Author name: Prasanna

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया

HBSE 8th Class History दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Textbook Questions and Answers

आइए कल्पना करें

मान लीजिए कि आप चित्रकार हैं और बीसवीं सदी की शुरूआत में एक “राष्ट्रीय” चित्र शैली विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। इस अध्याय में जिन तत्वों पर चर्चा की गई है उनमें से आप किन-किन को अपनी शैली में शामिल करेंगे? अपने चयन की वजह भी बताएँ।
उत्तर:
कल्पना के लिए मैं कहूँगा कि निम्न तत्व (विशेषताएँ) मेरी राष्ट्रीय कला शैली के अंग होंगे:
1. मैं राष्ट्रीय ध्वज को अपनी कलाकृतियों का अंग बनाऊँगा।

2. राष्ट्रीय चिह (सामान्यतया चार/दिखाई देने वाले तीन शेर)।

3. राष्ट्रीय पशु एवं राष्ट्रीय पक्षी (शेर/टाइगर तथा मोर)।

4. हमारे देश में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान कुछ स्वतंत्रता सेनानी तथा राष्ट्रीय नेता जैसे-रानी झांसी, तात्या टोपे, मंगल पांडे, बाल, पाल, लाल और घोष, महात्मा गाँधी, डॉ. बी.आर.. अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, विजय लक्ष्मी पंडित, सरोजिनी नायडू, मास्टर तारा सिंह, मौलाना आजाद, आसफ अली, सरदार पटेल, सुभाष, भगत सिंह, खुदीराम बोस, मोरारजी देसाई, कृपलानी, आसफ अली, राष्ट्रीय कवि तथा साहित्यकार एवं पत्रकार आदि।

5. राष्ट्रीय आंदोलन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं से जुड़े हुए स्थल/स्थान तथा परिदृश्य आदि।

6. देश के महान प्राचीन ग्रंथों-महाकाव्यों से जुड़े दृश्य, मंदिर, मस्जिदों, चर्चा, गुरुद्वारों, रेलवे स्टेशनों, जहाजरानी, विख्यात शहरों, बंदरगाहों, दरगाहों, तीर्थ स्थानों से जुड़े दृश्य आदि के चित्र।

7. कुछ प्राचीन भक्त-संत, सूफी पीर, धर्म प्रवर्तक-वर्धमान महावीर, बुद्ध सभी सिख गुरु तथा कुछ सामाजिक-धार्मिक सुधारक तथा अतीत से जुड़ी ऐतिहासिक इमारतें, स्मारक आदि।

फिर से याद करें

दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 1.
रिक्त स्थान भरें:
(क) जिस कला शैली में चीजों को गौर से देखकर उनकी यथावत तसवीर बनाई जाती है उसे “……………” कहा
(ख) जिन चित्रों में भारतीय भूदृश्यों को अनूठज्ञ, अनछुआ दिखाया जाता था उनकी शैली को ………….. कहा जाता है।
(ग) जिस चित्रशैली में भारत में रहने वाले यूरोपीय के सामाजिक जीवन को दर्शाया जाता था उन्हें ………….. कहा जाता है।
(घ) जिन चित्रों में ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहास और उनकी विजय के दृश्य दिखाए जाते थे उन्हें …………… कहा जाता है।
उत्तर:
(क) यथार्थवाद का विचार (The idea of realisam)।
(ख) पाटरचर (Portraiture) अथवा चित्र बनाने की कला।
(ग) पुकारने वाले फोटो (चित्र)। (Evocative picturesque)
(घ) इतिहास कलाकृति (History Paintings)

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया

दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 2.
बताएं कि निम्नलिखित में से कौन-कौन सी विधाएँ और शैलियाँ अंग्रेजों के जरिए भारत में आई:
(क) तेल चित्र।
(ख) लघुचित्र।
(ग) आदमकद छायाचित्र
(घ) परिप्रेक्ष्य विधा का प्रयोग
(ङ) भित्ति चित्र
उत्तर:
(क) तेल चित्र बनाने की कला भारत में अंग्रेजों के साथ आयी थी।
(ख) लघु चित्रों (Miniatures) को बनाने की कला भारत में अंग्रेजों से पूर्व ही प्रचलित थी।
(ग) यह अंग्रेजों के आने से पूर्व प्रचलित थी। मुगल दरबार में यूरोपीय कलाकारों ने जहाँगीर के काल में अनेक कलाकृतियाँ बनाई। यह शैली औपनिवेशिक शासनकाल में अधिक विकसित
(घ) यह शैली भी अंग्रेजी शासन में ही लोकप्रिय हुई।
(ङ) अंग्रेजों के आने से पहले ही भित्तिचित्र बनाये जाते थे।

दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Notes HBSE 8th Class प्रश्न 3.
इस अध्याय में दिए गए किसी एक ऐसे चित्र को अपने शब्दों में वर्णन करें जिसमें दिखाया गया है कि अंग्रेजों भारतीयों से ज्यादा ताकतवर थे। कलाकार ने यह बात किस तरह दिखाई है?
HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया 1
चित्र: गाजीपुर में गंगा किनारे स्थित खंडहर, टॉमस डेनियल द्वारा बनाया गया चित्र
उत्तर:
1. हमारी पाठयपुस्तक में दिया गया चित्र नं. 2 (पृष्ठ 124) स्पष्ट रूप से हमें यह सुझाता है कि भारतवासियों की तुलना में अंग्रेज अधिक शक्तिशाली थे।

2. ब्रिटिश काल में एक लोकप्रिय कला पिक्चरस्क्यू लैंडस्केप (picturesqwe landscape) चित्रकला कहलाती थी। पिक्चरस्क्यू (picturesque) क्या थी? चित्रकला की यह शैली भारत को एक विभाजित (quaint) देश के रूप में दिखाती थी जिसकी अंग्रेज यात्री चित्रकारों ने खूब खोजबीन की थी। अंग्रेज कलाकारों ने दिखाया कि भारत का भू-भाग बहुत ही ऊबड़-खाबड़ तथा विभिन्नताओं वाला एवं जंगलों से आच्छादित है तथा मानव हाथों ने इसे अभी पूर्णतया पालतू नहीं बनाया अर्थात् इसको उपयोगी नहीं बनाया है।

3. थोमस डेनियल एवं उसका भतीजा विलियम डेनियल (Thomas Daniell and William Daniell) सर्वाधिक विख्यात अंग्रेज चित्रकार थे जिन्होंने भारत की भूमि का यथावत चित्रण करने की कोशिश की थी। वे भारत में 1785 में आये थे। वे भारत में सात वर्षों तक ठहरे थे। उन्होंने अपना सफर कलकत्ता से शुरू किया और वे उत्तरी तथा दक्षिणी भारत (के दोनों क्षेत्रों) में गये। उन्होंने बहुत ही ऐसे चित्र बनाये जिन्हें देखकर अंग्रेज अपनी उपलब्धियों पर नाज कर सकें तथा वे यह साबित कर सकें कि अंग्रेज भारतवासियों से अधिक श्रेष्ठतर, अधिक वीर एवं विजेता हैं। उन्होंने इन चित्रों में अंग्रेजों द्वारा भारत में विजित नये क्षेत्रों को दिखाया था।

4. दोनों डेनियलों (Thomas Danialls and William Danialls) के द्वारा बनाये गये चित्र आकार में बड़े चित्र थे। ब्रिटेन में कुछ चुने हुए श्रोताओं एवं दर्शकों के लिए केनवास (carves) पर नियमित रूप से तेल द्वारा चित्रकारी (oil paintings) की जाती थी और उनकी एलबमों को धनी एवं रुचि रखने वाले अंग्रेजों द्वारा इंग्लैंड के बाजारों में भारी रकम अदा करके खरीद ली जाती थी। ये वे अंग्रेज होते थे जो अंग्रेजी सामज्य के विस्तार (क्षेत्र) के आकार को देख कर गौरवान्वित होते थे या गर्व महसूस करते थे।

उपर्युक्त जो चित्र दिया गया है यह अद्भुत, महत्त्वपूर्ण व उल्लेखनीय है जिसमें खुले तौर पर हू-ब-हू भारतीय भू-भाग को दिखाने की कोशिश की गई है। इस चित्र में उन स्थानीय इमारतों के खंडहरों देखो जो कभी अपने समय में बहुत ही शानदार हुआ करती होंगी। ये इमारतें हमें स्मरण कराती हैं (याद दिलाती हैं) कि अतीत में भारत की स्थापत्य कला कितनी भव्य एवं प्रभावशाली थी। इस चित्र में यह भी दिखाने की कोशिश की गई कि इस सभ्यता का पतन हो गया लेकिन वे आधुनिक शहरों एवं इमारतों में तभी बदलेंगी जब भारत में ब्रिटिश प्रशासन ऐमा चाहेगा।

दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Question Answer HBSE 8th Class प्रश्न 4.
खर्रा चित्रकार और कुम्हार कलाकार कालीघाट क्यों आए? उन्होने नए विषयों पर चित्र बनाना क्यों शुरू किया?
उत्तर:
1. स्क्रोल पेंटिंग या बेल-बूटे बनाने वाले चित्रकार तथा कुम्हार कालीघाट निम्नलिखित कारणों की वजह से आये थे:
(i) कलकत्ता एक बहुत बड़ा शहर था तथा कालीघाट में तीर्थ यात्रियों का एक केंद्र मंदिर स्थित था। यहाँ देशी-विदेशी यात्री आते थे तथा तीर्थयात्री विभिन्न विषयों से संबंधित लंबे कागजों पर रोल की जाने वाल चित्रकारी एवं कुम्हारों द्वारा आकर्षक चित्रकारी वाले बर्तन खरीदते थे। ये लोग आसपास के गांवों से कालीघाट आकर इकट्ठे हुए एवं उनका धंधा एवं कलाएँ खूब पनपने लगीं। उन्होंने उन्हें और आकर्षक बनाने के लिए नये विषय चुने तथा उन पर भी चित्र बनाये। कलकत्ता उन दिनों ब्रिटिश भारत साम्राज्य की राजधानी, व्यापारिक बंदरगाह तथा प्रशासनिक केंद्र एवं वाणिज्य गतिविधियों का केंद्र था।

(ii) कलकत्ता में नये-नये व्यवसाय, नौकरियाँ, इमारतें, सड़कें, शिक्षा संस्थाएँ, नगर आदि बन रहे थे। लोग यहाँ आकर बस रहे थे। नि:संदेह इससे कलाकृतियों तथा कुम्हारों द्वारा बनाये जाने वाली चीजों की मांग बढ़ने की पूरी-पूरी संभावनाएँ थीं।
I. कला के नये विषय : पहले बंगाल के पुराने चित्रकार (जिन्हें पटुआ = Patus) तथा कुम्हार प्रायः धार्मिक विषयों से संबंधित चित्र एवं मूर्तियाँ (मिट्टी की प्रतिमाएँ, टोटम, पहचान चिह्न) आदि बनाते थे। वे देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ एवं चित्र भी बनाते थे। कुछ समय के लिए तो कालीघाट में आकर बसने के बाद भी उन्होंने ये कृतियाँ बनानी जारी रखी। अब ऐसे चित्र बनाये जाने लगे जिन्हें तीन तरफों से अलग-अलग परिस्थिति में खड़े होकर एक ही चित्र से भिन्न-भिन्न आकृतियाँ दिखाई पड़ने वाली आकृतियाँ बनाई जाने लगीं। उन पर भिन्न तरह से रंगाई तथा बर्तनों पर पुताई की जाने लगी। अब मूर्तियों को अधिक बड़े आकार तथा ज्यादा शक्ति के प्रतीकों के रूप में बनाया गया।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया

प्रश्न 5.
राजा रवि वर्मा के चित्रों को राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र कैसे कहा जा सकता है?
उत्तर:
त्रावणकोर (केरल) के राजा रवि वर्मा :
1. राजा रवि वर्मा देश के उन कलाकारों में से प्रथम थे जिन्होंने आधुनिक कलाकृतियों के साथ-साथ राष्ट्रीय चित्र भी बनाये। रवि वर्मा त्रावणकोर के शाही परिवार से संबंधित थे तथा उन्हें ‘राजा’ नाम से संबोधित किया जाता था। प्रावणकोर उस समय भी केरल में ही स्थित था।

2. उन्होंने प्राचीन भारतीय धार्मिक विषयों से जुड़े विषयों पर ही चित्रकारी की। यद्यपि उन्होंने पश्चिमी शैली में चित्र बनाने के ढंग को सीखा तथा उसका इस्तेमाल भी किया लेकिन उन्होंने स्वदेश प्रेम एवं स्वदेश से संबंधित आध्यात्मिक या धर्म से जुड़े विषयों को नहीं छोड़ा। उन्होंने पश्चिमी कलाकारों की तरह केनवास एवं तेल चित्रकला शैली का प्रयोग किया लेकिन उन्होंने देश के प्राचीनतम महाकाव्यों–रामायण तथा महाभारत में उल्लेखित विभिन्न मामलों एवं विषयों को ही अपनाया।

3. उन्होंने रंगमंच पर की जाने वाली प्राचीन धार्मिक नाटकीय ढंग से हाथों, भावों की अभिव्यक्ति, ऐक्टिंग्स, कहानियों में वर्णित/उल्लेखित दृश्यों को भी चुना। उन्होंने जो कुछ बंबई प्रेजीडेंसी के अपने भ्रमण के दौरान देखा उन भवनों, घरों एवं अन्य दिखाई पड़ने वाले दृश्यों को भी चुना।

4. 1880 के दशक से रवि वर्मा की प्राचीन विषयों से संबंधित चित्रकारियाँ देशी राजाओं, नवाबों एवं उच्चवर्गीय लोगों में बहुत ही लोकप्रिय हो गयी और उन्होंने उनकी चित्रकारियों से अपने भवनों के बरामदे तथा ड्राइंग रूम (Drawing room) भर दिए।

5. राजा रवि वर्मा एक कलाकार होने के साथ-साथ कलाकारों के पोषक एवं संरक्षक भी थे। उन्होंने बंबई के बाहरी भाग में एक चित्रकला एकेडमी बनाई ताकि वहाँ एक बड़ी टोली चित्रकारों की तैयार हो सके तथा जो दिन-प्रतिदिन पश्चिमी शैली में बने भारतीय राष्ट्रीय विषयों के चित्रों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही थी उसे तुरंत पूरा किया जा सके।

आइए विचार करें

प्रश्न 6.
भारत में ब्रिटिश इतिहास के चित्रों में साम्राज्यवादी विजेताओं के रवैये को किस तरह दर्शाया जाता था ?
उत्तर:
1. नि:संदेह अंग्रेज भारत में साम्राज्यवादी थे। इसीलिए उनका भारत के प्रति दृष्टिकोण भी एक साम्राज्यवादी विजेताओं एवं शासकों के समान ही था। वे स्वयं को भारतीयों से हर क्षेत्र में श्रेष्ठतर (बढ़िया या अधिक अच्छा) मानते थे। यदि हम चित्रकला के इतिहास पर दृष्टिपात करें तो हमें यह भली-भाँति देखने को मिलेगा कि वे चित्र यानी फोटो (पेंटिंग्स) पूर्णतया इस बात का प्रमाण देते हैं। वे उनका (अंग्रेजों का) साम्राज्यवादी एवं उपनिवेशवादी दृष्टिकोण उजागर करते हैं।

2. अंग्रेजों की चित्रकला की एक शैली ‘इतिहास पेंटिंग्स’ (History Paintings) थी जिसमें वे (कलाकार) उन ऐतिहासिक घटनाओं एवं उतार-चढ़ावों को चित्रित किया करते थे जिनसे अंग्रेजों का प्रभाव, श्रेष्ठता, अधिक वीरता, योग्यता एवं प्रभाव विस्तार दिखाई देता हो। 18वीं शताब्दी के अंतिम भाग तथा 19वीं के प्रारंभ में इस शैली के चित्र बहुत ही लोकप्रिय हुए। भारत में अंग्रेजों की विजय ने कलाओं को पर्याप्त विषय एवं उपविषय (Themes and topics) दिए। उदाहरणार्थ 1762 में फ्रांसिस हायमान (Francis Hayman) ने इन्हीं विषयों से संबंधित अनेक चित्र बनाकर लंदन के वोक्हाल गार्डन्स (Vaushall Gardens in London) में प्रदर्शनी लगाई। अंग्रेजों ने कुछ ही वर्षों पूर्व (1757 में) बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित किया था तथा मीर साफर को एक कठपुतली के रूप में मुर्शिदाबाद में नवाब बनाकर बिठाया था। इस चित्र में लार्ड क्लाइव को दिखाया गया कि किस तरह देशद्रोही गद्दार मीर जाफर ने उसका (क्लाइव का) स्वागत किया था और अंग्रेजी सेनाओं का भी स्वागत हुआ था। वस्तुतः यह तो एक षड्यंत्र एवं गद्दारी की जीत थी, जिस पर अंग्रेज घमंड से फूले नहीं समा रहे थे।

प्रश्न 7.
आपके अनुसार कुछ कलाकार एक राष्ट्रीय कला शैली क्यों विकसित करना चाहते थे?
उत्तर:
मेरे विचारानुसार कुछ कलाकार निम्न कारणों (कारकों) से प्रेरित होकर भारत में राष्ट्रीय शैली की कला विकसित करना चाहते थे:
1. 19वीं शताब्दी का अंत आते-आते कला एवं राष्ट्रवाद में एक प्रबल संपर्क स्थापित हो गया। कई कलाकारों ने सोचा कि वे कला की ऐसी शैली विकसित करें जो आधुनिक भी हो तथा राष्ट्रवादी भी हो।

2. कुछ कलाकारों ने महाभारत से विषय लिए जिसमें श्रीमद्भागवत गीता भी शामिल थी। उन्होंने ऐसे चित्र बनाये जो अध्यात्मवादी एवं धार्मिक ग्रंथों, महाकाव्यों व अन्य विषयों से जुड़े एवं पूर्णतया भारतीय या राष्ट्रीय थे।

3. बंगाल के कुछ कलाकारों ने सोचा कि राष्ट्रवादी कला शैली पूर्णतया गैर-अंग्रेजी या गैर-पाश्चात्य ही होनी चाहिए। उन्होंने पूर्व की अध्यात्मिकता से जुड़े तत्वों को पकड़ा (ग्रहण किया या अपनाया)। इसलिए वे पश्चिम की तेल चित्रों एवं यथार्थवादी शैली से दूर होकर अतीत काल की भित्ति चित्र शैली तथा मध्यकालीन लघु चित्र शैली से जुड़ गए जो भारतीय कला शैलियाँ थीं।

प्रश्न 8.
कुछ कलाकारों ने सस्ती कीमत वाले छपे हुए चित्र क्यों बनाए? इस तरह के चित्रों को देखने से लोगों के मस्तिष्क पर क्या असर पड़ते थे?
उत्तर:
(i) कुछ कलाकारों ने कम कीमत के लोकप्रिय चित्र इसलिए बनाने शुरू किये ताकि गरीब से गरीब भी इन कलाकृतियों तक पहुंच सके तथा वह धार्मिक महाकाव्यों एवं धार्मिक-आध्यात्मिक देवी-देवताओं के चित्र खरीदकर संतोष एवं आनंद प्राप्त कर सके। उदाहरणार्थ त्रावणकोर (केरल) के राजा रवि वर्मा को जब यह जानकारी मिली कि उन्होंने रंगमंच पर जो पौराणिक/ धार्मिक/ आध्यात्मिक महान व्यक्तियों, देवी-देवताओं के चित्र बनाये थे उनकी खरीदारी बड़ी संख्या में गरीब लोग भी करना चाहते हैं तो उन्होंने अपनी कलाशैली का विस्तार करने के लिए बंबई के समीप ही चित्र बनाने वालों (चित्रकारों) की टीम के लिए एक एकेडमी स्थापित की थी।

(ii) जब अंग्रेजों ने भारत को जीत लिया तथा अनेक देशी राज्यों ने अपना प्रभाव एवं धन खो दिया तो उनके लिए देशी चित्रकारों एवं हस्तशिल्पकारों को संरक्षण देना, अनुदान देना या उनका भरण-पोषण करना कठिन हो गया। ऐसी स्थिति में वे औपनिवेशिक सरकार द्वारा बनाये बड़े-बड़े शहरों एवं तीर्थ स्थानों केंद्रों की ओर चल पड़े ताकि वे अपनी रोजी-रोटी कमा सकें एवं अपनी कला एवं हस्तकौशल को जीवित रख सकें।

उदाहरण के लिए कलकत्ता के आसपास के चित्रकार (जिन्हें पटुआ – Patans) कहा जाता था तथा मिट्टी के बर्तन बनाने वाले जिन्हें पूर्वी भारत में कुम्हौर (Kumhors) तथा उत्तरी भारत में कुम्भकार (Kumbhkar) कहते थे कालीघाट के मंदिर के समीप ही बस गये क्योंकि वह तीर्थयात्रियों का एक प्रसिद्ध केंद्र था। 19वीं शताब्दी के शुरू में चित्रकार एवं कुम्हार कलकत्ता में भी आकर बसे। उन्होंने देवी-देवताओं की मूर्तियाँ (मिट्टी से) बनाई। कुछ मिट्टी की नई-नई वस्तुएँ एवं उपकरण, खिलौने आदि बनाये।

उन्होंने धार्मिक प्रतिमाओं पर पेंट (रंग) भी किया। चित्रकारों ने प्रारंभ में उत्कीर्ण द्वारा चित्र बनाए। उन्हें कागजों पर छापकर उतारा तथा कागजों को बड़े-बड़े रोल होने वाले कागजों एवं कालांतर में प्रिंटिंग प्रेस से छापने भी शुरू कर दिये ताकि वे चित्र कीमत में सस्ते हों तथा उन्हें बड़ी संख्या में गरीब ग्राहक भी खरीद सकें।

आइए करके देखें

प्रश्न 9.
अपने आसपास मौजूद किसी परंपरागत कला शैली पर ध्यान दें पता लगाएँ कि पिछले 50 साल के दौरान उसमें क्या बदलाव आए हैं? आप ये भी पता लगा सकते -हैं कि इन कलाकारों को किन लोगों से मदद मिलती रही
और उनकी कलाकारों को किन लोगों में मदद मिलती रही और उनकी कला को कौन लोग देखते हैं? शैलियों और दृश्यों में आए बदलावों पर जरूर ध्यान दें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

HBSE 8th Class History दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘कला का कार्य’ का क्या अर्थ है? इसका अपनी आसपास की दुनिया से क्या संबंध होता है?
उत्तर:

  • चित्र बनाना, मूर्ति बनाना, संगीत, नृत्य आदि को कला का कार्य कहते हैं।
  • यह आवश्यक नहीं कि अन्य चीजों की भांति ही कला भी अपने आस-पास की दुनिया से प्रभावित हो।

प्रश्न 2.
भारत में औपनिवेशिक शासन (सरकार) ने कौन-कौन सी कलाओं के रूपों को शुरू किया था? उनका भारतीय कलाकारों पर क्या प्रभाव था?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन ने भारत में अनेक नये कला रूपों को चालू किया। उन शैलियों, सामग्रियों एवं तकनीकों को भारतीय कलाकारों ने सहर्ष स्वीकार किया जो उन्हें रचनात्मक लगी, स्थानीय नमूनों (ढाँचों) से मेल खाती थीं तथा जिनको खरीदने वाले बाजारों में होते थे चाहे उनका संबंध कुलीन या लोकप्रिय जनता से हो।

प्रश्न 3.
कौन-से दिखाई देने वाले (दृष्टिगत =Visual) कला रूपों का औपनिवेशिक कालांश में उभव (जन्म/प्रारंभ) हुआ था?
उत्तर:
भारत में औपनिवेशिक शासन काल के दौरान अनेक दिखाई देने वाली बड़ी-बड़ी शानदार इमारतों, उनके विशाल गुंबद, बड़े-बड़े स्तंभ एवं महराबों, सुंदर दृश्यों वाले भू-खंड, वास्तविक पूरे आकार के मानव चित्र या लोकप्रिय देवी-देवताओं के काल्पनिक चित्र, मशीनों से बनाये गये सार्वजनिक समूहों को सभाएँ आदि का प्रारंभ हुआ था।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया

प्रश्न 4.
कलाकार्य या चित्रकला से जुड़े यथार्थवाद (Realism) के अर्थ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यथार्थवाद को भारत में विदेशी या अंग्रेज कलाकार लाये थे। इसके अनुसार यूरोपीय कलाकार मानते थे कि चित्रकारों को हू-ब-हू वैसे ही चित्र उतने ही आकार एवं विशेषताओं सहित बनाने चाहिए जैसा कि वे दिखाई पड़ते हैं या आँखों ने उन्हें देखा है। जो भी कलाकार बनाये वह वास्तविक (Real) दिखाई दे तथा ऐसा लगे कि उनमें प्राण मौजूद हैं।

प्रश्न 5.
‘यूरोपीय कलाकार एवं तेल चित्रकारी की तकनीक’ की व्याख्या करें।
उत्तर:
तेल चित्रकारी की शैली भारत में यूरोपीय ही लाये और औपनिवेशिक शासन काल से ही वह लोकप्रिय हुई। पहले भारतीय कलाकार इस ढंग से परिचित नहीं थे। तेल चित्रकारी ने कलाकारों को इतना दक्ष बनाया कि वे ऐसे सुंदर चित्र बनाने लगे कि वे वास्तविक (हू-ब-ह) दिखाई देते थे। ऐसे चित्र मन को भाते थे तथा वे बहुत लोकप्रिय हुए।

प्रश्न 6.
भारत में अंग्रेज कलाकारों की कला प्रेरणा का एक नकारात्मक बिंदु लिखो।
उत्तर:
भारत में अंग्रेज कलाकारों की कला-प्रेरणा का एक सामान्य नकारात्मक बिंदु यह था कि वे जो भी चित्र बनाते थे उनके माध्यम से वे पाश्चात्य संस्कृति की, वहाँ के लोगों को एवं अंग्रेजी सत्ता एवं शक्ति को बढ़ा-चढ़ाकर एवं श्रेष्ठ बताने के उद्देश्य से ही चित्रित करते थे।

प्रश्न 7.
‘खुदाई’ या ‘नक्काशी’ (Engraving) पद/शब्द का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक कागज पर एक छपा चित्र या अंकित किए गए चित्र को यदि काष्ठ के टुकड़े पर (लकड़ी के ब्लॉक पर) अथवा धातु पर लगा दिया जाये या जो कागज से डिजाइन या ड्राइंग काट ली गयी हो तथा प्रिंट की गई हो, उसे खुदाई करना या नक्काशी करना कहा जाता है।

प्रश्न 8.
निम्न शब्दों/पदों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए : (क) पोर्टेट (ख) पोटरेचर (ग) आयोग।
उत्तर:
(क) पोर्टेट (Portrait) : किसी व्यक्ति विशेष का वह फोटो या चित्र जिसमें मुख्यतया उसका चेहरा तथा भाव-अभिव्यक्ति ही प्रधान हो।

(ख) पोटरेचर (Portraiture) : पूरे आकार के चित्र या पोर्टेट बनाने की कला।

(ग) आयोग (Commission): औपचारिक रूप से किसी को चुन करके किसी विशेष जानकारी के बारे में रिपोर्ट देने का कार्य सौंपने वाले व्यक्ति या समूह को कमीशन (आयोग) कहते | हैं। प्रायः उससे भुगतान के बदले काम लिया जाता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पिक्चरस्क्यू (Picturesque) क्या था? यूरोपीय कलाकारों ने भारत में इस चित्रकारी तकनीक को कहाँ तक प्रयोग किया था?
उत्तर:
1. पिक्चरस्क्यू (Picturesque) : यह विस्तृत भू-भाग (landscape) चित्रण की एक लोकप्रिय शाही (साम्राज्यवादी) कला परंपरा थी।

2. पिक्चरस्क्यू नामक तकनीक का यूरोपीय कलाकारों द्वारा भारत में प्रयोग:
(i) इस कला का कलाकारों द्वारा भारत में जो अंग्रेज यात्री कलाकारों द्वारा देखे गये थे उन्हें विभाजित (भिन्नताओं सहित) भू-भागों को दिखाना था। यह भू-भाग प्रायः जगली, बेकार पड़े एवं ऐसे चित्रित किये जाते थे जिन्हें मानव कर कमलों द्वारा अभी तक प्रयोग में नहीं लाया गया, उनसे लाभ नहीं उठाया गया था।

उदाहरणार्थ:
थोम्स डेनियल एवं उसका भतीजा विलियम डेनियल (Thomas Daniell and william Danielly इस परंपरा का प्रयोग करने वाले सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्रकार थे। वे 1785 में भारत आये थे। वे 7 वर्षों तक भारत में रहे थे। वे कलकत्ता से सुदूर उत्तरी भारत तथा दक्षिणी भारत तक गये। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा अभी हाल में जो-जो भू-भाग जीते गए थे उनका व्यापक चित्रण किया। उनके द्वारा कैनवास (camvas) पर जो तेल के चित्र बनाये गये थे, उनका कुछ निश्चित दशकों के लिए ब्रिटेन में प्रदर्शन नियमित रूप से किया जाता था। इन चित्रों को एलबमों में संकलित करके अनेक अंग्रेजों द्वारा बड़े ही चाव से खरीदा जाता था ताकि वे जनता में ब्रिटेन के साम्राज्य विस्तार को बता सके।

प्रश्न 2.
‘इन कलाकारों (थोमस डेनियल एवं उसके भतीजे विलियम डेनियल) (Thomas Daniells and his nephew William Daniells) ने भारत की परंपरागत कल्पना के विपरीत ब्रिटिश शासन के अधीन जीवन को चित्रित किया।’ इस कथन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि कलकत्ता शहर में जो दोनों डेनियल (Daniells) ने चित्र बनाये उनमें ब्रिटिश शासन की कल्पना को जैसा भारतीय सोचते थे उसके बिल्कुल विपरीत अनेक चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने 18वीं शताब्दी में बलपूर्वक इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक सभ्यता की जानकारी अंग्रेजों ने ही भारतवासियों को दी थी।

2. उनके चित्रों में हम नये कलकत्ता शहर के निर्माण को भी देखते हैं. चौड़े-चौड़े रास्ते तथा यातायात इस शहर में जीवन एवं सक्रियता (कार्यकलाप) हैं। यह सक्रियता या कार्यकलाप सड़कों पर देखे जा सकते थे, सर्वत्र प्रदर्शन (ड्रामा) एवं उत्तेजना (excitement) या प्रसन्नता है।

3. डेनियलों ने इसके विपरीत प्राचीन भारत की तस्वीर पेश करने की कोशिश की जिससे सर्वत्र गरीबी, पिछड़ापन, उदासी थी। उन्होंने दिखाया कि ब्रिटिश शासन के विपरीत जिसमें जीवन आधुनिकता के नजदीक है. पुराना भारतीयों का जीवन निर्जीव, बिना किसी बदलाव के जिसमें विशेष प्रकार के फकीर हैं, गायें हैं तथा नदियों में नावें तैरती दिखाई देती थीं।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘शाही कला के नये रूप’ (New forms of Imperial Ar) पर संक्षेप में विचार-विमर्श करें। (W.Imp.)
उत्तर:
शाही कला के नये रूप:
1. 18वीं शताब्दी में अनेक यूरोपीय कलाकारों की एक टोली भारत आयी। वे अंग्रेज सौदागरों एवं शासकों के साथ ही आये थे। ये कलाकार अपने साथ नयी कलाशैलियाँ एवं पूर्व स्वीकृत किए गए ढंग लेकर आये थे। उन्होंने भारत की अवधारणाओं को पश्चिमी आकार देने में सहायता की।

2. यूरोपीय कलाकार अपने साथ यथार्थवाद का विचार लेकर आये। इस विचार या सिद्धांत का यह विश्वास था कि कलाकार किसी चीज को बड़ी सावधानी से देखें तथा प्रयास करें कि जिस तरह से वह वस्तु दिखाई देती है ठीक वैसी ही आँखों के द्वारा दिखाई देने वाली ही शक्ल में उसे पेंट या चित्रित कर दें। जो भी चित्रकार बनाये वह ठीक-ठीक वास्तविक एवं जीवन के अनुरूप ही दिखाई दे।

3. यूरोपीय कलाकार अपने साथ कला की एक दूसरी विशेषता भी लाये वह थी तेल के चित्रों को बनाने का ढंग। यह वह ढंग था जिससे भारतीय कलाकार पूरी तरह परिचित नहीं थे। तेल चित्रकारी ने कलाकारों को इस योग्य बना दिया कि वे ऐसे चित्र बनायें जो वास्तविक (यथार्थ हू-ब-हू) दिखाई दें।

4. यद्यपि यूरोप के सभी कलाकारों ने एक जैसे विषयों तथा डंगों से चित्र नहीं बनाये परंतु उन सब में ही एक सामान्य विशेषता थी कि वे चित्र बनाते समय औपनिवेशिक तथा साम्राज्यवादियों की सोच तथा नजर रखते थे-विजयी लोगों को यानी अंग्रेजों को रंग से, ढंग से, संस्कृति से, सभ्यता की दृष्टि से, ज्ञान की दृष्टि से, विज्ञान की दृष्टि से, शक्ति की नजर से श्रेष्ठतर (superior) दिखायें तथा भारतवासियों को घटिया (inferior) दिखायें।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया

प्रश्न 2.
भारत की आधुनिक कला पर प्रमुख प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. ब्रिटिश काल में कुछ भारतीय कलाकारों को स्थानीय शासकों एवं शाहजादों ने संरक्षण दिया लेकिन चूँकि उनके प्रदेश या राज्य भी यूरोपीय प्रभाव में आये थे तो वे कलाकार भी यूरोपीय उपनिवेशवाद के प्रभाव से पूर्णतया बच नहीं सके।

2. राजस्थान के रजवाड़ों एवं पंजाब में पहाड़ी क्षेत्रों के शासकों ने क्रमशः राजस्थान कला शैली एवं हिमाचल या कांगड़ा या पहाड़ी शैली को संरक्षण दिया। कई नवाबों ने मुगलकालीन कला शैली को अपनाना भी जारी रखा।

3. प्राचीन धार्मिक स्थानों एवं मध्यकालीन मस्जिदों आदि की खोजों से भारतीय कलाकारों को प्रोत्साहन मिला।

4. औपनिवेशिक शहर-कलकत्ता, बंबई एवं मद्रास में पश्चिमी | संस्कृति का प्रसार हुआ तथा शहरी संस्कृति का उत्थान हुआ।

5. विदेशी शासन ने भी भारतीय कला को प्रभावित किया क्योंकि विदेशी वर्चस्व ने भारतीय सांस्कृतिक जीवन को अपने राजनीतिक तथा आर्थिक वर्चस्व के अधीन रखा हुआ था।

6. ब्रिटिश रायल कला अकादमी के पाठ्यक्रम को उन शहरी कला केंद्रों में अपनाया गया जो ब्रिटिश शासन काल में पनपे थे जैसे-बंबई, कलकत्ता, मद्रास तथा कालांतर में दिल्ली में भी।

7. 19वीं शताब्दी के छठे दशक के बाद भारत में राष्ट्रीय चेतना तथा स्वराज्य के लिए संघर्ष शुरू हुआ, इसमें अनेक भारतीय कलाकारों ने अपनी कृतियों को राष्ट्रीय विषयों, राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े उप-विषयों (topies) से जोड़ा ताकि कला के माध्यम से भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध तथा देशी संस्कृति, सभ्यता एवं समस्याओं की ओर लोगों का ध्यान खींचा। कलाकारों ने प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को खोजा। जैसे ही अजंता-एलोरा की गुफाएँ तथा हड़प्पा संस्कृति के स्थल उजागर हुए, वैसे-वैसे लोगों में राष्ट्र प्रेम, भक्ति तथा. स्वाभिमान विकसित होता गया।

दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Class 8 HBSE Notes

1. कला के कार्य (Works of Ar) या कलाकृतियाँ : चित्र एवं मूर्तियाँ आदि को कलाकृतियाँ (या कला के कार्य) कहा जाता है।

2. प्रथा (Convention) : वह ढंग/तरीका या शैली जिसे स्वीकार कर लिया गया हो।

3. उत्कीर्ण करना (या नक्काशी) (Engraving) : पहले एक चित्र किसी कागज पर बनाया एवं छापा गया हो और फिर उसे किसी लकड़ी के टुकड़े या धातु पात्र या वस्तु पर कुरेदा गया हो। इस तरह के नमूने बनाने की कला को उत्कीर्णन या नक्काशी कहते हैं।

4. फोटो (चित्र) लेना या बनाना (Portrait) : एक व्यक्ति की फोटो या चित्र जिसमें प्रायः विशाल (बड़े आकार के चेहरे) मुँह या चेहरे को चित्रित किया जाता है, फोटो बनाई जाती है।

5. चित्रकारी या पोटीचर (Portraiture) : फोटो या चित्र बनाने की कला।

6. आयोग (Commission): किसी को औपचारिक रूप से चुनना (नियुक्त करना) तथा उसे किसी खास तरह का काम पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपना, प्रायः उसे उसके काम के बदले भुगतान किया जाता है।

7. रेजीडेंट (Resident): औपनिवेशिक शासनकाल में देशी राज्यों में नियुक्त अंग्रेज अफसर को रेजिडेंटस का नाम दिया गया। प्रायः इसे ईस्ट इंडिया कंपनी इसलिए नियुक्त करती थी ताकि वह देशी नरेश/नवाब/शासक आदि की गतिविधियों पर निगरानी रख सके तथा राज्य पर अंग्रेजों की पकड़ बनी रहे।

8. मोहम्मद अली खान (Mohammad Ali Khan) : वह सन 1775 में अर्काट (Areo) का नवाब था।

9. टिली केहले एवं जॉर्ज विलिसन (Tilly Kettle and George Willison) : 1770 के दशक में यूरोप से भारत आने वाले दो कुशल कलाकार।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया

10. इतिहास चित्रकला (History Painting) : एक शाली चित्रकला की श्रेणी (प्रकार) या हंगा

11. भित्तिचित्र (Mural) : दीवार पर बना चित्र या ड्राइंग (Painting)

12. त्रि-आयामी चित्रण (Perspective) : एक पदार्थ आकार से छोटा दिखाई देता है और वे कुछ और दूर नजर आते हैं एवं सामांतर रेखाएँ एक-दूसरे से एक बिंदु पर मिलती हुई दिखाई देती हैं।

13. कंपनी की चित्रकारी (Company paintings) : जो चित्र कंपनी के अधिकारियों ने बड़े चाव से संकलित किये थे उन्हें कंपनी की चित्रकारी के नाम से जाना गया।

14. लंबे कागज के रोल पर चित्र बनाना (Scroll painting): जब किसी पर्याप्त लंबे कागज पर (प्राय: जिसके नीचे कपड़ा या सख्त मुड़ने वाला काई-गत्ता लगा होता है।) चित्र बनाया जाये तथा उसे गोल (rol) या रोल किया जा सके तो ऐसी कलाकृति को स्क्रोल पेंटिंग (scroll painting) कहा जाता है।

15. पटुआ (Patuas) : ये कलकत्ता के पुराने चित्रकार थे।

16. कुम्हौर या कुम्हार (Potters): भारत में मिट्टी के बर्तन, दीये, कुलहड़ आदि बनाने वाले शिल्पकारों को प्रजापति या कुम्हार कहा जाता है।

17. शरीर आकार अध्ययन (Body study): जब कोई व्यक्ति विशेष पोज (Pose) या आकृति (शक्ल) बनाकर बैठता है तथा चित्रकार उसकी पेंटिंग या चित्र (फोटो) बनाता है तो उसे हम जीवन अध्ययन (यानी व्यक्ति के शरीर/आव-भाव आदि का अध्ययन कहते हैं

18. संरक्षित करना (Patronized) : आश्रय देना।

19. विरासत (Heritage) : पूर्वजों से संबंधित, वंशानुगत।

20. विषय (Themes) : अध्ययन विशेष के विषय-उपविषय।

21. पीड़ा (Agory) : दर्द या मुसीबत।

22. आर्ट नूवेअयू (Art Nuveau) : नई कला।

23. धार्मिक परंपरा से संबंधित (Mythology) : धार्मिक परंपराएँ।

24. प्राचीन भारतीय कलाकृतियों का भंडार : भारत की प्राचीन एवं मध्यकालीन अनेक बहुमूल्य कलाकृतियाँ गुफाओं, महलों, स्तूपों, मंदिरों, मस्जिदों, दरगाहों आदि में हैं। इनकी खोजों ने भारत में कला को प्रोत्साहित किया। 25. अंग्रेजी शिक्षा तथा कला (English Education and Art) : भारत में 19वीं शताब्दी में पाश्चात्य तथा आधुनिक ढंग की अंग्रेजी शिक्षा का जैसे जैसे प्रसार हुआ तो इसने देश में शहरी संस्कृति को बढ़ावा दिया।

26. 1857 के विद्रोह के बाद की कला (Art after the Great Revolt of 1857): महान उथल-पुथल (1857) के उपरांत बंबई, कलकत्ता तथा मद्रास में कला के स्कूल (Schools of Arts)(चित्रकला शैलियों का प्रशिक्षण एवं अभ्यास कराने वाले बड़े केंद्र) स्थापित किये गये थे।

27. राष्ट्रीय कला आंदोलन का अभ्युदय (Rise of Nationalistic Move and Art): भारत में 19वीं शताब्दी में स्वराज्य के लिए संघर्ष छिड़ गया। विदेशी सत्ता को उखाड़ने के प्रयासों के साथ-साथ भारत में विदेशी कला की नकल के स्थान पर देशी (राष्ट्रवादी) शैलियों का पुनरुत्थान एवं प्रगति हुई।

28. देश में कुछ कलाकारों को लोकप्रिय अमेरिकन शैली पोप आर्ट (Pop Art) से प्रेरणा प्राप्त हुई। रविंद्रनाथ टैगोर, हावैल, कुमारस्वामी आदि ने देश में बंगाल कला स्कूल की स्थापना तथा कला के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया।

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HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Reading Unseen Passages Note Making Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

I. Note-Making

(a) What is Note-Making?
Note-making is a useful skill which helps us not only in learning long and difficult questions but also prepares us for life. Note-making helps the students in the following ways :

  • With the help of notes lengthy lessons can be condensed into short.
  • Notes help one to remember the gathered information.
  • Notes are useful for making quick revision before exams.
  • Note-making skill helps in storing supplement material taken from reference books and journals.
  • Notes help in understanding the texts better.

(b) How to make notes?

  • Take intensive reading of the passage. If needed take the reading again.
  • Underline the main headings and sub-headings from the passage.
  • Make a note of the main ideas roughly.
  • Add the sub-points which supplement the main points.
  • Avoid giving examples.

HBSE 12th Class English Unseen Passages Note Making 1

II. Summary

Summary: Giving the main gist of the passage is known as the summary.
How to write the summary?

  • Be careful about the tense of the summary i. e., the tense of the summary must be the same that of the passage.
  • Avoid mentioning the examples while writing the summary.
  • Don’t write the summary in Direct Speech. Always write the summary in Indirect Speech.
  • Be careful about the word limit.

III. Finding A Title

A title is a word or a phrase or a short sentence that sums up the main theme of the passage. Clues for the title are found mostly in the beginning of the passage. All the words of the title begin with a capital letter except prepositions and articles.

IV. Abbreviations And Symbols Used

The following ways of abbreviating words can be used by the students.
(a) By capitalizing initial letters.
e.g. U.S.A. for United States of America.
M.P. for Member of Parliament.

(b) Taking first few letters of the word.
e.g. eco for economics
telecom for telecommunication

(c) Taking first and last letters of the word.
e.g. dist. for district
Comput. for compartment

(d) Adding‘s’to make plurals
e.g. Stds. for students bks. for books

(e) Universally recognized symbols.
e.g. for example
i.e. for that is

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Read the following passages carefully and answer the questions that follow:

Passage 1
The small village of Somnathpur contains an extraordinary temple, built around 1268 A.D. by the Hoyasalas of Karnataka – one of the most prolific temple builders. Belur and Halebid are among their better-known works. ‘While these suffered during the invasions of the 14th century, the Somnathpur temple stands more or less intact in near-original condition. This small temple captivates the beauty and vitality of its detailed sculpture, covering almost every inch of the walls, pillars, and even ceilings. It has three shikharas and stands on a star-shaped, raised platform with 24 edges.

The outer walls have a profusion of detailed carvings: the entire surface run over by carved plaques of stone. There were vertical panels covered by exquisite figures of gods and goddesses with many incarnations being depicted. There were nymphs too, some carrying an ear of maize – a symbol of plenty and prosperity.

The elaborate ornamentation, the very characteristic of Hoysala sculptures, was a remarkable feature. On closer look – and it is worth it – the series of friezes on the outer walls revealed intricately carved caparisoned (covered decorative cloth) elephants, charging horsemen, stylized flowers, warriors, musicians, crocodiles and swans. The temple was actually commissioned by Soma Dandanayaka or Somnath (he named the village after himself), the minister of the Hoysala king, Narasimha, the third.

The temple was built to house three versions of Krishna. The inner center of the temple was the Kalyana Mandapa. Leading from here ‘were three corridors each ending in a shrine, one for each kind of Krishna – Venugopala, Janardana, and Prasanna Keshava, though only two remain in their original form. In the, darkness of the sanctum sanctorum, I tried to discern the different images. The temple’s sculptural perfection is amazing and it includes the doors of the temple and the three elegantly carved towers. [H.B.S.E. March 2019 (Set-A)]

Word-Meanings :
Extraordinary (exceptional) = असाधारण;
sculpture (model) = मूर्ति;
profusion (abundance) = प्रचुरता;
exquisite (extremly beautiful) = अति सुंदर;
sanctum (holy place) = पूजा-ग्रह।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage make notes on it, using recognizable abbreviations, wherever necessary.
(b) Assign a suitable title to the passage.
Answers:
(a) Notes:
1. Somnathpur Temple: An Introduction
(i) Built around 1268 A.D.
(ii) Hoyasalas of Karnataka .
(iii) Belur and Helebid works.

2. Sculpture Art:
(i) beauty and vitality of detailed sculpture
(ii) sculpture on every inch of wall
(iii) three shikharas
(iv) platform with 24 edges
(v) figures of gods and goddesses

3. Symbols and Ornamentation :
(i) Nymphs-an ear of maize-a symbol of plenty and prosperity
(ii) Ornamentation: characteristic ofHoyasala’s sculpture
(iii) intricately carved caparisoned

4. Three Versions of Krishna :
(i) inner center : the Kalyana Mandapa
(ii) three corridors for each kind of Krishna ‘
(iii) Krishna : Venugopala, Janardana, Prasanna Keshava
(b) Title: The Somnath Temple

Passage 2
It’s 10 pm and the research paper is due the next morning. Sam types frantically. Two weeks ago, it seemed that there was plenty of time to get the paper done. Last week, the final of a soccer match on TV made it hard to study. Now it’s crunch time. Looking at the clock, Sam wonders, “Why do I keep doing this to myself? Why haven’t I learned not to put things off until the last minute ?” The word procrastination comes from the Latin term ‘Procrastinators’. It means to put forward until tomorrow.

Standard dictionary definitions all include the idea of postponement or delay. Steel, a psychologist who has reviewed hundreds of studies on the subject, states that to procrastinate is “to voluntarily delay an intended course of action despite expecting to be worse-off for the delay”.

Another expert, Dr. Joseph R. Ferrari (2005), distinguishes between people who tend to put things off and “chronic” or “real” procrastinators for whom this is their life and who might even need therapy. Ferrari categorizes procrastinators into three types : (a) stimulation types that get a thrill from beating a deadline, (b) avoiders put off doing things that might make others think badly of them, and (c) decisional procrastinators postpone making a decision until they have enough information to avoid making a wrong choice. Chronic procrastinators tend to have a low self-esteem and focus on the past more than the future.

The Discounted Expectancy Theory illustrates with a student like Sam who puts off writing a paper. When the deadline is far off, the rewards for socializing now are greater than those for finishing a task not due until later. As the deadline looms, the rewards or consequences for finishing the paper become more important. Tice and Baumeister (1997) found that procrastinators on the average got lower grades and had higher levels of stress and illness.

Chu and Choi (2005) however, say that not all procrastinators are lazy and undisciplined. “Passive procrastinators” are more stressed, less efficient. “Active procrastinators prefer to work under pressure” and “if something unexpected comes up, they will knowingly switch gears and engage in new tasks they perceive as more urgent.” [H.B.S.E. March 2019 (Set-B)]

Word-Meanings:
Intrigued (to puzzle) = परेशान करना;
possesses (to own) = अधिकार होना;
soothed (to calm) = शांत करना;
evidence (witness) = साक्षी, गवाही;
adequate (sufficient) = पर्याप्त;
exhilarate (to make glad) =खुश करना।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognizable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes :
1. Problem with Sam:
(i) less than 12 hours left to present paper
(ii) types frantically
(iii) waste time in watching final of soccer
(iv) didn’t study

2. Procrastination :
(i) putting work to delay knowingly
(ii) idea of postponement
(iii) voluntarily delay
(iv) worse-off expectation for delay

3. Dr. Joseph R. Ferrari’s Opinion :
Three categories of Procrastinators
(i) beating a deadline
(ii) put off doing things until people think badly of them
(iii) delaying a decision to the last extent.

4. Tice and Baumeister’s opinion about Procrastinators :
(i) lower grades
(ii) higher levels of stress
(iii) illness

5. Chu and Choi’s Opinion about Procrastinators :
(i) prefer to work under pressure
(ii) can gear up speed
(b) Title: Different views about Procrastinators

Passage 3
Most people, when asked what spiritual quality is needed to rebuild civilization, will reply ’Love’. Men must love one another they say; nations must do likewise, and then the series of cataclysms which is threatening to destroy us will be checked. Love is a great force in private life; it is indeed the greatest of all things: but love in public affairs does not work. It has been tried again and again; by the Christian civilizations of the Middle Ages, and also by the French Revolution, a secular movement which reasserted the Brotherhood of Man.

And it has always failed. The idea that nations should love one another or that business concerns or marketing boards should love one another, or that a man in Portugal should love a man in Peru of whom he has never heard-it is absurd, unreal, dangerous. The fact is we can only love what we know personally. And we cannot know much.

In public affairs, in the rebuilding of civilization, something else is needed namely, tolerance. Tolerance is a very dull virtue. It is boring. Unlike love it has always had a bad press. It is negative. It merely means putting up with people, being able to stand things. No one has ever written an ode to tolerance or raised a statue to her. Yet this is the quality which will be most needed. This is the sound state of mind which we are looking for. This is the only force which will enable different races, and classes and interests to settle down together to the work of reconstruction.

The world is very full of people; it has never been so full before, and they are all tumbling over each other. Most of these people one doesn’t know and some of them one doesn’t like; doesn’t like the colour of their skins, or the way they talk. Well, what is one to do? There are two solutions. One of them is a Nazi solution. If you don’t like people, kill them, banish them, segregate them and then strut up and down proclaiming that you are the salt of the earth. The other way is much less thrilling, but it is on the whole the way of the democracies. If you don’t like people, put up with them as well as you can.

Don’t try to love them; you can’t, you’ll only strain yourself. But try to tolerate them. On the basis of that tolerance, a civilized future may be built. Going back over two thousand years, and to India, there is the great Emperor Ashoka, who set up inscriptions recording not his own exploits but the need for mercy and mutual understanding and peace.

Word-Meanings :
Cataclysm (violent upheaval) = उथल-पुथल;
destroy (ruin) = नष्ट करना;
absurd (ridiculous) = हास्यास्पद;
sound (healthy) = स्वस्थ;
tumbling (falling) = गिरना;
segregate (separate) = अलग करना;
proclaim (announce) = घोषणा करना।

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it, using recognizable abbreviations, wherever necessary.
(b) Assign a suitable title to the passage.

Answers:
(a) Notes:
1. Love: a spiritual quality :
(a) Needed to rebuild civilization
(i) People must love one another
(ii) Nations too

(b) Love: a great force
(i) Greatest thing in private life
(ii) But does not work in public affairs
(iii) Tried by Christian civilizations
(iv) In the French Revolution
(a) But always failed

2. Value of Tolerance :
(a) Love can be successful at the personal level
(i) tolerance needed in public affairs
(b) Tolerance: a dull virtue
(i) boring
(ii) negative

3. Different classes and races of people :
(a) Most of them intolerant of one another :
(i) Intolerant of the skin colour.
(ii) Intolerant of other things.

(b) Two solutions
(i) kill, banish or segregate people
(ii) The way of democracy

(a) put up with them
(b) try to tolerate them

4. Future of Civilisation based on democracy :
(a) Ashoka adopted democracy :
(i) advocated mercy and mutual understanding.
(A) Title: Love and Tolerance

Passage 4
There is an enemy beneath our feet-an enemy the more deadly for his complete impartiality. He recognizes no national boundaries, no political parties. Everyone in the world is threatened by him. The enemy is the earth itself. When an earthquake strikes, the world trembles. The power of a quake is greater than anything man himself can produce. But today scientists are directing a great deal of their effort into finding some way of combating earthquakes, and it is possible that at some time in the near future mankind will have discovered a means of protecting itself.

An earthquake strikes without warning. When it does, its power is immense. If it strikes a modem city, the damage it causes is as great as if it has struck a primitive village. Gas mains burst, explosions are caused and fires are started. Underground railways are wrecked. Whole buildings collapse, bridges fall, and dams burst. Gaping crevices appear in busy streets. If the quake strikes at sea, huge tidal waves sweep inland. If it strikes in mountain regions, avalanches roar down into the valley. Consider the terrifying statistics from the past. 1755: Lisbon, capital of Portugal—the city destroyed entirely and 450 killed. 1970: Peru-50,000 killed.

In 1968, an earthquake struck Alaska. As this is a relatively unpopulated part, only a few people were killed. But it is likely that this was one of the most powerful quakes ever to have hit the world. Geologists estimate that during the tremors, the whole of the state moved over 80 feet farther wesj into the Pacific Ocean. Imagine the power of something that can move an entire subcontinent! This is the problem that faces the scientists. They are dealing with forces so immense that man cannot hope to resist them. All that can be done is to try to pinpoint just where the earthquake will strike and work from there. At least some precautionary measures can then be taken to save lives and some of the property.[H.B.S.E. 2017 (Set-B)]

Word-Meanings:
Beneath (under) = नीचे;
deadly (fatal) = घातक;
immense (big) = बड़ा;
damage (harm) = नुकसान;
primitive (old) = पुराना;
wrecked (ruined) = नष्ट किया;
gaping (wide) = चौड़ा;
huge (big) = बड़ा;
relatively (comparatively) = तुलनात्मक रूप से;
entire (whole) = सारा;
resist (prevent) = रोकना ।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it, using recognisable abbreviations, wherever necessary.
(b) Assign a suitable title to the passage.
Answers:
(a) Notes:
1. Earthquake-the great enemy: ‘
(a) Strikes everywhere
(i) very deadly
(ii) the earth trembles

(b) Power of the earthquake
(i) greater than anything made by man
(ii) strikes without warning

2. Damage caused by earthquakes :
(a) In a city
(i) Gas mains burst
(ii) Underground railways wrecked
(iii) Explosions and fires
(iv) Collapse of buildings
(v) Dams and bridges fall
(vi) Crevices on streets

(b) Effect on the sea
(i) Huge tidal waves
(ii) Effect on mountainous regions
(iii) Great avalanches

3. Particular instances of damage done by earthquake:
(a) In Lisbon : 1755
(i) City destroyed
(ii) 450 casualties

(b) Peru: 1970
(i) 50,000 killed
(c) Alaska: 1968
(i) Only a few killed
(ii) Entire continent shifted 80 feet into the ocean

4. Role of scientists :
(a) Efforts being made in this regard
(i) Not possible to resist earthquakes
(ii) Precautionary measures.
(A) Title: Threat of Earthquakes

Passage 5
More than a century ago, some countries had no police force. Local leaders devised their own methods of ensuring that their orders were carried out and fulfilled. The offender was not given a second chance to repeat his mistake for he was either killed or hunted out of the district. In England, the modem police force grew largely from an unofficial body gathered together by a London Magistrate. He found that it was practically impossible to apprehend any of the criminals in his area unless he deployed some men secretly to detect and hunt the culprits. These unofficial constables had to patrol one large district.

They looked upon their position largely as an honorary one and had very little power. Worse still they were sometimes corrupt men themselves for they would conveniently look the other way round in times of trouble, like theft, hooliganism, and vandalism. Magistrate Fielding enrolled a few men whom he could explicitly trust and employed them to catch the thieves and other undesirable persons. The majority of the people resented what they thought was a threat to their liberties, intrusion on their privacies, and above all spying on them.

They maintained that they should have every right to drink themselves to death with any form of alcohol, as so many of them did. They thought too that they should be allowed to quarrel, to fight, and even kill among themselves. The situation was made worse by the fact that the penalties for offenses were very heavy in those days and a man could be hanged for the theft of some unimportant thing. Arrest by the magistrate’s men could bring disastrous results.

Contrary to general feeling, the authorities gradually admitted that these early policemen were vitally necessary. After much discussion, argument and persuasion, the government secretly agreed to re-imburse the magistrate for the men he employed. This step was not made public lest it should be thought that the government was planting spies amidst its people. Eventually, the public came to look upon the police with a more friendly spirit as the benefits became more noticeable. At long last, men and women could walk along the streets by day and even by night without fear of robbery and other acts of violence.

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Hitherto, the people were free to do practically anything-good or bad, irrespective of the possible consequences, as the police force built up. The people gave up their freedom to commit evil deeds so that they might have a greater freedom to do good so as to enable one and all to enjoy life peacefully and harmoniously. [H.B.S.E. March 2018 (Set-A)]

Word-Meanings :
Apprenend = पकड़कर गिरफ्तार करना;
explicitly = स्पष्ट रूप से;
intrusion = अनुचित हस्तक्षेप;
persuasion = प्रत्यायन ।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it, using recognizable abbreviations, wherever necessary.
(b) Assign a suitable title to the passage.
Answers:
(a) Notes:
1. Role of Police :
(i) Ensuring orders of local leaders
(ii) Killing or hunting out the offenders

2. Role of London Police :
(i) Secret deployment
(ii) Patrolling the whole district
(iii) Largely an honorary one
(iv) Very little power.

3. Views of the People about Police :
(i) A threat to their liberties
(ii) Intrusion on their privacies
(iii) Spying on theme

4. Police a Boon to Mankind :
(i) Freedom and Security to life
(ii) Security to property
(iii) Stops acts of violence
(iv) Peaceful and harmonious life
(b) Title: Role of Police in Modem Society

Passage 6
Over the last fifty years, millions of rupees have undoubtedly been spent on child care in this country. Yet, it is not Sub-Saharan Africa that is the home of the malnutrition child but India where, according to UNICEF statistics, 53% of all children are malnourished. The reasons for malnutrition among Indian children are not far to seek. It is a multi-sectorial, multi-level problem that involves not just the availability but also adequate mother and child care in terms of easy access to health facilities, safe drinking water, environmental sanitation, and, of course, literacy.

Neither the setting up of the National Nutrition Council in 1974, under the chairmanship of the Prime Minister, nor the integrated child development scheme launched in 1975 to promote the holistic development of the child under six years of age, have made any visible or vocal difference or improvement in the sordid situation. Unfortunately, the purpose of strengthening the capacities of the community and of those who care has failed to deliver the goods because the schemes envisaged have had only marginal impact in the area of nutrition where it is most wanting and woeful.

On paper we have plenty of policies and programmes, but as far as performance is concerned we have earned enough notoriety. The need of the hour is to translate them into deeds and results what we have tried to sell in the form of promises and populist pronouncements.

The most urgent areas of attention and immediate actions are the nutrition, health and education of children, whose well-being reflects the health of the society and caring outlook of the polity. Since the causes of malnutrition of children are many, like exploding population, bias against the female child, weak and suffering mothers, the remedy calls for “care of the mother and care by the mother”, besides an effective control overpopulation explosion. Ignorance on what foods should be taken is another contributory factor that results in malnutrition among women and children. The implementation of various schemes to fight the menace of malnutrition and undernourishment of children requires planning, co-ordination, and monitoring by high-powered bodies right down to the village level.

Word-Meanings :
Undoubtedly (without doubt) = निस्संदेह;
seek (search for) = तलाश करना;
adequate (sufficient) = पर्याप्त;
access (reach) = पहुँच;
santitation (cleanliness) = सफाई;
holistic (whole) = पूर्ण;
sordid (dull) = नीरस;
envisaged (imagined) = कल्पना किया हुआ;
notoriety (bad reputation) = बदनामी;
reflects (shows) = दर्शाता है;
remedy (cure) = इलाज ।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognizable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes:
1. Child care in India :
(a) Most child malnutrition cases in India
(i) 53% of all children: under-nourished
(ii) a multi-level problem
(iii) Involves a number of things
(a) Access to health facilities
(b) Safe drinking water
(c) Sanitation
(d) Literacy

2. Failure of child welfare schemes in India :
(a) Schemes not very successful
(i) National Nutrition Council in 1974
(ii) Integrated Child Development Scheme in 1975
(iii) Did not yield much results

(b) Progress only on paper
(i) Not adequate implementation
(ii) Empty promises

3. The most urgent areas of attention :
(a) Nutrition
(b) Health
(c) Education
(d) Many causes of malnutrition.
(i) Increasing population
(ii) Bias against the female child
(iii) Weak and suffering mothers
(iv) Ignorance of what food to take
(e) The Remedy
(i) Care of mothers
(ii) Control over population explosion
(iii) Planning and coordination of various schemes
(b) Title: Child Care in India

Passage 7
Whether work should be placed among the causes of happiness or among the causes of unhappiness may perhaps be regarded as a doubtful question. There is certainly much work which is exceedingly irksome, and an excess of work is always very painful. However, work is not, to most people, more painful than idleness. There are in work, all grades; from more relief of tedium up to the pro foundest delights, according to the nature of the work and the abilities of the worker. Most of the work that most people have to do is not interesting in itself, but even that work has certain great advantages. To begin with, it fills a good many hour of the day without the need of deciding what one shall do. Most people, when they are left free to fill their own time according to their own choice, are at a loss to think of anything sufficiently pleasant to be worth doing.

And whatever they decide on, they are troubled by the feeling that something else would have been more pleasant here. To be able to fill leisure intelligently is the last product of civilization and at present very few people have reached this level. Moreover, the exercise of choice is tiresome in itself. Except, to people with unusual initiative, it is positively agreeable to be told what to do at each hour of the day, provided the orders are not too unpleasant. Most of the idle rich suffer unspeakable boredom. At times they may find relief by hunting big game in Africa or by flying around the world, but the number of such sensations is limited, especially after youth is past. Accordingly, the more intelligent rich men work nearly as hard as if they were poor.

Work, therefore is desirable, first and foremost as a preventive of boredom, although uninteresting work is as boring as having nothing to do. With this advantage of work, another associated advantage is that it makes holidays much more delicious when they come. Provided that a man does not have to work so hard as to impair his vigour, he is likely to find far more zest than an idle man would possibly find. The second advantage of most paid work and some of unpaid work is that it gives chances of success and opportunities for ambition. In most work, success is measured by income and while our capitalistic society continues, this is inevitable. However dull work too, becomes bearable, if it is a means of building up a reputation. Continuity of purpose is one of the most essential ingredients of happiness and that comes chiefly through work. [H.B.S.E. March 2019 (Set-C)]

Word-Meanings:
Irksome (troublesome) = दुखदायी;
desirable (wishing) = अभिलषणीय;
zest (enjoyment) = मज़ेदार;
inevitable (compulsory) = अनिवार्य;
ambition (the strong desire to gain or achieve something) = महत्त्वाकांक्षा;
vigour (vitality) = प्रभाव ।

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Questions :
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it, using recognizable abbreviations, wherever necessary.
(b) Supply a suitable title.
Answers:
(a) Notes:
1. Nature of Work :
(i) happiness
(ii) on happiness
(iii) irksome
(iv) excess of work is always painful
(v) great advantages

2. Advantages of Work :
(i) preventive of boredom
(ii) makes holidays much more delicious
(iii) payments
(iv) chances of success and opportunities

3. Success of Work :
(i) rise in income
(ii) building up in reputation
(iii) happiness
(A) Title: Role of Work in Life Or Importance of Work

Passage 8
Education ought to teach us how to be in love always and what to be in love with. The great things of history have been done by great lovers, saints, men of science and artists, and the problem of civilization is to give every man a chance of being a saint, a man of science and an artist. But this problem cannot be solved unless men desire to be saints, men of science or artists. And if they are to desire that continuously they must be taught what it means to be these things. We think of the man of science, or the artist if not of the saint, as a being with peculiar gifts who exercises more precisely and incessantly perhaps, activities which we all ought to exercise. It is a commonplace belief now that art has ebbed away out of our ordinary life, out of all the things which we use, and that it is practised no longer by workmen but only a few painters and sculptors.

That has happened because we no longer recognise the aesthetic activity as an activity of the spirit and common to all men. We do not know that when a man makes anything he ought to make it beautiful for the sake of doing so, and that when a man buys anything he ought to demand beauty in it for the sake for of that beauty. We think of beauty, if we think of it at all, as a mere source of pleasure, and therefore it means to us an ornament added to things for which we can pay extra as we choose. But beauty is not an ornament to life, or the things made by man. It is an essential part of both. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]

Word-Meanings:

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes:
1. Education ought to teach us :
(i) how to be in love
(ii) what to be in love with

2. Great things of history done :
(i) great lovers
(ii) saints
(iii) men of science
(iv) artists

3. Problems of civilization :
(i) to give every man a chance
(ii) to develop desire in them
(iii) lack of proper instructions

4. Concept of beauty :
(i) source of pleasure
(ii) not only ornamental to life
(iii) an essential part of the thing

(b) Title: The Role of Education in Life.

Passage 9
I remember my childhood as being generally happy and can recall experiencing some of the most carefree times of my life. But I can also remember, even more vividly, moments of being deeply frightened. As a child, I was truly terrified of the dark and getting lost. These fears were very real and caused me some extremely uncomfortable moments. Maybe it was the strange way things looked and sounded in my familiar room at night that scared me so much. There was never total darkness, but a street light or passing car lights made clothes hung over a chair take on the shape of an unknown beast.

Out of the comer of my eye, I saw curtains move when there was no breeze. A tiny creak in the floor would sound a hundred times louder than in the daylight and my imagination would take over creating burglars and monsters. Darkness always made me feel helpless. My heart would pound and I would lie very still so that ‘the enemy’ wouldn’t discover me.

Another childhood fear of mine was that I would get lost, especially on my way home from school. Every morning, I got on the school bus right near my home-that was no problem. After school, when all the buses were lined up along the curve, I was terrified that I would get on the wrong one and be taken to some unfamiliar neighborhood. I would scan the bus for the faces of my friends, make sure that the bus driver was the same one that had been there in the morning, and even then ask the others over and over again to be sure that I was in the right bus. On school or family trips to an amusement park or a museum, I wouldn’t let the leaders out of my sight.

And of course, I was never very adventurous when it came to taking walks or hikes because I would go only where I was sure I would never get lost. Perhaps, one of the worst fears I had as a child was that of not being liked or accepted by others. First of all, I was quite shy. Secondly, I worried constantly about my looks, thinking people wouldn’t like me because I was too fat or wore braces.

I tried to wear ‘the right clothes’ and had intense arguments with my mother over the importance of wearing flats instead of saddled shoes to school. Being popular was very important to me then and (the fear of not being liked was a powerful one.

One of the processes of evolving from a child to an adult is being able to recognize and overcome our fears. I have learnt that darkness does not have to take on a life of own, that others can help me when I am lost and that friendliness and sincerity will encourage people to like me. Understanding the things that scare us as children helps to cope with our lives as adults. [H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]

Word-Meanings:
Instead = व्यक्ति या वस्तु के स्थान पर;
evolving = सरल से जटिल और उच्चतर रूपों में विकसित होना;
encourage = प्रोत्साहित करना।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it, using recognizable abbreviations wherever necessary.
(b) Supply a suitable heading.
Answers:
(a) Notes:
1. Childhood fears :
(i) Fears from darkness
(a) A real fear
(b) Caused extreme uncomfort
(c) Sights and sound frightened at night
(d) Clothes seemed unknown beasts
(e) Curtains seemed moving without breeze
(f) Creak in the floor
(g) Afraid of some sudden attack

(ii) Fear of get lost
(a) From way back to school
(b) Fear of right bus
(c) Fear of taken to some unknown place
(d) Asked again and again about the same bus

(iii) Fears on trips
(a) Never let the others go out of right
(iv) Fears of not being liked
(a) Quite Shy
(b) Worried constantly about looks
(c) Too fat
(d) Wore braces

2. Remedies to fears :
(i) Darkness makes no harms
(ii) People will help when he is lost
(iii) Friendliness and sincerity will encourage people to like him
(b) Title: Fears of childhood.

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Passage 10
It is surprising that sometimes we don’t listen to what people say to us. We hear them, but we don’t listen to them. I was curious to know how hearing is different from listening. I had thought both were synonyms, but gradually, I realised there is a big difference between the two words. Hearing is a physical phenomenon. Whenever somebody speaks, the sound waves generated reach you, and you definitely hear whatever is said to you.

However, even if you hear something, it doesn’t always mean that you actually understand whatever is being said. Paying attention to whatever you hear means you are really listening. Consciously using your mind to understand whatever is being said is listening. Diving deeper, I found that listening is not only hearing with attention, but is much more than that. Listening is hearing with full attention and applying our mind. Most of the time, we listen to someone, but our minds are full of needless chatter and there doesn’t seem to be enough space to accommodate what is being spoken.

We come with a lot of prejudices and preconceived notions about the speaker or the subject on which he is talking. We pretend to listen to the speaker, but deep inside, we sit in judgment and are dying to pronounce right or wrong, true or false, yes or no, Sometimes, we even come prepared with a negative mindset of proving the speaker – wrong.

Even if the speaker says nothing harmful, we are ready to pounce on him with our own version of things. What are should ideally do is listen first with full awareness. Once we have done that, we can decide whether we want to make a judgment or not. Once we do that, communication will be perfect and our interpersonal relationship will become so much better. Listening well doesn’t mean one has to say the right thing at the right moment. In fact, sometimes if words are left unspoken, there is a feeling of tension and negativity.

Therefore, it is better to speak out your mind but do so with awareness after listening to the speaker with full concentration. Let’s look at this in another way. When you really listen, you imbibe not only what is being spoken, but you also understand what is not spoken as well. Most of the time we don’t really listen even to people who really matter to us. That’s how misunderstandings grow among families, husbands and wives, brothers and sisters. [H.B.S.E. March 2019 (Set-D)]

Word-Meanings :
Consciously (aware) = सचेत;
accommodate (settle) = रहने का स्थान;
prejudices (formed in the mind beforehand) = पूर्वाग्रह;
pounce (attack) = आक्रमण करना;
phenomenon (unusual) = गैरमामूली।

Questions :
(a) On the basis of your reading of the passage make notes on it, using recognizable abbreviations wherever necessary.
(b) Supply a suitable heading.
Answers:
(a) Notes:
1. Listening and Hearing: Similarity
(i) synonyms
(ii) gradual

2. Listening and Hearing: Differences
(i) Hearing-a physical phenomenon
(ii) definitely hear whatever is said
(iii) hearing always does not mean listening
(iv) understanding missing in hearing

3. Listening:
(i) paying attention to whatever is said
(ii) hearing with attention
(iii) using mind consciously
(iv) application of mind
(v) accommodate hearing

4. Drawbacks with Listening :
(i) being judgemental
(ii) having a negative mindset
(iii) giving importance to our own version

5. Best Listening:
(i) listen first with full awareness
(ii) avoid misunderstanding
(A) Title: Importance of Listening Or Be a Good Listener

Passage 11
Although stupidity is commonly defined as a lack of normal intelligence’, stupid behaviour is not the behaviour of a person lacking in intelligence but the behaviour of a person not using good judgment or sense. In face, stupidity comes from the Latin word that means ‘senseless’. Therefore, stupidity can be defined as the behaviour of a person of normal intelligence who acts in a particular situation as if he or she isn’t very bright. Stupidity exists at three levels of seriousness. First is the simple, relatively harmless level. Behaviour at this level is often amusing. It is humorous when someone places the food from a fast food restaurant on the roof of the car while unlocking the door and then drives away with the food still on the roof.

We call this absent-mindedness. The person’s good sense or intelligence was temporarily absent. At this level, other than passing inconvenience or embarrassment, no one is injured by the stupid behaviour. The next type-serious stupidity-is are more dangerous. Practical jokes such as putting sugar in the salt shakers are at this level. The intention is humorous, but there is a chance of harm. Irresponsible advice given to others is also serious stupidity. An example is the person who plays a psychiatrist on the basis of an introductory psychology course or doing a TV program on psychiatry.

The intention may be to help, but if the victim really needs psychiatric help, an amateur will only worsen the situation. Even worse is the third kind of stupidity. Kind people, who would never injure another living being, stupidly throw away a box of six-week-old kittens along a country road. Lacking the heart to kill the poor things, they sentence them to almost certain death from wild animals, infections, exposure or the wheels of a passing vehicle.

Yet they are able to tell themselves that ‘they will find nice homes’ or ‘animals can get along in the wild’. Another example of this kind of stupidity is the successful local businessman who tries to have as many office affairs as he can get away with. He risks the loss of his business and his home. He fails to see that what he is doing is wrong. This is the true moral stupidity of a person not willing to think about the results of his actions or take responsibility for them. The common defense of a person guilty of stupidity is-‘But I didn’t think ’ This, however, is not a proper excuse, especially when serious or harmful stupidity is involved. [H.B.S.E. March 2018 (Set-D)]

Word-Meanings :
Amusing = मनोरंजक;
Humorous = विनोद या हास्यपूर्ण;
exposure = रहस्योद्घाटन या प्रदर्शन;
defense = प्रतिरक्षा।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage make notes on it, using recognizable abbreviations wherever necessary.
(b) Supply a suitable heading.
Answers:
(a) Notes:
1. Definition of Stupidity :
(i) A lack of normal intelligence
(ii) Stupid behavior
(iii) Not using good judgment or sense
(iv) Senseless behaviour

2. Levels of Stupidity :
(i) First level
(a) relatively harmless
(b) simple
(c) a kind of absent-mindedness

(ii) Second Level
(a) serious stupidity
(b) more dangerous
(c) chance of harm

(iii) Third Level
(a) Worst kind of stupidity
(b) danger to the life of others
(c) highly risky
(ft) Title: The three levels of stupidity

Passage 12
In a very short period of time, the internet has had a profound impact on the way we live. Since the internet was made operational in 1983, it has lowered both the costs of communication and the barriers to creative expression. It has challenged old business models and enabled new ones. It has provided access to information on a scale never before achievable. It succeeded because we designed it to be flexible and open. These two features have allowed it to accommodate innovation without massive changes to its infrastructure. An open, borderless and standardized platform means that barriers to entry are low, competition is high, interchangeability is assured and innovation is rapid. The beauty of an open platform is that there are no gatekeepers.

For centuries, access to and creation of information was controlled by the few. The internet has changed that and is rapidly becoming the platform for everyone, by everyone. Of course, it still has a way to go. Today there are only about 2.3 billion internet users, representing roughly 30% of the world’s population. Much of the information that they can access online is in English, but this is changing rapidly. The technological progress of the internet has also set social change in motion. As with other enabling inventions before it, from the telegraph to television, some will worry about the effects of broader access to information-the printing press and the rise in literacy that it affected were, after all, long seen as destabilizing. Similar concerns about the internet are occasionally raised, but if we take a long view, I’m confident that its benefits far outweigh the discomforts of learning to integrate into our lives.

The internet and the world wide web are what they are because literally millions of people have made it so. It is a grand collaboration. It would be foolish not to acknowledge that the openness of the internet has had a price. Security is an increasingly important issue and cannot be ignored. If there is an area of vital research and development for the internet, this is one of them. I am increasingly confident, however, that techniques and practice exist to make the internet safer and more secure while retaining its essentially open quality.

After working on the internet and its predecessors for over decades, I’m more optimistic about its promise than I have ever been. We are all free to innovate on the net every day. The internet is tool of the people, built by the people and it must stay that way. [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]

Word-Meanings:
Destablize = किसी सरकार व्यवस्था आदि को अस्थिर करना;
discomfort = परशानी;
predecessor = पूर्ववर्ती अधिकारी,
optimisties = आशापूर्ण।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings.
Use recognizable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes:
1. History of Internet:
(i) Made operational in 1983

2. Benefits of Internet:
(i) Cheaper Communication
(ii) Removed barriers to creative expression
(iii) Enabled new business models
(iv) Access to latest information

3. Features of Internet:
(i) Flexible
(a) accommodates innovations without massive change
(ii) Open
(a) barriers to entry are low
(b) no gatekeepers

4. Access to People :
(i) 2.3 billion internet users
(ii) 30% of the world population

5. Internet Issues :
(i) Security
(ii) misuse
(iff) leakage of information
(b) Title: Importance of Internet

Passage 13
It’s headache having a headache. Almost all of us have suffered from a headache at some time or the other. For some, a headache is a constant companion and life can be a painful hell of wasted time. The most important step to cope with headaches is to identify the type of headache one is suffering from. In tension headaches (two-hand headaches); a feeling of a tight band around the head exists along with pain in the neck and shoulders. It usually follows activities such as long stretches of driving typing or sitting on the desk. They are usually short-lived but can also last for days or weeks.

A headache is usually caused due to spinal misalignment of the head, due to poor posture. Sleeping on the stomach with the head turned to one side and bending over positions for a long time make it worse. In migraine headaches (one-handed headaches), the pain is usually on one side of the head and may be accompanied by nausea, vomiting, irritability, and bright spots of flashes of light. This headache is made worse by activity, especially bending. The throbbing pain in the head gets worse by noise and light. Certain triggers for migraines may be chocolate-eating, smoking, or MSU in certain food items. The pain may last from eight to 24 hours and there may be a hangover for two-three days.

Migraines are often preceded by an “aura” – changes in sight and sensation. There is usually a family history of migraine. In a headache, the pain originates not from the brain but from irritated nerves of muscles, blood vessels, and bones. These send pain signals to the brain which then judges the degree of distress and relays it at appropriate sites. The pain may sometimes be referred to sites other than the problem areas. This is known as referred pain and occurs due to sensation overload. Thus, though most headaches start at the base of the skull the referred pain is felt typically behind the eyes.

Factors causing headaches are not fully understood but it is known that a shift in the level of body hormones and chemicals, certain food and drinks, and environmental stress can trigger them. If headaches trouble you often, visit the doctor, who will take a full health history relating to diet, lifestyle stresses, the type of headache, triggering factors, and relief measures. You may be asked to keep a “headache diary” which tells you to list-the time the headache started, when it ended, emotional, environmental, and food and drink factors which may have contributed to it. The type and severity of pain and medications used which provided most relief are also to be listed.

This helps the doctor in determining the exact cause and type of headache and the type of drugs to use. Apart from this a physical examination is done to rule out any serious underlying cause. The blood pressure is recorded, vision tested and muscle coordination of the eyes is checked to rule out these as causes. Blood tests may be done out anemia, diabetes, and thyroid disease. If any of the above is abnormal or otherwise a CT Scan or MRI may be done to see tissues and structures around the brain. These will rule out causes such as tumors, hemorrhage, and infection of the brain. This examination gives a clear picture of the problem to the doctor.

Immediate relief can be certain medications and few simple self-care techniques. Using ice against the pain ‘site’, covering eyes with dark classes, drinking plenty of fluids, and lying down in a dark and quiet room provide relief in a migraine attack. Painkillers like aspirin, ibuprofen (brufen), and crocin can be taken and provide relief in different proportions. These should be used with caution and under medical supervision if used for long periods and in large quantities as all of them can cause many side effects. An antiemetic like
perform can help the nausea associated with a migraine. [H.B.S.E. 2017 (Sel-D)]

Word-Meanings :
Tension (stress) = तनाव;
misalignment (incompatibility) = बेमेल संबंध;
posture (pose) = मुद्रा;
aura (atmosphere) = वातावरण;
antiemetic (drug for vomiting) = उल्टी की दवा;
nausea (feeling of sickness) = जी मिचलाना।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes:
1. The troublesome ailment of headache:
(a) What is headache?
(i) pain from irritated nerves
(ii) brain transmits this pain
(iii) pain is felt
(a) at base of skull
(b) behind eyes

2. Types of H. ache:
(a) Tension h. ache
(i) Pain in:
a. head
b. neck
c. shouLders

(ii) Causes:
a. driving
b. typing
c. desk work
(iii) Duration: usually short

(b) Migraine
(i) Symptoms :
(a) pain: one side of head
(b) nausea
(c) irritability

(ii) Causes :
(a) certain foods
(b) smoking
(c) genetic

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

(iii) Duration : 8-24 hours

3. Causes of Headache :
(a) Hormonal imbalances
(b) Poor posture
(i) spinal misalignment
(c) Faulty sleeping post
(d) Environ. stress

4. Remedy :
(a) Long term
(i) Visit Dr. for check up
(b) Instant Relief
(i) ice-pack
(ii) fluid intake
(b) Title: Headache

Passage 14
A vast blanket of pollution stretching across South Asia is cutting down sunlight by 10 percent over India, damaging agriculture, modifying rainfall patterns and putting hundreds of thousands of people at risk, according to a new study. The startling findings of scientists working with the United Nations Environment Programme indicate that the spectacular economic growth seen in this part of the world in the past decade may soon falter as a result of pollution.

Research carried out in India indicates that the haze caused by pollution might be reducing winter rice harvests by as much as 10 percent, the report said. “Acids in the haze may, by falling as acid rain, have the potential to damage crops and trees. Ash falling on leaves can aggravate the impact of reduced sunlight on earth’s surface. The pollution that is forming the haze could be leading to several hundred of thousands of premature deaths as a result of higher level of respiratory diseases,” it said. Results from seven cities in India alone, including Delhi, Mumbai, Ahmedabad, and Kolkata, estimate that air pollution was annually responsible for 24,000 premature deaths in the early 1990s. [H.B.S.E. 2020 (Set-A)]

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(а) Notes:
1. Effects of increasing pollution in South Asia :
(i) Cutting 10% of sunlight over India.
(ii) Damaging its agriculture.
(iii) Modifying rainfall patterns.
(iv) Putting thousands of people at risk.

2. Findings of scientists of UNEP indicate :
Economic growth made by South Asia in the past decade may soon falter due to pollution.

3. According to the research made in India, haze caused by pollution :
(i) Might reduce winter rice harvests.
(ii) Might damage the vegetation.
(iii) Might cause several thousands of premature death.
(b) Title: Pollution and its effects.

Passage 15
Skipping breakfast, especially among primary and secondary school children, affects mental performance in the classroom, thus lending weight to the old adage that a healthy breakfast gets you off to a good start for the day. New research shows that eating breakfast benefits the memory. It provides essential nutrients and energy that contribute to the overall diet quality and adequacy. Children who skip breakfast do not make up for nutrients and energy deficits later in the day and they tend to perform more poorly in tests of cognition than those who eat their breakfast. A study undertaken by doctors at the University of Wales in the U.K. found that a higher blood glucose level after eating breakfast is one of the key reasons for the improvement in mental performance.

It particularly affects the speed of recalling new information but does not influence other aspects such as intelligence test results or mental tasks related to conditioning or developed skills. Eating breakfast was found to improve performance on retention of new information like recall of stories and word lists. This aspect of memory is called ‘declarative memory’ in which information can be consciously recalled and declared verbally, says the study whose finding have been presented in the American Journal of Clinical Nutrition. [2020 (Set-B)]

Word-Meanings:
Vast (large) = विशाल;
damage (destroy) = विनाश;
modify (make partial changes) = आंशिक परिवर्तन;
risk (dangerous situation) = जोखिम;
indicate (point out) = इशारा करना;
growth (development) = विकास ।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes :
1. Effects of skipping breakfast:
(i) Poor mental performance
(ii) Deficiency in energy.

2. Benefits of eating breakfast:
(i) Memory improvement.
(ii) Provides essential energy.

3. Study by doctors at University of Wales :
(i) High blood glucose level after breakfast improves mental performance.
(ii) Increases speed of recalling new information.

(b) Title: How the Breakfast is Beneficial for Us.

Passage 16
Gandhiji the greatest political genius of our time, indicated the path to be taken. He gave living testimony to the fact that man’s will sustained by an indomitable conviction, is more powerful than material forces that seem insurmountable. On the whole, I believe that Gandhiji held the most enlightened view of all political men of our times. We should strive to do things in his spirit: not to use violence in fighting for our cause and to refrain from taking part in anything we believe as evil. Revolution without the use of violence was the method by which Gandhiji brought about the liberation of India.

It is my belief that the problem of bringing peace to the world on a supranational basis will be solved only by employing Gandhiji’s method on a large scale. The veneration in which Gandhiji has been held throughout the world rests on the recognition, for the most part unconscious, that in our age of moral decay, he was the only statesman who represented that higher conception of human relation in the political sphere to which we must aspire with all our powers. [H.B.S.E. March 2020 (Set-C)]

Word-Meanings :
Primary (chief importance) = प्राथमिक;
healthy (having good health) = स्वस्थ;
benefits (profit) = लाभ;
essential (neccessary) = जरूरी;
energy (power) = ताकत;
quality (characteristics) = गुण;
level (unit) = मात्रा।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes :
1. Gandhiji:
(i) the greatest political genius of our time.
(ii) followed the path of non-violence.
(iii) believed in the power of the will.
(iv) believed in revolution without the use of violence.

2. For tolerable future of mankind :
(i) Gandhiji’s higher conception of human relations.
(b) Title: Gandhiji-The Political Genius.

Passage 17
Real praise, a sincere compliment, is probably the most useful social tool of all. it is the valued gold coin of our conversation. Yet today, it is in danger of losing its brightness. For, it is greatly misused and not properly exchanged. What is a true compliment? It is one that benefits both the giver and the receiver. We all like to have our sense of personal worth built up or pointed out. And when one expert adds to another’s sense of dignity and speaks favourably of his skill, he is offering a compliment of the highest and rarest kind. A compliment differs from flattery in that it is objective and given without any thought of gain. Flattery is often merely lip service or excessive praise given for motives other than expected.

The greatest efforts of the human race have always resulted from the love of praise. This should be inspired in childhood. A wise parent makes it a point to compliment a child who deserves it. There is an art in the giving of compliments. Thus a good compliment is always to the point and timing is important. Don’t wait too long to tell a person what a good talk he gave or how well he cut your grass. But don’t do it immediately when he is expecting it either. Wait. Then, when he thinks you may have forgotten, pass the praise. [H.B.S.E. March 2020 (Set-D)]

Questions;
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings.
Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.
Answers:
(a) Notes:
1. Benefits of sincere compliment
(i) Most useful social tool
(ii) Benefits both giver and receiver –

2. Difference between flattery and complement
(i) Complement given without thought of gain
(it) Flattery merely lip service; given for some self-motive

3. Timing of complement
(i) Neither too late
(ii) Nor immediately
(iii) Pass it when one thinks you have forgotten
(b) Title: The Art of Giving Compliment.

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Unsolved Passages For Practice

Passage 1
The work of the heart can never be interrupted. The heart’s job is to keep oxygen-rich blood flowing through the body. All the body’s cells need a constant supply of oxygen, especially those in the brain. Brain cells live only four to five minutes after their oxygen is cut off, and death comes to the entire body.

The heart is a specialized muscle that serves as a pump. This pump is divided into four chambers connected by tiny doors called valves. The chambers work to keep the blood flowing round the body in a circle. At the end of each circuit, veins carry the blood to the right atrium, the first of the four chambers. Its oxygen has been used up and it is on its way back to the lung to pick up a fresh supply and to give up the carbon dioxide it has accumulated.

From the right atrium the blood flows through the tricuspid valve into the second chamber, the right ventricle. The right ventricle contracts when it is filled, pushing the blood through the pulmonary artery, which leads to the lungs. In the lungs the blood gives up its carbon dioxide and picks up fresh oxygen. Then it travels to the third chamber, the left atrium. When this chamber is filled it forces the blood through the mitral valve to the left ventricle. From here it is pushed into a big blood vessel called aotra and sent round the body by way of arteries.
Heart diseases can result from damage to the heart muscle, the valves or the pacemaker. If the muscle is damaged, the heart is unable to pump properly. If the valves are damaged, blood cannot flow normally and easily from one chamber to another, and if the pacemaker is defective the contractions of the chambers will become uncoordinated.

Until the twentieth century, few doctors dared to touch the heart. In 1953, all this changed. After twenty years of work, Dr. John Gibbon of U.S.A. had developed a machine that could take over temporarily from the heart and lungs. Blood could be routed through the machine, bypassing the heart so that surgeons could work inside it and see what they were doing. The era of open heart surgery had begun.
In the operating theatre, it gives surgeons the chance to repair or replace a defective heart. Many patients have had plastic valves inserted in their hearts when their own was faulty. Many people are being kept alive with tiny battery-operated pacemakers; none of these repairs could have been made without the heart-lung machine. But valuable as it is to the surgeons, the heart-lung machine has certain limitations. It can be used only for a few hours at a time because its pumping gradually damages the blood cells.

Word-Meanings :
Interrupted (stopped temporarily) = कुछ देर के लिए रुका;
constant (continual) = लगातार,
chambers (rooms) = कमरे, खाने;
accumulated (collected) = इकट्ठा किया हुआ;
contract (squeeze) = सिकुड़ना;
damaged (harmed) = नुकसान;
era (age) = युग;
faulty (defective) = दोषपूर्ण;
gradually (slowly) = धीरे-धीरे।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.

Passage 2

Humans erect buildings for various purposes. The structure of the building depends- on the purpose for which it is erected. One building may require strength, another may require comfort, and a third may require space. People who design a building keep in mind the purpose for which it is being erected, draw a plan that will fulfill the purpose.

There are many types of buildings. First type which all of you are familiar with is the domestic building: your own house, for example. A domestic building should serve as a shelter for people against heat and cold, rain, and snow. It should also be pleasing to the eye. A modem type of domestic building is the apartment house; here, many families live in the same building, each family occupying a separate flat.

The second type of building is the military building. Castles and forts are examples. A military building must be strong. It must have thick, high walls made of stone. Usually, there is a moat around the castle and a drawbridge to permit only friends to enter the castle. Many castles have survived over centuries since they were built of strong materials.

The third type of building is the public building: for example, the Parliament House in Delhi or the Pentagon in Washington. Almost every town has its town hall. Public buildings house government offices, or educational institutions, or law courts, or other similar organizations.

The fourth type of building is the religious building. The temples, mosques and churches are examples. Many of these buildings are noteworthy for their architectural beauty and for the fine carvings one finds in them. The gopura of a South Indian temple, the minaret of a mosque and the steeple of a church add majesty to the buildings. Even today the objects that attract the largest number of tourists are the temples, mosques, mausoleums, and cathedrals.

Word-Meanings :
Erected (build) = निर्माण किया जाना;
occupying (possess) = रखना/मालिक होना;
castle (palace) = महल;
mosque (the worship place of the muslims) = मस्जिद;
steeple (tower) = मीनार ।

HBSE 12th Class English Reading Unseen Passages Note Making

Questions :
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it, using recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Assign a suitable title to the passage

Passage 3
The whole point of technical advance is that it enables man to manipulate his environment to live in the sort of conditions he wants to live in. So you ask ‘What will man’s everyday surroundings be like in forty ‘ years’ time?’ Other animals will get the environment they deserve, man will get the one he wants.

And will man be so very different in forty years’ time? I do not think so. Healthier, yes, I imagine we shall have mastered the viruses and the problem of cancer in the young and I am sure we shall know enough to be able to avoid passing on hereditary abnormalities to our children; but I suspect that the illnesses and hurts of old f- age will still be with us because I doubt whether we shall have overcome the necessity of growing old.

And shall we be any more sensible? No, certainly not, the recorded history of several thousand years shows us that all the logical absurdities of man have always been with us; what we have not outgrown in 4,000 years we shall not outgrow in another forty. Food is already becoming increasingly hygienic, quick frozen, packaged, and prepackaged in impregnable plastic containers, increasingly free from all taint of decay-forgetting the fact that many of the flavours which we prize most highly are due to the early stages of decay of one sort or another. Already the production of our organic food is becoming increasingly mechanized. One obvious step remains, and that is to produce all our food-the proteins, carbohydrates, fats, vitamins roughage and what have you entirely synthetically.

And how shall we communicate? We shall still talk to each other. Shall we write? Not,I think, in the way we do today. Even today, handwriting is dying out. Typing will last longer, but the time will come when the manual typewriter will in its turn become obsolete and will be relegated to the status of a toy, like a child’s printing set. For already computers are beginning to tackle the problem of recognition of ordinary written texts, and already a simple computer exists which will obey verbal instructions. Put these ideas together, and you will see that even today we are within sight of the possibility of a machine that will take dictation, and will then automatically print out the dictated text.

Do you find this sort of prospect worrying, depressing, even frightening? I have envisaged nothing that will not be technically possible in forty years if we really want it. For it is what we want not that will decide what we get in the future.

Word-Meanings :
Manipulate (manage) = संभालना;
mastered (controlled) = काबू करना;
abnormalities (defects) = दोष;
overcome (remove) = हटाना;
impregnable (impenetrable) = अभेद्य;
obsolete (out of date) = पुराना;
frightening (terrifying) = भयावह;
envisaged (imagined) = कल्पना करना ।

Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.

Passage 4

Leadership does not exist without followership. A leader has to be accepted by the group which | the former is supposed to lead. To gain acceptability the leader should cause an emotive impact on the 1 group members. The characters exhibited by leaders make them dear to their followers. A leader is one who effectively inspires employees to achieve worthwhile things. What character of the leader motivates the followers? It is not pomp and show nor flattery not sanctioning more incentives. Pomp and show creates a sense of awe and | the leader is deified rather than emulated. Flattery is unrealistic, and cannot serve as a long-term motivational tool.

A leader’s style should be one that can be emulated by all irrespective of cadre, class, and caliber. Simplicity in one’s day-to-day conduct is the only thing that can be adopted by all. When the leader is simple, he is , counted as one belonging to the group of which he is the leader. That’s enough to motivate the people. Motivation I is the innate quality that enables an individual or group, to contribute unlimitedly with limited means. It is the proud prerogative of enlightened human beings.

A leader needs to assume the role of a guide; quintessential to fulfilling the role is knowledgeability. Technical and administrative knowledge of the guide in balanced quantity and of right kind are essential. The technical knowledge is too vast to acquire by a leader. At best he is either ‘Jack of all’ or ‘Master of few’. But he has to master the human relations aspect of administration in all detail. And when the leader is good at this his guidance is sought and accepted, then he fulfills the role of guide.

The leader is an negotiator within and outside the organisation. The leader shapes people and moulds character. To achieve this the leader should maintain equanimity. Equanimity is keeping oneself poised and balanced at all times. A leader is simply great if he can mould his followers with this frame of mind. He does this by his own example.

Word-Meanings :
Emotive (passionate) = भावनात्मक;
exhibited (shown) = दिखावा, प्रदशित;
emulate (to follow) = अनुसरण करना;
cadre (rank) = दर्जा;
calibre (ability) = क्षमता;
motivate (to encourage, to inspire) = प्रेरणा देना;
innate (inner) = आंतरिक;
assume (adopt) = अपनाना;
quintessential (perfect) = पूर्ण;
acquire (get) = प्राप्त करना;
negotiator (arbiter) = बिचौला;
equanimity (balance, peace) = संतुलन, शांति ।

Questions :
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.

Passage 5
Bamboo is perhaps the most useful plant in the world. It grows in almost all tropical and subtropical countries. The only continents in which bamboo does not grow are Europe and Antarctica. In India, it grows extensively in the northeast and in the Western Ghats. There are varieties of bamboo that grow to a height of 40 meters, and others that reach a height of only a meter. Bamboo is among the fastest-growing plants of the world; one plant in Japan recorded a growth of 121 centimeters in one day! You could almost see it growing!

The bamboo is a variety of grass, with a woody, many-jointed stem. The stem itself is hollow and is connected to a rhizome network which spreads out beneath the surface of the soil. Roots grow out of this network of rhizomes and help the plant to absorb and distribute food and water from the soil. Many species of bamboo flower once in several years and then die. One species flowers regularly once in 120 years: bamboos of that species all over the world flower together in the same year, and then die.

Bamboo is a versatile plant. Men have found several uses for it. Bamboo shoots are a staple diet in many Asian countries. The shoots are pickled or stewed and served as delicacies. The fleshy fruits of one species of bamboo in Assam are eaten raw or cooked. When there is a drought, bamboo seeds are used as a substitute for rice.

The commercial uses of bamboo are astonishing. India produces over 3 million tonnes of bamboo annually, and nearly half of it is turned into paper. Another important use of bamboo is in housing. Instead of costly timber, bamboo can be used in the construction of houses. In Colombia, bamboo used in house structures is covered with plaster. Bamboo can even replace steel in many of its uses. Concrete reinforced with bamboo has sufficient strength for most uses. In Assam, suspension bridges have been built using bamboo.

Scientists at the Forest Research Institute, Dehra Dun, are working on the extraction of diesel fuel from the jointed stem of bamboo. With its network of rhizomes and roots, bamboo plays an important role in the prevention of soil erosion. When all these things are considered, the humble bamboo appears to be a miracle plant that can provide an abundant, cheap and versatile resource for the industrialized world.

Word-Meanings :
Extensively (widely) = विस्तृत रूप से;
stem (trunk) = तना;
absorb (suck) = चूसना;
delicacies (delicious dishes) = स्वादिष्ट व्यंजन;
astonishing (surprising) = आश्चर्यजनक;
erosion (cutting away) = क्षय;
abundant (in good quantity) = प्रचुर मात्रा में।

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Questions:
(a) On the basis of your reading of the passage, make notes on it using headings and sub-headings. Use recognisable abbreviations wherever necessary.
(b) Also assign a suitable title to it.

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 6 उपनिवेशवाद और शहर

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 6 उपनिवेशवाद और शहर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 6 उपनिवेशवाद और शहर

HBSE 8th Class History उपनिवेशवाद और शहर Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

उपनिवेशवाद और शहर Notes HBSE 8th Class प्रश्न 1.
सही या गलत बताएँ:
(क) पश्चिमी विश्व में आधुनिक शहर औद्योगीकरण के साथ विकसित हुए।
(ख) सूरत और मछलीपट्नम का उन्नीसवीं शताब्दी में विकास हुआ।
(ग) बीसवीं शताब्दी में भारत की ज्यादातर आबादी शहरों में रहती थी।
(घ) 1857 के बाद जामा मसजिद में पांच साल तक नमाज नहीं हुई।
(छ) नयी दिल्ली के मुकाबले पुरानी दिल्ली की साफ-सफाई पर ज्यादा पैसा खर्च किया गया।
उत्तर:
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) असत्य
(घ) सत्य
(ङ) असत्य।

उपनिवेशवाद और शहर प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरें :
(क) सफलतापूर्वक गुंबद का इस्तेमाल करने वाली पहली इमारत …………….. थी।
(ख) नयी दिल्ली और शाहजहांनाबाद की रूपरेखा तय करने वाले दो वास्तुकार ……………………. और …………… थे।
(ग) अंग्रेज भीड़ भरे स्थानों को …………… मानते थे।
(घ) …………….. के नाम से 1888 में एक विस्तार – योजना तैयार की गई।
उत्तर:
(क) गोल छत वाली इमारत/मकबरा
(ख) एडवर्ड लुटयस, शाहजहाँ
(ग) अश्वेत क्षेत्र
(घ) लाहौरी गेट।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 6 उपनिवेशवाद और शहर

उपनिवेशवाद और शहर HBSE 8th Class History प्रश्न 3.
नयी दिल्ली और शाहजहानाबाद की नगर योजना में तीन फर्क ढूँढ़ें।
उत्तर:
नयी दिल्ली एवं शाहजहांनाबाद के मध्य निम्नलिखित अंतर बताये जा सकते हैं :
(i) शाहजहाँनाबाद को मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा 1639 में बनाना शुरू किया गया। यह एक किला-महल इमारतों का समूह (afort-palace complex) है तथा इसके साथ एक विशाल शहर सटा (समीप ही) था। दूसरी तरफ नई दिल्ली 20वीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार से आधुनिक पश्चिमी शैली एवं डंग पर बना नये ढंग का शहर था। यद्यपि अंग्रेजी सेना ने 1803 में ही दिल्ली पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था लेकिन इसे कलकत्ता (कोलकाता) के स्थान पर 1911 में नई राजधानी बनाया गया।

(ii) शाहजहाँनाबाद की मुख्य इमारतें थीं लाल किला जो – पूर्णतया लाल पत्थर का बना हुआ था जिसमें अनेक भव्य सुन्दर इमारतें सफेद संगमरमर एवं पत्थर की बनी थीं। दूसरी ओर नई दिल्ली का विकास 1911 के बाद हुआ जिसमें विशाल सचिवालय, संसद भवन, राष्ट्रपति भवन आदि बनाये गये थे।

(iii) शाहजहानाबाद के चारों ओर विशाल शहर की दीवार या सीमा दीवार (boundary wall) है जिसमें 14 बड़े (विशाल)द्वार हैं। नई दिल्ली का विकास पुराने तीन ब्रिटिश शहरों बंबई, मद्रास तथा कलकत्ता से भिन्न था जो दो रंगों के लोगों के आधार पर
अश्वेत कालोनी तथा श्वेत कालोनी क्षेत्र थे। दिल्ली में ऐसा नहीं | था। हाँ, यहाँ सिविल लाइन एरिया जरूर था।

(v) शाहजहानाबाद में एशिया के दो बड़े विशाल ऐतिहासिक बाजार-चाँदनी चौक तथा फैज बाजार था। यह इतने चौड़े थे कि इनमें से विशाल शाही सवारी निकला करती थी। दिल्ली में अंग्रेज बीसवीं शताब्दी के प्रथम अर्ध भाग में धनी भारतीयों के साथ-साथ | रहते थे।

उपनिवेशवाद और शहर HBSE 8th Class History प्रश्न 4.
मद्रास जैसे शहरों के “गोरे” इलाकों में कौन लोग रहते थे?
उत्तर:
अंग्रेज और अन्य यूरोपीय लोग शहरों के “श्वेत क्षेत्रों” अथवा ‘गोरे’ इलाकों में रहा करते थे। ऐसे क्षेत्र बंबई तथा कलकत्ता (जो आजकल क्रमशः मुंबई तथा कोलकाता कहलाते हैं) एवं मद्रास में रहा करते थे। ये प्रायः कंपनी तथा कालातर में ब्रिटिश सरकार के बड़े-बड़े अधिकारीगण, सौदागर, व्यापारी, बागान मालिक, जहाजरानी के स्वामी, उद्योगपति तथा साधारण कर्मचारी एवं कार्यकर्ता ही होते थे।

आइए विचार करें

उपनिवेशवाद और शहर प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 5.
विशहरीकरण का क्या मतलब है?
उत्तर:
विशहरीकरण उस स्थिति को कहते हैं जब देश में कुछ शहरों की तीव्र वृद्धि हो रही है तथा उसी समय बहुत सारे दूसरे शहर कमजोर पड़ते आ रहे हों। उदाहरण के लिए जब अठारहवीं सदी के आखिर में कलकत्ता, बंबई और मद्रास का महत्त्व प्रेजिडेंसी शहरों के रूप में तेजी से बढ़ रहा था तो देश में खास चीजों के उत्पादन करने वाले बहुत सारे शहर इसलिए पिछड़ने लगे क्योंकि वहाँ जो चीजें बनती थीं उनकी मांग घट गई थी। जब व्यापार नए क्षेत्रों में केन्द्रित होने लगा तो पुराने व्यापारिक केन्द्र और बंदरगाह पहली वाली स्थिति में नहीं रहे।

इसी प्रकार, जब अंग्रेजों ने स्थानीय राजाओं को पराजित कर दिया और शासन के नए केन्द्र पैदा हुए तो क्षेत्रीय सत्ता के पुराने केन्द्र भी ढह गए। इस प्रक्रिया को प्रायः विशहरीकरण कहा जाता है। मछलीपटनम, सूरत और श्रीरंगपट्म जैसे शहरों का उन्नीसवीं सदी से काफी ज्यादा विशहरीकरण हुआ। बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में केवल 11 प्रतिशत लोग शहरों में रहते थे। ऐतिहासिक शाही शहर दिल्ली उन्नीसवीं सदी में एक धूलभरा छोटा-सा कस्बा बनकर रह गया था। लेकिन 1912 में ब्रिटिश भारत की राजधानी बनने के उपरांत इसमें दोबारा जान आ गई।

प्रश्न 6.
अंग्रेजों ने दिल्ली में ही विशाल दरबार क्यों लगाया जबकि दिल्ली राजधानी नहीं थी?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों की वजह से ही अंग्रेजों ने दिल्ली में ही विशाल दरबार लगाया जबकि दिल्ली देश की राजधानी नहीं थी।
(अ) (1) अंग्रेजों को भलीभाँति दिल्ली शहर के ऐतिहासिक एवं प्रतीकात्मक (Symbolic) महत्त्व की जानकारी थी। वे जानते थे कि यह शहर एक हजार साल से भी ज्यादा समय तक राजधानी रह चुका है। इस दौरान इसमें छोटे-मोटे अंतराल भी आते रहे हैं। यमुना नदी के बाएँ किनारे पर लगभग साठ वर्ग मील के छोटे से क्षेत्रफल में कम से कम 14 राजधानियाँ अलग-अलग समय पर बसाई गई।

(ii) आधुनिक नगर राज्य दिल्ली में घूमने पर इन सारी राजधानियों के अवशेष देखे जा सकते हैं। इनमें बारहवीं से सत्रहवीं शताब्दी के बीच बसाए गए राजधानी शहर सबसे महत्त्वपूर्ण थे।

(iii) इन सारी राजधानियों में सबसे शानदार राजधानी शाहजहाँ ने बसाई थी। शाहजहांनाबाद की स्थापना 1639 में शुरू हुई। इसके भीतर एक किला-महल और बगल में सटा पाहर था। लाल पत्थर से बने लाल किले में महल परिसर बनाया गर। था। इसके पश्चिम की ओर 14 दरवाजों वाला पुराना शहर था। चाँद चौक और फैज बाजार की मुख्य सड़कें इतनी चौड़ी थी कि वहाँ स शाही यात्राएँ आसानी से निकल सकती थीं। चाँदनी चौक के बीचोंबीच नहर थी।

(iv) घने मौहल्लों और दर्जनों बाजारों से भिरी जामा मसजिद भारत की सबसे विशाल और भव्य मनिता में से एक थी। उस समय पूरे शहर में इस मसजिद से ऊँचा ई स्थान नहीं था।

(ब) (i) 1857 के बाद यह सब कुछ बदल गया। उस साल हुए विद्रोह के दौरान विद्रोहियों ने बहादुर शाह जफर को विद्रोह – का नेतृत्व संभालने के लिए मजबूर कर दिया। चार महीने तक दिल्ली विद्रोहियों के नियंत्रण में रही। अंग्रेज दिल्ली के मुगल अतीत को पूरी तरह भुला देना चाहते थे। किले के इर्द-गिर्द का ‘सारा इलाका साफ कर दिया गया। वहाँ के बाग, मैदान और मसजिदें नष्ट कर दिए गए (उन्होंने मंदिरों को नहीं तोड़ा)। अंग्रेज आसपास के इलाके को सुरक्षित करना चाहते थे। खासतौर से मसजिदों को या तो नष्ट कर दिया गया या उन्हें अन्य कामों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। मिसाल के तौर पर जीनत-अल-मसजिद को एक बेकरी में तब्दील कर दिया गया। जामा मसजिद में पांच साल तक किसी को नमाज की इजाजत नहीं मिली। शहर का एक-तिहाई हिस्सा ढहा दिया गया। नहरों को पाटकर समतल कर दिया गया।

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प्रश्न 7.
पुराना दिल्ली शहर ब्रिटिश शासन के तहत (अंतर्गत) किस तरह बदलता गया ?
उत्तर:
अंग्रेजों के अधीन पुरानी दिल्ली के बदलाव की प्रक्रिया :
1. 1803 में अंग्रेजों ने मराठों को हराकर दिल्ली पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। क्योंकि ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता थी इसलिए मुगल बादशाह को लाल किले के महल में रहने की छूट मिली हुई थी। आज हमारे सामने जो आधुनिक शहर दिखाई देता है यह 1911 में तब बनना शुरू हुआ जब दिल्ली ब्रिटिश भारत की राजधानी बन गयी।

2. 1857 से पहले दिल्ली के हालात दूसरे औपनिवेशिक शहरों से काफी अलग थे। मद्रास, बंबई या कलकत्ता में भारतीयों और अंग्रेजों की बस्तियाँ अलग-अलग होती थीं। भारतीय लोग “काले” इलाकों में और अंग्रेज लोग सुसज्जित “गोरे” इलाकों | में रहते थे। दिल्ली में ऐसा नहीं था। खासतौर से उन्नीसवीं सदी | के पूर्वार्द्ध में दिल्ली के अंग्रेज भी पुराने शहर के भीतर अमीर | हिंदुस्तानियों के साथ ही रहा करते थे। वे भी उर्दू/फ़ारसी संस्कृति | व शायरी का मजा लेते थे और स्थानीय त्योहारों में हिस्सेदारी करते

3. 1824 में दिल्ली कॉलेज की स्थापना हुई जिसकी शुरुआत – अठारहवीं सदी में मदरसे के रूप में हुई थी। इस संस्था ने विज्ञान
और मानवशास्त्र के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात कर दिया। यहाँ मुख्य रूप से उर्दू भाषा में काम होता था। बहुत सारे लोग – 1830 से 1857 की अवधि को दिल्ली पुनर्जागरण काल बताते हैं।

4. जब अंग्रेजों ने शहर पर दोबारा नियंत्रण हासिल किया तो वे बदले और लूटपाट की मुहिम पर निकल पड़े। प्रसिद्ध शायर गालिब उदास मन से इन घटनाओं को देख रहे थे। 1857 में दिल्ली की तबाही को उन्होंने इन शब्दों में व्यक्त किया, “जब गुस्साए शेर (अंग्रेज़) शहर में दाखिल हुए तो उन्होंने बेसहारों को मारा. …… घर जला डाले। न जाने कितने औरत-मर्द, आम और खास, तीन दरवाजों से दिल्ली से भाग खड़े हुए और उन्होंने छोटे-छोटे समुदायों तथा शहर के बाहर मकबरों में पनाह ली।” .

5. भविष्य में विद्रोहों को रोकने के लिए अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर को देश से निकाल दिया। अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया, उनका दरबार बंद कर दिया, कई महल गिरा दिए, बागों को बंद कर दिया और उनकी जगह अपने सैनिकों के लिए बैरके बना दीं।

6. अंग्रेज़ दिल्ली के मुगल अतीत को पूरी तरह भुला देना चाहते थे। किले के इर्द-गिर्द का सारा इलाका साफ कर दिया गया। वहाँ के बाग, मैदान और मसजिदें नष्ट कर दिए गए (उन्होंने मंदिरों को नहीं तोड़ा)। अंग्रेज आसपास के इलाके को सुरक्षित करना चाहते थे। खासतौर से मसजिदों को या तो नष्ट कर दिया गया या उन्हें अन्य कामों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। मिसाल के तौर पर, जीनत-अल-मसजिद को एक बेकरी में तब्दील कर दिया गया। जामा मसजिद में पांच साल तक किसी को नमाज की इजाजत नहीं मिली। शहर का एक-तिहाई हिस्सा ढहा दिया गया। नहरों को पाटकर समतल कर दिया गया।

प्रश्न 8.
विभाजन से दिल्ली के जीवन पर क्या असर पड़ा?
उत्तर:
1. विभाजन के समय जीवन (Life at the time of partition) : 1947 में भारत के विभाजन से नयी सीमा के दोनों तरफ आबादी बड़ी तादाद में विस्थापित हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि दिल्ली की आबादी बढ़ गई। रोजगार बदल गए और शहर की संस्कृति बिलकुल भिन्न हो गई।

2. दंगों का प्रभाव (Effects of riots) : स्वतंत्रता और विभाजन के कुछ ही दिनों बाद भीषण दंगे शुरू हो गए। दिल्ली में हजारों लोग मारे गए और उनके घर बार लूटकर जला दिए गए। दिल्ली से पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की जगह पाकिस्तान से सिख और हिंदू शरणार्थियों ने ले ली। शाहजहाँनाबाद में लावारिस मकानों पर कब्जे के लिए शरणार्थियों के झुंड घूमने लगे। कई बार उन्होंने मुसलमानों को भाग जाने और अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर भी किया।

3. शरणार्थियों के सामने चुनौतियाँ एवं उनके समाधान (Challenges before the refugees and their solutions): उस समय दिल्ली शरणार्थियों का शहर बन गई थी। दिल्ली की आबादी में लगभग पाँच लाख की वृद्धि हो गई (जबकि 1951 में यहाँ की आबादी 8 लाख से कुछ ही ज्यादा थी)। ज्यादातर लोग पंजाब से आए थे। वे शिविरों, स्कूलों, फ़ौजी बैरकों और बाग-बगीचों में आकर रहने लगे। उनमें से कुछ को खाली पड़े मकानों पर कब्जे का मौका मिल गया। बहुत सारे लोग शरणार्थी बस्तियों में रहने लगे। लाजपत नगर और तिलक नगर जैसी बस्तियाँ इसी समय बसी थीं। दिल्ली में आने वालों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दुकान और स्टॉल खुल गए। कई नए स्कूल और कॉलेज भी खोल दिए गए।

4. मुसलमानों का पाकिस्तान को पलायन (Movement | of the Muslims to Pakistan) : दिल्ली के दो-तिहाई मुसलमान | पलायन कर गए थे जिससे लगभग 44,000 मकान खाली हो गए। बहुत सारे मुसलमान पाकिस्तान जाने के इंतजार में कामचलाऊ शिविरों में रहने लगे।

5. आर्थिक बदलाव (Economic Changes) : जो लोग यहाँ से गए थे उनकी जगह आए शरणार्थियों की निपुणता और काम-धंधे बिलकुल अलग थे। पाकिस्तान जाने वाले बहुत सारे मुसलमान कारीगर, छोटे-मोटे व्यापारी और मजदूर थे। दिल्ली आए नए लोग ग्रामीण भूस्वामी, वकील, शिक्षक, व्यापारी और छोटे दुकानदार थे। विभाजन ने उनकी जिंदगी और उनके व्यवसाय बदल दिए थे। फेरीवालों, पटरीवालों, बढ़ई और लुहारों के तौर पर उन्होंने नए रोजगार अपनाए। इनमें से बहुत सारे नए व्यवसाय में काफी सफल भी रहे।

6. सामाजिक-सांस्कृतिक बदलाव (Social and Cultural Changes) : पंजाब से आई विशाल टोलियों ने दिल्ली का सामाजिक परिवेश पूरी तरह बदल दिया। भोजन, पहनावे और कला के हर क्षेत्र में मुख्य रूप से उर्दू पर आधारित शहरी संस्कृति नयी रुचियों और संवेदनशीलता के नीचे दब गई।

आइए करके देखें

प्रश्न 9.
अपने शहर या आसपास के किसी शहर के इतिहास का पता लगाएं। देखें कि वह कब और कैसे फैला तथा समय के साथ उसमें क्या बदलाव आए हैं। आप बाजारों, इमारतों, सांस्कृतिक संस्थानों और बस्तियों का इतिहास दे सकते हैं।
उत्तर:
मैं शिवाजी धावले हूँ। मैं आजकल मुंबई (जो पहले बंबई कहलाता था।) में रहता हूँ। मेरे शहर के इतिहास, समय-समय पर इसमें आये परिवर्तन, बाजारों, सांस्कृतिक पहलुओं, संस्थाओं और बस्तियों से जुड़े कुछ तथ्य निम्नलिखित हैं:
(i) यदि शाही दृष्टि को साकार करने का एक तरीका नगर-नियोजन था तो दूसरा तरीका यह था कि शहरों में भव्य इमारतों के मोती टाँक दिए जाएँ। शहरों में बनने वाली इमारतों में किले, सरकारी दफ्तर, शैक्षणिक संस्थान, धार्मिक इमारतें, स्मारकीय मीनारें, व्यावसायिक डिपो यहाँ तक कि गोदियाँ और पुल, कुछ भी हो सकता था।

(ii) टापुओं का परस्पर जुड़ाव (Mutual Linkage of Islands) : शुरुआत में बंबई सात टापुओं का इलाका था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, इन टापुओं को एक-दूसरे से जोड़ दिया गया ताकि ज्यादा जगह पैदा की जा सके।

(iii) अमेरिकी गृहयुद्ध का प्रभाव (Impact of American Civil War) : जब 1861 में अमरिकी गृह युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका के दक्षिणी भाग से आने वाली कपास अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आना बंद हो गई। इससे भारतीय कपास की मांग पैदा हुई
जिसकी खेती मुख्य रूप से दक्कन में की जाती थी। भारतीय व्यापारियों और बिचौलियों के लिए यह बेहिसाब मुनाफे का मौका था। 1869 में स्वेज नहर को खोला गया जिससे विश्व अर्थव्यवस्था के साथ बंबई के संबंध और मजबूत हुए। बंबई सरकार और भारतीय व्यापारियों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए बंबई को “भारत का सरताज शहर” घोषित कर दिया। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध तक बंबई में भारतीय व्यापारी कॉटन मिल जैसे नए उद्योगों में अपना पैसा लगा रहे थे।

(iv) शैलियों का परस्पर विनिमय (Mutual Exchange of Styles) : शुरुआत में ये इमारतें परंपरागत भारतीय इमारतों के मुकाबले अजीब सी दिखाई देती थीं लेकिन धीरे-धीरे भारतीय भी यूरापीय स्थापत्य शैली के आदी हो गए और उन्होंने इसे अपना लिया दूसरी तरफ अंग्रेजों ने अपनी जरूरतों के अनुसार कुछ भारतीय शैलियों को अपना लिया।

(v) ज्यादा भारतीयपन (More Indian Look) : बंबई के ज्यादा “भारतीय” इलाकों में सजावट एवं भवन-निर्माण और साज-सज्जा में परंपरागत शैलियों का ही बोलबाला था। शहर में जगह की कमी और भीड़-भाड़ की वजह से बंबई में खास तरह की इमारतें भी सामने आई जिन्हें ‘चॉल’ का नाम दिया गया।

इमारतें और स्थापत्य शैलियाँ क्या बताती हैं (What Buildings and Architecture Styles Tell Us) :
(i) स्थापत्य शैलियों से अपने समय के सौंदर्यात्मक आदर्शों और उनमें निहित विविधताओं का पता चलता है। लेकिन, जैसा कि हमने देखा, इमारतें उन लोगों की सोच और नजर के बारे में भी बताती हैं जो उन्हें बना रहे थे। इमारतों की जरिए सभी शासक अपनी ताकत का इजहार करना चाहते हैं।

(ii) रूपरेखा संबंधी निर्णय (Decision of Formation) : स्थापत्य शैलियों से केवल प्रचलित रुचियों का ही पता नहीं चलता। वे उनको बदलती भी हैं। वे नयी शैलियों को लोकप्रियता प्रदान करती हैं और संस्कृति की रूपरेखा तय करती हैं।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 6 उपनिवेशवाद और शहर

प्रश्न 10.
अपने शहर, कस्बे या गांव के कम से कम बस व्यवसायों की सूची बनाएँ। पता लगाएँ कि ये व्यवसाय कब से चले आ रहे हैं। इस सूची से इस इलाके में आए बदलावों के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर:
मेरे गाँव अथवा कस्बे के वस व्यवसायों की सूची:

  • कृषि
  • पशु-पालन
  • बढ़ईगीरी या काष्ठ कार्य
  • लोहार का कार्य
  • आभूषण निर्माण
  • व्यापार
  • मिट्टी के बर्तन बनाना
  • कताई करना
  • बुनाई करना, तथा
  • अध्यापन कार्य।

परिवर्तन (Changes):
1. कृषि (Agriculture) : जहाँ तक कृषि का प्रश्न है अब | कई लोग लकड़ी तथा लोहे की फाल की हल के साथ-साथ ट्रैक्टर एवं नवीन मशीनों का प्रयोग भी करते हैं। अब कृषि सदा के लिए वर्षा का जुआ नहीं है। हमारे गाँव/शहर में नहरें हैं, ट्यूबवैल हैं। फसल काटने के लिए नये ढंग की तकनीक एवं मशीनों का प्रयोग होता है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग होता

2. पशुपालन (Animal rearing) : अब गाँव/कस्बों में | बड़ी संख्या में एक साथ पशु पाले जाते हैं। इन्हें दुग्ध डेरी व्यवसाय कहा जाता है। डॉक्टर पशुओं की देखभाल करते हैं। वे उन्हें | समय-समय पर जांच-पड़ताल कर आवश्यकतानुसार दवाइयाँ तथा टीके लगाने का कार्य करते रहते हैं। दूध तथा दूध के उत्पाद दूर-दूर तक भेजे जाते हैं। फ्रिज तथा ठंडी मशीनों का प्रयोग यातायात के साधनों पर ही किया जाता है।

3. बढ़ईगीरी या काष्ठ कार्य (Carpentary): बढ़ई केवल सूखे पेड़ ही काटते हैं। पेड़ों की कटाई से पूर्व वे प्रमाणपत्र प्राप्त करते हैं। आधुनिक मशीनों तथा आरों से टिम्बर तथा प्लाई बनाई जाती है। बढ़ई तरह-तरह के उपकरण, फर्नीचर तथा सामान बनाते हैं। वे अपने उत्पाद को स्थानीय बाजारों के साथ-साथ दूर-दूर तक बेचते हैं। उनकी माली हालत दिन-प्रतिदिन सुधर रही

4. लोहार का कार्य (Black smithy) : उन्होंने उत्पादन बढ़ा दिया है। लोहे के साथ स्टील से भी सामान तथा चीजें बनती हैं। उन पर निकेल पालिश भी की जाती है। वे नई-नई तकनीक, मशीनों तथा उपकरणों का प्रयोग करते हैं। लोहे के रॉडस, दरवाजे, खिड़कियाँ, फर्नीचर, उपकरण बनाये जाते हैं। वे लोगों की माँग तथा बाजार के प्रचलन को देखकर ही वस्तुएं बनाते हैं।

5. आभूषण-निर्माण (Jwellery-making) : सुनार तथा शिल्पकार चाँदी, तांबे, सोने, हीरे आदि के आभूषण बनाते हैं। वे देश के साथ-साथ विदेशों को भी जेवरात बेचते हैं। हर रोज सोने-चाँदी के भाव प्रायः बदलते रहते हैं। आजकल इस वर्ग के लोग बहुत ही धनी हैं।

6. व्यापार (Trade) : आजकल व्यापारी अपने व्यापार के प्रसार के लिए रेडियो, दूरदर्शन, समाचार पत्रों तथा पत्रिकाओं में विज्ञापन देते रहते हैं। भारत का आंतरिक तथा बाह्य व्यापार दिन दुगनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है। दुनिया भर के देशों से हमारे व्यापारिक संबंध अच्छे हैं। व्यापारी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। वे चीन से कई तरह की वस्तुएँ मंगवा रहे हैं तथा भारत से भी कई उत्पाद तथा वस्तुएँ अमेरिका, यूरोप, अफ्रीकी देशों के साथ-साथ एशियाई देशों में भी निर्यात की जाती हैं।

7. मिट्टी के बर्तन (Pottery) : हर जगह नये-नये मिट्टी के बर्तन बनाये जा रहे हैं। प्रजापति (कुम्हार) नई-नई तकनीक एवं मशीनों का प्रयोग कर रहे हैं। नये-नये रंगों तथा डिजाइनों का प्रयोग किया जा रहा है। रेलवे में कुल्हड़ के प्रयोग से उन्हें खूब काम मिल रहा है।

8. कताई (Spinning) : यद्यपि अब भी गाँव में महिलाएं पुराने ढंग के चरखों से ही सूत कातती है लेकिन कई स्थानों पर नई तकनीक, उपकरणों तथा मशीनों का भी प्रयोग होने लगा है। विभिन्न प्रकार के वस्त्र निर्माण किए जाते हैं। औद्योगीकरण के कारण कताई की मांग बढ़ गई है जिसे मशीनें ही पूरा कर सकी हैं।

9. बुनाई (Weaving) : भारत में सन् 1991 से नई आर्थिक नीति, वैश्वीकरण तथा उदारीकरण की आर्थिक नीतियाँ तथा कार्यक्रम अपना लिए गये हैं। भारतीय वस्त्रों की गुणवत्ता तथा कीमतें विश्वभर में अच्छी तथा अनुकूल मानी जाती हैं। बुनकर नई-नई डिजाइनों तथा प्रदर्शनियों के द्वारा फैशन की दुनिया में बहुत आगे निकल गये हैं।

10. अध्यापन कार्य (Teaching) : हमारे क्षेत्रों में अध्यापक पर्याप्त रूप से शिक्षित तथा प्रशिक्षित हैं। वे अपने व्यवसाय में कुशल हैं। वे जागरूक लोग हैं। प्रतिदिन वे समाचार पत्र पढ़ते हैं, सी. डी. एस., टी. वी., रेडियो, कंप्यूटर आदि का प्रयोग करके विद्यार्थियों को नई-नई जानकारियाँ, पुस्तकों के बारे में सूचनायें तथा ज्ञानवर्धन में योगदान देते हैं। वे अध्यापन के पुराने तरीके छोड़ चुके हैं। प्रयोगशालाएँ, कार्यशालाएँ, ट्यूटर, पुस्तकालय, वाचनालय, दूरदर्शन पर आने वाले शैक्षिक कार्यक्रम, इंटरनेट आदि का प्रयोग किया जा रहा है।

आइए कल्पना करें

मान लीजिए कि आप सन् 1700 के आसपास शाहजहांनाबाद में रहते हैं। इस अध्याय में दिए गए ब्योरों के आधार पर उस जीवन के किसी एक दिन के अपने अनुभव लिखें।
उत्तर:
मुझे आपने कल्पना करने को कहा है। मैं 21वीं शताब्दी में दिल्ली में रह रहा हूँ। आज की दिल्ली 1700 के आसपास की दिल्ली से पूर्णतया बदली हुई है।
1. आजकल औरंगजेब हमारा सम्राट है। लेकिन वह दक्कन (दक्षिण) में व्यस्त है। उसके पिता शाहजहाँ ने शाहजहाँनाबाद का निर्माण कराया था। लोग सुबह-सुबह झरोखा दर्शन करने के लिए लाल किले के झरोखे पर जाते थे तथा सम्राट से आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन लेते थे। औरंगजेब इस प्रथा को गैर-इस्लामी मानता है। उसने यह प्रथा बंद कर दी है।

2. मैं इस्लाम का अनुयायी हूँ। मैं जामा मस्जिद में हर रोज पाँच बार की नमाज अदा करने के लिए जाता हूँ। लाल किले के पास ही बह रही यमुना में स्नान करने का मजा ही कुछ और है।

3. मैं संगीत तथा नृत्य नहीं देखता हूँ। चाँदनी चौक की रौनक देखने लायक होती है। नहरों में फव्वारे चलते हैं। जगह-जगह हरियाली है। लोग हवेलियों में संयुक्त परिवारों में रहते हैं। मैं उर्दू की गजलें प्रायः त्योहारों के समय सुनता रहता हूँ।

4. हमें हर वक्त ताजा पानी पीने के लिए मिलता है लेकिन गंदे जल की निकासी की व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है।

5. आजकल सुगबुगाहट है कि साम्राज्य के कुछ भागों में लोग बगावत करने लगे हैं। सम्राट बहुत परेशान है।

HBSE 8th Class History उपनिवेशवाद और शहर Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों/पदों के अर्थ संक्षेप में लिखिए:
(अ) उपनिवेशवाद
(ब) शाही राजधानी
(स) औपनिवेशिक शासना
उत्तर:
(अ) उपनिवेशवाद (Colonialism): वह विचारधारा जो वर्चस्व की राजनीतिक स्थिति की स्थापना की पक्षधर होती है तथा उसी में यकीन करती है, उसे हम उपनिवेशवाद कहते हैं। कभी-कभी किसी एक देश द्वारा किसी दूसरे देश पर अपनी सत्ता थोपे बिना या.थोपकर, सेना सहित या बिना सैन्य दबाव के ही उसका राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक वर्चस्व एवं शोषण भी उपनिवेशवादी स्थिति कहलाती है।

(ब) शाही राजधानी (Imperial Capital): किसी देश की राजनीतिक गतिविधियों के केन्द्र को राजधानी या शाही राजधानी कहते हैं। दिल्ली अनेक बार बसी तथा बीच-बीच में कुछ अंतरालों को छोड़कर प्राचीन तथा मध्य काल में भी शाही राजधानी रही। 1803 में अंग्रेजों ने सैनिक दृष्टि से इस पर कब्जा कर लिया था। लेकिन औपचारिक रूप से यह 1857 तक मुगलों की शाही राजधानी रही। अंग्रेजों के काल में 1911-1912 से 14 अगस्त 1974 तक ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी रही।

(स) औपनिवेशिक शासन (Colonial Rule) : वह शासन या सरकार जो किसी उपनिवेशवादी राष्ट्र द्वारा अपने उपनिवेश (Colony) में स्थापित किया गया हो, उसे औपनिवेशिक शासन कहते हैं। उदाहरण के लिए अंग्रेजों ने लगभग 1757 से 14 अगस्त 1947 तक भारत में औपनिवेशिक शासन ही चलाया था।

प्रश्न 2.
पश्चिमी दुनिया में शहरों के विकास में योगदान देने वाला एक कारण बताइए।
उत्तर:
औद्योगीकरण।

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प्रश्न 3.
औद्योगीकरण’ पद से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आधुनिक ढंग के कारखानों में मशीनों के सहयोग से औद्योगिक उत्पादन औद्योगीकरण कहलाता है। इंग्लैंड में सर्वप्रथम औद्योगिक क्रांति हुई। कालांतर में यूरोप के अन्य देशों में यह क्रांति हुई। इसी से औद्योगीकरण हुआ।

प्रश्न 4.
19वीं तथा 20वी शताब्दियों में ब्रिटेन के दो औद्योगिक शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • लीड
  • मैनचेस्टर।

प्रश्न 5.
18वीं शताब्दी में मछलीपटनम का महत्त्व क्यों कम हो गया?
उत्तर:
मछलीपटनम सत्रहवीं शताब्दी में एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में विकसित हुआ। अठारहवीं सदी के आखिर में जब व्यापार बंबई, मद्रास और कलकत्ता के नए ब्रिटिश बंदरगाहों पर केंद्रित होने लगा तो मछलीपटनम का महत्त्व घटता गया।

प्रश्न 6.
भारत के 18वीं शताब्दी के तीन प्रेजिडेन्सी शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • कलकत्ता (कोलकाता).
  • बंबई (मुंबई)
  • मद्रास (चेन्नई)।

प्रश्न 7.
प्रेज़िडेंसी शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रेज़िडेंसी : शासन की सुविधा के लिहाज से औपनिवेशिक भारत को तीन “प्रेजिडेंसी” (बंबई, मद्रास और बंगाल) में बाँट दिया गया था। ये तीनों प्रेजिडेंसी सूरत, मद्रास और कलकत्ता में स्थित ईस्ट इंडिया कंपनी की “फैक्ट्रियों” (व्यापारिक चौकियों) को ध्यान में रखकर बनायी गई थीं।

प्रश्न 8.
18वीं शताब्दी में बंबई शहर का विकास क्यों होता चला गया?
उत्तर:
(i) बंबई शहर का विकास अंग्रेजों से पहले ही पुर्तगालियों के द्वारा होने लगा था। जब बंबई का छोटा सा टापू ब्रिटेन के महाराजा को प्राप्त हो गया तथा उसने अपने देश की ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया तो कंपनी ने इसे पश्चिमी भारतीय समुद्र तट पर स्थित एक प्रमुख केंद्र के रूप में प्रयोग करना शुरू किया।

(ii) उन्होंने बंबई का अपने योजनाबद्ध तरीके से निर्माण किया। वहाँ अनेक विशाल इमारतें बनाई। बंबई में सड़कों तथा लेन्स का जाल बिछाया गया। न्यायालय, स्कूल तथा शिक्षा के केन्द्र खोले गये।

(iii) अंग्रेजों ने बंबई में सूती वस्त्र की अनेक मिलें स्थापित की जिनमें आसपास के राज्यों तथा गाँवों से आकर लोग बसने लगे।
(iv) 1850 के दशक में प्रथम रेलवे लाइन बंबई से थाणे तक बिछाई गई। इसने बंबई की जीवन रेखा बनकर प्रगति में योगदान दिया।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पदों का संक्षिप्त परिचय दीजिए :
(i) शहरीकरण (Urbanisation)
(ii) दरगाह (Dargah).
(iii) खानगाह (Khanqah)
(iv) ईदगाह (Idgah)
(v) कुल-दे-सेक (Cul-de-sac)
उत्तर:
(i) शहरीकरण (Urbanisation) : ऐसी प्रक्रिया जिसमें अधिक से अधिक लोग शहरों और कस्बों में जाकर रहने लगते हैं।

(ii) वरगाह (Dargah) : सूफी संत का मकबरा।

(iii) खानकाह (Khanqah) : यात्रियों के लिए विश्राम घर और ऐसा स्थान जहाँ लोग आध्यात्मिक मामलों पर चर्चा करते हैं, संतों का आशीर्वाद लेते हैं या नृत्य-संगीत कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं।

(iv) ईदगाह (Idgah) : मुसलमानों का खुला प्रार्थना स्थल जहाँ सार्वजनिक प्रार्थना और त्योहार आदि मनाए जाते हैं।

(v) कुल-दे-सेक (Kul-de-Sac) : ऐसा रास्ता जो एक जगह जाकर बंद हो जाता है।

प्रश्न 10.
‘पुनर्जागरण’ शब्द का साहित्यिक या शाब्दिक अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पुनर्जागरण शब्द का साहित्यिक अथवा शाब्दिक अर्थ है पुनः जन्म या दोबारा उत्पन्न होना। इस शब्द को यूरोप के इतिहास में पुराने यूनानी तथा रोमन कला एवं साहित्य के पुनःजन्म (Re-birth) के लिए किया जाता है। प्रायः ज्यादातर लोग इसका | इस्तेमाल उस समय के लिए करते हैं जब निर्माणकारी गतिविधियाँ तीव्रता से होती हैं।

प्रश्न 11.
क्यों और कौन सी अवधि को दिल्ली का पुनर्जागरण काल बताया जाता है?
उत्तर:
1824 में दिल्ली कॉलेज की स्थापना हुई जिसकी शुरुआत अठारहवीं सदी में मदरसे के रूप में हुई थी। इस संस्था ने विज्ञान और मानवशास्त्र के क्षेत्र में एक नए युग का सूत्रपात कर दिया। यहाँ मुख्य रूप से उर्दू भाषा में काम होता था। बहुत सारे लोग 1830 से 1857 की अवधि को दिल्ली का पुनर्जागरण काल बताते हैं।

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प्रश्न 12.
निम्नलिखित शब्दों/पदों के अर्थ लिखिए : (i) अमीर, (ii) गुलफरोशन
उत्तर:
(i) अमीर (Amir) : इसका अर्थ है कुलीन व्यक्ति। उदाहरणार्थ मुगल दरबार एवं साम्राज्य में अनेक अमीर लोग उपस्थित रहते या रहा करते थे।

(ii) गुलफरोशन (Gulfaroshan) : फूलों का त्योहार। अब भी प्रतिवर्ष हिंदुओं तथा मुसलमानों द्वारा महरौली के पास गुलफरोशन का त्योहार मनाया जाता है।

लघु उत्तरातमक प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिश शासन काल में भारत के छोटे शहरों के पतन के विभिन्न कारणों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारत में छोटे शहरों के पतन के कारण (Causes of decline of India’s small cities):
(i) अठारहवीं सदी के आखिर में कलकत्ता, बैंबई और मद्रास का महत्त्व प्रेजिडेंसी शहरों के रूप में तेजी से बढ़ रहा था। ये शहर भारत में ब्रिटिश सत्ता के केंद्र बन गए थे। उसी समय बहुत सारे दूसरे शहर कमजोर पड़ते जा रहे थे। उदाहरणार्थ पश्चिमी समुद्र तट पर सूरत, दक्षिण में मछलीपटनम तथा श्रीरंगपटनम आदि।

(ii) खास चीजों के उत्पादन वाले बहुत सारे शहर इसलिए पिछड़ने लगे क्योंकि वहाँ जो चीजें बनती थीं उनकी माँग घट गई थी। जब व्यापार नए इलाकों में केंद्रित होने लगा तो पुराने व्यापारिक केंद्र और बंदरगाह पहली वाली स्थिति में नहीं रहे।

(iii) इसी प्रकार, जब अंग्रेजों ने स्थानीय राजाओं को हरा दिया और शासन के नए केंद्र पैदा हुए तो क्षेत्रीय सत्ता के पुराने केंद्र भी ढह गए।

प्रश्न 2.
पुरानी दिल्ली अथवा शाहजहानाबाद के अच्छे एवं बुरे बिंदुओं पर विचार-विमर्श कीजिए। (M.Imp.)
उत्तर:
1. पुरानी दिल्ली अथवा शाहजहाँनाबाद के अच्छे बिन्दु या आकर्षक विशेषताएँ (Good points or attractive features of Old Delhi or Shahjahanabad):
(i) इन सारी राजधानियों में सबसे शानदार राजधानी शाहजहाँ ने बसाई थी। शाहजहाँनाबाद की स्थापना 1639 में शुरू हुई। इसके भीतर एक किला-महल और बगल में सटा शहर था। लाल पत्थर से बने लाल किले में महल परिसर बनाया गया था। इसके पश्चिम की ओर 14 दरवाजों वाला पुराना शहर था।

(ii) चाँदनी चौक और फैज बाजार की मुख्य सड़कें इतनी चौड़ी थीं कि वहाँ से शाही यात्राएँ आसानी से निकल सकती थीं। चाँदनी चौक के बीचोंबीच नहर थी।

(iii) घने मोहल्लों और दर्जनों बाजारों से घिरी जामा मसजिद भारत की सबसे विशाल और भव्य मसजिदों में से एक थी। उस समय पूरे शहर में इस मसजिद से ऊंचा कोई स्थान नहीं था।

II. पुरानी दिल्ली अथवा शाहजहाँनाबाद के बुरे बिंदु या आकर्षणविहीन विशेषताएं (Bad points or non-attractive features of Old Delhi or Shahjahanabad):
(i) दिल्ली को अनेक लोग कई दृष्टियों से अच्छा शहर नहीं मानते क्योंकि यह आदर्श शहर नहीं था। इसके ऐशो-आराम भी सिर्फ कुछ लोगों के हिस्से में आते थे। अमीर और गरीब के बीच फ़ासला बहुत गहरा था।

(ii) हवेलियों के बीच गरीबों के असंख्य कच्चे मकान होते थे। शायरी और नृत्य संगीत की रंग-बिरंगी दुनिया आमतौर पर सिर्फ मर्दो के मनोरंजन का साधन थी।

(iii) त्योहारों और जलसे-जुलूसों में जब-जब टकराव भी फूट पड़ते थे, सो अलग।

(iv) 1857 के बाद यह सब कुछ बदल गया। उस साल हुए विद्रोह के दौरान विद्रोहियों ने बहादुर शाह जफ़र को विद्रोह का नेतृत्व संभालने के लिए मजबूर कर दिया। चार महीने तक दिल्ली विद्रोहियों के नियंत्रण में रही।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ब्रिटिश शासन काल में कलकत्ता (अब का कोलकाता) की नींव रखने, योजना एवं विकास की चर्चा कीजिए।
अथवा
निम्नलिखित पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए:
(i) कलकत्ता का निर्माण (नींव डाली गई) (The Foundation of Calcutta)
(ii) लाई वेलेजली के उपरांत कलकत्ता की योजना एवं लाटरी कमेटी की भूमिका (Planning of Calcutta after Lord Wellesley and Role of Lottery Committeel
(iii) कलकत्ता की नगर योजना एवं स्वास्थ्य की भूमिका (Role of Health and Town Planning of Calcutta
उत्तर:
1. कलकत्ता की योजना कैसे शुरू हुई एवं इसका महत्त्व (How did the foundation of Calcutta begin and its importance) : 1. कलकत्ता (कोलकाता) हमारे पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी है। यह शहर अंग्रेजों द्वारा तीन गाँवों सुतानारी, कालिकाता तथा गोविंदपुर की जमीन पर सन् 1698 ई. में बसाया गया। प्रारंभ में अंग्रेज कलकत्ता में अपनी व्यापारिक बस्ती को ‘फोर्ट विलियम’ कहते थे। यहाँ पर गोदाम, दफ्तर तथा कर्मचारियों के घर (निवास स्थल) होते थे लेकिन यहाँ किसी वस्तु का उत्पादन नहीं होता था।

2. दक्षिण भारत में फ्रांसीसियों को पराजित करने के बाद मद्रास (चेन्नई) के स्थान पर कलकत्ता अंग्रेजों की दिन-प्रतिदिन की राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनता गया। एक तरह से 1757 से लेकर 1911 तक कलकत्ता ब्रिटिश भारत की राजधानी रहा। 1911 के बाद लार्ड हार्डिंग के कार्यकाल में दिल्ली को राजधानी बनाया गया। कोलकाता में योजनाबद्ध तरीके से अंग्रेजों, जमींदारों, सर्वसाधारण लोगों के निवास के लिए बस्तियाँ बसाई गई। प्रायः सिविल लाइंस के क्षेत्र यूरोपियों और अंग्रेजों के रहने के लिए निर्धारित थे। इस क्षेत्र में बड़ी-बड़ी सरकारी और गैर-सरकारी इमारतें, पुस्तकालय, समुदाय भवन, संग्रहालय आदि बनाए गए।

II. लार्ड वेलेजली तथा लॉटरी कमेटी (Lord wellesely and Lottery Committee):
कलकत्ता में नगर नियोजन को अपनाया गया। वास्तव में कलकत्ता शहर तीन गाँवों सुतानाटी, कालिकाता और गोविंदपुर को मिलाकर बनाया गया था। अंग्रेजों ने अनेक क्षेत्रों से पुराने बुनकरों और कारीगरों को हटने का आदेश दिया। शहर के बीचोंबीच नए बनाए गए फोर्ट वि आस-पास के विशाल मैदान को खाली जगह के रूप में छोड़ दिया गया। लार्ड वेलेजली ने 18वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में अपने लिए गवर्नमेंट हाउस के नाम से एक विशाल महल बनवाया जो अंग्रेजी सत्ता का प्रतीक माना जाने लगा। वेलेजली कलकत्ता के आस-पास के जंगलों. गंदे तालाबों, जल निकासी की खस्ता हालान और बदबू फैलाने वाले गंदे पानी के ठहराव को देखकर बहुत परेशान हो गया।

स्वच्छता की दृष्टि से शहर के बीच-बीच में खुले स्थान छोड़े गए। अनेक बाजारों, घाटों, कब्रिस्तानों और चमड़े साफ करने की इकाइयों को हटा दिया गया। शहर को साफ करने के लिए 1817 में ‘लॉटरी कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने शहर में स्वास्थ्य और सफाई के लिए एक नया नक्शा बनवाया। सड़क निर्माण और अवैध बस्तियों को हटाने का कार्य शुरू किया गया। भयंकर बीमारियों के दिनों में सरकार ने बड़ी मात्रा में स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करके कलकत्तावासियों की सहायता की। जिन बस्तियों में सूर्य की रोशनी और साँस के लिए हवा का इंतजाम नहीं था, वहाँ गंदी बस्तियों को उखाड़ फेंकने का कार्य किया गया। तीनों औपनिवेशिक शहरों में नियोजन कार्य के अंतर्गत विशाल व भव्य इमारतें बनाई गई।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 6 उपनिवेशवाद और शहर

III. सफाई, स्वास्थ्य एवं कलकत्ता में नगर योजना तथा प्रशासनिक केंद्र (Cleanliness. Health, Planning of Calcutta as a town and its role as an administrative centre):
(i) आधुनिक नगर नियोजन की शुरुआत औपनिवेशिक शहरों से हुई। इस प्रक्रिया में भूमि उपयोग और भवन निर्माण के नियमन के जरिए शहर के स्वरूप को परिभाषित किया गया। इसका एक मतलब यह था कि शहरों में लोगों के जीवन को सरकार ने नियंत्रित करना शुरू कर दिया था। इसके लिए एक योजना तैयार करना और पूरी शहरी परिधि का स्वरूप तैयार करना जरूरी था।

(ii) राजनीतिक संघर्ष का प्रारंभ (Beginning of Political Struggle) : इसकी कई वजह थीं कि अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने हाथों में क्यों ले लिया था। एक फौरी वजह तो रक्षा उद्देश्यों से संबंधित थी। 1756 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने कलकत्ता पर हमला किया और अंग्रेज व्यापारियों द्वारा मालगोदाम के तौर पर बनाए गए छोटे किले पर कब्जा कर लिया।

(iii) कंपनी द्वारा किलाबंदी (Fortification by Company): कुछ समय बाद, 1757 में प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार हुई। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक ऐसा नया किला बनाने का फैसला लिया जिस पर आसानी से हमला न किया जा सके।

(iv) नगर नियोजन (Town Planning) : कलकत्ता में नगर-नियोजन का इतिहास केवल फोर्ट विलियम और मैदान के निर्माण के साथ पूरा होने वाला नहीं था। 1789 में लॉर्ड वेलेजली गवर्नर जनरल बने। उन्होंने कलकत्ता में अपने लिए गवर्नमेंट हाउस के नाम से एक महल बनवाया।

उपनिवेशवाद और शहर Class 8 HBSE Notes

1. प्रेजिडेंसी (Presidency) : शासन की सुविधा के लिहाज से औपनिवेशिक भारत को तीन “प्रेजिडेंसी” (बंबई, मद्रास और बंगाल) में बाँट दिया गया था। ये तीनों प्रेजिडेंसी सूरत, मद्रास और कलकत्ता में स्थित ईस्ट इंडिया कंपनी की “फैक्ट्रियों” (व्यापारिक चौकियों) को ध्यान में रखकर बनायी गई थीं।

2. शहरीकरण (Urbanisation) : वह प्रक्रिया जिसमें छोटे-छोटे कस्बों तथा गाँवों के स्थान पर शहरों की आबादी तथा संख्या बढ़ती जाती है। प्रतिदिन ज्यादा और ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ करके शहरों में बसते जाते हैं।

3. शहरीकरण का विघटन एवं पतन (De-Urbanisation) : शहरों या बड़े पुराने कस्बों का प्राकृतिक, राजनीतिक एवं अन्य – दूसरे कारणों से पतन एवं विघटन की प्रक्रिया, गैर-शहरीकरण या शहरों का विघटन या पतन कहलाता है।

4. बरगाह (Dargah): सूफी संत का मकबरा।

5. खानकाह (Khangah) : यात्रियों के लिए विश्राम घर और ऐसा स्थान जहाँ लोग आध्यात्मिक मामलों पर चर्चा करते हैं, संतों का आशीर्वाद लेते हैं या नृत्य-संगीत कार्यक्रमों का आनंद लेते हैं।

6. ईदगाह (Idgah) : मुसलमानों का खुला प्रार्थना स्थल जहाँ सार्वजनिक प्रार्थना और त्योहार होते हैं।

7. कुल-ने-सेक (Cul-de-Sac) : ऐसा रास्ता जो एक जगह जाकर बंद हो जाता है।

8. दरयागंज (Daryaganj) : दो शब्दों के संगम से यह एक शब्द बना है। वे शब्द हैं-दरया तथा गंज। दरया का अर्थ है नदिया तथा गंज का अर्थ है- बाजार। अर्थात् दरयागंज का अर्थ हुआ नदी के समीप का बाजार।

9. भीर ताकी मीर (Mir Taqi Mir) : वह 18वीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध उर्दू कवि था।

10. मिर्जा गालिब (Mirza Galib) : वह 18वीं शताब्दी का दिल्ली शहर का एक प्रसिद्ध उर्दू कवि था।

11. गुलफरोशान (Gulfaroshan) : फूलों का त्योहार।

12. पुनर्जागरण (Renaissance) : इसका शाब्दिक अर्थ होता है कला और ज्ञान का पुनर्जन्म। यह शब्द ऐसे दौर के लिए इस्तेमाल होता है जब बहुत बड़े पैमाने पर रचनात्मक गतिविधियाँ होती हैं।

13. हेनरी बेकर\(Henry Baker): वह 19वीं तथा 20वीं शताब्दियों में एक अंग्रेज स्थापत्य कलाकार (Architect) था।

14. भारत का विभाजन (Partition of India) : 14-15 अगस्त, 1947 की आधी रात को भारत का विभाजन हिन्दुस्तान (भारत) तथा पाकिस्तान के नामों से हो गया था।

15. शाहजहांनाबाद (Shahjahanabad) : महान मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा निर्मित दिल्ली शहर का वह भाग जो पुरानी दिल्ली या चारदीवारी के भीतर बसाया गया था, शाहजहानाबाद कहलाता है।

16. निजामुद्दीन औलिया (Nizamuddin Auliya) : दिल्ली का महान सूफी संत।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 6 उपनिवेशवाद और शहर

17. चांदनी चौक (Chandni Chowk) : दिल्ली का शानदार, महान ऐतिहासिक बाजार।

18. अमीर (Amir) : एक कुलीन व्यक्ति (Nobleman)

19. फैक्ट्रियाँ (Factories) : व्यापारिक चौकियाँ। यूरोपीय कंपनियों की व्यापारिक चौकियाँ ही फैक्ट्रियों कहलाती थीं। यहाँ कारखानों की भाँति कोई वस्तु पैदा नहीं की जाती थी। यहाँ कंपनी के कार्यालय, गोदाम तथा कर्मचारियों आदि के निवास स्थान होते थे।

20. कलकत्ता (अब कोलकाता) ब्रिटिश भारत की राजधानी रहा : 1773 से 1911 तक।

21. महारानी विक्टोरिया को भारत की सम्राज्ञी घोषित करने हेतु वायसराय लिटन ने इलाहाबाद में एक शानदार दरबार – आयोजित किया था : 1877।

22. दिल्ली ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाई गई थी। 1911

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 5 जब जनता बगावत करती है (1857 और उसके बाद)

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 5 जब जनता बगावत करती है (1857 और उसके बाद) Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 5 जब जनता बगावत करती है (1857 और उसके बाद)

HBSE 8th Class History जब जनता बगावत करती है (1857 और उसके बाद) Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

जब जनता बगावत करती है 1857 और उसके बाद Notes HBSE 8th Class प्रश्न 1.
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेजों से ऐसी क्या माँग थी जिसे अंग्रेजों ने ठुकरा दिया?
उत्तर:
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेजों से माँग थी कि उसने अपने पति के देहांत के बाद जिस बच्चे को गोद में लिया था उसे वे झाँसी की गद्दी के उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दें। उसने झाँसी राज्य (जो उस समय एक स्वतंत्र राज्य था) की स्वतंत्रता बनाए रखने तथा झाँसी के राज्य परिवार के हितों के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से बातचीत करने की इच्छा प्रकट की जिसे उसने ठुकरा दिया।

जब जनता बगावत करती है 1857 और उसके बाद प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 2.
ईसाई धर्म अपनाने वालों के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेजों ने क्या किया?
अथवा
भारत में नए ईसाइयों के हितों में अंग्रेजों ने जो कदम उठाए, उनके भारतीयों पर क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़े?
उत्तर:
I. उपाय तथा कानून (Measures and Laws) :
(i) 1830 के बाद कंपनी ने ईसाई मिशनरियों को खुलकर काम करने और यहाँ तक कि जमीन व संपत्ति जुटाने की भी छूट दे दी।

(ii) 1850 में एक नया कानून बनाया गया जिससे ईसाई धर्म को अपनाना और आसान हो गया। इस कानून में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई भारतीय व्यक्ति ईसाई धर्म अपनाता है तो भी पुरखों की संपत्ति पर उसका अधिकार पहले जैसा ही रहेगा।

II. प्रभाव (Effect) : बहुत सारे भारतीयों को यकीन हो गया था कि अंग्रेज उनका धर्म, उनके सामाजिक रीति-रिवाज और परंपरागत जीवनशैली को नष्ट कर रहे हैं।

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जब जनता बगावत करती है HBSE 8th Class History प्रश्न 3.
सिपाहियों को नए कारतूसों पर क्यों ऐतराज था?
उत्तर:
एन्फील्ड नामक राइफलों के प्रयोग ने विद्रोह आरंभ करने वाली चिंगारी का काम किया। इन राइफलों में प्रयुक्त होने वाले कारतूसों में गाय तथा सूअर की चर्बियों का प्रयोग होता था। यह बात हिंदुओं तथा मुसलमानों दोनों के लिए समान रूप से आपत्तिजनक थी। सर्वाधिक आपत्तिजनक बात यह थी कि सैनिकों को बंदूक में कारतूस भरने से पहले इन्हें मुँह से काटना पड़ता था। जंगल में लगी आग की तरह यह अफवाह फैल गई कि इन कारतूसों में गाय तथा सूअर की चर्बी लगी है। इससे हिंदू तथा मुसलमान सैनिक भड़क उठे। सैनिकों को यह विश्वास हो गया कि अंग्रेजों ने जान-बूझकर उनका धर्म भ्रष्ट करने तथा उन्हें ईसाई बनाने के लिए ही कारतूसों में चर्बी का प्रयोग किया है।

जब जनता बगावत करती है 1857 उसके बाद HBSE 8th Class History प्रश्न 4.
अंतिम मुगल बादशाह ने अपने आखिरी साल किस तरह बिताए?
उत्तर:
सितंबर, 1857 में दिल्ली दोबारा अंग्रेजों के कब्जे में आ गई। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। उनके बेटों को उनकी आँखों के सामने गोली मार दी गई। बहादुर शाह को अक्तूबर 1858 में रंगून जेल में भेज दिया गया। इसी जेल में नवंबर 1862 में बहादुर शाह जफ़र ने अंतिम सांस ली। उसके अंतिम शब्द ये थे-“इतना है बदनसीब जफ़र, दो गज जमीन भी न मिली कुए यार में।” आज भी हम उस बदनसीब बादशाह की मजार रंगन में देख सकते हैं। बहादुरशाह जफ़र स्वतंत्रता की लड़ाई में एक कमजोर कड़ी साबित हुआ। उसमें नेतृत्व करने की शक्ति का अभाव था। फिर भी 1857 की क्रांति में उसका नेतृत्व महत्त्वपूर्ण रहा।

आइए विचार करें

जब जनता बगावत करती है प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 5.
मई, 1857 से पहले भारत में अपनी स्थिति को लेकर अंग्रेज शासकों के आत्मविश्वास के क्या कारण थे?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से मई 10, 1857 से पूर्व भारत में अपनी स्थिति को लेकर अंग्रेज शासकों में आत्मविश्वास था:
1. 18वीं सदी के मध्य से ही राजाओं और नवाबों की ताकत छिनने लगी थी। उनकी सत्ता और सम्मान, दोनों खत्म होते जा रहे थे।

2. बहुत सारे देशी राज्यों के दरबारों में रेजिडेंट तैनात कर दिए गए थे। वे कंपनी की इच्छानुसार सैनिक प्रशासन को चलाते थे।

3. स्थानीय शासकों की स्वतंत्रता घटती जा रही थी। उनकी सेनाओं को भंग कर दिया गया था।

4. उनके राजस्व वसूली के अधिकार व इलाके एक-एक करके छीने जा रहे थे।

5. बहुत सारे स्थानीय शासकों ने अपने हितों की रक्षा के लिए कंपनी के साथ बातचीत भी की। उदाहरण के लिए, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई चाहती थीं कि कंपनी उनके पति की मृत्यु के बाद उनके गोद लिए हुए बेटे को राजा मान ले।

6. मुगलों के बाद कुछ समय के लिए मराठा बहुत शक्तिशाली रहे थे। लेकिन बाद में पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने भी कंपनी से आग्रह किया कि उनके पिता को जो पेंशन मिलती थी वह मृत्यु के बाद उन्हें मिलने लगे। अपनी श्रेष्ठता और सैनिक ताकत के नशे में चूर कंपनी ने उनके निवेदन को ठुकरा दिया।

उपरोक्त घटनाओं के संदर्भ में कहा जा सकता है कि इस समय तक अंग्रेजों का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था।

प्रश्न 6.
बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज-परिवारों पर क्या असर पड़ा?
उत्तर:
अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा 1857 के विद्रोहियों को समर्थन देने के लिए विवश किया गया। उनके द्वारा उन्हें समर्थन देने से देश की जनता और अन्य राज-परिवारों पर निम्न प्रभाव पड़े :
1. मेरठ से चलकर दिल्ली पहुँचने वाले विद्रोही सिपाही लाल किले की दीवारों के आस-पास जमा हो गए। वे मुगल बादशाह बहादुर शाह से मिलना चाहते थे। वृद्ध बादशाह अंग्रेजों की भारी ताकत से दो-दो हाथ करने को तैयार नहीं था लेकिन सिपाही भी अड़े रहे। आखिरकार वे जबरन महल में घुस गए और उन्होंने बहादुर शाह ज़फ़र को अपना नेता घोषित कर दिया।

2. बूढे बादशाह को सिपाहियों की यह माँग माननी पड़ी। उन्होंने देश भर के मुखियाओं (Chiefs) और शासकों (Rulers) को चिट्ठी लिखकर अंग्रेजों से लड़ने के लिए भारतीय राज्यों का एक संघ (Union) बनाने का आह्वान किया। बहादुर शाह के इस एकमात्र कदम के गहरे परिणाम सामने आए। बहादुरशाह ज़फ़र का नेतृत्व इस मोड़ पर आकर बहुत महत्त्वपूर्ण हो गया।

3. अंग्रेजों से पहले देश के एक बहुत बड़े हिस्से पर मुगल साम्राज्य का ही शासन था। ज्यादातर छोटे शासक और रजवाड़े मुगल बादशाह के नाम पर ही अपने इलाकों का शासन चलाते थे। ब्रिटिश शासन के विस्तार से भयभीत ऐसे बहुत सारे शासकों को लगता था कि अगर मुगल बादशाह दोबारा शासन स्थापित कर लें तो वे मुगल आधिपत्य में दोबारा अपने इलाकों का शासन बेफिक्र (without any worry) होकर चलाने लगेंगे।

4. अंग्रेजों को इन घटनाओं की उम्मीद नहीं थी। उन्हें लगता था कि कारतूसों के मुद्दे पर पैदा हुई उथल-पुथल कुछ समय में शांत हो जाएगी। लेकिन जब बहादुर शाह ज़फ़र ने बगावत को अपना समर्थन दे दिया तो स्थिति रातोरात बदल गई। सर्वत्र विद्रोह फैलता चला गया। प्रायः ऐसा होता है कि जब लोगों को कोई रास्ता दिखाई देने लगता है तो उनका उत्साह और साहस बढ़ जाता है। इससे उन्हें आगे बढ़ने की हिम्मत, उम्मीद और आत्मविश्वास मिलता है।

5. जब दिल्ली से अंग्रेजों के पैर उखड़ गए तो लगभग एक हफ्ते तक कहीं कोई विद्रोह नहीं हुआ। जाहिर है खबर फैलने में भी कुछ समय तो लगना ही था। लेकिन फिर तो विद्रोहों का सिलसिला ही शुरू हो गया। जैसे-जैसे विद्रोह फैला, छावनियों में अंग्रेज अफसरों को मारा जाने लगा।

6. झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई भी विद्रोही सिपाहियों के साथ जा मेलीं। उन्होंने नाना साहब के सेनापति तात्या टोपे के साथ मिलकर अंग्रेजों को भारी चुनौती दी।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि बहादुरशाह जाफर के तृत्व ने देश में एक अच्छा संदेश दिया।

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प्रश्न 7.
अवध के बागी भूस्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेजों ने क्या किया?
उत्तर:
1. अवध के बागी भू-स्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेजों ने कई कार्य किए। उन्होंने उन्हें अपनी निजी सेनाएँ भंग करने के लिए विवश किया। उन्हें कहा गया कि विद्रोह के बाद जिन जमींदारों के विरुद्ध गंभीर हिंसात्मक आरोप नहीं होंगे उन्हें उनके भ-भाग वापस कर दिए जायेंगे क्योंकि अवध की राजधानी लखनऊ में क्रांति का प्रभाव सबसे अधिक था। यहाँ क्रांति का नेतत्व बेगम हजरत महल ने किया था। महारानी ने अपने नाबालिग पुत्र विरजिस कद्र को अवध का नवाब घोषित किया।

2. अंग्रेजों की चालों का जमींदारों पर प्रभाव नहीं देखा गया। समस्त प्रदेश के जमींदारों तथा ताल्लुकदारों ने क्रांति में भाग लिया और जहाँ भी अंग्रेज मिले उनका वध कर दिया गया और उनके भवनों को जलाकर राख कर दिया। सारा अवध अंग्रेजों के अधिकार से मुक्त करा लिया गया।

3. जनरल हैवलॉक एक विशाल सेना लेकर कानपुर से लखनऊ गया जहाँ क्रांतिकारियों ने उसको परास्त कर दिया। वह रेजीडेंसी की ओर गया, किंतु वहाँ भी क्रांतिकारियों ने उसको परास्त कर दिया।

4. अंग्रेजों के सौभाग्य से इसी समय गोरखों की सेना अंग्रेजों की सहायता के लिए आ गई। गोरखों की सहायता से अंग्रेजों का लखनऊ पर अधिकार हो गया। भीषण युद्ध के बाद अंग्रेज विजयी हुए। इसके बाद नील और कैंपबैल सेनाएँ लेकर अवध के भू-स्वामियों को कुचलने के लिए निकल पड़े।

प्रश्न 8.
1857 की बगावत के फलस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी नीतियाँ किस तरह बदलीं?
उत्तर:
अंग्रेजों ने 1859 के आखिर तक देश पर दोबारा नियंत्रण पा लिया था लेकिन अब वे पहले वाली नीतियों के सहारे शासन नहीं चला सकते थे। अंग्रेजों ने अपनी नीतियों में जो अहम बदलाव किए वे निम्नलिखित थे:
1. कंपनी के शासन का अंत (End of the rule of the Company): ब्रिटिश संसद ने 1858 में एक नया कानून पारित किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे अधिकार ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ में सौंप दिए ताकि भारतीय मामलों को अब ज्यादा बेहतर ढंग से संभाला जा सके।

2. भारतीय सरकार ब्रिटिश मंत्रिमंडल तथा ताज के अधीन (Indian Government under direct control of the British Cabinet and the Crows) : ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य को भारत मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उसे भारत के शासन से संबंधित मामलों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया। उसे सलाह देने के लिए एक परिषद का गठन किया गया जिसे इंडिया काउंसिल कहा जाता था। भारत के गवर्नर-जनरल को वायसराय का ओहदा दिया गया। इस प्रकार उसे इंग्लैंड के राजा/रानी का निजी प्रतिनिधि घोषित कर दिया गया। अन्य शब्दों में ब्रिटिश सरकार ने भारत के शासन की जिम्मेदारी सीधे अपने हाथों में ले ली।

3. भारतीय शासकों के प्रति नीति में बदलाव (Changes in policies towards the Indian Princes or rulers) : देश के सभी शासकों को भरोसा दिया गया कि भविष्य में कभी भी उनके भूक्षेत्र पर कब्जा नहीं किया जाएगा। उन्हें अपनी रियासत अपने वंशजों, यहाँ तक कि दत्तक पुत्रों को सौंपने की छूट दे दी गई। लेकिन उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया गया कि वे ब्रिटेन की रानी को अपना अधिपति स्वीकार करें। इस तरह, भारतीय शासकों को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन शासन चलाने की छूट दी गई।

4. सेना में परिवर्तन (Changes in Army) : सेना में भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम करने और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया। यह भी तय किया गया कि अवध, बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत से सिपाहियों को भर्ती करने की बजाय अब गोरखा, सिखों और पठानों में से ज्यादा सिपाही भर्ती किए जाएंगे।

5. मुसलमानों के प्रति शत्रुता की नीति (Policy of enmity towards Muslims) : मुसलमानों की जमीन और संपत्ति बड़े पैमाने पर जब्त की गई। उन्हें संदेह व शत्रता के भाव से देखा जाने लगा। अंग्रेजों को लगता था कि यह विद्रोह उन्होंने ही खड़ा किया था।

6. धार्मिक स्वतंत्रता (Religious Freedom) : 1858 ई. की महारानी विक्टोरिया की घोषणा में भारतीयों को उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का आश्वासन दिलाया गया। भारतीयों को धार्मिक कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

7. वित्त व्यवस्था का पुनर्गठन (Reorganization of Financial System): 1857-58 ई. के विद्रोह के दौरान भारत सरकार का इतना धन खर्च हो गया था कि उस पर लगभग । करोड़ पौंड का ऋण चढ़ गया था। इस आर्थिक संकट को दूर करने के लिए वित्त व्यवस्था का पुनर्गठन किया गया और धन एकत्र करने के लिए भूमि कर, आय कर और लाइसेंस कर आदि की दरें बढ़ा दी गई। सरकार के प्रत्येक विभाग में बचत करने की कोशिश की गई। मुक्त व्यापार प्रणाली के सिद्धांत के अनुसार चाय, पटसन आदि को बिना कर के दूसरे देशों में भेजा जाने लगा तथा भारत के आयात पर भी कर कम कर दिए गए।

8. भारतीयों के लिए कल्याण कार्य (Welfare works -for the Indians) : यह घोषणा की गई कि भविष्य में सरकार भारतीयों के कल्याण तथा औद्योगिक और बौद्धिक विकास के लिए कार्य करेगी। नियुक्तियाँ योग्यता के आधार पर होंगी और भारतीयों को भी उच्च पदों पर नियुक्त किया जाएगा।

9. इंडियन कौंसिल्ज एक्ट, 1861 ई. (Indian Council Act, 1861) : सर सैय्यद अहमद खां और सर बार्टल फ्रायर ने विचार व्यक्त किया था कि विद्रोह का एक कारण शासन में भारतीयों की भागीदारी न होना भी था। इसलिए 1861 ई. में इंडियन कौंसिल्ज एक्ट पारित किया गया जिसके अनुसार भारतीयों को केंद्रीय विधान परिषद में स्थान दिया गया और प्रांतों में भी विधान परिषदें स्थापित की गई। संवैधानिक दृष्टिकोण से यह विद्रोह का महत्त्वपूर्ण परिणाम था।

10. भारतीय समाचार पत्रों पर प्रतिबंध (Restrictions on Indian Newspapers): 1857 ई. के विद्रोह के बाद सरकार ने भारतीय समाचार पत्रों पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए और उनकी स्वतंत्रता को सीमित कर दिया। सरकार को डर था कि यह समाचार पत्र कहीं विद्रोही भावनाओं को न भड़का दें।

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आइए करके देखें

प्रश्न 9.
पता लगाएँ कि सन सत्तावन की लड़ाई के बारे में आपके इलाके या आपके परिवार के लोगों को किस तरह की कहानियाँ और गीत याद हैं? इस महान विद्रोह से संबंधित कौन-सी यादें अभी लोगों को उत्तेजित करती हैं?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं कर सकते हैं।
उपयोगी संकेत (Useful Hint)
1. गीत : बुंदेले हर बोलो से……
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसीवाली रानी थी। नामक गीत पढ़ें तथा याद करके लिखें।

2. उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत) की राजधानी लखनऊ में रेजिडेंसी के निम्न खंडहर से संबंधित एक छोटी कहानी नीचे दी गई है:
जून 1857 में विद्रोही टुकड़ियों ने रेजिडेंसी को कब्जे में ले लिया। बहुत सारी अंग्रेज औरतों, मदों और बच्चों ने रेजिडेंसी की इमारतों में पनाह ली हुई थी। विद्रोहियों ने इस पूरे परिसर को घेरकर उन पर गोलों से हमला किया। इसी तरह के एक गोले से अवध के चीफ कमिश्नर हेनरी लॉरेंस की भी मौत हो गई थी। हेनरी लॉरेंस जिस कमरे में मरे वह इस चित्र में दिखाई दे रहा है। गौर से देखें कि इमारतों पर बीते दौर के निशान किस तरह बचे रह जाते हैं।

प्रश्न 10.
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में और पता लगाएँ। आप उन्हें अपने समय की एक विलक्षण महिला क्यों मानते हैं?
उत्तर:
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई :
1. 1857 ई. के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक भारतीय नर-नारियों ने अपने जीवन की आहुति दी परंतु झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का त्याग, अपूर्व साहस तथा अद्भुत वीरता भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगी।

2. लार्ड डलहौजी की विलय की नीति के कारण रानी अंग्रेजों के विरुद्ध थी। झाँसी के राजा गंगाधर राव की अचानक मृत्यु हो गई तथा रानी के दत्तक पुत्र दामोदर राव को कंपनी ने उसके उत्तराधिकारी के रूप से मान्यता नहीं दी। झाँसी को अंग्रेजी राज्य में मिलाकर रानी की 60,000 रु. वार्षिक पेंशन नियत कर दी गई परंतु रानी ने उसे अस्वीकार कर दिया। अंग्रेजों ने झाँसी की सेनाओं को तोड़ दिया। मेजर अरिस्कन (Major Eriskin) को झाँसी का ब्रिटिश रेजीडेंट नियुक्त किया गया।

3. झाँसी की रानी अंग्रेजों की विलय नीति का शिकार हुई थी। 1857 के विप्लव में वह कूद पड़ी। उसने सेना का संगठन करके अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। उसका दमन करने के लिए मार्च 1858 ई. में सर यूरोज झाँसी की ओर चला। रानी ने स्वयं सेना का नेतृत्व किया। उसने अंग्रेजों के दाँत खट्टे कर दिए। रानी के निमंत्रण पर तात्या टोपे अपनी सेना लेकर उसकी सहायता के लिए चल पड़ा, किंतु मार्ग में ही सर यूरोज ने उसे परास्त कर दिया।

4. झाँसी की दशा भी चिंताजनक हो गई। अंग्रेजों के लगातार हमले हो रहे थे किंतु वे झाँसी पर अधिकार करने में असफल रहे। अंग्रेजों ने कूटनीतिक चाल चली और कुछ सैनिकों को अपनी ओर तोड़ लिया। इन सैनिकों ने दक्षिण द्वार खोल दिया। अंग्रेजी सेना उस द्वार से झाँसी में घुस गई।

5. शीघ्र ही दूसरा द्वार भी टूट गया और उस द्वार से भी अंग्रेज सेना अंदर आ गई। रानी ने अपने बच्चे को कमर से बाँधा और अंग्रेजी सेना को चीरती हई झाँसी से बाहर निकल गई और तात्या टोपे के पास कालपी पहुँची। सर यूरोज ने उसका पीछा किया। लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे ने ग्वालियर पर आक्रमण कर उसको अपने अधिकार में कर लिया। सर ह्यूरोज ने ग्वालियर पर भी आक्रमण किया। पहले वह परास्त हुआ किंतु उसने बाद में रानी की सेना को घेर लिया।

6. रानी ने भागना उचित समझा। अंग्रेजों ने उसका पीछा किया। अचानक उसका घोड़ा एक नाले में गिर गया। अंग्रेजों ने उस पर आक्रमण कर उसको घायल कर दिया। वह इस अवस्था में भी अंग्रेजों से लड़ती रही किंतु कुछ समय पश्चात् 17 जून 1858 ई. को उसकी मृत्यु हो गई।

उस समय अंग्रेजों की शक्ति से लोहा लेना एक महिला की विलक्षणता को सिद्ध करता है।

आइए कल्पना करें

कल्पना कीजिए कि आप विद्रोह के दौरान अवध में तैनात ब्रिटिश अधिकारी हैं। विद्रोहियों से लड़ाई की अपनी योजनाओं को गुप्त रखने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर:
1. मैं चपाती या कमल शब्द एक गुप्त शब्द (code word) के रूप में प्रयोग करता। मैं अपनी भावी योजनाओं को अपने परिवारजनों से भी गुप्त रखता। विद्रोह के दौरान कमल या चपाती शब्द का ही प्रयोग देश-भक्तों के द्वारा गुप्त समितियों में किया जाता था।

2. मैं उसी क्षेत्र की वेशभूषा धारण करता जहाँ मैं अपनी गुप्त समितियों से रात्रि के वक्त बातचीत करता। मैं एक समूह मुस्लिम सिपाहियों का तथा दूसरा हिंदू सिपाहियों का बनाता। उन्हें उनके धार्मिक ग्रंथों-पवित्र कुरान तथा पवित्र भगवतगीता पर देश के प्रति वफादार रहने की शपथ दिलाता। हम गुप्त सभायें कभी मंदिर तो कभी मस्जिदों में रखते। चकमा देने के लिए कभी-कभी ग्रामीण मेलों का भी प्रयोग किया जाता।

3. हम विद्रोह की सफलता के लिए अपने नेता बहादुर शाह जफर को लाल किले से निकालकर कहीं और ले जाते ताकि वह अंग्रेजों के हाथों में न आते। हम सभी साथी हर तरह की नीतियाँ-साम, दाम, दंड, भेद अपनाकर ब्रिटिश अधिकारियों को तोड़ने की कोशिश करते। युद्ध एवं प्यार में जब हर चीज अंग्रेज उचित मानते थे तो हम आदर्शों की पिटारी क्यों पीटते। अंग्रेजों को धोखा देने में हम कभी भी नहीं हिचकिचाते।

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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रेजिडेंटस कौन था?
उत्तर:
जो भारतीय राज्य (रियासतें) सहायक संधि की शर्ते मानकर उस पर हस्ताक्षर करते थे। ईस्ट इंडिया कंपनी उन राज्यों में अपना एक प्रतिनिधि भी नियुक्त करती थी जिसे रेजीडेंट कहते थे। वह उस राजा के दरबार में रहकर वास्तव में उसकी गतिविधियों पर निगरानी रखता था।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेजी राज के विरुद्ध महान विप्लव (बगावत/विद्रोह) कब तथा कहाँ शुरू हुआ था?
उत्तर:
10 मई, 1857 को मेरठ में।

प्रश्न 3.
मेरठ के विद्रोही सिपाहियों ने किसे विद्रोह का नेता तथा संपूर्ण भारत का सम्राट घोषित किया था?
उत्तर:
80 वर्षीय वृद्ध मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र को जो विद्रोह के उपरांत देश में अंतिम मुगल सम्राट साबित हुआ था।

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प्रश्न 4.
वेल्लोर में कंपनी के सिपाहियों में किसने विद्रोह को भड़काया था?
उत्तर:
मैसूर के टीपू सुल्तान के पुत्रों ने।

प्रश्न 5.
बिहार में विद्रोही शक्तियों का नेता कौन था?
उत्तर:
कुंवर सिंह (Kunwar Singh)।

प्रश्न 6.
महान विद्रोह के दौरान कौन एकता के प्रतीक के रूप में उभरा था?
उत्तर:
बहादुरशाह ज़फ़र।

प्रश्न 7.
कब और कैसे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हुई थी?
उत्तर:
वह अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ती हुई जून 1858 में शहादत (मृत्यु) को प्राप्त हुई।

प्रश्न 8.
सिपाहियों, शासकों एवं मुखियाओं का समान लक्ष्य क्या था जिसके कारण उन्होंने 1857 के विद्रोह में शामिल होने का निर्णय लिया था?
उत्तर:
भारत से ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकना तथा मुगल सम्राट के नेतृत्व में अपनी सरकार स्थापित करना।

प्रश्न 9.
नाना साहेब कौन था?
उत्तर:
पेशवा बाजीराव द्वितीय का दत्तक पुत्र।

प्रश्न 10.
बख्त खान कौन था?
उत्तर:
दिल्ली में भारतीय सैनिकों को 1857 के विद्रोह के दौरान अंग्रेजी राज के विरुद्ध एक कमांडर-इन-चीफ के रूप में उन्होंने (बख्त खान ने) नेतृत्व प्रदान किया था।

प्रश्न 11.
विद्रोहियों ने किसे भारत का सम्राट घोषित किया था?
उत्तर:
बहादुर शाह ज़फ़र को।

प्रश्न 12.
वे कौन-कौन से क्षेत्र थे जहाँ विप्लव सर्वाधिक विस्तृत रहा था?
उत्तर:
देहली, अवध (लखनऊ), रुहेलखंड, बुंदेलखंड (झाँसी), इलाहाबाद के आसपास का क्षेत्र, आगरा, मेरठ एवं पश्चिमी बिहार।

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प्रश्न 13.
भारतीय इतिहास में 1857 के वर्ष का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
1857 का वर्ष भारत के इतिहास में इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि पहली बार अनेक कारणों से प्रेरित होकर भारत के विभिन्न वर्गों के लोगों ने एक साथ बड़े पैमाने पर ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने का दृढ़ निश्चय किया तथा एक लंबा संघर्ष किया।

प्रश्न 14.
मंगल पांडे कौन था?
उत्तर:
मंगल पांडे बैरकपुर स्थित अंग्रेजी सैन्य शिविर में एक साहसी तथा वीर सैनिक था। वह पहला वीर सैनिक था जिसने एनफील्ड नामक नयी राइफल में चर्बी वाले कारतूसों को भरने से इंकार कर दिया था। इसी कारण उसे गिरफ्तार किया गया तथा बाद में उसे फांसी की सजा दे दी गई।

प्रश्न 15.
उन प्रमुख भारतीय नेताओं के नाम लिखिए जिन्होंने 1857 के विद्रोह में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
उत्तर:
1857 के विद्रोह में जिन प्रमुख नेताओं ने भाग लिया था, वे थे:

  • मंगल पांडे
  • मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र
  • नाना साहेब
  • बखत खान
  • कुवर सिंह
  • तात्या टोपे तथा
  • लक्ष्मीबाई।

प्रश्न 16.
1857 के विद्रोह के प्रमुख केंद्रों के नाम लिखिए। .
उत्तर:
1857 के विद्रोह के प्रमुख केंद्र थे : बैरकपुर, मेरठ, दिल्ली, असम, बिहार, उड़ीसा, सिंध, अवध, बंगाल, पश्चिमी पंजाब, महाराष्ट्र, झाँसी (बुंदेलखंड), हैदराबाद, कानपुर, लखनऊ।

प्रश्न 17.
1857 के विद्रोह का अधिकांश स्थानों पर किसने नेतृत्व किया था? उनकी मौलिक दुर्बलता क्या थी?
उत्तर:
अधिकांश स्थानों पर 1857 की बगावत का नेतृत्व देशी नरेशों (शहजादों) तथा भू-स्वामियों के हाथों में ही था। (यद्यपि इसे भारतीय कंपनी के सिपाहियों ने प्रारंभ किया था।) भारतीय शासकों एवं भू-स्वामियों की मुख्य दुर्बलता यह थी कि उनके विचार पुराने थे तथा मूलतः वे अपने या अपने परिजनों के स्वार्थपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ही लड़े थे।

प्रश्न 18.
1857 के विद्रोह ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थिति को कैसे प्रभावित किया था?
उत्तर:
1857 के विद्रोह को कुचलने के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को भारत से हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया। एक नये अधिनियम के अनुसार उससे सत्ता छीन कर ब्रिटिश मंत्रिमंडल को सौंप दी गई। वह भारत सचिव के नेतृत्व में ब्रिटेन के साम्रज्ञी के नाम से शासन करने लगा।

प्रश्न 19.
किस गवर्नर-जनरल के काल में 1857 की बगावत शुरू हुई थी?
उत्तर:
लार्ड कैनिंग।

प्रश्न 20.
जब 1857 का विद्रोह आरंभ हुआ था, उस | समय मुगल सम्राट (शासक) कौन था?
उत्तर:
बहादुर शाह जफ़र।

प्रश्न 21.
अंग्रेजों के विरुद्ध वेल्लोर में विद्रोह कब हुआ
उत्तर:
1806 में।

प्रश्न 22.
1857 के विद्रोह (बगावत) को अन्य क्या महत्त्वपूर्ण एवं आकर्षक नाम (संज्ञा) दिया जाता है?
उत्तर:
प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम।

प्रश्न 23.
उस व्यक्ति का नाम बताइए जिसे अंग्रेजों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय का उत्तराधिकारी मानने से मना कर दिया था।
उत्तर:
नाना साहेब।

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प्रश्न 24.
1857 के विद्रोह की असफलता का सर्वाधिक जिम्मेदार कारण क्या था?
उत्तर:
भारतीय शासकों में पूर्ण एकता का अभाव तथा परस्पर ईर्ष्या या द्वेष।

प्रश्न 25.
1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर:
चर्बी वाले कारतूस, जिन्हें मुंह से खोलकर (काटकर) एनफील्ड राइफल में भरा जाता था। चर्बी (अफवाहों के अनुसार) गाय तथा सूअर की थी।

प्रश्न 26.
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध नाना साहेब का मुख्य परामर्शदाता, 1857 के विद्रोह के वक्त कौन था?
उत्तर:
अजीमुल्लाह।

प्रश्न 27.
नाना साहेब की सेनाओं को 1857 में किसने नेतृत्व दिया था?
उत्तर:
तात्या टोपे।

प्रश्न 28.
झाँसी में 1857 के विद्रोह में विद्रोही सेनाओं को किसने नेतृत्व दिया था?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई।

प्रश्न 29.
उन कुछ नेताओं या नायकों के नाम लिखिए जिनकी गतिविधियाँ 1857 के विद्रोह के दौरान कालांतर में आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गयी थीं।
उत्तर:
मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बख्त खान, जीनत महल, कुंवर सिंह, नाना साहेय। .

प्रश्न 30.
रंगून किस देश की राजधानी है?
उत्तर:
बर्मा (आजकल इसे म्यांमार कहते हैं।)।

प्रश्न 31.
निम्नलिखित शब्दों/पदों के अर्थों की व्याख्या कीजिए:
(i) सैनिक विद्रोह (बगावत) (Mutiny), (ii) फिरंगी (Firangis)।
उत्तर:

  • सैनिक विद्रोह (Mutiny): जब सिपाही एकत्र होकर अपने सैनिक अफसरों का कोई भी आदेश मानने से इंकार कर देते हैं।
  • फिरंगी (Firangis) : विदेशी। इस शब्द में अपमान का भाव हुपा है और विदेशी शासनकाल के दौरान यह उपनिवेशवादी शासकों के लिए प्रयोग किया जाता था।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मेरठ में महान विद्रोह अथवा विप्लव के प्रारंभ होने की घटना पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मेरठ में विद्रोह (बगावत) का प्रारंभ :
1. 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे नामक सिपाही को बैरकपुर छावनी में अपने अफसरों पर हमला करने के आरोप में फाँसी पर लटका दिया गया। चंद दिन बाद मेरठ में तैनात कुछ सिपाहियों ने नए कारतूसों के साथ फोजी अभ्यास करने से इंकार कर दिया। सिपाहियों को लगता था कि उन कारतूसों पर गाय और सूअर की चर्बी का लेप चढ़ाया गया था। 85 सिपाहियों को नौकरी से निकाल दिया गया। उन्हें अपने अफसरों का आदेश न मानने के आरोप में 10-10 साल की सजा दी गई। यह 9 मई 1857 की बात है।

2. मेरठ में तैनात दूसरे भारतीय सिपाहियों की प्रतिक्रिया बहुत जबरदस्त रही। 10 मई को सिपाहियों ने मेरठ की जेल पर धावा बोलकर वहाँ बंद सिपाहियों को आजाद करा लिया। उन्होंने अंग्रेज़ अफसरों पर हमला करके उन्हें मार गिराया। उन्होंने बंदूक और हथियार कब्जे में ले लिए और अंग्रेजों की इमारतों व संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया। उन्होंने फिरंगियों के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया। सिपाही पूरे देश में अंग्रेजों के शासन को खत्म करने पर आमादा थे।

प्रश्न 2.
मेरठ से दिल्ली तक 1857 के विद्रोह की अग्नि । कैसे फैली? दिल्ली से संबंधित कुछ घटनाओं का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर:
1. मेरठ के विद्रोही सिपाहियों के सामने प्रश्न यह आ गया कि अंग्रेजों के जाने के बाद देश का शासन कौन, चलाएगा। सिपाहियों ने इसका भी जवाब ढूँढ लिया था। वे मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को देश का शासन सौंपना चाहते थे।

2. मेरठ के कुछ सिपाहियों की एक टोली 10 मई की रात को घोड़ों पर सवार होकर मुंह-अंधेरे ही दिल्ली पहुंच गई। जैसे ही उनके आने की खबर फैली, दिल्ली में तैनात टुकड़ियों ने भी बगावत कर दी। यहाँ भी अंग्रेज अफसर मारे गए।

3. देशी सिपाहियों ने हथियार व गोला-बारूद कब्जे में ले लिया और इमारतों को आग लगा दी। विजयी सिपाही लाल किले की दीवारों के आसपास जमा हो गए। वे बादशाह से मिलना चाहते थे। बादशाह अंग्रेजों की भारी ताकत से दो-दो हाथ करने को तैयार नहीं थे लेकिन सिपाही भी अड़े रहे। आखिरकार वे जबरन महल में घुस गए और उन्होंने बहादुर शाह जफर को अपना नेता घोषित कर दिया।

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प्रश्न 3.
अंग्रेजों द्वारा जो सामाजिक सुधार शुरू किए गए थे उनका भारतीय समाज के एक हिस्से द्वारा क्यों विरोध किया गया था?
उत्तर:
ब्रिटिश सामाजिक सुधारों पर भारतीय समाज के कुछ लोगों की प्रतिक्रिया :
1. सती प्रथा का अंत (End of Sat) : लार्ड विलियम बैंटिंक ने सती प्रथा पर कानून द्वारा रोक लगा दी थी तथा इसे आत्महत्या के बराबर दंडनीय अपराध घोषित कर दिया था। इस कार्य को प्रोत्साहन देने वाले व्यक्ति को हत्या के समान अपराध का दंड दिया जाना निश्चित हुआ। विधवाओं को पुनः विवाह की आज्ञा मिल गई। कट्टरपंथी हिंदू लोगों ने गवर्नर-जनरल के इस कार्य को अपने धर्म में एक अनुचित दखल माना। वे क्रुद्ध हो उठे तथा अंग्रेजी शासन को उलट देने का अवसर आते ही उसको सहयोग देने को तैयार हो गए।

2. विदेशी शिक्षा पद्धति एवं भाषा को थोपना (Impart of foreign educational system and language): अंग्रेजों ने भारत की परंपरावादी शिक्षा पद्धति को समाप्त कर अपने ढंग की शिक्षा-पद्धति और अंग्रेजी भाषा को भारतीयों पर थोप दिया। आम जनता इससे क्षुब्ध हो उठी तथा अपनी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति के लिए बलिदान देने को तैयार हो गई।

3. सामाजिक आचारों में हस्तक्षेप (Intervene in Social Culture): अंग्रेजों ने भारतीय समाज में व्याप्त बाल विवाह को बंद कर दिया तथा विधवा विवाह की आज्ञा दे दी। मानव बलि तथा कन्यावध को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया। रूढ़िवादी हिंदुओं ने इन सब बातों को अपने धर्म के विरुद्ध समझा।

4.ईसाई मिशनरियों की गतिविधियाँ (Activities of the Christian Misionaries) : धर्म प्रचारकों ने अनेक स्थानों पर लोगों की दरिद्रता, सामाजिक पिछड़ापन तथा जाति प्रथा की कुरीतियों का लाभ उठाकर उन्हें ईसाई धर्म में आने के लिए प्रोत्साहित किया। अनेक स्कूलों, बाजारों, अस्पतालों एवं जेलों में ईसाई धर्म प्रचारकों ने अपनी गतिविधियाँ तेज कर दी। ब्रिटिश सरकार ने भी उन्हें धन तथा अन्य रूपों में सहायता दी। नव ईसाइयों को आसानी से सरकारी नौकरियां मिल जाती थीं। लोगों के धर्म परिवर्तन से रूढ़िवादी हिंदू एवं मुसलमान अंग्रेजों के शत्रु बन गए।

5. पैतृक संपत्ति के नियमों में परिवर्तन (Changes in the laws of parentel property) : लार्ड डलहौजी ने एक कानून बनाकर यह घोषणा की कि जो भी व्यक्ति धर्म बदलेगा उसे धर्म परिवर्तन के कारण पैतृक संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा। इससे लोगों में धार्मिक असुरक्षा की भावना बढ़ी।

प्रश्न 4.
भारतीय राज्यों के अंग्रेजों द्वारा विलीनीकरण का आम लोगों के आर्थिक जीवन पर कैसे प्रभाव पड़ा था?
उत्तर:
अंग्रेजों द्वारा भारतीय राज्यों के विलीनीकरण का साधारण लोगों के आर्थिक जीवन पर पड़े प्रभाव (The economic effects on the life of the common people due to annexation of the Indian states by the British):
1. भारतीय साधनों का शोषण करके देश को निर्धन बनाया : यद्यपि इससे पहले भी भारत ने अनेक राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखे थे किंतु किसी का उसके आर्थिक ढाँचे पर इतना गंभीर प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ विदेशी लुटेरों को छोड़कर दिल्ली के सिंहासन पर जो भी वंश आया, उसने भारत के धन को इसकी सीमाओं से बाहर ले जाने का प्रयास नहीं किया। फलत: भारत का धन भारत में ही रहा परंतु अंग्रेजों के काल में कंपनी की आर्थिक नीति लंदन स्थित कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा निर्धारित होती थी।

इस प्रकार भारत का धन तथा साधन इंग्लैंड के उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वहाँ भेजे जाने लगा। भारत के आर्थिक साधनों का शोषण होने लगा जिसके कारण परंपरागत भारतीय उद्योग नष्ट हो गए और भारत निर्धन व बेरोजगारों का देश बन गया। किसानों का शोषण बढ़ा। कृषि गतिहीन हो गई। लाखों लोग बार-बार पड़ने वाले अकालों के शिकार बने।

2. राज्यों में नौकरियों तथा पदोन्नति आदि पर प्रभाव : भारतीय राज्यों के कंपनी में विलीनीकरण से प्रत्येक राज्यों की प्रशासनिक मशीनरी का उन्मूलन कर दिया गया। फलस्वरूप -अनेक भारतीय बेरोजगार हो गए। जो लोग भारतीय राज्यों में इतिहासकारों, कलाकारों आदि के रूप में देशी राजाओं द्वारा संरक्षण, अनुदान राशि आदि पाये हुए थे, एक तरह से आर्थिक रूप से उन पर अवलंबी थे, वे भी बेरोजगार और बेसहारा हो गए। स्वयं कंपनी ने सेना, प्रशासन आदि से संबंधित ऊँचे पदों पर भारतीयों के लिए अवसर बहुत ही सीमित कर दिए गए थे। इससे समाज के उच्च वर्गों में भी बेरोजगारी फैल गयी।

3. अनेक राज्यों में बड़ी-बड़ी पैदल सेनाएँ, हाथी सवार, घोड़े सवार, नावों पर माल लाने ले जाने वाले रक्षक आदि भी राज्यों के विलीनीकरण के परिणामस्वरूप बेरोजगार हो गए। इस संदर्भ में अवध राज्य का एक अच्छा उदाहरण है। सहायक संधि के कारण भी अनेक देशी राज्यों की सेनाओं को तोड़ दिया गया था।

4. अनेक शिल्पकार जो राज्यों के संरक्षण पर निर्भर थे, वे भी बेरोजगार हो गए।

प्रश्न 5.
क्या 1857 का विद्रोह एक लोकप्रिय चरित्र वाला विद्रोह था? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए।
अथवा
अपने तर्क देकर बताइए कि 1857 का विद्रोह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था।
उत्तर:
अनेक भारतीय विद्वानों तथा इतिहासकारों ने इस विद्रोह को भारतीय जनता का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा है। यह एक लोकप्रिय विद्रोह था। इसमें सैनिकों, भारतीय नरेशों, जमींदारों के साथ-साथ सर्वसाधारण वर्ग के किसानों, मजदूरों, शिल्पकारों ने भी भाग लिया था। यह व्यापक जनसमर्थन लिए हुए था। इस मत के प्रवर्तक विनायक दामोदर और वीर सावरकर हैं। उन्होंने सर्वप्रथम 1909 ई. में अपनी ‘भारत की स्वतंत्रता का युद्ध’ नामक पुस्तक में 1857 के विद्रोह को भारत के लोगों का प्रथम स्वतंत्रता युद्ध कहा है।

उनके विचारों का समर्थन एस. पांडिकर, अशोक मेहता, जे. सी. विद्यालंकार तथा जवाहरलाल नेहरू ने भी किया है। इसे उन्होंने राष्ट्रीय क्रांति अथवा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा है। इन विद्वानों के अनुसार इस विद्रोह का उद्देश्य अंग्रेजों को भारत से बाहर कर एक राष्ट्रीय शासक को सत्ता सौंपना था। इसका क्षेत्र व्यापक था। यह विद्रोह चर्बी वाले कारतूसों के कारण काफी जल्दी फैला तथा इसमें सैनिकों, जमींदारों, राजाओं के साथ-साथ साधारण वर्ग के अनेक लोगों ने भाग लिया।

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प्रश्न 6.
1857 के विद्रोह के उपरांत ब्रिटिश सेना में क्या-क्या सुधार किए गए थे?
उत्तर:
1857 के बाद ब्रिटिश सेना में निम्नलिखित सुधार (या परिवर्तन) किए गए थे :
1. अंग्रेजों ने सबसे पहली जिस बात को अपने मस्तिष्क में रखा वह यह थी कि सेना पर अंग्रेज सैनिक अधिकारियों एवं सिपाहियों का ही यथासंभव वर्चस्व सावधानीपूर्वक सुनिश्चित किया जाए। इस उद्देश्य के लिए सेना में भारतीयों के मुकाबले यूरोपियों का भाग बढ़ा दिया गया। बंगाल की सेना में अब यह | अनुपात एक और दो का तथा मद्रास और बंबई की सेनाओं में दो और पाँच का था।

2. सभी भौगोलिक और सैनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपीय सैनिकों को ही नियुक्त किया गया। तोपखाने (और बाद में 20वीं शताब्दी में). टैंकों तथा बख्तरबंद गाड़ियों के महत्त्वपूर्ण विभाग पूर्णतया यूरोपियों विशेषकर अंग्रेजों के हाथों में ही रखे गए।

3. अधिकारी वर्ग में भारतीयों को बाहर रखने की पुरानी नीति का सख्ती से पालन किया जाने लगा। 1914 ई. तक कोई भी भारतीय सूबेदार के पद से ऊपर नहीं उठ सका।

4. सेना में भारतीय अंग का संगठन “संतुलन एवं जवाबी संतुलन” तथा “बाँटो और शासन करो” (Divide and Rule) की नीति के आधार पर किया गया ताकि किसी ब्रिटिश विरोधी विद्रोह | के लिए एकजुट होने का उनको मौका ही न मिल सके।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वेल्लौर में विद्रोह (बगावत) क्यों हुई थी? इस विद्रोह का क्या परिणाम हुआ था?
उत्तर:
1806 में हुए वेल्लौर विद्रोह के कारण (Causes of the Vellore Mutiny of 1806):
1. अनेक विद्वान मानते हैं कि 1857 के प्रथम लोकप्रिय तथा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की पृष्ठभूमि के रूप में दक्षिण भारत में 1806 में ही वेल्लौर का विद्रोह हो चुका था। प्रसिद्ध क्रांतिकारी तथा इतिहासकार वीर सावरकर के विचारानुसार वेल्लौर के विद्रोह ने ही वस्तुतः 1857 के विद्रोह की नींव रखी थी।

2. 1799 में मैसूर के अंतिम स्वतंत्र सुल्तान टीपू सुल्तान को उसकी राजधानी श्रीरंगपटनम के पास हुई एक लड़ाई में पराजित किया गया था और उसे गोली मार दी गयी थी। इससे मैसूर की जनता तथा टीपू के वफादार बहुत ही अंग्रेजों से नाराज थे।।

3. टीपू की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने शाही परिवार पर अत्याचार शुरू किए। टीपू के सभी 12 पुत्रों एवं 6 लड़कियों को वेल्लौर के किले में कैद कर लिया गया।

4. टीपू के अनेक सैनिकों तथा सामंतों की भंग की गयी सेनाओं को अंग्रेजों ने अपनी सेना में भर्ती कर उनकी वफादारी खरीदने तथा सेना में भी ‘फूट डालो तथा राज करो’ की नीति लागू कर दी। जो ब्रिटिश प्रभाव से बाहर थे उन्होंने भी वेल्लौर विद्रोह में भाग लेने का निर्णय ले लिया था।

5. टीपू के उत्तराधिकारियों एवं अनेक वफादार सिपाहियों ने संगठित होकर पुनः शक्ति का प्रदर्शन करने का फैसला ले लिया।

6. अंग्रेजों ने दक्षिण भारत में कई सैनिक परिवर्तन किए थे। उन्हें आज्ञा दी गई कि वे अपनी पुरानी बड़ी-बड़ी दाढ़ी तथा मूंछे मुंडवा दें जिन्हें पुराने सैनिक पसंद नहीं कर रहे थे। .

7. एक अंगन्यू (Angnew) नामक अंग्रेज सैन्य ऑफिसर ने भारतीय सैनिकों के लिए एक नई किस्म की पगड़ी पहनना अनिवार्य कर या जिसे सैनिकों ने पसंद नहीं किया। इस पगड़ी पर एक क्रॉस (Uross) का चिह्न लगाना अनिवार्य कर दिया गया जिसम विरोध हिंदू तथा मुस्लिम सिपाहियों ने किया था। इस नयी पगड़ी पर एक नयी मुर्गे की तरह कलगी (cockade) या पंख लगाया जाता था जो संदेह किया गया कि वह सूअर तथा गाय के चमड़े से बना होता था।

प्रश्न 2.
1857 के विद्रोह की प्रमुख घटनाओं पर चर्चा | कीजिए।
अथवा
1857 के विद्रोह से संबंधित निम्नलिखित क्रांतिकारियों/ विद्रोहियों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
(i) बैरकपुर में मंडल पांडे।
(ii) मेरठ में भारतीय सिपाही।
(iii) विद्रोही तथा बहादुरशाह जफर दिल्ली में।
(iv) कानपुर में नाना साहेब।
(v) लखनऊ एवं प्रमुख विद्रोही।
(vi) झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई।
(vii) मध्य भारत में तात्या टोपे।
उत्तर:
1857 के महान विद्रोह (बगावत) विप्लव की प्रमुख घटनाएँ:
(i) बैरकपुर में मंगल पांडे (Mangal Pandey at Barackpur) : सर्वप्रथम बैरकपुर में विद्रोह का आरंभ हुआ जब 23 जनवरी, 1857 ई. को दमदम के सभी सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूस चलाने से इंकार कर दिया। 29 मार्च, 1857 ई. को मंगल पांडे ने अपने साथियों को चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से मना किया। मंगल पांडे को साजेंट ह्यूसन और लैफ्टिनेंट बाग ने पकड़ने की कोशिश की परंतु उसने दोनों अफसरों को गोली से उड़ा दिया। फिर अंग्रेज सैनिकों की एक टुकड़ी आई। मंगल पांडे को पकड़कर उस पर मुकदमा चलाया गया और 8 अप्रैल, 1857 ई. को उसे फांसी दे दी गई। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का वह प्रथम शहीद था। विद्रोहियों ने क्रांति के लिए 31 मई का दिन निश्चित किया था परंतु परिस्थितियों के कारण यह आग पहले ही भड़क उठी। बंगाल से यह आग मेरठ पहुंची।

2. मेरठ में भारतीय सिपाही (Indian Sepoys at Meerut) : 24 अप्रैल, 1857 ई. को मेरठ की तीसरी घुड़सवार सेना के सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से इंकार कर दिया। उम पर मुकदमा चलाया गया और 9 मई, 1857 ई. को 85 सैनिकों को जेल भेज दिया गया। 10 मई को मेरठ के अन्य भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। वे ‘हर हर महादेव’ और ‘मारो फिरंगी’ के नारे लगाने लगे। तत्पश्चात् उन्होंने स्थानीय जेल को तोड़ अपने साथियों को रिहा कराया और फिर नगर में रहने वाले अंग्रेज नर-नारियों का वध कर दिया। अगले दिन वे बहुत बड़ी संख्या में दिल्ली की ओर चल पड़े।

3. दिल्ली में विद्रोही तथा बहादुरशाह जफर (Rebels at Delhi and Bahadur Shah Zafar): मई के प्रात:काल मेरठ से सैनिक दिल्ली पहुंच गए और उन्होंने दिल्ली के सैनिकों को साथ देने के लिए ललकारा। यहाँ के सैनिकों में पहले ही विद्रोह की ज्वाला धधक रही थी। वे शीघ्र ही उनमें सम्मिलित हो गए और जो भी अंग्रेज उनके सामने आया उनका वध कर डाला गया। इन सैनिकों का बारुदखाने पर अधिकार होने से पहले ही अंग्रेज अफसरों ने उनमें आग लगा दी। अब सैनिकों ने लाल किले में प्रवेश किया और बहादुरशाह को सम्राट घोषित किया। नगर में सम्राट का जुलूस निकाला गया।

इस प्रकार दिल्ली पर सैनिकों का पूर्ण अधिकार स्थापित हो गया। शीघ्र ही यह समाचार दिल्ली के निकट प्रदेशों में फैल गया कि क्रांतिकारियों ने दिल्ली को स्वतंत्र करा लिया है। प्रोत्साहित होकर इन क्षेत्रों में क्रांति फैल गई। अलीगढ़, इटावा, मैनपुरी तथा रूहेलखंड (मुरादाबाद व बरेली) में भी अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया गया तथा सरकारी कोष पर क्रांतिकारियों का अधिकार हो गया। इस प्रकार शीघ्र ही दिल्ली और उसके निकट के समस्त प्रदेशों पर मुगल सम्राट बहादुरशाह का झंडा फहराने लगा और – वहाँ के अंग्रेजी राज्य का अंत हो गया। साधारण जनता ने सैनिकों का स्वागत किया तथा उन्हें सब प्रकार की सहायता प्रदान की।

4. कानपुर में नाना साहेब (Nana Saheb at Kanpur) कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने किया। उसके सैनिकों ने नगर के दुर्ग पर आक्रमण किया और अंग्रेज सेनापति व्हीलर को पराजित कर दुर्ग पर अधिकार कर लिया। विद्रोहियों ने लगभग 200 अंग्रेजों का वध कर दिया। अंत में जनरल हैवलाक, जनरल नील, जनरल कैंपबेल आदि ने विद्रोहियों की शक्ति को कुचलकर कानपुर पर अधिकार कर लिया। नाना साहेब निराश होकर नेपाल की ओर चला गया और वहीं कहीं उसकी मृत्यु हो गई। उसका साथी तात्या टोपे, झाँसी की रानी के साथ जा मिला।

5. लखनऊ में प्रमुख विद्रोही तथा नेता (Major Rebels – or Leaders at Lucknow): 30 मई, 1857 ई. को अवध की। राजधानी लखनऊ में विद्रोह की आग फैली। अवध के नवाब वाजिद अली शाह के नेतृत्व में जनता एकत्रित हो गई जिससे इसने एक जन आंदोलन का रूप धारण कर लिया। मौलवी मुहम्मदशाह, राजा मानसिंह, राजा हनुमंत सिंह और नवाब की बेगम हजरत महल ने भी महान सहयोग दिया।

हेनरी लारेंस को 1,000 अंग्रेज तथा 700 भारतीय सैनिकों सहित लखनऊ में स्थित ब्रिटिश रेजीडेंसी में घेर लिया गया। हेनरी लारेंस को तोप का एक गोला लगा और उसकी मृत्यु हो गई। इसके पश्चात् हैवलाक, नील और कैंपबेल सेनाएँ लेकर लखनऊ की ओर चल पड़े। कई मास तक युद्ध चलता रहा। मार्च, 1858 ई. तक विद्रोहियों की शक्ति का पूरी तरह नाश कर दिया गया और लखनऊ पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। लखनऊ के पतन के बाद विद्रोहियों के हौसले टूट गए।

6. बनारस और इलाहाबाद (Banaras and Allahabad) : दिल्ली पर विद्रोहियों का अधिकार होने के पश्चात् बनारस और इलाहाबाद में भी विद्रोह हो गए थे। जनरल नौल (Neil) ने अंग्रेजों, सिक्खों तथा मद्रासी सैनिकों की सहायता से बनारस पर अधिकार कर लिया। इसके पश्चात् वह। जून, 1857 ई. को इलाहाबाद पहुँच गया और यहाँ भी अंग्रेजों का अधिकार स्थापित किया।

7. मध्य भारत में झाँसी, ग्वालियर के समीपवर्ती क्षेत्र (Central India-Jhansi and Gwalior etc.) : मध्य भारत में झाँसी तथा ग्वालियर के समीपवर्ती क्षेत्र विद्रोह के मुख्य केंद्र बने रहे। 7 जून, 1857 ई. को झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में झाँसी में क्रांति हुई। रानी ने अदम्य साहस, वीरता एवं कुशलता का परिचय दिया. और उसने झांसी पर अपना स्वतंत्र शासन स्थापित कर लिया।

कानपुर के हाथों से निकल जाने के पश्चात् तात्या टोपे भी उसके साथ आ मिला। सर यूरोज की सेना ने विद्रोहियों को झाँसी और फिर कालपी में पराजित किया। जून, 1858 ई. में ग्वालियर पर रानी लक्ष्मीबाई तथा तात्या टोपे का अधिकार हो गया। सर ह्यूरोज ने सिंधिया की सहायता से ग्वालियर पर आक्रमण किया। रानी लक्ष्मीबाई 18 जून, 1858 ई. को अंग्रेजों से संघर्ष करती हुई स्वतंत्रता संग्राम की बलिवेदी पर न्यौछावर हो गई।

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प्रश्न 3.
1857 के विद्रोह की असफलता के मुख्य कारण कौन-कौन से थे?
उत्तर:
विद्रोह की असफलता के निम्नलिखित कारण थे:
1. संगठन का अभाव (Lack of Organisation) : यह क्रांति सारे भारत की संगठित क्रांति न थी। इसमें संदेह नहीं कि क्रांति की चिनगारियाँ दूर-दूर तक गई थीं। फिर भी संगठन के अभाव के कारण देशव्यापी क्रांति नहीं हुई। भारतीयों में राष्ट्रीयता का भाव नहीं था। उत्तर-पश्चिम में अफगान शांत रहे। अफगानिस्तान के शासक दोस्त मुहम्मद ने संकटपूर्ण स्थिति होने पर भी उससे लाभ उठाने का प्रयास नहीं किया। सिक्खों और गोरखों ने अंग्रेजों की सहायता की। भारत के देशी राजा राजभक्त बने रहे और अंग्रेजों के साथ बने रहे। सिंधिया, होल्कर, निजाम और राजपूत राजाओं ने अंग्रेजों की सहायता की।

2. एक उद्देश्य का अभाव (Lack of Single Aim) : क्रांतिकारियों का कोई एक निश्चित उद्देश्य नहीं था। सभी शासकों और जमींदारों के निजी स्वार्थ थे, जिनके लिए वे लड़ रहे थे। मुसलमान मुगल साम्राज्य को पुनर्जीवन देना चाहते थे जबकि हिंदू लोग हिंदू राज्य की स्थापना के इच्छुक थे। बहादुरशाह द्वितीय दिल्ली पर अधिकार बनाए रखना चाहता था। झाँसी की रानी अपनी झाँसी को बचाना चाहती थी, जबकि नाना साहेब अपनी पेंशन बचाने के लिए जूझ रहे थे। इस समय तक जन-साधारण राष्ट्रीयता की भावना से दूर था।

3. योग्य नेतृत्व का अभाव (Lackof Capable Commandership) : विद्रोहियों के पास योग्य सैनिक नेतृत्व का अभाव था जबकि अंग्रेजी सेनाओं का संचालन एक ही प्रधान सेनापति के अधीन नील, हैवलाक, आटम, युरोज, निकल्सन और लारेंस जैसे योग्य और अनुभवी जनरलों ने किया। क्रांतिकारियों का प्रधान सेनापति मिर्जा मुगल (बहादुर शाह द्वितीय का पुत्र) था जिसमें किसी प्रकार की सैनिक प्रतिभा न थी। विद्रोहियों में केवल झाँसी की रानी और तात्या टोपे योग्य सेनानी थे। अवध की बेगम हजरत महल और दिल्ली की सम्राज्ञी जीनत महल भी नरेशों और जागीरदारों से तालमेल न स्थापित कर सकीं। अत: विद्रोही बिना किसी निश्चित योजना के लड़ते रहे। उनकी शक्ति बिखरी हुई थी। इसको नष्ट करने में अंग्रेजों को अधिक समय नहीं लगा।

4. अंग्रेजों के उत्तम संसाधन (Good resources of the English): अंग्रेजों के साधन, विद्रोहियों के साधनों से अधिक उत्तम थे। उनके पास अनुशासित सेना और नवीनतम हथियार थे। उनके पास यातायात और संचार व्यवस्था थी, जबकि विद्रोहियों के पास ऐसा कुछ नहीं था। अंग्रेजों की नौसैनिक शक्ति और तोपखाना अधिक उपयोगी थे।

5. अंग्रेजों को भारतीयों द्वारा सहायता (Help to the English by the Indians) : क्रांतिकारियों में मुख्यतः सामंतवादी तत्त्व ही थे.कछ राष्ट्रवादी तत्त्व साथ तो थे, परंतु नहीं के बराबर। क्रांतिकारियों के नेता भी प्राय: सामंत ही थे। पटियाला, जींद, ग्वालियर, हैदराबाद और नेपाल के देशी राजाओं ने अंग्रेजों की सहायता की और उन्हें बड़ा सहयोग दिया। देशी राजाओं के अतिरिक्त सिक्खों और गोरखों ने भी अंग्रेजों की बड़ी सहायता की थी।

प्रश्न 4.
1857 के विद्रोह के प्रभाव एवं परिणामों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1857 के विद्रोह के प्रभाव एवं परिणाम :
1. कंपनी शासन की समाप्ति (End of the Rule of the Company): 1858 के अधिनियम एवं महारानी विक्टोरिया की घोषणा के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत से शासन सदैव के लिए समाप्त कर दिया गया। इसके साथ ही बोर्ड ऑफ कंट्रोल तथा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (नियंत्रक मंडल तथा संचालक मंडल) भी भंग कर दिए गए।

2. भारत का शासन सीधा इंग्लैंड की सम्राज्ञी या ताज के अधीन हो गया (India came under direct control of the Queen/ King of England) : भारत का शासन प्रबंध सीधा महारानी या ताज (क्राउन) के अधीन हो गया। इंग्लैंड की पार्लियामेंट (संसद) भारत के लिए कानून बनाने वाली सर्वोच्च विधायिका बना दी गई। इंग्लैंड में रहने वाले सेक्रेटरी ऑफ इंडिया (या भारत सचिव) की नियुक्ति इंग्लैंड की महारानी ने की। भारत सचिव ब्रिटेन के केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट श्रेणी (रैक) का मंत्री होता था। उसकी सहायता के लिए वहीं 15 सदस्यों की एक काउंसिल (परिषद) गठित की गई। भारत सचिव इंग्लैंड की संसद के प्रति उत्तरदायी होता था।

3. गवर्नर-जनरल वायसराय बना (Governor-General became Viceroy): अब तक भारत में गवर्नर-जनरल दिन प्रतिदिन के प्रशासन चलाने एवं भारतीय मामलों के लिए नियुक्त सर्वोच्च अधिकारी होता था। अब उसके पद को नया नाम-वायसराय दिया गया। वायसराय का अर्थ था-राजा का प्रतिनिधि। इस तरह वायसराय सन् 1858 ई. से भारत में राजा के प्रतिनिधि के रूप में शासन चलाने लगा। लेकिन उस पर सीधा समुद्री तार के माध्यम से भारत सचिव का नियंत्रण होता था। वह हर रोज उसे निर्देशन एवं मार्गदर्शन देता रहता था।

4. भारतीय नरेशों के प्रति नीति में बदलाव (Changes in the policy towards Indian Rulers):

  • 1858 की महारानी की घोषणा में देशी रियासतों के शासकों को यह आश्वासन दिया गया कि भविष्य में किसी भी राज्य का भू-भाग या राज्य ब्रिटिश भारत साम्राज्य में नहीं मिलाया जाएगा।
  • जो-जो संधियाँ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने देशी नरेशों से की थीं, उनका पूर्ण सम्मान इंग्लैंड की सरकार करेगी।
    उन्हें (देशी राजाओं को) नि:संतान होने पर अपनी इच्छानुसार गोद लेने का अधिकार होगा।

5. सांप्रदायिक सद्भाव एवं हिंदू-मुस्लिम एकता की सुदृढ़ता (Communal Harmony and Unity among the Hindus and Muslims): 1857 के विद्रोह में भारत में दो प्रमुख संप्रदायों के लोगों (हिंदू-मुसलमान) ने एक सामान्य शत्रु अंग्रेजों का सामना किया था। उन्हें साथ-साथ तोपों पर बांधा गया, फाँसी दी गई, कैद किया गया। इससे दोनों संप्रदायों के लोगों में एकता और भी सुदृढ़ हुई तथा संपूर्ण देश में सांप्रदायिक सद्भाव का वातावरण व्याप्त हो गया।

जब जनता बगावत करती है (1857 और उसके बाद) Class 8 HBSE Notes

  1. सैनिक विद्रोह (बगावत) (Mutiny) : जब सिपाही एकत्र होकर अपने सैनिक अफसरों का आदेश मानने से इंकार कर देते हैं।
  2. फिरंगी (Firangis) : विदेशी। इस शब्द में अपमान का भाव छिपा होता है।
  3. कारतूस (Cartridge) : गोली रखने वाला खाली पुष्ट कागज।
  4. पैदल सेना (Infantry) : वे सिपाही जो पैदल चलते हुए लड़ते हैं।
  5. सिपाही (Sepoy) : कंपनी में भारतीय सैनिक या सेना।
  6. तालुकदार (Taluqdars) : छोटे भूमिस्वामी।
  7. जिहाद (Jihad) : पवित्र युद्ध (या क्रूसेड), जो मुस्लिम धार्मिक नेताओं द्वारा लड़ा जाता है।
  8. बहुपत्नी विवाह (Polygamy) : एक से ज्यादा पत्नियाँ रखने की प्रथा।
  9. वेल्लौर सैनिक बगावत (The Mutiny of Vellore) : यह बगावत 1806 ई. में हुई थी।
  10. बैरकपुर में सैनिक विद्रोह (The Mutiny at Barrackpore) : 1824 ई. में।
  11. फिरोजपुर में सैनिक बग़ावत (The Mutiny of Ferozepur) : फरवरी, 18421
  12. 7वीं बंगाल घुड़सवार सेना की बगावत हुई थी (The Mutiny of the 7th Bengal Cavalry) : 1849 में।
  13. 64वीं रेजीमेंट का सैनिक विद्रोह (The Mutiny of the 64th Regiment) : 1849 में।
  14. बरेली में बगावत उठी (The Bareilly rising) : 1816 में।
  15. कोल राजविद्रोह का काल (The Kol Insurrection) : 1831-32 ई.।
  16. कांगड़ा के राजाओं की बगावत (The Revolt of the Rajas of Kangra) : 1848
  17. जसवार एवं दातरपुर में संथाल विद्रोह हुआ (Santhal rising at Jaswar and Datarpur) : 1855-56 में।
  18. धार्मिक अयोग्यताएँ अधिनियम (The Religious Disabilities Act) : 1850 ई.।
  19. 22वीं नेटिव इन्फैन्ट्री की सैनिक बगावत (The Mutiny of the 22nd N.I.) : 18491
  20. 66वीं नेटिव इन्फैन्ट्री की बगावत (The Mutiny of the 66th N.I.) : 18501
  21. 38वीं नेटिव इन्फैन्ट्री का विद्रोह (The Mutiny of the 38th N.I.) : 1852।
  22. लार्ड कैनिंग का जनरल सर्विस इनलिस्टमेंट एक्ट (Lord Canning’s General Service Enlishment Act) : 18561
  23. 19वीं नेटिव इंफेंट्री का सैनिक विद्रोह बुरहानपुर में हुआ (Mutiny of the 19th Native Infantry at Burhanpur) : 2 फरवरी, 18571
  24. सतारा राज्य का विलय किया गया (The State of Satara was annexed in) : 1848।
  25. जैतपुर, बुंदेलखंड एवं संबलपुर का कंपनी भू-भाग में विलय हुआ : 18491
  26. उदयपुर का विलय हुआ : 18521
  27. नागपुर का विलय हुआ : 1853।
  28. झांसी का विलय हुआ : 18531
  29. मेरठ में भारतीय सैनिकों द्वारा कंपनी सत्ता के विरुद्ध बगावत प्रारंभ : 10 मई, 18571
  30. दिल्ली, फ़िरोजपुर, बंबई, अलीगढ़, इटावा, बुलंदशहर, नसीराबाद, बरेली, मुरादाबाद, शाहजहाँपुर आदि में विद्रोह फैलता चला गया : 11 मई से 30 मई 1857 के मध्य।
  31. ग्वालियर, भरतपुर, झांसी, लखनऊ आदि में विप्लव : जून, 1857।
  32. इंदौर, महोव, झेलम एवं सियालकोट (पंजाब में) बगावत : जुलाई, 1857।
  33. दिल्ली पर अंग्रेजों का दोबारा अधिकार हुआ : सितंबर, 18571
  34. सर कोलिन कैंपबैल ने कानपुर की लड़ाई में विजय प्राप्त की तथा तात्या टोपे बच निकलने में कामयाब हुआ : दिसंबर 1857।
  35. अंग्रेजों ने लखनऊ पर पुनः अधिकार स्थापित किया : मार्च 1858।
  36. झांसी का पतन एवं अंग्रेजों की वहाँ विजय : अप्रैल, 18581
  37. बिहार में ताजा विद्रोह का फूट पड़ना तथा कुंवर सिंह द्वारा उसका नेतृत्व : अप्रैल, 18581
  38. भारत पर अंग्रेजी सत्ता की पुनः स्थापना तथा बगावत को कुचला गया : जुलाई से दिसंबर 1858 के मध्य।
  39. रानी लक्ष्मीबाई झांसी की लड़ाई में अपने राज्य की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गई। : जून, 18581

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना

HBSE 8th Class History आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना Textbook Questions and Answers

फिर से याद कर

आदिवासी दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना HBSE 8th Class History प्रश्न 1.
रिक्त स्थान भरें:
(क) अंग्रेजों ने आदिवासियों को ………………… के रूप में वर्णित किया।
(ख) झूम खेती में बीज बोने के तरीके को ………………… कहा जाता है।
(ग) मध्य भारत में ब्रिटिश भूमि बंदोबस्त के अंतर्गत आदिवासी मुखियाओं को ………………… स्वामित्व मिल गया।
(घ) असम के ………………… और बिहार के ………………… में काम करने के लिए आदिवासी जाने लगे।
उत्तर:
(क) जंगली घुमंतू काश्तकार, असभ्य शिकारी, संग्राहक
(ख) घुमंतू खेती
(ग) स्थायी
(घ) चाय बागानों, नील बागानों।

HBSE 8th Class History आदिवासी दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना प्रश्न 2.
सही या गलत बताएँ :
(क) झूम काश्तकार ज़मीन की जुताई करते हैं और बीज रोपते हैं।
(ख) व्यापारी संथालों से कृमिकोष खरीदकर उसे पाँच गुना ज्यादा कीमत पर बेचते थे।
(ग) बिरसा ने अपने अनुयायियों का आह्वान किया कि वे अपना शुद्धिकरण करें, शराब पीना छोड़ दें और डायन व जादू-टोने जैसी प्रथाओं में यकीन न करें।
(घ) अंग्रेज आदिवासियों की जीवन पद्धति को बचाए रखना चाहते थे।
उत्तर:
(क) सही
(ख) सही
(ग) सही
(घ) गलत।

आइए विचार करें

प्रश्न 3.
ब्रिटिश शासन में घुमंतू काश्तकारों के सामने कौन सी समस्याएँ थीं?
उत्तर:
ब्रिटिश शासनकाल में घुमंतू काश्तकारों के सामने निम्नलिखित समस्याएँ आई थीं :
(1) घुमंतू समूहों से अंग्रेजों को परेशानी थी जो यहाँ-वहाँ भटकते रहते थे और एक जगह ठहर कर नहीं रहते थे। वे (अंग्रेज) चाहते थे कि आदिवासियों के समूह एक जगह स्थायी रूप से (Permanent Settlers) रहें और खेती करें क्योंकि स्थायी रूप से एक जगह रहने वाले किसानों को नियंत्रित करना (to control) आसान था। दूसरे शब्दों में यों कहें कि अंग्रेज अपने स्वार्थ के लिए आदिवासियों को मजबूर कर रहे थे कि वे अपनी जीवन शैली को बदलें। स्वतंत्र प्राणियों को बाँधकर रखना चाहते थे।

(ii) अंग्रेज अपने शासन के लिए आय का नियमित स्रोत (regular sources) भी चाहते थे। फलस्वरूप उन्होंने जमीन के विषय में कुछ नियम लागू कर दिए। उन्होंने जमीन को मापकर प्रत्येक व्यक्ति का हिस्सा तय कर दिया। उन्होंने यह भी तय कर दिया कि किसे कितना लगान देना होगा। कुछ किसानों को भूस्वामी और दूसरों को पट्टेदार घोषित किया गया। पट्टेदार अपने भूस्वामियों का भाड़ा चुकाते थे और भूस्वामी सरकार को लगान चुकाते थे।

(iii) झूम काश्तकारों को स्थायी रूप से बसाने की अंग्रेजों की कोशिश बहुत सफल नहीं रही। जहाँ पानी कम हो और मिट्टी सूखी हो, वहाँ हलों से खेती करना आसान नहीं होता अर्थात् उन्हें अधिक मेहनत करनी पड़ती थी।

(iv) झूम काश्तकारों को हल की सहायता से खेती करने वाले काश्तकारों को प्राय: आर्थिक हानि भी हुई क्योंकि उनके खेत अच्छी उपज नहीं दे पाते थे। इसलिए पूर्वोत्तर राज्यों के झूम काश्तकार इस बात पर अड़े रहे कि उन्हें परम्परागत ढंग से ही जीने दिया जाए। व्यापक विरोध आदि आदिवासियों को करना पड़ा। व्यापक विरोध के परिणामस्वरूप अंग्रेजों को आखिरकार उनकी बात माननी पड़ी और ऐसे कबीलों को जंगल के कुछ हिस्सों में घुमंतू खेती की छूट दे दी गई।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना

प्रश्न 4.
औपनिवेशिक शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं की ताकत में क्या बदलाव आए?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन (अर्थात् ब्रिटिश शासन काल में) के अधीन आदिवासी मुखियाओं की ताकत में अनेक तरह के बदलाव आए थे, जो इस तरह हैं:
(i) अंग्रेजों के आने से पहले बहुत सारे इलाकों (क्षेत्रों) में आदिवासियों के मुखियाओं का महत्त्वपूर्ण स्थान होता था। उनके पास औरों से ज्यादा आर्थिक ताकत होती थी और वे अपने इलाके पर नियंत्रण रखते थे।

(ii) कई जगह उनकी अपनी पुलिस भी होती थी और वे जमीन एवं वन प्रबंधन के स्थानीय नियम खुद बनाते थे।

(iii) ब्रिटिश शासन के तहत आदिवासी मुखियाओं के कामकाज और अधिकार काफी बदल गए थे। उन्हें कई-कई गाँवों पर जमीन का मालिकाना (Ownership) तो मिला रहा लेकिन उनकी शासकीय शक्तियाँ छिन गई और उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा बनाए गए नियमों को मानने के लिए बाध्य कर दिया।

(iv) उन्हें अंग्रेजों को नजराना देना पड़ता था और अंग्रेजों के प्रतिनिधि की हैसियत से अपने समूहों को अनुशासन में रखना होता था।

(v) पहले उनके पास जो ताकत थी अब वह नहीं रही। वे परंपरागत कामों को करने से विवश हो गए।

प्रश्न 5.
दीकुओं से आदिवासियों के गुस्से के क्या कारण थे?
उत्तर:
आदिवासी बाहरी लोगों को दीक कहा करते थे। इनमें प्रायः सौदागर, व्यापारी, सूदखोर, टिम्बर मर्चेन्टस, उद्योगपति, विदेशी (अंग्रेज आदि) होते थे। कई कारणों से आदिवासियों में दीकुओं के विरुद्ध क्रोध था:
(i) दीकुओं के कारण उनके आस-पास आ रहे बदलावों को वे पसंद नहीं करते थे। उन्हें उनकी परिचित जीवन पद्धतिनष्ट होती दिखाई दे रही थी।

(ii) आदिवासी अंग्रेज शासन के कारण पैदा हो रही समस्याओं से बेचैन थे। अंग्रेजों ने आदिवासियों के मुखियाओं की ताकत छीन ली थी। कई स्थानों पर घुमंतुओं को स्थायी रूप से एक ही स्थान पर रहने तथा हल से खेती करने के लिए मजबूर कर दिया था। उन्हें सूखी मिट्टी वाले इलाकों में पानी के अभाव से एक ओर तो ज्यादा मेहनत करनी पड़ती थी, दूसरी ओर उन्हें पैदावार भी कम मिलती थी।

(iii) ज्यादातर आदिवासी कबीलों के रीति-रिवाज और रस्में | ब्राह्मणों द्वारा निर्धारित रीति-रिवाजों और रस्मों से बहुत अलग थीं। इन समाजों में ऐसे गहरे सामाजिक भेद भी नहीं थे, जो जाति पर
आधारित समाजों में दीकुओं के समाजों में थे। एक कबीले के लोग कुटुम्ब (family) के बंधनों से बंधे होते थे। अनेक आदिवासियों में भी कुछ न कुछ आर्थिक और सामाजिक अंतर थे, लेकिन उन्हें अंग्रेजों के ढंग बिल्कुल पसंद नहीं थे।

(iv) जो आदिवासी झूम खेती करते थे वे जंगलों में बेरोकटोक आवाजाही और अपने ढंग से फसल उगाना चाहते थे। वे जमीन तथा जंगलों में दीकुओं के हस्तक्षेप के विरोधी थे।

प्रश्न 6.
बिरसा की कल्पना में स्वर्ण युग किस तरह का था? आपकी राय में यह कल्पना लोगों को इतनी आकर्षक क्यों लग रही थी?
उत्तर:
I. बिरसा की कल्पना का स्वर्ण युग :
(i) बिरसा की कल्पना में स्वर्ण युग में मुंडा समुदाय को अपने खोये हुए अधिकार वापस मिल जायेंगे। आदिवासी अपनी बुरी आदतें छोड़ देंगे। बिरसा ने आदिवासी समाज को सुधार के लिए मुंडाओं से कहा कि वे शराब पीना छोड़ दें। गाँव को साफ रखें और डायन व जादू-टोने में विश्वास न करें। उसने ईसाई मिशनरियों का विरोध किया वह एक वैष्णव प्रचारक के प्रभाव में आकर वैष्णव बन गए तथा उन्होंने जनेऊ भी धारण किया। लेकिन उसने हिंदू जमींदारों का भी लगातार विरोध किया। वह उन्हें बाहर का मानते थे जो मुंडा जीवनशैली को नष्ट कर रहे थे।

(ii) 1895 में बिरसा ने अपने अनुयायियों से आह्वान किया कि वे अपने गौरवपूर्ण अतीत को पुनर्जीवित करने के लिए संकल्प लें। वह अतीत के एक ऐसे स्वर्ण युग-सतयुग-की चर्चा करते थे जब मुंडा लोग अच्छा जीवन जीते थे, तटबंध बनाते थे, कुदरती झरनों को नियंत्रित करते थे, पेड़ और बाग लगाते थे, पेट पालने के लिए खेती करते थे।

(iii) बिरसा के उस स्वर्ण युग में या काल्पनिक युग में मुंडा अपने बिरादरों और रिश्तेदारों का खून नहीं बहाते थे। वे ईमानदारी से जीते थे। बिरसा चाहते थे कि लोग एक बार फिर अपनी जमीन पर खेती करें, एक जगह टिक कर रहें और अपने खेतों में काम करें।

II. लोग बिरसा या उसकी कल्पना के प्रति आकर्षित क्यों हुए:
(i) बिरसा स्वयं आदिवासी था। उसका जन्म एक मुंडा परिवार में हुआ था। मुंडा एक जनजातीय समूह था जो छोटानागपुर में ही रहता था। वह कई वर्षों तक जंगलों और गाँवों में घूमता रहा। मुंडाओं के साथ-साथ इलाके के दूसरे आदिवासी जैसे संथाल और उराँव भी उसके अनुयायियों में शामिल हो गये थे।

(ii) स्थानीय आदिवासी अपने आसपास आ रहे बदलावों और अंग्रेजी शासन के कारण पैदा हो रही समस्याओं से बेचैन थे। उनकी परिचित जीवनपद्धति नष्ट होती दिखाई दे रही थी, आजीविका खतरे में थी और धर्म छिन्न-भिन्न हो रहा था।

(iii) लोग कहते थे कि उसके पास चमत्कारी शक्तियाँ हैं-वह सारी बीमारियाँ दूर कर सकता था और अनाज की छोटी सी देरी को कई गुना बढ़ा देता था। बिरसा ने खुद यह ऐलान कर दिया था कि उसे भगवान ने लोगों को दीकुओं की गुलामी से आजाद कराने के लिए भेजा है। कुछ समय के भीतर हजारों लोग बिरसा के पीछे चलने लगे। वे उसे भगवान मानते थे। उन्हें यकीन था कि वह उनकी समस्याएँ दूर करने आया है।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना

आइए करके देखें

प्रश्न 7.
अपने माता-पिता, दोस्तों या शिक्षकों से बात करके बीसवीं सदी के अन्य आदिवासी विद्रोहों के नायकों के नाम पता करें। उनकी कहानी अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
स्वयं अभ्यास करें।
कुछ उपयोगी संकेत (Some useful hints)
1. नोनगखला का तिरहुत सिंह, (Tirot Singh of Nongkhlaw) : खासी समुदाय का मुखिया नोन्गखला का तिरोत सिंह बाहरी लोगों को अपने क्षेत्र से बाहर खदेड़ना चाहता था। उसके अनुयायियों ने अंग्रेजों की बस्तियों में आग लगा दी तथा अपने उन आदिवासियों को छुड़वा लिया जो सड़कों, पुलों, इमारतों आदि के निर्माण में बंधक मजदूरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर किए जा रहे थे। उन्होंने असम की ओर मार्च किया तथा चाय बागानों में आदिवासियों की हालत सुधार के लिए बागान मालिकों को विवश किया।

2. असम के उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में कुमार रूपचंद ने भी विद्रोह को नेतृत्व प्रदान किया। विभिन्न आदिवासी पहाड़ी लोग जैसे कि खामतीस (Khamtis), नागा (Nagas) एवं गारो (Garos) उसे अपना राजा मानते थे। उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाया। जो सेनायें अंग्रेजों ने असम में तैनात कर रखी थी उन पर आदिवासियों ने धावा बोल दिए।

आइए कल्पना करें

मान लीजिए कि आप उन्नीसवीं सदी के वन गाँव में रहने वाले झूम काश्तकार हैं। आपको कहा गया है कि जहाँ आप पैदा हुए हैं अब वह जमीन आपकी नहीं मानी जाएगी। अंग्रेज अफसरों से मिलकर आप अपनी समस्याओं के बारे में बताना चाहते हैं। आप उन्हें क्या बताएँगे?
उत्तर:
हम अंग्रेजों को निम्न तरह की समस्याओं के विषय में बतायेंगे :
(i) हम प्रकृति एवं प्राकृतिक वातावरण को बहुत ही पसंद करते हैं।

(ii) हम स्वयं को जंगलों में उत्पन्न हुए भाग्यशाली आदिवासी समझते हैं। प्रकृति की गोद में हर एक को रहना नसीब नहीं होता। हमारा अस्तित्व जंगलों तथा स्थानीय संसाधनों पर निर्भर करता है। जल, जमीन तथा जंगल हमारे अस्तित्व का आधार है।

(iii) आप या आपकी कंपनी अथवा उसके एजेंट हमसे जंगल, उनमें रहने, उनमें प्रवेश करने, शिकार करने, संग्रहण आदि के अधिकार छीन लेंगे तो हमारे घर उजड़ जायेंगे। हमारे सामने रोजी-रोटी की विकराल समस्या खड़ी हो जायेगी।

हमारी आर्थिक गतिविधियाँ जैसे महुआ बीनना, भोजन प्राप्त करना, पशुओं को चराना, उन्हें पालना, कुदाल से खेती करना, हल से खेती करना, झूम खेती करना आदि सभी कार्य समाप्त हो जायेंगे।

(iv) आपकी सरकार के संरक्षण में सौदागर, व्यापारी, सूदखोर, टिम्बर मर्चेन्टस आदि हमें बर्बाद कर रहे हैं। हमारी अपनी संस्कृति है, उसे हम प्यार करते हैं। हमारा अपना धर्म है। ईसाई मिशनरियाँ हमें ईसाई क्यों बनाना चाहती हैं? क्या वे ईश्वर को एक नहीं मानते? तो फिर एक ही पैगम्बर को ईश्वर की संतान क्यों कहते हैं? सभी मानव एक ही ईश्वर की संतान हैं तो फिर हमें चर्च में ही क्यों जाने के लिए विवश किया जाता है? हमें अंग्रेजी सीखने के लिए क्यों विवश किया जाता है? हम भारत के जंगलों में रहते हैं। यह हमारा अपना देश है। हम यहाँ शताब्दियों से रह रहे हैं। हमें हमारी जमीन एवं जंगल वापस कर दे।

HBSE 8th Class History आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आदिवासियों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
आदिवासी समाजों के ज्यादातर कबीलों के रीति-रिवाज और रस्में ब्राह्मणों द्वारा निर्धारित रीति-रिवाजों और रस्मों से बहुत अलग थीं। इन समाजों में ऐसे गहरे सामाजिक भेद भी नहीं थे जो जाति पर आधारित समाजों में दिखाई देते हैं। एक कबीले के सारे लोग कुटुंब के बंधनों में बंधे होते थे। लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि आदिवासियों के बीच कोई आर्थिक और सामाजिक अंतर नहीं था।

प्रश्न 2.
उड़ीसा में आदिवासी महिलाओं का एक काम लिखिए।
उत्तर:
उड़ीसा की औरतें जंगलों से पत्ते व अन्य सामग्री एकत्र करती हैं व उन्हें स्थानीय बाजारों में बेचती हैं।

प्रश्न 3.
उन दो पेड़ों के नाम लिखें जिन्हें आदिवासियों औषधियों के रूप में उपयोग किया जाता था।
उत्तर:

  • साल-एक पेड़ जिसके बीजों से खाद्य तेल प्राप्त किया जाता है,
  • ‘महुआ : एक फूल जिसे खाया जाता है व शराब (कच्ची) बनाई जाती है।

प्रश्न 4.
कुछ उन कामों के नाम लिखिए जो आदिवासियों द्वारा अपनी जीविका अर्जित करने के लिए किए जाते हैं।
उत्तर:
आदिवासी ग्रामीण अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए निम्नलिखित कार्य करते हैं :

  • पत्तियाँ (पंडानु की पत्तियाँ) तोड़ना तथा उन्हें सिर पर लादकर घर ले जाना तथा उनसे पत्तल तैयार करना। जंगल से लकड़िया चुनना तथा उन्हें गद्गुर बाँधकर सर पर उठाकर ले जाना। पशुओं के लिए चारा एकत्र करना।
  • इमारतें, सड़कों आदि का निर्माण करना।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना

प्रश्न 5.
बैगा शब्द से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  • मध्य भारत का एक आदिवासी समुदाय बैगा कहलाता है
  • मध्य भारत के बैगा-औरों के लिए काम करने से कतराते थे। बैगा खुद को जंगल की संतान मानते थे जो केवल जंगल की उपज पर ही जिंदा रह सकती है। मजदूरी करना बैगाओं के लिए अपमान की बात थी।

प्रश्न 6.
उन आदिवासी समूहों का उल्लेख करें जिन्होंने औपनिवेशिक वन कानूनों के विरुद्ध अपनी प्रतिक्रिया को अभिव्यक्त किया था?
उत्तर:
आदिवासियों के जिन समूहों एवं नेताओं ने औपनिवेशिक सरकार के वन कानूनों के विरुद्ध प्रतिक्रिया व्यक्त की थी, वे थे :

  • 1906 में असम में संग्राम संगमा का विद्रोह।
  • मध्य प्रान्त में 1930 के दशक में जंगल में हुए सत्याग्रह।

प्रश्न 7.
किस क्षेत्र में संथाल रेशम के कीड़े पालते थे?
उत्तर:
हजारीबाग में संथाल लोग रेशम के कीड़े पालते थे। पहले यह क्षेत्र बिहार में पड़ता था। आजकल यह झारखंड राज्य में आता है।

प्रश्न 8.
उन दो स्थानों के नाम लिखिए जहाँ कोयला निकाला जाता है।
उत्तर :

  • झरिया तथा
  • रानीगंज।

प्रश्न 9.
रावण (Ravana) शब्द/पद की परिभाषा दीजिए। .
उत्तर:
आदिवासी विदेशी लोगों तथा बाहर से आये (देश के अन्य भागों से आये) लोगों को रावण कहते थे। बाहरी लोगों के लिए दीकु (Dikus) शब्द का प्रयोग बार-बार हुआ है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘घुमंतु खेती’ की व्याख्या कीजिए।
अथवा
झूम खेती की परिभाषा कीजिए।
उत्तर:
झूम या घुमंतू खेती:
(क) अर्थ (Meaning) : झूम खेती को घुमंतू खेती भी कहा जाता है। इस तरह की खेती आदिवासियों द्वारा अधिकांशतः जंगलों में छोटे-छोटे भूखंडों पर की जाती थी।

(ख) प्रक्रिया (Process) : आदिवासी लोग जमीन तक धूप लाने के लिए पेड़ों के ऊपरी हिस्से काट देते थे और जमीन पर उगी घास-फूस जलाकर साफ कर देते थे। इसके बाद वे घास-फूस के जलने पर पैदा हुई राख को खाली जमीन पर छिड़क देते थे। इस राख में पोटाश होती थी जिससे मिट्टी उपजाऊ हो जाती थी। वे कुल्हाड़ियों से पेड़ों को काटते थे और कुदालों से जमीन की ऊपरी सतह को खुरच देते थे। वे खेतों को जोतने और बीज रोपने की बजाय उन्हें बस खेत में बिखेर देते थे।

(ग) कटाई (Reaping) : जब एक बार फसल तैयार हो जाती थी तो उसे काटकर वे दूसरी जगह के लिए चल पड़ते थे। जहाँ से उन्होंने अभी फसल काटी थी वह जगह कई साल तक परती पड़ी रहती थी।

(घ) क्षेत्र (Areas) : घुमंतू किसान मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और मध्य भारत की पर्वतीय व जंगली पट्टियों में ही रहते थे। इन आदिवासी समुदायों की जिंदगी जंगलों में बेरोकटोक आवाजाही और फसल उगाने के लिए जमीन और जंगलों के इस्तेमाल पर आधारित थी। वे केवल इसी तरीके से घुमंतू खेती कर सकते थे।

प्रश्न 2.
कौन से आदिवासी समूह शिकारी तथा संग्राहक थे? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
शिकारी तथा संग्राहक समूह :
(क) बहुत सारे इलाकों में आदिवासी समूह पशुओं का शिकार करके और वन्य उत्पादों को इकट्ठा करके अपना काम चलाते थे। वे जंगलों को अपनी जिंदगी के लिए बहुत जरूरी मानते थे। उड़ीसा के जंगलों में रहने वाला खोंड समुदाय इसी तरह का एक समुदाय था। इस समुदाय के लोग टोलियाँ बना कर शिकार पर निकलते थे और जो हाथ लगता था उसे आपस में बाँट लेते थे।

(ख) वे जंगलों से मिले फल और जड़ें खाते थे। खाना पकाने के लिए वे साल और महुआ के बीजों का तेल इस्तेमाल करते थे। इलाज के लिए वे बहुत सारी जंगली जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते थे और जंगलों से इकट्ठा हुई चीजों को स्थानीय बाजारों में बेच देते थे। जब भी स्थानीय बुनकरों और चमड़ा कारीगरों को कपड़े व चमड़े की रँगाई के लिए कुसुम और पलाश के फूलों की आवश्यकता होती थी तो वे खोंड समुदाय के लोगों से ही कहते थे।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना

प्रश्न 3.
18वीं शताब्दी में रेशम उत्पादकों की समस्याओं पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
(i) रेशम उत्पादकों की समस्यायें (Problems of silk growers) : अठारहवीं सदी में भारतीय रेशम की यूरोपीय बाजारों में भारी मांग थी। भारतीय रेशम की अच्छी गुणवत्ता (Quality) सबको आकर्षित करती थी और भारत का निर्यात तेजी से बढ़ रहा था। जैसे-जैसे बाजार फैला ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर इस मांग को पूरा करने के लिए रेशम उत्पादन पर जोर देने लगे।

(ii) वर्तमान झारखंड में स्थित हजारीबाग के आसपास रहने वाले संथाल रेशम के कीड़े पालते थे।

(iii) रेशम के व्यापारी अपने एजेंटों को भेजकर आदिवासियों को कर्ज देते थे और उनके कृमिकोषों को इकट्ठा कर लेते थे। एक हजार कृमिकोषों के लिए 3-4 रुपए मिलते थे। इसके बाद इन कृमिकोषों को बर्दवान या गया भेज दिया जाता था जहाँ उन्हें पाँच गुना कीमत पर बेचा जाता था।

(iv) निर्यातकों और रेशम उत्पादकों के बीच कड़ी का काम करने वाले बिचौलियों को जमकर मुनाफा होता था। रेशम उत्पादकों को बहुत मामूली फायदा मिलता था। स्वाभाविक है कि बहुत सारे आदिवासी समुदाय बाजार और व्यापारियों को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानने लगे थे।

प्रश्न 4.
संक्षेप में बिरसा मुंडा के जीवन एवं गतिविधियों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
I. बिरसा मुंडा की संक्षिप्त जीवनी:
(i) जन्म (Birsa) : विरसा का जन्म 1870 के दशक के मध्य में एक गरीब परिवार में हुआ था। उसने अपना बचपन एक गड़रिए के रूप में शुरू किया।

(ii) शिक्षा (Education) : वह स्थानीय मिशनरी स्कूल में जाने लगे जहाँ उन्हें मिशनरियों के उपदेश सुनने का मौका मिला। लेकिन उसने ईसाई बनना मंजूर नहीं किया। बाद में बिरसा ने एक प्रसिद्ध वैष्णव (विष्णु की पूजा-अर्चना करने वाले) धर्म प्रचारक के साथ भी कुछ समय बिताया। उन्होंने जनेऊ धारण किया और शुद्धता व दया पर जोर देने लगे।

II. उपलब्धियाँ:
(क) बिरसा के अनुयायियों ने स्वर्ण युग (Golden Age) लाने की बात की ताकि मुंडा लोग दीकुओं के उत्पीड़न से पूरी तरह स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें। वे अपने समुदाय के परंपरागत अधिकार बहाल कराना चाहते थे।

(ख) बिरसा मुंडा ने अपने आंदोलन में आदिवासियों को अपने क्षेत्रों का मूल निवासी बताया और आदिवासियों के लिए जमीन प्राप्ति की लड़ाई को मुल्क की लड़ाई बताया। वे लोगों को याद दिलाते थे कि उन्हें अपना साम्राज्य वापस पाना है।

(ग) बिरसा ने वैष्णव धर्म के प्रचार में भी कुछ समय बिताया ताकि वह आदिवासियों को शराब आदि बुरी आदतों से दूर रख सके। उन्होंने जनेऊ धारण किया और शुद्धता व दया पर जोर दिया।

(घ) बिरसा मुंडा ने इसाई मिशनरियों और हिन्दू जमींदारों का भी लगातार विरोध किया। वह उन्हें बाहर का मानते थे जो मुंडा जीवनशैली को नष्ट कर रहे थे।

(ङ) बिरसा मुंडा अपने नेतृत्व में मुंडा राज स्थापित करना चाहते था। वह ईसाई मिशनरियों द्वारा उनकी परंपरागत संस्कृति की आलोचना को भी पसंद नहीं करते थे। जब उसका आंदोलन फैलने लगा तो अंग्रेजों ने उसे अपना राजनीतिक शत्रु मानकर 1895 में गिरफ्तार किया और दंगे-फसाद के आरोप में दो वर्षों की सजा दे दी।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 4 आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना

आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना Class 8 HBSE Notes

  • परती (Fallow) : कुछ समय के लिए बिना खेती छोड़ दी जाने वाली जमीन ताकि उसकी मिट्टी दोबारा उपजाऊ हो जाए।
  • साल (Sal) : एक पेड़।
  • महुआ (Mahua): एक फूल जिसे खाया जाता है अथवा शराब बनाने के लिए प्रयोग (इस्तेमाल) किया जाता है।
  • बेवड़ (Bewar) : मध्य प्रदेश में घुमंतू खेती के लिए प्रयोग होने वाला शब्द।
  • स्लीपर (Sleeper) : लकड़ी के क्षैतिज तख्ते (horizontal planks) जिन पर रेल की पटरियाँ बिछाई जाती हैं।
  • वैष्णव (Vaishnav) : विष्णु की पूजा करने वाले वैष्णव कहलाते हैं।
  • बिरसा (Birsa) : बिरसा मुंडा आदिवासी था। उसका जन्म 1870 के दशक के मध्य हुआ था। 1895 में अपने अनुयायियों को आह्वान किया कि वे अपने गौरवपूर्ण अतीत को पुनर्जीवित करें। उसने अंग्रेजों से टक्कर ली।
  • भगवान (Bhagwan) : ईश्वर।
  • दीकु (Dikus) : बाहर से आकर बसे हुए लोग।
  • मुंडा (Munda) : आदिवासियों का एक समूह जो छोटानागपुर क्षेत्र में रहता है।
  • झूम काश्तकार (Jhum Cultivators) : स्थानांतरण खेती-बाड़ी करने वाले लोग।
  • साल तथा महुआ के प्रयोग (Uses of Sal and Mahua) : ये दो पेड़-पौधे हैं जो झाड़ियों के रूप में वनों में मिलते हैं। इनका प्रयोग औषधियाँ बनाने के लिए किया जाता है।
  • संथाल तथा उराँव (Santhals and Darans) : छोटानागपुर के कुछ अन्य आदिवासी जन समुदाय।
  • संथालनुल (Santhalnul) : अपनी स्वतंत्रता के लिए संथालों द्वारा चलाया गया आंदोलन।
  • उलुगान (Ulugan) : मुंडा लोगों का आंदोलन।
  • बेथबेगारी (Bethbegari) : बंधक मजदूरी।

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ

HBSE 8th Class History कैसे, कब और कहाँ Textbook Questions and Answers

आइए कल्पना करें:

कल्पना कीजिए कि आप इतिहासकार हैं। आप यह पता लगाना चाहते हैं कि आजादी मिलने के बाद एक दुर्गम आदिवासी इलाके की खेती में क्या बदलाव आए हैं। इन जानकारियों को ढूँढ़ने के विभिन्न तरीकों की सूची बनाएँ।
उत्तर:
(i) मैं प्रशासनिक रिकार्डों को देखूगा, जो आदिवासी क्षेत्रों की कृषि से संबंधित होंगे तथा समय-समय पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए गए कृषि संबंधी सर्वेक्षणों का भी अवलोकन करूँगा।

(ii) अधिकारियों द्वारा लिखे गए नोट (Notings) एवं रिपोर्ट, जो आदिवासी क्षेत्रों में डाक द्वारा भेजी गयी।

(ii) विभिन्न विद्वानों द्वारा तैयार किए गए कागजात-इनमें भारतीय व यूरोपीय दोनों के ही विवरण शामिल होंगे जिनका संबंध आदिवासियों की अर्थव्यवस्था से होगा।

फिर से याद करें

कैसे, कब और कहाँ HBSE 8th Class History प्रश्न 1.
सही और गलत बताएँ:
(क) जेम्स मिल ने भारतीय इतिहास को हिंदू, मुसलिम, ईसाई, तीन काल खंडों में बाँट दिया था।
(ख) सरकारी दस्तावेजों से हमें ये समझने में मदद मिलती है कि आम लोग क्या सोचते हैं।
(ग) अंग्रेजों को लगता था कि सही तरह शासन चलाने के लिए सर्वेक्षण महत्वपूर्ण होते हैं।
उत्तर:
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) सत्य।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ

आइए विचार करें

HBSE 8th Class History कैसे, कब और कहाँ प्रश्न 2.
जेम्स मिल ने भारतीय इतिहास को जिस तरह काल खंडों में बाँटा है, उसमें क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
जेम्स मिल ने भारत के इतिहास का युग विभाजन सांप्रदायिकता के आधार पर किया। वह प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीयों की उपलब्धियों के विषय में गलत धारणायें रखता था। वह सभी तरह के विषय एवं प्रगति होने का श्रेय केवल पश्चिमी लोगों को ही देना चाहता था जो कि केवल औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत में हुई थी।

प्रश्न 3.
अंग्रेजों ने सरकारी दस्तावेजों को किस तरह सुरक्षित रखा?
उत्तर:
उन्होंने सरकारी कागजातों को संभाल कर इसलिए रखा क्योंकि वे एक स्थायी रिकार्ड रखना चाहते थे। उनकी आदत थी कि वे उन्हें सावधानीपूर्वक सुरक्षित रखा करते थे।

प्रश्न 4.
इतिहासकार पुराने अखबारों से जो जानकारी | जुटाते हैं वह पुलिस की रिपोर्टों में उपलब्ध जानकारी से किस तरह अलग होते हैं?
उत्तर:
जो समाचारपत्रों में रिपोर्ट छपती थीं वे उन रिकार्डों से अधिक सच्ची एवं ठीक होती थीं क्योंकि पुलिस तो केवल मात्र अंग्रेजी सरकार के हाथों में कठपुतली मात्र होती थी। उसकी रिपोर्ट | तो केवल झूठ का पुलिंदा मात्र ही होती थीं।

आइए करके देखें

प्रश्न 5.
क्या आप आज की दुनिया के कुछ सर्वेक्षणों का उदाहरण दे सकते हैं? सोचकर देखिए कि खिलौना बनाने वाली कंपनियों को यह पता कैसे चलता है कि बच्चे किन चीज़ों को ज्यादा पसंद करते हैं। या, सरकार को यह कैसे पता चलता है कि स्कूलों में बच्चों की संख्या कितनी है? इतिहासकार ऐसे सर्वेक्षणों से क्या हासिल कर सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, मैं वर्तमान दुनिया में सर्वेक्षणों के बारे में सोच सकता हूँ। हम आधुनिकतम तकनीक से सूचना प्राप्त कर सकते हैं। सरकार स्कूल प्रशासनिक अधिकारियों से रिकाडों या रिपोर्टों | को प्राप्त कर सकती है। उनसे वह विद्यार्थियों की संख्या जान सकती है, उनके जीवन के संक्षिप्त विवरण प्राप्त कर सकती है, एवं परिवारों के विषय में भी जान सकती है। इतिहासकार विभिन्न स्रोतों से उपयोगी सूचनाएँ इकट्ठी करके ठीक रिकार्डस तैयार कर सकते हैं एवं विभिन्न स्कूलों के छात्रों की उपलब्धियों का तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं, उनकी जनसंख्या तथा स्तर आदि के बारे में जानकारी दे सकते हैं।

HBSE 8th Class History कैसे, कब और कहाँ Important Questions and Answers

उति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हम क्यों प्रयास करते हैं और इतिहास को विभिन्न युगों में क्यों बाँटते हैं?
उत्तर:

  1. हम इतिहास को युगों अथवा अध्यायों में इसलिए बाँटते हैं ताकि प्रत्येक विशेष कालांश (पीरियड = period) की चारित्रिक विशेषताओं को जान सकें (पकड़ सकें।) प्रत्येक कालांश की केंद्रीय विशेषताएँ जैसी कि वे हमें प्रतीत होती हैं, हमारे सामने आ जाती हैं।
  2. जैसे ही हम युगों को तय कर देते हैं वे खास बातें या विशेषताएँ हमें विवश कर देती हैं कि हम दो युगों के मध्य एक रेखा खींच दें।
  3. विभिन्न युग हमारे भूतकाल (गुजरे हुए समय के लिए) के लिए विचारों को पूर्ण कर देते हैं। वे हमें दिखाते हैं कि हम किस तरह से एक युग से दूसरे युग में परिवर्तनों को महत्त्व देते हैं।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ

प्रश्न 2.
औपनिवेशिक क्या है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  1. अर्थ (Meaning) : इतिहास का वह युग या समय का भाग औपनिवेशिक कहलाता है जब कोई देश (या उसका पर्याप्त भाग) किसी औपनिवेशिक अथवा साम्राज्यवादी शक्ति के अधीन रहता है।
  2. उदाहरण (Example) : उदाहरणार्थ प्रायः 1757 (या 1765) से लेकर 14 अगस्त 1947 तक का समय भारतीय इतिहास में औपनिवेशिक युग कहलाता है।

प्रश्न 3.
भारत में प्रथम अंग्रेज गवर्नर-जनरल तथा अंतिम वायसराय का नाम लिखें।
उत्तर:

  1. भारत में प्रथम अंग्रेज गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्ज था।
  2. भारत में अंतिम अंग्रेज वायसराय लार्ड माउंटबेटन था।

प्रश्न 4.
भारत में 1773 से 1857 के बीच आने वाले अंग्रेज गवर्नर-जनरलों में से किन्हीं पाँच की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
पाँच महत्त्वपूर्ण अंग्रेज गवर्नर-जनरल थे:

  1. वारेन हेस्टिंग्स
  2. लार्ड वेलेजली
  3. विलियम बैंटिंक
  4. लार्ड डलहौजी
  5. लार्ड कैनिंग

प्रश्न 5.
भारत में आने वाले कुछ अंग्रेज वायसरायों की सूची तैयार करें, जो 1858 से 1947 के मध्य रहे हों।
उत्तर:

  1. लाई कैनिंग
  2. लार्ड लॉरेंस
  3. लार्ड लिटन
  4. लार्ड रिपन
  5. लार्ड कर्जन
  6. लार्ड हार्डिंग
  7. लार्ड इरविन तथा
  8. लार्ड माउंट बेटन

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास का कैसे काल विभाजन किया?
उत्तर:
अंग्रेज और भारतीय इतिहास का युग विभाजन (The British and periodisation of the Indian History) :
(क) सन् 1817 में जेम्स मिल (James Mil) नामक एक स्काटलैंड के अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक दार्शनिक ने ‘ब्रिटिश भारत का इतिहास’ (A History of British India) नामक एक विशाल आकार की कृति को तीन खंडों में प्रकाशित किया।

(ख) जेम्स मिल ने इस विशाल ग्रंथ को तीन खंडों-हिंदू.. मुस्लिम तथा अंग्रेज में विभाजित किया था। यह काल विभाजन व्यापक रूप से स्वीकार कर लिया गया।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ

प्रश्न 2.
भारतीय इतिहास के औपनिवेशिक युग की। कुछ सामान्य चारित्रिक विशेषताओं पर विचार विमर्श करें।
उत्तर:
(i) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में एक व्यापारिक कंपनी के रूप में आयी थी। सन् 1600 से लेकर लगभग 1755 तक कंपनी केवल मुख्यतया वाणिज्यिक गतिविधियों में ही व्यस्त रही लेकिन वह 1750 के बाद से लेकर 1856 तक भारत के विभिन्न हिस्सों को जीतने या उन्हें अपने पूर्ण प्रभाव में लाने में ही व्यस्त रही।

(ii) अंग्रेजों ने स्थानीय नवाबों एवं शासकों को अपने अधीन कर लिया। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था एवं समाज पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया। राजस्व एकत्र किया ताकि वह अपने खचों को चला सके तथा भारत से विभिन्न वस्तुएँ खरीद कर बेचने के लिए इंग्लैंड एवं यूरोपीय बाजारों में बेचकर खूब मुनाफा कमा सके।

(iii) औपनिवेशिक शासन काल के दौरान अंग्रेजों ने भारतवासियों और भारत के सभी संसाधनों का खूब जी भर कर शोषण किया। उन्होंने विभिन्न वस्तुओं को मनमानी निम्न कीमतों पर खरीदा तथा उन विभिन्न वस्तुओं को इंग्लैंड निर्यात किया।

प्रश्न 3.
हम तिथियों के साथ इतिहास को संबंधित करना क्यों जारी रखते हैं? इसके लिए कारण दीजिए।
उत्तर:
(I) तिथियों का निर्धारण (Fixing of Dates) : अब यह महसूस किया जाता है, कि कोई भी घटना या परिवर्तन अगर उसे पूरा होने में पर्याप्त समय लगे तो उसके लिए केवल एक तिथि विशेष तय कर देना ठीक नहीं होगा। तो हम इतिहास को कुछ तिथियों की रस्सी से क्यों बाँध देते हैं? इसके निम्नलिखित कारण हैं।

(II) कारण (Reasons):
(i) कभी ऐसा समय था जब इतिहास का अर्थ एवं क्षेत्र बहुत सीमित अर्थ में ही लिया जाता था। इसे केवल लड़ाइयों तथा होने वाली घटनाओं के साथ जोड़कर ही पढ़ा, लिखा और पढ़ाया जाता था।

(ii) इतिहास का मुख्य विषय अथवा सामग्री राजा/नरेश/सम्राट तथा उनकी नीतियाँ ही हुआ करती थीं। इतिहासकार लिखा करते थे राजा कौन-सी तिथि को पैदा हुआ, वह कब गद्दी पर बैठा, उसने कौन-से वर्ष विवाह किया, कौन-से वर्ष उसके यहाँ संतान हुई. एक विशेष वर्ष जिसमें उसने युद्ध लड़ा, वह वर्ष जब उसका देहांत हुआ तथा वह वर्ष जब अगला राजा सिंहासन पर आकर बैठा, आदि।

कैसे, कब और कहाँ Class 8 HBSE Notes

1. इतिहासकार (Historians) : वे विद्वान जो मानव के बीते समय से संबंधित विभिन्न स्रोतों का अध्ययन और विश्लेषण करते हैं तथा विस्तृत जानकारी एकत्र करते हैं। वे मानव जीवन से संबंधित विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते हैं तथा विभिन्न घटनाओं के होने के कारणों तथा प्रभावों का अध्ययन भी करते हैं, वे अतीत की क्रांतियों तथा आंदोलनों के भी कारणों एवं प्रभावों का अध्ययन कर हमें जानकारी देते हैं।

2. भारत में रेलवे का प्रारंभ : 1853 में मुंबई से थाणे तक।

3. विज्ञापन (Advertisement) : समाचारपत्रों में जनता की जानकारी के लिए की गई घोषणाएँ, कानूनी नोटिस तथा वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने के लिए गुणों का बखान करने वाले वाक्य/कथन तथा चित्र आदि।

4. इतिहास का संकीर्ण अर्थ (Narrow Meaning of History) : केवल लड़ाइयों, युद्धों तथा कुछ घटनाओं का ही उल्लेख करने वाला विषय।

5. इतिहास का विस्तृत क्षेत्र या अर्थ (Broad Sphere or Meaning of History) : इसमें मानव जीवन से जुड़ी अनेकानेक .. सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक समस्याएँ एवं पहलू शामिल रहते हैं। समाज के सभी वर्गों के जीवन
का अध्ययन, व्यापार एवं बाजार का विकास, राज्यों का विकास एवं विचारों आदि का प्रसार।

6. वारेन हेस्टिंग्ज (Warren Hastings) : ब्रिटिश भारत का प्रथम गवर्नर-जनरल।

7. लार्ड माउंटबैटन (Lord Mountbatten) : भारत में अंतिम ब्रिटिश वाइसराय।

8. वारेन हेस्टिंग्ज तथा माउंटबेटन अर्थात् प्रारंभ से अंत तक के कुछ प्रमुख गवर्नर जनरल तथा वायसरायः

  • हेस्टिंग्ज,
  • वेलेजलीं
  • बैंटिंक
  • डलहौजी
  • कैनिंग
  • लारेंस
  • लिटन
  • रिपन
  • कर्जन
  • हार्डिंग तथा
  • इरविन।

9. क्रानोलॉजी या तिथि निर्धारण (Chronology) : तिथियों को तय या निर्धारण करने का विज्ञान अथवा विधि क्रानोलॉजी कहलाती है।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ

10. औपनिवेशिक शासन (Colonial Rule) : वह शासन जो किसी देश के एक भाग या पूरे भूभाग पर शोषण के लिए बलपूर्वक थोप दिया जाता है। इस शासन के द्वारा उपनिवेश का आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक शोषण होता है। उदाहरण के लिए 1757 (1765) से लेकर 14 अगस्त 1947 का अंग्रेजी राज भारत में औपनिवेशिक शासन था।

11. भौतिक लक्षण (Topography) : मानचित्र या नक्शे पर जो किसी भाग का विस्तृत भौगालिक विवरण।

12. पेड़-पौधे (The Flora) : क्षेत्र विशेष की संपूर्ण वनस्पति प्रजाति।

13. जीव-जन्तु (The Fauna) : क्षेत्र विशेष की संपूर्ण जंतु प्रजाति।

14. खशनवीसी (Calligraphist): वह व्यक्ति जो सुंदर लिखाई लिखने की कला में निपुण होता है।

15. अतीत (Past) : हमारा पिछला मा पूर्व समय जिसकी जानकारी हमें इतिहास द्वारा इतिहास द्वारा मिलती है।

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

HBSE 8th Class History व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

व्यापार से साम्राज्य तक HBSE 8th Class History प्रश्न 1.
निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ ___________.
(क) दीवानी – (i) टीपू सुल्तान
(ख) “शेरे-ए-मैसूर” – (ii) भू-राजस्व वसूल करने का अधिकार
(ग) फौजीदारी अदालत – (iii) सिपॉय
(घ) रानी चेन्नम्मा – (iv) भारत का पहला गर्वनर जनरल
(ङ) सिपाही – (v) फौजदारी अदालत
(च) वॉरेन हेस्टिंग – (vi) कित्तूर में अंग्रेज-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया
उत्तर:
(क) दीवानी – (ii) भू-राजस्व वसूल करने का अधिकार
(ख) “शेरे-ए-मैसूर” – (i) टीपू सुल्तान
(ग) फौजदारी अदालत – (iv) फौजदारी न्यायालय
(घ) रानी चेन्नम्मा – (v) कित्तूर में अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व किया
(ङ) सिपाही – (iii) सिपॉय
(च) वॉरेन हेस्टिंग – (iv) भारत का पहला गर्वनर जनरल

Vyapar Se Samrajya Tak HBSE 8th Class History प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरें (Fill in the blanks):
(क) बंगाल पर अंग्रेजों की जीत …………………. की जंग से शुरू हुई थी।
(ख) हैदर अली और टीपू सुल्तान …………………… के शासक थे।
(ग) डलहौज़ी ने ………………….. का सिद्धांत लागू किया।
(घ) मराठा रियासतें मुख्य रूप से भारत के …………………. भाग में स्थित थीं।
उत्तर:
(क) प्लासी
(ख) मैसूर
(ग) गोद निषेध
(घ) दक्षिण।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

व्यापार से साम्राज्य तक Class 8 प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 3.
सही या गलत बताएँ:
(क) मुगल साम्राज्य अठारहवीं सदी में मजबूत होता गया।
(ख) इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के साथ व्यापार करने वाली एकमात्र यूरोपीय कंपनी थी।
(ग) महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के राजा थे।
(घ) अंग्रेजों ने अपने कब्जे वाले इलाकों में कोई शासकीय बदलाव नहीं किए।
उत्तर:
(क) असत्य
(ख) असत्य
(ग) सत्य
(घ) असत्य।

आइए विचार करें

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 4.
यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की तरफ क्यों आकर्षित हो रही थीं?
उत्तर:
यूरोपीय देशों में भारत की अनेक वस्तुओं की बड़ी भारी माँग थी जैसे कि कपास, रेशम, काली मिर्च, लौंग, इलायची, दालचीनी आदि। ये चीजें भारत से कम कीमतों पर खरीदी जा सकती थीं तथा बहुत अधिक कीमतों में यूरोपीय बाजारों में बेची जा सकती थीं। कंपनियाँ भारी मुनाफे कमा सकती थीं। इसी ने उन्हें भारत के साथ व्यापार करने को लालायित किया।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनीकी सत्ता स्थापित होती है HBSE 8th Class प्रश्न 5.
बंगाल के नवाबों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच किन बातों पर विवाद थे?
उत्तर:
(i) ईस्ट इंडिया कंपनी को जो भी विशेषाधिकार बंगाल के नवाबों ने दे रखे थे उनकी शर्तों को वे नहीं मानते थे तथा मनमाने ढंग से उनका अर्थ निकालते रहते थे। प्रायः वे और नई-नई सुविधाओं एवं विशेषाधिकारों की नवाबों से माँग करते रहते थे।

(ii) ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारीगण जो निजी व्यापार करते थे उनसे. आशा की जाती थी कि वे कर का भुगतान करें। उन्होंने ऐसा भुगतान करने से मना कर दिया जिसका अर्थ था बंगाल के लिए राजस्व का भारी नुकसान।

(iii) नवाबों ने कंपनी पर दोष आरोपित किये कि वह अपने अधिकारों का नाजायज प्रयोग कर रही है। उसके अधिकारीगण निजी व्यापार चोरी-छिपे करके बड़ी भारी चुंगी एवं कर की रकम न देकर बंगाल के खजाने को भारी आर्थिक हानि पहुंचा रहे हैं तथा वे नवाबों की शक्ति का गलत अंदाजा लगा करके उसे कम आंक रहे हैं।

यह करों का भुगतान करने से इन्कार करके, अपमानजनक पत्र लिखकर और वह अन्य तरह से भी नवाबों तथा उसके उच्च अधिकारियों का अपमान कर रही है, उनके साथ आपत्तिजनक दुर्व्यवहार कर रही है। अंत में हम यही कह सकते हैं कि अनेक कारणों से ईस्टं इंडिया कंपनी तथा बंगाल के नवाबों में टकराव हुए तथा अंततः इसकी परिणिति प्लासी की लड़ाई (1757)के रूप में देखी गई।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है HBSE 8th Class प्रश्न 6.
दीवानी मिलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को किस तरह फायदा पहुँचा?
उत्तर:
(i) इलाहाबाद की संधि (1765) से ईस्ट इंडिया कंपनी को सर्वाधिक बड़ा लाभ यह हुआ कि इसे बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के भू-भागों से भू-राजस्व एकत्र करने का अधिकार मिल गया।

(ii) दीवानी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के विशाल राजस्व संसाधनों का प्रयोग करने की अनुमति दे दी। इससे कंपनी की उस बड़ी समस्या का समाधान हो गया जो पहले उसे झेलनी पड़ती थी।

(iii) 18वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के साथ व्यापार फैल चुका था। चूँकि उस समय तक ब्रिटेन में ऐसी कोई भी वस्तु उत्पादित नहीं होती थी जिसका वह भारत में इंग्लैंड से निर्यात करके धन कमाता इसलिए भारत से जितनी भी चीजें वह खरीदता था उसके लिए उसे इंग्लैंड से सोना तथा चाँदी लाकर ही भुगतान करना होता था।

(iv) प्लासी की लड़ाई में विजयी अंग्रेजों ने धीरे-धीरे इंग्लैंड से सोने-चाँदी का आयात कम कर दिया तथा बक्सर के युद्ध के बाद इलाहाबाद की संधि केवल जब उसे दीवानी प्राप्त हो गई तो उसने इसे पूरी तरह ही बंद कर दिया। अब जो भारत राजस्व इकट्ठा किया जाता था, वह रकम ही कंपनी को धन दे सकती थी तथा उसकी वित्तीय आवश्यकताएँ भारत में ही पूरी होने लगी।

(v) बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के राजस्व का भारत में कपास तथा रेशम एवं ऊन के बने कपड़े खरीदने में प्रयोग हो सकता था। उससे कंपनी अपने सेनाएँ रख सकती थी तथा जो भी कंपनी के किले तथा कार्यालय बनाने में लागत आती थी, उसे भी भू-राजस्व की रकम से पूरा किया जा सकता था।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

व्यापार से साम्राज्य तक के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 7.
ईस्ट इंडिया कंपनी टीपू सुल्तान को खतरा क्यों मानती थी?
उत्तर:
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी टीपू सुल्तान (मैसूर) को खतरा इसलिए मानती थी क्योंकि वह फ्रांसीसियों से सांठ-गाँठ कर रहा था। टीपू फ्रांस की क्रांति एवं नए विचारों से भी बहुत प्रभावित था। उन दिनों अंग्रेजों के सबसे बड़े यूरोपीय शत्रुओं में फ्रांसीसी ही नंबर वन थे। वे भारतीय उपनिवेशवाद में भी फ्रांसीसियों को अपने सबसे बड़े शत्रु मानते थे। टीपू वैसे भी आधुनिक विचारों तथा नव आविष्कारक था। वह तोपों तथा नौ-सेना के महत्त्व को भी खूब समझता था। व्यक्तिगत रूप से टीपू बहुत वीर था। एक कथा के अनुसार उसे टाइगर ऑफ मैसूर कहा जाता था।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता HBSE 8th Class History प्रश्न 8.
“सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।
उत्तर:
सहायक संधि (Subsidiary Alliance):
(i) यह वह प्रणाली (व्यवस्था) थी जिसे गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने ब्रिटिश भारत में शुरू किया ताकि देशी राज्यों के सभी महत्त्वपूर्ण कार्यकलापों तथा नीतियों आदि पर ब्रिटिश नियंत्रण को बढ़ाया जा सके। इस प्रणाली में अंग्रेजी सरकार भारतीय नरेशों से कुछ शर्तों को मनवाते हुए समझौता करती थी। वास्तव में उसके राज्य को कंपनी के भू-भाग (क्षेत्र) में विलय नहीं किया जाता था।

(ii) भारत में अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पाने के लिए लार्ड वेलेजली ने तीन विधियाँ अपनाई थीं-उनमें से ही एक था सहायक संधि का तरीका।

II सहायक संधि की शर्ते (Terms of Subsidiary Alliance):
(क) सहायक संधि के अंतर्गत एक शर्त के रूप में भारतीय राज्य के नरेश या शासक को अपने राज्य में ही एक कंपनी की सेना अपनी मदद के लिए रखनी होती थी तथा उसे बनाए रखने के लिए एक सहायता राशि उस राज्य को देनी पड़ती थी। यह सब कुछ संरक्षण के लिए किया जाता था लेकिन सच्चाई यह थी कि इस संधि के रूप में कंपनी को एक धनराशि कर के रूप में देनी पड़ती थी।

(ख) कभी-कभी भारतीय नरेश बजाय नगद राशि देने के वह अपने राज्य की कुछ भूमि या भू-भाग ही कंपनी को दे देता था।

(ग) देशी नरेश को अंग्रेजों की एक शर्त यह भी माननी पड़ती थी कि वह अपने दरबार में एक अंग्रेज अधिकारी रखेगा जो अंग्रेजी कंपनी का रेजिडेंट (British Resident) कहलाता था और इसे यह भी वायदा करना होता था कि वह किसी भी अन्य यूरोपीय को अपने राज्य में किसी भी पद पर नियुक्त नहीं करेगा। यदि उसे ऐसा करने के लिए विवश होना ही पड़े तो उसे अंग्रेजों से पूर्व अनुमति लेनी होगी।

(घ) उसे यह भी वायदा करना पड़ता था कि बिना अंग्रेजों की जानकारी के वह किसी भी भारतीय राजा/नवाब/ नरेश से किसी की तरह की कोई बातचीत नहीं करेगा। वह इसके लिए गवर्नर-जनरल से परामर्श करेगा।

(ङ) उपर्युक्त सभी शर्तों के बदले अंग्रेज उस राज्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लेते थे। वे उसे वायदा करते थे कि वे उसे हर शत्रु (भारतीय या यूरोपीय) से उसकी प्रतिरक्षा करेंगे।

व्यापार से साम्राज्य तक Class 8 HBSE History प्रश्न 9.
कंपनी का शासन भारतीय राजाओं के शासन से किस तरह अलग था?
उत्तर:
(i) वारेन हेस्टिंग्ज (जो सन् 1773 से 1785 तक गवर्नर-जनरल के पद पर कार्यरत रहा) अनेक महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक था जिसने कंपनी की शक्ति विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था। उसके शासन काल में कंपनी ने न केवल (बंगाल जिसमें बिहार तथा उड़ीसा भी शामिल थे) अपनी शक्ति का प्रसार बंगाल प्रेसिडेंसी तक ही किया बल्कि बंबई तथा मद्रास तक भी कंपनी का प्रभाव तथा शक्ति को फैलाया। अंग्रेजों के अधीन जो भू-भाग या क्षेत्र थे वे मोटे तौर पर प्रशासनिक दृष्टि से तीन भागों में विभाजित था जो प्रेसिडेंसियों (Presidencies) कहलाती थीं-बंगाल, मद्रास तथा बंबई। प्रत्येक पर एक गवर्नर राज्य करता था। सन् 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट ने बंगाल प्रेसीडेंसी के गवर्नर को गवर्नर-जनरल का पद दे दिया तथा वह भारत में सभी क्षेत्रों का सर्वोच्च अधिकारी बन गया। इस तरह वारेन हेस्टिंग्ज प्रथम अंग्रेज गवर्नर-जनरल बन गया। उसने प्रशासनिक क्षेत्र में अनेक सुधार किये जिनमें सबसे ध्यान देने योग्य न्याय के क्षेत्र में थे।

(ii) 1772 से एक नयी न्याय प्रणाली की स्थापना कर दी गई – थी। हर जिले में दो तरह के न्यायालय (या अदालतें) स्थापित कर दी गयी थीं-(i) दीवानी अदालतें तथा (ii) फौजदारी अदालतें। दीवानी न्यायालयों में जो अंग्रेज न्यायाधीश अध्यक्षता किया करते थे उनमें हिंदुओं से संबंधित दीवानी कानूनों की व्याख्या पंडित तथा मुसलमानों से संबंधित दीवानी मुकद्दमों में दीवानी मुस्लिम नियमों की व्याख्या मौलवी किया करते थे। फौजदारी अदालतें अभी भी काजी तथा मुफ्ती के अधीन थीं लेकिन उन पर भी नियंत्रण जिलाधीशों (कलैक्टरों) का ही होता था।

(iii) एक प्रमुख समस्या यह थी कि ब्राह्मण पंडित स्थानीय व्याख्या के आधार पर एक ही दीवानी कानून की अलग-अलग व्याख्या किया करते थे। उनमें एकरूपता लाने के सभी विचारधाराओं के धर्मशास्त्रों (समरूपता देने के लिए) को सांझी (Common) व्याख्या करने का कार्य ग्यारह पंडितों के एक समूह को 1775 में सौंपा गया। उन्होंने कानूनों की एक पुस्तक (Digest बनाई)। एन. बी. हालहेड (N.B. Halhad) ने इस पुस्तक का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। 1778 तक मुसलमानों के कानूनों के एक संग्रह को भी संकलित कर दिया गया ताकि उससे अंग्रेज न्यायाधीशों को लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न 10.
कंपनी की सेना की संरचना में आए बदलावों का वर्णन करें।
उत्तर:
1858 के उपरान्त ब्रिटिश सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किये गये :

  • सेना में यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई।
  • कंपनी व सरकार की सेनाओं को मिलाकर एक शाही सेना बना दी गई।
  • यूरोपीय सेनाओं को सैनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थानों पर रखा गया।
  • भारतीयों को फौज में अफसर न बनने दिया गया। इस नीति का कठोरता से पालन किया जाने लगा।
  • सेना के महत्त्वपूर्ण अंग, जैसे-तोपखाना, टैंक व बख्तरबन्द टुकड़ियाँ केवल यूरोपीय सेना के हाथ में दे दिए गए।
  • सेना में भर्ती करते समय जाति, धर्म व क्षेत्र के नाम पर भेदभाव बढ़ता गया।
  • भारतीय सेना की विभिन्न रेजीमेंटों में विभिन्न जातियों का ऐसा मिश्रण बना दिया कि उनमें एकता न हो सके।
  • सेना में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के जाने पर रोक लगा दी गई ताकि उन तक राष्ट्रीय विचार न पहुँच सकें।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

आइए करके देखें

प्रश्न 11.
बंगाल में अंग्रेजों की जीत के बाद कलकत्ता एक छोटे से गाँव से बड़े शहर में तब्दील हो गया। औपनिवेशिक काल के दौरान शहर के यूरोपीय और भारतीय निवासियों की संस्कृति, शिल्प और जीवन के बारे में पता लगाएँ।
After the British conquest of Bengal, Calcutta grew from a small village to a big city. Find out about the culture, architecture and the life of Europeans and Indians of the city during the colonial period.
उत्तर:
(i) वर्तमान कलकत्ता (अब कोलकाता) शहर के विकास का संक्षिप्त विवरण (A brief description of Calcutta (now Kolkata) from some small villages to a big city) : कलकत्ता हमारे पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी है। यह शहर अंग्रेजों द्वारा तीन गाँवों सुतानारी, कालिकाता तथा गोविन्दपुर की जमीन पर सन् 1698 ई. में बसाया गया। प्रारंभ में अंग्रेज कलकत्ता में अपनी व्यापारिक बस्ती को ‘फोर्ट विलियम’ कहते थे। यहाँ पर गोदाम, दफ्तर तथा कर्मचारियों के घर (निवास स्थल) होते थे लेकिन यहाँ किसी वस्तु का उत्पादन नहीं होता था।

(ii) कलकत्ता में नगर नियोजन (Town Planning in Calcutta) : आधुनिक नगर नियोजन की शुरुआत औपनिवेशिक शहरों में हुई। इस प्रक्रिया में भूमि उपयोग और भवन निर्माण के नियमन के जरिए शहर के स्वरूप को परिभाषित किया गया। इसका एक मतलब यह था कि शहरों में लोगों के जीवन को सरकार ने नियंत्रित करना शुरू कर दिया था। इसके लिए एक योजना तैयार करना और पूरी शहरी परिधि का स्वरूप तैयार करना जरूरी था।

(iii) राजनीतिक संघर्ष का प्रारंभ (Beginning of Political Struggle) : इसकी वजह थी कि अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर नियोजन का. कार्यभार अपने हाथों में क्यों ले लिया था। एक फौरी वजह तो रक्षा उद्देश्यों से संबंधित थी। 1756 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने कलकत्ता पर हमला किया और अंग्रेज व्यापारियों द्वारा गोदाम के तौर पर बनाए गए छोटे किले पर कब्जा कर लिया।

(iv) कंपनी द्वारा किलाबंदी (Fortification by Company) : कुछ समय बाद, 1757 में प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार हुई। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक ऐसा नया किला बनाने का फैसला लिया जिस पर आसानी से हमला न किया जा सके।

(v) नगर नियोजन (Town Planning) : कलकत्ता में नगर-नियोजन का इतिहास केवल फोर्ट विलियम और मैदान के निर्माण के साथ पूरा होने वाला नहीं था। 1789 में लार्ड वेलेजली गवर्नर-जनरल बने। उन्होंने कलकत्ता में अपने लिए गवर्नमेंट – हाउस के नाम से एक महल बनवाया।

(vi) स्वास्थ्यवर्धक बनाने के प्रयास (Efforts to make a healthier place) : ज्यादा स्वास्थ्यपरक बनाने का एक तरीका – यह ढूँढा गया कि शहर में खुले स्थान छोड़े जाएँ। वेलेजली ने 1803 में नगर-नियोजन की आवश्यकता पर एक प्रशासकीय आदेश जारी किया और इस विषय में कई कमेटियों का गठन किया।

(vii) लाटरी कमेटी (Lottery Committee) : वेलेजली की विदाई के बाद नगर-नियोजन का काम सरकार की मदद से लॉटरी कमेटी (1817) ने जारी रखा। लॉटरी कमेटी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि नगर सुधार के लिए पैसे की व्यवस्था जनता के बीच लॉटरी बेचकर ही की जाती थी।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी के बारे में तसवीरें, कहानियाँ, कविताएँ और जानकारियाँ इकट्ठा करें – (i) झाँसी की रानी, (ii) महादजी सिंधिया,(iii) हैदर अली, (iv) महाराजा रणजीत सिंह, (v) लॉर्ड डलहौज़ी या आपके इलाके का कोई पुराना शासक।
उत्तरः
विद्यार्थी स्वयं करें।

HBSE 8th Class History व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
चौथ पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चौथ-मराठों द्वारा लिया जाने वाला वह कर था जो वे अपने क्षेत्र के बाहर के क्षेत्रों से वसूल करते थे। यह मुगल साम्राज्य को दिये जाने वाले भूराजस्व के एक चौथाई (1/4) भाग के बराबर होता था।

प्रश्न 2.
सरदेशमुखी पद की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सरदेशमुखी एक प्रकार का कर था जो मराठा राजा या पेशवा अपने सारे क्षेत्र से वसूल करते थे। यह चौथ देने वाले क्षेत्रों, स्वराज्य एवं उन मराठा देशमुखों से वसूल किया जाता था जो शिवाजी को अपना सरदेशमुख मानते थे।

प्रश्न 3.
‘स्वराज्य’ पद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
महाराष्ट्र का वह भाग, जहाँ स्वयं शिवाजी ने अपने राज्य की नींव रखी थी।

प्रश्न 4.
मिसल पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
मिसल : मिसल शब्द का अर्थ है राजनीतिक इकाई। अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों के बीच एकता हो गई थी। उस समय सिक्खों ने स्वयं को बारह मिसलों (राजनीतिक इकाइयों) में संगठित किया। प्रत्येक मिसल अपने नेता के प्रति निष्ठावान होती थी।

प्रश्न 5.
‘नवाब’ पद की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह नाम अंग्रेज (कंपनी के) अधिकारियों को दिया गया क्योंकि वे भारतीय कुलीनों की जीवनशैली का अनुसरण करते थे।

प्रश्न 6.
दीवानी पद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राज्य का राजस्व संग्रह करने वाला विभाग दीवानी कहलाता है।

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प्रश्न 7.
‘सहायक संधि’ पद का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सहायक संधि व्यवस्था वह व्यवस्था थी जिसे लार्ड वेलेजली ने भारतीय राज्यों में ब्रिटिश सत्ता का प्रभाव बढ़ाने के लिए लागू किया था। अनेक शर्ते उस देशी राजा को माननी होती थी जो अंग्रेजों से यह संधि करता था। वह अपनी विदेश नीति कंपनी के अधीन कर देता था। वह बिना अंग्रेजों की पूर्व अनुमति प्राप्त किये किसी भी दूसरे भारतीय नरेश/नवाब या अन्य यूरोपीय शक्ति से बातचीत नहीं कर सकता और न ही किसी विदेशी विशेषज्ञ को अपने यहाँ नौकर रख सकता था। उसे एक अंग्रेजी सेना अपने राज्य में रखने की अनुमति देनी होती थी, जिसका व्यय भी उसी को वहन करना पड़ता था। एक अंग्रेज रेजिडेंट भी उसके दरबार में स्थायी तौर पर रहता था। इन सबके बदले अंग्रेज उस राज्य की सुरक्षा करने में सहयोग देने का वचन देते थे।

प्रश्न 8.
‘गोद निषेध’ सिद्धांत से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
लार्ड डलहौजी ने अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करने के लिए गोद निषेध का सिद्धांत आरंभ किया। इस सिद्धांत के अनुसार बिना किसी संतान के किसी देशी राजा की मृत्यु हो जाने पर उसके राज्य को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया जाता था। देशी राजाओं को पुत्र गोद लेने व उसे अपना उत्तराधिकारी बनाने का अधिकार नहीं था। इस नीति के अनुसार डलहौजी ने निम्न राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।

प्रश्न 9.
मराठों के द्वारा स्वराज्य के बाहर से कौन से दो कर वसूल किए जाते थे?
उत्तर:

  • चौथ तथा
  • सरदेशमुखी।

प्रश्न 10.
कौन से वर्ष में तीसरे पानीपत की लड़ाई लड़ी – गई थी?
उत्तर:
1761 में।

प्रश्न 11.
वाणिज्यवाद पद की व्याख्या करें।
उत्तर:
व्यापारिक उद्यम, जो मुख्यतया मुनाफे के लिए व्यापार अर्थात् सस्ती चीजें खरीदकर तथा उन्हें महंगे दामों पर बेचकर किया जाता है। .

प्रश्न 12.
कठपुतली शब्द/पद की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
कठपुतली का शाब्दिक अर्थ है वह खिलौना जिसे रस्सी बाँधकर हाथों या उंगलियों से नचाया जाता है। कभी-कभी यह पुतले जैसे चरित्र या स्वभाव के व्यक्ति के लिए भी प्रयोग किया जाता है। वह राजा या नेता जिसका नियंत्रण कोई और करे उसे भी राजनीति में कई बार कठपतली कह दिया जाता है।

प्रश्न 13.
नीचे दिए शब्दों की परिभाषा लिखें: (i) सवार, (ii) मसकेट, (iii) मैचलाक
उत्तर:
(i) सवार (Sawar) : घोड़े पर सवारी कर रहा सिपाही या व्यक्ति।

(ii) मसकेट (Musket) : पैदल सैनिक द्वारा प्रयोग की जाने वाली भारी बंदूक।

(iii) मैचलाक (Matchlock) : शुरू-शुरू में प्रयोग की जाने वाली बंदूक जिसे माचिस की दियासलाई दिखाकर, उसके बारुद का धमाका किया जाता था।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पानीपत की तीसरी लड़ाई के परिणाम मराठों के लिए कैसे विनाशकारी साबित हुए थे?
अथवा
1761 में हुई पानीपत की तीसरी लड़ाई के प्रमुख परिणाम क्या थे?
उत्तर:
पानीपत की तीसरी लड़ाई के प्रमुख परिणाम (Main Results or Consequences of the Third Battle of Panipat) : अहमदशाह अब्दाली पंजाब पर विजय करता हुआ यमुना के किनारे तक आ पहुँचा। पेशवा बालाजी बाजीराव ने एक विशाल सेना अपने चचेरे भाई सदाशिव भाऊ के अधीन अब्दाली के विरुद्ध भेजी। 14 जनवरी, 1761 ई. को पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठे परास्त हुए। अनेक मराठा सरदार युद्धक्षेत्र में मारे गए। मराठों को अपार जन-धन की हानि उठानी पड़ी। सारे महाराष्ट्र में शोक छा गया। इसी शोक में 5 माह में ही पेशवा की मृत्यु हो गई। मराठा परिसंघ छिन्न-भिन्न हो गया। भारतीय राजनीति में जो उनका दबदबा था, वह समाप्त हो गया। मराठों की हार व पतन. के कारण अंग्रेज शीघ्र ही भारतीय राजनीति में छा गए।

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प्रश्न 2.
मुर्शिद कुली खाँ कौन था ? मुर्शिद कुली खाँ तथा उसके उत्तराधिकारियों के कालों में घटित कुछ घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
I. परिचय (Introduction) : औरंगजेब के शासन काल में मुर्शिद कुली खाँ बंगाल का दीवान था। उसने तथा उसके कुछ उत्तराधिकारियों ने औरंगजेब की मृत्यु के बाद स्वतंत्र नवाब के रूप में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा पर शासन किया लेकिन वे सभी नियमित रूप से मुगल सम्राटों को राजस्व भेजते रहे।

II. घटनायें/उपलब्धियाँ (Events/Achievements) :

  • उन्होंने प्रांत का प्रशासन पुनर्गठित किया।
  • उन्होंने व्यापार, कृषि तथा उद्योगों को प्रोत्साहन दिया।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी पर (सन् 1757 से पूर्व तक) पूर्ण नियंत्रण रखा।

प्रश्न 3.
चार्टर एक्ट 1833 की मुख्य चारित्रिक विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
चार्टर एक्ट 1833 की मुख्य चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं :
(i) प्रेजिडेन्सियों तथा प्रांतों की वित्तीय शक्तियाँ एवं कानून बनाने की शक्ति गवर्नर जनरल इन-कौंसिल को हस्तांतरित कर दी गयीं।

(ii) इस एक्ट ने गवर्नर-जनरल इन-कौंसिल को ही भारत में कंपनी के संपूर्ण भू-भाग (क्षेत्रों) में सभी नागरिक (गैर-सैनिक जैसे दीवानी) एवं सैनिक मामलों पर पूर्णतया अंतिम आधिपत्य दे दिया।

(ii) 1833 के इस अधिनियम (एक्ट) ने ब्रिटिश भारत में प्रशासन को केन्द्रीयकृत (एक ही केंद्र में) करने की कोशिश की।

(iv) इस अधिनियम (एक्ट) ने भारत में कंपनी के अधीन क्षेत्रों में कानून का शासन’ (Rule of Law) स्थापित किया था तथा कंपनी के किसी भी पद पर भारतीयों की नियुक्ति से वंचित कर दिया।

प्रश्न 4.
अंग्रेजों द्वारा मराठों के अधीन क्षेत्रों को विजित करने की मुख्य अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) लार्ड वेलेजली जब मैसूर तथा कर्नाटक में युद्धों | से मुक्त हो गया तो उसके बाद उसने मराठों से निपटने के बारे में निर्णय ले लिया।

(ii) उसने मराठों में आए र फूट का पूरा-पूरा लाभ उठाया। यद्यपि महादजी सिन्धिया एवं नाना फड़नवीस मराठों को संगठित रखने में सफल रहने वाले योग्य नेता थे, लेकिन उनके देहांत के बाद, मराठों की शक्ति घटने लगी।

(iii) होल्कर एवं सिंधिया के मध्य संघर्ष में, पेशवा होल्करों को पूना से बाहर निकालने में सफल रहे।

(iv) यहाँ तक कि सिंधियाँ एवं भोंसले की शक्ति के परस्पर नजदीक आने से भी मराठों की स्थिति नहीं सुधरी। अंत में उन्हें अंग्रेजों के साथ सहायक संधियों पर हस्ताक्षर करने पड़े तथा मराठा क्षेत्रों में उन्हें अंग्रेज रेजिडेन्ट को रखना पड़ा। इसके साथ | ही अंत में मराठों को अपनी स्वतंत्रता खोनी पड़ी।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिराजुहद्दौला इतनी आसानी से अंग्रेजों द्वारा क्यों पराजित हो गया था?
उत्तर:
(i) सिराजुद्दौला इतनी आसानी से इसलिए अंग्रेजों द्वारा पराजित हो गया क्योंकि क्लाइव बहुत चालाक था। अंग्रेजों के पास सेना थोड़ी थी लेकिन वह उनके प्रति वफादार थी। सिराजुद्दौला से बंगाल के अनेक परिजन एवं सेठ नाराज थे। जगत सेठ ने अंग्रेजों की मदद के लिए आगे बढ़कर उनकी दोस्ती अंग्रेजी कंपनी से करा दी। अंग्रेजों को मद्रास से तुरंत सैनिक मदद भी प्राप्त हो गई थी।

(ii) मीर जाफर सिराजुद्दौला का सेनापति था। उसने नवाब के विरुद्ध गद्दारी की। उसे कंपनी ने नवाब बनाने का वायदा कर दिया था। वह युद्ध के मैदान में निष्क्रिय बना रहा। प्लासी के मैदान में जब सिराज घिर गया तो उसने उसे वहाँ से भागकर जान बचाने की गलत सलाह दे दी। नवाब की सेना में भगदड़ मच गई। वह हार गई। जाफर ने बाद में सिराजुद्दौला को पकड़ कर मार दिया।

प्रश्न 2.
“सहायक संधि व्यवस्था” को चालू करने के पीछे लार्ड वेलेजली के क्या उद्देश्य थे ? इस व्यवस्था के क्या सिद्धांत थे?
उत्तर:
I. लार्ड वेलेजली के सहायक संधि व्यवस्था प्रारंभ करने के पीछे उद्देश्य क्या थे :
(i) लार्ड वेलेजली जब भारत में आया तो उसके दिमाग में एक ही इरादा था कि भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को एक विशाल ब्रिटिश भारत साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया जाये। इसके लिए उसने जो सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तरीका अपनाया, उसे सहायक संधि की व्यवस्था के नाम से जाना गया।

(ii) उनका उद्देश्य यह भी था कि भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति तथा प्रभाव क्षेत्र तो बढ़े लेकिन उसका खर्चा यथासंभव न बढ़े।

(iii) लार्ड वेलेजली यह भी जानता था कि अन्य यूरोपीय शक्तियाँ विशेषकर फ्रांस अंग्रेजी साम्राज्य के लिए भारत में खतरा बन सकती है। इसलिए यथासंभव सभी विदेशी शक्तियों को देशी राज्यों से दूर ही रखा जाये। उपर्युक्त उद्देश्यों के अनुरूप ही सहायक संधि थी (इसका उल्लेख नीचे दिए गये, सहायक संधि व्यवस्था से जुड़े सिद्धांत, पूर्णतया स्पष्ट कर देंगे।)

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

II. सिद्धांत (Principles) :

  • भास्तीय शासक अंग्रेजी सेना की एक टुकड़ी अपने प्रदेश में रखेंगे जिसके खर्च के लिए वे धन या कुछ प्रदेश अंग्रेजों को देंगे।
  • सहायक संधि मानने वाले शासक अंग्रेजों की आज्ञा के बिना किसी और शक्ति के साथ न संधि करेंगे और न ही युद्ध की घोषणा करेंगे।
  • वे अन्य किसी यूरोपीय देश के लोगों को अपने यहाँ नौकर नहीं रखेंगे।
  • अपने दरबार में वे एक अंग्रेज रेजीडेंट रखेंगे।
  • यदि सहायक संधि मानने वाले दो शासकों में कोई मतभेद हो जाए तो अंग्रेजों को पंच मानकर वे उनका निर्णय स्वीकार करेंगे।
  • वे अंग्रेजों को भारत में सर्वोच्च शक्ति मानेंगे।
  • इन सब शर्तों को मानने वालों की आंतरिक व बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।

प्रश्न 3.
भारतीय राज्यों को अंग्रेजों द्वारा अपने साम्राज्य में विलय करने से सर्वधारण लोगों के आर्थिक जीवन पर कैसे प्रभाव पड़े थे?
उत्तर:
(i) भारतीय राज्यों को अंग्रेजों द्वारा हड़प लेने से सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव बड़े-बड़े सैनिक एवं गैर-सैनिक कर्मचारियों पर पड़ा। अनेक सैनिकों तथा गैर-सैनिक कर्मचारियों तथा नौकरों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। वे बेरोजगार हो गये।

(ii) अनेक राज्यों में कंपनी ने पुराने जमींदारों को बर्बाद कर दिया। उनकी जमींदारियाँ छीन ली गईं। इजारेदारी प्रथा के अंतर्गत कई व्यापारी, सूदखोर तथा सौदागर नये जमींदार बन गये। ये नये जमींदार शहरों में रहते थे। पुराने जमींदारों की तरह उनके खेत मजदूरों तथा छोटे किसानों से संबंध नहीं रहे। कंपनी की कठोर नीतियों, कर्मचारियों के स्वार्थों, वाणिज्य समर्थक नीतियों तथा फसलों ने किसानों के जीवन पर बुरा प्रभाव डाला। भारतीय खेती पिछड़ गयी। बार-बार अकाल पड़ने लगे। लोग समय से पहले ही मरने लगे।

(iii) जो शिल्पकार, कलाकार, इतिहासकार, संगीतकार, मूर्तिकार मुगल दरबार तथा प्रांतीय राज्यों की राजधानियों में शरण तथा राजा का समर्थन पाये थे वे सब दरबारों से निकाल दिए गये। उनकी आय तथा सम्मान को ठेस लगी।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है Class 8 HBSE Notes

1. अंतिम शक्तिशाली मुगल शासक : औरंगजेब।

2. औरंगजेब की मृत्यु हुई थी : 1707 में।

3. सूबेदार (Subedars) : प्रांतों में मुगल गवर्नर।

4. वह शक्ति जो भारत में 18वीं शताब्दी के दूसरे अर्ध भाग में उभरी थी : अंग्रेजों की शक्ति।

5. अंतिम मुगल शासक : बहादुरशाह जफर।

6. वाणिज्यवाद (Mercantile) : उद्यम एवं वाणिज्य जो मुख्यतया व्यापार के माध्यम से मुनाफ़ा अर्जित करता है। इसके अंतर्गत चीजें सस्ते दामों पर खरीदी जाती हैं तथा ऊँचा लाभ अर्जित करके उन्हें बेच दिया जाता है।

7. ईस्ट इंडिया कंपनी को स्थापित किया गया था : 1600 में।

8. चार्टर (Charter) या अनुमति पत्र : एक लाइसेंस अथवा लिखित आदेश या आधिपत्य जो महारानी एलिजाबेथ प्रथम (Queen Elizabeth I) के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व (अर्थात् पूर्वी गोलार्द्ध) के देशों के साथ व्यापार करने के लिए दिया गया था।

9. केप ऑफ गुड होप (आशा अंतरीप) (Cape of Good Hope) : अफ्रीका (महाद्वीप) का पश्चिमी समुद्री किनारा, इस नाम से जाना जाता है।

10. भारत में पुर्तगाली बस्तियाँ : गोआ (याद रहे वर्तमान, दमन तथा दियू भी गोआ के हिस्से थे।)

11. वास्को-डि-गामा (Vasco Da-Gama) : पुर्तगाल का प्रथम सफल साहसी समुद्री यात्री जो सन् 1498 में भारत के लिए समुद्री मार्ग खोजने में सफल रहा था।

12. डच (Dutch) : हालैंड (अब नीदरलैंड) के निवासी डच कहलाते हैं।

13. 18वीं शताब्दी में भारत से निर्यात होने वाली मदें (Export Items of India in 18th Century):

  • कपास
  • रेशम
  • काली मिर्च
  • लौंग
  • इलायची
  • दालचीनी।

14. फैक्टरी (Factory) : कंपनी का वह आधार (शिविर) जहाँ से व्यापारीगण अपनी व्यापारिक गतिविधियाँ चलाया करते थे, उसे फैक्टरी कहा जाता था। वस्तुतः ‘फैक्टर’ शब्द से फैक्टरी बना है, जो कंपनी के कारिन्दों तथा कर्मचारियों आदि के लिए – प्रयोग होता था। यह कोई आधुनिक कारखाना नहीं था, अपितु इसमें गोदाम तथा कुछ लोगों के निवास स्थान आदि भी होते थे।

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15. फरमान (Farman) : शाही हुक्मनामा। मुगल सम्राट ईस्ट इंडिया कंपनी आदि को जो शाही चार्टर या अनुमति पत्र जारी करते थे वह फरमान कहलाता था।

16. मुर्शिद कुली खान : बंगाल का नवाब।

17. कठपुतली (Puppet) : शाब्दिक अर्थ एक ऐसा खिलौना जिसे रस्सी की मदद से उंगलियों पर नचाया जा सकता है। प्रायः राजनीतिक/प्रशासनिक क्षेत्र में यह शब्द उसके लिए प्रयोग किया जाता है जिसे कोई और व्यक्ति पीछे से वस्तुतः नियंत्रित करता है।

18. अलीवर्दी खाँ की मृत्यु : बंगाल का नवाब। सिराजुद्दौला से पूर्व बंगाल का नवाब तथा उसका नाना था। उसकी मृत्यु 1756 में हुई थी।

19. प्लासी की लड़ाई : 1757

20. रॉबर्ट क्लाइव (Robert Clive) : जिसने प्लासी की लड़ाई में सिराजुद्दौला के विरुद्ध कंपनी की सेनाओं का नेतत्व किया . था। प्रायः उसे ही भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है।

21. मीर जाफर (Mir Zafar) : उसे उसके विरोधी इतिहास में दूसरा जयचंद या राज्यद्रोही मानते हैं। प्लासी की लड़ाई में उसने सिराजुद्दौला को पराजित होने में भूमिका निभायी। उसने बाद में सिराजुद्दौला की हत्या की। कंपनी ने उसे बंगाल का नवाब बनाया।

22. मीर कासिम (Mir gasim) : मीर जाफर का रिश्तेदार। मीर जाफ़र को गद्दी से उतार कर मीर कासिम को ही ईस्ट इंडिया कम्पनी ने बंगाल का नवाब बनाया था।

23. बक्सर की लड़ाई (Battle of Buxar) : 1764

24. दीवानी (Diwani) : राज्य का राजस्व एकत्र करने वाला विभाग।

25. नवाब (Nabobs) : भारत से लौटने वाले ईस्ट इंडिया कम्पनी के वे अधिकारी जो यहाँ पर्याप्त धन अर्जित करके प्रायः भारतीय – नवाबों के ठाठ-बाट का जीवन निर्वाह करते थे। यह शब्द उन्हें चिढ़ाने के लिए या उन पर कटाक्ष करने के लिए, कहा जाता था।

26. राबर्ट क्लाइव (Robert Clive) मद्रास में आया : 1743

27. क्लाइव ने अंततः भारत छोड़ दिया : 1767

28. राबर्ट क्लाइव ने आत्महत्या की थी : 1774

29. वह कालांश या समय का विस्तार (Span of time) जो ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने शासन विस्तार में लगाया : 1757 से 1857 तक।

30. शास्त्र की आज्ञा या कमाण्ड (Injunction) : निर्देश-आदेश (Instruction)।

31. समर्पण करना (Subservience) : हथियार डालना मा हार मानना (Submission)

32. मैसूर का शेर (The Tiger of Mysore) : टीपू सुल्तान को ‘मैसूर का शेर’ कहा गया है।

33. परिसंघ (Confederacy) : गठबंधन (Alliance)।

34. चौथ (Chauth) : यह वह अतिरिक्त कर था जो मराठा अपने भू-भाग से बाहर वाले क्षेत्रों से लेते थे। चूँकि यह मुगल साम्राज्य को दिये जाने वाले भू-राजस्व का एक चौथाई होता था इसलिए इसे चौथ (Chauth) कहा जाता था।

35. सरदेशमुखी (Sardeshmukhi) : मराठों द्वारा सभी से लिया जाने वाला अतिरिक्त कर (या दूसरा कर) जो भूराजस्व का 1/10 भाग होता था।

36. स्वराज्य (Swarajya) : महाराष्ट्र का वह क्षेत्र जहाँ शिवाजी ने अपना राज्य स्थापित किया था।

37. मिसल (Mist) : सिखों की राजनीतिक इकाई। इसके निवासी विशेष करके अपने ही नेता के प्रति वफादार होते थे।

38. तुरानी (Turanis) : वह अमीर लोग (nobles) या कुलीन लोग जिनकी मूलतः उत्पत्ति ट्रांस-ओसियाना नामक क्षेत्र में, मध्य एशिया में हुई थी।

39. इजारेदार (Ijaredars) : वे बड़े ठेकेदार या किसान जो छोटे खेतिहार किसानों से राजस्व इकट्ठा करने का अधिकार रखते थे।

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40. सहायक व्यवस्था (Subsidiary System) : गठबंधन या संगठन बनाने की वह विधि जो भारत में अंग्रेजों ने देशी राज्यों में अपने प्रभुत्व को फैलाने के लिए बनायी थी। यद्यपि खुले तौर पर उस राज्य को कंपनी के भू-क्षेत्र में मिलाया नहीं जाता था। लेकिन कुछ शर्तों पर उसे (भारतीय राज्य या नबाव को) हस्ताक्षर करने होते थे। वह अपनी बाह्य नीति एक तरह से कंपनी के पूर्ण प्रभाव में छोड़ देता था। बदले में कंपनी उसे रक्षा करने में सहायता देने का वचन देती थी।

41. गोद-निषेध का सिद्धांत (Doctrine of Lapse) : जब कोई भारतीय राज्य अपना स्वाभाविक उत्तराधिकारी छोड़े बिना ही मर जाता था तो इस सिद्धांत के अंतर्गत कंपनी उसके राज्य को हड़प कर अपने भू-भाग में मिला लेती थी।

42. सर्वोच्चता की नीति या सिद्धांत (Paramountcy) : भारतीय राज्यों पर अपने वर्चस्व या प्रभुसत्ता को मनवा लेने की प्रवृत्ति .. या नीति अथवा सिद्धांत।

43. खालसा (Khalsa) : वे लोग जो विचारों तथा कर्मों से शुद्ध हों। इसे सन् 1699 में दसवें गुरू गोविंद सिंह जी महाराज ने स्थापित किया था। उनके शिष्यों एवं सिक्ख धर्म के अनुयायियों के लिए इस संज्ञा का प्रयोग किया जाता है।

44. प्रायद्वीप (Peninsula) : भूमि का वह क्षेत्र जो तीन ओर से पानी से घिरा हुआ होता है। जैसे भारत एक प्रायद्वीप है।

45. काजी (pasi) : एक मुस्लिम न्यायाधीश। 46. मुफ्ती (Mufti) : जों कानून काजी निर्देशित करता है उसे लागू कराने की जिम्मेदारी मुफ्ती (Mufti) नामक न्याय संबंधी पदाधिकारी की होती है। उसे मुस्लिम समुदाय का ज्यूरिस्ट (Jurist) कह सकते हैं।

47. महाभियोग (Impeachment) : किसी संवैधानिक पद पर बैठे विशिष्ट व्यक्ति (जज, वायसराय, गवर्नर जनरल आदि) के विरुद्ध देश की संसद में अभियोग या आरोप लगाकर उस पर चर्चा करना।

48. धर्मशास्त्र (Dharmashastras) : संस्कृत भाषा के वे ग्रंथ (धार्मिक ग्रंथ) जो सामाजिक कानूनों एवं व्यवहार संबंधी नियमावली (Codes of behaviour) तय करते हैं तथा जिनकी रचनाएँ 5000 ई. पू.एवं उसके बाद की गयी थी।

49. सवार (Sawar) : घोड़े की पीठ पर लड़ने (या चढ़कर कार्यरत होने वाला) वाला व्यक्ति।

50. मस्केट (Musket) : पैदल सैनिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली बहुत भारी तोप।

51. मैचलॉक पुरानी प्रारंभिक तोप (Match lock) : प्रारंभिक समय की पुरानी किस्म की तोप जिसके मुँह में बारूद को माचिस (या मसाल) से आग लगा करके बारूद का प्रयोग किया जाता था।

52. मनसबदार (Mansabdar) : मुगल काल में प्रायः दोनों प्रकार के अधिकारियों दीवानी तथा फौजियों को पद या ओहदा दिया जाता था। जिसे पद या ओहदा प्राप्त होता था उसे मनसबदार कहते थे। यह 10 घुड़सवार की श्रेणी से लेकर 7000 और कभी-कभी राजकुमारों को 12000 घुड़सवारों पर नियंत्रण का भी दिया जाता था।

53. जजिया (Jariya) : एक प्रकार का कर जो कुछ धर्मान्ध शासकों द्वारा गैर-मुसलमानों पर थोपा गया।

54. निजाम (Nizam) : हैदराबाद के शासकों को दी गयी उपाधि।

55. पेशवा (Peshwa) : मराठा प्रशासन में एक अधिकारी को दिया गया पद (या सम्मान) जो प्रधान मंत्री के बराबर होता था।

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

HBSE 8th Class History ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 1.
निम्नलिखित के जोड़ बनाएँ:
(i) रैयत – (क) ग्राम-समूह
(ii) महाल – (ख) किसान
(iii) निज – (ग) रैयतों की जमीन पर खेती।
(iv) रैयती – (घ) बागान मालिकों की अपनी जमीन पर खेती
उत्तर:
(i) रैयत – (ख) किसान
(ii) महाल – (क) ग्राम-समूह
(iii) निज – (घ) बागान मालिकों की अपनी जमीन पर खेती
(iv) रैयती – (म) रैयतों की जमीन पर खेती।

ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना HBSE 8th Class History प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए.:
(क) यूरोप में वोड उत्पादकों को …………… से अपनी आमदनी में गिरावट का ख़तरा दिखाई देता था।
(ख) अठारहवीं सदी के आखिर में ब्रिटेन में नील की माँग ………….. के कारण बढ़ने लगी।
(ग) …………… की खोज से नील की अंतर्राष्ट्रीय मांग पर बुरा असर पड़ा।
(घ) चंपारण आंदोलन …………. के ख़िलाफ़ था।
उत्तर:
(क) नील
(ख) औद्योगिक क्रांति
(ग) वोड (Woad)
(घ) नील-बागान मालिकों।

आइए विचार करें

ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना Class 8 HBSE History प्रश्न 3.
स्थायी बंदोबस्त के मुख्य पहलुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्थायी बंदोबस्त को 22 मार्च, 1773 में लार्ड कार्नवालिस द्वारा बंगाल (बिहार तथा उड़ीसा सहित) में शुरू – किया गया। इसकी तीन प्रमुख विशेषताएँ या पहलू निम्नलिखित हैं –
(i) प्रथम, जमींदारों व लगान वसूल करने वालों को पहले की भाँति अब केवल मात्र मालगुजारी वसूल करने वाले कर्मचारी के स्थान पर उन्हें हमेशा के लिए जमीन का मालिक बना दिया गया तथा स्थायी तौर पर एक ऐसी राशि तय कर दी गई जो वे सरकार को दे सकें। जमींदारों के स्वामित्व के अधिकार को पैतृक व हस्तांतरणीय बना दिया गया।

(ii) दूसरी ओर किसानों को मात्र रैयतों का नीचा दर्जा दिया गया तथा उनसे भूमि संबंधी अन्य परंपरागत अधिकारों को छीन लिया गया।

(iii) तीसरा, अगर किसी जमींदार से प्राप्त लगान की रकम, कृषि-सुधार अथवा प्रसार या किसानों से अधिक रकम उगाहने के कारण राजस्व की रकम बढ़ जाती तो जमींदार को बढ़ी हुई रकम रखने का अधिकार दे दिया गया।

(iv) स्थायी बंदोबस्त से सबसे अधिक हानियाँ किसानों को हुईं। इस व्यवस्था ने उनसे परंपरागत भूमि संबंधी व अन्य अधिकार छीन लिए। इस व्यवस्था के कारण बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मद्रास के उत्तरी जिलों, वाराणसी जिले इत्यादि के किसान पूर्णतया जमींदारों की दया पर निर्भर हो गए। वे अपनी जमीन पर ही मजदूरों के रूप में काम करने वालों की स्थिति में आ गए। उनका सरकार के साथ कोई सीधा संबंध नहीं रह गया। उन्हें जमींदारों के अनेक प्रकार के अत्याचार व शोषण सहना पड़ा।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 4.
महालवारी व्यवस्था स्थायी बंदोबस्त के मुकाबले कैसे अलग थी?
उत्तर:
महालवारी व्यवस्था (Mahalwari System):
(i) गंगा के दोआब, पश्चिमोत्तर प्रान्त, मध्य भारत के कुछ भागों और पंजाब में जमींदारी प्रथा का संशोधित रूप लागू किया गया जिसे महालवारी व्यवस्था कहा जाता है।

(ii) इस व्यवस्था में मालगुजारी का बंदोबस्त महालों या अलग-अलग गाँवों के समूहों के आधार पर उन जमींदारों अथवा उन परिवारों के मुखियाओं के साथ किया गया, जो सामूहिक रूप से उन गाँवों अथवा महाल का भू-स्वामी होने का दावा करते थे।

(iii) पंजाब में ग्राम सभा के नाम से जानी जाने वाली एक संशोधित मालगुजारी का समय-समय पर पुनर्निर्धारण किया जाता था।

भिन्नता के बिंदु:
(i) स्थायी बन्दोबस्त में तीस वर्ष से पहले लगान नहीं बढ़ाया जा सकता था। इस प्रथा में किसानों तथा सरकार नहीं बल्कि स्थायी जमींदारों तथा कंपनी का संबंध था।

(ii) महालवारी बाद में शुरू किया गया था। यह 1822 से प्रभावी हुआ जबकि स्थायी बंदोबस्त सन् 1793 से ही शुरू हो गया था।

(iii) महालवारी में एक महाल या गाँव को महत्त्वपूर्ण इकाई | माना गया जबकि स्थायी बंदोबस्त में पूरी जमींदारी को। इससे एक ही गाँव या कभी-कभी कई गाँव भी हो सकते थे।

प्रश्न 5.
राजस्व निर्धारण की नयी मुनरो व्यवस्था के कारण पैदा हुई दो समस्याएँ बताइए।
उत्तर:
राजस्व निर्धारण की मुनरो व्यवस्था तथा उससे उत्पन्न समस्याएँ:
(i) मुनरो की नयी भू-राजस्व व्यवस्था रैयतवारी कहलाती थी। इस व्यवस्था का उद्देश्य स्थायी बंदोबस्त से होने वाली (सरकार को) हानियों को रोकना तथा भू-राजस्व वृद्धि के माध्यम से स्वयं ज्यादा-से-ज्यादा राशि वसूल करना था। यह व्यवस्था इसलिए भी शुरू की गई क्योंकि कंपनी के कुछ अधिकारियों का विचार था कि दक्षिण तथा दक्षिण पश्चिम भारत में इतने बड़े जमींदार नहीं हैं जिनके साथ स्थायी रूप से भू-राजस्व संबंधी अनुबंध किये जा सकते।

कहने को रैयतवारी व्यवस्था किसानों के लिए लाभकारी थी तथा यह भारत की परिस्थितियों एवं परंपराओं के अनुकूल थी लेकिन व्यावहारिक रूप में यह व्यवस्था भी किसानों के लिए जमींदारी प्रथा से कम हानिकारक नहीं थी। रैयतवारी व्यवस्था में वस्तुत: जमींदारों का स्थान स्वयं कंपनी ने ले लिया था। कई बार इस व्यवस्था के अंतर्गत भी किसानों से अलग-अलग समझौते कर लिये जाते थे। मालगुजारी का निर्धारण वास्तविक उपज की मत्रा को ध्यान में न रख करके भूमि के कुल क्षेत्रफल (Area) के आधार पर किया जाता था।

(ii) रैयतवारी व्यवस्था ने उन पुराने बंधनों को भी समाप्त कर दिया जिन्होंने हर गाँव की जनता को सूत्र में बाँध रखा था। ग्रामीण समाज के सामाजिक स्वामित्व को इस व्यवस्था ने समाप्त कर दिया। सरकार ने किसानों से मनमाना लगान वसूल किया। कई बार उन्हें भूमि जोतने तथा बोने के लिए विवश किया गया।

इस व्यवस्था में किसान तब तक ही भूमि का स्वामी बना रह सकता था जब तक वह सरकार को निश्चित समय तक लगान देता रहता था। चूँकि अधिकांश क्षेत्रों में लगान उपज का करीब पचास प्रतिशत होता था इसलिए प्राकृतिक विपत्तियों और भू-सुधारों के प्रति सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण किसान लगान नहीं दे पाते थे। इसलिए वे भूमि छोड़कर भाग जाते थे। सरकारी कर्मचारी भी कई किसानों को तंग करते थे।

प्रश्न 6.
रैयत नील की खेती से क्यों कतरा रहे थे?
उत्तर:
(i) नील की खेती से कृषि का वाणिज्यीकरण हुआ और अनेक किसानों को अपने तथा परिवारजनों के लिए आवश्यक खाद्यान्नों का अभाव महसूस होने लगा।

(ii) मार्च 1899 में बंगाल के हजारों किसानों ने नील उगाने से इंकार कर दिया क्योंकि नील बागानों की प्रणाली बहुत ही शोषणपूर्ण थी। लागत तथा परिश्रम बहुत था लेकिन नील की कीमत कंपनी के मुनाफा खोर अधिकारीगण ही तय किया करते थे।

(iii) नील उगाने वाले छोटे-छोटे किसानों को यह भरोसा था कि वे जो कंपनी तथा अंग्रेज सौदागरों के विरुद्ध विद्रोह कर रहे हैं उसमें उनका साथ देने के लिए बंगाल के स्थानीय जमींदार भी हैं। गाँव के मुखिया भी बागान मालिकों के विरुद्ध हैं।

(iv) अनेक गाँवों में चौधरी तथा गाँव के मुखिया जिन्हें कंपनी के अधिकारीगण नील लेन-देन के समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर रहे थे उन्होंने गाँव के नील कृषकों को इकट्ठा किया तथा लठैतों की मदद से अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाइयों के मोर्चे खोल दिए।

(v) अन्य अनेक स्थानों पर स्वयं जमींदार घूम-घूम कर गाँवों में गये तथा उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध नील की खेती करने वाले किसानों को विद्रोह करने के लिए उकसाया। ये जमींदार यूरोपीय बागान मालिकों की बढ़ती हुई शक्ति के अप्रसन्न थे। वे इस बात से भी क्रोधित थे क्योंकि विदेशी बागान मालिक उनसे लंबी-लंबी अवधि के लिए समझौते करने के लिए मजबूर कर रहे थे।

प्रश्न 7.
किन परिस्थितियों में बंगाल में नील का उत्पादन धराशायी हो गया?.
उत्तर:
वे परिस्थितियाँ जिन्होंने अंततः में बंगाल में नील के उत्पादन को धराशायी कर दियाः जे.पी.एच. ऑल-इन-वन सफलता का साधन-VIII (नया कोर्स)
(i) मार्च, 1859 में हजारों किसानों ने बंगाल में नील की खेती | करने से साफ इंकार कर दिया। जैसे-जैसे विप्लव फैलता गया, किसानों ने बागान मालिकों को राजस्व देने से भी मना कर दिया। उन्होंने तलवारें, ढालों, तीर और कमान उठा करके नील की फैक्ट्रियों पर धावे बोल दिए। औरतें भी रसोई के उपकरणों, घड़ों तथा कड़ाहियों आदि को लेकर लड़ने के लिए बाहर आ गयीं।

(ii) जो भी बागान मालिकों के लिए काम कर रहे थे उन्हें सामाजिक तौर पर बहिष्कार का सामना करना पड़ा। जो गुमाश्ता-एजेन्टस बागान मालिकों के लिए इकट्ठा करने आये थे उन्हें पीटा गया। रैयतों ने शपथ ली कि वे अब भविष्य में नील उगाने के लिए अग्रिम राशि (एडवांस) नहीं लेंगे तथा लोहारों व बढ़इयों ने कस्में खाई कि वे बागान मालिकों के लठैतों के लिए हथियार या लाठियों का निर्माण नहीं करेंगे। उन्हें ये हथियार बिल्कुल भी नहीं बेचेंगे।

(iii) विद्रोहियों की गतिविधियों से चिन्तित होकर, सरकार यूरोपीय बागान मालिकों को उनके क्रोध से बचाने के लिए, आगे आई। उसने एक नील आयोग (Indigo Commission) का गठन किया तथा उसे नील की व्यवस्था में जाँच-पड़ताल की जिम्मेदारी सौंपी गयी। इस आयोग ने नील बागानों को दोषी पाया तथा उनके द्वारा नील बोने वालों के विरुद्ध जो घटिया किस्म के तरीके अपनाये गए थे उनके लिए उन्हें बहुत ही डाँटा तथा लताड़ा। आयोग ने घोषित कर दिया कि रैयतों के लिए नील की खेती लाभकारी नहीं है। उसने (कमीशन ने) किसानों से कहा कि वे अपने पहले के समझौते (Contracts) के अनुसार करें तथा भविष्य में वे नील की खेती करने से इंकार करने की पूरी आजादी रखते हैं।

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आइए करके देखें

प्रश्न 8.
चंपारण आंदोलन और उसमें महात्मा गांधी की भूमिका के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठा करें।
उत्तर:
चंपारण आंदोलन एवं महात्मा गाँधी : देश के अनेक भागों में किसानों ने नील की खेती न करने का आंदोलन जारी रखा था। यद्यपि नील आयोग ने किसानों की कठिनाइयों को मान लिया था लेकिन नील बागानों के यूरोपीय मालिक उनका शोषण करते रहे। नील के किसानों ने गाँधी जी को चंपारण बुलाया। महात्मा गाँधी ने चंपारण (बिहार) में सन् 1917 ई. में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग नील की खेती में लगे किसानों पर किये जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध किया। चंपारण में अंग्रेज उद्योगपति नील के बागानों में खेती कराते थे।

अंग्रेज भू-स्वामी काश्तकारों एवं किसानों पर घोर अत्याचार किया करते थे। गाँधी जी ने स्थिति को देखकर सरकार पर दबाव डाला कि वे किसानों की मजदूरी – बढ़ायें तथा उनकी सभी उचित माँगों को तुरंत मान लें। सरकार को गाँधी जी की हठकर्मी के समक्ष झुकना पड़ा। उसने एक समिति गठित की। गाँधी जी भी इस समिति के एक सदस्य थे। गाँधी जी ने सरकार से सिफारिश की कि वह किसानों की कठिनाइयों को तुरंत दूर करे। भारत में उनका यह सत्याग्रह का सफल प्रयोग था। उनके इस प्रयास से राष्ट्रीय आंदोलन ग्रामीण क्षेत्र में फैलता चला गया।

प्रश्न 9.
भारत के शुरुआती चाय या कॉफी बागानों का इतिहास देखें। ध्यान दें कि इन बागानों में काम करने वाले मज़दूरों और नील के बागानों में काम करने वाले मजदूरों के जीवन में क्या समानताएँ या फर्क थे।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें। “आइए कल्पना करें।

प्रश्न 10.
एक किसान को नील की खेती के लिए मजबूर किया जा रहा है। बागान मालिक और उस किसान के बीच बातचीत की कल्पना कीजिए। किसान को राजी करने के लिए बग़ान मालिक क्या कारण बताएगा? किसान किन समस्याओं का ज़िक्र करेगा? इस बातचीत को अभिनय के ज़रिए दिखाएँ।
उत्तर:
(i) किसानों ने बागान मालिक से कहा आप हम लोगों को समझौते के कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर क्यों कर रहे हैं ? देखिए नील की खेती करना हमारे लिए बिल्कुल भी लाभदायक नहीं है। हम ऐसा करना नहीं चाहते।

(ii) दूसरी बात यह है कि कोई भी समझौता सदैव दोनों पार्टियों के आपसी रजामंदी तथा शर्तों एवं तर्कों पर होना चाहिए। यह किसानों के लिए उपयोगी होना चाहिए। यदि मुझे नील की खेती के लिए विवश करने में आप लोग सफल हो जायें तो मुझे भी पर्याप्त मुद्रा मेरे श्रम के बदले में मिले। वह राशि अन्य परिवारजनों के लिए भी पर्याप्त होनी चाहिए।

(iii) मुझे रहने के लिए पर्याप्त अच्छा घर मिलना ही चाहिए। श्रमिकों के लिए अस्पताल होना चाहिए। सभी श्रमिकों को चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ मिलनी चाहिए। हमारी बस्ती के समीप ही एक स्कूल होना चाहिए, जहाँ पर बच्चे अपनी शिक्षा ले सकें। मेरे काम के घंटे निर्धारित (fixed) होने चाहिए। हर शनिवार को हमें हमारे श्रम का वेतन तथा हमारे परिवार के सभी सदस्यों को मजदूरी मिलनी चाहिए।

(iv) भू-राजस्व जमींदारों से सीधे प्रत्यक्ष रूप से ही लिया जाना चाहिए। यदि आप मेरी शर्तों को नहीं मानते तो मैं नील की खेती नहीं करूँगा। यदि आप या आपके एजेन्ट मेरी शर्तों से सहमत होंगे तो मैं केवल एक या दो फसलों के लिए ही काम करूँगा।

(v) इसके बाद के काल या फसलों के लिए आपको कुछ और ज्यादा अनुकूल मेरी शर्ते माननी होंगी। उत्पादन की लागत एवं बिक्री या मूल्य दोनों पक्षों की पारंपरिक सहमति से ही तय होने चाहिए।

नोट : विद्यार्थी इस वाद-विवाद पर कक्षा में अभिनय कर सकते हैं।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

HBSE 8th Class History ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘मुक्त व्यापार’ पद के अर्थ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मुक्त व्यापार (Free Trade) : सरकार को व्यापार या उद्योग में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह ‘अहस्तक्षेप का सिद्धांत’ कहलाता है। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ (Adam Smith) ने 1776 ई. में किया था। उसका विचार था कि सरकार को न तो किसी प्रकार का आयात कर लगाना चाहिए और न ही व्यापार के संबंध में कोई कानून बनाने चाहिएँ।

प्रश्न 2.
पूँजीवाद पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
पूँजीवाद (Capitalism) : पूँजीवाद का जन्म औद्योगिक क्रांति के कारण हुआ। इस क्रांति से उत्पादन में वृद्धि हुई और बड़े-बड़े कारखानों के स्वामी पूँजीपति बन गये। कारखानों से होने वाला सारा लाभ उन्हीं की जेब में जाता था। मजदूरों को काम के बदले केवल थोड़ी-बहुत मजदूरी मिलती थी।

प्रश्न 3.
आर्थिक निष्कासन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
आर्थिक निष्कासन का अर्थ धन-दोहन से ही लिया जाता है। संपत्ति दोहन का अर्थ है भारत का धन (नकदी, बहुमूल्य पदार्थ, खनिज संपदा, कच्चा माल आदि) किसी न किसी तरह इंग्लैंड पहुँचाना तथा उसे भारत में न आने देना।

प्रश्न 4.
नवाब की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
ईस्ट इंडिया कंपनी के जो ऑफिसर भारत में ठाठ-बाट से भारतीय नवाबों की जीवनशैली का अनुसरण करते हुए रहते थे उन्हें भारत तथा इंग्लैंड में नवाब कहा जाता था। यह इंग्लैंड के लोग उन्हें चिढ़ाने के लिए कहते थे।

प्रश्न 5.
‘महाल’ पद की व्याख्या करें।
उत्तर:
महाल (Mahal) : अंग्रेजों के राजस्व रिकार्डों में ‘महाल’ शब्द का प्रयोग राजस्व सम्पदा के लिए प्रयोग किया गया। यह एक गाँव या गाँवों का समूह भी हो सकता था।

प्रश्न 6.
‘बागान’ पद की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
बागान (Plantation) : विशाल आकार के खेतों में मालिक प्रायः अनुबंधित मजदूरों से काम कराते थे। चाय या कॉफी, नील, तंबाकू आदि के बागान होते थे।

प्रश्न 7.
‘दास’ शब्द की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दास (Slave) : कोई भी एक व्यक्ति जिसका स्वामी कोई अन्य व्यक्ति होता है तथा वह उससे (गुलाम से) अपनी मर्जी अनुसार काम लेता है। उसे प्रायः मालिक के लिए काम करने के लिए विवश किया जाता है।

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प्रश्न 8.
‘बीघा’ पद की व्याख्या करें।
उत्तर:
भूमि की माप की एक इकाई बीघा कहलाती है। अंग्रेजी शासन से पूर्व, बीघा का आकार जगह-जगह पर भिन्न-भिन्न होता था। सबसे पहले बंगाल में अंग्रेजों ने इसका मानक (Standard) तय किया। इसे एकड़ का तीसरा हिस्सा मान लिया।

प्रश्न 9.
चार्टर एक्ट क्या थे?
उत्तर:

  • आज्ञापत्र (या प्रपत्रों) को चार्टर एक्ट कहा जाता है। सन् 1600 ई. में इंग्लैंड की महारानी एलीजाबेथ प्रथम द्वारा इसे जारी करके ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व के साथ व्यापार करने का एकाधिकार दिया गया।
  • 1813 के चार्टर एक्ट के अनुसार भारतीय व्यापार पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिकार समाप्त हो गया और सभी ब्रिटिश नागरिकों को भारत के साथ व्यापार करने की छूट दे दी गई।
  • चाय और चीन के साथ व्यापार करने पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिकार बना रहा।
  • भारत की सरकार तथा उसके राजस्व ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में ही बने रहे।
  • भारत में अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार भी कंपनी के ही हाथों में बना रहेगा। हर बीस वर्षों के बाद सन् 1853 तक ये एक्ट जारी होते रहे।

प्रश्न 10.
‘स्थायी बंदोबस्त’ पद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) : अंधाधुंध बोली देने वाले इजारेदारों के कारण इजारेदारी प्रथा (ठेकेदारी प्रथा) फेल हो गई। बंगाल, बिहार और उड़ीसा. की आर्थिक व्यवस्था बिगड़ गई थी। सर्वत्र दरिद्रता का राज्य था। अनेक स्थानों पर अकाल के कारण भुखमरी व्याप्त थी। 1779 जे.पी.एच. ऑल-इन-वन सफलता का साधन-VIII (नया कोर्स) ई. में गवर्नर-जनरल लार्ड कार्नवालिस ने कहा “कंपनी की एकतिहाई भूमि अब जंगल है तथा वहाँ पर जंगली जानवर ही बसते हैं।” एक लंबे विचार-विमर्श के बाद और बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल की स्वीकृति लेकर लार्ड कार्नवालिस ने 22 मार्च, 1793 ई. को बंगाल, बिहार और उड़ीसा और बाद में उत्तरी मद्रास के कुछ इलाकों के लिए इस्तमरी बंदोबस्त अथवा स्थायी भूमि बंदोबस्त लागू किया।

प्रश्न 11.
कार्नवालिस कौन था? उसका एक आर्थिक कार्य लिखिए।
उत्तर:
कार्नवालिस भारत में अंग्रेज गवर्नर-जनरल था। उसने 1793 में भारत में स्थायी बंदोबस्त बंगाल (बिहार तथा उड़ीसा सहित) में लागू किया था।

प्रश्न 12.
नील कहाँ पैदा किया जाता था ? भारत की इसके निर्यात की दृष्टि से क्या स्थिति थी?
उत्तर:

  • गहरा नीला रंग या नील को एक पौधे से पैदा किया जाता था। इसे विभिन्न तरह के सूती वस्त्रों को रंगने तथा वस्त्रों की छपाई के लिए प्रयोग किया जाता था। इसकी खेती बंगाल तथा बिहार में खूब होती थी।
  • 19वीं शताब्दी में भारत दुनिया भर में नील का निर्यात किया करता था। वस्तुत 13वीं शताब्दी से ही भारतीय नील इटली, फ्रांस एवं ब्रिटेन में कपड़े बनाने एवं रंगने में प्रयोग होता चला आ रहा था।

प्रश्न 13.
भारत में नील की खेती कैसे की जाती थी?
उत्तर:
भारत में नील की खेती की प्रमुख विधियाँ (Main Systems of Indigo cultivation in India) : भारत में नील की खेती करने की दो विधियाँ थीं जिन्हें निज (nij) तथा रैयती (Ryoti) कहते थे।
(क) निज प्रणाली में किसान उस भूमि में नील उगाते थे जिस पर उनका सीधा नियंत्रण होता था। यह भूमि या तो उसके द्वारा सीधे खरीदी जाती थी या वह उसे जमींदार से किराये पर लिया करता था। वह स्वयं ही किराये के मजदूर रखकर उस पर खेती कराता था।

(ख) रैयती प्रणाली के अंतर्गत, बागान मालिक किसानों को नील की खेती करने के लिए विवश करता था। वह उसे समझौतों पर (Contract) पर हस्ताक्षर करने के लिए समझौता पत्र (सट्टा-Satta agreement) पेश किया करता था।

प्रश्न 14.
वाट (VAT) पद की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
तरल (liquids) पदार्थों को रखने के लिए रोगन या रंग इसमें घोला जाता है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पदों/शब्दों का अर्थ बताइए।
(i) अकाल, (i) नील, (iii) व्यावसायिक अथवा नकदी फसलें, (iv) गिरवी रखना।
उत्तर:
(i) अकाल (Famine) : वह भयंकर समय जब किसी क्षेत्र में बहुत ज्यादा खाद्यान्न तथा चारे आदि की कमी हो जाये तथा मनुष्य एवं पशु भूख से मरने लगें या अन्यत्र अनाज/चारे वाली जगहों पर जाने के लिए विवश हो जायें।

(ii) नील (Indigo) : गहरा नीला रंग जो रंगाई के काम आता है।

(iii) व्यावसायिक फसलें/नकदी फसलें (Commercial Crops/Cash Crops) : जो फसलें बाजार में बेचने के लिए उगायी जाती हैं। चाय, काफी, नील, तंबाकू, कपास, जूट आदि व्यावसायिक या नकदी फसलें कहलाती हैं।

(iv) गिरवी रखना (Mortgage) : यदि किसी सूदखोर या ब्याज पर उधार देने वाले साहूकार एवं किसान में समझौता हो तथा कुछ रकम साहूकार से ब्याज पर लेने तथा शर्तनामे से वह वायदा करे कि यदि वह समय पर मूलधन तथा ब्याज नहीं चुकाएगा तब तक भूमि साहूकार के पास गिरवी रहेगी।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मुगल बादशाह द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल (बिहार तथा उड़ीसा सहित) की दीवानी दिए जाने (1765 में) का बंगाल के किसानों, शिल्पकारों एवं सामान्य लोगों पर अगले पाँच वर्षों तक क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
मुगल सम्राट शाहआलम द्वितीय के द्वारा इलाहाबाद की संधि द्वारा 1765 में कंपनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी (राजस्व वसूल का अधिकार) दे दी गई। इसके अगले पाँच वर्षों (अर्थात् 1765 से 1770 तक) में कई अर्थों में बहुत ही हानिकारक प्रभाव पड़े :
(i) कंपनी ने ज्यादा से ज्यादा राजस्व की रकम वसूल कर के लिए नीलामी की व्यवस्था को शुरू किया। इजारेदारों ने भू-राजस्व की अधिकतम रकम वसूल की। उन्हें कंपनी के कारिन्दे तथा गुमाश्ते मदद करते थे। किसान गरीब से और भी जयादा गरीब हो गया। जितनी भू-राजस्व की रकम की माँग उससे की जाती थी वे भुगतान नहीं कर सकते थे। कई बार उन्होंने भूमि गिरवी रखकर साहूकारों से ऊँची ब्याज पर कर्जे लिए।

(ii) शिल्पकारों को भी बर्बाद होना पड़ा। कंपनी के दलाल उन्हें अच्छी कपास खरीदने नहीं देते थे। वे उनसे कपास के ज्यादा मूल्य वसूल करते थे। बंगाल के नवाब शिल्पकारों को कई तरह से मदद तथा संरक्षण देते थे। कंपनी ने उनके प्रति भी शत्रुता की नीति अपनायी एवं व्यवहार किया। उन्हें कंपनी के द्वारा कम कीमतों पर उत्पाद बेचने के लिए कहा जाता था। कई शिल्पकार बंगाल से गाँव छोड़कर भाग गये।

प्रश्न 2.
रैयतवारी प्रणाली की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
रैयतवारी प्रणाली (Ryorwari System) : जिन प्रान्तों में कार्नवालिस द्वारा चालू की गयी स्थायी बंदोबस्त की व्यवस्था की गई थी वहाँ यह असफल रही थी इसलिए कंपनी ने बंबई और मद्रास प्रेसीडेंसियों में एक भिन्न प्रकार का भूराजस्व प्रबन्ध किया जिसको रैयतवारी व्यवस्था कहते थे। इसके अनुसार बंदोबस्त जमींदारों की अपेक्षा (ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा) सी किसानों के साथ किया गया। किसानों को भूमि का स्वामी स्वीक कर लिया गया जो सोधे सरकार को भूमि कर देने के लि उत्तरदायी थे। प्रत्येक गाँव की भूमि को माप कर भूमि मालिकों अधिकारों का पंजीकरण किया गया। भूमि कर की दर भूमि व उपजाऊ शक्ति के आधार पर निश्चित की गई जो साधारणतः 40 प्रतिशत से 55 प्रतिशत तक होती थी।

प्रश्न 3.
महालवारी व्यवस्था (या प्रणाली) की परिभार लिखिए।
उत्तर:
महालवारी व्यवस्था (या प्रणाली) (Mahalwa System) : आधुनिक उत्तर प्रदेश (उस समय यह यूनाइटे प्रोविन्स कहलाता था।) तथा मध्य भारत के कुछ भागों में ए अन्य भूमि कर प्रणाली की व्यवस्था की गई जिसे महालवा व्यवस्था कहा जाता था। शब्द ‘महाल’ का अर्थ है गाँव र प्रतिनिधि। इस प्रणाली के अनुसार बंदोबस्त गाँव के प्रतिनिधिर (जो कि छोटे-छोटे जमींदार होते थे और गाँव की अधिकतर भू के स्वामी होते थे) के साथ सामूहिक रूप से किया जाता था। सरकार को भूमि कर की निश्चित राशि देने के लिए जिम्मेदार हो थे। उनको गाँव से भूमि कर वसूल करने का अधिकार दिया जा था। लार्ड विलियम बैंटिक ने अपने शासनकाल में फिर से भू की माप करवाई और भूमि कर उपज का 1/3 से 1/2 भा निश्चित किया और यह बंदोबस्त 30 वर्ष के लिए कर दिया गय इससे कंपनी की आय में और अधिक वृद्धि हुई।

प्रश्न 4.
कंपनी ने यूरोप के लिए भारत में किन फसल की खेती करवाने की आवश्यकता महसूस की? इसके लि क्या किया गया?
उत्तर:
(i) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया का मूल उद्देश्य ज्यादा से ज्या मुनाफा कमाना था। इसके लिए उसने भारत में उन फसलों व खेती-बाड़ी किए जाने,पर जोर दिया जिनकी माँग यूरोपीय बाजा में थी। उदाहरण के लिए उसने अफीम एवं नील की अंतर्राष्ट्री माँग को देखकर 18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से ही इनकी खेती पर जोर दिया। लगभग 100 वर्ष के व्यतीत होने पर इंग्लैंड सहित अनेक यूरोपीय देशों में औद्योगिक क्रांति हो गई थी। वहाँ पटसन की वस्तुओं, चाय, कॉफी, चीनी, गेहूँ, कपास, चावल आदि की भी मांग उठने लगी।

(ii) ईस्ट इंडिया कंपनी ने अफीम की खेती राजस्थान के अनेक भागों में शुरू की थी। नील, बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा से उगाया गया। जो लोग नील की खेती करने से इंकार करते थे उन्हें इसके लिए विवश किया गया। उनके साथ या उनके जमींदारों के साथ लिखित समझौते किए गये। उन्हें अग्रिम धनराशियाँ भी दी गईं।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थायी बंदोबस्त के द्वारा विभिन्न लोगों के लिए उत्पन्न की गयी समस्याओं पर चर्चा कीजिए।
अथवा
निम्नलिखित पर स्थायी बन्दोबस्त के पड़े प्रभावों की चर्चा कीजिए:
(i) कंपनी पर
(ii) जमींदारों पर
(iii) भूमि या कृषि पर
(iv) किसानों (या काश्तकारों) पर।
उत्तर:
I. स्थायी बन्दोबस्त के दोष अथवा बुरे प्रभाव (Demerits of Permanent Settlement): कई लेखकों ने इस बंदोबस्त की बहुत आलोचना की है। होम्ज ने इसे ‘एक भयानक भूल’ बताया है।

(i) स्थायी बंदोबस्त से किसानों के हितों की रक्षा नहीं की गई। जमींदार भूमि से अधिक उपज लेने के लिए किसानों के साथ कठोर व्यवहार करने लगे। बब्रिज के अनुसार, “केवल जमींदारों के साथ बंदोबस्त करके सरकार ने एक भारी भूल एवं घोर अन्याय किया।”

(ii) सरकार को भूमिकर से होने वाली आय में वृद्धि की कोई आशा नहीं थी क्योंकि उसको मिलने वाली राशि तो पहले ही निश्चित हो चुकी थी।

(iii) धन की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने बंगाल और बिहार को छोड़कर अन्य प्रान्तों के लोगों पर कर लगाए जो सरासर एक अन्याय था।

(iv) स्थायी बंदोबस्त के कारण जमींदार आलसी हो गए और ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करने लगे।

(v) बंगाल में धनी जमींदार वर्ग और निर्धन वर्ग में आपसी विरोध बढ़ने लगा।

II. स्थायी बंदोबस्त के लाभ अथवा अच्छे प्रभाव (Merits of Permanent Settlement):
(i) इस बन्दोबस्त से कंपनी या सरकार की आय निश्चित हो गई। यदि जमींदार किसी कारणवश यह निश्चित राशि सरकार को न दे सके तो सरकार उनकी भूमि बेचकर यह राशि प्राप्त कर सकती थी।

(ii) सरकार को बार-बार बंदोबस्त करने की परेशानी से छुटकारा मिल गया।

(iii) क्योंकि स्थायी बंदोबस्त सरकार ने स्थापित किया था इसलिए जमींदार जिनको इससे लाभ पहुंचा था सरकार के स्वामिभक्त बन गए। उनमें अनेकों ने 1857 ई. के विद्रोह में सरकार का पूरा साथ दिया।

(iv) भूमि कर का स्थायी बंदोबस्त हो जाने से सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को लोक कल्याण के कामों के लिए अधिक समय मिलने लगा यद्यपि वे ऐसा करने में रुचि नहीं रखते थे।

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प्रश्न 2.
“रैयतों की जमीन पर नील की खेती” विषय पर एक लेख लिखिए।
अथवा
नील की खेती से जुड़ी रैयती व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं, समस्याओं आदि पर विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर:
I. रैयती व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ:
(i) रैयती व्यवस्था के तहत बागान मालिक रैयतों के साथ एक अनुबंध (सट्टा) करते थे। कई बार वे गाँव के मुखियाओं को भी रैयतों की तरफ से समझौता करने के लिए बाध्य कर देते थे।

(ii) जो अनुबंध पर दस्तखत कर देते थे उन्हें नील उगाने के लिए कम ब्याज दर पर बागान मालिकों से नकद कर्ज मिल जाता था।

(iii) कर्ज लेने वाले रैयत (कृषक) को अपनी कम से कम 25 प्रतिशत जमीन पर नील की खेती करनी होती थी।

II. नील की खेती से संबंधित रैयती व्यवस्था की समस्यायें :
(i) कों की समस्याएँ (Problems of loans) : जब कटाई के बाद फसल बागान मालिक को सौंप दी जाती थी तो रैयत को नया कर्ज मिल जाता था और वही चक्र दोबारा शुरू हो जाता था। जो किसान पहले इन कों से बहत आकर्षित थे उन्हें जल्दी ही समझ में आ गया कि यह व्यवस्था कितनी कठोर है। वह ऋण में जन्म लेता, ऋण में पलता तथा अपनी संतान के लिए ऋण छोड़ कर मर जाता था।

(ii) कम कीमत (Less Price) : उन्हें नील की जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम थी और कों का सिलसिला कभी खत्म ही नहीं होता था।

ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना Class 8 HBSE Notes

1. महाल (Mahal) : ब्रिटिश राजस्व रिकार्डों के अनुसार महल एक गाँव या संपदा (Estate) होता था जहाँ से राजस्व वसूल किया जाता था।

2. स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) : सन् 1793 में लार्ड कार्नवालिस द्वारा बंगाल(बिहार और उड़ीसा सहित) जो नयी स्थायी राजस्व भू-प्रणाली चालू की गयी थी, वह स्थायी बंदोबस्त कहलाती थी।

3. रैयतवाड़ी प्रणाली (Ryotwari System) : जो भू-राजस्व प्रणाली मद्रास तथा बंबई प्रेसीडेन्सियों में अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी, वह रैयत प्रणाली कहलाती थी। इस प्रणाली के अनुसार रैयत (अर्थात् किसान) सीधे सरकार को भू-राजस्व दिया करते थे।

4. चार्टर एक्ट (Charter Act) : इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने जो अनुमति पत्र देकर ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व (पूर्वी गोलार्द्ध में बसे देशों) से व्यापार का एकाधिकार दिया था, वह चार्टर एक्ट कहलाया। यह एक्ट प्रत्येक 20 वर्षों के बाद दोहराया जाता था।

5. बागान (Plantation) : एक बहुत बड़ा खेत जिसमें बागान स्वामी विभिन्न प्रकार के अनुबंधित मजदूरों की कई तरह के काम करने के लिए विवश करता था।

6. दास (Slave) : वह व्यक्ति जिसका स्वामी कोई अन्य व्यक्ति (जिसे प्रायः दास का स्वामी कहा जाता है) हो, दास कहलाता

7. बीघा (Bigha) : यह भूमि की एक माप है।

8. औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) : उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन के संगठन तथा तकनीक में बड़े पैमाने पर हुआ क्रांतिकारी परिवर्तन, जिसमें हर काम प्रायः मशीनों से होने लगा था।

9. नागरिक सेवाएँ (Civic Services) : भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन भू-भाग में प्रशासन चलाने वाले विभिन्न उच्च अधिकारी नागरिक सेवाओं की परीक्षाएँ पास किया करते थे। ये अधिकारी ही आई. सी. एस. (ICS) कहलाये।

10. वंशानुगत व्यवसाय (या धंधा) (Hereditary Profession) : वह व्यवसाय जो एक व्यक्ति अपने घर पर ही अपने अभिभावकों (Parents = माता-पिता) से सीखता है तथा वह उसे अपनी आजीविका अर्जन के लिए अपना लेता है।

11. तालुकदार (Taluqdar) : यहाँ तालुक एक भू-भाग की इकाई के लिए प्रयोग किया गया था। उस इकाई का स्वामी तालुकदार कहलाता था।

12. अमलाह (Amlah) : वह जमींदार का एक आफिसर होता था, जो राजस्व संकलन के वक्त गाँव में आता था।

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13. जोतदार (Jotedar) : कुछ क्षेत्रों में गाँव का मुखिया जोतदार कहलाता था। यह धनी किसान होते थे तथा जिनके पास काफी बड़े-बड़े भू-भाग हुआ करते थे। वे स्थानीय व्यापार तथा धन उगाही पर भी नियंत्रण रखते थे।

14. किस वर्ष अंग्रेजों ने बंगाल में अपनी सत्ता स्थापित की थी : 1757 से।

15. किस वर्ष मुगल सम्राट ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल का दीवान नियुक्त किया था : 1765

16. किस वर्ष रेगुलेटिंग एक्ट पास किया गया था : 1773

17. कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना किस वर्ष की गई थी? : 1774

18. किस वर्ष पिट्स इंडिया एक्ट पास किया गया था : 1784

19. किस वर्ष बंगाल रेगुलेशन एक्ट पास किया गया था : 1793

20. किस वर्ष राजा राम मोहन राय का जन्म हुआ था : 1774

21. किस वर्ष कलकत्ता तथा मद्रास शहरों की स्थापना की गई थी : 1781

22. किस वर्ष कलकत्ता में एशियाटिक सोसाइटी (Asiatic Society) की नींव रखी गई थी : 1784

23. किस वर्ष वनारस संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की गई थी : 1791.

24. किस वर्ष कार्नवालिस ने बंगाल में स्थायी बंदोबस्त लागू किया था : 1793

25. किस कालांश के मध्य ईस्ट इंडिया कंपनी ने मैसूर तथा कर्नाटक को अपने अधीन ले लिया था : 1799 से 1801 के मध्या

26. किस वर्ष कलकत्ता के हिन्दू कालेज की नींव रखी गई थी : 1817

27. डिरोजियो ने हिन्दू कालेज में एक अध्यापक के रूप में सेवा शुरू की थी : 1826

28. किस वर्ष सती प्रथा को अवैध घोषित किया गया था : 1829

29. किस वर्ष भारत में कंपनी प्रशासन को और अधिक केन्द्रीयकृत करने के लिए चार्टर एक्ट पास किया गया था: 1833

30. किस वर्ष अंग्रेजों ने पंजाब का हथिया लिया था : 1849

31. किस वर्ष तक कंपनी ने बंगाल से चीजें खरीदीं और उनकी कीमतें चुकाने के लिए ब्रिटेन से सोना और चाँदी लाती रही थी : 1765

32. किस वर्ष में एक भयंकर अकाल ने बंगाल के 10 मिलियन लोगों को मार दिया था : 1770

33. भारतवासियों ने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए बड़े पैमाने पर कब प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया था : 1857

34. किस वर्ष अंग्रेजी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाया गया था : 1885

35. यूरोप के लिए भारत में कौन-कौन सी फसलें तथा मुख्य रूप से कहाँ उगायी जाती थी:

  • जूट, बंगाल में।
  • चाय, असम में
  • गन्ना, संयुक्त प्रान्त में
  • गेहूँ, पंजाब में
  • कपास, महाराष्ट्र तथा पंजाब में
  • चावल, मद्रास में।

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