Author name: Bhagya

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान

Haryana State Board HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान

HBSE 9th Class Physical Education शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions] 

प्रश्न 1.
प्रतियोगिता क्या है? विभिन्न खेलकद प्रतियोगिताओं की उपयोगिता पर प्रकाश डालें। अथवा शारीरिक शिक्षा व खेलकूद में प्रतियोगिताओं के महत्त्व का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रतियोगिता का अर्थ (Meaning of Competition);
जब दो या दो से अधिक खिलाड़ी या टीम ऐसे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उद्यत हों जिसे केवल एक खिलाड़ी या टीम को ही प्रदान किया जा सकता हो तो ऐसी स्थिति से प्रतियोगिता का जन्म होता है। एक ही वातावरण में रहने वाले जीवों के बीच सहज रूप से ही प्रतियोगिता विद्यमान होती है।

प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का महत्त्व (Importance of Competitive Games & Sports):
वर्तमान में खेलकूद दैनिक जीवन के एक महत्त्वपूर्ण अंग बनते जा रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के इस युग में आज पढ़ाई के साथ-साथ खेलों की भी उपयोगिता निरंतर बढ़ती जा रही है। हमारे लिए खेलकूद प्रतियोगिताओं के महत्त्व निम्नलिखित हैं

1. आत्म-विश्वास (Self-confidence):
खेलकूद मनुष्य में आत्म-विश्वास का गुण विकसित करते हैं। यही आत्म-विश्वास उसे विपत्तियों का निडरता से सामना करने में सहायक होता है। आत्म-विश्वास के माध्यम से हम आसानी से बड़ी-से-बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकते हैं। अत: खेलकूद प्रतियोगिताएँ हमारे अन्दर आत्म-विश्वास की भावना जगाती हैं।

2. आदर्श खेल की भावना (Spirit of Fair Play):
अच्छा खिलाड़ी खेल को खेल की भावना से खेलता है, हार-जीत के लिए नहीं। वह हेरा-फेरी से या फाउल खेलकर जीतना नहीं चाहता, जिससे उसमें आदर्श खेल की भावना आ जाती है।

3. संवेगों का निकास (Egress of Emotions):
दिन, हफ्ते और महीने से काम करने के पश्चात् व्यक्ति के मन में कुछ उलझनें तथा संवेग रह जाते हैं और मन अशांत रहता है। खेल प्रतियोगिता में भाग लेने से मनुष्य के मन से संवेगों का निकास हो जाता है जिससे व्यक्ति राहत महसूस करता है।

4. मुकाबले की प्रेरणा (Inspiration of Competition):
खेल प्रतियोगिताएँ मनुष्य में मुकाबले की प्रेरणा पैदा करती हैं। प्रत्येक खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी से अच्छा खेलने का प्रयत्न करता है। पहले खेलों में फिर जीवन में वे दूसरों से डटकर मुकाबला करते हैं। डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम के अनुसार, “हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए और हमें कभी मुश्किलों को खुद पर हावी होने का मौका नहीं देना चाहिए।”

5. खिलाड़ी की योग्यता निखारने में सहायक (Helpful in Polish the Talent of Player):
खेल प्रतियोगिताएँ किसी खिलाड़ी की साल-भर में सीखी गई खेल-कला के प्रदर्शन को निखारने में सहायक होती हैं।

6. शारीरिक विकास (Physical Growth):
खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी का शरीर मजबूत एवं सुडौल होता है। उसमें चुस्ती और स्फूर्ति रहती है।

7. नस्ल-भेद की समाप्ति (To Abolish the Communalism):
भिन्न-भिन्न जातियों तथा मजहबों के खिलाड़ी खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। खेलते समय खिलाड़ी जात-पात अथवा धर्म का अंतर भूलकर आपस में घुल-मिलकर खेलते हैं।

8. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन (Incitement to International Co-operation):
अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देशों के खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं और उनके संपर्क में आते हैं, जिससे उन्हें एक-दूसरे को समझने का अवसर मिलता है और इससे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन मिलता है।

9. समय का पाबंद (Punctuality):
खिलाड़ी को समय पर खेलने जाना पड़ता है। थोड़ी देर से पहुँचने पर वह मैच में भाग नहीं ले सकता। इस प्रकार खेल प्रतियोगिता मनुष्य को समय का पाबंद बनाती है।

10. दृढ़-संकल्प (Resolution):
खेल प्रतियोगिता द्वारा खिलाड़ी में दृढ़ संकल्प की भावना आती है। वह सही समय पर सही निर्णय लेना सीख जाता है। इससे वह अपनी टीम की हार को भी जीत में बदल सकता है। दृढ़-संकल्पी व्यक्ति को कभी असफलता का मुँह नहीं देखना पड़ता।

11. पथ-प्रदर्शन तथा नेतृत्व (Guidance and Leadership):
खेलकूदखेलकूद व्यक्ति में पथ-प्रदर्शन व नेतृत्व का गुण विकसित करते हैं। नेतृत्व करने वाला कप्तान जीवन में भी नेतृत्व करने की कला सीख जाता है।

12. आत्म-अभिव्यक्ति (Self-Manifestation) :
खेलकूद प्रतियोगिता में खिलाड़ी को आत्म-अभिव्यक्ति करने का अवसर मिलता है। मैदान में प्रत्येक खिलाड़ी अपने गुणों, कला तथा कुशलता को दर्शकों के सामने प्रकट करता है। खेल के मैदान ने हमें बहुत अनुशासन प्रिय, आत्म-संयमी और देश पर मर-मिटने वाले नागरिक व सैनिक दिए हैं। इसीलिए तो ड्यूक ऑफ विलिंग्टन ने वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन महान् को हराने के पश्चात् कहा था, “वाटरलू का युद्ध तो एटन तथा हैरो के खेल के मैदान में जीता गया था।”

13. खाली समय का सदुपयोग (Proper use of Leisure Time):
एक प्रसिद्ध कहावत है-खाली दिमाग शैतान का घर होता है। खेलों में भाग लेने से खिलाड़ी बुरे कामों से बचा रहता है और खाली समय का सदुपयोग भी हो जाता है।

14. नए नियमों की जानकारी (Knowledge of New Rules):
खेल प्रतियोगिता से खिलाड़ी को नए नियमों की जानकारी मिलती है जिससे वे अपने खेल के स्तर को ऊँचा कर सकते हैं।

15. देश की प्रतिष्ठा (Dignity of Country):
आज अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, रूस, ऑस्ट्रेलिया, चीन आदि देश औद्योगिक व वैज्ञानिक प्रगति के कारण ही महान् नहीं माने जाते, बल्कि खेलों के क्षेत्र में भी इन देशों ने बड़ा नाम कमाया है। हम अपने राष्ट्र की प्रतिष्ठा में अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएँ जीतकर और अधिक वृद्धि कर सकते हैं।

16. मनोरंजन (Entertainment):
सारा दिन काम करते-करते व्यक्ति के जीवन में उकताहट आ जाती है। खेलों में भाग लेने से मनुष्य का मनोरंजन होता है और वह उकताहट व थकावट से छुटकारा पा लेता है।

17. आज्ञा पालन का गुण (Quality of Obedience):
खेल प्रतियोगिता द्वारा खिलाड़ी में आज्ञा पालन का गुण विकसित हो जाता है। खेलते समय खिलाड़ी को अपने रैफरी, कोच या कप्तान के आदेशों का पालन करना पड़ता है। इससे उसमें आज्ञा पालन की आदत पड़ जाती है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाने वाली मुख्य खेल प्रतियोगिताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में आयोजित होने वाली प्रमुख खेलकूद प्रतियोगिताओं पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति में प्रतियोगिता की भावना होती है। यही भावना उसे उन्नति के मार्ग पर आगे कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। यही भावना उसे सम्मान देने में सहायता करती है। वर्तमान युग में खेल प्रतियोगिताओं की भावना से व्यक्ति के संवेगों की संतुष्टि होती है। इससे व्यक्ति को न केवल कार्यकुशलता की प्राप्ति होती है, बल्कि वह इनसे दक्षता भी ग्रहण कर लेता है। इस प्रकार वह सर्वश्रेष्ठ खेल प्रदर्शन करने में सफल होता है। खेल प्रतियोगिताएँ मनोरंजन प्रदान करने के साथ-साथ मनुष्य को स्वस्थ रखती हैंतथा रोग या बीमारी से दूर रखती हैं। प्राचीनकाल में घुड़सवारी, भाला फेंकना, मल्लयुद्ध, तीरंदाजी आदि खेलें ही लोकप्रिय थीं और इन्हीं खेलों का आयोजन किया जाता था। मगर समय में बदलाव के कारण इन खेलों का स्थान अन्य खेलों ने ले लिया। इनमें प्रमुख हॉकी, बैडमिंटन, फुटबॉल, क्रिकेट, टेनिस, वॉलीबॉल आदि हैं। आज इन खेलों का आयोजन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। भारत में आयोजित की जाने वाली विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का वर्णन निम्नलिखित है

1. रंगास्वामी कप राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता (Rangaswami Cup/National Hockey Championship):
भारतीय हॉकी एसोसिएशन ने राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता सन् 1927 में आरंभ करवाई। इस प्रतियोगिता में मोरिस नामक न्यूजीलैण्ड के निवासी को सन् 1935 में तथा सन् 1946 में पंजाब एसोसिएशन के सचिव बख्शीश अलीशेख को शील्ड प्रदान की गई। लेकिन विभाजन के कारण यह शील्ड पाकिस्तान में ही रह गई, क्योंकि बख्शीश अलीशेख पाकिस्तान में रहने लगा था। विभाजन के पश्चात् मद्रास के समाचार-पत्र ‘हिंद’ तथा ‘स्पोर्ट्स एंड पास्टाइम’ के मालिकों ने अपने संपादक श्री रंगास्वामी के नाम पर राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता के लिए एक नया कप प्रदान किया। इस कारण इस प्रतियोगिता को ‘रंगास्वामी कप’ के नाम से जाना जाता है। सन् 1947 से ‘रंगास्वामी कप’ के नाम से यह प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। यह प्रतियोगिता नॉक आउट स्तर पर करवाई जाती है।

2. आगा खाँ कप (Agha Khan Cup):
सर आगा खाँ ने पहली बार इस प्रतियोगिता के लिए कप दिया। उन्हीं के नाम पर सन् 1896 से यह प्रतियोगिता नॉक आउट स्तर पर करवाई जा रही है। सर्वप्रथम इस कप को जीतने का श्रेय मुंबई के जिमखाना को प्राप्त है। इस प्रतियोगिता का आयोजन आगा खाँ टूर्नामेंट कमेटी करती है।

3. अखिल भारतीय नेहरू सीनियर हॉकी प्रतियोगिता (All India Nehru Senior Hockey Competition):
सन् 1964 में स्वर्गीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्य-तिथि की याद में नई दिल्ली में इस प्रतियोगिता का आरंभ हुआ। इस प्रतियोगिता का नाम उनके नाम पर ही रखा गया। यह प्रतियोगिता नॉक आउट-कम-लीग आधार पर करवाई जाती है। जीतने वाली टीम को राष्ट्रपति के द्वारा पुरस्कारों का वितरण किया जाता है और खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है।

4. अखिल भारतीय नेहरू जूनियर हॉकी प्रतियोगिता (All India Nehru Junior Hockey Competition):
यह हर वर्ष नई दिल्ली में आयोजित की जाती है, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु वाले खिलाड़ी भाग लेते हैं। विभिन्न राज्यों की टीमें इसमें भाग लेने के लिए आती हैं । इस प्रतियोगिता का फाइनल मुकाबला भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्व० पं० जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर को आयोजित किया जाता है अर्थात् यह प्रतियोगिता 1 नवम्बर से शुरू होकर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के जन्म दिवस 14 नंवबर को समाप्त होती है।

5. डूरंड कप (Durand Cup):
इस कप का यह नाम ब्रिटिश इंडिया के विदेश सचिव सर मोर्टीमोर डूरंड के नाम पर रखा गया। यह प्रतियोगिता पहले ‘शिमला टूर्नामेंट’ के नाम से विख्यात थी। सन् 1931 से इस प्रतियोगिता में सेना के अतिरिक्त असैनिक टीमें भी भाग लेने लगी हैं। सर्वप्रथम इस प्रतियोगिता में भाग लेने का सौभाग्य ‘पटियाला टाइगर’ को प्राप्त हुआ। यह प्रतियोगिता हर वर्ष नॉक आउट-कम-लीग स्तर पर करवाई जाती है।

6. रोवर्ज़ कप (Rovers Cup)-यह खेल प्रतियोगिता फुटबॉल खेल से संबंधित है, जिसका आयोजन प्रतिवर्ष रोवर्ज कप टूर्नामेंट कमेटी की ओर से किया जाता है। इस प्रतियोगिता में देश के विभिन्न भागों से टीमें भाग लेने आती हैं।

7. सुबोटो मुखर्जी कप (Subroto Mukherjee Cup):
सुब्रोटो मुखर्जी कप प्रतियोगिता को ‘जूनियर डूरंड प्रतियोगिता’ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रतियोगिता का आयोजन एयर मार्शल सुब्रोटो मुखर्जी की याद में किया जाता है। डूरंड कमेटी पिछले कई वर्षों से सीनियर वर्ग के लिए फुटबॉल की इस प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। यह प्रतियोगिता प्रतिवर्ष नवंबर और दिसंबर के महीने में नई दिल्ली में आयोजित होती है। इस प्रतियोगिता में किसी राज्य की एक ही स्कूल की सर्वोत्तम टीम भाग ले सकती है। इसमें 17 वर्ष की आयु तक के खिलाड़ी भाग लेते हैं। विजयी टीम को एक आकर्षक ट्रॉफी दी जाती है और अच्छे खिलाड़ियों को वजीफे भी दिए जाते हैं।

8. संतोष ट्रॉफी (Santosh Trophy):
संतोष ट्रॉफी कूच बिहार के महाराजा संतोष जी ने राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए दी थी। यह प्रतियोगिता भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन द्वारा प्रतिवर्ष अपने किसी प्रांतीय सदस्य एसोसिएशन की तरफ से करवाई जाती है। इस प्रतियोगिता में भारत के सभी प्रांतों की फुटबॉल टीमें, सैनिक और रेलवे की टीमें भाग लेती हैं। यह प्रतियोगिता, नॉक आउट-कम-लीग पर करवाई जाती है।

9. रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy):
पटियाला के महाराजा भूपेंद्र सिंह ने क्रिकेट के महान् खिलाड़ी रणजीत सिंह के नाम पर क्रिकेट में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए ट्रॉफी भेंट की। यह प्रतियोगिता हर साल क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित की जाती है, जिसमें Role of Various Competitive Games & Sports in Physical Education भिन्न-भिन्न प्रांतों की टीमें भाग लेती हैं। यह प्रतियोगिता लीग स्तर पर करवाई जाती है। क्षेत्रीय प्रतियोगिता में विजेता टीम आगे नॉक आउट स्तर पर खेलती है।

10. सी०के० नायडू ट्रॉफी (C.K. Naidu Trophy):
सी०के० नायडू प्रतियोगिता स्कूल गेम्स फेडरेशन की तरफ से प्रत्येक वर्ष करवाई जाती है। भारत के सुप्रसिद्ध खिलाड़ी सी०के० नायडू के नाम पर इस ट्रॉफी का नाम रखा गया है। इस प्रतियोगिता में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ही भाग ले सकते हैं। यह प्रतियोगिता नॉक आउट स्तर पर प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है। जो टीम एक बार मैच हार जाती है, उसे प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ता है।

प्रश्न 3.
एक अच्छे खिलाड़ी में कौन-कौन-से गुण होने चाहिएँ? वर्णन करें।
अथवा
स्पोर्ट्समैनशिप क्या है? एक अच्छे स्पोर्ट्समैन के गुण लिखें।
अथवा
खेल-भावना से आपका क्या अभिप्राय है? एक अच्छे खिलाड़ी के गुणों या विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खेल-भावना स्पोर्ट्समैनशिप का अर्थ (Meaning of Sportmanship):
स्पोर्ट्समैनशिप खिलाड़ी के अन्दर छुपी हुई वह खेल-भावना है, जो खेलों को पवित्र कार्य का दर्जा देती है। इस भावना के अन्तर्गत एक खिलाड़ी खेलों से सम्बन्धित प्रत्येक वस्तु को स्नेह
और आदर करता है। वह खिलाड़ियों को खेल देवता और खेल मैदानों को धार्मिक स्थानों जैसा सम्मान देता है। एक अच्छा स्पोर्ट्समैन कभी भी विरोधी टीम के खिलाड़ियों को अपना शत्रु नहीं समझता, बल्कि उनकी ओर से दिखाई गई अच्छी खेल की प्रशंसा करता है।

स्पोर्ट्समैनशिप एक ऐसी भावना है, जो व्यक्ति के अन्दर जागृत होती है। यह वंशानुगत नहीं, अपितु लहर और जज्बे की भान्ति मनुष्य के अन्दर से उठती है। प्रत्येक शारीरिक शिक्षा के अध्यापक का यह भरसक प्रयास होता है कि वह इस भावना को और उजागर करने में सहायता करें, क्योंकि ऐसी भावना वाले खिलाड़ी अथवा व्यक्ति का सम्मान समाज में अधिक होता है। यह तो जन्म के साथ-साथ चलती है और जैसे-जैसे व्यक्ति बड़ा होता है, वैसे-वैसे सुदृढ़ होकर निखरती जाती है। इस भावना के अंतर्गत स्पोर्ट्समैन खेलों के नियमों का पालन करता है। वह हर समय खेलों के विकास के लिए सहयोग देने के लिए तैयार रहता है।

एक अच्छे स्पोर्ट्समैन खिलाड़ी के गुण (Qualities of Good Sportsman)-एक अच्छे खिलाड़ी में निम्नलिखित गुणों का विकास होना आवश्यक है
1. सहनशीलता (Tolerance):
सहनशीलता खिलाड़ी का एक महत्त्वपूर्ण गुण है। खेल के दौरान अनेक ऐसे अवसर आते हैं, जब विजयी होने से बहुत प्रसन्नता मिलती है और हार जाने पर उदासी के बादल छा जाते हैं, परंतु अच्छा खिलाड़ी वही होता है जो विजयी . होने पर भी हारी हुई टीम अथवा खिलाड़ी को उत्साहित करे और हार जाने पर विजयी टीम को पूरे मान-सम्मान के साथ बधाई दे।

2. समानता की भावना (Spirit of Equality):
समानता की भावना खिलाड़ी के गुणों में एक महत्त्वपूर्ण गुण है। एक अच्छा खिलाड़ी खेल के दौरान जाति-पाति, धर्म, रंग, संस्कृति और सभ्यता के भेदभाव से दूर होकर प्रत्येक खिलाड़ी के साथ समानता का व्यवहार करता है।

3. सहयोग की भावना (Spirit of Co-operation):
एक अच्छे खिलाड़ी का महत्त्वपूर्ण गुण सहयोग की भावना है। यह भावना ही खेल के मैदान में सभी टीमों के खिलाड़ियों को एकजुट करती हैं। वे अपने कप्तान के अधीन रहकर विजय के लिए संघर्ष करते ‘ हैं और विजय का श्रेय केवल कप्तान अथवा किसी एक खिलाड़ी को नहीं जाता, बल्कि यह सारी टीम को जाता है।

4. अनुशासन की भावना (Spirit of Discipline):
एक अच्छे खिलाड़ी का मुख्य गुण यह है कि वह नियमपूर्वक अनुशासन में कार्य करे। वास्तविक स्पोर्ट्समैनशिप वही होती है, जिसमें खेल के सभी नियमों की पालना बहुत ही अच्छे ढंग से की जाए।

5. चेतनता (Consciousness or Awareness):
किसी भी खेल के दौरान चेतन या सचेत रहकर प्रत्येक अवसर का लाभ उठाना ही स्पोर्ट्समैनशिप है। खेल में थोड़ी-सी लापरवाही भी विजय को पराजय में और सावधानी पराजय को विजय में बदल देती है। अन्य शब्दों में, प्रत्येक क्षण की चेतनता स्पोर्ट्समैन का महत्त्वपूर्ण अंग है।

6. ईमानदार और परिश्रमी (Honest and Hard Working):
एक अच्छे स्पोर्ट्समैन का ईमानदार और परिश्रमी होना सबसे मुख्य गुण है। अच्छा स्पोर्ट्समैन कठोर परिश्रम का सहारा लेता है। वह उच्च खेल की प्राप्ति के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग नहीं करता, बल्कि टीम के मान-सम्मान और देश की शान के लिए आगे बढ़ता है। .

7. हार-जीत में अंतर न समझना (No Difference between Victory and Defeat):
एक अच्छा खिलाड़ी वही माना जाता है जो खेल के नियमों का पालन करता है और वफादारी के साथ खेल में भाग लेता है। यदि खेल के अच्छे प्रदर्शन से उसकी टीम विजयी होती है तो खुशी में वह विरोधी टीम अथवा खिलाड़ी को मज़ाक का हिस्सा नहीं बनाता, अपितु वह दूसरे पक्ष को अच्छे प्रदर्शन के लिए बधाई देता है। यदि वह पराजित हो जाता है तो वह निराश होकर अपना मानसिक संतुलन नहीं गँवाता।

8. ज़िम्मेदारी की भावना (Spirit of Responsibility):
एक अच्छा खिलाड़ी अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छी तरह समझता है और उसको ठीक ढंग से निभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ता। उसे इस बात का एहसास होता है कि यदि वह अपनी जिम्मेदारी से थोड़ा-सा भी पीछे हटा तो उसकी टीम की पराजय निश्चित है। परिणामस्वरूप खिलाड़ी अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह निभाते हुए खेल में शुरू से लेकर अंत तक पूरी शक्ति से भाग लेता है।

9. मुकाबले की भावना (Spirit of Competition):
एक अच्छा खिलाड़ी वही है, जो अपनी जिम्मेदारी को समझता है। वह प्रत्येक कठिनाई में साथी खिलाड़ियों को हौसला देता है और अच्छा खेलने, उत्साह और अन्य प्रयत्न करने की प्रेरणा देता है। वास्तव में खेल की विजय का सारा रहस्य मुकाबले की भावना में होता है। वह करो या मरो की भावना से खेल के मैदान में जूझता है, परन्तु यह भावना बिना किसी वैर-विरोध के होती है। इस भावना में किसी टीम अथवा खिलाड़ी के प्रति बुरी भावना नहीं रखी जाती।

10. त्याग की भावना (Spirit of Sacrifice):
एक अच्छे खिलाड़ी में यह गुण होना भी अनिवार्य है। किसी भी टीम में खिलाड़ी केवल अपने लिए ही नहीं खेलता, अपितु उसका मुख्य लक्ष्य सारी टीम को विजयी करने का होता है। इससे स्पष्ट है कि प्रत्येक खिलाड़ी निजी स्वार्थ को त्यागकर पूरी टीम के लिए खेलता है। वह अपनी टीम को विजयी करने के लिए बहुत संघर्ष करता है। वह अपनी टीम की विजय को अपनी विजय समझता है और उसका सिर सम्मान से ऊँचा हो जाता है। परिणामस्वरूप त्याग की भावना रखने वाला खिलाड़ी ही वास्तव में अच्छा खिलाड़ी होता है। ऐसी भावना वाले खिलाड़ी ही अपनी टीम, स्कूल, प्रांत, क्षेत्र, देश और राष्ट्र के नाम को चार चाँद लगाते हैं।

11. आत्म-विश्वास की भावना (Spirit of Self-confidence):
यह गुण खिलाड़ी का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण गुण है। खेल वही खिलाड़ी जीत सकता है, जिसमें आत्म-विश्वास की भावना है। आत्म-विश्वास के बिना खेलना असंभव है। अच्छा खिलाड़ी संतुष्ट और शांत स्वभाव वाला दिखाई देता है। इससे उसका आत्म-विश्वास ज़ाहिर होता है।

12. भ्रातृभाव की भावना (Spirit of Brotherhood):
स्पोर्ट्समैन में भ्रातृभाव की भावना का होना बहुत आवश्यक है। वह जाति-पाति, रंग-भेद, धर्म, संस्कृति और सभ्यता को अपने रास्ते में नहीं आने देता और सभी व्यक्तियों से एक-जैसा व्यवहार करता है। वह सबको एक प्रभु की संतान मानता है और इस कारण वे सभी भाई-भाई हैं।

प्रश्न 4.
टूर्नामेंट करवाने के लिए कौन-कौन-सी प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
खेलकूद प्रतियोगिताएँ करवाने के लिए आमतौर पर हम किन-किन प्रणालियों को अपनाते हैं?
उत्तर:
टूर्नामेंट खेलकूद प्रतियोगिताएँ करवाने के लिए निम्नलिखित प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं.

1. नॉक-आउट प्रणाली (Knock-out System):
नॉक-आउट प्रणाली के अंतर्गत टीमों की गिनती देखकर विगत चार वर्षों की विजयी टीमों को बारी दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इनमें से कोई टीम पहले चरण में एक-दूसरे से मुकाबला करके हार न जाए। सामान्यतया विगत वर्ष की विजयी टीम को सबसे ऊपर, रनर-अप टीम को सबसे नीचे और तीसरे व चौथे स्थान पर रहने वाली टीम को कहीं बीच में रखा जाता है। शेष टीमों को उनकी स्थिति या पर्चियाँ डालकर जोड़ियों में बदला जाता है। फाइनल में जीतने वाली टीम को विजेता और हारने वाली या दूसरे नंबर पर आने वाली टीम को उपविजेता (रनर-अप) घोषित किया जाता है और सेमी-फाइनल में हारने वाली टीमों को तीसरा व चौथा स्थान मिलता है।

2. लीग-कम-नॉक-आउट प्रणाली (League-cum-Knock-out System):
लीग-कम-नॉक-आउट प्रणाली में खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाली टीमों के ग्रुप बना दिए जाते हैं। किसी भी ग्रुप में टीमों की संख्या तीन से कम नहीं होती। ग्रुप प्रणाली में मैच लीग प्रणाली के आधार पर खेले जाते हैं। हर ग्रुप में प्रथम स्थान पर आने वाली टीम नॉक-आउट प्रणाली द्वारा खेलती है ताकि पहले चार स्थानों को सुनिश्चित किया जा सके। लेकिन जब ग्रुपों की संख्या दो हो तो प्रत्येक ग्रुप की दो विजेता टीमें अन्तिम चार में स्थान प्राप्त करती हैं और यहाँ ये आपस में एक दूसरे ग्रुप की टीमों से खेलती हैं। ये टीमें पहले दो स्थानों के लिए आपस में खेलती हैं। पहले ग्रुप की विजयी टीम दूसरे ग्रुप की रनर-अप टीम के साथ खेलती है। हारने वाली टीमें तीसरे तथा चौथे स्थान के लिए खेलती हैं। यदि टीमों को चार ग्रुपों (A, B, C, D) में बाँटा जाए तो प्रत्येक ग्रुप की विजेता टीम को लिया जाता है। A-ग्रुप की विजयी टीम C-ग्रुप की विजयी टीम से खेलेगी। B-ग्रुप की विजयी टीम D-ग्रुप की विजयी टीम के साथ खेलेगी। जो दो टीमें विजयी होंगी वे आपस में फाइनल में आमने-सामने होंगी।

3. नॉक-आउट-कम-लीग प्रणाली (Knock-out-cum League System):
इस प्रणाली में नॉक-आउट प्रणाली द्वारा सेमी-फाइनल (Semi-final) में पहुँचने वाली टीमों को पुनः लीग के अनुसार खेलना पड़ता है। अंकों के आधार पर प्रथम चार स्थानों का निर्णय किया जाता है।

4. लीग प्रणाली (League System):
लीग टूर्नामेंट वह टूर्नामेंट है जिसमें भाग लेने वाली प्रत्येक टीम एक-दूसरे के खिलाफ खेलती हैं। इस टूर्नामेंट में विजयी टीम को 2 अंक, मैच को ड्रॉ करवाने वाली टीमों को 1 – 1 अंक और हारने वाली टीम को शून्य दिया जाता है। लीग प्रणाली में सर्वाधिक अंक अर्जित करने वाली टीम को विजयी घोषित कर ईनाम दिया जाता है। यदि दो टीमों के अंक बराबर हों तो ऐसी स्थिति में उनके द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर विजेता टीम का फैसला किया जाता है।

5. लीग-कम-लीग प्रणाली (League-cum-League System):
इस प्रणाली में आयोजित टूर्नामेंट के विभिन्न पूलों (वर्गों) में विजयी टीमों को एक-दूसरे के खिलाफ खेलना पड़ता है।

6. दोहरी लीग प्रणाली (Double League System):
दोहरी लीग प्रणाली में पूल नहीं बनाए जाते। सभी टीमें एक-दूसरे के साथ आपस में खेलती हैं। सभी टीमें आपस में बिना पूल के दो बार खेलती हैं। जो टीम दोनों बार अधिक-से-अधिक अंक प्राप्त करती है तो अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजयी घोषित कर दिया जाता है।

प्रश्न 5.
खेल प्रतियोगिताओं से खिलाड़ी में किन-किन गुणों का विकास होता है? व्याख्या कीजिए।
अथवा
खेल प्रतियोगिताओं से खिलाड़ी या व्यक्ति में कौन-कौन-से गुण विकसित होते हैं? विस्तृत वर्णन करें। अथवा “खेलकूद से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव होता है।” इस कथन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खेलों का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है, क्योंकि इनसे व्यक्ति को न केवल शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि ये उसके सम्मान में भी वृद्धि करने में सहायक होते हैं। इनसे व्यक्तियों या खिलाड़ियों में विभिन्न प्रकार के नैतिक एवं सामाजिक गुणों का विकास होता है। ये उनके सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं। अत: खेल प्रतियोगिताओं से खिलाड़ी में विकसित होने वाले गुण निम्नलिखित हैं

1. आत्म-विश्वास (Self-confidence):
खेल एक व्यक्ति में आत्म-विश्वास (Self-confidence) का गुण विकसित करते हैं। जब वह जीत जाता है तो उसे लगता है कि वह कुछ भी कर सकता है। अतः खेलों से खिलाड़ी में आत्म-विश्वास बढ़ता है।

2. आज्ञा पालन की भावना (Feeling of Obedience):
खेल प्रतियोगिता द्वारा खिलाड़ी में आज्ञा पालन की भावना विकसित हो जाती है। खेलते समय खिलाड़ी को अपने रैफरी, कोच या कप्तान के आदेशों का पालन करना पड़ता है। इससे उसे आज्ञा पालन की आदत पड़ जाती है।

3. उत्तरदायित्व की भावना (Feeling of Responsibility):
खिलाड़ी को हर समय ध्यान रखना पड़ता है कि उसकी लापरवाही से टीम पराजित हो सकती है। खेलों से उसमें उत्तरदायित्व की भावना आ जाती है।

4. त्याग की भावना (Feeling of Sacrifice):
खेल के समय खिलाड़ी अपने हितों को त्यागकर टीम के हितों का ध्यान रखता है। उसमें त्याग का गुण विकसित हो जाता है।

5. दृढ़-संकल्प की भावना (Feeling of Resolution):
खिलाड़ी जीतने के लिए जी-तोड़ मेहनत करता है। जीतने की इच्छा उसमें दृढ़-संकल्प की भावना उत्पन्न करती है।

6. समय का पाबंद (Punctuality):
खिलाड़ी को समय पर खेलने जाना पड़ता है। थोड़ी देर से पहुँचने पर वह मैच में भाग नहीं ले सकता। इस प्रकार खेल प्रतियोगिता मनुष्य को समय का पाबंद बनाती है।

7. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना (Feeling of International Co-operation):
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देशों के खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं और उनके संपर्क में आते हैं, जिससे उन्हें एक-दूसरे को समझने का अवसर मिलता है और उनमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।

8. दूसरों की सहायता की भावना (Feeling of Co-operation):
खिलाड़ी को अन्य खिलाड़ियों के साथ मिलकर खेलना पड़ता है। उसमें दूसरों की सहायता करने की भावना उत्पन्न हो जाती है।

9. आदर्श खेल की भावना (Spirit of Fair Play):
अच्छा खिलाड़ी खेल को खेल के लिए खेलता है, न कि हार-जीत के लिए। वह हेरा-फेरी से या फाउल खेलकर जीतना नहीं चाहता, जिससे उसमें आदर्श खेल की भावना आ जाती है।

10. अनुशासन का गुण (Quality of Discipline):
प्रत्येक खेल नियमों में बंधे होते हैं। इन नियमों की पालना हर खिलाड़ी को करनी होती है। यदि वह इन नियमों की अवहेलना करता है तो उसे खेल से बाहर कर दिया जाता है। इसलिए खिलाड़ी इन नियमों की पालना करता है जिससे उसमें अनुशासन का गुण विकसित हो जाता है।

11. चरित्र का विकास (Development of Character):
खेलों से खिलाड़ी के चरित्र का विकास भी होता है क्योंकि खिलाड़ी के पास खाली समय न होने के कारण उसमें बुरी आदतें नहीं पनप पातीं।

12. भावनाओं पर नियंत्रण (Control on Emotions):
एक व्यक्ति खेलते समय खेल में इतना मग्न हो जाता है कि वह जीवन की चिंताओं व झंझटों की ओर कोई ध्यान नहीं देता। वह खेलों के माध्यम से क्रोध, चिन्ता, भय आदि भावनाओं पर नियन्त्रण पा लेता है।

13. सहनशीलता एवं धैर्य की भावना (Feeling of Tolerance and Patience):
खेलों से खिलाड़ी में सहनशीलता एवं धैर्य की भावना विकसित होती है। यह भावना उसके जीवन को गति प्रदान करती है और उसके सम्मान में भी वृद्धि करती है।

प्रश्न 6.
लीग टूर्नामेंट किसे कहते हैं? इस टूर्नामेंट में फिक्सचर/आरेखण देने की प्रक्रिया का उल्लेख करें।
अथवा
लीग टूर्नामेंट में फिक्सचर तैयार करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधियों का वर्णन करें।
उत्तर:
लीग टूर्नामेंट का अर्थ (Meaning of League Tournament):
लीग टूर्नामेंट वह टूर्नामेंट है जिसमें भाग लेने वाली प्रत्येक टीम एक-दूसरे के खिलाफ खेलती हैं। लीग टूर्नामेंट में सर्वाधिक अंक अर्जित करने वाली टीम को विजयी घोषित कर ईनाम दिया जाता है। यदि दो टीमों के अंक बराबर हों तो ऐसी स्थिति में उनके द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर विजेता टीम का फैसला किया जाता है।

लीग टूर्नामेंट में फिक्सचर देने की प्रक्रिया (Drawing the Fixture in League Tournament):
लीग टूर्नामेंट में फिक्सचर तैयार करने के तीन मुख्य तरीके निम्नलिखित हैं…

1. सीढ़ीनुमा विधि (Staircase Method)किसी भी टीम को कोई बाई नहीं दी जाती और इसमें टीमों की संख्या सम हो या विषम हो, कोई समस्या नहीं होती।
उदाहरण-11 टीमों का फिक्सचर (Fixture) निम्नानुसार होगा
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खेले जाने वाले मैचों की कुल संख्या
= \(\frac{N(N-1)}{2}\) = \(\frac{11(11-1)}{2}\) = \(\frac{11(10)}{2}\) = \(\frac{110}{2}\) = 55

2. चक्रीय/साइक्लिक विधि (Cyclic Method):
इस पद्धति में एक टीम को स्थिर रखा जाता है और अन्य टीमें एक विशेष . दिशा में आगे बढ़ती हैं। यदि टीमों की संख्या सम होती है तो कोई बाई नहीं दी जाती, लेकिन अगर भाग लेने वाली टीमों की संख्या विषम हो, तो प्रत्येक दौर (राउंड) में एक बाई दी जाती है।
उदाहरण-8 टीमों का फिक्सचर (सम संख्या)
कुल टीमें = 8

मैचों की संख्या = \(\frac{\mathrm{N}(\mathrm{N}-1)}{2}\) = \(\frac{8(8-1)}{2}\) = \(\frac{8(7)}{2}\) = \(\frac{56}{2}\) = 28
राउंड की संख्या = N – 1 = 8 – 1 =7
8 टीमों का फिक्सचर:
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3. सारणी बंध/टैबूलर विधि (Tabular Method):
इस विधि में टैबूलर की तरह फिक्सचर पाया जाता है अर्थात् टेढ़ी व खड़ी रेखाएँ बनाकर फिक्सचर पाया जाता है। यदि टीमों की कुल संख्या समान (Even) हो तो खानों/वर्गों में कुल संख्या = N + 1 होगी। यदि टीमों की कुल संख्या विषम (Odd) हो तो खानों/वर्गों की कुल संख्या = N + 2 होगी। खानों की अपेक्षित संख्या बना लेने के बाद चौरस के ऊपर वाले कोने को उसके उलट नीचे वाले कोने से मिला देना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि 6 टीमों का फिक्सचर पाना है तो कुल टीमें 6 + 1 = 7 खाने कुल राउंड = 5.
6 टीमों का फिक्सचर
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प्रश्न 7.
फिक्सचर/आरेखण क्या है? नॉक-आउट टूर्नामेंट के आधार पर 19 टीमों का एक फिक्सचर तैयार करें।
उत्तर:
(1) फिक्सचर का अर्थ (Meaning of Fixture):
फिक्सचर या स्थिरता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से टीमों/ खिलाड़ियों के बीच प्रतियोगिता टॉस आदि द्वारा निश्चित की जाती है। यह टीमों को उनकी टीम द्वारा खेले जाने वाले मैच का समय, स्थान और तिथि,के बारे में सूचित करता है।

(2) नॉक-आउट टूर्नामेंट में फिक्सचर तैयार करना (Drawing the Fixture in Knock-out Tournament):
नॉक-आउट टूर्नामेंट के आधार पर 19 टीमों का फिक्सचर इस प्रकार होगा

ऊपरी अर्ध-भाग की टीमें = \(\frac{\mathrm{N}+1}{2}\)
= \(\frac{19+1}{2}\) = \(\frac{20}{2}\) = 10

निचले अर्ध-भाग की टीमें =\(\frac{\mathrm{N}-1}{2}\)
= \(=\frac{19-1}{2}\) = \(\frac{18}{2}\) = 9

दी जाने वाली बाईज़ की संख्या (टीमों की संख्या को 2 की पावर (घात) वाले अगले उच्च अंक में से घटाएँ) अर्थात् 32 – 19 = 13
ऊपरी अर्ध-भाग में दी जाने वाली बाईज़ की संख्या = = \(\frac{N b-1}{2}\) = \(\frac{13-1}{2}\) = \(\frac{12}{2}\) = 6
निचले अर्ध-भाग में दी जाने वाली बाईज़ की संख्या = \(\frac{N b+1}{2}\) = \(\frac{13+1}{2}\) = \(\frac{14}{2}\) = 7
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लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
टूर्नामेंट क्या है? इसको आयोजित करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
टूर्नामेंट-टूर्नामेंट एक प्रतिस्पर्धा है जिसमें अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में प्रतियोगी भाग लेते हैं। अत: टूर्नामेंट विभिन्न टीमों के बीच कई दौरों की एक बड़ी प्रतियोगिता है। यह एक निश्चित कार्यक्रम के अनुसार किसी विशेष गतिविधि में विभिन्न टीमों के बीच आयोजित एक प्रतियोगिता है जहाँ विजेता का फैसला किया जाता है। टूर्नामेंट आयोजित करवाते समय ध्यान देने योग्य बातें-टूर्नामेंट आयोजित करवाते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए

(1) किसी टूर्नामेंट का आयोजन करने हेतु अपेक्षित समय होना चाहिए।
(2) टूर्नामेंट के दौरान प्रयोग होने वाले अपेक्षित सामान व उपकरणों की व्यवस्था टूर्नामेंट से पहले ही करनी चाहिए।
(3) टूर्नामेंट में शामिल होने वाली टीमों को समय रहते टूर्नामेंट आयोजन की जानकारी देनी चाहिए, ताकि सभी टीमें अपनी आवश्यक तैयारी कर सकें।
(4) टूर्नामेंट को आयोजित करने वाले अच्छे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की पहले ही व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि टूर्नामेंट का आयोजन सही ढंग से हो सके।
(5) टूर्नामेंट संबंधी आवश्यक समितियों की व्यवस्था पहले ही कर लेनी चाहिए और उनको जिम्मेवारियाँ बाँट देनी चाहिए।
(6) टूर्नामेंट पर खर्च होने वाली राशि का पूर्व अनुमान कर लेना चाहिए, ताकि धन की कमी के कारण टूर्नामेंट के बीच में कोई बाधा उत्पन्न न हो।

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प्रश्न 2.
खेल मुकाबलों से क्या-क्या लाभ होते हैं? संक्षेप में वर्णन करें। अथवा खेल प्रतियोगिताओं के लाभ बताइए।
उत्तर खेलों का जन्म मनुष्य के जन्म के साथ ही हुआ। खेल प्रतियोगिताएँ आधुनिक मनुष्य के जीवन का अटूट अंग हैं । ये हमारे लिए निम्नलिखित प्रकार से लाभदायक हैं
(1) खेल प्रतियोगिता मनुष्य में आत्म-विश्वास का गुण विकसित करती है। यह आत्म-विश्वास उसे विपत्तियों का निडरता से सामना करने में सहायक होता है।
(2) दिन-भर काम करने के पश्चात् उसमें कुछ अतिरिक्त शारीरिक शक्ति बच जाती है। इस बची हुई शक्ति का खेल प्रतियोगिता में भाग लेने से ठीक प्रयोग हो जाता है।
(3) खेल प्रतियोगिता में भाग लेने से मनुष्य के मन के संवेगों का निकास हो जाता है, जिससे वह राहत महसूस करता है।
(4) खेल प्रतियोगिताएँ मनुष्य में मुकाबले की भावना पैदा करती हैं।
(5) खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने से मनुष्य का मनोरंजन होता है और वह उकताहट व थकावट से छुटकारा पा लेता है।
(6) खेल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ी का शरीर बलवान रहता है। उसमें चुस्ती और स्फूर्ति रहती है तथा स्वास्थ्य ठीक रहता है।
(7) अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देशों के खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं और उनके संपर्क में आते हैं, जिससे उन्हें एक-दूसरे को समझने का अवसर मिलता है और उनमें अंतर्राष्ट्रीय भावना उत्पन्न होती है।
(8) खेल प्रतियोगिता द्वारा व्यक्ति में दृढ़-संकल्प आता है। वह सही समय पर सही निर्णय लेना सीख जाता है। इससे वह अपनी टीम की हार को भी जीत में बदल सकता है।
(9) खेल प्रतियोगिता से खिलाड़ियों को नए नियमों की जानकारी मिलती है जिससे वे अपने खेल के स्तर को ऊँचा कर सकते हैं।
(10) खेल प्रतियोगिताओं से अनेक नैतिक एवं सामाजिक गुण विकसित होते हैं।

प्रश्न 3.
प्रतियोगितात्मक खेलकूदों के मुख्य उद्देश्य बताएँ। अथवा खेलों के प्रमुख उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रतियोगितात्मक खेलकूदों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
(1) शारीरिक विकास में सहायता करना।
(2) आत्म-अभिव्यक्ति का अवसर देना।
(3) नेतृत्व का गुण विकसित करना।
(4) आदर्श खेल भावना का विकास करना।
(5) त्याग एवं सहयोग की भावना का विकास करना।
(6) समय के प्रति जागरूकता की भावना पैदा करना।
(7) प्रतिस्पर्धा की भावना का विकास करना।
(8) देश-भक्ति की भावना का विकास करना।

प्रश्न 4.
रंगास्वामी कप या राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
भारतीय हॉकी एसोसिएशन ने राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता सन् 1927 में आरंभ करवाई। इस प्रतियोगिता में मोरिस नामक न्यूजीलैंड के निवासी को सन् 1935 में तथा सन् 1946 में पंजाब एसोसिएशन के सचिव बख्शीश अलीशेख को शील्ड प्रदान की गई। लेकिन विभाजन के कारण यह शील्ड पाकिस्तान में ही रह गई, क्योंकि बख्शीश अलीशेख पाकिस्तान में रहने लगा था। विभाजन के पश्चात् मद्रास के समाचार-पत्र ‘हिंद’ तथा ‘स्पोर्ट्स एंड पास्टाइम’ के मालिकों ने अपने संपादक श्री रंगास्वामी के नाम पर राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता के लिए एक नया कप प्रदान किया। इस कारण इस प्रतियोगिता को ‘रंगास्वामी कप’ के नाम से जाना जाता है। यह प्रतियोगिता ‘नॉक-आउट’ स्तर पर करवाई जाती है।

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प्रश्न 5.
सुबोटो मुखर्जी कप टूर्नामेंट पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
डूरंड कमेटी पिछले कई वर्षों से सीनियर वर्ग के लिए फुटबॉल का टूर्नामेंट करवा रही है। इस कमेटी ने स्कूल के बच्चों के लिए खेल की महत्ता को.मुख्य रखते हुए सुब्रोटो मुखर्जी फुटबॉल टूर्नामेंट शुरू किया है। यह टूर्नामेंट प्रतिवर्ष नवंबर और दिसंबर के महीने में दिल्ली में खेला जाता है। इस टूर्नामेंट में किसी राज्य की एक ही स्कूल की सर्वोत्तम टीम भाग ले सकती है। इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले खिलाड़ी की आयु 16 वर्ष तक की होनी चाहिए। विजयी टीम को एक आकर्षक ट्रॉफी दी जाती है और अच्छे खिलाड़ियों को वजीफे भी दिए जाते हैं।

प्रश्न 6.
खेल एक व्यक्ति में किस प्रकार नेतृत्व का गुण उत्पन्न करने में सहायक होते हैं?
उत्तर:
खेल एक व्यक्ति में नेतृत्व का गुण उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। खेलकूद में नेतृत्व करने वाला व्यक्ति जीवन में भी नेतृत्व करने की कला सीख जाता है। देश के लिए अच्छा नेता वरदान सिद्ध होता है। इतिहास साक्षी है कि खेल के मैदानों ने हमें अनुशासन-प्रिय, आत्म-त्यागी, आत्म-संयमी, ईमानदार और देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले नागरिक व सैनिक प्रदान किए हैं। इसीलिए तो ड्यूक ऑफ विलिंग्टन ने वाटरलू के युद्ध में नेपोलियन महान् को पराजित करने के पश्चात् कहा था, “वाटरलू का युद्ध तो ऐटन और हैरो के खेल के मैदान में जीता गया था।”

प्रश्न 7.
नॉक-आउट प्रणाली का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नॉक-आउट के अंतर्गत विगत चार वर्षों की विजयी टीमों को बारी दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि इनमें से कोई टीम पहले चरण में एक-दूसरे से मुकाबला करके हार न जाए। सामान्यतया विगत वर्ष की विजयी टीम को सबसे ऊपर, रनर-अप टीम को सबसे नीचे और तीसरे व चौथे स्थान पर रहने वाली टीम को कहीं बीच में रखा जाता है। शेष टीमों को उनकी स्थिति या पर्चियाँ डालकर जोड़ियों में बाँटा जाता है। फाइनल में जीतने वाली टीम को विजेता और हारने वाली या दूसरे नंबर पर आने वाली टीम को उपविजेता (रनर-अप) घोषित किया जाता है।

प्रश्न 8.
खेल प्रतियोगिताएँ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना को कैसे बढ़ाती हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में एक देश के खिलाड़ी दूसरे देशों के खिलाड़ियों के साथ खेलते हैं और उनके संपर्क में आते हैं, जिससे उन्हें एक-दूसरे को समझने का अवसर मिलता है। इससे दोनों देशों के खिलाड़ियों में मित्रता व सूझ–बूझ बढ़ती है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना विकसित होती है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना से विश्व में शांति स्थापित करने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 9.
खेल मुकाबले व्यक्ति के चरित्र-विकास में कैसे सहायक होते हैं?
उत्तर:
खेल मुकाबले व्यक्ति के चरित्र-विकास में सहायक होते हैं। कई बार हम देखते हैं कि कुछ व्यक्ति खेलों में विजय प्राप्त करने के लिए दूसरी टीम के खिलाड़ियों को धन का लोभ देते हैं। प्रभावित खिलाड़ी प्रायश्चित करने के बाद भी अपना खोया हुआ सम्मान वापिस प्राप्त नहीं कर पाता। एक अच्छा खिलाड़ी साफ-सुथरा खेलते हुए खेल में विजय प्राप्त करने का प्रयास करता है। वह विजय के लिए किसी गलत ढंग का सहारा नहीं लेता। खेल मुकाबलों से उसमें अनेक सामाजिक व नैतिक गुण विकसित होते हैं; जैसे सहयोग, सहनशीलता, अनुशासन, बंधुत्व व आत्मविश्वास आदि। अतः स्पष्ट है कि खेलों से व्यक्ति/खिलाड़ी में अनेक चारित्रिक गुण विकसित होते हैं।

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प्रश्न 10.
राष्ट्र को खेल मुकाबलों से क्या लाभ होते हैं? अथवा
किसी भी राष्ट्र के लिए खेलों का क्या महत्त्व है? उत्तर-राष्ट्र को खेल मुकाबले से निम्नलिखित लाभ होते हैं

1. राष्ट्रीय एकता:
खेलों के माध्यम से व्यक्तियों में राष्ट्रीय एकता का विकास होता है। एक राज्य के खिलाड़ी दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों से खेलने के लिए आते-जाते रहते हैं। उनके परस्पर समन्वय से राष्ट्रीय भावना उत्पन्न होती है।

2. अंतर्राष्ट्रीय भावना:
एक देश की टीमें दूसरे देशों में मैच खेलने जाती हैं। इससे दोनों देशों के खिलाड़ियों में मित्रता और सूझ-बूझ बढ़ती है, जिससे परस्पर भेदभाव मिट जाते हैं। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय भावना विकसित होती है। अंतर्राष्ट्रीय भावना के विकास से शांति स्थापित होती है।

3. अच्छे और अनुभवी नेता:
खेलों के द्वारा अच्छे नेता पैदा होते हैं क्योंकि खेल के मैदान में खिलाड़ियों को नेतृत्व के बहुत से अवसर मिलते हैं। खेलों के ये खिलाड़ी बाद में अच्छी तरह से अपने देश की बागडोर संभालने में सक्षम हो सकते हैं।

4. अच्छे नागरिक गुणों का विकास:
खेलें खिलाड़ियों में आज्ञा-पालन, नियम-पालन, जिम्मेदारी निभाना, आत्म-विश्वास, सहयोग आदि गुणों का विकास करती हैं। इन गुणों से युक्त व्यक्ति श्रेष्ठ नागरिक बन जाता है। श्रेष्ठ और अच्छे नागरिक ही देश की बहुमूल्य संपत्ति होते हैं।

प्रश्न 11.
विद्यार्थी जीवन में खेलकूद का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
विद्यार्थी जीवन में खेलकूद का विशेष महत्त्व है। विद्यार्थी शुरू से ही खेलों में रुचि लेते हैं तथा पढ़ाई के साथ उनकी यह रुचि और बढ़ जाती है। विद्यार्थियों के मानसिक विकास के साथ-साथ शारीरिक विकास का भी होना अति आवश्यक है। स्वस्थ मस्तिष्क स्वस्थ शरीर में ही निवास करता है। अत: खेलकूद एवं व्यायाम शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं। इनसे विद्यार्थियों का सर्वांगीण व्यक्तित्व विकसित होता है। खेलों का न केवल शारीरिक विकास की दृष्टि से अधिक महत्त्व है, बल्कि बौद्धिक, शैक्षिक, सामाजिक, संवेगात्मक विकास आदि के लिए भी इनका उतना ही महत्त्व है।

प्रश्न 12.
एक अच्छे स्पोर्ट्समैन में कौन-कौन-से गुण होने चाहिएँ?
उत्तर:
एक अच्छे स्पोर्ट्समैन में निम्नलिखित गुण होने चाहिएँ
(1) एक अच्छे स्पोर्ट्समैन में खेल भावना अवश्य होनी चाहिए।
(2) उसमें सहनशीलता एवं धैर्यता होनी चाहिए। उसको हार-जीत को अपने पर हावी नहीं होने देना चाहिए। हारने पर आवश्यकता से अधिक उत्साहित नहीं होना चाहिए और जीतने पर खुशी में मस्त होकर विरोधी टीम या खिलाड़ी का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
(3) उसमें अनुशासन, आत्म-विश्वास, सहयोग, समानता, त्याग आदि की भावना होनी चाहिए।
(4) उसे ईमानदार एवं परिश्रमी होना चाहिए।
(5) उसमें प्रतिस्पर्धा और जिम्मेदारी की भावना होनी चाहिए।
(6) उसमें भातृत्व की भावना भी होनी चाहिए। रंग, रूप, आकार, धर्म आदि के नाम पर किसी से कोई मतभेद नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 13.
खेलों से खिलाड़ी या व्यक्ति में विकसित होने वाले प्रमुख गुण बताएँ। उत्तर-खेलों से खिलाड़ी या व्यक्ति में निम्नलिखित प्रमुख गुण विकसित होते हैं
1. आत्म:
विश्वास-खेलें मनुष्य में आत्म-विश्वास का गुण विकसित करती हैं। यही आत्म-विश्वास उसे विपत्तियों का निडरता से सामना करने में सहायक होता है।

2. आदर्श खेल की भावना:
अच्छा खिलाड़ी खेल को खेल की भावना से खेलता है, हार-जीत के लिए नहीं। वह हेरा-फेरी से या फाउल खेलकर जीतना नहीं चाहता, जिससे उसमें आदर्श खेल की भावना आ जाती है।

3. मुकाबले की भावना:
खेल मनुष्य में मुकाबले की भावना पैदा करते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी विरोधी खिलाड़ी से अच्छा खेलने का प्रयत्न करता है। वे पहले खेलों में फिर जीवन में दूसरों से डटकर मुकाबला करना सीखते हैं।

4. दूसरों की सहायता की भावना:
खिलाड़ी को हर समय दूसरों के साथ मिलकर खेलना पड़ता है। अतः उसमें दूसरों की सहायता करने की भावना उत्पन्न हो जाती है।

5. त्याग की भावना:
खेलों से खिलाड़ी में त्याग का गुण विकसित हो जाता है।

प्रश्न 14.
खेलों द्वारा बच्चे कौन-से अच्छे गुण सीखते हैं?
उत्तर:
खेलों द्वारा बच्चे निम्नलिखित गुण सीखते हैं
(1) बड़ों, अध्यापकों तथा कोचों की आज्ञा का पालन करना।
(2) नियमों की पालना तथा समय का पाबंद होना।
(3) दूसरों के साथ मिलकर चलना तथा सहयोगी बनना।
(4) मन में पक्का इरादा तथा स्व-विश्वास पैदा करना।

प्रश्न 15.
एथलेटिक्स में कितने प्रकार के इवेंट्स होते हैं? उल्लेख कीजिए।
अथवा
एथलेटिक्स में फील्ड इवेंट्स कौन-कौन-से होते हैं?
अथवा
एथलेटिक्स में छलाँग एवं श्री इवेंट्स का उल्लेख करें।
उत्तर:
एथलेटिक्स में दो प्रकार के इवेंट्स होते हैं
1. ट्रैक इवेंट्स-ट्रैक इवेंट्स या दौड़ें निम्नलिखित प्रकार की होती हैं
(1) छोटी दूरी की दौड़,
(2) मध्यम दूरी की दौड़,
(3) लम्बी दूरी की दौड़,
(4) बाधा दौड़ या हर्डल्ज,
(5) रिले दौड़।

2. फील्ड इवेंट्स-एथलेटिक्स में फील्ड इवेंट्स निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं
(1) छलाँग इवेंट्स-छलाँग या कूदने वाले इवेंट्स में निम्नलिखित इवेंट्स शामिल होते हैं
(i) ऊँची छलाँग,
(ii) लम्बी छलाँग,
(iii) ट्रिप्पल जंप,
(iv) पोल वॉल्ट।।

(2) थ्रो इवेंट्स-थ्रो इवेंट्स में निम्नलिखित इवेंट्स शामिल होते हैं
(i) जैवलिन थ्रो,
(ii) डिस्कस थ्रो,
(ii) शॉट पुट,
(iv) हैमर थ्रो।

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प्रश्न 16.
लीग टूर्नामेंट के मुख्य लाभ बताएँ।
उत्तर:
लीग टूर्नामेंट के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं
(1) यह टूर्नामेंट के एक योग्य विजेता को प्रस्तुत करता है।
(2) यह सभी प्रतियोगियों को रैंकिंग देता है।
(3) यह अंत तक रुचि को बनाए रखता है क्योंकि सभी प्रतिभागियों को लीग के अंत तक खेलना होता है।
(4) यह सभी टीमों या खिलाड़ियों को संतुष्ट करता है, क्योंकि सभी टीमों को एक-दूसरे के विरुद्ध खेलने का समान अवसर मिलता है।
(5) टीमों द्वारा अधिक संख्या में मैच खेले जा सकते हैं।
(6) अधिकतम संख्या में मैचों के कारण लीग टूर्नामेंट के माध्यम से खेलों को और अधिक लोकप्रिय बनाया जा सकता है।

प्रश्न 17.
बाई को निर्धारित करने का तरीका स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब प्रतियोगिता में कुल टीमों की संख्या 2 की घात (Power) में न हो तो बाई दी जाती है। बाई देने का तरीका है
(1) सबसे पहले बाई निचले अर्ध-भाग की अन्तिम टीम को दी जाती है।
(2) दूसरी बाई ऊपरी अर्ध-भाग की पहली टीम को दी जाती है।
(3) तीसरी बाई निचले अर्ध-भाग की सबसे ऊपरी टीम को दी जाती है।
(4) चौथी बाई ऊपरी अर्ध-भाग की सबसे नीचे वाली टीम को दी जाती है।
(5) अन्य बाई इसी क्रम से निर्धारित की जाती है।

प्रश्न 18.
सीढ़ीनुमा विधि का अनुसरण करते हुए लीग टर्नामेंट के आधार पर 9 वॉलीबॉल टीमों का एक फिक्सचर बनाएँ।
उत्तर:
9 वॉलीबॉल टीमों का फिक्सचर निम्नानुसार होगा
HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान 5

खेले जाने वाले मैचों की कुल संख्या:
=\(\frac{\mathrm{N}(\mathrm{N}-1)}{2}\) = \( \frac{9(9-1)}{2}\) = \(\frac{9(8)}{2}\) = \( \frac{72}{2} \) = 36

प्रश्न 19.
लीग टूर्नामेंट की टैबूलर विधि के आधार पर 7 टीमों का फिक्सचर बनाएँ।
उत्तर:
यदि 7 टीमों का फिक्सचर बनाना है, तो कुल टीमें 7 + 2 = 9 खाने
कुल राउंड =7
7 टीमों का फिक्सचर
HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान 6

पहला राउंडदूसरा राउंडतीसरा राउंडचौथा राउंडपाँचवाँ राउंडछठा राउंडसातवाँ राउंड
A × BA × CB × CB × DC × DC × ED × E
D × FE × FA × DA × EB × EB × FC × F
C × GD × GE × GF × GA × FA × GB × G
E  × बाईB × बाईF  × बाईC  × बाईG  × बाईD  × बाईA  × बाई

प्रश्न 20.
नॉक-आउट के आधार पर टूर्नामेंट में भाग लेने वाली 11 फुटबॉल टीमों का एक फिक्सचर बनाएँ।
उत्तर
टीमों की संख्या = 11
ऊपरी अर्ध-भाग की टीमें = \(\frac{\mathrm{N}+1}{2}\) = \(\frac{11+1}{2}\) = \(\frac{12}{2}\) = 6
निचले अर्ध-भाग की टीमें = \(\frac{\mathrm{N}-1}{2}\) = \(\frac{11-1}{2}\) = \(\frac{10}{2}\) = 5
बाईज़ की कुल संख्या = (24 – N)
16 – 11 = 5

N (टीमों की संख्या) को अगले उच्चतम मूल्य 24 (अर्थात् 16) में से घटाया जाना चाहिए।
बाईज़ की संख्या 16 – 11 = 5
ऊपरी अर्ध-भाग में दी जाने वाली बाईज़ की संख्या
= \(\frac{\mathrm{N} b-1}{2}\) = \(\frac{5-1}{2}\) = \(\frac{4}{2}\) = 2 (Nb = बाईज़ की संख्या)
निचले अर्ध-भाग में दी जाने वाली बाईज़ की संख्या = \(\frac{\mathrm{N} b+1}{2}\) = \(\frac{5+1}{2}\) = \(\frac{6}{2}\) = 3
HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान 7

प्रश्न 21.
नॉक-आउट टूर्नामेंट के आधार पर 13 टीमों का आरेखण/फिक्सचर बनाएँ।
उत्तर:
यदि टूर्नामेंट में 13 टीमें भाग ले रही हैं तो फिक्सचर तैयार होगा
कुल मैचों की संख्या = कुल टीमों की संख्या = 1
कुल राउंड = 2 × 2 × 2 × 2 संख्या 2 की पुनरावृत्ति चार बार हुई, इसलिए 4 राउंड खेले जाएंगे।
कुल बाई = 2 की अगली घात – कुल टीमों की संख्या 16 – 13 = 03

ऊपरी अर्ध-भाग (Upper half) में टीमों की संख्या
HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान 9= \(\frac{13 + 1}{2}\) = \(\frac{14}{2}\) = 07

निचले अर्ध-भाग (Lower half) में टीमों की संख्या
HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान 11= \(\frac{13 – 1}{2}\) =\(\frac{12}{2}\) = 06
HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 6 शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान 8

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
खेल-भावना (Sportsmanship) से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
खेल-प्रतियोगिताओं में प्रत्येक खिलाड़ी व टीम जीतने के लिए खेलती है, लेकिन जीत केवल एक खिलाड़ी या एक टीम समूह की ही होती है। जो खिलाड़ी या टीम अपने प्रतिद्वन्द्वी के प्रति वैर-विरोध न करके एक-दूसरे के प्रति सद्भावनापूर्ण व्यवहार से खेलता/खेलती है, खिलाड़ी या टीम के ऐसे आचरण को ही खेल भावना कहते हैं । इस भावना के अंतर्गत स्पोर्ट्समैन खेलों के नियमों का आदर करता है। वह हर समय खेलों के विकास के लिए सहयोग देने के लिए तैयार दिखाई देगा।

प्रश्न 2.
दोहरी लीग-प्रणाली से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यह ऐसी प्रणाली है जिसमें पूल नहीं बनाए जाते। प्रत्येक टीम एक-दूसरे के विरुद्ध खेलती है। प्रत्येक टीम एक-दूसरे से दो-दो बार खेलती है। जो टीम अधिक-से-अधिक अंक प्राप्त करती है उसे विजेता टीम घोषित किया जाता है।

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प्रश्न 3.
खेलों द्वारा मनोभावों पर काबू पाने का ढंग कैसे आता है?
अथवा
खिलाड़ी खेलों में अपने संवेगों को कैसे नियंत्रित करता है?
उत्तर:
खेल में मग्न होकर खिलाड़ी अपनी जिंदगी के सभी गम तथा चिंताएँ भूल जाता है जिससे खिलाड़ी को मानसिक बल मिलता है। खेलें खेलते समय खिलाड़ी को बहुत-से मानसिक उतार-चढ़ावों से गुजरना पड़ता है। वह सफलता-असफलता के समय अपने मानसिक या भावनात्मक संतुलन को हमेशा बनाए रखता है। सहजता रखता हुआ वह अपनी उत्पन्न हुई मानसिक समस्याओं या संवेगों का उचित हल ढूँढ लेता है। इस प्रकार खेलें खिलाड़ी को मनोभावों या संवेगों पर काबू पाने की शिक्षा देती हैं।

प्रश्न 4.
एथलेटिक्स क्या है?
उत्तर:
एथलेटिक्स (Athletics) शब्द ग्रीक भाषा का शब्द है। एथलेटिक्स ऐसी खेलें होती हैं जिसमें दौड़ने (Running), कूदने (Jumping) एवं फेंकने (Throwing) आदि से संबंधित इवेंट्स होते हैं।

प्रश्न 5.
फर्राटा दौड़ें (Sprint Races) किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
फर्राटा दौड़ें वे दौड़ें होती हैं जो धावक द्वारा अत्यधिक तेज गति से दौड़ी जाती हैं। उदाहरण के लिए, 100 मी०, 200 मी० की दौड़ें आदि।

प्रश्न 6.
खेलों में किन मुख्य भावनाओं का होना अति आवश्यक है?
अथवा
खेल खेलते समय खिलाड़ी में किन दो भावनाओं का होना आवश्यक होता है?
उत्तर:
(1) अनुशासन की भावना,
(2) सहनशीलता व धैर्यता की भावना,
(3) आत्म-विश्वास की भावना।

प्रश्न 7.
बड़ी खेल (Major Games) किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
बड़ी खेल (Major Games) वे होती हैं जो नियमों के अनुसार खेली जाती हैं। इनके नियमों में समय, स्थान के आधार पर कोई बदलाव नहीं होता। इनका राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व होता है। इनका किसी देश की ख्याति में बहुत महत्त्व होता है। बड़ी खेलें फुटबॉल, हॉकी, वॉलीबॉल, हैंडबॉल, बास्केटबॉल, सॉफ्टबॉल, बेसबॉल, कबड्डी, बैडमिंटन, लॉन टेनिस, टेबल-टेनिस, मुक्केबाजी आदि हैं।

प्रश्न 8.
छोटी खेल (Minor Games) किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
छोटी खेल (Minor Games) वे होती हैं जो मनोरंजन के लिए खेली जाती हैं तथा जिनके नियम समय तथा स्थान के अनुसार बदले जा सकते हैं। ये खेलें हैं-कोकला छपाकी, रूमाल उठाना, लीडर ढूँढना, लुडो, कैरम बोर्ड, बिल्ली-चूहा, मथौला घोड़ा, चक्कर वाली खो-खो, गुल्ली-डंडा आदि।

प्रश्न 9.
खेलकूद आत्म-अभिव्यक्ति में कैसे सहायक होते हैं?
उत्तर:
खेलकूद में खिलाड़ी या व्यक्ति को आत्म-अभिव्यक्ति को प्रकट करने का अवसर मिलता है। खेल के मैदान में प्रत्येक खिलाड़ी अपने गुणों, कला व कुशलता को प्रदर्शित करता है। हम खेलों के माध्यम से ही अपने सभी व्यक्तिगत गुणों को दर्शकों के सामने प्रदर्शित कर सकते हैं।

प्रश्न 10.
लीग-प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लीग-प्रणाली में प्रत्येक टीम एक-दूसरे के विरुद्ध खेलती है। सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजेता करार दिया जाता है। मैच खेलने के बाद बराबर रहने पर दोनों टीमों को एक-एक अंक मिलता है। जीतने पर दो अंक और हारने पर शून्य अंक मिलता है। दोनों टीमों के अंक बराबर रहने पर उनके द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर जीत का फैसला किया जाता है।

प्रश्न 11.
शीत ऋतु खेल कब करवाए जाते हैं? इनमें कौन-कौन-सी खेलें होती हैं?
उत्तर:
शीत ऋतु खेल दिसंबर या जनवरी में करवाए जाते हैं। इनमें हॉकी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, जिम्नास्टिक, एथलेटिक्स आदि खेल होते हैं।

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प्रश्न 12.
पतझड़ ऋतु खेल कब करवाए जाते हैं? इनमें कौन-कौन-सी खेलें होती हैं?
उत्तर:
पतझड़ ऋतु खेल सितंबर या अक्तूबर में करवाए जाते हैं। इनमें फुटबॉल, वॉलीबॉल, टेबल-टेनिस, कबड्डी, खो-खो, तैराकी आदि खेल होते हैं।

प्रश्न 13.
प्रतियोगिता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक खिलाड़ी या टीम ऐसे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उद्यत हों जिसे केवल एक खिलाड़ी या टीम को ही प्रदान किया जा सकता हो तो ऐसी स्थिति से प्रतियोगिता का जन्म होता है। एक ही वातावरण में रहने वाले जीवों के बीच सहज रूप से ही प्रतियोगिता विद्यमान होती है।

प्रश्न 14.
रिले दौड़ें क्या हैं? ये कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
रिले दौड़ें वे दौड़ें होती हैं जिनमें एक टीम के चार खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं और प्रत्येक टीम का एक खिलाड़ी बैटन हाथ में लेकर 100 मीटर तक दौड़ता है। ये मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं
(1) 4 × 100 मीटर,
(2) 4 × 400 मीटर।

प्रश्न 15.
ट्रैक इवेंट्स कौन-कौन-से होते हैं?
अथवा
दौड़ें कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
ट्रैक इवेंट्स या दौड़ें निम्नलिखित प्रकार की होती हैं
(1) छोटी दूरी की दौड़,
(2) मध्यम दूरी की दौड़,
(3) लम्बी दूरी की दौड़,
(4) बाधा दौड़ या हर्डल्ज,
(5) रिले दौड़।

प्रश्न 16.
एक अच्छा स्पोर्ट्समैन कैसा होता है?
उत्तर:
एक अच्छा स्पोर्ट्समैन मेल-जोल और मित्रता वाला होता है। वह जीत के समय अक्कड़ नहीं दिखाता, बल्कि जीत का. श्रेय टीम के सांझे प्रयास को बताता है। उसके अंदर सांझेदारी और अपने कोच, खेल अधिकारियों, बड़ों और साथियों के प्रति आदर की भावना होती है।

प्रश्न 17.
खेलकूद किसे कहते हैं?
अथवा
खेल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
खेल आधुनिक मनुष्य के जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। शायद ही कोई ऐसा मनुष्य हो जो इनके बारे में कुछ-न-कुछ न जानता हो। जब मनुष्य अपनी दैनिक क्रियाओं से ऊब जाता है तो वह नई प्रकार की क्रियाएँ करता है। इन्हीं क्रियाओं के आधार पर वह प्रसन्नता व आनंद का अनुभव करता है। इस प्रकार की क्रियाएँ खेलकूद कहलाती हैं। क्रो एवं क्रो के अनुसार, “खेल वह क्रिया है जिसमें व्यक्ति उस समय भाग लेता है, जब वह काम को करने के लिए स्वतंत्र होता है जो वह करना चाहता है।” .

प्रश्न 18.
खेल प्रतियोगिता से खिलाड़ी में अनुशासन का गुण कैसे विकसित होता है?
उत्तर:
खेल प्रतियोगिता हमेशा नियम में बंधी होती है। प्रत्येक प्रतियोगी को उन नियमों का पालन करना होता है। यदि वह इन नियमों की पालना नहीं करेगा तो उसकी प्रतियोगिता से बाहर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए खिलाड़ी प्रतियोगिता को जीतने के लिए इसके सारे नियमों की पालना करता है। ये सभी बातें खिलाड़ी में अनुशासन के गुण को विकसित करती हैं।

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प्रश्न 19.
खेल प्रतियोगिता से राष्ट्रीय एकता का विकास कैसे होता है?
अथवा
खेल प्रतियोगिताएँ राष्ट्र की प्रगति में कैसे सहायक होती हैं?
उत्तर:
खेल प्रतियोगिताएँ राष्ट्र की प्रगति में सहायक होती हैं। इनसे राष्ट्रीय एकता का विकास होता है। एक राज्य की टीमें दूसरे राज्यों में मैच खेलने जाती हैं। इससे विभिन्न राज्यों के खिलाड़ी आपस में एक-दूसरे से मिलते हैं। उनमें मित्रता एवं सहयोग की भावना का विकास होता है। इन सभी गुणों के कारण उनमें राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास होता है।

प्रश्न 20.
बाधा (हर्डल) दौड़ क्या है? उदाहरण दें।
उत्तर:
वह दौड़ जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रुकावटें होती हैं अर्थात् बाधाएँ उत्पन्न की जाती हैं, बाधा या हर्डल दौड़ कहलाती है। उदाहरण के लिए 100 मीटर, 200 मीटर की हर्डल दौड़ आदि।

प्रश्न 21.
क्या खेल का मैदान अच्छी नागरिकता की प्रयोगशाला है?
उत्तर:
हाँ, खेल का मैदान अच्छी नागरिकता की प्रयोगशाला है। खेल के मैदान में खेलते हुए खिलाड़ी में एक अच्छे नागरिक के गुण विकसित होते हैं; जैसे आज्ञा पालन करना, समय का सदुपयोग करना, नियमों का पालन करना, अनुशासनमयी होना, जिम्मेवार बनना, अधिकारों तथा कर्तव्यों को समझना आदि। ये गुण एक अच्छे नागरिक में होने बहुत जरूरी हैं और ये गुण खेल का मैदान खिलाड़ी को सिखाता है।

प्रश्न 22.
पेंटाथलोन से आपका क्या अभिप्राय है? उदाहरण दें।
अथवा
पेंटाथलोन (Pantathlon) में कौन-कौन-से इवेंट्स होते हैं?
उत्तर:
ऐसे खेल जिनमें पाँच इवेंट्स हों, उन्हें पेंटाथलोन कहते हैं। पेंटाथलोन में लम्बी छलाँग, जैवलिन थ्रो, 200 मीटर की · दौड़, डिस्कस-थ्रो तथा 800/1500 मीटर की दौड़ सम्मिलित हैं।

प्रश्न 23.
हेप्टेथलोन (Heptathlon) में कौन-कौन-से इवेंट्स होते हैं? उत्तर-हेप्टेथलोन में निम्नलिखित सात इवेंट्स होते हैं
(1) 100 मी० बाधा (हर्डल) दौड़,
(2) लम्बी कूद,
(3) शॉट पुट,
(4) ऊँची कूद,
(5) 200 मी० की दौड़,
(6) जैवलिन-थ्रो तथा
(7) 800 मी० की दौड़।

प्रश्न 24.
डिकैथलोन (Decathlon) में कौन-कौन-से इवेंट्स होते हैं?
अथवा
डिकैथलोन में कितने इवेंट्स होते हैं? नाम बताएँ।
उत्तर:
डिकैथलोन में दस इवेंट्स होते हैं जो दो दिन खेले जाते हैं

प्रथम दिन:
(1) 100 मी० की दौड़,
(2) लम्बी कूद,
(3) गोला फेंकना,
(4) ऊँची कूद,
(5) 400 मी० की दौड़।

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दूसरे दिन:
(1) 110 मी० की हर्डल,
(2) डिस्कस-थ्रो,
(3) पोल वॉल्ट,
(4) जैवलिन थ्रो,
(5) 1500 मी० की दौड़।

प्रश्न 25.
संतोष ट्रॉफी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
संतोष ट्रॉफी कूच बिहार के महाराजा संतोष जी ने राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए दी थी। यह प्रतियोगिता भारतीय फुटबॉल एसोसिएशन द्वारा प्रतिवर्ष अपने किसी प्रांतीय सदस्य एसोसिएशन की तरफ से करवाई जाती है। इस प्रतियोगिता में भारत के सभी प्रांतों की फुटबॉल टीमें, सैनिक और रेलवे की टीमें भाग लेती हैं। यह प्रतियोगिता नॉक-आउट-कम-लीग पर करवाई जाती है।

प्रश्न 26.
फिक्सचर/आरेखण (Fixture) को परिभाषित करें।
उत्तर:
फिक्सचर या आरेखण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से टीमों/खिलाड़ियों के बीच प्रतियोगिता टॉस आदि द्वारा निश्चित की जाती है। यह टीमों को उनकी टीम द्वारा खेले जाने वाले मैच का समय, स्थान और तिथि के बारे में सूचित करता है।

प्रश्न 27.
सीडिंग किसे कहते हैं?
उत्तर:
सीडिंग या क्रम देना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा अच्छी टीम फिक्सचर (Fixture) में इस प्रकार रखी जाती है कि मजबूत टीमें टूर्नामेंट की शुरुआत में एक-दूसरे के साथ न खेलें।

प्रश्न 28.
बाई (Bye) क्या है?
उत्तर;
बाई आमतौर पर एक टीम को दिया जाने वाला लाभ है, जो पहले दौर में मैच खेलने पर टीम को छूट देता है।

प्रश्न 29.
बाईज़ (Byes) देने का सूत्र लिखें।
उत्तर:
बाईज़ (Byes) की संख्या अगली उच्च संख्या (2 की घात) में से टीमों की संख्या घटाकर तय की जाती है। उदाहरण. के लिए, यदि 12 टीमों ने टूर्नामेंट के लिए प्रवेश किया है, तो 12 से ऊपर की अगली उच्च संख्या जोकि 2 की घात 16 (24) है तथा दी जाने वाली बाईज़ (Byes) की संख्या 16 – 12 = 4 है

प्रश्न 30.
टूर्नामेंट से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
टूर्नामेंट एक प्रतिस्पर्धा है जिसमें अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में प्रतियोगी भाग लेते हैं। अन्य शब्दों में टूर्नामेंट विभिन्न टीमों के बीच कई दौरों की एक बड़ी प्रतियोगिता है।

प्रश्न 31.
विभिन्न प्रकार के टूर्नामेंट्स के नाम लिखें। .
उत्तर:
(1) नॉक-आउट या ऐलिमिनेशन टूर्नामेंट,
(2) लीग या राउंड रॉबिन टूर्नामेंट,
(3) मिश्रित/संयोजन टूर्नामेंट,
(4) चुनौती/चैलेंज टूर्नामेंट। ..

प्रश्न 32.
नॉक-आउट टूर्नामेंट के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:
(1) यह टूर्नामेंट कम खर्चीला होता है, क्योंकि जो टीम पराजित हो जाती है, वह टूर्नामेंट से बाहर हो जाती है।
(2) यह खेलों का स्तर बढ़ाने में सहायक होता है, क्योंकि प्रत्येक टीम हार से बचने के लिए उत्कृष्ट प्रदर्शन करने का प्रयास करती है।

प्रश्न 33.
नॉक-आउट टूर्नामेंट के कोई दो दोष बताएँ।
उत्तर:
(1) अच्छी टीमों के प्रथम या द्वितीय राउंड में टूर्नामेंट से बाहर हो जाने के अधिक अवसर होते हैं। इसलिए अच्छी टीमें अंतिम राउंड में नहीं पहुंच पाती।
(2) अंतिम राउंड में कमज़ोर टीमों के पहुंचने की संभावना रहती है।

प्रश्न 34.
लीग टूर्नामेंट के कोई दो दोष बताएँ।
उत्तर:
(1) इसमें बहुत पैसा, समय और सुविधाएँ शामिल होती हैं।
(2) उत्कृष्ट या प्रसिद्ध शीर्ष टीमों के लिए वरीयता का कोई प्रावधान नहीं होता।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

प्रश्न 1.
रोवर्ज कप किस खेल से संबंधित है?
उत्तर:
रोवर्ज़ कप फुटबॉल से संबंधित है।

प्रश्न 2.
रणजी ट्रॉफी किस खेल से संबंधित है?
उत्तर:
रणजी ट्रॉफी क्रिकेट से संबंधित है।

प्रश्न 3.
संतोष ट्रॉफी किस खेल से संबंधित है?
उत्तर:
संतोष ट्रॉफी फुटबॉल से संबंधित है।

प्रश्न 4.
सी० के० नायडू ट्रॉफी किस खेल से संबंधित है?
उत्तर:
सी० के० नायडू ट्रॉफी क्रिकेट से संबंधित है।

प्रश्न 5.
खेलों से किन राष्ट्रीय गुणों को बढ़ावा मिलता है?
उत्तर:
खेलों से राष्ट्रीय एकता, अच्छी नागरिकता, देशभक्ति और अंतर्राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा मिलता है।

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प्रश्न 6.
वह दौड़, जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रुकावटें होती हैं, उसे कौन-सी दौड़ कहते हैं?
उत्तर:
वह दौड़, जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रुकावटें होती हैं, उसे हर्डल रेस या बाधा दौड़ कहते हैं।

प्रश्न 7.
ओलंपिक खेल कितने वर्ष के अंतराल पर होते हैं?
उत्तर:
ओलंपिक खेल चार वर्ष के अंतराल पर होते हैं।

प्रश्न 8.
एशियाई खेल कितने वर्ष के अंतराल पर होते हैं?
उत्तर:
एशियाई खेल चार वर्ष के अंतराल पर होते हैं।

प्रश्न 9.
स्टैंडर्ड ट्रैक कितने मीटर लंबा होता है?
उत्तर:
स्टैंडर्ड ट्रैक 400 मीटर लंबा होता है।

प्रश्न 10.
हेप्टेथलोन में कितने इवेंट्स होते हैं?
उत्तर:
हेप्टेथलोन में 7 इवेंट्स होते हैं।

प्रश्न 11.
खेलकूद में जातीय भेदभाव कैसे समाप्त होते हैं?
उत्तर:
जब सभी खिलाड़ी इकट्ठे मिलकर जीतने के लिए खेलते हैं तो जातीय भेदभाव समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 12.
चार ऐसे खेलों के नाम लिखें जो टीम बनाकर खेले जाते हैं।
उत्तर:
(1) हॉकी,
(2) क्रिकेट,
(3) फुटबॉल,
(4) वॉलीबॉल।

प्रश्न 13.
छोटी दौड़ों के कोई दो उदाहरण लिखें।
उत्तर;
(1) 100 मीटर की दौड़,
(2) 200 मीटर की दौड़।

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प्रश्न 14.
बाधा दौड़ों के कोई दो उदाहरण लिखें।
उत्तर:
(1) 100 मीटर की दौड़,
(2) 200 मीटर की दौड़।

प्रश्न 15.
रिले दौड़ में एक टीम में कितने खिलाड़ी एक-साथ भाग लेते हैं?
उत्तर:
रिले दौड़ में एक टीम में चार खिलाड़ी एक-साथ भाग लेते हैं।

प्रश्न 16.
दस इवेंट्स वाली खेल क्या कहलाती हैं?
उत्तर:
दस इवेंट्स वाली खेल डिकैथलोन कहलाती हैं।

प्रश्न 17.
शीत ऋतु खेल किन महीनों में करवाए जाते हैं?
उत्तर:
शीत ऋतु खेल दिसंबर या जनवरी महीनों में करवाए जाते हैं।

प्रश्न 18.
पतझड़ ऋतु खेल किन महीनों में करवाए जाते हैं?
उत्तर:
पतझड़ ऋतु खेल सितंबर या अक्तूबर महीनों में करवाए जाते हैं।

प्रश्न 19.
किन्हीं दो कूद इवेंट्स के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) लम्बी कूद,
(2) ऊँची कूद।।

प्रश्न 20.
राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता कब आरंभ हुई?
उत्तर:
राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता सन् 1927 में आरंभ हुई।

प्रश्न 21.
राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता ‘रंगास्वामी कप’ के नाम से कब से आयोजित की जा रही है?
उत्तर:
राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता ‘रंगास्वामी कप’ के नाम से सन् 1947 से आयोजित की जा रही है।

प्रश्न 22.
भारत का राष्ट्रीय खेल कौन-सा है?
उत्तर:
भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है।

प्रश्न 23.
‘रंगास्वामी कप’ प्रतियोगिता किस स्तर पर करवाई जाती है?
उत्तर:
‘रंगास्वामी कप’ प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर करवाई जाती है।

प्रश्न 24.
सुब्रोटो मुखर्जी कप किस खेल से संबंधित है?
उत्तर:
सुब्रोटो मुखर्जी कप फुटबॉल से संबंधित है।

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प्रश्न 25.
बड़ी खेलों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
(1) क्रिकेट,
(2) हॉकी।

प्रश्न 26.
छोटी खेलों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
(1) कैरम बोर्ड,
(2) गुल्ली -डंडा।

प्रश्न 27.
सीडिंग की कितने किस्में होती हैं?
उत्तर:
सीडिंग की दो किस्में होती हैं
(1) सामान्य सीडिंग,
(2) विशेष सीडिंग।

प्रश्न 28.
क्या सीडिंग वाली टीम पहले राउंड में मैच खेलती है?
उत्तर:
नहीं, सीडिंग वाली टीम पहले राउंड में मैच नहीं खेलती।

प्रश्न 29.
नॉक-आउट टूर्नामेंट कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
नॉक-आउट टूर्नामेंट मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 30.
लीग टूर्नामेंट कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
लीग टूर्नामेंट दो प्रकार के होते हैं-
(1) सिंगल लीग टूर्नामेंट,
(2) डबल लीग टूर्नामेंट।

बहुविकल्पीय प्रश्न [Multiple Choice Questions]

प्रश्न 1.
वह दौड़ जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रुकावटें होती हैं, कहलाती है
(A) रिले दौड़
(B) मध्यम दूरी की दौड़
(C) हर्डल रेस या बाधा दौड़
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) हर्डल रेस या बाधा दौड़

प्रश्न 2.
डिकैथलोन में कितने इवेंट्स होते हैं?
(A) चार
(B) पाँच
(C) दस
(D) आठ
उत्तर:
(C) दस

प्रश्न 3.
शरीर और मन के तालमेल को खेलों में क्या कहा जाता है?
(A) योग
(B) प्राणायाम
(C) प्राण
(D) आसन
उत्तर:
(A) योग

प्रश्न 4.
ऐसा खेल जिसमें पाँच इवेंट्स सम्मिलित हों, कहलाता है
(A) डिकैथलोन
(B) पेंटाथलोन
(C) हेप्टेथलोन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) पेंटाथलोन

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प्रश्न 5.
खेलकूद के क्षेत्र में सम्मिलित क्रियाएँ हैं
(A) दौड़
(B) कूद
(C) फेंकना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6.
खेल में किस भावना का होना आवश्यक है?
(A) अनुशासन
(B) सहनशीलता
(C) आत्म-विश्वास
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7.
प्रतिदिन के कार्य से हटकर ऐसी क्रियाएँ जिनसे मनोरंजन हो, कहलाती हैं
(A) योग,
(B) व्यायाम
(C) खेलकूद
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) खेलकूद

प्रश्न 8.
खेल प्रतियोगिताओं से खिलाड़ी में विकसित होने वाले गुण हैं-
(A) आत्म-विश्वास
(B) त्याग की भावना
(C) सहयोग की भावना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 9.
डिकैथलोन खेल कितने दिन में पूरी होती हैं?
(A) एक सप्ताह में
(B) दस दिन में
(C) दो दिन में
(D) पंद्रह दिन में
उत्तर:
(C) दो दिन में

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-सी प्रतियोगिता हॉकी से संबंधित नहीं है?
(A) रणजी ट्रॉफी
(B) रंगास्वामी कप
(C) आगा खाँ कप
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) रणजी ट्रॉफी

प्रश्न 11.
प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का उद्देश्य निम्नलिखित है
(A) आदर्श खेल भावना विकसित करना
(B) प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करना
(C) देश-भक्ति की भावना विकसित करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
पाँच एथलेटिक इवेंट्स के समूह को क्या कहते हैं?
(A) डिकैथलोन
(B) हेप्टेथलोन
(C) पेंटाथलोन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) पेंटाथलोन

प्रश्न 13.
एथलेटिक्स में तीन बार कूदने वाले इवेंट को क्या कहते हैं?
(A) तिहरी कूद
(B) बाँस कूद
(C) ऊँची कूद
(D) लंबी कूद
उत्तर:
(A) तिहरी कूद

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प्रश्न 14.
रिले की टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं?
(A) 3
(B) 4
(C) 6
उत्तर:
(B) 4

शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान Summary

शारीरिक शिक्षा में विभिन्न प्रतियोगितात्मक खेलकूदों का योगदान परिचय

खेलकूद प्रतियोगिताएँ मनुष्य के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करती हैं। वे मनुष्य को शारीरिक दृष्टिकोण से मज़बूत, शक्तिशाली और कार्यशील, मानसिक दृष्टिकोण से तेज़, मनोभावुक दृष्टिकोण से संतुलित, बौद्धिक दृष्टिकोण से सुशील और सामाजिक दृष्टिकोण से स्वस्थ बनाती हैं। आज विश्व का प्रत्येक देश खेलों में एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है और सफलता मिलने पर वह गौरव व सम्मान प्राप्त करता है। यही कारण है कि खेलकद प्रतियोगिताएँ आज के का अंग बन गए हैं। खेलकूद प्रतियोगिताओं को नियमबद्ध और वैज्ञानिक ढंग से करवाया जाना चाहिए ताकि लोगों की रुचि खेलों के प्रति और बढ़ सके।खेलकूद मनुष्य के साथ प्राचीन समय से ही चले आ रहे हैं। पहले खेल केवल मनोरंजन तथा आवश्यकता के लिए खेले जाते थे। तब मनुष्य को अपने बचाव के लिए तेज दौड़ना, शिकार के लिए भाला फेंकना, तीर चलाना आदि सीखना आवश्यक था। आज यही आवश्यकताएँ खेलों में परिवर्तित हो गई हैं। खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं का महत्त्व भी दिन-प्रतिदिन निरंतर बढ़ता जा रहा है।

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HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 6 पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा

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HBSE 12th Class Physical Education पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
परिवार का अर्थ एवं परिभाषा लिखें। इसके प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
परिवार की उत्पत्ति कब हुई? इस संदर्भ में कोई निश्चित समय अथवा काल नहीं बताया जा सकता, पर इतना अवश्य कहा जा सकता है कि जैसे-जैसे आवश्यकताओं की बढ़ोतरी हुई, वैसे-वैसे परिवार का विकास हुआ। परिवार की उत्पत्ति के विषय में अरस्तू जैसे विद्वान् ने कहा था कि, “परिवार का जन्म अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हुआ है।” परिवार को अंग्रेजी भाषा में ‘Family’ कहते हैं, जो रोमन भाषा के ‘Famulus’ से बना है। लैटिन भाषा में परिवार को फेमिलिआ (Familia) कहा जाता है, जिसका अर्थ है-माता-पिता, बच्चे, श्रमिक और गुलाम।

परिवार की परिभाषाएँ (Definitions of Family):
परिवार के संबंध में कुछ धारणाएँ इस प्रकार हैं-
(1) परिवार दो व्यक्तियों (स्त्री व पुरुष) का प्रेम स्वरूप बंधन है जो एक साथ सहवास, सहयोग की भावना पर आधारित है तथा प्रजनन की क्रिया को जन्म देता है,
(2) परिवार दो व्यक्तियों का ऐसा स्वरूप है जिससे सामाजिक प्रेरणाओं को रचनात्मक रूप देने का प्रयास किया जाता है। भिन्न-भिन्न समाजशास्त्रियों ने परिवार के बारे में अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं, जो निम्नलिखित हैं
1. क्लेयर (Clare) का कथन है, “परिवार से अभिप्राय उन संबंधों से है जो माता-पिता और बच्चों में मौजूद होते हैं।”
2. बैलार्ड (Ballard) के अनुसार, “परिवार एक मौलिक सामाजिक संस्था है, जिससे अन्य सभी संस्थाओं का विकास होता है।”
3. मजूमदार (Majumdar) के अनुसार, “परिवार व्यक्तियों का एक समूह है जो एक ही छत के नीचे रहते हैं जो क्षेत्र, रुचि, आपसी बंधन और सूझ-बूझ के अनुसार स्नेह और खून के रिश्ते में बंधे होते हैं।”
4. बर्गेस और लॉक (Burgess and Lock) के अनुसार , “परिवार ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो विवाह, खून या अपनाए गए रिश्तों या सम्बन्धों में बंधकर एक घर का निर्माण करता है। पति-पत्नी, माता-पिता, बेटा-बेटी, बहन-भाई आदि से सम्बन्धित सामाजिक बन्धनों से उनके आपसी सम्बन्ध बनते हैं और इस प्रकार से वे साधारण सभ्यता का निर्माण और उसको कायम रखते हैं।”

ऊपर दिए गए वर्णन से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि परिवार एक आन्तरिक क्रियाशील व्यक्तियों का समूह है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का निश्चित कर्त्तव्य और निश्चित स्थान होता है। यह समूह अच्छी तरह संगठित होता है और इसकी अपनी पहचान होती है। मित्रता, प्यार, सहयोग और हमदर्दी परिवार के आधार हैं। परिवार सभी सामाजिक गठनों का आधार है। परिवार बच्चों की शिक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

परिवार के प्रकार (Types of Family):
परिवार समाज की एक मौलिक, सार्वभौमिक संस्था है। परिवार सभी स्तरों के समाज में किसी-न-किसी रूप में सदैव विद्यमान रहा है। विद्वानों ने परिवार के स्वरूपों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया है; जैसे निवास-स्थान, सत्ता, वंश, विवाह, सदस्यों की संख्या के आधार पर आदि।

सदस्यों की संख्या के आधार पर निम्नलिखित प्रकार के परिवार पाए जाते हैं
1. एकल या मूल परिवार (Single Family)
2. संयुक्त परिवार (Joint Family)
1. एकल या मूल परिवार (Single Family):
केंद्रीय परिवार को प्राथमिक, व्यक्तिगत, केंद्रीय, मूल अथवा नाभिक परिवार भी कहते हैं। यह परिवार का सबसे छोटा और आधारभूत स्वरूप है जिसमें सदस्यों की संख्या बहुत कम होती है। आमतौर पर पति-पत्नी तथा उसके अविवाहित बच्चे ही इस परिवार के सदस्य होते हैं। ऐसे परिवार में सदस्य भावात्मक आधार पर एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं। परिवार का आकार सीमित होने के कारण इसका बच्चों के जीवन पर काफी रचनात्मक प्रभाव पड़ता है।

2. संयुक्त परिवार (Joint Family):
संयुक्त परिवार में दो या दो से अधिक पीढ़ियों के सदस्य; जैसे पति-पत्नी, उनके बच्चे, दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई, बच्चों की पत्नियाँ आदि. एक साथ एक घर में निवास करते हैं। उनकी संपत्ति साँझी होती है। वे एक ही चूल्हे पर भोजन बनाते हैं, सामूहिक धार्मिक कार्यों का निर्वाह करते हैं और परस्पर किसी-न-किसी नातेदारी व्यवस्था से जुड़े होते हैं। संयुक्त परिवार के सदस्य परस्पर अधिकारों व कर्तव्यों को निभाते हैं।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 6 पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा

प्रश्न 2.
परिवार का अर्थ बताते हुए इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
परिवार का अर्थ (Meaning of Family):
परिवार एक सामाजिक संगठन है जिसके अंतर्गत पति-पत्नी एवं उनके बच्चे तथा अन्य सदस्य आ जाते हैं जो उत्तरदायित्व व स्नेह की भावना से परस्पर बंधे रहते हैं।

परिवार की मुख्य विशेषताएँ (Main Features of Family):
परिवार की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. सामाजिक आधार (Social Basis):
परिवार के नियम सामाजिक नियंत्रण करने में सहायक होते हैं। परिवार में रहकर सदस्य सहनशीलता, सहयोग, सद्व्यवहार, रीति-रिवाज़ और धर्म जैसे नियमों का पालन करते हैं। परिवार सामाजिक नियमों का पालन करने में बहुत बड़ा योगदान देता है।

2. भावनात्मक आधार (Emotional Basis):
परिवार के सभी सदस्य भावनात्मक आधार पर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। पति-पत्नी का प्यार, बच्चों तथा बहन-भाइयों का प्यार विशेष महत्त्व रखता है। इसी कारण परिवार के सभी सदस्य प्यार की माला में पिरोए होते हैं।

3. आर्थिक आधार (Economical Basis):
परिवार में कमाने वाले सदस्य बाकी सदस्यों; जैसे बच्चे, बूढे, स्त्रियों आदि के पालन-पोषण की व्यवस्था करते हैं। वह परिवार के सदस्यों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इस प्रकार परिवार के सभी सदस्य अधिकार और कर्तव्यों से बंधे होते हैं।

4. जिम्मेवारी या उत्तरदायित्व (Responsibility):
परिवार में रहते हुए प्रत्येक सदस्य अपनी जिम्मेवारी या उत्तरदायित्व को पूरा करता है। इनमें किसी सदस्य का निजी स्वार्थ नहीं होता। परिवार में आई प्रत्येक कठिनाई का सामना वे सामूहिक रूप से करते हैं।

5. सर्वव्यापकता (Universality): परिवार का अस्तित्व प्राचीनकाल से सर्वव्यापक है। इसी कारण परिवार को सर्वव्यापक सामाजिक संगठन कहा जाता है।

6. स्थायी लैंगिक संबंध (Permanent Sexual Relation):
स्त्री-पुरुष के स्थायी लैंगिक संबंध समाज द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं। इसी कारण ही उनकी संतान वैध और सामाजिक रूप से परिवार की सदस्य होती है। संबंधों के स्थायी होने से बच्चों का पालन-पोषण ठीक प्रकार से होता है।

7.खून का रिश्ता (Blood Relation):
परिवार की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसके सदस्यों का आपस में खून का रिश्ता होता है। इसी नाते सभी सदस्य परिवार में आई मुश्किल को सामूहिक रूप से हल करने की कोशिश करते हैं। परिवार में सदस्यों का ऐसा रिश्ता उनमें विश्वास व निःस्वार्थ की भावना पैदा करता है।

प्रश्न 3.
परिवार के कार्यों और उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
परिवार के प्राथमिक या आधारभूत कार्य कौन-कौन से हैं? विस्तारपूर्वक लिखें।
अथवा
परिवार के मूल मौलिक तथा गौण कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव-जीवन में परिवार का महत्त्वपूर्ण स्थान है। परिवार मानव की आज तक सेवा करता रहा है और कर रहा है जो किसी अन्य संस्था या समिति द्वारा संभव नहीं है। परिवार समाज की एक स्थायी व मौलिक सामाजिक संस्था है। अतः इसके कार्यों अथवा कर्तव्यों को मोटे तौर पर दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(क) मौलिक या आधारभूत कार्य (Basic Functions)
(ख) द्वितीयक या गौण कार्य (Secondary Functions)

(क) मौलिक या आधारभूत कार्य (Basic Functions):
मौलिक कार्यों को प्राथमिक या आधारभूत कार्य भी कहते हैं। ये सार्वभौमिक होते हैं।
1. बच्चे का पालन-पोषण (Infant Rearing):
बच्चों के माता-पिता का उनके पालन-पोषण में बहुत बड़ा योगदान होता है। बच्चे को दूसरे लोगों की बजाय अपने माता-पिता का साथ ज्यादा मिलता है क्योंकि बच्चे के ऊपर माता-पिता का काफ़ी लम्बे समय तक गहरा प्रभाव रहता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बच्चे में जीवन के बहुमूल्य पाँच सालों में अच्छे गुणों को प्राप्त करने की आध्यात्मिक शक्ति होती है। दूसरे लोगों का प्रभाव बच्चे पर इस अवस्था के बाद में ही होता है।

2. प्रजनन क्रिया (Birth Process):
प्रजनन क्रिया परिवार का एक महत्त्वपूर्ण बुनियादी कार्य है। इस सम्बन्ध में वुड्सवर्थ का विचार है, “यह एक प्राणी का बुनियादी कार्य है जो परिवार करता है। यह कार्य किसी भी व्यक्ति या समाज के लिए आवश्यक है।”

3. परिवार के सदस्यों की सुरक्षा (Security of Family Members):
परिवार का बुनियादी कार्य केवल संतान पैदा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि परिवार के सदस्यों की सुरक्षा अच्छे ढंग से करना भी उसका कार्य है। माता-पिता की देखभाल में रहकर बच्चा अपने व्यक्तित्व को निखार सकता है।

4. रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था करना (To Manage the Basic Necessities):
रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मुख्य जरूरतें हैं। इनकी व्यवस्था करना परिवार का बुनियादी कार्य है। परिवार के सदस्यों की शारीरिक शिक्षा और उसके लिए स्थान की व्यवस्था भी परिवार ही करता है।

5. बच्चे की देखभाल (Care of Child):
बच्चे की देखभाल और संतुलित विकास में माता-पिता का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। परिवार में रहते हुए बच्चे पर परिवार और परिवार के सदस्यों के व्यवहार का असर पड़ना भी स्वाभाविक होता है। माता-पिता से मेल-मिलाप, हमदर्दी और प्यार आदि मिलने से उसमें आत्म-सम्मान बढ़ता है। यह गुण बच्चे को जिंदगी में सफल बनाने में मदद करते हैं। बच्चे देश या परिवार के भविष्य की आशा की किरण होते हैं। इस कारण माता-पिता को बच्चों की देखभाल अच्छी तरह से करनी चाहिए।

6. परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखना (To Take Care of Family Health):
परिवार का सबसे मुख्य कर्त्तव्य परिवार के सदस्यों की सेहत का ध्यान रखना है। बच्चे की साफ-सफाई की तरफ ध्यान देना भी परिवार की मुख्य जिम्मेदारी होती है। उसको संतुलित खुराक, आवश्यक वस्त्र, आराम, नींद, खेल, कसरत और डॉक्टरी सहायता की व्यवस्था करना परिवार का मुख्य कर्तव्य है।

7. शिक्षा की व्यवस्था करना (Arrangement of Education):
परिवार बच्चों के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था करता है। वह बच्चों की शिक्षा संबंधी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

(ख) द्वितीयक या गौण कार्य (Secondary Functions):
इन कार्यों को अधिक प्राथमिकता नहीं दी जाती, इसलिए इन्हें द्वितीयक या गौण कार्य कहा जाता है। समाज विशेष के अनुसार, इन कार्यों में परिवर्तन होता रहता है।
1. आमोद-प्रमोद संबंधी कार्य (Recreative Functions)-परिवार पारिवारिक सदस्यों के मनोरंजन या आमोद-प्रमोद हेतु भी कार्य करता है। इससे वे संतुष्टि व राहत महसूस करते हैं।

2. मनोवैज्ञानिक कार्य (Psychological Functions)-परिवार सदस्यों को मानसिक सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता है। परिवार में सदस्यों का परस्पर प्रेम, सहानुभूति, त्याग, धैर्य आदि भावनाएँ देखने को मिलती हैं। परिवार में सदस्यों के संबंध पूर्ण व घुले-मिले होते हैं। इसलिए सदस्य सुख-दुःख आदि में एक-दूसरे को सहयोग देते हैं।

3. व्यक्तित्व का विकास (Personality Development)-एक बच्चे का शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास करने का अवसर प्रदान करना परिवार का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। परिवार का मुख्य उद्देश्य बच्चे का बहुमुखी विकास करना है। इसलिए बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में माता-पिता को बहुत अधिक ध्यान देना चाहिए।

4. सामाजिक कार्य (Social Work):
परिवार के प्रमुख सामाजिक कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) स्थिति प्रदान करना-सबसे पहले परिवार में ही व्यक्ति को उसकी प्रथम स्थिति प्राप्त होती है। पैदा होते ही वह एक पुत्र, भाई आदि की स्थिति प्राप्त कर लेता है। स्थिति के अनुसार ही व्यक्ति की भूमिका होती है। अतः हम कह सकते हैं कि परिवार ही सबसे पहले व्यक्ति की स्थिति और भूमिका निश्चित करता है।

(2) सामाजिक नियंत्रण-परिवार अपने सदस्यों के व्यवहार पर नियंत्रण रखकर सामाजिक नियंत्रण में भी सहायक होता है। परिवार ही सबसे पहले व्यक्ति को सामाजिक व्यवहार के स्वीकृत मानदंडों के अनुरूप व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है।

(3) मानवीय अनुभवों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुँचाना-आज तक के मानवीय अनुभवों को परिवार बच्चों को कुछ ही वर्षों में सिखा देता है। इस प्रकार ये अनुभव पीढ़ी-दर-पीढ़ी अविराम गति से पहुँचते रहते हैं।

(4) मानवता का विकास-परिवार के सदस्य तीव्र भावात्मक संबंधों में बँधे होने के कारण सदैव एक-दूसरे के लिए त्याग तथा बलिदान हेतु तत्पर रहते हैं । पारस्परिक सहयोग, त्याग, बलिदान, प्रेम, स्नेह आदि के गुणों का विकास करके परिवार अपने सदस्यों में मानवता का विकास करता है।

5. आर्थिक कार्य (Economical Functions)-
परिवार के आर्थिक कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) उत्तराधिकार का नियमन-प्रत्येक समाज में संपत्ति एवं पदों की पुरानी पीढ़ी में हस्तांतरण की व्यवस्था पाई जाती है। यह कार्य परिवार के द्वारा ही किया जाता है। पितृ-सत्तात्मक परिवार में उत्तराधिकार पिता से पुत्र को तथा मातृ-सत्तात्मक परिवार में माता से पुत्री या मामा से भाँजे को मिलता है। इस प्रकार परिवार संपत्ति एवं पद के उत्तराधिकार संबंधी कार्यों की देख-रेख करता है। परिवार द्वारा यह निश्चित होता है कि संपत्ति का उत्तराधिकारी कौन-कौन होगा।

(2) श्रम-विभाजन-श्रम-विभाजन परिवार से आरंभ होता है। परिवार में श्रम-विभाजन उसके सदस्यों की स्थिति, आयु, कार्य-शक्ति एवं कुशलता के अनुसार ही होता है। परिवार में महिलाओं, बच्चों, पुरुषों, बूढ़ों आदि में श्रम-विभाजन होता है; जैसे महिलाएँ गृह-कार्य करती हैं, पुरुष शक्ति या परिश्रम संबंधी बाहरी कार्य तथा बच्चे छोटा-मोटा घरेलू कार्य करते हैं। परिवार के सदस्यों में श्रम-विभाजन आर्थिक सहयोग का महत्त्वपूर्ण उदाहरण है।

(3) आय तथा संपत्ति का प्रबंध-परिवार अपने सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन (आय) का प्रबंध करता है। परिवार की आय से ही उसकी गरीबी या अमीरी का आकलन किया जाता है। परिवार का मुखिया, आय को कैसे खर्च करना है, तय करता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक परिवार के पास अपनी चल तथा अचल संपत्ति; जैसे जमीन, सोना, गहने, नकद, पशु, दुकान आदि होती है। उसकी देखभाल एवं सुरक्षा परिवार के द्वारा की जाती है।

6. राजनीतिक कार्य (Political Funcitons):
राज्य के अनुसार, आदर्श नागरिक बनाने का सर्वप्रथम कार्य परिवार में ही होता है। परिवार ही परिवार के सदस्यों को देश व राज्य की राजनीतिक गतिविधियों से अवगत करवाता है। कन्फ्यूशियस के अनुसार, “मनुष्य सर्वप्रथम परिवार का तथा उसके बाद उस राज्य का सदस्य होता है जो परिवार के स्वरूप के अनुरूप ही निर्मित होता है।”

7. सांस्कृतिक व धार्मिक कार्य (Cultural and Religious Functions):
बच्चे को समाज की सांस्कृतिक परंपराओं को सौंपने में परिवार महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। परिवार अपने सदस्यों को अपने कार्य के अनुसार पूजा-पाठ, आराधना, इबादत, भक्ति आदि धार्मिक कार्यों के लिए तैयार करता है जिससे धर्म का महत्त्व बना रहता है। परिवार सदस्यों में परिश्रम, ईमानदारी, सहयोग, सहानुभूति, सच बोलना आदि गुण विकसित करने में सहायक होता है।

परिवार की उपयोगिता (Utility of Family);
परिवार को बच्चे का पालना कहा जाता है । यह बच्चे और अन्य सदस्यों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। बच्चों व अन्य सदस्यों को पालने में परिवार की उपयोगिता या भूमिका निम्नलिखित है-
(1) परिवार बच्चों व अन्य सदस्यों के लिए संतुलित भोजन, समयानुसार वस्त्र, आवास एवं चिकित्सा सुविधा आदि का प्रबंध करता है।
(2) परिवार में बच्चों के धार्मिक एवं आध्यात्मिक विकास की ओर ध्यान दिया जाता है।
(3) परिवार को सामाजिक गुणों का पालना कहा जाता है। परिवार बच्चे के सामाजिक विकास में सहायक होता है।
(4) परिवार बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अवसर जुटाता है।
(5) परिवार बच्चों के मूल्यपरक अर्थात् नैतिक गुणों के विकास में सहायक होता है। परिवार उनमें परिश्रम, ईमानदारी, सहयोग एवं सहानुभूति आदि गुणों को विकसित करता है। इनके अतिरिक्त बच्चा परिवार के संरक्षण में रहकर चिंताओं एवं मानसिक तनाव से मुक्त रहता है, उसमें इंसानियत या मानवता जागृत होती है, आत्मविश्वास जागृत होता है, सहनशीलता की भावना उत्पन्न होती है। बच्चा अपने परिवार से दूसरे परिवारों के साथ ‘सहकारिता की भावना व घर के कार्य में सहयोग का पाठ पढ़ता है। अंत में, हम कह सकते हैं कि परिवार अनेक नैतिक व सामाजिक गुणों का पालना है।

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प्रश्न 4.
“परिवार एक सामाजिक संस्था के रूप में उपयोगी है।” वर्णन करें।
अथवा
क्या परिवार एक समाजिक संस्था के रूप में कार्य करता है? इस विषय का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
उत्तर:
परिवार एक सामाजिक संस्था है जो सामाजिक संस्था के रूप में कार्य करता है। सामाजिक क्षेत्र में परिवार की उपयोगिता निम्नलिखित कार्यों से सिद्ध होती है- .
1. रहन-सहन के गुणों का विकास करना (To Develop the Qualities of Living):
परिवार एक ऐसी संस्था है जो अपने सदस्यों को विशेषकर बच्चों को समाज में रहन-सहन, खाने-पीने और बोलने आदि के ढंग सिखाता है। परिवार ही ऐसा स्थान है जहाँ पर बच्चे अपने भविष्य के लिए स्वयं को तैयार करते हैं और स्वयं में सामाजिकता के गुणों को विकसित करके अपने रहन-सहन के गुणों को विकसित करते हैं।

2. व्यक्तित्व निखारने वाली संस्था (Organisation of Personality Development);
परिवार को यदि व्यक्तित्व निखारने वाली संस्था कहा जाए तो कोई गलत बात नहीं होगी। परिवार में रहकर बच्चे अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं।

3. परिवार एक मौलिक इकाई के रूप में (Family as Basic Unit):
परिवार एक मौलिक इकाई है। परिवार में रहकर सदस्यों के सम्बन्धों की रचना होती है। सभी सदस्य एक-दूसरे के इशारों पर चलते हैं। सामाजिक रीति-रिवाजों की रक्षा करना और सदस्यों के किसी भी तरह के व्यवहार पर काबू रखना परिवार का ही फर्ज है।

4. बच्चे पैदा करना (To Give Birth to Infant):
इस सम्बन्ध में वुडवर्थ का मानना है कि यह एक प्राणी का बुनियादी कर्तव्य है जिसे परिवार करता रहता है। इस तरह का कार्य किसी भी व्यक्ति या समाज के लिए आवश्यक है।

5. बच्चों का पालन-पोषण करना (Infant Rearing):
परिवार का बुनियादी कार्य केवल बच्चे पैदा करना ही नहीं बल्कि बच्चे का पालन-पोषण माता-पिता की तरफ से सबसे अच्छे ढंग से किया जा सकता है। माता-पिता की देखरेख में रहकर ही बच्चा अपने व्यक्तित्व का अच्छी तरह से विकास कर सकता है।

6. पारिवारिक सभ्याचार पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुँचाने वाली संस्था (Organisation of Spread Family Culture Step-wise-step):
हमारे बजुर्गों के पास अनुभव होता है। माता-पिता अपने बजुर्गों से जो ज्ञान प्राप्त करते हैं उसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी बांटने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार पारिवारिक सभ्याचार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचाने वाली संस्था के रूप में कार्य करता है।

7. मनोवैज्ञानिक कार्यों का केन्द्र बिन्दु (Central Point of Psychological Functions):
परिवार मनोवैज्ञानिक कार्यों का केन्द्र है। परिवार अपने सदस्यों के आपसी प्यार और सद्भावना का संचार करता है। कोई भी व्यक्ति परिवार में रहकर हमदर्दी, त्याग और प्रेम आदि मनोवैज्ञानिक गुणों को प्राप्त करता है। आदर्श रूप में परिवार एक प्रभावशाली मनोविज्ञान का आधार स्तम्भ है। यहां रहकर एक व्यक्ति को दुनिया की चिन्ताओं से मुक्ति मिल जाती है।

8. मनोरंजन का केन्द्र (Centre of Entertainment):
कामकाज से थका हुआ व्यक्ति परिवार में आकर बच्चों के साथ अपना मन बहला लेता है। बच्चों के साथ खेलकर तथा उनकी मधुर और तोतली आवाज सुनकर व्यक्ति की सारे दिन की थकावट दूर हो जाती है तथा वह अपनी सभी चिन्ताओं से मुक्त हो जाता है।

9. आर्थिक कार्यों का केन्द्र (Centre of Economic Functions):
परिवार हमेशा से ही आर्थिक कार्यों का केन्द्र-बिन्दु रहा है। वस्तुओं को बनाना और उन्हें ज़रूरत के अनुसार बांटना ही परिवार का मुख्य कार्य है। परिवार में सदस्यों को अपने काम की जानकारी होती है। इसीलिए कहा जाता है कि परिवार अपने कार्य स्वयं ही निश्चित करता है। परिवार ही यह फैसला लेता है कि उसकी धन-दौलत तथा सम्पत्ति का मालिक कौन होगा और कौन-कौन इस सम्पत्ति का हिस्सेदार होगा।

प्रश्न 5.
किशोरावस्था को परिभाषित करें। इस अवस्था में कौन-कौन-से परिवर्तन होते हैं? वर्णन करें।
अथवा
“किशोरावस्था परिवर्तन का काल है।” इस कथन को विस्तारपूर्वक स्पष्ट करें।
अथवा
किशोरावस्था का क्या अर्थ है? किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन करें।
उत्तर:
किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Adolescence):
किशोरावस्था अंग्रेज़ी शब्द ‘Adolescence’ का हिंदी रूपांतरण है। ‘Adolescence’ लैटिन भाषा के शब्द ‘Adolesceker’ (एडोलेसेकर) से बना है जिसका अर्थ है-परिपक्वता की ओर अग्रसर होना। किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें बालक बाल्यावस्था का त्याग करता है। यह अवस्था बाल्यावस्था के बाद और युवावस्था से पहले की अवस्था है। यह अवस्था लगभग 12 से 18 वर्ष के बीच की होती है।
1. स्टेनले हाल (Stanley Hall) के अनुसार, “किशोरावस्था तीव्र दबाव एवं तनाव, तूफान एवं विरोध की अवस्था है।”
2. जरसील्ड (Jersield) के अनुसार, “किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति बाल्यावस्था से परिपक्वता की ओर बढ़ता है।”
3. सैडलर (Sadler) के मतानुसार, “किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था होती है जिसमें बच्चा अपने-आप ही प्रत्येक कार्य करने की कोशिश करता है।”

किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तन (Changes of Adolescence):
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि इस अवस्था में किशोरों में अनेक शारीरिक-मानसिक परिवर्तन होते हैं जिस कारण वे चिंतित एवं बेचैन होते हैं। अनेक परिवर्तन होने के कारण इस अवस्था को परिवर्तन का काल कहा जाता है। इस अवस्था में होने वाले मुख्य परिवर्तन निम्नलिखित हैं

1.शारीरिक परिवर्तन (Physical Changes):
किशोरावस्था में किशोरों में दो प्रकार के शारीरिक परिवर्तन होते हैं-आंतरिक एवं बाहरी। किशोरों की ऊँचाई में तेजी से परिवर्तन होते हैं। भार में भी पर्याप्त वृद्धि होती है। किशोरों की आवाज में बहुत परिवर्तन होता है। लड़कों की आवाज में भारीपन तथा लड़कियों की आवाज कोमल व सुरीली हो जाती है।

2. मानसिक परिवर्तन (Mental Changes):
किशोरावस्था में किशोरों में अनेक बौद्धिक या मानसिक परिवर्तन होते हैं। उनमें स्मरण-शक्ति एवं कल्पना-शक्ति विकसित हो जाती है। किशोरों में तर्क एवं विचार-शक्ति का तीव्र विकास होने लगता है। उनमें किसी वस्तु या विषय के प्रति ध्यान केंद्रित करने की शक्ति विकसित हो जाती है। उनमें प्रदर्शन व मुकाबले की भावना का भी विकास होता है।

3. सामाजिक परिवर्तन (Social Changes):
इस अवस्था में किशोरों में सामाजिक भावना का विकास तीव्र गति से होता है। वे किसी-न-किसी सामाजिक संस्था का सदस्य बनने में रुचि लेने लगते हैं। उनमें सद्भाव, सहयोग, प्रेम, वफादारी, मित्रता तथा सहानुभूति आदि गुणों के लक्षण अधिक विकसित होने लगते हैं। वे खेलकूद व क्रियाशील कार्यों में भी अधिक रुचि लेने लगते हैं। .

4. संवेगात्मक परिवर्तन (Emotional Changes):
इस अवस्था में किशोरों में जिज्ञासा-प्रवृत्ति तीव्र हो जाती है। उनमें काल्पनिकता एवं भावुकता का पूर्ण विकास हो जाता है। उनमें विद्रोह की भावना तीव्र हो जाती है। वे स्वाभिमानी हो जाते हैं। उनमें आत्म-सम्मान की भावना का पूरी तरह विकास होने लगता है। वे विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं या क्रियाकलापों में भाग लेने के लिए तैयार रहते हैं। उनमें संवेगात्मक तनाव तीव्र हो जाता है। उनमें उपेक्षा के भावों के कारण विद्रोह व अपराध करने की प्रवृत्तियाँ भी अधिक विकसित होने लगती हैं । इस अवस्था में उनका अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं रहता। वे छोटी-छोटी बातों से भी अपना संवेगात्मक या भावनात्मक संतुलन खो देते हैं।

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प्रश्न 6.
किशोरावस्था क्या है? इसकी समस्याओं या कठिनाइयों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
अथवा
किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक-मानसिक परिवर्तनों के कारण किशोरों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? वर्णन करें।
अथवा
किशोरावस्था एक गंभीर, तनावपूर्ण तथा समीक्षात्मक अवस्था है-स्पष्ट करें।
अथवा
“किशोरावस्था तीव्र दबाव एवं तनाव, तूफान एवं विरोध की अवस्था है।” इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
किशोरावस्था काअर्थ (Meaning of Adolescence):
किशोरावस्था एक गंभीर, तनावपूर्ण तथा समीक्षात्मक अवस्था है। इस अवस्था में शारीरिक वृद्धि और विकास तीव्र गति से होता है। इस अवस्था के आरंभ होते ही शरीर में अनेक अंतर आ जाते हैं। इसी कारण इस अवस्था को तनावपूर्ण व विरोध करने की अवस्था कहा जाता है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक स्टेनले हाल का कथन है, “किशोरावस्था तीव्र दबाव एवं तनाव, तूफान एवं विरोध की अवस्था है।”

किशोरावस्था की समस्याएँ या कठिनाइयाँ (Problems or Difficulties of Adolescence);
किशोरावस्था में शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और व्यवहार में बहुत जल्दी परिवर्तन आते हैं। इस कारण किशोरों को कई प्रकार की कठिनाइयों या समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनको बचपन की आदतों को छोड़कर किशोरावस्था की आदतों में ढलना पड़ता है। इसी कारण किशोरावस्था में माता-पिता और अध्यापकों का दायित्व और भी बढ़ जाता है। इस अवस्था में किशोरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है

1. शारीरिक समस्याएँ (Physical Problems):
किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन स्पष्ट नज़र आते हैं। कुछ शारीरिक परिवर्तनों के कारण उनमें बेचैनी होती है, क्योंकि उनको इन बातों की पूर्ण

2. मानसिक समस्याएँ (Mental Problems):
किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ अनेक मानसिक परिवर्तन भी होते हैं। इन परिवर्तनों के कारण कई प्रकार की मानसिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं; जैसे तनाव, चिंता, बेचैनी, खिंचाव आदि।मानसिक तनाव के कारण वे किसी दूसरे से सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते।

3. आत्म-चेतना में वृद्धि (Increase in Self-consciousness):
बचपन में आत्म-चेतना कम होती है। जैसे ही बच्चा किशोरावस्था में कदम रखता है, उसकी चेतना में एकदम परिवर्तन आता है। वह लोगों को बताना चाहता है कि वह अब बच्चा नहीं रहा, बल्कि हर बात को भली-भाँति समझने लगा है। इस अवस्था में लड़के-लड़कियाँ कुछ बनने के लिए तत्पर रहते हैं। कई बार इस आत्म-चेतना के कारण वे गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं।

4. भावनात्मक या संवेगात्मक समस्याएँ (Emotional Problems):
किशोरावस्था में किशोरों का भावनात्मक होना एक साधारण बात है, क्योंकि इस अवस्था में उनमें संवेगात्मकता चरम-सीमा पर होती है। इसका मुख्य कारण उसकी शारीरिक और लिंग ग्रंथियों में जरूरत से अधिक वृद्धि है। किशोरावस्था में प्यार और नफरत दोनों बहुत ताकतवर होते हैं । इस अवस्था में उनका अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं रहता। वे छोटी-छोटी बातों से भी अपना भावात्मक संतुलन खो देते हैं।

5. व्यवसाय और विषयों की समस्याएँ (Problems of Career and Subjects):
किशोरावस्था में व्यवसाय और विषयों का चुनाव एक आम समस्या है। इस अवस्था में बच्चा स्कूल की पढ़ाई समाप्त करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के लिए तैयार होता है। विषयों का चुनाव और व्यवसाय के चुनाव पर उसका आने वाला भविष्य निर्भर करता है। उसके भविष्य की उज्ज्वलता अथवा अंधकारमयता उसके चुनाव पर निर्भर करती है।

6. चिड़चिड़ेपन में वृद्धि (Increase in Irritation):
किशोरावस्था में किशोर स्वतंत्र होना चाहते हैं ताकि वे अपना फैसला स्वयं कर सकें, परंतु माता-पिता उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं। उनमें भावुकता बहुत अधिक होती है। इसी कारण माता-पिता उनकी प्रत्येक क्रिया पर नज़र रखते हैं ताकि वे भटक न जाएँ। परंतु बच्चे इन बातों से चिड़चिड़े हो जाते हैं और माता-पिता से सवाल-जवाब करने शुरू कर देते हैं। कई बार तो लड़ाई-झगड़े तक की नौबत आ जाती है।

7. बौद्धिक चेतना संबंधी समस्याएँ (Problems of Intellectual Consciousness):
किशोरावस्था में बौद्धिक चेतना अपनी चरम-सीमा पर होती है। उसकी बात को समझने की शक्ति तेज हो जाती है। वह माता-पिता से कई ऐसे सवाल करता है कि माता-पिता चकित रह जाते हैं । वह हर बात की छानबीन करना चाहता है। उनके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहता है। वह सदैव इसी ताक में रहता है कि वह किसी समूह अथवा अपनी मित्र-मंडली में बौद्धिक चेतना का प्रदर्शन करके अपने सम्मान में वृद्धि कर सके। बौद्धिक चेतना में वृद्धि होने के कारण किशोर स्वयं को दूसरों से अधिक बुद्धिमान एवं चालाक समझने लगते हैं। उन्हें स्वयं पर इतना अधिक विश्वास होता है कि वे दूसरों को मूर्ख समझने लगते हैं।

8. यौन संबंधी समस्याएँ (Sexual Problems): इस अवस्था में यौन संबंधी समस्याओं का होना भी एक आम बात है।

9. स्थिरता की कमी (Lack of Stability):
किशोरावस्था में किशोरों में स्थिरता की कमी होती है अर्थात् उनका व्यवहार स्थिर नहीं रहता। इसी कारण वे दूसरों के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते। स्थिरता की कमी के कारण किशोरों का व्यवहार आक्रामक हो जाता है। वे घर व बाहर पूर्ण रूप से स्वतंत्रता चाहते हैं।

10. नशीली दवाइयों का सेवन (Use of Drug Abuses):
किशोरावस्था में सिगरेट, शराब, नशीली दवाइयों आदि का सेवन सामान्य बात हो गई है। किशोर इस अवस्था में अपनी पढ़ाई की तरफ कम ध्यान देता है। वह नशीली दवाइयों का सेवन अपने दोस्तों के साथ बिना उसकी हानि जाने शुरू कर देता है जो कि उसके जीवन के लिए बहुत घातक सिद्ध होता है।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 6 पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा

प्रश्न 7.
हमें किशोरावस्था की समस्याओं का समाधान प्रबंध किस प्रकार करना चाहिए?
अथवा
किशोरों की समस्याओं को अध्यापकों व संरक्षकों या अभिभावकों को कैसे हल करना चाहिए?
अथवा
किशोरों को तनाव व चिंता से कैसे बचाया जा सकता है? वर्णन करें।
उत्तर:
किशोरावस्था में बच्चों को शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और अन्य कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यद्यपि इनका हल इतना आसान नहीं है, परंतु असंभव भी नहीं है। किशोरावस्था की समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न प्रत्येक वर्ग के सदस्यों को करना चाहिए ताकि बच्चों का पूर्ण विकास हो सके। अध्यापकों व अभिभावकों द्वारा किशोरावस्था की समस्याओं को निम्नलिखित तथ्यों के अंतर्गत सुलझाया जा सकता है

1. व्यक्तित्व को समझना (Recognition of Individuals):
किशोरावस्था में किशोर अपना निर्णय स्वयं लेना चाहते हैं । वे समाज में अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं। परंतु कई बार माता-पिता उन्हें ऐसा करने से रोकते हैं। माता-पिता को किशोरों की सलाह को चाहे वह गलत हो अथवा ठीक हो उसे तुरंत नकारना नहीं चाहिए। यदि माता-पिता उनके विचारों की उपेक्षा करेंगे तो उनमें हीनता की भावना आ जाएगी और वे भविष्य में कोई भी निर्णय लेने में असमर्थता महसूस करेंगे।

2. मनोविज्ञान की शिक्षा (Education of Psychology):
अध्यापकों व अभिभावकों को मनोविज्ञान की मौलिक जानकारी होनी चाहिए। किशोरों को मनोविज्ञान के संबंध में संपूर्ण जानकारी देनी चाहिए, ताकि वे अपनी समस्याओं को दूर करने में समर्थ हो सकें।

3. वृद्धि और विकास के बारे में पूर्ण जानकारी (ProperKnowledge of Growth and Development):
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में वृद्धि और विकास अलग-अलग चरणों में होता है। लड़कियाँ लड़कों से जल्दी वयस्क हो जाती हैं और जल्दी परिपक्वता में आ जाती हैं। माता-पिता और अध्यापकों को वृद्धि और विकास के अलग-अलग चरणों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। किशोरों को वृद्धि और विकास के दौरान संतुलित भोजन, आराम, अच्छा वातावरण, मानसिक आजादी देना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इन बातों से बच्चों में अच्छे गुण विकसित किए जा सकते हैं जो परिवार और समाज के लिए लाभदायक होते हैं।

4.धार्मिक शिक्षा (Religious Education):
किशोरावस्था में आ रहे शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक परिवर्तनों से किशोर अनभिज्ञ होते हैं। ये परिवर्तन उनके मन में हलचल पैदा कर देते हैं। इसलिए माता-पिता को उनकी ओर विशेष ध्यान देना चाहिए और अच्छा चरित्र-निर्माण करने के लिए उनको धार्मिक शिक्षा देनी चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चों को मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद और चर्च आदि में लेकर जाना चाहिए ताकि वे गुरु, संतों, पीर पैगंबरों आदि की गाथाएँ सुनकर अपने अंदर अच्छे गुण विकसित कर सकें। इस प्रकार उनके सामाजिक व्यवहार में भी परिवर्तन आएगा।

5. किशोरों के प्रति उचित व्यवहार (Proper Behaviour with Adolescence):
किशोरों के साथ उचित व्यवहार करना अति-आवश्यक है। यह आयु तनाव और खिंचाव वाली होती है। शरीर में आए परिवर्तनों के कारण बच्चे भावुक होते हैं। माता-पिता, बड़े भाई-बहन और समाज के सदस्यों को उनके साथ उचित व्यवहार करना चाहिए। उनकी आदतों, रुचियों और जरूरतों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। इस प्रकार का व्यवहार बच्चे के चहुँमुखी विकास पर प्रभाव डालता है।

6. व्यावसायिक मार्गदर्शन (Vocational Guidance):
अध्यापकों को चाहिए कि वे किशोरों को व्यावसायिक शिक्षा संबंधी आवश्यक निर्देश दें। ये निर्देश उनकी आयु, वृद्धि एवं रुचि के अनुसार होने चाहिएँ। माता-पिता को उनका उचित व्यावसायिक मार्गदर्शन करना चाहिए अर्थात् निस व्यवसाय या कोर्स में उनकी रुचि है, उसमें माता-पिता को पूरा सहयोग करना चाहिए।

7.संवेगों का प्रशिक्षण और संतुष्टि (Training and Satisfaction of Emotions):
किशोरावस्था में संवेगों में परिपक्वता न होने के कारण व्यवहार में उतार-चढ़ाव बहुत जल्दी आता है। माता-पिता के लिए संवेगों के बारे में जानकारी प्राप्त करना अति-आवश्यक है। अगर बच्चा भावुक होकर अपने उद्देश्यों से भटक जाता है तो वह जीवन के हर पहलू में पिछड़ जाता है। अगर उसकी भावनाओं को उचित मोड़ दिया जाए तो वह एक अच्छा नागरिक बन सकता है। संवेगों में परिवर्तन प्रेरणा द्वारा ही लाया जा सकता है।

8. माता-पिता का संबंध और सहयोग (Relationship and Co-operation of Parents):
किशोरावस्था में किशोर प्रत्येक बात को बारीकी से सोचता है और उसकी छानबीन करता है। माता-पिता के आपसी अच्छे संबंध उस पर गहरा प्रभाव डालते हैं। उसका बहिर्मुखी और अंतर्मुखी होना माता-पिता के संबंधों पर निर्भर करता है। माता-पिता का सहयोग बच्चों के लिए वरदान साबित होता है। इस अवस्था में स्कूल, कॉलेज और अन्य कई प्रकार की समस्याएँ माता-पिता के सहयोग से जल्दी निपटाई जा सकती हैं। माता-पिता की तरफ से दिया गया अच्छा वातावरण बच्चे को तनावमुक्त बनाता है।
अंत में हम यह कह सकते हैं कि किशोरावस्था दबाव, संघर्ष, संवेगात्मक तूफान की अवस्था होती है। इस अवस्था में बालकों की आवश्यकताओं और समस्याओं की ओर उचित ध्यान देना चाहिए।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 6 पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा

प्रश्न 8.
शादी तथा पितृत्व (Marriage and Parenthood) के लिए की जाने वाली तैयारी के आधारों का वर्णन करें।
अथवा
विवाह तथा पारिवारिक जीवन के लिए की जाने वाली आधारभूत तैयारियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
वैवाहिक तथा पारिवारिक जीवन की तैयारी का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विवाह से परिवार की नींव बनती है और यहीं से पारिवारिक जीवन प्रारंभ होता है। उस जीवन को सुखद बनाने के लिए प्रारंभिक तैयारी तथा देखभाल की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि पारिवारिक जीवन सुखद बनाने पर भी व्यक्ति का जीवन अनेक समस्याओं से घिरा रहता है, जिनका समाधान करने से ही वैवाहिक और पारिवारिक जीवन भली-भाँति आगे बढ़ सकता है। अतः विवाह और पारिवारिक जीवन की तैयारी के मुख्य आधार या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. आर्थिक आधार (Economic Basis):
आर्थिक आधार विवाह तथा पारिवारिक जीवन की तैयारी के लिए प्रमुख आधार है। इससे अभिप्राय यह है कि इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक रूप से पूर्णतया आत्मनिर्भर होना चाहिए। उसके पास आजीविका कमाने के पर्याप्त साधन होने चाहिएँ। आधुनिक युग में संयुक्त परिवार प्रणाली के विघटन से इस आधार के महत्त्व में और भी वृद्धि हो गई है।

2. सहयोग की भावना (Spirit of Co-operation):
पारिवारिक जीवन देखने में जितना आकर्षक एवं सुखद होता है, वास्तव में वैसा नहीं है। पारिवारिक जीवन का बोझ उठाने के लिए व्यक्ति को मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से पूर्णतया तैयार होना चाहिए। मानसिक रूप से कमजोर तथा मनोवैज्ञानिक रूप से अशिक्षित व्यक्ति को पारिवारिक जीवन में अनेक प्रकार की जटिलताओं या समस्याओं का समाधान करना पड़ता है। इस प्रकार की समस्याओं का समाधान व्यक्ति अकेला नहीं कर सकता। इसलिए उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, हम यह भी कह सकते हैं कि सुखद विवाहित जीवन के लिए सहयोग की भावना एक महत्त्वपूर्ण आधार है।

3. आवास का आधार (Basis of Dwelling):
एक अनुचित स्थान पर इकट्ठे रहने के कारण अनेक समस्याएँ एवं झगड़े पैदा होने का भय रहता है। अतः परिवार की प्रसन्नता, सुख और शान्ति के लिए पृथक् आवास की व्यवस्था होना परमावश्यक है। वर्तमान युग में पृथक् रहने की प्रवृत्ति के कारण आवास की समस्या और भी गंभीर रूप धारण कर रही है। आवास स्वच्छ वातावरण के आस-पास होना चाहिए। अच्छे व स्वच्छ वातावरण का पारिवारिक सदस्यों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है और विवाहित जीवन संतुलित रहता है।

4. नियोजित परिवार (Planned Family):
एक नियोजित परिवार की नींव और उससे प्राप्त होने वाले लाभों की इच्छा, पारिवारिक जीवन को प्रभावित करने वाला महत्त्वपूर्ण दृष्टिकोण है। परिवार नियोजन के महत्त्व को आज प्रत्येक व्यक्ति समझने लगा है। परिवार के सभी सदस्यों की आर्थिक, सामाजिक और मानसिक प्रगति अथवा सुख, नियोजित परिवार पर निर्भर करता है। इन्हें प्राप्त करने के लिए नियोजित परिवार तथा परिवार कल्याण को अधिक महत्त्व दिया जाना चाहिए।

5. चिकित्सा परीक्षण (Medical Check-up):
विवाहित जीवन और पारिवारिक जीवन में प्रवेश हेतु दंपतियों को अपने स्वास्थ्य का पूर्ण रूप से चिकित्सा परीक्षण (Medical Check-up) करा लेना चाहिए। इस प्रकार के निरीक्षण से शारीरिक विकारों का पता चल जाता है और उनकी रोकथाम की जा सकती है। सत्य तो यह है कि इस प्रकार का चिकित्सा परीक्षण सुखी जीवन तथा भविष्य में होने वाली संतान के लिए अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

प्रश्न 9.
शिशु या बालक की देखभाल व विकास में माता-पिता की किस प्रकार की भूमिका होनी चाहिए?
अथवा
माता-पिता का शिशु की देखभाल में क्या योगदान होता है?
उत्तर:
शिशु के पालन-पोषण में माता-पिता की विशेष भूमिका होती है। जीवों में मानव ही एक ऐसा जीव है जिसमें बच्चों को काफी लंबे समय तक अपने माता-पिता के संरक्षण में रहना पड़ता है। इससे माता-पिता के व्यवहार का उन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। शिशु के जीवन के प्रारंभिक पाँच वर्ष बहुत ही लचीले होते हैं। इस अवस्था में उसमें बातों को ग्रहण करने की अत्यधिक क्षमता होती है। वैसे तो बच्चों के संपर्क अथवा जीवन में आने वाले सभी व्यक्तियों का उन पर प्रभाव पड़ता है; जैसे दादा-दादी, भाई-बहन, पड़ोसी, अध्यापक, मित्र-मण्डली और समाज के अन्य वर्गों के लोग, किंतु उनकी देखभाल और उनके सम्पूर्ण विकास में माता-पिता का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है।
1. घर का वातावरण (Atmosphere of House):
बच्चों पर घर के वातावरण की सबसे अधिक छाप होती है। इस अवस्था में ग्रहण की गई अच्छी बातें अथवा आदतें उनका जीवन-भर साथ देती हैं। माता-पिता के आपसी संबंध, उनका व्यवहार, स्थिति, उनका आर्थिक एवं सामाजिक स्तर और उनकी रुचियाँ प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से बच्चों के व्यक्तित्व अथवा व्यवहार को प्रभावित करती हैं।

2. माता-पिता का स्नेह (Parents Affection):
माता-पिता के आपसी संबंध अच्छे होने का बच्चों के मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। बच्चे को माता-पिता से मिलने वाला स्नेह उसके जीवन की अनेक समस्याओं अथवा जटिलताओं को सुलझाने में सहायक सिद्ध होता है। माता-पिता से उचित स्नेह, सहानुभूति और सहयोग इत्यादि मिलने से उसका आत्म-सम्मान और आत्म-गौरव बढ़ता है।

3. मार्गदर्शन (Guidance):
माता-पिता का कर्त्तव्य बच्चों को केवल स्नेह देना ही नहीं, बल्कि उनके व्यवहार के उचित विकास के लिए मार्गदर्शन करना भी है। यदि माता-पिता अपने बच्चों का सही मार्गदर्शन नहीं करते तो वे अपने रास्ते से भटक जाते हैं, जिससे उन्हें असफलता एवं निराशा का मुँह देखना पड़ता है। इसलिए माता-पिता का यह कर्त्तव्य है कि वे अपने बच्चों का मार्गदर्शन करके उन्हें भटकने से बचाएँ।

4. शैक्षिक सुविधाएँ (Educational Facilities):
माता-पिता को अपने बच्चों को सभी प्रकार की अच्छी शैक्षिक सुविधाएँ देने का प्रयास करना चाहिए। अच्छी शिक्षा से बच्चों की वृद्धि तथा विकास पर ही प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि उनका भविष्य भी उज्ज्वल होता है। कई माता-पिता समय के अभाव या निरक्षरता के कारण बच्चों की शिक्षा की ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते जिससे उनके बच्चों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वे अन्य बच्चों की तुलना में पिछड़ जाते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा के उत्तरदायित्व से पीछे नहीं हटना चाहिए।

5. शारीरिक समस्याएँ (Physical Problems):
किशोरावस्था में बच्चों में शारीरिक परिवर्तन आने के कारण उनमें काम-चेतना काफी प्रबल हो जाती है जिससे उनके सामने अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। माता-पिता अपने बच्चों की शारीरिक समस्याओं को अच्छी प्रकार समझकर उनका उचित समाधान करने के लिए प्रयास कर सकते हैं। वे बच्चों के सर्वांगीण विकास में अच्छी भूमिका निभा सकते हैं।

HBSE 12th Class Physical Education Solutions Chapter 6 पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा

प्रश्न 10.
एक अच्छे नागरिक के तौर पर व्यक्ति की क्या भूमिका होनी चाहिए?
अथवा
‘नागरिक’ को परिभाषित कीजिए। एक अच्छे नागरिक में कौन-कौन-से गुण होने चाहिएँ?

के बिना नहीं रह सकता और समाज में रहकर ही वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता है। समाज का निर्माण भी नागरिकों से ही संभव है।
1.अरस्तू (Aristotle) नागरिक की परिभाषा देते हुए लिखते हैं, “जिस व्यक्ति विशेष के पास राज्य की समीक्षा अथवा न्याय
2. श्रीनिवास शास्त्री (Sriniwas Shastari) के अनुसार, “नागरिक वही है जो राज्य का सदस्य है और समाज की भलाई के लिए बनाए गए नियमों का पालन करता है। राष्ट्र का निर्माण नागरिकों के द्वारा होता है और समाज का निर्माण व्यक्ति के द्वारा होता है।”

एक अच्छे नागरिक के गुण व भूमिका (Qualities and Role of aGood Citizen):
प्रत्येक बच्चे को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए कि वह समाज एवं राष्ट्र के प्रति अपना विशेष कर्त्तव्य समझ सके और उसके विकास में अपना योगदान दे सके। उसमें वे सभी गुण होने चाहिएँ, जो न केवल उसके लिए अपितु समाज व देश के लिए भी लाभदायक हों। एक अच्छे नागरिक में निम्नलिखित गुण होने चाहिएँ
(1) प्रत्येक नागरिक में ईमानदारी, सहयोग, सहनशीलता आदि गुणों का होना अनिवार्य है। ये गुण सामाजिक कर्तव्यों को निभाने में सहायक होते हैं।
(2) नागरिक का चरित्र उच्चकोटि का होना चाहिए। उसे सादे जीवन के निर्वाह में विश्वास रखना चाहिए।
(3) प्रत्येक नागरिक में देशभक्ति की भावना होनी चाहिए। उसे अपनी रुचियों की अपेक्षा देश की रुचियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उसे अपने देश को ही सबसे ऊपर समझना चाहिए।
(4) उसे खेलकूद के नियमों का पालन करना चाहिए। यह नियम भी एक अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होता है।
कोई भी व्यक्ति तब तक अपने राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता, जब तक वह स्वयं अपने माता-पिता, परिवार, समाज आदि के प्रति वफादार नहीं है। जब तक हम एक अच्छे पड़ोसी की भाँति नहीं रहेंगे, तब तक हम शांति से नहीं रह सकते।
(6) प्रजातांत्रिक देश में नागरिक को जाति, रंग, भाषा या धर्म में भेदभाव नहीं करना चाहिए। यदि प्रत्येक नागरिक अनुशासित होगा तो देश अनुशासित होगा।
(7) उसे समाज में भाईचारे, सहयोग, बंधुत्व की भावनाओं का विकास करने में अपना योगदान देना चाहिए।
एक अच्छे नागरिक के गुणों को महात्मा गाँधी ने इस प्रकार से व्यक्त किया-“एक अच्छे नागरिक में सत्य, अहिंसा एवं निर्भीकता के गुण होने चाहिएँ ताकि वह उच्च एवं अच्छे समाज की स्थापना कर सके।”

लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
गर्भधारण और जन्म से पूर्व सावधानियों का वर्णन करें।
अथवा
गर्भ में तथा बच्चा पैदा होने से पहले की देखभाल का वर्णन करें।
उत्तर:
गर्भ में तथा बच्चा पैदा होने से पहले की देखभाल माँ या गर्भवती महिला पर निर्भर करती है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला ‘कुछ सावधानियाँ बरतकर न सिर्फ अपने होने वाले शिशु को स्वस्थ पैदा कर सकती है, बल्कि वह स्वयं को भी स्वस्थ रख सकती है। मनोवैज्ञानिकों का कथन है कि गर्भकाल में प्रकट होने वाले अनेक विकार और व्याधि मानसिक कारणों से होते हैं। इसलिए गर्भवती महिला को अपनी मानसिक स्थिति ठीक रखनी चाहिए। गर्भवती को अपने भोजन में सभी आवश्यक एवं पौष्टिक तत्त्वों को शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियों और मौसम के अनुसार ताजे फल भी बहुत आवश्यक होते हैं, क्योंकि इनसे माँ और बच्चे को शरीर के जरूरी खनिज लवण और विटामिन्स प्राप्त होते हैं।

परिवार को भी गर्भवती महिला के भोजन की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बच्चा अपनी वृद्धि एवं विकास के लिए माँ के शरीर से भोजन प्राप्त करता है। अपने भोजन के प्रति माँ (गर्भवती) को विशेष सावधानी रखनी चाहिए। उसे अपने भोजन में उन्हीं भोजन अवयवों का चयन करना चाहिए जिनसे गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर अनुकूल असर हो। गर्भवती महिला को किसी बीमारी के कारण औषधियों या दवाइयों के सेवन में भी विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती महिला को विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही औषधियों या दवाइयों का सेवन करना चाहिए। गर्भावस्था के आखिरी दिनों में मधुमेह और थाइराइड के लिए ली जाने वाली औषधियों से बचना चाहिए क्योंकि इन औषधियों का शिशु के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए माँ को अपने गर्भावस्था के दौरान सभी आवश्यक सावधानियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि उसका बच्चा सुंदर एवं स्वस्थ पैदा हो सके और उसका स्वयं का स्वास्थ्य भी ठीक रहे।

प्रश्न 2.
परिवार कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन करें।
अथवा
व्यक्तिगत परिवार तथा संयुक्त परिवार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
परिवार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
1. व्यक्तिगत या एकल परिवार-व्यक्तिगत या एकल परिवार को प्राथमिक, मूल अथवा नाभिक परिवार भी कहते हैं। यह परिवार का सबसे छोटा और आधारभूत स्वरूप है जिसमें सदस्यों की संख्या बहुत कम होती है। आमतौर पर पति-पत्नी तथा उसके अविवाहित बच्चे ही इस परिवार के सदस्य होते हैं। ऐसे परिवार में सदस्य भावात्मक आधार पर एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं। परिवार का आकार सीमित होने के कारण इसका बच्चों के जीवन पर काफी रचनात्मक प्रभाव पड़ता है।

2. संयुक्त परिवार-संयुक्त परिवार में तीन या तीन से अधिक पीढ़ियों के सदस्य; जैसे पति-पत्नी, उनके बच्चे, दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई, बच्चों की पत्नियाँ आदि साथ-साथ एक घर में निवास करते हैं, उनकी संपत्ति सांझी होती है। संयुक्त परिवार के सदस्य परस्पर अधिकारों व कर्तव्यों को निभाते हैं।

प्रश्न 3.
बच्चों को पालने में परिवार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बच्चों व अन्य सदस्यों को पालने में परिवार की भूमिका निम्नलिखित है
(1) परिवार बच्चों व अन्य सदस्यों के लिए संतुलित भोजन, समयानुसार वस्त्र, आवास एवं चिकित्सा सुविधा आदि का प्रबंध करता है।
(2) परिवार में बच्चों के धार्मिक एवं आध्यात्मिक विकास की ओर ध्यान दिया जाता है।
(3) परिवार को सामाजिक गुणों का पालना कहा जाता है। परिवार बच्चे के सामाजिक विकास में सहायक होता है।
(4) परिवार बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अवसर जुटाता है।
(5) परिवार बच्चों के मूल्यपरक अर्थात् नैतिक गुणों के विकास में सहायक होता है। परिवार उनमें परिश्रम, ईमानदारी, सहयोग एवं सहानुभूति आदि गुणों को विकसित करता है।

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प्रश्न 4.
परिवार के आधारभूत या बुनियादी कार्य कौन-कौन-से हैं?
अथवा
परिवार के कोई चार प्राथमिक या मूल कार्य बताएँ।
उत्तर:
परिवार के आधारभूत या बुनियादी कार्य निम्नलिखित हैं
(1) बच्चों के माता-पिता का उनके पालन-पोषण में बहुत बड़ा योगदान होता है। बच्चे को दूसरे लोगों की बजाय अपने माता-पिता का साथ ज्यादा मिलता है क्योंकि बच्चे के ऊपर माता-पिता का काफ़ी लम्बे समय तक गहरा प्रभाव रहता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बच्चे में जीवन के बहुमूल्य पाँच सालों में अच्छे गुणों को प्राप्त करने की आध्यात्मिक शक्ति होती है। दूसरे लोगों का प्रभाव बच्चे पर इस अवस्था के बाद में ही होता है।
(2) परिवार बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करता है। वह बच्चों की शिक्षा संबंधी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करना है।
(3) परिवार का बुनियादी कार्य केवल संतान पैदा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि परिवार के सदस्यों की सुरक्षा अच्छे ढंग से करना भी उसका कार्य है। माता-पिता की देखभाल में रहकर बच्चा अपने व्यक्तित्व को निखार सकता है।
(4) रोटी, कपड़ा और मकान जीवन की मुख्य जरूरतें हैं। इनकी व्यवस्था करना परिवार का बुनियादी कार्य है।

प्रश्न 5.
परिवार के मुख्य तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिवार के मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं
1. लैंगिक संबंध-परिवार का मुख्य तत्त्व लैंगिक संबंध होता है। यह संबंध स्थायी होता है।
2. समान अधिकार-निवास स्थान पर हर सदस्य का समान अधिकार होना चाहिए।
3. सामूहिक दायित्व-परिवार के प्रत्येक सदस्य का घर के किसी भी काम के प्रति सामूहिक दायित्व होता है। प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता मिल-जुलकर पूरी की जाए तो परिवार का हर सदस्य कुछ-न-कुछ सहयोग ज़रूर देगा।
4. वंशावली-राज्य और समाज वंशावली को मान्यता देता है और भविष्य में कोई भी परिवार वंश के नाम से ही जाना जाएगा।

प्रश्न 6.
परिवार के प्रमुख सामाजिक कार्य लिखिए।
उत्तर:
परिवार के प्रमुख सामाजिक कार्य निम्नलिखित हैं
1. स्थिति प्रदान करना-सबसे पहले परिवार में ही व्यक्ति को उसकी प्रथम स्थिति प्राप्त होती है। पैदा होते ही वह एक पुत्र, भाई आदि की स्थिति प्राप्त कर लेता है। स्थिति के अनुसार ही व्यक्ति की भूमिका होती है। अतः हम कह सकते हैं कि परिवार ही सबसे पहले व्यक्ति की स्थिति और भूमिका निश्चित करता है।

2. सामाजिक नियंत्रण-परिवार अपने सदस्यों के व्यवहार पर नियंत्रण रखकर सामाजिक नियंत्रण में भी सहायक होता है। परिवार ही सबसे पहले व्यक्ति को सामाजिक व्यवहार के स्वीकृत मानदंडों के अनुरूप व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है।

3. मानवीय अनुभवों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुँचाना-आज तक के मानवीय अनुभवों को परिवार बच्चों को कुछ ही वर्षों में सिखा देता है। इस प्रकार ये अनुभव पीढ़ी-दर-पीढ़ी अविराम गति से पहुँचते रहते हैं।

4. मानवता का विकास-परिवार के सदस्य तीव्र भावात्मक संबंधों में बँधे होने के कारण सदैव एक-दूसरे के लिए त्याग तथा बलिदान हेतु तत्पर रहते हैं। पारस्परिक सहयोग, त्याग, बलिदान, प्रेम, स्नेह आदि के गुणों का विकास करके परिवार अपने सदस्यों में मानवता का विकास करता है।

प्रश्न 7.
परिवार के महत्त्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
परिवार की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
परिवार को बच्चे का पालना कहा जाता है। यह बच्चे और अन्य सदस्यों की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। हमारे जीवन में परिवार का बहुत महत्त्व है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) परिवार की वजह से हम बहुत-सी परेशानियों से दूर रहते हैं, क्योंकि पारिवारिक सदस्य एक-दूसरे की हर तरह की सहायता करते हैं।
(2) परिवार से ही हमें जीवन जीने का मकसद मिलता है और हम अपने परिवार के साथ खुश रहकर जीवन का निर्वाह करते हैं।
(3) परिवार से ही हमारा समाज आगे बढ़ता है और समाज का निर्माण होता है।
(4) परिवार ही हमें सामाजिकता सिखाता है और हमारी सभी मूल जरूरतों को पूरा करता है।
(5) परिवार ही पारिवारिक सदस्यों में नैतिक गुणों का विकास करता है। (6) परिवार से ही हमें आत्म-रक्षा, संस्कृति व भाषा का ज्ञान प्राप्त होता है।

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प्रश्न 8.
“किशोरावस्था एक समस्या की उम्र है।” स्पष्ट करें।
अथवा
“किशोरावस्था एक गंभीर अवस्था है।” स्पष्ट करें।
अथवा
किशोरावस्था में किशोरों को किन-किन प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
किशोरावस्था एक गंभीर एवं समस्या की उम्र (अवस्था) है। इसमें किशोरों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस उम्र में किशोरों को निम्नलिखित प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ता है
(1) किशोरावस्था में अनेक शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों के कारण किशोरों को चिंता एवं बेचैनी होती है।
(2) इस अवस्था में किशोर दूसरों के साथ सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते। वे अनेक मानसिक तनावों से प्रभावित होते हैं।
(3) इस अवस्था में किशोरों को अपने व्यवसाय या विषय का चयन करने में भी समस्या आती है।
(4) किशोरावस्था में भावुकता बहुत होती है। इसी कारण माता-पिता उनकी प्रत्येक क्रिया पर नज़र रखते हैं ताकि वे भटक न जाएँ। परन्तु बच्चे इन बातों से चिड़चिड़े हो जाते हैं और माता-पिता से सवाल-जवाब करने शुरू कर देते हैं। कई बार तो लड़ाई-झगड़े तक की नौबत आ जाती है।

प्रश्न 9.
किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
अथवा
किशोरावस्था की कोई चार विशेषताएँ या लक्षण लिखें।
उत्तर:
किशोरावस्था की मुख्य विशेषताएँ या लक्षण निम्नलिखित हैं
(1) बाहरी व आंतरिक शारीरिक भागों का विकास,
(2) मानसिक या बौद्धिक चेतना का विकास,
(3) सामाजिक चेतना में वृद्धि,
(4) भावी जीवन की योजनाएँ बनाने में रुचि,
(5) स्मरण शक्ति व कल्पना-शक्ति का तीव्र विकास,
(6) सामाजिक वातावरण के प्रति जागरूकता,
(7) विपरीत लिंग से संबंधित चर्चा एवं साहित्य में अधिक रुचि।

प्रश्न 10.
किशोरावस्था को परिवर्तन की अवस्था क्यों कहा जाता है?
अथवा
किशोरावस्था तनाव एवं खिंचाव की अवस्था है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
किशोरावस्था तनाव एवं खिंचाव तथा परिवर्तन की अवस्था है। इसमें किशोरों में वृद्धि की गति तीव्र होती है। उनके बाहरी व आंतरिक अंगों का विकास तीव्र गति से होना आरंभ हो जाता है। लड़कियों की आवाज कोमल व मधुर तथा लड़कों की आवाज भारी हो जाती है । इस अवस्था में लड़कों को दाढ़ी-मूंछ आ जाती है। किशोरों में शारीरिक परिवर्तन के साथ मानसिक परिवर्तन भी तीव्र गति से होते हैं। इसी कारण इस अवस्था को परिवर्तन की अवस्था भी कहा जाता है । इस अवस्था में उनमें मानसिक तनाव, खिंचाव व चिंता आदि बढ़ने लगती है । वे दूसरों के साथ समायोजन नहीं कर पाते । स्वयं को ही अधिक महत्ता देने लगते हैं। जिस कारण उनको अनेक मानसिक तनावों का सामना करना पड़ता है । इस प्रकार किशोरावस्था तनाव एवं खिंचाव तथा परिवर्तन की अवस्था है।

प्रश्न 11.
किशोर आयु के बालक/बालिकाओं के तनाव व खिंचाव को किस प्रकार दूर करेंगे?
अथवा
किशोरावस्था की समस्याओं के निवारण का संक्षेप में उल्लेख करें।
अथवा
किशोरों की समस्याओं को अध्यापक को कैसे दूर करना चाहिए?
अथवा
माता-पिता को किशोरों की समस्याओं का निपटारा कैसे करना चाहिए?
अथवा
किशोरावस्था की समस्याएँ आप कैसे नियंत्रित करेंगे?
उत्तर:
किशोरावस्था की समस्याओं को समझना तथा उनकी संतुष्टि का प्रयास करना अति आवश्यक है। माता-पिता और अध्यापक को किशोरों के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिए। इसके लिए निम्नलिखित सुझाव लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं-
(1) किशोरों को लिंग संबंधी शिक्षा देना,
(2) किशोरों को मनोविज्ञान के संबंध में पूर्ण जानकारी देना,
(3) उन्हें पर्याप्त स्वतंत्रता देना,
(4) उनकी भावनाओं का आदर करना,
(5) घर-परिवार का वातावरण उचित बनाना,
(6) व्यावसायिक पथ-प्रदर्शन करना,
(7) नैतिक व मूल्य-बोध की शिक्षा देना,
(8) सहसंबंध एवं सहयोग की भावना रखना,
(9) उचित व्यवहार करना,
(10) उनकी विभिन्न आवश्यकताओं व इच्छाओं की पूर्ति करना,
(11) संवेगों का प्रशिक्षण तथा संवेगात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करना आदि।

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प्रश्न 12.
किशोरों की शिक्षा-व्यवस्था करते समय किन-किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
किशोरों की शिक्षा-व्यवस्था करते समय निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना चाहिए
(1) किशोरावस्था को परिवर्तन की अवस्था कहा जाता है। इसमें किशोरों में अनेक परिवर्तन होते हैं। माता-पिता एवं अध्यापकों द्वारा उन्हें उचित दिशा का बोध कराने का दायित्व निभाया जाना चाहिए।
(2) इस अवस्था में उनमें किसी विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त करने की उत्तेजना होती है। इसलिए माता-पिता व अध्यापकों के द्वारा उन्हें ऐसे विषय दिए जाने चाहिएँ जिनसे उनकी जिज्ञासा की पूर्ति हो और उनकी स्मरण शक्ति का विकास हो।
(3) किशोरों के संतुलित विकास के लिए, खेलकूद व व्यायाम आदि पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
(4) उनके मानसिक या बौद्धिक विकास हेतु उनकी बुद्धि, स्मरण-शक्ति, तर्क-शक्ति, चिंतन-शक्ति, कल्पना-शक्ति आदि का विकास उनकी रुचि, इच्छा, क्षमता एवं योग्यता के अनुसार किया जाना चाहिए।
(5) उन्हें शुद्ध पढ़ने, बोलने और लिखने का अभ्यास करवाना चाहिए, क्योंकि इस अवस्था में स्मरण शक्ति काफी विकसित होती है।
(6) विषयों को पढ़ाते समय उनकी रुचि एवं इच्छाओं पर अवश्य ध्यान दिया जाना चाहिए। इस अवस्था में इनमें स्वतंत्र पठन करने की रुचि भी विकसित हो जाती है। इसलिए अध्यापकों को उनकी इस रुचि को अधिक-से-अधिक प्रोत्साहित करना चाहिए।

प्रश्न 13.
एक अच्छे नागरिक के कोई चार गुण बताएँ। अथवा एक नागरिक में कौन-कौन-से गुण होने चाहिएँ?
उत्तर:
एक अच्छे नागरिक में निम्नलिखित गुण होने चाहिएँ
(1) प्रत्येक नागरिक में ईमानदारी, सहयोग, सहनशीलता आदि गुणों का होना अनिवार्य है। ये गुण सामाजिक कर्तव्यों को निभाने में सहायक होते हैं।
(2) नागरिक का चरित्र उच्चकोटि का होना चाहिए। उसे सादे जीवन के निर्वाह में विश्वास रखना चाहिए।
(3) प्रत्येक नागरिक में देशभक्ति की भावना होनी चाहिए। उसे अपनी रुचियों की अपेक्षा देश की रुचियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उसे अपने देश को ही सबसे ऊपर समझना चाहिए।
(4) उसे समाज में भाईचारे, सहयोग, बंधुत्व की भावनाओं का विकास करने में अपना योगदान देना चाहिए।

प्रश्न 14.
बच्चे के सामाजिक विकास में परिवार की क्या भूमिका होनी चाहिए?
अथवा
बालक के सामाजिक विकास में माता-पिता का क्या योगदान होता है?
उत्तर:
बच्चे का पालन-पोषण परिवार में होता है। माता-पिता उसकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। वे उसके लिए भोजन, कपड़े व सुरक्षा आदि की व्यवस्था करते हैं। वे उसके मनोरंजन, खेलकूद व सामाजिक विकास संबंधी सभी जरूरतों को भी पूरा करते हैं। वे लड़का-लड़की दोनों के साथ समान व्यवहार करते हैं। वे परिवार में ऐसे वातावरण का निर्माण करते हैं जिसमें बच्चों का सर्वांगीण विकास हो। वे बच्चों की इच्छाओं की पूर्ति के प्रति सजग रहते हैं। अतः परिवार या माता-पिता का बच्चे के सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

प्रश्न 15.
किशोरावस्था की रुचियों का संक्षेप में उल्लेख करें।
उत्तर:
किशोरावस्था में किशोरों में अनेक रुचियों का तेजी से विकास होता है। इस अवस्था में लड़के सामूहिक खेल खेलने में रुचि रखते हैं; जैसे क्रिकेट, कबड्डी, हॉकी आदि। लड़कियाँ गीत, संगीत, नाटक, नृत्य आदि में रुचि रखती हैं। इनमें प्रदर्शन करने की भावना भी विकसित हो जाती है। लड़कियाँ शृंगार के सामान का अच्छी तरह से प्रयोग करने लगती हैं। वे विज्ञान, साहित्य, देश-प्रेम साहित्य, यौन साहित्य आदि को पढ़ने में रुचि रखते हैं। इनमें सिनेमा, टी०वी० देखने, फिल्मी गीत सुनने और घूमने-फिरने की आदत विकसित हो जाती है। वे सामाजिक कार्यों में भी रुचि लेने लगते हैं। लड़कियाँ अपनी सहेलियों से अपनी व्यक्तिगत समस्याओं से संबंधित वार्तालाप

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प्रश्न 16.
एक अच्छे नागरिक के कोई तीन वैधानिक कर्त्तव्य लिखें।
उत्तर:
एक अच्छे नागरिक के प्रमुख वैधानिक कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं-
1. कानून का पालन करना-इसके अन्तर्गत हमें कानून द्वारा दिए गए हर आदेशों का पालन करना चाहिए। कभी भी कानून के नियमों की उल्लंघना नहीं करनी चाहिए।
2. करों का भुगतान-हर नागरिक का यह परम कर्त्तव्य है कि वह अपने करों को पूरी ईमानदारी के साथ उसका भुगतान करे क्योंकि करों द्वारा इकट्ठी की गई राशि देश के विकास में खर्च की जाती है। सड़क बनाना, बिजली प्रदान करना तथा अन्य कई प्रकार की सुविधाएँ सरकार हमें इन्हीं करों के माध्यम से प्रदान करती है। इसलिए हर नागरिक को अपने करों का भुगतान करना चाहिए।
3. मत का उचित प्रयोग-मत ही आम नागरिक का एक ऐसा हथियार है जिसके द्वारा वह सरकार की काया पलट सकता है। हमें अपने मतों का प्रयोग अच्छी सरकार के चयन हेतु करना चाहिए। इसलिए मत का उचित प्रयोग हर नागरिक का परम कर्त्तव्य है।

प्रश्न 17.
एक अच्छे नागरिक के किन्हीं तीन नैतिक कर्तव्यों या उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए। उत्तर:एक अच्छे नागरिक के तीन नैतिक कर्त्तव्य या उत्तरदायित्व निम्नलिखित प्रकार से हैं
1. परिवार के प्रति कर्त्तव्य-एक नागरिक का नैतिक तथा प्रमुख कर्त्तव्य उसके परिवार के प्रति है; जैसे कि शिशु पालन, बच्चों की देखभाल, शिक्षा प्रदान करना, सुरक्षा प्रदान करना, जीवन की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति इत्यादि। इन कर्तव्यों का पालन करके एक नागरिक देश को विकास की तरफ ले जा सकता है।

2. समाज के प्रति कर्त्तव्य-एक नागरिक का नैतिक कर्त्तव्य समाज के प्रति बहुत महत्त्वपूर्ण है। उसे अपने समाज के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करना चाहिए। उसे समाज के साथ सहयोग, सहनशीलता, सद्भावना, आज्ञा पालन, अनुशासन में रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

3. मानवता के प्रति कर्त्तव्य-एक नागरिक को मानवता को ध्यान में रखकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। अपने फायदे के लिए मानव जाति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। अक्सर हम अपने निजी फायदों के लिए मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं। जैसे कि लगातार जंगलों को अपने निजी फायदे के लिए काटते जा रहे हैं जिससे वातावरण दूषित हो रहा है। दूषित वातावरण मानव जीवन के लिए हानिकारक है। इसलिए हमें मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चा

प्रश्न 18.
परिवार के कोई तीन गौण या द्वितीयक कार्य बताएँ।
उत्तर:
इन कार्यों को अधिक प्राथमिकता नहीं दी जाती, इसलिए इन्हें द्वितीयक या गौण कार्य कहा जाता है। समाज विशेष के अनुसार इन कार्यों में परिवर्तन होता रहता है।
1. आमोद-प्रमोद संबंधी कार्य-परिवार पारिवारिक सदस्यों के मनोरंजन या आमोद-प्रमोद हेतु कार्य करता है। इससे वे संतुष्टि व राहत महसूस करते हैं।
2. मनोवैज्ञानिक कार्य-परिवार सदस्यों को मानसिक सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता है। परिवार में सदस्यों का परस्पर प्रेम, सहानुभूति, त्याग, धैर्य आदि भावनाएँ देखने को मिलती हैं। परिवार में सदस्यों के संबंध पूर्ण व घुले-मिले होते हैं। इसलिए सदस्य सुख-दुःख आदि में एक-दूसरे को सहयोग देते हैं।
3. आर्थिक कार्य-परिवार अपने सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए धन (आय) का प्रबंध करता है। परिवार की आय से ही उसकी गरीबी या अमीरी का आकलन किया जाता है। परिवार का मुखिया, आय को कैसे खर्च करना है, तय करता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक परिवार के पास अपनी चल तथा अचल संपत्ति; जैसे जमीन, सोना, गहने, नकद, पशु, दुकान आदि होती है। उसकी देखभाल एवं सुरक्षा परिवार के द्वारा की जाती है।

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प्रश्न 19.
“विवाह से पूर्व बच्चों के पालन-पोषण एवं देखभाल की जानकारी अत्यन्त आवश्यक है।” संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक परिवार या माता-पिता की खुशी, इच्छा व भविष्य बच्चों के साथ जुड़ा होता है। शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ बच्चे ही देश के भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं। बच्चों के पालन-पोषण व देखभाल का मूल उत्तरदायित्व माता-पिता का होता है जो उसके शारीरिक, मानसिक, नैतिक व व्यावहारिक विकास में अपना योगदान देते हैं। अतः विवाह से पूर्व बच्चों के पालन-पोषण एवं देखभाल की जानकारी अत्यन्त आवश्यक है। यह कथन निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाता है
(1) बच्चों को पालना बहुत कठिन कार्य है। यदि पहले ही बच्चों के पालन-पोषण व देखभाल की पूर्ण जानकारी प्राप्त की जाए तो यह कार्य आसान हो जाता है।
(2) बच्चों की आवश्यकताओं व इच्छाओं का पूर्ण ज्ञान हो जाता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य का शुरू से ही ध्यान रखा जा सकता है।
(3) विवाह से पूर्व बच्चों का मनोविज्ञान अच्छे से समझ सकते हैं। बाद में इसकी सहायता से उनके लिए ऐसा वातावरण प्रदान कर सकते हैं जिसमें रहकर वे प्रसन्नता व खुशी महसूस कर सकें।
(4) बच्चों के उचित विकास हेतु हमें वंश व वातावरण संबंधी विशेष जानकारी मिल सकती है। ये दोनों पक्ष बच्चों के पालन पोषण व विकास के लिए बहुत आवश्यक होते हैं।
(5) शुरू में छोटे बच्चों को कई टीके की बूस्टर या खुराक निश्चित समय पर दी जाती है। इनसे बच्चे रोगों से बचे रहते हैं। यदि बच्चों को लगने वाले टीकों की पूर्ण जानकारी पहले से ही हो तो यह बूस्टर या खुराक बच्चों को निश्चित समय पर दी जा सकती है। इसमें देरी होने से या न लगवाने से बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और उसकी रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो सकती है। इस प्रकार विवाह से पूर्व ही बच्चों के पालन-पोषण की पूर्ण जानकारी होने से हम बच्चे के सभी पक्षों व अवस्थाओं का उचित विकास कर सकते हैं।

प्रश्न 20.
किशोरों की ऊर्जा को उचित ढंग से प्रयोग करने में शारीरिक शिक्षा क्या भूमिका निभा सकती है ? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किशोरावस्था को तनाव, खिंचाव व परिवर्तन की अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में किशोरों में अनेक शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक परिवर्तन होते हैं जिनके कारण किशोर बेचैन व चिंतित रहते हैं। उनमें तीव्र उत्साह एवं व्याकुलता की भावना प्रबल होती है। वे हर कार्य को जल्दी-से-जल्दी करने के लिए व्याकुल रहते हैं और किसी प्रकार का कोई नियम नहीं मानते। परन्तु शारीरिक शिक्षा किशोरों की ऊर्जा को उचित ढंग से प्रयोग करने में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है
(1) शारीरिक शिक्षा खेलकूद व व्यायाम क्रियाओं पर बल देती है। किशोर खेलकूद व व्यायाम क्रियाओं के माध्यम से स्वयं को समायोजित कर सकते हैं और अपनी ऊर्जा या शक्ति का सही दिशा में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस कार्य में शारीरिक शिक्षा महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। अतः खेलों में किशोरों की ऊर्जा का उचित इस्तेमाल हो जाता है।

(2) शारीरिक शिक्षा संबंधी खेल गतिविधियाँ नियमों में बंधी होती हैं। जब किशोर इन खेल गतिविधियों में भाग लेते हैं तो उन्हें इन नियमों का पालन करना पड़ता है। अतः किशोरों में भी सामाजिक जीवन में नियमों का पालन करने की आदत विकसित हो सकती है। वे अपनी ऊर्जा को अच्छे कार्यों की ओर लगाते हैं।

(3) योग व ध्यान शारीरिक शिक्षा के महत्त्वपूर्ण विषय हैं। योग एवं ध्यान से किशोरों का मानसिक संतुलन स्थापित होता है। योग एवं ध्यान उन्हें अपने मन को नियंत्रित करना सिखाता है।

(4) शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य एवं भोजन संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। शारीरिक शिक्षा के माध्यम से किशोरों को अपने शरीर को स्वस्थ एवं तंदुरुस्त रखने हेतु महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।

(5) शारीरिक शिक्षा के माध्यम से अनेक नैतिक व सामाजिक गुणों को विकसित किया है; जैसे-
(i) सकारात्मक क्रियाओं को प्रोत्साहित करना,
(ii) नकारात्मक क्रियाओं के लिए दंड देना,
(ii) न्याय व समानता को प्रोत्साहित करना,
(iv) सहयोगियों व दूसरों का आदर-सम्मान करना आदि।

ये सभी गुण किशोरों को बहुत प्रभावित करते हैं। अतः उनमें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाने की प्रेरणा आती है।

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अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
परिवार का शाब्दिक अर्थ क्या है? अथवा परिवार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवार को अंग्रेज़ी भाषा में ‘Family’ कहते हैं। ‘Family’ शब्द लैटिन भाषा के ‘Famulus’ शब्द से निकला है। ‘Famulus’ शब्द का प्रयोग एक ऐसे समूह के लिए किया गया है जिसमें माता-पिता, बच्चे, नौकर एवं दास हों। परिवार उन व्यक्तियों का समूह है जो रक्त तथा वैवाहिक संबंध के कारण परस्पर जुड़े होते हैं।

प्रश्न 2.
परिवार की कोई दो परिभाषा लिखें। अथवा परिवार को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1. मजूमदार के अनुसार, “परिवार व्यक्तियों का एक समूह है जो एक ही छत के नीचे रहते हैं जो क्षेत्र, रुचि, आपसी बंधन और सूझ-बूझ के अनुसार केंद्रीय और खून के रिश्ते में बंधे होते हैं।”
2. क्लेयर के अनुसार, “परिवार से अभिप्राय उन संबंधों से है जो माता-पिता और बच्चों में विद्यमान होते हैं।”

प्रश्न 3.
रिवार की उत्पत्ति के आधार कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
(1) स्त्री-पुरुष का आपसी प्रेम,
(2) संतान उत्पन्न करने की इच्छा,
(3) लंबी शैशवकाल की अवस्था,
(4) माता का बच्चे के लिए वात्सल्य,
(5) शिक्षा की व्यवस्था करना।

प्रश्न 4.
परिवार के उद्गम के बारे में अरस्तू के विचारों का उल्लेख करें।
उत्तर:
परिवार के उद्गम के बारे में अरस्तू ने कहा, “परिवार का जन्म अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हुआ है।”

प्रश्न 5.
पारिवारिक जीवन के आधारों या आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विवाह से परिवार की नींव बनती है और यहीं से पारिवारिक जीवन की शुरुआत होती है। उस जीवन को सुखद बनाने के लिए प्रारंभिक तैयारी एवं देखभाल की आवश्यकता पड़ती है; जैसे आवास की व्यवस्था, नियोजित परिवार, चिकित्सा परीक्षण, सहयोग की भावना तथा आर्थिक स्थिति आदि। ये सभी पारिवारिक जीवन के मुख्य आधार या आवश्यकताएँ हैं।

प्रश्न 6.
परिवार बच्चे के सांस्कृतिक विकास में कैसे सहायक है?
उत्तर:
परिवार बच्चों को समाज की सांस्कृतिक परंपराओं को सौंपने का महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। जिस परिवार में माता-पिता बच्चों के प्रति अपना सहयोगपूर्ण व दोस्तानापूर्ण व्यवहार करते हैं, उस परिवार के बच्चों में अनेक सांस्कृतिक-सामाजिक गुणों का विकास होता है; जैसे सहानुभूति, स्नेह, अनुकरण की भावना, सद्भाव, शिष्यचार और सहिष्णुता आदि। ये गुण बच्चे के सांस्कृतिक विकास में सहायक हैं।

प्रश्न 7.
परिवार के कोई दो आध्यात्मिक कार्य लिखिए।
उत्तर:
(1) परिवार बच्चों को महापुरुषों की जीवनियों से परिचित करवाकर उनमें आध्यात्मिक गुण विकसित करता है।
(2) परिवार बच्चों को सत्यम्-शिवम्-सुंदरम् जैसी बहुमूल्य भावना से परिचित करवाता है।

प्रश्न 8.
परिवार के कोई दो नागरिक कार्य लिखें।
उत्तर:
(1) परिवार बच्चों में अच्छे नागरिकों के गुण; जैसे सत्य, अहिंसा, ईमानदारी, अनुशासन, सहानुभूति, सहयोग की भावना, आज्ञा पालन आदि से परिचित करवाता है।
(2) परिवार बच्चों में रहन-सहन, बोलचाल, बड़ों का आदर करना, अतिथि सत्कार करना आदि गुणों का विकास करता है।

प्रश्न 9.
किशोरावस्था से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किशोरावस्था (Adolescence) शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘Adolesceker’ से हुई है जिसका अर्थ हैपरिपक्वता की ओर अग्रसर होना। यह अवस्था बाल्यावस्था के बाद और युवावस्था से पहले की अवस्था है जिसमें किशोरों में अनेक शारीरिक व मानसिक परिवर्तन होते हैं। प्राणी विज्ञान की दृष्टि से इस अवस्था को उत्पादन प्रक्रिया या प्रजनन की शुरुआत की अवस्था कहते हैं। आम भाषा में इसे परिवर्तन की अवस्था भी कहा जाता है।

प्रश्न 10.
किशोरावस्था की कोई दो परिभाषा लिखें। अथवा किशोरावस्था को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1. स्टेनले हाल के अनुसार, “किशोरावस्था तीव्र दबाव एवं तनाव, तूफान एवं विरोध की अवस्था है।”
2. जरसील्ड के अनुसार, “किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति बाल्यावस्था से परिपक्वता की ओर बढ़ता है।”

प्रश्न 11.
किशोरों में कौन-कौन-से शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था में किशोरों में दो प्रकार के शारीरिक परिवर्तन होते हैं-आंतरिक एवं बाहरी । किशोरों की ऊँचाई में तेजी से परिवर्तन होते हैं। भार में भी पर्याप्त वृद्धि होती है। किशोरों की आवाज में बहुत परिवर्तन होता है। लड़कों की आवाज में भारीपन तथा लड़कियों की आवाज कोमल व सुरीली हो जाती है। इस अवस्था में हड्डियों का लचीलापन समाप्त होने लगता है।

प्रश्न 12.
किशोरों में कौन-कौन-से संवेगात्मक परिवर्तन आते हैं? ।
उत्तर:
किशोरावस्था में किशोरों में जिज्ञासा-प्रवृत्ति तीव्र हो जाती है। उनमें काल्पनिकता एवं भावुकता का पूर्ण विकास हो जाता है। उनमें विद्रोह की भावना तीव्र हो जाती है। वे छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति न होने के कारण माता-पिता से झगड़ पड़ते हैं। उनमें संवेगात्मक तनाव तीव्र हो जाता है। उनमें उपेक्षा के भावों के कारण विद्रोह व अपराध करने की प्रवृत्तियाँ भी अधिक विकसित होने लगती हैं। इस अवस्था में उनका अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं रहता। वे छोटी-छोटी बातों से भी अपना भावात्मक संतुलन खो देते हैं।

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प्रश्न 13.
किशोरावस्था की समस्याओं को सूचीबद्ध कीजिए।
अथवा
किशोरावस्था की कोई चार समस्याएँ बताएँ।
उत्तर:
(1) शारीरिक व मानसिक समस्याएँ,
(2) आक्रामक व्यवहार की समस्या,
(3) भावनात्मक समस्याएँ,
(4) व्यवसाय संबंधी समस्या,
(5) विषय चयन संबंधी समस्या,
(6) यौन संबंधी समस्याएँ,
(7) सामंजस्य व स्थिरता की कमी आदि।

प्रश्न 14.
वैवाहिक जीवन की तैयारी के बारे में लिखें।
उत्तर:
विवाह परिवार का आधार स्तंभ है। इससे पारिवारिक जीवन की शुरुआत होती है। वैवाहिक जीवन वास्तव में सुख-दुःख का मिश्रण है । विवाह के उपरांत पति-पत्नी को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यदि बालिग लड़का-लड़की स्वयं को विवाह के लिए अच्छे से तैयार कर लें तो वैवाहिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान भी आसानी से किया जा सकता है। अतः वैवाहिक जीवन को आनन्दमयी एवं सुखमय बनाने के लिए विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 15.
आप किशोरों को सफलता की ओर कैसे मार्गदर्शित कर सकते हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था तनावपूर्ण एवं परिवर्तन की अवस्था होती है। इस अवस्था में किशोरों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि हमारे द्वारा उन्हें उचित प्रशिक्षण अर्थात् उनकी भावनाओं व विचारों का आदर किया जाए, व्यवसाय हेतु उनका उचित पथ प्रदर्शन किया जाए, उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाए तो वे सफलता की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

प्रश्न 16.
किशोरावस्था के बालक/बालिकाओं की क्या आवश्यकताएँ हैं?
अथवा
किशोरों की मुख्य मांगों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
किशोरावस्था के बालकों की आवश्यकताएँ (माँगें) हैं-
(1) स्वतंत्रता,
(2) आत्मनिर्भरता,
(3) व्यावसायिक चयन संबंधी स्वेच्छा,
(4) शैक्षिक सुविधाएँ,
(5) आर्थिक सुविधाएँ,
(6) माता-पिता का स्नेह,
(7) फैशनपरस्ती।

प्रश्न 17.
विवाह/शादी क्या है?
अथवा
विवाह को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विवाह या शादी से परिवार की नींव बनती है और यहीं से पारिवारिक जीवन प्रारंभ होता है। यह एक ऐसी सामाजिक संरचना है जिसमें स्त्री-पुरुष कानूनी रूप से इकट्ठे रहते हैं और पारिवारिक जीवन की शुरुआत करते हैं।
1. होर्टन व हंट के अनुसार, “विवाह एक सामाजिक मान्यता है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक परिवार के सदस्यों का संबंध स्थापित होता है।”
2. मैलिनोस्वास्की के अनुसार, “विवाह एक ऐसा समझौता है जिसमें बच्चों को पैदा करना और उनकी देखभाल करना है।” प

प्रश्न 18.
माता-पिता को अपने बच्चों से कैसा व्यवहार करना चाहिए?
उत्तर:
माता-पिता को अपने बच्चों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए। बच्चों द्वारा गलती करने पर उन्हें प्यार से समझाना चाहिए। उनकी सभी मूल आवश्यकताओं एवं इच्छाओं की पूर्ति करनी चाहिए। माता-पिता को उनके संवेगों को अच्छे से समझना चाहिए। बच्चों से माता-पिता का व्यवहार धैर्यमय एवं शांतिमय होना चाहिए।

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प्रश्न 19.
सफल विवाहित जीवन की क्या जरूरतें हैं?
उत्तर:
सफल विवाहित जीवन के लिए सबसे जरूरी बात दंपति में आपसी समझदारी होनी चाहिए। उन्हें एक-दूसरे पर पूर्ण विश्वास होना चाहिए। उनमें एक-दूसरे के प्रति अपने उत्तरदायित्व का पूर्ण अहसास होना चाहिए। उनमें सहयोग की भावना भी होनी चाहिए। परिवार की सभी आवश्यक जरूरतें पूरी होनी चाहिएँ।

प्रश्न 20.
नागरिक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अरस्तू के अनुसार, “जिस व्यक्ति विशेष के पास राज्य की समीक्षा अथवा न्यास संबंधी प्रशासन में भाग लेने की शक्ति है, वही उस राज्य का नागरिक कहलाता है।”

प्रश्न 21.
महात्मा गाँधी जी के अनुसार एक अच्छे नागरिक में क्या गुण होने चाहिएँ? .
उत्तर:
एक अच्छे नागरिक में सत्य, अहिंसा एवं निर्भीकता के गुण होने चाहिएँ, ताकि वह एक उच्च एवं अच्छे समाज की स्थापना कर सके। उसमें सद्भावना, आपसी प्रेम, देश-भक्ति और साहस के गुण भी होने चाहिएँ।

प्रश्न 22.
समान अधिकार क्या होता है?
उत्तर:
प्रत्येक समाज या परिवार अपने नागरिकों या सदस्यों को कर्तव्यों के साथ-साथ कुछ अधिकार या सुविधाएँ भी प्रदान करता है। नागरिकों या सदस्यों का कर्त्तव्य होता है कि वे इन अधिकारों को समझने का प्रयास करें। परिवार का भी परम कर्त्तव्य है कि वह परिवार के प्रत्येक सदस्य को समान अधिकार प्रदान करे, जैसे निवास स्थान पर हर सदस्य का समान अधिकार होना चाहिए।

प्रश्न 23.
वंशावली (Geneology) से क्या भाव है?
उत्तर:
वंशावली जिसे पारिवारिक इतिहास भी कहा जाता है, में परिवारों का अध्ययन तथा वंश व इतिहास का पता लगाया जाता है। राज्य एवं समाज वंशावली को मान्यता देता है। भविष्य में कोई भी परिवार वंश के नाम से ही जाना जाता है।

प्रश्न 24.
संयुक्त जिम्मेदारी (Joint Responsibility) क्या होती है?
उत्तर:
संयुक्त जिम्मेदारी से अभिप्राय परिवार के प्रत्येक सदस्य का घर के किसी काम के प्रति सामूहिक दायित्व से होता है। परिवार के सभी सदस्यों में एक-दूसरे की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संयुक्त जिम्मेदारी होनी चाहिए। सभी पारिवारिक सदस्यों को मिलजुल कर काम करना चाहिए और अपने-अपने दायित्व को निभाना चाहिए।

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प्रश्न 25.
किशोरावस्था के मानसिक विकास की कोई तीन विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
(1) स्मरण-शक्ति व कल्पना-शक्ति का तीव्र विकास,
(2) तर्क-शक्ति व चिंतन-शक्ति का विकास,
(3) प्रदर्शन या मुकाबले की भावना का विकास।

प्रश्न 26.
किशोरावस्था के सामाजिक विकास की कोई तीन विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
(1) रुचियों व अभिरुचियों की भावना,
(2) सामाजिक वातावरण के प्रति जागरूकता,
(3) विपरीत लिंग से संबंधित चर्चा एवं साहित्य में अधिक रुचि रखना।

प्रश्न 27.
परिवार के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परिवार मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं
1. व्यक्तिगत या एकल परिवार-व्यक्तिगत या एकल परिवार को प्राथमिक, मूल अथवा नाभिक परिवार भी कहते हैं। यह परिवार का सबसे छोटा और आधारभूत स्वरूप है जिसमें सदस्यों की संख्या बहुत कम होती है। आमतौर पर पति-पत्नी तथा उसके अविवाहित बच्चे ही इस परिवार के सदस्य होते हैं। ऐसे परिवार में सदस्य भावात्मक आधार पर एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं।

2. संयुक्त परिवार-संयुक्त परिवार में तीन या तीन से अधिक पीढ़ियों के सदस्य; जैसे पति-पत्नी, उनके बच्चे, दादा-दादी, चाचा-चाची, आदि साथ-साथ एक घर में निवास करते हैं, उनकी संपत्ति सांझी होती है। संयुक्त परिवार के सदस्य परस्पर अधिकारों व कर्तव्यों को निभाते हैं।

HBSE 12th Class Physical Education पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

भाग-I: एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें-

प्रश्न 1.
भारतीय साहित्य में बच्चे का प्रथम गुरु किसे माना गया है?
उत्तर:
भारतीय साहित्य में बच्चे का प्रथम गुरु माता को माना गया है।

प्रश्न 2.
नियोजित परिवार का क्या लाभ है?
उत्तर:
नियोजित परिवार में परिवार के सभी सदस्य आर्थिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से खुशहाल एवं प्रसन्न रहते हैं।

प्रश्न 3.
किस अवस्था को साज-श्रृंगार की आयु’ कहा जाता है?
उत्तर:
किशोरावस्था को ‘साज-शृंगार की आयु’ कहा जाता है।

प्रश्न 4.
क्लेयर के अनुसार परिवार क्या है?
उत्तर:
क्लेयर के अनुसार, “परिवार से अभिप्राय उन संबंधों से है जो माता-पिता और बच्चों में मौजूद होते हैं।”

प्रश्न 5.
परिवार क्या है?
उत्तर:
परिवार उन व्यक्तियों का समूह है जो रक्त तथा वैवाहिक संबंध के कारण परस्पर जुड़े होते हैं।

प्रश्न 6.
परिवार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
परिवार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।

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प्रश्न 7.
परिवार क्या सिखाता है?
उत्तर:
परिवार सामाजिकता का पाठ सिखाता है।

प्रश्न 8.
एकल परिवार (Single Family) क्या है?
उत्तर:
वह परिवार जिसमें माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे रहते हों, एकल परिवार कहलाता है।

प्रश्न 9.
संयुक्त परिवार (Joint Family) क्या है?
उत्तर:
वह परिवार जिसमें दादा-दादी, माता-पिता, चाचा-चाची और उनके बच्चे एक साथ रहते हैं, संयुक्त परिवार कहलाता है।

प्रश्न 10.
शैशवकाल/बाल्यावस्था के बाद तथा युवावस्था से पहले की अवस्था क्या कहलाती है?
उत्तर:
किशोरावस्था।

प्रश्न 11.
लड़कों की किशोरावस्था कब-से-कब तक होती है?
उत्तर:
लड़कों की किशोरावस्था लगभग 13 वर्ष से 18 वर्ष तक होती है।

प्रश्न 12.
लड़कियों की किशोरावस्था कब-से-कब तक होती है?
उत्तर:
लड़कियों की किशोरावस्था लगभग 12 वर्ष से 16 वर्ष तक होती है।

प्रश्न 13.
तनावपूर्ण व परिवर्तन की अवस्था किसे कहा जाता है?
उत्तर:
तनावपूर्ण व परिवर्तन की अवस्था किशोरावस्था को कहा जाता है।

प्रश्न 14.
कौन-सा सामजिक संगठन बच्चों के मानसिक विकास में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
परिवार बच्चों के मानसिक विकास में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 15.
परिवार के दो कार्य बताएँ।
उत्तर:
(1) बच्चों का पालन-पोषण करना, (2) सुरक्षा प्रदान करना।

प्रश्न 16.
परिवार के कोई दो आमोद-प्रमोद संबंधी कार्य बताएँ।
उत्तर:
(1) पार्क आदि में घुमाने ले जाना,
(2) सिनेमा या सर्कस आदि दिखाने ले जाना।

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प्रश्न 17.
शिशु के जीवन के कौन-से वर्ष सबसे अधिक लचीले होते हैं?
उत्तर:
शिशु के जीवन के प्रारंभिक पाँच वर्ष सबसे अधिक लचीले होते हैं।

प्रश्न 18.
किशोरावस्था में लड़कों में होने वाले कोई दो शारीरिक परिवर्तन बताइए।
उत्तर:
(1) दाढ़ी-मूंछ आना,
(2) आवाज का भारी होना।

प्रश्न 19.
किस अवस्था में स्मरण व तर्क शक्ति अधिक विकसित होती है?
उत्तर:
किशोरावस्था में स्मरण व तर्क शक्ति अधिक विकसित होती है।

प्रश्न 20.
भारत में विवाह के लिए लड़के-लड़कियों की आयु क्या निर्धारित की गई है?
उत्तर:
भारत में विवाह के लिए लड़के की 21 वर्ष तथा लड़कियों की 18 वर्ष आयु निर्धारित की गई है।

प्रश्न 21.
जरसील्ड के अनुसार किशोरावस्था क्या है?
उत्तर:
जरसील्ड के अनुसार, “किशोरावस्था वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति बाल्यावस्था से परिपक्वता की ओर बढ़ता है।”

प्रश्न 22.
किशोरावस्था का समय कैसा होता है?
उत्तर:
किशोरावस्था का समय तनावपूर्ण होता है।

प्रश्न 23.
गर्भावस्था में मदिरापान से होने वाली एक हानि बताइए।
उत्तर:
शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी।

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प्रश्न 24.
एडोलसेकर का क्या अर्थ है?
उत्तर:
परिपक्वता की ओर अग्रसर होना।

प्रश्न 25.
बच्चे की प्रथम पाठशाला किसे कहते हैं?
उत्तर:
बच्चे की प्रथम पाठशाला परिवार को कहते हैं।

प्रश्न 26.
“शिशु का पालन-पोषण करो, बच्चों को सुरक्षा दो और वयस्क को स्वतंत्र कर दो।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
यह कथन एडम स्मिथ का है।

प्रश्न 27.
12 से 18 वर्ष की अवस्था को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
12 से 18 वर्ष की अवस्था को किशोरावस्था कहा जाता है।

प्रश्न 28.
किस भाषा में परिवार को फैम्युलस (Famulus) कहा जाता है?
उत्तर:
रोमन भाषा में।

प्रश्न 29.
परिवार की कोई एक विशेषता लिखें।
उत्तर:
परिवार एक सर्वव्यापक सामाजिक संगठन होता है।

प्रश्न 30.
फेमिली (Family) शब्द की उत्पत्ति किस रोमन शब्द से हुई?
उत्तर:
फेमिली शब्द की उत्पत्ति ‘फैम्युलस’ शब्द से हुई।

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प्रश्न 31.
ग्रीक भाषा में परिवार को क्या कहते हैं?
उत्तर:
ग्रीक भाषा में परिवार को एकोनोमिया कहते हैं।

प्रश्न 32.
“किशोरावस्था तीव्र दबाव एवं तनाव, तूफान और विरोध की अवस्था है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
यह कथन स्टेनले हाल का है।

प्रश्न 33.
कन्फ्यूशियस के अनुसार, मनुष्य राज्य के सदस्य से पहले किसका सदस्य है?
उत्तर:
कन्फ्यूशियस के अनुसार, मनुष्य राज्य के सदस्य से पहले परिवार का सदस्य है।

प्रश्न 34.
बच्चे का प्रथम गुरु कौन है?
उत्तर:
बच्चे का प्रथम गुरु माता है।

प्रश्न 35.
बच्चे की किस अवस्था में मानसिक विकास हेतु उचित परामर्श की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
बच्चे की किशोरावस्था में मानसिक विकास हेतु उचित परामर्श की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 36.
बच्चों में विद्रोह एवं मुकाबले की भावना किस अवस्था में सर्वाधिक होती है?
उत्तर:
बच्चों में विद्रोह एवं मुकाबले की भावना किशोरावस्था में सर्वाधिक होती है।

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भाग-II : सही विकल्प का चयन करें

1. फेमिली (Family) शब्द की उत्पत्ति किस रोमन शब्द से हुई?
(A) फेमिलिआ
(B) फैम्युलस
(C) एकोनोमिया
(D) इको
उत्तर:
(B) फैम्युलस

2. ग्रीक भाषा में परिवार को क्या कहते हैं?
(A) फेमिलिआ
(B) फैम्युलस
(C) एकोनोमिया
(D) इको
उत्तर:
(C) एकोनोमिया

3. लैटिन भाषा में परिवार को क्या कहा जाता है?
(A) फेमिलिआ
(B) फैम्युलस
(C) एकोनोमिया
(D) इको
उत्तर:
(A) फेमिलिआ

4. भारत में विवाह के लिए लड़कियों की आयु निर्धारित की गई है
(A) 21 वर्ष
(B) 18 वर्ष
(C) 26 वर्ष
(D) 24 वर्ष
उत्तर:
(B) 18 वर्ष

5. “किशोरावस्था तीव्र दबाव एवं तनाव, तूफान और विरोध की अवस्था है।” यह कथन है
(A) रॉस का
(B) स्टेनले हाल का
(C) मैजिनी का
(D) एडम स्मिथ का
उत्तर:
(B) स्टेनले हाल का

6. ‘फैम्युलस’ शब्द का अर्थ है
(A) नौकर या दास
(B) माता-पिता
(C) श्रमिक
(D) बच्चे
उत्तर:
(A) नौकर या दास

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7. ‘फेमिलिआ’ शब्द का अर्थ है
(A) माता-पिता
(B) बच्चे
(C) श्रमिक और गुलाम
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

8. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के अनुसार, एक अच्छे नागरिक में अच्छे समाज के निर्माण के लिए गुण होने चाहिएँ
(A) सत्य
(B) अहिंसा
(C) निर्भीकता
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

9. किस अवस्था को साज-श्रृंगार की अवस्था कहा जाता है?
(A) बाल्यावस्था
(B) शैशवावस्था
(C) किशोरावस्था
(D) युवावस्था
उत्तर:
(C) किशोरावस्था

10. कन्फ्यूशियस के अनुसार, “मनुष्य राज्य के सदस्य के पहले सदस्य है”-
(A) देश का
(B) समाज का
(C) गाँव का
(D) परिवार का
उत्तर:
(D) परिवार का

11. परिवार मार्ग प्रशस्त करता है
(A) उन्नति का
(B) समृद्धि का
(C) सामाजीकरण का
(D) परिवार का
उत्तर:
(C) सामाजीकरण का

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12. “शिशु का पालन-पोषण करो, बच्चों को सुरक्षा दो और वयस्क को स्वतंत्र कर दो।” यह कथन है
(A) एडम स्मिथ का
(B) मैजिनी का
(C) रॉस का
(D) महात्मा गाँधी का
उत्तर:
(A) एडम स्मिथ का

13. पारिवारिक जीवन का आरंभ होता है
(A) जन्म से
(B) विवाह से
(C) पढ़ाई से
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) विवाह से

14. किशोरावस्था का अर्थ है
(A) परिपक्वता की ओर बढ़ना
(B) बाल्यावस्था से युवावस्था की ओर बढ़ना
(C) शिशु-अवस्था से बाल्यावस्था की ओर बढ़ना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) परिपक्वता की ओर बढ़ना

15. निम्नलिखित में से किसमें परिवार के सभी सदस्य आर्थिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से खुशहाल एवं सुखी रहते हैं?
(A) एकल परिवार में
(B) संयुक्त परिवार में
(C) नियोजित परिवार में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) नियोजित परिवार में

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16. जो संबंध माता-पिता और बच्चों में होता है, उसे कहते हैं-
(A) परिवार
(B) घर
(C) समाज
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) परिवार

17. परिवार की विशेषता है
(A) सार्वभौमिक
(B) स्थायी संस्था
(C) लैंगिक संबंध
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

18. विवाह की बुनियादी आवश्यकता है
(A) घर का प्रबंध
(B) बच्चों का पालन-पोषण
(C) प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

19. “बच्चा नागरिकता का प्रथम पाठ माता के चुम्बन और पिता के दुलार से सीखता है।” यह कथन है
(A) एडम स्मिथ का
(B) महात्मा गाँधी का
(C) मैजिनी का
(D) मॉण्टगुमरी का
उत्तर:
(C) मैजिनी का

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20. निम्नलिखित में से परिवार का मूलभूत कार्य है
(A) बच्चों का पालन-पोषण करना
(B) उचित शिक्षा देना
(C) वस्त्र एवं आवास की व्यवस्था करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

21. किशोरों की समस्याओं के निवारण हेतु उपाय है
(A) नैतिक एवं धार्मिक शिक्षा
(B) लिंग शिक्षा
(C) मनोविज्ञान एवं व्यावसायिक शिक्षा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

22. “परिवार एक मौलिक सामाजिक संस्था है, जिससे अन्य सभी संस्थाओं का विकास होता है।” यह कथन है
(A) स्टेनले हाल का
(B) एडम स्मिथ का
(C) बैलार्ड का
(D) अरस्तू का
उत्तर:
(C) बैलार्ड का

23. बच्चे की किस अवस्था में मानसिक विकास हेतु उचित परामर्श की आवश्यकता होती है?
(A) शैशवावस्था में
(B) युवावस्था में
(C) किशोरावस्था में
(D) प्रौढ़ावस्था में
उत्तर:
(C) किशोरावस्था में

24. ‘Adolescence’ किस भाषा के शब्द से बना है?
(A) अंग्रेज़ी भाषा
(B) लैटिन भाषा
(C) फ्रैंच भाषा
(D) ग्रीक भाषा
उत्तर:
(B) लैटिन भाषा

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25. उन व्यक्तियों का समूह, जो रक्त एवं वैवाहिक संबंधों के कारण परस्पर जुड़े होते हैं, क्या कहलाता है?
(A) जाति
(B) समाज
(C) समूह
(D) परिवार
उत्तर:
(D) परिवार

26. सामाजिक संगठनों का आधार है
(A) शादी
(B) परिवार
(C) समाज
(D) जाति
उत्तर:
(B) परिवार

27. भारतीय साहित्य में बच्चे का प्रथम गुरु किसे माना गया है?
(A) माता को
(B) पिता को
(C) शिक्षक को
(D) समाज को
उत्तर:
(A) माता को

28. अर्थशास्त्र का पिता किसे कहा जाता है?
(A) एडम स्मिथ को
(B) बील्स को
(C) मॉर्गन को
(D) कीट्स को
उत्तर:
(A) एडम स्मिथ को

29. “परिवार का जन्म अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हुआ है।” यह कथन किसका है?
(A) स्टेनले हॉल का
(B) अरस्तू का
(C) बैलार्ड का
(D) क्लेयर का
उत्तर:
(B) अरस्तू का

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30. किशोरावस्था ………… की ओर बढ़ने की अवस्था है।
(A) परिपक्वता
(B) अपरिपक्वता
(C) असमायोजन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) परिपक्वता

भाग-III: रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. लड़कों में किशोरावस्था ………….. से …………… तक होती है।
2. भारत में विवाह के लिए लड़कियों की आयु ………….. वर्ष निर्धारित की गई है।
3. “परिवार का जन्म अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हुआ है।” यह कथन ……………….. ने कहा।
4. …………….. के अनुसार सत्य, अहिंसा एवं निर्भीकता एक अच्छे नागरिक के गुण हैं।
5. परिवार मानवीय समाज की ……………….. इकाई है।
6. मैकाइवर के अनुसार परिवार ……………….. होना चाहिए।
7. परिवार की उत्पत्ति का आधार …………… है।
8. किशोरावस्था की मुख्य माँग ……………….. है।
9. शैशवकाल या बाल्यावस्था के बाद तथा युवावस्था से पहले की अवस्था को …… कहते हैं।
10. किशोरावस्था ……………….. की ओर बढ़ने की अवस्था है।
11. परिवार को सामाजिक गुणों का ……………… कहा जाता है।
12. अंग्रेज़ी में किशोरों को ………………. कहा जाता है।
उत्तर:
1. 13, 18,
2. 18,
3. अरस्तू,
4. महात्मा गाँधी,
5. मौलिक,
6. छोटा व स्थायी,
7. विवाह,
8. स्वतंत्रता व आत्मनिर्भरता,
9. किशोरावस्था,
10. परिपक्वता,
11. पालना,
12. टीनेजर्स (Teenagers)।

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पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा Summary

पारिवारिक जीवन संबंधी शिक्षा परिचय

परिवार (Family):
परिवार की उत्पत्ति कब हुई? इस संदर्भ में कोई निश्चित समय अथवा काल नहीं बताया जा सकता, पर इतना अवश्य कहा जा सकता है कि जैसे-जैसे आवश्यकताओं की बढ़ोतरी हुई, वैसे-वैसे परिवार का विकास हुआ। परिवार की उत्पत्ति के विषय में अरस्तू जैसे विद्वान् ने कहा था कि परिवार का जन्म अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु हुआ है। परिवार एक ऐसा स्थायी संगठन है जिसके अंतर्गत पति-पत्नी एवं उनके बच्चे तथा अन्य सदस्य आ जाते हैं जो उत्तरदायित्व व स्नेह की भावना से परस्पर बंधे रहते हैं। बैलार्ड (Ballard) के अनुसार, “परिवार एक मौलिक सामाजिक संस्था है, जिससे अन्य सभी संस्थाओं का विकास होता है।”

मानव-जीवन में परिवार का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। परिवार मानव की आज तक सेवा करता रहा है और कर रहा है, जो किसी अन्य संस्था या समिति द्वारा संभव नहीं है। परिवार बच्चों व अन्य सदस्यों के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य करता है; जैसे-
(1) पालन-पोषण करना
(2) आहार उपलब्ध करवाना
(3) सुरक्षा करना
(4) स्वास्थ्य का ध्यान रखना
(5) कपड़े एवं आवास की व्यवस्था करना
(6) आर्थिक व धार्मिक कार्यों की पूर्ति करना आदि।

किशोरावस्था (Adolescence):
किशोरावस्था में शारीरिक वृद्धि और विकास तीव्र गति से होता है। यह वह अवस्था है जो बाल्यावस्था के बाद तथा युवावस्था से पहले शुरू होती है। प्राणी विज्ञान की दृष्टि से इस अवस्था को उत्पादन प्रक्रिया अथवा प्रजनन की शुरुआत कहते हैं। साधारण भाषा में, किशोरावस्था को परिवर्तन की अवस्था भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें शारीरिक, मानसिक व संवेगात्मक परिवर्तन तीव्र गति से होते हैं। स्टेनले हाल (Stanley Hall) के अनुसार, “किशोरावस्था तीव्र दबाव एवं तनाव, तूफान एवं विरोध की अवस्था है।”

विवाह तथा पारिवारिक जीवन के लिए तैयारी (Preparation for Marriage and Family Life):
विवाह से परिवार की नींव बनती है और यहीं से पारिवारिक जीवन की शुरुआत होती है। यह एक ऐसी सामाजिक संरचना है जिसमें स्त्री-पुरुष कानूनी रूप से इकट्ठे होते हैं और पारिवारिक जीवन की शुरुआत करते हैं। इस जीवन को सुखद बनाने के लिए प्रारंभिक तैयारियों तथा देखभाल की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि पारिवारिक जीवन सुखद लगने पर भी अनेक समस्याओं से घिरा रहता है जिनका समाधान करने से ही विवाहित और पारिवारिक जीवन भली-भाँति आगे बढ़ सकता है।

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HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence

Haryana State Board HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence

HBSE 8th Class Science Reaching the Age of Adolescence Textbook Questions and Answers

Question 1.
What is the term used for secretions of endocrine glands responsible for changes taking place in the body?
Answer:
Hormones.

Question 2.
Define adolescence.
Answer:
Adolescence: The period of life, when the body undergoes changes, leading to reproductive maturity is called adolescence.

Question 3.
What is menstruation? Explain.
Answer:
When egg produced by ovary does not get fertilized, it along with the thickened lining of the uterus and blood vessels get flown off out of the body every month as bleeding in women. This is called menstruation.

Question 4.
List the changes in the body that take place at puberty.
Answer:
Certain changes take place in the bodies of boys and girls at age of puberty. These include:
(i) Growing of hair at different body parts
(ii) Sudden increase in height.
(iii) Growth of moustaches and beards in boys.
(iv) Voice,of boys get coarsed.
(v) Development of breast in girls and hips get heavy.
(vi) Development of sex organs.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence

Question 5.
Prepare a table having two columns depicting names of endocrine glands and hormones secreted by them.
Answer:

Endocrine OrgansHormones secreted
(i) Thyroid(i) Thyroxine
(ii) Pancreas(ii) Insulin
(iii) Adrenal glands(iii) Adrenalin
(iv) Pituitary gland(iv) Growth hormones
(v) Testes(v) Testosterone
(vi) ovaries(vi) Estrogen

Question 6.
What are sex hormones? Why are they named so? State their function.
Answer:
Hormones which constitute the secondary sexual characters are called sex hormones. They are called sex hormones because it is because of them that sex is diferentiated i.e. a boy is distinguished from a girl due to these hormones. Their function is to develop the secondary sexual characters in boys and girls.

Question 7.
Choose the correct option:
(a) Adolescents should be careful about what they eat, because ………….
(i) proper diet develops their brains.
(ii) proper diet is needed for the rapid growth taking place in their body.
(iii) adolescents feel hungry all the time.
(iv) taste buds are well developed in teenagers.
Answer:
(ii) proper diet is needed for the rapid growth taking place in their body.

(b) Reproductive age in women starts when their …………..
(i) menstruation starts.
(ii) breasts start developing.
(iii) body weight increases.
(iv) height increases.
Answer:
(i) menstruation starts.

(c) The right meal for adolescents consists of …………
(i) chips, noodles, coke.
(ii) chapati, dal, vegetables.
(iii) rice, noodles and burger.
(iv) vegetable cutlets, chips and lemon drink.
Answer:
(ii) chapati, dal, vegetables.

Question 8.
Write notes on:
(a) Adam’s apple.
(b) Secondary sexual characters.
(c) Sex determination in the unborn baby.
Answer:
(a) Adam’s Apple:
Adam’s apple is a protruding part in the throat. It is the enlarged voice box or larynx, which gets enlarged at the onset of puberty. This makes the voice of the boys hoarse.

(b) Secondary Sexual Characters are the characters which distinguish a boy from a girl. Characters like hair on chest, under the arms, development of breast, beard and moustaches etc. are all called secondary sexual characters.

(c) Sex determination in unborn baby: The sex of the unborn baby is determined by the sex chromosomes of the father. An unfertilized
egg always have X chromosome. If a sperm contributes X chromosome then the baby will be a female and if the sperm contributes Y chromosome, the baby will be a male. So it is the father, who is responsible for the sex of the unbomhaby.

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Question 9.
Word game: Use the clues to work out the words.
Across
3. Protruding voice box in boys
4. Glands without ducts
7. Endocrine gland attached to brain
8. Secretion of endocrine glands
9. Pancreatic hormone 10. Female hormone

Down
1. Male hormone
2. Secretes thyroxine
3. Another term for Teenage
5. Hormone reaches here through blood stream
6. Voice box
7. Term for changes at adolescence
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence-1
Answer:
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence-2

Question 10.
The table below shows the data on likely heights of boys and girls as they grow in age. Draw graphs height and age for both boys and girls on the same graph paper. What conclusions can be drawn from these graphs?

Age YearHeight (cm)
0BoysGirls
45353
89692
12114110
16129133
20150150

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence-3
Answer:
We conclude that girl are taller than boys age of 12 yr. generally and there height is same at the age of 16 years but some boys gain height and generally become taller then girls.
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence-4
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence-5

Extended Learning – Activities And Projects

1. Find out from your elder relatives about their awareness of the leagal status of early marriage. You yourself may get information on it from your teacher, parents, a doctor or the internet. Write a two-minute speech explaining why early marriage is not good for the couple.
Answer:
The legal marriagable age for girls is 18 years and for boys it is 21 years. Before this age marriage is considered a crime. Early marriage is not good for couples because they are not prepared physically and mentally for the responsibilities of married life. A girl attains sexual maturity at age of about eighteen years. Before that her resproductive system is not fully prepared to bear a baby. Similarly boys are not capable of running the household as most of the boys at this age are pursuing their studies. So, the boys and girls should attain physical and mental maturity before getting married.

2. Collect newspaper cuttings and information in magazines about HIV/AIDS. Write a one page article of 15 to 20 sentences on HIV/AIDS.
Answer:
HIV/AIDS is a sexually transmitted diseased (STD) that means this diseases mostly spreads by sexual contacts with an HIV/AIDS infected persons. AIDS stands for Acquired Immunodeficiency Syndrome. It is created by HIV virus. This disease is a fatal disease for which no permanent treatement has been deviced by the scientists. AIDS is actually a disease which destroys the patients immune system slowly. The damage is most of the time permanent and beyond repair. Due to weak immunity the patient easily fall prey to many diseases which eventually kill the person.

Prevention is the only cure for HIV/AIDS. It is advised that one should maintain sexual hygiene and practice safe sexual relationship with a single partner.

3. In our country, according to a census, there are 882 adolescent femals for every 1000 males. Find out:
(a) the concerns of the community regarding this low ratio. Remember that the chance of having a boy or a girl is equal.
(b) what amniocentesis is and how useful this technique is. Why, is its use for indentification of sex of the unborn child banned in India l
Answer:
(a) The society is quite concerned about this issue. This is going to create a problem for them in future as it will become difficult for the boys to find girls for marriage.

(b) It is used to see, if all the organs of a feotus are developing well. It is banned in India to use this technique to determine the sex of the unborn child because they kill the female feotus to have baby boys in future. This is called female feoticide. The female feoticide has disturbed the ratio of boys and girls in India.

4. Put your ideas together and write a short note on the importance of knowing facts about reproduction.
For more information , visit:

  • www.teenshealth.org/teen/sexual_health/
  • www.ama_assn.org/ama/pub/category/ 1947.html
  • www.adolescenthealth.com

Answer:
It is important to know facts about reproduction, because this phase i.e. reproduction phase has to come in every bodies life. It will help to handle all the physical and mental changes coming with sexual maturity in the bodies. It will also help in deciding one’s own course of life in future and save for many STDs.

HBSE 8th Class Science Reaching the Age of Adolescence Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What is the phase of life when the body undergoes changes to attain reproductive maturity called?
Answer:
Adolescence.

Question 2.
What is the age period of adolescence?
Answer:
13 years to 18 years.

Question 3.
What is reproductive maturity called?
Answer:
Puberty.

Question 4.
Write any two changes in bodies of boys during adolescence.
Answer:
Increase in height, hairy line above lips.

Question 5.
What makes a person tall during adolescence?
Answer:
Elongated long bones of arms and legs.

Question 6.
What happens to voice box at puberty?
Answer:
It begins to grow.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence

Question 7.
What is the protruding part of the larynx visible in boy’s throat called?
Answer:
Adam’s Apple.

Question 8.
What changes occur in the voice of boy’s at the onset of puberty?
Answer:
It becomes hoarse.

Question 9.
Why do growing boys and girls get acnes or pimples?
Answer:
Due to increased secretions of sebacious glands.

Question 10.
What are those characters called, which distinguish a boy from a girl?
Answer:
Secondary sexual characters.

Question 11.
Give any one secondary sexual character of boys.
Answer:
Growth of moustaches and beard.

Question 12.
Give any one secondary sexual character of girls.
Answer:
Growth of breasts.

Question 13.
What controls the body changes during adolescence?
Answer:
Hormones.

Question 14.
What are hormones?
Answer:
Hormones are the chemical substances secreted by Endocrine glands.

Question 15.
Name the hormones secreted by testes.
Answer:
Testosterone.

Question 16.
Which hormone is secreted by ovaries 7
Answer:
Estrogen.

Question 17.
Which endocrine gland is called the master gland?
Answer:
Pituitary gland.

Question 18.
What are hormones secreted by testes and ovaries called collectively?
Answer:
Sex hormones.

Question 19.
Name the sex hormones secreted by testes and ovaries.
Answer:
Testosterone and Estrogen.

Question 20.
Name any one hormone secreted by Pituitary gland.
Answer:
Follicle stimulating Hormone or FSH.

Question 21.
Which hormone is responsible for the maturity of ova or sperms?
Answer:
Follicle stimulating hormone.

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Question 22.
What is the common name given to ova and sperms?
Answer:
Gametes.

Question 23.
What is the beginning of menstruation called?
Answer:
Menarche.

Question 24.
What is the stoppage of menstruation called?
Answer:
Menopause.

Question 25.
What are the names given to sex chromosomes?
Answer:
X and Y.

Question 26.
Which sex chromosome determines the sex of body?
Answer:
Y Chromosome.

Question 27.
Which hormone is secreted by thyroid?
Answer:
Thyroxin.

Question 28.
Which hormone is secreted by pancreas?
Answer:
Insulin.

Question 29.
Which hormone controls the blood sugar level?
Answer:
Insulin.

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Question 30.
Which hormone is secreted by Adrenal glands?
Answer:
Adrenalin.

Question 31.
Which hormone is called stress hormone?
Answer:
Adrenalin.

Question 32.
Why adrenalin is called stress hormone?
Answer:
Adrenalin is called stress hormone because it helps to calm down when one is angry.

Question 33.
What is a balanced diet?
Answer:
Diet containing all the necessary minerals in right proportion is called a balanced diet.

Question 34.
Name any food, which is called a balanced food in itself.
Answer:
Milk.

Question 35.
Which virus causes AIDS?
Answer:
HIV.

Short Answer Type Questions

Question 1.
What is adolescence?
Answer:
The phase of a person’s life, when his body undergoes changes to attain reproductive maturity is called adolescence. Adolescence begins at the age of 13 and lasts till the age of 18 or 19 years.

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Question 2.
What are the signs of adolescence?
Answer:
Certain body changes mark the onset of puberty. Hairy line above lips in boys and sudden increase in height are the signs of puberty. In girls developing breasts show the on set of puberty.

Question 3.
Why some boys or girls have improportionate body parts during adolescence 7
Answer:
Some times the boys and girls have improportionate body parts. They look tall but face look smaller or other tilings. This is because all body parts do not grow at the same rate. But slowly they all catch up and body becomes balanced.

Question 4.
What changes take place in the body of adolescents during this period?
Answer:
Many changes take place in the bodies of boys and girls during adolescence. Their shoulders become wider and chest becomes broader. Girls get developed breasts and their hips become wider. Muscles of boys grow more than the girls.

Question 5.
What changes occur in the voice of boys and girls during puberty?
Answer:
The voice box or the larynx begins to grow. Boys have more grown voice box. It can be seen as the protrubed part in their throat.
Their voice becomes deep and sometimes, it grows more than controlled limit and their voice become hoarse. Girls get a high pitched voice.

Question 6.
What causes the changes in human body during puberty?
Answer:
The changes which occur during puberty are caused due to some chemical substances secreted by glands. These chemical substances are acalled Hormones. Endocrine system in human body has various glands, which secrete many important hormones which help the body to grow and mature.

Question 7.
How do sex hormones work in human body?
Answer:
In males the testosterone is secreted by testes and it causes growth of moustaches and beard. In girls estrogefi causes the development of mammary glands . They develop inside the breast and cause enlargement of breasts.

Question 8.
How does pituitary gland initiate the puberty in humans?
Answer:
Pituitary gland is called the master gland. It stimulates the testes and ovaries to produce sex hormones i.e. Testosterone and estrogen. These sex hormones further initiate the changes in body to attain sexual maturity.

Question 9.
What is menstruation?
Answer:
Monthly bleeding in women is called menstruation, when egg is matured and released by ovaries. It if not fertilized is dispelled by body along with the thick lining of uterus and with blood vessels. It is released from the body in form of monthly bleeding. It is called menstruation.

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Question 10.
How the sex of the body is determined?
Answer:
Every human beings have 23 pairs of chromosomes in the nuclei of their cells. A pair of sex hormones are also among them. Females have XX sex chromosomes and males have XY sex chromosomes, when after fertilization the zygote get both X chromosomes from male and female, it will develop into a baby girl. When the zygote get X chromosome from female and Y from male, then it develops into a male. Thus the chromosome from a male decides if a baby will be a male or a female.
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence-6

Long Answer Type Questions

Question 1.
What changes occur in body during puberty?
Answer:
Various changes occur in the body of human beings during puberty. These changes occur due to hormones secreted by reproductive organs. These changes are the following:
(a) Physical changes:
Various changes occur in the bodies of boys and girls. Boys get broader shoulders and wider chest. Sudden increase in their height is accompanied by growth of hair on their body parts. They get moustaches and beard.Girls get developed breasts and wider hips. More secretions from sweat and oil glands cause pimples and acnes in some young people.

(b) Change in Voice:
Voice of boys become deep due to enlarged larynx. Some time more growth in voice box is visible as Adam’s Apple in their throats. Their voice becomes even coarse in case of extra growth of larynx. Voice of girls become high pitched.

(c) Development of Sex Organs:
The reproductive organs of boys and girls become active. Testes start producing sperms and ovaries release matured eggs. Mental and Emotional Maturity: Young people become more mature mentally, emotionally and intellectually.

Question 2.
How are the changes of adolesence controlled by hormones?
Answer:
The endocrine system of body secretes many chemical substances which are directly poured into the blood stream, these chemical substances are called hormones. All changes taking place during adolescence are controlled by these hormones.

Pituitary glands secrete growth hormones which stimulates the sex organs to release hormones.. Testes start secreting testosterone and ovaries start secreting estrogen. These sex hormones cause secondary sexual characters. Estrogen causes development of mammary glands which develop under breast, thus breast starts enlarging in females.

Question 3.
How can bad habits like Drug addiction harm the young people?
Answer:
Boys and girls feel a little bit insecure and confused during adolescence due to sudden changes in their bodies. This can mislead them to certain unhealthy and immoral habbits, like drug addiction and many others. Drug addiction is a very bad habit which can spoil our lives. It is easy to start, taking drugs but very difficult to shun this habit. Drugs can cause many long term harms on our bodies.

They make our body weak and prone to many communicable diseases like AIDS and many other sexual disorders. AIDS virus HIV can pass on to a healthy person from an infected person by sharing the infected syringe. The drug addicts inject drugs by using syringe. The same syringe is shared by other addicts also, so the infected syringe can spread AIDS to others also.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 10 Reaching the Age of Adolescence

Question 4.
Who is responsible to determine the sex of unborn baby: Father or mother?
Answer:
Each human being have 23 pairs of chromosomes in the nuclei of every cell. These chromosomes contain the hereditary information. Out of these chromosomes a pair of chromosome are called sex chromosomes, which are named X and Y Chromosomes. Each female has 2 X chromosomes while the males have one X chromosome and one Y chromosome. The unfertilized egg released by ovaries always have one X chromosome. Testes produce some sperms with X chromosome and some with Y chromosome.

If sperms with X chromosome fertilize with egg with unborn is a female, but if the sperms with Y chromosome fertilizes with egg, then the unborn baby will be a male. So, it becomes clear that it is the sperm released by father carrying X or Y chromosomes, that determines the sex of the unborn baby.

Question 5.
What should be done to maintain reproductive health?
Answer:
Following measures can help the young people to maintain their reproductive health.
(i) Balanced Diet:
Diet is very important for a growing body. Diet should be a balanced diet. Balanced diet contains all the necessary elements in required proportion. Elements like carbohydrates, proteins, fats and vitamins should be integral part of a balanced diet. Milk provides all the required elements in required proportion. Junk and fast food are good to taste but they are not nutritious so they should not be included in diet.

(b) Personal Hygiene:
One should keep one’s body clean by bathing everyday. All parts of the body should be washed properly because infections can take place due to more sweat and oil secretion by sweat and oil glands.

(c) Physical Exercise:
Daily routine of physical exercise can keep body fit and circulation of blood gets maintained providing energy to all parts of the body.

Reaching the Age of Adolescence Class 8 HBSE Notes

1. A baby becomes adult after passing a few development stages.
2. The age at which a child becomes capable of reproduction is called adolescence.
3. At the age of 11 years to 19 years a child reaches puberty.
4. Reproductive organs start developing as the puberty sets in.
5. Various changes occur in the bodies of boys and girls at age of puberty. Hair starts growing at different parts of body. Girls have developed breasts, heavy hips, boys get.moustaches and beard, their voice become heavy.
6. Height gain is prominent at age of puberty along with other changes. Hormones starts taking control of the reproductive organs, and make the beginning of maturity of reproductive organs.
7. Hormones are the chemical substances which are secreted by the pituitary glands directly into the blood stream.
8. Growth hormones stimulate other glands to secrete various other hormones to control various other body functions.
9. Various hormones secreted by different glands perform various functions. Ovaries and testes secrete hormones for sexual maturity, pancreas secrete Insulin to control sugar level, thyroid secret thyroxin and adrenal glands produce adrenalin. All these hormones are necessary for proper growth and development of body.
11. With onset of puberty females have hormones like estrogen. They have their uterine wall prepared to receive the fertilized egg. They have another phenomenon called menstruation. In this phenomenon they get the unfertilized egg flown out of body through blood.
12. Reproductive health needs a lot of care and one needs to maintain hygiene and physical activity.
13. Proper nutrition and balanced diet in necessary for growing body, so it should be taken care of.

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HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Haryana State Board HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

HBSE 8th Class Science Materials: Metals and Non-Metals Textbook Questions and Answers

Question 1.
Which of the following can be beaten into thin sheets?
(a) Zinc
(b) Phosphorus
(c) Sulphur
(d) Oxygen
Answer:
(a) Zinc.

Question 2.
Which of the following statements is correct?
(a) All metals are ductile.
(b) All non-metals are ductile.
(c) Generally, metals are ductile.
(d) Some non-metals are ductile.
Answer:
(a) All metals are ductile. ✗
(b) All non-metals are ductile. ✗
(c) Generally, metals are ductile. ✓
(d) Some non-metals are ductile. ✗.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Question 3.
Fill in the blanks:
(a) Phosphorus is very ……….. non-metal.
(b) Metals are ……….. conductor of heat and ………….. .
(c) Iron is ………….. reactive than copper.
(d) Metals react with acids to produce ………….. gas.
Answer:
(a) reactive
(b) good, electricity
(c) less
(d) hydrogen.

Question 4.
Mark ‘T’ if the statement is true and ‘F’ if it is false:
(a) Generally, non-metals react with acids. ( )
(b) Sodium is a very reactive metal. ( )
(c) Copper displaces zinc from zinc sulphate solution. ( )
(d) Carbon can be drawn into wires. ( )
Answer:
(a) False
(b) True
(c) False
(d) False.

Question 5.
Some properties are listed in the following table. Distinguish between metals and non-metals on the basis of their properties.

PropertiesMetalsNon-metals
1. Appearance
2. Hardness
3. Malleability
4. Ductility
5. Heat Conduction
6. Conduction of Electricity

Answer:

PropertiesMetalsNon-metals
1. Appearancelustrousnon-lustrous
2. Hardnesshard except sodiumgenerally soft except
3. Malleabilityand potassiumdiamond
4. Ductilitygenerally malleablenon-malleable
5. Heat Conductiongenerally ductilenon-ductile
6. Conduction of Electricitygood conductorspoor conductors

Question 6.
Give reasons for the following:
(a) Aluminium foils are used to wrap food items.
(b) Immersion rods are made up of metallic substances.
(c) Copper cannot displace zinc from its salt solution.
(d) Sodium and potassium are stored in kerosene.
Answer:
(a) Aluminium foils are used to wrap food items because aluminium can be beaten in sheets to form these thin wrapping sheets and it is soft and it does not react with food items.

(b) Immersion rods are made up of metallic substances because metals are good conductors of heat and electricity. They get hot very soon on passage of current and warm the water.

(c) Copper cannot displace zinc from its salt solution because copper is less reactive than zinc. A less reactive metal cannot displace a more reactive metal from its solution.

(d) Sodium and Potassium are stored in kerosene because they are very reactive and quickly react in air.

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Question 7.
Can you store acidic lemon pickles in an aluminium utensils? Explain.
Answer:
No, we cannot store acidic lemon pickles in aluminium utensils because aluminium is a metal. Metals readily react with acids to produce hydrogen gas. So, when the aluminium metal comes in contact with acidic lemon pickles, it would react to release hydrogen, which would spoil the food and render it unfit to consume.

Question 8.
In the following table some substances are given in Column I. In Column II some uses are given. Match the items in Column I with those in Column II.

Column IColumn II
(i) Gold(a) Thermometers
(ii) Iron(b) Electric wire
(iii) Aluminium(c) Wrapping food
(iv) Carbon(d) Jewellery
(v) Copper(e) Machinery
(vi) Mercury(f) Fuel

Answer:

Column IColumn II
(i) Gold(d) Jewellery
(ii) Iron(e) Machinery
(iii) Aluminium(c) Wrapping food
(iv) Carbon(f) Fuel
(v) Copper(b) Electric wire
(vi) Mercury(a) Thermometers

Question 9.
What happens when:
(i) Dilute sulphuric acid is poured on a copper plate?
(ii) Iron nails are placed in copper sulphate solution?
Write word equations of the reactions involved.
Answer:
(i) When sulphuric acid is poured on copper plate the acid present in sulphuric acid reacts with copper to form copper sulphate and hydrogen. The copper plate gets eroded from place.
Sulphuric Acid + Copper → Copper Sulphate + Hydrogen
(ii) When iron nails are placed in copper sulphate solution the iron being more reactive will replace copper in its salt solution,
(Ferrous Sulphate) → Iron + Copper Sulphate → Iron Sulphate + Copper
The solution will turn light green.

Question 10.
Saloni took a piece of burning charcoal and collected the gas evolved in a test tube.
(i) How will she find the nature of the gas?
(ii) Write down equations of all the reactions taking place in this process.
Answer:
(i) She will test it with litmus paper to check the acidic or basic nature of gas. If red litmus turns blue, it is basic in nature. If blue litmus turns red, it is acidic in nature.

(ii) Sulphur dioxide (SO2) + Water (H2O) → Sulphurous acid (H2SO3).

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Question 11.
One day Reeta went to a Jeweller’s shop with her mother. Her mother gave old gold jewellery to the goldsmith to polish. Next day when they brought the jewellery back they found that there was a loss in its weight. Can you suggest a reason for the loss in weight?
Answer:
When gold is washed in acidic solution, it being a metal reacts with acid and forms the hydrogen gas with some metallic oxides. This causes the loss of gold in form of gold oxides. This looses the weight of gold.

Activity.

No. 4.1. Malleability Of Materials

Object/ MaterialChange in Shape (Flattens/Breaks into pieces)
Iron nailflattens
Coal piecebreak into pieces
Aluminium wireflatten
Pencil leadbreaks into pieces

No. 4.3. Electrical Conductivity Of Materials

MaterialsGood Conductor / Poor Conductor
Iron rod / nailGood conductor
SulphurPoor conductor
Coal piecePoor conductor
Copper wireGood conductor

Extended Learning – Activities And Projects

Question 1.
Prepare Index Cards for any four metals and non-metals. The card should have information like name of metal/non-metal; its physical properties, chemical properties and uses.
Answer:
1. Name of metal: Copper
Physical properties:
(i) It is hard
(ii) It is ductile.
(iii) It is good conductor of heat and electricity.

Chemical Properties:
(i) Copper reacts with moist air to form greenish coating.
(ii) It oxide is basic in nature.
(iii) It reacts with acids to produce hydrogen gas.
(iv) It displaces iron from iron sulphate solution.

Uses:
Copper is used to make electrical wires, base of cooking utensils, etc.

Non-metals:

2. Name of non-metal: Coal
Physical properties:
(i) It is not ductile.
(ii) It is not malleable.
(iii) It is hot sonorous and does not shine. It is soft.
(iv) It is poor conductor of electricity

Chemical Properties:
(i) It produces oxides of carbon when burnt
(ii) It’s oxide are acidic in nature.
(iii) It does not take part in replacement reaction.

3. Name of Non-metal: Sulphur
Physical properties:
(i) It is neithre ductile nor malleable.
(ii) It is soft and dull.
(iii) It is poor conductor of heat and electricity.

Chemical properties:
(i) It reacts with oxygen to produce sulphur dioxide.
(ii) It reacts with water to form sulphurous acid H2SO4 which is acidic in nature.
(iii) Metals are heated to mould them.
(iv) Gold is preferred to prepare jewellary because it is less reactive ductile and is a costly metal.

4. Name of Metal: Iron
Physical properites:
1. malleable
2. non-ductile
3. sonorous
4. hard
5. good conductor of heat and current.

Chemical properties:
1. React with oxygen to form rust.
2. React with water.
3. React with acids to form hydrogen gasi
4. React with sodium hydroxide to produce hydrogen gas.

Uses:
Used to make machines, tools, door, etc.

Question 2.
Visit a blacksmith and observe how metals are moulded.
Answer:
For self attempt.

Question 3.
Suggest an experiment to compare the conductivity of electricity by iron, copper, aluminium and zinc. Perform the experiment and prepare a short report on the results.
Answer:
For self attempt.

Question 4.
Find out the locations of the deposits of iron, aluminium and zinc in India. Mark these in an outline map of India. In which form are the deposits found? Discuss in the class.
Answer:
For self attempt.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Question 5.
Discuss with your parents / neighbours / goldsmiths why gold is preferred for making jewellery.
Answer:
For self attempt.

Question 6.
Visit the following websites and enjoy the quiz on metals and non-metals.

  • chemistry.about.com /library/weekly/ bl05030a.htm
  • chemistry.about.com / od / testsquizzes / Chemistry_Tests_Quizzes.htm.
  • www.syvum.com / cgi / online / mult.cgi / squizzes / science / metals.tdf?0
  • www.gcsescience.com / q / quesemet.html
  • www.corrosionsource.com / handbook / periodic / metals.htm
    Answer:
    For self attempt.

HBSE 8th Class Science Materials: Metals and Non-Metals Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
What is meant by malleability of a metal?
Answer:
The property by virtue of which a metal can be hammered into thin sheets is called malleability.

Question 2.
What is meant by ductility of metals?
Answer:
Ductility of metals means that they can be drawn into very thin wires.

Question 3.
Name two metals which are both malleable and ductile.
Answer:
Gold and silver.

Question 4.
Are non-metals malleable and ductile?
Answer:
No.

Question 5.
Name a metal which exists in liquid state.
Answer:
Mercury.

Question 6.
Name the hardest substance in the world.
Answer:
Diamond.

Question 7.
Which metal is the best conductor of electricity?
Answer:
Silver.

Question 8.
Identify the most reactive and the least reactive metal amongst the following:
Al, K, Cu, Au.
Answer:
K is the most reactive while Au is the least reactive metal.

Question 9.
Name the metal which is stored in kerosene oil.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals
Answer:
Sodium is stored in kerosene oil.

Question 10.
Which metal foil is used in packing of some medicine tablets?
Answer:
Aluminium.

Question 11.
Which metal foil is used for decorating sweets?
Answer:
Silver.

Question 12.
Name a non-metal which is good conductor of heat.
Answer:
Graphite.

Question 13.
Why do gold and silver exist in free state?
Answer:
Gold and silver exist in free state because they are less reactive.

Question 14.
What would happen to the iron railings in open, when not painted?
Answer:
They will be rusted.

Question 15.
Why electric wires are made of copper?
Answer:
Electric wires are made of copper because it is good conductor of electricity.

Question 16.
Iron nails are kept dipped in blue copper sulphate solution and solution gets changed into light green colour. Why?
Answer:
This happens because iron displaces copper to form Ferrous Sulphate which is light green in colour.

Question 17.
Explain why silver does not displace hydrogen from dil HCl?
Answer:
Silver is less reactive than hydrogen, so it does not displace hydrogen from dil HCl.

Question 18.
When does red litmus paper turn blue?
Answer:
When red litmus paper comes in contact with basic solution.

Question 19.
When does a blue litmus paper turn red?
Answer:
Blue litmus paper turns red when it comes in contact with acidic solution.

Question 20.
What happens when sulphur dioxide gets dissolved in water?
Answer:
Sulphurous acid is formed:
SO2 + H2O → H2SO3

Question 21.
Oxides of non-metals are generally of which nature?
Answer:
Oxides of non-metals are generally of acidic nature.

Question 22.
What happens when sodium comes in contact with water?
Answer:
Sodium catches fire and heat is released.

Question 23.
How do non-metals react with water?
Answer:
Non-metals do not react with water.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Question 24.
How do non-metals generally react with acids?
Answer:
Non-metals generally do not react with acids.

Question 25.
Which gas is emitted when metals react with acids?
Answer:
Hydrogen gas.

Question 26.
Write any use of non-metal.
Answer:
Non-metals are used in crackers.

Question 27.
Write any use of metals.
Answer:
Metals are used to make all means of transportation.

Question 28.
What is a displacement reaction?
Answer:
Reaction in which a more reactive metal displaces the less reactive metal from its compound in aqueous solution is called displacement reaction.

Short Answer Type Questions

Question 1.
Write any three physical characteristics of metals.
Answer:
(i) Metals can be hammered to make sheets so they are malleable.
(ii) Metals can be drawned into very thin wires, that means metals are ductile.
(ii) Metals are good conductors of heat and electricity.

Question 2.
Write any three physical characteristics of non-metals.
Answer:
(i) Non-metals are non-ductile and non- malleable.
(ii) Non-metals are non-sonorous.
(iii) Non-metals are poor conductors of heat and electricity.

Question 3.
What do you mean by sonorous materials?
Answer:
Materials which make a sound when they are hit hard with some other material are called sonorous materials. All metals except the soft ones are sonorous, while all non-metals are non-sonorous.

Question 4.
How do metals and non-metals react with oxygen?
Answer:
Metals react with oxygen to form oxides generally. These oxides are alkaline.
\(\begin{array}{ccc}
2 \mathrm{Mg} & +\mathrm{O}_{2} \rightarrow & 2 \mathrm{MgO} \\
\text { Magnesium } & \text { Oxygen } & \text { Magnesium oxide }
\end{array}\)
Non-metals also react with oxygen to form oxides but these oxides are acidic in nature.
\(\begin{array}{cc}
\mathrm{C} & \mathrm{O}_{2} \\
\text { Carbon } & \text { Oxygen }
\end{array} \quad \rightarrow \quad \mathrm{CO}_{2}\)

Question 5.
A copper coin is kept immersed in a solution of silver nitrate for some time. What will happen to the coin and the colour of the solution?
Answer:
Copper is more reactive than silver. Therefore, when a copper coin is kept immersed in a solution of silver nitrate, it will displace silver from silver nitrate solution and a solution of copper nitrate will be formed.
Thus, the copper coin will dissolve in the solution and the colour of the solution will change from colourless to blue.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Question 6.
Explain why zinc metal can displace copper from copper sulphate solution but copper cannot displace zinc from zinc sulphate solution.
Answer:
Zinc metal is more reactive than copper. Therefore, it can displace copper from CuS04. Cu is less reactive than Zn, therefore, cannot replace Zn from ZnS04.

Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu

Question 7.
State any three reasons for counting sulphur amongst the non-metals.
Answer:
Sulphur is a non-metal because:
(i) It is neither malleable nor ductile.
(ii) It does not conduct heat and electricity.
(iii) It combines with oxygen to form acidic oxide.

Question 8.
Non-metals do not react with water. How does this fact is utilized to store very reactive non-metals?
Answer:
Non-metals do not react with water. This quality is quite helpful in protecting some highly reactive non-metals which quickly react in air. Phosphorus is very reactive non-metal. It immediately catches fire when exposed to air. To prevent this, it is stored in water.

Question 9.
What is an element?
Answer:
Element is the smallest unit of any material. It cannot be broken further by cooling, heating or by electrolysis e.g. sulphur, iron, carbon etc.

Question 10.
Compare the physical properties of metals and non-metals.
Answer:

MetalsNon-metals
1. Metals are good conductors of heat and electricity.1. Non-metals are poor conductors of heat and electricity.
2. Metals are malleable and ductile.2. Non-metals are neither malleable nor ductile.
3. Metals are lustrous and can be polished.3. Non-metals are usually non-lustrous and cannot be polished.
4. Metals are solid except mercury.4. Non-metals can exist in all states.
5. Metals have generally high melting points and boiling points.5. Non-metals generally have low melting points and boiling points.

Question 11.
Compare the chemical properties of metals and non-metals.
Answer:

MetalsNon-metals
1. Metals react with oxygen to produce oxides which are alkaline in nature.Non-metals react with oxygen to produce oxides which are basic in nature.
2. Metals react with water differently to produce oxides and hydroxides.Non-metals do not react with water.
3. Metals react with acids to produce hydrogen gas.Non-metals most of times do notreact with acids.
4. More reactive metals displace the less reactive metals from their compounds in an aqueous solution.Non-metals do not show any such action.

Question 12.
In which state do metals occur inside the earth’s crust?
Answer:
Metals occur in different states inside the earth’s crust depending upon their reactivity. Some metals occur in elemental state or in the form of compounds. Reactive metals generally are found in compound. Highly unreactive metals occur in free state while the less reactive metals can either be found in combined state or infree state.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Question 13.
What do you mean by Malleability of metals.
Answer:
The physical property of metals by virtue of which metals can be beatan into thin sheet is called malleability. Most of the metals are malleable. Aluminium is beaten into aluminium foil for wrapping food and silver is also beaten to make silver foils to decorate sweets.

Question 14.
What do you mean by ductility?
Answer:
The physical property by virtue of which metals can be drawn into thin wires is called ductility. Metals which are good conductors of electricity are mostly drawn into wire to be used in electrical cables. Gold and silver are the most ductile metal. Wires of copper, aluminium and tungsten are used to make electricity cables and tungsten is used to make filaments of bulbs. Aluminium wires are also widely used to make electrical wires.

Question 15.
What is an alloy? Describe any one alloy.
Answer:
Mixture of two or more than two metals to get desired qualities is called an alloy. Stainless steel is an alloy of iron, chromium and nickel. It is used to make utensils, surgical & instruments and many other decorative items. Stainless stell is hard and do not rust.

Long Answer Type Questions

Question 1.
Write a short note on displacement reaction of metals.
Answer:
A more reactive metal displaces a less reactive metal from its compound in an aqueous solution. This is called displacement reaction. For example, when some iron nails are dipped in copper sulphate solution, the iron being more reactive displaces copper from its solution and form ferrous sulphate solution of light green colour.
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials Metals and Non-Metals-1
Similarly, magnesium and zinc also displaces copper from its compound.
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials Metals and Non-Metals-2

Question 2.
How will you prove the nature of rust or the ash obtained from burning magnesium ribbon?
Answer:
This can be easily proved in laboratory. Take some rust and dissolve it in water (a few drops). Now take a red litmus paper and dip the litmus paper in solution. We will see that the red litmus paper turns blue.

When the red litmus paper turns blue it means solution is basic in nature. So the rust is basic in nature. We can similarly check the nature of ash obtained by burning a magnesium ribbon. It will also turn red litmus paper blue proving its basic nature.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Question 3.
How do different metals react with water?
Answer:
Different metals react differently with water, hydrogen being a common end product.
Sodium metal reacts vigorously with water to form sodium hydroxide and hydrogen gas.
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials Metals and Non-Metals-3
Magnesium only reacts with hot boiling water to form magnesium oxide and hydrogen.
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials Metals and Non-Metals-4
Red hot iron reacts with steam to form iron oxide and hydrogen copper. Silver and nickel do
not react with water.

Question 4.
What are the different uses of metals?
Answer:
Metals are very useful to us. Some of the uses of common metals are following:
(а) Copper and aluminium metals are used to make electric wires. This is because copper and aluminium are good conductors of electricity.
(b) Copper, aluminium and iron metals are used for making utensils and other domestic things. These metals are also used to make various factory equipments. This is because, all these metals are good conductors of heat.
(c) Iron is used to make heavy machinery and is also used in construction of buildings because it is very heavy and strong.
(d) Thin foils of aluminium are used in packaging food materials and medicines etc.
(e) The liquid metal mercury is used in thermometers.
(f) Gold and silver metals are used to make jewellery.
(g) Sodium, titanium and zirconium metals are used in atomic energy and space projects.

Question 5.
What are the different uses of non-metals?
Answer:
Following are the uses of non-metals:
(a) Oxygen is used by plants and animals for respiration. Oxygen also supports the process of combustion in factories, houses, aeroplanes
and missiles.
(b) Compounds of nitrogen provide nutrients to soil and plants. Fertilizers made by using nitrogen are extensively used in agricultural practices.
(c) Chlorine is used to disinfect the drinking water as it has the ability to kill germs.
(d) Sulphur is also used as germicide, it is also used as an antiseptic fcr skin treatment (in ointments).
(e) Non-metals are used in crackers.

Question 6.
What is corrosion? How does it affect different metals?
Answer:
Corrosion is defined as attack of atmospheric gases and moisture on the surfaces of metal making them deformed and weak. If iron is left in open for a period of time, it slowly gets deposits of brown flakes on it, which is called rusting of iron. It is undesirable because it makes the iron weak and eat it up slowly with passage of time. Similarly silver objects become black in colour and loose their lustree as silver reacts with hydrogen sulphide gas of air. Slowly the copper vessels also get coated with greenish layer of copper carborate. It is formed due to reaction of copper with carbondioxide of air and water vapour also present in air.
HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials Metals and Non-Metals-5

Question 7.
Write composition, properties and uses of following alloys: Steel, Stainless Steel, Brass and Duralumin
Answer:

AlloyCompositionPropertiesUses
SteelIron and CarbonStrongNails, screws, railway lining, bridges, machinery, ships etc. are made up of steel.
Stainless SteelIron, Chromium and nickelStrong, rust proof, hard and shiningUses for making utensil, cutlery and surgical instruments.
BrassCopper and ZincDuctile, malleable resists corrosion can easily be castedUse for making screws, nuts, bolts,
DuralumiumAluminium, copper maganese and magnesiumLight,Used to make automobile parts, pressure cookers and aircrafts etc.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 4 Materials: Metals and Non-Metals

Materials: Metals and Non-Metals Class 8 HBSE Notes

1. All metals and non-metals have some physical and chemical properties which differentiate them from each other.
2. Properties related to appearance and structure are called physical properties while how they react with other metals and non-metals are called their chemical properties.
3. Metals are shiny in appearance. This property of metals is called lustre.
4. Metals are generally hard. Sodium and potassium are soft. All metals mostly exist in solid state except murcury which is a liquid at room temperature.
5. Metals can be beaten with hamrqer and can be beaten into sheets. This physical property of metals is called malleability. Most of the metals are malleable.
6. Metals can be drawn into wires, they are thus ductile . Gold, tungsten are highly ductile metals.
7. Metals are good conductors of heat and electricity. That is why metals are used to make electric wires and most of the cooking utensils are made of metals. Silver is the best conductor of electricity.
8. Metals make sound, when they are hit hard with other object. This property makes them sonorous.
9. Non-metals do not shine and break-up when hit hard with hammer.
10. Non-metals cannot be beaten into sheets.
11. Non-metals cannot be drawn into wires.
12. They do not make any sound when hit with other objects.
13. Non-metals are bad conductors of heat and electricity.
14. Metals and non-metals react with oxygen to form oxides. Metal oxides are alkaline and oxides of non-metals are acidic in nature.
15. Metals react with water at different rates to form oxides and hydrogen gas. Non-metals do not react with water except sodium and magnesium.
16. Non-metals generally do not react with acids but metals react to produce hydrogen gas.
17. A more reactive metal displaces the less reactive metal from its compound in aqueous solution.
18. Metals and non-metals are very useful to us. They are used for different purposes.
19. All the materials can be divided into metals, non-metals and metalloids on the basis of above discussed physical mid chemical properties. Metalloids are those materials which possess the qualities of both metals and non-metals.

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HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics

Haryana State Board HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Science Solutions Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics

HBSE 8th Class Science Synthetic Fibres and Plastics Textbook Questions and Answers

Question 1.
Explain why some fibres are called synthetic?
Answer:
Some fibres are called synthetic because they do not occur naturally and are made by man using petrochemicals.

Question 2.
Mark (✓) the correct answer:

Rayon is different from synthetic fibre because
(i) it has a silk like appearance
(ii) it is obtained from wood pulp
(iii) its fibres can also be woven like those of natural fibres.
Answer:
(ii) it is obtained from wood pulp. ✓

Question 3.
Fill in the blank with appropriate words:
(i) Synthetic fibres are also called ……………. or ……………. fibres.
(ii) Synthetic fibres are synthesised from raw material called ……………. .
(iii) Like synthetic fibres, plastic is also a ……………. .
Answer:
(i) man-made or artificial fibres
(ii) petrochemicals
(iii) polymer.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics

Question 4.
Give examples which indicate that nylon fibres are very strong.
Answer:
Nylon fibres are very strong, thus they are used to prepare ropes for mountaineering. They are also used to prepare parachutes.

Question 5.
Explain why plastic containers are favoured for storing food.
Answer:
Advantanges of storing foods in plastic containers are:
(a) the plastics do not react with the food stored in them.
(b) the plastics are light weight and are strong.
(c) they are easy to handle and safe.

Question 6.
Explain the difference between the thermoplastic and thermosetting plastics.
Answer:
Differences between thermoplastic and thermosetting plastics:
(i) Thermoplastics can be mtelted on heating but thermosetting plastics Cannot be melted.
(ii) Thermoplastics can be reshaped as many times as desired but thermosetting plastics cannot.
(iii) Thermoplastics can be bent but thermosetting plastics cannot be bent.
(iv) Thermoplastics are good conductors of heat, thermosetting plastics are bad conductors of heat.

Question 7.
Explain why the following are made of thermosetting plastics:
(a) Saucepan handles
(b) Electric plugs/switches/plug boards.
Answer:
(a) The handles of saucepan are made of thermosetting plastic because it is a bad conductor of heat and do not get heated up while cooking. So it becomes easy to handle the utensil while cooking.
(b) Electric plugs/ switches and plug boards are made up of thermosetting plastic because it is a bad conductor of electricity. It does not allow the electric current to pass through it, thus safe in using in electric appliances.

Question 8.
Categorise the materials of the following products into ‘can be recycled’ and ‘cannot be recycled’.
Telephone instruments, toys, cooker handles, carry bags, ball point pens, plastic bowls, electric wire covering, plastic chairs, electrical switches.
Answer:
Can be Recycled: Toys, carry bags, plastic bowls, ball point pen, plastic chairs, electric wire covering.
Cannot be Recycled: Cooker handles, electric switches, telephone instruments.

Question 9.
Rana wants to buy shirts for summer. Should he buy cotton shirts or shirts made from synthetic material? Advise Rana, giving your reason.
Answer:
Cotton clothes are preferred to synthetic clothes in summers because cotton is a bad conductor of heat. It does not allow the outer heat to enter in our body, thus protects body from heat. It also has more capacity to hold moisture than the synthetic clothes. So, it retains
the sweat of the body and keeps it cool. So, Rana should buy shirts made upof cotton.

Question 10.
Give examples to show that plastics are noncorrosive in nature?
Answer:
Following examples show that plastics are non-corrosive in nature:
(i) They are used to store chemicals in laboratories.
(ii) They are used to store all types of food, as it does not react to materials stored in it.
(iii) It does not even react with air and water.

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Question 11.
Should theiiandle and bristles of a tooth brush be made of the same material? Explain your answer.
Answer:
No, the handle and bristles of a tooth brush should not be made of the same material because the bristles should be soft and the handle should be hard. So the bristles should be made up of soft material so that it does not harm the gums. The handles should be made up of hard material so that it can give firm grip.

Question 12.
‘Avoid plastics as far as possible,’ Comments on this advice.
Answer:
Plastics are harmful for our environment. Some of the plastics cannot be recycled, so they cannot be used again and thus cannot be finally disposed off. They thus, should be avoided as far as possible.

Question 13.
Match the terms of column I correctly with the phrases given in column II:

Column IColumn II
(ii) Polyester(a) Prepared by using wood pulp
(ii) Teflon(b) Used for making parachutes and stockings
(iii) Rayon(c) Used to make non-stick cookwares
(iv) Nylon(d) Fabrics do not wrinkle easily

Answer:

Column IColumn II
(ii) Polyester(d) Fabrics do not wrinkle easily.
(ii) Teflon(c) Used to make non-stick cookwares.
(iii) Rayon(a) Prepared by using wood pulp.
(iv) Nylon(b) Used for making parachutes and stockings.

Question 14.
‘Manufacturing synthetic fibres is actually helping conservation of forests’. Comment.
Answer:
Manufacturing synthetic fibres is actually helping conservation of forests because it does not require cfutting plants and hunting animals to get the natural fibres. The synthetic fibres are made up of chemicals and these chemicals are not available in forests.

Question 15.
Describe an activity to show that thermoplastic is a poor conductor of electricity.
Answer:
Observe all the electric wires of your house from a distance. You can take an electric wire which is not carrying current. Open the main wire you will see three/two small wires in the main wire and will see that they have covering of red, green and yellow plastic covering. This proves that the thermoplastics are bad conductors of electricity.

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Extended Learning – Activities And Projects

1. Have you heard of the campaign: “Say No To Plastics”. Coin a few ihore slogans of this kind. There are certain governmental and non-governmental organisations who educate general public on how to make a wise use of plastics and develop environment friendly habits. Find, out organisations in your area which are . carrying out awareness programmes. If there is none, form one. .
Answer:
For self attempt. .

2. Organise a debate in the school. The children may be given an option to rule play as manufacturers of synthetic fabrics or those of fabrics from natural sources. They ican then debate on the topic “My Fabric is Superior.”
Answer:
For self attempt.

3. Visit five families in your Neighbourhood and enquire about the kind of clothes they use, the reason for their choice and advantages of using them in term: of cost, durability and maintenance. Make a short report and submit it to your teacher.
Answer:
For self attempt.

4. Devise an activity to show that organic waste is biodegradable while plastic is not.
Answer:
Take some organe peels or peels of any fruit or vegetable. Now take any broken object of plastic.
Take two flower pots. In one pot dig a small pit and throw peels and cover it with mud. In second pot put the plastic and cover it with mud. Observe them after 5-10 day, and you will see that the peels have started decomposing and nothing has happened to plastic toy.

5. If you wish to know more about fibres and plastics and the products made from them, you may explore the following web sites:
• http://www.pslc.ws/macrog/index.htm
• http://www.edugreenteri.res.in/ exploresolwaste/types/htm
• http://www.nationalgeographic.com/ resouces/ngo/eduction/plastics
• http://www.packagingtoday.com/
• http://www.bbc.co.uk/schools.gcsebitesize/ design/textiles/fibresrev/html/

HBSE 8th Class Science Synthetic Fibres and Plastics Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Why do we wear clothes?
Answer:
We wear clothes to get protected from heat, cold and other outer conditions.

Question 2.
How many types of fibres are there?
Answer:
There are two types of fibres: Natural fibre and Synthetic fibres.

Question 3.
What are natural fibres?
Answer:
Fibres obtained from animals and plants are called natural fibres.

Question 4.
What are synthetic fibres?
Answer:
Fibres made of chemicals by the man are called synthetic fibres.

Question 5.
Name some natural fibres.
Answer:
Silk, wpol, cotton, jute, etc.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics

Question 6.
Name some synthetic fibres.
Answer:
Nylon, rayon, polyester, Acrylic.

Question 7.
What are polymers?
Answer:
Polymers are small jinits which combindfo make a synthetic fibre.

Question 8.
Name one natural polymer.
Answer:
Cellulose is a polyiper of cotton.

Question 9.
Which synthetic fibre is called synthetic silk?
Answer:
Rayon.

Question 10.
Which country discovered silk for the first time?
Answer:
China.

Question 11.
Which raw material is used to make rayon?
Answer:
Wood pulp.

Question 12.
Which raw material is used to make Nylon?
Answer:
Coal, water and air.

Question 13.
Name few items made from nylon.
Answer:
Socks, ropes, tents, sleeping bags, parachutes, etc.

Question 14.
Which is the strongest synthetic fibre?
Answer:
Nylon.

Question 15.
Which synthetic fibre can be stronger than a steel wire?
Answer:
Wire made of nylon.

Question 16.
Name a synthetic fibre which works like wool.
Answer:
Acrylic.

Question 17.
What happens when synthetic fibre is burnt?
Answer:
It starts melting.

Question 18.
What are petrochemicals?
Answer:
Petrochemicals are raw materials processed to make synthetic fibres.

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Question 19.
Name a few properties of plastics.
Answer:
They can be moulded, recycled, reused and melted.

Question 20.
What use polythene is put to?
Answer:
Polythene is used to make carry bags.

Question 21.
What do we call the plastics which can be remoulded again and again?
Answer:
Thermoplastics.

Question 22.
What do we call the plastics, which cannot be remoulded and reused?
Answer:
Thermosetting plastics.

Question 23.
Why electric switches and plugs are made of plastics?
Answer:
They are resistant to electricity.

Question 24.
Which material is used to make non-stick utensils?
Answer:
Teflon.

Question 25.
Which material is used to make the handles of the cookware?
Answer:
Melamine.

Question 26.
What makes plastic a wonder material?
Answer:
Lightness, strength, durability and non-reactiveness.

Short Answer Type Questions

Question 1.
Distinguish between Natural fibre and Synthetic fibre.
Answer:
Natural fibres are obtained from natural resources like plants and animals e.g., cotton, jute, etc. are obtained from plants. Silk and wool are obtained from animals. Synthetic fibres are made from synthetic materials, like petrochemicals, e.g. Nylon, Terelene, acrylic etc.

Question 2.
Why silk is so costly?
Answer:
Silk is a natural fibre obtained from silk moth. It takes a lot of time and efforts to make silk. So, it costs high.

Question 3.
What is Polyester?
Answer:
Polyester is the word coined by joining ‘poly’ and ‘ester’. This synthetic fibre is made by joining many ester units. Ester is a chemical which causes smell in fruits.

Question 4.
What makes acrylic more popular than pure wool?
Answer:
Acrylic is a synthetic fibre. It resembles wool in looks and in qualities. Wool is expensive becuse it is obtained from natural sources but acrylic is cheaper and is available in vibrant colours. It is more durable than wool.

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Question 5.
What is the main disadvantage of synthetic fibre?
Answer:
Synthetic fibres are good conductors of heat. They melt when heated. This causes a great danger for the user. In case the fibre catches fire while working in the kitchen, it will stick to the user’s body and will cause great damage to skin.

Question 6.
Which fibre will you prefer to get your raincoat stitched? Why?
Answer:
We will prefer synthetic fibre for getting our raincoat stitched because it will not absorb much amount of water and dispell it saving us from rain water. It will also dryup soon later.

Question 7.
How can polythene carry bags be harmful for animals?
Answer:
Polythene carry bags are thrown here and there after using them. Stray cattle consume them. In this case, it can choke the respiratory system and damage their stomach. It can even cause their death.

Question 8.
What are thermoplastics? Explain with examples.
Answer:
Those plastics which can melt on heating and which can be reshaped on moulding again and again are called thermoplastics P.V.C., Polythene are examples of thermoplastics. Toys, containers, car grills, combs etc. are made with thermoplastics.

Question 9.
What are thermosetting plastics?
Answer:
Thermosetting plastics are those plastics, which can be only moulded for once. They cannot be reshaped or reused because they do not get softened op heating. Bakelite, melamine etc. are examples of thermosetting plastics.

Question 10.
What are biodegradable and non-biodegradable materials?
Answer:
Biodegradable substances are those substances which can be decomposed by bacteria and other natural processes. Those substances which cannot be decomposed are called non-biodegradable substances. Plastics are non-biodegradable.

Long Answer Type Questions

Question 1.
Distinguish between natural fibres and synthetic fibres.
Answer:

Natural FibreSynthetic Fibre
1. They are obtained from natural sources like plants and animals.1. Synthetic fibres are made from chemicals called petrochemicals.
2. Natural fibres are costly.2. Synthetic fibres are cheaper.
3. Natural fibres are heavy in weight and have less tensile strength.3. Synthetic fibres are light in weight and are strong fibres.
4. They absorb more amount of water and retain it for longer period.4. Synthetic fibres absorb less amount of water and get dried up soon.
5. They are good conductors of heat except cotton and jute.5. All fibres are good conductors of heat.

Question 2.
Name different artificial fibres and write their uses.
Answer:
Following are the main synthetic fibres:
(i) Rayon:
It is also called the artificial silk as it has great lustre and is fight in weight. It is obtained by the chemical treatment of wood pulp. It can be woven like silk and dyed in different colours. It is used as dress material. Mixed with cotton, it is used to make curtains, bedsheets etc. It is mixed with wool to make beautiful carpets.

(ii) Nylon:
It is the strongest fibre. It is made by coal, water and air. It is elastic in nature and fight in weight. It is lustrous and thus ideal for making dresses. It is also used to make stockings, seat belts, ropes, tents, toothbrushes, sleeping bags, curtains and parachutes, etc.

(iii) Polyester:
It is made up of multiple units of ‘esters’. The clothings made of this fibre do not get wrinkled easily. It is always crisp and easily washable. PET is also derived from polyester which ip turn is used to make containers, utensils, films, wires etc.

(iv) Acrylic: Acrylic is just like wool and is used to make sweaters and suit lengths.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics

Question 3.
Describe the characteristic features of the synthetic fibres.
Answer:
Synthetic fibres are made from chemical substances. Their qualities are quite different from those of natural fibres. Following are the characteristic features of the synthetic fibres:
1. Raw material: All synthetic fibres are made from chemicals. They are prepared by a number of processes using raw materials of petroleum family called petrochemicals.

2. Strength: Synthetic fibres are quite strong. Nylon is the strongest known fibre.

3. Durability: Synthetic fibres are quite durable. They do not wither easily. They are so strong and durable that ropes and parachutes etc. are made by using synthetic fibres.

4. Soak less water: Synthetic fibres absorb small quantities of water and loose it quick, so they dry up very soon.

5. Availability and cost: Synthetic fibres are less expensive and readily available. That makes it a popular dress material.

Question 4.
What are plastics? How many types of plastics are available? Explain.
Answer:
Plastics are synthetic materials which can be moulded to give any desirable shape. Plastics are two types:
Thermoplastics: Those plasties which can be melted and reshaped again and again to give any shape on heating are called thermoplastics. Thermoplastics can be reused as many times as desirable e.g. PVC and polythene.

Thermosetting Plastics are those plastics which can be melted on heating mid cannot be reshaped again and again. Melamine, Bakelite etc. are examples of thermosetting plastics.

Question 5.
Write the characteristic features of plastics.
Answer:
Plastic is a wonder material. Following characteristic features make it a common and popular choice:
(i) Plastics are light in weight so they are easy to handle and manage.
(ii) Plastics are strong and durable so they are used to make buckets, mugs, ropes, etc.
(iii) Plastics are non-reactive as they do not get corroded when they come in contact with other materials or substances. This property make them perfect for storing food items and chemicals.
(iv) Plastics are poor conductors of electricity. They do not allow the electric current to pass through them easily. They are, therefore, used to make coverings of electric wires and other electric appliances.

Question 6.
Write advantages and disadvantages of synthetic fabrics.
Answer:
Following are the advantages of synthetic fabrics:
(a) Most of the synthetic fibres are wrinkle resistant. They do not get wrinkled easily. They easily retain their original shape, if they get wrinkled. So it is convenient to wash and wear.
(b) Synthetic fibres are strong so they can take up heavy loads easily. They have got high tensile strength, which enables them to carry weights.
(e) They have great elasticity. They can be easily streched.
(d) Synthetic fibres are generally soft, so they are used to make variety of clothes and clothing materials.

Disadvantages:
(a) Synthetic fibres cannot absorb moisture. This makes them unsuitable to be warm during summers. When our body sweatsv This make body sticky and irritates the skin
(b) They are dangerous to be worn near fire or heat, as they easily catch fire and is unfit to he worn.
(c) They cannot be easily ironed as they melt very easily.

HBSE 8th Class Science Solutions Chapter 3 Synthetic Fibres and Plastics

Question 7.
How disposal of plastic is a problem? Explain.
Answer:
Plastic is wonderful synthetic material which is very useful. But biggest disadvantage of plastic is its disposal. Plastic is a non- biodegradable subtance, which do not get decomposed on its own by other microorganisms. So, accumulation of plastic is causing great danger for environment in the following ways:
(i) We throw plastics openly on roadsides and streets. This provide home to many disease causing germs.
(ii) Plastics if burned in the soil create more problem. They cannot be decomposed and prevents the water from seeping into the soil. This affects the plants adversLy. Water gets accumulated on the soil and cause muddy pubbles.
(iii) Buring the plasties produce toxic gases alongwith smoke which cause air pollution. Such an air is unfit for consumption and give birth to many respiratory problems in animals.
(iv) Plastic waste when dumped in water, cause water pollution. Aquatic animals consume these toxic plastics and die. It can also cause reproductive problems in aquotic animals.

Synthetic Fibres and Plastics Class 8 HBSE Notes

1. All the clothes we wear are made up of fabrics. Fabrics in turn are made up of fibres. Fibres can be of two types: natural fibre and manmade or synthetic fibres.
2. Natural fibres are those fibres which we get from plants and animals e.g. cotton, wool, silk, jute, etc.
3. Artificial or synthetic fibres are made up of the chemical substances by processing in factories and mills.
4. A synthetic fibre is chain of small units, woven together to form a long chain. These chemical substances or this chain of small units is called a polymer. All synthetic fhbrics are made up of these repeating units called polymers.
5. Rayon, Nylon, polyester etc. are examples of the manmade fibres.
6. These synthetic fibres are used for many other purposes, except making clothes. Nylon is a very strong fibre. It is used to make parachutes, socks, ropes, toothbrushes, sleeping bags and other drappery accessories.
7. Synthetic fibres are stronger than natural fibres. They absorb lesser amount of water than, the natural fibres. That is why raincoats etc. are made up of the synthetic fibres. They get dry! very soon and need less care and maintenance.
8. Plastics are synthetic materials which are used for many purposes. We can see objects made up of plastics all around us.
9. Plastics are also made up of polymers. Plastics can be moulded, melted and recycled. But all plastics are hot same.
10. Plastics are of two types: Plastics which can be melted, reshaped, bent easily are known as thermoplastics. The plastics which cannot be melted or reshaped are called thermosetting plastics.
11. Thermoplastics are used to make toys, combs, containers, etc. P.V.C. is an example of thermoplastic.
12. Thermosetting plastics are poor conductors of heat and are resistant to electricity. So they are used to make handles of utensils, electric plugs and switches, etc.
13. Plastics are very useful for us in every sphere of life. But they do have their disadvantages too.
Plastics are non-biodegrada,ble, so we cannot get rid of waste plastic easily. It is causing threat to our environment.
14. Environment friendly habbits like Reduce, Reuse, Recycle and Recovery of plastics can help in saving Environment.

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HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions

Haryana State Board HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions

(इन्हें कीजिए – पृष्ठ 163-164)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का मिलान कीजिए (आपके लिए, पहला मिलान किया हुआ है)-
हल:
मिलान निम्न प्रकार है-
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions -1

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions

(पृष्ठ 164-165)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित चित्रों (वस्तुओं) का उनके आकारों से मिलान कीजिए-
हल :
मिलान निम्न प्रकार है-
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions -2

(पृष्ठ 166)

प्रश्न 1.
अपने आस-पास की विभिन्न वस्तुओं को विभिन्न स्थितियों से देखिए। अपने मित्रों के साथ उनके विभिन्न दूश्यों की चर्चा कीजिए।
संकेत- कुछ चात्र ग्रुप बनाकर स्वयं अवलोकन करें।

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions

(पृष्ठ 175)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बहुफलकों के लिए फलकों (faces), किनारों (edges) और शीर्षों (vertices) की संख्याओं को सारणीबद्ध कीजिए-(यहाँ V शीर्षों की संख्या, F फलकों की संख्या तथा E किनारों की संख्या प्रदर्शित करता है।)

ठोसFVEF + vE + 2
घनाभ
त्रिभुजाकार पिरामिड
त्रिभुजाकार प्रिज्म
वर्ग आधार वाला पिरामिड
वर्ग आधार वाला प्रिज्म

आप अन्तिम दो स्तम्भों से क्या निष्कर्ष निकालते हैं? क्या प्रत्येक स्थिति में आप F + V = E + 2, अर्थात् F + V – E = 2 प्राप्त करते हैं? यह सम्बन्ध ऑयलर सूत्र (Euler’s Formula) कहलाता है। वास्तव में यह सूत्र प्रत्येक बहुफलक के लिए सत्य है।
हल:
निम्नलिखित बहुफलकों के लिए फलकों की संख्या (F), किनारों की संख्या (E) तथा शीर्षों की संख्या (V) को सारणीबद्ध करने पर,

ठोसFVEF + vE + 2
घनाभ68121414
त्रिभुजाकार पिरामिड44688
त्रिभुजाकार प्रिज्म5691111
वर्ग आधार वाला पिरामिड5581010
वर्ग आधार वाला प्रिज्म68121414

अन्तिम दो स्तम्भों से प्रत्येक स्थिति में हमें F + V= E + 2, या F + V – E = 2 प्राप्त होता है। इस समीकरण को ऑयलर का सूत्र कहते हैं। तथा यह सूत्र बहुफलक के लिए सत्य है।

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions

(सोचिए, चर्चा कीजिए और लिखिए – पृष्ठ 175)

प्रश्न 1.
यदि किसी ठोस में से कोई टुकड़ा काट दिया जाए, तो F, V और E में क्या परिवर्तन होता है? (प्रारम्भ करने के लिए, एक प्लास्टिसीन का घन लीजिए तथा उसका एक कोना काटकर इसकी खोज कीजिए।)
हल:
माना कि ABCDHEFG एक प्लास्टिसीन का घन है। इसमें से एक टुकड़ा PQR काट लिया जाता है। यहाँ PQR क्रमशः किनारा FG, FE तथा FB पर हैं। दी गई आकृति से,
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 10 ठोस आकारों का चित्रण Intext Questions -3
स्थिति I :
घन ABCDHEFG में,
फलकों की संख्या (F) = 6
शीर्षों की संख्या (V) = 8
किनारों की संख्या (E) = 12
स्पष्टतः F + V = E + 2 = 6 + 8 – 12
= 2
इस प्रकार ऑयलर सूत्र सत्यापित होता है।

स्थिति II :
जब तल PQR घन में से काटकर निकाल दिया ता है, तब
फलकों की संख्या F = 7
शीर्षों की संख्या V = 10
किनारों की संख्या E = 15
स्पष्टतः F + V = E + 2 = 7 + 10 = 15
इस प्रकार, इस स्थिति में भी ऑयलर का सूत्र सत्यापित होता है।

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HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.5

Haryana State Board HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.5

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गुणनफलों में से प्रत्येक को प्राप्त करने के लिए उचित सर्वसमिका का उपयोग कीजिए
(i) (x + 3) (x + 3)
(ii) (2y + 5) (2y + 5)
(iii) (2a – 7) (2a – 7)
(iv) (3a – \(\frac{1}{2}\))(3a – \(\frac{1}{2}\))
(v) (1.1m – 0.4) (1.1m + 0.4)
(vi) (a2 + b2) (-a2 + b2)
(vii) (6x- 7) (6x + 7)
(viii) (-a + c) (-a + c)
(ix) \(\left(\frac{x}{2}+\frac{3 y}{4}\right)\) \(\left(\frac{x}{2}+\frac{3 y}{4}\right)\)
(x) (7a – 9b) (7a – 9b).
हल:
(i) (x + 3) (x + 3)
सर्वसमिका, (a + b)2 = a2 + 2ab + b2
अत: (x + 3) (x + 3) = (x + 3)2
= x2 + 2 × 3 × x +3 × 3
= x2 + 6x + 9.

(ii) (2y + 5) (2y + 5)
= (2y + 5)2
= (2y)2 + 2 × 2y × 5 + (5)2
= 4y2 + 20y + 25.

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(iii) (2a – 7) (2a – 7)
= (2a – 7)2
सर्वसमिका, (a – b)2 = a2 – 2ab + b2
= (2a)2 – 2 × 2a × 7 + (7)2
= 4a2 – 28a+ 49.
अत: (2a – 7) (2a – 7) = 4a2 – 28a+ 49.

(iv) (3a – \(\frac{1}{2}\))(3a – \(\frac{1}{2}\))
= \(\left(3 a-\frac{1}{2}\right)^{2}\)
= (3a)2 – 2 × 3a × \(\frac{1}{2}\) + (\(\frac{1}{2}\))2
= 9a2 – 3a + \(\frac{1}{4}\)
अत: (3a – \(\frac{1}{2}\))(3a – \(\frac{1}{2}\)) = 9a2 – 3a + \(\frac{1}{4}\)

(v) (1.1m -0.4) (1.1m + 0.4)
सर्वसमिका, (a + b) (a – b) = a2 – b2 से-
= (1.1m)2 – (0.4)2
= 1.21m2 – 0.16.

(vi) (a2 + b2) (-a2 + b2)
= (a2 + b2) (b2 – a2)
= (b2 + a2) (b2 – a2)
= (b2)2 – (a2)2 – b4 – a4.

(vii) (6x – 7) (6x + 7)
= (6x)2 – (7)2
= 36x2 – 49.

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(viii) (-a + c) (-a + c)
= (c -a) (c- a)
= (c – a)2
= (c)2 – 2ac + (a)2
= c2 – 2ac + a2

(ix)
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.5 -1

(x) (7a – 9b) (7a – 9b)
= (7a – 9b)2
= (7a)2 – 2 x 7a x 9b + (9b)2
= 49a2 – 126ab + 81b2.

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गुणनफलों को ज्ञात करने के लिए, सर्वसमिका (x + a) (x + b) = x2 + (a + b) x + ab का उपयोग कीजिए-
(i) (x + 3) (x + 7)
(ii) (4x + 5) (4x + 1)
(iii) (4x – 5)(4x – 1)
(iv) (4x + 5)(4x – 1)
(v) (2x + 5y) (2x + 3y)
(vi) (2a2 + 9) (2a2 + 5)
(vii) (xyz – 4) (xyz – 2).
हल:
(i) (x + 3) (x + 7)
= x2 + (3 + 7)x + 3 × 7
= x2 + 10x + 21.

(iii) (4x + 5) (4x + 1)
= (4x)2 + (5 + 1)4x + 5 × 1
= 16x2 + 6 × 4x + 5.
= 16x2 + 24x + 5.

(iii) (4x – 5) (4x – 1)
सर्वसमिका, (x – a) (x – b) = x2 – (a + b) x + ab
= (4x)2 – (5 + 1)4x + (-5) × (- 1)
= 16x2 – 6 × 4x + 5.
= 16x2 – 24x + 5.

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(iv) (4x + 5) (4x – 1)
सर्वसमिका, (x + a) (x + b) = x2 + (a + b) x + ab से-
(4x + 5) (4x – 1) = (4x)2 + (5 – 1) 4x – 5 × (+1)
= 16x2 + 4 × 4x – 5.
= 16x2 + 16x – 5.

(v) (2x + 5y) (2x + 3y)
= (2x)2 + (5y + 3y)x + 5y × 3y
= 4x2 + 8y × 2x + 15y2
= 4x2 + 8xy + 15y2.

(vi) (2a2 + 9) (2a2 + 5)
= (2a2)2 + (9 + 5)2a2 + 9 × 5
= 4a4 + 14 × 2a2 + 45.
= 4a4 + 28a2 + 45.

(vii) (xyz – 4) (xyz – 2)
= (xyz)2 – (4 + 2) xyz + 4 × 2
= x2y2z2 – 6xyz + 8.

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प्रश्न 3.
सर्वसमिका का उपयोग करते हुए निम्नलिखित वर्गों को ज्ञात कीजिए
(i) (b – 7)2
(ii) (xy + 3z)2
(iii) (6x2 – 5y)2
(iv) (\(\left(\frac{2}{3}m+\frac{3}{2}\right)\))2
(v) (0.4p – 0.5q)2
(vi) (2xy + 5y)2
हल:
(i) (b – 7)2
= b2 – 2b × 7 + 72
= b2 – 14 b + 49.

(ii) (xy + 3z)2
= (xy)2 + 2 × xy × 3z + (3z)2
= x2y2 + 6xyz2 + 9z2.

(iii) (6x2 – 5y)2
= (6x2)2 – 2 × 6x2 × 5y + (5y)2
= 36x4 – 60x2y + 25y2.

(iv) (\(\left(\frac{2}{3}+\frac{3}{2}\right)\))2
= (\(\frac{2}{3}\)m)2 + 2 × \(\frac{2}{3}\)m × \(\frac{1}{5}\)n + (\(\frac{3}{2}\)n)2
= \(\frac{4}{9}\)m2 + 2mn + \(\frac{9}{4}\)n2

(v) (0.4p – 0.5q)2
= (0.4p)2 – 2 × 0.4p × 0.5q + (0.5q)2
= 0.16p2 – 0.4pq + 0.25q2.

(vi) (2xy + 5y)2
= (2xy)2 + 2 × 2xy × 5y + (5y)2
= 4x2y2 + 20xy2 + 25y2.

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प्रश्न 4.
सरल कीजिए-
(i) (a2 – b2)2
(ii) (2x + 5)2 – (2x – 5)2
(iii) (7m – 8n)2 + (7m + 8n)2
(iv) (4m + 5n)2 + (5m + 4n)2
(v) (2.5p – 1.5q)2 – (1.5p – 2.5q)2
(vi) (ab + bc)2 – 2ab2c
(vii) (m2 – n2m)2 + 2m3n2.
हल:
(i) (a2 – b2)2
= (a2)2 – 2 × a2 × b2 + (b2)2
(सर्वसमिका, (a – b)2 = a2 – 2ab + b2)
= a4 – 2a2b2 + b4.

(ii) (2x + 5)2 – (2x – 5)2
= [(2x)2 + 2 × 2x × 5 + (5)2] – [(2x)2 – 2 × 2x × 5 + (5)2]
= (4x2 + 20x + 25) – (4x2 – 20x + 25)
= 4x2 + 20x + 25 – 4x2 + 20x – 25
= 40x

(iii) (7m – 8n)2 + (7m + 8n)2
= [(7m)2 – 2 × 7m × 8n + (8n)2] – [(7m)2 + 2 × 7m × 8n + (8n)2]
= 49m2 – 112mn + 64n2 + 49m2 + 112mn + 64n2
= 98m2 + 128n2

(iv) (4m + 5n)2 + (5m + 4n)2
= (4m)2 + 2 × 4m × 5n + (5n)2 + (5m)2 + 2 × 5m × 4n + (4n)2
⇒ 16m2 + 40mn + 25n2 + 25m2 + 40mn + 16n2
⇒ 41m2 + 80mn + 41n2

(v) (2.5p – 1.5q)2 – (1.5p – 2.5q)2
सर्वसमिका, (a – b)2 = a2 – 2ab + b2से-
= [(2.5p)2 – 2 × 2.5p × 1.5q + (1.5q)2] – [(1.5p)2 – 2 × 1.5p × 2.5q + (2.5q)2]
= 6.25p2 – 0.75pq + 2.25q2 – [2.25p2 – 0.75pq + 6.25q2]
= 6.25p2 – 0.75pq + 2.25q2 – 2.25p2 + 0.75pq – 6.25q2
= 4p2 – 4q2

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(vi) (ab + bc)2 – 2ab2c
= (ab)2 + 2 × ab × bc + (bc)2 – 2ab2c
= a2b2 + 2ab2c + b2c2 – 2ab2c
= a2b2 + b2c2.

(vii) (m2 – n2m)2 + 2m3n2
= (m2)2 – 2 × m2 × n2m + (n2m)2 + 2m3n2
= m4 – 2m3n2 + m2n4 + 2m3n2
= m4 + m2n4.

प्रश्न 5.
दराईए कि-
(i) (3x + 7)2 – 84x = (3x – 7)2
(ii) (9p – 5q)2 + 180pq = (9p + 5q)2
(iii) \(\left(\frac{4}{3} m-\frac{3}{4} n\right)\)2 + 2mn = \(\frac{16}{9}\)m2 + \(\frac{9}{16}\)n2
(iv) (4pq + 3q)2 – (4pq – 3q)2 = 48pq2
(v) (a – b) (a + b) + (b – c) (b + c) + (c – a) (c + a) = 0.
हल:
(i) (3x + 7)2 – 84= (3x – 7)2
L.H.S. = (3x + 7)2 – 84
= (3x)2 + 2 × 3x × 7 + (7)2 – 84x
= 9x2 + 42x + 49 – 84x
= 9x2 – 42x + 49
= (3x)2 – 2 × 3x × 7 + (7)2
= (3x – 7)2
= R.H.S.

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(ii) (9p – 5q)2 + 180pg = (9q + 5q)2
L.H.S. = (9p – 5q)2 + 180pg
= [(9p)2 + 2 × 9p × 5q + (5q)2] + 180pg
= 81p2 – 90pq + 25q2 + 180pq
= 81p2 + 90pq + 25q2
= (9p)2 + 2 × 9p × 5q + (5q)2
= (9p + 5q)2
= R.H.S.

(iii)
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(iv) (4pq + 3q)2 – (4pq – 3q)2 = 48pq2
L.H.S. = (4pq + 3q)2 – (4pq – 3q)2
= [(4pq)2 + 2 × 4pq × 3q + (3q)2] – [(4pq)2 + 2 × 4pq × 3q + (3q)2]
= (16p2q2 + 24pq2 + 9q2) – (16p2q2 – 24pq2 + 9q2)
= (16p2q2 + 24pq2 + 9q2) – 16p2q2 + 24pq2 – 9q2)
= 48pq2
= R.H.S.

(v) (a – b) (a + b) + (b – c) (b + c) + (c – a) (c + a) = 0.
L.H.S. = (a – b) (a + b) + (b – c) (b + c) + (c – a) (c + a)
= a2 – b2 + b2 – c2 + c2 – a2
= 0
= R.H.S.

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प्रश्न 6.
सर्वसमिकाओं के उपयोग से निम्नलिखित मान ज्ञात कीजिए-
(i) (71)2
(ii) (99)2
(iii) (102)2
(iv) (998)2
(v) (5.2)2
(vi) 297 × 303
(vii) 78 × 82
(viii) (8.9)2
(ix) 10.5 × 9.5
हल:
(i) (71)2
= (70 + 1)2
= (70)2 + 2 × 70 × 1 + (1)2
= 4900 + 140 + 1
⇒ 5041.

(ii) (99)2
= (100 – 1)2
= (100)2 – 2 × 100 × 1 + (1)2
= 10000 – 200 + 1
= 9801

(iii) (102)2
= (100 + 2)2
= (100)2 + 2 × 100 × 2 + (2)2
= 10000 + 400 + 4
= 10404.

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(iv) (998)2
= (1000 – 2)2
= (1000)2 – 2 × 1000 × 2 + (2)2
= 1000000 – 4000 + 4
= 996004.

(v) (5.2)2
= (5 + 0.2)2
= (5)2 + 2 × 5 × 0.2 + (0.2)2
= 25 + 2.0 + 0.04
= 27 + 0.04
= 27.04.

(vi) 297 × 303
= (300 – 3) (300 + 3)
= (300)2 – (3)2
= 90000 – 9
= 89991

(vii) 78 × 82
= (80 – 2) (80 + 2)
= (80)2 – (2)2
= 6400 – 4
= 6396.

(viii) (8.9)2
= (9 – 0.1)2
= (9)2 – 2 × 9 × 0.1 + (0.1)2
= 81 – 1.8 + 0.01
= 81.01 – 1.8
= 79.21.

(ix) (10.5) × (9.5)
= (10 + 0.5) (10 – 0.5)
= (10)2 – (0.5)2
= 100 – 0.25
= 99.75.

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प्रश्न 7.
a2 – b2 = (a + b) (a – b) का उपयोग करते हुए निम्नलिखित मान ज्ञात कीजिए-
(i) (51)2 – (49)2
(ii) (1.02)2 – (0.98)2
(iii) (153)2 – (147)2
(iv) (12.1)2 – (7.9)2
हल:
(i) (51)2 – (49)2
= (51 + 49) (51 – 49)
= 100 × 2 ⇒ 200.

(ii) (1.02)2 – (0.98)2
= (1.02 + 0.98) (1.02 – 0.98)
= 2.00 × 0.04 ⇒ 0.08.

(iii) (153)2 – (147)2
= (153 + 147) (153 – 147)
= 200 × 6 ⇒ 1200.

(iv) (12.1)2 – (7.9)2
= (12.1 + 7.9) (12.1 – 7.9)
= 20.0 × 4.2 = 84.0 ⇒ 84.

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प्रश्न 8.
(x + a) (x + b) = x2 + (a + b)x + ab का उपयोग करते हुए निम्नलिखित मान ज्ञात कीजिए
(i) 103 × 104
(ii) 5.1 × 5.2
(iii) 103 × 98
(iv) 9.7 × 9.8.
हल:
(i) 103 × 104
= (100 + 3) (100 + 4)
= (100)2 + (3 + 4) × 100 + 3 × 4
= 10000 + 700 + 12
= 10712.

(ii) 5.1 × 5.2
= (5 + 0.1) (5 + 0.2)
= 52 + (0.1 + 0.2) × 5 + (0.1 × 0.2)
= 25 + 0.02 × 5 + 0.02
= 25 + 0.10 + 0.02
= 25.12.

(iii) 103 × 98
= (100 + 3) (100 – 2)
= (100)2 + (3 – 2) × 100 + 3 × (-2)
= 10000 + 100 – 6
= 10094.

(iv) 9.7 × 9.8
= (9 + 0.7)(9 + 0.8)
= (9)2 + (0.7 + 0.8)(9) + (0.7)(0.8)
= 81+ 13.5 + 0.56
= 95.06

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HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अलंकार-प्रकरणम्

Haryana State Board HBSE 12th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Alankaar Prakaranam Sahitya Itihas अलंकार-प्रकरणम् Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अलंकार-प्रकरणम्

अलंकरोति इति अलङ्कारः-अलङ्कार वह है जो अलंकृत करता है, सजाता है। लोक में जिस प्रकार आभूषण आदि शारीरिक शोभा की वृद्धि में सहायक होते हैं, उसी प्रकार काव्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक आदि अलङ्कार काव्य की चारुता में अभिवृद्धि करते हैं। मुख्य रूप से अलङ्कार दो प्रकार के होते हैं|
(i) शब्दालङ्कार
(ii) अर्थालङ्कार
शब्द और अर्थ को काव्य का शरीर माना गया है। काव्य-शरीर का अलङ्करण भी शब्द एवं अर्थ दोनों ही रूपों में होता है। जो अलङ्कार केवल शब्द द्वारा काव्य के सौन्दर्य में अभिवृद्धि करते हैं, वे शब्द पर आश्रित रहने के कारण शब्दालङ्कार कहे जाते हैं, जैसे-अनुप्रास, यमक आदि।

जो अलङ्कार अर्थ द्वारा काव्य के सौन्दर्य में अभिवृद्धि करते हैं, वे अर्थ पर आश्रित होने के कारण अर्थालङ्कार कहे जाते हैं, जैसे-उपमा, रूपक आदि।
कुछ अलङ्कार ऐसे भी होते हैं, जो शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर काव्य की शोभा बढ़ाते हैं, वे उभयालङ्कार कहे जाते हैं, जैसे-श्लेष।

1. अनुप्रासः अलङ्कारः
अनुप्रासः शब्दसाम्यं वैषम्येऽपि स्वरस्य यत्। -साहित्यदर्पण
स्वर की विषमता होने पर भी शब्दसाम्य (वर्ण या वर्णसमूह की आवृत्ति) को अनुप्रास अलङ्कार कहते हैं। अधोलिखित श्लोक में अनुप्रास अलङ्कार है
वहन्ति वर्षन्ति नदन्ति भान्ति,
ध्यायन्ति नृत्यन्ति समाश्वसन्ति।
नद्यो घना मत्तगजा वनान्ताः
प्रियाविहीनाः शिखिन: प्लवङ्गाः॥
-इस उदाहरण में व्, न्, त् तथा य् वर्णों की बार-बार आवृत्ति अलग-अलग स्वरों के साथ हुई है। जिससे कविता का सौन्दर्य बढ़ गया है, अतः इस श्लोक में अनुप्रास अलङ्कार है।
अन्य उदाहरण
हंसो यथा राजतपञ्जरस्थः
सिंहो यथा मन्दरकन्दरस्थः।
वीरो यथा गर्वित कुञ्जरस्थः
चन्द्रोपि बभ्राज तथाम्बरस्थः॥

यहाँ-थ, न्द, र-वर्णों की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।
अन्य उदाहरण
ललित-लवङ्ग-लता-परिशीलन-कोमल-मलय-समीरे।
मधुकर-निकर-करम्बित-कोकिल-कूजित-कुञ्ज-कुटीरे॥
यहाँ-ल, क, र आदि अक्षरों की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अलंकार-प्रकरणम्

2. यमक-अलङ्कारः
सत्यर्थे पृथगायाः स्वरव्यञ्जनसंहतेः।
क्रमेण तेनैवावृत्तिर्यमकं विनिगद्यते॥ -साहित्यदर्पण 10.8
जब वर्णसमूह की उसी क्रम से पुनरावृत्ति की जाए, किन्तु आवृत्त वर्ण-समुदाय या तो भिन्नार्थक हो अथवा अंशतः या पूर्णतः निरर्थक हो, तो यमक अलङ्कार कहलाता है। उदाहरण- ।
प्रकृत्या हिमकोशाधो दूर-सूर्यश्च साम्प्रतम्।
यथार्थनामा सुव्यक्तं हिमवान् हिमवान् गिरिः।।
इस श्लोक में ‘हिमवान्’ शब्द की आवृत्ति हुई है और दोनों पद भिन्नार्थक हैं। अतः यहाँ पर प्रयुक्त अलङ्कार यमक है, जो श्लोक के सौन्दर्य की अभिवृद्धि में सहायक है। अन्य उदाहरण
नवपलाशपलाश वनं पुरः
स्फुट-पराग-परागत-पङ्कजम्।
मृदुलतान्त-लतान्तमलोकयत्
सः सुरभिं सुरभिं सुमनोभरैः॥
-यहाँ पलाश – पलाश तथा सुरभिं -सुरभिं दोनों पद सार्थक हैं और भिन्नार्थक हैं। पराग -पराग में दूसरा पद निरर्थक है, क्योंकि इसमें गत शब्द क ‘ग’ मिलाया गया है। लतान्त-लतान्त में पहला निरर्थक है तथा दूसरा सार्थक है; क्योंकि इसमें मृदुलता का ‘लता’ जोड़ लिया गया है। अत: यहाँ यमक अलंकार है।

अन्य उदाहरण
नगजा नगजा दयिता दयिता विगतं विगतं ललितं ललितम्।
प्रमदा प्रमदा महता महता मरणं मरणं समयात् समयात्॥
‘न गजा’ और ‘नगजा’ से अर्थ भिन्न हो जाता है। अतः यहाँ यमक अलंकार है।
अर्थालंकार

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अलंकार-प्रकरणम्

3. उपमा
दो वस्तुओं में भेद रहने पर भी, जब उनकी समानता (साधर्म्य) बताई जाए तब वह उपमा अलंकार होता है। जैसे-कमलमिव मुखं मनोज्ञम् ।
संस्कृत में लक्षण-
उपमा यत्र सादृश्यं लक्ष्मीरुल्लसति द्वयोः । अथवा
साम्यं वाच्यवैधर्म्य वाक्यैक्यमुपमा द्वयोः।
उदाहरण
कमलमिव मुखं मनोज्ञमेतत्।
यहाँ मुख की उपमा कमल से दी गई है।
उपमा अलङ्कार में चार उपादान होते हैं
1. उपमान (जिससे उपमा दी जाय), जैसे-कमलम्
2. उपमेय (जिसकी उपमा दी जाय), जैसे-मुखम्
3. समान धर्म जैसे मनोज्ञं (मनोज्ञता, सुन्दरत)
4. उपमानवाची शब्द जैसे इव (यथा, वत्, तुल्य, सम आदि)
जहाँ इन चारों का स्पष्ट उल्लेख हो वह पूर्णोपमा कहलाती है, जैसे उपर्युक्त उदाहरण में। जहाँ इनमें से कुछ लुप्त रहते हैं वह लुप्तोपमा कहलाती है। उपमा के भेद प्रभेद अनेक हैं।

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4. रूपकम्
संस्कृत में लक्षण
तद्रूपकमभेदो यः उपमानोपमेपयोः।
अत्यधिक समानता (सादृश्य) के कारण, जहाँ उपमेय को उपमान का रूप दे दिया जाए, अथवा उपमेय पर उपमान का आरोप कर दिया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है। जैसे-मुखं चन्द्रः । यहाँ मुख (उपमेय) पर चन्द्र (उपमान) का आरोप किया गया है अर्थात् दोनों को एक ही माना गया है। जैसे-तस्याः मुखं चन्द्र एव। उदाहरण
त्वयैव मातस्सुतशोकसागरः। यहाँ सुतशोक (उपमेय) और सागर (उपमान) में समानता है, इसलिए सुतशोक में सागर का आरोप हुआ है।

5. उत्प्रेक्षा
भवेत् सम्भावनोत्प्रेक्षा प्रकृतस्य परात्मना।
पर (उपमान) के द्वारा प्रकृत (उपमेय) की सम्भावना ही उत्प्रेक्षा अलङ्कार है।
उदाहरणम्
लिम्पतीव तमोऽङ्गानि वर्षतीवाञ्जनं नभः।
असत्पुरुषसेवेव दृष्टिविफलतां गता ।।
यहाँ अन्धकार का फैलना रूप उपमेय की लेपन आदि उपमान के रूप में सम्भावना की गई है। अतएव उत्प्रेक्षा अलंकार है।

उत्प्रेक्षावाचक शब्द हैं-मन्ये, शङ्के, ध्रुवम्, प्रायः, नूनम, इव आदि। इनमें इव का प्रयोग उपमा में भी होता है। अन्तर यह है कि इव शब्द जब उत्प्रेक्षा का वाचक होता है तब क्रिया के साथ प्रयुक्त होता है और जब उपमा का वाचक होता है तब संज्ञा के साथ।

मन्ये शङ्के ध्रुवं प्रायो नूनमित्येवमादयः।
उत्प्रेक्षा व्यज्यते शब्दैरिवशब्दोऽपि तादृशः।।

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6. श्लेषः अलङ्कारः
श्लिष्टैः पदैरनेकार्थाभिधाने श्लेष इष्यते।
श्लिष्ट पदों के द्वारा अनेक अर्थों की अभिव्यक्ति होने पर श्लेष अलङ्कार कहा जाता है।
उदाहरणम्
उच्चरद्भरि कीलालः शुशुभे वाहिनीपतिः।
जिसके शरीर से अधिक मात्रा में रक्त निकल रहा है, वह सेनापति शोभित हुआ। द्वितीय पक्ष में जिससे अधिक मात्रा में जल उछलता है, वह समुद्र शोभित हुआ। यहाँ कीलाल तथा वाहिनीपति शब्दों के दो-दो अर्थ होने के कारण श्लेष अलङ्कार है। (कीलाल = रुधिर/जल; वाहिनीपति = सेनापति/समुद्र)।

अन्य उदाहरण
प्रतिकूलतामुपगते हि विधौ विफलत्वमेति बहुसाधनता।
अवलम्बनाय दिनभर्तुरभून्न पतिष्यतः करसहस्त्रमपि॥
पहला अर्थ-विधु (=चन्द्रमा) के प्रतिकूल होने पर सभी साधन विफल हो जाते हैं। गिरने (=अस्त होने) के समय सूर्य के हजार कर (=किरण ) भी सहारा देने के लिए पर्याप्त नहीं होते। (पूर्णिमा के दिन सूर्य के अस्त होने के समय चन्द्रमा सूर्य की विपरीत दिशा = पूर्व दिशा में उदित हुआ करता है।)

दूसरा अर्थ- विधि (=भाग्य) के प्रतिकूल होने पर सभी साधन विफल हो जाते हैं। गिरने (विपत्ति आने) के समय सूर्य के समान तेजस्वी मनुष्य के हजार हाथ भी सहारा देने के लिए पर्याप्त नहीं होते।

इस उदाहरण में ‘विधौ’ पद में श्लेष है। ‘विधि’ (=भाग्य) तथा ‘विधु’ (=चन्द्रमा) -इन दोनों शब्दों का सप्तमी विभक्ति एकवचन में ‘विधौ’ रूप बनता है; जिसके कारण एक ही श्लोक के दो अलग-अलग अर्थ हो गए। इसीलिए यहाँ श्लेष अलंकार है। __ श्लेष अर्थालंकार भी होता है। जब शब्द के परिवर्तन कर देने पर भी श्लेष बना रहता है तब वह श्लेष अर्थालंकार होता है; जैसे

स्तोकेनोन्नतिमायाति स्तोकेनायात्यधोगतिम्।
अहो सुसदृशी वृत्तिस्तुलाकोटेः खलस्य च॥

यहाँ ‘उन्नति’ शब्द का अर्थ है- ‘ऊपर उठना’ और ‘अभ्युदय’। ‘अधोगति’ शब्द का अर्थ है- ‘नीचे जाना’ और ‘अपकर्ष’। अतएव इन पदों में श्लेष है, इनके पर्यायवाची शब्द रख देने पर भी यहाँ श्लेष बना रहता है। अतएव यह श्लेष अर्थालंकार का उदाहरण है।

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7. अर्थान्तरन्यासः
संस्कृत में लक्षण
सामान्यं वा विशेषो वा यदन्येन समर्थ्यते।
यत्र सोऽर्थान्तरन्यासः विशेषस्तेन वा यदि॥

मुख्य अर्थ के समर्थन करने वाले दूसरे वाक्यार्थ (अर्थान्तर) का प्रतिपादन (न्यास) अर्थान्तरन्यास अलंकार कहलाता है। इसमें सामान्य कथन के द्वारा विशेष (प्रस्तुत) वस्तु का अथवा विशेष के द्वारा सामान्य वस्तु का समर्थन होता है ; जैसे-दुष्करं किं महात्मनाम्।
उदाहरण
हनूमानब्धिमतरद् दुष्करं किं महात्मनाम्। यहाँ हनूमानब्धिमतरत् (हनुमान जी ने समुद्र पार किया) मुख्य वाक्य है। इसका समर्थन अगले वाक्य द्वारा किया गया है। अतः यहाँ अर्थान्तरन्यास अलङ्कार है। अन्य उदाहरण

पयः पानं भुजंगानां केवलं विषवर्धनम्।
उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये॥

8. अतिशयोक्तिः
संस्कृत में लक्षण
सिद्धेऽध्यवसायत्वेऽतिशयोक्तिर्निगद्यते।
अध्यवसाय के सिद्ध होने पर अतिशयोक्ति अंलकार होता है। अध्यवसाय का अर्थ है- उपमेय के निगरण (विलोप) के साथ उपमान के अभेद का आरोप। जैसे–चन्द्र शोभते कहने पर अर्थ लिया जाता है-मुखं शोभते। परन्तु यहाँ प्रथम प्रयोग में उपमेय भूत ‘मुख’ का निगरण पूर्वक उपमान (चन्द्र) में उसके अभेद का आरोप हुआ है। इसी प्रकार = ‘इहापि मुखं द्वितीयश्चन्द्रः’ यहाँ मुख को दूसरा चन्द्रमा कहना अतिशयोक्ति है।
उदाहरण
पुष्पं प्रवालोपहितं यदि स्यात्
मुक्ताफलं वा स्फुट विद्रुमस्थम्।
ततोऽनुकुर्याद् विशदस्य तस्या।
स्ताग्रौष्ठपर्यस्तरुचः स्मितस्य॥

यहाँ शब्द के प्रवाल के साथ पुष्प की और विद्रुम के साथ मोती की असम्भाव्य सम्बन्ध की कल्पना की गई है। इसलिए यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

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9. व्याजस्तुतिः
संस्कृत में लक्षण
व्याजस्तुतिर्मुखे निन्दा स्तुतिर्वा रूढिरन्यथा -काव्यप्रकाशः 112/168
प्रारंभ में निंदा अथवा स्तुति मालूम होती हो, परंतु उससे भिन्न (अर्थात् दीखने वाली निंदा का स्तुति में अथवा स्तुति का निंदा में) पर्यवसान होने पर व्याजस्तुति अलङ्कार होता है।
उदाहरण
व्याजस्तुतिस्तव पयोद !
मयोदितेयं यज्जीवनाय जगतस्तव जीवनानि
स्तोत्रं तु ते महदिदं घन ! धर्मराज !
साहाय्यमर्जयसि यत्पथिकान्निहत्य॥

10. अन्योक्तिः अलङ्कारः
असमानविशेषणमपि यत्र समानेतिवृत्तमुपमेयम्।
उक्तेन गम्यते परमुपमानेनेति साऽन्योक्तिः। – काव्यालङ्कारः

जहाँ कथित उपमान द्वारा ऐसे उपमेय की प्रतीति हो जो उपमान के विशेषणों के असमान होता हुआ भी समान इतिवृत्त वाला हो, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। अन्योक्ति अलंकार का ही दूसरा नाम अप्रस्तुतप्रशंसा अलंकार है।
उदाहरण
तावत् कोकिल विरसान् यापय
दिवसान् वनान्तरे निवसन्।
यावन्मिलदलिमालः
कोऽपि रसालः समुल्लसति॥ (रसगङ्गाधरः)

अर्थ-हे कोयल ! वन में रहते हुए अपने बुरे समय को तब तक किसी प्रकार बिता लो, जब तक कि कोई बौर (मंजरी) से लदा हुआ भौरों से सुशोभित आम का वृक्ष तुम्हें नहीं मिल जाता।

यहाँ कोयल उपमान है और कोई सज्जन उपमेय है। यद्यपि कोयल और सज्जन के विशेषणों में असमानता है। अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।

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HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम्

Haryana State Board HBSE 12th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Chand Prakaranam Sahitya Itihas छन्द प्रकरणम् Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम्

1. छन्दपरिचयः
छन्द श्लोक लिखते समय वर्णों की एक निश्चित व्यवस्था रखनी पड़ती है। यह व्यवस्था छन्द या वृत्त कहलाती है। वृत्त के भेद
प्रायः प्रत्येक श्लोक के चार भाग होते हैं, जो पाद या चरण कहलाते हैं। जिस वृत्त के चारों चरणों में बराबर अक्षर हो, वे समवृत्त कहलाते हैं। जिसके प्रथम और तृतीय तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण अक्षरों की दृष्टि से समान हों, वे अर्धसमवृत्त हैं। जिसके चारों चरणों में अक्षरों की संख्या समान न हो, वे विषमवृत्त कहे जाते हैं।

गुरु-लघु व्यवस्था
छन्द की व्यवस्था वर्णों पर आधारित रहती है-मुख्यतः स्वर वर्ण पर। ये वर्ण छन्द की दृष्टि से दो प्रकार के होते हैं-लघु एवं गुरु । सामान्यतः ह्रस्व स्वर लघु होता है और दीर्घ स्वर गुरु किंतु कुछ परिस्थितियों में ह्रस्व स्वर लघु न होकर गुरु माना जाता है।

छन्द में गुरु-लघु व्यवस्था का नियम इस प्रकार है
अनुस्वारयुक्त, दीर्घ, विसर्गयुक्त तथा संयुक्त वर्ण के पूर्व वाले वर्ण गुरु होते हैं। शेष सभी वर्ण लघु होते हैं। छंद के किसी पाद का अंतिम वर्ण लघु होने पर भी आवश्यकतानुसार गुरु मान लिया जाता है

सानुस्वारश्च दीर्घश्च विसर्गी च गुरुर्भवेत्।
वर्णः संयोगपूर्वश्च तथा पादान्तगोऽपि वा। -~छन्दोमञ्जरी 1.11

गुरु एवं लघु के लिए अधोलिखित चिह्न प्रयुक्त होते हैं
गुरु – 5
लघु – ।
लघु वर्ण अधोलिखित चार दशाओं में गुरु वर्ण मान लिया जाता है
s | s

1. अनुस्वार युक्त लघु वर्ण भी गुरु हो जाता है; जैसे- अंशतः ।
यहाँ ‘अ’ लघु होते हुए भी अनुस्वार युक्त ‘अं’ होने के कारण गुरु हो गया है।
s | s

2. विसर्ग युक्त लघु वर्ण भी गुरु हो जाता है; जैसे- अंशतः ।
यहाँ ‘त’ लघु होते हुए भी विसर्ग युक्त ‘तः’ होने के कारण गुरु हो गया है।
s s

3. संयुक्त वर्ण के पूर्व वाला वर्ण भी गुरु हो जाता है; जैसे- रक्तः ।
यहाँ ‘र’ लघु होते हुए भी संयोगपूर्व वाला ‘रक’ होने के कारण गुरु हो गया है।
| s | s s | | s | s s

4. छन्द के पादान्त में लघु वर्ण भी गुरु हो जाता है; जैसे- त्वमेव माता च पिता त्वमेव।
यहाँ पादान्त में ‘व’ लघु होते हुए भी छन्द की आवश्यकतानुसार गुरु हो गया है।
गण-व्यवस्था
तीन वर्षों का एक गण माना जाता है। गुरु-लघु के क्रम से गण आठ प्रकार के होते हैं
भ – गण s । ।
य – गण । s s
म – गण s s s
ज – गण । s ।
र – गण s । s
न – गण । । ।
स – गण । । s
त – गण s s |
भगण (s।।) आदि गुरु,
जगण (। s ।) मध्य गुरु तथा सगण (।। s ) अन्त गुरु होते हैं। यगण (। s s) आदि लघु,
रगण (s । s) मध्य लघु और तगण (s s |) अन्त लघु होते हैं।
मगण (s s s) में सभी वर्ण गुरु और नगण ( | | ) में सभी वर्ण लघु होते हैं।
आदिमध्यावसानेषु भजसा यान्ति गौरवम्।
यरता लाघवं यान्ति मनौ तु गुरुलाघवम्॥ -छन्दोमजरी
इन गणों को सरलता से याद रखने के लिए नीचे दिया गया गणसूत्र याद कर लेना चाहिए
| s s s | s | | | s
यमाताराजभानसलगा
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HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम्

(क) वैदिक छन्द
वैदिक मन्त्रों में गेयता का समावेश करने के लिए जिन छन्दों का प्रयोग हुआ है; उनमें गायत्री, अनुष्टुप् और त्रिष्टुप् छन्द प्रमुख हैं।

1. गायत्री (आठ अक्षरों के तीन पादों वाला समवृत्त)
जिस छन्द में तीन चरण हों और प्रत्येक चरण में आठ अक्षर हों तथा जिनमें पाँचवाँ अक्षर लघु और छठा अक्षर गुरु हो, वह गायत्री छन्द कहलाता है। अधोलिखित मन्त्र में गायत्री छन्द है

पावका नः सरस्वती,
वाजेभिर्वाजिनीवती।
यज्ञं वष्टु धिया वसुः॥

2. अनुष्टुप् (आठ अक्षरों वाला समवृत्त)
जिस छंद में चार चरण हों और प्रत्येक चरण में आठ अक्षर हों, जिनमें पाँचवाँ अक्षर लघु तथा छठा अक्षर गुरु हो, सातवाँ अक्षर जिसके पहले और तीसरे चरण में गुरु हो, किन्तु दूसरे और चौथे चरण में लघु हो, वह अनुप् छन्द कहलाता है।
उदाहरण
त्र्यम्बकं यजामहे
सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्
मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
छन्द की पूर्ति के लिए त्र्यम्बकं’ को ‘त्रियम्बकं’ पढ़ते हैं।

3. त्रिष्टुप् (ग्यारह अक्षरों वाला समवृत्त)
जिस छन्द में चार चरण हों और प्रत्येक चरण में ग्यारह अक्षर हों, वह त्रिष्टुप् छन्द कहलाता है।
प्रस्तुत पुस्तक के प्रथम पाठ का निम्नलिखित मन्त्र त्रिष्टुप् छन्द में है
द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया,
समानं वृक्षं परिषस्वजाते।
तयोरन्यः पिप्पलं स्वाद्वत्ति,
अनश्नन्नन्यो अभिचाकशीति॥ -श्वेत०, उ० 2.4.6 तथा मुण्डक० ३.1.1
यथा नद्यः स्यन्दमानाः समुद्रे
ऽस्तं गच्छन्ति नामरूपे विहाय।
तथा विद्वान् नामरूपाद् विमुक्तः
परात्परं पुरुषमुपैति दिव्यम्॥ -मुण्डक० 3.2.8
वैदिक-छन्दों को अधोलिखित तालिका द्वारा सरलता से समझा जा सकता है
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HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम्

(ख) लौकिक छन्द
प्रस्तुत पुस्तक के अनेक पाठों में अनेक लौकिक छन्दों का संकलन है। अतः संकलित छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण प्रस्तुत है

1. अनुष्टुप्
(आठ अक्षरों वाला समवृत्त)
संस्कृत में लक्षण एवं उदाहरण
श्लोके षष्ठं गुरु ज्ञेयं सर्वत्र लघु पञ्चमम्।
द्विचतुष्पादयोह्रस्वं सप्तमं दीर्घमन्ययोः॥ -श्रुतबोध 10
अनुष्टुप् छन्द के चारों चरणों का पाँचवाँ वर्ण लघु, छठा वर्ण गुरु तथा प्रथम एवं तृतीय चरण का सातवाँ वर्ण गुरु और द्वितीय एवं चतुर्थ चरण का सातवाँ वर्ण लघु होता है।
प्रस्तुत पुस्तक का द्वितीय पाठ अनुष्टुप् छन्द में है
(i) यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
(ii) ययातेरिव शर्मिष्ठा भर्तुर्बहुमता भव।
सुतं त्वमपि सम्राजं सेव पुरूमवाप्नुहि ॥

2. इन्द्रवज्रा
(त त ज ग ग)
(ग्यारहवर्णों वाला समवृत्त)
संस्कृत में लक्षण एवं उदाहरण
स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः। -वृत्तरत्नाकर, 3/30
जिस छन्द के प्रत्येक पाद में दो तगण, एक जगण और दो गुरु वर्ण क्रम से हों, वह इन्द्रवज्रा छंद होता है ।
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उदाहरणम्- स्वर्गच्युतानामिह जीवलोके
चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे।
दानप्रसङ्गो मधुरा च वाणी
देवार्चनं पण्डित-तर्पणञ्च॥

3. उपेन्द्रवज्रा
(ज त ज ग ग)
(ग्यारहवर्णों का समवृत्त)
संस्कृत में लक्षण एवं उदाहरण
उपेन्द्रवज्रा जतजास्ततो गौ। -वृत्तरत्नाकर, 3/31
जिस छन्द के प्रत्येक पाद में क्रमश: एक जगण, एक तगण, एक जगण और दो गुरु वर्ण हों, वह उपेन्द्रवज्रा छंद होता है।
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उदाहरणम्- त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वेमव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देवदेव॥
(यहाँ प्रत्येक चरण का अन्तिम वर्ण लघु होते हुए भी छन्द की आवश्यकता के अनुसार गुरु मान लिया गया है।)

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4. उपजाति
(ग्यारह वर्गों का समवृत्त)
संस्कृत में लक्षण एवं उदाहरण
अनन्तरोदीरितलक्ष्मभाजौ पादौ यदीयावुपजातयस्ताः।
इत्थं किलान्यास्वपि मिश्रितासु वदन्ति जातिष्विदमेव नाम ॥ -वृत्तरत्नाकर, 3/32
इसके प्रथम एवं तृतीय चरण उपेन्द्रवज्रा तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण इन्द्रवज्रा छन्द के अनुसार, है, जिससे यह उपजाति छन्द है।
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अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा ( इन्द्रवज्रा )
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हिमालयो नाम नगाधिराजः । (उपेन्द्रवज्रा)
पूर्वापरौ तोयनिधि वगाह्य (इन्द्रवज्रा)
स्थितः पृथिव्या इव मानदण्डः ॥ (उपेन्द्रवज्रा)

इसके प्रथम तथा तृतीय पाद इन्द्रवज्रा छन्द में हैं। द्वितीय तथा चतुर्थ पाद उपेन्द्रवज्रा छन्द में हैं। (इसीलिए पूरा श्लोक उपजाति छन्द वाला बन गया है।)

5. वंशस्थ
(ज, त, ज, र)
(प्रतिचरण बारह वर्णों का समवृत्त)
संस्कृत में लक्षण एवं उदाहरण
जतौ तु वंशस्थमुदीरितं जरौ। -वृत्तरत्नाकर 3.47
जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः जगण, तगण, जगण एवं रगण हों, वह वंशस्थ छन्द कहलाता है।
HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम् img-7
भवन्ति नम्रास्तरवो फलोद्गमैः
नवाम्बुभिर् दूरविलम्बिनो घनाः।
अनुद्धताः सत्पुरुषाः समृद्धिभिः
स्वभाव एवैष परोपकारिणाम्॥

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6. वसन्ततिलका
(चौदह अक्षरों वाला समवृत्त)
जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमश: तगण, भगण, जगण एवं दो गुरु वर्ण हों तथा 14 अक्षर हों, वह वसन्ततिलका छन्द कहलाता है।
संस्कृत में लक्षण
ज्ञेया ( उक्ता) वसन्ततिलका तभजा जगौ गः
इस पुस्तक के एकादश पाठ का निम्नलिखित पद्य वसन्ततिलका छन्द में है
उदाहरण
पापान्निवारयति योजयते हिताय
गुह्यान् निगृहति गुणान् प्रकटीकरोति।
आपद्गतं च न जहाति ददाति काले
सन्मित्र लक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः॥

7. मालिनी
(पन्द्रह अक्षरों वाला समवृत्त)
जिस छन्द के प्रत्येक चरण (पाद) में क्रमशः दो नगण, एक मगण तथा दो यगण हों और पन्द्रह अक्षर हों वह छन्द मालिनी कहलाता है। इसमें पहली यति (विराम) आठवें वर्ण के बाद और दूसरी यति पन्द्रहवें वर्ण के बाद होती है।
संस्कृत में लक्षण
नन मयययु तेयं मालिनी भोगिलोकैः।
उदाहरण
जयतु जयतु देशः सर्वतन्त्रस्स्वतन्त्रः
प्रतिदिनमिह वृद्धिं यातु देशस्य रागः।
व्रजतु पुनरयं नोदासतामन्ययदीयाम्॥
भवतु धन समृद्धिः सर्वतो भावसिद्धिः।

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8. शिखरिणी
(सत्रह अक्षरों वाला समवृत्त)
जिस छन्द के प्रत्येक चरण में क्रमशः यगण, मगण, नगण, सगण, भगण तथा एक लघु और एक गुरु वर्ण हों और सत्रह अक्षर हों वह शिखरिणी छन्द कहलाता है। छठे और सत्रहवें वर्ण के बाद इसमें यति होती है।
संस्कृत में लक्षण
– रसैः रुद्रैश्छिन्ना यमनसभलागः शिखरिणी।
उदाहरण
अनाघ्रातं पुष्पं किसलयमलूनं कररुहै
रनाविद्धं रत्तं मधु नवमनास्वादितरसम्
अखण्डं पुण्यानां फलमिह च तद्रूपमनघम्
न जाने भोक्तारं कमिह समुपस्थास्यति विधिः॥

9. शार्दूलविक्रीडितम्
(म, स, ज, स, त, त, ग)
(उन्नीस वर्गों वाला समवृत्त)
लक्षण-सूर्याश्वैर्यदि मः सजौ सततगाः शार्दूलविक्रीडितम्। -छन्दोमंजरी, 2/19
जिस छंद के प्रत्येक पाद में क्रमशः मगण, सगण, जगण, सगण, दो तगण एवं एक गुरु वर्ण हों, वह शार्दूलविक्रीडित छन्द कहलाता है। इसमें बारहवें वर्ण के बाद पहली यति और उन्नीसवें अक्षर के बाद दूसरा यति होती है।

प्रस्तुत पुस्तक के तृतीय पाठ का अधोलिखित श्लोक शार्दूलविक्रीडित छंद में है :
HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम् img-8
यास्यत्यद्य शंकुन्तलेति हृदयं संस्पृष्टमुत्कण्ठया,
कण्ठः स्तम्भितवाष्पवृत्तिकलषश्चिन्ताजडं दर्शनम्
वैक्लव्यं मम तावदीदृशमिदं स्नेहादरण्यौकसः,
पीड्यन्ते गृहिणः कथं न तनयाविश्लेषदुःखैर्नवैः॥

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम्

10. मन्दाक्रान्ता
(म, भ, न, त, त, ग, ग)
(सत्रह अक्षरों वाला समवृत्त)
मगण, भगण, नगण, दो तगणों और दो गुरुओं से मन्दाक्रान्ता छंद होता है। इसमें चौथे अक्षर के बाद पहली यति, छठे अक्षर के बाद दूसरी यति तथा आठवें अक्षर के बाद तीसरी यति होती है।
संस्कृत में लक्षण एवं उदाहरण
मन्दाक्रान्ताम्बुधिरसनगैः मो भनौ तौ गयुग्यम्
उदाहरण
HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् छन्द प्रकरणम् img-9
‘पश्चात्पुच्छं वहति विपुलं तच्च धूनोत्यजत्रम्
दीर्घग्रीवः स भवति, खुरास्तस्य चत्वार एव।
शष्याण्यत्ति, प्रकिरति शकृत्-पिण्डकानाम्र-मात्रा।
किं व्याख्यानैव्रजति स पुन(रमेयेहि याम॥

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HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.4

Haryana State Board HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.4

प्रश्न 1.
द्विपदों को गुणा कीजिए
(i) (2x + 5) और (4x – 3)
(ii) (y – 8) और (3y – 4)
(iii) (2.5l – 0.5 m) और (2.5l + 0.5 m)
(iv) (a + 3b) और (x + 5)
(v) (2pq + 3q2) और 3(pq – 2q2)
(vi) (\(\frac{3}{4}\)a2 + 3b2) और (a2 – \(\frac{2}{3}\)b2)
हल:
(i) (2x + 5) × (4x – 3)
= 2x(4x – 3) + 5(4x – 3)
= 8x2 – 6x + 20x – 15
= 8x2 + 14x – 15

(ii) (y – 8) × (3y – 4)
= y(3y – 4) – 8(3y – 4)
= 3y2 – 4y – 24y + 32
= 3y2 – 28y + 32

(iii) (2.5l – 0.5m) × (2.51 + 0.5m)
= 2.5l (2.51 + 0.5m) – 0.5m(2.5l + 0.5m)
= 6.25l2 + 1.25lm – 1.25ml – 0.25m2
= 6.25l2 – 0.25m2

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.4

(iv) (a + 3b) × (x + 5)
= a (x + 5) + 3b(x + 5)
= ax + 5a + 3bx + 15b

(v) (2pq + 3q2) × (3pq – 2q2)
= 2pq(3pq – 2q2) + 3q2(3pq – 2q2)
= 6p2q2 – 4pq3 + 9pq3 – 6q4
= 6p2q2 + 5pq3 – 6q4

(vi)
HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.4 -1

प्रश्न 2.
गुणनफल ज्ञात कीजिए
(i) (5 – 2x)(3 + x)
(ii) (x + 7y)(7x – y)
(iii) (a2 + b) (a + b2)
(iv) (p2 – q2) (2p + q).
हल:
(i) (5 – 2x) × (3 + x)
= 5 × (3 + x) – 2x(3 + x)
= 15 + 5x – 6x – 2x2
= – 2x2 – x + 15

(ii) (x + 7y) × (7x – y)
= x(7x – y) + 7y(7x – y)
= 7x2 – xy + 49xy – 7y2
= 7x2 – 7y2 + 48xy.

(iii) (a2 + b) × (a + b2)
= a2(a + b2) + b(a + b2)
= a3 + a2b2 + ab + b3

HBSE 8th Class Maths Solutions Chapter 9 बीजीय व्यंजक एवं सर्वसमिकाएँ Ex 9.4

(iv) (p2 – q2) × (2p + q)
= p2× (2p + q) – q2 × (2p + q)
= 2p3 + p2q – 2pq2 – q3

प्रश्न 3.
सरल कीजिए-
(i) (x2 – 5) (x + 5) + 25
(ii) (a2 + 5) (b3 + 3) + 5
(iii) (t + s2) (t2 – s)
(iv) (a + b) (c – d) + (a – b) (c + d) + 2 (ac + bd)
(v) (x +y) (2x +y) + (x + 2y) (x – y)
(vi) (x + y) (x2 – xy + y2)
(vii) (1.5x – 4y) (1.5x + 4y + 3)- 4.5x + 12y
(viii) (a + b + c) (a + b – c).
हल:
(i) (x2 – 5) (x + 5) + 25
= (x + 5) (x2 – 5) + 25
= x(x2 – 5) + 5(x2 – 5) + 25
= x3 – 5x + 5x2 – 25 + 25
= x3 + 5x2 – 5x

(ii) (a2 + 5) (b3 + 3) + 5
= a2(b3 + 3) + 5(b3 + 3) + 5
= a2b3 + 3a2 + 5b2 + 15 + 5
= a2b3 + 3a2 + 5b3 + 20.

(iii) (t + s2) (t2 – s)
= t(t2 – s) + s2(t2 – s)
= t3 – ts + s2t2 – s3

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(iv) (a + b) (c – d) + (a – b) (c + d) + 2 (ac +bd)
= a(c – d) + b(c – d) + a(c + d) – b(c + d) + 2ac + 2bd
= ac – ad + bc – bd + ac + ad – bc – bd + 2ac + 2bd
= 4ac – 2bd + 2bd
= 4ac

(v) (x + y) (2x + y) + (x + 2y) (x – y)
= x(2x + y) + y(2x + y) + x(x – y) + 2y(x – y)
= 2x2 + xy + 2xy + y2 + x2 – xy + 2xy – 2y2
= 3x2 – y2 + 4xy.

(vi) (x + y) (x2 – xy + y2)
= x(x2 – xy + y2) + y(x2 – xy + y2)
= x3 – x2y + xy2 + x2y – xy2 + y3
= x3 + y3.

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(vii) (1.5x – 4y) (1.5x + 4y + 3) – 4.5x + 12y
= 1.5x(1.5x + 4y + 3) – 4y(1.5x + 4y + 3) – 4.5x + 12y
= 2.25x2 + 6xy + 4.5x – 6xy – 16y2 – 12y – 4.5x + 12y
= 2.25x2 – 16y2

(viii) (a + b + c) (a + b – c)
= a (a + b – c) + b(a + b – c) + c (a + b – c)
= a2 + ab – ac + ab + b2 – bc + ac + bc – c2
= a2 + b2 – c2 + 2ab.

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HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् संस्कृतसाहित्यस्य-इतिहासः

Haryana State Board HBSE 12th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Sanskrit Sahitya Itihas संस्कृतसाहित्यस्य-इतिहासः Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sanskrit व्याकरणम् संस्कृतसाहित्यस्य-इतिहासः

1. महर्षि वाल्मीकि (रामायणम्)
रामायण के लेखक महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदि कवि हैं और उनका ‘रामायण’ महाकाव्य आदि काव्य माना जाता है। रामायण के रचयिता वाल्मीकि ऐतिहासिक व्यक्ति हैं। वाल्मीकि के इस प्रथम अलंकृत काव्य ने परवर्ती समस्त भारतीय कवियों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया है। रामायण एक ऐसा महाकाव्य है जिस पर भारत की साहित्यिक परम्परा को गर्व होना उचित ही है। रामायण ने भारतीय जनता पर अत्यधिक प्रभाव डाला है। रामायण के जीवन आदर्श और शिक्षाएँ भारतीय समाज में गहराई से व्याप्त हैं।

कला, साहित्य और दैनिक व्यवहार के सम्बन्ध में वाल्मीकि ऋषि का यह महाकाव्य आदि स्रोत का कार्य करता है। रामायण को हम इतिहास काव्य कह सकते हैं। राम के कार्य, सीता के कार्य, सीता का पतिव्रत धर्म, हनुमान के आश्चर्यजनक कार्य एवं अलौकिक शक्ति से सम्पन्न राक्षसों ने समस्त भारतीय जनता को प्रभावित किया है। नाटककार और कवि बहुधा अपने कथानकों के लिए रामायण का आश्रय लेते हैं। अनेक कवियों ने वाल्मीकि से आकृष्ट होकर उनकी शैली का भी अनुकरण किया है। कविकुलगुरू महाकवि कालिदास अपने ‘रघुवंश काव्य’ में वाल्मीकि को अपना गुरु स्वीकार करते हैं।

वाल्मीकि के सम्बन्ध में एक कथा प्रसिद्ध है। एक बार वाल्मीकि तमसा नदी के तट पर भ्रमण कर रहे थे। वहीं पर क्रौंच और क्रौंची ‘पक्षी का कामातुर जोड़ा विहार कर रहा था। इसी बीच एक व्याध आया और उसने अपने बाण से क्रौंच को मार डाला। क्रौंची पृथ्वी पर छटपटाते हुए अपने सहचर को देखकर करुण क्रन्दन करने लगी। यह दृश्य देखकर वाल्मीकि का हृदय करुणा और शोक से भर गया और उनके मुख से अनायास निम्न पद्य (श्लोक) निकल पड़ा

मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वती: समाः।
यत् कौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्॥

वाल्मीकि को अपने इस वचन में एक विशेष संगीत और लय का आभास हुआ। वे बार-बार इस पद्य को दोहराने लगे। बाद में इसी पद्य के अनुष्टुप् छन्द के आधार पर उन्होंने रामायण की रचना की। वाल्मीकि का शोक श्लोक बन गया। यह छन्द लौकिक संस्कृत का एक प्रसिद्ध छन्द बना और अनुष्टुप् अथवा श्लोक छन्द के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

रामायण का रचनाकाल 500 वर्ष ई० पू० माना जाता है। यह ग्रन्थ बाल काण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दर काण्ड, युद्ध काण्ड और उत्तर काण्ड इन सात काण्डों में विभक्त है। इनमें चौबीस हज़ार श्लोक • हैं कवि ने राम की कथा को आधार बनाकर आदर्श पुत्र, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श पत्नी और आदर्श सेवक का चरित्र प्रस्तुत किया है। वास्तव में वाल्मीकि रामायण के विषय में यह कथन पूर्ण सत्य है

यावत् स्थास्यन्ति गिरयः सरितश्चे महीतले।
तावद् रामायणकथा लोकेषु प्रचरिष्यति॥

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2. महर्षि वेदव्यास (महाभारतम्)
महषि वेदव्यास ‘महाभारत’ ग्रन्थ के प्रणेता हैं। परम्परा के अनुसार पाराशर और मत्स्यगन्धा के पुत्र कृष्णद्वैपायन व्यास महर्षि वेदव्यास के नाम से जाने जाते हैं। यह महर्षि व्यास पराशर्य, वेदव्यास, कृष्णद्वैपायन, सत्यवती सुत इत्यादि नामों से प्रसिद्ध हैं। उनके पिता महर्षि पाराशर और माता सरस्वती नाम की परम विदुषी देवी थी। यह वेदव्यास महाभारत के युद्धकाल में विद्यमान थे, ऐसा महाभारत के अध्ययन से ज्ञात होता है जैसा कि कहा गया है

तपसा ब्रह्मचर्येण यस्य वेदं सनातन्।
इतिहासमिमं चक्रे पुण्यं सत्यवती सुतः॥

महाभारत के आरंभ में ही यह संकेत मिलता है कि आदि महाभारत में 8800 श्लोक थे, वास्तव में यही वेदव्यास की कृति थी, जिसमें मूल रूप से कौरवों और पाण्डवों के युद्ध का वर्णन था, जो कि ‘जय’ के नाम से प्रसिद्ध था। उनके शिष्य वैशम्पायन ने जब इसे अर्जुन के प्रपौत्र राजा जनमेजय को उनके नाम यज्ञ के अवसर पर सुनाया तो इसमें 24 हज़ार श्लोक थे और इसका नाम ‘भारत’ था। तदनन्तर तब सौति ने इसे नैमिषारण्य में ऋषियों को सुनाया तो इसमें लगभग अस्सी हज़ार श्लोक थे और इसका नाम ‘महाभारत’ हो गया। इसके बाद हरिवंश पुराण भी इसमें मिला दिया गया और इस प्रकार इसकी श्लोक संख्या एक लाख हो गई। महाभारत में यह घोषणा गर्व पूर्वक की गई है

‘धर्म चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।
यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्॥

भारतीय चिन्तन पद्धति का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ ‘भगवगद्गीता’ महाभारत का ही एक अंश है। महाभारत में 18 पर्व हैं। यह पद्यबद्ध रचना है, किन्तु गद्य का भी कहीं-कहीं प्रयोग हुआ है। इसमें भारत के आदर्शों की अमूल्य निधि संचित है।

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3. भास एव उनकी रचनाएँ
महान् नाटककार भास का नाम कालिदास आदि अनेक कवियों ने अपनी रचनाओं में बड़े आदर के साथ लिया है। ऐसी प्रशस्तियों से जहाँ भास कि विद्वत्ता और उनकी नाट्यप्रवीणता को गौरव प्राप्त होता है, वहीं यह बात भी सिद्ध हो जाती है कि भास कालिदास के पूर्ववर्ती कवि हैं। विद्वानों ने भास का स्थितिकाल ईसापूर्व चतुर्थ या पंचम शताब्दी स्वीकार किया है। 1909 ई० में पं० टी० गणपति शास्त्री ने भास द्वारा रचित 13 नाटकों की खोज की थी, जिन्हें गणपति शास्त्री ने ही 1918 ई० में त्रिवेन्द्रम् से पहली बार प्रकाशित करवाया था।

भास के नाटकों की अपनी कुछ मूलभूत विशेषताएँ हैं। भास की भाषा सरल तथा सुबोध है, इनके नाटकों के संवाद सशक्त तथा प्रभावपूर्ण हैं । इनकी भाषा में ओज, प्रसाद तथा माधुर्य तीनों गुणों का समावेश है। भास के लिए भाव संप्रेषण ही एकमात्र महत्त्वपूर्ण है, अत: उनकी भाषा सहजगम्य है और अनावश्यक रूप से किसी भी प्रकार से बोझिल नहीं है। इनके सभी नाटक प्राचीन काल से ही नाट्यमञ्चों पर बड़े प्रभावपूर्ण ढंग से अभिनय किए जाते रहे हैं- यह अभिनेयता इनके नाटकों की अद्वितीय विशेषता है। इनके नाटकों का मुख्य रस वीर है जो श्रृंगार आदि दूसरे रसों से सम्मिश्रित है। प्रकृति के कोमल रूप का इन्होंने बड़ा ही स्वाभाविक चित्रण अपने नाटकों में किया है। इनकी सभी तेरह रचनाओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है

भास के नाटकों का संक्षिप्त परिचय

1. दूतवाक्यम्-एक एकांकी नाटक है, जिसमें महाभारत के युद्ध से पूर्व श्री कृष्ण का पांडवों की ओर से सन्धि प्रस्ताव लेकर दुर्योधन की सभा में दूत के रूप में जाने का वर्णन है।
2. मध्यमव्यायोगः- इसमें भीमसेन द्वारा राक्षस से एक ब्राह्मण के बिचले (मध्यम) पुत्र की रक्षा का वर्णन है। एकांकी है।
3. दूतघटोत्कचम्- इसमें अभिमन्यु की मृत्यु के पश्चात् श्री कृष्ण घटोत्कच को दूत बनाकर धृतराष्ट्र के पास भेजते हैं। परन्तु दुर्योधन द्वारा उसका अपमान होता है। यह इतिवृत्त कवि कल्पना पर आश्रित एकांकी है।
4. कर्णभारम्-यह एकांकी नाटक है, जिसमें कर्ण का ब्राह्मण वेषधारी इन्द्र को कवच और कुण्डल देने का वर्णन
5. उरुभंगम्-इस एकांकी में भीम तथा दुर्योधन के गदा युद्ध का और अन्त में भीम द्वारा दुर्योधन की जंघा को भंग करके मारने का वर्णन है।
6. पञ्चरात्रम्-इसमें 3 अंक हैं। इसमें कवि ने महाभारत की कथा का कल्पित रूप दे दिया है। यज्ञ की समाप्ति पर द्रोणाचार्य से दक्षिणा रूप में यह मांगा कि पांडवों को आधा राज्य पाँच रात में मिल जाए तो मैं आधा राज्य दे दूंगा। ऐसा दुर्योधन के मान लेने पर द्रोण के प्रयत्न से विराट नगर में पांडवों का पता चल गया और उन्हें आधा राज्य दे दिया गया।
7. बालचरितम्-इसमें 5 अंक हैं। इसमें श्रीकृष्ण के जन्म से कंस वध तक की कथा का वर्णन है।
8. प्रतिमानटकम्-इसमें 7 अंक हैं। इसमें राम के वनवास गमन से लेकर रावण वध तक की कथा का वर्णन है। इधर अपने ननिहाल से अयोध्या लौटने पर भरत को नगर के बाहर देवकुल में दशरथ की प्रतिमा देख कर उनकी मृत्यु का अनुमान हो जाता है। इसी प्रतिमा की घटना के कारण इस नाटक का नाम प्रतिमानाटकम् पड़ा है।
9. अभिषेकनाटकम्- इसमें 6 अंक हैं। इसमें किष्किन्धा, सुन्दरकांड तथा युद्धकांड की कथा के उपरान्त राम के राज्याभिषेक का वर्णन किया गया है।
10. प्रतिज्ञायौगन्धरायणम-इसमें 4 अंक हैं। इसमें कौशाम्बी की राजा उदयन का वर्णन है, जो अवन्तिराज महासेन द्वारा छल से कैद कर लिया जाता है। फिर उसकी कन्या वासवदत्ता को वीणा की शिक्षा देते समय उससे प्रेम हो जाता है। अपने मन्त्री यौगन्धरायण की सहायता से उदयन वासवदत्ता को लेकर उज्जयिनी को भाग निकलता है।
11. स्वप्नवासवदत्तम्-इसमें 6 अंक हैं। यह प्रतिज्ञायौगन्धरायण की कथा का उत्तरार्द्ध है। यौगन्धरायण की नीति के फलस्वरूप वासवदत्ता के अग्नि में भस्म हो जाने की अफवाह फैला कर उदयन के मगधराज दर्शक की बहन पद्मावती से विवाह तथा अपहत राज्य के पुनर्मिलन का वर्णन है। पद्मावती के घर में सोया हुआ उदयन स्वप्न में वासवदत्ता को देखता है। अन्त में, वह स्वप्न यथार्थ हो जाता है। इसी घटना पर इसका नाम स्वप्नवासवदत्तम् पड़ा है।
12. अविमारकम्- इसमें 6 अंक हैं। इसमें राजकुमार अविमारक का कुन्तिभोज की पुत्री कुरंगी के साथ प्रणयविवाह का वर्णन है।
13. चारुदत्तम्-इसमें केवल 4 अंक हैं। इसमें निर्धन किन्तु उदारचेता ब्राह्मण चारुदत्त और वसन्त सेना नाम की वेश्या के प्रणय सम्बन्ध का वर्णन हैं। यह नाटक अपूर्ण प्रतीत होता है।इन 13 नाटकों के अतिरिक्त कुछ विद्वान् वीणावासवदत्ता तथा यज्ञललम् को भी भासकृत मानते हैं। परन्तु इसके लिए कोई पुष्टप्रमाण नहीं हैं।
सम्भव है भासरचित अन्य नाटक भी हों, क्योंकि सुभाषित ग्रंथों में भास के नाम से कई ऐसे पद्य मिलते हैं, जो इन 13 नाटकों में नहीं पाए जाते। जनश्रुति के अनुसार भास ने 30 से अधिक ग्रंथ लिखे थे।

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4. अश्वघोष के काव्य
अश्वघोष संस्कृत महाकाव्य परम्परा में कालिदास के पूर्ववर्ती कवि हैं। अश्वघोष का स्थिति काल ईसा की प्रथम शताब्दी माना जाता है। ये राजा कनिष्क के गुरु और उनके आश्रित कवि थे। अश्वघोष का समग्र साहित्य प्रायः बौद्ध धर्म की दार्शनिक मान्यताओं को केन्द्र में रख कर रचा गया है। जिनका प्रमुख उद्देश्य बुद्ध धर्म का प्रचार प्रसार ही अधिक प्रतीत होता है।

अश्वघोष की सात प्रामाणिक कृतियों में ‘बुद्धचरितम्’ तथा ‘सौन्दरनन्दम्’ दो महाकाव्य हैं।

1. बुद्धचरितम्-चीनी और तिब्बती अनुवाद के साथ बुद्धचरितम् में 28 सर्ग मिलते हैं। संस्कृत में केवल 17 सर्ग ही उपलब्ध हैं। अब शेष सर्गों का संस्कृत में अनुवाद भी महन्त श्री रामचन्द्र दास द्वारा किया हुआ मिलता है। इस महाकाव्य में गौतम बुद्ध की जीवन गाथा चित्रित है। प्रथम पाँच सर्गों में बुद्ध के जन्म से लेकर निष्क्रमण तक की कथा है। छठे सातवें सर्ग में कुमार गौतम का तपोवन में परवेश, अन्तःपुर में विलाप, कुमार की खोज, कुमार का मगध गमन तथा बुद्धत्व की प्राप्ति का वर्णन करते हुए बुद्ध के शिष्यों, उपदेशों, सिद्धान्तों तथा निर्वाण प्राप्ति का वर्णन किया गया है। इसका मुख्य रस शान्त है। परन्तु प्रसंग के अनुसार श्रृंगार और वीर रस का प्रयोग भी हुआ है। वैराग्य प्रधान होने पर भी बुद्धिचरितम् में सांसारिक और मनोहारी चित्र उपलब्ध हो जाते हैं। यह एक सफल महाकाव्य है।

2. सौन्दरनन्दम्-अश्वघोष का यह दूसरा महाकाव्य है। इसका कथानक बुद्धचरितम् से मिलता-जुलता है, किन्तु कविता की दृष्टि से यह अधिक प्रौढ़ है। इसमें गौतम के सौतेले भाई नन्द के संन्यास का वर्णन है। वह अपनी पत्नी सुन्दरी से अत्यन्त प्रेम करता है और उसी में डूबा रहता है। बुद्ध की प्रेरणा से नन्द संन्यासी हो जाता है। इन दोनों के नाम पर ही इसका नाम ‘सौन्दरानन्दम्’ रखा गया है।
‘सौन्दरनन्दम्’ में 18 सर्ग हैं। इसका मुख्य रस शान्त है। करुण, शृंगार और वीर इसके सहयोगी रस हैं। नाटक का नायक छन्द है। धर्म, अर्थ काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों में से मोक्ष की प्राप्ति ही लक्ष्य है। अश्वघोष की भाषा सुबोध है। कवि में इसमें हृदयहारी स्वभाविक उपमाओं का प्रयोग किया है। अनुष्टुप् उनका प्रिय छन्द है।

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5. महाकवि कालिदास एवं उनकी रचनाएँ
कविकुलशिरोमणि, कविताकामिनी के विलास, उपमासम्राट् दीपशिखा कालिदास आदि विरुदों से विभूषित महाकवि कालिदास भारतवर्ष के ही नहीं समस्त विश्व के अनन्य कवि हैं। ये महाराज विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। अधिकांश विद्वानों का मानना है कि कालिदास का समय ईसापूर्व प्रथम शताब्दी है। संस्कृतसाहित्य में कालिदास की सात रचनाएं प्रामाणिक मानी गई हैं।

इनमें रघुवंशम्, कुमारसम्भवम् – दो महाकाव्य, मेघदूतम् तथा ऋतुसंहारम् – दो खण्डकाव्य तथा मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम् तथा अभिज्ञानशाकुन्तलम् – तीन नाटक हैं। काव्यकला एवं नाट्यकला की दृष्टि से कालिदास का कोई सानी नहीं है। नवरस वर्णन में कालिदास सर्वोपरि हैं। ‘उपमा अलंकार’ की सटीकता में वर्णन के कारण ही कालिदास के विषय में ‘उपमा कालिदासस्य’ कहा गया है तथा ‘दीपशिखा’ की उपाधि से अलंकृत किया गया है। यही नहीं इनकी रचनाओं में वैदर्भी रीति की विशिष्टता, माधुर्यगुण का सतत प्रवाह तथा सरसता ही इन्हें आज तक सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में प्रतिष्ठित किए हुए हैं।

रचनाओं का संक्षिप्त परिचय
1. रघुवंशम् – 19 सर्गीय रघुवंश कालिदास की अनन्यतम कृति है। इसमें रघुवंशीय दिलीप, रघु, अज, दशरथ, राम और कुश तक के राजाओं का विस्तृतरूपेण चित्रण तथा अन्य राजाओं का संक्षिप्त विवरण बड़े ही परिपक्व एवं प्रभावरूपेण किया गया है। जहां दिलीप की नन्दिनी सेवा, रघु की दिग्विजय, अज एवं इन्दुमती का विवाह, इन्दुमति की मृत्यु पर अज विलाप, राम का वनवास, लंका विजय, सीता का परित्याग, लव-कुश का अश्वमेधिक घोड़े को रोकना तथा अन्तिम सर्ग में राजा अग्निवर्ण का विलासमय चित्रण उनकी सूक्ष्मपर्यवेक्षण शक्ति का परिचय देता है।

2. कुमारसम्भवम्-17 सर्गीय कुमारसम्भव शिव-पार्वती के विवाह, कार्तिकेय के जन्म तथा तारकासुर के वध की कथा को लेकर लिखित सुप्रसिद्ध महाकाव्य है। कुछ आलोचक केवल आठ सर्गों को ही कालिदास लिखित मानते हैं लेकिन अन्यों के अनुसार सम्पूर्ण रचना कालिदास विरचित है। इस ग्रन्थ में हिमालय का चित्रण, पार्वती की तपस्या, शिव के द्वारा पार्वती के प्रेम की परीक्षा, उमा के सौन्दर्य का वर्णन, रतिविलाप आदि का चित्रण कालिदास की परिपक्व लेखनशैली को घोषित करता है। अन्त में कार्तिकेय के द्वारा तारकासुर के वध के चित्रण में वीर रस का सुन्दर परिपाक द्रष्टव्य है।

3. ऋतुसंहारम्-महाकवि कालिदास का ऋतुसंसार संस्कृत के गीतिकाव्यों में विशिष्टता लिए हुए हैं। जिसमें ऋतुओं के परिवर्तन के साथ-साथ मानव जीवन में बदलने वाले स्वभाव, वेशभूषा, एवं प्राकृतिक परिवेश का अवतरण द्रष्टव्य है। इसमें छः सर्ग तथा 144 पद्य हैं जिनमें ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर तथा वसन्त के क्रम से छ: ऋतुओं का वर्णन छः सर्गों में किया गया है।

4. मेघदूतम्-मेघदूत न केवल कालिदास का महान् गीतिकाव्य है, अपितु सम्पूर्ण संस्कृतसाहित्य का एक उज्ज्वल रत्न है। सम्पूर्ण मेघदूत दो भागों में विभक्त है-पूर्वमेघ तथा उत्तरमेघ जिनमें कुल 121 पद्य हैं। इस गीतिकाव्य में मन्दाक्रान्ता छन्द में एक यक्ष की विरहव्यथा का मार्मिक चित्रण किया गया है। पूर्वमेघ में कवि ने यक्ष द्वारा मेघ को अलकापुरी तक पहुंचाने के मार्ग का उल्लेख करते हुए उस मार्ग में आने वाले प्रमुख नगरों, पर्वतों, नदियों तथा वनों का भी सुन्दर चित्रण किया है। उत्तरमेघ में अलकापुरी का वर्णन, उसमें यक्षिणी के घर की पहचान तथा घर में विरहव्यथा से पीड़ित अपनी प्रेयसी की विरह पीड़ा का मार्मिक वर्णन द्रष्टव्य है।

5. मालविकाग्निमित्रम्-पांच अंकों में लिखित महाकवि कालिदास की प्रारम्भिक कृति ‘मालविकाग्निमित्र’ में विदिशा के राजा अग्निमित्र तथा मालवा के राजकुमार की बहन मालविका की प्रणयकथा का वर्णन है। मालविकाग्निमित्र कवि की आरम्भिक रचना होने पर भी नाटकीय नियमों की दृष्टि से इसके कथा निर्वाह, घटनाक्रम, पात्रयोजना आदि सभी में नाटककार के असाधारण कौशल की छाप है।

6. विक्रमोर्वशीयम्-नाटक रचनाक्रम की दृष्टि से कालिदास की द्वितीय कृति ‘विक्रमोर्वशीयम्’ एक उपरूपक है; जिसमें राजा पुरुरवा तथा उर्वशी नामक अप्सरा की प्रणयकथा वर्णित है। इस नाटक में कवि की प्रतिभा अपेक्षाकृत अधिक जागृत एवं प्रस्फुटित है।

7. अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास का अन्तिम तथा सर्वोत्कृष्ट नाटक ‘अभिज्ञान-शाकुन्तलम्’ सात अंकों में विभक्त है; जिसमें राजा दुष्यन्त तथा शकुन्तला की प्रणय कथा वर्णित है। यह नाटक संस्कृत का सर्वोपरि लोकप्रिय नाटक है। जिसमें कालिदास की कथानकीय मौलिकता, चरित्रचित्रण की सजीवता, रसों की परिपक्वता, संवादों की सुष्ठु योजना, प्रकृतिचित्रण की मर्मज्ञता तथा भाषा-शैली की विशिष्टता आदि स्वयं में अनुपम हैं। इन्हीं गुणों के कारण कहा गया है

“काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला”

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6. नाटककार भवभूति एवं उनकी रचनाएँ

संस्कृत के नाटककारों में भवभूति को कालिदास जैसा गौरव प्राप्त है। भवभूति पद्मपुर के निवासी थे तथा उदुम्बरकुल के ब्राह्मण थे। इनके पितामह का नाम भट्टगोपाल था, जो स्वयं एक महाकवि थे। इनके पिता का नाम नीलकण्ठ तथा माता का नाम जतुकर्णी था। भवभूति का दूसरा नाम ‘श्रीकण्ठ’ था। भवभूति शिव के उपासक थे, इनके गुरु का नाम ज्ञाननिधि था। भवभूति का स्थितकाल कतिपय पुष्ट प्रमाणों के आधार पर 700 ई० के आसपास माना जाता है।

रचनाएँ-भवभूति की तीन रचनाएं (नाटक) उपर. ध होती हैं
1. मालतीमाधवम् 2. महावीरचरितम् तथा 3. उत्तररामचरितम्।
1. मालतीमाधवम्-यह 10 अंकों का नाटक है। इसमें नाटक की नायिका मालती तथा नायक माधव के प्रेम और विवाह की कल्पित कथा चित्रित है। यह एक शृंगार प्रधान रचना है। मालतीमाधव में पाठकों की उत्सुकता जगाए रखने के पूरी चेष्टा की गई है, जिसमें भवभूति सफल हुए हैं। रोचक कथानक यथार्थ चित्रण तथा प्रभावपूर्ण भाषा के कारण यह नाटक प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ है। पाँचवें अंक में शमशान का वर्णन तथा नौवें अंक में वन का वर्णन दर्शनीय है। पत्नी के आदर्श सम्बन्ध का वर्णन भी अद्वितीय है। काव्य की दृष्टि से मालतीमाधव एक उत्कृष्ट कही जा सकती है।

2. महावीरचरितम्- यह सात अंकों का नाटक है। इसमें राम के विवाह से लेकर राम के राज्याभिषेक की कथा को नाटकीय रूप दिया गया है। कवि ने रामायण की कथा को रोचक रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है और उसे अधिकाधिक नाटकीय बनाने के लिए कथा में स्वेच्छा से परिवर्तन भी किया गया है। नाटकीय तत्त्वों के अभाव तथा लम्बे संवादों के कारण यह नाटक सामाजिकों की ओर आकृष्ट नहीं कर सका। महावीरचरितम् में मुख्य रूप से वीररस का परिपाक हुआ है।

3. उत्तररामचरितम् – उत्तररामचरित भवभूति का अन्तिम और सर्वश्रेष्ठ नाटक है। यह कृति भवभूति के जीवन के प्रौढ़ अनुभवों की देन है। कवि के अन्य दोनों नाटकों की अपेक्षा उत्तररामचरित की कथावस्तु तथा नाटकीय कौशल अधिक प्रौढ़ हैं। भवभूति की अत्यधिक भावुकता ने इस ‘उत्तररामचरितम्’ को नाटक के स्थान पर गीति नाट्य बना दिया है। इसमें कुल सात अंक हैं। राम के उत्तरकालीन जीवन की कथा पर जितने भी ग्रन्थ लिखे गए हैं, उनमें उत्तररामचरित जैसी प्रसिद्धि किसी भी ग्रन्थ को नहीं मिल पाई।।

यद्यपि उत्तररामचरित का मूल आधार वाल्मीकि रामायण है परन्तु भवभूति ने इसमें अनेक मौलिक परिवर्तन किए हैं। उत्तररामचरित का प्रमुख रस करुण है। करुण रस की अभिव्यंजना में भवभूति इतने सिद्धहस्त हैं कि मनुष्य तो क्या निर्जीव पत्थर भी रो पड़ते हैं। भवभूति की स्थापना है कि एक करुण रस ही है, अन्य शृंगार आदि तो उसी के निमित्त

व्याकरणम् रूप है-‘एको रसः करुण एवं निमित्तभेदात्’ । ‘उत्तररामचरितम्’ के तीसरे अंक में करुण रस की जो अजस्र धारा बही है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। करुण रस की इस अद्भुत अभिव्यंजना के कारण ही ये उक्तियाँ प्रसिद्ध हो गई है

‘कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते’
उत्तरे रामचरिते भवभूतिः विशिष्यते।

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7. श्रीमद्भगवद्गीता
‘कर्मगौरवम्’ यह पाठ ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ के दूसरे एवं तीसरे अध्याय से संकलित है। श्रीमद्भगवद्गीता विश्व का सुप्रसिद्ध ग्रन्थ है। ‘गीता’ महाभारत के ‘भीष्म पर्व’ से उद्धृत है। इसमें 18 अध्याय हैं, 700 श्लोक हैं। तथा 18 प्रकार के योग का वर्णन है। समस्त योगों में कर्मयोग श्रेष्ठ है। मनुष्य कर्म करने के लिए संसार में आया है। किन्तु निष्काम कर्म करना ही मनुष्य को बन्धन से मुक्त करता है। सभी प्रकार की कामनाओं और फल की इच्छा से रहित कर्म ही निष्काम कर्म कहलाता है। इसी को ‘अनासक्ति’ कहा गया है। प्राणिमात्र का अधिकार केवल कर्म करने में निहित है, फल में नहीं। गीता के दूसरे-तीसरे अध्याय में इसी कर्मयोग की विस्तृत चर्चा है।

श्रीकृष्ण ने गीता में, अर्जुन को इसी निष्काम कर्मयोग की शिक्षा प्रदान की है। श्रीकृष्ण ने युद्ध क्षेत्र में, विषाद में पड़े हुए अर्जुन को स्व-क्षत्रियोचित कर्तव्य का उपदेश देकर धर्मयुद्ध के लिए उद्यत किया था। अर्जुन के माध्यम से मानवपात्र को निष्काम कर्म का उपदेश दिया गया है। ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ यह गीता का सन्देश है।

8. पं० अम्बिकादत्त व्यास (शिवराजविजयः )
पं० अम्बिकादत्तं व्यास (1858-1900 ईस्वी) आधुनिक युग के संस्कृत लेखकों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। हिन्दी और संस्कृत में इनकी लगभग 75 रचनाएं मिलती हैं। इन सभी में ‘शिवराजविजयः’ नामक ऐतिहासिक उपन्यास इनकी श्रेष्ठतम रचना है। यह उपन्यास 1901 ईस्वी में प्रकाशित हुआ था।

शिवराजविजय शिवाजी और औरंगज़ेब की प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटना पर आधारित उपन्यास है। शिवाजी इस उपन्यास के नायक हैं, जो भारतीय आदर्शों, संस्कृति, सभ्यता और मातृशक्ति के रक्षक के रूप में चित्रित किए गए हैं। शिवाजी और उनके सैनिकों की दृढ़ प्रतिज्ञा है-‘कार्यं वा साधयेयम्, देहं वा पातयेयम्’-कार्य सिद्ध करूंगा या देह का त्याग कर दूंगा।

गद्य काव्य की दृष्टि से शिवराजविजय एक उत्कृष्ट रचना है। इनकी भाषा की एक विशेषता है कि इनकी भाषा सदा भावों के अनुसार प्रयुक्त होती है। सरस प्रसंगों में ललित पदावली और वैदर्भी शैली का प्रयोग हुआ है। करुणा भरे प्रसंगों में प्रत्येक शब्द आंसुओं से भीगा हुआ मिलता है। वीर रस के प्रसंग में भाषा ओजस्विनी हो जाती है और पाठक की भुजाएं फड़कने लगती हैं। रस और अलंकारों का सुन्दर सामंजस्य है। सभी वर्णन स्वाभाविकता से ओत-प्रोत हैं। बाण और दण्डी के गद्य की सभी विशेषताएं व्यास जी के गद्य में मिलती हैं।

‘शिवराजविजयः’ उपन्यास में तीन विराम हैं तथा प्रत्येक विराम में चार निःश्वास हैं। कुल 12 निःश्वास हैं। प्रस्तुत पाठ ‘कार्यं वा साधयेयम्, देहं वा पातयेयम्’ इसी ऐतिहासिक उपन्यास के प्रथम विराम के चतुर्थ नि:श्वास से संकलित है। इस अंश में शिवाजी का एक विश्वासपात्र एवं कर्मठ गुप्तचर ‘कार्य वा साधयेयम्, देहं वा पातेययम्’ वाक्य द्वारा अपना दृढ़ संकल्प प्रकट करता है, जिसका तात्पर्य है-‘कार्य सिद्ध करूंगा या देह का त्याग कर दूंगा।’

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9. भारवि का ‘किरातार्जुनीयम्’
अलंकृत शैली तथा अर्थगौरव से परिपूर्ण कविता करने वाले भारवि ने अपनी प्रतिभा, कला और विद्वत्ता के कारण कालिदास के परवर्ती कवियों में सर्वाधिक प्रतिष्ठा प्राप्त का है। इनका स्थितिकाल कतिपय पुष्ट प्रमाणों के आधार पर 600 ईस्वी के आसपास माना जाता है। भारवि की एकमात्ररचना है-‘किरातार्जुनीयम्’ इस अकेले महाकाव्य ने भारवि को काव्य जगत् में अमर कर दिया है।

‘किरातार्जुनीयम्’ की कथा का आधार महाभारत का वन पर्व है। महाकाव्य के सम्पूर्ण लक्षणों से युक्त 18 सर्गों वाले इस महाकाव्य में ‘इन्द्रकील पर्वत और दिव्य अस्त्र प्राप्त करने के लिए तपस्या करने वाले अर्जुन और किरात वेषधारी भगवान् शंकर का युद्ध’ वर्णित हुआ है।

‘किरातार्जुनीयम्’ का मुख्य रस वीर है तथा शृंगार, शान्त आदि सहायक रस हैं। भारवि का भाषा पर अपूर्व अधिकार है। अलंकृत शैली के कारण भावबोध कुछ जटिल हो गया है। इन्हें काव्यपरम्परा में अलंकृत शैली का जनक माना जाता है। थोड़े शब्दों में अधिक गहरी और महत्त्वपूर्ण बात कहना इनकी विशेषता है। इसीलिए ‘भारवेरर्थगौरवम्’ के रूप में भारवि प्रसिद्ध हो गए हैं। संस्कृत के महाकाव्यों की बृहत्-त्रयी (किरातार्जुनीयम्, शिशपालवधम्, नैषधीयचरितम्) में ‘किरातार्जुनीयम्’ को विशेष स्थान प्राप्त है। इसके सुभाषित बहुत ही सारगर्भित हैं।।

10. माघ का काव्य ‘शिशुपालवधम्’
अलंकृत शैली में काव्य रचनाकारों में विशेष ख्याति प्राप्त है इनका स्थिति काल 650 ईस्वी के आसपास माना जाता है। इनकी एकमात्र रचना शिशुपालवधम् है। इसकी गणना संस्कृत की बृहत्-त्रयी (किरातार्जुनीयम्, शिशुपालवधम्, नैषधीय (चरितम्) में की जाती है।

‘शिशुपालवधम्’ महाकाव्य में 20 सर्ग और 650 श्लोक हैं। इस काव्य में श्रीकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र चलाकर शिशुपाल के वध का वर्णन चित्रित किया गया है। माघ ने इस काव्य की रचना पूर्णतया भारवि के किरातार्जुनीयम् की शैली पर की है। इसमें वीर रस की प्रधानता है।

कवि का भाषा पर पूर्ण अधिकार है। अलंकारों की भरमार है। कालिदास का उत्कर्ष उपमा अलंकार के प्रयोग में, भारवि का उत्कर्ष अर्थ के गौरव में और श्री हर्ष का उत्कर्ष पदलालित्य में स्वीकार किया गया है परन्तु माघ का उत्कर्ष इन तीनों ही गुणों में स्वीकार किया जाता है। इसीलिए यह सुभाषित प्रसिद्ध हो गया
उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थ गौरवम्। नैषधे पदलालित्यम् माघे सन्ति त्रयो गुणाः॥

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11. श्री हर्ष का काव्य ‘नैषधीयचरितम्’
श्री हर्ष कान्यकुब्ज के राजा विजय चन्द्र (1169-1195 ई०) सभापण्डित थे। नैषधीयचरितम् इनका प्रसिद्ध महाकाव्य है। अलंकृत शैली के इस महाकाव्य को संस्कृत महाकाव्य की बृहत्-त्रयी (किरातार्जुनीयम्, शिशुपालवधम्, नैषधीयचरितम्) में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। महाभारत के प्रसिद्ध नल उपाख्यान को आधार बनाकर 22 सर्गों वाले इस महाकाव्य की रचना हुई है। छोटे से कथानक को श्रीहर्ष ने अपनी अद्भुत कल्पना शक्ति और प्रतिभा से इतना विस्तार दिया है। इस महाकाव्य का नायक नल और नायिका दमयन्ती है। शब्दों के सुन्दर विन्यास, भावों के समुचित निर्वाह, कल्पना की ऊंची उड़ान तथा प्रकृति के सजीव चित्रण की दृष्टि से यह महाकाव्य अद्वितीय है इनकी कविता में स्वभाविक माधुर्य है। शब्द और अर्थ की नवीनता है-नैषधीयचरितम् अपने पदलालित्य के लिए प्रसिद्ध है। इसका मुख्य रस शृंगार है तथा करुण आदि अन्य रस सहायक हैं। श्री हर्ष की कविता में अलंकारों की भरमार है और छन्द प्रयोग की कुशलता प्रशंसनीय है।

12. भर्तृहरि की गीति काव्य ‘नीतिशतकम्’
भर्तृहरि को परम्परा के अनुसार विक्रमादित्य का बड़ा भाई मानती है इनकी मृत्यु 650 ईस्वी में हुई थी इनके तीन गीतिकाव्य-1. शृंगारशतकम्, 2. नीतिशतकम्, 3. वैराग्यशतकम् प्रसिद्ध हैं। इनके अतिरिक्त इनका एक व्याकरण ग्रन्थ ‘वाक्यपदीयम्’ के नाम से उपलब्ध है विद्वान् लोग भर्तृहरि का समय छठी शताब्दी का उत्तरार्ध मानते हैं।

नीतिशतकम्, शृंगारशतकम् और वैराग्यशतकम् प्रत्येक में लगभग 100 श्लोकों का संग्रह है। प्रत्येक पद्य स्वतन्त्र मुक्तक है अर्थात् प्रत्येक पद्य में अपने विषय की बात पूर्ण हो जाती है। इन शतकों में भर्तृहरि ने अपने जीवन के अनुभव अति सरल भाषा में भर दिए हैं। अधिकांश श्लोक सुभाषित एवं सूक्ति का रूप धारण कर गए हैं। ___ नीतिशतक में लौकिक व्यवहार के लिए उपयोगी उत्तम उपदेश प्रदान किए गए हैं इसमें वीरता, विद्या, साहस, मैत्री, विद्वान्, सज्जन, दुर्जन, सत्संगति, धन की महिमा, मूों की नीचता, स्वाभिमान, राजनीति, भाग्य एवम् पुरुषार्थ आदि अनेक विषयों का काव्यमयी भाषा में सुन्दर प्रतिपादन हुआ है। भर्तृहरि ने इनकी रचना में सरस सुबोध भाषा के साथसाथ गेय छन्दों का प्रयोग किया है। इनकी कविता पाठक के हृदय पर अनायास ही गहरा प्रभाव छोड़ती है। निश्चय ही कवि ने नीतिशतक के पद्यों में गागर में सागर भर दिया है।

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13. दण्डी का गद्य काव्य ‘दशकुमारचरितम्’
दण्डी के पिता वीरदत्त संस्कृत के महाकवि भारवि के छोटे पुत्र थे। दण्डी की माता का नाम गौरी था। इनका स्थिति काल ईसा की छठी शताब्दी माना जाता है। परम्परा के अनुसार दण्डी की तीन रचनाएं मानी जाती हैं-1. दशकुमारचरितम्, 2. काव्यादर्शः, 3. अवन्तिसुन्दरी कथा।

‘दशकुमारचरितम्’ दण्डी का प्रसिद्ध गद्य काव्य है। इसमें दशकुमारों के विचित्र चरित्र का विस्मयकारी चित्रण है। इसका कथानक घटना प्रधान है। कथानकों की सभी घटनाएं रोमांचक तथा पाठकों के हृदय में आकर्षण पैदा करने वाली हैं। इसकी विषय-वस्तु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। दण्डी ने अपनी रचना को यथार्थवादी बनाया है। इसमें निम्न कोटि का जीवन जीने वाले तथा साहसिक कार्य करने वाले जादूगर, धूर्त, तपस्वी, राजा, राजकुमारियां, चोर, वेश्याएं, प्रेमी-प्रेमिका आदि के रोचक वर्णन हैं। ब्राह्मणों, व्यापारियों एवं साधुओं पर तीखे व्यंग्य कसे गए हैं। वर्णन में हास्य विनोद की पुट है। दण्डी अपने पदलालित्य के कारण प्रसिद्ध हैं। अनुप्रास और यमक का प्रभावशाली प्रयोग इनकी रचना में हुआ है।

14. बाणभट्ट के गद्य काव्य
कवि सम्राट् बाण भट्ट महाराजा हर्षवर्धन के राजपण्डित थे। हर्षवर्धन के राज्यभिषेक 606 ईस्वी में हुआ था और उनकी मृत्यु 648 ईस्वी में हुई थी। इसीलिए बाण का स्थितिकाल ईसा की सातवीं शताब्दी का पूर्वार्ध माना जाता है। बाण भट्ट की दो गद्य कृतियां प्रसिद्ध हैं-1. हर्षचरितम्, 2. कादम्बरी। हर्षचरितम्- यह बाण भट्ट की प्रथम रचना है। इसमें हर्ष का प्रामाणिक इतिहास सुरक्षित है। इसीलिए इसे आख्यायिका कहा जाता है। इसमें आठ उच्छ्वास हैं। आरम्भ के अढ़ाई उच्छ्वासों में बाण ने अपने वंश का तथा अपना वृत्तान्त दिया है। शेष उच्छ्वासों में हर्षवर्धन, प्रभाकरवर्धन तथा राज्यश्री-इन तीनों भाई-बहनों का सम्पूर्ण जीवन वृत्तान्त वर्णित है। संस्कृत साहित्य में ऐतिहासिक विषय को आधार बनाकर काव्य लिखने का शुभारम्भ बाण के हर्षचरितम् से ही हुआ है। हर्षचरितम् में बाणभट्ट की शैली, चरित चित्रण, वर्णन चातुरी, अत्यन्त उत्कृष्ट है। सती होने के लिए उद्यत यशोवती की मानसिक दशा का चित्रण बड़ा ही करुणामय है। यद्यपि हर्षचरितम् बाण की अधूरी रचना है फिर भी काव्य सौन्दर्य की दृष्टि से साहित्य में इसका विशिष्ट स्थान है।

कादम्बरी-कादम्बरी बाण की दूसरी प्रसिद्ध और प्रामाणिक रचना है। ‘शुकनासोपदेशः’ कादम्बरी का ही छोटा सा अंश है। बाण की असमय में मृत्यु हो जाने के कारण इसकी कथा को बाण के विद्वान् पुत्र भूषण भट्ट ने उत्तरार्ध के रूप में पूरा किया। इस प्रकार कादम्बरी का पूर्वार्ध ही बाण की मौलिक रचना है। इसकी कथा पूर्णतया काल्पनिक है। इसके घटनाक्रम में एक व्यक्ति के तीन-तीन जन्म का वृत्तान्त है।

कादम्बरी की कथा चन्द्रापीड़ और पुण्डरीक के तीन जन्मों से सम्बन्धित है। इसका कथानक अत्यन्त जटिल है, परन्तु इसके वर्णन इतने सजीव हैं कि पाठक को कथा प्रवाह के शिथिल होने का आभास ही नहीं हो पाता और वह वर्णन के आनन्द में ही डूब जाता है। कादम्बरी का रसपान करने वाले को भोजन भी अच्छा नहीं लगता। कहा भी है
‘कादम्बरी रसज्ञानाम् आहारोऽपि न रोचते’। ‘कादम्बरी’ में वर्णित राजतिलक से पूर्व राजकुमार चन्द्रापीड़ को मन्त्री शुकनास का सारगर्भित उपदेश बेजोड़ है। मन्त्री शुकनास का यह उपदेश ही शुकनासोपदेश के नाम से जाना जाता है। कादम्बरी में बाणभट्ट ने प्रसंग के अनुसार दीर्घ समासवाली, अल्पसमास वाली तथा समास रहित विविध शैलियों का प्रयोग किया है। बाण का भाषा पर पूर्ण अधिकार है। वर्णन की दृष्टि से बाण ने संसार के सभी विषयों का स्पर्श किया है। इसीलिए बाण के सम्बन्ध में यह उक्ति प्रसिद्ध हो गई है

‘बाणोच्छिष्टं जगत् सर्वम्’।।

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15. ईशोपनिषद्
अथवा
ईशावास्योपनिषद्
“सम्पूर्ण विश्व में ज्ञान का आदिस्रोत ‘वेद’ ही हैं”-ऐसा विद्वानों का मत है। वेदों का सार उपनिषदों में निहित है। उपनिषदों को ‘ब्रह्मविद्या’, ‘ज्ञानकाण्ड’ अथवा ‘वेदान्त’ नाम से भी जाना जाता है। ‘उप’ तथा ‘नि’ उपसर्ग पूर्वक

सद् (षद्लु) धातु से ‘क्विप्’ प्रत्यय होकर ‘उपनिषद्’ शब्द निष्पन्न होता है-उप + नि + √भसद् + क्विप् > ० = उपनिषद। जिससे अज्ञान का नाश होता है, आत्मा का ज्ञान सिद्ध होता है, संसार चक्र का दुःख छूट जाता है; वह ज्ञानराशि ‘उपनिषद्’ कही जाती है। गुरु के समीप बैठकर अध्यात्मविद्या ग्रहण की जाती है-इस कारण भी

‘उपनिषद्’ शब्द सार्थक है। ‘उपनिषद्’ नाम से 200 से भी अधिक ग्रन्थ मिलते हैं। परन्तु प्रामाणिक दृष्टि से उन में 11 उपनिषद् ही महत्त्वपूर्ण हैं और इन्हीं पर आचार्य शङ्कर का भाष्य भी मिलता है। इनके नाम इस प्रकार हैं-1. ईशावास्य 2. केन, 3. कठ, 4. प्रश्न, 5. मुण्डक, 6. माण्डूक्य, 7. तैत्तिरीय, 8. ऐतरेय, 9. छान्दोग्य, 10. बृहदारण्यक तथा 11. श्वेताश्वतर।। . इनमें भी ‘ईशावास्य-उपनिषद्’ सबसे अधिक प्राचीन एवं महत्त्वपूर्ण है। [‘यजुर्वेद’ का अन्तिम चालीसवाँ अध्याय ही ‘ईशोपनिषद्’ के नाम से प्रसिद्ध है, इसमें कुल 17 मन्त्र हैं।] इस उपनिषद् में ‘समस्त जगत् ईश्वाराधीन है’-यह प्रतिपादित करके भगवद्-अर्पणबुद्धि से जगत् के पदार्थों का उपभोग करने का निर्देश किया गया है।

‘जगत्यां जगत्”ब्रह्माण्ड में जो कुछ भी है, सब जगत् अर्थात् गतिमय है’-उपनिषद् के इस सिद्धान्त की पुष्टि आधुनिक विज्ञान एवं आधुनिक खोज द्वारा भी होती है। निरन्तर परिवर्तन तथा निरन्तर गतिमयता ब्रह्माण्ड के समस्त सूर्य + चन्द्र + पृथ्वी आदि ग्रह-उपग्रहों का स्वभाव है। – इस उपनिषद् में ‘विद्या’ ‘अविद्या’ दो विशिष्ट वैदिक पदों का प्रयोग हुआ है। जो लोग ‘अविद्या’ शब्द द्वारा कहे जाने वाले यज्ञयाग, भौतिकशास्त्र आदि सांसारिक ज्ञान में दैनिक सुख-साधनों की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं; उनकी सांसारिक उन्नति तो बहुत होती है, परन्तु उनका अध्यात्म पक्ष निर्बल रह जाता है। जो लोग केवल अध्यात्म ज्ञान में ही लीन रहते हैं और भौतिक ज्ञान की साधन सामग्री की अवहेलना करते हैं, वे सांसारिक जीवन के निर्वाह तथा सांसारिक उन्नति में पिछड़ जाते हैं।

इसीलिए अविद्या अर्थात् भौतिकज्ञान द्वारा जीवन की सुख-साधन सामग्री अर्जित कर विद्या अर्थात् अध्यात्मज्ञान द्वारा जन्म-मरण के दुःख से रहित अमृतपद को प्राप्त करने का सारगर्भित उपदेश इस उपनिषद में दिया गया है-‘अविद्यया मृत्युं तीर्खा विद्ययाऽमृतमश्नुते’। श्रीमद् भगवद्गीता में ईशोपनिषद् के ही दार्शनिक विचारों का विस्तार से व्याख्यान किया गया है।

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16. दाराशिकोह (समुद्रसङ्गमः)
मुगलसम्राट् शाहजहाँ के विद्वान् पुत्र दाराशिकोह संस्कृत तथा अरबी भाषा के तत्कालीन विद्वानों में अग्रगण्य थे। ‘समुद्रसङ्गमः’ दाराशिकोह द्वारा रचित प्रसिद्ध है। इसी ग्रन्थ में ‘पृथिवी-निरूपणम्’ के अन्तर्गत उन्होंने पर्वतों, द्वीपों, समुद्रों आदि का विशिष्ट शैली में वर्णन किया है। उसी वर्णन के कुछ अंश यहाँ ‘भू-विभागाः’ पाठ में प्रस्तुत किए गए हैं।

दाराशिकोह मुगलसम्राट शाहजहाँ के सबसे बड़े पुत्र थे। उनका जीवनकाल 1615 ई० से 1659 ई० तक है। शाहजहाँ उनको राजपद देना चाहते थे पर उत्तराधिकार के संघर्ष में उनके भाई औरंगज़ेब ने निर्ममता से उनकी हत्या कर दी। दाराशिकोह ने अपने समय के श्रेष्ठ संस्कृत पण्डितों, ज्ञानियों और सूफी सन्तों की सत्संगति में वेदान्त और इस्लाम के दर्शन का गहन अध्ययन किया था। उन्होंने फ़ारसी और संस्कृत में इन दोनों दर्शनों की समान विचारधारा को लेकर विपुल साहित्य लिखा। फारसी में उनके ग्रन्थ हैं-सारीनतुल् औलिया, सकीनतुल् औलिया, हसनातुल् आरफीन (सूफी सन्तों की जीवनियाँ), तरीकतुल् हकीकत, रिसाल-ए-हकनुमा, आलमे नासूत, आलमे मलकूत (सूफी दर्शन के प्रतिपादक ग्रन्थ), सिर्र-ए-अकबर (उपनिषदों का अनुवाद)। श्रीमद्भगवद्गीता और योगवासिष्ठ का भी फ़ारसी भाषा में उन्होंने अनुवाद किया। ‘मज्म-उल्-बहरैन्’ फ़ारसी में उनकी अमरकृति है, जिसमें उन्होंने इस्लाम और वेदान्त की अवधारणाओं में मूलभूत समानताएँ बतलाई हैं। इसी ग्रन्थ को दाराशिकोह ने ‘समुद्रसङ्गमः’ नाम से संस्कृत में लिखा।

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17. चन्द्रशेखरदास वर्मा (पाषाणीकन्या)
श्री चन्द्रशेखरदास वर्मा उड़िया भाषा के प्रख्यात साहित्यकार हैं। इनका जन्म 1945 ईस्वी में हुआ। इनके 12 कथासंग्रह, एक नाट्यसंग्रह तथा तीन समीक्षा-ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। ‘पाषाणी-कन्या’ तथा ‘वोमा’ इनके प्रसिद्ध कथा संग्रह हैं। ‘पाषाणीकन्या’ कथासंग्रह का संस्कृत अनुवाद डॉ० नारायण दाश ने किया है। इसी कथासंग्रह से ‘दीनबन्धुः श्रीनायारः’ शीर्षक कथा पाठ्यांश के रूप में संकलित है।

इस कथा के नाटक श्रीनायार का पालन-पोषण एक अनाथाश्रम में हुआ है। श्रीनायार ने अपनी कर्मदक्षता, दाक्षिण्य और सेवामनोवृत्ति से समाज में आदर्श स्थापित किया है। वे प्रतिमास अपने वेतन का आधे से अधिक भाग केरल में स्थापित अनाथाश्रम को भेजते हैं। प्रस्तुत कथा में श्रीनायार का लोककल्याणकारी आदर्श चरित्र वर्णित है।

18. पं० हृषीकेश भट्टाचार्य (प्रबन्धमञ्जरी)
आधुनिक गद्य लेखकों में पण्डित हृषीकेश भट्टाचार्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनका समय 1850-1913 ई० है। ये ओरियण्टल कॉलेज, लाहौर में संस्कृत के प्राध्यापक थे। इन्होंने ‘विद्योदयम्’ नामक संस्कृत पत्रिका के माध्यम से 44 वर्ष तक निवन्ध-लेखन करके संस्कृत में निबन्ध-विधा को जन्म दिया है। श्री भट्टाचार्य द्वारा लिखित संस्कृत निबन्धों का एक संग्रह ‘प्रबन्धमञ्जरी’ के नाम से 1930 ई० में प्रकाशित हुआ। इसमें 11 निबन्ध संगृहीत हैं। इनमें से अधिकांश निबन्ध व्यङ्ग्य-प्रधान शैली में लिखे गए हैं। संस्कृत में व्यङ्ग्य-शैली का प्रादुर्भाव श्री भट्टाचार्य के इन निबन्धों से ही माना जाता है। इनका व्यंग्य अत्यन्त शिष्ट, परिष्कृत और प्रभावोत्पादक है। इनकी भाषा में सरलता, सरसता, मधुरता तथा सुबोधता है। इनकी भाषा में संस्कृत के महान् गद्यकार बाण की शैली का प्रभाव स्पष्ट रूप से अनुभव किया जा सकता है।

प्रस्तुत पाठ ‘उद्भिज्ज-परिषद्’ श्री भट्टाचार्य की इसी ‘प्रबन्ध-मञ्जरी’ से सम्पादित करके लिया गया है। उभिज्ज शब्द का अर्थ है-वृक्ष और परिषद् का अर्थ है-सभा। इस प्रकार ‘उदभिज्ज-परिषद्’ शब्द का अर्थ हुआ ‘वृक्षों की सभा।’ इस सभा के सभापति हैं अश्वत्थ-पीपल। सभापति अपने भाषण में मानवों पर बड़े ही व्यंग्यपूर्ण प्रहार करते हैं।

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19. पं० भट्ट मथुरानाथ शास्त्री (प्रबन्धपारिजातः)
प्रस्तुत पाठ ‘किन्तोः कुटिलता’ देवर्षि श्रीकलानाथ शास्त्री द्वारा सम्पादित पं० श्री भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के निबन्धसंग्रह ‘प्रबन्धपारिजातः’ से संकलित किया गया है। – पं० भट्ट मथुरानाथ शास्त्री के पिता पं० भट्ट द्वारकानाथ जयपुर निवासी थे। पं० भट्ट मथुरानाथ का जन्म जयपुर में सन् 1889 ई० में हुआ और निधन भी 4 जून, 1964 ई० को जयपुर में ही हुआ।

श्री भट्ट की पूर्वज परम्परा अत्यन्त प्रतिभा सम्पन्न रही। इन्होंने महाराजा संस्कृत कॉलेज से साहित्याचार्य की उपाधि प्राप्त की और वहीं व्याख्याता बन गए। आप जयपुर से प्रकाशित ‘संस्कृतरत्नाकर’ पत्रिका के सम्पादक रहे। भट्ट मथुरानाथ शास्त्री द्वारा प्रणीत संस्कृत की रचनाओं में ‘जयपुरवैभवम्’, ‘गोविन्दवैभवम्’, ‘संस्कृतगाथासप्तशती’ और ‘साहित्यवैभवम्’ विशेष उल्लेखनीय हैं। इनके अतिरिक्त इन्होंने चालीस कथाएँ और सौ से भी अधिक निबन्ध संस्कृत में लिखे। इनकी ‘सुरभारती’, ‘सुजनदुर्जन-सन्दर्भः’ और ‘युद्धमुद्धतम्’ नामक पद्य रचनाएँ भी उल्लेखनीय हैं।

यहाँ संकलित पाठ में श्री भट्ट जी ने दिखाया है कि जब कभी किसी कथन के साथ ‘किन्तु’ लग जाता है, तब बहुधा वह पहले कथन के अच्छे भाव को समाप्त कर उसे दोषपूर्ण और सम्बोधित व्यक्ति के लिए दुःख पैदा करने वाला, उसके उत्साह का नाशक और शत्रुरूप बना देता है। ऐसे अवसर विरल होते हैं जहाँ ‘किन्तु’ सम्बोधित व्यक्ति के लिए सुखदायक सिद्ध होता है।

लेख की भाषा सरल व सुबोध है, अलंकारों और दीर्घ समासों आदि का प्रयोग नहीं किया गया है। भाव सुस्पष्ट और सामान्य जीवन में जनसाधारण द्वारा अनुभूत हैं।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् संस्कृतसाहित्यस्य-इतिहासः

20. सिंहासनद्वात्रिंशिका
‘सिंहासनद्वात्रिंशिका’ बत्तीस मनोरञ्जक कथाओं का संग्रह है। यह किसी अज्ञातकवि की रचना है। इसके केवल गद्यमय, केवल पद्यमय, गद्य-पद्यमय, ये तीन प्रकार के संस्करण मिलते हैं। इसमें बत्तीस पुत्तलिकाओं (पुतलियों) ने राजा विक्रमादित्य को बत्तीस कहानियाँ सुनाई हैं। अतः इस ग्रन्थ का समय राजा भोज (1018-1063) के अनन्तर ही माना जाता है। इसके रचयिता का नाम अज्ञात है।

एक टीले की खुदाई करने पर राजा भोज को एक सिंहासन मिलता है। वह सिंहासन राजा विक्रमादित्य का था। शुभ मुहूर्त में राजा भोज उस सिंहासन पर बैठना चाहता है तो सिंहासन पर बनी 32 पुत्तलिकाओं में से प्रत्येक पुत्तलिका राजा विक्रमादित्य के गुणों तथा पराक्रम की एक-एक कथा सुनाकर राजा को सिंहासन पर बैठने से पुन:पुनः रोकती है

और उड़ जाती है। प्रत्येक पुत्तलिका ने राजा से यही प्रश्न किया है-“क्या तुममें विक्रम जैसा गुण है? यदि है तो इस सिंहासन पर बैठ सकते हो अन्यथा नहीं।” ऐसा माना जाता है कि विक्रमादित्य को यह सिंहासन इन्द्र से प्राप्त हुआ था। उनके दिवंगत हो जाने पर यह सिंहासन भूमि में गाड़ दिया गया और 11वीं सदी में यह सिंहासन धारानरेश भोज को मिलता है, इसीलिए प्रत्येक कहानी में पुत्तलिका राजा भोज को सम्बोधित करके कहानी कहती है।

21. पण्डितराज जगन्नाथ
पंडितराज जगन्नाथ तैलंग ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम पेरुभट्ट और माता का नाम लक्ष्मीदेवी था। युवावस्था में वे दिल्ली गए और शाहजहाँ से उन्होंने पण्डितराज की उपाधि प्राप्त की। उनका स्थितिकाल 1650 – 1680 के लगभग माना जाता है। उन्हें जाति से बहिष्कृत कर दिया था। वे काशी चले गए वहाँ उन्होंने ‘गंगालहरी’ की रचना की। उनके रचित ग्रन्थों में पीयूषलहरी’ अथवा ‘गंगालहरी’, ‘सुधालहरी’, ‘अमृतलहरी’, ‘करुणालहरी’, ‘लक्ष्मीलहरी’ यमुना वर्णन आदि प्रमुख हैं। रसगंगाधर पण्डित राज जगन्नाथ की सर्वश्रेष्ठ कृति है। अलंकार शास्त्र का यह परम प्रौढ़ ग्रन्थ है। इसके अतिरिक्त ‘भामिनी विलास’ मुक्तक गीतात्मक पद्यों का संग्र है।

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