HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 2 व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

HBSE 8th Class History व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

व्यापार से साम्राज्य तक HBSE 8th Class History प्रश्न 1.
निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ ___________.
(क) दीवानी – (i) टीपू सुल्तान
(ख) “शेरे-ए-मैसूर” – (ii) भू-राजस्व वसूल करने का अधिकार
(ग) फौजीदारी अदालत – (iii) सिपॉय
(घ) रानी चेन्नम्मा – (iv) भारत का पहला गर्वनर जनरल
(ङ) सिपाही – (v) फौजदारी अदालत
(च) वॉरेन हेस्टिंग – (vi) कित्तूर में अंग्रेज-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया
उत्तर:
(क) दीवानी – (ii) भू-राजस्व वसूल करने का अधिकार
(ख) “शेरे-ए-मैसूर” – (i) टीपू सुल्तान
(ग) फौजदारी अदालत – (iv) फौजदारी न्यायालय
(घ) रानी चेन्नम्मा – (v) कित्तूर में अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन का नेतृत्व किया
(ङ) सिपाही – (iii) सिपॉय
(च) वॉरेन हेस्टिंग – (iv) भारत का पहला गर्वनर जनरल

Vyapar Se Samrajya Tak HBSE 8th Class History प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरें (Fill in the blanks):
(क) बंगाल पर अंग्रेजों की जीत …………………. की जंग से शुरू हुई थी।
(ख) हैदर अली और टीपू सुल्तान …………………… के शासक थे।
(ग) डलहौज़ी ने ………………….. का सिद्धांत लागू किया।
(घ) मराठा रियासतें मुख्य रूप से भारत के …………………. भाग में स्थित थीं।
उत्तर:
(क) प्लासी
(ख) मैसूर
(ग) गोद निषेध
(घ) दक्षिण।

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व्यापार से साम्राज्य तक Class 8 प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 3.
सही या गलत बताएँ:
(क) मुगल साम्राज्य अठारहवीं सदी में मजबूत होता गया।
(ख) इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के साथ व्यापार करने वाली एकमात्र यूरोपीय कंपनी थी।
(ग) महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के राजा थे।
(घ) अंग्रेजों ने अपने कब्जे वाले इलाकों में कोई शासकीय बदलाव नहीं किए।
उत्तर:
(क) असत्य
(ख) असत्य
(ग) सत्य
(घ) असत्य।

आइए विचार करें

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 4.
यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की तरफ क्यों आकर्षित हो रही थीं?
उत्तर:
यूरोपीय देशों में भारत की अनेक वस्तुओं की बड़ी भारी माँग थी जैसे कि कपास, रेशम, काली मिर्च, लौंग, इलायची, दालचीनी आदि। ये चीजें भारत से कम कीमतों पर खरीदी जा सकती थीं तथा बहुत अधिक कीमतों में यूरोपीय बाजारों में बेची जा सकती थीं। कंपनियाँ भारी मुनाफे कमा सकती थीं। इसी ने उन्हें भारत के साथ व्यापार करने को लालायित किया।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनीकी सत्ता स्थापित होती है HBSE 8th Class प्रश्न 5.
बंगाल के नवाबों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच किन बातों पर विवाद थे?
उत्तर:
(i) ईस्ट इंडिया कंपनी को जो भी विशेषाधिकार बंगाल के नवाबों ने दे रखे थे उनकी शर्तों को वे नहीं मानते थे तथा मनमाने ढंग से उनका अर्थ निकालते रहते थे। प्रायः वे और नई-नई सुविधाओं एवं विशेषाधिकारों की नवाबों से माँग करते रहते थे।

(ii) ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारीगण जो निजी व्यापार करते थे उनसे. आशा की जाती थी कि वे कर का भुगतान करें। उन्होंने ऐसा भुगतान करने से मना कर दिया जिसका अर्थ था बंगाल के लिए राजस्व का भारी नुकसान।

(iii) नवाबों ने कंपनी पर दोष आरोपित किये कि वह अपने अधिकारों का नाजायज प्रयोग कर रही है। उसके अधिकारीगण निजी व्यापार चोरी-छिपे करके बड़ी भारी चुंगी एवं कर की रकम न देकर बंगाल के खजाने को भारी आर्थिक हानि पहुंचा रहे हैं तथा वे नवाबों की शक्ति का गलत अंदाजा लगा करके उसे कम आंक रहे हैं।

यह करों का भुगतान करने से इन्कार करके, अपमानजनक पत्र लिखकर और वह अन्य तरह से भी नवाबों तथा उसके उच्च अधिकारियों का अपमान कर रही है, उनके साथ आपत्तिजनक दुर्व्यवहार कर रही है। अंत में हम यही कह सकते हैं कि अनेक कारणों से ईस्टं इंडिया कंपनी तथा बंगाल के नवाबों में टकराव हुए तथा अंततः इसकी परिणिति प्लासी की लड़ाई (1757)के रूप में देखी गई।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है HBSE 8th Class प्रश्न 6.
दीवानी मिलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को किस तरह फायदा पहुँचा?
उत्तर:
(i) इलाहाबाद की संधि (1765) से ईस्ट इंडिया कंपनी को सर्वाधिक बड़ा लाभ यह हुआ कि इसे बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा के भू-भागों से भू-राजस्व एकत्र करने का अधिकार मिल गया।

(ii) दीवानी ने ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल के विशाल राजस्व संसाधनों का प्रयोग करने की अनुमति दे दी। इससे कंपनी की उस बड़ी समस्या का समाधान हो गया जो पहले उसे झेलनी पड़ती थी।

(iii) 18वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के साथ व्यापार फैल चुका था। चूँकि उस समय तक ब्रिटेन में ऐसी कोई भी वस्तु उत्पादित नहीं होती थी जिसका वह भारत में इंग्लैंड से निर्यात करके धन कमाता इसलिए भारत से जितनी भी चीजें वह खरीदता था उसके लिए उसे इंग्लैंड से सोना तथा चाँदी लाकर ही भुगतान करना होता था।

(iv) प्लासी की लड़ाई में विजयी अंग्रेजों ने धीरे-धीरे इंग्लैंड से सोने-चाँदी का आयात कम कर दिया तथा बक्सर के युद्ध के बाद इलाहाबाद की संधि केवल जब उसे दीवानी प्राप्त हो गई तो उसने इसे पूरी तरह ही बंद कर दिया। अब जो भारत राजस्व इकट्ठा किया जाता था, वह रकम ही कंपनी को धन दे सकती थी तथा उसकी वित्तीय आवश्यकताएँ भारत में ही पूरी होने लगी।

(v) बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के राजस्व का भारत में कपास तथा रेशम एवं ऊन के बने कपड़े खरीदने में प्रयोग हो सकता था। उससे कंपनी अपने सेनाएँ रख सकती थी तथा जो भी कंपनी के किले तथा कार्यालय बनाने में लागत आती थी, उसे भी भू-राजस्व की रकम से पूरा किया जा सकता था।

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व्यापार से साम्राज्य तक के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 7.
ईस्ट इंडिया कंपनी टीपू सुल्तान को खतरा क्यों मानती थी?
उत्तर:
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी टीपू सुल्तान (मैसूर) को खतरा इसलिए मानती थी क्योंकि वह फ्रांसीसियों से सांठ-गाँठ कर रहा था। टीपू फ्रांस की क्रांति एवं नए विचारों से भी बहुत प्रभावित था। उन दिनों अंग्रेजों के सबसे बड़े यूरोपीय शत्रुओं में फ्रांसीसी ही नंबर वन थे। वे भारतीय उपनिवेशवाद में भी फ्रांसीसियों को अपने सबसे बड़े शत्रु मानते थे। टीपू वैसे भी आधुनिक विचारों तथा नव आविष्कारक था। वह तोपों तथा नौ-सेना के महत्त्व को भी खूब समझता था। व्यक्तिगत रूप से टीपू बहुत वीर था। एक कथा के अनुसार उसे टाइगर ऑफ मैसूर कहा जाता था।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता HBSE 8th Class History प्रश्न 8.
“सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।
उत्तर:
सहायक संधि (Subsidiary Alliance):
(i) यह वह प्रणाली (व्यवस्था) थी जिसे गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने ब्रिटिश भारत में शुरू किया ताकि देशी राज्यों के सभी महत्त्वपूर्ण कार्यकलापों तथा नीतियों आदि पर ब्रिटिश नियंत्रण को बढ़ाया जा सके। इस प्रणाली में अंग्रेजी सरकार भारतीय नरेशों से कुछ शर्तों को मनवाते हुए समझौता करती थी। वास्तव में उसके राज्य को कंपनी के भू-भाग (क्षेत्र) में विलय नहीं किया जाता था।

(ii) भारत में अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पाने के लिए लार्ड वेलेजली ने तीन विधियाँ अपनाई थीं-उनमें से ही एक था सहायक संधि का तरीका।

II सहायक संधि की शर्ते (Terms of Subsidiary Alliance):
(क) सहायक संधि के अंतर्गत एक शर्त के रूप में भारतीय राज्य के नरेश या शासक को अपने राज्य में ही एक कंपनी की सेना अपनी मदद के लिए रखनी होती थी तथा उसे बनाए रखने के लिए एक सहायता राशि उस राज्य को देनी पड़ती थी। यह सब कुछ संरक्षण के लिए किया जाता था लेकिन सच्चाई यह थी कि इस संधि के रूप में कंपनी को एक धनराशि कर के रूप में देनी पड़ती थी।

(ख) कभी-कभी भारतीय नरेश बजाय नगद राशि देने के वह अपने राज्य की कुछ भूमि या भू-भाग ही कंपनी को दे देता था।

(ग) देशी नरेश को अंग्रेजों की एक शर्त यह भी माननी पड़ती थी कि वह अपने दरबार में एक अंग्रेज अधिकारी रखेगा जो अंग्रेजी कंपनी का रेजिडेंट (British Resident) कहलाता था और इसे यह भी वायदा करना होता था कि वह किसी भी अन्य यूरोपीय को अपने राज्य में किसी भी पद पर नियुक्त नहीं करेगा। यदि उसे ऐसा करने के लिए विवश होना ही पड़े तो उसे अंग्रेजों से पूर्व अनुमति लेनी होगी।

(घ) उसे यह भी वायदा करना पड़ता था कि बिना अंग्रेजों की जानकारी के वह किसी भी भारतीय राजा/नवाब/ नरेश से किसी की तरह की कोई बातचीत नहीं करेगा। वह इसके लिए गवर्नर-जनरल से परामर्श करेगा।

(ङ) उपर्युक्त सभी शर्तों के बदले अंग्रेज उस राज्य की रक्षा करने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लेते थे। वे उसे वायदा करते थे कि वे उसे हर शत्रु (भारतीय या यूरोपीय) से उसकी प्रतिरक्षा करेंगे।

व्यापार से साम्राज्य तक Class 8 HBSE History प्रश्न 9.
कंपनी का शासन भारतीय राजाओं के शासन से किस तरह अलग था?
उत्तर:
(i) वारेन हेस्टिंग्ज (जो सन् 1773 से 1785 तक गवर्नर-जनरल के पद पर कार्यरत रहा) अनेक महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक था जिसने कंपनी की शक्ति विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था। उसके शासन काल में कंपनी ने न केवल (बंगाल जिसमें बिहार तथा उड़ीसा भी शामिल थे) अपनी शक्ति का प्रसार बंगाल प्रेसिडेंसी तक ही किया बल्कि बंबई तथा मद्रास तक भी कंपनी का प्रभाव तथा शक्ति को फैलाया। अंग्रेजों के अधीन जो भू-भाग या क्षेत्र थे वे मोटे तौर पर प्रशासनिक दृष्टि से तीन भागों में विभाजित था जो प्रेसिडेंसियों (Presidencies) कहलाती थीं-बंगाल, मद्रास तथा बंबई। प्रत्येक पर एक गवर्नर राज्य करता था। सन् 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट ने बंगाल प्रेसीडेंसी के गवर्नर को गवर्नर-जनरल का पद दे दिया तथा वह भारत में सभी क्षेत्रों का सर्वोच्च अधिकारी बन गया। इस तरह वारेन हेस्टिंग्ज प्रथम अंग्रेज गवर्नर-जनरल बन गया। उसने प्रशासनिक क्षेत्र में अनेक सुधार किये जिनमें सबसे ध्यान देने योग्य न्याय के क्षेत्र में थे।

(ii) 1772 से एक नयी न्याय प्रणाली की स्थापना कर दी गई – थी। हर जिले में दो तरह के न्यायालय (या अदालतें) स्थापित कर दी गयी थीं-(i) दीवानी अदालतें तथा (ii) फौजदारी अदालतें। दीवानी न्यायालयों में जो अंग्रेज न्यायाधीश अध्यक्षता किया करते थे उनमें हिंदुओं से संबंधित दीवानी कानूनों की व्याख्या पंडित तथा मुसलमानों से संबंधित दीवानी मुकद्दमों में दीवानी मुस्लिम नियमों की व्याख्या मौलवी किया करते थे। फौजदारी अदालतें अभी भी काजी तथा मुफ्ती के अधीन थीं लेकिन उन पर भी नियंत्रण जिलाधीशों (कलैक्टरों) का ही होता था।

(iii) एक प्रमुख समस्या यह थी कि ब्राह्मण पंडित स्थानीय व्याख्या के आधार पर एक ही दीवानी कानून की अलग-अलग व्याख्या किया करते थे। उनमें एकरूपता लाने के सभी विचारधाराओं के धर्मशास्त्रों (समरूपता देने के लिए) को सांझी (Common) व्याख्या करने का कार्य ग्यारह पंडितों के एक समूह को 1775 में सौंपा गया। उन्होंने कानूनों की एक पुस्तक (Digest बनाई)। एन. बी. हालहेड (N.B. Halhad) ने इस पुस्तक का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया। 1778 तक मुसलमानों के कानूनों के एक संग्रह को भी संकलित कर दिया गया ताकि उससे अंग्रेज न्यायाधीशों को लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न 10.
कंपनी की सेना की संरचना में आए बदलावों का वर्णन करें।
उत्तर:
1858 के उपरान्त ब्रिटिश सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किये गये :

  • सेना में यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई।
  • कंपनी व सरकार की सेनाओं को मिलाकर एक शाही सेना बना दी गई।
  • यूरोपीय सेनाओं को सैनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थानों पर रखा गया।
  • भारतीयों को फौज में अफसर न बनने दिया गया। इस नीति का कठोरता से पालन किया जाने लगा।
  • सेना के महत्त्वपूर्ण अंग, जैसे-तोपखाना, टैंक व बख्तरबन्द टुकड़ियाँ केवल यूरोपीय सेना के हाथ में दे दिए गए।
  • सेना में भर्ती करते समय जाति, धर्म व क्षेत्र के नाम पर भेदभाव बढ़ता गया।
  • भारतीय सेना की विभिन्न रेजीमेंटों में विभिन्न जातियों का ऐसा मिश्रण बना दिया कि उनमें एकता न हो सके।
  • सेना में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के जाने पर रोक लगा दी गई ताकि उन तक राष्ट्रीय विचार न पहुँच सकें।

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आइए करके देखें

प्रश्न 11.
बंगाल में अंग्रेजों की जीत के बाद कलकत्ता एक छोटे से गाँव से बड़े शहर में तब्दील हो गया। औपनिवेशिक काल के दौरान शहर के यूरोपीय और भारतीय निवासियों की संस्कृति, शिल्प और जीवन के बारे में पता लगाएँ।
After the British conquest of Bengal, Calcutta grew from a small village to a big city. Find out about the culture, architecture and the life of Europeans and Indians of the city during the colonial period.
उत्तर:
(i) वर्तमान कलकत्ता (अब कोलकाता) शहर के विकास का संक्षिप्त विवरण (A brief description of Calcutta (now Kolkata) from some small villages to a big city) : कलकत्ता हमारे पश्चिम बंगाल राज्य की राजधानी है। यह शहर अंग्रेजों द्वारा तीन गाँवों सुतानारी, कालिकाता तथा गोविन्दपुर की जमीन पर सन् 1698 ई. में बसाया गया। प्रारंभ में अंग्रेज कलकत्ता में अपनी व्यापारिक बस्ती को ‘फोर्ट विलियम’ कहते थे। यहाँ पर गोदाम, दफ्तर तथा कर्मचारियों के घर (निवास स्थल) होते थे लेकिन यहाँ किसी वस्तु का उत्पादन नहीं होता था।

(ii) कलकत्ता में नगर नियोजन (Town Planning in Calcutta) : आधुनिक नगर नियोजन की शुरुआत औपनिवेशिक शहरों में हुई। इस प्रक्रिया में भूमि उपयोग और भवन निर्माण के नियमन के जरिए शहर के स्वरूप को परिभाषित किया गया। इसका एक मतलब यह था कि शहरों में लोगों के जीवन को सरकार ने नियंत्रित करना शुरू कर दिया था। इसके लिए एक योजना तैयार करना और पूरी शहरी परिधि का स्वरूप तैयार करना जरूरी था।

(iii) राजनीतिक संघर्ष का प्रारंभ (Beginning of Political Struggle) : इसकी वजह थी कि अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर नियोजन का. कार्यभार अपने हाथों में क्यों ले लिया था। एक फौरी वजह तो रक्षा उद्देश्यों से संबंधित थी। 1756 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने कलकत्ता पर हमला किया और अंग्रेज व्यापारियों द्वारा गोदाम के तौर पर बनाए गए छोटे किले पर कब्जा कर लिया।

(iv) कंपनी द्वारा किलाबंदी (Fortification by Company) : कुछ समय बाद, 1757 में प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार हुई। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक ऐसा नया किला बनाने का फैसला लिया जिस पर आसानी से हमला न किया जा सके।

(v) नगर नियोजन (Town Planning) : कलकत्ता में नगर-नियोजन का इतिहास केवल फोर्ट विलियम और मैदान के निर्माण के साथ पूरा होने वाला नहीं था। 1789 में लार्ड वेलेजली गवर्नर-जनरल बने। उन्होंने कलकत्ता में अपने लिए गवर्नमेंट – हाउस के नाम से एक महल बनवाया।

(vi) स्वास्थ्यवर्धक बनाने के प्रयास (Efforts to make a healthier place) : ज्यादा स्वास्थ्यपरक बनाने का एक तरीका – यह ढूँढा गया कि शहर में खुले स्थान छोड़े जाएँ। वेलेजली ने 1803 में नगर-नियोजन की आवश्यकता पर एक प्रशासकीय आदेश जारी किया और इस विषय में कई कमेटियों का गठन किया।

(vii) लाटरी कमेटी (Lottery Committee) : वेलेजली की विदाई के बाद नगर-नियोजन का काम सरकार की मदद से लॉटरी कमेटी (1817) ने जारी रखा। लॉटरी कमेटी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि नगर सुधार के लिए पैसे की व्यवस्था जनता के बीच लॉटरी बेचकर ही की जाती थी।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में से किसी के बारे में तसवीरें, कहानियाँ, कविताएँ और जानकारियाँ इकट्ठा करें – (i) झाँसी की रानी, (ii) महादजी सिंधिया,(iii) हैदर अली, (iv) महाराजा रणजीत सिंह, (v) लॉर्ड डलहौज़ी या आपके इलाके का कोई पुराना शासक।
उत्तरः
विद्यार्थी स्वयं करें।

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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
चौथ पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चौथ-मराठों द्वारा लिया जाने वाला वह कर था जो वे अपने क्षेत्र के बाहर के क्षेत्रों से वसूल करते थे। यह मुगल साम्राज्य को दिये जाने वाले भूराजस्व के एक चौथाई (1/4) भाग के बराबर होता था।

प्रश्न 2.
सरदेशमुखी पद की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सरदेशमुखी एक प्रकार का कर था जो मराठा राजा या पेशवा अपने सारे क्षेत्र से वसूल करते थे। यह चौथ देने वाले क्षेत्रों, स्वराज्य एवं उन मराठा देशमुखों से वसूल किया जाता था जो शिवाजी को अपना सरदेशमुख मानते थे।

प्रश्न 3.
‘स्वराज्य’ पद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
महाराष्ट्र का वह भाग, जहाँ स्वयं शिवाजी ने अपने राज्य की नींव रखी थी।

प्रश्न 4.
मिसल पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
मिसल : मिसल शब्द का अर्थ है राजनीतिक इकाई। अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों के बीच एकता हो गई थी। उस समय सिक्खों ने स्वयं को बारह मिसलों (राजनीतिक इकाइयों) में संगठित किया। प्रत्येक मिसल अपने नेता के प्रति निष्ठावान होती थी।

प्रश्न 5.
‘नवाब’ पद की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह नाम अंग्रेज (कंपनी के) अधिकारियों को दिया गया क्योंकि वे भारतीय कुलीनों की जीवनशैली का अनुसरण करते थे।

प्रश्न 6.
दीवानी पद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राज्य का राजस्व संग्रह करने वाला विभाग दीवानी कहलाता है।

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प्रश्न 7.
‘सहायक संधि’ पद का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सहायक संधि व्यवस्था वह व्यवस्था थी जिसे लार्ड वेलेजली ने भारतीय राज्यों में ब्रिटिश सत्ता का प्रभाव बढ़ाने के लिए लागू किया था। अनेक शर्ते उस देशी राजा को माननी होती थी जो अंग्रेजों से यह संधि करता था। वह अपनी विदेश नीति कंपनी के अधीन कर देता था। वह बिना अंग्रेजों की पूर्व अनुमति प्राप्त किये किसी भी दूसरे भारतीय नरेश/नवाब या अन्य यूरोपीय शक्ति से बातचीत नहीं कर सकता और न ही किसी विदेशी विशेषज्ञ को अपने यहाँ नौकर रख सकता था। उसे एक अंग्रेजी सेना अपने राज्य में रखने की अनुमति देनी होती थी, जिसका व्यय भी उसी को वहन करना पड़ता था। एक अंग्रेज रेजिडेंट भी उसके दरबार में स्थायी तौर पर रहता था। इन सबके बदले अंग्रेज उस राज्य की सुरक्षा करने में सहयोग देने का वचन देते थे।

प्रश्न 8.
‘गोद निषेध’ सिद्धांत से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
लार्ड डलहौजी ने अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार करने के लिए गोद निषेध का सिद्धांत आरंभ किया। इस सिद्धांत के अनुसार बिना किसी संतान के किसी देशी राजा की मृत्यु हो जाने पर उसके राज्य को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया जाता था। देशी राजाओं को पुत्र गोद लेने व उसे अपना उत्तराधिकारी बनाने का अधिकार नहीं था। इस नीति के अनुसार डलहौजी ने निम्न राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।

प्रश्न 9.
मराठों के द्वारा स्वराज्य के बाहर से कौन से दो कर वसूल किए जाते थे?
उत्तर:

  • चौथ तथा
  • सरदेशमुखी।

प्रश्न 10.
कौन से वर्ष में तीसरे पानीपत की लड़ाई लड़ी – गई थी?
उत्तर:
1761 में।

प्रश्न 11.
वाणिज्यवाद पद की व्याख्या करें।
उत्तर:
व्यापारिक उद्यम, जो मुख्यतया मुनाफे के लिए व्यापार अर्थात् सस्ती चीजें खरीदकर तथा उन्हें महंगे दामों पर बेचकर किया जाता है। .

प्रश्न 12.
कठपुतली शब्द/पद की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
कठपुतली का शाब्दिक अर्थ है वह खिलौना जिसे रस्सी बाँधकर हाथों या उंगलियों से नचाया जाता है। कभी-कभी यह पुतले जैसे चरित्र या स्वभाव के व्यक्ति के लिए भी प्रयोग किया जाता है। वह राजा या नेता जिसका नियंत्रण कोई और करे उसे भी राजनीति में कई बार कठपतली कह दिया जाता है।

प्रश्न 13.
नीचे दिए शब्दों की परिभाषा लिखें: (i) सवार, (ii) मसकेट, (iii) मैचलाक
उत्तर:
(i) सवार (Sawar) : घोड़े पर सवारी कर रहा सिपाही या व्यक्ति।

(ii) मसकेट (Musket) : पैदल सैनिक द्वारा प्रयोग की जाने वाली भारी बंदूक।

(iii) मैचलाक (Matchlock) : शुरू-शुरू में प्रयोग की जाने वाली बंदूक जिसे माचिस की दियासलाई दिखाकर, उसके बारुद का धमाका किया जाता था।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पानीपत की तीसरी लड़ाई के परिणाम मराठों के लिए कैसे विनाशकारी साबित हुए थे?
अथवा
1761 में हुई पानीपत की तीसरी लड़ाई के प्रमुख परिणाम क्या थे?
उत्तर:
पानीपत की तीसरी लड़ाई के प्रमुख परिणाम (Main Results or Consequences of the Third Battle of Panipat) : अहमदशाह अब्दाली पंजाब पर विजय करता हुआ यमुना के किनारे तक आ पहुँचा। पेशवा बालाजी बाजीराव ने एक विशाल सेना अपने चचेरे भाई सदाशिव भाऊ के अधीन अब्दाली के विरुद्ध भेजी। 14 जनवरी, 1761 ई. को पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठे परास्त हुए। अनेक मराठा सरदार युद्धक्षेत्र में मारे गए। मराठों को अपार जन-धन की हानि उठानी पड़ी। सारे महाराष्ट्र में शोक छा गया। इसी शोक में 5 माह में ही पेशवा की मृत्यु हो गई। मराठा परिसंघ छिन्न-भिन्न हो गया। भारतीय राजनीति में जो उनका दबदबा था, वह समाप्त हो गया। मराठों की हार व पतन. के कारण अंग्रेज शीघ्र ही भारतीय राजनीति में छा गए।

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प्रश्न 2.
मुर्शिद कुली खाँ कौन था ? मुर्शिद कुली खाँ तथा उसके उत्तराधिकारियों के कालों में घटित कुछ घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
I. परिचय (Introduction) : औरंगजेब के शासन काल में मुर्शिद कुली खाँ बंगाल का दीवान था। उसने तथा उसके कुछ उत्तराधिकारियों ने औरंगजेब की मृत्यु के बाद स्वतंत्र नवाब के रूप में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा पर शासन किया लेकिन वे सभी नियमित रूप से मुगल सम्राटों को राजस्व भेजते रहे।

II. घटनायें/उपलब्धियाँ (Events/Achievements) :

  • उन्होंने प्रांत का प्रशासन पुनर्गठित किया।
  • उन्होंने व्यापार, कृषि तथा उद्योगों को प्रोत्साहन दिया।
  • ईस्ट इंडिया कंपनी पर (सन् 1757 से पूर्व तक) पूर्ण नियंत्रण रखा।

प्रश्न 3.
चार्टर एक्ट 1833 की मुख्य चारित्रिक विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
चार्टर एक्ट 1833 की मुख्य चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं :
(i) प्रेजिडेन्सियों तथा प्रांतों की वित्तीय शक्तियाँ एवं कानून बनाने की शक्ति गवर्नर जनरल इन-कौंसिल को हस्तांतरित कर दी गयीं।

(ii) इस एक्ट ने गवर्नर-जनरल इन-कौंसिल को ही भारत में कंपनी के संपूर्ण भू-भाग (क्षेत्रों) में सभी नागरिक (गैर-सैनिक जैसे दीवानी) एवं सैनिक मामलों पर पूर्णतया अंतिम आधिपत्य दे दिया।

(ii) 1833 के इस अधिनियम (एक्ट) ने ब्रिटिश भारत में प्रशासन को केन्द्रीयकृत (एक ही केंद्र में) करने की कोशिश की।

(iv) इस अधिनियम (एक्ट) ने भारत में कंपनी के अधीन क्षेत्रों में कानून का शासन’ (Rule of Law) स्थापित किया था तथा कंपनी के किसी भी पद पर भारतीयों की नियुक्ति से वंचित कर दिया।

प्रश्न 4.
अंग्रेजों द्वारा मराठों के अधीन क्षेत्रों को विजित करने की मुख्य अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) लार्ड वेलेजली जब मैसूर तथा कर्नाटक में युद्धों | से मुक्त हो गया तो उसके बाद उसने मराठों से निपटने के बारे में निर्णय ले लिया।

(ii) उसने मराठों में आए र फूट का पूरा-पूरा लाभ उठाया। यद्यपि महादजी सिन्धिया एवं नाना फड़नवीस मराठों को संगठित रखने में सफल रहने वाले योग्य नेता थे, लेकिन उनके देहांत के बाद, मराठों की शक्ति घटने लगी।

(iii) होल्कर एवं सिंधिया के मध्य संघर्ष में, पेशवा होल्करों को पूना से बाहर निकालने में सफल रहे।

(iv) यहाँ तक कि सिंधियाँ एवं भोंसले की शक्ति के परस्पर नजदीक आने से भी मराठों की स्थिति नहीं सुधरी। अंत में उन्हें अंग्रेजों के साथ सहायक संधियों पर हस्ताक्षर करने पड़े तथा मराठा क्षेत्रों में उन्हें अंग्रेज रेजिडेन्ट को रखना पड़ा। इसके साथ | ही अंत में मराठों को अपनी स्वतंत्रता खोनी पड़ी।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिराजुहद्दौला इतनी आसानी से अंग्रेजों द्वारा क्यों पराजित हो गया था?
उत्तर:
(i) सिराजुद्दौला इतनी आसानी से इसलिए अंग्रेजों द्वारा पराजित हो गया क्योंकि क्लाइव बहुत चालाक था। अंग्रेजों के पास सेना थोड़ी थी लेकिन वह उनके प्रति वफादार थी। सिराजुद्दौला से बंगाल के अनेक परिजन एवं सेठ नाराज थे। जगत सेठ ने अंग्रेजों की मदद के लिए आगे बढ़कर उनकी दोस्ती अंग्रेजी कंपनी से करा दी। अंग्रेजों को मद्रास से तुरंत सैनिक मदद भी प्राप्त हो गई थी।

(ii) मीर जाफर सिराजुद्दौला का सेनापति था। उसने नवाब के विरुद्ध गद्दारी की। उसे कंपनी ने नवाब बनाने का वायदा कर दिया था। वह युद्ध के मैदान में निष्क्रिय बना रहा। प्लासी के मैदान में जब सिराज घिर गया तो उसने उसे वहाँ से भागकर जान बचाने की गलत सलाह दे दी। नवाब की सेना में भगदड़ मच गई। वह हार गई। जाफर ने बाद में सिराजुद्दौला को पकड़ कर मार दिया।

प्रश्न 2.
“सहायक संधि व्यवस्था” को चालू करने के पीछे लार्ड वेलेजली के क्या उद्देश्य थे ? इस व्यवस्था के क्या सिद्धांत थे?
उत्तर:
I. लार्ड वेलेजली के सहायक संधि व्यवस्था प्रारंभ करने के पीछे उद्देश्य क्या थे :
(i) लार्ड वेलेजली जब भारत में आया तो उसके दिमाग में एक ही इरादा था कि भारत में ब्रिटिश साम्राज्य को एक विशाल ब्रिटिश भारत साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया जाये। इसके लिए उसने जो सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तरीका अपनाया, उसे सहायक संधि की व्यवस्था के नाम से जाना गया।

(ii) उनका उद्देश्य यह भी था कि भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की शक्ति तथा प्रभाव क्षेत्र तो बढ़े लेकिन उसका खर्चा यथासंभव न बढ़े।

(iii) लार्ड वेलेजली यह भी जानता था कि अन्य यूरोपीय शक्तियाँ विशेषकर फ्रांस अंग्रेजी साम्राज्य के लिए भारत में खतरा बन सकती है। इसलिए यथासंभव सभी विदेशी शक्तियों को देशी राज्यों से दूर ही रखा जाये। उपर्युक्त उद्देश्यों के अनुरूप ही सहायक संधि थी (इसका उल्लेख नीचे दिए गये, सहायक संधि व्यवस्था से जुड़े सिद्धांत, पूर्णतया स्पष्ट कर देंगे।)

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II. सिद्धांत (Principles) :

  • भास्तीय शासक अंग्रेजी सेना की एक टुकड़ी अपने प्रदेश में रखेंगे जिसके खर्च के लिए वे धन या कुछ प्रदेश अंग्रेजों को देंगे।
  • सहायक संधि मानने वाले शासक अंग्रेजों की आज्ञा के बिना किसी और शक्ति के साथ न संधि करेंगे और न ही युद्ध की घोषणा करेंगे।
  • वे अन्य किसी यूरोपीय देश के लोगों को अपने यहाँ नौकर नहीं रखेंगे।
  • अपने दरबार में वे एक अंग्रेज रेजीडेंट रखेंगे।
  • यदि सहायक संधि मानने वाले दो शासकों में कोई मतभेद हो जाए तो अंग्रेजों को पंच मानकर वे उनका निर्णय स्वीकार करेंगे।
  • वे अंग्रेजों को भारत में सर्वोच्च शक्ति मानेंगे।
  • इन सब शर्तों को मानने वालों की आंतरिक व बाहरी सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी।

प्रश्न 3.
भारतीय राज्यों को अंग्रेजों द्वारा अपने साम्राज्य में विलय करने से सर्वधारण लोगों के आर्थिक जीवन पर कैसे प्रभाव पड़े थे?
उत्तर:
(i) भारतीय राज्यों को अंग्रेजों द्वारा हड़प लेने से सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव बड़े-बड़े सैनिक एवं गैर-सैनिक कर्मचारियों पर पड़ा। अनेक सैनिकों तथा गैर-सैनिक कर्मचारियों तथा नौकरों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। वे बेरोजगार हो गये।

(ii) अनेक राज्यों में कंपनी ने पुराने जमींदारों को बर्बाद कर दिया। उनकी जमींदारियाँ छीन ली गईं। इजारेदारी प्रथा के अंतर्गत कई व्यापारी, सूदखोर तथा सौदागर नये जमींदार बन गये। ये नये जमींदार शहरों में रहते थे। पुराने जमींदारों की तरह उनके खेत मजदूरों तथा छोटे किसानों से संबंध नहीं रहे। कंपनी की कठोर नीतियों, कर्मचारियों के स्वार्थों, वाणिज्य समर्थक नीतियों तथा फसलों ने किसानों के जीवन पर बुरा प्रभाव डाला। भारतीय खेती पिछड़ गयी। बार-बार अकाल पड़ने लगे। लोग समय से पहले ही मरने लगे।

(iii) जो शिल्पकार, कलाकार, इतिहासकार, संगीतकार, मूर्तिकार मुगल दरबार तथा प्रांतीय राज्यों की राजधानियों में शरण तथा राजा का समर्थन पाये थे वे सब दरबारों से निकाल दिए गये। उनकी आय तथा सम्मान को ठेस लगी।

व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है Class 8 HBSE Notes

1. अंतिम शक्तिशाली मुगल शासक : औरंगजेब।

2. औरंगजेब की मृत्यु हुई थी : 1707 में।

3. सूबेदार (Subedars) : प्रांतों में मुगल गवर्नर।

4. वह शक्ति जो भारत में 18वीं शताब्दी के दूसरे अर्ध भाग में उभरी थी : अंग्रेजों की शक्ति।

5. अंतिम मुगल शासक : बहादुरशाह जफर।

6. वाणिज्यवाद (Mercantile) : उद्यम एवं वाणिज्य जो मुख्यतया व्यापार के माध्यम से मुनाफ़ा अर्जित करता है। इसके अंतर्गत चीजें सस्ते दामों पर खरीदी जाती हैं तथा ऊँचा लाभ अर्जित करके उन्हें बेच दिया जाता है।

7. ईस्ट इंडिया कंपनी को स्थापित किया गया था : 1600 में।

8. चार्टर (Charter) या अनुमति पत्र : एक लाइसेंस अथवा लिखित आदेश या आधिपत्य जो महारानी एलिजाबेथ प्रथम (Queen Elizabeth I) के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को पूर्व (अर्थात् पूर्वी गोलार्द्ध) के देशों के साथ व्यापार करने के लिए दिया गया था।

9. केप ऑफ गुड होप (आशा अंतरीप) (Cape of Good Hope) : अफ्रीका (महाद्वीप) का पश्चिमी समुद्री किनारा, इस नाम से जाना जाता है।

10. भारत में पुर्तगाली बस्तियाँ : गोआ (याद रहे वर्तमान, दमन तथा दियू भी गोआ के हिस्से थे।)

11. वास्को-डि-गामा (Vasco Da-Gama) : पुर्तगाल का प्रथम सफल साहसी समुद्री यात्री जो सन् 1498 में भारत के लिए समुद्री मार्ग खोजने में सफल रहा था।

12. डच (Dutch) : हालैंड (अब नीदरलैंड) के निवासी डच कहलाते हैं।

13. 18वीं शताब्दी में भारत से निर्यात होने वाली मदें (Export Items of India in 18th Century):

  • कपास
  • रेशम
  • काली मिर्च
  • लौंग
  • इलायची
  • दालचीनी।

14. फैक्टरी (Factory) : कंपनी का वह आधार (शिविर) जहाँ से व्यापारीगण अपनी व्यापारिक गतिविधियाँ चलाया करते थे, उसे फैक्टरी कहा जाता था। वस्तुतः ‘फैक्टर’ शब्द से फैक्टरी बना है, जो कंपनी के कारिन्दों तथा कर्मचारियों आदि के लिए – प्रयोग होता था। यह कोई आधुनिक कारखाना नहीं था, अपितु इसमें गोदाम तथा कुछ लोगों के निवास स्थान आदि भी होते थे।

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15. फरमान (Farman) : शाही हुक्मनामा। मुगल सम्राट ईस्ट इंडिया कंपनी आदि को जो शाही चार्टर या अनुमति पत्र जारी करते थे वह फरमान कहलाता था।

16. मुर्शिद कुली खान : बंगाल का नवाब।

17. कठपुतली (Puppet) : शाब्दिक अर्थ एक ऐसा खिलौना जिसे रस्सी की मदद से उंगलियों पर नचाया जा सकता है। प्रायः राजनीतिक/प्रशासनिक क्षेत्र में यह शब्द उसके लिए प्रयोग किया जाता है जिसे कोई और व्यक्ति पीछे से वस्तुतः नियंत्रित करता है।

18. अलीवर्दी खाँ की मृत्यु : बंगाल का नवाब। सिराजुद्दौला से पूर्व बंगाल का नवाब तथा उसका नाना था। उसकी मृत्यु 1756 में हुई थी।

19. प्लासी की लड़ाई : 1757

20. रॉबर्ट क्लाइव (Robert Clive) : जिसने प्लासी की लड़ाई में सिराजुद्दौला के विरुद्ध कंपनी की सेनाओं का नेतत्व किया . था। प्रायः उसे ही भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है।

21. मीर जाफर (Mir Zafar) : उसे उसके विरोधी इतिहास में दूसरा जयचंद या राज्यद्रोही मानते हैं। प्लासी की लड़ाई में उसने सिराजुद्दौला को पराजित होने में भूमिका निभायी। उसने बाद में सिराजुद्दौला की हत्या की। कंपनी ने उसे बंगाल का नवाब बनाया।

22. मीर कासिम (Mir gasim) : मीर जाफर का रिश्तेदार। मीर जाफ़र को गद्दी से उतार कर मीर कासिम को ही ईस्ट इंडिया कम्पनी ने बंगाल का नवाब बनाया था।

23. बक्सर की लड़ाई (Battle of Buxar) : 1764

24. दीवानी (Diwani) : राज्य का राजस्व एकत्र करने वाला विभाग।

25. नवाब (Nabobs) : भारत से लौटने वाले ईस्ट इंडिया कम्पनी के वे अधिकारी जो यहाँ पर्याप्त धन अर्जित करके प्रायः भारतीय – नवाबों के ठाठ-बाट का जीवन निर्वाह करते थे। यह शब्द उन्हें चिढ़ाने के लिए या उन पर कटाक्ष करने के लिए, कहा जाता था।

26. राबर्ट क्लाइव (Robert Clive) मद्रास में आया : 1743

27. क्लाइव ने अंततः भारत छोड़ दिया : 1767

28. राबर्ट क्लाइव ने आत्महत्या की थी : 1774

29. वह कालांश या समय का विस्तार (Span of time) जो ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने शासन विस्तार में लगाया : 1757 से 1857 तक।

30. शास्त्र की आज्ञा या कमाण्ड (Injunction) : निर्देश-आदेश (Instruction)।

31. समर्पण करना (Subservience) : हथियार डालना मा हार मानना (Submission)

32. मैसूर का शेर (The Tiger of Mysore) : टीपू सुल्तान को ‘मैसूर का शेर’ कहा गया है।

33. परिसंघ (Confederacy) : गठबंधन (Alliance)।

34. चौथ (Chauth) : यह वह अतिरिक्त कर था जो मराठा अपने भू-भाग से बाहर वाले क्षेत्रों से लेते थे। चूँकि यह मुगल साम्राज्य को दिये जाने वाले भू-राजस्व का एक चौथाई होता था इसलिए इसे चौथ (Chauth) कहा जाता था।

35. सरदेशमुखी (Sardeshmukhi) : मराठों द्वारा सभी से लिया जाने वाला अतिरिक्त कर (या दूसरा कर) जो भूराजस्व का 1/10 भाग होता था।

36. स्वराज्य (Swarajya) : महाराष्ट्र का वह क्षेत्र जहाँ शिवाजी ने अपना राज्य स्थापित किया था।

37. मिसल (Mist) : सिखों की राजनीतिक इकाई। इसके निवासी विशेष करके अपने ही नेता के प्रति वफादार होते थे।

38. तुरानी (Turanis) : वह अमीर लोग (nobles) या कुलीन लोग जिनकी मूलतः उत्पत्ति ट्रांस-ओसियाना नामक क्षेत्र में, मध्य एशिया में हुई थी।

39. इजारेदार (Ijaredars) : वे बड़े ठेकेदार या किसान जो छोटे खेतिहार किसानों से राजस्व इकट्ठा करने का अधिकार रखते थे।

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40. सहायक व्यवस्था (Subsidiary System) : गठबंधन या संगठन बनाने की वह विधि जो भारत में अंग्रेजों ने देशी राज्यों में अपने प्रभुत्व को फैलाने के लिए बनायी थी। यद्यपि खुले तौर पर उस राज्य को कंपनी के भू-क्षेत्र में मिलाया नहीं जाता था। लेकिन कुछ शर्तों पर उसे (भारतीय राज्य या नबाव को) हस्ताक्षर करने होते थे। वह अपनी बाह्य नीति एक तरह से कंपनी के पूर्ण प्रभाव में छोड़ देता था। बदले में कंपनी उसे रक्षा करने में सहायता देने का वचन देती थी।

41. गोद-निषेध का सिद्धांत (Doctrine of Lapse) : जब कोई भारतीय राज्य अपना स्वाभाविक उत्तराधिकारी छोड़े बिना ही मर जाता था तो इस सिद्धांत के अंतर्गत कंपनी उसके राज्य को हड़प कर अपने भू-भाग में मिला लेती थी।

42. सर्वोच्चता की नीति या सिद्धांत (Paramountcy) : भारतीय राज्यों पर अपने वर्चस्व या प्रभुसत्ता को मनवा लेने की प्रवृत्ति .. या नीति अथवा सिद्धांत।

43. खालसा (Khalsa) : वे लोग जो विचारों तथा कर्मों से शुद्ध हों। इसे सन् 1699 में दसवें गुरू गोविंद सिंह जी महाराज ने स्थापित किया था। उनके शिष्यों एवं सिक्ख धर्म के अनुयायियों के लिए इस संज्ञा का प्रयोग किया जाता है।

44. प्रायद्वीप (Peninsula) : भूमि का वह क्षेत्र जो तीन ओर से पानी से घिरा हुआ होता है। जैसे भारत एक प्रायद्वीप है।

45. काजी (pasi) : एक मुस्लिम न्यायाधीश। 46. मुफ्ती (Mufti) : जों कानून काजी निर्देशित करता है उसे लागू कराने की जिम्मेदारी मुफ्ती (Mufti) नामक न्याय संबंधी पदाधिकारी की होती है। उसे मुस्लिम समुदाय का ज्यूरिस्ट (Jurist) कह सकते हैं।

47. महाभियोग (Impeachment) : किसी संवैधानिक पद पर बैठे विशिष्ट व्यक्ति (जज, वायसराय, गवर्नर जनरल आदि) के विरुद्ध देश की संसद में अभियोग या आरोप लगाकर उस पर चर्चा करना।

48. धर्मशास्त्र (Dharmashastras) : संस्कृत भाषा के वे ग्रंथ (धार्मिक ग्रंथ) जो सामाजिक कानूनों एवं व्यवहार संबंधी नियमावली (Codes of behaviour) तय करते हैं तथा जिनकी रचनाएँ 5000 ई. पू.एवं उसके बाद की गयी थी।

49. सवार (Sawar) : घोड़े की पीठ पर लड़ने (या चढ़कर कार्यरत होने वाला) वाला व्यक्ति।

50. मस्केट (Musket) : पैदल सैनिकों द्वारा प्रयोग की जाने वाली बहुत भारी तोप।

51. मैचलॉक पुरानी प्रारंभिक तोप (Match lock) : प्रारंभिक समय की पुरानी किस्म की तोप जिसके मुँह में बारूद को माचिस (या मसाल) से आग लगा करके बारूद का प्रयोग किया जाता था।

52. मनसबदार (Mansabdar) : मुगल काल में प्रायः दोनों प्रकार के अधिकारियों दीवानी तथा फौजियों को पद या ओहदा दिया जाता था। जिसे पद या ओहदा प्राप्त होता था उसे मनसबदार कहते थे। यह 10 घुड़सवार की श्रेणी से लेकर 7000 और कभी-कभी राजकुमारों को 12000 घुड़सवारों पर नियंत्रण का भी दिया जाता था।

53. जजिया (Jariya) : एक प्रकार का कर जो कुछ धर्मान्ध शासकों द्वारा गैर-मुसलमानों पर थोपा गया।

54. निजाम (Nizam) : हैदराबाद के शासकों को दी गयी उपाधि।

55. पेशवा (Peshwa) : मराठा प्रशासन में एक अधिकारी को दिया गया पद (या सम्मान) जो प्रधान मंत्री के बराबर होता था।

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