HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Solutions Chapter 3 मानव जनन

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
(क) मानव …………… उत्पत्ति वाला है। (अलैंगिक / लैंगिक)
(ख) मानव …………… है। (अंडप्रजक, सजीवप्रजक, अंडजरायुज)
(ग) मानव में …………… निषेचन होता है। ( बाह्य / आंतरिक )
(घ) नर एवं मादा युग्मक …………….. होते हैं। (अगुणित / द्विगुणित )
(ङ) युग्मनज ……………. होते हैं। (अगुणित/ द्विगुणित)
(च) एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को ……………. कहते हैं।
(छ) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) ……………… नामक हार्मोन द्वारा प्रेरित (इनड्यूस्ड) होता है।
(ज) नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्यूजन) को ……………… कहते हैं।
(झ) निषेचन ……………… में संपन्न होता है।
(ञ) युग्मनज विभक्त होकर ……………. की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रोपित ( इंप्लांटेड) होता है।
(ट) भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनी संपर्क बनाने वाली संरचना को ……………… कहते हैं।
उत्तर:
(क) लैंगिक
(ख) सजीव प्रजक
(ग) आंतरिक
(घ) अगुणित
(ङ) द्विगुणित
(च) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन)
(छ) एल. एच. एवं FSH
(ज) निषेचन
(झ) फैलोपियन नलिका के इस्थमस तथा एंपुला के सन्धि स्थल
(ञ) कोरकपुटी (भ्रूण)
(ट) अपरा ( प्लेसैन्टा )।

प्रश्न 2.
पुरुष जनन तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
पुरुष जनन तंत्र का आरेख –
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प्रश्न 3.
स्त्री जनन तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
स्त्री जनन तंत्र का आरेख –
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प्रश्न 4.
वृषण तथा अंडाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
वृषण के कार्य –
(i) शुक्राणुओं का निर्माण करना।
(ii) वृषण में स्थित अन्तराली कोशिकाओं द्वारा नर हार्मोन ( टेस्टोस्टेरॉन) उत्पन्न करना जिसके कारण नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है।

अंडाशय के कार्य –
(i) अंडाणु का निर्माण करना।
(ii) एस्ट्रोजन हार्मोन का स्रावण करना जो मादा में द्वितीयक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है।

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प्रश्न 5.
शुक्रजनन नलिका की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर:
शुक्रजनन नलिका की संरचना – वृषण की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को शुक्रजनन नलिका कहते हैं। ये प्रत्येक वृषण पालिका में एक से तीन अतिकुंडलित एक-दूसरे से सटी पतली नलिकाओं के रूप में पाई जाती हैं।
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प्रत्येक शुक्रजनन नलिका के चारों ओर ट्यूनिका प्रोप्रिया (Tunica Propria) नामक झिल्लीनुमा आवरण होता है और इसके भीतर एक स्तरीय जर्मिनल एपीथीलियम (Germinal Epithelium) होती है। इन्हीं कोशिकाओं के विभाजन अर्थात् शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) क्रिया द्वारा शुक्राणु बनते हैं। इसी स्तर पर मुग्दाकार संरचनाएँ स्थित होती हैं जिन्हें सरटोली कोशिकाएँ (Sertoli Cells) कहते हैं। ये कोशिकाएँ विकासशील शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करती हैं। देखिए चित्र में।

शुक्रजनन नलिकाओं के बीच में अन्तराली कोशिकाएँ (Interstitial Cells) पायी जाती हैं, जिन्हें लैडिंग कोशिकाएँ (Leydig Cells) कहते हैं, जिनमें नर हार्मोन बनते हैं, जिससे नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है। शुक्रजनन नलिकाओं से पतली-पतली नलिकाएँ निकलती हैं। जिन्हें वास इफरेंशिया (Vas Efferentia) कहते हैं । वृषण के अंदर ये नलिकाएँ आपस में मिलकर एक जाल बनाती हैं जिसे वृषण जालक (Rete Testis) कहते हैं । जालक से एक कुण्डलित नलिका प्रारम्भ होती है जिसे एपिडिडाइमिस (Epididymis) कहते हैं।

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प्रश्न 6.
शुक्राणुजनन क्या है? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर:
शुक्राणुजनन ( Spermatogenesis ) – वृषण में जनन उपकला कोशिकाओं (Germinal Epithelium) से समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणुओं के निर्माण एवं परिपक्व की क्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं। अर्धसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणुओं के निर्माण एवं परिपक्व की क्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं। शुक्राणुजनन की प्रक्रिया- शुक्र जनक नलिकाओं (Seminiferous Tubules) की भीतरी परत में उपस्थित शुक्राणुजन (Spermatogenia) समसूत्री विभाजन द्वारा संख्या में वृद्धि करते हैं। प्रत्येक शुक्राणुजन ( Spermatogonia) द्विगुणित होते हैं अर्थात् गुणसूत्रों की संख्या 46 होती है।

अब शुक्राणुजन में अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis division) होता है जिसके फलस्वरूप प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाओं (Primary Spermatocytes) का निर्माण होता है। एक प्राथमिक शुक्राणु कोशिका प्रथम अर्धसूत्री विभाजन को पूरा करते हुए दो समान अगुणित कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, जिन्हें द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ (Secondary Spermatocytes) कहते हैं। इस प्रकार निर्मित प्रत्येक कोशिका में 23 गुणसूत्र होते हैं । द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ दूसरे अर्धसूत्री विभाजन से गुजरते हुए चार बराबर अगुणित शुक्राणुप्रसु (Spermatids ) का निर्माण करते हैं। देखिए ऊपर चित्र में। ये शुक्राणु (Spermatids ) अन्त में शुक्राणु ( Sperms) में रूपान्तरित हो जाते हैं। शुक्राणुप्रसु (Spermatids ) का शुक्राणु में रूपान्तरित होने की क्रिया को स्पर्मिओजेनेसिस ( Spermiogenesis) कहते हैं।
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प्रश्न 7.
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में शामिल हार्मोनों के नाम बताएँ।
उत्तर:
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया के नियमन में शामिल हार्मोनों के नाम निम्नलिखित हैं –
(i) गोनेडोट्रॉपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH)
(ii) ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH)
(iii) फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH)
(iv) एंड्रोजन्स

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प्रश्न 8.
शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्परमियेशन) की परिभाषा लिखें।
उत्तर:
शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) – वृषण में जनन उपकला कोशिकाओं ( Germinal Epithelium) से समसूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन द्वारा शुक्राणुओं के निर्माण एवं परिपक्वन की क्रिया को शुक्राणुजनन कहते हैं।
वीर्यसेचन (Insemination ) – स्त्री एवं पुरुष के संभोग (मैथुन) के दौरान शिश्न द्वारा शुक्राणु (वीर्य) स्त्री की योनि में छोड़ने की क्रिया को वीर्यसेचन ( Insemination) कहते हैं ।

प्रश्न 9.
शुक्राणु की एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
शुक्राणु का नामांकित आरेख –
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प्रश्न 10.
शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या हैं?
उत्तर:
पुरुष (नर) की सहायक ग्रन्थियों के अन्तर्गत –
(i) एक जोड़ी शुक्राशय (Seminal Vesicle)
(ii) प्रोस्टेट ग्रन्थि (Prostate gland)
(iii) एक जोड़ी बल्बोयूरेथ्रल ग्रन्थियाँ (Bulbouretheral glands) शामिल होती हैं।
इन ग्रन्थियों का स्राव शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) का निर्माण करता है जो फ्रुक्टोज (फल शर्करा), कैल्सियम, प्रोटीन, सेमीनोजेलिन, प्रोस्टोग्लेन्डिन्स आदि होते हैं।

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प्रश्न 11.
पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर:
पुरुष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य निम्न हैं-
(i) वृषण जालिका (Rete Testis) के कार्य – शुक्रजनन नलिका से प्राप्त शुक्राणुओं को वास इफेरेंशिया तक पहुँचाना।
(ii) वास इफेरेंशिया (Vas efferentia) का कार्य – अधिवृषण तक शुक्राणुओं को पहुँचाना।
(iii) अधिवृषण (Epididymis) का कार्य – शुक्राणुओं को ई अधिवृषण (एपिडिडाइमिस) में संग्रहित किया जाता है व यहाँ शुक्राणुओं का परिपक्वन होता है।
(iv) शुक्रवाहक (Vas deference) का कार्य – शुक्राणुओं का वहन एवं मूत्र मार्ग से बाहर स्थानान्तरण करना ।

ग्रन्थियों के कार्य –
(i) प्रोस्टेट ग्रन्थि ( Prostate gland) – ग्रन्थि का स्राव शुक्राणुओं को सक्रिय बनाता है एवं वीर्य को स्कंदन से रोकता है।
(ii) ब्लबोयूरेथ्रल ग्रन्थियाँ (Bulbouretheral glands) – इसका स्राव मादा की योनि को चिकना कर मैथुन क्रिया को सुगम बनाता है।
(iii) शुक्राशय (Seminal vesicles ) – इसका स्राव योनि मार्ग की अम्लीयता को समाप्त कर शुक्राणुओं की सुरक्षा करता है।

प्रश्न 12.
अंडजनन क्या है? अंडजनन की संक्षिप्त व्याख्या
उत्तर:
अंडजनन (Oogenesis ) – एक परिपक्व मादा युग्मक के निर्माण की प्रक्रिया को अंडजनन कहते हैं। अंडजनन की शुरुआत भ्रूणीय परिवर्धन चरण के दौरान होती है जब कई मिलियन मातृ युग्मक कोशिकाएँ यानी अंडजननी (oogonia) प्रत्येक भ्रूणीय अंडाशय के अन्दर निर्मित होती हैं। जन्म के बाद अंडजननी का निर्माण और उसकी वृद्धि नहीं होती है । इन कोशिकाओं में विभाजन शुरू हो जाता है और अर्धसूत्री विभाजन के पूर्वावस्था – 1 (प्रोफेज-1 ) में प्रविष्ट होती है और इस अवस्था में स्थायी तौर पर अवरुद्ध रहती है। इन्हें प्राथमिक अंडक (Primary oocyte) कहते हैं। उसके बाद प्रत्येक प्राथमिक अंडक कणिकामय कोशिकाओं (Granulosa Cells) की परत से आवृत होती है और इन्हें प्राथमिक पुटक ( Primary Follicle) कहा जाता है। यह प्राथमिक पुटक (Primary Follicle) कणिकामय कोशिकाओं के और अधिक परतों से आवृत हो जाते हैं तथा एक और नये प्रावरक (थिकल )
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यह द्वितीयक पुटक ( Secondary Follicle) शीघ्र ही एक तृतीय पुटक में परिवर्तित हो जाता है, जिसकी तरल से भरी गुहा को एंट्रम (antrum) कहा जाता है। प्रावरक स्तर (Theca Layer) बाह्य प्रावरक (External theca) एवं आन्तरिक प्रावरक (Theca interna) में गठित होता है। तृतीयक पुटक के अंदर प्राथमिक अंडक के आकार से वृद्धि होती है और इसका पहला अर्धसूत्री विभाजन (I meiosis division ) पूरा होता है।

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यह एक असमान विभाजन है जिसके फलस्वरूप बड़ा अगुणित द्वितीयक अंडक (Secondary oocyte) तथा एक छोटी प्रथम ध्रुवीय पिंड (Polar body) की रचना होती है। देखिए चित्र में। द्वितीयक अंडक (Secondary oocyte) प्राथमिक अंडक के पोषक से भरपूर कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) की मात्रा को संचित रखती है। तृतीयक पुटक (Tertiary Follicle) आगे चलकर ग्राफी पुटक (Graffian Follicle) में परिवर्तित हो जाता है । देखिये चित्र पाठ्यपुस्तक के प्रश्न क्रमांक 14 का उत्तर। द्वितीयक अंडक अपने चारों ओर पारदर्शी अंडावरण (Zona Pellucida ) का निर्माण कर लेता है। अब ग्राफियन पुटक फट जाती है और अण्डाशय से अंड बाहर निकलता है। इस प्रक्रिया को अंडोत्सर्ग (ovulation) कहते हैं।

प्रश्न 13.
अंडाशय के अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
अंडाशय के अनुप्रस्थ काट का आरेख
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प्रश्न 14.
ग्राफी पुटक (ग्राफियन फॉलिकल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर:
ग्राफी पुटक (ग्राफियन फॉलिकल ) का आरेख
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प्रश्न 15.
निम्नलिखित के कार्य बताएँ –
(क) पीत पिंड (कार्पस ल्यूटियम)
(ख) गर्भाशय अंत: स्तर (एंडोमेट्रियम)
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)
(च) झालर (फिम्ब्री)
उत्तर:
(क) पीत पिंड (कार्पस ल्यूटियम) के कार्य –
(i) पीत पिंड (Corpus Luteum) द्वारा स्रावित प्रोजेस्टरोन हार्मोन भ्रूण के सफल परिवर्धन के लिए गर्भ को बनाये रखता है । इसलिए इसे सगर्भता हार्मोन (Pregnancy Hormone) भी कहते हैं।
(ii) भ्रूणीय परिवर्धन पूर्ण हो जाने के उपरान्त शिशु के जन्म के लिए पीत पिण्ड (Corpus Luteum) द्वारा रिलेक्सिन (Relaxin) हार्मोन उत्पन्न किया जाता है ।

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(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (एंडोमेट्रियम) के कार्य –
(i) यह स्तर ग्रन्थिल होता है तथा कोरकपुटी ( भ्रूण) गर्भाशय अंतःस्तर में स्थापित होता है।
(ii) आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रअल साइकिल ) के दौरान गर्भाशय के इसी स्तर में चक्रीय परिवर्तन होते हैं।
(iii) इसी अस्तर की रक्त कोशिकाओं एवं ग्रन्थियों के फट जाने से रक्तस्राव प्रारम्भ होता है। रक्त एवं गर्भाशयी ऊतक योनि मार्ग द्वारा बाहर निकलता है। अर्थात् ऋतुस्राव / रजोधर्म में यह स्तर सहायक है।
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम) के कार्य – एक्रोसोम द्वारा हाएलोयूरोनाइडेज (Hyalouronidase) नामक एजाइम का स्रावण किया जाता है जो निषेचन के दौरान अण्डाणु कलाओं (Egg Membranes ) को घोलने का कार्य करता है । अर्थात् अण्डाणु के निषेचन में सहायता करता है।
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल) के कार्य – यह शुक्राणुओं को गति प्रदान करने में सहायता करती है। शुक्राणु के मध्य खण्ड में माइटोकोन्ड्रिया पाये जाते हैं, जो पूंछ को गति प्रदान करने के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं जिससे शुक्राणु पूंछ की सहायता से निषेचन के लिए अण्ड तक पहुँच सके।
(च) झालर (फिम्ब्री) के कार्य- अण्डोत्सर्ग के दौरान अण्डाशय से उत्सर्जित अण्डाणु को संग्रह करने में ये झालर सहायक होते हैं।

प्रश्न 16.
सही या गलत कथनों को पहचानें –
(क) पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन सर्टोली कोशिकाओं द्वारा होता है। (सही / गलत)
(ख) शुक्राणु को सट्रली कोशिकाओं से पोषण प्राप्त होता है। (सही / गलत)
(ग) लीडिंग कोशिकाएँ अंडाशय में पाई जाती हैं। (सही / गलत ) (घ) लीडिंग कोशिकाएँ पुंजनों (एंड्रोजेन्स) को संश्लेषित करती हैं। (सही / गलत )
(ङ) अंडजनन पीत पिंड ( कॉपर्स ल्युटियम) में संपन्न होता है। (सही / गलत )
(च) सगर्भता (प्रेगनेंसी) के दौरान आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल ) बंद होता है । (सही / गलत )
(छ) योनिच्छद (हाइमेन) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति कौमार्य (वर्जिनिटी) या यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं है। (सही / गलत)
उत्तर:
(क) गलत
(ख) सही
(ग) गलत
(घ) सही
(ङ) गलत
(च) सही
(छ) सही।

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प्रश्न 17.
आर्तव चक्र क्या है? आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) का कौनसे हार्मोन नियमन करते हैं?
उत्तर:
आर्तव चक्र ( Menstruation ) – प्राइमेट्स मादाओं में पाये जाने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र या रजोधर्म (Menstruation) कहते हैं। स्त्रियों में रजचक्र / रजोधर्म / ऋतुस्राव 28/29 दिन का होता है। प्रथम रज चक्र तरुणावस्था (Puberty) में प्रारम्भ होता है। इसे रजोदर्शन (menarche ) कहते हैं। इस चक्र के दौरान स्त्रियों की योनि से महीने में एक बार रक्तस्राव होता है जो 3 से 5 दिनों तक जारी रहता है। पचास वर्ष की उम्र में यह चक्र लगभग समाप्त हो जाता है। इस अवस्था को रजोनिवृत्ति (Menopause) कहते हैं। गर्भवती महिलाओं में आर्तव चक्र अनुपस्थित होता है। आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) का निम्नलिखित हार्मोन नियमन करते हैं –

  • गोनेडोट्रॉपिन
  • ऐस्ट्रोजन
  • ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
  • फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन
  • प्रोजेस्ट्रॉन।

प्रश्न 18.
प्रसव (पारट्युरिशन) क्या है? प्रसव को प्रेरित करने में कौनसे हार्मोन शामिल होते हैं?
उत्तर:
प्रसव (पारट्युरिशन) – मानव में सगर्भता की औसत अवधि लगभग 9.5 माह होती है जिसे गर्भावधि (जेस्टेशन पीरियड) कहते हैं। सगर्भता के अंत में गर्भाशय के जोरदार संकुचनों के कारण गर्भ बाहर निकल आता है। गर्भ के बाहर निकलने की इस क्रिया को शिशु जन्म या प्रसव (पारट्युरिशन) कहा जाता है। प्रसव एक जटिल तंत्रिअंत: स्रावी (न्यूरोइन्डोक्राइन) क्रियाविधि द्वारा प्रेरित होता है। प्रसव के लिए संकेत पूर्णविकसित गर्भ एवं अपरा से उत्पन्न होते हैं जो हल्के (माइल्ड) गर्भाशय संकुचनों को प्रेरित करते हैं जिन्हें गर्भ उत्क्षेपन प्रतिवर्त (फीटल इंजेक्शन रेफलेक्स) कहते हैं।

यह मातृ पीयूष ग्रंथि से ऑक्सीटोसिन के निकलने की क्रिया को सक्रिय बनाती है। ऑक्सीटोसिन गर्भाशय पेशी पर कार्य करता है और इसके कारण जोर- जोर से गर्भाशय संकुचन होने लगते हैं। गर्भाशय संकुचन ऑक्सीटोसिन के अधिक स्रवण को उद्दीपित करता है। गर्भाशय संकुचनों तथा ऑक्सीटोसिन स्राव के बीच लगातार उद्दीपक प्रतिवर्त के कारण यह संकुचन तीव्र से तीव्रतर होता जाता है। इससे शिशु, माँ के गर्भाशय से जनन नाल द्वारा बाहर आ जाता है यानी प्रसव सम्पन्न हो जाता है।

प्रसव एक जटिल तंत्रिअंतःस्रावी क्रियाविधि द्वारा प्रेरित होते हैं जिसमें निम्न हार्मोन शामिल हैं –
(i) कार्टिसॉल
(ii) एस्ट्रोजन
(iii) आक्सीटोसिन।

प्रश्न 19.
हमारे समाज में लड़कियों को जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है। बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?
उत्तर:
स्त्री में गुणसूत्र का स्वरूप XX है तथा पुरुष में XY होता है। इसलिए स्त्री (अंडाणु) द्वारा उत्पादित सभी अगुणित युग्मकों में X लिंग गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष युग्मकों (शुक्राणुओं) में लिंग गुणसूत्र या ते।’ X या Y लिंग गुणसूत्र होते हैं इसलिए 50 प्रतिशत शुक्राणु में X लिंग गुणसूत्र होते हैं और दूसरे 50 प्रतिशत शुक्राणु में Y लिंग गुणसूत्र होते हैं।

इसलिए पुरुष एवं स्त्री युग्मकों के संलयन के पश्चात् युग्मनज में या तो XX या XY लिंग गुणसूत्र की संभावना होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि X या Y लिंग गुणसूत्र वाले शुक्राणुओं में से कौन अंडाणु का निषेचन करता है। जिस युग्मनज में XX गुणसूत्र होंगे वह एक मादा शिशु (लड़की) के रूप में जबकि XY गुणसूत्र वाला युग्मनज नर शिशु (लड़का ) के रूप में विकसित होगा। इसी कारण कहा जाता है कि वैज्ञानिक रूप से यह कहना सत्य है कि एक शिशु के लिंग का निर्धारण उसके पिता द्वारा होता है न कि माता (स्त्री) के द्वारा।

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प्रश्न 20.
एक माह में मानव अंडाशय से कितने अंडे मोचित होते हैं? यदि माता ने समरूप जुड़वाँ बच्चों को जन्म दिया हो तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अंडे मोचित हुए होंगे? क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जन्मे हुए जुड़वाँ बच्चे, द्विअंडज यमज थे?
उत्तर:
हर महीने (प्रत्येक आवर्त चक्र में ) मानव अण्डाशय से एक अण्डा मोचित होता है। समरूप जुड़वाँ बच्चों को यदि किसी माता ने जन्म दिया हो तो दो अण्डे मोचित हुए होंगे। यदि जुड़वाँ बच्चे, द्विअण्डज यमज हों तो भी मेरा उत्तर नहीं बदलेगा। थे?

प्रश्न 21.
क्या आप सोचते हैं कि कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय के कितने अंडे मोचित हुए
उत्तर:
कुतिया जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से 6 अण्डे मोचित हुए थे।

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