HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी
Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 10 तरंग-प्रकाशिकी
प्रश्न 1.
 589 nm तरंगदैघ्र्य का एकवर्णिय प्रकाश वायु से जल की सतह पर आप्तित होता है।
 (a) परावर्तित तथा
 (b) अपरवार्तित प्रकाश की तरंगदैघ्र्य, आवृत्ति तथा चाल क्या होगी? जल का आवरत्नांक 1.33 है।
 उत्तर:
 दिया गया है:
 एकवर्णीय प्रकाश का तरंगदैर्घ्य = 589nm
 A = 589 × 109 m
 प्रकाश की चाल c = 3 x 108 m/s,
 वायु का अपवर्तनांक = n = 1
(a) परावर्तित प्रकाश के लिए:
 परावर्तित प्रकाश का तरंगदैर्घ्य = 1
 परावर्तित प्रकाश की आवृत्ति = v
 परावर्तित प्रकाश की चाल = v
 (i) चूँकि परावर्तित प्रकाश का तरंगदैर्घ्य अपरिवर्तित रहता है। चूँकि वायु का अपवर्तनांक 1 है इसलिए अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
 चाल
 λ1 = λ/n
 = 589 × 10-9/1
 λ1 = 589 x 10-9 m
 (ii) चूँकि परावर्तन एक ही माध्यम में होता है अतः प्रकाश की
 = v = c = 3 x 108 m/s
 (iii) अपवर्तित प्रकाश की आवृत्ति =0
 आवृत्ति v = c/λ
 = \(\frac{3 \times 10^8 \mathrm{~m} / \mathrm{s}}{589 \times 10^{-9} \mathrm{~m}}\)
 = 5.09 × 1014 Hz
(b) अपवर्तित प्रकाश के लिए:
 जल का अपवर्तनांक = 1.33
 अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य λ = λ/n
 = \(\frac{589 \times 10^{-9}}{1.33}\)
 = 442.857 nm
 ≈ 443 nm
अपवर्तित प्रकाश की आवृत्ति आपतित प्रकाश की आवृत्ति के समान होती है।
 अतः आवृत्ति v’ = 0 = 5.09 × 1014 Hz
 अपवर्तित प्रकाश की चाल (Vg) = c/n = \(\frac{3 \times 10^8}{1.33}\)
 = 2.26 × 108m/s

प्रश्न 10.2.
 निम्नलिखित दशाओं में प्रत्येक तरंगाय की आकृति क्या है?
 (a) किसी बिंदु स्रोत से अपसरित प्रकाश।
 (b) उत्तल लेन्स से निर्गमित प्रकाश, जिसके फोकस बिंदु पर कोई बिंदु स्रोत रखा है।
 (c) किसी दूरस्थ तारे से आने वाले प्रकाश तरंगाय का पृथ्वी द्वारा अवरोधित (intercepted) भाग।
 उत्तर:
 (a) तरंगाग्र गोलीय अभिसारी प्रकार का होता है।
 (b) जब बिन्दु स्रोत को उत्तल लेंस के फोकस पर रखा जाता है तब लेंस से निर्गत प्रकाश किरणें एक-दूसरे के समान्तर होती हैं तथा तरंगाग्र समतल होगा।
 (c) तरंगा की आवृत्ति लगभग समतल होती है क्योंकि प्रकाश स्रोत अर्थात् पृथ्वी से दूरस्थ है तारा। अतः बड़े गोले की सतह का एक छोटा क्षेत्र लगभग समतलीय होता है।
प्रश्न 10.3.
 (a) काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। काँच में प्रकाश की चाल क्या होगी ? (निर्वात में प्रकाश की चाल 3.0 x 108 ms-1 है।)
 (b) क्या काँच में प्रकाश की चाल, प्रकाश के रंग पर निर्भर करती है? यदि हाँ, तो लाल तथा बैंगनी में से कौन-सा रंग काँच के प्रिज्म में धीमा चलता है?
 उत्तर:
 (a) दिया गया है:
 काँच का अपवर्तनांक= 1.5
 n = 1.5
 निर्वात में प्रकाश की चाल = c = 3.0 x 108 m/s
 काँच में प्रकाश की
 चाल = Vg (माना)
 = \(\mathrm{v}_{\mathrm{g}}\) = \(\frac{\mathrm{c}}{\mathrm{n}}\) = \(\frac{3.0 \times 10^8}{1.5}\)
 Vg = 2 × 108 m/s.
(b) हाँ, काँच में प्रकाश की चाल इसके रंग से स्वतंत्र नहीं है। कोची सूत्र से अपवर्तनांक का मान रंग पर निर्भर करता है। अर्थात्
 अपवर्तनांक (n) = a + b/ λ2 + c/λ4 + …………….
 या c/vg = a + b/ λ2 + c/ λ4 + ……………..
 यहाँ पर a, b तथा c स्थिरांक हैं।
 ∴ vg or λ2 स्पष्टतः है कि प्रकाश की चाल तरंगदैर्घ्य के वर्ग के अनुक्रमानुपाती है। हम जानते हैं कि
 अर्थात् बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य लाल रंग के तरंगदैर्ध्य से कम है। इसलिए काँच में से बैंगनी प्रकाश लाल रंग की अपेक्षा धीमे चलेगा।
प्रश्न 10.4.
 यंग के द्विझिरी प्रयोग में झिरियों के बीच की दूरी 0.28mm है तथा परदा 1.4m की दूरी पर रखा गया है। केंद्रीय दीप्त फ्रिंज एवं चतुर्थ दीप्त फ्रिंज के बीच की दूरी 1.2cm मापी गई है। प्रयोग में उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।
 उत्तर:
 दिया गया है:
 झिरियों के बीच की दूरी = d = 0.28mm
 d = 0.28 × 103 m
 झिरियों और पर्दे के बीच
 दूरी = D= 1.4m
 धारी की कोटि = n = 4
 x = 1.2 cm = 1.2 x 102 m
 सम्बन्ध सूत्र
 x = nλD/d से हम प्राप्त करते हैं
 या
 λ = xd/nD
 मान रखने पर
 
 = 600 × 109 m
 = 6000 Å
प्रश्न 10.5.
 यंग के द्विझिरी प्रयोग में, λ तरंगदैर्ध्य का एकवर्णीय प्रकाश उपयोग करने पर परदे के एक बिंदु पर जहाँ पथांतर λ है, प्रकाश की तीव्रता K इकाई है। उस बिंदु पर प्रकाश की तीव्रता कितनी होगी जहाँ पथांतर λ/3 है?
 उत्तर:
 एकवर्णीय प्रकाश के लिये
 I1 = I2 = l0
 तथा पथान्तर
 ∆ = λ
 तब कलान्तर ¢ = 2π/λ .∆
 ¢ = 2π/λ .λ = 2π
 परिणामी तीव्रता
 = K
 अतः
 K = I1 + I2 + 2 √I1, √I2 cos ¢
 = Io + I0 + 2√I0√I0 cos 2π
 = 2I0 + 2I0 × 1 (∵ cos 2π = 1)
 K = 4lo
 ⇒ Io = 1/4K
 जब ∆ = λ/3
 कलान्तर ¢ = 2π/λ × λ/3 = 2π/3
 परिणामी तीव्रता I = – 1/4k + 1/4k + 2K/4 cos 2π/3
 I = 1/2k + 1/2K(-1/2)
 I = 1/4K
प्रश्न 10.6
 यंग के द्विझिरी प्रयोग में व्यतिकरण फ्रिजों को प्राप्त करने के लिए 650 nm तथा 520 nm तरंगदैयों के प्रकाश-पुंज का उपयोग किया गया।
 (a) 650nm तरंगदैर्घ्य के लिए परदे पर तीसरे दीप्त फ्रिज की केंद्रीय उच्चिष्ठ से दूरी ज्ञात कीजिए।
 (b) केंद्रीय उच्चिष्ठ से उस न्यूनतम दूरी को ज्ञात कीजिए जहाँ दोनों तरंगदैघ्यों के कारण दीप्त फ्रिज संपाती (coincide) होते हैं।
 दोनों झिरियों के बीच की दूरी 2 mm तथा झिरियों से पर्दे की दूरी 12m है।
 उत्तर:
 दिया गया है:
 λ1 = 650 nm = 650 x 109 m.
 = 650 x 107 cm.
 = 65 × 10-6 cm.
 n = 3, D = 1.2 m = 120 cm.
 d = 2 mm = 2 × 10-1 cm.
 λ2 = 520 nm
 = 520 x 10-9 m.
 = 520 × 10-7 cm.
 = 52 × 10-6 cm.
(a) केन्द्रीय फ्रिंज से nवीं दीप्त फ्रिंज की दूरी x = nλD/d
 X = \(\frac{3 \times 65 \times 10^{-6} \times 120}{2 \times 10^{-1}}\)
 ∵ n = 3
 = 117 × 103 cm.
 = 0.117 cm = 1.17 mm.
(b) प्रश्नानुसार न्यूनतम दूरी वह होगी, जहाँ पर एक तरंगदैर्घ्य के कारण वें क्रम की दीप्त फ्रिंज दूसरे तरंगदैर्घ्य के कारण (n + 1)d वें क्रम की दीप्त फ्रिज के सम्पाती होगी।
 अतः
 x = \(\frac{\mathrm{n} \lambda \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\)
 \(\frac{\mathrm{n} \lambda_1 \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\) = \(\frac{(n+1) \lambda_2 D}{d}\)
 nλ1 = (n + 1)λ2
 या n × 65 × 10-6 = (n + 1) × 52 × 10-6
 या 5n = (n + 1) × 4 = 4n + 4
 या n = 4
 अतः न्यूनतम दूरी x = \(\frac{\mathrm{n} \lambda_1 \mathrm{D}}{\mathrm{d}}\) = \(\frac{4 \times 65 \times 10^{-6} \times 120}{2 \times 10^{-1}}\)
 x = 0.156 cm = 1.56mm.

प्रश्न 10.7.
 एक द्विझिरी प्रयोग में एक मीटर दूर रखे परदे पर एक फ्रिज की कोणीय चौड़ाई 0.2° पाई गई। उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 600 nm है। यदि पूरा प्रायोगिक उपकरण जल में डुबो दिया जाए तो फ्रिज की कोणीय चौड़ाई क्या होगी? जल का अपवर्तनांक 4/3 लीजिए।
 उत्तर:
 कोणीय चौड़ाई θ = λ/d
 या θ α λ
 जहाँ
 θ = 0.2°
 nw = 4/3
 \(\frac{\theta_w}{\theta}\) = \(\frac{\lambda_w}{\lambda}\)
 ∵ n = v1/v2 = λ1/λ2
 अतः
 nw = \(\frac{\lambda}{\lambda_w}\)
 या = \(\frac{\lambda}{\mathrm{n}_{\mathrm{w}}}\)
 \(\frac{\theta_w}{\theta}\) = \(\frac{\lambda}{\mathrm{n}_{\mathrm{w}} \lambda}\) = \(\frac{1}{\mathrm{n}_{\mathrm{w}}}\)
 ∴ θw = \(\frac{\theta}{n_w}\)
 मान रखने पर
 θ = \(\frac{0.2^{\circ}}{4 / 3}\) = \(\frac{0.2^{\circ} \times 3}{4}\)
 θ = 0.15°
प्रश्न 10.8.
 वायु से काँच में संक्रमण (transition ) के लिए ब्रूस्टर कोण क्या है? (काँच का अपवर्तनांक = 1.5 )।
 उत्तर:
 वायु से काँच में संक्रमण के लिए n = tan iB
 यहाँ पर iB = ब्रूस्टर कोण है जिसे ध्रुवण कोण भी कहते हैं।
 1.5 = tan iB
 या
 iB = tan-1 (1.5)
 = 56.3°
प्रश्न 10.9
 5000 À तरंगदैर्घ्य का प्रकाश एक समतल परावर्तक सतह पर आपतित होता है। परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य एवं आवृत्ति क्या है? आपतन कोण के किस मान के लिए परावर्तित किरण आपतित किरण के लंबवत् होगी?
 उत्तर:
 दिया गया है
 λ = 5000 A = 5000 x 10-10m
 λ = 5 x 107 m
 c = 3 × 108 m/s.
 ∴ परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य = आपतित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
 अतः परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
 = 5000 A
 अब आवृत्ति v = c/λ से
 = \(\frac{3 \times 10^8}{5 \times 10^{-7}}\) = \(\frac{3 \times 10^8}{5 \times 10^{-7}}\)
 = 6 × 1014 Hz
 अब परावर्तन के नियमानुसार i = r
 अब i + r = 90°
 ∴ i + i = 90°
 या 2i = 90°
 या i = 45°
प्रश्न 10.10.
 उस दूरी का आकलन कीजिए जिसके लिए किसी 4 mm के आकार के द्वारक तथा 400 nm तरंगदैर्ध्य के प्रकाश के लिए किरण प्रकाशिकी सन्निकट रूप से लागू होती है।
 उत्तर:
 दिया गया है:
 प्रकाश का तरंगदैर्ध्य = λ = 400 nm
 λ = 400 x 10-9 m
 = 4 × 10-7 m
 छिद्र के द्वारक का आकार a = 4 mm
 = 4 × 10-3 m
 Zf = फ्रेनेल दूरी = वह दूरी जिसके लिए रेखा प्रकाशिकी एक अच्छा निकटतम है।
 किरण प्रकाशिकी की वैधता
 सूत्र
 Zf = a2/λ से
 = \(\frac{\left(4 \times 10^{-3}\right)^2}{4 \times 10^{-7}}\) = \(\frac{16 \times 10^{-6}}{4 \times 10^{-7}}\)
 = 4 × 10 = 40m
अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT):
प्रश्न 10.11.
 एक तारे में हाइड्रोजन से उत्सर्जित 6563 A की Hg लाइन में 15 का अभिरक्त विस्थापन ( red-shift) होता है। पृथ्वी से दूर जा रहे तारे की चाल का आकलन कीजिए।
 उत्तर:
 दिया गया है:
 ∆λ = 15 x 10-10
  m
 λ = 6563
 Å = 6563 x 10-10 m
 c = 3 × 108 m/s.
 हम जानते हैं λ – λ = vλ/c
 या v = \(\frac{\left(\lambda^{\prime}-\lambda\right) \times c}{\lambda}\) = \(\frac{\Delta \lambda \times c}{\lambda}\)
 = \(\frac{15 \times 10^{-10} \times 3 \times 10^8}{6563 \times 10^{-10}}\)
 = \(\frac{15 \times 3 \times 10^8}{6563}\)
 = 6.86 × 105 m/s
प्रश्न 10.12.
 किसी माध्यम (जैसे जल में प्रकाश की चाल निर्वात में प्रकाश की चाल से अधिक है। न्यूटन के कणिका सिद्धांत द्वारा इस आशय की भविष्यवाणी कैसे की गई? क्या जल में प्रकाश की चाल प्रयोग द्वारा ज्ञात करके इस भविष्यवाणी की पुष्टि हुई ? यदि नहीं, तो प्रकाश के चित्रण का कौन-सा विकल्प प्रयोगानुकूल है?
 उत्तर:
 न्यूटन के कणिका सिद्धान्त के अनुसार अपवर्तन में, विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करते समय आपतित कण सतह के लम्बवत् आकर्षण बल का अनुभव करता है। यह परिणाम वेग के अभिलम्ब घटक की वृद्धि में होगी लेकिन पृष्ठ के अनुदिश घटक अपरिवर्तित रहता है। इसका तात्पर्य
 c sin i = v sin r
 या v/c = sini/sinr
 चूँकि n > 1 ∴ v > c
 यह अवधारणा प्रायोगिक परिणाम के विरुद्ध है (v< c) प्रकाश का तरंग सिद्धान्त प्रयोग संगत है।
प्रश्न 10.13.
 आप मूल पाठ में जान चुके हैं कि हाइगेंस का सिद्धांत परावर्तन और अपवर्तन के नियमों के लिए किस प्रकार मार्गदर्शक है। इसी सिद्धांत का उपयोग करके प्रत्यक्ष रीति से निगमन (deduce ) कीजिए कि समतल दर्पण के सामने रखी किसी वस्तु का प्रतिबिंब आभासी बनता है, जिसकी दर्पण से दूरी, बिंब से दर्पण की दूरी के बराबर होती है।
 उत्तर:
 बिन्दु बिम्ब (वस्तु) को केन्द्र लेकर दर्पण को स्पर्श करते हुए एक वृत्त खींचिये यह गोलीय तरंगाग्र का बिम्ब से दर्पण पर पहुँचने वाला समतलीय भाग है। अब दर्पण की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति में समय के बाद उसी तरंगाग्र की इन्हीं स्थितियों को आलेखित कीजिए। आप दर्पण के दोनों ओर स्थित दो एक जैसे चाप पायेंगे। सरल ज्यामिति के उपयोग से परावर्तित तरंगाग्र का केन्द्र ( वस्तु का प्रतिबिम्ब) दर्पण से वस्तु की बराबर दूरी पर दिखाई देगा।

प्रश्न 10.14
 तरंग संचरण की चाल को प्रभावित कर सकने वाले कुछ संभावित कारकों की सूची है:
 (i) स्रोत की प्रकृति,
 (ii) संचरण की दिशा,
 (iii) स्रोत और / या प्रेक्षक की गति,
 (iv) तरंगदैर्घ्य, तथा
 (v) तरंग की तीव्रता।
 बताइए कि:
 (a) निर्वात में प्रकाश की चाल,
 (b) किसी माध्यम ( माना काँच या जल) में प्रकाश की चाल इनमें से किन कारकों पर निर्भर करती है?
 उत्तर:
 (a) निर्वात में प्रकाश की चाल एक सार्वभौमिक स्थिरांक है जो सूचीबद्ध कारकों में से किसी पर भी निर्भर नहीं है। यह स्रोत तथा प्रेक्षक की सापेक्ष गति पर भी निर्भर नहीं करता है। यह तथ्य आइंसटाइन के आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त का मूल अभिगृहीत है।
(b) माध्यम में प्रकाश की चाल की निर्भरता:
 (i) माध्यम में प्रकाश की चाल स्रोतों की प्रकृति से स्वतंत्र है। प्रकाश की चाल का निर्धारण माध्यम के संचरण गुणों से है। यह तथ्य अन्य तरंगों के लिए भी सत्य है, जैसे ध्वनि तरंगों एवं जल तरंगों आदि के लिए।
 (ii) समदैशिक माध्यम के लिए संचरण दिशा पर निर्भर नहीं है।
 (iii) माध्यम की अपेक्षा स्रोत की चाल से उसमें प्रकाश की चाल स्वतंत्र है परन्तु माध्यम की अपेक्षा प्रेक्षक की चाल पर निर्भर है।
 (iv) किसी माध्यम में प्रकाश की चाल तरंगाग्र पर निर्भर है। अर्थात् तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है।
 (v) किसी माध्यम में प्रकाश की चाल उसकी तीव्रता से स्वतंत्र है अर्थात् तीव्रता पर निर्भर नहीं करती (यद्यपि अधिक तीव्र किरण पुंज के लिए यह स्थिति अधिक जटिल है तथा यहाँ हमारे लिए यह महत्त्वपूर्ण नहीं है)।
प्रश्न 10.15
 ध्वनि तरंगों में आवृत्ति विस्थापन के लिए डॉप्लर का सूत्र निम्नलिखित दो स्थितियों में थोड़ा-सा भिन्न है:
 (i) स्रोत विरामावस्था में तथा प्रेक्षक गति में हो, तथा
 (ii) स्रोत गति में परंतु प्रेक्षक विरामावस्था में हो जबकि प्रकाश के लिए डॉप्लर के सूत्र निश्चित रूप से निर्वात में इन दोनों स्थितियों में एकसमान हैं। ऐसा क्यों है? स्पष्ट कीजिए क्या आप समझते हैं कि ये सूत्र किसी माध्यम में प्रकाश गमन के लिए भी दोनों स्थितियों में पूर्णतः एकसमान होंगे?
 उत्तर:
 ध्वनि तरंगों के संचरण के लिए माध्यम आवश्यक है। यद्यपि (i) तथा (ii) स्थिति में संगत समान सापेक्ष गति (स्रोत तथा प्रेषक के मध्य) भौतिक रूप से समरूपी नहीं है क्योंकि माध्यम के सापेक्ष प्रेषक की गति इन दोनों स्थितियों में भिन्न है। अतः (i) तथा (ii) स्थितियों में हम ध्वनि के लिए डॉप्लर के सूत्रों की समानता की अपेक्षा नहीं कर सकते निर्वात में प्रकाश तरंगों के लिए स्पष्टतया (i) तथा (ii) स्थिति के बीच कोई भेद नहीं है। यहाँ मात्र स्रोत तथा प्रेक्षक की सापेक्ष गतियाँ ही अर्थ रखती हैं तथा आपेक्षिकीय डॉप्लर का सूत्र (i) तथा (ii) स्थिति के लिए समान है। माध्यम में प्रकाश संचरण के लिए पुनः ध्वनि तरंगों के समान दोनों स्थितियाँ समान नहीं हैं तथा (i) तथा (ii) स्थितियों के लिए हमें डॉप्लर के सूत्र के भिन्न होने की अपेक्षा रखनी चाहिए।
प्रश्न 10.16.
 द्विझिरी प्रयोग में 600 nm तरंगदैर्घ्य का प्रकाश करने पर, एक दूरस्थ परदे पर बने फ्रिज की कोणीय चौड़ाई 0.1° है। दोनों झिरियों के बीच कितनी दूरी है?
 उत्तर:
 दिया गया है:
 धारी की कोणीय
 चौड़ाई = β = 0.1°
 β = 0.1 x π/180 रेडियन
 = π/1800 रेडियन
 प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
 = λ = 600nm
 λ = 600 x 10-9 m
 = 6 × 10-7 m
 झिरियों में दूरी = d = ?
 ∴ सूत्र β = λ/d का उपयोग करने पर
 या
 d = λ/β = \(\frac{6 \times 10^{-7} \times 1800}{\pi}\)
 = \(\frac{108 \times 10^{-5}}{3.14}\)
 = 3.44 x 10-4 m
प्रश्न 10.17.
 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
 (a) एकल झिरी विवर्तन प्रयोग में झिरी की चौड़ाई मूल चौड़ाई से दोगुनी कर दी गई है। यह केंद्रीय विवर्तन बैंड के साइज तथा तीव्रता को कैसे प्रभावित करेगी?
 (b) द्विझिरी प्रयोग में, प्रत्येक झिरी का विवर्तन, व्यतिकरण पैटर्न से किस प्रकार संबंधित है?
 (c) सुदूर स्रोत से आने वाले प्रकाश के मार्ग में जब एक लघु वृत्ताकार वस्तु रखी जाती है तो वस्तु की छाया के मध्य एक प्रदीप्त बिंदु दिखाई देता है। स्पष्ट कीजिए क्यों?
 (d) दो विद्यार्थी एक 10m ऊँची कक्ष विभाजक दीवार द्वारा 7m के अंतर पर हैं। यदि ध्वनि और प्रकाश दोनों प्रकार की तरंगें वस्तु के किनारों पर मुड़ सकती हैं तो फिर भी वे विद्यार्थी एक-दूसरे को देख नहीं पाते यद्यपि वे आपस में आसानी से वार्तालाप किस प्रकार कर पाते हैं?
 (e) किरण प्रकाशिकी, प्रकाश के सीधी रेखा में गति करने की संकल्पना पर आधारित है। विवर्तन प्रभाव (जब प्रकाश का संचरण एक द्वारक / झिरी या वस्तु के चारों ओर प्रेक्षित किया जाए) इस संकल्पना को नकारता है तथापि किरण प्रकाशिकी की संकल्पना प्रकाशकीय यंत्रों में प्रतिबिंबों की स्थिति तथा उनके दूसरे अनेक गुणों को समझने के लिए सामान्यतः उपयोग में लाई जाती है। इसका क्या औचित्य है?
 उत्तर:
 (a) आकार – Md सूत्र के अनुसार, आकार आधा रह जाता है तीव्रता चार गुनी बढ़ जाती है।
(b) द्वि-झिरी समायोजन में व्यतिकरण फ्रिजों की तीव्रता प्रत्येक झिरी के विवर्तन पैटर्न द्वारा माडुलित (modulated) होती है।
(c) वृत्तीय अवरोध के किनारों से विवर्तित तरंगें छाया के केंद्र पर संपोषी व्यतिकरण द्वारा प्रदीप्त बिंदु उत्पन्न करती हैं। अतः छाया केंन्द्र पर चमकीला धब्बा दिखाई देता है।
(d) तरंगों के बड़े कोण पर विवर्तन अथवा मुड़ने के लिए अवरोधों / द्वारकों का आकार तरंग की तरंगदैर्घ्य के समकक्ष होना चाहिए। यदि अवरोध / द्वारक का आकार तरंगदैर्घ्य की तुलना में बहुत बड़ा है तो विवर्तन छोटे कोण से होगा। यहाँ आकार कुछ मीटरों की कोटि का होता है। प्रकाश की तरंगदैर्घ्य लगभग 5 x 107m है, जबकि ध्वनि- तरंगों; जैसे lk Hz आवृत्ति वाली ध्वनि की तरंगदैर्घ्य लगभग 0.3m है। इस प्रकार ध्वनि तरंगें विभाजक के चारों ओर मुड़ सकती हैं जबकि प्रकाश तरंगें नहीं मुड़ सकतीं। अतः ध्वनि तरंगें विवर्तित हो जाती हैं जिससे दोनों विद्यार्थी एक-दूसरे की आवाज सुन लेते हैं।
(e) प्रकाशीय यन्त्रों में द्वारकों के आकार प्रकाश के तरंगदैर्ध्य की तुलना में बहुत बड़े होते हैं विवर्तन के लिये द्वारक के आकार को तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिये। अतः विभिन्न प्रकाशीय यन्त्रों में बने प्रतिबिम्बों की स्थितियों और गुणों का अध्ययन करने के लिये ज्यामितीय प्रकाशिकी की परिकल्पना को ही प्रयुक्त करते हैं।

प्रश्न 10.18.
 दो पहाड़ियों की चोटी पर दो मीनारें एक-दूसरे से 40km की दूरी पर हैं। इनको जोड़ने वाली रेखा मध्य में आने वाली किसी पहाड़ी के 50m ऊपर से होकर गुजरती है। उन रेडियो तरंगों की अधिकतम तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए, जो मीनारों के मध्य बिना पर्याप्त विवर्तन प्रभाव के भेजी जा सकें। हल दिया गया है:
 a = 50m
 ZF = 40/2 = 20 km.
 ZF = 20 x 103 = 2 x 104m.
 तरंगदैर्ध्य λ = ?
 हम जानते हैं:
 ZF = a2/λ से
 या
 λmax = \(\frac{(50)^2}{2 \times 10^4}\) = \(\frac{(50)^2}{2 \times 10^4}\)
 = \(\frac{50 \times 50}{2 \times 10^4}\)
प्रश्न 10.19.
 500nm तरंगदैर्घ्य का एक समांतर प्रकाश-पुंज एक पतली झिरी पर गिरता है तथा 1m दूर परदे पर परिणामी विवर्तन पैटर्न देखा जाता है। यह देखा गया कि पहला निम्निष्ठ परदे के केंद्र से 2.5 mm कीजिए।
 उत्तर:
 दिया है:
 दूरी पर है। झिरी की चौड़ाई ज्ञात
 λ = 500nm
 = 5 × 107 m
 D = 1 m, n = 1 x = 2.5 mm
 = 2.5 × 104 m
 झिरी की चौड़ाई = ?
 केन्द्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई
 2x = \(\frac{2 \mathrm{D} \lambda}{\mathrm{a}}\)
 a = \(\frac{D \lambda}{x}\)
 = \(\frac{1 \times 5 \times 10^{-7}}{25 \times 10^{-4}}\)
 = 2 × 104m
 = 0.2 mm
प्रश्न 10.20.
 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
 (a) जब कम ऊँचाई पर उड़ने वाला वायुयान ऊपर से गुजरता है तो हम कभी-कभी टेलीविजन के परदे पर चित्र को हिलते हुए पाते हैं। एक संभावित स्पष्टीकरण सुझाइए।
 (b) जैसा कि आप मूल पाठ में जान चुके हैं कि विवर्तन तथा व्यतिकरण पैटर्न में तीव्रता का वितरण समझने का आधारभूत सिद्धांत तरंगों का रेखीय प्रत्यारोपण है। इस सिद्धांत की तर्कसंगति क्या है?
 उत्तर:
 (a) ऐंटीना द्वारा प्राप्त सीधे संकेत तथा गुजरने वाले वायुयान से परावर्तित संकेतों का व्यतिकरण के कारण होता है। अर्थात् कम ऊँचाई पर उड़ता हुआ वायुयान T.V. सिग्नल को परावर्तित कर देता है। सीधे आने वाले सिग्नल और परावर्तित सिग्नल में व्यतिकरण के कारण T.V. स्क्रीन पर चित्र कुछ हिलते हुए दिखाई देते हैं।
(b) अध्यारोपण का सिद्धांत तरंगगति को नियंत्रित करने वाली अवकल (differential) समीकरण के रेखीय चरित्र से प्रतिपादित है। यदि Y1 और Y2 इस समीकरण के हल हैं, तो Y1 और Y2 का रेखीय योग भी उनका हल होगा। जब आयाम बड़े हों (उदाहरण के लिए उच्च तीव्रता का लेजर किरण पुंज) तथा अरैखिक प्रभाव महत्वपूर्ण हो तो यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है, जिसका समझना यहाँ आवश्यक नहीं है।
प्रश्न 10.21.
 एकल झिरी विवर्तन पैटर्न की व्युत्पत्ति में कथित है कि n/a कोणों पर तीव्रता शून्य है। इस निरसन (cancellation) को, झिरी को उपयुक्त भागों में बाँटकर सत्यापित कीजिए।
 उत्तर:
 किसी एकल झिरी को n छोटी झिरियों में बाँटिए जिनमें प्रत्येक की चौड़ाई a = a/n है। कोण θ = nλ/a = λa प्रत्येक छोटी झिरी से कोण 6 की दिशा में तीव्रता शून्य है। इनका संयोजन भी शून्य तीव्रता प्रदान करता है।
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