Class 9

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

HBSE 9th Class Hindi मेरे संग की औरतें Textbook Questions and Answers

मेरे संग की औरतें के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं ?
उत्तर-
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था, किंतु उनके बारे में सुना अवश्य था। विशेषकर अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी। उस भेंट में भी उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी का विवाह किसी क्रांतिकारी से करना चाहती थी, अंग्रेजों के किसी भक्त से नहीं। उनकी इस इच्छा से उनकी देशभक्ति का बोध होता है। इसके अतिरिक्त वह साहसी स्त्री थी। उन्होंने पर्दे में रहने के बावजूद किसी पराए पुरुष से मिलने का साहस किया था। इन तथ्यों से पता चलता है कि वह एक वीर स्त्री थी। उनके मन में स्वतंत्रता की आग सुलग रही थी। लेखिका उनके इन्हीं गुणों के कारण प्रभावित थी।

Mere Sang Ki Auraten Class 9 HBSE प्रश्न 2.
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ? [H.B.S.E. 2018, 2019]
उत्तर-
लेखिका की नानी की प्रत्यक्ष रूप से आज़ादी के आंदोलन में भागीदारी नहीं रही। उसकी परिस्थितियाँ ही ऐसी थीं कि वह खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं ले सकती थी। किंतु उसके मन में स्वतंत्रता-प्राप्ति की भावना सदा बनी रही। उसने कभी भी अंग्रेजों की प्रशंसा नहीं की। उसके पति इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करके आए थे और अंग्रेज़ों के भक्त थे। फिर भी उसने अंग्रेज़ों की जीवन-शैली में कभी भाग नहीं लिया। उसका सबसे बड़ा योगदान था कि उसने अपनी संतान को अंग्रेज़-भक्तों के चंगुल से मुक्त कर दिया था, ताकि उसकी संतान देश के लिए कुछ कर सके। इस प्रकार उनकी इस भावना से निश्चित रूप से क्रांतिकारियों को जो उत्साह मिला होगा, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। अतः लेखिका की नानी की स्वतंत्रता आंदोलन में अप्रत्यक्ष रूप से बहुत बड़ी भागीदारी थी।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

मेरे संग की औरतें’ पाठ 2 के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 3.
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए। (ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर-
(क) लेखिका की माँ असाधारण व्यक्तित्व वाली महिला थी। उनके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काम करती थीं। वे मौलिक विचारों वाली स्त्री थीं। लेखिका ने लिखा है कि वे स्वयं अपने ढंग से आजादी के जुनून को निभाती थी। इस विशेषता के कारण घर के सभी लोग उसका सम्मान करते थे। उनसे घर-गृहस्थी का कोई काम नहीं करवाया जाता था। उनका व्यक्तित्व ऐसा प्रभावशाली था कि ठोस कामों के लिए उनसे राय ली जाती थी और उस राय को पत्थर की लकीर मानकर निभाया जाता था। लेखिका की माँ को किताबें पढ़ने और संगीत सुनने का शौक भी था। उसके मान-सम्मान के दो बड़े कारण थे कि वह कभी झूठ नहीं बोलती थी और किसी की गोपनीय बात को दूसरों से नहीं कहती थी।

(ख) लेखिका की दादी एक विचित्र व्यक्तित्व वाली स्त्री थी। वह लीक से हटकर काम करने वाली महिला थी। उसके घर में हर व्यक्ति को अपना अधिकार बनाए रखने की स्वतंत्रता थी। लेखिका की दादी, ताई व पिता उसकी माँ के कर्त्तव्यों को पूरा करते थे। लेखिका की माँ बिस्तर पर लेटे-लेटे किताबें पढ़ती और संगीत सुनती। फिर भी उसे भरपूर सम्मान मिलता था। हर व्यक्ति अपने स्वतंत्र विचार रखता था, किंतु फिर भी आपसी सद्व्यवहार का वातावरण बना रहता था। वहाँ किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं था। अतः किसी को भी हीन भावना अनुभव नहीं करनी पड़ती थी।

मेरे संग की औरतें प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 4.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर-
परदादी परंपरा की लीक पर चलने वाली स्त्री नहीं थी। उस युग में लड़की होने की मन्नत माँगना क्रांतिकारी विचार होने का संकेत करता है। उसकी दृष्टि में लड़की-लड़के में भेद नहीं था। उस युग में स्त्री-सुधार आंदोलन भी जोरों पर था। उसका अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव दादी पर अवश्य पड़ा होगा। उनकी मन्नत से यह पता चलता है कि उनकी दृष्टि में स्त्रियों का सम्मानजनक स्थान था। वह लड़कियों से प्रेम करती होगी इसलिए उसने लड़की होने की मन्नत माँगी होगी। परिवार में सब बहुओं को पहला लड़का ही हुआ था। इसलिए उसने पोते की बहू के लिए पहली लड़की होने की मन्नत माँगी होगी।

Mere Sang Ki Auraten HBSE 9th Class प्रश्न 5.
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए। .
उत्तर-
माँ जी जब एक रात रतजगे के शोर से बचने के लिए अलग कमरे में सो रही थीं, तब उनके कमरे में सेंध लगाकर कोई चोर घुस आया था। माँ जी आवाज़ सुनकर जाग गई और पूछा कौन है ? चोर द्वारा संक्षिप्त-सा उत्तर देने पर माँ जी ने उससे पानी लाने के लिए कहा। माँ जी ने कहा कि कपड़ा कसकर बाँधे रहना। चोर डर गया कि उसने कैसे जान लिया कि उसने कपड़ा बाँधा हुआ है। माँ जी ने चोर द्वारा बताने पर भी कि वह चोर है, पानी भरवाया। उसने लोटे से पानी पीकर शेष पानी चोर को पिला दिया और फिर कहा कि अब हम माँ-बेटा हुए। अब तू चोरी कर या खेती। चोर ने चोरी करना छोड़कर खेती का काम करना आरंभ कर दिया। इस घटना से सिद्ध होता है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की अपेक्षा सहजता से भी किसी व्यक्ति को सही मार्ग पर लाया जा सकता है।

Kritika Chapter 2 Class 9 Answers HBSE प्रश्न 6.
‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
लेखिका मानती है कि शिक्षा प्राप्त करना बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। लेखिका जब कर्नाटक के छोटे-से कस्बे बागलकोट में थीं, तब वहाँ कोई अच्छा स्कूल नहीं था। उसने कैथोलिक बिशप से स्कूल खोलने की प्रार्थना की, किंतु वे वहाँ इसलिए स्कूल खोलने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि क्रिश्चियन बच्चों की संख्या कम थी। किंतु लेखिका तो सब बच्चों के द्वारा शिक्षा पाने की पक्षपाती थी। उसके मन में किसी प्रकार का धर्म व जातिगत भेदभाव नहीं था। उसने अपने प्रयासों से ऐसा स्कूल आरंभ किया जिसमें बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़ तीनों भाषाएँ पढ़ाई जाती थी। इसे कर्नाटक की सरकार से मान्यता भी दिला दी थी।

Class 9 Chapter 2 Kritika HBSE प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है ?
उत्तर–
प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि उन इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है, जिनमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

(1) जो सदा सच बोलते हैं।
(2) जो किसी की गोपनीय बातों को दूसरों के सामने प्रकट नहीं करते।
(3) जो अपने इरादों में दृढ़ रहते हों और उन्हें पूरा करने का प्रयास करते हों।
(4) जो दूसरों के साथ सहज व्यवहार करते हों।
(5) जिनमें हीन भावना न हो।
(6) जो देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण हों।

मेरे संग की औरतें पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 8.
‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
लेखिका और उसकी बहन में अकेले अपने जीवन-पथ पर चलने का पूर्ण साहस था। लेखिका ने अपनी हिम्मत और साहस से बिहार में रहते हुए नारी जागरण का कार्य किया। उन्होंने शादीशुदा औरतों को नाटक में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। नारी-जागृति उत्पन्न करने के लिए उनमें एक अजीब धुन थी। इसी प्रकार उन्होंने कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट में अपने बलबूते पर प्राइमरी स्कूल आरंभ किया था।

लेखिका की बहन रेणु भी जीवन में अकेले ही अनोखे काम कर दिखाने में आनंद अनुभव करने वाली युवती थी। उसे स्कूल से लौटते समय थोड़ी दूर के लिए गाड़ी में आना पसंद नहीं था। वह अकेली ही पैदल चलकर पसीने से तर-बतर होकर घर आती थीं। एक दिन अधिक बरसात के कारण स्कूल की गाड़ी न आने पर वह सबके मना करने पर पैदल ही स्कूल जा पहुंची थी। उसने ऐसा करके यह सिद्ध कर दिया था कि वह अकेले ही अपनी राह पर चल सकती है। वह कहती थी कि अकेलेपन का मजा ही कुछ ओर है। इस प्रकार दोनों के व्यक्तित्व में अकेले ही अपना मार्ग बना लेने की हिम्मत थी।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

HBSE 9th Class Hindi मेरे संग की औरतें Important Questions and Answers

Kritika Lesson 2 Class 9 HBSE प्रश्न 1.
लेखिका की परदादी के जीवन में ऐसे कौन-से गुण थे जिनका अनुकरण किया जाए ?
उत्तर-
लेखिका की परदादी का व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था। उनके जीवन की त्याग की भावना और नारी-सम्मान की भावना विशेष रूप से अनुकरणीय थी। लेखिका की परदादी ने घोषणा कर दी थी कि वह केवल दो ही धोतियों से गुजारा करेगी। यदि तीसरी धोती मिल जाती है तो वह उसे दान कर देगी। उसने अपने पोते के यहाँ कन्या उत्पन्न होने की मन्नत माँगी थी। उसने अपनी इस मन्नत को किसी से छिपाया नहीं था। उसने अपनी इस कामना के पीछे किसी प्रकार का कोई तर्क भी नहीं दिया था। वह चाहती थी कि इस समाज में केवल लड़कों का ही नहीं, अपितु लड़कियों का भी मान-सम्मान होना चाहिए। उसकी यह भावना आज के समाज के लिए अनुकरणीय है। उसके मन में ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था थी। वह प्रभु से सदा सच्ची भावना से ही मन्नत माँगती थी जो पूरी होती थी। अतः उनके जीवन का यह गुण भी अनुकरणीय है।

Kritika Chapter 2 Mere Sang Ki Auraten HBSE प्रश्न 2.
लेखिका की माँ के जीवन के कौन-कौन से गुण आपको अत्यधिक प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
लेखिका की माँ एक पतली-दुबली व कमजोर-सी दिखाई देने वाली नारी थी। किंतु उनका दृढ़ निश्चय व संकल्प देखते ही बनता था। जिस काम का वह एक बार निश्चय कर लेती थी, उसे करके ही दम लेती थी। वह देशभक्त नारी थी। वह सदा ही खादी की धोती पहनती थी। लेखिका की माँ के जीवन के प्रमुख गुण थे ईमानदारी, निष्पक्षता, सत्य बोलना और स्वतंत्रता-प्राप्ति के आंदोलन में भाग लेना आदि। उनके जीवन के ये वे गुण थे, जिन्हें देखकर हर व्यक्ति उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। वे कभी झूठ नहीं बोलती थी और न ही कभी किसी के प्रति अन्याय होते सहन कर सकती थी। वह सदा ही देश-समाज-सेवा और त्याग को अपना धर्म मानती थी। वास्तव में लेखिका की माँ महान् विचारों वाली नारी थी।

Mere Sang Ki Auraten Prashn Uttar HBSE 9th Class प्रश्न 3.
लेखिका की नानी क्रांतिकारी विचारों वाली नारी थी। सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
लेखिका की नानी ऊपरी तौर पर देखने में बहुत ही शांत एवं सहज लगती थी, किंतु वह सदा से नारी की स्वतंत्रता के पक्ष में थी। उसे आज़ादी अच्छी लगती थी। भले ही वह आजादी देश की हो या व्यक्ति की। उस समय की स्थिति ऐसी थी कि पति से भी खुलकर बोल पाना संभव नहीं था। किंतु उसके मन में क्रांतिकारी विचार मन-ही-मन सुलगते रहते थे। जब वह मरणासन्न थी तो उसने अपने क्रांतिकारी विचारों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया। उसने प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारे लाल शर्मा को बुलाकर कहा कि वे उसकी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से कराएँ, किसी अंग्रेज भक्त से नहीं। यह उसके मन का अंग्रेज भक्तों के प्रति खुला विद्रोह था। इससे स्पष्ट है कि लेखिका की नानी क्रांतिकारी विचारों वाली नारी थी।

Chapter 2 Kritika Class 9 HBSE प्रश्न 4.
“हम हाथी पे हल ना जुतवाया करते, हम पे बैल हैं” इस कथन के पीछे छुपी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यह कथन लेखिका की दादी का है। लेखिका की माँ घर के काम-काज में हाथ नहीं बँटवाती थी। वह सदा ही स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित कामों में लगी रहती थी। वह बच्चों के पालन-पोषण व भरण-पोषण के काम भी नहीं करती थी। लोग जब इसका कारण पूछते कि उसे घर के काम-काज से छूट क्यों दी गई है तब लेखिका की दादी उन लोगों को उत्तर देती हुई ये शब्द कहती थी। इन शब्दों का तात्पर्य है कि लेखिका की माँ बहुत उच्च-विचारों वाली तथा देशभक्त नारी है। ये घर-गृहस्थी के काम उसके करने के योग्य नहीं हैं। इन कामों को करने के लिए हमारे पास अन्य सदस्य हैं।

Class 9th Kritika Ch 2 Question Answer HBSE प्रश्न 5.
चोर लेखिका की माँ की किस बात से प्रभावित हुआ ?
उत्तर-
चोर लेखिका की माँ के कमरे में चोरी करने के लिए घुसा था। किंतु लेखिका की माँ उससे डरी नहीं, अपितु उसे पानी लाने के लिए कहा। उसने यह भी बता दिया कि वह चोर है। फिर माँ ने कहा कि चोर हो या भगवान, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। चोर उसे पानी देता है तथा पकड़ा जाता है। चोर लेखिका की माँ की उदारता से बहुत ही प्रभावित होता है और वह चोरी का काम छोड़कर खेती करने का काम आरंभ कर देता है।

Class 9 Kritika Chapter 2 HBSE प्रश्न 6.
स्वतंत्रता की दीवानी लेखिका 15 अगस्त, 1947 का स्वतंत्रता का समारोह देखने के लिए क्यों नहीं जा सकी थी ?
उत्तर-
लेखिका बचपन से ही स्वतंत्रता की दीवानी थी। स्वतंत्रता आंदोलन में भी वह चाव से भाग लेती थी। किंतु जिस दिन स्वतंत्रता समारोह का आयोजन किया गया, उस दिन वह बीमार थी। उसे टाइफाइड बुखार हो गया था। उन दिनों उसे जानलेवा बुखार माना जाता था। डॉक्टर ने उसे कठोरतापूर्वक समारोह में न जाने के लिए कहा था। इसी कारण स्वतंत्रता की दीवानी लेखिका . स्वतंत्रता समारोह में न जा सकी।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

Kritika Chapter 2 Class 9 HBSE प्रश्न 1.
‘मेरे संग की औरतें’ पाठ एक है-
(A) आत्मकथात्मक निबंध
(B) कहानी
(C) संस्मरण
(D) रिपोर्ताज
उत्तर-
(A) आत्मकथात्मक निबंध

प्रश्न 2.
‘मेरे संग की औरतें’ नामक पाठ की लेखिका का नाम है-
(A) महादेवी वर्मा
(B) मृदुला गर्ग
(C) सुभद्राकुमारी चौहान
(D) शिवरानी
उत्तर-
(B) मृदुला गर्ग

प्रश्न 3.
मृदुला गर्ग का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1938 में
(B) सन् 1942 में
(C) सन् 1945 में
(D) सन् 1947 में
उत्तर-
(A) सन् 1938 में

प्रश्न 4.
मूदुला गर्ग को साहित्य की किस विधा के लिए प्रसिद्धि मिली है ?
(A) कविता
(B) कथा-साहित्य
(C) निबंध
(D) नाटक
उत्तर-
(B) कथा-साहित्य

प्रश्न 5.
‘मेरे संग की औरतें’ शीर्षक पाठ किनकी समस्याओं पर आधारित है ?
(A) पुरुषों की
(B) बच्चों की
(C) बूढ़ों की
(D) औरतों की
उत्तर-
(D) औरतों की

प्रश्न 6.
लेखिका की नानी थी-
(A) परदानशी
(B) शिक्षित
(C) परंपरावादी
(D) धर्मभीरु
उत्तर-
(A) परदानशी

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प्रश्न 7.
लेखिका की नानी मुँहजोर क्यों हो उठी थी ?
(A) क्रांतिकारी बनने के कारण
(B) अपनी पंद्रह वर्षीय बेटी के विवाह की चिंता में
(C) परिवार की चिंता में ।
(D) पति की बेरुखी के कारण
उत्तर-
(B) अपनी पंद्रह वर्षीय बेटी के विवाह की चिंता में

प्रश्न 8.
लेखिका की नानी परदे की चिंता छोड़कर किससे मिलना चाहती थी ?
(A) अपने पति से
(B) पति की माँ से
(C) पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से
(D) अपने ससुर से
उत्तर-
(C) पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से

प्रश्न 9.
लेखिका की नानी अपनी बेटी की शादी कैसे व्यक्ति से करना चाहती थी ?
(A) जो साहबों का फरमाबरदार न हो
(B) जो कायर न हो
(C) जो सेना का सिपाही हो
(D) जो परंपरा का पालन करने वाला हो
उत्तर-
(A) जो साहबों का फरमाबरदार न हो

प्रश्न 10.
असली आजादी कब अनुभव होती है ?
(A) अपने ढंग से जीने में।
(B) संयमशीलता में
(C) आज्ञानुपालना में
(D) दूसरों को देखकर जीने में
उत्तर-
(A) अपने ढंग से जीने में

प्रश्न 11.
लेखिका की माँ का विवाह कैसे युवक से हुआ था ?
(A) जो अंग्रेजों की नौकरी करता था
(B) जो स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले चुका था
(C) जो कंजूस था
(D) जो माता-पिता का आज्ञाकारी पुत्र था
उत्तर-
(B) जो स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले चुका था

प्रश्न 12.
लेखिका की माँ ने सादा जीवन क्यों व्यतीत किया था ?
(A) गांधी जी के आदर्शों के कारण
(B) गरीबी के कारण
(C) आदर्श स्थापित करने के लिए .
(D) उसे अमीरों से घृणा थी
उत्तर-
(A) गांधी जी के आदर्शों के कारण

प्रश्न 13.
“हमारी बहू तो ऐसी है कि घोई, पोंछी और छींके पर टांग दी”-ये शब्द किसने, किसके लिए कहे थे ?
(A) लेखिक ने अपनी माँ के लिए
(B) लेखिका की दादी ने उसकी माँ के लिए
(C) लेखिका की परदादी ने उसकी दादी के लिए
(D) लेखिका की सास ने उसके लिए
उत्तर-
(B) लेखिका की दादी ने उसकी माँ के लिए

प्रश्न 14.
कौन अंग्रेजों के सबसे बड़े प्रशंसक थे ?
(A) गांधी-नेहरू
(B) लेखिका के पिता
(C) लेखिका की नानी
(D) भारतीय जनता
उत्तर-
(A) गांधी-नेहरू

प्रश्न 15.
लेखिका की माँ की राय का कैसे पालन किया जाता था ?
(A) पत्थर की लकीर की भाँति
(B) पानी की लकीर की भाँति
(C) सख्त आदेश की भाँति
(D) राजा के फरमान की भाँति
उत्तर-
(A) पत्थर की लकीर की भाँति

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प्रश्न 16.
“हम हाथी पे हल न जुतवाया करते, हम पे बैल हैं।”-इस कथन पर बैल किसे कहा गया है ?
(A) अंग्रेजों को
(B) लेखिका की माँ को
(C) परिवार के काम करने वाले सदस्यों को
(D) स्वयं लेखिका को
उत्तर-
(C) परिवार के काम करने वाले सदस्यों को

प्रश्न 17.
‘मुस्तैद’ का अर्थ है-
(A) मस्त
(B) आलसी
(C) चालाक
(D) तत्पर
उत्तर-
(D) तत्पर

प्रश्न 18.
लेखिका की माँ अपने बच्चों की परवरिश में रुचि क्यों नहीं लेती थी ?
(A) वह बीमार रहती थी
(B) वह अधिक कमजोर थी
(C) वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण व्यस्त रहती थी
(D) उसे बच्चों से प्यार नहीं था

उत्तर-
(C) वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण व्यस्त रहती थी

प्रश्न 19.
लेखिका की माँ अपना अधिकांश समय कैसे बिताती थी ?
(A) गप्पे हाँक कर
(B) सैर-सपाटे में
(C) सोने में
(D) पुस्तकें पढ़ने में
उत्तर-
D) पुस्तकें पढ़ने में

प्रश्न 20.
आपकी दृष्टि में लेखिका की माँ का सबसे अच्छा गुण कौन-सा है ?
(A) वह परदे में विश्वास नहीं रखती थी
(B) वह कभी झूठ नहीं बोलती थी
(C) वह दूसरों की सहायता करती थी
(D) वह दूसरों पर विश्वास करती थी
उत्तर-
(B) वह कभी झूठ नहीं बोलती थी

प्रश्न 21.
लेखिका की माँ की भूमिका बखूबी किसने निभाई थी ?
(A) लेखिका के पिता ने
(B) लेखिका की दादी ने
(C) लेखिका की बुआ ने
(D) लेखिका के दादा ने
उत्तर-
(A) लेखिका के पिता ने

प्रश्न 22.
लेखिका की परदादी की किस मन्नत के लिए लोग हैरान थे ?
(A). उसने धन के लिए मन्नत माँगी थी
(B) परिवार में लड़की के जन्म की मन्नत माँगी थी
(C) परिवार में प्रसन्नता की मन्नत माँगी थी
(D) स्वतंत्र भारत की मन्नत
उत्तर-
(B) परिवार में लड़की के जन्म की मन्नत माँगी थी

प्रश्न 23.
लेखिका की परदादी के किस व्यवहार से चोर प्रभावित हुआ था ?
(A) उदारता
(B) प्रभावशाली व्यक्तित्व
(C) उपदेश
(D) माँ-बेटे के संबंध की स्थापना से
उत्तर-
(A) उदारता

प्रश्न 24.
लेखिका के पिता ने उसे कौन-सी पुस्तक लाकर दी थी ?
(A) मेरा परिवार
(B) ब्रदर्स कारामजोव
(C) गोदान
(D) महात्मा गांधी की आत्मकथा
उत्तर-
(B) ब्रदर्स कारामजोव

प्रश्न 25.
लेखिका का भाई किस भाषा में लिखता था ?
(A) उर्दू-फारसी
(B) अंग्रेजी
(C) हिंदी
(D) अवधी
उत्तर-
(C) हिंदी

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मेरे संग की औरतें Summary in Hindi

मेरे संग की औरतें पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘मेरे संग की औरतें’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘मेरे संग की औरतें’ एक आत्मकथात्मक निबंध है। इसमें लेखिका ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया है। निबंध का सार इस प्रकार है

लेखिका की नानी उसके जन्म से पहले ही इस संसार से चल बसी थी। इसलिए लेखिका को उससे कहानी सुनने का अवसर न मिल सका। शायद इसीलिए लेखिका अपने जैसे लोगों के लिए कहानी लिखती है। लेखिका की नानी की कहानी भी बड़ी मजेदार है। उसकी नानी अनपढ़ और पर्दा-प्रथा में विश्वास करने वाली थी। उसकी शादी के तुरंत पश्चात् उसका पति उसे भारत में छोड़कर विलायत में बैरिस्ट्री की परीक्षा पास करने के लिए चला गया। जब वह पढ़ाई पूरी करके लौटा तो विलायती ढंग से भारत में रहने लगा। किंतु नानी अपने ढंग से जीवन जीती रही। उसने अपने पति की जीवन-शैली में कभी रोड़ा नही अटकाया। जब वह मरने वाली थी तो उसने अपने पति के द्वारा प्रसिद्ध क्रांतिकारी व देशभक्त प्यारेलाल शर्मा को बुलवाया और कहा कि उनकी बेटी का विवाह किसी देशभक्त व क्रांतिकारी से करना। वह अंग्रेज़ साहबों के हुक्म का गुलाम न हो। उसकी इच्छा और स्वतंत्र विचारों को सुनकर सब दाँतों तले अंगुली देते रह गए। उसके लिए स्वतंत्रता से जीना ही बेहतर जीना था।

लेखिका की नानी की मृत्यु के पश्चात् उसकी माँ का विवाह एक ऐसे शिक्षित युवक से हुआ जिसे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण आई.सी.एस. की परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था। उसके पास कोई खानदानी धन भी नहीं था। इसलिए उसकी माँ को विवश होकर अपनी माता और गांधी जी के विचारों को अपनाना पड़ा। वह शरीर से इतनी पतली-दुबली थी कि उसके लिए खादी की साड़ी सँभालना भी कठिन था। उसकी सास उसकी दुर्बलता का सदा मजाक किया करती थी। लेखिका की माँ का अपने ससुराल के परिवार पर बहुत दबदबा था। उसके भी दो कारण थे

(1) ससुराल वाले भी अन्य भारतीयों की भाँति अंग्रेजों से प्रभावित थे। भले ही उनका लड़का क्रांतिकारी रहा हो। किंतु घर में दबदबा अंग्रेज़ भक्त ससुर का चलता था। ऐसी स्थिति में घर में एक सिरफिरे क्रांतिकारी की पत्नी होना परिकथा-सा रोमांच पैदा करता था।

(2) दूसरा कारण था उसका प्रभावशाली व्यक्तित्व । वह सुंदर, नाजुक, ईमानदार, निष्पक्ष और गैर-दुनियादार थी। इसीलिए उसे घर के सामान्य कार्य करने के लिए भी नहीं कहा जाता था। उनकी तो केवल सलाह भर ली जाती थी, जिसका पूर्ण पालन किया जाता था। उसकी ससुराल के अन्य सदस्य ही उसकी गृहस्थी का काम सँभाले रहते थे।

लेखिका ने कभी भी अपनी माँ को भारतीय माँ जैसा नहीं पाया था। उसने न कभी अपने बच्चों को लाड़-प्यार किया और न कभी उनके लिए खाना ही बनाया तथा न ही उन्हें कभी अच्छी बहू या पत्नी होने की शिक्षा ही दी। वह घर के कामों में भी रुचि नहीं रखती थी। वह अपना अधिक समय पुस्तकें पढ़ने में बिताती थी। वह संगीत सुनने की भी शौकीन थी। किंतु घर के सदस्य उन्हें कभी कोई ताना नहीं देते थे। उसमें दो गुण थे-प्रथम वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं। दूसरा वह एक की गोपनीय बात को सुनकर कभी दूसरों के आगे नहीं कहती थी। इसलिए बाहर के लोग भी उनके मित्र बने हुए थे। वे उस पर पूरा भरोसा रखते थे। माँ की भूमिका हमारे पिता जी ने ही निभाई थी।

लेखिका की एक परदादी भी थी। उनकी कहानी भी अजीबोगरीब है। उन्हें सदा परंपरा को तोड़ने में ही मज़ा आता था। उन्होंने मंदिर में जाकर यह मन्नत माँगी थी कि उनकी बहू का पहला बच्चा लड़की हो। उनकी यह घोषणा सुनकर लोग हैरान रह गए थे कि यह उसने क्या कह दिया। वे अपनी मन्नत दोहराती रही। पूरे गाँव के लोगों का विश्वास था कि उसके तार तो सीधे भगवान जी से जुड़े हुए हैं। भगवान जी ने भी उनकी ऐसी सुनी कि एक नहीं पाँच लड़कियों का जन्म हुआ।

लेखिका की परदादी के विषय में एक और घटना भी उल्लेखनीय है। एक बार घर के सभी मर्द बारात में गए हुए थे। घर की स्त्रियाँ रतजगा मना रही थीं। परदादी शोर से बचने के लिए किसी दूसरे कमरे में जाकर सो गई। तभी एक चोर सेंध लगाकर उनके कमरे में आ गया। कमरे में हलचल होने से परदादी की आँख खुल गई। उसने कहा, तुम कौन हो ? चोर ने कहा जी मैं हूँ। परदादी ने कहा तुम कोई भी हो, मेरे लिए कुएँ से एक लोटा पानी का लेकर आओ। चोर ने हड़बड़ाहट में कह दिया कि मैं तो चोर हूँ। बुढ़िया ने कहा कि मुझे इससे कुछ नहीं लेना-देना। बुढ़िया ने आधा लोटा पानी पीकर चोर से कहा ले आधा तू पी ले।

चोर द्वारा पानी पी लेने पर उसने कहा अब हम माँ-बेटे हुए। अब तू चोरी कर या खेती कर। चोर बाहर निकलता हुआ हवेली के पहरेदारों द्वारा पकड़ा गया और माफी माँगकर बचा। उसके पश्चात् उसने चोरी करना छोड़कर खेती करना आरंभ कर दिया।

15 अगस्त, 1947 को देश को आजादी मिली। सब जगह आजादी का जश्न मनाया जा रहा था। लेखिका को बुखार था, इसलिए डॉक्टर ने उसे जश्न में शामिल होने को मना किया था। वह मन मसोसकर रह गई। लेखिका और उसकी अन्य चारों बहनें कभी किसी हीन-भावना की शिकार नहीं हुई थीं। लेखिका के परिवार में सभी बच्चों के दो-दो नाम थे-एक घर का और दूसरा बाहर का। लेखिका का घर का नाम उमा और बाहर का मृदुला गर्ग था उसकी छोटी बहन का घर का नाम गौरी और बाहर का नाम चित्रा था। इसी प्रकार बड़ी बहन का घर का नाम रानी और बाहर का नाम मंजुल भगत था। उसकी दो छोटी बहनों का नाम रेणु और अचला था और भाई का नाम राजीव। अचला अंग्रेजी में लिखती थी और भाई राजीव हिंदी में। रेणु का स्वभाव तो अत्यंत विचित्र था। वह गाड़ी में बैठने से इंकार कर देती और कहती थी थोड़े-से रास्ते के लिए गाड़ी में बैठना सामतंशाही का प्रतीक है। इसलिए वह पैदल ही घर पहुँचती, भले ही वह पसीने से तर-बतर हो जाती। एक बार उसने जनरल थिमैया को पत्र लिखकर उसका चित्र मँगवाया था। इससे पूरे मुहल्ले में उसकी चर्चा हुई थी। वह तो बी०ए० की परीक्षा देना भी उचित नहीं समझती थी। जब कोई उसे इत्र भेंट करता तो तपाक से कहती, “नहीं चाहिए, मैं तो नहाती हूँ”।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

तीसरे नंबर की चित्रा भी अजीब है। वह स्वयं न पढ़कर दूसरों को पढ़ाने में व्यस्त रहती। उसके अपने अंक कम आते और उसके शिष्यों के अधिक। जब शादी करने का समय आया तो उसने एक ही नज़र में लड़के को देखकर ऐलान कर दिया कि वह विवाह करेगी तो इसी से और अंत में उसी लड़के से उसका विवाह भी हो गया था।

अचला सबसे छोटी बहन है। उसने पहले एम०ए० अर्थशास्त्र किया, फिर पत्रकारिता में दाखिला लिया और पिता की पसंद के लड़के से विवाह किया। उसे भी तीस वर्ष की आयु के पश्चात लिखने का रोग लग गया। सभी बहनों ने वैवाहिक जीवन का निर्वाह भली-भाँति किया। विवाह के पश्चात् लेखिका बिहार के एक छोटे से कस्बे डालमिया नगर में रही। वहाँ की औरतों के साथ उसने कई नाटक किए। फिर वह कर्नाटक के छोटे कस्बे बागलकोट में रही। वहाँ उसने कैथोलिक बिशप से प्राइमरी स्कूल खोलने की सिफारिश की, किंतु अस्वीकृत हो गई। फिर लेखिका ने वहाँ अपने प्रयास से प्राइमरी स्कूल खोल दिया। रेणु लेखिका की अपेक्षा कहीं अधिक जिद्दी और बहादुर थी। वह जिस काम को करने के लिए ठान लेती, उसे करके ही दिखाती थी। एक दिन वर्षा के कारण उसके स्कूल की बस नहीं आई। वह दो कि०मी० पैदल ही स्कूल में जा पहुँची। स्कूल बंद था, उसे उसका कोई मलाल नहीं था। उसका मानना था कि अकेलेपन का मजा कुछ और ही होता है।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-13) : जाहिर = स्पष्ट। मर्म = भेद। पारंपरिक = परंपरा से चली आ रही। परदानशी = पर्दा-प्रथा में विश्वास रखने वाली। विलायत = इंग्लैंड। बसर करना = व्यतीत करना। आकांक्षा = इच्छा।

(पृष्ठ-14) : करीब = नजदीक। इकलौती = अकेली। मुँह जोर = अधिक बोलना। लिहाज = शर्म। मर्द = पुरुष। मुँह खोलकर = बिना पर्दे के। हुजूर = दरबार। हैरतअंगेज़ = हैरान करने वाला। तय = निश्चित। फरमाबदार = आज्ञाकारी। बेखबर = अनजान होना । जुनून = पागलपन, धुन। दरअसल = वास्तव में। आजाद ख्याल = स्वतंत्र विचार। दखल देना = बाधा पहुँचाना। उबाऊ = ऊबा देने वाली, बोर। मजबूर = विवश।

(पृष्ठ-15) : अपराध = कसूर, दोष । पुश्तैनी = माँ-बाप से प्राप्त। धेला = छोटा पैसा। चनका खा जाना = मरोड़ आ जाना, नस पर नस चढ़ जाना। शर्मिंदगी = लज्जा। नाजुक = कोमल। पेशकश = कार्य के लिए आगे आना। वजह = कारण। अभिभूत = प्रभावित। शोहरत = प्रसिद्धि। दबदबा = प्रभाव। परिकथा = परियों की कहानी। सनक = जिद्द । ख्वाहिश = इच्छा। रजामंदी = मान जाना, समझौता। तिलिस्म = जादू। शख्सियत = व्यक्तित्व। नजाकत = कोमलता, अदा। परीजात = परियों की जाति। पत्थर की लकीर = अटल काम।

(पृष्ठ-16) : जुमला = कुल। ममतालू = ममता भाव से युक्त। परवरिश = देखभाल । मुस्तैद = तैयार। अरुचि = रुचि न होना। नाम धरना = चिढ़ाने के लिए गलत नाम पुकारना। रोब = प्रभाव। गोपनीय = छिपाने योग्य। बखूबी = भली-भाँति।

(पृष्ठ-17) : उबरना = मुक्त होना। निजत्व बनाना = अपना व्यक्तिगत मत या आचरण बनाना। हवाले होना = लीन होना। लीक = बँधी-बँधाई रीति। खिसके = हटे। कतार = पंक्ति। व्रत = इरादा, संकल्प। फज़ल = दया, कृपा। अपरिग्रह = एकत्रित न करना। हरकत = गलत काम। मन्नत माँगना = ईश्वर से किसी काम की कामना करना। पतोहू = पुत्रवधू। गैर-रवायती = परंपरा के खिलाफ, अप्रचलित। पोशीदा = पर्दे से ढका हुआ, छिपा हुआ। ऐलान = घोषणा। फितूर = पागलपन, सनक। वाजिब = उचित। पुश्तों = पीढ़ियों। अभाव = कमी। बदस्तूर = लगातार। मर्तबा = बार। आरजू = इच्छा। रंग लाना = प्रभाव दिखाना। गुमान = अनुमान।

(पृष्ठ-18) : गैर-वाजिब = अनुचित। जुस्तजू = चाह। अफरा-तफरी = अस्त-व्यस्त होना। नामी = प्रसिद्ध, मशहूर। दीदार = दर्शन। खुशनसीबी = अच्छा भाग्य। हाथ आना = मौका आना। रतजगा मनाना = रात को जागकर उत्सव मनाना। सेंध लगाना = चोरी से घुसना। जुगराफिया = नक्शा। पुरखिन = वृद्धा, बुढ़िया। इतमीनान = तसल्ली। टटोलकर = खोजकर। यकीन = विश्वास। धर्मसंकट = धर्म की बात सामने पाकर परेशानी में पड़ना।

(पृष्ठ-19) : अकबकाया = घबराया। एहतियात = सावधानी। धर-दबोचा = पकड़ लिया। लायक = योग्य। रोमांचक धंधा = चोरी का काम। भला मानुस = अच्छा, मनुष्य। विरासत = माँ-बाप से मिली संपत्ति। प्रकोप = गुस्सा, क्रोध। हीन भावना = कमी होने का अपराध या भाव। नाहक = व्यर्थ। रोमानी = भावना से ओत-प्रोत, संवेदनशील।

(पृष्ठ-20) : जश्न = त्योहार, समारोह। दुर्योग = बुरा अवसर। शिरकत करना = शामिल होना। इज़ाज़त = आज्ञा। सत्ताधारी = शासन करने वाले अंग्रेज़। कलपती = दुःखी होना। मिराक = मानसिक रोग। पलायन करना = चले जाना। मोहलत देना = अवकाश। गडूड-मड्ड होना = आपस में घुलमिल जाना। पल्ले पड़ना = समझ में आना। अनाचार = पापपूर्ण व्यवहार। कंठस्थ होना = याद होना।

(पृष्ठ-21) : बरकरार रखना = कायम रखना। आड़े आना = रास्ते में रुकावट बनना। पैदाइशी = जन्म से ही। नारीवाद = नारी को महत्त्व देने संबंधी आंदोलन। पोंगापंथी = पाखंडी मूर्खतापूर्ण काम करने वाला। घरघुस्सू = घर में ही घुसा रहने वाला।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

(पृष्ठ-22) : तथ्य = सत्य, कथन। आलोचना-बुद्धि = अच्छे-बुरे की बातें करने वाली बुद्धि। दो-चार होना = सामना होना। नतीजतन = परिणामस्वरूप। सवा सेर होना = अधिक प्रभावी होना। आलम = हालत। सामंतशाही = बड़े-बड़े सामंतों की रईसी आदत। लाचारी = मज़बूरी। उदासीन = विमुख। कुढ़ते-भुनते = मन-ही-मन परेशान होकर बोलना। खरामा-खरामा = धीरे-धीरे। रुतबा = सम्मान, दर्जा। यकीन = विश्वास।

(पृष्ठ-23) : विश्वसनीय = विश्वास करने योग्य। कुतर्क = गलत तर्क। वाकिफ = जानकार । पेश आना = सामने आना। मुलाकात = भेंट। हथियार डालना = हार मानना।

(पृष्ठ-24) : कायम रखना = बनाए रखना। तलाक = शादी का संबंध तोड़ना। कगार = किनारा। प्रयोजन = उद्देश्य । दड़बा = समूह। अभिनय = एक्टिंग। चलन = व्यवहार। अकाल = सूखे या अधिक वर्षा के कारण अन्न न उपजना। बिशप = पादरी। इसरार = आग्रह। बशर्ते = शर्त के साथ।

(पृष्ठ-25) : सिर झुकाना = स्वीकार करना। खिसके लोग = परंपरा से हटे हुए विद्रोही लोग। व्रत = संकल्प। नमूना = उदाहरण। पेश करना = प्रस्तुत करना, देना। मुकाबिल = बराबर का। कयामती = विनाशकारी। तल्ला = मंजिल। मलाल = दुःख।

(पृष्ठ-26) : लब-लब करना = भरा-पूरा होना। निचाट = सूनापन। धुन = लगन।

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HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

HBSE 9th Class History आधुनिक विश्व में चरवाहे Textbook Questions and Answers

आधुनिक विश्व में चरवाहे के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए कि घुमंतु समुदायों को बार-बार-एक जगह से दूसरी जगह क्यों जाना पड़ता है? इस निरन्तर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ
उत्तर-
घुमंतु समुदाय अपनी आजीविका हेतु एक स्थान से दूसरे स्थानों पर आते जाते हैं। मौसम के परिवर्तन के साथ ऐसे समुदाय अपने स्थान भी बदलते रहते जम्मू-कश्मीर _के गुजर बकरवाला सर्दियों में शिवालिक पहाड़ियों के निचले भाग आ जाते हैं तथा गर्मियों में वह पुनः हिमालय की मध्य व उत्तरी पहाड़ियों की ओर चले जाते हैं। प्रायः द्वीपीय एवं रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी वह समय-समय पर अपने स्थान बदलते रहते हैं। वास्तव में उनकी जीविका उनके आवागमन के साथ जुड़ी हुई है।
घुमंतु समुदायों की आने-जाने की गतिविधियों से पर्यावरण को भी लाभ पहुँचता है ऐसे समुदाय अपनी जग बदलने से पूर्व उसे साफ कर देते हैं तथा नयी जगह पर आ बसने पर वहाँ की पर्यावरण सम्बन्धी धूषित वस्तुओं को साफ रखते हैं। अतः स्पष्ट है कि घुमंतु समुदाय पर्यावरण को साफ बनाए रखते हैं।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

आधुनिक विश्व में चरवाहे Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 2.
इस बारे में चर्चा कीजिए कि औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कानून क्यों बनाए? प्रत्येक कानून से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पड़ा, यह भी बताइए-.
(i) परती भूमि नियमावली (ii) वन अधिनियम (iii) अपराधी जनजाति अधिनियम (iv) चराई कर।
उत्तर-
(i) परती भूमि नियमावली बना कर औपनिवेशिक सरकार ने उस भूमि पर अधिकार जमा लिया जहाँ खेती नहीं होती थी तथा उस जमीन को अपने पसंद के व्यक्तियों में बाँट दिया। कई स्थानों पर तो उस भूमि क्षेत्र को ले लिया गया जहाँ चरागाह होते थे। इससे चारागाह भूमि निरन्तर कम होती गयी तथा चरावाहा समुदायों की कठिनाईयाँ बढ़ती चली गयीं। इन चरावाहा समुदायों को या तो अपने जरागाह क्षेत्र बदलने पड़े या अपने व्यवसाय को ही बदलना पड़ा।
(ii) वन अधिनियम बना कर औपनिवेशिक सरकार ने चरवाहा समुदायों को चारागाहों से वंचित कर दिया। ऐसे भी नियम बनाए गए कि ऐसे समुदाय कुछेक समय के लिए चारागहों पर रह सकते थे और यदि वह समय से अधिक समय तक रहते थे तो उन्हें दण्ड दिया जाता था या उनके मवेशियों की संख्या कम कर दी जाती थी।
(iii) अपराधी जनजाति अधिनियम द्वारा औपनिवेशिक सरकार द्वारा घुमंतु समदायों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता था तथा उनकी आवाज ही पर रोक लगा दी जाती थी। 1871 के इस कानून के अंतर्गत कुछेक समुदायों को अपराधी घोषित कर दिया गया था तथा उन्हें कुछेक निश्चित । ग्रामों में रहने की आज्ञा होती थी जहाँ वे वह आज्ञा-पत्र से ही दूसरी जगह जा सकते थे। ग्राम पुलिस ऐसे समुदायों पर नजर रखती थी।
(iv) चराई कर द्वारा औपनिवेशिक सरकार कुछेक ठेकेदारों को ऐसा कर एकत्रित करने का ठेका देती थी जो चरवाहा समुदायों से एकत्रित किया करते थे।

आधुनिक विश्व में चरवाहे HBSE 9th Class प्रश्न 3.
मासाई समुदाय के चारागाह उससे क्यों छिन गए? कारण बताइए।
उत्तर-
अफ्रीका में मासाई समुदाय के चारागाह छीन लिये जाने के मुख्यतः निम्नलिखित कारण थे-
(1) 1885 में ब्रिटिश केन्या तथा जर्मन तलोनिका में अंतर्राष्ट्रीय सीमा निश्चित किए जाने से मासाई चरवाहों को दक्षिणी केन्या तथा उत्तरी तनजानिया के छोटे-छोटे क्षेत्रों में धकेल दिया था। इस समुदाय को अपनी चारागाह का 60% हिस्सा खो देना पड़ा था तथा अब उन्हें उन क्षेत्रों में धकेल दिया जहाँ वर्षा भी कम होती थी तथा चारागाह क्षेत्र भी सीमित थे।
(2) 19वीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में पूर्वी अफ्रीका में अंगेज औपनिवेशिवादियों ने खेती कार्यों को प्रोत्साहित करना आरम्भ कर दिया। जैसे-जैसे खती क्षेत्र बढ़ते गए, वैसे-वैसे मासाई चरवाहा समुदायों के चरागाह भी सीमित होते गए।
(3) चरागाह के बड़े-बड़े क्षेत्रों को खेल आदि के लिए आरक्षित कर दिया गया। ऐसे क्षेत्रों में मासाई मारा, साम्बुरू राष्ट्रीय पार्क (केन्या) तथा सैटेगीटी पार्क (तनजानिया) आदि का उल्लेख किया जा सकता है। चरागाह समुदाय इन आरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश नहीं कर सकते थे, वह इन क्षेत्रों में न तो मवेशियों को मार सकते थे और न ही शिकार कर सकते थे।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

आधुनिक विश्व में चरवाहे Class 9 HBSE प्रश्न 4.
आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में जिन परिवर्तनों को जन्म दिया उनमें कई समानताएँ थीं। ऐसे दो परिवर्तनों के बारे में लिखिए जो भारतीय चरवाहों और मासाई, गुड़रियों, दोनों के बीच समान रूप से मौजूद थे।
उत्तर-
आधुनिक विश्व ने भारत और पूर्वी अफ्रीकी चरवाहा समुदायों के जीवन में अनेक परिवर्तनों को जन्म दिया था। इनमें अनेक समानताएँ देखी जा सकती हैं। इनमें दो समानताओं का उल्लेख निम्नलिखित किया जा सकता
(1) औपनिवेशिक सरकार द्वारा चरवाहा समुदायों की आवाजाही पर रोक लगाना ऐसी एक समानता है। उन्हें चारागाहों में पशु चराने की अनुमति नहीं थी और न ही वह उन आश्रित क्षेत्रों में शिकार कर सकते थे।
(2) औपनिवेशिक सरकार ने वैयक्तिक किसानों को खेती कार्यों के लिए चारागाहों को खेतों में बदल दिया।

HBSE 9th Class History आधुनिक विश्व में चरवाहे Important Questions and Answers

Class 9th History Chapter 5 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 1.
घुमंतु कौन होते हैं?
उत्तर-
वह लोंग जो आजीविका के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तक आते-जाते हैं।

प्रश्न 2.
गुजर बक्करवाला कौन हैं? वह भारत के किस क्षेत्र से सम्बन्धित हैं?
उत्तर-
गुजर बक्करवाला बकरियों व भेड़ों को चराने वाला घुमंतु समुदाय है। इस समुदाय का सम्बन्ध भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य से है।

प्रश्न 3.
सर्दियों में गुजर बक्करवाला कहाँ आकर बस जाते हैं?
उत्तर-
शिवालिक की निचली पहाड़ियों में।

प्रश्न 4.
गर्मियों में गुजर बक्करवाला कहाँ जा सकता है?
उत्तर-
ऊपर, उत्तर में हिमालय की पहाड़ियों में।

प्रश्न 5.
गद्दी समुदाय का किस क्षेत्र से सम्बन्ध हैं?
उत्तर-
गद्दी समुदाय हिमाचल प्रदेश का एक घुमंतु समदाय है।

प्रश्न 6.
गद्दी समुदाय के लोग गर्मियों में कहाँ जा सकते हैं?
उत्तर-
लाहौल तथा स्पीति में।

प्रश्न 7.
बुग्याल कौन हैं?
उत्तर-
बुग्याल घास के मैदानों को कहा जाता है।

प्रश्न 8.
भावर का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
गढ़वाल और कुमाऊँ के इलाके में पहाड़ियों के निचले हिस्से के आस-पास पाए जाने वाले शुष्क या सूखे जंगल के इलाके।

प्रश्न 9.
धनगर कौन है?
उत्तर-
महाराष्ट्र के चरवाहा समुदाय से जुड़े लोग।

प्रश्न 10.
धनगर समुदाय के लोगों की आर्थिक गतिविधियाँ बताइए।
उत्तर-
भेड़ चराना, कम्बल आदि बनाना आदि-आदि।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

प्रश्न 11.
राइका समुदाय के लोग ऊँटों को कहाँ चराते हैं?
उत्तर-
थार रेगिस्तान में।

प्रश्न 12.
ढूंठ का अर्थ बताइए।
उत्तर-
पौधों की कटाई के बाद जमीन में रह जाने वाली उनकी जड़ को ढूंठ कहा जाता है।

प्रश्न 13.
गोल्ला, कुरूमा तथा कुरूबा समुदायों के कार्य बताइए।
उत्तर-
गोल्ला समुदाय गाय-भैंस पालते हैं। कुरूमा तथा कुरूबा समुदाय भेड़-बकरियाँ पालते हैं।

प्रश्न 14.
राइका समुदाय के लोग क्या करते हैं?
उत्तर-
राइका समुदाय के लोग थोड़ी-बहुत खेती के साथ-साथ चरवाही का काम भी करते हैं।

प्रश्न 15.
किन अधिकारों को पारम्परिक अधिकार कहा जाता है?
उत्तर-
वह अधिकार जो लोगों के पास रीति-रिवाजों व परम्पराओं के चलते मिलते हैं, उन्हें पारम्परिक अधिकार कहा जाता है।

प्रश्न 16.
परती भूमि किसे कहते हैं?
उत्तर-
जिस भूमि पर खेती सम्भव न हो उसे परती भूमि कहा जाता है।

प्रश्न 17.
किन वनों को आरक्षित वन कहा जाता है?
उत्तर-
वह वन जिनको स्थायी रूप से इमारती लकड़ी के उत्पादन के लिए आरक्षित किया जाता है अथवा किसी अन्य वनीय उत्पाद के लिए, उनको आरक्षित वन कहा जाता है।

प्रश्न 18.
सुरक्षित वन किसे कहते हैं?
उत्तर-
कुछेक प्रतिबन्धों के साथ जिन वनों में चराही की अनुमति दी जा सकती है, उनहें सुरक्षित वन कहा जाता

प्रश्न 19.
अपराधी जनजाति अधिनियम कब बनाया गया था?
उत्तर-
भारत में अपराधी जनजाति अधिनियम 1817 ई. में बनाया गया था।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

प्रश्न 20.
मासाई चरवाहा समुदाय कहाँ बसा हुआ , था?
उत्तर-
अधिकांश मासाई चरवाहे पूर्वी अफ्रीका में रहते थे जबकि तीन लाख मासाई लोग केन्या में तथा उससे आधे तनजानिया में।

प्रश्न 21.
घुमंतु कौन होते हैं तथा वह कहाँ रहते
उत्तर-
घुमंतु वह लोग होते हैं जो अपनी जीविका कमाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते रहते हैं। इन लोगों का कोई स्थायी आवास नहीं होता। जहाँ उनहें जीविका के साधन उपलब्ध होते हैं, वह उन क्षेत्रों में जा बसते हैं। जम्मू-कश्मीर के गुजर बक्करवाल सर्दियों में शिवालिक की निचली पहाड़ियों में तथा गर्मियों में ऊपर हिमालय की ओर जा सकते हैं।

प्रश्न 22.
जम्मू-कश्मीर के गुजर बक्करवाल समुदाय के बारे में जानकारी दें।
उत्तर-
जम्मू और कश्मीर के गुज्जर बकरवाल समुदाय के लोग भेड़-बकरियों के बड़े-बड़े रेवड़ रखते हैं। इस समुदाय के अधिकतर लोग अपने मवेशियों के लिए चरागाहों की तलाश में भटकते-भटकते उन्नीसवीं सदी में यहाँ आए थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया वे यहीं के होकर रह गए; यहीं बस गए। इसके बाद वे सर्दी-गर्मी के हिसाब से अलग-अलग चरागाहों में जाने लगे। जाड़ों में जब ऊँची पहाड़ियाँ बर्फ से ढक जातीं तो शिवालिक की निचली पहाड़ियों में आकर डेरा डाल लेते। जाड़ों में निचले इलाके में मिलने वाली सूखी झाड़ियाँ ही उनके जानवरों के लिए चारा बन जातीं। अप्रैल के अंत तक वे उत्तर-दिशा में जाने लगते-गर्मियों के चरागाहों के लिए।

प्रश्न 23.
प्रदेश के गद्दी समुदाय के लोगों के विषय में एक नोट लिखें। .
उत्तर-
हिमाचल प्रदेश के इस समुदाय को गद्दी कहते हैं। ये लोग भी मौसमी उतार-चढ़ाव का सामना करने के लिए इसी तरह सर्दी-गर्मी के हिसाब से अपनी जगह बदलते हुए जाड़ा बिताते थे। अप्रैल आते-आते वे उत्तर-की तरफ चल पड़ते और पूरी गर्मियाँ लाहौल और स्पीति में बिता देते। जब बर्फ पिघलती और ऊँचे दर्रे खुल जाते तो उनमें से बहुत सारे ऊपरी पहाड़ों में स्थित घास के मैदानों में जा पहुँचते थे। सितंबर तक वे दोबारा वापस चल पड़ते।

प्रश्न 24.
गढ़वाल व कुमाऊँ के गुज्जर समुदाय की आवाजाही की चर्चा करें।
उत्तर-
गढ़वाल और कुमाऊँ के गुज्जर चरवाहे सर्दियों में भाबर के सूखे जंगलों की तरफ और गर्मियों में ऊपरी घास के मैदानों-बुग्याल-की तरफ चले जाते थे। इनमें से बहुत सारे हरे-भरे चरागाहों की तलाश में उन्नीसवीं सदी में जम्मू से उत्तर-प्रदेश की पहाड़ियों में आए थे और बाद में यहीं बस गए।

प्रश्न 25.
मौसम के बदलने के साथ चरवाहा समुदायों के स्थान बदलने से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता था? बताइए।
उत्तर-
सर्दी-गर्मी के हिसाब से हर साल चरागाह बदलते रहने का यह चलन हिमालय के पर्वतों में रहने वाले बहुत सारे चरवाहा समुदायों में दिखायी देता था। यहाँ के भोटिया, शेरपा और किन्नौरी समुदाय के लोग भी इसी तरह के चरवाहे थे। ये सभी समुदाय मौसमी बदलावों के हिसाब से खुद को ढालते थे और अलग-अलग इलाकों में पड़ने वाले चरागाहों का बेहतरीन इस्तेमाल करते थे। जब एक चरागाह की हरियाली खत्म हो जाती थी या इस्तेमाल के काबिल नहीं रह जाती थी तो वे किसी और चरागाह की सामन्तों ने व्यक्तिगत रूप में 2 हजार से तीन हजार हेक्टेयर भूमि पर नियन्त्रण किया हुआ था।

गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि नयी प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ी हुई थी। कृषि के आधुनिकीकारण ने चकित करने वाला काम किया। नया चलने वाला हल इसी प्रकार का एक उदाहरण है। गरीब किसानों के लिए यह सभी यंत्र दुःख एवं कष्ट लेकर आए थे। फलस्वरूप कुछ ने तो अपने पुराने काम को छोड़ दिया। गेहूँ के उत्पादन की वृद्धि को एक दिन कम होना था। 1920 के दशके आते-आते गेहूँ का उत्पादन इतना बढ़ गया कि बहुत कुछ अतिरिक्त जा लगने लगा। न बिकने वाला स्टोर में पड़ा स्टॉक बढ़ने लगा तथा बहुत-सा अनाज मवेशियों के खाने में बदल गया। जैसे यह सब कुछ काफी नहीं था। प्रकृति से गेहूँ के विशाल मैदानों में धूल-मिट्टी व तूफान आने लगे जिनकी ऊँचाई 7,000से 8,000 फीट होती थी। 1930 के दशक में तो तूफानों की गति तीव्र होती थी। सारा आकाश काले अंधरे में बदल जाता था। लोगों की तकलीफें बढ़ने लगी, जानवर निढाल होने गले तथा मृत्यु की कगार पर आ गए।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कुछ नया से घर रहा था। 18वीं व 19वीं शताब्दी के दौरान भारत से विश्व बाज़ार के लिए अनेक वस्तुएं बनाई जाती थी। तब अफीम व नील दो व्यवसायिक फसलें प्रसिद्ध थीं। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में भारत के किसान गन्ना, पटसन, सूत, गेहूँ आदि का निर्यात कर रहे थे।

18वीं शताब्दी तक अंग्रेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी चीन ‘ से चाय खरीद रही थी। परन्तु इंग्लैंड चीन को कुछ नहीं बेच रहा था। इस प्रक्रिया में इंग्लैंड चीन को सोने व चांदी के रूप में धन ले रहा था जो स्थिति को मंजूर नहीं था। नतीज यह हुआ कि अंग्रेज कम्पनी ने भारत के किसानों को अफीम की खेती करने पर मज़दूर किया तथा भारतीय किसानों को खासा लोभ-लालच भी दिया। अंग्रेज चीन को अफीम बेचने लगे तथा चीनियों को अफीम पीने की आदत में लत कर दिया। जहाँ एक ओर अंग्रेज चीनियों को अफीम प्रयोग की आदत डाल रहा था; वहाँ दूसरी ओर वह भारतीय किसानों को अफीम के उत्पादन पर ज़ोर डाल रहा था। यह एक ओर चीनियों से अफीम के व्यापार में लाभ . कमाने का अवसर था तथा दूसरी ओर भारतीय किसानों का शोषण।
तरफ चले जाते थे। इस आवाजाही से चरागाह जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से भी बच जाते थे और उनमें दोबारा हरियाली व जिंदगी भी लोट आयी थी।

प्रश्न 26.
कर्नाटक व आंध्र प्रदेश के चरवाहा ‘समुदाय की गतिविधियों का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर-
कर्नाटक व आंध्र प्रदेश के गोल्ला समुदाय के लोग गाय-भैंस पालते हैं जबकि कुरुमा व कुरूबा समुदाय । भेड़-बकरियाँ। यह बुने कम्बल बेचते थे। ये लोग जंगलों और छोटे-छोटे खेतों के आसपास रहते थे। वे अपने जानवरों की देखभाल के साथ-साथ दूसरे काम-धंधे भी करते थे। पहाड़ी चरवाहों के विपरीत यहाँ के चरवाहों का एक स्थान से दूसरे स्थान जाना सर्दी-गर्मी से तय नहीं होता था। ये लोग बरसात और सूखे मौसम के हिसाब से अपनी जगह बदलते थे। सूखे महीनों में वे तटीय इलाकों की तरफ चले जाते थे जबकि बरसात शुरू होने पर वापस चल देते थे।

प्रश्न 27.
बंजारों के विषय में आपकी क्या जानकारी
उत्तर-
चरवाहों में एक जाना-पहचाना नाम बंजारों का भी है। बंजारे, उत्तर-प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कई इलाकों में रहते थे। ये लोग बहुत दूर-दूर तक चले जाते थे और रास्ते में अनाज और चारहे के बदले गाँव वालों को खेत जोतने वाले जानवर और दूसरी चीजें बेचते जाते थे। वे जहाँ भी जाते अपने जानवरों के लिए अच्छे चरागाहों की खोज में रहते।

प्रश्न 28.
चारावाह समुदायों को अपना जीवन गुजर-बसर करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना पड़ता था? .
उत्तर-
चरवाहा समुदायों की जिंदगी कई बातों के बारे में काफी सोच-विचार करके आगे बढ़ती थी। उन्हें ध्यान रखना पड़ता था कि उनके रेवड़ एक इलाके में कितने दिन तक रह सकते हैं और उन्हें कहाँ पानी और चरागाह मिल सकते हैं। उन्हें न केवल एक इलाके से दूसरे इलाके से गुजरने की छूट मिल पाएगी और किन इलाकों से नहीं। सफर के दौरान उन्हें रास्ते में पड़ने वाले गांव के किसानों से भी अच्छे संबंध बनाने पड़ते थे ताकि उनके जानवर किसानों के खेतों में घास चर सकें और उनको उपजाऊ बनाते चलें। अपनी रोजी-रोटी के जुगाड़ में उन्हें खेती, व्यापार और चरवाही ये सारे काम करने पड़ते थे।

प्रश्न 29.
औपनिवेशिक काल में चरवाहा समुदायों के जीवन में कैसे-कैसे बदलाव आए? संक्षेप में बताइए।
उत्तर-
औपनिवेशिक शासन के दौरान चरवाहों की जिंदगी में गहरे बदलाव आए। उनके चरागाह सिमट गए, इधर-उधर आने-जाने पर बंदिशें लगने लगीं और उनसे जो लगान वसूल किया जाता था उसमें भी वृद्धि हुई। खेती में उनका हिस्सा घटने लगा और उनके पेशे और हुनरों पर भी बहुत बुरा असर पड़ा।

प्रश्न 30.
भारत मे अंग्रेजी शासकों ने अपराधी जनजाति कानून क्यों पास किया था?
उत्तर-
अंग्रेजी शासन घुमंतु समुदाय के लोगों को शक की दृष्टि से देखता था। उन्हें ऐसे लोगों से शक्ति भंग करने का खतरा रहता था। उनको अपराधी समझा जाता था। 1871 में सरकार ने अपराधी जनजाति कानून पास किया। इस कानून के तहत दस्तकारों, व्यापारियों और चरवाहों के बहुत सारे समुदायों को अपराधी समुदायों की सूची में रख दिया गया। उन्हें कुदरती और जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया गया। इस कानून के लागू होते ही ऐसे सभी समुदायों को कुछ खास अधिसूचित गाँवों बस्तियों में बस जाने का हुक्म सुना दिया गया। उनकी बिना परमिट आवाजाही पर रोक लगा दी गई ग्राम्य पुलिस उन पर सदा नजर रखन लगी।

प्रश्न 31.
औपनिवेशिक काल में हुए परिवर्तनों ने चरवाहों के जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया था?
उत्तर-
औपनिवेशिक काल में हुए परिवर्तनों से चरागाहों की कमी हो गई। जैसे-जैसे अधिक-से-अधिक चरागाहों को सरकारी कब्जे में लेकर उन्हें खेतों में बदला जाने लगा, वैसे-वैसे चरागाहों के लिए उपलब्ध इलाका सिकुड़ने लगा। इसी तरह, जंगलों के आरक्षण का नजीता यह हुआ कि गड़रिये और पशुपालक अब अपने मवेशियों का जंगलों में पहले जैसी आजादी से नहीं चरा सकते थे। इसके अतिरिक्त चरागाहों की कमी के कारण जानवरों को सही चारा भी प्राप्त नहीं होता था। अकाल आदि के पड़ने से तो चरावहों के जीवन में और कठिनाईयाँ पैदा होने लग गई।

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प्रश्न 32.
मासाई समुदाय के विषय में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
मासाई पशुपालक मोटे तौर पर पूर्वी अफीका के निवासी हैं। इनमें से लगभग 3,00,000 दक्षिणी कीनिया में और करीब 1,50,000 तंजानिया में रहते हैं। कानूनों और बंदिशों ने उनकी जमीन उनसे छीन ली बल्कि उनकी आवाजाही पर भी बहुत सारी पाबंदियाँ थोप दी हैं इन …कानूनों के कारण सूखे के दिनों में उनकी जिंदगी गहरे तौर पर बदल गई है और उनके सामाजिक संबंध भी एक नई शक्ल में ढल गए हैं।

प्रश्न 33.
तंजानिया को उसका नाम कैसे मिला? बताइए।
उत्तर-
ब्रिटेन ने पहले विश्व युद्ध के दौरान उस इलाके पर कब्जा कर लिया जिसे जर्मन ईस्ट अफ्रीका कहा जाता था। 1919 में तांगान्यिका ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया। 1961 में उसे आजादी मिली और 1964 में जंजीबार के विलय के बाद उसे तंजानिया का नया नाम दिया गया।

प्रश्न 34.
उदाहरण देकर बताइए कि मासाई चरागाह किस प्रकार नष्ट हो गए?
उत्तर-
बहुत सारे चरागाहों को शिकारगाह बना दिया गया। कीनिया में मासाई मारा व साम्बूरू नेशनल पार्क और तंजानिया में सेरेन्गेटी पार्क जैसी शिकारगाह इसी तरह अस्तित्व में आए थे। इन आरक्षित जंगलों में चरवाहों का आना मना था। इन इलाकों में न तो वे शिकार कर सकते थे और न अपने जानवरों को चरा सकते थे। ऐसे बहुत सारे आरक्षित जंगलों में अब तक मासाई अपने ढोर-डंगर चराया करते थे। मिसाल के तौर पर सेरेनगेटी नेशनल पार्क का 14,760 वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा क्षेत्रफल मासाइयों के चरागाहों पर कब्जा करके बनाया गया था।

प्रश्न 35.
अफ्रीकी क्षेत्रों में चरवाहों पर कैसी-कैसी रुकावटें लगायी जाती थीं? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
चरवाहों को गोरों के इलाके में पड़ने वाले बाजारों में दाखिल होने से भी रोक दिया गया। बहुत सोर इलाकों में तो वे कई तरह के व्यापार भी नहीं कर सकते थे। बाहर से आए गोरे और यूरोपीय औपनिवेशिक अफसर उन्हें खतरनाक और बर्बर स्वभाव वाला मानते थे। उनकी नजर में _ये ऐसे लोग थे जिनके साथ कम-से-कम संबंध रखना ही उचित था। इन स्थानीय लोगों से खानों से माल निकालने, सड़कें बनाने और शहर बसाने के लिए काम लिया जाता था।

प्रश्न 36.
महाराष्ट्र के धनगर समुदाय के लोगों की गतिविधियों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
धंगर महाराष्ट्र का एक जाना-माना चरवाहा समुदाय है। बीसवीं सदी की शुरुआत में इस समुदाय की आबादी लगभग 4, 67,000 थी। उनमें से ज्यादातर गड़रिये
या चरवाहे थे हालाँकि कुछ लोग कम्बल और चादरें भी बनाते थे जबकि कुछ भैंस पालते थे। धंगर गड़रिये बरसात के दिनों में महाराष्ट्र के मध्य पठारों में रहते थे। यह एक अर्ध-शुष्क इलाका था जहाँ बारिश बहुत कम होती थी और मिट्टी भी खास उपजाऊ नहीं थी। चारों तरफ़ सिर्फ कंटीली झाड़ियाँ होती थीं। बाजरे जैसी सूखी फ़सलों के अलावा यहाँ और कुछ नहीं उगता था। मॉनसून में यह पट्टी धंगरों के जानवरों के लिए एक विशाल चरागाह बन जाती थी। अक्तूबर के आसपास धंगर बाजरे की कटाई करते थे और चरागाहों की तलाश में पश्चिम की तरफ़ चल _पड़ते थे। करीब महीने भर पैदल चलने के बाद वे अपने रेवड़ों के साथ कोंकण के इलाके में जाकर डेरा डाल देते थे। अच्छी बारिश और उपजाऊ मिट्टी की बदौलत इस इलाके में खेती खूब होती थी। कोंकणी किसान भी इन चरवाहों का दिल खोलकर स्वागत करते थे। जिस समय धंगर कोंकण पहुँचते थे उसी समय कोंकण के किसानों को खरीफ की फसल काट कर अपने खेतों को रबी की फसल के लिए दोबारा उपजाऊ बनाना होता था।

प्रश्न 37.
उदाहरण देकर बताइए कि राजस्थान में राइका समुदाय अपना किस प्रकार का गुजर-बसर करता था?
उत्तर-
राजस्थान के रेगिस्तानों में राइका समुदाय रहता था। इस इलाके में बारिश का कोई भरोसा नहीं था। होती भी थी तो बहुत कम। इसीलिए खेती की उपज हर साल घटती-बढ़ती रहती थी। बहुत सारे इलाकों में तो दूर-दूर तक कोई फ़सल होती ही नहीं थी। इसके चलते राइका खेती के साथ-साथ चरवाही का भी काम करते थे। बरसात में तो बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर के राइका अपने गाँवों में ही रहते थे क्योंकि इस दौरान उन्हें वहीं चारा मिल जाता था। पर, अक्तूबर आते-आते ये चरागाह सूखने लगते थे। नतीजतन ये लोग नए चरागाहों की तलाश में दूसरे इलाकों की तरफ निकल जाते थे और अगली बरसात में ही वापस लौटते थे। राइकाओं का एक तबका ऊँट पालता था जबकि कुछ भेड़-बकरियाँ पालते थे।

प्रश्न 38.
भारत में अंगेजी सरकार चरागाहों को खेती में क्यों बदलना चाहती थी?
उत्तर-
अंग्रेज़ सरकार चरागाहों को खेती की ज़मीन में तब्दील कर देना चाहती थी। ज़मीन से मिलने वाला लगान उसकी आमदनी का एक बड़ा स्रोत था। खेती का क्षेत्रफल बढ़ने से सरकार की आय में और बढ़ोतरी हो सकती थी। इतना ही नहीं, इससे जूट (पटसन), कपास, गेहूँ और अन्य खेतिहर चीज़ों के उत्पादन में भी इजाफा हो जाता जिनकी इंग्लैंड में बहुत ज्यादा ज़रूरत रहती थी। अंग्रेज़ अफसरों को – बिना खेती की जमीन का कोई मतलब समझ में नहीं आता था : उससे न तो लगान मिलता था और न ही उपज। अंग्रेज़ ऐसी ज़मीन को ‘बेकार’ मानते थे। उसे खेती के लायक बनाना ज़रूरी था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से देश के विभिन्न भागों में परती भूमि विकास के लिए नियम बनाए जाने लगे। इन कायदे-कानूनों के ज़रिए सरकार गैर-खेतिहर ज़मीन को अपने कब्जे में लेकर कुछ खास लोगों को सौंपने लगी। इन लोगों को कई तरह की रियायतें दी गईं और इस. ज़मीन को खेती के लायक बनाने और उस पर खेती करने के लिए जम कर बढ़ावा दिया गया। ऐसे कुछ लोगों को गाँव का मुखिया बना दिया गया। इस तरह कब्जे में ली गई ज़्यादातर ज़मीन चरागाहों की थी जिनका चरवाहे नियमित रूप से इस्तेमाल किया करते थे। इस तरह खेती के फैलाव से चरागाह सिमटने लगे और चरवाहों के लिए समस्याएँ पैदा होने लगीं।

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प्रश्न 39.
19वीं शताब्दी के वन अधिनियमों ने किस प्रकार चरवाहों के जीवन को प्रभावित किया? समझाइए।
उत्तर-
उन्नीसवीं सदी के मध्य तक आते-आते देश के विभिन्न प्रांतों में वन अधिनियम भी पारित किए जाने लगे थे। इन कानूनों की आड़ में सरकार ने ऐसे कई जंगलों को ‘आरक्षित’ वन घोषित कर दिया जहाँ देवदार या साल जैसी कीमती लकड़ी पैदा होती थी। इन जंगलों में चरवाहों के घुसने पर पाबंदी लगा दी गई। कई जंगलों को ‘संरक्षित’ घोषित कर दिया गया। इन जंगलों में चरवाहों को चरवाही के कुछ परंपरागत अधिकार तो दे दिए गए लेकिन उनकी आवाजाही पर फिर भी बहुत सारी बंदिशें लगी रहीं। औपनिवेशिक अधिकारियों को लगता था कि पशुओं के चरने से छोटे जंगली पौधे और पेड़ों की नई कोपलें नष्ट हो जाती हैं। उनकी राय में, चरवाहों के रेवड़ छोटे पौधों को कुचल देते हैं और कोंपलों को खा जाते हैं जिससे नए पेडों की बढ़त रुक जाती है। वन अधिनियमों ने चरवाहों की जिंदगी बदल डाली। अब उन्हें उन जंगलों में जाने से रोक दिया गया जो पहले मवेशियों के लिए बहुमूल्य चारे का स्रोत थे। जिन क्षेत्रों में उन्हें प्रवेश की छूट दी गई वहाँ भी उन पर कड़ी नज़र रखी जाती थी जंगलों में दाखिल होने के लिए उन्हें परमिट लेना पड़ता था। जंगल में उनके प्रवेश और वापसी की तारीख पहले से तय होती थी और वह जंगल में बहुत कम ही दिन बिता सकते थे। अब चरवाहे किसी जंगल में ज्यादा समय तक नहीं रह सकते थे भले ही वहाँ चारा कितना ही हो, घास कितनी भी क्यों न हो, और चारों तरफ घनी हरियाली हो। उन्हें इसलिए निकलता पड़ता था क्योंकि अब उनकी जिंदगी वन विभाग द्वारा जारी किए परमिटों के अधीन थी। परमिट में पहले ही लिख दिया जाता था कि वह कानूनन कब तक जंगल में रहेंगे। अगर वह समय-सीमा का उल्लंघन करते थे तो उन पर जुर्माना लगा दिया जाता था।

प्रश्न 40.
भारत में अंग्रेजी शासन ग्रामीण क्षेत्रों से अपनी आय बढ़ाने के लिए क्या-क्या कदम उठाते थे?
उत्तर-
अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अंग्रेजों ने लगान वसूलने का हर संभव रास्ता अपनाया। उन्होंने ज़मीन, नहरों के पानी, नमक, खरीद-फरोख्त की चीज़ों और यहाँ तक कि मवेशियों पर भी टैक्स वसूलने का एलान कर दिया। चरवाहों से चरागाहों में चरने वाले एक-एक जानवर पर टैक्स वसूल किया जाने लगा। देश के ज़्यादातर चरवाही इलाकों में उन्नीसवीं सदी के मध्य से ही चरवाही टैक्स लागू कर दिया गया था। प्रति मवेशी टैक्स की दर तेजी से बढ़ती चली गई और टैक्स वसूली की व्यवस्था दिनोंदिन मज़बूत होती गई। 1850 से 1880 के दशकों के बीच टैक्स वसूली का काम बाकायदा बोली लगा कर ठेकेदारों को सौंपा जाता था। ठेकेदारी पाने के लिए ठेकेदार सरकार को जो पैसा देते थे उसे वसूल करने और साल भर में ज्यादा से ज्यादा मुनाफ़ा बनाने के लिए वे जितना चाहे उतना कर वसूल सकते थे। 1880 के दशक तक आते-आते.सरकार ने अपने कारिंदों के माध्यम से सीधे चरवाहों से ही कर वसूलना शुरू कर दिया। हरेक चरवाहे को एक ‘पास’ जारी कर दिया गया। किसी भी चरागाह में दाखिल होने के लिए चरवाहों को पास दिखाकर पहले टैक्स अदा करना पड़ता था। चरवाहे के साथ कितने जानवर हैं और उसने कितना टैक्स चुकाया है, इस बात को उसके पास में दर्ज कर दिया जाता था।

प्रश्न 41.
भारत में चरावाहों ने औपनिवेशिक बदलावों का कैसे सामना किया? ।
उत्तर-
इन बदलावों पर चरवाहों की प्रतिक्रिया कई रूपों में सामने आई। कुछ चरवाहों ने तो अपने जानवरों की संख्या ही कम कर दी। अब बहुत सारे जानवरों को चराने के लिए पहले की तरह बड़े-बड़े और बहुत सारे मैदान नहीं बचे थे। जब पुराने चरागाहों का इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया तो कुछ चरवाहों ने नए-नए चरागाह ढूँढ लिए। मिसाल के तौर पर, ऊँट और भेड़ पालने वाले राइका 1947 के बाद न तो सिंध में दाखिल हो सकते थे और न सिंधु नदी के किनारे अपने जानवरों को चरा सकते थे। भारत और पाकिस्तान के बीच खींच दी गई नई सीमारेखा ने उन्हें उस तरफ़ जाने से रोक दिया। जाहिर है अब उन्हें जानवरों को चराने के लिए नई जगह ढूँढनी थी। अब वे हरियाणा के खेतों में जाने लगे हैं जहाँ कटाई के बाद खाली पड़े खेतों में वे अपने मवेशियों को चरा सकते हैं। इसी समय खेतों को खाद की भी ज़रूरत रहती है जो उन्हें इन जानवरों के मल-मूत्र से मिल जाती है।

समय गुजरने के साथ कुछ धनी चरवाहे जमीन खरीद कर एक जगह बस कर रहने लगे। उनमें से कुछ नियमित रूप से खेती करने लगे जबकि कुछ व्यापार करने लगे। जिन चरवाहों के पास ज़्यादा पैसा नहीं था वे सूदखोरों से. ब्याज पर कर्ज़ लेकर दिन काटने लगे। इस चक्कर में बहुतों के मवेशी भी हाथ से जाते रहे और वे मज़दूर बन कर रह गए। वे खेतों या छोटे-मोटे कस्बों में मजदूरी करते दिखाई देने लगे।

वस्तुष्ठि प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों में सही (√) व गलत (x) का वयन करें।

(i) घुमंतु एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते थे।
(ii) गद्दी गड़रिये जम्मू-कश्मीर राज्य से सम्बन्धित हैं।
(iii) धनगर महाराष्ट्र का एक चरवाहा समुदाय है।
(iv) रबी सितम्बर के बाद की एक फसल है।
(v) राइका राजस्थान का एक घुमंतु समुदाय है।
(vi) सासाई.पूर्वी अफ्रीका का एक चरवाहा समुदाय
उत्तर-
(i) √,
(ii) x,
(iii) √,
(iv) x,
(v) √,
(vi) √.

प्रश्न 2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरें-

(i) …….. एक अफ्रीका चरवाहा समुदाय है। (मासाई, गुजर)
(ii) ………. एक भारतीय चरवाहा समुदाय है। (सोसाली, धनगर)
(iii) खरीफ एक ………. की फसल है। (शरद, सर्दी)
(iv) राइका मारू ………… को पालते हैं। (हाथी, ऊँट)
(v) पुष्कर ………… राज्य में स्थित है। (राजस्थान, महाराष्ट्र)
(vi) पारस्परिक अधिकार का स्त्रोत ………… है। (कानू, रीति-रिवाज)
उत्तर-
(i) सासाई,
(ii) धनगर,
(iii) सर्दी,
(iv) ऊँट,
(v) राजस्थान,
(vi) रीति-रिवाज।

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प्रश्न 3. निम्नलिखित विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

(i) निम्नलिखित समदाय जम्मू-कश्मीर का एक चरावाहा समुदाय है-
(a) बक्करवाल
(b) गद्दी
(c) धनगर
(d) बंजारा
उत्तर-
(a) बक्करवाल

(ii) निम्नलिखित का सम्बन्ध राजस्थानी चरवाहा समुदाय से था
(a) कुरूपा
(b) राइका
(c) गाल्ला
(d) कुरूबा
उत्तर-
(b) राइका

(iii) औपनिवेशिक अंग्रेज सरकार ने अपराधी जनजाति कानून निम्नलिखित वर्ष पास किया था
(a) 1869
(b) 1870
(c) 1871
(d) 1872
उत्तर-
(c) 1871

(iv) निम्नलिखित एक अफ्रीकी चरवाहा समुदाय नहीं है
(a) कुरुमा
(b) मासाई
(c) बोरान
(d) तुर्काना
उत्तर-
(a) कुरुमा

आधुनिक विश्व में चरवाहे Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

इस अध्याय में आप घुमंतू चरवाहों के बारे में पढ़ेंगे। घुमंतू ऐसे लोग होते हैं जो किसी एक जगह टिक कर नहीं रहते बल्कि रोजी-रोटी के जुगाड़ में यहाँ से वहाँ घूमते रहते हैं। देश के कई हिस्सों में हम घुमंतू चरवाहों को अपने जानवरों के साथ आते-जाते देख सकते हैं। चरवाहों की किसी टोली के पास भेड़-बकरियों का रेवड़ या झुंड होता __ है तो किसी के पास ऊँट या अन्य मवेशी रहते हैं। क्या उन्हें देख कर आपने कभी इस बारे में सोचा है कि वे कहा! से आए हैं और कहा! जा रहे हैं? क्या आपको पता है कि वे कैसे रहते हैं, उनकी आमदनी के साधन क्या हैं और उनका अतीत क्या था? चरवाहों को इतिहास की पुस्तकों में विरले ही जगह मल पाती है। जब भी आप अर्थव्यवस्था के बारे में पढ़ते हैं-फिर चाहे वह इतिहास की कक्षा हो या अर्थशास्त्र की- सिर्फ कृषि और उद्योगों के बारे में ही पढते हैं। कभी-कभार इन कक्षाओं में कारीगरों के बारे में भी पढ़ने को मिल जाता है। लेकिन चरवाहों के बारे में पढ़ने-लिखने को ज्यादा कुछ नहीं मिलता। मानो उनकी जिंदगी का कोई मतलब ही न हो। अकसर मान लिया जाता है कि वे ऐसे लोग हैं जिनके लिए आज की आमुनिक दुनिया में कोई जगह नहीं है जैसे उनका दौर बीत चुका हो।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे

इस अध्याय में आप देखेंगे कि भारत और अफ्रीका जैसे समाजों में चरवाही का कितना महत्त्व है। यहाँ आप जानेंगे कि उपनिवेशवाद ने उनकी जिंदगी पर कितना गहरा असर डाला है और इन समुदायों ने आमानिक समाज के ‘दबावों का किस तरह सामना किया है। इस भाग में हम पहले भारत और उसके बाद अफ्रीका के चरवाहों की जिंदगी का अध्ययन करेंगे।

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HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी

HBSE 9th Class History इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी Textbook Questions and Answers

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी

इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
टेस्ट क्रिकेट कई मायनों में एक अनूठा खेल है। इस बारे चर्चा कीजिए कि यह किन-किन अर्थों में बाकी खेलों से भिन्न है। ऐतिहासिक रूप से ग्रामीण खेल के रूप में पैदा होने से टेस्ट क्रिकेट मे किस तरह की विलक्षणताएँ पैदा हुई हैं?
उत्तर-
टेस्ट क्रिकेट अन्य अनेक खेलों में भिन्न है। इसके अनूठे होने के बनेक कारणों में कुछेक का उल्लेख निम्नलिखित किया जा सकता है।

(1) क्रिकेट कई दिनों (एक, तीन, पाँच) तक खेला जाता है जबकि अन्य खेल कुछेक घंटों में खेले, जीते व हारे जाते हैं।
(2) क्रिकेट की पिच की लम्बाई 22 गज होती है जबकि इसका पूरा पैदान अलग-अलग आकार का होता है।

दूसरे खेलों के मैदानों के आकार तय होते हैं।
क्रिकेट एक ग्रामीण खेत से आरंभ हुआ था। शुरु में इसे गाँव की जमीन पर खेला जाता था। तब इस खेल की अवधि, सामान्यतः तीन दिन अथवा पाँच कदन की हुआ करती थी। मैच का अर्थ एक टीम को दो बार आउट करना होता था। क्योंकि ग्रामीण जीवन मंद गति का होता है, इसलिए क्रिकेट के नियम भी उसी अनुरूप बनाए जाते थे। क्रिकेट का मैदान निश्चित नहीं होता था उसकी सीमाएं भी सुनिश्चित नहीं होती थीं। क्रिकेट में खेले जाने वाले सभी यंत्र बाल, बैट, स्टंप आदि ग्रामीण रूप से तथा ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित होते थे यह सब लकड़ी आदि से बने होते हैं जबकि दूसरे खेलों में प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरण औद्योगिक देन के है।

इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 2.
एक ऐसा उदाहरण दीजिए जिसके आधार पर आप कह सकें कि उन्नीसवीं सदी में तकनीक के कारण क्रिकेट के साज़ों-सामान मे परिवर्तन आया। साथ ही ऐसे उपकारणों में से भी कोई एक उदाहरण दीजिए। निमें कोई बदलाव नहीं आया।
उत्तर-
19वीं सदी में तकनीक के कारण क्रिकेट के साजों-सामान मे कहीं-कहीं परिवर्तन आया तथा कहीं-कहीं परिवर्तन नहीं आया है। वल्डनाइज़ड खड़ की खोज के बाद पैड पहनने का रिवाज़ 1848 मे चला। उल्द ही दस्ताने भी आ गए। और धातु सिन्थेटिक व हल्की सामग्री से बने हेल्मेट की शुरुआत हुई। उदाहरण है जो तकनीक के कारण क्रिकेट के उपकरणों में बदलाव लाए गए। बल्ले, स्टंप, गेंद आदि ऐसे उपकरण हैं जिनमें कोई बदलाव नहीं आया है।

इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी HBSE 9th Class प्रश्न 3.
भारत और वेस्टइंडीज़ में ही क्रिकेट क्यों इतना लोकप्रिय हुआ? क्या आप बात सकते हैं कि यह खेल दक्षिणी अमेरिका मे इतना लोकप्रिय क्यों नहीं हुआ?
उत्तर-
भारत में क्रिकेट के लोकप्रिय होने के कारण यह हैं कि यह खेल भारत के स्थानीय पारसियों व यूरापीयों द्वारा खोला जाता था। बाद में हिन्दु व मुसलमान भी इसे खेलने लगा गए। वेस्टइंडीज़ में श्वेत यूरोपीयों के जाने से तथा भारतीय मूल के अश्वेतों में क्रिकेट लोकप्रिय हो गया।
क्रिकेट प्रायः ब्रिटेन व कॉमनवैल्थ देशों में में खेले जाने वाला खेल है दक्षिणी अमेरिका के देशे में जो. कॉमनवैल्थ देश नहीं हैं, वहाँ वह खेल नहीं खेला जाता।

इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी Class 9 HBSE प्रश्न 4.
निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए-
1. भारत में पहला क्रिकेट क्लब पारसियों ने – खोला।
2. महात्मा गाँधी पेंटाग्यंलर टूर्नामेंट के आलोचक थे।
3. आईसीसी का नाम बदलकर इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस क्लब के स्थान पर इंटरनेशन (अंतर्राष्ट्रीय) क्रिकेट कॉन्फ्रेंस कर दिया गया।
उत्तर-
1. पारसी समुदाय के लोगों के अंग्रेजों के सम्पक में आने के कारण उनमें क्रिकेट खेला जाले लगा। पारसियों ने मुम्बई में सबसे पहला ओरिटंएल क्रिकेट क्लब खोला था।
2. महात्मा गाँधी पेंटालुंगर टूर्नामेंट के आलोचक इसलिए थे कि यह साम्प्रदायिक व विभाजनकारी आधार पर बनाए गए टूर्नामेंट थे।
3. आई. सी. सी का नाम बदलकर इम्पीटियल क्रिकेट क्लब के स्थान पर इंटरनेशनल क्रिकेट कान्फ्रेंस इसलिए कर दिया गया था। कि क्रिकेट पर साम्राज्यवादी प्रभाव को दूर किया जा सके।
4. आई. सी. सी. मुख्यालय लंदन की बजाए दुबई में इस कारण हस्तांतरित कर दिया गया क्योंकि इस मुख्यालय को संसार के केंद्र में स्थापित किया जा सके। इसके अतिरिक्त दुबई कर मुक्त शहर भी है।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी

Class 9th History Chapter 5 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 5.
तकनीक के क्षेत्र में आए बदलावों, खासतौर से टेलीविजन तकनीक में आए परिवर्तनों से समकालीन क्रिकेट के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा हैं?
उत्तर-
क्रिकेट दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय खेल बनाता जा रहा है। दूरदर्शन व अन्य इलैक्ट्रॉनिक संचार साधनों ने इस खेल का आम आदमी के दरवाजे पर ला खड़ा किया है। क्रिकेट का आँखों देखा हाल अब छोटे-छोटे कस्बों व शहरों में भी देखा जा सकता है। बच्चों ने इस खेल को गलियों में खेलकर लोकप्रिय बना दिया है। उपग्रह प्रौद्योगिकी ने इस खेल की लोकप्रियता को चार चांद लगा दिए हैं।

HBSE 9th Class History इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
क्रिकेट पिच की कितनी लंबाई होती हैं?
उत्तर-
22 गज़।

प्रश्न 2.
क्रिकेट कानूनों को सबसे पहले कब लिया गया था?
उत्तर-
1744 में

प्रश्न 3.
क्रिकेट के खेल में कितने अम्पायर होते
उत्तर-
दो।

प्रश्न 4.
स्टंप की ऊँचाई बताइए।
उत्तर-
22 इंच।

प्रश्न 5.
संसार में सबसे पहले क्रिकेट क्लब वहां तथा कब बना था?
उत्तर-
हम्बलडन में तथा 1760 के दशक में।

प्रश्न 6.
मेरेलिबान क्रिकेट क्लब (एम. सी.सी.) की स्थापना कब हुई थी? ।
उत्तर-
1787 में।

प्रश्न 7.
आरंभ में क्रिकेट कहाँ खेला जात था?
उत्तर-
ग्रामीण भूमि पर तथा साझी ज़मीन पर।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी

प्रश्न 8.
हिफाज़ती साज-सामान की क्रिकेट मे जरूरत क्यों पड़ी थी?
उत्तर-
बल्केनाइज्ड खड़ की खोज केक बाद ही पैड पहनने न दस्ताने का प्रयोग होने लगा था। धातु, सिन्थेटिक व हल्की सामग्री से हेल्मेट बनाए जाने लगे थे। क्रिकेट में यह सब हिफाजमी साज-सामान कहे जाते हैं।

प्रश्न 9.
लेनहट्टन कौन था?
उत्तर-
एक व्यवसायी बल्लेबाज़ जिसने 1930 के दशक में इंग्लैंड क्रिकट टीम की कप्तानी की थी। ..

प्रश्न 10.
आधुनिक पब्लिक स्कूल प्रणाली का कस जनक कहा जाता है?
उत्तर-
थामस अरनोल्ड को।

प्रश्न 11.
19वीं शताब्दी में किस खेल को लड़कियों का खेल कहा जाता हैं?
उत्तर-
क्रोक्यूट, न कि क्रिकेट। यह धीमी गति का खेल है जो लड़कियों के लिए उपयुक्त समझा जाता था।

प्रश्न 12.
क्रिकेट का खेल, सामान्यतः किन देशों में खेला जाता है?
उत्तर-
कामनवग्ल्थ देशों में।

प्रश्न 13.
मुलोट्टो कौन होते हैं?
उत्तर-
मिश्रित यूरोपीय व अफ्रीकी मूल के लोग।

प्रश्न 14.
डोमिनियन का अर्थ बताइए।
उत्तर-
स्वशासी क्षेत्र।

प्रश्न 15.
वेस्टइंटडीज ने इंग्लैंड को सबसे पहले कब हराया था?
उत्तर-
1950 की टेस्ट श्रृंखला में।

प्रश्न 16.
फ्रैंक वारेल कौन थे?
उत्तर-
एक अश्वेत क्रिकेट खिलाड़ी जिसने 1960 में वेस्टइंडीज की कप्तानी की थी।

प्रश्न 17.
भारत में कब तथा कौन-सा क्रिकट क्लब बना था?
उत्तर-
1790 में, कलकत्ता क्रिकेट ब्लब।

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प्रश्न 18.
भारम में उस स्थान का नाम बातओं जहां क्रिकेट शुरु किया गया था?
उत्तर-
बम्बई (अब मुम्बई)।

प्रश्न 19.
भारत में सबसे पहले किन लोगों ने क्रिकेट खेला था जो युवा भारतीय थे?
उत्तर-
पारसियों ने।

प्रश्न 20.
पारसियों ने कौन-सा तथा कग भारत में क्रिकेट क्लब बनाया था?
उत्तर-
1848 में, मम्बई में। क्लब का नाम था ओरिएंटल क्रिकेट क्लब।

प्रश्न 21.
‘बैट’ शब्द की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
‘बैट’ अंग्रेजी का एक पुराना शब्द है जिसका अर्थ है ‘डंडा’ या कुंदा। 18वीं शताब्दी के लगभग मध्य तक बल्ले की बनावट हॉकी-स्टिक की तरह नीचे से मुड़ी होती थी। इसकी सीधी-सी वजह ये थी कि बॉल लुढ़का कर, अंडर आर्म, की जाती थी और बैट के निचले सिरे का घुमाव बल्लेबाज़ को गेंद से संपर्क साधने में मदद करता था। इसका वर्तमान आकार आगे चलकर बदला था।

प्रश्न 22. 0
क्रिकेट के मैदान का आयाम अलग-अलग होता है। उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर-
क्रिकेट के मैदान का आकार-प्रकार एक-सा नहीं है। हॉकी फुटबॉल जैसे दूसरे टीम-खेलों में मैदान के आयाम तय होते है, क्रिकेट में नहीं। ऐडीलेट ओवल की तरह मैदान अंडाकार हो सकता है, तो चेन्नई के चेपॉक की तरह लगभग गोल भी। मेलबर्न क्रिकेट ग्रांउड में छक्का होने के लिए गेंद को काफी दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में थोड़े प्रयास में ही गेंद सीमा-रेखा के पार जाकर गिरती है।

प्रश्न 23.
क्रिकेट उपकरण की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
क्रिकेट खेल में अलग-अलग दो कप्तान होते हैं तथा दो अम्पायर जो खेल से संबंधित विवादों का अंतिम निर्णय करते हैं। स्टंप 22 इंच की तथा उनके बीच किल्लियाँ
6 इंच की होती है। गेंद का वजन 5 से 6 आंस होता है। स्टंपों के बीच की दूरी 22 गज़ की होती है। .

प्रश्न 24.
1760 से 1770 के दशके क्रिकेट के खेल मे हए बदलाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1760 वे 1770 के दशक में ज़मीन पर लुढ़काने की जगह गेंद को हवा में लहराकर आगे पटकने का चलन हो गया था। इससे गेंदबाज़ों को गेंद की लंबाई का विकल्प तो मिला ही, वे अब हवा में चकमा भी दे सकते थे ओर पहले से कहीं तेज गेंदें फेंक सकते थे। इससे स्पिन और स्विंग के लिए नए दरवाजें खुले। जवाब में बल्लेवाज़ों को अपनी टाइतिंग व शॉट चयन पर महारतं हासिली करनी थी।
एक नतीजा तो फौरन यह हुआ कि मुड़े हुए बल्ले की जगह सीधे बल्ले ने ले ली। इन सबकी वजह से हुनर व तकनीक महत्त्वपूर्ण हो गए।

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प्रश्न 25.
19वीं शताब्दी में क्रिकेट के खेल में हुए बदलावों की विवेचन कीजिए।
उत्तर-
उन्नीसवीं सदी में ढेर सारे बदलाव हुए (वाइड बॉल का नियम लागू हुआ, गेंद का सटीक व्यास तय किया गया, चोट से बचाने के लिए पैड व दस्ताने जैसे हिफाज़ती उपकरण उपलब्ध हुए बाउंड्री की शुरुआत हुई, जबकि पहले हरेक रन दौड़कर लेना पड़ता था, और सबसे अहम बात, ओवरआर्म बोलिंग कानूनी ठहरायी गई।

प्रश्न 26.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि क्रिकेट की जड़ें ग्रामीण रही हैं।
उत्तर-
क्रिकेट की ग्रामीण जड़ों की पुष्टि टेस्ट मैच की अवधि से भी हो जाती है। शुरू में क्रिकेट मैच की समय-सीमा नहीं होती थी। खेल तब तक चलता था जब तक एक टीम दूसरी को दोबरा पूरा आउट न कर दे। ग्रामीण, जिंदगी की रफ्मार धीमी थी और क्रिकेट के नियम औद्योगिक क्रांति से पहले बनाए गए थे।

उसी तरह क्रिकेट में मैदान के आकार का अस्पष्ट . होना उसकी ग्रामीण शुरुआत का सबूत है। क्रिकेट मूलतः गाँव के कॉमन्स में खेला जाता था। कॉमन्स ऐसे सार्वजनिक और खुले मैदान थे जिन पर पूरे समुदाय का साझा हक होता था। अब कॉमन्स का आकार हरके गाँव में अलग-अलग होता था इसलिए न तो बाउंड्री तय थी और न ही चौके।

प्रश्न 27.
तर्क देकर बताइए कि क्रिकेट क्यों औपनिवेशिक खेल ही बना रहा? ।
उत्तर-
हॉकी व फुटबॉल जैसे टीम-खेल मो अंतर्राष्ट्रीय बन गए, पर क्रिकेट औपनिवेक खेल ही बना रहा, यानी यह उन्हीं देशों तक सीमित रहा जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य के अंग थे। क्रिकेट की पूर्व-औद्योगिक विचित्रता के कारण इसका निर्याता होना मुश्किल था। इसने उन्हीं देशों में जड़ें जमायीं जहाँ अंग्रेजों ने कब्जा जमाकर शासन किया । इन उपनिवेशों (जैसे कि दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाव्वे, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज और fiनिया) में क्रिकेट इसलिए लोकप्रिय खेल बन पाया क्योंकि गोरे बाशिंदों ने इस अपनाया या फिर जहां स्थानीय अभिजात वर्ग ने अपने औपनिवेशिक मालिकों की आदतों की नकल करने की कोशिश की जैसे कि भारत में।

प्रश्न 28.
1950 में वेस्टइंडीज की इंग्लैंड पर हुई जोत से जुड़ी हुई दो विडंबनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वेस्टइंडीज ने 1950 के दशक में इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट श्रृंखल जीती तो राष्ट्रीय उत्सव मनाया गया, मानो वेस्टइंडियनों ने दिखा दिया हो कि वे गोर अंग्रेजी से कम नहीं है इस महान जीत में दो विडबनाएं थी। पहली, विजयी वेस्टइंडीज की टीम का कप्तान एक गोरा ही था। याद रहे कि 1960 में पहली बार किसी अश्वेत-फ्रैंक वॉरेल-को नेतृत्व संभालने का मौका मिला। दूसरी, वेस्टइंडीज की भीम किसी एक देश की नहीं थी, बल्कि उस कई डोमिनियनों के खिलाड़ी शामिल थे और ये राज्य बाद में स्वतंत्र देश बने।

प्रश्न 29.
भारत में धर्म व जाति आधार पर हुए क्रिकेट टूर्नामेंट की आलोचनाओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
पत्रकारों, क्रिकेटरों व राजनेताओं ने 1930-40 – के दशक तक इस पाँचकोणी टूर्नामेंट की नस्लवादी व सांप्रदायिक बुनियाद पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे।
बॉम्बेक्रॉनिक नामक अखबार के मशहूर संपादक एस. ए. बरेलवी, रेडियो कमंटेटर ए. एफ. एम. तलयारखान और भारत के सबसे लोकप्रिय राजनेता महात्मा गाँधी ने पेंटांग्युलर को समुदाय के आधार पर बाँटने वाला बताकर इसकी निंदा की। उनका कहना था कि ऐसे समय में जब राष्ट्रवादी हिन्दुस्तानी अवाम को एकजुट करना चाह रहे थे, तब इस टूर्नामेंट का कोई औचित नहीं था।

प्रश्न 30.
क्रिकेट से जुड़े 1970 के दशक के कोई दो बदलाव बताइए।
उत्तर-
क्रिकेट 1970 के दशक में काफी बदल गया यह ऐसा दौर था जिसमें इस पारंपरिक खेल ने बदलते जमाने के साथ खुद को ढाल लिया। अगर 1970 में दक्षिण अफ्रीका को क्रिकेट से बहिष्कृत किया गया, तो 1971 को इसलिए याद किया जाए चूंकि इस साल इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया के बीच सबसे पहला एकदिवसीय मैच मेलबर्न में खेला गया। क्रिकेट का यह छोटा संस्कारण इतन लोकप्रिय हुआ कि 1975 में पहला विश्व कप खेला गया और सफल रहा।

प्रश्न 31.
‘क्रिकेट के औजार समय के साथ बदलने के बावजूद ग्रामीण रूप के ही रहे हैं।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
खेल के औजारों को देखें तो पता चलता है कि वक्त के साथ बदलने के बावजूद क्रिकेट अपनी ग्रामीण इंग्लैंड की जड़ों के प्रति वफादार रहा। क्रिकेट के सबसे जरूरी उपकरण प्रकृति में उपलब्ध पूर्व-औद्योगिक सामग्री से बनते हैं। बल्ला, स्टंप व गिल्लियाँ लकड़ी से बनती हैं, जबकि गेंद चमड़े, ट्वाइन और काग (कॉर्क) से। आज बल्ला और गेंद हाथ से ही बनते हैं, मशीन से नहीं। बल्ले की सामग्री अलबत्ता वक्त के साथ बदली। किसी जमाने में इसे एक साबुत लकड़ी से बनाया जाता था। लेकिन अब इसके दो हिस्से होते हैं-ब्लेड या फट्टा जो विलो (बैद) नामक पेड़ से बनता है और हत्था जो. बेंत से बनता है। बेंत तब जाकर उपलब्ध हुई जब यूरोपीय उपनिवेशकारों व कंपनियों ने खुद को एशिया में जमाया। गोल्फ और टेनिस के विपरीत, क्रिकेट ने प्लास्टिक, फाइबर-शीश या धातु-जैसी औद्योगिक या कृत्रिम सामग्री के इस्तेमाल की सिरे से नकारा है। जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेनिस लिली ने एल्युमिनियम के बल्ले से खेलने की कोशिश की तो अंपायरों ने उसे अवैध करार दिया।

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प्रश्न 32.
क्या आप इस तथ्य से सहमत है कि क्रिकेट के आयोजन पर ब्रिटिश समाज की छाप साफ दिखायी देती है?
उत्तर-
इंग्लैंड में क्रिकेट के आयोजन पर अंग्रेजी समाज की छाप साफ है। अमीरों को जो मजे के लिए क्रिकेट खेलते थे, ‘शौकिया’ खिलाड़ी कहा गया और अपनी रोजी-रोटी के लिए खेलने वाले गरीबों को ‘पेशेवर’ (प्रोफेशनल) कहा गया। अमीर शौकिया दो कारणों से थे-एक, यह खेल उनके लिए एक तरह का मनोरंजन था-खेलने के आनंद के लिए न कि पैसे के लिए खेलना नवाबी ठाठ की निशानी था। दूसरे, खेल में अमीरों को लुभा सकने लायक पैसा भी नहीं था। पेशेवर खिलाड़ियों को मेहनताना, वजीफा, चंदे, या गेट पर इकट्ठा किए गए पैसे से दिया जाता था।

शौकीनों की समाजिक श्रेष्ठ क्रिकेट की परंपरा का हिस्सा बन गई। शौकीनों को जहाँ जेंटलमेन’ की उपाधि दी गई तो पेशेवरों को ‘खिलाड़ी’ (प्लेयर्स’) का अदना-सा नाम मिला। मैदान में घुसने के उनके प्रवेश-द्वार भी अलग-अलग थे। शौकीन जहाँ बल्लेबाज हुआ करते वहीं खेल में असली मशक्कत और ऊर्जा वाले काम, जैसे तेज गंदबाजी, खिलाड़ियों के हिस्से आते थे। क्रिकेट में संदेह का लाभ (बेनेफिट ऑफ डाउट) हमेशा बल्लेबाज को क्यों मिलता है, उसकी एक वजह यह भी है। क्रिकेट बल्लेबाजों का ही खेल है इसीलिए बना क्योंकि नियम बनाते समय बल्लेबाजी करने वाले ‘जेन्टलमेन’ की तरजीह दी गई। शौकिया खिलाड़ियों की सामाजिक श्रेष्ठता का ही नतीजा था कि टीम का कप्तान पारंपरिक तौर पर बल्लेबाज ही होता था। 1930 के दशक में जाकर पहली बार अंग्रेजी टीम की कप्तानी किसी पेशेवर खिलाड़ी यॉर्कशायर के बल्लेबाज लेनहटन ने की।

प्रश्न 33.
‘अक्सर कहा जाता है कि वाटरलू का युद्ध ईटन के खेल के मैदान में जीमा गया।’ क्यों? स्पष्ट कीजिए॥
उत्तर-
अक्सर कहा जाता है कि ‘वाटरलू का युद्ध । ईटन के खेल के मैदान में जीता गया’। इसका अर्थ यह है। कि ब्रिटेन की सैनिक सफलता का राज उसके पब्लिक स्कूल के बच्चों को सिखाए गए मूल्यों में था। अंग्रेजी आवासीय विद्यालय में अंग्रेज लड़कों को शाही इंग्लैंड के तीन अहम संस्थानों-सेना, सिविल सेवा, व चर्च में कैरियर के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। उन्नीसवीं सदी की शुरुआत तक टॉमस आर्नल्ड-जो मशहूर रग्बी स्कूल के हेडमास्टर होने के साथ-साथ आधुनिक पब्लिक स्कूल प्रणाली के प्रणेता था-रग्बीव क्रिकेट जैसे खेलों को महज मैदानी खेल नहीं मानते थे बल्कि अंग्रेज लड़कों को अनुशासन ऊँच-नीच का बोध, हुनर, स्वाभिमान की रीति-नीति और नेतृत्व क्षमता सिखाने का जरिया मानते थे। इन्हीं गुणों पर तो ब्रितानी साम्राज्य को बनाने और चलाने का दारोमदार था।
सच्ची बात तो यह है कि. नेपोलियन के खिलाफ लड़ाई इसलिए जीती जा सकी कि स्कॉटलैंड व वेल्स के लौह उद्योग, लंकाशायर की मिलों व सिटी ऑफ लंदन के वित्तीय घरानों से भरपूर सहयोग मिला। इंग्लैंड के व्यापार व उद्योग में आगे होने के चलते ब्रिटेन विश्व की सबसे बड़ी ताकत बन गया था, लेकिन अंग्रेजी शासक-वर्ग को यही खयाल अच्छा लगता था कि दुनिया में उनकी श्रेष्ठता के पीछे आवासीय विद्यालयों में पढ़कर तैयार हुए और शरीफों का खेल-क्रिकेट खेलने वाले युवा वर्ग का चरित्र ही है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों मे भरें

(i) पलवकर बब्लू तथा विठल………थे। (भाई, . चचरे)
(ii) ओरिएंटल क्रिकेट क्जब ……में स्थापित किया गया था। (बॉम्बे, नई दिल्ली)
(iii) ………भारत में पहले थे जिन्होंने क्रिकेट खेला था। (हिन्दू, पारसी)
(iv) विजय हजारे एवं भारतीय……..था। (यूरोपीय, … इसाई)
उत्तर-
(i) भाई,
(ii) बॉम्बे,
(iii) पारसी,
(iv) इसाई।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से सही (√) व गलत (x) का चयन करें।

(i) सबसे पहले क्रिकेट ग्रामीण अमेरिका में खेला गया था।
(ii) क्रिकेट के नियम 1844 में लिखे गए थे।
(iii) एम.सी.सी का अर्थ है मेलबाटन क्रिकेट क्लब।
(iv) विजय इजारे एक ईसाई भारतीय क्रिकेट क्लब।
उत्तर-
(i) x,
(ii) x,
(iii) x,
(iv) √,

प्रश्न 3. निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प को तलाशें।

(i) दोनों स्टंपों में निम्न फासला होता हैं
(a) 20 गज़
(b) 22 गज़
(c).21 गज़
(d) 23 गज़
उत्तर-
(c).21 गज़

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी

(ii) विश्व का सबसे पहला क्रिकेट क्लब निम्न में बनाया गया था
(a) लंदन
(b) हम्बलडन
(c) वाशिंगटन
(d) मैलबर्न।
उत्तर-
(b) हम्बलडन

(iii) डेमिस लिल्ली का सम्बन्ध निम्न देश से हैं
(a) इंग्लैंड
(b) न्यूजीलैंड
(c) आस्ट्रोलिया
(d) दक्षिणी अफ्रीका।
उत्तर-
(c) आस्ट्रोलिया

(iv) जी. के. नायडू निम्न वर्ष भारतीय क्रिकेट के कप्तान थे
(a) 1930
(b) 1931
(c) 1932
(d) 1933
उत्तर-
(c) 1932

इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

इंग्लैंड में क्रिकेट का उदय लगभग पांच सौ वर्ष पहले हुआ था। शब्द ‘बैट’ का अर्थ एक छड़ी से होता है। 17वीं शताब्दी के आते-आते क्रिकेट ऐ खेल के रूप में उभर चुका था जिसे रविवार के दिन नहीं खेला जाता था। 18वीं शताब्दी तक बैट का स्वरूप व आकार पहले जैसा ही रहा, एक हॉकी स्टिक की भांति, नीचे से मुड़ी हुई। तब बाल कन्धे से नीचे होकर डाली जाती थी। फलस्वरूप बल्लेबाज को बाल-बैट के संपर्क में काफी समय मिल जाता था।

क्रिकेट इतिहास के अनेक लक्षण हैं। टैस्ट मैच सामान्यतयः पाँच दिन के लिए तथा एक दिवसीय मैच एक दिन के लिए खोला जाता है जबकि दूसरे खेल (फुटबॉल, बालीबाल आदि) कुछ घंटों के लिए खेले जाते हैं। पिच की लम्बाई 22 गज होती है। तथा मैदान का आकार एक-सा नहीं होता जबकि दूसरे खेलों में मैदान के आकार तय होते है। ‘किक्रेट के कानूनों को पहले-पहल 1744 ई, में लिखा गया था। इस खेले में दो अम्पायर (निर्णायक) होते हैं तथा प्रत्येक टीम का एक-एक कप्तान होता है स्टंप 22 ईच ऊँची होती हैं तथा बाल का वजन 5 से. 6 औंस के बीच होता है स्टंप के बीच किल्लियां 6 ईच की होती है, पिच के बीच दौड़ने पर एक रन बनता है तथा मैदान से बाल के पार कर जाने से चार रन बल्लेबाज को छः रन मिलते हैं बल्लेबाज़ पैड तथा ग्लब पहनते हैं जबकि विरोधी टीम का विकट कीपर जो विकटों के पीछे खड़ा होता है, पैड तथा ग्लब पहनता है। विकट कीपर तथा बल्लेबाज़के गलोबज़ में आकार को लेकर भेछ होता है।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 7 इतिहास और खेल : क्रिकेट की कहानी

संसार का पहला क्रिकेट क्लब हैम्बल्डन में 1760 के दशक में बना था और मेरिलिबान क्रिकेट क्लब (एम. सी. सी) की स्थापना 1784 में हुई थी, इंग्लैंड से क्रिकेट कॉमनवैल्थ देशों में खेला जाने लगा। वैस्टइंडीज में अश्वेत रंग के लोगों ने क्रिकेट खेलकर श्वेतों को पराजित किया था। भारत में पारसियों द्वारा पहले क्रिकेट खेल खेला गया तथा बाद में धर्म के आधार पर क्रिकेटीमों का गठन हुआ था। बाद में राष्ट्रीय स्तर पर भारत में क्रिकेट टीम बनायी गयी। भारत ने पहली बार, 1932 में, क्रिकेट की दुनिया प्रवेश किया था।
1971 से एक दिवसीय क्रिकेट मैच खेले जाने लगे हैं। पहला क्रिकेट विश्व कप, 1975 में खेला गया था। अब क्रिकेट में नए-नए आयाम आ चुके हैं।

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HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

HBSE 9th Class History नात्सीवाद और हिटलर का उदय Textbook Questions and Answers

नात्सीवाद और हिटलर का उदय के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएं थीं।
उत्तर-
जर्मनी के वाइमर गणराज्य की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् आने वाली समस्याओं को, संक्षेप में, निम्नलिखित बताया जा सकता है।

  • सरकार तथा लोगो को गम्भीर आर्थिक संकट का सामान करना पड़ा। युद्ध के बाद औद्योगिक विकास निम्न स्तर तक जा पहुंचा था, कृषि की स्थिति उद्योग से भ्ज्ञी बदतर थी, जर्मन मुद्रा गिरते-रहने की स्थिति में थी, अप्रैल, 1923 मे एक अमरीकी डालर 24,000 मार्क, जुलाई में 35300 मार्क, अगस्त में 4,621,000 मार्क तथा दिसम्बर, 1923 में 98,860,00 मार्क के बराबर आ गया। महँगाई जोरों पर थी, बेरोजगारी अपनी सीमा को छू चुकी थी, युद्ध के दौरान लिए गए ऋण को सोने में वापस करना था।
  • क्षतिपूर्ति वाइमर गणराज्य की एक अन्य समस्या थी। जर्मनी को छः अरब पौंड युद्ध हर्जाना के रूप में देने को कहा गया था। जैसे-जैसे जर्मनी की अर्थव्यवस्था गिरती चली गई, उसके लिए क्षतिपूर्ति की वार्षिक किश्त देना मुश्किल पड़ गया। अमेरिका द्वारा डास व यंग योजनाएँ भी जर्मनी की स्थिति को सुधार नहीं सकीं।
  • युद्ध के बाद जर्मनी को बहुत कुछ खोना पड़ा था वाइमर जर्मनी ने अपने बाहरी उपनिवेश खो दिये, उसकी सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर तक कम कर दिया गया, उसे अपने संसाधनों को गिरवी रखना पड़ा था।
  • वाइमर गणराज्य को स्पार्टासिस्ट के रूप में रैडिकल . लोगों की क्रांतिकारी गतिविधियां सहनी पड़ी थी। वह जर्मनी को बोलशेविक रूस बनाना चाहते थे फलस्वरूप इस गणराज्य को राजनीतिक अस्थिरता के वातावरण को सहना पड़ा था।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

नात्सीवाद और हिटलर का उदय Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 2.
इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नाजीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगीं?
उत्तर-
1930 के आते-आते जर्मनी में नाजीवाद को लोकप्रियता मिलने के अनेक कारण बताए जा सकते हैं। नाजीवादियों ने जर्मनी की जनसंख्या के सभी वर्गों को वह सब कुछ वापस दिलाने का वचन दिया जो वह प्रथम विश्व युद्ध में खो चुका था। उन्होंने जर्मन वासियों में राष्ट्रवाद की भावनाओं को भर दिया, उनमें जर्मन पहचान भर दी थी। उन्होंने जर्मन लोगों को रोजगार का आश्वासन दिया, अर्थव्यवस्था के विकास का वचन दिया, जर्मनी से विदेशी प्रभाव समाप्त किया जाएगा ऐसे आश्वासन दिये तथा जर्मनी के विरुद्ध सभी षड्यंत्रों का भण्डा फोड़ने के वायदे किए।

नात्सीवाद और हिटलर का उदय HBSE 9th Class प्रश्न 3.
नाज़ी सोच के ख़ास पहलू कौन से थे?
उत्तर-
नाज़ी सोच के खास पहलुओं को निम्नलिखित बताया जा सकता है-

  1. राज्य सबसे ऊपर है लोग राज्य के लिए होते हैं, राज्य लोगों के लिए नहीं होता,
  2. सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त कर एक व्यक्ति तथा एक दल के शासन पर जोर देना,
  3. युद्ध व हिंसा के प्रयोग का प्रचार,
  4. उदारवाद, समाजवाद तथा साम्यवाद का पूर्ण विनाश,
  5. जर्मन यहूदियों के विरुद्ध घृणा का प्रसार : जर्मनी की बुरी हालत के लिए यहूदी ही जिम्मेदार हैं,
  6. सभी प्रकार के विपक्ष का उन्मूलन,
  7. जर्मन साम्राज्य का विस्तार : सभी खोए उपनिवेशों की वापसी,
  8. जर्मन सैनिकवाद पर बलः विश्व में जर्मन प्रभाव का प्रचार।

नात्सीवाद और हिटलर का उदय Class 9 HBSE प्रश्न 4.
नाज़ियों का प्रोपेगंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असदार कैसे रहा?
उत्तर-
नाज़ियों का प्रोपेगंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में खासा असरदार था। वह यहूदियों को इस मसीह का कातिल बताते थे, उन्हें धन-प्रेमी व सूदखोर कहते थे। वह उन्हें जर्मन वासियों का शत्रु बताते थे तथा इस कारण उन्हें सभी प्रकार की यातनाएं देने के पक्षधर थे। नाजियों के अनुसार आर्य उत्तम नसल है तथा यहूदी निम्न प्रकार की नसल।

Class 9th History Chapter 3 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 5.
नाज़ी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय 1 को देखें। फ्रांसीसी क्रांति व नाजी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फर्क था? एक पैराग्राफ में बताइए।
उत्तर-
नाज़ी समाज में पुरुषों की अपेक्षा औरतों की भूमिका कोई अधिक अच्छी नहीं थी। हिटलर शाही के दौरान औरतों को पुरुषों की अपेक्षा निम्न समझा जाता था। हिटलर के अनुसार औरतें जर्मन संस्कृति की धारणकर्ता होती हैं। एक बार उसने कहा था, हम नहीं समझते कि औरतों को पुरुषों के क्षेत्र में हस्ताक्षेप करना चाहिए, औरतें स्व-त्याग की मूर्ति होती हैं, वे आंतरिक दुख का अनुभव करती हैं। जर्मनी में जो औरतें नस्ल रूप से अच्छी नस्ल पैदा करती हैं, उन्हें पुरस्कार मिलना चाहिए तथा जो खराब नस्ल करती हैं, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। .

फ्रांसीसी औरतें जर्मन औरतों की अपेक्षा अच्छी स्थिति में थीं। फ्रांसीसी क्रांति के दिनों में फ्रांसीसी औरत राजनीति व सार्वजनिक जीवन में भाग लेती थी। दूसरी ओर, जर्मन
औरतें घर की चारदीवारी तक सीमित रहा करती थी। जिनका मुख्य काम संतान-उत्पति होता था। फ्रांसीसी क्रांति के दिनों की फ्रांसीसी औरतें क्रांति में भाग लेती थी, सार्वजनिक नीतियों पर बातचीत करती थीं तथा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेती थीं। दूसरी ओर, हिटलर के समय की जर्मन औरतें मर्दो के मुकाबले दूसरे दर्जे की औरतें समझी जाती है।

प्रश्न 6.
नाज़ियों ने जनता पर पूरा नियन्त्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?
उत्तर-
नाजियों ने जनता पर पूरा नियन्त्रण हासिल करने के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित तरीके अपनाए थे

  1. अनेबलिंग एक्ट (1933) द्वार नाज़ियों ने पूरे देश में लोकतंत्र के स्थान पर अधिनायकवाद की स्थापना कर दी। पुलस्वरूप हिटलर के हाथों में सारी शक्ति आ गई।
  2. सभी प्रकार के राजनीतिक दलों तथा ट्रेड यूनियनों की मनाही कर दी गयी, सिवाए नाजी पार्टी के।
  3. राज्य द्वारा अर्थव्यवस्था, समाज, संचार, सेना व न्यायपालिका पर नियन्त्रण स्थापित कर दिया गया।
  4. जैसे नाज़ी चाहते थे, समाज में व्यवस्था स्थापित करने हेतु सुरक्षा बल बना दिये गए। गेस्टापों जो कि गुप्त पुलिस सेवा थी, प्रभावपूर्ण ढंग से काम करने लग गई।

HBSE 9th Class History नात्सीवाद और हिटलर का उदय Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
नाज़ी कौन थे?
उत्तर-
वह लोग जिनका प्रजातंत्र में कोई विश्वास नहीं था तथा जो समाजवाद का तिरस्कार करते थे एवं अधिनायकवाद में आस्था रखते थे। अपने बर्ताव में वे अत्याचारी थे।

प्रश्न 2.
नाज़ियों के नेता का नाम बताइए।
उत्तर-
नाज़ियों का नेता थाः हिटलर।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

प्रश्न 3.
हिटलर द्वारा बनायी गई पार्टी का पूरा नाम क्या था?
उत्तर-
राष्ट्रवादी समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी, संक्षेप में नाज़ी पार्टी।

प्रश्न 4.
नाज़ी पार्टी की कब स्थापना हुई थी?
उत्तर-
1921 में।

प्रश्न 5.
‘मैंन काम्फ’ का क्या अर्थ होता है?
उत्तर-
मेरा संघर्ष।

प्रश्न 6.
किस वर्ष आर्थिक महामंदी घटी थी?
उत्तर-
1929 में

प्रश्न 7.
हिटलर को कब जर्मन चांसलर नियुक्त किया गया था? .
उत्तर-
30 जनवरी, 1933 को।

प्रश्न 8.
‘राइखस्टैग’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
जर्मनी में संसद को शाइखस्टैग कहा जाता है।

प्रश्न 9.
नाज़ियों ने राइखस्टैग इमारत को कब आग लगायी थी?
उत्तर-
27 फरवरी, 1933 को।

प्रश्न 10.
हिटलर कब जर्मनी का राष्ट्रपति बना ‘था?
उत्तर-
1934 में।

प्रश्न 11.
ब्लीटज़रीग क्या है?
उत्तर-
ब्लीटज़रीग का अर्थ है चमकने वाला अर्थात् तीव्र युद्ध। यह युद्ध जर्मनी द्वारा बड़े तेजी व तीव्रता से किया गया था।

प्रश्न 12.
कौन से देश एंटी-कामिनटर्न के देश-सदस्य थे?
उत्तर-
जर्मनी, इटली जापान।

प्रश्न 13.
1936 से 1939 के बीच नाजो जर्मनी ने ‘किन-किन देशों तथा क्षेत्र पर आक्रमण कर अपने कब्जे में लिया था?
उत्तर-

  1. राइनलैंड (मार्च, 1936)
  2. आस्ट्रिया (1938)
  3. स्विटजरलैंड (सितम्बर, 1938)
  4. चेकोस्लोवाकिया (मार्च, 1939)
  5. पोलैण्ड (सितम्बर, 1939)।

प्रश्न 14.
रूस के साथ अनाक्रमण संधि के बावजदू भी जर्मन ने कब उस पर आक्रमण किया था?
उत्तर-
जून 22, 19411

प्रश्न 15.
धुरी शक्तियां जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध .में भाग लिया था, उनके नाम बताइए।
उत्तर-
जर्मनी, जापान, इटली।

प्रश्न 16.
दूसरे विश्व युद में भाग लेने वाले मित्र देशों में मुख्य देशों का नात बताइए।
उत्तर-
ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, सोवियत संघ “आदि-आदि।

प्रश्न 17.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने दूसरे विश्प-युद्ध में कब भाग लिया था?
उत्तर-
1942 में।

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प्रश्न 18.
‘युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वह अनुच्छेद जो किसी अमुक देश को युद्ध का ज़िम्मेदार माने।

प्रश्न 19.
वर्साय की सन्धि किन देशों के बीच हुई थी?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध में विजयी देशों तथा पराजिम जर्मन के बीच।

प्रश्न 20.
खंदक किस कहते हैं?
उत्तर-
युद्ध के मोर्चे पर सैनिकों ने छिपने के लिए खोदे गए गडे।

प्रश्न 21.
हर्जाना का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
किसी गलती के बदले दण्ड के रूप में नुकसान की भरपाई करना।

प्रश्न 22.
स्पार्टासिस्ट लीग क्या था?
उत्तर-
जर्मनी के वे क्रांतिकारी जो जर्मनी में रूस के बोल्शेविकों की भांति क्रांतिकारी विद्रोह करना चाहते थे।

प्रश्न 23.
वाइमर गणराज्य कब तथा कैसे बना?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् समाजवादियों, लोकतंत्रवादियों व रूढ़िवादियों द्वारा वाइमर (मर्जनी का एक सीन) स्थानी में बने संविधान के अंतर्गत बनाया गया गणराज्य। .

प्रश्न 24.
‘नवम्बर अपराधी’ किन्हें कहा जाता था?
उत्तर-
वाइमर गणराज्य के शासकों को नवम्बर अपधारी कहा जाता था।

प्रश्न 25.
‘अति मुद्रा स्फूर्ति’ का अर्थ बताइए।
उत्तर-
मुद्रा का तंज़ी से गिरना।

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प्रश्न 26.
दूसरे विश्व युद्ध के साए में जर्मन जनसंहार के उदाहरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
दूसरे विश्व युद्ध के साए में जर्मनी ने जनसंहार – कर क्रूरता का उदाहरण दिया। यूरोप में रहने वाले कुछ खास नस्ल के लोगों को सामूहिक रूप से मारा जाने लगा। इस युद्ध में मारे गए लोगों में 60 लाख यहूदी, 2 लाख जिप्सी और 10 लाख पोलैंड के नागरिक थे साथ ही मानसिक व शारीरिक रूप से अपंग घोषित किए गए 70,000 जर्मन नागरिक भी मार डाले गए। इनके अलावा न जाने किमने ही राजनीतक विरोधियों को भी मौत की नींद सुला दिया गया। इतनी बड़ी मादाद में लोगों को मारने के लिए ऑशविट्ज जैसे कत्लखाने बनाए गए जहां जहरीली गैस हो हजारों लोगों को एक साथ मौत के घाट उतार दिया जाता था।

प्रश्न 27.
वर्साय की संधि किस प्रकार एक कठोर व अपमानजनक संधि थी?
उत्तर-
विजयी देशों व पराजित जर्मनी के बीच वर्साय की संधि (1919) एक कठोर व अपमानजनक संधि कही जाती है। इस संधि की वजह से जर्मनी का अपने सारे उपनिवेश करीब 10 व्रतिशत आबादी, 13 प्रतिशत भूभाग, 75 प्रतिशत लौह भंडार और 26 प्रतिशत कोयला भंडार फ्रांस पोलैंड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े। जर्मनी की रही-सही ताकत खत्म करने के लिए मित्र राष्ट्रों ने उसकी सेना भी भंग कर दी। युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद (War Guilt Clause) की आड़ में तमाम प्रकार की क्षति के लिए जर्मनी को ज़िम्मेदार ठहराया गया। इसके एवज में उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया। खनिज संसाधनों वाले राइनलैंड पर भी बीस के दशक में ज्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही कब्जा रहा।

प्रश्न 28.
जब जर्मनी कर्ज व हर्जाना न चुका पाया तो मित्र देशों ने क्या कार्यवाही की? जर्मन अर्थव्यवस्था पर उसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
जब जर्मनी कर्ज व हर्जाना न चुका पाया तो मित्र देशों विशेष रूप से फ्रांसीसीयों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलोक रूर (Ruhr) पर कब्जा कर लिया। यह जर्मनी के विशाल कोयला भंडारों वाला इलाका था। जर्मनी ने फ्रांस के विरुद्ध निष्क्रिय प्रतिरोध के रूप में बड़े पैमाने पर कागज़ी मुद्रा छापना शुरू कर दिया। जर्मन सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर मुद्रा छाप दी कि उसकी मुद्रा मार्क का मल्य तेजी से गिरने लगा। अप्रैल में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 24,00 मार्क के बराबर थी जो जुलाई में 3,53,000 मार्क, अगस्त में 46,21,000 मार्क तथा दिसंबर में 9,88,60,000 मार्क हो गई। इस तरह एक डॉलर में खरबों मार्क मिलने लगे। जैसे-जैसे मार्क की कीमत गिरती गई, जरूरी चीज़ों की कीमतें आसमान छूने लगीं। रेखाचित्रों में जर्मन नागरिकों को पावरोटी खरीदने के लिए बैलगाड़ी में नोट भरकर ले जाते हुए दिखाया जाने लगा।

प्रश्न 29.
आर्थिक महामंदी का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
1929 में वाल स्ट्रीट एक्सचेंज़ शेयर बाज़ार में कीमतों की गिरावट की आशंका को देखते हुए लोग धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने लगे। 24 अक्तूबर को केवल एक दिन में 1.3 करोड़ शेयर बेच दिए गए। यह आर्थिक महामंदी की शुरुआत थी। 1929 से 1932 तक के अगले तीन सालों में अमेरिका की राष्ट्री आय केवल आधी रह गई। फैक्ट्रियां बंद हो गई थीं, निर्यात गिरता जा रहा था, किसानों की हालत खराब थी और सट्टेबाज बाज़ार से पैसा खींचते जा रहे थे। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई इस मंदी का असर दुनिया भर में महसूस किया गया।

प्रश्न 30.
वाइमर संविधान की कमियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
बाइंमर संविधान में कुछ ऐसी कमियां थीं जिनकी वजह से गणराज्य कभी भी अस्थिरता और तानाशाही का शिकर बन सकता था। इनमें से एक कमी आनुपातिक प्रतिनिधित्व से संबंधित थी। इस प्रावधान की वजह से किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना लगभग नामुमकिन बन गया था। हर बार गठबंधन सरकार सत्ता में आ रही थी। दूसरी समस्या अनुच्छेद 48 की वजह से थी जिसमें राष्ट्रपति को आपातकाल लागू करने, नागरिक अधिकार रद्द करने और अध्यादेशों के जरिए शासन चलाने का अधिकार दिया गया था। अपने छोटे से जीवन काल में वाइमर गणराज्य का शासन 20 मंत्रिमंडलों के हाथों में रहा और उनकी औसत अवधि 239 दिन से ज्यादा नहीं रही।

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प्रश्न 31.
हिटलर के प्रारम्भिक जीवन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
1889 में ऑस्ट्रिया में जन्मे हिटलर की युवावस्था बेहद गरीबी में गुज़री थी। रोजी-रोी का कोई ज़रिया न होने के कारण पहले विश्व युद्ध की शुरुआत में उसने भी अपना नाम फौजी भर्ती के लिए लिखवा दिया था। भर्ती के बाद उसने अग्रिम मोर्चे पर संदेशवाहका का काम किया, कॉर्पोरल बना और बहादूरी के लिए उसने कुछ तमगे भज्ञी हासिल किए। जर्मन सेना की पराजय ने तो उसे हिला दिया था, लेकिन वर्साय की संधि ने तो उसे आग-बबूला ही कर दिया। 1919 में उसने जर्मन वर्कर्स पार्टी नामक एक छोटे-से समूह की सदस्यता ले ली। धीरे-धीरे उसने इस संगठन पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया और उसे नेशनन सोशलिस्ट पार्टी का नया नाम दिया। पार्टी को बाद में में नाज़ी पार्टी के नाम से जाना गया।

प्रश्न 32.
नाज़ी पार्टी किस प्रकार जर्मन जनता को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हो पायी थी? विवेचना कीजिए।
उत्तर-
नाजी पार्टी 1930 के दशक के शुरुआती सालों तक जनता. को बड़े पैमाने पर अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पाई। लेकिन महामंदी के दौरान नाजीवाद ने एक जन
आंदोलन का रूप ग्रहरण कर लिया। जैसा कि हम पहले देख चुके हैं, 1929 के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे, काम-धंधे बंद होते जा रहे थे, मज़दूर बेरोज़गार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भुखमरी का डर समा रहा था। नाजी प्रोपेगंडा में लोगों को एक बेहत भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नाज़ी पार्टी को जर्मन संसद-राइखस्टैग-के लिए हुए चुनावों में महज़ 2.6 फीसदी वोट मिले थे। 1932 तक आते-आते यह देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थीं और और उसे 37 फीसदी वोट मिले।

प्रश्न 33.
विदेशी नीति के मोर्चे पर हिटलर को क्या-क्या सफलताएं प्राप्त हुई थीं? ।
उत्तर-
विदेश नीति के मोर्च पर भी हिटलर को फौरन कामयाबियां मिली। 1933 उसने ‘लीग ऑफ नेशंस’ से पल्ला झाड़ लिया। 1936 में राईनलैंड पर दोबारा कब्जा किया और एकजन, एकसाम्राज्य, एकनेता के नारे की आड़

(2) वह सेना में भी नौकरी क्यों प्राप्त नहीं कर पाया था?
उत्तर-दान्तन का सम्बन्ध कुलीन वर्ग से नहीं था। तब के फ्रांस में कुलीनों को ही सेना में नौकरी मिला करती थी। उसके पास कोई सिफारिश भी नहीं थी। वह चर्च में नौकरी इसलिए प्राप्त नहीं कर पाया कि उसके पास नौकरी प्राप्त करने के लिए रुपया-पैसा नहीं था।

प्रश्न 34.
विद्रोही प्रजा की इच्छा के समक्ष झुकते हुए सम्राट द्वारा क्या प्रतिक्रिया हुई थी? तब हुए निर्णयों का खुलासा कीजिए।
उत्तर-
अपनी विद्रोही प्रजा की शक्ति का अनुमान करके लुई XVI ने अंततः नैशनल असेंबली को मान्यता दे दी. और यह भी मान लिया कि उसकी सत्ता पर अब से संविधान का अंकुश होगा 14 अगस्त, 1789 की रात को असेंबली ने करों, कर्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित किया। पादरी वर्ग के लोगों को भी अपने विशेषाधिकारों को छोड़ देने के लिए विवश किया गया। धार्मिक कर दिया गया और चर्च के स्वामित्व वाली भूमि जब्त कर ली गई। इस प्रकार कम से कम 20 अरब लिने की संपत्ति सरकार के हाथ में आ गई।

प्रश्न 35.
1791 के संविधान की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
1791 के संविधान की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित को बताया जा सकता है-

  1. फ्रांसीसी सम्राट की शक्तियाँ सीमित कर दी गई।
  2. शक्तियाँ विधायिका, कार्यपालिका, एवं न्यायपालिका आदि संस्थाओं में विभाजित कर दी गई। ,
  3. फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र लागू कर दिया गया।
  4. कानून बनाने वाली संस्था राष्ट्रीय असेंबली के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रखा गया। .
  5. केवल 25 वर्ष तथा उससे अधिक आयु वाले पुरुषों को ही मताधिकार प्राप्त था। इन्हें ही सक्रिय नागरिक कहा जाता था, क्योंकि वे तीन दिन तक की मजदूरी के बराबर कर दिया करते थे।
  6. संविधान में पुरुष एवं नागरिक अधिकार शोषण पत्र की व्यवस्था की गई थी। इसमें जीवन स्वतंत्रता, सम्पत्ति आदि के अधिकारों का उल्लेख किया गया था।

प्रश्न 36.
राष्ट्रीय असेंबली ने प्रशिया व आस्ट्रिया पर आक्रमण क्यों किया? इस घटना का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
यद्यपि फ्रांसीसी सम्राट ने 1191 के संविधान पर हस्ताक्षर कर दिये थे, फिर भी वह अपनी शक्तियों को बनाए रखने के लिए पड़ोसी राज्यों से साँठ-गाँठ कर अपनी स्थिति सुधारना चाहता था। प्रशिया व आस्ट्रिया के शासकों के साथ गुप्त संधि करके लुई सोलहवाँ अपने लोगों को नाराज कर बैठा। इसका परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रीय असेंबली ने प्रशिया व आस्ट्रिया पर आक्रमण कर दिया। लोगों ने हजारों की संख्या में आक्रमण में भाग लिया तथा अपनी देशभक्ति का प्रमाण दिया, स्वयंसेवियों ने कवि रागेट द्वारा रचित गीत गाकर पेरिस पर मार्च किया।
बाद में सम्राट पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर राष्ट्रीय असेंबली ने उसे मृत्यु दण्ड दिया था। तब फ्रांस को गणराज्य घोषित किया गया था।

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प्रश्न 37.
मैक्सीमिलियन रोबेस्प्येर कौन था? उसके काल को आतंक का काल क्यों कहा जाता था?
उत्तर-
मैक्सीमिलियन जैकोबिनों का नेता था जो अपने क्लबों में राजनीतियों नीतियों पर विचार-गोष्ठी करते रहते थे। जब जैकाबिनों को फ्रांस की सत्ता प्राप्त हुई तब रोबेस्प्येर के हाथों में शक्ति आ गई। रोबेस्प्येर ने सख्ती से शासन किया तथा जो लोग उसके विचारों व नीतियों से सहमत नही होते थे, वह गिलोटिन तरीके से उन्हें मृत्यु दण्ड दिया करता था। गिलोटिन में दो खम्बों में लटकते आरे से सिर काट लिया जाता था। इस कारण उसके शासन काल को आतंक का काल कहा जाता था। उसके पतन पर उसको भी स्वयं गिलोटिन का शिकार होना पड़ा था।

प्रश्न 38.
सम्राट घोषित किये जाने के पश्चात् नैपोलियन बोनापार्ट की गतिविधियों पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर-
1804 ई. में नैपोलियन बोनापार्ट ने अपने आपको फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। साथ ही, वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन की अहमियत समझता था। हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता का भाव पैदा करने के लिए नाजियों ने बड़ी-बड़ी रैलियां और जनसभाएं आयोजित की। स्वस्तिक छपे लाल झंडे नाजी सैल्यूट और भाषणों के बाद खास अंदाज में तालियों की गड़गड़ाहट ये सारी चीजें शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थीं।
नाज़ियों ने अपने धुआंधार प्रचार के ज़रिए हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया, जिसने मानो जनता को तबाही से उबारने के लिए ही अवतार लिया था। एक ऐसे समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी। जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से गुजर रहा था।

प्रश्न 38.
सत्ता प्राप्त करने के पश्चात् हिटलर ने किस प्रकार जर्मनी राज्य व समाज पर नियन्त्रण स्थापित किया? समझाइए।
उत्तर-
जनवरी, 1933 में जर्मन राष्ट्रपति हिंडनवर्ग ने हिटलर को चांसलर नियुक्त किया। इस समय तक हिटलर की नाज़ी पार्टी रूढ़िवादियों का समर्थन भी ले चुकी थी हिटलर के लिए जर्मन राज्य व समाज पर नियन्त्रण के लिए मार्ग खुल गया।

(1) सत्ता हासिल करने के बाद हिअलर ने लोकतांत्रिक शासन की संरचना और संस्थानों को भंग करना शुरू कर दिया। फरवरी माह में जर्मन संसद भवन में हुए रहस्यमय अग्निकांड से उसका रास्ता और आसान हो गया । 28 फरवरी 1933 को जारी किए गए अग्नि अध्यादेश (फायर डिक्री) के जरिए अभिव्यक्ति, प्रेस एवं सभा करने की आजादी जैसे नागरिक अधिकारों को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया।

(2) इसके बाद हिटलर ने अपने कट्टर शत्रु-कम्युनिस्टों पर निशाना साधा। ज्यादातर कम्युनिस्ठों को रातों रात यातना गृहों (कंसन्ट्रेशन कैंपों) में बंद कर दिया गया कम्युनिस्टों का बर्बर दमन किया गया। लगभग पांच लाख की आबादी वाले ड्यूसेलडोर्फ शहर में गिरफ्तार किए गए लोगों की बची-खुची 6,808 फाइलों में से 1,440 सिर्फ कम्यूनिस्टों की थीं। नाज़ियों ने सिर्फ कम्युनिस्टों का ही सफाया नहीं किया। नाज़ी शासन ने कुल 52 किस्म के लोगों को अपने दमन का निशाना बनाया था।

(3) 3 मार्च 1933 को प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम (इनेबलिंग एक्ट) पारित किया गया। इस कानून के जरिए जर्मनी में बाकायदा तानाशाही स्थापित कर दी गई। इस कानून ने हिटलर को संसद को हाशिए पर धकेलने और केवल अध्यादेशों के ज़रिए शासन चलाने का निरंकुश अधिकार प्रदान कर दिया। नाजी पार्टी और उससे जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक पार्टिया और ट्रेड यूनियनों पर पाबंदी लगा दी गई। अर्थव्यवस्था, मीडिया, सेना और न्यायपालिका पर राज्य का पूरा नियंत्रण स्थापित हो गया।

(4) पूरे समाज को नाज़ियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए विशेष निगरानी और सुरक्षा दस्ते गठित किए गए। पहले से मौजूद हरी वर्दीधारी पुलिस और स्टॉर्म टूपर्स (एसए) के अलावा गेस्टापों (गुप्तचर राज्य पुलिस), एसएस (अपराध नियंत्रण पुलिस) औश्र सुरक्षा सेवा (एसडी) का भी गठन किया गया। इन नवगठित दस्तों को बेहिसाब असंवैधानिक अधिकार दिउ गए और इन्हीं की वजह से नाजी राज्य को एक खूखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई। गेस्टापों के यंत्रणा गुहों में किसी को भी बंद किया जा सकता था। ये नए दस्ते किसी को भी यातना गहों में भेज सकते थे, किसी को भी बिना कानूनी कार्रवाई के. देश निकाला दिया जा सकता था या गिरफ्तार किया जा सकता था। दंड की आशंका से मुक्त पुलिस बलों ने निरंकुश और निरपेक्ष शासन का अधिकार लिया था।

प्रश्न 39.
नाजी जर्मनी में यहूदियों के साथ कैसे व्यवहार किया जाता था? विवेचना कीजिए।
उत्तर-
नाजी जर्मनी में सबसे बुराहाल यहूदियों का हुआ। यहूदियों के प्रति नाज़ियों की दुश्मी का एक आधार यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में मौजूद परंपरागत घृणा भी थी। ईसाइयों का आरोप था कि ईसा मसीह को यहदियों ने ही मारा था। ईसाइयों की नज़र में यहूदी आदतन हत्यारे और सूदखोर थेमध्यकाल तक यहूदियों को जमीन का मालिक बनने की मनाही थी। ये लोग मुख्य रूप से व्यापार और धन उधार देने का धंधा करके अपना अपना गुजारा करते थे। वे बाकी समाज में अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें घेटो (Ghettoes) यानी दड़बा कहा जाता था नस्ल-संहार के -ज़रिए ईसाई बार-बार उनका सफाया करते रहते थे। उनके खिलाफ जब-तब संगठित हिंसा की जाती थी और उन्हें उनकी बस्तियों से खदेड़ दिया जाता था। लेकिन ईसाइयत ने उन्हें बचने का एक रास्ता फिर भी दिया हुआ था। यह धर्म परिवर्तन का रास्ता था। आधुनिक काल में बहुत सारे यहूदियों ने ईसाई धर्म अपना लिया और जानते-बूझते हुए जर्मन संस्कृति में ढल गए। लेकिन यहूदियों के प्रति हिटलर की घृणा तो नस्ल के छद्म वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारि थी। इस नफरत में ‘यहूदी समस्या’ का हल धर्मातरण से नहीं निकल सकता था। हिटलर की ‘दृष्टि’ में इस समरूा का सिफ एक ही हल था यहूदियों को पूरी तरह खत्म कर दिया जाए।

सन् 1933 से 1938 तक नाजियो ने यहूदियों को तरह-तरह से आतंकित किया, उन्हें दरिद्र कर आजीविका के साधनों से हीन कर दिया और उन्हें शेष समाज से अलग-थलग कर डाला। यहूदी देश छोड़कर जाने लगे। 1939-45 के दूसरे और यहूदियों को कुछ खास इलाकों में इकट्ठा करने और अंततः पोलैंड में बनाए गए गैस चेम्बरों में ले जाकर मार देने की रणनीति अपनाई गई।

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प्रश्न 40.
नाजी जर्मनी में मातृत्व की नाज़ी सोचा पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर-
नाजी जर्मनी में मातृत्व की नाजी सोच विशेष – विचारों से ओत-प्रोत बताई सकती है नाजी जर्मनवासियों को बताया जाता था। कि औरतें बुनियादी तौर पर मर्दो से भिन्न होती हैं। उन्हें समझाया जाता था कि औरत-मर्द के लिए समान अधिकारों का संघर्ष गलत है जो समाज को नष्ट कर देगा।

लड़को को आक्रातक, मर्दाना और पत्थरदिल होना सिखाया जाता था। जबकि लड़कियों को यह कहा जाता था कि उनका फर्ज़ एक अच्छी मां बनना और शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चों को जन्म देना और उनका पालन-पोषण करना है नस्ल की शुद्धता बनाए रखने, यहूदियों से दूर रहने, घर संभालने और बच्चों को नाज़ी मूल्य-मान्यताओं की शिक्षा देने का दायित्व उन्हें ही सौंपा गया था। आर्य संस्कृति और नस्ल की ध्वजवाहक वही थीं। 1933 में हिटलर ने कहा था, “मरे राज्य की सबसे महत्त्वपूर्ण नागरिक मां है।”
हिटलर ने खूब सारे बच्चे को जन्म देने वाली माताओं के लिए वैसे ही तमगे देने का इंतजाम किया था जिस तरह के तमगे सिपाहियों को दिए जाते थे। चार बच्चे पैदा करने वालों माँ को काँसे का, छः बच्चे पैदा करने वाली माँ को चांदी का और आठ या उससे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाली माँ को सोने का तमगा दिया जाता था।

प्रश्न 41.
क्या आप इस तथ्य के सहमत हैं कि – नाज़ी शासन ने भाषा और मीडिया का बड़ी होशियारी से प्रयोग किया था? उदाहरण सहित उत्तर-दीजिए।
उत्तर-
नाजी शासन ने भाषा और मीडिया का बड़ी होशियारी से इस्तेमाल किया और उसका जबर्दस्त फायदा उठाया। उन्होंने अपने तौर-तरीकों को बयान करने के लिए जो शब्द ईजाद किए थे वे न केवल भ्रामक बल्कि दिल दहला देने वाले शब्द थे। नाज़ियों ने अपने अधिकृत दस्तावेजों में हत्या या मौत जैसे शब्दों का कभी इस्तेमाल नहीं किया। सामूहिक हत्याओं को विशेषव्यवहार, अंतिम समाधान (यहूदियों के संदर्भ में), यूथेनीसिया (विकलांगों के लिए) चयन औश्र संक्रमण-मुक्ति आदि शब्दों से व्यक्त किया जाता था। इवेक्युएशन (खाली कराना) का आशय था लोगों को गैस चेम्बरों में ले जाना क्या आपको मालूम है कि गैस चेम्बरों को क्या कहा जाता था? उन्हें ‘संक्रमण मुक्ति-क्षेत्र’ कहा जाता था गैस चेम्बर स्नानघर जैसे दिखाई देते थे और उनमें नकली फव्वारे भी लगे होते थे।

शासन के लिए मौडिया का बहुत सोच-समझ कर प्रयोग किया गया। नाजी विचारों को फैलाने के लिए तस्वीरो, फिल्मों रेडियो, पोस्टरों, आकर्षक नारों और इश्तहारी पर्ची का खूब सहारा लिया जाता था। पोस्टरों में जर्मनों के ‘दुश्मनों’ की रटी-रटाई छवियां दिखाई जाती थीं, उनका मजाक उड़ाया जाता था, उन्हें अपमानित किया जाता था उन्हें शैतान के रूप के पेश किया जाता था। समाजवादियों – और उदारवादियों को कमज़ोर और पथभ्रष्ट तत्त्वों के रूप में । प्रस्तुत किया जाता था। उन्हें विदेशी एजेंट कहकर बदनाम किया जाता था। प्रचार फिल्मों में यहूदियों प्रति नफरत फैलाने पर जोर दिया जाता था। ‘द इटर्नल ज्यू’ (अक्षय यहूदी) इस सूची की सबसे कुख्यात फिल्म थी परंपराप्रिय यहूदियों को खास तरह की छवियों में पेश किया जाता था उन्हें दाढ़ी बढ़ाए और काफ्तान (चागा) पहले दिखाया जाता था, जबकि वास्तव में जर्मन यहूदियों और बाकी जर्मनों के बीच कोई फर्क करना असंभव था क्योंकि दोनों समुदाय एक-दूसरे में काफी घुले-मिले हुए थे। उन्हें केंचुआ, चूहा और कीड़ी जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता था। उनकी चाल-ढाल की तुलना कुतरने वाल छछुदरी जीवों से की जाती थी। नाजीवाद ने लोगों के दिलोदिमाग पर गहरा असर डला, उनकी भावनाओं को भड़का कर उनके गुस्से और नफरत को ‘अवांछितों’ पर केंद्रित कर दिया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों में सही (√) व गलत (x) का वयन करें।

(i) जर्मनी ने केंद्रीय शक्ति के रूप में प्रथम विश्व युद्ध लड़ा था।
(ii) पराजित जर्मनी ने लंदन में शांति संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
(iii) वाइमर संविधान का सम्बन्ध फ्रांस से था।
(iv) हिटलर 1889 में जर्मनी में पैदा हुआ था।
(v) हिटलर द्वारा बनायी गई पार्टी का नाम फासीवादी पार्टी था।
(vi) हिटलर यहूदियों का एक समर्थक था।
(vii) हिटलर ने अपने परिवार के साथ बर्लिन के एक खंदक में अप्रैल, 1945 में आत्म-हत्या की थी।
उत्तर-
(i) √,
(ii) x,
(iii) x,
(iv) x,
(v) x,
(vi) x,
(vii) √,

प्रश्न 2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को दिए गए शब्दों से भरें।

(i) ……मित्र देश में के रूप में लड़ने वाला एक राष्ट्र था (जर्मनी, ब्रिटेन)
(ii) हिटलर द्वारा लिखी गयी पुस्तक का नाम था…….(डाकट्रिन ऑफ फासिन्मि, मैनकाम्फ)
(iii) नाजी पार्टी ………का विरोध करती थी। (यहदियों, आर्यो)
(iv) राइखस्टै …………संसद का नाम है। (फ्रांसीसी, जर्मन).
(v) वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर……में किए गए थे? ( 1918, 1919)
(vi) इनबलिंग एक्ट……..में पास किया गया था। (1932,1933)
(vii) गेस्टापों का अर्थ थाः गुप्त राज्य………(पुलिस, सेना)
उत्तर-
(i) ब्रिर्टन,
(ii) मैन काम्फ
(iii) यहूदी,
(iv) जर्मन,
(v) 1919,
(vi) 1933,
(vii) पुलिस।

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए चार विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए।

(i) सुदेंतनलैण्ड निम्न देश का एक भाग था जिसे जर्मनी ने म्युनिख पैक्ट द्वारा प्राप्त कर लिया था।
(a) युगोस्लाविया
(b) चेकोस्लोवाकिया
(c) फ्रांस
(d) ब्रिटेन
उत्तर-
(b) चेकोस्लोवाकिया

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

(ii) जर्मनी ने सोवियत संघ पर निम्न वर्ष आक्रमण किया था।
(a) मई 1941
(b) जनू, 1941
(c) जुलाई, 1941
(d) आगस्त, 1941
उत्तर-
(b) जनू, 1941

(iii) अमेरिका ने हिरोशिया व नागासाकी पर एटल बम्ब गिराया था। यह दो शहर निम्नलिखित देश से जुड़े हैं
(a) चीन
(b) फ्रांस
(c) जापान
(d) इटली
उत्तर-
(c) जापान

(iv) हिटलर एक नस्लवादी था जो निमन से प्रभावित था।
(a) डार्विन
(b) मार्क्स
(c) हीगल
(d) रूसो
उत्तर-
(a) डार्विन

(v) दूसरे विश्व युद्ध के युद्ध अपराधियों पर निम्नलिखित स्थान पर मुकदमा चलाया गया था
(a) बर्लिन
(b) बॉन
(c) न्यूरमबर्ग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) न्यूरमबर्ग

(vi) हिटलर जर्मनी का चांसलर निम्नलिखित में नियुक्त किया गया था।
(a) 1933
(b) 1934
(c) 1935
(d) 1936
उत्तर-
(a) 1933

(vii) नाज़ी प्रोपेगेंडा के अनुसार एक शत्रु जर्मन पूंजीवाद था, दूसरा निम्न था।
(a) बोल्शविज़म
(b) अराजकतावाद
(c) उदारवाद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) बोल्शविज़म

नात्सीवाद और हिटलर का उदय Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

प्रथम विश्व युद्ध केन्द्रीय शक्तियों (जर्मनी, आस्ट्रिया_हगरी, तुर्की) तथा मित्र देशों ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, रूस, अमेरिका) आदि के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध 1914 · से 1918 के बीच लड़ा गया। अमेरिका 1917 में प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुआ था। युद्ध केन्द्रीय शक्तियों की पराजय के साक्ष समाप्त हुआ था। विजयी देशों तथा जर्मनी के बीच वसाय की संधि हुई थी। इस संधि के फलस्वरूप जर्मनी को अपने सभी उपनिवेशों से वंचित होना पड़ा था। उसकी 1/10 जनसंख्या युद्ध में काम आयीः 13% क्षेत्रों को उसने खो दिए; अपने लौह भण्डार का 75% तथा कोयला भण्डार का 26% उससे ले लिया गया। युद्ध छेड़ने के बदले में उसे काफी युद्ध बिल अदा करना पड़ा-छः अरब पौंड का जुर्माना।

युद्ध के पश्चात् जर्मनी में जो सरकार बनी उसमें समाजवादी, लोकतंत्रवादी तथा कैथोलिक शामिल थे, मजाक व मखोल में उन्हें नवम्बर के अपराधी भी कहा जाता था। यह सरकार वाइमर संविधान के अनुसार शासन करने लगी। जम्रनी की अनेक बुराइयों का दायित्व वाइमर गणराज्यों के नेताओं पर डाला जा रहा था। हिटलर का उत्कर्ष भी वाइमर गणराज्य की कमजोरियों के साथ जोड़ा जाता है।

1914-18 के युद्ध का जर्मनी पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा था, उसका उद्योग पुन:खड़ा न हो सका; 1929 की अमरीकी आर्थिक मंदी ने जर्मनी की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से झकझोर दिया था; जर्मन मुद्रा मार्क अमरीकी डालर के मुकाबले में दिन प्रतिदिन गिरता चला जा रहा था, रोटी खरीदने के लिए लोग बाजार में ‘ट्रक से भरे मार्क को ले जाते थे, महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ रही थी, बेरोजगारी की स्थिति और अधिक बदतर थी। 1933 में हिटलर का उदय जर्मन समस्याओं का स्वाभाविक उत्तर-था।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय

हिटलर का शासन निरंकुश रूप का थाः अधिनायकवादी, नस्लवादी तथा युद्ध मुखी उसके नेतृत्व की नाजी पार्टी ही पूरे देश में मात्र एक पार्टी थी जिसने 1933 के पश्चात् जर्मनी में शासन किया था, हिटलर ही एक ऐसा नेता था जिसने पार्टी व देश पर पूर्ण रूप से शासन किया-एक – दल, एक प्रोग्राम एक नेता। हिटलर ने समाज पर, समाज ने राज्य पर, राज्य ने सरकार पर, सरकार ने राष्ट्र व लोगों पर शासन किया। वह लोग जो हिटलर का विरोध करते थे, उन्हें कठोर दण्ड दिया जाता था, कारावास भेजा जाता था, कन्सन्ट्रेशन कैम्पों में भेजा जाता था। गैर-आर्य नस्लों-विशेष रूप से यहूदियों के साथ हिटलर का बर्ताव बहुत ही कठोर था। उसने अपने शासन-काल के दौरान लगभग 60 लाख रुहूदी दो लाख जिप्सीज दस लाख लोपैण्ड के नागरिक, 75 हजार विकलांग लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। हिटलर एक नस्लवादी था तथा अपने स्वरूप में एक डिक्टेटर तथा कृति में एक अत्याचारी यह सही है कि हिटलर के काल में अर्थव्यवस्था में कुछेक सुधार हुए थे, एक सीमा तक उसकी विदेश नीति सफल भी कही जा सकती है परन्तु इन सबकी खासी कीमत देनी पड़ी थी।

इस प्रक्रिया में लोकतंत्र को नष्ट करना पड़ा तथा अधिनायकवाद को अपनाना पड़ा, लोगों के अधिकारों को जब्त करना पड़ा एंव बाहरी रूप से विस्तारवाद की नीति अपनानी पड़ी। इटली व जापान के साथ मिल कर संसार को दूसरे विश्व युद्ध में धकेलना पड़ा, भारी संख्या में जनंसख्या को बलि चढ़ाना पड़ा, आणविक शक्ति का प्रयोग करके दो जापानी शहरों-हिरोशिमा व नागासाकी-को नष्ट करना पड़ा, युद्ध के कारण संसार की – अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई तथा पुनः निर्माण के लिए अनेक वर्षों तक परिश्रम करना पड़ा। दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी को युद्ध के लिए उत्तरदायी ठहराया गया तथा उसके नेताओं पर मुकदमा चलाया गया जिसे न्यूरमबर्ग मुकदमा कहा जाता हैं

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Questions and Answers

बच्चे काम पर जा रहे हैं प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से मन में एक भयंकर चित्र उभरता है। ऐसा लगता है कि छोटे-छोटे बच्चे ठंड में ठिठुरते हुए मैले-कुचैले वस्त्रों में अपने जीर्ण-शीर्ण शरीर को ढके हुए, डरे-से, सहमे-से कारखानों की ओर चले जा रहे हैं। उनकी आँखों में मानों कोई स्वप्न ही नहीं रहा। कच्ची उम्र में काम के बोझ तले दबे हुए-से ये बच्चे।

बच्चे काम पर जा रहे हैं Class 9 HBSE Hindi प्रश्न 2.
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे ?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में इस भयानक बात को प्रश्न के रूप में इसलिए पूछा जाना चाहिए, क्योंकि यह बात कोई साधारण बात नहीं, अपितु समाज की एक ज्वलंत समस्या है, जिसे समाज व उसके ठेकेदारों से प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए। आखिर बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण क्यों किया जा रहा है। अतः कवि का यह कहना उचित है कि इस बात को विवरण की अपेक्षा एक प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए।

बच्चे काम पर जा रहे HBSE 9th Class Hindi  प्रश्न 3.
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में बच्चे सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से इसलिए वंचित हैं कि उन्हें खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों को वे सब सुविधाएँ उपलब्ध ही नहीं करवा सकते। वे उन्हें भोजन व वस्त्र तक तो प्रदान नहीं कर सकते हैं, ये सुविधाएँ तो उनके लिए दूर की बात है।

बच्चे काम पर जा रहे हैं HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 4.
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-
वस्तुतः आज के युग में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा है, किंतु उनकी ओर ध्यान इसलिए नहीं दे रहा है, क्योंकि हर कोई अपने-अपने स्वार्थों तक ही सीमित होकर रह गया है। इसके अतिरिक्त भौतिकतावाद की दौड़ में दौड़ते हुए लोगों के दिलों में संवेदनाओं और भावनाओं की धारा भी सूख गई है, इसलिए लोगों को बच्चों का काम पर जाना अटपटा नहीं लगता।

प्रश्न 5.
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
उत्तर-
हम अपने शहर में बच्चों को चाय की दुकानों व होटलों पर काम करते हुए देखते हैं। इतना ही नहीं, उनके नाम भी बदल दिए जाते हैं; जैसे-छोटू, काला, मुंडू आदि। इसके अतिरिक्त घरों में बरतन व सफाई का काम करती हुई छोटी-छोटी बच्चियाँ सब शहरों में देखी जा सकती हैं।

प्रश्न 6.
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
उत्तर-
धरती पर किसी बड़े हादसे के घटित हो जाने से जीवन का विकास रुक जाता है। इसी प्रकार बच्चों के काम पर जाने से उनके जीवन के विकास की जो समुचित प्रक्रिया है, वह रुक जाती है। उनमें कुछ बनने की संभावनाएँ होती हैं, किंतु वे वैसे नहीं बन पाते। इसलिए बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आपको रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
उत्तर-
जब मैं प्रातःकाल काम पर जाता हूँ, उस समय मैं स्कूल में जाते हुए अन्य बच्चों को देखकर बड़ा निराश हो जाता हूँ। मेरा भी मन करता है कि मैं भी उनके साथ स्कूल जाऊँ और पढ़े। आधी छुट्टी के समय मैं भी स्कूल के खेल के मैदान में खेलूँ। कभी-कभी मुझे अपने भाग्य पर गुस्सा आता है तो कभी भगवान पर कि मुझे गरीब परिवार में क्यों जन्म दिया है। फिर यह सोचकर सब्र का चूंट भर लेता हूँ कि जो मेरे भाग्य में लिखा है, वही मुझे मिलेगा।

प्रश्न 8.
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिएँ?
उत्तर-
हमारे विचार में बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए, क्योंकि यह समय उनके व्यक्तित्व के निर्माण का तथा खेलने का समय होता है। उन्हें पढ़ने-लिखने व खेलने, हँसने-गाने के मौके मिलने चाहिएँ, ताकि वे पढ़-लिखकर ज्ञानवान बन सकें और स्वस्थ इंसान बन सकें।

पाठेतर सक्रियता

किसी कामकाजी बच्चे से संवाद कीजिए और पता लगाइए कि-
(क) वह अपने काम करने की बात को किस भाव से लेता/ लेती है?
(ख) जब वह अपनी उम्र के बच्चों को खेलने/पढ़ने जाते देखता/देखती है तो कैसा महसूस करता/करती है?
‘वर्तमान युग में सभी बच्चों के लिए खेलकूद और शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हैं’-इस विषय पर वाद-विवाद आयोजित कीजिए।
‘बाल-श्रम की रोकथाम’ पर नाटक तैयार कर उसकी प्रस्तुति कीजिए।
चंद्रकांत देवताले की कविता ‘थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे’ (लकड़बग्घा हँस रहा है) पढ़िए। उस कविता के भाव तथा प्रस्तुत कविता के भावों में क्या साम्य है ?
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

ये भी जानें

संविधान के अनुच्छेद 24 में कारखानों आदि में बालक/बालिकाओं के नियोजन के प्रतिषेध का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार ‘चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।’

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कविता का प्रतिपाद्य उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। श्री राजेश जोशी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का प्रमुख लक्ष्य आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या को उठाना है। प्रस्तुत कविता में यह बताया गया है कि बच्चों के खेलने व पढ़ने के सभी साधन उपलब्ध हैं, किंतु इसके बावजूद भी हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने की अपेक्षा काम करने जाते हैं। कवि ने इस समस्या को समाज के सामने एक प्रश्न के रूप में प्रस्तुत करके हर व्यक्ति को इसके विषय में सोचने व विचार करने के लिए विवश किया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के विकास के साधन यदि न होते तो बड़ी भयानक बात होती। किंतु कवि की दृष्टि में इससे भी भयानक बात यह है कि संसार में इन सभी साधनों के रहते हुए भी बच्चे इनका उपयोग न करके काम पर जाते हैं अर्थात बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। यही अभिव्यक्त करना कविता का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता एक ऐसी रचना है जिसमें समाज की ज्वलंत समस्या को उठाया गया है। कविता में ‘बाल श्रम’ की समस्या का उल्लेख किया गया है। हमें इस कविता से शिक्षा मिलती है कि हमें बाल श्रम की समस्या के प्रति समाज में जागृति उत्पन्न करनी चाहिए और बच्चों को पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने के अधिकार दिलाने चाहिएं। जहाँ कहीं भी हम बालकों को काम पर लगाया हुआ देखें तो उसके विरुद्ध हमें आवाज़ उठानी चाहिए। इसकी सूचना प्रशासन तक पहुँचानी चाहिए ताकि बाल श्रम करवाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सके।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) राजेश जोशी
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) चंद्रकांत देवताले
उत्तर-
(A) राजेश जोशी

प्रश्न 2.
कैसी सड़क से बच्चे काम पर जाते हैं?
(A) कच्ची सड़क
(B) चमकदार सड़क
(C) कोहरे से ढंकी
(D) पक्की सड़क
उत्तर-
(C) कोहरे से ढंकी

प्रश्न 3.
‘कोहरे से ढंकी सड़क’ का क्या अभिप्राय है?
(A) प्रातःकाल
(B) अत्यधिक ठंड
(C) बहुत शीघ्र
(D) अंधेरे में
उत्तर-
(A) प्रातःकाल

प्रश्न 4.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि ने इस पंक्ति के माध्यम से किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(A) शिक्षित बेरोजगारी
(B) बालश्रम
(C) बालविवाह
(D) महँगाई
उत्तर-
(B) बालश्रम

प्रश्न 5.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(A) यह एक गंभीर समस्या है
(B) भाषा ठीक नहीं है
(C) शब्द-चयन ठीक नहीं है
(D) वाक्य रचना सही नहीं है
उत्तर-
(A) यह एक गंभीर समस्या है

प्रश्न 6.
‘मदरसा’ किस भाषा का शब्द है?
(A) अंग्रेजी
(B) संस्कृत
(C) उर्दू-फारसी
(D) हिंदी
उत्तर-
(C) उर्दू-फारसी

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

प्रश्न 7.
कवि की दृष्टि में क्या भयानक होता?
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते
(B) यदि बच्चों को गरीबी के कारण काम पर भेजा जाता
(C) यदि बच्चों के पालन-पोषण पर ध्यान न दिया जाता
(D) यदि बच्चों की आजादी छिन जाती
उत्तर-
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते

प्रश्न 8.
कवि की दृष्टि में सबसे भयानक क्या है?
(A) बच्चों से प्यार न करना ।
(B) बच्चों को बंदी बनाना
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना
(D) बच्चों को खर्चने के लिए पैसे न देना
उत्तर-
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना

प्रश्न 9.
हस्बमामूल का अर्थ है-
(A) नष्ट होना
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)
(C) विकास
(D) वंचित रखना
उत्तर-
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

बच्चे काम पर जा रहे हैं अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-कोहरा = धुंध । भयानक = डरा देने वाली। सवाल = प्रश्न।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बताया है कि सुबह-सुबह कोहरे से ढकी हुई सड़क पर छोटे-छोटे बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। कवि ने पुनः इस पंक्ति पर जोर देते हुए कहा है ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं, यह एक गंभीर बात है। कवि ने इस पंक्ति को इस युग की भयानक पंक्ति बताया है, क्योंकि यह पंक्ति बाल-श्रम की भयानक एवं गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। इस पंक्ति को पूरे विवरण के साथ लिखना चाहिए अथवा इसे एक प्रश्न के रूप में लिखा जाना चाहिए-‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कहने का भाव है कि हमें इस प्रश्न पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि यह समय बच्चों के खेलने एवं पढ़ने का है, काम करने का नहीं है।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में ‘बाल-श्रम’ की समस्या को गंभीरता से उठाया गया है।

(3) (क) प्रस्तुत पद्यांश में बाल-श्रम की समस्या का काव्यात्मक भाषा में सुंदर चित्रण किया गया है।
(ख) भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहमयी है।
(ग) ‘सुबह-सुबह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(घ) अनुप्रास एवं प्रश्न अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।

(4) कवि ने अत्यंत सशक्त शैली में आज के युग की अत्यंत प्रज्वलित समस्या बाल-श्रम को उठाया है। कवि को आश्चर्य होता है जब बच्चे स्कूल या खेलने के मैदान में जाने की अपेक्षा सुबह-सुबह ठंड में काम पर जाते हैं। ‘बाल-श्रम’ आज के युग की गंभीर समस्या है। इसको एक प्रश्न की भाँति हमें समाज के सामने रखना चाहिए, ताकि इस पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जा सके।

(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति इसलिए कहा है, क्योंकि यह एक गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। यदि इस समस्या की ओर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए इसलिए कहा है, क्योंकि जब तक हम इस समस्या पर प्रश्न-चिह्न नहीं लगाएँगे, तब तक समाज का या शासन का ध्यान इस ओर नहीं जाएगा। इसलिए इसे एक प्रश्न के रूप में समाज के सामने रखना चाहिए।

2. क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-अंतरिक्ष = ऊँचा आकाश । रंग बिरंगी किताबें = सुंदर पुस्तकें। ढहना = गिर जाना। मदरसों = स्कूलों, विद्यालयों। इमारतें = भवन।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(6) कवि के आक्रोश का क्या कारण है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बाल-श्रम की समस्या पर विचार करते हुए कहा है कि बच्चों को काम पर क्यों भेजा जा रहा है। क्या बच्चों के खेलने की सब गेंदें आकाश में चली गई हैं या फिर सभी रंग-बिरंगी अर्थात सुंदर-सुंदर पुस्तकों को दीमक ने नष्ट कर दिया है, जिससे बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उन्हें काम पर भेजा जा रहा है। इसी प्रकार कवि ने कहा है कि क्या उनके खेलने के सभी खिलौने नष्ट हो गए हैं और जिन विद्यालयों के भवनों में बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं क्या वे सब भूकंप में गिरकर नष्ट हो गए हैं, जो बच्चों को विद्यालयों में भेजने की अपेक्षा काम पर भेजा जा रहा है। क्या सारे मैदान, सभी बाग-बगीचे और घरों के आँगन, जहाँ बच्चे खेला करते थे, सब-के-सब अचानक नष्ट हो गए हैं।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में कलात्मक ढंग से आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट किया गया है।
(ख) भाषा ओजस्वी एवं प्रभावशाली है।
(ग) प्रश्न-शैली के प्रयोग से विषय अत्यंत प्रभावशाली ढंग से अभिव्यंजित हुआ है।
(घ) कवि की कल्पना-शक्ति द्रष्टव्य है।
(ङ) मदरसा, इमारत, खत्म आदि उर्दू-फारसी शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने ओजस्वी वाणी में आधुनिक समाज की अत्यंत ज्वलंत समस्या ‘बाल-श्रम’ को उजागर किया है। कवि ने कहा है कि बच्चों के खेलने के सभी साधन व मैदान तथा पढ़ने-लिखने के साधन पुस्तकें व विद्यालय के भवन नष्ट हो गए हैं कि बच्चों को खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए कारखानों में भेजा जा रहा है। वस्तुतः यह एक सामाजिक ही नहीं, अपितु कानून की दृष्टि से भी अपराध है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बाल-श्रम की समस्या की ओर संकेत किया है।

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(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि समाज में बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लगभग सभी साधन विद्यमान हैं, किंतु फिर भी बच्चों के व्यक्तित्व के विकास की ओर ध्यान न देकर उनसे काम करवाया जाता है। समाज की यह आपराधिक वृत्ति ही कवि के आक्रोश का मुख्य कारण है।

3. तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल
पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं। [पृष्ठ 139]

शब्दार्थ-दुनिया = संसार। हस्बमामूल = यथावत, ज्यों-की-त्यों।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट करें।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द क्यों कहे हैं?
(6) कवि को सबसे भयानक क्या लगा?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने आधुनिक युग की समस्या बाल-श्रम का वर्णन करते हुए कहा है कि यदि बच्चों के विकास के साधन ही नष्ट हो गए तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है ? यदि सचमुच में ही ऐसा हो जाता अर्थात बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन समाप्त हो जाते तो बहुत भयानक बात होती। किंतु कवि का मत कुछ अलग है। वह कहते हैं कि इससे भी भयानक यह है कि वे सब वस्तुएँ अथवा साधन यथावत बने हुए हैं अर्थात बच्चों के विकास के साधन विद्यमान हैं और संसार की हजारों सड़कों पर बहुत छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन काम पर जाते हैं अर्थात उन्हें काम की अपेक्षा पढ़ने जाना चाहिए था।
भावार्थ प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या का व्यंग्यात्मक शैली में वर्णन किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में बाल-श्रम या बाल-शोषण की समस्या को यथार्थ रूप में उद्घाटित किया गया है।
(ख) भाषा ओजगुणयुक्त है।
(ग) कवि की वाणी में आक्रामकता दृष्टव्य है।
(घ) दुनिया, ज्यादा, हस्बमामूल, गुजरना आदि अरबी-फारसी के शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा गद्यात्मक होते हुए भी प्रवाहमय है।

(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में कवि ने आज की प्रमुख समस्या बाल-श्रम को लेकर गहन एवं गम्भीर भावों को व्यक्त किया है। कवि ने प्रश्न-शैली और व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग करते हुए भावों को जहाँ तीव्र, आकर्षक बनाया है, वहीं उनकी आक्रामकता भी देखते ही बनती है। कवि का यह कहना कितना भयानक होता कि यदि संसार से बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन विलुप्त हो जाते। किंतु इससे भी अधिक भयानक यह है कि साधन होते हुए भी बच्चे प्रतिदिन हजारों सड़कों से होकर काम पर जाते हैं। कहने का अभिप्राय है कि बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण किया जाता है।

(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द उस संदर्भ में कहे हैं कि यदि वास्तव में ही बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन नष्ट हो जाते तो यह अत्यधिक भयानक बात होती। उस स्थिति में बच्चों के व्यक्तित्व का समुचित विकास न हो पाता।

(6) कवि को सबसे भयानक यह बात लगी कि संसार में बच्चों के व्यक्तित्व के सब साधन विद्यमान हैं, किंत फिर भी बच्चों को उनका प्रयोग नहीं करने दिया जाता। इतना ही नहीं, उनसे काम करवाकर नन्हे-मुन्नों का शोषण किया जाता है।

बच्चे काम पर जा रहे हैं Summary in Hindi

बच्चे काम पर जा रहे हैं कवि-परिचय

प्रश्न-
राजेश जोशी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा राजेश जोशी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-राजेश जोशी जी का नाम आधुनिक कवियों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। श्री जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। इनकी आरंभिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में हुई। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात पत्रकारिता आरंभ की, किंतु कुछ काम न जमता देख आप अध्यापन की ओर आए। कुछ वर्ष अध्यापन-कार्य करने के पश्चात पत्रकारिता की ललक ने इन्हें फिर वापस बुला लिया। इन्होंने जीवन का गहन अध्ययन किया और उसमें व्याप्त विषमताओं पर जमकर प्रहार किए। श्री जोशी ने कविता, कहानी, नाटक, निबंध, टिप्पणियाँ, नाट्य रूपांतर तथा कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा-लेखन भी किया। श्री जोशी को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

2. प्रमुख रचनाएँ-(i) काव्य-संग्रह ‘एक दिन बोलेंगे पेड़’, ‘मिट्टी का चेहरा’, ‘नेपथ्य में हँसी’ और ‘दो पंक्तियों के बीच’ । (ii) अनुवाद-भर्तृहरि की कविताओं की अनुरचना-‘भूमि का कल्पतरू यह भी’। (ii) मायकोवस्की की कविता का अनुवाद-पतलून पहिना बादल’। श्री जोशी जी की कविताओं के भी अंग्रेजी, रूसी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-श्री राजेश जोशी समाज से जुड़कर चलने वाले साहित्यकार हैं। इन्होंने गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली कविताओं की रचना की है। श्री जोशी की काव्य-रचनाएँ जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। इनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज और मौसम, सभी कुछ व्याप्त है। इनकी कविताओं में मानवता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी है। वे जहाँ एक ओर जीवन व जीवन-मूल्यों के विनाश व खतरे को स्पष्ट रूप में देखते हैं, वहीं वे उसी भाव व जोश से जीवन-संभावनाओं की खोज में भी लगे रहते हैं। पाठ्यपुस्तक में संकलित इनकी कविता में जहाँ वे बच्चों के काम पर जाने या उनके शोषण की बात कहते हैं, वहीं वे उनको पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बनाने, उनका बचपन लौटाने की संभावना की ओर भी संकेत करते हैं।

4. भाषा-शैली-श्री राजेश जोशी यदि एक ओर उच्चकोटि के कवि हैं तो दूसरी ओर महान गद्य लेखक तथा पत्रकार भी हैं। इनकी काव्य की भाषा गद्यमय होती हुई भी लयात्मक है। उसमें एक प्रवाह विद्यमान है। श्री जोशी ने अपने काव्य की भाषा में तत्सम शब्दों के साथ विदेशी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी अत्यंत सफलतापूर्वक किया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में बच्चों के बचपन छिन जाने की पीड़ा व्यक्त हुई है। कवि ने कहा है कि प्रातःकाल में ही बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। उस समय कोहरा पड़ रहा है, परंतु बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि को यह इस समय की अत्यंत भयानक पंक्ति लगी है। इसे एक पंक्ति की भाँति नहीं, अपितु एक प्रश्न की भाँति लिखा जाना चाहिए। कवि ने प्रश्न किया है कि बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं। क्या उनके खेलने, पढ़ने के साधन नष्ट हो गए हैं। यदि ऐसा ही है तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है। यदि ऐसा होता तो यह विश्व के लिए भयानक होता। इससे भी बुरी या भयानक बात यह है कि सभी वस्तुएँ यथावत हैं, लेकिन बच्चों को उनसे दूर रहने के लिए विवश किया जा रहा है। फिर दुनिया की एक नहीं, हजारों सड़कों से बहुत छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं।

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HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

HBSE 9th Class History वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Textbook Questions and Answers

वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
औपनिवेशिक काल के वन प्रबन्धन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया।
(i) भूमि खेती करने वालों को
(ii) घुमंतु और चरवाहा समुदायों को
(iii) लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को
(iv) बागान मालिकों को
(v) शिकार खेलने वाले राजाओं और अफसरों को।
उत्तर-
(i) झूम खेती करने वालों को वन्य लकड़ी के प्रयोग की मनाही की गई। पहले उन्हें जंगलों से लकड़ी लेने तथा उसकों जलाने की अनुमति थी। औपनिवेशिक शासकों ने सोचा कि यदि झूम खेती वाले जंगल की लकड़ी को जलाते रहेंगे तो उन्हें देलवे की लाइनें बिछाने हेतु स्टीपर नहीं मिलेंगे। इसके अतिरिक्त लकड़ी जलाने से जंगल में आग भी लगा सकती थी। साथ ही ऐसा, खेती करने वालों से राजस्व लेने व राजस्व निश्चित करने कठिनाई भी आ रही थी।
ii) घुमंतु और चरवाहा समुदायों को भी औपनिवेशिक शासन काल के दौरान काफी कष्ट सहने पड़ रहे थे औपनिवेशिक काल से पहले ऐसे समुदाय वनीय उतपादों का व्यापार किया करते थे। सरकार के कानूनों ने उसने व्यापार करने का पारम्परिक अधिकार छीन लिया। अब वह वनीय उत्पादों जेसे खाल, सींग, रेशम के कोये, हाथी-दांत बाँस, मसाले, रेशे, घास, गोंद और राला आदि का व्यापार नहीं कर सकते थे। इससे उनके हाथों से रोजगार चला गया।
(iii) लकड़ी व वनीय उत्पादों का व्यापार करने वाली कम्पनियों को औपनिवेशिक शासकों द्वारा व्यापार के नए अवसर प्राप्त हुए फलस्वरूप उन्होंने वनीय उत्पादों के व्यापार का एकाधिकार प्राप्त कर लिया। इन कम्पनियों को तो काफी लाभ होने लगा, परन्तु इस प्रक्रिया में स्थानीय लोग बेरोजगार भी हो गए तथा बेघर भी।
(iv) यूरोपीय औपनिवेशिक शासकों ने बागान मालिकों, को चाय, काफी, रबड़ के बागानों के माध्यम से काफी फायदा पहुंचाया। औपनिवेशिकों ने स्थानीय लोगों के व्यापार पर तो रोक लगा दी, परन्तु यूरोपीय व्यापारियों को हर सम्भव लाभ पहुंचाने के अवसर दिए।
(v) शिकार खेलने वाले राजाओं और अफसरों के लिए औपनिवेशिक शासन एक वरदान सिद्ध हुआ ऐसे लोगों के लिए शिकार की खुली छूट थी जबकि स्थानीय लोगों को _शिकार करने की मनाही की गई। वास्तव में, इन बड़े-बड़े
के लिए शिकार एक मनोरंजन के साथ-साथ वीरता का भी प्रतीक समझा जाने लगा। स्वंतत्र भारत में शिकार की मनाही है।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 2.
बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबन्धन में क्या समानताएं हैं?
उत्तर-
बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबन्धन में पायी जाने वाली समानताओं को निम्नलिखित बताया जा सकता है।
(i) बस्तर व जावा के लोगों ने विदेशियों द्वारा वनीय प्रबन्धन में लाए गए परिवर्तनों का सख्त, विरोध किया।
(ii) बस्तर व जावा के लोगों ने औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध विद्रोह किया था।
(iii) दोनों में विदेशियों ने विद्रोह दबाने के लिए खासा अत्याचार व आतंक फैलाया था।
(iv) दोनों में वनीय कानूनों को इस प्रकार बनाया गया कि स्थानीय लोगों से सुविधाएं वापस ली जाएं तथा औपनिवेशिक व्यापारियों को अधिकाधिक लाभ दिया जाए।
(v) दोनों में वनीय लकड़ी का प्रयोग औपनिवेशिक शासकों ने रेलवे लाइनें व पानी के जहाजों को बनाने में किया था।
(vi) दोनों में स्थानीय श्रम व श्रमिकों को औपनिवेशिक स्वार्थ के लिए शोषण किया गया था।

वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद HBSE 9th Class प्रश्न 3.
सन् 1880 से 1920 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के वनाच्छादित क्षेत्र में 97 लाख हेक्टेयर की गिरावट आयी। पहले के 10.86 करोड़ हेक्टेयर से घटकर यह क्षेत्र 9.89 करोड़ हेक्टेयर रह गया था। इस गिरावट में निम्नलिखित कारकों की भूमिका बताएं।
(i) रेलवे (ii) जहाज निर्माण (iii) कृषि-विस्तार (iv) व्यावसायिक खेती (v) चाय-कॉफी के बागान (vi) आदिवासी और दूसरे खेतिहर
उत्तर-
1880 से 1920 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के वनाच्दादित क्षेत्र में 97 लाख हेक्टेयर की गिरावट आई। पहले से 10.86 करोड़ हेक्टेयर से घटकर यह क्षेत्र 9.98 करोड़ हेक्टेयर रह गया था। इन सब में अनेक कारकों की भूमिका बतायी जा सकती है। औपनिवेशिक शासकों ने ऐसे कानून बनाए जिनसे केवल उनको ही फायदा हो सकता था। उन्होंने वनीय लकड़ी को रेलवे लाइनों के बिछाने व जहाजों के निर्माण में प्रयोग किया। वनीय क्षेत्रों के गिरावट का एक अन्य कारण खेती के लिए वनों का काटना था। जिससे कृषि का विस्तार तो हुआ परन्तु वनीय क्षेत्र कम हो गए। बागानों में प्रयोग होने वाली जमीन भी जंगलों को साफ करने से ही उपलब्ध हो सकती थी। इससे यूरोपीय व्यपारियों को काफी लाभ हुआ। औपनिवेशिक काल से पहले भारत में आदिवासी, झूम खेती वाले तथा घुमंतू व चरवाहा समुदायों ने भी वनीय क्षेत्रों तथा वनीय उत्पादों का लाभ उठाया था जिससे वनीय क्षेत्रों में कमी आ गई।

वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Class 9 HBSE प्रश्न 4.
युद्धों से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं?
उत्तर-
प्रथम तथा दूसरे विश्व युद्धों से भी जंगलों पर काफी प्रभाव पड़ा था। भारत में वनों से सम्बन्धित सभी – योजनाओं को स्थगित कर दिया गया था तथा उसके स्थान पर वनीय विभागों ने पेड़ों को काट कर अंग्रेजों की युद्ध जरूरतों को पूरा करने का प्रयास किया गया। जंगल की लकड़ी युद्ध उद्योगों के लिए काम में लायी जाने लगी

HBSE 9th Class History वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Important Questions and Answers

Class 9th History Chapter 4 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 1.
उदाहरण देकर कोई चार वस्तुएं बताइए जो हमें जंगलों से मिलती है।
उत्तर-
बांस, जलावन की लकड़ी कच्चा कोयला, जड़ी-बुटियां आदि।

प्रश्न 2.
कोई एक कारण बताइए जो यह दर्शता हो कि वनीय क्षेत्र लुप्त हो रहे हैं?
उत्तर-
वनों का औद्योगिक इस्तेमाल।

प्रश्न 3.
1700 से 1995 तक कितना वनीय क्षेत्र लुप्त हुआ?
उत्तर-
139 लाख वर्ग किलोमीटर अर्थात संसार का 9. 3 प्रतिशत।

प्रश्न 4.
वन-विनाश का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वनों का लुप्त होना।

प्रश्न 5.
सन् 1,600 में भारत में इसके कुल भू-भाग के कितने भाग. पर खेती होती थी?
उत्तर-
कुल भू-भाग के लगभग छठे हिस्से पर । ।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

प्रश्न 6.
अनुमान लगा कर बताइए कि आज भारत के कुल भू-भाग के कितने हिस्से पर खेती हो रही है?
उत्तर-
लगभग आधे भाग पर।

प्रश्न 7.
खेती के लिए भूमि की आवश्यकता क्यों होती हैं?
उत्तर-
जनसंख्या बढ़ती है तो खाद्यान्नों की आवश्यकता पड़ती है तथा उसके लिए भूमि की जरूरत पड़ती हैं।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने भारत में वनीय क्षेत्रों को क्यों साफ करना शुरू किया?
उत्तर-
अंग्रेजों ने अपनी व्यावसायिक फसलों जैसे पटसन, गन्ना, गेहूं, कपास के उत्पादन से प्राप्त लाभ के लिए वनीय क्षेत्रों को साफ करना शुरू किया।

प्रश्न 9.
भारत में 1880 से 1920 के बीच खेती के लिए योग्य जमीन में कितने हेक्टेयर की बढ़त हुई तथा क्यों?
उत्तर-
67 लाख हेक्टेयर : कृषि उत्पादों की जरूरत पड़ रही थी।

प्रश्न 10.
किस प्रकार के विस्तार को विकास का सूचक माना जाता हैं?
उत्तर-
खेती के विस्तार को।

प्रश्न 11.
खेती के लिए जंगलों की कटाई की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर-
खेती के लिए साफ ज़मीन की ही आवश्यकता पड़ती है अतः जंगलों की कटाई की जरूरत पड़ती हैं।

प्रश्न 12.
‘स्लीपर’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
रेल की पटरी के आर-पार लगे लकड़ी के तख्ते स्लीपरों से ही उपलब्ध होते हैं। यह तख्ते पटरियों को उनकी जगह पर रोके रखते हैं।

प्रश्न 13.
इंग्लैंड को शाही नौसेना के लिए लकड़ी की ज़रूरज क्यों पड़ती थी?
उत्तर-
इंग्लैंड में बलूत (ओक) के जंगल लुप्त हो रहे थे। इन पेड़ों से प्राप्त लकड़ी शाही नौसेना के जहाजों के लिए ज़रूरी होती थी। अब नौसेना के लिए लकड़ी की आवश्यकता थी।

प्रश्न 14.
भारत में औपनिवेशिक अंग्रेजों को लकड़ी की ज़रूरत क्यों थी?
उत्तर-
(i) शाही सेना के आवागमन और औपनिवेशिक व्यापार के लिए रेल लाइनें बिछाने के लिए भारत में अंग्रेजों को लकड़ी की ज़रूरत थी।

प्रश्न 15.
डायट्रिय ब्रैडिस कौन था?
उत्तर-
एक जर्मन वन्य विशेषज्ञ। अंग्रेजों ने इसे नियुक्त कर भारत में भेजा था। इसे देश का पहला वन महानिवेशक नियुक्त किया गया था।

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प्रश्न 16.
‘वैज्ञानिक वानिकी’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
इम्पीरियल फारिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में वनों से सम्बन्धिक जिस-पद्धति की शिक्षा दी जाती थी, उसे वैज्ञानिक वानिकी कहा जाता हैं

प्रश्न 17.
बागान किसे कहते हैं?
उत्तर-
सीधी पंक्ति में एक ही किस्म के पेड़ लगाने के प्रयोजन को बागान कहा जाता है।

प्रश्न 18.
भारत में पहला वन अधिनियम कब बनाया गया था?
उत्तर-
1865 में।

प्रश्न 19.
वन कानून ( 1865 ) में कब-कब संशोधन हुए?
उत्तर-
1878 तथा 1927 में।

प्रश्न 20.
1878 के कानून के अंतर्गत वनों को किन-किन श्रेणियों में बांटा गया? ..
उत्तर-
तीन श्रेणियों में : आरक्षित, सुरक्षित तथा ग्रामीण।

प्रश्न 21.
किस प्रकार के वनों को आरक्षित वन कहा जाता था?
उत्तर-
सबसे अच्छे जंगलों को आरक्षित वन कहा जाता था।

प्रश्न 22.
झूम खेती किसे कहते हैं?
उत्तर-
बदलती खेती प्रक्रिया को झूम खेती कहा जाता

प्रश्न 23.
भारत में घुमंतु खेती के लिए कौन-से स्थानीय नाम हैं?
उत्तर-
धया, पेंदा, बेवर नेवड़, झूम, पोडू, खेदाद, क्रमरी, ऐसे आदि।

प्रश्न 24.
किन लोगों के लिए जंगलों में जानवरों का शिकार एक खेल था?
उत्तर-
राजाओं व बड़े-बड़े अफसरों के लिए जानवरों का शिकार एक खेल हुआ करता था।

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प्रश्न 25.
वनों से हमें क्या-क्या प्राप्त होता हैं?
उत्तर-
वनों से हमें अनेक वस्तुएं प्राप्त होती है।, मेज-कुर्सियों, दरवाजे व खिड़कियों के लिए लकड़ी हमें वनों से मिलती हैं। मसाले व जड़ी-बूटियां आदि भी जंगलों से उपलब्ध होती हैं। बीड़ियों के तेंदू पत्ते, गोंद, शहर, काफी, चाय और रबड़ भी वनों की देन हैं। फल-फूल, पशु-पक्षी एवं ढेरों दूसरी वस्तुएं भी जंगलों से आती हैं।

प्रश्न 26.
वनों की विविधता किन कारणों से लुप्त हो रही हैं?
उत्तर-
वनों की विविधता तेज़ी से लुप्त होती जा रही है। औद्योगिकीकरण के दौर में सन 1700 से 1995 के बीच 139 लाख वन किलोमीट जगंल यानी दुनिया के
कुल क्षेत्रफल का 9.3 प्रतिशत भाग औद्योगिक इस्तेमाल खेती-बाड़ी चरागाहों व ईधन की लकड़ी के लिए साफ कर दिया गया।

प्रश्न 27.
बढ़ती आबादी तथा खाद्यान्नों की मांग किस प्रकार वनों को साफ करने का कारक बना?
उत्तर-
सन् 1600 में हिंदुस्तान के कुल भू-भाग के लगभग छठे हिस्से पर खेती होती थी। आज वह आंकड़ा बढ़ कर आधे तक पहुचं गया है। इन सदियों के दौरान जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गयी और खाद्य पदार्थों की मांग में भी वृद्धि हुई, वैसे-वैसे खेतिहर भी जंगलों को साफ करके खेती की सीताओं को विस्तार देते गए।

प्रश्न 28.
औपनिवेशिक काल में खेती के फैलाव के क्या कारण रहे हैं?
उत्तर-
औपनिवेशिक काल में खेती का फैलाव भारत में कुछ तेजी से हुआ था। इसकी कई वजहें थीं। पहली, अग्रेजों ने व्यावसायिक फसलों जैसे पटसन, गन्ना, गेहूं व कपास के उत्पादन को जम कर प्रोत्साहित किया। दूसरी, उन्नीसवीं सदी के यूरोप में बढ़ती शहरी आबादी का पेट भरने के लिए खाद्यान्न और औद्योगिक उत्पादन के लिए कच्चे माल की जरूरजत थी। लिहाजा इन फसलों की मांग में इजाफा हुआ। तीसरी वजह यह थी कि उन्नीसवीं सदी की शुरूआत में औपनिवेशिक सरकार ने जंगलों को अनुत्पादक समझा। उनके हिसाब से इस व्यर्थ के बियाबान पर खेती करके उससे राजस्व और कृषि उत्पाद को पैदा किया जा सकता था और इस तरह राज्य की आय में बढ़ोतरी की जा सकती थी। यही वजह थी कि 1880 से 1920 के बीच खेती योग्य जमीन के क्षेत्रफल में 67 लाख हेक्टेयर की बढ़त हुई।

प्रश्न 29.
“बनाना रिपब्लिक” से आपका क्या – अर्थ है?
उत्तर-
गैर-विकसित पड़ी जमीन का प्रयोग किया जाना चाहिए। तथा सदैव किया जाता रहा है। अमेरिकी लेखक रिचर्ड हार्डिग ने (1896) में होनड्यूराय (मध्य-अमेरिका) के बारे में लिखा था आज इससे बढ़कर रोचक सवाल कुछ और नहीं हो सकता कि दुनिया की गैर-विकसित पड़ी जमीन का क्या किया जाए, क्या इसे उस महान शक्ति के हाथों में जाना चाहिए जो इसके परिवर्तन की इच्छा रखती है या कि इसे इसके वास्तविक स्वामी के हाथों में ही रहने देना चाहिए। जो इसके मूल्य को नहीं समझ सकता है।

तीन साल बाद अमेरिकी-आधिपत्य में यूनाइटेड फूट कंपनी का गठन हुआ जिसने व्यापक पैमाने पर मध्य-अमेरिका मे केले उगाना प्रारंभ किया। इस कंपनी ने इन मुल्कों की सरकारों पर इस हद तक अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था कि इन्हें ‘बनाना रिपब्लिक’ के नाम से जाना गया।

प्रश्न 30.
19वीं शताब्दी के दौरान अंग्रेजी औपनिवेशिकों को वनीय लकड़ी की आवश्यकता क्यों पड़ी थी? समझाइए।
उत्तर-
उन्नीसवीं सदी की शुरुआत तक इंग्लैंड में बलूत (ओक) के जंगल लुप्त होने लगे थे। इसकी वजह से शाही नौसेना के लिए लकड़ी की आपूर्ति में मुश्किल आ खड़ी हुई। मज़बूत और टिकाऊ लकड़ी की नियमित आपूर्ति के बिना अंग्रेजी जहाज भला कैसे बन सकते थे? और जहाजों के बिना शाही सत्ता कैसे बचाई और बनाए रखी जा सकती थी? 1820 के दशक में खोजी दस्ते हिंदुस्तान की वन-संपदा का अन्वेषण करने के लिए भेजे गए। एक दशक के भतर बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाने लगे और भारी मात्रा में लकड़ी का हिंदुस्तान से निर्यात होने लगा।

प्रश्न 31.
एक मील लंबी रेल की पटरी के लिए 1,760 से 2,000 तक स्लीपर की ज़रूरत थी। यदि 3 मीटर लंबी बड़ी लाइन की पटरी बिछाने के लिए एक औसत कद के पेड़ से 3-5 स्लीपर बन सकते हैं तो हिसाब लगा कर देखें कि एक मील लंबी पटरी बिछाने के लिए कितने पेड़ काटने होंगे?
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें अथवा अपने अध्यापक की सहायता से इस प्रश्न का उत्तर-तैयार करें।

प्रश्न 31.
भारत में बागान क्यों बनाए गए। यूरोप में चाय, कॉफी, और रबड़ की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इन वस्तुओं के बागान बने और इनके लिए भी प्राकृतिक वनों को एक भारी हिस्सा साफ किया गया। औपनिवेशिक सरकार ने जंगलों को अपने कब्जे में लेकर उनके विशाल हिस्सों को बहुत ही सस्ती दरों पर यूरोपीय बागानी मालिकों को सौंप दिया। इन दलाकों की बाड़ाबंदी करके जंगलों को अपने कब्जे में लेकर उनके विशाल हिस्सों को बहुत ही सस्ती देरों पर यूरोपीय बागानी मालिकों को सौंप दिया। इन इलाकों की बाड़ाबंदी करके जंगलों को साफ कर दिया गया और चाय-कॉफी की खेती की जाने लगी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

प्रश्न 32.
वैज्ञानिक वानिकी ने किस प्रकार वनों/पेड़ों के रूपों को बदला?
उत्तर-
वैज्ञानिक वानिकी के नाम पर विविध प्रजाति वाले प्राकृतिक वनों को काट डाला गया। इनकी जगह सीधी पंक्ति में ऐसे ही किस्म के पेड़ लगा दिए गए। इसे बागान कहा जाता है वन विभाग के अधिकारियों ने जंगलों का सर्वेक्षण किया, विभिन्न किस्म के पेड़ों वाले क्षेत्र की नाप-जोख की और वन-प्रबंधन के लिए योजनाएं बनायीं। उन्होंने यह भी तय किया कि बागाल का कितना क्षेत्र प्रतिवर्ष काटा जाएगा। कटाई के बाद खाली जमीन पर पुनः पेड़ लगाए जाने थे ताकि कुछ ही वर्षों में यह क्षेत्र पुनः कटाई के लिए तैयार हो जाएं।

प्रश्न 33.
वन अधिनियम ने वनों को कितने भागों में बांटा? क्या गांव वाले वनों का प्रयोग कर सकते थे?
उत्तर-
1865 में वन अधिनियम के लागू होने के बाद इसमें दो बाद संशोधन किए गए। पहले 1878 में और फिर 1927 में 1878 वाले अधिनियम में जंगलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया आरक्षित, सुरक्षित व ग्रामीण। सबसे अच्छे जंगलों को ‘आरक्षित वन’ कहा गया। गांव वाले इन जंगलों से अपने उपयोग के लिए कुछ भी नहीं ले सकते थे। वे घर . बनाने या ईधन के लिए सुरक्षित या ग्रामीण वनों से ही लकड़ी ले सकते थे।

प्रश्न 34.
एक अच्छे जंगल के विषय में वनपाल व ग्रामीण की सोच में क्या भिन्नता बतायी जा सकती है?
उत्तर-
एक अच्छे जंगल के विषय में वनपालों व ग्रामीणों विचारों अलग-अलग होते हैं, जहां एक ओर एक ग्रामीण अपनी अगल-अलग जरूरतों ईधन चारे व पत्तों की पूर्ति के लिए वन में विभिन्न प्रजातियों का मेल चाहते थे, वहीं वन-विभाग को ऐसे पेड़ों की जरूरत थी जो जहाजों और रेलवे के लिए इमारती लकड़ी मुहैया करा सकें, ऐसी लकड़ियां जो सख्त, लंबी और सीधी हों। इसलिए सागौन और साल जैसी प्रजातियों को प्रोत्साहित किया गया और दूसरी किस्में काट डाली गई।

प्रश्न 35.
वन अधिनियम के कारण लोगो की बढ़ती मुश्किलों को ब्यौरा दीजिए।
उत्तर-
वन अधिनियम के चलते देश भर में गांव वालों की मुश्किलें बढ़ गई। इस कानून के बाद घर के लिए लकड़ी काटना, पशुओं को चराना, कंद-मूल-फल __ इकट्ठा करना आदि रोजमर्रा की सारी गतिविधियां गैरकानूनी बना गई। अब उनके पास जंगलों से लकड़ी चुराने के अलावा कोई चारा नहीं बचा और पकड़े जाने की स्थिति में वे वन-रक्षकों की दया पर होते जो उनसे घूस ऐंठते थें जलावनी लकड़ी एकत्र करने वाली औरतें विशेष तौर से परेशान रहने लगीं।

प्रश्न 36.
अंग्रेज सरकार ने झूम तथा घुमंतु खेती पर रोक क्या लगा दी थी?
उत्तर-
यूरोपीय उपनिवेशिवाद का सबसे गहरा प्रभाव झूम या घुमंतु खेती की प्रथा पर दिखायी पड़ता है। एशिया, अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका के अनेक भागों में यह खेती का एक परंपरागत तरीका है। इसके कई स्थानीय नाम हैं जैसे-दक्षिण-पूर्व एशिया में लादिंग, मध्य अमेरिका में मिलपा, अफ्रीका में चितमेन या तावीव श्रीलंका में चेना। हिंदुस्तान में घुमंतु खेती के लिए धया, पेंदा, बेवर, नेवड़, – झूम, पोडू, खंदाद और कुमरी ऐसे ही कुछ स्थानीय नाम __ हैं। घुमंतु खेती के कारण सरकार के लिए लगान का हिसाब रखना भी मुकिल था। इसलिए सरकार ने घुमंतु खेती पर रोक लगाने का फैसला किया। इसके परिणामस्वरूप, अनेक समुदायों को जंगलों में उनके घरों से जबरन विस्थापित कर दिया गया। कुछ को अपना पेशा बदलना पड़ा तो कुछ और न छोटे-बड़े बिद्रोहों के जरिए प्रतिरोध किया।

प्रश्न 37.
वन-उत्पादों के व्यापार की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
हिंदुस्तान में वन-उत्पादों का व्यापार कोई अनोखी बात नहीं थी। मध्य युग से ही आदिवासी समुदायों द्वारा बंजारा आदि घुमंतु समुदायों के माध्यम से हाथियों और दूसरे सामान जेसे खाल, सींग, रेशम के कोये, हाथी-दांत, बांस, मसाले, रेशे, घास, गोंद और राल के व्यापार के सबूत मिलते हैं। लेकिन अंग्रेजों के आने के बाद व्यापार पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में चला गया। ब्रिटिश सरकार ने कई बड़ी यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों को विशेष इलाकों में वन-उत्पादों के व्यापस की इजारेदारी सौंप दी।

प्रश्न 38.
वन अधिनियमों से किस प्रकार लोगों की स्थिति बदतर हो गई थी?
उत्तर-
स्थानीय लोगों द्वारा शिकार करने और पशुओं . को चराने पर बंदिशे लगा दी गई। इस प्रक्रिया में पद्रास प्रेसीडेंसी के कोरावा, कराचा व येरुकुला जैसे अनेक चरवाहे और घुमतुं समुदाय अपनी जीविका से हाथ धो बैठे। इनमें से कुछ को ‘अपराधी कबीले’ कहा जाने लगा और ये सरकार की निगरानी में फैक्ट्रियों, खदानों व बागनों में काम करने को मजूबर हो गए। काम के नए अवसरों का मतलब यह नहीं था कि उनकी जीवन स्थिति में हमेशा सुधार ही हुआ हो। असम के चाय बागनों में काम करने के लिए झारखंड के संथाल और उराँव व छत्तीसगढ़ के गोंड जैसे आदिवासी मर्द व औरतों, दोनों की भर्ती की गयी। उनकी मज़दूरी बहुत कम थीं और कार्यपरिस्थितियां उतनी ही खराब।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 4 वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद

प्रश्न 39.
अंग्रेज शासकों को भारत में लकड़ी की ज़रूतर क्यों पड़ी थी? इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए अंग्रेजों ने क्या किया?
उत्तर-
1850 के दशक में रेल लाइनों के प्रसार ले लकड़ी के लिए एक नयी तरह की मांग पैदा कर दी। शाही सेना के आवागमन और औपनिवेशिक व्यापार के लिए रेल लाइनें अनिवार्य थीं। इजानें को चलाने के लिए इधन के तौर पर और रेल की पटरियों को जोड़े रखने के लिए ‘स्लीपरों’ के रूप में लकड़ी की भारी जरूरत थी। एक मील लंबी रेल की पटरी के लिए 1760-2000 स्लीपरों की आवश्यकता पड़ती थी। . भारत में रेल-लाइनों का जाल 1860 के दशक से तेजी से फैला। 1890 तक लगभग 25,500 कि, मी लंबी लाइनें बिछायी जा चुकी थीं। 1946 में इन लाइनों की लंबाई 7,65,000 कि.मी. तक बढ़ चुकी थ्ञी। रेल लाइनों के प्रसार के साथ-साथ ज्यादा-से-ज्यदा तादाद में पेड़ भी काटे गए, अकेले मद्रास प्रसीडेंसी में 1850 के दशक में प्रतिवर्ष 35,000 पेड़ स्लीपरों के लिए काटे गए। सरकार ने आवश्यक मात्रा की आपूर्ति के लिए निजी ठेके दिए। इन ठेकेदारों ने बिना सोचे-समझे पेड़ काटना शुरू कर दिया। रेल लाइनों के इर्द-गिर्द जंगल तेजी से गायब होने लगे।

प्रश्न 40.
स्टेबिंग द्वारा रचित द फारिस्ट ऑफ इण्डिया (1923) में वनों की कटाई से जुड़े वर्णन को वर्णित कीजिए।
उत्तर-
स्टेबिंग ने अपनी पुस्तक द फारिस्ट ऑफ इण्डिया (1923) में वनों की कटाई का जो वर्णन किया, उसे उसने स्वयं निम्नलिखित वर्णित किया है। . ‘मुल्तान और सुक्कूर के बीच इंडस वैली रेलवे नाम से लगभग 300 मील लंबी एक नई लाइन बनायी जानी थी। 2,000 स्लीपर प्रति मील की दर से, इसके लिए 10 फुट 10 इंच 5 इंच (या 3.5 क्यूबिक फीट प्रति इकाई) के 6,00,000 स्लीपर की ज़रूरत होगी या कि 2,00,000 क्यूबिक फीट से ऊपर लकड़ी की। इन इंजनों को ईधन के लिए लकड़ी चाहिए। दोनों तरफ प्रतिदिन एक ट्रेन व एक मन प्रति ट्रेन-मील के हिसाब से सालाना 2,10,000 मन की जरूरत होगी। इसके अलावा ईटों के लिए भी भारी मात्रा में ईधन की ज़रूरत होगी। स्लीपर मुख्य रूप से सिंध के जंगलों से आया करेंगे। यह ईधार, सिंध और पंजाब के झाऊ (Tamarisk) और झांड (jhand) जंगलों से लाया जाना था। दूसरी नयी लाइन नॉर्दन स्टेट रेलवे, लाहौर से मुल्तान तक थी। आँकड़ों के हिसाब से इसके निर्माण के लिए 2,200,000 स्लीपर की ज़रूरत होगी।”

प्रश्न 41.
जर्मन वन विशेषज्ञ बैंडिस के वन अधिकारी नियुक्त किए जाने के फलस्वरूप वनीय क्षेत्रों के लिए क्या सुझाव दिए?
उत्तर-
जर्मन वन विशेषज्ञ बैंडिस के वन अधिकारी नियुक्त किए जाने के पश्चात् उन्होंने अनेक सुझाव दिए। उसने महसूस किया कि लोगों को संरक्षण के विज्ञान में. शिक्षित व प्रशिक्षित करना और जंगलों के प्रबंधन के लिए एक व्यवस्थित तंत्र विकसित करना होगा। वन संपदा के उपयोग संबंधी नियम तब करने पडेंगे। पेड़ों की कटाई और पशुओं को चराने जैसी गतिविधियों पर पाबंदी लगा कर ही जंगलों को लकड़ी उत्पादन के लिए आरक्षित किया जा सकेगा। इस तंत्र की अवमानना करके पेड़ काटने वाले किसी भी व्यक्ति को सजा का भागी बनना होगा इस तरह चैंडिस ने 1854 में भाराती वन सेवा की स्थापना की और 1865 के भारतीय वन अधिनियम को सूत्रबद्ध करने में सहयोग दिया। इम्पीरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना 1906 में देहरादून में हुई। यहां जिस पद्धति की शिक्षा दी जाती थी। उसे ‘वैज्ञानिक वानिकी’ (साइंटिफिक फॉरेस्ट्री) कहा गया। आज पारिस्थितिकी विशेषज्ञों सहित ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह पद्धति कतई वैज्ञानिक नहीं

प्रश्न 42.
वन्य इलाकों से प्राप्त उत्पाद किस प्रकार लोगों के लिए उपयोगी होते हैं? समझाइए।
उत्तर-
वन्य इलाकों में लोग कंद-मूल-फल पत्ते आदि वन-उत्पदों का विभिन्न जरूरतों के लिए उपयोग किया करते थे। फल और कंद अत्यंत पोषक खाद्य हैं, विशेषक मानसून के दौरान जब फसल कट कर घर न आयी हो। दवाओं के लिए जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल होता है, लकड़ी का प्रयोग हल जैसे खेती के औजार बनाने में किया जाता है, बाँस से बेहतरीन बाड़ें बनायी जा सकती हैं और इसका उपयोग छतरी तथा टोकरी बनाने के लिए भी किया जा सकता एक सूखे हुए कुम्हड़े के खोल का प्रयोग पानी की बोतल के रूप में किया जा सकता है। जंगलों में लगभग सब कुछ उपलब्ध है पत्तों को जोड़-जोड़ कर ‘खाओं-फेंको’ किस्म के पत्तल और दोने बनाए जा सकते हैं, सियादी की लताओं से रस्सी बनायी जा सकती है, सेमूर की कांटेदार छाल पर सब्जियाँ छीली जा सकती हैं, महुए के पेड़ से खाना पकाने और रोशनी के लिए तेल निकाला जा सकता

प्रश्न 43.
औपनिवेशिक काल के दौरान जानवरों का आखेट क्यों प्रचलित था?
उत्तर-
जहां एक तरफ वन कानूनों ने लोगों को शिकार के परंपरागत अधिकार से वंचित किया, वहीं बड़े जानवरों का आखेट एक खेल बन गया। हिंदुस्तान में बाघों और दूसरे जानवरों का शिकर करना सदियों से दरबारी और नवाबी संस्कृति का हिस्सा रहा था। अनेक मुगल कलाकृतियों में शहज़ादों और सम्राटों को शिकर का मज़ा लेते हुए दिखाया गया है किंतु औपनिवेशिक शासन के दौरान शिकार का चलन इस पैमाने तक बढ़ा कि कई प्रजातियों लगभग पूरी तरह लुप्त हो गई। अंग्रेजों की नज़र में बड़े जानवर जंगली, बर्बर और आदि समाज के प्रतीक-चिह्न थे। उनका मानना था कि खतरनाक जानवरों को मार कर वे हिन्दुस्तान को सभ्य बनाएंगे। बाघ, भेड़िये और दूसरे बड़े जानवरों के शिकार पर यह कह कर ईनाम दिए गए कि इनसे किसानों को खतरा है। 1875 से 1925 के बीच ईनाम के लालच में 80,000 से ज्यादा बाघ, 1,50,000 तेंदुए और 2,00,000 भेड़िये मारे गए। धीरे-धीरे बाघ के शिकार को एक खेल की ट्रॉफी के रूप देखा जाने लगा। अकेले जॉर्ज यूल नामक अंग्रेज अफसर ने 400 बाघों की हत्या की थी।

प्रश्न 44.
औपनिवेशिक काल में बस्तर के लोगों ले किस प्रकार अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया था? अंग्रेजों ने विद्रोह दबाने के लिए कौन-से से प्रयास किये थे?
उत्तर-
औपनिवेशिक सरकार ने 1905 में जब जंगल के – दो-तिहाई हिस्से को आरक्षित करने, घुमंतु खेती को रोकन और शिकार व वन्य-उत्पादों के संग्रह पर पांबदी लगाने जैसे प्रस्ताव रखे तो बस्तर के लोग बहुत परेशान हो गए। कुछ गांवों को आरक्षित वनों में इस शर्त पर रहने दिया गया कि वे वन-विभाग के लिए पेड़ों की कटाई और ढुलाई में मुफ्त काम करेंगे और जंगल को आग से बचाए रखेंगे। बाद में इन्हीं गांवों को ‘वन ग्राम’ कहा जान लगा। बाकी गाँवों के लोग बगैर किसी सूचना त्या मुआवजे के हटा दिए गए। काफी समय से गाँव वाले ज़मीन के बढ़े हुए लगान और औपनिवेशिक अफसरों के हाथों बेगार और चीजों की निरंतर माँग से त्रस्त थे इसके बाद भयानक अकाल का दौर आया : पहले 1899-1900 में और फिर 1907-1908 में। वन आरक्षण ने चिंगारी का काम किया।

लोगों ने बाजारों में, त्योहारों के मौके पर और जहाँ कहीं भी गाँवों के मुखिया और पुजारी इकट्ठा होते थे वहाँ जमा होकर इन मुद्दों पर चर्चा करना प्रारंभ कर दिया। काँगेर वनों के ध्रुरवों ने पहल की क्योंकि आरक्षण सबसे पहले यहीं लागू हुआ। हालांकि कोई एक व्यक्ति इनका नेता नहीं था लेकिन बहुत सारे लोग नेथानार गाँव के गुडा धूर को इस आंदोलन की एक बहत शख्सियत मानते हैं। 1910 में आम की टहनियाँ, मिट्टी के ढेले, मिर्च और तीर गाँव-गाँव चक्कर काटने लगे। यह गाँवों में अंग्रजों के खिलाफ बगावत का संदेश था।

अंग्रेजों ने बगावत को कुचल देने के लिए सैनिक भेजे। आदिवासी नेताओं ने बातचीत करनी चाही लेकिन अंग्रेज फौज ने उनके तंबुओं को घेर कर उन पर गोलियाँ चला दीं। इसके बाद बगावत में शरीक लोगों पर कोड़े बरसाते और उन्हें सज़ा देते सैनिक गाँव-गाँव घूमने लगे। ज्यादातर गाँव खाली हो गए क्योंकि लोग भाग कर जंगलों __ में चले गए थे।

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प्रश्न 45.
जावा क्षेत्र में डच औपनिवेशिक विदेशियों ने वनीय क्षेत्रों की कटाई क्यों की तथा उसके फलस्वरूप स्थानीय लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
उन्नीसवीं सदी में जब लोगों के साथ-साथ जावा इलाकों पर भी नियंत्रण स्थापित करना जरूरी लगने लगा तो डच उपनिवेशिकों ने जावा में वन-कानून लागू कर ग्रामीणों की जंगल तक पहुँच पर बंदिशें थोप दीं। इसके बाद नाव या घर बनाने जैसे खास उद्देश्यों के लिए, सिर्फ चुने हुए जंगलों से लकड़ी काटी जा सकती थी और वह भी कड़ी निगरानी में ग्रामीणों को मवेशी चराने, बिना परमिट लकड़ी ढोन या जंगल से गुजरने वाली सड़क पर घोड़ा-गाड़ी अथवा जानवरों पर चढ़ कर आने-जाने के लिए दंडित किया जाने लगा।

भारत की ही तरह यहाँ भी जहाज और रेल-लाइनों के निर्माण ने वन-प्रबंधन और वन सेवाओं को लागू करने की आवश्यकता पैदा कर दी। 1882 में अकेले जावा से ही 2,80,000 स्लीपर का निर्यात किया गया। जाहिर है कि पेड़ काटने, लट्रों को ढोन और स्लीपर के तैयार करने के लिए श्रम की आवश्यकता थी। डचों ने पहले तो जंगलों में खेती की ज़मीन पर लगान लगा दिया और बाद में कुछ गाँवों को इस शर्त पर इससे मुक्त कर दिया कि सामुहिक रूप पेड़ काटने और लकड़ी ढोने के लिए भैंस उपलब्ध कराने का काम मुफ्त में किया करेंगे। इस व्यवस्था को ब्लैन्डाँगडिएन्स्टेन के नाम से नाम से जाना गया। बाद में वन ग्रामवासियों को लगान-माफी के बजाय थोड़ा-बहुत मेहनताना तो दिया जाने लगा लेकिन वन-भूमि पर खेती करने के लिए उनके अधिकार सीमित कर दिए गए।

वस्तुष्ठि प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में सही व गलत का वयन करें।

(i) बनाना रिपब्लिक का सम्बन्ध मध्य अमेरिकी क्षेत्रों से था।
(ii) रेलवे लाइनों के लिए लकड़ी के स्लीपरों की आवश्यकता होती है।
(iii) बैंडिस ऐ अंग्रेज वन विशेषज्ञ अधिकारी था।
(iv) भारतीय वन सेवा 1865 में स्थापित की गयी थी।
(v) बस्तर आज बिहार का एक हिस्सा है।
उत्तर-
(i) √,
(ii) √,
(iii) x,
(iv) x,
(v) √,
(vi) x.

प्रश्न 2. निम्नलिखित विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।

(i) बस्तर की सीमाओं में निम्न राज्य स्थित है।
(a) उड़ीसा
(b) तमिलनाडु
(c) कर्नाटक
(d) राजस्थान
उत्तर-
(a) उड़ीसा

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(ii) गुडांधुर का सम्बन्ध निम्नलिखित गाँव से था
(a) बस्तर
(b) जनदालपुर
(c) नेशनार
(d) पालम
उत्तर-
(c) नेशनार

(iii) जावा का क्षेत्र निम्न देश में स्थित हैं
(a) थाईलैंड
(b) सिंगापुर
(c) इन्डोनेशिया,
(d) म्यान्मार
उत्तर-
(c) इन्डोनेशिया,

(iv) इम्पीरियल वन अनुसंधान इन्स्टीट्यूट निम्नलिखित में स्थापित किया गया था।
(a) हरद्विार
(b) देहरादून
(c) काशीपुर
(d) बादली
उत्तर-
(b) देहरादून

(v) पहला वन अधिनियम निम्नलिखित वर्ष पास किया गया था
(a) 1864
(b) 1886
(c) 1865
(d) 1871
उत्तर-
(d) 1871

प्रश्न 3. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को उपयुक्त गब्दों से भरें

(i) 1850 के दशक में मद्रास में………35,000 पेड़ों को काटा गया। (वार्षिक, अर्ध-वार्षिक)
(ii) बैंडिंस एक……वन विशेषज्ञ था। (जर्मन, ब्राजीलियन)
(iii) इम्पीरियल वन अनुसंधान इन्स्टीट्यूट की स्थापना देहरादून में….में की गयी थी। (1905, 1906)
(iv) जॉर्ज यूल एक …..प्रशासनिक अधिकारी था। (जर्मन, अंग्रेज)
उत्तर-
(i) वार्षिक,
(ii) जर्मन,
(iii) 1906,
(iv) अंग्रेज।

वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

लोगों के लिए वन आत्याधिक उपयोगी होते हैं। इनमें लोगों को लकड़ी के अतिरिक्त अनेक प्रकार की जड़ी-बूटियां कागज आदि उपलब्ध होते हैं तथा अन्य अनेक ऐसी वस्तुएं जो लोगों के लिए काफी फायदेमंद होती हैं। परन्तु आज जंगलों की बड़े पैमाने पर कटाई ही रही है तथा वन तेजी से लुप्त हो रहे हैं। औद्योगिकीकरण के दौर में सन् 17,00 से 1995 के बीच 139 लाख वर्ग किलोमीटर जंगल अर्थात् संसार के कुल क्षेत्र पुल का 9.3% भाग औद्योगिक इस्तेमाल, खेती-बाड़ी चरागाहों व ईधन की लकड़ी के लिए साफ कर दिया गया।

जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है खाद्यान्नों की जरूरत भी उसी तेजी से बढ़ती है तथा उसी गति से फसल के लिए ज़मीन की ज़रूरत भी बढ़ती रहती है। ज़मीन तो कृषि के लिए भी ज़रूरी होती है तथा उद्योगों के लिए भी। उपनिवेशवाद के साथ-साथ वनों का शोषण भी किया जाने लगा। अंग्रेज साम्राज्यवादियों ने भारत के प्राकृतिक वन्य संसाधनों का पूरा शोषण किया, वनों का स्थानीय लोग प्रयोग कर सकें, कानून बनाए गए। अंग्रेजों ने भारतीय वन्य लकड़ियों को अपने प्रयोग के लिए प्राकृतिक संसाधनों का शोषण किया।

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चाय, कॉफी व रबड़ बागान हेतु भारत में जंगलों को साफ किया गया। अंग्रेजों ने एक जर्मन अधिकारी ब्रैडिस को भारत में वन्य कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया, 1864 में वन्य सेवा आरंभ की तथा 1865 में वनीय कानून बनाया, 1906 में देहरादून में साम्राज्यवादी भारतीय अनुसंधान इन्स्टीट्यूट स्थापित किया। 1865 के कानून को 1979 तथा 1927 में संशोधित किया गया। इन कानूनों द्वारा वनों को आरक्षित सुरक्षित तथा ग्रामीण वनों में विभाजिम किया गया, लोगों से कहा गया कि वह वनीय लकड़ी का प्रयोग नहीं करेंगे, उन्हें शिकार व चारागाह के लिए मना कर दिया गया, सार्वजनिक वनों पर खेती पर रोक लगा दी गयी।

स्पष्ट था कि ऐसे कानूनों से लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा, कुछ लोगों को तो काफी कष्टों का सामना करना पड़ा, पारम्परिक काम छोड़ किसी नए रोज़गार के लिए दौड़-धूप करनी पड़ी। वह लोग जिनकी रोटी-रोजी वन्य उत्पादों पर निर्भर रहती थी, उन्हें अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ा था उनके लिए रोज़गार की समस्या बढ़ गई, जीविका के लाले पड़े गए।

वानिकी ने तो अनकों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर दिए। कुछेक ने साफ जंगल पर बड़े पैमाने पर खेती आरंभ कर दी, कुछ ने चाय, कॉफी व रबड़ के बागान का कार्य आरंभ कर दिए, औपनिवेशिक साम्राज्यवादियों ने वनों का साम्राज्यवादी ढंग से शोषण आरंभ कर दिया। इससे स्थानीय लोगों की मुश्किलें और अधिक बढ़ गई कहीं-कहीं तो स्थानीय लोगों ने विद्रोह भी किया तथा अंग्रेजों के अत्याचार के शिकार भी हुए।

ऐसे अत्याचार की कहानी केवल भारत में अंग्रेज साम्राज्यवादियों द्वारा ही न केवल सुनने को मिलती हैं, परन्तु ऐसे कुछ अन्य क्षेत्रों में अन्य साम्राज्यवादियों द्वारा भी ऐसे अत्याचार की कहानियां देखने-सुनने को मिलती हैं। जावा इंडोनेशिया में डच साम्राज्यवादी इसी प्रकार का एक अन्य उदाहरण है।

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HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

HBSE 9th Class History यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Textbook Questions and Answers

कक्षा 9 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति प्रश्न उत्तर HBSE प्रश्न 1.
1905 से पहले रूस के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक आलात कैसे थे?
उत्तर-
1905 से पहले रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात का वर्णन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है
सामाजिक हालात-19वीं शताब्दी के दौरान रूस का समाज विषमताओं से परिपूर्ण था। समाज में एक ओर कलूक व कुलीन जैसे जमीदार थे तो दूसरी ओर गरीब व खेतिहर मजदूर। गरीब किसानों को भूमिपतियों द्वारा अनेक प्रकार की यातानाएँ दी जाती थीं, उन्हें पशुओं की भाँति बेचा-खरीदा जाता था। अतः स्पष्ट है कि किसानों की स्थिति दयनीय थी। देश में मजदूरों की स्थिति खाफी खराब थी, उनके लिए कोई सामाजिक कानून नहीं होते थे तथा वे गरीबी का जीवन व्यतीत करते थे।

आर्थिक हालात-1904 के दिनों तक रूस के आर्थिक हालात बहुत खराब थे। मजदूरों के पास काम बने रहने के लिए कोई आश्वासन नहीं थे: 1861 के कानून ने किसानों को केवल कागज पर ही स्वतंत्र किया था, वह वास्तविक रूप अब भी दास बने हुए थे, जरूरी वस्तुओं के दाम आसमान को छू रहे थे; मजदूरों व किसानों के काम करने के हालात बदतर थे।
राजनीतिक हालात-19वीं शताब्दी रूसी जार शासकों के अतयाचार की कहानी था। जार राजाओं के पास निरंकुश अधिकार थे, वह जासूसों के मध्यम से पूरे देश पर शासन करते थे। पुलिस द्वारा अत्याचार का शासन चला करता था। जार राजाओं के साथ राजकीय कर्मचारी भी अत्याचार करते

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Exercise Questions HBSE 9th Class प्रश्न 2.
1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
उत्तर-
1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले में निम्नलिखित स्तरों से भिन्न बताई जा सकती है
(1) रूस में लगभग 85% जनसंख्या कृषि पर आधारित थी जबकि जर्मनी व फ्रांस जैसे देशों में इनका प्रतिशत 40% तथा 50% के बीच था,
(2) रूस में किसानों का सामन्तों द्वारा शोषण होता था, यूरोप के अन्य देशों में, तथा विशेष रूप से फ्रांस में किसानों ने अपने भूमिपतियों के लिए लड़ाई लड़ी थी।

अध्याय 2 – यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति HBSE 9th Class प्रश्न 3.
1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर-
रूसी जार निरंकुश ढंग से शासन करते थे। उनके द्वारा किए गए सुधार (विशेष तथा किसानों की मुक्ति) सफल नहीं हुए थे। सरकारी कर्मचारी जारशाही के आशीर्वाद के फलस्वरूप अतयाचार करते थे। फरवरी, 1917 तक स्थिति खाफी गम्भीर थी। 1914 में शुरू हुए प्रथम विश्व युद्ध में जार राजाओं को बिना संसद की सलाह ‘. लिए लड़ना पड़ा था, युद्ध में उन्हें काफी क्षति उठानी पड़ी, हजारों की संख्या में सैनिकों की मृत्यु हो गई थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 4.
दो सूचियाँ बनाइए। एक सूची में फरवरी, 1917 की क्रांति की मुख्य घटनाओं तथा प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्तूबर, 1917 की क्रांति की प्रमुख घटनाओं तथा प्रभावों को. दर्ज कीजिए।
उत्तर-
पहली सूची-फरवरी, 1917 की प्रमुख घटनाएँ व प्रभाव

1. 26 फरवरी – 50 प्रदर्शनकारियों को नामनसिकिए चौक पर मार दिया गया।
2. 27 फरवरी – सैनिकों ने प्रदर्शकारियों को गोलियाँ मारने से इंकार किया; जेलों, अदालतों तथा पुलिस स्टेशनों पर हमले किए, रोषकारियों ने लूट-पाट की, असंख्य इमारतों में आग लगा दी गई, सैनिकों ने क्रांतिकारियों का साथ दिया, पैट्रोग्राड सोवियत बनाई गई।
3. प्रथम मार्च – पैट्रोग्राड ने पहला आदेश जारी किया।
4. दुसरी मार्च – निकोलस द्वितीय को पद छोड़ने के लिए कहा गया, प्रधानमंत्री प्रिंस ताववो के नेतृत्व में अस्थायी सरकार का गठन किया गया।

दूसरी सूची-अक्तूबर, 1917 की प्रमुख घटनाएँ व प्रभाव

1. 10 अक्तूबर – बोल्शेविक केन्द्रीय समिति की बैठक में सशस्त्र क्रांति का अनुमोदन किया गया।
2. 11 अक्तूबर – 13 अक्तूबर, तक, उत्तरी क्षेत्र की सोवियत कांग्रेस की स्थापना। .
3. 20 अक्तूबर – सैनिक क्रांतिकारी समिति की प्रथम बैठक।
4. 25 अक्तूबर – क्रांति का प्रारम्भ, सैनिक क्रांतिकारी समिति ने सशस्त्र श्रमिकों तथा सैनिकों को पैट्रोग्राड की मुख्य इमारतों पर कब्जा करने का आदेश दिया; 9.40 रात्रि का विन्टर पैलेस पर आक्रमण किया गया तथा प्रातः 2 बजे कैरेन्सकी भाग खड़ा हुआ। द्वितीय अखिल रूसी सोवित कांग्रेस का प्रारम्भ होना।

फरवरी क्रांति के नेताओं में लववो व केरेन्सकी नेता थे जबकि अक्तूबर क्रांति में लेनिन व ट्राटस्की नेता थे; फरवरी क्रांति ने जारशाही समाप्त कर उदारवादी पूंजीवादी व्यवस्था को स्थापना की। अक्तूबर क्रांति ने उदारवादीपूँजीवादी व्यवस्था नष्ट करके समाजवादी व्यवस्था का निर्माण किया।

Europe Mein Samajwad Avn Rusi Kranti Class 9 HBSE प्रश्न 5.
बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर-
बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन किए थे-

  1. उद्योगों व बैंकों का राष्ट्रीयकरण,
  2. बड़े-बड़े घरानों को आवश्यकतानुसार छोटे-छोटे भागों में आबंटन,
  3. कुलीनों के पदों का उन्मूलन,
  4. सैनिकों व कर्मचारियों के लिए नई यूनीफार्म, सोवियत लाल टोपी की शुरुआत,
  5. बोल्शेविक पार्टी को रूसी साम्यवादी दल का नाम दिया गया,
  6. ट्रेड यूनियन को पार्टी के नियन्त्रण में लाया गया, तथा
  7. चीका की स्थापना जिसके अंतर्गत बोल्शेविकों के विरोधियों को दण्ड दिए जाने का काम किया जाता था।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Questions And Answers HBSE प्रश्न 6.
निम्नलिखित के बारे में, संक्षेप में लिखिए।
(i) कुलक
(ii) ड्यूमा
(iii) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
(iv) उदारवादी
(v) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम।
उत्तर-
(i) कुलक-ये भूमिपति व बड़े-बड़े कुलीन
(ii) ड्यूमा-रूसी संसद को ड्यूमा कहा जाता था,
(iii) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार-1905 की क्रांति में महिलाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी; फरवरी व अक्तूबर, 1917 की क्रांतियों में भी उन्होंने बढ़चढ़कर भाग लिया था तथा हड़तालों में भाग लिया था।
(iv) उदारवादी-ये अधिकांशतः पूँजीवादी थे; वैक्यतिक अधिकारों का समर्थन करते थे एवं शासन में परिवर्तनों के पक्षधर थे।
(v) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम-कुलवाद को समाप्त करने के लिए स्तालिन ने कृषि क्षेत्र में सामूहिकीकरण कार्यक्रम आरम्भ किया। देश में कुछ विरोध हुआ, 1929 से 1931 के बीच एक-तिहाई मवेशी खत्म हो गए। जिन लोगों ने सामूहिकीकरण का विरोध किया, उन्हें भारी दण्ड दिया गया। सामूहिकीकरण के बावजूद उत्पादन में कोई खास वृद्धि नहीं हुई थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

HBSE 9th Class History यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Important Questions and Answers

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति का प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी के उदारवादियों के दो मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर-

  1. उदारवादी पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन चाहते थे। .
  2. वह धार्मिक सहनशीलता की वकालत करते थे।

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति HBSE 9th Class प्रश्न 2.
क्रांतिकारी क्या चाहते थे?
उत्तर-
18वीं 19वीं शताब्दियों के क्रांतिकारी यूरोप में विद्यमान विशेषाधिकारों की व्यवस्था का विरोध करते हुए जनसाधारण द्वारा बनाई गई सरकार की स्थापना चाहते थे।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Question Answer HBSE 9th Class प्रश्न 3.
रूढ़िवादी कौन थे तथा वे उदारवादियों व क्रांतिकारियों से कैसे भिन्न थे?
उत्तर-
रूढ़िवादी व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं चाहते थे। इस कारण वे उदारवादियों व क्रांतिकारियों से भिन्न थे जो परिवर्तन का पक्ष लेते थे।

Europe Mein Samajwad Avn Rusi Kranti HBSE 9th Class  प्रश्न 4.
मैजीनी कौन था?
उत्तर-
एक इतालवी क्रांतिकारी जो इटली में राष्ट्रवाद व एकीकरण का समर्थन करता था।

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 5.
समाजवाद के दो लक्षण बताइए।
उत्तर-

  1. उत्पादन के साधनों का समाजीकरण,
  2. उत्पादों का समांनातर वितरण।

Socialism In Europe And Russian Revolution Question Answer HBSE 9th Class प्रश्न 6.
रॉबर्ट ओवेन कौन था? ‘
उत्तर-
रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) एक अंग्रेज उद्योगपति था। इसने सहकारिता का विचार दिया था। वह अमेरिका में-न्यूहारमनी रूसी सहकारी समुदाय की स्थापना चाहता था।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 7.
लुई ब्लांक कौन था?
उत्तर-
लुई ब्लांक (1813-1882) एक फ्रांसीसी विद्वान था जो सहकारिता के विचार को प्रोत्साहन देता था। …

Socialism In Europe And The Russian Revolution Question Answers HBSE प्रश्न 8.
द्वितीय इन्टरनैशनल कब स्थापित किया गया था?
उत्तर-
1889 में।

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 9.
रूस में समाजवादी क्रांति कब हुई थी?
उत्तर-
जूलियन कैलेण्डर के अनुसार अक्तूबर में तथा ग्रेगोरियन कैलेण्डर अनुसार नवम्बर, 1917 में।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Notes Question Answers HBSE प्रश्न 10.
रूसी समावादी क्रांति के समय रूस में कौन सम्राट था?
उत्तर-
निकोलस द्वितीय। इसे जार भी कहा जाता था।

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प्रश्न 11.
रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी कब बनायी गई थी?
उत्तर-
1998 में।

प्रश्न 12.
रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पाटी के 1902 के विभाजन के बाद कौन से दो गुट बन गए थे? उनके नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. बोल्शेविक, इसके नेता लेनिन थे।
  2. मैनशेविक, इसके नेता प्लैखनोव थे।

प्रश्न 13.
जदीदी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रूस में मुस्लिम सुधारकों को जदीदी कहा जाता था।

प्रश्न 14.
फादर गागोन कौन थे?
उत्तर-
1905 में जिस व्यक्ति ने मजदूरों के जुलूस का नेतृत्व करते हुए सम्राट को माँगें रखी थी, उसका नाम फादर गागोन था।

प्रश्न 15.
किसे रूसी स्टीम रोलर कहा जाता है?
उत्तर-
रूसी जार सेना को रूसी स्टीम रोलर कहा जाता है।

प्रश्न 16.
सैंट पीटर्सबर्ग तथा पीटरग्राड शब्दों को समझाइए।
उत्तर-
सैंट पीटर्सबर्ग शब्द से यह बोध मिलता है कि यह कोई जर्मन प्रभाव का शहर है। इस प्रभाव से मुक्त होने के लिए पीटरग्राड शब्द, पहले विश्व युद्ध के बाद, प्रयोग किया गया।

प्रश्न 17.
लेनिन द्वारा प्रतिपादित अप्रैल थीमस क्या थे?
उत्तर-
लेनिन द्वारा प्रतिपादि अप्रैल थीमस निम्नलिखित थे-

  1. युद्ध को समाप्त किया जाए,
  2. भूमि को किसानों को दिया जाए,
  3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए। .

प्रश्न 18.
चीका क्या था?
उत्तर-
बोल्शेविकों के विरोधियों के पतन हेतु जिसआयोग को बनाया गया था, उसका नाम चीका था। यह एक पुलिस प्रकार का संगठन था। बाद में ओ.जी.पी.यू. तथा एन.के.बी.डी. कहा जाने लगा।

प्रश्न 19.
बुदियोनोव्का क्या था?
उत्तर-
बुदियोनोव्का एक सोवियत प्रकार की टोपी थी जिसे सोवियत नेता पहना करते थे।

प्रश्न 20.
अक्तूबर क्रांति ने पश्चात रूस में किस प्रकार के राज्य की स्थापना हुई थी?
उत्तर-
अक्तूबर क्रांति के पश्चात रूस में समाजवादी राज्य की स्थापना हुई थी। दिसम्बर, 1922 में इस देश का नाम सोवियत संघ पड़ गया।

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प्रश्न 21.
‘लाल’, ‘हरा’ व ‘श्वेत’ किनके प्रतीक थे?
उत्तर-
बोल्शेविक ‘लाल’, समाजवादी क्रांतिकारी ‘हरे’ तथा जार-समर्थक ‘श्वेत’ के प्रतीक थे।

प्रश्न 22.
मध्य एशिया (केन्द्रीय एशिया) के लोगों ने रूसी क्रांति के प्रति अलग व्यवहार क्यों रखा था?
उत्तर-
मध्य (केन्द्रीय) एशिया के लोग नहीं जानते थे ‘कि रूसी क्रांति करने वाले बोल्शेविक किस प्रकार का व्यवहार करेंगे।

प्रश्न 23.
एम. एन. राय कौन थे?
उत्तर-
एम. एन. राय (1887-1954) एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उन्होंने मार्क्सवाद अपनाया था। बाद के दिनों में वह एक क्रांतिकारी मानवतावादी बन गए थे।

प्रश्न 24.
स्तालिन कौन थे? .
उत्तर-
लेनिन की मृत्यु के पश्चात् स्टालिन सोवियत संघ में एक शक्तिशाली नेता के रूप में उभरे थे।

प्रश्न 25.
नियोजित अर्थवयवस्था से आपका क्या अर्थ है?
उत्तर-
वह अर्थव्यवस्था जिसका आधार ‘नयोजन’ पर आधारित हो। सोवियत संघ में नियोजित अर्थव्यवस्था अपनायी गई थी।

प्रश्न 26.
‘परिवर्तन’ के प्रश्न को लेकर 19वीं शताब्दी की क्या सोच थी?
उत्तर-
औद्योगीकरण के पश्चात् समाज में परिवर्तन के सवाल पर (19वीं शताब्दी में), मुख्यतया, निम्नलिखित सोच थी-

  1. उदारवादी-परिवर्तन हो, परन्तु धीरे-धीरे हो,
  2. रैडिकल-परिवर्तन हो, तथा आमूल परिवर्तन हो,
  3. रूढ़िवादी-परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 27.
19वीं शताब्दी के उदारवादियों के समाज परिवर्तन पर विचारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
19वीं शताब्दी में समाज परिवर्तन पर उदारवादियों के विचारों का वर्णन निम्नलिखित किया जा सकता है-

  1. सभी धर्मों को सम्मान व बराबर स्थान मिले,
  2. वंश-आधारित शासकों की सता पर नियन्त्रण
  3. व्यक्तियों के अधिकार की सुरक्षा, तथा
  4. प्रतिनिधित्व पर आधारित सरकार का चुनाव हो।

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तब के उदारवादी लोकतंत्रवादी इसलिए नहीं थे क्योंकि वे सार्वभौम व्यस्क मताधिकार का समर्थन नहीं करते थे।

प्रश्न 28.
रैडिकल समूह समाज परिवर्तन पर कैसे विचार रखता था? समझाइए।
उत्तर-
उदारवादियों के विपरीत रैडिकल समूह के लोग ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो। इनमें से बहुत सारे लोग महिला मताधिकार आंदोलन के भी समर्थक थे। उदारवादियों के विपरीत ये लोग बड़े जमींदारों और संपन्न उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी तरह के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे। वे निजी संपत्ति के विरोधी नहीं थे लेकिन केवल कुछ लोगों के पास संपत्ति के संक्रेद्रण का विरोध जरूर करते थे।

प्रश्न 29.
समाज परिवर्तन के प्रश्न पर रूढ़िवादियों के विचार बताइए।
उत्तर-
रूढ़िवादी तबका रैडिकल और उदारवादी. दोनों के खिलाफ था। मगर फ्रांसीसी क्रांति के बाद तो रूढ़िवादी भी बदलाव की जरूरत को स्वीकार करने लगे थे। पुराने समय में यानी अठारहवीं शताब्दी में रूढिवादी आमतौर पर परिवर्तन के विचारों का विरोध करते थे। लेकिन उन्नीसवीं सदी तक आते-आते वे भी मानने लगे थे कि कुछ परिवर्तन आवश्यक हो गया है परंतु वह चाहते थे कि अतीत का सम्मान किया जाए अर्थात् अतीत को पूरी तरह ठुकराया न जाए और बदलाव की प्रक्रिया धीमी हो।

प्रश्न 30.
यूरोप में 19वीं शताब्दी के दौरान औद्योगीकरण से उत्पन्न समस्याओं में कुछेक उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
यूरोप में 19वीं शताब्दी के दौरान औद्योगीकरण से उत्पन्न समस्याओं में कुछेक प्रमुख समस्याओं का उल्लेख निम्नलिखित किया जा सकता है-

  1. बेरोजगारी आम समस्या थी। औद्योगिक वस्तुओं की माँग में गिरावट आ जाने पर तो बेरोजगारी और बढ़ जाती थी।
  2. शहर तेजी से बसते और फैलते जा रहे थ इसलिए आवास और साफ़-सफ़ाई का काम भी मुश्किल होता जा रहा था।
  3. मजदूरों को काम के आश्वासन नहीं थे और न ही उनके पास कोई सामाजिक सुरक्षा गारण्टी।

प्रश्न 31.
निजी सम्पत्ति पर समाजवादियों की धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे। वे संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे। उनका कहना था कि संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है। उनका तर्क था कि बहुत सारे लोगों के पास संपत्ति तो है जिससे दूसरों को रोजगार भी मिलता है लेकिन समस्या यह है कि संपत्तिधारी व्यक्ति को सिर्फ अपने फायदे से ही मतलब रहता है, वह उनके बारे में नहीं सोचता जो उसकी संपत्ति की उत्पादनशील बनाते हैं। इसलिए, अगर संपत्ति पर किसी एक व्यक्ति के बाजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो साझा सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दिया जा सकता है।

प्रश्न 32.
उदाहरण देकर समझाइए कि ओवेन तथा ब्लाक जैसे समाजवादी कोऑपरेअिव के पक्षधर थे? ।
उत्तर-
कुछ समाजवादियों को कोऑपरेटिव यानी सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी। इंग्लैंड के जाने-माने उद्योगपति रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने इंडियाना (अमेरिका) में नया समन्वय (New Harmony) के नाम से एक नये तरह के समुदाय की रचना का प्रयास किया। कुछ समाजवादी मानते थे कि केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते। वह चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे। उदाहरण के लिए, फ्रांस में लुई ब्लांक (1813-1882) चाहते थे कि सरकार पूँजीवादी उद्यमों की जगह सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे। कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिल कर चीजें बनाते थे और मुनाफे को प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए काम के हिसाब से आपस में बाँट लेते थे।

प्रश्न 33.
समाजवाद से जुड़े विचारों पर मार्क्स व एंगेल्स के क्या विचार थे?
उत्तर-
कार्ल मार्क्स (1818-1882) और फ्रे डरिक एंगेल्स (1820-1895) ने इस दिशा में कई नए तर्क पेश किए। मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज ‘पूँजीवादी’ समाज है। फैक्ट्रियों में लगी पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूँजीपतियों का मुनाफ़ा मज़दूरों की मेहनत से पैदा होता है। मार्क्स का निष्कर्ष था कि जब तक निजी पूँजीपति इसी तरह मुनाफ़े का संचय करते जाएँगे तब तक मज़दूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए मज़दूरों को पूँजीवाद व निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़ फेंकना होगा। मार्क्स का विश्वास था कि खुद को पूँजीवादी शोषण से मुक्त कराने के लिए मजदूरों को एक अत्यंत भिन्न किस्म का समाज बनाना होगा जिसमें सारी संपत्ति पर पूरे समाज का यानी सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व रहेगा। उन्होंने भविष्य के इस समाज को साम्यवादी (कम्युनिस्ट) समाज का नाम दिया। मार्क्स को विश्वास था कि पूँजीपतियों के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः मजदूरों की ही होगी। उनकी राय में कम्युनिस्ट समाज ही भविष्य का समाज होगा।

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प्रश्न 34.
जार के शासन काल में मजदूरों की स्थिति कैसी थी? बताइए।
उत्तर-
20वीं शताब्दी के आरम्भ के वर्षों में यस पर जार राजा निकोलस का निरंकुश शासन था। तब रूस में उद्योग बहुत कम थे और जो थे वह उद्योगपतियों की निजी सम्पत्ति थे। मजदूरों की स्थिति खासी खराब थी। उनके लिए काम करने के घन्टे निश्चित नहीं थे, उनको सही मजदूरी भी नहीं मिलती थी, स्वयं मजदूरों में भी काफी विषमताएँ थीं, स्त्रियों व बच्चों को भी देर तक काम करने व कम मजदूरी पर गलाया जाता था। मजदूरों की बदतर हालत पर हड़ताले आम थीं।

प्रश्न 35.
जारशाही के समय किसानों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
देहातों में अधिकांशतः किशान खेती का काम करते थे। परन्तु 1861 के कानून के बाद भी किसानों को मुक्ति प्राप्त नहीं थी। ग्रामीण सम्पत्ति पर फूलकों, भूमिपतियों
तथा सामंतों का नियंत्रण था। किसानों को दो वक्त की रोटी ही मिल पाती थी। कुछेक खेतिहर मजदूरों को अपने कुलक के लिए बिना मजदूरी प्राप्त किए काम करना पड़ता था। खेतिहर मजदूरों व किसानों का रोष सामंतों के विरुद्ध जागता रहता था।

प्रश्न 36.
रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन कब हुआ था? इसमें किस कारण फूट पड़ी थी?
उत्तर-
1914 से पहले रूस में सभी राजनीतिक पार्टियाँ गैरकानूनी थीं। मार्क्स के विचारों को मानने वाले समाजवादियों ने 1898 में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी) का गठन किया था। सरकारी आतंक के कारण इस पार्टी को गैरकानूनी संगठन के रूप में काम करना पड़ता था। इस पार्टी का एक अखबार निकलता था, उसने मजदूरों को संगठित किया था और अड़ताल आदि कार्यक्रम आयोजित किए थे।
संगठननिक रणनीति के प्रश्न पर 1902-03 में इस पार्टी में फूट पड़ गई। बोल्शेविक खेमे के मुखिया लेनिन सोचते थे कि जार के शासित रूस में पार्टी गुप्त रूप से तथा अत्यंत अनुशासित रूप से काम करे जबकि मैनशेविक खेमे के नेता रूस में पश्चिमी यूरोपीय तरह की पार्टी का समर्थन कर रहे थे।

प्रश्न 37.
रूसी मजदूरों के लिए 1904 का वर्ष क्यों बुरा था? व्याख्या करें। . .
उत्तर-
रूसी मज़दूरों के लिए 1904 का साल बहुत बुरा रहा। ज़रूरी चीज़ों की कीमतें इतनी तेजी से बढ़ीं कि वास्तविक वेतन में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई। उसी समय मजदूर संगठनों की सदस्यता में भी तेजी से वृद्धि हुई। जब 1904 में ही गठित की गई असेंबली ऑप रशियन वर्कर्स (रूसी श्रमिक सभा) के चार सदस्यों को प्युतिलोव आयरन वर्क्स में उनकी नौकरी से हटा दिया गया तो मज़दूरों ने आंदोलन छेड़ने का एलान कर दिया। अगले कुछ दिनों के भीतर सेंट पीटर्सबर्ग के 110, 000 से ज़्यादा मज़दूर काम के घंटे घटाकर आठ घंटे किए जाने, वेतन में वृद्धि और कार्यस्थितियों में सुधार की माँग करते हुए हड़ताल पर चले गए।

प्रश्न 38.
1914 में लड़े गए युद्ध को प्रथम विश्व युद्ध क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
1914 में दो यूरोपीय गठबंधनों के बीच युद्ध छिड़ गया। एक खेमे में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की (केंद्रीय शक्तियाँ) थे तो दूसरे खेमे में फ्रांस, ब्रिटेन व रूस (बाद में इटली और रूमानिया भी इस खेमे में शमिल हो गए) थे। इन सभी देशों के पास विशाल वैश्विक साम्राज्य थे इसलिए यूरोप के साथ-साथ यह युद्ध यूरोप के बाहर भी फैल गया था। इसी युद्ध को पहला विश्वयुद्ध कहा जाता है।

प्रश्न 39.
प्रथम विश्व युद्ध में रूसी जनता क्यों जार की नीतियों के विरुद्ध हो गई थी? कारण बताइए।
उत्तर-

  1. जार राजा ने युद्ध के मामले पर रूसी संसद (ड्यूमा) से सलाह लेनी छोड़ दी।
  2. जार राजा जर्मन प्रभाव में अधिक था, प्रायः रूसी जनता जर्मन प्रभाव से मुक्त होना चाहती थी। इस कारण उन्होंने पीटर्सवर्ग का नाम बदल पीटर्सग्राड रखा। साथ ही रूसी महारानी जो जर्मन मूल की थीं, वह रूसी जनता में लोकप्रिय नहीं थीं। इन सबका प्रभाव युद्ध नीति पर भी पड़ा।
  3. पूर्वी मोर्चों पर लड़ रहे रूसी सैनिकों को काफी क्षति होने लगी थी। 1917 तक लगभग 70 लाख रूसी सैनिक मारे जा चुके थे।
  4. जर्मन वअ ऑस्ट्रिया की सेनाओं ने पूर्वी मोर्चों पर रूस को काफी नुकसान पहुंचाया।

प्रश्न 40.
प्रथम विश्व युद्ध का रूस पर क्या प्रभाव पड़ा? समझाइए।
उत्तर-
युद्ध से उद्योगों पर भी बुरा असर पड़ा। रूस के अपने उद्योग तो वैसे भी बहुत कम थे, अब तो बाहर से मिलने वाली आपर्ति भी बंद हो गई क्योंकि बाल्टिक समुद्र में जिस रास्ते से विदेशी औद्योगिक सामान आते थे उस पर जर्मनी का कब्जा हो चुका था। यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले रूस के औद्योगिक उपकरण ज़्यादा तेजी से बेकार होने लगे। 1916 तक रेलवे लाइनें टूटने लगीं। अच्छी सेहत वाले मर्दो को युद्ध में झोंक दिया गया। देश भर में मजदूरों की कमी पड़ने लगी और ज़रूरी सामान बनाने वाली छोटी-छोटी वर्कशॉप्स ठप्प होने लगीं। ज्यादातर अनाज सैनिकों का पेट भरने के लिए मोर्चे पर भेजा जाने लगा। ‘शहरों में रहने वालों के लिए रोटी और आटे की किल्लत पैदा हो गई। 1916 की सर्दियों में रोटी की दुकानों पर अकसर दंगे होने लगे।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

प्रश्न 41.
लेनिन द्वारा प्रतिपादित अप्रैल थीसस के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
फरवरी, 1917 की क्रांति के पश्चात् रूस में सत्ता उदारवादी-पूँजीवादी ताकतों के हाथों आ गई। उनके काल में बिगड़ते हालात का लेनिन ने लाभ उठाया। वह अप्रैल, 1917 में रूस लौट आए। वह तथा उनके बोलशेविक दल रूस द्वारा 1914 के युद्ध से अलग होने की बात आरम्भ से कर रहे थे। तब उन्होंने अपने अप्रैल थीमस की बात कही। उसमें निम्नलिखित विशेषताएँ थीं-

  1. युद्ध समाप्त किया जाए, रूस युद्ध से अपने आपको अलग कर ले,
  2. सारी जमीन किसानों के हवाले कर दी जाए, तथा
  3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।

लेनिन ने तब यह भी सुझाव दिया कि बोलशेविक पार्टी अपना नाम बदल साम्यवादी दल रख दे तथा सत्ता प्राप्त कर ले।

प्रश्न 42.
सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी का गठन कब हुआ था? यह पार्टी रूस में किस प्रकार का समाजवाद चाहती थी। इस दल के शोशल डेमोक्रेटिक से क्या भेद थे?
उत्तरं-
कुछ रूसी समाजवादियों को लगता था कि रूसी किसान जिस तरह समय-समय पर ज़मीन बाँटते हैं उससे पता चलता है कि वह स्वाभाविक रूप से समाजवादी भावना वाले लोग हैं। इसी आधार पर उनका मानना था कि रूस में मज़दूर नहीं बल्कि किसान ही क्रांति की मुख्य शक्ति बनेंगे। वे क्रांति का नेतृत्व करेंगे और रूस बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा जल्दी समाजवादी देश बन जाएगा। उन्नीसवीं सदी के आखिर में रूस के ग्रामीण इलाकों में समाजवादी काफी सक्रिय थे। सन् 1900 में उन्होंने सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी (समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी) का गठन कर लिया। इस पार्टी ने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और माँग की कि सामंतों के कब्जे वाली ज़मीन फौरन किसानों को सौंपी जाए। किसानों के सवाल पर सामाजिक लोकतंत्रवादी खेमा समाजवादी क्रांतिकारियों से सहमत नहीं था। लेनिन का मानना था कि किसानों में एकजुटता नहीं हैवे बँटे हुए हैं। कुछ किसान गरीब थे तो कुछ अमीर, कुछ मज़दूरी करते थे जो कुछ पूँजीपति थे जो नौकरों से खेती करवाते थे। इन आपसी ‘विभेदों’ के चलते वे सभी समाजवादी आंदोलन का हिस्सा नहीं हो सकते थे।

प्रश्न 43.
रूस की 1905 की क्रांति पर एक निबन्ध लिखिए। इस क्रांति के बाद की घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रूस एक निरंकुश राजशाही था। अन्य यूरोपीय शासकों के विपरीत बीसवीं सदी की शुरुआत में भी ज़ार राष्ट्रीय संसद के अधीन नहीं था। उदारवादियों ने इस स्थिति को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम चलाई। 1905 की क्रांति के दौरान उन्होंने संविधान की रचना के लिए सोशल डेमोक्रेट और समाजवादी क्रांतिकारियों को साथ लेकर किसानों और मजदूरों के बीच काफी काम किया। रूसी साम्राज्य के तहत उन्हें राष्ट्रवादियों (जैसे पोलैंड में) और इस्लाम के आधुनिकीकरण के समर्थक जदीदियों (मुस्लिम-बहुल इलाकों में) का भी समर्थन मिला।

इसी दौरान जब पादरी गैपॉन के नेतृत्व में मजदूरों का एक जुलूस विंटर पैलेस (जार का महल) के सामने पहुँचा तो पुलिस और कोसैक्स ने मज़दूरों पर हमला बोल दिया। इस घटना में 100 से ज्यादा मज़दूर मारे गए और लगभग 300 घायल हुए। इतिहास में इस घटना को खूनी रविवार के नाम से याद किया जाता है। 1905 की क्रांति की शुरुआत इसी घटना से हुई थी। सारे देश में हड़तालें होने लगीं। जब नागरिक स्वतंत्रता के अभाव का विरोध करते हुए विद्यार्थी अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करने लगे तो विश्वविद्यालय भी बंद कर दिए गए। वकीलों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और अन्य मध्यवर्गीय कामगारों ने संविधान सभा के गठन की माँग करते हुए यूनियन ऑफ़ यूनियंस की स्थापना कर दी।

1905 की क्रांति के दौरान ज़ार ने एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद या ड्यूमा के गठन पर अपनी सहमति दे दी। क्रांति के समय कुछ दिन तक फैक्ट्री मज़दूरों की बहुत सारी ट्रेड यूनियनें और फैक्ट्री कमेटियाँ भी अस्तित्व में रहीं। 1905 के बाद ऐसी ज़्यादातर कमेटियाँ और यूनियनें अनधिकृत रूप से काम करने लगी क्योंकि उन्हें गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। राजनीतिक गतिविधियों पर भारी पाबंदियाँ लगा दी गईं। ज़ार ने पहली ड्यूमा को मात्र 75 दिन के भीतर और पुनर्निर्वाचित दूसरी ड्यूमा को 3 महीने के भीतर बर्खास्त कर दिया। वह किसी तरह की जवाबदेही या अपनी सत्ता पर किसी तरह का अंकुश नहीं चाहता था। उसने मतदान कानूनों में फेरबदल करके तीसरी ड्यूमा में रुढ़िवादी राजनेताओं को भर डाला। उदारवादियों और क्रांतिकारियों को बाहर रखा गया।

प्रश्न 44.
रूस में अक्तुबर, 1917 की क्रांति के बाद हुए परिवर्तनों का विवरण दीजिए।
उत्तर-
रूस में अक्तूबर, 1917 की क्रांति के बाद हुए परिवर्तनों का विवरण निम्नलिखित दिया जा सकता है:-

  • बोल्शेविक निजी संपत्ति की व्यवस्था के पूरी तरह खिलाफ थे। ज्यादातर उद्योगों और बैंकों का नवंबर 1917 में ही राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • इन उद्योगों का स्वामित्व और प्रबंधन सरकार के नियंत्रण में आ गया।
  • जमीन को समाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया।
  • किसानों को सामंतों की जमीनों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गइ।
  • शहरों में बोल्शेविको ने मकान-मालिकों के लिए पर्याप्त हिस्सा छोड़कर उनके बड़े मकानों के छोटे-छोटे हिस्से कर दिए ताकि बेघरबार या जरूरतमंद लोगों को भी रहने की जगह दी जा सके।
  • बोल्शेविकों ने अभिजात्य वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।
  • परिवर्तन को स्पष्ट रूप से सामने लाने के लिए सेना और सरकारी अफसरों की वर्दियाँ बदल दी गई। इसके लिए 1918 में एक परिश्रम प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें सोवियत टोपी (बुदियोनाव्का) का चुनाव किया गया।

प्रश्न 45.
रूसी क्रांति (अक्तूबर, 1917) के बाद होने वाले राजनीतिक परिवर्तनों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-

  1. बोल्शेविक पार्टी सोवियत संघ का साम्यवादी दल बन गया। .
  2. सोवियत संघ एक-दलीय राजनीतिक व्यवस्था वाला देश बन गया।
  3. देश की ट्रेड यूनियनों पर साम्यवादी दल का कड़ा नियंत्रण होना शुरू हो गया।
  4. गुप्तचर पुलिस (पहले चीका तथा बाद में आ. जी.पी.यू. तथा एनके-वीडी)। बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दण्डित करने लग गई।
  5. बहुत से युवा लेखक जो समाजवाद के प्रति समर्पित थे उन्होंने कला व सास्तुशिल्प के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करने शुरू कर दिए।
  6. 1918 के संविधान में गैर-समाजवादियों को दूर रखने के लिए खुली मतदान व्यवस्था आरम्भ की गई। जमीदारों, पादरियों व पूँजीपतियों को मतदान से वंचित रखा गया।

प्रश्न 46.
अक्तूबर, 1917 की क्रांति के पश्चात् समाजवादी समाज के निर्माण के क्षेत्र में हुए कुछेक कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
अक्तूबर, 1917 की क्रांति के बाद बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। उद्योगों के समाजीकरण के फलस्वरूप उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए गए। सामन्तों की जमीनों पर किसानों को खेती करने की छूट दी गई। अर्थव्यवस्था को नियोजित रूप देन के प्रयास शुरू कर दिए गए। इस आधार पर पंचवर्षीय योजनाओं को बनाने हेतु काम आसान हो गया। पहली दो योजनाओं’ (1927-1932 और 1933-1938) के दौरान औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सभी तरह की कीमतें स्थिर कर दी। केंद्रीकृत नियोजन से आर्थिक विकास को काफी गति मिली। औद्योगिक उत्पादन बढ़ने लगा (1929 से 1933 के बीच तेल, कोयले और स्टील के उत्पादन में 100 प्रतिशत वृद्धि हुई)। नए-नए औद्योगिक शहर अस्तित्व में आए। मगर, तेज निर्माण कार्यों के दबाव में कार्यस्थितियाँ खराब होने लगीं। मैग्नीटोगोर्क शहर में एक स्टील संयंत्र का निर्माण कार्य तीन साल के भीतर पूरा कर लिया गया। इस दौरान मजदूरों को बड़ी सख्त जिंदगी गुजारनी पड़ी जिसका नतीजा ये हुआ कि पहले ही साल में 550 बार काम रुका। रिहायशी क्वार्टरों में ‘जाड़ों में शौचालय जाने के लिए 40 डिग्री कम तापमान पर लोग चौथी मंजिल से उतर कर सड़क के पार दौड़कर जाते थे।’

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

एक विस्तारित शिक्षा व्यवस्था विकसित की गई और फैक्ट्री कामगारों एवं किसानों को विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलाने के लिए खास इंतजाम किए गए। महिला कामगारों के बच्चों के लिए फैक्ट्रियों में बालवाड़ियाँ खोल दी गईं। सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करायी गई। मजदूरों के लिए आदर्श रिहायशी मकान बनाए गए। लेकिन इन सारी कोशिशों के नतीजे सभी जगह एक जैसे नहीं रहे क्योंकि सरकारी संसाधन सीमित थे। . . प्रश्न 47. स्तालिन द्वारा प्रतिपादित सामूहिकीकरण का विवेचन कीजिए।

उत्तर-अक्तूबर क्रांति के दस वर्ष बाद भी तथा समाजवादी समाज के निर्माण कार्य के फलस्वरूप भी खाद्यान्नों की कमी जारी है। लेनिन के बाद स्तालिन ने खाद्यान्न/अनाज की कमी दूर करने के लिए सामूहिकीकरण का तरीका अपनाया। कुलकों का सफाया तथा छोट-छोटे खेतों को विशालकाय बनाने के बाद ही सामूहिकीकरण का कार्यक्रम लागू हो सकता था।

इसी के बाद स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम शुरू हुआ। 1929 से पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक – खेतों (कोलखोज) में काम करने का आदेश जारी कर दिया। ज्यादातर ज़मीन और साजो-सामान सामूहिक खेतों के स्वामित्व में सौंप दिए गए। सभी किसान सामूहिक खेतों पर काम करते थे और कोलखोज़ के मुनाफे को सभी किसानों के बीच बाँट दिया जाता था। इस फैंसले से गुस्साए किसानों ने सरकार का विरोध किया और वे अपने जानवरों को खत्म करने लगे। 1929 से 1931 के बीच मवेशियों की संख्या में एक-तिहाई कमी आ गई। सामूहिकीकरण का विरोध करने वालों को सख्त सज़ा दी जाती थी। बहुत सारे लोगों को निर्वासन या देश-निकाला दे दिया गया। सामूहिकीकरण का विरोध करने वाले किसानों का कहना था कि वे न तो अमीर हैं और न ही समाजवाद के विरोधी हैं। वे बस विभिन्न कारणों से सामूहिक खेतों पर काम नहीं करना चाहते थे। स्तालिन सरकार ने सीमित स्तर पर स्वतंत्र किसानी की व्यवस्था भी जारी रहने दी लेकिन ऐसे किसानों को कोई खास मदद नहीं दी जाती थी।

सामूहिकीकरण के बावजूद उत्पादन में नाटकीय वृद्धि नहीं हुई। बल्कि 1930-1933 की खराब फसल के बाद तो सोवियत इतिहास का सबसे बड़ा अकाल पड़ा जिसमें 40 लाख से ज्यादा लोग मारे गए। पार्टी में भी बहुत सारे लोग नियोजित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत औद्योगिक उत्पादन में पैदा हो रहे भ्रम और सामूहिकीकरण के परिणामों की आलोचना करने लगे थे। स्तालिन और उनके सहयोगियों ने ऐसे आलोचकों पर समाजवाद के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। देश भर में बहुत सारे लोगों पर इसी तरह के आरोप लगाए गए और 1939 तक आते-आते 20 लाख से ज्यादा लोगों को या तो जेलों में या श्रम शिविरों में भेज दिया गया था।

प्रश्न 48.
रूसी अक्तूबर क्रांति का सोवियत संघ तथा विश्व पर उसके पड़े प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
बोल्शेविकों ने जिस तरह सत्ता पर कब्जा किया था और जिस तरह उन्होंने शासन चलाया उसके बारे में यूरोप की समाजवादी पार्टियाँ बहुत सहमत नहीं थीं। लेकिन मेहनतकशों के राज्य की स्थापना की संभावना ने दुनिया भर के लोगों में एक नई उम्मीद जगा दी थी। बहुत सारे देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन किया गया – जैसे, इंग्लैंड में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना की गई। बोल्शेविकों ने उपनिवेशों की जनता को भी उनके रास्ते का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित किया। सोवियत संघ के अलावा भी बहुत सारे देशों के प्रतिनिधियों ने कॉन्फ्रेस आफॅ द पीपुल ऑफ दि ईस्ट (1920) और बोल्शेविकों द्वारा बनाए गए कॉमिन्टन (बोल्शेविक समर्थक समाजवादी पार्टियों का अंतर्राष्ट्रीय महासंघ) में हिस्सा लिया था। कुछ विदेशियों को सोवियत संघ की कम्युनिस्ट युनिवर्सिटी ऑफ़ द वर्कर्स ऑफ दि ईस्ट में शिक्षा दी गई। जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ तब तक सोवियत संघ की वजह से समाजवाद को एक वैश्विक पहचान और हैसियत मिल चुकी थी। लेकिन पचास के दशक तक देश के भीतर भी लोग यह समझने लगे थे कि सोवियत संघ की शासन शैली रूसी क्रांति के आदर्शों के अनुरूप नहीं है। विश्व समाजवादी आंदोलन में भी इस बात को मान लिया गया था कि सोवियत संघ में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। एक पिछड़ा हुआ देश महाशक्ति बन चुका था। उसके उद्योग और खेती विकसित हो चुके थे और गरीबों को भोजन मिल रहा था। लेकिन वहाँ के नागरिकों को कई तरह की आवश्यक स्वतंत्रता नहीं दी जा रही थी और विकास परियोजनाओं को दमनकारी नीतियों के बल पर लागू किया गया था। बीसवीं सदी के अंत तक एक समाजवादी देश के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत संघ की प्रतिष्ठा काफी कम रह गई थी हालाँकि वहाँ के लोग अभी भी समाजवाद के आदर्शों का सम्मान करते थे। लेकिन सभी देशों में समाजवाद के बारे में विविध प्रकार से व्यापक पुनर्विचार किया गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को दिए गए उपयुक्त शब्दों से पूरा करें।

(i) ……. वंशगत आधारित शासकों की निरंकुश शक्तियों का विरोध करते थे। (उदारवादी, रूढ़िवादी)
(ii) …….. एक अंग्रेज उद्योगपति व उत्पादक था। वह नई समन्वय व्यवस्था का समर्थन करता था। (कोरियर, ओवेन)
(iii) लुई ब्लांक का सम्बन्ध एक ……… समाजवादी के रूप में जाना जाता है। (रूसी, फ्रांसीसी)
(iv) इसमें 1914 में शासक का नाम ……….. था। (निकोलस प्रथम, निकोलस द्वितीय)
(v) …….. बोल्शेविक पार्टी का एक नेता था। (लेनिन, ब्लांक)
(vi) 1929 में स्तालिन द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम को …….. कहा जाता है। (व्यक्तिकीकरण, सामूहिकीकरण)
(vii) ……… क्रांति में केरेन्सकी को सत्ता प्राप्त हुई। ‘ (फरवरी, अक्तूबर)
उत्तर-
(i) उदारवादी,
(ii) ओवेन,
(iii) फ्रांसीसी,
(iv) निकोलस द्वितीय,
(v) लेनिन,
(vi) सामूहिकीकरण,
(vii) फरवरी।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में सही (√) व गलत (x) की पहचान करें।

(i) पुरुष व नागरिक के अधिकार घोषणा पत्र का सम्बन्ध अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम से था।
(ii) फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित एक भारतीय टीपू सुल्तान था तथा दूसरा स्वामी विवेकानन्द।।
(iii) अंततः दासता 1848 में फ्रांस में समाप्त कर दी गई थी।
(iv) रोबेस्प्येर जैकोबिनों को नेता था।
(v) मार्सिलेबो फ्रांस का राष्ट्रीय गीत है।
(vi) फ्रांस 1789 में गणराज्य घोषित किया गया था।
(vii) नैपोलियन को 1804 में फ्रांसीसी गणराज्य का राष्ट्रपति बनाया गया था।
(viii) राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी।
उत्तर-
(i) x,
(ii) x,
(iii) √,
(iv) √,
(v) √,
(vi) x,
(vii) x,
(viii) √

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

प्रश्न 3. निम्नलिखित में दिए गए विकल्पों में सही का चयन कीजिए।

(i) फ्रांसीसी फ्रांति निम्नलिखित वर्ष हुई थी
(a) 1776
(b) 1789
(c) 1814
(d) 1830
उत्तर-
(b) 1789

(ii) आतं के शासन का निम्नलिखित काल था
(a) 1789-1790
(b) 1790-1791
(c) 1792-1793
(d) 1794-1795
उत्तर-
(c) 1792-1793

(iii) डायरेक्ट्री एक ऐसी कार्यपालिका था जिसके सदस्य थे
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6
उत्तर-
(c) 5

(iv) फ्रांस में महिलाओं को निम्नलिखित मताधिकार मिला था
(a) 1945
(b) 1946 सन् में
(c) 1997
(d), 1948
उत्तर-
(b) 1946 सन् में

(v) फ्रांसीसी क्रांति के समय निम्नलिखित फ्रांस का सम्राट था
(a) लुई तेहरवाँ
(b) लुई चौदहवाँ
(c) लुई पन्द्रहवाँ
(d) लुई सोलहवाँ
उत्तर-
(d) लुई सोलहवाँ

(vi) प्राचीन राजतंत्र का समय था
(a) 1789 से पूर्व
(b) 1789 के बाद
(c) 1979 से पूर्व व बाद का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) 1789 से पूर्व

(vii) फ्रांस निम्नलिखित वर्ष गणराज्य बना था
(a) 1791
(b) 1792
(c) 1793
(d) 1794
उत्तर-
(b) 1792

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(viii) इनमें निम्नलिखित ने फ्रांसीसी क्रांति में भाग लिया था
(a) रूसो
(b) रोबेस्प्येर
(c) रुजवैल्ट
(d) रैम्से मैक्डोनल्ड
उत्तर-
(b) रोबेस्प्येर

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

यूरोप में औद्योगीकरण के फलस्वरूप समाज व राज्य परिवर्तन चाहते थे। इस कारण उन्होंने वंशगत शासन का विरोध किया, सरकार के विरुद्ध व्यक्तिगत अधिकारों का पक्ष लिया, मताधिकार द्वारा लोकप्रिय सरकार की स्थापना की माँग की। इससे अलग व आगे, क्रांतिकारी थे जो सबके लिए अधिकारों की मांग कर रहे थे, भूमिपतियों व कुलीनों को प्राप्त विशेषाधिकारों की समाप्ति पर जोर दे रहे थे। रूढ़िवादी सभी प्रकार के परिवर्तनों का विरोध करते थे तथा पुरानी व्यवस्था को बनाए रखने की वकालत कर रहे थे। , औद्योगीकरण से शहरीकरण बढ़ने लगा, शहरों का उदय हुआ, फैक्ट्रियों में मशीनों द्वारा बड़ी व भारी मात्रा में उत्पादन होने लगा, कारखानों में बच्चों व महिलाओं को काम दिया जाने लगा। क्योंकि तब सामाजिक प्रकार के कानून नहीं थे, इसलिए मजदूरों का शोषण आम था, महिलाओं व बच्चों को कम मजदूरी दिया जाना आम था, बेरोजगारी आम थी। दूसरी ओर राष्ट्रीय एकता व राष्ट्रीयकरण की प्रवृत्तियाँ जोर पकड़ रही थीं।

समाज के पुनर्गठन की संभवतः सबसे दूरगामी दृष्टि प्रदान करने वाली विचारधारा समाजवाद ही थी। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में समाजवाद एक जाना-पहचाना विचार था। उसकी तरफ बहुत सारे लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा था। समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे। यानी, वे संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे। उनका कहना था कि संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है। वे ऐसा क्यों मानते थे? उनका . तर्क था कि बहुत सारे लोगों के पास संपत्ति तो है जिससे दूसरों को रोजगार भी मिलता है लेकिन समस्या यह है कि संपत्तिधारी व्यक्ति को सिर्फ अपने फ़ायदे से ही मतलब रहता है वह उनके बारे में नहीं सोचता जो उसकी संपत्ति को उत्पादनशील बनाते हैं। इसलिए, अगर संपत्ति पर किसी एक व्यक्ति के बजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो साझा सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दिया जा सकता है। समाजवादी इस तरह का बदलाव चाहते थे और इसके लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। कोई समाज संपत्ति के बिना कैसे चल सकता है? समाजवादी समाज का आधार क्या होगा?

समाजवादियों के पास भविष्य की एक बिल्कुल भिन्न दृष्टि थी। कुछ समाजवादियों को कोऑपरेटिव यानी सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी। इंग्लैंड के जाने-माने उद्योगपति रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने इंडियाना (अमेरिका) में नया समन्वय (New Harmony) के नाम से एक नये तरह के समुदाय की रचना का प्रयास किया। कुछ समाजवादी मानते थे कि केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते। वह चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे। उदाहरण के लिए, फ्रांस में लुई ब्लांक (1813-1882) चाहते थे कि सरकार पूँजीवादी उद्यमों की जगह सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे। कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिल कर चीजें बनाते थे और मुनाफ़े को प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए काम के हिसाब से आपस में बाँट लेते थे। कार्ल मार्क्स (1818-1882) और फ्रेडरिक एंगेल्स (1820-1895) ने इस दिशा में कई नए तर्क पेश किए। मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज ‘पूँजीवादी’ समाज है। फैक्ट्रियों में लगी पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूंजीपतियों का मुनाफ़ा मज़दूरों की मेहनत से पैदा होता है। मार्क्स का निष्कर्ष था कि जब तक निजी पूँजीपति इसी तरह मुनाफे का संचय करते जाएँगे तब तक मज़दूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए मजदूरों को पूँजीवाद व निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़ फेंकना होगा। मार्क्स का विश्वास था कि खुद को पूँजीवादी शोषण से मुक्त कराने के लिए मजदूरों को एक अत्यंत भिन्न किस्म का समाज बनाना होगा जिसमें सारी संपत्ति पर पूरे समाज का यानी सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व रहेगा।

यूरोप के सबसे पिछड़े औद्योगिक देशों में से एक, रूस में यह समीकरण उलट गया। 1917 की अक्तूबर क्रांति के ज़रिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्जा कर लिया। फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और अक्तूबर की घटनाओं को ही अक्तूबर क्रांति कहा जाता है।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

1914 में दो यूरोपीय गठबंधनों के बीच युद्ध छिड़ गया। एक खेमे में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की (केंद्रीय शक्तियाँ) थे तो दूसरे खेमे में फ्रांस, ब्रिटेन व रूस (बाद में इटली और रूमानिया भी इस खेमे में शमिल हो गए) थे। इन सभी देशों के पास विशाल वैश्विक साम्राज्य थे इसलिए यूरोप के साथ-साथ यह युद्ध यूरोप के बाहर भी फैल गया था। इसी युद्ध को पहला विश्वयुद्ध कहा जाता है। इस युद्ध को शुरू-शुरू में रूसियों का काफी समर्थन मिला। जनता ने जार का साथ दिया। लेकिन जैसे-जैसे युद्ध लंबा खिंचता गया, ज़ार ने ड्यूमा में मौजूद मुख्य पार्टियों से सलाह लेना छोड़ दिया। उसके प्रति जनसमर्थन कम होने लगा। जर्मनी-विरोधी भावनाएँ दिनोंदिन बलवती होने लगीं। जर्मनी-विरोधी भावनाओं के कारण ही लोगों ने सेंट पीटर्सबर्ग का नाम बदल कर पेत्रोग्राद रखं दिया क्योंकि सेंट पीटर्सबर्ग जर्मन नाम था। ज़ारीना (जार की पत्नी-महारानी) अलेक्सांद्रा के जर्मन मूल का होने और उसके घटिया सलाहकारों, खास तौर से रासपुतिन नामक एक संन्यासी ने राजशाही को और अलोकप्रिय बना दिया।

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HBSE 9th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 भारत-आकार वे स्थिति

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 भारत-आकार वे स्थिति

HBSE 9th Class Geography भारत-आकार वे स्थिति Textbook Questions and Answers

भारत आकार और स्थिति प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
निम्नलिखित चार उत्तरों में से उपयुक्त उत्तर चुनिए

(i) कर्क रेखा किस राज्य में नहीं गुजरती है?.
(क)राजस्थान
(ख) उड़ीसा
(ग) छतीसगढ़
(घ) त्रिपुरा।
उत्तर-
(ख) उड़ीसा

HBSE 9th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 भारत-आकार वे स्थिति

(ii) भारत का सबसे पूर्वी देशांतर कौन सा है?
(क)97°25′ पू.
(ख) 77°6′ पू.
(ग) 6807′ पू.
(घ) 82°30′ पू.
उत्तर-
(क)97°25′ पू.

(iii) उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम की सीमाएँ किस देश को छूती हैं?
(क) चीन
(ख) भूटान
(ग) नेपाल
(घ) म्यांमार
उत्तर-
(ग) नेपाल

(iv) ग्रीष्मावकाश में आप यदि करवत्ती जाना चाहते हैं तो किस केंद्र शासित क्षेत्र में जाएंगे।
(क)पांडिचेरी
(ख) लक्षद्वीप
(ग) अंडमान और निकोबार
(घ) दीव और दमना
उत्तर-
(ग) अंडमान और निकोबार

(v) मेरे मित्र एक ऐसे देश के निवासी हैं जिस देश की सीमा भारत के साथ नहीं है। आप बताइए, वह कौन-सा देश है?
(क) भूटान
(ख) ताजिकिस्तान
(ग) बांग्लादेश
(घ) नेपाल
उत्तर-
(ख) ताजिकिस्तान

भारत आकार और स्थिति HBSE 9th Class प्रश्न 2.
निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

(i) अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह के नाम बताइए। दक्षिण में कौन-कौन से द्वीपीय देश हमारे पड़ोसी हैं?
(ii) उन देशों के नाम बताइए जो क्षेत्रफल में भारत से बड़े हैं?
(iii) हमारे उत्तर-पश्चिमी, उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी ‘ पड़ोसी देशों के नाम बताइए।
(iv) भारत में किन-किन राज्यों से कर्क रेखा गुजरती है, उनके नाम बताइए।
उत्तर-
(i) लक्षद्वीप तथा अंडमान निकोबार-श्रीलंका, मालद्वीप।
(ii) रूस, चीन, कनाड़ा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, आस्ट्रेलिया।
(iv) गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिमी, बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम।

Bharat Aakar Aur Sthiti HBSE 9th Class प्रश्न 3.
सूर्योदय अरूणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में गुजरात के पश्चिमी भाग की उपेक्षा 2 घंटे पहले क्यों होता है, जबकि दोनों राज्यों में घड़ी एक ही समय दर्शाती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सूर्यादय अरूणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में गुजरात के पश्चिमी भाग की अपेक्षा 2 घंटे पहले इसलिए होता कि अरूणाचल प्रदेश में सूर्योदय दो घंटे गुजरात की अपेक्षा पहले होता है। परंतु इस अंतर के होते हुए भी भारत का मानक समय पूरे भारत में एक ही है।

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Bharat Ki Sthiti HBSE 9th Class प्रश्न 4.
हिंद महासागर में भारत की केन्द्रीय स्थिति से किस प्रकार लाभ प्राप्त हुआ है।
उत्तर-
भारत की मुख्य भूमि 8°4′ तथा 37°4 उत्तर आक्षांश एवं 68°7′ पूर्वी तथा 97°25′ पूर्वी देशांतर के बीच फैला हुआ है। भारतीय सागर 40° पूर्व से 120° पूर्वी देशांतर के बीच फैली हुई है और कन्याकुमारी 80° पूर्वी देशांतर पर स्थित है। भारतीय महासागर भारत को तीन दिशाओं पूरब, पश्चिम और दक्षिण से घेरे हुए है। केन्द्रीय स्थिति के कारण भारत हिन्द महासागर के चारों ओर स्थित देशों की तुलना में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सका है।

पूर्व में भारत, दक्षिण पूर्वी एशिया, सुदूर पूर्व तथा आस्टेलिया से आर्थिक, तथा व्यापारिक एवं राजनीतिक संबंध स्थापित करने में सफल रहा तो दूसरी ओर पश्चिम के देश विशेषकर अरब देशों, अफ्रीका, यूरोप के देशों से भारत के संबंधों में विकास हुआ तथा स्वेज नहर मार्ग और केप ऑफ होप मार्ग भारत को यूरोप, उत्तर अमेरिका तथा दक्षिण अमेरिका से जोड़ता है। इस कारण भी बहुत लाभ हुआ। यूरोप से पूर्व की ओर जाने वाले जल पोत भारत से होकर गुजरते है। फारस की खाड़ी के देशों की साथ प्राचीनकाल से ही गहरे व्यापारिक तथा राजनैतिक संबंध इसी केन्द्रीय स्थिति के कारण ही विकसित हुए है। _ अतः स्पष्ट है कि भारत की केन्द्रिय स्थिति ने भारत के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।

मानचित्र कौशल

1. निम्नलिखित की मानचित्र की सहायता से पहचान कीजिए

(i) अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थिति द्वीप समूह। ,
(ii) भारतीय उपमहाद्वीप किन देशों से मिलकर बनता है।
(iii) कर्क रेखा कौन-कौन से राज्यों से गुजरती है?
(iv) भारतीय मुख्य भू-भाग का दक्षिणी शीर्ष बिन्दु।
(v) भारत का सबसे उत्तरी अक्षांश।
(vi) अंशों में भारत के मुख्य भू-भाग का दक्षिणी अक्षांश।
(vii) भारत का सबसे पूर्वी और पश्चिमी देशांतर।
(vii) सबसे लंबी तट रेखा वाला राज्य।
(ix) भारत और श्रीलंका को अलग करने वाली जलसंधि।
(x) भारत के केन्द्र शासित क्षेत्र।
उत्तर-
मानचित्र (i) तथा (ii) देखें।
HBSE 9th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 भारत-आकार वे स्थिति 1
HBSE 9th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 भारत-आकार वे स्थिति 2

HBSE 9th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 भारत-आकार वे स्थिति

संकेत-

(i) लक्षद्वीप एवं अंडमान निकोबार।
(ii) पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, मालद्वीव, म्यांमार।
(iii) गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम।
(iv) इंदिरा बिन्दु (भारतीय संघ); कन्याकुमारी (मुख्य भूमि का भाग)
(v) 37°6′ उतरी अक्षांश।
(vi) 8°4′ उत्तरी अक्षांश।
(vii) 68°7′ पूर्व से 97°25′ पूर्व।
(viii) आन्ध्र प्रदेश।
(ix) पाक स्ट्रेट जलसंधि।
(x) दिल्ली चण्डीगढ़, पांडिचेरी, लक्षद्वीप, दमन-द्वीव, दादरा नागर हवेली, अण्डमान निकोबार द्वीप।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. रिक्त स्थानों को सही शब्दों से पूरा कीजिए।?

(i) भारत का सबसे ऊंचा पर्वत…………… है।
(ii) ………….रेखा भारत को लगभग दो बराबर भागों में बांटती है।
(iii) भारत का संबंध ………………… गोलार्द्ध से ……..
(iv) भारत भूभाग का दक्षिणतम स्थान………………….. को कुछ अंशों से दूर रखता है।
(v) भारत विश्व में ………………..बड़ा है।
(vi) भारत के दक्षिणतम तटीय भाग को ………………… कहा जाता है।
उत्तर-
(i) कंचनजुंगा,
(ii) कर्क,
(iii) उत्तरी,
(iv) सातवां,
(v) विषुवत रेखा,
(vi) कोरोमंडल।

प्रश्न 2. निम्नलिखित के सही जोड़े बनाइए

(i) गंगा : विश्व का सबसे बड़ा देश
(ii) रूस : धर्म से जुड़ी नदी
(iii) ऐवरेस्ट : पहाड़ी स्थल
(iv) शिमला : दक्षिणी प्रायद्वीप की नदी
(v) तापी : संसार की सबसे बड़ी चोटी।
उत्तर-
(i) गंगा : धर्म से जुड़ी नदी
(ii) रूस : विश्व का सबसे बड़ा देश ।
(iii) ऐवरेस्ट : संसार की सबसे बड़ी चोटी।
(iv) शिमला : पहाड़ी स्थल ।
(v) तापी : दक्षिणी प्रायद्वीप की नदी

प्रश्न 3. निम्नलिखित में सही (√) कव गलत (x) का चिह्न लगाइए.

(i) कर्क रेखा 23°30′ उत्तर में स्थित है।
(ii) कर्क रेखा भारत को लगभग दो बराबर भागों में बांटती है।
(iii) कर्क रेखा के दक्षिण का क्षेत्र अपने आकार में गोल है।
(iv) भारत का दक्षिणतम स्थल कन्याकुमारी है।
(v) लक्षद्वीप समूह अपेक्षाकृत अधिक बिखरे द्वीप है।
(vi) कर्क रेखा छतीसगढ़ से होकर नहीं गुजरती।
(vii) विषुवत रेखा केरल से होकर गुजरती है।
(viii) गुवहाटी मेघालय की राजधानी है।
उत्तर-
(i) (√),
(ii) (√),
(iii) (x),
(iv) (x),
(v) (x),
(vi) (x),
(vi) (x),
(viii) (x).

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प्रश्न 4. निम्नखित चार विकल्प उत्तरों में सही चयन कीजिए-

(i) भारत निम्न गोलार्द्ध है
(क) उत्तरी
(ख) पूर्वी
(ग) दक्षिणी
(घ) पश्चिमी
उत्तर-
(क) उत्तरी

(ii) बंगाल की खाड़ी भारत के निम्न की ओर है
(क) दक्षिण-पश्चिम
(ख) दक्षिण-पूर्व
(ग) उत्तर-पश्चिम
(घ) उत्तर-पूर्व
उत्तर-
(ख) दक्षिण-पूर्व

(iii) इंदिरा बिंदु कब सुनामी लहरों में जलमग्न हुआ था
(क)2001 में
(ख.) 2002 में
(ग) 2003 में
(घ) 2004 में
उत्तर-
(घ) 2004 में

(iv) क्षेत्रफल की दृष्टि से निम्न भारत से बड़ा देश
(क)फ्रांस
(ख) बांग्लादेश
(ग) ब्राजील
(घ) जर्मनी
उत्तर-
(ग) ब्राजील

(v) भारत का मानक मान्योतर है
(क)97°25′ पू.
(ख) 68°7′ पू.
(ग) 82°30′ पू.
(घ) 83°20′ पू.
उत्तर-
(ग) 82°30′ पू.

(vi) भारत में संघ प्रशासित क्षेत्रों की संख्या है
(क) छः
(ख) सात
(ग) पांच
(घ) चार
उत्तर-
(ख) सात

HBSE 9th Class Social Science Solutions Geography Chapter 1 भारत-आकार वे स्थिति

(vii) याम्योतर रेखा भारत में निम्न से गुजरती है
(क) मिर्जापुर
(ख) कानपुर
(ग) जयपुर
(घ) रत्नपुर
उत्तर-
(क) मिर्जापुर

भारत-आकार वे स्थिति Class 9 HBSE Notes in Hindi

भौगोलिक तथ्य

1. इंदिरा बिन्दु : भारतीय संघ का सबसे दक्षिणी बिंदु जो सन् 2004 में सुनामी लहरों के कारण जलमग्न हो गया।
2. भारत का कुल क्षेत्रफल : 32.8 लाख वर्ग किमी.; संसार का 2.4% ।
3. भारत की स्थल सीमा : लगभग 15,200 किमी।
4. भारत की सुमद्री तटरेखा : लगभग 7516.6 किमी
5. भारत में कुल राज्य : 28
6. भारत में केन्द्र शासित क्षेत्र : 7
7. गोलार्द्ध : पृथ्वी का आधा भाग।
8. उत्तरी गोलार्द्ध : पृथ्वी का वह आधा भाग जो विषुवत वृत के ऊपर स्थित है।
9. पूर्वी गोलार्द्ध : पृथ्वी का वह आधा भाग जो प्रधान मध्याह्न के पूर्व में है।
10. प्रायद्वीप : भू-भाग का वह भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो।
11. द्वीप : भू-भाग का वह भाग जो चारो ओर से जल से घिरा है।
12. कर्क रेखा : विषुवत रेखा के उत्तर में 23 उत्तरी अक्षांश जहाँ सूर्य की किरणें 21 जून को सीधा पड़ती हो।
13. प्रधान मध्याह्न : परस्पर सहमति पर निर्धारित शून्य डिग्री देशांतर इसके पूर्व में पूर्वी देशांतर तथा. पश्चिम में पश्चिमी देशांतर : लंदन के समीप ग्रीनविच से प्रधान मध्याहन के गुजरने के कारण इसके समय से अंतर्राष्ट्रीय मानक समय की गणना होती है।
14. विषुवत वृत : एक काल्पनिक वृत जो पृथ्वी को उत्तरी-पश्चिमी गोलार्द्ध में बांटता है।
15. तटरेखा : स्थल व जलखंड का पृथ्वी करने वाली रेखा।
16. भारत की मानक मध्याह्न रेखा : भारत के लगभग बीच से गुजरने वाली 82°30′ पूर्व देशांतर-इसी के समय को पूरे देश का समय माना जाता है।
17. भारतः उत्तर से दक्षिण : 3,214 किमी।
18. भारत : पूर्व से पश्चिम : 2,933 किमी।
19. भारत से अधिक बड़े छः देश : रूस, चीन, कनाड़ा, अमेरिका, ब्राजील, आस्ट्रेलिया।
20. प्राचीन सिल्क रूट . : पूर्व को पश्चिम से तथा भारत से गुजरता मार्ग।
21. भारत. का उत्तर में स्थित उत्तरतम बिंदु : इंदिरा कोला
22. उत्तर-दक्षिण विस्तार : 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर।
23. पूर्व -पश्चिम विस्तार : 68°7′ पूर्व से 97°25 पूर्व।
24. भारत की मध्याह्न रेखा : 82°30′ पूर्व देशांतर।
25. भारत के मानक मध्योतर रेखा : उत्तर प्रदेश में मिर्जापूर से गुजरती है।
26. भारत उत्तर-पश्चिम के पड़ोसी : पाकिस्तान, अफगानिस्तान।
27. भारत के उत्तर के पड़ोसी देश : चीन, नेपाल, भूटान।
28. भारत के पूर्व के पड़ोसी देश : म्यांमार, बंग्लादेश।
29. भारत के दक्षिण में पड़ोसी देश : श्रीलंका, मालदीव।
30. पाक जल संधि/मन्नार की खाड़ी : भारत व श्रीलंका के बीच छोटा समुद्री रास्ता।
31. एशिया में भारत की स्थिति : एशिया के पूर्व और पश्चिम के बीच स्थित।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

HBSE 9th Class Hindi इस जल प्रलय में Textbook Questions and Answers

इस जल प्रलय में के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे ?
उत्तर-
ज्योंहि बाढ़ आने की खबर सुनी तो वे घरों में आवश्यक सामग्री एकत्रित करने लगे। लोग ईंधन, आलू, मोमबत्ती दियासलाई, पीने का पानी व दवाइयाँ आदि जमा करने लगे तथा बाढ़ आने की प्रतीक्षा करने लगे। लोग घरों से निकल-निकलकर बाढ़ के पानी को देखने के लिए आ-जा रहे थे।

Kritika Chapter 1 Class 9 HBSE प्रश्न 2.
बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था ?
उत्तर-
लेखक पहले भी कई बार बाढ़ को देख चुका था। उसने कई बार बाढ़-पीड़ितों की सहायता भी की थी। यह नगर जोकि उसका अपना नगर था, में पानी किस प्रकार घुसा और उस पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह जानना बिल्कुल नया अनुभव होगा। इसलिए लेखक को नगर में घुसते हुए पानी को देखने की उत्सुकता थी। उसने रिक्शावाले को भी यही कहा था, “चलो, पानी कैसे घुस आया है, वही देखना है।”

Kritika Chapter 1 Class 9 Questions And Answers HBSE प्रश्न 3.
सबकी ज़बान पर एक ही जिज्ञासा-‘पानी कहाँ तक आ गया है ?’-इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं ?
उत्तर–
पानी कहाँ तक आ गया है’ नगर का प्रत्येक व्यक्ति यही जानने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहा था। उसके इस कथन से नागरिकों की उत्सुकता, सुरक्षा और कौतूहल की भावना व्यक्त होती है। नगर के सब लोग इस नए अनुभव को अपनी आँखों से देखना चाहते थे। वे जीवन-मृत्यु के इस खेल के मोह को छोड़ नहीं पाए थे। उनका इस खेल में गहन आकर्षण था।

Class 9th Kritika Chapter 1 Question Answer HBSE प्रश्न 4.
‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने बाढ़ के निरंतर बढ़ते हुए जल को मृत्यु का तरल दूत’ कहकर पुकारा है, क्योंकि बाढ़ के पानी ने न जाने कितने लोगों को मौत की गोद में सुला दिया है और न जाने कितने घरों को तबाह कर दिया है। यही कारण है कि लेखक ने बाढ़ के जल को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

Class 9th Chapter 1 Kritika HBSE प्रश्न 5.
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ से कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर-
आपदाओं से निपटने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं
(क) सरकार को संभावित खतरों या आपदाओं से निपटने के लिए साधन तैयार रखने चाहिएँ। उन सभी साधनों को सदा तैयार रखना चाहिए जो बाढ़ में या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय काम में लाए जाते हैं।
(ख) सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं में बराबर तालमेल बनाए रखना चाहिए, ताकि आपदा के समय इकट्ठे काम कर सकें।
(ग) स्वयंसेवी संगठनों को बिना किसी मतभेद के आपदा के समय मन लगाकर काम करना चाहिए।
(घ) सरकार द्वारा समय-समय पर स्वयंसेवी संगठनों को पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए।

Class 9 Hindi Book Kritika Chapter 1 Question Answer HBSE प्रश्न 6.
‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए…..अब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है ?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से लेखक ने जन-साधारण के मन में बैठी ईर्ष्या, द्वेष की भावना को अभिव्यक्त किया है। गाँव और शहर में भेद सदा ही बना रहा है। अतः नगर और गाँव के लोगों के मन में आपसी कटुता भी घर कर जाती है। यह कटुता ही उस गाँव के व्यक्ति के इस कथन से अभिव्यक्त हुई है। ग्रामीण चाहता है कि इन पटनावासियों का भी ग्रामीणों की भाँति ही नुकसान हो, तब इन्हें पता चलेगा कि बाढ़ से क्या-क्या कष्ट भोगने पड़ते हैं।

प्रश्न 7.
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी ?
उत्तर-
बाढ़ के आने का खतरा बढ़ता जा रहा था इसलिए अन्य सामानों की दुकानें बंद होती जा रही थीं। परंतु पान की बिक्री बढ़ गई थी, क्योंकि बाढ़ को देखने के लिए बहुत-से लोग वहाँ एकत्रित हो गए थे। वे बाढ़ से भयभीत नहीं थे, अपितु हँसी-खुशी और कौतूहल से युक्त थे। इसलिए वे समय गुजारने के लिए वहाँ खड़े थे। ऐसे में पान खाने की इच्छा उत्पन्न होना स्वाभाविक था।
इसलिए यह बात सही है कि दूसरे सामान की दुकानें बंद होने लगी थीं, किंतु पान की दुकान पर भीड़ बढ़ रही थी और पान की बिक्री भी अचानक बढ़ गई थी।

प्रश्न 8.
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए ?
उत्तर-
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने एक सप्ताह का भोजन रखने का प्रबंध किया। उसने किताबों के अलावा गैस की स्थिति के बारे में पत्नी से जानकारी ली। उसने ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, सिगरेट, पीने का पानी और नींद की गोलियों का प्रबंध भी किया।

प्रश्न 9.
बाढ़-पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है ?
उत्तर-
बाढ़-पीड़ित क्षेत्र में अकसर पकाही घाव हो जाते हैं। गंदे पानी से लोगों के पाँवों की उंगलियाँ गल जाती हैं और तलवों में भी घाव हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त हैजा, मलेरिया, टाइफाइड आदि बीमारियों के फैलने की भी आशंका हो जाती है।

प्रश्न 10.
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया ?
उत्तर-
एक के लिए दूसरे का पानी में कूद पड़ने से कुत्ते और नवयुवक के आत्मीय संबंध का बोध होता है। वे दोनों एक-दूसरे के सच्चे साथी थे। उनमें मानवीय होने या पशु होने का भेदभाव भी नहीं था। वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। कुत्ते को यदि नाव में स्थान नहीं दिया जाता तो नवयुवक भी नाव में नहीं बैठता और युवक के बिना कुत्ता नहीं रह सकता, वह बिना किसी डर के पानी में कूद पड़ता है।

प्रश्न 11.
‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं मेरे पास।’-मूवी कैमरा, टेप-रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा ?
उत्तर-
लेखक बाढ़ के दृश्य को पूरी तरह अनुभव कर लेना चाहता था। उधर उसका लेखक मन चाहता है कि वह बाढ़ के दृश्यों को पूर्ण रूप से संजो ले। यदि उसके पास मूवी कैमरा होता या टेप-रिकॉर्डर या कलम होती तो वह बाढ़ का निरीक्षण करने की बजाए उसका चित्रण करने में लग जाता। तब जीवन को साक्षात भोगने का अवसर उसके हाथ से निकल जाता।

प्रश्न 12.
आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
मीडिया जहाँ समस्याओं की ओर हमारा ध्यान खींचकर उनका हल प्रस्तुत करता है वहीं कभी-कभी वे समस्याओं के हल की अपेक्षा उनको बढ़ावा देते हैं। कुछ दिन पूर्व रेल में लगाई आग को इस रूप में प्रस्तुत किया गया जिससे रेल में लगी आग में मरे लोगों की पहचान करने व अन्य सहायता के काम करने की अपेक्षा लोगों में सांप्रदायिकता की भावना को भड़का दिया। इससे अनेक स्थानों पर हिंदू-मुस्लिम दंगे हो गए। इस प्रकार मीडिया कभी-कभी समस्याओं के हल की अपेक्षा समस्याएँ उत्पन्न कर देता है।

प्रश्न 13.
अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सन् 1978 में टांगरी नदी का बाँध टूट जाने के कारण अंबाला छावनी व उसके आस-पास के क्षेत्र में बाढ़ आ गई थी। वहाँ के पूरे सदर बाजार में चार-पाँच फुट पानी जमा हो गया था। सभी दुकानों के अंदर पानी घुस जाने के कारण लाखों करोड़ों रुपयों की हानि हुई थी। कुछ निचले क्षेत्रों में तो 8-9 फुट की ऊँचाई तक पानी चढ़ आया था। लोगों ने घरों की छत पर चढ़कर जान बचाई थी। प्रातः होते-होते आस-पास के क्षेत्रों में पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। अनेक दूध बेचने वाले ग्वालों के पशु पानी में बह कर मर गए थे। दूसरे दिन जब पानी उतरा तो पता चला कि कुछ लोगों की पानी में डूबने के कारण मृत्यु हो गई थी, उनमें बच्चे व बूढ़े ही अधिक थे। उस बाढ़ के दृश्य को देखने वाले लोगों के दिल आज भी उसे याद करके काँप उठते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

HBSE 9th Class Hindi इस जल प्रलय में Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘इस जल प्रलय में’ नामक पाठ का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘इस जल प्रलय में’ नामक पाठ में लेखक ने बाढ़ के दृश्य का सजीव चित्रण किया है। लेखक ने विभिन्न लोगों की बाढ़ आने पर होने वाली भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाओं का वर्णन सूक्ष्मतापूर्वक किया है। इसी प्रकार बाढ़ के आने पर या बाढ़ के आने की संभावना से उत्पन्न मानसिक वातावरण का वर्णन करना भी इस पाठ का उद्देश्य है। लेखक ने बताया है कि बाढ़ के आने की खबर सुनते ही लोगों के मन में भय-सा समा गया। लोगों ने अपना सामान समेटना आरंभ कर दिया और बाढ़ के आने पर जिन-जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, उन वस्तुओं को भी एकत्रित करना आरंभ कर दिया। जिन लोगों ने बाढ़ के दृश्य को पहले कभी नहीं देखा था, उनके मन की दशा का भी सुंदर एवं सजीव चित्रण किया गया है। बाढ़ के समय सरकार के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था आदि का उल्लेख करके लेखक ने बाढ़ के दृश्य को संपूर्णता के साथ प्रस्तुत किया है। यही इस पाठ का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
गाँव के लोगों के पशु प्रेम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
गाँव के लोग पशुओं को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। वे उनके सुख-दुःख से प्रभावित होते हैं। कुत्ता एक स्वामिभक्त प्राणी है। वह मनुष्य का सबसे अच्छा साथी है। सन् 1949 में जब महानंदा में बाढ़ आई थी, तो बीमारों को बाढ़ से बाहर ले जाने के लिए एक नाव मँगवाई गई। जब एक बीमार युवक अपने कुत्ते को लेकर नाव पर चढ़ने लगा तो डॉक्टर ने उस कुत्ते को ले जाने से मना कर दिया। उस नवयुवक ने उत्तर दिया कि यदि कुत्ते को नाव में नहीं ले जाने दिया गया तो मैं भी नाव पर नहीं जाऊँगा। यही काम कुत्ते ने भी किया, वह भी नाव से झट से नीचे कूद गया। इससे पता चलता है कि गाँव के लोगों के मन में पशुओं व जानवरों के प्रति बहुत प्रेम होता है।

प्रश्न 3.
‘मुसहरी’ कौन थे? वे अपनी किस विशेषता के लिए प्रसिद्ध रहे हैं ?
उत्तर-
‘मुसहरी’ आदिवासियों की एक जाति है। उनका प्रमुख व्यवसाय दोने-पत्तल बनाना है। इस जाति के लोगों की प्रमुख विशेषता उनकी जिंदादिली होती है। बाढ़ की मुसीबत भी उनकी इस विशेषता को नहीं छीन सकती। जब लेखक को पता चला कि ‘मुसहरी’ समाज के लोग बाढ़ में घिरे हुए हैं और मांस-मछली खाकर गुजारा कर रहे हैं। तो वह सेवादल के साथ उनके गाँव में पहुंचा वहाँ उसने देखा गाँव में ऊँचे स्थान पर एक मंच बनाया हुआ है और एक काला-कलूटा नट अपनी रूठी हुई दुल्हन का अभिनय कर रहा है और पुरुष बना नट उसे मनाने का अभिनय कर रहा है। ढोलक और मंजीरे पर आनंदोत्सव चल रहा है। वहाँ के लोग मुसीबत के समय में भी आनंदोत्सव मना रहे थे। इससे पता चलता है कि ‘मुसहरी’ जाति के लोग जिंदादिल होते हैं।

प्रश्न 4.
पठित पाठ के आधार पर राजेन्द्र नगर में आई बाढ़ के दृश्य का चित्रण कीजिए। .
उत्तर-
पटना नगर का राजेन्द्र नगर एक प्रमुख स्थान है। इस क्षेत्र में बाढ़ का पानी पश्चिम दिशा से प्रवेश हुआ था। पानी डोली के आकार में आगे बढ़ रहा था। उसके मुख पर मानो फेन (झाग) था। इसे देखने पर ऐसा लगा कि मानो उसके आगे-आगे किलोल करते हुए बच्चों की एक टोली आ रही है। पानी के समीप आने पर पता चला कि मोड़ पर रुकावट आने पर पानी उछल रहा था। धीरे-धीरे आस-पास शोर मच गया था। कोलाहल, चीख-पुकार और तेज बहने वाले पानी की कलकल ध्वनि। पानी धीरे-धीरे फुटपाथ को पार करके आगे बढ़ने लगा। थोड़ी ही देर में गोलंबर के गोल पार्क में भी पानी भर गया। पानी इतनी तेजी से बढ़ रहा था कि थोड़ी ही देर में दीवार की ईंटें एक-एक करके डूबने लगी थीं। पानी में बिजली के खंभे और पेड़ों के तने भी डूबते जा रहे थे।

प्रश्न 5.
बाढ़ जैसी भयानक आपदाओं से बचने के लिए आप कुछ उपाय सुझाइए। [H.B.S.E. March, 2018]
उत्तर-
बाढ़ जैसी आपदाओं से बचने के लिए हमें सर्वप्रथम अपने जरूरी सामान को सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए। हमें : बाढ़ के पानी को देखकर घबराना नहीं चाहिए अपितु दूसरों का भी साहस बंधाना चाहिए। बाढ़ के आने पर बिजली के उपकरणों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। घर में करंट आने का खतरा बढ़ जाता है। यदि फोन की सुविधा है तो पुलिस व अन्य सरकारी कार्यालयों को सूचना दे देनी चाहिए ताकि लोगों को बाढ़ जैसी आपदा से बचाने में सहायता मिल सके।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 6.
लेखक ने किसे गंवार और मुस्टंडा कहा था और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने दानापुर के एक अधेड़ ग्रामीण को गँवार एवं मुस्टंडा कहा था, क्योंकि उसका शरीर पूर्णतः स्वस्थ और मजबूत था। उसकी वाणी और व्यवहार असभ्य था। उस व्यक्ति ने पटनावासियों पर अपना सारा गुस्सा निकालते हुए कहा था “ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनिया बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए….. अब बूझो!” निश्चित रूप से ये शब्द कठोर और द्वेषपूर्ण थे। इसी कारण लेखक ने उसके लिए गंवार तथा मुस्टंडा शब्द प्रयोग किए थे।

प्रश्न 7.
बाढ़ के आने पर शहर के कुछ मनचले लोगों की कैसी प्रतिक्रिया हुई थी ?
उत्तर-
बाढ़ के आने पर नगर के कुछ मनचले लोगों को हँसी-मजाक की बातें सूझ रही थीं। वे बाढ़ की समस्या के प्रति जरा भी गंभीर नहीं थे। वे कह रहे थे कि अच्छा है, पूरा पटना नगर डूब जाए जिससे सबके पाप मिट जाएँगे। कुछ कह रहे थे कि गोलघर की मुंडेर पर बैठकर ताश खेली जाए। कुछ कह रहे थे कि इनकम टैक्स वालों को अपनी आसामियों पर इसी समय छापा मारना चाहिए। वे कहीं नहीं भाग सकेंगे।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘इस जल प्रलय में शीर्षक पाठ हिंदी साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आता है ?
(A) संस्मरण
(B) निबंध
(C) रिपोर्ताज
(D) कहानी
उत्तर-
(C) रिपोर्ताज

प्रश्न 2.
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं ?
(A) मृदुला गर्ग
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) जगदीश चंद्र माथुर
(D) शमशेर सिंह बहादुर
उत्तर-
(B) फणीश्वरनाथ रेणु

प्रश्न 3.
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ में किस सन् की प्रलयंकारी बाढ़ की घटना का वर्णन है ?
(A) सन् 1978 की
(B) सन् 1977 की
(C) सन् 1976 की
(D) सन् 1975 की
उत्तर-
(D) सन् 1975 की

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ में किस नगर में आई बाढ़ का उल्लेख किया गया है ?
(A) पटना
(B) पूर्णिया
(C) बस्ती
(D) बराऊनी
उत्तर-
(A) पटना

प्रश्न 5.
फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1901 में
(B) सन् 1911 में
(C) सन् 1921 में
(D) सन् 1922 में
उत्तर-
(C) सन् 1921 में

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 6.
श्री रेणु का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1977 में
(B) सन् 1987 में
(C) सन् 1990 में
(D) सन् 1996 में
उत्तर-
(A) सन् 1977 में

प्रश्न 7.
लेखक ने ‘डायन कोसी’ नामक रिपोर्ताज किस सन् में लिखा ?
(A) सन् 1938 में
(B) सन् 1948 में
(C) सन् 1958 में
(D) सन् 1965 में
उत्तर-
(B) सन् 1948 में

प्रश्न 8.
‘जय गंगा’ नामक रिपोर्ताज की रचना किस वर्ष में की गई थी ? ‘
(A) सन् 1927 में
(B) सन् 1937 में
(C) सन् 1947 में
(D) सन् 1957 में
उत्तर-
(C) सन् 1947 में

प्रश्न 9.
लेखक को बाढ़ की पीड़ा को भोगने का अनुभव कब हुआ था ?
(A) सन् 1967 को
(B) सन् 1970 को
(C) सन् 1975 को
(D) सन् 1977 को
उत्तर-
(A) सन् 1967 को

प्रश्न 10.
कितने घंटे तक निरंतर वर्षा होने पर पटना में बाढ़ आई थी ?
(A) बारह
(B) अठारह
(C) बीस
(D) चौबीस
उत्तर-
(B) अठारह

प्रश्न 11.
सन् 1967 में किस नदी का पानी पटना नगर में घुस गया था ?
(A) पुनपुन
(B) कोसी
(C) गंगा
(D) कावेरी
उत्तर-
(A) पुनपुन

प्रश्न 12.
लेखक जब रिक्शा में बैठकर बाढ़ का पानी देखने निकला तो उनके साथ कौन था ?
(A) उनका एक रिश्तेदार
(B) आचार्य कवि-मित्र
(C) पत्रकार मित्र
(D) कैमरा मैन
उत्तर-
(B) आचार्य कवि-मित्र

प्रश्न 13.
‘स्वगतोक्ति’ का आशय है-
(A) अपने आप में कुछ बोलना
(B) अपनी प्रशंसा आप करना
(C) स्वयं से बातें करना
(D) दूसरों को अपनी बात कहना
उत्तर-
(A) अपने आप में कुछ बोलना

प्रश्न 14.
कवि ने ‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा है ?
(A) अपने मित्र को
(B) बाढ़ के पानी को
(C) लोगों के समूह को
(D) काली घटा को
उत्तर-
(B) बाढ़ के पानी को

प्रश्न 15.
“चलो, पानी कैसे घुस गया है, वही देखना है।” ये शब्द किसने किसे कहे हैं ?
(A) लेखक ने मित्र से ।
(B) लेखक ने रिक्शावाले से
(C) लेखक के मित्र ने रिक्शावाले से
(D) एक राहगीर ने लेखक से
उत्तर-
(B) लेखक ने रिक्शावाले से

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 16.
“ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए ….. अब बूझो!” इस कथन से ग्रामीण की कौन-सी भावना अभिव्यक्त हुई है ?
(A) आपसी सद्भाव
(B) परस्पर मैत्रीभाव
(C) ईर्ष्या-द्वेष
(D) घृणा भाव
उत्तर-
(C) ईर्ष्या-द्वेष

प्रश्न 17.
लेखक के अनुसार साहित्यिक गोष्ठियों में कैसे आदमी की तलाश रहती है ?
(A) शहरी आदमी की
(B) मध्यवर्ग के आदमी की
(C) अमीर आदमी की
(D) आम आदमी की
उत्तर-
(D) आम आदमी की

प्रश्न 18.
कौन-सा समाचार दिल दहलाने वाला था ?
(A) पानी स्टूडियो की सीढ़ियों तक आ गया है
(B) पानी से स्टूडियो डूब गया है
(C) अगले चौबीस घंटों में जोरदार वर्षा होगी
(D) बाढ़ का पानी तेजी से बढ़ता आ रहा है
उत्तर-
(A) पानी स्टूडियो की सीढ़ियों तक आ गया है

प्रश्न 19.
अन्य दुकानों की अपेक्षा पान वालों की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी ?
(A) लोगों को भूख लगी हुई थी
(B) पान सस्ते हो गए थे
(C) ‘पान खाना’ समय गुजारने का अच्छा साधन था
(D) पान खाने से पानी का आतंक कम हो रहा था
उत्तर-
(C) ‘पान खाना’ समय गुजारने का अच्छा साधन था

प्रश्न 20.
गांधी मैदान में लेखक ने क्या देखा था ?
(A) भीड़
(B) बच्चों को खेलते हुए
(C) हरी घास को पानी में डूबते हुए
(D) नेता को भाषण देते हुए
उत्तर-
(C) हरी घास को पानी में डूबते हुए

प्रश्न 21.
जन संपर्क विभाग ने लोगों के लिए क्या संदेश दिया था ?
(A) वे रात को भी सावधान रहें
(B) वे पानी की चिंता छोड़ दें
(C) अपना सारा सामान लेकर छत पर बैठ जाएँ
(D) वे बाढ़ के समय जागते रहें
उत्तर-
(A) वे रात को भी सावधान रहें

प्रश्न 22.
बाढ़ आने पर मनचले लोग कैसी बातें कर रहे थे ?
(A) बाढ़ का नजारा अत्यंत सुंदर होता है
(B) बाढ़ आने से लूट का मजा आता है
(C) इनकम टैक्स वालों के लिए छापा मारने का सही मौका है
(D) यह मौज मस्ती का अवसर है
उत्तर-
(C) इनकम टैक्स वालों के लिए छापा मारने का सही मौका है

प्रश्न 23.
लेखक के अनुसार बाढ़ पीड़ितों को सबसे अधिक आवश्यकता किन चीजों की होती है ?
(A) भोजन की
(B) पानी की
(C) लकड़ी की
(D) दवाइयों की
उत्तर-
(D) दवाइयों की

प्रश्न 24.
लेखक चाहकर भी अपने मित्रों व स्वजनों से बात क्यों नहीं कर सका था ?
(A) वह थक गया था
(B) वे उससे नाराज थे
(C) टेलीफोन बंद हो चुके थे
(D) लेखक घबराया हुआ था
उत्तर-
(C) टेलीफोन बंद हो चुके थे

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

प्रश्न 25.
आपकी दृष्टि में बाढ़ में सबसे मार्मिक दृश्य क्या था ?
(A) छाती भर पानी में खड़ी गर्भवती महिला
(B) लोगों का चिल्लाना
(C) पशुओं का डूबना
(D) लोगों द्वारा सामान इकट्ठा करना
उत्तर-
(A) छाती भर पानी में खड़ी गर्भवती महिला

प्रश्न 26.
कौन-सी जाति के लोग बाढ़ से घिरे होने पर हँसी दिल्लगी नहीं छोड़ते ?
(A) ब्राह्मण
(B) यादव
(C) मुसहरी
(D) राजपूत
उत्तर-
(C) मुसहरी

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

इस जल प्रलय में Summary in Hindi

इस जल प्रलय में पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ में लेखक ने बाढ़ का वर्णन किया है। लेखक बिहार की राजधानी पटना में रहता है। उसका गाँव ऐसे क्षेत्र में है जहाँ हर वर्ष पश्चिम, पूर्व और दक्षिण की कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित लोग शरण लेते हैं। परती (बंजर भूमि) पर गाय, बैल, भैंस तथा बकरों के झुंड को देखकर लोग सहज ही बाढ़ की भयंकरता का अनुमान लगा लेते हैं। लेखक को तैरना नहीं आता। वह बाढ़ पर कई लेख लिख चुका है। लेखक ने विभिन्न वर्षों में आई बाढ़ों का वर्णन करते हुए बताया है कि सन् 1967 में भयंकर बाढ़ आई। तब उसका पानी राजेंद्रनगर, कंकड़बाग तथा अन्य निचले हिस्सों में भर गया था। तब लोगों ने आवश्यक सामग्री एकत्रित कर ली थी तथा बाढ़ की प्रतीक्षा करने लगे थे। इसी बीच कभी राजभवन तो कभी मुख्यमंत्री निवास के बाढ़ में डूबने के समाचार आते रहे। कॉफी हाउस भी पानी में डूब चुका था। लेखक अपने एक अंतरंग मित्र के साथ रिक्शा में बैठकर बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों को देखने के लिए निकलता है। उस समय दूसरे लोग भी बाढ़ का पानी देखकर लौट रहे थे। सभी लोगों की यह जानने की जिज्ञासा थी कि पानी कहाँ तक आ गया है और कहाँ तक आने की संभावना है। लेखक भी पहले तो लौटने का विचार कर रहा था, किंतु तभी उसने कुछ और आगे जाने का मन बना लिया। वह रिक्शा में बैठकर गांधी मैदान की ओर चल दिया। गांधी मैदान की रेलिंग के सहारे खड़े हजारों लोग बाढ़ के पानी को देख रहे थे।

संध्या हो चुकी थी। बहुत-से लोग पान की दुकान के सामने खड़े समाचार सुन रहे थे। पानी स्टूडियो तक आ चुका था। समाचार दिल दहलाने वाला था। किंतु लोग कुछ ज्यादा परेशान नहीं थे। वे अन्य दिनों की भाँति ही हँस-खेल रहे थे। उस पान वाले की बिक्री अवश्य बढ़ गई थी। कोई भी व्यक्ति बाढ़ से भयभीत नहीं दिखाई दे रहा था। हमारे ही चेहरे दुःखी लग रहे थे। कुछ लोग कह रहे थे कि एक बार पटना भी पूरी तरह से डूब जाए तो सारे पाप धुल जाएँगे। वे ताश खेलने के लिए बैठना चाहते थे कि तभी उनके मन में विचार आया कि इनकम टैक्स वालों को इसी समय छापा मारना चाहिए। उन्हें बहुत-सा माल एक ही स्थान पर मिल जाएगा।

लेखक अपने मकान पर पहुँचा ही था कि उसी समय लाउडस्पीकर से घोषणा करने वाली गाड़ी उनके मुहल्ले में पहुंची। वह घोषणा कर रही थी कि ‘भाइयो! ऐसी संभावना है कि बाढ़ का पानी रात के बारह बजे तक लोहानीपुर, कंकड़बाग और राजेंद्रनगर में घुस सकता है। अतः आप लोग सावधान रहें। लेखक घर में गैस की स्थिति का पता लगाता है। वह फिर सोने की कोशिश करता है पर नींद कहाँ आती है। वह उठ जाता है और कुछ लिखना चाहता है तो उसके मन में अनेक पुरानी यादें आने लगती हैं।

लेखक याद करता हुआ लिखता है कि 1947 में मनिहारी में बाढ़ आई थी। लेखक गुरु जी के साथ बाढ़ से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए उस क्षेत्र में गया था। उनकी हिदायत थी कि हर नाव पर दवा, माचिस तथा किरासन तेल अवश्य रहना चाहिए।

इसी प्रकार सन् 1949 में लेखक महानंदा की बाढ़ से घिरे बापसी थाना के एक गाँव में लोगों की सहायता के लिए पहुंचा। वे नाव पर चढ़ाकर बीमारों को कैंप तक ले जाना चाहते थे कि एक बीमार के साथ उसका कुत्ता भी चढ़ गया। किंतु दूसरे लोगों द्वारा एतराज करने पर वह व्यक्ति अपने कुत्ते समेत नाव से नीचे कूद गया था। लेखक सहायता के लिए कुछ और आगे गया तो पता चला कि वहाँ लोग कई दिनों से मछली व चूहों को झुलसाकर खा रहे हैं। जब ये लोग एक टोले के पास पहुंचे तो पता चला कि ऊँची-सी जगह पर मंच बनाकर ‘बलवाही’ लोक नाटक कर रहे हैं। लाल साड़ी पहने काला-कलूटा ‘नटुआ’ दुलहिन के हाव-भाव दिखला रहा था। वहाँ बैठे लोगों के चेहरों पर जरा भी बाढ़ का भय नहीं था।

इसी प्रकार सन् 1967 की बाढ़ में जब पुनपुन का पानी राजेंद्रनगर में घुस आया था, तो एक नाव पर कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों की टोली किसी फिल्म में देखे हुए कश्मीर का आनंद घर बैठे लेने के लिए निकली थी। नाव पर चाय बन रही थी। एक युवती अनोखी अदा से नैस्कैफे के पाउडर को मथकर ‘एस्प्रेसो’ बना रही थी। दूसरी लड़की रंगीन पत्रिका पढ़ रही थी। एक युवक उस युवती के सामने घुटनों पर कोहनी टेककर डायलॉग बोल रहा था। ट्रांजिस्टर पर कोई फिल्मी गाना बज रहा था। लेखक रात के ढाई बजे तक जागता रहा, किंतु तब तक बाढ़ का पानी नहीं आया था। सभी लोग जागते रहे। उस समय लेखक के मन में अपने मित्रों के प्रति चिंता हुई कि न जाने किस हाल में होंगे। लेखक को नींद नहीं आ रही थी। वह फिर लिखने बैठ गया पर इस समय वह क्या लिखे। पाँच बजे लेखक फिर आवाज़ सुनता है कि पानी आ रहा है। वह दौड़कर छत पर गया। उसने देखा कि चारों ओर से लोगों की चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। पानी की लहरों का नृत्य भी दिखाई दे रहा था। पानी तेज गति से सब कुछ अपने साथ समेटता हुआ आगे बढ़ रहा था। लेखक बाढ़ को तो बचपन से देखता हुआ आ रहा था, किंतु पानी इस तरह आता उसने कभी न देखा था।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-1) : पीड़ित = दुःखी। पनाह = शरण। ट्रेन = रेलगाड़ी। विशाल = बहुत बड़ी। सपाट = सरल, सीधी। परती = वह जमीन जो जोती-बोई न जाती हो। विभीषिका = भयंकरता। रिलीफवर्कर = राहत पहुंचाने वाला कार्यकर्ता। प्रस्तुत किया = लिखा। छुटपुट = छोटे-छोटे। .

(पृष्ठ-2) : विनाश लीला = नाश करने वाली क्रिया। अविराम = निरंतर। वृष्टि = वर्षा । हैसियत = शक्ति। प्रतीक्षा = इंतजार। प्लावित = जिस पर बाढ़ का पानी चढ़ आया हो, जो जल में डूब गया हो। अबले = अधिक। अनवरत = निरंतर। अनर्गल = बेतुकी, व्यर्थ। अनगढ़ = बेडौल, टेढ़ा-मेढ़ा। स्वगतोक्ति = अपने आप से कुछ बोलना।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

(पृष्ठ-3) : जुबान = जीभ। जिज्ञासा = जानने की इच्छा। एरिया = क्षेत्र। आतंक = भय। बाबस = अचानक। समय = भय सहित। अस्फुट = अस्पष्ट । अनुनय = प्रार्थना। गैरिक = गेरुए रंग का। आवरण = पर्दा।

(पृष्ठ–4) : आच्छादित = ढका हुआ। शनैः शनैः = धीरे-धीरे। अधेड़ = चालीस वर्ष की आयु वाला। मुस्टंड = बदमाश। गंवार = ग्रामीण। उत्कर्ण = सुनने को उत्सुक। दिल दहलाने वाले = डरा देने वाले। चेष्टा = प्रयास। परेशान = दुःखी। आसन्न = पास आया हुआ। आदमकद = आदमी के कद के बराबर। मुहर्रमी = निराश, आतंकित।

(पृष्ठ-5) : हुलिया = वेशभूषा। धनुष्कोटि = एक स्थान का नाम। माकूल = सही। मौका = अवसर। बा-माल = माल सहित। पूर्ववत् = पहले की भांति । सुधि लेना = ध्यान रखना। अलमस्त = मौजमस्ती मनाने वाला, बेपरवाह। ऐलान करना = घोषणा करना।

(पृष्ठ-6) : गृहस्वामिनी = घर की मालकिन। अंदाज = अनुमान। आकुल = व्याकुल। बेतरतीब = बेढंगे। बालूचर = रेतीला क्षेत्र।

(पृष्ठ-7) : हिदायत = निर्देश। मुसहरी = एक जाति विशेष का नाम। बलवाही = एक लोक-नृत्य का नाम। दुलहिन = नई नवेली।

(पृष्ठ-8) : रिलीफ़ = राहत का सामान । भेला = नाव। झिंझिर = जल-विहार । अनोखी = अद्भुत। डायलॉग = संवाद । वॉल्यूम = ध्वनि। फूहड़ = बेसुरे।

(पृष्ठ-9) : एक्ज़बिशनिम = प्रदर्शनवाद। छूमंतर होना = समाप्त होना। आसन्नप्रसवा = जिसे आजकल में बच्चा होने वाला हो। बेहतर = बढ़िया।

(पृष्ठ-10-11) : उजले = सफेद। आ रहलौ = आ गया है। किलोल करना = क्रीड़ाएँ करना। अतिथिशाला = विश्राम गृह। अवरोध = रुकावट। कलरव = पक्षियों की ध्वनि। नर्तन = नाच। सशक्त = शक्तिपूर्वक। लोप होना = डूब जाना।

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HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 8 पहनावे का सामाजिक इतिहास

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 8 पहनावे का सामाजिक इतिहास Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 8 पहनावे का सामाजिक इतिहास

HBSE 9th Class History पहनावे का सामाजिक इतिहास Textbook Questions and Answers

पहनावे का सामाजिक इतिहास HBSE 9th Class प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में पोशाक शैलियों और सामग्री में आए बदलावों के क्या कारण थे?
उत्तर-
18वीं शताब्दी में पोशाकों और सामग्री में आए बदलावों के मुख्य कारण निम्नलिखित बताए जा सकते हैं।

1. फ्रांसीसी क्रांति ने समाज के सभी वर्गों में समानता की दृष्टि से भिन्न-भिन्न पोशाक शैलियों के अंतर को समाप्त कर दिया।
2. राजनीतिक प्रकार के चिहों का प्रभाव पोशाक पर भी पड़ने लगा। लाल टोपी स्वतंत्रता का प्रतीक बन गयी। लम्बे-लम्बे पायजामों का रिवाज चल पड़ा।
3. पोशाक शैलियों व खानपान सामग्री में सादगी का अनुसरण किया जाने लगा।

Class 9 History Chapter 8 HBSE प्रश्न 2.
फ्रांस में सम्प्चुअरी कानून क्या थे?
उत्तर-
फ्रांस में सम्प्युचरी कानूनों का सम्बन्ध पोशाक व खाने-पीने की सामग्री के प्रयोग से जुड़ा था। समाज के निम्न वर्गों को विशेष शैली की पोशाक पहननी पड़ती थी। यह निम्न वर्ग के लिए विशेष रूप से लागू की जानी होती थी। अमीर व शाही लोगों के लिए ऐसे कोई प्रतिबंध नहीं थे।

प्रश्न 3.
यूरोपीय पोशाक संहिता और भारतीय पोशाक संहिता के बीच कोई दा फर्क बताइए।
उत्तर-
1. यूरोपीय पोशाक संहिता में टोपी के पहनावे को महत्व दिया जाता था जबकि भारतीय पोशाक संहिता में पगड़ी को।
2. यूरोपीय पुरुष पतलून व कमीज का तथा स्त्रियाँ फ्रॉक आदि को पहनते हैं जबकि भारत मे पुरुष धोती-कुर्ता तथा स्त्रियाँ साड़ी-ब्लाउज़ पहनती हैं।

प्रश्न 4.
1850 में अंग्रेी अफसर बेंजमिन हाईन ने बंगलोर में बनने वाली चीजों की एक सूची बनाई थी, जिसमें निम्नलिखित उत्पाद भी शामिल थे
अलग-अलग किस्म और नाम वाले जनाना कपड़े।
मोटी छींट
मखमल
रेशमी कपड़े
बताइए कि बीसवीं सदी के प्रारंभिक दशकों में इनमें से कौन-कौन से किस्म के पकड़े प्रयोग से बाहर चले गए होंगे, और क्यों?
उत्तर-
मखमल कपड़ा प्रयोग में बाहर चला गया। इसे शरीर पर पहनने से आराम का अहसास नहीं होता था।

प्रश्न 5.
उन्नीसवीं सदी के भारत में औरतें परंपरागत कपड़े क्यों पहनती रहीं जबकि पुरुष पश्चिमी कपड़े पहनने लगे थे? इससे समाज में औरतों की स्थिति के बारे में क्या पता चलता हैं?
उत्तर-
19वीं शताब्दी में भारत में औरतें पारंपरिक कपड़े पहनती थीं क्योंकि उनका अधिकतर काम घर की चार दीवारी तक ही सीमित रहता था। दूसरी ओर पुरुष पश्चिमी शैली के कपड़े पहनने लगे थे क्योंकि वह अंग्रेजों के साथ संपर्क में भी आ गए थे तथा उनके कार्यालयों में नौकरी भी करने लगे थे।
स्त्रियों को अपनी पारंपरिक पोशाक बनाए रखने के जरूरत इस कारण थी कि भारत में प्रचलित रीति-रिवाज़ स्त्रियों से जुड़ी पोशाक आदि में बदलाव का विरोध करते थे अतः स्त्रियों की स्थिति पुरुषों की अपेक्षा कमतर रही थी।

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प्रश्न 6.
विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि महात्मा गाँधी ‘राजद्रोही मिडिल वकील’ से ज्यादा कुछ नहीं हैं, और ‘अधनंगे फकीर का दिखावा’ कर रहे हैं।
चर्चिल ने यह वक्तव्य क्यों दिया और इससे महात्मा गाँगधी की पोशाक की अतीकत्मक शक्ति के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर-
चर्चिल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इंग्लैंड का प्रधानमंत्री थे। वह अपने स्वरूप में एक साम्राज्यवादी प्रकार का व्यक्ति था। दूसरी ओर महात्मा गाँधी एक सीधा-सादा करोड़ों भारतीयों का एक लोकप्रिय नेता था वह भारत जैसे गरीब देश के लोगों की भांति कम से कम कपड़ों को पहनता था जो अतिआवश्यक होते थे। चर्चिल गाँधी जी की लोकप्रियता से काफी दुःखी था।

प्रश्न 7.
पूरे राष्ट्र को खादी पहनाने का गाँधीजी का सपना भारतीय जनता के केवल कुछ हिस्सों तक ही सीमित क्यों रहा?
उत्तर-
महात्मा गांधी (1869-1948) स्वतंत्र भारत के राष्ट्रपति कहलाए जाते है। उनकी जन-अपील थी। वह करोड़ों भारतीयों के लिए एक पथ-प्रदर्शक थें वह एक साधारण व सरल भारतीय थे तथा अन्य गरीब भारतीयों की भाँति सादगी का जीवन व्यतीत करते थे। राष्ट्रवादी आंदोलन के दौरान उन्होंने खादी के प्रयोग पर जोर दिया था। उनके भारतीयों ने उनका अनुसरण करते हुए खादी के कपड़े पहनने आरंभ कर दिये। पुरुषों व स्त्रियों ने खादी का प्रयो शुरु कर दिया। परंतु कुछेक नेता खादी का प्रयो गनहीं करते थे। डॉ. अम्बेडकर पश्चिमी शैली के ही कपड़े पहनते थे मोतीलाल नेहरु ने धोती कुर्ता पहनना शुरु कर दिया था। कुछेक महिला-नेताओं जैसे सरोजिनी नायडू, कमला नेहरु आदि ने छपी खादी साड़ियाँ पहननी आरंभ कर दी थीं।

HBSE 9th Class History पहनावे का सामाजिक इतिहास Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
जनवादी क्रांतियों से पूर्व यूरोप के लोग कौन-सी वेशभूषा धारण करते थे?
उत्तर-
क्षेत्रीय वेशभूषा।

प्रश्न 2.
जैकाबियन क्लब के सदस्य खुद को क्या कहा करते थे?
उत्तर-
सौ-कुलौत्स।

प्रश्न 3.
सौ-कुलौत्स का क्या अर्थ होता है?
उत्तर-
बिना घुटने वाले।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी तिरंगे के कौन-कौन से रंग है?
उत्तर-
नीला, सफेद व लाल।

प्रश्न 5.
फ्रांस में स्वतंत्रता की निशानी को कैसे व्यक्त किया जात था?
उत्तर-
लाल टोपी।

प्रश्न 6.
फ्रांस में पहनावे की सादगी किसका भाव व्यक्त करती थी?
उत्तर-
समानता का।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 8 पहनावे का सामाजिक इतिहास

प्रश्न 7.
कार्बेट का अर्थ बताइए।
उत्तर-
कचुस्त भीतरी कुर्ती को कार्बेट कहा जाता है।

प्रश्न 8.
‘स्टेज’ क्या होते हैं? ।
उत्तर-
महिलाओं के पोशाक के एक भाग के रूप में स्टेज उनके शरीर को कसकर बाँध रखते हैं। .

प्रश्न 9.
रैशनल ड्रेस सोसाइटी ने कब काम करना आरंभ किया था?
उत्तर-
इंग्लैंड में, 1881 में।

प्रश्न 10.
अमेरिकन महिला मताधिकार एसोसिएशन का नेतृत्व किसने किया था?
उत्तर-
श्रीमती स्टेनटन।

प्रश्न 11.
एक ऐसोसिएशन की किसी अन्य महिला के नाम बताइए।
उत्तर-
लुसी स्टोन।

प्रश्न 12.
ट्रावकोर देशी रियासत में उच्च जाति के नयरण ने किन पर आक्रमण किया था?
उत्तर-
शानार जाति (जिन्हें नादार भी कहा जाता था) की महिलाओं पर।

प्रश्न 13.
भारतीय नागरिक सेवा का पहला भारतीय कौन था?
उत्तर-
स्तेन्दरनाथ टैगोर।

प्रश्न 14.
‘ब्राहमिक साड़ी’ कौन पहना करते थे?
उत्तर-
ब्रह्मो समाज की महिलाएँ सदस्य ब्रोझो साड़ी को पहना करती थीं।

प्रश्न 15.
20वीं शताब्दी के आरंभ में भारत में उच्चतर जाति की महिलाओं में किस प्रकार की वेशभूषा प्रचलित थी?
उत्तर-
पश्चिमी जूते तथा लम्बे ब्लाउज।

प्रश्न 16.
20वीं शताब्दी के बारंभ में भारत के प्रसिद्ध सूती केंद्र कहाँ स्थित थे?
उत्तर-
सूरत, मछलीपूरम, मुर्शिदाबाद।

प्रश्न 17.
सम्चुअरी कानूनों का क्या मक्सद था?
उत्तर-
फ्रांस में 1294 से 1789 तक सम्चुअरी कानून लागू थे। इन कानूनों का मकसद था समाज के निचले तबकों के व्यवहार का नियंत्रण : उन्हें खास-खास कपड़े पहनने, खास व्यजन खाने और खास तरह के पेय (मुख्यतः शराब) पीने और खास इलाकों में शिकार खेलने की मनाही थी। इस तरह मध्यकालीन फ्रांस में साल में कोई कितने कपड़े खरीद सकता हैं, यह सिर्फ उसकी आमदनी पर निर्भर नहीं था बल्कि उसके सामाजिक ओहदे से भी तय होता था। परिधान सामग्री भी कानून-सम्मत होती थी।

प्रश्न 18.
फ्रांसीसी कांति के बाद लोगों के पहनावे में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति के बाद पहनावे को लेकर पहले जो समाज के वर्गों में भेद था, वह क्रांति के बाद समाप्त हो गया। मर्द-औरतें दोनों ढीले-ढाले आरामदेह कपड़े पहनने लगे। फ्रांसीसी तिरंगे के तीन रंग-नीला सफेद और लाल-लोकप्रिय हो गए और इन्हें पहनना देशभक्त नागरिक की निशानी बन गया। पोशाके के रूप में दूसरे राजनीतिक प्रतीक भी पहने जाने गले। स्वतंत्रता की निशानी लाल टोपी, लंबी-पतलून और तिरछी टोपियाँ जिन्हें कॉकेड कहा जाता था। पहनावे की सादगी से समानता का भाव प्रकट होता था।

प्रश्न 19.
1830 के दशक में महिलाओं की पोशाक को लेकर जो आंदोलन चले, उनका क्या उद्देश्य था?
उत्तर-
इंग्लैंड में 1830 के दशक तक महिलाओं ने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ना शुरु कर दिया। बोल्ड बांदोलन के जोर पकड़ने पर पोशाक-सुधार की मुहिम भी चल पड़ी। महिला पत्रिकाओं ने बताना शुरु कर दिया कि तंग लिबास व कॉर्सेट पहनने से युवतियों में कैसी-कैसी बीमारियां और विरूपताएं आ जाती हैं। ऐसे पहनावे जिस्मानी विकास में बाधा पहुंचाते हैं, इनसे रक्त-प्रवाह भी अवरुद्ध होता है। मांसपेशियाँ अविकसित रह जाती हैं और रीढ़ भी झुक जाती है। डॉक्टरों ने बताया कि महिलाएँ आम तौर पर कमोरी की शिकायत लेकर आती है, बताती हैं कि शरीर निढाल रहता है, जब-तब बेहोश हो जाया करती हैं।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 8 पहनावे का सामाजिक इतिहास

प्रश्न 20.
उदाहरण देकर बताओं कि भारत में सम्प्चुअरी कानूनों के न होने के बावजूद पहनावे, रहन-सहन आदि की रुकावटें क्यों थीं?
उत्तर-
भारत में यूरोपीय किस्म के सम्प्चुअरी कानून नहीं थे, लेकिन यहां खान-पान, वेशभूषा, रहन-सहन की अपनी सख्त सामाजिक संहिताएँ थी। उच्च जाति व निम्न जाति के लोग क्या पहनेंगे क्या खाएँगे, यह जाति प्रथा द्वारा तय था। और इन आचार-संहिताओं के पीछे कानून की ताकत थी। इसलिए जब भी पहनावे में बदलाव से इन आचारों का उल्लंघन हुआ, हिंसक सामाजिक प्रतिक्रियाएँ हुई। मई 1822 में दक्षिण भारत की त्रावणकोर रियासत में उच्च जाति के नायरों ने शानर जाति की महिलाओं पर हमला किया, क्योंकि उन्होंने अपने शरीर के ऊपरी अंश पर कपड़े डालने की हिम्मत की थी।

प्रश्न 21.
‘पगड़ी’ व ‘टोपी’ बहस क्या थी? समझाइए।
उत्तर-
अंग्रेज टोपी (हैंट) का प्रयोग करते थे तथा भारतीय पगड़ी का। सिर पर धारण की जाने वाले ये दोनों ‘अपने मायने में भिन्न-भिन्न थे। भारत मे पगड़ी, धूप व गर्मी से तो बचाव करती ही थी, सम्मान का प्रतीक भी थी जिसे जब चाहे उतारा नहीं जा सकता था। पश्चिमी रिवाज तो यह था कि जिन्हें आदर देना हो, सिर्फ उनके सामने हैट उतारा जाए। इस सांस्कृतिक भिन्नता से गलतफहमी पैदा हुई। ब्रिटिश अफसर जब हिंदुस्तानियों से मिलते और उन्हें पगड़ी उतारते न पाते अपमानित महसूस करते। दूसरे तरफ बहुतेरे हिंदुस्तानी अपनी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अस्मिता को जताने के लिए जान-बूझकर पगड़ी पहनते।

प्रश्न 22.
गाँधी टोपी पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन के आते-आते गाँधी टोपी राष्ट्रीय वर्दी का एक भाग बन चुकी थी अंग्रेजों के विरुद्ध अवज्ञा का प्रतीक। उदाहरणतयः ग्वालियर रियासत ने असहयोग आंदोलन के दौरान 1921 में इसे पहनने पर पाबंदी लगाने की कोशिश की। खिलाफत आंदोलन के दौरान बड़ी तादार में हिंदू और मुसलमान इस टोपी में देखे गए। संथालो की एक टोपी ने 1922 में बंगाल पुलिस पर हल्ला बोल दिया। उनकी माँग थी कि संथाल कैदियों को रिहा किया जाए और उन्हें भरोसा था कि गांधी टोपी के चलते गोलियों से उनका बाल बाँका न होगा टोली के तीन सदस्य खेत रहे। :
कई सारे राष्ट्रभक्त गाँधी टोपी पहनकर चलना अपनी शान मानते थे और कई लोगों को तो इस कारण लठियाँ पड़ी या जेल पड़ा।.

प्रश्न 23.
विक्टोरियाई इंग्लैंड में महिलाओं की वेशभूषा में किस तथ्य पर बल दिया जाता था?
उत्तर-
विक्टोरियाई इंग्लैंड में महिलाओं को बचपन से ही आज्ञाकारी, खिदमती, सुशील व दब्बू होने की शिक्षा दी जाती थी। आदर्श नारी वही थी जो दुख-दर्द संह सके। जहाँ मर्दो से गंभीर, बलवान, आजाद और आक्रामक होने की उम्मीद की जाती थी वहीं औरतों को क्षुद्र, छुई-मुई, निष्क्रिय व दब्बू माना जात था। पहनावे के रस्मो-रिवाज में भी यह अंतर झलकता था। छुटपन से ही लड़कियों को ‘सख्त फीतों से बंधे कपड़ों स्टेज-में कसकर बाँधा जाता था। मकसद यह था कि उनके जिस्म का फैलाव न हो, उनका बदन इकहरा रहे। थोड़ी बड़ी होने पर लड़कियों को बदन से चिपके कॉर्सेट (चुस्त भीतरी कुर्ती) पहनने होते थे। टाइट फीतों से कसी पतली कमर वाली महिलाओं को आकर्षक शालीन व सौम्य समझा जाता था। इस तरह विक्टोरियाई महिलाओं की अबला-दब्बू छवि बनाने में पोशाक ने अहम भूमिका निभाई।

बचपन से ही उन्हें घुट्टी पिला दी जाती थी कि पतली कमर रखना उनका नारी-सुलभ कर्तव्य है। सहनशीलना स्त्रीत्व का जरूरी गुण है। आकर्षक व स्त्रियोचित दिखने के लिए उनका कॉर्सेट पहनना आवश्यक था। इसके लिए शारीरिक कष्ट या यातना भोगना मामूली बात मानी जाती थी।

प्रश्न 24.
स्त्री वेशभूषा के संदर्भ में अमेरिका में क्या-क्या आन्दोलन चले थे?
उत्तर-
अमेरिका में भी पूर्वी तट के गोरे प्रवासी बाशिंदों के बीच स्त्री वेशभूषा के आंदोलन चले। पारंपरिक जनाना लिबास को कई कारणों से बुरा बताया गया। कहा गया कि लंबे स्कर्ट (घाघरा, लहँगा) फर्श बुहारते चलते हैं, अपने साथ-साथ कूड़ा बटोरते हुए चलते हैं जो बीमारी का कारण हैं फिर स्कर्ट इतने विशाल होते थे संभलते ही नहीं थे। चलने में परेशानी होने के चलते औरतों का काम करके जीविका कमाना मुहाल था। वस्त्र सुधार से महिलाओं की स्थिति में बदलाव आएगा, ऐसा कहा गया। कपड़े अगर आरामदेह हों तो औरतें कमाई कर सकती हैं, स्वतंत्र भी हो सकती हैं राष्ट्रीय महिला मताधिकार सभा ने श्रीमती सैंटन के नेतृत्व में और लूसी स्टोन वाली महिला मताधिकार सभा ने 1870 के दशक में पोशाक-सुधार के लिए मुहित चलाई। उनका कहना था कपड़ों को सरल बनाओं, स्कर्ट छोटी करो और कॉर्सेट का त्याग करो। इस तरह अटलांटिक के दोनों तरफ आसानी से पहले जाने वाले कपड़ों की मुहिम चल पड़ी।

प्रश्न 25. महिला परिधान में हुए बदलावों में विश्व युद्धों की भी भूमिका रही है। तर्क सहित उत्तर-दीजिए। .
उत्तर-
महिला परिधान में कई बदलाव तो विश्वयुद्धों के कारण हुए। यूरोप में ढेर सारी औरतों ने जेवर और बेशकीमती कपड़े पहनने छोड़ दिए। उच्च वर्ग महिलाएँ अन्य तबकों की नारियों से घुलने-लिमने लगीं। जिससे सामाजिक सीमाएँ भी टूटीं और महिलाएं एक-सी दिखने लगीं। पहले विश्वयुद्ध (1914-1918) के दौरान कपड़ों के छोआ होने के निहायता व्यावहारिक कारण थे। ब्रिटेन में 1917 तक आते-आते 70,000 औरतें हथियार की फैक्ट्रियों में काम कर रही थीं। वे ब्लाउज व पैंट की कामकाजी वर्दी पर ऊपर से स्कार्फ डाल लेती थीं बाद में इस वर्दी ने ओवरऑल के साथ टोपी का रूप ले लिया। जंग के लंबा खिंचने के साथ-साथ चटख रंग गायब होने लगे, हल्के रंग पहने जाने लगे यानी कपड़े सादे और सरल हो गए। स्कर्ट तो छोटे हुए ही; ट्राउजर भी जल्द ही पाश्चात्य महिला की पोशाक का अहम हिस्सा बन गया। इससे उन्हें चलने-फिरने की बेहतर बाजादी हासिल हुई और सबसे जरूरी बात, सहूलियत की खातिर औरतों ने बाल भी छोटे रखने शुरू कर दिए।

बीसवीं सदी आते-आते कठोर और सादगी-भरी जीवन-शैली गंभीरता और पेशेवराना अंदाज का पर्याय हो गई। बच्चों के नए विद्यालयों में सादी पोशाक पर जोर दिया गया और तड़क-भड़क को हतोत्साहित किया गया। लड़कियों के पाठ्यक्रम में भी जिम्नास्टिक व खेलों का प्रवेश हुआ। खेलने-कूदने में उन्हें ऐसे कपड़ों की दरकार थी जिससे उनकी गति मे बाधा न पड़े। उसी तरह काम के लिए बाहर जाने के लिए उन्हें आरमदेह और सुविधाजनक कपड़ों की जरूरत थी।

प्रश्न 26.
19वीं शताब्दी में पश्चिमी वशभूषा के संदभ्र में भारतीयों की प्रतिक्रियाएं बताइए।
उत्तर-
उन्नीसवीं सदी में पश्चिमी वेशभूषा आई तो हिन्दुस्तानियों की प्रतिक्रिया तीन तरह की थी।
एक-बहुत से लोग, खासकर मर्द, पाश्चात्य पहनावे की कुछ चुनिंदा चीजों को अपनाने लगे। पश्चिमी फैशन के कपड़े अपनाने वालों में पहला नंबर पश्चिमी भारत के अमीर पारसियों का था। बैंगी ट्राउजर और फेंटा (या हैट) के साथ कॉलरवाले कोट और बूट पहने जाते थे। और जेंटलमैन दिखने में कोई कसर न रह जाए, इसलिए हाथ में एक घड़ी भी लटका ली जाती थी। इस समूह के लोगों के लिए पश्चिमी परिधान आधुनिकता और प्रगति का प्रतीक था। पश्चिमी ड्रेस का आकर्षण निम्न जाति के उन तबकों में भी था जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था। उनके लिए यह मुक्ति का प्रतीक था यहाँ भी औरतों से ज्यादा मर्दो ने यह चलन अपनाया।
दो-कुछ लोगों को निचिश्त मत था कि पश्चिमी संस्कृति से पारंपरिक सांस्कृतिक अस्मिता का नाश हो जाएगा। उनके लिए पश्चिमी पोशाक पहनना कलयुग के आने जैसा था। यहां छपे कार्टून में धोती के साथ बंगाली बाबू द्वारा फिरंगी बूट और हैट पहनने के लिए उसका मखौल उड़ाया गया है।
तीन-कुछ पुरुषों ने इस दुविधा का हल ऐसे ढूंढा कि बगैर अपनी भारतीय पोशाक छोड़े पश्चिमी कपड़े पहनने शुरू कर दिए। उन्नीसवीं सदी के आखिरी हिस्से में कई बंगाली अफसरों ने घर के बाहर काम के लिए पश्चिमी शैली के वस्त्र रखने शुरू किए और घर आते ही वे आरामदेह हिंदुस्तानी कपड़ों में समा जाते थे।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 8 पहनावे का सामाजिक इतिहास

प्रश्न 27.
खादी पहनने से जुड़ी प्रतिक्रियाओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर-
गाँधीजी का सपना था कि पूरा राष्ट्रवादी का प्रयोग करें उनके आह्वान पर हुई प्रतिक्रियाओं को निम्नलिखित बताया जा सकता है।

(1) इलाहाबाद के सफल वकील और राष्ट्रवादी मोतीकाल नेहरू ने अपना बेशकीमती पश्चिमी सूट त्याग दिया और हिंदुस्तानी धोती-कुर्ता अपना लिया। लेकिन उनकी पोशाक मोटे-खुरदरे पकड़े की न होकर बारीक कपड़े से बनी होती थी।
(2) जाति-प्रथा के चलते सदियों से वंचित तबकों का पश्चिमी शैली के कपड़ों के प्रति सहज आकर्षण था। इसलिए बाबा साहब अंबेडकर जैसे राष्ट्रभक्तो न पाश्चात्य शैली का सूट कभी नहीं छोड़ा। कई सारे दलित 1910 के दशक में सार्वजनिक मौंकों पर जूते-मोजे और थ्री। पीस सूट पहनने लगे, जो कि उनकी तरफ से आत्मसम्मान का राजनीतिक वक्तव्य था।
(3) एक महिला ने 1928 में महात्मा गांधी को महाराष्ट्र से लिखा, ‘एक साल पहले मैंने आपकों हर किसी के खादी पहनने की गंभीर जरूरत पर बोलते सुना और हमने खादी अपनाने की ठानी। लेकिन हम गरीब गुरबा हैं, हमारे पति कहते हैं कि खादी महँगी है। मैं मराठी होने के नाते 9 गज की साड़ी पहनती हूँ… (और) बड़े-बुजुर्ग उसे घटाकर 6 गज करने की बात पर राजी नहीं होंगे।’
(4) सरोजिनी नायडू और कमला नेहरू जैसी महिलाएं भी सफेद, हाथ में बुने मोटे कपड़ों की जगह रंगीन व डिजाइनदार साड़ियाँ पहनती थीं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरें –
(i) काकेड एक टोपी है जिसे….ओर से पहना जाता है। (एक, दोनों)
(ii) मताधिकार का सम्बन्ध ……है। (मतों से, वेशभूषा से)
(iii) स्टैनन ने महिला परिधान के लिए……….में अभियान चलाया था। (इंग्लैंड, अमेरिका)
(iv) चिजी ………….कपड़ा होता है जिस पर डिजाइन किया जाता है। (सूती, रेशमी)
उत्तर-
(i) एक,
(ii) मतों से,
(iii) अमेरिका,
(iv) सूती।

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों मे से सही (√) व गलत x का चयन करें।

(i) विक्टोरियाई महिलाएं ढीले-ढीले कपड़े पहनती थीं।
(ii) अमेरिका में 19वीं शताब्दी में टाइट कपड़े पहने जाते थे।
(iii) गाँधी जी सादे कपड़े पहनते थे, उतने जितने जरूरी हों।
(iv) गाँधी जी की खादी डॉ. अम्बडेकर को काफी पसंद थी।
उत्तर-
(i) x,
(ii) x,
(iii) √,
(iv) x,

प्रश्न 3. निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए।

(i) निम्नलिखित के साथ खादी लोकप्रिय थी
(a) गाँधी जी
(b) चर्चिल
(c) अम्बडकर
(d) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(a) गाँधी जी

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 8 पहनावे का सामाजिक इतिहास

(ii) बंग विभाजन के साथ स्वदेशी आन्दोलन निम्न वर्ष चला
(a) 1905
(b) 1910
(c) 1915
(d) 1920
उत्तर-
(a) 1905

(iii) टैगोर ने निम्नलिखित लिखी थी
(a) रिपब्लिक
(b) दास कैपिटल
(c) गीताजंलि
(d) अन लिबर्टी
उत्तर-
(c) गीताजंलि

(iv) विक्टोरियाई महिलाएं निम्न प्रकार के कपड़े पहनती थीं
(a) ढीले-ढीले,
(b) टाइट
(c) न ढीले न टाइट
(d) ढीले व टाइट दोनों
उत्तर-
(b) टाइट

पहनावे का सामाजिक इतिहास Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

मध्यकालीन युग में समाज के विभिन्न वर्गों के लिए पहनावे से जुड़े अलग-अलग नियम होते थे। सब लोगों को एक जैसे कपड़े पहनने की अनुमति नहीं होती थी। 1294 से फ़्रांसीसी क्रांति तक सम्प्चुअरी कानूनों का फ्रांस में अनुसरण होता था। जिसके द्वारा पोशाक तथा खानपान से जुड़े नियम समाज के निम्न वर्गो पर लागू किए जाते थे। अमीरों व शाही वंश के लोगो पर इस संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं होता था। फ्रांसीसी लोगों पर इस संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं होता था फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात हुए सभी भेद समाप्त कर दिए गए थे। इसके बावजूद समाज के विभिन्न वर्गों में परस्पर भेदभाव बना रहता था।

पोशाक के रूप से जुड़े नियम व उपनियत स्त्रियों व पुरुषों को वैसा बनाते थे जैसा कि वह थे। विक्टोरिया काल में इंग्लैंड की स्त्रियों को बड़े तंग प्रकार के कपड़े पहनाए जाते थे। महिलाओं द्वारा मताधिकार के साथ-साथ पोशाक से जुड़े नियमों में भी बदवाल आने लगा। संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐसे अनेक आंदोलन चलाए गए जिनमें आरामदायक कपड़े पहनने पर जोर दिया जाता था। 18वीं शताब्दी के अन्तिम दिनों तक कपड़ों से जुड़े अनेकों मूल्यों में परिवर्तन आने लगा। कपड़ों की सादगी पर जोर दिया जाने लगा।

भारत में स्त्रियों व पुरुषों की पोशाक में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आने लग गए। अंग्रेजी काल में अंग्रेजी पढ़े लिखे लोगों ने अंग्रेजों की पोशक का अनुसरण करना शुरु कर दिया, यद्यपि वह अपने घरों में भारतीय प्रकार का पहनावा पहनते थे। राष्ट्रीय आंदोलन के दिनों भी पोशाक आदि पर जोर दिए जाने के उदाहरण मिलते हैं। महात्मा गांधी न खादी के प्रयोग पर जोर दिया। उनका अनुसरण करते हुए अनेक कांग्रेस जन खादी व गाँधी टोपी पहनने लगे। अंग्रेजीकाल के दौरान प्रायः स्त्रियां साड़ी व स्थानीय पोशाक का प्रयोग करती थी। ब्रह्मों लोगों में ब्रह्मों प्रकार की साड़ी का खासा रिवाज़ होता था।

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HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

Haryana State Board HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

HBSE 9th Class English A House is Not a Home Textbook Questions and Answers

Think about It

A House is Not a Home Class 9 Questions And Answers HBSE Question 1.
What does the author notice one Sunday afternoon? What is his mother’s reaction? What does she do? :
(एक दिन रविवार को दोपहर बाद लेखक क्या देखता है? उसकी माता की क्या प्रतिक्रिया होती है? वह क्या करती है?)
Answer:
One Sunday afternoon the author notices smoke pouring in through the seams of the ceiling. At first the mother comes out of the house with her son. Then she runs back into the house and comes out carrying a small metal box full of important documents. Then she again runs back into the house to collect something other.

(एक दिन रविवार को दोपहर बाद लेखक अपनी छत की दरारों में से धुएँ को अंदर आता हुआ देखता है। पहले तो माँ अपने बेटे को लेकर घर से बाहर आ जाती है। तब वह वापिस घर के अंदर भाग जाती है और महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों से भरा एक धातु का डिब्बा लेकर बाहर आती है। तब वह किसी अन्य चीज को लेने के लिए घर के अंदर चली जाती है।)

A House is Not a Home Class 9 Question Answer HBSE Chapter 8 Question 2.
Why does he break down in tears after the fire?
(अग्नि के पश्चात वह क्यों रोने लग जाता है?)
Answer:
After the fire for sometime he was thinking just about his mother. But when his mother was okay and the fire was finally out, he thought about his new school and lovely cat. His books had burned and he could not find his cat anywhere. So he breaks down in tears.

(अग्नि के कुछ समय पश्चात तक तो वह केवल अपनी माता के बारे में सोच रहा था। लेकिन जब उसकी माँ ठीक हो गई और आग बुझा दी गई, तो उसे अपने नए स्कूल तथा अपनी बिल्ली की याद आई। उसकी किताबें जल चुकी थीं तथा उसकी बिल्ली उसे कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी। इसलिए वह रोने लग गया।)

HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

Question 3.
Why is the author deeply embarrassed the next day in school? Which words show his fear and insecurity?
(लेखक अगले दिन स्कूल में बहुत घबराया हुआ क्यों रहता है? कौन से शब्द उसके भय तथा असुरक्षा का प्रदर्शन करते हैं?)
Answer:
The next day he is deeply embarrassed in school because his backpack had burned in the fire and it was his life. The words ‘Everything felt surreal and I wasn’t sure what was going to happen’ show his fear and insecurity.

(अगले दिन स्कूल में वह बहुत घबराया हुआ प्रतीत होता है क्योंकि उसका थैला आग में जल चुका था और उसमें उसका जीवन था। ये शब्द ‘प्रत्येक चीज विचित्र लग रही थी और मुझे मालूम नहीं था कि क्या होने वाला है, उसके भय और असुरक्षा का प्रदर्शन करते हैं।)

Question 4.
The cat and the author are very fond of each other. How has this been shown in the story? Where was the cat after the fire? Who brings it back and how?
(बिल्ली और लेखक एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। इस बात को कहानी में कैसे दर्शाया गया है? आग के बाद बिल्ली कहां चली गई थी? उसे कौन वापिस लाता है और कैसे?)
Answer:
The cat and the author love each other very much. The author says that dead or alive he could not imagine leaving that place without knowing his cat. The cat was much frightened by the fire and ran a mile away. She too remained sad in the absence of her master. A kind lady brings it back to the author. She had to work hard to bring the cat to the author.

(बिल्ली और लेखक एक दूसरे को बहुत अधिक प्यार करते हैं। लेखक कहता है कि जिंदा या मुर्दा वह अपनी बिल्ली के बारे में जाने बिना उस स्थान से नहीं जा सकता था। बिल्ली अग्नि के कारण बहुत अधिक भयभीत हो गई थी और लगभग एक मील दूर चली गई थी। वह भी अपने स्वामी की अनुपस्थिति में उदास महसूस कर रही थी। एक दयालु महिला उसे लेखक के पास लेकर आती है। उसे बिल्ली को लेखक के पास लाने के लिए काफी कठोर परिश्रम करना पड़ा।)

Question 5.
What actions of the schoolmates change the author’s understanding of life and people, and comfort him emotionally? How does his loneliness vanish and how does he start participating in life?
(स्कूल के साथियों के कौन से कार्य लेखक की जीवन और लोगों के प्रति सोच को बदलते हैं और उसे भावनात्मक राहत प्रदान करते हैं? उसका अकेलापन कैसे समाप्त होता है और वह जीवन में भागीदारी लेना किस प्रकार आरंभ करता है?)
Answer:
The schoolmates make a collection for the author. They buy school supplies, notebooks, all kinds of different clothes-jeans, tops, and sweatsuits. This changes a whole vision of life for the author. He makes many friends and his loneliness vanishes. His house is rebuilding and he takes interest in the planning of the rooms. His friends are with him.

(स्कूल के साथी लेखक के लिए धन एकत्र करते हैं। उन्होंने स्कूल की चीजें, कापियाँ और सभी प्रकार के वस्त्र-जींस, टॉप और स्वेट सूट खरीदे। यह घटना लेखक के लिए जीवन की पूरी सोच को बदल देती है। वह अनेक व्यक्तियों को दोस्त बना लेता है और उसका अकेलापन समाप्त हो जाता है। उसके घर का पुनर्निर्माण हो रहा है और वह अपने मित्रों के साथ कमरों के निर्माण की योजनाओं में पूर्ण रुचि लेता है। उसके मित्र उसके साथ हैं।)

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Question 6.
What is the meaning of “My cat was back and so was I”? Had the author gone anywhere? Why does he say that he is also back?
(इसका क्या अर्थ है “मेरी बिल्ली वापस आ गई थी और मैं भी वापस आ गया था?” क्या लेखक कहीं पर गया था? वह यह क्यों कहता है कि वह भी वापस आ गया है?)
Answer:
No, the author had not gone anywhere. His cat was missing after the fire tragedy. He thought his life dull and boring without his cat. When the cat comes back to him the things that life has come back to him.

(नहीं, लेखक कहीं पर भी नहीं गया था। उसकी बिल्ली आग लगने की घटना के बाद से गायब हो गई थी। बिल्ली के बिना उसे अपना जीवन नीरस लगता था। जब बिल्ली उसके पास आ जाती है तो वह सोचता है कि उसका जीवन भी वापस आ जाता है।)

Talk about It

Question 1.
Have any of your classmates/schoolmates had an experience like the one described in the story where they needed help? Describe how they were helped.
Answer:
I read in 9th class in Saint Xavior High school, New Delhi. There are about four hundred students in ten sections of 9th class. In our class there are students from different states of India. Some students are from foreign countries like Nepal, Indonesia, Malasia and Sri Lanka. Last week an accident happened with Ruchika Sehgal of 9th H. class. A big theft had taken place in her, home during the broad day light. The thieves left nothing in her home.

All her books, clothes, toys and money had been stolen. The next ween when she come to school, she found that the 9th class students had bought clothes, books, bicycle, toys and shoes for her. A team of ten students visited her home that evening and paid an amount of Rupees one lac to her parents as a relief to meet their daily needs for the time being. This action of 9th class students was highly praised by everyone.

HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

HBSE 9th Class English A House is Not a Home Textbook Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
How was the author’s first year in the High School?
Answer:
His first year of high school was awkward.

Question 2.
What did the author notice one Sunday afternoon?
Answer:
He noticed some smoke pouring in through the seams of ceiling.

Question 3.
What did the author’s mother carry out of the house first of all?
Answer:
She ran out of the house carrying a small metal box full of important documents.

Question 4.
What had happened to the author’s father?
Answer:
His father had died when he was young.

HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

Question 5.
Why did the author’s mother run into the house for the second time?
Answer:
She ran into the house for the second time to collect her husband’s letters and pictures.

Question 6.
What did the author do after leaving his junior high school?
Answer:
After leaving his junior high school the author joined a high school.

Question 7.
What was the author worried about after the fire tragedy?
Answer:
He was most worried about his cat because it was missing.

Question 8.
Where did the author and his mother spent their night after the fire tragedy?
Answer:
They spent their night in the house of the author’s grand parents.

Question 9.
Why did they have to borrow money?
Answer:
They had to borrow money because their credit cards, cash or even identification to withdraw money from the bank had burnt in fire.

HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

Question 10.
How did the students help the author at school?
Answer:
They collected money to buy for him school supplies, note books, all kinds of clothes.

Question 11.
Did the author get his cat back?
Answer:
Yes, he got his cat back.

Short Answer Type Questions

Question 1.
What problem does the author face when he moves to a new school?
(जब लेखक एक नए स्कूल में दाखिल होता है तो उसके सामने क्या समस्या आती है?)
Answer:
In the junior school he was the head boy of his class. He was very close to all the teachers. He enjoyed the seniority. But when he joins a new school at senior level, he faces many problems. This school was twice as big as his old school. He felt very isolated.

(जूनियर स्कूल में वह अपनी कक्षा का हैड ब्वाय था। वह सभी अध्यापकों के बहुत अधिक निकट था। वह वरिष्ठता का आनंद ले रहा था। लेकिन जब वह वरिष्ठ स्तर पर एक नए स्कूल में गया, तो वहाँ उसे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। यह स्कूल उसके पहले वाले स्कूल से दो गुणा बड़ा था। वह बहुत ही अकेला महसूस करता था।)

Question 2.
Even after taking admission in a new school, why did the author keep visit his teachers at the old school?
(नए स्कूल में दाखिला लेने के बाद, लेखक अपने पुराने स्कूल के अध्यापकों से मिलने क्यों जाया करता था?)
Answer:
The author felt very isolated in the new school. It was a big school and nobody knew him there. All his fellow at the junior school had taken admission in other schools. But he was very close to the teachers of the previous school. So he visited them often.

(लेखक नए स्कूल में अपने आपको बहुत अकेला महसूस करता था। यह एक बड़ा स्कूल था और वहाँ उसे कोई भी नहीं जानता था। उसके जूनियर स्कूल के सभी सहपाठियों ने दूसरे स्कूलों में दाखिला ले लिया था। लेकिन वह अपने पुराने स्कूल के अध्यापकों के बहुत निकट था। इसलिए वह उनसे मिलने जाता था।)

Question 3.
What was the effect of the smoke on the author’s mother?
(लेखक की माँ पर धुएँ का क्या असर पहुंचा था?)
Answer:
Their house got a big fire. In a crazed state she ran inside the house to get the pictures of her dead husband. The second time also she rashed inside. But this time she inhaled smoke. A fireman rescued her from inside the house.

(उनका घर भयंकर आग से घिर गया था। अपने मृत पति की तस्वीर को बचाने के लिए वह पागलों जैसी दशा में घर के अंदर दौड़ी। दूसरी बार वह फिर अंदर गई। लेकिन इस बार वह धुएँ से घिर गई। एक अग्निशमक कर्मचारी उसे घर से बाहर निकालकर लाया।)

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Essay Type Questions

Question 1.
Describe the author’s experience at school after the fire tragedy.
(आग की त्रासदी के बाद विद्यालय में लेखक के अनुभव का वर्णन कीजिए।)
Ans.
The author had just joined a new school. He was facing a big problem to make himself fit in the new school. Just after a couple of days his house caught fire. His school bag and shoes had burnt in fire.

The next day he went to school. He was around school like a wanderes. Everything appeared to him strange. He did not know what was going to happen him. He returned home with a broken heart. He was experiencing terrible developments in his life.

The next day when he went to school; he found a strange atmosphere all around. People were getting together all around him. They had collected money for him and arranged school suppllies and clothing for him. This changed his vision for life once again.

(लेखक ने अभी-अभी नए स्कूल में दाखिला लिया था। वह नए स्कूल में अपने-आपको व्यवस्थित करने में बहुत परेशानी महसूस कर रहा था। कुछ दिनों बाद ही उसके घर में लाग लग गई। उसके स्कूल का बैग और जूते आग में जल गए।

अगले दिन वह स्कूल गया। वह वहाँ करुणाजनक व्यक्ति की भांति घूमता रहा। उसे सब कुछ विचित्र लग रहा था। वह नहीं जानता था कि उसके साथ क्या घटित होने वाला है। वह टूटे हृदय से घर वापिस आ गया। वह अपने जीवन के बुरे दौर से गुजर रहा था।

अगले दिन जब वह स्कूल गया; तो उसने चारों ओर अजीब सा वातावरण महसूस किया। लोग उसके इर्द-गिर्द एकत्र हो रहे थे। उन्होंने उसके लिए पैसे इकट्ठे किए थे और उसके लिए स्कूल की चीजें और वस्त्र लाए थे। इस बदलाव ने उसके जीवन के दृष्टिकोण को एक बार फिर बदल दिया।)

Multiple Choice Questions

Question 1.
Of which age group challengers does the story ‘A House Is Not a Home’ reflect?
(A) childhood
(B) teenage
(C) Youthful
(D) old age
Answer:
(B) teenage

Question 2.
In the beginning how does the author feel in the new high school?
(A) happy
(B) excited
(C) isolated
(D) all of the above
Answer:
(C) isolated

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Question 3.
What does the author notice one sunday afternoon?
(A) smoke pouring in through the ceiling
(B) water pouring in through the ceiling
(C) wind breaking windows
(D) all of the above
Answer:
(A) smoke pouring in through the ceiling

Question 4.
What was the author doing when he saw smoke pouring in through the window?
(A) playing in the courtyard
(B) doing his homework
(C) taking his meal
(D) watching television
Answer:
(B) doing his homework

Question 5.
What did the mother being out of the burning house?
(A) a metal box of full of important documents
(B) some pictures of the author’s father
(C) both (A) and (B)
(D) none of the above
Answer:
(C) both (A) and (B)

Question 6.
Who caught the author when he rushed after his mother in the burning house?
(A) a policeman
(B) a neighbour
(C) a fireman
(D) a friend
Answer:
(C) a fireman

Question 7.
Who did the author find missing after the fire accident?
(A) his dog
(B) his mother
(C) his monkey
(D) his cat
Answer:
(D) his cat

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Question 8.
How long did it take to blow out the fire?
(A) two hours
(B) three hours
(C) four hours
(D) five hours
Answer:
(D) five hours

Question 9.
In which day did the fire accident take place?
(A) Saturday
(B) Sunday
(C) Monday
(D) Tuesday
Answer:
(B) Sunday

Question 10.
Where did the author and his mother spend their night after the fire accident?
(A) in the house of grandparents
(B) in the house of neighbours
(C) in the fire brigade building
(D) in the author’s school
Answer:
(A) in the house of grandparents

Question 11.
What did the author borrow from his aunt to go to school?
(A) tennis shoes
(B) bag
(C) uniform
(D) books
Answer:
(A) tennis shoes

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Question 12.
What did the author lose in the fire?
(A) school shoes
(B) uniform
(C) bag and books
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

Question 13.
Where did the author and his mother has to borrow money?
(A) grandparents
(B) neighbours
(C) bank
(D) private financial institutions
Answer:
(A) grandparents.

Question 14.
Who made a collection of money for the author?
(A) the students in the new high school
(B) the teachers in the old primary school
(C) neighbours
(D) social workers
Answer:
(A) the students in the new high school

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A House is Not a Home Summary

A House is Not a Home Introduction in English

This story reflects the challenges of being a teenager, and the problems of growing up. In our life sometime such changes take place that our life becomes intolerable for us and sometime we (teenagers) want to end this life. But again we find the things change which make us enjoy the life fully. In this story the same things happen with the author. He finds himself in such an awkward situation when he joins a high school. After some days his house catches fire and he finds that his life has ended. But when his schoolmates show their concern for him, his whole vision for the life changes and he again starts taking interest in life.

A House is Not a Home Summary in English

After passing junior high school the author joined a high school. It was a big school. The author felt awkward during his first year of high school. He missed his old school badly. He often went to meet his old teachers. They encouraged him to get involved in school activities.

One Sunday afternoon, not long after he had started high school, he was sitting at home doing his homework. His little cat was sitting on the table. He smelt something strange. Then he noticed smoke pouring in through the seams of the ceiling. Soon the whole room was engulfed in flames. The author and his mother came out of the room.

The author ran to the neighbours to call the fire brigade. He saw his mother run back into the house. She came out after sometime holding a metal box containing important documents. Dropping the box in the lawn she ran back into the house. The author was about to run after her but a fireman stopped him forcibly. The other firemen rushed in to save the mother. They could bring her safe.

HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

After five hours, the fire was finally out. The house was completely burned down. Now the author realized that his cat was found nowhere. He broke down in tears and cried and cried. He wanted to go inside the house but the fireman did not let him go inside that night.

The author and his mother went to the author’s grandparents house to spend the night. The next day it was Monday and the author was to go to school. He was wearing the school uniform but he had no shoes. He borrowed tennis shoes from his aunt. His school bag had burned in the fire. He thought that everything had been finished for him. He walked around school like a zombie. Everything felt surreal and was not sure what was going to happen. He was feeling unsecure.

When he walked through what used to be his house after school that day, he was shocked to see how much damage there was. There was no time to grieve. His mother rushed him out of the house. They borrowed money from the author’s grandparents. They rented an apartment nearby. When the debries of their burned house were being cleared off, the author came there daily hoping that his cat was somewhere to be found.

The news of this fire tragedy spread in the school. The next day at school, the people were acting even more strange than usual. They had taken up a collection and had bought him school supplies, notebooks and all kinds of different clothes. They were introducing themselves to the author very warmly. The author made friends that day.

A month later of the fire tragedy, their house was being rebuilt. The author’s friends were with him. A’ kind lady came with the author’s cat and gave it to him. It brought a new life for the author.

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A House is Not a Home Introduction in Hindi

यह कहानी किशोरावस्था की चुनौतियों और बड़े होने की समस्याओं के बारे में वर्णन करती है। हमारे जीवन में कई बार ऐसे परिवर्तन आ जाते हैं कि जीवन हमारे लिए असहनीय हो जाता है और कई बार हम (किशोर) इस जीवन का अंत कर देना चाहते हैं। लेकिन पुनः फिर हम चीजों को परिवर्तित होते हुए देखते हैं जो हमें पूर्ण रूप से जीवन का आनंद प्रदान करती हैं। इस कहानी में लेखक के साथ इसी प्रकार की घटनाएं घटती हैं। वह हाई स्कूल में प्रवेश पाने पर स्वयं को एक ऐसी ही विचित्र स्थिति में पाता है। कुछ दिनों के उपरांत उसके घर में आग लग जाती है और उसे लगता है कि उसके जीवन का अंत हो गया है। लेकिन जब उसके स्कूल के साथी उसके प्रति अपनी चिंता का प्रदर्शन करते हैं, तो जीवन के प्रति उसकी पूरी सोच बदल जाती है और वह पुनः जीवन में आनंद लेना शुरू कर देता है।

A House is Not a Home Summary In Hindi

जूनियर हाई स्कूल पास करने के उपरांत लेखक ने हाई स्कूल में प्रवेश ले लिया। यह एक बड़ा स्कूल था। हाई स्कूल में अपने पहले वर्ष के दौरान लेखक ने स्वयं को विचित्र स्थिति में पाया। उसे अपने पुराने स्कूल की बहुत अधिक याद आती थी। वह प्रायः अपने पुराने अध्यापकों से मिलने जाता था। वे उसे उत्साहित करते थे कि वह स्कूल की गतिविधियों में भाग लेना आरंभ कर दे।

एक दिन रविवार को दोपहर बाद, जब उसे हाई स्कूल में जाते हुए अधिक समय नहीं हुआ था, वह घर पर बैठा हुआ अपना गृह-कार्य कर रहा था। उसकी छोटी-सी बिल्ली मेज पर बैठी हुई थी। उसे कुछ अजीब-सी गंध आई। तब उसने छत की दरारों में से धुएँ को अंदर आते हुए देखा शीघ्र ही सारा कमरा आग की लपटों से भर उठा। लेखक और उसकी माँ कमरे से बाहर आ गए।

लेखक अग्निशमन दस्ते को बुलाने के लिए पड़ोसियों की ओर भागा। उसने अपनी माँ को दौड़कर घर के अंदर जाते हुए देखा। वह कुछ समय के पश्चात एक धातु के डिब्बे को लेकर बाहर आई जिसमें महत्त्वपूर्ण दस्तावेज रखे हुए थे। डिब्बे को प्रांगण में फेंक कर वह वापिस घर के अंदर भाग गई। लेखक भी उसके पीछे भागने ही वाला था कि एक अग्निशमन कर्मचारी ने उसे बलपूर्वक रोक दिया। अन्य अग्निशमन कर्मचारी माँ को बचाने के लिए अंदर की ओर दौड़े। वे उसे सुरक्षित बाहर ला सके।

HBSE 9th Class English Solutions Moments Chapter 8 A House is Not a Home

पांच घंटे के पश्चात, आग पर अंततः काबू पाया जा सका। घर तो पूरी तरह से जल चुका था। तब लेखक को अहसास हुआ कि उसकी बिल्ली कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रही थी। वह फूट-फूट कर रोने लगा और चिल्लाता रहा, चिल्लाता रहा। वह घर के अंदर जाना चाहता था परंतु उस रात अग्निशमन कर्मचारियों ने उसे घर के अंदर जाने नहीं दिया।

लेखक और उसकी माँ रात बिताने के लिए लेखक के दादा के घर गए। अगला दिन सोमवार था और लेखक को स्कूल जाना था। उसने स्कूल की वर्दी तो पहन रखी थी परंतु उसके पास जूते नहीं थे। उसने अपनी मौसी से टेनिस के खेल में पहने जाने वाले जूते उधार लिए। उसका स्कूल का बस्ता आग में जल चुका था। उसे लग रहा था कि उसका सब कुछ नष्ट हो चुका था। वह स्कूल में पागलों की तरह घूमता रहा। उसे हर चीज अजीब लग रही थी और वह इस बारे में आश्वस्त नहीं था कि क्या होने वाला है। वह असुरक्षित महसूस कर रहा था।

जब उस दिन स्कूल से आने के पश्चात वह उस स्थान पर घूमा जहाँ कभी उसका घर हुआ करता था, तो उसे यह देखकर सदमा लगा कि कितना अधिक नुकसान हुआ था। दुःखी होने का कोई समय नहीं था। उसकी माँ उसे जल्दी से वहाँ से ले गई। उन्होंने लेखक के दादा जी से धन उधार लिया। उन्होंने पास में ही एक कमरे को किराए पर ले लिया। जब उनके जले हुए मकान के मलबे को हटाया जा रहा था, तो लेखक इस आशा के साथ वहाँ पर प्रतिदिन आया करता था कि कहीं पर उसे उसकी बिल्ली मिल जाए।

आग लगने की इस दुर्घटना का समाचार स्कूल में भी फैल गया। अगले दिन स्कूल में, लोग पहले की अपेक्षा विचित्र तरीके से व्यवहार कर रहे थे। उन्होंने आपस में पैसे एकत्र किए थे और उसके लिए स्कूल की सभी चीजें, कापियाँ और सभी प्रकार के वस्त्र खरीदे हुए थे। वे बड़ी गर्मजोशी के साथ लेखक को अपना परिचय दे रहे थे। लेखक ने उस दिन मित्र बनाए।

आग लगने की दुर्घटना के एक महीने के पश्चात, उनके घर का पुनर्निर्माण हो रहा था। लेखक के मित्र उसके साथ थे। एक दयालु महिला लेखक की बिल्ली को लेकर आई और उसे उसको दे दिया। इससे लेखक में एक नए जीवन का संचार हुआ।

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A House is Not a Home Word-Meanings

[Page 49] :
Teenager = between the age of thirteen to nineteen years = PORTRETTRIT; awkward = trouble = परेशानी; isolated = lonely = अकेला; involved = made busy = व्यस्त होना; probably = possibly = संभवतया; tabby of different strips = धारीदार; purring = making low sounds = धुरधुराना; swatting = hitting with claw = पंजे से थापी मारना; rescued = saved = बचाया; stoking = feeding the fire = आग में ईंधन डालते हुए; seams = line of separation = दरार।

[Page 50] :
Engulfed = to cover/swallow completely = पूरी तरह से लपेट में लेना; documents = written records = दस्तावेज; crazed = like mad people = पागलों की तरह; yelling = crying = चीखते हुए; emerged = came out = बाहर आया।

[Page 51] :
Dazed = stupefied = परेशान; piled = heaped = ढेर लगा दिया; embarrassed = troubled = परेशान; weird = strange = अजीब; destined = fixed by fortune = भाग्य द्वारा तय; outcast = exiled = निर्वासित; geek = foolish = मूर्ख; curl up = to summarize = समेटना; zombie = a dull and pathetic person = एक करुणाजनक व्यक्ति; surreal = strange = विचित्र; ripped away = splitted away = बिखर जाना।

[Page 52] :
Grieve = pain = पीड़ा; rubble = debries = मलबा; vulnerable = tender = नाजुक; robe = overcoat = लबादा; plight = bad condition = दुर्दशा; milling = getting together = एकत्र होना; shove = push hard = जोर से धक्का देना; genuine = real = असली, वास्तविक।

[Pages 53-54] :
Focusing = pay attentions = ध्यान केंद्रित करना; curb = a restraint = अवरोध; leapt = jumped = कूदा; grabbed = snatched = ले लिया; apparently = clearly = स्पष्ट रूप से; freaked = frightened = भयभीत हो जाना; sorely = very much = अत्यधिक; diminish = to decrease= घटना/कम होना; gratitude= thankfulness = आभार।

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A House is Not a Home Translation in Hindi

[Page 49]

[यह कहानी किशोरावस्था की चुनौतियों और बड़े होने के समय की कठिनाइयों के बारे में बताती है। लेखक अपनी समस्याओं पर किस प्रकार नियंत्रण कर पाता है?]

नाते मुझे जो सम्मान मिलता था को छोड़ने के पश्चात एक नए स्कूल में जाना मेरे लिए विचित्र शुरुआत थी। यह स्कूल मेरे पुराने वाले स्कूल से दुगना बड़ा था और स्थिति को मेरे लिए कष्टकारी करने वाली बात यह थी कि मेरे सभी दोस्तों को अलग हाई स्कूल में भेज दिया गया। मैं बिल्कुल अलग-थलग महसूस कर रहा था।

मुझे अपने पुराने अध्यापकों की इतनी याद आती थी कि मैं उनसे मिलने के लिए जाया करता था। वे मुझे उत्साहित करते थे कि मैं स्कूल की गतिविधियों में व्यस्त हो जाऊँ ताकि मैं नए लोगों से मिल सकूँ। उन्होंने मुझे बताया कि कुछ ही समय में मैं नए स्कूल में समायोजित हो जाऊँगा और फिर मैं अपने नए स्कूल को पुराने स्कूल से अधिक चाहने लग जाऊँगा। उन्होंने मुझसे वचन लिया कि जब वह अपने नए स्कूल को चाहने लग जाएगा तब भी उनसे मिलने आया करेगा। मुझे उनका मनोविज्ञान समझ में आ गया कि वे ऐसा क्यों कह रहे थे, तथापि मुझे उसमें कुछ राहत अवश्य मिली।

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एक रविवार के दिन, जब मुझे हाई स्कूल में दाखिला लिए अधिक समय नहीं हुआ था, मैं घर पर अपने भोजन कक्ष के मेज पर बैठा अपना गृहकार्य कर रहा था। यह एक ठंडा और तेज हवा के साथ हिमपात वाला दिन था और हमने अपनी अंगीठी में आग जला रखी थी। हमेशा की तरह, मेरी लाल रंग की धारियों वाली बिल्ली मेरे कागजों के ऊपर बैठी धुरधुरा रही थी और कभी-कभी मनोरंजन के लिए मेरे पैन पर थापी मार रही थी।

वह कभी भी मेरे से दूर नहीं जाती थी। मैंने उसे तब बचाया था जब वह छोटी-सी बच्ची थी और शायद वह यह जानती थी कि उसके जीवन को बचाने के लिए मैं उत्तरदायी हूँ।

घर को सुखद और गरमाहट पूर्ण रखने के लिए माँ आग में ईंधन डालती रही। अचानक ही मुझे अजीब सी गंध का अनुभव हुआ और तब मैंने छत की दरारों में से धुएँ को अंदर आते देखा। धुआं कमरे में इतनी शीघ्रता के साथ फैल गया कि हम मुश्किल से ही कुछ देख सकते थे।

[Page 50]

एक टोली बनाकर हम सामने वाले दरवाजे तक आए, तब हम सभी सामने वाले आंगन में भाग गए। जब तक हम बाहर आते, सारा कमरा लपटों की चपेट में आ चुका था और आग तेजी से फैल रही थी। मैं अग्निशमन विभाग के लोगों को बुलाने के लिए पड़ोसियों की ओर दौड़ा, तब मैंने अपनी माँ को घर के अंदर वापिस भागते हुए देखा।

तब मेरी माँ घर के अंदर से महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों से भरा एक धातु का डिब्बा लेकर बाहर आई। उसने डिब्बे को बाहर आंगन में रख दिया और एक पागलों जैसी दशा में वापिस घर के अंदर दौड़ी। मैं जानता था कि वह किस चीज के लिए गई थी। जब मैं अभी छोटा था तो मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी और मुझे यकीन था कि वह मेरे पिता की तस्वीरों और पत्रों को आग की लपटों के हवाले नहीं होने देगी। केवल ये ही चीजें बची थीं जो उसे उनकी याद दिलाती थीं। फिर भी मैं उस पर चिल्लाया, “माँ! नहीं!”

मैं उसके पीछे भागने ही वाला था तब मैंने पाया कि एक बड़े हाथ ने मुझे पीछे से रोक लिया। वह एक अग्निशमन कर्मचारी था। मैंने अभी तक यह नहीं देखा था कि पूरी सड़क अग्निशमन गाड़ियों से भर गई थी। मैं अपने को उसकी पकड़ से छुड़ाने का प्रयास कर रहा था और चीख रहा था, “आप समझते नहीं हो कि मेरी माँ अंदर है!”

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उसने मुझे तो पकड़े रखा जबकि अन्य कर्मचारी घर के अंदर दौड़ गए। वह जानता था कि मैं तर्कपूर्ण ढंग से कार्य नहीं कर रहा था और यदि उसने मुझे छोड़ दिया तो मैं अंदर भाग जाऊंगा। वह सही था।
“सब ठीक से है, वे उसे ढूँढ लेंगे,” उसने कहा।

उसने मेरे ऊपर एक कंबल लपेट दिया और मुझे हमारी कार में बिठा दिया। उसके थोड़ी देर बाद, एक अग्निशमन कर्मचारी मेरी माँ को खींचकर के बाहर लेकर आया।

[Page 51]

वह जल्दी से उसे अग्निशमन गाड़ी के ऊपर ले गया और उसके मुँह पर ऑक्सीजन का मास्क लगा दिया। मैं भागकर उसके ।

पास गया और उससे चिपक गया। इस दौरान मैंने हमेशा ही उससे बहस और घृणा की थी और वह सब कुछ उसे खोने के विचार से ही ओझल हो गई।

“वह जल्दी ही ठीक हो जाएगी,” अग्निशमन कर्मचारी ने कहा, “केवल कुछ धुआँ ही उसके अंदर गया है।” और वह वापिस आग बुझाने के लिए दौड़ गया जब मैं और मेरी माँ हैरान अवस्था में वहाँ बैठे रहे। मुझे आज भी अपने घर को जलते हुए देखने और स्वयं कुछ न कर पाने की घटना याद है।

पांच घंटे के पश्चात, आग अंततः बुझा दी गई। हमारा घर लगभग पूरी तरह से जल चुका था। लेकिन तब मुझे सूझा…मैंने अपनी बिल्ली को तो नहीं देखा। मेरी बिल्ली कहाँ थी? मैं और अधिक भयभीत हो गया, वह कहीं पर भी नहीं मिली। तब अचानक मुझे अपने नए स्कूल, अग्नि और अपनी बिल्ली का स्मरण हो आया और मैं फूट-फूट कर रोने लग गया और चिल्लाता रहा, चिल्लाता रहा। मैं काफी समय से क्षति से पीड़ित हो रहा था।

अग्निशमन कर्मचारियों ने हमें उस रात घर के अंदर नहीं जाने दिया। घर के अंदर जाना अभी भी खतरनाक था। जिंदा या मुर्दा, मैं अपनी बिल्ली के बारे में जाने बिना वहाँ से जाने की कल्पना भी नहीं कर सकता था। फिर भी मुझे जाना पड़ा। हम अपने शरीर पर कुछ वस्त्रों तथा अग्निशमन कर्मचारियों द्वारा प्रदान किए गए कंबलों के साथ अपनी कार में बैठ गए और रात्रि बिताने के लिए हम सीधे मेरे दादा-दादी के घर चले गए।

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अगले दिन, सोमवार को, मैं स्कूल चला गया। जब आग लगी, तो मैंने स्कूल की वर्दी पहनी हुई थी जो मैंने उसे सुबह के समय चर्च जाते हुए पहना था परंतु मैंने जूते नहीं पहन रखे थे! मैंने गृहकार्य करते समय जूतों को उतार दिया था। वे भी अग्नि का एक और शिकार बन गए। इसलिए मुझे अपनी मौसी से टेनिस के खेल में पहने जाने वाले जूते उधार लेने पड़े। मैं स्कूल जाने की अपेक्षा घर पर क्यों नहीं रह सकता था? मेरी माँ ने इसके बारे में नहीं सुना, लेकिन मैं प्रत्येक चीज से बहुत अधिक परेशान था।

जो कपड़े मैंने पहन रखे थे वे अजीब लग रहे थे, मेरे पास न किताबें थीं और न ही गृहकार्य किया हुआ था और मेरा स्कूल का थैला जो जल चुका था। उस थैले में ही मेरा जीवन था। मैं जितना अधिक स्कूल में सही होने का प्रयास करता था, परिस्थिति उतनी अधिक खराब हो जाती थी। क्या भाग्य ने मुझे सारा जीवन निर्वासित और मूरों के रूप में जीने के लिए बनाया था? मुझे तो ऐसा ही अहसास होता था। यदि जीवन इसी प्रकार से चलना था तो मैं बड़ा होकर जीवन को संभालना नहीं चाहता था। मैं तो केवल जीवन को समेटकर मर जाना चाहता था।

स्कूल में मैं एक करुणाजनक व्यक्ति की भांति घूमता रहा। मुझे सब कुछ विचित्र लग रहा था और मुझे मालूम नहीं था कि क्या होने वाला है। जितनी सुरक्षा मुझे पुराने स्कूल, मेरे मित्रों, मेरे घर और मेरी बिल्ली से प्राप्त हुई थी सब बिखर चुकी थी।

[Page 52]

उस दिन स्कूल से आने के पश्चात जब मैं उस स्थान पर घूम रहा था जो मेरा घर हुआ करता था तो मुझे नुकसान का आभास हुआ-जो कुछ जला नहीं था वह आग बुझाने के लिए डाले गए पानी और रसायनों के कारण नष्ट हो गया था। केवल जो चीजें नष्ट नहीं हुई थीं वे फोटो एलबम, दस्तावेज और कुछ अन्य व्यक्तिगत चीजें थीं जो मेरी माँ ने वीरतापूर्वक बचा ली थी। लेकिन . मेरी बिल्ली मर चुकी थी और उसके लिए मेरे हृदय में दर्द था।

दुःखी होने का कोई वक्त नहीं था। मेरी माँ मुझे जल्दी से घर से बाहर ले गई। हमें रहने के लिए कोई स्थान ढूँढना था और मुझे स्कूल के लिए कुछ कपड़े खरीदने के लिए भी जाना था।

हमें दादा-दादी से धन उधार लेना पड़ा क्योंकि न तो पैसे निकलवाने वाले कार्ड, न नकद पैसे और बैंक से पैसे निकलवाने के लिए न ही कोई पहचान पत्र शेष बचा था। सब कुछ धुएं में उड़ चुका था।

उस सप्ताह उस मलबे को जो हमारा घर हुआ करता था को साफ किया जा रहा था। यद्यपि हमने पास में ही एक फ्लैट किराए पर ले लिया था, मैं मलबे को साफ होते देखने के लिए चला जाता था, इस आशा के साथ कि कहीं से मेरी बिल्ली मिल जाए। वह मर चुकी थी। मैं उसके बारे में उस छोटे से नाजुक जीव के रूप में सोचता रहता था। सवेरे के समय जब मैं उसे परेशान करता था वह बिस्तर से बाहर आती थी, वह मेरे पीछे-पीछे लगी रहती थी, मेरे कोट पर चढ़ जाती थी और सोने के लिए मेरी जेबों में घुस जाती थी। मुझे उसकी बहुत अधिक याद आती थी।

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हमेशा ही ऐसा प्रतीत होता है कि बुरा समाचार जल्दी से फैल जाता है और मेरे वाले मामले में भी यह भिन्न नहीं था। हाई स्कूल में अध्यापकों सहित सभी को मेरी दुर्दशा के बारे में पता था। मैं परेशान था जैसे कि उस स्थिति के लिए मैं जिम्मेदार था। एक नए स्कूल में शुरुआत करने का क्या तरीका था! मैंने इस प्रकार से अपनी ओर ध्यान केंद्रित कराने के बारे में नहीं सोचा था।

अगले दिन स्कूल में लोग, हमेशा की बजाए अजीब ढंग से व्यवहार कर रहे थे। मैं अपने लॉकर के पास जिम क्लास में जाने की तैयारी कर रहा था। लोग मेरे इर्द-गिर्द एकत्र हो रहे थे, मुझे जल्दी करने के लिए कह रहे थे। मैंने इसे बड़ा विचित्र सोचा, लेकिन पिछले कुछ सप्ताह से हो रही घटनाओं की उपस्थिति में, कोई भी चीज मुझे हैरान नहीं करेगी। मुझे ऐसा लग रहा था कि वे मुझे बलपूर्वक जिम की ओर धकेलकर ले जा रहे थे तब मुझे इसका कारण पता चला। वहाँ पर एक मेज रखा था और उस पर सभी प्रकार की चीजें रखी हुई थीं और वे सिर्फ मेरे लिए थीं।

उन्होंने आपस में पैसे इकट्ठे किए थे और मेरे लिए स्कूल की चीजें, कापियाँ, सभी प्रकार के भिन्न-भिन्न वस्त्र-जींस, टॉप स्वेट सूट। यह मेरे लिए क्रिसमस के त्योहार जैसा दिन था। मैं भावुक हो गया। लोग जो पहले कभी मुझसे बोले भी नहीं थे, स्वयं का परिचय देने के लिए आगे बढ़कर मेरे पास आ रहे थे। मैंने उनके घरों के लिए सभी प्रकार के निमंत्रण प्राप्त किए। उनके द्वारा असली चिंता के प्रदर्शन ने सचमुच मेरे दिल को छू लिया।

[Page 53]

उस क्षण मैंने सचमुच ही एक चैन की सांस ली और पहली बार यह सोचा कि अब सब कुछ ठीक होने जा रहा है। उस दिन मैंने मित्र बनाए।

एक महीने बाद, मैं अपने मकान को पुनः बनता हुआ देख रहा था। लेकिन इस बार कुछ अलग था-मैं अकेला नहीं था। इस बार मैं स्कूल के अपने दो मित्रों के साथ था। आग लगने के कारण ही मैंने स्वयं के बारे में ही सोचते रहने की आदत को बंद कर दिया। अब मैं बैठा हुआ अपने घर का पुनर्निर्माण होता देख रहा था और मैंने अनुभव किया कि मेरे जीवन का भी पुनर्निर्माण हो रहा था।

जिस समय हम वहाँ एक अवरोध पर बैठे हुए मेरे नए बैडरूम के बारे में योजनाएँ बना रहे थे, मैंने किसी को अपने पीछे से चलकर आते हुए सुना और उसने कहा, “क्या यह तुम्हारी है?” जब मैं यह देखने के लिए पीछे मुड़ा कि वह कौन था मुझे अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हुआ। एक महिला मेरी बिल्ली को लिए हुए खड़ी थी। मैंने छलांग लगाई और उस महिला की बांहों से उसे छीन लिया।

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[Page 54]

मैंने उसे पकड़कर अपने निकट कर लिया और उसके संतरी रंग के बालों में मैं अपना चेहरा लगाकर रो रहा था। वह (बिल्ली) खुशी से अपनी आवाज में बोली। मेरे मित्र, मुझसे और बिल्ली से चिपके हुए थे और चारों ओर उछल रहे थे।

स्पष्टतया, मेरी बिल्ली आग के कारण इतनी अधिक भयभीत हो गई थी कि वह भागकर लगभग एक मील दूर चली गई। उसके पट्टे पर हमारा टेलीफोन नंबर लिखा हुआ था, परंतु हमारे फोन नष्ट हो गए थे और उनका संपर्क कट चुका था। उस अद्भुत महिला ने उसे उठा लिया और इस बात का पता लगाने के लिए कि वह बिल्ली किसकी है उसने बहुत मेहनत की। पता नहीं कैसे उसे इस बात का आभास हो गया कि उस बिल्ली को बहुत अधिक प्यार किया जाता था और उसकी बहुत अधिक याद आती होगी।

जैसे ही मैं वहाँ अपने मित्रों के साथ बैठा हुआ था और मेरी बिल्ली मेरी गोद में सिमटी हुई बैठी थी तो नुकसान और दुःखद घटना से संबंधित मन को भावुक करने वाली घटनाएँ कम होती प्रतीत हो रही थीं। मझे अपने जीवन, अपने नए मित्रों. एक अजनबी की दयालुता और अपनी प्यारी बिल्ली के ऊँचे स्वर में धुरधुराने पर कृतज्ञता हो रही थी। मेरी बिल्ली मुझे वापिस मिल गई थी और इसी प्रकार से मेरा जीवन भी वापिस अपने सही रास्ते पर आ गया था।

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