Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 2 स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता
प्रश्न 2.1.
5 x 108 C तथा – 3 x 10-8 C के दो आवेश 16 cm दूरी पर स्थित हैं। दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य होगा ? अनन्त पर विभव शून्य लीजिए ।
उत्तर:
हल दिया गया है-
q1 = 5 × 10-8 C,
q2= -3 × 10-8 C,
तथा
r = 16 cm
∴ = 0.16m
माना q1 से x दूरी पर स्थित बिन्दु P पर विभव का मान शून्य है।
इस कारण से P की 92 से दूरी = (0.16 – x) m
बिन्दु P पर q1 के कारण विभव होगा
V1 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1}{x}\)
बिन्दु P पर q2 के कारण विद्युत विभव का मान होगा
V2 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}_2}{(0.16-x)}\)
लेकिन बिन्दु P पर कुल विभव का मान शून्य है। तब V1 + V2 = 0
या
\( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1}{x}+\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_2}{(0.16-x)}=0\)
अब हम एक दूसरा बिन्दु ज्ञात करेंगे जहाँ पर विभव का मान शून्य होगा। यह बिन्दु ऋणात्मक आवेश के दाईं ओर सम्भव हो सकता है। यदि इस बिन्दु की दूरी धनात्मक आवेश से xm है तब इसकी दूरी ऋणात्मक आवेश से (x – 0.16) m होगी। तब V1 + V2 = 0
तब \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1}{x}+\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_2}{x-0.16}\) = 0
या \(\frac{q_1}{x}+\frac{q_2}{(x-0.16)}\) = 0
या \(\frac{q_1}{-q_2}=\frac{x}{(x-0.16)} \) = 0
मान रखने पर
\( \frac{5 \times 10^{-8}}{3 \times 10^{-8}}=\frac{x}{(x-0.16)}\)
⇒ \( \frac{5}{3}=\frac{x}{(x-0.16)}\)
⇒ 5x – 0.8 = 3x
⇒ 5x – 3x = 0.8
⇒ 2x = 0.8
⇒ x = \( \frac{0.8}{2}=0.4 \mathrm{~m}\)
या x = 40 cm.
अतः विभव का मान शून्य होगा। 10 cm. 40 cm धनादेश से दूर ऋणावेश की ओर उत्तर
प्रश्न 2.2.
10 cm भुजा वाले एक सम-षट्भुज के प्रत्येक शीर्ष पर 5 µC का आवेश है षट्भुज के केन्द्र पर विभव परिकलित कीजिए।
उत्तर:
हल- ABCDEF एक सम-षट्भुज है, जिसकी प्रत्येक भुजा
= 10 cm
षट्भुज का केन्द्र O है.
ज्यामिति से
OA = OB = OC = OD
= OE = OF = 10 cm.
A, B, C, D, E तथा F पर आवेश q = 5 µC सभी आवेशों के कारण O पर विद्युत विभव
V = \( 6 \times \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q}{r}\)
दिया गया है-r = 10 cm = 10 x 10-2 m और
q = 5 µC = 5 x 10-6C
मान रखने पर
V = \( \frac{6 \times 9 \times 10^9 \times 5 \times 10^{-6}}{10 \times 10^{-2}}\)
V = 27 × 1011 – 6 = 27 x 105
या V = 2.7 x 106 V
प्रश्न 2.3.
6em की दूरी पर अवस्थित दो बिन्दुओं A एवं B पर दो आवेश 2 C तथा 2uC रखे हैं ।
(a) निकाय के समविभव पृष्ठ की पहचान कीजिए।
(b) इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
हल- (a) दिया गया है कि A और B पर दो आवेश 2 µC और -2 µC रखे हुए हैं।
AB = 6 cm = 6 x 10-2 m
दो दिये गये आवेशों के निकाय का समविभव पृष्ठ A व B को मिलाने वाली रेखा के अभिलम्ब है पृष्ठ AB के मध्य बिन्दु C से गुजरता है बिन्दु C पर विभव
\( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(2 \times 10^{-6}\right)}{3 \times 10^{-2}}+\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(-2 \times 10^{-6}\right)}{3 \times 10^{-2}}\)
⇒ अर्थात् बिन्दु C पर विभव शून्य होगा। इस प्रकार इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर समान विभव है और वह शून्य है अतः यह एक समविभव पृष्ठ है।
(b) हम जानते हैं कि विद्युत क्षेत्र सदैव + से – आवेश की ओर कार्य करता है। इस प्रकार यहाँ पर विद्युत क्षेत्र + (धनावेशित) बिन्दु A से ऋणावेशित (- ve) बिन्दु B की ओर कार्य करता है तथा यह समविभव पृष्ठ के अभिलम्ब AB दिशा में है।
प्रश्न 2.4.
12 cm त्रिज्या वाले एक गोलीय चालक के पृष्ठ पर 1.6 x 10-7 C का आवेश एकसमान रूप से वितरित है।
(a) गोले के अन्दर
(b) गोले के ठीक बाहर
(c) गोले के केन्द्र से 18 cm पर अवस्थित किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र क्या होगा?
उत्तर:
हल दिया है-चालक पर आवेश q = 1.6 × 10-7 C
और गोलीय चालक की त्रिज्या r = 12 cm
= 12 × 10-2
(a) हम जानते हैं कि गोलीय चालक का प्रदत्त आवेश उसके पृष्ठ पर रहता है।
∴ गोलीय चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य है।
∵ Φ = \( \oint_{\mathrm{s}} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{ds}}=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}\)
(∵ यहाँ पर q = 0 चालक के भीतर)
या \( \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{ds}}\) = 0
या E = 0
(b) गोले के ठीक बाहर गोले के ठीक बाहर एक बिन्दु पर अर्थात् पृष्ठ पर एक बिन्दु पर आवेश को गोले के केन्द्र पर संकेन्द्रित माना जा सकता है इस प्रकार
E = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{R}^2}\) सम्बन्ध का उपयोग करते हुए
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-7}}{\left(12 \times 10^{-2}\right)^2}\) = \(\frac{9 \times 1.6 \times 10^2 \times 10^4}{144}\)
= 105 N/C
(c) गोले के केन्द्र से 18 सेमी. पर अवस्थिति r= 18 cm = 18 x 10-2 m
r = 18 cm = 18 × 10-2 m
E = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}^2}\)
मान रखने पर
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-7}}{\left(18 \times 10^{-2}\right)^2}\)
= \(\frac{14.4 \times 10^2}{324 \times 10^{-4}}\) = 4.44 × 104N/C
प्रश्न 2.5.
एक समान्तर पट्टिका संधारित्र, जिसकी पट्टिकाओं के बीच वायु है, की धारिता 8pF (1 pF = 10-2 F) है। यदि पट्टिकाओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए और इनके बीच के स्थान में 6 परावैद्युतांक का एक पदार्थ भर दिया जाए तो इसकी धारिता क्या होगी?
उत्तर:
हल- (i) यहाँ पर एक समान्तर पट्टिका संधारित्र है, जिसकी पट्टिकाओं के बीच वायु है।
∴C1 = \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~d}}\) = 8 pF = 8 × 10-2F
(ii) जब पट्टिकाओं के बीच के स्थान में 6 परावैद्युतांक का एक पदार्थ भरने पर
C2 = K \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{~A}}{\mathrm{~d}^{\prime}}\)
यहाँ पर दिया गया है- K= 6 तथा d’= d/2
C2 = \(\frac{6\left(\epsilon_0 \mathrm{~A}\right)}{\mathrm{d} / 2}\) = 2 × 6 × \( \left(\frac{\epsilon_0 A}{d}\right)\)
C2 = 12 C1
लेकिन C1 = 8 × 10-2 F
अतः मान रखने पर
C2 = 12 × 8 × 10-2 F
= 96 × 10-2 F = 96 pF
प्रश्न 2.6.
9 pF धारिता वाले तीन संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 120 v के संभरण ( सप्लाई) से जोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक संधारित्र पर क्या विभवान्तर होगा?
उत्तर:
हल- (a) दिया गया है-
C1 = C2 = C3 = 9 pF
श्रेणीक्रम में संयोजन की कुल धारिता Cs = ?
हम जानते है-
\(\frac{1}{C_s}=\frac{1}{C_1}+\frac{1}{C_2}+\frac{1}{C_3}\)
= \(\frac{1}{9}+\frac{1}{9}+\frac{1}{9}=\frac{3}{9}=\frac{1}{3}\)
या Cs = \(\frac{9}{3}\) = 3 pF
(b) माना धारित्रों के विभव क्रमश: V1, V2 तथा V3 है = ?
V1, V2 तथा V3 का योग V1 + V2 + V3 = 120 V
चूँकि C1 = C2 = C3
∴ v + v + v = 120
3V = 120
V = \( \frac{120}{3} \) = 40 वोल्ट
प्रश्न 2.7.
2 pF, 3 pF और 4 pF धारिता वाले तीन संधारित्र पार्श्वक्रम में जोड़े गए हैं।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को 100 V के संभरण से जोड़ दें तो प्रत्येक संधारित्र पर आवेश ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल दिया गया है-
C1 = 2 pF
= 2 × 10-12 F
C2 = 3 pF
= 2 × 10-12 F
C3 = 4 pF
= 4 × 10-12 F
संयोजन का प्रदत्त विभव = V
(a) समान्तर क्रम में Cp = C1 + C2+ C3 के सूत्र से
Cp = 2 pF + 3pF + 4pF
= 9 pF = 9 × 10-12 F
(b) माना प्रत्येक संधारित्र पर आवेश क्रमश: Q1. Q2 तथा Q3 है।
सूत्र Q = CV तथा V = 100 वोल्ट से
Q1 = C1V = 2 x 10-12 x 100 = 2 x 10-10 C
Q2 = C2V = 3 x 10-12 x 100 = 3 x 10-10 C
Q3 = C3V = 4 x 10-12 x 100 = 2 x 10-10 C
प्रश्न 2.8.
पट्टिकाओं के बीच पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 6 x 10-3 m2 तथा उनके बीच की दूरी 3 mm है। संधारित्र की धारिता को परिकलित कीजिए। यदि इस संधारित्र को 100 V के संभरण से जोड़ दिया जाए तो संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर कितना आवेश होगा ?
उत्तर:
हल दिया गया है-
समान्तर पट्टिका धारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल A = 6 × 10-3 m2
पट्टिकाओं के बीच की दूरी d = 3 mm
= 3 x 10-3 m
∈o = 8.854 × 10-12 C2N2m-2
माना पट्टिकाओं के बीच वायु के साथ समान्तर पट्टिका धारित्र की धारिता = C 0
अतः सूत्र
C0 = \(\frac{\epsilon_0 A}{d}\) का प्रयोग करने पर
मान रखने पर C0 = \(\frac{8.854 \times 10^{-12} \times 6 \times 10^{-3}}{3 \times 10^{-3}}\)
= 17 . 708 × 10-12 F
= 17. 708 pF
= 18pF
धारित्र पर लगाया संभरण= V0 = 100 V
माना धारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर आवेश के मान = Q0 = ?
सूत्र Q0 = C0 V0 का प्रयोग करने पर
= 17.708 × 10-12 x 100
= 17.708 × 10-10 C
= 1.7708 × 10-9 C
= 1.7708 nC
= 1.8 nC
प्रश्न 2.9.
अभ्यास 2.8 में दिए गए संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच यदि 3 mm मोटी अभ्रक की एक शीट ( पत्तर) (परावैद्युतांक = 6) रख दी जाती है तो स्पष्ट कीजिए कि क्या होगा जब संधारित्र (a) विभव (योल्टेज) संभरण जुड़ा ही रहेगा।
(b) संभरण को हटा लिया जाएगा?
उत्तर:
हल – नोट – जब भी हम संधारित्र की पट्टिकाओं के मध्य कोई विद्युतरोधी माध्यम (परावैद्युतांक K) रख देते हैं तो संधारित्र की धारिता K गुणा हो जायेगी। (a) यदि विभव संभरण (बैटरी) संधारित्र से जुड़ी रहे तो विभव नहीं परिवर्तित होगा। धारिता बढ़ने के कारण संधारित्र बैटरी से अधिक आवेश (K गुणा ) प्राप्त कर लेगा। (b) यदि बैटरी को परिपथ से हटा लिया जाये तो बैटरी का आवेश अपरिवर्तित रहेगा, लेकिन विभव Kवां भाग रह जायेगा। (V = Q/C)
(a) माना धारित्र की वायु माध्यम के साथ धारिता = Co
परावैद्युतांक K = 6
अतः धारित्र की धारिता C = KCo
= 6 × 18 pF
= 108 × 10-12 F = 108 pF
इस प्रकार अभ्रक की पट्टी रखने के पश्चात् धारित्र की धारिता K (= 6) गुणा हो जाती है।
धारित्र पर विभव = 100 V
[∴बैटरी संधारित्र से जुड़ी है।]
अतः आवेश Q’ = CV
= 108 × 10-12 × 100 V
= 108 × 10-10
= 1.08 × 10-8 C
स्पष्टतः पट्टिकाओं पर आवेश वायु माध्यम आवेश का K गुणा हो जाता है अर्थात् जब संभरण जुड़ा रहता है और अभ्रक की पट्टी माध्यम हो तो आवेश बढ़ जाता है।
(b) धारित्र की अभ्रक माध्यम के साथ धारिता
C = KC0 = 108 x 10-12 F
= 108 pF
जब संभरण को हटा दिया जाता है तो आवेश में कोई परिवर्तन नहीं होगा तथा परिवर्तित विभव का मान
V = \( \frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{C}^{\prime}}=\frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{KC}}=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{K}}\)
हो जायेगा, अर्थात् अब विभव Kवां भाग रह जायेगा ।
V’ = \(\frac{100}{6}\) = 16.67 V
अर्थात् धारित्र पर आवेश अभ्रक माध्यम के साथ उतना ही रहेगा जितना कि वायु माध्यम के साथ।
प्रश्न 2.10
12 pF का एक संधारित्र 50 V की बैटरी से जुड़ा है। संधारित्र में कितनी स्थिरवैद्युत ऊर्जा संचित होगी?
उत्तर:
हल दिया गया है-
धारित्र की धारिता = C = 12 pF
C = 12 x 10-12 F
धारित्र से जुड़े संभरण की वोल्टता = V = 50 वोल्ट
माना स्थिर वैद्युतांक ऊर्जा संचित होगी = U
∴ U = 1⁄2CV2 के सूत्र से
मान रखने पर U = 1⁄2×12×10-12 x (50)2
= 6 × 10-12 × 25 x 100
= 150 × 10-10
= 1.50 × 10-8 J
U = 1.5 x 10-8J
प्रश्न 2.11.
200 V संभरण (सप्लाई ) से एक 600 pF के संधारित्र को आवेशित किया जाता है। फिर इसको संभरण से वियोजित कर देते हैं तथा एक अन्य 600 PF वाले अनावेशित संधारित्र से जोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया में कितनी ऊर्जा का हास होगा ?
उत्तर:
हल दिया गया है-
C1= 600 pF = 600 x 10-12 F
= 6 × 10-10 F
V1 = 200 Volt
प्रारम्भिक वैद्युत ऊर्जा U1 = \(\frac{1}{2} C_1 V_1^2\)
मान रखने पर U1 = \(\frac{1}{2}\) × 6 × 10-10 × (200)2
= \(\frac{1}{2}\) × 6 × 4 × 10-10 × 104
U1 = 12 × 10-6 J
C2 = 6 × 10-10 F
V2 = 0
यदि V उभयनिष्ठ विभव हो तब
V = \(\frac{\mathrm{C}_1 \mathrm{~V}_1+\mathrm{C}_2 \mathrm{~V}_2}{\mathrm{C}_1+\mathrm{C}_2}\)
= \(\frac{6 \times 10^{-10} \times 200+6 \times 10^{-10} \times 0}{6 \times 10^{-10}+6 \times 10^{-10}}\)
= \(\frac{12 \times 10^{-8}}{12 \times 10^{-10}}\) = 100 वोल्ट
अन्तिम वैद्युत ऊर्जा
U2 = \(\frac{1}{2}\)( C1 + C2) V2
मान रखने पर
U2 = \(\frac{1}{2}\) × 12 × 10-10 × (100)2
∵ C1 + C2 = 6 × 10-10F + 6 × 10-10
= 12 × 10-10 F
= 6 × 10-10 × 104 = 6 × 10-6 J
स्थितिज ऊर्जा में हास ∆U = U1 – U2
= 12 × 10-6 – 6 × 10-6
= 6 × 10-6 J
अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)
प्रश्न 2.12.
मूल बिन्दु पर एक 8 mC का आवेश अवस्थित है। -2 × 10-9 C के एक छोटे से आवेश को बिन्दु P (0, 0,3 cm) से, R(0, 6 cm, 9 cm) से होकर, बिन्दु Q (0, 4 cm, 0) तक ले जाने में किया गया कार्य परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
हल दिया गया है-
q1 = 8 × 10-3 C
q0 = -2 × 10-9 C
rp = 3 × 10-2 m
rQ = 4 × 10-2 m
rQ = √117 x 10-2 m
आवेश q0 को P तथा Q तक गति कराने में किया गया कार्य पथ पर निर्भर नहीं करता है। अतः बिन्दु R का प्रश्न को हल करने में
कोई भी औचित्य नहीं है। अर्थात् Wp→R→Q = Wp→Q
अतः किया गया कार्य का सूत्र निम्न है- किया गया कार्य
WpQ = q0[Vo-Vp] = q0 \(\left(\frac{1}{4 \pi \epsilon_{\mathrm{o}}}\right)\left[\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}_{\mathrm{Q}}}-\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}_{\mathrm{P}}}\right]\)
= \(\frac{\mathrm{qq}_0}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{1}{\mathrm{r}_{\mathrm{Q}}}-\frac{1}{\mathrm{r}_{\mathrm{P}}}\right)\)
चूँकि कार्य W= आवेश q x विभव (V)
मान रखने पर
WpQ = 9 × 109× (8 × 10-3) × (−2 × 10-9) \(\left(\frac{1}{4 \times 10^{-2}}-\frac{1}{3 \times 10^{-2}}\right)\)
= \(\frac{-144 \times 10^{-3}}{10^{-2}}\left(\frac{1}{4}-\frac{1}{3}\right)\)
= -144 × 10-1 × \(\left(\frac{-1}{12}\right)\)
= 12 × 10-1J = 1.2 J
∴ WPQ = 1.2 J
प्रश्न 2.13.
b भुजा वाले एक घन के प्रत्येक शीर्ष पर q आवेश है। इस आवेश विन्यास के कारण घन के केन्द्र पर विद्युत विभव तथा विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
( DB )2 2 = b2 + b2 = 2b2
चित्र से DE2 = DB2 + BE2
या DE = \(\sqrt{\mathrm{DB}^2+\mathrm{BE}^2}\)
मान रखने पर DE = \(\sqrt{2 b^2+b^2}\) = \(\sqrt{3 \mathrm{~b}^2}\)
DE = √3b
अब DO = \(\frac{1}{2}\) DE = \(\frac{1}{2}\) × √3b
DO = \( \frac{\sqrt{3}}{2} \mathrm{~b}\)
अतः घन के मध्य बिन्दु से प्रत्येक शीर्ष की दूरी \(\frac{\sqrt{3}}{2} b\) है।
अतः आवेश द्वारा b पर विभव क्षेत्र = 8 × \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q}{r}\)
= 8 × \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\frac{\sqrt{3}}{2} b}=\frac{4 \mathrm{q}}{\sqrt{3} \pi \epsilon_0 b}\)
सममिति से केन्द्र पर परिणामी वैद्युत क्षेत्र तीव्रता शून्य होगी। चूँकि O पर प्रत्येक शीर्ष पर आवेश के कारण, विपरीत शीर्षों का विद्युत क्षेत्र परिमाण में समान परन्तु दिशा में विपरीत है। जैसे A व H, B और G, C और F, D और E के क्षेत्र समान परन्तु विपरीत हैं।
प्रश्न 2.14.
1.5 µC और 2.5 µC आवेश वाले दो सूक्ष्म गोले 30 cm दूर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर,
और
(b) मध्य बिन्दु से होकर जाने वाली रेखा के अभिलम्ब तल में मध्यबिन्दु से 10 cm दूर स्थित किसी बिन्दु पर विभव और विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
हल – (a) दिया गया है-
q1 = 1.5 µC = 1.5 × 10-6 C
q2 = 2.5 uC = 2.5 × 10-6 C
a = 0.10 m एवं b = 0.15m
V0 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \cdot \frac{1}{r}\) (q1+q2)
= 9 × 109 × \(\frac{1}{0.15} \)(4) 10-6
= 240 × 103
= 2.4 × 105 वोल्ट
यदि आवेश 1.5 µC तथा 2.5 µC के कारण बिन्दु O पर विद्युत
(b) यदि आवेश 1.5 µC तथा 2.5 µC के कारण बिन्दु P पर विभव क्रमशः Vp1 तथा Vp2 है तो-
यदि आवेश 1.5 µC तथा 2.5 µC के कारण बिन्दु P पर विद्युत
प्रश्न 2.15.
आंतरिक त्रिज्या r1 तथा बाह्य त्रिज्या r2वाले एक गोलीय चालक खोल (कोश) पर Q आवेश है।
(a) खोल के केन्द्र पर एक आवेश q रखा जाता है। खोल के भीतरी और बाहरी पृष्ठों पर पृष्ठ आवेश घनत्व क्या है?
(b) क्या किसी कोटर (जो आवेश विहीन है) में विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, चाहे खोल गोलीय न होकर किसी भी अनियमित आकार का हो? स्पष्ट कीजिए।
हल – (a) हम जानते हैं कि खोखले चालक को दिया गया आवेश चालक के पृष्ठ पर फैल जाता है तथा खोखले चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है। इस प्रकार गोलीय खोखले गोल को दत्त आवेश Q उसके बाहरी पृष्ठ पर फैल जायेगा। उसी खोखले गोले के केन्द्र पर अन्य आवेश q रखा जाता है तथा गोल की आन्तरिक त्रिज्या r1 है। यह खोल के अन्दर वाले पृष्ठ पर -q तथा बाहरी पृष्ठ पर +q आवेश उत्प्रेरित करेगा जो r2 त्रिज्या गोल खोल के बाहर पृष्ठ पर स्थानान्तरित हो जायेगा। इस प्रकार बाहरी पृष्ठ पर कुल आवेश Q + q होगा। माना आन्तरिक एवं बाहरी खोखले पृष्ठों के क्षेत्रफल क्रमशः A1 व A2 हैं।
किसी भी आकार के कोटर के लिए यह पर्याप्त नहीं है कि उसके लिए कोटर के अन्दर \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) का दावा किया जाये। कोटर में समान – ve तथा + ve आवेश हो सकते हैं, जिससे कुल आवेश शून्य है। है आवेश चालक के बाहर पृष्ठ पर स्थित रहना चाहता है। यह परिणाम कोटर के आकार एवं आकृति से स्वतंत्र है।
प्रश्न 2.16.
(a) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र के अभिलम्ब घटक में असांतत्य होता है, जिसे
(E2 – E1).\hat{\mathbf{n}}=\(\frac{\sigma}{\epsilon_0}\)
द्वारा व्यक्त किया जाता है जहाँ \(\hat{\mathbf{n}}\) एक बिन्दु पर पृष्ठ के अभिलम्ब एकांक सदिश है तथा σ उस बिन्दु पर पृष्ठ आवेश घनत्व है। \(\hat{\mathbf{n}}\) की दिशा पार्श्व 1 से पार्श्व 2 की ओर है।)
अतः दर्शाइए कि चालक के ठीक बाहर विद्युत क्षेत्र \(\sigma \hat{\mathbf{n}} / \epsilon_0\) है।
(b) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र का स्पर्शीय घटक संतत है।
[संकेत – (a) के लिए गाउस नियम का उपयोग कीजिए। (b) के लिए इस सत्य का उपयोग करें कि संवृत पाश पर एक स्थिरवैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है]।
उत्तर:
हल – (a) चित्र में दर्शाये अनुसार माना LM आवेशित पृष्ठ है, जिसके दो सिरे हैं आवेशित पृष्ठ का एक छोटा अवयव ∆S बन्द किए हुए बेलन गाउसीय पृष्ठ है।
चित्र से यह स्पष्ट है कि \overrightarrow{\mathrm{E}_1} चालक के अन्दर है। हमें यह भी ज्ञात है कि चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र का मान शून्य होता है।
या चालक के ठीक बाहर विद्युत क्षेत्र = \(\frac{\sigma}{\epsilon_0} \cdot \hat{n}\)
(b) माना मूल पर बिन्दु आवेश q के क्षेत्र में ∠aMb एक पृष्ठ है।
माना बिन्दु L और M के स्थिति सदिश क्रमशः rL व’ rM हैं। माना बिन्दु p पर विद्युत क्षेत्र E है। इस प्रकार E cos θ विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) का स्पर्शीय घटक है।
अतः संवृत पाश पर एक स्थिर वैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।
प्रश्न 2.17
रैखिक आवेश घनत्व λ वाला एक लंबा आवेशित बेलन एक खोखले समाक्षीय चालक बेलन द्वारा घिरा है। दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विद्युत क्षेत्र कितना है?
उत्तर:
हल- खोखले समाक्षीय बेलन चालक की त्रिज्याओं की यहाँ पर हम r1 तथा r2 लेते हैं और उसकी लम्बाई l है। आंतरिक बेलन रैखिक आवेश घनत्व λ से आवेशित है और यह r2 त्रिज्या के बाह्य बेलन से घिरा है। हम दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विद्युत क्षेत्र में जानना चाहते हैं।
यदि आंतरिक बेलन पर q आवेश है, तब q= λl प्रेरण से (स्थिर वैद्युत) खोखले बेलन पर – q आवेश उत्प्रेरित होता है तथा इसके बाहरी पृष्ठ पर + q आवेश उत्प्रेरित होता है, जो सुयोजित है। माना दोनों बेलनों
के बीच के स्थान में जिसमें \( \overrightarrow{\mathrm{E}}\) ज्ञात करना है, XX’ अक्ष से दूरी पर बिन्दु P है। यहाँ पर हम r त्रिज्या का एक l लम्बाई का गाउसीय बेलन खींचते हैं। P बिन्दु इसके
पृष्ठ पर स्थित है। गाउसीय पृष्ठ आवृत्त आवेश
q = λl है।
बेलन सममिति के कारण बेलन के पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत
क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) एक समान है। इसके परिमाण में बेलन पर खींचे अभिलम्ब दिशा में बाहर की ओर गाउसीय पृष्ठ के वक्रीय पृष्ठ के क्षेत्रफल q= 2πrl
बिन्दु P पर वक्र पृष्ठ के क्षेत्रफल का एक अवयव ds लेते हैं। यदि ds में से विद्युत अभिवाह dΦ है, तब परिभाषा से
प्रश्न 2.18.
एक हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन लगभग 0.53 À दूरी पर परिबद्ध हैं-
(a) निकाय की स्थितिज ऊर्जा का eV में परिकलन कीजिए, जबकि प्रोटॉन से इलेक्ट्रॉन के मध्य की अनंत दूरी पर स्थितिज ऊर्जा को शून्य माना गया है।
(b) इलेक्ट्रॉन को स्वतंत्र करने में कितना न्यूनतम कार्य करना पड़ेगा, यदि यह दिया गया है कि इसकी कक्षा में गतिज ऊर्जा (a) में प्राप्त स्थितिज ऊर्जा के परिमाण की आधी है?
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा को 1.06 Á पृथक्करण पर शून्य ले लिया जाए तो, उपर्युक्त (a) और (b) के उत्तर क्या होंगे?
उत्तर:
हल- यहाँ पर इलेक्ट्रॉन पर आवेश q1 = – 1.6 × 10-19 C
प्रोटॉन पर आवेश q2 = 1.6 × 10-19 C
हाइड्रोजन परमाणु की त्रिज्या r = q1 तथा r2 के बीच की दूरी दोनों आवेशों के मध्य दूरी = 0.53Å
= 0.53 × 10-10 m
(a) यदि विभव ऊर्जा को अनन्त पृथक्कीकरण पर शून्य लिया जाये तब
(b) गतिज ऊर्जा K. E. = \(\frac{1}{2}\) × 27. 2eV
= 13.6 ev
कुल ऊर्जा = गतिज ऊर्जा + विभव ऊर्जा
= 13.6 eV + (- 27.2 eV)
= – 13.6 ev
इलेक्ट्रॉन को स्वतन्त्र करने में किया गया कार्य का मान
= -(- 13.6 eV) = 13.6 ev
(c) विभव ऊर्जा का मान 1.06 A के पृथक्करण पर
= \(\frac{-9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 1.6 \times 10^{-19}}{1.06 \times 10^{-10}} \mathrm{~J}\)
= \(\frac{-9 \times 10^9 \times 1.6 \times 10^{-19}}{1.06 \times 10^{-10}} \mathrm{eV}\)
[∵1eV = 1.6 ×10-19
= -13.6 eV
यदि स्थितिज ऊर्जा को 1.06 A पृथक्करण पर शून्य लिया जाये तब निकाय की विभव ऊर्जा का मान होगा-
= – 27.2 eV – (- 13.6 eV)
= – 27.2 eV + 13.6 eV
= – 13.6 ev
अतः किया गया कार्य होगा-
= – (- 13.6 eV) = 13.6 eV उत्तर
इस स्थिति में भी इलेक्ट्रॉन को स्वतंत्र करने के लिए आवश्यक न्यूनतम 13.6 eV होगी।
प्रश्न 2.19.
यदि H2 अणु के दो में से एक इलेक्ट्रॉन को हटा दिया जाए तो हमें हाइड्रोजन आणविक आयन \(\left(\mathbf{H}_2^{+}\right)\) प्राप्त होगा। \(\left(\mathbf{H}_2^{+}\right)\) की निम्नतम अवस्था (ground state) में दो प्रोटॉन के बीच दूरी लगभग 1.5A है और इलेक्ट्रॉन प्रत्येक प्रोटॉन से लगभग 1 A की दूरी पर है। निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। स्थितिज ऊर्जा की शून्य स्थिति के चयन का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
हल दिया गया है-
q1 = – 1.6 × 10-19 C,
q2 = q3 = 1.6 × 10-19 C,
r12 = 1 A = 10-10m, r23 = 1.5 A
= 1.5 × 10-10 m
r31 = 1 A
यदि अनन्त पर विभव ऊर्जा को शून्य लिया गया हो तब विभव ऊर्जा का मान होगा
विभव ऊर्जा का शून्य अनन्त पर लिया गया है।
प्रश्न 2.20
a और b त्रिज्याओं वाले दो आवेशित चालक गोले एक तार द्वारा एक-दूसरे से जोड़े गए हैं। दोनों गोलों के पृष्ठों पर विद्युत क्षेत्रों में क्या अनुपात है? प्राप्त परिणाम को, यह समझाने में प्रयुक्त कीजिए कि किसी एक चालक के तीक्ष्ण और नुकीले सिरों पर आवेश घनत्व, चपटे भागों की अपेक्षा अधिक क्यों होता है।
उत्तर:
हल – नीचे चित्र में दोनों गोले तार द्वारा जुड़े हैं और दोनों का विभव समान होगा।
अब हमें सिद्ध करना है कि आवेश का पृष्ठ घनत्व
\(\propto \frac{1}{\text { वक्रता त्रिज्या }\)
किसी भी आवेशित चालक का तल समविभव होता है। माना कि आवेशित चालक के अलगअलग भागों की वक्रता त्रिज्यायें R तथा r हैं लेकिन विभव समान है। अतः समीकरण (1) से
= \(\frac{\sigma_1}{\sigma_2}=\frac{\epsilon_0 \mathrm{~V} / \mathrm{R}}{\epsilon_0 \mathrm{~V} / \mathrm{r}}=\frac{\mathrm{r}}{\mathrm{R}}\)
अर्थात् नुकीले बिन्दुओं पर आवेश घनत्व अधिक है।
प्रश्न 2.21.
बिंदु (0,0,-a) तथा (0,0, a) पर दो आवेश क्रमशः -q और +q स्थित हैं।
(a) बिंदुओं (0,0, z) और (x, y, 0) पर स्थिरवैद्युत विभव क्या है?
(b) मूल बिंदु से किसी बिंदु की दूरी r पर विभव की निर्भरता ज्ञात कीजिए, जबकि r/a>> 1 है।
(c) x-अक्ष पर बिंदु (5,0,0)$ से बिंदु (-7,0,0) तक एक परीक्षण आवेश को ले जाने में कितना कार्य करना होगा? यदि परीक्षण आवेश के उन्ह्री बिंदुओं के बीच x-अक्ष से होकर न ले जाएँ तो क्या उत्तर बदल जाएगा?
उत्तर:
हल-(a) बिन्दु (0,0,-a) तथा (0,0, z) के बीच की दूरी
बिन्दु (0,0, a) तथा (0,0, z) के बीच की दूरी
= \(\sqrt{0+0+(z-a)^2}\)
= z – a
बिन्दु (0,0, z) पर – q आवेश के कारण विभव
= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \times \frac{-q}{z+a}\)
बिन्दु (0,0, z) पर + q आवेश के कारण विभव
= \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \times \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{z}-\mathrm{a}}\)
बिन्दु (0,0, z) पर कुल विभव
पुनः बिन्दुओं (0,0,-a) और (x, y, 0) के मध्य दूरी
= \(\sqrt{x^2+y^2+a^2}\)
बिन्दु (0,0, a) तथा (x, y, 0) के बीच की दूरी
= \(\sqrt{x^2+y^2+a^2}\)
यहाँ पर दोनों दूरियाँ समान हैं और आवेश समान और विपरीत है। इसलिए कुल विभव बिन्दु (x, y, 0) पर शून्य है।
अतः वैद्युत विभव, दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती है।
(c) बिन्दु P(5,0,0) तथा Q(-7,0,0) द्विध्रुव की निरक्षीय स्थिति में होंगे अतः इन पर विद्युत विभव शून्य होगा। इसलिए परीक्षण आवेश q0 को P से Q तक ले जाने में कुल कार्य
W = q0(VQ-Vp) = q0 × 0 = 0 नहीं, क्योंकि दो बिन्दुओं के मध्य स्थिर वैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य बिन्दुओं के मिलाने वाले मार्ग से स्वतन्त्र है अर्थात् पथ पर निर्भर नहीं करता।
प्रश्न 2.22.
नीचे दिए गए चित्र में एक आवेश विन्यास जिसे विद्युत चतुर्भुवी कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुर्भुवी के अक्ष पर स्थित किसी बिंदु के लिए r पर विभव की निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ r/a>>1। अपने परिणाम की तुलना एक विद्युत द्विध्रुव व विद्युत एकल धुव (अर्थात् किसी एकल आवेश) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।
वैद्युत द्विध्रुव के कारण अक्षीय स्थिति में दीर्घ दूरियों के लिए
V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{r}^2}\)
∴V∝ \frac{1}{r^2}[/latex]
एकल द्विध्रुव के कारण विभव
V = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}}\)
∴V∝\(\frac{1}{\mathrm{r}}\)
स्पष्ट है कि चतुर्ध्रुवी के कारण विभव द्विध्रुव एवं एकल के विभव की अपेक्षा अधिक तेजी से घटता है।
प्रश्न 2.23.
एक वैद्युत टैक्नीशियन को 1 kV विभवांतर के परिपथ में 2 µF संधारित्र की आवश्यकता है। 1 µF के संधारित्र उसे प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं जो 400 V से अधिक का विभवांतर वहन नहीं कर सकते। कोई संभव विन्यास सुझाइए जिसमें न्यूनतम संधारित्रों की आवश्यकता हो ।
उत्तर:
हल माना कि टैक्नीशियन N संधारित्र उपयोग करता है और उन्हें m पंक्तियों में व्यवस्थित करता है तथा प्रत्येक पंक्ति में n संधारित्र लगे हुए हैं।
N=m.n
प्रत्येक संधारित्र की धारिता = 1 µF और प्रत्येक संधारित्र 400 V वहन कर सकता है।
1000 V विभवान्तर के परिपथ में परिणामी धारिता = 2 µF पंक्ति में श्रेणीक्रम में व्यवस्थित n संधारित्रों की धारिता
= \(\frac{C}{n}=\frac{1}{n} \mu F\)
∴C = 1µF
पार्श्वक्रम (समान्तर क्रम में) में ऐसे m संयोजन हैं।
परिणामी धारिता = \(\frac{\mathrm{mC}}{\mathrm{n}}=\frac{\mathrm{m}}{\mathrm{n}}\) = 2µF
एक संधारित्र के लिए विभवांतर = 400 V श्रेणीक्रम में n संधारित्रों के लिए विभवान्तर
nV = 1000
या n x 400 = 1000
या n = 2.5 = 3 तथा m = 6
1 µF वाले 18 संधारित्रों को 6 समान्तर पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाता है। प्रत्येक पंक्ति में 3 संधारित्र श्रेणीक्रम में लगे हैं। प्रत्येक संधारित्र पर 333 वोल्ट प्राप्त होंगे जबकि उनकी वहन क्षमता 400 वोल्ट है।
प्रश्न 2.24.
2 F वाले एक समांतर पट्टिका संधारित्र की पट्टिका का क्षेत्रफल क्या है, जबकि पट्टिकाओं का पृथकन 0.5 cm है ? [अपने उत्तर से आप यह समझ जाएँगे कि सामान्य संधारित्र µF या कम परिसर के क्यों होते हैं? तथापि विद्युत अपघटन संधारित्रों (Electrolytic capacitors) की धारिता कहीं अधिक (0.1 F) होती है क्योंकि चालकों के बीच अति सूक्ष्म पृथकन होता है] हल दिया गया है-
उत्तर:
C = 2F, d = 0.5 cm
d = 5 × 10-3 m
A = ?
∈0 = 8.854 × 10-12S.I unit
सूत्र = C =\( \frac{\epsilon_0 A}{d}\)
या = A = \(\frac{\mathrm{Cd}}{\epsilon_0}\)
मान रखने पर A = \(\frac{2 \times 5 \times 10^{-3}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
A = 1.13 × 109 m2
= 1130 Km2
जो कि अत्यधिक है। यही कारण है कि सामान्य संधारित्रों की धारिता µF की कोटि की होती है।
प्रश्न 2.25.
चित्र के नेटवर्क (जाल) की तुल्यधारिता प्राप्त कीजिए। 300 V संभरण (सट्लाई) के साथ प्रत्येक संधारित्र का आवेश व उसकी वोल्टता ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
C1 = C4 = 100 pF
C2 = C3 = 200 pF
C2 तथा C3 श्रेणीक्रम में हैं।
प्रभावी धारिता \(\frac{1}{C_{23}}=\frac{1}{\mathrm{C}_2}+\frac{1}{\mathrm{C}_3}\)
⇒ \(\frac{1}{\mathrm{C}_{23}}=\frac{1}{200}+\frac{1}{200}=\frac{2}{200}=\frac{1}{100}\)
⇒ C3 = 100 pF
C1 तथा C23 पार्श्वक्रम में हैं, प्रभावी धारिता C अर्थात् A व B के मध्य धारिता
C’ = C1 + C23 = 100 + 100
C’ = 200 pF
अतः जाल की तुल्यधारिता
C = \(\frac{220}{3} \mathrm{pF}=\frac{200}{3} \times 10^{-12} \mathrm{~F}\)
संयोजन पर संचित कुल आवेश q = CV = \(\frac{200}{3}\) × 10-12 × 300
या q = 2 × 10-8C
इसलिए C4 पर संचित आवेश = q = 2 × 10-8C
C2 व C3 पर संचित आवेश परिमाण में समान होंगे
अर्थात् q2 = q3
इसलिए q1 + q2 = 2 × 10-8C ……………..(1)
चूँकि VAB = \(\frac{q_1}{C_1}=\frac{q_2}{C_{23}}\)
\(\frac{q_1}{100}=\frac{q_2}{100}\) ⇒ q1 = q2
समीकरण (i) से
q1 + q1 = 2 × 10-8C या 2q1 = 2 × 10-8C
⇒ q1 = 1 × 10-8C
इसलिए q2 = q3 = q1 = 1 × 10-8C
चूँकि V = \(\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{C}}\)
∴ V1= \(\frac{q_1}{C_1}=\frac{1 \times 10^{-8}}{100 \times 10^{-12}}\)
V1 = 100V
V2 = \( \frac{\mathrm{q}_2}{\mathrm{C}_2}=\frac{1 \times 10^{-8}}{200 \times 10^{-12}}=50 \mathrm{~V}\)
इसी प्रकार V3 = \( \frac{\mathrm{q}_3}{\mathrm{C}_3}\) = 50V
V4 = \( \frac{\mathrm{q}_4}{\mathrm{C}_4}=\frac{2 \times 10^{-8}}{200 \times 10^{-12}}\) = 200V
अतः संयोजन की धारिता = \( \frac{200}{3}\) pF
C1 पर संचित आवेश = 1 × 10-8C और विभवान्तर = 100V
C2 पर संचित आवेश = 1 × 10-8C और विभवान्तर = 50V
C3 पर संचित आवेश = 1 × 10-8C और विभवान्तर = 50V
C4 पर संचित आवेश = 2 × 10-8C और विभवान्तर = 200V
प्रश्न 2.26.
किसी समांतर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल 90 cm2 है और उनके बीच पृथकन 2.5 mm है। 400 V संभरण से संधारित्र को आवेशित किया गया है।
(a) संधारित्र कितना स्थिरवैद्युत ऊर्जा संचित करता है?
(b) इस ऊर्जा को पट्टिकाओं के बीच स्थिरवैद्युत क्षेत्र में संचित समझकर प्रति एकांक आयतन ऊर्जा $u$ ज्ञात कीजिए। इस प्रकार, पट्टिकाओं के मध्य विद्युत क्षेत्र u के परिमाण और u में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
प्रत्येक पटिटका का क्षेत्रफल (A) = 90 cm2
= 90 × 10-4 m2
पटिटकाओं के बीच की दुरी
(d) 2.5 mm = 2.5 × 10-3 m
V = 400 Volt
हम जानते हैं U = ?, u = ? u व E के मध्य सम्बन्ध = ?
समान्तर पट्टिका संधारित्र की धारिता
(C) = \(\frac{\epsilon_0 A}{d}\)
(a) संधारित्र में संचित ऊर्जा
U = \(\frac{1}{2}\)CV2
= \(\frac{1}{2} \frac{\epsilon_0 A}{\mathrm{~d}} \mathrm{~V}^2\) (धारिता C का मान रखने पर)
= \(\frac{\epsilon_0 \mathrm{AV}^2}{2 \mathrm{~d}}\)
मान रखने पर-
\(\frac{8.854 \times 10^{-12} \times 90 \times 10^{-4} \times 400 \times 400}{2 \times 2.5 \times 10^{-3}}\)
∴ U = 2. 55 × 10-6J
संधारित्र के प्रति एकांक आयतन में संचित ऊर्जा, जिसे ऊर्जा घनत्व कहते हैं।
(b) u = \(\frac{\text { ऊर्जा }}{\text { आयतन }}\)
u = \(\frac{\frac{1}{2} \mathrm{CV}^2}{\mathrm{Ad}}\) = \(\frac{2.55 \times 10^{-6}}{90 \times 10^{-4} \times 2.5 \times 10^{-3}}\)
= 0. 113 J/m3
विद्युत क्षेत्र E के परिमाण और u में सम्बन्ध
पुनः चूँकि u = \(\frac{\frac{1}{2} \mathrm{CV}^2}{\mathrm{Ad}}=\frac{\frac{1}{2} \frac{\in_0 A}{d} V^2}{A d}=\frac{1}{2} \in_0\left(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{d}}\right)^2\)
= \(\frac{1}{2} \in_0 E^2 \text { (क्योंकि } E=\frac{V}{d} \text { ) }\)
प्रश्न 2.27.
एक 4 µF के संधारित्र को 200 V संभरण (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर संभरण से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित 2 µF के संधारित्र से जोड़ा जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिरवैद्युत ऊर्जा का ऊष्मा और वैद्युत-चुंबकीय विकिरण के रूप में हास होता है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
C1 = 4 µF = 4 × 10-6F
V1 = 200 Volt
C2 = 2µF = 2 × 10-6F
V2 = 0
दोनों को जोड़ने पर ऊर्जा में ह्यस
प्रश्न 2.28.
दर्शाइए कि एक समांतर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर बल का परिमाण 1/2 QE है, जहाँ Q संधारित्र पर आवेश है और E पट्टिकाओं के बीच विद्युत क्षेत्र का परिमाण है। घटक 1/2 के मूल को समझाइए।
उत्तर:
हल-यदि पट्टिका पर बल F हो तो दोनों पट्टिकाओं को ∆x दूरी से पृथक् करने में किया गया कार्य
= F . ∆x ……………(1)
यह कार्य पट्टिकाओं की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि करेगा। यदि इकाई आयतन में संचित ऊर्जा u तथा पट्टिका का क्षेत्रफल A है तो संचित ऊर्जा
= U × A × ∆x …………..(2)
जहाँ पर A × ∆x = आयतन वृद्धि और A अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल है।
समीकरण (1) तथा (2) की तुलना करने पर
F = AU
= \(\frac{1}{2} \epsilon_0 E^2 A\)
∵ U = \(\frac{1}{2} \epsilon_0 \mathrm{E}^2\)
= \(\frac{1}{2} \in_0 \mathrm{E} \times \mathrm{AE}=\frac{1}{2} \sigma \mathrm{AE}\)
∵σ = ∈0E
= \(\frac{1}{2}\)QE
∵σ = \(\frac{Q}{A}\)
घटक \(\frac{1}{2}\) का भौतिक उद्गम इस बात में निहित है कि चालक के ठीक बाहर क्षेत्र E व अन्दर शून्य होता है। अतः विद्युत क्षेत्र का औसत मान अर्थात् \(\frac{E}{2}\) बल में अपना योगदान करता है, जिसके विरुद्ध पट्टिकाओं को सरकाया जाता है।
प्रश्न 2.29.
दो संकेंद्री गोलीय चालकों जिनको उपयुक्त विद्युतरोधी आलंबों से उनकी स्थिति में रोका गया है, से मिलकर एक गोलीय संधारित्र बना है (देखें चित्र)। दर्शाइए कि गोलीय संधारित्र की धारिता C इस प्रकार व्यक्त की जाती है-
उत्तर:
C = \(c\frac{4 \pi \epsilon_0 r_1 r_2}{r_1-r_2}\)
यहाँ r1 और r2 क्रमशः बाहरी तथा भीतरी गोलों की त्रिज्याएँ है।
हल-आन्तरिक गोले पर विभव का मान, V1=(+Q आवेश के कारण विभव) + (- Q आवेश के कारण विभव)
⇒ V1 = \(\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0 r_2}-\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0 r_1}\)
V1 = \(\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0}\left(\frac{1}{r_2}-\frac{1}{r_1}\right)=\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0} \times\left(\frac{r_1-r_2}{r_1 r_2}\right)\)
यहाँ पर बाहरी गोला पृथ्वी के सम्पर्क में है। इस कारण से विभव V2 का मान शून्य होगा। अतः विभवान्तर का मान
V = V1 – V2
V = V1 – 0 = V1
∴ V = \(\frac{Q}{4 \pi \epsilon_0} \times\left(\frac{r_1-r_2}{r_1 r_2}\right)\)
C = \(\frac{\mathrm{Q}}{\mathrm{V}}\)
= \(\frac{4 \pi \epsilon_0 r_1 r_2}{\left(r_1-r_2\right)}\)
यह गोलीय संधारित्र की धारिता का व्यंजक है। यदि दोनों गोलों के मध्य रिक्त स्थान में ∈r परावैद्युतांक का पदार्थ भरा हो तो धारिता
= Cm = \(\frac{4 \pi \epsilon_0 \epsilon_{\mathrm{r}} \mathrm{r}_1 r_2}{\mathrm{r}_1-\mathrm{r}_2}\)
प्रश्न 2.30.
एक गोलीय संधारित्र के भीतरी गोले की त्रिज्या 12 cm तथा बाहरी गोले की त्रिज्या 13 cm है। बाहरी गोला भू-संपर्कित है तथा भीतरी गोले पर 2.5 µC का आवेश दिया गया है। संकेंद्री गोलों के बीच के स्थान में 32 परावैद्युतांक का द्रव भरा है।
(a) संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
(b) भीतरी गोले का विभव क्या है?
(c) इस संधारित्र की धारिता की तुलना एक 12 cm त्रिज्या वाले किसी वियुक्त गोले की धारिता से कीजिए। व्याख्या कीजिए कि गोले की धारिता इतनी कम क्यों है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
गोले की आन्तरिक त्रिज्या r2 = 12 cm.
r2 = 12 × 10-2 m.
बाहरी गोले की त्रिज्या r1 = 13 cm.
r1 = 13 × 10-2 m.
आंतरिक गोले पर आवेश (Q) = 2.5 µC
Q = 2.5 × 10-6C
दो गोलों के बीच भरे द्रव का परावैद्युतांक = K = 32
(a) माना धारित्र की धारिता = C = ?
गोलीय धारित्र की धारिता के सम्बन्ध का प्रयोग करने पर
C = \(4 \pi \epsilon_0 K \frac{r_1 r_2}{\left(r_1-r_2\right)}\)
मान रखने पर = \(\frac{1}{9 \times 10^9} \times \frac{32 \times 12 \times 10^{-2} \times 13 \times 10^{-2}}{\left(13 \times 10^{-2}-12 \times 10^{-2}\right)}\)
= \(\frac{32 \times 13 \times 12 \times 10^{-2}}{9 \times 10^9}\)
= 554.67 × 10-11 = 5.5467 × 10-9 F
= 5.55 × 10-9F
अतः स्पष्ट है कि C'<<C’
वियुक्त गोले की धारिता का मान गोलीय संधारित्रों की धारिता से बहुत कम है। इसके दो कारण हो सकते हैं-
(i) परावैद्युतांक धारिता के मान को बढ़ाता है।
(ii) गोले को भू-संपर्कित करने पर विभव में कमी आती है तथा धारिता में वृद्धि होती है।
प्रश्न 2.31.
सावधानीपूर्वक उत्तर दीजिए-
(a) दो बड़े चालक गोले जिन पर आवेश Q1 और Q2 हैं, एक- दूसरे के समीप लाए जाते हैं। क्या इनके बीच स्थिरवैद्युत बल का परिमाण तथ्यतः = \(\frac{Q_1 Q_2}{4 \pi \epsilon_0 \mathrm{r}^2}\)
द्वारा दर्शाया जाता है, जहाँ इनके केन्द्रों के बीच की दूरी है?
(b) यदि कूलॉम के नियम में \(1 / r^3\) निर्भरता का समावेश (\(1 / r^2\) के स्थान पर) हो तो क्या गाउस का नियम अभी भी सत्य होगा ?
(c) स्थिरवैद्युत क्षेत्र विन्यास में एक छोटा परीक्षण आवेश किसी बिंदु पर विराम में छोड़ा जाता है। क्या यह उस बिंदु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा?
(d) इलेक्ट्रॉन द्वारा एक वृत्तीय कक्षा पूरी करने नाभिक के क्षेत्र द्वारा कितना कार्य किया जाता है? यदि कक्षा दीर्घवृत्ताकार हो तो क्या होगा?
(e) हमें ज्ञात है कि एक आवेशित चालक के पृष्ठ विद्युत क्षेत्र असंतत होता है क्या वहाँ वैद्युत विभव भी असंतत होगा?
(f) किसी एकल चालक की धारिता से आपका क्या अभिप्राय है?
(g) एक संभावित उत्तर की कल्पना कीजिए कि पानी का परावैद्युतांक (= 80), अभ्रक के परावैद्युतांक (= 6) से अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
(a) दो आवेशों q1 व q2 के बीच स्थिर वैद्युत बल का व्यंजक
F = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{\mathrm{r}^2}\) से दिया जाता है, जबकि दोनों आवेश q1 तथा q2 बिन्दु आवेश हैं यह व्यंजक बड़े गोलीय चालकों के लिए सही नहीं है। यह इसलिए है कि जब बड़े गोलों को निकट सम्पर्क में लाया जाता है तो आवेश आबंटन एकसमान नहीं रहता ।
(b) नहीं, यदि कूलॉम के नियम की निर्भरता \(\frac{1}{r^3}\) है पर है तो गाउस का नियम लागू नहीं होता। चूँकि गाउस का नियम केवल तभी तक सत्य है जब तक कि कूलॉम के नियम में निर्भरता \(\left(\frac{1}{r^2}\right) \) है।
(c) चूँकि यहाँ पर प्रारम्भिक वेग शून्य है, इस कारण से परीक्षण आवेश उस बिन्दु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा।
(d) किया गया कार्य कक्षा की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है और
बन्द मार्ग के लिए \(\oint \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \mathrm{dl}\) = 0
∴ W = O
यही अण्डाकार कक्षा के लिए भी सत्य है अर्थात् अण्डाकार कक्षा में W = 0
(e) नहीं, किसी आवेशित चालक के पृष्ठ पर विभव असंतत नहीं होता । वहाँ यह संतत है। E शून्य हो सकता है परन्तु V स्थिर रहता है।
(f) एकल चालक की धारिता होती है। यह वह धारित्र है जिसकी एक पट्टिका अनंत पर है।
(g) पानी के अणु ध्रुवीय होते हैं जबकि अभ्रक के अध्रुवीय पानी के अणुओं में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण है। अतः पानी का परावैद्युतांक अभ्रक आदि के परावैद्युतांक से कहीं अधिक होता है।
प्रश्न 2.32.
एक बेलनाकार संधारित्र में 15 cm लंबाई एवं त्रिज्याएँ 1.5 cm तथा 1.4 cm के दो समाक्ष बेलन हैं। बाहरी बेलन भू-संपर्कित है और भीतरी बेलन को 3.5 µC का आवेश दिया गया है। निकाय की धारिता और भीतरी बेलन का विभव ज्ञात कीजिए अंत्य प्रभाव (अर्थात् सिरों पर क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना) की उपेक्षा कर सकते हैं।
उत्तर:
हल दिया गया है-
समाक्षीय बेलनों की लम्बाई = l
∴ l = 15 cm = 15 × 10-2 m
आन्तरिक बेलन की त्रिज्या = r1 = 1.4 cm = 1.4 × 10-2 m
बाह्य बेलन की त्रिज्या = r2 = 1.5 cm = 1.5 × 10-2 m
आन्तरिक बेलन पर आवेश q= 3.5 µC
= 3.5 × 10-6 C
माना निकाय की धारिता का मान C है।
आन्तरिक बेलन का विभव = V = ?
बेलनाकार धारित्र की धारिता का सूत्र
चूँकि बाह्य बेलन को पृथ्वी से सम्पर्क किया गया है, अतः आन्तरिक बेलन का विद्युत विभव दोनों बेलनों के मध्य विभवान्तर के बराबर होगा।
प्रश्न 2.33.
3 परावैद्युतांक तथा 107 V m-1 की परावैद्युत सामर्थ्य वाले एक पदार्थ से 1 KV वोल्टता अनुमतांक के समांतर पट्टिका संधारित्र की अभिकल्पना करनी है। [परावैद्युत सामर्थ्य वह अधिकतम विद्युत क्षेत्र है जिसे कोई पदार्थ बिना भंग हुए अर्थात् आंशिक आयनन द्वारा बिना वैद्युत संचरण आरंभ किए सहन कर सकता है] सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र को कभी भी परावैद्युत सामर्थ्य के 10\% से अधिक नहीं होना चाहिए। 50 pF धारिता के लिए पट्टिकाओं का कितना न्यूनतम क्षेत्रफल होना चाहिए?
उत्तर:
हल-दिया गया है कि सुरक्षा की दृष्टि से क्षेत्र को कभी भी परावैद्युत सामर्थ्य के 10\% से अधिक नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 2.34.
व्यवस्थात्मकतः निम्नलिखित में संगत समविभव पृष्ठ का वर्णन कीजिए-
(a) z-दिशा में अचर विद्युत क्षेत्र
(b) एक क्षेत्र जो एकसमान रूप से बढ़ता है, परंतु एक ही दिशा ( मान लीजिए 2- दिशा) में रहता है।
(c) मूल बिंदु पर कोई एकल धनावेश, और
(d) एक समतल में समान दूरी पर समांतर लंबे आवेशित तारों से बने एकसमान जाल ।
उत्तर:
हल – (a) 2-दिशा में कार्यरत स्थिर विद्युत क्षेत्र के लिए सम- विभवतल चित्र में दिखाये अनुसार xy तल के समान्तर पृष्ठ होंगे।
(b) वैसे ही जैसा (a) में सिवाय इसके कि निश्चित विभवान्तर वाले तल आपस में, जब क्षेत्र बढ़ता है, पास-पास आ जाते हैं।
(c) मूल बिन्दु पर एकल धनात्मक आवेश के लिए समविभव पृष्ठ मूल बिन्दु के समकेन्द्रिक गोले होंगे जिनका केन्द्र मूल बिन्दु पर होगा।
(d) ग्रिड (जाल) के समीप समय समय पर बदलती प्रकृति जो शनैः शनैः ग्रिड से बहुत दूर समान्तर समतलों में बदल जाती है।
प्रश्न 2.35.
r,1 त्रिज्या तथा 1 आवेश वाला एक छोटा गोला, A, r2 त्रिज्या और q2 आवेश के गोलीय खोल दर्शाइए यदि q1 धनात्मक है तो (जब दोनों को
(कोश) से घिरा है। एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है) आवश्यक रूप से आवेश, गोले से खोल की तरफ ही प्रवाहित होगा, चाहे खोल पर आवेश q2 कुछ भी हो।
अतः आवेश A से B गोले में प्रवाहित होगा। V,A – VB के व्यंजन में विलोपित हो गया है अतः गोले को कोश से तार द्वारा जोड़ने पर दोनों एक चालक की तरह व्यवहार करेंगे। फलस्वरूप आवेश गोले से कोश की ओर ही प्रवाहित होगा चाहे 92 का मान कुछ भी क्यों न हो।
प्रश्न 2.36.
निम्न का उत्तर दीजिए-
(a) पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष वायुमंडल की ऊपरी परत लगभग 400kV पर है, जिसके संगत विद्युत क्षेत्र ऊँचाई बढ़ने के साथ कम होता है। पृथ्वी के पृष्ठ के समीप विद्युत क्षेत्र लगभग 100 V m-1है। तब फिर जब हम घर से बाहर खुले में जाते हैं, तो हमें विद्युत आघात क्यों नहीं लगता? (घर को लोहे का पिंजरा मान लीजिए, अतः उसके अंदर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं है!)
(b) एक व्यक्ति शाम के समय अपने घर के बाहर 2m ऊँचा अवरोधी पट्ट रखता है जिसके शिखर पर एक 1 m2 क्षेत्रफल की बड़ी ऐलुमिनियम की चादर है। अगली सुबह वह यदि धातु की चादर को छूता है तो क्या उसे विद्युत आघात लगेगा?
(c) वायु की थोड़ी-सी चालकता के कारण सारे संसार में औसतन वायुमंडल में विसर्जन धारा 1800 A मानी जाती है। तब यथासमय वातावरण स्वयं पूर्णतः निरावेशित होकर विद्युत उदासीन क्यों नहीं हो जाता? दूसरे शब्दों में वातावरण को कौन आवेशित रखता है?
(d) तड़ित के दौरान वातावरण की विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा के किन रूपों में क्षयित होती है?
[ संकेत – पृष्ठ आवेश घनत्व = 10-9 Cm2 ” के अनुरूप पृथ्वी के (पृष्ठ) पर नीचे की दिशा में लगभग 100V m-1 का विद्युत क्षेत्र होता है। लगभग 50 km ऊँचाई तक (जिसके बाहर यह अच्छा चालक है) वातावरण की थोड़ी सी चालकता के कारण लगभग +1800 C का आवेश प्रति सेकंड समग्र रूप से पृथ्वी में पंप होता रहता है। तथापि, पृथ्वी निरावेशित नहीं होती, क्योंकि संसार में हर समय लगातार तड़ित तथा तडित झंझा होती रहती है, जो समान मात्रा में ऋणावेश पृथ्वी में पंप कर देती है ।]
उत्तर:
(a) हमारा शरीर तथा पृथ्वी समविभव पृष्ठ बनाते हैं, जिसका अर्थ है कि पृथ्वी व शरीर का विभव एक ही होता है और उनमें कोई विभवान्तर नहीं होता। इसलिए जब हम घर से बाहर खुले में आते हैं तो बाहर की खुली वायु का आरम्भिक समविभव पृष्ठ शरीर को इस प्रकार आवेशित करता है कि सिर और पृथ्वी का विभव समान रहता है। इस प्रकार शरीर में से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती और इसलिए हमें किसी विद्युत झटके का अनुभव नहीं होता।
(b) हाँ, वायुमण्डल में अपरिवर्ती विसर्जन धारा धीरे-धीरे ऐलुमिनियम की चादर को आवेशित करके उस सीमा तक इसके विभव को बढ़ाती है, जो संधारित्र (जो चादर, स्लेब और पृथ्वी सतह से बना है) की धारिता के ऊपर निर्भर है।
(c) सम्पूर्ण पृथ्वी पर वायुमण्डल लगातार तड़ित और झंझावतों से निरन्तर आवेशित होता रहता है और इससे सामान्य मौसम की स्थिति में सामंजस्य रहता है। अतः वायुमण्डल वैद्युतीय रूप से तटस्थ नहीं रह सकता।
(d) तड़ित में प्रकाश ऊर्जा अंतर्निहित है और संलग्न गर्जन में ऊष्मा तथा ध्वनि ऊर्जा है।