Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 10 दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया
HBSE 8th Class History दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Textbook Questions and Answers
आइए कल्पना करें
मान लीजिए कि आप चित्रकार हैं और बीसवीं सदी की शुरूआत में एक “राष्ट्रीय” चित्र शैली विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं। इस अध्याय में जिन तत्वों पर चर्चा की गई है उनमें से आप किन-किन को अपनी शैली में शामिल करेंगे? अपने चयन की वजह भी बताएँ।
उत्तर:
कल्पना के लिए मैं कहूँगा कि निम्न तत्व (विशेषताएँ) मेरी राष्ट्रीय कला शैली के अंग होंगे:
1. मैं राष्ट्रीय ध्वज को अपनी कलाकृतियों का अंग बनाऊँगा।
2. राष्ट्रीय चिह (सामान्यतया चार/दिखाई देने वाले तीन शेर)।
3. राष्ट्रीय पशु एवं राष्ट्रीय पक्षी (शेर/टाइगर तथा मोर)।
4. हमारे देश में राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान कुछ स्वतंत्रता सेनानी तथा राष्ट्रीय नेता जैसे-रानी झांसी, तात्या टोपे, मंगल पांडे, बाल, पाल, लाल और घोष, महात्मा गाँधी, डॉ. बी.आर.. अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, विजय लक्ष्मी पंडित, सरोजिनी नायडू, मास्टर तारा सिंह, मौलाना आजाद, आसफ अली, सरदार पटेल, सुभाष, भगत सिंह, खुदीराम बोस, मोरारजी देसाई, कृपलानी, आसफ अली, राष्ट्रीय कवि तथा साहित्यकार एवं पत्रकार आदि।
5. राष्ट्रीय आंदोलन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं से जुड़े हुए स्थल/स्थान तथा परिदृश्य आदि।
6. देश के महान प्राचीन ग्रंथों-महाकाव्यों से जुड़े दृश्य, मंदिर, मस्जिदों, चर्चा, गुरुद्वारों, रेलवे स्टेशनों, जहाजरानी, विख्यात शहरों, बंदरगाहों, दरगाहों, तीर्थ स्थानों से जुड़े दृश्य आदि के चित्र।
7. कुछ प्राचीन भक्त-संत, सूफी पीर, धर्म प्रवर्तक-वर्धमान महावीर, बुद्ध सभी सिख गुरु तथा कुछ सामाजिक-धार्मिक सुधारक तथा अतीत से जुड़ी ऐतिहासिक इमारतें, स्मारक आदि।
फिर से याद करें
दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 1.
रिक्त स्थान भरें:
(क) जिस कला शैली में चीजों को गौर से देखकर उनकी यथावत तसवीर बनाई जाती है उसे “……………” कहा
(ख) जिन चित्रों में भारतीय भूदृश्यों को अनूठज्ञ, अनछुआ दिखाया जाता था उनकी शैली को ………….. कहा जाता है।
(ग) जिस चित्रशैली में भारत में रहने वाले यूरोपीय के सामाजिक जीवन को दर्शाया जाता था उन्हें ………….. कहा जाता है।
(घ) जिन चित्रों में ब्रिटिश साम्राज्यवादी इतिहास और उनकी विजय के दृश्य दिखाए जाते थे उन्हें …………… कहा जाता है।
उत्तर:
(क) यथार्थवाद का विचार (The idea of realisam)।
(ख) पाटरचर (Portraiture) अथवा चित्र बनाने की कला।
(ग) पुकारने वाले फोटो (चित्र)। (Evocative picturesque)
(घ) इतिहास कलाकृति (History Paintings)
दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class History प्रश्न 2.
बताएं कि निम्नलिखित में से कौन-कौन सी विधाएँ और शैलियाँ अंग्रेजों के जरिए भारत में आई:
(क) तेल चित्र।
(ख) लघुचित्र।
(ग) आदमकद छायाचित्र
(घ) परिप्रेक्ष्य विधा का प्रयोग
(ङ) भित्ति चित्र
उत्तर:
(क) तेल चित्र बनाने की कला भारत में अंग्रेजों के साथ आयी थी।
(ख) लघु चित्रों (Miniatures) को बनाने की कला भारत में अंग्रेजों से पूर्व ही प्रचलित थी।
(ग) यह अंग्रेजों के आने से पूर्व प्रचलित थी। मुगल दरबार में यूरोपीय कलाकारों ने जहाँगीर के काल में अनेक कलाकृतियाँ बनाई। यह शैली औपनिवेशिक शासनकाल में अधिक विकसित
(घ) यह शैली भी अंग्रेजी शासन में ही लोकप्रिय हुई।
(ङ) अंग्रेजों के आने से पहले ही भित्तिचित्र बनाये जाते थे।
दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Notes HBSE 8th Class प्रश्न 3.
इस अध्याय में दिए गए किसी एक ऐसे चित्र को अपने शब्दों में वर्णन करें जिसमें दिखाया गया है कि अंग्रेजों भारतीयों से ज्यादा ताकतवर थे। कलाकार ने यह बात किस तरह दिखाई है?
चित्र: गाजीपुर में गंगा किनारे स्थित खंडहर, टॉमस डेनियल द्वारा बनाया गया चित्र
उत्तर:
1. हमारी पाठयपुस्तक में दिया गया चित्र नं. 2 (पृष्ठ 124) स्पष्ट रूप से हमें यह सुझाता है कि भारतवासियों की तुलना में अंग्रेज अधिक शक्तिशाली थे।
2. ब्रिटिश काल में एक लोकप्रिय कला पिक्चरस्क्यू लैंडस्केप (picturesqwe landscape) चित्रकला कहलाती थी। पिक्चरस्क्यू (picturesque) क्या थी? चित्रकला की यह शैली भारत को एक विभाजित (quaint) देश के रूप में दिखाती थी जिसकी अंग्रेज यात्री चित्रकारों ने खूब खोजबीन की थी। अंग्रेज कलाकारों ने दिखाया कि भारत का भू-भाग बहुत ही ऊबड़-खाबड़ तथा विभिन्नताओं वाला एवं जंगलों से आच्छादित है तथा मानव हाथों ने इसे अभी पूर्णतया पालतू नहीं बनाया अर्थात् इसको उपयोगी नहीं बनाया है।
3. थोमस डेनियल एवं उसका भतीजा विलियम डेनियल (Thomas Daniell and William Daniell) सर्वाधिक विख्यात अंग्रेज चित्रकार थे जिन्होंने भारत की भूमि का यथावत चित्रण करने की कोशिश की थी। वे भारत में 1785 में आये थे। वे भारत में सात वर्षों तक ठहरे थे। उन्होंने अपना सफर कलकत्ता से शुरू किया और वे उत्तरी तथा दक्षिणी भारत (के दोनों क्षेत्रों) में गये। उन्होंने बहुत ही ऐसे चित्र बनाये जिन्हें देखकर अंग्रेज अपनी उपलब्धियों पर नाज कर सकें तथा वे यह साबित कर सकें कि अंग्रेज भारतवासियों से अधिक श्रेष्ठतर, अधिक वीर एवं विजेता हैं। उन्होंने इन चित्रों में अंग्रेजों द्वारा भारत में विजित नये क्षेत्रों को दिखाया था।
4. दोनों डेनियलों (Thomas Danialls and William Danialls) के द्वारा बनाये गये चित्र आकार में बड़े चित्र थे। ब्रिटेन में कुछ चुने हुए श्रोताओं एवं दर्शकों के लिए केनवास (carves) पर नियमित रूप से तेल द्वारा चित्रकारी (oil paintings) की जाती थी और उनकी एलबमों को धनी एवं रुचि रखने वाले अंग्रेजों द्वारा इंग्लैंड के बाजारों में भारी रकम अदा करके खरीद ली जाती थी। ये वे अंग्रेज होते थे जो अंग्रेजी सामज्य के विस्तार (क्षेत्र) के आकार को देख कर गौरवान्वित होते थे या गर्व महसूस करते थे।
उपर्युक्त जो चित्र दिया गया है यह अद्भुत, महत्त्वपूर्ण व उल्लेखनीय है जिसमें खुले तौर पर हू-ब-हू भारतीय भू-भाग को दिखाने की कोशिश की गई है। इस चित्र में उन स्थानीय इमारतों के खंडहरों देखो जो कभी अपने समय में बहुत ही शानदार हुआ करती होंगी। ये इमारतें हमें स्मरण कराती हैं (याद दिलाती हैं) कि अतीत में भारत की स्थापत्य कला कितनी भव्य एवं प्रभावशाली थी। इस चित्र में यह भी दिखाने की कोशिश की गई कि इस सभ्यता का पतन हो गया लेकिन वे आधुनिक शहरों एवं इमारतों में तभी बदलेंगी जब भारत में ब्रिटिश प्रशासन ऐमा चाहेगा।
दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Question Answer HBSE 8th Class प्रश्न 4.
खर्रा चित्रकार और कुम्हार कलाकार कालीघाट क्यों आए? उन्होने नए विषयों पर चित्र बनाना क्यों शुरू किया?
उत्तर:
1. स्क्रोल पेंटिंग या बेल-बूटे बनाने वाले चित्रकार तथा कुम्हार कालीघाट निम्नलिखित कारणों की वजह से आये थे:
(i) कलकत्ता एक बहुत बड़ा शहर था तथा कालीघाट में तीर्थ यात्रियों का एक केंद्र मंदिर स्थित था। यहाँ देशी-विदेशी यात्री आते थे तथा तीर्थयात्री विभिन्न विषयों से संबंधित लंबे कागजों पर रोल की जाने वाल चित्रकारी एवं कुम्हारों द्वारा आकर्षक चित्रकारी वाले बर्तन खरीदते थे। ये लोग आसपास के गांवों से कालीघाट आकर इकट्ठे हुए एवं उनका धंधा एवं कलाएँ खूब पनपने लगीं। उन्होंने उन्हें और आकर्षक बनाने के लिए नये विषय चुने तथा उन पर भी चित्र बनाये। कलकत्ता उन दिनों ब्रिटिश भारत साम्राज्य की राजधानी, व्यापारिक बंदरगाह तथा प्रशासनिक केंद्र एवं वाणिज्य गतिविधियों का केंद्र था।
(ii) कलकत्ता में नये-नये व्यवसाय, नौकरियाँ, इमारतें, सड़कें, शिक्षा संस्थाएँ, नगर आदि बन रहे थे। लोग यहाँ आकर बस रहे थे। नि:संदेह इससे कलाकृतियों तथा कुम्हारों द्वारा बनाये जाने वाली चीजों की मांग बढ़ने की पूरी-पूरी संभावनाएँ थीं।
I. कला के नये विषय : पहले बंगाल के पुराने चित्रकार (जिन्हें पटुआ = Patus) तथा कुम्हार प्रायः धार्मिक विषयों से संबंधित चित्र एवं मूर्तियाँ (मिट्टी की प्रतिमाएँ, टोटम, पहचान चिह्न) आदि बनाते थे। वे देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ एवं चित्र भी बनाते थे। कुछ समय के लिए तो कालीघाट में आकर बसने के बाद भी उन्होंने ये कृतियाँ बनानी जारी रखी। अब ऐसे चित्र बनाये जाने लगे जिन्हें तीन तरफों से अलग-अलग परिस्थिति में खड़े होकर एक ही चित्र से भिन्न-भिन्न आकृतियाँ दिखाई पड़ने वाली आकृतियाँ बनाई जाने लगीं। उन पर भिन्न तरह से रंगाई तथा बर्तनों पर पुताई की जाने लगी। अब मूर्तियों को अधिक बड़े आकार तथा ज्यादा शक्ति के प्रतीकों के रूप में बनाया गया।
प्रश्न 5.
राजा रवि वर्मा के चित्रों को राष्ट्रवादी भावना वाले चित्र कैसे कहा जा सकता है?
उत्तर:
त्रावणकोर (केरल) के राजा रवि वर्मा :
1. राजा रवि वर्मा देश के उन कलाकारों में से प्रथम थे जिन्होंने आधुनिक कलाकृतियों के साथ-साथ राष्ट्रीय चित्र भी बनाये। रवि वर्मा त्रावणकोर के शाही परिवार से संबंधित थे तथा उन्हें ‘राजा’ नाम से संबोधित किया जाता था। प्रावणकोर उस समय भी केरल में ही स्थित था।
2. उन्होंने प्राचीन भारतीय धार्मिक विषयों से जुड़े विषयों पर ही चित्रकारी की। यद्यपि उन्होंने पश्चिमी शैली में चित्र बनाने के ढंग को सीखा तथा उसका इस्तेमाल भी किया लेकिन उन्होंने स्वदेश प्रेम एवं स्वदेश से संबंधित आध्यात्मिक या धर्म से जुड़े विषयों को नहीं छोड़ा। उन्होंने पश्चिमी कलाकारों की तरह केनवास एवं तेल चित्रकला शैली का प्रयोग किया लेकिन उन्होंने देश के प्राचीनतम महाकाव्यों–रामायण तथा महाभारत में उल्लेखित विभिन्न मामलों एवं विषयों को ही अपनाया।
3. उन्होंने रंगमंच पर की जाने वाली प्राचीन धार्मिक नाटकीय ढंग से हाथों, भावों की अभिव्यक्ति, ऐक्टिंग्स, कहानियों में वर्णित/उल्लेखित दृश्यों को भी चुना। उन्होंने जो कुछ बंबई प्रेजीडेंसी के अपने भ्रमण के दौरान देखा उन भवनों, घरों एवं अन्य दिखाई पड़ने वाले दृश्यों को भी चुना।
4. 1880 के दशक से रवि वर्मा की प्राचीन विषयों से संबंधित चित्रकारियाँ देशी राजाओं, नवाबों एवं उच्चवर्गीय लोगों में बहुत ही लोकप्रिय हो गयी और उन्होंने उनकी चित्रकारियों से अपने भवनों के बरामदे तथा ड्राइंग रूम (Drawing room) भर दिए।
5. राजा रवि वर्मा एक कलाकार होने के साथ-साथ कलाकारों के पोषक एवं संरक्षक भी थे। उन्होंने बंबई के बाहरी भाग में एक चित्रकला एकेडमी बनाई ताकि वहाँ एक बड़ी टोली चित्रकारों की तैयार हो सके तथा जो दिन-प्रतिदिन पश्चिमी शैली में बने भारतीय राष्ट्रीय विषयों के चित्रों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही थी उसे तुरंत पूरा किया जा सके।
आइए विचार करें
प्रश्न 6.
भारत में ब्रिटिश इतिहास के चित्रों में साम्राज्यवादी विजेताओं के रवैये को किस तरह दर्शाया जाता था ?
उत्तर:
1. नि:संदेह अंग्रेज भारत में साम्राज्यवादी थे। इसीलिए उनका भारत के प्रति दृष्टिकोण भी एक साम्राज्यवादी विजेताओं एवं शासकों के समान ही था। वे स्वयं को भारतीयों से हर क्षेत्र में श्रेष्ठतर (बढ़िया या अधिक अच्छा) मानते थे। यदि हम चित्रकला के इतिहास पर दृष्टिपात करें तो हमें यह भली-भाँति देखने को मिलेगा कि वे चित्र यानी फोटो (पेंटिंग्स) पूर्णतया इस बात का प्रमाण देते हैं। वे उनका (अंग्रेजों का) साम्राज्यवादी एवं उपनिवेशवादी दृष्टिकोण उजागर करते हैं।
2. अंग्रेजों की चित्रकला की एक शैली ‘इतिहास पेंटिंग्स’ (History Paintings) थी जिसमें वे (कलाकार) उन ऐतिहासिक घटनाओं एवं उतार-चढ़ावों को चित्रित किया करते थे जिनसे अंग्रेजों का प्रभाव, श्रेष्ठता, अधिक वीरता, योग्यता एवं प्रभाव विस्तार दिखाई देता हो। 18वीं शताब्दी के अंतिम भाग तथा 19वीं के प्रारंभ में इस शैली के चित्र बहुत ही लोकप्रिय हुए। भारत में अंग्रेजों की विजय ने कलाओं को पर्याप्त विषय एवं उपविषय (Themes and topics) दिए। उदाहरणार्थ 1762 में फ्रांसिस हायमान (Francis Hayman) ने इन्हीं विषयों से संबंधित अनेक चित्र बनाकर लंदन के वोक्हाल गार्डन्स (Vaushall Gardens in London) में प्रदर्शनी लगाई। अंग्रेजों ने कुछ ही वर्षों पूर्व (1757 में) बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को पराजित किया था तथा मीर साफर को एक कठपुतली के रूप में मुर्शिदाबाद में नवाब बनाकर बिठाया था। इस चित्र में लार्ड क्लाइव को दिखाया गया कि किस तरह देशद्रोही गद्दार मीर जाफर ने उसका (क्लाइव का) स्वागत किया था और अंग्रेजी सेनाओं का भी स्वागत हुआ था। वस्तुतः यह तो एक षड्यंत्र एवं गद्दारी की जीत थी, जिस पर अंग्रेज घमंड से फूले नहीं समा रहे थे।
प्रश्न 7.
आपके अनुसार कुछ कलाकार एक राष्ट्रीय कला शैली क्यों विकसित करना चाहते थे?
उत्तर:
मेरे विचारानुसार कुछ कलाकार निम्न कारणों (कारकों) से प्रेरित होकर भारत में राष्ट्रीय शैली की कला विकसित करना चाहते थे:
1. 19वीं शताब्दी का अंत आते-आते कला एवं राष्ट्रवाद में एक प्रबल संपर्क स्थापित हो गया। कई कलाकारों ने सोचा कि वे कला की ऐसी शैली विकसित करें जो आधुनिक भी हो तथा राष्ट्रवादी भी हो।
2. कुछ कलाकारों ने महाभारत से विषय लिए जिसमें श्रीमद्भागवत गीता भी शामिल थी। उन्होंने ऐसे चित्र बनाये जो अध्यात्मवादी एवं धार्मिक ग्रंथों, महाकाव्यों व अन्य विषयों से जुड़े एवं पूर्णतया भारतीय या राष्ट्रीय थे।
3. बंगाल के कुछ कलाकारों ने सोचा कि राष्ट्रवादी कला शैली पूर्णतया गैर-अंग्रेजी या गैर-पाश्चात्य ही होनी चाहिए। उन्होंने पूर्व की अध्यात्मिकता से जुड़े तत्वों को पकड़ा (ग्रहण किया या अपनाया)। इसलिए वे पश्चिम की तेल चित्रों एवं यथार्थवादी शैली से दूर होकर अतीत काल की भित्ति चित्र शैली तथा मध्यकालीन लघु चित्र शैली से जुड़ गए जो भारतीय कला शैलियाँ थीं।
प्रश्न 8.
कुछ कलाकारों ने सस्ती कीमत वाले छपे हुए चित्र क्यों बनाए? इस तरह के चित्रों को देखने से लोगों के मस्तिष्क पर क्या असर पड़ते थे?
उत्तर:
(i) कुछ कलाकारों ने कम कीमत के लोकप्रिय चित्र इसलिए बनाने शुरू किये ताकि गरीब से गरीब भी इन कलाकृतियों तक पहुंच सके तथा वह धार्मिक महाकाव्यों एवं धार्मिक-आध्यात्मिक देवी-देवताओं के चित्र खरीदकर संतोष एवं आनंद प्राप्त कर सके। उदाहरणार्थ त्रावणकोर (केरल) के राजा रवि वर्मा को जब यह जानकारी मिली कि उन्होंने रंगमंच पर जो पौराणिक/ धार्मिक/ आध्यात्मिक महान व्यक्तियों, देवी-देवताओं के चित्र बनाये थे उनकी खरीदारी बड़ी संख्या में गरीब लोग भी करना चाहते हैं तो उन्होंने अपनी कलाशैली का विस्तार करने के लिए बंबई के समीप ही चित्र बनाने वालों (चित्रकारों) की टीम के लिए एक एकेडमी स्थापित की थी।
(ii) जब अंग्रेजों ने भारत को जीत लिया तथा अनेक देशी राज्यों ने अपना प्रभाव एवं धन खो दिया तो उनके लिए देशी चित्रकारों एवं हस्तशिल्पकारों को संरक्षण देना, अनुदान देना या उनका भरण-पोषण करना कठिन हो गया। ऐसी स्थिति में वे औपनिवेशिक सरकार द्वारा बनाये बड़े-बड़े शहरों एवं तीर्थ स्थानों केंद्रों की ओर चल पड़े ताकि वे अपनी रोजी-रोटी कमा सकें एवं अपनी कला एवं हस्तकौशल को जीवित रख सकें।
उदाहरण के लिए कलकत्ता के आसपास के चित्रकार (जिन्हें पटुआ – Patans) कहा जाता था तथा मिट्टी के बर्तन बनाने वाले जिन्हें पूर्वी भारत में कुम्हौर (Kumhors) तथा उत्तरी भारत में कुम्भकार (Kumbhkar) कहते थे कालीघाट के मंदिर के समीप ही बस गये क्योंकि वह तीर्थयात्रियों का एक प्रसिद्ध केंद्र था। 19वीं शताब्दी के शुरू में चित्रकार एवं कुम्हार कलकत्ता में भी आकर बसे। उन्होंने देवी-देवताओं की मूर्तियाँ (मिट्टी से) बनाई। कुछ मिट्टी की नई-नई वस्तुएँ एवं उपकरण, खिलौने आदि बनाये।
उन्होंने धार्मिक प्रतिमाओं पर पेंट (रंग) भी किया। चित्रकारों ने प्रारंभ में उत्कीर्ण द्वारा चित्र बनाए। उन्हें कागजों पर छापकर उतारा तथा कागजों को बड़े-बड़े रोल होने वाले कागजों एवं कालांतर में प्रिंटिंग प्रेस से छापने भी शुरू कर दिये ताकि वे चित्र कीमत में सस्ते हों तथा उन्हें बड़ी संख्या में गरीब ग्राहक भी खरीद सकें।
आइए करके देखें
प्रश्न 9.
अपने आसपास मौजूद किसी परंपरागत कला शैली पर ध्यान दें पता लगाएँ कि पिछले 50 साल के दौरान उसमें क्या बदलाव आए हैं? आप ये भी पता लगा सकते -हैं कि इन कलाकारों को किन लोगों से मदद मिलती रही
और उनकी कलाकारों को किन लोगों में मदद मिलती रही और उनकी कला को कौन लोग देखते हैं? शैलियों और दृश्यों में आए बदलावों पर जरूर ध्यान दें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
HBSE 8th Class History दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘कला का कार्य’ का क्या अर्थ है? इसका अपनी आसपास की दुनिया से क्या संबंध होता है?
उत्तर:
- चित्र बनाना, मूर्ति बनाना, संगीत, नृत्य आदि को कला का कार्य कहते हैं।
- यह आवश्यक नहीं कि अन्य चीजों की भांति ही कला भी अपने आस-पास की दुनिया से प्रभावित हो।
प्रश्न 2.
भारत में औपनिवेशिक शासन (सरकार) ने कौन-कौन सी कलाओं के रूपों को शुरू किया था? उनका भारतीय कलाकारों पर क्या प्रभाव था?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन ने भारत में अनेक नये कला रूपों को चालू किया। उन शैलियों, सामग्रियों एवं तकनीकों को भारतीय कलाकारों ने सहर्ष स्वीकार किया जो उन्हें रचनात्मक लगी, स्थानीय नमूनों (ढाँचों) से मेल खाती थीं तथा जिनको खरीदने वाले बाजारों में होते थे चाहे उनका संबंध कुलीन या लोकप्रिय जनता से हो।
प्रश्न 3.
कौन-से दिखाई देने वाले (दृष्टिगत =Visual) कला रूपों का औपनिवेशिक कालांश में उभव (जन्म/प्रारंभ) हुआ था?
उत्तर:
भारत में औपनिवेशिक शासन काल के दौरान अनेक दिखाई देने वाली बड़ी-बड़ी शानदार इमारतों, उनके विशाल गुंबद, बड़े-बड़े स्तंभ एवं महराबों, सुंदर दृश्यों वाले भू-खंड, वास्तविक पूरे आकार के मानव चित्र या लोकप्रिय देवी-देवताओं के काल्पनिक चित्र, मशीनों से बनाये गये सार्वजनिक समूहों को सभाएँ आदि का प्रारंभ हुआ था।
प्रश्न 4.
कलाकार्य या चित्रकला से जुड़े यथार्थवाद (Realism) के अर्थ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यथार्थवाद को भारत में विदेशी या अंग्रेज कलाकार लाये थे। इसके अनुसार यूरोपीय कलाकार मानते थे कि चित्रकारों को हू-ब-हू वैसे ही चित्र उतने ही आकार एवं विशेषताओं सहित बनाने चाहिए जैसा कि वे दिखाई पड़ते हैं या आँखों ने उन्हें देखा है। जो भी कलाकार बनाये वह वास्तविक (Real) दिखाई दे तथा ऐसा लगे कि उनमें प्राण मौजूद हैं।
प्रश्न 5.
‘यूरोपीय कलाकार एवं तेल चित्रकारी की तकनीक’ की व्याख्या करें।
उत्तर:
तेल चित्रकारी की शैली भारत में यूरोपीय ही लाये और औपनिवेशिक शासन काल से ही वह लोकप्रिय हुई। पहले भारतीय कलाकार इस ढंग से परिचित नहीं थे। तेल चित्रकारी ने कलाकारों को इतना दक्ष बनाया कि वे ऐसे सुंदर चित्र बनाने लगे कि वे वास्तविक (हू-ब-ह) दिखाई देते थे। ऐसे चित्र मन को भाते थे तथा वे बहुत लोकप्रिय हुए।
प्रश्न 6.
भारत में अंग्रेज कलाकारों की कला प्रेरणा का एक नकारात्मक बिंदु लिखो।
उत्तर:
भारत में अंग्रेज कलाकारों की कला-प्रेरणा का एक सामान्य नकारात्मक बिंदु यह था कि वे जो भी चित्र बनाते थे उनके माध्यम से वे पाश्चात्य संस्कृति की, वहाँ के लोगों को एवं अंग्रेजी सत्ता एवं शक्ति को बढ़ा-चढ़ाकर एवं श्रेष्ठ बताने के उद्देश्य से ही चित्रित करते थे।
प्रश्न 7.
‘खुदाई’ या ‘नक्काशी’ (Engraving) पद/शब्द का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक कागज पर एक छपा चित्र या अंकित किए गए चित्र को यदि काष्ठ के टुकड़े पर (लकड़ी के ब्लॉक पर) अथवा धातु पर लगा दिया जाये या जो कागज से डिजाइन या ड्राइंग काट ली गयी हो तथा प्रिंट की गई हो, उसे खुदाई करना या नक्काशी करना कहा जाता है।
प्रश्न 8.
निम्न शब्दों/पदों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए : (क) पोर्टेट (ख) पोटरेचर (ग) आयोग।
उत्तर:
(क) पोर्टेट (Portrait) : किसी व्यक्ति विशेष का वह फोटो या चित्र जिसमें मुख्यतया उसका चेहरा तथा भाव-अभिव्यक्ति ही प्रधान हो।
(ख) पोटरेचर (Portraiture) : पूरे आकार के चित्र या पोर्टेट बनाने की कला।
(ग) आयोग (Commission): औपचारिक रूप से किसी को चुन करके किसी विशेष जानकारी के बारे में रिपोर्ट देने का कार्य सौंपने वाले व्यक्ति या समूह को कमीशन (आयोग) कहते | हैं। प्रायः उससे भुगतान के बदले काम लिया जाता है।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पिक्चरस्क्यू (Picturesque) क्या था? यूरोपीय कलाकारों ने भारत में इस चित्रकारी तकनीक को कहाँ तक प्रयोग किया था?
उत्तर:
1. पिक्चरस्क्यू (Picturesque) : यह विस्तृत भू-भाग (landscape) चित्रण की एक लोकप्रिय शाही (साम्राज्यवादी) कला परंपरा थी।
2. पिक्चरस्क्यू नामक तकनीक का यूरोपीय कलाकारों द्वारा भारत में प्रयोग:
(i) इस कला का कलाकारों द्वारा भारत में जो अंग्रेज यात्री कलाकारों द्वारा देखे गये थे उन्हें विभाजित (भिन्नताओं सहित) भू-भागों को दिखाना था। यह भू-भाग प्रायः जगली, बेकार पड़े एवं ऐसे चित्रित किये जाते थे जिन्हें मानव कर कमलों द्वारा अभी तक प्रयोग में नहीं लाया गया, उनसे लाभ नहीं उठाया गया था।
उदाहरणार्थ:
थोम्स डेनियल एवं उसका भतीजा विलियम डेनियल (Thomas Daniell and william Danielly इस परंपरा का प्रयोग करने वाले सर्वाधिक प्रसिद्ध चित्रकार थे। वे 1785 में भारत आये थे। वे 7 वर्षों तक भारत में रहे थे। वे कलकत्ता से सुदूर उत्तरी भारत तथा दक्षिणी भारत तक गये। उन्होंने अंग्रेजों द्वारा अभी हाल में जो-जो भू-भाग जीते गए थे उनका व्यापक चित्रण किया। उनके द्वारा कैनवास (camvas) पर जो तेल के चित्र बनाये गये थे, उनका कुछ निश्चित दशकों के लिए ब्रिटेन में प्रदर्शन नियमित रूप से किया जाता था। इन चित्रों को एलबमों में संकलित करके अनेक अंग्रेजों द्वारा बड़े ही चाव से खरीदा जाता था ताकि वे जनता में ब्रिटेन के साम्राज्य विस्तार को बता सके।
प्रश्न 2.
‘इन कलाकारों (थोमस डेनियल एवं उसके भतीजे विलियम डेनियल) (Thomas Daniells and his nephew William Daniells) ने भारत की परंपरागत कल्पना के विपरीत ब्रिटिश शासन के अधीन जीवन को चित्रित किया।’ इस कथन का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि कलकत्ता शहर में जो दोनों डेनियल (Daniells) ने चित्र बनाये उनमें ब्रिटिश शासन की कल्पना को जैसा भारतीय सोचते थे उसके बिल्कुल विपरीत अनेक चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने 18वीं शताब्दी में बलपूर्वक इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक सभ्यता की जानकारी अंग्रेजों ने ही भारतवासियों को दी थी।
2. उनके चित्रों में हम नये कलकत्ता शहर के निर्माण को भी देखते हैं. चौड़े-चौड़े रास्ते तथा यातायात इस शहर में जीवन एवं सक्रियता (कार्यकलाप) हैं। यह सक्रियता या कार्यकलाप सड़कों पर देखे जा सकते थे, सर्वत्र प्रदर्शन (ड्रामा) एवं उत्तेजना (excitement) या प्रसन्नता है।
3. डेनियलों ने इसके विपरीत प्राचीन भारत की तस्वीर पेश करने की कोशिश की जिससे सर्वत्र गरीबी, पिछड़ापन, उदासी थी। उन्होंने दिखाया कि ब्रिटिश शासन के विपरीत जिसमें जीवन आधुनिकता के नजदीक है. पुराना भारतीयों का जीवन निर्जीव, बिना किसी बदलाव के जिसमें विशेष प्रकार के फकीर हैं, गायें हैं तथा नदियों में नावें तैरती दिखाई देती थीं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘शाही कला के नये रूप’ (New forms of Imperial Ar) पर संक्षेप में विचार-विमर्श करें। (W.Imp.)
उत्तर:
शाही कला के नये रूप:
1. 18वीं शताब्दी में अनेक यूरोपीय कलाकारों की एक टोली भारत आयी। वे अंग्रेज सौदागरों एवं शासकों के साथ ही आये थे। ये कलाकार अपने साथ नयी कलाशैलियाँ एवं पूर्व स्वीकृत किए गए ढंग लेकर आये थे। उन्होंने भारत की अवधारणाओं को पश्चिमी आकार देने में सहायता की।
2. यूरोपीय कलाकार अपने साथ यथार्थवाद का विचार लेकर आये। इस विचार या सिद्धांत का यह विश्वास था कि कलाकार किसी चीज को बड़ी सावधानी से देखें तथा प्रयास करें कि जिस तरह से वह वस्तु दिखाई देती है ठीक वैसी ही आँखों के द्वारा दिखाई देने वाली ही शक्ल में उसे पेंट या चित्रित कर दें। जो भी चित्रकार बनाये वह ठीक-ठीक वास्तविक एवं जीवन के अनुरूप ही दिखाई दे।
3. यूरोपीय कलाकार अपने साथ कला की एक दूसरी विशेषता भी लाये वह थी तेल के चित्रों को बनाने का ढंग। यह वह ढंग था जिससे भारतीय कलाकार पूरी तरह परिचित नहीं थे। तेल चित्रकारी ने कलाकारों को इस योग्य बना दिया कि वे ऐसे चित्र बनायें जो वास्तविक (यथार्थ हू-ब-हू) दिखाई दें।
4. यद्यपि यूरोप के सभी कलाकारों ने एक जैसे विषयों तथा डंगों से चित्र नहीं बनाये परंतु उन सब में ही एक सामान्य विशेषता थी कि वे चित्र बनाते समय औपनिवेशिक तथा साम्राज्यवादियों की सोच तथा नजर रखते थे-विजयी लोगों को यानी अंग्रेजों को रंग से, ढंग से, संस्कृति से, सभ्यता की दृष्टि से, ज्ञान की दृष्टि से, विज्ञान की दृष्टि से, शक्ति की नजर से श्रेष्ठतर (superior) दिखायें तथा भारतवासियों को घटिया (inferior) दिखायें।
प्रश्न 2.
भारत की आधुनिक कला पर प्रमुख प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. ब्रिटिश काल में कुछ भारतीय कलाकारों को स्थानीय शासकों एवं शाहजादों ने संरक्षण दिया लेकिन चूँकि उनके प्रदेश या राज्य भी यूरोपीय प्रभाव में आये थे तो वे कलाकार भी यूरोपीय उपनिवेशवाद के प्रभाव से पूर्णतया बच नहीं सके।
2. राजस्थान के रजवाड़ों एवं पंजाब में पहाड़ी क्षेत्रों के शासकों ने क्रमशः राजस्थान कला शैली एवं हिमाचल या कांगड़ा या पहाड़ी शैली को संरक्षण दिया। कई नवाबों ने मुगलकालीन कला शैली को अपनाना भी जारी रखा।
3. प्राचीन धार्मिक स्थानों एवं मध्यकालीन मस्जिदों आदि की खोजों से भारतीय कलाकारों को प्रोत्साहन मिला।
4. औपनिवेशिक शहर-कलकत्ता, बंबई एवं मद्रास में पश्चिमी | संस्कृति का प्रसार हुआ तथा शहरी संस्कृति का उत्थान हुआ।
5. विदेशी शासन ने भी भारतीय कला को प्रभावित किया क्योंकि विदेशी वर्चस्व ने भारतीय सांस्कृतिक जीवन को अपने राजनीतिक तथा आर्थिक वर्चस्व के अधीन रखा हुआ था।
6. ब्रिटिश रायल कला अकादमी के पाठ्यक्रम को उन शहरी कला केंद्रों में अपनाया गया जो ब्रिटिश शासन काल में पनपे थे जैसे-बंबई, कलकत्ता, मद्रास तथा कालांतर में दिल्ली में भी।
7. 19वीं शताब्दी के छठे दशक के बाद भारत में राष्ट्रीय चेतना तथा स्वराज्य के लिए संघर्ष शुरू हुआ, इसमें अनेक भारतीय कलाकारों ने अपनी कृतियों को राष्ट्रीय विषयों, राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े उप-विषयों (topies) से जोड़ा ताकि कला के माध्यम से भी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध तथा देशी संस्कृति, सभ्यता एवं समस्याओं की ओर लोगों का ध्यान खींचा। कलाकारों ने प्राचीन एवं मध्यकालीन भारतीय समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को खोजा। जैसे ही अजंता-एलोरा की गुफाएँ तथा हड़प्पा संस्कृति के स्थल उजागर हुए, वैसे-वैसे लोगों में राष्ट्र प्रेम, भक्ति तथा. स्वाभिमान विकसित होता गया।
दृश्य कलाओं की बदलती दुनिया Class 8 HBSE Notes
1. कला के कार्य (Works of Ar) या कलाकृतियाँ : चित्र एवं मूर्तियाँ आदि को कलाकृतियाँ (या कला के कार्य) कहा जाता है।
2. प्रथा (Convention) : वह ढंग/तरीका या शैली जिसे स्वीकार कर लिया गया हो।
3. उत्कीर्ण करना (या नक्काशी) (Engraving) : पहले एक चित्र किसी कागज पर बनाया एवं छापा गया हो और फिर उसे किसी लकड़ी के टुकड़े या धातु पात्र या वस्तु पर कुरेदा गया हो। इस तरह के नमूने बनाने की कला को उत्कीर्णन या नक्काशी कहते हैं।
4. फोटो (चित्र) लेना या बनाना (Portrait) : एक व्यक्ति की फोटो या चित्र जिसमें प्रायः विशाल (बड़े आकार के चेहरे) मुँह या चेहरे को चित्रित किया जाता है, फोटो बनाई जाती है।
5. चित्रकारी या पोटीचर (Portraiture) : फोटो या चित्र बनाने की कला।
6. आयोग (Commission): किसी को औपचारिक रूप से चुनना (नियुक्त करना) तथा उसे किसी खास तरह का काम पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपना, प्रायः उसे उसके काम के बदले भुगतान किया जाता है।
7. रेजीडेंट (Resident): औपनिवेशिक शासनकाल में देशी राज्यों में नियुक्त अंग्रेज अफसर को रेजिडेंटस का नाम दिया गया। प्रायः इसे ईस्ट इंडिया कंपनी इसलिए नियुक्त करती थी ताकि वह देशी नरेश/नवाब/शासक आदि की गतिविधियों पर निगरानी रख सके तथा राज्य पर अंग्रेजों की पकड़ बनी रहे।
8. मोहम्मद अली खान (Mohammad Ali Khan) : वह सन 1775 में अर्काट (Areo) का नवाब था।
9. टिली केहले एवं जॉर्ज विलिसन (Tilly Kettle and George Willison) : 1770 के दशक में यूरोप से भारत आने वाले दो कुशल कलाकार।
10. इतिहास चित्रकला (History Painting) : एक शाली चित्रकला की श्रेणी (प्रकार) या हंगा
11. भित्तिचित्र (Mural) : दीवार पर बना चित्र या ड्राइंग (Painting)
12. त्रि-आयामी चित्रण (Perspective) : एक पदार्थ आकार से छोटा दिखाई देता है और वे कुछ और दूर नजर आते हैं एवं सामांतर रेखाएँ एक-दूसरे से एक बिंदु पर मिलती हुई दिखाई देती हैं।
13. कंपनी की चित्रकारी (Company paintings) : जो चित्र कंपनी के अधिकारियों ने बड़े चाव से संकलित किये थे उन्हें कंपनी की चित्रकारी के नाम से जाना गया।
14. लंबे कागज के रोल पर चित्र बनाना (Scroll painting): जब किसी पर्याप्त लंबे कागज पर (प्राय: जिसके नीचे कपड़ा या सख्त मुड़ने वाला काई-गत्ता लगा होता है।) चित्र बनाया जाये तथा उसे गोल (rol) या रोल किया जा सके तो ऐसी कलाकृति को स्क्रोल पेंटिंग (scroll painting) कहा जाता है।
15. पटुआ (Patuas) : ये कलकत्ता के पुराने चित्रकार थे।
16. कुम्हौर या कुम्हार (Potters): भारत में मिट्टी के बर्तन, दीये, कुलहड़ आदि बनाने वाले शिल्पकारों को प्रजापति या कुम्हार कहा जाता है।
17. शरीर आकार अध्ययन (Body study): जब कोई व्यक्ति विशेष पोज (Pose) या आकृति (शक्ल) बनाकर बैठता है तथा चित्रकार उसकी पेंटिंग या चित्र (फोटो) बनाता है तो उसे हम जीवन अध्ययन (यानी व्यक्ति के शरीर/आव-भाव आदि का अध्ययन कहते हैं
18. संरक्षित करना (Patronized) : आश्रय देना।
19. विरासत (Heritage) : पूर्वजों से संबंधित, वंशानुगत।
20. विषय (Themes) : अध्ययन विशेष के विषय-उपविषय।
21. पीड़ा (Agory) : दर्द या मुसीबत।
22. आर्ट नूवेअयू (Art Nuveau) : नई कला।
23. धार्मिक परंपरा से संबंधित (Mythology) : धार्मिक परंपराएँ।
24. प्राचीन भारतीय कलाकृतियों का भंडार : भारत की प्राचीन एवं मध्यकालीन अनेक बहुमूल्य कलाकृतियाँ गुफाओं, महलों, स्तूपों, मंदिरों, मस्जिदों, दरगाहों आदि में हैं। इनकी खोजों ने भारत में कला को प्रोत्साहित किया। 25. अंग्रेजी शिक्षा तथा कला (English Education and Art) : भारत में 19वीं शताब्दी में पाश्चात्य तथा आधुनिक ढंग की अंग्रेजी शिक्षा का जैसे जैसे प्रसार हुआ तो इसने देश में शहरी संस्कृति को बढ़ावा दिया।
26. 1857 के विद्रोह के बाद की कला (Art after the Great Revolt of 1857): महान उथल-पुथल (1857) के उपरांत बंबई, कलकत्ता तथा मद्रास में कला के स्कूल (Schools of Arts)(चित्रकला शैलियों का प्रशिक्षण एवं अभ्यास कराने वाले बड़े केंद्र) स्थापित किये गये थे।
27. राष्ट्रीय कला आंदोलन का अभ्युदय (Rise of Nationalistic Move and Art): भारत में 19वीं शताब्दी में स्वराज्य के लिए संघर्ष छिड़ गया। विदेशी सत्ता को उखाड़ने के प्रयासों के साथ-साथ भारत में विदेशी कला की नकल के स्थान पर देशी (राष्ट्रवादी) शैलियों का पुनरुत्थान एवं प्रगति हुई।
28. देश में कुछ कलाकारों को लोकप्रिय अमेरिकन शैली पोप आर्ट (Pop Art) से प्रेरणा प्राप्त हुई। रविंद्रनाथ टैगोर, हावैल, कुमारस्वामी आदि ने देश में बंगाल कला स्कूल की स्थापना तथा कला के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया।