HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सुरक्षा की परम्परागत चिन्ताओं एवं निःशस्त्रीकरण की राजनीति का वर्णन करें।
उत्तर:
विश्व स्तर पर अधिकांश देशों को अपनी-अपनी सुरक्षा की चिन्ता लगी रहती है, जिसके लिए वे हथियारों का निर्माण करते हैं, परन्तु स्वयं ही हथियारों को समाप्त करने अर्थात् निःशस्त्रीकरण पर भी जोर देते हैं।

1. सुरक्षा की परम्परागत चिन्ताएं (Traditional Concerns of Security):
सुरक्षा की परम्परागत धारणा में सबसे बडी चिन्ता सैनिक खतरे से सम्बन्धित होती है। इस प्रकार के खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश होता है। शत्रु देश दूसरे देश को सैनिक हमले की धमकी देकर उसकी प्रभुसत्ता, अखण्डता तथा स्वतन्त्रता के लिए खतरा उत्पन्न करता है। इस प्रकार के सैनिक हमले में न केवल सैनिक ही मारे जाते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में सामान्य नागरिक भी हताहत होते हैं, तथा करोड़ों रुपये की सम्पत्ति नष्ट हो जाती है।

सैन्य हमले के साथ-साथ आतंकवाद भी सुरक्षा की एक महत्त्वपूर्ण चिन्ता बनी हुई है। वर्तमान समय में आतंकवाद पूरे विश्व के लिए खतरा बना हुआ है। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। भारत भी एक लम्बे समय से आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार की परिस्थितियों ने वर्तमान समय में मौजूद चुनौतियों को अधिक गम्भीर कर दिया है।

2. नि:शस्त्रीकरण की राजनीति (Politics of Disarmament):
वर्तमान समय में अधिकांश देशों के पास हथियारों के बड़े-बड़े ज़खीरे हैं, जोकि सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए बहुत बड़े खतरे हैं। इसीलिए समय-समय पर इन हथियारों को समाप्त करने के या नियन्त्रित करने की बात की जाती रही है। निःशस्त्रीकरण उस स्थिति में तो और भी आवश्यक हो गया है, जब कई देशों के पास नरसंहार के हथियार (Weapons of Most destruction) हैं जिनमें परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियार शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने नि:शस्त्रीकरण के लिए 1952 में निःशस्त्रीकरण आयोग की स्थापना की। 1963 में आंशिक परमाणु प्रतिबन्ध सन्धि की गई। 1968 में परमाणु अप्रसार सन्धि की गई। 1990 के दशक में व्यापक परमाणु प्रतिबन्ध सन्धि की गई। इसके अतिरिक्त भी निशस्त्रीकरण एवं शस्त्र नियन्त्रण के लिए कई सन्धियां की गईं।

यहां पर यह बात उल्लेखनीय है कि वास्तविक निःशस्त्रीकरण की अपेक्षा इस पर राजनीति अधिक की गई है क्योंकि जो भी शक्तिशाली या परमाणु सम्पन्न (अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस तथा चीन) देश हैं। किसी भी स्थिति में अपने सैनिक या हथियारों के प्रभुत्व को बनाये रखना चाहते हैं। अतः निःशस्त्रीकरण की दिशा में कोई भी सार्थक प्रयास पूरा नहीं हो पाता।

प्रश्न 2.
वैश्विक ग़रीबी, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे गैर-परम्परागत या मानवीय सुरक्षा से सम्बन्धित मुद्दे की व्याख्या करें।
उत्तर:
विश्व में विद्यमान कई मुद्दों में से वैश्विक ग़रीबी, स्वास्थ्य तथा शिक्षा सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। क्योंकि ये तीनों मुद्दे सकारात्मक एवं नकारात्मक रूप से मानवाधिकारों से जुड़े हुए हैं। इन सभी मुद्दों का वर्णन इस प्रकार है

1. वैश्विक ग़रीबी (Global Poverty):
विश्व में आज सबसे बड़ी समस्याओं में से एक वैश्विक ग़रीबी है। यद्यपि गरीबी सम्पूर्ण विश्व में पाई जाती है। परन्तु विकासशील तथा नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों में यह अधिक खतरनाक रूप में विद्यमान है। अधिकांश विकासशील देशों में लोगों को खाद्य पदार्थ प्राप्त नहीं हैं, जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न देशों में रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण सभी लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता।

अतः वे लोग ग़रीबी की अवस्था में जीवन बिताने के लिए विवश रहते हैं। वर्तमान समय में लगभग 1.2 बिलियन जनसंख्या को प्रतिदिन केवल एक डॉलर पर ही गुजारा करना पड़ता है। इस आंकड़े से विश्व में ग़रीबी की भयंकर स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग़रीबी के कारण विकासशील देशों के लोगों को कुपोषण, भुखमरी तथा महामारी इत्यादि से समय-समय पर जूझना पड़ता है। ग़रीबी के कारण लोगों में असुरक्षा की भावना पाई जाती है, तथा वे गलत कार्यों की ओर आकर्षित होने लगते हैं।

2. स्वास्थ्य (Health):
विश्व के अधिकांश देशों को आज स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विश्व स्तर पर बढ़ती आर्थिक सम्पन्नता तथा वैज्ञानिक उन्नति के बावजूद भी विश्व के अधिकांश लोग स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से पीड़ित हैं। उदाहरण के लिए पिछले कुछ वर्षों से 20 मिलियन लोगों की मृत्यु ऐसी बीमारियों से हुई, जिनका इलाज सम्भव था।

इससे स्पष्ट है कि आर्थिक सम्पन्नता एवं चिकित्सा तथा वैज्ञानिक उन्नति का सभी लोगों को फायदा नहीं मिल रहा। इनका फायदा केवल विकसित देशों के कुछ थोड़े से लोगों को पहुंच रहा है। जबकि आज भी विकासशील देशों के लोग चेचक, हैजा, प्लेग तथा एड्स जैसी बीमारियों से मर रहे हैं, परन्तु उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। विकासशील देशों के बच्चे असमय मृत्यु एवं कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। इन्हें स्वच्छ पानी, उचित चिकित्सा सहायता तथा साफ वातावरण नहीं मिल पाता जिसका नकारात्मक प्रभाव इनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।

3. शिक्षा (Education):
वर्तमान समय में विश्व के सभी लोगों को शिक्षा देना भी एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। वास्तव में ग़रीबी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आपस में जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए ग़रीब व्यक्ति न तो शिक्षित हो पाता है, और न ही बीमारी के समय अपना इलाज ही करवा पाता है। इसी तरह एक अशिक्षित व्यक्ति न तो उचित रोज़गार कर पाता है, और न ही अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर पाता है। विश्व के अधिकांश देशों, विशेषकर विकासशील देशों में बहुत अधिक निरक्षरता पाई जाती है। अशिक्षित व्यक्ति चालाक लोगों की बातों में आकर गलत कार्य करने लगते हैं।

इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ के एक महत्त्वपूर्ण अभिकरण यूनेस्को (UNESCO-United Nations Educational, Scientific and Cultural Organisation) ने विश्व स्तर पर शिक्षा के प्रसार की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली है। यूनेस्को के संविधान की प्रस्तावना का प्रथम वाक्य है कि, “चूंकि युद्ध मनुष्य के दिमाग में पैदा होता है, इसलिए शान्ति को सुरक्षित रखने की आधारशिला भी मानव दिमाग में बनाई जानी चाहिए।” अर्थात् लोगों को शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक आधार पर जागरूक एवं शिक्षित बनाया जाये, ताकि वे गलत कार्यों की ओर अग्रसर न हों।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 3.
मानवाधिकार एवं प्रवासन से सम्बन्धित मुद्दों की व्याख्या करें।
उत्तर:
विश्व में मानवाधिकार एवं प्रवासन से सम्बन्धित समस्याएं बहुत अधिक हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है

1. मानवाधिकार का मुद्दा (Issue of Human Rights):
मानव अधिकारों की समस्या विश्व की प्रमुख समस्याओं में से एक है। मानव अधिकार वे अधिकार हैं जोकि सभी मनुष्यों को प्राप्त होने चाहिएं। ये अधिकार मानव जीवन के विकास के लिए आवश्यक हैं।

संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 10 दिसम्बर, 1948 को मानव अधिकार की घोषणा की परन्तु घोषणा के इतने वर्ष के बाद भी संसार के अनेक देशों में लोगों को मानव अधिकार प्राप्त नहीं हैं। कछ देशों में नागरिकों को नागरिक और राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया है जबकि कछ देशों में नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त हैं।

जाति, धर्म, रंग, लिंग आदि के आधार पर आज भी नागरिकों के साथ भेदभाव किया जाता है और इन्हीं आधारों पर नागरिकों को अधिकारों से वंचित रखा जाता है। दक्षिण अफ्रीका में काले लोगों को काफ़ी लम्बे संघर्ष के बाद राजनीतिक अधिकार प्राप्त हुए हैं। आज भी संसार के अनेक देशों में स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं हैं। अत: मानव अधिकार एक गम्भीर समस्या बनी हुई है।

2. प्रवासन का मुद्दा (Issue of Migration):
आज के वैश्वीकरण एवं उदारीकरण के युग में विश्व ने एक छोटे से गांव का रूप धारण कर लिया है। संचार एवं यातायात के साधनों के विकास के कारण एक देश से दूसरे देश में जाना अब और अधिक आसान हो गया है। परन्तु इससे अब प्रवासन तथा इससे सम्बन्धित अधिकारों की समस्याएं पैदा हो गईं। वर्तमान समय में विकासशील देशों के लोग बड़ी संख्या में अमेरिका, यूरोप तथा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जाकर बसने का प्रयास करते हैं। अतः अधिकांश विकसित देश लगातार अपने प्रवासन कानूनों को जटिल बनाते जा रहे हैं ताकि प्रवासियों की संख्या को कम किया जा सके।

पिछले वर्षों से अपने मातृ देश को छोड़कर दूसरे देश में जाकर बसने का प्रचलन बड़ा है। जनसंख्या संसाधन ब्यूरो के अनुसार वर्तमान समय में विश्व आबादी का लगभग 2.5% भाग प्रवासी के तौर पर रहा है। जिस देश में प्रवासियों की संख्या अधिक होती है, वहां पर सुरक्षा एवं सांस्कृतिक खतरों की सम्भावना बढ़ जाती है।

इसी कारण अधिकांश देश प्रवासियों की संख्या में कमी करने का प्रयास कर रहे हैं।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने प्रवासन से सम्बन्धित कई प्रश्नों का हल जानने का प्रयास किया कि बहुत बड़े स्तर पर प्रवासन के क्या कारण एवं परिणाम हो सकते हैं। प्रवासन के समय प्रवासियों को किस प्रकार के संकटों एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है। इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढ़ने के पश्चात् यह उच्चायुक्त इन समस्याओं को हल करने के लिए प्रयासरत है।

प्रश्न 4.
निःशस्त्रीकरण से आप क्या समझते हो ? आधुनिक युग में इसकी क्या आवश्यकता है ?
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण आज अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की ज्वलंत समस्या है जो कि निरन्तर विचार-विमर्श के बावजूद भी गम्भीर बनी हुई है। शस्त्रों की दौड़, खासतौर पर आण्विक शस्त्रों की दौड़ इतनी तेजी से बढ़ रही है कि इसके कारण ‘पागलपन’ (Madness) की स्थिति पैदा हो गई है। इसीलिए आज विश्व समुदाय निःशस्त्रीकरण के ऊपर ज़ोर दे रहा है और यही समय की मांग है। निःशस्त्रीकरण का अर्थ (Meaning of Disarmament)-साधारण शब्दों में नि:शस्त्रीकरण से हमारा अभिप्राय: “शारीरिक हिंसा के प्रयोग के समस्त भौतिक तथा मानवीय साधनों के उन्मूलन से है।”

यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य हथियारों के अस्तित्व और उनकी प्रकृति से उत्पन्न कुछ खास खतरों को कम करना है। इससे हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियन्त्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। निःशस्त्रीकरण का लक्ष्य आवश्यक रूप से निरस्त्र कर देना नहीं है। इसका लक्ष्य तो यह है कि जो भी हथियार इस समय उपस्थित हैं, उनके प्रभाव को घटा दिया जाए। मॉर्गेन्थो (Morgenthau) के शब्दों में, “निःश्स्त्रीकरण कुछ या सब शस्त्रों में कटौती या उनको समाप्त करना है ताकि शस्त्रीकरण की दौड़ का अन्त हो।”

वी० वी० डायक (V.V. Dyke) के मतानुसार, “सैनिक शक्ति से सम्बन्धित किसी भी तरह के नियन्त्रण अथवा प्रतिबन्ध लगाने के कार्य को निःशस्त्रीकरण कहा जाता है।” वेस्ले डब्ल्यू ० पोस्वार (Wesley W. Posvar) ने अपने एक लेख ‘The New Meaning of Arms Control’ में लिखा है कि, “निःशस्त्रीकरण से हमारा अभिप्राय: सेनाओं और शस्त्रों को घटा देने या समाप्त कर देने से है जबकि शस्त्र-नियन्त्रण में वे सभी उपाय शामिल हैं जिनका उद्देश्य युद्ध के सम्भावित और विनाशकारी परिणामों को रोकना है। इसमें सेनाओं तथा शस्त्रों के घटाने या न घटाने को विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता है।”

निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता (Necessity of Disarmament):
निम्न कारणों से निःशस्त्रीकरण को आवश्यक माना जाता है 1. विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व-शान्ति व सुरक्षा की स्थापना सम्भव है।

2. निःशस्त्रीकरण आर्थिक विकास में सहायक-विश्व के अधिकांश विकसित व अविकसित राष्ट्र अपने धन को आर्थिक क्षेत्र में न लगाकर उसका प्रयोग सैनिक क्षेत्र में करते हैं जो उनकी आर्थिक स्थिति के लिए हानिकारक है। यदि विकासशील देश निःशस्त्रीकरण की प्रक्रिया को अपनाते हुए नि:शस्त्रीकरण के रास्ते पर चलें तो इसके कारण इन देशों का बहुत आर्थिक विकास हो सकता है क्योंकि ये देश जितना धन अपनी रक्षा पर खर्च करते हैं वही धन ये अपने आर्थिक विकास पर खर्च करें तो शीघ्र ही यह आर्थिक शक्ति बन सकते हैं।

3. निःशस्त्रीकरण अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करता है- निःशस्त्रीकरण के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय तनाव में कमी आती है क्योंकि शस्त्रों की होड़ के कारण प्रत्येक राष्ट्र अधिक-से-अधिक हथियार एकत्रित करने की सोचता है। हैडली बुल के अनुसार शस्त्रों की होड़ स्वयं तनाव की सूचक है। अतः अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने व आपसी सहयोग की वृद्धि के लिए आवश्यक है कि निःशस्त्रीकरण पर बल दिया जाए।

4. निःशस्त्रीकरण उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त करने में सहायक है-जब एक देश के पास बड़ी मात्रा में हथियार जमा होने लगते हैं तो वह इनका प्रयोग अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने में करने लगता है। इसके कारण ही उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद की बुराइयां पैदा हो जाती हैं क्योंकि साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद शक्ति बढ़ाने के ही दूसरे रूप हैं। यदि राष्ट्र निःशस्त्रीकरण पर बल देंगे तो शक्तिशाली राष्ट्र कभी भी अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने की नहीं सोचेंगे जिसके कारण उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त होगा तथा राष्ट्रों के मध्य आपसी सहयोग व शान्ति का वातावरण बनेगा।

5. लोक-कल्याण को बढ़ावा-सभी राष्ट्र चाहे वह विकसित हों या विकासशील शस्त्रों पर धन व्यय करते हैं। यदि विकासशील देश निःशस्त्रीकरण की नीति पर चलें तो वह प्रतिवर्ष अपने करोड़ों डालर बचा कर उन्हें लोक कल्याण के कार्यों पर खर्च कर सकते हैं।

6. विदेशी हस्तक्षेप को रोकता है-जब बड़े राष्ट्र शस्त्रों का भारी मात्रा में निर्माण कर लेते हैं तो इन्हें दूसरे देशों व अविकसित देशों में बेचते हैं। कुछ अविकसित देश इन देशों से नवीन तकनीक के सैन्य उपकरणों का आयात करते हैं। इसके कारण वह उन विकासशील देशों के आन्तरिक मामलों में दखल-अंदाजी करते हैं। अत: विकासशील देशों में महाशक्तियों के बढ़ते हुए हस्तक्षेप को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि यह देश मिलकर निःशस्त्रीकरण पर बल दें।

7. सैनिकीकरण को रोकता है-प्रायः देखा जाता है कि शस्त्रों की होड़ सैनिकीकरण को जन्म देती है। आज प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा के लिए लाखों की सेना एकत्रित करता है। अत: बढ़ते हुए सैनिकीकरण को रोकने के लिए नि:शस्त्रीकरण बहत आवश्यक है।

8. सैनिक गठबन्धनों को रोकता है-नि:शस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता है। द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद शस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई। इसके दौरान कई सैनिक गठबन्धन हुए जिनमें नाटो, सीटो, सेंटो, एंजुस गठबन्धन अमेरिका के द्वारा किए गए। परन्तु जैसे ही 1985 के बाद गोर्बोच्योव-रीगन के मध्य वार्ता आरम्भ हुई तो इसमें नि:शस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई और धीरे-धीरे नाटो को छोड़कर सभी सैनिक गठबन्धन समाप्त हो गए हैं। अत: स्पष्ट है कि नि:शस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता है।

9. परमाणु युद्ध से बचाव के लिए आवश्यक-द्वितीय विश्व-युद्ध के दौरान 7 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर और 9 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए। इसके कारण भयंकर नरसंहार हुआ। इसके पश्चात् 1949 में सोवियत संघ ने, 1954 में ब्रिटेन ने, 1959 में फ्रांस ने तथा 1963 में चीन ने परमाणु बम का आविष्कार किया।

इन देशों ने मिलकर ‘परमाणु क्लब’ बना लिया और परमाणु क्षमता पर अपना एकाधिकार जमाए रखा। इसका मुख्य कारण था कि परमाणु शक्ति का प्रसार न हो। परन्तु धीरे-धीरे भारत, इज़राइल, ब्राजील, दक्षिणी अफ्रीका, ईराक, पाकिस्तान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों ने भी परमाणु क्षमता प्राप्त कर ली जिसके कारण परमाणु युद्ध होने के आसार बढ़ गए।

इसके कारण परमाणु क्लब के सदस्य राष्ट्रों को चिन्ता हुई और उन्होंने परमाणु युद्ध को रोकने के लिए नि:शस्त्रीकरण पर बल दिया। इस दिशा में व्यापक परमाणु प्रसार निषेध सन्धि (C.T.B.T.) उल्लेखनीय है। 1985 में गोर्बोच्योव-रीगन के मध्य शान्ति वार्ता आरम्भ हुई और इसके कारण नि:शस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई और परमाणु युद्ध का भय टल गया।

प्रश्न 5.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली मुख्य बाधाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
नैतिक रूप से विश्व को विनाश से बचाने का दायित्व मानव जाति पर ही है। इस दायित्व की पूर्ति तभी हो सकती है यदि विश्व के विभिन्न देश निःशस्त्रीकरण को व्यावहारिकता प्रदान करें। यद्यपि विभिन्न राज्यों ने व्यक्तिगत रूप से नि:शस्त्रीकरण की ओर बढ़ने का प्रयास किया है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी विभिन्न प्रयास किए गए हैं, लेकिन फिर भी नि:शस्त्रीकरण के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका है। इसके विपरीत विनाश के नए-नए शस्त्रों का आविष्कार किया जा रहा है और निःशस्त्रीकरण के प्रयासों को विफल किया जा रहा है। नि:शस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाएं इस प्रकार हैं

1. आपसी अविश्वास की समस्या (The problem of mutual distrust):
निःशस्त्रीकरण का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में आपसी विश्वास की भावना सुदृढ़ हो। लेकिन दुर्भाग्य से विश्व व्यवस्था में एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर विश्वास नहीं करता। राष्ट्रों के मध्य इसी अविश्वास की भावना के कारण अब तक निःशस्त्रीकरण की दिशा में जितने भी प्रयास किए गए हैं, उनमें डर व अविश्वास साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

2. राष्ट्रीय हित (National Interest):
प्रत्येक राष्ट्र अपने हित को सर्वोपरि महत्त्व देता है। राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के बाद ही वह अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर किसी आदर्श की बात करता है। उदाहरणार्थ भारत और पाकिस्तान ने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, क्योंकि दोनों देश पहले अपने हितों को पूरा करना चाहते हैं।

3. विभिन्न राजनीतिक समस्याएं (Various Political Problems):
निःशस्त्रीकरण के प्रयासों में अनेक राजनीतिक समस्याएं बाधा बनती हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि राजनीतिक समस्याओं के कारण राष्ट्रों के मध्य तनाव पैदा होते हैं जिससे कई बार युद्ध की नौबत आ जाती है। इसलिए हथियारों का होना अत्यावश्यक है। राजनीतिक समस्याओं के कारण राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण प्रदूषित हो जाता है। इनके कारण नि:शस्त्रीकरण के प्रयास असफल हो जाते हैं।

4. राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security):
विश्व का प्रत्येक राज्य प्रत्येक दृष्टिकोण से सुरक्षित होना चाहता है। इसके कारण वह सेना व पुलिस बल को अत्याधुनिक बनाने में बिल्कुल भी पीछे नहीं रहना चाहता। कोई भी राष्ट्र अपनी सुरक्षा व्यवस्था को दूसरे के भरोसे नहीं रहने देना चाहता। अतः राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति बढ़ती आशंका शस्त्रीकरण को बढ़ावा देती है।

5. शक्ति के अनुपात की समस्या (Problem of the Ratio of Power):
नि:शस्त्रीकरण के मार्ग में एक कठिनाई शक्ति के अनुपात पर है। निःशस्त्रीकरण में विभिन्न राष्ट्रों द्वारा आनुपातिक रूप से अपने-अपने शस्त्रास्त्रों को कम किया जाता है। परन्तु प्रश्न उत्पन्न होता है कि शस्त्रों में कटौती के लिए किस अनुपात को स्वीकार किया जाए। निःशस्त्रीकरण के उपरान्त यह नहीं होना चाहिए शक्तिशाली देश तो कमजोर बन जाए और कमज़ोर देश शक्तिशाली बन जाए। इसके अतिरिक्त हथियारों को कम करने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। अलग-अलग राष्ट्र हथियारों को कम करने के लिए अलग-अलग मापदण्ड अपनाते हैं, जो कि उचित नहीं है।

6. वर्चस्व की भावना (Instinct of Hegemony) :
अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में प्रत्येक शक्तिशाली राष्ट्र यह चाहता पर उसका वर्चस्व बरकरार रहे। इसलिए वे अपने आपको सैनिक दृष्टि से अत्यधिक मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं। इसके लिए शस्त्रों का संग्रह अर्थात् शस्त्रीकरण और नए शस्त्रों की खोजों को बढ़ावा मिलता है। कई राष्ट्र तो हथियारों के व्यापार को खुले तौर पर प्रोत्साहन देते हैं। वर्चस्व की यह भावना नि:शस्त्रीकरण के सभी प्रयासों पर कुठाराघात करती है।

7. प्राथमिकता निर्धारण में कठिनाई (Problem in the determination of the priority):
नि:शस्त्रीकरण की एक प्रमुख समस्या यह है कि राजनीतिक प्रश्नों को पहले सुलझाया जाए या निःशस्त्रीकरण के प्रयास किए जाएं। ये दोनों प्रश्न एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। ये दोनों ही प्रश्न आपसी अविश्वास, तनाव, भय और संघर्ष को बढ़ावा देते हैं। परन्तु वास्तविक प्रश्न यह है कि इन दोनों में से किसे प्राथमिकता दी जाए।

8. आर्थिक कारण (Economic Causes):
आर्थिक तत्त्व भी नि:शस्त्रीकरण के प्रयासों में बाधक बनता है। अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, इंग्लैण्ड इत्यादि अनेक देशों की बड़ी-बड़ी कम्पनियां हथियार बनाने का काम करती हैं। इन कम्पनियों का निरन्तर यह प्रयास रहता है कि उनको अधिक-से-अधिक हथियार बेचने के अवसर प्राप्त हों। इनका तर्क है कि नि:शस्त्रीकरण किया जाता है तो शस्त्र उद्योग बन्द हो जाने से लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कई शक्तिशाली देशों की अर्थव्यवस्थाएं तो काफी हद तक शस्त्र उद्योगों पर टिकी हुई हैं। अतः यदि शस्त्र नियन्त्रण के प्रयास किए जाते हैं तो उनको भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।

9. निःशस्त्रीकरण के प्रयासों में ईमानदारी का अभाव (Lack of Honesty in the efforts of Disarma ment):
विभिन्न राज्यों द्वारा निःशस्त्रीकरण की दिशा में अब तक जितने भी प्रयास किए गए हैं, उनमें ईमानदारी व निष्ठा का साफ़ तौर पर अभाव देखा जा सकता है। प्रत्येक राष्ट्र आदर्शों की बात करके दूसरे राष्ट्र को धोखा देने के प्रयास में लगा रहता है। वास्तव में कोई भी राष्ट्र किसी अन्य राष्ट्र की सैन्य-शक्ति का सही आंकलन नहीं कर सकता। राष्ट्रों द्वारा शस्त्र कटौती के लिए प्रस्तुत समझौते में आंकड़े कुछ और होते हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और होती है।

10. निष्कर्ष (Conclusion):
इस प्रकार उपरोक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि नि:शस्त्रीकरण की समस्या एक गम्भीर अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है और इसके मार्ग में अनेक समस्याएं हैं। अब समय आ गया है कि अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय निःशस्त्रीकरण की दिशा में ईमानदारी, आपसी विश्वास और सहयोग का परिचय दें तथा मानव जाति के अस्तित्व को चिरकाल तक सुरक्षित रहने दें। यह एक सकारात्मक पक्ष है कि आज विश्व जनमत निःशस्त्रीकरण के पक्ष में है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता के कोई चार कारण लिखिये।
अथवा
निःशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है ? किन्हीं चार कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • विश्व शांति व सुरक्षा के लिए-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व-शांति व सुरक्षा की स्थापना संभव है।
  • आर्थिक विकास में सहायक-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा विकासशील देश अपना आर्थिक विकास कर सकते हैं।
  • अन्तर्राष्ट्रीय तनाव में कमी-नि:शस्त्रीकरण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पाये जाने वाले तनावों में कमी करता है।
  • सैनिक गठबन्धनों में कमी-निःशस्त्रीकरण से सैनिक गठबन्धनों में कमी आती है।

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली किन्हीं चार बाधाओं का उल्लेख कीजिये।
अथवा
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली किन्हीं चार प्रमुख समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:

  • विभिन्न राजनीतिक समस्याएं-नि:शस्त्रीकरण के प्रयासों में अनेक राजनीतिक समस्याएं बाधा बनती हैं।
  • वर्चस्व की भावना-प्रत्येक राष्ट्र की वर्चस्व की भावना नि:शस्त्रीकरण के मार्ग में बाधा पैदा करती है।
  • शक्ति के अनुपात की समस्या-निःशस्त्रीकरण में एक बाधा शक्ति के अनुपात की समस्या है।
  • ईमानदारी का अभाव-निःशस्त्रीकरण के अब तक जितने भी प्रयास किये गए हैं, उनमें ईमानदारी का अभाव साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।

प्रश्न 3.
सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की परंपरागत धारणा में सबसे बड़ी चिंता सैनिक खतरे से सम्बन्धित होती है। इस प्रकार के खतरे का स्रोत कोई दूसरा देश होता है। शत्रु देश दूसरे देश को सैनिक हमले की धमकी देकर उसकी प्रभुसत्ता, अखंडता तथा स्वतंत्रता के लिए खतरा उत्पन्न करता है। इस प्रकार के सैनिक हमले में न केवल सैनिक ही मारे जाते हैं, बल्कि बड़ी संख्या में सामान्य नागरिक भी हताहत होते हैं, तथा करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो जाती है।

सैन्य हमले के साथ साथ आतंकवाद भी सुरक्षा की एक महत्त्वपूर्ण चिंता बनी हुई है। वर्तमान समय में आतंकवाद पूरे विश्व के लिए खतरा बना हुआ है। 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आंतकवादी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। भारत भी एक लंबे समय से आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार की परिस्थितियों ने वर्तमान समय में मौजूद चुनौतियों को अधिक गंभीर कर दिया है।।

प्रश्न 4.
शक्ति सन्तुलन क्या है ? व्याख्या करें।
अथवा
‘शक्ति सन्तुलन’ पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
शक्ति सन्तुलन का अर्थ है कि किसी भी देश को इतना सबल नहीं बनने दिया जाए कि वह दूसरों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाए। शक्ति सन्तुलन के अन्तर्गत विभिन्न राष्ट्र अपने आपसी शक्ति सम्बन्धों को बिना शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतन्त्रतापूर्वक संचालित करते हैं। इस प्रकार यह एक विकेन्द्रित व्यवस्था है, जिसमें शक्ति,तथा नीतियां निर्माणक इकाइयों के हाथों में ही रखी जाती हैं।

1. सिडनी बी० फे० के अनुसार, “शक्ति सन्तुलन सभी राष्ट्रों में इस प्रकार की व्यवस्था है, कि उनमें से किसी भी सदस्य को इतना सबल बनने से रोका जाए, कि वह अपनी इच्छा को दूसरों पर न लाद सके।”
2. मॉर्गन्थो के अनुसार, “शक्ति सन्तुलन अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में सामान्य सामाजिक सिद्धान्त की अभिव्यक्ति है।”

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 5.
बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा के चार घटक कौन-कौन से हैं ?
अथवा
परम्परागत सुरक्षा के किन्हीं चार तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा के चार घटक निम्नलिखित हैं

  • निःशस्त्रीकरण-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक निःशस्त्रीकरण है।
  • शस्त्र नियन्त्रण-शस्त्र नियन्त्रण द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।
  • सन्धियां-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटक सन्धियां हैं, क्योंकि सन्धि द्वारा दो या दो से अधिक देशों में मित्रता हो सकती है।
  • विश्वास बहाली-दो या दो से अधिक देशों द्वारा परस्पर विश्वास बहाली के प्रयासों द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
आन्तरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कोई चार कारण लिखें।
उत्तर:

  • आन्तरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व आतंकवाद है।
  • आन्तरिक सुरक्षा को प्रभावित करने वाला दूसरा महत्त्वपूर्ण कारक अलगाववाद है।
  • साम्प्रदायिकता आन्तरिक सुरक्षा के मार्ग में एक बड़ी बाधा मानी जाती है।
  • जातिवादी हिंसा ने भी आन्तरिक सुरक्षा को बहुत अधिक प्रभावित किया है।

प्रश्न 7.
परमाणु अप्रसार सन्धि (NPT) 1968 के किन्हीं चार प्रावधानों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • NPT के नियमों के अनुसार परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र, परमाणु शक्ति विहीन राष्ट्रों को परमाणु बम बनाने की जानकारी नहीं देंगे।
  • परमाणु शक्ति सम्पन्न राज्य परमाणु अस्त्र प्राप्त करने पर परमाणु शक्ति विहीन राज्यों की मदद नहीं करेंगे।
  • परमाणु शक्तिविहीन राष्ट्र परमाणु बम बनाने का अधिकार त्याग देंगे।
  • परमाणु अस्त्रों के परीक्षण और विस्फोटों पर रोक लगाने की अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए।

प्रश्न 8.
आतंकवाद किसे कहते हैं ?
उत्तर:
आतंक को अंग्रेजी में ‘टैरर’ (Terror) कहते हैं, जोकि लैटिन भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ आतंक की गतिविधियों से लिया जाता है। सामान्य रूप से जब एक समूह का संगठन अपनी मांगों को मनवाने के लिए, बम विस्फोट, जहाज़ों का अपचालन तथा अनावश्यक रूप से जान-माल की हानि करता है, तो उसे आतंकवाद की घटना कहा जा सकता है। श्वार्जनबर्गर के अनुसार, “एक आतंकवादी घटना को उसके तात्कालिक लक्ष्य के सन्दर्भ में सर्वश्रेष्ठ तरीके से परिभाषित किया जा सकता है। यह लक्ष्य है, डर पैदा करने के लिए शक्ति का प्रयोग करना और अपने लक्ष्यों को पूरा करना।”

प्रश्न 9.
आतंकवाद की वद्धि के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
1. असमान विकास-सम्पूर्ण विश्व का समान विकास नहीं हुआ है। अधिकांश विकसित देश, विकासशील देशों का शोषण करके अपना विकास कर रहे हैं, जिसके कारण विकासशील देशों के कुछ वर्गों में ऐसी भावनाएं पैदा होती हैं, कि वे आतंकवादी घटनाओं की ओर अग्रसर हो जाते हैं।

2. कट्टरवादिता में वृद्धि-विश्व स्तर पर आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं का एक अन्य कारण विभिन्न धर्मों में बढ़ती कट्टरवादिता है जिसके कारण एक धर्म के लोग, अपने धर्म को बचाने के लिए प्रायः हिंसक गतिविधियां करते हैं।

प्रश्न 10.
आतंकवाद को किस तरह रोका जा सकता है ? कोई चार उपाय बताएं।
उत्तर:

  • विश्व का एक समान विकास करना चाहिए, ताकि कोई भी देश या उस देश के लोग अपने आप को उपेक्षित अनुभव न करें।
  • देशों को ऐसे प्रयास करने चाहिए कि लोगों में नस्ल, धर्म, जाति एवं भाषा के आधार पर कट्टरवादिता न बढ़े।
  • विश्व स्तर पर ग़रीबी एवं निरक्षरता को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
  • आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए विभिन्न देशों को कानून बनाने चाहिएं।

प्रश्न 11.
विश्व की सुरक्षा की दृष्टि से किन्हीं चार खतरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व की सुरक्षा की दृष्टि से चार खतरे निम्नलिखित हैं

  • अकाल, महामारी एवं प्राकृतिक आपदा
  • अभाव तथा भय
  • वैश्विक तापवृद्धि तथा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद
  • एड्स तथा बर्ड फ्लू।

प्रश्न 12.
वैश्विक ग़रीबी पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विश्व में आज सबसे बड़ी समस्याओं में से एक वैश्विक ग़रीबी है। यद्यपि ग़रीबी सम्पूर्ण विश्व में पाई जाती है। परन्तु विकासशील तथा नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों में यह अधिक खतरनाक रूप में विद्यमान है। अधिकांश विकासशील देशों में लोगों को खाद्य पदार्थ प्राप्त नहीं हैं, जिसके कारण उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। विभिन्न देशों में रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसके कारण सभी लोगों को रोज़गार नहीं मिल पाता।

अत: वे लोग ग़रीबी की अवस्था में जीवन बिताने के लिए विवश रहते हैं। वर्तमान समय में लगभग 1.2 बिलियन जनसंख्या को प्रतिदिन केवल एक डॉलर पर ही गुजारा करना पड़ता है। इस आंकड़े से विश्व में गरीबी की भयंकर स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग़रीबी के कारण विकासशील देशों के लोगों को कुपोषण, भुखमरी तथा महामारी इत्यादि से समय-समय पर जूझना पड़ता है। ग़रीबी के कारण लोगों में असुरक्षा की भावना पाई जाती है, तथा वे गलत कार्यों की ओर आकर्षित होने लगते हैं।

प्रश्न 13.
मानवाधिकारों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
लॉस्की के अनुसार, अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियां हैं जिनके बिना कोई मनुष्य अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता। निःसन्देह यह मानवाधिकारों की अत्यन्त व्यापक व्याख्या है। लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिएं। उसे सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, इत्यादि क्षेत्र में अपने स्वाभाविक विकास के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिएं। ये अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को नस्ल, जाति, धर्म, वंश, रंग, लिंग, भाषा इत्यादि के भेदभाव के बिना मिलने चाहिएं।

प्रश्न 14.
मानवाधिकार की चार प्रमुख श्रेणियों का वर्णन करें।
उत्तर:
1. राजनीतिक अधिकार-राजनीतिक अधिकारों में वोट का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार तथा सरकार की आलोचना करने इत्यादि का अधिकार शामिल है।

2. नागरिक अधिकार-नागरिक अधिकारों में कानून के समक्ष समानता का अधिकार, बिना भेदभाव के समान अधिकारों का अधिकार, जीवन का अधिकार तथा स्वतन्त्रता इत्यादि का अधिकार शामिल है।

3. सामाजिक आर्थिक अधिकार-इन अधिकारों में शिक्षा का अधिकार, विवाह करने एवं परिवार बनाने का अधिकार, काम का अधिकार तथा विश्राम का अधिकार इत्यादि शामिल है।

4. मानवाधिकारों की चौथी श्रेणी में जातीय व धार्मिक समूहों एवं पराधीन राष्ट्रों के अधिकार शामिल हैं।

प्रश्न 15.
भारत मानव अधिकारों का प्रबल समर्थक क्यों हैं ? कोई तीन कारण बताकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत निम्नलिखित कारणों से मानव अधिकारों का समर्थन करता है

  • आधुनिक राज्य मानव अधिकारों के बिना न तो विकास कर सकते हैं और न ही शान्ति व्यवस्था कायम कर सकते हैं।
  • मानवीय विकास एवं प्रगति के लिए मानव अधिकार आवश्यक है।
  • भारतीय विदेश नीति विश्व शान्ति एवं मानवता के उत्थान पर आधारित है, इसलिए भी भारत मानव अधिकारों का समर्थन करता है।

प्रश्न 16.
‘प्रवासन’ क्या है? प्रवासन के कोई तीन कारण लिखें।
उत्तर:
प्रवासन का अर्थ है-प्रवासन से हमारा अभिप्राय एक देश के अधिकाधिक लोगों के बेहतर जीवन, विशेष तौर पर आर्थिक अवसरों की तलाश में विकसित देशों या अन्य देशों की ओर पलायन है। परन्तु इससे प्रवासन तथा इससे सम्बन्धित अधिकारों की समस्याएं पैदा हो गई हैं। अधिकांश विकसित देश लगातार अपने प्रवासन कानूनों को जटिल बना रहे हैं ताकि प्रवासियों की संख्या को कम किया जा सके। इसके साथ-साथ प्रवासन के समय प्रवासियों को कई प्रकार के संकटों एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है।

प्रवासन के कारण-

  • प्रवासन का प्रथम कारण रोज़गार की तलाश है।
  • जनसंख्या की वृद्धि के कारण भी प्रवासन होता है।
  • सुरक्षा मुद्दे के कारण भी प्रवासन होता है।

प्रश्न 17.
मानव सुरक्षा (Human Security) से सम्बन्धित किन्हीं चार खतरों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1. आतंकवाद-आतंकवाद मानव सुरक्षा के खतरों का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व की सुरक्षा आतंकवाद के कारण खतरे में है।

2. वैश्विक तापवृद्धि-वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) मानव सुरक्षा के खतरे का एक अन्य नया स्रोत है। वैश्विक तापवृद्धि के कारण विश्व का पर्यावरण लगातार खराब हो रहा है जिससे कई प्रकार की नई समस्याएँ पैदा हो रही हैं।

3. नई महामारियाँ-मानव सुरक्षा के नये खतरों के स्रोत में कुछ नई महामारियों को भी शामिल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए बर्ड फ्लू तथा स्वाइन फ्लू ने पिछले वर्षों से विश्व-भर में आतंक मचा रखा है।

4. जनसंहार-मानव सुरक्षा के खतरों में जनसंहार को भी शामिल किया जाता है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निःशस्त्रीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
नि:शस्त्रीकरण का अर्थ शारीरिक हिंसा के प्रयोग के समस्त भौतिक तथा मानवीय साधनों के उन्मूलन से है। सैनिक शक्ति से सम्बन्धित किसी भी तरह के नियन्त्रण अथवा प्रतिबन्ध लगाने के कार्य को निःशस्त्रीकरण कहा जाता है। निःशस्त्रीकरण से हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियन्त्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। नि:शस्त्रीकरण का अर्थ है जो भी हथियार इस समय हैं उनके प्रभाव को कम कर दिया जाए।

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
निःशस्त्रीकरण का अर्थ है अस्त्रों-शस्त्रों का अभाव या अस्त्रों-शस्त्रों को नष्ट करना। वर्तमान में विश्व परमाणु अस्त्रों के भण्डार पर बैठा है। इसलिए निःशस्त्रीकरण आवश्यक है।

(1) शीत युद्ध के दौरान दोनों पक्षों ने अत्याधुनिक अस्त्रों-शस्त्रों का निर्माण किया है। यदि निःशस्त्रीकरण के द्वारा इन हथियारों को नष्ट न किया गया तो इसका प्रयोग मानव जाति के अस्तित्व के लिए भयावह सिद्ध होगा।

(2) विश्व के अधिकांश देश शस्त्रीकरण पर प्रतिवर्ष अरबों डालर खर्च कर देते हैं यदि यही धन विश्व में पाई जाने वाली ग़रीबी, पौष्टिक भोजन और बीमारी पर खर्च हो तो मानव जाति को इन भयानक रोगों से मुक्ति दिलाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में आने वाली तीन कठिनाइयां लिखें।
उत्तर:

  • महाशक्तियों में अस्त्र-शस्त्रों के आधुनिकीकरण के प्रति मोह का होना।
  • एक-दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकता।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के भारत पर पड़ने वाले कोई दो प्रभाव बताओ।
उत्तर:

  • वैश्वीकरण के कारण भारत में विदेशी पूंजी निवेश बढ़ा है। इससे रोजगार के नए-नए अवसर पैदा हुए हैं।
  • वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप मुद्रा स्फीति की दर कम हुई है।

प्रश्न 5.
सुरक्षा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
साधारण शब्दों में सुरक्षा का अर्थ खतरे या संकट से स्वतन्त्रता से लिया जाता है। परन्तु प्राचीन काल से अब तक तथा विश्व के अलग-अलग देशों में सुरक्षा का अलग-अलग अर्थ लिया जाता है।

प्रश्न 6.
सुरक्षा की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
पामर व परकिन्स के अनुसार, “सुरक्षा का स्पष्ट अर्थ है, शान्ति के खतरे से निपटने के लिए उपाय करना।”

प्रश्न 7.
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का वर्णन करें।
उत्तर:
सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का सम्बन्ध मुख्य रूप से बाहरी खतरों से है। इस धारणा में एक-दूसरे को दूसरे देश के सैन्य खतरे की चिन्ता सताती रहती है। अर्थात् सुरक्षा की पारम्परिक धारणा में खतरे का स्रोत विदेशी देश होता है।

प्रश्न 8.
युद्ध की स्थिति में किसी देश के पास कितने विकल्प होते हैं ?
उत्तर:
युद्ध की स्थिति में किसी देश के पास मुख्यतः तीन विकल्प होते हैं

  • आत्मसमर्पण करना,
  • आक्रमणकारी देश की शर्ते मानना,
  • आक्रमणकारी देश को युद्ध में हराना।

प्रश्न 9.
शक्ति सन्तुलन के कोई दो महत्त्व बताएं।
उत्तर:

  • शक्ति सन्तुलन युद्ध की सम्भावना को कम करता है।
  • शक्ति सन्तुलन कमज़ोर राष्ट्रों को सुरक्षा प्रदान करता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 10.
गठबन्धन से आप क्या अर्थ लेते हैं ?
अथवा
गठबन्धन क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर:
गठबन्धन पारम्परिक सुरक्षा की एक महत्त्वपूर्ण धारणा है। एक गठबन्धन में कई देश सम्मिलित होते हैं। गठबन्धनों को लिखित नियमों एवं उपनियमों द्वारा एक औपचारिक रूप दिया जाता है। प्रत्येक देश गठबन्धन प्रायः अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए करता है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय हितों के बदलने पर निष्ठाएं भी बदल जाती हैं। उदाहरण देकर व्याख्या करें।
उत्तर:
राष्ट्रीय हितों के बदलने पर प्रायः निष्ठाएं भी बदल जाती हैं। उदाहरण के लिए 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका ने सोवियत संघ के विरुद्ध तालिबान का समर्थन किया, परन्तु 9/11 की घटना के बाद अमेरिका ने तालिबान और अलकायदा के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया।

प्रश्न 12.
नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों के सामने सुरक्षा की क्या समस्याएं आईं थीं ?
उत्तर:

  • नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों के सामने सबसे बड़ी समस्या इन देशों के भीतर उठने वाले अलगाववादी आन्दोलन थे।
  • नवस्वतन्त्रता प्राप्त देशों को अलगाववादी आन्दोलन के साथ-साथ पड़ोसी देशों के साथ पाए जाने वाले तनावपूर्ण सम्बन्धों का भी सामना करना पड़ रहा था।

प्रश्न 13.
किन दो प्रकार के खतरनाक हथियारों के निर्माण पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है ?
उत्तर:

  • जैविक हथियारों के निर्माण को रोकने के लिए 1972 में जैविक हथियार सन्धि (Biological Weapons Convention) की गई।
  • रासायनिक हथियारों के निर्माण को रोकने के लिए 1992 में रासायनिक हथियार सन्धि (Chemical Weapon Conventions) की गई।

प्रश्न 14.
एंटी बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र सन्धि (ABM) किन दो देशों के बीच हुई ?
उत्तर:
एंटी बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र सन्धि शीत युद्ध के दौरान (1972) संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ के बीच हुई थी। इस सन्धि के द्वारा दोनों देशों ने बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्रों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। अतः इस सन्धि ने बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्रों के व्यापक उत्पादन पर रोक लगा दी।

प्रश्न 15.
सुरक्षा की गैर-परंपरागत अवधारणा क्या है ?
उत्तर:
सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा के विषय में यह कहा जाता है, कि केवल राज्यों को ही सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि सम्पूर्ण मानवता को सुरक्षा की आवश्यकता होती है। अतः सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा में सम्पूर्ण मानवता को हानि पहुंचाने वाले खतरों को शामिल किया है।

प्रश्न 16.
नागरिक सुरक्षा एवं राज्य सुरक्षा में कोई दो सम्बन्ध बताएं।
उत्तर:

  • नागरिक सुरक्षा एवं राज्य सुरक्षा एक-दूसरे के पूरक हैं।
  • राज्य सुरक्षा पर नागरिक सुरक्षा को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 17.
विश्व सुरक्षा की धारणा की उत्पत्ति के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • विश्व को निरन्तर वैश्विक तापन, आतंकवाद, महामारियां तथा गृहयुद्ध की समस्याओं ने विश्व सुरक्षा की धारणा पैदा की है।
  • इन समस्याओं का सामना कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता, अतः सभी देशों ने मिलकर विश्व सुरक्षा का दायित्व लिया है।

प्रश्न 18.
‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ से आप क्या लेते हैं ?
उत्तर:
‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ उन्हें कहा जाता है, जो अपने मूल निवास से तो विस्थापित हो चुके हों परन्तु, उन्होंने उसी देश में किसी अन्य भाग पर शरणार्थी के रूप में रहना शुरू कर दिया है। कश्मीरी पण्डित ‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन माने जाते हैं।’

प्रश्न 19.
मैड काऊ (Mad Cow) की घटना के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1990 के दशक में इंग्लैण्ड में जानवरों में फैलने वाली बीमारी को मैड काऊ (Mad Cow) कहा जाता है। इस महामारी के कारण इंग्लैण्ड को बहुत अधिक आर्थिक हानि उठानी पड़ी।

प्रश्न 20.
क्योटो प्रोटोकोल की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैश्विक तापन की समस्या से निपटने के लिए 1997 में भारत सहित कई देशों ने क्योटो प्रोटोकोल पर हस्ताक्षर किये थे। क्योटो प्रोटोकोल के अनुसार ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।

प्रश्न 21.
स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
विश्व के अधिकांश देशों को आज स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 20 मिलियन लोगों की मृत्यु ऐसी बीमारियों से हुई, जिनका इलाज सम्भव था, इससे स्पष्ट है कि आर्थिक सम्पन्नता, चिकित्सा एवं वैज्ञानिक उन्नति का सभी लोगों को फायदा नहीं मिल रहा। आज भी विकासशील देशों के लोग चेचक, हैजा, प्लेग तथा एड्स जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।

प्रश्न 22.
विश्व स्तर पर शिक्षा की समस्या पर नोट लिखें।
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व के सभी लोगों को शिक्षा देना भी एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। विश्व के अधिकांश देशों विशेषकर विकासशील देशों में बहुत अधिक निरक्षरता पाई जाती है। अशिक्षित व्यक्ति चालाक लोगों की बातों में आकर गलत कार्य करने लगते हैं। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र संघ के एक महत्त्वपूर्ण अभिकरण यूनेस्को ने विश्व स्तर पर शिक्षा की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

प्रश्न 23.
‘प्रवासन’ (माइग्रेशन) का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रवासन से हमारा अभिप्राय एक देश के अधिकाधिक लोगों के बेहतर जीवन, विशेष तौर पर आर्थिक अवसरों की तलाश में विकसित देशों या अन्य देशों की ओर पलायन है। परन्तु इससे प्रवासन तथा इससे सम्बन्धित अधिकारों की समस्याएं पैदा हो गई हैं। अधिकांश विकसित देश लगातार अपने प्रवासन कानूनों को जटिल बना रहे हैं ताकि प्रवासियों की संख्या को कम किया जा सके। इसके साथ-साथ प्रवासन के समय प्रवासियों को कई प्रकार के संकटों एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 24.
‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जो लोग अपना घर-बार छोड़कर राष्ट्रीय सीमा के अन्दर ही कहीं और रहते हों, उन्हें ‘आन्तरिक रूप से विस्थापित जन’ कहते हैं ।

प्रश्न 25.
मानव सुरक्षा का (Human Security) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मानव सुरक्षा का अर्थ है कि एक व्यक्ति की हर प्रकार से रक्षा की जाए, अर्थात् व्यक्ति की गरीबी, भूख, बेरोज़गारी तथा आतंक से रक्षा की जाए।

प्रश्न 26.
युद्ध से आप क्या अर्थ लेते हैं ? इसके क्या परिणाम होते हैं ?
उत्तर:
दो या दो से अधिक देशों के बीच विनाशकारी अस्त्रों-शस्त्रों से होने वाले झगड़े को युद्ध की संज्ञा दी जाती है। युद्ध के परिणामस्वरूप अत्यधिक विनाश एवं जान माल की क्षति होती है। युद्ध के कारण कई लोग विकलांगता के शिकार हो जाते हैं तथा महिलाएं विधवा हो जाती हैं। अधिकांश लोगों को कई प्रकार की बीमारियां जकड़ लेती हैं। युद्ध के परिणामस्वरूप शहर के शहर तथा गांव के गांव नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 27.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा कब की ? किन्हीं दो मानवाधिकारों के नाम लिखो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा 10 दिसम्बर, 1948 को की। दो महत्त्वपूर्ण मानवाधिकारों के नाम इस प्रकार हैं

  • जीवन की सुरक्षा तथा स्वतन्त्रता का अधिकार।
  • विवाह करने एवं पारिवारिक जीवन का अधिकार।

प्रश्न 28.
गठबन्धन मुख्य रूप से किस पर आधारित होता है ?
उत्तर:
गठबन्धन प्रायः राष्ट्रीय हितों पर आधारित होते हैं तथा राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबन्धन भी बदल जाते हैं।

प्रश्न 29.
परम्परागत सुरक्षा के किन्हीं चार तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा के चार तत्त्वों का उल्लेख इस प्रकार है

  • निःशस्त्रीकरण-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक निःशस्त्रीकरण है।
  • शस्त्र नियन्त्रण-शस्त्र नियन्त्रण द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।
  • सन्धियां-बाहरी खतरों से सम्बन्धित परम्परागत सुरक्षा की धारणा का एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटक नि:शस्त्रीकरण।
  • विश्वास बहाली–दो या दो से अधिक देशों द्वारा परस्पर विश्वास बहाली के प्रयासों द्वारा भी बाहरी खतरों को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 30.
वर्तमान में विश्व के समक्ष किन्हीं चार प्रमुख खतरों के नाम लिखें।
अथवा
किन्हीं चार विश्वव्यापी खतरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • अकाल, महामारी, प्राकृतिक आपदाओं,
  • अभाव तथा भय,
  • वैश्विक तापवृद्धि तथा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद,
  • एड्स तथा बर्ड फ्लू से खतरा है।

प्रश्न 31.
विश्वास बहाली की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
विश्वास की बहाली से हमारा अभिप्राय परस्पर प्रतिद्वंद्विता वाले राष्ट्रों के द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वी राष्ट्र का विश्वास प्राप्त करने के प्रयत्न करने से है। इसके द्वारा परस्पर विरोधी राष्ट्रों में हिंसात्मक गतिविधियों को कम किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत विभिन्न राष्ट्र सैन्य टकराव और प्रतिद्वंद्विता को टालने के उद्देश्य से सूचनाओं तथा विचारों का नियमित आदान-प्रदान करते हैं। ऐसे राष्ट्र अपने सैन्य उद्देश्य व लक्ष्य तथा सीमित मात्रा में सामरिक योजनाओं के विषय में भी जानकारी उपलब्ध करवाते हैं।

प्रश्न 32.
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ था?
उत्तर:
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला 13 दिसम्बर, 2001 को हुआ था।

प्रश्न 33.
भारत की सुरक्षा नीति के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत दक्षिण एशिया का एक महत्त्वपूर्ण देश है। भारत को पारम्परिक और अपारम्परिक दोनों प्रकार के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। अत: भारत ने सरक्षा की दृष्टि से कछ महत्त्वपूर्ण प्रयास किए हैं।

(1) भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को मज़बूत बनाया है तथा लगातार उसे आधुनिक बनाने में लगा हुआ है। भारत के दो महत्त्वपूर्ण पड़ोसियों के पास परमाणु हथियार हैं। अतः अपनी सुरक्षा के लिए भारत ने भी परमाणु हथियारों का निर्माण किया है।

(2) भारत ने सुरक्षा की दृष्टि से अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं कानूनों को और अधिक प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया है।

प्रश्न 34.
युद्ध की स्थिति में किसी देश के पास मुख्य विकल्प क्या होते हैं ?
उत्तर:

  • युद्ध के आक्रमणकारी देश को हराना।
  • समर्थक न होने पर आत्म-समर्पण कर देना।

वस्तुनिष्ठ

1. सुरक्षा का अर्थ है
(A) अधीनता से आजादी
(B) खतरे से आज़ादी
(C) समानता से आजादी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(B) खतरे से आज़ादी।

2. वर्तमान समय में मानव जाति को किससे खतरा है ?
(A) परमाणु हथियारों से
(B) आतंकवाद से
(C) प्राकृतिक आपदाओं से
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

3. 11 सितम्बर, 2001 को किस देश पर आतंकवादी हमला हुआ ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) रूस
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका।
उत्तर:
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका।

4. भारत के कितने पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं ?
(A) 2
(B) 4
(C) 5
(D) 6.
उत्तर:
(A) 2.

5. भारत समर्थन करता है ?
(A) युद्ध का
(B) निःशस्त्रीकरण का
(C) आतंकवाद का
(D) परमाणु हथियारों का।
उत्तर:
(B) नि:शस्त्रीकरण का।

6. व्यापक परमाणु परीक्षण सन्धि (C.T.B.T.) पर हस्ताक्षर करने की शुरुआत किस वर्ष हुई ?
(A) 1996
(B) 1998
(C) 2000
(D) 2002.
उत्तर:
(A) 1996.

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

7. भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ ?
(A) जनवरी, 2001
(B) मार्च, 2001
(C) जून, 2001
(D) दिसम्बर, 2001.
उत्तर:
(D) दिसम्बर, 2001.

8. विश्व की सुरक्षा को किससे खतरा है ?
(A) आतंकवाद से
(B) ग़रीबी से
(C) परमाणु शस्त्रों से
(D) उपरोक्त सभी से।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी से।

9. वैश्विक सुरक्षा को किससे खतरा है ?
(A) आतंकवाद से
(B) ग़रीबी से
(C) शस्त्रीकरण से
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

10. सीमित परमाणु परीक्षण संधि (L.T.B.T.) किस वर्ष की गई ?
(A) सन् 1963 में
(B) सन् 1965 में
(C) सन् 1970 में
(D) सन् 1975 में।
उत्तर:
(A) सन् 1963 में।

11. परमाणु अप्रसार संधि (N.P.T.) कब की गई ?
(A) सन् 1965 में
(B) सन् 1968 में
(C) सन् 1970 में
(D) सन् 1971 में।
उत्तर:
(B) सन् 1968 में।

12. शक्ति सन्तुलन स्थापित करने के तरीके हैं
(A) गठजोड़
(B) निःशस्त्रीकरण
(C) क्षतिपूर्ति
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

13. विश्व में उभरने वाला खतरे का नया स्त्रोत है
(A) एड्स
(B) आतंकवाद
(C) स्वाइन फ्लू
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

14. किस देश ने अभी तक ‘व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि’ (C.T.B.T.) पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं?
(A) ब्रिटेन
(B) फ्रांस
(C) भारत
(D) अमेरिका।
उत्तर:
(C) भारत।

15. “सुरक्षा का अर्थ है शान्ति के खतरे से निपटने के लिए उपाय करना।” यह कथन किसका है ?
(A) लॉस्की
(B) पामर व परकिन्स
(C) सेबाइन
(D) बेंथम।
उत्तर:
(B) पामर व परकिन्स।

16. निम्नलिखित सैन्य संगठन अभी भी मौजूद है :
(A) नाटो (NATO)
(B) सीटो (SEATO)
(C) वारसा पैक्ट (Warsaw Pact)
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) नाटो (NATO).

17. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा मानव-अधिकारों की घोषणा कब की गई ?
(A) 10 दिसम्बर, 1948 को
(B) 15 अगस्त, 1947 को
(C) 24 अक्तूबर, 1945 को
(D) 1 मई, 1950 को।
उत्तर:
(A) 10 दिसम्बर, 1948 को।

18. ‘आतंकवाद’ सुरक्षा के लिये किस प्रकार का खतरा है ?
(A) परम्परागत खतरा
(B) अपरम्परागत खतरा
(C) उपरोक्त दोनों
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(B) अपरम्परागत खतरा।

19. “अन्तिम ग़रीबी समस्त मानव समुदाय के लिए बड़ी समस्या है।” यह कथन किसका है ?
(A) बान की मून
(B) कौफी अन्नान
(C) पं० नेहरू
(D) सरदार पटेल।
उत्तर:
(B) कौफी अन्नान।

20. निम्नलिखित में से कौन-सा सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का उपाय नहीं है ?
(A) प्रतिरक्षा
(B) शक्ति सन्तुलन
(C) असीमित सत्ता
(D) नि:शस्त्रीकरण।
उत्तर:
(C) असीमित सत्ता।।

21. पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पुलवामा में आतंकी हमला कब किया ?
(A) 14 फरवरी, 2019
(B) 4 फरवरी, 2018
(C) 14 फरवरी, 2017
(D) 14 फरवरी, 2016.
उत्तर:
(A) 14 फरवरी, 2019.

22. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकाने बालाकोट पर कब हमला किया ?
(A) 26 फरवरी, 2019
(B) 26 फरवरी, 2018
(C) 26 फरवरी, 2017
(D) 26 फरवरी, 2016.
उत्तर:
(A) 26 फरवरी, 2019.

23. आन्तरिक सुरक्षा को कौन-सा तत्व प्रभावित करता है ?
(A) अलगाववाद
(B) आतंकवाद
(C) भूमि-पुत्र का सिद्धान्त
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

24. भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना कब हुई ?
(A) 1993 में
(B) 1994 में
(C) 1990 में
(D) 1996 में।
उत्तर:
(A) 1993 में।

25. मानववाद के प्रति भारत का दृष्टिकोण
(A) सकारात्मक रहा है
(B) विरोधी रहा है
(C) उदासीन रहा है
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) सकारात्मक रहा है।

26. निम्नलिखित में से कौन-सा सुरक्षा की पारम्परिक धारणा का उपाय नहीं है?
(A) प्रतिरक्षा
(B) शक्ति सन्तुलन
(C) असीमित सत्ता
(D) निःशस्त्रीकरण।
उत्तर:
(C) असीमित सत्ता।

27. भारत ने प्रथम परमाणु परीक्षण कब किया?
(A) 1974 में
(B) 1978 में
(C) 1980 में
(D) 1985 में।
उत्तर:
(A) 1974 में।

28. निम्न में से एक विश्वव्यापी खतरा है ?
(A) आतंकवाद
(B) वैश्विक तापवृद्धि
(C) विश्वव्यापी ग़रीबी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

29. सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा का अभिप्राय है ?
(A) शक्ति सन्तुलन
(B) सैन्य संगठनों का निर्माण
(C) निःशस्त्रीकरण
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

30. संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा की।
(A) सन् 1945 में
(B) सन् 1947 में
(C) सन् 1948 में
(D) सन् 1950 में।
उत्तर:
(C) सन् 1948 में।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 7 समकालीन विश्व में सरक्षा

31. भारत समर्थन करता है।
(A) युद्ध का
(B) आतंकवाद का
(C) परमाणु हथियारों का
(D) नि:शस्त्रीकरण का।
उत्तर:
(D) नि:शस्त्रीकरण का।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) सुरक्षा का अर्थ ……………. से आजादी है।
उत्तर:
खतरे

(2) भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला सन् ……….. में हुआ।
उत्तर:
2001

(3) भारत की गरीबी का एक मुख्य कारण उसकी ………… जनसंख्या है।
उत्तर:
बढ़ती

(4) भारत निःशस्त्रीकरण का ………… करता है।
उत्तर:
समर्थन

(5) विश्व में …………. ‘मानव अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर:
10 दिसम्बर

(6) भारत की ग़रीबी का मुख्य कारण उसकी बढ़ती हुई ………….. है।
उत्तर:
जनसंख्या

(7) …………… वैश्विक सुरक्षा के लिए एक खतरा है।
उत्तर:
आतंकवाद

(8) विश्व में …………… अपनी सुरक्षा पर सबसे अधिक धन खर्च करता है।
उत्तर:
अमेरिका।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों की घोषणा कब की ?
उत्तर:
10 दिसम्बर, 1948 को।

प्रश्न 2.
वर्तमान में विश्व के समक्ष प्रमुख खतरा कौन-सा है ?
उत्तर:
आतंकवाद।

प्रश्न 3.
क्या एड्स व बर्ड-फ्लू विश्व-सुरक्षा के लिए कोई खतरा है या नहीं ?
उत्तर:
एड्स व बर्ड-फ्लू विश्व-सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा है।

प्रश्न 4.
विश्व सुरक्षा का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
विश्व सुरक्षा का अर्थ है, विश्व की खतरों से मुक्ति।

प्रश्न 5.
‘क्षेत्रीय सुरक्षा’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष की रक्षा को क्षेत्रीय सुरक्षा कहा जाता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *