Author name: Prasanna

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य

प्रश्न 5.1.
भू-चुम्बकत्व सम्बन्धी निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतन्त्र राशियों के नाम लिखो जो परम्परागत रूप से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं।
(b) दक्षिण भारत में किसी स्थान पर नति कोण का मान लगभग 18° है। ब्रिटेन में आप इससे अधिक नति कोण की अपेक्षा करेंगे या कम की?
(c) यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेल्बोर्न शहर में भू-चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाओं का नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अन्दर जाएँगी या इससे बाहर आएँगी?
(d) एक चुम्बकीय सुई जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, यदि भू-चुम्बकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो, तो यह किस दिशा में संकेत करेगी?
(e) यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक चुम्बकीय द्विध्रुव के क्षेत्र जैसा है जो पृथ्वी के केन्द्र पर रखा है और जिसका द्विध्रुव आघूर्ण 8 × 1022 JT-1है। कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जॉँची जा सके।
(f) भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुम्बकीय धुवों के अतिरिक्त पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय धुव भी हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं। ऐसा होना कैसे संभव है?
उत्तर:
(a) चुम्बकीय दिक्पात कोण, नमन (नति) कोण तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक।
(b) ब्रिटेन में अधिक है (इसका मान लगभग 70° है)। चूँकि ब्रिटेन भौगोलिक उत्तरी ध्रुव तथा चुम्बकीय दक्षिण ध्रुव के निकट है।
(c) पृथ्वी की चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ [/latex]\overrightarrow{\mathrm{B}}[/latex] सतह से बाहर आती हुई प्रतीत होंगी। चूँकि आस्ट्रेलिया का मेल्बोर्न शहर भौगोलिक दक्षिणी ध्रुव तथा चुम्बकीय उत्तरी ध्रुव के निकट है।
(d) चुम्बकीय सुई क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है जबकि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय ध्रुवों पर ठीक ऊर्ध्वाधर है अतः यहाँ सुई किसी भी दिशा में संकेत कर सकती है।
(e) \(\overrightarrow{\mathrm{m}}\) चुम्बकीय आघूर्ण वाले द्विध्रुव के लम्ब समद्विभाजक पर

क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के लिए सूत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}_{\text {निर }}=\frac{\mu_0 \overrightarrow{\mathrm{m}}}{4 \pi \mathrm{r}^3}\) का प्रयोग करना चाहिए।
m = 8 × 1022 JT-1, r = 6.4 × 106m रखने पर
B का मान निकालने पर उपरोक्त सूत्र का मापांक लेने पर
\(\mathrm{B}_{\text {निरक्ष }}=\frac{\mu_0 \mathrm{~m}}{4 \pi \mathrm{r}^3}=\frac{10^{-7} \times 8 \times 10^{22}}{\left(6.4 \times 10^6\right)^3}\)
= 0. 3 × 10-1 T = 0.3 G
यह मान पृथ्वी पर प्रेक्षित क्षेत्र के परिमाण की कोटि का है। (f) क्योंकि पृथ्वी का क्षेत्र केवल द्विध्रुव क्षेत्र के लगभग है। स्थानीय N-S ध्रुव उत्पन्न हो सकते हैं। जैसे कि चुम्बकीय खनिज भण्डारों के कारण स्थानीय ध्रुव भी विद्यमान हो सकते हैं।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 5.2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय अन्तराल पर इसमें पर्याप्त परिवर्तन होते हैं?
(b) पृथ्वी के क्रोड में लोहा है, यह ज्ञात है। फिर भी भूगर्भशास्त्री इसको पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का स्रोत नहीं मानते। क्यों?
(c) पृथ्वी के क्रोड के बाहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँ भू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है?
(d) अपने 4-5 अरब वर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में कैसे जान पाते हैं?
(e) बहुत अधिक दूरियों पर (30,000 km} से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र अपनी द्विधुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौनसे कारक इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
(f) अंतरातारकीय अंतरिक्ष में 10-12 की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं? समझाइए।
उत्तर:
(a) हाँ, यह समय के साथ बदलता है। स्पष्ट दिखाई गड़ने वाले अन्तर के लिए समय-अन्तराल कुछ सौ वर्ष है, लेकिन कुछ वर्षों के छोटे पैमाने पर भी इसमें होने वाले परिवर्तन पूर्णतः उपेक्षणीय नहीं हैं।
(b) क्योंकि पिघला हुआ लोहा (जो कि क्रोड के उच्च ताप पर लोहे की प्रावस्था है) लौह-चुम्बकीय नहीं है।
(c) भू-चुम्बकत्व का कारण पृथ्वी की क्रोड में अंशिक रूप से आयनित विभिन्न द्रवीय परतों का असमान घूर्णन माना जाता है। इस घूर्णन का ऊर्जा स्रोत पृथ्वी का घूर्णन है।
(d) कुछ चट्टानें जब ठोस रूप ग्रहण करती हैं, तो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का एक घुँधला-सा अभिलेखन उनमें हो जाता है। चट्टानों में निहित इन चुम्बकन अभिलेखों के विश्लेषण से हमें भूचुम्बकीय इतिहास सम्बन्धी निष्कर्ष प्राप्त होते हैं।
(e) पृथ्वी के आयनोस्फीयर में आयनों की गति से चुम्बकीय क्षेत्र उनके द्वारा उत्पन्न क्षेत्र द्वारा रूपान्तरित हो जाता है जब दूरियाँ अधि कि हों।
(f) चुम्बकीय क्षेत्र में गमनशील आवेशित कणों का विक्षेप

\(\mathrm{Bev}=\frac{\mathrm{m} v^2}{\mathrm{R}}\)
या R = \(\frac{\mathrm{m} v}{\mathrm{eB}}\) द्वारा दिया जाता है।
व्यंजक \(\mathrm{R}=\frac{\mathrm{m} y}{\mathrm{eB}}\) के अनुसार एक अत्यन्त क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र
आवेशित कणों को बहुत अधिक त्रिज्या वाली वृत्ताकार कक्षा पर ले जाता है। अल्प दूरी के लिए इतनी बड़ी त्रिज्या वाली वृत्तीय कक्षा के लिए विक्षेपण संभव है कि ध्यान देने योग्य न हो, परन्तु अति विशाल अन्तरातारकीय दूरियों के लिए आवेशित कणों (जैसे ब्रह्माण्ड किरणें) के पथ को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित कर सकता है।

प्रश्न 5.3.
एक छोटा छड़ चुम्बक जो एक समान बाह्म चुम्बकीय क्षेत्र 0.25 T के साथ 30° का कोण बनाता है, पर 4.5 × 10-2 J का बल आघूर्ण लगता है। चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण का परिमाण क्या है?
चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण का परिमाण = m = ?
हम जानते हैं कि बल आघूर्ण τ = mB sin θ
∴ चुम्बकीय आघूर्ण m = \(\frac{\tau}{B \sin \theta}\)
मान रखने पर m = \(\frac{4.5 \times 10^{-2}}{0.25 \times \sin 30^{\circ}}\)
m = \(\frac{4.5 \times 10^{-2}}{0.25 \times \frac{1}{2}}\)
= \(\frac{9}{25}\) = 0. 36T-1

प्रश्न 5.4.
चुम्बकीय आघूर्ण m = 0.32 JT-1 वाला एक छोटा छड़ चुम्बक 0.15 T के एक समान बाह्म चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र हो, तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह (i) स्थायी सन्तुलन और (ii) अस्थायी संतुलन में होगा? प्रत्येक स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण m = 0. 32 JT-1
एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B = 0. 15 T
(i) स्थायी सन्तुलन के लिए चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण M चुम्बकीय क्षेत्र B के समानान्तर होना चाहिए अर्थात् θ = 0°
इस परिस्थिति में स्थितिज ऊर्जा
U = \(-\vec{m} \cdot \vec{B}\) = -mB cos θ
मान रखने पर U = – mB cos 0
U = – mB × 1
∵ cos 0 = 1
= – mB = -0. 32 × 0. 15 × 1
U = – 0. 048 J = – 4. 8 × 10-2 J
(ii) अस्थायी संतुलनावस्था θ = π अर्थात् \(\overrightarrow{\mathrm{m}}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) परस्पर विपरीत हो। इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा (विभव ऊर्जा)
U = \(-\overrightarrow{\mathrm{m}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{B}}\) = -mB cos 180°
U = + mB ∵ cos 108° = -1
मान रखने पर U = + (0.32) × (0. 15)
= + 4. 8 × 10-2J

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 5.5.
एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए 800 फेरे हैं, तथा इसका अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 2.5 × 10-4 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करती है? इसके साथ जुड़ा हुआ चुम्बकीय आघूर्ण कितना है?
उत्तर:
चक्रों की संख्या N = 800
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (A) = 2.5 × 10-4 m2
परिनालिका में धारा = I = 3.0 A
सम्बद्ध चुम्बकीय आघूर्ण = m =?
धारा चालित परिनालिका के लिए m = NIA द्वारा दिया जाता है
मान रखने पर m = 800 × 3.0 × 2.5 × 10-4
= 60 × 10-2 Am2
= 0.60 Am2 = 0. 60 JT-1
यह परिनालिका की अक्ष के अनुदिश होता है, इस प्रकार धारावाही परिनालिका एक छड़ चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है।

प्रश्न 5.6.
यदि प्रश्न 5.5 में बताई गई परिनालिका ऊर्ध्वाधर दिशा के परितः घूमने के लिए स्वतन्त्र हो और इस पर क्षैतिज दिशा में एक 0.25 T का एक समान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए, तो इस परिनालिका पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण उस समय क्या होगा, जब इसकी अक्ष आरोपित क्षेत्र की दिशा में 30° का कोण बना रही हो?
उत्तर:
हल- एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र = B = 0. 25 T
θ = 30°
τ = mB sin θ
परिनालिका पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण
= m = 0 .60 Am2 (प्रश्न 5 से लिया गया है)
τ = परिनालिका पर ऐंठन के बल आघूर्ण का परिमाण जिसका मान हमको ज्ञात करना है।
τ = mB sin θ
= 0 .60 × 0.25 × sin 30°
= 0.60 × 0. 25 × [/latex]\frac{1}{2}[/latex]
= 0. 075 Nm
= 7.5 × 10-2 J

प्रश्न 5.7.
एक छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण 1.5 JT-1 है, 0.22 T के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश रखा है।
(a) एक बाह्य बल आघूर्ण कितना कार्य करेगा यदि यह चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र के (i) लम्बवत् (ii) विपरीत दिशा में संरेखित करने के लिए घुमा दे।
(b) र्थिति (i) एवं (ii) चुम्बक पर कितना बल आघूर्ण होता है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
चुम्बकीय आघूर्ण = m = 1.5 JT-1
एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र = B = 0. 22 T
(a) (i) यहाँ पर θ1 = 0 (क्षेत्र के अनुदिश)
θ1 = 90° (क्षेत्र के अनुदिश)
∵ W = -mB ( cos θ2 – cos θ1
= – 1.5 × 0.22 × ( cos 90° – cos 0°)
= -0.33 (0 – 1)
= 0. 33 J

(ii) यहाँ पर θ1 = 0°, θ2 = 180°
∴ W = -1.5 × 0. 22 × (cos 180° – cos 0°)
= – 0. 33 × (-1 -1)
= – 0.33 × (-2) = 0. 66 J

(b) बल आघूर्ण τ = mB sin θ
(i) θ = 90°
τ = 1.5 × 0. 22 × sin 90°
= 0. 33 J
परिमाण का बल आघूर्ण जो चुम्बकीय आघूर्ण सदिश A को B के अनुदिश लाने की प्रवृत्ति रखता है।
(ii) यहाँ पर दिया गया है
θ = 180°
τ = 1.5 × 0. 22 × sin 90°
= 0. 33 J
परिमाण का बल आघूर्ण जो चुम्बकीय आघूर्ण सदिश A को B के अनुदिश लाने की प्रवृत्ति रखता है।
(ii) यहाँ पर दिया गया है
θ = 180°
τ = 1.5 × 0.22 × sin 180°
τ = 0
∵ sin 180° = 0 होता है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 5.8.
एक परिनालिका जिसमें पास-पास 2000 फेरे लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 1.6 × 10-4 m2 है और जिसमें 4.0 A की धारा प्रवाहित हो रही है, इसके केन्द्र से इस प्रकार लटकाई गई है कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके।
(a) परिनालिका के चुम्बकीय आघूर्ण का मान क्या है?
(b) परिनालिका पर लगने वाला बल एवं बल आघूर्ण क्या है, यदि इस पर इसकी अक्ष से 30° का कोण बनाता हुआ 7.5 × 10-2T का एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
परिनालिका में फेरों की संख्या = N = 2000
परिनालिका का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल = A
= 1.6 × 10-4 m2
परिनालिका में प्रवाहित धारा = I = 4.0 A
θ = 30°
समान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र = B = 7.5 × 10-2 T
(a) चुम्बकीय आघूर्ण, m = NIA
= 2000 × 4.0 × 1.6 × 10-4
= 1. 28 Am2
अक्ष के अनुदिश दिशा धारा की दिशा पर निर्भर, जिसे दायें हाथ के पेंच के नियम द्वारा ज्ञात कर सकते हैं।
(b) चूँकि क्षेत्र एकसमान है, बल शून्य है
बल आघूर्ण τ = NBIA sin θ
मान रखने पर = 2000 × 7.5 × 10-2 × 4.0 × 1.6 × 10 × sin 30°
= 150 × 32 × 10-5
= 4800 × 10-5 = 0. 048 Nim
जिसकी दिशा ऐसी है कि यह परिनालिका की अक्ष को \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) (अर्थात् आघूर्ण सदिश को) के अनुदिश लाने की कोशिश करता है।

प्रश्न 5.9.
एक वृत्ताकार कुण्डली जिसमें 16 फेरे हैं, जिसकी त्रिज्या 10 cm है और जिसमें 0.75 A धारा प्रवाहित हो रही है। इस प्रकार रखी है कि इसका तल 5.0 × 10-2 T परिमाण वाले बाह्म क्षेत्र के लम्बवत् है। कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों ओर घूमने के लिए स्वतन्त्र है। यदि कुण्डली को जरा सा घुमाकर छोड़ दिया जाए तो यह अपनी स्थायी सन्तुलनावस्था के इधर-उधर 2.0 s-1 की आवृत्ति से दोलन करती है। कुण्डली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है- N = 16
वृत्ताकार कुण्डली की त्रिज्या = r = 10 cm
r = 10 × 10-2 m
कुण्डली की धारा = 1 = 0. 75 A
बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र = B = 5.0 × 10-2T
कुण्डली की दोलन आवृत्ति = v =2.0 s-1
कुण्डली का जड़त्च आघूर्ण = 1 = ?
माना कुण्डली का क्षेत्रफल = A = πr-2
A = π × (10 × 10-2)2
= π × 100 × 10-4 = π × 10-2
कुण्डली का चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण m = NIA
= 16 × 0.75 × π × 10-2 ( A का मान रखने पर)
= 16 × 0.75 × 3.14 × 10-2
= 0. 377 Am2
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प्रश्न 5.10.
एक चुम्बकीय सुई चुम्बकीय याम्योत्तर के समान्तर एक ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है। इसका उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 22° के कोण के नीचे की ओर झुका है। इस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान 0.35 G है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है- नमन कोण (I) = 22°
क्षैतिज अवयव HE = 0. 35 G
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण = BE
∴ क्षैतिज घटक HE = BE cos I
∴ BE = \(\frac{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}{\cos \mathrm{I}}\)
∴ मान रखने परc BE = \(\frac{0.35 \mathrm{G}}{\cos 22^{\circ}}=\frac{0.35}{0.9272}\)
BE = 0.38 G

प्रश्न 5.11.
दक्षिण अफ्रीका में किसी स्थान पर एक चुम्बकीय सुई भौगोलिक उत्तर से 12° पश्चिम की ओर संकेत करती है। चुम्बकीय याम्योत्तर में संरेखित नति वृत्त की चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 60° उत्तर की ओर संकेत करता है। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव मापने पर 0.16 G पाया जाता है। इस स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का परिमाण और दिशा बताइए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-दिक्पात (विचलन) कोण θ = 12°
नमन कोण = I = 60°
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव HE = 0.16 G
माना उस स्थान (location) पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र = BE = ?
हम जानते हैं क्षैतिज घटक HE = BE cos I
∴ BE = \(\frac{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}{\cos \mathrm{I}}\) = \(\frac{0.16}{0.5}\)
BE = 0. 32 G
या BE = 0. 32 × 10-4 T
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र भौगोलिक याम्योत्तर से पश्चिम की ओर 12° का कोण बनाते हुए एक ऊर्ध्वाधर तल में क्षैतिज (चुम्बकीय दक्षिण से चुम्बकीय उत्तर की ओर) से ऊपर की ओर 60° का कोण बनाता है। इसका परिमाण 0.32 G

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प्रश्न 5.12.
किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण 0.48 JTहल-दिया गया है- है। चुम्बक के केन्द्र से 10 cm की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु (i) चुम्बक के अक्ष पर स्थित हो (ii) चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर स्थित हो।
उत्तर:
हल-दिया गया है- m = 0.48 JT-1
r = 10 cm = 10 × 10-2m = 10-1 m
B = ?
(i) अक्षीय रेखा के अनुदिश (छोटे द्विध्रुव के लिए)
B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{~m}}{2 \pi r^3}\)
मान रखने पर B = \(\frac{10^{-7} \times 0.48}{2 \times 3.14 \times\left(10^{-1}\right)^3}\) = \(\frac{48 \times 10^{-4}}{628}\)
= 0.96 × 10-4 T
= 0. 96 G S-N दिशा के अनुदिश

(ii) निरक्ष रेखा के अनुदिश (छोटे द्विध्रुव के लिए)
B = \(\frac{\mu_0 m}{4 \pi r^3}\)
= \(\frac{1}{2}\left(\frac{\mu_0 \mathrm{~m}}{2 \pi \mathrm{r}^3}\right)=\frac{1}{2}(0.96)\)
= 0. 48 G N-S दिशा के अनुदिश

प्रश्न 5.13.
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुम्बक का अक्ष, चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। संतुलन बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर इसके केन्द्र से 14 cm दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.36 G एवं नति कोण शून्य है। चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर इसके केन्द्र से उतनी ही दूर (14 cm) स्थित किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र क्या होगा?
उत्तर:
हल-संतुलन बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर इसके केन्द्र से 14 cm दूर स्थित है।
इस जगह पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र = 0.36 G
और नतिकोण = 0°
चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र = पृथ्वी के चुम्बकीय
क्षेत्र का क्षैतिज अवयव
=0.36 G
चूंकि यहाँ पर नति कोण = 0° है।
चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर चुम्बकीय क्षेत्र
= \(\frac{1}{2}\) × 0.36 = 0. 18G
चुम्बक में अभिलम्ब समद्विभाजक पर इसके केन्द्र से 14 सेमी.
स्थित किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र = Bचुम्बक + Bपृथ्वी
= 0.18 + 0.36
= 0. 54 G
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में।

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प्रश्न 5.14.
यदि प्रश्न 5.13 में वर्णित चुम्बक को 180° से घुमा दिया जाए तो संतुलन बिन्दुओं की नई स्थिति क्या होगी? हल-दिया गया है कि वर्णित चुम्बक को 180° से घुमा दिया जाए, संतुलन बिन्दु निरक्ष रेखा पर होगा
उत्तर:
\(\mathrm{B}_{\text {निरक्ष रेखा }}=\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{\mathrm{m}}{\mathrm{r}^3}\) ………….(1)
लेकिन \(\mathrm{B}_{\text {अक्ष पर }}=\frac{\mu_0}{4 \pi} \times \frac{2 \mathrm{~m}}{(0.14)^3}\) ………………(2)
समीकरण (1) तथा (2) को बराबर करने पर

\(\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{\mathrm{m}}{\mathrm{r}^3}=\frac{\mu_0}{4 \pi} \times \frac{2 \mathrm{~m}}{(0.14)^3}\)
∴ r3 = \(\frac{(0.14)^3}{2}\)
या r = \(\frac{0.14}{(2)^{\frac{1}{3}}}=\frac{0.14}{1.26}\)
r = 0 . 111 m
= 11 . 1 cm
अतः r = 11.1 cm की दूरी पर लम्ब समद्विभाजक पर।

प्रश्न 5.15.
एक छोटा छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण 5.25 × 10-2JT-1 है, इस प्रकार रखा है कि इसका अक्ष पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है। चुम्बक के केन्द्र से कितनी दूरी पर परिणामी क्षेत्र पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा से 45° का कोण बनाएगा। यदि हम (a) अभिलम्ब समद्विभाजक पर देखें, (b) अक्ष पर देखें। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण 0.42 G है। प्रयुक्त दूरियों की तुलना में चुम्बक की लम्बाई की उपेक्षा कर सकते हैं।
उत्तर:
हल-दिया गया है- चुम्बकीय आघूर्ण m = 5. 25 × 10-2 JT-1
BE = 0.42 G
= 0. 42 × 10-4 T

(a) इसके अभिलंबक समद्विभाजक पर (निरक्ष रेखा पर)-माना पृथ्वी के क्षेत्र BE से कुल चुम्बकीय क्षेत्र B जहाँ 45° कोण पर विषुवत् रेखा पर P बिन्दु पर झुका है, की दूरी r है। ऐसा तभी संभव है तब
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(b) इसके अक्ष पर-माना चुम्बक के अक्ष पर x दूरी पर बिन्दु P है जहाँ परिणामी क्षेत्र पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र से 45° पर झुका है।
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प्रश्न 5.16. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) ठण्डा करने पर किसी अनुचुग्बकीय पदार्थ का नमूना अधिक चुम्बकन क्यों प्रदर्शित करता है? (एक ही चुम्बककारी क्षेत्र के लिए)
(b) अनुचुम्बकत्च के विपरीत, प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता। क्यों?
(c) यदि एक टोराइड में बिस्मथ का क्रोड़ लगाया जाए, तो इसके अन्दर चुग्बकीय क्षेत्र उस रिथति की तुलना में (किंचित्) कम होगा या (किंचित्) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाती हो?
(d) क्या किसी लौहचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकशीलता चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करती है? यदि हों, तो उच्च चुम्बकीय क्षेत्रों के लिए इसका मान कम होगा अथवा अधिक?
(e) किसी लौह चुम्बक की सतह के प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ सदैव लम्बवत् होती है। (यह तथ्य उन रिथरवैद्युत क्षेत्र रेखाओं के सदृश है, जो कि चालक की सतह के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत् होती है।।) क्यों?
(f) क्या किस्सी अनुचुम्बकीय नमूने का अधिकतम संभव चुम्बकन, लौह चुम्बक के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का होगा?
उत्तर:
(a) निम्न तापों पर यादृच्छिक तापीय गति कम होने के कारण द्विध्रुवों के चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश समायोजन को भंग करने वाली प्रदृत्ति कम हो जाती है।
(b) प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के नमूने में प्रेरित चुम्बकीय आघूर्ण हमेशा चुम्बककारी क्षेत्र की विपरीत दिशा में होता है, चाहे इसके अन्दर परमाणुओं की गति कैसी भी हो।
(c) चूँकि बिस्मथ प्रतिचुम्बकीय पदार्थ है, तो विस्मथ क्रोड रखने पर क्रोड में चुम्बकीय क्षेत्र थोड़ा सा कम होगा!
(d) नहीं, जैसा कि चुम्बकन वक्र से स्पष्ट है। चुम्बकन वक्र के बलान से यह भी स्पष्ट है कि निम्न शक्ति वाले क्षेत्रों के लिए μ का मान अधिक है।
(e) इस महत्चपूर्ण तथ्य का प्रमाण दो माध्यमों को अलग करने वाले अंतःृृष्त पर चुम्बकीय क्षेत्रों ( \(\vec{B}\) एवं H ) की सीमा शर्तो पर आघारित है। जब एक माध्यम के लिए μr >.1 हो तो क्षेत्र रेखाएं इस माध्यम पर लम्बवत् मिलती हैं।
(f) हाँ। दो मिन्न पदार्थो के परमाणु द्विध्रुयों की शक्ति में मामूली अन्तर की बात को छोड़ दें, तो संतृप्त चुग्बकन की अवस्था में एक अनुचुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उसी कोटि का होगा, लेकिन सच बात यह है कि संतृप्त चुम्बकन के लिए अव्यावहारिक रूप से उच्च चुम्बकनकारी क्षेत्रों की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 5.17.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) लौह चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता, डोमेनो के आधार पर गुणात्मक दृष्टिकोण से समझाइए।
(b) नर्म लोहे के एक टुकड़े के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल, कार्बन-स्टील के टुकड़े का शैथिल्य लूप के क्षेत्रफल से कम होता है। यदि पदार्थ को बार-बार चुम्बकन चक्र से गुजारा जाए, तो कौनसा टुकड़ा अधिक ऊष्मा ऊर्जा का क्षय करेगा?
(c) लौह चुम्बक जैसा शैथिल्य लूप प्रदर्शित करने वाली कोई प्रणाली स्मृति संग्रहण की युक्ति है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
(d) कैसेट के चुम्बकीय फीतों पर पर्त चढ़ाने के लिए या आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संग्रहण के लिए किस तरह के लौह चुम्बकीय पदार्थों का इस्तेमाल होता है?
(e) किसी स्थान को चुम्बकीय क्षेत्र से परिरक्षित करना है तो कोई विधि सुझाइए।
उत्तर:
(a) चूँकि लौह चुम्बकीय पदार्थ में चुम्बकीय गुण डोमेन के कारण है, इसलिए चुम्बकीय क्षेत्र को हटा देने पर मूल डोमेन बनना नहीं होता है।
(b) कार्बन स्टील का टुकड़ा अधिक ऊष्मा का क्षय करेगा क्योंकि प्रतिचक्र उत्पन्न ऊष्मा, शैथिल्य पाश के क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होती है।
(c) लौह चुम्बकीय पदार्थ दर्शाते हैं कि बाह्य चुम्बकन क्षेत्र हटाने के पश्चात् भी यह चुम्बकीय गुंण रहते हैं। इसका अर्थ है कि लौह चुम्बकीय पदार्थों में चुम्बकत्व एक याददाश्त की भाँति रहता है। इस प्रकार एक निकाय जो शैथिल्य वक्र दर्शाता है, याददाश्त एकत्र करने की एक युक्ति है।
(d) चुम्बकीय फीते के लेपन के लिए मृत्तिका का उपयोग कैसेट प्लेयर या भवनों में करते हैं। आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संचित हो जाती है। मृत्तिका बेरियम और लोहे का युग्म ऑक्साइड है। मृत्तिका को फेराइट भी कहते हैं।
(e) उस क्षेत्र को नर्म लोहे के छल्लों से घेरकर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ छल्लों में समहित हो जाएँगी और इनसे घिरा हुआ क्षेत्र चुम्बकीय क्षेत्र से मुक्त रहेगा। लेकिन यह सन्निकट परिरक्षण ही होगा। वैसा पूर्ण परिरक्षण नहीं, जैसा किसी विनर को एक चालक से घेरकर बाह्य विद्युत क्षेत्र से परिरक्षित करने में होता है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 5.18.
एक लम्बे, सीधे, क्षैतिज केबल में 2.5 A धारा, 10° दक्षिण-पश्चिम से 10° उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इस रथान पर चुम्बकीय याम्योत्तर भौगोलिक याम्योत्तर के 10° पश्चिम में है। यहाँ पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.33 G एवं नति कोण शून्य है। उदासीन बिन्दुओं की रेखा निर्धारित कीजिए। (केबल की मोटाई की उपेक्षा कर सकते हैं।)
(उदासीन बिन्दुओं पर, धारावाही केबल द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी के क्षैतिज घटक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान एवं विपरीत दिशा में होता है।)
उत्तर:
हल-दिया गया है- I = 2.5 A
BE = 0. 33 G = 0. 33 × 10-4 T
नति कोण (I) = 0°
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक
HE = BE cos I
HE = 0.33 × 10-4 × cos 0°
= 0.33 × 10-4 × I
= 0.33 × 10-4 T
माना उदासीन बिन्दु केबल से $r$ दूरी पर है। केबल में धारा के कारण इस रेखा पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य 4
अतः उदासीन बिन्दु केबल के समान्तर ऊपर की ओर 1.5 सेमी. दूर स्थित रेखा पर होंगे।

प्रश्न 5.19.
किसी स्थान पर एक टेलीफोन केबल में चार लम्बे, सीधे, क्षैतिज तार हैं जिनमें से प्रत्येक में 1.0 A की धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.39 G एवं नति कोण 35° है। दिक्पात कोण लगभग शून्य है। केबल के 4.0 cm नीचे और 4.0 cm ऊपर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्रों के मान क्या होंगे?
उत्तर:
हल-दिया गया है
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र = B
= 0.39 G
= 0. 39 × 10-4 T
नमन कोण = I = 35°
चुम्बकीय दिक्पात कोण θ = 0°
तारों की संख्या = n = 4
धारा = I = 1. 0 A
दूरी = r = 1 cm प्रत्येक = 0 .04 m
यदि पृथ्वी के कुल चुम्बकीय क्षेत्र के ऊर्ध्व एवं क्षैतिज घटक
क्रमशः HE और ZE हैं तब
HE = BE cos I
= 0. 39 cos 35 °
= 0. 39 × 0. 8192 (∵ cos 35° = 0. 8192 सारणी से)
= 0. 3195 G
और ZE = BE sin I = 0.39 sin 35°
= 0. 39 × 0.5736 (∵ sin 35° = 0. 5736 सारणी से)
= 0. 2237 G
माना एकल तार के कारण चुम्बकीय क्षेत्र B1 है तब
B1 = \(\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{2 \mathrm{I}}{\mathrm{r}}\)
∴ यदि केबल के चारों तारों द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B1 है तब
\(\mathrm{B}^1=4 \mathrm{~B}_1=4\left(\frac{\mu_0}{4 \pi} \cdot \frac{2 \mathrm{I}}{\mathrm{r}}\right)\)
= \(\frac{4 \times 10^{-7} \times 2 \times 1.0}{4 \times 10^{-2}}\)
= 0.2 × 10-4 T
= 0.2 G
केबल के नीचे एक बिन्दु पर-माना 4 सेमी. तार के नीचे एक बिन्दु Q पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक HE है और धारा के कारण क्षेत्र विपरीत दिशाओं में है, अतः नेट क्षैतिज क्षेत्र
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य 5
HE = BE – B1
= 0. 3195 – 0.2
= 0. 1195 G = 0. 12 G
नेट ऊर्ध्व घटक ZE = 0.2237 G = 0.22 G
यदि परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र R है तब
R = \(\sqrt{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}^2+\mathrm{Z}_{\mathrm{E}}^2}\)
= \(\sqrt{\left(1.195 \times 10^{-1}\right)^2+\left(2.237+10^{-1}\right)^2}\)
या B2 × 0. 7071 = 1.2 × 10-2 × 0.2588

= \(\sqrt{0.0144+0.0484}\) = \(\sqrt{0.0628}\)
= 0 254 G = 0. 25 G
R की दिशा-माना क्षैतिज से R, θ कोण बनाता है
tan θ = \(\frac{Z_{\mathrm{E}}}{\mathrm{H}_{\mathrm{E}}}=\frac{0.22}{0.12}=\frac{11}{6}\)
tan θ = 1. 8333
∴ θ = tan-1 (1. 8333) = 61 . 4° = 62°
केबल के ऊपर-माना तार के ऊपर 4 cm पर बिन्दु P पर. पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज घटक और तार में धारा के कारण चुम्बकीय क्षेत्र एक ही दिशा में है।
∴ परिणामी क्षैतिज घटक = 0.3195 + 0.2
= 0. 52 G
और परिणामी ऊर्ध्व क्षेत्र = 0. 22 G
अतः यदि केबल के ऊपर उनका परिणामी क्षेत्र R1 है तब
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प्रश्न 5.20.
एक चुम्बकीय सुई जो क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, 30 फेरों एवं 12 cm त्रिज्या वाली एक कुण्डली के केन्द्र पर रखी है। कुण्डली एक ऊर्ध्वाधर तल में है और चुम्बकीय याम्योत्तर से 45° का कोण बनाती है। जब कुण्डली में 0.35 A धारा प्रवाहित होती है, चुम्बकीय सुई पश्चिम से पूर्व की ओर संकेत करती है।

(a) इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान ज्ञात कीजिए।
(b) कुण्डली में धारा की दिशा उलट दी जाती है और इसको अपनी ऊर्ध्वाधर अक्ष पर वामावर्त दिशा में (ऊपर से देखने पर) 90° के कोण पर घुमा दिया जाता है। चुम्बकीय सुई किस दिशा में ठहरेगी? इस स्थान पर चुम्बकीय दिक्पात शून्य लीजिए।
हल-(a) दिया गया है-
N = 30
I = 0. 35 A
r = 12 cm = 12 × 10-2 m
कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान (B) होगा B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{2 \mathrm{r}}\)
यह चुम्बकीय क्षेत्र कुण्डली के तल के लम्बवत् कार्य करता है।
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक (HEN-S रेखा के अनुदिश कार्य करता है क्योंकि कुण्डली ऊर्ध्व तल में चुम्बकीय याम्योत्तर रेखा से 45° कोण बनाते हुये रखी गई है। कुण्डली में धारा
प्रवाहित करने से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B कुण्डली के तल के लम्बवत् होगा अर्थात् W-E दिशा से 45° के कोण की दिशा में कुण्डली के केन्द्र पर रखी दिक्सूचक सुई W से E की ओर इंगित होगी।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 5 चुंबकत्व एवं द्रव्य 7
(b) जब कुण्डली की धारा उलट दी जाती है और इसको ऊर्ध्वाधर अक्ष पर वामावर्त दिशा में 90° के कोण से घुमा दिया जाता है, तो पूर्व से पश्चिम अर्थात् सुई अपनी मूल दिशा को उलट देगी।

प्रश्न 5.21.
एक चुम्बकीय द्विधुव दो चुम्बकीय क्षेत्रों के प्रभाव में है। ये क्षेत्र एक-दूसरे से 60° का कोण बनाते हैं और उनमें से एक क्षेत्र का परिमाण 1.2 × 10-2 है। यदि द्विधुव स्थायी सन्तुलन में इस क्षेत्र से 15° का कोण बनाए, तो दूसरे क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
हल-दिया गया है-
B और B2 के बीच का कोण = 60° – 15° = 45°
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अतः स्पष्ट है B2 sin 45° = B1 sin 15°
या B2 × 0.7071 = 1.2 × 10-2 × 0.2588
∵ दिया गया है- B1 = 1.2 × 10-2
या B2 = \(\frac{1.2 \times 10^{-2} \times 0.2588}{0.7071}\)
= 4.392 × 10-3 T

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प्रश्न 5.22.
एक समोर्जी 18keV वाले इलेक्ट्रॉनों के किरण पुंज पर जो शुरू में क्षैतिज दिशा में गतिमान है, 0.4 G का एक क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र, जो किरण पुंज की प्रारम्भिक दिशा के लम्बवत् है, लगाया गया है। आकलन कीजिए 30 cm की क्षैतिज दूरी चलने में किरण पुंज कितनी दूरी ऊपर या नीचे विस्थापित होगा? (me = 9.11 × 10-31Kg, e = 1.60 × 10-19C)

(नोट-इस प्रश्न में आँकड़े इस प्रकार चुने गए हैं कि उत्तर से आपको यह अनुमान हो, कि TV सेट में इलेक्ट्रॉन गन से पर्दे तक इलेक्ट्रॉन किरण पुंज की गति भू-चुम्बकीय क्षेत्र से किस प्रकार प्रभावित होती है)।
हल-दिया गया है-
इलेक्टॉन की ऊर्जा E = 18 keV
E = 18 × 103 × 1.6 × 10-19J
= 18 × 1.6 × 10-16 J
B =0.40 × 10-4 T
me = 9. 11 × 10-4 T
x = 30 सेमी. = 0. 30 मीटर
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अब हम x दूरी चलने पर विक्षेप का मान ज्ञात करेंगे, चित्र से स्पष्ट है-
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प्रश्न 5.23.
अनुचुम्बकीय लवण के एक नमूने में 2.0 × 1024 परमाणु द्विभुुव हैं जिनमें से प्रत्येक का द्विध्रुव आघूर्ण 1.5 × 10-23JT-1 है। इस नमूने को 0.64 T के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया और 4.2 K ताप तक ठण्डा किया गया। इसमें $15 \%$ चुम्बकीय संतृप्तता आ गई। यदि इस नमूने को 0.98 T के चुम्बकीय क्षेत्र में 2.8 K ताप पर रखा हो, तो इसका कुल द्विधुव आघूर्ण कितना होगा? (यह मान सकते हैं कि क्यूरी नियम लागू होता है।)
हल-
द्विध्रुवों की संख्या = n = 2 × 1024
प्रत्येक द्विध्रुव का आघूर्ण = M = 1.5 × 10-23JT-1
समांगी चुम्बकीय क्षेत्र = B1 = 0. 84 T
नमूने का आरम्भिक ताप = T1 = 4. 2 K
नमूने का अन्तिम ताप = T2 = 2.8 K
नमूने का T2 पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र = B2 = 0.98 T
नमूने का T2 पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र द्विध्रुव आघूर्ण = m1 है।
संतृप्ति की कोटि = D = 15%
∴ m1 = D = 15% × n × m
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प्रश्न 5.24.
एक रोलैंड रिंग की औसत त्रिज्या 15 cm है और इसमें 800 आपेक्षिक चुम्बकशीलता के लौह चुम्बकीय क्रोड पर 3500 फेरे लिपटे हुए हैं। 1.2 A की चुम्बककारी धारा के कारण इसके क्रोड में कितना चुम्बकीय क्षेत्र (B) होगा?
हल-दिया गया है-
चुम्बकीय धारा = I = 1.2 A
रोलैंड रिंग की औसत त्रिज्या = r = 15 cm
= 15 × 10-2 m
चक्रों की कुल संख्या = N = 3500
आपेक्षिक पारगम्यता = μr = 800
वह लम्बाई जिस पर तार को बांधा गया है उसका मान = l = 2πr
l = 2 × 3.14 × 15 × 10-2m
= 30 × 3.14 × 10-2 m
= 94.20 × 10-2 m
चुम्बकीय क्षेत्र B = \(\frac{\mu \mathrm{NI}}{l}\)
किन्तु μ = μ0μr और l = 2πr
मान रखने पर B = \(\frac{\mu_0 \mu_r N I}{2 \pi r}\)
= \(\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 800 \times 3500 \times 1.2}{94.20 \times 10^{-2}}\)
= \(\frac{4 \times 3.14 \times 8 \times 35 \times 12}{9420}\)
= 4. 48 T

प्रश्न 5.25.
किसी इलेक्ट्रॉन के नैज चक्रणी कोणीय संवेग S एवं कक्षीय कोणीय संवेग l के साथ जुड़े चुम्बकीय आघूर्ण क्रमशः μs और μl हैं। क्वांटम सिद्धान्त के आधार पर (और प्रयोगात्मक रूप से अत्यन्त परिशुद्धतापूर्वक पुष्ट) इनके मान क्रमशः निम्न प्रकार दिए जाते हैं-
μs = – (e/s)s, एवं μl = -(e/2m)l
इनमें से कौनसा व्यंजक चिरसम्मत सिद्धान्तों के आधार पर प्राप्त करने की आशा की जा सकती है? उस चिरसम्मत आधार पर प्राप्त होने वाले व्यंजक को व्युत्पन्न कीजिए।
हल-दोनों दिए गए सम्बन्धों में से μl = \(\left(\frac{\mathrm{e}}{2 \mathrm{~m}}\right) l\) चिरसम्मत भौतिकी
के अनुसार है और इसे निम्न प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है।
हम जानते हैं कि परमाणु में नाभिक के परितः वृत्तीय कक्षा में घूमता इलेक्ट्रॉन एक सूक्ष्म धारा के लूप के बराबर है, जिसके चुम्बकीय आघूर्ण l का परिमाण
l = mvr ………..(1)
यहाँ पर m एक इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।
v इसका कक्षीय वेग है।
r वृत्तीय कक्षा की त्रिज्या है।
या vr = \(\frac{l}{\mathrm{~m}}\) ……………(2)
l कक्षीय तल के अभिलम्ब ऊपर की ओर कार्य करता है। इलेक्ट्रॉन की कक्षीय गति को चिरपरिचित धारा I के तुल्य प्रवाह से लिया जा सकता है जो
\(\mathrm{I}=\frac{\mathrm{e}}{\mathrm{T}}=\frac{\mathrm{e}}{\left(\frac{2 \pi \mathrm{r}}{v}\right)}=\frac{\mathrm{e} v}{2 \pi \mathrm{r}}\)

द्वारा दिया जाता है।
∴ इलेक्ट्रॉन की कक्षीय गति के कारण धारा लूप का चुम्बकीय आघूर्ण μ1 द्वारा दिया जाता है

यहाँ पर ऋणात्मक चिन्ह यह बताता है कि इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित है। समीकरण (3) दर्शाता है कि μl और l एक-दूसरे के विपरीत हैं अर्थात् वामावर्ती और दोनों ही कक्षीय तल के लम्बवत् हैं।
∴ \(\overrightarrow{\mu_l}=-\left(\frac{\mathrm{e}}{2 \mathrm{~m}}\right) \cdot \vec{l}\)
\(\frac{\mu_{\mathrm{s}}}{\mathrm{s}}, \frac{\mathrm{u}_l}{l}\) के विरोध में \(\left(\frac{\mathrm{e}}{\mathrm{m}}\right)\) है अर्थात् चिरसम्मत मान का दुगुना यह बाद वाला परिणाम आधुनिक क्वांटम भौतिकी का विशिष्ट परिणाम है जिसे चिरसम्मत सिद्धान्त से प्राप्त नहीं किया जा सकता।

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व

प्रश्न 4.1.
तार की एक वृत्ताकार कुण्डली में 100 फेरे हैं। प्रत्येक की त्रिज्या 8.0 है और इसमें 0.40 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
वृत्ताकार कुण्डली में फेरे की संख्या = N = 100
प्रत्येक की त्रिज्या =r = 8.0 cm = 8 × 10-2 m
वृत्तीय कुण्डलिनी में धारा = I = 0.40 A
कुण्डलिनी के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण = ?
B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{2 \mathrm{r}}\)
मान रखने पर B = \( \frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 100 \times 0.4}{2 \times 8.0 \times 10^{-2}} \mathrm{~T}\)
= π × 10-4 T = 3. 14 × 10-4

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.2.
एक लम्बे, सीधे तार में 35 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। तार से 20 cm दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
सीधे तार में प्रवाहित धारा का मान = I = 35 A
सीधे तार से बिन्दु की दूरी = r = 20 cm
r = 20 × 10-2 m
चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण = B = ?
B = \(\frac{\mu_0 I}{2 \pi \mathrm{r}}\)
मान रखने पर = B = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 35}{2 \pi \times 20 \times 10^{-2}}\)
= 3.5 × 10-5 T

प्रश्न 4.3.
क्षैतिज तल में रखे एक लम्बे सीधे तार में 50 A विद्युत धारा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के पूर्व में 2.5 m दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण और उसकी दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया हैं-
लम्बे तार में धारा उत्तर से
दक्षिण की ओर = I = 50 A
तार से लम्बवत् दूरी r = 2. 5 m
चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 1

B = [/latex]\frac{\mu_0 \mathrm{I}}{2 \pi}
मान रखने पर B = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 50}{2 \pi \times 2.5}\) = 4 × 10-6T
B की दिशा-ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर (सीधे हाथ के अंगूठे के नियम से)

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.4.
व्योमस्थ खिंचे क्षैतिज बिजली के तार में 90 A विद्युत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के 1.5 m नीचे विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण और दिशा क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया हैं-
धारा =I = 90 A पूर्व से पश्चिम की ओर
माना लाइन के नीचे 1.5 पर p बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र = B
अतः r=1.5 m
B = \(\frac{\mu_0 I}{2 \pi r}\)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 3

B की दिशानदाहिने हाथ के अंगूठे के नियमानुसार चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रेक्षण बिन्दु पर दक्षिण दिशा की ओर है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 5

प्रश्न 4.5.
एक तार जिसमें 8 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 0.15 के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र से 30° का कोण बनाते हुए रखा है। इसकी एकांक लम्बाई पर लगने वाले बल का परिमाण और इसकी दिशा क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
तार में प्रवाहित धारा का मान = I = 8A
तार द्वारा एक समान चुम्बकीय क्षेत्र से बनाया गया कोण
= θ = 30°
B = 0. 15 T
तार की प्रति इकाई लम्बाई पर माना चुम्बकीय बल
F’ = \(\frac{\mathrm{F}}{l}\)
∴ F’ = BI sin θ का उपयोग करने पर
मान रखने पर \(\frac{\mathrm{F}}{l}\) = F’ = 0. 15 × 8 × \(\frac{1}{2}\) = 4 × 0. 15
= 0.6 N/m
बल की दिशा तार की लम्बाई एवं चुम्बकीय क्षेत्र के तल के लम्बवत् होगी जिसे फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से ज्ञात कर सकते हैं।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.6.
एक 3.0 cm लम्बा तार जिसमें 10 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, एक परिनालिका के भीतर उसके अक्ष के लम्बवत् रखा है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र का मान0.27 T है। तार पर लगने वाला चुम्बकीय बल क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
तार की लम्बाई = l = 3.0 cm
= 3 × 10-2
तार में धारा = I = 10 A
θ = 90°
परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र = B = 0.27 T
तार पर चुम्बकीय बल का परिमाण माना = F = ?
F = B I l sin θ का उपयोग करने पर
मान रखने पर
F = 0. 27 × 10 × 3 × 10-2 × sin 90°
= 8. 1 × 10-2 × 1
∵ sin 90° = 1
= 8 . 1 × 10-2 N
F की दिशा-फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियमानुसार F की दिशा ज्ञात की जा सकती है।

प्रश्न 4.7.
एक-दूसरे से 4.0 cm की दूरी पर रखे दो लम्बे, सीधे, समान्तर तारों A एवं B में क्रमशः 8.0 A एवं 5.0 A की विद्युत धाराएँ एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही हैं। तार A के 10 cm खण्ड पर बल का आकलन कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
d = 4.0 cm = 4 × 10-2m
I1 = 8.0 A
I2 = 5.0 A
l = 10 cm = 10 × 10-2 m
इकाई लम्बाई पर बल का मान
F = \( \frac{\mu_0 I_1 \mathrm{I}_2}{2 \pi \mathrm{d}}\)
बल का मान l लम्बाई के लिए
F = \( \frac{\mu_0 I_1 I_2 l}{2 \pi \mathrm{d}}\)
मान रखने पर F = \( \frac{\left(4 \pi \times 10^{-7}\right) \times 8.0 \times 5.0 \times 10 \times 10^{-2}}{2 \pi \times 4 \times 10^{-2}}\)
= 200 × 10-7
= 200 × 10-5
F की दिशा-चूँकि दोनों तारों में धारा एक ही दिशा में प्रवाहित है, अतः बल A के अभिलम्ब B की ओर आकर्षण है।

प्रश्न 4.8.
पास-पास फेरों वाली एक परिनालिका 80 cm लम्बी है तथा इसमें 5 परतें हैं जिनमें से प्रत्येक में 400 फेरे हैं। परिनालिका का व्यास 1.8 cm है। यदि इसमें 8.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, तो परिनालिका के भीतर केन्द्र के पास चुम्बकीय क्षेत्र B के परिमाण का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
परिनालिका की लम्बाई = l = 80 Cm
= 80 × 10-2 m
परिनालिका में परतों की संख्या = n =5
प्रत्येक परत के फेरों की संख्या = 400
परिनालिका में कुल फेरों की संख्या = 5 × 400=2000
परिनालिका में प्रवाहित धारा =I = 8.0 A
माना परिनालिका के अन्दर इसके केन्द्र के पास चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण = B = ?
B = \( \frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{l}\)
मान रखने पर B = \( \frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 2000 \times 8}{80 \times 10^{-2}}\)
= 8π × 10-3T = 2.5 × 10-2T

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.9.
एक वर्गाकार कुण्डली जिसकी प्रत्येक भुजा 10 cm है, में 20 फेरे हैं और उसमें 12 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली ऊर्ध्वाधरत: लटकी हुई है और इसके तल पर खींचा गया अभिलम्ब 0.80 T के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 30° का एक कोण बनाता है। कुण्डली पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
प्रत्येक भुजा की लम्बाई = l × l
= 10 × 10 = 100 cm2
= 100 × 10-4m2
A = 10-2m2
कुण्डली में कुल चक्रों की संख्या = N = 20
कुण्डली में प्रवाहित धारा = I = 12 A
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण = B = 0. 80 T
θ = 30°
कुण्डली द्वारा अनुभव बल आघूर्ण = τ = ?
हम जानते हैं-
τ = NBIA sin θ सूत्र का उपयोग करने पर
τ = 20 × 0. 80 × 12 × 10-2 × sin 30°
= 20 × 80 × 12 × 10-4 × \(\frac{1}{2}\)
= 96 × 10-2 Nm
= 0. 96 Nm

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प्रश्न 4.10.
दो चल कुण्डली गैल्वेनोमीटर मीटरों M1 एवं M2 के विवरण नीचे दिए गए है-
उत्तर:
R1 = 10 Ω, N1 = 30,
A1 = 3.6 × 10-3 m2,
B1 = 0. 25 T
R2 = 14 Ω, N2 = 42,
A2 = 1.8 × 10-3 m2,
B2 = 0.50 T (दोनों मीटरों के लिए स्प्रिंग नियतांक समान हैं)।

(a) M2 एवं M1 की धारा-सुग्राहिताओं, (b) M2 एवं M1 की वोल्टता-सम्राहिताओं का अनपात ज्ञात कीजिए।
हल-दिया गया है- M1 कुण्डली के लिए
R1 = 10 Ω, N1 = 30
A1 = 3.6 × 10-3 m2,
B1 = 0. 25 T
M2 कुण्डली के लिए R2 = 14 Ω, N2 = 42,
A2 = 1.8 × 10-3 m2,
दोनों कुण्डलियों के लिए K1 = K2 = k माना धारा सुग्राहिता = \(\frac{NBA}{K}\)
और वोल्टता सुग्राहिता = \(\frac{NBA}{kR}\) द्वारा दी जाती है।
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प्रश्न 4.11.
एक प्रकोष्ठ में 6.5 G (1 G = 10-2 T का एक समान चुम्बकीय क्षेत्र बनाए रखा गया है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉन 4.8 × 106 ms-1 के वेग से क्षेत्र के लम्बवत् भेजा गया है। व्याख्या कीजिए कि इस इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार क्यों होगा? वृत्ताकार कक्षा की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
(e = 1.6 × 10-19C, me = 9.1 × 10-31 Kg)
उत्तर:
हल-दिया गया है-
B = 6.5 G = 6.5 × 10-4 T
v = 4. 8 × 106 m/s
r = ?
e = 1.6 × 10-19C
me = 9.1 × 10-31 Kg.
यदि वृत्तीय कक्षा की त्रिज्या r है तब गतिमान इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल (F)

F = evB sin θ द्वारा दिया जाता है
बल की दिशा v तथा B दोनों के ही अभिलम्बवत् है, अतः यह बल चाल बदले बिना ही इलेक्ट्रॉन की केवल गति दिशा ही बदलेगी, अतः इलेक्ट्रॉन वृत्तीय मार्ग पर चलेगा। यदि इलेक्ट्रॉन के द्वारा तय की गई मार्ग की त्रिज्या r है तब
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HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.12.
प्रश्न 4.11 में, वृत्ताकार कक्षा में इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण आवृत्ति प्राप्त कीजिए। क्या यह उत्तर इलेक्ट्रॉन के वेग पर निर्भर करता है? व्याख्या कीजिए।
हल-माना वृत्ताकार कक्षा में इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण आवृत्ति = v = ?
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 7
समीकरण (1) से स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉन की आवृत्ति इलेक्ट्रॉनों की चाल नहीं रखती है, अतः आवृत्ति (v) इलेक्ट्रॉन की चाल पर निर्भर नहीं है।

प्रश्न 4.13.
(a) 30 फेरों वाली एक वृत्ताकार कुण्डली जिसकी त्रिज्या 8.0 cm है और जिसमें 6.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 1.0 T के एक समान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में ऊर्ध्वाधरतः लटकी है। क्षेत्र रेखाएँ कुण्डली के अभिलम्ब में 60° का कोण बनाती हैं। कुण्डली को घूमने से रोकने के लिए जो प्रति आघूर्ण लगाया जाना चाहिए उसके परिमाण परिकलित कीजिए।
(b) यदि (a) में बताई गई वृत्ताकार कुण्डली को उसी क्षेत्रफल की अनियमित आकृति की समतलीय कुण्डली से प्रतिस्थापित कर दिया जाए (शेष सभी विवरण अपरिवर्तित रहें) तो क्या आपका उत्तर परिवर्तित हो जाएगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
वृत्तीय कुण्डली में फेरों की संख्या = N = 30
कुण्डली की त्रिज्या = r = 8.0 cm
= 8 × 10-2 m
कुण्डली में धारा = I = 6. 0 A
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र = B = 1. 0 T
θ = 60°
क्षेत्रफल A = πr2
= 3. 14 × (8 × 10-2)2
= 3. 14 × 64 × 10-4
= 200.9 × 10-4
= 2.01 × 10-2 m2
(a) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण धारा चालित कुण्डलिनी पर कार्यरत बल आघूर्ण का मान
τ = NIBA sin θ होता है।
मान रखने पर τ = 30 × 6 × 1 × 2. 01 × 102× sin 60°
= 180 × 2.01 × 10-2 × \(\frac{\sqrt{3}}{2}\)
= 3.1 Nm
कुण्डलिनी को घूमने से रोकने के लिए τ के बराबर एवं विपरीत ऐंठन लगानी पड़ेगी।
∴ वांछित ऐंठन = τ = 3.1 Nm.
(b) नहीं, उत्तर नहीं बदलता क्योंकि सूत्र τ = NIAB sin θ किसी भी आकार के समतल लूप के लिए सही है।

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)

प्रश्न 4.14.
दो समकेन्द्रिक वृत्ताकार कुण्डलियाँ X और Y जिनकी त्रिज्याएँ क्रमशः 16 cm एवं 10 cm हैं, उत्तर-दक्षिण दिशा में समान ऊर्ध्वाधर तल में अवस्थित हैं। कुण्डली X में 20 फेरे हैं और इसमें 16 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, कुण्डली Y में 25 फेरे हैं और इसमें 18A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। पश्चिम की ओर मुख करके खड़ा एक प्रेक्षक देखता है कि X में धारा प्रवाह वामावर्त है जबकि Y में दक्षिणावर्त है। कुण्डलियों के केन्द्र पर उनमें प्रवाहित विद्युत धाराओं के कारण उत्पन्न कुल चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-कुण्डली X के लिए-
कुण्डली में धारा = I = 1. 6 A
चक्रों की संख्या = n = 20
कुण्डलिनी की त्रिज्या r = 16 cm = 16 × 10-2 m
कुण्डली X के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B = \(\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{2 \pi n I}{r}\)
= \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{4 \pi}\) × \( \frac{2 \pi \times 20 \times 16}{16 \times 10^{-2}}\)
= 4π × 10-4 T
(कुण्डली से व्यक्ति की ओर अर्थात् पूर्व दिशा में)
कुण्डली Y के लिए-
I = 18 A, n = 25
r = 10 × 10-2 m
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HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.15.
10 cm लम्बाई और 10-3 m2 अनुप्रस्थ काट के एक क्षेत्र में 100 G (1 G = 10-4 T) का एक समान चुम्बकीय क्षेत्र चाहिए। जिस तार से परिनालिका का निर्माण करना है उसमें अधिकतम 15 A विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है और क्रोड का अधिकतम 1000 फेरे प्रति मीटर लपेटे जा सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए परिनालिका के निर्माण का विवरण सुझाइए। यह मान लीजिए कि क्रोड लोह-चुम्बकीय नहीं है।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 10

चूँकि परिनालिका में अधिकतम धारा का मान 15 ऐम्पियर और प्रति मीटर फेरों की संख्या 1000 हो सकती है, अतः 100 गाउस का क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए एक परिनालिका ली जा सकती है जिसमें इकाई लम्बाई में फेरों की संख्या 800 हो और धारा 10 ऐम्पियर प्रवाहित की जाये, साथ ही उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान रूप से 10 सेमी. लम्बाई तथा 10-3 मी.2 अनुप्रस्थ काट के क्षेत्र में विद्यमान होना चाहिए अतः हमें परिनालिका की लम्बाई एवं अनुप्रस्थ काट लगभग 5 गुना अर्थात् लम्बाई 50 सेमी. एवं अनुप्रस्थ काट 5 × 10-3 मी.2 (त्रिज्या लगभग 4 सेमी.) लेनी चाहिए जिससे परिनालिका के केन्द्र पर वांछित मात्रा में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो सके। इस स्थिति में परिनालिका के कुल फेरे
N= nL = 800 × \(\frac{1}{2}\) = 400 होंगे।

प्रश्न 4.16.
I धारावाही, N फेरों और R त्रिज्या वाली वृत्ताकार कुण्डली के लिए, इसके अक्ष पर, केन्द्र से x दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए निम्न व्यंजक है-
B = [/latex]\frac{\mu_0 \mathbb{R}^2 \mathrm{~N}}{2\left(\mathrm{x}^2+\mathrm{R}^2\right)^{3 / 2}}[/latex]
(a) स्पष्ट कीजिए कि इससे कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए सुपरिचित परिणाम कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
(b) बराबर त्रिज्या R एवं फेरों की संख्या N वाली दो वृत्ताकर कुण्डलियां एक-दूसरे से R दूरी पर एक-दूसरे के समान्तर अक्ष मिलाकर रखी गई हैं। दोनों में समान विद्युत धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है। दर्शाइए कि कुण्डलियों के अक्ष के लगभग मध्य बिन्दु पर क्षेत्र, एक बहुत छोटी दूरी के लिए जो कि R से कम है, एक समान है और इस क्षेत्र का लगभग मान निम्न है-
B = 0. 72\( \frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{\mathrm{R}}\)
[बहुत छोटे से क्षेत्र में एक समान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए बनाई गई ऊपर वर्णित व्यवस्था हेल्महोल्ट्ज कुण्डलियों के नाम से जानी जाती है।]
उत्तर:
हल-(a) दिया गया है-I धारावाही N फेरों और R त्रिज्या वाली वृत्ताकार कुण्डली के लिए इसके अक्ष पर केन्द्र से x दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र
B = \( \frac{\mu_0 I^2 N}{2\left(x^2+R^2\right)^{3 / 2}}\)
कुण्डली के केन्द्र पर x = 0
अतः B = \( \frac{\mu_0 I^2 N}{2\left(0+R^2\right)^{3 / 2}}\)
= \( \frac{\mu_0 I R^2 N}{2 R^3}=\frac{\mu_0 I N}{2 R}\)
जो कि वही है जैसा कि कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का जाना-पहचाना व्यंजक होता है।
(b) कुण्डलियों के बीच में मध्य बिन्दु के आस-पास 2d लम्बाई के एक छोटे से क्षेत्र में
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 11
यदि दोनों कुण्डलिनियों के कारण B पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र है, तब
B = B1 + B2
B1 और B2 दोनों एक ही दिशा में कार्य करते हैं अतः दोनों को जोड़ा जाता है
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 13

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.17.
एक टोरॉइड के (अलौह चुम्बकीय) क्रोड की आन्तरिक त्रिज्या 25 cm और बाह्य त्रिज्या 26 cm है। इसके ऊपर किसी तार के 3500 फेरे लपेटे गए हैं। यदि तार में प्रवाहित विद्युत धारा [/latex] 11\mathrm{~A}[/latex] हो, तो चुम्बकीय क्षेत्र का मान क्या होगा? (i) टोरॉइड के बाहर (ii) टोरॉइड के क्रोड में (iii) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 14

(i) माना टोरॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र B0 है = ?
टोरॉइड कोर के घेरे कुण्डलीन के अन्दर ही क्षेत्र अशून्य है, अतः टोरॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य है
अर्थात् B0 = 0
(ii) टोरॉइड के क्रोड में B = μ0nL
= 4π × 10-7 × \( \frac{3500}{0.51 \pi}\) × 11
= 0. 0302 T
= 3. 02 × 10-2 T
(iii) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में चुम्बकीय क्षेत्र का मान शून्य है।

प्रश्न 4.18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिन्दु पर बदलता है, पर दिशा निश्चित है (पूर्व से पश्चिम)। इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता रहता है। आप कण के प्रारम्भिक वेग के बारे में क्या कह सकते हैं?

(b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है, जिसका परिमाण और दिशा दोनों एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर बदलते जाते हैं, एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है। यदि यह मान लें कि चुम्बकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दूसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता, तो क्या इसकी अन्तिम चाल, प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी?

(c) पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है जिसमें उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एक समान एक वैद्युत क्षेत्र है। वह दिशा बताइए जिसमें एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके।
उत्तर:
(a) हम जानते हैं कि चुम्बकीय क्षेत्र के अन्दर गमनशील आवेशित कण पर बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{\mathrm{m}}=\mathrm{q}(\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\)
आवेशित कण अविक्षेपित चलेगा अर्थात् इस पर बल शून्य होगा यदि \((\vec{V} \times \vec{B})\) है।
\((\vec{V}\times \vec{B})\) तब शून्य होगा जब आरम्भिक वेग B के समान्तर अथवा विपरीत दिशा में हो।

(b) हाँ, इसका अन्तिम वेग इसकी आरम्भिक चाल के बराबर होगा, यदि यह वातावरण से कोई संघट्टन करे। यह इसलिए है कि चुम्बकीय क्षेत्र आवेशित कण पर सदा बल लगाता है जो इसकी गति के अभिलम्ब है, अतः यह बल केवल गति या वेग \(\vec{v}\) की दिशा ही बदल सकता है न कि इसका परिमाण।

(c) स्थिर वैद्युत क्षेत्र पश्चिम की ओर लगा है चूँकि इलेक्ट्रॉन एक ॠणात्मक आवेशित कण है अतः स्थिर वैद्युत बल उत्तर की ओर निर्देशित है अतः यदि इलेक्ट्रॉन को सीधे मार्ग से विक्षेपित होने से रोकना है, तो चुम्बकीय बल जो इलेक्ट्रॉन पर कार्य करता है, को दक्षिण की ओर निर्देशित करना होगा चूँकि इलेक्ट्रॉन का वेग \(\vec{v}\) पश्चिम से पूर्व की ओर है, तो चुम्बकीय लॉरेन्ट्स बल का व्यंजक \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{\mathrm{m}}}=-\mathrm{e}(\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\) हमें यह बताता है कि चुम्बकीय बल \(\vec{B}\) को ऊर्ध्वाधर ऊपर से नीचे की ओर लगाना चाहिए।

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प्रश्न 4.19.
ऊष्मित कैथोड से उत्सर्जित और 2.0 kV के विभवान्तर पर त्वरित एक इलेक्ट्रॉन 0.15 T के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन का गमन पथ ज्ञात कीजिए यदि चुम्बकीय क्षेत्र (a) प्रारम्भिक वेग के लम्बवत् है (b) प्रारम्भिक वेग की दिशा से 30° का कोण बनाता है।
उत्तर:
हल-दिया गया है-इलेक्ट्रॉन का आवेश e = 1.6 × 10-19C
m = 9. 0 × 10-31 Kg
V = 2.0 kV = 2000 V = 2 × 103 V
B = 0. 15 T
(a) θ = 90°, गमन पथ = ?
(b) θ = 30°, गमन पथ = ?
विभवान्तर इलेक्ट्रॉन को K.E. देता है
अत: \(\frac{1}{2}\)mv2 = eV
या v = \(\sqrt{\frac{2 \mathrm{eV}}{\mathrm{m}}}\)
(a) ∵ θ = 90° वेग का चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश अवयव शून्य है अतः इलेक्ट्रॉन पर बल
evB sin θ = evB
∵ sin 90° = 1
यह बल अभिकेन्द्र बल की तरह कार्य करता है
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 15
अत: B के लम्बवत् 1.0 mm त्रिज्या का वृत्ताकार पथ होगा।
(b) ∵ θ = 30° क्षेत्र के अनुदिश वेग अवयव
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प्रश्न 4.20.
प्रश्न 4.16 में वर्णित हेल्महोल्ट्ज कुण्डलियों का उपयोग करके किसी लघुक्षेत्र में 0.75 T का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया है। इसी क्षेत्र में कोई एकसमान स्थिर वैद्युत क्षेत्र कुण्डलियों के उभयनिष्ठ अक्ष के लम्बवत् लगाया जाता है। (एक ही प्रकार के) आवेशित कणों का 15 KV विभवान्तर पर त्वरित एक संकीर्ण किरण पुंज इस क्षेत्र में दोनों कुण्डलियों के अक्ष तथा स्थिर वैद्युत क्षेत्र की लम्बवत् दिशा के अनुदिश प्रवेश करता है। यदि यह किरण पुंज 9.0 × 10-5 Vm-1 , स्थिर वैद्युत क्षेत्र में अविक्षेपित रहता है, तो यह अनुमान लगाइए कि किरण पुंज में कौनसे कण हैं? यह स्पष्ट कीजिए कि यह उत्तर एकमात्र उत्तर क्यों नही है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
B = 0. 75 T, E = 9.0 × 105 V/m
V = 15 kV = 15000 V
\(\frac{e}{\mathrm{~m}}\) = ?
माना कण का आवेश = e है और उसका द्रव्यमान m है। माना वे वोल्टेज को त्वरित करके वेग v प्राप्त करते हैं
तब \( \frac{1}{2}\) mv2 = eV
चूँकि कण दो क्रॉस क्षेत्रों से अविक्षेपित नहीं है।
v = \(\frac{E}{B}\)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 17
यह मान ड्यूड्रॉन्स के संगत है, अतः कण ड्यूटीरियम अवयव है। उत्तर एकमात्र उत्तर नहीं है, क्योंकि केवल कण के आवेश एवं द्रव्यमान का अनुपात ही ज्ञात किया गया है। अन्य संभावित उत्तर He++, Le++आदि हैं।

प्रश्न 4.21.
एक सीधी, क्षैतिज चालक छड़ जिसकी लम्बाई 0.45 m एवं द्रव्यमान 60g है इसके सिरों पर जुड़े दो ऊर्ध्वाधर तारों पर लटकी हुई है। तारों से होकर छड़ में 5.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है।
उत्तर:
(a) चालक के लम्बवत् कितना चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए के तारों में तनाव शून्य हो जाए।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा यथावत् रखते हुए यदि विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाए, तो तारों में कुल तनाव कितना होगा? (तारों के द्रव्यमान की उपेक्षा कीजिए) g = 9.8 ms-2
हल-दिया गया है-
l = 0.45 m,
I = 5.0 A,
m = 60g = 0. 06 kg
(a) छड़ के भार को संतुलन करने के लिए आवश्यक बल का मान होगा-
F = mg = 0.06 × 9.8 N
= 0. 588 N
सूत्र F = BIl का प्रयोग करने पर
या B = \(\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{I} l}\)
मान रखने पर B = \(\frac{0.588}{5 \times 0.45}\) = 0.26 T

अतः एक क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र जिसका परिमाण 0.26 T है और जो चालक के लम्बवत् इस दिशा में लगा है कि फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम चुम्बकीय बल ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर बताये।
(b) जब विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाये, चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल नीचे की ओर कार्य करता है।
तारों में कुल तनाव = छड़ के भार के कारण बल + चुम्बकीय क्षेत्र के कारण
= 0. 588 + 0.588
= 1. 176 N

प्रश्न 4.22.
एक स्वचालित वाहन की बैटरी से इसकी चालन मोटर को जोड़ने वाले तारों में 300 A विद्युत धारा (अल्प काल के लिए) प्रवाहित होती है। तारों के बीच प्रति एकांक लम्बाई पर कितना बल लगता है यदि इनकी लम्बाई 70 cm एवं बीच की दूरी 1.5 cm हो। यह बल आकर्षण बल है या प्रतिकर्षण बल?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
I1 = I2 = 300 A
dl1 = dl2 = 70 cm = 70 × 10-2 m
μ0 = 4π × 10-7
r = 1.5 cm = 1.5 × 10-2 m.
चूँकि r<< dl1 तथा dl2 प्रत्येक तार अनन्त लम्बाई का माना जा सकता है।
अनन्त लम्बाई के तार पर (इकाई लम्बाई) पर लगने वाला बल
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 19
जो कि बल प्रतिकर्षण बल है क्योंकि तारों में समान दिशा में धारा प्रवाहित हो रही है।
तार पर कुल बल 1.2 × 0.7 = 0.84 N प्राप्त करना केवल
सन्निकटतः सही है, क्योंकि सूत्र F = \(\frac{\mu_0 \mathrm{I}_1 \mathrm{I}_2}{2 \pi \mathrm{r}}\) जो प्रति इकाई लम्बाई पर
लगने वाले बल के लिए दिया गया है। केवल अनन्त लम्बाई के चालकों के लिए मान्य है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.23.
1.5 T का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, 10.0 cm त्रिज्या के बेलनाकार क्षेत्र में विद्यमान है। इसकी दिशा अक्ष के समानान्तर पूर्व से पश्चिम की ओर है। एक तार जिसमें 7.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है इस क्षेत्र में होकर उत्तर से दक्षिण की ओर गुजरती है। तार पर लगने वाले बल का परिमाण और दिशा क्या होगी, यदि
(a) तार अक्ष को काटता हो,
(b) तार N-S दिशा से घुमाकर उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम दिशा में कर दिया जाए,
(c) N-S दिशा में रखते हुए ही तार को अक्ष से 6.0 cm नीचे उतार दिया जाए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
(a) एक समान चुम्बकीय क्षेत्र (B) = 1.5 T (पूर्व से पश्चिम की ओर)
तार में प्रवाहित धारा का मान I = 7.0 A
बेलनाकार क्षेत्र का व्यास = 20 cm = 20 × 10-2 m
∴ l = 20 × 10-2 m
θ = 90°
अत: F = BIl sin θ
मान रखने पर = 1.5 × 7.0 × 20 × 10-2 sin 90°
= 30. 0 × 7 × 10-2 × 1
= 210 × 10-2 N = 2.1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम का प्रयोग करने पर हम देखते हैं कि बल ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर कार्य करता है।
(b) यदि चुम्बकीय क्षेत्र में तार की लम्बाई l1 हो तब
F1 = BIl1 sin 45°
∵ इस स्थिति में θ = 45°
किन्तु l 1 sin 45° = l
∴ F 1 BIl = 1.5 × 7 × 20 × 10-2
= 10. 5 × 20 × 10-2
= 210. 0 × 10-2 = 2. 1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से बल की दिशा ऊर्ध्वाधर की ओर होगी।
(c) जब तार को अक्ष से 6 सेमी. नीचे उतार दिया जाए और तार की लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र में 2x है।
हल-दिया गया है-
(a) एक समान चुम्बकीय क्षेत्र (B) = 1.5 T (पूर्व से पश्चिम की ओर)
तार में प्रवाहित धारा का मान I = 7. 0 A
बेलनाकार क्षेत्र का व्यास = 20 cm = 20 × 10-2 m
∴ l = 20 × 10-2 m
θ = 90°
अतः F = BIl sin θ
मान रखने पर = 1.5 × 7.0 × 20 × 10-2 sin 90°
= 30. 0 × 7 × 10-2 × 1
= 210 × 10-2 N = 2.1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम का प्रयोग करने पर हम देखते हैं कि बल ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर कार्य करता है।
(b) यदि चुम्बकीय क्षेत्र में तार की लम्बाई l1
F1 = BIl1 sin 45°
∵ इस स्थिति में θ = 45°
किन्तु l1 sin 45° = l
∴ F1 = BIl = 1.5 × 7 × 20 × 10 -2
= 10.5 × 20 × 10-2
= 210.0 × 10-2 = 2. 1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से बल की दिशा ऊर्ध्वाधर की ओर होगी।
(c) जब तार को अक्ष से 6 सेमी. नीचे उतार दिया जाए और तार की लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र में 2x है।
जहाँ पर
x = \(\sqrt{(10)^2-(6)^2}\)
= 8 cm
L2 = 2x = 2 × 8
= 16 cm
= 16 × 10-2 m
अतः बल
F2 = BIl2 से
= 1.5 × 7 × 16 × 10-2
= 1. 68 N

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.24.
धनात्मक z-दिशा में 3000 G का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया गया है। एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 10cm एवं 5 cm और जिसमें 12 A धारा प्रवाहित हो रही है इस क्षेत्र में रखा है। चित्र में दिखाई गई लूप की विभिन्न स्थितियों में इस पर लगने वाला बलयुग्म आघूर्ण क्या है? हर स्थिति में बल क्या है? स्थायी संतुलन वाली स्थिति कौनसी है?
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 20
उत्तर:
हल-एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, B = 3000 G
= 3000 × 10-4 T
= 0.3 T
चौकोर लूप की लम्बाई = l = 10 cm = 0.1 m
चौकोर लूप की चौड़ाई = b = 5 cm = 5 × 10-2 m
क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= 10 × 5 = 50 cm
= 50 × 10-4 m2
लूप पर ऐंठन (बल आघूर्ण) τ = IAB cos θ द्वारा दिया जाता है।
जहाँ θ लूप के तल और चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण है।
(a) दिया गया है- θ = 0°
τ = 0.3 × 12 × 50 × 10-4 cos 0
= 1.8 × 102 Nm
और यह y-अक्ष के अनुदिश कार्य करता है अर्थात् -y दिशा में
(b) θ = 0°
∴ τ = 0.3 × 12 × 50 × 10-4 × cos 0
τ = 0.3 × 600 × 10-4 × 1
= 18 × 10-3 = 1.8 × 10-2 Nm
और यह y अक्ष के अनुदिश कार्यरत है। अर्थात् -y दिशा में
(c) = θ = 0°
τ = 0.3 × 12 × 50 × 10-4× cos 0
= 1.8 × 10-2 Nm
और यह -x दिशा अथवा x- अक्ष के अनुदिश कार्यरत है।
(d) यहाँ पर θ = 0°
τ = 1.8 × 10-2 Nm
इस बल आघूर्ण की दिशा, ऋणात्मक x- दिशा से वामावर्ती 30° + 90° = 120° होगी।
(e) इस स्थिति में क्षेत्रफल \overrightarrow{\mathrm{A}} और चुम्बकीय क्षेत्र \(\vec{B}\) आपस में समान्तर होंगे, अतः
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 21
स्थायी संतुलन की स्थिति e है तथा अस्थायी संतुलन अवस्था f में प्राप्त होगा।

प्रश्न 4.25.
एक वृत्ताकार कुण्डली जिसमें 20 फेरे हैं और जिसकी त्रिज्या 10 cm है, एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है जिसका परिमाण 0.10 T है और जो कुण्डली के तल के लम्बवत् है। यदि कुण्डली में 5.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो, तो
(a) कुण्डली पर लगने वाला कुल बल आघूर्ण क्या है?
(b) कुण्डली पर लगने वाला कुल परिणामी बल क्या है?
(c) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कुण्डली के प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला कुल औसत बल क्या है?
(कुण्डली 10-5m2 अनुप्रस्थ क्षेत्र वाले ताँबे के तार से बनी है और ताँबे में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व 1029m-3 दिया गया है।)
उत्तर:
हल-दिया गया है-
वृत्ताकार कुण्डली में फेरों की संख्या = N
∴ N = 20
और R = 10 cm = 10 × 10-2m
∴ क्षेत्रफल (A) = πR2
= π × (10 × 10-2)2
= π × 100 × 10-4 = π × 10-2
B = 0. 10 T, I = 5.0 A
τ = ?, F = ?
चूँकि कुण्डली का तल, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है। विभिन्न भुजाओं पर बल समान में कार्य करते हैं जो कि कुण्डली का तल है। विपरीत भुजाओं पर बल समान तथा विपरीत है। अतः सभी बल संतुलन करते हैं।

(a) सूत्र के द्वारा
τ = NIAB sin θ
मान रखने पर = 20 × 5.0 × π × 10-2 × 0.10 × sin 0
= 20 × 5.0 × π × 10-2 × 0.10 × 0
∵ sin 0 = 0
∴ τ = 0
(b) एक तलीय धारा लूप में चुम्बकीय क्षेत्र में सदैव कुल बल शुन्य होता है।
(c) एक इलेक्ट्रॉन पर बल = ?
F = Bevd
= \(\mathrm{Be}\left(\frac{I}{\mathrm{neA}}\right)=\frac{\mathrm{BI}}{\mathrm{nA}}\)
∵ I = neAvd
यहाँ पर n = 1029m-3
= ताँबे में स्वतन्त्र इलेक्ट्रॉन
ताँबे के तार की अनुप्रस्थ काट = A
A = 10-5 m2
F = \(\frac{0.10 \times 5}{10^{29} \times 10^{-5}}\)
∵ F =[/latex]\frac{B I}{n e}[/latex]है।
= 5 × 10-25 N

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.26.
एक परिनालिका जो 60 cm लम्बी है, जिसकी त्रिज्या 4.0 cm है और जिसमें 300 फेरों वाली 3 परतें लपेटी गई हैं। इसके भीतर एक 2.0 cm लम्बा, 2.5 g द्रव्यमान का तार इसके (केन्द्र के निकट) अक्ष के लम्बवत् रखा है। तार एवं परिनालिका का अक्ष दोनों क्षैतिज तल में हैं। तार को परिनालिका के समान्तर दो वाही संयोजकों द्वारा एक बाह्य बैटरी से जोड़ा गया है जो इसमें 6.0 A विद्युत धारा प्रदान करती है। किस मान की विद्युत धारा (परिवहन की उचित दिशा के साथ) इस परिनालिका के फेरों में प्रवाहित होने पर तार का भार संभाल सकेगी? g =9.8 m s-2
उत्तर:
हल- परिनालिका की लम्बाई = l
∴ l = 60 cm. = 6.0 m
N = 3 × 300 = 900
तार के लिए l1 = 2.0 cm = 0. 02 m
m = 2.5 g = 2. 5 × 10-3Kg
I = 6.0 A
माना परिनालिका के फेरों में I ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है तब परिनालिका के लिए
B = μ0nI = μ0\(\frac{\mathrm{NI}}{l}\)
तार पर बल F = BI’l
I’ धारा है, जो कि तार में प्रवाहित हो रही है और l तार की लम्बाई है। परिनालिका में धारा की दिशा और अंतः चुम्बकीय क्षेत्र ऐसी दिशा में माने जाते हैं कि बल F अपरमुखी कार्य करता है तथा तार का भार तभी अविलम्बित होगा यदि F तार के भार के तुल्य और विपरीत होगा।
∴ BI’l = mg
या μ0nII’l = mg
या I = \(\frac{\mathrm{mg}}{\mu_0 \mathrm{nI}^{\prime} l}\)
यहाँ पर m = 2.5 × 10-5kg
g = 9.8 m/s2
n = \(\frac{3 \times 300}{60 \times 10^{-2}}\) चक्कर/m = 1500 चक्कर/मिनट
I’ = 6.0 A, l= 2 × 102m
I = \(\frac{2.5 \times 10^{-3} \times 9.8}{4 \pi \times 10^{-7} \times 15000 \times 6 \times 2 \times 10^{-2}} \)
= 108 .3 A

प्रश्न 4.27.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुण्डली का प्रतिरोध 12Ω है। 4 mA की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 18 V परास वाले वोल्टमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 22
अतः 5988 ओम का प्रतिरोध गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में लगाकर उसे वोल्टमीटर में रूपान्तरित किया जा सकता है।

प्रश्न 4.28.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुण्डली का प्रतिरोध 15 Ω है। 4 mA की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 6 A परास वाले ऐमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबक 23
अतः धारामापी कुण्डली के समान्तर क्रम में 10-2 ओम का शण्ट प्रतिरोध जोड़कर इसे 0 – 6 ऐम्पियर परास के अमीटर में बदला जा सकता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा

प्रश्न 3.1.
किसी कार की संचायक बैटरी का विद्युत वाहक बल 12V है। यदि बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध 0.452 हो, तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या है?
उत्तर:
हल- अधिकतम धारा का मान जो बैटरी से ली जा सकती है जबकि परिपथ में बाह्य प्रतिरोध का मान शून्य है अर्थात् R = 0
अधिकतम धारा
I = \(\frac{E}{R+r}\)
R = 0 रखने पर
Imax = \(\frac{E}{0+r}=\frac{E}{r}\)
या Imax = \(\frac{12 \mathrm{~V}}{0.4 \Omega}\) = 30A

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.2.
10V विद्युत वाहक बल वाली बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 3Ω है, किसी प्रतिरोधक से संयोजित है। यदि परिपथ में धारा का मान 0.5A हो, तो प्रतिरोधक का प्रतिरोध क्या है? जब परिपथ बन्द है, तो सेल की टर्मिनल वोल्टता
हल दिया गया है- जब परिपथ बन्द है, तो सेल की टर्मिनल वोल्टता क्या होगी?
हल-दिया गया है- F = 10V, r = 3Ω
I = 0.5 A
R = ? V = ?
सूत्र I = \(\frac{E}{R+r}\)
या R + r = \(\underline{E}\)
या R = \(\frac{E}{I}-r\)
मान रखने पर R = \(\frac{10}{0.5}\)-3 = 20 – 3
R = 17 Ω
टर्मिनल वोल्टता का मान V = E – Ir = IR
= 10 – 0.5 × 3 = 8.5 V

प्रश्न 3.3.
(a) 1Ω, 2Ω और 3Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणी में संयोजित हैं। प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या है?
(b) यदि प्रतिरोधकों का संयोजन किसी 12 V की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध है, तो प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टता पात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-(a)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 1
R1 = 1Ω
R2 = 2Ω
R3 = 3Ω

प्रतिरोधों का संयोजन श्रेणी क्रम में है, अतः प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध
Rs = R1 + R2 + R3
= 1+2+3 = 6Ω

(b) परिपथ में धारा का मान
I = \(\frac{E}{R_S+r}=\frac{E}{R_S}\)(r नगण्य है)
I = \(\frac{12}{6}\) = 2 ऐम्पियर

R1 प्रतिरोधक में सिरे पर वोल्टता पात V1 = IR1
= 2 × 1
= 2 वोल्ट

R2 प्रतिरोधक के सिरे पर वोल्टता पात V2 = IR2
= 2 × 2
= 4 वोल्ट

R3 प्रतिरोधक के सिरे पर वोल्टता पात V3 = IR3
= 2 × 3
= 6 वोल्ट

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.4.
(a) 2Ω, 4Ω और 5Ω के तीन प्रतिरोधक पार्श्व में संयोजित हैं। संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या होगा?
(b) यदि संयोजन को 20V के विद्युत बल की बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध किया जाता है, तो प्रत्येक प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली धारा तथा बैटरी से ली गई कुल धारा का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-(a) माना समान्त
में जुड़े तीन प्रतिरोध R1, R2,R3 हैं। यहाँ पर
R1 = 2 Ω
R2 = 4 Ω
R3 = 5 Ω
यदि समानान्तर समायोजन का प्रतिरोध Rp है, तब
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 2

प्रश्न 3.5.
कमरे के ताप (27.0 °C) पर किसी तापन अवयव का प्रतिरोध 100 Ω है। यदि तापन अवयव का प्रतिरोध 117 Ω हो, तो अवयव का ताप क्या होगा? प्रतिरोधक के पदार्थ का ताप गुणांक 1.70 × 10-4°C-1 हैं।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
R1 = 100 Ω
R2 = 117 Ω
T1 = ?
α = 1.70 × 10-4°C-1
सम्बन्ध R2 = R1[ 1 + α (T2 – T1)] का उपयोग करने पर
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 3

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.6.
15 मीटर लम्बे एवं 6.0 × 10-7 m2 अनुप्रस्थ काट वाले तार से उपेक्षणीय धारा प्रवाहित की गई और इसका प्रतिरोध 5.0 Ω मापा गया। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता क्या होगी?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
तार की लम्बाई l=15 m
तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्र A = 6.0 × 10-7 m2
तार का प्रतिरोध R = 5.0 Ω
तार की प्रतिरोधकता p = ?
हम जानते हैं कि p = \(\frac{\mathrm{RA}}{l} \) का उपयोग करने पर
= \(\frac{5.0 \times 6.0 \times 10^{-7}}{15 \mathrm{~m}}\) = \(\frac{30 \times 10^{-7}}{15}\)
= 2 × 10-7Ω m

प्रश्न 3.7.
सिल्वर के किसी तार का 27.5°C पर प्रतिरोध 2.1 Ω और 100°C पर प्रतिरोध 2.7Ω है। सिल्वर की प्रतिरोधकता ताप गुणांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
T1 = 27. 5°C
T2 = 100°C
R1 = 2.1 Ω और R2 = 2.7 Ω
माना सिल्वर की प्रतिरोधकता ताप गुणांक α = ?
सम्बन्ध R2 = R1[T2 – T1] का उपयोग करने पर
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 4

प्रश्न 3.8.
नाइक्रोम का एक तापन-अवयव 230 V की सप्लाई C संयोजित है और 3.2 A की प्रारम्भिक धारा लेता है, जो कुछ सेकण्ड में 2.8 A पर स्थायी हो जाती है। यदि कमरे का ताप 27.0 °C है, तो तापन- अवयव का स्थायी ताप क्या होगा? दिए गए ताप-परिसर में नाइक्रोम का औसत प्रतिरोध का ताप गुणांक 1.70 × 10-4है। हल-दिया गया है-
उत्तर:
हल-दिया गया है-
सप्लाई विभव का मान V = 230 वोल्ट
आरम्भिक धारा I1 = 3.2 ऐम्पियर
T1 कमरे का ताप = 27°C
स्थिर धारा I2=2.8 ऐम्पियर
स्थिर ताप T2 = ?
प्रतिरोध का तापीय गुणांक α = 1.7 × 10-4°C-1
यदि T1 व T2 ताप पर तार का प्रतिरोध क्रमश: R1 तथा R2 है तब
R1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}_1}\) से
= \(\frac{2.30}{3.2}\) = 71.875 Ω
और R2 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}_2}\) से
= \(\frac{2.30}{2.8}\) = 82.413 Ω
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 5

प्रश्न 3.9.
चित्र में दर्शाए नेटवर्क की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 6
उत्तर:
हल-किरखोफ के द्वितीय नियम को शाखा ABCD पर प्रयोग करने पर
⇒ -10 I1 – 5 Ig + (I – I1) 5 = 0
⇒ – 10 I1 – 5 Ig + 5 I – 5 I1 = 0
⇒ -15 I1 – 5 Ig + 5 I = 0
या 3I1 – I + Ig = 0 ………………(1)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 7
पुनः किरखोफ का द्वितीय नियम शाखा BDCB में लगाने पर
-5 Ig – 10 (I -I1 + Ig) + 5 (I1 – Ig) = 0
⇒ -5 Ig – 10 I + 10 I1 – 10 Ig + 5 I1 – 5 Ig = 0
⇒ 15 I1 – 10 I – 20 Ig = 0
या 3 I1 – 21 – 4 Ig = 0 ……………………(2)
किरखोफ का द्वितीय नियम शाखा ABCEA पर लगाने पर
– 10 I1 – 5 (I1 – Ig) – 10 I + 10 = 0
⇒ 10 I1 5 I1 + 5 Ig – 10 I + 10 = 0
⇒ -15 I1 – 10 I + 5 Ig = -10
⇒ 3 I1 + 2 I – Ig = 2 …………….(3)
समीकरण (1) तथा (3) को जोड़ने पर
6I1 + I = 2 …………….(4)
समीकरण (1) को 4 से गुणा करके समीकरण (2) में जोड़ने पर
15I1 – 6I = 0 …………(5)
समीकरण (4) तथा (5) को हल करने परc
I1 = \(\frac{4}{17}\) ऐम्पियर
शाखा AB में धारा का मान
I1 = \(\frac{4}{17}\) ऐम्पियर
I1 का मान समीकरण (5) में रखने पर
15 × \(\frac{4}{17}\)-6I = 0
या 6I = \( \frac{15 \times 4}{17}\)
या I =\( \frac{15 \times 4}{17 \times 6}=\frac{60}{102}=\frac{10}{7}\) ऐम्पियर
I तथा I1 का मान समीकरण (3) में रखने पर
3I1 + 2I – Ig = 2
⇒ \( 3 \times \frac{4}{17}+\frac{2 \times 60}{102}-\mathrm{Ig}=2\)
⇒ \(\frac{12}{17}+\frac{120}{102}\)– Ig = 2
⇒ \( \frac{12}{17}+\frac{120}{102}\) -2 = Ig
⇒ Ig = \( \frac{72+120-204}{102}\)
= \( \frac{-12}{102}\)
= – \( \frac{2}{17}\) ऐम्पियर
ऋणात्मक चिन्ह यह बताता है कि धारा की दिशा चित्र में विपरीत दर्शायी गई है।
इसलिए धारा दिशा शाखा BD में = lg = \( \frac{-2}{17}\) ऐम्पियर
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 8

प्रश्न 3.10.
(a) किसी मीटर सेतु में (चित्र) जब प्रतिरोधक S = 12.5 Ω हो, तो संतुलन बिन्दु सिरे A से 39.5 cm की लम्बाई पर प्राप्त होता है। R का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। ह्कीटस्टोन सेतु या मीटर सेतु में प्रतिरोधकों के संयोजन के लिए मोटी कॉपर की पत्तियों क्यों प्रयोग में लाई जाती हैं?
(b) R तथा S को अंतर्बदल करने पर उपरोक्त सेतु का संतुलन बिन्दु ज्ञात कीजिए।
(c) यदि सेतु के संतुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर और सेल को अंतर्बदल कर दिया जाए तब क्या गैल्वेनोमीटर कोई धारा दर्शाएगा?
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 9

मोटी ताँबे की पट्टियों को संयोजन के रूप में प्रयुक्त करते हैं, क्योंकि इनका प्रतिरोध नगण्य होता है और इनका उपयोग संयोजन के प्रतिरोध को न्यूनतम कर देता है जिससे कीटस्टोन/मीटर सेतु के प्रतिरोध पर इनका प्रभाव नहीं होता है।
(b) R तथा S को अंतर्बदल करने पर सन्तुलन बिन्दु 100 – l = 100 – 39. 5 = 60 . 5 cm प्राप्त होगा।

(c) मीटर सेतु क्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर आधारित है जिससे सेल व धारामापी की स्थितियाँ अंतर्बदल की जा सकती हैं। अतः धारामापी पुनः कोई धारा नहीं दर्शायेगा।
पहली सामान्य अवस्था में अनुपाती भुजायें P,Q होंगी तथा सन्तुलन अवस्था में
\( \frac{P}{Q}=\frac{R}{S}\) होगा।
दूसरी अवस्था में P, R अनुपाती भुजायें हो जायेंगी और सन्तुलन के लिए
\( \frac{P}{R}=\frac{Q}{S}\) होगा।
दोनों प्रतिबंध समान हैं।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.11.
8V विद्युत वाहक बल की एक संचायक बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 0.5 Ω है, को श्रेणीक्रम में 15.5 Ω के प्रतिरोधक का उपयोग करके 120 V के dc स्रोत द्वारा चार्ज किया जाता है। चार्ज होते समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता क्या है? चार्जकारी परिपथ में प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में सम्बद्ध करने का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
E = 8 V,
r = 0.5 Ω
R = 15.5 Ω
Vt = 120V
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 10

टर्मिनल वोल्टता
V = E + I.r
= 8 + 7 × 0.5
= 8 + 3.5 = 11.5 वोल्ट
11.5 वोल्ट श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधक बाह्य स्रोत से ली गई धारा को सीमित करता है। इसकी अनुपस्थिति में धारा घातक रूप से बढ़ जाएगी जो कि अवयवों को क्षति पहुँचा सकती है।

प्रश्न 3.12.
किसी पोटेंशियोमीटर व्यवस्था में 1.25 V विद्युत वाहक बल के एक सेल का सन्तुलन बिन्दु तार के 35.0 cm लम्बाई पर प्राप्त होता है। यदि इस सेल को किसी अन्य सेल के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए, तो सन्तुलन बिन्दु 63.0 cm पर स्थानान्तरित हो जाता है। दूसरे सेल का विद्युत वाहक बल क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
E1 = 1.25 V
l1 = 35.0 cm
E2 = ? l2 = 63. 0 cm.
सम्बन्ध \(\frac{\mathrm{E}_1}{\mathrm{E}_2}=\frac{l_1}{l_2}\) का उपयोग करने पर
या E1l2 = l1E2
या E2 = \(\frac{\mathrm{E}_1 l_2}{l_1}\)
मान रखने पर E2 = \(\frac{1.25 \times 63.0}{35.0}\)
E2 = 9 × 0.25 = 2. 25 वोल्ट

प्रश्न 3.13.
किसी ताँबे के चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या घनत्व उदाहरण 3.1 में 8.5 × 1028 m3 आकलित किया गया है। 3 m लम्बे तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपवाह करने में इलेक्ट्रॉन कितना समय लेता है? तार की अनुप्रस्थ काट 2.0 × 10-6 m2 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
इलेक्ट्रॉन की संख्या घनत्व n = 8.5 × 1028 m3
तार की लम्बाई l = 3 m
तार की अनुप्रस्थ काट A = 2.0 × 10-6 m2
तार में धारा I = 3.0 A
इलेक्ट्रॉन पर आवेश e = 1.6 × 10-19C
माना तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित होने में इलेक्ट्रॉन द्वारा लिया गया समय
T = ?
धारा I = neAvd सम्बन्ध का उपयोग करने पर
∴ vd = \(\frac{I}{\text { neA }}\)
Img-1

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)

प्रश्न 3.14.
पृथ्वी के पृष्ठ पर ऋणात्मक पृष्ठ-आवेश घनत्व 10-9 cm-2 है। वायुमंडल के ऊपरी भाग और पृथ्वी के पृष्ठ के बीच 400 kV विभवान्तर (नीचे के वायुमंडल की कम चालकता के कारण) के परिणामतः समूची पृथ्वी पर केवल 1800 A की धारा है। यदि वायुमंडलीय विद्युत क्षेत्र बनाए रखने हेतु कोई प्रक्रिया नहीं हो, तो पृथ्वी के पृष्ठ को उदासीन करने हेतु (लगभग) कितना समय लगेगा? (व्यावहारिक रूप में यह कभी नहीं होता है, क्योंकि विद्युत आवेशों की पुन: पूर्ति की एक प्रक्रिया है यथा पृथ्वी के विभिन्न भागों में लगातार तड़ित झंझा एवं तड़ित का होना)। (पृथ्वी की त्रिज्या = 6.37 × 102m)
उत्तर:
हल-दिया गया है-
पृथ्वी का आवेश घनत्व σ = 10-9 cm-2
पृथ्वी की त्रिज्या = 6.37 × 106 m
धारा (सम्पूर्ण पृथ्वी के गोले पर) I = 1800 A
वायुमंडल के ऊपरी भाग और पृथ्वी के बीच विभवान्तर V = 400 kV
पृथ्वी के पृष्ठ को अनावेशित करने में लगा समय t = ?
पृथ्वी के गोले का क्षेत्रफल (A) =4πR2
= 4 × 3. 14 × (6.37 × 106)2
= 4 × 3. 14 × 40 . 58 × 1012 .
= 509.64 × 1012 m2
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 11

प्रश्न 3.15.
(a) छ: लेड एसिड संचायक सेलों को जिनमें प्रत्येक का विद्युत वाहक बल 2v तथा आन्तरिक प्रतिरोध 0.015 Ω है, के संयोजन से एक बैटरी बनाई जाती है। इस बैटरी का उपयोग 8.5 Ω प्रतिरोधक जो इसके साथ श्रेणी संबद्ध है, में धारा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। बैटरी से कितनी धारा ली गई है एवं इसकी टर्मिनल वोल्टता क्या है?

(b) एक लम्बे समय तक उपयोग में लाए गए संचायक सेल का विद्युत वाहक बल 1.9 V और विशाल आंतरिक प्रतिरोध 380 Ω है। सेल से कितनी अधिकतम धारा ली जा सकती है? क्या सेल से प्राप्त यह धारा किसी कार की प्रवर्तक मोटर को स्टार्ट करने में सक्षम होगी?
उत्तर:
हल-(a) प्रत्येक सेल का विद्युत वाहक बल (e.m.f.)
E = 2V
श्रेणी क्रम में 6 सेलों का e.m.f.
एक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r = 0. 015 Ω
श्रेणीक्रम में 6 सेलों का आन्तरिक प्रतिरोध = nr
= 6 × 0.015
= 0.090 Ω
R = 8.5 Ω
बैटरी से धारा ली गई I = \(\frac{E}{R+r}\) = \(\frac{12}{8.5+0.090}\)
= \(\frac{12}{8.59}\)
= 1.4 ऐम्पियर
(b) टर्मिनल वोल्टता का मान v = IR से
= 1.4 × 8.5
= 11.90 V
E = 1.9V, r = 380 Ω
अधिकतम धारा = [/latex]\frac{E}{r}=\frac{11.9}{380}[/latex]
= 0.005 ऐम्पियर
= 5 mA
यह कार की प्रवर्तक-मोटर को स्टार्ट करने में सक्षम नहीं होगी, क्योंकि मोटर स्टार्टर को कुछ सेकण्डों के लिए बहुत अधिक धारा (~ 100 A) की आवश्यकता होती है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.16.
दो समान लम्बाई की तारों में एक ऐलुमिनियम का और दूसरा कॉपर का बना है। इनके प्रतिरोध समान हैं। दोनों तारों में से कौन-सा हल्का है? अतः समझाइए कि ऊपर से जाने वाली बिजली केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों को क्यों पसन्द किया जाता है?
(pAl = 2.63 × 10-8Ωm, pCn = 1. 72 × 10-8 Ωm, Al का आपेक्षिक घनत्व = 2.7, कॉपर का आपेक्षिक घनत्व = 8.9 )
उत्तर:
हल-दिया गया है-
R = \(\frac{\rho l}{\mathrm{~A}}\)
या R = p\(\frac{l^2}{\mathrm{~A} l}=\frac{\rho l^2}{\mathrm{~V}}\)
∵ V = Al
R = \(\rho \frac{l^2}{\mathrm{~V}}=\rho \frac{l^2 \mathrm{~d}}{\mathrm{Vd}}\) लेकिन m = V × d
∴ R = \(\rho \frac{l^2 \mathrm{~d}}{\mathrm{~m}}\) ………………..(1)
लेकिन दिया गया है-दोनों तार समान लम्बाई के हैं और उनका प्रतिरोध समान है।

इसलिए स्पष्ट है- ∴ m ∝ pd
माना ऐलुमिनियम के लिए 1 और कॉपर के लिए 2 को प्रयोग करने पर
\(\frac{m_1}{m_2}=\frac{\rho_1 \mathrm{~d}_1}{\rho_2 \mathrm{~d}_2}\)
लेकिन दिया गया है- p1 = 2.63 × 10-8
d1 = 2.7
p2 = 1.72 × 10-8 और d2 = 8.9
मान रखने पर – \(\frac{m_1}{m_2}\) = \( \frac{2.63 \times 10^{-8} \times 2.7}{1.72 \times 10^{-8} \times 8.9}\) = 0.49
अतः स्पष्ट है कि ऐलुमिनियम तार कॉपर तार से हल्का है। इसी प्रतिरोध एवं लम्बाई के लिए ऐलुमिनियम तार का द्रव्यमान ताँबे के तार के द्रव्यमान से कम है। अतः ऐलुमिनियम के तार को ऊपर से गुजरने वाले बिजली के तार के रूप में वरीयता दी जाती है। एक भारी तार अपने ही भार के कारण लटक सकता है।

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प्रश्न 3.17.
मिश्रधातु मैंगनिन के बने प्रतिरोधक के लिए गए निम्नलिखित प्रेक्षणों से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?

धारा  Aवोल्टता  V
0.23. 94
0.47. 87
0. 611. 8
0.815. 7
1. 019. 7
2. 039. 4
3. 059. 2
4. 078. 8
5. 098. 6
6. 0118. 5
7. 0138. 2
8. 0158. 0

उत्तर:
हल-ओम का नियम उच्च कोटि की परिशुद्धता से लागू होता है।
हम जानते हैं कि R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)

धारा I A ऐम्पियरवोल्टता Vप्रतिरोध R =  \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\) ओम
0.2V वोल्ट19. 7
0.43. 9419. 675
0. 67. 8719. 66
0.811. 819. 625
1. 015. 719. 7
2. 019. 719. 7
3. 039. 419. 73
4. 059. 219. 7
5. 078. 819. 72
6. 098. 619. 75
7. 0118. 519. 74
8. 0138. 219. 75

यहाँ पर दिए गए प्रेक्षणों से 0.2A से 8.0A तक की सभी धाराओं के लिए प्रतिरोध लगभग 19.752 समान है। धारा बढ़ने के साथ 12R की दर से ऊष्मा उत्पन्न होती है एवं ताप भी बढ़ता है परन्तु प्रतिरोध पर कोई प्रभाव नहीं होता है यहाँ पर हमें यह भी ज्ञात होता है कि मिश्रधातु का प्रतिरोध अर्थात् यहाँ मँगनिन का प्रतिरोध ताप के साथ नहीं बदलता है और इनका प्रतिरोध तापीय गुणांक बहुत कम होता है। यह नगण्य रूप से छोटा होता है। इस प्रकार मिश्रधातु मँगनिन का प्रतिरोध और प्रतिरोधकता लगभग ताप से स्वतन्त्र है।

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प्रश्न 3.18.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
(a) किसी असमान अनुप्रस्थ काट वाले धात्विक चालक से एक समान धारा प्रवाहित होती है। निम्नलिखित में से चालक में कौनसी अचर रहती है-धारा, धारा घनत्व, विद्युत क्षेत्र, अपवाह चाल ।
(b) क्या सभी परिपथीय अवयवों के लिए ओम का नियम सार्वत्रिक रूप से लागू होता है? यदि नहीं तो उन अवयवों के उदाहरण दीजिए जो ओम के नियम का पालन नहीं करते।
(c) किसी निम्न वोल्टता संभरण जिसमें उच्च धारा देनी होती है, का आंतरिक प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए, क्यों?
(d) किसी उच्च विभव (H.T.) संमरण, मान लीजिए 6kV, का आन्तरिक प्रतिरोध अत्यधिक होना चाहिए, क्यों?
उत्तर:
(a) केवल धारा, क्योंकि यह स्थायी है। हम जानते हैं कि धारा घनत्व, विद्युत क्षेत्र और बहाव चाल सभी चालक की अनुप्रस्थ काट के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं।
अपवाह वेग Vd = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{nAe}}\)
धारा घनत्व j = [/latex]\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{A}}[/latex]
विद्युत क्षेत्र E = \(\frac{\mathrm{j}}{\sigma}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{A} \sigma}\)
(b) नहीं, अन-ओमी अवयवों के उदाहरण : निर्वात डायोड, अर्द्धचालक डायोड, तापीय प्रतिरोध, थायस्टिर SCR आदि में ओम का नियम पालन नहीं होता है।
(c) एक विभव आपूर्ति (सप्लाई) से ली जाने वाली अधिकतम धारा।
Imax = \(\frac{E}{r}\)
जहाँ E स्रोत का विद्युत वाहक बल (e.m.f.) और r स्रोत का आन्तरिक प्रतिरोध है, अतः स्पष्ट है कि Imax को बड़ा होने के लिए r को छोटा होना चाहिए।
(d) यदि आन्तरिक प्रतिरोध बहुत अधिक नहीं है और परिपथ में दुर्घटनावश लघु परिपथन हो जाता है, तो ली गई धारा सुरक्षा सीमा से अधिक हो जाएगी, जो कि घातक होगी।

प्रश्न 3.19.
सही विकल्प छॉटिए-
(a) धातुओं की मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता प्रायः उनकी अवयव धातुओं की अपेक्षा (अधिक/कम) होती है।
(b) आमतौर पर मिश्रधातुओं के प्रतिरोध का ताप-गुणांक, शुद्ध धातुओं के प्रतिरोध के ताप-गुणांक से बहुत कम/अधिक होता है।
(c) मिश्रधातु मैंगनिन की प्रतिरोधकता ताप में वृद्धि के साथ लगभग (स्वतन्त्र है/तेजी से बढ़ती है)।
(d) किसी प्रारूपी विद्युतरोधी (उदाहरणार्थ, अम्बर) की प्रतिरोधकता किसी धातु की प्रतिरोधकता की तुलना में (1022/103 कोटि के गुणक से बड़ी होती है।
उत्तर:
(a) अधिक, (b) कम, (c) लगभग स्वतन्त्र, (d) 1022

प्रश्न 3.20.
(a) आपको R प्रतिरोध वाले n प्रतिरोधक दिए गए हैं। (i) अधिकतम, (ii) न्यूनतम प्रभावी प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए आप इन्हें किस प्रकार संयोजित करेंगे? अधिकतम और न्यूनतम प्रतिरोधों का अनुपात क्या होगा?

(b) यदि 1Ω, 2Ω, 3Ω, के तीन प्रतिरोध दिए गए हों, तो उनको आप किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त तुल्य प्रतिरोध हों
(i) (11/3)Ω (ii) (11/5) Ω (iii) 6Ω, (iv) (6/11) Ω?
(c) चित्र में दिखाए गए नेटवर्कों का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 12
उत्तर:
(a) (i) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में लगाया जाएगा। यदि अधिकतम प्रतिरोध Rmax है।
तब Rmax = R + R + R ……+ n बार = nR
(ii) न्यूनतम प्रभावी प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधों को समानान्तर क्रम में जोड़ा जाएगा।
इस प्रकार यदि न्यूनतम प्रतिरोध Rmin है तब
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 13
(b) (i) जब 1Ω व 2Ω के समान्तर समायोजन में 3Ω के प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में समायोजित करते हैं, तो हमें वांछित प्रतिरोध का मान होगा।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 14

(ii) जब 2Ω व 3Ω के समान्तर समायोजन में 1Ω के प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में समायोजित करते हैं, तब नेट प्रतिरोध का मान
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 15

(c) (i) दत्त नेटवर्क चार समान यूनिटों का श्रेणी समायोजन है। प्रत्येक यूनिट में चार प्रतिरोध हैं जिनमें से ( 1Ω प्रत्येक प्रतिरोध श्रेणी में है) जो (प्रत्येक 2Ω के प्रतिरोध के श्रेणी) 2 प्रतिरोधों के समान्तर में है। यदि एक यूनिट का नेट प्रतिरोध R है तब
\(\frac{1}{R_P}=\frac{1}{2}+\frac{1}{4}=\frac{2+1}{4}=\frac{3}{4}\)
Rp = \(\frac{4}{3}\)Ω
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 16
(ii) माना बिन्दु A और B पर एक बैटरी लगाते हैं। यहाँ पर यह देखा गया है कि सभी पाँचों प्रतिरोधों में एक ही धारा प्रवाहित होती है, क्योंकि सभी 5 प्रतिरोध श्रेणी में समायोजित हैं।
A तथा B के बीच कुल नेट प्रतिरोध R1 है। तब
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 17

प्रश्न 3.21.
किसी 0.5 Ω आन्तरिक प्रतिरोध वाले 12 V के एक संभरण (Supply) से चित्र में दर्शाए गए अनन्त नेटवर्क द्वारा ली गई धारा का मान ज्ञात कीजिए। प्रत्येक प्रतिरोध का मान 1Ω है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 18
उत्तर:
माना नेटवर्क का समतुल्य प्रतिरोध x है। चूँकि नेटवर्क अनन्त है। बैटरी अन्त पर एक और सेट योग करते हैं। चित्र में दिखाए अनुसार नेटवर्क हो जाता है। नेटवर्क में ऐसे अनन्त सेट हैं इसलिए इसका प्रतिरोध अब भी R ही होगा।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 19

प्रश्न 3.22.
चित्र में एक पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है जिसमें एक 2.0 v और आन्तरिक प्रतिरोध 0.40 Ω का कोई सेल, पोटेंशियोमीटर के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टता पात बनाए रखता है। कोई मानक सेल जो 1.02 V का अचर विद्युत वाहक बल बनाए रखता है (कुछ mA की बहुत सामान्य धाराओं के लिए) तार की 67.3 cm लम्बाई पर सन्तुलन बिन्दु देता है। मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए इसके साथ परिपथ में श्रेणी 600 KΩ का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ सम्बद्ध किया जाता है, जिसके सन्तुलन बिन्दु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है। इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात विद्युत वाहक बल ε के सेल से प्रतिर्थापित कर दिया जाता है जिससे सन्तुलन बिन्दु तार की 82.3 cm लम्बाई पर प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 20
(a) ε का मान क्या है?
(b) 600 kΩ के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है?
(c) क्या इस उच्च प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(d) उपरोक्त स्थिति में यदि पोटेंशियोमीटर के परिचालक सेल का विद्युत वाहक बल 2.0 V के स्थान पर 1.0 V हो, तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी?
(e) क्या यह परिपथ कुछ mV की कोटि के अत्यल्प विद्युत वाहक बलों (जैसे कि किसी प्रारूपी ताप वैद्युत युग्म का विद्युत वाहक बल) के निर्धारण में सफल होगी? यदि नही, तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे?
हल-मानक सेल का विद्युत वाहक बल (e.m.f.)
E1 के लिए सन्तुलन की लम्बाई = l1 = 67.3 cm.
E2के लिए सन्तुलन की लम्बाई = l2 = 82.3 cm.
चालक सेल का वि.वा. बल E = 2.0 V
चालक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध = r = 0.40 Ω
(a) पोटेंशियोमीटर का सिद्धान्त लगाने पर
\(\frac{\mathrm{E}_1}{\epsilon}=\frac{l_1}{l_2}\)
⇒ ∈ = \(\frac{E_1 l_2}{l_1}\)
मान रखने पर ∈ = \(\frac{82.3 \times 1.02}{67.3}\) = 1. 247 वोल्ट
= 1.25 वोल्ट
(b) जब चल सम्पर्क सन्तुलन बिन्दु से दूर है, तो गैल्वनोमीटर में धारा कम करने के लिए 600kΩ के उच्च प्रतिरोध का प्रयोजन है।
(c) इस उच्च प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित नहीं होता है।
(d) नहीं, यदि पोटेंशियोमीटर के प्राथमिक परिपथ की बैटरी का विद्युत वाहक बल ∈ से कम हो, तो तार AB पर संतुलन बिन्दु प्राप्त नहीं होगा।

(e) परिपथ दिए गए रूप में अनुपयुक्त होगा, क्योंकि सन्तुलन बिन्दु (जब ∈ कुछ mV की कोटि का) सिरे A से काफी समीप होगा और मापन में प्रतिशत त्रुटि बहुत अधिक होगी तार AB के श्रेणी क्रम में उपयुक्त प्रतिरोधक R को संयोजित करके परिपथ को रूपान्तरित कर दिया गया है जिससे कि AB के आर-पार विभवपात, मापित विद्युत वाहक बल से केवल थोड़ा-सा ही अधिक होगा। तब सन्तुलन बिन्दु तार की ओर अधिक लम्बाई पर होगा और प्रतिशत त्रुटि काफी कम होगी।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 3.23.
चित्र में किसी 1.5 V के सेल का आन्तरिक प्रतिरोध मापने के लिए एक 2.0 V का पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है। खुले परिपथ में सेल का संतुलन बिन्दु 76.3 cm पर मिलता है। सेल के बाह्य परिपथ में 9.5 Ω प्रतिरोध का एक प्रतिरोधक संयोजित करने पर संतुलन बिन्दु पोटेंशियोमीटर के तार की 64.8 cm लम्बाई पर पहुँच जाता है। सेल के आन्तरिक प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा 22

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता

प्रश्न 2.1.
5 x 108 C तथा – 3 x 10-8 C के दो आवेश 16 cm दूरी पर स्थित हैं। दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य होगा ? अनन्त पर विभव शून्य लीजिए ।
उत्तर:
हल दिया गया है-
q1 = 5 × 10-8 C,
q2= -3 × 10-8 C,
तथा
r = 16 cm
∴ = 0.16m
माना q1 से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर विभव का मान शून्य है।
इस कारण से P की 92 से दूरी = (0.16 – x) m
बिन्दु P पर q1 के कारण विभव होगा
V1 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1}{x}\)

बिन्दु P पर q2 के कारण विद्युत विभव का मान होगा
V2 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}_2}{(0.16-x)}\)
लेकिन बिन्दु P पर कुल विभव का मान शून्य है। तब V1 + V2 = 0
या
\( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1}{x}+\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_2}{(0.16-x)}=0\)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 1
अब हम एक दूसरा बिन्दु ज्ञात करेंगे जहाँ पर विभव का मान शून्य होगा। यह बिन्दु ऋणात्मक आवेश के दाईं ओर सम्भव हो सकता है। यदि इस बिन्दु की दूरी धनात्मक आवेश से xm है तब इसकी दूरी ऋणात्मक आवेश से (x – 0.16) m होगी। तब V1 + V2 = 0
तब \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1}{x}+\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_2}{x-0.16}\) = 0
या \(\frac{q_1}{x}+\frac{q_2}{(x-0.16)}\) = 0
या \(\frac{q_1}{-q_2}=\frac{x}{(x-0.16)} \) = 0
मान रखने पर
\( \frac{5 \times 10^{-8}}{3 \times 10^{-8}}=\frac{x}{(x-0.16)}\)
⇒ \( \frac{5}{3}=\frac{x}{(x-0.16)}\)
⇒ 5x – 0.8 = 3x
⇒ 5x – 3x = 0.8
⇒ 2x = 0.8
⇒ x = \( \frac{0.8}{2}=0.4 \mathrm{~m}\)
या x = 40 cm.
अतः विभव का मान शून्य होगा। 10 cm. 40 cm धनादेश से दूर ऋणावेश की ओर उत्तर

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.2.
10 cm भुजा वाले एक सम-षट्भुज के प्रत्येक शीर्ष पर 5 µC का आवेश है षट्भुज के केन्द्र पर विभव परिकलित कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 2
उत्तर:
हल- ABCDEF एक सम-षट्भुज है, जिसकी प्रत्येक भुजा
= 10 cm
षट्भुज का केन्द्र O है.
ज्यामिति से
OA = OB = OC = OD
= OE = OF = 10 cm.
A, B, C, D, E तथा F पर आवेश q = 5 µC सभी आवेशों के कारण O पर विद्युत विभव
V = \( 6 \times \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q}{r}\)
दिया गया है-r = 10 cm = 10 x 10-2 m और
q = 5 µC = 5 x 10-6C
मान रखने पर
V = \( \frac{6 \times 9 \times 10^9 \times 5 \times 10^{-6}}{10 \times 10^{-2}}\)
V = 27 × 1011 – 6 = 27 x 105
या V = 2.7 x 106 V

प्रश्न 2.3.
6em की दूरी पर अवस्थित दो बिन्दुओं A एवं B पर दो आवेश 2 C तथा 2uC रखे हैं ।
(a) निकाय के समविभव पृष्ठ की पहचान कीजिए।
(b) इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा क्या है?
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 3
उत्तर:
हल- (a) दिया गया है कि A और B पर दो आवेश 2 µC और -2 µC रखे हुए हैं।
AB = 6 cm = 6 x 10-2 m
दो दिये गये आवेशों के निकाय का समविभव पृष्ठ A व B को मिलाने वाली रेखा के अभिलम्ब है पृष्ठ AB के मध्य बिन्दु C से गुजरता है बिन्दु C पर विभव
\( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(2 \times 10^{-6}\right)}{3 \times 10^{-2}}+\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(-2 \times 10^{-6}\right)}{3 \times 10^{-2}}\)
⇒ अर्थात् बिन्दु C पर विभव शून्य होगा। इस प्रकार इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर समान विभव है और वह शून्य है अतः यह एक समविभव पृष्ठ है।

(b) हम जानते हैं कि विद्युत क्षेत्र सदैव + से – आवेश की ओर कार्य करता है। इस प्रकार यहाँ पर विद्युत क्षेत्र + (धनावेशित) बिन्दु A से ऋणावेशित (- ve) बिन्दु B की ओर कार्य करता है तथा यह समविभव पृष्ठ के अभिलम्ब AB दिशा में है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.4.
12 cm त्रिज्या वाले एक गोलीय चालक के पृष्ठ पर 1.6 x 10-7 C का आवेश एकसमान रूप से वितरित है।
(a) गोले के अन्दर
(b) गोले के ठीक बाहर
(c) गोले के केन्द्र से 18 cm पर अवस्थित किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र क्या होगा?
उत्तर:
हल दिया है-चालक पर आवेश q = 1.6 × 10-7 C
और गोलीय चालक की त्रिज्या r = 12 cm
= 12 × 10-2
(a) हम जानते हैं कि गोलीय चालक का प्रदत्त आवेश उसके पृष्ठ पर रहता है।
∴ गोलीय चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य है।
∵ Φ = \( \oint_{\mathrm{s}} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{ds}}=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}\)
(∵ यहाँ पर q = 0 चालक के भीतर)
या \( \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{ds}}\) = 0
या E = 0

(b) गोले के ठीक बाहर गोले के ठीक बाहर एक बिन्दु पर अर्थात् पृष्ठ पर एक बिन्दु पर आवेश को गोले के केन्द्र पर संकेन्द्रित माना जा सकता है इस प्रकार
E = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{R}^2}\) सम्बन्ध का उपयोग करते हुए
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-7}}{\left(12 \times 10^{-2}\right)^2}\) = \(\frac{9 \times 1.6 \times 10^2 \times 10^4}{144}\)
= 105 N/C

(c) गोले के केन्द्र से 18 सेमी. पर अवस्थिति r= 18 cm = 18 x 10-2 m
r = 18 cm = 18 × 10-2 m
E = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}^2}\)
मान रखने पर
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-7}}{\left(18 \times 10^{-2}\right)^2}\)
= \(\frac{14.4 \times 10^2}{324 \times 10^{-4}}\) = 4.44 × 104N/C

प्रश्न 2.5.
एक समान्तर पट्टिका संधारित्र, जिसकी पट्टिकाओं के बीच वायु है, की धारिता 8pF (1 pF = 10-2 F) है। यदि पट्टिकाओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए और इनके बीच के स्थान में 6 परावैद्युतांक का एक पदार्थ भर दिया जाए तो इसकी धारिता क्या होगी?
उत्तर:
हल- (i) यहाँ पर एक समान्तर पट्टिका संधारित्र है, जिसकी पट्टिकाओं के बीच वायु है।
∴C1 = \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~d}}\) = 8 pF = 8 × 10-2F
(ii) जब पट्टिकाओं के बीच के स्थान में 6 परावैद्युतांक का एक पदार्थ भरने पर
C2 = K \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~d}^{\prime}}\)
यहाँ पर दिया गया है- K= 6 तथा d’= d/2
C2 = \(\frac{6\left(\epsilon_0 \mathrm{~A}\right)}{\mathrm{d} / 2}\) = 2 × 6 × \( \left(\frac{\epsilon_0 A}{d}\right)\)
C2 = 12 C1
लेकिन C1 = 8 × 10-2 F
अतः मान रखने पर
C2 = 12 × 8 × 10-2 F
= 96 × 10-2 F = 96 pF

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.6.
9 pF धारिता वाले तीन संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 120 v के संभरण ( सप्लाई) से जोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक संधारित्र पर क्या विभवान्तर होगा?
उत्तर:
हल- (a) दिया गया है-
C1 = C2 = C3 = 9 pF
श्रेणीक्रम में संयोजन की कुल धारिता Cs = ?
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 4
हम जानते है-
\(\frac{1}{C_s}=\frac{1}{C_1}+\frac{1}{C_2}+\frac{1}{C_3}\)
= \(\frac{1}{9}+\frac{1}{9}+\frac{1}{9}=\frac{3}{9}=\frac{1}{3}\)
या Cs = \(\frac{9}{3}\) = 3 pF

(b) माना धारित्रों के विभव क्रमश: V1, V2 तथा V3 है = ?
V1, V2 तथा V3 का योग V1 + V2 + V3 = 120 V
चूँकि C1 = C2 = C3
∴ v + v + v = 120
3V = 120
V = \( \frac{120}{3} \) = 40 वोल्ट

प्रश्न 2.7.
2 pF, 3 pF और 4 pF धारिता वाले तीन संधारित्र पार्श्वक्रम में जोड़े गए हैं।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 100 V के संभरण से जोड़ दें तो प्रत्येक संधारित्र पर आवेश ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल दिया गया है-
C1 = 2 pF
= 2 × 10-12 F
C2 = 3 pF
= 2 × 10-12 F
C3 = 4 pF
= 4 × 10-12 F
संयोजन का प्रदत्त विभव = V
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 5

(a) समान्तर क्रम में Cp = C1 + C2+ C3 के सूत्र से
Cp = 2 pF + 3pF + 4pF
= 9 pF = 9 × 10-12 F

(b) माना प्रत्येक संधारित्र पर आवेश क्रमश: Q1. Q2 तथा Q3 है।
सूत्र Q = CV तथा V = 100 वोल्ट से
Q1 = C1V = 2 x 10-12 x 100 = 2 x 10-10 C
Q2 = C2V = 3 x 10-12 x 100 = 3 x 10-10 C
Q3 = C3V = 4 x 10-12 x 100 = 2 x 10-10 C

प्रश्न 2.8.
पट्टिकाओं के बीच पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 6 x 10-3 m2 तथा उनके बीच की दूरी 3 mm है। संधारित्र की धारिता को परिकलित कीजिए। यदि इस संधारित्र को 100 V के संभरण से जोड़ दिया जाए तो संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर कितना आवेश होगा ?
उत्तर:
हल दिया गया है-
समान्तर पट्टिका धारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल A = 6 × 10-3 m2
पट्टिकाओं के बीच की दूरी d = 3 mm
= 3 x 10-3 m
∈o = 8.854 × 10-12 C2N2m-2
माना पट्टिकाओं के बीच वायु के साथ समान्तर पट्टिका धारित्र की धारिता = C 0
अतः सूत्र
C0 = \(\frac{\epsilon_0 A}{d}\) का प्रयोग करने पर
मान रखने पर C0 = \(\frac{8.854 \times 10^{-12} \times 6 \times 10^{-3}}{3 \times 10^{-3}}\)
= 17 . 708 × 10-12 F
= 17. 708 pF
= 18pF

धारित्र पर लगाया संभरण= V0 = 100 V
माना धारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर आवेश के मान = Q0 = ?
सूत्र Q0 = C0 V0 का प्रयोग करने पर
= 17.708 × 10-12 x 100
= 17.708 × 10-10 C
= 1.7708 × 10-9 C
= 1.7708 nC
= 1.8 nC

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.9.
अभ्यास 2.8 में दिए गए संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच यदि 3 mm मोटी अभ्रक की एक शीट ( पत्तर) (परावैद्युतांक = 6) रख दी जाती है तो स्पष्ट कीजिए कि क्या होगा जब संधारित्र (a) विभव (योल्टेज) संभरण जुड़ा ही रहेगा।
(b) संभरण को हटा लिया जाएगा?
उत्तर:
हल – नोट – जब भी हम संधारित्र की पट्टिकाओं के मध्य कोई विद्युतरोधी माध्यम (परावैद्युतांक K) रख देते हैं तो संधारित्र की धारिता K गुणा हो जायेगी। (a) यदि विभव संभरण (बैटरी) संधारित्र से जुड़ी रहे तो विभव नहीं परिवर्तित होगा। धारिता बढ़ने के कारण संधारित्र बैटरी से अधिक आवेश (K गुणा ) प्राप्त कर लेगा। (b) यदि बैटरी को परिपथ से हटा लिया जाये तो बैटरी का आवेश अपरिवर्तित रहेगा, लेकिन विभव Kवां भाग रह जायेगा। (V = Q/C)

(a) माना धारित्र की वायु माध्यम के साथ धारिता = Co
परावैद्युतांक K = 6
अतः धारित्र की धारिता C = KCo
= 6 × 18 pF
= 108 × 10-12 F = 108 pF
इस प्रकार अभ्रक की पट्टी रखने के पश्चात् धारित्र की धारिता K (= 6) गुणा हो जाती है।
धारित्र पर विभव = 100 V
[∴बैटरी संधारित्र से जुड़ी है।]
अतः आवेश Q’ = CV
= 108 × 10-12 × 100 V
= 108 × 10-10
= 1.08 × 10-8 C
स्पष्टतः पट्टिकाओं पर आवेश वायु माध्यम आवेश का K गुणा हो जाता है अर्थात् जब संभरण जुड़ा रहता है और अभ्रक की पट्टी माध्यम हो तो आवेश बढ़ जाता है।

(b) धारित्र की अभ्रक माध्यम के साथ धारिता
C = KC0 = 108 x 10-12 F
= 108 pF
जब संभरण को हटा दिया जाता है तो आवेश में कोई परिवर्तन नहीं होगा तथा परिवर्तित विभव का मान
V = \( \frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{C}^{\prime}}=\frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{KC}}=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{K}}\)
हो जायेगा, अर्थात् अब विभव Kवां भाग रह जायेगा ।
V’ = \(\frac{100}{6}\) = 16.67 V
अर्थात् धारित्र पर आवेश अभ्रक माध्यम के साथ उतना ही रहेगा जितना कि वायु माध्यम के साथ।

प्रश्न 2.10
12 pF का एक संधारित्र 50 V की बैटरी से जुड़ा है। संधारित्र में कितनी स्थिरवैद्युत ऊर्जा संचित होगी?
उत्तर:
हल दिया गया है-
धारित्र की धारिता = C = 12 pF
C = 12 x 10-12 F
धारित्र से जुड़े संभरण की वोल्टता = V = 50 वोल्ट
माना स्थिर वैद्युतांक ऊर्जा संचित होगी = U
∴ U = 1⁄2CV2 के सूत्र से
मान रखने पर U = 1⁄2×12×10-12 x (50)2
= 6 × 10-12 × 25 x 100
= 150 × 10-10
= 1.50 × 10-8 J
U = 1.5 x 10-8J

प्रश्न 2.11.
200 V संभरण (सप्लाई ) से एक 600 pF के संधारित्र को आवेशित किया जाता है। फिर इसको संभरण से वियोजित कर देते हैं तथा एक अन्य 600 PF वाले अनावेशित संधारित्र से जोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया में कितनी ऊर्जा का हास होगा ?
उत्तर:
हल दिया गया है-
C1= 600 pF = 600 x 10-12 F
= 6 × 10-10 F
V1 = 200 Volt
प्रारम्भिक वैद्युत ऊर्जा U1 = \(\frac{1}{2} C_1 V_1^2\)
मान रखने पर U1 = \(\frac{1}{2}\) × 6 × 10-10 × (200)2
= \(\frac{1}{2}\) × 6 × 4 × 10-10 × 104
U1 = 12 × 10-6 J
C2 = 6 × 10-10 F
V2 = 0
यदि V उभयनिष्ठ विभव हो तब
V = \(\frac{\mathrm{C}_1 \mathrm{~V}_1+\mathrm{C}_2 \mathrm{~V}_2}{\mathrm{C}_1+\mathrm{C}_2}\)
= \(\frac{6 \times 10^{-10} \times 200+6 \times 10^{-10} \times 0}{6 \times 10^{-10}+6 \times 10^{-10}}\)
= \(\frac{12 \times 10^{-8}}{12 \times 10^{-10}}\) = 100 वोल्ट
अन्तिम वैद्युत ऊर्जा
U2 = \(\frac{1}{2}\)( C1 + C2) V2
मान रखने पर
U2 = \(\frac{1}{2}\) × 12 × 10-10 × (100)2
∵ C1 + C2 = 6 × 10-10F + 6 × 10-10
= 12 × 10-10 F
= 6 × 10-10 × 104 = 6 × 10-6 J
स्थितिज ऊर्जा में हास ∆U = U1 – U2
= 12 × 10-6 – 6 × 10-6
= 6 × 10-6 J

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)

प्रश्न 2.12.
मूल बिन्दु पर एक 8 mC का आवेश अवस्थित है। -2 × 10-9 C के एक छोटे से आवेश को बिन्दु P (0, 0,3 cm) से, R(0, 6 cm, 9 cm) से होकर, बिन्दु Q (0, 4 cm, 0) तक ले जाने में किया गया कार्य परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
हल दिया गया है-
q1 = 8 × 10-3 C
q0 = -2 × 10-9 C
rp = 3 × 10-2 m
rQ = 4 × 10-2 m
rQ = √117 x 10-2 m
आवेश q0 को P तथा Q तक गति कराने में किया गया कार्य पथ पर निर्भर नहीं करता है। अतः बिन्दु R का प्रश्न को हल करने में
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 6

कोई भी औचित्य नहीं है। अर्थात् Wp→R→Q = Wp→Q
अतः किया गया कार्य का सूत्र निम्न है- किया गया कार्य
WpQ = q0[Vo-Vp] = q0 \(\left(\frac{1}{4 \pi \epsilon_{\mathrm{o}}}\right)\left[\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}_{\mathrm{Q}}}-\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}_{\mathrm{P}}}\right]\)
= \(\frac{\mathrm{qq}_0}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{1}{\mathrm{r}_{\mathrm{Q}}}-\frac{1}{\mathrm{r}_{\mathrm{P}}}\right)\)
चूँकि कार्य W= आवेश q x विभव (V)
मान रखने पर
WpQ = 9 × 109× (8 × 10-3) × (−2 × 10-9) \(\left(\frac{1}{4 \times 10^{-2}}-\frac{1}{3 \times 10^{-2}}\right)\)

= \(\frac{-144 \times 10^{-3}}{10^{-2}}\left(\frac{1}{4}-\frac{1}{3}\right)\)
= -144 × 10-1 × \(\left(\frac{-1}{12}\right)\)
= 12 × 10-1J = 1.2 J
∴ WPQ = 1.2 J

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.13.
b भुजा वाले एक घन के प्रत्येक शीर्ष पर q आवेश है। इस आवेश विन्यास के कारण घन के केन्द्र पर विद्युत विभव तथा विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 7

( DB )2 2 = b2 + b2 = 2b2
चित्र से DE2 = DB2 + BE2
या DE = \(\sqrt{\mathrm{DB}^2+\mathrm{BE}^2}\)
मान रखने पर DE = \(\sqrt{2 b^2+b^2}\) = \(\sqrt{3 \mathrm{~b}^2}\)
DE = √3b
अब DO = \(\frac{1}{2}\) DE = \(\frac{1}{2}\) × √3b
DO = \( \frac{\sqrt{3}}{2} \mathrm{~b}\)
अतः घन के मध्य बिन्दु से प्रत्येक शीर्ष की दूरी \(\frac{\sqrt{3}}{2} b\) है।
अतः आवेश द्वारा b पर विभव क्षेत्र = 8 × \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q}{r}\)
= 8 × \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\frac{\sqrt{3}}{2} b}=\frac{4 \mathrm{q}}{\sqrt{3} \pi \epsilon_0 b}\)
सममिति से केन्द्र पर परिणामी वैद्युत क्षेत्र तीव्रता शून्य होगी। चूँकि O पर प्रत्येक शीर्ष पर आवेश के कारण, विपरीत शीर्षों का विद्युत क्षेत्र परिमाण में समान परन्तु दिशा में विपरीत है। जैसे A व H, B और G, C और F, D और E के क्षेत्र समान परन्तु विपरीत हैं।

प्रश्न 2.14.
1.5 µC और 2.5 µC आवेश वाले दो सूक्ष्म गोले 30 cm दूर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर,
और
(b) मध्य बिन्दु से होकर जाने वाली रेखा के अभिलम्ब तल में मध्यबिन्दु से 10 cm दूर स्थित किसी बिन्दु पर विभव और विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
हल – (a) दिया गया है-
q1 = 1.5 µC = 1.5 × 10-6 C
q2 = 2.5 uC = 2.5 × 10-6 C
a = 0.10 m एवं b = 0.15m
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 8

V0 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \cdot \frac{1}{r}\) (q1+q2)
= 9 × 109 × \(\frac{1}{0.15} \)(4) 10-6
= 240 × 103
= 2.4 × 105 वोल्ट

यदि आवेश 1.5 µC तथा 2.5 µC के कारण बिन्दु O पर विद्युत
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 9

(b) यदि आवेश 1.5 µC तथा 2.5 µC के कारण बिन्दु P पर विभव क्रमशः Vp1 तथा Vp2 है तो-
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 10

यदि आवेश 1.5 µC तथा 2.5 µC के कारण बिन्दु P पर विद्युत
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 11

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.15.
आंतरिक त्रिज्या r1 तथा बाह्य त्रिज्या r2वाले एक गोलीय चालक खोल (कोश) पर Q आवेश है।
(a) खोल के केन्द्र पर एक आवेश q रखा जाता है। खोल के भीतरी और बाहरी पृष्ठों पर पृष्ठ आवेश घनत्व क्या है?
(b) क्या किसी कोटर (जो आवेश विहीन है) में विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, चाहे खोल गोलीय न होकर किसी भी अनियमित आकार का हो? स्पष्ट कीजिए।

हल – (a) हम जानते हैं कि खोखले चालक को दिया गया आवेश चालक के पृष्ठ पर फैल जाता है तथा खोखले चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है। इस प्रकार गोलीय खोखले गोल को दत्त आवेश Q उसके बाहरी पृष्ठ पर फैल जायेगा। उसी खोखले गोले के केन्द्र पर अन्य आवेश q रखा जाता है तथा गोल की आन्तरिक त्रिज्या r1 है। यह खोल के अन्दर वाले पृष्ठ पर -q तथा बाहरी पृष्ठ पर +q आवेश उत्प्रेरित करेगा जो r2 त्रिज्या गोल खोल के बाहर पृष्ठ पर स्थानान्तरित हो जायेगा। इस प्रकार बाहरी पृष्ठ पर कुल आवेश Q + q होगा। माना आन्तरिक एवं बाहरी खोखले पृष्ठों के क्षेत्रफल क्रमशः A1 व A2 हैं।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 12
किसी भी आकार के कोटर के लिए यह पर्याप्त नहीं है कि उसके लिए कोटर के अन्दर \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) का दावा किया जाये। कोटर में समान – ve तथा + ve आवेश हो सकते हैं, जिससे कुल आवेश शून्य है। है आवेश चालक के बाहर पृष्ठ पर स्थित रहना चाहता है। यह परिणाम कोटर के आकार एवं आकृति से स्वतंत्र है।

प्रश्न 2.16.
(a) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र के अभिलम्ब घटक में असांतत्य होता है, जिसे
(E2 – E1).\hat{\mathbf{n}}=\(\frac{\sigma}{\epsilon_0}\)
द्वारा व्यक्त किया जाता है जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) एक बिन्दु पर पृष्ठ के अभिलम्ब एकांक सदिश है तथा σ उस बिन्दु पर पृष्ठ आवेश घनत्व है। \(\hat{\mathbf{n}}\) की दिशा पार्श्व 1 से पार्श्व 2 की ओर है।)
अतः दर्शाइए कि चालक के ठीक बाहर विद्युत क्षेत्र \(\sigma \hat{\mathbf{n}} / \epsilon_0\) है।
(b) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र का स्पर्शीय घटक संतत है।
[संकेत – (a) के लिए गाउस नियम का उपयोग कीजिए। (b) के लिए इस सत्य का उपयोग करें कि संवृत पाश पर एक स्थिरवैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है]।
उत्तर:
हल – (a) चित्र में दर्शाये अनुसार माना LM आवेशित पृष्ठ है, जिसके दो सिरे हैं आवेशित पृष्ठ का एक छोटा अवयव ∆S बन्द किए हुए बेलन गाउसीय पृष्ठ है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 13
चित्र से यह स्पष्ट है कि \overrightarrow{\mathrm{E}_1} चालक के अन्दर है। हमें यह भी ज्ञात है कि चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र का मान शून्य होता है।
या चालक के ठीक बाहर विद्युत क्षेत्र = \(\frac{\sigma}{\epsilon_0} \cdot \hat{n}\)

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 14

(b) माना मूल पर बिन्दु आवेश q के क्षेत्र में ∠aMb एक पृष्ठ है।
माना बिन्दु L और M के स्थिति सदिश क्रमशः rL व’ rM हैं। माना बिन्दु p पर विद्युत क्षेत्र E है। इस प्रकार E cos θ विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) का स्पर्शीय घटक है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 15
अतः संवृत पाश पर एक स्थिर वैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.17
रैखिक आवेश घनत्व λ वाला एक लंबा आवेशित बेलन एक खोखले समाक्षीय चालक बेलन द्वारा घिरा है। दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विद्युत क्षेत्र कितना है?
उत्तर:
हल- खोखले समाक्षीय बेलन चालक की त्रिज्याओं की यहाँ पर हम r1 तथा r2 लेते हैं और उसकी लम्बाई l है। आंतरिक बेलन रैखिक आवेश घनत्व λ से आवेशित है और यह r2 त्रिज्या के बाह्य बेलन से घिरा है। हम दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विद्युत क्षेत्र में जानना चाहते हैं।

यदि आंतरिक बेलन पर q आवेश है, तब q= λl प्रेरण से (स्थिर वैद्युत) खोखले बेलन पर – q आवेश उत्प्रेरित होता है तथा इसके बाहरी पृष्ठ पर + q आवेश उत्प्रेरित होता है, जो सुयोजित है। माना दोनों बेलनों
के बीच के स्थान में जिसमें \( \overrightarrow{\mathrm{E}}\) ज्ञात करना है, XX’ अक्ष से दूरी पर बिन्दु P है। यहाँ पर हम r त्रिज्या का एक l लम्बाई का गाउसीय बेलन खींचते हैं। P बिन्दु इसके
पृष्ठ पर स्थित है। गाउसीय पृष्ठ आवृत्त आवेश
q = λl है।
बेलन सममिति के कारण बेलन के पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत

क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) एक समान है। इसके परिमाण में बेलन पर खींचे अभिलम्ब दिशा में बाहर की ओर गाउसीय पृष्ठ के वक्रीय पृष्ठ के क्षेत्रफल q= 2πrl

बिन्दु P पर वक्र पृष्ठ के क्षेत्रफल का एक अवयव ds लेते हैं। यदि ds में से विद्युत अभिवाह dΦ है, तब परिभाषा से
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 16

प्रश्न 2.18.
एक हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन लगभग 0.53 À दूरी पर परिबद्ध हैं-
(a) निकाय की स्थितिज ऊर्जा का eV में परिकलन कीजिए, जबकि प्रोटॉन से इलेक्ट्रॉन के मध्य की अनंत दूरी पर स्थितिज ऊर्जा को शून्य माना गया है।
(b) इलेक्ट्रॉन को स्वतंत्र करने में कितना न्यूनतम कार्य करना पड़ेगा, यदि यह दिया गया है कि इसकी कक्षा में गतिज ऊर्जा (a) में प्राप्त स्थितिज ऊर्जा के परिमाण की आधी है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा को 1.06 Á पृथक्करण पर शून्य ले लिया जाए तो, उपर्युक्त (a) और (b) के उत्तर क्या होंगे?
उत्तर:
हल- यहाँ पर इलेक्ट्रॉन पर आवेश q1 = – 1.6 × 10-19 C
प्रोटॉन पर आवेश q2 = 1.6 × 10-19 C
हाइड्रोजन परमाणु की त्रिज्या r = q1 तथा r2 के बीच की दूरी दोनों आवेशों के मध्य दूरी = 0.53Å
= 0.53 × 10-10 m

(a) यदि विभव ऊर्जा को अनन्त पृथक्कीकरण पर शून्य लिया जाये तब
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 17

(b) गतिज ऊर्जा K. E. = \(\frac{1}{2}\) × 27. 2eV
= 13.6 ev
कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + विभव ऊर्जा
= 13.6 eV + (- 27.2 eV)
= – 13.6 ev
इलेक्ट्रॉन को स्वतन्त्र करने में किया गया कार्य का मान
= -(- 13.6 eV) = 13.6 ev

(c) विभव ऊर्जा का मान 1.06 A के पृथक्करण पर
= \(\frac{-9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 1.6 \times 10^{-19}}{1.06 \times 10^{-10}} \mathrm{~J}\)
= \(\frac{-9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-19}}{1.06 \times 10^{-10}} \mathrm{eV}\)
[∵1eV = 1.6 ×10-19
= -13.6 eV
यदि स्थितिज ऊर्जा को 1.06 A पृथक्करण पर शून्य लिया जाये तब निकाय की विभव ऊर्जा का मान होगा-
= – 27.2 eV – (- 13.6 eV)
= – 27.2 eV + 13.6 eV
= – 13.6 ev
अतः किया गया कार्य होगा-
= – (- 13.6 eV) = 13.6 eV उत्तर
इस स्थिति में भी इलेक्ट्रॉन को स्वतंत्र करने के लिए आवश्यक न्यूनतम 13.6 eV होगी।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.19.
यदि H2 अणु के दो में से एक इलेक्ट्रॉन को हटा दिया जाए तो हमें हाइड्रोजन आणविक आयन \(\left(\mathbf{H}_2^{+}\right)\) प्राप्त होगा। \(\left(\mathbf{H}_2^{+}\right)\) की निम्नतम अवस्था (ground state) में दो प्रोटॉन के बीच दूरी लगभग 1.5A है और इलेक्ट्रॉन प्रत्येक प्रोटॉन से लगभग 1 A की दूरी पर है। निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। स्थितिज ऊर्जा की शून्य स्थिति के चयन का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
हल दिया गया है-
q1 = – 1.6 × 10-19 C,
q2 = q3 = 1.6 × 10-19 C,
r12 = 1 A = 10-10m, r23 = 1.5 A
= 1.5 × 10-10 m
r31 = 1 A
यदि अनन्त पर विभव ऊर्जा को शून्य लिया गया हो तब विभव ऊर्जा का मान होगा
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 18
विभव ऊर्जा का शून्य अनन्त पर लिया गया है।

प्रश्न 2.20
a और b त्रिज्याओं वाले दो आवेशित चालक गोले एक तार द्वारा एक-दूसरे से जोड़े गए हैं। दोनों गोलों के पृष्ठों पर विद्युत क्षेत्रों में क्या अनुपात है? प्राप्त परिणाम को, यह समझाने में प्रयुक्त कीजिए कि किसी एक चालक के तीक्ष्ण और नुकीले सिरों पर आवेश घनत्व, चपटे भागों की अपेक्षा अधिक क्यों होता है।
उत्तर:
हल – नीचे चित्र में दोनों गोले तार द्वारा जुड़े हैं और दोनों का विभव समान होगा।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 19
अब हमें सिद्ध करना है कि आवेश का पृष्ठ घनत्व
\(\propto \frac{1}{\text { वक्रता त्रिज्या }\)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 20
किसी भी आवेशित चालक का तल समविभव होता है। माना कि आवेशित चालक के अलगअलग भागों की वक्रता त्रिज्यायें R तथा r हैं लेकिन विभव समान है। अतः समीकरण (1) से
= \(\frac{\sigma_1}{\sigma_2}=\frac{\epsilon_0 \mathrm{~V} / \mathrm{R}}{\epsilon_0 \mathrm{~V} / \mathrm{r}}=\frac{\mathrm{r}}{\mathrm{R}}\)
अर्थात् नुकीले बिन्दुओं पर आवेश घनत्व अधिक है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.21.
बिंदु (0,0,-a) तथा (0,0, a) पर दो आवेश क्रमशः -q और +q स्थित हैं।
(a) बिंदुओं (0,0, z) और (x, y, 0) पर स्थिरवैद्युत विभव क्या है?
(b) मूल बिंदु से किसी बिंदु की दूरी r पर विभव की निर्भरता ज्ञात कीजिए, जबकि r/a>> 1 है।
(c) x-अक्ष पर बिंदु (5,0,0)$ से बिंदु (-7,0,0) तक एक परीक्षण आवेश को ले जाने में कितना कार्य करना होगा? यदि परीक्षण आवेश के उन्ह्री बिंदुओं के बीच x-अक्ष से होकर न ले जाएँ तो क्या उत्तर बदल जाएगा?
उत्तर:
हल-(a) बिन्दु (0,0,-a) तथा (0,0, z) के बीच की दूरी
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 21
बिन्दु (0,0, a) तथा (0,0, z) के बीच की दूरी
= \(\sqrt{0+0+(z-a)^2}\)
= z – a
बिन्दु (0,0, z) पर – q आवेश के कारण विभव
= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \times \frac{-q}{z+a}\)
बिन्दु (0,0, z) पर + q आवेश के कारण विभव
= \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \times \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{z}-\mathrm{a}}\)
बिन्दु (0,0, z) पर कुल विभव
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 22
पुनः बिन्दुओं (0,0,-a) और (x, y, 0) के मध्य दूरी
= \(\sqrt{x^2+y^2+a^2}\)
बिन्दु (0,0, a) तथा (x, y, 0) के बीच की दूरी
= \(\sqrt{x^2+y^2+a^2}\)
यहाँ पर दोनों दूरियाँ समान हैं और आवेश समान और विपरीत है। इसलिए कुल विभव बिन्दु (x, y, 0) पर शून्य है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 23
अतः वैद्युत विभव, दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है।
(c) बिन्दु P(5,0,0) तथा Q(-7,0,0) द्विध्रुव की निरक्षीय स्थिति में होंगे अतः इन पर विद्युत विभव शून्य होगा। इसलिए परीक्षण आवेश q0 को P से Q तक ले जाने में कुल कार्य
W = q0(VQ-Vp) = q0 × 0 = 0 नहीं, क्योंकि दो बिन्दुओं के मध्य स्थिर वैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य बिन्दुओं के मिलाने वाले मार्ग से स्वतन्त्र है अर्थात् पथ पर निर्भर नहीं करता।

प्रश्न 2.22.
नीचे दिए गए चित्र में एक आवेश विन्यास जिसे विद्युत चतुर्भुवी कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुर्भुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिंदु के लिए r पर विभव की निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ r/a>>1। अपने परिणाम की तुलना एक विद्युत द्विध्रुव व विद्युत एकल धुव (अर्थात् किसी एकल आवेश) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 24

वैद्युत द्विध्रुव के कारण अक्षीय स्थिति में दीर्घ दूरियों के लिए
V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{r}^2}\)
∴V∝ \frac{1}{r^2}[/latex]
एकल द्विध्रुव के कारण विभव
V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}}\)
∴V∝\(\frac{1}{\mathrm{r}}\)
स्पष्ट है कि चतुर्ध्रुवी के कारण विभव द्विध्रुव एवं एकल के विभव की अपेक्षा अधिक तेजी से घटता है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.23.
एक वैद्युत टैक्नीशियन को 1 kV विभवांतर के परिपथ में 2 µF संधारित्र की आवश्यकता है। 1 µF के संधारित्र उसे प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं जो 400 V से अधिक का विभवांतर वहन नहीं कर सकते। कोई संभव विन्यास सुझाइए जिसमें न्यूनतम संधारित्रों की आवश्यकता हो ।
उत्तर:
हल माना कि टैक्नीशियन N संधारित्र उपयोग करता है और उन्हें m पंक्तियों में व्यवस्थित करता है तथा प्रत्येक पंक्ति में n संधारित्र लगे हुए हैं।
N=m.n
प्रत्येक संधारित्र की धारिता = 1 µF और प्रत्येक संधारित्र 400 V वहन कर सकता है।
1000 V विभवान्तर के परिपथ में परिणामी धारिता = 2 µF पंक्ति में श्रेणीक्रम में व्यवस्थित n संधारित्रों की धारिता
= \(\frac{C}{n}=\frac{1}{n} \mu F\)
∴C = 1µF
पार्श्वक्रम (समान्तर क्रम में) में ऐसे m संयोजन हैं।
परिणामी धारिता = \(\frac{\mathrm{mC}}{\mathrm{n}}=\frac{\mathrm{m}}{\mathrm{n}}\) = 2µF
एक संधारित्र के लिए विभवांतर = 400 V श्रेणीक्रम में n संधारित्रों के लिए विभवान्तर
nV = 1000
या n x 400 = 1000
या n = 2.5 = 3 तथा m = 6
1 µF वाले 18 संधारित्रों को 6 समान्तर पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाता है। प्रत्येक पंक्ति में 3 संधारित्र श्रेणीक्रम में लगे हैं। प्रत्येक संधारित्र पर 333 वोल्ट प्राप्त होंगे जबकि उनकी वहन क्षमता 400 वोल्ट है।

प्रश्न 2.24.
2 F वाले एक समांतर पट्टिका संधारित्र की पट्टिका का क्षेत्रफल क्या है, जबकि पट्टिकाओं का पृथकन 0.5 cm है ? [अपने उत्तर से आप यह समझ जाएँगे कि सामान्य संधारित्र µF या कम परिसर के क्यों होते हैं? तथापि विद्युत अपघटन संधारित्रों (Electrolytic capacitors) की धारिता कहीं अधिक (0.1 F) होती है क्योंकि चालकों के बीच अति सूक्ष्म पृथकन होता है] हल दिया गया है-
उत्तर:
C = 2F, d = 0.5 cm
d = 5 × 10-3 m
A = ?
0 = 8.854 × 10-12S.I unit
सूत्र = C =\( \frac{\epsilon_0 A}{d}\)
या = A = \(\frac{\mathrm{Cd}}{\epsilon_0}\)
मान रखने पर A = \(\frac{2 \times 5 \times 10^{-3}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
A = 1.13 × 109 m2
= 1130 Km2
जो कि अत्यधिक है। यही कारण है कि सामान्य संधारित्रों की धारिता µF की कोटि की होती है।

प्रश्न 2.25.
चित्र के नेटवर्क (जाल) की तुल्यधारिता प्राप्त कीजिए। 300 V संभरण (सट्लाई) के साथ प्रत्येक संधारित्र का आवेश व उसकी वोल्टता ज्ञात कीजिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 25
उत्तर:
हल-दिया गया है-
C1 = C4 = 100 pF
C2 = C3 = 200 pF
C2 तथा C3 श्रेणीक्रम में हैं।
प्रभावी धारिता \(\frac{1}{C_{23}}=\frac{1}{\mathrm{C}_2}+\frac{1}{\mathrm{C}_3}\)
⇒ \(\frac{1}{\mathrm{C}_{23}}=\frac{1}{200}+\frac{1}{200}=\frac{2}{200}=\frac{1}{100}\)
⇒ C3 = 100 pF
C1 तथा C23 पार्श्वक्रम में हैं, प्रभावी धारिता C अर्थात् A व B के मध्य धारिता
C’ = C1 + C23 = 100 + 100
C’ = 200 pF
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 26
अतः जाल की तुल्यधारिता
C = \(\frac{220}{3} \mathrm{pF}=\frac{200}{3} \times 10^{-12} \mathrm{~F}\)
संयोजन पर संचित कुल आवेश q = CV = \(\frac{200}{3}\) × 10-12 × 300
या q = 2 × 10-8C
इसलिए C4 पर संचित आवेश = q = 2 × 10-8C
C2 व C3 पर संचित आवेश परिमाण में समान होंगे
अर्थात् q2 = q3
इसलिए q1 + q2 = 2 × 10-8C ……………..(1)
चूँकि VAB = \(\frac{q_1}{C_1}=\frac{q_2}{C_{23}}\)
\(\frac{q_1}{100}=\frac{q_2}{100}\) ⇒ q1 = q2
समीकरण (i) से
q1 + q1 = 2 × 10-8C या 2q1 = 2 × 10-8C
⇒ q1 = 1 × 10-8C
इसलिए q2 = q3 = q1 = 1 × 10-8C
चूँकि V = \(\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{C}}\)
∴ V1= \(\frac{q_1}{C_1}=\frac{1 \times 10^{-8}}{100 \times 10^{-12}}\)
V1 = 100V
V2 = \( \frac{\mathrm{q}_2}{\mathrm{C}_2}=\frac{1 \times 10^{-8}}{200 \times 10^{-12}}=50 \mathrm{~V}\)
इसी प्रकार V3 = \( \frac{\mathrm{q}_3}{\mathrm{C}_3}\) = 50V
V4 = \( \frac{\mathrm{q}_4}{\mathrm{C}_4}=\frac{2 \times 10^{-8}}{200 \times 10^{-12}}\) = 200V
अतः संयोजन की धारिता = \( \frac{200}{3}\) pF
C1 पर संचित आवेश = 1 × 10-8C और विभवान्तर = 100V
C2 पर संचित आवेश = 1 × 10-8C और विभवान्तर = 50V
C3 पर संचित आवेश = 1 × 10-8C और विभवान्तर = 50V
C4 पर संचित आवेश = 2 × 10-8C और विभवान्तर = 200V

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.26.
किसी समांतर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 90 cm2 है और उनके बीच पृथकन 2.5 mm है। 400 V संभरण से संधारित्र को आवेशित किया गया है।
(a) संधारित्र कितना स्थिरवैद्युत ऊर्जा संचित करता है?
(b) इस ऊर्जा को पट्टिकाओं के बीच स्थिरवैद्युत क्षेत्र में संचित समझकर प्रति एकांक आयतन ऊर्जा $u$ ज्ञात कीजिए। इस प्रकार, पट्टिकाओं के मध्य विद्युत क्षेत्र u के परिमाण और u में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
प्रत्येक पटिटका का क्षेत्रफल (A) = 90 cm2
= 90 × 10-4 m2
पटिटकाओं के बीच की दुरी
(d) 2.5 mm = 2.5 × 10-3 m
V = 400 Volt
हम जानते हैं U = ?, u = ? u व E के मध्य सम्बन्ध = ?
समान्तर पट्टिका संधारित्र की धारिता
(C) = \(\frac{\epsilon_0 A}{d}\)
(a) संधारित्र में संचित ऊर्जा
U = \(\frac{1}{2}\)CV2
= \(\frac{1}{2} \frac{\epsilon_0 A}{\mathrm{~d}} \mathrm{~V}^2\) (धारिता C का मान रखने पर)
= \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{AV}^2}{2 \mathrm{~d}}\)
मान रखने पर-
\(\frac{8.854 \times 10^{-12} \times 90 \times 10^{-4} \times 400 \times 400}{2 \times 2.5 \times 10^{-3}}\)
∴ U = 2. 55 × 10-6J
संधारित्र के प्रति एकांक आयतन में संचित ऊर्जा, जिसे ऊर्जा घनत्व कहते हैं।
(b) u = \(\frac{\text { ऊर्जा }}{\text { आयतन }}\)
u = \(\frac{\frac{1}{2} \mathrm{CV}^2}{\mathrm{Ad}}\) = \(\frac{2.55 \times 10^{-6}}{90 \times 10^{-4} \times 2.5 \times 10^{-3}}\)
= 0. 113 J/m3
विद्युत क्षेत्र E के परिमाण और u में सम्बन्ध
पुनः चूँकि u = \(\frac{\frac{1}{2} \mathrm{CV}^2}{\mathrm{Ad}}=\frac{\frac{1}{2} \frac{\in_0 A}{d} V^2}{A d}=\frac{1}{2} \in_0\left(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{d}}\right)^2\)
= \(\frac{1}{2} \in_0 E^2 \text { (क्योंकि } E=\frac{V}{d} \text { ) }\)

प्रश्न 2.27.
एक 4 µF के संधारित्र को 200 V संभरण (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर संभरण से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित 2 µF के संधारित्र से जोड़ा जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिरवैद्युत ऊर्जा का ऊष्मा और वैद्युत-चुंबकीय विकिरण के रूप में हास होता है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
C1 = 4 µF = 4 × 10-6F
V1 = 200 Volt
C2 = 2µF = 2 × 10-6F
V2 = 0
दोनों को जोड़ने पर ऊर्जा में ह्यस
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 27

प्रश्न 2.28.
दर्शाइए कि एक समांतर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर बल का परिमाण 1/2 QE है, जहाँ Q संधारित्र पर आवेश है और E पट्टिकाओं के बीच विद्युत क्षेत्र का परिमाण है। घटक 1/2 के मूल को समझाइए।
उत्तर:
हल-यदि पट्टिका पर बल F हो तो दोनों पट्टिकाओं को ∆x दूरी से पृथक् करने में किया गया कार्य
= F . ∆x ……………(1)
यह कार्य पट्टिकाओं की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि करेगा। यदि इकाई आयतन में संचित ऊर्जा u तथा पट्टिका का क्षेत्रफल A है तो संचित ऊर्जा
= U × A × ∆x …………..(2)
जहाँ पर A × ∆x = आयतन वृद्धि और A अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
समीकरण (1) तथा (2) की तुलना करने पर
F = AU
= \(\frac{1}{2} \epsilon_0 E^2 A\)
∵ U = \(\frac{1}{2} \epsilon_0 \mathrm{E}^2\)
= \(\frac{1}{2} \in_0 \mathrm{E} \times \mathrm{AE}=\frac{1}{2} \sigma \mathrm{AE}\)
∵σ = ∈0E
= \(\frac{1}{2}\)QE
∵σ = \(\frac{Q}{A}\)

घटक \(\frac{1}{2}\) का भौतिक उद्गम इस बात में निहित है कि चालक के ठीक बाहर क्षेत्र E व अन्दर शून्य होता है। अतः विद्युत क्षेत्र का औसत मान अर्थात् \(\frac{E}{2}\) बल में अपना योगदान करता है, जिसके विरुद्ध पट्टिकाओं को सरकाया जाता है।

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प्रश्न 2.29.
दो संकेंद्री गोलीय चालकों जिनको उपयुक्त विद्युतरोधी आलंबों से उनकी स्थिति में रोका गया है, से मिलकर एक गोलीय संधारित्र बना है (देखें चित्र)। दर्शाइए कि गोलीय संधारित्र की धारिता C इस प्रकार व्यक्त की जाती है-
उत्तर:
C = \(c\frac{4 \pi \epsilon_0 r_1 r_2}{r_1-r_2}\)
यहाँ r1 और r2 क्रमशः बाहरी तथा भीतरी गोलों की त्रिज्याएँ है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 28
हल-आन्तरिक गोले पर विभव का मान, V1=(+Q आवेश के कारण विभव) + (- Q आवेश के कारण विभव)
⇒ V1 = \(\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0 r_2}-\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0 r_1}\)
V1 = \(\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{1}{r_2}-\frac{1}{r_1}\right)=\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0} \times\left(\frac{r_1-r_2}{r_1 r_2}\right)\)
यहाँ पर बाहरी गोला पृथ्वी के सम्पर्क में है। इस कारण से विभव V2 का मान शून्य होगा। अतः विभवान्तर का मान
V = V1 – V2
V = V1 – 0 = V1
∴ V = \(\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0} \times\left(\frac{r_1-r_2}{r_1 r_2}\right)\)
C = \(\frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{V}}\)
= \(\frac{4 \pi \epsilon_0 r_1 r_2}{\left(r_1-r_2\right)}\)
यह गोलीय संधारित्र की धारिता का व्यंजक है। यदि दोनों गोलों के मध्य रिक्त स्थान में ∈r परावैद्युतांक का पदार्थ भरा हो तो धारिता
= Cm = \(\frac{4 \pi \epsilon_0 \epsilon_{\mathrm{r}} \mathrm{r}_1 r_2}{\mathrm{r}_1-\mathrm{r}_2}\)

प्रश्न 2.30.
एक गोलीय संधारित्र के भीतरी गोले की त्रिज्या 12 cm तथा बाहरी गोले की त्रिज्या 13 cm है। बाहरी गोला भू-संपर्कित है तथा भीतरी गोले पर 2.5 µC का आवेश दिया गया है। संकेंद्री गोलों के बीच के स्थान में 32 परावैद्युतांक का द्रव भरा है।
(a) संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
(b) भीतरी गोले का विभव क्या है?
(c) इस संधारित्र की धारिता की तुलना एक 12 cm त्रिज्या वाले किसी वियुक्त गोले की धारिता से कीजिए। व्याख्या कीजिए कि गोले की धारिता इतनी कम क्यों है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
गोले की आन्तरिक त्रिज्या r2 = 12 cm.
r2 = 12 × 10-2 m.
बाहरी गोले की त्रिज्या r1 = 13 cm.
r1 = 13 × 10-2 m.
आंतरिक गोले पर आवेश (Q) = 2.5 µC
Q = 2.5 × 10-6C
दो गोलों के बीच भरे द्रव का परावैद्युतांक = K = 32
(a) माना धारित्र की धारिता = C = ?
गोलीय धारित्र की धारिता के सम्बन्ध का प्रयोग करने पर
C = \(4 \pi \epsilon_0 K \frac{r_1 r_2}{\left(r_1-r_2\right)}\)
मान रखने पर = \(\frac{1}{9 \times 10^9} \times \frac{32 \times 12 \times 10^{-2} \times 13 \times 10^{-2}}{\left(13 \times 10^{-2}-12 \times 10^{-2}\right)}\)
= \(\frac{32 \times 13 \times 12 \times 10^{-2}}{9 \times 10^9}\)
= 554.67 × 10-11 = 5.5467 × 10-9 F
= 5.55 × 10-9F
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 29

अतः स्पष्ट है कि C'<<C’
वियुक्त गोले की धारिता का मान गोलीय संधारित्रों की धारिता से बहुत कम है। इसके दो कारण हो सकते हैं-
(i) परावैद्युतांक धारिता के मान को बढ़ाता है।
(ii) गोले को भू-संपर्कित करने पर विभव में कमी आती है तथा धारिता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 2.31.
सावधानीपूर्वक उत्तर दीजिए-
(a) दो बड़े चालक गोले जिन पर आवेश Q1 और Q2 हैं, एक- दूसरे के समीप लाए जाते हैं। क्या इनके बीच स्थिरवैद्युत बल का परिमाण तथ्यतः = \(\frac{Q_1 Q_2}{4 \pi \epsilon_0 \mathrm{r}^2}\)
द्वारा दर्शाया जाता है, जहाँ इनके केन्द्रों के बीच की दूरी है?
(b) यदि कूलॉम के नियम में \(1 / r^3\) निर्भरता का समावेश (\(1 / r^2\) के स्थान पर) हो तो क्या गाउस का नियम अभी भी सत्य होगा ?
(c) स्थिरवैद्युत क्षेत्र विन्यास में एक छोटा परीक्षण आवेश किसी बिंदु पर विराम में छोड़ा जाता है। क्या यह उस बिंदु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा?
(d) इलेक्ट्रॉन द्वारा एक वृत्तीय कक्षा पूरी करने नाभिक के क्षेत्र द्वारा कितना कार्य किया जाता है? यदि कक्षा दीर्घवृत्ताकार हो तो क्या होगा?
(e) हमें ज्ञात है कि एक आवेशित चालक के पृष्ठ विद्युत क्षेत्र असंतत होता है क्या वहाँ वैद्युत विभव भी असंतत होगा?
(f) किसी एकल चालक की धारिता से आपका क्या अभिप्राय है?
(g) एक संभावित उत्तर की कल्पना कीजिए कि पानी का परावैद्युतांक (= 80), अभ्रक के परावैद्युतांक (= 6) से अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
(a) दो आवेशों q1 व q2 के बीच स्थिर वैद्युत बल का व्यंजक
F = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{\mathrm{r}^2}\) से दिया जाता है, जबकि दोनों आवेश q1 तथा q2 बिन्दु आवेश हैं यह व्यंजक बड़े गोलीय चालकों के लिए सही नहीं है। यह इसलिए है कि जब बड़े गोलों को निकट सम्पर्क में लाया जाता है तो आवेश आबंटन एकसमान नहीं रहता ।
(b) नहीं, यदि कूलॉम के नियम की निर्भरता \(\frac{1}{r^3}\) है पर है तो गाउस का नियम लागू नहीं होता। चूँकि गाउस का नियम केवल तभी तक सत्य है जब तक कि कूलॉम के नियम में निर्भरता \(\left(\frac{1}{r^2}\right) \) है।
(c) चूँकि यहाँ पर प्रारम्भिक वेग शून्य है, इस कारण से परीक्षण आवेश उस बिन्दु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा।
(d) किया गया कार्य कक्षा की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है और
बन्द मार्ग के लिए \(\oint \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \mathrm{dl}\) = 0
∴ W = O
यही अण्डाकार कक्षा के लिए भी सत्य है अर्थात् अण्डाकार कक्षा में W = 0
(e) नहीं, किसी आवेशित चालक के पृष्ठ पर विभव असंतत नहीं होता । वहाँ यह संतत है। E शून्य हो सकता है परन्तु V स्थिर रहता है।
(f) एकल चालक की धारिता होती है। यह वह धारित्र है जिसकी एक पट्टिका अनंत पर है।
(g) पानी के अणु ध्रुवीय होते हैं जबकि अभ्रक के अध्रुवीय पानी के अणुओं में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण है। अतः पानी का परावैद्युतांक अभ्रक आदि के परावैद्युतांक से कहीं अधिक होता है।

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प्रश्न 2.32.
एक बेलनाकार संधारित्र में 15 cm लंबाई एवं त्रिज्याएँ 1.5 cm तथा 1.4 cm के दो समाक्ष बेलन हैं। बाहरी बेलन भू-संपर्कित है और भीतरी बेलन को 3.5 µC का आवेश दिया गया है। निकाय की धारिता और भीतरी बेलन का विभव ज्ञात कीजिए अंत्य प्रभाव (अर्थात् सिरों पर क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना) की उपेक्षा कर सकते हैं।
उत्तर:
हल दिया गया है-
समाक्षीय बेलनों की लम्बाई = l
∴ l = 15 cm = 15 × 10-2 m
आन्तरिक बेलन की त्रिज्या = r1 = 1.4 cm = 1.4 × 10-2 m
बाह्य बेलन की त्रिज्या = r2 = 1.5 cm = 1.5 × 10-2 m
आन्तरिक बेलन पर आवेश q= 3.5 µC
= 3.5 × 10-6 C
माना निकाय की धारिता का मान C है।
आन्तरिक बेलन का विभव = V = ?
बेलनाकार धारित्र की धारिता का सूत्र
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 30
चूँकि बाह्य बेलन को पृथ्वी से सम्पर्क किया गया है, अतः आन्तरिक बेलन का विद्युत विभव दोनों बेलनों के मध्य विभवान्तर के बराबर होगा।

प्रश्न 2.33.
3 परावैद्युतांक तथा 107 V m-1 की परावैद्युत सामर्थ्य वाले एक पदार्थ से 1 KV वोल्टता अनुमतांक के समांतर पट्टिका संधारित्र की अभिकल्पना करनी है। [परावैद्युत सामर्थ्य वह अधिकतम विद्युत क्षेत्र है जिसे कोई पदार्थ बिना भंग हुए अर्थात् आंशिक आयनन द्वारा बिना वैद्युत संचरण आरंभ किए सहन कर सकता है] सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र को कभी भी परावैद्युत सामर्थ्य के 10\% से अधिक नहीं होना चाहिए। 50 pF धारिता के लिए पट्टिकाओं का कितना न्यूनतम क्षेत्रफल होना चाहिए?
उत्तर:
हल-दिया गया है कि सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र को कभी भी परावैद्युत सामर्थ्य के 10\% से अधिक नहीं होना चाहिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 31

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.34.
व्यवस्थात्मकतः निम्नलिखित में संगत समविभव पृष्ठ का वर्णन कीजिए-
(a) z-दिशा में अचर विद्युत क्षेत्र
(b) एक क्षेत्र जो एकसमान रूप से बढ़ता है, परंतु एक ही दिशा ( मान लीजिए 2- दिशा) में रहता है।
(c) मूल बिंदु पर कोई एकल धनावेश, और
(d) एक समतल में समान दूरी पर समांतर लंबे आवेशित तारों से बने एकसमान जाल ।
उत्तर:
हल – (a) 2-दिशा में कार्यरत स्थिर विद्युत क्षेत्र के लिए सम- विभवतल चित्र में दिखाये अनुसार xy तल के समान्तर पृष्ठ होंगे।
(b) वैसे ही जैसा (a) में सिवाय इसके कि निश्चित विभवान्तर वाले तल आपस में, जब क्षेत्र बढ़ता है, पास-पास आ जाते हैं।

HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 32
(c) मूल बिन्दु पर एकल धनात्मक आवेश के लिए समविभव पृष्ठ मूल बिन्दु के समकेन्द्रिक गोले होंगे जिनका केन्द्र मूल बिन्दु पर होगा।
(d) ग्रिड (जाल) के समीप समय समय पर बदलती प्रकृति जो शनैः शनैः ग्रिड से बहुत दूर समान्तर समतलों में बदल जाती है।

प्रश्न 2.35.
r,1 त्रिज्या तथा 1 आवेश वाला एक छोटा गोला, A, r2 त्रिज्या और q2 आवेश के गोलीय खोल दर्शाइए यदि q1 धनात्मक है तो (जब दोनों को
(कोश) से घिरा है। एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है) आवश्यक रूप से आवेश, गोले से खोल की तरफ ही प्रवाहित होगा, चाहे खोल पर आवेश q2 कुछ भी हो।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता 33
अतः आवेश A से B गोले में प्रवाहित होगा। V,A – VB के व्यंजन में विलोपित हो गया है अतः गोले को कोश से तार द्वारा जोड़ने पर दोनों एक चालक की तरह व्यवहार करेंगे। फलस्वरूप आवेश गोले से कोश की ओर ही प्रवाहित होगा चाहे 92 का मान कुछ भी क्यों न हो।

प्रश्न 2.36.
निम्न का उत्तर दीजिए-
(a) पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष वायुमंडल की ऊपरी परत लगभग 400kV पर है, जिसके संगत विद्युत क्षेत्र ऊँचाई बढ़ने के साथ कम होता है। पृथ्वी के पृष्ठ के समीप विद्युत क्षेत्र लगभग 100 V m-1है। तब फिर जब हम घर से बाहर खुले में जाते हैं, तो हमें विद्युत आघात क्यों नहीं लगता? (घर को लोहे का पिंजरा मान लीजिए, अतः उसके अंदर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं है!)

(b) एक व्यक्ति शाम के समय अपने घर के बाहर 2m ऊँचा अवरोधी पट्ट रखता है जिसके शिखर पर एक 1 m2 क्षेत्रफल की बड़ी ऐलुमिनियम की चादर है। अगली सुबह वह यदि धातु की चादर को छूता है तो क्या उसे विद्युत आघात लगेगा?

(c) वायु की थोड़ी-सी चालकता के कारण सारे संसार में औसतन वायुमंडल में विसर्जन धारा 1800 A मानी जाती है। तब यथासमय वातावरण स्वयं पूर्णतः निरावेशित होकर विद्युत उदासीन क्यों नहीं हो जाता? दूसरे शब्दों में वातावरण को कौन आवेशित रखता है?

(d) तड़ित के दौरान वातावरण की विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा के किन रूपों में क्षयित होती है?
[ संकेत – पृष्ठ आवेश घनत्व = 10-9 Cm2 ” के अनुरूप पृथ्वी के (पृष्ठ) पर नीचे की दिशा में लगभग 100V m-1 का विद्युत क्षेत्र होता है। लगभग 50 km ऊँचाई तक (जिसके बाहर यह अच्छा चालक है) वातावरण की थोड़ी सी चालकता के कारण लगभग +1800 C का आवेश प्रति सेकंड समग्र रूप से पृथ्वी में पंप होता रहता है। तथापि, पृथ्वी निरावेशित नहीं होती, क्योंकि संसार में हर समय लगातार तड़ित तथा तडित झंझा होती रहती है, जो समान मात्रा में ऋणावेश पृथ्वी में पंप कर देती है ।]
उत्तर:
(a) हमारा शरीर तथा पृथ्वी समविभव पृष्ठ बनाते हैं, जिसका अर्थ है कि पृथ्वी व शरीर का विभव एक ही होता है और उनमें कोई विभवान्तर नहीं होता। इसलिए जब हम घर से बाहर खुले में आते हैं तो बाहर की खुली वायु का आरम्भिक समविभव पृष्ठ शरीर को इस प्रकार आवेशित करता है कि सिर और पृथ्वी का विभव समान रहता है। इस प्रकार शरीर में से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती और इसलिए हमें किसी विद्युत झटके का अनुभव नहीं होता।

(b) हाँ, वायुमण्डल में अपरिवर्ती विसर्जन धारा धीरे-धीरे ऐलुमिनियम की चादर को आवेशित करके उस सीमा तक इसके विभव को बढ़ाती है, जो संधारित्र (जो चादर, स्लेब और पृथ्वी सतह से बना है) की धारिता के ऊपर निर्भर है।

(c) सम्पूर्ण पृथ्वी पर वायुमण्डल लगातार तड़ित और झंझावतों से निरन्तर आवेशित होता रहता है और इससे सामान्य मौसम की स्थिति में सामंजस्य रहता है। अतः वायुमण्डल वैद्युतीय रूप से तटस्थ नहीं रह सकता।

(d) तड़ित में प्रकाश ऊर्जा अंतर्निहित है और संलग्न गर्जन में ऊष्मा तथा ध्वनि ऊर्जा है।

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HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र

Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र

प्रश्न 1.1.
वायु में एक-दूसरे से 30 cm दूरी पर रखे दो छोटे आवेशित गोलों पर क्रमशः 2 × 10-7C, तथा 3 × 10-7 आवेश हैं। उनके बीच कितना बल है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
q1 = 2 × 10-7C,
q2 = 3 × 10-2C
r = 30 cm = 30 × 10-2 m
आवेशों के बीच लगने वाला बल
\( F=\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left|q_1 q_2\right|}{r^2}\)
मान रखने पर
F = \( \frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 10^{-7} \times 3 \times 10^{-7}}{\left(30 \times 10^{-2}\right)^2}\)
∴ \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}=9 \times 10^9 \mathrm{Nm}^2 \mathrm{C}^{-2}\)
F = \( \frac{9 \times 6 \times 10^{-14+9}}{900+10^{-4}}=\frac{6 \times 10^{-5}}{10^{-2}}=6 \times 10^{-3}\)
F = 6 × 10-3N (प्रतिकर्षण) प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 1.2.
0.4 µC आवेश के किसी छोटे गोले पर किसी अन्य छोटे आवेशित गोले के कारण वायु में 0.2N बल लगता है। यदि दूसरे गोले में 0.8µC आवेश हो, तो (a) दोनों गोलों के बीच कितनी दूरी है?
(b) दूसरे गोले पर पहले गोले के कारण कितना बल लगता है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
q1 = 0.4 µC = 0.4 × 10-6C
q2 = 0.8 µC = 0.8 × 10-6C
F = q1 तथा q2 के बीच स्थिर वैद्युत बल का मान = 0.2N
\( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0}=9 \times 10^9 \mathrm{Nm}^2 \mathrm{C}^{-2}\)
(a) q1 तथा q2 के बीच स्थिर वैद्युत
F = \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left|q_1 q_2\right|}{r^2} \) का सूत्र प्रयोग करने पर
\(r^2=\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left|q_1 q_2\right|}{\mathrm{F}}\)
मान रखने पर
= \( \frac{9 \times 10^9 \times 0.4 \times 10^{-6} \times 0.8 \times 10^{-6}}{0.2}\)
= \( \frac{9 \times 0.4 \times 0.8}{0.2} \times 10^{-3}\)
= \( \frac{9 \times 4 \times 8}{2}=10^{-4}\)
= 144 ×10 -4
∴ \( r=\sqrt{144 \times 10^{-4}}=12 \times 10^{-2} \mathrm{~m}\)
या r = 12 × 10-2 × 102 cm = 12 cm.
(b) कूलॉम नियम, न्यूटन के क्रिया-प्रतिक्रिया नियम की अनुपालना करता है अतः द्वितीय आवेश द्वारा प्रथम आवेश पर तथा प्रथम आवेश द्वारा द्वितीय आवेश पर कार्यरत बल परिमाण में समान होते हैं।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.3.
जाँच द्वारा सुनिश्चित कीजिए कि \( k e^2 / \mathrm{Gm}_{\mathrm{e}} m_p \) विमाहीन है। भौतिक नियतांकों की सारणी देखकर इस अनुपात का मान ज्ञात कीजिए। यह अनुपात क्या बताता है?
उत्तर:
हल-e2 की विमा = C2 हैं
k की विमा = Nm2C-2
= MLT-2 × L-2 × CC
= ML3T-2C-2
G की विमा = M-1L3T-2 हैं तथा
me की विमा = M हैं
∴ \( \frac{\mathrm{ke}^2}{\mathrm{Gm}_{\mathrm{c}} \mathrm{m}_{\mathrm{p}}}\) की विमा
= \( \frac{\left[\mathrm{ML}^3 \mathrm{~T}^{-2} \mathrm{C}^{-2}\right]\left[\mathrm{C}^2\right]}{\left[\mathrm{M}^{-1} \mathrm{~L}^3 \mathrm{~T}^{-2}\right][\mathrm{M}][\mathrm{M}]}\)
= M2-2L3-3T-2+2C-2+2
= M0L0T0C0
∴ \( \frac{\mathrm{ke}^2}{\mathrm{Gm}_{\mathrm{e}} \mathrm{m}_{\mathrm{p}}}\) एक विमाहीन राशि है।
अब
e = 1.6 × 10-19C,
k = 9 × 109 Nm2C-2
g = 6.67 × 10-11Nm2kg-2
me = 9.1 × 10-31 kg तथा
mp = 1.66 × 10-27 kg का उपयोग करने पर
अतः \( \frac{\mathrm{ke}^2}{\mathrm{Gm}_{\mathrm{e}} \mathrm{m}_{\mathrm{p}}}\) = \( \frac{\left(9 \times 10^9\right) \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{6.67 \times 10^{-11} \times 9.1 \times 10^{-31} \times 1.66 \times 10^{-27}}\)
= \(\frac{9 \times 2.56 \times 10^{-38+9}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66 \times 10^{-11-31-27}}\)
= \(\frac{9 \times 2.56 \times 10^{-29}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66 \times 10^{-69}}\)
= \(\frac{9 \times 2.56 \times 10^{-29+69}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66}\)
= \( \frac{9 \times 2.56 \times 10^{40}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66}\)
= \( \frac{90 \times 2.56 \times 10^{39}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66}\)
= 2.29 × 1039
यह अनुपात प्रदर्शित करता है कि प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉन के मध्य विद्युत बल, उसी दूरी पर स्थित होने पर इनके मध्य के गुरुत्वाकर्षण बल से 1039 गुना अधिक प्रबल होता है।

प्रश्न 1.4.
(a) “किसी वस्तु का वैद्युत आवेश क्वांटीकृत है । ” इस प्रकथन से क्या तात्पर्य है? (b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर वैद्युत आवेशों से व्यवहार करते समय हम वैद्युत आवेश के क्वांटमीकरण की उपेक्षा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
(a) (i) आवेश के क्वांटित होने का अर्थ है कि किसी आवेशित वस्तु पर आवेश की उत्पत्ति का कारण चाहे कुछ भी क्यों न हो आवेश सदैव इलेक्ट्रॉन के आवेश का पूर्ण गुणक होता है अंश गुणक नहीं । गणितीय रूप से q = ± ne, जहाँ पर n = पूर्ण गुणक संख्या अर्थात् n = 0, 1, 2, 3

(ii) इलेक्ट्रॉन के आवेश (न्यूनतम आवेश) से कम आवेश असंभव है। गणितीय रूप से q = ± e, ± 2e, ± 3e, ± 4e, ± …

(iii) आवेश के क्वांटम का परिमाण इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन के आवेश के बराबर होता है अर्थात् 1.6 x 10-19 कूलॉम होता है।.

(b) जब हम स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर वैद्युत आवेशों से व्यवहार करते हैं, तब यह आवेश इलेक्ट्रॉनिक आवेश की तुलना में बहुत ही बड़ा होता है। उदाहरण के लिए 1 uC के आवेश में लगभग 1013 इलेक्ट्रॉनिक आवेश होते हैं। इस बड़े पैमाने पर यदि हम कहते हैं कि आवेश e के यूनिटों में बढ़ता है अथवा घटता है, तब कहने का अर्थ होता है कि आवेश का सतत मान होता है और उसका क्वांटीकरण अमहत्त्वपूर्ण है तथा उसकी उपेक्षा की जा सकती है ।

प्रश्न 1.5.
जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं, तो दोनों पर आवेश आ जाता है। इसी प्रकार की परिघटना का वस्तुओं के अन्य युग्मों में भी प्रेक्षण किया जाता है। स्पष्ट कीजिए कि यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम से किस प्रकार सामंजस्य रखता है।
उत्तर:
घर्षण प्रक्रिया में निम्नलिखित बातें देखने को मिलती हैं- (i) काँच की छड़ को रेशम से रगड़ने पर जितने धनावेश काँच की छड़ में स्थानान्तरित होते हैं, उतने ही ऋणावेश रेशम में |
(ii) एबोनाइट की छड़ को फर से रगड़ने पर जितने ऋणावेश एबोनाइट की छड़ में स्थानान्तरित होते हैं, उतने ही धनावेश फर में ।

उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि आवेशों को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है बल्कि उन्हें एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानान्तरित किया जा सकता है। यहाँ पर कुल नेट आवेश का मान शून्य हो जाता है। ये सभी बातें आवेश संरक्षण के नियम के अनुसार ही हैं क्योंकि वियुक्त निकाय का कुल आवेश संरक्षित है।

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प्रश्न 1.6.
चार बिन्दु आवेश qA = 2 µC, qB – 5 µC, qc = 2µC तथा qD = -5 µC, 10 cm भुजा के किसी वर्ग ABCD के शीर्षो पर अवस्थित हैं। वर्ग के केन्द्र पर रखे 1 µC आवेश पर लगने वाला बल कितना है?
उत्तर:
हल:
माना 0 केन्द्र
और प्रत्येक भुजा 10 cm का एक वर्ग ABCD है। केन्द्र O
पर 1 µC का एक आवेश है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 1
= OD
स्पष्टतः अब OA = OB = OC = OD
AC = \(\sqrt{(10)^2 + (10)^2}\)
= \(\sqrt{100+100}\) = \(\sqrt{200}\)
= 10√2
10√2-5√2
AO = \(\frac { AC }{ 2 }\) = \(\frac{10 \sqrt{2}}{2}\) = 5√2
∴ AO = OC = OB = OD
= 5√2cm = 5√2 x 10-2 m
दिया गया है- qA =2µc = 2 x 10-6 C
qB = -5µc = -5 x 10-6 C
qC = -2µc = 2 x 10-6 C
तथा qD=5µc = -5 x 10-6 C
केन्द्र पर रखा आवेश q = 1 µc = 1 x 10-6 C, qA के कारण q पर बल
F1 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}=\frac{\left|\mathrm{q}_1 \mathrm{q}_2\right|}{\mathrm{r}^2}\) सूत्र से
चूँकि qA = qc, 1 µc के आवेश पर qA तथा qc आवेशों के कारण समान और विपरीत बल कार्य करेंगे अर्थात् OC और OA के क्रमशः अनुदिश उनके परिमाण हैं।
∴ \(\overrightarrow{\mathrm{F}_1}=-\overrightarrow{\mathrm{F}_3}\)
इसी प्रकार F4 = F2, 1 µc का आवेश qB और qD आवेशों के कारण समान परन्तु विपरीत बलों का अनुभव करता है।
होगा।
इसी प्रकार \(\overrightarrow{\mathrm{F}_2}=-\overrightarrow{\mathrm{F}_4}\)
इस प्रकार चारों आवेशों के कारण 1 uc पर नेट बल शून्य होगा अर्थात्
\(\vec{F}=\overrightarrow{F_1}+\overrightarrow{F_2}+\overrightarrow{F_3}+\overrightarrow{F_4}\) = 0N अर्थात् शून्य बल

प्रश्न 1. 7.
(a) स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखा एक सतत वक्र होती है। अर्थात् कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती। क्यों?
(b) स्पष्ट कीजिए कि दो क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
(a) एक स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखा एक संतत वक्र होती है और कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती, क्योंकि यह टूटने वाले बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र नहीं दर्शाएगी।
(b) दो क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन नहीं कर सकती हैं। चूँकि प्रतिच्छेद बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाएँ होंगी। इसका अर्थ है कि उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र के दो भाग हैं, जो कि संभव नहीं है।

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प्रश्न 1.8
दो बिन्दु आवेश qA = 3µC तथा qB = -3µC
निर्वात में एक-दूसरे से 20 cm दूरी पर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के मध्य बिन्दु 0 पर विद्युत क्षेत्र कितना है?
(b) यदि 1.5 × 10-9 C परिमाण का कोई ऋणात्मक परीक्षण आवेश इस बिन्दु पर रखा जाए, तो यह परीक्षण आवेश कितने बल का अनुभव करेगा?
उत्तर:
हल दिया गया है-
तथा
qA = 3 µC = 3 × 10-6 C
qB = -3 µC = −3 × 10-6 C
2a = 20 cm = .02 m
a = 10 cm = 01 m
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 2

(a) O बिन्दु पर A तथा B पर रखे आवेशों द्वारा विद्युत क्षेत्र
\( \overrightarrow{\mathrm{E}}=\overrightarrow{\mathrm{E}}_{\mathrm{A}}+\overrightarrow{\mathrm{E}}_{\mathrm{B}}\)

\( \overrightarrow{\mathrm{E}}|=\frac{1}{4 \pi \epsilon_{\mathrm{o}}} \frac{\mathrm{q}}{(0.10)^2}+\frac{1}{4 \pi \epsilon_{\mathrm{o}}} \frac{\mathrm{q}}{(0.10)^2}\)

= \(\frac{9 \times 10^9 \times 6 \times 10^{-6}}{10^{-2}}\)
= 54 × 105 = 5.4 × 106 NC-1
विद्युत क्षेत्र की दिशा A से B की ओर है।

(b) 1.5 × 10 °C परिमाण के ऋणात्मक परीक्षण आवेश पर बल
F = q0. E द्वारा दिया जाता है।
= – 1.5 × 10-9 × 5.4 × 106
= – 8.1 × 10-3N, OA के अनुदिश
ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि बल F क्षेत्र E की विपरीत दिशा OA के अनुदिश है।

प्रश्न 1.9.
किसी निकाय में दो आवेश qA = 2.5 x 107 C तथा qB = -2.5 x 10-7 C क्रमशः दो बिन्दुओं A (0, 0, 15cm)
तथा B : (0, 0, + 15 cm) पर अवस्थित हैं। निकाय का कुल आवेश तथा वैद्युतं द्विध्रुव आघूर्ण क्या है?
उत्तर:
हल – वैद्युत द्विध्रुव में दो बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं, अतः कुल आवेश = शून्य
द्विध्रुव आघूर्ण
\(\overrightarrow{\mathrm{P}}=\mathrm{q}(\overrightarrow{2 \mathrm{a}}) \mathrm{Z} \text {-अक्ष के अनुदिश } \)
दिया गया है-
q = qA = qB = 2.5 x 10-7 C
2a = 30 cm = 30 x 10-2 m
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 3
निकाय का वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण
p = q x 2a
= 2.5 × 10-7 × 30 × 10-2
= 75 × 10-9 = 7.5 × 10-8
p = 7.5 × 10-8 C × m
इसकी दिशा ऋणात्मक 2-अक्ष के अनुदिश होगी।

प्रश्न 1.10.
4 x 10-9 Cm द्विध्रुव आघूर्ण का कोई वैद्युत द्विध्रुव 5 x 104NC-1परिमाण के किसी एक समान विद्युत क्षेत्र की दिशा से 30° पर संरेखित है। द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण का परिमाण परिकलित कीजिए।
उत्तर:
हल दिया गया है-
p = 4 x 10-9 Cm
θ = 30°
E = 5 x 104 NC-1
द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण π = ?
π= pE sin θ
मान रखने पर
= 4 × 10-9 × 5 × 104 x sin 30°
= 20 × 10-5 × \(\frac{1}{2}\) = 10 × 10-5
= 10-4 Nm

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प्रश्न 1.11.
ऊन से रगड़े जाने पर कोई पॉलीथीन का टुकड़ा 3 x 10-7 C के ऋणावेश से आवेशित पाया गया।

(a) स्थानान्तरित ( किस पदार्थ से किस पदार्थ में) इलेक्ट्रॉनों की संख्या आकलित कीजिए।
(b) क्या ऊन से पॉलीथीन में संहति का स्थानान्तरण भी होता है?
उत्तर:
हल – (a) यहाँ पर कुल स्थानान्तरित आवेश का मान = 3 × 10-7C एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 × 10-19C
एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 × 10-19C
n = स्थानान्तरित इलेक्ट्रॉन की संख्या = ?
चूँकि ऊन से रगड़ने पर पॉलीथीन के टुकड़े पर ऋण आवेश है अतः इलेक्ट्रॉन ऊन से पॉलीथीन के टुकड़े पर स्थानान्तरित होते हैं।
q = ne से
\(\mathrm{n}=\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{e}}=\frac{3 \times 10^{-7} \mathrm{C}}{1.6 \times 10^{-19} \mathrm{C}}\)
= 1.875 × 1012
= 2 × 1012 इलेक्ट्रॉन
(b) हाँ, ऊन से पॉलीथीन में द्रव्यमान का स्थानान्तरण भी होता है, क्योंकि इलेक्ट्रॉन, जो पदार्थ कण हैं, ऊन से पॉलीथीन पर विस्थापित होते हैं। हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान बहुत कम होता है। इसलिए द्रव्यमान का स्थानान्तरण नगण्य है। पॉलीथीन पर स्थानान्तरित कुल द्रव्यमान = m × n
= 9. 1 × 10-31 Kg × 1. 875 × 10 12
= 1. 71 × 10 -18 Kg

प्रश्न 1.12.
(a) दो विद्युतरोधी आवेशित ताँबे के गोलों A तथा B के केन्द्रों के बीच की दूरी 50 cm है। यदि दोनों गोलों पर पृथक्-पृथक् आवेश 6.5 × 10-7C हैं, तो इनमें पारस्परिक स्थिर वैद्युत प्रतिकर्षण बल कितना है? गोलों के बीच की दूरी की तुलना में गोलों A तथा B की त्रिज्याएँ नगण्य हैं।
(b) यदि प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा दोगुनी तथा गोलों के बीच की दूरी आधी कर दी जाए, तो प्रत्येक गोले पर कितना बल लगेगा?
उत्तर:
हल-(a) दिया गया है-
r = 50 cm = 50 × 10
q1 = 6.5 × 10-7C
q2 = 6.5 × 10-7C
इनमें पारस्परिक स्थिर वैद्युत प्रतिकर्षण बल
F= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{r^2} \)
मान रखने पर F = \( \frac{9 \times 10^9 \times 6.5 \times 10^{-7} \times 6.5 \times 10^{-7}}{\left(50 \times 10^{-2}\right)^2} \)
= \(\frac{9 \times 6.5 \times 6.5 \times 10^{-5}}{2500 \times 10^{-4}} \)
= \( \frac{9 \times 6.5 \times 6.5 \times 10^{-3}}{25}\)
= 15 . 21 × 10 -3 = 1.521 × 10 -2
1.52 × 10-2N

(b) जब प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा दो गुनी तथा गोलों के बीच की दूरी आधी करने पर बल F का मान होगा।
F= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(2 q_1\right)\left(2 q_2\right)}{(r / 2)^2}\)
= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(2 q_1\right)\left(2 q_2\right)}{(r / 2)^2}\)
= 16 × 1. 52 × 10-2
= 0.24 N

प्रश्न 1.13.
मान लीजिए अभ्यास 1.12 में गोले A तथा B साइज में सर्वसम हैं तथा इसी साइज का कोई तीसरा अनावेशित गोला पहले तो पहले गोले के सम्पर्क, तत्पश्चात् दूसरे गोले के सम्पर्क में लाकर, अन्त में दोनों से ही हटा लिया जाता है। अब A तथा B के बीच नया प्रतिकर्षण बल कितना है?
उत्तर:
माना दिए गए गोले A और B हैं जिनमें प्रत्येक पर आवेश का मान 6.5 × 10-7C है। जब तीसरा गोला (माना C) गोले A के सम्पर्क में लाया जाता है तब यह दोनों आवेश को बराबर-बराबर वितरित करेंगे। जब गोला C जिसका आवेश (q/2) है, B के सम्पर्क में लाया जाता है जिसका आवेश q है तब यह दोनों आवेश को बराबर-बराबर वितरित करेंगे, जब तक कि उनका विभव समान नहीं हो जाता है और इसलिए उनका आवेश बराबर है (उनकी धारिता बराबर है।)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 4
प्रत्येक पर आवेश का मान = \( \frac{1}{2}\left(q+\frac{q}{2}\right)=\frac{3}{4} q\)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 5
अन्त में, A पर आवेश = \(\frac{q}{2}\)
C पर आवेश = \(\frac{3}{4} q \)
बीच की दूरी = 50 × 10-2m
A और B के बीच नया प्रतिकर्षण बल का मान
बल F = \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{r^2} \)
= \(9 \times 10^9 \times \frac{(\mathrm{q} / 2)(3 \mathrm{q} / 4)}{\left(50 \times 10^{-2}\right)^2}\)
= \( \frac{9 \times 3 q^2 \times 10^{13}}{8 \times 50 \times 50}\)
q का मान रखने पर = \(\frac{9 \times 3 \times\left(6.5 \times 10^{-7}\right)^2 \times 10^{13}}{8 \times 50 \times 50} \)
= \(\frac{9 \times 3 \times 6.5 \times 6.5 \times 10^{-14} \times 10^{13}}{2 \times 10^4}\)
= 13.5 × 6.5 × 10-5
= 570.375 × 10-5N
= 5.7 × 10-3N

प्रश्न 1.14.
चित्र में किसी एकसमान स्थिर वैद्युत क्षेत्र में तीन आवेशित कणों के पथचिन्ह (tracks) दर्शाए गए हैं। तीनों आवेशों के चिन्ह लिखिए। इनमें से किस कण का आवेश-संहति अनुपात \((q / m)\) अधिकतम है?
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 6
उत्तर:
चूँकि (1) तथा (2) कण ऋणात्मक प्लेट की ओर विक्षेपित होते हैं, अतः वे धनात्मक आवेश हैं। (3) कण धनात्मक प्लेट की ओर विक्षेपित होता है, अतः इस पर ऋणात्मक आवेश है। यहाँ विद्युत क्षेत्र की दिशा +ve से -ve प्लेट की ओर है। यदि कण पर आवेश q हो, तो इसके द्वारा अनुभव किया गया बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}=\overrightarrow{\mathrm{qE}}\) होगा। बल की दिशा \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) की दिशा के अनुदिश होगी और आवेश की गति की प्रारम्भिक दिशा के लम्बवत् होगी।
∴ आवेश में त्वरण उत्पन्न का मान
a = \(\frac{F}{m}\)
a = \(\frac{\mathrm{qE}}{\mathrm{m}}\) …………………(1)
∴ F = qE
गति के दूसरे समीकरण से s = ut + \(\frac{1}{2} \mathrm{at}^2\)
s = 0+ \(\frac{1}{2} \mathrm{at}^2\)
a का मान समीकरण (1) से रखने पर
s = \(\frac{1}{2}\left(\frac{q E}{m}\right) t^2\)
चूँकि E व t समान हैं अतः s ∝ \( \left(\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{m}}\right)\) \text चूँकि आवेशित कण (3)
ऊर्ध्वाधर की ओर अधिकतम विक्षेपित है इसलिए S का मान इसके लिए अधिकतम है। अतएव आवेश से द्रव्यमान का अनुपात (विशिष्ट आवेश) इसके लिए अधिकतम होगा।

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प्रश्न 1.15.
एकसमान विद्युत क्षेत्र\(\overrightarrow{\mathrm{E}}=3 \times 10^3 \hat{\imath} \mathrm{N} / \mathrm{C}\) पर विचार कीजिए।
(a) इस क्षेत्र का 10 cm भुजा के वर्ग के उस पार्श्व से जिसका तल yz तल के समानान्तर है, गुजरने वाला फ्लक्स क्या है?
(b) इसी वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स कितना है? यदि इसके तल का अभिलंब \mathrm{x}-अक्ष से 60^{\circ} का कोण बनाता है?
विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=3 \times 10^3 \hat{\imath} \mathrm{N} / \mathrm{C}\) अर्थात् विद्युत क्षेत्र धन x- अक्ष के अनुदिश कार्य करता है।
वर्ग की भुजा = 10 cm = 10 × 10-2m
∴ पृष्ठ का क्षेत्रफल ∆S = (10 × 10-2)2
= 100 × 10-4 = 1 × 10-2 m2
\(\overrightarrow{\Delta \mathrm{S}}=10^{-2} \hat{\imath} \mathrm{m}^2\)
चूँकि वर्ग पर अभिलम्ब x-अक्ष के अनुदिश है।
(a) ∴ फ्लक्स \(\phi=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\Delta \mathrm{S}}\)
= \(\left[3 \times 10^3 \hat{\imath} \mathrm{N} / \mathrm{C}\right] \cdot\left[10^{-2} \hat{\imath} \mathrm{m}^2\right]\)
= \(30 \mathrm{NC}^{-1} \mathrm{~m}^2\) ∴ Î . Î = 1

(b) यहाँ वर्ग अर्थात् सदिश क्षेत्रफल पर अभिलम्ब एवं विद्युत क्षेत्र में 60° का कोण है।
\(\phi=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\Delta \mathrm{S}}=\mathrm{E} \Delta \mathrm{S} \cos 60^{\circ}\)
∵ θ = 60° है
मान रखने पर = \( 3 \times 10^3 \times 10^{-2} \times 1 / 2 \mathrm{NC}^{-1} \mathrm{~m}^2\)
= 15 Nm-2C-1

प्रश्न 1.16.
अभ्यास 1.15 के एकसमान विद्युत क्षेत्र का 20 cm भुजा के किसी घन से (जो इस प्रकार अभिविन्यासित है कि उसके फलक निर्देशांक तलों के समानान्तर हैं) कितना नेट फ्लक्स गुजरेगा?
उत्तर:
घन में से नेट अभिवाह शून्य होगा क्योंकि घन में प्रवेश करने वाली रेखाओं की संख्या धन से निर्गत रेखाओं की संख्या के समान है अर्थात् जितनी विद्युत बल रेखाएँ इसकी 20 cm भुजा के फलक से प्रवेश करती हैं, उतनी ही निर्गत हैं।

प्रश्न 1.17.
किसी काले बॉक्स (ऐसा बॉक्स जिसके भीतर के आवेश के परिमाण एवं प्रकृति के बारे में कोई जानकारी न हो) के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की सावधानीपूर्वक ली गई माप यह संकेत देती है कि बॉक्स के पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स 8.0 × 10 3 Nm2/C हैं।
(a) बॉक्स के भीतर नेट आवेश कितना है?
(b) यदि बॉक्स के पृष्ठ से नेट बहिर्मुखी फ्लक्स शून्य है, तो क्या आप यह निष्कर्ष निकालेंगे कि बॉक्स के भीतर कोई आवेश नहीं है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
हल- (a) दिया गया है
पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स
\(\phi=8 \times 10^3 \mathrm{Nm}^2 / \mathrm{C}\)
\(\epsilon_0=8.854 \times 10^{-12} \mathrm{C}^2 \mathrm{~N}^{-1} \mathrm{~m}^{-2}\)
यदि काले बॉक्स में नेट आवेश q है तब सूत्र
\(\phi=\frac{q}{\epsilon_0} \text { से }\)
q = Φ∈0
मान रखने पर = 8 × 103 × 8. 854 × 10-12
= 70.832 × 10-9 C
= \(\frac{70.832 \times 10^{-9} \mu \mathrm{C}}{10^{-6}}\)
= 70.832 × 10-3 µC
= 0. 071 µC (लगभग)

(b) हम यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि बॉक्स के अन्दर नेट आवेश शून्य है। यदि बॉक्स से बाहर की ओर पृष्ठ से नेट अभिवाह शून्य है क्योंकि ऋण एवं धनावेश समान हो सकता है, जो कि एक-दूसरे के प्रभाव को निरस्त कर देते हैं जिससे अन्दर नेट आवेश शून्य हो जाता है और हम ऐसा निष्कर्ष निकाल लेते हैं कि बॉक्स के अन्दर नेट आवेश शून्य है।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.18.
चित्र में दर्शाए अनुसार 10 cm भुजा के किसी वर्ग के केन्द्र से ठीक 5 cm ऊँचाई पर कोई 10 µC आवेश रखा है। इस वर्ग से गुजरने वाले वैद्युत फ्लक्स का परिमाण क्या है? (संकेत : वर्ग को 10 cm किनारे के किसी घन का एक फलक मानिए।)
हल-वर्ग को 10 cm किनारे के किसी घन का एक फलक मानते हैं। घन के केन्द्र में आवेश +q रखा गया है। दिए गए आवेश की कल्पना 5 cm दूरी पर इस घन के केन्द्र पर की जा सकती है। यहाँ पर-
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 7
q = 10 µC
= 10 × 10-6C
= 10-5C
तब गाउस के नियम के अनुसार घन के छह पृष्ठों से कुल वैद्युत फ्लक्स
\(\phi=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}\)
अतः एक-एक फलक में से फ्लक्स का मान
\(\phi_{\mathrm{s}}=\frac{1}{6} \times \frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}=\frac{1}{6} \times \frac{10^{-5}}{8.85 \times 10^{-12}}\)
=\(\frac{100}{53.1} \times 10^5=1.88 \times 10^5 \mathrm{Nm}^2 \mathrm{C}^{-1}\)

प्रश्न 1.19.
2.0 µC का कोई बिन्दु आवेश किसी किनारे पर 9.0 cm किनारे वाले किसी घनीय गाउसीय पृष्ठ के केन्द्र पर स्थित है। पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है
q = 2 µC = 2 × 10-6C
0 = 8.854 × 10-12N-1m-2C2
Φ = नेट फ्लक्स गाउस सिद्धान्त के अनुसार घन के छह पृष्ठों अर्थात् गाउसीय तलों से नेट फ्लक्स
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 8
\(\phi=\frac{q}{\epsilon_0}\)
\(\phi=\frac{2 \times 10^{-6}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 2. 26 × 105Nm2C-1

प्रश्न 1.20.
किसी बिन्दु आवेश के कारण उस बिन्दु को केन्द्र मानकर खींचे गए 10 cm त्रिज्या के गोलींय गाउसीय पृष्ठ पर वैद्युत फ्लक्स 1.0 × 103Nm2/C।
(a) यदि गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या दो गुनी कर दी जाए, तो पृष्ठ से कितना फ्लक्स गुजरेगा?
(b) बिन्दु आवेश का मान क्या है?
हल-(a) वैद्युत फ्लक्स केवल गाउसीय पृष्ठ पर उपस्थित आवेश पर निर्भर करता है। इसलिए गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या दो गुनी करने पर भी फ्लक्स गुजरेगा।
Φ = -1.0 × 103Nm2C-1
क्योंकि दोनों प्रकरणों के परिबद्ध आवेश समान हैं।

(b) q = बिन्दु आवेश = ?
0 = 8.854 × 10-12N-1m-2C2
r = गोलीय गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या
सूत्र Φ = \(\frac{q}{\epsilon_0}\) का प्रयोग करने पर
q = Φ ∈0
मान रखने पर = (-1.0 × 103) × (8.854 × 10-12
= -8.854 × 10-9C = -8.9 × 10-9C
= -8.9 NC

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.21.
10 cm त्रिज्या के चालक गोले पर अज्ञात परिमाण का आवेश है। यदि गोले के केन्द्र से 20 cm दूरी पर विद्युत क्षेत्र 1.5 ×103 N/C त्रिज्यतः अंतर्मुखी (radially inward) है, तो गोले पर नेट आवेश कितना है?
हल-दिया गया है-यहाँ पर R = चालक गोले की त्रिज्या
=10 cm =10 × 10-2m
r = गोले के केन्द्र से बिन्दु की दूरी
= 20 cm
= 20 × 10-2m
यहाँ पर स्पष्ट है r > R
E = गोले से 20 cm दूर बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र 1.5 × 103NC-1
अन्दर की ओर
q= गोले पर नेट आवेश
विद्युत क्षेत्र की त्रिज्या E = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q}{r^2}\) करे का प्रयोग करने पर
1.5 × 103 = \(\frac{9 \times 10^9 \times q}{\left(20 \times 10^{-2}\right)^2} \)
⇒ \(\frac{1.5 \times 10^3 \times 400 \times 10^{-4}}{9 \times 10^9}=\mathrm{q}\) = q
⇒ \(\frac{60}{9 \times 10^9}\) = q
∴ q = 6. 67 × 10-9C
= 6.67 NC
इसके अतिरिक्त E गोले के अन्दर की ओर कार्य करता है, अतः
q = – 6.67 × 10-9 C
= -6.67 NC

प्रश्न 1.22.
2.4m व्यास के किसी एकसमान आवेशित चालक गोले का पृष्ठीय आवेश घनत्व 80.0 µC/m2 है।
(a) गोले पर आवेश ज्ञात कीजिए ।
(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत कुल वैद्युत फ्लक्स क्या है?
उत्तर:
हल दिया गया है-
पृष्ठीय आवेश घनत्व
σ = 80.0 µC m-2
= 80 × 10-6 Cm-2
R = आवेशित गोले की त्रिज्या
= \(\frac{2.4}{2}\)= 1.2m

(a) q = गोले पर आवेश आवेश = ?
आवेश q= σ × 4πr2
मान रखने पर
q = 80 × 10-6 × 4 × 3.14 × (1.2)2
q = 80 × 4 × 3.14 × 1.44 × 10-6
= 1446.912 × 10-3C
या q = 1.446 × 10-3C
≅ 1.45 × 10-3C

(b) Φ = गोले के पृष्ठ से निर्गत कुल वैद्युत फ्लक्स
\(\phi=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}\)
मान रखने पर Φ = \(\frac{1.45 \times 10^{-3} \mathrm{C}}{8.854 \times 10^{-12} \mathrm{~N}^{-1} \mathrm{~m}^{-2} \mathrm{C}^2}\)
या = 1.64 × 108 Nm2 C-1

प्रश्न 1.23.
कोई अनन्त रैखिक आवेश 2 cm दूरी पर 9 x 104 N C-1 विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। रैखिक आवेश घनत्व ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल – E = एक अनन्त रैखिक आवेश द्वारा उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र
= 9 x 104 N C-1
r = उत्पन्न करता है। रैखिक आवेश घनत्व ज्ञात कीजिए।
r = 2 cm = 2 × 10-2 m
λ = रैखिक आवेश = ?
चूँकि हम जानते हैं-
\(E=\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{2 \lambda}{r}=\frac{\lambda}{2 \pi \epsilon_0 r}\)
∴ λ = E × 2π ∈0r
मान रखने पर- λ = 9 × 104 × 2 ×3.14 × 8.85 × 10-12 × 10-2
= 9 × 2 × 3. 14 × 8. 85 × 2 ×10<sup-10
= 36 × 3.14 × 8. 85 × 10-10
= 1000.404 × 10-10
= 0. 10 × 10-6 Cm-1
या = 1.0 × 10 -7 Cm-1

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.24.
दो बड़ी, पतली धातु की प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर एवं निकट हैं। इनके भीतरी फलकों पर प्लेटों के पृष्ठीय आवेश घनत्वों के चिन्ह विपरीत है तथा इनका परिमाण 17.0 x 10-22 C/m2 है। (a) पहली प्लेट के बाह्य क्षेत्र में, (b) दूसरी प्लेट के बाह्य क्षेत्र में तथा (c) प्लेटों के बीच में विद्युत क्षेत्र E का परिमाण परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
हल-दिया है-
σ = 17 × 10-22C/m2
आवेश की परत के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र
\(\mathrm{E}=\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}\)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 9
यदि धनात्मक आवेश परत के कारण विद्युत क्षेत्र E1 तथा ऋणात्मक आवेश परत के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र E2 है तब (a) एवं (b) प्लेटों के बाह्य बिन्दुओं पर विद्युत क्षेत्र
E = E1 – E2
या E =\(\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}-\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}\) = 0

(c) प्लेटों के मध्य बिन्दु पर
E= \( \frac{\sigma}{2 \epsilon_0}+\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}=\frac{\sigma}{\epsilon_0}\)
[धनात्मक से ऋणात्मक प्लेट की ओर]
मान रखने पर E = \( \frac{17 \times 10^{-22}}{8.85 \times 10^{-12}}\)
= 1.92 × 10-10 N/C

अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)

प्रश्न 1.25.
2.55 x 104 ‘N C-1 के नियत विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में 12 इलेक्ट्रॉन आधिक्य की कोई तेल बूँद स्थिर रखी जाती है (मिलियन तेल बूँद प्रयोग ) । तेल का घनत्व 1.26g cm-3 है। बूँद की त्रिज्या का आकलन कीजिए (g = 9.81 ms -2; e = 1.6 × 10-19 C) T
उत्तर:
दिया गया है-
नियत विद्युत क्षेत्र E = 2.55 × 104 NC-1
इलेक्ट्रॉन की संख्या n= 12
इलेक्ट्रॉन पर आवेश e= 1.6 × 10-19 C
q = बूँद पर आवेश
हम जानते हैं q = ne
मान रखने पर q = 12 × 1.6 × 10-19
q = 19.2 × 10-19 C
यदि तेल की बूँद पर वैद्युत क्षेत्र के कारण Fe स्थिर वैद्युत बल
Fe=qE ……………….(1)
= 19.2 × 10-19 C × 2.55 × 104 NC-1
इसके अलावा बूँद पर गुरुत्व के कारण बल Fg है तब
Fg = mg = \( \frac{4}{3} \pi r^3 \rho g\) ……………….(2)
यहाँ पर ρ = तेल का घनत्व है जिसका मान 1.26g cm-3 है।
∴ ρ = 1.26 × 10 3 kg m-3
g = 9.81 m/s2
माना बूँद की त्रिज्या = r है।
समीकरण (2) में मान रखने प
Fg= \(\frac{4}{3} \pi r^3\) × 1.26 × 103 × 9.81 ……………..(3)
चूँकि यहाँ पर बूँद स्थिर रहती है
Fe = Fg
इसलिए समीकरण (1) के मान और (3) के मानों को बराबर
रखने पर
19.2 × 10-19C × 2.55 × 104NC-1
= \( \frac{4}{3} \pi r^3\) × 1.26 × 103 × 9. 81
⇒ ∴ r3 = \(\frac{19.2 \times 10^{-19} \times 2.55 \times 10^4 \times 3}{4 \times 3.14 \times 1.26 \times 10^3 \times 9.81}\)
= \(\frac{19.2 \times 2.55 \times 3 \times 10^{-15} \times 10^{-3}}{4 \times 3.14 \times 1.26 \times 9.81}\)
= \( \frac{146.88 \times 10^{-18}}{155.25}\) = 0.95 × 10-18
r = \(\left(0.95 \times 10^{-18}\right)^{1 / 3}\)
= 0. 983 × 10-6
r = 9.83 × 10-7 m/s
= 9.83 × 10 -4 mm

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.26.
चित्र में दर्शाए गए वक्रों में से कौन संभावित स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित नहीं करते?
उत्तर:
केवल c उत्तर सही है। शेष स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित नहीं कर सकते।
(a) वैद्युत बल रेखाएँ पृष्ठ से या पृष्ठ पर केवल अभिलम्ब आरम्भ होती हैं अथवा समाप्त होती हैं।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 10

(b) गलत होने का कारण यह है कि वैद्युत बल रेखाएँ ऋणावेश से आरम्भ होकर धनादेश पर समाप्त नहीं होतीं, अतः चित्र (b) वैद्युत बल रेखाएँ नहीं दर्शाता है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 11

(c) केवल (c) द्वारा ही विद्युत क्षेत्र रेखाओं का सही प्रदर्शन किया जाता है क्योंकि बल रेखाएँ ऋणावेश में प्रवेश कर रही हैं।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 12

(d) इसमें बल रेखाओं को काटते हुए दर्शाया गया है जबकि क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काट सकती हैं जो कि वैद्युत बल रेखाओं का गुण नहीं है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 13

(e) वैद्युत बल रेखाएँ बन्द लूप नहीं बनातीं, अतः यह चित्र गलत है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 21

प्रश्न 1.27.
दिक्स्थान के किसी क्षेत्र में विद्युत क्षेत्र सभी जगह 2-दिशा के अनुदिश है, परन्तु विद्युत क्षेत्र का परिमाण नियत नहीं है। इसमें एक समान रूप से 2-दिशा के अनुदिश 105 N C-1 प्रति मीटर की दर से वृद्धि होती है वह निकाय जिसका ऋणात्मक 2- दिशा में कुल द्विध्रुव आघूर्ण 10-7 Cm के बराबर है, कितना बल तथा बल आघूर्ण अनुभव करता है?
उत्तर:
माना AB द्विध्रुव निर्देशित करता है जिसमें A पर आवेश -q तथा B पर आवेश +9 इस प्रकार है कि B से A की ओर दिशा Z-अक्ष के अनूद्विश है तब की दिशा A से B की ओर है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 14
अब
\(\overrightarrow{\mathrm{p}}=\mathrm{p}_{\mathrm{z}} \hat{\mathrm{k}}\)
\(\overrightarrow{\mathrm{p}}=-10^{-7} \hat{\mathrm{k}} \mathrm{Cm}^{-1}\)
∴ \(|\vec{p}|=10^{-7} \mathrm{Cm}^{-1}\)
और
\(\frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}}=10^5 \mathrm{NC}^{-1}\)
\(\mathrm{F}=\mathrm{qdE}=\mathrm{q} \frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}} \cdot \mathrm{dz}\)
F = \(\mathrm{qdz} \frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}}\)
= \(\mathrm{p} \frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}}\)
∴ p = q dz
मान रखने पर = 10-7 × 105
= 10-2 N

बल आघूर्ण (τ) की गणना – द्विध्रुव पर बल A से B अर्थात् z- अक्ष के अनुदिश होता है।
θ = 180°
τ = pE sin θ
= pE sin 180° = 0
∴ वैद्युत द्विध्रुव पर वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है।

प्रश्न 1.28.
(a) किसी चालक A जिसमें चित्र (a) में दर्शाए अनुसार कोई कोटर / गुहा (Cavity) है, को Q आवेश दिया गया है। यह दर्शाइए कि समस्त आवेश चालक के बाह्य पृष्ठ पर प्रतीत होना चाहिए।
(b) कोई अन्य चालक B जिस पर आवेश है, को कोटर / गुहा (Cavity) में इस प्रकार धँसा दिया जाता है कि चालक B चालक A से विद्युतरोधी रहे। यह दर्शाइए कि चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Qq है। (चित्र b)
(c) किसी सुग्राही उपकरण को उसके पर्यावरण के प्रबल स्थिर वैद्युत क्षेत्रों से परिरक्षित किया जाना है। संभावित उपाय लिखिए।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 15
उत्तर:
(a) टूटी रेखाओं से प्रदर्शित एक गाउसीय पृष्ठ को लेते हैं जिससे चालक A में कोटर छेद छोड़कर घिरा हुआ है। जैसा कि चित्र (a) में दिखाया गया है। हमको यह भी ज्ञात है कि चालक के भीतर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं होता अर्थात् शून्य होता है, अतः चालक के अन्दर कोटर में कोई आवेश नहीं है। हम कह सकते हैं कि गाउसीय पृष्ठ के अन्दर कोई आवेश उपस्थित नहीं हो सकता, जो चालक के ठीक अन्दर है। इस प्रकार गाउस के नियमानुसार
\(\oint_{\mathrm{s}} \mathrm{EdS}=\frac{\mathrm{Q}}{\epsilon_0} \text { हमें } \frac{\mathrm{Q}}{\epsilon_0}=0 \text { देता है। }\)
गाउसीय पृष्ठ के अन्दर E = 0
∴ गाउसीय पृष्ठ के अन्दर Q = 0
अतः समस्त आवेश Q गाउसीय पृष्ठ A के बाहर की ओर पृष्ठ पर दृष्टिगोचर होना चाहिए।

(b) चित्र (b) में दिखाए अनुसार पुनः बिन्दु रेखा द्वारा चालक B को घेरे हुए कोटर में आवेश q को बन्द करते गाउसीय पृष्ठ को लीजिए। ऐसे ही विद्युत अभिवाह गाउसीय पृष्ठ को पार कर जाएगा, जिससे ऐसा लगता है कि चालक के अन्दर आवेश उपस्थित है परन्तु चालक A के अन्दर आवेश शून्य होना चाहिए। इसका अर्थ है कि चालक B कोटर के आन्तरिक पृष्ठ पर 9 आवेश उत्प्रेरित करता है, जो चालक A के बाह्य पृष्ठ पर +9 आवेश के रूप में चला जाता है। इस प्रकार बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q + q हो जाएगा।

(c) खोखले धातु पृष्ठ के अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है और सारा क्षेत्र बाह्य पृष्ठ पर ही उपस्थित कार्यरत होता है, अतः एक संवेदी यन्त्र को तीव्र स्थिर वैद्युत क्षेत्र से परिरक्षित करने के लिए उसे खोखले धातु खोल में रखना चाहिए।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.29.
किसी खोखले आवेशित चालक में उसके पृष्ठ पर कोई छिद्र बनाया गया है। यह दर्शाइए कि छिद्र में विद्युत क्षेत्र \(\left(\sigma / 2 \varepsilon_0\right)\)
\( \hat{\mathbf{n}} है, जहाँ \hat{\mathbf{n}}\) अभिलंबवत् दिशा में बहिर्मुखी एकांक सदिश है तथा ० छिद्र के निकट पृष्ठीय आवेश घनत्व है।
उत्तर:
माना छेद के पास चालक का पृष्ठ आवेश घनत्व ० है और उस छेद का अनुप्रस्थ काट = A है विद्युत क्षेत्र समतल आवेशित चद्दर के अभिलम्ब है और यह बाह्य दिशा की ओर है जो कि दर्शाता है। छेद में E का मान ज्ञात करने के लिए छेद में से एक गाउसीय बेलन खींचिए चूँकि छेद से कोई बल रेखाएँ बेलन की दीवार को पार करती हैं, अतः दीवारों के अभिलम्ब का घटक शून्य है बेलन के सिरों पर E का अभिलम्ब घटक है।
इस प्रकार यदि गाउसीय पृष्ठ से कुल विद्युत अभिवाह है। तब
\(\phi=\oint_{\mathrm{s}} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{dS}}\)
\(\phi=\int_s \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{dS}}+\int \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{dS}}\)
बेलन के वक्र पृष्ठ का पृष्ठ क्षेत्रफल बेलन के सिरों का क्षेत्रफल
= \( 0+\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{A}}+\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{A}}\)
= EA cos θ + EA cos θ
यहाँ पर θ = 0°
= 2EA ………………..(1)
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 16
माना गाउसीय पृष्ठ में बन्द आवेश है गाउस के नियमानुसार
\(\phi=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}=\frac{\sigma \mathrm{A}}{\epsilon_0}\) ……………………. (2)
समीकरण (1) तथा (2) को बराबर करने पर
2 EA = \(\frac{\sigma \mathrm{A}}{\epsilon_0}\)
अथवा E = \(\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}\)
या सदिश रूप में \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{\sigma}{2 \epsilon_0} \hat{\mathrm{n}}\) इतिसिद्धम्

प्रश्न 1.30
गाउस नियम का उपयोग किए बिना किसी एकसमान रैखिक आवेश घनत्व के अनन्त लम्बाई के पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए। [ संकेत-सीधे ही कूलॉम नियम का उपयोग करके आवश्यक समाकलन का मान निकालिए।]
उत्तर:
माना AB एक अनन्त लम्बाई का रेखीय आवेश है जिसका रैखिक आवेश घनत्व λ है और O इसका केन्द्र है। रेखा आवेश के लम्बवत् a दूरी पर कोई एक बिन्दु P है। हमने O से l दूरी पर तार का dl लम्बाई का अंश CD लिया है। जैसा चित्र में दिखाया गया है। इस पर आवेश λdl तथा बिन्दु P से इसकी दूरी r है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 17
C से DP पर एक लम्ब CL डाला गया है। कोण ∠LCD = θ है।
त्रिभुज CPL में कोण = चाप / त्रिज्या

सूत्र प्रयोग करने पर
dθ = CL/r
या CL = rdθ …………….. (1)
त्रिभुज CLD में
Cos θ = \(\frac{\mathrm{CL}}{\mathrm{CD}}=\frac{\mathrm{rd} \theta}{\mathrm{d} l}\)
या dl = \(\frac{\mathrm{rd} \theta}{\cos \theta}\) …………………. (2)
त्रिभुज CPO से r = \(\frac{a}{\cos \theta}\)
dl लम्बाई के अल्पांश CD जिस पर आवेश dq =λdl है, के कारण P बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र dE है। कूलाम के नियम से विद्युत क्षेत्र की तीव्रता dE का मान होगा-
\(\mathrm{dE}=\mathrm{k} \frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{r}^2}\)
इस dE के दो घटक होंगे, एक तार के लम्बवत् (dE cos θ) तथा दूसरा तार के समानान्तर (dE sin θ )
लम्बवत् घटक का मान होगा
E = \(\int d E \cos \theta=\int \frac{k d q}{r^2} \cos \theta\)
= \(\int \frac{\mathrm{k} \lambda d l}{\mathrm{r}^2} \cos \theta\)
(∵ λ = dp/dl)
dl का मान समीकरण (2) में रखने पर
E = \(\int \frac{\mathrm{k} \lambda}{\mathrm{r}^2} \times \frac{\mathrm{rd} \theta}{\cos \theta} \times \cos \theta\)
E = \(\int \frac{k \lambda}{r} \times d \theta\)
समीकरण (3) सेr का मान रखने पर
E = \(\int \frac{\mathrm{k} \lambda}{\mathrm{a}} \cos \theta \mathrm{d} \theta\)a
अनन्त लम्बाई के तार के लिए इस अवकलन की सीमाएँ – π /2 से + π /2 होंगी।
अतः
E = \(\int_{-\pi / 2}^{\pi / 2} \frac{k \lambda}{a} \cos \theta d \theta\)
= \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\lambda}{\mathrm{a}} \int_{-\pi / 2}^{\pi / 2} \cos \theta \mathrm{d} \theta\)
= \( \frac{\lambda}{4 \pi \epsilon_0 \mathrm{a}}[\sin \theta]_{-\frac{\pi}{2}}^{\frac{\pi}{2}}\)
= \(\frac{\lambda}{4 \pi \epsilon_0 a}\left[\sin \frac{\pi}{2}-\sin \left(-\frac{\pi}{2}\right)\right]c\)
= \( frac{\lambda}{4 \pi \epsilon_0 \mathrm{a}}[1+1]=\frac{1}{2 \pi \epsilon_0} \cdot \frac{\lambda}{\mathrm{a}}\)
या \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{\lambda}{2 \pi \epsilon_0 a}\) OX के अनुदिश तार के लम्बवत् इतिसिद्धम्
dE के उस घटक का मान जो तार के समानान्तर है (∑dE sin θ ) शून्य होगा क्योंकि O से ऊपरी बिन्दुओं के लिए इसका कुल मान नीचे की और होगा तथा 0 से नीचे के बिन्दुओं के इसका मान ऊपर की ओर होगा।

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.31.
अब ऐसा विश्वास किया जाता है कि स्वयं प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन (जो सामान्य द्रव्य के नाभिकों का निर्माण करते हैं) और अधिक मूल इकाइयों जिन्हें क्वार्क कहते हैं, के बने हैं। प्रत्येक प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन तीन क्वार्कों से मिलकर बनता है दो प्रकार के क्वार्क होते हैं : अप क्वार्क (u द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर + (2/3) e आवेश तथा डाउन क्वार्क (d द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (-1/3) e आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन से मिलकर सामान्य द्रव्य बनाते हैं। (कुछ अन्य प्रकार के क्वार्क भी पाए गए हैं, जो भिन्न असामान्य प्रकार का द्रव्य बनाते हैं ।) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के संभावित क्वार्क संघटन सुझाइए ।
उत्तर:
दो प्रकार के क्वार्क होते हैं जिन्हें तथा d द्वारा दर्शाते हैं।
अप क्वार्क u, पर आवेश = +\(\frac{2}{3} e\)
डाउन क्वार्क d, पर आवेश q =\( -\frac{1}{3} \mathrm{e}\)
प्रोटॉन तीन क्वार्कों से मिलकर बनता है। दो अप तथा एक डाउन प्रोटॉन
का संगठन (u, u, d) पर कुल आवेश = \(2 \mathrm{u}+1 \mathrm{~d} \frac{2}{3} e+\frac{2}{3} e-\frac{1}{3} e = e\)
न्यूट्रॉन का कुल आवेश 3 क्वार्कों से बनता है। एक अप तथा दो डाउन (lu + 2d)
न्यूट्रॉन का संगठन (u, d, d) पर कुल आवेश
= \(\frac{2}{3} e-\frac{1}{3} e-\frac{1}{3} e=0\)

प्रश्न 1.32.
(a) किसी यादृच्छिक स्थिर वैद्युत क्षेत्र विन्यास पर विचार कीजिए इस विन्यास की किसी शून्य विक्षेप स्थिति ( null-point, अर्थात् जहाँ E = 0) पर कोई छोटा परीक्षण आवेश रखा गया है। यह दर्शाइए कि परीक्षण आवेश का संतुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।

(b) इस परिणाम का समान परिमाण तथा चिन्हों के दो आवेशों (जो एक-दूसरे से किसी दूरी पर रखे हैं) के सरल विन्यास के लिए सत्यापन कीजिए।
उत्तर:
(a) माना कि संतुलन स्थायी है तब परीक्षण आवेश को किसी भी दिशा में थोड़ा विस्थापित करने पर वह शून्य विक्षेप की स्थिति की दिशा में प्रत्यानयन बल का अनुभव करेगा अर्थात शून्य विक्षेप की स्थिति के निकट सभी क्षेत्र रेखाएँ शून्य विक्षेप स्थिति की दिशा में अंतर्मुखी निर्दिष्ट होंगी अर्थात् शून्य विक्षेप स्थिति के चारों ओर बन्द पृष्ठ से होकर किसी विद्युत क्षेत्र का नेट अंतर्मुखी फ्लक्स से गुजरेगा, लेकिन गाउस के नियम से किसी विद्युत क्षेत्र का ऐसे पृष्ठ से होकर गुजरने वाला पलस्क जिससे कोई आवेश परिबद्ध नहीं है, शून्य होता है। अतः यह संतुलन स्थायी नहीं हो सकता, अतः हम कह सकते हैं कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।

(b) समान परिमाण तथा चिह्नों के दो आवेशों के लिए मध्य बिन्दु सन्तुलन बिन्दु है। यदि मध्य बिन्दु पर रखा परीक्षण आवेश को अक्षीय रेखा के लम्बवत् विस्थापित करे, तब एक नेट बल कार्यरत हो जाता है जो कि आवेश को मध्य बिन्दु से दूर हटा देता है। इसका अर्थ यह है कि परीक्षण आवेश स्थायी सन्तुलन में नहीं है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 18

प्रश्न 1.33
प्रारम्भ में x-अक्ष के अनुदिश Vx चाल से गति करती हुई दो आवेशित प्लेटों के मध्य क्षेत्र में m द्रव्यमान तथा १ आवेश का एक कण प्रवेश करता है (अभ्यास प्रश्न 1.14 में कण 1 के समान)। प्लेटों की लम्बाई L है। इन दोनों प्लेटों के बीच एकसमान विद्युत क्षेत्र E बनाए रखा जाता है दर्शाइए कि प्लेट के अन्तिम किनारे पर कण का ऊर्ध्वाधर विक्षेप qEL 2/ ( 2m \(\mathbf{v}_x^2\)) है पाठ्यपुस्तक के अनुभाग 4.10 में वर्णित गुरुत्वीय क्षेत्र के साथ इस कण की गति की तुलना कीजिए ।)
उत्तर:
दोनों पट्टिकाओं Q और P को लीजिए और मानिए कि इनके बीच नीचे की ओर कार्यरत विद्युत क्षेत्र E है। माना कण विद्युत क्षेत्र को पार करने में लगा समय है और इसका विक्षेप y है।
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 19
t = \(\frac{L}{v_x}\)
आवेशित पट्टिकाओं Q और P के बीच -q आवेश पर परवलयाकार मार्ग तय करता है। माना y अक्ष के अनुदिश कण में a त्वरण उत्पन्न होता है। आरम्भ में y अक्ष के अनुदिश वेग
बल \(\vec{F}=\overrightarrow{m a}\)
\(\vec{a}=\frac{\vec{F}}{m}=\frac{-q \vec{E}}{m}\)
यहाँ पर ऋण चिन्ह दर्शाता है कि \(\vec{a}, \overrightarrow{\mathrm{E}}\) की दिशा के विपरीत है।
गति के दूसरे समीकरण से
S = ut + \(\frac{1}{2} \mathrm{at}^2\)
यहाँ पर S = y और u = uy = 0
y = 0 + \(\frac{1}{2} \times \frac{q E}{m} \times \frac{L^2}{v_x^2}\)
या y = \(\frac{\mathrm{qEL}^2}{2 \mathrm{mv}_{\mathrm{x}}^2}\) इतिसिद्धम्

HBSE 9th Class Science Important Questions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 1.34.
अभ्यास 1.33 में वर्णित कण की इलेक्ट्रॉन के रूप में कल्पना कीजिए जिसको vx = 2.0 × 106 ms-1 के साथ प्रक्षेपित किया गया है। यदि 0.5 cm की दूरी पर रखी प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र E का मान 9.1 × 102 N/C हो, तो ऊपरी प्लेट पर इलेक्ट्रॉन कहाँ टकराएगा ? (|e| = 1.6 × 10-19 C, me = 9.1 × 10-31 kg.)
उत्तर:
दिया है-
vx = 2 × 106 m/s प्लेटों के मध्य दूरी
d = 0.5 cm
E = 9.1 × 102 N/C
9 = |e| = 1.6 × 10-19C
m = 9.1 × 10-31 kg
HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र 20
माना इलेक्ट्रॉन ऊपरी प्लेट पर x दूरी पर टकराता है तब
L = x तथा इलेक्ट्रॉन का विक्षेप
y = 1⁄2 d = \(\frac{0.5}{2}\) = 0.25cm
= 25 × 10-4 m
y = \(\frac{\mathrm{qEL}^2}{2 \mathrm{mv_{x } ^ { 2 }}}\) से
या L = \(\sqrt{\frac{2 m v_x^2 y}{q E}}\)
या L = \(x \sqrt{\frac{2 m v_x^2 y}{q E}}\)
x = \(\sqrt{\frac{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(2.0 \times 10^6\right)^2 \times 25 \times 10^{-4}}{1.6 \times 10^{-19} \times 9.1 \times 10^2}} \)
= \(\sqrt{\frac{18.2 \times 4 \times 25 \times 10^{-31} \times 10^{12} \times 10^{-4}}{1.6 \times 9.1 \times 10^{-17}}} \)
= \(\sqrt{\frac{18.2 \times 10^{-4}}{14.56}}\)
= \(\sqrt{1.25 \times 10^{-4}}\)
= 1.118 × 10-2m
= 1.12 cm.

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

HBSE 10th Class Science Periodic Classification of Elements Textbook Questions and Answers

Question 1.
Which of the following statements Is not a correct statement about the trends when going from left to right across the periods of periodic Table?
(a) The elements become less metallic in nature
(b) The number of valence electrons increases
(c) The atoms lose their electrons more easily
(d) The oxides become more acidic
Answer:
(c) The atoms lose their electrons more easily

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Question 2.
Element X forms a chloride with the formula XCI2, which is a solid with a high melting point. X would most likely be in the same group of the Periodic Table as ……….
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si
Answer:
(b) Mg

Question 3.
Which element has —
(a) two shells, both of which are completely filled with electrons?
(b) the electronic configuration 2, 8, 2?
(c) a total of three shells, with four electrons in its valence shell?
(d) a total of two shells, with three electrons in its valence shell?
(e) twice as many electrons in Its second shell as in Its first shell?
Answer:
(a) Neon Ne (2, 8)
(b) Magnesum Mg (2, 8, 2)
(c) Silicon Si (2, 8, 4)
(d) Boron B (2, 3)
(e) Carbon C (2, 4)

Question 4.
(a) What property do all elements in the same column of the Periodic Table as boron have In common?
(b) What property do all elements In the same column of the Periodic Table as fluorine have in common?
Answer:
(a) In Modern Periodic Table, element boron (B) lies in group 13 arid its valency is 3. So, all the other elements belonging to this group will also have valency 3.

(b) In the Modern periodic table, element fluorine (F) lies in group 17. All the elements of group 17 have 7 electrons in their valence shell. Hence, all the other elements belonging to the group of fluorine have valency 1. So, their valency is 1.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Question 5.
An atom has electronic configuration 2, 8, and 7.
(a) What is the atomic number of this element?
(b) To which of the following elements would It be chemically similar?
(Atomic numbers are given in parentheses.)
N(7)   F(9)   P(15)  Ar(18)
Answer:
(a) The atomic number of the element having electronic configuration 2, 8, 7 is 2 + 8 + 7 = 17.

(b) It will be similar to F(9) because electronic configuration of F(9) is 2, 7 i.e. similar to the element having atomic number 17 having 7 valence electrons.

Question 6.
The position of three elements A, B and C In the Periodic Table are shown below –
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements 1
(a) State whether A is a metal or non-metal.
(b) State whether C Is more reactive or less reactive than A.
(c) Will C be larger or smaller in size than B?
(d) Which type of ion, cation or anion, will be formed by element A?
Answer:
(a) Element A is non-metal.
Reason (Write only If asked):
Element is in 17th group. So, there are 7 electrons in its outermost shell or say the valency is 1.
It will acquire 1 electron to complete the octet. Such a property is shown by non-metals.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

(b) C is less reactive than A.
Reason (Write only If asked):
Element C is placed below element A. As one goes down in a group, the atomic size of elements increases and hence their reactivity decrease.

(c) C is smaller than B.
Reason (Write only if asked):
Elements C and B belong to same period. As one moves from left to right in a period, the atomic size i.e. the volume decreases. Hence, atomic size of element C will be smaller than B.

(d) Element A will form anion.
Reason (Write only if asked):
Element A has 7 electrons in its valence shell. So, it will tend to gain 1 electron to complete its octet and hence form anion.
A + e → A

Question 7.
Nitrogen (atomic number 7) and phosphorus (atomic number 15) belong to group 15 of the Periodic Table. Write the electronic configuration of these two elements. Which of these will be more electronegative? Why?
Answer:

ElementAtomic numberElectronic configuration
Nitrogen (N)
Phosphorus (P)
7
15
2, 5, –
2, 8, 5

As one moves down in a group, the electronegativity decreases. Nitrogen’s atomic number is 7. So, It lies above phosphorus. Hence, nitrogen will be more electronegative.

Question 8.
How does the electronic configuration of an atom relate to its position In the Modern Periodic Table?
Answer:
1. Through electronic configuration we can know the position of the element in the Modern Periodic Table.
2. Through the electronic configuration we can know the number of valence electrons, The valence electrons enables identifying the position of the element in the table.

Example:

  • Sodium (Na) has atomic number 11. So, its electronic configuration is 2, 8, 1 (2 + 8 + 1 = 11).
  • There is 1 valence electron in this configuration. Hence, sodium (Na) belongs to group 1.
  • There are three shells in this configuration. So, sodium lies in 3rd period.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Question 9.
In the Modern Periodic Table, calcium (atomic number 20) is surrounded by elements with atomic numbers 12, 19,21 and 38. Which of these have physical and chemical properties resembling calcium?
Answer:

ElementAtomic numberElectronic configuration
Calcium
Magnesium
Strontium
20
12
38
2, 8, 8, 2, —
2, 8, 2, —, —
2, 8, 18, 8, 2

As can be seen in the table above out of the given atomic numbers, only magnesium (Z=12) and strontium (Z=38) have same valence electrons i.e. ‘2’ Hence, these two elements have physical and chemical properties similar to calcium.

Question 10.
Compare and contrast the arrangement of elements in Mendeleev’s Periodic Table and the Modem Periodic Table.
Answer:

Mendeleev Periodic Table

Modern Periodic Table

1. Elements in this table were arranged on the basis of increasing atomic mass.
2. It contains 7 periods and 8 groups.
3. Mendeleev placed the transition elements arbitrarily in group VIII.
4. In Mendeleev’s table periodicity of elements cannot be explained.
1. Elements in this table were arranged on the basis of increasing atomic number.
2. If contains 7 periods and 18 groups.
3. Transition elements are placed properly in a separate group.
4. Periodicity of elements can be properly explained.

HBSE 10th Class Science Periodic Classification of Elements InText Activity Questions and Answers

Textbook Page no – 81

Question 1.
Did Dobereiner’s triads also exist In the columns of Newlands’ Octaves? Compare and find out.
Answer:
Yes, Dobereiner’s triads exist even in the columns of Newlands’ Octaves.
Example:

  • Lithium (Li), Sodium (Na) and potassium (K) constitute Dobereiner’s triads.
  • If we consider Li as the 1st element then the 8th element from it is Na.
  • Then, when we consider Na as the l element, then the 8th element from it is K.
  • Similarly, Dobereiner’s triad consisting of the elements beryllium (Be), magnesium (Mg) and calcium (Ca) is also included in the column of Newlands’ octaves.
  • Thus, Dobereiner’s triads are included in the columns of Newland’s Octaves.

Question 2.
What were the limitations of Doberelner’s classification?
Answer:
Limitation of Dobereiner’s classification :

  • Under Dobereiner’s classification, overall only a limited number of elements could be classified into triads.
  • After arranging the elements in triads, it was found that there were certain other elements which could not be classified by Dobereiner’s method.

Question 3.
What were the limitations of Newlands’ Law of Octaves?
Answer:
Limitation of Newlands’ Law of Octaves:
1. The law of octaves was applicable only upto calcium. After calcium, every 8 element did not possess properties similar to that of let.

2. Newlands thought that there were only 56 elements in nature. He also thought that no more elements would be discovered in the future. However, later, several new elements were discovered that could not be arranged in the table as per Newlands’ law.

3. In order to fit elements any how into his table. Newlands adjusted two elements in the slot even if the properties of elements did not match with other elements.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Example:
1. He placed Cobalt (Co) and nickel (Ni) in the same slot and placed these elements in the group of fluorine, chlorine and bromine. But, the properties of these three elements are quite different than cobalt and nickel.
2. Owing to these limitations we can say that Newslands Law of Octaves worked well only with lighter elements.

Textbook Page no – 85

Question 1.
Use Mendeleev’s Periodic Table to predict the formulae for the oxides of the following elements:
K, C, Al, Sl, Ba
Answer:
1. Valency of oxygen (O) is 2. We can find the valencies of other elements by looking at Mendeleev’s Table.
2. The formulas of oxides with asked elements are given in the table below.

ElementValencyMolecular formula of oxides
Potassium (K)
Carbon (C)
Aluminium (Al)
Silicon (Si)
Barium (Ba)
1
4
3
4
2
K2O
C2O44 OR CO2
Al2O3
Si2O4 OR SiO2
Ba2O2 OR BaO

Question 2.
Besides gallium,which other elements have since been discovered that were left by Mendeleev in his Periodic Table?(any two)
Answer:
Besides gallium, germanium and scandium have been discovered.

Question 3.
What were the criteria used by Mendeleev in creating his Periodic Table?
Answer:
Mendeleev used the following criteria for placing elements in his Periodic Table:

Criteria used by Mendeleev for developing periodic table:

  • The properties of elements are the periodic function of their atomic masses. Hence, arranging elements in the increasing order of their atomic masses.
  • Elements with similar properties are arranged in the same group.
  • The formula of oxides and hydrides formed by an element.

Question 4.
Why do you think the noble gases are placed in a separate group?
Answer:
1. All noble gases are inactive i.e. very inert because they have a complete octet.
2. They do not react with other elements because they are very stable.
3. All of them show similar properties.
4. Owing to all these reasons, noble gases are placed in a separate group.

Textbook Page no – 90

Question 1.
How could the Modern Periodic Table remove various anomalies of Mendeleev’s Periodic Table?
Answer:
The Modem Periodic Table removed the anomalies of Mendeleev’s Periodic Table as follows:

(1) Position of isotopes:
Isotopes of an element have same atomic number and so their placement was an issue in Mendeleev table. In Modern Periodic Table all the elements were placed in one group to resolve the issue.

(2) Improper position of some pairs of elements. Mendeleev had arranged the elements in the increasing order of their atomic masses. This posed some problems. However, this problem got solved when the elements were placed in increasing order of the atomic number.

(3) Uncertainty of the number of elements that could be discovered.
Elements in Mendeleev’s Periodic Table were placed on the basis of increasing atomic mass. However, the atomic mass does not increase in a specific manner as one moves from one element to another. Hence, one could not predict the number of elements that could be discovered between two elements.

Question 2.
Name two elements you would expect to show chemical reactions similar to magnesium. What Is the basis for your choice?
Answer:
Elements: Beryllium (Be), Calcium (Ca), etc.
Reason: Magnesium (Mg) has 2 electrons in the valence shell. Hence, all elements such as the two stated above having 2 electrons in the valence shell will belong to the group of magnesium and hence show similar chemical properties. In other words, all elements belonging to same group as that of magnesium will show similar chemical properties.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Question 3.
Name —
(a) Three elements that have a single electron in their outermost shells.
(b) Two elements that have two electrons In their outermost shells.
(c) Three elements with filled outermost shells.
Answer:
(a) Lithium (Li) (Z = 3), Sodium (Na) (Z = 11) and Potassium (K) (Z = 19) have 1 electron in their last orbits.
(b) Magnesium (Mg) (Z =12) and Calcium (Ca) (Z = 20) have 2 electrons In their last orbits.
(c) Noble gases namely Helium (He), Neon (Ne). Argon (Ar), etc. have their outermost shell completely filled with electrons.

Question 4.
(a) Lithium, sodium, potassium are all metals that react with water to liberate hydrogen gas. Is there any similarity between the atoms of these elements?
(b) Helium is an unreactive gas and neon is a gas of extremely low reactivity. What, if anything,
do their atoms have In common?
Answer:
(a) Similarities between atoms of lithIum (LI), Sodium (Na) and potassium (K):

  • All these elements are highly reactive.
  • They have same valence electrons i.e. 1.
  • They readily loose electrons and become positive ions.

(b) Similarity between helium and neon:

  • Both are noble gases.
  • Both belong to the same group.
  • Outer shell of both is completely filled.

Question 5.
In the Modern Periodic Table, which are the metals among the first ten elements?
Answer:
Among the first 10 elements, only 2 elements namely lithium (Li) and beryllium (Be) are metals.

Question 6.
By considering their position in the Periodic Table, which one of the following elements would you expect to have maximum metallic characteristic? Ga, Ge, As, Se and Be
Answer:
1. Element (Be) belongs to 2nd group and (Ga) belongs to 13th. All other elements belong to higher groups.
2. As one moves from left to right i.e. in the increasing order of the groups, the metallic character of an element decreases.
3. Hence, elements (Be) and (Ga) will show maximum metallic characteristic.

Activities

Activity 1.

Looking at its resemblance to alkali metals and the halogen family, try to assign hydrogen a correct position In Mendeleev’s Periodic Table.

Question 1.
To which group and period should hydrogen be assigned?
Answer:
Hydrogen has the lowest atomic number i.e. 1. Its position is quite controversial and so it is difficult to assign hydrogen a fixed location. However, we can put it at group 1. period 1 position.

Activity 2.

Consider the isotopes of chlorine, CI-35 and Cl-37.

Question 1.
Would you place them in different slots because their atomic masses are different? Or would you place them In the same position because their chemical properties are the same?
Answer:
No the two isotopes cannot fit at two different positions. Moreover, chemical properties of both are similar and so they should be placed at the same position in group 17.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Activity 3.

Question 1.
How were the positions of cobalt and nickel resolved in the Modern Periodic Table?
Answer:
In Modern Periodic Table the elements were arranged in increasing order of their atomic number. So, cobalt with atomic number 27 was placed in group 9 whereas nickel having atomic number 28 was placed in group lo.

Question 2.
How were the positions of isotopes of various elements decided in the Modern Periodic Table?
Answer:
In the Modern Periodic Table, all the isotopes of an element were placed at a same location.

Question 3.
Is it possible to have an element with atomic number 1.5 placed between hydrogen and helium?
Answer:
The atomic number of an element to be represented in the Modern Periodic Table must be a whole number. Since 1.5 is a fractional number the element cannot be placed in the table.

Question 4.
Where do you think should hydrogen be placed in the Modern Periodic Table?
Answer:
Atomic number of hydrogen is 1 and so it should be placed at group 1 and period 1 position in the Modern Periodic Table.

Activity 4.

Question 1.
Look at the group 1 of the Modern Periodic Table, and name the elements present in it.
Answer:
Hydrogen (H), Lithium (Li), Sodium (Na), Potassium (K), Rubidium (Rb), Cesium (Cs)

Question 2.
Write down the electronic configuration of the first three elements of group 1.
Answer:
H(K=1), Li(K=2,L=1), Na(K=2,L=8,M=i)

Question 3.
What similarity do you find In their electronic configurations?
Answer:
All elements contain one electron in their outermost shell.

Question 4.
How many valence electrons are present in these three elements?
Answer:
The three elements have one electron in their respective valence shell.

Activity 5.

Question 1.
If you look at the Modern Periodic Table, you will find that the elements Li, Be, B, C, N, O, F, and Ne are present In the second period. Write down their electronic configurations.
Answer:
Li (2, 1), Be (2, 2), B (2, 3), C (2, 4), N (2, 5), 0(2, 6), F(2, 7), Ne (2, 8)

Question 2.
Do these elements also contain the same number of valence electrons?
Answer:
These elements contain different number of valence electrons.

Question 3.
Do they contain the same number of shells?
Answer:
Yes, all these elements contain the same number of shells, i.e. two. The shells are K and L.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Activity 6.

Question 1.
How do you calculate the valency of an element from its electronic configuration?
Answer:
The valency of an element is determined by the number of valence electrons present in the outermost shell of an atom.
For elements of group 1, 2, 13 and 13, the valency is equal to the number of valence electrons.
For elements of group 15, 16, 17 and 18, the valency is equal to 8 minus the number of valence electrons.

Question 2.
What is the valency of magnesium with atomic number 12 and sulphur with atomic number 16?
Answer:
Atomic number of Mg is 12. So, its electronic configuration is 2, 8, 2.
Hence, valency of Mg is 2.
Atomic number of S is 16. So its electronic configuration is 2, 8. 6.
Hence, valency of S = 8 – 6 = 2.

Question 3.
Similarly, find out the valencies of the first twenty elements.
Answer:
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements 2

Question 4.
How does the valency vary In a period on going from left to right?
Answer:
As you move in the period from left to right, the valency first increases from 1 to 4. Then it decreases from 4 to O.

Question 5.
How does the valency vary In going down a group?
Answer:
Valency does not change within a group.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Activity 7.

Question 1.
Atomic radii of the elements of the second period are given below:
Answer:
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements 3

Question 2.
Arrange them In decreasing order of their atomic radii.
Answer:
Li > Be > B > C > N > O.

Question 3.
Are the elements now arranged in the pattern of a period in the Periodic Table?
Answer:
Yes

Question 4.
Which elements have the largest and the smallest atoms?
Answer:
Largest atoms = Lithium; Smallest atoms = Oxygen

Question 5.
How does the atomic radius change as you go from left to right in a period?
Answer:
Atomic radius decreases as we go from left to right in a period.

Activity 8.

Question 1.
Study the variation in the atomic radii of first group elements given below and arrange them in an increasing order.
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements 4
Answer:
Li < Na < K < Rb < Cs

Question 2.
Name the elements which have the smallest and the largest atoms.
Answer:
Largest atoms = Cesium; Smallest atoms = Lithium

Question 3.
How does the atomic size vary as you go down a group?
Answer:
Atomic size increases as we go down in a group

Activity 9.

Question 1.
Examine elements of the third period and classify them as metals and non-metals.
Answer:
Sodium, magnesium and aluminium are metals, silicon is non-metal (metalloid) and Phosphorus, sulphur, chlorine and argon are non-metals.

Question 2.
On which side of the Periodic Table do you find the metals?
Answer:
Metals are found on the left hand side of the Periodic table.

Question 3.
On which side of the Periodic Table do you find the non-metals?
Answer:
Non-metals are found on the right hand side of the Periodic Table.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements

Activity 10.

Question 1.
How do you think the tendency to lose electrons changes In a group?
Answer:
As we move from top to bottom in a group, the tendency to lose electrons increases

Question 2.
How will this tendency change in a period?
Answer:
As we move from left to right in a period the tendency to lose electrons decreases.

Activity 11.

Question 1.
How would the tendency to gain electrons change as you go from left to right across a period?
Answer:
As one moves from left to right across a period, the tendency to gain electrons increases.

Question 2.
How would the tendency to gain electrons change as you go down a group?
Answer:
As we go down in a group, the tendency to gain electrons decreases.

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HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
(क) मानव …………… उत्पत्ति वाला है। (अलैंगिक / लैंगिक)
(ख) मानव …………… है। (अंडप्रजक, सजीवप्रजक, अंडजरायुज)
(ग) मानव में …………… निषेचन होता है। ( बाह्य / आंतरिक )
(घ) नर एवं मादा युग्मक …………….. होते हैं। (अगुणित / द्विगुणित )
(ङ) युग्मनज ……………. होते हैं। (अगुणित/ द्विगुणित)
(च) एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को ……………. कहते हैं।
(छ) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) ……………… नामक हार्मोन द्वारा प्रेरित (इनड्यूस्ड) होता है।
(ज) नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्यूजन) को ……………… कहते हैं।
(झ) निषेचन ……………… में संपन्न होता है।
(ञ) युग्मनज विभक्त होकर ……………. की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रोपित ( इंप्लांटेड) होता है।
(ट) भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनी संपर्क बनाने वाली संरचना को ……………… कहते हैं।
उत्तर:
(क) लैंगिक
(ख) सजीव प्रजक
(ग) आंतरिक
(घ) अगुणित
(ङ) द्विगुणित
(च) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन)
(छ) एल. एच. एवं FSH
(ज) निषेचन
(झ) फैलोपियन नलिका के इस्थमस तथा एंपुला के सन्धि स्थल
(ञ) कोरकपुटी (भ्रूण)
(ट) अपरा ( प्लेसैन्टा )।

प्रश्न 2.
पुरुष जनन तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
पुरुष जनन तंत्र का आरेख –
HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन - 1

प्रश्न 3.
स्त्री जनन तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
स्त्री जनन तंत्र का आरेख –
HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन - 2

प्रश्न 4.
वृषण तथा अंडाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
वृषण के कार्य –
(i) शुक्राणुओं का निर्माण करना।
(ii) वृषण में स्थित अन्तराली कोशिकाओं द्वारा नर हार्मोन ( टेस्टोस्टेरॉन) उत्पन्न करना जिसके कारण नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है।

अंडाशय के कार्य –
(i) अंडाणु का निर्माण करना।
(ii) एस्ट्रोजन हार्मोन का स्रावण करना जो मादा में द्वितीयक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है।

HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन

प्रश्न 5.
शुक्रजनन नलिका की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर:
शुक्रजनन नलिका की संरचना – वृषण की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को शुक्रजनन नलिका कहते हैं। ये प्रत्येक वृषण पालिका में एक से तीन अतिकुंडलित एक-दूसरे से सटी पतली नलिकाओं के रूप में पाई जाती हैं।
HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन - 3
प्रत्येक शुक्रजनन नलिका के चारों ओर ट्यूनिका प्रोप्रिया (Tunica Propria) नामक झिल्लीनुमा आवरण होता है और इसके भीतर एक स्तरीय जर्मिनल एपीथीलियम (Germinal Epithelium) होती है। इन्हीं कोशिकाओं के विभाजन अर्थात् शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) क्रिया द्वारा शुक्राणु बनते हैं। इसी स्तर पर मुग्दाकार संरचनाएँ स्थित होती हैं जिन्हें सरटोली कोशिकाएँ (Sertoli Cells) कहते हैं। ये कोशिकाएँ विकासशील शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करती हैं। देखिए चित्र में।

शुक्रजनन नलिकाओं के बीच में अन्तराली कोशिकाएँ (Interstitial Cells) पायी जाती हैं, जिन्हें लैडिंग कोशिकाएँ (Leydig Cells) कहते हैं, जिनमें नर हार्मोन बनते हैं, जिससे नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है। शुक्रजनन नलिकाओं से पतली-पतली नलिकाएँ निकलती हैं। जिन्हें वास इफरेंशिया (Vas Efferentia) कहते हैं । वृषण के अंदर ये नलिकाएँ आपस में मिलकर एक जाल बनाती हैं जिसे वृषण जालक (Rete Testis) कहते हैं । जालक से एक कुण्डलित नलिका प्रारम्भ होती है जिसे एपिडिडाइमिस (Epididymis) कहते हैं।

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प्रश्न 6.
शुक्राणुजनन क्या है? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर:
शुक्राणुजनन ( Spermatogenesis ) – वृषण में जनन उपकला कोशिकाओं (Germinal Epithelium) से समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणुओं के निर्माण एवं परिपक्व की क्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं। अर्धसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणुओं के निर्माण एवं परिपक्व की क्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं। शुक्राणुजनन की प्रक्रिया- शुक्र जनक नलिकाओं (Seminiferous Tubules) की भीतरी परत में उपस्थित शुक्राणुजन (Spermatogenia) समसूत्री विभाजन द्वारा संख्या में वृद्धि करते हैं। प्रत्येक शुक्राणुजन ( Spermatogonia) द्विगुणित होते हैं अर्थात् गुणसूत्रों की संख्या 46 होती है।

अब शुक्राणुजन में अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis division) होता है जिसके फलस्वरूप प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाओं (Primary Spermatocytes) का निर्माण होता है। एक प्राथमिक शुक्राणु कोशिका प्रथम अर्धसूत्री विभाजन को पूरा करते हुए दो समान अगुणित कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, जिन्हें द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ (Secondary Spermatocytes) कहते हैं। इस प्रकार निर्मित प्रत्येक कोशिका में 23 गुणसूत्र होते हैं । द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ दूसरे अर्धसूत्री विभाजन से गुजरते हुए चार बराबर अगुणित शुक्राणुप्रसु (Spermatids ) का निर्माण करते हैं। देखिए ऊपर चित्र में। ये शुक्राणु (Spermatids ) अन्त में शुक्राणु ( Sperms) में रूपान्तरित हो जाते हैं। शुक्राणुप्रसु (Spermatids ) का शुक्राणु में रूपान्तरित होने की क्रिया को स्पर्मिओजेनेसिस ( Spermiogenesis) कहते हैं।
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प्रश्न 7.
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में शामिल हार्मोनों के नाम बताएँ।
उत्तर:
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में शामिल हार्मोनों के नाम निम्नलिखित हैं –
(i) गोनेडोट्रॉपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH)
(ii) ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH)
(iii) फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH)
(iv) एंड्रोजन्स

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प्रश्न 8.
शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्परमियेशन) की परिभाषा लिखें।
उत्तर:
शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) – वृषण में जनन उपकला कोशिकाओं ( Germinal Epithelium) से समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणुओं के निर्माण एवं परिपक्वन की क्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं।
वीर्यसेचन (Insemination ) – स्त्री एवं पुरुष के संभोग (मैथुन) के दौरान शिश्न द्वारा शुक्राणु (वीर्य) स्त्री की योनि में छोड़ने की क्रिया को वीर्यसेचन ( Insemination) कहते हैं ।

प्रश्न 9.
शुक्राणु की एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
शुक्राणु का नामांकित आरेख –
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प्रश्न 10.
शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या हैं?
उत्तर:
पुरुष (नर) की सहायक ग्रन्थियों के अन्तर्गत –
(i) एक जोड़ी शुक्राशय (Seminal Vesicle)
(ii) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland)
(iii) एक जोड़ी बल्बोयूरेथ्रल ग्रन्थियाँ (Bulbouretheral glands) शामिल होती हैं।
इन ग्रन्थियों का स्राव शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) का निर्माण करता है जो फ्रुक्टोज (फल शर्करा), कैल्सियम, प्रोटीन, सेमीनोजेलिन, प्रोस्टोग्लेन्डिन्स आदि होते हैं।

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प्रश्न 11.
पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर:
पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य निम्न हैं-
(i) वृषण जालिका (Rete Testis) के कार्य – शुक्रजनन नलिका से प्राप्त शुक्राणुओं को वास इफेरेंशिया तक पहुँचाना।
(ii) वास इफेरेंशिया (Vas efferentia) का कार्य – अधिवृषण तक शुक्राणुओं को पहुँचाना।
(iii) अधिवृषण (Epididymis) का कार्य – शुक्राणुओं को ई अधिवृषण (एपिडिडाइमिस) में संग्रहित किया जाता है व यहाँ शुक्राणुओं का परिपक्वन होता है।
(iv) शुक्रवाहक (Vas deference) का कार्य – शुक्राणुओं का वहन एवं मूत्र मार्ग से बाहर स्थानान्तरण करना ।

ग्रन्थियों के कार्य –
(i) प्रोस्टेट ग्रन्थि ( Prostate gland) – ग्रन्थि का स्राव शुक्राणुओं को सक्रिय बनाता है एवं वीर्य को स्कंदन से रोकता है।
(ii) ब्लबोयूरेथ्रल ग्रन्थियाँ (Bulbouretheral glands) – इसका स्राव मादा की योनि को चिकना कर मैथुन क्रिया को सुगम बनाता है।
(iii) शुक्राशय (Seminal vesicles ) – इसका स्राव योनि मार्ग की अम्लीयता को समाप्त कर शुक्राणुओं की सुरक्षा करता है।

प्रश्न 12.
अंडजनन क्या है? अंडजनन की संक्षिप्त व्याख्या
उत्तर:
अंडजनन (Oogenesis ) – एक परिपक्व मादा युग्मक के निर्माण की प्रक्रिया को अंडजनन कहते हैं। अंडजनन की शुरुआत भ्रूणीय परिवर्धन चरण के दौरान होती है जब कई मिलियन मातृ युग्मक कोशिकाएँ यानी अंडजननी (oogonia) प्रत्येक भ्रूणीय अंडाशय के अन्दर निर्मित होती हैं। जन्म के बाद अंडजननी का निर्माण और उसकी वृद्धि नहीं होती है । इन कोशिकाओं में विभाजन शुरू हो जाता है और अर्धसूत्री विभाजन के पूर्वावस्था – 1 (प्रोफेज-1 ) में प्रविष्ट होती है और इस अवस्था में स्थायी तौर पर अवरुद्ध रहती है। इन्हें प्राथमिक अंडक (Primary oocyte) कहते हैं। उसके बाद प्रत्येक प्राथमिक अंडक कणिकामय कोशिकाओं (Granulosa Cells) की परत से आवृत होती है और इन्हें प्राथमिक पुटक ( Primary Follicle) कहा जाता है। यह प्राथमिक पुटक (Primary Follicle) कणिकामय कोशिकाओं के और अधिक परतों से आवृत हो जाते हैं तथा एक और नये प्रावरक (थिकल )
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यह द्वितीयक पुटक ( Secondary Follicle) शीघ्र ही एक तृतीय पुटक में परिवर्तित हो जाता है, जिसकी तरल से भरी गुहा को एंट्रम (antrum) कहा जाता है। प्रावरक स्तर (Theca Layer) बाह्य प्रावरक (External theca) एवं आन्तरिक प्रावरक (Theca interna) में गठित होता है। तृतीयक पुटक के अंदर प्राथमिक अंडक के आकार से वृद्धि होती है और इसका पहला अर्धसूत्री विभाजन (I meiosis division ) पूरा होता है।

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यह एक असमान विभाजन है जिसके फलस्वरूप बड़ा अगुणित द्वितीयक अंडक (Secondary oocyte) तथा एक छोटी प्रथम ध्रुवीय पिंड (Polar body) की रचना होती है। देखिए चित्र में। द्वितीयक अंडक (Secondary oocyte) प्राथमिक अंडक के पोषक से भरपूर कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) की मात्रा को संचित रखती है। तृतीयक पुटक (Tertiary Follicle) आगे चलकर ग्राफी पुटक (Graffian Follicle) में परिवर्तित हो जाता है । देखिये चित्र पाठ्यपुस्तक के प्रश्न क्रमांक 14 का उत्तर। द्वितीयक अंडक अपने चारों ओर पारदर्शी अंडावरण (Zona Pellucida ) का निर्माण कर लेता है। अब ग्राफियन पुटक फट जाती है और अण्डाशय से अंड बाहर निकलता है। इस प्रक्रिया को अंडोत्सर्ग (ovulation) कहते हैं।

प्रश्न 13.
अंडाशय के अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
अंडाशय के अनुप्रस्थ काट का आरेख
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प्रश्न 14.
ग्राफी पुटक (ग्राफियन फॉलिकल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
ग्राफी पुटक (ग्राफियन फॉलिकल ) का आरेख
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प्रश्न 15.
निम्नलिखित के कार्य बताएँ –
(क) पीत पिंड (कार्पस ल्यूटियम)
(ख) गर्भाशय अंत: स्तर (एंडोमेट्रियम)
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)
(च) झालर (फिम्ब्री)
उत्तर:
(क) पीत पिंड (कार्पस ल्यूटियम) के कार्य –
(i) पीत पिंड (Corpus Luteum) द्वारा स्रावित प्रोजेस्टरोन हार्मोन भ्रूण के सफल परिवर्धन के लिए गर्भ को बनाये रखता है । इसलिए इसे सगर्भता हार्मोन (Pregnancy Hormone) भी कहते हैं।
(ii) भ्रूणीय परिवर्धन पूर्ण हो जाने के उपरान्त शिशु के जन्म के लिए पीत पिण्ड (Corpus Luteum) द्वारा रिलेक्सिन (Relaxin) हार्मोन उत्पन्न किया जाता है ।

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(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (एंडोमेट्रियम) के कार्य –
(i) यह स्तर ग्रन्थिल होता है तथा कोरकपुटी ( भ्रूण) गर्भाशय अंतःस्तर में स्थापित होता है।
(ii) आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रअल साइकिल ) के दौरान गर्भाशय के इसी स्तर में चक्रीय परिवर्तन होते हैं।
(iii) इसी अस्तर की रक्त कोशिकाओं एवं ग्रन्थियों के फट जाने से रक्तस्राव प्रारम्भ होता है। रक्त एवं गर्भाशयी ऊतक योनि मार्ग द्वारा बाहर निकलता है। अर्थात् ऋतुस्राव / रजोधर्म में यह स्तर सहायक है।
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम) के कार्य – एक्रोसोम द्वारा हाएलोयूरोनाइडेज (Hyalouronidase) नामक एजाइम का स्रावण किया जाता है जो निषेचन के दौरान अण्डाणु कलाओं (Egg Membranes ) को घोलने का कार्य करता है । अर्थात् अण्डाणु के निषेचन में सहायता करता है।
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल) के कार्य – यह शुक्राणुओं को गति प्रदान करने में सहायता करती है। शुक्राणु के मध्य खण्ड में माइटोकोन्ड्रिया पाये जाते हैं, जो पूंछ को गति प्रदान करने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं जिससे शुक्राणु पूंछ की सहायता से निषेचन के लिए अण्ड तक पहुँच सके।
(च) झालर (फिम्ब्री) के कार्य- अण्डोत्सर्ग के दौरान अण्डाशय से उत्सर्जित अण्डाणु को संग्रह करने में ये झालर सहायक होते हैं।

प्रश्न 16.
सही या गलत कथनों को पहचानें –
(क) पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन सर्टोली कोशिकाओं द्वारा होता है। (सही / गलत)
(ख) शुक्राणु को सट्रली कोशिकाओं से पोषण प्राप्त होता है। (सही / गलत)
(ग) लीडिंग कोशिकाएँ अंडाशय में पाई जाती हैं। (सही / गलत ) (घ) लीडिंग कोशिकाएँ पुंजनों (एंड्रोजेन्स) को संश्लेषित करती हैं। (सही / गलत )
(ङ) अंडजनन पीत पिंड ( कॉपर्स ल्युटियम) में संपन्न होता है। (सही / गलत )
(च) सगर्भता (प्रेगनेंसी) के दौरान आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल ) बंद होता है । (सही / गलत )
(छ) योनिच्छद (हाइमेन) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति कौमार्य (वर्जिनिटी) या यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं है। (सही / गलत)
उत्तर:
(क) गलत
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) सही
(ङ) गलत
(च) सही
(छ) सही।

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प्रश्न 17.
आर्तव चक्र क्या है? आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) का कौनसे हार्मोन नियमन करते हैं?
उत्तर:
आर्तव चक्र ( Menstruation ) – प्राइमेट्स मादाओं में पाये जाने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र या रजोधर्म (Menstruation) कहते हैं। स्त्रियों में रजचक्र / रजोधर्म / ऋतुस्राव 28/29 दिन का होता है। प्रथम रज चक्र तरुणावस्था (Puberty) में प्रारम्भ होता है। इसे रजोदर्शन (menarche ) कहते हैं। इस चक्र के दौरान स्त्रियों की योनि से महीने में एक बार रक्तस्राव होता है जो 3 से 5 दिनों तक जारी रहता है। पचास वर्ष की उम्र में यह चक्र लगभग समाप्त हो जाता है। इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं। गर्भवती महिलाओं में आर्तव चक्र अनुपस्थित होता है। आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) का निम्नलिखित हार्मोन नियमन करते हैं –

  • गोनेडोट्रॉपिन
  • ऐस्ट्रोजन
  • ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
  • फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन
  • प्रोजेस्ट्रॉन।

प्रश्न 18.
प्रसव (पारट्युरिशन) क्या है? प्रसव को प्रेरित करने में कौनसे हार्मोन शामिल होते हैं?
उत्तर:
प्रसव (पारट्युरिशन) – मानव में सगर्भता की औसत अवधि लगभग 9.5 माह होती है जिसे गर्भावधि (जेस्टेशन पीरियड) कहते हैं। सगर्भता के अंत में गर्भाशय के जोरदार संकुचनों के कारण गर्भ बाहर निकल आता है। गर्भ के बाहर निकलने की इस क्रिया को शिशु जन्म या प्रसव (पारट्युरिशन) कहा जाता है। प्रसव एक जटिल तंत्रिअंत: स्रावी (न्यूरोइन्डोक्राइन) क्रियाविधि द्वारा प्रेरित होता है। प्रसव के लिए संकेत पूर्णविकसित गर्भ एवं अपरा से उत्पन्न होते हैं जो हल्के (माइल्ड) गर्भाशय संकुचनों को प्रेरित करते हैं जिन्हें गर्भ उत्क्षेपन प्रतिवर्त (फीटल इंजेक्शन रेफलेक्स) कहते हैं।

यह मातृ पीयूष ग्रंथि से ऑक्सीटोसिन के निकलने की क्रिया को सक्रिय बनाती है। ऑक्सीटोसिन गर्भाशय पेशी पर कार्य करता है और इसके कारण जोर- जोर से गर्भाशय संकुचन होने लगते हैं। गर्भाशय संकुचन ऑक्सीटोसिन के अधिक स्रवण को उद्दीपित करता है। गर्भाशय संकुचनों तथा ऑक्सीटोसिन स्राव के बीच लगातार उद्दीपक प्रतिवर्त के कारण यह संकुचन तीव्र से तीव्रतर होता जाता है। इससे शिशु, माँ के गर्भाशय से जनन नाल द्वारा बाहर आ जाता है यानी प्रसव सम्पन्न हो जाता है।

प्रसव एक जटिल तंत्रिअंतःस्रावी क्रियाविधि द्वारा प्रेरित होते हैं जिसमें निम्न हार्मोन शामिल हैं –
(i) कार्टिसॉल
(ii) एस्ट्रोजन
(iii) आक्सीटोसिन।

प्रश्न 19.
हमारे समाज में लड़कियों को जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?
उत्तर:
स्त्री में गुणसूत्र का स्वरूप XX है तथा पुरुष में XY होता है। इसलिए स्त्री (अंडाणु) द्वारा उत्पादित सभी अगुणित युग्मकों में X लिंग गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष युग्मकों (शुक्राणुओं) में लिंग गुणसूत्र या ते।’ X या Y लिंग गुणसूत्र होते हैं इसलिए 50 प्रतिशत शुक्राणु में X लिंग गुणसूत्र होते हैं और दूसरे 50 प्रतिशत शुक्राणु में Y लिंग गुणसूत्र होते हैं।

इसलिए पुरुष एवं स्त्री युग्मकों के संलयन के पश्चात् युग्मनज में या तो XX या XY लिंग गुणसूत्र की संभावना होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि X या Y लिंग गुणसूत्र वाले शुक्राणुओं में से कौन अंडाणु का निषेचन करता है। जिस युग्मनज में XX गुणसूत्र होंगे वह एक मादा शिशु (लड़की) के रूप में जबकि XY गुणसूत्र वाला युग्मनज नर शिशु (लड़का ) के रूप में विकसित होगा। इसी कारण कहा जाता है कि वैज्ञानिक रूप से यह कहना सत्य है कि एक शिशु के लिंग का निर्धारण उसके पिता द्वारा होता है न कि माता (स्त्री) के द्वारा।

HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन

प्रश्न 20.
एक माह में मानव अंडाशय से कितने अंडे मोचित होते हैं? यदि माता ने समरूप जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया हो तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अंडे मोचित हुए होंगे? क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जन्मे हुए जुड़वाँ बच्चे, द्विअंडज यमज थे?
उत्तर:
हर महीने (प्रत्येक आवर्त चक्र में ) मानव अण्डाशय से एक अण्डा मोचित होता है। समरूप जुड़वाँ बच्चों को यदि किसी माता ने जन्म दिया हो तो दो अण्डे मोचित हुए होंगे। यदि जुड़वाँ बच्चे, द्विअण्डज यमज हों तो भी मेरा उत्तर नहीं बदलेगा। थे?

प्रश्न 21.
क्या आप सोचते हैं कि कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय के कितने अंडे मोचित हुए
उत्तर:
कुतिया जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से 6 अण्डे मोचित हुए थे।

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HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

प्रश्न 1.
एक आवृतबीजी पुष्प के उन अंगों के नाम बताएँ जहाँ नर एवं मादा युग्मकोद्भिद का विकास होता है।
उत्तर:
नर युग्मकोद्भिद का विकास पुंकेसर के परागकोश में, परागकण (pollen grain) के रूप में होता है तथा मादा युग्मकोद्भिद अण्डाशय में बीजाण्ड के अन्दर का विकास स्त्रीकेसर (Pistil ) के भ्रूणकोश (embryo sac) के रूप में होता है।

प्रश्न 2.
लघुबीजाणुधानी तथा गुरुबीजाणुधानी के बीच अंतर स्पष्ट करें? इन घटनाओं के दौरान किस प्रकार का कोशिका विभाजन सम्पन्न होता है? इन दोनों घटनाओं के अंत में बनने वाली संरचनाओं के नाम बताएँ ?
उत्तर:
आवृतबीजी पादपों में लघुबीजाणुधानी का तात्पर्य पराग पुट (pollen sac) से तथा गुरुबीजाणुधानी का अर्थ बीजाण्ड (ovule) से होता है। इन दोनों में लघुबीजाणुजनन (microsporogenesis) तथा बीजाणुजनन (megasporogenesis) की घटनाएँ होती हैं व इनके अन्तर को बताया जा रहा है। इन दोनों में अर्धसूत्री विभाजन होता है।

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लघुबीजाणुजनन (Microsporogenesis):
इसमें परागकोशों में परागपुट के विकास के समय लघुबीजाणु –
1. मातृ कोशिका बनती हैं जिनमें अर्धसूत्री विभाजन होने से लघुबीजाणु या परागकण (pollen grain ) बनते हैं।
2. परागपुट में अनेक लघुबीजाणु मातृ कोशिकायें बनती हैं। प्रत्येक कोशिका में अर्धसूत्री विभाजन होकर चार लघुबीजाणु बनते हैं। इस प्रकार इनकी संख्या अधिक होती है।
3. इसके सभी लघुबीजाणु कार्यशील होते हैं।

गुरुबीजाणुजनन (Megasporogenesis):
1. इस प्रक्रिया के दौरान बीजाण्ड में गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्धसूत्री विभाजन होकर चार गुरुबीजाणु बनते हैं।
2. एक बीजाण्ड में केवल एक ही गुरुबीजाणु मातृ कोशिका होती है जिसमें अर्धसूत्री विभाजन होने से केवल चार ही गुरुबीजाणु बनते हैं।
3. इसमें तीन निष्क्रिय होते हैं तथा केवल एक कार्यशील होता है। कार्यशील गुरुबीजाणु बीजाण्डद्वार से दूरस्थ वाला होता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दावलियों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित करें- परागकण, बीजाणुजन ऊतक, लघुबीजाणु चतुष्क, परागमातृ कोशिका, नर युग्मक।
उत्तर:
उपर्युक्त शब्दावलियों का विकासीय क्रमानुसार सही क्रम निम्न प्रकार से है- बीजाणुजन ऊतक, पराग मातृ कोशिका, लघुबीजाणु चतुष्क, परागकण, नर युग्मक।

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प्रश्न 4.
एक प्ररूपी आवृतबीजी बीजाण्ड के भागों का विवरण दिखाते हुए एक स्पष्ट एवं साफ-सुथरा नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर:
बीजाण्ड की संरचना इसके अनुदैर्घ्य काट के अध्ययन से अधिक स्पष्ट हो जाती है। बीजाण्ड एक गोलाकार संरचना होती है जो कि बीजाण्डासन (Placenta ) के साथ बीजाण्ड वृन्त (Funicle) द्वारा जुड़ी रहती है। बीजाण्डकाय का वह स्थान जहाँ पर बीजाण्ड वृन्त जुड़ा रहता है, नाभिक (Hilum) कहलाता है। सामान्यतः पाया जाने वाला प्रतीप (Anatropous) बीजाण्ड में बीजाण्ड वृन्त, नाभिका से ऊपर बीजाण्ड की काय (Body) के साथ चलकर एक कटक (Ridge) बनाता है जिसे रैफी (Raphe) कहते हैं। बीजाण्ड की काय का आधार जहाँ से अध्यावरण निकलते हैं, निभाग (chalaza ) कहलाता है। बीजाण्ड का मुख्य शरीर एक बीजाण्डकाय ( Nucellus) का बना होता है, जिसमें एक भ्रूण कोश (Embryo sac ) रहता है। बीजाण्डकाय जहाँ से अध्यावरण निकलते हैं, निभाग (chalaza) कहलाता है। बीजाण्ड का मुख्य शरीर एक बीजाण्डकाय ( Nucellus ) का बना होता है, जिसमें एक भ्रूण कोश (Embryo sac ) रहता है।

बीजाण्डकाय प्रायः एक या दो आवरणों से घिरा रहता है जिन्हें अध्यावरण कहते हैं । बाहरी आवरण को बाह्य अध्यावरण (outer integument) तथा अन्दर वाले आवरण को अन्त: अध्यावरण (inner integument) कहते हैं। बीजाण्ड पर अध्यावरणों की संख्या दो होने पर द्विअध्यावरणी (bitegmic) तथा एक होने पर एकअध्यावरणी ( unitegmic) बीजाण्ड कहते हैं। कुछ बीजाण्डों में अध्यावरण अनुपस्थित होता है, तब बीजाण्ड को अध्यावरण रहित (ategmic) कहते हैं । अध्यावरण बीजाण्डकाय को चारों ओर से घेरे रहते हैं और सिर्फ एक संकरा द्वार बनाते हैं, जिसे बीजाण्डद्वार ( Micropyle) कहते हैं। बीजाण्ड का बीजाण्डद्वार पराग नलिका को बीजाण्ड में प्रवेश देता है।

HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन - 2

बीजाण्डकाय में बीजाण्डद्वार के समीप भ्रूणकोश (embryo sac ) पाया जाता है। भ्रूणकोश में सात कोशिकायें उपस्थित होती हैं। बीजाण्डद्वार की ओर स्थित तीन कोशिकायें अण्ड उपकरण या अण्ड समुच्चय (egg apparatus) बनाती हैं। अण्ड उपकरण में स्थित बीच की कोशिका बड़ी व नाशपाती आकार की अण्डकोशिका (egg cell) होती है व शेष दो पार्श्व स्थित कोशिकायें सहायक कोशिकायें (synergids) होती हैं। निभाग की ओर स्थित तीन कोशिकायें प्रतिमुखी कोशिकायें (antipodal cells) होती हैं। भ्रूणकोश के मध्य केन्द्रीय कोशिका (central cell) उपस्थित होती है, जिसमें दो अगुणित ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei) उपस्थित होते हैं । ध्रुवीय केन्द्रक बाद में संयुक्त होकर द्विगुणित (2n) द्वितीयक केन्द्रक (secondary nucleus ) बनाते हैं।

HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

प्रश्न 5.
आप मादा युग्मकोद्भिद के एकबीजाणुज विकास से क्या समझते हैं?
उत्तर:
बीजाण्ड में जब गुरुबीजाणुजनन की क्रिया होती है। अर्थात् जब गुरुबीजाणुमातृकोशिका का अर्धसूत्री विभाजन होता है तो उससे चार गुरुबीजाणु कोशिकाएँ बनती हैं, इनमें से ऊपर की तीन गुरुबीजाणु कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं तथा शेष एक सबसे नीचे का गुरुबीजाणु कार्यशील रहता है। यही कार्यशील गुरुबीजाणु मादा युग्मकोद्भिद (भ्रूणकोश) का विकास करता है। इस प्रकार एक अकेले गुरुबीजाणु से भ्रूणकोश के बनने की विधि को एकबीजाणुज (monosporic) विकास कहते हैं।

प्रश्न 6.
एक स्पष्ट एवं साफ-सुथरे चित्र के द्वारा परिपक्व मादा युग्मकोद्भिद के 7-कोशीय, 8-न्यूक्लियेट ( केन्द्रक) प्रकृति की व्याख्या करें।
उत्तर:
सक्रिय गुरुबीजाणु अगुणित तथा मादा युग्मकोद्भिद की प्रथम कोशिका होती है अर्थात् सक्रिय गुरुबीजाणु से ही मादा युग्मकोद्भिद का निर्माण होता है। इसी कोशिका को भ्रूणकोश मातृ कोशिका भी कहते हैं। सक्रिय गुरुबीजाणु आकार में बढ़ता है जिससे इसमें छोटी-छोटी रिक्तिकायें प्रकट हो जाती हैं। गुरुबीजाणु के केन्द्रक में तीन समसूत्री विभाजन होने से आठ केन्द्रक बनते हैं।

प्रथम विभाजन से बने दो केन्द्रों में से एक-एक केन्द्रक विपरीत ध्रुवों (बीजाण्डद्वार तथा निभाग की ओर) पर स्थित हो जाते हैं। प्रत्येक केन्द्रक पुनः दो बार विभाजित होकर चार-चार केन्द्रक बनाते हैं, अर्थात् कुल आठ केन्द्रक हो जाते हैं। धीरे-धीरे गुरुबीजाणु आकृति में बढ़कर एक थैले के समान हो जाता है, जिसे भ्रूणकोश (Embryo-sac) कहते हैं। इसमें प्रत्येक ध्रुव पर चार-चार केन्द्रक होते हैं।
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दोनों ध्रुवों से एक-एक केन्द्रक कोशिका के केन्द्र की ओर आने लगते हैं, इन केन्द्रकों को ध्रुवीय केन्द्रक (Polar nuclei) कहते हैं । ये दोनों केन्द्रक कोशिका के मध्य में आकर संयुक्त होकर द्विगुणित द्वितीयक केन्द्रक (Secondary nucleus) बनाते हैं। अब दोनों ध्रुवों पर शेष रहे तीन-तीन केन्द्रक अपने चारों ओर कोशिका द्रव्य एकत्रित करके कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। बीजाण्डद्वार की ओर स्थित कोशिकाएँ अण्ड समुच्चय या अण्ड उपकरण (Egg Apparatus) का निर्माण करती हैं ।

अण्ड समुच्चय में एक अण्ड कोशिका तथा शेष दो सहायक कोशिकाएँ (Synergids) होती हैं। दूसरे ध्रुव अर्थात् निभाग की ओर वाली तीनों कोशिकाएँ प्रतिमुखी कोशिकाएँ (Antipodal cells) बनाती हैं। इस प्रकार एक गुरुबीजाणु मादा युग्मकोद्भिद (Female gametophyte ) या भ्रूणकोश (Embryo- sac) का निर्माण करता है। अधिकांश आवृतबीजी पादपों में भ्रूणकोश का विकास इसी प्रकार का होता है।

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प्रश्न 7.
उन्मील परागणी पुष्पों से क्या तात्पर्य है? क्या अनुन्मीलिय पुष्पों में परपरागण सम्पन्न होता है? अपने उत्तर की सतर्क व्याख्या करें।
उत्तर:
वायोला (पानसी), ओक्जेलीस तथा कोमेलीना (कनकौआ) दो प्रकार के पुष्प पैदा करते हैं-उन्मीलपरागणी पुष्प (Chasmogamous flower); ये अन्य प्रजाति के पुष्पों के समान ही होते हैं, इनके परागकोश एवं वर्तिकाग्र अनावृत होते हैं तथा अनुन्मील्य परागणी पुष्प (Cleistogamous flower) कभी भी अनावृत नहीं होते हैं। इस प्रकार के पुष्पों में, परागकोश एवं वर्तिकाग्र एक-दूसरे के बिल्कुल नजदीक स्थित होते हैं । जब पुष्प कलिका में परागकोश स्फुटित होते हैं तब परागकण वर्तिकाग्र के सम्पर्क में आकर परागण को प्रभावित करते हैं । अतः अनुन्मील्य परागणी पुष्प सदैव स्वयुग्मक (autogamy) होते हैं ( चित्र 2.13 )। उन्मीलपरागणी पुष्प अन्य पौधों के पुष्पों की भाँति अनावृत होने से इनमें पर- परागण की सम्भावना रहती है।
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प्रश्न 8.
पुष्पों द्वारा स्व- परागण रोकने के लिये विकसित की गई दो कार्यनीति का विवरण दें।
उत्तर:
कुछ पौधों के पुष्पों में दोनों लिंग अर्थात् पुंकेसर व जायांग स्थित होने के बावजूद भी इस प्रकार की कार्यनीति होती है जिसके कारण उनमें स्वपरागण नहीं हो पाता है। यहाँ इस प्रकार की दो कार्यनीति का विवरण दिया जा रहा है –

1. एकलिंगता (Unisexuality or Dicliny ) – कुछ पौधों में पुष्प एकलिंगी होते हैं । ऐसे पुष्पों में या तो पुंकेसर या जायांग होता है। जिन पुष्पों में केवल पुंकेसर होते हैं उन्हें पुंकेसरी ( Staminate) और जिन पुष्पों में केवल अण्डप ( जायांग) ही मिलते हैं उन्हें स्त्रीकेसरी (Pistillate) कहते हैं, उदाहरण- पपीता

2. स्वबंध्यता (Self-sterility ) – कुछ पौधों में एक पुष्प का परागकण उसी पुष्प की वर्तिकाग्र पर पहुँचने पर भी अंकुरित नहीं होता है। इस प्रकार के परागण में अण्डप भी उद्दीप्त नहीं होता है। इस दशा को स्वबंध्यता कहते हैं, उदाहरण – राखीबेल (Passiflora ), अंगूर (Vitis) एवं सेब (Malus)। स्वबंध्यता एक पैतृक गुण है। ऐसा माना जाता है कि जब स्वपरागण होता है तो वर्तिका तथा वर्तिकाग्र की कोशिकाओं से कुछ ऐसे रासायनिक यौगिक स्रावित होते हैं जिसके फलस्वरूप परागण निष्फल हो जाता है।

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इन रासायनिक प्रक्रियाओं के कारण निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं –

  • परागकोश से परागनली निकलते ही नष्ट हो जाती है।
  • परागकण से निकली परागनली बहुत ही मंद वृद्धि करती है और पर-परागण द्वारा आए हुए परागकण की परागनली बीजाण्ड में पहले पहुँच जाती है।
  • वर्तिका में बढ़ती हुई परागनली वापस ऊपर की ओर मुड़ जाती है।
  • वर्तिका और वर्तिकाग्र मुर्झा कर नष्ट हो जाते हैं। ये सभी प्रभाव स्व- परागण को रोकते हैं। इस कारण ऐसे पुष्पों में सदैव पर- परागण होता है। आर्किड, माल्वा और चाय की जातियों में स्वबंध्यता मिलती है।

प्रश्न 9.
स्व-अयोग्यता क्या है ? स्व – अयोग्यता वाली प्रजातियों में स्व- परागण प्रक्रिया बीज की रचना तक क्यों नहीं पहुंच पाती है?
उत्तर:
प्रकृति में कुछ पौधों में दूसरे पादपों से प्राप्त परागकणों के द्वारा ही निषेचन की प्रक्रिया सम्पन्न होती है। इनका बीजाण्ड स्वयं के परागकणों के द्वारा निषेचित नहीं होता है। प्रकृति में इसके लिये पुष्पों के अनेक प्रकार के अनुकूलन लक्षण जैसे एकलिंगता ( unisexuality), भिन्नकाल पक्वन (dichogamy) तथा हरकोगेमी (herkogamy) इत्यादि के रूप में प्रदान किये हैं। इन अनुकूलन विशेषताओं के कारण पौधों में स्वपरागण की प्रक्रिया नहीं हो पाती है।

परन्तु इन सभी कारणों से बढ़कर स्व-अयोग्यता या स्व-अनिषेच्यता (self-incompatibility) एक ऐसा कारण है, जिनके द्वारा प्राकृतिक रूप से पर-परागण या पर-प्रजनन की प्रक्रिया को प्रोत्साहन प्राप्त होता है। स्व- अनिषेच्यता से हमारा तात्पर्य एक ही पौधे से उत्पन्न कार्यशील नर एवं मादा युग्मकों के आपस में संयोजित होने की विफलता एवं बीज निर्माण का नहीं हो पाना है । अन्य शब्दों में, किसी पुष्प में स्वपरागण एवं निषेचन की क्रिया का बाधित होना स्व – अयोग्यता या स्व-अनिषेच्यता कहलाता है। आकारिकी रूप से स्व-अनिषेच्यता दो प्रकार की होती है –

(i) विषमरूपी (Heteromorphic ) – जब एक ही प्रजाति में दो या तीन प्रकार की वर्तिकाओं के आकारिकीय रूप से विभेदित पौधे पाये जाते हैं तो इस प्रकार के आकारिकीय रूप से भिन्न एक ही प्रजाति के पादप स्व-अनिषेच्यता प्रदर्शित करते हैं। यह स्थिति प्रिमरोज (Primrose) के पौधों में पाई जाती है। इसका मुख्य कारण पुष्पों में विषमवर्तिकाग्रता (Heterostyly) होती है। इस पादप प्रजाति में दो प्रकार के पुष्प पाये जाते हैं –
(अ) पिन – आइड पुष्प (Pin-eyed flower) – इन पुष्पों में वर्तिका लम्बी एवं पुंकेसर छोटे होते हैं। अतः एक ही पुष्प के परागकण इसकी वर्तिका पर नहीं पहुंच पाते हैं।
(ब) श्रम – आइड पुष्प ( Thrum-eyed flowers) – इन पुष्पों में पुंकेसर एवं परागकण बड़े तथा वर्तिकाग्र वर्तिका छोटे होते हैं।

(ii) (Homomorphic incompatibility ) – इस प्रकार की स्वनिषेचन विफलता या अनिषेच्यता एक ही प्रजाति के एवं आकारिकी रूप से समान पौधों के बी पाई जाती है।

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प्रश्न 10.
बैगिंग (बोरावस्त्रावरण) या थैली लगाना तकनीक क्या है? पादप जनन कार्यक्रम में यह कैसे उपयोगी है?
उत्तर:
बैगिंग (Bagging) या थैली लगाने की तकनीकी का उपयोग संकरण प्रयोग में करते हैं। यदि कोई पुष्प द्विलिंगी है तो उपयोग संकरण प्रयोग में करते हैं। यदि कोई पुष्प द्विलिंगी है तो सर्वप्रथम पुंकेसरों को अपरिपक्व अवस्था में ही चिमटी की सहायता से हटा देते हैं, इस क्रिया को विपुंसन (emasculation) कहते हैं।

इन विपुंसित पुष्पों को उपयुक्त आकार की थैली से ढक देते हैं (बटर पेपर के पतले कागज से बनी ) जिससे इस पुष्प के वर्तिकाग्र को अवांछित परागों से बचाया जा सके। इस क्रिया को ही बैगिंग (या बोरावस्त्रावरण) कहते हैं। जब बैगिंग पुष्प का वर्तिकाग्र सुग्राह्यता को प्राप्त करता है, तब नर पौधे से संग्रहित परागकोश के परागकण को उस पर छिड़क देते हैं तथा पुन: उसे उस थैली से ढक देते हैं व उसे फल बनने तक छोड़ दिया जाता है।

इस विधि द्वारा एक प्रजनक अपनी वांछित परागकण को लाकर निषेचन क्रिया करवाता है। इसमें नर जनक के गुणों का ध्यान रहता है तथा उन गुणों को वह उस पौधे में समाहित करने में सक्षम होता है।

प्रश्न 11.
त्रि-संलयन क्या है? यह कहाँ और कैसे सम्पन्न होता है? त्रि-संलयन में सम्मिलित न्युक्लीआई का नाम बताएँ ।
उत्तर:
त्रि-संलयन में तीन अगुणित केन्द्रक का संलयन होता है। यह क्रिया भ्रूणकोश में होती है । इस क्रिया के दौरान दो ध्रुवीय केन्द्रक (ploar nuclei) सर्वप्रथम संयोजित होते हैं तथा फिर इनसे एक नर युग्मक संयोजित होकर त्रिगुणित ( 3N ) प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (primary endosperm nucleus) बनाता है।
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प्रश्न 12.
एक निषेचित बीजाण्ड में, युग्मनज प्रसुप्ति के बारे में आप क्या सोचते हैं ?
उत्तर:
पुष्पीय पौधों में द्विनिषेचन की क्रिया होती है। जब एक नर – युग्मक अण्ड से संलयित होता है तो उससे द्विगुणित युग्मनज बनता है। युग्मनज विकसित होकर भ्रूण का निर्माण करता है, जो बीज में स्थित रहता है। भ्रूण भ्रूणकोश के बीजाण्डद्वारी सिरे पर विकसित होता है, जहाँ पर युग्मनज स्थित होता है। अधिकतर युग्मनज तब विभाजित होता है, जब कुछ निश्चित सीमा तक भ्रूणपोष (endosperm ) विकसित हो जाता है। यह एक प्रकार का अनुकूलन है ताकि विकासशील भ्रूण को सुनिश्चित पोषण प्राप्त हो सके। भ्रूणपोष का जैसे ही विकास हो जाता है, त्यों ही युग्मनज का विकास भ्रूण में होने लगता है।

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प्रश्न 13.
इनमें विभेद करें –
(क) बीजपत्राधार और बीजपत्रोपरिक
(ख) प्रांकुर चोल तथा मूलांकुर चोल
(ग) अध्यावरण तथा बीजचोल
(घ) परिभ्रूणपोष एवं फल भित्ति।
उत्तर:
(क) बीजपत्राधार और बीजपत्रो परिक (Hypocotyl and epicotyl ) – उदाहरणार्थ – एक प्ररूपी द्विबीजपत्री भ्रूण में एक भ्रूणीय अक्ष ( embryo axis) तथा दो बीजपत्र (cotyledon) होते हैं। बीजपत्र के स्तर से ऊपर भ्रूणीय अक्ष के भाग के बीजपत्रोपरिक (epicotyl ) तथा बीजपत्रों के स्तर से नीचे भ्रूणीय अक्ष के भाग को बीजपत्राधार (hypocotyl) कहते हैं। बीजपत्राधार से मूलांकुर या मूलशीर्ष (root tip ) व बीजपत्रोपरिक से प्रांकुर (plumule) या स्तम्भ शीर्ष (shoot tip ) बनती है।

(ख) प्रांकुर चोल तथा मूलांकुर चोल (coleoptile and coleorrhiza) – उदाहरणार्थ – एकबीजपत्रीय पादपों के बीजों में केवल एक बीजपत्र होता है। घास कुल में बीजपत्र को प्रशल्क (scutellum) कहते हैं, जो भ्रूणीय अक्ष के एक तरफ (पार्श्व की ओर ) स्थित होता है। इसके निचले सिरे पर भ्रूणीय अक्ष में एक मूल आवरण होता है जो बिना विभेदित पर्त से आवृत होता है, जिसे मूलांकुर (coleorrhiza) कहते हैं । स्कुलम या प्रशल्क के जुड़ाव के स्तर से ऊपर, भ्रूणीय अक्ष के भाग को बीजपत्रोपरिक (epicotyl) कहते हैं। बीजपत्रोपरिक में प्ररोह शीर्ष तथा कुछ आदिकालिक (primordia) पर्ण होते हैं, जो एक खोखली – पर्णीय संरचना को घेरते हैं, जिसे प्रांकुरचोल (coleoptile) कहते हैं।
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(ग) अध्यावरण तथा बीजचोल ( Integument and seed-coat) – एक बीजाण्ड के बाहरी संरक्षी आवरण को अध्यावरण कहते हैं। प्राय: बीजाण्ड पर एक या दो अध्यावरण होते हैं। एक बीज का ऊपरी संरक्षणी आवरण या पर्त बीजचोल होता है। बीजचोल दो परत का होता है।

(घ) परिभ्रूणपोष एवं फल भित्ति (Perisperm and fruit wall) – बीजाण्ड के शरीर को बीजाण्डकाय (nucellus) कहते हैं, जो मृदूतक कोशिकाओं से बना होता है। निषेचन क्रिया के उपरान्त बीजाण्ड, बीज में परिवर्तित हो जाता है। बीजाण्ड से बीज बनने की प्रक्रिया के दौरान इसमें उपस्थित भ्रूणपोष का उपयोग भ्रूण पोषण के रूप में करता है। अतः परिपक्व बीज में भ्रूणपोष उपस्थित या अनुपस्थित हो सकता है। किन्तु कुछ बीजों में बीजाण्डकाय (nucellus ) का कुछ भाग शेष रह जाता है। इस बचे हुये बीजाण्डकाय के भाग को परिभ्रूणपोष कहते हैं, उदाहरण – काली मिर्च, चुकन्दर इत्यादि। निषेचन की क्रिया की उत्तेजना फलस्वरूप अंडाशय एक फल के रूप में विकसित हो जाता है। अंडाशय की भित्ति, फल के छिलके के रूप में विकसित हो जाती है, जिसे फल भित्ति कहते हैं।

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प्रश्न 14.
एक सेब को आभासी फल क्यों कहते हैं? पुष्प का कौनसा भाग फल की रचना करता है?
उत्तर:
फल का निर्माण अंडाशय (ovary) से होता है। निषेचन के फलस्वरूप जब फल विकसित होता रहता है तब पुष्प के अन्य भाग स्वत: ही झड़ते जाते हैं। सेब में फल का निर्माण पुष्पासन (thalamus) से होता है, अतः ऐसे फल जो अंडाशय से परिवर्धित न होकर पुष्प के अन्य भाग से विकसित होते हैं, उन्हें आभासी फल (false fruit) कहते हैं।

प्रश्न 15.
विपुंसन से क्या तात्पर्य है? एक पादप प्रजनक कब और क्यों इस तकनीक का प्रयोग करता है?
उत्तर:
जब कोई मादा जनक द्विलिंगी पुष्प धारण करता है तो इसमें से अपरिपक्व परागकोश को चिमटी की सहायता से निकाल देते हैं, इससे पुष्प में केवल मादा जनन अंग ही बचता है। पुष्प में से परागकोश को हटाने की प्रक्रिया को विपुंसन कहते हैं। पादप प्रजनक इस विधि का उपयोग संकरण क्रिया में करते हैं। संकरण विधि से उन्नत लक्षणों वाली फसल तैयार की जाती है। ऐसे संकरण प्रयोगों में नर पौधों का लक्षणों के आधार पर चयन करने के उपरान्त उसके परागकण संग्रहित करके मादा पुष्पों के वर्तिकाग्र फिर छिड़क दिये जाते हैं, जिससे उन्नत किस्म के बीज तैयार होते हैं। पादप प्रजनक इस विधि का उपयोग संकरण क्रिया में करते हैं। संकरण विधि से उन्नत लक्षणों वाली फसल तैयार की जाती है। ऐसे संकरण प्रयोगों में नर पौधों का लक्षणों के आधार पर चयन करने के उपरान्त उसके परागकण संग्रहित करके मादा पुष्पों के वर्तिकाग्र फिर छिड़क दिये जाते हैं, जिससे उन्नत किस्म के बीज तैयार होते हैं।

प्रश्न 16.
यदि कोई व्यक्ति वृद्धिकारकों का प्रयोग करते हुये अनिषेकजनन को प्रेरित करता है तो आप प्रेरित अनिषेकजनन के लिये कौनसा फल चुनते हैं और क्यों?
उत्तर:
कुछ पौधों में फल का निर्माण बिना निषेचन के होता है। ऐसे फलों को अनिषेकजनित फल (parthenocarpic fruit) कहते हैं, जैसे – केला। अनिषेकफलन को वृद्धि हार्मोन्स के प्रयोग से प्रेरित किया जा सकता है। इस प्रकार के फल बीजरहित होते हैं। प्रेरित अनिषेकजनन हेतु हम तरबूज का चयन करेंगे क्योंकि तरबूज के गूदे को खाते समय बीजों से परेशानी होती है। वर्तमान में बाजार में बिकने वाले अनेक बीजरहित फल प्रेरित अनिषेकजनन द्वारा तैयार किये गये हैं, जैसे- पपीता, खरबूजा, तरबूज आदि।

प्रश्न 17.
परागकण भित्ति रचना में टेपीटम की भूमिका की व्याख्या करें।
उत्तर:
एक लघुबीजाणु चार भित्ति परतों से आवरित होती है। सबसे बाहरी परत बाह्यत्वचा (epidermis ), उसके नीचे अंतस्थीसियम (endothecium) तथा फिर मध्य पर्तें (middle layer) व सबसे अन्दर की परत टेपीटम (tapetum) होती है। टेपीटम बीजाणुजन ऊतक (sporogenous tissue) को घेरे रहती है। टेपीटम की कोशिकाएँ सघन जीवद्रव्य से भरी रहती हैं व इनमें एक से अधिक केन्द्रक होते हैं। टेपीटम एक पोषक ऊतक है। यह विकास करते हुये बीजाणुओं को पोषण प्रदान करती है।

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प्रश्न 18.
असंगजनन क्या है और इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
सामान्यतः बीज का निर्माण निषेचन क्रिया के उपरान्त होता है। किन्तु कुछ पुष्पी पादपों जैसे कि सूरजमुखी कुल (Asteraceal family) व घासों में बिना निषेचन के ही बीज उत्पन्न हो जाते हैं, इस प्रक्रिया को असंगजनन (Apomixis) कहते हैं। इस प्रकार असंगजनन अलैंगिक प्रजनन है। असंगजनीय बीजों के विकास के अनेक तरीके हैं। जैसे कुछ जातियों में द्विगुणित अंडकोशिका का निर्माण बिना अर्धसूत्री विभाजन के होता है, जो बिना निषेचन के ही भ्रूण में विकसित हो जाता है । नींबू वंश (Citrus ) तथा आम की किस्मों में कभी-कभी भ्रूणकोश के आस-पास की कुछ बीजाण्ड कायिक कोशिकाएँ विभाजित होकर भ्रूणकोश में प्रोद्बधी (Protude) होकर भ्रूण के रूप में विकसित होती हैं।

बहुत से हमारे खाद्य एवं शाक फसलों की संकर किस्मों को उगाया गया है। संकर किस्मों की खेती ने उत्पादकता को विस्मयकारी ढंग से बढ़ा दिया है। संकर बीजों की एक समस्या यह है कि उन्हें हर साल उगाया (पैदा किया) जाना चाहिए। यदि संकर किस्म का संगृहीत बीज को बुआई करके प्राप्त किया गया है तो उसकी पादप संतति पृथक्कृत होगी और वह संकर बीज की विशिष्टता को यथावत् नहीं रख पाएगा। यदि यह संकर (बीज) असंगजनन से तैयार की जाती है तो संकर संतति में कोई पृथक्करण की विशिष्टताएँ नहीं होंगी। इसके बाद किसान प्रतिवर्ष फसल दर फसल संकर बीजों का उपयोग जारी रख सकते हैं और उसे प्रतिवर्ष संकर बीजों को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन

प्रश्न 1.
जीवों के लिये जनन क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
जनन के द्वारा ही जीवों की निरंतरता बनी रहती है। प्रत्येक जीव निश्चित अवधि के पश्चात् मृत हो जाता है परन्तु मृत्यु को प्राप्त होने से पूर्व वह जनन क्रिया द्वारा नई संतति का निर्माण कर देता है। यही कारण है कि हजारों वर्षों से पृथ्वी पर पादपों तथा पशु-पक्षियों की विभिन्न जातियों की विशाल संख्या बनी हुई है।

प्रश्न 2.
जनन की अच्छी विधि कौनसी है और क्यों?
उत्तर:
जनन की अच्छी विधि लैंगिक जनन है। इस क्रिया में दोनों जनक नर व मादा भाग लेते हैं। दोनों जनकों से बने युग्मक संलयित होकर युग्मनज का निर्माण करते हैं। युग्मनज से भ्रूण का विकास होकर नये जीव का निर्माण होता है। लैंगिक जनन से लैंगिक विविधता होती है, इससे नये लक्षण बनते हैं। एक पिता की होने वाली सभी संतानें समान नहीं होती हैं, उनमें विविधता रहती है। यद्यपि साधारण जीवों में अलैंगिक जनन ही जनन की सामान्य विधि है । प्रतिकूल परिस्थितियों में लैंगिक जनन जीवों को जीवित रहने में सहायता करता है।

प्रश्न 3.
अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई संतति को क्लोन क्यों कहा गया है?
उत्तर:
अलैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह एक-दूसरे के समरूप होती है अर्थात् अपने जनक के एकदम समान होती है । अलैंगिक जनन के द्वारा उत्पन्न हुई संतति आनुवंशिक रूप से तथा आकारिकीय दृष्टि से एकसमान होती है। आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान जीवों के लिये क्लोन शब्द का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 4.
लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप बने संतति को जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं। क्यों? क्या यह कथन हर समय सही होता है ?
उत्तर:
लैंगिक जनन की प्रक्रिया में विपरीत लिंग वाले भिन्न जीवों द्वारा नर तथा मादा युग्मकों ( gametes) का निर्माण होता है। ये युग्मक संलयित (निषेचन) होकर युग्मनज (Zygote) का निर्माण करते हैं जिससे आगे चलकर नए जीव का निर्माण होता है। युग्मनज का आगे का विकास जीव के अपने जीवन चक्र तथा वहाँ के पर्यावरण पर निर्भर करता है। कवक तथा शैवाल से सम्बन्धित जीवों में युग्मनज एक मही भित्ति स्रावित करता है जो उनकी शुष्कन व क्षति से रक्षा करती है। युग्मनज एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के जीव के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी है जो प्रजातियों की निरन्तरता को सुनिश्चित करती है।

अंडप्रजक (Oviparous) प्राणी जैसे सरीसृप (Reptiles) वर्ग तथा पक्षी आदि के द्वारा पर्यावरण के सुरक्षित स्थान पर निषेचित अंडे दिये जाते हैं जो कठोर कैल्सियमयुक्त कवच से ढके रहते हैं। ये एक निश्चित निवेशन (Incubation) अवधि के बाद स्फुटन द्वारा नये शिशु को जन्म देते हैं। जबकि सजीवप्रजक (Viviparous ) जीवों में ( अधिकांश स्तनधारी जिसमें मानव भी है) मादा जीव के शरीर के अन्दर युग्मनज विकसित होकर शिशु का विकास करता है व एक निश्चित अवधि तथा विकास के चरणों को पूरा करने के पश्चात् मादा जीव के शरीर से प्रसव द्वारा पैदा किया जाता है। भ्रूणीय सही देखभाल तथा संरक्षण के कारण सजीव प्रजक जीवों के उत्तरजीविता (Survival) रहने के अच्छे अवसर बढ़ जाते हैं। यह प्रक्रिया लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप होती है।

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प्रश्न 5.
अलैंगिक जनन द्वारा बनी संतति लैंगिक जनन द्वारा बनी संतति से किस प्रकार से भिन्न है?
उत्तर:
अलैंगिक जनन से उत्पन्न संतति अपने जनक के एकदम समान होती है। आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान होती है। इसके लिये क्लोन शब्द का उपयोग किया जाता है। साधारण जीवों तथा अनेक पौधों में सामान्य रूप से अलैंगिक जनन होता है। लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह अपने जनकों के अथवा आपस में भी समरूप नहीं होती है।

प्रश्न 6.
अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित करो। कायिक जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना गया है?
उत्तर:
अलैंगिक तथा लैंगिक जनन में अन्तर –

अलैंगिक जनन (Asexual reproduction):लैंगिक जनन ( Sexual reproduction):
1. इस प्रकार के जनन में केवल एक ही जीव भाग लेता है।इसमें दो जीव या दोनों जनक भाग लेते हैं।
2. इसमें प्रजनन इकाई के रूप में शरीर का कोई भाग, कलिका या बीजाणु होते हैं।प्रजनन इकाई युग्मक (gamete) होता है।
3. इसमें सभी विभाजन समसूत्री होते हैं।युग्मकों के निर्माण हेतु अर्द्धसूत्री विभाजन होता है।
4. इस जनन में किसी प्रकार की संलयन क्रिया नहीं होती है।इसमें दो युग्मकों की संलयन क्रिया होती है।
5. नये जीव पूर्णतया जनक के समान गुणों वाले होते हैं।संतति में दोनों जनकों के गुण विद्यमान होते हैं तथा लक्षणों में परिवर्तन पाया जाता है।
6. इस जनन की दर अधिक होती है।तुलनात्मक दर धीमी होती है।
7. प्रायः यह जनन पादपों, निम्न श्रेणी के प्राणियों में होता है।प्रायः उच्च श्रेणी के पादपों व प्राणियों में होता है।
8. यह जनन विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं है ।महत्त्वपूर्ण है।

अनेक पौधों में कायिक जनन पाया जाता है। अनेक जलीय जीवों, पुष्पीय पादपों की स्थलीय प्रजातियों जैसे उपरिभूस्तारी, प्रकंदों, अंतः भूस्तारी, कंदों एवं भूस्तारिका आदि में नयी संतानों को पैदा करने की क्षमता होती है। इन रचनाओं में से कायिक प्रवर्ध (Propagule) बनते हैं जो नये पौधे का निर्माण करते हैं। इसमें दो जनक भाग नहीं लेते हैं, अतः यह कायिक प्रवर्धन अलैंगिक जनन ही है।

प्रश्न 7.
कायिक प्रवर्धन से क्या समझते हैं? कोई दो उपयुक्त उदाहरण दो ।
उत्तर:
किसी पौधे के शरीर से उत्पन्न कोई रचना या इकाई अपने पैतृक पादप से अलग होकर विकसित होकर नये पूर्ण पादप का निर्माण कर ले तो इस प्रकार के जनन को कायिक प्रवर्धन कहते हैं। कायिक प्रवर्धन में इस प्रकार की संरचना या इकाई को कायिक प्रवर्ध (Propagule) कहा जाता है। उदाहरणार्थ, यहाँ कायिक प्रवर्धन हेतु दो उदाहरण अदरक (प्रकंद, Rhizome) तथा ब्रायोफिल्लम ( Bryophyllum ) के दिये जा रहे हैं। अदरक एक प्रकंद है, यह भूमि में शयान स्थिति में रहता है । इसमें पर्व छोटे होते हैं, अतः पर्वसंधियाँ एक-दूसरे के निकट होती हैं । पर्वसंधियों में पतले, झिल्लीनुमा, भूरे रंग के शल्की पर्ण होते हैं जो कक्षस्थ कलिका की सुरक्षा करते हैं।

अनुकूल ऋतु में अन्तस्थ कलिका से वायव प्ररोह परिवर्धित होते हैं और कक्षस्थ कलिका मोटी, मांसल, भूमिगत शाखा को बनाती है। प्रकंद का वृद्ध भाग नष्ट हो जाने पर प्रकंद की शाखाएँ एक-दूसरे से अलग होकर वृद्धि कर नये पादप का निर्माण करती हैं।

ब्रायोफिल्लम की पत्तियों के फलककोर पर कायिक कलिकायें उत्पन्न होती हैं। ये पत्तियाँ जब झड़कर नम भूमि पर गिर जाती हैं तो इन कलिकाओं से अपस्थानिक जड़ें निकलकर भूमि में चली जाती हैं व वृद्धि कर नया पौधा बनाती हैं। इस प्रकार पत्ती पर जितनी कलिकाएँ होती हैं उतने ही नव- पादप परिवर्धित हो जाते हैं।

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प्रश्न 8.
व्याख्या करें-
(क ) किशोर चरण
(ख) प्रजनक चरण
(ग) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था।
उत्तर:
(क) किशोर चरण (Juvenile Phase ) – जब किसी बीज का अंकुरण होता है तो उससे नवजात पौधे का निर्माण होता है। यह नवजात पौधा धीरे-धीरे विकसित होते हुए व वृद्धि करते हुये अपने विभिन्न कायिक भागों को बनाता है। ये सभी किशोर अवस्था के चरण होते हैं। किशोर या कायिक प्रावस्था के अन्त होने पर जनन प्रावस्था का प्रारम्भ होता है। पौधों में इसे पुष्प का निर्माण होने से समझा जा सकता है।

(ख) प्रजनक चरण (Reproductive Phase ) – पौधों में पुष्प लगने पर यह ज्ञात होता है कि अब प्रजनक चरण का प्रारम्भ हो गया है। कुछ पौधों में एक विशेष ऋतु में पुष्प आते हैं तो अन्य में वर्षपर्यन्त पुष्प लगते रहते हैं। कुछ पौधे अपने जीवन काल में केवल एक बार ही पुष्प उत्पन्न करते हैं। वार्षिक तथा द्विवार्षिक किस्मों में स्पष्टतः कायिक, जनन तथा जीर्णता की प्रावस्थाओं को देखा जा सकता है। इस चरण में प्रजनन कार्य होता है। प्राणियों में भी मौसम व हार्मोन का प्रभाव होता है।

(ग) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था (Senescence Phase ) – जैसे-जैसे किसी जीव की आयु बढ़ती है, वह वृद्धावस्था की ओर बढ़ता है। वृद्धावस्था के साथ-साथ प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है, उपापचय क्रियायें मन्द हो जाती हैं। इसे जीर्णता चरण या जीर्णावस्था कहते हैं।

प्रश्न 9.
अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों ने लैंगिक प्रजनन को पाया है; क्यों?
उत्तर:
उच्च श्रेणी के जीव जटिल संरचना वाले होते हैं। विकास के दौरान सरल श्रेणी के जीव विकसित होते हुये जटिल बनते गये, उनके आवास स्थलों में रहने की प्रवृत्ति, जनन अंगों की संरचना तथा प्रजनन व्यवहार में परिवर्तन आया। अलैंगिक जनन केवल सरल प्रकृति के जीवों में ही हो सकता है क्योंकि जनन क्रिया को सम्पन्न करने वाली संरचनाएँ भी सरल होती हैं। लैंगिक जनन में विपरीत लिंग वाले जीव भाग लेते हैं। इन जीवों से नर व मादा युग्मक बनते हैं जो संलयन कर युग्मनज व फिर भ्रूण बनाते हैं। लैंगिक जनन से संबद्ध संरचनाएँ जीवों में एकदम भिन्न होती हैं। इन संरचनाओं के जटिल होने के बावजूद भी लैंगिक जनन की घटनाएँ एक नियमित अनुक्रम का पालन करती हैं। लैंगिक जनन करने वाले जीवों में युग्मनज अथवा भ्रूण पूर्ण सुरक्षित होता है, इससे उत्तरजीविता के अच्छे अवसर होते हैं।

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प्रश्न 10.
व्याख्या करके बताएँ कि अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन सदैव अंतरसंबंधित (अंतर्बद्ध) होते हैं।
उत्तर:
युग्मकजनन नर तथा मादा दो प्रकार के युग्मकों की गठन प्रक्रिया को संदर्भित करता है। युग्मक अगुणित कोशिकाएँ होती हैं। जो जीव द्विगुणित होते हैं, उनमें युग्मकों के निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होता है । इस अर्धसूत्री विभाजन के कारण गुणसूत्रों का केवल एक सेट प्रत्येक युग्मक में होता है। जैसे मानव में द्विगुणित गुणसूत्र संख्या 46 होती है तो उनके नर युग्मक (शुक्राणु) में गुणसूत्रों की संख्या 23 होगी, इसी प्रकार मादा में मादा युग्मक (अण्ड) की गुणसूत्र संख्या 23 होगी। युग्मकों की निर्माण क्रिया को युग्मकजनन कहते हैं तथा इसमें अर्धसूत्री विभाजन होता है। इस प्रकार अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन (Gamctogenesis) अंतरसंबंधित होते हैं।

प्रश्न 11.
प्रत्येक पुष्पीय पादप के भाग को पहचानें तथा लिखें कि वह अगुणित (n) है या द्विगुणित (2n ) ।
उत्तर:

(क) अंडाशय (Ovary)2n ( द्विगुणित )
(ख) परागकोश (Anther)2n ( द्विगुणित )
(ग) अंडा या डिंब (Egg)n (अगुणित )
(घ) पराग ( Pollen )n (अगुणित )
(च) नर युग्मनज(Male Gamete ) – n (अगुणित)
(छ) युग्मनज(Zygote) – 2n ( द्विगुणित )

प्रश्न 12.
बाह्य निषेचन की व्याख्या करें। इसके नुकसान बताएँ।
उत्तर:
प्रायः जलीय जीवों में जैसे-अधिकतर शैवालों तथा मछलियों और यहाँ तक कि जल-स्थल चर प्राणियों में युग्मक-संलयन बाहरी माध्यम (जल) में अर्थात् जीव के शरीर के बाहर संपन्न होता है। इस प्रकार के युग्मक संलयन को बाह्य निषेचन (External Fertilization) कहते हैं। बाह्य निषेचन से निम्न नुकसान होते हैं –
(i) अनेक युग्मक / शुक्राणु व्यर्थ ही नष्ट हो जाते हैं ।
(ii) यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक अंड का निषेचन हो ही जाये ।
(iii) बनने वाली सन्तति संख्या में अधिक बनती हैं किन्तु इनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती है।

प्रश्न 13.
जूस्पोर (अलैंगिक चल बीजाणु) तथा युग्मनज के बीच विभेद करें।
उत्तर:
जूस्पोर (Zoospore ):
(i) यह अलैंगिक जनन संरचना है।
(ii) जूस्पोर अगुणित होता है।
(iii) इसका निर्माण अगुणित जीव पर चलबीजाणुधानी में होता है।
(iv) ये चल होते हैं तथा इनका अंकुरण होने से नये अगुणित जीव का निर्माण होता है।

युग्मनज (Zygote):
(i) यह लैंगिक जनन में होता है।
(ii) द्विगुणित होता है।
(iii) इसका निर्माण नर व मादा युग्मक के संलयन से होता है तथा द्विगुणित जीव पर होता है।
(iv) ये अचल, गोल व भित्ति से घिरे होते हैं। इनसे नये द्विगुणित जीव का निर्माण होता है या ये भ्रूण में विकसित होकर नये जीव का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 14.
युग्मकजनन एवं भ्रूणोद्भव के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
युग्मकों की निर्माण प्रक्रिया को युग्मकजनन कहते हैं। युग्मकों के निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होने से ये अगुणित होते हैं। युग्मक नर व मादा होते हैं जो आपस में संलयित (निषेचन) होकर युग्मनज बनाते हैं। युग्मनज से भ्रूण के विकास की प्रक्रिया को भ्रूणोद्भवन (Embryogenesis) कहते हैं। युग्मनज जो कि द्विगुणित होता है, इसके विकास से भ्रूण का निर्माण होता है। भ्रूण प्रायः द्विगुणित होता है तथा इससे नये पादप का विकास होता है करें।

प्रश्न 15.
एक पुष्प में निषेचन पश्च परिवर्तनों की व्याख्या
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर व मादा के संलयित होने पर युग्मनज का निर्माण होता है। नर व मादा की संलयन क्रिया को निषेचन कहते हैं। अतः युग्मनज का निर्माण ही निषेचन पश्च घटनाएँ कहलाती हैं। पुष्प निषेचन के पश्चात् अनेक परिवर्तन आते हैं –
(i) बाह्यदल, दल, पुंकेसर इत्यादि झड़ जाते हैं।
(ii) अण्डाशय फल के रूप में विकसित होता है तथा आगे चलकर फलभित्ति (pericarp) का निर्माण करता है।
(iii) बीजाण्ड (ovule) बीज में परिवर्तित हो जाता है तथा युग्मन – अनेक विभाजनों के द्वारा भ्रूण (embryo) में विकसित हो जाता है।

प्रश्न 16.
एक द्विलिंगी पुष्प क्या है? अपने आस-पास से पाँच द्विलिंगी पुष्पों को एकत्र करें और अपने शिक्षक की सहायता से इनके सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम पता करें।
उत्तर:
जब किसी एक ही पौधे या प्राणी में दोनों लिंग एक साथ उपस्थित हों तो उसे द्विलिंगी (Bisexual) कहते हैं। स्थानीय आवास के पाँच द्विलिंगी पुष्प व उनके सामान्य तथा वैज्ञानिक नाम निम्न प्रकार से हैं –
सामान्य नाम

सामान्य नामवैज्ञानिक नाम
(i) धतूराDatura metal ( डाटूरा मेटेल)
(ii) सरसोंBrassica campastris (ब्रेसिका केम्पेस्ट्रिस)
(iii) गुडहलHibiscus rosa-sinensis ( हिबिस्कस रोजा – सायनेन्सिस)
(iv) अमलताशCassia fistula ( केसिया फिस्टूला)
(v) कीकर (बबूल)Acacia nilotica (एकेशिया नाइलोटिका)

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प्रश्न 17.
किसी भी कुकरबिट पादप के कुछ पुष्पों की जाँच करें और पुंकेसरी एवं स्त्रीकेसरी पुष्पों को पहचानने की कोशिश करें। क्या आप अन्य एकलिंगी पौधों के नाम जानते हैं?
उत्तर:
कुकरबिटेसी कुल के पादपों में पुष्प एकलिंगी होते हैं। किसी कुकरबिट बेल के पुष्पों का निरीक्षण करें, यदि उसमें केवल पुंकेसर उपस्थित हो व जायांग अनुपस्थित हो तो यह नर पुष्प है। यदि पुष्प में केवल जायांग ही हो तथा पुंकेसर अनुपस्थित हो तो यह मादा किसी कुकरबिट बेल के पुष्पों का निरीक्षण करें, यदि उसमें केवल पुंकेसर उपस्थित हो व जायांग अनुपस्थित हो तो यह नर पुष्प है। यदि पुष्प में केवल जायांग ही हो तथा पुंकेसर अनुपस्थित हो तो यह मादा पुष्प होगा। उदाहरणार्थ दोनों नर व मादा कॉक्सीनिया (Coccinia) पुष्पों के चित्र नीचे दिये जा रहे हैं –
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अन्य एकलिंगी पौधों के उदाहरण –

सिट्रुलस वल्गेरिस (Citrullus vulgaris): तरबूज
कुकुमिस मेलो (Cucumis melo): खरबूजा
लेजिनेरिया सिसिरेरिया (Lagenaria siceraria ): लौकी
लूफा एक्यूटेन्गुला (Luffa acutangula): तोरी
कुकरबिटा मेक्सिमा (Cucurbita maxima): सीताफल
रिसिनस कोम्युनिस (Ricinus communis): अरण्ड
एम्बलिका ऑफिसिनेलिस (Emblica officinalis): आंवला
क्रोटोन टिग्लियम (Croton tiglium): जमाल घोटा

प्रश्न 18.
अंडप्रजक प्राणियों की संतानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल ) सजीव प्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है? व्याख्या करें।
उत्तर:
प्राणियों को अंडप्रजक (Oviparous ) तथा सजीव प्रजक (Viviparous) श्रेणियों में बांटा गया है। इसका मुख्य आधार युग्मनज के विकास से है। यदि युग्मनज का मादा जनक के शरीर के बाहर विकास होता है तो उसे अंडप्रजक तथा युग्मनज का विकास अन्दर या उसका जन्म निषेचित या अनिषेचित अंडों के द्वारा हुआ या शिशु के रूप में प्रसव से जन्म हुआ हो तो सजीव प्रजक कहते हैं। अंडप्रजक प्राणियों जैसे कि सरीसृप वर्ग तथा पक्षी आदि के द्वारा पर्यावरण के सुरक्षित स्थान पर निषेचित अंडे दिए जाते हैं जो कठोर कैल्सियमयुक्त कवच से ढके रहते हैं। ये एक निश्चित निवेशन अवधि के पश्चात् स्फुटन द्वारा नए शिशु को जन्म देते हैं। सजीव प्रजक में युग्मनज का विकास शरीर के भीतर होकर शिशु बनता है तथा विकास के चरणों को पूरा करने के उपरान्त मादा जीव के शरीर से प्रसव द्वारा पैदा किया जाता है। अतः अंडप्रजक में युग्मनज का विकास बाहर होने से यह पूर्णत: जोखिमयुक्त होता है।

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