Author name: Bhagya

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4

Haryana State Board HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4

प्रश्न 1.
बताइए, कश्चन सत्य हैं या असत्य
(a) सभी आयत वर्ग होते हैं ।
(b) सभी सम चतुर्भुज समान्तर चतुर्भुज होते हैं ।
(c) सभी वर्ग सम चतुर्भुज और आयत भी होते हैं ।
(d) सभी वर्ग समान्तर चतुर्भुज नहीं होते हैं ।
(e) सभी पतंगें सम चतुर्भुज होती हैं ।
(f) सभी सम चतुर्भुज पतंग होते हैं ।
(g) सभी समान्तर चतुर्भुज समलम्ब होते हैं ।
(h) सभी वर्ग समलम्ब होते हैं ।
हल :
(a) असत्य
(b) सत्य
(c) सत्य
(d) असत्य
(e) असत्य
(f) सत्य
(g) सत्य
(h) सत्य

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प्रश्न 2.
उन सभी चतुर्भुजों की पहचान कीजिए, जिनमें-
(a) चारों भुजाएँ समान लम्बाई की हो ।
(b) चार समकोण हो ।
हल : (a) समचतुर्भुज और वर्ग →
(b) वर्ग और आयत →

प्रश्न 3.
बताइए कैसे एक वर्ग –
(i) एक चतुर्भुज
(ii) एक समान्तर चतुर्भुज
(iii) एक सम चतुर्भुज
(iv) एक आयत है।
हल :
(i) एक वर्ग में चार भुजाएँ होती हैं।
(ii) एक वर्ग की सम्मुख भुजाएँ समान्तर होती हैं ।
(iii) एक वर्ग की सभी भुजाएँ बराबर होती हैं तथा विकर्ण एक दूसरे को समकोण पर समद्विभाजित करते हैं ।
(iv) एक वर्ग के सभी कोण समकोण होते हैं ।

प्रश्न 4.
एक चतुर्भुज का नाम बताइए जिसके विकर्ण :
(i) एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हों,
(ii) एक दूसरे पर लम्ब-समद्विभाजक हों,
(iii) बराबर हो ।
हल :
(i) समान्तर चतुर्भुज, सम चतुर्भुज, वर्ग, आयत के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं ।
(ii) समचतुर्भुज और वर्ग के विकर्ण एक-दूसरे को लम्ब-समद्विभाजित करते हैं ।
(iii) वर्ग और आयत के विकर्ण बराबर होते हैं।

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प्रश्न 5.
बताइए एक आयत उत्तल चतुर्भुज है।
हल :
किसी आयत में जब हम इसके बिन्दुओं को मिलाते हैं, तो इसके दोनों विकर्ण अभ्यतंर में स्थित होते हैं तथा इसके प्रत्येक कोण 180° से कम होते है।

प्रश्न 6.
ABC एक समकोण त्रिभुज है। ‘0’ समकोण की सम्मुख भुजा का मध्यबिन्दु है । बताइए कैसे ‘0’ बिन्दु A, B तथा C से समान दूरी पर स्थित है ? (बिन्दुओं में चिह्नित अतिरिक्त भुजाएं आपकी सहायता के लिए खींची गई हैं।)
हल :
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.4 - 1
AD || BC तथा AB || CD की रचना की ।
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं ।
∴ OA = OB = OC.
अत: O, बिन्दु A, B तथा C से समान दूरी पर है।

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HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

Haryana State Board HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 1.
ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है। प्रत्येक कथन को परिभाषा या प्रयोग किये गये गुण द्वारा पूरा कीजिए।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 1
(i) AD = ……………….
(ii) ∠DCB = ………..
(iii) OC = ………….
(iv) m ∠DAB + m ∠CDA = …………
हल :
(i) AD = BC (∵ समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ समान होती हैं ।)
(ii) ∠DCB = ∠DAB (∵ समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण समान होते हैं ।)
(iii) OC = OA (∵ समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण । एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं ।)
(iv) m∠DAB + m∠CDA = 180°. (∵ समान्तर चतुर्भुज में दो आसन्न अन्तःकोणों का योग 180° होता है।)

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प्रश्न 2.
निम्नांकित समान्तर चतुर्भुजों में अज्ञात के मानों को ज्ञात कीजिए:
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 2
हल :
(i) समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण समान होते हैं।
अत: ∠D = ∠B तथा ∠A = ∠C
∴ y = 100°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 3
समान्तर चतुर्भुज के दो आसन्न कोणों का योग = 180° होता है ।
∴ ∠A + ∠B = 180°
z + 100° = 180°
z = 180° – 100° = 80°
∴ z = 80°

परन्तु. ∠C = ∠A
∴ x = 80°
अतः x = 80°, y = 100° तथा z = 80°

(ii) समान्तर चतुर्भुज के दो आसन्न कोणों का योग 180° होता है।
∴ 50° + x = 180°
∴ x = 180°- 50° = 130°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 4
अतः ∠x = 130°
परन्तु ∠x = ∠y
∠y = 130° (संगत कोण हैं)

तथा ∠x = ∠z
∠z = 130°
अतः x = 130°, y = 130° तथा z = 130°

(iii) ∠AOB = ∠COD शीर्षाभिमुख कोण है
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 5
90° = x
∴ x = 90°
∵ x + y + 30° = 180° (∵ ∆ COD के अन्त:कोणों का योग = 180° है)
⇒ 90° + y + 30° = 180°
⇒ y + 120° = 180°
⇒ y = 180° – 120° = 60°
∴ y = 60°
∵ एकान्तर कोण, y = z
∴ z = 60°
अतः x = 90°, y = 60° तथा z = 60°

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

(iv) समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण समान होते हैं ।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 6
∴ ∠D = ∠B
∠D = 80°
अत: आसन्न अन्त:कोण हैं।
परन्तु, ∠A + ∠B = 180°
x + 80° = 180°
∴ x = 180°- 80° = 100°
अत: x = 100°

∵ AB || CD
z = ∠B (संगत कोण).
∴ z = 80°
अतः x = 100°, y = 80° तथा z = 80°

(v) HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 7
∵ ∠D = ∠B
∴ y = 112°
परन्तु, ∆ ACD में,
⇒ x + y + 40° = 180°
⇒ x + 112° + 40° = 180°
⇒ x + 152° – 180°
∴ x = 180° – 152° = 28°
अत: x = 28°

∵ CD || AB तथा AC तिर्यक् रेखा है
∴ x = z (एकान्तर कोण)
28° = z
∴ z = 28°
अतः x = 28°, y = 112° तथा z = 28°

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 3.
क्या एक चतुर्भुज ABCD समान्तर चतुर्भुज हो सकता है, यदि:
(i) ∠D + ∠B = 180° ?
(ii) AB = DC = 8 सेमी, AD = 4 सेमी और BC = 4.4 सेमी ?
(iii) ∠A = 70° और ∠C = 65° ?
हल :
(i) ∠D+ ∠B = 180° वर्ग में यह कथन सत्य है, क्योंकि वर्ग के प्रत्येक अन्त:कोण का मान 90° होता है, परन्तु अन्य समान्तर चतुर्भुज में सम्भव नहीं है।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 8

(ii) यह समान्तर चतुर्भुज नहीं हो सकता है: क्योंकि समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएँ समान होती है।
लेकिन यहाँ, AD ≠ BC
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 9

(iii) नहीं, क्योंकि समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण समान होते हैं।
अत: यहाँ ∠A ≠ ∠C.
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 10

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 4.
एक चतुर्भुज की कच्ची आकृति खींचिए, जो समान्तर चतुर्भुज न झे, परन्तु जिसके दो सम्मुख कोणों की माप बराबर हो ।
हल :
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 11
पतंग ABCD में,
AB = AD तथा CB = CD है|
यह पतंग ABCD समान्तर चतुभुज नहीं है।
लेकिन, ∠ABC = ∠ADC
अतः इसके सम्मुख कोण बराबर होते हैं।

प्रश्न 5.
किसी समान्तर चतुर्भुज के दो आसन्न कोणों का अनुपात 3:2 है । समान्तर चतुर्भुज के सभी कोणों का मान ज्ञात कीजिए।
हल :
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 12
दिया है-दो आसन्न कोणों का अनुपात 3 : 2 है।
अत: दो आसन्न कोण 3x तथा 2x हैं।
∵ समान्तर चतुर्भुज के दो आसन्न कोणों का योग 180° होता है।
∵ ∠A + ∠B = 180°
⇒ 3x + 2x = 180°
⇒ 5x = 180°
x = \(\frac { 180° }{ 5 }\)
अतः ∠A = 3x = 3 × 36° = 108°
तथा ∠B = 2x = 2 × 36° = 72°

∵ समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण समान होते है।
अत: ∠C = ∠A = 108° तथा ∠D = ∠B = 72°
अत: ∠A= 108°, ∠B = 72°, ∠C= 108° तथा ∠D = 72°

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प्रश्न 6.
किसी समान्तर चतुर्भुज के दो आसन्न कोणों की माप बराबर है। इस चतुर्भुज के सभी कोणों की माप ज्ञात कीजिए।
हल :
माना कि ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण समान होते हैं ।
∠A = ∠C
और ∠B = ∠D
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 13
∵ समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों का योग 180° होता है ।
∵ ∠A + ∠B = 180°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 14
परन्तु, ∠A = ∠B
∠A + ∠A = 180°
∠2A = 180°
∠A = \(\frac{180°}{2}\) = 90°
अत: ∠A = ∠B = ∠C = ∠D = 90°
अतः प्रत्येक कोण 90° का होगा ।
अत: हम कह सकते हैं कि यह समान्तर चतुर्भुज, एक आयत या वर्ग होगा ।

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प्रश्न 7.
संलग्न आकृति HOPE एकसमान्तर चतुर्भुज है। और कोणों की माप ज्ञात कीजिए । ज्ञात करने में प्रयोग किये गये गुणों को बताइए।
हल :
HOPE एक समान्तर चतुर्भुज है।
∆ HOP में,
∠HOP = 180° – 70° = 110°
अत: ∠HOP = 110°
समान्तर चतुर्भुज के आसन्न कोणों का योग 180° होता है।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 15
अत: ∠EHO + ∠HOP = 180°
40° + z + 110° = 180°
150° + z = 180°
∠z = 180°- 150° = 30°
∠z = 30°

अब, AHOP में,
∠z + ∠y + ∠HOP = 180°
30° + ∠y + 110° = 180°
140° + ∠y = 180°
∠y = 180°- 140°- 40°
∠y = 40°

अब, समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण बराबर होते हैं।
∠HEP = ∠HOP
∠x = 110°
अतः ∠x = 110°
∠y = 40°, ∠z = 30°

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 8.
निम्नांकित आकृतियों GUNS और RUNS समान्तर चतुर्भुज हैं । तथा । ज्ञात कीजिए । (लम्बाई cm में )-
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 16
हल :
(i)GUNS एक समान्तर चतुर्भुज है । समान्तर चतुर्भुज के आमने-सामने की भुजाएँ समान होती है। अत: GU = SN अत: 3y-1326
अतः ∴ GU = SN
अतः 3y – 1 = 26
⇒ 3y = 26 + 1
⇒ 3y = 27
⇒ y = \(\frac{27}{3}\) = 9
∴ y = 9

तथा 3x = 18
⇒ x = \(\frac{18}{3}\)
∴ x = 6
अत: x = 6 तथा y = 9

(ii) RUNS एक समान्तर चतुर्भुज हैं । समान्तर चतुर्भुज के विकर्ण एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं ।
अतः OS = OU
तथा OR = ON
OS = OU
⇒ y + 7 = 20
⇒ y = 20 – 7
∴ y = 13

अब, ON = OR
⇒ x + y = 16
⇒ x + 13 = 16
⇒ x = 16 – 13
∴ x = 3
अत: x = 3 तथा y = 13

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प्रश्न 9.
दी गई आकृति में RISK तथा CLUE दोनों समान्तर चतुर्भुज है,* का मान ज्ञात कीजिए।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 17
हल :
RISK तथा CLUE समान्तर चतुर्भुज हैं।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 18
(i) समान्तर चतुर्भुज RISK में,
∠K + ∠S = 180°
⇒ 120° + ∠S = 180°
⇒ ∠S = 180°- 120° = 60°
अत: ∠S = 60°

अब, समान्तर चतुर्भुज CLUE में,
हम जानते हैं कि सम्मुख कोण समान होते हैं ।
∴ ∠L = ∠E
∴ ∠E = 70°

∆EOS में,
∆ के तीनों कोणों का योग 180° होता है।
∴ ∠E + ∠O + ∠S = 180°
⇒ 70° + x + 60° = 180°
⇒ 130° + x = 180°
⇒ ∠x = 180° – 130° = 50°
अतः x = 50°

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 10.
बताइए कैसे यह आकृति एक समलम्ब है। इसकी कौन सी दो भुजाएँ समान्तर 80 हैं?
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 19
हल :
समलम्ब में, अन्तः आसन्न कोणों का योग 180° होता है।
अत: ∠M + ∠L = 180°
⇒ 100° + 80° = 180°
∴ 180° = 180°
इसलिए, KLMN एक समलम्ब है ।
⇒ \(\overline{\mathrm{NM}}\) || \(\overline{\mathrm{KL}}\).

प्रश्न 11.
निम्न आकृति में m∠C ज्ञात कीजिए, यदि \(\overline{\mathrm{AB}}\) || \(\overline{\mathrm{DC}}\).
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 20
हल :
दिया है, AB || DC
अतः, आसन्न अन्त:कोणों का योग = 180°
⇒ ∠B + ∠C = 180°
⇒ 120°+ ∠C = 180°
⇒ ∠C = 180° – 120° = 60°
अतः ∠C = 60°.

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3

प्रश्न 12.
संलग्न आकृति में s ∠P तथा ∠S की माप ज्ञात | कीजिए । यदि \(\overline{\mathrm{SP}}\).\(\overline{\mathrm{RQ}}\) है । (यदि आप m∠R ज्ञात करते है, तो क्या m∠P को ज्ञात करने की एक से अधिक विधि है।)
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.3 - 21
हल :
दिया है, SP || RQ. अत: अन्तः आसन्न कोणों का योग = 180°
∴ ∠P + ∠Q = 180°
⇒ ∠P + 130° = 180°
⇒ ∠P = 180° – 130° = 50°
∴ ∠P = 50°

अब, ∠R + ∠S = 180°
∠S + 90° = 180°
∠S = 180° – 90° = 90°
∠S = 90°
अत:, ∠P = 50° तथा ∠S = 90°

हाँ, m∠P ज्ञात करने की अन्य विधि भी है।
∴ चतुर्भुज में चारों कोणों का योगफल 360° होता है।
m∠P + m∠Q + m∠R + m∠S = 360°
⇒ m∠P + 130° + 90° + 90° = 360°
⇒ m∠P = 360° – 310°
∴ m∠P= 50°

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HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

Haryana State Board HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आकृतियों में x का मान ज्ञात कीजिए-
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 - 1
हल :
(a) बहुभुज के बाह्य कोणों का योग = 360°
∴ ∆ABC में,
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 - 2
125° + 125° + x = 360°
250° + x = 360°
∴ x = 360° – 250° = 110°
अतः x = 110°

(b) ABCDE एक पंचभुज है।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2 - 3
दिया है, अन्त:कोण, ∠B = 90°
बाह्य कोण, ∠B = 90°
बाघ कोण, ∠D = 90°
बहुभुज के बाझ कोणों का योग = 360°
अत: x + 90° + 60° + 90° + 70° = 360°
⇒ x +310° = 360°
⇒ x = 360°- 310° = 50°
∴ x = 50°

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

प्रश्न 2.
एक समबहुभुज के प्रत्येक बाह्य कोण की माप ज्ञात कीजिए, जिसकी-
(i) भुजाएँ
(ii) 15 भुजाएँ हों।
हल :
भुजाओं वाले एक समबहुभुज के प्रत्येक कोण की माप = 360°
(i) n = 9, प्रत्येक बाह्य कोण की माप = \(\frac{360°}{9}\) = 40°

(ii) n = 15, प्रत्येक बाह्य कोण की माप = \(\frac{360°}{15}\) = 24°

प्रश्न 3.
एक समबहुभुज की कितनी भुजाएं होंगी, यदि एक बाह्य कोण की माप 24° हो ?
हल :
भुजाओं वाले एक सम बहुभुज के प्रत्येक बाह्य कोण की माप = 360°
अतः
24° = \(\frac{360°}{n}\)

कैंची गुणा करने पर,
24°n = 360°
∴ n = \(\frac{360°}{24}\) = 15
अतः भुजाओं की संख्या, n = 15

प्रश्न 4.
एक समबहुभुज की भुजाओं की संख्या ज्ञात कीजिए, यदि इसका प्रत्येक अन्त:कोण 165 का हो।
हल :
हम जानते हैं कि n भुजाओं वाले समबहुभुज के प्रत्येक अन्त:कोण का मान =\(\frac{(n-2) \times 1800^{\circ}}{n}\)
अतः \(\frac{(n-2) \times 1800^{\circ}}{n}\) = \(\frac{165}{1}\)

कैंची गुणा करने पर, 180°n – 360° = 165°n
पक्षान्तरण करने पर, 180°n – 165°n = 360°
15°n = 360°
∴ n = 24°
अतः समबहुभुज की भुजाओं की संख्या, n = 24

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

प्रश्न 5.
(a) क्या ऐसा समबहुभुज सम्भव है, जिसके. प्रत्येक बाह्य कोण की माप 22 हो ?
(b) क्या यह किसी समबहुभुज का अन्तःकोण हो सकता है? क्यों ?
हल :
(a) n भुजाओं वाले समबहुभुज के प्रत्येक बाह्य कोण की माप \(\frac{360°}{n}\)
\(\frac{22°}{1}\) = \(\frac{360°}{n}\)

कैंची गुणा करने पर, 22°n = 360°
∴ n = \(\frac{360°}{22}\) = \(\frac{180°}{24}\)

लेकिन भुजाओं की संख्या कभी भिन्न में सम्भव नहीं है।
अतः ऐसा समबहुभुज सम्भव नहीं है, जिसका प्रत्येक बाह्य कोण 22° का हो ।

(b) n भुजाओं वाले समबहुभुज के प्रत्येक अन्त:कोण की माप = \(\frac{(n-2) \times 180^{\circ}}{n}\)
अत: \(22^{\circ}=\frac{(n-2) 180^{\circ}}{n}\)
⇒ \(\frac{22^{\circ}}{1}=\frac{180^{\circ} n-360^{\circ}}{n}\)
कैंची गुणा करने पर, 180°n – 360° = 22°n
पक्षान्तरण करने पर, 180°n – 22°n = 360°
⇒ 158°n = 360°
⇒ n = \(\frac{360°}{158°}\) = \(\frac{180°}{79°}\)

अतः n = \(\frac{180°}{79°}\)
अत: यह भी सम्भव नहीं है, क्योंकि भुजाओं की संख्या भिन्न में नहीं हो सकती है।

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.2

प्रश्न 6.
(a) किसी समबहुभुज में कम-से-कम कितने अंश का अन्तःकोण सम्भव है ? क्यों ?
हल :
समबहुभुज में कम-से-कम 3 भुजाएँ होनी चाहिए। अत: कम-से-कम अंश का अन्त:कोण
\(\frac{(3-2) \times 180^{\circ}}{3}\) = \(\frac{1 × 180°}{3}\) = 60°
अतः सम्भव अन्त:कोण = 60°

(b) किसी समबहुभुज में अधिक-से-अधिक कितने अंश का बाह्य कोण सम्भव है?
हल :
कम-से-कम अंश का अन्त:कोण = 60°
इसलिए, ज्यादा-से-ज्यादा अंश का बाह्य कोण = 180° – 60° = 120°

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HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

Haryana State Board HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

प्रश्न 1.
यहाँ पर कुछ आकृतियाँ दी गई हैं-
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 1
प्रत्येक का वर्गीकरणं निम्नलिखित आधार पर कीजिए
(a) साधारण वक्र
(b) साधारण बंद वक्र
(c) बहुभुज
(d) उत्तल बहुभुज
(e) अवतल बहुभुज
हल :
(a) साधारण वक्र – 1, 2, 5, 6, 7
(b) साधारण बन्द वक्र – 1, 2, 5, 6, 7
(c) बहुभुज – 1, 2, 4
(d) उत्तल बहुभुज – 2
(e) अवतल बहुभुज – 1, 4.

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रत्येक में कितने विकर्ण हैं
(a) एक उत्तल चतुर्भुज
(b) एक समषड्भुज
(c) एक त्रिभुज
हल :
(a) एक उत्तल चतुर्भुज में दो विकर्ण होते हैं।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 2
(b) एक समषड्भुज में 9 विकर्ण होते हैं।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 3
(c) त्रिभुज में कोई विकर्ण नहीं होता है ।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 4

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

प्रश्न 3.
उत्तल चतुर्भुज के कोणों की मापों का योगफल क्या है ? यदि चतुर्भुज उत्तल न हो, तो क्या यह गुण लागू होगा?
हल :
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 5
ABCD एक उत्तल चतुर्भुज है और B तथा D को मिलाते हैं। हमें दो त्रिभुज, ∆ABD, तथा ∆BCD प्राप्त होते हैं।
एक त्रिभुज के अन्तःकोषों का योग = 180°
इसी प्रकार दूसरे त्रिभुज के अन्त:कोणों का योग = 180°
अत: दोनों त्रिभुजों के अन्त:कोणों का योग = 180° + 180° = 360°
अत: उत्तल चतुर्भुज ABCD के कोणों का योग = 360°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 6
अब माना, PQRS एक अवतल चतुर्भुज है । P और R को मिलाते हैं।
हमें दो त्रिभुज, ∆PQR तथा ∆PRS प्राप्त होते हैं ।
अब ∆PQR के कोणों का योग = 180°
तथा ∆PRS के कोणों का योग = 180°
अतः अवतल चतुर्भुज के कोणों का योग, = 180° + 180° = 360°
अत:, यदि चतुर्भुज उत्तल न हो, तो भी यह गुण लागू होता है ।

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

प्रश्न 4.
तालिका की जाँच कीजिए : (प्रत्येक आकृति को त्रिभुजों में बाँटिए और कोणों का योगफल ज्ञात कीजिए ।)
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 7
एक बहुभुज के कोणों के योग के बारे में आप क्या कह सकते हैं, जिसकी भुजाओं की संख्या निम्नलिखित हो?
(a) 7
(b) 8
(c) 10
(d) n
हल :
(a) बहुभुज के कोणों का योग = (n – 2) × 180°
n = 7, कोणों का योग = (7 – 2) × 180° = 5 × 180°
अतः योग = 900°

(b) n = 8, कोणों का योग = (8 – 2) × 180°
= 6 × 180° = 1080°
अतः योग = 1080°

(c) n = 10, कोणों का योग = (10 – 2) × 180°
= 8 × 180° = 1440°
अत: योग = 1440°

(d) n = n, कोणों का योग = (n – 2) × 180°

प्रश्न 5.
सम बहुभुज क्या है? एक सम बहुभुज का नाम बताइये, जिसमें-
(i) 3 भुजाएँ
(ii) 4 भुजाएँ
(iii) 6 भुजाएं हों।
हल :
सम बहुभुज-वह बहुभुज, जिसकी सभी भुजाएँ. एवं सभी कोण समान होते हैं, उसे सम बहुभुज कहते हैं ।
(a) 3 भुजाएँ वाले सम बहुभुज का नाम-समबाहु त्रिभुज
(b) 4 भुजाएँ वाले सम बहुभुज का नाम-वर्ग
(c) 6 भुजाएँ वाले सम बहुभुज का नाम-समषट्भुज

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

प्रश्न 6.
निम्नलिखित आकृतियों में (कोणों की माप) ज्ञात कीजिए
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 8
हल :
(a) ABCD एक चतुर्भुज है, जिसके चारों कोणों का योग = 360°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 9
अतः ∠A+ ∠B+ ∠C+ ∠D = 360°
⇒ 50° + 130° + 120° + x = 360°
⇒ 300° + x = 360°
⇒ x = 360° – 300 = 60°
अत: , x = 60°

(b) चतुर्भुज ABCD के अन्त:कोण का मान अन्त:कोण ∠A = 180° – 90° = 90°
अत: ∠A = 90°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 10
अब, ∠A + ∠B + ∠C + ∠D = 360°
90° + 60° + 70° + x = 360°
⇒ 220° + x = 360°
x = 360° – 220° = 140°
अतः x = 140°

(c) अन्त:कोण ∠A= 180° – 70°
∠A = 110°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 11
अन्त:कोण ∠E = 180° – 60°
∠E = 120°
A अब, पंचभुज ABCDE के अन्त:कोणों का योग = (n – 2) × 180°
= (5 – 2) × 180° = 3 × 180° = 540°

अत: ∠A+ ∠B + ∠C+ ∠D + ∠E = 540°
⇒ 110° + x + 30 + x + 120° = 540°
⇒ 2x + 260° = 540°
⇒ 2x = 540° – 260°
⇒ 2x = 280°
∴ x = \(\frac{280}{2}\) = 140°
अत: x = 140°

(d) ABCDE एक समपंचभुज है।
∠A = ∠B = ∠C = ∠D = ∠E = x
समपंचभुज के कोणों का योग = (5 – 2) × 180°
= 3 × 180°
= 540°
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 12
∠A + ∠B + ∠C + ∠D + ∠E = 540
⇒ x + x + x + x = 540°
5x = 540°
∴ x = \(\frac{540°}{5}\) = 108°

अतः x = 108°

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1

प्रश्न 7.
(a) x + y + z ज्ञात कीजिए।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 13
(b) x + y + z + w ज्ञात कीजिए।
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 3 चतुर्भुजों को समझना Ex 3.1 - 14
हल :
(a) बहुभुज के बा कोणों का योग = 360°
x, y, z, बहिष्कोण हैं ।
x + y + z = 360°

(b) बाह्य कोणों का योग = 360°
x, y, z, w बहिष्कोण हैं।
x + y + z + w = 360°

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HBSE 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sandhi-Prakaran संधि-प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण

सन्धि-प्रकरण

संधि का सामान्य अर्थ है जोड़ या मिलाप। हिंदी भाषा में जब दो ध्वनियाँ आपस में मिलती हैं और मिलने से जो एक नया रूप धारण कर लेती हैं, उसे संधि कहते हैं। संधि की परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है
परिभाषा:
दो वर्गों के परस्पर समीप आने से या उनमें मेल होने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते हैं; जैसे-
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
जगत् + ईश = जगदीश
परि + ईक्षा = परीक्षा।

प्रथम उदाहरण में (आ + अ) के समीप आने पर दोनों का ‘आ’ रूप में विकार हुआ है। दूसरे उदाहरण में ‘त् + ई’ के परस्पर समीप आने से त् का द् हो गया है। तीसरे उदाहरण में ‘इ + ई’ के परस्पर समीप आने से ‘ई’ रूप में विकार उत्पन्न हुआ है।

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण

संधि के भेद

प्रश्न 1.
संधि के कितने भेद होते हैं ? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
संधि के तीन भेद होते हैं
1. स्वर संधि
विद्या + आलय = विद्यालय
सदा + एव = सदैव

2. व्यंजन संधि
सत् + आचार = सदाचार
अभि + सेक = अभिषेक

3. विसर्ग संधि
यशः + दा = यशोदा
निः + चित = निश्चित

1. स्वर संधि

प्रश्न 2.
स्वर संधि की परिभाषा लिखते हुए उसके भेदों का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दो स्वरों के परस्पर समीप आने से उनमें जो विकार उत्पन्न होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे-
रवि + इंद्र = (इ + इ = ई) रवींद्र
रमा + ईश = (आ + ई = ए) रमेश

स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं-
(i) दीर्घ संधि
(ii) गुण संधि
(iii) वृद्धि संधि
(iv) यण संधि
(v) अयादि संधि।

प्रश्न 3.
दीर्घ संधि की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
यदि दो सवर्ण स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ) पास-पास आ जाएँ तो दोनों को मिलाकर एक ही दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ) हो जाता है। अर्थात अ, आ के सामने आ जाए अथवा आ, अ के सामने आ जाए तो दोनों को मिलाकर एक दीर्घ ‘आ’ बन जाएगा। इसी प्रकार इ, ई और ई, इ को मिलाकर दीर्घ ‘ई’ हो जाएगी तथा उ, ऊ और ऊ, उ को मिलाने पर दीर्घ ‘ऊ’ बनेगा; जैसे- . कारा + आवास = (आ + आ) = कारावास
रजनी + ईश = (ई + ई) = रजनीश
विद्या + अर्थी = (आ + अ) = विद्यार्थी
परि + ईक्षा = (इ + ई) = परीक्षा
मुख्य + अध्यापक = (अ + अ) = मुख्याध्यापक
गुरु + उपदेश = (उ + उ) = गुरूपदेश
कवि + इंद्र = (इ + इ) = कवींद्र
वधू + उत्सव = (ऊ + उ) = वधूत्सव

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण

प्रश्न 4.
गुण संधि की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जब ‘अ’ एवं ‘आ’ के सामने ‘इ’ अथवा ‘ई’ आ जाए तो दोनों से मिलकर ‘ए’ हो जाता है। इसी प्रकार ‘अ’ एवं ‘आ’ के सामने ‘उ’ अथवा ‘ऊ’ आ जाने पर दोनों से मिलकर ‘ओ’ हो जाता है। ‘अ’ या ‘आ’ के सामने ‘ऋ’ आ जाने पर ‘अर्’ बन जाता है; जैसे-
धर्म + इंद्र = (अ + इ) = धर्मेंद्र
सूर्य + उदय = (अ + उ) = सूर्योदय
गण + ईश = (अ + ई) = गणेश
महा + उत्सव = (आ + उ) = महोत्सव
भारत + इन्दु = (अ + इ) = भारतेंदु
महा + ऋषि = (आ + ऋ) = महर्षि
महा + ईश्वर = (आ + ई) = महेश्वर
सप्त + ऋषि = (अ + ऋ) = सप्तर्षि
प्रश्न + उत्तर = (अ + उ) = प्रश्नोत्तर

प्रश्न 5.
वृद्धि संधि की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
‘अ’, ‘आ’ के आगे ‘ए’ हो तो दोनों मिलकर ‘ऐ’ बन जाते हैं। इसी प्रकार ‘अ’, ‘आ’ के आगे यदि ‘ओ’ अथवा ‘औ’ हो तो दोनों मिलकर ‘औ’ रूप बन जाते हैं; जैसे-
सदा + एव = (आ + ए) = सदैव
मत + ऐक्य = (अ + ऐ) = मतैक्य
तथा + एव = (आ + ए) = तथैव
वन + औषधि = (अ + औ) = वनौषधि
लठ + ऐत = (अ + ऐ) = लठैत
महा + औषध = (आ + औ) = महौषध

प्रश्न 6.
यण संधि किसे कहते हैं ? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
इ, ई, उ, ऊ तथा ऋ के आगे भिन्न जाति का कोई (असवण) स्वर आ जाए तो इ, ई के स्थान पर ‘य’ विकार हो जाता है। उ, ऊ के स्थान पर ‘व्’ तथा ऋ के स्थान पर ‘र’ विकार हो जाता है; जैसे-
अति + अंत = (इ + अ) = अत्यंत
प्रति + उत्तर = (इ + उ) = प्रत्युत्तर
अति + आवश्यक = (इ + आ) = अत्यावश्यक
सु + अल्प = (उ + अ) = स्वल्प
यदि + अपि = (इ + अ) = यद्यपि
अनु + एषण = (उ + ए) = अन्वेषण
इति + आदि = (इ + आ) = इत्यादि
मातृ + आज्ञा = (ऋ + आ) = मात्राज्ञा
प्रति + एक + (इ + ए) = प्रत्येक
अति + आचार = (इ + आ) = अत्याचार
सु + आगत = (उ + आ) = स्वागत
नि + ऊन = (इ + ऊ) = न्यून

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण

प्रश्न 7.
अयादि संधि की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जब ए, ऐ, ओ, औ के आगे उनसे भिन्न जाति का कोई स्वर आ जाता है तो ए के स्थान पर ‘अय्’, ऐ के स्थान ‘आय’, ओ के स्थान ‘अव्’ और औ के स्थान पर ‘आव्’ हो जाता है; जैसे-
नै + अन = (ऐ + अ) = नयन
नै + अक = (ऐ + अ) = नायक
गै + अक = (ऐ + अ) = गायक
पो + अन = (ओ + अ) = पवन
नौ + इक = (औ + इ) = नाविक
भो + अन = (ओ + अ) = भवन
भौ + उक = (औ + उ) = भावुक

2. व्यंजन संधि

प्रश्न 8.
व्यंजन संधि किसे कहते हैं ? व्यंजन संधि के नियमों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
व्यंजन के आगे स्वर या व्यंजन के आ जाने पर उसमें जो विकार या परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं; जैसे-
जगत् + ईश = जगदीश।
सम् + चय = संचय।

व्यंजन संधि के निम्नलिखित नियम हैं-
(1) यदि वर्ण के प्रथम अक्षर (क्, च्, ट्, त्, प) के आगे वर्ग का तीसरा, चौथा वर्ण य, र, ल, व तथा कोई स्वर आ जाए तो उस प्रथम अक्षर के स्थान पर उसी अक्षर के वर्ग का तीसरा अक्षर हो जाएगा; जैसे-
सत् + आचार = (त् + आ) = सदाचार
उत् + योग = (तु + य) = उद्योग
दिक् + गज = (क् + ग) = दिग्गज
जगत् + ईश = (त् + ई) = जगदीश
उत् + ज्वल = (त् + ज्) = उज्ज्व ल
षट् + आनन = (ट् + आ) = षडानन

(2) यदि वर्ग के प्रथम अक्षर के सामने वर्ग का पाँचवाँ अक्षर अर्थात अनुनासिक वर्ण आ जाए तो उस प्रथम अक्षर के स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ अक्षर हो जाता है।
यथासत् + मति = (त् + म) = सन्मति
तत् + मय = (त् + म) = तन्मय
उत् + मूलन = (त् + म) = उन्मूलन
सत् + मार्ग = (त् + म) = सन्मार्ग

(3) ‘त्’ एवं ‘द्’ के सामने यदि च, ज, द, ड और ल आ जाएँ तो ‘त्’ एवं ‘द्’ सामने वाले अक्षरों में बदल जाते हैं। यथा-
शरत् + चंद्र = (त् + च) = शरच्चंद्र
उत् + चारण = (त् + च) = उच्चारण
जगत् + जननी = (तु + ज) = जगज्जननी
उत् + लास = (त् + ल) = उल्लास

(4) ‘त्’ अक्षर के सामने ‘श’ आने पर ‘श’ का ‘छ’ और ‘त्’ का ‘च’ हो जाता है। यथा-
उत् + शृंखल = (त् + श) = उच्छृखल
उत् + श्वास = (त् + श्) = उच्छ्वास
उत् + शिष्ट = (त् + श) = उच्छिष्ट
सत् + शास्त्र = (त् + श) = सच्छास्त्र

(5) त् अक्षर के सामने ‘ह’ आने पर ‘ह’ का ‘ध’ और ‘त्’ का ‘द्’ हो जाता है। यथा-
उत् + हार = उद्धार
तत् + हित = तद्धित

(6) ‘छ’ अक्षर के सामने ‘स्व’ हृस्व आ जाने पर उसका रूप ‘च्छ’ बन जाता है। यथा-
स्व् + छन्द = स्वच्छन्द
वि + छेद = विच्छेद

(7) म् अक्षर के सामने स्पर्श अक्षर (पाँच वर्गों के सभी वर्ग) होने पर ‘म्’ के स्थान पर ‘अनुस्वार’ (‘) या उसी वर्ग का अंतिम अक्षर (ङ्, ञ, ण, न, म्) हो जाता है; जैसे-
सम् + कल्प = (म् + क) = सङ्कल्प या संकल्प
सम् + गम् = (म् + ग) = संगम या सङ्गम
सम् + चय = (म् + च) = संचय या सञ्चय
सम् + पूर्ण = (म् + प) = संपूर्ण या संपूर्ण
सम् + तोष = (म् + त) = संतोष या संतोष
सम् + देह = (म् + द) = संदेह या संदेह

(8) म् अक्षर के सामने या उक्त पाँचों से भिन्न कोई अक्षर, य, र, ल, व, श, ष, स, ह, आ जाए तो म् का केवल अनुस्वार () ही होता है; जैसे-
सम् + यम = (म् + य) = संयम
सम् + हार = (म् + ह) = संहार
सम् + वाद = (म् + व) = संवाद
सम् + लग्न = (म + ल) = संलग्न
सम् + शय = (म् + श) = संशय
सम् + सार = (म् + स) = संसार
सम् + रक्षक = (म् + र) = संरक्षक

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण

अपवाद:
सम् उपसर्ग के आगे यदि कृत, कृति, कार, करण आ जाए तो म् का ‘स्’ हो जाता है; जैसे-
सम् + कृति = संस्कृति
सम् + करण = संस्करण
सम् + कार = संस्कार

(9) यदि ‘र’ के बाद ‘र’ आ जाए तो पूर्व ‘र’ का लोप होकर उसमें पहले स्वर को दीर्घ कर दिया जाता है; जैसे-
निर् + रोग = नीरोग
निर् + रस = नीरस
निर् + रव = नीरव
निर् + रज = नीरज

(10) यदि ऋ, र, ष अक्षरों के बाद ‘न’ आ जाए तो उसका ‘ण’ कर दिया जाता है; जैसे-
अर्प. + न = अर्पण
ऋ + न = ऋण
भूष + न = भूषण

(11) स से पूर्व अ, आ को छोड़ कोई अन्य स्वर आ जाए तो ‘स’ का ‘ष’ हो जाता है; जैसे-
नि + सेध = निषेध
वि + सय = विषय
अभि + सेक = अभिषेक
वि+सम = विषम
अपवाद: निम्नलिखित शब्दों में ‘स्’ का ‘ष’ नहीं होता-विस्मरण, विस्मृति, विस्मय, विसर्ग आदि।

3.विसर्ग संधि

प्रश्न 9.
विसर्ग संधि किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए तथा उसके नियमों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन के आने से उसमें जो परिवर्तन या विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं; जैसे-
मनः + स्थिति = मनोस्थिति
निः + मल = निर्मल

विसर्ग संधि के निम्नलिखित प्रमुख नियम हैं
(1) विसर्ग से पूर्व यदि ‘अ’ हो और विसर्ग के बाद ‘ऊ’ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है यथा-
अतः + एव = अतएव
ततः + एव = ततएव

(2) यदि विसर्ग से पूर्व ‘अ’ हो और विसर्ग के बाद वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण एवं य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है-
यथामनः + रथ = मनोरथ
मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान
यशः + दा = यशोदा
मनः + रंजन = मनोरंजन
पुराः + हित = पुरोहित

(3) यदि विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो तथा विसर्ग के बाद वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ अक्षर या य, र, ल, व, ह आ जाए तो विसर्ग का ‘र’ हो जाता है।
यथानिः + धन = निर्धन
निः + आकार = निराकार
निः + झर = निर्झर
निः + दयी = निर्दयी

(4) यदि विसर्ग से पूर्व इ या उ हो और उसके आगे क, प, फ, आ जाए तो विसर्ग का ‘ष’ हो जाता है। यथा-
निः + कपट = निष्कपट
निः + पाप = निष्पाप
निः + फल = निष्फल

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण

(5) विसर्ग से पूर्व यदि हृस्व अ हो और बाद में ‘क’ या ‘प’ हो तो विसर्ग का ‘स्’ हो जाता है। यथा-
नमः + कार = नमस्कार
वाचः + पति = वाचस्पति
तिरः + कार = तिरस्कार

(6) विसर्ग के सामने श, ष, स् आ जाने से विसर्ग का विकल्प से विसर्ग या क्रमशः श, ष, स् हो जाता है। यथा-
निः + संदेह = निस्संदेह
निः + शस्त्र = निस्शस्त्र
निः + शंक = निस्शंक

(7) विसर्ग के सामने यदि च, छ आ जाएँ तो विसर्ग का ‘श्’ हो जाता है। ‘ट’, ‘ठ’ आ जाए तो ‘ए’ और यदि त्, थ, आ जाए तो ‘स्’ हो जाता है।
यथा-
निः + चित = निश्चित
निः + ठा = निष्ठा
निः + तेज = निस्तेज
निः + छल = निश्छल
दुः + ट = दुष्ट

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अभ्यासार्थ कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran संधि-प्रकरण 1
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HBSE 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vakya-Shodhan वाक्य-शोधन Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन

वाक्य-शोधन

भाषा के द्वारा मनुष्य अपने विचारों को दूसरों के सामने प्रकट करता है और दूसरों के विचारों को भाषा द्वारा ही ग्रहण करता है, लेकिन यदि भाषा शुद्ध होगी तभी हम विचारों का सही आदान-प्रदान कर सकेंगे। भाषा के लिखित रूप का शुद्ध होना तो नितांत आवश्यक है। मौखिक भाषा की अशुद्धियाँ इतनी नहीं खलती जितनी कि लिखित भाषा की। मौखिक भाषा में यदि कोई अशुद्ध उच्चारण करता है तो भी हम उसके विचार को समझ जाते हैं, परंतु अशुद्ध वर्तनी के प्रयोग से सही अर्थ की प्रतीती नहीं हो पाती। भाषा में इसी को हम अशुद्धि-शोधन भी कह सकते हैं। इसके अंतर्गत हम शब्दों तथा वाक्यों दोनों की अशुद्धियाँ दूर करने का प्रयास करते हैं। नीचे कुछ शब्द-शोधन और वाक्य-शोधन के उदाहरण दिए जा रहे हैं। विद्यार्थियों को इन्हें ध्यान से पढ़ना चाहिए और शुद्ध भाषा लिखने का अभ्यास करना चाहिए।

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(क) शब्द-शोधन

1. स्वर अथवा मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ

(i) ‘अ’ तथा ‘आ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द – शुद्ध शब्द
अध्यात्मिक – आध्यात्मिक
आधीन – अधीन
अगामी – आगामी
अकांक्षा – आकांक्षा

(ii) ‘इ’ तथा ‘ई’ संबंधी अशुद्धियाँ
अभिष्ट – अभीष्ट
तिथी – तिथि
अती – अति
भक्ती – भक्ति
अनीती – अनीति
प्राप्ती – प्राप्ति
अतिथी – अतिथि
परिक्षा – परीक्षा
इत्यादी – इत्यादि
निरिक्षण – निरीक्षण
उक्ती – उक्ति
श्रीमति – श्रीमती
उपाधी – उपाधि
निरस – नीरस
चित्कार – चीत्कार
विपत्ती – विपत्ति
प्रतिनिधी – प्रतिनिधि
व्याधी – व्याधि
मूर्ती – मूर्ति
नागरीक – नागरिक

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन

(ii) ‘उ’ तथा ‘ऊ’ संबंधी अशुद्धियाँ
आयु – आयू
गुरू – गुरू
आँसु – आँसू
हिंदूस्तान – हिंदुस्तान
स्तूति – स्तुति
परंतू – परंतु
वायू – वायु
धूआँ – धुआँ

(iv) ‘ए’ तथा ‘ऐ’ संबंधी अशुद्धियाँ
एक्य – ऐक्य
भाषायें – भाषाएँ
एश्वर्य – ऐश्वर्य
एकाहार – ऐकाहार

(v) ‘ई’ तथा ‘यी’ संबंधी अशुद्धियाँ
कयी – कई
विजई – विजयी
अन्याई – अन्यायी
विषई – विषयी
प्रणई – प्रणयी
स्थाई – स्थायी

(vi) ‘ओ’, ‘औ’, ‘अव’ तथा ‘आव’ संबंधी अशुद्धियाँ
अलोकिक – अलौकिक
औछाई – ओछाई
ओषधि – औषधि
औद्योगिक – ओद्योगिक
औचित्य – ओजस्वी
औजस्वी – ओचित्य

(vii) ‘ऋ’ संबंधी अशुद्धियाँ
द्रश्य – दृश्य
बृज – ब्रज
कृया – क्रिया
मातृभूमि – मात्रभूमि

(vii) अनुस्वार (ं) संबंधी अशुद्धियाँ
भडार – भंडार
अधकार – अंधकार
अगार – अंगार
अश – अंश

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन

(ix) अनुनासिक (ँ) संबंधी अशुद्धियाँ
संवारना – सँवारना
अंगीठी – अँगीठी
लंगोटी – लँगोटी
आंख – आँख
हंसमुख – हँसमुख
महंगा – महँगा

(x) विसर्ग (:) संबंधी अशुद्धियाँ
अता – अतः
अतःएव – अतएव
अंतकरण – अंतःकरण
स्वता – स्वतः

(xi) स्वर संयोग संबंधी अशुद्धियाँ

ज्ञानीन्द्र – ज्ञानेन्द्र
लड़कीयाँ – लड़कियाँ
हिंदूओं – हिंदुओं
हुये – हुए

2. व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

(i) ‘न’ तथा ‘ण’ संबंधी अशुद्धियाँ

आक्रमन – आक्रमण
वर्न – वर्ण
प्रनाम – प्रणाम
स्मरन – स्मरण
चन्डिका – चण्डिका
शरन – शरण
जीर्न – जीर्ण
ग्रहन – ग्रहण
भाषन – भाषण

(ii) ‘ड’, ‘ड’ तथा ‘ढ’ संबंधी अशुद्धियाँ
पड़ना – पढ़ना
गड़ना – गढ़ना
बड़ना – बढ़ना
चिड़ना – चिढ़ना
साढ़ी – साड़ी
सीड़ी – सीढ़ी
सूँढ़ – सूँड
कुढ़ – कुंड

(iii) ‘ब’ तथा ‘व’ संबंधी अशुद्धियाँ
बृक्ष – वृक्ष
बेश्या – वेश्या
बधू – वधू
बन – वन
ब्रत – व्रत
वृहस्पति – बृहस्पति

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन

(iv) ‘श’, ‘ष’ तथा ‘स’ संबंधी अशुद्धियाँ
विशय – विषय
श्मसान – श्मशान
सिखर – शिखर
वैदेषिक – वैदेशिक
विस – विष
निश्फल – निष्फल
वेस – वेष
भविस्य – भविष्य

(v) ‘क्ष’ तथा ‘छ’ संबंधी अशुद्धियाँ
छत्री – क्षत्री
छितिज – क्षितिज
छीर – क्षीर
छन – क्षण
छुधा – क्षुधा
छेम – क्षेम

(vi) रेफा संबंधी अशुद्धियाँ
स्वरग -स्वर्ग
पवितर – पवित्र
शिरोधारय – शिरोधार्य
परजा – प्रजा
धरम – धर्म
संगराम – संग्राम
निष्करष – निष्कर्ष
पूरण – पूर्ण

(vii) ‘ष्ट’ तथा ‘ष्ठ’ संबंधी अशुद्धियाँ
कनिष्ट – कनिष्ठ
घनिष्ट – घनिष्ठ
निष्टा – निष्ठा
कष्टा – कष्ठ
इष्ठ – इष्ट
जेष्ट – जेष्ठ

(viii) ‘य’ के साथ संयोग से होने वाली अशुद्धियाँ
उपलक्ष – उपलक्ष्य
जादा – ज्यादा
राजाभिषेक – राज्याभिषेक
व्यक्तिक – वैयक्तिक

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(ix) ‘अक्षर लोप’ से होने वाली अशुद्धियाँ
द्वंद्व – द्वंद्व
स्वस्थ – स्वास्थ्य
स्वावलंबन – स्वालंबन
सप्ता – सप्ताह

(x) ‘ज्ञ’ तथा ‘ग्य’ संबंधी अशुद्धियाँ
भाज्ञवान – भाग्यवान
भोज्ञ – भोग्य
अनभिग्य – अनभिज्ञ
प्रतिग्या – प्रतिज्ञा
आरोग्य – आग्या

(xi) पंचम अक्षर संबंधी अशुद्धियाँ
अन्गूर – अंगूर
कुन्डली – कुंडली
कन्ठ – कंठ
जन्ता – जनता
घन्टा – घण्टा
चन्चल – चंचल

(xii) हल् चिह्न संबंधी अशुद्धियाँ
जगत – जगत्
मूल्यवान – मूल्यवान
पश्चात – पश्चात्
भगवान – भगवान
श्रीमान – श्रीमान
परम् पद – परम् पद

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3. प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ

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4. संधि संबंधी अशुद्धियाँ

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5. समास संबंधी अशुद्धियाँ

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6. हलन्त संबंधी अशुद्धियाँ
बुद्धिमान – बुद्धिमान्
सच्चित – सच्चित्
विद्वान – विद्वान्
भाग्यवान – भाग्यवान्

7. चंद्रबिंदु तथा अनुस्वार संबंधी अशुद्धियाँ । अंगना
अँगना । मुंह
आंख – आँख
तांत – ताँत
गांधी – गाँधी
कांच – काँच
चांद – चाँद
पहुंच – पहुँच

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8. अहिंदी भाषियों की अशुद्धियाँ सब्द

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(ख) वाक्य-शोधन

1. शब्द-क्रम संबंधी
शुद्ध भाषा के लिए शुद्ध वाक्य-रचना होना अनिवार्य है। वाक्यगत अनेक प्रकार की होती है; जैसे संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया-विशेषण, वचन, लिंग, विभक्ति, प्रत्यय-उपसर्ग आदि।

अशुद्ध वाक्य
(1) बच्चे को दूध नहलाकर पिलाओ।
(2) मोहन को काटकर फल खिलाओ।
(3) मुझे एक दूध का गिलास दो।
(4) उसे चाय का गर्म प्याला दे दो।
(5) एक पानी का तालाब भरा है।
(6) एक सेब की पेटी ले आना।

शुद्ध वाक्य
(1) बच्चे को नहलाकर दूध पिलाओ।
(2) मोहन को फल काटकर खिलाओ।
(3) मुझे एक गिलास दूध का दो।
(4) उसे गर्म चाय का प्याला दे दो।
(5) पानी का एक तालाब भरा है।
(6) सेब की एक पेटी ले आना

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2. संज्ञा संबंधी दोष
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3. परसर्ग संबंधी अशुद्धियाँ
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4. सर्वनाम संबंधी दोष
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5. लिंग संबंधी दोष
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6. विशेषण संबंधी दोष
HBSE 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन 9

7. वचन संबंधी दोष
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8. कारक की विभक्तियों संबंधी दोष
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9. क्रिया संबंधी दोष
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10. मुहावरे संबंधी दोष
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11. क्रिया-विशेषण संबंधी दोष
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12. अव्यय संबंधी दोष
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13. वाक्य-प्रयोग संबंधी दोष
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14. एक भाषा पर दूसरी भाषा के प्रभाव से होने वाले दोष
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15. अनावश्यक एवं गलत शब्दों के प्रयोग संबंधी दोष
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16. विराम चिहून सबधी दोष
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17. अनुचित शब्दों संबंधी दोष

(1) विद्या प्राप्त करके मैं नौकरी करूँगा।(1) शिक्षा समाप्त करके मैं नौकरी करूँगा।
(2) स्वामी दयानंद आजन्म ब्रह्मचारी रहे।(2) स्वामी दयानंद आजीवन ब्रह्मचारी रहे।
(3) सुन्दरतापन प्रशंसनीय है।(3) सौंदर्य प्रशंसनीय है।
(4) वह मिठाई खाने के लिए सत्याग्रह कर रहा है।(4) वह मिठाई खाने की हठ कर रहा है।
(5) मैं आपका उपकार आजन्म नहीं भूलूँगा।(5) मैं आपका उपकार आजीवन नहीं भूलूँगा।

18. उपसर्ग संबंधी दोष

(1) आशा है सभी सकुशल होंगे।(1) आशा है सब सकुशल होंगे।
(2) गंगा का उतगम गंगोत्री है।(2) गंगा का उद्गम गंगोत्री है।
(3) उस बच्चे को दृष्टि लग गई है।(3) उस बच्चे को नजर लग गई है।
(4) यह मुँह और चने की दाल।(4) यह मुँह और मसूर की दाल ।
(5) उस पर घड़ों पानी फिर गया।(5) उस पर घड़ों पानी पड़ गया।

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19. पुनरुक्ति संबंधी दोष

(1) तुम बेफिजूल बोल रहे हो।(1) तुम फिजूल बोल रहे हो।
(2) बादल पानी बरसते हैं।(2) बादल बरसते हैं।
(3) मैं वहाँ कदापि न जाऊँगा।(3) मैं वहाँ कदापि नहीं जाऊँगा।
(4) उसके भय से डरो मत।(4) उससे डरो मत।
(5) कृपया मेरे प्रश्न का उत्तर देने की कृपा करो।(5) मेरे प्रश्न का उत्तर देने की कृपा करो।
(6) मैंने गुनगुने गर्म पानी से स्नान किया।(6) मैंने गुनगुने पानी से स्नान किया।

20. संधि संबंधी दोष

(1) महार्षि दयानंद पाखंड के विरुद्ध थे।(1) महर्षि दयानंद पाखंड के विरुद्ध थे।
(2) मोहन का अंतष्करण पवित्र है।(2) मोहन का अंतःकरण पवित्र है।
(3) अब वह निरोग हो गया है।(3) अब वह नीरोग हो गया है।
(4) वह अत्याधिक खुश था।(4) वह अत्यधिक खुश था।

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन

अभ्यासार्थ कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran वाक्य-शोधन 20

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HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Samas-Prakaran समास-प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

समास-प्रकरण

वर्गों के मेल से जहाँ संधि होती है, वहाँ शब्दों के मेल से समास बनता है। अन्य शब्दों में, दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से जो एक नया स्वतंत्र पद बनता है, उसे समास कहते हैं।

परिभाषा:
आपस में संबंध रखने वाले दो शब्दों के मेल को समास कहते हैं; जैसे राजा का महल = राजमहल । विधि के अनुसार = यथाविधि। समास करते समय परस्पर संबंध दिखाने वाले विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है; जैसे ‘गंगा का जल’ = गंगाजल में का विभक्ति का लोप हो गया।

प्रश्न 1.
संधि और समास में क्या अंतर है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समास शब्दों (पद) में होता है, जबकि संधि वर्णों (अक्षरों) में होती है। समास करते समय विभक्तियाँ या संबंधबोधक शब्दों का लोप होता है। संधि में वर्गों का लोप नहीं होता केवल रूप बदल जाता है। समास का विग्रह करते समय नए शब्दों का आगम या कभी-कभी शब्दों का लोप भी हो जाता है; जैसे विद्या + आलय में वर्ण (आ + आ) रहते हैं किंतु प्रतिकूल (समास) में ‘कूल के विरुद्ध’ में प्रति का लोप और ‘के’ का आगम है।

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

प्रश्न 2.
‘समस्त पद’ से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए। उत्तर-समास द्वारा दो शब्दों को मिलाकर बनाए गए नए शब्द को समस्त पद कहते हैं; जैसे दीनबंधु, राजकुमार, महापुरुष। प्रश्न 3. ‘समास-विग्रह’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
समस्त पद या सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है। दीनबंधु, राजकुमार, महापुरुष।

प्रश्न 3.
‘समास-विग्रह’, किसे कहते हैं?
उत्तर:
समस्त पद या सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है। यथा-
शक्ति = शक्ति के अनुसार।
तुलसीकृत = तुलसी के द्वारा कृत।

समास के भेद

प्रश्न 4.
समास के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
समास के निम्नलिखित चार भेद होते हैं-
(1) अव्ययीभाव समास
(2) तत्पुरुष समास
(3) द्वंद्व समास
(4) बहुब्रीहि समास।

1. अव्ययीभाव समास

प्रश्न 1.
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में पहला पद अव्यय हो तथा दूसरे शब्द से मिलकर पूरे समस्त पद को ही अव्यय बना दे, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं; जैसे-
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
रातों-रात – रात ही रात में
यथाविधि – विधि के अनुसार
घर-घर – घर ही घर
यथामति – मति के अनुसार
द्वार-द्वार – द्वार ही द्वार
हरसाल – साल-साल
मन-मन – मन ही मन
हररोज – रोज-रोज
बीचों-बीच – बीच ही बीच
बेकाम – काम के बिना
दिनों-दिन – दिन ही दिन
बेशक – शक के बिना
धीरे-धीरे – धीरे ही धीरे
बेमतलब – मतलब के बिना
आजन्म – जन्म-पर्यन्त
निडर – बिना डर के
आजीवन – जीवन पर्यन्त

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

2. तत्पुरुष समास

प्रश्न 1.
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? इसके कितने भेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में कर्ता और संबोधन कारकों को छोड़कर शेष सभी कारकों के विभक्ति चिह्न लुप्त हो जाते हैं। जिस कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है, उसी के नाम पर तत्पुरुष समास का नामकरण होता है। विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष के छह उपभेद होते हैं; जैसे-
(i) कर्म तत्पुरुष
(ii) करण तत्पुरुष
(iii) संप्रदान तत्पुरुष
(iv) अपादान तत्पुरुष
(v) संबंध तत्पुरुष
(vi) अधिकरण तत्पुरुष।

(i) कर्म तत्पुरुष:
जिस समास में दो शब्दों के मध्य से कर्म-विभक्ति के चिह्नों का लोप होता है, उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे परलोकगमन-परलोक को गमन, ग्रामगत ग्राम को (गमन) गत, शरणागत-शरण को आगत (आया हुआ) आदि।

(ii) करण तत्पुरुष-जिस समास में करण कारक का लोप हो, उसे ‘करण तत्पुरुष’ समास कहते हैं; जैसे-
रेखांकित – रेखा से अंकित
दईमारा – देव से मारा
तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत
मुंहमांगा – मुँह से माँगा
हस्तलिखित – हाथ से लिखित
हृदयहीन – हृदय से हीन
रेलयात्रा – रेल द्वारा यात्रा
गुणयुक्त – गुणों से युक्त
मदांध – मद से अंध
मनमानी – मन से मानी

(iii) संप्रदान तत्पुरुष-जब समास करते समय संप्रदान कारक चिह्न ‘के लिए’ का लोप हो तो वह ‘संप्रदान तत्पुरुष’ कहलाता है; जैसे-
हथकड़ी – हाथों के लिए कड़ी
राज्यलिप्सा – राज्य के लिए लिप्सा
क्रीडाक्षेत्र – क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
पाठशाला – पाठ के लिए शाला
रसोईघर – रसोई के लिए घर
मालगोदाम – माल के लिए गोदाम
सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह
राहखर्च – राह के लिए खर्च
देशार्पण – देश के लिए अर्पण
युद्धभूमि – युद्ध के लिए भूमि

(iv) अपादान तत्पुरुष-जिस समास में अपादान कारक चिह्नों ‘से’ (जुदाई) का लोप हो तो उसे ‘अपादान तत्पुरुष समास’ कहते हैं; जैसे-
ऋणमुक्त – ऋण से मुक्त
देशनिकाला – देश से निकाला
भयभीत – भय से भीत
गुणहीन – गुण से हीन
पथभ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट
धनहीन – धन से हीन
धर्मविमुख – धर्म से विमुख
जन्मांध – जन्म से अंधा

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

(v) संबंध तत्पुरुष-समास करते समय जब संबंध कारक चिह्नों (का, के, की आदि) का लोप हो तो वहाँ ‘संबंध तत्पुरुष समास’ होता है; जैसे-
विश्वासपात्र – विश्वास का पात्र
राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति
घुड़दौड़ – घोड़ों की दौड़
जन्मभूमि – जन्म की भूमि
माखनचोर – माखन का चोर
राजपुत्र – राजा का पुत्र
रामकहानी – राम की कहानी
राजसभा – राजा की सभा
राजकन्या – राजा की कन्या
रामदरबार – राम का दरबार
बैलगाड़ी – बैलों की गाड़ी
शासनपद्धति – शासन की पद्धति
सेनापति – सेना का पति
पनचक्की – पानी की चक्की

(vi) अधिकरण तत्पुरुष-जिस समास में अधिकरण कारक के विभक्ति चिह्नों का लोप किया जाता है, उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-
आपबीती – अपने पर बीती
घुड़सवार – घोड़े पर सवार
सिरदर्द – सिर में दर्द
रसमग्न – रस में मग्न
शरणागत – शरण में आगत
धर्मवीर – धर्म में वीर
दानवीर – दान में वीर
व्यवहारकुशल – व्यवहार में कुशल

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद

प्रश्न 1.
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद निम्नलिखित हैं-
(1) नञ् तत्पुरुष
(2) अलुक् तत्पुरुष
(3) उपपद तत्पुरुष
(4) कर्मधारय तत्पुरुष
(5) द्विगु तत्पुरुष ।

(क) नञ् तत्पुरुष

प्रश्न 2.
नञ् तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब अभाव अथवा निषेध अर्थ को व्यक्त करने के लिए व्यंजन से पूर्व ‘अ’ तथा स्वर से पूर्व ‘अन्’ लगाकर समास बनाया जाता है तो उसे नञ् तत्पुरुष समास का नाम दिया जाता है; जैसे-
अहित – न हित
अस्थिर – न स्थिर
अपूर्ण – न पूर्ण
अनादि – न आदि
अनागत – न आगत
अज्ञान – न ज्ञान
अभाव – न भाव
अन्याय – न न्याय
असंभव – न संभव
अधर्म – न धर्म
अनंत – न अंत
अकर्मण्य – न कर्मण्य

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

(ख) अलुक् तत्पुरुष

प्रश्न 3.
अलुक् तत्पुरुष समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
अलुक् का अर्थ है लोप न होना। संस्कृत में कुछ विशेष नियमों के अनुसार कुछ ऐसे शब्द हैं जिनमें तत्पुरुष समास होते हुए भी दोनों शब्दों के मध्य की विभक्ति का लोप नहीं होता, ऐसे शब्दों को अलुक् समास माना जाता है। ये सभी शब्द संस्कृत के हैं और हिंदी भाषा में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
मनसिज (काम-भावना) – मन में उत्पन्न
मृत्युंजय (शिव) – मृत्यु को जीतने वाला
वाचस्पति (विद्वान) – वाच (वाणी) का पति
खेचर (पक्षी) – आकाश में विचरने वाला
युधिष्ठिर – युद्ध में स्थिर

(ग) उपपद तत्पुरुष

प्रश्न 4.
उपपद समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद के दोनों शब्दों अथवा पदों के मध्य में से कोई पद लुप्त हो, उसे उपपद समास कहते हैं; जैसे-
रेलगाड़ी – रेल पर चलने वाली गाड़ी
बैलगाड़ी – बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी
पनचक्की – पानी से चलने वाली चक्की
गोबर-गणेश – गोबर से बना गणेश
दही बड़ा – दही में डूबा हुआ बड़ा
पर्ण-कुटीर – पर्ण से बना कुटीर

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

(घ) कर्मधारय तत्पुरुष

प्रश्न 5.
कर्मधारय तत्पुरुष समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
कर्मधारय तत्पुरुष, तत्पुरुष समास का ही एक भेद है। जिस समास में उत्तर पद प्रधान हो किंतु पूर्व पद एवं उत्तर पद में उपमान-उपमेय या विशेषण-विशेष्य का संबंध हो, उसे कर्मधारय तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-
उपमान-उपमेय संबंध वाले उदाहरण-
चंद्रमुख – चंद्रमा के समान मुख
चरण कमल – कमल के समान चरण
मुखचंद्र – मुख रूपी चंद्र
कर कमल – कमल के समान कर
देहलता – देह रूपी लता
नरसिंह – सिंह के समान है जो नर
कनकलता – कनक की-सी लता
कमल नयन – कमल के समान नयन

विशेषण-विशेष्य संबंध के उदाहरण-
नीलगाय – नीली है जो गाय
पीतांबर – पीत (पीला) अंबर
नीलगगन – नीला है जो गगन
काली मिर्च – काली है जो मिर्च
नीलकमल – नीला है जो कमल
नरोत्तम – नर में (जो) उत्तम

(ङ) द्विगु

प्रश्न 6.
द्विगु समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
द्विगु समास वस्तुतः कर्मधारय समास का ही एक भेद है। इसमें पूर्व पद संख्यावाची होता है और दोनों में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है। यह समास समूहवाची भी होता है; जैसे-
त्रिलोकी – तीनों लोकों का स्वामी
चौराहा – चार राहों का समाहार
दोपहर – दो पहरों का समाहार
नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
चौमासा – चार मासों का समाहार
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
नवरात्र – नौ रात्रियों का समाहार
अठन्नी – आठ आनों का समूह
शताब्दी – शत् (सौ) अब्दों (वर्षों) का समाहार
त्रिभुवन – तीन भवनों का समूह
पंचवटी – पाँच वटों का समाहार
पंचमढ़ी – पाँच मढ़ियों का समूह

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

3. द्वंद्व समास

प्रश्न 7.
द्वंद्व समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। समास बनाते समय ‘तथा’ या ‘और’ समुच्चयबोधक शब्दों का लोप हो जाता है; जैसे
गंगा-यमुना – गंगा और यमुना
रात-दिन – रात और दिन
जल-थल – जल और थल
गुण-दोष – गुण और दोष
माता-पिता – माता और पिता
नर-नारी – नर और नारी
धनी-मानी – धनी और मानी
दाल-रोटी – दाल और रोटी
तीन-चार – तीन और चार
घी-शक्कर – घी और शक्कर
छात्र-छात्राएँ – छात्र और छात्राएँ
राजा-रंक – राजा और रंक
पृथ्वी-आकाश – पृथ्वी और आकाश
बच्चे-बूढ़े – बच्चे और बूढ़े

HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

4. बहुब्रीहि समास

प्रश्न 8.
बहुब्रीहि समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जब समस्त पद के दोनों पदों में से कोई भी पद प्रधान न हो तथा कोई बाहर का पद प्रधान हो तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। बहुब्रीहि समास का समस्त पद अन्य पद के लिए विशेषण का कार्य करता है; जैसे-
बारहसिंगा – बारह सींगों वाला
चतुर्भुज – चार भुजाओं वाला
महात्मा – महान आत्मा वाला
पतझड़ – जिसमें पत्ते झड़ जाते हैं
गिरिधर – गिरि को धारण करने वाला
पतिव्रता – एक पति का व्रत लेने वाली
दशानन – दस हैं आनन जिसके (रावण)
विशाल हृदय – विशाल है हृदय जिसका
जितेंद्रिय – इंद्रियों को जीतने वाला
कनफटा – फटे कानों वाला
चंद्रमुखी – चंद्र जैसे मुख वाली
पीतांबर – पीले हैं अंबर जिसके (श्रीकृष्ण)
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका (शिव)
सुलोचना – सुंदर हैं लोचन जिसके (स्त्री विशेष)
चक्रपाणि – चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके (विष्णु)
लंबोदर – लंबे उदर वाला (गणेश जी)
दुरात्मा – दुष्ट (बुरी) आत्मा वाला
धर्मात्मा – धर्म में आत्मा लीन है जिसकी

परीक्षोपयोगी कुछ महत्त्वपूर्ण समास

निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखें-
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HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण - 2
HBSE 12th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण - 3

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HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ओलम्पिक आंदोलन

Haryana State Board HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ओलम्पिक आंदोलन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ओलम्पिक आंदोलन

HBSE 12th Class Physical Education ओलम्पिक आंदोलन Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
ओलम्पिक मूवमेंट के द्वारा किन गुणों को उन्नत किया जा सकता है?
अथवा
ओलम्पिक आंदोलन के माध्यम से किन-किन नैतिक मूल्यों को विकसित किया जा सकता है? वर्णन करें।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
ओलम्पिक खेल सर्वप्रथम यूनान के ओलम्पिया नगर में 776 ईसा पूर्व आयोजित किए गए थे। प्राचीनकाल में ओलम्पिक खेल धार्मिक त्योहारों तथा समारोहों से संबंधित थे जो जीयस देवता के प्रति समर्पित थे। इन प्रतिस्पर्धात्मक मुकाबलों को भगवान को दी जाने वाली प्रार्थना समझा जाता था। विजेताओं को जैतून की शाखाओं से सम्मानित किया जाता था। विजेता लोगों की नजरों में नायक बन जाते थे। उनको पुरस्कार के तौर पर कोई धनराशि नहीं दी जाती थी। खिलाड़ी स्पष्ट रूप से सम्मान प्राप्त करने के लिए खेल को प्रतिस्पर्धात्मक भावना से खेलते थे। रोमनवासियों ने 393 ईस्वी में ओलम्पिक खेलों पर रोक लगा दी थी, क्योंकि वे खेल मुकाबलों की बजाय खून भरी लड़ाइयों में विश्वास करते थे। अंतत: रोमन सम्राट थियोडोसियस ने इन खेलों को बंद करवा दिया।

लम्बे अंतराल के बाद ओलम्पिक खेलों में एक नए युग का आरंभ हुआ। आधुनिक ओलम्पिक खेल 1896 ई० में आरंभ हुए। तब से अब तक ओलम्पिक खेलों का आयोजन निश्चित अंतराल पर हो रहा है। हालांकि विश्वयुद्धों के कारण 1916, 1940 व 1944 में आयोजित होने वाले खेलों का आयोजन नहीं हो सका।

ओलम्पिक आंदोलन द्वारा नैतिक मूल्यों का विकास (Development of Moral Values Through Olympic Movement):
यदि हम बैरन पियरे-डी-कोबर्टिन द्वारा निर्मित ओलम्पिक खेलों के उद्देश्य पर दृष्टिपात करें तो हमें ज्ञात होता है कि वे ओलम्पिक आंदोलन के द्वारा वैश्विक मूल्यों को विकसित करना चाहते थे। वास्तव में ओलम्पिक आंदोलन के माध्यम से निम्नलिखित प्रमुख मूल्यों/गुणों को विकसित किया जा सकता है

1. मित्रता (Friendship):
ओलम्पिक आंदोलन ऐसे अनेक मौके प्रदान करता है जिससे प्रतियोगियों में आपसी मित्रता की भावना विकसित होती है। जब कभी भी ओलम्पिक खेलों का आयोजन होता है, तो विभिन्न देशों के खिलाड़ी एक-दूसरे के निकट आते हैं और वे मित्र बन जाते हैं।

2. सहयोग की भावना (Spirit of Co-ordination):
ओलम्पिक आंदोलन ऐसे अनेक अवसर प्रदान करता है जिनके द्वारा न केवल प्रतियोगियों के बीच, अपितु राष्ट्रों के बीच भी सहयोग की भावना विकसित होती है। सहयोग की भावना से खिलाड़ियों में एक-दूसरे के प्रति विश्वास उत्पन्न होता है। ओलम्पिक खेलों के उद्देश्यों में भी सहयोग की भावना को महत्त्व दिया गया है।

3. बंधुभाव (Solidarity):
ओलम्पिक आंदोलन बंधुत्व या भाईचारे की भावना को विकसित करने में भी सहायक है। यह खिलाड़ियों को बहुत-से ऐसे अवसर प्रदान करता है जिससे विभिन्न देशों के खिलाड़ियों में परस्पर बंधुभाव उत्पन्न हो जाता है।

4. भेदभाव.से मुक्ति (Free of Discrimination):
आधुनिक ओलम्पिक आंदोलन के उद्देश्य में यह भी कहा गया है कि जाति, नस्ल, रंग व धर्म के आधार पर किसी से भी किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होगा। अतः ओलम्पिक आंदोलन इस पक्ष पर काफी जोर देता है।

5. निष्पक्षतापूर्ण खेल (Fairful Game):
ओलम्पिक आंदोलन निष्पक्षतापूर्ण खेल के अवसरों को बढ़ाते हैं। निष्पक्ष खेल न्याय पर आधारित होता है। ओलम्पिक आंदोलन के अंतर्गत प्रत्येक खिलाड़ी या टीम के साथ निष्पक्षतापूर्ण न्याय होना चाहिए। किसी से भी किसी प्रकार का अन्याय नहीं होना चाहिए। इस प्रकार की खेल से खेल-भावना विकसित होती है।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ओलम्पिक आंदोलन

प्रश्न 2.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के बारे में आप क्या जानते हैं? विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के उद्देश्यों एवं नियमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
प्राचीन ओलम्पिक खेलों की शुरुआत 776 ईसा पूर्व में हुई थी। ये खेल यूनान के ओलम्पिया’ नगर में आयोजित किए जाते थे। इन खेलों का आयोजन प्रत्येक चार साल बाद किया जाता था। ये खेल यूनानियों की देन थी जो उनके देवी-देवताओं खासकर जीयस देवता के सम्मान में आयोजित की जाती थीं। प्राचीन ओलम्पिक खेलें तीन से पाँच दिन तक चलती थीं, जिनमें केवल यूनानी ही भाग लेते थे।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों के उद्देश्य (Objectives of Ancient Olympic Games):
जिस महीने या वर्ष में इन खेलों का आयोजन होता था, उसको यूनानी पवित्र मानते थे। यूनान के राज्यों के राजाओं के आपसी झगड़े समाप्त हो जाते थे। वे वैर-भावना को त्यागकर ओलम्पिक खेल देखने जाते थे। यूनानी लोग खुशी-खुशी इन खेलों में भाग लेते थे। अतः इन खेलों का मुख्य उद्देश्य यूनान के नगर-राज्यों में आपसी लड़ाई एवं वैर-भावना समाप्त करके उनमें एकता, मित्रता एवं सद्भावना स्थापित करना था।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों के नियम (Rules of Ancient Olympic Games):
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के मुख्य नियम निम्नलिखित थे-
(1) ओलम्पिक खेलों में केवल यूनान के नागरिक ही भाग ले सकते थे।
(2) ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी को 10 मास का प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक था और इन खेलों में भाग
लेते समय उसे सौगंध लेनी पड़ती थी कि उसने प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
(3) खिलाड़ियों को ओलम्पिक्स आरंभ होने से एक मास पूर्व ओलम्पिया शहर में पहुँचना होता था।
(4) सभी खिलाड़ियों को खेलों में शांतिपूर्वक भाग लेने की सौगंध लेनी पड़ती थी।
(5) व्यावसायिक खिलाड़ी इन खेलों में भाग नहीं ले सकता था।
(6) केवल ऊँचे चरित्र वाले खिलाड़ियों को ही इन खेलों में भाग लेने की आज्ञा थी।
(7) जजों को भी ठीक निर्णय देने की सौगंध लेनी पड़ती थी।
(8) पहला और अंतिम दिन धार्मिक गीतों और बलियों के लिए होता था।
(9) गुलाम एवं दंडित खिलाड़ी इन खेलों में भाग नहीं ले सकते थे।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों के पुरस्कार (Awards of Ancient Olympic Games):
प्राचीन ओलम्पिक खेलों में विजेता खिलाड़ियों को बहुत मान-सम्मान दिया जाता था। विजेता खिलाड़ियों को जीयस देवता के मन्दिर में लगे पवित्र जैतून वृक्ष की टहनियों का मुकुट बनाकर भेंट किया जाता था। लोग विजेताओं को धन दौलत और पशु उपहार के रूप में देते थे। कवि लोग उनके नामों से गीत गाते थे। शहर की दीवारों और दरवाज़े उनके स्वागत के लिए सजाए जाते थे। वे देश के हीरो होते थे। प्रत्येक यूनान निवासी की इच्छा इन खेलों में विजेता बनने की होती थी।

प्राचीन खेलों का महत्त्व (Importance of Ancient Olympic Games):
प्राचीन ओलम्पिक खेलों को यूनानी लोग एक धार्मिक उत्सव की भान्ति मनाते थे। जब ये आरम्भ होते थे तो सारे देश में लड़ाई-झगड़े बन्द कर दिए जाते थे। ओलम्पिया के मैदान में शत्रु मित्रों की भान्ति घूमते थे। प्रत्येक ओर शान्ति, पवित्रता, मित्रता वाला वातावरण पैदा हुआ दिखाई देता था। ये खेलें शान्ति पवित्रता और मित्रता का संदेश देती थीं।

प्रश्न 3.
प्राचीन ओलम्पिक खेल की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए। इसकी अवनति व निष्कासन के कारणों को भी बताइए।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलें यूनान के एक छोटे से नगर ओलम्पिया से आरम्भ हुईं। यह नगर एलफिस नदी के किनारे बसा था। यह नगर एलिस राज्य का एक जाना-पहचाना नगर था। यहाँ बहुत सारे मन्दिर थे जहाँ पवित्र अग्नि के दीप सदा जलते रहते थे। इन मन्दिरों में एक मन्दिर जीयस देवता का था जिसको यूनानियों की समृद्धि, सुरक्षा और तन्दुरुस्ती का देवता माना जाता था। इस मन्दिर के आंगन में एक जैतून का वृक्ष लगा हुआ था, जिसको बहुत ही पवित्र माना जाता था। एक जानकारी के अनुसार यह वृक्ष हरकुलिस ने स्वर्गी धरती से लाकर जीयस देवता के मन्दिर में लगाया था। इस मन्दिर के निकट ढलानदार पहाड़ियाँ थीं जिनके बीच खेल के लिए समतल मैदान प्राकृतिक तौर पर बना हुआ था। यूनानियों ने इन पहाड़ियों को काटकर दर्शकों के बैठने के लिए स्थान बनाया और इसको प्राकृतिक स्टेडियम का रूप दिया। इस स्टेडियम में प्रथम प्राचीन ओलम्पिक खेलें आरम्भ करवाई गईं।

प्राचीन ओलम्पिक खेलें यूनान के ओलम्पिया नगर में अगस्त, सितम्बर माह की पूर्णिमा की रात को आरम्भ हुईं। ये खेलें जीयस देवता को समर्पित की गईं। इन खेलों के आरम्भ होने के पक्के सबूत लिखित रूप में नहीं हैं परन्तु इनको 776 ईसा पूर्व में आरम्भ हुआ माना जाता है। ये खेलें 1000 वर्ष से अधिक समय तक चलती रहीं। जब रोमन निवासियों ने यूनान पर कब्जा किया तो रोमन बादशाह थियोडिसियस ने इनको बन्द करवाने के आदेश दे दिए। यूनान निवासियों के दिलों में इन खेलों के प्रति बसी भावना को कोई भी रोमन बादशाह मिटा न सका।

प्राचीन ओलम्पिक खेलों की अवनति व निष्कासन के कारण (Causes of Decline or Eviction of Ancient Olympic Games):
प्राचीन ओलम्पिक खेलें बहुत ही शानदार एवं सम्मानपूर्वक ढंग से लम्बे वर्षों तक अर्थात् 776 ईसा पूर्व से 393 ईस्वी तक चलती रहीं, लेकिन यूनान पर रोम का अधिकार होते ही इन खेलों में गतिरोध उत्पन्न हो गया। प्राचीन ओलम्पिक खेलों की अवनति व निष्कासन के कारण निम्नलिखित थे-
(1) यूनानियों के अतिरिक्त बाहर के लोगों का इन खेलों में भाग लेना और किसी भी प्रकार से इन खेलों में जीत प्राप्त करना अपना उद्देश्य बना लिया था। उनके अन्दर अपनी विजय खोने का डर सदा बना रहता था।
(2) यूनान पर रोम का अधिकार होने के बाद रोमवासियों का इन खेलों के प्रति कोई विशेष उत्साह एवं लगाव नहीं रहा।
(3) रोम ने इन खेलों में अधिक जोखिम एवं उत्तेजना वाले खेलों को शामिल कर लिया। इसके कारण खिलाड़ी बुरी तरह से घायल होने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि अच्छे खिलाड़ियों ने इनमें भाग लेना बंद कर दिया।
(4) इन खेलों में कुछ बुराइयों; जैसे रिश्वतखोरी का आ जाना भी इनके पतन का कारण था। खिलाड़ी जीतने के लिए जजोंको रिश्वत देने लगे थे।
(5) रोमन यूनानियों की खेलों को अच्छा नहीं समझते थे। इस कारण भी इन खेलों का पतन हुआ। अंतत: 393 ईस्वी में रोम के तत्कालीन सम्राट् थियोडोसियस ने एक आज्ञा-पत्र जारी कर इन खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया।

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प्रश्न 4.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों (Modern Olympic Games) के बारे में आप क्या जानते हैं? विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेलों को प्रारंभ किसने किया? इनके उद्देश्यों एवं नियमों का वर्णन करें।
अथवा
नवीन ओलम्पिक खेलों के इतिहास और नियमों का वर्णन करें।
अथवा
1896 में आधुनिक ओलम्पिक खेल कैसे शुरू हुए? स्पर्धा के नियमों का भी वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के समाप्त होने के अनेक वर्षों बाद सन् 1829 में फ्रांसीसी व जर्मन दल के पुरातत्व वैज्ञानिकों ने यूनान के ओलम्पिया नगर में खुदाई आरंभ करवाई। अनेक वर्षों की कठिन मेहनत के बाद 4 अक्तूबर, 1875 को अर्नेस्ट कर्टियस को खुदाई से कुछ सफलता प्राप्त हुई। उसे खुदाई से ओलम्पिया नगर के मंदिरों व स्टेडियम के अवशेष प्राप्त हुए। इन अवशेषों के अध्ययन से आधुनिक ओलम्पिक खेलों को पुनः आरंभ करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

आधुनिक या नवीन ओलम्पिक खेलों को आरंभ करने का सारा श्रेय फ्रांसीसी विद्वान् बैरन पियरे-डी-कोबर्टिन को जाता है, जिनके अथक प्रयासों के कारण ही इन खेलों का पुनः आरंभ हो सका। उन्होंने इन खेलों को पुनः आरंभ करने के लिए 18 जून, 1894 को पेरिस में सोरबोन सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें उन्होंने अपनी खेल से संबंधित योजनाओं को 11 देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष · प्रस्तुत किया। सम्मेलन द्वारा उनके प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद, प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों के लिए एक तारीख सुनिश्चित करने की आवश्यकता थी। खेलों के आयोजन एवं नियंत्रण हेतु अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) का गठन किया गया। देमित्रिस विकेलस को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया।

सर्वसम्मति से प्रथम नवीन ओलम्पिक खेलों को 6 अप्रैल, 1896 को यूनान के शहर एथेंस में आयोजित करना सुनिश्चित किया गया। इन खेलों के संबंध में कोबर्टिन ने एक आदर्श प्रस्तुत किया कि “ओलम्पिक में सबसे आवश्यक बात जीत प्राप्त करना नहीं, बल्कि भाग लेना है। जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण बात जीत प्राप्त करना नहीं, बल्कि संघर्ष करना है। आवश्यक यह नहीं कि आप जीते हैं, बल्कि यह है कि आप अच्छी तरह खेलें।” (The important thing in the olympics is not to win but to take part. As the important thing in life is not the triumph but the struggle. The essential thing is not to have conquered but to have fought well.)

आधुनिक ओलम्पिक खेलों के उद्देश्य (Objectives of Modern Olympic Games):
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
(1) खिलाड़ियों में सामाजिक व नैतिक गुणों का विकास करना।
(2) खिलाड़ियों में विश्व-शान्ति, आपसी सद्भाव एवं मित्रता को बढ़ावा देना।
(3) खिलाड़ियों में खेल-भावना और आपसी सहयोग की भावना का विकास करना।
(4) युवाओं को खेलों के लिए प्रेरित करना तथा उनके व्यक्तित्व का विकास करना।
(5) खिलाड़ियों में देशभक्ति व भाईचारे की भावना का विकास करना।
(6) जाति, रंग, धर्म व नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव न होने देना।
(7) खिलाड़ियों का शारीरिक एवं चारित्रिक विकास करना।
(8) खिलाड़ियों में अच्छी आदतों का निर्माण करना।

आधुनिक ओलम्पिक खेलों में प्रवेश के नियम (Entry Rules of Modern Olympic Games):
ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय ओलम्पिक खेल समिति द्वारा भेजे जाते हैं। राष्ट्रीय खेल संस्थाएँ अपने-अपने खिलाड़ियों को चुनती हैं तथा उनके प्रवेश के लिए उनके नाम अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति को भेजती हैं। इन खेलों का नियमानुसार आयोजन करवाने की जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की होती है। सन् 1908 में लंदन में हुए ओलम्पिक खेलों में कुछ नियम बनाए गए, जो इस प्रकार हैं
(1) वह हर देश जो ओलम्पिक संघ का सदस्य है, अपने देशवासियों को खेलों में भाग लेने के लिए भेज सकता है।
(2) एक खिलाड़ी एक ही देश का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
(3) खिलाड़ी नशा करके इन खेलों में भाग नहीं ले सकते।
(4) यदि किसी खिलाड़ी ने एक देश की ओर से इन खेलों में भाग लिया हो तो दूसरे देश की ओर से इन खेलों में भाग नहीं ले सकता। परंतु नए बने देश के खिलाड़ियों के लिए यह शर्त लागू नहीं होती।
(5) ओलम्पिक खेलों में भाग लेते समय खिलाड़ी के लिंग की जाँच की जाती है।
(6) खिलाड़ी किसी आयु, लिंग, धर्म एवं जाति का हो सकता है। उसके साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।

ओलम्पिक मॉटो (Olympic Motto):
ओलम्पिक मॉटो लैटिन भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है
(1) सीटियस (Citius)-बहुत तेज (Faster)
(2) अल्टियस (Altius)-बहुत ऊँचा (Higher)
(3) फॉर्टियस (Fortius)-बहुत शक्तिशाली (Stronger)।

इनका अर्थ है-बहुत तेज दौड़ना, बहुत ऊँची कूद लगाना और बहुत जोर (शक्ति) से गोला (थ्रो) फेंकना। ये शब्द खिलाड़ियों में उत्साह भरते हैं और वे अच्छा प्रदर्शन करने हेतु प्रेरित होते हैं।

ओलम्पिक सौगंध (Olympic Oath):
ओलम्पिक खेलों के शुरू होने से पहले मेजबान देश का खिलाड़ी यह सौगंध (शपथ) लेता है कि-“हम सौगंध लेते हैं कि हम इन ओलम्पिक खेलों में सच्चे खिलाड़ीपन की भावना से भाग लेंगे तथा अपने देश के सम्मान एवं खेलों के गौरव के लिए इन खेलों के सारे नियमों का आदर एवं पालन करेंगे।” (We swear that we shall take part in these olympic games in the true spirit of sportsmanship and that we will respect and abide by the rules which govern them for the glory of sport and the honour of our country.)

ओलम्पिक ध्वज (Olympic Flag):
बैरन पियरे-डी-कोबर्टिन के सुझाव पर सन् 1913 में ओलम्पिक ध्वज (Olympic Flag) का निर्माण किया गया और सन् 1914 में इसे जारी किया गया। ओलम्पिक ध्वज को सर्वप्रथम सन् 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प (Antwerp) शहर में आयोजित हुए खेलों में फहराया गया। यह ध्वज सफेद रंग का होता है। इसमें पाँच चक्र (Rings) परस्पर जुड़े हुए भिन्न-भिन्न रंगों के होते हैं; जैसे नीला, पीला, काला, हरा व लाल। ये विश्व के पाँच महाद्वीपों; जैसे नीला रंग-यूरोप, पीला रंग-एशिया, काला रंग-अफ्रीका, हरा रंग-ऑस्ट्रेलिया और लाल रंग-अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओलम्पिक ध्वज के ये चक्र उत्साह, आस्था, विजय, काम की नैतिकता और खेल-भावना को प्रदर्शित करते हैं। इन चक्रों का आपस में जुड़े होना इन पाँच महाद्वीपों की मित्रता एवं सद्भावना का प्रतीक है।
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ओलम्पिक मशाल (Olympic Flame):
ओलम्पिक मशाल या ज्योति ओलम्पिक खेलों का महत्त्वपूर्ण प्रतीक है। ओलम्पिक मशाल जलाने की प्रथा सन् 1936 के बर्लिन ओलम्पिक खेलों से शुरू हुई। यह ज्ञान, खुशी, शांति की प्रतीक है। पहले इस मशाल को खेल शुरू होने से कुछ दिन पूर्व यूनान के ओलम्पिया में हेरा मंदिर के सामने सूर्य की किरणों से प्रज्वलित किया जाता था। अब इसे सूर्य की किरणों से नहीं बल्कि शीशे से प्रज्वलित किया जाता है। साथ ही इसे मेजबानी करने वाले देश की दक्षता के आधार पर कुछ अलग आधार दिया जाता है। हालांकि इसके मूल रूप में आज तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस मशाल को विभिन्न खिलाड़ियों या व्यक्तियों द्वारा उस स्थान पर पहुँचाया जाता है जहाँ ओलम्पिक खेलों का आयोजन होना होता है । जितने दिन ओलम्पिक खेल चलते हैं, उतने दिनों तक यह मशाल निरंतर प्रज्वलित रहती है और खेल समाप्ति पर इसे बुझा दिया जाता है।
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ओलम्पिक पदक (Olympic Awards):
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में पहले तीन स्थानों पर आने वाले खिलाड़ियों या टीमों को पदक या तमगे (Medals) दिए जाते हैं। पहले स्थान प्राप्तकर्ता को स्वर्ण पदक (Gold Medal), दूसरे स्थान प्राप्तकर्ता को रजत पदक (Silver Medal) और तीसरे स्थान प्राप्तकर्ता को कांस्य पदक (Bronze Medal) दिया जाता है। इसके अतिरिक्त जीतने वाले खिलाड़ी को डिप्लोमा भी दिया जाता है।

उद्घाटन समारोह (Opening Ceremony):
ओलम्पिक खेलों को आरंभ करने का समारोह बहुत प्रभावशाली होता है। एक मशाल जो ओलम्पिया (Olympia) नगर में सूर्य की किरणों के द्वारा प्रज्वलित की जाती है, उस नगर में लाई जाती है, जहाँ ओलम्पिक होना होता है तथा उस नगर के राजा या राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री द्वारा खेलों के आरंभ होने की घोषणा की जाती है। इसके साथ ही एथलीटों द्वारा मार्च-पास्ट (March Fast) तथा शपथ लेने (Oath-Taking) की रस्में अदा की जाती हैं, ओलम्पिक ध्वज फहराया जाता है और स्टेडियम में ओलम्पिक मशाल जला दी जाती है, जो खेलों के अंत तक जलती रहती है। मनोरंजनात्मक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा खेल अधिकारियों, खिलाड़ियों एवं दर्शकों का मनोरंजन किया जाता है। इसके बाद खेल आरंभ कर दिए जाते हैं।

समापन समारोह (Closing Ceremony):
ओलम्पिक खेलों का समापन समारोह बहुत साधारण होता है। अंतिम इवेंट के पश्चात् एथलीट या खिलाड़ी स्टेडियम में एकत्रित होते हैं। शहर का मेयर तथा प्रबंधक समिति का अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के अध्यक्ष को स्टेडियम तक ले जाते हैं। वह इन खेलों की समाप्ति की घोषणा करता है। तत्पश्चात् ओलम्पिक ध्वज को नीचे उतार लिया जाता है तथा अध्यक्ष द्वारा यह ध्वज मेयर को संभालने के लिए दिया जाता है। ओलम्पिक मशाल (ज्वाला) को बुझा दिया जाता है और फिर ओलम्पिक गीत के साथ खेलें समाप्त हो जाती हैं।

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प्रश्न 5.
नवीन ओलम्पिक खेलें किसने शुरू करवाईं? उसके विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेलों को प्रारंभ करने में बैरन पियरे-डी-कोबर्टिन के योगदान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों को रोमन बादशाह की ओर से बन्द करवा दिया गया था परन्तु वे खेलें समूचे विश्व के लिए एक पवित्र सन्देश छोड़ गई थीं कि सच्ची विजय मित्रता, प्यार और शान्ति से दिलों को जीतने में है। यह पवित्र भावना लोगों के दिलों में कोई भी बादशाह न मिटा सका। प्राचीन ओलम्पिक खेलों में पवित्र जोत जलती थी जो लोगों के मन में शताब्दियों तक जलती रही। एक दिन यह ज्योति नवीन ओलम्पिक खेलों के रूप में विश्व में प्रकाशमान हुई और आज तक जगमगा रही है। नवीन ओलम्पिक खेलों को आरम्भ करने का श्रेय एक पवित्र आत्मा को जाता है, जिसका नाम बैरन पियरे डी कोबर्टिन था।
HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 8 ओलम्पिक आंदोलन 3
लगभग चौदह शताब्दियों तक ओलम्पिक खेलें विश्व के खेल नक्शे से अदृश्य रहीं। सन् 1829 को जापान और फ्रांसीसी पुरातत्व वैज्ञानिकों ने ओलम्पिया स्थान की खुदाई करवाई तो वहाँ मन्दिर और ओलम्पिक स्टेडियम के निशान मिल गए जहाँ प्राचीन ओलम्पिक खेलें हुआ। करती थीं। ये वैज्ञानिक केवल खोजकर्ता थे। इनका कार्य पुरानी घटनाओं, स्थानों और वस्तुओं को बैरन पियरे डी कोबर्टिन ढूँढने पर आधारित था। परन्तु इन ऐतिहासिक स्थानों की निशानदेही ने लोगों के अन्दर ओलम्पिक खेलों की भावना को और जागृत कर दिया।

कोबर्टिन नवीन ओलम्पिक खेलों के निर्माता माने जाते हैं, जिनका जन्म सन् 1863 में फ्रांस में हुआ था। वे फ्रांस में शिक्षा विभाग में कार्य करते थे। इनका खास झुकाव शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र की ओर था। उन्होंने सन् 1887 में बर्तानिया का दौरा किया। उन्हें हैरो और रंगबी के स्कूलों की पढ़ाई और प्रबन्ध बहुत पसन्द आए। उसने अनुभव किया कि पढ़ाई केवल कक्षा में बिठा कर ही प्रभावशाली नहीं बनाई जा सकती। बच्चों को पूर्ण रूप में शिक्षित करने के लिए कक्षा से बाहर मैदानों में ले जाकर भी शिक्षित किया जा सकता है। इसलिए शिक्षा और खेलों को भिन्न-भिन्न नहीं किया जा सकता। उसने इस विषय पर एक पुस्तक भी लिखी।

सन् 1889 में वे अमेरिका गए। वहाँ उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ओलम्पिक्स आरम्भ करने की सलाह दी। बहुत सारे खेल प्रेमियों ने उनके विचारों की प्रशंसा की और उनकी सहायता करने का वचन दिया। वे खेलों द्वारा सुन्दरता, स्वास्थ्य, मनोरंजन और भाईचारा बढ़ाना चाहते थे। बेशक इनकी कोशिश से पहले भी दो बार इसी प्रकार की ओलम्पिक खेल आरम्भ करने की कोशिश की गई, परन्तु असफल हुई। कोबर्टिन ने इसी संबंध में भिन्न-भिन्न देशों के दौरे किए। अपने देश में फ्रांसीसी खेल संघ स्थापित किए। 16 जून, 1894 को एक अन्तर्राष्ट्रीय कांग्रेस के सामने ओलम्पिक योजना रखी गई, जिसके लिए सब ने सहमति प्रदान की। इन खेलों को आरम्भ करने के लिए वही देश यूनान चुना गया जहाँ प्राचीन ओलम्पिक खेलें हुआ करती थीं। सन् 1896 को प्रथम ओलम्पिक खेलें यूनान के शहर एथेंस में आरम्भ की गईं, जिसमें 14 राष्ट्रों के 289 खिलाड़ियों ने भाग लिया।

प्रश्न 6.
नवीन या आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भारत की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
अथवा
अब तक हुए आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भारत का सफर कैसा रहा? क्या यह संतोषजनक है?
अथवा
भारतीय खिलाड़ियों ने ओलम्पिक खेलों में क्या स्थान प्राप्त किए?
उत्तर:
ओलम्पिक खेलों में भारत का सफर वर्ष 1900 के पेरिस ओलम्पिक से शुरू हुआ। इसमें कोलकाता के रहने वाले एंग्लो इण्डियन नॉर्मन गिलबर्ड प्रिटिहार्ड ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था और 200 मीटर बाधा (हर्डल) दौड़ में रजत पदक जीता था। वर्ष 1900 के बाद लगभग 20 वर्षों तक भारत ने ओलम्पिक खेलों में भाग नहीं लिया। सन् 1920 के बेल्जियम (एंटवर्प) ओलम्पिक खेलों में भारत ने पहली बार अधिकृत रूप से अपनी ओलम्पिक टीम भेजी। इसके बाद से भारत का ओलम्पिक खेलों में भाग लेने का सफर निरंतर जारी है। लेकिन ओलम्पिक खेलों के इतिहास पर नजर डालें तो अब तक भारत का सफर संतोषजनक नहीं रहा है। भारत ने इन खेलों में अभी तक केवल 28 पदक ही प्राप्त किए हैं जिनमें से 11 पदक तो केवल हॉकी में प्राप्त हुए हैं।

ओलम्पिक खेलों में भारत का पहला स्वर्ण पदक सन् 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक खेलों में जयपाल सिंह के नेतृत्व में हॉकी टीम ने प्राप्त किया। ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है। ओलम्पिक खेलों में लगातार छ: बार (1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956) भारतीय हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीते। इस दौरान टीम ने अनेक रिकॉर्ड तोड़े और स्थापित किए। यही वह दौर था जब ओलम्पिक खेलों में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जादू चलता था। अनेक वर्षों तक भारतीय हॉकी टीम ने ओलम्पिक खेलों में एकछत्र राज किया।

सन् 1952 के हेलसिंकी ओलम्पिक खेलों में भारत के पहलवान के० डी० जाधव ने कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। सन् 1960 के रोम ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम को हार का सामना करना पड़ा, परन्तु सन् 1964 के टोकियो ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने फिर से पाकिस्तान को हराकर पदक प्राप्त किया। सन् 1980 के मॉस्को ओलम्पिक में भारतीय हॉकी ने पदक प्राप्त किया। सन् 1996 के एटलांटा ओलम्पिक खेलों में भारत के लिएंडर पेस ने टेनिस स्पर्धा में कांस्य पदक प्राप्त किया। सन् 2000 के सिडनी ओलम्पिक में पहली बार किसी भारतीय महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन स्पर्धा में कांस्य पदक प्राप्त किया। सन् 2004 के एथेंस ओलम्पिक खेलों में भारतीय निशानेबाज राज्यवर्द्धन राठौर ने रजत पदक प्राप्त किया।

सन् 2008 के बीजिंग ओलम्पिक खेलों में पहली बार भारतीय निशानेबाज खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग स्पर्धा में व्यक्तिगत रूप से भारत के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसी वर्ष विजेंद्र सिंह ने बॉक्सिंग स्पर्धा में और सुशील कुमार ने कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक प्राप्त किए। सन् 2012 के लंदन ओलम्पिक खेलों में भारत ने अभी तक हुए ओलम्पिक खेलों में सबसे अधिक अर्थात् 6 पदक प्राप्त किए हैं। गगन नारंग व विजय कुमार ने निशानेबाजी में, सुशील कुमार व योगेश्वर दत्त ने कुश्ती में, साइना नेहवाल ने बैडमिंटन में और एम०सी० मैरीकॉम ने बॉक्सिंग में पदक प्राप्त किए। सन् 2016 में रियो डी जेनेरियो (ब्राजील) में हुए ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस ओलम्पिक में भारत के 119 खिलाड़ियों ने भाग लिया, परन्तु हमारे केवल दो खिलाड़ी ही पदक जीत पाए; जैसे साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य पदक और पी०वी० सिन्धू ने बैडमिंटन में रजत पदक जीते।

दिए गए विवरण से स्पष्ट होता है कि 121 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले देश का ओलम्पिक खेलों में प्रदर्शन संतोषजनक व उत्साहजनक नहीं रहा है। ओलम्पिक पदक तालिका में हम बहुत नीचे हैं। ओलम्पिक खेलों में हमें अपनी स्थिति को लगन व मेहनत से और मजबूत करना होगा, तभी हम ओलम्पिक खेलों में अपनी स्थिति अच्छी व संतोषजनक कर पाएँगे और विश्व को दिखा पाएँगे कि हम भी बहुत कुछ कर सकते हैं।

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प्रश्न 7.
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति क्या है? इसके उद्देश्यों व कार्यों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (International Olympic Committee) पर विस्तृत नोट लिखें।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति/संघ बनाए जाने का श्रेय आधुनिक ओलम्पिक खेलों के जनक बैरन पियरे डी कोबर्टिन को जाता है। उनके अथक प्रयासों से 23 जून, 1894 को यह समिति अस्तित्व में आई। यह समिति प्रत्येक चार साल बाद ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन करती है। इस समिति में विभिन्न देशों के सदस्य शामिल होते हैं। इस समिति के प्रथम अध्यक्ष देमित्रिस विकेलस थे। इसका मुख्यालय लोसाने (स्विट्ज़रलैण्ड) में है।

अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के उद्देश्य व कार्य (Objectives and Functions of International Olympic Committee):
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के मुख्य उद्देश्य व कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ओलम्पिक खेलों का आयोजन स्थान एवं तारीख आदि निश्चित करती है।
(2) यह खेलों का प्रबंध करती है।
(3) यह खेलों व खिलाड़ियों के लिए आवश्यक नियम बनाती है।
(4) यह खिलाड़ियों को विश्व-शांति, सहयोग एवं भाईचारे की भावना बनाए रखने हेतु प्रेरित करती है।
(5) यह खेलों में नैतिकता को बनाए रखने और युवाओं को खेलों के लिए प्रोत्साहित करती है।
(6) यह खेलों में डोपिंग का विरोध करती है। यदि कोई खिलाड़ी डोपिंग में सकारात्मक रूप से भागीदार पाया जाता है तो उसके विरुद्ध उचित कार्रवाई करती है।
(7) यह खिलाड़ियों को बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
(8) यह खेलों और खिलाड़ियों में किसी भी प्रकार के वाणिज्यकरण व राजनीतिकरण का विरोध करती है।

प्रश्न 8.
अब तक कितनी आधुनिक ओलम्पिक खेलें हुई हैं? ये कब और कहाँ-कहाँ आयोजित हुईं?
उत्तर:
अब तक 31 आधुनिक ओलम्पिक खेल हुए हैं। 31वें ओलम्पिक खेल ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में आयोजित हुए, जिसमें भारत ने कुल 2 पदक प्राप्त किए। 32वें ओलम्पिक खेल 2020 में जापान के टोकियो शहर में आयोजित होने थे, परंतु कोविड-19 नामक महामारी के कारण रद्द हो गए। 23 जुलाई से 8 अगस्त, 2021 तक इन खेलों का पुनः आयोजन किया जाएगा। अब तक हुए ओलम्पिक खेलों के आयोजित शहर (देश) तथा वर्ष का विवरण निम्नलिखित तालिका में दिया गया है-

क्र०सं०वर्षशहर/देश
11896एथेंस (यूनान/ग्रीस)
21900पेरिस (फ्राँस)
31904सेंट लूइस (अमेरिका)
41908लंदन (इंग्लैण्ड)
51912स्टॉकहोम (स्वीडन)
61916बर्लिन (जर्मनी)
71920एंटवर्प (बेल्जियम)
81924पेरिस (फ्राँस)
91928एम्सटर्डम (नीदरलैण्ड)
101932लॉस एंजिल्सि (अमेरिका)
111936बर्लिन (जर्मनी)
121940टोकियो (जापान)
131944लंदन (इंग्लैण्ड)
141948लंदन (इंग्लैण्ड)
151952हेलसिंकी (फिनलैण्ड)
161956मेलबोर्न (ऑस्ट्रेलिया)
171960रोम (इटली)
181964टोकियो (जापान)
191968मैक्सिको सिटी (मैक्सिको)
201972म्यूनिख (जर्मनी)
211976मांट्रियल (कनाडा)
221980मॉस्को (सोवियत संघ)
231984लॉस एंजिल्सि (अमेरिका)
241988सियोल (दक्षिण कोरिया)
251992बार्सीलोना (स्पेन)
261996एटलांटा (अमेरिका)
272000सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)
282004एथेंस (यूनान)
292008बीजिंग (चीन)
302012लंदन (इंग्लैण्ड)
312016रियो डी जेनेरियो (ब्राजील)

आधुनिक ओलम्पिक खेलों में काफी उतार-चढ़ाव पाए जाते हैं। पहले और दूसरे विश्वयुद्ध की छाया, फिर म्यूनिख ओलम्पिक में इजराइल खिलाड़ियों का कत्लेआम और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण सन् 1980 में मॉस्को और सन् 1984 में लॉस एंजिल्सि खेलों का बहिष्कार करने से खेलों के औपचारिक नियमों को बहुत ठेस लगी। सन् 1916, 1940 और 1944 के ओलम्पिक खेल प्रथम और दूसरे विश्वयुद्ध के कारण आयोजित नहीं हो सके। कितना अच्छा होगा यदि खेलों को इन घटनाओं से दूर रखा जाए, ताकि खेलों का वास्तविक उद्देश्य जो कि अन्तर्राष्ट्रीय भ्रातृत्व व विश्व-शांति है, उसको प्रफुल्लित किया जा सके।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के इतिहास का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलें यूनान के एक छोटे से नगर ओलम्पिया से आरम्भ हुईं। यह नगर एलफिस नदी के किनारे बसा था। यह नगर एलिस राज्य का एक जाना-पहचाना नगर था। यहाँ बहुत सारे मन्दिर थे जहाँ पवित्र अग्नि के दीप सदा जलते रहते थे। इन मन्दिरों में एक मन्दिर जीयस देवता का था जिसको यूनानियों की समृद्धि, सुरक्षा और तन्दुरुस्ती का देवता माना जाता था। इस मन्दिर के आंगन में एक जैतून का वृक्ष लगा हुआ था, जिसको बहुत ही पवित्र माना जाता था। एक जानकारी के अनुसार यह वृक्ष हरकुलिस ने स्वर्गी धरती से लाकर जीयस देवता के मन्दिर में लगाया था।

इस मन्दिर के निकट ढलानदार पहाड़ियाँ थीं जिनके बीच खेल के लिए समतल मैदान प्राकृतिक तौर पर बना हुआ था। यूनानियों ने इन पहाड़ियों को काटकर दर्शकों के बैठने के लिए स्थान बनाया और इसको प्राकृतिक स्टेडियम का रूप दिया। इस स्टेडियम में प्रथम प्राचीन ओलम्पिक खेलें आरम्भ करवाई गईं। प्राचीन ओलम्पिक खेलें यूनान के ओलम्पिया नगर में अगस्त, सितम्बर माह की पूर्णिमा की रात को आरम्भ हुईं। ये खेलें जीयस देवता को समर्पित की गईं। इन खेलों के आरम्भ होने के पक्के सबूत लिखित रूप में नहीं हैं परन्तु इनको 776 ईसा पूर्व में आरम्भ हुआ माना जाता है। ये खेलें लम्बे वर्षों तक चलती रहीं। जब रोमन निवासियों ने यूनान पर कब्जा किया तो रोमन बादशाह थियोडिसियस ने इनको बद करवाने के आदेश दे दिए। यूनान निवासियों के मन में इन खेलों के प्रति बसी भावना को कोई भी रोमन बादशाह मिटा न सका।

प्रश्न 2.
प्राचीन ओलम्पिक खेलें क्यों आरम्भ हुईं? अथवा प्राचीन ओलम्पिक खेल शुरू करने के क्या कारण थे?
उत्तर:
प्राचीन खेलों से पहले यूनान के अन्दर छोटे-छोटे आत्म-निर्भर राज्य आपस में लड़ते-झगड़ते रहते थे जिनसे यूनान निवासियों की नस्ल, धन-दौलत, समृद्धि और शक्ति समाप्त होती जा रही थी। एलिस के बादशाह इफीटस इन लड़ाई-झगड़ों को बन्द करना और देशवासियों को आपसी जंग से बचाना चाहते थे। उसने अपने मन्त्रियों और खेल प्रेमियों को देश की मन्दी की स्थिति से भरी समस्याओं के हल ढूँढने के लिए अपने सुझाव देने के लिए कहा। उनके सुझावों के अनुसार ऐसी खेलें करवाई जाएँ जिनकी पवित्रता के लिए लड़ाइयाँ बन्द हों, प्रत्येक प्रकार की धोखेबाज़ी बन्द हो, खेलों के दौरान कोई भी नशे वाली वस्तु का प्रयोग न करें।

इन खेलों को धार्मिक दर्जा देने के लिए यह जीयस देवता को समर्पित किया जाए। बादशाह को सुझाव पसन्द आए जिसके फलस्वरूप प्रथम प्राचीन ओलम्पिक आरम्भ होने की संभावना मानी जाती है। बादशाह इफीटस ने एक ऐलाननामा जारी किया। सारे राज्यों को इन खेलों में भाग लेने के लिए निमन्त्रण पत्र भेजे गए जिनको एक धार्मिक निमन्त्रण पत्र समझकर मान लिया गया और ओलम्पिया नगर में ओलम्पिक खेलों की शुरुआत हुई। ये खेलें चार वर्षों के पश्चात् आयोजित हुआ करती थीं।

प्रश्न 3.
प्राचीन ओलम्पिक तथा आधुनिक ओलम्पिक खेलों में क्या अंतर है? अथवा आधुनिक व प्राचीन ओलम्पिक खेलों की समानताओं व असमानताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
समानताएँ-आधुनिक व प्राचीन ओलम्पिक खेलों में निम्नलिखित समानताएँ रही हैं-
(1) आधुनिक व प्राचीन ओलम्पिक खेलों की शुरुआत यूनान से हुई।
(2) दोनों ही तरह के ओलम्पिक्स चार साल के अंतराल में आयोजित हुए।

असमानताएँ/अंतर:
यद्यपि आधुनिक ओलम्पिक खेल प्राचीन ओलम्पिक खेलों का ही विकसित रूप है फिर भी इनमें काफी अंतर है –
(1) प्राचीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन केवल यूनान के ‘ओलम्पिया’ नगर में ही किया जाता था लेकिन आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन विश्व के किसी भी शहर में किया जा सकता है।
(2) प्राचीन ओलम्पिक खेल तीन से पाँच दिन ही चलते थे, लेकिन आधुनिक ओलम्पिक खेल लगभग 16 दिन तक चलते हैं।
(3) प्राचीन ओलम्पिक खेलों में व्यक्तिगत स्पर्धा वाले खेल शामिल थे, जबकि आधुनिक ओलम्पिक खेलों में व्यक्तिगत व सामूहिक (टीम) दोनों प्रकार के खेल शामिल हैं।
(4) प्राचीन ओलम्पिक खेलों में केवल यूनान के निवासी ही भाग ले सकते थे जबकि आधुनिक ओलम्पिक में ऐसा नहीं है।

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प्रश्न 4.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के उद्घाटन समारोह (Opening Ceremony) का वर्णन करें।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के उद्घाटन समारोह के दिन सभी खिलाडी, उनके पिता, भाई व प्रशिक्षण देने वाले सभा-भवन में इकट्ठे होते थे। खेलों के विशेषज्ञ द्वारा खिलाड़ियों को शपथ दिलवाई जाती थी कि वे खेलों में नियमानुसार भाग लेंगे। उसके बाद हरकुलिस नामक देवता के सामने पशु की बलि दी जाती थी। इसके बाद सभी खिलाड़ी एक-एक करके मार्च-पास्ट करते हुए खेल के मैदान से बाहर आते थे। इसी दौरान उनका परिचय दर्शकों को दिया जाता था। इसके बाद खेलों को प्रारंभ करने की घोषणा होती थी।

प्रश्न 5.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के प्रमुख नियमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के प्रमुख नियम निम्नलिखित थे
(1) ओलम्पिक खेलों में केवल यूनान के नागरिक ही भाग ले सकते थे।
(2) ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी को 10 मास का प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक था और इन खेलों में भाग लेते समय उसे सौगंध लेनी पड़ती थी कि उसने प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
(3) खिलाड़ियों को ओलम्पिक्स आरंभ होने से एक मास पूर्व ओलम्पिया शहर में पहुँचना होता था।
(4) सभी खिलाड़ियों को खेलों में शांतिपूर्वक भाग लेने की सौगंध लेनी पड़ती थी।
(5) महिलाएँ इन खेलों में भाग नहीं ले सकती थीं तथा उन्हें खेलें देखने की भी आज्ञा नहीं थी।
(6) पहला और अंतिम दिन धार्मिक गीतों और बलियों के लिए होता था।
(7) गुलाम एवं दंडित खिलाड़ी इन खेलों में भाग नहीं ले सकते थे।

प्रश्न 6.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों का पतन कैसे हुआ?
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के बंद होने के मुख्य कारण बताएँ।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के पतन के मुख्य कारण निम्नलिखित थे
(1) यूनानियों के अतिरिक्त बाहर के लोगों का इन खेलों में भाग लेना और किसी भी प्रकार से इन खेलों में जीत प्राप्त करना अपना उद्देश्य बना लिया था। उनके अन्दर अपनी विजय खोने का डर सदा बना रहता था।
(2) यूनान पर रोम का अधिकार होने के बाद रोमवासियों का इन खेलों के प्रति कोई विशेष उत्साह एवं लगाव नहीं रहा।
(3) रोम ने इन खेलों में अधिक जोखिम एवं उत्तेजना वाले खेलों को शामिल कर लिया। इसके कारण खिलाड़ी बुरी तरह से घायल होने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि अच्छे खिलाड़ियों ने इनमें भाग लेना बंद कर दिया।
(4) इन खेलों में कुछ बुराइयों; जैसे रिश्वतखोरी का आ जाना भी इनके पतन का कारण था। खिलाड़ी जीतने के लिए जजों को रिश्वत देने लगे थे।
(5) रोमन यूनानियों की खेलों को अच्छा नहीं समझते थे। इस कारण भी इन खेलों का पतन हुआ। अंततः 393 ईस्वी में रोम के तत्कालीन सम्राट थियोडोसियस ने एक आज्ञा-पत्र जारी कर इन खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया।

प्रश्न 7.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के इतिहास पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के समाप्त होने के अनेक वर्षों बाद सन् 1829 में फ्रांसीसी व जर्मन दल के पुरातत्व वैज्ञानिकों ने यूनान के ओलम्पिया नगर में खुदाई आरंभ करवाई। अनेक वर्षों की कठिन मेहनत के बाद 4 अक्तूबर, 1875 को अर्नेस्ट कर्टियस को खुदाई से कुछ सफलता प्राप्त हुई। उसे खुदाई से ओलम्पिया नगर के मंदिरों व स्टेडियम के अवशेष प्राप्त हुए। इन अवशेषों के अध्ययन से आधुनिक ओलम्पिक खेलों को पुनः आरंभ करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

आधुनिक/नवीन ओलम्पिक खेलों को आरंभ करने का सारा श्रेय फ्रांसीसी विद्वान् बैरन पियरे डी कोबर्टिन को जाता है, जिनके अथक प्रयासों के कारण ही इन खेलों का पुनः आरंभ हो सका। उन्होंने इन खेलों को पुनः आरंभ करने के लिए 18 जून, 1894 को पेरिस में सोरबोन सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें उन्होंने अपनी खेल से संबंधित योजनाओं को 11 देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्तुत किया। सम्मेलन द्वारा उनके प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद, प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों के लिए एक तारीख सुनिश्चित करने की आवश्यकता थी। खेलों के आयोजन एवं नियंत्रण हेतु अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) का गठन किया गया। देमित्रिस विकेलस को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया। सर्वसम्मति से प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों को 6 अप्रैल, 1896 को यूनान के शहर एथेंस में आयोजित करना सुनिश्चित किया गया।

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प्रश्न 8.
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के मुख्य उद्देश्यों व कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के मुख्य उद्देश्य व कार्य निम्नलिखित हैं
(1) अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ओलम्पिक खेलों का आयोजन स्थान एवं तारीख आदि निश्चित करती है।
(2) यह खेलों का प्रबंध करती है। यह खेलों व खिलाड़ियों के लिए आवश्यक नियम बनाती है।
(3) यह खिलाड़ियों को विश्व-शांति, सहयोग एवं भाईचारे की भावना बनाए रखने हेतु प्रेरित करती है।
(4) यह खेलों में नैतिकता को बनाए रखने और युवाओं को खेलों के लिए प्रोत्साहित करती है।
(5) यह खेलों में डोपिंग का विरोध करती है। यदि कोई खिलाड़ी डोपिंग में सकारात्मक रूप से भागीदार पाया जाता है तो उसके विरुद्ध उचित कार्रवाई करती है।
(6) यह खिलाड़ियों को बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।
(7) यह खेलों और खिलाड़ियों में किसी भी प्रकार के वाणिज्यकरण व राजनीतिकरण का विरोध करती है।

प्रश्न 9.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के गठन पर सक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
भारत में ओलम्पिक लहर का आरंभ सर दोराबजी टाटा द्वारा खेलों का प्रोत्साहन करने के लिए दिए गए पैसों से हुआ। 5 फरवरी, 1927 में उन्होंने ए०सी० नौहरन की सहायता से खेलों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए प्रांतों के प्रतिनिधियों को कलकत्ता (कोलकाता) में इकट्ठा किया। इस सभा की अध्यक्षता सर दोराबजी टाटा द्वारा की गई। इसमें एक एसोसिएशन बनाने का निर्णय लिया गया। इस तरह भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन का गठन हुआ। इसका अध्यक्ष सर दोराबजी टाटा, महासचिव ए०सी० नौहरन तथा सहायक सचिव जी०डी० सौंधी को बनाया गया। यह एसोसिएशन वर्ष 1927 में अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की हिस्सा बनी।

भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के साथ-ही प्रांतों में भी अनेक खेल एसोसिएशन बनाई गईं; जैसे प्रांतीय ओलम्पिक एसोसिएशन, रेलवे कंट्रोल बोर्ड तथा सर्विस स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड आदि। इन सभी को भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के साथ जोड़ा गया। भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन का चुनाव चार वर्षों में एक बार होता है। इसमें शामिल अधिकारी व सदस्य होते हैं-एक अध्यक्ष, एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, आठ उपाध्यक्ष, एक महासचिव, छः सहायक सचिव, एक कोषाध्यक्ष, लगभग 21 प्रान्तीय ओलम्पिक एसोसिएशन के सदस्य और 9 राष्ट्रीय खेल एसोसिएशन के सदस्य, रेलवे स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड व सर्विस स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड आदि।

प्रश्न 10.
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के मुख्य कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
(1) अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के सभी नियमों को जारी करना।
(2) अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों के लिए खिलाड़ियों व टीमों का चयन करके उन्हें मुकाबले के लिए भेजना।
(3) देश में राष्ट्रीय स्तर के खेलों का प्रबंध करना।
(4) भारत के विभिन्न प्रांतों में प्रांतीय ओलम्पिक एसोसिएशन बनाना।
(5) अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भेजी गई टीमों/खिलाड़ियों की जिम्मेदारी लेना।
(6) प्रांतीय स्तरीय ओलम्पिक एसोसिएशन के कार्यों पर निगरानी रखना।
(7) खेलों को अधिक-से-अधिक बढ़ावा देना तथा युवाओं को खेलों में भाग लेने हेतु प्रेरित करना।
(8) ओलम्पिक मामलों को सुलझाना तथा ओलम्पिक चार्टर का पालन करना।

प्रश्न 11.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के नियमों का उल्लेख करें।
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भाग लेने के नियम लिखें।
उत्तर:
ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी राष्ट्रीय ओलम्पिक खेल समिति द्वारा भेजे जाते हैं। राष्ट्रीय खेल संस्थाएँ अपने-अपने खिलाड़ियों को चुनती हैं तथा उनके प्रवेश के लिए उनके नाम अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति को भेजती हैं। इन खेलों का नियमानुसार आयोजन करवाने की जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की होती है। सन् 1908 में लंदन में हुए ओलम्पिक खेलों में कुछ नियम बनाए गए, जो इस प्रकार हैं
(1) वह हर देश जो ओलम्पिक संघ का सदस्य है, अपने देशवासियों को खेलों में भाग लेने के लिए भेज सकता है।
(2) एक खिलाड़ी एक ही देश का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
(3) खिलाड़ी नशा करके इन खेलों में भाग नहीं ले सकते।
(4) यदि किसी खिलाड़ी ने एक देश की ओर से इन खेलों में भाग लिया हो तो दूसरे देश की ओर से इन खेलों में भाग नहीं ले सकता। परंतु नए बने देश के खिलाड़ियों के लिए यह शर्त लागू नहीं होती।
(5) ओलम्पिक खेलों में भाग लेते समय खिलाड़ी के लिंग की जाँच की जाती है।
(6) खिलाड़ी किसी आयु, लिंग, धर्म एवं जाति का हो सकता है। उसके साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।

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प्रश्न 12.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के कौन-कौन-से उद्देश्य हैं?
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख करें।
उत्तर:
कोबर्टिन के अनुसार आधुनिक ओलम्पिक खेलों के द्वारा निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हो सकती है
(1) खिलाड़ियों में सामाजिक व नैतिक गुणों का विकास करना।
(2) खिलाड़ियों में विश्व-शान्ति, आपसी सद्भाव एवं मित्रता को बढ़ावा देना।
(3) खिलाड़ियों में टीम-भावना की भावना का विकास करना।
(4) युवाओं को खेलों के लिए प्रेरित करना तथा उनके व्यक्तित्व का विकास करना।
(5) खिलाड़ियों में देशभक्ति व भाईचारे की भावना का विकास करना।
(6) जाति, रंग, धर्म व नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव न होने देना।
(7) खिलाड़ियों का शारीरिक एवं चारित्रिक विकास करना।।

प्रश्न 13.
शीतकालीन ओलम्पिक खेलों (Winter Olympic Games) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
शीतकालीन ओलम्पिक खेलों की शुरुआत सन् 1924 में हुई। शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में आईस हॉकी, स्केटिंग आदि के खेल मुकाबले होते हैं। ये खेलें भी प्रति चार वर्ष के पश्चात् होती हैं। ये केवल उन देशों के खिलाड़ियों द्वारा खेली जाती हैं, जिन देशों की जलवायु ठंडी होती है। इसमें ओलम्पिक खेलों की भाँति कोई तमगे नहीं दिए जाते तथा न ही इन्हें ओलम्पिक खेलों के समान समझा जाता है। ये केवल मुकाबले तक ही सीमित मानी जाती हैं। शीतकालीन ओलम्पिक खेलें तथा ओलम्पिक खेलें एक समय पर नहीं होती।

प्रश्न 14.
ओलम्पिक झण्डे की पृष्ठभूमि तथा इसका महत्त्व बताइए। अथवा ओलम्पिक ध्वज पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक झंडा क्या है? इसका क्या महत्त्व है?
अथवा
ओलम्पिक ध्वज के चक्रों (Rings) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बैरन पियरे डी कोबर्टिन के सुझाव पर सन् 1913 में ओलम्पिक ध्वज (Olympic Flag) का निर्माण किया गया और सन् 1914 में इसे जारी किया गया। ओलम्पिक ध्वज को सर्वप्रथम सन् 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प (Antwerp) शहर में आयोजित हुए खेलों में फहराया गया। यह ध्वज सफेद रंग का होता है। इसमें पाँच चक्र (Rings) परस्पर जुड़े हुए भिन्न-भिन्न रंगों के होते हैं; जैसे नीला, पीला, काला, हरा व लाल। ये विश्व के पाँच महाद्वीपों; जैसे नीला रंग-यूरोप, पीला रंग-एशिया, काला रंग-अफ्रीका, हरा रंग-ऑस्ट्रेलिया और लाल रंग-अमेरिका का प्रतिनिधित्व करते हैं। ओलम्पिक ध्वज के ये चक्र उत्साह, आस्था, विजय, काम की नैतिकता और खेल-भावना को प्रदर्शित करते हैं। इन चक्रों का आपस में जुड़े होना इन पाँच महाद्वीपों की मित्रता एवं सद्भावना का प्रतीक है।

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प्रश्न 15.
ओलम्पिक मशाल (Olympic Flame) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
अथवा
ओलम्पिक ज्योति (Olympic Torch) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
ओलम्पिक मशाल या ज्योति ओलम्पिक खेलों का महत्त्वपूर्ण प्रतीक है। ओलम्पिक मशाल जलाने की प्रथा सन् 1936 के बर्लिन ओलम्पिक खेलों से शुरू हुई। यह ज्ञान, खुशी, शांति की प्रतीक है। पहले इस मशाल को खेल शुरू होने से कुछ दिन पूर्व यूनान के ओलम्पिया में हेरा मंदिर के सामने सूर्य की किरणों से प्रज्वलित किया जाता था। अब इसे सूर्य की किरणों से नहीं बल्कि शीशे से प्रज्वलित किया जाता है। साथ ही इसे मेजबानी करने वाले देश की दक्षता के आधार पर कुछ अलग आधार दिया जाता है। हालांकि इसके मूल रूप में आज तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस मशाल को विभिन्न खिलाड़ियों या व्यक्तियों द्वारा उस स्थान पर पहुँचाया जाता है जहाँ ओलम्पिक खेलों का आयोजन होना होता है। जितने दिन ओलम्पिक खेल चलते हैं, उतने दिनों तक यह मशाल निरंतर प्रज्वलित रहती है और खेल समाप्ति पर इसे बुझा दिया जाता है।

प्रश्न 16.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के उद्घाटन समारोह पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों को आरंभ करने का समारोह (Opening Ceremony) अत्यधिक प्रभावशाली होता है। एक मशाल जो ओलम्पिया (Olympia) नगर में सूर्य की किरणों के द्वारा प्रज्वलित की जाती है, उस नगर में लाई जाती है, जहाँ ओलम्पिक होना होता है तथा उस नगर के राजा या राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री द्वारा खेलों के आरंभ होने की घोषणा की जाती है। इसके साथ ही एथलीटों द्वारा मार्च-पास्ट (March Past) तथा शपथ लेने (Oath-Taking) की रस्में अदा की जाती हैं, ओलम्पिक ध्वज फहराया जाता है और स्टेडियम में ओलम्पिक मशाल जला दी जाती है, जो खेलों के अंत तक जलती रहती है। मनोरंजनात्मक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा खेल अधिकारियों, खिलाड़ियों एवं दर्शकों का मनोरंजन किया जाता है। इसके बाद खेल आरंभ कर दिए जाते हैं।

प्रश्न 17.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के समापन समारोह पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों का समापन समारोह (Closing Ceremony) बहुत साधारण होता है। अंतिम इवेंट के पश्चात् एथलीट या खिलाड़ी स्टेडियम में एकत्रित होते हैं। शहर का मेयर तथा प्रबंधक समिति का अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के अध्यक्ष को स्टेडियम तक ले जाते हैं। वह इन खेलों की समाप्ति की घोषणा करता है। तत्पश्चात् ओलम्पिक ध्वज को नीचे उतार लिया जाता है तथा अध्यक्ष द्वारा यह ध्वज मेयर को संभालने के लिए दिया जाता है। ओलम्पिक मशाल (ज्वाला) को बुझा दिया जाता है और फिर ओलम्पिक गीत के साथ खेलें समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 18.
ओलम्पिक्स के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आधुनिक संदर्भ में ओलम्पिक्स का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। ओलम्पिक्स खिलाड़ियों या टीमों को अनेक ऐसे अवसर प्रदान करते हैं जिनसे उनमें अनेक मूल्यों का विकास होता है। उनमें सद्भाव, मित्रता, सहानुभूति, बंधुत्व आदि जैसे गुण विकसित हो जाते हैं। इनके माध्यम से ही कोई खिलाड़ी न केवल अपना, बल्कि अपने माता-पिता व देश का नाम गौरवान्वित करता है। जब कभी भी ओलम्पिक्स का आयोजन होता है तो न केवल विभिन्न देशों के खिलाड़ियों, बल्कि राष्ट्रों में भी मैत्री या मित्रता की भावना विकसित होती है । इन खेलों के माध्यम से खिलाड़ी अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और देश का सम्मान बढ़ाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार आधुनिक संदर्भ में इनका बहुत अधिक महत्त्व है।

प्रश्न 19.
ओलम्पिक शपथ, ओलम्पिक ध्वज तथा ओलम्पिक पुरस्कार पर नोट लिखें।
उत्तर:
ओलम्पिक शपथ-ओलम्पिक खेलों के शुरू होने से पहले मेजबान देश का खिलाड़ी यह शपथ लेता है कि “हम शपथ लेते हैं कि हम इन ओलम्पिक खेलों में सच्चे खिलाड़ीपन की भावना से भाग लेंगे तथा अपने देश के सम्मान एवं खेलों के गौरव के लिए खेलों के सारे नियमों का आदर एवं पालन करेंगे।”

ओलम्पिक ध्वज-बैरन पियरे डी कोबर्टिन के सुझाव पर सन् 1913 में ओलम्पिक ध्वज का निर्माण किया गया। ओलम्पिक ध्वज को सर्वप्रथम सन् 1920 में बेल्जियम के एंटवर्प शहर में आयोजित हुए खेलों में फहराया गया। यह ध्वज सफेद रंग का होता है। इसमें पाँच चक्र (Rings) परस्पर जुड़े हुए भिन्न-भिन्न रंगों के होते हैं; जो विश्व के पाँच महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन चक्रों का आपस में जुड़े होना इन पाँच महाद्वीपों की मित्रता एवं सद्भावना का प्रतीक है।

ओलम्पिक पुरस्कार-ओलम्पिक खेलों में पहले तीन स्थानों पर आने वाले खिलाड़ियों या टीमों को पदक या पुरस्कार दिए जाते हैं। पहले स्थान प्राप्तकर्ता को स्वर्ण पदक (Gold Medal), दूसरे स्थान प्राप्तकर्ता को रजत पदक (Silver Medal) और तीसरे स्थान प्राप्तकर्ता को काँस्य पदक (Bronze Medal) दिया जाता है।

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अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
ओलम्पिक मूवमेंट (आंदोलन) का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ओलम्पिक मूवमेंट (आंदोलन) का अर्थ उन प्रयासों या प्रयत्नों से है जो प्राचीन ओलम्पिक खेलों और एक लम्बे अंतराल के बाद आधुनिक ओलम्पिक खेलों को शुरू करने में शामिल थे। यह एक ऐसा शब्द है जो हमें ओलम्पिक खेलों की प्रगति से लेकर आधुनिक युग तक की विशेष जानकारी प्रदान करता है।

प्रश्न 2.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
जिस महीने या वर्ष में इन खेलों का आयोजन होता था, उसको यूनानी पवित्र मानते थे। यूनान के राज्यों के राजाओं के आपसी झगड़े समाप्त हो जाते थे। वे वैर-भावना को त्यागकर ओलम्पिक खेलें देखने जाते थे। यूनानी लोग खुशी-खुशी इन खेलों में भाग लेते थे। अतः इन खेलों का मुख्य उद्देश्य यूनान के नगर-राज्यों में आपसी लड़ाई एवं वैर-भावना समाप्त करके उनमें एकता, मित्रता एवं सद्भावना स्थापित करना था।

प्रश्न 3.
प्राचीन ओलम्पिक में खिलाड़ियों को क्या पुरस्कार दिए जाते थे?
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक पुरस्कारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक में पुरस्कार हेतु विजेता खिलाड़ियों को बहुत मान-सम्मान दिया जाता था। उन्हें जीयस देवता के मन्दिर में लगे पवित्र जैतून वृक्ष की टहनियों का मुकुट बनाकर भेंट किया जाता था। लोग विजेताओं को धन-दौलत और पशु उपहार के रूप में देते थे। कवि लोग उनके नामों से गीत गाते थे। शहर की दीवारों और दरवाज़े उनके स्वागत के लिए सजाए जाते थे। वे देश के हीरो होते थे। प्रत्येक यूनानी की इच्छा इन खेलों में विजयी बनने की होती थी।

प्रश्न 4.
प्राचीन ओलम्पिक खेलें किसने और क्यों बन्द करवा दी थीं?
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलें रोमन बादशाह थियोडिसियस ने एक हुक्मनामे द्वारा बन्द करवा दी थीं। उनके अनुसार जीयस देवता का मन्दिर और ओलम्पिक खेलें यूनानियों को नवीन शक्ति प्रदान करती थीं। ये खेलें देशवासियों को देश-प्रेमी, दृढ़ इरादे वाले, स्वस्थ, हुनरमंद और जोशीले बनाती थीं जो रोमनों की ओर से यूनानियों से प्राप्त की विजय के लिए चुनौती पैदा कर सकते थे। इसलिए रोम-वासियों ने यूनानियों के साहसिक स्रोत ओलम्पिक खेलों को बन्द करवा दिया।

प्रश्न 5.
प्राचीन ओलम्पिक में कैसी खेलें करवाई जाती थीं?
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक खेलों में कौन-कौन-से इवेन्ट्स होते थे?
उत्तर:
शुरुआत में प्राचीन ओलम्पिक खेलों में केवल 200 गज़ की सीधी दौड़ थी जिसको पहली बार कोलोइस धावक ने जीता था। चौदहवीं ओलम्पिक्स में 400 गज़ की दौड़ की वृद्धि की गई। पन्द्रहवीं ओलम्पिक्स में तीन मील लम्बी दौड़ और अठारहवीं ओलम्पिक्स में पेंटाथलॉन (200 गज दौड़, लम्बी छलांग, नेज़ाबाज़ी, डिस्कस और कुश्तियों) की वृद्धि की गई। इसके पश्चात् तेइसवीं, पच्चीसवीं और तीसवीं ओलम्पिक्स में मुक्केबाजी, रथ दौड़ें, कुश्तियाँ और पानी की खेलें शामिल की गईं।

प्रश्न 6.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।।
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलें यूनानियों की देन थीं। यूनानियों के लिए इन खेलों का बहुत महत्त्व था। जिस महीने या वर्ष में इन खेलों का आयोजन होता था, उसको यूनानी पवित्र मानते थे। यूनान के राज्यों के राजाओं के आपसी झगड़े और वैर-भाव समाप्त हो जाती थी और एकता, मित्रता एवं सहयोग की भावना का विकास होता था। इन खेलों में जीतने वाले खिलाड़ी समाज में आदर एवं सम्मान पाते थे। उन्हें समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता था।

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प्रश्न 7.
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ क्या है?
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के बारे में बताएँ।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति/संघ बनाए जाने का श्रेय आधुनिक ओलम्पिक खेलों के जनक बैरन पियरे डी कोबर्टिन को जाता है। उनके अथक प्रयासों से 23 जून, 1894 ई० को यह समिति अस्तित्व में आई। यह समिति प्रत्येक चार साल बाद ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन करती है। इस समिति में विभिन्न देशों के सदस्य शामिल होते हैं। इस समिति के प्रथम अध्यक्ष देमित्रिस विकेलस थे। इसका मुख्यालय लोसाने (स्विट्ज़रलैण्ड) में है।

प्रश्न 8.
बैरन पियरे डी कोबर्टिन (Baron Pierre de Coubertin) कौन थे?
अथवा
बैरन पियरे डी कोबर्टिन का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर:
बैरन पियरे डी कोबर्टिन का जन्म 1 जनवरी, 1863 को फ्रांस में हुआ था। वे फ्रांस के प्रसिद्ध भाषाविद् एवं समाजशास्त्री थे। उनकी सामाजिक कार्यों, खेलों एवं शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रुचि थी। उन्हें आधुनिक ओलम्पिक खेलों का जन्मदाता माना जाता है।

प्रश्न 9.
ओलम्पिक आंदोलन के कोई दो उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
(1) विश्व-शांति एवं बंधुता की भावना का विकास करना।
(2) राष्ट्रों में सहयोग की भावना बढ़ना और भेदभाव की भावना समाप्त करना।

प्रश्न 10.
भारतीय ओलम्पिक संघ के कोई दो कार्य बताएँ।
उत्तर:
(1) अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के सभी नियमों को जारी करना।
(2) अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों के लिए खिलाड़ियों व टीमों का चयन करके उन्हें मुकाबले के लिए भेजना।

प्रश्न 11.
आधुनिक ओलम्पिक का जनक कौन था? इसकी स्थापना कब, कहाँ और क्यों हुई?
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेल क्यों शुरू हुए?
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेल कब, कहाँ और क्यों आरंभ हुए?
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों को शुरू करने का श्रेय कोबर्टिन को जाता है। इसलिए उनको आधुनिक ओलम्पिक खेलों का जनक माना जाता है। उन्होंने विश्व के राष्ट्रों को एक-दूसरे के निकट लाने और विश्व के युवाओं को युद्ध में लड़ने की बजाय खेल मुकाबलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु इन खेलों को शुरू करने का सुझाव दिया। उन्होंने सोचा कि राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को ओलम्पिक खेलों के माध्यम से आसानी से सुलझाया जा सकता है। काफी प्रयासों के बाद कोबर्टिन को प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों को 6 अप्रैल, 1896 को यूनान के शहर एथेंस में आयोजित करने में सफलता मिली।

प्रश्न 12.
ओलम्पिक खेलों के प्रमुख प्रतीक (Symbols) कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
(1) ओलम्पिक मशाल,
(2) ओलम्पिक ध्वज,
(3) ओलम्पिक आदर्श (मॉटो),
(4) ओलम्पिक शपथ।

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प्रश्न 13.
आधुनिक ओलम्पिक पुरस्कारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में पहले तीन स्थानों पर आने वाले खिलाड़ियों या टीमों को पदक या तमगे (Medals) दिए जाते हैं। पहले स्थान प्राप्तकर्ता को स्वर्ण पदक (Gold Medal), दूसरे स्थान प्राप्तकर्ता को रजत पदक (Silver Medal) और तीसरे स्थान प्राप्तकर्ता को काँस्य पदक (Bronze Medal) दिया जाता है। इसके अतिरिक्त जीतने वाले खिलाड़ी को प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक कर्मचारी को जो ओलम्पिक खेलों के प्रबन्ध में सहायता करता है, तमगा (Medal) दिया जाता है।

प्रश्न 14.
ओलम्पिक ध्वज के वलय (चक्र) क्या प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
ओलम्पिक ध्वज के वलय पाँच महाद्वीपों के प्रतीक हैं। ये पाँचों वलय उत्साह, आस्था, सद्भाव, काम की नैतिकता और खेल-भावना को प्रदर्शित करते हैं। इन वलयों या चक्रों का आपस में जुड़े होना पाँच महाद्वीपों की मित्रता एवं सद्भावना का प्रतीक है।

प्रश्न 15.
ओलम्पिक प्रतिज्ञा या शपथ (Olympic oath) क्या है?
उत्तर:
ओलम्पिक खेलों के शुरू होने से पहले मेजबान देश का खिलाड़ी यह प्रतिज्ञा लेता है कि “हम प्रतिज्ञा लेते हैं कि हम इन ओलम्पिक खेलों में सच्चे खिलाड़ीपन की भावना से भाग लेंगे तथा अपने देश के सम्मान एवं खेलों के गौरव के लिए खेलों के सारे नियमों का आदर एवं पालन करेंगे।”

प्रश्न 16.
ओलम्पिक मॉटो (Olympic Motto) क्या है?
अथवा
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में ‘मॉटो’ का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ओलम्पिक मॉटो निम्नलिखित तीन शब्दों से बना है
(1) सीटियस-बहुत तेज।
(2) अल्टियस-बहुत ऊँचा।
(3) फॉर्टियस-बहुत मज़बूत।
ये तीनों शब्द खिलाड़ियों को प्रेरित करने के लिए हैं, जिनका अर्थ क्रमशः तेज दौड़ना, ऊँचा कूदना और जोर से फेंकना होता है। ये शब्द खिलाड़ियों में उत्साह भरते हैं और वे अच्छा प्रदर्शन करने हेतु प्रेरित होते हैं।

प्रश्न 17.
ओलम्पिक आदर्श क्या है?
उत्तर:
ओलम्पिक खेलों के संबंध में कोबर्टिन ने एक आदर्श प्रस्तुत किया कि “ओलम्पिक में सबसे आवश्यक बात जीत प्राप्त करना नहीं, बल्कि भाग लेना है। जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण बात जीत प्राप्त करना नहीं, बल्कि संघर्ष करना है। आवश्यक यह नहीं कि आप जीते हैं, बल्कि यह है कि आप अच्छी तरह खेलें।”

प्रश्न 18.
आधुनिक या नवीन ओलम्पिक खेलों में कौन-कौन-सी मुख्य खेलें शामिल की गई हैं?
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में निम्नलिखित मुख्य खेलें शामिल की गई हैं
(1) एथलेटिक्स
(2) फुटबॉल
(3) हैंडबॉल
(4) निशानेबाजी
(5) तैराकी और डाईविंग
(6) तीरंदाजी
(7) बास्केटबॉल
(8) रोइंग
(9) वाटर-पोलो
(10) हॉकी
(11) कैनोइंग
(12) याचिंग
(13) मुक्केबाज़ी
(14) तलवारबाजी
(15) पेंटाथलॉन
(16) वॉलीबॉल
(17) जूडो
(18) बैडमिंटन
(19) भारोत्तोलन
(20) कुश्ती
(21) टेबल टेनिस
(22) साइक्लिग
(23) घुड़सवारी
(24) लॉन टेनिस
(25) जिम्नास्टिक आदि।

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प्रश्न 19.
ओलम्पिक खेलों का महत्त्वपूर्ण चिह्न क्या है?
उत्तर:
ओलम्पिक खेलों का चिहन पाँच छल्लों या चक्रों का बना होता है जो आपस में जुड़े होते हैं। इनका रंग क्रमशः नीला, पीला, काला, लाल व हरा है जो पाँच महाद्वीपों अर्थात् यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया को दर्शाते हैं। ओलम्पिक चिह्न निष्पक्ष व मुक्त स्पर्धा का प्रतीक है।

प्रश्न 20.
ओलम्पिक चार्टर क्या है?
उत्तर:
ओलम्पिक का अपना एक चार्टर है। ओलम्पिक चार्टर में इस खेल के उद्देश्य वर्णित हैं। इस चार्टर में अग्रलिखित उद्देश्य वर्णित हैं
(1) खेलों के लिए आवश्यक शारीरिक व नैतिक गुणों का विकास करना।।
(2) विश्व-शांति को अधिक सशक्त बनाने हेतु खेलों के माध्यम से युवाओं में आपसी सद्भाव व मित्रता बढ़ाना।
(3) अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना उत्पन्न करना।
(4) विश्व के सभी खिलाड़ियों को प्रति चार वर्ष बाद एक स्थान पर एकत्र करना।

HBSE 12th Class Physical Education ओलम्पिक आंदोलन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

भाग-I : एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1. प्रथम प्राचीन ओलम्पिक खेल कब शुरू हुए थे?
उत्तर:
प्रथम प्राचीन ओलम्पिक खेल 776 ईसा पूर्व में शुरू हुए थे।

प्रश्न 2.
प्राचीन ओलम्पिक खेल कितने दिनों तक चलते थे?
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेल पाँच दिनों तक चलते थे।

प्रश्न 3.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों को कब और किसने बंद करवाया था?
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक खेल किसने बन्द किए थे?
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक खेल कब खत्म हुए थे?
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों को 393 ईस्वी में रोमन सम्राट थियोडोसियस ने बंद करवाया था।

प्रश्न 4.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों को आरम्भ करने का श्रेय किसको जाता है?
उत्तर:
ऐलिस के बादशाह इफीटस (Ifetus) और क्लीओसथैनिस (Calliosthenes) को।

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प्रश्न 5.
प्रथम प्राचीन ओलम्पिक खेल कहाँ आयोजित किए गए थे?
उत्तर:
प्रथम प्राचीन ओलम्पिक खेल यूनान के ओलम्पिया नगर में आयोजित किए गए थे।

प्रश्न 6.
प्रत्येक यूनानी का स्वप्न क्या होता था?
उत्तर:
प्रत्येक यूनानी का स्वप्न ओलम्पिक खेलों में विजयी बनने का होता था।

प्रश्न 7.
ओलम्पिक खेलें हमें क्या सन्देश देती हैं?
उत्तर:
ओलम्पिक खेलें हमें शान्ति, पवित्रता, मित्रता और आपसी भाईचारे का सन्देश देती हैं।

प्रश्न 8.
प्राचीन ओलम्पिक खेलें कितने वर्ष बाद करवाई जाती थीं?
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलें चार वर्ष बाद करवाई जाती थीं।

प्रश्न 9.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के समय यूनान में लड़ाइयाँ कब तक बन्द कर दी जाती थीं?
उत्तर:
सारे यूनान में ओलम्पिक खेलों के आरम्भ होने से लेकर खिलाड़ियों के घर वापिस जाने तक लड़ाइयाँ बन्द कर दी जाती थीं।

प्रश्न 10.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों की पहली स्पर्धा क्या थी?
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों की पहली स्पर्धा दौड़ थी।

प्रश्न 11.
क्या प्रारंभ में महिलाओं को ओलम्पिक खेलों में भाग लेने की इजाजत थी?
उत्तर:
नहीं, प्रारंभ में महिलाओं को ओलम्पिक खेलों में भाग लेने की इजाजत नहीं थी।

प्रश्न 12.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों के विजेताओं को किस वृक्ष के पत्तों से बनी माला पहनाई जाती थी?
अथवा
प्राचीन ओलम्पिक में विजेता को कैसे सम्मानित किया जाता था?
उत्तर:
जैतून (Olive) वृक्ष के पत्तों से बनी माला पहनाकर।

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प्रश्न 13.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के जन्मदाता या जनक कौन थे?
अथवा
आधुनिक ओलम्पिकि खेलों को शुरू करने का श्रेय किसे जाता है?
उत्तर:
‘बैरन पियरे डी कोबर्टिन।

प्रश्न 14.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भारत ने अपना पहला स्वर्ण पदक कब जीता था?
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भारत ने अपना पहला स्वर्ण पदक वर्ष 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक खेलों में जीता था।

प्रश्न 15.
भारत ने ओलम्पिक खेलों में सर्वप्रथम कब भाग लिया?
उत्तर:
भारत ने ओलम्पिक खेलों में सर्वप्रथम सन् 1900 के पेरिस ओलम्पिक खेलों में भाग लिया।

प्रश्न 16.
भारत में ओलम्पिक एसोसिएशन कब स्थापित हुई?
उत्तर:
भारत में ओलम्पिक एसोसिएशन सन् 1927 में स्थापित हुई।

प्रश्न 17.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के नियम कब और कहाँ बनाए गए?
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के नियम सन् 1908 के लंदन ओलम्पिक खेलों में बनाए गए।

प्रश्न 18.
ओलम्पिक खेल कितने वर्षों के अंतराल के बाद आयोजित की जाती हैं?
अथवा
ओलम्पिक खेल कितने वर्ष बाद आयोजित किए जाते हैं?
उत्तर:
चार वर्षों के अंतराल के बाद ।

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प्रश्न 19.
IOC का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
International Olympic Committee.

प्रश्न 20.
ओलम्पिक ध्वज का रंग क्या है?
उत्तर:
ओलम्पिक ध्वज का रंग सफेद है।

प्रश्न 21.
ओलम्पिक ध्वज को सर्वप्रथम किस ओलम्पिक खेलों में फहराया गया था?
उत्तर:
ओलम्पिक ध्वज को सर्वप्रथम वर्ष 1920 के एंटवर्प ओलम्पिक खेलों में फहराया गया था।

प्रश्न 22.
किस महाद्वीप में किसी भी आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन नहीं हुआ है?
उत्तर:
अफ्रीका महाद्वीप में किसी भी आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन नहीं हुआ है।

प्रश्न 23.
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ की स्थापना कब हुई? ।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक संघ की स्थापना सन् 1894 में हुई।

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प्रश्न 24.
ओलम्पिक मशाल को विभिन्न देशों में ले जाने की प्रथा कब शुरू हुई?
उत्तर:
ओलम्पिक मशाल को विभिन्न देशों में ले जाने की प्रथा सन् 1936 के बर्लिन ओलम्पिक खेलों से शुरू हुई।

प्रश्न 25.
ओलम्पिक खेल समारोह में किस देश के खिलाड़ियों का दल सर्वप्रथम स्टेडियम में प्रवेश करता है?
उत्तर:
ओलम्पिक खेल समारोह में यूनान के खिलाड़ियों का दल सर्वप्रथम स्टेडियम में प्रवेश करता है।

प्रश्न 26.
ओलम्पिक खेल समारोह में किस देश के खिलाड़ियों का दल अन्त में स्टेडियम में प्रवेश करता है?
उत्तर:
ओलम्पिक खेल समारोह में मेजबान देश के खिलाड़ियों का दल अन्त में स्टेडियम में प्रवेश करता है।

प्रश्न 27.
अभी तक हुए ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने कितने स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं?
उत्तर:
अभी तक हुए ओलम्पिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने 8 स्वर्ण पदक प्राप्त किए हैं।

प्रश्न 28.
किस भारतीय खिलाड़ी ने सन् 2008 के बीजिंग ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता था?
उत्तर:
अभिनव बिन्द्रा ने सन् 2008 के बीजिंग ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।

प्रश्न 29.
सन् 2016 में ओलम्पिक खेलों का आयोजन किस देश में हुआ?
उत्तर:
सन् 2016 में ओलम्पिक खेलों का आयोजन ब्राजील में हुआ।

प्रश्न 30.
ओलम्पिक ध्वज को कब निर्मित किया गया?
उत्तर:
ओलम्पिक ध्वज को वर्ष 1913 में निर्मित किया गया।

प्रश्न 31.
ओलम्पिक शपथ कब शुरू हुई?
उत्तर:
ओलम्पिक शपथ सन् 1920 में शुरू हुई।

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प्रश्न 32.
छठे, बारहवें, तेरहवें ओलम्पिक खेल क्यों रद्द किए गए?
उत्तर:
प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्धों के कारण।

प्रश्न 33.
महिलाओं ने ओलम्पिक्स में भाग लेना कब शुरू किया?
उत्तर:
महिलाओं ने ओलम्पिक्स में भाग लेना सन् 1900 में हुए पेरिस ओलम्पिक्स से शुरू किया।

प्रश्न 34.
ओलम्पिक मशाल को कहाँ और कैसे प्रज्वलित किया जाता था?
उत्तर:
यूनान के ओलम्पिया शहर में हेरा मंदिर के सामने सूर्य की किरणों से।

प्रश्न 35.
बैरन पियरे डी कोबर्टिन का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर:
बैरन पियरे डी कोबर्टिन का जन्म फ्रांस में हुआ था।

प्रश्न 36.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के जन्मदाता कोबर्टिन की मृत्यु किस सन में हुई?
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के जन्मदाता कोबर्टिन की मृत्यु सन् 1937 में हुई।

प्रश्न 37.
ओलम्पिया नगर में किस देवता का प्रसिद्ध मन्दिर था?
उत्तर:
ओलम्पिया नगर में जीयस देवता का प्रसिद्ध मन्दिर था।

प्रश्न 38.
ओलम्पिक झण्डे में छल्ले कितने महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व करते हैं?
उत्तर:
पाँच महाद्वीपों का।

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प्रश्न 39.
ओलम्पिक ध्वज में कितने छल्ले (चक्र) होते हैं?
उत्तर:
ओलम्पिक ध्वज में पाँच छल्ले (चक्र) होते हैं।

प्रश्न 40.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाला प्रथम भारतीय खिलाड़ी कौन था?
उत्तर:
आधुनिक ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाला प्रथम भारतीय खिलाड़ी एंग्लो इण्डियन नॉर्मन गिलबर्ड प्रिटिहार्ड था।

प्रश्न 41.
ओलम्पिक खेलों का प्रबंध कौन करता है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (International Olympic Committee)।

प्रश्न 42.
पहली नवीन ओलम्पिक खेलें कहाँ पर हुए थे?
उत्तर:
पहली नवीन ओलम्पिक खेलें यूनान के शहर एथेंस में हुए थे।

प्रश्न 43.
भारतीय हॉकी टीम ने प्रथम बार किस ओलम्पिक में सोने का मैडल जीता?
अथवा
भारतीय हॉकी टीम ने पहली बार सोने का तमगा कब और कहाँ जीता?
उत्तर:
भारतीय हॉकी टीम ने प्रथम बार सन् 1928 के एम्सटर्डम ओलम्पिक्स में सोने का मैडल (तमगा) जीता।

प्रश्न 44.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों की पहली महिला चैंपियन का नाम बताएँ।
उत्तर:
ब्रिटेन की टेनिस खिलाड़ी चार्लोट कूपर (Charlotte Cooper)।

प्रश्न 45.
भारत की किस महिला खिलाड़ी ने 2000 के सिडनी ओलम्पिक्स में तृतीय स्थान प्राप्त किया?
उत्तर:
कर्णम मल्लेश्वरी ने 69 किलो भार वर्ग में 2000 सिडनी ओलम्पिक्स में भारत्तोलन (Weightlifting) में तृतीय स्थान प्राप्त किया।

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प्रश्न 46.
2012 की ओलम्पिक खेलें कहाँ हई?
उत्तर:
2012 की ओलम्पिक खेलें इंग्लैण्ड के लंदन शहर में हुईं।

प्रश्न 47.
ओलम्पिक झण्डे की बनावट किसने बनाई?
उत्तर:
ओलम्पिक झण्डे की बनावट बैरन पियरे डी कोबर्टिन ने बनाई।

प्रश्न 48.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों के प्रथम विजेता खिलाड़ी का नाम बताएँ।
उत्तर:
जेम्स बी०कोनोली (James B. Connolly) जो एक धावक था।

प्रश्न 49.
टोकियो में ओलम्पिक खेल कब आयोजित होंगे?
उत्तर:टोकियो में ओलम्पिक खेल सन् 2020 में आयोजित होंगे।

प्रश्न 50.
सन् 2020 के ओलम्पिक खेल कहाँ आयोजित किए जाएंगे?
उत्तर:
सन् 2020 के ओलम्पिक खेल जापान के टोकियो शहर में आयोजित किए जाएंगे।

प्रश्न 51.
ओलम्पिक झण्डे के पाँच चक्र किस बात के प्रतीक हैं?
उत्तर:
ओलम्पिक झण्डे के पाँच चक्र पाँच महाद्वीपों की आपसी मित्रता और सद्भावना के प्रतीक हैं।

प्रश्न 52.
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (I.O.C.) का मुख्यालय किस देश में स्थित है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (I.O.C.) का मुख्यालय स्विट्ज़रलैण्ड में स्थित है।

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प्रश्न 53.
शीतकालीन ओलम्पिक खेलें कब शुरू हुई?
उत्तर:
शीतकालीन ओलम्पिक खेलें सन् 1924 में शुरू हुईं।

प्रश्न 54.
विकास व शांति के लिए किस दिन को अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में चुना गया?
उत्तर:
विकास व शांति के लिए 6 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में चुना गया।

प्रश्न 55.
ओलम्पिक मॉटो ‘सिटियस, आल्टियस, फॉर्टियस’ किसने बनाया था?
उत्तर:
ओलम्पिक मॉटो ‘सिटियस, आल्टियस, फॉर्टियस’ फादर डिडोन ने बनाया था।

प्रश्न 56.
सन् 1896 के प्रथम आधुनिक ओलम्पिक में कितने देशों ने भाग लिया था?
उत्तर:
सन् 1896 के प्रथम आधुनिक ओलम्पिक में 14 देशों ने भाग लिया था।

प्रश्न 57.
I.O.A. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
Indian Olympic Association.

प्रश्न 58.
भारतवर्ष ने कुश्ती में ओलम्पिक खेलों में अभी तक कितने पदक जीते हैं?
उत्तर:
पाँच पदक।

प्रश्न 59.
उन भारतीय पुरुष खिलाड़ियों के नाम लिखें जिन्होंने लंदन ओलम्पिक्स में पदक प्राप्त किए थे।
उत्तर:
(1) गगन नारंग,
(2) विजय कुमार,
(3) सुशील कुमार,
(4) योगेश्वर दत्त।

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प्रश्न 60.
प्राचीन ओलम्पिक खेलों का पहला चैंपियन कौन था?
उत्तर:
प्राचीन ओलम्पिक खेलों का पहला चैंपियन कोरोइबस था।

प्रश्न 61.
ओलम्पिक खेलों का दोबारा आयोजन कब शुरू हुआ?
अथवा
नवीन या आधुनिक ओलम्पिक खेलें कब शुरू हुई?
उत्तर:
वर्ष 1896 में।

प्रश्न 62.
ओलम्पिक ध्वज के पाँच छल्ले किसकी एकता को प्रदर्शित करते हैं?
उत्तर:
ओलम्पिक ध्वज के पाँच छल्ले पाँच महाद्वीपों की एकता को प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 63.
ओलम्पिक झंडे का सफेद रंग किसका प्रतीक है?
उत्तर:
ओलम्पिक झंडे का सफेद रंग विश्व-शान्ति का प्रतीक है।

प्रश्न 64.
ओलम्पिक अवार्ड क्या हैं?
उत्तर:
स्वर्ण पदक, रजत पदक व काँस्य पदक ओलम्पिक अवार्ड हैं।

प्रश्न 65.
रियो ओलम्पिक खेलों ( 2016) में भारत ने कितने पदक प्राप्त किए?
उत्तर:
रियो ओलम्पिक खेलों (2016) में भारत ने दो पदक प्राप्त किए।

प्रश्न 66.
आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन कब-कब नहीं हुआ?
अथवा
आधुनिक खेल कितनी बार नहीं हुए?
उत्तर:
ओलम्पिक खेल तीन बार 1916, 1940 व 1944 में नहीं हुए। सन् 2020 के टोकियो ओलम्पिक खेल रद्द हुए, लेकिन इनके पुनः आयोजन होने की संभावाना है।

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प्रश्न 67.
अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (I.O.C.) का पहला अध्यक्ष कौन था?
उत्तर:
देमित्रिस विकेलस (Demetrios Vikelas)।

प्रश्न 68.
33वें ओलम्पिक खेल (2024) किस देश में होंगे?
अथवा
सन् 2024 में ओलम्पिक खेल कहाँ होंगे? उत्तर:फ्रांस (पेरिस) में।

प्रश्न 69.
सन् 2028 में ओलम्पिक खेल कहाँ आयोजित होंगे?
अथवा
34वें ओलम्पिक खेल (2028) किस देश में होंगे?
उत्तर:
अमेरिका (लॉस एंजिल्सि) में।

प्रश्न 70.
टोकियो ओलम्पिक खेल (2020) क्यों रद्द किए गए?
उत्तर:
कोविड-19 नामक महामारी के कारण।

प्रश्न 71.
स्थगित हुए टोकियो ओलम्पिक खेल (2020) कब आयोजित किए जाएंगे?
उत्तर:
ये खेल 23 जुलाई से 8 अगस्त, 2021 तक आयोजित किए जा सकते हैं। ये खेल 24 जुलाई से 9 अगस्त, 2020 तक आयोजित होने थे, लेकिन कोविड-19 नामक महामारी के कारण स्थगित (रद्द) कर दिए गए थे।

प्रश्न 72.
एथेंस का कौन-सा स्टेडियम प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों का गवाह बना था?
उत्तर:
एथेंस का पनाथिनाइको स्टेडियम प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों का गवाह बना था।

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प्रश्न 73.
किंस एकमात्र ओलम्पिक में क्रिकेट को शामिल किया गया था?
उत्तर:
पेरिस ओलम्पिक (1900) में क्रिकेट को शामिल किया गया था।

प्रश्न 74.
दूसरा आधुनिक ओलम्पिक कब और कहाँ आयोजित हुआ था?
उत्तर:
दूसरा आधुनिक ओलम्पिक 1900 में पेरिस में आयोजित हुआ था।

प्रश्न 75.
खिलाड़ियों को पदक देने की परम्परा किस ओलम्पिक से शुरू हुई?
उत्तर:
खिलाड़ियों को पदक देने की परम्परा सेंट लूइस ओलम्पिक (1904) से शुरू हुई।

भाग-II: सही विकल्प का चयन करें-

1. प्राचीन ओलम्पिक खेल कितने वर्षों तक जारी रहे थे?
(A) लगभग 1194 वर्षों तक
(B) लगभग 1258 वर्षों तक
(C) लगभग 1170 वर्षों तक
(D) लगभग 1165 वर्षों तक
उत्तर:
(C) 1170 वर्षों तक

2. किस रोमन सम्राट् ने प्राचीन ओलम्पिक खेलों पर रोक लगाई थी?
(A) थियोडोसियस ने
(B) पैल्पोस ने
(C) सिकंदर ने
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) थियोडोसियस ने

3. अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (I.O.C.) का मुख्यालय किस देश में स्थित है?
(A) अमेरिका में
(B) फ्राँस में
(C) स्विट्ज़रलैण्ड में
(D) इंग्लैण्ड में
उत्तर:
(C) स्विट्ज़रलैण्ड में

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4. प्राचीन ओलम्पिक खेलों से संबंधी निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(A) प्रारंभ में महिलाओं को ओलम्पिक खेल देखने की इजाजत नहीं थी
(B) प्राचीन ओलम्पिक खेलों की शुरुआत रोम में हुई थी
(C) प्राचीन ओलम्पिक खेल तीन से पाँच दिन तक चलते थे
(D) प्राचीन ओलम्पिक खेलों को रोमन सम्राट थियोडोसियस ने बंद करवाया था
उत्तर:
(B) प्राचीन ओलम्पिक खेलों की शुरुआत रोम में हुई थी

5. शीतकालीन ओलम्पिक खेलें कब शुरू हुईं?
(A) सन् 1920 में
(B) सन् 1924 में
(C) सन् 1928 में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) सन् 1924 में

6. भारत में ओलम्पिक खेलों का आयोजन कितनी बार हुआ?
(A) दो बार
(B) चार बार
(C) एक बार
(D) एक बार भी नहीं
उत्तर:
(D) एक बार भी नहीं

7. ओलम्पिक ध्वज का रंग है
(A) ,सफेद
(B) हरा
(C) पीला
(D) नीला
उत्तर:
(A) सफेद

8. ओलम्पिक मॉटो Citius-Altius-Fortius’ का अर्थ है
(A) Faster-Higher-Stronger
(B) Higher-Stronger-Faster
(C) Stronger-Faster-Higher
(D) Faster-Stronger-Higher
उत्तर:
(A) Faster-Higher-Stronger

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9. आधुनिक ओलम्पिक खेलों को पुनः आरंभ करवाने का श्रेय किसे जाता है?
(A) पैल्पोस को
(B) थियोडोसियस को
(C) बैरन पियरे डी कोबर्टिन को
(D) यूनान की जनता को
उत्तर:
(C) बैरन पियरे डी कोबर्टिन को

10. प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों का आयोजन कहाँ किया गया?
(A) सेंट लूइस में
(B) एथेंस में
(C) एम्सटर्डम में
(D) लंदन में
उत्तर:
(B) एथेंस में

11. ओलम्पिक ध्वज के पाँच वलय (Rings) प्रतीक हैं
(A) पाँच नदियों के
(B) पाँच महाद्वीपों के
(C) पाँच महासागरों के
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) पाँच महाद्वीपों के

12. किस वर्ष ओलम्पिक में भारतीय राष्ट्रीय गान पहली बार बजा?
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1952 में
(C) सन् 1928 में
(D) सन् 1932 में
उत्तर:
(A) सन् 1948 में

13. बैरन पियरे डी कोबर्टिन का जन्म कहाँ हुआ था?
(A) रूस में
(B) इंग्लैण्ड में
(C) फ्राँस में
(D) अमेरिका में
उत्तर:
(C) फ्राँस में

14. सन् 2000 के ओलम्पिक खेल कहाँ पर आयोजित हुए थे?
(A) लंदन में
(B) पेरिस में
(C) सिडनी में
(D) टोकियो में
उत्तर:
(C) सिडनी में

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15. भारत ने ओलम्पिक खेलों में सर्वप्रथम कब भाग लिया?
(A) सन् 1936 में
(B) सन् 1900 में
(C) सन् 1976 में
(D) सन् 1986 में
उत्तर:
(B) सन् 1900 में

16. ‘अल्टियस’ ओलम्पिक मॉटो बताता है
(A) गति
(B) मजबूत
(C) ऊँचा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) ऊँचा

17. ओलम्पिक खेलों में कबूतर छोड़ना कब बंद किया गया?
(A) सन् 1936 में
(B) सन् 1996 में
(C) सन् 1976 में
(D) सन् 1986 में
उत्तर:
(B) सन् 1996 में

18. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के सबसे बड़े खेल हैं
(A) ओलम्पिक खेल
(B) एशियाई खेल
(C) राष्ट्रमण्डल खेल
(D) एफ्रो खेल
उत्तर:
(A) ओलम्पिक खेल

19. विशिष्ट ओलम्पिक में कौन प्रतिभागी होते हैं?
(A) शारीरिक रूप से अस्वस्थ
(B) मानसिक रूप से अस्वस्थ
(C) (A) एवं (B) दोनों
(D) बुजुर्ग
उत्तर:
(C) (A) एवं (B) दोनों

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20. ओलम्पिक खेलों का प्रारंभिक प्रतीक है
(A) ओलम्पिक मशाल
(B) ओलम्पिक ध्वज
(C) ओलम्पिक शपथ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) ओलम्पिक मशाल

21. निम्नलिखित वर्ष के ओलम्पिक खेलों का आयोजन नहीं हो सका
(A) वर्ष 1916 के
(B) वर्ष 1940 के
(C) वर्ष 1944 के
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

22. ओलम्पिक मॉटो ‘सिटियस, अल्टियस, फॉर्टियस’ किसने बनाया था?
(A) फादर विलियम ने
(B) फादर रॉय ने
(C) फादर डिडोन ने
(D) कोबर्टिन ने
उत्तर:
(C) फादर डिडोन ने

23. सन् 1896 के पहले आधुनिक ओलम्पिक में कितने देशों ने भाग लिया था?
(A) 11
(B) 12
(C) 13
(D) 14
उत्तर:
(D) 14

24. 1896 के ओलम्पिक खेल कहाँ आयोजित किए गए थे?
(A) एथेन्स में
(B) स्पार्टा में
(C) पेरिस में
(D) लंदन में
उत्तर:
(A) एथेन्स में

25. भारतीय ओलम्पिक संघ (I.O.A.) का गठन कब किया गया?
(A) सन् 1925 में
(B) सन् 1926 में
(C) सन् 1927 में
(D) सन् 1928 में
उत्तर:
(C) सन् 1927 में

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26. हॉकी के अंदर कौन-से ओलम्पिक खेल में भारत अंतिम बार मेडल जीता?
(A) 1980, मॉस्को
(B) 1988, बार्सिलोना
(C) 1988, सियोल
(D) 2004, एथेन्स
उत्तर:
(A) 1980, मॉस्को

27. I.O.A. का पूरा नाम है
(A) Indian Olympic Acadmic
(B) International Olympic Association
(C) Indian Olympic Association
(D) International Olympic Acadmic
उत्तर:
(C) Indian Olympic Association

28. सन् 2024 में ओलम्पिक खेलों का आयोजन होगा
(A) टोकियो में
(B) लंदन में
(C) पेरिस में
(D) लॉस एंजिल्स
उत्तर:
(C) पेरिस में

29. सन् 2020 के ओलम्पिक खेल किस कारण स्थगित हुए?
(A) विश्व महायुद्ध के कारण
(B) विश्व महामंदी के कारण
(C) कोरोना-19 महामारी के कारण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) कोरोना-19 महामारी के कारण

30. ओलम्पिक खेल कितने वर्ष के अन्तराल पर होते हैं?
(A) एक वर्ष
(B) दो वर्ष
(C) तीन वर्ष
(D) चार वर्ष
उत्तर:
(D) चार वर्ष

31. ओलम्पिक शपथ का सर्वप्रथम प्रयोग ओलम्पिक खेलों में कब किया गया था?
(A) 1916 में
(B) 1920 में
(C) 1924 में
(D) 1928 में
उत्तर:
(B) 1920 में

32. 1916, 1940 व 1944 के ओलम्पिक खेलों का आयोजन किस कारण नहीं हुआ?
(A) विश्वयुद्धों के कारण ।
(B) धन के अभाव के कारण
(C) राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) विश्वयुद्धों के कारण

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33. ओलम्पिक ध्वज में कितने वलय/चक्र होते हैं?
(A) 5
(B) 4
(C) 6
(D) 3
उत्तर:
(A)5

34. प्राचीन ओलम्पिक खेल कितने वर्षों बाद आयोजित किए जाते थे?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 7
उत्तर:
(C)4

35. 2028 के ओलम्पिक खेल कहाँ आयोजित किए जाएंगे?
(A) लॉस एंजिल्सि में
(B) पेरिस में
(C) टोकियो में
(D) बार्सिलोना में
उत्तर:
(A) लॉस एंजिल्सि में

भाग-III: रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. प्रथम ओलम्पिक खेल ………………. में आयोजित किए गए थे।
2. ओलम्पिक ध्वज में. ……………….. छल्ले हैं।
3. ओलम्पिक शपथ वर्ष ………………… में शुरू की गई।
4. महिलाओं ने ओलम्पिक में भाग लेना वर्ष …………………. में शुरू किया।
5. सन् 1896 में हुए प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों में कुल ………………… देशों ने भाग लिया था।
6. अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (I.O.A) का गठन वर्ष ………………… में किया गया।
7. ओलम्पिक खेल ………………… वर्ष बाद आयोजित किए जाते हैं।
8. प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेल सन् ………………… में शुरू हुए थे।
9. ओलम्पिक ध्वज का रंग ………………… है।
10. ……………….. ओलम्पिक (1920) में पहली बार ओलम्पिक शपथ का आयोजन हुआ।
11. अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति का कार्यालय ………………… में स्थित है।
12. ………………… में ओलम्पिक खेलों का आयोजन फ्रांस के पेरिस शहर में होगा।
उत्तर:
1. यूनान
2. पाँच
3. 1920
4. 1900
5. 14
6. 1894
7. चार
8. 1896
9. सफेद
10. एंटवर्प
11. स्विट्जरलैंड (लोसाने)
12. सन् 2024।

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ओलम्पिक आंदोलन Summary

ओलम्पिक आंदोलन परिचय

ओलम्पिक आंदोलन या मूवमेंट (Olympic Movement):
ओलम्पिक आंदोलन या मूवमेंट का अर्थ उन प्रयासों या प्रयत्नों से है जो प्राचीन ओलम्पिक खेलों और एक लम्बे अंतराल के बाद आधुनिक ओलम्पिक खेलों को शुरू करने में शामिल थे। यह एक ऐसा शब्द है जो हमें ओलम्पिक खेलों की प्रगति से लेकर आधुनिक युग तक की विशेष जानकारी प्रदान करता है। . प्राचीन ओलम्पिक खेल (Ancient Olympic Games)-प्राचीन ओलम्पिक खेल सर्वप्रथम यूनान के ओलम्पिया नगर में 776 ईसा पूर्व आयोजित किए गए थे।

प्राचीनकाल में ओलम्पिक खेल धार्मिक त्योहारों तथा समारोहों से संबंधित थे जो जीयस देवता के प्रति समर्पित थे। इन प्रतिस्पर्धात्मक मुकाबलों को भगवान को दी जाने वाली प्रार्थना समझा जाता था। विजेताओं को जैतून की शाखाओं से सम्मानित किया जाता था। विजेता लोगों की नजरों में नायक बन जाते थे। खिलाड़ी स्पष्ट रूप से सम्मान प्राप्त करने के लिए खेल को प्रतिस्पर्धात्मक भावना से खेलते थे। रोमनवासियों ने 393 ईस्वी में ओलम्पिक खेलों पर रोक लगा दी थी, क्योंकि वे खेल मुकाबलों की बजाय खून भरी लड़ाइयों में विश्वास करते थे। अंततः रोमन सम्राट् थियोडोसियस ने इन खेलों को बंद करवा दिया।

आधुनिक ओलम्पिक खेल (Modern Olympic Games):
आधुनिक/नवीन ओलम्पिक खेलों को आरंभ करने का सारा श्रेय फ्रांसीसी विद्वान् बैरन पियरे डी कोबर्टिन को जाता है, जिनके अथक प्रयासों के कारण ही इन खेलों का पुनः आरंभ हो सका। उन्होंने इन खेलों को पुनः आरंभ करने के लिए 18 जून, 1894 को पेरिस में सोरबोन सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें उन्होंने अपनी खेल से संबंधित योजनाओं को 11 देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्तुत किया।सम्मेलन द्वारा उनके प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद, प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों के लिए एकतारीख सुनिश्चित करने की आवश्यकता थी।खेलों के आयोजन एवं नियंत्रण हेतु अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (IOC) का गठन किया गया। देमित्रिस विकेलस को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया। सर्वसम्मति से प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेलों को 6 अप्रैल, 1896 को यूनान के शहर एथेंस में आयोजित करना सुनिश्चित किया गया।

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HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 7 योग शिक्षा

Haryana State Board HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 7 योग शिक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physical Education Solutions Chapter 7 योग शिक्षा

HBSE 12th Class Physical Education योग शिक्षा Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
योग के बारे में आप क्या जानते हैं? इसका क्या उद्देश्य है?
अथवा
योग का अर्थ, परिभाषा तथा उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
योग का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Yoga): ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की मूल धातु ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ है-जोड़ या एक होना। जोड़ या एक होने का अर्थ है-व्यक्ति की आत्मा को ब्रह्मांड या परमात्मा की चेतना या सार्वभौमिक आत्मा के साथ जोड़ना। महर्षि पतंजलि (योग के पितामह) के अनुसार, ‘युज’ धातु का अर्थ है-ध्यान-केंद्रण या मन:स्थिति को स्थिर करना और आत्मा का परमात्मा से ऐक्य। सामान्य शब्दों में, योग व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से मिलन का नाम है। योग का अभ्यास मन को परमात्मा पर केंद्रित करता है। यह व्यक्ति के गुणों व शक्तियों का आपस में मिलना है।

1. कठोपनिषद् (Kathopnishad) के अनुसार, “जब हमारी ज्ञानेंद्रियाँ स्थिर अवस्था में होती हैं, जब मस्तिष्क स्थिर अवस्था में होता है, जब बुद्धि भटकती नहीं, तब बुद्धिमान कहते हैं कि इस अवस्था में पहुँचने वाले व्यक्ति ने सर्वोत्तम अवस्था वाले चरण को प्राप्त कर लिया है। ज्ञानेंद्रियों व मस्तिष्क के इस स्थायी नियंत्रण को ‘योग’ की परिभाषा दी गई है। वह जो इसे प्राप्त कर लेता है, वह भ्रम से मुक्त हो जाता है।”

2. महर्षि पतंजलि (Maharshi Patanjali) के अनुसार, “योग: चित्तवृत्ति निरोधः” अर्थात् “मनोवृत्ति के विरोध का नाम ही योग है।”
3. श्री याज्ञवल्क्य (Shri Yagyavalkya) के अनुसार, “जीवात्मा से परमात्मा के मिलन को योग कहते हैं।”
4. महर्षि वेदव्यास (Maharshi Vedvyas) के अनुसार, “योग समाधि है।”
5. डॉ० संपूर्णानंद (Dr. Sampurmanand) के अनुसार, “योग आध्यात्मिक कामधेनु है।”
6. श्रीमद्भगवद् गीता (Shrimad Bhagvad Gita) के अनुसार, “बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्।” अर्थात् समबुद्धि युक्त मनुष्य इस जीवन में ही अच्छे और बुरे कार्यों से अपने को मुक्त कर लेता है। अतः योग के लिए प्रयत्न करो क्योंकि सारा कार्य-कौशल यही है।
7. भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने कहा-“योग कर्मसुकौशलम्।” अर्थात् कर्म को कुशलतापूर्वक करना ही योग है। 8. स्वामी कृपालु जी (Swami Kripaluji) के अनुसार, “हर कार्य को बेहतर कलात्मक ढंग से करना ही योग है।”

इस प्रकार योग आत्मा एवं परमात्मा का संयोजन है। योग का अभ्यास मन को परमात्मा पर केंद्रित करता है और संपूर्ण शांति प्रदान करता है। योग हम को उन कष्टों का इलाज करने की सीख देता है जिनको भुगतने की जरूरत नहीं है और उन कष्टों का इलाज करता है जिनको ठीक नहीं किया जा सकता। बी०के०एस० आयंगर (B.K.S. Iyengar) के अनुसार, “योग वह प्रकाश है जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता। जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे, लौ उतनी ही उज्ज्वल होगी।”

योग का उद्देश्य (Objective of Yoga):
योग का उद्देश्य जीवात्मा का परमात्मा से मिलाप करवाना है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर को नीरोग, फुर्तीला, जोशीला, लचकदार और विशिष्ट क्षमताओं या शक्तियों का विकास करके मन को जीतना है। यह ईश्वर के सम्मुख संपूर्ण समर्पण हेतु मन को तैयार करता है। योग व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक तथा आत्मिक उद्देश्यों की पूर्ति वैज्ञानिक ढंगों से करता है।

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प्रश्न 2.
अष्टांग योग क्या है? अष्टांग योग के विभिन्न अंगों या अवस्थाओं का वर्णन करें।
अथवा
महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के कौन-कौन-से आठ अंग बताए हैं? उनके बारे में लिखें।
अथवा
अष्टांग योग के आठ अंगों या घटकों के बारे में आप क्या जानते हैं? विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर:
अष्टांग योग का अर्थ (Meaning of Ashtanga Yoga):
महर्षि पतंजलि ने ‘योग-सूत्र’ में जिन आठ अंगों का उल्लेख किया है, उन्हें ही अष्टांग योग कहा जाता है। अष्टांग योग का अर्थ है-योग के आठ पथ या अंग। वास्तव में योग के आठ पथ योग की आठ अवस्थाएँ (Stages) होती हैं जिनका पालन करते हुए व्यक्ति की आत्मा या जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हो सकता है। अष्टांग योग का अनुष्ठान करने से अशुद्धि का नाश होता है, जिससे ज्ञान का प्रकाश चमकता है और विवेक (ख्याति) की प्राप्ति होती है।

अष्टांग योग के अंग या घटक (Components of Ashtanga Yoga): महर्षि पतंजलि ने इसके आठ अंग (अवस्थाएँ) बताए हैं; जैसे
1. यम (Yama, Forbearance):
यम योग की वह अवस्था है जिसमें सामाजिक व नैतिक गुणों के पालन से इंद्रियों व मन को आत्म-केंद्रित किया जाता है। यह अनुशासन का वह साधन है जो प्रत्येक व्यक्ति के मन से संबंध रखता है। इसका अभ्यास करने से व्यक्ति अहिंसा, सच्चाई, चोरी न करना, पवित्रता तथा त्याग करना सीखता है।

2.नियम (Niyama, Observance):
नियम से अभिप्राय व्यक्ति द्वारा समाज स्वीकृत नियमों के अनुसार ही आचरण करना है। जो व्यक्ति नियमों के विरुद्ध आचरण करता है, समाज उसे सम्मान नहीं देता। इसके विपरीत जो व्यक्ति समाज द्वारा स्वीकृत नियमों के अनुसार आचरण करता है, समाज उसको सम्मान देता है। नियम के पाँच भाग होते हैं-शौच या शुद्धि (Purity), संतोष (Contentment), तप (Endurance), स्व-अध्याय (Self-Study) और ईश्वर प्राणीधान (Worship with Complete Faith)। इन पर अमल करके व्यक्ति परमात्मा को पा लेता है और आचारिक रूप से शक्तिशाली बनता है।

3. आसन (Asana, Posture): :
जिस अवस्था में शरीर ठीक से बैठ सके, वह आसन है। आसन का अर्थ है-बैठना। योग की सिद्धि के लिए उचित आसन में बैठना बहुत आवश्यक है। महषि पतंजलि के अनुसार, “स्थिर सुख आसनम्।” अर्थात् जिस रीति से हम स्थिरतापूर्वक, बिना हिले-डुले और सुख के साथ बैठ सकें, वह आसन है। ठीक मुद्रा में रहने से मन शांत रहता है।

4. प्राणायाम (Pranayama, Control of Breath):
प्राणायाम में दो शब्द हैं-प्राण व आयाम । प्राण का अर्थ है- श्वास और आयाम का अर्थ है-नियंत्रण व नियमन। इस प्रकार जिसके द्वारा श्वास के नियमन व नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है, उसे प्राणायाम कहते हैं अर्थात् साँस को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना ही प्राणायाम है। इसके तीन भाग हैं-(1) पूरक (Inhalation), (2) रेचक (Exhalation) और (3) कुंभक (Holding of Breath)।

5. प्रत्याहार (Pratyahara, Restraint of the Senses):
अष्टांग योग प्रत्याहार से अभिप्राय ज्ञानेंद्रियों व मन को अपने नियंत्रण में रखने से है। साधारण शब्दों में, प्रत्याहार का अर्थ मन व इन्द्रियों को उनकी संबंधित क्रियाओं से हटकर परमात्मा की ओर लगाना है।

6. धारणा (Dharna, Steadying of the Mind):
अपने मन के निश्चल भाव को धारणा कहते हैं । अष्टांग योग में ‘धारणा’ का बहुत महत्त्व है। धारणा का अर्थ मन को किसी इच्छित विषय में लगाना है। इस प्रकार ध्यान लगाने से व्यक्ति में एक महान् शक्ति उत्पन्न हो जाती है, साथ ही उसके मन की इच्छा भी पूरी हो जाती है।

7.ध्यान (Dhyana, Contemplation):
जब मन पूरी तरह से नियंत्रण में हो जाता है तो ध्यान लगना आरंभ हो जाता है अर्थात् मस्तिष्क की पूर्ण एकाग्रता ही ध्यान कहलाती है।

8. समाधि (Samadhi, Trance):
समाधि योग की सर्वोत्तम अवस्था है। यह सांसारिक दुःख-सुख से ऊपर की अवस्था है। समाधि योग की वह अवस्था है जिसमें साधक को स्वयं का भाव नहीं रहता। वह पूर्ण रूप से अचेत अवस्था में होता है। इस अवस्था में वह उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जहाँ आत्मा व परमात्मा का मिलन होता है।

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प्रश्न 3.
दैनिक जीवन में योग के महत्त्व पर विस्तारपूर्वक नोट लिखें।
अथवा
आधुनिक संदर्भ में योग की महत्ता एवं आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
“आधुनिक युग में योग सभी व्यक्तियों के लिए आवश्यक है।” इस कथन के बारे में अपने बहुमूल्य विचार दीजिए।
अथवा
‘योग’ आधनिक जीवन में स्वस्थपूर्ण जीवन के लिए कैसे सहायक होता है? वर्णन करें।
उत्तर:
हमारा पूरा जीवन ही योगमय है। हमें योग को अपनाकर इसका निरंतर अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि योग उन्नति का द्योतक है। यह चाहे शारीरिक उन्नति हो या आध्यात्मिक। अध्यात्म की मान्यताओं की बात करें तो कहा जाता है कि संसार पाँच महाभूतों/तत्त्वों; जैसे पृथ्वी, जल, आकाश, अग्नि और वायु के मिश्रण या संयोग से बना है। हमारा शरीर भी पाँच महाभूतों के संयोग से बना है। अध्यात्म में मान्यता है कि पुरुष एवं प्रकृति के योग से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। जड़ एवं चेतन के योग से जीव जगत् की रचना हुई। प्राणियों के आपस में योग से परिवार का निर्माण हुआ। अतः योग विकास का मूल मंत्र है जिससे हमारे अंतस्थ की उन्नति संभव है। महर्षि पतंजलि ने कहा-“योग मन को मौन करने की प्रक्रिया है। जब यह संभव हो जाता है, तब हमारा मूल प्राकृतिक स्वरूप सामने आता है।” अतः योग हमारे भीतर की चेतना को जगाकर हमें ऊर्जावान एवं हृष्ट-पुष्ट बनाता है। योग के महत्त्व या उपयोगिता का वर्णन निम्नलिखित है
(1) योग मन के विकारों को दूर कर उसे शांत करता है। हमारा मन चंचल और अस्थिर होता है। योग का सतत् अभ्यास, लोभ एवं मोह को त्याग कर मन को शांत एवं निर्विकार बनाया जा सकता है।
(2) कर्म स्वयं में एक योग है। कर्त्तव्य से विमुख न होना ही कर्म योग है। पूरी एकाग्रता एवं निष्ठा के साथ कर्म करना ही योग का उद्देश्य है। अतः योग से कर्म करने की शक्ति मिलती है।
(3) हमारी वाणी से जो विचार निकलते हैं, वे मन एवं मस्तिष्क की उपज होते हैं। यदि मन में कलुष भरा है तो हमारे विचार भी कलुषित होंगे। जब हम योग से मन को नियंत्रित कर लेते हैं तो हमारे विचार सकारात्मक रूप में हमारी वाणी से प्रवाहित होने लगते हैं।
(4) योग से नकारात्मक विचार सकारात्मक प्रवृत्ति में बदल जाते हैं।
(5) योग में सर्वस्व कल्याण हित है। यह धर्म-मजहब से परे की विधा है।
(6) योग आध्यात्मिक व मानसिक विकास में सहायक होता है।
(7) योग हमको उन कष्टों का इलाज करने की सीख देता है जिनको सहन करने की जरूरत नहीं है और उन कष्टों का इलाज करता है जिनको ठीक नहीं किया जा सकता।
(8) योग हमारे जीवन का आधार है। यह हमारी अंतर चेतना जगाकर विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की हिम्मत देता है। यह हमारी जीवन-शैली में बदलाव करने में सहायक है।
(9) योग धर्म, जाति, वर्ग, सम्प्रदाय, ऊँच-नीच तथा अमीर-गरीब आदि से परे है। किसी के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं करता।
(10) योग स्वस्थ रहने की कला है जो ध्यान, साधना, एकाग्रता एवं व्यायाम है। आज सभी का मूल फिट रहना है और यही चाह सभी को योग के प्रति आकर्षित करती है, क्योंकि योग हमारी फिटनेस में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(11) योग मन एवं शरीर में सामंजस्य स्थापित करता है अर्थात् यह शरीर एवं मस्तिष्क के ऐक्य का विज्ञान है।
(12) योग से शरीर की आंतरिक शुद्धता बढ़ती है।
(13) योग से शरीर में रक्त का संचार तीव्र होता है। इससे शरीर का रक्तचाप व तापमान सामान्य रहता है।
(14) योग मोटापे को नियन्त्रित करने में मदद करता है।
(15) योग से शारीरिक मुद्रा (Posture) में सुधार होता है।
(16) योग से मानसिक तनाव व चिंता दूर होती है। इससे मनो-भौतिक विकारों में सुधार आता है।
(17) योग रोगों की रोकथाम व बचाव में सहायता करता है।
(18) यह शारीरिक संस्थानों की कार्यक्षमता को सुचारु रखने में सहायक होता है।
(19) योग आत्म-विश्वास तथा मनोबल निर्माण में सहायता करता है।
(20) योग शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं में एकीकरण करने में सहायक होता है।
आधुनिक युग में, योग की महत्ता को देखते हुए आज योग विश्व-भर में फैल रहा है। योग दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने से इसकी उपयोगिता या महत्ता और अधिक बढ़ गई है। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून, 2015) मनाए जाने से यह सिद्ध हो चुका है कि आधुनिक संदर्भ में योग का महत्त्व दिन-प्रतिदिन निरंतर बढ़ रहा है।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 7 योग शिक्षा

प्रश्न 4.
योगाभ्यास के मुख्य सिद्धांत कौन-कौन-से हैं? वर्णन करें।
अथवा
योगासन करते समय किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
योग एक विभिन्न प्रकार के शारीरिक व्यायामों व आसनों का संग्रह है। यह ऐसी विधा है जिससे मनुष्य को अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों को बढ़ाने का अवसर मिलता है। योग धर्म, दर्शन, शारीरिक सभ्यता और मनोविज्ञान का समूह है। योगासन करते समय निम्नलिखित सिद्धांतों अथवा बातों को ध्यान में रखना चाहिए
(1) योगासन का अभ्यास प्रात:काल करना चाहिए।
(2) योगासन एकाग्र मन से करना चाहिए, इससे अधिक लाभ होता है।
(3) योगासन का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
(4) योगासन करते समय शरीर पर कम-से-कम कपड़े होने चाहिएँ, परन्तु सर्दियों में उचित कपड़े पहनने चाहिएँ।
(5) योगासनों का अभ्यास प्रत्येक आयु में कर सकते हैं, परन्तु अभ्यास करने से पहले किसी अनुभवी व्यक्ति से जानकारी लेनी चाहिए।
(6) योगासन खाली पेट करना चाहिए। योगासन करने के दो घण्टे पश्चात् भोजन करना चाहिए।
(7) योगासन प्रतिदिन करना चाहिए।
(8) यदि शरीर अस्वस्थ या बीमार है तो आसन न करें।
(9) प्रत्येक आसन निश्चित समयानुसार करें।
(10) योग आसन करने वाला स्थान साफ-सुथरा और हवादार होना चाहिए।
(11) योग आसन किसी दरी अथवा चटाई पर किए जाएँ। दरी अथवा चटाई समतल स्थान पर बिछी होनी चाहिए।
(12) योगाभ्यास शौच क्रिया के पश्चात् व सुबह खाना खाने से पहले करना चाहिए।
(13) प्रत्येक अभ्यास के पश्चात् विश्राम का अंतर होना चाहिए। विश्राम करने के लिए शवासन करना चाहिए।
(14) प्रत्येक आसन करते समय फेफड़ों के अंदर भरी हुई हवा बाहर निकाल दें। आसन करने में सरलता होगी।
(15) योग करते समय जब भी थकावट हो तो श्वासन या मकरासन कर लेना चाहिए।
(16) योग आसन अपनी शक्ति के अनुसार ही करना चाहिए।
(17) योग अभ्यास से पूरा लाभ उठाने के लिए शरीर को पौष्टिक व संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है।
(18) आसन करते समय श्वास हमेशा नाक द्वारा ही लें।
(19) हवा बाहर निकालने (Exhale) के उपरांत श्वास क्रिया रोकने का अभ्यास किया जाए।
(20) एक आसन करने के पश्चात् दूसरा आसन उस आसन के विपरीत किया जाए; जैसे धनुरासन के पश्चात् पश्चिमोत्तानासन करें। इस प्रकार शारीरिक ढाँचा ठीक रहेगा।

प्रश्न 5.
“योग भारत की एक विरासत है।” इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
योग का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि भारत का इतिहास। इस बारे में अभी तक ठीक तरह पता नहीं लग सका है कि योग की उत्पत्ति कब हुई? लेकिन प्रामाणिक रूप से यह कहा जा सकता है कि योग का इतिहास भारत के इतिहास जितना ही पुराना है अर्थात् योग भारत की ही देन या विरासत है। इसलिए हमें योग की उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए भारतीय इतिहास के कालों को जानना होगा, जिनसे स्पष्ट हो जाएगा कि योग भारत की एक विरासत है।
1. पूर्व वैदिक काल (Pre-Vedic Period): हड़प्पा सभ्यता के दो प्रसिद्ध नगरों-हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से प्राप्त मूर्तियों व प्रतिमाओं से पता चलता है कि उस काल के दौरान भी योग किसी-न-किसी रूप में प्रचलित था।

2. वैदिक काल (Vedic Period): वैदिक काल में रचित वेद ‘ऋग्वेद’ में लिखित ‘युनजते’ शब्द से यह अर्थ स्पष्ट होता है कि लोग इंद्रियों को नियंत्रित करने के लिए योग क्रियाएँ किया करते थे। हालांकि वैदिक ग्रंथों में ‘योग’ और ‘योगी’ शब्दों का स्पष्ट रूप से प्रयोग नहीं किया गया है।

3. उपनिषद् काल (Upnishad Period): योग की उत्पत्ति का वास्तविक आधार उपनिषदों में पाया जाता है। उपनिषद् काल में रचित ‘कठोपनिषद्’ में ‘योग’ शब्द का प्रयोग तकनीकी रूप से किया गया है। उपनिषदों में यौगिक क्रियाओं का भी वर्णन किया गया है।

4. काव्य काल (Epic Period): काव्य काल में रचित महाकाव्यों में योग के विभिन्न रूपों या शाखाओं के नामों का उल्लेख किया गया है। महाकाव्यों; जैसे ‘रामायण’ व ‘महाभारत’ में यौगिक क्रियाओं के रूपों की महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। रामायण के समय योग प्रक्रिया काफी प्रसिद्ध थी। भगवद्गीता’ में भी योग के तीन प्रकारों का वर्णन है।

5. सूत्र काल (Sutra Period): योग का पितामह महर्षि पतंजलि को माना जाता है, जिन्होंने योग पर आधारित प्रथम पुस्तक ‘योगसूत्र’ की रचना की। उन्होंने इस पुस्तक में योग के अंगों का व्यापक वर्णन किया है।

6. मध्यकाल (Medieval Period): इस काल में दो संप्रदाय; जैसे नाथ और संत (भक्ति) काफी प्रसिद्ध थे जिनमें यौगिक क्रियाएँ काफी प्रचलित थीं। नाथ हठ योग का और संत विभिन्न यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करते थे। इस प्रकार इन संप्रदायों या पंथों में योग काफी प्रसिद्ध था।

7.आधुनिक या वर्तमान काल (Modern Period): इस काल में स्वामी विवेकानंद, स्वामी योगेन्द्र, श्री अरबिन्दो और स्वामी रामदेव आदि ने योग के ज्ञान को न केवल भारत में बल्कि भारत से बाहर भी फैलाने का प्रयास किया है। स्वामी रामदेव आज भी योग को सारे विश्व में लोकप्रिय बनाने हेतु निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

निष्कर्ष (Conclusion):
उपर्युक्त वर्णित कालों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि योग भारतीय विरासत है। योग की उत्पत्ति भारत में ही हुई और विकास भी भारत में हुआ है। आज योग विश्व के विभिन्न देशों में फैल रहा है। इसी फैलाव के कारण प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।

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प्रश्न 6.
योग स्वास्थ्य का साधन है-इस विषय में अपने विचार प्रकट करें।
अथवा
“योगाभ्यास तंदुरुस्ती का साधन है।” इस कथन पर अपने विचार प्रकट करें।
अथवा
योगाभ्यास की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
योग का उद्देश्य है कि व्यक्ति को शारीरिक तौर पर तंदुरुस्त, मानसिक स्तर पर दृढ़ और चेतन, आचार-विचार में अनुशासित करना है। अतः योगाभ्यास तंदुरुस्ती का साधन है। इसकी मुख्य विशेषताएँ अग्रलिखित हैं
(1) योगाभ्यास करने वाले व्यक्ति की मानसिक जटिलताएँ मिट जाती हैं। वह मानसिक तौर से संतुष्ट और शक्तिशाली हो जाता है।
(2) शरीर के आंतरिक अंगों की सफाई के लिए योगाभ्यास में खास क्रिया विधि अपनाई जाती है। धौती क्रिया से जिगर, बस्ती क्रिया से आंतड़ियों व नेती क्रिया से पेट की सफाई की जाती है।
(3) योग द्वारा कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है; जैसे चक्रासन द्वारा हर्निया रोग, शलभासन द्वारा मधुमेह का रोग दूर किए जाते हैं । योगाभ्यास द्वारा रक्त के उच्च दबाव (High Blood Pressure) तथा दमा (Asthma) जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।
(4) योगाभ्यास द्वारा शारीरिक विकृतियों अर्थात् आसन को ठीक किया जा सकता है; जैसे रीढ़ की हड्डी का कूबड़, घुटनों का आपस में टकराना, टेढ़ी गर्दन, चपटे पैर आदि विकृतियों को दूर करने में योगासन लाभदायक हैं।
(5) योगासनों द्वारा मनुष्य को अपने संवेगों और अन्य अनुचित इच्छाओं पर नियंत्रण पाने की शक्ति मिलती है।
(6) योगाभ्यास द्वारा शारीरिक अंगों में लचक आती है; जैसे धनुरासन तथा हलासन रीढ़ की हड्डी में लचक बढ़ाते हैं।
(7) योग का शारीरिक संस्थानों की कार्यक्षमता पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। यह इनकी कार्यक्षमता को सुचारु करता है।
(8) योगाभ्यास करने से बुद्धि तीव्र होती है। शीर्षासन करने से दिमाग तेज़ और स्मरण-शक्ति बढ़ती है।
(9) योग आसन करने से शरीर में चुस्ती और ताज़गी पैदा होती है।
(10) योग आसन मन को प्रसन्नता प्रदान करता है। मन सन्तुलित रहता है। जहां भोजन शरीर का आहार है, वहीं प्रसन्नता मन का आहार है। शारीरिक स्वास्थ्य के लिए दोनों की आवश्यकता होती है।
(11) योगाभ्यास द्वारा शरीर ताल में आ जाता है जो शरीर को कम शारीरिक बल खर्च करके अधिक कार्य करने का ढंग बताता है। योगाभ्यास करने वाले व्यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।
(12) योगाभ्यास करने वाला व्यक्ति देर तक कार्य करते रहने तक भी थकावट अनुभव नहीं करता। वह अधिक कार्य कर सकता है और अपने लिए अच्छे आहार के बढ़िया साधन प्राप्त कर सकता है। अतः योग शारीरिक तथा मानसिक थकावट दूर करने में सहायक होता है। अतः योग शारीरिक तथा मानसिक थकावट दूर करने में सहायक होता है।

प्रश्न 7.
प्राणायाम से क्या अभिप्राय है? इसके विभिन्न प्रकार बताते हुए उनके लाभ बताएँ।
अथवा
प्राणायाम क्या है? प्राणायाम के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्राणायाम क्या है? किन्हीं तीन प्राणायामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राणायाम का अर्थ (Meaning of Pranayama):
प्राणायाम में दो शब्द हैं-प्राण व आयाम।प्राण का अर्थ है-श्वास और आयाम का अर्थ है-नियंत्रण व नियमन । इस प्रकार जिसके द्वारा श्वास के नियमन व नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है, उसे प्राणायाम कहते हैं। अर्थात् साँस को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना ही प्राणायाम है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, “श्वास-प्रश्वास की स्वाभाविक गति को रोकना ही प्राणायाम है।”

प्राणायाम के प्रकार और उनके लाभ (Types of Pranayama and their Benefits):
प्राणायाम में कई प्रकार की क्रियाएँ हैं; जैसे लंबे-लंबे श्वास खींचना, आराम से श्वास क्रिया करना, सैर करते समय प्राणायाम करना, समाधि लगाकर प्राणायाम करना, सूर्यभेदी प्राणायाम, उज्जई प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम, शीतली प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम, नाड़ी-शोधन प्राणायाम और कपालभाती प्राणायाम आदि। परंतु हठ योग में आठ प्राणायामों का वर्णन है। संक्षेप में, इनका वर्णन निम्नलिखित है-
1.सूर्यभेदी प्राणायाम (Suryabhedi Pranayama):
सूर्यभेदी प्राणायाम में बाएँ हाथ की उंगली के साथ नाक का बायाँ छेद बंद कर लिया जाता है। दाईं नाक से श्वास लिया जाता है। श्वास अंदर खींचकर कुम्भक किया जाता है। जब तक श्वास रोका जा सके, रोकना चाहिए। इसके पश्चात् दाएँ अंगूठे के साथ दाएँ छेद को दबाकर बाएँ छेद से आवाज़ करते हुए श्वास को बाहर निकालना चाहिए। इसमें श्वास धीरे-धीरे लेना चाहिए। कुम्भक से श्वास रोकने का समय धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। इसमें पूरक दाईं नाक से करते हैं और दाईं नाक सूर्य नाड़ी से जुड़ी होती है। इसी कारण इसको सूर्यभेदी प्राणायाम कहते हैं।

लाभ (Benefits): यह प्राणायाम शरीर के सैलों को शुद्ध करता है और इनको शक्तिशाली बनाता है। इससे पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं और आंतड़ियों का रोग दूर हो जाता है। यह प्राणायाम शरीर में गर्मी पैदा करता है।

2. उज्जई प्राणायाम (Ujjayi Pranayama):
श्वास को शक्ति से बाहर निकालने और अंदर खींचने को उज्जई प्राणायाम कहते हैं। उज्जई प्राणायाम को पद्मासन लगाकर करना चाहिए। श्वास लेते समय खर्राटों जैसी आवाज़ आनी चाहिए। यह अभ्यास 10-15 बार दोहराना चाहिए।

लाभ (Benefits): उज्जई प्राणायाम करने से टांसल, गला, नाक और कान की बीमारी से आराम मिलता है। इसके करने से आवाज़ में मधुरता आ जाती है।

3. शीतकारी प्राणायाम (Sheetkari Pranayama):
इस प्राणायाम से शरीर को ठंडक पहुँचती है। इसको करते समय सी-सी की आवाज़ निकलती है। इसके कारण ही इसका नाम शीतकारी प्राणायाम है। सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथों को घुटनों पर रख लिया जाता है। आँखें बंद करके दाँत मिलाकर जीभ का अगला भाग दाँतों को लगाकर बाकी का भाग तालु के साथ लगा लिया जाता है। होंठ खुले रखे जाते हैं और मुँह द्वारा जोर से श्वास खींचा जाता है। श्वास खींचने के पश्चात् श्वास रोक लिया जाता है। इसके पश्चात् नाक के छेदों द्वारा श्वास बाहर निकाला जाता है।

लाभ (Benefits): इससे गले, दाँतों की बीमारियों और शरीर की गर्मी दूर होती है। इससे मन स्थिर और गुस्से पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

4. शीतली प्राणायाम (Shitali Pranayama):
इस प्राणायाम से शरीर में ठंडक बढ़ती है। पद्मासन लगाकर नाक के दोनों छेदों द्वारा श्वास बाहर निकाला जाता है। जीभ को मुँह से बाहर निकालकर दोनों किनारे मोड़कर नाली-सी बना ली जाती है। श्वास अंदर खींचते हुए नाली का प्रयोग करना चाहिए। फिर जीभ मुँह में करके श्वास रोक लिया जाता है। श्वास रोकने के पश्चात् नाक के दोनों छेदों में से श्वास बाहर निकाला जाता है। इस अभ्यास को 8-10 बार दोहराना चाहिए।

लाभ (Benefits): शीतली प्राणायाम रक्त को शुद्ध करता है। यह चमड़ी के रोग, क्षय रोग तथा पित्त की अधिकता जैसे रोगों को दूर करने में सहायक होता है।

5. भस्त्रिका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama):
भस्त्रिका प्राणायाम में लुहार की धौंकनी की तरह श्वास अंदर और बाहर निकाला जाता है। पहले नाक के एक छेद द्वारा श्वास लेकर दूसरे छेद द्वारा श्वास बाहर निकाला जाता है। इसके पश्चात् दोनों छेदों से श्वास अंदर और बाहर किया जाता है। भस्त्रिका प्राणायाम शुरू में धीरे-धीरे करना चाहिए और बाद में इसकी रफ्तार बढ़ाई जानी चाहिए। पूरक व रेचक करते समय पेट अवश्य क्रियाशील रहना चाहिए।

लाभ (Benefits): यह प्राणायाम करने से मनुष्य का मोटापा कम होता है। मन की इच्छा बलवान होती है। इससे गले की सूजन ठीक होती है। यह प्राणायाम करने से पेट के अंग मजबूत होकर सुचारु रूप से कार्य करते हैं और हमारी पाचन शक्ति भी बढ़ती है।

6. भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama):
भ्रामरी प्राणायाम को किसी भी आसन में बैठकर कोहनियों को कंधों के बराबर करके श्वास लिया जाता है। थोड़ी देर श्वास रोकने के पश्चात् श्वास बाहर निकालते समय गले से भंवरे जैसी आवाज़ निकाली जाती है। फिर रेचक (श्वास को बाहर छोड़ना) करते समय भी भंवरे जैसी आवाज़ उत्पन्न होती है। इस प्राणायाम का अभ्यास 5-10 बार तक दोहराना चाहिए।

लाभ (Benefits): इस प्राणायाम से आवाज़ साफ और मधुर होती है। गले की बीमारियाँ दूर होती हैं। यह मस्तिष्क के रोगों को दूर करने में लाभदायक है।

7.मूर्छा (नाड़ी शोधन) प्राणायाम (Moorchha or Nadi Sodhana Pranayama):
इस प्राणायाम से नाड़ियों की सफाई होती है। सिद्धासन में बैठकर नाक के बाईं ओर से श्वास लेना चाहिए। श्वास लेकर कुम्भक करना चाहिए। इसके पश्चात् दूसरी ओर से श्वास धीरे-धीरे बाहर निकाला जाता है। इस तरह से फिर दाईं नाक से श्वास अंदर भरा जाता है। कुछ समय के लिए कुम्भक किया जाता है और साथ ही बाएँ नाक द्वारा श्वास बाहर निकाल दिया जाता है। कुंभक से ऑक्सीजन फेफड़ों के सारे छेदों में पहुँच जाती है। रेचक से फेफड़े सिकुड़ जाते हैं और हवा बाहर निकल जाती है। इस क्रिया को 10-15 बार दोहराना चाहिए।

लाभ (Benefits): इस प्राणायाम से फेफड़ों की बीमारियाँ और दिल की कमजोरी को दूर किया जा सकता है। यह मन स्थिर रखने में सहायक होता है।

8. कपालभाती प्राणायाम (Kapalbhati Pranayama): कपालभाती प्राणायाम और भस्त्रिका प्राणायाम में यही अंतर है कि इसमें रेचक करते समय जोर लगाया जाता है परंतु भस्त्रिका प्राणायाम में पूरक और रेचक दोनों में ही जोर लगाना पड़ता है। सिद्धासन या पद्मासन में बैठकर श्वास को बाहर छोड़ने व अंदर लेने की क्रिया करनी चाहिए। साँस को बाहर छोड़ते या अंदर लेते समय पेट को अंदर-बाहर की ओर धकेलना चाहिए।

लाभ (Benefits): इस प्राणायाम के अभ्यास से श्वास प्रणाली ठीक हो जाती है और फेफड़े विकसित होते हैं। रक्त साफ होता है और दमे के रोगी को आराम मिलता है। कब्ज, गैस की समस्याओं को दूर करने में यह प्राणायाप लाभदायक होता है।

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प्रश्न 8.
योग क्रियाओं के शारीरिक प्रणालियों पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
योगाभ्यास शरीर के संस्थानों की शक्तियों का विकास करने में कैसे सहायक होते हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
योग क्रियाओं के शारीरिक प्रणालियों या संस्थानों पर पड़ने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं
1. रक्त संचार प्रणाली पर योग क्रियाओं का प्रभाव (Effects of Yogic Exercises on Circulatory System):
रक्त संचार प्रणाली (संस्थान) ही मनुष्य के शरीर में ठीक ढंग से रक्त का संचालन करती है। रक्त में प्लाज्मा, लाल कण, सफेद कण और बिम्बाणु होते हैं। लाल कणों में हीमोग्लोबिन होता है जिसका मुख्य कार्य ऑक्सीजन को लेकर जाना है। सफेद कण जो कम गिनती में होते हैं, वे बाहरी बीमारी के बैक्टीरिया के साथ लड़ते हैं और उनसे शरीर की रक्षा करते हैं। योग क्रियाओं से शरीर का तापमान एक समान बना रहता है। इनसे फेफड़ों में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है। ऑक्सीजन रक्त में मिलकर व्यर्थ पदार्थ फेफड़ों में लाकर तेज़ी से बाहर निकाल देती है। इनसे व्यक्ति के शरीर में रक्त की गति तेज़ होती है। योग क्रिया करने से रक्त की रचना में अंतर आ जाता है। रक्त में हीमोग्लोबिन और लाल रक्ताणुओं की मात्रा में वृद्धि होती है। लाल रक्ताणु की गिनती बढ़ने के कारण ऑक्सीजन की अधिक मात्रा मिलती है। सफेद रक्ताणुओं के बढ़ने से हमारा शरीर रोगों का मुकाबला करने के योग्य होता है।

2. श्वास प्रणाली पर योग क्रियाओं का प्रभाव (Effects of Yogic Exercises on Respiratory System):
योग क्रियाएँ करने से श्वास की गति तेज़ हो जाती है, जिससे कार्बन-डाइऑक्साइड अधिक मात्रा में बाहर निकलती है और ऑक्सीजन की मात्रा फेफड़ों में बढ़ती है। योग क्रियाओं से फेफड़ों की क्षमता (Lung Capacity) में वृद्धि होती है। इनसे श्वास क्रिया ठीक होने के कारण हम कई रोगों से बच जाते हैं; जैसे जुकाम, सिरदर्द आदि। इनसे श्वास क्रिया तेज़ होती है, परिणामस्वरूप फेफड़ों को अधिक कार्य करना पड़ता है जिस कारण छाती फैल जाती है। योग क्रियाएँ करने से श्वसन प्रणाली संबंधी विकार दूर होते हैं।

3. पाचन प्रणाली पर योग क्रियाओं का प्रभाव (Effects of Yogic Exercises on Digestive System):
योग क्रियाएँ करते समय शरीर के अंगों को अधिक रक्त की आवश्यकता होती है क्योंकि क्रियाओं/गतिविधियों को अधिक शक्ति की आवश्यकता होती हैं। भोजन से शरीर को शक्ति व ऊर्जा प्राप्त होती है। हम जो भोजन खाते हैं, उसको शरीर में पचाने का कार्य पाचन प्रणाली करती है। यह भोजन को पेस्ट की शक्ल में बदलकर आँतड़ियों में पहुँचाती है। योग क्रियाओं से भूख बढ़ जाती है। इनसे पाचन अंगों की क्षमता और शक्ति में वृद्धि होती है। इनसे आंतड़ियों की मालिश हो जाती है जिससे मल-त्याग ठीक ढंग से होता है। इनसे कब्ज व पेट संबंधी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। इनसे आंतड़ियों में विकार पैदा करने वाले तत्त्वों का अंत हो जाता है। इनसे लार गिल्टियों के कार्य करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

4. स्नायु या नाड़ी संस्थान पर योग क्रियाओं का प्रभाव (Effects of Yogic Exercises on Nervous System):
योग क्रियाएँ तभी अच्छी तरह संभव हो सकती हैं यदि हमारा मस्तिष्क भली-भाँति शरीर के अंगों को आदेश दे सके। योग क्रियाओं से हमारे शरीर के अंगों में गति आ जाती है जिससे हमारा नाड़ी संस्थान तीव्र गति से कार्य करने लग जाता है। योग क्रियाओं से नाड़ी संस्थान संबंधी दोष दूर किए जा सकते हैं। नाड़ी संस्थान के ठीक कार्य करने से माँसपेशियों में ठीक तालमेल हो जाता है। इनसे मनुष्य के शरीर में प्रतिवर्त क्रियाओं की संख्या बढ़ जाती है। योग क्रियाओं से शरीर में भिन्न-भिन्न प्रणालियों के कार्य करने की क्षमता में वृद्धि होती है जिस कारण थकावट देर से होती है।

5. माँसपेशी संस्थान पर योग क्रियाओं का प्रभाव (Effects of Yogic Exercises on Muscular System):
योग क्रियाएँ करते समय हमारी माँसपेशियों को शक्ति की आवश्यकता होती है। यह शक्ति उनको रक्त संचार प्रणाली से प्राप्त होती है। इससे माँसपेशियों में रासायनिक परिवर्तन आता है। इस परिवर्तन के कारण पैदा हुई ऊर्जा का कुछ भाग माँसपेशियों के सिकुड़ने और फैलने में समाप्त हो जाता है। योग क्रियाएँ करने से हमारी प्रणालियों की गति में वृद्धि होती है। योग क्रियाएँ तभी संभव हैं जब माँसपेशियों में तालमेल हो। क्रियाएँ करने से माँसपेशियों में तालमेल बढ़ जाता है और वे कार्य करने के योग्य बन जाती हैं । योग क्रियाओं द्वारा माँसपेशियों को ठीक ढंग से कार्य करने के योग्य बनाया जा सकता है। ये क्रियाएँ करने से शरीर के प्रत्येक भाग में रक्त की उचित मात्रा पहुँचती है और दिल की मांसपेशियाँ भी शीघ्रता से कार्य करने लगती हैं। इनसे माँसपेशियों में लचकता आ जाती है। माँसपेशियों में तालमेल होने से ये उत्तेजना अथवा प्रोत्साहन से प्रतिक्रिया करने में समर्थ हो जाती हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
योग के इतिहास पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
योग का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि भारत का इतिहास। इस बारे में अभी तक ठीक तरह पता नहीं लग सका कि योग कब शुरू हुआ? परंतु योग भारत की ही देन या विरासत है। भारत में योग लगभग तीन हजार ईसा पूर्व पहले शुरू हुआ। आधुनिक समय में योग का आदि गुरु महर्षि पतंजलि को माना गया है। हजारों वर्ष पहले हिमालय में कांति सरोवर झील के किनारे पर आदि योगी ने अपने योग सम्बन्धी ज्ञान को पौराणिक सात ऋषियों को प्रदान किया। इन ऋषियों ने योग का विश्व के विभिन्न भागों में प्रचार किया। परन्तु व्यापक स्तर पर योग को सिन्धु घाटी सभ्यता के एक अमित सांस्कृतिक परिणाम के रूप में समझा जाता है। महर्षि पतंजलि द्वारा योग पर प्रथम पुस्तक ‘योग-सूत्र’ लिखी गई, जिसमें उन्होंने योग की अवस्थाओं एवं प्रकारों का विस्तृत उल्लेख किया है। हिंदू धर्म के ग्रंथ उपनिषद्’ में योग के सिद्धांतों या नियमों का वर्णन किया गया है। महर्षि पतंजलि के बाद अनेक योग गुरुओं एवं ऋषियों ने इसके विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भारत के मध्यकालीन युग में कई योगियों ने योग के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। इसने मानवता के भौतिक और आध्यात्मिक विकास में अहम् भूमिका निभाई है।

प्रश्न 2.
योग क्या है? योग ने किन व्यापक श्रेणियों को जन्म दिया है?
अथवा
‘योग’ का शाब्दिक अर्थ क्या है? इसकी चार श्रेणियों का उल्लेख करें।
उत्तर:
योग-‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के ‘युज’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है-जुड़ना या एक होना। जुड़ना या एक होने का अर्थ है-व्यक्ति की आत्मा को ब्रह्मांड या परमात्मा की चेतना या सार्वभौमिक आत्मा के साथ जुड़ना।
योग की श्रेणियाँ-योग व्यक्ति के शरीर, मन, भावना एवं शक्ति के स्तर पर कार्य करता है। योग ने चार व्यापक श्रेणियों को जन्म दिया है। जैसे
1. कर्म योग-कर्म योग जिसमें हम अपने शरीर का उपयोग करते हैं।
2. ज्ञान योग-ज्ञान योग जिसमें हम अपने मन या मस्तिष्क का उपयोग करते हैं।
3. भक्ति योग-भक्ति योग जिसमें हम अपने संवेगों या भावनाओं का उपयोग करते हैं।
4. क्रिया योग-क्रिया योग जिसमें हम अपनी शारीरिक ऊर्जा या शक्ति का उपयोग करते हैं।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 7 योग शिक्षा

प्रश्न 3.
आसन से क्या तात्पर्य है? इसके प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आसन-जिस अवस्था में शरीर ठीक से बैठ सके, वह आसन है। आसन का अर्थ है-बैठना। योग की सिद्धि के लिए उचित आसन में बैठना बहुत आवश्यक है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, “स्थिर सुख आसनम्।” अर्थात् जिस रीति से हम स्थिरतापूर्वक, बिना हिले-डुले और सुख के साथ बैठ सकें, वह आसन है। ठीक मुद्रा में रहने से मन शांत रहता है। आसन के प्रकार-आसन के प्रकारों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है-
1. ध्यानात्मक आसन-ध्यानात्मक आसन वे आसन होते हैं जिनको करने से व्यक्ति की ध्यान करने की क्षमता विकसित होती है; जैसे
(1) पद्मासन,
(2) सिद्धासन,
(3) गोमुखासन आदि।

2. विश्रामात्मक आसन-विश्रामात्मक आसन करने से शारीरिक एवं मानसिक थकावट दूर होती है और शरीर को पूर्ण विश्राम मिलता है; जैसे
(1) शवासन,
(2) मकरासन,
(3) शशांकासन आदि।

3. संवर्धनात्मक आसन-संवर्धनात्मक आसन शरीर की सभी क्रियाओं को व्यवस्थित करके प्राणायाम, प्रत्याहार व धारणा को सामर्थ्य देते है; जैसे
(1) शीर्षासन,
(2) सर्वांगासन,
(3) हलासन आदि।

प्रश्न 4.
योग के लाभों या महत्त्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जिस तरह से सूर्य अपनी रोशनी करने में किसी भी प्रकार का कोई भेद नहीं करता, उसी प्रकार से योग करके कोई भी इसका लाभ प्राप्त कर सकता है। दुनिया के प्रत्येक मनुष्य को योग के लाभ समभाव से प्राप्त होते हैं; जैसे
(1) योग मस्तिष्क को शांत करने का अभ्यास है अर्थात् इससे मानसिक शान्ति प्राप्त होती है।
(2) योग से बीमारियों से छुटकारा मिलता है और हमारे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
(3) योग एक साधना है जिससे न सिर्फ शरीर बल्कि मन भी स्वस्थ रहता है।
(4) योग से मानसिक तनाव को भी दूर किया जा सकता है।
(5) योग से सकारात्मक प्रवृत्ति में वृद्धि होती है।
(6) योग तन-मन, चित्त-वृत्ति और स्वास्थ्य-सोच को विकार मुक्त करता है।
(7) योग से आत्मिक सुख एवं शान्ति प्राप्त होती है।

प्रश्न 5.
रक्त संचार प्रणाली पर योग क्रियाओं के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
अथवा
योग क्रियाओं का रक्त प्रवाह तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
योग क्रियाओं के रक्त संचार प्रणाली पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
(1) योग क्रियाओं से शरीर का तापमान एक समान बना रहता है।
(2) योग करने से फेफड़ों में ऑक्सीजन की वृद्धि होती है। ऑक्सीजन रक्त में मिलकर व्यर्थ पदार्थ फेफड़ों में लाकर तेज़ी से बाहर निकाल देती है।
(3) इनसे व्यक्ति के शरीर में रक्त की गति तेज़ होती है।
(4) इनसे कोशिकाएँ फूल जाती हैं जिससे शरीर में रक्त का संचार बढ़ जाता है।
(5) योग क्रिया करने से रक्त की रचना में अंतर आ जाता है। रक्त में हीमोग्लोबिन और लाल रक्ताणुओं की मात्रा में वृद्धि होती है। लाल रक्ताणु की संख्या बढ़ने के कारण ऑक्सीजन की अधिक मात्रा मिलती है। सफेद रक्ताणुओं के बढ़ने से हमारा शरीर रोगों का मुकाबला करने के योग्य होता है।

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प्रश्न 6.
यम क्या हैं ? इनका संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
अष्टांग योग के यमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यम: यम योग की वह अवस्था है जिसमें सामाजिक व नैतिक गुणों के पालन से इंद्रियों व मन को आत्म-केंद्रित किया जाता है। यह अनुशासन का वह साधन है जो प्रत्येक व्यक्ति के मन से संबंध रखता है। इसका अभ्यास करने से व्यक्ति अहिंसा, सच्चाई, चोरी न करना, पवित्रता तथा त्याग करना सीखता है। महर्षि पतंजलि के अनुसार यम पाँच होते हैं-
1. सत्य-सत्य से अभिप्राय मन की शुद्धता या सच बोलने से है। हमें हमेशा अपने विचार, शब्द, मन और कर्म से सत्यवादी होना चाहिए।
2. अहिंसा-मन, वचन व कर्म आदि से किसी को भी शारीरिक-मानसिक स्तर पर कोई हानि या आघात न पहुँचाना अहिंसा कहलाता है। हमें हमेशा हिंसात्मक और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना चाहिए।
3. अस्तेय-मन, वचन व कर्म से दूसरों की कोई वस्तु या चीज न चाहना या चुराना अस्तेय कहलाता है।
4. अपरिग्रह-इंद्रियों को प्रसन्न रखने वाले साधनों तथा धन-संपत्ति का अनावश्यक संग्रह न करना, कम आवश्यकताओं व इच्छाओं के साथ जीवन व्यतीत करना, अपरिग्रह कहलाता है। हमें कभी भी न तो गलत तरीकों से धन कमाना चाहिए और न ही एकत्रित करना चाहिए।
5. ब्रह्मचर्य-यौन संबंधों में नियंत्रण, चारित्रिक संयम ब्रह्मचर्य है। ऐसी चीजों का प्रयोग न करना जो यौन संबंधी इच्छाओं को उत्तेजित करती हैं। इसके अंतर्गत हमें कामवासना का पूर्णत: त्याग करना पड़ता है।

प्रश्न 7.
नियम से क्या तात्पर्य है? नियमों को सूचीबद्ध कीजिए।
अथवा
नियमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नियम-नियम से अभिप्राय व्यक्ति द्वारा समाज स्वीकृत नियमों के अनुसार ही आचरण करना है। जो व्यक्ति नियमों के विरुद्ध आचरण करता है, समाज उसे सम्मान नहीं देता। इसके विपरीत जो व्यक्ति समाज द्वारा स्वीकृत नियमों के अनुसार आचरण करता है, समाज उसको सम्मान देता है। नियम के पाँच भाग होते हैं। इन पर अमल करके व्यक्ति परमात्मा को पा लेता है।
1.शौच-शौच का अर्थ है-शुद्धता। हमें हमेशा अपना शरीर आंतरिक व बाहरी रूप से साफ व स्वस्थ रखना चाहिए।
2. संतोष-संतोष का अर्थ है-संतुष्टि। हमें उसी में संतुष्ट रहना चाहिए जो परमात्मा ने हमें दिया है।
3. तप-हमें प्रत्येक स्थिति में एक-सा व्यवहार करना चाहिए। जीवन में आने वाली मुश्किलों व परिस्थितियों को धैर्यपूर्वक सहन करना तथा लक्ष्य-प्राप्ति की ओर निरंतर आगे बढ़ते रहना तप कहलाता है।
4. स्वाध्याय-ग्रंथों, वेदों, उपनिषदों, गीता व अन्य महान् पुस्तकों का निष्ठा भाव से अध्ययन करना स्वाध्याय कहलाता है।
5. ईश्वर प्राणीधान-ईश्वर प्राणीधान नियम की महत्त्वपूर्ण अवस्था है। ईश्वर को अपने सभी कार्मों को अर्पित करना ईश्वर प्राणीधान कहलाता है।

प्रश्न 8.
योग के रक्षात्मक एवं चिकित्सीय प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
योग के नैदानिक व उपचारात्मक प्रभावों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
योग एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं, बल्कि जीवन का दर्शनशास्त्र भी है। यह वह क्रिया है जो शारीरिक क्रियाओं तथा आध्यात्मिक क्रियाओं में संतुलन बनाए रखती है। वर्तमान भौतिक समाज आध्यात्मिक शून्यता के बिना रह रहा है, जहाँ योग सहायता कर सकता है। आधुनिक समय में योग के निम्नलिखित उपचार तथा रोकथाम संबंधी प्रभाव पड़ते हैं
(1) योग पेट तथा पाचन तंत्र की अनेक बीमारियों की रोकथाम में सहायता करता है।
(2) योग क्रियाओं के द्वारा कफ़, वात व पित्त का संतुलन बना रहता है।
(3) यौगिक क्रियाएँ शारीरिक अंगों को शुद्ध करती हैं तथा साधक के स्वास्थ्य में सुधार लाती हैं।
(4) योग के माध्यम से मानसिक शांति व स्व-नियंत्रण उत्पन्न होता है।
(5) योग अनेक मुद्रा-विकृतियों को ठीक करने में सहायता करता है।
(6) नियमित व निरंतर यौगिक क्रियाएँ, मस्तिष्क के उच्चतर केंद्रों को उद्दीप्त करती हैं, जो विभिन्न प्रकार के विकारों की रोकथाम करते हैं।
(7) योग से मानसिक शांति तथा संतुलन बनाए रखा जा सकता है।

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प्रश्न 9.
पद्मासन व धनुरासन के मुख्य लाभ बताएँ।
उत्तर:
पद्मासन के लाभ:
(1) पद्मासन से पाचन शक्ति बढ़ती है,
(2) यह मन की एकाग्रता के लिए सर्वोत्तम उपाय है,
(3) यह दिल तथा पेट के रोगों को दूर करने में सहायक होता है,
(4) यह कब्ज और फाइलेरिया जैसे रोगों को दूर करता है।

धनुरासन के लाभ:
(1) यह कब्ज, अपच, और जिगर की गड़बड़ी को दूर करने में लाभकारी होता है,
(2) इससे रीढ़ को मजबूती मिलती है,
(3) यह शरीर के पाचन संस्थान, उत्सर्जन संस्थान और प्रजनन संस्थान को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 10.
चक्रासन व शवासन के मुख्य लाभ बताएँ।
उत्तर:
चक्रासन के लाभ-
(1) चक्रासन से शरीर में लचक पैदा होती है,
(2) इससे पेट की चर्बी कम होती है,
(3) रीढ़ की हड्डी लचकदार बनती है,
(4) पेट की बहुत-सी बीमारियाँ दूर होती हैं।

शवासन के लाभ-
(1) शवासन के अभ्यास से रक्तचाप ठीक होता है,
(2) यह हृदय को संतुलित स्थिति में रखता है,
(3) इससे मन शांत रहता है,
(4) इससे तनाव, निराशा, दबाव और थकान दूर होती है।

प्रश्न 11.
पाचन प्रणाली पर योग क्रियाओं का क्या असर पड़ता है?
अथवा
योग क्रियाएँ पाचन प्रणाली को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
योग क्रियाएँ पाचन प्रणाली को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित करती हैं
(1) योग क्रियाओं से भूख बढ़ जाती है।
(2) योग क्रियाओं से पाचन अंगों की क्षमता और शक्ति में वृद्धि होती है।
(3) योग क्रियाओं से आंतड़ियों की मालिश हो जाती है जिससे मल-त्याग ठीक ढंग से होता है।
(4) योग क्रियाओं से कब्ज व पेट संबंधी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं।
(5) योग क्रियाओं से आंतड़ियों में विकार पैदा करने वाले तत्त्वों का अंत हो जाता है।
(6) योग क्रियाओं से लार गिल्टियों के कार्य करने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

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प्रश्न 12.
अष्टांग योग में ध्यान का क्या महत्त्व है?
अथवा
ध्यान के हमारे लिए क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर:
ध्यान के हमारे लिए लाभ या महत्त्व निम्नलिखित हैं
(1) ध्यान हमारे भीतर की शुद्धता के ऊपर पड़े क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, कुंठा आदि के आवरणों को हटाकर हमें सकारात्मक बनाता है।
(2) ध्यान से हमें शान्ति एवं प्रसन्नता की प्राप्ति होती है।
(3) ध्यान सर्वस्व प्रेम की भावना एवं सृजन शक्ति को जगाता है।
(4) ध्यान से मन शान्त एवं शुद्ध होता है।

प्रश्न 13.
प्राणायाम क्या है? इसकी तीन अवस्थाओं का वर्णन करें।
अथवा
‘प्राणायाम’ पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
अथवा
प्राणायाम का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसके अंगों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्राणायाम का अर्थ-प्राणायाम में दो शब्द हैं-प्राण व आयाम। प्राण का अर्थ है-श्वास और आयाम का अर्थ हैनियंत्रण व नियमन। इस प्रकार जिसके द्वारा श्वास के नियमन व नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है, उसे प्राणायाम कहते हैं अर्थात् साँस को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना ही प्राणायाम है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, “श्वास-प्रश्वास की स्वाभाविक गति को रोकना ही प्राणायाम है।”

प्राणायाम की अवस्थाएँ या अंग-प्राणायाम को तीन अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है
1. पूरक-श्वास को अंदर खींचने की क्रिया को पूरक कहते हैं।
2. रेचक-श्वास को बाहर निकालने की क्रिया को रेचक कहते हैं।
3. कुम्भक-श्वास को अंदर खींचकर कुछ समय तक अंदर ही रोकने की क्रिया को कुम्भक कहते हैं।

प्रश्न 14.
प्राणायाम की महत्ता पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा
प्राणायाम की आवश्यकता एवं महत्ता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वर्तमान समय में श्री श्री रविशंकर ने जीवन जीने की जो शैली सुझाई है, वह प्राणायाम पर आधारित है। आधुनिक जीवन में प्राणायाम की आवश्यकता एवं महत्त्व निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाती है
(1) प्राणायाम से शरीर का रक्तचाप व तापमान सामान्य रहता है।
(2) इससे शरीर की आंतरिक शुद्धता बढ़ती है।
(3) इससे रक्त के तेज़ दबाव से नाड़ी संस्थान की शक्ति में वृद्धि होती है।
(4) इससे सामान्य स्वास्थ्य व शारीरिक कार्य-कुशलता का विकास होता है।
(5) इससे मानसिक तनाव व चिंता दूर होती है।
(6) इससे हमारी श्वसन प्रक्रिया में सुधार होता है।
(7) इससे आँखों व चेहरे में चमक आती है और आवाज़ मधुर हो जाती है।
(8) इससे आध्यात्मिक व मानसिक विकास में मदद मिलती है।
(9) इससे कार्य करने की शक्ति में वृद्धि होती है।
(10) इससे फेफड़ों का आकार बढ़ता है और श्वास की बीमारियों तथा गले, मस्तिष्क की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
(11) इससे इच्छा-शक्ति व स्मरण-शक्ति बढ़ती है।
(12) प्राणायाम करने से पेट तथा छाती की मांसपेशियाँ मज़बूत बनती हैं।

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प्रश्न 15.
प्राणायाम करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राणायाम श्वास पर नियंत्रण करने की एक विधि है। प्राणायाम की तीन अवस्थाएँ होती हैं-
(1) पूरक (श्वास को अंदर खींचना),
(2) रेचक (श्वास को बाहर निकालना),
(3) कुंभक (श्वास को कुछ देर अंदर रोकना) ।

प्राणायाम में श्वास अंदर की ओर खींचकर रोक लिया जाता है और कुछ समय रोकने के पश्चात् फिर श्वास बाहर निकाला जाता है। इस तरह श्वास को धीरे-धीरे नियंत्रित करने का समय बढ़ा लिया जाता है। अपनी बाईं नाक को बंद करके दाईं नाक द्वारा श्वास खींचें और थोड़े समय तक रोक कर छोड़ें। इसके पश्चात् दाईं नाक बंद करके बाईं नाक द्वारा पूरा श्वास बाहर निकाल दें। अब फिर दाईं नाक को बंद करके बाईं नाक द्वारा श्वास खींचें र थोड़े समय तक रोक कर छोड़ें। इसके पश्चात् दाईं नाक बंद करके पूरा श्वास बाहर निकाल दें। इस प्रकार इस प्रक्रिया को कई बार दोहराना चाहिए।

प्रश्न 16.
सूर्यभेदी प्राणायाम से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
सूर्यभेदन प्राणायाम क्या है? इससे होने वाले फायदे बताएँ।
उत्तर:
सूर्यभेदी या सूर्यभेदन प्राणायाम में बाएँ हाथ की उंगली के साथ नाक का बायाँ छेद बंद कर लिया जाता है। दाईं नाक से श्वास लिया जाता है। श्वास अंदर खींचकर कुम्भक किया जाता है। जब तक श्वास रोका जा सके, रोकना चाहिए। इसके पश्चात् दाएँ अंगूठे के साथ दाएँ छेद को दबाकर बाएँ छेद से आवाज़ करते हुए श्वास को बाहर निकालना चाहिए। इसमें श्वास धीरे-धीरे लेना चाहिए। कुम्भक से श्वास रोकने का समय धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। इसमें पूरक दाईं नाक से करते हैं और दाईं नाक सूर्य नाड़ी से जुड़ी होती है। इसी कारण इसको सूर्यभेदी प्राणायाम कहते हैं। यह प्राणायाम शरीर के सैलों को शुद्ध करता है और इसको शक्तिशाली बनाता है। इससे पेट के कीड़े भी समाप्त हो जाते हैं और आंतड़ियों का रोग दूर हो जाता है। यह प्राणायाम शरीर में गर्मी पैदा करता है।

प्रश्न 17.
शीतकारी प्राणायाम से आप क्या समझते हैं?
अथवा
शीतकारी प्राणायाम का हमारे शरीर पर क्या लाभदायक प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
शीतकारी प्राणायाम से शरीर को ठंडक पहुँचती है। इसको करते समय सी-सी की आवाज़ निकलती है। इसके कारण ही इसका नाम शीतकारी प्राणायाम है। सिद्धासन में बैठकर दोनों हाथों को घुटनों पर रख लिया जाता है। आँखें बंद करके दाँत मिलाकर जीभ का अगला भाग दाँतों को लगाकर बाकी का भाग तालु के साथ लगा लिया जाता है। होंठ खुले रखे जाते हैं और मुँह द्वारा जोर से श्वास खींचा जाता है। श्वास खींचने के पश्चात् श्वास रोक लिया जाता है। इसके पश्चात् नाक के छेदों द्वारा श्वास बाहर निकाला जाता है। इससे गले, दाँतों की बीमारियों और शरीर की गर्मी दूर होती है। इससे मन स्थिर और गुस्से पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

प्रश्न 18.
भस्त्रिका प्राणायाम से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
भस्त्रिका प्राणायाम क्या है? इससे होने वाले प्रमुख फायदे बताएँ।
उत्तर:
भस्त्रिका प्राणायाम में लुहार की धौंकनी की तरह श्वास अंदर और बाहर निकाला जाता है। पहले नाक के एक छेद द्वारा श्वास लेकर दूसरे छेद द्वारा श्वास बाहर निकाला जाता है। इसके पश्चात् दोनों छेदों से श्वास अंदर और बाहर किया जाता है। भस्त्रिका प्राणायाम शुरू में धीरे-धीरे करना चाहिए और बाद में इसकी रफ्तार बढ़ाई जानी चाहिए। पूरक वरेचक करते समय पेट अवश्य क्रियाशील रहना चाहिए। यह प्राणायाम करने से मनुष्य का मोटापा कम होता है। मन की इच्छा बलवान होती है। इससे गले की सूजन ठीक होती है। इस प्राणायाम को करने से पेट के अंग मजबूत होकर सुचारु रूप से कार्य करते हैं और हमारी पाचन शक्ति भी बढ़ती है।

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प्रश्न 19.
सूर्य नमस्कार का अभ्यास कब और कैसे करना चाहिए?
उत्तर:
सूर्य उदय के समय सूर्य नमस्कार करना अति उत्तम होता है क्योंकि यह समय पूर्ण रूप से शांतिमय होता है। इसका अभ्यास खुली हवा या वातावरण में सूर्य की ओर मुख करके करना चाहिए। अभ्यास करते समय अपनी आँखों को बंद कर लेना चाहिए और अपने पैरों के बीच में थोड़ी-सी दूरी रखकर खड़े होना चाहिए। अपने शरीर का भार दोनों पैरों पर बराबर होना चाहिए और सूर्य की ओर कुछ देर हाथ जोड़कर नमस्कार करने के बाद, हाथों को पीछे की ओर करना चाहिए। शरीर पर हल्के कपड़े धारण होने चाहिएँ।

प्रश्न 20.
प्राण के विभिन्न प्रकार कौन-कौन-से हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
प्राण के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं
1. प्राण-यह गले से दिल तक है। इसी प्राण की शक्ति के साथ श्वास शरीर में नीचे जाता है।
2. अप्राण-नाभि से निचले भाग में प्राण को अप्राण कहते हैं। छोटी और बड़ी आंतड़ियों में यही प्राण होता है।
3. समाण-दिल और नाभि तक रहने वाली प्राण क्रिया को समाण कहते हैं। यह प्राण पाचन क्रिया और ऐड्रीनल ग्रंथि के कार्य करने की शक्ति को बढ़ाते हैं।
4. उदाण-गले से सिर तक रहने वाले प्राण को उदाण कहते हैं । आँख, कान, नाक, मस्तिष्क आदि अंगों का कार्य इसी के द्वारा होता है।
5. ध्यान-यह प्राण शरीर के सारे भागों में रहता है और शरीर के दूसरे प्राणों के साथ मेल करता है।

प्रश्न 21.
खिलाड़ियों के लिए योग किस प्रकार लाभदायक है?
अथवा
एक खिलाड़ी को योग किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर:
खिलाड़ियों के लिए योग निम्नलिखित प्रकार से लाभदायक है
(1) योग खिलाड़ियों को स्वस्थ एवं चुस्त रखने में सहायक होता है।
(2) योग से उनके शरीर में लचीलापन आ जाता है।
(3) योग से उनकी क्षमता एवं शक्ति में वृद्धि होती है।
(4) योग खिलाड़ियों के मानसिक तनाव को भी कम करने में सहायक होता है।
(5) योग खिलाड़ियों के मोटापे को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 22.
प्राणायाम के मुख्य चिकित्सीय प्रभाव बताइए।
उत्तर:
प्राणायाम के मुख्य चिकित्सीय प्रभाव निम्नलिखित हैं
(1) प्राणायाम से स्मरण-शक्ति बढ़ती है और मस्तिष्क की बीमारियाँ समाप्त होती हैं।
(2) इससे श्वास तथा गले की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
(3) इससे कफ़, वात व पित का संतुलन बना रहता है।
(4) यह पाचन-तंत्र की अनेक बीमारियों की रोकथाम में सहायता करता है।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
‘योग’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
अथवा
योग क्या है?
उत्तर:
‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की मूल धातु ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ है-जोड़ या एक होना। जोड़ या एक होने का अर्थ है व्यक्ति की आत्मा को ब्रह्मांड या परमात्मा की चेतना या सार्वभौमिक आत्मा के साथ जोड़ना। महर्षि पतंजलि (योग के पितामह) के अनुसार, ‘युज’ धातु का अर्थ है-ध्यान-केंद्रण या मन:स्थिति को स्थिर करना और आत्मा का परमात्मा से ऐक्य। साधारण शब्दों में, हम कह सकते हैं-योग व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से मिलन का नाम है। योग का अभ्यास मन को परमात्मा पर केंद्रित करता है। इस प्रकार से यह आत्मा को संपूर्ण शांति प्रदान करता है।

प्रश्न 2.
योग की कोई दो परिभाषाएँ दीजिए।
अथवा
योग को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1. महर्षि पतंजलि के अनुसार, “मनोवृत्ति के विरोध का नाम योग है।”
2. श्री याज्ञवल्क्य के अनुसार, “जीवात्मा से परमात्मा के मिलन को योग कहते हैं।”

प्रश्न 3.
योग के विभिन्न प्रकारों (शाखाओं) के नाम लिखें।
उत्तर:
(1) ज्ञान योग
(2) भक्ति योग
(3) अष्टांग योग
(4) कर्म योग
(5) राज योग
(6) हठ योग
(7) कुण्डली योग
(8) मंत्र योग
(9) सांख्य योग
(10) ध्यान योग आदि।

प्रश्न 4.
योग और प्राणायाम में क्या अंतर है?
उत्तर:
योग केवल शारीरिक व्यायामों की एक प्रणाली ही नहीं, बल्कि यह संपूर्ण और भरपूर जीवन जीने की कला भी है। यह शरीर और मन का मिलन है। जबकि प्राणायाम का अर्थ है-श्वास प्रक्रिया पर नियंत्रण करना, जिसका उपयोग ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता है। योग का क्षेत्र विस्तृत है। यह संपूर्ण शारीरिक प्रणालियों को प्रभावित करता है, जबकि प्राणायाम का क्षेत्र सीमित है। यह श्वसन प्रणाली को अधिक प्रभावित करता है।

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प्रश्न 5.
योग का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
योग का उद्देश्य आत्मा का परमात्मा से मिलाप करवाना है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर को नीरोग, फुर्तीला और छिपी हुई शक्तियों का विकास करने, मन को जीतना है। यह शरीर, मन तथा आत्मा की आवश्यकताएँ पूर्ण करने का एक अच्छा साधन है।

प्रश्न 6.
अष्टांग योग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अष्टांग योग का अर्थ है-योग के आठ पथ। वास्तव में योग के आठ पथ योग की आठ अवस्थाएँ होती हैं जिनका पालन करते हुए व्यक्ति की आत्मा या जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हो सकता है। महर्षि पतंजलि ने योग-सूत्र’ में जिन आठ अंगों का उल्लेख किया है, उन्हें ही अष्टांग योग कहा जाता है।

प्रश्न 7.
योग को पूर्ण तंदुरुस्ती का साधन क्यों माना जाता है?
उत्तर:
योगाभ्यास को पूर्ण तंदुरुस्ती का साधन माना जाता है, क्योंकि इस अभ्यास द्वारा जहाँ शारीरिक शक्ति या ऊर्जा पैदा होती है, वहीं मानसिक शक्ति का भी विकास होता है । इस अभ्यास द्वारा शरीर की आंतरिक सफाई और शुद्धि की जा सकती है। व्यक्ति मानसिक तौर पर संतुष्ट, संयमी और त्यागी हो जाता है जिस कारण वह सांसारिक उलझनों से बचा रहता है।

प्रश्न 8.
प्राणायाम का क्या अर्थ है?
अथवा
प्राणायाम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
प्राणायाम में दो शब्द हैं- प्राण व आयाम । प्राण का अर्थ है-श्वास और आयाम का अर्थ है-नियंत्रण व नियमन। इस प्रकार जिसके द्वारा श्वास के नियमन व नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है, उसे प्राणायाम कहते हैं अर्थात् साँस को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना ही प्राणायाम है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, “श्वास-प्रश्वास की स्वाभाविक गति को रोकना ही प्राणायाम है।”

प्रश्न 9.
आसन के कोई आठ भेद बताएँ। अथवा आसन के कोई चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(1) हलासन
(2) धनुरासन
(3) भुजंगासन
(4) ताड़ासन
(5) सिद्धासन
(6) वज्रासन
(7) शलभासन
(8) मयूरासन।

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प्रश्न 10.
लोग प्राणायाम क्यों करते हैं?
उत्तर:
योग में प्राणायाम का अर्थ है-श्वास प्रक्रिया पर नियंत्रण करना। प्राणायाम करने से शरीर से चिंता एवं तनाव दूर होता है। इससे व्यक्ति को मानसिक तनाव व चिंता नहीं रहती। इससे उनके शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है। इसलिए लोग प्राणायाम करते हैं।

प्रश्न 11.
प्राणायाम के शारीरिक मूल्य क्या हैं?
उत्तर:
प्राणायाम के मुख्य शारीरिक मूल्य हैं–प्राणायाम करने से शारीरिक कार्यकुशलता का विकास होता है। इससे मोटापा नियंत्रित होता है। इससे आँखों व चेहरे पर चमक आती है और शारीरिक मुद्रा (Posture) विकसित होती है।

प्रश्न 12.
प्राण क्या है?
उत्तर:
प्राण एक ऐसी शक्ति है जो जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्राण का अर्थ मस्तिष्क पर नियंत्रण है। मस्तिष्क प्राण की सहायता के बिना कार्य नहीं कर सकता।

प्रश्न 13.
योग के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:
(1) मानसिक व आत्मिक शांति व खुशी प्राप्त होना,
(2) शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य हेतु लाभदायक।

प्रश्न 14.
आसन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
अथवा
अष्टांग योग में आसन का क्या अर्थ है?
अथवा
आसन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जिस अवस्था में शरीर ठीक से बैठ सके, वह आसन है।आसन का अर्थ है-बैठना। योग की सिद्धि के लिए उचित आसन में बैठना बहुत आवश्यक है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, “स्थिर सुख आसनम्।” अर्थात् जिस रीति से हम स्थिरतापूर्वक, बिना हिले-डुले और सुख के साथ बैठ सकें, वह आसन है। ठीक मुद्रा में रहने से मन शांत रहता है।

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प्रश्न 15.
आसन एवं व्यायाम में अंतर बताइए।
उत्तर:
(1) आसन में सभी शारीरिक क्रियाएँ असक्रिय अवस्था (Passive Condition) में की जाती है; जबकि व्यायाम में सभी शारीरिक क्रियाएँ सक्रिय अवस्था (Active Condition) में की जाती है।
(2) आसन करने से आध्यात्मिक विकास में अधिक वृद्धि होती है लेकिन व्यायाम में शारीरिक विकास को अधिक बढ़ावा मिलता है।

प्रश्न 16.
प्राणायाम के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:
(1) प्राणायाम से गला, नाक और कान से संबंधित बीमारियों से आराम मिलता है।
(2) प्राणायाम से फेफड़ों की बीमारियाँ दूर होती हैं।

प्रश्न 17.
मोटापे को कम करने के लिए कोई चार आसनों के नाम बताइए।
उत्तर:
(1) त्रिकोणासन
(2) पद्मासन
(3) भुजंगासन
(4) पश्चिमोत्तानासन।

प्रश्न 18.
प्रत्याहार क्या है?
उत्तर:
प्रत्याहार से अभिप्राय ज्ञानेंद्रियों को अपने नियंत्रण में रखने से है। सामान्य शब्दों में, प्रत्याहार का अर्थ है ‘मुड़ना’ अर्थात् मन का सांसारिक इच्छाओं से मुड़ना और इच्छाओं पर नियंत्रण करना।

प्रश्न 19.
अष्टांग योग में समाधि क्या है?
उत्तर:
समाधि योग की वह अवस्था है जिसमें साधक को स्वयं का भाव नहीं रहता। वह पूर्ण रूप से अचेत अवस्था में होता है। इस अवस्था में वह उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जहाँ आत्मा व परमात्मा का मिलन होता है।

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प्रश्न 20.
समाधि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समाधि योग की सर्वोत्तम अवस्था है। यह सांसारिक दुःख-सुख से ऊपर की अवस्था है। समाधि योग की वह अवस्था है जिसमें साधक को स्वयं का भाव नहीं रहता। वह पूर्ण रूप से अचेत अवस्था में होता है। इस अवस्था में वह उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जहाँ आत्मा व परमात्मा का मिलन होता है। प्राचीनकाल में ऋषि-मुनि काफी लम्बे समय तक समाधि में बैठते थे। इस विधि द्वारा हम दिमाग पर पूरी तरह अपना नियंत्रण कर सकते हैं।

प्रश्न 21.
प्राणायाम के प्रमुख प्रकार क्या हैं?
अथवा
किन्हीं चार प्राणायाम के नाम लिखें।
उत्तर:
(1) सूर्यभेदी प्राणायाम,
(2) उज्जई प्राणायाम,
(3) शीतकारी प्राणायाम,
(4) शीतली प्राणायाम,
(5) भस्त्रिका प्राणायाम,
(6) भ्रामरी प्राणायाम,
(7) नाड़ी-शोधन प्राणायाम,
(8) कपालभाती प्राणायाम आदि।

प्रश्न 22.
धारणा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अपने मन के निश्चल भाव को धारणा कहते हैं। अष्टांग योग में ‘धारणा’ का बहुत महत्त्व है। धारणा का अर्थ मन को किसी इच्छित विषय में लगाना है। धारणा की स्थिति में हमारा मस्तिष्क बिल्कुल शांत होता है। इस प्रकार ध्यान लगाने से व्यक्ति में एक महान् शक्ति उत्पन्न हो जाती है, साथ ही उसके मन की इच्छा भी पूरी हो जाती है।

प्रश्न 23.
शीतली प्राणायाम के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) यह रक्त को शुद्ध रखने में सहायक होता है,
(2) यह तनाव को कम करता है।

प्रश्न 24.
भ्रामरी प्राणायाम के दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) यह शिथिलता दूर करने में सहायता करता है,
(2) इससे स्मरण-शक्ति बढ़ती है।

प्रश्न 25.
पश्चिमोत्तानासन के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:
(1) इससे रीढ़ की हड्डी में लचक आती है,
(2) इससे मोटापा घटता है।

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प्रश्न 26.
शलभासन के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:
(1) शलभासन से रक्त संचार क्रिया सही रहती है,
(2) इससे रीढ़ की हड्डी में लचक आती है।

प्रश्न 27.
ताड़ासन के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) ताड़ासन से शरीर का मोटापा कम होता है,
(2) इससे कब्ज दूर होती है।

प्रश्न 28.
सर्वांगासन के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) सर्वांगासन से कब्ज दूर होती है,
(2) इससे भूख बढ़ती है और पाचन क्रिया ठीक रहती है।

प्रश्न 29.
शीर्षासन के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर:
(1) शीर्षासन से मोटापा कम होता है,
(2) इससे स्मरण-शक्ति बढ़ती है।

प्रश्न 30.
मयूरासन के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:
(1) यह कब्ज एवं अपच को दूर करता है,
(2) यह आँखों के दोषों को दूर करने में उपयोगी होता है।

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प्रश्न 31.
सिद्धासन के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:
(1) इससे मन एकाग्र रहता है,
(2) यह मानसिक तनाव को दूर करता है।

प्रश्न 32.
मत्स्यासन के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:
(1) इससे माँसपेशियों में लचकता बढ़ती है,
(2) इससे पीठ की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।

प्रश्न 33.
भुजंगासन के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:
(1) यह रीढ़ की हड्डी में लचक बढ़ाता है,
(2) यह रक्त संचार को तेज करता है।

प्रश्न 34.
सूर्य नमस्कार के मुख्य लाभ बताएँ।
उत्तर:
(1) सूर्य नमस्कार से मन शांत होता है,
(2) इससे सभी शारीरिक संस्थान संतुलित हो जाते हैं,
(3) इससे शरीर की माँसपेशियों व हड्डियों में लचीलापन आता है,
(4) इससे शरीर में प्राण ऊर्जा का संचार होता है।

प्रश्न 35.
सूर्य नमस्कार की दो स्थितियाँ बताइए।
उत्तर:
(1) दोनों हाथ और पैर जोड़कर नमस्कार की मुद्रा में सीधे खड़े होना।
(2) साँस छोड़ते हुए दोनों हाथों से जमीन को स्पर्श करना।

प्रश्न 36.
अष्टांग योग के तत्त्वों या भागों को सूचीबद्ध कीजिए।
अथवा
योग के अंगों के बारे में बताएँ।
उत्तर:
महर्षि पतंजलि ने ‘योग-सूत्र’ में योग के आठ तत्त्वों या अंगों का वर्णन किया है जिन्हें अष्टांग या आठ पथ कहा जाता है; जैसे-
(1) यम (Forbearance),
(2) नियम (Observance),
(3) आसन (Posture),
(4) प्राणायाम (Control of Breath),
(5) प्रत्याहार (Restraint of the Senses),
(6) धारणा (Steading of the Mind),
(7) ध्यान (Contemptation),
(8) समाधि (Trance)।

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प्रश्न 37.
ध्यान प्राण क्या है?
उत्तर:
ध्यान प्राण शरीर के सारे भागों में रहता है और शरीर के दूसरे प्राणों के साथ मेल करता है। शरीर के हिलने-डुलने पर इसका नियंत्रण होता है।

प्रश्न 38.
समाण किसे कहते हैं?
उत्तर:
दिल और नाभि तक रहने वाली प्राण क्रिया को समाण कहते हैं । यह प्राण पाचन क्रिया और ऐड्रीनल ग्रंथि की शक्ति को बढ़ाता है।

प्रश्न 39.
उदाण किसे कहते हैं? उत्तर:गले से सिर तक रहने वाले प्राण को उदाण कहते हैं। आँख, कान, नाक, मस्तिष्क आदि अंगों का कार्य इसी के द्वारा होता है।

HBSE 12th Class Physical Education योग शिक्षा Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

भाग-I: एक शब्द वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
‘योग’ शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई?
उत्तर:
‘योग’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई।

प्रश्न 2.
भारत में योग का इतिहास कितना पुराना है?
उत्तर:
भारत में योग का इतिहास लगभग 3000 ईसा पूर्व पुराना है।

प्रश्न 3.
प्रसिद्ध महर्षि पतंजलि ने योग की कितनी अवस्थाओं का वर्णन किया है?
अथवा
पतंजलि ने योग के कितने सोपान बताए हैं?
उत्तर:
प्रसिद्ध महर्षि पतंजलि ने योग की आठ अवस्थाओं/सोपानों का वर्णन किया है।

प्रश्न 4. किस आसन से स्मरण शक्ति बढ़ती है?
उत्तर:
शीर्षासन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

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प्रश्न 5.
अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखने को क्या कहते हैं?
उत्तर:
अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखने को प्रत्याहार कहते हैं।

प्रश्न 6.
प्राण के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
प्राण के पाँच प्रकार होते हैं।

प्रश्न 7.
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है।

प्रश्न 8.
‘वज्रासन’ कब करना चाहिए?
उत्तर:
वज्रासन भोजन करने के बाद करना चाहिए।

प्रश्न 9.
योग का जन्मदाता किस देश को माना जाता है?
उत्तर:
योग का जन्मदाता भारत को माना जाता है।

प्रश्न 10.
मधुमेह रोग को ठीक करने वाले कोई दो आसनों के नाम बताइए।
उत्तर:
(1) शलभासन,
(2) वज्रासन।

प्रश्न 11.
छोटी व बड़ी आँत में कौन-सा प्राण होता है?
उत्तर:
छोटी व बड़ी आँत में अप्राण होता है।

प्रश्न 12.
किस आसन से बुढ़ापा दूर होता है?
उत्तर:
चक्रासन से बुढ़ापा दूर होता है।

प्रश्न 13.
दिल तथा नाभि तक रहने वाले प्राण को क्या कहते हैं?
उत्तर:
दिल तथा नाभि तक रहने वाले प्राण को समाण कहते हैं।

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प्रश्न 14.
गले से सिर तक रहने वाले प्राण को क्या कहते हैं?
उत्तर:
गले से सिर तक रहने वाले प्राण को उदाण कहते हैं।

प्रश्न 15.
‘प्राणायाम’ किस भाषा का शब्द है?
उत्तर:
‘प्राणायाम’ संस्कृत भाषा का शब्द है।

प्रश्न 16.
प्राणायाम की तीन अवस्थाओं के नाम बताएँ।
अथवा
‘प्राणायाम’ के तीन स्तर क्या हैं?
अथवा
प्राणायाम की कितनी अवस्थाएँ हैं?
उत्तर:
प्राणायाम की तीन अवस्थाएँ या स्तर हैं-
(1) पूरक,
(2) रेचक,
(3) कुम्भक।

प्रश्न 17.
किस प्राणायाम से मोटापा घटता है?
उत्तर:
भस्त्रिका प्राणायाम से मोटापा घटता है।

प्रश्न 18.
यौगिक व्यायाम करने के लिए कैसा स्थान होना चाहिए?
उत्तर:
यौगिक व्यायाम करने के लिए एकांत, हवादार और स्वच्छ स्थान होना चाहिए।

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प्रश्न 19.
योग क्रिया का रक्त पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
रक्त तीव्र एवं सुचारु रूप से प्रवाहित होता है।

प्रश्न 20.
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कब मनाया गया?
उत्तर:
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को मनाया गया।

प्रश्न 21.
नाड़ी-शोधन प्राणायाम के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:
(1) यह नाड़ियों के स्वास्थ्य हेतु लाभदायक होता है,
(2) इससे रक्त संचार सही रहता है।

प्रश्न 22.
भुजंगासन का कोई एक लाभ लिखें।
उत्तर:
यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।

प्रश्न 23.
रेचक क्या है?
उत्तर:
श्वास को बाहर निकालने की क्रिया को रेचक कहते हैं।

प्रश्न 24.
पूरक क्या है?
उत्तर:
श्वास को अंदर खींचने की क्रिया को पूरक कहते हैं।

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प्रश्न 25.
कुम्भक क्या है?
उत्तर:
श्वास को अंदर खींचकर कुछ समय तक अंदर ही रोकने की क्रिया को कुम्भक कहते हैं।

प्रश्न 26.
भगवान् श्रीकृष्ण ने योग के बारे में क्या कहा?
उत्तर:
भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा-“योग कर्मसु कौशलम्” अर्थात् कर्म को कुशलतापूर्वक करना ही योग है।

प्रश्न 27.
“मनोवृत्ति के विरोध का नाम योग है।” यह किसका कथन है?
उत्तर:
यह कथन महर्षि पतंजलि का है।

प्रश्न 28.
‘युज’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
युज का अर्थ है-जोड़ या एक होना।

प्रश्न 29.
नियम कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
नियम पाँच प्रकार के होते हैं।

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प्रश्न 30.
पेट के बल किए जाने वाले आसन का नाम बताइए।
उत्तर:
पेट के बल किए जाने वाले आसन का नाम धनुरासन है।

प्रश्न 31.
क्या योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है?
उत्तर:
हाँ, योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का कार्य होता है।

प्रश्न 32.
प्राणायाम को किसकी आत्मा कहा जाता है?
उत्तर:
प्राणायाम को योग की आत्मा कहा जाता है।

प्रश्न 33.
“योग समाधि है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन महर्षि वेदव्यास ने कहा।

प्रश्न 34.
यम के अभ्यास द्वारा व्यक्ति क्या सीखता है?
उत्तर:
यम का अभ्यास व्यक्ति को अहिंसा, सच्चाई, चोरी न करना, पवित्रता और त्याग करना सिखाता है।

प्रश्न 35.
नियम क्या सिखाता है?
उत्तर:
नियम द्वारा शरीर और मन की शुद्धि, संतोष, दृढ़ता और परमात्मा की आराधना करने का ढंग सीखा जाता है।

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प्रश्न 36.
कौन-सा प्राण पाचन क्रिया और ऐड्रीनल ग्रंथि के कार्य करने की शक्ति को बढ़ाता है?
उत्तर:
समाण पाचन क्रिया और ऐड्रीनल ग्रंथि के कार्य करने की शक्ति को बढ़ाता है।

प्रश्न 37.
शरीर के सभी भागों में पाया जाने वाला प्राण कौन-सा है?
उत्तर:
शरीर के सभी भागों में पाया जाने वाला प्राण ध्यान है।

प्रश्न 38.
आँख, कान, नाक, मस्तिष्क आदि अंगों के कार्य किस प्राण के कारण होते हैं?
उत्तर:
आँख, कान, नाक, मस्तिष्क आदि अंगों के कार्य उदाण के कारण होते हैं।

प्रश्न 39.
कौन-सा प्राणायाम रक्त को शुद्ध करने में सहायक होता है?
उत्तर:
शीतली प्राणायाम रक्त को शुद्ध करने में सहायक होता है।

प्रश्न 40.
मस्तिष्क की पूर्ण एकाग्रता क्या कहलाती है?
उत्तर:
मस्तिष्क की पूर्ण एकाग्रता ध्यान कहलाती है।।

प्रश्न 41.
योग से कब्ज दूर होती है। इसका संबंध किस प्रणाली से है?
उत्तर:
योग से कब्ज दूर होती है। इसका संबंध पाचन प्रणाली से है।

प्रश्न 42.
“योग आध्यात्मिक कामधेनु है।” योग की यह परिभाषा किसने दी?
उत्तर:
यह परिभाषा डॉ० संपूर्णानंद ने दी।

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प्रश्न 43.
“योग मस्तिष्क को शांत करने का अभ्यास है” यह किसने कहा?
उत्तर:
यह महर्षि पतंजलि ने कहा।

प्रश्न 44.
गरुढ़ासन का कोई एक लाभ बताएँ।
उत्तर:
यह आसन टाँगों व बाजुओं की थकावट दूर करने में सहायक होता है।

प्रश्न 45.
योग अभ्यास कब करना चाहिए?
उत्तर:
योग अभ्यास शौच के पश्चात् और सुबह खाना खाने से पहले करना चाहिए।

प्रश्न 46.
भारतीय व्यायाम की प्राचीन विधा कौन-सी है?
उत्तर:
भारतीय व्यायाम की प्राचीन विधा योग है।

प्रश्न 47.
योग व्यक्ति को किस प्रकार का बनाता है?
उत्तर:
योग व्यक्ति को शक्तिशाली, नीरोग और बुद्धिमान बनाता है।

प्रश्न 48.
योग किन मानसिक व्याधाओं या रोगों का इलाज है?
उत्तर:
योग तनाव, चिन्ताओं और परेशानियों का इलाज है।

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प्रश्न 49.
योग आसन कब नहीं करना चाहिए?
उत्तर:
किसी बीमारी की स्थिति में योग आसन नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 50.
नियम क्या है?
उत्तर:
नियम से अभिप्राय व्यक्ति द्वारा समाज स्वीकृत नियमों के अनुसार ही आचरण करना है।

प्रश्न 51.
शीर्षासन में शरीर की स्थिति कैसी होती है?
उत्तर:
शीर्षासन में सिर नीचे और पैर ऊपर की ओर सीधे होने चाहिएँ।

प्रश्न 52.
शवासन कब करना चाहिए?
उत्तर:
प्रत्येक आसन करने के उपरान्त शरीर को ढीला करने के लिए शवासन करना चाहिए।

प्रश्न 53.
राज योग, अष्टांग योग, कर्म योग क्या हैं?
उत्तर:
ये योग के प्रकार हैं।

प्रश्न 54.
‘योग-सूत्र’ पुस्तक किसने लिखी?
उत्तर:
महर्षि पतंजलि ने।

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प्रश्न 55.
योग किन शक्तियों का विकास करता है?
उत्तर:
योग व्यक्तियों में मौजूदा आंतरिक शक्तियों का विकास करता है।

प्रश्न 56.
योग किसका मिश्रण है?
उत्तर:
योग धर्म, दर्शन, मनोविज्ञान और शारीरिक सभ्यता का मिश्रण है।

प्रश्न 57.
योग का लक्ष्य लिखें।
उत्तर:
योग का लक्ष्य स्वास्थ्य में सुधार करना और मोक्ष प्राप्त करना है।

प्रश्न 58.
21 जून, 2020 में कौन-सा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया?
उत्तर:
21 जून, 2020 में छठा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।

प्रश्न 59.
21 जून, 2022 में कौन-सा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा?
उत्तर:
21 जून, 2022 में आठवाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा।

प्रश्न 60.
योग किन मानसिक व्यधाओं या रोगों का इलाज है?
उत्तर:
योग तनाव, चिन्ताओं और परेशानियों का इलाज है।

प्रश्न 61.
शवासन में शरीर की स्थिति कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
शवासन में पीठ के बल सीधा लेटकर शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ना चाहिए।

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प्रश्न 62.
पद्मासन में कैसे बैठा जाता है?
उत्तर:
पद्मासन में टाँगों की चौकड़ी लगाकर बैठा जाता है।

प्रश्न 63.
ताड़ासन में शरीर की स्थिति कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
ताड़ासन में शरीर की स्थिति ताड़ के वृक्ष जैसी होनी चाहिए।

भाग-II: सही विकल्प का चयन करें

1. ‘योग’ शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई?
(A) संस्कृत से
(B) लैटिन से
(C) फारसी से
(D) उर्दू से
उत्तर:
(A) संस्कृत से

2. ‘योग’ शब्द का उद्भव हुआ
(A) ‘युग’ शब्द से
(B) ‘योग’ शब्द से
(C) ‘योज’ शब्द से
(D) ‘युज’ शब्द से
उत्तर:
(D) ‘युज’ शब्द से

3. ‘युज’ का क्या अर्थ है?
(A) जुड़ना
(B) एक होना
(C) मिलन अथवा संयोग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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4. निम्नलिखित में से प्राण क्या है?
(A) मस्तिष्क पर नियंत्रण
(B) साँस पर नियंत्रण
(C) शरीर पर नियंत्रण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) मस्तिष्क पर नियंत्रण

5. निम्नलिखित में से प्राणायाम का अर्थ है
(A) मस्तिष्क पर नियंत्रण
(B) श्वास प्रक्रिया पर नियंत्रण
(C) शरीर पर नियंत्रण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) श्वास प्रक्रिया पर नियंत्रण

6. “मनोवृत्ति के विरोध का नाम ही योग है।” यह परिभाषा दी
(A) महर्षि पतंजलि ने
(B) महर्षि वेदव्यास ने
(C) भगवान् श्रीकृष्ण ने
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) महर्षि पतंजलि ने

7. प्रसिद्ध महर्षि पतंजलि ने योग की कितनी अवस्थाओं (सोपानों) का उल्लेख किया है?
(A) पाँच
(B) आठ
(C) सात
(D) चार
उत्तर:
(B) आठ

8. योग का जन्मदाता देश है
(A) अमेरिका
(B) चीन
(C) इंग्लैंड
(D) भारत
उत्तर:
(D) भारत

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9. भारत में योग का इतिहास कितना पुराना है?
(A) लगभग 3600 ईसा पूर्व
(B) लगभग 2400 ईसा पूर्व
(C) लगभग 3000 ईसा पूर्व
(D) लगभग 3400 ईसा पूर्व
उत्तर:
(C) लगभग 3000 ईसा पूर्व

10. श्वास पर नियंत्रण रखने की प्रक्रिया को कहते हैं
(A) योग
(B) प्राणायाम
(C) उदाण
(D) सप्राण
उत्तर:
(B) प्राणायाम

11. शरीर में ठीक ढंग से रक्त प्रवाह कौन-सी प्रणाली से होता है?
(A) रक्त संचार प्रणाली से
(B) पाचन प्रणाली से
(C) श्वास प्रणाली से
(D) माँसपेशी प्रणाली से
उत्तर:
(A) रक्त संचार प्रणाली से

12. योग आत्मा कहा जाता है
(A) योग को
(B) प्राणायाम को
(C) प्राण को
(D) व्यायाम को
उत्तर:
(B) प्राणायाम को

13. प्राणायाम के भाग या चरण हैं
(A) पूरक
(B) कुम्भक
(C) रेचक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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14. श्वास को अंदर खींचने की क्रिया को कहते हैं
(A) पूरक
(B) कुम्भक
(C) रेचक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) पूरक

15. श्वास को अंदर खींचने के कुछ समय पश्चात् श्वास को अंदर ही रोकने की क्रिया को कहते हैं
(A) पूरक
(B) कुम्भक
(C) रेचक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) कुम्भक

16. श्वास को बाहर निकालने की क्रिया को कहते हैं
(A) पूरक
(B) कुम्भक
(C) रेचक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) रेचक

17. नाभि से निचले भाग में प्राण को कहते हैं
(A) अप्राण
(B) समाण
(C) उदाण
(D) ध्यान
उत्तर:
(A) अप्राण

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18. निम्नलिखित में से योग के प्रकार हैं
(A) अष्टांग योग व राज योग
(B) हठ योग व कर्म योग
(C) कुण्डली योग व सोम योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

19. कौन-सा प्राण पाचन क्रिया और ऐडीनल ग्रंथि के कार्य करने की शक्ति को बढ़ाता है?
(A) समाण
(B) उदाण
(C) अप्राण
(D) प्राण
उत्तर:
(A) समाण

20. गले से दिल तक को क्या कहते हैं?
(A) प्राण
(B) अप्राण
(C) समाण
(D) उदाण
उत्तर:
(A) प्राण

21. भगवद्गीता के अनुसार योग की परिभाषा है
(A) तमसो मा ज्योतिर्गमय
(B) योग-कर्मसु कौशलम्
(C) सत्यमेव जयते
(D) अहिंसा परमोधर्म
उत्तर:
(B) योग-कर्मसु कौशलम्

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22. किस प्राणायाम से मोटापा कम होता है?
(A) नाड़ी-शोधन प्राणायाम से
(B) भस्त्रिका प्राणायाम से
(C) शीतकारी प्राणायाम से
(D) कपालभाती प्राणायाम से
उत्तर:
(B) भस्त्रिका प्राणायाम से

23. सूर्यभेदी प्राणायाम लाभदायक है
(A) शरीर के सैलों को शुद्ध करने में
(B) शरीर में गर्मी बढ़ाने में
(C) आंतड़ियों के रोग दूर करने में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

24. छोटी और बड़ी आँतड़ियों में कौन-सा प्राण होता है?
(A) अप्राण
(B) उदाण
(C) समाण
(D) प्राण
उत्तर:
(A) अप्राण

25. शरीर के सभी भागों में पाया जाने वाला प्राण है
(A) उदाण
(B) ध्यान
(C) समाण
(D) अप्राण
उत्तर:
(B) ध्यान

26. आँख, कान, नाक, मस्तिष्क आदि अंगों के कार्य किस प्राण के कारण होते हैं?
(A) ध्यान
(B) उदाण
(C) समाण
(D) अप्राण
उत्तर:
(B) उदाण

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27. “योग समाधि है।” यह कथन है
(A) महर्षि वेदव्यास का
(B) महर्षि पतंजलि का
(C) भगवान् श्रीकृष्ण का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) महर्षि वेदव्यास का

28. आसन का अर्थ है
(A) श्वास लेने की प्रक्रिया
(B) शरीर की स्थिति
(C) मन की एकाग्रता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) शरीर की स्थिति

29. मस्तिष्क की पूर्ण एकाग्रता क्या कहलाती है?
(A) नियम
(B) धारणा
(C) ध्यान
(D) प्रत्याहार
उत्तर:
(C) ध्यान

30. यम कितने प्रकार के होते हैं?
(A) 4
(B) 3
(C) 5
(D) 2
उत्तर:
(C)5

31. अष्टांग योग का प्रथम अंग है-
(A) यम
(B) नियम
(C) आसन
(D) धारणा
उत्तर:
(A) यम

32. “योग मस्तिष्क को शांत करने का अभ्यास है।” यह किसने कहा? ।
(A) महर्षि वेदव्यास ने
(B) महर्षि पतंजलि ने
(C) भगवान श्रीकृष्ण ने
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) महर्षि पतंजलि ने

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33. परम चेतना या दिव्य मन में पूरी तरह से लीन होना कहलाती है-
(A) धारणा
(B) समाधि
(C) यम
(D) प्राणायाम
उत्तर:
(B) समाधि

34. किसके सतत् अभ्यास से तन एवं मन दोनों को रूपांतरित किया जा सकता है?
(A) योग के
(B) आसन के
(C) प्राण के
(D) प्राणायाम के
उत्तर:
(A) योग के

35. 21 जून, 2021 को कौन-सा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया?
(A) छठा
(B) चौथा
(C) पाँचवाँ
(D) सातवाँ
उत्तर:
(D) सातवाँ

36. “योग चितवृत्ति निरोध है।” यह किसका कथन है?
(A) पतंजलि का
(B) श्रीवेदव्यास का
(C) आगम का
(D) स्वामी रामदेव का
उत्तर:
(A) पतंजलि का

37. निम्नलिखित में से कौन-सा यम नहीं है?
(A) अहिंसा
(B) तप
(C) सत्य
(D) अस्तेय
उत्तर:
(B) तप

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38. निम्नलिखित में से कौन-सा अंग अष्टांग योग का नहीं है?
(A) यम’
(B) नियम
(C) प्रत्याहार
(D) परमात्मा
उत्तर:
(D) परमात्मा

39. निम्नलिखित में से कौन-सा उदाहरण नियम का नहीं है?
(A) शौच
(B) तप
(C) सत्य
(D) सन्तोष
उत्तर:
(C) सत्य

भाग-III: रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. योग का जन्मदाता देश ……………….. को माना जाता है।
2. ……………….. को योग का पितामह माना जाता है।
3. योग हमेशा ……………….. जगह पर करना चाहिए।
4. प्राणायाम की ……………….. अवस्थाएँ होती हैं।
5. दिल से नाभि तक रहने वाली प्राण क्रिया को ……………. कहते हैं।
6. गले से सिर तक रहने वाले प्राण को ……………….. कहते हैं।
7. श्वास पर नियंत्रण रखने वाली क्रिया को ……………….. कहते हैं।
8. राज योग, अष्टांग योग, कर्म योग, ……………….. के प्रकार हैं।
9. साँस को अंदर खींचने के बाद उसे वहीं रोकने की क्रिया को ……………….. कहते हैं।
10. ………………… आसन करने से मधुमेह रोग नहीं होता।
11. अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रखने को ……………….. कहते हैं।
12. अष्टांग योग की रचना ……………….. द्वारा की गई।
13. अभ्यास करते समय श्वास ……………….. से लेना चाहिए।
14. अष्टांग योग में अपने मन को पूरी तरह से नियंत्रण में रखना ……………….. कहलाता है।
15. ……………….. धर्म, दर्शन, मनोविज्ञान और शारीरिक सभ्यता का मिश्रण है।।
उत्तर:
1. भारत
2. महर्षि पतंजलि
3. साफ-सुथरी एवं हवादार
4. तीन
5. समाण
6. उदाण
7: प्राणायाम
8. योग
9. कुम्भक
10. शलभ
11. प्रत्याहार
12. महर्षि पतंजलि
13. नाक
14. धारणा
15. योग।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 7 योग शिक्षा

योग शिक्षा Summary

योग शिक्षा परिचय

योग का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि भारत का इतिहास। इस बारे में अभी तक ठीक तरह से पता नहीं लग सका कि योग कब शुरू हुआ? परंतु योग भारत की ही देन है। सिंधु घाटी में मोहनजोदड़ो की खुदाई से पता चलता है कि 3000 ईसा पूर्व में इस घाटी के लोग योग का अभ्यास करते थे। महर्षि पतंजलि द्वारा योग पर प्रथम पुस्तक ‘योग-सूत्र’ लिखी गई, जिसमें उन्होंने योग की अवस्थाओं एवं प्रकारों का विस्तृत उल्लेख किया है। योग के आदि गुरु महर्षि पतंजलि को माना जाता है। महर्षि पतंजलि के अनुसार, “योग: चित्तवृति निरोधः”अर्थात् “मनोवृत्ति के विरोध का नाम ही योग है।” भारत के मध्यकालीन युग में कई योगियों ने योग के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। आज भी अनेक महा-पुरुष योग को संपूर्ण विश्व में फैलाने हेतु निरंतर प्रयास कर रहे हैं।
HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 7 योग शिक्षा 1

महर्षि पतंजलि हमारे जीवन में शारीरिक तंदुरुस्ती का अपना विशेष महत्त्व है। शरीर को स्वस्थ एवं नीरोग रखने में योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग एक ऐसी विधा है, जो शरीर तथा दिमाग पर नियंत्रण रखती है। वास्तव में योग शब्द संस्कृत भाषा के ‘युज’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है- जोड़ या मेल। योग वह क्रिया है जिसमें जीवात्मा का परमात्मा से मेल होता है। भारतीय संस्कृति, साहित्य तथा हस्तलिपि के अनुसार, योग जीवन के दर्शनशास्त्र के बहुत नजदीक है। बी०के०एस० आयंगर के अनुसार, “योग वह प्रकाश है जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता। जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे, लौ उतनी ही उज्ज्वल होगी।”

योग का उद्देश्य जीवात्मा का परमात्मा से मिलाप करवाना है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर को नीरोग, फुर्तीला, जोशीला, लचकदार और विशिष्ट क्षमताओं या शक्तियों का विकास करके मन को जीतना है। यह ईश्वर के सम्मुख संपूर्ण समर्पण हेतु मन को तैयार करता है।

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HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 7 मद्यपान, धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव

Haryana State Board HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 7 मद्यपान, धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Physical Education Solutions Chapter 7 मद्यपान, धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव

HBSE 9th Class Physical Education मद्यपान, धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
नशे (Drugs) क्या हैं? नशा करने के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
नशा या ड्रग्स (Drugs):
नशा या ड्रग्स एक ऐसा पदार्थ है जिसके सेवन के बाद व्यक्ति अपने दिमाग की चेतनता खो बैठता है। माँसपेशियाँ सुन्न होने के कारण व्यक्ति को दर्द का अहसास नहीं होता। वह दिमाग और शरीर से अपना नियंत्रण खो बैठता है। व्यक्ति को कोई सुध नहीं रहती, जिसके कारण वह स्वयं, अपने परिवार तथा समाज के लोगों को नुकसान पहुंचाता है।

नशा करने के कारण (Causes of Drugs): नशा करने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(1) मानसिक दबाव के कारण; जैसे पढ़ाई का बोझ, किसी समस्या का सामना न कर पाने की स्थिति में कई बार युवा डिप्रेशन में चले जाते हैं, ऐसी स्थिति में वे नशे का सहारा लेते हैं।

(2) कई बार माता-पिता या समाज द्वारा विद्यार्थी या खिलाड़ी को अनदेखा किया जाता है। बच्चे या खिलाड़ी को लगता है कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा, इसलिए वह दूसरों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ऐसे गलत तरीकों का प्रयोग करते हैं।

(3) कुछ अभिभावकों द्वारा बच्चे को समय नहीं दिया जाता या बच्चा घर में अधिक समय अकेला ही बिताता है। इस एकाकीपन को दूर करने के लिए वह नशे का सहारा लेता है।

(4) बेरोज़गारी या बेगारी के कारण व्यक्ति द्वारा नशा किया जाता है। कई बार जब किसी अधिक पढ़े-लिखे नौजवान या खिलाड़ी को समय पर नौकरी नहीं मिलती तो वह निराशा व तनाव से ग्रस्त हो जाता है और अपने तनाव को घटाने के लिए नशों का प्रयोग करने लग जाता है। इससे उसके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

(5) युवा वर्ग नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी के अभाव के कारण भी नशे का आदी हो जाता है।

(6) युवा लड़के और लड़कियाँ मौज-मस्ती के लिए भी नशीली दवाइयों का प्रयोग करते हैं। धीरे-धीरे वे इन नशीली दवाइयों के आदी होने लगते हैं।

(7) गलत संगत के कारण भी व्यक्ति या नौजवान नशे के आदी हो जाते हैं।

(8) घर में किसी सदस्य द्वारा किसी नशे का प्रयोग किया जाता है तो बच्चे में भी उसको जानने की इच्छा पैदा होती है। इसी इच्छा के कारण बच्चे नशे का सेवन करते हैं और धीरे-धीरे वे नशे की जकड़ में आ जाते हैं।

प्रश्न 2.
नशीली वस्तुओं या पदार्थों का खिलाड़ी की खेल निपुणता या कुशलता पर क्या प्रभाव पड़ता है? वर्णन करें।
अथवा
नशीले पदार्थों के प्रयोग से खिलाड़ियों तथा खेल पर क्या-क्या बुरे प्रभाव पड़ते हैं?
अथवा
मादक पदार्थों का खिलाड़ियों के खेल पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
नशीली वस्तुओं के खिलाड़ी की खेल निपुणता या कुशलता पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं

1. पाचन क्रिया पर प्रभाव (Effect on Digestion Process):
नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण पाचन क्रिया पर अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है क्योंकि नशीले पदार्थों में तेजाबी अंश अधिक होते हैं। इन अंशों के कारण आमाशय के कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है तथा पेट के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

2. सोचने की शक्ति पर प्रभाव (Effect on Thinking Power):
नशीली वस्तुओं का प्रयोग करने से खिलाड़ी की विचार-शक्ति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। वह अच्छी तरह बोलने की अपेक्षा तुतलाता है। वह संतुलित नहीं रह पाता। नशा-ग्रस्त कोई खिलाड़ी खेल में आने वाली अच्छी बातों के विषय में नहीं सोच पाता तथा न ही उस स्थिति से लाभ उठा पाता है।

3. तालमेल तथा फूर्ति की कमी (Loss of Co-ordination and Alertness):
अच्छे खेल के लिए आवश्यक है कि खिलाड़ी में तालमेल और फूर्ति हो। वह खेल के दौरान फुर्तीला तथा चुस्ती वाला हो, परंतु नशीले पदार्थों के सेवन से कोई भी अपनी फूर्ति एवं चुस्ती खो देता है।

4. एकाग्रता की कमी (Loss of Concentration):
नशे से ग्रस्त कोई भी खिलाड़ी एकाग्रता खो देता है। वह खेल के समय ऐसी गलतियाँ करता है जिसके परिणामस्वरूप उसकी टीम को हार का मुँह देखना पड़ता है।

5. लापरवाह होना (Carelessness):
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी लापरवाह तथा बेफिक्र होता है। उसे अपनी ताकत का अंदाजा नहीं होता। वह अपनी समझ की अपेक्षा अधिक जोश से काम लेता है। परिणामस्वरूप जोश व लापरवाही के कारण वह चोट खा बैठता है। ऐसा खिलाड़ी हमेशा के लिए खेल से बाहर हो सकता है। उसको उम्र भर पछताने के सिवाय कुछ भी प्राप्त नहीं होता।

6. खेल का मैदान लड़ाई का अखाड़ा बनना (Playground becomes Battlefield):
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी अपने मन के संतुलन को नियंत्रण में नहीं रख सकता। वह अपनी बुद्धि का प्रयोग किए बिना व्यर्थ में बहस करता है। ऐसा व्यक्ति दलील से काम नहीं लेता, जिसके फलस्वरूप खेल के मैदान में अच्छे खेल की जगह लड़ाई शुरू हो जाती है।

7.खेल-भावना का अभाव (Lack of Sportsmanship):
नशीले पदार्थों का प्रयोग करने वाले खिलाड़ी में खेल की भावना का अभाव हो जाता है। नशे से ग्रस्त खिलाड़ी की स्थिति लगभग बेहोशी की हालत जैसी होती है जिसके फलस्वरूप उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं रहता। इस प्रकार उसमें अच्छे खिलाड़ी होने की भावना समाप्त हो जाती है और खेल कुशलता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

8. नियमों की उल्लंघना (Breaking of Rules):
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी खेल के समय अपनी सफाई ही पेश करता है, दूसरे की नहीं सुनता। वह नियमों का पालन करने की अपेक्षा उल्लंघन करता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी की ओर से नशीली वस्तु खाकर खेलने की मनाही है। यदि खेलते समय कोई खिलाड़ी नशे की हालत में पकड़ा जाए तो उसका जीता हुआ अवॉर्ड वापिस ले लिया जाता है। अतः प्रत्येक खिलाड़ी के लिए यह जरूरी है कि वह नशे से दूर रहकर अपनी प्राकृतिक खेल निपुणता को सक्षम बनाए। नशे के स्थान पर कठिन परिश्रम के सहारे अच्छे खेल का प्रदर्शन करके वह अपने देश का नाम खेल जगत् में ऊँचा करे।

प्रश्न 3.
तम्बाकू के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का वर्णन कीजिए। अथवा धूम्रपान (Smoking) का व्यक्ति व समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है? वर्णन करें।
अथवा
तम्बाकू का हमारे शरीर पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? वर्णन करें।
उत्तर:
तम्बाकू किसी ज़हर से कम नहीं होता, परंतु दुःख की बात यह है कि लोग जानते हुए भी इसका प्रयोग निरंतर कर रहे हैं। वर्तमान में तम्बाकू या सिगरेट पीने की आदत नौजवानों में अधिक बढ़ गई है जो चिंता का विषय है। तम्बाकू में निकोटिन नामक हानिकारक पदार्थ होता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। व्यक्तियों द्वारा सिगरेट, बीड़ी, पान, गुटखा और जर्दे के रूप में तम्बाकू का प्रयोग किया जाता है। हर साल लाखों व्यक्तियों की मौत तम्बाकू के प्रयोग से होती है, जिनमें से एक-तिहाई मौतें हमारे देश में होती हैं। तम्बाकू या धूम्रपान के व्यक्ति व समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं

1. हृदय पर प्रभाव (Effect on Heart):
हृदय मनुष्य के शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है। तम्बाकू का सीधा प्रभाव हृदय पर पड़ता है। तम्बाकू में निकोटिन (Nicotine) होती है जो रक्त-वाहिनियों में कई प्रकार की हानि पैदा कर देती है। इससे हृदय को अपना काम ठीक प्रकार से करने में मुश्किल आती है, जिस कारण रक्त के दबाव में बढ़ोतरी हो जाती है।

2. कैंसर का मुख्य कारण (Main Cause of Cancer):
तम्बाकू पीने से कैंसर होने का भय रहता है। सामान्यतया यह देखने में आया है कि तम्बाकू न पीने वालों के मुकाबले तम्बाकू पीने वालों में कैंसर ज्यादा होता है। गले, पेट और आहारनली में कैंसर का मुख्य कारण तम्बाकू ही होता है।

3. खेल निपुणता पर प्रभाव (Effect on Sports Performance):
तम्बाकू पीने से खिलाड़ियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तम्बाकू पीने का सीधा प्रभाव नाड़ी संस्थान पर पड़ता है। खेल में निपुणता प्राप्त करने के लिए खिलाड़ी का नाड़ी संस्थान मजबूत होना बहुत जरूरी है। अगर खिलाड़ी तम्बाकू का सेवन करता है तो वह कभी भी खेल में निपुणता नहीं ला सकता। तम्बाकू पीने से हृदय कमजोर होता है और त्वचा, कैंसर की बीमारियाँ हो जाती हैं। इस तरह खिलाड़ी तम्बाकू पीकर अपने खेल के स्तर को नीचे गिरा लेता है।

4. श्वसन संस्थान पर प्रभाव (Effect on Respiratory System):
तम्बाकू के सेवन से शरीर की कोमल झिल्लियों में सूजन आ जाती है, जिसके फलस्वरूप लगातार खाँसी आने लगती है। धूम्रपान क्षयरोग को बढ़ाता है। धूम्रपान के कारण बोलने वाले अंग एवं हलक (Larynx) संक्रमित हो जाते हैं। धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान न करने वालों की अपेक्षा फेफड़ों का कैंसर प्रायः अधिक होता है। अधिक धूम्रपान करने से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी लिखी जाती है; जैसे ‘सिगरेट से कैंसर होता है’ या ‘सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।’ लेकिन धूम्रपान करने वाले इस प्रकार की चेतावनियों की परवाह नहीं करते। इसी कारण वे कैंसर जैसी भयानक बीमारी को आमंत्रित करते हैं।

5. रक्त-संचार संस्थान पर प्रभाव (Effect on Circulatory System):
एक सिगरेट में अनेक हानिकारक पदार्थ होते हैं जो रक्त में मिलकर हृदय (Heart) की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करते हैं। शरीर का तापमान कम हो जाता है। रक्त की नाड़ी का आकार ‘भी कम हो जाता है तथा उनमें रक्त के संचार में भी कमी आ जाती है।

6. पाचन संस्थान पर प्रभाव (Effect on Digestive System):
धूम्रपान करने से अम्लीयता (Acidity) बढ़ जाती है। अम्लता के कारण आमाशय में अल्सर (Ulcer) भी हो सकता है। धूम्रपान से पेट में कैंसर भी हो जाता है।

7. स्नायु संस्थान पर प्रभाव (Effect on Nervous System):
तंत्रिकाओं पर भी धूम्रपान का बुरा प्रभाव होता है। ये प्रायः निष्क्रिय हो जाती हैं। धूम्रपान से मस्तिष्क की कोशिकाएँ खराब होने लगती हैं। इससे माँसपेशियों को लकवा (Paralysis) हो जाता है। माँसपेशी मुड़ने (Convulsion) भी लगती है। धूम्रपान करने से केंद्रीय स्नायु संस्थान में गड्ढा-सा बन जाता है। धूम्रपान करने से उत्तेजना क्षण-भर के लिए होती है। लेकिन इसके तुरंत बाद ही यह प्रक्रिया ढीली हो जाती है। जो व्यक्ति लगातार धूम्रपान करते हैं उनकी स्मरण-शक्ति (Memory Power) बहुत कम हो जाती है। धूम्रपान से नसें कमजोर हो जाती हैं और फिर नींद न आने जैसी तकलीफें घेर लेती हैं।

8. जीवन अवधि पर प्रभाव (Effect on Longevity):
सिगरेट पीने से व्यक्ति की जीवन अवधि कम होती जाती है। अतः यह कहा जा सकता है कि सिगरेट पीने या अन्य साधनों द्वारा धूम्रपान करने से व्यक्ति की उम्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

9. परिवार व समाज पर प्रभाव (Effect on Family and Society):
धूम्रपान का दुष्प्रभाव केवल व्यक्तिगत नहीं होता, बल्कि उसके परिवार व समाज पर भी पड़ता है। धूम्रपान की आदत अन्य बुरी आदतों को भी जन्म देती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के परिवारों के सदस्यों व समाज के अन्य व्यक्तियों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
एल्कोहल (Alcohol) क्या है? इसके दुष्प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
मद्यपान के शारीरिक संस्थानों व स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
शराब के हमारे शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एल्कोहल या मद्यपान (Alcohol):
एल्कोहल या मद्यपान हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। यह एक ऐसा पेय पदार्थ है जिसको पीने से व्यक्ति के शरीर में उत्तेजना उत्पन्न होती है। इसमें ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं जिनकी बनावट एक-सी होती है। यह भिन्न-भिन्न अम्लों से मिलकर एस्टर्स (Esters) नामक पदार्थ बनाती है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इसे इथॉइल, एल्कोहल, शराब व एथानॉल आदि नामों से भी जाना जाता है। जॉनसन के अनुसार, “मद्यपान वह स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति शराब लेने की मात्रा पर नियंत्रण खो बैठता है जिससे कि वह पीना आरंभ करने के पश्चात् उसे बंद करने में सदैव असमर्थ रहता है।”

एल्कोहल यां मद्यपान के प्रभाव (Effects of Alcohol):
इसमें कोई संदेह नहीं है कि शराब न केवल व्यक्ति पर बुरा प्रभाव डालती है, अपितु यह परिवार व समाज पर भी बुरा प्रभाव डालती है। इसके निम्नलिखित दुष्प्रभाव पड़ते हैं

1. व्यक्ति पर प्रभाव (Effects on Individual):
एल्कोहल (शराब) पीने से व्यक्ति के स्वास्थ्य व शारीरिक संस्थानों पर अनेक दुष्प्रभाव पड़ते हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है
(i) स्नायु संस्थान पर प्रभाव (Effect on Nervous System):
प्रतिदिन अधिक एल्कोहल का सेवन करने से निश्चित रूप से व्यक्ति के स्नायु संस्थान पर बुरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति का मस्तिष्क और तंत्रिकाएँ कमजोर हो जाती हैं। इन तंत्रिकाओं का माँसपेशियों पर नियंत्रण आमतौर पर समाप्त हो जाता है। ध्यान को केंद्रित करने की शक्ति में गिरावट आ जाती है। स्नायु तथा माँसपेशियों के संतुलन में भी कमी आ जाती है।

(ii) पाचन संस्थान पर प्रभाव (Effect on Digestive System):
पाचन संस्थान के कोमल अंगों पर एल्कोहल का बुरा प्रभाव पड़ता है। पाचक अंगों की झिल्ली (Membrane) मोटी हो जाती है। पाचक रस, जो पाचन क्रिया में सहायक होते हैं, कम मात्रा में पैदा होने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भोजन का पाचन ठीक तरह से नहीं हो पाता। भूख में भी प्रायः धीरे-धीरे कमी होने लगती है। पाचन संस्थान के खराब होने से शरीर का विकास रुक जाता है।

(iii) माँसपेशी संस्थान पर प्रभाव (Effect on Muscular System):
प्रतिदिन मद्यपान करने से व्यक्ति की माँसपेशियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे माँसपेशियों में सिकुड़न व प्रसार की क्षमता में कमी आ जाती है। माँसपेशियों की अधिकतम शक्ति की सीमा में भी कमी आ जाती है। हृदय की माँसपेशियाँ भी उचित ढंग से कार्य नहीं कर पातीं। व्यक्ति काफी कमजोर हो जाता है।

(iv) उत्सर्जन संस्थान पर प्रभाव (Effect on Excretory System):
मद्यपान करने से उत्सर्जन संस्थान के अंग भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। उनकी कार्यक्षमता में कमी आ जाती है और इसी के परिणामस्वरूप व्यर्थ के पदार्थ; जैसे एसिड फॉस्फेट व लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid) आदि का जमाव अधिक होने लगता है। शरीर से इन पदार्थों का निष्कासन ठीक तरह से नहीं हो पाता। ऐसे व्यक्तियों के गुर्दे प्रायः खराब हो जाते हैं। शराब के सेवन से यकृत भी खराब हो जाता है।

2. परिवार व समाज पर प्रभाव (Effect on Family and Society):
प्रायः मद्यपान करने वाले व्यक्तियों के परिवार अशांत होते हैं। यदि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न हो तो भी शराबी व्यक्ति, किसी भी तरह शराब पीने के लिए पैसे बटोरता है। इसके लिए व्यक्ति अपनी पत्नी व बच्चों को भी पीट डालता है। ऐसे व्यक्ति अपने परिवार के जीवन-स्तर को कभी ऊँचा नहीं उठा पाते। उनका पारिवारिक जीवन नरक बन जाता है। ऐसे व्यक्ति अपने देश व समाज के लिए बोझ होते हैं क्योंकि राष्ट्रहित में उनका कुछ भी योगदान नहीं होता। वे अच्छे नागरिक नहीं बन पाते।

117 समाज में शराबी व्यक्तियों को कोई न तो पसंद करता और न ही सम्मान देता है। वे तनावग्रस्त तथा निष्क्रिय हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः अपराध में संलिप्त हो जाते हैं। लंबे समय तक अधिक मात्रा में शराब पीने से स्मरण शक्ति भी समाप्त होने लगती है। अंत में यही कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्ति स्वयं पर ही बोझ नहीं बल्कि परिवार व समाज पर भी बोझ होते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
नशीले पदार्थों का सेवन करने से खिलाड़ियों पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? उल्लेख कीजिए।
अथवा
मादक पदार्थों का खिलाड़ियों के खेल पर क्या-क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
मादक/नशीले पदार्थों का सेवन करने से खिलाड़ियों पर निम्नलिखित दुष्प्रभाव पड़ते हैं
(1) कुछ खिलाड़ी अपनी शारीरिक या मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं परन्तु इनके सेवन का उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
(2) कई बार खिलाड़ियों को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नशीले पदार्थों के सेवन के कारण खेल से बाहर होना पड़ता है। इसके कारण उनके सम्मान एवं आदर को ठेस पहुँचती है।।
(3) कुछ खिलाड़ी बिना किसी प्रकार की जानकारी के अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने हेतु नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, परन्तु बाद में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
(4) मादक पदार्थों का सेवन करने से खिलाड़ी के खेल पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उसका खेल का स्तर कम होता जाता है।

प्रश्न 2.
तम्बाकू शरीर के लिए क्यों हानिकारक है?
उत्तर:
तम्बाकू में अनेक हानिकारक पदार्थ होते हैं, जो शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इसके प्रयोग से शरीर में फेफड़ों, जीभ, गला, तालु, मसूड़ों का कैंसर, श्वास की बीमारियाँ; जैसे दमा, टी०बी०, खाँसी और बलगम आदि बीमारियों का प्रभाव बढ़ जाता है। यह दिमाग की नसों को कठोर, रक्त की नाड़ियों को लचकहीन कर देता है। रक्त में ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है। अतः तम्बाकू के कारण शरीर अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है। इसलिए यह शरीर के लिए हानिकारक है।

प्रश्न 3.
मद्यपान या एल्कोहल का पाचन संस्थान पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
पाचन संस्थान के कोमल अंगों पर मद्यपान का बुरा प्रभाव पड़ता है। पाचक अंगों की झिल्ली (Membrane) मोटी हो जाती है। पाचक रस, जो पाचन क्रिया में सहायक होते हैं, कम मात्रा में पैदा होने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भोजन का पाचन ठीक तरह से नहीं हो पाता। भूख में भी प्रायः धीरे-धीरे कमी होने लगती है। पाचन संस्थान के खराब होने से शरीर का विकास रुक जाता है।

प्रश्न 4.
मद्यपान या एल्कोहल का उत्सर्जन संस्थान या मल निकास प्रणाली पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
मद्यपान या एल्कोहल से उत्सर्जन संस्थान या मल निकास प्रणाली के अंग बुरी तरह प्रभावित होते हैं। उनकी कार्यक्षमता में कमी आ जाती है और इसी के परिणामस्वरूप व्यर्थ के पदार्थ; जैसे एसिड फॉस्फेट व लैक्टिक अम्ल (Lactic Acid) आदि का जमाव अधिक होने लगता है। शरीर से

प्रश्न 6.
धूम्रपान का श्वसन संस्थान पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
धूम्रपान के सेवन से शरीर की कोमल झिल्लियों में सूजन आ जाती है, जिसके फलस्वरूप लगातार खाँसी आने लगती है। धूम्रपान क्षयरोग को बढ़ाता है। धूम्रपान के कारण बोलने वाले अंग एवं हलक (Larynx) संक्रमित हो जाते हैं। धूम्रपान करने वालों को धूम्रपान न करने वालों की अपेक्षा फेफड़ों का कैंसर प्रायः अधिक होता है। अधिक धूम्रपान करने से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी लिखी जाती है; जैसे सिगरेट से कैंसर होता है या सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। लेकिन धूम्रपान करने वाले इस प्रकार की चेतावनियों की परवाह नहीं करते, इसी कारण वे कैंसर जैसी भयानक बीमारी को आमंत्रित करते हैं।

प्रश्न 7.
“तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए एक जहर है।” इस कथन को स्पष्ट करें। अथवा व्यक्ति के स्वास्थ्य पर धूम्रपान का क्या प्रभाव पड़ता है? ।
उत्तर:
तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए एक ज़हर है। इसमें निकोटिन नामक हानिकारक पदार्थ होता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। तम्बाकू या धूम्रपान के हमारे शरीर पर निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं
(1) कैंसर का मुख्य कारण तम्बाकू है। इसके प्रयोग से फेफड़े, मुँह, जीभ, गला, तालु और मसूड़ों के कैंसर हो जाते हैं।
(2) तम्बाकू का प्रयोग दमा, टी०बी०, खाँसी और बलगम आदि पैदा करता है।
(3) तम्बाकू के सेवन से दिल का दौरा, उच्च रक्तचाप, रक्त की नाड़ियाँ कठोर और रक्त में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
(4) तम्बाकू का प्रयोग करने वाली गर्भवती स्त्रियों का बच्चा कमजोर और कम भार वाला होता है। तम्बाकू के नशे से ग्रस्त माताओं के बच्चे कई बार जन्म के बाद मर जाते हैं।

प्रश्न 8.
धूम्रपान का स्नायु संस्थान पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
धूम्रपान का स्नायु संस्थान या नाड़ियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ये प्रायः निष्क्रिय हो जाती हैं। धूम्रपान से मस्तिष्क की कोशिकाएँ खराब होने लगती हैं। इससे माँसपेशियों को लकवा हो जाता है और माँसपेशी मुड़ने भी लगती है। धूम्रपान करने से केंद्रीय स्नायु संस्थान में गड्ढा-सा बन जाता है। धूम्रपान करने से उत्तेजना क्षण-भर के लिए होती है। लेकिन इसके तुरंत बाद ही यह प्रक्रिया ढीली हो जाती है। जो व्यक्ति लगातार धूम्रपान करते हैं उनकी स्मरण-शक्ति बहुत कम हो जाती है।

प्रश्न 9.
खेल में हार नशीली वस्तुओं के उपयोग के कारण भी हो सकती है, स्पष्ट करें।
उत्तर:
खेल में हार नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण भी हो सकती है। यह बात निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाती है
(1) नशे से ग्रस्त खिलाड़ी खेल के दौरान ऐसी गलतियाँ करता है, जिसके परिणामस्वरूप उसकी टीम को पराजय का मुँह देखना पड़ता है।

(2) नशे से ग्रस्त खिलाड़ी अपनी टीम के लिए पराजय का कारण बन जाता है।

(3) नशीली वस्तुओं के प्रयोग के कारण खिलाड़ी के रक्त का दबाव अधिक होता है, जिसके फलस्वरूप वह चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है। वह दूसरों के विचारों को नहीं सुनता, बल्कि अपनी मनमानी करता है। इस कारण वह अपने साथी खिलाड़ियों से सही तालमेल नहीं बिठा पाता और अपनी टीम के लिए पराजय का कारण बन जाता है।

(4) यदि कोई खिलाड़ी खेलते समय नशीली वस्तुओं का प्रयोग करता हुआ पकड़ा जाता है, तो उसका जीता हुआ पुरस्कार वापिस ले लिया जाता है। इस प्रकार खिलाड़ी की विजय भी पराजय में बदल जाती है।

(5) नशे में खेलते समय खिलाड़ी अपनी टीम से संबंधी बहुत-से ऐसे गलत कार्य कर देता है जिससे टीम हार जाती है।

प्रश्न 10.
तम्बाकू या धूम्रपान से खेल निपुणता या कुशलता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
तम्बाकू पीने से खिलाड़ियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तम्बाकू पीने का सीधा प्रभाव नाड़ी संस्थान पर पड़ता है। खेल में निपुणता प्राप्त करने के लिए खिलाड़ी का नाड़ी संस्थान मजबूत होना बहुत जरूरी है। अगर खिलाड़ी तम्बाकू का सेवन करता है तो वह कभी भी खेल में निपुणता नहीं ला सकता। तम्बाकू पीने से हृदय कमजोर होता है और त्वचा के कैंसर की बीमारियाँ हो जाती हैं। आँखों की नजर कमजोर होने, फेफड़ों की ताकत में कमी होने एवं माँसपेशियों में हानिकारक पदार्थ इकट्ठे होने के कारण उसकी कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। इस तरह खिलाड़ी तम्बाकू पीकर अपने खेल के स्तर को नीचे गिरा लेता है।

प्रश्न 11.
शराब या एल्कोहल का परिवार व समाज पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
एल्कोहल का सेवन करने वाले व्यक्तियों के परिवार प्रायः अशांत होते हैं। यदि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न हो तो भी शराबी व्यक्ति, किसी भी तरह शराब पीने के लिए पैसे बटोरता है। इसके लिए व्यक्ति अपनी पत्नी व बच्चों को भी पीट डालता है। ऐसे व्यक्ति अपने परिवार के जीवन-स्तर को कभी ऊँचा नहीं उठा पाते। उनका पारिवारिक जीवन नरक बन जाता है। ऐसे व्यक्ति अपने देश व समाज के लिए बोझ बन जाते हैं क्योंकि राष्ट्रहित में उनका कुछ भी योगदान नहीं होता। वे अच्छे नागरिक नहीं बन पाते।

समाज में शराबी व्यक्तियों को कोई न तो पसंद करता और न ही सम्मान देता है। वे तनावग्रस्त तथा निष्क्रिय हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति प्रायः अपराध में संलिप्त हो जाते हैं। कई व्यक्तियों में तो आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी आ जाती है। लंबे समय तक अधिक मात्रा में शराब पीने से स्मरण-शक्ति भी समाप्त होने लगती है। अंत में यही कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्ति स्वयं पर ही बोझ नहीं बल्कि परिवार व समाज पर भी बोझ होते हैं।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
डोपिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
डोपिंग का अर्थ कुछ ऐसी मादक दवाओं या तरीकों का प्रयोग करना है जिसके माध्यम से खेल-प्रदर्शन को बढ़ाया जा सकता है। डोपिंग का अधिक रुझान खिलाड़ियों में पाया जाता है। जब कुछ खिलाड़ियों द्वारा खेलों के दौरान अपने प्रदर्शन को बढ़ाने या मजबूत करने के लिए प्रतिबंधित पदार्थों या तकनीकों का सेवन या प्रयोग किया जाता है तो उसे डोपिंग कहते हैं।

प्रश्न 2.
मद्यपान या एल्कोहल (Alcohol) क्या है?
उत्तर:
मद्यपान या एल्कोहल हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। यह एक ऐसा पेय पदार्थ है जिसको पीने से व्यक्ति के शरीर में उत्तेजना उत्पन्न होती है। यह गेहूँ, चावल, जौं और फलों आदि से बनाई जाती है। इसमें ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं जिनकी बनावट एक-सी होती है। यह भिन्न-भिन्न अम्लों से मिलकर एस्टर्स (Esters) नामक पदार्थ बनाती है। इसे इथाइल, एल्कोहल व एथानॉल आदि भी कहा जाता है।

प्रश्न 3.
नशीली वस्तुओं (पदार्थों) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नशीली वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इनके सेवन से न केवल स्वास्थ्य खराब होता है, बल्कि कैरियर भी तबाह हो जाता है। जो खिलाड़ी नशीली वस्तुओं का सेवन करते हैं वे डोपिंग के आदी हो जाते हैं, जिससे उसकी क्रियाशीलता उत्तेजित होती है। इस प्रकार नशीले पदार्थ वे पदार्थ हैं जिनके सेवन से शरीर में किसी-न-किसी प्रकार की उत्तेजना उत्पन्न होती है जिससे क्रियाविहीनता की दशा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 4.
नशा अथवा डोपिंग खिलाड़ी के शरीर पर क्या प्रभाव डालते हैं?
उत्तर:
नशा अथवा डोपिंग खिलाड़ी की शारीरिक क्षमता धीरे-धीरे समाप्त कर देते हैं। कई बार डोपिंग करके खेल रहा खिलाड़ी मौत के मुँह में भी जा सकता है। खिलाड़ी की शारीरिक और मानसिक दोनों शक्तियों को नशा समाप्त कर देता है। खिलाड़ी बलहीन, सोचहीन, असमर्थ क्रियाविहीन और चिड़चिड़ा हो जाता है।

प्रश्न 5.
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी खेल के मैदान में कैसा व्यवहार करता है?
उत्तर: नशे से ग्रस्त खिलाड़ी खेल के मैदान में बिना कारण जोर-जबरदस्ती करता है। वह सोचहीन खेल खेलता है। विरोधियों और रैफ़रियों के साथ झगड़ता है। गलत शब्दों का प्रयोग करता है। वह स्वयं अथवा दूसरों को चोट लगवा बैठता है।

प्रश्न 6.
नशा-रहित और नशा-ग्रस्त खिलाड़ी में क्या अंतर होता है?
उत्तर:
नशा-रहित खिलाड़ी चुस्ती-स्फूर्ति और सोचवान खेल खेलने वाला होता है। वह खेल के दौरान अनुशासित रहता है। वह मुसीबत के समय दूसरे खिलाड़ियों की सहायता करता है। इसके विपरीत नशे से ग्रस्त खिलाड़ी लापरवाह, सोचहीन, झगड़ालू और अनुशासनहीन होता है। वह अपनी टीम को हमेशा कठिनाइयों में डाले रखता है और वह विश्वास योग्य नहीं होता।

प्रश्न 7.
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी की मानसिक स्थिति कैसी होती है?
उत्तर:
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी की मानसिक स्थिति अर्द्ध-बेहोशी वाली होती है। उसका मन संतुलन में नहीं रहता। खेल के समय वह दूसरों की बात नहीं सुनता, केवल अपनी सफाई देता है। वह रैफरी के निर्णयों से संतुष्ट नहीं होता, नियमों की पालना नहीं करता, जिसके फलस्वरूप मैदान से बाहर बैठने के लिए मजबूर हो जाता है।

प्रश्न 8. ड्रग्स के प्रकारों/रूपों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) शराब,
(2) तम्बाकू,
(3) अफीम,
(4) हेरोइन,
(5) मेथाडोन,
(6) भाँग,
(7) कैरीन,
(8) कैफीन,
(9) गाँजा आदि।

प्रश्न 9.
मद्यपान या एल्कोहल के नशे में होने वाले कोई दो अपराध बताएँ।
उत्तर:
(1) यौन सम्बन्धी अपराध करना,
(2) घर या बाहर मारपीट या हिंसा करना।

प्रश्न 10.
सरकार द्वारा नशे की बुराई को दूर करने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं?
उत्तर:
सरकार द्वारा नशे की बुराई (Evil of Drugs) को दूर करने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए हैं
(1) सार्वजनिक स्थानों पर नशीले पदार्थों का सेवन करना निषेध है।
(2) सरकार द्वारा नशे के आदी लोगों को इस बुराई से छुटकारा पाने हेतु अनेक योजनाएँ लागू की गई हैं और अनेक संस्थाएँ स्थापित की गई हैं।
(3) नशे की बुराई को दूर करने के लिए सरकार द्वारा अनेक नशा निषेध कानून बनाए गए हैं जिनका सख्ती से पालन किया जाता है।

प्रश्न 11.
धूम्रपान छोड़ने के कोई दो सामान्य उपाय बताएँ।
उत्तर:
(1) मन से निश्चय कर लें कि हमें इसके सेवन से दूर रहना है।
(2) हमेशा अच्छी संगत में रहना चाहिए।

प्रश्न 12.
मद्यपान से क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर:
(1) मद्यपान से शारीरिक संस्थानों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इनमें अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
(2) मद्यपान करने वाले का घर, परिवार एवं समाज में सम्मान नहीं होता।
(3) मद्यपान से अनेक सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा मिलता है।
(4) मद्यपान करने से स्मरण-शक्ति कमजोर होती है।

प्रश्न 13.
नशीली वस्तुओं के सेवन से शरीर को क्या नुकसान होते हैं?
उत्तर:
(1) शरीर में स्फूर्ति और तालमेल नहीं रहता।
(2) अनियंत्रण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
(3) पाचन क्रिया पर अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है।
(4) स्मरण-शक्ति कम हो जाती है।

HBSE 9th Class Physical Education मद्यपान, धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

प्रश्न 1.
मनुष्य नशीली वस्तुओं का प्रयोग कब से करता आ रहा है?
उत्तर:
मनुष्य आदिकाल से नशीली वस्तुओं का प्रयोग करता आ रहा है।

प्रश्न 2.
खेलों में मादक पदार्थों का सेवन या तरीका क्या कहलाता है?
उत्तर:
खेलों में मादक पदार्थों का सेवन या तरीका डोपिंग (Doping) कहलाता है।

प्रश्न 3.
शराब के सेवन से परिवार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
शराब के सेवन से परिवार में झगड़ा, मारपीट, गाली-गलौच जैसी घटनाएँ बढ़ जाती हैं।

प्रश्न 4.
मद्यपान या शराबखोरी किसकी सूचक है?
उत्तर:
मद्यपान या शराबखोरी वैयक्तिक विघटन की सूचक है।

प्रश्न 5.
धूम्रपान कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
धूम्रपान मुख्यतः सात प्रकार का होता है।

प्रश्न 6.
सिगरेट के धुएँ में कौन-सा विषैला पदार्थ पाया जाता है?
अथवा
तम्बाकू में कौन-सा पदार्थ नशा उत्पन्न करता है?
उत्तर:
निकोटिन नामक पदार्थ।

प्रश्न 7.
किन्हीं दो नशीले पदार्थों के नाम बताएँ। अथवा किसी एक नशीली वस्तु का नाम लिखें।
उत्तर:
(1) अफीम,
(2) गाँजा।

प्रश्न 8.
खेल प्रदर्शन को बढ़ाने वाले किन्हीं तीन पदार्थों के नाम लिखें।
उत्तर:
(1) एनाबोलिक स्टीरायड्स,
(2) बीटा-2 एगोनिस्ट्स,
(3) कैन्नाबाइनायड्स।

प्रश्न 9.
नशीली वस्तुओं का सेवन करने वाले व्यक्ति के पैरों का तापमान सामान्य व्यक्ति से कितना कम होता है?
उत्तर:
नशीली वस्तुओं का सेवन करने वाले व्यक्ति के पैरों का तापमान 1.8 सैंटीग्रेड तक कम होता है।

प्रश्न 10.
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी को साथी खिलाड़ी क्या समझते हैं?
उत्तर:
नशे से ग्रस्त खिलाड़ी को साथी खिलाड़ी झगड़ालू और गैर-जिम्मेदार खिलाड़ी समझते हैं।

प्रश्न 11.
WADA का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
World Anti Doping Agency.

प्रश्न 12.
चरस, अफीम, भाँग व कोकीन कैसे पदार्थ हैं?
उत्तर:
चरस, अफीम, भाँग व कोकीन नशीले पदार्थ हैं।

प्रश्न 13.
कैंसर का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
कैंसर का मुख्य कारण तम्बाकू है।

प्रश्न 14.
आदिकाल में मनुष्य नशीली वस्तुओं का प्रयोग क्यों करता था?
उत्तर:
आदिकाल में मनुष्य शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए नशीली वस्तुओं का प्रयोग करता था।

प्रश्न 15.
किस पदार्थ के सेवन से रोग निवारक क्षमता कम होती है?
उत्तर:
तम्बाकू के सेवन से रोग निवारक क्षमता कम होती है।

प्रश्न 16.
नशीली वस्तुओं का प्रयोग शरीर पर क्या प्रभाव डालता है?
अथवा
मादक पदार्थों के सेवन से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? ।
उत्तर:
नशीली वस्तुओं का प्रयोग मनुष्य की विचार-शक्ति, पाचन शक्ति, माँसपेशी संस्थान, हृदय, फेफड़े और रक्त वाहिकाओं को कमजोर कर देता है।

प्रश्न 17.
तम्बाकू में कौन-सा पदार्थ नशा करता है?
उत्तर:
तम्बाकू में निकोटिन पदार्थ नशा करता है।

प्रश्न 18.
अफीम किस पौधे से तैयार होती है?
उत्तर:
अफीम पैपेवर सोम्नीफेरम (Papaver Somniferum) पौधे से तैयार होती है।

प्रश्न 19.
तम्बाकू के प्रयोग से कौन-कौन से रोग हो जाते हैं?
उत्तर:
तम्बाकू के प्रयोग से शरीर को दमा, कैंसर और श्वास के रोग हो जाते हैं।

प्रश्न 20.
नशीली वस्तुओं का कोई एक दोष बताएँ।
उत्तर:
मानसिक संतुलन बिगड़ना।

प्रश्न 21.
डोपिंग मुख्यतः कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
डोपिंग मुख्यतः दो प्रकार की होती है।

प्रश्न 22.
किस प्रकार के मादक पदार्थ ज्यादा खतरनाक होते हैं?
उत्तर:
एनाबोलिक स्टीरॉयड्स, ऐमफैंटेमिन, बीटा एगोनिस्ट्स, बीटा ब्लार्क्स आदि।

प्रश्न 23.
एक अच्छी खेल के लिए खिलाड़ी को किस चीज़ की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
एक अच्छी खेल के लिए खिलाड़ी को तालमेल, फूर्ति और अडौल शरीर की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 24.
खेलों में नशीली वस्तुओं का प्रयोग करके खेलना किस कमेटी की ओर से मना किया गया है?
उत्तर:
खेलों में नशीली वस्तुओं का प्रयोग करके खेलना अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी की ओर से मना किया गया है।

प्रश्न 25.
खिलाड़ी की ओर से जीता अवार्ड कब वापिस ले लिया जाता है?
उत्तर:
खेल के दौरान नशे का प्रयोग करके जीता अवार्ड सिद्ध होने के बाद वापिस ले लिया जाता है।

प्रश्न 26.
शराब के सेवन से व्यक्ति के किस संस्थान पर अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
शराब के सेवन से व्यक्ति के स्नायु-तंत्र संस्थान पर अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 27.
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस प्रतिवर्षे 31 मई को मनाया जाता है।

प्रश्न 28.
प्राचीनकाल में मदिरा का प्रयोग किस रूप में होता था?
उत्तर:
प्राचीनकाल में मदिरा का प्रयोग सोमरस के रूप में होता था।

प्रश्न 29.
तम्बाकू के सेवन से शरीर के किस अंग पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
तम्बाकू के सेवन से फेफड़ों पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 30.
व्यक्तियों द्वारा तम्बाकू के रूप में किन-किन पदार्थों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
(1) बीड़ी,
(2) सिगरेट,
(3) पान,
(4) गुटखा,
(5) जर्दा आदि।

बहुविकल्पीय प्रश्न [Multiple Choice Questions]

प्रश्न 1.
मनुष्य द्वारा पैदा की गई मुश्किलों में सम्मिलित है
(A) मद्यपान
(B) नशीले पदार्थों का सेवन
(C) धूम्रपान
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
मद्यपान या शराबखोरी किसका सूचक है?
(A) राष्ट्र विघटन का
(B) वैयक्तिक विघटन का
(C) राजनीतिक विघटन का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) वैयक्तिक विघटन का

प्रश्न 3.
शराबखोरी किस प्रकार की समस्या है?
(A) गंभीर
(B) दीर्घकालिक
(C) समाज विरोधी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
मद्यपान या एल्कोहल भिन्न-भिन्न अम्लों से मिलकर कौन-सा पदार्थ बनाती है?
(A) एस्टर
(B) एथानॉल
(C) एल्कोहल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) एस्टर

प्रश्न 5.
धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में रक्त-दाब कितना बढ़ जाता है?
(A) 1 से 20 mm/Hg
(B) 5 से 20 mm/Hg
(C) 3 से 20 mm/Hg
(D) 7 से 30 mm/Hg
उत्तर:
(A) 1 से 20 mm/Hg

प्रश्न 6.
तम्बाकू के धुएँ में टॉर होते हैं जिसके कारण रोग हो जाते हैं-
(A) दमा
(B) कैंसर
(C) श्वास के रोग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7.
“एल्कोहल की असामान्य बुरी आदत ही मद्यपान है।” यह कथन है
(A) फेयरचाइल्ड का
(B) जॉनसन का
(C) डॉ० डरफी का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) फेयरचाइल्ड का

प्रश्न 8.
मानव शरीर पर दुष्प्रभाव डालने वाला मादक पदार्थ है
(A) शराब
(B) हीरोइन
(C) अफीम,
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 9.
तम्बाकू का सेवन करने से होने वाला रोग है
(A) दमा
(B) कैंसर
(C) टी०बी०
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 10.
शराब, तम्बाकू और नशीले पदार्थों का सेवन स्वास्थ्य के लिए …………….है।
(A) लाभदायक
(B) आनंदमय
(C) हानिकारक
(D) प्रभावशाली
उत्तर:
(C) हानिकारक

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से अधिक खतरनाक मादक पदार्थ है
(A) एनाबोलिक एटीरॉयड्स
(B) ऐमफैंटेमिन
(C) बीटा ब्लास
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से कैंसर का मुख्य कारण है
(A) शराब
(B) अफीम
(C) तम्बाकू
(D) भाँग
उत्तर:
(C) तम्बाकू

मद्यपान, धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव Summary

मद्यपान, धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों के दुष्प्रभाव परिचय

मद्यपान (Drinking):
मद्यपान या शराबखोरी वैयक्तिक विघटन का सूचक है क्योंकि शराबखोरी व्यक्ति को मजबूर कर देती है कि वह शराब पिए। शराबी व्यक्ति किसी भी साधन से शराब प्राप्त करने का प्रयत्न करता है और उसकी दैनिक दिनचर्या में शराब सम्मिलित हो जाती है, जिससे उसका स्वास्थ्य गिरता रहता है, मानसिक शांति व स्थिरता जाती रहती है, पारिवारिक जीवन विषमय हो जाता है और सामाजिक जीवन में अनेक समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। जॉनसन (Johnson) के अनुसार, “मद्यपान वह स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति शराब लेने की मात्रा पर नियंत्रण खो बैठता है जिससे कि वह पीना आरंभ करने के पश्चात् उसे बंद करने में सदैव असमर्थ रहता है।” … धूम्रपान (Smoking)- तम्बाकू किसी जहर से कम नहीं होता, परंतु दुःख की बात यह है कि लोग जानते हुए भी इसका प्रयोग निरंतर कर रहे हैं। वर्तमान में तम्बाकू के नशे की आदत नौजवानों में अधिक बढ़ गई है जो चिंता का विषय है। तम्बाकू में निकोटिन नाम का जहरीला पदार्थ होता है, जो शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है। व्यक्तियों द्वारा सिगरेट, बीड़ी, पान, गुटखा और जर्दे के रूप में तम्बाकू का प्रयोग किया जाता है। हर साल लाखों व्यक्तियों की मौत तम्बाकू के प्रयोग से होती है, जिनमें से एक तिहाई मौतें हमारे देश में होती हैं।

नशीले पदार्थ (Intoxicants or Drugs):
मनुष्य आदिकाल से नशीली वस्तुओं का प्रयोग करता आ रहा है। चाहे यह प्रयोग मन की उत्तेजना के लिए हो या बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए। परंतु जब भी इनका अधिक प्रयोग किया गया, इनके भयानक परिणाम देखने में आए। आधुनिक वैज्ञानिक युग में अनेक नई-नई नशीली वस्तुएँ अस्तित्व में आईं। इनके प्रयोग ने मानव जगत् को चिंता में डाल दिया है। इन नशीली वस्तुओं का प्रयोग करके चाहे थोड़े समय के लिए अधिक काम लिया जा सकता है, परंतु इनका अधिक प्रयोग करने से मानवीय शरीर रोग-ग्रस्त होकर सदा की नींद सो जाता है। इसलिए हमें नशीली वस्तुओं एवं दवाइयों से स्वयं को व समाज को बचाना चाहिए, ताकि हम समाज या खेल के क्षेत्र में आदर एवं सम्मान प्राप्त कर सकें।

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HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 9 राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

Haryana State Board HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 9 राष्ट्रीय खेल पुरस्कार Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physical Education Solutions Chapter 9 राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

HBSE 12th Class Physical Education राष्ट्रीय खेल पुरस्कार Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
देश के महत्त्वपूर्ण खेल पुरस्कार कौन-कौन से हैं? किन्हीं तीन का वर्णन करें।
अथवा
किन्हीं दो राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
देश के महत्त्वपूर्ण खेल पुरस्कार हैं
(1) राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार
(2) द्रोणाचार्य पुरस्कार
(3) अर्जुन पुरस्कार
(4) ध्यानचंद पुरस्कार आदि।
1. राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार (Rajiv Gandhi Khel Ratna Award):
भारत सरकार द्वारा देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1991-92 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (Rajiv Gandhi Khel Ratna Award) शुरू किया गया। इस पुरस्कार में 25 लाख रुपए नकद, एक पदक तथा एक प्रशस्ति पत्र और दिल्ली आकर पुरस्कार प्राप्त करने के लिए टी० ए०/डी० ए० (TA/DA) दिया जाता है। जिस वर्ष पुरस्कार दिया जाता है, उस वर्ष आयकर में छूट होती है। पहले इस पुरस्कार में 5 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती थी। प्रथम राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार ग्रैण्ड मास्टर विश्वनाथन आनंद (शतरंज) को दिया गया। यह पुरस्कार देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी की याद में दिया जाता है। यह पुरस्कार किसी खिलाड़ी को जीवन में एक बार प्रदान किया जाता है।

2. द्रोणाचार्य पुरस्कार (Dronacharya Award):
भारत सरकार ने प्रशिक्षकों को सन् 1985 से द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित करना शुरू किया। महाभारत के पात्र गुरु द्रोणाचार्य की याद में यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन प्रशिक्षकों को प्रदान किया जाता है जो किसी टीम या खिलाड़ियों को स्थायी या अस्थायी रूप से प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। यह पुरस्कार ऐसे प्रसिद्ध प्रशिक्षकों को प्रदान किया जाता है जिनकी टीम या खिलाड़ियों ने पिछले तीन वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार श्रेष्ठ प्रदर्शन किया हो। नियमित रूप से इस पुरस्कार में एक ताँबे की मूर्ति, एक प्रशंसा-पत्र तथा 10 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द्रोणाचार्य पुरस्कार का उद्देश्य प्रशिक्षकों का खेल के क्षेत्र में महत्त्व बढ़ाना है।

3. अर्जुन पुरस्कार (Arjuna Award):
अर्जुन पुरस्कार सन् 1961 में शुरू किया गया। यह पुरस्कार उन खिलाड़ियों को दिया जाता है जिनकी उस वर्ष (जिस वर्ष के लिए यह दिया जाना है) उत्कृष्ट व असाधारण उपलब्धि हो और पिछले तीन वर्षों में प्रदर्शन का स्तर उत्कृष्ट व श्रेष्ठ रहा हो। यह अवार्ड ‘महाभारत’ के पात्र अर्जुन की याद में भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में काँस्य की अर्जुन की एक प्रतिमा, एक सम्मान-पत्र व 15 लाख रुपए से खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया जाता है।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 9 राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

प्रश्न 2.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार पर विस्तृत नोट लिखें।
अथवा
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के उद्देश्यों एवं सामान्य नियमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार सर्वोत्तम राष्ट्रीय खेल पुरस्कार है। यह पुरस्कार सन् 1991-92 में शुरू किया गया। यह पुरस्कार ऐसे खिलाड़ी को प्रदान किया जाता है जिसका खेल के क्षेत्र में उस वर्ष उत्तम एवं उत्कृष्ठ प्रदर्शन रहा हो। यह पुरस्कार एक खिलाड़ी से अधिक खिलाड़ियों को भी प्रदान किया जा सकता है, परन्तु संबंधित खिलाड़ी किसी टीम गेम्स से हो। इस पुरस्कार में एक मैडल, एक प्रशंसा पत्र तथा 25 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। इस राशि पर उस वर्ष कोई आय-कर या संपत्ति कर नहीं लगता। पहले इस पुरस्कार में 5 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती थी। इस पुरस्कार के लिए जिस खिलाड़ी का चुनाव होता है उसे एक ब्लेजर, एक टाई और पुरस्कार लेने के लिए दिल्ली आने-जाने के लिए सरकार के द्वारा निश्चित TA/DA का भुगतान भी किया जाता है।

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के उद्देश्य (Objectives of Rajiv Gandhi Khel Ratna Award):
इस पुरस्कार के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(1) खिलाड़ियों का समाज एवं देश में आदर बढ़ाने हेतु।
(2) देश में खेल संस्कृति को विस्तृत करने एवं फैलाने हेतु।
(3) खेलों में खिलाड़ियों को प्रेरित करने हेतु ताकि वे खेल प्रतिस्पर्धाओं या प्रतियोगिताओं में उच्चतम प्रदर्शन कर सकें।

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के सामान्य नियम (General Rules of Rajiv Gandhi Khel Ratna Award):
इस पुरस्कार के सामान्य नियम निम्नलिखित हैं
(1) भारत सरकार द्वारा गठित कमेटी के सदस्य अन्तिम निर्णय के लिए प्रार्थना-पत्रों पर विचार तथा उनके बारे में पूरी छानबीन करते हैं।
(2) गठित कमेटी का निर्णय अन्तिम होता है। इसके विरुद्ध कोई भी सुनवाई नहीं हो सकती।
(3) खिलाड़ी को यह पुरस्कार अपने खेल जीवन में एक बार ही मिल सकता है।
(4) यह पुरस्कार मरणोपरान्त भी प्रदान किया जा सकता है।
(5) भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार रद्द भी किया जा सकता है।
(6) भारत सरकार चाहे तो रद्द किए गए पुरस्कार को पुनः प्रदान भी कर सकती है।

प्रश्न 3.
द्रोणाचार्य पुरस्कार क्या है? इस पुरस्कार की पात्रता हेतु सामान्य योग्यताएँ बताएँ।
अथवा
द्रोणाचार्य पुरस्कार (Dronacharya Award) पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
परिचय (Introduction)-भारत सरकार ने प्रशिक्षकों को सन् 1985 से द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित करना शुरू किया। महाभारत के पात्र गुरु द्रोणाचार्य की याद में यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन प्रशिक्षकों को प्रदान किया जाता है जो किसी टीम या खिलाड़ियों को स्थायी या अस्थायी रूप से प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। यह पुरस्कार ऐसे प्रसिद्ध प्रशिक्षकों को प्रदान किया जाता है जिनकी टीम या खिलाड़ियों ने पिछले तीन वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार श्रेष्ठ प्रदर्शन किया हो। नियमित रूप से इस पुरस्कार में, गुरु द्रोणाचार्य की काँस्य की प्रतिभा, एक प्रशंसा-पत्र तथा 10 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द्रोणाचार्य पुरस्कार का उद्देश्य प्रशिक्षकों का खेल के क्षेत्र में महत्त्व बढ़ाना है।

द्रोणाचार्य पुरस्कार की पात्रता हेतु योग्यताएँ (Eligibility Rules for Dronacharya Award):
इस पुरस्कार की पात्रता के लिए प्रशिक्षकों में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिएँ-
1. व्यक्तिगत इवेंट्स (Individual Events):
वह प्रशिक्षक द्रोणाचार्य पुरस्कार का पात्र होता है जिसके प्रशिक्षण में खिलाड़ी/खिलाड़ियों ने निम्नलिखित उपलब्धियाँ प्राप्त की हों
(1) जिस खिलाड़ी ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण या रजत या काँस्य पदक जीता हो।
(2) जिस खिलाड़ी ने ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण या रजत या काँस्य पदक जीता हो।
(3) जिस खिलाड़ी ने वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा हो और उसको अंतर्राष्ट्रीय खेल संघ द्वारा मान्यता मिल चुकी हो।
(4) जिस खिलाड़ी ने एशियाई या राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता हो।

2. टीम इवेंट्स (Team Events):
वह प्रशिक्षक द्रोणाचार्य पुरस्कार का पात्र होता है जिसके प्रशिक्षण में टीम ने निम्नलिखित उपलब्धियाँ प्राप्त की हों
(1) जिस टीम ने विश्व कप, विश्व चैम्पियनशिप, ओलम्पिक खेलों या अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय खेलों में स्वर्ण या रजत या काँस्य पदत जीता हो और पिछले वर्ष से उसके प्रदर्शन का स्तर ऊँचा हो।
(2) जिस टीम ने दो स्वर्ण पदक अर्थात् पहला एशियाई खेलों में और दूसरा एशियाई चैम्पियनशिप में जीता हो।
(3) जिस टीम ने दो स्वर्ण पदक अर्थात् पहला एशियाई खेलों में तथा दूसरा राष्ट्रमंडल खेलों में जीता हो।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 9 राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

प्रश्न 4.
‘अर्जुन अवार्ड’ (Arjuna Award) का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिचय (Introduction)-अर्जुन अवार्ड सन् 1961 में शुरू किया गया। यह अवार्ड उन खिलाड़ियों को दिया जाता है जिनकी उस वर्ष (जिस वर्ष के लिए यह दिया जाना है) उत्कृष्ट व असाधारण उपलब्धि हो और पिछले तीन वर्षों में प्रदर्शन का स्तर उत्कृष्ट व श्रेष्ठ रहा हो। यह अवार्ड ‘महाभारत’ के पात्र अर्जुन की याद में भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। इस अवार्ड में कांस्य की अर्जुन की एक प्रतिमा, एक सम्मान-पत्र व 15 लाख रुपए से खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया जाता है।

अर्जुन अवार्ड के लिए पात्रता संबंधित नियम (Eligibility Rules for Arjuna Award)-
अर्जुन अवार्ड के लिए पात्रता संबंधी नियम निम्नलिखित हैं
(1) भारत सरकार राष्ट्रीय खेल संघों से निश्चित तारीख तक खिलाड़ियों की सूची मँगवाती है। सरकार द्वारा निश्चित तारीख
बढ़ाई भी जा सकती है।
(2) यदि भारत सरकार को खिलाड़ियों की सूची न मिले तो सरकार किसी विशेष खिलाड़ी को इस पुरस्कार से विभूषित कर सकती है।
(3) राष्ट्रीय खेल संघ अपने-अपने क्षेत्रों से तीन खिलाड़ियों के नाम भेज सकता है।
(4) संघ द्वारा भेजे गए तीन खिलाड़ियों में से भारत सरकार केवल एक खिलाड़ी को इस पुरस्कार से सम्मानित करती है लेकिन महिला खिलाड़ी की स्थिति में भारत सरकार इस नियम में संशोधन कर सकती है।
(5) यह पुरस्कार कहाँ और किस दिन देना है, इसका अंतिम फैसला भारत सरकार द्वारा किया जाता है।
(6) किसी भी खिलाड़ी को इस पुरस्कार से केवल एक बार ही सम्मानित किया जाता है अर्थात् दूसरी बार उसकी पात्रता रद्द कर दी जाती है।
(7) भारत सरकार के फैसले के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हो सकती।
(8) यह पुरस्कार भारत सरकार रद्द भी कर सकती है।
(9) खिलाड़ी के मरणोपरांत भी यह पुरस्कार प्रदान किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
भीम अवार्ड क्या है? भीम अवार्ड के लिए पात्रता संबंधी आवश्यक नियम बताएँ।
उत्तर:
परिचय (Introduction)-भीम अवार्ड की शुरुआत सन् 1996 में हुई। यह अवार्ड अपने-अपने क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ताओं, खिलाड़ियों और ग्रामीण डॉक्टरों को प्रदान किया जाता है। इस अवार्ड में महाभारत के पात्र भीम की एक काँस्य की प्रतिमा, एक सम्मान-पत्र, पाँच लाख रुपए, एक रंगीन जैकेट तथा टाई आदि प्रदान की जाती है। इस अवार्ड के लिए वे खिलाड़ी आवेदन कर सकते हैं जो पिछले तीन वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता तथा सीनियर राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में प्रथम, दूसरा तथा तीसरा स्थान प्राप्त किया हो या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया हो।

भीम अवार्ड के लिए पात्रता संबंधी आवश्यक नियम (Eligibility Rules for Bhim Award):
भीम अवार्ड के लिए पात्रता संबंधी आवश्यक नियम अनलिखित हैं
(1) एक ही वर्ग के खेल में एक से ज्यादा खिलाड़ी को पुरस्कृत नहीं किया जाएगा, परन्तु यदि चयनित खिलाड़ी महिला हो तो एक वर्ग के लिए एक से ज्यादा अवार्ड दिया जा सकता है।
(2) यह अवार्ड केवल उन्हीं खिलाड़ियों को दिया जाएगा, जिन्होंने हरियाणा राज्य की ओर से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय फेडरेशन या राष्ट्रीय खेलों में कम-से-कम एक बार भाग लिया हो।
(3) खिलाड़ी की उपलब्धि का प्रमाण-पत्र खेल संघ के अध्यक्ष या सचिव द्वारा प्रमाणित एवं हस्ताक्षरित किया गया हो।
(4) वे खिलाड़ी जिनके विरुद्ध नशाखोरी व मादक द्रव्यों के प्रयोग इत्यादि की जाँच लम्बित हो या दण्डित किया गया हो, ऐसेखिलाड़ी इस पुरस्कार के पात्र नहीं होंगे।
(5) खेल पॉलिसी में दिए गए सभी खेलों की चैम्पियनशिप में पिछले चार वित्तीय वर्षों के सीनियर अन्तर्राष्ट्रीय तथा सीनियर फेडरेशन कप/सीनियर राष्ट्रीय चैम्पियनशिप एवं राष्ट्रीय खेलों में खिलाड़ियों की उपलब्धियों का इस पुरस्कार के लिए मूल्यांकन किया जाएगा।
(6) जिन्हें यह अवार्ड एक बार मिल चुका है वे दोबारा इस पुरस्कार के पात्र नहीं होंगे।
(7) इस अवार्ड के सम्बन्ध में हरियाणा सरकार का निर्णय अंतिम होगा और इसके विरूद्ध कोई अपील नहीं की जा सकेगी।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का महत्त्व इस प्रकार है
(1) खिलाड़ियों को उत्कृष्ट व श्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु प्रेरित करना।
(2) खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों के सम्मान व स्तर को बढ़ाना।
(3) राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित करना।
(4) युवाओं को खेल के लिए प्रेरित करना।
(5) सद्भाव, मित्रता व शांति की भावना विकसित करना।
(6) राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भावना के लिए प्रेरित करना।

प्रश्न 2.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार पर संक्षिप्त नोट लिखें।
अथवा
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार कब और कैसे दिया जाता है?
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1991-92 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार शुरू किया गया। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में 25 लाख रुपए नकद, एक पदक तथा एक प्रशस्ति पत्र और दिल्ली आकर पुरस्कार प्राप्त करने के लिए टी० ए०/डी० ए० दिया जाता है। जिस वर्ष पुरस्कार दिया जाता है, उस वर्ष आय-कर में छूट होती है। प्रथम राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार ग्रैण्ड मास्टर विश्वनाथन आनंद (शतरंज) को दिया गया। यह पुरस्कार देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी की याद में दिया जाता है। यह पुरस्कार किसी खिलाड़ी को जीवन में एक बार प्रदान किया जाता है।

प्रश्न 3.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के कोई चार सामान्य नियम बताएँ।
उत्तर;
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के चार सामान्य नियम निम्नलिखित हैं
(1) भारत सरकार द्वारा गठित कमेटी के सदस्य अन्तिम निर्णय के लिए प्रार्थना-पत्रों पर विचार तथा उनके बारे में पूरी छानबीन करते हैं।
(2) गठित कमेटी का निर्णय अन्तिम होता है। इसके विरुद्ध कोई भी सुनवाई नहीं हो सकती।
(3) खिलाड़ी को यह पुरस्कार अपने खेल जीवन में एक बार ही मिल सकता है।
(4) यह पुरस्कार मरणोपरान्त भी प्रदान किया जा सकता है।

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प्रश्न 4.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार के मुख्य उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(1) खिलाड़ियों का समाज व देश में सम्मान बढ़ाना।
(2) खेलों में खिलाड़ियों को प्रेरित करने हेतु ताकि वे खेल प्रतिस्पर्धाओं में उच्चतम प्रदर्शन कर सकें।
(3) देश में खेल संस्कृति का विस्तार करना।
(4) राष्ट्रीयता की भावना को बढ़ाना आदि।

प्रश्न 5.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किन्हीं दस खिलाड़ियों और उनके खेलों की सूची बनाएँ।
उत्तर:
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित दस खिलाड़ियों और उनके खेलों की सूची निम्नलिखित हैं-

खिलाड़ीखेल
1. कर्णम मल्लेश्वरीभारोत्तोलन
2. लिएंडर पेसटेनिस
3. सचिन तेंदुलकरक्रिकेट
4. धनराज पिल्लैहॉकी
5. अभिनव बिन्द्रानिशानेबाजी
6. एम०एस० धौनीक्रिकेट
7. सानिया मिर्जाकुश्ती
8. टेनिस साक्षी मलिकपैरा-एथलेटिक्स
9. देवेंद्र झाझरियाक्रिकेट
10. विराट कोहलीखेल

प्रश्न 6.
द्रोणाचार्य पुरस्कार पर संक्षिप्त नोट लिखें।
अथवा
द्रोणाचार्य पुरस्कार कब और क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
भारत सरकार ने प्रशिक्षकों को सन् 1985 से द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित करना शुरू किया। महाभारत के पात्र गुरु द्रोणाचार्य की याद में यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन प्रशिक्षकों को प्रदान किया जाता है जो किसी टीम या खिलाड़ियों को स्थायी या अस्थायी रूप से प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। यह पुरस्कार ऐसे प्रसिद्ध प्रशिक्षकों को प्रदान किया जाता है जिनकी टीम या खिलाड़ियों ने पिछले तीन वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार श्रेष्ठ प्रदर्शन किया हो। नियमित रूप से इस पुरस्कार में एक ताँबे की मूर्ति, एक प्रशंसा-पत्र तथा 10 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर द्रोणाचार्य पुरस्कार का उद्देश्य प्रशिक्षकों का खेल के क्षेत्र में महत्त्व बढ़ाना है।

प्रश्न 7.
अर्जुन अवार्ड संबंधी पात्रता के कोई चार नियम बताएँ।
उत्तर:
अर्जुन अवार्ड संबंधी पात्रता के चार नियम निम्नलिखित हैं
(1) भारत सरकार राष्ट्रीय खेल संघों से निश्चित तारीख तक खिलाड़ियों की सूची मँगवाती है। सरकार द्वारा निश्चित तारीख बढ़ाई भी जा सकती है।
(2) यदि भारत सरकार को खिलाड़ियों की सूची न मिले तो सरकार किसी विशेष खिलाड़ी को इस पुरस्कार से विभूषित कर सकती है।
(3) राष्ट्रीय खेल संघ अपने-अपने क्षेत्रों से तीन खिलाड़ियों के नाम भेज सकता है।
(4) संघ द्वारा भेजे गए तीन खिलाड़ियों में से भारत सरकार केवल एक खिलाड़ी को इस पुरस्कार से सम्मानित करती है लेकिन महिला खिलाड़ी की स्थिति में भारत सरकार इस नियम में संशोधन कर सकती है।

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प्रश्न 8.
ध्यानचंद पुरस्कार पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
खेलकूद में आजीवन उपलब्धियों के लिए ध्यानचंद पुरस्कार सन् 2002 में आरंभ किया गया। यह पुरस्कार हॉकी के महान् खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की याद में प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन खिलाड़ियों को दिया जाता है, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से खेलों में उत्कृष्ट योगदान दिया है और जो सक्रिय खेल कैरियर से निवृत्त (Retired) होने के बाद भी खेल जगत को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इस पुरस्कार में एक सर्टिफिकेट, एक प्रतिभा और 10 लाख रुपए का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है।

प्रश्न 9.
अर्जुन पुरस्कार के लिए चयन पद्धति के बारे में लिखें।
उत्तर:
अर्जुन पुरस्कार भारत सरकार द्वारा खेलों में उत्कृष्ट एवं सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। इस पुरस्कार के चयन के लिए सरकार राष्ट्रीय खेल संघों से निर्धारित समय अवधि तक खिलाड़ियों की सूची मँगवाती है। यह पुरस्कार उस खिलाड़ी को दिया जाता है जिसका पिछले तीन वर्षों में उत्कृष्ट एवं श्रेष्ठ प्रदर्शन रहा हो और उस वर्ष जिस वर्ष यह पुरस्कार दिया जाना हो, खिलाड़ी की असाधारण उपलब्धियाँ हों। भारत सरकार द्वारा गठित समिति खिलाड़ियों के प्रदर्शन और उपलब्धियों पर बारीकी से अध्ययन करके सूची बनाकर भारत सरकार के पास भेज देती है।

प्रश्न 10.
भीम अवार्ड पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
भीम अवार्ड की शुरुआत सन् 1996 में हुई। यह अवार्ड अपने-अपने खेलों में ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों को प्रदान किया जाता है। इस अवार्ड में महाभारत के पात्र भीम की एक काँस्य की प्रतिमा, एक सम्मान-पत्र, पाँच लाख रुपए, एक रंगीन जैकेट तथा टाई आदि प्रदान की जाती है। इस अवार्ड के लिए वे खिलाड़ी आवेदन कर सकते हैं जो पिछले तीन वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता तथा सीनियर राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में प्रथम, दूसरा तथा तीसरा स्थान प्राप्त किया हो या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया हो।

प्रश्न 11.
द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए पात्रता संबंधी आवश्यक योग्यताओं या उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए क्या-क्या पात्रता होती है? वर्णन करें।
उत्तर:
द्रोणचार्य पुरस्कार की पात्रता के लिए प्रशिक्षकों में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिएँ
1. व्यक्तिगत इवेंट्स-वह प्रशिक्षक द्रोणाचार्य पुरस्कार का पात्र होता है जिसके प्रशिक्षण में खिलाड़ी/खिलाड़ियों ने निम्नलिखित उपलब्धियाँ प्राप्त की हों
(1) जिस खिलाड़ी ने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण या रजत या काँस्य पदक जीता हो।
(2) जिस खिलाड़ी ने ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण या रजत या काँस्य पदक जीता हो।
(3) जिस खिलाड़ी ने वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा हो और उसको अंतर्राष्ट्रीय खेल संघ द्वारा मान्यता मिल चुकी हो।
(4) जिस खिलाड़ी ने एशियाई खेलों या राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता हो।

2. टीम इवेंट्स-वह प्रशिक्षक द्रोणाचार्य पुरस्कार का पात्र होता है जिसके प्रशिक्षण में टीम ने निम्नलिखित उपलब्धियाँ प्राप्त की हों
(1) जिस टीम ने विश्व कप, विश्व चैम्पियनशिप, ओलम्पिक खेलों या अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय खेलों में स्वर्ण या रजत या काँस्य पदक जीता हो और पिछले वर्ष से उसके प्रदर्शन का स्तर ऊँचा हो।
(2) जिस टीम ने दो स्वर्ण पदक अर्थात् पहला एशियाई खेलों में और दूसरा एशियाई चैम्पियनशिप में जीता हो।
(3) जिस टीम ने दो स्वर्ण पदक अर्थात् पहला एशियाई खेलों में तथा दूसरा राष्ट्रमंडल खेलों में जीता हो।

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अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
देश के महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय खेल पुरस्कार कौन-कौन-से हैं? अथवा राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
(1) राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार,
(2) द्रोणाचार्य पुरस्कार,
(3) अर्जुन पुरस्कार,
(4) ध्यानचंद पुरस्कार।

प्रश्न 2.
पहले प्रमुख राष्ट्रीय पुरस्कारों की इनामी राशि क्या थी?
उत्तर:
(1) राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार-₹7 लाख
(2) द्रोणाचार्य पुरस्कार (जीवन-पर्यंत व नियमित)-₹ 5 लाख
(3) अर्जुन पुरस्कार-₹5 लाख
(4).ध्यानचंद पुरस्कार (जीवन-पर्यंत व नियमित)-₹ 5 लाख।

प्रश्न 3.
अब प्रमुख राष्ट्रीय पुरस्कारों की इनामी राशि क्या है?
उत्तर:
(1) राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार-₹ 25 लाख
(2) द्रोणाचार्य पुरस्कार (जीवन-पर्यंत (Lifetime)-₹ 15 लाख
(3) द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित)-₹ 10 लाख
(4) अर्जुन पुरस्कार-₹ 15 लाख
(5) ध्यानचंद पुरस्कार (जीवन-पर्यंत)–₹ 15 लाख
(6) ध्यानचंद पुरस्कार (नियमित)-₹ 10 लाख।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार वे पुरस्कार हैं जो उन खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों को दिया जाता है जिनका गत वर्षों में प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा हो। ये पुरस्कार उनको प्रोत्साहित करने के लिए दिए जाते हैं। ये पुरस्कार खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों की सामान्य स्थिति को सुधारने और उन्हें समाज में उचित सम्मान एवं स्थान देने के उद्देश्य से दिए जाते हैं। अर्जुन अवार्ड एवं द्रोणाचार्य अवार्ड राष्ट्रीय खेल पुरस्कार के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
द्रोणाचार्य पुरस्कार में क्या-क्या दिया जाता है? अथवा द्रोणाचार्य अवार्ड प्राप्त करने वाले प्रशिक्षकों को क्या-क्या दिया जाता है?
उत्तर:
द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रशिक्षकों को नियमित रूप से गुरु द्रोणाचार्य की एक प्रतिमा, एक सम्मान-पत्र, ब्लेजर और 10 लाख रुपए नकद इनाम दिया जाता है। यह पुरस्कार प्रशिक्षकों को राष्ट्रपति द्वारा वितरित किया जाता है। इस पुरस्कार की जीवन-पर्यंत राशि 15 लाख रुपए है।

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प्रश्न 6.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य खिलाड़ियों को सम्मानित कर उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाना है ताकि वे समाज में सम्मान प्राप्त कर सकें।

प्रश्न 7.
अर्जुन पुरस्कार में क्या-क्या दिया जाता है?
अथवा
अर्जुन अवार्ड प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को क्या-क्या दिया जाता है?
उत्तर:
अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करने वालों को अर्जुन की एक प्रतिमा, एक सम्मान-पत्र और 15 लाख रुपए नकद इनाम दिया जाता है। यह पुरस्कार खिलाड़ियों को राष्ट्रपति द्वारा वितरित किया जाता है।

प्रश्न 8.
भीम पुरस्कार प्राप्त करने के लिए खिलाड़ी की कोई दो पात्रता बताएँ।
उत्तर:
(1) एक ही वर्ग के खेल में एक से ज्यादा खिलाड़ी को पुरस्कृत नहीं किया जाएगा, परन्तु यदि चयनित खिलाड़ी- महिला हो तो एक वर्ग के लिए एक से ज्यादा पुरस्कार दिया जा सकता है।
(2) यह पुरस्कार केवल उन्हीं खिलाड़ियों को दिया जाएगा, जिन्होंने हरियाणा राज्य की ओर से मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय फैडरेशन या राष्ट्रीय खेलों में कम-से-कम एक बार भाग लिया हो।

प्रश्न 9.
भीम अवार्ड से सम्मानित किन्हीं चार खिलाड़ियों के नाम व खेल बताएँ।
उत्तर:
(1) मनोज कुमार (कुश्ती में)
(2) सुमित सांगवान (बॉक्सिंग में)
(3) साक्षी मलिक (कुश्ती में)
(4) विकास कृष्ण कुमार (बॉक्सिंग में)।

प्रश्न 10.
अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किन्हीं चार खिलाड़ियों के नाम व खेल बताएँ।
उत्तर:
(1) कृष्णा पूनिया (एथलेटिक्स में)
(2) राजपाल सिंह (हॉकी में)
(3) विराट कोहली (क्रिकेट में)
(4) बजरंग पूनिया (कुश्ती में)।

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प्रश्न 11.
द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किन्हीं चार प्रशिक्षकों के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) के०पी० थॉमस (एथलेटिक्स में)
(2) पुलेला गोपीचंद (बैडमिंटन में)
(3) फादके गोपाल पुरुषोत्तम (खो-खो में)
(4) नरेंद्र सिंह सैनी (हॉकी में)।

प्रश्न 12.
भीम पुरस्कार में क्या-क्या दिया जाता है?
अथवा
भीम अवार्ड प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को क्या-क्या दिया जाता है?
उत्तर:
भीम पुरस्कार प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को भीम स्मृति चिह्न, सम्मान-पत्र, ब्लेज़र, टाई/स्कार्फ और पाँच लाख रुपए नकद इनाम दिया जाता है।

प्रश्न 13.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार में क्या-क्या दिया जाता है? अथवा राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को क्या-क्या दिया जाता है?
उत्तर:
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ता को एक मैडल, एक सम्मान-पत्र और 25 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। यह पुरस्कार भारतीय राष्ट्रपति द्वारा वितरित किया जाता है।

प्रश्न 14.
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार किन्हें और क्यों दिए जाते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय खेल पुरस्कार भारत सरकार के खेल मंत्रालय द्वारा दिए जाते हैं। ये पुरस्कार उन खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए दिए जाते हैं, जिनका खेलों के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा हो। ये पुरस्कार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने तथा उनकी क्षमता, योग्यता या प्रतिभा आदि को उजागर करने के लिए दिए जाते हैं।

प्रश्न 15.
हरियाणा की किन्हीं आठ महिला खिलाड़ियों के नाम बताएँ जिन्हें भीम अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
उत्तर:
(1) बबीता कुमारी,
(2) साक्षी मलिक,
(3) दीपा मलिक,
(4) विनेश फोगाट,
(5) रानी रामपाल,
(6) पूजा रानी,
(7) शिवानी कटारिया,
(8) प्रियंका।

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प्रश्न 16.
हरियाणा के उन खिलाड़ियों के नाम बताएँ जिन्हें अब तक राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
उत्तर:
2009 में मुक्केबाज विजेंद्र सिंह, 2012 में पहलवान योगेश्वर दत्त, 2016 में रेसलर साक्षी मलिक, 2017 में हॉकी खिलाड़ी सरदार सिंह, 2019 में कुश्ती में बजरंग पुनिया व पैरा-एथलेटिक्स में दीपा मलिक और 2020 में हॉकी में रानी रामपाल व कुश्ती में विनेश फोगाट को राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

प्रश्न 17.
अर्जुन पुरस्कार (Arjuna Award) का संक्षिप्त रूप में वर्णन कीजिए।
अथवा
अर्जुन पुरस्कार कब और क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
अर्जुन पुरस्कार सन् 1961 में शुरू किया गया। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन खिलाड़ियों को दिया जाता है जिनकी उस वर्ष (जिस वर्ष के लिए यह दिया जाना है) उत्कृष्ट व असाधारण उपलब्धि हो और पिछले तीन वर्षों में प्रदर्शन का स्तर उत्कृष्ट व श्रेष्ठ रहा हो। यह अवार्ड ‘महाभारत’ के पात्र अर्जुन की याद में भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में काँस्य की अर्जुन की एक प्रतिमा, एक सम्मान-पत्र व 15 लाख रुपए से खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया जाता है।

प्रश्न 18.
सन् 2020 के लिए राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित खिलाड़ियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) रोहित शर्मा (क्रिकेट)
(2) मरियप्पन थंगवेलु (पैरा-एथलेटिक्स)
(3) मनिका बतरा (टेबल टेनिस)
(4) विनेश फोगाट (कुश्ती)
(5) रानी रामपाल (हॉकी)।

प्रश्न 19.
सन् 2020 के लिए अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किन्हीं छः खिलाड़ियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) दुती चंद (एथलेटिक्स)
(2) मनीष कौशिक (मुक्केबाजी)
(3) दीप्ति शर्मा (क्रिकेट)
(4) आकाशदीप सिंह (हॉकी)
(5) दीपक (कबड्डी)
(6) सौरभ चौधरी (निशानेबाजी)।

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प्रश्न 20.
सन् 2020 के लिए द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किन्हीं छः प्रशिक्षकों के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) धर्मेंद्र तिवारी (लाइफटाइम-तीरंदाजी)
(2) कृष्ण कुमार हुड्डा (लाइफटाइम-कबड्डी)
(3) ओमप्रकाश दहिया (लाइफटाइम-कुश्ती)
(4) योगेश मालवीय (मल्लखंब)
(5) जसपाल राणा (निशानेबाजी)
(6) गौरव खन्ना (पैरा-बैडमिंटन)।

HBSE 12th Class Physical Education राष्ट्रीय खेल पुरस्कार Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

भाग-1: एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय खेल दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय खेल दिवस प्रतिवर्ष 29 अगस्त को मनाया जाता है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार की शुरुआत सन् 2009 में हुई।

प्रश्न 3.
पहले विदेशी कोच का नाम बताइए, जिसे सन् 2012 में ‘द्रोणाचार्य अवार्ड’ दिया गया।
उत्तर:
श्री०बी०आई० फर्नाडिज।

प्रश्न 4.
‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ कब दिया जाता है?
उत्तर:
‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ 29 अगस्त को दिया जाता है।

प्रश्न 5.
द्रोणाचार्य पुरस्कार किसके द्वारा दिया जाता है?
उत्तर:
द्रोणाचार्य पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।

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प्रश्न 6.
‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ कब शुरू किया गया?
अथवा
किस वर्ष में द्रोणाचार्य अवार्ड शुरू किया गया था?
उत्तर:
‘द्रोणाचार्य पुरस्कार’ वर्ष 1985 में शुरू किया गया।

प्रश्न 7.
द्रोणाचार्य पुरस्कार किस भावना पर आधारित है?
उत्तर:
द्रोणाचार्य पुरस्कार गुरुओं के आदर एवं सम्मान की भावना पर आधारित है।

प्रश्न 8.
द्रोणाचार्य पुरस्कार से किन्हें नवाजा जाता है?
उत्तर:
द्रोणाचार्य पुरस्कार से प्रशिक्षकों को नवाजा जाता है।

प्रश्न 9.
सन् 2018 में द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किसी एक प्रशिक्षक का नाम बताएँ।
उत्तर:
सुखदेव सिंह पन्नू (एथलेटिक्स में)।

प्रश्न 10.
द्रोणाचार्य पुरस्कार का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षकों का खेल के क्षेत्र में महत्त्व बढ़ाना।

प्रश्न 11.
द्रोणाचार्य पुरस्कार भारत सरकार के किस मंत्रालय द्वारा दिया जाता है?
उत्तर:
युवा कल्याण एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा।

प्रश्न 12.
द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित ) में कितनी राशि प्रदान की जाती है?
उत्तर:
द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित) में 10 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है।

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प्रश्न 13.
द्रोणाचार्य पुरस्कार किसकी याद में दिया जाता है?
उत्तर:
द्रोणाचार्य पुरस्कार गुरु द्रोणाचार्य की याद में दिया जाता है।

प्रश्न 14.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार किसके द्वारा दिया जाता है?
उत्तर:
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।

प्रश्न 15.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता को कितनी राशि नकद प्रदान की जाती है?
उत्तर:
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता को 25 लाख रुपए की राशि नकद प्रदान की जाती है।

प्रश्न 16.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार कब शुरू किया गया?
उत्तर:
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार वर्ष 1991-1992 में शुरू किया गया।

प्रश्न 17.
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार कब दिया जाता है?
उत्तर:
राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार 29 अगस्त को भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।

प्रश्न 18.
पहले किस पुरस्कार में 77 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती थी?
उत्तर:
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार में।

प्रश्न 19.
प्रथम राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार किसको दिया गया था?
उत्तर:
प्रथम राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।

प्रश्न 20.
एक खिलाड़ी अपने जीवनकाल में कितनी बार राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड ले सकता है?
उत्तर:
एक खिलाड़ी अपने जीवनकाल में एक बार राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड ले सकता है।

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प्रश्न 21.
खेलों का राष्ट्रीय स्तर का सर्वोच्च पुरस्कार कौन-सा है?
उत्तर:
खेलों का राष्ट्रीय स्तर का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार है।

प्रश्न 22.
‘अर्जुन पुरस्कार’ कब प्रारंभ किया गया?
उत्तर:
‘अर्जुन पुरस्कार’ सन् 1961 में प्रारंभ किया गया।

प्रश्न 23.
अर्जुन पुरस्कार किसके द्वारा वितरित किया जाता है?
अथवा
खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार किसके द्वारा प्रदान किया जाता है?
उत्तर:
अर्जुन पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा वितरित किया जाता है।

प्रश्न 24.
अर्जुन पुरस्कार किस तारीख को दिया जाता है?
उत्तर:
अर्जुन पुरस्कार 29 अगस्त को दिया जाता है।

प्रश्न 25.
अर्जुन पुरस्कार में कितनी राशि प्रदान की जाती है?
उत्तर:
अर्जुन पुरस्कार में 15 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है।

प्रश्न 26.
अर्जुन पुरस्कार किस समिति की सिफारिशों पर दिया जाता है?
उत्तर:
अर्जुन पुरस्कार अखिल भारतीय खेल सलाहकार समिति की सिफारिशों पर दिया जाता है।

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प्रश्न 27.
हिमा दास को सन् 2018 में किस राष्ट्रीय खेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
उत्तर:
हिमा दास को सन् 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 28.
सन् 2012 में कितने खिलाड़ियों को ‘अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया?
उत्तर:
सन् 2012 में 25 खिलाड़ियों को ‘अर्जुन अवार्ड’ से नवाजा गया।

प्रश्न 29.
भीम अवार्ड की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
भीम अवार्ड की शुरुआत वर्ष 1996 में हुई।

प्रश्न 30.
‘भीम पुरस्कार’ किसके द्वारा प्रदान किया जाता है?
उत्तर:
भीम पुरस्कार’ हरियाणा के राज्यपाल द्वारा प्रदान किया जाता है।

प्रश्न 31.
भीम अवार्ड में कितनी नकद राशि प्रदान की जाती है?
उत्तर:
भीम अवार्ड में 5 लाख रुपए की नकद राशि प्रदान की जाती है।

प्रश्न 32.
ध्यानचंद पुरस्कार कब शुरू किया गया?
उत्तर:
ध्यानचंद पुरस्कार सन् 2002 में शुरू किया गया।

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भाग-II: सही विकल्प का चयन करें

1. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार कब आरंभ किया गया?
(A) सन् 1985-86 में
(B) सन् 1991-92 में
(C) सन् 1983-84 में
(D) सन् 1994-95 में
उत्तर:
(B) सन् 1991-92 में

2. राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार में कितनी राशि प्रदान की जाती है?
(A) 25 लाख रुपए
(B) 20 लाख रुपए
(C) 7 लाख रुपए
(D) 7.5 लाख रुपए
उत्तर:
(A) 25 लाख रुपए

3. अर्जुन पुरस्कार कब शुरू किया गया था?
(A) सन् 1951 में
(B) सन् 1961 में
(C) सन् 1971 में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) सन् 1961 में

4. निम्नलिखित में से कौन-सा पुरस्कार प्रशिक्षकों को दिया जाता है?
(A) राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार
(B) ध्यानचंद पुरस्कार
(C) अर्जुन पुरस्कार
(D) द्रोणाचार्य पुरस्कार
उत्तर:
(D) द्रोणाचार्य पुरस्कार

5. द्रोणाचार्य पुरस्कार कब देना आरंभ किया गया?
(A) सन् 1984 में
(B) सन् 1985 में
(C) सन् 1980 में
(D) सन् 1998 में
उत्तर:
(B) सन् 1985 में

6. अर्जुन पुरस्कार में कितनी राशि प्रदान की जाती है?
(A) 15 लाख रुपए
(B) 12 लाख रुपए
(C) 7 लाख रुपए
(D) 7.5 लाख रुपए
उत्तर:
(A) 15 लाख रुपए

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7. द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित) में कितनी राशि प्रदान की जाती है?
(A) 15 लाख रुपए
(B) 10 लाख रुपए
(C) 7 लाख रुपए
(D) 7.5 लख रुपए
उत्तर:
(B) 10 लाख रुपए

8. प्रथम राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं
(A) विश्वनाथन आनंद
(B) साक्षी मलिक
(C) अभिनव बिन्द्रा
(D) सचिन तेन्दुलकर
उत्तर:
(A) विश्वनाथन आनंद

9. किस खेल पुरस्कार को हरियाणा के राज्यपाल द्वारा प्रदान किया जाता है?
(A) राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार
(B) द्रोणाचार्य पुरस्कार
(C) अर्जुन पुरस्कार
(D) भीम पुरस्कार
उत्तर:
(D) भीम पुरस्कार

10. निम्नलिखित में से राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित खिलाड़ी हैं
(A) अभिनव बिन्द्रा
(B) दीपा कर्माकर
(C) महेंद्र सिंह धोनी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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11. खेलों का राष्ट्रीय स्तर का सर्वोच्च पुरस्कार है
(A) राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार
(B) द्रोणाचार्य पुरस्कार
(C) अर्जुन पुरस्कार
(D) ध्यानचंद पुरस्कार
उत्तर:
(A) राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार

12. सन् 2020 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित प्रशिक्षक हैं
(A) जसवंत सिंह
(B) बलवान सिंह
(C) ओमप्रकाश दहिया
(D) महाबीर प्रसाद
उत्तर:
(C) ओमप्रकाश दहिया

13. सन् 2020 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित प्राप्तकर्ता हैं
(A) दीप्ति शर्मा
(B) कृष्णा पूनिया
(C) खुशबीर कौर
(D) हिमा दास
उत्तर:
(A) दीप्ति शर्मा

14. निम्नलिखित में से राष्ट्रीय खेल पुरस्कार नहीं है
(A) आइफा अवार्ड
(B) अर्जुन अवार्ड
(C) द्रोणाचार्य अवार्ड
(D) ध्यानचंद अवार्ड
उत्तर:
(A) आइफा अवार्ड

15. भीम पुरस्कार किस राज्य की सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है?
(A) हरियाणा
(B) पंजाब
(C) राजस्थान
(D) तमिलनाडु
उत्तर:
(A) हरियाणा

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भाग-III: रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. खिलाड़ियों को अर्जुन अवार्ड ………………… के द्वारा वितरित किए जाते हैं।
2. द्रोणाचार्य पुरस्कार (नियमित) में दी जाने वाली नकद राशि ………………… रुपए है।
3. द्रोणाचार्य पुरस्कार भारत सरकार द्वारा ………………… को दिया जाता है।
4. राष्ट्रीय खेल दिवस प्रतिवर्ष ………………… को मनाया जाता है।
5. अर्जुन पुरस्कार भारत के ………………. द्वारा प्रदान किया जाता है।
6. देश का सर्वोच्च राष्ट्रीय खेल पुरस्कार ………………… है।
7. भीम अवार्ड की शुरुआत सन् ………………… में हुई।
8. अर्जुन पुरस्कार में दी जाने वाली नकद राशि ………………… रुपए है।
9. राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार भारत के ………………… द्वारा वितरित किया जाता है।
10. कोचों को दिए जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार ………………….. है।
उत्तर:
1. राष्ट्रपति
2. 10 लाख
3. प्रशिक्षकों
4. 29 अगस्त
5. राष्ट्रपति
6. राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार
7. 1996
8. 15 लाख
9. राष्ट्रपति
10. द्रोणाचार्य पुरस्कार।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार Summary

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार परिचय

खिलाड़ियों को जीवन-पर्यंत सुख-सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं, अगर वे अपने-अपने क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पहचान प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। ये प्रलोभन या पुरस्कार, नकद धनराशि और इनाम राज्य व केंद्र सरकारों द्वारा प्रदान किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त खिलाड़ी के अपने विभाग द्वारा पदोन्नति, घर के लिए प्लाट, मुफ्त वस्तुएँ आदि प्रदान की जाती हैं। पदक विजेता खिलाड़ियों तथा उनके कोच को विशेष पुरस्कार प्रदान करना आने वाली पीढ़ियों को खेल में अपना कैरियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने का एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

प्रमुख खेल पुरस्कार (Main Sports Awards):
राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, भीम पुरस्कार, ध्यानचंद पुरस्कार आदि।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के महत्त्व (Importance of National Sports Awards)-:
राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का महत्त्व निम्नलिखित कारणों से है-

  • खिलाड़ियों को उत्कृष्ट व श्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु प्रेरित करना।
  • खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों के सम्मान व स्तर को बढ़ाना।
  • राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित करना।
  • युवाओं को खेल के लिए प्रेरित करना।
  • सद्भाव, मित्रता व शांति की भावना विकसित करना।
  • राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भावना के लिए प्रेरित करना।

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