Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 1 वैद्युत आवेश तथा क्षेत्र
प्रश्न 1.1.
वायु में एक-दूसरे से 30 cm दूरी पर रखे दो छोटे आवेशित गोलों पर क्रमशः 2 × 10-7C, तथा 3 × 10-7 आवेश हैं। उनके बीच कितना बल है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
q1 = 2 × 10-7C,
q2 = 3 × 10-2C
r = 30 cm = 30 × 10-2 m
आवेशों के बीच लगने वाला बल
\( F=\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left|q_1 q_2\right|}{r^2}\)
मान रखने पर
F = \( \frac{9 \times 10^9 \times 2 \times 10^{-7} \times 3 \times 10^{-7}}{\left(30 \times 10^{-2}\right)^2}\)
∴ \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}=9 \times 10^9 \mathrm{Nm}^2 \mathrm{C}^{-2}\)
F = \( \frac{9 \times 6 \times 10^{-14+9}}{900+10^{-4}}=\frac{6 \times 10^{-5}}{10^{-2}}=6 \times 10^{-3}\)
F = 6 × 10-3N (प्रतिकर्षण) प्राप्त करते हैं।
प्रश्न 1.2.
0.4 µC आवेश के किसी छोटे गोले पर किसी अन्य छोटे आवेशित गोले के कारण वायु में 0.2N बल लगता है। यदि दूसरे गोले में 0.8µC आवेश हो, तो (a) दोनों गोलों के बीच कितनी दूरी है?
(b) दूसरे गोले पर पहले गोले के कारण कितना बल लगता है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
q1 = 0.4 µC = 0.4 × 10-6C
q2 = 0.8 µC = 0.8 × 10-6C
F = q1 तथा q2 के बीच स्थिर वैद्युत बल का मान = 0.2N
\( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0}=9 \times 10^9 \mathrm{Nm}^2 \mathrm{C}^{-2}\)
(a) q1 तथा q2 के बीच स्थिर वैद्युत
F = \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left|q_1 q_2\right|}{r^2} \) का सूत्र प्रयोग करने पर
\(r^2=\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left|q_1 q_2\right|}{\mathrm{F}}\)
मान रखने पर
= \( \frac{9 \times 10^9 \times 0.4 \times 10^{-6} \times 0.8 \times 10^{-6}}{0.2}\)
= \( \frac{9 \times 0.4 \times 0.8}{0.2} \times 10^{-3}\)
= \( \frac{9 \times 4 \times 8}{2}=10^{-4}\)
= 144 ×10 -4
∴ \( r=\sqrt{144 \times 10^{-4}}=12 \times 10^{-2} \mathrm{~m}\)
या r = 12 × 10-2 × 102 cm = 12 cm.
(b) कूलॉम नियम, न्यूटन के क्रिया-प्रतिक्रिया नियम की अनुपालना करता है अतः द्वितीय आवेश द्वारा प्रथम आवेश पर तथा प्रथम आवेश द्वारा द्वितीय आवेश पर कार्यरत बल परिमाण में समान होते हैं।
प्रश्न 1.3.
जाँच द्वारा सुनिश्चित कीजिए कि \( k e^2 / \mathrm{Gm}_{\mathrm{e}} m_p \) विमाहीन है। भौतिक नियतांकों की सारणी देखकर इस अनुपात का मान ज्ञात कीजिए। यह अनुपात क्या बताता है?
उत्तर:
हल-e2 की विमा = C2 हैं
k की विमा = Nm2C-2
= MLT-2 × L-2 × CC
= ML3T-2C-2
G की विमा = M-1L3T-2 हैं तथा
me की विमा = M हैं
∴ \( \frac{\mathrm{ke}^2}{\mathrm{Gm}_{\mathrm{c}} \mathrm{m}_{\mathrm{p}}}\) की विमा
= \( \frac{\left[\mathrm{ML}^3 \mathrm{~T}^{-2} \mathrm{C}^{-2}\right]\left[\mathrm{C}^2\right]}{\left[\mathrm{M}^{-1} \mathrm{~L}^3 \mathrm{~T}^{-2}\right][\mathrm{M}][\mathrm{M}]}\)
= M2-2L3-3T-2+2C-2+2
= M0L0T0C0
∴ \( \frac{\mathrm{ke}^2}{\mathrm{Gm}_{\mathrm{e}} \mathrm{m}_{\mathrm{p}}}\) एक विमाहीन राशि है।
अब
e = 1.6 × 10-19C,
k = 9 × 109 Nm2C-2
g = 6.67 × 10-11Nm2kg-2
me = 9.1 × 10-31 kg तथा
mp = 1.66 × 10-27 kg का उपयोग करने पर
अतः \( \frac{\mathrm{ke}^2}{\mathrm{Gm}_{\mathrm{e}} \mathrm{m}_{\mathrm{p}}}\) = \( \frac{\left(9 \times 10^9\right) \times\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^2}{6.67 \times 10^{-11} \times 9.1 \times 10^{-31} \times 1.66 \times 10^{-27}}\)
= \(\frac{9 \times 2.56 \times 10^{-38+9}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66 \times 10^{-11-31-27}}\)
= \(\frac{9 \times 2.56 \times 10^{-29}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66 \times 10^{-69}}\)
= \(\frac{9 \times 2.56 \times 10^{-29+69}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66}\)
= \( \frac{9 \times 2.56 \times 10^{40}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66}\)
= \( \frac{90 \times 2.56 \times 10^{39}}{6.67 \times 9.1 \times 1.66}\)
= 2.29 × 1039
यह अनुपात प्रदर्शित करता है कि प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉन के मध्य विद्युत बल, उसी दूरी पर स्थित होने पर इनके मध्य के गुरुत्वाकर्षण बल से 1039 गुना अधिक प्रबल होता है।
प्रश्न 1.4.
(a) “किसी वस्तु का वैद्युत आवेश क्वांटीकृत है । ” इस प्रकथन से क्या तात्पर्य है? (b) स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर वैद्युत आवेशों से व्यवहार करते समय हम वैद्युत आवेश के क्वांटमीकरण की उपेक्षा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर:
(a) (i) आवेश के क्वांटित होने का अर्थ है कि किसी आवेशित वस्तु पर आवेश की उत्पत्ति का कारण चाहे कुछ भी क्यों न हो आवेश सदैव इलेक्ट्रॉन के आवेश का पूर्ण गुणक होता है अंश गुणक नहीं । गणितीय रूप से q = ± ne, जहाँ पर n = पूर्ण गुणक संख्या अर्थात् n = 0, 1, 2, 3
(ii) इलेक्ट्रॉन के आवेश (न्यूनतम आवेश) से कम आवेश असंभव है। गणितीय रूप से q = ± e, ± 2e, ± 3e, ± 4e, ± …
(iii) आवेश के क्वांटम का परिमाण इलेक्ट्रॉन या प्रोटॉन के आवेश के बराबर होता है अर्थात् 1.6 x 10-19 कूलॉम होता है।.
(b) जब हम स्थूल अथवा बड़े पैमाने पर वैद्युत आवेशों से व्यवहार करते हैं, तब यह आवेश इलेक्ट्रॉनिक आवेश की तुलना में बहुत ही बड़ा होता है। उदाहरण के लिए 1 uC के आवेश में लगभग 1013 इलेक्ट्रॉनिक आवेश होते हैं। इस बड़े पैमाने पर यदि हम कहते हैं कि आवेश e के यूनिटों में बढ़ता है अथवा घटता है, तब कहने का अर्थ होता है कि आवेश का सतत मान होता है और उसका क्वांटीकरण अमहत्त्वपूर्ण है तथा उसकी उपेक्षा की जा सकती है ।
प्रश्न 1.5.
जब काँच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं, तो दोनों पर आवेश आ जाता है। इसी प्रकार की परिघटना का वस्तुओं के अन्य युग्मों में भी प्रेक्षण किया जाता है। स्पष्ट कीजिए कि यह प्रेक्षण आवेश संरक्षण नियम से किस प्रकार सामंजस्य रखता है।
उत्तर:
घर्षण प्रक्रिया में निम्नलिखित बातें देखने को मिलती हैं- (i) काँच की छड़ को रेशम से रगड़ने पर जितने धनावेश काँच की छड़ में स्थानान्तरित होते हैं, उतने ही ऋणावेश रेशम में |
(ii) एबोनाइट की छड़ को फर से रगड़ने पर जितने ऋणावेश एबोनाइट की छड़ में स्थानान्तरित होते हैं, उतने ही धनावेश फर में ।
उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि आवेशों को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है बल्कि उन्हें एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानान्तरित किया जा सकता है। यहाँ पर कुल नेट आवेश का मान शून्य हो जाता है। ये सभी बातें आवेश संरक्षण के नियम के अनुसार ही हैं क्योंकि वियुक्त निकाय का कुल आवेश संरक्षित है।
प्रश्न 1.6.
चार बिन्दु आवेश qA = 2 µC, qB – 5 µC, qc = 2µC तथा qD = -5 µC, 10 cm भुजा के किसी वर्ग ABCD के शीर्षो पर अवस्थित हैं। वर्ग के केन्द्र पर रखे 1 µC आवेश पर लगने वाला बल कितना है?
उत्तर:
हल:
माना 0 केन्द्र
और प्रत्येक भुजा 10 cm का एक वर्ग ABCD है। केन्द्र O
पर 1 µC का एक आवेश है।
= OD
स्पष्टतः अब OA = OB = OC = OD
AC = \(\sqrt{(10)^2 + (10)^2}\)
= \(\sqrt{100+100}\) = \(\sqrt{200}\)
= 10√2
10√2-5√2
AO = \(\frac { AC }{ 2 }\) = \(\frac{10 \sqrt{2}}{2}\) = 5√2
∴ AO = OC = OB = OD
= 5√2cm = 5√2 x 10-2 m
दिया गया है- qA =2µc = 2 x 10-6 C
qB = -5µc = -5 x 10-6 C
qC = -2µc = 2 x 10-6 C
तथा qD=5µc = -5 x 10-6 C
केन्द्र पर रखा आवेश q = 1 µc = 1 x 10-6 C, qA के कारण q पर बल
F1 = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0}=\frac{\left|\mathrm{q}_1 \mathrm{q}_2\right|}{\mathrm{r}^2}\) सूत्र से
चूँकि qA = qc, 1 µc के आवेश पर qA तथा qc आवेशों के कारण समान और विपरीत बल कार्य करेंगे अर्थात् OC और OA के क्रमशः अनुदिश उनके परिमाण हैं।
∴ \(\overrightarrow{\mathrm{F}_1}=-\overrightarrow{\mathrm{F}_3}\)
इसी प्रकार F4 = F2, 1 µc का आवेश qB और qD आवेशों के कारण समान परन्तु विपरीत बलों का अनुभव करता है।
होगा।
इसी प्रकार \(\overrightarrow{\mathrm{F}_2}=-\overrightarrow{\mathrm{F}_4}\)
इस प्रकार चारों आवेशों के कारण 1 uc पर नेट बल शून्य होगा अर्थात्
\(\vec{F}=\overrightarrow{F_1}+\overrightarrow{F_2}+\overrightarrow{F_3}+\overrightarrow{F_4}\) = 0N अर्थात् शून्य बल
प्रश्न 1. 7.
(a) स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखा एक सतत वक्र होती है। अर्थात् कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती। क्यों?
(b) स्पष्ट कीजिए कि दो क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
(a) एक स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखा एक संतत वक्र होती है और कोई क्षेत्र रेखा एकाएक नहीं टूट सकती, क्योंकि यह टूटने वाले बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र नहीं दर्शाएगी।
(b) दो क्षेत्र रेखाएँ कभी भी एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन नहीं कर सकती हैं। चूँकि प्रतिच्छेद बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाएँ होंगी। इसका अर्थ है कि उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र के दो भाग हैं, जो कि संभव नहीं है।
प्रश्न 1.8
दो बिन्दु आवेश qA = 3µC तथा qB = -3µC
निर्वात में एक-दूसरे से 20 cm दूरी पर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा AB के मध्य बिन्दु 0 पर विद्युत क्षेत्र कितना है?
(b) यदि 1.5 × 10-9 C परिमाण का कोई ऋणात्मक परीक्षण आवेश इस बिन्दु पर रखा जाए, तो यह परीक्षण आवेश कितने बल का अनुभव करेगा?
उत्तर:
हल दिया गया है-
तथा
qA = 3 µC = 3 × 10-6 C
qB = -3 µC = −3 × 10-6 C
2a = 20 cm = .02 m
a = 10 cm = 01 m
(a) O बिन्दु पर A तथा B पर रखे आवेशों द्वारा विद्युत क्षेत्र
\( \overrightarrow{\mathrm{E}}=\overrightarrow{\mathrm{E}}_{\mathrm{A}}+\overrightarrow{\mathrm{E}}_{\mathrm{B}}\)
= \(\frac{9 \times 10^9 \times 6 \times 10^{-6}}{10^{-2}}\)
= 54 × 105 = 5.4 × 106 NC-1
विद्युत क्षेत्र की दिशा A से B की ओर है।
(b) 1.5 × 10 °C परिमाण के ऋणात्मक परीक्षण आवेश पर बल
F = q0. E द्वारा दिया जाता है।
= – 1.5 × 10-9 × 5.4 × 106
= – 8.1 × 10-3N, OA के अनुदिश
ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि बल F क्षेत्र E की विपरीत दिशा OA के अनुदिश है।
प्रश्न 1.9.
किसी निकाय में दो आवेश qA = 2.5 x 107 C तथा qB = -2.5 x 10-7 C क्रमशः दो बिन्दुओं A (0, 0, 15cm)
तथा B : (0, 0, + 15 cm) पर अवस्थित हैं। निकाय का कुल आवेश तथा वैद्युतं द्विध्रुव आघूर्ण क्या है?
उत्तर:
हल – वैद्युत द्विध्रुव में दो बराबर तथा विपरीत आवेश होते हैं, अतः कुल आवेश = शून्य
द्विध्रुव आघूर्ण
\(\overrightarrow{\mathrm{P}}=\mathrm{q}(\overrightarrow{2 \mathrm{a}}) \mathrm{Z} \text {-अक्ष के अनुदिश } \)
दिया गया है-
q = qA = qB = 2.5 x 10-7 C
2a = 30 cm = 30 x 10-2 m
निकाय का वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण
p = q x 2a
= 2.5 × 10-7 × 30 × 10-2
= 75 × 10-9 = 7.5 × 10-8
p = 7.5 × 10-8 C × m
इसकी दिशा ऋणात्मक 2-अक्ष के अनुदिश होगी।
प्रश्न 1.10.
4 x 10-9 Cm द्विध्रुव आघूर्ण का कोई वैद्युत द्विध्रुव 5 x 104NC-1परिमाण के किसी एक समान विद्युत क्षेत्र की दिशा से 30° पर संरेखित है। द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण का परिमाण परिकलित कीजिए।
उत्तर:
हल दिया गया है-
p = 4 x 10-9 Cm
θ = 30°
E = 5 x 104 NC-1
द्विध्रुव पर कार्यरत बल आघूर्ण π = ?
π= pE sin θ
मान रखने पर
= 4 × 10-9 × 5 × 104 x sin 30°
= 20 × 10-5 × \(\frac{1}{2}\) = 10 × 10-5
= 10-4 Nm
प्रश्न 1.11.
ऊन से रगड़े जाने पर कोई पॉलीथीन का टुकड़ा 3 x 10-7 C के ऋणावेश से आवेशित पाया गया।
(a) स्थानान्तरित ( किस पदार्थ से किस पदार्थ में) इलेक्ट्रॉनों की संख्या आकलित कीजिए।
(b) क्या ऊन से पॉलीथीन में संहति का स्थानान्तरण भी होता है?
उत्तर:
हल – (a) यहाँ पर कुल स्थानान्तरित आवेश का मान = 3 × 10-7C एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 × 10-19C
एक इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 × 10-19C
n = स्थानान्तरित इलेक्ट्रॉन की संख्या = ?
चूँकि ऊन से रगड़ने पर पॉलीथीन के टुकड़े पर ऋण आवेश है अतः इलेक्ट्रॉन ऊन से पॉलीथीन के टुकड़े पर स्थानान्तरित होते हैं।
q = ne से
\(\mathrm{n}=\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{e}}=\frac{3 \times 10^{-7} \mathrm{C}}{1.6 \times 10^{-19} \mathrm{C}}\)
= 1.875 × 1012
= 2 × 1012 इलेक्ट्रॉन
(b) हाँ, ऊन से पॉलीथीन में द्रव्यमान का स्थानान्तरण भी होता है, क्योंकि इलेक्ट्रॉन, जो पदार्थ कण हैं, ऊन से पॉलीथीन पर विस्थापित होते हैं। हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान बहुत कम होता है। इसलिए द्रव्यमान का स्थानान्तरण नगण्य है। पॉलीथीन पर स्थानान्तरित कुल द्रव्यमान = m × n
= 9. 1 × 10-31 Kg × 1. 875 × 10 12
= 1. 71 × 10 -18 Kg
प्रश्न 1.12.
(a) दो विद्युतरोधी आवेशित ताँबे के गोलों A तथा B के केन्द्रों के बीच की दूरी 50 cm है। यदि दोनों गोलों पर पृथक्-पृथक् आवेश 6.5 × 10-7C हैं, तो इनमें पारस्परिक स्थिर वैद्युत प्रतिकर्षण बल कितना है? गोलों के बीच की दूरी की तुलना में गोलों A तथा B की त्रिज्याएँ नगण्य हैं।
(b) यदि प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा दोगुनी तथा गोलों के बीच की दूरी आधी कर दी जाए, तो प्रत्येक गोले पर कितना बल लगेगा?
उत्तर:
हल-(a) दिया गया है-
r = 50 cm = 50 × 10
q1 = 6.5 × 10-7C
q2 = 6.5 × 10-7C
इनमें पारस्परिक स्थिर वैद्युत प्रतिकर्षण बल
F= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{r^2} \)
मान रखने पर F = \( \frac{9 \times 10^9 \times 6.5 \times 10^{-7} \times 6.5 \times 10^{-7}}{\left(50 \times 10^{-2}\right)^2} \)
= \(\frac{9 \times 6.5 \times 6.5 \times 10^{-5}}{2500 \times 10^{-4}} \)
= \( \frac{9 \times 6.5 \times 6.5 \times 10^{-3}}{25}\)
= 15 . 21 × 10 -3 = 1.521 × 10 -2
1.52 × 10-2N
(b) जब प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा दो गुनी तथा गोलों के बीच की दूरी आधी करने पर बल F का मान होगा।
F= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(2 q_1\right)\left(2 q_2\right)}{(r / 2)^2}\)
= \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\left(2 q_1\right)\left(2 q_2\right)}{(r / 2)^2}\)
= 16 × 1. 52 × 10-2
= 0.24 N
प्रश्न 1.13.
मान लीजिए अभ्यास 1.12 में गोले A तथा B साइज में सर्वसम हैं तथा इसी साइज का कोई तीसरा अनावेशित गोला पहले तो पहले गोले के सम्पर्क, तत्पश्चात् दूसरे गोले के सम्पर्क में लाकर, अन्त में दोनों से ही हटा लिया जाता है। अब A तथा B के बीच नया प्रतिकर्षण बल कितना है?
उत्तर:
माना दिए गए गोले A और B हैं जिनमें प्रत्येक पर आवेश का मान 6.5 × 10-7C है। जब तीसरा गोला (माना C) गोले A के सम्पर्क में लाया जाता है तब यह दोनों आवेश को बराबर-बराबर वितरित करेंगे। जब गोला C जिसका आवेश (q/2) है, B के सम्पर्क में लाया जाता है जिसका आवेश q है तब यह दोनों आवेश को बराबर-बराबर वितरित करेंगे, जब तक कि उनका विभव समान नहीं हो जाता है और इसलिए उनका आवेश बराबर है (उनकी धारिता बराबर है।)
प्रत्येक पर आवेश का मान = \( \frac{1}{2}\left(q+\frac{q}{2}\right)=\frac{3}{4} q\)
अन्त में, A पर आवेश = \(\frac{q}{2}\)
C पर आवेश = \(\frac{3}{4} q \)
बीच की दूरी = 50 × 10-2m
A और B के बीच नया प्रतिकर्षण बल का मान
बल F = \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{r^2} \)
= \(9 \times 10^9 \times \frac{(\mathrm{q} / 2)(3 \mathrm{q} / 4)}{\left(50 \times 10^{-2}\right)^2}\)
= \( \frac{9 \times 3 q^2 \times 10^{13}}{8 \times 50 \times 50}\)
q का मान रखने पर = \(\frac{9 \times 3 \times\left(6.5 \times 10^{-7}\right)^2 \times 10^{13}}{8 \times 50 \times 50} \)
= \(\frac{9 \times 3 \times 6.5 \times 6.5 \times 10^{-14} \times 10^{13}}{2 \times 10^4}\)
= 13.5 × 6.5 × 10-5
= 570.375 × 10-5N
= 5.7 × 10-3N
प्रश्न 1.14.
चित्र में किसी एकसमान स्थिर वैद्युत क्षेत्र में तीन आवेशित कणों के पथचिन्ह (tracks) दर्शाए गए हैं। तीनों आवेशों के चिन्ह लिखिए। इनमें से किस कण का आवेश-संहति अनुपात \((q / m)\) अधिकतम है?
उत्तर:
चूँकि (1) तथा (2) कण ऋणात्मक प्लेट की ओर विक्षेपित होते हैं, अतः वे धनात्मक आवेश हैं। (3) कण धनात्मक प्लेट की ओर विक्षेपित होता है, अतः इस पर ऋणात्मक आवेश है। यहाँ विद्युत क्षेत्र की दिशा +ve से -ve प्लेट की ओर है। यदि कण पर आवेश q हो, तो इसके द्वारा अनुभव किया गया बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}}=\overrightarrow{\mathrm{qE}}\) होगा। बल की दिशा \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) की दिशा के अनुदिश होगी और आवेश की गति की प्रारम्भिक दिशा के लम्बवत् होगी।
∴ आवेश में त्वरण उत्पन्न का मान
a = \(\frac{F}{m}\)
a = \(\frac{\mathrm{qE}}{\mathrm{m}}\) …………………(1)
∴ F = qE
गति के दूसरे समीकरण से s = ut + \(\frac{1}{2} \mathrm{at}^2\)
s = 0+ \(\frac{1}{2} \mathrm{at}^2\)
a का मान समीकरण (1) से रखने पर
s = \(\frac{1}{2}\left(\frac{q E}{m}\right) t^2\)
चूँकि E व t समान हैं अतः s ∝ \( \left(\frac{\mathrm{q}}{\mathrm{m}}\right)\) \text चूँकि आवेशित कण (3)
ऊर्ध्वाधर की ओर अधिकतम विक्षेपित है इसलिए S का मान इसके लिए अधिकतम है। अतएव आवेश से द्रव्यमान का अनुपात (विशिष्ट आवेश) इसके लिए अधिकतम होगा।
प्रश्न 1.15.
एकसमान विद्युत क्षेत्र\(\overrightarrow{\mathrm{E}}=3 \times 10^3 \hat{\imath} \mathrm{N} / \mathrm{C}\) पर विचार कीजिए।
(a) इस क्षेत्र का 10 cm भुजा के वर्ग के उस पार्श्व से जिसका तल yz तल के समानान्तर है, गुजरने वाला फ्लक्स क्या है?
(b) इसी वर्ग से गुजरने वाला फ्लक्स कितना है? यदि इसके तल का अभिलंब \mathrm{x}-अक्ष से 60^{\circ} का कोण बनाता है?
विद्युत क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=3 \times 10^3 \hat{\imath} \mathrm{N} / \mathrm{C}\) अर्थात् विद्युत क्षेत्र धन x- अक्ष के अनुदिश कार्य करता है।
वर्ग की भुजा = 10 cm = 10 × 10-2m
∴ पृष्ठ का क्षेत्रफल ∆S = (10 × 10-2)2
= 100 × 10-4 = 1 × 10-2 m2
\(\overrightarrow{\Delta \mathrm{S}}=10^{-2} \hat{\imath} \mathrm{m}^2\)
चूँकि वर्ग पर अभिलम्ब x-अक्ष के अनुदिश है।
(a) ∴ फ्लक्स \(\phi=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\Delta \mathrm{S}}\)
= \(\left[3 \times 10^3 \hat{\imath} \mathrm{N} / \mathrm{C}\right] \cdot\left[10^{-2} \hat{\imath} \mathrm{m}^2\right]\)
= \(30 \mathrm{NC}^{-1} \mathrm{~m}^2\) ∴ Î . Î = 1
(b) यहाँ वर्ग अर्थात् सदिश क्षेत्रफल पर अभिलम्ब एवं विद्युत क्षेत्र में 60° का कोण है।
\(\phi=\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\Delta \mathrm{S}}=\mathrm{E} \Delta \mathrm{S} \cos 60^{\circ}\)
∵ θ = 60° है
मान रखने पर = \( 3 \times 10^3 \times 10^{-2} \times 1 / 2 \mathrm{NC}^{-1} \mathrm{~m}^2\)
= 15 Nm-2C-1
प्रश्न 1.16.
अभ्यास 1.15 के एकसमान विद्युत क्षेत्र का 20 cm भुजा के किसी घन से (जो इस प्रकार अभिविन्यासित है कि उसके फलक निर्देशांक तलों के समानान्तर हैं) कितना नेट फ्लक्स गुजरेगा?
उत्तर:
घन में से नेट अभिवाह शून्य होगा क्योंकि घन में प्रवेश करने वाली रेखाओं की संख्या धन से निर्गत रेखाओं की संख्या के समान है अर्थात् जितनी विद्युत बल रेखाएँ इसकी 20 cm भुजा के फलक से प्रवेश करती हैं, उतनी ही निर्गत हैं।
प्रश्न 1.17.
किसी काले बॉक्स (ऐसा बॉक्स जिसके भीतर के आवेश के परिमाण एवं प्रकृति के बारे में कोई जानकारी न हो) के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की सावधानीपूर्वक ली गई माप यह संकेत देती है कि बॉक्स के पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स 8.0 × 10 3 Nm2/C हैं।
(a) बॉक्स के भीतर नेट आवेश कितना है?
(b) यदि बॉक्स के पृष्ठ से नेट बहिर्मुखी फ्लक्स शून्य है, तो क्या आप यह निष्कर्ष निकालेंगे कि बॉक्स के भीतर कोई आवेश नहीं है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
हल- (a) दिया गया है
पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स
\(\phi=8 \times 10^3 \mathrm{Nm}^2 / \mathrm{C}\)
\(\epsilon_0=8.854 \times 10^{-12} \mathrm{C}^2 \mathrm{~N}^{-1} \mathrm{~m}^{-2}\)
यदि काले बॉक्स में नेट आवेश q है तब सूत्र
\(\phi=\frac{q}{\epsilon_0} \text { से }\)
q = Φ∈0
मान रखने पर = 8 × 103 × 8. 854 × 10-12
= 70.832 × 10-9 C
= \(\frac{70.832 \times 10^{-9} \mu \mathrm{C}}{10^{-6}}\)
= 70.832 × 10-3 µC
= 0. 071 µC (लगभग)
(b) हम यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि बॉक्स के अन्दर नेट आवेश शून्य है। यदि बॉक्स से बाहर की ओर पृष्ठ से नेट अभिवाह शून्य है क्योंकि ऋण एवं धनावेश समान हो सकता है, जो कि एक-दूसरे के प्रभाव को निरस्त कर देते हैं जिससे अन्दर नेट आवेश शून्य हो जाता है और हम ऐसा निष्कर्ष निकाल लेते हैं कि बॉक्स के अन्दर नेट आवेश शून्य है।
प्रश्न 1.18.
चित्र में दर्शाए अनुसार 10 cm भुजा के किसी वर्ग के केन्द्र से ठीक 5 cm ऊँचाई पर कोई 10 µC आवेश रखा है। इस वर्ग से गुजरने वाले वैद्युत फ्लक्स का परिमाण क्या है? (संकेत : वर्ग को 10 cm किनारे के किसी घन का एक फलक मानिए।)
हल-वर्ग को 10 cm किनारे के किसी घन का एक फलक मानते हैं। घन के केन्द्र में आवेश +q रखा गया है। दिए गए आवेश की कल्पना 5 cm दूरी पर इस घन के केन्द्र पर की जा सकती है। यहाँ पर-
q = 10 µC
= 10 × 10-6C
= 10-5C
तब गाउस के नियम के अनुसार घन के छह पृष्ठों से कुल वैद्युत फ्लक्स
\(\phi=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}\)
अतः एक-एक फलक में से फ्लक्स का मान
\(\phi_{\mathrm{s}}=\frac{1}{6} \times \frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}=\frac{1}{6} \times \frac{10^{-5}}{8.85 \times 10^{-12}}\)
=\(\frac{100}{53.1} \times 10^5=1.88 \times 10^5 \mathrm{Nm}^2 \mathrm{C}^{-1}\)
प्रश्न 1.19.
2.0 µC का कोई बिन्दु आवेश किसी किनारे पर 9.0 cm किनारे वाले किसी घनीय गाउसीय पृष्ठ के केन्द्र पर स्थित है। पृष्ठ से गुजरने वाला नेट फ्लक्स क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है
q = 2 µC = 2 × 10-6C
∈0 = 8.854 × 10-12N-1m-2C2
Φ = नेट फ्लक्स गाउस सिद्धान्त के अनुसार घन के छह पृष्ठों अर्थात् गाउसीय तलों से नेट फ्लक्स
\(\phi=\frac{q}{\epsilon_0}\)
\(\phi=\frac{2 \times 10^{-6}}{8.854 \times 10^{-12}}\)
= 2. 26 × 105Nm2C-1
प्रश्न 1.20.
किसी बिन्दु आवेश के कारण उस बिन्दु को केन्द्र मानकर खींचे गए 10 cm त्रिज्या के गोलींय गाउसीय पृष्ठ पर वैद्युत फ्लक्स 1.0 × 103Nm2/C।
(a) यदि गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या दो गुनी कर दी जाए, तो पृष्ठ से कितना फ्लक्स गुजरेगा?
(b) बिन्दु आवेश का मान क्या है?
हल-(a) वैद्युत फ्लक्स केवल गाउसीय पृष्ठ पर उपस्थित आवेश पर निर्भर करता है। इसलिए गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या दो गुनी करने पर भी फ्लक्स गुजरेगा।
Φ = -1.0 × 103Nm2C-1
क्योंकि दोनों प्रकरणों के परिबद्ध आवेश समान हैं।
(b) q = बिन्दु आवेश = ?
∈0 = 8.854 × 10-12N-1m-2C2
r = गोलीय गाउसीय पृष्ठ की त्रिज्या
सूत्र Φ = \(\frac{q}{\epsilon_0}\) का प्रयोग करने पर
q = Φ ∈0
मान रखने पर = (-1.0 × 103) × (8.854 × 10-12
= -8.854 × 10-9C = -8.9 × 10-9C
= -8.9 NC
प्रश्न 1.21.
10 cm त्रिज्या के चालक गोले पर अज्ञात परिमाण का आवेश है। यदि गोले के केन्द्र से 20 cm दूरी पर विद्युत क्षेत्र 1.5 ×103 N/C त्रिज्यतः अंतर्मुखी (radially inward) है, तो गोले पर नेट आवेश कितना है?
हल-दिया गया है-यहाँ पर R = चालक गोले की त्रिज्या
=10 cm =10 × 10-2m
r = गोले के केन्द्र से बिन्दु की दूरी
= 20 cm
= 20 × 10-2m
यहाँ पर स्पष्ट है r > R
E = गोले से 20 cm दूर बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र 1.5 × 103NC-1
अन्दर की ओर
q= गोले पर नेट आवेश
विद्युत क्षेत्र की त्रिज्या E = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q}{r^2}\) करे का प्रयोग करने पर
1.5 × 103 = \(\frac{9 \times 10^9 \times q}{\left(20 \times 10^{-2}\right)^2} \)
⇒ \(\frac{1.5 \times 10^3 \times 400 \times 10^{-4}}{9 \times 10^9}=\mathrm{q}\) = q
⇒ \(\frac{60}{9 \times 10^9}\) = q
∴ q = 6. 67 × 10-9C
= 6.67 NC
इसके अतिरिक्त E गोले के अन्दर की ओर कार्य करता है, अतः
q = – 6.67 × 10-9 C
= -6.67 NC
प्रश्न 1.22.
2.4m व्यास के किसी एकसमान आवेशित चालक गोले का पृष्ठीय आवेश घनत्व 80.0 µC/m2 है।
(a) गोले पर आवेश ज्ञात कीजिए ।
(b) गोले के पृष्ठ से निर्गत कुल वैद्युत फ्लक्स क्या है?
उत्तर:
हल दिया गया है-
पृष्ठीय आवेश घनत्व
σ = 80.0 µC m-2
= 80 × 10-6 Cm-2
R = आवेशित गोले की त्रिज्या
= \(\frac{2.4}{2}\)= 1.2m
(a) q = गोले पर आवेश आवेश = ?
आवेश q= σ × 4πr2
मान रखने पर
q = 80 × 10-6 × 4 × 3.14 × (1.2)2
q = 80 × 4 × 3.14 × 1.44 × 10-6
= 1446.912 × 10-3C
या q = 1.446 × 10-3C
≅ 1.45 × 10-3C
(b) Φ = गोले के पृष्ठ से निर्गत कुल वैद्युत फ्लक्स
\(\phi=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}\)
मान रखने पर Φ = \(\frac{1.45 \times 10^{-3} \mathrm{C}}{8.854 \times 10^{-12} \mathrm{~N}^{-1} \mathrm{~m}^{-2} \mathrm{C}^2}\)
या = 1.64 × 108 Nm2 C-1
प्रश्न 1.23.
कोई अनन्त रैखिक आवेश 2 cm दूरी पर 9 x 104 N C-1 विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है। रैखिक आवेश घनत्व ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल – E = एक अनन्त रैखिक आवेश द्वारा उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र
= 9 x 104 N C-1
r = उत्पन्न करता है। रैखिक आवेश घनत्व ज्ञात कीजिए।
r = 2 cm = 2 × 10-2 m
λ = रैखिक आवेश = ?
चूँकि हम जानते हैं-
\(E=\frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{2 \lambda}{r}=\frac{\lambda}{2 \pi \epsilon_0 r}\)
∴ λ = E × 2π ∈0r
मान रखने पर- λ = 9 × 104 × 2 ×3.14 × 8.85 × 10-12 × 10-2
= 9 × 2 × 3. 14 × 8. 85 × 2 ×10<sup-10
= 36 × 3.14 × 8. 85 × 10-10
= 1000.404 × 10-10
= 0. 10 × 10-6 Cm-1
या = 1.0 × 10 -7 Cm-1
प्रश्न 1.24.
दो बड़ी, पतली धातु की प्लेटें एक-दूसरे के समानान्तर एवं निकट हैं। इनके भीतरी फलकों पर प्लेटों के पृष्ठीय आवेश घनत्वों के चिन्ह विपरीत है तथा इनका परिमाण 17.0 x 10-22 C/m2 है। (a) पहली प्लेट के बाह्य क्षेत्र में, (b) दूसरी प्लेट के बाह्य क्षेत्र में तथा (c) प्लेटों के बीच में विद्युत क्षेत्र E का परिमाण परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
हल-दिया है-
σ = 17 × 10-22C/m2
आवेश की परत के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र
\(\mathrm{E}=\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}\)
यदि धनात्मक आवेश परत के कारण विद्युत क्षेत्र E1 तथा ऋणात्मक आवेश परत के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र E2 है तब (a) एवं (b) प्लेटों के बाह्य बिन्दुओं पर विद्युत क्षेत्र
E = E1 – E2
या E =\(\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}-\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}\) = 0
(c) प्लेटों के मध्य बिन्दु पर
E= \( \frac{\sigma}{2 \epsilon_0}+\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}=\frac{\sigma}{\epsilon_0}\)
[धनात्मक से ऋणात्मक प्लेट की ओर]
मान रखने पर E = \( \frac{17 \times 10^{-22}}{8.85 \times 10^{-12}}\)
= 1.92 × 10-10 N/C
अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)
प्रश्न 1.25.
2.55 x 104 ‘N C-1 के नियत विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में 12 इलेक्ट्रॉन आधिक्य की कोई तेल बूँद स्थिर रखी जाती है (मिलियन तेल बूँद प्रयोग ) । तेल का घनत्व 1.26g cm-3 है। बूँद की त्रिज्या का आकलन कीजिए (g = 9.81 ms -2; e = 1.6 × 10-19 C) T
उत्तर:
दिया गया है-
नियत विद्युत क्षेत्र E = 2.55 × 104 NC-1
इलेक्ट्रॉन की संख्या n= 12
इलेक्ट्रॉन पर आवेश e= 1.6 × 10-19 C
q = बूँद पर आवेश
हम जानते हैं q = ne
मान रखने पर q = 12 × 1.6 × 10-19
q = 19.2 × 10-19 C
यदि तेल की बूँद पर वैद्युत क्षेत्र के कारण Fe स्थिर वैद्युत बल
Fe=qE ……………….(1)
= 19.2 × 10-19 C × 2.55 × 104 NC-1
इसके अलावा बूँद पर गुरुत्व के कारण बल Fg है तब
Fg = mg = \( \frac{4}{3} \pi r^3 \rho g\) ……………….(2)
यहाँ पर ρ = तेल का घनत्व है जिसका मान 1.26g cm-3 है।
∴ ρ = 1.26 × 10 3 kg m-3
g = 9.81 m/s2
माना बूँद की त्रिज्या = r है।
समीकरण (2) में मान रखने प
Fg= \(\frac{4}{3} \pi r^3\) × 1.26 × 103 × 9.81 ……………..(3)
चूँकि यहाँ पर बूँद स्थिर रहती है
Fe = Fg
इसलिए समीकरण (1) के मान और (3) के मानों को बराबर
रखने पर
19.2 × 10-19C × 2.55 × 104NC-1
= \( \frac{4}{3} \pi r^3\) × 1.26 × 103 × 9. 81
⇒ ∴ r3 = \(\frac{19.2 \times 10^{-19} \times 2.55 \times 10^4 \times 3}{4 \times 3.14 \times 1.26 \times 10^3 \times 9.81}\)
= \(\frac{19.2 \times 2.55 \times 3 \times 10^{-15} \times 10^{-3}}{4 \times 3.14 \times 1.26 \times 9.81}\)
= \( \frac{146.88 \times 10^{-18}}{155.25}\) = 0.95 × 10-18
r = \(\left(0.95 \times 10^{-18}\right)^{1 / 3}\)
= 0. 983 × 10-6
r = 9.83 × 10-7 m/s
= 9.83 × 10 -4 mm
प्रश्न 1.26.
चित्र में दर्शाए गए वक्रों में से कौन संभावित स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित नहीं करते?
उत्तर:
केवल c उत्तर सही है। शेष स्थिर वैद्युत क्षेत्र रेखाएँ निरूपित नहीं कर सकते।
(a) वैद्युत बल रेखाएँ पृष्ठ से या पृष्ठ पर केवल अभिलम्ब आरम्भ होती हैं अथवा समाप्त होती हैं।
(b) गलत होने का कारण यह है कि वैद्युत बल रेखाएँ ऋणावेश से आरम्भ होकर धनादेश पर समाप्त नहीं होतीं, अतः चित्र (b) वैद्युत बल रेखाएँ नहीं दर्शाता है।
(c) केवल (c) द्वारा ही विद्युत क्षेत्र रेखाओं का सही प्रदर्शन किया जाता है क्योंकि बल रेखाएँ ऋणावेश में प्रवेश कर रही हैं।
(d) इसमें बल रेखाओं को काटते हुए दर्शाया गया है जबकि क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काट सकती हैं जो कि वैद्युत बल रेखाओं का गुण नहीं है।
(e) वैद्युत बल रेखाएँ बन्द लूप नहीं बनातीं, अतः यह चित्र गलत है।
प्रश्न 1.27.
दिक्स्थान के किसी क्षेत्र में विद्युत क्षेत्र सभी जगह 2-दिशा के अनुदिश है, परन्तु विद्युत क्षेत्र का परिमाण नियत नहीं है। इसमें एक समान रूप से 2-दिशा के अनुदिश 105 N C-1 प्रति मीटर की दर से वृद्धि होती है वह निकाय जिसका ऋणात्मक 2- दिशा में कुल द्विध्रुव आघूर्ण 10-7 Cm के बराबर है, कितना बल तथा बल आघूर्ण अनुभव करता है?
उत्तर:
माना AB द्विध्रुव निर्देशित करता है जिसमें A पर आवेश -q तथा B पर आवेश +9 इस प्रकार है कि B से A की ओर दिशा Z-अक्ष के अनूद्विश है तब की दिशा A से B की ओर है।
अब
\(\overrightarrow{\mathrm{p}}=\mathrm{p}_{\mathrm{z}} \hat{\mathrm{k}}\)
\(\overrightarrow{\mathrm{p}}=-10^{-7} \hat{\mathrm{k}} \mathrm{Cm}^{-1}\)
∴ \(|\vec{p}|=10^{-7} \mathrm{Cm}^{-1}\)
और
\(\frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}}=10^5 \mathrm{NC}^{-1}\)
\(\mathrm{F}=\mathrm{qdE}=\mathrm{q} \frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}} \cdot \mathrm{dz}\)
F = \(\mathrm{qdz} \frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}}\)
= \(\mathrm{p} \frac{\mathrm{dE}}{\mathrm{dz}}\)
∴ p = q dz
मान रखने पर = 10-7 × 105
= 10-2 N
बल आघूर्ण (τ) की गणना – द्विध्रुव पर बल A से B अर्थात् z- अक्ष के अनुदिश होता है।
θ = 180°
τ = pE sin θ
= pE sin 180° = 0
∴ वैद्युत द्विध्रुव पर वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है।
प्रश्न 1.28.
(a) किसी चालक A जिसमें चित्र (a) में दर्शाए अनुसार कोई कोटर / गुहा (Cavity) है, को Q आवेश दिया गया है। यह दर्शाइए कि समस्त आवेश चालक के बाह्य पृष्ठ पर प्रतीत होना चाहिए।
(b) कोई अन्य चालक B जिस पर आवेश है, को कोटर / गुहा (Cavity) में इस प्रकार धँसा दिया जाता है कि चालक B चालक A से विद्युतरोधी रहे। यह दर्शाइए कि चालक A के बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Qq है। (चित्र b)
(c) किसी सुग्राही उपकरण को उसके पर्यावरण के प्रबल स्थिर वैद्युत क्षेत्रों से परिरक्षित किया जाना है। संभावित उपाय लिखिए।
उत्तर:
(a) टूटी रेखाओं से प्रदर्शित एक गाउसीय पृष्ठ को लेते हैं जिससे चालक A में कोटर छेद छोड़कर घिरा हुआ है। जैसा कि चित्र (a) में दिखाया गया है। हमको यह भी ज्ञात है कि चालक के भीतर कोई विद्युत क्षेत्र नहीं होता अर्थात् शून्य होता है, अतः चालक के अन्दर कोटर में कोई आवेश नहीं है। हम कह सकते हैं कि गाउसीय पृष्ठ के अन्दर कोई आवेश उपस्थित नहीं हो सकता, जो चालक के ठीक अन्दर है। इस प्रकार गाउस के नियमानुसार
\(\oint_{\mathrm{s}} \mathrm{EdS}=\frac{\mathrm{Q}}{\epsilon_0} \text { हमें } \frac{\mathrm{Q}}{\epsilon_0}=0 \text { देता है। }\)
गाउसीय पृष्ठ के अन्दर E = 0
∴ गाउसीय पृष्ठ के अन्दर Q = 0
अतः समस्त आवेश Q गाउसीय पृष्ठ A के बाहर की ओर पृष्ठ पर दृष्टिगोचर होना चाहिए।
(b) चित्र (b) में दिखाए अनुसार पुनः बिन्दु रेखा द्वारा चालक B को घेरे हुए कोटर में आवेश q को बन्द करते गाउसीय पृष्ठ को लीजिए। ऐसे ही विद्युत अभिवाह गाउसीय पृष्ठ को पार कर जाएगा, जिससे ऐसा लगता है कि चालक के अन्दर आवेश उपस्थित है परन्तु चालक A के अन्दर आवेश शून्य होना चाहिए। इसका अर्थ है कि चालक B कोटर के आन्तरिक पृष्ठ पर 9 आवेश उत्प्रेरित करता है, जो चालक A के बाह्य पृष्ठ पर +9 आवेश के रूप में चला जाता है। इस प्रकार बाह्य पृष्ठ पर कुल आवेश Q + q हो जाएगा।
(c) खोखले धातु पृष्ठ के अन्दर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है और सारा क्षेत्र बाह्य पृष्ठ पर ही उपस्थित कार्यरत होता है, अतः एक संवेदी यन्त्र को तीव्र स्थिर वैद्युत क्षेत्र से परिरक्षित करने के लिए उसे खोखले धातु खोल में रखना चाहिए।
प्रश्न 1.29.
किसी खोखले आवेशित चालक में उसके पृष्ठ पर कोई छिद्र बनाया गया है। यह दर्शाइए कि छिद्र में विद्युत क्षेत्र \(\left(\sigma / 2 \varepsilon_0\right)\)
\( \hat{\mathbf{n}} है, जहाँ \hat{\mathbf{n}}\) अभिलंबवत् दिशा में बहिर्मुखी एकांक सदिश है तथा ० छिद्र के निकट पृष्ठीय आवेश घनत्व है।
उत्तर:
माना छेद के पास चालक का पृष्ठ आवेश घनत्व ० है और उस छेद का अनुप्रस्थ काट = A है विद्युत क्षेत्र समतल आवेशित चद्दर के अभिलम्ब है और यह बाह्य दिशा की ओर है जो कि दर्शाता है। छेद में E का मान ज्ञात करने के लिए छेद में से एक गाउसीय बेलन खींचिए चूँकि छेद से कोई बल रेखाएँ बेलन की दीवार को पार करती हैं, अतः दीवारों के अभिलम्ब का घटक शून्य है बेलन के सिरों पर E का अभिलम्ब घटक है।
इस प्रकार यदि गाउसीय पृष्ठ से कुल विद्युत अभिवाह है। तब
\(\phi=\oint_{\mathrm{s}} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{dS}}\)
\(\phi=\int_s \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{dS}}+\int \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{dS}}\)
बेलन के वक्र पृष्ठ का पृष्ठ क्षेत्रफल बेलन के सिरों का क्षेत्रफल
= \( 0+\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{A}}+\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{A}}\)
= EA cos θ + EA cos θ
यहाँ पर θ = 0°
= 2EA ………………..(1)
माना गाउसीय पृष्ठ में बन्द आवेश है गाउस के नियमानुसार
\(\phi=\frac{\mathrm{q}}{\epsilon_0}=\frac{\sigma \mathrm{A}}{\epsilon_0}\) ……………………. (2)
समीकरण (1) तथा (2) को बराबर करने पर
2 EA = \(\frac{\sigma \mathrm{A}}{\epsilon_0}\)
अथवा E = \(\frac{\sigma}{2 \epsilon_0}\)
या सदिश रूप में \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{\sigma}{2 \epsilon_0} \hat{\mathrm{n}}\) इतिसिद्धम्
प्रश्न 1.30
गाउस नियम का उपयोग किए बिना किसी एकसमान रैखिक आवेश घनत्व के अनन्त लम्बाई के पतले तार के कारण विद्युत क्षेत्र के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए। [ संकेत-सीधे ही कूलॉम नियम का उपयोग करके आवश्यक समाकलन का मान निकालिए।]
उत्तर:
माना AB एक अनन्त लम्बाई का रेखीय आवेश है जिसका रैखिक आवेश घनत्व λ है और O इसका केन्द्र है। रेखा आवेश के लम्बवत् a दूरी पर कोई एक बिन्दु P है। हमने O से l दूरी पर तार का dl लम्बाई का अंश CD लिया है। जैसा चित्र में दिखाया गया है। इस पर आवेश λdl तथा बिन्दु P से इसकी दूरी r है।
C से DP पर एक लम्ब CL डाला गया है। कोण ∠LCD = θ है।
त्रिभुज CPL में कोण = चाप / त्रिज्या
सूत्र प्रयोग करने पर
dθ = CL/r
या CL = rdθ …………….. (1)
त्रिभुज CLD में
Cos θ = \(\frac{\mathrm{CL}}{\mathrm{CD}}=\frac{\mathrm{rd} \theta}{\mathrm{d} l}\)
या dl = \(\frac{\mathrm{rd} \theta}{\cos \theta}\) …………………. (2)
त्रिभुज CPO से r = \(\frac{a}{\cos \theta}\)
dl लम्बाई के अल्पांश CD जिस पर आवेश dq =λdl है, के कारण P बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र dE है। कूलाम के नियम से विद्युत क्षेत्र की तीव्रता dE का मान होगा-
\(\mathrm{dE}=\mathrm{k} \frac{\mathrm{dq}}{\mathrm{r}^2}\)
इस dE के दो घटक होंगे, एक तार के लम्बवत् (dE cos θ) तथा दूसरा तार के समानान्तर (dE sin θ )
लम्बवत् घटक का मान होगा
E = \(\int d E \cos \theta=\int \frac{k d q}{r^2} \cos \theta\)
= \(\int \frac{\mathrm{k} \lambda d l}{\mathrm{r}^2} \cos \theta\)
(∵ λ = dp/dl)
dl का मान समीकरण (2) में रखने पर
E = \(\int \frac{\mathrm{k} \lambda}{\mathrm{r}^2} \times \frac{\mathrm{rd} \theta}{\cos \theta} \times \cos \theta\)
E = \(\int \frac{k \lambda}{r} \times d \theta\)
समीकरण (3) सेr का मान रखने पर
E = \(\int \frac{\mathrm{k} \lambda}{\mathrm{a}} \cos \theta \mathrm{d} \theta\)a
अनन्त लम्बाई के तार के लिए इस अवकलन की सीमाएँ – π /2 से + π /2 होंगी।
अतः
E = \(\int_{-\pi / 2}^{\pi / 2} \frac{k \lambda}{a} \cos \theta d \theta\)
= \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{\lambda}{\mathrm{a}} \int_{-\pi / 2}^{\pi / 2} \cos \theta \mathrm{d} \theta\)
= \( \frac{\lambda}{4 \pi \epsilon_0 \mathrm{a}}[\sin \theta]_{-\frac{\pi}{2}}^{\frac{\pi}{2}}\)
= \(\frac{\lambda}{4 \pi \epsilon_0 a}\left[\sin \frac{\pi}{2}-\sin \left(-\frac{\pi}{2}\right)\right]c\)
= \( frac{\lambda}{4 \pi \epsilon_0 \mathrm{a}}[1+1]=\frac{1}{2 \pi \epsilon_0} \cdot \frac{\lambda}{\mathrm{a}}\)
या \(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{\lambda}{2 \pi \epsilon_0 a}\) OX के अनुदिश तार के लम्बवत् इतिसिद्धम्
dE के उस घटक का मान जो तार के समानान्तर है (∑dE sin θ ) शून्य होगा क्योंकि O से ऊपरी बिन्दुओं के लिए इसका कुल मान नीचे की और होगा तथा 0 से नीचे के बिन्दुओं के इसका मान ऊपर की ओर होगा।
प्रश्न 1.31.
अब ऐसा विश्वास किया जाता है कि स्वयं प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन (जो सामान्य द्रव्य के नाभिकों का निर्माण करते हैं) और अधिक मूल इकाइयों जिन्हें क्वार्क कहते हैं, के बने हैं। प्रत्येक प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन तीन क्वार्कों से मिलकर बनता है दो प्रकार के क्वार्क होते हैं : अप क्वार्क (u द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर + (2/3) e आवेश तथा डाउन क्वार्क (d द्वारा निर्दिष्ट) जिन पर (-1/3) e आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन से मिलकर सामान्य द्रव्य बनाते हैं। (कुछ अन्य प्रकार के क्वार्क भी पाए गए हैं, जो भिन्न असामान्य प्रकार का द्रव्य बनाते हैं ।) प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन के संभावित क्वार्क संघटन सुझाइए ।
उत्तर:
दो प्रकार के क्वार्क होते हैं जिन्हें तथा d द्वारा दर्शाते हैं।
अप क्वार्क u, पर आवेश = +\(\frac{2}{3} e\)
डाउन क्वार्क d, पर आवेश q =\( -\frac{1}{3} \mathrm{e}\)
प्रोटॉन तीन क्वार्कों से मिलकर बनता है। दो अप तथा एक डाउन प्रोटॉन
का संगठन (u, u, d) पर कुल आवेश = \(2 \mathrm{u}+1 \mathrm{~d} \frac{2}{3} e+\frac{2}{3} e-\frac{1}{3} e = e\)
न्यूट्रॉन का कुल आवेश 3 क्वार्कों से बनता है। एक अप तथा दो डाउन (lu + 2d)
न्यूट्रॉन का संगठन (u, d, d) पर कुल आवेश
= \(\frac{2}{3} e-\frac{1}{3} e-\frac{1}{3} e=0\)
प्रश्न 1.32.
(a) किसी यादृच्छिक स्थिर वैद्युत क्षेत्र विन्यास पर विचार कीजिए इस विन्यास की किसी शून्य विक्षेप स्थिति ( null-point, अर्थात् जहाँ E = 0) पर कोई छोटा परीक्षण आवेश रखा गया है। यह दर्शाइए कि परीक्षण आवेश का संतुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।
(b) इस परिणाम का समान परिमाण तथा चिन्हों के दो आवेशों (जो एक-दूसरे से किसी दूरी पर रखे हैं) के सरल विन्यास के लिए सत्यापन कीजिए।
उत्तर:
(a) माना कि संतुलन स्थायी है तब परीक्षण आवेश को किसी भी दिशा में थोड़ा विस्थापित करने पर वह शून्य विक्षेप की स्थिति की दिशा में प्रत्यानयन बल का अनुभव करेगा अर्थात शून्य विक्षेप की स्थिति के निकट सभी क्षेत्र रेखाएँ शून्य विक्षेप स्थिति की दिशा में अंतर्मुखी निर्दिष्ट होंगी अर्थात् शून्य विक्षेप स्थिति के चारों ओर बन्द पृष्ठ से होकर किसी विद्युत क्षेत्र का नेट अंतर्मुखी फ्लक्स से गुजरेगा, लेकिन गाउस के नियम से किसी विद्युत क्षेत्र का ऐसे पृष्ठ से होकर गुजरने वाला पलस्क जिससे कोई आवेश परिबद्ध नहीं है, शून्य होता है। अतः यह संतुलन स्थायी नहीं हो सकता, अतः हम कह सकते हैं कि परीक्षण आवेश का सन्तुलन आवश्यक रूप से अस्थायी है।
(b) समान परिमाण तथा चिह्नों के दो आवेशों के लिए मध्य बिन्दु सन्तुलन बिन्दु है। यदि मध्य बिन्दु पर रखा परीक्षण आवेश को अक्षीय रेखा के लम्बवत् विस्थापित करे, तब एक नेट बल कार्यरत हो जाता है जो कि आवेश को मध्य बिन्दु से दूर हटा देता है। इसका अर्थ यह है कि परीक्षण आवेश स्थायी सन्तुलन में नहीं है।
प्रश्न 1.33
प्रारम्भ में x-अक्ष के अनुदिश Vx चाल से गति करती हुई दो आवेशित प्लेटों के मध्य क्षेत्र में m द्रव्यमान तथा १ आवेश का एक कण प्रवेश करता है (अभ्यास प्रश्न 1.14 में कण 1 के समान)। प्लेटों की लम्बाई L है। इन दोनों प्लेटों के बीच एकसमान विद्युत क्षेत्र E बनाए रखा जाता है दर्शाइए कि प्लेट के अन्तिम किनारे पर कण का ऊर्ध्वाधर विक्षेप qEL 2/ ( 2m \(\mathbf{v}_x^2\)) है पाठ्यपुस्तक के अनुभाग 4.10 में वर्णित गुरुत्वीय क्षेत्र के साथ इस कण की गति की तुलना कीजिए ।)
उत्तर:
दोनों पट्टिकाओं Q और P को लीजिए और मानिए कि इनके बीच नीचे की ओर कार्यरत विद्युत क्षेत्र E है। माना कण विद्युत क्षेत्र को पार करने में लगा समय है और इसका विक्षेप y है।
t = \(\frac{L}{v_x}\)
आवेशित पट्टिकाओं Q और P के बीच -q आवेश पर परवलयाकार मार्ग तय करता है। माना y अक्ष के अनुदिश कण में a त्वरण उत्पन्न होता है। आरम्भ में y अक्ष के अनुदिश वेग
बल \(\vec{F}=\overrightarrow{m a}\)
\(\vec{a}=\frac{\vec{F}}{m}=\frac{-q \vec{E}}{m}\)
यहाँ पर ऋण चिन्ह दर्शाता है कि \(\vec{a}, \overrightarrow{\mathrm{E}}\) की दिशा के विपरीत है।
गति के दूसरे समीकरण से
S = ut + \(\frac{1}{2} \mathrm{at}^2\)
यहाँ पर S = y और u = uy = 0
y = 0 + \(\frac{1}{2} \times \frac{q E}{m} \times \frac{L^2}{v_x^2}\)
या y = \(\frac{\mathrm{qEL}^2}{2 \mathrm{mv}_{\mathrm{x}}^2}\) इतिसिद्धम्
प्रश्न 1.34.
अभ्यास 1.33 में वर्णित कण की इलेक्ट्रॉन के रूप में कल्पना कीजिए जिसको vx = 2.0 × 106 ms-1 के साथ प्रक्षेपित किया गया है। यदि 0.5 cm की दूरी पर रखी प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र E का मान 9.1 × 102 N/C हो, तो ऊपरी प्लेट पर इलेक्ट्रॉन कहाँ टकराएगा ? (|e| = 1.6 × 10-19 C, me = 9.1 × 10-31 kg.)
उत्तर:
दिया है-
vx = 2 × 106 m/s प्लेटों के मध्य दूरी
d = 0.5 cm
E = 9.1 × 102 N/C
9 = |e| = 1.6 × 10-19C
m = 9.1 × 10-31 kg
माना इलेक्ट्रॉन ऊपरी प्लेट पर x दूरी पर टकराता है तब
L = x तथा इलेक्ट्रॉन का विक्षेप
y = 1⁄2 d = \(\frac{0.5}{2}\) = 0.25cm
= 25 × 10-4 m
y = \(\frac{\mathrm{qEL}^2}{2 \mathrm{mv_{x } ^ { 2 }}}\) से
या L = \(\sqrt{\frac{2 m v_x^2 y}{q E}}\)
या L = \(x \sqrt{\frac{2 m v_x^2 y}{q E}}\)
x = \(\sqrt{\frac{2 \times 9.1 \times 10^{-31} \times\left(2.0 \times 10^6\right)^2 \times 25 \times 10^{-4}}{1.6 \times 10^{-19} \times 9.1 \times 10^2}} \)
= \(\sqrt{\frac{18.2 \times 4 \times 25 \times 10^{-31} \times 10^{12} \times 10^{-4}}{1.6 \times 9.1 \times 10^{-17}}} \)
= \(\sqrt{\frac{18.2 \times 10^{-4}}{14.56}}\)
= \(\sqrt{1.25 \times 10^{-4}}\)
= 1.118 × 10-2m
= 1.12 cm.