Haryana State Board HBSE 12th Class Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Physics Solutions Chapter 6 वैद्युत चुंबकीय प्रेरण
प्रश्न 6.1.
चित्र (a) से (f) में वर्णित स्थितियों के लिए प्रेरित धारा की दिशा की प्रागुक्ति (Predict) कीजिए।
उत्तर:
(a) जैसे-जैसे चुम्बक परिनालिका की तरफ आती है, तो परिनालिका से सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र बढ़ता जाता है। लेंज के नियम से परिनालिका में प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र (विद्युत वाहक बल) इसके उत्पन्न करने वाले कारण पर ही कुठाराघात करता है अर्थात् यह चुम्बक की गति का विरोध करता है अतः इसका आनन q दक्षिणी ध्रुव व p उत्तरी ध्रुव बन जाते हैं। अतएव कुण्डली में धारा pq के अनुदिश प्रवाहित होगी अर्थात् qrpq$ के अनुदिश जैसा चित्र में दिखाया गया है अर्थात् जब चुम्बक की ओर से देखी जाएगी, तो दक्षिणावर्ती घड़ी के नियमानुसार।
(b) जैसे-जैसे कुण्डली x y से उत्तरी ध्रुव दूर होता जाता है, कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय अभिवाह भी कम होता जाता है। इस प्रकार लेंज के नियमानुसार कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल चुम्बक की गति का विरोध करेगा। अतएव फलक X, S ध्रुव बन जाता है अतः धारा दक्षिणावर्ती होगी अर्थात् कोण में yzx के अनुदिश pq कुण्डली के लिए दक्षिणी ध्रुव q सिरे की ओर अग्रसर है और इस प्रकार यह सिरा दक्षिणी ध्रुवता धारण करेगा जिससे यह चुम्बक की गति का विरोध कर सके अतः कुण्डली में धारा prq के अनुदिश प्रवाहित होगी।
(c) प्रेरित धारा वामावर्ती दिशा में होगी अर्थात् yzx के अनुदिश।
(d) प्रेरित धारा दक्षिणावर्ती दिशा में होगी अर्थात् zyx के
(e) बायीं कुण्डली में बैटरी की धारा दाहिनी से बायीं ओर होगी। इसलिए अन्योन्य प्रेरण से दाहिनी कुण्डली में प्रेरित धारा विपरीत दिशा में होगी अर्थात् बायीं से दाहिनी ओर अथवा xry के अनुदिश।
(f) कोई प्रेरित धारा नहीं क्योंकि क्षेत्र रेखाएँ लूप तल में स्थित हैं।
प्रश्न 6.2.
चित्र में वर्णित स्थितियों के लिए लेंज के नियम का उपयोग करते हुए प्रेरित विद्युत धारा की दिशा ज्ञात कीजिए।
(a) जब अनियमित आकार का तार वृत्ताकार लूप में बदल रहा हो;
(b) जब एक वृत्ताकार लूप एक सीधे बारीक तार में विरूपित किया जा रहा हो।
उत्तर:
(a) adcb के अनुदिश आकार परिवर्तन के समय पृष्ठ से गुजरने वाला फ्लक्स बढ़ता है, अतः प्रेरित धारा विरोधी फ्लक्स उत्पन्न करती है।
(b) a’b’c’d’ अनुदिश (इस प्रक्रम में फ्लक्स घटता है)।
प्रश्न 6.3.
एक लम्बी परिनालिका के इकाई सेंटीमीटर लम्बाई में 15 फेरे हैं। उसके अन्दर 2.0 cm2 का एक छोटा-सा लूप परिनालिका की अक्ष के लम्बवत् रखा गया है। यदि परिनालिका में बहने वाली धारा का मान 2.0 A में 4.0 A से 0 .1 s कर दिया जाए, तो धारा परिवर्तन के समय प्रेरित विद्युत वाहक बल कितना होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
इकाई सेंटीमीटर लम्बाई में फेरे = 15
∴ इकाई मीटर लम्बाई में फेरे = 1500
n = 1500 फेरे / मीटर
A = 2.0 cm2
= 2 × 10-4 m2
I1 = 2.0 A, I2 = 4.0 A
dI = I2 – I1 = 4 – 2 = 2A
dt = 0.1 s,
∴ \(\frac{\mathrm{dI}}{\mathrm{dt}}=\frac{2}{0.1}=20 \mathrm{As}^{-1}\)
ε = लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल
परिनालिका के अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B = µ0nI
हम जानते हैं- ΦB = BA = µ0nIA
∴ सम्बन्ध ε = \( -\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{dt}}\) का उपयोग करने पर
ε = \( -\frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}} \phi_{\mathrm{B}}\)
प्रश्न 6.4.
एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 8 cm एवं 2 cm हैं, एक स्थान पर थोड़ा कटा हुआ है। यह लूप अपने तल के अभिलम्बवत् 0.3 T के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर की ओर निकल रहा है। यदि लूप के बाहर निकलने का वेग 1 cm s-1 है तो कटे भाग के सिरों पर उत्पन्न विद्युत वाहक बल कितना होगा, जब लूप की गति अभिलम्बवत् हो (a) लूप की लम्बी भुजा के (b) लूप की छोटी भुजा के। प्रत्येक स्थिति में उत्पन्न प्रेरित वोल्टता कितने समय तक टिकेगी?
उत्तर:
उत्तर-दिया गया है-
लूप की लम्बाई = l = 8 cm = 8 × 10-2 m
लूप की चौड़ाई = b = 2 cm = 2 × 10-2 m
चुम्बकीय क्षेत्र = B = 0.3 T
लूप का वेग = v = 1 cm s-1 = 10-2 ms-1
∴ लूप का क्षेत्रफल = A = l × b
A = 8 × 2 × 10-4 m2
A = 16 × 10-4 m2
प्रेरित विद्युत वाहक बल = ε = ?
लूप में रहने वाले प्रत्येक विद्युत वाहक बल का समय = t =?
(a) जब वेग लम्बी भुजा के अभिलम्ब है।
ε = Blv
= 0.3 × 8 × 10-2× 10-2
= 2.4 × 10-4v
= 2.4 × 10-4v
लूप में विद्युत वाहक बल तब तक रहेगा जब तक कि लूप चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर नहीं हो जाता अर्थात् उस समय तक जब तक कि लूप की छोटी भुजा के तुल्य लम्बाई के बराबर दूरी तय करने में लूप द्वारा लिए गए समय के बराबर
t = \(\frac{2 \times 10^{-2}}{10^{-2}}\) = 2s
अतः 2.4 × 10-4V, जो 2 सेकण्ड तक बना रहेगा।
(b) जब वेग छोटी भुजा के लम्बवत् है।
चौड़ाई = b = 2 × 10-2m
ε = Blv से
ε = Bbv ∵ यहाँ पर l = b लेना है।
= 0.3 × 2 × 10-2 × 10-2
= 0.6 × 10-4 = 6 × 10-5
= 0.6 × 10-4 v,
t = \(
समय (t) = [latex]\frac{8 \times 10^{-2}}{10^{-2}}\) = 8 सेकण्ड
अत: 0.6 × 10-4 V, जो 8 सेकण्ड तक बना रहेगा।
प्रश्न 6.5.
1.0 m लम्बी धातु की छड़ उसके एक सिरे से जाने वाले अभिलम्बवत् अक्ष के परितः 400 rad s-1 की कोणीय आवृत्ति से घूर्णन कर रही है। छड़ का दूसरा सिरा एक धात्विक वलय से संपर्कित है। अक्ष के अनुदिश सभी जगह 0.5 T का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र उपस्थित है। वलय तथा अक्ष के बीच स्थापित विद्युत वाहक बल की गणना कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
l = 1.0 m
ω = 400 rad/s
B = 0.5 T
माना वलय तथा अक्ष के बीच स्थापित विद्युत वाहक बल = ε = ?
सम्बन्ध ε = \(\frac{1}{2}\) Bl2ω का उपयोग करने पर
मान रखने पर ε = \(\frac{1}{2}\) × 0.5 × (1)2 × 400
= 0.5 × 200 = 100. 0 V
अतः केन्द्र तथा वलय के बीच प्रेरित विद्युत वाहक बल
ε = 100 .0 volt
प्रश्न 6.6.
एक वृत्ताकार कुण्डली जिसकी त्रिज्या 8.0 cm तथा फेरों की संख्या 20 है अपने ऊर्ष्वाषर व्यास के परित: 50 rad s-1 की कोणीय आवृत्ति से 3.0 × 10-2 T के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में घूम रही है। कुण्डली में उत्पन्न अधिकतम तथा औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान ज्ञात कीजिए। यदि कुण्डली 10 Ω प्रतिरोध का एक बन्द लूप बनाए तो कुण्डली में धारा के अधिकतम मान की गणना कीजिए। जूल ऊष्मन के कारण क्षयित औसत शक्ति की गणना कीजिए। यह शक्ति कहाँ से प्राप्त होती है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
r = 8.0 cm = 8 × 10-2m
N = 20
ω = 50 rad -1
B = 3.0 × 10-2 T
कुण्डली में उत्पन्न अधिकतम विद्युत वाहक बल = εmax = ?
∴ εmax = NBAω = NBπr2ω
εmax = 20 × 3 × 10-2 × 3.14 × (8 × 10-2) × 50
= 60 × 3.14 × 64 × 50 × 10-2 × 10-4
= 3000 × 3.14 × 64 × 10-6
= 603 × 10-3 Volt = 0.603 V = 0.6 V
वि.वा. बल सरल आवर्ती रूप से समय के साथ परिवर्तित होता है। अतः प्रतिचक्र औसत मान शून्य होगा।
परिपथ का प्रतिरोध R = 10Ω
Imax = \(\frac{\varepsilon_{\max }}{\mathrm{R}}=\frac{0.6}{10} \mathrm{~A}\)
= 0.06 A
शक्ति में क्षय (p)av = \(\frac{1}{2}\)εmax.Imax
(p)av = \(\frac{1}{2}\) × 0.6 ×0.06W
= 0. 018 W
प्रेरण धारा कुण्डली के घूमने की विपरीत दिशा में बल आघूर्ण उत्पन्न करती है। कुण्डली को एकसमान रूप से घूमते रखने के लिए बाह्य स्रोत से ऐंठन देनी पड़ेगी और ऐसा करने के लिए कार्य भी करना होगा। अतः शक्ति का स्रोत ऊष्मीय ऊर्जा को कुण्डली में बाह्य स्रोत की उपस्थिति में क्षयित करता है अर्थात् घूर्णक (रोटर) देता है।
प्रश्न 6.7.
पूर्व से पश्चिम दिशा में विस्तृत एक 10 m लम्बा क्षैतिज सीधा तार 0.30 × 10-4 Wb m-2 तीव्रता वाले पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक से लम्बवत् 5.0 ms-1 की चाल से गिर रहा है।
(a) तार में प्रेरित विद्युत वाहक बल का तात्क्षणिक मान क्या होगा?
(b) विद्युत वाहक बल की दिशा क्या है?
(c) तार का कौनसा सिरा उच्च विद्युत विभव पर है?
उत्तर:
दिया गया है-
l = 10 m
BE = 0.30 × 10-4 Wb m-2
v = 5.0 m/s
(a) माना तार में प्रेरित तात्क्षणिक विद्युत वाहक बल का मान = ε = ?
सूत्र ε = Blv का उपयोग करने पर
∴ ε = BElv
∵ क्षैतिज घटक है।
मान रखने पर- = (0. 30 × 10) × (10) × (5)
= 1.5 × 10-3V = 1.5 mV
(b) प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होगी। यह हम फ्लेमिंग के दायें हाथ के नियम से प्राप्त कर सकते हैं।
(c) चूँकि प्रेरित विद्युत वाहक बल इसके कारण का विरोध करता है अर्थात् यह कम से अधिक विभव सिरे की ओर स्थित होता है। अतः पूर्वी सिरा अधिक विभव पर होगा क्योंकि प्रेरित विद्युत वाहक बल पश्चिम से पूर्व की ओर कार्य करता है।
प्रश्न 6.8.
किसी परिपथ में 0.1 s में धारा 5.0 A से 0.0 A तक गिरती है। यदि औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल 200 V है, तो परिपथ में स्वप्रेरकत्व का आकलन कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
I1 = 5. 0 A
I2 = 0.0 A
धारा में परिवर्तन = dI = I2 – I1 = 0.0 A – 5.0 A
dI = – 5A
वह समय जिसमें धारा परिवर्तित होती है = dt = 0. 1 s
औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल = ε = 200 V
माना परिपथ का स्वप्रेरकत्व = L = ?
हम जानते हैं-सूत्र ε = -L \(\frac{\mathrm{dI}}{\mathrm{dt}}\)
मान रखने पर- 200 = -L\(\left(\frac{-5}{0.1}\right)\) = 50L
∴ L = \(\frac{200}{50}\) = 4 हेनरी
L = 4 H
प्रश्न 6.9.
पास-पास रखे कुण्डलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व 1.5 H है। यदि एक कुण्डली में 0.5 s में धारा 0 से 20 A तक परिवर्तित हो, तो दूसरी कुण्डली की फ्लक्स बंधता में कितना परिवर्तन होगा?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
कुण्डलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व = M = 1.5 H
धारा परिवर्तन = dI = I2 – I1
= 20 – 0
= 20 A
वह समय जिसमें धारा परिवर्तन होता है = dt
= 0.5 s
माना दूसरी कुण्डली की फ्लक्स बंधता का मान = d Φb = ?
यदि दूसरी कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान ε है तब
सूत्र ε = – M\(\frac{\mathrm{dI}}{\mathrm{dt}}\) से
मान रखने पर = -1.5 × \(\frac{20}{0.5}\) = -60V
हम यह भी जानते हैं ε = \(-\frac{\mathrm{d} \phi}{\mathrm{dt}}\)
∴ dΦ = -ε × dt = -(- 60) × (0.5)
dΦ = 30 Wb
प्रश्न 6.10.
एक जेट प्लेन पश्चिम की ओर 1800 km/h वेग से गतिमान है। प्लेन के पंख 25 m लम्बे हैं। इनके सिरे पर कितना विभवान्तर उत्पन्न होगा? पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का मान उस स्थान पर 5 × 10-4T तथा नति कोण 30° है।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
वेग v = 1800 Km/h
∴ v = 1800 × \(\times \frac{5}{18}\) m/s
= 500 m/s पश्चिम की ओर
l = 25 m
नति कोण (I) = 30° और BE = 5 × 10-4T
चम्बकीय क्षेत्र के ऊर्ध्वाधर घटक का मान होगा
ZE = BE sin I
ZE = BE sin 30°
= 5.0 × 10-4 × \(\frac{1}{2}\)T
ZE = 2.5 × 10-4T
ZE सिरों और वायु दिशा दोनों के अभिलम्बवत् है।
अतः यदि उत्पन्न प्रेरक विद्युत वाहक बल = पंखों के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर
तब ε = ZElv से
मान रखने पर = 2.5 × 10-4 × 25 × 500
= 25 × 25 × 500 × 10-5
= 312500 × 10-5
= 3. 125 = 3.1 volt
इस उत्तर के लिए पंखों की दिशा महत्वहीन है जब तक वह क्षैतिज है।
अतिरिक्त अभ्यास प्रश्न (NCERT)
प्रश्न 6.11.
मान लीजिए कि अभ्यास 6.4 में उउल्लिखित लूप स्थिर है किन्तु चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने वाले विद्युत चुम्बक में धारा का मान कम किया जाता है जिससे चुम्बकीय क्षेत्र का मान अपने प्रारम्भिक मान 0.3 T से 0.02 T s-1 की दर से घटता है। अब यदि लूप का कटा भाग जोड़ दें जिससे प्राप्त बन्द लूप का प्रतिरोध 1.6 Ω हो, तो इस लूप में ऊष्मन के रूप में शक्ति हास क्या है? इस शक्ति का रत्रोत क्या है?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
लूप की लम्बाई (l) = 8 cm = 8 × 10-2m
लूप की चौड़ाई (b) = 2 cm = 2 × 10-2m
∴ क्षेत्रफल (A) = 8 × 10-2 × 2 × 10-2
= 16 × 10-4m2
चुम्बकीय क्षेत्र का प्रारम्भिक मान = B = 0.3 T
\(\frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dt}}\) = चुम्बकीय क्षेत्र की कम होने की दर
∴ \( \frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dt}}\) = 0. 02 T s-1
प्राप्त बन्द लूप का प्रतिरोध R = 1.6 Ω
शक्ति हास = p = ?
हम जानते हैं-
इस शक्ति का स्रोत समय के साथ चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन करने वाला बाह्य कारक है।
प्रश्न 6.12.
12 cm भुजा वाला वर्गाकार लूप जिसकी भुजाएँ X एवं Y अक्षों के समान्तर हैं, x-दिशा में 8 cm s-1 की गति से चलाया जा रहा है। लूप तथा उसकी गति का परिवेश धनात्मक z-दिशा के चुम्बकीय क्षेत्र का है। चुम्बकीय क्षेत्र न तो एकसमान है और न ही समय के साथ नियत है। इस क्षेत्र की ऋणात्मक दिशा में प्रवणता 10-3 T cm -1 है (अर्थात् ऋणात्मक x-अक्ष की दिशा में इकाई सेंटीमीटर दूरी पर क्षेत्र के मान में 10-3T cm-1 की वृद्धि होती है), तथा क्षेत्र के मान में 10-3 T cm-1 की दर से कमी भी हो रही है। यदि कुण्डली का प्रतिरोध 4.50 m} Ω हो तो प्रेरित धारा का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
l = 12 cm = 12 × 10-2m
v = 8 cm/s = 8 × 10-2 m/s
\(\frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dx}}\) = – 10-2 m
v = 8 cm/s = 8 × 10-2 m/s
\(\frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dx}}\) = – 10-3 T/cm
= -10-1 T/m
= -0.1 T/m
\(\frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dt}}\) = -10-3 T/s और R = 4. 50 mΩ
R = 4.5 × 10-3Ω
R = 4.5 × 10-3Ω
समय पर निर्भर B के कारण फ्लक्स में परिवर्तन की दर
ε = \(\frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\left(\phi_{\mathrm{B}}\right)=\frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}(\mathrm{BA})=\mathrm{A} \frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dt}}\)
ε = (12 × 10-2)-2 × (- 10-3)
= – 144 × 10-4 × 10-3
= – 144 × 10-7 Wb s-1
स्थिति पर निर्भर B के कारण फ्लक्स में परिवर्तन की दर
ε = \(\frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}\left(\phi_{\mathrm{B}}\right)=\frac{\mathrm{d}}{\mathrm{dt}}(\mathrm{BA})=\mathrm{A} \frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dt}}\)
= \(\mathrm{A} \frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dt}} \cdot \frac{\mathrm{dx}}{\mathrm{dt}}=\mathrm{A} v \frac{\mathrm{dB}}{\mathrm{dx}}\)
मान रखने पर = (12 × 10-2)-2 × 8 × 10-2 × (-0.1)
= -144 × 10-4 × 8 × 10-3
= -1152 × 10-7 Wb s-1
क्योंकि दोनों ही धनात्मक z-दिशा के अनुदिश फ्लक्स को कम करते हैं। अतः दोनों प्रभाव जुड़ जाते हैं।
= – 144 × 10-7 – 1152 × 10-7 Wb s-1
= – 1296 × 10-7 Wb s-1
= -12.96 × 10-7V
प्रेरित धारा का मान (I) = \(\frac{चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर}{\mathrm{प्रतिरोध}}\)
= \(\frac{12.96 \times 10^{-5}}{4.5 \times 10^{-3}}\)A
I = 2.88 × 10-2A
प्रेरित धारा की दिशा वह होगी जो लूप में से धनात्मक z-दिशा के फ्लक्स को बढ़ाए, यदि किसी प्रेक्षक हेतु लूप दाहिनी ओर गतिमान है, तो लूप में धारा घड़ी की सुई के घूमने की दिशा के विपरीत होगी।
प्रश्न 6.13.
एक शक्तिशाली लाउडस्पीकर के चुम्बक के ध्रुवो के बीच चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के परिमाण का मापन किया जान है। इस हेतु एक छोटी चपटी 2 cm-2 क्षेत्रफल की अन्वेषी कुण्डली (search coil) का प्रयोग किया गया है। इस कुण्डली में पास-पास लिपटे 25 फेरे हैं तथा इसे चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् व्यवस्थित किया गया है और तब इसे दुत गति से क्षेत्र के बाहर निकाला जाता है। तुल्यतः एक अन्य विधि में अन्वेषी कुण्डली को 90° से तेजी से घुमा देते हैं जिससे कुण्डली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर हो जाए। इन दोनों घटनाओं में कुल 7.5 mC आवेश का प्रवाह होता है (जिसे परिपथ में प्रक्षेप धारामापी (ballistic galvanometer) लगाकर ज्ञात किया जा सकता है)। कुण्डली तथा धारामापी का संयुक्त प्रतिरोध 0.50 Ω है। चुम्बक की क्षेत्र तीव्रता का आकलन कीजिए।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
A = 2.0 cm2 = 2.0 × 10-4m2
फेरों की संख्या (N) = 25
आवेश q = 7.5 mC
= 7.5 × 10-3C
R = 0.50 Ω
B = ?
विद्युत वाहक बल ε = \( -\frac{d \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{dt}}\)
प्रश्न 6.14.
चित्र में एक धातु की छड़ PQ को दर्शाया गया है जो पटरियों AB पर रखी है तथा एक स्थायी चुम्बक के ध्रुवों के मध्य स्थित है। पटरियाँ, छड़ एवं चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर अभिलम्बवत् दिशाओं में हैं। एक गैल्वेनोमीटर (धारामापी) G को पटरियों से एक स्वि K की सहायता से संयोजित किया गया है। छड़ की लम्बाई = 15 cm, B = 0.50 T तथा पटरियों, छड़ तथा धारामापी से बने बन्द लूप का प्रतिरोध = 9.0 mΩ है। क्षेत्र को एकसमान मान लें।
(a) माना कुंजी K खुली (open) है तथा छड़ 12 cm s-1 की चाल से दर्शायी गई दिशा में गतिमान है। प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान एवं धुवणता (polarity) बताइए।
(b) क्या कुंजी K खुली होने पर छड़ के सिरों पर आवेश का आधिक्य हो जाएगा? क्या होगा यदि कुंजी K बन्द (close) कर दी जाए?
(c) जब कुंजी K खुली हो तथा छड़ एकसमान वेग से गति में हो तब भी इलेक्ट्रॉनों पर कोई परिणामी बल कार्य नहीं करता यद्यपि उन पर छड़ की गति के कारण चुम्बकीय बल कार्य करता है। कारण स्पष्ट कीजिए।
(d) कुंजी बन्द होने की स्थिति में छड़ पर लगने वाले अवमंदन बल का मान क्या होगा?
(e) कुंजी बन्द होने की स्थिति में छड़ को उसी चाल = 12 cm s-1 से चलाने हेतु कितनी शक्ति (बाह्य कारक के लिए) की आवश्यकता होगी?
(f) बंद परिपथ में कितनी शक्ति का ऊष्मा के रूप में क्षय होगा? इस शक्ति का र्रोत क्या है?
(g) गतिमान छड़ में उत्पन्न विद्युत वाहक बल का मान क्या होगा यदि चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पटरियों के लम्बवत् होने के बजाय उनके समान्तर हो?
उत्तर:
हल-दिया गया है-
l = 15 cm = 15 × 10-2m
(A और B पटरियों के बीच)
B =0.50 T,
v = 12 cm/s = 12 × 10-2 m/s
R = 9.0 mΩ = 9 × 10-3 Ω
(a) छड़ द्वारा इकाई सेकण्ड में तय किया गया क्षेत्रफल
A = lv
छड़ द्वारा इकाई सेकण्ड में काटा गया चुम्बकीय फ्लक्स का मान होगा
ΦB = BA = Blv
अर्थात् \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{dt}}\) = Blv
प्रेरित विद्युत वाहक बल ε = \(\frac{\mathrm{d} \phi_{\mathrm{B}}}{\mathrm{dt}}\) = Blv
मान रखने पर ε = 0.5 × 15 × 10-2× 1.2 × 10-2
= 90 × 10-4 = 9.0 × 10-3 V
= 9.0 mV
फ्लेमिंग के बायें हाथ नियम से छड़ PQ के मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर बल Q सिरे की ओर होगा अतः सिरा P धनात्मक ध्रुव तथा सिरा Q ऋणात्मक़ ध्रुव होगा।
(b) जब कुंजी K खुली है, प्रेरित विद्युत वाहक बल, P पर आधिक्य धनात्मक आवेश उत्पन्न करेगा तथा Q पर आधिक्य ऋणात्मक आवेश। जब कुंजी बन्द कर दी जाए, तो धारा के सतह प्रवाह के कारण आवेश का आधिक्य होता है।
(c) छड़ के सिरों पर विपरीत चिह्न युक्त आवेश आधिक्य के कारण स्थापित विद्युत क्षेत्र द्वारा चुम्बकीय बल निरस्त हो जाता है।
(d) छड़ में प्रेरित धारा I = \(\frac{\varepsilon}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{9 \times 10^{-3}}{9 \times 10^{-3}}\) = 1 A
अतः छड़ पर अवमन्दन बल
F = I l B
= 1 × 15 × 10-2 × 0. 50
= 7.5 × 10-2 N
(e) बाह्य कारक द्वारा उक्त अवमंदन बल के विरुद्ध छड़ को 12 × 10-2 m/s की एकसमान गति से चलाने हेतु शक्ति का व्यय = 75 × 10-3 × 12 × 10-2
∵ p = Fv होता है।
= 9.0 × 10-3 W
कुंजी K खुली हो, तो कोई शक्ति खर्च नहीं होगी।
(f) शक्ति का ऊष्मा के रूप में क्षय = I-2R
= 1 × 1 × 9 × 10-3
= 9.0 × 10-3 W
प्रयुक्त शक्ति का स्रोत बाह्य कारक है जिसका परिकलन ऊपर भाग (e) में किया गया है।
(g) पटरियों के समान्तर चुम्बकीय क्षेत्र चालक छड़ PQ की
गति के समान्तर होगा अर्थात् \(\overrightarrow{\mathrm{B}} \| \vec{v}\) अतः इस स्थिति में प्रेरित विद्युत वाहक बल शून्य होगा।
प्रश्न 6.15.
वायु के क्रोड वाली एक परिनालिका में जिसकी लम्बाई 30 cm तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 25 cm-2 तथा कुल फेरे 500 हैं, 2.5 A धारा प्रवाहित हो रही है। धारा को 10-3 के अल्पकाल में अचानक बन्द कर दिया जाता है। परिपथ में स्विच के खुले सिरों के बीच उत्पन्न औसत विद्युत वाहक बल का मान क्या होगा? परिनालिका के सिरों पर चुम्बकीय क्षेत्र के परिवर्तन की उपेक्षा कर सकते हैं।
उत्तर:
हल-दिया गया है-
l = 30 cm 30 × 10-2m
A = 25 cm-2 = 25 × 10-4 m2
फेरों की कुल संख्या = N = 500
धरा I = 2.5 A
समय अन्तराल (dt) = 10-3s
माना परिनालिका में प्रेरित औसत विरोधी विद्युत वाहक बल = ε
परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र का मान
B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{l}\)
हम जानते हैं-
ΦB = BA
∴ ΦB = \(\frac{\mu_0 \mathrm{NI}}{l}\).A
प्रश्न 6.16.
(a) चित्र में दर्शाए अनुसार एक लम्बे, सीधे तार तथा एक वर्गाकार लूप जिसकी एक भुजा की लम्बाई a है, के लिए अन्योन्य प्रेरकत्व का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
(b) अब मान लीजिए कि सीधे तार में 50 A की धारा प्रवाहित हो रही है तथा लूप एक स्थिर वेग v = 10 m/s से दार्यी ओर को गति कर रहा है। लूप में प्रेरित विद्युत वाहक बल का परिकलन उस क्षण पर कीजिए जब x = 0.2 m हो। लूप के लिएa a = 0.1 m लीजिए तथा यह मान लीजिए कि उसका प्रतिरोध बहुत अधिक है।
उत्तर:
हल-
(a) dr चौड़ाई की एक स्ट्रिप पर विचार कीजिए जो कि तार से r दूरी पर स्थित चित्र में स्ट्रिप को दिखाया गया है। एक लम्बे, सीधे चालक से r दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा
B = \(\frac{\mu_0 \mathrm{I}}{2 \pi \mathrm{r}}\)
यहाँ पर यह कल्पना की गई है कि दूरी dr में एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र है।
स्ट्रिप का क्षेत्रफल = लम्बाई × चौड़ाई
= a × dr = adr
स्ट्रिप से जुड़ा चुम्बकीय फ्लक्स का मान
dΦB = B × स्ट्रिप का क्षेत्रफल
यहाँ पर M अन्योन्य प्रेरकत्व गुणांक है जो कि तार और वर्गाकार लूप के बीच में है तब चुम्बकीय फ्लक्स का मान निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं-
प्रश्न 6.17.
किसी M द्रव्यमान तथा R त्रिज्या वाले एक पहिए के किनारे (rim) पर एक रैखिक आवेश स्थापित किया गया है जिसकी प्रति इकाई लम्बाई पर आवेश का मान λ है। पहिए के स्पोक (spoke) हल्के और कुचालक हैं तथा वह अपनी अक्ष के परितः घर्षण रहित घूर्णन हेतु स्वतन्त्र है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। पहिए के वृत्तीय भाग पर रिम के अन्दर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र विस्तरित है। इसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है,
B = – B0K (r≤a; a<R)
= 0
चुम्बकीय क्षेत्र को अचानक ‘ऑफ’ (switched off) करने के पश्चात् पहिए का कोणीय वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हल-M द्रव्यमान तथा R त्रिज्या के चक्र की कोणीय चाल माना ω है।
माना उत्पन्न प्रेरण वि.वा. बल = ε
घूर्णित चक्र की घूर्णन गतिज ऊर्जा (K.E) = \(\frac{1}{2}\) Iω2 ………….(1)
जहाँ पर I = चक्र का जड़त्व आघूर्ण है।
I = \(\frac{1}{2}\)MR2 ………………(2)
किया गया कार्य W = (वि.वा. बल) × आवेश
कार्य ऊर्जा सिद्धान्त को लगाने पर-
घूर्णन गतिज ऊर्जा (K.E.) = किया गया कार्य
K.E. = Q × ε …………..(3)
हम जानते हैं कि एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती छड़
वि.वा. बल = \(\frac{1}{2}\)Bωa2 द्वारा दिया जाता है। चूँकि यहाँ चुम्बकीय
क्षेत्र परिवर्तनशील है, इस कारण से वि.वा. बल का औसत मान
\(\frac{1}{2}\left(\frac{1}{2} \mathrm{~B} \omega \mathrm{a}^2\right)=\frac{1}{4}{\mathrm{~B} \omega \mathrm{a}^2}^2\) द्वारा दिया जाता है।
= \(\frac{1}{4}\)Bωa2 ……………..(4)
अब आवेश Q = λ . 2πR
Q = 2πRλ …………………. (5)
अतः समीकरण 1 व 3 से Q × ε = \(\frac{1}{2}\)Iω2
सभी का मान उपरोक्त समीकरणों से रखने पर