HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन

प्रश्न 1.
जीवों के लिये जनन क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
जनन के द्वारा ही जीवों की निरंतरता बनी रहती है। प्रत्येक जीव निश्चित अवधि के पश्चात् मृत हो जाता है परन्तु मृत्यु को प्राप्त होने से पूर्व वह जनन क्रिया द्वारा नई संतति का निर्माण कर देता है। यही कारण है कि हजारों वर्षों से पृथ्वी पर पादपों तथा पशु-पक्षियों की विभिन्न जातियों की विशाल संख्या बनी हुई है।

प्रश्न 2.
जनन की अच्छी विधि कौनसी है और क्यों?
उत्तर:
जनन की अच्छी विधि लैंगिक जनन है। इस क्रिया में दोनों जनक नर व मादा भाग लेते हैं। दोनों जनकों से बने युग्मक संलयित होकर युग्मनज का निर्माण करते हैं। युग्मनज से भ्रूण का विकास होकर नये जीव का निर्माण होता है। लैंगिक जनन से लैंगिक विविधता होती है, इससे नये लक्षण बनते हैं। एक पिता की होने वाली सभी संतानें समान नहीं होती हैं, उनमें विविधता रहती है। यद्यपि साधारण जीवों में अलैंगिक जनन ही जनन की सामान्य विधि है । प्रतिकूल परिस्थितियों में लैंगिक जनन जीवों को जीवित रहने में सहायता करता है।

प्रश्न 3.
अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई संतति को क्लोन क्यों कहा गया है?
उत्तर:
अलैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह एक-दूसरे के समरूप होती है अर्थात् अपने जनक के एकदम समान होती है । अलैंगिक जनन के द्वारा उत्पन्न हुई संतति आनुवंशिक रूप से तथा आकारिकीय दृष्टि से एकसमान होती है। आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान जीवों के लिये क्लोन शब्द का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 4.
लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप बने संतति को जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं। क्यों? क्या यह कथन हर समय सही होता है ?
उत्तर:
लैंगिक जनन की प्रक्रिया में विपरीत लिंग वाले भिन्न जीवों द्वारा नर तथा मादा युग्मकों ( gametes) का निर्माण होता है। ये युग्मक संलयित (निषेचन) होकर युग्मनज (Zygote) का निर्माण करते हैं जिससे आगे चलकर नए जीव का निर्माण होता है। युग्मनज का आगे का विकास जीव के अपने जीवन चक्र तथा वहाँ के पर्यावरण पर निर्भर करता है। कवक तथा शैवाल से सम्बन्धित जीवों में युग्मनज एक मही भित्ति स्रावित करता है जो उनकी शुष्कन व क्षति से रक्षा करती है। युग्मनज एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के जीव के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी है जो प्रजातियों की निरन्तरता को सुनिश्चित करती है।

अंडप्रजक (Oviparous) प्राणी जैसे सरीसृप (Reptiles) वर्ग तथा पक्षी आदि के द्वारा पर्यावरण के सुरक्षित स्थान पर निषेचित अंडे दिये जाते हैं जो कठोर कैल्सियमयुक्त कवच से ढके रहते हैं। ये एक निश्चित निवेशन (Incubation) अवधि के बाद स्फुटन द्वारा नये शिशु को जन्म देते हैं। जबकि सजीवप्रजक (Viviparous ) जीवों में ( अधिकांश स्तनधारी जिसमें मानव भी है) मादा जीव के शरीर के अन्दर युग्मनज विकसित होकर शिशु का विकास करता है व एक निश्चित अवधि तथा विकास के चरणों को पूरा करने के पश्चात् मादा जीव के शरीर से प्रसव द्वारा पैदा किया जाता है। भ्रूणीय सही देखभाल तथा संरक्षण के कारण सजीव प्रजक जीवों के उत्तरजीविता (Survival) रहने के अच्छे अवसर बढ़ जाते हैं। यह प्रक्रिया लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप होती है।

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प्रश्न 5.
अलैंगिक जनन द्वारा बनी संतति लैंगिक जनन द्वारा बनी संतति से किस प्रकार से भिन्न है?
उत्तर:
अलैंगिक जनन से उत्पन्न संतति अपने जनक के एकदम समान होती है। आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से एकसमान होती है। इसके लिये क्लोन शब्द का उपयोग किया जाता है। साधारण जीवों तथा अनेक पौधों में सामान्य रूप से अलैंगिक जनन होता है। लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह अपने जनकों के अथवा आपस में भी समरूप नहीं होती है।

प्रश्न 6.
अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित करो। कायिक जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना गया है?
उत्तर:
अलैंगिक तथा लैंगिक जनन में अन्तर –

अलैंगिक जनन (Asexual reproduction):लैंगिक जनन ( Sexual reproduction):
1. इस प्रकार के जनन में केवल एक ही जीव भाग लेता है।इसमें दो जीव या दोनों जनक भाग लेते हैं।
2. इसमें प्रजनन इकाई के रूप में शरीर का कोई भाग, कलिका या बीजाणु होते हैं।प्रजनन इकाई युग्मक (gamete) होता है।
3. इसमें सभी विभाजन समसूत्री होते हैं।युग्मकों के निर्माण हेतु अर्द्धसूत्री विभाजन होता है।
4. इस जनन में किसी प्रकार की संलयन क्रिया नहीं होती है।इसमें दो युग्मकों की संलयन क्रिया होती है।
5. नये जीव पूर्णतया जनक के समान गुणों वाले होते हैं।संतति में दोनों जनकों के गुण विद्यमान होते हैं तथा लक्षणों में परिवर्तन पाया जाता है।
6. इस जनन की दर अधिक होती है।तुलनात्मक दर धीमी होती है।
7. प्रायः यह जनन पादपों, निम्न श्रेणी के प्राणियों में होता है।प्रायः उच्च श्रेणी के पादपों व प्राणियों में होता है।
8. यह जनन विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नहीं है ।महत्त्वपूर्ण है।

अनेक पौधों में कायिक जनन पाया जाता है। अनेक जलीय जीवों, पुष्पीय पादपों की स्थलीय प्रजातियों जैसे उपरिभूस्तारी, प्रकंदों, अंतः भूस्तारी, कंदों एवं भूस्तारिका आदि में नयी संतानों को पैदा करने की क्षमता होती है। इन रचनाओं में से कायिक प्रवर्ध (Propagule) बनते हैं जो नये पौधे का निर्माण करते हैं। इसमें दो जनक भाग नहीं लेते हैं, अतः यह कायिक प्रवर्धन अलैंगिक जनन ही है।

प्रश्न 7.
कायिक प्रवर्धन से क्या समझते हैं? कोई दो उपयुक्त उदाहरण दो ।
उत्तर:
किसी पौधे के शरीर से उत्पन्न कोई रचना या इकाई अपने पैतृक पादप से अलग होकर विकसित होकर नये पूर्ण पादप का निर्माण कर ले तो इस प्रकार के जनन को कायिक प्रवर्धन कहते हैं। कायिक प्रवर्धन में इस प्रकार की संरचना या इकाई को कायिक प्रवर्ध (Propagule) कहा जाता है। उदाहरणार्थ, यहाँ कायिक प्रवर्धन हेतु दो उदाहरण अदरक (प्रकंद, Rhizome) तथा ब्रायोफिल्लम ( Bryophyllum ) के दिये जा रहे हैं। अदरक एक प्रकंद है, यह भूमि में शयान स्थिति में रहता है । इसमें पर्व छोटे होते हैं, अतः पर्वसंधियाँ एक-दूसरे के निकट होती हैं । पर्वसंधियों में पतले, झिल्लीनुमा, भूरे रंग के शल्की पर्ण होते हैं जो कक्षस्थ कलिका की सुरक्षा करते हैं।

अनुकूल ऋतु में अन्तस्थ कलिका से वायव प्ररोह परिवर्धित होते हैं और कक्षस्थ कलिका मोटी, मांसल, भूमिगत शाखा को बनाती है। प्रकंद का वृद्ध भाग नष्ट हो जाने पर प्रकंद की शाखाएँ एक-दूसरे से अलग होकर वृद्धि कर नये पादप का निर्माण करती हैं।

ब्रायोफिल्लम की पत्तियों के फलककोर पर कायिक कलिकायें उत्पन्न होती हैं। ये पत्तियाँ जब झड़कर नम भूमि पर गिर जाती हैं तो इन कलिकाओं से अपस्थानिक जड़ें निकलकर भूमि में चली जाती हैं व वृद्धि कर नया पौधा बनाती हैं। इस प्रकार पत्ती पर जितनी कलिकाएँ होती हैं उतने ही नव- पादप परिवर्धित हो जाते हैं।

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प्रश्न 8.
व्याख्या करें-
(क ) किशोर चरण
(ख) प्रजनक चरण
(ग) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था।
उत्तर:
(क) किशोर चरण (Juvenile Phase ) – जब किसी बीज का अंकुरण होता है तो उससे नवजात पौधे का निर्माण होता है। यह नवजात पौधा धीरे-धीरे विकसित होते हुए व वृद्धि करते हुये अपने विभिन्न कायिक भागों को बनाता है। ये सभी किशोर अवस्था के चरण होते हैं। किशोर या कायिक प्रावस्था के अन्त होने पर जनन प्रावस्था का प्रारम्भ होता है। पौधों में इसे पुष्प का निर्माण होने से समझा जा सकता है।

(ख) प्रजनक चरण (Reproductive Phase ) – पौधों में पुष्प लगने पर यह ज्ञात होता है कि अब प्रजनक चरण का प्रारम्भ हो गया है। कुछ पौधों में एक विशेष ऋतु में पुष्प आते हैं तो अन्य में वर्षपर्यन्त पुष्प लगते रहते हैं। कुछ पौधे अपने जीवन काल में केवल एक बार ही पुष्प उत्पन्न करते हैं। वार्षिक तथा द्विवार्षिक किस्मों में स्पष्टतः कायिक, जनन तथा जीर्णता की प्रावस्थाओं को देखा जा सकता है। इस चरण में प्रजनन कार्य होता है। प्राणियों में भी मौसम व हार्मोन का प्रभाव होता है।

(ग) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था (Senescence Phase ) – जैसे-जैसे किसी जीव की आयु बढ़ती है, वह वृद्धावस्था की ओर बढ़ता है। वृद्धावस्था के साथ-साथ प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है, उपापचय क्रियायें मन्द हो जाती हैं। इसे जीर्णता चरण या जीर्णावस्था कहते हैं।

प्रश्न 9.
अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों ने लैंगिक प्रजनन को पाया है; क्यों?
उत्तर:
उच्च श्रेणी के जीव जटिल संरचना वाले होते हैं। विकास के दौरान सरल श्रेणी के जीव विकसित होते हुये जटिल बनते गये, उनके आवास स्थलों में रहने की प्रवृत्ति, जनन अंगों की संरचना तथा प्रजनन व्यवहार में परिवर्तन आया। अलैंगिक जनन केवल सरल प्रकृति के जीवों में ही हो सकता है क्योंकि जनन क्रिया को सम्पन्न करने वाली संरचनाएँ भी सरल होती हैं। लैंगिक जनन में विपरीत लिंग वाले जीव भाग लेते हैं। इन जीवों से नर व मादा युग्मक बनते हैं जो संलयन कर युग्मनज व फिर भ्रूण बनाते हैं। लैंगिक जनन से संबद्ध संरचनाएँ जीवों में एकदम भिन्न होती हैं। इन संरचनाओं के जटिल होने के बावजूद भी लैंगिक जनन की घटनाएँ एक नियमित अनुक्रम का पालन करती हैं। लैंगिक जनन करने वाले जीवों में युग्मनज अथवा भ्रूण पूर्ण सुरक्षित होता है, इससे उत्तरजीविता के अच्छे अवसर होते हैं।

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प्रश्न 10.
व्याख्या करके बताएँ कि अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन सदैव अंतरसंबंधित (अंतर्बद्ध) होते हैं।
उत्तर:
युग्मकजनन नर तथा मादा दो प्रकार के युग्मकों की गठन प्रक्रिया को संदर्भित करता है। युग्मक अगुणित कोशिकाएँ होती हैं। जो जीव द्विगुणित होते हैं, उनमें युग्मकों के निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होता है । इस अर्धसूत्री विभाजन के कारण गुणसूत्रों का केवल एक सेट प्रत्येक युग्मक में होता है। जैसे मानव में द्विगुणित गुणसूत्र संख्या 46 होती है तो उनके नर युग्मक (शुक्राणु) में गुणसूत्रों की संख्या 23 होगी, इसी प्रकार मादा में मादा युग्मक (अण्ड) की गुणसूत्र संख्या 23 होगी। युग्मकों की निर्माण क्रिया को युग्मकजनन कहते हैं तथा इसमें अर्धसूत्री विभाजन होता है। इस प्रकार अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन (Gamctogenesis) अंतरसंबंधित होते हैं।

प्रश्न 11.
प्रत्येक पुष्पीय पादप के भाग को पहचानें तथा लिखें कि वह अगुणित (n) है या द्विगुणित (2n ) ।
उत्तर:

(क) अंडाशय (Ovary)2n ( द्विगुणित )
(ख) परागकोश (Anther)2n ( द्विगुणित )
(ग) अंडा या डिंब (Egg)n (अगुणित )
(घ) पराग ( Pollen )n (अगुणित )
(च) नर युग्मनज(Male Gamete ) – n (अगुणित)
(छ) युग्मनज(Zygote) – 2n ( द्विगुणित )

प्रश्न 12.
बाह्य निषेचन की व्याख्या करें। इसके नुकसान बताएँ।
उत्तर:
प्रायः जलीय जीवों में जैसे-अधिकतर शैवालों तथा मछलियों और यहाँ तक कि जल-स्थल चर प्राणियों में युग्मक-संलयन बाहरी माध्यम (जल) में अर्थात् जीव के शरीर के बाहर संपन्न होता है। इस प्रकार के युग्मक संलयन को बाह्य निषेचन (External Fertilization) कहते हैं। बाह्य निषेचन से निम्न नुकसान होते हैं –
(i) अनेक युग्मक / शुक्राणु व्यर्थ ही नष्ट हो जाते हैं ।
(ii) यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक अंड का निषेचन हो ही जाये ।
(iii) बनने वाली सन्तति संख्या में अधिक बनती हैं किन्तु इनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती है।

प्रश्न 13.
जूस्पोर (अलैंगिक चल बीजाणु) तथा युग्मनज के बीच विभेद करें।
उत्तर:
जूस्पोर (Zoospore ):
(i) यह अलैंगिक जनन संरचना है।
(ii) जूस्पोर अगुणित होता है।
(iii) इसका निर्माण अगुणित जीव पर चलबीजाणुधानी में होता है।
(iv) ये चल होते हैं तथा इनका अंकुरण होने से नये अगुणित जीव का निर्माण होता है।

युग्मनज (Zygote):
(i) यह लैंगिक जनन में होता है।
(ii) द्विगुणित होता है।
(iii) इसका निर्माण नर व मादा युग्मक के संलयन से होता है तथा द्विगुणित जीव पर होता है।
(iv) ये अचल, गोल व भित्ति से घिरे होते हैं। इनसे नये द्विगुणित जीव का निर्माण होता है या ये भ्रूण में विकसित होकर नये जीव का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 14.
युग्मकजनन एवं भ्रूणोद्भव के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
युग्मकों की निर्माण प्रक्रिया को युग्मकजनन कहते हैं। युग्मकों के निर्माण के समय अर्धसूत्री विभाजन होने से ये अगुणित होते हैं। युग्मक नर व मादा होते हैं जो आपस में संलयित (निषेचन) होकर युग्मनज बनाते हैं। युग्मनज से भ्रूण के विकास की प्रक्रिया को भ्रूणोद्भवन (Embryogenesis) कहते हैं। युग्मनज जो कि द्विगुणित होता है, इसके विकास से भ्रूण का निर्माण होता है। भ्रूण प्रायः द्विगुणित होता है तथा इससे नये पादप का विकास होता है करें।

प्रश्न 15.
एक पुष्प में निषेचन पश्च परिवर्तनों की व्याख्या
उत्तर:
लैंगिक जनन में नर व मादा के संलयित होने पर युग्मनज का निर्माण होता है। नर व मादा की संलयन क्रिया को निषेचन कहते हैं। अतः युग्मनज का निर्माण ही निषेचन पश्च घटनाएँ कहलाती हैं। पुष्प निषेचन के पश्चात् अनेक परिवर्तन आते हैं –
(i) बाह्यदल, दल, पुंकेसर इत्यादि झड़ जाते हैं।
(ii) अण्डाशय फल के रूप में विकसित होता है तथा आगे चलकर फलभित्ति (pericarp) का निर्माण करता है।
(iii) बीजाण्ड (ovule) बीज में परिवर्तित हो जाता है तथा युग्मन – अनेक विभाजनों के द्वारा भ्रूण (embryo) में विकसित हो जाता है।

प्रश्न 16.
एक द्विलिंगी पुष्प क्या है? अपने आस-पास से पाँच द्विलिंगी पुष्पों को एकत्र करें और अपने शिक्षक की सहायता से इनके सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम पता करें।
उत्तर:
जब किसी एक ही पौधे या प्राणी में दोनों लिंग एक साथ उपस्थित हों तो उसे द्विलिंगी (Bisexual) कहते हैं। स्थानीय आवास के पाँच द्विलिंगी पुष्प व उनके सामान्य तथा वैज्ञानिक नाम निम्न प्रकार से हैं –
सामान्य नाम

सामान्य नामवैज्ञानिक नाम
(i) धतूराDatura metal ( डाटूरा मेटेल)
(ii) सरसोंBrassica campastris (ब्रेसिका केम्पेस्ट्रिस)
(iii) गुडहलHibiscus rosa-sinensis ( हिबिस्कस रोजा – सायनेन्सिस)
(iv) अमलताशCassia fistula ( केसिया फिस्टूला)
(v) कीकर (बबूल)Acacia nilotica (एकेशिया नाइलोटिका)

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प्रश्न 17.
किसी भी कुकरबिट पादप के कुछ पुष्पों की जाँच करें और पुंकेसरी एवं स्त्रीकेसरी पुष्पों को पहचानने की कोशिश करें। क्या आप अन्य एकलिंगी पौधों के नाम जानते हैं?
उत्तर:
कुकरबिटेसी कुल के पादपों में पुष्प एकलिंगी होते हैं। किसी कुकरबिट बेल के पुष्पों का निरीक्षण करें, यदि उसमें केवल पुंकेसर उपस्थित हो व जायांग अनुपस्थित हो तो यह नर पुष्प है। यदि पुष्प में केवल जायांग ही हो तथा पुंकेसर अनुपस्थित हो तो यह मादा किसी कुकरबिट बेल के पुष्पों का निरीक्षण करें, यदि उसमें केवल पुंकेसर उपस्थित हो व जायांग अनुपस्थित हो तो यह नर पुष्प है। यदि पुष्प में केवल जायांग ही हो तथा पुंकेसर अनुपस्थित हो तो यह मादा पुष्प होगा। उदाहरणार्थ दोनों नर व मादा कॉक्सीनिया (Coccinia) पुष्पों के चित्र नीचे दिये जा रहे हैं –
HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन - 1

अन्य एकलिंगी पौधों के उदाहरण –

सिट्रुलस वल्गेरिस (Citrullus vulgaris): तरबूज
कुकुमिस मेलो (Cucumis melo): खरबूजा
लेजिनेरिया सिसिरेरिया (Lagenaria siceraria ): लौकी
लूफा एक्यूटेन्गुला (Luffa acutangula): तोरी
कुकरबिटा मेक्सिमा (Cucurbita maxima): सीताफल
रिसिनस कोम्युनिस (Ricinus communis): अरण्ड
एम्बलिका ऑफिसिनेलिस (Emblica officinalis): आंवला
क्रोटोन टिग्लियम (Croton tiglium): जमाल घोटा

प्रश्न 18.
अंडप्रजक प्राणियों की संतानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल ) सजीव प्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है? व्याख्या करें।
उत्तर:
प्राणियों को अंडप्रजक (Oviparous ) तथा सजीव प्रजक (Viviparous) श्रेणियों में बांटा गया है। इसका मुख्य आधार युग्मनज के विकास से है। यदि युग्मनज का मादा जनक के शरीर के बाहर विकास होता है तो उसे अंडप्रजक तथा युग्मनज का विकास अन्दर या उसका जन्म निषेचित या अनिषेचित अंडों के द्वारा हुआ या शिशु के रूप में प्रसव से जन्म हुआ हो तो सजीव प्रजक कहते हैं। अंडप्रजक प्राणियों जैसे कि सरीसृप वर्ग तथा पक्षी आदि के द्वारा पर्यावरण के सुरक्षित स्थान पर निषेचित अंडे दिए जाते हैं जो कठोर कैल्सियमयुक्त कवच से ढके रहते हैं। ये एक निश्चित निवेशन अवधि के पश्चात् स्फुटन द्वारा नए शिशु को जन्म देते हैं। सजीव प्रजक में युग्मनज का विकास शरीर के भीतर होकर शिशु बनता है तथा विकास के चरणों को पूरा करने के उपरान्त मादा जीव के शरीर से प्रसव द्वारा पैदा किया जाता है। अतः अंडप्रजक में युग्मनज का विकास बाहर होने से यह पूर्णत: जोखिमयुक्त होता है।

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