Author name: Prasanna

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 2 संघवाद

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 2 संघवाद Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 2 संघवाद

संघवाद Class 10 Notes HBSE

→ सत्ता में भागीदार का एक रूप संघवादी व्यवस्था में देखा जा सकता है।

→ संघवाद शासन की वह व्यवस्था है जहाँ शासक-कार्यों की बाँट के आधार पर एक ओर संघीय (इसे केन्द्रीय व राष्ट्रीय) सरकार तथा दूसरी ओर प्रान्तों (इन्हें राज्यों व इकाईयों) की सरकारों की व्यवस्था की जाती है तथा उन्हें अपने-अपने क्षेत्र में अपने-अपने मामलों पर बनाने व प्रशासन का अधिकार प्राप्त होता है।

→ शासन कार्यों की बाँट प्रायः संविधान द्वारा की जाती है जिसके अनुरूप संघीय व प्रान्तीय सरकारें अपने-अपने क्षेत्राधि कार में कार्य करती हैं।

→ ऐसे संविधान में बदलाव दोनों प्रकार की सरकारों की सहमति पर ही होता है : सर्वोच्च संविधान होता है।

→ सरकार में स्थापित न्यायालय समस्त संघीय व संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा करते हैं।

HBSE 10th Class Civics Chapter 2 संघवाद

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 2 संघवाद

→ संघ व्यवस्था-केन्द्रोन्मुखी-जब स्वतंत्र व प्रभुसत्ता सम्पन्न राज्य अपने प्रभुसत्ता त्याग अपने ऊपर संघीय सरकार की स्थापना करते हैं।

→ केन्द्र विमुख-जब कोई बड़ी व एकात्मक सरकार अपने आपको कुछ राज्यों में विभक्त कर संघीय सरकार बनाती है तरीकों से बनायी जाती है।

→ पहले तरीके में प्रान्तों की सरकारें दूसरे तरीके द्वारा बनी प्रान्तीय सरकारों से अधिक शक्तिशाली होती हैं।

→ संघीय व्यवस्था की विशेषताओं में निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है:

  • दो अथवा दो से अधिक वाले सरकार-स्तरों का होना;
  • अलग-अलग सरकार एक ही नागरिक समूह पर शासन करते हैं, परन्तु प्रत्येक सरकार अपने-अपने क्षेत्र में;
  • सरकारों का अधिकार-क्षेत्र संविधान द्वारा स्पष्ट किया जाता है;
  • संविधान में बदलाव सभी प्रकार के स्तरों पर बनी सरकारों की अनुमति से होता है;
  • न्यायालयों के पास अधिकार-क्षेत्र की व्यवस्था की शक्ति होती है।
  • वित्तीय स्वायतता हेतु प्रत्येक प्रकार की सरकार को कर लगाने की शक्ति प्राप्त होती है।
  • देश की एकता व सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय विविध ताओं का सम्मान।

→ भारत में संघीय व्यवस्था को लागू करने हेतु सभी प्रयास किए गए है। स्वतंत्रता पश्चात विभिन्न प्रकार के राज्यों का संघ-राज्यों में बनते-संवरते सम्बन्धों ने भारत की संघीय व्यवस्था भाषायी आधार पर गठन किया गया।

→ संघीय व्यवस्था इसके को सुदृढ़ किया है। संघ शासन के तीन स्तर-केन्द्र, राज्य व व्यवस्थित संचालन हेतु भाषा-नीति व परिस्थितियों के अनुसार स्थानीय इकाईयाँ-अपने-अपने क्षेत्र में सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं।

→ गठबन्धन सरकार: एक से अधिक राजनीतिक दलों द्वारा बनायी गयी सरकार। ऐसी सरकार एक राजनीतिक गठजोड़ बनाती है तथा कोई साझाा कार्यक्रम स्वीकार करती है।

→ संघवाद : एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था जहाँ शासन हेतु शासक-कार्यों की बाँट के फलस्वरूप एक ओर संघीय सरकार बनायी जाती है तथा दूसरी ओर इकाईयों की सरकारें बनायी जाती हैं।

→ संघवाद के उदाहरण : भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, स्विटज़रलैंड, कनाडा

→ एकात्मक सरकार : वह सरकार जहाँ शासन-शक्तियाँ एक केन्द्रीय सरकार में निहित होती हैं।

→ एकात्मक सरकार के उदाहरण : श्रीलंका, चीन, फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन

Chapter 2 संघवाद Civics HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 2 संघवाद

→ विकेन्द्रीकरण : शक्तियों की बाँट

→ केन्द्रविमुख : किसी बड़े राज्य का अपना एकात्मक रूप छोड़ कुछेक अधीन राज्यों के निर्माण द्वारा संघ-शासन बनाना।

→ भारत में संघीय शासन के स्तर :

  • केन्द्रीय, संघीय अथवा राष्ट्रीय सरकार
  • प्रान्तीय, राज्य इकाईयों की सरकारें
  • स्थानीय सरकारें : पंचायतें व इकाईयाँ

→ संसार में संघीय शासनों की संख्या : 192 में 25 राज्य संघीय शासन हैं जिनकी जनसंख्या संसार की आबादी का 40 प्रतिशत

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 2 संघवाद Read More »

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 Notes HBSE

→ विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को उनके उद्देश्य एवं अन्य महत्त्वपूर्ण मानंदडों के आधार पर प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रकों में विभाजित किया जाता है।

→ इन तीनों क्षेत्रकों के विविध उतपादन कार्यों से काफी मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। साथ ही कई लोगों को इन क्षेत्रकों में रोजगार मिलता है।

→ भारत के संदर्भ में आँकड़ों के अध्ययन से यह पता चलता है कि हालांकि वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य अधिकांशतः तृतीयक क्षेत्र में उतपादित होता है लेकिन लोगों को रोजगार अधिकांशतः प्राथमिक क्षेत्रक में ही मिलता है।

→ किसी विशेष वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य उस वर्ष मे कुल उतपादन की जानकारी देता है तीनों क्षेत्रकों के उतपादों के योगफल को देश का सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं जी.डी.पी. से किसी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का पता चलता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 Notes In Hindi HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ भारत में आधे से अधिक लोग प्राथमिक क्षेत्र में नियोजित हैं लेकिन जी. डी. पी. में इसका योगदान सिर्फ एक-चौथाई हैं इसकी तुलना में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक का जी. डी. पी. में हिस्सा तीन-चौथाई है।

→ जबकि इन क्षेत्रकों में आधे से भी कम लोगों को रोजगार मिला हुआ हैं इस कारण कृषि क्षेत्रक के श्रमिकों में अल्प-बेरोजगारी है। अतः देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने की जरूरत है।

→ इसके लिए भारत सरकार ने कई उपाय भी किए हैं हाल ही में सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनिमय 2005 पारित किया है जिसके अन्तर्गत सभी सक्षम लोगों को वर्ष में सौ दिन रोजगार की गारी दी गई है।

→ आर्थिक कार्यो की विभाजित करने का एक अन्य तरीका संगठित और असंगठित क्षेत्रकों का विभाजन हैं संगठित क्षेत्रकों में कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा का लाभ प्राप्त होता है, उनसे एक निश्चित समयावधि तक ही कार्य लिया जा सकता है।

→ उन्हें सवेतन अवकाश, सेवानुदान, भविष्य निधि आदि सुविध प्राप्त होती है। परंतु असंगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं प्राप्त होता है। अतः असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को सरंक्षण देने की आवश्यकता है।

→ आर्थिक गतिविधियों को स्वामित्व के आधार पर सार्वजनिक व निजी क्षेत्रकों में विभाजित किया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्रक में, परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है।

→ दूसरी ओर निजी क्षेत्रक के उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है। कई चीजें ऐसी होती हैं जिनकी आवश्यकता समाज के सभी सदस्यों को होती है लेकिन उन्हें उपलब्ध कराना निजी क्षेत्रक के बस में नहीं होता है। अतः सरकार स्वयं इन पर व्यय करती है और लोगों के लिए इन सुविधाओं को सुनिश्चित करती है।

→ प्राथमिक क्षेत्रक आर्थिक सक्रियता का सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक होता है।

→ प्राथमिक क्षेत्रक-मुख्यतः कृषि क्षेत्र का देश की जी.डी.पी. में एक-चौथाई योगदान है।

Bhartiya Arthvyavastha Ke Kshetra Ke Notes HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक का जी.डी.पी. में तीन-चौथाई हिस्सा है।

→ भारत में क्रियाशील जनता का कृषि में लगा भाग – 60%

→ प्राथमिक क्रियाओं में लगे लो – 60%

→ द्वितीयक क्रियाओं में लगे लो – 17%

→ तृतीयक कार्यों में संलग्न भारतीय श्रम का भाग – 23%

→ सहायक क्रियाओं का अर्थव्यवस्था में योगदान – 48%

→ भारत में विद्यालय जाने के आयु वर्ग में लगभग 20 करोड़ बच्चे हैं। इनमें लगभग, दो-तिहाई ही विद्यालय जाते हैं।

→ अधिकांश प्राकतिक उत्पाद जैसे-कषि, डेयरी वन उत्पाद, मछली पालन आदि को प्राथमिक क्षेत्रक वा कृषि एवं संबंधित क्षेत्रक भी कहा जाता हे

→ कपास के पौधे से प्राप्त रेशे सत कातना और कपडा बुनना और गन्ने से चीनी और गुड बनना द्वितीयक क्षेत्रक के उदाहरण है।

→ विकसित देशों में अधिकांश श्रमजीवी लोग सेवा क्षेत्रक में नियोजित होते हैं

→ भारत में कषि क्षेत्रक में अल्प बेरोजगारी की समस्या है।

Bhartiya Arthvyavastha Ke Chetrak Class 10 Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ अल्प बेरोजगारी को प्रछन्न बेरोजगारी भी कहा जाता है।

→ योजना आयोग के एक अध्ययन के अनुसार, अकेले शिक्षा क्षेत्र में लगभग 20 लाख रोजगारों का सृजन हो सकता है।

→ योजना आयोग के एक अध्ययन के अनुसार पर्यटन क्षेत्रक में सुधार से 35 लाख से अधिक लोगों को प्रतिवर्ष रोजगार मिल सकता है।

→ भारत के 200 जिलों में काम का अधिकार’ लागू करने के लिए कानून बनाया गया है।

→ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत उन सभी लोगों को जो काम में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, को सरकार द्वारा 100 दिन के रोजगार की गांरटी दी गई है।

→ भारत में लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवार छोटे और सीमांत किसानों की श्रेणी में आते हैं।

→ रेलवे अथवा डाकघर सार्वजनिक क्षेत्रक के उदाहरण

→ टिस्कों, रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड आदि निजी क्षेत्रक के उदाहरण है।

→ वस्तुओं व सेवओं का मूल्य अधिकांशतः तृतीयक, क्षेत्रक में उत्पादित होता लेकिन रोजगार अधिकांशतः प्राथमिक क्षेत्रक में मिलता है।

→ खुली बाजार अर्थव्यवस्था में संसाधनों का स्वामित्व नीजी हाथों में रहता है।

→ नियोजित अर्थव्यवस्था में निर्णय सामान्य जनता के हित में लिया जाता है।

Bhartiya Arthvyavastha Ke Kshetra Class 10th Notes In Hindi HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ स्वामित्व के आधार पर उद्यमों के तीन क्षेत्र हैं-निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र और मिश्रित क्षेत्र।

→ अर्थव्यस्था-आर्थिक ढांचे का वह स्वरूप जिसके अनुसार किसी देश की आर्थिक दशा तथा लोगों के जीवन का वर्णन किया जाता है।

→ राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय का तात्पर्य उस कुल आय से है जिसे देश के अंदर उत्पन्न सभी वस्तुओं और संवाओं के मूल्य के साथ-साथ विदेशों से प्राप्त आय को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।

→ क्षेत्रक-कुछ महत्त्वपूर्ण मानंदडों के आधार पर कार्यो को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया जाता है। इन समूहों को क्षेत्रक भी कहते हैं।

→ सकल घरेलू उत्पाद-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक, तीनों क्षेत्रकों के उत्पादों के योगफल को देश का सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।

→ संगठित क्षेत्रक-संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम या कार्य स्थान आते हैं। जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है। और वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।

→ असंगठित क्षेत्रक-असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होता है।

→ सार्वजनिक क्षेत्रक- सार्वजिनक क्षेत्रक में, अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है। और सरकार ही सभी संवाएं उपलब्ध कराती है।

→ निजी क्षेत्रक-निजी क्षेत्रक में परिसंपत्तियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यकित या कंपनी के हाथों में होती है।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Read More »

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

जन संघर्ष और आंदोलन नोट्स HBSE 10th Class

→ राजनीतिक व सामाजिक माँगों के लिए संघर्ष करना लोकतांत्रिक प्रयोजन होता है। ऐसे संघर्ष व आन्दोलन अक्सर होते रहते हैं।

→ इन आन्दोलनों में एक उदाहरण 2005-2006 में नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के लिए चलाया गया था। इसी प्रकार बोलिविया में जनसंघर्ष के चलाए जाने का उदाहरण भी हमारे सामने हैं।

→ वहाँ के इंजीनियरों, पर्यावरणवादियों व कामकाजी लोगों के एक संगठन ने जल-प्राप्ति के लिए एक सफल आन्दोलन चलाया था।

→ लोकतंत्र में अनेकों फैसले परस्पर मेल-जाने से हो जाया करते हैं। परन्तु कुछेक फैसलों के लिए कई बार आन्दोलन भी चलाए जाते हैं।

→ विरोध जितना अधिक होता है आन्दोलन व जन-संघर्ष उतना अधिक तीव्र होता है। लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबन्दी द्वारा होता है।

→ राजनीतिक संगठनों अर्थात राजनीति दलों व अनेको समाज सेवी संगठन ऐसे आन्दोलनों व जन-संघर्ष द्वार। लोगों में चेतना जगाते रहते हैं।

जन-संघर्ष और आंदोलन Notes HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

→ लोगों की लामबन्दी प्रायः संगठनो द्वारा प्रेरित होती है। यह संगठन दबाव-समूहों का रूप लेकर लोगों में लामबन्दी करने में सफल हो पाते हैं।

→ दबाव-समूह जैसे लक्षण होते हैं। किसी लोकतंत्र में हित-समूहों का गठन स्वाभाविक होता है। ऐसे अनेक समूह बन जाते हैं जो जन-सामान्य व लोक-कल्याण हेतु कार्यरत रहते हैं।

→ बन्धुआ मजदूरी के विरुद्ध लड़ने वाले समूह ऐसे जन-सामान्य व लोक-कल्याण समूहों का एक उदाहरण है। ‘बाससेफ’ ऐसा ही एक अन्य उदाहरण है।

→ दबाव-समूहों में कुछेक ऐसे समूह भी होते हैं जो विशेष किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आन्दोलन करते रहते हैं।

→ नेपाल में नेपाल नरेश के विरुद्ध लोकतंत्र की स्थापना हेतु चलाया गया आन्दोलन करते रहते हैं। नेपाल में नेपाल नरेश के विरुद्ध लोकतंत्र की स्थापना हेतु चलाया गया आन्दोलन एक आन्दोलनकारी समूह था।

→ यह आन्दोलन किसी एक मुद्दे को लेकर चलाया गया था। कुछेक आन्दोलन कुछेक मुद्दों को लेकर चला जाते हैं तथा ऐसे आन्दोलनों को चलाने वाले संगठन भी अनेकों हो सकते हैं।

→ नारीवादी व पर्यावरणीयवादी आन्दोलन कई समूहों द्वारा चलाए जाते हैं। राजनीति में दबाव-समूहों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है: वह जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए लोगों में जागृति पैदा करते रहते हैं।

→ हड़ताल आदि ऐसे समूहों का एक साधन होता है। कुछेक तो ‘लॉबिस्टों’ की भी नियुक्ति करते हैं। दबाव-समूहों का लोकतंत्र पर पड़ने वाला समूह प्रायः सकारात्मक ही होता है।

→ माओवादी: चीनी क्रान्ति के नेता माओ के विचारों को मानने वाले साम्यवादी माओवादी कहलाए जाते हैं।

→ माओवादी क्रान्ति : क्रान्ति लाने में हिंसा के प्रयोग के प्रचार का माओ का तरीका

HBSE 10th Class Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

→ सर्वहारा का शासन : मजदूरों व किसानों के शासन को सर्वहारा शासन कहा जाता है।

→ एस.पी.ए. : सेवेन पार्टी अलाएस (नेपाल में सात दलों का गठनबंधन)

→ जल-युद्ध : बोलिविया में पानी के लिए चलाया गया आन्दोलन

→ फेडेकोर : जल के लिए चलाया गया बोलिविया का वह आन्दोलन जिसे इंजीनियरों, पर्यावरणवादियों व कामकाजी लोगों के न चलाया था।

→ दबाव समूह : अपनी मांगों के लिए सरकार पर डाले जाने वाले दबाव-ऐसा दबाव कोई संगठित समूह चलाता है।

→ दबाव समूह के उदाहरण : पेशेवरों (वकीलों, डॉक्टरों, शिक्षकों, मजदूरों व्यावसायिक) से संगठन दबाव समूहों के उदाहरण हैं।

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन

→ बामसेफ : बैकवर्ड एण्ड मायनॉरिटी कम्युनिटी एम्पलाइज सेफरेशनः जनसामान्य हितों की माँगों का प्रतिनिधित्व करने वालों के संगठन का एक रूप।

→ ग्रीन बैल्ट मूवमैण्ड : पूरे केन्या में (1970-1980) हरि पट्टी आन्दोलन के अंतर्गत लगभग 3 करोड़ वृक्ष लगाने वाला आन्दोलन

→ मेवात : हरियाणा का 2005 में बनाया गया एक जिला

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन Read More »

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Jati Dharm Aur Langik Masle Class 10 Notes HBSE

→ सामाजिक विभाजन और भेदभाव वाली तीन सामाजिक असमानताओं को लिंग, धम्र व जाति के आधार पर बताया जा सकता है।

→ स्त्री व पुरुष में कार्य-विभाजन को लेकर जो भेद सामने आया है : वह है लिंग का भेद। घर के अन्दर किए जाने वाला कार्य ‘निजी’ (प्राइवेट) कार्य कहा जाता है और यह कार्य प्रायः स्त्रियाँ करती हैं।

→ घर से बाहर के कार्यों को प्रायः करते हैं और इस कारण उन कार्यों को ‘सार्वजनिक’ (पब्लिक) कार्य कहा जाता है। महिला-पुरुष विभेद ‘निजी-सार्वजनिक’ भेद का रूप धारण कर चुका है।

→ स्त्री व पुरुष में भेद अवश्य होता है-यौन का भेद। यौन के कारण कोई स्त्री होती है तथा कोई पुरुष होता है। जब हम ‘लिंग’ शब्द का प्रयोग करते हैं। यह भेद सामाजिक रूप का भेद होता हैं, कार्य-विभाजन का भेद।

→ यौन-भेद प्राकृतिकहैं, लिंग भेद सामाजिक है। लिंग भेद के कारण महिलाओं की स्थिति को पुरुष की अपेक्षा कम अधिकार प्राप्त होते हैं।

Jati Dharm Aur Langik Masle Notes HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

→ पारिवारिक कानून भी पुरुष के पक्ष में होते हैं;उनकी शिक्षा व उन्हें दी जाने वाली सुविधाएं पुरुषों के मुकाबले में कम होती है।

→ सार्वजनिक जीवन में उनका प्रवेश बहुत कम होता है। राजनीति में महिलाओं का पतिनिधित्व न होने के बराबर होता है। और फिर सामाजिक दृष्टि से महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।

→ उनके समान व आदर की समस्या सदैव बनी रहती हैं; सुसराल में उन्हें अनेक प्रकार की तकलीफों को सहना पड़ता है। दहेज व दाहउत्पीड़न उदाहरण अक्सर सुनने में आते हैं सरकार द्वारा उनकी स्थिति से सम्बन्धित अनेक कानून बनाए जा रहे हैं।

→ समाज में उनके उत्थान से सम्बन्धित जागृति जरूरी बन गयी हैं। धर्म के नकारात्मक रूप से साम्प्रदायिकता का प्रश्न जुड़ा है। साम्प्रदायिकता धर्म का राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति का साध न बन गयी है।

→ धर्म को साम्प्रदायिक रंग से समाज, राज्य व राजनीति में बुरे परिणाम देखने को मिलते है। धर्म के आधार पर सामाजिक विभाजन अनेक समस्याओं को जन्म देता है।

→ सामप्रदायिकता का समाधान पंथनिरपेक्षता ने अनुसरण से जुड़ा है। धन का राजनीतिकरण तथा राजनीति का धार्मिकीकरण दोनों ही समाज व राज्य के लिए हानिकारक हैं।

→ जाति सामाजिक विभाजन का एक अन्य कारण है। भारत जैसे देश में वर्ण-अवस्था से उभरी जाति-व्यवस्था ने समाज, राज्य व राजनीति को प्रदुषित कर दिया हैं कुछेक राजनीतिक दल अपने वोट-बैंक को सुदृढ़ करने के लिए जाति व धर्म का सहारा लेते हैं।

→ जाति द्वारा राजनीतिकरण उतना ही दूषित हे। जितना राजनीति का जातिकरण। समाज को स्वस्थ व सुचारू रूप देने के लिए जाति की नकारात्मक भूमिका के विरुद्ध क्रान्ति आवश्यक हैं।

→ श्रम का लैगिक विभाजन : काम के बँटवारे का वह तरीका जिसमें घर के अन्दर के सारे काम परिवार की औरतें करती हैं या अपनी देख-रेख के नौकर/नौकरानियों से कराती हैं।

Jati Dharm Aur Langik Masle Notes In Hindi HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

→ नारीवाद : औरत और मर्द के समान अधिकारों और अवसरों में विश्वास करने वाली महिला या पुरुष।

→ पितृ-प्रधान : इसका शाब्दिक अर्थ पिता का शासन होता है परन्तु, इस पद का प्रयोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों का ज्यादा महत्व, ज्यादा शक्ति देने वाली व्यवस्था के लिए भी किया जाता है।

→ पारिवारिक कानून : विवाह, तलाक, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे परिवार से जुड़े मसलों से सम्बन्धित कानून। भारत में सभी धर्मों के लिए अलग-अलग पारिवारिक कानून है।

→ वर्ण-अवस्था : जाति समूहों का पदानुक्रम जिसमें जाति के लोग हर हाल में सामाजिक पायदान में सबसे ऊपर रहेंगे तो किसी अन्य जाति समूह के लोग क्रमागत के रूप से नीचे।

→ शहरीकरण : गाँवों से निकलकर लोगों का शहरों में बसना

→ लैंगिक मुद्दे : वह मुद्दे जो महिला-पुरुष से जुड़े हों।

→ यौन विभेद : महिलाओं व पुरुषों में यौन के आधार पर भेद करना।

Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

→ लिंग विभेद : स्त्र्यिों व पुरुषों में स्त्री व पुरुष को दिए जाने वाले कार्यों का समाजशास्त्रीय विभेद।

→ साम्प्रदायिकता : धर्म का राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयोग।

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Read More »

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Mudra Or Sakh Notes HBSE 10th Class

→ आधुनिक युग में मुद्रा का प्रयोग वस्तु या सेवाओं को खरीदने के लिए किया जाता है। मुद्रा के उपयोग से मांगों के दुहरे संयोग की जरूरत खत्म हो जाती है!

→ चूँकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है इसलिए इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।

→ मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी-कागज के नोट और सिकके शामिल हैं। हमारे देश में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है।

→ मुद्रा के आधुनिक रूप-करेंसी और जमा. आधुनिक बैंक प्रणाली के काम से बहुत नजदीक से जुड़े हुए हैं। लोग बैकों में अपना धन जमा कर सकते हैं और अपनी मर्जी से कभी पी निकाल सकते हैं।

→ बैंको के पास जमा धन सुरक्षित रहता है और सूद भी मिलता है। आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ माँग जमा को भी मुद्रा समझा जाता है।

मुद्रा और साख Notes HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ बैंक उनके पास जमा राशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कर्जदारों से लिये एग ब्याज तथा जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।

→ शहीर क्षेत्रों में कर्ज की माँग प्रायः व्यापार के लिए एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फसल उगाने के लिए होती है। . हर एक ऋण समझौते में ब्याज दर तय की जाती है जिसे कर्जदार महाजन को मूल रकम के साथ वापस करता है।

→ ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की माँग और भुगतान के तरीके आदि को ऋण की शर्ते कहा जाता है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण का मुख्य स्रोत महाजन, कृषि व्यापारी, बैंक, भूपति मालिक और सहकारी समितियाँ होती हैं।

→ विभिन्न प्रकार के ऋणों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है: औपचारिक तथा अनौपचारिक खण्ड। औपचारिक वर्ग में बैंक और सहकारी समितियाँ आती हैं। जबकि दूसरे वर्ग में साहूकार, व्यापारी, मालिक, दोस्त, रिश्तेदार आदि आते हैं।

→ भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता है लेकिन अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं की गतिविधियों को देख-रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।

→ इस कारण अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को अधिक महँगा पड़ता है। वर्तमान समय में, अमीर परिवार औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण प्राप्त करते हैं जबकि गरीबों को अब भी अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।

→ अतः यह आवश्यक है कि औपचारिक खंड का कुल ऋण बढ़े जिससे महँगे अनौपचारिक ऋण पर से लोगों की निर्भरता घट सके।

→ पिछले कुछ वर्षों में, गरीबों में आत्मनिर्भर गुट बनाने की प्रवृत्ति जोर पकड़ रही है। बचत और ऋण गतिविधियों से जुड़े ज्यादातर महत्त्वपूर्ण निर्णय गुट के सदस्य खुद करते हैं। आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मद्द करते हैं।

→ ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराने के क्षेत्र में बांग्लादेश ग्रामीण बैंक का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसकी शुरुआत 1970 में हुई। अब इस बैंक के 60 लाख कर्जदार हैं जो बाग्लादेश के 40,000 गाँवों में बसते हैं।

मुद्रा और साख Class 10 Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ जब किसी व्यक्ति के बेचने की इच्छा दूसरे व्यक्ति की खरीदने की इच्छा से बिलकुल मेल खाती है, तो इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहते हैं।

→ मुद्रा का प्रयोग माँगों के दोहरे संयोग की जरूरत को खतम कर देता है।

→ प्राचीन काल में भारतीय लोग अनाज और पशु मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करते थे।

→ आधुनिक मुद्रा का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है।

→ भारत में रुपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया गया है।

→ बैंक उनके पास जमा राशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

→ कर्जदारों से लिए गये ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीज का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।

→ जमीन, बैंकों में जमा पूँजी, पशु आदि समर्थक ऋणाधार के आम उदाहरण हैं।

→ ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन लोगों के लिए ऋण का मुख्य स्रोत भूपति-मालिक हैं।

→ अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देख-रेख करनेवाली कोई संस्था नहीं है।

→ बीज, खाद, बाँस आदि कार्यशील पूँजी के उदाहरण हैं।

→ बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के अब 60 लाख कर्जदार हैं जो बांग्लादेश के 40,000 गाँवों में फैले हुए हैं।

Mudra Aur Sakh Class 10th Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ मुद्रा के आधुनिक रूप अधिकोष प्रणाली से जुड़े हुए है।

→ वस्तु विनिमय प्रणाली में मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं।

→ चूँकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है, इसलिए इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।

→ भारतीय रिजर्व बैंक कंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है।

→ आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ माँग जमा को भी मुद्रा समझा जाता है।

→ आजकल भारत में बैंक जमा केवल 15 प्रतिशत हिस्सा नकद में अपने पास रखते हैं।

→ भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता है।

→ शहरी इलाकों के गरीब परिवारों के कर्जो की 85 प्रतिशत जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती है।

→ शहरी इलाकों के अमीर परिवारों के कर्जो की केवल 10 प्रतिशत जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी की जाती है।

→ औपचारिक खण्ड ग्रामीण परिवारों की ऋण की जरूरतों को केवल 50 प्रतिशत पूरा कर पाता है।

→ बांग्लादेश ग्रामीण बैंक की शुरूआत 1970 में हुई।

→ बांग्लादेश ग्रामीण बैंक से ऋण लेनेवाली ज्यादातर गरीब तबकों की महिलाएँ हैं।

→ वस्तु विनिमय प्रणाली-जब मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, उसे वस्तु विनिमय प्रणाली कहते हैं।

→ माँग जमा-चूँकि बैंक खातों में जमा धन को मांग के जरिए निकाला जा सकता है, इसलिए इस जमा धन को मांग जमा कहा जाता है।

Mudra Aur Sakh Notes In Hindi HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ ऋण-ऋण एक सहमति है जहाँ उधारदाता कर्जदार को धन, वस्तुएँ या सेवाएँ मुहैया कराता है और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता है।

→ ऋण-फंदा-जब कोई गरीब किसान फसल उगाने के लिए ऋण लेता है। किसी कारणवश फसल बर्बाद हो जाने पर कर्ज की अदायगी के लिए उसे पुनः ऋण लेना पड़ता है तो ऐसी स्थिति को ऋण-फंदा कहा जाता है।

→ कार्यशील पूँजी-कच्चा माल, नकदी, धन आदि को कार्यशील पूँजी कहा जाता है।

→ समर्थक ऋणाधार-समर्थक ऋणाधार ऐसी संपत्ति है जिसका कर्जदार मालिक है ओर इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गांरटी देने के रूप में करता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता।

→ ऋण की शर्ते-ब्याज-दर, संपत्ति और कागजात की मांग और भुगतान के तरीके इन सबको मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता है।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Read More »

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

विकास Class 10 Notes HBSE Economics

→ विकास अथवा प्रगति की धारणा हमेशा से हमारे साथ है। हमारी आकांक्षाएँ और इच्छाएँ हैं कि हम क्या करना चाहते हैं और अपना जीवन कैसे जीना चाहते हैं? इसी तरह हम विचार रखते हैं कि कोई देश कैसा होना चाहिए?

→ हमें किन अनिवार्य वस्तुओं की आवश्यकता है? क्या सभी का जीवन बेहतर हो सकता है? लोग मिल-जुलकर कैसे रह सकते हैं? क्या और अधिक समानता हो सकती है? विकास इन सभी प्रश्नों पर विचार करने और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के उपायों से जुड़ा है।

→ यह काम जटिल है और इस अध्याय में हम विकास को समझने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। आप उच्च कक्षाओं में इन मुद्दों को अधिक गहराई से सीखेंगे। इसके अतिरिक्त, ऐसे बहुत से प्रश्नों के उत्तर आपको अर्थशास्त्र में ही नहीं बल्कि इतिहास और राजनीति विज्ञान के पाठयक्रम मे भी मिलेंगे।

→ ऐसा इसलिए है कि हम आज जो जीवन जी रहे हैं, वह अतीत से प्रभावित है। हम इसे जाने बिना बदलाव की इच्छा नहीं रख सकते। इसी तरह, हम केवल एक लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया के द्वारा ही इन आशाओं और संभावनाओं को वास्तविक जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।

Vikas Class 10th Notes HBSE Economics

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

→ इसी प्रकार राष्ट्रीय विकास के सदर्भ में लोगों की धारणाएँ अलग-अलग और परस्पर विरोधी भी हो सकती हैं। लेकिन क्या सभी विचारों को समान महत्त्व देना संभव है?

→ परस्पर विरोध होने पर निर्णय कैसे हो? किसी कार्य को बेहतर करने का तरीका क्या हो सकता है? किसी विचार विशेष से लोगों का कितना लाभ हो सकता है?

→ राष्ट्रीय विकास का अर्थ उपरोक्त प्रश्नों पर विचार करना है। विकास की धारणा में विविधता एवं परस्पर विरोध के साथ-साथ विकास के तरीकों में भी फर्क हो सकता है।

→ यही कारण है कि दुनिया के देशों को विकसित, विकासशील एवं अविकसित देशों की श्रेणी में रखा गया है। देशों की तुलना के लिए उस देश की औसत आय को मापदण्ड बनाया जाता है।

→ परंतु बेहतर आय के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन की सुविधा, सामाजिक सद्भाव, प्रदूषण मुक्त वातावरण, सामूहिक सुरक्षा प्रणाली, छुतहा बीमारियों से बचाव उत्तम जन वितरण प्रणाली आदि भी राष्ट्रीय विकास के संकेतक हैं।

→ UNDP द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट भी देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक एवं स्वास्थ्य स्तर तथा प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है। इसके लिए मानव विकास सूचकांक में कई अवयवों को जोड़ा जाता है।

→ विकास से पूर्व मानव जोड़कर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि विकास के लिए लोग महत्त्वपूर्ण हैं, उनका स्वास्थ्य शिक्षा और खुशहाली सबसे अधिक जरूरी है।

→ जहाँ तक विकास की धारणीयता का प्रश्न है, बहुत से वैज्ञानिक मानते हैं कि वर्तमान किस्म और स्तर का विकास धारणीय नहीं है क्योंकि संसाधनों के अति उपयोग के कारण उनके भण्डार में कमी होती जा रही है।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

→ दूसरी ओर नवीनीकरण योग्य साधनों का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो रहा। दूषित पर्यावरण की समस्या संपूर्ण विश्व की समस्या बन गई है।

→ विकास की धारणीयता तुलनात्मक स्तर पर गन का नया क्षेत्र है जिसमें अर्थशास्त्री, समाज शास्त्री, दार्शानिक, वैज्ञानिक आदि सभी मिल-जुलकर कार्य कर रहे हैं।

→ भारत की राष्ट्रीय आय : 16,80,000 करोड़ रुपये (1998-99 की गणना के (अनुसार)

→ भारत में प्रति-व्यक्ति आय : 16500 रुपये (2000-01 को गणना के अनुसार)

→ आर्थिक क्रियायें : वे सभी क्रियायें जिनके बदले में धन प्राप्त हो।

→ आर्थिकतर क्रियायें : वे क्रियायें जिनसे धन प्राप्त नहीं होता।

→ उपभोग : वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग करना।

→ 1950-51 में भारत में प्रति-व्यक्ति आय : 255 रुपये मात्र।

→ 1950-51 में भारत की राष्ट्रीय आय : 9140 करोड़ रुपये।

→ भारत में क्रियाशील जनता का कृषि में लगा भाग : 60%

→ प्राथमिक क्रियाओं में संलग्न भारतीय जनता का भाग : 60%

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

→ द्वितीयक कार्यों में लगा भारतीय जनता का भाग : 17%

→ तृतीयक कार्यों में संलग्न भारतीय श्रम का भाग : 23%

→ सहायक क्रियाओं का अर्थव्यवस्था में योगदान : 48%

→ पहली पंचवर्षीय योजना में सरकार द्वारा प्रस्तावित व्यय : 2400 करोड़ रुपये।

→ भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे प्रमुख स्थान : सार्वजनिक क्षेत्र का।

→ भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप : मिश्रित अर्थव्यवस्था।

→ भारत में वर्तमान में जीवन प्रत्याशा : 61 वर्ष।

→ भारत में साक्षर महिलाएँ : 54%

→ भारत में साक्षरं पुरुष : 75% स्मरणीय तथ्य

→ विश्व बैंक ने आय के आधार पर देशों को तीन भागों में बाँटा है।

→ 4, 35, 500 रुपये या अधिक प्रति-व्यक्ति आय वाले देश अधिक आय वाले देश है।

→ 35, 500-4, 35, 500 रुपये तक प्रति-व्यक्ति आय वाले देश मध्यम आय वाले देश हैं।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

→ 35, 500 रुपये या इससे कम आय वाले देश निम्न आया वाले देश हैं।

→ सेल, आई. ओ. सी., डी. टी. सी. आदि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम हैं।

→ माँग का अर्थ किसी वस्तु की उस मात्रा से है जिसे खरीदने के लिए लोग कीमत देने को तैयार हों।

→ खुली बाजार अर्थव्यवस्था में संसाधनों का स्वामित्व निजी हाथों में रहता है।

→ नियोजित अर्थव्यवस्था में निर्णय सामान्य जनता के हित में लिया जाता है।

→ पूर्ति का आशय वस्तु की उस मात्रा से है जिसे विक्रेता बाजार में रखने को तैयार हैं।

→ सन् 1990 के आरंभ में देश की 40% संपत्ति केवल ऊपर के 20% लोगों के हाथों में थीं।

→ अर्थव्यवस्था-आर्थिक ढाँचे का वह स्वरूप जिसके अनुसार किसी देश की आर्थिक दशा तथा लोगों के जीवन का वर्णन किया जाता है।

→ उत्पाद-निर्मित वस्तु या सेवा या वह क्रिया जो उपभोग के बिंदु तक चलती है।

→ पूँजीपति-वह छोटा सा वर्ग जो उत्पादन प्रक्रियाओं का स्वामित्व धारण करता है।

→ आधारिक संरचना-वह ढाँचा जो अर्थव्यवस्था में सेवाओं को आधार प्रदान करता है।

→ मुद्रा-यह एक सामान्य क्रयशक्ति है जो वस्तु के नियंत्रण में सहायक होती है।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

→ आर्थिक नियोजन-इसका तात्पर्य देश के साधनों का लाभ उठाकर देश के आर्थिक विकास तथा लोगों के जीवन स्तर को उन्नत बनाने और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए अपनाये गये कार्यक्रम से है।

→ कीमत यंत्र-यह वह माध्यम है जिससे क्रेता और विक्रेता इस बात का निर्णय करते हैं कि बाजार में किन-किन वस्तुओं व सेवाओं का कितना भाग किस कीमत पर खरीदा और बेचा जाता है।

→ वस्तु विनिमय-दो पक्षों (व्यक्तियों या देशों) के मध्य वस्तुओं का आदान-प्रदान या बदला-बदली।

→ पूँजी-धन तथा वे समस्त सुविधायें जो वस्तुओं और सेवाओं के लिए परम आवश्यक हैं।

→ निवेश-साधनों का उपभोग न करके इनका दूसरे उपकरणों के निर्माण के लिए प्रयोग करना।

→ मिश्रित अर्थव्यवस्था-वह अर्थव्यवस्था जिसमें निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार की संस्थायें होती हैं।

→ राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय का तात्पर्य उस सकल आय से है जिसे देश के अंदर उत्पन्न सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के साथ-साथ विदेशों से प्राप्त आय को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।

→ साक्षरता दर-सात वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षरता का अनुपात।

→ निवल हाजिरी अनुपात-6-10 वर्ष की आयु के विद्यालय जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ अनुपात।

→ शिशु मृत्यु दर-किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मृत्यु होने वाले बच्चों का अनुपात।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास

→ शरीर द्रव्यमान सूचकांक-अल्पपोषित वयस्कों की गणना करने का एक तरीका।

→ मानव विकास सूचकांक-इसका तात्पर्य उस सूचकांक से है जिसके माध्यम से विश्व के किसी देश के मानव विकास के स्तर को जाना जाता है।

→ नवीनीकरण साधन-वे साधन हैं जिनका उपयोग बार-बार हो सकता है।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास Read More »

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 6 राजनीतिक दल Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

राजनीतिक दल Class 10 Notes HBSE

→ किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए राजनीतिक दलों का होना आवश्यक होता है। लोकतंत्र व राजनीतिक दल पर्यायावाची बन चुके हैं।

→ यदि आज के युग में प्रतिनिधित्मक सरकार ही लोकतांत्रिक सरकार होती है तो ऐसी सरकार के लिए चुनौती का होना जरूरी होता है। हम राजनीतिक दल के बिना चुनावों की कल्पना नहीं कर सकते।

→ राजनीतिक दल लोगों का वह संगठित समूह है जिसके सदस्य किसी नेता के नेतृत्व में राजनीतिक/सार्वजनिक मामलों पर एक-सी राय रखते हैं तथा अपने साझे व शांतिप्रिय प्रयासों से सत्ता प्राप्त करने का प्रयास करने के बाद अपनी घोषित।

→ चुनावी नीतियों को लागू करते हैं। जो दल शासन व सरकार बनाता है, उसे शासक दल कहते हैं तथा जा दल सत्ता से बाहर होते हैं, उन्हें विपक्ष कहा जाता है।

Rajnitik Dal Notes HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

→ शासक दल एक राजनीतिक दल की भी हो सकता है तथा कुछेक दलों का गठबन्धन भी हो सकता है।

→ राजनीतिक दलों के मुख्य कार्यों में चुनावों में उम्मीदवारों का चयन, चुनावी अभियान, सत्ता की प्राप्ति, विपक्ष का निर्माण, सरकार बनाने के पश्चात कानूनों का बनाना, जो कानून नहीं बनाते, उनका सरकार की आलोचना करना, सरकार के हस्तांतरण में आसानी, राजनीतिक चेतना, राजनीतिक शिक्षण आदि का उल्लेख किया जा सकता है।

→ दल एक-दलीय (जहाँ केवल एक दल हो), द्विदलीय (जहाँ मुख्यतया दो राजनीतिक दल हों) बहुदलीय (जहाँ दो अथवा दो से अधिक राजनीतिक दल एकसमान शक्तिशाली हों) एक-दल प्रभुत्व दलीय व्यवस्था, गठबंधीय दलीय व्यवस्था आदि हो सकते हैं।

→ भारत में राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक दल हैं तथा क्षेत्रीय व प्रान्तीय स्तर पर भी। राष्ट्रीय दलों में काँग्रेस पार्टी, भारतीय राजनीतिक पार्टी, जनता दल, बहुजन समाज दल, साम्यवादी दल, मार्क्सवादी दल, राष्ट्रीय काँग्रेस दल आदि के नाम उल्लेखनीय है।

→ प्रान्तीय स्तर पर बने दलों की संख्या भी कुछ कम नहीं है। भारत में प्रान्तीय स्तर पर बने दलों में कुछेक निम्नलिखित हैं: नेशनल कान्फ्रेंस, अकाली दल, लोक दल, समाजवादी दल, तेलुगु-देशम, आदि के नाम उल्लेखनीय है।

→ राजनीतिक दलों को जन-जागृति का काम करना चाहिए। वोट प्राप्त करने की लालसा में साम्प्रदायिक व जातिगत भावनाओं से दूर रहना चाहिए।

→ राजनीतिक दल : लोगों का ऐसा संगठित समूह जिसमें उनके सार्वजनिक मामलों पर एक से विचार होते हैं तथा जो अपने संयुक्त प्रयासों से व संवैधानिक तरीकों से सत्ता प्राप्त करके अपनी नीतियों को लागू करते हैं।

→ राजनीतिक दल के तीन तत्व : नेता, सक्रिय सदस्य, अनुयायी अथवा समर्थक

→ शासक दल : जिस राजनीतिक दल के पास शासन सत्ता हो तथा जो दल सरकार बनाए।

→ विपक्ष : जो राजनीतिक दल सरकार से बाहर होते हैं तथा शासक दल की नीतियों का विरोध करें।

राजनीतिक दल Class 10 Notes In Hindi HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 6 राजनीतिक दल

→ दो-दलीय व्यवस्था : जिस देश में मुख्यतया दो राजनीतिक दल हों।

→ गठबन्धनीय दल : वह राजनीतिक दल जो दो अथवा दो से अधिक हों व सरकार बनाने के लिए प्रयासरत हों अथवा सरकार बनाए।

→ बहुदलीय व्यवस्था : जिस देश में दो से अधिक राजनीतिक दल एक समान सशक्त हों।

→ राष्ट्रीय राजनीतिक दल : वहराजनीतिक दल जो राष्ट्रीय स्तर में पर कार्यरत हों।

→ दल-बदल : विधायिका के लिए किसी अन्य दल में प्रवेश

→ क्षेत्रीय/प्रान्तीय राजनीतिक दल : वह राजनीतिक दल जो क्षेत्रीय व प्रान्तीय स्तर पर बनाए जाएँ तथा उन्हीं स्तरों पर कार्यरत हों।

→ भारत के कुछ प्रान्तीय दल : नेशनल कान्फ्रेंस, अकाली दल, तेलुगु देशम, डी.एम.के., आल इण्डिया अन्ना डी.एम.के. आदि।

→ शपथ-पत्र : किसी अधिकारी को सौंपा गया एक दस्तावेज जिसमें वह अपने विषय में निजी सूचनाएँ देता है तथा उनके सही होने की शपथ लेता है तथा उस पर अपने हस्ताक्षर करता है।

HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 6 राजनीतिक दल Read More »

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Notes HBSE 10th Class

→ वैश्वीकारण विभिन्न देशों के बीच तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया है। अधिकाधिक विदेशी निवेश और विदेश व्यापार के कारण यह संभव हो रहो है।

→ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ मुख्य भूमिका निभा रही हैं।

→ आधुनिक में उत्पादन कार्य अत्यन्त जटिल तरीके से संपन्न हो रहो हैं इसका कारण यह है कि अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विश्व के उन स्थानों की ओर जा रही हैं जो उनके उत्पादन के लिए सस्ता हो, जहाँ बाजार नजदीक हो और सस्ती दर पर श्रमिक उपलब्ध हों।

→ कभी-कभी ये बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों के साथ गठजोड़ कर उत्पादन करती हैं, जिससे दोनों को फायदा होता है।

→ विदेश व्यापार के कारण बाजारों के एकीकरण में काफी सहायता मिली है। विदेश व्यापार घरेलू बाजारों को दूसरे बाहर के बाजारों तक पहुँचने के लिए उत्पादकों को एक अवसर प्रदान करता है।

वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Class 10 Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

→ अप्रतिबंधित व्यापार से वस्तुओं का एक बाजर से दूसरे बाजार में आवागमन आसान हो जाता है। बाजार में वस्तुओं का विकल्प बढ़ जाता है। और मूल्य में भी समानता रहती है।

→ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र उन्नति ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अत्यन्त उत्प्रेरित किया है। परिवहन प्रौद्योगिकी में उन्नति के कारण विभिन्न देशों के बीच दूरियाँ कम हो गई हैं, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी विशेषकर दूरसंचार, कप्यूटर और इटंरनेट के क्षेत्र में द्रुतगामी परिवर्तन के कारण विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में क्रांति सी आ गई है।

→ सन् 1991 ई. में भारत में नई आर्थिक नीति अपनाई गई जिसके चलते उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। इससे भारत को विश्व का व्यापक बाजार प्राप्त हुआ और अपने उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने का मौका मिला।

→ भारत में उपलब्ध विशाल श्रम को विश्व के लिए उपलब्ध कराना अधिक सहज हो गया। परंतु इन सभी लाभों के साथ कुछ हानियाँ भी हुई, जैसे भारतीय लघु एवं कुटीर उद्योग को विशाल बहुराष्ट्रीय कपंनियों से जी-तोड़ मुकाबला करना पड़ रहा है।

→ विश्व व्यापार संगठन का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है किंतु व्यवहार में देखा गया है कि डब्ल्यू.टी.ओ. ने व्यापार और निवेश के उदारीकरण के लिए विकासशील देशों पर ही दबाव डाला है, जबकि विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखा है।

→ वैश्वीकरण से धनी उपभोक्ता, कुशल, शिक्षित एवं धनी उत्पादक काफी लाभान्वित हुए हैं। आज उपभोक्ताओं के समक्ष वस्तुओं तथा सेवाओं का ज्यादा विकल्प हैं अब उन्हें उत्पादों की उत्कृष्टता, गुणवत्ता तथा कम कीमत का लाभ भी मिल रहा है।

→ पणिामतः लोगों का जीवन स्तर भी ऊँचा हुआ है। वैश्वीकरण से सेवा प्रदाता कंपनियों, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए नये अवसरों का सृजन हुआ है।

→ परंतु बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अनेक छोटे उत्पादक और श्रमिक प्रभावित भी हुए हैं बढ़ती प्रतिस्पर्धाके कारण अधिकांश नियोक्ता इन दिनों श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इस कारण श्रमिकों को शोषण होता है।

Class 10 Social Science Economics Chapter 4 Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

→ उन्हें रोजगार सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, उन्हें वेतन भी कम मिलता है श्रमिकों से काफी लंबे कार्य-घंटों तक काम लिया जाता है।

→ अतः वैश्वीकरण को अधिकाधिक न्याय संगत बनाने की जरूरत है जिससे वैश्वीकरण के लाभों में सबकी बेहतर हिस्से री हो।

→ भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया आरंभ : सन् 1991 से।

→ आई. एम. एफ. : अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रय कोष।

→ 1950-65 के मध्य औद्योगिक विकास दर : 8%

→ प्रथम पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल : 1951-56

→ वैश्वीकरण : अपने देश की तथा विश्व की अर्थव्यवस्था के मध्य सामंजस्य स्थापित करना

→ 1991 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश : 174 करोड़ रुपये।

→ वर्ष 2000 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश : 9338 करोड़ रुपये

→ सन् 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा कोष था : 4622 करोड़ रुपये का।

→ सन् 2000 में भारत का विदेशी मुद्रा कोष हुआ : 1, 52, 924 करोड़ रुपये का।

→ सतत पोषणीय विकास : ऐसा विकास जो परिवेश को हानि न पहुंचाये।

→ सन् 1990-91 में मूल्य वृद्धि दर : 12%

→ 90 के दशक के अंत में मूल्य वृद्धि दर : 5%

→ सन् 2000 में भारत का मुद्रा कोष : 1, 52, 924 करोड़ रुपये।

→ सन् 1991 में भारत का मुद्रा कोष : 4622 करोड़ रुपये मात्र था।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

→ विश्व व्यापार संगठन की स्थापना : 1996

→ विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय : जेनेवा।

→ वर्ष 2000 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश : 9338 करोड़ रुपये।

→ नवीं पंचवर्षीय योजना में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में लगभग 34, 200 करोड़ रुपये खर्च किए।

→ भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य है। विभिन्न देशों के साथ पूंजी, तकनीकी ज्ञान और अनभव का निर्बाध रूप से आदान-प्रदान करना।

→ 1965-1980 के मध्य भारत में औद्योगिक उतपादनों के बढ़ने की दर 4% थी।

→ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में तीन कारकों पर बल दिया हो गया है :

  • प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति
  • व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण
  • डब्ल्यू. टी. ओ. जैसे अन्तर्राष्ट्रीय सगठना का दबावा

→ आधुनिक युग में उपभोक्ताओं के समक्ष वस्तुओं और सेवाओं का बहुत अधिक विकल्प हैं।

→ 20 वीं सदी के मध्य तक उत्पादन मुख्यतः देशों की सीमाओं के अंदर ही सीमित थी।

→ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सामान्य तरीका हैं, स्थानीय कपंनियों को खरीदना, उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना।

→ व्यापारिक हितों के कारण ही व्यापारिक कंपनियाँ जैसे, ईस्ट इंडिया केपनी भारत की ओर आकर्षित हुई।

→ अप्रतिबंधित व्यापार से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार में आवागमन होता है।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

→ प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति वह कारक है जिसन वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित किया।

→ अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों के क्रियाकलाप में वस्तुओं व सेवाओं का बड़े पैमाने पर व्यापार शमिल होता है।

→ आई. टी. ने विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में मुख्य भूमिका निभाई है।

→ भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया की प्रक्रिया 1991 ई. से शुरू हुई।

→ विश्व व्यापार संगठन का ध्येय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है।

→ वर्तमान समय में 149 देश डब्ल्यू. टी. ओ. के सदस्य

→ अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा मात्र 1% और कुल रोजगार में 0.5% हैं।

→ विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को आरंभिक 5 वर्षों तक कोई कर नहीं देना है।

→ भारत में 2 करोड़ लोग लघु उद्योगों में नियोजित हैं।

→ शिक्षित, कुशल और संपन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नये अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है।

→ वैश्वीकरण विभिन्न देशों के बीच तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया है।

→ वैश्वीकरण-इसका तात्पर्य किसी देश द्वारा अपनी अर्थवव्यस्था तथा विश्व अर्थव्यवस्था में सामंजस्य स्थापित करना है।

→ उदारीकरण-इसका तात्पर्य निजी क्षेत्र को नियमों, शर्तों और प्रतिबन्धों से छूट देने से हैं।

→ आयात कोटा-किसी देश द्वारा आयात किये जाने वाली वस्तुओं की अधिकतम सीमा।

→ निर्यात कोटा- सरकार द्वारा निर्यात करने की निश्चित की गई अधिकतम सीमा।

→ आयात शुल्क-आयतित सामग्री पर लगाया गया शुल्क।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-किसी देश में किसी और देश द्वारा माल और सेवाओं के उत्पादन में किया जाने वाला निवेश।

→ डब्लू. टी. ओ.-विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) (वर्ल्ड ट्रेड ऑरगेनाइजेशन)।

→ निजी क्षेत्र-अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जिसमें आर्थिक संस्थाओं पर व्यक्ति या समूहों का नियंत्रण हों।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

→ सार्वजनिक क्षेत्र-यह अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र है जिसमें आर्थिक संस्थाओं पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण होता है।

→ बहुराष्ट्रीय कंपनी-वह है जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण अथवा स्वामित्व रखती है।

→ निवेश-परिसंपत्तियों जैसे-भूमि, भवन, मशीन व अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं।

→ कोटा-सरकार द्वारा आयात होने वाली वस्तुओं की संख्या को सीमित करने की प्रक्रिया को कोटा कहते हैं।

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Read More »

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली

Haryana State Board HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 1
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 2
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 3

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 4
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 5
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 6

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 7
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 8
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 9

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली 10

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन विविध प्रश्नावली Read More »

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2

Haryana State Board HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 1
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 2
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 3

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 4
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 5
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 6

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 7
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 8
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 9

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 10
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 11
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 12

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 13
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 14
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 15

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.2 Read More »

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1

Haryana State Board HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 1
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 2
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 3

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 4
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 5
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 6

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 7
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 8
HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 9

HBSE 12th Class Maths Solutions Chapter 2 प्रतिलोम त्रिकोणमितीय फलन Ex 2.1 Read More »