Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 3 विद्युत धारा
प्रश्न 3.1.
किसी कार की संचायक बैटरी का विद्युत वाहक बल 12V है। यदि बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध 0.452 हो, तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या है?
उत्तर:
हल- अधिकतम धारा का मान जो बैटरी से ली जा सकती है जबकि परिपथ में बाह्य प्रतिरोध का मान शून्य है अर्थात् R = 0
अधिकतम धारा
I = \(\frac{E}{R+r}\)
R = 0 रखने पर
Imax = \(\frac{E}{0+r}=\frac{E}{r}\)
या Imax = \(\frac{12 \mathrm{~V}}{0.4 \Omega}\) = 30A
प्रश्न 3.2.
10V विद्युत वाहक बल वाली बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 3Ω है, किसी प्रतिरोधक से संयोजित है। यदि परिपथ में धारा का मान 0.5A हो, तो प्रतिरोधक का प्रतिरोध क्या है? जब परिपथ बन्द है, तो सेल की टर्मिनल वोल्टता
हल दिया गया है- जब परिपथ बन्द है, तो सेल की टर्मिनल वोल्टता क्या होगी?
हल-दिया गया है- F = 10V, r = 3Ω
I = 0.5 A
R = ? V = ?
सूत्र I = \(\frac{E}{R+r}\)
या R + r = \(\underline{E}\)
या R = \(\frac{E}{I}-r\)
मान रखने पर R = \(\frac{10}{0.5}\)-3 = 20 – 3
R = 17 Ω
टर्मिनल वोल्टता का मान V = E – Ir = IR
= 10 – 0.5 × 3 = 8.5 V
प्रश्न 3.3.
(a) 1Ω, 2Ω और 3Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणी में संयोजित हैं। प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या है?
(b) यदि प्रतिरोधकों का संयोजन किसी 12 V की बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध है, तो प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टता पात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-(a)
R1 = 1Ω
R2 = 2Ω
R3 = 3Ω
प्रतिरोधों का संयोजन श्रेणी क्रम में है, अतः प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध
Rs = R1 + R2 + R3
= 1+2+3 = 6Ω
(b) परिपथ में धारा का मान
I = \(\frac{E}{R_S+r}=\frac{E}{R_S}\)(r नगण्य है)
I = \(\frac{12}{6}\) = 2 ऐम्पियर
R1 प्रतिरोधक में सिरे पर वोल्टता पात V1 = IR1
= 2 × 1
= 2 वोल्ट
R2 प्रतिरोधक के सिरे पर वोल्टता पात V2 = IR2
= 2 × 2
= 4 वोल्ट
R3 प्रतिरोधक के सिरे पर वोल्टता पात V3 = IR3
= 2 × 3
= 6 वोल्ट
प्रश्न 3.4.
(a) 2Ω, 4Ω और 5Ω के तीन प्रतिरोधक पार्श्व में संयोजित हैं। संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या होगा?
(b) यदि संयोजन को 20V के विद्युत बल की बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध नगण्य है, से सम्बद्ध किया जाता है, तो प्रत्येक प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली धारा तथा बैटरी से ली गई कुल धारा का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-(a) माना समान्त
में जुड़े तीन प्रतिरोध R1, R2,R3 हैं। यहाँ पर
R1 = 2 Ω
R2 = 4 Ω
R3 = 5 Ω
यदि समानान्तर समायोजन का प्रतिरोध Rp है, तब
प्रश्न 3.5.
कमरे के ताप (27.0 °C) पर किसी तापन अवयव का प्रतिरोध 100 Ω है। यदि तापन अवयव का प्रतिरोध 117 Ω हो, तो अवयव का ताप क्या होगा? प्रतिरोधक के पदार्थ का ताप गुणांक 1.70 × 10-4°C-1 हैं।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
R1 = 100 Ω
R2 = 117 Ω
T1 = ?
α = 1.70 × 10-4°C-1
सम्बन्ध R2 = R1[ 1 + α (T2 – T1)] का उपयोग करने पर
प्रश्न 3.6.
15 मीटर लम्बे एवं 6.0 × 10-7 m2 अनुप्रस्थ काट वाले तार से उपेक्षणीय धारा प्रवाहित की गई और इसका प्रतिरोध 5.0 Ω मापा गया। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता क्या होगी?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
तार की लम्बाई l=15 m
तार की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्र A = 6.0 × 10-7 m2
तार का प्रतिरोध R = 5.0 Ω
तार की प्रतिरोधकता p = ?
हम जानते हैं कि p = \(\frac{\mathrm{RA}}{l} \) का उपयोग करने पर
= \(\frac{5.0 \times 6.0 \times 10^{-7}}{15 \mathrm{~m}}\) = \(\frac{30 \times 10^{-7}}{15}\)
= 2 × 10-7Ω m
प्रश्न 3.7.
सिल्वर के किसी तार का 27.5°C पर प्रतिरोध 2.1 Ω और 100°C पर प्रतिरोध 2.7Ω है। सिल्वर की प्रतिरोधकता ताप गुणांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
T1 = 27. 5°C
T2 = 100°C
R1 = 2.1 Ω और R2 = 2.7 Ω
माना सिल्वर की प्रतिरोधकता ताप गुणांक α = ?
सम्बन्ध R2 = R1[T2 – T1] का उपयोग करने पर
प्रश्न 3.8.
नाइक्रोम का एक तापन-अवयव 230 V की सप्लाई C संयोजित है और 3.2 A की प्रारम्भिक धारा लेता है, जो कुछ सेकण्ड में 2.8 A पर स्थायी हो जाती है। यदि कमरे का ताप 27.0 °C है, तो तापन- अवयव का स्थायी ताप क्या होगा? दिए गए ताप-परिसर में नाइक्रोम का औसत प्रतिरोध का ताप गुणांक 1.70 × 10-4है। हल-दिया गया है-
उत्तर:
हल-दिया गया है-
सप्लाई विभव का मान V = 230 वोल्ट
आरम्भिक धारा I1 = 3.2 ऐम्पियर
T1 कमरे का ताप = 27°C
स्थिर धारा I2=2.8 ऐम्पियर
स्थिर ताप T2 = ?
प्रतिरोध का तापीय गुणांक α = 1.7 × 10-4°C-1
यदि T1 व T2 ताप पर तार का प्रतिरोध क्रमश: R1 तथा R2 है तब
R1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}_1}\) से
= \(\frac{2.30}{3.2}\) = 71.875 Ω
और R2 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}_2}\) से
= \(\frac{2.30}{2.8}\) = 82.413 Ω
प्रश्न 3.9.
चित्र में दर्शाए नेटवर्क की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-किरखोफ के द्वितीय नियम को शाखा ABCD पर प्रयोग करने पर
⇒ -10 I1 – 5 Ig + (I – I1) 5 = 0
⇒ – 10 I1 – 5 Ig + 5 I – 5 I1 = 0
⇒ -15 I1 – 5 Ig + 5 I = 0
या 3I1 – I + Ig = 0 ………………(1)
पुनः किरखोफ का द्वितीय नियम शाखा BDCB में लगाने पर
-5 Ig – 10 (I -I1 + Ig) + 5 (I1 – Ig) = 0
⇒ -5 Ig – 10 I + 10 I1 – 10 Ig + 5 I1 – 5 Ig = 0
⇒ 15 I1 – 10 I – 20 Ig = 0
या 3 I1 – 21 – 4 Ig = 0 ……………………(2)
किरखोफ का द्वितीय नियम शाखा ABCEA पर लगाने पर
– 10 I1 – 5 (I1 – Ig) – 10 I + 10 = 0
⇒ 10 I1 5 I1 + 5 Ig – 10 I + 10 = 0
⇒ -15 I1 – 10 I + 5 Ig = -10
⇒ 3 I1 + 2 I – Ig = 2 …………….(3)
समीकरण (1) तथा (3) को जोड़ने पर
6I1 + I = 2 …………….(4)
समीकरण (1) को 4 से गुणा करके समीकरण (2) में जोड़ने पर
15I1 – 6I = 0 …………(5)
समीकरण (4) तथा (5) को हल करने परc
I1 = \(\frac{4}{17}\) ऐम्पियर
शाखा AB में धारा का मान
I1 = \(\frac{4}{17}\) ऐम्पियर
I1 का मान समीकरण (5) में रखने पर
15 × \(\frac{4}{17}\)-6I = 0
या 6I = \( \frac{15 \times 4}{17}\)
या I =\( \frac{15 \times 4}{17 \times 6}=\frac{60}{102}=\frac{10}{7}\) ऐम्पियर
I तथा I1 का मान समीकरण (3) में रखने पर
3I1 + 2I – Ig = 2
⇒ \( 3 \times \frac{4}{17}+\frac{2 \times 60}{102}-\mathrm{Ig}=2\)
⇒ \(\frac{12}{17}+\frac{120}{102}\)– Ig = 2
⇒ \( \frac{12}{17}+\frac{120}{102}\) -2 = Ig
⇒ Ig = \( \frac{72+120-204}{102}\)
= \( \frac{-12}{102}\)
= – \( \frac{2}{17}\) ऐम्पियर
ऋणात्मक चिन्ह यह बताता है कि धारा की दिशा चित्र में विपरीत दर्शायी गई है।
इसलिए धारा दिशा शाखा BD में = lg = \( \frac{-2}{17}\) ऐम्पियर
प्रश्न 3.10.
(a) किसी मीटर सेतु में (चित्र) जब प्रतिरोधक S = 12.5 Ω हो, तो संतुलन बिन्दु सिरे A से 39.5 cm की लम्बाई पर प्राप्त होता है। R का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए। ह्कीटस्टोन सेतु या मीटर सेतु में प्रतिरोधकों के संयोजन के लिए मोटी कॉपर की पत्तियों क्यों प्रयोग में लाई जाती हैं?
(b) R तथा S को अंतर्बदल करने पर उपरोक्त सेतु का संतुलन बिन्दु ज्ञात कीजिए।
(c) यदि सेतु के संतुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर और सेल को अंतर्बदल कर दिया जाए तब क्या गैल्वेनोमीटर कोई धारा दर्शाएगा?
मोटी ताँबे की पट्टियों को संयोजन के रूप में प्रयुक्त करते हैं, क्योंकि इनका प्रतिरोध नगण्य होता है और इनका उपयोग संयोजन के प्रतिरोध को न्यूनतम कर देता है जिससे कीटस्टोन/मीटर सेतु के प्रतिरोध पर इनका प्रभाव नहीं होता है।
(b) R तथा S को अंतर्बदल करने पर सन्तुलन बिन्दु 100 – l = 100 – 39. 5 = 60 . 5 cm प्राप्त होगा।
(c) मीटर सेतु क्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर आधारित है जिससे सेल व धारामापी की स्थितियाँ अंतर्बदल की जा सकती हैं। अतः धारामापी पुनः कोई धारा नहीं दर्शायेगा।
पहली सामान्य अवस्था में अनुपाती भुजायें P,Q होंगी तथा सन्तुलन अवस्था में
\( \frac{P}{Q}=\frac{R}{S}\) होगा।
दूसरी अवस्था में P, R अनुपाती भुजायें हो जायेंगी और सन्तुलन के लिए
\( \frac{P}{R}=\frac{Q}{S}\) होगा।
दोनों प्रतिबंध समान हैं।
प्रश्न 3.11.
8V विद्युत वाहक बल की एक संचायक बैटरी जिसका आन्तरिक प्रतिरोध 0.5 Ω है, को श्रेणीक्रम में 15.5 Ω के प्रतिरोधक का उपयोग करके 120 V के dc स्रोत द्वारा चार्ज किया जाता है। चार्ज होते समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता क्या है? चार्जकारी परिपथ में प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में सम्बद्ध करने का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
E = 8 V,
r = 0.5 Ω
R = 15.5 Ω
Vt = 120V
टर्मिनल वोल्टता
V = E + I.r
= 8 + 7 × 0.5
= 8 + 3.5 = 11.5 वोल्ट
11.5 वोल्ट श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधक बाह्य स्रोत से ली गई धारा को सीमित करता है। इसकी अनुपस्थिति में धारा घातक रूप से बढ़ जाएगी जो कि अवयवों को क्षति पहुँचा सकती है।
प्रश्न 3.12.
किसी पोटेंशियोमीटर व्यवस्था में 1.25 V विद्युत वाहक बल के एक सेल का सन्तुलन बिन्दु तार के 35.0 cm लम्बाई पर प्राप्त होता है। यदि इस सेल को किसी अन्य सेल के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए, तो सन्तुलन बिन्दु 63.0 cm पर स्थानान्तरित हो जाता है। दूसरे सेल का विद्युत वाहक बल क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
E1 = 1.25 V
l1 = 35.0 cm
E2 = ? l2 = 63. 0 cm.
सम्बन्ध \(\frac{\mathrm{E}_1}{\mathrm{E}_2}=\frac{l_1}{l_2}\) का उपयोग करने पर
या E1l2 = l1E2
या E2 = \(\frac{\mathrm{E}_1 l_2}{l_1}\)
मान रखने पर E2 = \(\frac{1.25 \times 63.0}{35.0}\)
E2 = 9 × 0.25 = 2. 25 वोल्ट
प्रश्न 3.13.
किसी ताँबे के चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या घनत्व उदाहरण 3.1 में 8.5 × 1028 m3 आकलित किया गया है। 3 m लम्बे तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपवाह करने में इलेक्ट्रॉन कितना समय लेता है? तार की अनुप्रस्थ काट 2.0 × 10-6 m2 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
इलेक्ट्रॉन की संख्या घनत्व n = 8.5 × 1028 m3
तार की लम्बाई l = 3 m
तार की अनुप्रस्थ काट A = 2.0 × 10-6 m2
तार में धारा I = 3.0 A
इलेक्ट्रॉन पर आवेश e = 1.6 × 10-19C
माना तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक प्रवाहित होने में इलेक्ट्रॉन द्वारा लिया गया समय
T = ?
धारा I = neAvd सम्बन्ध का उपयोग करने पर
∴ vd = \(\frac{I}{\text { neA }}\)
Img-1
अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)
प्रश्न 3.14.
पृथ्वी के पृष्ठ पर ऋणात्मक पृष्ठ-आवेश घनत्व 10-9 cm-2 है। वायुमंडल के ऊपरी भाग और पृथ्वी के पृष्ठ के बीच 400 kV विभवान्तर (नीचे के वायुमंडल की कम चालकता के कारण) के परिणामतः समूची पृथ्वी पर केवल 1800 A की धारा है। यदि वायुमंडलीय विद्युत क्षेत्र बनाए रखने हेतु कोई प्रक्रिया नहीं हो, तो पृथ्वी के पृष्ठ को उदासीन करने हेतु (लगभग) कितना समय लगेगा? (व्यावहारिक रूप में यह कभी नहीं होता है, क्योंकि विद्युत आवेशों की पुन: पूर्ति की एक प्रक्रिया है यथा पृथ्वी के विभिन्न भागों में लगातार तड़ित झंझा एवं तड़ित का होना)। (पृथ्वी की त्रिज्या = 6.37 × 102m)
उत्तर:
हल-दिया गया है-
पृथ्वी का आवेश घनत्व σ = 10-9 cm-2
पृथ्वी की त्रिज्या = 6.37 × 106 m
धारा (सम्पूर्ण पृथ्वी के गोले पर) I = 1800 A
वायुमंडल के ऊपरी भाग और पृथ्वी के बीच विभवान्तर V = 400 kV
पृथ्वी के पृष्ठ को अनावेशित करने में लगा समय t = ?
पृथ्वी के गोले का क्षेत्रफल (A) =4πR2
= 4 × 3. 14 × (6.37 × 106)2
= 4 × 3. 14 × 40 . 58 × 1012 .
= 509.64 × 1012 m2
प्रश्न 3.15.
(a) छ: लेड एसिड संचायक सेलों को जिनमें प्रत्येक का विद्युत वाहक बल 2v तथा आन्तरिक प्रतिरोध 0.015 Ω है, के संयोजन से एक बैटरी बनाई जाती है। इस बैटरी का उपयोग 8.5 Ω प्रतिरोधक जो इसके साथ श्रेणी संबद्ध है, में धारा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। बैटरी से कितनी धारा ली गई है एवं इसकी टर्मिनल वोल्टता क्या है?
(b) एक लम्बे समय तक उपयोग में लाए गए संचायक सेल का विद्युत वाहक बल 1.9 V और विशाल आंतरिक प्रतिरोध 380 Ω है। सेल से कितनी अधिकतम धारा ली जा सकती है? क्या सेल से प्राप्त यह धारा किसी कार की प्रवर्तक मोटर को स्टार्ट करने में सक्षम होगी?
उत्तर:
हल-(a) प्रत्येक सेल का विद्युत वाहक बल (e.m.f.)
E = 2V
श्रेणी क्रम में 6 सेलों का e.m.f.
एक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r = 0. 015 Ω
श्रेणीक्रम में 6 सेलों का आन्तरिक प्रतिरोध = nr
= 6 × 0.015
= 0.090 Ω
R = 8.5 Ω
बैटरी से धारा ली गई I = \(\frac{E}{R+r}\) = \(\frac{12}{8.5+0.090}\)
= \(\frac{12}{8.59}\)
= 1.4 ऐम्पियर
(b) टर्मिनल वोल्टता का मान v = IR से
= 1.4 × 8.5
= 11.90 V
E = 1.9V, r = 380 Ω
अधिकतम धारा = [/latex]\frac{E}{r}=\frac{11.9}{380}[/latex]
= 0.005 ऐम्पियर
= 5 mA
यह कार की प्रवर्तक-मोटर को स्टार्ट करने में सक्षम नहीं होगी, क्योंकि मोटर स्टार्टर को कुछ सेकण्डों के लिए बहुत अधिक धारा (~ 100 A) की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.16.
दो समान लम्बाई की तारों में एक ऐलुमिनियम का और दूसरा कॉपर का बना है। इनके प्रतिरोध समान हैं। दोनों तारों में से कौन-सा हल्का है? अतः समझाइए कि ऊपर से जाने वाली बिजली केबिलों में ऐलुमिनियम के तारों को क्यों पसन्द किया जाता है?
(pAl = 2.63 × 10-8Ωm, pCn = 1. 72 × 10-8 Ωm, Al का आपेक्षिक घनत्व = 2.7, कॉपर का आपेक्षिक घनत्व = 8.9 )
उत्तर:
हल-दिया गया है-
R = \(\frac{\rho l}{\mathrm{~A}}\)
या R = p\(\frac{l^2}{\mathrm{~A} l}=\frac{\rho l^2}{\mathrm{~V}}\)
∵ V = Al
R = \(\rho \frac{l^2}{\mathrm{~V}}=\rho \frac{l^2 \mathrm{~d}}{\mathrm{Vd}}\) लेकिन m = V × d
∴ R = \(\rho \frac{l^2 \mathrm{~d}}{\mathrm{~m}}\) ………………..(1)
लेकिन दिया गया है-दोनों तार समान लम्बाई के हैं और उनका प्रतिरोध समान है।
इसलिए स्पष्ट है- ∴ m ∝ pd
माना ऐलुमिनियम के लिए 1 और कॉपर के लिए 2 को प्रयोग करने पर
\(\frac{m_1}{m_2}=\frac{\rho_1 \mathrm{~d}_1}{\rho_2 \mathrm{~d}_2}\)
लेकिन दिया गया है- p1 = 2.63 × 10-8
d1 = 2.7
p2 = 1.72 × 10-8 और d2 = 8.9
मान रखने पर – \(\frac{m_1}{m_2}\) = \( \frac{2.63 \times 10^{-8} \times 2.7}{1.72 \times 10^{-8} \times 8.9}\) = 0.49
अतः स्पष्ट है कि ऐलुमिनियम तार कॉपर तार से हल्का है। इसी प्रतिरोध एवं लम्बाई के लिए ऐलुमिनियम तार का द्रव्यमान ताँबे के तार के द्रव्यमान से कम है। अतः ऐलुमिनियम के तार को ऊपर से गुजरने वाले बिजली के तार के रूप में वरीयता दी जाती है। एक भारी तार अपने ही भार के कारण लटक सकता है।
प्रश्न 3.17.
मिश्रधातु मैंगनिन के बने प्रतिरोधक के लिए गए निम्नलिखित प्रेक्षणों से आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
धारा A | वोल्टता V |
0.2 | 3. 94 |
0.4 | 7. 87 |
0. 6 | 11. 8 |
0.8 | 15. 7 |
1. 0 | 19. 7 |
2. 0 | 39. 4 |
3. 0 | 59. 2 |
4. 0 | 78. 8 |
5. 0 | 98. 6 |
6. 0 | 118. 5 |
7. 0 | 138. 2 |
8. 0 | 158. 0 |
उत्तर:
हल-ओम का नियम उच्च कोटि की परिशुद्धता से लागू होता है।
हम जानते हैं कि R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\)
धारा I A ऐम्पियर | वोल्टता V | प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\) ओम |
0.2 | V वोल्ट | 19. 7 |
0.4 | 3. 94 | 19. 675 |
0. 6 | 7. 87 | 19. 66 |
0.8 | 11. 8 | 19. 625 |
1. 0 | 15. 7 | 19. 7 |
2. 0 | 19. 7 | 19. 7 |
3. 0 | 39. 4 | 19. 73 |
4. 0 | 59. 2 | 19. 7 |
5. 0 | 78. 8 | 19. 72 |
6. 0 | 98. 6 | 19. 75 |
7. 0 | 118. 5 | 19. 74 |
8. 0 | 138. 2 | 19. 75 |
यहाँ पर दिए गए प्रेक्षणों से 0.2A से 8.0A तक की सभी धाराओं के लिए प्रतिरोध लगभग 19.752 समान है। धारा बढ़ने के साथ 12R की दर से ऊष्मा उत्पन्न होती है एवं ताप भी बढ़ता है परन्तु प्रतिरोध पर कोई प्रभाव नहीं होता है यहाँ पर हमें यह भी ज्ञात होता है कि मिश्रधातु का प्रतिरोध अर्थात् यहाँ मँगनिन का प्रतिरोध ताप के साथ नहीं बदलता है और इनका प्रतिरोध तापीय गुणांक बहुत कम होता है। यह नगण्य रूप से छोटा होता है। इस प्रकार मिश्रधातु मँगनिन का प्रतिरोध और प्रतिरोधकता लगभग ताप से स्वतन्त्र है।
प्रश्न 3.18.
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
(a) किसी असमान अनुप्रस्थ काट वाले धात्विक चालक से एक समान धारा प्रवाहित होती है। निम्नलिखित में से चालक में कौनसी अचर रहती है-धारा, धारा घनत्व, विद्युत क्षेत्र, अपवाह चाल ।
(b) क्या सभी परिपथीय अवयवों के लिए ओम का नियम सार्वत्रिक रूप से लागू होता है? यदि नहीं तो उन अवयवों के उदाहरण दीजिए जो ओम के नियम का पालन नहीं करते।
(c) किसी निम्न वोल्टता संभरण जिसमें उच्च धारा देनी होती है, का आंतरिक प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए, क्यों?
(d) किसी उच्च विभव (H.T.) संमरण, मान लीजिए 6kV, का आन्तरिक प्रतिरोध अत्यधिक होना चाहिए, क्यों?
उत्तर:
(a) केवल धारा, क्योंकि यह स्थायी है। हम जानते हैं कि धारा घनत्व, विद्युत क्षेत्र और बहाव चाल सभी चालक की अनुप्रस्थ काट के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं।
अपवाह वेग Vd = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{nAe}}\)
धारा घनत्व j = [/latex]\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{A}}[/latex]
विद्युत क्षेत्र E = \(\frac{\mathrm{j}}{\sigma}=\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{A} \sigma}\)
(b) नहीं, अन-ओमी अवयवों के उदाहरण : निर्वात डायोड, अर्द्धचालक डायोड, तापीय प्रतिरोध, थायस्टिर SCR आदि में ओम का नियम पालन नहीं होता है।
(c) एक विभव आपूर्ति (सप्लाई) से ली जाने वाली अधिकतम धारा।
Imax = \(\frac{E}{r}\)
जहाँ E स्रोत का विद्युत वाहक बल (e.m.f.) और r स्रोत का आन्तरिक प्रतिरोध है, अतः स्पष्ट है कि Imax को बड़ा होने के लिए r को छोटा होना चाहिए।
(d) यदि आन्तरिक प्रतिरोध बहुत अधिक नहीं है और परिपथ में दुर्घटनावश लघु परिपथन हो जाता है, तो ली गई धारा सुरक्षा सीमा से अधिक हो जाएगी, जो कि घातक होगी।
प्रश्न 3.19.
सही विकल्प छॉटिए-
(a) धातुओं की मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता प्रायः उनकी अवयव धातुओं की अपेक्षा (अधिक/कम) होती है।
(b) आमतौर पर मिश्रधातुओं के प्रतिरोध का ताप-गुणांक, शुद्ध धातुओं के प्रतिरोध के ताप-गुणांक से बहुत कम/अधिक होता है।
(c) मिश्रधातु मैंगनिन की प्रतिरोधकता ताप में वृद्धि के साथ लगभग (स्वतन्त्र है/तेजी से बढ़ती है)।
(d) किसी प्रारूपी विद्युतरोधी (उदाहरणार्थ, अम्बर) की प्रतिरोधकता किसी धातु की प्रतिरोधकता की तुलना में (1022/103 कोटि के गुणक से बड़ी होती है।
उत्तर:
(a) अधिक, (b) कम, (c) लगभग स्वतन्त्र, (d) 1022
प्रश्न 3.20.
(a) आपको R प्रतिरोध वाले n प्रतिरोधक दिए गए हैं। (i) अधिकतम, (ii) न्यूनतम प्रभावी प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए आप इन्हें किस प्रकार संयोजित करेंगे? अधिकतम और न्यूनतम प्रतिरोधों का अनुपात क्या होगा?
(b) यदि 1Ω, 2Ω, 3Ω, के तीन प्रतिरोध दिए गए हों, तो उनको आप किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त तुल्य प्रतिरोध हों
(i) (11/3)Ω (ii) (11/5) Ω (iii) 6Ω, (iv) (6/11) Ω?
(c) चित्र में दिखाए गए नेटवर्कों का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
(a) (i) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में लगाया जाएगा। यदि अधिकतम प्रतिरोध Rmax है।
तब Rmax = R + R + R ……+ n बार = nR
(ii) न्यूनतम प्रभावी प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए प्रतिरोधों को समानान्तर क्रम में जोड़ा जाएगा।
इस प्रकार यदि न्यूनतम प्रतिरोध Rmin है तब
(b) (i) जब 1Ω व 2Ω के समान्तर समायोजन में 3Ω के प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में समायोजित करते हैं, तो हमें वांछित प्रतिरोध का मान होगा।
(ii) जब 2Ω व 3Ω के समान्तर समायोजन में 1Ω के प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में समायोजित करते हैं, तब नेट प्रतिरोध का मान
(c) (i) दत्त नेटवर्क चार समान यूनिटों का श्रेणी समायोजन है। प्रत्येक यूनिट में चार प्रतिरोध हैं जिनमें से ( 1Ω प्रत्येक प्रतिरोध श्रेणी में है) जो (प्रत्येक 2Ω के प्रतिरोध के श्रेणी) 2 प्रतिरोधों के समान्तर में है। यदि एक यूनिट का नेट प्रतिरोध R है तब
\(\frac{1}{R_P}=\frac{1}{2}+\frac{1}{4}=\frac{2+1}{4}=\frac{3}{4}\)
Rp = \(\frac{4}{3}\)Ω
(ii) माना बिन्दु A और B पर एक बैटरी लगाते हैं। यहाँ पर यह देखा गया है कि सभी पाँचों प्रतिरोधों में एक ही धारा प्रवाहित होती है, क्योंकि सभी 5 प्रतिरोध श्रेणी में समायोजित हैं।
A तथा B के बीच कुल नेट प्रतिरोध R1 है। तब
प्रश्न 3.21.
किसी 0.5 Ω आन्तरिक प्रतिरोध वाले 12 V के एक संभरण (Supply) से चित्र में दर्शाए गए अनन्त नेटवर्क द्वारा ली गई धारा का मान ज्ञात कीजिए। प्रत्येक प्रतिरोध का मान 1Ω है।
उत्तर:
माना नेटवर्क का समतुल्य प्रतिरोध x है। चूँकि नेटवर्क अनन्त है। बैटरी अन्त पर एक और सेट योग करते हैं। चित्र में दिखाए अनुसार नेटवर्क हो जाता है। नेटवर्क में ऐसे अनन्त सेट हैं इसलिए इसका प्रतिरोध अब भी R ही होगा।
प्रश्न 3.22.
चित्र में एक पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है जिसमें एक 2.0 v और आन्तरिक प्रतिरोध 0.40 Ω का कोई सेल, पोटेंशियोमीटर के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टता पात बनाए रखता है। कोई मानक सेल जो 1.02 V का अचर विद्युत वाहक बल बनाए रखता है (कुछ mA की बहुत सामान्य धाराओं के लिए) तार की 67.3 cm लम्बाई पर सन्तुलन बिन्दु देता है। मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए इसके साथ परिपथ में श्रेणी 600 KΩ का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ सम्बद्ध किया जाता है, जिसके सन्तुलन बिन्दु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है। इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात विद्युत वाहक बल ε के सेल से प्रतिर्थापित कर दिया जाता है जिससे सन्तुलन बिन्दु तार की 82.3 cm लम्बाई पर प्राप्त होता है।
(a) ε का मान क्या है?
(b) 600 kΩ के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है?
(c) क्या इस उच्च प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित होता है?
(d) उपरोक्त स्थिति में यदि पोटेंशियोमीटर के परिचालक सेल का विद्युत वाहक बल 2.0 V के स्थान पर 1.0 V हो, तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी?
(e) क्या यह परिपथ कुछ mV की कोटि के अत्यल्प विद्युत वाहक बलों (जैसे कि किसी प्रारूपी ताप वैद्युत युग्म का विद्युत वाहक बल) के निर्धारण में सफल होगी? यदि नही, तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे?
हल-मानक सेल का विद्युत वाहक बल (e.m.f.)
E1 के लिए सन्तुलन की लम्बाई = l1 = 67.3 cm.
E2के लिए सन्तुलन की लम्बाई = l2 = 82.3 cm.
चालक सेल का वि.वा. बल E = 2.0 V
चालक सेल का आन्तरिक प्रतिरोध = r = 0.40 Ω
(a) पोटेंशियोमीटर का सिद्धान्त लगाने पर
\(\frac{\mathrm{E}_1}{\epsilon}=\frac{l_1}{l_2}\)
⇒ ∈ = \(\frac{E_1 l_2}{l_1}\)
मान रखने पर ∈ = \(\frac{82.3 \times 1.02}{67.3}\) = 1. 247 वोल्ट
= 1.25 वोल्ट
(b) जब चल सम्पर्क सन्तुलन बिन्दु से दूर है, तो गैल्वनोमीटर में धारा कम करने के लिए 600kΩ के उच्च प्रतिरोध का प्रयोजन है।
(c) इस उच्च प्रतिरोध से सन्तुलन बिन्दु प्रभावित नहीं होता है।
(d) नहीं, यदि पोटेंशियोमीटर के प्राथमिक परिपथ की बैटरी का विद्युत वाहक बल ∈ से कम हो, तो तार AB पर संतुलन बिन्दु प्राप्त नहीं होगा।
(e) परिपथ दिए गए रूप में अनुपयुक्त होगा, क्योंकि सन्तुलन बिन्दु (जब ∈ कुछ mV की कोटि का) सिरे A से काफी समीप होगा और मापन में प्रतिशत त्रुटि बहुत अधिक होगी तार AB के श्रेणी क्रम में उपयुक्त प्रतिरोधक R को संयोजित करके परिपथ को रूपान्तरित कर दिया गया है जिससे कि AB के आर-पार विभवपात, मापित विद्युत वाहक बल से केवल थोड़ा-सा ही अधिक होगा। तब सन्तुलन बिन्दु तार की ओर अधिक लम्बाई पर होगा और प्रतिशत त्रुटि काफी कम होगी।
प्रश्न 3.23.
चित्र में किसी 1.5 V के सेल का आन्तरिक प्रतिरोध मापने के लिए एक 2.0 V का पोटेंशियोमीटर दर्शाया गया है। खुले परिपथ में सेल का संतुलन बिन्दु 76.3 cm पर मिलता है। सेल के बाह्य परिपथ में 9.5 Ω प्रतिरोध का एक प्रतिरोधक संयोजित करने पर संतुलन बिन्दु पोटेंशियोमीटर के तार की 64.8 cm लम्बाई पर पहुँच जाता है। सेल के आन्तरिक प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर: