Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 4 गतिमान आवेश और चुंबकत्व
प्रश्न 4.1.
तार की एक वृत्ताकार कुण्डली में 100 फेरे हैं। प्रत्येक की त्रिज्या 8.0 है और इसमें 0.40 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
वृत्ताकार कुण्डली में फेरे की संख्या = N = 100
प्रत्येक की त्रिज्या =r = 8.0 cm = 8 × 10-2 m
वृत्तीय कुण्डलिनी में धारा = I = 0.40 A
कुण्डलिनी के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण = ?
B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{2 \mathrm{r}}\)
मान रखने पर B = \( \frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 100 \times 0.4}{2 \times 8.0 \times 10^{-2}} \mathrm{~T}\)
= π × 10-4 T = 3. 14 × 10-4
प्रश्न 4.2.
एक लम्बे, सीधे तार में 35 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। तार से 20 cm दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
सीधे तार में प्रवाहित धारा का मान = I = 35 A
सीधे तार से बिन्दु की दूरी = r = 20 cm
r = 20 × 10-2 m
चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण = B = ?
B = \(\frac{\mu_0 I}{2 \pi \mathrm{r}}\)
मान रखने पर = B = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 35}{2 \pi \times 20 \times 10^{-2}}\)
= 3.5 × 10-5 T
प्रश्न 4.3.
क्षैतिज तल में रखे एक लम्बे सीधे तार में 50 A विद्युत धारा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के पूर्व में 2.5 m दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण और उसकी दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया हैं-
लम्बे तार में धारा उत्तर से
दक्षिण की ओर = I = 50 A
तार से लम्बवत् दूरी r = 2. 5 m
चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण
B = [/latex]\frac{\mu_0 \mathrm{I}}{2 \pi}
मान रखने पर B = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 50}{2 \pi \times 2.5}\) = 4 × 10-6T
B की दिशा-ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर (सीधे हाथ के अंगूठे के नियम से)
प्रश्न 4.4.
व्योमस्थ खिंचे क्षैतिज बिजली के तार में 90 A विद्युत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के 1.5 m नीचे विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण और दिशा क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया हैं-
धारा =I = 90 A पूर्व से पश्चिम की ओर
माना लाइन के नीचे 1.5 पर p बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र = B
अतः r=1.5 m
B = \(\frac{\mu_0 I}{2 \pi r}\)
B की दिशानदाहिने हाथ के अंगूठे के नियमानुसार चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रेक्षण बिन्दु पर दक्षिण दिशा की ओर है।
प्रश्न 4.5.
एक तार जिसमें 8 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 0.15 के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र से 30° का कोण बनाते हुए रखा है। इसकी एकांक लम्बाई पर लगने वाले बल का परिमाण और इसकी दिशा क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
तार में प्रवाहित धारा का मान = I = 8A
तार द्वारा एक समान चुम्बकीय क्षेत्र से बनाया गया कोण
= θ = 30°
B = 0. 15 T
तार की प्रति इकाई लम्बाई पर माना चुम्बकीय बल
F’ = \(\frac{\mathrm{F}}{l}\)
∴ F’ = BI sin θ का उपयोग करने पर
मान रखने पर \(\frac{\mathrm{F}}{l}\) = F’ = 0. 15 × 8 × \(\frac{1}{2}\) = 4 × 0. 15
= 0.6 N/m
बल की दिशा तार की लम्बाई एवं चुम्बकीय क्षेत्र के तल के लम्बवत् होगी जिसे फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से ज्ञात कर सकते हैं।
प्रश्न 4.6.
एक 3.0 cm लम्बा तार जिसमें 10 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, एक परिनालिका के भीतर उसके अक्ष के लम्बवत् रखा है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र का मान0.27 T है। तार पर लगने वाला चुम्बकीय बल क्या होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
तार की लम्बाई = l = 3.0 cm
= 3 × 10-2
तार में धारा = I = 10 A
θ = 90°
परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र = B = 0.27 T
तार पर चुम्बकीय बल का परिमाण माना = F = ?
F = B I l sin θ का उपयोग करने पर
मान रखने पर
F = 0. 27 × 10 × 3 × 10-2 × sin 90°
= 8. 1 × 10-2 × 1
∵ sin 90° = 1
= 8 . 1 × 10-2 N
F की दिशा-फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियमानुसार F की दिशा ज्ञात की जा सकती है।
प्रश्न 4.7.
एक-दूसरे से 4.0 cm की दूरी पर रखे दो लम्बे, सीधे, समान्तर तारों A एवं B में क्रमशः 8.0 A एवं 5.0 A की विद्युत धाराएँ एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही हैं। तार A के 10 cm खण्ड पर बल का आकलन कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
d = 4.0 cm = 4 × 10-2m
I1 = 8.0 A
I2 = 5.0 A
l = 10 cm = 10 × 10-2 m
इकाई लम्बाई पर बल का मान
F = \( \frac{\mu_0 I_1 \mathrm{I}_2}{2 \pi \mathrm{d}}\)
बल का मान l लम्बाई के लिए
F = \( \frac{\mu_0 I_1 I_2 l}{2 \pi \mathrm{d}}\)
मान रखने पर F = \( \frac{\left(4 \pi \times 10^{-7}\right) \times 8.0 \times 5.0 \times 10 \times 10^{-2}}{2 \pi \times 4 \times 10^{-2}}\)
= 200 × 10-7
= 200 × 10-5
F की दिशा-चूँकि दोनों तारों में धारा एक ही दिशा में प्रवाहित है, अतः बल A के अभिलम्ब B की ओर आकर्षण है।
प्रश्न 4.8.
पास-पास फेरों वाली एक परिनालिका 80 cm लम्बी है तथा इसमें 5 परतें हैं जिनमें से प्रत्येक में 400 फेरे हैं। परिनालिका का व्यास 1.8 cm है। यदि इसमें 8.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, तो परिनालिका के भीतर केन्द्र के पास चुम्बकीय क्षेत्र B के परिमाण का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
परिनालिका की लम्बाई = l = 80 Cm
= 80 × 10-2 m
परिनालिका में परतों की संख्या = n =5
प्रत्येक परत के फेरों की संख्या = 400
परिनालिका में कुल फेरों की संख्या = 5 × 400=2000
परिनालिका में प्रवाहित धारा =I = 8.0 A
माना परिनालिका के अन्दर इसके केन्द्र के पास चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण = B = ?
B = \( \frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{l}\)
मान रखने पर B = \( \frac{4 \pi \times 10^{-7} \times 2000 \times 8}{80 \times 10^{-2}}\)
= 8π × 10-3T = 2.5 × 10-2T
प्रश्न 4.9.
एक वर्गाकार कुण्डली जिसकी प्रत्येक भुजा 10 cm है, में 20 फेरे हैं और उसमें 12 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुण्डली ऊर्ध्वाधरत: लटकी हुई है और इसके तल पर खींचा गया अभिलम्ब 0.80 T के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से 30° का एक कोण बनाता है। कुण्डली पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
प्रत्येक भुजा की लम्बाई = l × l
= 10 × 10 = 100 cm2
= 100 × 10-4m2
A = 10-2m2
कुण्डली में कुल चक्रों की संख्या = N = 20
कुण्डली में प्रवाहित धारा = I = 12 A
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण = B = 0. 80 T
θ = 30°
कुण्डली द्वारा अनुभव बल आघूर्ण = τ = ?
हम जानते हैं-
τ = NBIA sin θ सूत्र का उपयोग करने पर
τ = 20 × 0. 80 × 12 × 10-2 × sin 30°
= 20 × 80 × 12 × 10-4 × \(\frac{1}{2}\)
= 96 × 10-2 Nm
= 0. 96 Nm
प्रश्न 4.10.
दो चल कुण्डली गैल्वेनोमीटर मीटरों M1 एवं M2 के विवरण नीचे दिए गए है-
उत्तर:
R1 = 10 Ω, N1 = 30,
A1 = 3.6 × 10-3 m2,
B1 = 0. 25 T
R2 = 14 Ω, N2 = 42,
A2 = 1.8 × 10-3 m2,
B2 = 0.50 T (दोनों मीटरों के लिए स्प्रिंग नियतांक समान हैं)।
(a) M2 एवं M1 की धारा-सुग्राहिताओं, (b) M2 एवं M1 की वोल्टता-सम्राहिताओं का अनपात ज्ञात कीजिए।
हल-दिया गया है- M1 कुण्डली के लिए
R1 = 10 Ω, N1 = 30
A1 = 3.6 × 10-3 m2,
B1 = 0. 25 T
M2 कुण्डली के लिए R2 = 14 Ω, N2 = 42,
A2 = 1.8 × 10-3 m2,
दोनों कुण्डलियों के लिए K1 = K2 = k माना धारा सुग्राहिता = \(\frac{NBA}{K}\)
और वोल्टता सुग्राहिता = \(\frac{NBA}{kR}\) द्वारा दी जाती है।
प्रश्न 4.11.
एक प्रकोष्ठ में 6.5 G (1 G = 10-2 T का एक समान चुम्बकीय क्षेत्र बनाए रखा गया है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉन 4.8 × 106 ms-1 के वेग से क्षेत्र के लम्बवत् भेजा गया है। व्याख्या कीजिए कि इस इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार क्यों होगा? वृत्ताकार कक्षा की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
(e = 1.6 × 10-19C, me = 9.1 × 10-31 Kg)
उत्तर:
हल-दिया गया है-
B = 6.5 G = 6.5 × 10-4 T
v = 4. 8 × 106 m/s
r = ?
e = 1.6 × 10-19C
me = 9.1 × 10-31 Kg.
यदि वृत्तीय कक्षा की त्रिज्या r है तब गतिमान इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल (F)
F = evB sin θ द्वारा दिया जाता है
बल की दिशा v तथा B दोनों के ही अभिलम्बवत् है, अतः यह बल चाल बदले बिना ही इलेक्ट्रॉन की केवल गति दिशा ही बदलेगी, अतः इलेक्ट्रॉन वृत्तीय मार्ग पर चलेगा। यदि इलेक्ट्रॉन के द्वारा तय की गई मार्ग की त्रिज्या r है तब
प्रश्न 4.12.
प्रश्न 4.11 में, वृत्ताकार कक्षा में इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण आवृत्ति प्राप्त कीजिए। क्या यह उत्तर इलेक्ट्रॉन के वेग पर निर्भर करता है? व्याख्या कीजिए।
हल-माना वृत्ताकार कक्षा में इलेक्ट्रॉन की परिक्रमण आवृत्ति = v = ?
समीकरण (1) से स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉन की आवृत्ति इलेक्ट्रॉनों की चाल नहीं रखती है, अतः आवृत्ति (v) इलेक्ट्रॉन की चाल पर निर्भर नहीं है।
प्रश्न 4.13.
(a) 30 फेरों वाली एक वृत्ताकार कुण्डली जिसकी त्रिज्या 8.0 cm है और जिसमें 6.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, 1.0 T के एक समान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में ऊर्ध्वाधरतः लटकी है। क्षेत्र रेखाएँ कुण्डली के अभिलम्ब में 60° का कोण बनाती हैं। कुण्डली को घूमने से रोकने के लिए जो प्रति आघूर्ण लगाया जाना चाहिए उसके परिमाण परिकलित कीजिए।
(b) यदि (a) में बताई गई वृत्ताकार कुण्डली को उसी क्षेत्रफल की अनियमित आकृति की समतलीय कुण्डली से प्रतिस्थापित कर दिया जाए (शेष सभी विवरण अपरिवर्तित रहें) तो क्या आपका उत्तर परिवर्तित हो जाएगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
वृत्तीय कुण्डली में फेरों की संख्या = N = 30
कुण्डली की त्रिज्या = r = 8.0 cm
= 8 × 10-2 m
कुण्डली में धारा = I = 6. 0 A
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र = B = 1. 0 T
θ = 60°
क्षेत्रफल A = πr2
= 3. 14 × (8 × 10-2)2
= 3. 14 × 64 × 10-4
= 200.9 × 10-4
= 2.01 × 10-2 m2
(a) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण धारा चालित कुण्डलिनी पर कार्यरत बल आघूर्ण का मान
τ = NIBA sin θ होता है।
मान रखने पर τ = 30 × 6 × 1 × 2. 01 × 102× sin 60°
= 180 × 2.01 × 10-2 × \(\frac{\sqrt{3}}{2}\)
= 3.1 Nm
कुण्डलिनी को घूमने से रोकने के लिए τ के बराबर एवं विपरीत ऐंठन लगानी पड़ेगी।
∴ वांछित ऐंठन = τ = 3.1 Nm.
(b) नहीं, उत्तर नहीं बदलता क्योंकि सूत्र τ = NIAB sin θ किसी भी आकार के समतल लूप के लिए सही है।
अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)
प्रश्न 4.14.
दो समकेन्द्रिक वृत्ताकार कुण्डलियाँ X और Y जिनकी त्रिज्याएँ क्रमशः 16 cm एवं 10 cm हैं, उत्तर-दक्षिण दिशा में समान ऊर्ध्वाधर तल में अवस्थित हैं। कुण्डली X में 20 फेरे हैं और इसमें 16 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, कुण्डली Y में 25 फेरे हैं और इसमें 18A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। पश्चिम की ओर मुख करके खड़ा एक प्रेक्षक देखता है कि X में धारा प्रवाह वामावर्त है जबकि Y में दक्षिणावर्त है। कुण्डलियों के केन्द्र पर उनमें प्रवाहित विद्युत धाराओं के कारण उत्पन्न कुल चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-कुण्डली X के लिए-
कुण्डली में धारा = I = 1. 6 A
चक्रों की संख्या = n = 20
कुण्डलिनी की त्रिज्या r = 16 cm = 16 × 10-2 m
कुण्डली X के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B = \(\frac{\mu_0}{4 \pi} \frac{2 \pi n I}{r}\)
= \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{4 \pi}\) × \( \frac{2 \pi \times 20 \times 16}{16 \times 10^{-2}}\)
= 4π × 10-4 T
(कुण्डली से व्यक्ति की ओर अर्थात् पूर्व दिशा में)
कुण्डली Y के लिए-
I = 18 A, n = 25
r = 10 × 10-2 m
प्रश्न 4.15.
10 cm लम्बाई और 10-3 m2 अनुप्रस्थ काट के एक क्षेत्र में 100 G (1 G = 10-4 T) का एक समान चुम्बकीय क्षेत्र चाहिए। जिस तार से परिनालिका का निर्माण करना है उसमें अधिकतम 15 A विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है और क्रोड का अधिकतम 1000 फेरे प्रति मीटर लपेटे जा सकते हैं। इस उद्देश्य के लिए परिनालिका के निर्माण का विवरण सुझाइए। यह मान लीजिए कि क्रोड लोह-चुम्बकीय नहीं है।
उत्तर:
चूँकि परिनालिका में अधिकतम धारा का मान 15 ऐम्पियर और प्रति मीटर फेरों की संख्या 1000 हो सकती है, अतः 100 गाउस का क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए एक परिनालिका ली जा सकती है जिसमें इकाई लम्बाई में फेरों की संख्या 800 हो और धारा 10 ऐम्पियर प्रवाहित की जाये, साथ ही उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान रूप से 10 सेमी. लम्बाई तथा 10-3 मी.2 अनुप्रस्थ काट के क्षेत्र में विद्यमान होना चाहिए अतः हमें परिनालिका की लम्बाई एवं अनुप्रस्थ काट लगभग 5 गुना अर्थात् लम्बाई 50 सेमी. एवं अनुप्रस्थ काट 5 × 10-3 मी.2 (त्रिज्या लगभग 4 सेमी.) लेनी चाहिए जिससे परिनालिका के केन्द्र पर वांछित मात्रा में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो सके। इस स्थिति में परिनालिका के कुल फेरे
N= nL = 800 × \(\frac{1}{2}\) = 400 होंगे।
प्रश्न 4.16.
I धारावाही, N फेरों और R त्रिज्या वाली वृत्ताकार कुण्डली के लिए, इसके अक्ष पर, केन्द्र से x दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए निम्न व्यंजक है-
B = [/latex]\frac{\mu_0 \mathbb{R}^2 \mathrm{~N}}{2\left(\mathrm{x}^2+\mathrm{R}^2\right)^{3 / 2}}[/latex]
(a) स्पष्ट कीजिए कि इससे कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए सुपरिचित परिणाम कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
(b) बराबर त्रिज्या R एवं फेरों की संख्या N वाली दो वृत्ताकर कुण्डलियां एक-दूसरे से R दूरी पर एक-दूसरे के समान्तर अक्ष मिलाकर रखी गई हैं। दोनों में समान विद्युत धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है। दर्शाइए कि कुण्डलियों के अक्ष के लगभग मध्य बिन्दु पर क्षेत्र, एक बहुत छोटी दूरी के लिए जो कि R से कम है, एक समान है और इस क्षेत्र का लगभग मान निम्न है-
B = 0. 72\( \frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{\mathrm{R}}\)
[बहुत छोटे से क्षेत्र में एक समान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए बनाई गई ऊपर वर्णित व्यवस्था हेल्महोल्ट्ज कुण्डलियों के नाम से जानी जाती है।]
उत्तर:
हल-(a) दिया गया है-I धारावाही N फेरों और R त्रिज्या वाली वृत्ताकार कुण्डली के लिए इसके अक्ष पर केन्द्र से x दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र
B = \( \frac{\mu_0 I^2 N}{2\left(x^2+R^2\right)^{3 / 2}}\)
कुण्डली के केन्द्र पर x = 0
अतः B = \( \frac{\mu_0 I^2 N}{2\left(0+R^2\right)^{3 / 2}}\)
= \( \frac{\mu_0 I R^2 N}{2 R^3}=\frac{\mu_0 I N}{2 R}\)
जो कि वही है जैसा कि कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का जाना-पहचाना व्यंजक होता है।
(b) कुण्डलियों के बीच में मध्य बिन्दु के आस-पास 2d लम्बाई के एक छोटे से क्षेत्र में
यदि दोनों कुण्डलिनियों के कारण B पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र है, तब
B = B1 + B2
B1 और B2 दोनों एक ही दिशा में कार्य करते हैं अतः दोनों को जोड़ा जाता है
प्रश्न 4.17.
एक टोरॉइड के (अलौह चुम्बकीय) क्रोड की आन्तरिक त्रिज्या 25 cm और बाह्य त्रिज्या 26 cm है। इसके ऊपर किसी तार के 3500 फेरे लपेटे गए हैं। यदि तार में प्रवाहित विद्युत धारा [/latex] 11\mathrm{~A}[/latex] हो, तो चुम्बकीय क्षेत्र का मान क्या होगा? (i) टोरॉइड के बाहर (ii) टोरॉइड के क्रोड में (iii) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में।
उत्तर:
(i) माना टोरॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र B0 है = ?
टोरॉइड कोर के घेरे कुण्डलीन के अन्दर ही क्षेत्र अशून्य है, अतः टोरॉइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य है
अर्थात् B0 = 0
(ii) टोरॉइड के क्रोड में B = μ0nL
= 4π × 10-7 × \( \frac{3500}{0.51 \pi}\) × 11
= 0. 0302 T
= 3. 02 × 10-2 T
(iii) टोरॉइड द्वारा घिरी हुई खाली जगह में चुम्बकीय क्षेत्र का मान शून्य है।
प्रश्न 4.18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिन्दु पर बदलता है, पर दिशा निश्चित है (पूर्व से पश्चिम)। इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता रहता है। आप कण के प्रारम्भिक वेग के बारे में क्या कह सकते हैं?
(b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है, जिसका परिमाण और दिशा दोनों एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर बदलते जाते हैं, एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है। यदि यह मान लें कि चुम्बकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दूसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता, तो क्या इसकी अन्तिम चाल, प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी?
(c) पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है जिसमें उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एक समान एक वैद्युत क्षेत्र है। वह दिशा बताइए जिसमें एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके।
उत्तर:
(a) हम जानते हैं कि चुम्बकीय क्षेत्र के अन्दर गमनशील आवेशित कण पर बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}_{\mathrm{m}}=\mathrm{q}(\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\)
आवेशित कण अविक्षेपित चलेगा अर्थात् इस पर बल शून्य होगा यदि \((\vec{V} \times \vec{B})\) है।
\((\vec{V}\times \vec{B})\) तब शून्य होगा जब आरम्भिक वेग B के समान्तर अथवा विपरीत दिशा में हो।
(b) हाँ, इसका अन्तिम वेग इसकी आरम्भिक चाल के बराबर होगा, यदि यह वातावरण से कोई संघट्टन करे। यह इसलिए है कि चुम्बकीय क्षेत्र आवेशित कण पर सदा बल लगाता है जो इसकी गति के अभिलम्ब है, अतः यह बल केवल गति या वेग \(\vec{v}\) की दिशा ही बदल सकता है न कि इसका परिमाण।
(c) स्थिर वैद्युत क्षेत्र पश्चिम की ओर लगा है चूँकि इलेक्ट्रॉन एक ॠणात्मक आवेशित कण है अतः स्थिर वैद्युत बल उत्तर की ओर निर्देशित है अतः यदि इलेक्ट्रॉन को सीधे मार्ग से विक्षेपित होने से रोकना है, तो चुम्बकीय बल जो इलेक्ट्रॉन पर कार्य करता है, को दक्षिण की ओर निर्देशित करना होगा चूँकि इलेक्ट्रॉन का वेग \(\vec{v}\) पश्चिम से पूर्व की ओर है, तो चुम्बकीय लॉरेन्ट्स बल का व्यंजक \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{\mathrm{m}}}=-\mathrm{e}(\vec{v} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\) हमें यह बताता है कि चुम्बकीय बल \(\vec{B}\) को ऊर्ध्वाधर ऊपर से नीचे की ओर लगाना चाहिए।
प्रश्न 4.19.
ऊष्मित कैथोड से उत्सर्जित और 2.0 kV के विभवान्तर पर त्वरित एक इलेक्ट्रॉन 0.15 T के एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन का गमन पथ ज्ञात कीजिए यदि चुम्बकीय क्षेत्र (a) प्रारम्भिक वेग के लम्बवत् है (b) प्रारम्भिक वेग की दिशा से 30° का कोण बनाता है।
उत्तर:
हल-दिया गया है-इलेक्ट्रॉन का आवेश e = 1.6 × 10-19C
m = 9. 0 × 10-31 Kg
V = 2.0 kV = 2000 V = 2 × 103 V
B = 0. 15 T
(a) θ = 90°, गमन पथ = ?
(b) θ = 30°, गमन पथ = ?
विभवान्तर इलेक्ट्रॉन को K.E. देता है
अत: \(\frac{1}{2}\)mv2 = eV
या v = \(\sqrt{\frac{2 \mathrm{eV}}{\mathrm{m}}}\)
(a) ∵ θ = 90° वेग का चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश अवयव शून्य है अतः इलेक्ट्रॉन पर बल
evB sin θ = evB
∵ sin 90° = 1
यह बल अभिकेन्द्र बल की तरह कार्य करता है
अत: B के लम्बवत् 1.0 mm त्रिज्या का वृत्ताकार पथ होगा।
(b) ∵ θ = 30° क्षेत्र के अनुदिश वेग अवयव
प्रश्न 4.20.
प्रश्न 4.16 में वर्णित हेल्महोल्ट्ज कुण्डलियों का उपयोग करके किसी लघुक्षेत्र में 0.75 T का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया है। इसी क्षेत्र में कोई एकसमान स्थिर वैद्युत क्षेत्र कुण्डलियों के उभयनिष्ठ अक्ष के लम्बवत् लगाया जाता है। (एक ही प्रकार के) आवेशित कणों का 15 KV विभवान्तर पर त्वरित एक संकीर्ण किरण पुंज इस क्षेत्र में दोनों कुण्डलियों के अक्ष तथा स्थिर वैद्युत क्षेत्र की लम्बवत् दिशा के अनुदिश प्रवेश करता है। यदि यह किरण पुंज 9.0 × 10-5 Vm-1 , स्थिर वैद्युत क्षेत्र में अविक्षेपित रहता है, तो यह अनुमान लगाइए कि किरण पुंज में कौनसे कण हैं? यह स्पष्ट कीजिए कि यह उत्तर एकमात्र उत्तर क्यों नही है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
B = 0. 75 T, E = 9.0 × 105 V/m
V = 15 kV = 15000 V
\(\frac{e}{\mathrm{~m}}\) = ?
माना कण का आवेश = e है और उसका द्रव्यमान m है। माना वे वोल्टेज को त्वरित करके वेग v प्राप्त करते हैं
तब \( \frac{1}{2}\) mv2 = eV
चूँकि कण दो क्रॉस क्षेत्रों से अविक्षेपित नहीं है।
v = \(\frac{E}{B}\)
यह मान ड्यूड्रॉन्स के संगत है, अतः कण ड्यूटीरियम अवयव है। उत्तर एकमात्र उत्तर नहीं है, क्योंकि केवल कण के आवेश एवं द्रव्यमान का अनुपात ही ज्ञात किया गया है। अन्य संभावित उत्तर He++, Le++आदि हैं।
प्रश्न 4.21.
एक सीधी, क्षैतिज चालक छड़ जिसकी लम्बाई 0.45 m एवं द्रव्यमान 60g है इसके सिरों पर जुड़े दो ऊर्ध्वाधर तारों पर लटकी हुई है। तारों से होकर छड़ में 5.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है।
उत्तर:
(a) चालक के लम्बवत् कितना चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए के तारों में तनाव शून्य हो जाए।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा यथावत् रखते हुए यदि विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाए, तो तारों में कुल तनाव कितना होगा? (तारों के द्रव्यमान की उपेक्षा कीजिए) g = 9.8 ms-2
हल-दिया गया है-
l = 0.45 m,
I = 5.0 A,
m = 60g = 0. 06 kg
(a) छड़ के भार को संतुलन करने के लिए आवश्यक बल का मान होगा-
F = mg = 0.06 × 9.8 N
= 0. 588 N
सूत्र F = BIl का प्रयोग करने पर
या B = \(\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{I} l}\)
मान रखने पर B = \(\frac{0.588}{5 \times 0.45}\) = 0.26 T
अतः एक क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र जिसका परिमाण 0.26 T है और जो चालक के लम्बवत् इस दिशा में लगा है कि फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम चुम्बकीय बल ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर बताये।
(b) जब विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाये, चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल नीचे की ओर कार्य करता है।
तारों में कुल तनाव = छड़ के भार के कारण बल + चुम्बकीय क्षेत्र के कारण
= 0. 588 + 0.588
= 1. 176 N
प्रश्न 4.22.
एक स्वचालित वाहन की बैटरी से इसकी चालन मोटर को जोड़ने वाले तारों में 300 A विद्युत धारा (अल्प काल के लिए) प्रवाहित होती है। तारों के बीच प्रति एकांक लम्बाई पर कितना बल लगता है यदि इनकी लम्बाई 70 cm एवं बीच की दूरी 1.5 cm हो। यह बल आकर्षण बल है या प्रतिकर्षण बल?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
I1 = I2 = 300 A
dl1 = dl2 = 70 cm = 70 × 10-2 m
μ0 = 4π × 10-7
r = 1.5 cm = 1.5 × 10-2 m.
चूँकि r<< dl1 तथा dl2 प्रत्येक तार अनन्त लम्बाई का माना जा सकता है।
अनन्त लम्बाई के तार पर (इकाई लम्बाई) पर लगने वाला बल
जो कि बल प्रतिकर्षण बल है क्योंकि तारों में समान दिशा में धारा प्रवाहित हो रही है।
तार पर कुल बल 1.2 × 0.7 = 0.84 N प्राप्त करना केवल
सन्निकटतः सही है, क्योंकि सूत्र F = \(\frac{\mu_0 \mathrm{I}_1 \mathrm{I}_2}{2 \pi \mathrm{r}}\) जो प्रति इकाई लम्बाई पर
लगने वाले बल के लिए दिया गया है। केवल अनन्त लम्बाई के चालकों के लिए मान्य है।
प्रश्न 4.23.
1.5 T का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, 10.0 cm त्रिज्या के बेलनाकार क्षेत्र में विद्यमान है। इसकी दिशा अक्ष के समानान्तर पूर्व से पश्चिम की ओर है। एक तार जिसमें 7.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है इस क्षेत्र में होकर उत्तर से दक्षिण की ओर गुजरती है। तार पर लगने वाले बल का परिमाण और दिशा क्या होगी, यदि
(a) तार अक्ष को काटता हो,
(b) तार N-S दिशा से घुमाकर उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम दिशा में कर दिया जाए,
(c) N-S दिशा में रखते हुए ही तार को अक्ष से 6.0 cm नीचे उतार दिया जाए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
(a) एक समान चुम्बकीय क्षेत्र (B) = 1.5 T (पूर्व से पश्चिम की ओर)
तार में प्रवाहित धारा का मान I = 7.0 A
बेलनाकार क्षेत्र का व्यास = 20 cm = 20 × 10-2 m
∴ l = 20 × 10-2 m
θ = 90°
अत: F = BIl sin θ
मान रखने पर = 1.5 × 7.0 × 20 × 10-2 sin 90°
= 30. 0 × 7 × 10-2 × 1
= 210 × 10-2 N = 2.1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम का प्रयोग करने पर हम देखते हैं कि बल ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर कार्य करता है।
(b) यदि चुम्बकीय क्षेत्र में तार की लम्बाई l1 हो तब
F1 = BIl1 sin 45°
∵ इस स्थिति में θ = 45°
किन्तु l 1 sin 45° = l
∴ F 1 BIl = 1.5 × 7 × 20 × 10-2
= 10. 5 × 20 × 10-2
= 210. 0 × 10-2 = 2. 1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से बल की दिशा ऊर्ध्वाधर की ओर होगी।
(c) जब तार को अक्ष से 6 सेमी. नीचे उतार दिया जाए और तार की लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र में 2x है।
हल-दिया गया है-
(a) एक समान चुम्बकीय क्षेत्र (B) = 1.5 T (पूर्व से पश्चिम की ओर)
तार में प्रवाहित धारा का मान I = 7. 0 A
बेलनाकार क्षेत्र का व्यास = 20 cm = 20 × 10-2 m
∴ l = 20 × 10-2 m
θ = 90°
अतः F = BIl sin θ
मान रखने पर = 1.5 × 7.0 × 20 × 10-2 sin 90°
= 30. 0 × 7 × 10-2 × 1
= 210 × 10-2 N = 2.1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम का प्रयोग करने पर हम देखते हैं कि बल ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर कार्य करता है।
(b) यदि चुम्बकीय क्षेत्र में तार की लम्बाई l1
F1 = BIl1 sin 45°
∵ इस स्थिति में θ = 45°
किन्तु l1 sin 45° = l
∴ F1 = BIl = 1.5 × 7 × 20 × 10 -2
= 10.5 × 20 × 10-2
= 210.0 × 10-2 = 2. 1 N
फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से बल की दिशा ऊर्ध्वाधर की ओर होगी।
(c) जब तार को अक्ष से 6 सेमी. नीचे उतार दिया जाए और तार की लम्बाई चुम्बकीय क्षेत्र में 2x है।
जहाँ पर
x = \(\sqrt{(10)^2-(6)^2}\)
= 8 cm
L2 = 2x = 2 × 8
= 16 cm
= 16 × 10-2 m
अतः बल
F2 = BIl2 से
= 1.5 × 7 × 16 × 10-2
= 1. 68 N
प्रश्न 4.24.
धनात्मक z-दिशा में 3000 G का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया गया है। एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 10cm एवं 5 cm और जिसमें 12 A धारा प्रवाहित हो रही है इस क्षेत्र में रखा है। चित्र में दिखाई गई लूप की विभिन्न स्थितियों में इस पर लगने वाला बलयुग्म आघूर्ण क्या है? हर स्थिति में बल क्या है? स्थायी संतुलन वाली स्थिति कौनसी है?
उत्तर:
हल-एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, B = 3000 G
= 3000 × 10-4 T
= 0.3 T
चौकोर लूप की लम्बाई = l = 10 cm = 0.1 m
चौकोर लूप की चौड़ाई = b = 5 cm = 5 × 10-2 m
क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= 10 × 5 = 50 cm
= 50 × 10-4 m2
लूप पर ऐंठन (बल आघूर्ण) τ = IAB cos θ द्वारा दिया जाता है।
जहाँ θ लूप के तल और चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण है।
(a) दिया गया है- θ = 0°
τ = 0.3 × 12 × 50 × 10-4 cos 0
= 1.8 × 102 Nm
और यह y-अक्ष के अनुदिश कार्य करता है अर्थात् -y दिशा में
(b) θ = 0°
∴ τ = 0.3 × 12 × 50 × 10-4 × cos 0
τ = 0.3 × 600 × 10-4 × 1
= 18 × 10-3 = 1.8 × 10-2 Nm
और यह y अक्ष के अनुदिश कार्यरत है। अर्थात् -y दिशा में
(c) = θ = 0°
τ = 0.3 × 12 × 50 × 10-4× cos 0
= 1.8 × 10-2 Nm
और यह -x दिशा अथवा x- अक्ष के अनुदिश कार्यरत है।
(d) यहाँ पर θ = 0°
τ = 1.8 × 10-2 Nm
इस बल आघूर्ण की दिशा, ऋणात्मक x- दिशा से वामावर्ती 30° + 90° = 120° होगी।
(e) इस स्थिति में क्षेत्रफल \overrightarrow{\mathrm{A}} और चुम्बकीय क्षेत्र \(\vec{B}\) आपस में समान्तर होंगे, अतः
स्थायी संतुलन की स्थिति e है तथा अस्थायी संतुलन अवस्था f में प्राप्त होगा।
प्रश्न 4.25.
एक वृत्ताकार कुण्डली जिसमें 20 फेरे हैं और जिसकी त्रिज्या 10 cm है, एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है जिसका परिमाण 0.10 T है और जो कुण्डली के तल के लम्बवत् है। यदि कुण्डली में 5.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो, तो
(a) कुण्डली पर लगने वाला कुल बल आघूर्ण क्या है?
(b) कुण्डली पर लगने वाला कुल परिणामी बल क्या है?
(c) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कुण्डली के प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला कुल औसत बल क्या है?
(कुण्डली 10-5m2 अनुप्रस्थ क्षेत्र वाले ताँबे के तार से बनी है और ताँबे में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व 1029m-3 दिया गया है।)
उत्तर:
हल-दिया गया है-
वृत्ताकार कुण्डली में फेरों की संख्या = N
∴ N = 20
और R = 10 cm = 10 × 10-2m
∴ क्षेत्रफल (A) = πR2
= π × (10 × 10-2)2
= π × 100 × 10-4 = π × 10-2
B = 0. 10 T, I = 5.0 A
τ = ?, F = ?
चूँकि कुण्डली का तल, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है। विभिन्न भुजाओं पर बल समान में कार्य करते हैं जो कि कुण्डली का तल है। विपरीत भुजाओं पर बल समान तथा विपरीत है। अतः सभी बल संतुलन करते हैं।
(a) सूत्र के द्वारा
τ = NIAB sin θ
मान रखने पर = 20 × 5.0 × π × 10-2 × 0.10 × sin 0
= 20 × 5.0 × π × 10-2 × 0.10 × 0
∵ sin 0 = 0
∴ τ = 0
(b) एक तलीय धारा लूप में चुम्बकीय क्षेत्र में सदैव कुल बल शुन्य होता है।
(c) एक इलेक्ट्रॉन पर बल = ?
F = Bevd
= \(\mathrm{Be}\left(\frac{I}{\mathrm{neA}}\right)=\frac{\mathrm{BI}}{\mathrm{nA}}\)
∵ I = neAvd
यहाँ पर n = 1029m-3
= ताँबे में स्वतन्त्र इलेक्ट्रॉन
ताँबे के तार की अनुप्रस्थ काट = A
A = 10-5 m2
F = \(\frac{0.10 \times 5}{10^{29} \times 10^{-5}}\)
∵ F =[/latex]\frac{B I}{n e}[/latex]है।
= 5 × 10-25 N
प्रश्न 4.26.
एक परिनालिका जो 60 cm लम्बी है, जिसकी त्रिज्या 4.0 cm है और जिसमें 300 फेरों वाली 3 परतें लपेटी गई हैं। इसके भीतर एक 2.0 cm लम्बा, 2.5 g द्रव्यमान का तार इसके (केन्द्र के निकट) अक्ष के लम्बवत् रखा है। तार एवं परिनालिका का अक्ष दोनों क्षैतिज तल में हैं। तार को परिनालिका के समान्तर दो वाही संयोजकों द्वारा एक बाह्य बैटरी से जोड़ा गया है जो इसमें 6.0 A विद्युत धारा प्रदान करती है। किस मान की विद्युत धारा (परिवहन की उचित दिशा के साथ) इस परिनालिका के फेरों में प्रवाहित होने पर तार का भार संभाल सकेगी? g =9.8 m s-2
उत्तर:
हल- परिनालिका की लम्बाई = l
∴ l = 60 cm. = 6.0 m
N = 3 × 300 = 900
तार के लिए l1 = 2.0 cm = 0. 02 m
m = 2.5 g = 2. 5 × 10-3Kg
I = 6.0 A
माना परिनालिका के फेरों में I ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है तब परिनालिका के लिए
B = μ0nI = μ0\(\frac{\mathrm{NI}}{l}\)
तार पर बल F = BI’l
I’ धारा है, जो कि तार में प्रवाहित हो रही है और l तार की लम्बाई है। परिनालिका में धारा की दिशा और अंतः चुम्बकीय क्षेत्र ऐसी दिशा में माने जाते हैं कि बल F अपरमुखी कार्य करता है तथा तार का भार तभी अविलम्बित होगा यदि F तार के भार के तुल्य और विपरीत होगा।
∴ BI’l = mg
या μ0nII’l = mg
या I = \(\frac{\mathrm{mg}}{\mu_0 \mathrm{nI}^{\prime} l}\)
यहाँ पर m = 2.5 × 10-5kg
g = 9.8 m/s2
n = \(\frac{3 \times 300}{60 \times 10^{-2}}\) चक्कर/m = 1500 चक्कर/मिनट
I’ = 6.0 A, l= 2 × 102m
I = \(\frac{2.5 \times 10^{-3} \times 9.8}{4 \pi \times 10^{-7} \times 15000 \times 6 \times 2 \times 10^{-2}} \)
= 108 .3 A
प्रश्न 4.27.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुण्डली का प्रतिरोध 12Ω है। 4 mA की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 18 V परास वाले वोल्टमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
उत्तर:
अतः 5988 ओम का प्रतिरोध गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में लगाकर उसे वोल्टमीटर में रूपान्तरित किया जा सकता है।
प्रश्न 4.28.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुण्डली का प्रतिरोध 15 Ω है। 4 mA की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 6 A परास वाले ऐमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
उत्तर:
अतः धारामापी कुण्डली के समान्तर क्रम में 10-2 ओम का शण्ट प्रतिरोध जोड़कर इसे 0 – 6 ऐम्पियर परास के अमीटर में बदला जा सकता है।