नयी आर्थिक नीतियां अपनाई गईं। भूमंडलीकरण, उदारीकरण तथा निजीकरण इन नीतियों के तीन प्रमुख पहलू हैं। भारत में 1980 के दशक के दौरान भूमंडलीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। नयी आर्थिक नीतियों या आर्थिक सुधारों के माध्यम से इसे गति प्रदान करने की कोशिश की गई। वैश्वीकरण आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाली एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के चलते भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं में कई प्रकार के परिवर्तन सामने आए।

भूमंडलीकरण का अर्थ (Meaning of Globalization)-भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है। अन्य शब्दों में एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के संपर्क में आती हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है। इस तरह विश्व अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया को वैश्वीकरण कहा जाता है। भूमंडलीकरण के द्वारा सारी दुनिया एक विश्व ग्राम बन गई है।

भूमंडलीकरण के सिद्धांत
(Principles of Globalization)
भूमंडलीकरण के अंतर्गत कई महत्त्वपूर्ण बातों पर बल दिया जाता है। निश्चित कार्यक्रमों को अपनाने तथा आर्थिक नीतियों को अपनाने पर भी जोर दिया जाता है। भूमंडलीकरण के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं
(i) विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोल दिया जाता है क्योंकि इस व्यवस्था में आपको और देशों में भी मुक्त व्यापार की आज्ञा होती है तथा आप भी किसी और देश में निवेश कर सकते हैं। देश में विदेशी निवेश आता है तो एक तरफ देश आर्थिक तौर पर समृद्ध होता है तथा दूसरी तरफ देश में रोजगार के नए साधन उत्पन्न होते हैं।

(ii) इसका दूसरा सिद्धांत यह है कि इसमें सीमा शुल्क को काफ़ी हद तक कम कर दिया जाता है ताकि अगर कोई बाहर से आकर आपके देश में अपनी चीज़ बेचना चाहता है तो वह उत्पाद बहुत महंगी न हो जाए। इसलिए सीमा शुल्क को कम कर दिया जाता है।

(iii) सार्वजनिक क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों का विनिवेश भी कर दिया जाता है। भूमंडलीकरण के साथ-साथ निजीकरण भी चलता है। निजीकरण होता है सरकार की कंपनियों का ताकि वह भी निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें तथा मुनाफा कमा सकें। इसलिए सरकारी कंपनियों का विनिवेश कर दिया जाता है।

(iv) निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा दिया जाता है ताकि निजी क्षेत्र बड़े-बड़े उद्योग लगाएं। इसके कई लाभ हैं। एक तो सरकार को कर के रूप में आमदनी होगी तथा दूसरी तरफ रोज़गार के साधन बढ़ेंगे तथा बेरोज़गारी की समस्या भी हल होगी।

(v) इसमें सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक पैसा खर्च करती है। इसका कारण यह है कि अगर आप विदेशियों को अपने देश में निवेश के लिए आकर्षित करना चाहते हों तो उन्हें निवेश के लिए बढ़िया बुनियादी ढांचा भी देना पड़ेगा ताकि उनको कोई परेशानी न हो तथा ज्यादा-से-ज्यादा विदेशी निवेश देश में आ सके।

(vi) इसमें मुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया जाता है। मुक्त व्यापार का अर्थ है बिना सीमा शुल्क दिए किसी भी देश में जाकर व्यापार करना। ऐसा करने से बगैर कीमतों के इज़ाफे के सारी दुनिया की चीजें हमारे सामने होती हैं तथा हम किसी भी चीज़ को खरीद सकते हैं।

(vii) विश्व बैंक, विश्व व्यापार निधि तथा विश्व व्यापार संगठन के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता है क्योंकि एक तो यह व्यापार तथा और सुविधाओं के लिए अलग-अलग देशों को कर देते हैं तथा विश्व व्यापार संगठन पूरे विश्व के व्यापार का संचालन करता है। इसलिए इनके दिशा-निर्देशों का पालन करना ही पड़ता है।

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प्रश्न 2.
भूमंडलीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1991 में देश में आर्थिक सुधार शुरू होने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में तेजी आ गई। भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न चरणों में भूमंडलीकरण किया जा रहा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार भूमंडलीकरण में 50 राष्ट्रों में सिंगापुर प्रथम तथा भारत 49वें स्थान पर है। इससे पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण की गति अभी धीमी है। भूमंडलीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर क्या प्रभाव पड़ा उसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
(i) भारत की विश्व निर्यात हिस्से में वृद्धि (Increase of Indian Share in World Export)-भूमंडलीकरण की प्रक्रिया के चलते भारत का विश्व में निर्यात का हिस्सा बढ़ा है। इस तथ्य की पुष्टि निम्नलिखित आंकड़ों से होती है-

भारत का विश्व निर्यात में हिस्सा – (Indian Share in World Export):
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इस तालिका में दर्शाए-प्रिए आंकड़ों से पता चलता है कि 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक के दौरान भारत की वस्तुओं तथा सेवाओं में 125% की वृद्धि हुई है। 1990 में भारत का विश्व की वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्यात में हिस्सा 0.55% था जोकि 1999 में बढ़कर 0.75% हो गया था।

(ii) भारत में विदेशी निवेश (Foreign Investment in India)-विदेशी निवेश वृद्धि भी भूमंडलीकरण का एक लाभ है क्योंकि विदेशी निवेश से अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ती है। भारत में निरंतर विदेशी निवेश बढ़ रहा है। 1995-96 से 2000-01 के दौरान इसमें 53% की वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान वार्षिक औसत लगभग $ 390 करोड़ विदेशी निवेश हुआ।

(iii) विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves)-आयात के लिए विदेशी मुद्रा आवश्यक है। जून, 1991 में विदेशी मद्रा भंडार सिर्फ One Billion $ था जिससे सिर्फ दो सप्ताह की आयात आवश्यकताएं ही परी की जा सकती थीं। जलाई, 1991 में भारत में नयी आर्थिक नीतियां अपनायी गईं। भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण को बढ़ावा दिया गया जिस के कारण देश के विदेशी मुद्रा भंडार में काफ़ी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई। फलस्वरूप वर्तमान समय में देश में 390 Billion के करीब विदेशी मुद्रा है। इससे पहले कभी भी देश में इतना विदेशी मुद्रा का भंडार नहीं था।

(iv) सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर (Growth of Gross Domestic Product)-भूमंडलीकरण से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है। देश में 1980 के दशक में वृद्धि दर 5.63% तथा 1990 के दशक के दौरान वृद्धि दर 5.80% रहा। इस तरह सकल घरेलू उत्पादन में थोड़ी सी वृद्धि हुई। आज कल यह 7% के करीब है।

(v) बेरोज़गारी में वृद्धि (Increase in Unemployment) भूमंडलीकरण से बेरोज़गारी बढ़ती है। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक में मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया तथा मलेशिया में भूमंडलीकरण के प्रभाव के कारण आर्थिक संकट आया। फलस्वरूप लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा तथा वे ग़रीबी रेखा से नीचे आ गए। 1990 के दशक के शुरू में देश में बेरोज़गारी दर 6% थी जो दशक के अंत में 7% हो गई। इस तरह भूमंडलीकरण से रोज़गार विहीन विकास हो रहा है।

(vi) कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture)-देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों का हिस्सा लगभग 29% है जबकि यह अमेरिका में 2%, फ्रांस तथा जापान में 5.5% है। अगर श्रम शक्ति की नज़र से देखें तो भारत की 69% श्रम शक्ति को कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों में रोजगार प्राप्त है जबकि अमेरिका तथा इंग्लैंड में ऐसे कार्यों में 2.6% श्रम शक्ति कार्यरत है। विश्व व्यापार के नियमों के अनुसार विश्व को इस संगठन के सभी सदस्य देशों को कृषि क्षेत्र निवेश के लिए विश्व के अन्य राष्ट्रों के लिए खोलना है। इस तरह आने वाला समय भारत की कृषि तथा अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरा रहने की उम्मीद है।

(vii) शिक्षा व तकनीकी सुधार-भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण का शिक्षा पर भी काफ़ी प्रभाव पड़ा है तथा तकनीकी शिक्षा में तो चमत्कार हो गया है। आज संचार तथा परिवहन के साधनों के कारण दूरियां काफ़ी कम हो गई हैं। आज अगर किसी देश में शिक्षा तथा तकनीक में सुधार आते हैं तो वह पलक झपकते ही सारी दुनिया में पहुंच जाते हैं। इंटरनेट तथा कंप्यूटर ने तो इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है।

(viii) वर्गों के स्वरूप में परिवर्तन (Change in the form of Classes)-भूमंडलीकरण ने वर्गों के स्वरूप में भी परिवर्तन ला दिया है। 20वीं सदी में सिर्फ तीन प्रमख वर्ग-उच्च वर्ग. मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग थे पर आजकल वर्गों की संख्या काफ़ी ज्यादा हो गई है। प्रत्येक वर्ग में ही बहुत से उपवर्ग बन गए हैं जैसे मजदूर वर्ग, डॉक्टर वर्ग, शिक्षक वर्ग इत्यादि के उनकी आय के अनुसार वर्ग बन गए हैं।

(ix) निजीकरण (Privatization)-भूमंडलीकरण का एक अच्छा प्रभाव यह है कि निजीकरण देखने को मिल रहा है। विकसित तथा विकासशील देशों में बहुत से सार्वजनिक उपक्रम निजी हाथों में चल रहे हैं तथा यह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसी से प्रेरित होकर और ज्यादा सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण हो रहा है।

(x) उद्योग-धंधों का विकास (Development of Industries)-आर्थिक विकास की ऊँची दर प्राप्त करने के लिए विदेशी पूंजी निवेश से काफ़ी सहायता मिलती है। इससे न सिर्फ उद्योगों को लाभ मिलता है बल्कि उपभोक्ता को अच्छी तकनीक, अच्छे उत्पाद मिलते हैं तथा साथ ही साथ भारतीय उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने की प्रेरणा मिलती है।

प्रश्न 3.
उदारीकरण क्या होता है? उदारीकरण से क्या समस्याएं पैदा होती हैं?
अथवा
उदारीकरण की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
अथवा
उदारवादिता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1991 में डॉ. मनमोहन सिंह के वित्त मंत्री बनने के बाद नयी आर्थिक नीति लागू की गई। उदारीकरण, निजीकरण तथा भूमंडलीकरण इस नीति की प्रमुख विशेषताएं थीं। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का तेज़ गति से उदारीकरण किया जाने लगा तथा यह उदारीकरण की प्रक्रिया अब भी जारी है। यह एक आर्थिक प्रक्रिया तथा समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

उदारीकरण का अर्थ (Meaning of Liberalization)-नियंत्रित अर्थव्यवस्था के गैर-ज़रूरी प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से गैर-ज़रूरी प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक. प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं।

उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विश्व के अलग अलग देशों के बीच व्यापारिक तथा आर्थिक संबंधों को ज्यादा विस्तार की नज़र से भूमंडल के सदस्य देशों को ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि विश्व में मुक्त व्यापार फैल सके तथा बेहतर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके। इस नीति से अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता बढ़ती है तथा निजी उद्योगों में सार्वजनिक उद्योगों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर परिणाम देने की क्षमता होती है।

उदारीकरण की समस्याएं (Problems of Liberalization)-उदारीकरण से भारत जैसे देश में बहुत-सी समस्याएं पैदा हई हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) बेरोज़गारी में वृदधि (Increase in Unemployment)-भारत में 1990 में बेरोज़गारी की दर 6% थी जो 1999 में बढ़कर 7% हो गई। यह सिर्फ उदारीकरण का ही परिणाम है। देश में 36% लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे रहते हैं क्योंकि उनके पास मूल सुविधाओं की कमी है। घरेलू उद्योगों तथा रोजगार में सीधा संबंध होता है क्योंकि घरेलू रोज़गार बहुत से लोगों को रोजगार देता है।

अगर उद्योगों की संख्या बढ़ेगी जो ज्यादा लोगों को रोजगार प्राप्त होगा पर अगर उद्योग कम होंगे तो बेरोज़गारी बढ़ेगी तथा ग़रीबी भी साथ ही साथ बढ़ेगी। हमारे देश में उदारीकरण की प्रक्रिया 14 वर्ष से चल रही है। बड़े-बड़े उद्योग तो लग रहे हैं, परंतु कुटीर तथा घरेलू उद्योग खत्म हो रहे हैं जिससे कि बेरोज़गारी में वृद्धि हुई है। इस तरह उदारीकरण की प्रक्रिया से बेरोज़गारी में वृद्धि हुई है।

(ii) उदारीकरण के गलत परिणाम (Evil Consequences of Liberalization)- उदारीकरण की प्रक्रिया के साथ-साथ कर्मचारियों को निकालने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। जब उदारीकरण की नीति अपनायी गयी थी तो यह कहा गया था कि इस प्रक्रिया से देश की सारी समस्याएं हल हो जाएंगी। लेकिन 14 वर्षों के उदारीकरण की प्रक्रिया के बाद भी हमारी अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। आज भी देश की 36% जनता गरीबी की रेखा से नीचे रहती है। इन वर्षों में चाहे भारत को तकनीकी रूप से लाभ ही हुआ है पर बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जैसे कि कटीर उदयोगों का खत्म होना, जिनमें उदारीकरण की प्रक्रिया के गलत परिणाम

(iii) विदेशी कर्ज का बढ़ता बोझ (Increasing pressure of foreign debt)-आर्थिक सुधारों का पहला दौर 1991 से 2001 तक चला। 2001 में दूसरा दौर शुरू हुआ। इस दौर में यह सोचा गया कि देश के आर्थिक विकास की दर तेज़ होगी पर हुआ इसका उल्टा। देश के आर्थिक विकास तथा आर्थिक सुधार के रास्ते पर कदम धीरे हो गए हैं।

देश के लिए 8% की आर्थिक विकास की दर का लक्ष्य रखा गया है जोकि बहुत दूर की कौड़ी लगता है। वित्त मंत्री तरह-तरह के उपायों की घोषणा कर रहे हैं पर फिर भी यह मुमकिन नहीं लगता। इसके साथ-साथ देश के ऊपर विदेशी कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। आज हमारे देश के ऊपर 110 अरब डालर के लगभग विदेशी कर्ज़ है जिससे हर भारतीय विदेशों का कर्जदार बन गया है। यह भी उदारीकरण की प्रक्रिया की वजह से ही

(iv) निर्यात में कमी तथा आयात का बढ़ना (Decrease in Export and Increase in Import)-उदारीकरण की प्रक्रिया में निर्यात में भी कमी आती है तथा आयात में भी बढ़ोत्तरी होती है। 1991 के मुकाबले 1996 में निर्यात कम हुआ था तथा आयात बढ़ा था। यह इस वजह से होता है कि उदारीकरण से पश्चिम की या विदेशी चीजें हमारे देश में आईं जिस के कारण लोगों में विदेशी चीजें लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ी।

जिस के कारण आयात ज्यादा हो गया पर निर्यात उसी अनुपात में न बढ़ पाया जिस के कारण व्यापार घाटे में बढ़ोत्तरी तथा व्यापार संतुलन में कमी आई। आयात बढ़ने तथा उदारीकरण की प्रक्रिया से देसी उद्योगों पर भी प्रभाव पड़ा। आराम से ठीक दामों पर तथा अच्छी विदेशी चीज़ के मिलने के कारण भी आयात में बढ़ोत्तरी हुई तथा देशी उद्योगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

(v) रुपये का मूल्य का गिरना (Decline in Value of Rupee)-उदारीकरण की वजह से भारतीय रुपए की कीमत में भी काफ़ी गिरावट आई है। 1991 में जिस डालर की कीमत ₹ 18 थी वह 1996 में ₹ 36तथा 2001 में यह ₹ 47 तक पहुंच गया था। आजकल यह ₹ 71 के लगभग है। यह सब उदारीकरण की वजह से है तथा यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होता।

किसी देश की मुद्रा की कीमत कम होने से महंगाई बढ़ती है जोकि हमारे देश के गरीब लोगों के लिए ठीक नहीं है। विकसित देशों को तो इससे लाभ हो सकता है पर विकासशील देशों के लिए यह नुकसानदायक है। इस तरह उदारीकरण के कारण रुपए की विनिमय दर में निरंतर गिरावट आ रही है।

(vi) सरकार की आय में कमी आना (Decline in the Income of Govt.)-उदारीकरण की एक विशेषता है कि इसमें सरकार को उत्पादों पर सीमा शुल्क कम करना पड़ता है ताकि विदेशी चीजें उस देश के मूल्य पर मिल सके। सीमा शुल्क कम करने से सरकार के राजस्व या आमदनी कम होती है जिसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। इसके अलावा विदेशी चीज़ों की गुणवत्ता भारतीय उत्पादों के मामले काफ़ी अच्छी होती है तथा कई मामलों में यह सस्ती भी होती है।

जिस वजह से विदेशी चीजें भारतीय चीज़ों के मुकाबले ज्यादा बिकती हैं। इसके अलावा विदेशी चीजें भारतीय चीजों से तकनीक के मामले में भी अच्छी होती हैं क्योंकि भारतीय तकनीक इतनी अच्छी नहीं है। उदाहरण के तौर पर चीनी उत्पादों ने भारतीय बाजार में हलचल ला दी है। इस तरह जितनी ज्यादा ये चीजें हमारे देश में आएंगी उतनी ही सरकार की आमदनी में कमी होगी। अगर भारतीय चीजें बिकेंगी ही नहीं तो यह सरकार को क्या कर देंगे। इस तरह भी आमदनी में कमी आती है।

(vii) सरकारों का बढ़ता घाटा (Increasing deficit of Governments)-उदारीकरण की वजह से केंद्र तथा राज्य सरकारों के घाटे भी बढ़ रहे हैं। आमदनी कम हो रही है। खर्च या तो बढ़ रहे हैं या फिर कम हो रहे हैं। ज़रूरी चीज़ों के दाम बढ़ रहे हैं, बेरोज़गारी बढ़ रही है, ग़रीबी बढ़ रही है। सरकार के पास अपने काम पूरे करने के लिए पैसा नहीं है। देश के बजट का बड़ा हिस्सा कर्ज चुकाने में ही खर्च हो जाता है। सरकार के बढ़ते घाटे की वजह से विकास कार्य या तो नहीं हो रहे हैं या फिर अगर हो रहे हैं तो कम हो रहे हैं जिस वजह से देश पर काफ़ी प्रभाव पड़ रहा है।

इस तरह उदारीकरण के देश पर काफ़ी गलत प्रभाव भी पड़ रहे हैं। अगर हमें उदारीकरण से लाभ लेना है तो वित्तीय अनुशासन को सुधारना होगा। हमें अपने मूलभूत ढांचे को सुधारना होगा, ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति करनी होगी, नयी तकनीकों का प्रयोग करना होगा तथा और भी बहुत से सुधार करने होंगे तभी हम उदारीकरण के लाभ उठा सकते हैं। इनके साथ-साथ कुछ कानूनों में भी सुधार करना होगा तभी उदारीकरण पूर्ण रूप से सफल हो पाएगा।

प्रश्न 4.
पूंजीवाद के बारे में आप क्या जानते हैं? विस्तार सहित लिखो।
अथवा
पूँजीवाद को एक सामाजिक व्यवस्था के रूप में समझाइये।
अथवा
पूंजीवाद को एक सामाजिक व्यवस्था के रूप में समझाइये।
उत्तर:
पूंजीवाद एक आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी संपत्ति की बहुत महत्ता होती है। पूंजीवाद एक दम से ही किसी स्तर पर नहीं पहुंचा बल्कि उसका धीरे-धीरे विकास हुआ है। इसके विकास को देखने के लिए हमें इसका अध्ययन आदिम समाज में करना होगा।

आदिम समाज में वस्तुओं के लेन-देने की व्यवस्था आदान-प्रदान में बदलने की व्यवस्था थी। उस समय लाभ का  विचार प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आया था। लोग चीजों के लाभ के लिए एकत्र नहीं करते थे बल्कि उन दिनों के लिए एकत्र करते थे जब चीज़ों की कमी होती थी या फिर सामाजिक प्रसिद्धि के लिए एकत्र करते थे। व्यापार आमतौर पर सेवा व चीज़ों के देने पर निर्भर मरता था। आर्थिक कारक जैसे कि मजदूरी, निवेश, व्यापारिक लाभ के बारे में आदिम समाज को पता नहीं था।

मध्यवर्गी समाज में व्यापार व वाणिज्य थोड़े से उन्नत हो गए। चाहे शुरू में व्यापार आदान-प्रदान की व्यवस्था पर आधारित था पर धीरे-धीरे पैसा व्यापार करने का एक माध्यम बन गया। पैसा चाहे संपत्ति नहीं था, पर यह संपत्ति का सूचक था। इसका उत्पादक शक्तियों के लक्षणों पर पूरा प्रभाव था। सिमल के अनुसार पैसे की संस्था के आधुनिक पश्चिमी समाज में व्यवस्थित होने के कारण जिंदगी के हरेक हिस्से पर बहुत गहरे प्रभाव पड़े।

इसने मालिक व नौकर को आजादी दी। वस्तुओं तथा सेवाओं के बेचने तथा खरीदने वाले पर भी असर पड़ा क्योंकि इससे व्यापार के दोनों ओर से रस्मी रिश्ते पैदा हो गए। सिमल के अनुसार पैसे ने हमारी ज़िन्दगी की फिलासफ़ी में बहुत परिवर्तन ला दिए। इसने हमें Practical बना दिया क्योंकि अब हम प्रत्येक चीज़ को पैसे में तोलने लग पड़े। सामाजिक सम्पर्क, सम्बन्ध गैर-रस्मी तथा अव्यक्तक हो गए। मानवीय संबंध भी ठंडे हो गए।

आधुनिक समय के आरंभिक दौर में आर्थिक गतिविधियां आमतौर पर सरकारी ताकतों द्वारा संचालित होती थीं। इससे हमें यूरोपीय लोगों के राज्य की सरकार अधीन इकट्ठे होकर आगे बढ़ने का प्रतिबिम्ब दिखाई देता है। इस समय में आर्थिक गतिविधियां राजनैतिक सत्ता द्वारा संचालित हैं ताकि राज्य का लभ तथा खज़ाना बढ़ सके। देश व्यापारियों की देख-रेख में चलता था तथा व्यापारी एक आर्थिक संगठन की भान्ति लाभ कमाने में लगे हुए हैं। उत्पादक शक्तियां भी व्यापारिक कानून द्वारा संचालित होती हैं।

इसके पश्चात् औद्योगिक क्रांति आई जिसने उत्पादन के तरीकों को बदल दिया। व्यापारिक नीतियां लोगों का भला करने में असफल रहीं। चीजों के उत्पादन करने के लिए Laissez faire की नीति अपनाई गई। इस नीति के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तिगत हित देख सकता था। उस पर कोई बंधन नहीं था। राज्य ने आर्थिक कार्य में दखल देना बंद कर दिया। समनर के अनुसार राज्य में व्यापार व वाणिज्य पर लगे सारे प्रतिबंध हटा लेने चाहिएं व आदान-प्रदान व पैसे को इकट्ठा करने पर लगी सभी पाबंदियां हटा लेनी चाहिएं। एडम स्मिथ ने इस समय चार सिद्धांतों का वर्णन किया।

  • व्यक्तिगत हित की नीति।
  • दखल न देने की नीति।
  • प्रतियोगिता का सिद्धान्त।
  • लाभ को देखना।

इन सिद्धांतों का उस समय पर काफ़ी प्रभाव पड़ा। इन नियमों के प्रभाव अधीन व औद्योगिक क्रांति के कारण संपत्ति व उत्पादन की मलकीयत की नई व्यवस्था सामने आई। जिसको पूंजीवाद का नाम दिया गया। औद्योगिक क्रांति के कारण घरेलू उत्पादन कारखानों के उत्पादन में बदल गया। कारखानों में काम छोटे-छोटे भागों में बंटा होता था तथा प्रत्येक मज़दूर थोड़ा सा छोटा सा काम करता था। इससे उत्पादन बढ़ गया। समय के साथ-साथ बड़े कारखाने लग गए। इन बड़े कारखानों के मालिक निगम अस्तित्व में आ गए। पूंजीवाद के साथ-साथ श्रम-विभाजन, विशेषीकरण व लेन-देन भी पहचान में आया।

इस उत्पादन व लेन-देन की व्यवस्था में उत्पादन के साधन के मालिक व्यक्तिगत लोग थे और उन पर कोई सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं थी। संपत्ति बिल्कुल निजी थी तथा वह राज्य, धर्म, परिवार व अन्य संस्थाओं की पाबंदियों से स्वतंत्र थे। फैक्टरियों के मालिक कुछ भी करने को स्वतंत्र थे। उनका उद्देश्य केवल लाभ था।

उन पर बिना लाभ की चीजों का उत्पादन करने का कोई बंधन नहीं था। उत्पादन का तरीका लाभ वाला था और सरकार ने दखल न देने की नीति अपनाई तथा इस दिशा में मालिक का साथ दिया।

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प्रश्न 5.
बाज़ार का क्या अर्थ है? बाज़ार के प्रमुख लक्षणों का वर्णन करें।
उत्तर:
दैनिक बोलचाल की भाषा में बाज़ार शब्द को विशेष वस्तु के बाज़ार के रूप में प्रयोग किया जाता है जैसे कि फलों का बाजार, सब्जी का बाजार अर्थात् हम इसे अर्थव्यवस्था से संबंधित करते हैं। परंतु यह एक सामाजिक संस्था भी है। समाजशास्त्रियों के अनुसार बाज़ार वह सामाजिक संस्थाएं है जो विशेष सांस्कृतिक तरीकों द्वारा निर्मित है।

बाजारों का नियंत्रण तो विशेष सामाजिक वर्गों द्वारा होता है तथा इसका अन्य सामाजिक संस्थाओं, सामाजिक प्रक्रियाओं तथा संरचनाओं से भी विशेष संबंध होता है। आर्थिक दृष्टिकोण से बाजार में केवल ऑर्थिक क्रियाओं तथा संस्थाओं को भी शामिल किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि बाज़ार में केवल लेन-देन तथा सौदे ही होते हैं जोकि पैसे पर आधारित होते हैं।

ऐली के अनुसार, “बाज़ार का अर्थ हम उन सभी क्षेत्रों से लेते हैं जिसके अंदर किसी वस्तु-विशेष की मूल्य निर्धारण करने वाली शक्तियां कार्यशील होती हैं।” इसी प्रकार मैक्स वैबर के अनुसार, “बाजार स्थिति का अर्थ विनिमय के किसी भी विषय के लिए उसे द्रव्य में परिवर्तित करने के उन सभी अवसरों से है जिनके बारे में बाज़ार स्थिति में सहभागी सभी जानते हैं कि वह उन्हें प्राप्त है तथा वह दामों तथा प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से उनकी मनोवृत्तियों के लिए संदर्भपूर्ण हैं।”

बाज़ार के लक्षण
(Features of Market)
बाज़ार के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
1. आपसी लेन-देन-बाजार का सबसे प्रमुख लक्षण आपसी लेन-देन का है। बाजार वैसे भी आपसी लेन-देन पर ही आधारित होता है। इसमें या तो चीजों के बदले में चीजें, चीज़ों के बदले में पैसे अथवा चीज़ों के बदले में सेवाएं प्रदान की जाती हैं। अगर आपसी लेन-देन ही नहीं होगा तो हम बाज़ार के बारे में सोच भी नहीं सकते।

2. निरंतर प्रक्रिया-बाज़ार एक निरंतर चलने वाली संस्था है। हम चाहे प्राचीन समाज अथवा आधुनिक समाज, ग्रामीण समाज देखें अथवा जन-जातीय समाज, बाज़ार प्रत्येक प्रकार के समाज में मौजूद है। अगर किसी व्यक्ति को परिवार चलाना है तो वह बाज़ार में आएगा ही तथा खरीददारी भी करेगा। इससे बाज़ार का नियमन भी बना रहता

3. अव्यक्तिगत संबंध-बाजार का एक और महत्त्वपूर्ण लक्षण है कि इसमें अव्यक्तिगत संबंध होते हैं। चाहे लोग बाज़ार के दुकानदारों को जानते होते हैं परंतु उनके संबंध एक सीमा तक ही सीमित होते हैं। अगर संबंध घनिष्ठ भी हैं तो भी यह बाज़ार के नियमों को अधिक प्रभावित नहीं करते हैं। दुकानदार अपना लाभ तो लेगा ही चाहे वह कम ही क्यों न हों। बाजार में संबंध दो अजनबी व्यक्तियों के बीच भी बन सकते हैं।

4. माध्यम के रूप में द्रव्य-बाज़ार के नियमों के अनुसार विनिमय में द्रव्य का प्रयोग किया जाता है। यह द्रव्य किसी भी रूप, चीज़ों, धन अथवा सेवाओं के रूप में हो सकता है। द्रव्य के हिसाब से चीज़ों की मात्रा कम अथवा अधिक भी हो सकती है। द्रव्य की मात्रा के हिसाब से ही सौदे होते हैं तथा चीज़ों का लेन-देन होता है।

5. संबंध समझौते पर आधारित-बाज़ार में संबंध समझौते पर आधारित होते हैं। यह संबंध अव्यक्तिगत होते हैं। समझौते की शर्ते सभी पर मान्य होती हैं तथा सभी को इन्हें मानना ही पड़ता है अन्यथा क्षतिपूर्ति की मांग भी की जा सकती है। आज के औद्योगिक समाजों के समझौते पर आधारित संबंधों की मांग बढ़ती जा रही है।

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
अदृश्य हाथ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एडम स्मिथ आरंभिक राजनीतिक अर्थशास्त्री थे जिन्होंने अपनी पुस्तक ‘द वेल्थ ऑफ नेशन्स’ में बाज़ार र्थव्यवस्था को समझाने का प्रयास किया जोकि उस समय अपनी आरंभिक अवस्था में थी। स्मिथ का कहना था कि जारी अर्थव्यवस्था व्यक्तियों के आदान-प्रदान अथवा लेन-देन का एक लंबा क्रम है जो अपनी क्रमबदधता के कारण स्वयं ही एक कार्यशील और स्थिर व्यवस्था स्थापित करती है। यह उस समय होता है जब करोड़ों के लेन देन में शामिल व्यक्तियों में से कोई भी व्यक्ति इसको स्थापित करने का इरादा नहीं रखता।

हरेक व्यक्ति अपने लाभ को बढ़ाने के बारे में सोचता है तथा इसके लिए वह जो भी कुछ करता है वह अपने आप ही समाज के हितों में होता है। इस तरह ऐसा लगता है कि कोई एक अदृश्य बल यहां कार्य करता है जो इन व्यक्तियों के लाभ की प्रवृत्ति को समाज के लाभ में परिवर्तित कर देता है। इस बल को ही एडम स्मिथ ने ‘अदृश्य हाथ’ का नाम दिया था।

प्रश्न 2.
बाज़ार एक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण, आर्थिक दृष्टिकोण से किस तरह अलग है?
उत्तर:
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से बाज़ार सामाजिक संस्थाएं हैं जो विशेष सांस्कृतिक तरीकों द्वारा निर्मित हैं। जैसे कि बाजारों का नियंत्रण अथवा संगठन विशेष सामाजिक समूहों के द्वारा होता है तथा यह अन्य संस्थाओं, सामाजिक प्रक्रियाओं तथा संरचनाओं से विशेष रूप से संबंधित होता है। परंतु आर्थिक दृष्टिकोण से बाज़ार में केवल आर्थिक क्रियाओं तथा संस्थाओं को भी शामिल किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि बाज़ार में केवल लेन-देन तथा सौदे ही होते हैं जोकि पैसे पर आधारित होते हैं।

प्रश्न 3.
किस तरह से एक बाज़ार जैसे कि एक साप्ताहिक ग्रामीण बाज़ार, एक सामाजिक संस्था है?
अथवा
बाज़ार एक सामाजिक संस्था के रूप में स्पष्ट करें।
अथवा
‘बाज़ार एक सामाजिक संस्था है’ स्पष्ट करें।
उत्तर:
ग्रामीण तथा नगरीय भारत में साप्ताहिक बाज़ार अथवा हाट.एक आम नज़ारा होता है। पहाड़ी तथा जंगलाती इलाकों में (विशेषतया जहां आदिवासी रहते हैं) जहां लोग दूर-दूर रहते हैं, सड़कों तथा संचार की स्थिति काफी जर्जर होती है तथा अपेक्षाकृत अर्थव्यवस्था अविकसित होती है, वहां पर साप्ताहिक बाज़ार चीज़ों के लेन देन के साथ-साथ सामाजिक मेलजोल की प्रमुख संस्था बन जाता है। स्थानीय लोग अपने कृषि उत्पाद अथवा जंगलों से इकट्ठी की गई वस्तुएं व्यापारियों को बेचते हैं जिन्हें व्यापारी दोबारा कस्बों में ले जाकर बेचते हैं।

स्थानीय इस कमाए हुए पैसे से ज़रूरी चीजें जैसे कि नमक, कृषि के औजार तथा उपभोग की चीजें जैसे कि चू कि चूड़ियां और गहने खरीदते हैं। परंत अधिकतर लोगों के लिए इस बाज़ार में जाने का प्रमख कारण सामाजिक है। जहां वह अपने रिश्तेदारों से मिल सकता है, घर के जवान लड़के-लड़कियों का विवाह तय कर सकता है, गप्पें मार सकता है तथा कई अन्य कार्य कर सकता है। इस प्रकार साप्ताहिक ग्रामीण बाज़ार एक सामाजिक संस्था बन जाता है।

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प्रश्न 4.
व्यापार की सफलता में जाति एवं नातेदारी संपर्क कैसे योगदान कर सकते हैं?
उत्तर:
अगर हम प्राचीन भारतीय परिदृश्य को देखें तो हमें पता चलता है कि व्यापार की सफलता में जाति एवं नातेदारी काफ़ी महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। व्यापार के कुछ विशेष क्षेत्र विशेष समुदायों द्वारा नियंत्रित होते हैं। व्यापार और खरीद-फरोख्त साधारणतया जाति तथा नातेदारी तंत्रों में ही होती है।

इसका कारण यह है कि व्यापारी अपने स्वयं के समुदायों के लोगों पर विश्वास औरों की अपेक्षा अधिक करते हैं। इसलिए वे बाहर के लोगों की अपेक्षा इन्हीं संपर्कों में व्यापार करते हैं। इससे व्यापार के कुछ क्षेत्रों पर एक जाति का एकाधिकार हो जाता है तथा वह अधिक से अधिक लाभ कमाते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों में भी मालिक के साथ बोर्ड ऑफ डायरैक्टर्ज़ में मालिक के नातेदार ही होते हैं जो उसकी व्यापार करने में तथा कंपनी चलाने में सहायता करते हैं।

प्रश्न 5.
उपनिवेशवाद के आने के पश्चात् भारतीय अर्थव्यवस्था किन अर्थों में बदली?
अथवा
उपनिवेशवाद के आने से भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या परिवर्तन आये हैं?
अथवा
भारतीय समाज पर उपनिवेशवाद के प्रभाव का वर्णन करें।
अथवा
उपनिवेश आने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या परिवर्तन आये?
उत्तर:
भारत में उपनिवेशवाद के आते ही यहां की अर्थव्यवस्था में काफी परिवर्तन हुए जिससे उत्पादन, व्यापार और कृषि में काफी विघटन हुआ। हम उदाहरण ले सकते हैं हस्तकरघा के कार्य के खत्म हो जाने की। ऐसा इस कारण हुआ कि उस समय इंग्लैंड के बने सस्ते कपड़े की बाज़ार में बाढ़ सी आ गई। चाहे भारत में उपनिवेशवाद के आने से पहले एक जटिल मुद्रीकृत अर्थव्यवस्था मौजूद थी फिर भी इतिहासकार औपनिवेशिक काल को एक संधि काल के रूप में देखते हैं। इस समय दो मुख्य परिवर्तन आए तथा वे हैं :

(i) भारतीय अर्थव्यवस्था का पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से जुड़ना-अंग्रेजी राज में भारतीय अर्थव्यवस्था संसार की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से गहरे रूप से जुड़ गई। अंग्रेजों से पहले भारत से बना बनाया सामान काफी अधिक निर्यात होता था। परंतु उपनिवेशवाद के भारत आने के पश्चात् भारत कच्चे माल तथा कृषि उत्पादों का स्रोत और उत्पादित माल का उपभोग करने का मुख्य केंद्र बन गया। इन दोनों कार्यों से इंग्लैंड के उद्योगों को लाभ होना शुरू हो गया।

उसी समय पर नए समूह (मुख्यतः यूरोपीय लोग) व्यापार तथा व्यवसाय करने लगे। वह या तो पहले से जमे हुए व्यापारियों के साथ अपना व्यापार शुरू करते थे या फिर कभी उन समुदायों को अपना व्यापार छोड़ने के बाध्य करते थे। परंतु पहले से ही मौजूद आर्थिक संस्थाओं को पूर्णतया नष्ट करने के स्थान पर भारत में बाज़ार अर्थव्यवस्था के विस्तार ने कुछ व्यापारिक समुदायों को नए मौके प्रदान किए। इन समुदायों ने बदले हुए आर्थिक हालातों के अनुसार अपने आपको ढाला तथा अपनी स्थिति में सुधार किया।

(ii) नए समुदायों का सामने आना-उपनिवेशवाद के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे समुदाय सामने आए जो मुख्यता व्यापार से ही संबंधित थे। उदाहरण के तौर पर मारवाड़ी जोकि सबसे जाना माना व्यापारिक समुदाय है तथा जो हरेक स्थान पर पाया जाता है। मारवाड़ी न केवल बिड़ला परिवार जैसे प्रसिद्ध औद्योगिक घरानों से हैं बल्कि यह तो छोटे-छोटे व्यापारी और दुकानदार भी हैं जो हरेक नगर में पाए जाते हैं। अंग्रेजों के समय उन्होंने नए शहरों, कलकत्ता में मिलने वाले नए अवसरों का लाभ उठाया और सफल व्यापारिक समुदाय बन गए।

यह देश के सभी भागों में बस गए। मारवाड़ी अपने गहन सामाजिक तंत्र के कारण सफल हुए जिसने उनकी बैंकिंग व्यवस्था के संचालन के लिए ज़रूरी विश्वास से भरपूर संबंधों को स्थापित किया। बहुत-से मारवाड़ी परिवारों के पास इतनी पंजी इकटठी हो गई कि वह ब्याज पर कर्ज देने लगे। इन बैंकों जैसी आर्थिक प्रवत्ति की सहायता से भारत के वाणिज्यिक विस्तार को भी सहायता प्राप्त हुई।

स्वतंत्रता से कुछ समय पहले तथा स्वतंत्रता के पश्चात् कुछ मारवाड़ी परिवारों ने आधुनिक उद्योग स्थापित किए जिस कारण आज के समय में उद्योगों में मारवाड़ियों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। अंग्रेजों के समय में नए व्यापारिक समूहों का सामने आना तथा छोटे प्रवासी व्यापारियों का बड़े उद्योगपतियों में बदल जाना आर्थिक प्रक्रियाओं में सामाजिक संदर्भ के महत्त्व को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 6.
उदाहरणों की सहायता से ‘पण्यीकरण’ के अर्थ की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
पण्यीकरण उस समय होता है जब कोई चीज़ बाजार में बेची-खरीदी न जा सकती हो तथा अब वह बेची खरीदी जा सकती है अर्थात् अब वह वस्तु बाजार में बिकने वाली बन गई है। उदाहरण के लिए कौशल तथा श्रम अब ऐसी चीजें बन गई हैं जिन्हें बाजार में खरीदा तथा बेचा जा सकता हैं। कार्ल मार्क्स तथा पूंजीवाद के अनुसार पण्यीकरण की प्रक्रिया के नकारात्मक सामाजिक प्रभाव भी है। श्रम का पण्यीकरण एक उदाहरण है, परंतु और भी उदाहरण समाज में मिल जाते हैं।

उदाहरण के लिए आजकल निर्धन लोगों द्वारा अपनी किडनी उन अमीर लोगों को बेचना जिन्हें किडनी बदलने की आवश्यकता है। बहुत से लोगों का कहना है कि मनुष्यों के अंगों का पण्यीकरण नहीं होना चाहिए। कुल समय पहले तक मनुष्यों को गुलामों के रूप में खरीदा तथा बेचा जाता था, परंतु आज के समय में मनुष्यों को वस्तु समझना अनैतिक समझा जाता है। परंतु आधुनिक समाज में यह विचार व्याप्त है कि मनुष्य का श्रम बिकाऊ है अर्थात पैसे के साथ कौशल या अन्य सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं। मार्क्स का कहना था कि यह स्थिति केवल पूंजीवादी समाजों में पाई जाती है जहां पर पण्यीकरण की प्रक्रिया व्याप्त है।

उदाहरणों की सहायता से ‘पण्यीकरण’ के अर्थ की विवेचना कीजिए। – उत्तर:पण्यीकरण उस समय होता है जब कोई चीज़ बाजार में बेची-खरीदी न जा सकती हो तथा अब वह बेची खरीदी जा सकती है अर्थात् अब वह वस्तु बाजार में बिकने वाली बन गई है। उदाहरण के लिए कौशल तथा श्रम अब ऐसी चीजें बन गई हैं जिन्हें बाजार में खरीदा तथा बेचा जा सकता हैं। कार्ल मार्क्स तथा पूंजीवाद के अनुसार पण्यीकरण की प्रक्रिया के नकारात्मक सामाजिक प्रभाव भी है। श्रम का पण्यीकरण एक उदाहरण है, परंतु और भी उदाहरण समाज में मिल जाते हैं।

उदाहरण के लिए आजकल निर्धन लोगों द्वारा अपनी किडनी उन अमीर लोगों को बेचना जिन्हें किडनी बदलने की आवश्यकता है। बहुत से लोगों का कहना है कि मनुष्यों के अंगों का पण्यीकरण नहीं होना चाहिए। कुल समय पहले तक मनुष्यों को गुलामों के रूप में खरीदा तथा बेचा जाता था, परंतु आज के समय में मनुष्यों को वस्तु समझना अनैतिक समझा जाता है। परंतु आधुनिक समाज में यह विचार व्याप्त है कि मनुष्य का श्रम बिकाऊ है अर्थात पैसे के साथ कौशल या अन्य सेवाएं प्राप्त की जा सकती हैं। मार्क्स का कहना था कि यह स्थिति केवल पूंजीवादी समाजों में पाई जाती है जहां पर पण्यीकरण की प्रक्रिया व्याप्त है।

प्रश्न 7.
‘प्रतिष्ठा का प्रतीक’ क्या है?
उत्तर:
अपने रिश्तेदारों, नातेदारों अथवा जाति में ही व्यापार करना प्रतिष्ठा का प्रतीक है क्योंकि इससे अपनी जाति, नातेदारी में प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी होती है।

प्रश्न 8.
‘भूमंडलीकरण’ के तहत कौन-कौन सी प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं?
उत्तर:
भूमंडलीकरण के कई पहलू हैं, उनमें से विशेष हैं-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं, पूंजी, समाचार और लोगों का संचलन एवं साथ ही प्रौद्योगिकी (कंप्यूटर, दूरसंचार और परिवहन के क्षेत्र में) और अन्य आधारभूत सुविधाओं का विकास, जो इस संचलन को गति प्रदान करते हैं।

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प्रश्न 9.
उदारीकरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
उदारीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें कई प्रकार की नीतियां सम्मिलित हैं जैसे कि सरकारी विभागों का निजीकरण, पूंजी, श्रम और व्यापार में सरकारी हस्तक्षेप कम करना, विदेशी वस्तुओं के आसान आयात के लिए आयात शुल्क में कमी करना तथा विदेशी कंपनियों को देश में उद्योग स्थापित करने में सुविधाएं प्रदान करना।

प्रश्न 10.
आपकी राय में, क्या उदारीकरण के दूरगामी लाभ उसकी लागत की तुलना में अधिक हो जाएंगे? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था का भूमंडलीकरण मुख्यतः उदारीकरण की नीति के कारण हुआ जोकि 1980 के दशक में शुरू हुई। उदारीकरण में कई प्रकार की नीतियां सम्मिलित हैं जैसे कि सरकारी विभागों का निजीकरण, पूंजी, श्रम तथा व्यापार में सरकारी हस्तक्षेप कम करना, विदेशी वस्तुओं के आसान आयात के लिए सीमा शुल्क कम करना तथा विदेशी कंपनियों को देश में उद्योग स्थापित करने के लिए सुविधाएं देना।

इसमें आर्थिक नियंत्रण को सरकार द्वारा कम या खत्म करना, उदयोगों का निजीकरण तथा मज़दूरी और मूल्यों पर से सरकारी नियंत्रण खत्म करना भी शामिल है। जो लोग बाजारीकरण के समर्थक हैं उनका कहना है कि इससे समाज आर्थिक रूप से समृद्ध होगा क्योंकि निजी संस्थाएं सरकारी संस्थाओं की अपेक्षा अधिक कुशल होती हैं।

उदारीकरण से कई परिवर्तन आए जिनसे आर्थिक संवृद्धि बढ़ी तथा साथ ही भारतीय बाजार विदेशी कंपनियों के लिए खुल गए। जैसे कि अब भारत में बहुत-सी विदेशी वस्तुएं मिलने लग गई हैं जो पहले नहीं मिलती थीं। यह माना जाता है कि विदेशी पूंजी के निवेश से आर्थिक विकास के साथ रोज़गार के अवसर भी बढ़ते हैं। सरकारी कंपनियों का निजीकरण करने से उनकी कुशलता बढ़ती है तथा सरकार पर दबाव कम होता है।

चाहे हमारे देश में उदारीकरण का प्रभाव मिश्रित ही रहा है परंतु फिर भी बहुत-से लोग यह मानते हैं कि उदारीकरण से हम अपनी अधिक चीजें खोकर कम चीजों को पाएंगे तथा इसका भारतीय परिवेश पर प्रतिकल असर हुआ है। उनका कहना है कि भारतीय योग किलोदेवर या पचना तकनीमा सो महणी सफल उत्पादन को वैश्विक बाज़ार से लाभ होगा परंतु कई क्षेत्रों कि आटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और तेलीय अनाजों के उद्योग पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि हम विदेशी उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।

अब भारतीय किसान अन्य देशों के किसानों के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं क्योंकि अब कृषि उत्पादों का आयात होता है। पहले भारतीय किसान कृषि सहायता मूल्य (M.S.P.) तथा सबसिडी द्वारा विश्व बाजार से सुरक्षित थे। इस समर्थन मूल्य से किसानों की न्यूनतम आय सुनिश्चित होती है क्योंकि इस मूल्य पर सरकार किसानों से उनके उत्पाद खरीदने को तैयार होती है। सबसिडी देने से किसानों द्वारा प्रयोग की जाने वाली चीज़ों जैसे कि डीज़ल, उर्वरक इत्यादि का मूल्य सरकार कम कर देती है।

परंतु उदारवाद इस सरकारी सहायता के विरुद्ध है जिस कारण सबसिडी का समर्थन मूल्य या तो कम कर दिया गया या हटा लिया गया। इससे बहुत-से किसान अपनी रोजी-रोटी कमाने में भी असफल रहे हैं। इसके साथ ही छोटे उत्पादकों को विश्व स्तर के उत्पादकों के उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। इससे हो सकता है कि उनका बिल्कुल ही सफाया हो जाए। निजीकरण से सरकारी नौकरियां भी कम हो गई हैं तथा उनमें स्थिरता कम हो रही है। गैर-सरकारी असंगठित रोज़गार सामने आ रहे हैं। उदारीकरण कामगारों के लिए भी ठीक नहीं है क्योंकि उन्हें कम तनख्वाह तथा अस्थायी नौकरियां ही मिलेंगी।

प्रश्न 11.
बस्तर में एक आदिवासी गांव का बाज़ार।
धोराई एक आदिवासी बाज़ार वाले गांव का नाम है जोकि छत्तीसगढ़ के उत्तरी बस्तर जिले के भीतरी इलाके में बसा है… जब बाज़ार नहीं लगता, उन दिनों धोराई एक उँघता हुआ, पेड़ों के छपरों से छना हुआ, घरों का झुरमुट है जो पैर पसारे उन सड़कों से जा मिलता है जो बिना किसी नाप-माप के जंगल भर में फैली हुई है… धोराई का सामाजिक जीवन, यहां की दो प्राचीन चाय की दुकानों तक सीमित है, जिसके ग्राहक राज्य वन सेवा के निम्न श्रेणी के कर्मचारी हैं जो दुर्भाग्यवश इस दूरवर्ती और निरर्थक इलाके में कर्मवश फंसे पड़े हैं…

धोराई का गैर-बाज़ारी दिनों में या शक्रवार को छोडकर अस्तित्व शन्य के बराबर होता है. पर बाजार वाले दिन वो किसी और जगह में तबदील हो जाता है। टकों से रास्ता जाम हआ होता है…वन के सरकारी कर्मचारी अपनी इस्तरी की हई पोशाकों में इधर से उधर चहलकदमी कर रहे होते हैं और वन सेवा के महत्त्वपूर्ण अधिकारी अपनी डयटी बजाकर वन विभाग के विश्राम गृहों के आँगनों से बाज़ार पर बराबर नज़र बनाए रखते हैं। वे आदिवासी श्रमिकों को उनके काम का भत्ता बांटते हैं…

जब अफ़सरात आराम घर में सभा लगाते हैं तो आदिवासियों की कतार चारों ओर से खिंचती चली जाती है, वो जंगल के समान अपने खेतों की उपज या फिर अपने हाथ से बनाया हुआ कुछ लेकर आते हैं। इनमें तरकारी बेचने वाले हिंदू एवं विशेषज्ञ शिल्पकार, कुम्हार, जुलाहे एवं लोहार सम्मिलित होते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि समृद्धि के साथ अस्त-व्यस्तता है, बाज़ार के साथ-साथ कोई धार्मिक उत्सव भी चल रहा है…लगता है जैसे सारा संसार, इंसान, भगवान् सब एक ही जगह बाज़ार में एकत्रित हो गए हैं। बाज़ार लगभग एक चतुर्भुजीय जमीनी हिस्सा है, लगभग 100 एकड़ के वर्गमूल में बसा हुआ है जिसके बीचों-बीच एक भव्य बरगद का पेड़ है।

बाजार की छोटी-छोटी दुकानों की छत छप्पर की बनी है और यह दुकानें काफी पास-पास हैं, बीच-बीच में गलियारे से बन गए हैं, जिनमें से खरीदार संभलते हुए किसी तरह कम स्थापित दुकानदारों के कमदामी सामानों को पैर से कुचलने से बचाने की कोशिश करते हैं, जिन्होंने स्थाई दुकानों के बीच की जगह का अपनी वस्तुएं प्रदर्शित करने के लिए हर संभव उपयोग किया है।

स्रोत : गेल 1982 : 470-71
दिए गए उद्धरण को पढ़िए एवं नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(1) यह लेखांश आप को आदिवासियों और राज्य (जिसका प्रतिनिधित्व वन विभाग के अधिकारियों द्वारा होता है) के बीच के संबंध के बारे में क्या बताता है? वन विभाग के अर्दली, आदिवासी जिलों में इतने महत्त्वपूर्ण क्यों हैं? अधिकारी आदिवासी श्रमिकों को भत्ता क्यों दे रहे हैं?

(2) बाज़ार की रूपरेखा उसके संगठन और कार्य-व्यवस्था के बारे में क्या प्रकट करती है? किस प्रकार के लोगों की स्थाई दुकानें होंगी और ‘कम स्थापित’ दुकानदार कौन हैं, जो ज़मीन पर बैठते हैं?

(3) बाज़ार के मुख्य विक्रेता और खरीदार कौन हैं? बाज़ार में किस प्रकार की वस्तुएं होती हैं और इन विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को कौन लोग खरीदते व बेचते हैं? इससे आपको इस क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था और आदिवासियों के बड़े समाज और अर्थव्यवस्था से संबंध के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर:
(1) इस लेखांश से हमें राज्य तथा आदिवासियों के बीच के संबंध के बारे में पता चलता है कि आदिवासियों का जीवन राज्य कर्मचारियों के बिना पूर्ण नहीं है बल्कि अधूरा है क्योंकि वन के सरकारी कर्मचारी उनके बाज़ारों पर नज़र रखते हैं तथा उनकी सहायता करते हैं। वन विभाग के अर्दली आदिवासी जिलों में महत्त्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वह वनों की देख-रेख करते हैं तथा इस कारण कर्मचारियों के आदिवासियों से अच्छे संबंध बन गए हैं।

(2) धोराई एक आदिवासी साप्ताहिक बाज़ार वाला ग्राम है। बाज़ार लगभग एक चतुर्भुजीय जमीनी हिस्सा है जो लगभग 100 एकड़ वर्गमूल में बसा हुआ है। इसके बीचोंबीच एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ है। बाज़ार की छोटी छोटी दुकानों की छत छप्पर की बनी हुई है तथा यह दुकानें काफी पास-पास हैं, बीच-बीच में गलियारे बने हुए हैं जिनमें से खरीदार संभलते हुए, किसी प्रकार कम स्थापित दुकानदारों के कमदामी सामानों को पैर से कुचलने से बचाने की कोशिश करते हैं, जिन्होंने स्थायी दुकानों के बीच की जगह का अपनी वस्तुएं प्रदर्शित करने के लिए हर संभव उपयोग किया है।

(3) इस बाज़ार के मुख्य खरीदार तथा विक्रेता आदिवासी ही हैं। इस बाज़ार में वनों में मिलने वाली चीजें तथा शहर से आने वाली आवश्यकता की चीजें उपलब्ध होती हैं। आदिवासियों की स्थानीय अर्थव्यवस्था एक-दूसरे पर आश्रित होती है तथा इनका काफ़ी बड़ा समाज होता है।

प्रश्न 12.
तमिलनाडु के नाकरट्टारों में जाति आधारित व्यापार।
इसका तात्पर्य यह नहीं है कि नाकारट्टारों की बैंकिंग व्यवस्था अर्थशास्त्रियों के पश्चिमी स्वरूप के बैंकिंग व्यवस्था के प्रारूप से मिलती है…नाकरट्टारों में एक-दूसरे से कर्ज लेना या पैसा जमा करना जाति आधारित सामाजिक संबंधों से जुड़ा होता था जोकि व्यापार के भूभाग, आवासीय स्थान, वंशानुक्रम, विवाह और सामान्य संप्रदाय की सदस्यता पर आधारित था।

आधनिक पश्चिमी बैंकिंग व्यवस्था के विपरीत, नाकरटटारों में नेकनामी (प्रतिष्ठा) निर्णय, क्षमता और जमा पूंजी जैसे सिद्धांतों के अनुसार विनिमय होता था, न कि सरकार नियंत्रित केंद्रीय बैंक के नियमों के अंतर्गत और यही प्रतीक संपूर्ण जाति के प्रतिनिधि की तरह प्रत्येक एकल नाकरट्टर व्यक्ति के इस व्यवस्था में विश्वास को सुनिश्चित करते थे। दूसरे शब्दों में, नाकरट्टारों की बैंकिंग व्यवस्था एक जाति आधारित बैंकिंग व्यवस्था थी।

हर एक नाकरट्टार ने अपना जीवन विभिन्न प्रकार की सामूहिक संस्थाओं में शामिल होने और उसका प्रबंध करने के अनुसार संगठित किया था। यह वह संस्थाएं थीं जो उनके समुदाय में पूंजी जमा करने और बांटने में जुटी हुई थीं।
स्रोत : रुडनर 1994 : 234
कास्ट एंड केपिटेलिज्म इन कॉलोनियल इंडिया (रुडनर 1994) से लिए गए लेखांश को पढ़ें और निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें-
(1) लेखक के अनुसार, नाकरट्टाओं की बैंकिंग व्यवस्था और आधुनिक पश्चिमी बैंकिंग व्यवस्था में क्या महत्त्वपूर्ण अंतर हैं?
(2) नाकरट्टाओं की बैंकिंग और व्यापारिक गतिविधियां अन्य सामाजिक संरचनाओं से किन विभिन्न तरीकों से जुड़ी हुई हैं।
(3) क्या आप आधुनिक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं जहां आर्थिक गतिविधियां नाकरट्टाओं की ही तरह सामाजिक संरचना में घुली-मिली हों?
उत्तर:
(1) यह अंतर अग्रलिखित हैं:

  • नाकरट्टाओं में एक दूसरे से कर्ज लेना या पैसा जमा करना जाति आधारित संबंधों से जुड़ा होता है जबकि आधुनिक पश्चिमी बैंकिंग व्यवस्था में ऐसा नहीं होता है।
  • नाकरट्टाओं की बैंकिंग व्यवस्था व्यापार के भूभाग, आवासीय स्थान, वंशानुक्रम, विवाह और सामान्य संप्रदाय की सदस्यता पर आधारित थी परंतु पश्चिमी बैंकिंग व्यवस्था पैसे पर आधारित है।
  • नाकरट्टारों की बैंकिंग व्यवस्था एक जाति आधारित बैंकिंग व्यवस्था थी परंतु पश्चिमी बैंकिंग व्यवस्था सरकार द्वारा नियंत्रित होती है।

(2) नाकरट्टारों में एक-दूसरे से कर्ज लेना या पैसा जमा करना जाति आधारित सामाजिक संबंधों से जुड़ा होता था जोकि व्यापार के भूभाग, आवासीय स्थान, वंशानुक्रम, विवाह और सामान्य संप्रदाय की सदस्यता पर आधारित था। उनकी बैंकिंग व्यवस्था जाति पर आधारित व्यवस्था थी। हरेक नाकरट्टार ने अपने जीवन को अलग प्रकार की सामूहिक संस्थाओं में सम्मिलित होने तथा उसका प्रबंध करने के अनुसार संगठित किया हुआ था।

(3) आधुनिक पूंजीवादी व्यवस्था के अंतर्गत सहकारी संस्थाएं होती हैं जहां पर आर्थिक गतिविधियां नाकरट्टाओं की तरह ही सामाजिक संरचना में घुली-मिली होती हैं।

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प्रश्न 13.
इस गद्यांश में दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।
पण्यीकरण बड़ा शब्द है, जो सुनने में जटिल लगता है। पर जिन प्रक्रियाओं की तरफ़ वो इशारा करता है उनसे हम परिचित हैं और वे हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। एक साधारण उदाहरण है : बोतल का पानी।

शहर या कस्बे में, यहां तक कि अधिकांश गांवों में भी बोतल का पानी खरीदना अब संभव है, 2, 1 लीटर या उससे छोटे पैमाने में वो हर एक जगह बेची जाती है। अनेक कंपनियां हैं और अनेक ब्रांड के नाम हैं जिससे पानी की बोतलें पहचानी जाती हैं। पर यह एक नयी प्रघटना है जो दस-पंद्रह साल से ज्यादा पुरानी नहीं है। मुमकिन है कि आप खुद उस समय को याद कर सकते हैं जब पानी की बोतलें नहीं बिका करती थीं। बड़ों से पूछो। माता-पिता के पीढ़ी के लोगों को अजीब लगा होगा और आप के दादा-दादी के जमाने में तो इसके बारे में बिरले लोगों ने सुना या सोचा होगा। ऐसा सोचना भी कि पेयजल के लिए कोई पैसा मांग सकता है, उनके लिए अविश्वसनीय होगा।

पर, आज यह हमारे लिए आम बात है, एक साधारण-सी बात, एक वस्तु जिसे हम खरोद (या बेच) सकते हैं। इसी को पण्यीकरण (commoditisation/commodification) कहते हैं, एक प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई भी चीज़ जो बाज़ार में नहीं बिकती हो वह बाज़ार में बिकने वाली एक वस्तु बन जाती है और बाजार अर्थव्यवस्था का एक भाग बन जाती है। क्या आप ऐसी चीजों के बारे में सोच सकते हैं जो हाल ही में बाजारों में शामिल हुई हों? याद रहे कि यह ज़रूरी नहीं कि कोई वस्तु ही एक पण्य हो, कोई सेवा भी पण्य हो सकती है।

ऐसी चीजों के बारे में भी सोचें जो आज पण्य भले न हों पर भविष्य में हो सकती हों। आप कारण भी सोचें कि ऐसा क्यों होगा। अंत में, इस बारे में भी सोचें कि पहले जमाने की कुछ चीजें अब बिकनी बंद क्यों हो गई हैं (मतलब जिनका पहले विनिमय में योगदान था पर अब नहीं है) क्यों और कब कोई कमॉडिटी, कमॉडिटी नहीं रह जातो?
उत्तर:
(i) आजकल के समय में बहुत-सी चीजें ऐसी हैं जो हमारे बाजार में शामिल हई हैं जैसे कि बना हुआ पैक्ड खाना, बोतलों में पानी, विदेशी कारें, विदेशी इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान. इंटरनेट तथा उस पर मौजूद कई प्रकार की सेवाएं इत्यादि।

(ii) कई चीजें जो हो सकता है आने वाले समय में बाजार में मौजूद हों वे हैं- भगवान के दर्शन, इच्छा अनुसार रूप बदलना, अपनी इच्छा की संतान प्राप्ति इत्यादि।

(iii) बहुत-सी प्राचीन चीजें हमारे समाज में बिकनी बंद हो गई हैं जैसे कि कई प्रकार के आभूषण। हो सकता है कि उनकी समाज के लिए उपयोगिता ही खत्म हो गई हो जिस कारण यह आज बिकनी बंद हो गई हैं।

प्रश्न 14.
जब बाज़ार भी बिकता हो : पुष्कर पशु मेला
“कार्तिक का महीना आते ही…. ऊंटों के गाड़ीवान अपने रेगिस्तानी जहाजों को सजाते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के वक्त पहुंचने के लिए समय से पुष्कर की लंबी यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं…हर साल लगभग 2,00,000 लोग और 50,000 ऊँट और अन्य पशुओं का यहां जमावड़ा लगता है।

वो उन्माद देखते ही बनता है जब रंग, शोर और चहल-पहल से लोग घिरे होते हैं, संगीतवादक, रहस्यवादी, पर्यटक, व्यापारी, पशु और भक्त सब एक जगह इकट्ठा होते हैं। एक तरह से कहें तो यह ऊंटों को सँवारने का निर्वाण है-जिसमें मकई के बाल की तरह बाल संवारे हुए ऊंटों, पायलों की झनकार, कढ़ाई किए वस्त्रों और टम-टम पर सवार लोगों से आपकी अद्भुत भेंट हो सकती है।”

“ऊंटों के मेले के साथ ही धार्मिक प्रतिष्ठान भी एक जंगली-जादुई चरम पर होता है-अगरबत्तियों का घना धुआं, मंत्रों का शोर और मेले की रात में, हजारों भक्त नदी में डुबकी लगाकर अपने पाप धोते हैं और पवित्र पानी में टिमटिमाते दिए छोड़ते हैं।”

स्रोत : लोनली प्लानेट, भारत के लिए पर्यटन गाइड के ग्यारहवें संस्करण से। पीछे दिए लेखांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:
(1) पुष्कर के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के दायरे में आ जाने से इस जगह पर कौन सी नयी वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी और लोगों के दायरे का विकास हुताा है?
(2) आपके विचार में बड़ी संख्या में भारतीय एवं विदेशी पर्यटकों के आने से मेले का रूप किस तरह बदल गया
(3) इस जगह का धार्मिक उन्माद किस तरह से इसकी बाज़ारी कीमत को बढ़ाता है? क्या हम कह सकते हैं कि भारत में अध्यात्मक का एक बाज़ार है?
उत्तर:
(1) पुष्कर के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन के दायरे में आ जाने से यहां पर विदेशी वस्तुओं, सभी प्रकार की सुविधाओं, विदेशी पूंजी तथा विदेशी लोगों के आने से यहां के लोगों के दायरे का काफी विकास हुआ है।

(2) पहले इस मेले को एक क्षेत्रीय मेले के रूप में देखा जाता था परंतु भारतीय एवं विदेशी पर्यटकों के आने से यह मेला क्षेत्रीय मेले से अंतर्राष्ट्रीय मेले का रूप धारण कर चुका है।

(3) यह कहा जाता है कि पुष्कर के सरोवर में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। इस समय लाखों लोग यहां पर आते हैं। यहां पर धर्म से संबंधित खूब साहित्य बिकता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत में अध्यात्म का एक काफी बड़ा बाजार है।

बाज़ार एक सामाजिक संस्था के रूप में HBSE 12th Class Sociology Notes

→ दैनिक बोलचाल की भाषा में बाजार शब्द को विशेष वस्तु के बाजार के रूप में प्रयोग किया जाता है जैसे कि फलों का बाज़ार, सब्जी का बाजार अर्थात् हम इसे अर्थव्यवस्था से संबंधित करते हैं। परंतु यह एक सामाजिक संस्था भी है जिसका अध्ययन इस अध्याय में किया जाएगा।

→ समाजशास्त्रियों के अनुसार बाज़ार वह सामाजिक संस्थाएं हैं जो विशेष सांस्कृतिक तरीकों द्वारा निर्मित हैं। बाज़ारों का नियंत्रण तो विशेष सामाजिक वर्गों द्वारा होता है तथा इसका अन्य संस्थाओं, सामाजिक प्रक्रियाओं और संरचनाओं से भी विशेष संबंध होता है।

→ विभिन्न सामाजिक समूह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपने बाजार निर्मित कर लेते हैं। जैसे कि जनजातीय क्षेत्रों में साप्ताहिक बाज़ार स्थापित किए गए थे। उपनिवेशिक दौर में तो जनजातीय श्रम का एक बाज़ार विकसित हो गया था।

→ बाजारों का एक सामाजिक संगठन भी होता है तथा समाज में पारंपरिक व्यापारिक समुदाय भी होते हैं। चाहे यह समुदाय वैश्य वर्ण से संबंधित होते हैं परंतु कई और समुदाय भी इनमें जुड़ गए हैं जैसे कि पारसी, सिंधी, बोहरा, जैन इत्यादि।

→ उपनिवेशवाद के कारण प्राचीन बाज़ार नष्ट हो गए तथा नए बाज़ार सामने आ गए। उपनिवेशवाद के कारण भारत कच्चे माल का उत्पादक तथा उत्पादित माल के उपयोग का साधन बन गया। इसका मुख्य उद्देश्य इंग्लैंड को आर्थिक लाभ पहुंचाना था। स्वतंत्रता के बाद तो बाज़ार का स्वरूप ही बदल गया।

→ पूंजीवाद में उत्पादन बाजार के लिए किया जाता है ताकि अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। पूंजीपति धन का निवेश करके लाभ कमाता है। वह श्रमिकों को अधिक पैसा न देकर उनके श्रम से अतिरिक्त मूल्य निकाल लेता है।

→ भूमंडलीकरण का अर्थ है संसार के चारों कोनों में बाजारों का विस्तार और एकीकरण का बढ़ना। इस एकीकरण का अर्थ है कि संसार में किसी एक कोने में किसी बाज़ार में परिवर्तन होता है तो दूसरे कोनों में उसका अनुकूल-प्रतिकूल असर हो सकता है।

→ उदारवादिता में सरकारी दखल कम करना, सीमा शुल्क खत्म करना तथा अपने देश के बाज़ार को और देशों की कंपनियों के लिए खोलना है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है तथा उपभोक्ताओं का लाभ होता है।

→ भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण के कारण स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों का गठजोड़ हो रहा है जिससे स्थानीय क्षेत्र में संसार की हरेक वस्तु उपलब्ध हो रही है।

→ अदृश्य हाथ-वह अदृश्य बल जो व्यक्तियों के लाभ की प्रवृत्ति को समाज के लाभ में बदल देता है।

→ लेसे-फेयर-वह नीति जिसके अनुसार बाज़ार को अकेला छोड़ दिया जाए अथवा हस्तक्षेप न किया जाए।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 4 बाज़ार एक सामाजिक संस्था के रूप में

→ बाज़ार-वह स्थान जहां वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता है या उन्हें खरीदा या बेचा जाता है।

→ जजमानी व्यवस्था-गाँवों में विभिन्न प्रकार की गैर-बाज़ारी विनिमय व्यवस्था अथवा सेवा के बदले चीज़ देने का प्रचलन।

→ खेतिहर-किसान अथवा कषि का कार्य करने वाले लोग।

→ पण्यीकरण-वस्तु को खरीद या बेच सकने की प्रक्रिया।

→ निजीकरण-सरकारी संस्थानों को प्राइवेट कंपनियों को बेच देने की प्रक्रिया।

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HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

Haryana State Board HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class History Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

निबंधात्मक उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तरी अमरीका की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए मूल निवासियों के जीवन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
I. भौगोलिक विशेषताएँ
उत्तरी अमरीका का महाद्वीप उत्तर ध्रुवीय (Arctic Circle) से लेकर कर्क रेखा (Tropic of Cancer) तक एवं प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) से लेकर अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) तक फैला हुआ है। इसके पश्चिमी क्षेत्र में अरिज़ोना (Arizona) एवं नेवाडा (Nevada) के मरुस्थल (desert) हैं। यहाँ ही सिएरा नेवाडा (Sierra Nevada) पर्वत स्थित है।

पूर्व में विशाल मैदान, झीलें एवं मिसीसिपी (Mississippi), ओहियो (Ohio). तथा अप्पालाचियाँ (Appalachian) पर्वतों की घाटियाँ (valleys) स्थित हैं। इसके दक्षिण में मैक्सिको स्थित है। कनाडा के 40 प्रतिशत प्रदेश में वन हैं। उत्तरी अमरीका के अनेक क्षेत्र तेल, गैस एवं विभिन्न प्रकार के खनिजों से भरपूर हैं। यहाँ की प्रमुख फ़सलें गेहूँ, मकई एवं फल हैं। यहाँ का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उद्योग मछली उद्योग है।

II. मूल निवासी
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों एवं उनकी जीवन-शैली की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. मानव का आगमन:
ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि उत्तरी अमरीका के सबसे प्रथम निवासी 30,000 वर्ष पूर्व एशिया से बेरिंग स्ट्रेट्स (Bering Straits) के रास्ते से आए। लगभग 10,000 वर्ष पूर्व वे दक्षिण दिशा की ओर बढ़े। उत्तरी अमरीका में हमें जो सबसे प्राचीन मानवकृति (artefact) मिली है वह 11,000 वर्ष पुरानी है। यह एक तीर की नोक (an arrow point) थी। उत्तरी अमरीका में लगभग 5,000 वर्ष पूर्व जलवायु में स्थिरता आई। इसके परिणामस्वरूप यहाँ की जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि हुई।

2. जीवन-शैली:
(1) रहन-सहन एवं भोजन (Living and Diet): यूरोपवासियों के आगमन से पूर्व उत्तरी अमरीका के मूल निवासी नदी घाटी (river valley) के साथ-साथ गाँवों में समूह (group) बनाकर रहते थे। वे मकई तथा विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन करते थे। वे मछली एवं माँस का अधिक प्रयोग करते थे। वे प्रायः माँस की तलाश में लंबी यात्राएँ करते थे। उन्हें मुख्य रूप से जंगली भैंसों जिन्हें बाइसन (bison) कहते थे की तलाश रहती थी। परंतु वे उतने ही जानवरों को मारते थे जितने की उन्हें भोजन के लिए आवश्यकता होती थी।

(2) अर्थव्यवस्था:
उत्तरी अमरीका की अर्थव्यवस्था मुख्यतः एक जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था (subsistence economy) थी। वहाँ के मूल निवासी केवल उतना ही उत्पादन करते थे जो कि उनके निर्वाह के लिए आवश्यक होता था। इस कारण खेती से किसी प्रकार का अधिशेष (surplus) नहीं बचता था। इसके चलते वे केंद्रीय एवं दक्षिणी अमरीका की तरह किसी साम्राज्य की स्थापना करने में विफल रहे। उन्हें जमीन पर व्यक्तिगत मलकियत (ownership) की कोई चिंता नहीं थी क्योंकि वे उससे प्राप्त होने वाले भोजन एवं आश्रय से संतुष्ट थे। इसलिए भूमि को लेकर कबीलों में बहुत कम झगड़े होते थे।

(3) उपहारों का आदान-प्रदान:
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की यह परंपरा थी कि वे आपस में मिलजुल कर रहते थे एवं उनके संबंध मैत्रीपूर्ण होते थे। वे आपस में बस्तुओं को खरीदते एवं बेचते नहीं थे अपितु उपहारों का आदान-प्रदान करते थे। कबीलों में आपसी समझौता होने पर वे एक विशेष प्रकार की वेमपुम बेल्ट (Wampum belt) का आदान-प्रदान (exchange) करते थे। यह बेल्ट रंगीन सीपियों (coloured shells) को आपस में सिलकर तैयार की जाती थी।

(4) भाषा एवं ज्ञान:
उत्तरी अमरीका के मूल निवासी अनेक भाषाएँ बोलते थे यद्यपि वे लिखी नहीं जाती थीं। उन्हें अनेक बातों का ज्ञान था। वे जानते थे कि समय की गति चक्रिय है (Time moved in cycles)। वे जलवायु एवं प्रकृति को पढ़े-लिखे लोगों की तरह समझते थे। प्रत्येक कबीले के पास अपने इतिहास के बारे में पूरी जानकारी होती थी। यह जानकारी मौखिक रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती थी। वे कुशल कारीगर भी थे। वे उत्तम प्रकार का वस्त्र बुनना जानते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

प्रश्न 2.
यूरोपीय एवं मूल निवासियों की पारस्परिक धारणाओं के बारे में आप क्या जानते हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह जानना इतिहास का एक रोचक विषय है कि यूरोपीय जो अपने-आप को सभ्य कहते थे, की मूल निवासियों के बारे में क्या धारणाएँ थीं। दूसरी ओर उत्तरी अमरीका के मूल निवासी इन पूँजीपतियों के बारे में क्या सोचते थे।

1. ज्याँ जैक रूसो के विचार:
वह फ्राँस का एक प्रसिद्ध क था। उसके विचारानुसार मूल निवासी प्रशंसा के पात्र थे क्योंकि वे सभ्यता के कारण आई बुराइयों से अछूते थे। इसके लिए रूसो ने उनके लिए उदात्त, उत्तम जंगली (the noble savage) पद (term) का प्रयोग किया है। उसे मूल निवासियों से मिलने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ था।

2. विलियम वड्सवर्थ के विचार:
वह इंग्लैंड का एक महान् कवि था। वह भी उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों से नहीं मिला था। वह मूल निवासियों के संबंध में लिखता है कि, “वे जंगलों में रहते हैं, जहाँ कल्पना शक्ति के पास उन्हें भाव संपन्न करने, उन्हें ऊँचा उठाने या परिष्कृत करने के अवसर बहुत कम हैं।” इससे अभिप्राय यह है कि प्रकृति के समीप रहने वालों की कल्पना शक्ति एवं भावना बहुत सीमित होती है।

3. वाशिंगटन इरविंग के विचार:
वह अमरीका के एक प्रसिद्ध लेखक थे। वह उत्तरी अमरीका में रहने वाले मूल निवासियों से स्वयं मिले थे। उनका कथन था कि जिन इंडियनस की असली जिंदगी को देखने का मुझे मौका मिला वे कविताओं में वर्णित अपने रूप से काफी भिन्न हैं। वे गोरे लोगों की नीयत पर भरोसा नहीं करते। जब वे गोरे लोगों के साथ रहते हैं तो बहुत कम बोलते हैं क्योंकि उन्हें नकी भाषा समझ नहीं आती।

जब मूल निवासी आपस में एकत्र होते हैं तो वे गोरों की खूब नकल उतार कर अपना मनोरंजन करते हैं। दूसरी ओर यरोपीय यह समझते हैं कि मल निवासी उनका इसलिए सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने इंडियन्स को अपनी भव्यता एवं गरिमा से प्रभावित किया है। इरविंग ने इस बात पर दुःख प्रकट किया है कि यूरोपीय लोग स्थानीय लोगों से जानवरों जैसा व्यवहार करते हैं।

4. थॉमस जैफ़र्सन के विचार:
वह संयुक्त राज्य अमरीका के तीसरे राष्ट्रपति थे। उन्होंने उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के संबंध में एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उनका कथन था कि हमने इस अभागी नस्ल (मूल निवासियों) को सभ्य बनाने के बहुत प्रयास किए किंतु वे सभ्य नहीं बन पाए। इससे उनके उन्मूलन का औचित्य सिद्ध होता है।

5. यूरोपियनों के बारे में मूल निवासियों की धारणा:
काफी समय तक मूल निवासियों की यूरोपियों के बारे में क्या धारणा थी के बारे में हम कोई जानकारी प्राप्त नहीं कर सके। किंतु हाल ही में मूल निवासियों की लोक कथाओं एवं संस्कृति के अध्ययन से इस संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। इन लोक कथाओं में गोरे लोगों का मज़ाक उड़ाया गया था तथा उन्हें लालची एवं मूर्ख दर्शाया गया था।

6. व्यापार संबंधी धारणा:
यूरोपियों एवं मूल निवासियों में चीज़ों के लेन-देन को लेकर विभिन्न धारणा थी। मूल निवासी चीजों का आदान-प्रदान दोस्ती में दिए गए उपहारों का रूप समझते थें। दूसरी ओर यूरोपीय व्यापारी मछली एवं रोएंदार खाल को व्यापारिक माल समझते थे। इसे बेचकर वे अधिक-से-अधिक धन कमाना चाहते थे।

मूल निवासियों को यह समझ नहीं आता था कि यूरोपीय व्यापारी उनके सामान के बदले कभी तो बहुत सारा सामान दे देते थे तथा कभी बहुत कम। वस्तुत: उन्हें बाज़ार के बारे में तनिक भी ज्ञान नहीं था। यूरोपीय लोग रोएँदार खाल को प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में उदबिलावों (beavers मार रहे थे। इस मूल निवासी काफी परेशान थे। उन्हें यह भय था कि ये जानवर उनसे इस विध्वंस का बदला लेंगे।

7. जंगल एवं खेती से संबंधित धारणा:
यूरोपवासी उत्तरी अमरीका में लोहे के औजारों से जंगलों की सफ़ाई कर रहे थे। इसका उद्देश्य जंगलों को साफ़ कर वहाँ खेती करना था। यहाँ वे मकई व अन्य फ़सलों का उत्पादन करना चाहते थे। दूसरी ओर मूल निवासियों को यूरोपियों द्वारा की जा रही जंगलों की सफ़ाई अजीब लगती थी। वे केवल अपनी आवश्यकता के लिए फ़सलें उगाते थे।

ये लोग फ़सलों का उत्पादन बिक्री अथवा मुनाफे के लिए नहीं करते थे। वे जंगलों को अपनी शक्ति का स्रोत समझते थे। अतः वे उन्हें काटना एक पाप समझते थे। इस प्रकार जंगलों एवं खेती के प्रति यूरोपियों एवं मूल निवासियों की धारणा एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी।

प्रश्न 3.
अमरीका में यूरोपियों द्वारा मूल निवासियों की बेदखली का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमरीका में यूरोपियों द्वारा मूल निवासियों की बेदखली एक अत्यंत करुणामयी कहानी प्रस्तुत करती है। इससे स्पष्ट होता है कि किस प्रकार यूरोपियों ने धोखे से मूल निवासियों को उनकी जमीनों से बेदखल किया एवं उनके लिए घोर कष्टों के द्वार खोल दिए।

1. बेदखली के ढंग:
यूरोपवासियों के अमरीका में बढ़ते हुए कदमों के साथ ही इन क्षेत्रों से मूल निवासियों को बेदखल किया जाने लगा। इसके लिए यूरोपियों ने अनेक ढंग अपनाए।

  • वे मूल निवासियों को उन स्थानों से हटने के लिए प्रेरित करते थे।
  • वे मूल निवासियों द्वारा पीछे न हटने की दशा में उन्हें धमकाते थे।
  • वे मूल निवासियों से बहुत कम मूल्य पर जमीन खरीद लेते थे तथा फिर उन्हें वहाँ से पीछे हटने के लिए बाध्य कर देते थे।
  • वे मूल निवासियों से धोखे से अधिक भूमि हड़प लेते थे तथा मूल निवासियों को वहाँ से हटा दिया जाता था।

2. चिरोकियों के प्रति अन्याय:
मूल निवासियों की बेदखली करते समय उनके साथ बहुत अन्याय किया जाता था। उन्हें किसी प्रकार के कानूनी एवं नागरिक अधिकार नहीं दिए जाते थे। इसका एक उदाहरण जॉर्जिया जो कि संयुक्त राज्य अमरीका का एक राज्य है, के चिरोकी कबीले की बेदखली में देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि चिरोकी समुदाय के लोग अंग्रेजी सीखने एवं यूरोपवासियों की जीवन शैली को समझने का सबसे अधिक प्रयास कर रहे थे।

इसके बावजूद उन्हें सभी प्रकार के नागरिक अधिकारों से वंचित रखा गया था। इस संबंध में 1832 ई० में संयुक्त राज्य अमरीका के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल (John Marshall) ने एक महत्त्वपूर्ण फैसला दिया। इस फैसले में कहा गया कि चिरोकी कबीला एक विशिष्ट समुदाय है और उसके स्वत्वाधिकार वाले प्रदेश में जॉर्जिया का कानून लागू नहीं होता। परंतु तत्कालीन राष्ट्रपति एंड्रिड जैकसन (Andrew Jackson) ने इस फैसले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

उसने चिरोकियों को उनके प्रदेश से बेदखल करने के लिए एक सेना भेज दी। अतः 15000 चिरोकियों को महान् अमरीका मरुस्थल की ओर हटने के लिए बाध्य किया गया। इनमें से लगभग एक चौथायी लोग रास्ते में ही मर गए। अत: उनका यह सफर आँसुओं की राह (Trail of Tears) के नाम से जाना गया।

3. बेदखली का औचित्य:
यूरोपीय लोग स्थानीय लोगों को उनके मूल निवास से बेदखल करने को उचित ठहराते हैं। उनका कथन था कि मूल निवासी ज़मीन का ठीक प्रयोग करना नहीं जानते। इसलिए भूमि पर उनका अधिकार नहीं रहना चाहिए। वे यह कह कर भी मूल निवासियों की आलोचना करते हैं कि वे बहत आलसी थे। इसलिए वे बाज़ार के लिए उत्पादन करने में अपनी शिल्पकला (craft skills) का प्रयोग नहीं करते।

यह भी कहा गया कि वे अंग्रेज़ी नहीं सीखते एवं ढंग के वस्त्र नहीं पहनते। अत: मूल निवासी मर-खप जाने के ही योग्य हैं। उनकी बेदखली के बाद जमीनों को खेती के लिए साफ़ किया गया और जंगली भैंसों को मार दिया गया। निस्संदेह यह एक विस्फोटक स्थिति का संकेत था।

4. रिज़र्वेशंस:
यूरोपियों ने मूल निवासियों को पश्चिम की ओर धकेल दिया था। यहाँ उन्हें स्थायी तौर पर बसने के लिए अपनी ज़मीन दे दी गई थी। किंतु यदि कहीं से सोना अथवा तेल होने का पता चलता तो मूल निवासियों को उस क्षेत्र को फौरन छोड़ जाने के लिए बाध्य होना पड़ता था। उन्हें कई बार ऐसे क्षेत्रों में भेज दिया जाता था जहाँ पहले ही कबीलों की संख्या अधिक होती थी।

इसलिए उनमें आपसी लड़ाइयाँ हो जाती थीं। इस प्रकार मूल निवासी कुछ छोटे प्रदेशों में सीमित कर दिए गए थे। इन्हें रिज़र्वेशंस कहा जाता था। यह प्राय: ऐसी भूमि होती थी जिसके साथ उनका पहले से कोई संबंध नहीं होता था।

5. मूल निवासियों का प्रतिरोध:
यूरोपीय बार-बार मूल निवासियों को अपनी ज़मीन छोड़ने के लिए बाध्य करते थे। ऐसा नहीं था कि मूल निवासियों ने अपनी जमीनें बिना किसी संघर्ष के छोड़ दी हों। संयुक्त राज्य अमरीका की सेना को 1865 ई० से 1890 ई० के दौरान मूल निवासियों के अनेक विद्रोहों का दमन करना पड़ा था। इसी प्रकार कनाडा में 1869 ई० से 1885 ई० के दौरान मेटिसों (Metis) ने विद्रोहों का झंडा बुलंद कर रखा था। बाद में उनका दमन कर दिया गया था।

प्रश्न 4.
गोल्ड रश से आपका क्या अभिप्राय है? इसका संयुक्त राज्य अमरीका के उद्योगों एवं खेती के आधुनिकीकरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
दक्षिणी अमरीका की भाँति उत्तरी अमरीका के बारे में यह आशा की जाती थी कि वहाँ सोने के भंडार हैं। 1849 ई० में संयुक्त राज्य अमरीका के कैलीफ़ोर्निया (California) राज्य में सोने के कुछ चिन्ह प्राप्त हुए। यह समाचार जंगल में आग की तरह फैल गया। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में यूरोपीय अपना-अपना भाग्य आजमाने कैलीफोर्निया की ओर चल पड़े। उन्हें यह आशा थी कि वहाँ से प्राप्त सोना उनकी तकदीर को पलक झपकते ही बदल देगा। इसने गोल्ड रश को जन्म दिया।

1. उद्योगों का विकास:
गोल्ड रश की घटना के दूरगामी प्रभाव पड़े। सर्वप्रथम संपूर्ण संयुक्त राज्य अमरीका में रेलवे लाइन बिछाने का काम आरंभ हुआ। इस कार्य के लिए हज़ारों चीनी श्रमिकों को लगाया गया। 1870 ई० तक बड़े पैमाने पर रेलवे का निर्माण कर लिया गया। 1885 ई० में कनाडा में रेलवे का निर्माण पूरा किया गया।

स्कॉटलैंड से आने वाले एक अप्रवासी एंड्रिउ कार्नेगी (Andrew Carnegie) का कथन था कि, “पुराने राष्ट्र घोंघे की चाल से सरकत था कि, “पुराने राष्ट्र घोंघे की चाल से सरकते हैं नया गणराज्य किसी एक्सप्रेस की गति से दौड़ रहा है।” रेलवे निर्माण के साथ-साथ रेलवे के अन्य साज-सामान बनाने के कारखाने भी लगाए गए। इससे कारखानों की संख्या में तीव्रता से वृद्धि हुई। उस समय उद्योगों के दो प्रमुख उद्देश्य थे-

  • विकसित रेलवे का साज-सामान बनाना ताकि दूर-दूर के स्थानों को तीव्र परिवहन द्वारा जोड़ा जा सके।
  • ऐसे यंत्रों का उत्पादन करना जिनसे बड़े पैमाने पर खेती की जा सके। इससे उद्योगों को एक नया प्रोत्साहन मिला। परिणामस्वरूप संयुक्त राज्य अमरीका 1860 ई० से 1890 ई० के दौरान एक शक्तिशाली औद्योगिक देश के रूप में उभर कर सामने आया।

2. खेती का आधुनिकीकरण (Modernization of Agriculture)-इस समय संयुक्त राज्य अमरीका में ‘बड़े पैमाने पर ऐसे यंत्रों का विकास हो चुका था जिससे खेती को एक नया प्रोत्साहन मिला। खेती के लिए बहुत
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से जंगल साफ़ कर दिए गए। इससे खेती का विस्तार हुआ। 1890 ई० तक संयुक्त राज्य अमरीका में जंगली भैंसों का पूरी तरह उन्मूलन कर दिया गया था। इस कारण शिकार वाली जीवनचर्या भी समाप्त हो गई।

प्रश्न 5.
ऑस्ट्रेलिया के विकास के बारे में आप क्या जानते हैं ? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया के विकास का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. मानव का आगमन:
ऑस्ट्रेलिया में मानव के आगमन का इतिहास बहुत प्राचीन एवं लंबा है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है यहाँ आदिमानव 40,000 वर्ष पहले पहुँचा था। ऐसा विचार है कि ये लोग ऑस्ट्रेलिया में न्यू गिनी (New Guinea) के रास्ते पहुँचे थे। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की परंपरा के अनुसार वे कहीं बाहर से नहीं आए थे। वे सदैव से यहीं रहते थे। इन्हें ऐबॉरिजिनीज (aborigines) कहा जाता है।

2. मूल निवासियों की स्थिति:
18वीं शताब्दी में यूरोपियों के ऑस्ट्रेलिया आगमन से पूर्व यहाँ मूल निवासियों के लगभग 350 से 750 तक समुदाय थे। प्रत्येक समुदाय की अपनी अलग भाषा थी। इनमें से 200 भाषाएँ आज तक भी बोली जाती हैं। स्थानीय लोगों का एक विशाल समूह उत्तर में रहता है। इसे टॉरस स्ट्रेट टापूवासी (Torres Strait Islanders) कहते हैं। इनके लिए ऐबॉरिजिनी शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता। क्योंकि ऐसा मानना है कि वे कहीं ओर से आए हैं तथा वे एक भिन्न नस्ल से संबंधित हैं।

3. ऑस्ट्रेलिया की खोज:
1606 ई० में एक साहसी डच यात्री विलेम जांस (Willem Jansz) ऑस्ट्रेलिया पहुँचने में सफल रहा। 1642 ई० में एक अन्य डच नाविक ए० जे० तास्मान (A. J. Tasman) ऑस्ट्रेलिया के एक टापू पर पहुँचने में सफल हुआ। उसने इस टापू का नाम तस्मानिया रखा। इसी वर्ष उसने न्यूजीलैंड की भी खोज की। इस खोज के बावजूद काफी समय तक ऑस्ट्रेलिया में किसी उपनिवेश को स्थापित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।

1770 ई० में इंग्लैंड का प्रसिद्ध नाविक जेम्स कुक (James Cook) एक छोटे से टापू बॉटनी बे (Botany Bay) पहुँचने में सफल हुआ। उसने इस टापू का नाम न्यू साउथ वेल्स (New South Wales) रखा। यहाँ रहते हए जेम्स कुक ने एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानचित्र तैयार किया। इसमें उसने 180 स्थानों के नाम दिए थे। यह मानचित्र आने वाले नाविकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत सिद्ध हुआ। 1788 ई० में यहाँ ब्रिटेन की प्रथम बस्ती सिडनी (Sydney) की स्थापना हुई। यहाँ ब्रिटेन के अपराधियों को देश निकाले का दंड देकर भेजा जाता था।

4. मूल निवासियों के प्रति रवैया:
दक्षिणी अमरीका एवं उत्तरी अमरीका के समान ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों ने यूरोपवासियों का बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया। वे यूरोपवासियों की यथासंभव सहायता करते थे। इस संबंध में हमें अनेक यात्रियों के ब्योरे उपलब्ध हैं। इस कारण आरंभ में यूरोपवासियों एवं मूल निवासियों के आपसी संबंध मित्रतापूर्ण रहे। 1779 ई० में ब्रिटेन के नाविक जेम्स कुक की हवाई में किसी आदिवासी ने हत्या कर दी। इस कारण यूरोपवासी भड़क उठे।

उन्होंने इस घटना के पश्चात् आदिवासियों के विरुद्ध कठोर रवैया अपनाया। इससे दोनों समुदायों के संबंधों में कटुता आ गई। यूरोपवासियों ने धीरे-धीरे खेती के लिए जंगलों का सफाया कर दिया। उन्होंने मूल निवासियों को अपने क्षेत्रों से पीछे हटने के लिए भी बाध्य कर दिया।

5. आर्थिक विकास:
ऑस्ट्रेलिया में यूरोपीय उपनिवेशों की स्थापना के साथ ही उसके आर्थिक विकास का क्रम आरंभ हुआ। यहाँ मैरिनो भेड़ों के पालन के लिए विशाल भेड़ फार्मों की स्थापना की गई। कृषि के विकास के लिए जंगलों की सफाई की गई। यहाँ गेहूँ के उत्पादन में बहुत वृद्धि की गई। मदिरा बनाने हेतु अंगूर के विशाल बाग लगाए गए। ऑस्ट्रेलिया में खनन उद्योगों की स्थापना की गई। इससे ऑस्ट्रेलिया की समृद्धि का आधार तैयार हुआ।

6. चीनी अप्रवासी:
आरंभ में ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास में मूल निवासियों से काम लिया गया। उनसे खेतों एवं खानों में कठिन परिस्थितियों में कार्य करवाया जाता था। अत: उनमें एवं दासों में कोई विशेष अंतर नहीं रह गया था। बाद में सस्ता श्रम प्राप्त करने के उद्देश्य से चीनी अप्रवासियों का सहारा लिया गया। शीघ्र ही उनकी संख्या में तीव्र वृद्धि हो गई।

इससे ऑस्ट्रेलिया की गोरी सरकार घबरा गई। उसे यह ख़तरा था कि इससे गोरे लोग एशिया के काले लोगों पर अधिक निर्भर होते जाएँगे। अत: उसने 1974 ई० तक गैर-गोरों को ऑस्ट्रेलिया से बाहर रखने की नीति अपनाई। इस वर्ष एशियाई अप्रवासियों को प्रवेश की अनुमति दी गई।

7. राजधानी की स्थापना:
1911 ई० में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी बनाने का निर्णय किया गया। इसके लिए वूलव्हीटगोल्ड (Woolwheatgold) के नाम का सुझाव दिया गया। पर अंततः इसका नाम कैनबरा (Canberra) रखा गया। यह एक स्थानीय शब्द कैमबरा (Kamberra) से बना है जिसका अर्थ है सभा स्थल।

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प्रश्न 6.
20वीं शताब्दी में ऑस्ट्रेलिया में आई बदलाव की लहर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
20वीं शताब्दी में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के प्रति बदलाव की लहर को देखा गया। इसके लिए अनेक कारण उत्तरदायी थे। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. डब्ल्यू ० ई० एच० स्टैनर का योगदान:
काफी समय तक यूरोपवासियों ने ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों और उनकी संस्कृति को समझने का कोई प्रयास नहीं किया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वे मूल निवासियों के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखते थे। इसके चलते उन्होंने अपनी पुस्तकों में केवल ऑस्ट्रेलिया में आकर बसने वाले यूरोपियों की उपलब्धियों का ही वर्णन किया है।

इनमें यह दिखाने का प्रयास किया गया कि वहाँ के मल निवासियों की न तो कोई परंपरा है एवं न ही कोई इतिहास। 1968 ई० में एक मानवशास्त्री डब्ल्यू. ई० एच० स्टैनर ने दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस नामक प्रसिद्ध पुस्तक का प्रकाशन किया। इस पुस्तक से यूरोपवासियों में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की संस्कृति को समझने की चाहत उत्पन्न हुई। निस्संदेह यह एक प्रशंसनीय कदम था।

2. हेनरी रेनॉल्डस का योगदान :
हेनरी रेनॉल्डस एक महान् लेखक था। उसकी सर्वाधिक प्रसिद्ध रचना का नाम व्हाई वरंट वी टोल्ड (Why Weren’t We Told) था। इस पुस्तक में उसने ऑस्ट्रेलिया के इतिहास लेखन के परंपरागत ढंग की कटु आलोचना की है। यूरोपवासी कैप्टन कुक की खोज से ही ऑस्ट्रेलिया के इतिहास का आरंभ करते हैं।

हेनरी रेनॉल्डस का कथन था कि हमें ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की सभ्यता एवं संस्कृति पर भी प्रकाश डालना चाहिए। इससे यूरोपवासियों के मन में मूल निवासियों के इतिहास को जानने की एक नई प्रेरणा उत्पन्न हुई।

3. मूल निवासियों की संस्कृति का अध्ययन:
यूरोपवासियों द्वारा मूल निवासियों की संस्कति का अध्ययन करने के लिए विश्वविद्यालयों में विशेष विभागों की स्थापना हई। मल निवासियों की कला को कला दीर्घाओं (art galleries) में स्थान दिया जाने लगा। स्थानीय संस्कृति को समझने के लिए संग्रहालयों (museums) की स्थापना की गई। मूल निवासियों ने भी अपने इतिहास को लिखना आरंभ किया।

निस्संदेह यह एक प्रशंसनीय प्रयास था। 1974 ई० में ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने बहुसंस्कृतिवाद (multiculturalism) की नीति को अपनाया। इसके द्वारा मूल निवासियों, यूरोप तथा एशिया के अप्रवासियों की संस्कृतियों के प्रति बराबर सम्मान प्रकट किया गया। वास्तव में इसने एक नए युग का श्रीगणेश किया।

4. ज्यूडिथ राइट का योगदान:
ज्यूडिथ राइट ऑस्ट्रेलिया की एक महान् कवित्री थी। उसने मूल निवासियों के अधिकारों संबंधी एक ज़ोरदार अभियान चलाया। उसका कथन था कि गोरों एवं मूल निवासियों को अलग-अलग रखने से आने वाली नस्लों के लिए एक भारी ख़तरा उत्पन्न हो सकता है। इस संबंध में उसने अनेक प्रभावशाली कविताएँ लिखीं। इनका लोगों के दिलों पर जादुई प्रभाव पड़ा।

5. टेरा न्यूलिअस नीति का अंत:
1970 ई० के दशक में संयुक्त राष्ट्र संघ एवं दूसरी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में मानवाधिकार पर बल दिया जाने लगा था। इससे ऑस्ट्रेलिया के लोगों में एक नई जागृति उत्पन्न हुई। उन्हें यह अहसास हुआ कि यूरोपीय लोगों ने भूमि अधिग्रहण (takeover of land) को औपचारिक (formal) बनाने के उद्देश्य से कोई समझौता नहीं किया है।

इसका कारण यह था कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार सदैव भमि को टेरा न्युलिअस कहती आई थी। इससे अभिप्राय ऐसी भमि थी जो किसी की भी नहीं है। 1992 ई० में ऑस्ट्रेलिया के हाईकोर्ट ने टेरा न्यूलिअस नीति को अवैध घोषित कर दिया। इस फैसले में 1770 ई० के पहले से ज़मीन पर मूल निवासियों के दावों को मान्यता दे दी गई।

6. मिश्रित रक्त वाले बच्चों की नीति में परिवर्तन:
ऑस्ट्रेलिया की एक अन्य गंभीर समस्या मिश्रित रक्त वाले बच्चों की थी। ये बच्चे यूरोपवासियों एवं मूल निवासियों के मध्य अवैध संबंधों के कारण उत्पन्न हुए थे। इन बच्चों को किसी प्रकार का कोई अधिकार नहीं दिया गया था। उनकी यंत्रणा का एक लंबा इतिहास था। गोरे एवं रंग-बिरंगे बच्चों को अलग-अलग करके उनके साथ एक घोर अन्याय किया जाता था।

इस कारण सरकार ने 1999 ई० में ऑस्ट्रेलिया में 1820 ई० से 1970 ई० के बीच गुम हुए बच्चों के लिए माफी माँगी। उसने 26 मई को राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस मनाने की घोषणा की। निस्संदेह यह मूल निवासियों की एक महान् विजय थी।

कालक्रम

क्रम संख्यावर्षघटना
1.1497 ई०जॉन कैबोट का न्यूफाऊँडलैंड पहुँचना।
2.1507 ई०अमेरिगो डे वेसपुकी की ट्रैवेल्स प्रकाशित हुई।
3.1534 ई०जैक कार्टियर सेंट लॉरेंस पहुँचा।
4.1606 ई०डच यात्री विलेम जांस का ऑस्ट्रेलिया पहुँचना।
5.1607 ई०ब्रिटिशों ने वर्जीनिया को अपना उपनिवेश बनाया।
6.1642 ई०डच नाविक ए० जे० तास्मान का ऑस्ट्रेलिया पहुँचना।
7.1770 ई०ब्रिटेन के नाविक जेम्स कुक का ऑस्ट्रेलिया पहुँचना।
8.1783 ई०ब्रिटेन ने संयुक्त राज्य अमरीका को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी।
9.1788 ई०ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी नामक स्थान में अपनी प्रथम बस्ती स्थापित की।
10.1803 ई०संयुक्त राज्य अमरीका ने फ्राँस से लुइसियाना को खरीदा।
11.1849 ई०अमरीकी गोल्ड रश।
12.1865 ई०संयुक्त राज्य अमरीका में दास प्रथा का अंत।
13.1867 ई०संयुक्त राज्य अमरीका ने अलास्का को खरीदा।
14.1892 ई०अमरीकी फ्रंटियर का अंत।
15.1869-1885 ई०कनाडा में मेटिसों का विद्रोह।
16.1911 ई०कैनबरा को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी बनाना।
17.1934 ई०इंडियन रीऑर्गेनाइज़ेशन एक्ट का पारित होना।
19.1954 ई०डिक्लेरेशन ऑफ इंडियन राइट्स।
20.1968 ई०डब्ल्यू० ई० एच० स्टैनर द्वारा दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस का प्रकाशन।
21.1974 ई०ऑस्ट्रेलिया की सरकार द्वारा बहुसंस्कृतिवाद की नीति को अपनाना।
22.1982 ई०संयुक्त राज्य अमरीका द्वारा मूल निवासियों के अधिकारों को मान्यता देना।
23.1992 ई०ऑस्ट्रेलिया द्वारा टेरा न्यूलिअस नीति को त्यागना।

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की जीवन शैली की प्रमुख विशेषताएँ लिखो।
उत्तर:
(1) रहन-सहन एवं भोजन-यूरोपवासियों के आगमन से पूर्व उत्तरी अमरीका के मूल निवासी नदी घाटी के साथ-साथ गाँवों में समूह बनाकर रहते थे। वे मकई तथा विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन करते थे। वे मछली एवं माँस का अधिक प्रयोग करते थे। वे प्रायः माँस की तलाश में लंबी यात्राएँ करते थे। उन्हें मुख्य जिन्हें बाइसन कहते थे कि तलाश रहती थी। परंत वे उतने ही जानवरों को मारते थे कि जितने की उन्हें भोजन के लिए आवश्यकता होती थी।

(2) अर्थव्यवस्था-उत्तरी अमरीका की अर्थव्यवस्था मुख्यतः एक जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था थी। वहाँ के मूल निवासी केवल उतना ही उत्पादन करते थे जो कि उनके निर्वाह के लिए आवश्यक होता था। उन्हें जमीन पर व्यक्तिगत मलकियत की कोई चिंता नहीं थी क्योंकि वे उससे प्राप्त होने वाले भोजन एवं आश्रय से संतुष्ट थे।

(3) उपहारों का आदान-प्रदान-उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की यह परंपरा थी कि वे आपस में मिलजुल कर रहते थे एवं उनके संबंध मैत्रीपूर्ण होते थे। वे आपस में वस्तुओं को खरीदते एवं बेचते नहीं थे अपितु उपहारों का आदान-प्रदान करते थे। कबीलों में आपसी समझौता होने पर वे एक विशेष प्रकार की वेमपुम बेल्ट का आदान-प्रदान करते थे।

(4) भाषा एवं ज्ञान-उत्तरी अमरीका के मूल निवासी अनेक भाषाएँ बोलते थे यद्यपि वे लिखी नहीं जाती थीं। उन्हें अनेक बातों का ज्ञान था। वे जानते थे कि समय की गति चक्रिय है। वे जलवायु एवं प्रकृति को पढ़े-लिखे लोगों की तरह समझते थे। प्रत्येक कबीले के पास अपने इतिहास के बारे में पूरी जानकारी होती थी। यह जानकारी मौखिक रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती थी। वे कुशल कारीगर भी थे। वे उत्तम प्रकार का वस्त्र बुनना जानते थे।

प्रश्न 2.
यूरोपीय व्यापारियों ने उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के साथ किस प्रकारं वस्तुओं का आदान-प्रदान किया ?
उत्तर:
यूरोपीय व्यापारियों को उत्तरी अमरीका पहुँचने पर यह ज्ञात हुआ कि स्थानीय लोग मिसीसिपी नदी के किनारे आपस में अपनी वस्तुओं के आदान-प्रदान के लिए नियमित रूप से जमा होते हैं। यहाँ उन हस्तशिल्पों अथवा खाद्य-पदार्थों का आदान-प्रदान होता था जो अन्य प्रदेशों में उपलब्ध नहीं होते थे। यूरोपीय व्यापारी भी अपने व्यापार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस आदान-प्रदान में सम्मिलित होने लगे। वे मूल निवासियों को कंबल, लोहे के बर्तन, बंदूकें एवं शराब देते थे।

कंबल शीत को रोकने के लिए उपयोगी सिद्ध हुए। लोहे के बर्तन मिट्टी के बर्तनों की अपेक्षा कहीं अधिक उपयोगी थे। बंदूकें जानवरों को मारने के लिए तीर-कमानों की अपेक्षा अधिक उत्तम सिद्ध हुईं। उत्तरी अमरीका के लोग यूरोपियों के आगमन से पूर्व शराब से परिचित नहीं थे। वे शीघ्र ही शराब के आदी हो गए। उनकी यह आदत यूरोपीय व्यापारियों के लिए अच्छी प्रमाणित हुई। इस कारण यूरोपीय व्यापारी मूल निवासियों पर अपनी शर्ते थोपने में सफल हुए। यूरोपियनों ने मूल निवासियों से तंबाकू की आदत ग्रहण की।

प्रश्न 3.
वाशिंगटन इरविंग कौन था ? उसने उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के बारे में क्या लिखा है ?
उत्तर:
वह अमरीका के एक प्रसिद्ध लेखक थे। वह उत्तरी अमरीका में रहने वाले मूल निवासियों से स्वयं मिले थे। उनका कथन था कि जिन इंडियन्स की असली जिंदगी को देखने का मुझे मौका मिला वे कविताओं में वर्णित अपने रूप से काफी भिन्न हैं। वे गोरे लोगों की नीयत पर भरोसा नहीं करते। जब वे गोरे लोगों के साथ रहते हैं तो बहुत कम बोलते हैं क्योंकि उन्हें उनकी भाषा समझ नहीं आती।

जब मूल निवासी आपस में एकत्र होते हैं तो वे गोरों की खूब नकल उतार कर अपना मनोरंजन करते हैं। दूसरी ओर यूरोपीय यह समझते हैं कि मूल निवासी उनका इसलिए सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने इंडियन्स को अपनी भव्यता एवं गरिमा से प्रभावित किया है। इरविंग ने इस बात पर दुःख प्रकट किया है कि यूरोपीय लोग स्थानीय लोगों से जानवरों जैसा व्यवहार करते हैं।

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प्रश्न 4.
यूरोपियों एवं मूल निवासियों में व्यापार संबंधी क्या धारणा थी ?
उत्तर:
युरोपियों एवं मूल निवासियों में चीजों के लेन-देन को लेकर विभिन्न धारणा थी। मल निवासी चीज़ों का आदान-प्रदान दोस्ती में दिए गए उपहारों का रूप समझते थे। दूसरी ओर यूरोपीय व्यापारी मछली एवं रोएँदार खाल को व्यापारिक माल समझते थे। इसे बेचकर वे अधिक-से-अधिक धन कमाना चाहते थे।

मूल निवासियों को यह समझ नहीं आता था कि यूरोपीय व्यापारी उनके सामान के बदले कभी तो बहुत सारा सामान दे देते थे तथा कभी बहुत कम। वस्तुतः उन्हें बाज़ार के बारे में तनिक भी ज्ञान नहीं था। यूरोपीय लोग रोएँदार खाल को प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में उदबिलावों को मार रहे थे। इससे मूल निवासी काफी परेशान थे। उन्हें यह भय था कि ये जानवर उनसे इस विध्वंस का बदला लेंगे।

प्रश्न 5.
उत्तरी अमरीका में दास प्रथा का अंत कैसे हुआ ? संक्षेप में उत्तर दीजिए।
अथवा
संयुक्त राज्य अमरीका में दास प्रथा के प्रचलन के बारे में आप क्या जानते हैं ? इसका अंत किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमरीका में यूरोपियों के आगमन के पश्चात् दास प्रथा का प्रचलन बहुत बढ़ गया। इसका कारण यह था कि यूरोपियों ने दक्षिणी राज्यों में कपास एवं गन्ने की खेती आरंभ कर दी थी। यह कार्य दासों द्वारा करवाया जाता था। यहाँ के बाग़ान मालिकों ने बड़ी संख्या में अफ्रीका से दास खरीदने आरंभ किए। इन दासों के साथ बहुत क्रूर व्यवहार किया जाता था।

अत: संयुक्त राज्य अमरीका के उत्तरी राज्यों जहाँ की अर्थव्यवस्था बागानों पर आधारित नहीं थी, में दास प्रथा को समाप्त करने के स्वर उठने लगे। दक्षिणी राज्य किसी भी कीमत पर दास प्रथा का अंत नहीं चाहते थे। अत: 1861 ई० से लेकर 1865 ई० तक दास प्रथा के प्रश्न को लेकर उत्तरी राज्यों एवं दक्षिणी राज्यों में एक भयंकर गृहयुद्ध हुआ। इस गृहयुद्ध में उत्तरी राज्यों को विजय प्राप्त हुई। अतः 1865 ई० में संयुक्त राज्य अमरीका में दास प्रथा का अंत कर दिया गया। इस प्रथा के अंत में अमरीका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई।।

प्रश्न 6.
संयुक्त राज्य अमरीका में यूरोपवासियों ने मूल निवासियों को बेदखल करने के लिए कौन-से ढंग अपनाए ?
उत्तर:
जैसे-जैसे संयुक्त राज्य अमरीका में यूरोपवासियों की बस्तियों का विस्तार हुआ इन क्षेत्रों से मूल निवासियों को बेदखल कर दिया गया। इसके लिए यूरोपियों ने अनेक ढंग अपनाए।

  • वे मूल निवासियों को उन स्थानों से हटने से लिए प्रेरित करते थे।
  • वे मूल निवासियों द्वारा पीछे न हटने की दशा में उन्हें धमकाते थे।
  • वे मूल निवासियों से बहुत कम मूल्य पर जमीन खरीद लेते थे तथा फिर उन्हें वहाँ से पीछे हटने के लिए मजबूर कर देते थे।
  • वे मूल निवासियों से धोखे से अधिक भूमि हड़प लेते थे तथा मूल निवासियों को वहाँ से हटा दिया जाता था।

प्रश्न 7.
चिरोकी कौन थे ? यूरोपवासियों का उनके प्रति क्या व्यवहार था ?
उत्तर:
मूल निवासियों की बेदखली करते समय उनके साथ किसी प्रकार की सहानुभूति नहीं की जाती थी। उन्हें किसी प्रकार के कानूनी एवं नागरिक अधिकार नहीं दिए जाते थे। इसका एक उदाहरण जॉर्जिया जो कि संयुक्त राज्य अमरीका का एक राज्य है के चिरोकी कबीले की बेदखली में देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि चिरोकी समुदाय के लोग अंग्रेजी सीखने एवं यूरोपवासियों की जीवन शैली को समझने का सबसे अधिक प्रयास कर रहे थे।

इसके बावजूद उन्हें सभी प्रकार के नागरिक अधिकारों से वंचित रखा गया था। इस संबंध में 1832 ई० में संयुक्त राज्य अमरीका के मुख्य न्यायाधीश जॉन मार्शल एक महत्त्वपूर्ण फैसला दिया। इस फैसले में कहा गया कि चिरोकी कबीला एक विशिष्ट समुदाय है और उसके स्वत्वाधिकार वाले प्रदेशों में जॉर्जिया का कानून लागू नहीं होता। परंतु तत्कालीन राष्ट्रपति एंड्रिउ जैकसन ने इस फैसले को स्वीकार करने से इंकार कर दिया।

उसने चिरोकियों को उनके प्रदेश से बेदखल करने के लिए एक सेना भेज दी। अत: 15000 चिरोकियों को महान् अमरीका मरुस्थल की ओर हटने के लिए बाध्य किया गया। इनमें से लगभग एक चौथायी लोग रास्ते में ही मर गए। अतः उनका यह सफर आँसुओं की राह के नाम से जाना गया।

प्रश्न 8.
‘गोल्ड रश’ क्या था ?
अथवा
गोल्ड रश से आपका क्या अभिप्राय है ? इससे संयुक्त राज्य अमरीका पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
दक्षिणी अमरीका की भाँति उत्तरी अमरीका के बारे में यह आशा की जाती थी कि वहाँ सोने के भंडार हैं। 1849 ई० में संयुक्त राज्य अमरीका के कैलीफ़ोर्निया राज्य में सोने के कुछ चिन्ह प्राप्त हुए। यह समाचार जंगल में आग की तरह फैल गया। परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में यूरोपीय अपना-अपना भाग्य आजमाने कैलीफोर्निया की ओर चल पड़े।

उन्हें यह आशा थी कि वहाँ से प्राप्त सोना उनकी तकदीर को पलक झपकते ही बदल देगा। इसने गोल्ड रश को जन्म दिया। गोल्ड रश की घटना के दूरगामी प्रभाव पड़े। सर्वप्रथम संपूर्ण संयुक्त राज्य अमरीका में रेलवे लाइन बिछाने का काम आरंभ हुआ। इस कार्य के लिए हज़ारों चीनी श्रमिकों को लगाया गया। 1870 ई० तक बड़े पैमाने पर रेलवे का निर्माण किया गया।

रेलवे निर्माण के साथ-साथ रेलवे के अन्य साज-सामान बनाने के कारखाने भी लगाए गए। इससे कारखानों की संख्या में तीव्रता से वृद्धि हुई। इस समय संयुक्त राज्य अमरीका में बड़े पैमाने पर ऐसे यंत्रों का विकास हो चुका था जिससे खेती को एक नया प्रोत्साहन मिला खेती के लिए बहुत से जंगल साफ़ कर दिए गए। इससे खेती का विस्तार हुआ।

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प्रश्न 9.
आप किस प्रकार कह सकते हैं कि 20वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमरीका में मूल निवासियों के संबंध में बदलाव की लहर आई ?
उत्तर:
(1) सर्वेक्षण-1928 ई० में मूल निवासियों की समस्याओं को जानने के लिए लेवाइस मेरिअम की अध्यक्षता में एक सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ। इसे दि प्रॉब्लम ऑफ़ इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन का नाम दिया गया। इसमें रिज़र्वेशंस में रह रहे मूल निवासियों की स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी सुविधाओं की कमी का बड़ा ही करुणामयी चित्र प्रस्तुत किया गया है।

(2) इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1934 ई०-1930 ई० के दशक के आते-आते गोरे अमरीकियों के मन में मूल निवासियों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न हुई। अब तक मूल निवासियों को नागरिकता के.सभी लाभों से वंचित रखा गया था। 1934 ई० में इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट पारित किया गया। इस एक्ट के अधीन रिज़र्वेशंस में रहने वाले मूल निवासियों को ज़मीन खरीदने और ऋण लेने का अधिकार प्रदान किया गया।

(3) डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइट्स 1954 ई०-1954 ई० में अनेक मूल निवासियों ने डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइट्स नामक दस्तावेज़ तैयार किया। इसमें कहा गया कि वे संयुक्त राज्य अमरीका की नागरिकता को इस शर्त पर स्वीकार करेंगे कि उनके रिज़र्वेशंस वापिस नहीं लिए जाएँगे तथा न ही उनकी परंपराओं में किसी प्रकार का हस्तक्षेप किया जाएगा।

(4) मूल निवासियों द्वारा अधिकारों की माँग-1969 ई० में जब अमरीका की सरकार ने यह घोषणा की कि वह आदिवासी अधिकारों को मान्यता नहीं देगी तो मूल निवासियों ने इसका धरना, प्रदर्शनों एवं वाद-विवाद द्वारा डटकर विरोध किया। अत: बाध्य होकर 1982 ई० में सरकार ने उनके अधिकारों को स्वीकृति प्रदान कर दी।

प्रश्न 10.
आप उन्नीसवीं सदी में संयुक्त राज्य अमरीका में अंग्रेजी के उपयोग के अतिरिक्त अंग्रेजों के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन में कौन-सी विशेषताएँ देखते हैं ?
उत्तर:
यूरोपियों के संयुक्त राज्य अमरीका में जाकर बसने के कारण वहाँ अंग्रेज़ी का उपयोग काफी बढ़ गया। इसके अतिरिक्त वहाँ अंग्रेजों के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

(1) ज़मीन के प्रति यूरोपीय लोगों का दृष्टिकोण मूल निवासियों से अलग था। ब्रिटेन एवं फ्राँस से आए कुछ प्रवासी ऐसे थे जो अपने पिता का बड़ा पुत्र होने के कारण पिता की संपत्ति के उत्तराधिकरी नहीं बन सकते थे। इसलिए वे अमरीका में भू-स्वामी बनना चाहते थे।

(2) जर्मनी, स्वीडन और इटली जैसे देशों से ऐसे अप्रवासी आए जिनकी ज़मीनें बड़े किसानों के हाथों में चली गई थीं। वे ऐसी ज़मीन चाहते थे जिसे वे अपना कह सकें।

(3) पोलैंड से आए लोगों को चरगाहों में काम करना अच्छा लगता था। इसमें उन्हें काफ़ी लाभ भी प्राप्त हुआ।

(4) अमरीका में बहुत कम कीमत पर बड़ी संपत्तियाँ खरीद पाना आसान था। अत: अंग्रेजों ने बड़े-बड़े भूखंड खरीद लिए।

(5) यूरोपियों ने अपने हितों के लिए मूल निवासियों को बेदखल किया। वे मूल निवासियों की बेदखली को गलत नहीं मानते थे।

प्रश्न 11.
ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों का यूरोपवासियों के प्रति क्या रवैया था ?
उत्तर:
यूरोपवासियों के आगमन पर ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों ने उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया। वे यूरोपवासियों की यथासंभव सहायता करते थे। मूल निवासियों के दोस्ताना व्यवहार के बारे में हमें अनेक यात्रियों के ब्यौरे उपलब्ध हैं। इससे स्पष्ट है कि आरंभ में यूरोपवासियों एवं मूल निवासियों के आपसी संबंध मित्रतापूर्ण रहे। 1779 ई० में ब्रिटेन के नाविक कैप्टन जेम्स कुक की हवाई में किसी आदिवासी ने हत्या कर दी। इस कारण यूरोपवासी तिलमिला उठे।

उन्होंने इस घटना के लिए मूल निवासियों को उत्तरदायी ठहराया। अतः उन्होंने मूल निवासियों को सबक सिखाने का निर्णय लिया। इसके चलते उन्होंने मूल निवासियों के विरुद्ध कठोर रवैया अपनाया। इससे दोनों समुदायों के संबंधों में कटुता आ गई। यूरोपवासियों ने धीरे-धीरे खेती के लिए जंगलों का सफ़ाया कर दिया। उन्होंने मूल निवासियों को अपने क्षेत्रों से पीछे हटने के लिए भी बाध्य किया।

अति संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
‘नेटिव’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नेटिव अथवा मूल निवासी से अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो अपने वर्तमान निवास स्थान पर ही पैदा हुआ हो। 20वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में यह शब्द यूरोपीय लोगों द्वारा अपने उपनिवेशों में रहने वाले मूल निवासियों के लिए प्रयोग किया जाता था।

प्रश्न 2.
‘सेटलर’ शब्द से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
सेटलर शब्द से अभिप्राय किसी स्थान पर बाहर से आकर बसे लोगों से है। इस शब्द का प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में डचों के लिए, आयरलैंड, न्यूज़ीलैंड तथा ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटिश लोगों के लिए और अमरीका में यूरोपीय लोगों के लिए किया जाता था।

प्रश्न 3.
उत्तरी अमरीका की कोई दो भौगोलिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • उत्तरी अमरीका उत्तरी ध्रुवीय वृत्त से लेकर कर्क रेखा तक फैला हुआ है।
  • इसके पश्चिम में अरिज़ोना एवं नेवाडा की मरुभूमि है।

प्रश्न 4.
उत्तरी अमरीका की जलवायु में कब स्थिरता आई? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:

  • उत्तरी अमरीका की जलवायु में 5000 वर्ष पूर्व स्थिरता आई।
  • इसके परिणामस्वरूप यहाँ की जनसंख्या में तीव्रता से वृद्धि हुई।

प्रश्न 5.
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की जीवन शैली की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों की मुख्य विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  • वे नदी घाटी के साथ-साथ बने गाँवों में समूह बना कर रहते थे।
  • वे उतनी ही वस्तुओं का उत्पादन करते थे जो कि उनके निर्वाह के लिए आवश्यक थीं।

प्रश्न 6.
वेमपुम बेल्ट क्या थी ?
उत्तर:
वेमपुम बेल्ट रंगीन सीपियों को आपस में सिलकर बनाई जाती थी। यह बेल्ट कबीलों में आपसी समझौते के पश्चात् सम्मान के तौर पर आदान-प्रदान की जाती थी।

प्रश्न 7.
उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों को किन बातों का ज्ञान था ?
उत्तर:

  • वे जानते थे कि समय की गति चक्रीय है।
  • वे अपने इतिहास के बारे में पूरी जानकारी रखते थे।

प्रश्न 8.
यूरोपीय एवं मूल निवासियों में किन वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था ?
उत्तर:

  • यूरोपीय केवल लोहे के बर्तन, बंदूकें एवं शराब मूल निवासियों को देते थे।
  • मूल निवासी यूरोपियों को मछली एवं रोएँदार खाल देते थे।

प्रश्न 9.
यूरोपीय लोगों को उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों पर किस बात ने अपनी शर्ते थोपने में सक्षम बनाया ?
उत्तर:
उत्तरी अमरीका के मूल निवासी शराब से परिचित नहीं थे। परंतु यूरोपियों ने उन्हें शराब देकर शराब पीने की आदत डाल दी। इस कारण शराब उनकी कमज़ोरी बन गई। उनकी इसी कमज़ोरी के कारण यूरोपीय लोगों को उन पर अपनी शर्ते थोपने के सक्षम बनाया।

प्रश्न 10.
यूरोप के लोगों को अमरीका के मूल निवासी असभ्य क्यों प्रतीत हुए ?
उत्तर:
18वीं शताब्दी में यूरोपीय लोग तीन मापदंडों-साक्षरता, संगठित धर्म और शहरीपन के आधार पर विश्वास करते थे। इस दृष्टिकोण से उन्हें अमरीका के मूल निवासी असभ्य प्रतीत हुए।

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प्रश्न 11.
वाशिंगटन इरविंग ने अमरीका के मूल निवासियों के संबंध में क्या विचार प्रकट किए ?
उत्तर:

  • वे कविताओं में वर्णित अपने रूप से काफी भिन्न हैं।
  • वे गोरे लोगों की नीयत पर भरोसा नहीं करते हैं।
  • वे गोरे लोगों की नकल कर अपना मनोरंजन करते हैं।

प्रश्न 12.
यूरोपियों एवं अमरीका के मूल निवासियों में व्यापार संबंधी धारणा में प्रमुख अंतर क्या था ?
उत्तर:

  • यूरोपीय व्यापारी मछली एवं फर को व्यापारिक माल समझते थे। वे इसे बेचकर अधिक मुनाफा कमाना चाहते थे।
  • अमरीका के मूल निवासी चीज़ों के आदान-प्रदान को दोस्ती में दिए गए उपहार समझते थे।

प्रश्न 13.
अमरीकियों के लिए ‘फ्रंटियर’ के क्या मायने थे ?
उत्तर:
यूरोपियों द्वारा जीती गई एवं खरीदी गई भूमि के कारण विस्तार होता रहता था। इस कारण अमरीका की पश्चिमी सीमा पीछे खिसकती रहती थी। इस कारण अमरीका के मूल निवासियों को भी पीछे हटने के लिए बाध्य होना पड़ता था। वे राज्य की जिस सीमा तक पहुँच जाते थे उसे फ्रंटियर कहा जाता था।

प्रश्न 14.
19वीं शताब्दी में ब्रिटेन एवं फ्रांस के लोग अमरीका क्यों आए ?
उत्तर:
ब्रिटेन एवं फ्रांस में यह परंपरा थी कि केवल बड़े पुत्र को ही संपत्ति का अधिकार मिलता था। छोटे पुत्र संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं बन सकते थे। अतः ऐसे लोग संपत्ति की तलाश में 19वीं शताब्दी में अमरीका में आए।

प्रश्न 15.
यूरोपियों ने संयुक्त राज्य अमरीका में खेती के विकास के लिए कौन-से दो पग उठाए ?
उत्तर:

  • उन्होंने यहाँ जंगलों की सफाई की।
  • उन्होंने 1873 ई० में खेतों के चारों ओर कंटीली तारें लगा दी ताकि फ़सलों को जानवरों द्वारा सुरक्षित रखा जा सके।

प्रश्न 16.
दक्षिणी एवं उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के बीच के फर्कों से संबंधित किसी भी बिंदु पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी अमरीका के लोग बड़े पैमाने पर खेती करते थे जबकि उत्तरी अमरीका के लोग ऐसा नहीं करते थे। इसके चलते उत्तरी अमरीका के लोग दक्षिणी अमरीका के लोगों की तरह किसी विशाल साम्राज्य का गठन नहीं कर सके।

प्रश्न 17.
यूरोपवासियों ने संयुक्त राज्य अमरीका में मूल निवासियों को बेदखल करने के कौन-से ढंग अपनाए ?
उत्तर:

  • उन्हें अपने मूल स्थान से पीछे हटने के लिए प्रेरित किया जाता अथवा धमकाया जाता था।
  • मूल निवासियों की जमीनों को बहुत कम मूल्य पर खरीदा जाता था।
  • मूल निवासियों की जमीनों पर यूरोपवासियों ने धोखे से कब्जा कर लिया।

प्रश्न 18.
चिरोकी कौन थे ? उनके साथ क्या अन्याय किया जा रहा था ?
उत्तर:

  • रोकी संयुक्त राज्य अमरीका के जॉर्जिया नामक राज्य का एक कबीला था।
  • उन्हें अंग्रेजों की जीवन शैली सीखने के बावजूद सभी प्रकार के नागरिक अधिकारों से वंचित रखा गया था।

प्रश्न 19.
यूरोपीय किस आधार पर संयुक्त राज्य अमरीका के मूल निवासियों की बेदखली को उचित ठहराते हैं ?
उत्तर:

  • वे बहुत आलसी थे। इसलिए वे बाज़ार के लिए उत्पादन करने में अपनी शिल्पकला का प्रयोग नहीं करते हैं।
  • वे अंग्रेज़ी नहीं सीखते एवं न ही ढंग के वस्त्र पहनते हैं।
  • वे ज़मीन का अधिकतम प्रयोग करना नहीं जानते हैं।

प्रश्न 20.
रिज़र्वेशंस से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उत्तरी अमरीका में मूल निवासियों को छोटे-छोटे प्रदेशों में सीमित कर दिया गया था। यह प्रायः ऐसी ज़मीन होती थी जिनके साथ उनका पहले कोई नाता नहीं होता था। इन ज़मीनों को रिज़र्वेशंस कहा जाता था।

प्रश्न 21.
‘गोल्ड रश’ से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
उत्तरी अमरीका में ‘गोल्ड रश’ क्या था ?
उत्तर:
यूरोपीय लोगों को इस बात की आशा थी कि उत्तरी अमरीका में भी सोने के भंडार हैं। 1849 ई० में संयुक्त राज्य अमरीका के कैलिफ़ोर्निया में सोने के कुछ चिन्ह मिले। इस कारण यूरोपियों में अमरीका पहुँचने की आपाधापी फैल गयी। इसे गोल्ड रश का नाम दिया गया।

प्रश्न 22.
गोल्ड रश संयुक्त राज्य अमरीका के लिए किस प्रकार एक वरदान सिद्ध हुआ ?
उत्तर:

  • संपूर्ण संयुक्त राज्य अमरीका में रेलवे लाइनों का निर्माण किया गया।
  • इस कार्य के लिए हजारों श्रमिकों को रोजगार मिला।
  • इससे उद्योगों को एक नया प्रोत्साहन मिला।

प्रश्न 23.
उत्तरी अमरीका में उद्योगों के विकास के कौन-से दो प्रमुख उद्देश्य थे ?
उत्तर:

  • रेलवे के लिए साज-सामान बनाना ताकि दूर-दूर के स्थानों को उसके द्वारा जोड़ा जा सके।
  • ऐसे यंत्रों का निर्माण करना जिनसे बड़े पैमाने पर खेती की जा सके।

प्रश्न 24.
संयुक्त राज्य अमरीका में जंगली भैंसों को किस नाम से जाना जाता था ? उनका कब तक पूरा सफ़ाया कर दिया गया ?
उत्तर:

  • संयुक्त राज्य अमरीका में जंगली भैंसों को बाइसन के नाम से जाना जाता था।
  • उनका 1890 ई० तक पूरी तरह उन्मूलन कर दिया गया।

प्रश्न 25.
संयुक्त राज्य अमरीका ने इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट कब पारित किया ? इसका उद्देश्य क्या था ?
अथवा
1934 ई० का इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट क्या था ?
उत्तर:

  • संयुक्त राज्य अमरीका ने इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1934 ई० में पारित किया।
  • इसका उद्देश्य रिज़र्वेशंस में रहने वाले मूल निवासियों को जमीन खरीदने एवं ऋण लेने का अधिकार प्रदान करना था।

प्रश्न 26.
डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइटस नामक दस्तावेज़ कब तैयार किया गया था ? इसका महत्त्व क्या था ?
उत्तर:

  • डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइटस नामक दस्तावेज़ 1954 ई० में तैयार किया गया था।
  • इसमें मूल निवासियों द्वारा यह कहा गया था कि वे संयुक्त राज्य अमरीका की नागरिकता को इस शर्त पर स्वीकार करेंगे कि उनके न तो रिज़र्वेशंस वापस लिए जाएँगे तथा न ही उनकी परंपराओं में हस्तक्षेप किया जाएगा।

प्रश्न 27.
टॉरस स्ट्रेट टापूवासी कौन थे ?
उत्तर:
टॉरस स्ट्रेट टापूवासी ऑस्ट्रेलिया के उत्तर में रहने वाला एक विशाल समूह है। उनके लिए ऐबॉरिजिनी शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वे कहीं और से आए थे एवं उनकी नस्ल भी अलग है।

प्रश्न 28.
कैप्टन कुक कौन था ?
उत्तर:

  • वह इंग्लैंड का नाविक था।
  • वह 1770 ई० में ऑस्ट्रेलिया के टापू बॉटनी बे पहुंचा था।

प्रश्न 29.
ऑस्ट्रेलिया पहुँचने वाला प्रथम यात्री कौन था ? वह किस देश से संबंधित था ? वह ऑस्ट्रेलिया कब पहुँचा था ?
उत्तर:

  • ऑस्ट्रेलिया पहुँचने वाला प्रथम यात्री विलेम जांस था।
  • वह डच (हालैंड) देश से संबंधित था।
  • वह 1606 ई० में ऑस्ट्रेलिया पहुंचा था।

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प्रश्न 30.
1770 ई० में इंग्लैंड का कौन-सा नाविक ऑस्ट्रेलिया के किस टापू में पहुँचा था ? उसका क्या नाम रखा गया ?
उत्तर:

  • 1770 ई० में इंग्लैंड का नाविक जेम्स कुक ऑस्ट्रेलिया के टापू बॉटनी बे पहुंचा था।
  • इस टापू का नाम न्यू साउथ वेल्स रखा गया।

प्रश्न 31.
ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटेन ने अपनी प्रथम बस्ती कहाँ तथा कब स्थापित की ? इसका उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:

  • ऑस्ट्रेलिया में ब्रिटेन ने अपनी प्रथम बस्ती 1788 ई० में सिडनी में स्थापित की।
  • यहाँ ब्रिटेन के अपराधियों को देश निकाले का दंड देकर भेजा जाता था।

प्रश्न 32.
ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के प्रति ब्रिटिशों का क्या दृष्टिकोण था ?
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के प्रति ब्रिटिशों का आरंभ में मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण था। मूल निवासी ब्रिटिशों की यथा संभव सहायता करते थे। 1779 ई० में ब्रिटिश नाविक की हवाई में किसी आदिवासी द्वारा हत्या कर दिए जाने के कारण उनके दृष्टिकोण में परिवर्तन आ गया एवं उनके प्रति कठोर रवैया अपनाया।

प्रश्न 33.
यूरोपवासियों ने ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास के लिए कौन-से महत्त्वपूर्ण पग उठाए ?
उत्तर:

  • यहाँ भेड़ों के पालन के लिए विशाल फार्म बनाए गए।
  • यहाँ कृषि के विकास के लिए जंगलों की सफाई की गई।
  • यहाँ मदिरा बनाने हेतु अंगूर के विशाल बाग लगाए गए।

प्रश्न 34.
चीनी अप्रवासियों के प्रति ऑस्ट्रेलिया ने क्या नीति अपनाई ?
उत्तर:
1974 ई० तक ऑस्ट्रेलिया ने चीनी अप्रवासियों के प्रति कड़ी नीति अपनाई। उन पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध लगाए गए थे। 1974 ई० में उन्हें ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश की अनुमति दे दी गई।

प्रश्न 35.
किसे तथा कब ऑस्ट्रेलिया की राजधानी बनाया गया ?
उत्तर:
कैनबरा को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी 1911 ई० में बनाया गया।

प्रश्न 36.
इतिहास की किताबों में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को शामिल क्यों नहीं किया गया था ?
उत्तर:
इतिहास की किताबों में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को इसलिए शामिल नहीं किया गया था क्योंकि यूरोपवासी उनके प्रति शत्रुता की भावना रखते थे। उन्होंने अपनी किताबों पर यह दिखाने का प्रयास किया कि वहाँ के मूल निवासियों की न तो कोई परंपरा है एवं न ही कोई इतिहास।

प्रश्न 37.
डब्ल्यू० ई० एच० स्टैनर ने कब तथा किस पुस्तक की रचना की ? इसका विषय क्या था ?
उत्तर:

  • डब्ल्यू० ई० एच० स्टैनर ने 1968 ई० में दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस नामक पुस्तक की रचना की।
  • इसका विषय यूरोपवासियों में ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों की संस्कृति को जानने के लिए जागृति उत्पन्न करना था।

प्रश्न 38.
बहुसंस्कृतिवाद नीति से आपका क्या अभिप्राय है ? ऑस्ट्रेलिया ने इस नीति को कब अपनाया ?
उत्तर:

  • बहुसंस्कृतिवाद की नीति से अभिप्राय ऐसी नीति से है जिसमें मूल निवासियों, यूरोप एवं एशिया के अप्रवासियों की संस्कृति को बराबर का सम्मान दिया जाता था।
  • ऑस्ट्रेलिया ने इस नीति को 1974 ई० में अपनाया।

प्रश्न 39.
टेरा न्यूलिअस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:

  • टेरा न्यूलिअस नीति से अभिप्राय ऐसी भूमि से था जो किसी की भी नहीं है।
  • ऑस्ट्रेलिया ने इस नीति का अंत 1992 ई० में किया था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
कनाडा के कितने प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं ?
उत्तर:
40 प्रतिशत।

प्रश्न 2.
कनाडा का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उद्योग कौन-सा है ?
उत्तर:
मछली उद्योग।

प्रश्न 3.
उत्तरी अमरीका के सबसे प्रथम निवासी किस रास्ते से आए थे ?
उत्तर:
बेरिंग स्ट्रेट्स।

प्रश्न 4.
उत्तरी अमरीका के जंगली भैंसों को क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
बाइसन।

प्रश्न 5.
क्या उत्तरी अमरीका के मूल निवासी ज़मीन पर अपनी व्यक्तिगत मलकियत जताते थे ?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 6.
उत्तरी अमरीका में कबीलों में आपसी समझौता होने पर वे किसका आदान-प्रदान करते थे ?
उत्तर:
वेमपुम बेल्ट का।

प्रश्न 7.
जॉन कैबोट न्यूफाऊँडलैंड कब पहुँचा ?
उत्तर:
1497 ई० में।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने वर्जीनिया को अपना उपनिवेश कब बनाया ?
उत्तर:
1607 ई० में।

प्रश्न 9.
विलियम वड्सवर्थ कौन था ?
उत्तर:
इंग्लैंड का एक महान् कवि।

प्रश्न 10.
अमरीका के किस राष्ट्रपति ने उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों के उन्मूलन को सही बताया ?
उत्तर:
थॉमस जैफ़र्सन ने।

प्रश्न 11.
उत्तरी अमरीका में रोएँदार खाल प्राप्त करने के लिए यूरोपीय किस जानवर को बड़ी संख्या में मार रहे थे ?
उत्तर:
उदबिलाव को।

प्रश्न 12.
ब्रिटेन ने अमरीका में कितने उपनिवेशों की स्थापना की थी ?
उत्तर:
13.

प्रश्न 13.
अमरीका के उपनिवेशों ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्ति की घोषणा कब की ?
उत्तर:
1776 ई० में।

प्रश्न 14.
संयुक्त राज्य अमरीका ने फ्रांस से लुइसियाना को कब खरीदा था ?
उत्तर:
1803 ई० में।

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प्रश्न 15.
संयुक्त राज्य अमरीका ने 1867 ई० में अलास्का को किस से खरीदा था ?
उत्तर:
रूस से।

प्रश्न 16.
अमरीकी फ्रंटियर का अंत कब हुआ ?
उत्तर:
1892 ई० में।

प्रश्न 17.
अमरीका में खेती के लिए कंटीले तारों का प्रयोग कब शुरू हुआ ?
उत्तर:
1873 ई० में।

प्रश्न 18.
अमरीका में दास प्रथा के अंत के लिए किसने उल्लेखनीय भूमिका निभाई ?
उत्तर:
अब्राहम लिंकन ने।

प्रश्न 19.
चिरोकी कहाँ के निवासी थे ?
उत्तर:
जॉर्जिया के।

प्रश्न 20.
चिरोकियों का उन्मूलन का सफर किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
आँसुओं की राह।

प्रश्न 21.
कनाडा में किन्होंने 1869 ई० से 1885 ई० के दौरान विद्रोह का झंडा बुलंद किया ?
उत्तर:
मेटिसों ने।

प्रश्न 22.
गोल्ड रश कब आरंभ हुआ ?
उत्तर:
1849 ई० में।

प्रश्न 23.
कनाडा में रेलवे का निर्माण कब पूरा हुआ ?
उत्तर:
1885 ई० में।

प्रश्न 24.
1928 ई० में किसकी अध्यक्षता में मूल निवासियों की समस्याओं को जानने के लिए एक सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ ?
उत्तर:
लेवाइस मेरिअम।

प्रश्न 25.
इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट कब पारित हुआ था ?
उत्तर:
1934 ई० में।

प्रश्न 26.
अमरीकी मूल निवासियों के अधिकारों को सरकार द्वारा कब स्वीकृति दी गई ?
उत्तर:
1982 ई० में।

प्रश्न 27.
ऑस्ट्रेलिया में आदिमानव कब पहुँचा ?
उत्तर:
40,000 वर्ष पहले।

प्रश्न 28.
ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
ऐबॉरिजिनीज।

प्रश्न 29.
कौन-सा डच यात्री 1606 ई० में सर्वप्रथम ऑस्ट्रेलिया पहुँचा ?
उत्तर:
विलेम जांस।

प्रश्न 30.
किस वर्ष डच यात्री ए० जे० तास्मान ऑस्ट्रेलिया पहुँचा ?
उत्तर:
1642 ई० में।

प्रश्न 31.
जेम्स कुक बॉटनी बे कब पहुँचा था ?
उत्तर:
1770 ई० में।

प्रश्न 32.
जेम्स कुक ने बॉटनी बे का नाम क्या रखा ?
उत्तर:
न्यू साउथ वेल्स।

प्रश्न 33.
ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी प्रथम बस्ती कहाँ स्थापित की ?
उत्तर:
सिडनी में।

प्रश्न 34.
किस घटना के चलते यूरोपवासियों एवं ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के संबंधों में बिगाड़ आ गया ?
उत्तर:
जेम्स कुक की हत्या के कारण।

प्रश्न 35.
ऑस्ट्रेलिया में बड़ी संख्या में किन भेड़ों को पाला जाता था ?
उत्तर:
मैरिनो भेड़।

प्रश्न 36.
किस वर्ष तक गैर-गोरों को ऑस्ट्रेलिया से बाहर रखने की नीति अपनाई गई ?
उत्तर:
1974 ई० तक।

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प्रश्न 37.
1911 ई० में किसे ऑस्ट्रेलिया की राजधानी घोषित किया गया ?
उत्तर:
कैनबरा।

प्रश्न 38.
दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस का लेखक कौन था ?
उत्तर:
डब्ल्यू० ई० एच० स्टैनर।

प्रश्न 39.
हेनरी रेनॉल्डस की प्रसिद्ध रचना का नाम क्या था ?
उत्तर:
व्हाई वरंट वी टोल्ड।

प्रश्न 40.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने बहु-संस्कृतिवाद की नीति को कब अपनाया ?
उत्तर:
1974 ई० में।

प्रश्न 41.
ऑस्ट्रेलिया ने टेरा न्यूलिअस नीति के अंत की घोषणा कब की ?
उत्तर:
1992 ई० में।

रिक्त स्थान भरिए

1. उत्तरी अमेरिका के सबसे प्रथम निवासी . …………….. वर्ष पूर्व एशिया से आए थे।
उत्तर:
30,000

2. उत्तरी अमेरिका के सबसे प्रथम निवासी ………………. के मार्ग से आए।
उत्तर:
बेरिंग स्ट्रेट्स

3. उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी जिन जंगली भैंसों का शिकार करते थे उन्हें ………………. कहते थे।
उत्तर:
बाइसन

4. अंग्रेजों ने प्लाइमाउथ की खोज ……………….. में की।
उत्तर:
1620 ई०

5. अमेरिका द्वारा कंटीली तारों की खोज ………………. में की गई।
उत्तर:
1873

6. संयुक्त राज अमेरिका में ……………….. ई० में दास प्रथा का अंत किया गया।
उत्तर:
1865

7. संयुक्त राज अमेरिका में दास प्रथा का अंत ………………. के प्रयत्नों के परिणामस्वरूप हुआ।
उत्तर:
अब्राहम लिंकन

8. 1849 ई० में संयुक्त राज्य अमेरिका के ……………….. राज्य में सोने के कुछ चिह्न प्राप्त हुए थे।
उत्तर:
कैलीफोर्निया

9. आस्ट्रेलिया की खोज ………………. ने की थी।
उत्तर:
विलेम जांस

10. आस्ट्रेलिया की खोज ………………. ई० में की गई थी।
उत्तर:
1606

11. 1788 ई० में ब्रिटेन में स्थापित हुई प्रथम बस्ती का नाम ……………….. था।
उत्तर:
सिडनी

12. ऑस्ट्रेलिया में ……………….. नामक भेड़ों को अत्यधिक पाला जाता था।
उत्तर:
मैरिनो

13. 1911 ई० में ऑस्ट्रेलिया की राजधानी ……………….. को बनाया गया।
उत्तर:
कैनबरा

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14. कैनबरा को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी ……………….. ई० में बनाया गया।
उत्तर:
1911

15. ……………….. में ऑस्ट्रेलिया द्वारा टेरा न्यूलिअस नीति का त्याग कर दिया गया।
उत्तर:
1992 ई०

16. ‘दि ग्रेट आस्ट्रेलियन साइलेंस’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक की रचना ……………. द्वारा की गई थी।
उत्तर:
डब्ल्यू. ई० एच० स्टैनर

17. ‘व्हाई वरंट वी टोल्ड’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक की रचना ………….. द्वारा की गई थी।
उत्तर:
हेनरी रेनॉल्डस

18. आस्ट्रेलिया में ‘राष्ट्रीय क्षमा याचना दिवस’ मनाने की घोषणा ……… . में की गई।
उत्तर:
1999 ई०

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. उत्तरी अमरीका के पश्चिम क्षेत्र में कौन-सा मरुस्थल स्थित है ?
(क) मिसीसिपी
(ख) अरिज़ोना
(ग) ओहियो
(घ) अप्पालाचियाँ।
उत्तर:
(ख) अरिज़ोना

2. कनाडा के कितने प्रतिशत क्षेत्र में वन हैं ?
(क) 20%
(ख) 30%
(ग) 40%
(घ) 50%.
उत्तर:
(ग) 40%

3. निम्नलिखित में से कौन-सी फ़सल उत्तरी अमरीका की प्रमुख फ़सल नहीं है ?
(क) कपास
(ख) मकई
(ग) गेहूँ
(घ) फल।
उत्तर:
(क) कपास

4. उत्तरी अमरीका में जलवायु में स्थिरता कब आई ?
(क) एक हजार वर्ष पूर्व
(ख) दो हज़ार वर्ष पूर्व
(ग) तीन हजार वर्ष पूर्व ।
(घ) पाँच हजार वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(घ) पाँच हजार वर्ष पूर्व।

5. उत्तरी अमरीका के लोग किसके माँस का अधिक प्रयोग करते थे ?
(क) बाइसन
(ख) लामा
(ग) अल्पाका
(घ) भेड़।
उत्तर:
(क) बाइसन

6. उत्तरी अमरीका के कबीले आपसी समझौता होने पर किस वस्तु का आदान-प्रदान करते थे ?
(क) वेमपुम बेल्ट का
(ख) चमड़े की बेल्ट का
(ग) फलों का
(घ) फूलों का।
उत्तर:
(क) वेमपुम बेल्ट का

7. एंड्रिउ जैक्सन किस देश के राष्ट्रपति थे
(क) चीन
(ख) जापान
(ग) फ्राँस
(घ) अमेरिका।
उत्तर:
(घ) अमेरिका।

8. अमरीका स्वतंत्र देश कब बना ?
(क) 1776 ई० में
(ख) 1779 ई० में
(ग) 1786 ई० में
(घ) 1789 ई० में।
उत्तर:
(क) 1776 ई० में

9. रूसो किस देश का निवासी था ?
(क) अमरीका
(ख) इंग्लैंड
(ग) फ्राँस
(घ) चीन।
उत्तर:
(ग) फ्राँस

10. अमरीकी फ्रंटीयर का अंत किस वर्ष हुआ ?
(क) 1803 ई० में
(ख) 1852 ई० में
(ग) 1892 ई० में
(घ) 1902 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1892 ई० में

11. किस शताब्दी में यूरोपीय लोग संयुक्त राज्य अमरीका में आकर बसने लगे थे ?
(क) 15वीं शताब्दी में
(ख) 17वीं शताब्दी में
(ग) 18वीं शताब्दी में
(घ) 19वीं शताब्दी में।
उत्तर:
(घ) 19वीं शताब्दी में।

12. संयुक्त राज्य अमरीका में दास प्रथा का अंत कब हुआ ?
(क) 1861 ई० में
(ख) 1865 ई० में
(ग) 1867 ई० में
(घ) 1875 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1865 ई० में

13. संयुक्त राज्य अमरीका से मूल निवासियों की बेदखली के लिए यूरोपवासियों ने कौन-सा ढंग अपनाया ?
(क) उन्हें हटने के लिए प्रेरित किया गया
(ख) उन्हें हटने के लिए धमकाया गया
(ग) उन्होंने मूल निवासियों के साथ धोखा किया
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

14. चिरोकी कहाँ के निवासी थे ?
(क) कुज़को के
(ख) जॉर्जिया के
(ग) अलास्का के
(घ) लुइसियाना के।
उत्तर:
(ख) जॉर्जिया के

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15. किनके सफर की तुलना ‘आँसुओं की राह’ से की गई ?
(क) मार्को पोलो की
(ख) चिरोकियों की
(ग) मेटिसों की
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) चिरोकियों की

16. कनाडा कब स्वयत राज्यों का एक संघ बना ?
(क) 1837 ई० में
(ख) 1847 ई० में
(ग) 1857 ई० में
(घ) 1867 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1867 ई० में।

17. ‘कनाडा-इंडियस एक्ट’ कब. पास हुआ था ?
(क) 1717 ई० में
(ख) 1749 ई० में
(ग) 1856 ई० में
(घ) 1876 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1876 ई० में।

18. ये शब्द किसने कहे, “पुराने राष्ट्र घोंघे की चाल से सरकते हैं नया गणराज्य किसी एक्सप्रैस की गति से दौड़ रहा है।”
(क) जॉन मार्शल ने
(ख) एंड्रिउ जैकसन ने
(ग) एंड्रिउ कार्नेगी ने
(घ) थॉमस जैफ़सन ने।
उत्तर:
(ग) एंड्रिउ कार्नेगी ने

19. इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट कब पास हुआ ?
(क) 1930 ई० में
(ख) 1934 ई० में
(ग) 1936 ई० में
(घ) 1940 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1934 ई० में

20. 1934 ई० के इंडियन रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट के अधीन उत्तरी अमरीका के मूल निवासियों को कौन-सा अधिकार दिया गया ?
(क) वोट डालने का
(ख) संपत्ति खरीदने के
(ग) राष्ट्रपति पद के चुनाव का
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) संपत्ति खरीदने के

21. डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइट्स एक्ट कब पारित किया गया ?
(क) 1924 ई० में
(ख) 1934 ई० में
(ग) 1954 ई० में
(घ) 1982 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1954 ई० में

22. ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी जिस प्रदेश में रहते थे, वह कहलाता था
(क) टॉरस स्ट्रेट टापूवासी
(ख) बेरिंग स्ट्रेट्स टापूवासी
(ग) क्यूबेक टापूवासी
(घ) वर्जीनिया टापूवासी।
उत्तर:
(क) टॉरस स्ट्रेट टापूवासी

23. ऑस्ट्रेलिया की खोज किसने की ?
(क) कोलंबस ने
(ख) ए० जे० तास्मान ने
(ग) विलेम जांस ने
(घ) फ्रांसीसिको पिज़ारो ने।
उत्तर:
(ग) विलेम जांस ने

24. जेम्स कुक किस देश का प्रसिद्ध नाविक था ?
(क) ऑस्ट्रेलिया का
(ख) इंग्लैंड का
(ग) पुर्तगाल का
(घ) डच का।
उत्तर:
(ख) इंग्लैंड का

25. आयरलैंड किस देश का उपनिवेश था ?
(क) अमेरिका
(ख) फ्राँस
(ग) इंग्लैंड
(घ) जर्मनी।
उत्तर:
(ग) इंग्लैंड

26. इंग्लैंड ने अपनी प्रथम बस्ती ऑस्ट्रेलिया में कहाँ स्थापित की थी ?
(क) बॉटनी बे में
(ख) न्यू साउथ वेल्स में
(ग) सिडनी में
(घ) तस्मानिया में।
उत्तर:
(ग) सिडनी में

27. ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कहाँ है ?
(क) सिडनी
(ख) कैनबरा
(ग) मेलबोर्न
(घ) डरबन।
उत्तर:
(ख) कैनबरा

28. ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा कब बनाई गई ?
(क) 1880 में
(ख) 1899 में
(ग) 1903 में
(घ) 1911 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1911 ई० में।

29. डब्ल्यू० ई० एच० स्टैनर की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम क्या था ?
(क) व्हाई वरंट वी टोल्ड
(ख) दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस
(ग) ऑन प्लेजर
(घ) दि रिवल्यूशनिबस।
उत्तर:
(ख) दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस

30. ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने बहु-संस्कृतिवाद की नीति को कब अपनाया ?
(क) 1968 ई० में
(ख) 1970 ई० में
(ग) 1972 ई० में
(घ) 1974 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1974 ई० में।

31. ज्यूडिथ राइट कौन थी ?
(क) ऑस्ट्रेलिया की लेखिका
(ख) फ्रांस की लेखिका
(ग) पुर्तगाल की विद्वान्
(घ) ब्रिटेन की कलाकार।
उत्तर:
(क) ऑस्ट्रेलिया की लेखिका

32. इंग्लैंड ने अपनी प्रथम बस्ती ऑस्ट्रेलिया में कहाँ स्थापित की थी ?
(क) बॉटनी बे में
(ख) न्यू साउथ वेल्स में
(ग) सिडनी में
(घ) तस्मानिया में।
उत्तर:
(ग) सिडनी में

33. ‘हमें बताया क्यों नहीं गया’ का लेखक कौन है ?
(क) कैप्टन कुक
(ख) हेनरी रेनॉल्डस
(ग) एडम स्मिथ
(घ) टेकुमेस।
उत्तर:
(ख) हेनरी रेनॉल्डस

34. ऑस्ट्रेलिया में टेरा न्यूलिअस नीति का अंत कब किया गया ?
(क) 1972 ई० में
(ख) 1982 ई० में
(ग) 1992 ई० में
(घ) 1999 ई० में ।
उत्तर:
(ग) 1992 ई० में

35. ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय क्षमायाचना दिवस कब मनाया जाता है ?
(क) 5 मार्च को
(ख) 26 मई को
(ग) 20 अगस्त को
(घ) 19 नवंबर को।
उत्तर:
(ख) 26 मई को

मूल निवासियों का विस्थापन HBSE 11th Class History Notes

→ 17वीं एवं 18वीं शताब्दियों में हालैंड, इंग्लैंड एवं फ्राँस ने उत्तरी अमरीका एवं ऑस्ट्रेलिया में अपने उपनिवेश स्थापित किए। जिस समय ये यूरोपीय वहाँ पहुँचे तो वहाँ के मूल निवासी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बहुत गर्मजोशी से इन यूरोपियों का स्वागत किया। ये मूल निवासी बहुत सादा जीवन व्यतीत करते थे।

→ वे ज़मीन पर अपनी मलकियत का दावा नहीं करते थे। वे उतनी ही फ़सलों का उत्पादन करते जितनी उनके जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक होती थीं। वे प्रमुखतः मछली एवं माँस खाते थे। वे वस्तुओं के किए गए आदान-प्रदान को दोस्ती में दिए गए उपहार समझते थे। दूसरी ओर यूरोपीय व्यापार के उद्देश्य से एवं सोना प्राप्त करने के उद्देश्य से वहाँ पहुँचे थे।

→ आरंभ में उन्होंने मूल निवासियों के आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाया। मूल निवासी उनके वास्तविक उद्देश्य को भांपने में विफल रहे। धीरे-धीरे जब यूरोपियों की शक्ति में वृद्धि हो गई तो उनका वास्तविक चेहरा मूल निवासियों के सामने आया। इन यूरोपियों ने मूल निवासियों पर अनेक जुल्म किए।

→ उन्हें सभी प्रकार के अधिकारों से वंचित कर दिया गया। यहाँ तक कि उन्हें अपनी ज़मीनें छोडने के लिए भी बाध्य किया गया। इस प्रकार मल निवासी दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हुए। मूल निवासियों ने अपने अधिकारों को पाने के लिए अनेक बार विद्रोह किए किंतु उनका दमन कर दिया गया।

→ 20वीं शताब्दी में यूरोपवासियों में मूल निवासियों के प्रति एक नई चेतना उत्पन्न हुई। अतः उत्तरी अमरीका एवं ऑस्ट्रेलिया की सरकारों ने मूल निवासियों की संस्कृति एवं अधिकारों को मान्यता प्रदान की। निस्संदेह यह मूल निवासियों की एक महान् विजय थी।

→ किंतु यह दुःख की बात है कि इस समय तक मूल निवासियों की जनसंख्या बहुत कम रह गई है। वे शहरों में बहुत कम नज़र आते हैं। यहाँ तक कि ये लोग यह भी भूल चुके हैं कि कभी इन देशों के अधिकाँश हिस्से उनके अधीन थे।

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HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Practical Work in Geography Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. अन्तर्राष्ट्रीय श्रृंखला के स्थलाकृतिक मानचित्रों की संख्या कितनी है?
(A) 2,222
(B) 1,822
(C) 2,144
(D) 2,488
उत्तर:
(A) 2,222

2. सर्वे ऑफ इण्डिया का स्थापना वर्ष है-
(A) सन् 1744
(B) सन् 1755
(C) सन् 1764
(D) सन् 1767
उत्तर:
(D) सन् 1767

3. सर्वे ऑफ इण्डिया का मुख्यालय कहाँ पर स्थित है?
(A) देहरादून में
(B) कोलकाता में
(C) मुम्बई में
(D) इलाहाबाद में
उत्तर:
(A) देहरादून में

HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

4. कृषिकृत भूमि उपयोग को प्रदर्शित करने के लिए किस रंग का प्रयोग किया जाता है?
(A) पीला
(B) हल्का हरा
(C) भूरा
(D) लाल
उत्तर:
(A) पीला

5. मानचित्र पर उच्चावच प्रदर्शित करने की प्रचलित विधि है-
(A) हैश्यूर
(B) पहाड़ी छायाकरण
(C) समोच्च रेखाएँ
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थलाकृतिक मानचित्र क्या होते हैं?
उत्तर:
स्थलाकृतिक मानचित्र वृहत् पैमाने पर बने बहु-उद्देशीय मानचित्र होते हैं जिन पर प्राकृतिक व सांस्कृतिक लक्षणों के विवरण को देखा जा सकता है।

प्रश्न 2.
अन्तर्राष्ट्रीय श्रृंखला के मानचित्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इस श्रृंखला के मानचित्रों को 1:1000000 अथवा 1:250000 के मापक पर बनाया जाता है। इनका विस्तार 4° अक्षांश तथा 6° देशान्तर होता है। इन मानचित्रों को वन-टू-वन मिलियन शीट भी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
स्थलाकृतिक मानचित्रों पर कौन-कौन से विवरण अंकित होते हैं?
उत्तर:
इन मानचित्रों पर भौतिक और सांस्कृतिक विवरण दिखाए जाते हैं; जैसे उच्चावच, अपवाह तन्त्र, जलीय स्वरूप, प्राकृतिक वनस्पति, बस्तियाँ (गाँव, नगर), मार्ग, सड़कें, रेलमार्ग, भवन, स्मारक, संचार-साधन, सीमाएँ, पूजा-स्थल इत्यादि।

प्रश्न 4.
स्थलाकृतिक मानचित्रों पर भौतिक तथा सांस्कृतिक लक्षणों को किस तरीके (विधि) से दिखाया जाता है?
उत्तर:
रूढ़ चिह्नों द्वारा।

प्रश्न 5.
रूढ़ चिह्न क्या होते हैं?
उत्तर:
वे संकेत व प्रतीक जिनके माध्यम से मानचित्रों पर विभिन्न लक्षण प्रदर्शित किए जाते हैं, रूढ़ चिह्न कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
स्थलाकृतिक मानचित्रों पर कौन-से प्रमुख भौगोलिक लक्षण नहीं दिखाए जाते हैं?
उत्तर:
जलवायु, तापमान, वर्षा, मिट्टी के प्रकार, चट्टानें, भू-गर्भ, फसलों के अन्तर्गत भूमि, जनसंख्या इत्यादि तत्त्व स्थलाकृतिक मानचित्रों पर नहीं दिखाए जाते।

HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

प्रश्न 7.
स्थलाकृतिक मानचित्रों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
यह सर्वेक्षण के समय की भू-तल की आकृति को हू बहू मानचित्र पर उतार देता है। अतः इसका उपयोग क्षेत्रीय विकास (Regional Development) के लिए खूब किया जाता है।

प्रश्न 8.
सर्वे ऑफ इण्डिया की स्थापना कब हुई थी? इसका मुख्य कार्यालय कहाँ स्थित है?
उत्तर:
इस विभाग की स्थापना सन् 1767 में हुई थी। इसका मुख्य कार्यालय देहरादून में है।

प्रश्न 9.
अन्तर्राष्ट्रीय शृंखला के मानचित्रों की कुल संख्या कितनी है?
उत्तर:
2,2221

प्रश्न 10.
अन्तर्राष्ट्रीय श्रृंखला के मानचित्रों का मापक क्या होता है?
उत्तर:
1:1,000,000; इन्हें एक मिलियन मानचित्र कहते हैं।

प्रश्न 11.
भारत एवं निकटवर्ती देशों की श्रृंखला से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ये 4° दक्षिण से 40° उत्तर अक्षांश तथा 44° पूर्व से 104° पूर्व देशान्तर के बीच स्थित क्षेत्र के 106 मानचित्र हैं। इनका मापक 1:1,000,000 (मिलियन) है। इनका विस्तार 4° अक्षांश x 4° देशांतर है।

प्रश्न 12.
स्थलाकृतिक मानचित्र किस मापक पर बना होता है?
उत्तर:
वृहत् मापक पर।

प्रश्न 13.
स्थलाकृतिक मानचित्र किस विभाग द्वारा बनाए जाते हैं?
उत्तर:
भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा।

प्रश्न 14.
भारतीय सर्वेक्षण विभाग का मुख्यालय कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
देहरादून (उत्तराखंड)।

प्रश्न 15.
भारत के स्थलाकृतिक मानचित्रों की सूची संख्या बताओ।
उत्तर:
40 से 92 तक।

प्रश्न 16.
रूढ़ चिह्नों को मापक के अनुसार क्यों नहीं बनाया जाता?
उत्तर:
मापक के अनुसार बनाने पर अधिकतर लक्षण बहुत छोटे हो जाते हैं।

प्रश्न 17.
स्थलाकृतिक मानचित्रों में किसी क्षेत्र के ढाल का अनुमान कैसे लगता है?
उत्तर:
नदियों की प्रकट दिशा तथा समोच्च रेखाओं से।

प्रश्न 18.
मौसमी नदियों को किस रंग द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?
उत्तर:
काले रंग से।

प्रश्न 19.
सड़कों तथा रेलमार्गों के साथ-साथ मिलने वाली बस्तियों का प्रतिरूप कैसा होता है?
उत्तर:
रेखीय प्रतिरूप।

प्रश्न 20.
भू-पत्रकों पर बस्तियों को किस रंग द्वारा दिखाया जाता है?
उत्तर:
लाल रंग से।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थलाकृतिक मानचित्र क्या होता है?
उत्तर:
स्थलाकृतिक मानचित्र समतल और भूगणितीय सर्वेक्षणों पर आधारित ऐसे बहु-उद्देशीय मानचित्र होते हैं जिन्हें वृहत् मापक (Large Scale) पर बनाया जाता है। इन पर प्राकृतिक व सांस्कृतिक विवरण देखे जा सकते हैं; जैसे धरातल, जल-प्रवाह, वनस्पति, गाँव, नगर, सड़कें, नहरें, रेल लाइनें, पूजा स्थल इत्यादि विस्तारपूर्वक रूढ़ चिह्नों द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं।

प्रश्न 2.
स्थलाकृतिक मानचित्रों की उपयोगिता एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यदि भू-तल पर वितरित विभिन्न भौतिक एवं सांस्कृतिक स्वरूपों में पाए जाने वाले अंतर्संबन्धों (Inter-relationships) का विश्लेषण और व्याख्या करनी हो तो स्थलाकृतिक मानचित्रों से बढ़िया और कोई साधन नहीं है। भौगोलिक अध्ययन के अतिरिक्त ये मानचित्र सैनिक गतिविधियों, प्रशासन, नियोजन, शोध, यात्रा तथा अन्वेषण के लिए भी उपयोगी होते हैं। रक्षा विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि युद्ध की सफलता सेना अधिकारियों द्वारा उस क्षेत्र के स्थलाकृतिक मानचित्रों के गहन अध्ययन पर निर्भर करती है क्योंकि ये मानचित्र भूमि के चप्पे-चप्पे की जानकारी देते हैं। इससे सम्भावित आक्रमण और सुरक्षित स्थानों का अन्दाजा हो जाता है।

प्रश्न 3.
भारत और निकटवर्ती देशों की मानचित्र शृंखला का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत और निकटवर्ती देशों के मानचित्र निम्नलिखित प्रणालियों में तैयार किए गए हैं-
1. एक मिलियन शीट या डिग्री शीट-इस शृंखला के मानचित्रों को 1:1,000,000 के मापक पर बनाया जाता है तथा इनका विस्तार 4° अक्षांश तथा 4° देशान्तर होता है।

2. चौथाई इंच प्रति मील शृंखला-इनका मापक \(\frac { 1 }{ 4 }\) इंच : 1 मील अथवा 1″ : 4 मील या 1:253440 होता है। इसलिए इनको चौथाई इंच शीट या डिग्री शीट भी कहा जाता है। इनका विस्तार 1° अक्षांश से 1° देशान्तर होता है।

3. आधा इंच प्रति मील श्रृंखला-इनका मापक 1/2″ : 1 मील या 1″ : 2 मील या 1:126720 होता है। इनका अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार आधा डिग्री या 30′ होता है।

4. एक इंच प्रति मील शृंखला-इन मानचित्रों का मापक 1 इंच : 1 मील अथवा 1:63360 होता है तथा इनका अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार 15′ होता है।

5. 1:25,000 मापक की शृंखला-इन्हें चौथाई डिग्री शीट वाले मानचित्र भी कहा जाता है। इनका मापक 1:50,000 होता है। इनका अक्षांशीय विस्तार 5′ तथा देशान्तरीय विस्तार 7V’ होता है।

प्रश्न 4.
उच्चावच को प्रदर्शित करने की विधियों के नाम बताइए।
उत्तर:
मानचित्र पर भू-तल के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों का चित्रण भूगोल का एक अभिन्न अंग है। धरातल पर कहीं पर्वत, पठार, समतल मैदान तथा घाटियाँ हैं। अतः धरातलीय उच्चावच को प्रदर्शित करना भूगोलवेत्ता का महत्त्वपूर्ण कार्य है। इसको प्रदर्शित करने की निम्नलिखित विधियाँ हैं-

  • हैश्यूर (Hachures)
  • स्थानिक ऊँचाइयाँ, तल चिह्न एवं त्रिकोणमितीय स्टेशन (Spot Heights, Bench Marks and Trigonometrical Stations)
  • पहाड़ी छायाकरण (Hill Shading)
  • स्तर वर्ण (Layer Tints)
  • भू-आकृति चिह्न (Physiographic Symbols)
  • समोच्च रेखाएँ (Contours)
  • खंडित रेखाएँ (Form lines)
  • मिश्रित विधियाँ (Mixed Methods) आदि।

HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र

प्रश्न 5.
समोच्च रेखाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समोच्च रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं जो समुद्र-तल से ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाती है। (A Contour is an imaginary line which joins place of equal altitude above the sea level.) अतः 200 मीटर वाली समोच्च रेखा का तात्पर्य इस समोच्च रेखा से है जो समुद्र की सतह से 200 मीटर वाले स्थानों को मिलाकर खींची जाती है। इन्हें एक निश्चित अन्तराल पर खींचा जाता है।

प्रश्न 6.
समोच्च रेखाओं की क्या विशेषताएँ (लक्षण) हैं?
उत्तर:
समोच्च रेखाओं की निम्नलिखित विशेषताएँ (लक्षण) हैं-

  • समोच्च रेखाएँ मानचित्र में वक्राकार होती हैं।
  • ये समुद्र-तल से समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाती हैं।
  • ये रेखाएँ तो मिल जाती हैं परन्तु एक-दूसरे को काटती नहीं हैं। ये रेखाएँ जल-प्रपात के स्थान पर मिल जाती हैं, केवल प्रलम्बी भृगु (Over hanging clif) की समोच्च रेखाएँ एक-दूसरे को काटती हैं।
  • किसी स्थान का उच्चावच इन रेखाओं की सहायता से किया जाता है।
  • ये निश्चित उर्ध्वाकार अन्तराल पर खींची जाती हैं। इनके द्वारा दो स्थानों के बीच ऊँचाई का स्पष्ट एवं सही ज्ञान हो जाता है।
  • जब समोच्च रेखाएँ पास-पास हों तो ढाल तीव्र तथा जब इनकी आपसी दूरी अधिक हो तो ढाल मन्द होती है।

प्रश्न 7.
समोच्च रेखाओं के गुण और दोष क्या हैं?
उत्तर:
गुण समोच्च रेखाओं के गुण निम्नलिखित हैं-

  • इस विधि द्वारा विभिन्न भू-आकृतियाँ सरलता से दिखाई जा सकती हैं।
  • इस उच्चावच को दर्शाने की सर्वोत्तम विधि है।
  • समोच्च रेखाओं द्वारा किसी भी क्षेत्र की ऊँचाई तथा ढाल ज्ञात की जा सकती है।
  • यह एक शुद्ध विधि है।

दोष समोच्च रेखाओं के दोष निम्नलिखित हैं-

  • ऊर्ध्वाधर अन्तराल अधिक होने पर छोटी-छोटी भू-आकृतियों को इस विधि द्वारा मानचित्र पर नहीं दर्शाया जा सकता।
  • इस विधि द्वारा पर्वतीय तथा मैदानी क्षेत्रों को साथ-साथ दिखाने में कठिनाई होती है।

प्रश्न 8.
ऊर्ध्वाधर अन्तराल किसे कहते हैं?
उत्तर:
किन्हीं दो समोच्च रेखाओं के मध्य ऊँचाई का जो अन्तर होता है, उसे ऊर्ध्वाधर अन्तराल कहते हैं। (Vertical interval is the difference of height between any two successive contours.) इसे संक्षेप में V.I. कहते हैं। यह हमेशा स्थिर रहता है तथा इसे मीटर तथा फुट में दिखाया जाता है। मानचित्र पर समोच्च रेखाएँ भूरे रंग से 20, 50, 100 तथा 200 मीटर अथवा फुट के अन्तर पर खींची जाती हैं।

प्रश्न 9.
क्षैतिज तुल्यमान किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो समोच्च रेखाओं के बीच क्षैतिज दूरी को क्षैतिज तुल्यमान कहते हैं। (Horizontal equivalent is the horizontal distance between any two successive contours.) इसे H.E. से पुकारा जाता है। यह ढाल के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। यदि ढाल अधिक है तो समोच्च रेखाओं के मध्य की दूरी कम होगी और यदि ढाल कम है तो इनके बीच की दूरी अधिक होगी। पर्वतीय क्षेत्रों की समोच्च रेखाएँ पास-पास होती हैं। इसलिए ऐसे क्षेत्रों की समोच्च रेखाओं का क्षैतिज तुल्यमान कम तथा मैदानी क्षेत्रों में यह अधिक होता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
परिच्छेदिका किसे कहते हैं? परिच्छेदिका खींचने की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
परिच्छेदिका अथवा अनुप्रस्थ काट (Profile or Cross-Section)-“समोच्च रेखा मानचित्र पर किसी दी गई पार्श्व रेखा के सहारे भू-तल की बाहरी रूपरेखा को परिच्छेदिका कहते हैं।” इसे अनुप्रस्थ काट अथवा पार्श्व चित्र भी कहते हैं। परिच्छेदिका समझ सकते हैं। मान लीजिए धरातल पर किसी स्थलरूप को एक सरल रेखा के सहारे खड़े तल में ऊपर से नीचे काटकर उसके एक भाग को हटा दिया जाए तो बचे हुए भाग का ऊपरी किनारा या सीमा रेखा उस स्थल की परिच्छेदिका को प्रकट करेगा। जिस सरल रेखा के सहारे स्थलरूप को काटा गया है वह उस परिच्छेदिका की काट-रेखा (Line of Section) कहलाती है। काट-रेखा के बारे में उल्लेखनीय है कि इसे सरल रेखा के रूप में सीधा या तिरछा किसी भी दिशा में खींचा जा सकता है।

परिच्छेदिका खींचना – मान लो एक समोच्च रेखा मानचित्र में AB, CD, EF तथा GH चार समोच्च रेखाएं दी हुई हैं। (चित्र 6.1) तथा AB रेखा के साथ इसकी परिच्छेदिका खींचनी है।

  • सर्वप्रथम A तथा B बिंदुओं को मिलाते हुए एक सरल रेखा इस प्रकार खींचो कि वह समोच्च रेखाओं को C, D, E, F, G तथा H बिंदुओं पर काटे।
  • मानचित्र के नीचे एक अन्य रेखा A B लो जिसकी लंबाई AB रेखा के बराबर हो। यह रेखा परिच्छेदिका की आधार रेखा होगी।
    A तथा B बिंदुओं से नीचे की ओर AA’ तथा BB’ दो लंब गिराओ।
  • इन लंबवत रेखाओं के सहारे आधार रेखा से ऊपर की ओर समान दूरी पर किसी मापनी के अनुसार 200, 300, 400, 500 व 600 मीटर की ऊंचाई दिखाने वाली रेखाएं खींचो जो A B के समानांतर हों। ये रेखाएं ऊर्ध्वाधर अंतराल V.I. को प्रकट करती हैं।
  • अब A व B,C व D, E व F तथा G व H से AA’ व BB’, CC’ व DD’, EE’ व FF’ तथा GG’ व HH क्रमशः 200, 300, 400 तथा 500 मीटर वाली रेखाओं पर लंब गिराओ।
  • A, C, E’,G’, H’, F’, D’ तथा B’ को मिलाने वाली वक्र रेखा परिच्छेदिका का निर्माण करेगी।

परिच्छेदिका खींचते समय क्षैतिज मापक (Horizontal Scale) की तुलना में ऊर्ध्वाधर मापक (Vertical Scale) का 5 से 10 गुना तक परिवर्धन कर लिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि परिच्छेदिका द्वारा ढाल और भू-आकृति की रूपरेखा स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से उभरकर सामने आए।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित भू-आकृतियों को समोच्च रेखाओं द्वारा प्रदर्शित करो तथा इनकी परिच्छेदिका भी खींचो :
(1) समढाल (Uniform Slope)
(2) नतोदर ढाल (Concave Slope)
(3) उन्नतोदर ढाल (Convex Slope)
(4) सीढ़ीनुमा ढाल (Terraced Slope)
(5) विषम ढाल (Undulating Slope)।
उत्तर:
1. समढाल (Uniform Slope)-जिन प्रदेशों में ढाल में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आता, ढाल सभी जगह एक जैसा
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 2
ही रहता है अथवा ढाल में शनैःशनैः परिवर्तन आता है, उसे समढाल (Uniform Slope) कहते हैं। इसमें समोच्च रेखाओं के बीच की दूरी बराबर रहती है। (चित्र 6.2)

2. नतोदर ढाल (Concave Slope) पर्वतीय क्षेत्रों में शिखर के तीव्र ढाल तथा गिरीपद क्षेत्र में मन्द ढाल होते हैं। इसलिए शिखर के पास समोच्च रेखाएँ पास-पास तथा गिरीपद के निकट ये दूर-दूर होती हैं। (चित्र 6.3)
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 3
3. उन्नतोदर ढाल (Convex Slope)-इसमें ढाल का क्रम नतोदर के ठीक विपरीत होता है। शिखर के निकट ढाल मन्द तथा गिरीपद के निकट तीव्र ढाल होता है। शिखर के निकट समोच्च रेखाएँ दूर-दूर तथा गिरीपद के निकट ये रेखाएँ पास-पास होती हैं। (चित्र 6.4)

4. सीढ़ीनुमा ढाल (Terraced Slope)-इसमें समोच्च रेखाएँ जोड़ों में होती हैं। इसमें कहीं पर ढाल समतल तथा कहीं सीढ़ीनुमा या सोपानी होता है। इसलिए इसमें दो रेखाएँ एक युग्म के रूप में पास-पास होती हैं। (चित्र 6.5)

5. विषम ढाल (Undulating Slope)-इसे तरंगित ढाल भी कहते हैं। इसमें ढाल कहीं तीव्र तथा कहीं मन्द होता है, कहीं पर ढाल नतोदर तथा कहीं उन्नतोदर होता है। एक लहर या तरंग की भाँति विषम ढाल असमान होता है, उसे विषम ढाल कहते हैं। (चित्र 6.6)

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प्रश्न 3.
समोच्च रेखाओं द्वारा निम्नलिखित भू-आकृतियों का प्रदर्शन करें।
(1) पठार (Plateau)
(2) शंक्वाकार पहाड़ी (Conical Hill)
(3) कटक (Ridge)
(4) स्कन्ध (Spur)
(5) V-आकार की घाटी (V-Shaped Valley)
(6) जलप्रपात (Waterfall)
(7) समुद्री भृगु (Sea Cliff)।
उत्तर:
1. पठार (Plateau)-पठार भू-तल का एक मेजनुमा भू-भाग है, जिसके पार्श्व खड़े ढाल वाले होते हैं। इसीलिए किनारों पर समोच्च रेखाएँ पास-पास तथा मध्यवर्ती भाग समतल होने के कारण नहीं पाई जाती हैं। (चित्र 6.7)

2. शंक्वाकार पहाड़ी (Conical Hill)-यह एक पहाड़ी भू-आकृति है, जिसमें चारों ओर ढाल प्रायः एक समान होता है। समोच्च रेखाएँ समान दूरी पर होती हैं। पहाड़ी त्रिभुजाकार शिखर संकरे तथा आधार चौड़े होते हैं। (चित्र 6.8)

3. कटक (Ridge)-एक ऊँची पहाड़ी जो श्रृंखला के रूप में लम्बाई में विस्तृत हो कटक कहलाती है। यह प्रायः संकरी होती है। इनको प्रायः अण्डाकार समोच्च रेखाओं द्वारा दिखाया जाता है। इसके किनारों के ढाल तीव्र होते हैं तथा दीर्घवृत्तों वाली समोच्च रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। (चित्र 6.9)
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 4
4. स्कन्ध (Spur) उच्च प्रदेशों में निम्न प्रदेशों की ओर एक जिह्वा की भाँति निकली स्थलाकृति को स्कन्ध कहते हैं। इसकी समोच्च रेखाएँ अंग्रेजी के अक्षर V की तरह होती हैं। (चित्र 6.10)

5. V-आकार की घाटी (V-Shaped Valley)-यह नदी द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में बनने वाली महत्त्वपूर्ण स्थलाकृति है, इससे प्रदर्शित समोच्च रेखाओं का आकार V की तरह होता है तथा बाहर से अन्दर को उनका मान कम होता जाता है। नदी की तलहटी के कटाव के कारण घाटी निरन्तर गहरी होती चली जाती है तथा पार्श्व खड़े रहते हैं। (चित्र 6.11)
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6. जलप्रपात (Waterfall)-जलप्रपात भी नदी के अपरदन के कारण नदी द्वारा प्रारम्भिक अवस्था में बनने वाली आकर्षक स्थलाकृति है। जब नदी के अपरदन द्वारा कोमल चट्टान कटकर निम्न हो जाती है तो जलप्रपात का निर्माण होता है। जहाँ पर पानी गिरता है वहाँ दो या दो से अधिक समोच्च रेखाएँ आकर मिल जाती हैं क्योंकि ढाल लगभग 90° के आस-पास होता है। (चित्र 6.12)
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7. समुद्री भृगु (Sea Cliff)-सागरीय तट के खड़े ढाल वाली चट्टान, जो मुख्य रूप से किसी सागर तट में ऊर्ध्वाधर दिशा में होती है, को भृगु कहते हैं। इसमें कम ऊँचाई दिखाने वाली समोच्च रेखाएँ मिली होती हैं। ये खड़े ढाल को प्रदर्शित करती हैं। उच्च भूमि की समोच्च रेखाएँ दूर-दूर होती हैं। ये मन्द ढाल दर्शाती हैं। (चित्र 6.13)
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प्रश्न 4.
भारत में प्रकाशित होने वाले स्थलाकृतिक मानचित्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्रकाशित स्थलाकृतिक मानचित्र-
1. अन्तर्राष्ट्रीय शृंखला (International Series)-इस श्रृंखला के मानचित्र 1:1,000,000 मापक पर बनाए गए हैं। 60° उत्तरी व 60° दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित क्षेत्रों के प्रत्येक मानचित्र का विस्तार 4° अक्षांश तथा 6° देशान्तर है। इस श्रृंखला में पूरे विश्व के 2,222 मानचित्र बनने हैं। इन मानचित्रों को 1/IM या one-to-one million sheets भी कहा जाता है। इनमें ऊँचाई मीटरों में दर्शायी जाती है। यह शृंखला अन्तर्राष्ट्रीय समझौते के अन्तर्गत बनाई गई है।

2. भारत एवं निकटवर्ती देशों की श्रृंखला (India and Adjacent Countries Series) इस श्रृंखला के मानचित्रों का मापक भी 1:1,000,000 है, परन्तु इसमें प्रत्येक मानचित्र का विस्तार 4° अक्षांश तथा 4° देशान्तर है। इनकी संख्या 1 से 106 तक है जिनके अन्तर्गत भारतीय उपमहाद्वीप के अतिरिक्त ईरान, अफगानिस्तान, म्याँमार, तिब्बत व चीन के कुछ भाग शामिल होते हैं। भारतीय क्षेत्र के मानचित्रों की संख्या 38 है जो क्रम संख्या 40 से 92 के बीच पाए जाते हैं।

इन संख्याओं को सूचक संख्याएँ (Index Number) कहा जाता है। वर्तमान में इस श्रृंखला का प्रकाशन बन्द हो चुका है। इसके बावजूद भी यह श्रृंखला भारत में छपने वाली अन्य सभी शृंखलाओं का आधार है। इस शृंखला के प्रत्येक मानचित्र को 4 डिग्री शीट या एक मिलियन शीट कहते हैं।

3. चौथाई इंच प्रति मील शृंखला (Quarter Inch or Degree Sheets)- 4°x4° शीट जब किसी 4°x 4° शीट अर्थात् एक मिलियन शीट (जैसे 55 या 57 या 73 कोई 24° भी जो भारत व निकटवर्ती देशों की श्रृंखला में आती है) को 16 बराबर स्थलाकृतिक मानचित्रों में बाँटेंगे तो प्रत्येक मानचित्र 1° अक्षांश x1° देशान्तर द्वारा घेरे हुए क्षेत्र को दिखाएगा। अतः ऐसी प्रत्येक शीट को डिग्री शीट या चौथाई इंच शीट कहा जाता है।

इनका मापक \(\frac { 1 }{ 4 }\) इंच : 1 मील अथवा 1 इंच : 4 मील अर्थात् 1:253,440 होता है। (63,360 x 4 = 253,440)। इन मानचित्रों में समोच्च रेखाओं का अन्तराल 250 फुट होता है। इन डिग्री शीटों का अंकन करने के लिए अंग्रेजी A के P से 16 है। तक अक्षरों का प्रयोग किया जाता है; जैसे 55A, 55B, 55C तथा 55D आदि 76° (चित्र 6.14)।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 8
इन मानचित्रों का नवीन संस्करण मीट्रिक प्रणाली में छापा गया है जिनका मापक 1:250,000 तथा समोच्च रेखाओं का अन्तराल 100 मीटर होता है।

4. आधा इंच प्रति मील श्रृंखला (Half Inch or Half Degree Sheets) जब किसी चौथाई इंच शीट या डिग्री शीट को चार बराबर भागों में बाँटेगें तो इनमें से प्रत्येक आधा डिग्री शीट होगी अर्थात् अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार आधा डिग्री या 30 होगा। इसका मापक \(\frac { 1″ }{ 2 }\) : 1 मील या 1″ : 2 मील अर्थात् 1:126,720 होता है। (63,360 x 2 = 126,720)। इन पत्रकों में समोच्च रेखाओं का अन्तराल 100 फुट होता है। इन चार भागों में प्रत्येक को उसकी दिशानुसार अंकित किया जाता है; जैसे 55\(\frac { P }{ MW }\), 55\(\frac { P }{ NE }\)इत्यादि (चित्र 6.15)। मेट्रिक प्रणाली के अन्तर्गत इन मानचित्रों का मापक 1 : 100,000 रखा गया है।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 9
इन मानचित्रों का प्रकाशन अब बन्द हो गया है।

5. एक इंच प्रति मील शृंखला (One Inch or Quarter Degree Sheets)-जब किसी चौथाई इंच या डिग्री शीट (जैसे 55P) को 16 बराबर भागों में बाँटते हैं तो प्रत्येक मानचित्र का 45° अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार 15′ होगा। इन 16 मानचित्रों को 1 से 16 तक संख्याओं द्वारा 30 अंकित किया जाता है; जैसे 55 P/1, 55 P/2, 55 P/3 …… 55 P/16 इत्यादि। इन मानचित्रों का मापक 1 इंच : 1 मील अथवा 1:63,360 तथा समोच्च रेखाओं का अन्तराल 50 फुट होता है। मौद्रिक प्रणाली में बने इस श्रृंखला के नए मानचित्रों का मापक 1:50,000 तथा समोच्च -0761530 4577 रेखाओं का अन्तराल 20 मीटर होता है। (चित्र 6.16)
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 10

6. 1 : 25,000 मापक की श्रृंखला (Series of 1:25000 scale)- स्थलाकृतिक मानचित्रों की यह एक नई श्रृंखला है जिसमें एक इंच या चौथाई डिग्री शीट या 1 : 50,000 मापक वाली शीट (जैसे 55 P/7) को छः बराबर भागों में बाँटा जाता है।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 11

इसका प्रत्येक भाग 5′ अक्षांशीय तथा 7 – देशान्तीय विस्तार वाला होता है। इन 6 मानचित्रों पर क्रमशः 1, 2, 3, 4, 5 व 6 इस प्रकार लिखा जाता है-55 P/7/1, 55 P/7/2, 55 P/7/6 इत्यादि। इन मानचित्रों को 1:25,000 मानचित्र भी कहा जाता है (चित्र 6.17)।
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 12

रूढ़ चिहन एवं प्रतीक [Conventional Signs and Symbols]
HBSE 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 स्थलाकृतिक मानचित्र 13

स्थलाकृतिक मानचित्र HBSE 11th Class Geography Notes

→ स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Maps) यह एक दीर्घमापक पर बनाया गया बहुउद्देशीय मानचित्र है।

→ रूढ़ चिहन (Conventional Signs)-स्थलाकृतिक मानचित्रों पर विभिन्न भौतिक एवं सांस्कृतिक लक्षणों को जिन सर्वमान्य और परम्परागत चिह्नों, संकेतों व प्रतीकों की सहायता से प्रदर्शित किया जाता है, उन्हें रूढ़ चिह्न कहते हैं। समोच्च रेखाएँ (Contours)-समोच्च रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं जो माध्य समुद्र-तल से समान ऊँचाई वाले समीपस्थ स्थानों को मिलाती हैं।

→ ऊर्ध्वाधर अन्तराल (Vertical Interval) किन्हीं दो उत्तरोत्तर समोच्च रेखाओं के बीच लम्बवत् ऊँचाई के अंतर को ऊर्ध्वाधर अन्तराल कहा जाता है।

→ क्षैतिज तुल्यमान (Horizontal Equivalent)-किन्हीं दो उत्तरोत्तर समोच्च रेखाओं के बीच क्षैतिज दूरी को क्षतिज तुल्यमान कहा जाता है।

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Veryshort Answer type Questions)

प्रश्न 1.
आबनूस की छड़ को बिल्ली की खाल के साथ रगड़ने पर कौन-सा आवेश उत्पन्न होता है?
उत्तर-
ऋणात्मक आवेश।

प्रश्न 2.
विद्युत के समान और असमान आवेश एक-दूसरे पर क्या प्रभाव डालते हैं ?
उत्तर-
विद्युत के समान आवेशों में प्रतिकर्षण तथा असमान आवेशों में आकर्षण बल उत्पन्न होता है।

प्रश्न 3.
विद्युत को कितने भागों में बाँटा जाता है ?
उत्तर-
विद्युत को दो भागों में बाँटा जाता है-

  1. स्थिर विद्युत,
  2. चल विद्युत।

प्रश्न 4.
संसार के सबसे छोटे आवेश का मान क्या होता है?
उत्तर-
इलेक्टॉन के आवेश के बराबर (1.6×10-19C) होता है।

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प्रश्न 5.
आवेश का मात्रक लिखिए?
उत्तर-
कूलाम।

प्रश्न 6.
वोल्टमीटर का धन ध्रुव बैटरी के किस ध्रुव से जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
धनात्मक से।

प्रश्न 7.
एक वोल्ट को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
यदि किसी चालक से एक कूलॉम आवेश प्रवाहित होने में एक जूल कार्य हो, तो उस चालक के सिरों के बीच विभवान्तर 1 वोल्ट होगा।

प्रश्न 8.
विद्युत धारा के परिभाषित कीजिये। किसी विद्युत बल्ब के तन्तु में IA की धारा 30 सेकण्ड तक प्रवाहित होती है। विद्युत परिपथ से प्रवाहित विद्युत आवेश का परिमाप ज्ञात कीजिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
विधुत धारा-किसी चालक में विद्युत धारा का मान चालक से होकर प्रवाहित आवेश की मात्रा जो एकांक समय में जा रही है के बराबर होता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 1
I =\(\frac{Q}{t}\)
दिया है- I = 1A, t= 30 सेकण्ड
Q = I x t
= 1A X 30 सेकण्ड
= 30 एम्पियर-सेकण्ड

प्रश्न 9.
ओम के नियम से हमें किन-किन राशियों का ज्ञान होता है ?
उत्तर-

  • विभवान्तर,
  • प्रतिरोध,
  • परिपथ की धारा।

प्रश्न 10.
ओम के नियम के सत्यापन में चालक के लिये विभवान्तर (V) तथा धारा (I) के मध्य कैसा ग्राफ प्राप्त होता है?
उत्तर-
सीधी रेखा।

प्रश्न 11.
किसी तार का प्रतिरोध किन-किन कारकों पर निर्भर करता है? (RBSE 2015]
उत्तर-
लम्बाई, अनुप्रस्थ क्षेत्रफल तथा ताप पर।

प्रश्न 12.
ओम के नियम से संबधित दिए गए परिपथ में युक्ति X व Y का मान लिखितए। (RBSE 2017)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 2
उत्तर-
X – अमीटर, Y – वोल्टमीटर।

प्रश्न 13.
किसी प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर की उससे विद्युत धारा पर निर्भरता का अध्ययन करने के लिए निम्नलिखित कौन-सी व्यवस्था (परिपथ) सही है और क्यों? (CBSE 2019)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 3
उत्तर-
व्यवस्था (परिपथ) A सही है। क्योंकि ऐमीटर कि A को श्रेणीक्रम में तथा वोल्टमीटर V को पार्यक्रम में जोड़ा जाता है। साथ ही ऐमीटर A और वोल्टमीटर V के (+ ve) टर्मिनल को बैटरी के (+ ve) से तथा (- ve) टर्मिनल को प्रा (- ve) से जोड़े जाते हैं।

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प्रश्न 14.
किसी चालक तार के प्रतिरोध की गणना किस सूत्र से की जाती है ?
उत्तर-
R= ρ\(\frac{l}{a}\)
जहाँ R→ चालक का प्रतिरोध,l → चालक की लम्बाई, p→ प्रतिरोधकता, a → चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल।

प्रश्न 15.
विद्युत धारा को बढ़ाने व घटाने में किसका ही प्रयोग किया जाता है ? .
उत्तर-
धारा नियन्त्रक का।

प्रश्न 16.
तीन ऐसे चालकों के नाम लिखो जिनमें कम प्रतिरोध हो।
उत्तर-

  1. चाँदी,
  2. ताँबा,
  3. ऐलुमिनियम।

प्रश्न 17.
दो ऐसे चालकों के नाम लिखो जिन का के प्रतिरोध अधिक है।
उत्तर-

  1. कांसटेनन
  2. नाइक्रोम।

प्रश्न 18. विद्युत प्रतिरोध से क्या तात्पर्य है ? (CBSE 2019)
उत्तर-
किसी चालक का वह गुण जिसके कारण विद्युत धारा के प्रवाह में रुकावट उत्पन्न होती है उसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।

प्रश्न 19.
प्रतिरोध बढ़ाने पर विद्युत धारा पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
विद्युत धारा, प्रतिरोध बढ़ाने पर कम हो जाती है।

प्रश्न 20.
किसी तार का प्रतिरोध R व प्रतिरोधकता p है। यदि इसे मूल लम्बाई से तीन गुना खींचकर बढ़ा दिया जाए तो नई प्रतिरोधकता क्या होगी?
उत्तर-
प्रतिरोधकता p ही रहेगी क्योंकि किसी एक ही धातु के मोटे या पतले तार के लिए प्रतिरोधकता का मान एक समान रहता है।

प्रश्न 21.
प्रतिरोधकता का मात्रक क्या होता है? [RBSE 2015]
उत्तर-
ओम-मीटर।

प्रश्न 22.
अधिक विभवान्तर प्राप्त करने के लिए सेलों को किस क्रम में जोड़ते हैं ?
उत्तर-
श्रेणीक्रम में।

प्रश्न 23.
घरों में प्रयुक्त किए जाने वाले संयन्त्रों को किस क्रम में जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
समान्तर क्रम में।

प्रश्न 24.
श्रेणीक्रम में जुड़े प्रतिरोधकों के तुल्य प्रतिरोध का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
तुल्य प्रतिरोध R=R1 +R2+R1 +…………….

प्रश्न 25.
समान्तर क्रम में जुड़े प्रतिरोधकों के तुल्य प्रतिरोध का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
समान्तर क्रम (पार्श्वक्रम) में जुड़े प्रतिरोधकों के तुल्य प्रतिरोधकों के लिए सूत्र ।
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}+\ldots \)

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प्रश्न 26.
यदि समान प्रतिरोध R वाले n तारों को (i) समान्तर क्रम में, (ii) श्रेणी क्रम में जोड़ा जाए तो प्रत्येक दशा में तुल्य प्रतिरोध क्या होगा ?
उत्तर-

  • समान्तर क्रम में \(\frac{\mathrm{R}}{n}\)
  • श्रेणी क्रम में n R

प्रश्न 27.
प्रतिरोधकों के श्रेणीक्रम में जुड़े होने पर कौन-सी भौतिक राशि परिवर्तित नहीं होती है ?
उत्तर-
विद्युत धारा।

प्रश्न 28.
प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में संयोजित करने पर कौन-सी भौतिक राशि परिवर्तित नहीं होती है?
उत्तर-
वोल्टता।

प्रश्न 29.
दिये गये परिपथ का तुल्य प्रतिरोध लिखिए। (RBSE 2017)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 4
उत्तर-
R = 1+2+3 = 6Ω

प्रश्न 30.
पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध सबसे छोटे प्रतिरोध से छोटा होता है क्यों?
उत्तर-
प्रतिरोध के सूत्र R = ρl/A से R∝ 1/A
चूँकि पार्श्व क्रम में अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ जाता है इसलिए तुल्य प्रतिरोध सबसे कम होता है। .

प्रश्न 31.
1 किलोवाट घण्टा कितने जूल विद्युत ऊर्जा के समान होता है ?
उत्तर-
1 किलोवाट घण्टा = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 32.
विद्युत शक्ति के मात्रकों को लिखिए।
उत्तर-
वॉट, किलोवॉट तथा मेगावॉट।

प्रश्न 33.
1 मेगावॉट में कितने वॉट तथा किलोवॉट होते हैं?
उत्तर-
1 मेगावॉट = 106 वॉट
1 मेगावॉट = 103 किलोवॉट।

प्रश्न 34.
1 किलोवॉट कितने वॉट के बराबर होता है?
उत्तर-
1000 वॉट।

प्रश्न 35.
किलोवॉट-घण्टा को साधारण भाषा में क्या कहते हैं ?
उत्तर-
यूनिट।

प्रश्न 36.
विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ? इसका सूत्र क्या है ?
उत्तर-
किसी चालक में जिस दर से विद्युत ऊर्जा खर्च होती है उसे चालक की विद्युत शक्ति कहते हैं।
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प्रश्न 37.
विद्युत धारा का तापीय प्रभाव क्या है ?
उत्तर-
किसी भी परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा का एक भाग सदैव ऊष्मा में परिवर्तित हो जाता है। इसे विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 38.
220 V पर 1 kW विद्युत हीटर या 100 W बल्ब में से किसका प्रतिरोध अधिक होगा ?
उत्तर-
100 W बल्ब का
∴ R= \( \frac{\mathrm{V}^2}{\mathrm{P}}\)

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प्रश्न 39.
कोई विद्युत बल्ब 220 V के जनित्र से संयोजित है। यदि बल्ब से 0.5 A धारा प्रवाहित होती है तो बल्ब की शक्ति का माल लिखिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
शक्ति = विभवान्तर x धारा
=220Vx0.5=110W
अतः बल्ब की शक्ति 110 w है। .

प्रश्न 40.
फ्यूज तार को किस प्रकार जोड़ा जाता है ? इसका लाभ क्या है ?
उत्तर-
फ्यूज तार को परिपथ के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। यह अचानक अधिक धारा प्रवाहित होने की स्थिति में स्वयं जल कर विद्युत उपकरणों को सुरक्षित रखता है।

प्रश्न 41.
विद्युत धारा के प्रकार बताइए।
उत्तर-
विद्युत धारा के दो प्रकार हैं –

  1. a.c. (प्रत्यावर्ती धारा),
  2. d.c. (दिष्ट धारा)।

प्रश्न 42.
दिष्ट धारा के मुख्य स्त्रोत क्या हैं?
उत्तर-
शुष्क सेल, बैटरी आदि।

प्रश्न 43.
फ्यूज किस मिश्रधातु का बना होता है? इसकी क्या विशेषता होनी चाहिए?
उत्तर-
फ्यूज लैड तथा टिन से बनी मिश्रातु से बना होता है, इसका गलनांक कम होना चाहिए।

प्रश्न 44.
शार्ट सर्किट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
शार्ट सर्किट में मुख्य तारों में सीधा सम्पर्क हो जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer type Questions)

प्रश्न 1.
किसी चालक के सिरों का विभवान्तर किन बातों पर निर्भर करता है ? आवश्यक सूत्र देकर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ओम का नियम लिखिए। . (RBSE 2015, 17)
उत्तर-
ओम के नियमानुसार, किसी चालक के सिरों के बीच विभवान्तर V= I. R
जहाँ I = चालक में प्रवाहित धारा
R = चालक का प्रतिरोध
अतः चालक के सिरों का विभवान्तर V, चालक में प्रवाहित धारा I व प्रतिरोध R दोनों पर निर्भर करता है तथा यह दोनों के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 2.
A तथा B तारों की लम्बाई तथा प्रतिरोध समान हैं। इनमें से कौन मोटा है, यदि A की प्रतिरोधकता B की प्रतिरोधकता से अधिक है।
हल :
∵ प्रतिरोध R = ρ\(\frac{l}{\mathrm{~A}} \)
अतः R= ρA\(\frac{l}{\mathrm{~A}_1}\)
तथा R=ρB\(\frac{l}{\mathrm{~A}_2}\)
अतः
\(\rho_{\mathrm{A}} \frac{l}{\mathrm{~A}_1}=\rho_{\mathrm{B}} \frac{l}{\mathrm{~A}_2} \text { या } \frac{\rho_{\mathrm{A}}}{\rho_{\mathrm{B}}}=\frac{\mathrm{A}_1}{\mathrm{~A}_2} \)
∴ PA >PB अतः A1>A2,
इस प्रकार A तार B से मोटा होगा।

प्रश्न 3.
दो चालक जो एक ही पदार्थ से बने है, उनके लिये Vतथा I के मध्य ग्राफ चित्र में प्रदर्शित है तो बताइये किस चालक का प्रतिरोध अधिक होगा क्यों?
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 6
हल : दिये गये ग्राफ में रेखा की प्रवणता
tan θ = \(\frac{\text { विभवान्तर }}{\text { धारा }}=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\text { प्रतिरोध (R) } \)
अतः प्रतिरोध ∝ कोण
चालक (A) का प्रतिरोध चालक (B) के प्रतिरोध से अधिक होगा।

प्रश्न 4.
धातुओं और मिश्रधातुओं तथा र, जैसे विद्युतरोधी पदार्थों की प्रतिरोधकता किस कोटि की होती है? ताप के परिवर्तन से इसमें क्या परिवर्तन आता है?
उत्तर-
धातुओं एवं मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता अत्यन्त कम होती है जिसका परिसर 10-8Ωm से 10-6Ωm है। ये विद्युत की अच्छी चालक हैं। रबड़ तथा काँच जैसे विद्युत् रोधी पदार्थों की प्रतिरोधकता 1012 से 1017Ωm कोटि की होती है। किसी पदार्थ का प्रतिरोध तथा प्रतिरोधकता दोनों ही ताप में परिवर्तन के साथ परिवर्तित हो जाते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
किसी प्रतिरोधक से प्रवाहित धारा (I) पर उस प्रतिरोधक के सिरों पर विभवान्तर (V) की निर्भरता का अध्ययन करते समय प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए किसी छात्र ने धारा के विभिन्न मानों के लिए 5 पाठ्यांक लेकर V और I के बीच ग्राफ खींचिए। यह बिंदु से गुजरने वाली सरल रेखा था। यह ग्राफ क्या सूचित करता है? इस ग्राफ का उपयोग करके प्रतिरोध का प्रतिरोध निर्धारित करने की विधि लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
V और I के बीच का सरल रेखा प्राप्त होना यह सूचित करता है कि V ∝ I
अर्थात् \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}} \) = स्थिरांक (Constant) है। i.e. \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}} \) = R जो ओम के नियम को सत्यापित करता है।
सरल रेखा पर स्थित दो बिंदु A तथा B लेते हैं। दोनों बिंदुओं से X-अक्ष तथा Y-अक्ष पर लंब डालते है।
∴ प्रतिरोध R = सरल रेखा की ढाल = \(\frac{\mathrm{V}_2-\mathrm{V}_2}{\mathrm{I}_2-\mathrm{I}_1} \)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 7
अथवा
उस स्थिति में आप किसी छात्र को क्या सुझाव देंगे जब वह पाता है कि परिपथ खुला होने पर भी अमीटर और वोल्टमीटर के संकेतक/सुइयाँ पैमानों पर अंकित शून्य चिन्हों के संपाती नहीं हैं? प्रयोगशाला में अतिरिक्त अमीटर/वोल्टमीटर उपलब्ध नहीं हैं। (CBSE 2019)
उत्तर-
चूँकि परिपथ खुला होने पर भी अमीटर और वोल्टमीटर के संकेतक/सुइयाँ इनके पैमाने पर अंकित शून्य चिन्हों के संपाती नहीं है इसका अर्थ यह है कि इनमें शून्यांक त्रुटि है। हमें इनका शून्य त्रुटि (चिन्ह सहित) नोट करना चाहिए और उसके लिए आवश्यक संशोधन करना चाहिए।

प्रश्न 6.
ओम के नियम को स्थापित करने के लिए एक परिपथ चित्र बनाइए।
उत्तर-
परिपथ चित्र निम्नवत् हैबैटरी
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 8

प्रश्न 7.
निक्रोम के किसी तार के लिए V-I ग्राफ नीचे आरेख में दर्शाया गया है। इस ग्राफ से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं? इस प्रकार के ग्राफ को प्राप्त करने के लिए नामांकित परिपथ आरेख खींचिए। (CRSE 2020)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 9
उत्तर-
चूँकि ग्राफ मूलबिंदु से गुजरने वाली एक सरल रेखा है साथ ही \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}} \) = स्थिरांक (Constant) है। या V∝ 1 है।
अतः यह ‘ग्राफ ओम के नियम का सत्यापन करता है जिसके लिए परिपथ आरेख निम्नलिखित है-
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प्रश्न 8.
(a) किसी चालक,जिसकी आकृति तार जैसी है, का प्रतिरोध जिन कारकों पर निर्भर करता है, उनकी सूची बनाइए।
(b)धातुएँ विद्युत की अच्छी चालक तथा काँच विद्युत का कुचालक क्यों होता है? कारण कीजिए।
(c) विद्युत तापन युक्तियों में सामान्यतः मिश्राधुओं का उपयोग क्यों किया जाता है? कारण दीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
(a)
(i) चालक का प्रतिरोध सीधे अनुपातिक है चालक की लंबाई से। ..
R∝l
(ii) चालक का प्रतिरोधक के चालक के व्यापक प्रतिनिधित्व में व्युत्क्रमानुपाती है।
R∝\(\frac{1}{\mathrm{~A}} \)
(iii) प्रतिरोधक चालक के (material) पर निर्भर करता है।
R = p\(\frac{1}{A} \)
(iv) प्रतिरोध और प्रतिरोधकता तापमान पर भी निर्भर करती है।
(b) धातुओं में ग्लास की तुलना में अधिक मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electrons) होते हैं जो कि धारा को प्रवाहित करने में सहायक हैं।
(c) विद्युत तापन युक्तियों में सामान्यतः मिश्राधुओं का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि मिश्राधुओं की विद्युत चालकता और पिघलने की क्षमता कम होती है। .

प्रश्न 9.
12w,6V का एक बल्ब 12V बैटरी से किस प्रकार चलाया जा सकता है?
उत्तर-
12W, 6V का अर्थ है कि लैम्प 6V की विद्युत आपूर्ति के साथ 12W शक्ति का उपयोग करता है परन्तु 6V से अधिक विभवान्तर होने पर यह जल जाएगा। यदि 12V आपूर्ति का प्रयोग करता है तो अतिरिक्त 6V को लैम्प के साथ श्रेणीक्रम में एक प्रतिरोध का प्रयोग करना होगा।

प्रश्न 10.
अतिचालकता से क्या अर्थ है? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
कुछ धातुओं का निम्न ताप पर प्रतिरोध समाप्त हो जाता है, इस घटना को अति चालकता कहते हैं। पहरण के लिए जब पारे के तापमान को 4.125 तक कम किया गया तो पारे का प्रतिरोध लुप्त हो जाता है। इस तापमान पर पारा अतिचालक बन जाता है। अतिचालकता का आविष्कार एक डच वैज्ञानिक एच. कामरलिंग ओनेस ने किया।

प्रश्न 11.
समान्तर संयोजन के नियम लिखिए।
उत्तर-
समान्तर संयोजन के नियम (Rules of Parallel Combination)-

  1. समान्तर क्रम में संयोजित सभी प्रतिरोधकों के सिरों के बीच विभवान्तर समान होता है।
  2. समान्तर क्रम में संयोजित प्रतिरोधकों में प्रवाहित धाराएँ उनके प्रतिरोधों के व्युत्क्रमानुपाती होती हैं।
  3. समान्तर क्रम में संयोजित प्रतिरोधकों के तुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम उनके प्रतिरोधों के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है।

प्रश्न 12.
यह दर्शाइए कि तीन प्रतिरोधकों, जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 92 है, को आप किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
(i) 13.5Ω
(ii) 6Ω प्राप्त हो? (CBSE 2017, 18)
उत्तर
(i) \(I=\frac{9 \times 9}{9+9}=\frac{9 \times 9}{2(9)}=4.5 \Omega+9 \Omega=13.5 \Omega \)
दो 6 Ω के प्रतिरोधकों को समांतर संयोजित किया गया और एक को श्रेणी में
(ii) 2 प्रतिरोधकों को श्रेणी में संयोजित किया गया
= (9+9)Ω=18Ω
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प्रश्न 13.
आपके पास ओम के तीन प्रतिरोधक तथा E वोल्ट की बैटरी है। इन तीन प्रतिरोधों को बैटरी से किस प्रकार जोड़ेगे जिससे अधिकतम धारा प्राप्त हो? विद्युत परिपथ का आरेख बनाकर अपने उत्तर की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए तथा बैटरी द्वारा परिपथ में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
अधिकतम विद्युत धारा प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में बैटरी से जोड़ना होगा
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 12
माना इनका परिणामी RΩ है
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{r}+\frac{1}{r}+\frac{1}{r} \)
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{3}{r} \)
\(\mathrm{R}=\frac{r}{3} \Omega \)
ओम के नियमानुसार, V = IR
E = I x \(\frac{r}{3} \)
⇒ I = \(\frac{3 \mathrm{E}}{r}\)

प्रश्न 14.
विद्युत धारा किस प्रकार ऊष्मा उत्पन्न करती है?
उत्तर-
किसी धात्विक चालक में बहुत बड़ी संख्या में मुक्त इलेक्ट्रॉन यादृच्छिक गति करते हैं। जब चालक को विद्युत स्रोत से जोड़ा जाता है, तो मुक्त इलेक्ट्रॉन उच्च विभव से निम्न विभव की ओर प्रवाहित होते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉन चालक के परमाणुओं से टकराते हैं। इस टक्कर के कारण मुक्त इलेक्टॉनों की गति ऊर्जा चालक के परमाणुओं में स्थानांतिरत हो जाती है। परमाणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है और इस कारण चालक के ताप में वृद्धि हो जाती है और ऊष्मा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15.
जूल का ऊष्मीय या तापन नियम क्या है?[राज. 2015] (CBSE 2018)
उत्तर-
जूल के ऊष्मीय नियमानुसार किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करने से उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा निम्नलिखित आधारों पर निर्भर करती है-

  • उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा विद्युत धारा के वर्ग के समानुपाती होती है- H∝ i2
  • उत्पन्न ऊष्मा चालक के प्रतिरोध R के समानुपाती होती है- H∝R
  • उत्पन्न ऊष्मा चालक में प्रवाहित हो रही धारा के समय के समानुपाती होती है H∝R
    उपर्युक्त तीनों को मिलाने पर H∝i2 Rt

प्रश्न 16.
विद्युत तापन का उपयोग प्रकाश उत्पन्न करने में होता है, उदाहरण देकर समझाइए। या विद्युत बल्बों में भरी जाने वाली दो गैसों के नाम बताइये तथा स्पष्ट कीजिये कि इन गैसों को विद्युत बल्ब में क्यों भरा जाता हैं।[राज. 2015]
उत्तर-
विद्युत तापन का उपयोग बल्ब/ ट्यूब में प्रकाश उत्पन्न करने में किया जाता है। बल्ब के तन्तु को उत्पन्न ऊष्मा को जितना सम्भव हो सके रोककर रखना पड़ता है जिससे वह अत्यन्त गर्म होकर प्रकाश उत्पन्न करे परन्तु पिघले नहीं। इस कारण से बल्ब के तन्तुओं को बनाने के लिए टंगस्टन (गलनांक 3380°C) का उपयोग किया जाता है जो उच्च गलनांक की एक प्रबल धातु है। बल्बों में रासायनिक दृष्टि से अक्रिय गैस ऑर्गन भरी जाती है जिससे तन्तु की आयु में वृद्धि हो जाती है। तन्तु द्वारा प्रयोग की जाने वाली ऊर्जा का अधिकांश भाग ऊष्मा के रूप में प्रकट होता है परन्तु एक अल्प भाग विकरित प्रकाश के रूप में परिलक्षित होता है।

प्रश्न 17.
दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100W: 220V तथा दूसरे का 60W: 220V है, किसी विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220V है, तो दोनों बल्बों द्वारा विद्युत मेंस से कितनी धारा ली जाती हैं? (CBSE 2018)
उत्तर-
(a) जूल का तापन नियम = I2RT
(b)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 13

प्रश्न 18.
एक प्रतिरोध तार के श्रेणीक्रम में ऐमीटर तथा समान्तर क्रम में वोल्टमीटर जोड़कर प्रवाहित करने पर कुछ समय बाद तार गर्म हो जाता है, परन्तु ऐमीटर या वोल्टमीटर गर्म नहीं होता है, क्यों?
उत्तर-
ऐमीटर में प्रवाहित धारा, तार से प्रवाहित धारा के बराबर होती है परन्तु इसका प्रतिरोध R, तार के प्रतिरोध R से बहुत कम होता है जिसके कारण ऐमीटर में ऊर्जा क्षय IR, तार में ऊर्जा क्षय IPR से बहुत कम होता है। वोल्टमीटर के सिरों पर विभावान्तर तार के विभवान्तर V के बराबर होता है परन्तु प्रतिरोध र तार के प्रतिरोध से बहुत अधिक होता है। इससे वोल्टमीटर में ऊर्जा क्षय, तार में ऊर्जा क्षय से बहुत कम होता है।

प्रश्न 19.
ऐमीटर को समान्तर क्रम में जोड़ देने पर क्या होगा?
उत्तर-
ऐमीटर का प्रतिरोध अन्य युक्तियों के स्थान पर नगण्य होता है, जब ऐमीटर को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है तब परिपथ का कुल विभवान्तर ऐमीटर के सिरों के बीच भी कार्य करता है, जिससे ऐमीटर में उच्च धारा प्रवाहित होती है तथा उसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होने के कारण वह जल जाता है।

प्रश्न 20.
धातु के दो प्रतिरोधकों के समान्तर व श्रेणीक्रम संयोजनों के V-I ग्राफ चित्र में प्रदर्शित हैं। कौन-सा ग्राफ समान्तर संयोजन को प्रकट करता है? कारण सहित समझाइये।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 14
हल : चित्र में प्रदर्शित V-I ग्राफ का ढाल R = , है, Q का ढाल P से अधिक है। अतः 0 का प्रतिरोध P के प्रतिरोध से अधिक है। श्रेणी संयोजन से तुल्य प्रतिरोध समान्तर संयोजन की अपेक्षा अधिक होता है अतः Q श्रेणी संयोजन तथा P समानान्तर संयोजन को प्रदर्शित करता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 21.
किसी दिये गये धातु के तार के दो विभिन्न तापों T1 व T2पर धारा वोल्टेज (I-V) ग्राफचित्र में प्रदर्शित है, बताइये कि कौन सा ताप अधिक है, क्यों?
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 15
हल : ग्राफ V-I का ढाल =\(\frac{I}{V}=\frac{1}{R} \)
चूँकि T2 रेखा का ढाल T1 से कम है।
∴ T2 रेखा का प्रतिरोध > T1 रेखा का प्रतिरोध
∴ प्रतिरोध ∝ ताप के
अतः T2 ताप > T1 ताप से

प्रश्न 22.
किसी प्रतिरोधक, जिसका प्रतिरोधक (R) है, से प्रवाहित विद्युत.धारा (I) और उसके सिरों के बीच तदनुरूपी विभवान्तर (V) के मान नीचे दिए गए अनुसार हैं:
v(वोल्ट) 0.5 1.0 1.5 2.0 2.5 3. 40 5.0
I(ऐम्पियर) 0.1 0.2 0.3 0.4 0.5 0.6 0.8 1.0
धारा (I) और विभवान्तर (V) के बीच ग्राफखींचिए और प्रतिरोधक का प्रतिरोध (R) ज्ञात कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
प्रतिरोध (R) = स्लोप रेखा
= \(=\frac{1-0.5}{0.2-0.1}=\frac{0.5}{0.1}=5 \Omega\)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 16

प्रश्न 23.
(a) जूल के तापन नियम के लिए गणितीय व्यंजक लिखिए। (b) दो घंटे में 40 V विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) H = I2Rt
जहाँ, H = उत्पन्न ऊष्मा
I = प्रवाहित धारा,
R = प्रतिरोध और
t= समय है।

(b) दिया है : V=40V
Q = 96000 कूलॉम
t = 2 घंटे  = 2x 60 x 60=7200S
H = ?
∴ \(\mathrm{I}=\frac{\mathrm{Q}}{t}=\frac{96000}{7200} \)
∴\(\mathrm{H}=\mathrm{VIt}=40 \times \frac{96000}{7200} \times 7200 \)
7200 =40 x 96000
=3840000 J=3.84 x 106J

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer type Questions)

प्रश्न 1.
‘विद्युत धारा’ से क्या तात्पर्य है ? किसी धातु में आवेश का प्रवाह किस रूप में होता है ?
उत्तर-
विद्युत धारा (Electric Current)-किसी चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह की समय दर को विद्युत धारा या विद्युत धारा की तीव्रता कहते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 17

इसका मात्रक ऐम्पियर अथवा कूलॉम/सेकण्ड है। यह अदिश राशि होती है। परमाणु संरचना के अनुसार धातुओं की बाह्य कक्षाओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं। मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकीय आकर्षण बल अपेक्षाकृत कम होता है क्योंकि ये नाभिक से दूर होते हैं। सामान्य ताप पर ये इलेक्ट्रॉन थोड़ी-सी ऊर्जा लेकर परमाणु से अलग होकर पदार्थ में मुक्त रूप से विचरण करते हैं परन्तु धातु को छोड़कर बाहर नहीं जा सकते हैं। धातु के सिरों के मध्य विभवान्तर लगाने पर इन इलेक्ट्रॉन की गति नियमित हो जाती है जिसके फलस्वरूप आवेश धातु में एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर स्थानान्तरित होने लगता है अर्थात् विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है।

प्रश्न 2.
विद्युत परिपथ में निम्न विद्युत यंत्रों के उपयोग लिखिए-
(i) ऐमीटर,
(ii) वोल्टमीटर,
(iii) धारा नियन्त्रक,
(iv) कुंजी,
(v) सेल या बैटरी,
(vi) संयोजन तार।
उत्तर-
(i) ऐमीटर विद्युत परिपथ में धारा का मापन करता है।
(ii) वोल्टमीटर दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने के काम आता है।
(iii) धारा नियन्त्रक विद्युत परिपथ में प्रतिरोध को कम या अधिक करने के काम आता है।
(iv) कुंजी परिपथ को पूरा करने अथवा तोड़ने के काम आती है।
(v) सेल या बैटरी परिपथ में विद्युत ऊर्जा का स्रोत होता है।
(vi) संयोजन तार विभिन्न यन्त्रों को परिपथ में जोड़ने के काम आता है।

प्रश्न 3.
विद्युत धारा के तापीय प्रभाव के महत्वपूर्ण उपयोग लिखिए।
उत्तर-
चालकों में विद्युत धारा प्रवाहित होने से ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह परिणाम सदा अच्छा नहीं होता है क्योंकि हमारे द्वारा दी गई ऊर्जा ऊष्मा में बदल जाती है और इससे परिपथ के अवयवों में ताप बहुत अधिक बढ़ जाता है। विद्युत धारा के नियंत्रित कष्मीय प्रभाव के महत्वपूर्ण उपयोग निम्नलिखित हैं।
1. विद्युत बल्ब-विद्युत बल्ब में टंगस्टन की पतली तार का फिलामेंट लगाया जाता है जिसकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है। इसका गलनांक 3380°C से भी काफी अधिक होता है। जब इससे विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है। तो यह ऊष्मा के कारण दीप्त होकर प्रकाश का उत्सर्जन करने लगता है। बल्बों में प्रायः नाइट्रोजन या ऑर्गन गैस भरी जाती है। जिससे उसके फिलामेण्ट की आयु बढ़ जाती है।

2. विद्युत तापीय साधित्र-विद्युत चालित इस्तरी, सोल्डरिंग, आयरन, टोस्टर, केतली आदि ऐसे उपकरण हैं जो कि विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर आधारित हैं। इन्हें ऐसे पदार्थों से निर्मित किया जाता है जिनकी प्रतिरोधकता अति उच्च होती है। इनमें नाइक्रोम नामक मिश्रधातु का उपयोग किया जाता है। जिससे बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है।

3. विद्युत फ्यूज-विद्युत के परिपथों में फ्यूज का प्रयोग बहुत किया जाता है। इसे युक्ति के श्रेणीक्रम में लगाया जाता है। जो अनावश्यक रूप से उच्च विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं होने देता है। नियत मान से अधिक माप की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पिघल जाता है। इसमें f विद्युत साधित्रों को होने वाली क्षति नहीं पहुँचती तथा परिपथ  में आग नहीं लगती।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 4.
समान्तर क्रम में प्रतिरोधों को किस प्रकार जोड़ा जाता है। प्रतिरोधों के इस संयोजन के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
जब दो या दो से अधिक प्रतिरोधों को इस प्रकार जोड़ा जाए कि उन सबका एक सिरा एक बिन्दु से तथा दूसरा सिरा किसी दूसरे बिन्दु से जुड़े तो इस प्रकार के संयोजन को समान्तर क्रम कहते हैं। माना R1, R2 R3, तीन प्रतिरोधों को बिन्दुओं A तथा B के बीच समान्तर क्रम में जोड़ा गया है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 18
माना प्रतिरोध R1,R2, तथा R3, में धाराओं का मान क्रमशः I1,I2, तथा I3, हो, तो ओम के नियमानुसार
I =V/R1 ………..(i)
I =V/R2 ……………………. (ii) ,
I =V/R3 …………………… (iii)
जहाँ V बिन्दुओं A तथा B के बीच विभवान्तर हो, तो समीकरण (i), (ii) तथा (iii) को जोड़ने पर,
\(I_1+I_2+I_3=\frac{V}{R_1}+\frac{V}{R_2}+\frac{V}{R_3} \)
यदि बिन्दु A पर आने वाली कुल धारा का मान 1 हो, तो प
\(\begin{aligned}
&1=l_1+l_2+l_3 \\
&=V\left(\frac{V}{R_1}+\frac{V}{R_2}+\frac{V}{R_3}\right)
\end{aligned} \) …………………. (iv)
यदि A तथा B के बीच तुल्य प्रतिरोध A हो तो, ओम के नियमानुसार I=V/R …………………………. (v)
समीकरण (iv) तथा (v) की तुलान करने पर
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\)

प्रश्न 5.
(a) किसी प्रयोग की सहायता से आप यह निष्कर्ष किस प्रकार निकालेंगे कि V वोल्ट की किसी बैटरी से श्रेणीक्रम में संयोजित तीन प्रतिरोधकों R1, R2, और R3, के परिपथ के प्रत्येक भाग से समान धारा प्रवाहित होती है?
(b) नीचे दिए गए परिपथ का अध्ययन करके, निम्नलिखित ज्ञात कीजिए :
(i) 12Ω प्रतिरोधक से प्रवाहित धारा
(ii) A1 और A2 के पाठ्यांको में अंतर, यदि कोई है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 19
(CBSE 2019)
उत्तर-
(a) उद्देश्य-यह दर्शाया कि श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधों की विद्युत धारा का मान प्रत्येक भाग में समान रहती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 20
विधि-(a) चित्रानुसार परिपथ तैयार कर लेते हैं।
(b) इसके लिए 1Ω,2Ω,3Ω, आदि प्रतिरोधों का उपयोग करते हैं इस क्रियाकलाप में 6V की बैट्री का उपयोग करते हैं।
(c) कुंजी को प्लग में लगाकर ऐमीटर का पाठ्यांक नोट करते हैं।
(d) अब एमीटर को दो प्रतिरोधों के बीच कहीं भी परिवर्तित कर देते हैं।
प्रेक्षण-हम पाते हैं कि ऐमीटर में विद्युत धारा का मान अपरिवर्तित रहता है। यह परिपथ में ऐमीटर की स्थिति पर निर्भर नहीं करता है।
निष्कर्ष-श्रेणीक्रम संयोजन में परिपथ के हर एक भाग में विधुत धारा (1) समान ही रहती है अर्थात् R1, R2, R3, आदि से समान विधुत धारा (I) प्रवाहित होती है। (b) मान कि R1 = 24Ω, R2 = 24Ω, और R3 = 125Ω है।
अब पार्श्व क्रम में तुल्य प्रतिरोध (Rp) :
\(\frac{1}{R_p}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}=\frac{1}{24}+\frac{1}{24}=\frac{2}{24}\)
Rp = \(\frac{24}{2}\) = 12 Ω

चूँकि 24Ω के दो प्रतिरोध और R3 ( = 12 Ω) से श्रेणी क्रम में जुड़े हुए हैं।
∴ परिपथ का कुल प्रतिरोध (R) = 12 Ω + 12 Ω = 24Ω
(i) 12 Ω प्रतिरोध से प्रवाहित धारा
= I = \(\frac{V}{R}=\frac{6}{24}=\frac{1}{4} \) = 0.25 A
(ii) A1 और A2 के पाठ्यांकों में कोई अंतर नहीं होगा क्योंकि श्रेणीक्रम में जुड़े प्रत्येक से समान धारा प्रवाहित होती है।

प्रश्न 6.
(a) विद्युत शक्ति की परिभाषा दीजिए। वोल्टता V के स्त्रोत के सिरों से संयोजित R प्रतिरोध का कोई विद्युत साधित्र धारा I लेता है। धारा और प्रतिरोध के पदों में शक्ति के लिए व्यंजक व्युपन्न कीजिए।
(b) 100W; 220V और 60W; 220V अनुमतांक के दो विद्युत बल्ब पार्श्व में 220V के विद्युत मेंस से संयोजित हैं। बल्बों द्वारा मेंस से ली गई धारा ज्ञात कीजिए। (CBSE 2019)
(a) कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। विद्युत ऊर्जा के उपयुक्त होने अथवा क्षयित की दर को भी विद्युत शक्ति कहत हैं ‘
विधुत शक्ति = \(\frac{\mathrm{W}}{t}=\frac{\mathrm{Q} \times \mathrm{V}}{t}=\mathrm{V}=\left(\frac{\mathrm{Q}}{t}\right)\) = VI
(b) 100W, 220V अनुमतांक वाले प्रथम लैम्प द्वारा ली गई धारा
I1 = \(\frac{P_1}{V}=\frac{100}{220}=\frac{5}{11} \mathrm{~A}\)
तथा 60 W, 220 V अनुमतांक वाले द्वितीय लैम्प द्वारा ली गई धारा
I2 = \(\frac{P_2}{V}=\frac{60}{220}=\frac{3}{11} \mathrm{~A}\)
पार्श्वक्रम संयोजन में दोनों लैम्पों द्वारा ली गई कुल धारा
= I1 +I2 = \(\frac{5}{11}+\frac{3}{11}=\frac{8}{11} \mathrm{~A} \) = 0.73A

आंकिक प्रश्न (Numerical Questions) .

प्रश्न 1.
220 V की वोल्टता पर एक विद्युत उपकरण में प्रवाहित विद्युत धारा का मान 0.4 A है तो घिण्टे में प्रवाहित विद्युत आवेश का मान क्या होगा ?
हल:
दिया है V= 220 V,
I = 0.4 A,
t= 1h = 3600 s
∴ प्रवाहित आवेश q=It = 0.4 x 3600 = 1440 कूलॉम

प्रश्न 2.
किसी विद्युत बल्ब के तंतु में से 0.25 ऐम्पीयर विद्युत धारा 20 मिनट तक प्रवाहित होती हैं। विद्युत परिपथ से प्रवाहित विद्युत आवेश का परिमाण ज्ञात कीजिए। [राज. 2015]
हल:
विद्युत बल्ब में धारा (I) = 0.25 A
समय (t) = 20 मिनट
=20 x 60 = 1200 सेकण्ड
(I) = \(\frac{q}{t} \) से
q = I x t = 0.25 x 1200
= 300 कूलॉम उत्तर

प्रश्न 3.
किसी चालक में धारा का मान 200 मिली ऐम्पियर है। इसमें होकर प्रति सेकण्ड कितने इलेक्ट्रॉन गुजर रहे होंगे ? (इलेक्ट्रॉन का आवेश e = 1.6 x 1-19 कूलॉम)
हल : प्रश्नानुसार,
धारा, i = 200 मिली ऐम्पियर
= 200 x 10-3 ऐम्पियर
समय,t = 1 सेकण्ड
इलेक्ट्रॉन का आवेश, e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
माना n इलेक्ट्रॉन गुजर रहे होंगे।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 21
अतः प्रति सेकण्ड 1.25 x 1018 मुक्त इलेक्ट्रॉन गुजरेंगे।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 4.
ताँबे के एक तार में होकर 2.5x 1018 मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रति सेकण्ड प्रवाहित हो रहे हैं। चालक में धारा का मान ज्ञात कीजिए। (e = 1.6x 10-19 कूलॉम)
हल :
चालक में विद्युत आवेश = प्रति सेकण्ड प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की संख्या x एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश
या q =ne= 2.5 x 1018 × 1.6 x 10-19
=4.0 x 10-1 कूलॉम = 0.4 कूलॉम
∵ प्रवाहित आवेश, q =i x t
∴ 0.4 =i x 1 या i = 0.4 ऐम्पियर
∴ विद्युत धारा, i. =0.4 ऐम्पियर

प्रश्न 5.
एक धनावेशित तथा एक ऋणावेशित गोले को ताँबे के तार से जोड़ने पर गोलों के उदासीन होने में 1.0 मिली सेकण्ड का समय लगता है तथा इस समय में तार से होकर 200 माइक्रो कूलॉम आवेश गुजर जाता है। तार में प्रवाहित धारा का औसत मान ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार,
1. समय, 1 = 1.0 मिली सेकण्ड = 1.0 x 10-3 सेकण्ड
2. आवेश, q= 200 माइक्रो कूलॉम = 200 x 10-6 कूलॉम
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प्रश्न 6.
एक चालक में होकर 0.5 कूलॉम का आवेश प्रवाहित होने में 3.0 जूल ऊर्जा का ह्रास होता है। चालक के सिरों का विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
हल : प्रश्नानुसार, आवेश q= 0.5 कूलॉम
ऊर्जा की कमी = कार्य W = 3.0 जूल
हम जानते हैं कि
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 23

प्रश्न 7.
एक चालक के सिरों का विभवान्तर 1.5 वोल्ट है तथा उसमें धारा प्रवाहित होने से 20 सेकण्ड में 15 जूल ऊर्जा प्राप्त होती है। चालक में प्रवाहित धारा की गणना कीजिए।
हल:
20 सेकण्ड में प्रवाहित आवेश
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 24

प्रश्न 8.
एक प्रतिरोधक में 0.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करने से 2.5 वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न होता है। तार के सिरों पर 1.0 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न करने के लिए उसमें कितनी धारा प्रवाहित करनी होगी?
हल:
प्रश्नानुसार,
विद्युत धारा (i) = 0.5 ऐम्पियर
प्रथम विभवान्तर V = 2.5 वोल्ट
द्वितीय विभवान्तर V’ = 1.0 वोल्ट
∵ ओम के नियम से,
V=iR
∴ R = \(\frac{\mathrm{V}}{i}=\frac{2.5}{0.5} \) = 5 ओम
पुनः 1 वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न करने के लिए R का मान 5 ओम ही रहेगा।

i=\(\frac{V^{\prime}}{R}=\frac{1}{5}\) = 0.2 ऐम्पियर
अतः 0.2 ऐम्पियर की विद्युत धारा प्रवाहित करनी पड़ेगी।

प्रश्न 9.
एक चालक में 0.5 A धारा प्रवाहित होती है तथा उसके सिरों का विभवान्तर 2 वोल्ट है, चालक का प्रतिरोध बताइये।
हल:
प्रश्नानुसार, चालक में प्रवाहित धारा I = 0.5A
विभवान्तर V =2 Volt
चालक का प्रतिरोध R = ?
ओम के नियमानुसार R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\frac{2}{0.5} \)
I 0.5 अतः चालक का प्रतिरोध 4 ओम होगा।

प्रश्न 10.
एक सेल का विद्युत वाहक बल 1.45 वोल्ट तथा आन्तरिक प्रतिरोध 0.5 ओम है। इस सेल से 2.4 ओम का बाह्य प्रतिरोध जोड़ने से सेल का विभवान्तर कितना रह जायेगा ?
हल:
बाह्य प्रतिरोध में विद्युत धारा,
i = \(\frac{\mathrm{E}}{\mathrm{R}+\mathrm{r}}=\frac{1.45}{(2.4+0.5)}\) ऐम्पियर
= \(\frac{1.45}{2.9} \) =0.5 ऐम्पियर
ओम के नियम से,
विभवान्तर V= iR= 0.5 x 2.4 वोल्ट = 1.2 वोल्ट उत्तर

प्रश्न 11.
15 C आवेश को दो बिन्दुओं के बीच विस्थापित करने में कितना कार्य किया जाएगा, जबकि इन बिन्दुओं के बीच 12V का विभवान्तर है ? हल : दिया है विस्थापित आवेश q= 15 C तथा
बिन्दुओं के बीच विभवान्तर V = 12V
∴ सूत्र V= 6 से,
किया गया कार्य W=QV = 15 C x 12V = 180 J

प्रश्न 12.
कोई विद्युत हीटर किसी स्रोत से 4 A की धारा लेता है तो इसके सिरों के बीच विभवान्तर 60 V होता है। यदि विभवान्तर को बढ़ाकार 120 V कर दिया जाए तो हीटर कितनी धारा लेगा ?
हल:
प्रथम स्थिति में-
हीटर द्वारा ली गई धारा I1 = 4A
हीटर के सिरों का विभवान्तर V1 =60V

द्वितीय स्थिति में –
विभवान्तर V2 =120V
ली गई धारा I2 = ?
प्रथम दशा से, ‘
हीटर की कुण्डली का प्रतिरोध
R = \(\frac{V_1}{I_1}=\frac{60}{4} \) = 15 Ω
ओम के नियमानुसार कुण्डली का प्रतिरोध नियत रहेगा।
∴ द्वितीय दशा में R= \(\frac{\mathrm{V}_2}{\mathrm{I}_2}\)
∴ हीटर द्वारा ली गई धारा I2 = \(\frac{\mathrm{V}_2^2}{\mathrm{R}}=\frac{120 \mathrm{~V}}{150 \Omega}\) = 8 A

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 13.
एक धातु का विशिष्ट प्रतिरोध 40 x 10-8 ओम मीटर है। बताइए कि 2 x 10-4 वर्ग मीटर परिच्छेद क्षेत्रफल की तार की एक कुण्डली बनाने के लिए कितने लम्बे तार की आवश्यकता होगी? जबकि धातु का प्रतिरोध 4.8 ओम है।
हल:
प्रश्नानुसार, धातु का विशिष्ट प्रतिरोध
ρ = 40 x 10-8 Ω m
तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
A = 2 x 10-4 वर्ग मीटर
प्रतिरोध R = 4.8Ω
चालक तार की लम्बाई = ?
∵ ρ = \(\frac{\mathrm{RA}}{l}\) अत: l = \(\frac{\mathrm{RA}}{\rho}\)
∴ l = \(\frac{4.8 \times 2 \times 10^{-4}}{40 \times 10^{-8}}\)
= 2.4 x 103 मीटर
अत: चालक तार की लम्बाई (l) = 2.4 x 103 मीटर
अतः 2.4 x 103 मीटर लम्बे तार की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 14.
यदि किसी तार को खींचकर उसकी लम्बाई तीन गुनी कर दी जाय तो उसका प्रतिरोध कितना होगा?
हल:
प्रश्नानुसार, l1 = l ,l2,=3l,
R1 =R, R2 = ?
∵ तार का आयतन समान रहेगा अतः
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 25

प्रश्न 15.
नाइक्रोम का विशिष्ट प्रतिरोध 9.5 x 10-7 ओम-मीटर है। इस धातु के बने तथा 0.5 मिमि व्यास के तार की कितनी लम्बाई लेने से 19 ओम का प्रतिरोध प्राप्त होगा?
हल:
प्रश्नानुसार, नाइक्रोम का विशिष्ट प्रतिरोध, p= 9.5 x 10-7 ओम-मीटर
तार का व्यास = 0.5 मिमी = 5x 10-4 मीटर
प्रतिरोध, R = 19 ओम
तार की त्रिज्या r = \(\frac{\text { व्यास }}{2}=\frac{5 \times 10^{-4}}{2}\)
= 2.5 x 10-4 मीटर
∴ तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A = πr²
∵ R = \(\frac{\rho l}{\mathrm{~A}}\) (सूत्र)
∴ l = \(\frac{R A}{\rho}=\frac{19 \times 3.14 \times\left(2.5 \times 10^{-4}\right)^2}{9.5 \times 10^{-7}}\)
= \(\frac{19 \times 3.14 \times 2.5 \times 2.5}{95}\) = 3.925 मीटर
∴ तार की लम्बाई = 3.925 मीटर

प्रश्न 16.
समान लम्बाई के दो तारों के व्यासों का अनुपात 2 : 3 है। यदि पहले तार का प्रतिरोध 3.6 ओम हो, तो दूसरे तार का प्रतिरोध कितना होगा?
हल:
किसी तार का प्रतिरोध, R = P\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
अब यदि उनके प्रतिरोध R1 व R2 हों, तो
R1 = ρ\(\frac{l}{A_1}\) तथा R2 = ρ\(\frac{l}{A_2} \)
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}=\frac{\mathrm{A}_2}{\mathrm{~A}_1}=\frac{\pi r_2^2}{\pi r_1^2}=\frac{\mathrm{r}_2^2}{\mathrm{r}_1^2}\)
दिया है; व्यासों का अनुपात = \(\frac{2 r_1}{2 r_2}=\frac{r_1}{r_2}=\frac{2}{3}\)
\(\frac{\mathrm{R}_1}{\mathrm{R}_2}=\frac{(3)^2}{(2)^2}=\frac{9}{4}\) या R2 = \(\frac{4}{9} \mathrm{R}_1\)
R2 = \(\frac{4}{9} \times 3.6=1.6 \) ओम
उत्तर अतः दूसरे तार का प्रतिरोध 1.6 ओम होगा।

प्रश्न 17.
दो विभिन्न धातुओं के तार समान लम्बाई और समान व्यास के हैं। इन तारों के प्रतिरोध 2 ओम तथा 2.5 ओम हैं। पहले तार की धातु का विशिष्ट प्रतिरोध 4.4 x 10-7 ओम-मीटर है , तो दूसरे तार की धातु का विशिष्ट प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार पहले तार का प्रतिरोध, R1 = 2.0 ओम
दूसरे तार का प्रतिरोध, R2 = 2.5 ओम
पहले तार की धातु का विशिष्ट प्रतिरोध ρ1 = 4.4 x 10-7 ओम-मीटर
माना दूसरे तार की धातु का विशिष्ट प्रतिरोध ρ2 है।

R1 = ρ1 \(\frac{l_1}{\mathrm{~A}_1} \) , तथा R2= ρ1 \(\frac{l_2}{\mathrm{~A}_2} \),
जबकि l1, और l2, लम्बाइयाँ तथा A1 और A2 तारों के परिच्छेद क्षेत्रफल हैं। .
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 26

प्रश्न 18.
एक परिपथ में 10Ω, 6Ω, तथा 4Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणी क्रम में संयोजित हैं । पूरे संयोजन का विभवान्तर 10 वोल्ट है। प्रत्येक में धारा एवं विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
हल : परिपथ में कुल धारा
I = \(\frac{V}{R}=\frac{V}{R_1+R_2+R_3}\)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 27
∵ श्रेणी क्रम में संयोजन में सभी प्रतिरोधों में समान धारा बहती है।
∵10Ω के प्रतिरोधक का विभवान्तर
V1 = IR1 = 0.5 ऐम्पियर x 10 ओम = 5.0 वोल्ट
6Ω के प्रतिरोधक का विभवान्तर
V2 = IR2 = 0.5 ऐम्पियर x 6 ओम = 3.0 वोल्ट 4Ω के प्रतिरोधक का विभवान्तर
V3 = IR3 = 0.5 ऐम्पियर x 4 ओम = 2.0 वोल्ट

प्रश्न 19.
संलग्न चित्र में AB के मध्य तुल्य प्रतिरोध तथा धारा का मान बताइए। [राज. 2015]
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 28
हल : 2Ω तथा 2Ω के दो प्रतिरोध श्रेणीक्रम में हैं अतः इनका
तुल्य प्रतिरोध R1 = 2+2=40Ω
R2 = 2+2 = 4Ω
4Ω तथा 4Ω के प्रतिरोध समान्तर क्रम में हैं ।
अतः इनका तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_1}+\frac{1}{\mathrm{R}_2}\)
∴\(\frac{1}{R}=\frac{1}{4}+\frac{1}{4}=\frac{1}{2} \)
∴ R=2Ω
अत: A तथा B के मध्य तुल्य प्रतिरोध R = 2 Ω होगा।
प्रवाहित धारा (I) = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{6}{2}\) = 3A

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प्रश्न 20.
दिए गए परिपथ चित्र संयोजन में 100 प्रतिरोध से प्रवाहित धारा I, ज्ञात कीजिए। (CBSE 2019)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 29
उत्तर-चूँकि 5Ω व 10Ω के प्रतिरोध समान्तर क्रम में हैं
अतः तुल्य प्रतिरोध \(\frac{1}{\mathrm{R}_{\mathrm{eq}}}=\frac{1}{5}+\frac{1}{10}\)
Req = 10/3Ω
I = \(\frac{12}{10} \times 3 \) = 3.6 A
∴ I1 x 5 = I2= x 10 (पार्श्वक्रम में विभवान्तर समान होता है)
∴ I1 = I2
∴ I = I1 + I2
3.6 = 2 I2 + I1
=3 I2 = 3.6
I2 = 1.2A
अत: A तथा B के मध्य तुल्य प्रतिरोध R=2Ω होगा। उत्तर

प्रश्न 21.
तीन प्रतिरोधों के मान क्रमशः 1 ओम, 3 ओम तथा 6 ओम हैं। इन्हें 1.5 वोल्ट के विद्युतवाहक बल की सेल से जोड़ने पर परिपथ में कुल कितनी धारा प्रवाहित होगी, यदि प्रतिरोधों को (क) श्रेणीक्रम में, (ख) समान्तर क्रम में जोड़ा जाय ? (सेल का आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य
हल :
(क) श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य प्रतिरोध
R=R1+R2+R3
= 1+3+6= 10 ओम
परिपथ में धारा i = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{1.5}{10} \) = 0.15 ऐम्पियर उत्तर
(ख) समान्तर क्रम में जोड़ने पर, \(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{1}+\frac{1}{3}+\frac{1}{6} \text { या } \frac{1}{R}=\frac{6+2+1}{6}=\frac{9}{6}\)
∴ R= \(\frac{6}{9} \) ओम
∴ परिपथ में धारा i= \(\frac{1.5}{\frac{6}{9}}=\frac{13.5}{6} \) = 2.25 ऐम्पियर उत्तर

प्रश्न 22.
(a) किसी उपयुक्त परिपथ आरेख की सहायता से यह सिद्ध कीजिए कि पार्श्वक्रम में संयोजित प्रतिरोधों के समूह के तुल्य प्रतिरोध का पृथक प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता हैं।
(b) किसी परिपथ में 120 के दो प्रतिरोधक 67 की बैटरी के सिरों से पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। बैटरी से ली गई धारा ज्ञात कीजिए।(CBSE 2019)
उत्तर-
(a) दिया गया चित्र दर्शाता है. कि एक परिपथा जिसमें तीन प्रतिरोधक R1 R2, और R3, पार्यक्रम में संयोजित है परिपथ में प्रवाहित कुल धारा तीनों प्रतिरोधकों में I1 I2 और I3 में विभाजित हो जाएगी।
अतः I= I1 +I2+I3
प्रत्येक प्रतिरोधक में ओम का नियम लागू करने पर,
I1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_1} ; \mathrm{I}_2=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_2} ; \mathrm{I}_3=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_3}\)
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माना परिपथ में तुल्य प्रतिरोध Req है।
पूरे परिपथ में ओम का नियम लागू करने पर,
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 31
(b)R1 =R2= 12Ω, V=6V
पार्श्वक्रम मे संयोजित करने पर तुल्य प्रतिरोध R है।
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2} \Rightarrow \frac{1}{12}+\frac{1}{12}=\frac{1}{6} \)

प्रश्न 23.
निम्न परिपथ में (i) कुल प्रतिरोध, (ii) कुल धारा का परिकलन कीजिए।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 32
हल : (i) कुल प्रतिरोध
10Ω व 10Ω के दोनों प्रतिरोध समान्तर क्रम में जुड़े हैं
अतः तुल्य प्रतिरोध \(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{1}{10}+\frac{1}{10}=\frac{2}{10}=\frac{1}{5}\)
या R’ = 5 Ω के प्रतिरोध श्रेणीक्रम में संयोजित होंगे अतः ।
R=R+5=5+5=10Ω
(ii) कुल धारा I= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{10}{10}\) =1A

प्रश्न 24.
बिन्दु A तथा B के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
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हल:
विशेष तथ्य-ऐसी समस्या को तार समस्या कहते है तथा तार को एक नम्बर दिया जाता है। तार जिन बिन्दुओं पर सम्पर्क करता है उसे उस तार का नम्बर दे दिया जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 34
तीनों प्रतिरोध समान्तर क्रम में हैं। अत:
\( \frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{1}{\mathrm{R}_1}+\frac{1}{\mathrm{R}_2}+\frac{1}{\mathrm{R}_3}\)
\(=\frac{1}{2}+\frac{1}{6}+\frac{1}{8}=\frac{12+4+3}{24}=\frac{19}{24} \)
\(\mathrm{R}^{\prime}=\frac{24}{19}=1.2631 \Omega\)

प्रश्न 25.
एक ही कुण्डली 100 w, 200 V को दो समान भागों में काटकर दोनों भागों को समान्तर क्रम में 220V के स्रोत से जोड़ा जाता है। क्रम में जोड़ने पर प्रति सेकण्ड उत्पन्न ऊर्जा की गणना कीजिए।
हल:
कुण्डली का प्रतिरोध \(\frac{V_2}{P}=\frac{(200)^2}{100}=400 \Omega\)
प्रत्येक अलग भाग का प्रतिरोध = 220 Ω
समान्तर क्रम में संयोजित होने पर कुल प्रतिरोध
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{200}+\frac{1}{200}=\frac{2}{200}=\frac{1}{100} \) या R = 100Ω
अतः प्रति सेकण्ड मुक्त ऊर्जा = \(\frac{(200)^2}{100}=400 \) जूल।

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प्रश्न 26.
एक बल्ब पर 5V, 100mA अंकित है। बल्ब का
(i) प्रतिरोध,
(ii) शक्ति का परिकलन कीजिए।
हल :
(i) प्रतिरोध R= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\frac{5}{100 \times 10^{-3}}\)
= \(\frac{5000}{100}=50 \Omega\)

(ii) शक्ति P= VI सूत्र से,
P=5 x 100 x 10-3 = 0.5 वॉट

प्रश्न 27.
(a) 100W, 220 V तथा 10w, 200 v अनुमतांक के दो लैंप 200V की आपूर्ति से पार्श्व में संयोजित हैं। इस परिपथ से प्रवाहित कुल धारा परिकलित कीजिए।
(b) दो प्रतिरोधकों x अथवा Y, जिनके प्रतिरोध क्रमशः 2Ω और 3Ω हैं, को पहले पार्श्व में और फिर श्रेणी में संयोजित किया गया है। प्रत्येक प्रकरण में आपूर्ति की वोल्टता 5V हैं-
(i) प्रत्येक प्रकरण में प्रतिरोधकों के संयोजन को दर्शाने के लिए परिपथ आरेख खींचिए।
(ii) प्रतिरोधकों के श्रेणी संयोजन में 3Ω के प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टता परिकलित कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) 100W; 220V वाले लैंप द्वारा ली गई विद्युत धारा
P1 = VI1
⇒ I1= \(\frac{P_1}{V}=\frac{100}{220} \)
⇒ I1 = \(\frac{5}{11} \mathrm{~A} \)
10W, 220V वाले लैंप द्वारा ली गई विद्युत धारा का मान
I1 = \(=\frac{P_2}{V}=\frac{10}{220}=\frac{1}{22} A \)
परिपथ में प्रवाहित कुल धारा
\( \mathrm{I}=\mathrm{I}_1+\mathrm{I}_2=\frac{5}{11}+\frac{1}{22}=\frac{10+1}{22}=\frac{11}{22}=\frac{1}{2} \mathrm{~A}=0.5 \mathrm{~A}\)

(b)
(i) पार्श्व क्रम में
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(ii) श्रेणी क्रम में : तुल्य प्रतिरोध
Rs =R1 + R2
= 22+32=50 V=5V
I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{5}{2}\) = 1A
सभी प्रतिरोधकों X तथा Y से समान धारा (I = 1A) प्रवाहित होगी।

प्रश्न 28.
किसी विद्युत इस्तरी में अधिकतम तापन दर के लिये 840 वॉट की दर से ऊर्जा उपयुक्त होती है। विद्युत स्त्रोत की वोल्टता 220 V है। विद्युत धारा तथा प्रतिरोध के मान परिकलित कीजिये। राज. 2015]
हल :
वैद्युत शक्ति (P) = 840
वॉट विभवान्तर (V)= 220V
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प्रश्न 29.
परिपथ में दर्शाए अनुसार 6V की किसी बैटरी से 20Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत लैम्प 4Ω प्रतिरोध के चालक से संयोजित है। निम्नलिखित का मान परिकलित कीजिए-
(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध,
(b) परिपथ में प्रवाहित धारा,
(c)
(i) विद्युत लैम्प और
(ii) चालक के सिरों पर विभवान्तर तथा
(d) लैम्प की शक्ति। (CBSE 2019)
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उत्तर-
V= 6V1, R1 = 20Ω,R, =4Ω
(a) तुल्य प्रतिरोध R =R1 +R2
=20+4=24Ω

(b) परिपथ में प्रवाहित धारा
\(I=\frac{V}{R}=\frac{6}{24}=\frac{1}{4} \) = 0.25 ऐम्पियर

(c) लैम्प के सिरों पर विभवान्तर :
v = IR = \(\frac{6}{24}\) x 20 = 5V
चालक के सिरों पर विभवान्तर = 0.25 x 4 = 1.00V

(d) लैम्प की शक्ति
P =VI⇒ P = 5x \(\frac{1}{4}\) = 1.25 वाट

प्रश्न 30.
दो बल्ब, एक 40 वाट का व दूसरा 100 वाट का, 220 वोल्ट के विद्युत परिपथ में समान्तर क्रम जुड़े हैं।
(i) इसके विद्युत परिपथ का चित्र बनाइए।
(ii) विद्युत परिपथ में प्रवाहित विद्युतधारा का मान ज्ञात कीजिए।
(ii) जब दोनों बल्ब एक साथ एक घंटे के लिए जलाए जाते हैं तो उपयुक्त (खर्च हुई) ऊर्जा की गणना कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
(i)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 37
(ii) माना कि P1 = 40W,V1 = 220V है। हमें ज्ञात करना है : I2 = ?
∴ P =V1
I1 = \(\frac{P_1}{V_1}=\frac{40}{220}=\frac{8}{11} \mathrm{~A}\)
P = 100W, V2 = 220V, I2 = ?
I2 = \(\frac{\mathrm{P}_2}{\mathrm{~V}_2}=\frac{100}{220}=\frac{5}{11} \mathrm{~A}\)
परिपथ से प्रवाहित होने वाली कुल विद्युत धारा
I = \(\mathrm{I}_1+\mathrm{I}_2=\frac{2}{11}+\frac{5}{11}=\frac{7}{11} \mathrm{~A}\)

(iii) 40w के बल्ब द्वारा खपत की गई ऊर्जा
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बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective type Questions)

1. निम्नलिखित में से कौन सा सम्बन्ध ओम का नियम नहीं हैं
(a) V ∝ I
(b) \(\frac{\mathrm{V}^2}{\mathrm{I}} \) = नियतांक
(c) V=IR
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(b) \(\frac{\mathrm{V}^2}{\mathrm{I}} \) = नियतांक ।

2. प्रतिरोध का मात्रक होता है-
(a) ऐम्पियर
(b) ओम
(c) ओम-मीटर
(d) वाट।
उत्तर-
(b) ओम।

3. किसी तार की प्रतिरोधकता निर्भर करती है
(a) तार की लम्बाई पर
(b) अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर
(c) पदार्थ पर
(d) (a), (b) व (c) तीनों पर ।
उत्तर-
(d) (a), (b) व (c) तीनों पर ।

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4. 50W, 250v के एक लैंप में प्रवाहित विद्युत धारा का मान है-
(a) 0.2A
(b) 5A
(c) 2A
(d) 2.5A.
उत्तर-
(a) 0.2A.

5. टंगस्टन का गलनांक क्या है ?
(a) 1380°C
(b) 2380°C
(c) 3380°C
(d) 4480°C.
उत्तर-
(c)3380°C

6. एक इलेक्ट्रॉन पर कितना आवेश होता है?
(a) 2.6 x 10-19 कूलॉम
(b) 1.6 x 10-19 कूलॉम
(c) 3.6 x 106 कूलॉम
(d) 1.6 x 10-19 कूलॉम।
उत्तर-
(b) 1.6 x 10-19 कूलॉम।

7. कार्य करने की दर को कहते हैं :
(a) विभवान्तर
(b) विभव
(c) ताप
(d) शक्ति ।
उत्तर-
(d) शक्ति ।

8. फ्यूज को किसी संयन्त्र के साथ किस क्रम में जोड़ा जाता है?
(a) समान्तर
(b) श्रेणी
(c) दोनों में जोड़ा जा सकता है
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) श्रेणी।

9. विद्युत आवेश का SI मात्रक है:
(a) वॉट
(b) किलोवॉट
(c) ऐम्पियर
(d) कूलॉम।
उत्तर-
(d) कूलॉम।

10. ऐमीटर को परिपथ में सदा कैसे संयोजित किया जाता
(a) श्रेणीक्रम में
(b) पार्श्वक्रम में
(c) उपर्युक्त (a), (b), में
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) श्रेणीक्रम में।

11. विभवान्तर को मापने वाला यन्त्र है –
(a) ऐमीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) विद्युत मीटर।
उत्तर-
(b) वोल्टमीटर।

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12. प्रतिरोधकता का SI मात्रक है –
(a) वोल्ट
(b) ओम-मीटर
(c) ऐम्पियर
(d) ओम।
उत्तर-
(b) ओम मीटर

13. किसी विद्युत धारा के सतत व बन्द परिपथ को कहते हैं:
(a) विद्युत परिपथ
(b) विद्युत मार्ग
(c) विद्युत गमन
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) विद्युत परिपथ।

14. 14 A को व्यक्त करते हैं :
(a) 10-3A से
(b) 10-10A से
(c) 10-9Aसे
(d) 10-6A से।
उत्तर-
(d) 10-6A से।

15. बल्ब में गैस भरने से उसके तन्तु की आयु पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
(a) घट जाती है
(b) समान रहती है
(c) वृद्धि होती है
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(c) वृद्धि होती है।

16. यदि R1, R2 एवं R3 तीन प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ा जाए तो कुल प्रतिरोध होगा
(a) R = R1 + R2+R3
(b) \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_1}+\frac{1}{\mathrm{R}_2}+\frac{1}{\mathrm{R}_3}\)
(c) \(\frac{1}{\mathrm{R}}+\frac{1}{\mathrm{R}_1}=\frac{1}{\mathrm{R}_2}+\frac{1}{\mathrm{R}_3} \)
(d) R= \(\frac{1}{\mathrm{R}_1}+\frac{1}{\mathrm{R}_2}+\frac{1}{\mathrm{R}_3} \)
उत्तर-
(b) \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_1}+\frac{1}{\mathrm{R}_2}+\frac{1}{\mathrm{R}_3}\)

17. काँच की छड़ को रेशमी कपड़े से रगड़ने पर क्या उत्पन्न होता है ?
(a) धनात्मक आवेश
(b) विभवान्तर
(c) विभव
(d) दिष्ट धारा।
उत्तर-
(a) धनात्मक आवेश।

18. t समय में प्रतिरोध R में धारा I प्रवाहित होने पर किए गए कार्य का सूत्र है-
(a) W=IRt
(b) W=I2 Rt
(c) W = IR2t
(d) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर-
(b) W=I2 Rt

19. एक विद्युत प्रतिरोध का मान क्या होगा, यदि इसमें 220 V पर 20 A की धारा को प्रवाहित किया जाए?
(a) 1.10
(b) 112
(c) 2.22
(d) 222.
उत्तर-
(b) 112.

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20. 20 Ω, 5Ω, तथा 4Ω के प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़े जाएँ तो संयुक्त प्रतिरोध होगा :
(a) 2Ω
(b) 29Ω
(c) 0.5Ω
(d) उपर्युक्त कोई भी नहीं
उत्तर-
(a) 2Ω.

21. 100 W और 40w के दो बल्ब श्रेणी में संयोजित हैं। 100 W के बल्ब से 1A धारा प्रवाहित हो रही है। 40W के बल्ब से प्रवाहित धारा का मान होगाः (CBSE 2020)
(a) 0.4A
(b) 0.6A
(c) 0.8A
(d) 1A
उत्तर-
(d) 1 A.

22. mA और μA के साथ क्रमशः हैं : (CBSE 2020)
(a) 10-6 और 10-9A
(b) 10-3A और 10-6A
(c) 10-3A और 10-9A
(d) 10-6A और 10-3A
उत्तर-
(b) 10-3A और 10-6A

23. लंबाई । तथा एक समान अनुप्रस्थ-काट क्षेत्रफल ‘A’ के किसी बेलनाकार चालक का प्रतिरोध ‘R’ है। उसी पदार्थ के किसी अन्य चालक जिसकी लंबाई 2.51 प्रतिरोध 0.5R है, कि अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल होगा : (CBSE 2020)
(a) 5A
(b) 2.5A
(c) 0.5A
(d) FA.
उत्तर-
(a) 5A

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks)

1. विद्युत आदेश के प्रवाह की दर को …………………………. कहते है।.
उत्तर-
विद्युत धारा,

2. विद्युत धारा का मात्रक …………………………. होता है।.
उत्तर-
एम्पियर

3. किसी चालक का वह गण जिसके कारण वह अपने में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का विशेष करा है, …………………………. कहलाता है।
उत्तर-
प्रतिरोध,

4. विद्युत विभवान्तर का मात्रक …………………………. होता है।
उत्तर-
वोल्ट,

5. किसी विद्युत परिपथ में परिपथ के प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए …………………………. का उपयोग किया जाता
उत्तर-
धारा नियंत्रक।

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न (Matrix Type Questions)

1. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए.

कॉलम Xकॉलम Y
(i) विद्युत धारा मापकयंत्र(a) जूल का तापीय नियम
(ii) विद्युत विभवान्तर मापकयंत्र(b) विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक
(iii) IR(c) ऐमीटर
(iv) I2Rt(d) वोल्टमीटर
(v) ओम-मीटर(e) ओम का नियम
(vi) यूनिट (KWR)(f) प्रतिरोधकता

उत्तर-

कॉलम Xकॉलम Y
(i) विद्युत धारा मापकयंत्र(c) ऐमीटर
(ii) विद्युत विभवान्तर मापकयंत्र(d) वोल्टमीटर
(iii) IR(e) ओम का नियम
(iv) I2Rt(a) जूल का तापीय नियम
(v) ओम-मीटर(e) ओम का नियम (f) प्रतिरोधकता
(vi) यूनिट (KWR)(b) विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक

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2.
(I) निम्नलिखित को सुमेलित कीजिये-
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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 41

(II) निम्नलिखित को सुमेलित कीजिये।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 42

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HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण प्रदूषण के लिए उत्तरदायी तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पर्यावरण प्रदूषण के लिए उत्तरदायी तत्त्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के लिए अनेक कारण उत्तरदायी हैं, जिसमें से महत्त्वपूर्ण निम्नलिखित हैं

1. पश्चिमी विचारधारा (Western Thinking):
पर्यावरण के प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के लिए पश्चिमी चिन्तन काफ़ी सीमा तक उत्तरदायी है। पश्चिमी विश्व के भौतिक विकास के मूल में, वहां की भौतिक जीवन दृष्टि है। पश्चिम का ईसाई समाज ईसाई धर्म की इस मान्यता के अनुसार जीवन व्यतीत करता है कि ईश्वर ने मानव को पृथ्वी पर, जो कुछ भी है, उसका उपभोग करने के लिए भेजा है।

रीडर्स डायजेस्ट के लेख में अर्नातड टायन्बी ने स्पष्ट किया है कि आज जो पर्यावरण की समस्या हमारे सामने आ खड़ी हुई है उसका मूल कारण है ईसाइयत की यह अवधारणा, जो कहती है कि भगवान् ने मनुष्य को इस सृष्टि में अपने सुख के लिए उपभोग करने का अधिकार दिया है। ‘Eat drink and be Marry’ इस विचारधारा ने प्रकृति के शोषण को प्रोत्साहित किया है और ईसाइयत की इसी विचारधारा ने पर्यावरण के प्रदूषण को विकसित किया।

2. जनसंख्या में वृद्धि (Increase in Population) :
विश्व की जनसंख्या में पिछले 50 वर्षों में बड़ी तीव्र गति से वृद्धि हुई है। जनसंख्या अधिक होने के कारण मानव की आवश्यक वस्तुओं-रोटी, कपड़ा और मकान की भी पूर्ति नहीं हो रही है। विश्व की अधिकांश जनसंख्या की मल आवश्यकता रोटी, कपडा, मकान ही है और इन वस्तुओं की पूर्ति लकड़ी, लोहा, भूमि, कच्चा-माल, खाद्य पदार्थ, जल इत्यादि के भण्डारों से हो सकती है अर्थात् प्रकृति का शोषण आवश्यक हो जाता है। अत: विशाल जनसंख्या प्रकृति पर बोझ है और पर्यावरण को प्रदूषित कर रही है।

3. वनों की कटाई व भू-क्षरण (Deforestation and Soil Erosion):
मानव जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने में और पर्यावरण के सन्तुलन बनाए रखने में वनों की भूमिका प्राचीन काल से ही बड़ी महत्त्वपूर्ण रही है। हिमालय और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भूमि की कठोरता कम होती जा रही है और भू-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है।

भूमि के भू-क्षरण के कारण बाढ़ों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और ईंधन की लकड़ी व अन्य पशुओं का निरन्तर ह्रास हो रहा है। अनेक वन्य प्रजातियां आज लुप्त हो चुकी हैं। वनवासियों का अधिकतर जीवन वनों पर निर्भर करता है, किन्तु वनों के कटने से, उनके जीवन-यापन में अनेक कठिनाइयां आ रही हैं और इन कठिनाइयों के फलस्वरूप आज वनस्पतियों में भी पर्याप्त असन्तोष फैल रहा है।

वन, वातावरण की स्वच्छता के लिए अनिवार्य तत्त्व है। केवल प्रकृति में वन ही दूषित वायु (Carbon dioxide) के भक्षक हैं और बदले में वे स्वच्छ ऑक्सीजन प्रदान करते हैं जोकि जीवन के लिए अनिवार्य तत्त्व है। आज के युग में जब जनसंख्या व उद्योगों के विस्तार के कारण स्वच्छ हवा का अभाव होता जा रहा है, निरन्तर वनों की कमी से वायु के चक्र में भी बाधा पड़ती है और इस तरह वनों के अभाव से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बढ़ने से पर्यावरण का प्रदूषित होना स्वाभाविक होता जा रहा है।

4. जल प्रदूषण (Water Pollution):
जिस प्रकार वन सम्पदा सीमित है उसी तरह प्रकृति ने जल पूर्ति को भी सीमित बनाया है। पानी न केवल मानव के लिए ही, अपितु पशु-पक्षी, कीट-पतंगे, पेड़-पौधों आदि के लिए भी आवश्यक है। हवा के पश्चात् जीवन के लिए दूसरा अनिवार्य तत्त्व-पानी है। जल की मात्रा सीमित है जबकि जल की पूर्ति, मांग अथवा मात्रा असीमित है। जल की सीमित मात्रा के साथ-साथ मानव ने नदियों व समुद्र के पानी को भिन्न भिन्न ढंगों से प्रदूषित करना शुरू कर दिया है। कारखानों से निकलने वाले विषैले रसायनों, कीटनाशक पदार्थों तथा पेट्रोलियम उत्पादन से नगरों के गन्दे नालों के पानी से नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।

5. वायु प्रदूषण (Air Pollution):
जल प्रदूषण से भी अधिक खतरनाक वायु प्रदूषण है। वर्तमान सभ्यता ने जिस गति से शहरों का आयोजनाबद्ध विकास किया है और जितना अधिक जनसंख्या को घना बनाया है उसी अनुपात में इन नगरों में लोगों को श्वास लेने के लिए स्वच्छ वायु का मिलना कठिन हो गया है। भारत में दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, लुधियाना इत्यादि बड़े नगरों में वायु प्रदूषित व विषैली बन गई है।

बड़े-बड़े नगरों में वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार हैं-कल कारखाने, खनन परियोजनाएं (Mining Projects), ताप-बिजली परियोजनाएं (Thermal Power Projects), परमाणु बिजली परियोजनाएं (Nuclear Power Projects), परिवहन के साधन (Mode of Transport) इत्यादि। बड़े-बड़े कारखानों की चिमनियों से निकलते काले धुएं, नगरों के वायुमण्डल को प्रदूषित कर रहे हैं।

6. औद्योगीकरण (Industrialisation):
पर्यावरण को प्रदूषित करने का एक महत्त्वपूर्ण कारण औद्योगीकरण है। औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् उद्योगों का बड़ी तेजी से विकास हुआ है। विश्व के विकसित देशों तथा विकासशील देशों में बड़े-बड़े उद्योग, कारखाने तथा मिलें स्थापित की गई हैं। कारखानों व मिलों को चलाने के लिए ऊर्जा की ज़रूरत होती है।

जिस स्थान पर बड़े-बड़े कारखाने केन्द्रित होंगे वहां पर उतनी ही अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ेगी। ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति के लिए कोयला तथा तेल को जलाना पड़ता है अथवा बिजली व परमाणु शक्ति का उपभोग करना पड़ता है जिनसे विषैली गैसें पैदा होती हैं, जो वायु व जल को प्रदूषित व विषाक्त कर देती हैं।

7. ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) :
विभिन्न प्रकार की ध्वनियों व शोर ने नगरों के पर्यावरण को प्रदूषित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। बड़े-बड़े नगरों में चारों तरफ शोर ही शोर है। सुबह चार बजे से लेकर रात के बारह बजे तक बड़े-बड़े नगरों का पर्यावरण विभिन्न प्रकार के शोरों से प्रदूषित होता रहता है। बसों, ट्रकों, गाड़ियों, दुपहिया आदि वाहनों का शोर, लाऊडस्पीकरों का शोर, जनरेटर का शोर और जुलूस व शोभा यात्राओं तथा जलसों का शोर आदि कानों के पर्दो तथा स्नायुतन्त्र (Nervous System) को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।

8. अन्य कारण (Other Reasons)-उपर्युक्त कारकों के अतिरिक्त पर्यावरण को प्रदूषित करने के अनेक और भी कारण हैं। कूड़ा-कर्कट जलाने से कूड़े-कर्कट के ढेरों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। कृषि अन्य कूड़ा-कर्कट का जलाया जाना (Burning of Agricultural wastes) पर्यावरण को प्रदूषित करता है। धूल अथवा मिट्टी का उड़ना (अन्धेरी) पर्यावरण को प्रदूषित करता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 2.
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विभिन्न उपायों का वर्णन करें।
अथवा
पर्यावरण की सुरक्षा के विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पर्यावरण की सुरक्षा के विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-वर्तमान समय में विश्व की एक बहुत बड़ी चिन्ता पर्यावरण की है। मानवता को बचाने के लिए पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना अति आवश्यक है। 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने रियो-द-जनेरो (Rio-Do-Janeiro) में पर्यावरण पर विचार-विनिमय के लिए एक सम्मेलन बुलाया, जिसमें एजेंडा-21 (Agenda-21) के नाम से एक कार्यक्रम तैयार किया गया, जिस पर सभी देशों ने सहमति प्रकट की। प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं

1. समग्र चिन्तन की आवश्यकता (Need for Holistic Thinking):
पश्चिमी जगत् के भौतिक चिन्तन में इस बात पर बल दिया गया है कि इस पृथ्वी पर व प्रकृति पर जो कुछ भी है, वह मानव के उपभोग के लिए है। अतः आवश्यकता मानव की सोच को बदलने की है। इसके लिए भारत का समग्र चिन्तन (Holistic or Integrated thinking of India) एक महत्त्वपूर्ण उपाय है। भारतीय चिन्तन मानव को पेड़ों, वनों, नदियों, पशु-पक्षियों आदि की रक्षा पर भी बल देता है।

2. जनसंख्या नियन्त्रण (Population Control):
विश्व की जनसंख्या बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है और वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉसपेक्ट्स रिपोर्ट के अनुसार विश्व की जनसंख्या 7.2 अरब से बढ़कर वर्ष 2050 तक 9.6 अरब हो जायेगी। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना अत्यावश्यक है। बिना जनसंख्या की वृद्धि को रोके मानव को स्वच्छ पर्यावरण नहीं मिल पाएगा। इसीलिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना, जहां एक ओर देश की अपनी समस्या है वहां दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र भी विश्व जनसंख्या को रोकने के लिए प्रयत्नशील है।

3. वन संरक्षण (Forest Conservation):
पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए तथा देश के सन्तुलित विकास के लिए यह आवश्यक है कि वनों की रक्षा की जाए। वनों की अन्धाधुन्ध कटाई को रोकना अत्यावश्यक है। वनों की रक्षा के लिए यह भी आवश्यक है कि जो व्यक्ति अनाधिकृत ढंग से पेड़ों को काटे तो उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। भारत में वानिकी अनुसन्धान का मुख्य दायित्व भारतीय वानिकी अनुसन्धान शिक्षा परिषद् (Indian Council of Forestry Research and Education) का है।

4. वन्य-जीवन का संरक्षण (Conserving the Wild Life):
वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीवन का संरक्षण करना आवश्यक है। भारत में शेर, चीते, हाथियों, घड़ियालों, गैंडे, भालू इत्यादि जीवों की प्रजातियों के नष्ट होने का गम्भीर खतरा पैदा हो गया है। प्रकृति के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए तथा पर्यावरण की रक्षा के लिए वन्य जीवन (Wild life) को सुरक्षित रखना अत्यावश्यक हो गया है। इसीलिए भारत सरकार ने शिकार और पशु पक्षियों को मारने तथा उनके अवैध व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।

5. उचित तकनीक का प्रयोग (Adoption of Proper Technology):
आधुनिक भौतिकवादी युग में मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े-बड़े कारखाने उतने ही आवश्यक हैं जितना कि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना। इसलिए कारखानों को चलाने के लिए ऐसे ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए जिससे जहरीली गैसें व धुआं निकलकर वायुमण्डल को प्रदूषित करें।

उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन के लिए लघु तथा कुटीर उद्योगों का प्रयोग किया जाना चाहिए। गांव के लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति ग्राम कुटीर उद्योगों के द्वारा की जानी चाहिए। कारखानों में प्रदूषण निरोधक उपकरणों को लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए।

6. जनता को पर्यावरण सम्बन्धी शिक्षा देना (To educate the People about environment):
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह अत्यावश्यक है कि आम जनता को पर्यावरण सम्बन्धी शिक्षा दी जाए। यह शिक्षा दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्रों द्वारा तथा जुलूसों, जलसों व प्रदर्शनियों द्वारा दी जानी चाहिए। विद्यालयों तथा महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पर्यावरण सम्बन्धी शिक्षा को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए।

1978 में ‘राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय’ की देख-रेख में भारत के अनेक स्थानों पर प्रदर्शनियां आयोजित की गईं ताकि आम जनता को पर्यावरण के संरक्षण का महत्त्व बतलाया जा सके। 1982 में भारत में पर्यावरण सूचना प्रणाली स्थापित की गई। पर्यावरण सूचना प्रणाली सांसदों और अन्य पर्यावरण प्रेमियों को पर्यावरण के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण सूचना प्रदान कर रही है।

7. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग (International Co-operation):
पर्यावरण प्रदूषण एक देश की समस्या न होकर सारे विश्व की समस्या है। अतः इस समस्या का समाधान भी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा ही किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र तथा इसकी एजेंसियां पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

8. आवश्यकताएं कम करना (To minimise the wants):
पर्यावरण के संरक्षण के लिए सर्वोत्तम उपाय अपनी आवश्यकताओं को कम करना है।

9. विविध उपाय (Miscellaneous Measures) :
उपर्युक्त उपायों के अतिरिक्त निम्नलिखित उपायों द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है

  • ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए लाऊड-स्पीकरों के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिए। प्रशासन की स्वीकृति के बिना लाऊड-स्पीकरों के प्रयोग पर मनाही होनी चाहिए।
  • कूड़ा-कर्कट के ढेर शहर के समीप इकट्ठे नहीं किए जाने चाहिए और न ही जलाए जाने चाहिए।
  • जल प्रदूषण को रोकने के लिए गन्दे नालों व कारखानों का पानी नदियों में नहीं डाला जाना चाहिए।
  • बसों, ट्रकों, गाड़ियों व दुपहिया से निकलने वाले धुएं को रोकने के लिए कार्यवाही की जानी चाहिए। दिल्ली सरकार ने ‘नियन्त्रित प्रदूषण प्रमाण-पत्र’ न रखने वाले वाहनों पर जुर्माने की रकम पहली बार ₹1000 तक और उसके .. बाद हर बार ₹ 2000 तक जुर्माना 21 जुलाई, 1997 से लागू कर दिया है।

प्रश्न 3.
पर्यावरण संरक्षण के लिये अन्तर्राष्टीय स्तर पर किए गये विभिन्न प्रयासों का वर्णन कीजिये।
अथवा
पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किये गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए प्रयास-पर्यावरण संरक्षण के लिए समय समय पर विश्व स्तर पर सम्मेलन होते रहे हैं तथा नियमों एवं उपनियमों का निर्माण किया गया है, जिनका वर्णन इस प्रकार है

1. स्टॉकहोम सम्मेलन (Stockholm Conference) पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून, 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया गया। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन की महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशें थीं

  • मानवीय पर्यावरण पर घोषणा,
  • मानवीय पर्यावरण पर कार्य योजना,
  • संस्थागत एवं वित्तीय व्यवस्था पर प्रस्ताव,
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्ताव,
  • परमाणु शस्त्र परीक्षणों पर प्रस्ताव,
  • दूसरे पर्यावरण सम्मेलन किये जाने के प्रस्ताव तथा
  • राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किये जाने के सम्बन्ध में सरकारों को सिफारिशें किये जाने का निर्णय।

2. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित विश्व समझौतों की पुष्टि (Ratification of Global Convention Regarding Environment Protection)-1975 में अधिकांश राज्यों ने पर्यावरण से सम्बन्धित विश्व स्तरीय समझौतों को अपनी स्वीकृति प्रदान करके पर्यावरण संरक्षण आन्दोलन को और अधिक प्रभावी बना दिया। इनमें समझौतों में शामिल थे- .

  • तेल-प्रदूषण की हानि के लिए असैनिक दायित्व पर अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय-1969।
  • तेल प्रदूषण के उपघातों के विषयों में खुले समुद्र में हस्तक्षेप से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय–1969।
  • अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की नम भूमि तथा विशेषकर पानी में रहने वाले पक्षियों के रहने के स्थान पर अभिसमय 1971।
  • कूड़ा-कर्कट तथा अन्य सामान के ढेर लगाने से सामुद्रिक प्रदूषण को बचाने के लिए अभिसमय-1972।
  • विश्व सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत के संरक्षण से सम्बन्धित अभिसमय-1972।
  • संकटापन्न या जोखिम में पड़े एवं जंगली पेड़-पौधों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अभिसमय-1973।
  • जलपोतों तथा हवाई जहाज़ों द्वारा ढेर लगाने से सामुद्रिक प्रदूषण को बचाने के लिए अभिसमय-1973।

3. नैरोबी घोषणा (Nairobi Declaration):
स्टॉकहोम सम्मेलन की 10वीं वर्षगाँठ का सम्मेलन 1982 में नैरोबी में किया गया। इस सम्मेलन में विलुप्त वन्य जीवों के व्यापार से सम्बन्धित प्रावधान अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक सम्पदा तथा खुले समुद्र में प्रदूषण इत्यादि से सम्बन्धित प्रावधानों को स्वीकार किया गया।

4. पृथ्वी सम्मेलन (Earth Summit):
स्टॉकहोम सम्मेलन के पश्चात् पर्यावरण से सम्बन्धित सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन सन् 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो डी जनेरियो में हुआ। इस सम्मेलन में 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का आयोजन भी संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में हुआ।

इस सम्मेलन का मुख्य विषय पर्यावरण एवं सन्तुलित विकास था। पृथ्वी सम्मेलन में की गई घोषणा को एंजेण्डा-21 के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में स्टॉकहोम के उपबन्धों को स्वीकार करते हुए उन्हें लागू करने पर जोर दिया गया। पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कुल 27 सिद्धान्तों को स्वीकार किया गया।

5. विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक (Global Climate Change Meet):
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबन्ध के समाधान के सम्बन्ध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया। इस बैठक में ग्रीन गृह गैसों (Green House Gases) को वातावरण में न छोड़ने की सम्भावनाओं पर चर्चा हुई।

6. क्योटो प्रोटोकोल (Kyoto Protocol):
1997 में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक दूसरी बैठक क्योटो (जापान) में हुई। इसमें लगभग 150 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के अन्त में क्योटो घोषणा की गई जिसके अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई कि सूचीबद्ध औद्योगिक देश वर्ष 2008 से 2012 तक 1990 के स्तर से नीचे 5.2% तक अपने सामूहिक उत्सर्जन में कमी कर देंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छ विकास संयंत्रों (Clean Development Machanism) लागू करने की बात की गई।

7. ब्यूनिस-ऐरिस बैठक (Buenus-Aires Convention):
1998 में अर्जेन्टाइना के शहर ब्यूनिस-ऐरिस में क्योटो प्रोटोकोल की समीक्षा के लिए एक बैठक की गई। भारत जैसे देशों की यह दलील थी कि विलासिता और आवश्यकता में अन्तर किया जाना चाहिए।

अर्थात् विलासिता के कारण गैसों का रिसाव न हो और आवश्यकता के कारण इसे छोड़ने से रोका न जाए। बाली सम्मेलन-2007-दिसम्बर, 2007 में इण्डोनेशिया के शहर बाली में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में पर्यावरण को बचाने के लिए क्योटो प्रोटोकोल को लागू करने तथा अन्य साधनों पर विचार किया गया। .

कोपनहेगन सम्मेलन-2009-दिसम्बर, 2009 में डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक विश्व सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में लगभग 190 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में पर्यावरण को बचाने के लिए कई उपायों पर चर्चा की गई। कानकून सम्मेलन 2010-दिसम्बर, 2010 में कानकून (मैक्सिको) में पर्यावरण सरंक्षण पर हुए विश्व सम्मेलन में 193 देश एक मसौदे पर सहमत हुए, जिसके अन्तर्गत 100 अरब डालर के ग्रीन क्लाइमेट फंड बनाने पर सहमित बनी, तथा 2011 तक विवादित मसलों को हल करने का संकल्प लिया गया।

डरबन सम्मेलन-दिसम्बर, 2011 में डरबन (दक्षिण अफ्रीका) में पर्यावरण संरक्षण पर हुए विश्व सम्मेलन में 194 देशों ने भाग लिया। वार्ता में वर्ष 2015 के एक समझौते की रूप रेखा स्वीकार कर ली गई, जिसके अन्तर्गत भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए पहली बार कानूनी तौर पर देश बाध्य होंगे। रियो + 20 सम्मेलन-20-22 जून, 2012 को ब्राजील के शहर रियो डी जनेरियो में जीवन्त विकास (Sustainable Development) पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन को रियो +20 के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस सम्मेलन के ठीक बीस साल पहले 1992 में इसी शहर में पृथ्वी सम्मेलन हुआ था।

इस सम्मेलन में लगभग 40000 पर्यावरणविद, 10000 सरकारी अधिकारी तथा 190 देशों से राजनीतिज्ञ शामिल हुए। इस सम्मेलन की दो केन्द्रीय विषय वस्तु है, प्रथम जीवन्त विकास और ग़रीबी निवारण के सम्बन्ध में हरित व्यवस्था तथा द्वितीय जीवन्त विकास के लिए संस्थाओं के ढांचे का निर्माण करना। सम्मेलन में जीवन्त विकास के प्रति राजनीतिक प्रतिबद्धता, ग़रीबी निवारण, जीवन्त विकास के लिए महत्त्वपूर्ण संस्थाओं तथा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्यवाही के फ्रेमवर्क की चर्चा की गई।

लीमा सम्मेलन-दिसम्बर, 2014 में संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन लीमा (पेरन) में हुआ। सम्मेलन में उपस्थित लगभग 190 देश उस वैश्विक समझौते के मसौदे पर राजी हो गए, जिस पर 2015 में होने वाले पेरिस सम्मेलन में मुहर लगनी है। लीमा में बनी सहमति के अन्तर्गत 31 मार्च, 2015 तक सभी देश ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती की अपनी-अपनी योजनाएं पेश करेंगे। इस घरेलू नीतियों के आधार पर पेरिस सम्मेलन में पेश कि वैश्विक समझौते की रूपरेखा तय की जायेगी। पेरिस में होने वाला समझौता सन् 2020 से प्रभावी होगा।

पेरिस सम्मेलन-नवम्बर-दिसम्बर 2015 में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हुआ, जिसमें लगभग 196 देशों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में यह सहमति बनी कि ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा जायेगा। इसके लिए विकसित देश प्रतिवर्ष विकासशील देशों को 100 अरब डॉलर की मदद देंगे। यह व्यवस्था सन् 2020 से आरम्भ होगी।

काटोविस सम्मेलन-दिसम्बर, 2018 में पोलैण्ड के शहर काटोविस में संयुक्त राष्ट्र के 24वें जलवायु सम्मेलन में 197 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य को हासिल करने के लिए नियम कायदों को अंतिम रूप दिया गया।

उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि समय-समय पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सम्मेलन होते रहे हैं परन्तु आवश्यकता इस बात की है कि इन सम्मेलनों में लिए गये निर्णयों को उचित ढंग से लागू किया जाए।

प्रश्न 4.
भारत में पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी किन्हीं छः उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी कोई छ: उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत सदैव ही पर्यावरण संरक्षण का पक्षधर रहा है। परन्तु भारत ने पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित विकसित देशों के दृष्टिकोण का समर्थन नहीं किया है। इसी कारण यद्यपि भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर किए परन्तु फिर भी इसे (भारत) औद्योगीकरण के दौर में ग्रीन गृह गैसों के उत्सर्जन के विषय में छूट दी गई है।

2005 में हुई G-8 के देशों की शिखर बैठक में भारत ने सभी का ध्यान इस ओर खींचा कि विकासशील देशों की प्रति व्यक्ति ग्रीन गृह गैस की उत्सर्जन दर विकसित देशों के मुकाबले में नाममात्र है। अतः भारत का मानना है कि ग्रीन गृह गैस की उत्सर्जन दर में कमी करने की अधिक जिम्मेदारी विकसित देशों की ही है। भारत विश्व मंचों पर पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित अधिकांश ऐतिहा उत्तरदायित्व का तर्क रखता है। भारत ने सदैव पर्यावरण से सम्बन्धित वैश्विक प्रयासों का समर्थन किया है।

  • भारत ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पास किया। इसमें ऊर्जा के ज्यादा अच्छे ढंग से उपयोग की पहल की गई है।
  • 2003 के बिजली अधिनियम में पुनर्नवा (Renewable) ऊर्जा के प्रयोग पर जोर दिया गया है।
  • भारत में प्राकृतिक गैस के आयात और स्वच्छ कोयले के प्रयोग का रुझान बढ़ा है।
  • भारत इस प्रयास में है कि 2012 तक अपने बायोडीज़ल के राष्ट्रीय मिशन को पूरा कर ले।
  • भारत ने 1992 में ब्राज़ील में हुए पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित पृथ्वी सम्मेलन की समीक्षा के लिए 1997 में एक बैठक आयोजित की।
  • भारत का यह दृष्टिकोण है कि विकासशील देशों को वित्तीय मदद तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी तकनीक विकसित देश दें ताकि विकासशील देश पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित अपनी ज़रूरतों को पूरा कर सकें।
  • भारत दक्षिण एशिया में सार्क की मदद से सभी देशों से पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कदम उठाने का आग्रह करता रहा है।
  • भारत ने सदैव यह प्रयास किया है कि पर्यावरण संरक्षण पर सार्क देश एक राय रखें। इससे स्पष्ट है कि भारत ने सदैव पर्यावरण संरक्षण के लिए उचित एवं कठोर कदम उठाए जिनका पालन अन्य देशों द्वारा भी किया
  • भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 5.
प्राकृतिक पर्यावरण का अर्थ स्पष्ट करें। प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर:
प्राकृतिक पर्यावरण का अर्थ है-कोई वस्तु जो हमें घेरे हुए है। इस अर्थ में पर्यावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो यद्यपि हमसे पृथक् हैं, तथापि हमारे जीवन या हमारी गतिविधि को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित करती हैं। पर्यावरण एक जटिल घटना वस्तु है, जिसके कई रूप होते हैं जैसे- भौतिक पर्यावरण प्राणीशास्त्रीय पर्यावरण, सामाजिक पर्यावरण एवं अपार सामाजिक पर्यावरण। पर्यावरण में सब परिस्थितियां शामिल हैं जो प्रकृति ने मानव को ही प्रदान की हैं।

मैकाइवर (Maciver) के शब्दों में, “पृथ्वी का धरातल, उसकी सम्पूर्ण प्राकृतिक दशाएं और प्राकृतिक साधन भूमि, जल, पहाड़, मैदान, खनिज पदार्थ, पेड़-पौधे, पशु, पक्षी, जलवायु, पृथ्वी पर लीला करने वाली तथा मानव जीवन को प्रभावित करने वाली विद्युत् तथा विकीर्णन शक्तियां सम्मिलित हैं।”

पर्यावरण में सम्मिलित सम्पूर्ण ग्रहों, जैसे सूर्य, तारे, वर्षा, समुद्र, ऋतुएं ज्वारभाटे एवं सामुद्रिक धाराएं आदि हैं जो मनुष्य की परिवर्तन शक्ति से बाहर हैं और दूसरी ओर नियन्त्रित भौगोलिक पर्यावरण है, .जैसे—धरती, नदियां, अन्य जल स्रोत, नहरें, वन आदि। इस नियन्त्रित पर्यावरण में कुछ सीमा तक परिवर्तन हो सकता है। प्राकृतिक पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय- इसके लिए प्रश्न नं० 2 देखें।

प्रश्न 6. पर्यावरण से आपका क्या अभिप्राय है ? इसके प्रदूषण के मुख्य आम प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
पर्यावरण से आपका क्या अभिप्राय है ? पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरण का अर्थ-इसके लिए प्रश्न नं0 5 देखें। प्रदूषण के प्रभाव-प्रदूषण के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं

  • प्रदूषण के प्रभाव से प्राकृतिक सन्तुलन खराब हुआ है।
  • प्रदूषण के प्रभाव से जीव-जन्तुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • प्रदूषण के प्रभाव से ऋतु चक्र प्रभावित हुआ है।
  • पर्यावरण प्रदूषण से उत्पादन की गुणात्मक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • पर्यावरण प्रदूषण से मानवीय जीवन और कठिन हो गया है।
  • प्रदूषण से पेड़-पौधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • संसार में नई-नई एवं गम्भीर बीमारियों की उत्पत्ति हुई है, जो मानव जीवन को हानि पहुंचा रही हैं।
  • प्रदूषण से खेतों की उपजाऊ शक्ति कम हुई है।

प्रश्न 7.
विकास और पर्यावरण में क्या सम्बन्ध है ? विकास कार्यों के पर्यावरण पर बुरे प्रभावों की चर्चा करें।
अथवा
विकास कार्यों के पर्यावरण पर बुरे प्रभावों की चर्चा करें।
उत्तर:
विकास और पर्यावरण में गहरा सम्बन्ध है। विकास एवं पर्यावरण दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। विकास की निरन्तर चलने वाली धारणा ने पर्यावरण को बहुत अधिक प्रभावित किया है। इसीलिए पर्यावरण विद्वानों ने अक्षय विकास की धारणा का समर्थन किया है। अक्षय विकास वह क्षय न होने वाला विकास है, जिसका एक पीढ़ी के द्वारा उपभोग हो लेने पर दूसरी पीढ़ी के लिए विकास और सम्भोग की पूर्ण परिस्थितियां बनी रहें। विकास कार्यों के कारण पर्यावरण पर निम्नलिखित बुरे प्रभाव पड़े हैं

  • विकास कार्यों के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है, जिससे वातावरण में शुद्ध वायु की कमी हो रही है।
  • विकास कार्यों के लिए अधिक-से-अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसके कारण मनुष्यों के रहने योग्य तथा कृषि योग्य उपजाऊ जमीन कम हो रही है।
  • विकास कार्यों के लिए पानी का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिससे जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है।
  • विकास कार्यों के पश्चात् छोड़े गए जहरीले कूड़ा-कबाड़ पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं।
  • विकास कार्यों के लिए जंगलों में लगातार कमी आ रही है।
  • विकास कार्यों से विश्व तापन (Global warming) लगातार बढ़ रहा है।
  • विकास कार्यों के कारण आदिवासियों को लगातार उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।

प्रश्न 8.
‘मूलवासी’ से क्या अभिप्राय है ? मूलवासियों के अधिकार कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
‘मूलवासी’ का अर्थ-मूलवासी से हमारा अभिप्राय किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाली वहाँ की मूल जाति या वंश के लोगों से है जो कि अनादिकाल से सम्बन्धित क्षेत्र में रहते आ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इसे परिभाषित करते हुए बताया गया है कि, “मूलवासी ऐसे लोगों के वंशज हैं जो किसी विद्यमान देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे थे फिर किसी दूसरी संस्कृति या जातीय मूल के लोग विश्व के अन्य हिस्सों से आए और इन लोगों को अपने अधीन कर लिया।” यह मूलवासी सैंकड़ों वर्ष बीत जाने के बावजूद भी, उस देश जिसमें वह अब रह रहे हैं, कि संस्थाओं के अनुरूप आचरण करने से अधिक अपनी परंपरा, सांस्कृतिक रीति-रिवाज तथा अपने विशेष सामाजिक, आर्थिक ढर्रे पर जीवनयापन करना पसन्द करते हैं, मूलवासी कहलाते हैं।

मूलवासियों को जनजातीय, आदिवासी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। विश्व में इनकी जनसंख्या लगभग 30 करोड़ है। यह विश्व के लगभग प्रत्येक देश में किसी-न-किसी नाम से विद्यमान हैं। फिलीपिन्स में कोरडिलेरा क्षेत्र में, चिल्ली में मापुशे नामक समुदाय, अमेरिका में रैड इण्डियन नामक समुदाय, पनामा नहर के पूर्व में कुना नामक समुदाय, भारत में भील-सन्थाल सहित अनेकों जनजातियाँ, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड में पालिनेशिया, मैलनेशिया और माइक्रोनेशिया वंश के मूलवासी रहते हैं। मूलवासियों के अधिकार

  • विश्व में मूलवासियों को बराबरी का दर्जा प्राप्त हो।
  • मूलवासियों को अपनी स्वतन्त्र पहचान रखने वाले समुदाय के रूप में जाना जाए।
  • मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न किया जाए।
  • देश के विकास से होने वाला लाभ मूलवासियों को भी मिलना चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पर्यावरण का अर्थ है-कोई वस्तु जो हमें घेरे हुए है। इस अर्थ में पर्यावरण में वे सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जो यद्यपि हमसे पृथक् हैं, तथापि हमारे जीवन या हमारी गतिविधि को किसी-न-किसी रूप में प्रभावित करती हैं। पर्यावरण एक जटिल घटना वस्तु है, जिसके कई रूप होते हैं जैसे- भौतिक पर्यावरण, प्राणीशास्त्रीय पर्यावरण, सामाजिक पर्यावरण एवं अपार सामाजिक पर्यावरण।

पर्यावरण में सब परिस्थितियां शामिल हैं जो प्रकृति ने मानव को ही प्रदान की हैं। मैकाइवर (Maclver) के शब्दों में, “पृथ्वी का धरातल, उसकी सम्पूर्ण प्राकृतिक दशाएं और प्राकृतिक साधन भूमि, जल, पहाड़, मैदान, खनिज पदार्थ, पेड़ पौधे, पशु, पक्षी, जलवायु, पृथ्वी पर लीला करने वाली तथा मानव जीवन को प्रभावित करने वाली विद्युत् तथा विकीर्णन शक्तियाँ सम्मिलित हैं।”

पर्यावरण में सम्मिलित सम्पूर्ण ग्रहों, जैसे सूर्य, तारे, वर्षा, समुद्र, ऋतुएं, ज्वारभाटे एवं सामुद्रिक धाराएं आदि हैं जो मनुष्य की परिवर्तन शक्ति से बाहर हैं और दूसरी ओर नियन्त्रित भौगोलिक पर्यावरण है, जैसे-धरती, नदियां, अन्य जल स्रोत, नहरें, वन आदि हैं। इस नियन्त्रित पर्यावरण में कुछ सीमा तक परिवर्तन हो सकता है।

प्रश्न 2.
पर्यावरण प्रदूषण के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
1. पश्चिमी विचारधारा–पर्यावरण के प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के लिए पश्चिमी चिन्तन काफ़ी सीमा तक उत्तरदायी है। पश्चिमी विश्व के भौतिक विकास के मूल में, वहां की भौतिक जीवन दृष्टि है। पश्चिम का ईसाई समाज धर्म की इस मान्यता के अनुसार जीवन व्यतीत करता है कि, ईश्वर ने मानव को पृथ्वी पर, जो कुछ भी है, उसका उपभोग करने के लिए भेजा है।

2. जनसंख्या में वृद्धि-जनसंख्या अधिक होने के कारण मानव की आवश्यक वस्तुओं-रोटी, कपड़ा और मकान की पूर्ति नहीं हो रही है, और इन वस्तुओं की पूर्ति लकड़ी, लोहा, भूमि, कच्चा माल, खाद्य पदार्थ, जल इत्यादि के भण्डारों से हो सकती है अर्थात् प्रकृति का शोषण आवश्यक हो जाता है।

3. वनों की कटाई एवं भू-क्षरण-वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भूमि की कठोरता कम होती जा रही है और भू-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। निरन्तर वनों की कमी से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में बढ़ने से पर्यावरण का प्रदूषित होना स्वाभाविक है।

4. जल-प्रदूषण—जिस प्रकार वन सम्पदा सीमित है, उसी तरह प्रकृति ने जल पूर्ति को भी सीमित बनाया है। इस कारण मानव ने नदियों व समुद्र के पानी को भिन्न-भिन्न ढंगों से प्रदूषित करना शुरू कर दिया। कारखानों से निकलने वाले विषैले रसायनों तथा नगरों के गन्दे पानी से नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।

प्रश्न 3.
‘पर्यावरण संरक्षण’ के किन्हीं चार उपायों का वर्णन कीजिये।
अथवा
पर्यावरण की सुरक्षा के किन्हीं चार उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. समग्र चिन्तन की आवश्यकता-पश्चिमी जगत् के भौतिक चिन्तन में इस बात पर बल दिया जाता है कि इस पृथ्वी पर व प्रकृति पर जो कुछ भी है, वह मानव के उपभोग के लिए है। अतः आवश्यकता मानव की सोच को बदलने की है। इसके लिए भारत का समग्र चिन्तन (Holistic or Integrated thinking of India) एक महत्त्वपूर्ण उपाय है।

2. जनसंख्या नियन्त्रण विश्व की जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है और आज की 7.2 अरब की जनसंख्या 2050 में 9.6 अरब हो जाएगी। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना आवश्यक है।

3. वन संरक्षण-पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए तथा देश के सन्तुलित विकास के लिए यह आवश्यक है कि वनों की रक्षा की जाए। वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना अत्यावश्यक है।

4. वन्य-जीवन का संरक्षण-वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीवन का संरक्षण करना अत्यावश्यक है। भारत में शेर, चीते, हाथियों, घड़ियालों, गैंडों, भालू इत्यादि जीवों की प्रजातियों के नष्ट होने का गम्भीर खतरा पैदा हो गया है। प्रकृति के सन्तुलन को बनाए रखने के लिए तथा पर्यावरण की रक्षा के लिए वन्य जीवन (Wild life) को सुरक्षित रखना अत्यावश्यक हो गया है।

प्रश्न 4.
पोषणकारी अथवा अक्षय विकास की धारणा का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
पोषणकारी विकास अथवा अखण्ड विकास की अवधारणा का अर्थ है-निरन्तर चलने वाला विकास अर्थात् ऐसा विकास जिसमें न कोई. खण्ड हो और न ही विकास का क्षय है। पर्यावरणवाद के समर्थकों ने दो मुख्य विचारधाराओं पर बल दिया है

  • मनुष्य और प्रकृति के टूटे हुए सम्बन्धों को दोबारा जोड़ना।
  • मनुष्य के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को नये परिवर्तित रूप में ढालना।

इन दोनों विचारधाराओं के अनुसार आधुनिक औद्योगिक समाज में मनुष्य ने अपने विकास व ज़रूरतों के लिए प्रकृति का लगातार दोहन किया है। इस लगातार दोहन के फलस्वरूप मनुष्य का धीरे-धीरे प्रकृति से सम्बन्ध टूटना शुरू हो गया है और पर्यावरण सम्बन्धी अनेक समस्याएँ जटिल रूप धारण कर रही हैं। इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य और प्रकृति के इस टूटे हुए सम्बन्ध को पर्यावरण के प्रति शालीनता का रुख अपनाकर फिर से जोड़ना होगा और प्रकृति की इस धरोहर को अपने तक सीमित न रखकर आने वाली पीढ़ियों के उपभोग के लिए सुरक्षित रखना होगा।

पर्यावरण वेत्ताओं ने अक्षय विकास की अवधारणा को इस प्रकार परिभाषित किया है-“एक ऐसा विकास जो अब तक हुए विकास को तथा उस विरासत को भी सुरक्षित रखें जिस पर उसकी नींव रखी गयी है।” साधारण शब्दों में, “अक्षय विकास वह क्षय न होने वाला विकास है जिसका एक पीढ़ी के द्वारा उपभोग हो लेने पर दूसरी पीढ़ी के लिए विकास और सम्भोग की पूर्ण परिस्थितियाँ बनी रहें।”

प्रश्न 5.
मूलवासियों के कौन-कौन से अधिकार हैं ?
उत्तर:
मूलवासियों (भारत में इन्हें अनुसूचित जनजाति या आदिवासी कहा जाता है।) के अधिकार निम्नलिखित हैं

  • विश्व में मूलवासियों को बराबरी का दर्जा प्राप्त हो।
  • मूलवासियों को अपनी स्वतन्त्र पहचान रखने वाले समुदाय के रूप में जाना जाए।
  • मूलवासियों के आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन न किया जाए।
  • देश के विकास से होने वाला लाभ मूलवासियों को भी मिलना चाहिए।

प्रश्न 6.
विश्व की ‘साझी विरासत’ का क्या अर्थ है ? इसकी सुरक्षा के दो उपाय बताएं।
अथवा
“विश्व की साझी सम्पदा” पर एक नोट लिखिए।
उत्तर:
1. विश्व की साझी विरासत से अभिप्राय उस सम्पदा से है, जिस पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है। जैसे साझी नदी, साझा कुआं, साझा मैदान तथा साझा चरागाह इत्यादि। इसी तरह कुछ क्षेत्र एक देश के क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं, जैसे पृथ्वी का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह तथा बाहरी अन्तरिक्ष इत्यादि। इसका प्रबन्धन अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है। इनकी रक्षा के दो उपाय अग्रलिखित हैं सीमित प्रयोग-विश्व की साझी विरासतों का सीमित प्रयोग करना चाहिए।

2. जागरुकता पैदा करना-विश्व की साझी विरासतों के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करनी चाहिए।

प्रश्न 7.
विश्व राजनीति में पर्यावरण की चिंता के कोई चार कारण लिखिये।
उत्तर:
पर्यावरण निम्नीकरण (क्षरण) के सम्बन्ध में चार चिन्ताओं का वर्णन इस प्रकार है

  • बढ़ता वायु प्रदूषण-पर्यावरण के क्षरण से विश्व में निरन्तर वायु प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है।
  • कृषि योग्य भूमि में कमी-पर्यावरण क्षरण से कृषि योग्य भूमि लगातार कम हो रही है।
  • चरागाहों की समाप्ति-पर्यावरण क्षरण से विश्व में चारागाह समाप्त हो रहे हैं।
  • जलाशयों में कमी-पर्यावरण क्षरण से जलाशयों की जलराशि बड़ी तेजी से कम हुई है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 8.
पर्यावरण से सम्बन्धित स्टॉकहोम सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून, 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया गया। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन की महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशें थीं

  • मानवीय पर्यावरण पर घोषणा,
  • मानवीय पर्यावरण पर कार्ययोजना,
  • संस्थागत एवं वित्तीय व्यवस्था पर प्रस्ताव,
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रस्ताव,
  • परमाणु शस्त्र परीक्षणों पर प्रस्ताव,
  • दूसरे पर्यावरण सम्मेलन ।
  • किये जाने के प्रस्ताव तथा
  • राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किये जाने के सम्बन्ध में सरकारों को सिफ़ारिशें किये जाने का निर्णय।

प्रश्न 9.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित किन्हीं चार विश्व समझौतों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • तेल-प्रदूषण की हानि के लिए असैनिक दायित्व पर अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय-1969।
  • तेल प्रदूषण के उपघातों के विषयों में खुले समुद्र में हस्तक्षेप से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय अभिसमय-19691
  • अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की नम भूमि तथा विशेषकर पानी में रहने वाले पक्षियों के रहने के स्थान पर अभिसमय 19711
  • कूड़ा-कर्कट तथा अन्य सामान के ढेर लगाने से सामुद्रिक प्रदूषण को बचाने के लिए अभिसमय-1972 ।

प्रश्न 10.
पृथ्वी सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
स्टॉकहोम सम्मेलन के पश्चात् पर्यावरण से सम्बन्धित सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन सन् 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो डी जनेरियो में हुआ। इस सम्मेलन में 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का आयोजन भी संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वाधान में हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य विषय पर्यावरण एवं सन्तुलित विकास था।

पृथ्वी सम्मेलन में की गई घोषणा को एजेण्डा-21 के नाम से जाना जाता है। इस सम्मेलन में स्टॉकहोम के उपबन्धों को स्वीकार करते हुए उन्हें लागू करने पर जोर दिया गया। पृथ्वी सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित कुल 27 सिद्धान्तों को स्वीकार किया गया।

प्रश्न 11.
क्योटो प्रोटोकोल के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक दूसरी बैठक क्योटो (जापान) में हुई। इसमें लगभग 150 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के अन्त में क्योटो घोषणा की गई जिसके अन्तर्गत यह सूचीबद्ध औद्योगिक देश वर्ष 2008 से 2012 तक 1990 के स्तर के नीचे 5.2% तक अपने सामूहिक उत्सर्जन में कमी कर देंगे। पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वच्छ विकास संयन्त्रों (Clean Development Machanism) लागू करने की बात की गई।

प्रश्न 12.
वनों से हमें प्राप्त होने वाले कोई चार लाभ लिखें।
उत्तर:
वनों में हमें निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं

  • वनों से हमें कीमती लकड़ियां मिलती हैं, जो कई प्रकार के प्रयोग में आती हैं।
  • वनों में पाए जाने वाले जैव विविधता के भण्डार सुरक्षित रहते हैं।
  • वन जलवायु एवं पर्यावरण को सन्तुलित करते हैं।
  • वन जल-चक्र को सन्तलित करते समय वर्षा करवाते हैं।

प्रश्न 13.
वनों से सम्बन्धित हमारी चिन्ताएं क्या हैं ?
उत्तर:
वनों से सम्बन्धित निम्नलिखित चिन्ताएं हैं

  • वनों को लोग बड़ी तेज़ी से काट रहे हैं।
  • वनों की कटाई के कारण जैव विविधता के भण्डार समाप्त हो रहे हैं।
  • वनों की कटाई के कारण जलवायु सन्तुलन चक्र अस्थिर हो गया है।
  • वनों के अन्धाधुन्ध कटने से बाढ़ की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं।

प्रश्न 14.
सन् 1987 में प्रकाशित ‘ऑवर कॉमन फ्यूचर रिपोर्ट’ में शामिल की गई कोई चार बातें लिखें।
उत्तर:
सन् 1987 में प्रकाशित रिपोर्ट में निम्नलिखित बातें शामिल थीं

  • आर्थिक विकास तथा पर्यावरण प्रबन्धन के परस्पर सम्बन्धों को हल करने के लिए दक्षिणी देश अधिक गम्भीर थे।
  • आर्थिक विकास की वर्तमान विधियां स्थायी नहीं रहेंगी।
  • औद्योगिक विकास की मांग दक्षिणी देशों में अधिक है।
  • विकसित एवं विकासशील देशों में पर्यावरण के सम्बन्ध में अलग-अलग विचार थे।

प्रश्न 15.
अंटार्कटिका महाद्वीप के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
अंटार्कटिका महाद्वीप एक करोड़ चालीस लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह मुख्यत: एक बर्फीला क्षेत्र है। इस पर किसी एक देश या संगठन का अधिकार नहीं है। यद्यपि कोई भी देश या संगठन शान्तिपर्ण कार्यों के लिए यहां पर अनसन्धान कर सकता है। अंटार्कटिका महाद्वीप विश्व की जलवाय एवं पर्यावरण को सन्तलित करता है।

अंटार्कटिक महाद्वीप की आन्तरिक बर्फीली परत ग्रीन हाऊस गैसों के जमाव का महत्त्वपूर्ण सूचना-स्रोत है। इसके साथ-साथ इससे लाखों-हज़ारों वर्षों के पहले के वायुमण्डलीय तापमान का पता लगाया जा सकता है। इस महाद्वीप को किसी भी देश के राजनीतिक एवं सैनिक हस्तक्षेप से अलग रखने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना सभी देशों के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 16.
प्राकृतिक संसाधनों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों से हमारा अभिप्राय ऐसे संसाधनों से है जो कि हमें प्रकृति से ठोस, द्रव्य और गैस के रूप में प्राप्त होते हैं। प्राकृतिक संसाधनों को पृथ्वी पर मानवीय जीवन का आधार माना जाता है। मानवीय सभ्यता के विकास में इन प्राकृतिक संसाधनों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रारम्भिक काल में यह संसाधन प्रचुर मात्रा में है, परन्तु जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि होती चली गई वैसे-वैसे ही प्राकृतिक संसाधनों का तेज़ी से दोहन आरम्भ हो गया था। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि मानवीय विकास प्राकृतिक संसाधनों के विनाश से हुआ है क्योंकि मानव ने स्वयं ही आत्मनिर्भर जैव मंडल के तन्त्र को प्राकृतिक संसाधन के तन्त्र में परिवर्तित कर दिया है।

प्रश्न 17.
‘भारत के पावन वन-प्रान्तर’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
भारत में प्रचलित कछ धार्मिक कारणों के कारण वनों के कुछ भागों को काटा नहीं जाता। ऐसे स्थानों पर किसी देवता या पुण्यात्मा का निवास माना जाता है। भारत में इस प्रकार के स्थानों को ‘पावन वन-प्रान्तर’ कहा जाता है। भारत में ‘पावन वन-प्रान्तर’ को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है, जैसे राजस्थान में इसे वानी, झारखण्ड में जहेरा स्थान एवं सरना, मेघालय में लिंगदोह, उत्तराखण्ड में थान या देवभूमि, महाराष्ट्र में देव रहतिस तथा केरल में काव कहा जाता है।

पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित साहित्य में भी अब पावन वन-प्रान्तर अर्थात् देव स्थान को स्वीकार किया जाता है। कुछ अनुसन्धानकर्ताओं के अनुसार देव स्थानों की मान्यता के कारण जैव विविधता और पारिस्थितिक तन्त्र को न केवल सुरक्षित रखा जा सकता है, बल्कि सांस्कृतिक विभिन्नता को बनाए रखने में मदद मिलती है।

प्रश्न 18.
विकास कार्यों के पर्यावरण पर पड़ने वाले किन्हीं चार बुरे प्रभावों को लिखें।
अथवा
पर्यावरण पर विकास कार्यों के चार बुरे प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • विकास कार्यों के लिए वृक्षों को काटा जा रहा है, जिसने वातावरण में शुद्ध वायु की कमी हो रही है।
  • विकास कार्यों के लिए अधिक-से-अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, जिसके कारण मनुष्यों के रहने योग्य तथा कृषि योग्य उपजाऊ जमीन कम हो रही है।
  • विकास कार्यों के लिए पानी का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिससे जल स्तर लगातार कम होता जा रहा है।
  • विकास कार्यों के पश्चात् छोड़े गए जहरीले कूडा-कबाड़ पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण प्रदूषण के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • पर्यावरण के प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के लिए पश्चिमी देश जिम्मेवार हैं। क्योंकि इन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुन्ध दोहन किया है।
  • वनों की निरन्तर कटाई के फलस्वरूप भमि की कठोरता कम हो रही है और भ-क्षरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई है। निरन्तर वनों की कमी से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा के बढ़ने से पर्यावरण का प्रदूषित होना स्वाभाविक है।

प्रश्न 2.
पर्यावरण संरक्षण के कोई दो उपाय बताएं।
उत्तर:

  • पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना आवश्यक है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए तथा देश के सन्तुलित विकास के लिए आवश्यक है, कि वनों की रक्षा की जाए।

प्रश्न 3.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित स्टॉकहोम सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित सबसे पहला और महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ। इसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन में सात महत्त्वपूर्ण प्रस्तावों को पारित किया गया, जिसके आधार पर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 4.
पृथ्वी सम्मेलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
स्टॉकहोम सम्मेलन के पश्चात् पर्यावरण से सम्बन्धित सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन जून 1992 में ब्राजील की राजधानी रियो-डी-जनेरियो में हुआ। इस सम्मेलन को पृथ्वी सम्मेलन भी कहा जाता है। इस सम्मेलन का आयोजन भी संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में किया गया था। इस सम्मेलन में 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहु-राष्ट्रीय कम्पनियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में स्टॉकहोम के उपबन्धों को स्वीकार करते हुए, उन्हें लागू करने पर जोर दिया गया।

प्रश्न 5.
क्योटो प्रोटोकोल के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित एक बैठक क्योटो (जापान) में हुई। इसमें लगभग 150 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। क्योटो घोषणा में कहा गया, कि सूचीबद्ध औद्योगिक देश वर्ष 2008 से 2012 तक 1990 के स्तर से नीचे 5.2% तक अपने सामूहिक उत्सर्जन में कमी करेंगे।

प्रश्न 6.
विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबन्ध के समाधान के सम्बन्ध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया। इस बैठक में ग्रीन गृह गैसों को वातावरण में न छोड़ने की सम्भावनाओं पर चर्चा हुई।

प्रश्न 7.
पर्यावरण संरक्षण में भारत की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत सदैव ही पर्यावरण संरक्षण का पक्षधर रहा है। भारत ने प्रायः सभी पर्यावरण सम्मेलनों में शों के पर्यावरण से सम्बन्धित अधिकारों की आवाज़ उठाई है। भारत ने पर्यावरण प्रदूषित होने का जिम्मेदार विकसित देशों को माना है। भारत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रयास किए हैं। भारत ने जहां क्योटो प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर किये हैं, वहीं घरेलू मोर्चे पर कई कानून बनाए हैं।

प्रश्न 8.
विश्व में खाद्यान्न उत्पादन की कमी के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • विश्व में खाद्यान्न उत्पादन की कमी का एक कारण कृषि योग्य भूमि का न बढ़ना है। इसके कृषि योग्य भूमि की उपजाऊ निरन्तर कम हो रही है।
  • विश्व में खाद्यान्न उत्पादन की कमी का एक कारण चारागाहों का समाप्त होना तथा जल प्रदूषण का बढ़ना है।

प्रश्न 9.
विश्व में साफ पानी का भण्डार कितना है ?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र की विश्व विकास रिपोर्ट 2006 के अनुसार विश्व में साफ पानी का भण्डार बहुत कम है। पीने योग्य साफ पानी के अभाव में प्रत्येक वर्ष लगभग 30 लाख से अधिक बच्चे मारे जाते हैं। विश्व की लगभग एक अरब बीस करोड़ जनता को साफ पानी उपलब्ध नहीं है।

प्रश्न 10.
ओजोन परत में छेद होने की घटना की व्याख्या करें।
उत्तर:
पृथ्वी के ऊपरी वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा निरन्तर कम हो रही है। इस प्रकार की घटना को ओजोन परत में छेद होना भी कहते हैं। इससे न केवल पारिस्थितिक तन्त्र पर ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 11.
लोगों को अकाल के समय मुख्यतः किन दो समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर:

  • अकाल के समय लोगों को खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ता है।
  • अकाल के समय लोगों को पीने के लिए पानी नहीं मिलता, क्योंकि सभी कुएं एवं तालाब सूख जाते हैं।

प्रश्न 12.
वैश्विक सम्पदा की रक्षा के लिए किए गए कोई दो समझौते लिखें।
उत्तर:

  • 1959 में की गई अंटार्कटिक सन्धि।
  • 1987 में किया गया मांट्रियाल न्यायाचार या प्रोटोकोल।

प्रश्न 13.
अंटार्कटिक महाद्वीप के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
अटार्कटिक महाद्वीप एक करोड़ चालीस वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह मुख्यत: बर्फीला क्षेत्र है। इस पर किसी देश या संगठन का अधिकार नहीं है। यद्यपि कोई भी देश शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए यहां पर अनुसन्धान कर सकता है। अंटार्कटिक महाद्वीप विश्व की जलवायु एवं पर्यावरण को सन्तुलित करता है।

प्रश्न 14.
पर्यावरण की समस्याओं के अध्ययन के लिए किये गए कोई दो उपाय लिखें।
उत्तर:

  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम जैसे कई अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में पर्यावरण से सम्बन्धित सेमिनार एवं सम्मेलन करवाए हैं।
  • राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण के अध्ययन को बढ़ावा दिया गया है।

प्रश्न 15.
पर्यावरण शरणार्थी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पर्यावरण के खराब होने से एवं खाद्यान्न की उत्पादकता कम होने से लोगों द्वारा उस स्थान से हटकर कहीं और शरण लेना पर्यावरण शरणार्थी कहलाता है। 1970 के दशक में भयंकर अनावृष्टि से अफ्रीकी देशों के नागरिकों को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 16.
“विश्व तापन” किसे कहते हैं ?
अथवा
वैश्विक ताप वृद्धि किसे कहते हैं ?
अथवा
भूमण्डलीय ऊष्मीकरण (Global Warming) क्या है ?
पर्यावरण पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन क संसाधन
उत्तर:
विश्व तापन से अभिप्राय विश्व के तापमान का लगातार बढ़ना है। पिछले कई वर्षों से विकास की अच्छी दौड़ ने पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाई है, जिसके कारण जंगलों में कमी आई है, तथा ग्लेशियरों से लगातार बर्फ पिघल रही है। इसी कारण विश्व का तापमान लगातार बढ़ रहा है।

प्रश्न 17.
वैश्विक तापन के कोई दो परिणाम बताएं।
उत्तर:
(1) वैश्विक तापन से ग्लेशियरों का तापमान बढ़ने से बर्फ पिघलनी शुरू हो गई है, जिससे समुद्र तटीय कुछ देशों के जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया है।
(2) वैश्विक तापन से वातावरण का तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे कई प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो गई हैं।

प्रश्न 18.
जून-2005 में हुई जी-8 की बैठक में भारत ने किन दो बातों की ओर विश्व समुदाय का ध्यान आकर्षित किया ?
उत्तर:

  • भारत का यह कहना था, कि विकसित देश विकासशील देशों की अपेक्षा ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन अधिक कर रहे हैं।
  • भारत के अनुसार ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में कमी करने की ज़िम्मेदारी भी विकसित देशों की अधिक है।

प्रश्न 19.
भारत में ग्रीन हाउस गैसों की उत्सर्जन मात्रा की स्थिति लिखें।
उत्तर:
भारत में ग्रीन हाऊस गैसों की उत्सर्जन मात्रा किसी भी विकसित देश के मुकाबले बहुत कम है। भारत में सन् 2000 तक ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन प्रति व्यक्ति 0.9 टन था। एक अनुमान के अनुसार सन् 2030 तक यह मात्रा बढ़कर 1.6 टन प्रतिव्यक्ति हो जायेगी।

प्रश्न 20.
निर्जन वन का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
निर्जन वन से अभिप्राय ऐसे वनों से है, जिसमें मनुष्य एवं जानवर नहीं पाए जाते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध के कई देशों में निर्जन वन पाए जाते हैं। इन देशों में वन को निर्जन प्रान्त के रूप में देखा जाता है जहां पर लोग नहीं रहते। इस प्रकार का दृष्टिकोण मनुष्य को प्रकृति का अंग नहीं मानता।

प्रश्न 21.
विकसित देशों ने संसाधनों के दोहन के लिए कौन-कौन से कदम उठाए ?
उत्तर:

  • विकसित देशों ने संसाधनों वाले क्षेत्रों में अपनी सेना को रक्षा के लिए तैनात किया।
  • विकसित देशों ने संसाधनों वाले देशों में ऐसी संस्थाएं स्थापित करवाईं जो उनके अनुसार कार्य करें।

प्रश्न 22.
नैरोबी घोषणा (1982) के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
स्टॉकहोम सम्मेलन की 10वीं वर्षगांठ का सम्मेलन 1982 में नैरोबी में किया गया। इस सम्मेलन में विलुप्त वन्य जीवों के व्यापार से सम्बन्धित प्रावधान अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक सम्पदा तथा खुले समुद्र में प्रदूषण इत्यादि से सम्बन्धित प्रावधानों को स्वीकार किया गया।

प्रश्न 23.
विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1997 में नई दिल्ली में विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक हुई। इस बैठक में निर्धनता, पर्यावरण तथा संसाधन प्रबन्ध के समाधान के सम्बन्ध में विकसित तथा विकासशील देशों में व्यापार की सम्भावनाओं पर विचार किया गया। इस बैठक में ग्रीन गृह गैसों (Green House Gases) को वातावरण में न छोड़ने की सम्भावनाओं पर चर्चा हुई।

प्रश्न 24.
सन् 1998 में हुई ब्यूनिस-ऐरिस बैठक की व्याख्या करें।
उत्तर:
ब्यूनिस-ऐरिस बैठक (Buenus-Aires Convention)-1998 में अर्जेन्टाइना के शहर ब्यूनिस-ऐरिस में क्योटो प्रोटोकोल की समीक्षा के लिए एक बैठक की गई। भारत जैसे देशों की यह दलील थी कि विलासिता और आवश्यकता में अन्तर किया जाना चाहिए अर्थात् विलासिता के कारण गैसों का रिसाव न हो और आवश्यकता के कारण इसे छोड़ने से रोका न जाए।

प्रश्न 25.
वैश्विक तापवृद्धि और जलवायु परिवर्तन के लिए किन्हें उत्तरदायी माना जाता है ?
उत्तर:
वैश्विक तापवद्धि और जलवायु परिवर्तन के लिए विकसित देशों को उत्तरदायी माना जाता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 26.
भारत द्वारा ‘फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज’ की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उठाई गई दो मांगें लिखें।
उत्तर:

  • भारत ने यह मांग की, कि विकसित देशों को आसान दरों पर विकासशील देशों को वित्तीय सहायता देनी चाहिए।
  • भारत ने यह भी मांग की विकसित देश पर्यावरण के सन्दर्भ में अच्छी एवं उन्नत तकनीक विकासशील देशों को प्रदान करें।

प्रश्न 27.
वैश्विक साझा सम्पदा किसे कहते हैं ? किन्हीं दो उदाहरणों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
विश्व का साझी विरासत से अभिप्राय उस सम्पदा से है, जिस पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार होता है। जैसे साझी नदी, साझा कुआं, साझा मैदान तथा साझा चरागाह इत्यादि। इसी तरह कुछ क्षेत्र एक देश के क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं, जैसे पृथ्वी का वायुमण्डल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह तथा बाहरी अन्तरिक्ष इत्यादि । इसका प्रबन्धन अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है।

प्रश्न 28.
मूलवासी किन्हें कहा जाता है ? वे किन संस्थाओं के अनुरूप आचरण करते हैं ?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार उन्हें मूलवासी कहा जाता है, जो किसी मौजूदा देश में बहुत समय से रहते चले आ रहे हैं, तत्पश्चात् किसी दूसरी संस्कृति या जातीय मूल के लोग विश्व के अन्य भागों से उस देश विशेष में आए तथा इन लोगों को अपने अधीन कर लिया। मूलवासी अधिकांशतः अपनी परम्परा, सांस्कृतिक रीति-रिवाज तथा विशेष सामाजिक आर्थिक नियमों के अनुसार ही आचरण करते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. पर्यावरण संरक्षण को अधिक प्रोत्साहन मिलने का आधार है
(A) निरन्तर बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण
(B) निरन्तर कृषि भूमि में होती कमी के कारण
(C) वायुमण्डल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी होने के कारण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. किस वर्ष स्टॉकहोम सम्मेलन हुआ ?
(A) 1992 में
(B) 1972 में
(C) 1998 में
(D) 1982 में।
उत्तर:
(B) 1972.

3. सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पृथ्वी सम्मेलन कहाँ हुआ था ?
(A) नई दिल्ली
(B) जोहानसवर्ग
(C) बीजिंग
(D) रियो-डी-जनेरियो।
उत्तर:
(D) रियो-डी-जनेरियो।

4. क्योटो-प्रोटोकाल पर किस वर्ष सहमति बनी ?
(A) 1997 में
(B) 1995 में
(C) 1993 में
(D) 1990 में।
उत्तर:
(A) 1997 में।

5. सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पृथ्वी सम्मेलन कहां हुआ ?
(A) नई दिल्ली में
(B) जोहान्सबर्ग में
(C) बीजिंग में
(D) रियो डी जनेरियो में।
उत्तर:
(D) रियो डी जनेरियो में।

6. रियो डी जनेरियो (1992) सम्मेलन को किस नाम से पुकारा जाता है ?
(A) पृथ्वी सम्मेलन
(B) जल सम्मेलन
(C) मजदूर सम्मेलन
(D) आर्थिक सम्मेलन।
उत्तर:
(A) पृथ्वी सम्मेलन।

7. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में
(A) मतभेद नहीं पाए जाते
(B) मतभेद पाए जाते हैं ।
(C) उपरोक्त दोनों
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(B) मतभेद पाए जाते हैं।

8. विकास कार्यों के बुरे प्रभाव हैं
(A) कृषि भूमि में कमी
(B) भूमि की उत्पादकता में कमी
(C) वायु प्रदूषण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

9. विश्व का कितना प्रतिशत निर्जन क्षेत्र अंटार्कटिका महाद्वीप के अन्तर्गत आता है ?
(A) 40 प्रतिशत
(B) 10 प्रतिशत
(C) 26 प्रतिशत
(D) 35 प्रतिशत।
उत्तर:
(C) 26 प्रतिशत।

10. पर्यावरण किन कारणों से प्रदूषित होता है ?
(A) जनसंख्या में वृद्धि के कारण
(B) वनों की कटाई व भू-क्षरण
(C) औद्योगीकरण के कारण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

11. पर्यावरण को प्रदूषित होने से कैसे बचाया जा सकता है ?
(A) जनसंख्या को नियन्त्रित करके
(B) वनों का संरक्षण करके
(C) आवश्यकताएं कम करके
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

12. निम्न में से कौन-सा सम्मेलन पर्यावरण से सम्बन्धित है ?
(A) स्टॉकहोम सम्मेलन
(B) पृथ्वी सम्मेलन
(C) विश्व जलवायु परिवर्तन बैठक
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

13. भारत ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम कब पास किया ?
(A) 2005 में
(B) 2002 में
(C) 2003 में
(D) 2001 में।
उत्तर:
(D) 2001 में।

14. भारत ने ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ पर कब हस्ताक्षर किए ?
(A) अगस्त, 1991 में
(B) अगस्त, 2000 में
(C) अगस्त, 2001 में
(D) अगस्त, 2002 में।
उत्तर:
(D) अगस्त, 2002 में।

15. पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार के बारे में सही है
(A) जल प्रदूषण
(B) वायु प्रदूषण
(C) ध्वनि प्रदूषण
(D) उपर्युक्त कभी।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी।

16. रियो सम्मेलन ( पृथ्वी सम्मेलन) में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था ?
(A) 150
(B) 160
(C) 170
(D) 180.
उत्तर:
(C) 170.

17. भारत ने क्योटो प्रोटोकॉल पर कब हस्ताक्षर किए ?
(A) वर्ष 2003 में
(B) वर्ष 2001 में
(C) वर्ष 1999 में
(D) वर्ष 2002 में।
उत्तर:
(C) वर्ष 2002 में।

18. विश्व में मूलवासियों की लगभग जनसंख्या है
(A) 35 करोड़
(B) 30 करोड़
(C) 40 करोड़
(D) 25 करोड़।
उत्तर:
(B) 30 करोड़।

19. क्लब ऑफ रोम ने ‘लिमिट्स टू ग्रोथ’ (Limits to Growth) नामक पुस्तक कब प्रकाशित की ?
(A) 1962 में
(B) 1971 में
(C) 1972 में।
(D) 1982 में।
उत्तर:
(C) 1972 में।

20. वैश्विक सम्पदा की सुरक्षा के लिए किया गया समझौता
(A) अटार्कटिका समझौता-1959
(B) मांट्रियाल न्यायाचार-1981
(C) अटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार 1991
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

21. पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित बॉली सम्मेलन कब हुआ था ?
(A) दिसम्बर, 2007
(B) दिसम्बर, 2008
(C) दिसम्बर, 2005
(D) दिसम्बर, 2002.
उत्तर:
(A) दिसम्बर, 2007.

22. सन् 2009 में ‘पृथ्वी सम्मेलन’ किस देश में हुआ था?
(A) भारत में
(B) चीन में
(C) नेपाल में
(D) कोपनहेगन में।
उत्तर:
(D) कोपनहेगन में।

23. कोपेन हेगन सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था ?
(A) 180
(B) 185
(C) 190
(D) 192.
उत्तर:
(D) 192.

24. अक्तूबर 2009 में किस देश ने अपनी देश की कैबिनेट बैठक समुद्र के नीचे की थी ?
(A) मालद्वीप
(B) नेपाल
(C) भूटान
(D) बंग्लादेश।
उत्तर:
(A) मालद्वीप।

25. किस देश ने दिसम्बर, 2009 में अपने देश की कैबिनेट बैठक एवरेस्ट पर की थी ?
(A) मालद्वीप
(B) नेपाल
(C) भूटान
(D) बंग्लादेश।
उत्तर:
(B) नेपाल।

26. विकसित देशों की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या की कितनी % है ?
(A) 15%
(B) 20%
(C) 22%
(D) 28%.
उत्तर:
(C) 22%.

27. विकसित देश विश्व के कितने % संसाधनों का प्रयोग करते हैं ?
(A) 50%
(B) 22%
(C) 88%
(D) 70%.
उत्तर:
(C) 88%.

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28. विकसित देश विश्व की कितनी % ऊर्जा का प्रयोग करते हैं ?
(A) 73%
(B) 65%
(C) 60%
(D) 50%.
उत्तर:
(A) 73%.

29. भारत में ‘मूलवासी’ के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता है ?
(A) अगड़ा वर्ग
(B) पिछड़ा वर्ग
(C) आदिवासी
(D) स्वर्ण वर्ग।
उत्तर:
(C) आदिवासी।

30. पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत में किस प्रकार के वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है?
(A) इलेक्ट्रिक वाहनों को
(B) पेट्रोल के वाहनों को
(C) डीज़ल के वाहनों को
(D) मिट्टी के तेल के वाहनों को।
उत्तर:
(A) इलेक्ट्रिक वाहनों को।

रिक्त स्थान भरें

(1) 1972 में …………… में पर्यावरण से सम्बन्धित पहला सम्मेलन हुआ।
उत्तर:
स्टॉकहोम

(2) पर्यावरण से सम्बन्धित रियो सम्मेलन, जोकि 1992 में हुआ, को ………….. सम्मेलन भी कहा जाता है।
उत्तर:
पृथ्वी

(3) …………….. प्रोटोकोल सम्मेलन 1997 में जापान में हुआ।
उत्तर:
क्योटो

(4) भारत ने क्योटो प्रोटोकोल पर ……………… में हस्ताक्षर किये।
उत्तर:
अगस्त, 2002

(5) पर्यावरण संरक्षण के लिए दिसम्बर, 2007 में …………… में सम्मेलन हुआ।
उत्तर:
बाली

(6) पर्यावरण संरक्षण का भारत ने सदैव …………….. किया है।
उत्तर:
समर्थन।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
स्टॉकहोम (स्वीडन) सम्मेलन कब हुआ ?
उत्तर:
स्टॉकहोम (स्वीडन) सम्मेलन सन् 1972 में हुआ।

प्रश्न 2.
पृथ्वी सम्मेलन कब और कहां पर हुआ ?
उत्तर:
पृथ्वी सम्मेलन 1992 में रियो डी जनेरियो (ब्राज़ील) में हुआ।

प्रश्न 3.
पर्यावरण प्रदूषण का कोई एक कारण बताएं।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण का महत्त्वपूर्ण कारण जनसंख्या वृद्धि है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण संरक्षण का कोई एक उपाय लिखें।
उत्तर:
पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसंख्या को नियन्त्रित करना आवश्यक है।

प्रश्न 5.
क्योटो प्रोटोकोल (Kyoto Protocol) सम्मेलन कब और किस देश में हुआ ?
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकोल सम्मेलन 1997 में जापान में हुआ।

प्रश्न 6.
भारत ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम कब पास किया ?
उत्तर:
भारत ने 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पास किया।

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HBSE 12th Class Political Science पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का क्या कारण है ? निम्नलिखित में सबसे बेहतर विकल्प चुनें।
(क) विकसित देश प्रकति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
(ख) पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिए जरूरी है।
(ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुंच गया है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुंच गया है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिह्न लगायें। ये कथन पृथ्वी-सम्मेलन के बारे में हैं
(क) इसमें 170 देश, हज़ारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भाग लिया।
(ख) यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्रसंघ के तत्वावधान में हुआ।
(ग) वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों ने पहली बार राजनीतिक धरातल पर ठोस आकार ग्रहण किया।
(घ) यह महासम्मेलनी बैठक थी।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) सही,
(ग) सही,
(घ) गलत।

प्रश्न 3.
‘विश्व की साझी विरासत’ के बारे में निम्नलिखित में कौन-से कथन सही हैं ?
(क) धरती का वायुमण्डल, अंटार्कटिक, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष को ‘विश्व की साझी विरासत’ माना जाता है।
(ख) ‘विश्व की साझी विरासत’ किसी राज्य के संप्रभु क्षेत्राधिकार में नहीं आते।
(ग) ‘विश्व की साझी विरासत’ के प्रबन्धन के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच विभेद है।
(घ) उत्तरी गोलार्द्ध के देश ‘विश्व की साझी विरासत’ को बचाने के लिए दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों से कहीं ज्यादा चिंतित हैं।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) सही,
(ग) सही,
(घ) गलत।

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प्रश्न 4.
रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर:
रियो सम्मेलन पर्यावरण पर हुआ सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन माना जाता है। रियो सम्मेलन के कारण पर्यावरण के मुद्दे पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थान बनाने में सफल हुए। रियो सम्मेलन में जलवायु-परिवर्तन, जैव विविधता तथा वानिकी के सम्बन्ध में कुछ नियमों का निर्माण किया गया।

प्रश्न 5.
‘विश्व की साझी विरासत’ का क्या अर्थ है ? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है ?
अथवा
विश्व की साझी सम्पदा से क्या अभिप्राय है ? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है ?
उत्तर:
‘विश्व की साँझी विरासत’ का अर्थ है कि ऐसी सम्पदा जिस पर किसी एक व्यक्ति, समुदाय या देश का अधिकार न हो, बल्कि विश्व के सम्पूर्ण समुदाय का उस पर हक हो। विश्व की साझी विरासत के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार तथा संरक्षण का उत्तरदायित्व होता है। वर्तमान समय में कारण, निजीकरण एवं पर्यावरण बदलाव के कारण तथा विकसित देशों के निजी स्वार्थ के कारण बड़ी तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और प्रदूषण हो रहा है।

प्रश्न 6.
‘साझी जिम्मेवारी लेकिन अलग-अलग भूमिकाएँ’ से क्या अभिप्राय है ? हम इस विचार को कैसे लागू कर सकते हैं ?
उत्तर:
विश्व का पर्यावरण तेज़ी से खराब हो रहा है। अधिकांश देश अन्धाधुंध प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। इससे मानव सभ्यता खतरे में पड़ गई है। इसीलिए कहा जाता है कि पर्यावरण को बचाने की सभी की साझी ज़िम्मेदारी है अर्थात् पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक देश की बराबर की ज़िम्मेदारी हो। परन्तु उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित विचारों में मतभेद हैं।

उत्तरी गोलार्द्ध के विकसित देशों का तर्क है, कि विश्व के सभी देश समान रूप से मिलकर पर्यावरण को बचायें। परन्तु दक्षिणी गोलार्द्ध के विकासशील देशों का तर्क है, कि क्योंकि विकसित देशों ने पर्यावरण को अधिक खराब किया है, अत: उसे ठीक करने की ज़िम्मेदारी भी उनकी अधिक होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ के जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित नियमाचार में भी कहा गया है कि प्रत्येक देश अपनी क्षमता, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के अनुपात में अपनी भागीदारी पर साझी परन्तु अलग-अलग भूमिकाएं निभायेंगे।

प्रश्न 7.
वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे सन् 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार क्यों बन गए हैं ?
अथवा
विश्व राजनीति में पर्यावरण के लिए चिन्ता के कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विश्व राजनीति में पर्यावरण की चिन्ता के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
अग्रलिखित कारणों से वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे सन् 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार बन गए हैं

  • पर्यावरण खराब होने से कृषि योग्य भूमि कम हो रही है।
  • जलाशयों में बड़ी तेज़ी से जल स्तर घटा है।
  • मत्स्य उत्पादन कम हुआ है।
  • विकासशील देशों की लगभग 1 अरब बीस करोड़ जनता को पीने के लिए साफ पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
  • साफ़-सफ़ाई के अभाव में लगभग 30 लाख बच्चे प्रति वर्ष मारे जाते हैं।
  • वनों की कटाई से जैव विविधता की हानि हो रही है।
  • ओजोन परत के नुकसान से पारिस्थितिकी तन्त्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
  • परमाणु परीक्षणों के कारण वैश्विक पर्यावरण लगातार ख़राब हो रहा है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी को बचाने के लिए जरूरी है कि विभिन्न देश सुलह और सहकार की नीति अपनाएँ। पर्यावरण के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच जारी वार्ताओं की रोशनी में इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर:
पिछले कुछ वर्षों में विश्व का पर्यावरण बड़ी तेजी से खराब हुआ, जिसके कारण पृथ्वी के अस्तित्व को कई गम्भीर खतरे पैदा हो गए हैं। इसलिए विश्व के अधिकांश देशों ने पृथ्वी को बचाने के लिए परस्पर सुलह और सहकार की नीति अपनाई। इसी सन्दर्भ में उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों ने पृथ्वी के संरक्षण के लिए आपस में कई बार बातचीत की। यद्यपि पृथ्वी को बचाने के लिए दोनों गोलार्द्ध के देश वचनबद्ध दिखाई पड़ते हैं, परन्तु पृथ्वी बचाने के तरीकों पर दोनों गोलार्डों के देशों में सहमति नहीं बन पा रही है।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 8 पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

प्रश्न 9.
विभिन्न देशों के सामने सबसे गम्भीर चुनौती वैश्विक पर्यावरण को आगे कोई नुकसान पहुंचाए बगैर आर्थिक विकास करने की है। यह कैसे हो सकता है ? कुछ उदाहरणों के साथ समझाएं।
उत्तर:
वर्तमान परिस्थितियों में सभी देशों के सामने सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या यह है कि कैसे पर्यावरण को बचाकर अपना आर्थिक विकास किया जाए। परन्तु यदि हम कुछ उपायों पर गौर करें तो पर्यावरण को खराब किये बिना ही देश का आर्थिक विकास किया जा सकता है। जैसे प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए। जितनी पेड़ों की हम कटाई करते हैं, उतने ही पेड़ लगाने चाहिएं। सौर ऊर्जा का अधिक-से-अधिक प्रयोग करना चाहिए। वर्षा के पानी को संरक्षित करना चाहिए।

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन HBSE 12th Class Political Science Notes

→ पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा वर्तमान समय में विश्व राजनीति का प्रमुख मुद्दा बन गया है।
→ पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित जागरूकता में वृद्धि हुई।
→ विश्व के सभी देशों ने पर्यावरण संरक्षण के उपाय ढूंढने शुरू कर दिये हैं।
→ पर्यावरण संरक्षण का सबसे पहला एवं महत्त्वपूर्ण सम्मेलन 1972 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में हुआ।
→ पर्यावरण का दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण सम्मेलन 1992 में रियो-डी-जनेरियो (ब्राज़ील) में हुआ।
→ रियो-डी-जनेरियो सम्मेलन को पृथ्वी सम्मेलन भी कहा गया है।
→ 1997 में क्यूटो प्रोटोकाल अस्तित्व में आया।
→ विश्व तापन के खतरे से निपटने के लिए दिसम्बर, 2007 में इण्डोनेशिया (बाली) में पर्यावरण सम्मेलन हुआ।
→ पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्त्वपूर्ण सम्मेलन दिसम्बर, 2009 में डेनमार्क की राजधानी कोपनहेगन में हुआ।
→ नवम्बर-दिसम्बर-2015, में पेरिस में महत्त्वपूर्ण संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन हुआ।
→ पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित तरीकों को लेकर उत्तरी एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में मतभेद है।
→ उत्तरी गोलार्द्ध (विकसित देश) के देशों का मानना है, कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी देश समान रूप से प्रयास करें।
→ दक्षिणी गोलार्द्ध (विकासशील देश) के देशों का मानना है, कि क्योंकि पर्यावरण को सबसे अधिक हानि विकसित देशों ने पहुंचाई है, अत: पर्यावरण संरक्षण की अधिक ज़िम्मेदारी उन्हें लेनी चाहिए।
→ भारत ने पर्यावरण सम्मेलनों में विकासशील देशों का कुशलतापूर्वक नेतृत्व किया है।

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HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा की परम्परागत चिन्ताओं एवं निःशस्त्रीकरण की राजनीति का वर्णन करें।
उत्तर:
विश्व स्तर पर अधिकांश देशों को अपनी-अपनी सुरक्षा की चिन्ता लगी रहती है, जिसके लिए वे हथियारों का निर्माण करते हैं, परन्तु स्वयं ही हथियारों को समाप्त करने अर्थात् निःशस्त्रीकरण पर भी जोर देते हैं।

1. सुरक्षा की परम्परागत चिन्ताएं (Traditional Concerns of Security):
सुरक्षा की परम्परागत धारणा में सबसे बडी चिन्ता सैनिक खतरे से सम्बन्धित होती है। इस प्रकार के खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश होता है। शत्रु देश दूसरे देश को सैनिक हमले की धमकी देकर उसकी प्रभुसत्ता, अखण्डता तथा स्वतन्त्रता के लिए खतरा उत्पन्न करता है। इस प्रकार के सैनिक हमले में न केवल सैनिक ही मारे जाते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में सामान्य नागरिक भी हताहत होते हैं, तथा करोड़ों रुपये की सम्पत्ति नष्ट हो जाती है।

सैन्य हमले के साथ-साथ आतंकवाद भी सुरक्षा की एक महत्त्वपूर्ण चिन्ता बनी हुई है। वर्तमान समय में आतंकवाद पूरे विश्व के लिए खतरा बना हुआ है। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। भारत भी एक लम्बे समय से आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार की परिस्थितियों ने वर्तमान समय में मौजूद चुनौतियों को अधिक गम्भीर कर दिया है।

2. नि:शस्त्रीकरण की राजनीति (Politics of Disarmament):
वर्तमान समय में अधिकांश देशों के पास हथियारों के बड़े-बड़े ज़खीरे हैं, जोकि सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए बहुत बड़े खतरे हैं। इसीलिए समय-समय पर इन हथियारों को समाप्त करने के या नियन्त्रित करने की बात की जाती रही है। निःशस्त्रीकरण उस स्थिति में तो और भी आवश्यक हो गया है, जब कई देशों के पास नरसंहार के हथियार (Weapons of Most destruction) हैं जिनमें परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियार शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने नि:शस्त्रीकरण के लिए 1952 में निःशस्त्रीकरण आयोग की स्थापना की। 1963 में आंशिक परमाणु प्रतिबन्ध सन्धि की गई। 1968 में परमाणु अप्रसार सन्धि की गई। 1990 के दशक में व्यापक परमाणु प्रतिबन्ध सन्धि की गई। इसके अतिरिक्त भी निशस्त्रीकरण एवं शस्त्र नियन्त्रण के लिए कई सन्धियां की गईं।

यहां पर यह बात उल्लेखनीय है कि वास्तविक निःशस्त्रीकरण की अपेक्षा इस पर राजनीति अधिक की गई है क्योंकि जो भी शक्तिशाली या परमाणु सम्पन्न (अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस तथा चीन) देश हैं। किसी भी स्थिति में अपने सैनिक या हथियारों के प्रभुत्व को बनाये रखना चाहते हैं। अतः निःशस्त्रीकरण की दिशा में कोई भी सार्थक प्रयास पूरा नहीं हो पाता।

प्रश्न 2.
वैश्विक ग़रीबी, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे गैर-परम्परागत या मानवीय सुरक्षा से सम्बन्धित मुद्दे की व्याख्या करें।
उत्तर:
विश्व में विद्यमान कई मुद्दों में से वैश्विक ग़रीबी, स्वास्थ्य तथा शिक्षा सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। क्योंकि ये तीनों मुद्दे सकारात्मक एवं नकारात्मक रूप से मानवाधिकारों से जुड़े हुए हैं। इन सभी मुद्दों का वर्णन इस प्रकार है

1. वैश्विक ग़रीबी (Global Poverty):
विश्व में आज सबसे बड़ी समस्याओं में से एक वैश्विक ग़रीबी है। यद्यपि गरीबी सम्पूर्ण विश्व में पाई जाती है। परन्तु विकासशील तथा नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों में यह अधिक खतरनाक रूप में विद्यमान है। अधिकांश विकासशील देशों में लोगों को खाद्य पदार्थ प्राप्त नहीं हैं, जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न देशों में रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण सभी लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता।

अतः वे लोग ग़रीबी की अवस्था में जीवन बिताने के लिए विवश रहते हैं। वर्तमान समय में लगभग 1.2 बिलियन जनसंख्या को प्रतिदिन केवल एक डॉलर पर ही गुजारा करना पड़ता है। इस आंकड़े से विश्व में ग़रीबी की भयंकर स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग़रीबी के कारण विकासशील देशों के लोगों को कुपोषण, भुखमरी तथा महामारी इत्यादि से समय-समय पर जूझना पड़ता है। ग़रीबी के कारण लोगों में असुरक्षा की भावना पाई जाती है, तथा वे गलत कार्यों की ओर आकर्षित होने लगते हैं।

2. स्वास्थ्य (Health):
विश्व के अधिकांश देशों को आज स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विश्व स्तर पर बढ़ती आर्थिक सम्पन्नता तथा वैज्ञानिक उन्नति के बावजूद भी विश्व के अधिकांश लोग स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से पीड़ित हैं। उदाहरण के लिए पिछले कुछ वर्षों से 20 मिलियन लोगों की मृत्यु ऐसी बीमारियों से हुई, जिनका इलाज सम्भव था।

इससे स्पष्ट है कि आर्थिक सम्पन्नता एवं चिकित्सा तथा वैज्ञानिक उन्नति का सभी लोगों को फायदा नहीं मिल रहा। इनका फायदा केवल विकसित देशों के कुछ थोड़े से लोगों को पहुंच रहा है। जबकि आज भी विकासशील देशों के लोग चेचक, हैजा, प्लेग तथा एड्स जैसी बीमारियों से मर रहे हैं, परन्तु उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। विकासशील देशों के बच्चे असमय मृत्यु एवं कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। इन्हें स्वच्छ पानी, उचित चिकित्सा सहायता तथा साफ वातावरण नहीं मिल पाता जिसका नकारात्मक प्रभाव इनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।

3. शिक्षा (Education):
वर्तमान समय में विश्व के सभी लोगों को शिक्षा देना भी एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। वास्तव में ग़रीबी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए ग़रीब व्यक्ति न तो शिक्षित हो पाता है, और न ही बीमारी के समय अपना इलाज ही करवा पाता है। इसी तरह एक अशिक्षित व्यक्ति न तो उचित रोज़गार कर पाता है, और न ही अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर पाता है। विश्व के अधिकांश देशों, विशेषकर विकासशील देशों में बहुत अधिक निरक्षरता पाई जाती है। अशिक्षित व्यक्ति चालाक लोगों की बातों में आकर गलत कार्य करने लगते हैं।

इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ के एक महत्त्वपूर्ण अभिकरण यूनेस्को (UNESCO-United Nations Educational, Scientific and Cultural Organisation) ने विश्व स्तर पर शिक्षा के प्रसार की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली है। यूनेस्को के संविधान की प्रस्तावना का प्रथम वाक्य है कि, “चूंकि युद्ध मनुष्य के दिमाग में पैदा होता है, इसलिए शान्ति को सुरक्षित रखने की आधारशिला भी मानव दिमाग में बनाई जानी चाहिए।” अर्थात् लोगों को शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक आधार पर जागरूक एवं शिक्षित बनाया जाये, ताकि वे गलत कार्यों की ओर अग्रसर न हों।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 3.
मानवाधिकार एवं प्रवासन से सम्बन्धित मुद्दों की व्याख्या करें।
उत्तर:
विश्व में मानवाधिकार एवं प्रवासन से सम्बन्धित समस्याएं बहुत अधिक हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है

1. मानवाधिकार का मुद्दा (Issue of Human Rights):
मानव अधिकारों की समस्या विश्व की प्रमुख समस्याओं में से एक है। मानव अधिकार वे अधिकार हैं जोकि सभी मनुष्यों को प्राप्त होने चाहिएं। ये अधिकार मानव जीवन के विकास के लिए आवश्यक हैं।

संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 10 दिसम्बर, 1948 को मानव अधिकार की घोषणा की परन्तु घोषणा के इतने वर्ष के बाद भी संसार के अनेक देशों में लोगों को मानव अधिकार प्राप्त नहीं हैं। कछ देशों में नागरिकों को नागरिक और राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया है जबकि कछ देशों में नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त हैं।

जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के आधार पर आज भी नागरिकों के साथ भेदभाव किया जाता है और इन्हीं आधारों पर नागरिकों को अधिकारों से वंचित रखा जाता है। दक्षिण अफ्रीका में काले लोगों को काफ़ी लम्बे संघर्ष के बाद राजनीतिक अधिकार प्राप्त हुए हैं। आज भी संसार के अनेक देशों में स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। अत: मानव अधिकार एक गम्भीर समस्या बनी हुई है।

2. प्रवासन का मुद्दा (Issue of Migration):
आज के वैश्वीकरण एवं उदारीकरण के युग में विश्व ने एक छोटे से गांव का रूप धारण कर लिया है। संचार एवं यातायात के साधनों के विकास के कारण एक देश से दूसरे देश में जाना अब और अधिक आसान हो गया है। परन्तु इससे अब प्रवासन तथा इससे सम्बन्धित अधिकारों की समस्याएं पैदा हो गईं। वर्तमान समय में विकासशील देशों के लोग बड़ी संख्या में अमेरिका, यूरोप तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जाकर बसने का प्रयास करते हैं। अतः अधिकांश विकसित देश लगातार अपने प्रवासन कानूनों को जटिल बनाते जा रहे हैं ताकि प्रवासियों की संख्या को कम किया जा सके।

पिछले वर्षों से अपने मातृ देश को छोड़कर दूसरे देश में जाकर बसने का प्रचलन बड़ा है। जनसंख्या संसाधन ब्यूरो के अनुसार वर्तमान समय में विश्व आबादी का लगभग 2.5% भाग प्रवासी के तौर पर रहा है। जिस देश में प्रवासियों की संख्या अधिक होती है, वहां पर सुरक्षा एवं सांस्कृतिक खतरों की सम्भावना बढ़ जाती है।

इसी कारण अधिकांश देश प्रवासियों की संख्या में कमी करने का प्रयास कर रहे हैं।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने प्रवासन से सम्बन्धित कई प्रश्नों का हल जानने का प्रयास किया कि बहुत बड़े स्तर पर प्रवासन के क्या कारण एवं परिणाम हो सकते हैं। प्रवासन के समय प्रवासियों को किस प्रकार के संकटों एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है। इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढ़ने के पश्चात् यह उच्चायुक्त इन समस्याओं को हल करने के लिए प्रयासरत है।

प्रश्न 4.
निःशस्त्रीकरण से आप क्या समझते हो ? आधुनिक युग में इसकी क्या आवश्यकता है ?
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण आज अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की ज्वलंत समस्या है जो कि निरन्तर विचार-विमर्श के बावजूद भी गम्भीर बनी हुई है। शस्त्रों की दौड़, खासतौर पर आण्विक शस्त्रों की दौड़ इतनी तेजी से बढ़ रही है कि इसके कारण ‘पागलपन’ (Madness) की स्थिति पैदा हो गई है। इसीलिए आज विश्व समुदाय निःशस्त्रीकरण के ऊपर ज़ोर दे रहा है और यही समय की मांग है। निःशस्त्रीकरण का अर्थ (Meaning of Disarmament)-साधारण शब्दों में नि:शस्त्रीकरण से हमारा अभिप्राय: “शारीरिक हिंसा के प्रयोग के समस्त भौतिक तथा मानवीय साधनों के उन्मूलन से है।”

यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य हथियारों के अस्तित्व और उनकी प्रकृति से उत्पन्न कुछ खास खतरों को कम करना है। इससे हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियन्त्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। निःशस्त्रीकरण का लक्ष्य आवश्यक रूप से निरस्त्र कर देना नहीं है। इसका लक्ष्य तो यह है कि जो भी हथियार इस समय उपस्थित हैं, उनके प्रभाव को घटा दिया जाए। मॉर्गेन्थो (Morgenthau) के शब्दों में, “निःश्स्त्रीकरण कुछ या सब शस्त्रों में कटौती या उनको समाप्त करना है ताकि शस्त्रीकरण की दौड़ का अन्त हो।”

वी० वी० डायक (V.V. Dyke) के मतानुसार, “सैनिक शक्ति से सम्बन्धित किसी भी तरह के नियन्त्रण अथवा प्रतिबन्ध लगाने के कार्य को निःशस्त्रीकरण कहा जाता है।” वेस्ले डब्ल्यू ० पोस्वार (Wesley W. Posvar) ने अपने एक लेख ‘The New Meaning of Arms Control’ में लिखा है कि, “निःशस्त्रीकरण से हमारा अभिप्राय: सेनाओं और शस्त्रों को घटा देने या समाप्त कर देने से है जबकि शस्त्र-नियन्त्रण में वे सभी उपाय शामिल हैं जिनका उद्देश्य युद्ध के सम्भावित और विनाशकारी परिणामों को रोकना है। इसमें सेनाओं तथा शस्त्रों के घटाने या न घटाने को विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता है।”

निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता (Necessity of Disarmament):
निम्न कारणों से निःशस्त्रीकरण को आवश्यक माना जाता है 1. विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व-शान्ति व सुरक्षा की स्थापना सम्भव है।

2. निःशस्त्रीकरण आर्थिक विकास में सहायक-विश्व के अधिकांश विकसित व अविकसित राष्ट्र अपने धन को आर्थिक क्षेत्र में न लगाकर उसका प्रयोग सैनिक क्षेत्र में करते हैं जो उनकी आर्थिक स्थिति के लिए हानिकारक है। यदि विकासशील देश निःशस्त्रीकरण की प्रक्रिया को अपनाते हुए नि:शस्त्रीकरण के रास्ते पर चलें तो इसके कारण इन देशों का बहुत आर्थिक विकास हो सकता है क्योंकि ये देश जितना धन अपनी रक्षा पर खर्च करते हैं वही धन ये अपने आर्थिक विकास पर खर्च करें तो शीघ्र ही यह आर्थिक शक्ति बन सकते हैं।

3. निःशस्त्रीकरण अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करता है- निःशस्त्रीकरण के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय तनाव में कमी आती है क्योंकि शस्त्रों की होड़ के कारण प्रत्येक राष्ट्र अधिक-से-अधिक हथियार एकत्रित करने की सोचता है। हैडली बुल के अनुसार शस्त्रों की होड़ स्वयं तनाव की सूचक है। अतः अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने व आपसी सहयोग की वृद्धि के लिए आवश्यक है कि निःशस्त्रीकरण पर बल दिया जाए।

4. निःशस्त्रीकरण उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त करने में सहायक है-जब एक देश के पास बड़ी मात्रा में हथियार जमा होने लगते हैं तो वह इनका प्रयोग अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने में करने लगता है। इसके कारण ही उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद की बुराइयां पैदा हो जाती हैं क्योंकि साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद शक्ति बढ़ाने के ही दूसरे रूप हैं। यदि राष्ट्र निःशस्त्रीकरण पर बल देंगे तो शक्तिशाली राष्ट्र कभी भी अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने की नहीं सोचेंगे जिसके कारण उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त होगा तथा राष्ट्रों के मध्य आपसी सहयोग व शान्ति का वातावरण बनेगा।

5. लोक-कल्याण को बढ़ावा-सभी राष्ट्र चाहे वह विकसित हों या विकासशील शस्त्रों पर धन व्यय करते हैं। यदि विकासशील देश निःशस्त्रीकरण की नीति पर चलें तो वह प्रतिवर्ष अपने करोड़ों डालर बचा कर उन्हें लोक कल्याण के कार्यों पर खर्च कर सकते हैं।

6. विदेशी हस्तक्षेप को रोकता है-जब बड़े राष्ट्र शस्त्रों का भारी मात्रा में निर्माण कर लेते हैं तो इन्हें दूसरे देशों व अविकसित देशों में बेचते हैं। कुछ अविकसित देश इन देशों से नवीन तकनीक के सैन्य उपकरणों का आयात करते हैं। इसके कारण वह उन विकासशील देशों के आन्तरिक मामलों में दखल-अंदाजी करते हैं। अत: विकासशील देशों में महाशक्तियों के बढ़ते हुए हस्तक्षेप को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि यह देश मिलकर निःशस्त्रीकरण पर बल दें।

7. सैनिकीकरण को रोकता है-प्रायः देखा जाता है कि शस्त्रों की होड़ सैनिकीकरण को जन्म देती है। आज प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा के लिए लाखों की सेना एकत्रित करता है। अत: बढ़ते हुए सैनिकीकरण को रोकने के लिए नि:शस्त्रीकरण बहत आवश्यक है।

8. सैनिक गठबन्धनों को रोकता है-नि:शस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता है। द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद शस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई। इसके दौरान कई सैनिक गठबन्धन हुए जिनमें नाटो, सीटो, सेंटो, एंजुस गठबन्धन अमेरिका के द्वारा किए गए। परन्तु जैसे ही 1985 के बाद गोर्बोच्योव-रीगन के मध्य वार्ता आरम्भ हुई तो इसमें नि:शस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई और धीरे-धीरे नाटो को छोड़कर सभी सैनिक गठबन्धन समाप्त हो गए हैं। अत: स्पष्ट है कि नि:शस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता है।

9. परमाणु युद्ध से बचाव के लिए आवश्यक-द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान 7 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर और 9 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए। इसके कारण भयंकर नरसंहार हुआ। इसके पश्चात् 1949 में सोवियत संघ ने, 1954 में ब्रिटेन ने, 1959 में फ्रांस ने तथा 1963 में चीन ने परमाणु बम का आविष्कार किया।

इन देशों ने मिलकर ‘परमाणु क्लब’ बना लिया और परमाणु क्षमता पर अपना एकाधिकार जमाए रखा। इसका मुख्य कारण था कि परमाणु शक्ति का प्रसार न हो। परन्तु धीरे-धीरे भारत, इज़राइल, ब्राजील, दक्षिणी अफ्रीका, ईराक, पाकिस्तान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों ने भी परमाणु क्षमता प्राप्त कर ली जिसके कारण परमाणु युद्ध होने के आसार बढ़ गए।

इसके कारण परमाणु क्लब के सदस्य राष्ट्रों को चिन्ता हुई और उन्होंने परमाणु युद्ध को रोकने के लिए नि:शस्त्रीकरण पर बल दिया। इस दिशा में व्यापक परमाणु प्रसार निषेध सन्धि (C.T.B.T.) उल्लेखनीय है। 1985 में गोर्बोच्योव-रीगन के मध्य शान्ति वार्ता आरम्भ हुई और इसके कारण नि:शस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई और परमाणु युद्ध का भय टल गया।

प्रश्न 5.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली मुख्य बाधाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
नैतिक रूप से विश्व को विनाश से बचाने का दायित्व मानव जाति पर ही है। इस दायित्व की पूर्ति तभी हो सकती है यदि विश्व के विभिन्न देश निःशस्त्रीकरण को व्यावहारिकता प्रदान करें। यद्यपि विभिन्न राज्यों ने व्यक्तिगत रूप से नि:शस्त्रीकरण की ओर बढ़ने का प्रयास किया है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी विभिन्न प्रयास किए गए हैं, लेकिन फिर भी नि:शस्त्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका है। इसके विपरीत विनाश के नए-नए शस्त्रों का आविष्कार किया जा रहा है और निःशस्त्रीकरण के प्रयासों को विफल किया जा रहा है। नि:शस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएं इस प्रकार हैं

1. आपसी अविश्वास की समस्या (The problem of mutual distrust):
निःशस्त्रीकरण का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में आपसी विश्वास की भावना सुदृढ़ हो। लेकिन दुर्भाग्य से विश्व व्यवस्था में एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर विश्वास नहीं करता। राष्ट्रों के मध्य इसी अविश्वास की भावना के कारण अब तक निःशस्त्रीकरण की दिशा में जितने भी प्रयास किए गए हैं, उनमें डर व अविश्वास साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

2. राष्ट्रीय हित (National Interest):
प्रत्येक राष्ट्र अपने हित को सर्वोपरि महत्त्व देता है। राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के बाद ही वह अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर किसी आदर्श की बात करता है। उदाहरणार्थ भारत और पाकिस्तान ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, क्योंकि दोनों देश पहले अपने हितों को पूरा करना चाहते हैं।

3. विभिन्न राजनीतिक समस्याएं (Various Political Problems):
निःशस्त्रीकरण के प्रयासों में अनेक राजनीतिक समस्याएं बाधा बनती हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि राजनीतिक समस्याओं के कारण राष्ट्रों के मध्य तनाव पैदा होते हैं जिससे कई बार युद्ध की नौबत आ जाती है। इसलिए हथियारों का होना अत्यावश्यक है। राजनीतिक समस्याओं के कारण राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण प्रदूषित हो जाता है। इनके कारण नि:शस्त्रीकरण के प्रयास असफल हो जाते हैं।

4. राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security):
विश्व का प्रत्येक राज्य प्रत्येक दृष्टिकोण से सुरक्षित होना चाहता है। इसके कारण वह सेना व पुलिस बल को अत्याधुनिक बनाने में बिल्कुल भी पीछे नहीं रहना चाहता। कोई भी राष्ट्र अपनी सुरक्षा व्यवस्था को दूसरे के भरोसे नहीं रहने देना चाहता। अतः राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति बढ़ती आशंका शस्त्रीकरण को बढ़ावा देती है।

5. शक्ति के अनुपात की समस्या (Problem of the Ratio of Power):
नि:शस्त्रीकरण के मार्ग में एक कठिनाई शक्ति के अनुपात पर है। निःशस्त्रीकरण में विभिन्न राष्ट्रों द्वारा आनुपातिक रूप से अपने-अपने शस्त्रास्त्रों को कम किया जाता है। परन्तु प्रश्न उत्पन्न होता है कि शस्त्रों में कटौती के लिए किस अनुपात को स्वीकार किया जाए। निःशस्त्रीकरण के उपरान्त यह नहीं होना चाहिए शक्तिशाली देश तो कमजोर बन जाए और कमज़ोर देश शक्तिशाली बन जाए। इसके अतिरिक्त हथियारों को कम करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। अलग-अलग राष्ट्र हथियारों को कम करने के लिए अलग-अलग मापदण्ड अपनाते हैं, जो कि उचित नहीं है।

6. वर्चस्व की भावना (Instinct of Hegemony) :
अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में प्रत्येक शक्तिशाली राष्ट्र यह चाहता पर उसका वर्चस्व बरकरार रहे। इसलिए वे अपने आपको सैनिक दृष्टि से अत्यधिक मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं। इसके लिए शस्त्रों का संग्रह अर्थात् शस्त्रीकरण और नए शस्त्रों की खोजों को बढ़ावा मिलता है। कई राष्ट्र तो हथियारों के व्यापार को खुले तौर पर प्रोत्साहन देते हैं। वर्चस्व की यह भावना नि:शस्त्रीकरण के सभी प्रयासों पर कुठाराघात करती है।

7. प्राथमिकता निर्धारण में कठिनाई (Problem in the determination of the priority):
नि:शस्त्रीकरण की एक प्रमुख समस्या यह है कि राजनीतिक प्रश्नों को पहले सुलझाया जाए या निःशस्त्रीकरण के प्रयास किए जाएं। ये दोनों प्रश्न एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। ये दोनों ही प्रश्न आपसी अविश्वास, तनाव, भय और संघर्ष को बढ़ावा देते हैं। परन्तु वास्तविक प्रश्न यह है कि इन दोनों में से किसे प्राथमिकता दी जाए।

8. आर्थिक कारण (Economic Causes):
आर्थिक तत्त्व भी नि:शस्त्रीकरण के प्रयासों में बाधक बनता है। अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, इंग्लैण्ड इत्यादि अनेक देशों की बड़ी-बड़ी कम्पनियां हथियार बनाने का काम करती हैं। इन कम्पनियों का निरन्तर यह प्रयास रहता है कि उनको अधिक-से-अधिक हथियार बेचने के अवसर प्राप्त हों। इनका तर्क है कि नि:शस्त्रीकरण किया जाता है तो शस्त्र उद्योग बन्द हो जाने से लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कई शक्तिशाली देशों की अर्थव्यवस्थाएं तो काफी हद तक शस्त्र उद्योगों पर टिकी हुई हैं। अतः यदि शस्त्र नियन्त्रण के प्रयास किए जाते हैं तो उनको भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।

9. निःशस्त्रीकरण के प्रयासों में ईमानदारी का अभाव (Lack of Honesty in the efforts of Disarma ment):
विभिन्न राज्यों द्वारा निःशस्त्रीकरण की दिशा में अब तक जितने भी प्रयास किए गए हैं, उनमें ईमानदारी व निष्ठा का साफ़ तौर पर अभाव देखा जा सकता है। प्रत्येक राष्ट्र आदर्शों की बात करके दूसरे राष्ट्र को धोखा देने के प्रयास में लगा रहता है। वास्तव में कोई भी राष्ट्र किसी अन्य राष्ट्र की सैन्य-शक्ति का सही आंकलन नहीं कर सकता। राष्ट्रों द्वारा शस्त्र कटौती के लिए प्रस्तुत समझौते में आंकड़े कुछ और होते हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और होती है।

10. निष्कर्ष (Conclusion):
इस प्रकार उपरोक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि नि:शस्त्रीकरण की समस्या एक गम्भीर अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है और इसके मार्ग में अनेक समस्याएं हैं। अब समय आ गया है कि अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय निःशस्त्रीकरण की दिशा में ईमानदारी, आपसी विश्वास और सहयोग का परिचय दें तथा मानव जाति के अस्तित्व को चिरकाल तक सुरक्षित रहने दें। यह एक सकारात्मक पक्ष है कि आज विश्व जनमत निःशस्त्रीकरण के पक्ष में है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता के कोई चार कारण लिखिये।
अथवा
निःशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है ? किन्हीं चार कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • विश्व शांति व सुरक्षा के लिए-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व-शांति व सुरक्षा की स्थापना संभव है।
  • आर्थिक विकास में सहायक-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा विकासशील देश अपना आर्थिक विकास कर सकते हैं।
  • अन्तर्राष्ट्रीय तनाव में कमी-नि:शस्त्रीकरण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाये जाने वाले तनावों में कमी करता है।
  • सैनिक गठबन्धनों में कमी-निःशस्त्रीकरण से सैनिक गठबन्धनों में कमी आती है।

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली किन्हीं चार बाधाओं का उल्लेख कीजिये।
अथवा
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली किन्हीं चार प्रमुख समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:

  • विभिन्न राजनीतिक समस्याएं-नि:शस्त्रीकरण के प्रयासों में अनेक राजनीतिक समस्याएं बाधा बनती हैं।
  • वर्चस्व की भावना-प्रत्येक राष्ट्र की वर्चस्व की भावना नि:शस्त्रीकरण के मार्ग में बाधा पैदा करती है।
  • शक्ति के अनुपात की समस्या-निःशस्त्रीकरण में एक बाधा शक्ति के अनुपात की समस्या है।
  • ईमानदारी का अभाव-निःशस्त्रीकरण के अब तक जितने भी प्रयास किये गए हैं, उनमें ईमानदारी का अभाव साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

प्रश्न 3.
सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की परंपरागत धारणा में सबसे बड़ी चिंता सैनिक खतरे से सम्बन्धित होती है। इस प्रकार के खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश होता है। शत्रु देश दूसरे देश को सैनिक हमले की धमकी देकर उसकी प्रभुसत्ता, अखंडता तथा स्वतंत्रता के लिए खतरा उत्पन्न करता है। इस प्रकार के सैनिक हमले में न केवल सैनिक ही मारे जाते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में सामान्य नागरिक भी हताहत होते हैं, तथा करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो जाती है।

सैन्य हमले के साथ साथ आतंकवाद भी सुरक्षा की एक महत्त्वपूर्ण चिंता बनी हुई है। वर्तमान समय में आतंकवाद पूरे विश्व के लिए खतरा बना हुआ है। 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आंतकवादी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। भारत भी एक लंबे समय से आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार की परिस्थितियों ने वर्तमान समय में मौजूद चुनौतियों को अधिक गंभीर कर दिया है।।

प्रश्न 4.
शक्ति सन्तुलन क्या है ? व्याख्या करें।
अथवा
‘शक्ति सन्तुलन’ पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन का अर्थ है कि किसी भी देश को इतना सबल नहीं बनने दिया जाए कि वह दूसरों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाए। शक्ति सन्तुलन के अन्तर्गत विभिन्न राष्ट्र अपने आपसी शक्ति सम्बन्धों को बिना शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतन्त्रतापूर्वक संचालित करते हैं। इस प्रकार यह एक विकेन्द्रित व्यवस्था है, जिसमें शक्ति,तथा नीतियां निर्माणक इकाइयों के हाथों में ही रखी जाती हैं।

1. सिडनी बी० फे० के अनुसार, “शक्ति सन्तुलन सभी राष्ट्रों में इस प्रकार की व्यवस्था है, कि उनमें से किसी भी सदस्य को इतना सबल बनने से रोका जाए, कि वह अपनी इच्छा को दूसरों पर न लाद सके।”
2. मॉर्गन्थो के अनुसार, “शक्ति सन्तुलन अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में सामान्य सामाजिक सिद्धान्त की अभिव्यक्ति है।”

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 5.
बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा के चार घटक कौन-कौन से हैं ?
अथवा
परम्परागत सुरक्षा के किन्हीं चार तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा के चार घटक निम्नलिखित हैं

  • निःशस्त्रीकरण-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक निःशस्त्रीकरण है।
  • शस्त्र नियन्त्रण-शस्त्र नियन्त्रण द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।
  • सन्धियां-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटक सन्धियां हैं, क्योंकि सन्धि द्वारा दो या दो से अधिक देशों में मित्रता हो सकती है।
  • विश्वास बहाली-दो या दो से अधिक देशों द्वारा परस्पर विश्वास बहाली के प्रयासों द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
आन्तरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कोई चार कारण लिखें।
उत्तर:

  • आन्तरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व आतंकवाद है।
  • आन्तरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाला दूसरा महत्त्वपूर्ण कारक अलगाववाद है।
  • साम्प्रदायिकता आन्तरिक सुरक्षा के मार्ग में एक बड़ी बाधा मानी जाती है।
  • जातिवादी हिंसा ने भी आन्तरिक सुरक्षा को बहुत अधिक प्रभावित किया है।

प्रश्न 7.
परमाणु अप्रसार सन्धि (NPT) 1968 के किन्हीं चार प्रावधानों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • NPT के नियमों के अनुसार परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र, परमाणु शक्ति विहीन राष्ट्रों को परमाणु बम बनाने की जानकारी नहीं देंगे।
  • परमाणु शक्ति सम्पन्न राज्य परमाणु अस्त्र प्राप्त करने पर परमाणु शक्ति विहीन राज्यों की मदद नहीं करेंगे।
  • परमाणु शक्तिविहीन राष्ट्र परमाणु बम बनाने का अधिकार त्याग देंगे।
  • परमाणु अस्त्रों के परीक्षण और विस्फोटों पर रोक लगाने की अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए।

प्रश्न 8.
आतंकवाद किसे कहते हैं ?
उत्तर:
आतंक को अंग्रेजी में ‘टैरर’ (Terror) कहते हैं, जोकि लैटिन भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ आतंक की गतिविधियों से लिया जाता है। सामान्य रूप से जब एक समूह का संगठन अपनी मांगों को मनवाने के लिए, बम विस्फोट, जहाज़ों का अपचालन तथा अनावश्यक रूप से जान-माल की हानि करता है, तो उसे आतंकवाद की घटना कहा जा सकता है। श्वार्जनबर्गर के अनुसार, “एक आतंकवादी घटना को उसके तात्कालिक लक्ष्य के सन्दर्भ में सर्वश्रेष्ठ तरीके से परिभाषित किया जा सकता है। यह लक्ष्य है, डर पैदा करने के लिए शक्ति का प्रयोग करना और अपने लक्ष्यों को पूरा करना।”

प्रश्न 9.
आतंकवाद की वद्धि के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
1. असमान विकास-सम्पूर्ण विश्व का समान विकास नहीं हुआ है। अधिकांश विकसित देश, विकासशील देशों का शोषण करके अपना विकास कर रहे हैं, जिसके कारण विकासशील देशों के कुछ वर्गों में ऐसी भावनाएं पैदा होती हैं, कि वे आतंकवादी घटनाओं की ओर अग्रसर हो जाते हैं।

2. कट्टरवादिता में वृद्धि-विश्व स्तर पर आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं का एक अन्य कारण विभिन्न धर्मों में बढ़ती कट्टरवादिता है जिसके कारण एक धर्म के लोग, अपने धर्म को बचाने के लिए प्रायः हिंसक गतिविधियां करते हैं।

प्रश्न 10.
आतंकवाद को किस तरह रोका जा सकता है ? कोई चार उपाय बताएं।
उत्तर:

  • विश्व का एक समान विकास करना चाहिए, ताकि कोई भी देश या उस देश के लोग अपने आप को उपेक्षित अनुभव न करें।
  • देशों को ऐसे प्रयास करने चाहिए कि लोगों में नस्ल, धर्म, जाति एवं भाषा के आधार पर कट्टरवादिता न बढ़े।
  • विश्व स्तर पर ग़रीबी एवं निरक्षरता को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
  • आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए विभिन्न देशों को कानून बनाने चाहिएं।

प्रश्न 11.
विश्व की सुरक्षा की दृष्टि से किन्हीं चार खतरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व की सुरक्षा की दृष्टि से चार खतरे निम्नलिखित हैं

  • अकाल, महामारी एवं प्राकृतिक आपदा
  • अभाव तथा भय
  • वैश्विक तापवृद्धि तथा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद
  • एड्स तथा बर्ड फ्लू।

प्रश्न 12.
वैश्विक ग़रीबी पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विश्व में आज सबसे बड़ी समस्याओं में से एक वैश्विक ग़रीबी है। यद्यपि ग़रीबी सम्पूर्ण विश्व में पाई जाती है। परन्तु विकासशील तथा नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों में यह अधिक खतरनाक रूप में विद्यमान है। अधिकांश विकासशील देशों में लोगों को खाद्य पदार्थ प्राप्त नहीं हैं, जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न देशों में रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण सभी लोगों को रोज़गार नहीं मिल पाता।

अत: वे लोग ग़रीबी की अवस्था में जीवन बिताने के लिए विवश रहते हैं। वर्तमान समय में लगभग 1.2 बिलियन जनसंख्या को प्रतिदिन केवल एक डॉलर पर ही गुजारा करना पड़ता है। इस आंकड़े से विश्व में गरीबी की भयंकर स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग़रीबी के कारण विकासशील देशों के लोगों को कुपोषण, भुखमरी तथा महामारी इत्यादि से समय-समय पर जूझना पड़ता है। ग़रीबी के कारण लोगों में असुरक्षा की भावना पाई जाती है, तथा वे गलत कार्यों की ओर आकर्षित होने लगते हैं।

प्रश्न 13.
मानवाधिकारों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
लॉस्की के अनुसार, अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियां हैं जिनके बिना कोई मनुष्य अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता। निःसन्देह यह मानवाधिकारों की अत्यन्त व्यापक व्याख्या है। लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिएं। उसे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, इत्यादि क्षेत्र में अपने स्वाभाविक विकास के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिएं। ये अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को नस्ल, जाति, धर्म, वंश, रंग, लिंग, भाषा इत्यादि के भेदभाव के बिना मिलने चाहिएं।

प्रश्न 14.
मानवाधिकार की चार प्रमुख श्रेणियों का वर्णन करें।
उत्तर:
1. राजनीतिक अधिकार-राजनीतिक अधिकारों में वोट का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार तथा सरकार की आलोचना करने इत्यादि का अधिकार शामिल है।

2. नागरिक अधिकार-नागरिक अधिकारों में कानून के समक्ष समानता का अधिकार, बिना भेदभाव के समान अधिकारों का अधिकार, जीवन का अधिकार तथा स्वतन्त्रता इत्यादि का अधिकार शामिल है।

3. सामाजिक आर्थिक अधिकार-इन अधिकारों में शिक्षा का अधिकार, विवाह करने एवं परिवार बनाने का अधिकार, काम का अधिकार तथा विश्राम का अधिकार इत्यादि शामिल है।

4. मानवाधिकारों की चौथी श्रेणी में जातीय व धार्मिक समूहों एवं पराधीन राष्ट्रों के अधिकार शामिल हैं।

प्रश्न 15.
भारत मानव अधिकारों का प्रबल समर्थक क्यों हैं ? कोई तीन कारण बताकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत निम्नलिखित कारणों से मानव अधिकारों का समर्थन करता है

  • आधुनिक राज्य मानव अधिकारों के बिना न तो विकास कर सकते हैं और न ही शान्ति व्यवस्था कायम कर सकते हैं।
  • मानवीय विकास एवं प्रगति के लिए मानव अधिकार आवश्यक है।
  • भारतीय विदेश नीति विश्व शान्ति एवं मानवता के उत्थान पर आधारित है, इसलिए भी भारत मानव अधिकारों का समर्थन करता है।

प्रश्न 16.
‘प्रवासन’ क्या है? प्रवासन के कोई तीन कारण लिखें।
उत्तर:
प्रवासन का अर्थ है-प्रवासन से हमारा अभिप्राय एक देश के अधिकाधिक लोगों के बेहतर जीवन, विशेष तौर पर आर्थिक अवसरों की तलाश में विकसित देशों या अन्य देशों की ओर पलायन है। परन्तु इससे प्रवासन तथा इससे सम्बन्धित अधिकारों की समस्याएं पैदा हो गई हैं। अधिकांश विकसित देश लगातार अपने प्रवासन कानूनों को जटिल बना रहे हैं ताकि प्रवासियों की संख्या को कम किया जा सके। इसके साथ-साथ प्रवासन के समय प्रवासियों को कई प्रकार के संकटों एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है।

प्रवासन के कारण-

  • प्रवासन का प्रथम कारण रोज़गार की तलाश है।
  • जनसंख्या की वृद्धि के कारण भी प्रवासन होता है।
  • सुरक्षा मुद्दे के कारण भी प्रवासन होता है।

प्रश्न 17.
मानव सुरक्षा (Human Security) से सम्बन्धित किन्हीं चार खतरों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1. आतंकवाद-आतंकवाद मानव सुरक्षा के खतरों का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व की सुरक्षा आतंकवाद के कारण खतरे में है।

2. वैश्विक तापवृद्धि-वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) मानव सुरक्षा के खतरे का एक अन्य नया स्रोत है। वैश्विक तापवृद्धि के कारण विश्व का पर्यावरण लगातार खराब हो रहा है जिससे कई प्रकार की नई समस्याएँ पैदा हो रही हैं।

3. नई महामारियाँ-मानव सुरक्षा के नये खतरों के स्रोत में कुछ नई महामारियों को भी शामिल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए बर्ड फ्लू तथा स्वाइन फ्लू ने पिछले वर्षों से विश्व-भर में आतंक मचा रखा है।

4. जनसंहार-मानव सुरक्षा के खतरों में जनसंहार को भी शामिल किया जाता है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निःशस्त्रीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
नि:शस्त्रीकरण का अर्थ शारीरिक हिंसा के प्रयोग के समस्त भौतिक तथा मानवीय साधनों के उन्मूलन से है। सैनिक शक्ति से सम्बन्धित किसी भी तरह के नियन्त्रण अथवा प्रतिबन्ध लगाने के कार्य को निःशस्त्रीकरण कहा जाता है। निःशस्त्रीकरण से हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियन्त्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। नि:शस्त्रीकरण का अर्थ है जो भी हथियार इस समय हैं उनके प्रभाव को कम कर दिया जाए।

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण का अर्थ है अस्त्रों-शस्त्रों का अभाव या अस्त्रों-शस्त्रों को नष्ट करना। वर्तमान में विश्व परमाणु अस्त्रों के भण्डार पर बैठा है। इसलिए निःशस्त्रीकरण आवश्यक है।

(1) शीत युद्ध के दौरान दोनों पक्षों ने अत्याधुनिक अस्त्रों-शस्त्रों का निर्माण किया है। यदि निःशस्त्रीकरण के द्वारा इन हथियारों को नष्ट न किया गया तो इसका प्रयोग मानव जाति के अस्तित्व के लिए भयावह सिद्ध होगा।

(2) विश्व के अधिकांश देश शस्त्रीकरण पर प्रतिवर्ष अरबों डालर खर्च कर देते हैं यदि यही धन विश्व में पाई जाने वाली ग़रीबी, पौष्टिक भोजन और बीमारी पर खर्च हो तो मानव जाति को इन भयानक रोगों से मुक्ति दिलाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली तीन कठिनाइयां लिखें।
उत्तर:

  • महाशक्तियों में अस्त्र-शस्त्रों के आधुनिकीकरण के प्रति मोह का होना।
  • एक-दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के भारत पर पड़ने वाले कोई दो प्रभाव बताओ।
उत्तर:

  • वैश्वीकरण के कारण भारत में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ा है। इससे रोजगार के नए-नए अवसर पैदा हुए हैं।
  • वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप मुद्रा स्फीति की दर कम हुई है।

प्रश्न 5.
सुरक्षा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
साधारण शब्दों में सुरक्षा का अर्थ खतरे या संकट से स्वतन्त्रता से लिया जाता है। परन्तु प्राचीन काल से अब तक तथा विश्व के अलग-अलग देशों में सुरक्षा का अलग-अलग अर्थ लिया जाता है।

प्रश्न 6.
सुरक्षा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
पामर व परकिन्स के अनुसार, “सुरक्षा का स्पष्ट अर्थ है, शान्ति के खतरे से निपटने के लिए उपाय करना।”

प्रश्न 7.
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का वर्णन करें।
उत्तर:
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का सम्बन्ध मुख्य रूप से बाहरी खतरों से है। इस धारणा में एक-दूसरे को दूसरे देश के सैन्य खतरे की चिन्ता सताती रहती है। अर्थात् सुरक्षा की पारम्परिक धारणा में खतरे का स्रोत विदेशी देश होता है।

प्रश्न 8.
युद्ध की स्थिति में किसी देश के पास कितने विकल्प होते हैं ?
उत्तर:
युद्ध की स्थिति में किसी देश के पास मुख्यतः तीन विकल्प होते हैं

  • आत्मसमर्पण करना,
  • आक्रमणकारी देश की शर्ते मानना,
  • आक्रमणकारी देश को युद्ध में हराना।

प्रश्न 9.
शक्ति सन्तुलन के कोई दो महत्त्व बताएं।
उत्तर:

  • शक्ति सन्तुलन युद्ध की सम्भावना को कम करता है।
  • शक्ति सन्तुलन कमज़ोर राष्ट्रों को सुरक्षा प्रदान करता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 10.
गठबन्धन से आप क्या अर्थ लेते हैं ?
अथवा
गठबन्धन क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर:
गठबन्धन पारम्परिक सुरक्षा की एक महत्त्वपूर्ण धारणा है। एक गठबन्धन में कई देश सम्मिलित होते हैं। गठबन्धनों को लिखित नियमों एवं उपनियमों द्वारा एक औपचारिक रूप दिया जाता है। प्रत्येक देश गठबन्धन प्रायः अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए करता है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय हितों के बदलने पर निष्ठाएं भी बदल जाती हैं। उदाहरण देकर व्याख्या करें।
उत्तर:
राष्ट्रीय हितों के बदलने पर प्रायः निष्ठाएं भी बदल जाती हैं। उदाहरण के लिए 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका ने सोवियत संघ के विरुद्ध तालिबान का समर्थन किया, परन्तु 9/11 की घटना के बाद अमेरिका ने तालिबान और अलकायदा के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया।

प्रश्न 12.
नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों के सामने सुरक्षा की क्या समस्याएं आईं थीं ?
उत्तर:

  • नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों के सामने सबसे बड़ी समस्या इन देशों के भीतर उठने वाले अलगाववादी आन्दोलन थे।
  • नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों को अलगाववादी आन्दोलन के साथ-साथ पड़ोसी देशों के साथ पाए जाने वाले तनावपूर्ण सम्बन्धों का भी सामना करना पड़ रहा था।

प्रश्न 13.
किन दो प्रकार के खतरनाक हथियारों के निर्माण पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है ?
उत्तर:

  • जैविक हथियारों के निर्माण को रोकने के लिए 1972 में जैविक हथियार सन्धि (Biological Weapons Convention) की गई।
  • रासायनिक हथियारों के निर्माण को रोकने के लिए 1992 में रासायनिक हथियार सन्धि (Chemical Weapon Conventions) की गई।

प्रश्न 14.
एंटी बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र सन्धि (ABM) किन दो देशों के बीच हुई ?
उत्तर:
एंटी बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र सन्धि शीत युद्ध के दौरान (1972) संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ के बीच हुई थी। इस सन्धि के द्वारा दोनों देशों ने बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्रों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। अतः इस सन्धि ने बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्रों के व्यापक उत्पादन पर रोक लगा दी।

प्रश्न 15.
सुरक्षा की गैर-परंपरागत अवधारणा क्या है ?
उत्तर:
सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा के विषय में यह कहा जाता है, कि केवल राज्यों को ही सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सम्पूर्ण मानवता को सुरक्षा की आवश्यकता होती है। अतः सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा में सम्पूर्ण मानवता को हानि पहुंचाने वाले खतरों को शामिल किया है।

प्रश्न 16.
नागरिक सुरक्षा एवं राज्य सुरक्षा में कोई दो सम्बन्ध बताएं।
उत्तर:

  • नागरिक सुरक्षा एवं राज्य सुरक्षा एक-दूसरे के पूरक हैं।
  • राज्य सुरक्षा पर नागरिक सुरक्षा को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 17.
विश्व सुरक्षा की धारणा की उत्पत्ति के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • विश्व को निरन्तर वैश्विक तापन, आतंकवाद, महामारियां तथा गृहयुद्ध की समस्याओं ने विश्व सुरक्षा की धारणा पैदा की है।
  • इन समस्याओं का सामना कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता, अतः सभी देशों ने मिलकर विश्व सुरक्षा का दायित्व लिया है।

प्रश्न 18.
‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ से आप क्या लेते हैं ?
उत्तर:
‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ उन्हें कहा जाता है, जो अपने मूल निवास से तो विस्थापित हो चुके हों परन्तु, उन्होंने उसी देश में किसी अन्य भाग पर शरणार्थी के रूप में रहना शुरू कर दिया है। कश्मीरी पण्डित ‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन माने जाते हैं।’

प्रश्न 19.
मैड काऊ (Mad Cow) की घटना के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1990 के दशक में इंग्लैण्ड में जानवरों में फैलने वाली बीमारी को मैड काऊ (Mad Cow) कहा जाता है। इस महामारी के कारण इंग्लैण्ड को बहुत अधिक आर्थिक हानि उठानी पड़ी।

प्रश्न 20.
क्योटो प्रोटोकोल की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्विक तापन की समस्या से निपटने के लिए 1997 में भारत सहित कई देशों ने क्योटो प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर किये थे। क्योटो प्रोटोकोल के अनुसार ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।

प्रश्न 21.
स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
विश्व के अधिकांश देशों को आज स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 20 मिलियन लोगों की मृत्यु ऐसी बीमारियों से हुई, जिनका इलाज सम्भव था, इससे स्पष्ट है कि आर्थिक सम्पन्नता, चिकित्सा एवं वैज्ञानिक उन्नति का सभी लोगों को फायदा नहीं मिल रहा। आज भी विकासशील देशों के लोग चेचक, हैजा, प्लेग तथा एड्स जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।

प्रश्न 22.
विश्व स्तर पर शिक्षा की समस्या पर नोट लिखें।
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व के सभी लोगों को शिक्षा देना भी एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। विश्व के अधिकांश देशों विशेषकर विकासशील देशों में बहुत अधिक निरक्षरता पाई जाती है। अशिक्षित व्यक्ति चालाक लोगों की बातों में आकर गलत कार्य करने लगते हैं। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ के एक महत्त्वपूर्ण अभिकरण यूनेस्को ने विश्व स्तर पर शिक्षा की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है।

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प्रश्न 23.
‘प्रवासन’ (माइग्रेशन) का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रवासन से हमारा अभिप्राय एक देश के अधिकाधिक लोगों के बेहतर जीवन, विशेष तौर पर आर्थिक अवसरों की तलाश में विकसित देशों या अन्य देशों की ओर पलायन है। परन्तु इससे प्रवासन तथा इससे सम्बन्धित अधिकारों की समस्याएं पैदा हो गई हैं। अधिकांश विकसित देश लगातार अपने प्रवासन कानूनों को जटिल बना रहे हैं ताकि प्रवासियों की संख्या को कम किया जा सके। इसके साथ-साथ प्रवासन के समय प्रवासियों को कई प्रकार के संकटों एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 24.
‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जो लोग अपना घर-बार छोड़कर राष्ट्रीय सीमा के अन्दर ही कहीं और रहते हों, उन्हें ‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ कहते हैं ।

प्रश्न 25.
मानव सुरक्षा का (Human Security) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मानव सुरक्षा का अर्थ है कि एक व्यक्ति की हर प्रकार से रक्षा की जाए, अर्थात् व्यक्ति की गरीबी, भूख, बेरोज़गारी तथा आतंक से रक्षा की जाए।

प्रश्न 26.
युद्ध से आप क्या अर्थ लेते हैं ? इसके क्या परिणाम होते हैं ?
उत्तर:
दो या दो से अधिक देशों के बीच विनाशकारी अस्त्रों-शस्त्रों से होने वाले झगड़े को युद्ध की संज्ञा दी जाती है। युद्ध के परिणामस्वरूप अत्यधिक विनाश एवं जान माल की क्षति होती है। युद्ध के कारण कई लोग विकलांगता के शिकार हो जाते हैं तथा महिलाएं विधवा हो जाती हैं। अधिकांश लोगों को कई प्रकार की बीमारियां जकड़ लेती हैं। युद्ध के परिणामस्वरूप शहर के शहर तथा गांव के गांव नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 27.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा कब की ? किन्हीं दो मानवाधिकारों के नाम लिखो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा 10 दिसम्बर, 1948 को की। दो महत्त्वपूर्ण मानवाधिकारों के नाम इस प्रकार हैं

  • जीवन की सुरक्षा तथा स्वतन्त्रता का अधिकार।
  • विवाह करने एवं पारिवारिक जीवन का अधिकार।

प्रश्न 28.
गठबन्धन मुख्य रूप से किस पर आधारित होता है ?
उत्तर:
गठबन्धन प्रायः राष्ट्रीय हितों पर आधारित होते हैं तथा राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबन्धन भी बदल जाते हैं।

प्रश्न 29.
परम्परागत सुरक्षा के किन्हीं चार तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा के चार तत्त्वों का उल्लेख इस प्रकार है

  • निःशस्त्रीकरण-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक निःशस्त्रीकरण है।
  • शस्त्र नियन्त्रण-शस्त्र नियन्त्रण द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।
  • सन्धियां-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटक नि:शस्त्रीकरण।
  • विश्वास बहाली–दो या दो से अधिक देशों द्वारा परस्पर विश्वास बहाली के प्रयासों द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 30.
वर्तमान में विश्व के समक्ष किन्हीं चार प्रमुख खतरों के नाम लिखें।
अथवा
किन्हीं चार विश्वव्यापी खतरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • अकाल, महामारी, प्राकृतिक आपदाओं,
  • अभाव तथा भय,
  • वैश्विक तापवृद्धि तथा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद,
  • एड्स तथा बर्ड फ्लू से खतरा है।

प्रश्न 31.
विश्वास बहाली की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
विश्वास की बहाली से हमारा अभिप्राय परस्पर प्रतिद्वंद्विता वाले राष्ट्रों के द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र का विश्वास प्राप्त करने के प्रयत्न करने से है। इसके द्वारा परस्पर विरोधी राष्ट्रों में हिंसात्मक गतिविधियों को कम किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत विभिन्न राष्ट्र सैन्य टकराव और प्रतिद्वंद्विता को टालने के उद्देश्य से सूचनाओं तथा विचारों का नियमित आदान-प्रदान करते हैं। ऐसे राष्ट्र अपने सैन्य उद्देश्य व लक्ष्य तथा सीमित मात्रा में सामरिक योजनाओं के विषय में भी जानकारी उपलब्ध करवाते हैं।

प्रश्न 32.
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ था?
उत्तर:
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला 13 दिसम्बर, 2001 को हुआ था।

प्रश्न 33.
भारत की सुरक्षा नीति के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत दक्षिण एशिया का एक महत्त्वपूर्ण देश है। भारत को पारम्परिक और अपारम्परिक दोनों प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। अत: भारत ने सरक्षा की दृष्टि से कछ महत्त्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

(1) भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को मज़बूत बनाया है तथा लगातार उसे आधुनिक बनाने में लगा हुआ है। भारत के दो महत्त्वपूर्ण पड़ोसियों के पास परमाणु हथियार हैं। अतः अपनी सुरक्षा के लिए भारत ने भी परमाणु हथियारों का निर्माण किया है।

(2) भारत ने सुरक्षा की दृष्टि से अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं कानूनों को और अधिक प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया है।

प्रश्न 34.
युद्ध की स्थिति में किसी देश के पास मुख्य विकल्प क्या होते हैं ?
उत्तर:

  • युद्ध के आक्रमणकारी देश को हराना।
  • समर्थक न होने पर आत्म-समर्पण कर देना।

वस्तुनिष्ठ

1. सुरक्षा का अर्थ है
(A) अधीनता से आजादी
(B) खतरे से आज़ादी
(C) समानता से आजादी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(B) खतरे से आज़ादी।

2. वर्तमान समय में मानव जाति को किससे खतरा है ?
(A) परमाणु हथियारों से
(B) आतंकवाद से
(C) प्राकृतिक आपदाओं से
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

3. 11 सितम्बर, 2001 को किस देश पर आतंकवादी हमला हुआ ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) रूस
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका।
उत्तर:
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका।

4. भारत के कितने पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं ?
(A) 2
(B) 4
(C) 5
(D) 6.
उत्तर:
(A) 2.

5. भारत समर्थन करता है ?
(A) युद्ध का
(B) निःशस्त्रीकरण का
(C) आतंकवाद का
(D) परमाणु हथियारों का।
उत्तर:
(B) नि:शस्त्रीकरण का।

6. व्यापक परमाणु परीक्षण सन्धि (C.T.B.T.) पर हस्ताक्षर करने की शुरुआत किस वर्ष हुई ?
(A) 1996
(B) 1998
(C) 2000
(D) 2002.
उत्तर:
(A) 1996.

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

7. भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ ?
(A) जनवरी, 2001
(B) मार्च, 2001
(C) जून, 2001
(D) दिसम्बर, 2001.
उत्तर:
(D) दिसम्बर, 2001.

8. विश्व की सुरक्षा को किससे खतरा है ?
(A) आतंकवाद से
(B) ग़रीबी से
(C) परमाणु शस्त्रों से
(D) उपरोक्त सभी से।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी से।

9. वैश्विक सुरक्षा को किससे खतरा है ?
(A) आतंकवाद से
(B) ग़रीबी से
(C) शस्त्रीकरण से
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

10. सीमित परमाणु परीक्षण संधि (L.T.B.T.) किस वर्ष की गई ?
(A) सन् 1963 में
(B) सन् 1965 में
(C) सन् 1970 में
(D) सन् 1975 में।
उत्तर:
(A) सन् 1963 में।

11. परमाणु अप्रसार संधि (N.P.T.) कब की गई ?
(A) सन् 1965 में
(B) सन् 1968 में
(C) सन् 1970 में
(D) सन् 1971 में।
उत्तर:
(B) सन् 1968 में।

12. शक्ति सन्तुलन स्थापित करने के तरीके हैं
(A) गठजोड़
(B) निःशस्त्रीकरण
(C) क्षतिपूर्ति
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

13. विश्व में उभरने वाला खतरे का नया स्त्रोत है
(A) एड्स
(B) आतंकवाद
(C) स्वाइन फ्लू
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

14. किस देश ने अभी तक ‘व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि’ (C.T.B.T.) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं?
(A) ब्रिटेन
(B) फ्रांस
(C) भारत
(D) अमेरिका।
उत्तर:
(C) भारत।

15. “सुरक्षा का अर्थ है शान्ति के खतरे से निपटने के लिए उपाय करना।” यह कथन किसका है ?
(A) लॉस्की
(B) पामर व परकिन्स
(C) सेबाइन
(D) बेंथम।
उत्तर:
(B) पामर व परकिन्स।

16. निम्नलिखित सैन्य संगठन अभी भी मौजूद है :
(A) नाटो (NATO)
(B) सीटो (SEATO)
(C) वारसा पैक्ट (Warsaw Pact)
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) नाटो (NATO).

17. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा मानव-अधिकारों की घोषणा कब की गई ?
(A) 10 दिसम्बर, 1948 को
(B) 15 अगस्त, 1947 को
(C) 24 अक्तूबर, 1945 को
(D) 1 मई, 1950 को।
उत्तर:
(A) 10 दिसम्बर, 1948 को।

18. ‘आतंकवाद’ सुरक्षा के लिये किस प्रकार का खतरा है ?
(A) परम्परागत खतरा
(B) अपरम्परागत खतरा
(C) उपरोक्त दोनों
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(B) अपरम्परागत खतरा।

19. “अन्तिम ग़रीबी समस्त मानव समुदाय के लिए बड़ी समस्या है।” यह कथन किसका है ?
(A) बान की मून
(B) कौफी अन्नान
(C) पं० नेहरू
(D) सरदार पटेल।
उत्तर:
(B) कौफी अन्नान।

20. निम्नलिखित में से कौन-सा सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का उपाय नहीं है ?
(A) प्रतिरक्षा
(B) शक्ति सन्तुलन
(C) असीमित सत्ता
(D) नि:शस्त्रीकरण।
उत्तर:
(C) असीमित सत्ता।।

21. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पुलवामा में आतंकी हमला कब किया ?
(A) 14 फरवरी, 2019
(B) 4 फरवरी, 2018
(C) 14 फरवरी, 2017
(D) 14 फरवरी, 2016.
उत्तर:
(A) 14 फरवरी, 2019.

22. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकाने बालाकोट पर कब हमला किया ?
(A) 26 फरवरी, 2019
(B) 26 फरवरी, 2018
(C) 26 फरवरी, 2017
(D) 26 फरवरी, 2016.
उत्तर:
(A) 26 फरवरी, 2019.

23. आन्तरिक सुरक्षा को कौन-सा तत्व प्रभावित करता है ?
(A) अलगाववाद
(B) आतंकवाद
(C) भूमि-पुत्र का सिद्धान्त
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

24. भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना कब हुई ?
(A) 1993 में
(B) 1994 में
(C) 1990 में
(D) 1996 में।
उत्तर:
(A) 1993 में।

25. मानववाद के प्रति भारत का दृष्टिकोण
(A) सकारात्मक रहा है
(B) विरोधी रहा है
(C) उदासीन रहा है
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) सकारात्मक रहा है।

26. निम्नलिखित में से कौन-सा सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का उपाय नहीं है?
(A) प्रतिरक्षा
(B) शक्ति सन्तुलन
(C) असीमित सत्ता
(D) निःशस्त्रीकरण।
उत्तर:
(C) असीमित सत्ता।

27. भारत ने प्रथम परमाणु परीक्षण कब किया?
(A) 1974 में
(B) 1978 में
(C) 1980 में
(D) 1985 में।
उत्तर:
(A) 1974 में।

28. निम्न में से एक विश्वव्यापी खतरा है ?
(A) आतंकवाद
(B) वैश्विक तापवृद्धि
(C) विश्वव्यापी ग़रीबी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

29. सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा का अभिप्राय है ?
(A) शक्ति सन्तुलन
(B) सैन्य संगठनों का निर्माण
(C) निःशस्त्रीकरण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

30. संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा की।
(A) सन् 1945 में
(B) सन् 1947 में
(C) सन् 1948 में
(D) सन् 1950 में।
उत्तर:
(C) सन् 1948 में।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

31. भारत समर्थन करता है।
(A) युद्ध का
(B) आतंकवाद का
(C) परमाणु हथियारों का
(D) नि:शस्त्रीकरण का।
उत्तर:
(D) नि:शस्त्रीकरण का।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) सुरक्षा का अर्थ ……………. से आजादी है।
उत्तर:
खतरे

(2) भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला सन् ……….. में हुआ।
उत्तर:
2001

(3) भारत की गरीबी का एक मुख्य कारण उसकी ………… जनसंख्या है।
उत्तर:
बढ़ती

(4) भारत निःशस्त्रीकरण का ………… करता है।
उत्तर:
समर्थन

(5) विश्व में …………. ‘मानव अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर:
10 दिसम्बर

(6) भारत की ग़रीबी का मुख्य कारण उसकी बढ़ती हुई ………….. है।
उत्तर:
जनसंख्या

(7) …………… वैश्विक सुरक्षा के लिए एक खतरा है।
उत्तर:
आतंकवाद

(8) विश्व में …………… अपनी सुरक्षा पर सबसे अधिक धन खर्च करता है।
उत्तर:
अमेरिका।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा कब की ?
उत्तर:
10 दिसम्बर, 1948 को।

प्रश्न 2.
वर्तमान में विश्व के समक्ष प्रमुख खतरा कौन-सा है ?
उत्तर:
आतंकवाद।

प्रश्न 3.
क्या एड्स व बर्ड-फ्लू विश्व-सुरक्षा के लिए कोई खतरा है या नहीं ?
उत्तर:
एड्स व बर्ड-फ्लू विश्व-सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा है।

प्रश्न 4.
विश्व सुरक्षा का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
विश्व सुरक्षा का अर्थ है, विश्व की खतरों से मुक्ति।

प्रश्न 5.
‘क्षेत्रीय सुरक्षा’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष की रक्षा को क्षेत्रीय सुरक्षा कहा जाता है।

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किस प्रकार के जनन में अधिक सफल विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर-
लैंगिक जनन में अधिक सफल विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 2.
प्राणी की दूसरी पीढ़ी में क्या विशेषताएँ दिखाई देती हैं?
उत्तर-
अपने से पहली पीढ़ी से प्राप्त विभिन्नताएँ तथा उनसे कुछ नई विभिन्नताएँ, दूसरी पीढ़ी में दिखाई देती हैं।

प्रश्न 3.
जैव विकास प्रक्रम का आधार क्या बनता
उत्तर-
पर्यावरण द्वारा उत्तम परिवर्त (variants) ।

प्रश्न 4.
क्या सभी स्पीशीज में सभी विभिन्नताओं के अस्तित्व बने रहने की सम्भावना एक समान होती है?
उत्तर-
नहीं, प्रकृति के अनुसार विभिन्नताएँ अलगअलग होंगी।

प्रश्न 5.
मानव के लक्षणों की वंशानुगति का नियम किस बात पर आधारित है?
उत्तर-
माता और पिता दोनों समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ अपनी सन्तान को स्थान्तरित या संचरित करते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 6.
मेण्डल के एक प्रयोग में बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधों का संकरण सफेद पुष्यों वाले मटर के पौधों से कराया गया। F1 संतति में क्या परिणाम प्राप्त होंगे? (CBSE 2018)
उत्तर-मेण्डल के प्रयोगानुसार जब बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधों का संकरण सफेद पुष्पों वाले मटर के पौधों से करवाया जाएगा तो F, संतति में सभी बैंगनी रंग के पुष्पों वाले मटर के पौधे प्राप्त होंगे।

प्रश्न 7.
मेण्डल ने लम्बे मटर के पौधे और बौने मटर के पौधे लिए और इनमें संकरण द्वारा F1 संतति उत्पन्न की। उन्होंने इस संतति F2 में क्या प्रेक्षण किया? (CBSE 2018)
उत्तर-
F1 संतति के सभी मटर के पौधे लम्बे होंगे।

प्रश्न 8.
प्रभाविता क्या है?
उत्तर-
प्रथम पीढ़ी में प्रदर्शित लक्षण, प्रभाविता कहलाता है।

प्रश्न 9.
अप्रभाविता क्या है?
उत्तर-
प्रथम पुत्रीय पीढ़ी में छिपा रहने वाला लक्षण अप्रभाविता है।

प्रश्न 10.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सा लक्षण प्रभावी है व कौन सा अप्रभावी है ?
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 1
पुष्प का गुलाबी रंग प्रभावी लक्षण है एवं सफेद रंग अप्रभावी है।

प्रश्न 11.
प्रोटीन का जीन क्या है?
उत्तर-
डी.एन.ए. का वह भाग जिसमें किसी प्रोटीन के संश्लेषण के लिए सूचना होती है, उसे प्रोटीन का जीन कहते हैं।

प्रश्न 12.
प्रत्येक कोशिका में गुणसूत्र की कितनी प्रतिकृति होती हैं?
उत्तर-
दो प्रतिकृति। एक नर से तथा दूसरी मादा से प्राप्त होती है।

प्रश्न 13.
पुरुषों में कौन-से लैंगिक गुणसूत्र पाये जाते
उत्तर-
पुरुषों में लैंगिक गुणसूत्र X तथा Y होते हैं।

प्रश्न 14.
स्त्रियों में कौन-से लैंगिक गुणसूत्र होते
उत्तर-
स्त्रियों में लैंगिक गुणसूत्र XX होते हैं।

प्रश्न 15.
यदि पक्षी हरी पत्तियों की झाड़ियों में लाल एवं हरे ,गों में से हरे भृगों को न देख सकें तो परिणाम क्या होगा?
उत्तर-
हरे ,गों की संतति लगातार बढ़ती जाएगी और लाल ,गों की संख्या लगातार कम होती जाएगी।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 16.
जैव विकास की परिकल्पना का सार क्या है?
उत्तर-
किसी समष्टि में कुछ जीवों की आवृत्ति पीढ़ियों में बदल जाती है।

प्रश्न 17.
अभिलक्षण क्या है ?
उत्तर-
विशेष स्वरूप या विशेष प्रकार्य अभिलक्षण कहलाता है।

प्रश्न 18.
लैंगिक कोशिकाओं के डी. एन. ए. में कौन-से परिवर्तन नहीं किए जा सकते हैं?
उत्तर-
कायिक ऊतकों में होने वाले परिवर्तन।

प्रश्न 19.
किन दो वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के आधार पर सिद्ध किया था कि जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेषण हुआ था जो जीवन के लिए आवश्यक थे ?
उत्तर-
स्टेनले मिलर तथा हेराल्ड यूरे ने।

प्रश्न 20.
अभिलक्षण के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-

  1. पौधों में श्वसन होता है।
  2. हमारे दो हाथ तथा दो पैर होते हैं।

प्रश्न 21.
जीवाश्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-
चट्टानों में जीवधारियों के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं।

प्रश्न 22.
समजात अंगों का एक उदाहरण लिखिए। (मा. शि. बो. 2012)
उत्तर-
पक्षी के पंख तथा मनुष्य का हाथ।

प्रश्न 23.
समवृत्ति अंगों का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
पक्षियों के पंख तथा तितली के पंख।

प्रश्न 24.
आनुवंशिकता किसे कहते हैं?
उत्तर-
जीवों में जनकीय लक्षणों के पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत होने को आनवंशिकता कहते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 25.
विभिन्नता किसे कहते हैं?
उत्तर-
समान माता-पिता और समान जाति होने पर भी सन्तानों में रंग-रूप, बुद्धिमत्ता, कद आदि में अन्तर पाया जाता है। इसे विभिन्नता कहते हैं।

प्रश्न 26.
किसी परिवार में लड़कियों का बार-बार उत्पन्न होना कई लोगों की दृष्टि में माँ के कारण होता है। क्या आप इस बात से सहमत हैं?
उत्तर-
नहीं, क्योंकि लिंग का निर्धारण पिता के गुणसूत्रों के कारण होता है।

प्रश्न 27.
बायोजेनेटिक नियम क्या है?
उत्तर-
जीव-जन्तु भ्रूण-विकास के समय अपने पूर्वजों के जातीय विकास की उत्तरोत्तर अवस्थाओं को दर्शाते हैं। इसे बायोजेनेटिक नियम कहते हैं।

प्रश्न 28.
सरीसृपों तथा स्तनधारियों के बीच संयोजक कड़ी का नाम लिखिए।
उत्तर-
बत्तख चौंच प्लेटीपस (Duckbilled Platepus)।

प्रश्न 29.
मानव शरीर में उपस्थित कुछ अवशेषी अंगों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर-

  • निमेषक पटल की झिल्ली।
  • अकल दाढ़।
  • पुरुषों में चूचुक व छाती के बाल।

प्रश्न 30.
उत्परिवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर-
जीवधारियों में अकस्मात होने वाले परिवर्तनों को उत्परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 31.
फॉसिल डेटिंग क्या है? (RBSE 2016)
उत्तर-
वह विधि जिसके द्वारा जीवाश्मों की आयु का निर्धारण किया जाता है, फॉसिल डेटिंग कहलाती है।

प्रश्न 32.
जंगली गोभी से किन-किन सब्जियों का विकास हुआ?
उत्तर-
पत्तागोभी, फूलगोभी, केल।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 33.
मनुष्य का जन्तु वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर-
होमो सेपियन्स (Homo sapiens)।

प्रश्न 34.
जीन्स कहाँ स्थित होते हैं? उत्तर-गुणसूत्रों पर। प्रश्न 35. अर्धगुणसूत्र किसे कहते हैं?
उत्तर-
कोशिका विभाजन की मध्यावस्था के समय गुणसूत्रों के लम्बाई में विभाजित होने पर बने गुणसूत्रों को अर्धगुणसूत्र कहते हैं।

प्रश्न 36.
ट्रांसजीनी जीव किसे कहते हैं?
उत्तर-
ऐसे जीवधारी जो एक बाह्य डी.एन.ए. से जीन धारण करते हैं उन्हें ट्रांसजीनी जीव या आनुवंशिक रूपांतरित जीव कहते हैं।

प्रश्न 37.
एक संकर प्रसंकरण से आप क्या समझते
उत्तर-
जिस प्रसंकरण में केवल एक ही जोड़ी लक्षणों का चयन किया जाता है, एक संकर प्रसंकरण कहलाता है।

प्रश्न 38.
ए.आई.ओपेरिन ने कौन-सा मत प्रस्तुत किया था?
उत्तर-
ए. आई. ओपेरिन के अनुसार जीवन का उद्भव समुद्र के अन्दर रासायनिक पदार्थों के संयोजन से हुआ।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जैव विविधता क्या है? इसके विभिन्न स्तर कौन से हैं ?
उत्तर-
जैव विविधता (Biodiversity)-पृथ्वी पर जन्तुओं एवं पेड़-पौधों की लाखों प्रजातियाँ पायी जाती हैं। इन सभी में संरचनात्मक एवं क्रियात्मक अन्तर पाए जाते हैं, इन अन्तरों को ही जैव विविधता कहते हैं।

जैव विविधता के विभिन्न स्तर निम्नलिखित हैं-

  • आनुवंशिक विविधता
  • प्रजाति विविधता
  • पारितान्त्रिक विविधता।।

प्रश्न 2.
जीवों में विभिन्नताएँ किस प्रकार उत्पन्न होती
उत्तर-
जीवों में विभिन्नताएँ निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होती हैं

  1. अन्तर्निहित प्रवृत्ति-लैंगिक जनन के दौरान पैतृक गुणसूत्र एवं मातृक गुणसूत्रों के बीच जीन विनिमय होता है इस दौरान युग्मक बनते समय कुछ परिवर्तन उत्पन्न हो जाते हैं इसलिए लैंगिक जनन में विविधता अन्तर्निहित हो जाती है।
  2. DNA की प्रतिकृति बनाने में उत्परिवर्तन-DNA की प्रतिकृति बनते समय इसमें कुछ त्रुटि रह जाती है। इसके फलस्वरूप संतति जीव में अत्यधिक विविधता उत्पन्न होती

प्रश्न 3.
आनुवंशिकता की परिभाषा लिखिए। आनुवंशिकता के सम्बन्ध में मेण्डल का क्या योगदान है?
उत्तर-
जीव-विज्ञान की वह शाखा जिसमें एक जीव के लक्षणों का उसकी संतति में वंशागत होने तथा उसमें उत्पन्न विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। ग्रेगर जॉन मेण्डल ने मटर के पौधों पर अपने प्रयोग किये तथा वंशागति के नियम प्रतिपादित किए। उन्होंने अपने कार्यों को सन् 1866 में “ब्रुन सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री” में प्रकाशित कराया। मेण्डल के कार्यों के आधार पर उन्हें आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 4.
मेण्डल के कार्य का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर-
आस्ट्रिया के निवासी ग्रेगर जॉन मेण्डल (18221884) ने गिरजाघर के उद्यान में मटर के पौधों पर अनेकों प्रयोग किये। उन्होंने मटर के सात जोड़ी विपर्यासी लक्षणों को चुना, जैसे-पौधे की ऊँचाई, पुष्प का रंग, बीज की आकृति, पुष्पों की स्थिति, बीजों का रंग, फली का आकार, तथा फली का रंग। मेण्डल ने विभिन्न गुणों के पौधों के बीच संकरण के प्रयोग किये तथा तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पौधों में पाये जाने वाले लक्षणों का नियन्त्रण विशेष इकाइयों (कारक) द्वारा होता है। ये कारक ही बाद में ‘जीन’ कहलाए। मेण्डल के योगदान के आधार पर इन्हें आनुवंशिकी का पिता या जनक कहते हैं।

प्रश्न 5.
मेण्डल के आनुवंशिकता के प्रभाविता (प्रबलता) के नियम को समझाइए। (CBSE 2020)
उत्तर-
प्रभाविता का नियम-जब एक जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले पौधों के बीच संकरण कराया जाता है तो प्रथम पीढ़ी में इनमें से केवल एक लक्षण परिलक्षित अथवा प्रकट होता है तथा दूसरा छिप जाता है। प्रकट होने वाला लक्षण प्रभावी तथा छिपा हुआ लक्षण अप्रभावी होता है। समयुग्मजी समयुग्मजी पैतृक (शुद्ध लंबे पौधे) ।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 2

प्रश्न 6.
उस पादप का नाम लिखिए जिसका उपयोग मेण्डल ने अपने प्रयोगों में किया था। जब उन्होंने लम्बे और बौने पादपों का संकरण कराया तो उन्हें F1, और F2, पीढ़ियों में संततियों के कौन से प्रकार प्राप्त हुए? F2 पीढ़ी में उन्हें प्राप्त पौधों में अनुपात लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में मटर (pisum sativum) के पादप का उपयोग किया। F1 पीढ़ी में सभी पादप लम्बे तथा F2 पीढ़ी में लम्बे तथा बौने दोनों प्रकार के पादप प्राप्त हुए। चूँकि F2 पीढ़ी में 3 पादप लम्बे तथा 1 पादप छोटा प्राप्त हुआ इसलिए F2 पीढ़ी में प्राप्त पादपों का अनुपात 3 : 1 है। .
अथवा
प्रत्येक का एक-एक उदाहरण देते हुए उपार्जित और आनुवंशिक लक्षणों के बीच दो अन्तरों की सूची बनाइए।
उत्तर-

उपार्जित लक्षणआनुवंशिक लक्षण
(i) ये लक्षण जीव द्वारा अपने जीवनकाल में अपने शरीर में विकसित किये जाते हैं।ये लक्षण जीव को अपने माता-पिता से आनुवांशिक रूप में प्राप्त होते हैं।
(ii) ये लक्षण जनन कोशि- काओं के जीनों में परिवर्तन नहीं लाते हैं।ये लक्षण जनन कोशि काओं के जीनों में परिवर्तन लाते हैं।
(iii) उदाहरण : लम्बे समय तक भूखे रहने के कारण शरीर के भार में कमी होना।उदाहरण : बालों का रंग, आँख की पुतली का रंग।

प्रश्न 7.
किसी एकल जीव द्वारा अपने जीवनकाल में उपार्जित लक्षण अगली पीढ़ी में वंशानुगत क्यों नहीं होते? व्याख्या कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
एक जीव के ऐसे लक्षण (अथवा विशेषता) जो वंशानुगत नहीं होते परंतु वातावरण की प्रतिक्रियास्वरूप उसके द्वारा अपने जीवनकाल में उपार्जित किए जाते हैं, उपार्जित लक्षण कहलाते हैं। जीव के उपार्जित लक्षण उसकी भावी पीढ़ियों में वंशानुगत नहीं होते क्योंकि ये लक्षण उस व्यक्ति या जीव की जनन कोशिकाओं के डी.एन.ए. में परिवर्तन नहीं ला पाते।
उदाहरण : एक खिलाड़ी द्वारा अपने खेल को खेलने के लिए अपनी मांसपेशियों को विशेष प्रकार से तैयार करना। ऐसे लक्षणों को उपार्जित लक्षण कहते हैं।

प्रश्न 8.
किसी दिए गए हरे तने वाले गुलाब के पौधे को GG से दर्शाया गया है तथा भूरे तने वाले गुलाब के पौधे को gg से दर्शाया गया है। इन दोनों पौधों के बीच संकरण कराया गया है।
(a) नीचे दिए गए अनुसार अपने प्रेक्षणों की सूची बनाइए :
(i) इनकी F1 संतति में तने का रंग,
(ii) यदि F1 संतति के पौधों का स्व:परागण कराया जाए तो F2 संतति में भूरे तने वाले पौधों की प्रतिशतता,
(iii) F2 संतति में GG और Gg का अनुपात।
(b) इस संकरण की जांच के आधार पर निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
उत्तर-
(a)
(i) F1 संतति में तने का रंग हरा होगा।
(ii) F2 संतति में भूरे तने वाले पौधे की प्रतिशतता 25% होगी।
(iii) F2 संतति में GG और Gg का अनुपात 1 : 2 होगा।

(b) इस संकरण के आधार पर हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि गुलाब के पौधे में तने का हरे रंग का लक्षण प्रभावी लक्षण है जबकि तने के भूरे रंग का लक्षण अप्रभावी लक्षण है। ये दोनों लक्षण एक-दूसरे में समाते नहीं हैं परन्तु अगली संतति में एक-दूसरे से अलग-अलग हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
एक जीनी वंशागति तथा बहुजीनी वंशागति में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
एक जीनी वंशागति तथा बहुजीनी वंशागति में अन्तर-

एक जीनी वंशागतिबहुजीनी वंशागति
1. एक जोड़ी जीन के माध्यम से एक जीनी वंशागति बनती है।1. अनेक जोड़ी जीनों के माध्यम से बहुजीनी वंशागति बनती है।
2. जनक स्पष्टतः दो लक्षण प्ररूपी वर्गों के अन्तर्गत आते हैं।2 शद्ध नस्ल वाले नक दो लक्षण प्ररूपी वर्गों के अन्तर्गत आते हैं।
3. प्रथम पीढ़ी की सभी संततियों में केवल प्रभावी लक्षण दिखाई देते हैं क्योंकि एक जीन पूर्ण रूप से दूसरे जीन पर प्रभावी होते हैं।3. प्रथम पीढ़ी की संततियाँ किसी भी जनक के साथ मिलती-जुलती नहीं होती वरन् उनमें मध्यवर्ती लक्षण दिखाई देते हैं।

प्रश्न 10.
पौधों में मात्रात्मक वंशागति सम्बन्धी एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
इसके लिए नर एवं मादा पौधों या पुष्पों का चयन किया जा सकता है। कृत्रिम परागण द्वारा उनके निषेचन का नियन्त्रण भी किया जा सकता है। प्रत्येक संकरण से असंख्य संततियाँ उत्पन्न होती हैं। अतः परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण करना आसान हो जाता है। गेहूँ के दानों का रंग गहरे लाल रंग से सफेद रंग के बीच मध्यवर्ती रंग, तीन जोड़ी जीनों के कारण उत्पन्न होता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 11.
नयी जाति (स्पीशीज़) के उद्भव में कौन-से कारक सहायक हैं? समझाइए। [राज. 2015]
उत्तर-
नयी जाति के उद्भव में निम्नलिखित कारक सहायक हैं-

  • लैंगिक प्रजनन के फलस्वरूप उत्पन्न परिवर्तन
  • आनुवंशिक अपवहन
  • प्राकृतिक चयन
  • दो उपसमष्टियों का एक-दूसरे से भौगोलिक प्रथक्करण। इसके कारण समष्टियों के सदस्य परस्पर प्रजनन नहीं कर पाते।

प्रश्न 12.
बहुभुक्षण (Starvation) के कारण यदि किसी प्राणी के भार में अत्यधिक कमी आ जाती है तो क्या इस कारण से उसकी अगली पीढ़ी पर इसका कोई विपरीत प्रभाव पड़ेगा? क्यों?
उत्तर-
यदि बहुभुक्षण (भोजन की कमी) के कारण किसी प्राणी के भार में अत्यधिक कमी आ जाती है तो उसकी अगली पीढ़ी पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इसका प्रभाव केवल कायिक ऊतकों पर ही होगा और कायिक ऊतकों पर होने वाले परिवर्तन लैंगिक कोशिकाओं के DNA में वंशागत नहीं होते हैं। अत: बहुभुक्षण का अगली पीढ़ी पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 13.
उत्परिवर्तन किसे कहते हैं? ये जैव विकास में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर-
जीवों में अकस्मात् लक्षणों में होने वाले परिवर्तनों को उत्परिवर्तन कहते हैं। उत्परिवर्तन वंशागत होते हैं तथा इनके द्वारा नई-नई जातियों की उत्पत्ति होती है। ह्यूगो डी वीज के उत्परिवर्तन सिद्धान्त के अनुसार नई जातियों की उत्पत्ति छोटी-छोटी क्रमिक भिन्नताओं के कारण नहीं होती बल्कि उत्परिवर्तन के फलस्वरूप नई जातियों की उत्पत्ति होती है। जैव विकास का मूल आधार विभिन्नताएँ होती हैं। विभिन्नताएँ पर्यावरण के प्रभाव से या जीन ढाँचों में परिवर्तन के फलस्वरूप उत्पन्न होती हैं। ह्यूगो डी वीज ने. वंशागत विभिन्नताओं की उत्पत्ति का मूल कारण उत्परिवर्तन को बताया। अत: उत्परिवर्तन जैव विकास में सहायक होते |

प्रश्न 14.
डार्विन कौन थे? उन्होंने जैव विकास के अध्ययन के सम्बन्ध में क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
चार्ल्स डार्विन (1809-1882) ब्रिटेन के एक प्रसिद्ध प्रकृतिवादी वैज्ञानिक थे। उन्होंने 22 वर्ष की उम्र में बीगल नामक जहाज पर विभिन्न देशों के विभिन्न जीवजन्तुओं का अध्ययन किया। उन्होंने विकास के सम्बन्ध में प्राकृतिक वरण (Natural selection) का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। उन्होंने 1859 में जैव विकास के सम्बन्ध में एक लेख अपनी पुस्तक प्राकृतिक वरण द्वारा जातियों की उत्पत्ति में प्रकाशित किया।

प्रश्न 15.
“अध्ययन के दो क्षेत्र-‘विकास’ और ‘वर्गीकरण’ परस्पर जुड़े हैं।” इस कथन की पुष्टि कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
जीवों का वर्गीकरण उनकी कुछ मिलती-जुलती समानताओं तथा अंतरों पर आधारित है। जीवों की समानता उनके समूह निर्माण में सहायक है। समूहों से उनका वर्गीकरण सरलता से किया जा सकता है। कुछ जीवों में कुछ आधारभूत विशेषताएँ समान हो सकती हैं। दो संततियों में जितनी विशेषताएँ समान होंगी, वे संततियाँ उतनी ही निकटता से एक-दूसरे से संबंधित होंगी। जितना निकट संबंध उन दोनों संततियों में होगा उससे उनके एक ही पूर्वज के होने का प्रमाण मिलेगा। अतः हम यह कह सकते हैं कि संततियों का वर्गीकरण उनके जैव-विकासीय संबंधों को दर्शाता है।

प्रश्न 16.
समजात संरचनाएँ क्या होती हैं? कोई उदाहरण दीजिए। क्या यह आवश्यक है कि समजात संरचनाओं के पूर्वज सदैव ही समान हों? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
समजात संरचनाएँ-वे अंग जो मूल रूप से अलग-अलग जीवों में एक जैसी संरचना वाले होते हैं, परन्तु उनमें उनके कार्य अलग-अलग होते हैं, समजात संरचनाएँ कहलाती हैं।
उदाहरण-मनुष्य की बाज, मेंढक की अगली टांगें, घोड़े की अगली टांगें आदि।हाँ, यह आवश्यक है कि समजात संरचनाओं वाले विभिन्न प्रकार के जीवों के पूर्वज सदैव समान होते हैं क्योंकि ऐसे जीव जैव विकास होने के कारण एक -दूसरे से अलग प्रकार के जीव बन गए, परन्तु अपने समान पूर्वजों के समजात अंगों को उसी रूप में अपनी अगली पीढ़ियों में ले जाते चले गए हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 17.
(a) निम्नलिखित का समजात अंग और समरूप अंग में वर्गीकरण कीजिए :
(i) ब्रोकोली और पत्तागोभी
(ii) अदरक और मूली
(iii) पक्षी की अग्रबाहु और छिपकली की अग्रबाहु
(ii) चमगादड़ के पंख और पक्षी के पंख।
(b) उस प्रमुख लक्षण का उल्लेख कीजिए जो दिए गए अंगों के युगल का वर्गीकरण समजात अथवा समरूप अंगों में करता है।
(CBSE 2020)
उत्तर-
(a)

  • ब्रोकोली और पत्तागोभी समजात अंग हैं।
  • अदरक और मूली समरूप अंग हैं।
  • पक्षी की अग्रबाहु और छिपकली की अग्रबाहु समजात अंग हैं।
  • चमगादड़ के पंख और पक्षी के पंख समरूप अंग हैं।

(b) यदि दो अलग-अलग जीवों में किसी अंग की मूल संरचना एक जैसी होती है, परन्तु वह कार्य अलग करते हैं तो वे समजात अंग होंगे। यदि दो अलग-अलग जीवों में किसी अंग की मूल संरचना अलग-अलग है, परन्तु वह अंग उन जीवों में कार्य एक जैसा करते हैं तो वे समरूप अंग होंगे।

प्रश्न 18.
“व्यक्ति-वृत्त में जाति-वृत्त की पुनरावृत्ति होती है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
जीवधारी के भ्रूणीय परिवर्तन के समय उसके विकास क्रम की पुनरावृत्ति होती है अतः इसे पुनरावृत्ति का सिद्धान्त (Recapitulation theory) कहते हैं। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन अर्नेस्ट हेकल ने किया। इसके अनुसार, जीवधारी व्यक्ति वृत्त (भ्रूणीय विकास) में पूर्वजों के विकासीय इतिहास को दोहराता है। उदाहरण के लिए, किसी स्तनधारी भ्रूण के परिवर्तन के समय भ्रूणावस्था पहले मछली से, फिर उभयचर से तथा उसके बाद सरीसृप से मिलती है। हेकल के अनुसार, प्रत्येक जीव भ्रूण परिवर्तन या व्यक्ति वृत्त मे जाते-वृत्त की पुनरावृत्ति करता है। इस सिद्धान्त को हैकल का प्रजाति-आवर्तन नियम भी कहते हैं।

प्रश्न 19.
समजात तथा समवृत्ति अंगों में उदाहरण सहित अन्तर लिखिए। (नमूना प्र. प. 2012, CBSE 2015)
उत्तर-
समजात तथा समवृत्ति अंगों में अन्तर-

समजातसमवृत्ति अंग
(i) ये अंग उत्पत्ति तथा मूल रचना में एक समान होते है।ये अंग उत्पत्ति तथा मूल रचना में भिन्न होते हैं।
(ii) इन अंगों की कार्यिकी आकारिकी में अन्तर होता हैं।इन अंगों की कार्यिकी समान होने के कारण ये समान दिखाई देते हैं।
(ii) इनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं।इनके कार्य समान हो सकते हैं।
उदाहरण-मेंढ़क के अग्र पाद, पक्षी के पंख तथा मनुष्य के हाथ।उदाहरण-पक्षी तथा कीट के पंख।

प्रश्न 20.
समजात तथा समवृत्ति अंगों के चित्र द्वारा उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 3

प्रश्न 21.
आर्कियोप्टेरिक्स को सरीसृप तथा पक्षी वर्ग के बीच की कड़ी क्यों माना जाता है?
उत्तर-
आर्कियोप्टेरिक्स में सरीसृप तथा पक्षियों दोनों के लक्षण समान पाये जाते थे। इसलिए इसे संयोजक कड़ी माना जाता है।

यह लक्षण निम्न प्रकार से हैं सरीसृपों के लक्षण-

  • इनकी पूँछ लम्बी होती थी।
  • जबड़े में दाँत उपस्थित थे।
  • लम्बे नुकीले नखरयुक्त तीन उँगलियाँ थीं।
  • शरीर छिपकली के समान था।

पक्षियों के गुण –

  • शरीर पर पंख उपस्थित थे
  • चोंच उपस्थित थी।
  • अग्र पाद पक्षियों की भाँति थे।

प्रश्न 22.
गोभी का रूपान्तरण विभिन्न सब्जियों में कैसे हुआ? समझाइए।
उत्तर-
लगभग 2000 वर्ष पूर्व से ही मनुष्य जंगली गोभी को एक खाद्य पौधे के रूप में उगाता रहा है। जंगली गोभी से ही मनुष्य ने चयन द्वारा विभिन्न सब्जियों को विकसित किया है। यह वास्तव में प्राकृतिक वरण न होकर कृत्रिम चयन था। कुछ किसान चाहते थे कि इसकी पत्तियाँ पास-पास हों, फलस्वरूप पत्ता गोभी का कृत्रिम चयन किया गया। कुछ किसान पुष्पों की ऊँचाई को रोकना चाहते थे अतः फूल गोभी विकसित हुई। कुछ ने फूले हुए तने के भाग का चयन किया जिससे गाँठ गोभी विकसित हुई। इसके अलावा कुछ लोगों ने चौड़ी पत्तियों का चयन किया जिससे ‘केल’ नामक सब्जी की उत्पत्ति हुई। .विकास को प्रगति के समान नहीं मानना चाहिए।

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प्रश्न 23.
क्या ऐसा मानना उचित होगा कि मानव का विकास चिम्पैंजी से हुआ?
उत्तर-
नहीं, यह मानना उचित नहीं है। बहुत समय पूर्व मानव और चिम्पैंजी के पूर्वज एक समान थे या एक ही थे। वे पूर्वज न तो मानव जैसे थे और न ही चिम्पैंजी जैसे। एक ही पूर्वज से आदि मानव और आदि चिम्पैंजी का विकास हुआ था। समय एवं परिस्थितियों के अनुसार आदि मानव से आधुनिक मानव और आदि चिम्पैंजी से आधुनिक चिम्पैंजी का विकास हुआ।

प्रश्न 24.
जैव विकास हुआ है इसे निम्नलिखित द्वारा कैसे प्रमाणित किया जा सकता है? प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए : (CBSE 2018, RBSE 2016)
(a) समजात अंग;
(b) समरूप अंग;
(c) जीवाश्म
उत्तर-
(a) समजात अंग-वे अंग जिनकी मूल संरचना अलग-अलग जीवों में एक जैसी होती है परन्तु इनका इन जीवों में कार्य भिन्न-भिन्न होता है।
उदाहरण-मनुष्य की बांहे, घोड़े व शेर आदि की अगली टांगें एक-दूसरे के समजात अंग हैं। इनके बुनियादी ढाँचे से पता चलता है कि ये एक ही पूर्वजों से विकसित हुए हैं।

(b) समरूप अंग-वे अंग, जो अलग-अलग जीवों में कार्य तो एक जैसा करते हैं परन्तु उनकी मूल संरचना एक-दूसरे से भिन्न होती है, समरूप अंग कहलाते हैं।
उदाहरण-पक्षियों, चमगादड़ों तथा कीटों के पंख समरूप अंग हैं। इन अंगों के अध्ययन से पता चलता है कि इनमें तो समानता है परन्तु इनके डिज़ाइन और संरचना बहुत अलग है।

(c) जीवाश्म-लुप्त हुए जीवों के अंगों के कुछ अवशेष अथवा चट्टानों पर पाये जाने वाले उनके अंगों के छाप जीवाश्म कहलाते हैं। जीवाश्मों के अध्ययन से जैव विकास होने के प्रमाण मिलते हैं तथा यह पता चलता है कि सरल जीवों से ही जटिल जीवों का विकास हुआ है। उदाहरण-आर्कियोप्टेरिक्स जीवाश्म के अध्ययन से यह ज्ञात हुआ कि उसमें कुछ गुण सरीसृप वर्ग के तथा कुछ गुण पक्षी वर्ग के विकसित हुए थे। इससे पता चलता है कि पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
जाति उद्भवन से क्या तात्पर्य है? जाति उद्भवन के लिए उत्तरदायी चार कारकों की सूची बनाइए। इनमें से कौन स्वपरागित स्पीशीज़ के पादपों के जाति उद्भवन का प्रमुख कारक नहीं हो सकता? अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
एक जाति के जीवों में जैव विकास में हुए परिवर्तनों के कारण, एक नई जाति के जीवों के बनने को जाति उद्भव कहते हैं।
जाति उद्भव के चार कारक :

  1. एक ही जाति के जीवों में परिवर्तनशील वातावरण में रहने के लिए अपने शरीर के लक्षणों में कुछ परिवर्तन लाना।
  2. एक ही जाति की समष्टियों का भौगोलिक रूप से विलग होना।
  3. एक ही जाति की समष्टियों में आनुवंशिक विचलन।
  4. एक ही जाति के जीवों में आए शारीरिक परिवर्तनों का अगली संतति में जाने के लिए प्राकृतिक चयन।

एक ही जाति की समष्टियों में आनुवांशिक विचलन, स्वपरागित स्पीशीज़ के जाति उद्भवन का प्रमुख कारक नहीं हो सकता क्योंकि ऐसे पादपों में कभी भी आनुवांशिक विचलन संभव नहीं है।

प्रश्न 2.
मटर के उन दो स्थूल रूप से दिखाई देने वाले लक्षणों की सूची बनाइए जिनका अध्ययन मेण्डल ने अपने प्रयोगों में किया था। मेण्डल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर-
मेण्डल द्वारा अध्ययन किए गए मटर के पौधे के स्थूल रूप से दिखाई देने वाले दो लक्षण है
(i) लम्बे तथा बौने पौधे।
(ii) गोल तथा झुर्शीदार बीज।
मेण्डल ने जब मटर के एक लम्बे पौधे का मटर के एक बौने पौधे के साथ संकरण करवाया तो उसने देखा की F1 संतति के सभी पौधे लम्बे होते हैं। जब F1 संतति के पौधों के बीच स्वनिषेचन करवाया गया तो F2 संतति में लम्बे तथा बौने पौधों का अनुपात 3 : 1 था। इससे पता चलता है कि लम्बे पौधे का लक्षण, बौने पौधे के लक्षण पर प्रभावी है अर्थात् प्रभावी लक्षण के सामने, F1 संतति में बौना लक्षण स्वयं को दर्शाने में सक्षम नहीं था।

उपरोक्त स्थिति को प्रवाह आरेख की सहायता से दर्शाया जा सकता है:
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प्रश्न 3.
मेण्डल के स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम को समझाइए।
उत्तर-
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)-इसके अनुसार दो जोड़ी विपर्यासी (Contrasting) लक्षणों वाले दो पौधों के बीच संकरण (Cross) कराया जाता है तो इन लक्षणों का पृथक्करण स्वतन्त्र रूप से होता है। एक लक्षण की वंशागति दूसरे को प्रभावित नहीं करती है।

उदाहरण के लिए; जब मेण्डल ने गोल एवं पीले बीज वाले पौधे का संकरण झरींदार एवं हरे बीज वाले पौधे के साथ कराया तो F1 पीढ़ी में सभी पौधे गोल एवं पीले बीज वाले उत्पन्न हुए। जब F1 पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण होने दिया तो F2 पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे उत्पन्न हुए जिन्हें आगे चैकरबोर्ड में दर्शाया गया है।
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इस चैकरबोर्ड से F2 पीढ़ी में निम्न परिणाम प्राप्त हुए-

  • 9 पौधे गोल एवं पीले बीज वाले,
  • 3 पौधे गोल एवं हरे बीज वाले,
  • 3 पौधे झुरींदार एवं पीले बीज वाले,
  • 1 पौधा झुरींदार एवं हरे बीज वाला।

अतः उपर्युक्त प्रयोग से लक्षणों का स्वतन्त्र अपव्यूहन प्रकट हो जाता है।

प्रश्न 4.
DNA की संरचना तथा महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल (DNA)-
डी.एन.ए. की खोज सर्वप्रथम फ्रेड्रिक मीशर ने की थी। सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में यह केन्द्रक के अन्दर पाया जाता है। इसकी अल्प मात्रा माइटोकॉण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी होती है। डी.एन.ए. न्यूक्लिओटाइड एकलकों की बनी लम्बी शृंखलाओं का बना होता है। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड में एक पेन्टोज शर्करा (डिऑक्सीराइबोज) का अणु, एक फॉस्फोरिक अम्ल अणु तथा एक नाइट्रोजनी क्षारक (एडेनीन, ग्वानीन, साइटोसीन तथा थाइमीन में से कोई एक) होता है। DNA की आण्विक संरचना-वाटसन तथा क्रिक ने DNA की संरचना का द्वि-रज्जुकी मॉडल प्रस्तुत किया।

इस मॉडल के अनुसार-

  • DNA, द्विचक्राकार रचना (double helical structure) है, जिसमें पॉलीन्यूक्लिओटाइड की दोनों श्रृंखलाएँ एक अक्ष रेखा पर एक-दूसरे के विपरीत दिशा में कुंडलित अथवा रस्सी की भाँति ऐंठी हुई होती हैं।
  • दोनों श्रृंखलाओं का निर्माण फॉस्फेट एवं शर्करा के अनेक अणुओं के मिलने से होता है। नाइट्रोजनी क्षारक श्रृंखला के पार्श्व में होते हैं।
  • डी.एन.ए. के प्रत्येक अणु में पॉलीन्यूक्लिओटाइड श्रृंखलाएँ प्रतिसमान्तर होती हैं।
  • फॉस्फेट तथा शर्करा अणु एक सीढ़ी की भाँति रीढ़ बनाते हैं, जबकि क्षारक सीढ़ी में पग दण्डों का कार्य करते
  • दोनों शर्करा-फॉस्फेट श्रृंखलाओं के बीच दुर्बल हाइड्रोजन बन्ध होते हैं।
  • एडीनीन तथा थाइमीन के बीच द्वि-हाइड्रोजन बन्ध (≡) तथा ग्वानीन एवं साइटोसीन के बीच त्रि-हाइड्रोजन (=) बन्ध होते हैं।
  • डी.एन.ए. की दोनों श्रृंखलाएँ सर्पिलाकार रूप से ऐंठी हुयी होती हैं जिनका व्यास 20Ā होता है।
  • दो नाइट्रोजनी क्षारकों के बीच 3.4 A की दूरी होती
  • DNA के प्रत्येक मोड़ में 10 न्यूक्लिओटाइड जोड़ियाँ होती हैं।

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DNA का अणुमॉडल। DNA का महत्त्व –

  • डी.एन.ए. का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य, आनुवंशिक सूचनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुँचाना है।
  • डी.एन.ए. कोशिका की सभी जैविक क्रियाओं का नियन्त्रण करता है।
  • DNA प्रतिकृतिकरण द्वारा कोशिका विभाजन की क्रिया सम्पन्न होती है।
  • DNA से mRNA का संश्लेषण होता है जो प्रोटीन का संश्लेषण करने में सूचनाओं का वहन करता है।

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प्रश्न 5.
(a) यदि हम शुद्ध लम्बे (प्रभावी) मटर के पौधों का संकरण शुद्ध बौने (अप्रभावी) मटर के पौधों से कराएँ तो हमें F1,पीढ़ी के मटर के पौधे प्राप्त होते हैं। अब यदि हम F1, पीढ़ी के इन मटर के पौधों का स्वपरागण कराएँ, तो हमें F2, पीढ़ी के मटर के पौधे प्राप्त होते हैं।
(i) F1 पीढ़ी के पौधे कैसे दिखाई देते हैं?
(ii) F2 पीढ़ी में लम्बे पौधों और बौने पौधों का अनुपात क्या है?
(iii) उन पौधों के प्रकार का कारण सहित उल्लेख कीजिए जो F1 पीढ़ी में नहीं पाए गए, परन्तु F2 पीढ़ी में दृष्टिगोचर हो गए।
(b) समजात अंग क्या हैं? एक उदाहरण दीजिए। क्या यह आवश्यक है कि समजात अंगों के पूर्वज हमेशा समान हों? (CBSE 2019) (RBSE 2017)
उत्तर-
(a)
(i) F1 पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे होंगे।
(ii) F2 पीढ़ी में लम्बे व बोने पौधों का अनुपात 3 : 1 होगा।
(iii) F1 पीढ़ी में बौने पौधे नहीं पाये गये थे, यह मेण्डल के प्रभावी नियमानुसार है। जिसमें प्रभावी लक्षण के सामने, अप्रभावी लक्षण दिखाई नहीं पड़ता है। लम्बे पौधे का लक्षण प्रभाव है, जबकि बौने पौधे का लक्षण अप्रभावी है।

(b) समजात अंग-वे अंग जिनकी मूल संरचना एक जैसी होती है, परन्तु अलग-अलग जीवों में उनके कार्य अलग-अलग होते हैं, उन्हें समजात अंग कहते हैं। उदाहरण-पक्षियों के पंख व मनुष्य की बाजू। हाँ, यह आवश्यक है कि समजात अंगों वाले जीवों के पूर्वज एक समान थे, तथा एक ही प्रकार के जीवों से उनके इन समजात अंगों में कुछ परिवर्तनों से नये प्रकार के जीवों का विकास हुआ है। यह आवश्यक है कि विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देने के लिये सजातीय संरचनाओं में हमेशा समान पूर्वज हों अन्यथा बुनियादी योजना, आंतरिक संरचना विकास या उत्पत्ति में कोई समानता नहीं होगी।

प्रश्न 6.
मनुष्य में लिंग निर्धारण किस प्रकार होता है? आरेख बनाकर समझाइए। [RBSE 2017] (मा. शि. बोर्ड नमूना प्र. प. 2012)
उत्तर-
मनुष्य में लिंग निर्धारण (Sex Determination in Man)-मनुष्य में लिंग निर्धारण लिंग गुणसूत्रों द्वारा होता है। मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से 22 जोड़ी गुणसूत्र आटोसोम्स कहलाते हैं जबकि 23वाँ जोड़ा लिंग गुणसूत्र कहलाता है। पुरुषों में 23वें जोड़े के गुणसूत्रों में एक गुणसूत्र X तथा दूसरा गुणसूत्र Y होता है। स्त्रियों में 23 वें जोड़े के दोनों गुणसूत्र X (अर्थात् XX) होते हैं। X गुणसूत्र मादा सन्तान के लक्षण धारण करते हैं जबकि Y गुणसूत्र नर सन्तान के लक्षण धारण करते हैं; अन्य सभी ऑटोसोम्स दैहिक लक्षणों को धारण करते हैं।

युग्मक बनते समय पुरुष के आधे शुक्राणुओं में X गुणसूत्र तथा आधे शुक्राणुओं में Y गुणसूत्र होते हैं। मादा में केवल एक ही युग्मक (अण्डाणु) का निर्माण होता है, जिसमें ‘X’ गुणसूत्र स्थित होता है। जब पुरुष का ‘X’ गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डाणु से निषेचन करता है तो पैदा होने वाली सन्तान लड़की (XX) होती है। यदि पुरुष का ‘Y’ गुणसूत्र वाला शुक्राणु, अण्डाणु से निषेचन करता है तो उत्पन्न होने वाली सन्तान लड़का (XY) होती है। लिंग निध परिण प्रक्रिया को आरेख में दर्शाया गया है।
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प्रश्न 7.
“आनुवंशिकता का गुणसूत्र मत” की व्याख्या कीजिए। [CBSE 2015]
उत्तर-
आनुवंशिकता का गुणसूत्र मत (Chromosomal Theory of Inheritance)-FCET 77891 arat (Sutton and Boveri) ने सन् 1902 में गुणसूत्रों द्वारा आनुवंशिकता के सम्बन्धों का अध्ययन किया तथा निम्नलिखित नियम प्रतिपादित किए-

  • एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण व कोशिका विभाजन के समय गुणसूत्र तथा मेण्डल के कारकों के बीच समानता होती है।
  • युग्मक निर्माण के समय दोनों जनकों से गुणसूत्र अलग होते हैं।
  • जीन्स गुणसूत्रों पर रैखिक क्रम में व्यवस्थित होते हैं।

अतः सट्न तथा बावेरी के अनुसार, जीन गुणसूत्र का एक भाग होता है। मनुष्य में 46 गुणसूत्र होते हैं तथा उन पर 30000-40000 जीन्स होते हैं। गुणसूत्रों पर जीन्स एक निश्चित बिन्दु पर होते हैं जिसे लोकस कहते हैं। आण्विक आधार पर जीन DNA का वह छोटे से छोटा खण्ड होता है जो एक प्रोटीन अणु का निर्माण करता है।

प्रश्न 8.
डार्विन के विकासवाद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin, 1819. 1882)-एक प्रकृति विज्ञानी थे। उन्होंने विभिन्न जीव-जन्तुओं का अध्ययन किया तथा अपनी पुस्तक “प्राकृतिक चयन द्वारा जातियों का विकास’ में लेख प्रस्तुत किए। उनके

विकास सिद्धान्त को प्राकृतिक वरण कहते हैं। यह निम्न तथ्यों पर आधारित है-

  • जीवों में सन्तान उत्पत्ति की प्रचुर क्षमता।
  • जीवन संघर्ष (अन्त:जातीय तथा अन्तराजातीय संघर्ष)।
  • प्राकृतिक वरण।
  • योग्यतम की उत्तरजीविता।
  • वातावरण के प्रति अनुकूलन।
  • नयी जातियों की उत्पत्ति ।

डार्विन ने बताया कि सभी जीवों में सन्तान उत्पन्न करने की अपार क्षमता होती है लेकिन उसकी सभी संततियाँ जीवित नहीं रहती। इसका कारण है जीवन संघर्ष। जीवों में आवास, भोजन एवं प्रजनन के लिए अन्तराजातीय तथा अन्तः जातीय संघर्ष होता है। जो जीव जीवन संघर्ष एवं पर्यावरण के लिए सफल होते हैं, वे जीवित रहते हैं। जीवों में अपने पर्यावरण के प्रति विभिन्नताएँ वंशानुगत होती हैं। यदि ये विभिन्नताएँ पर्यावरण के अनुकूल होती हैं तो जीव का प्राकृतिक चयन होता है व इस प्रकार नई जातियों की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 9.
लैमार्कवाद के मुख्य बिन्दुओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। लैमार्कवाद की क्या आलोचना थी?
उत्तर-
जीन बैप्टिस्ट डी लैमार्क (1744-1829) फ्रांस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। उन्होंने जैव विकास सम्बन्धी अपने विचारों को फिलोसोफिक जुलोजिक नामक पुस्तक में 1809 में प्रस्तुत किया।

लैमार्कवाद के प्रमुख आधार बिन्दु संक्षेप में निम्न प्रकार-
1. वातावरण का सीधा प्रभाव-लैमार्क के अनुसार जीवों पर उनके वातावरण का सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे उनकी रचना तथा स्वभाव बदल जाता है।

2. अंगों का उपयोग तथा अनुपयोग-लैमार्क ने बताया कि जीवों में कुछ परिवर्तन उनकी आवश्यकता के अनुसार होते हैं। ऐसे अंगों का विकास अधिक होता है जिनका प्रयोग अधिक होता है। प्रयोग न किये जाने वाले अंग कमजोर होते जाते हैं और अन्ततः विलुप्त हो जाते हैं, इन्हें उपार्जित लक्षण कहते हैं।

3. उपार्जित लक्षणों की वंशागति-उपार्जित लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होते हैं तथा अन्त में नई जाति निर्मित होती है। उदाहरण के लिए; ऊँचे पेड़ों की पत्तियों को खाने के लिए जिराफ की लम्बी गर्दन का होना।

आलोचना-बीजमान (1892) ने लैमार्क की कड़ी आलोचना की। उन्होंने लगातार कई पीढ़ियों तक चूहों की पूँछ काटी और देखा कि सभी पीढ़ियों में चूहों की पूँछ में कोई परिवर्तन नहीं हुआ और सिद्ध किया कि उपार्जित लक्षण वंशागत नहीं होते हैं।

प्रश्न 10.
भ्रूणीय अध्ययन कैसे विकास को प्रमाणित करते हैं ?
उत्तर-
नर तथा मादा युग्मकों के संयुग्मन के पश्चात् युग्मनज का निर्माण होता है। युग्मनज से भ्रूण तथा भ्रूण से नई संतति का विकास होता है। जन्म से पहले कशेरुकी प्राणियों के भ्रूणों में आश्चर्यजनक समानताएँ पायी जाती हैं. जैसे-
1. मेढ़क का भेक शिशु (Tadpole) लार्वा छोटी-सी मछली के समान पानी में उतरता दिखाई देता है। उसमें गलफड़ों की दरारों के अतिरिक्त पूँछ भी होती है। लेकि: वयस्क मेंढक एवं मछली के रूप, आकार एवं गुणों में अनेक विषमताएँ होती हैं।

2. कबूतर के अण्डे में जन्म से पहले उसके बच्चे की पक्षी की तरह चोंच नहीं होती, बल्कि सरीसृपों की तरह दाँत जैसी रचना होती है पर जन्म के समय उसमें चोंच होती है।

3. मेंढ़क, सरीसृप, पक्षी तथा मानव तक के अनेक कशेरुकियों के भ्रूणों में मछलियों की भाँति गलफड़ों की दरारें दिखाई देती हैं परन्तु बाद में ये फेफड़ों में बदल जाते हैं।

अर्नेस्ट हेकल ने ऐसे पर्यवेक्षणों के आधार पर जातिवृत्त पुनरावृत्ति का सिद्धान्त प्रस्तुत किया। उनके अनुसार उच्च कशेरुकियों का विकास मछली जैसे समान पूर्वजों से जैव विकास की लम्बी प्रक्रिया से हुआ होगा। उनके अनुसार मत्स्य वर्ग से स्तनधारियों का प्रवर्तन हुआ होगा पर इसके बीच अन्य अवस्थाएँ आई होंगी, जैसे मत्स्य → उभयचर → सरीसृप → पक्षी → स्तनधारी।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. जब मटर के लम्बे पौधे का संकरण बौने पौधे के साथ कराया जाता है तो प्रथम पुत्रीय पीढ़ी में उत्पन्न पौधे होंगे –
(a) सभी लम्बे पौधे
(b) सभी बौने पौधे
(c) आधे लम्बे तथा आधे बौने पौधे
(d) तीन पौधे लम्बे तथा एक पौधा बौना।
उत्तर-
(a) सभी लम्बे पौधे।

2. निम्न में से परीक्षण संकरण (Test cross) है –
(a) Tt xTt
(b) TT xTt
(c)TT x TT
(d) Tt x TT.
उत्तर-
(d) Tt x TT.

3. जैव विकास के सिद्धान्त का मुख्य सम्बन्ध है
(a) स्वतः उत्पादन से
(b) वातावरण की स्थिति से
(c) विशिष्ट सृष्टि से
(d) धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तन से।
उत्तर-
(d) धीरे-धीरे होने वाले परिवर्तन से।

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4. निम्नलिखित में से कौन-से समजात अंग हैं
(a) पक्षी एवं चमगादड़ के पंख
(b) चमगादड़ के पंख व मनुष्य के हाथ
(c) कीट एवं पक्षी के पंख
(d) तितली, पक्षी तथा चमगादड़ के पंख।
उत्तर-
(b) चमगादड़ के पंख व मनुष्य के हाथ।

5. निम्नलिखित में से कौन से समरूप अंग हैं
(a) चिड़िया के पंख एवं कीट के पंख
(b) मनुष्य के हाथ एवं चिड़िया के पंख
(c) घोड़े के अग्रपाद एवं ह्वेल के चप्पू
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(a) चिड़िया के पंख एवं कीट के पंख।

6. जीवाश्म कैसे बनते हैं –
(a) जन्तु के पूर्ण रूप से नष्ट हो जाने से
(b) जीव-जन्तुओं के चट्टानों में दब जाने से
(c) जीव-जन्तुओं के सड़ने से
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) जीव-जन्तुओं के चट्टानों में दब जाने से।

7. जैव विकास में उत्परिवर्तन का महत्त्व होता है-
(a) आनुवंशिक अपवहन
(b) जननिक पृथक्करण
(c) जननिक भिन्नताएँ
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) जननिक भिन्नताएँ।

8. जीवाश्मों की आयु का निर्धारण किस विधि से किया जाता है –
(a) एक्सरे विधि
(b) फॉसिल डेटिंग
(c) फॉसिल फोटोग्राफी
(d) एम. आर. आई. ।
उत्तर-
(b) फॉसिल डेटिंग।

9. योग्यतम की उत्तरजीविता सिद्धान्त का प्रतिपादन किसने किया –
(a) लैमार्क ने
(b) डार्विन ने
(c) मेण्डल ने
(d) डी ब्रीज ने।
उत्तर-
(b) डार्विन ने।

10. जैव विकास का प्रमाण हो सकता है/सकते हैं
(a) जीवाश्म
(b) अवशेषी अंग
(c) समवृत्ति अंग
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

11. मेण्डल के द्विसंकर क्रॉस का F2 पीढ़ी में अनुपात था
(a) 1 : 1 : 1 : 1
(b) 12 : 2 : 1:1
(c) 9:3 : 3 : 1
(d) 4: 4: 4: 4.
उत्तर-
(c) 9:3 : 3 : 1.

12. पर्यावरणीय विभिन्नताएँ समावेशित होती हैं-
(a) डी. एन. ए. में
(b) आर. एन. ए. में
(c) प्रोटीन्स में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(b) आर. एन. ए. में।

13. निम्न में से किससे फूलगोभी का विकास हुआ
(a) कृष्य फूलगोभी से
(b) कृष्य बन्दगोभी से
(c) जंगली बन्दगोभी से
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) जंगली बन्दगोभी से।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. मेण्डल के अनुसार आनुवंशिक कारकों को ………………………………………. कहा जाता है।
उत्तर-
जीन,

2. जीवधारियों में पायी जाने वाली विशेष संरचनाएँ जो ………………………………………. का वहन करती हैं।
उत्तर-
जीन्स,

3. अनेक जीवधारियों में भ्रूण अपने ………………………………………. के लक्षण दर्शाते हैं।
उत्तर-
पूर्वजों,

4. डी.एन.ए. की खोज सर्वप्रथम ………………………………………. ने की।
उत्तर-
फ्रेड्रिक मीशर,

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5. मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र होते हैं, जिनमें से 22 जोड़ी गुणसूत्र ………………………………………. कहलाते हैं जबकि 23 वाँ जोड़ा ………………………………………. गुणसूत्र कहलाता है।
उत्तर-
ओटोसोम्स, लिंग।

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न (Matrix Type Questions)
(i)

सूची Aसूची B
1. उत्परिवर्तन(i) विकासवाद
2. डार्विन(ii) TT, tt
3. मेण्डल(iii) डी वीज
4. अवशेषी अंग(iv) लैमार्क
5. समयुग्मजी(v) कर्ण पल्लव की पेशियाँ
6. उपार्जित लक्षण(vi)मटर

उत्तर-

सूची Aसूची B
1. उत्परिवर्तन(iii) डी वीज
2. डार्विन(i) विकासवाद
3. मेण्डल(vi) मटर
4. अवशेषी अंग(v) कर्ण पल्लव की पेशियाँ
5. समयुग्मजी(ii) TT, tt
6. उपार्जित लक्षण(iv) लैमार्क

(ii)
सूची A को सूची B से मिलाइए।

सूची Aसूची B
1. डी.एन.ए.(i) जीव अवशेष
2. होमो सेपियंस(ii) घोड़े व मनुष्य के हाथ
3. जीवाश्म(iii) आनुवंशिकी के नियम
4. समजात अंग(iv) जीवन की उत्पत्ति सिद्धान्त
5. मेण्डल(v) आनुवंशिक पदार्थ
6. हल्डेन(vi) मानव

उत्तर-

सूची Aसूची B
1. डी.एन.ए.(v) आनुवंशिक पदार्थ
2. होमो सेपियंस(vi) मानव
3. जीवाश्म(i) जीव अवशेष
4. समजात अंग(ii) घोड़े व मनुष्य के हाथ
5. मेण्डल(iii) आनुवंशिकी के नियम
6. हल्डेन(iv) जीवन की उत्पत्ति सिद्धान्त

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