Author name: Prasanna

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 1.
जैव क्षमता की परिभाषा दें और इसका महत्व बताएँ ।
उत्तर:
जैव क्षमता (Vital Capacity; V. C.) – जैव क्षमता से तात्पर्य वायु की वह अधिकतम मात्रा (आयतन) है जो एक व्यक्ति बलपूर्वक अंतःश्वसन के बाद निःश्वासित कर सकता है। इसमें अन्तः श्वास आरक्षित वायु (Inspiratory Reserve Air Volume; IRV) प्रवाही वायु (Tidal Air Volume; TV) एवं निःश्वास आरक्षित वायु (Expiratory Reserve Volume; ERV) का योग सम्मिलित है।
VC = IRV + TV + ERV
या 3000 + 500 + 1100 = 4600 cc /ml
जैव क्षमता आयु, लिंग, ऊँचाई एवं व्यक्ति की क्रिया के आधार पर 3.4-4.8 लीटर होती है। जिस व्यक्ति की जैव क्षमता जितनी अधिक होती है उसे शरीर की जैविक क्रियाओं के लिए उतनी ही अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है। खिलाड़ियों, पर्वतारोहियों, तैराक आदि की जैव क्षमता अधिक होती है। युवा व्यक्ति की जैव क्षमता प्रौढ़ व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक होती है। पुरुषों की जैव क्षमता स्त्रियों की अपेक्षा अधिक होती है। यह उनकी कार्य क्षमता को प्रभावित करती है ।

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प्रश्न 2.
सामान्य निःश्वसन के उपरांत फेफड़ों में शेष वायु के आयतन को बताएँ ।
उत्तर:
वायु की वह मात्रा जो सामान्य निःश्वसन (उच्छ्वास) के उपरांत फेफड़ों में शेष रह जाती है उसे क्रियाशील अवशेष सामर्थ्य ( Functional Residual Capacity : FRC) कहते हैं। इसमें निःश्वसन सुरक्षित आयतन (Expiratory Reserve Air Volume : ERV) तथा V अवशेष वायु आयतन ( Residual Air Volume : RV) सम्मिलित होते हैं। इसकी मात्रा सामान्यतः 2300 cc/ml होती है।
FRC = ERC + RV
= 1100+ 1200
= 2300 ml.

प्रश्न 3.
गैसों का विसरण केवल कूपकीय क्षेत्र में होता है, श्वसन तंत्र के किसी अन्य भाग में नहीं, क्यों ?
उत्तर:
गैसीय विनिमय (Gaseous Exchange)
मनुष्य के फेफड़ों में लगभग 30 करोड़ वायु कोष्ठ या कूपिकाएँ (alveoli) होती हैं। कूपिकाओं की दीवारें बहुत पतली और शल्की एपिथीलियम की बनी होती हैं। ये दीवारें ऑक्सीजन (O2) तथा (CO2) दोनों के लिए पारगम्य होती हैं। इनमें रुधिर कोशिकाओं का घना जाल बिछा रहता है। श्वास नाल (trachea ) श्वसनी (bronchus) श्वसनिका (bronchiole) तथा कूपिका नलिकाओं (alveolar duct ) आदि में रुधिर केशिकाओं का जाल फैला हुआ नहीं होता है।

अतः कूपिकाओं को छोड़कर अन्य श्वसन भागों में गैसीय विनिमय नहीं होता है। सामान्यतः महण की गई 500 ml प्रवाही वायु में से लगभग 350ml वायु कूपिकाओं में पहुँचती है, शेष श्वास मार्ग में ही रह जाती है वायु कोष्ठों या कूपिकाओं की दीवार तथा रुधिर कोशिकाओं की दीवार मिलकर श्वसन कला (Respiratory membrane) बनाती हैं।

इसमें ऑक्सीजन (O2) तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का विनिमय आसानी से हो जाता है। गैसीय विनिमय सामान्य विसरण क्रिया द्वारा होता है। इसमें गैसें उच्च आंशिक दाब से कम आंशिक दाब की ओर विसरित होती हैं। वायु कोष्ठों में O2 का आंशिक दाब (PO2) 100 – 104 mm Hg और CO2 का आंशिक दाब (PCO2) 40mm Hg होता है। फेफड़ों की रुधिर केशिकाओं में आए अशुद्ध रुधिर में O2 का आंशिक दाब 40 mm Hg और CO2 का आंशिक दाब 45-46 mm Hg होता है।

वायु प्रकोष्ठ का कूपिकाओं में आई हुई वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। यह ऑक्सीजन कूपिकाओं की भीतरी नम दीवारों में उपस्थित श्लेष्म में घुलकर विसरण द्वारा पल्मोनरी केशिकाओं में पहुँच जाती है। इसके बदले में रुधिर केशिकाओं में उपस्थित CO2 कूपिकाओं की वायु में विसरित हो जाता है। इस प्रकार कूपिकाओं से रुधिर केशिकाओं में रुधिर ऑक्सीजन युक्त होता है। फेफड़ों से निष्कासित वायु में O2 लगभग 15.7% और CO2 लगभग 3.6% होती है।
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प्रश्न 4.
CO2 के परिवहन ( ट्रांसपोर्ट) की मुख्य क्रियाविधि क्या है ? व्याख्या करें।
उत्तर:
CO2 का रुधिर द्वारा परिवहन (Transport of CO2 by Blood)
ऊतकों में संचित खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से उत्पन्न CO2 विसरण द्वारा रुधिर केशिकाओं में चली जाती है। रुधिर केशिकाओं द्वारा इसका परिवहन श्वसनांगों तक निम्नलिखित प्रकार से होता है-
(1) कार्बोनिक अम्ल के रूप में -CO2 जल में अधिक घुलनशील होती है। इसका 5-10% भाग प्लाज्मा के जल के साथ मिलकर कार्बोनिक अम्ल (H2CO3) बनाता है।
CO2 + H2O → H2CO3
समस्त CO2 का लगभग 10% भाग रुधिर में H2 CO3 के रूप में रहता है और शेष भाग शीघ्र ही हाइड्रोजन तथा बाइकार्बोनेट के आयनों में टूट जाता है-
H2CO3 → H2CO3 + H+

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(2) बाइकार्बोनेट के रूप में – लगभग 70-75% CO2 बाइकार्बोनेट के रूप में रुधिर प्लाज्मा के सोडियम आयन (Na+) तथा लाल कणिकाओं के पोटैशियम आयन (K+) से मिलकर सोडियम तथा पोटैशियम के बाइकार्बोनेट बनाते हैं-

HCO3 + Na+ → NaHCO2 (सोडियम बाइकार्बोनेट)
HCO2 + K+ → KHCO3 (पोटैशियम बाइकार्बोनेट)

(3) कार्बोक्सीहोमोग्लोबिन के रूप में लगभग 10% CO2 लाल रुधिर कणिकाओं के हीमोग्लोबिन से मिलकर अस्थायी यौगिक कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है-
Hb + 4CO2 → Hb (CO2)4

(4) कार्बन एमीनो यौगिक के रूप में लगभग 10% CO2 रुधिर प्लाज्मा की प्रोटीन से संयोग करके कार्बन एमीनो यौगिक बनाती है-
प्लाज्मा + प्रोटीन + CO2 कार्बन एमीनो यौगिक (अस्थायी) कार्बोनिक अम्ल सोडियम व पोटैशियम के बाइकार्बोनेट, कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन तथा कार्बन एमीनो यौगिक आदि पदार्थों से युक्त रुधिर अशुद्ध होता है यह अशुद्ध रुधिर केशिकाओं से शिराओं द्वारा हृदय में और फिर हृदय में फुफ्फुस धमनी द्वारा श्वसनांगों (फेफड़ों) में शुद्ध होने के लिए जाता है और रुधिर में से CO2 श्वसनांगों से मुक्त होकर बाहर निकल जाती है।

(5) अस्थायी पदार्थों से CO2 का मुक्त होना-फेफड़ों के समीप रुधिर केशिकाओं में ऑक्सीहीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है। यह अधिक अम्लीय होता है। ऑक्सीहीमोग्लोबिन के अम्लीय स्वभाव से सभी अस्थायी यौगिक टूट जाते हैं और CO, मुक्त करते हैं-
2NaHCO2– 3 → Na2CO3 + H2O + CO2
2KHCO3 → K2CO3 + H2O + CO2
H2CO3 → H2O + CO2
Hb(CO2)4 → Hb + 4CO2
इस प्रकार मुक्त हुई CO2 रुधिर केशिकाओं तथा फेफड़ों की पतली भित्तियों से विसरित होकर फेफड़ों में पहुँचती है जहाँ से CO2 को निःश्वसन की क्रिया द्वारा वातावरण में छोड़ दिया जाता है।

प्रश्न 5.
कूपिका वायु की तुलना में वायुमंडलीय वायु में, O2 तथा, CO2 कितनी होगी, मिलान कीजिए ?
(i) pO2. न्यून, pCO2 उच्च
(ii) pO2 उच्च, p CO2 न्यून
(iii) pO2 उच्च, pCO2 उच्च
(iv)pO2 न्यून, pCO2 न्यून ।
उत्तर:
(ii) pO2 उच्च, pCO2 न्यून ।
[ वायुमण्डलीय वायु में ऑक्सीजन (O2) का आंशिक दाब 159 तथा CO2 का आंशिक दाब 0.3 होता है, जबकि कूपिका वायु में O2 का आंशिक दाब 104mmHg तथा CO2 का आंशिक दाब 40 mmHg होता है ।]

प्रश्न 6.
सामान्य स्थिति में अंतःश्वसन प्रक्रिया की व्याख्या करें।
उत्तर:
सामान्य श्वसन का श्वासोच्छ्वास (Breathing) एक अनैच्छिक क्रिया है। इसमें डायाफ्राम की भूमिका 75% तथा पसलियों की भूमिका 25% होती है। अंतःश्वसन या निश्क्सन (Inspiration) मनुष्य का डायाफ्राम वक्षीय गुहा के तल पर स्थित अरीय पेशियों (Radial muscles) के एक पतले स्तर का बना होता है। इसके उपांत पीछे की ओर तथा पार्श्व में लंबर कशेरुकाओं से तथा आगे की ओर स्टर्नम से जुड़े होते हैं। डायाफ्राम विश्राम की स्थिति में गुम्बद के समान (Dome-shaped) होता है।

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जब अरीय पेशियाँ सिकुड़ती हैं तो डायाफ्राम गुम्बद के समान न रहकर अन्दर की ओर या नीचे की ओर हटता हुआ चपटा हो जाता है, जिसके फलस्वरूप वक्षीय गुहा का आयतन बढ़ जाता है। इसी समय बाह्य अन्तरापर्शक पेशियाँ सिकुड़ती हैं जिससे पसलियों पर बाहर तथा आगे की ओर खिंचाव पड़ता है और स्टर्नम भी ऊपर की ओर उठ जाता है।

इसके फलस्वरूप वक्षीय गुहा का आयतन पहले की अपेक्षा बढ़ जाता है। वक्षीय गुहा का आयतन बढ़ने के साथ ही फेंफड़ों का आयतन भी बढ़ने लगता है जिससे वे फूल जाते हैं। फेफड़ों के फूलने से उनके अन्दर वायु का दाब कम हो जाता । इस दाब को समान रखने के लिए वातावरण से वायु श्वसन पथ में होती हुई स्वतः फेफड़ों में प्रवेश कर जाती है। इस प्रकार वायु के अन्दर फेफड़ों में पहुँचने की प्रक्रिया को निश्वसन (Inspiration) कहते हैं।

प्रश्न 7.
श्वसन का नियमन कैसे होता है ?
उत्तर:
श्वसन का नियमन (Regulation of Respiration)
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मनुष्य में अपने शरीर के ऊतकों की माँग के अनुरूप श्वसन की लय को संतुलित और स्थिर बनाये रखने की एक महत्वपूर्ण क्षमता है। यह नियमन तंत्रिका तंत्र द्वारा सम्पन्न होता है। मस्तिष्क के मेड्यूला क्षेत्र में एक विशिष्ट श्वसन लय केन्द्र उपस्थित होता है, जो मुख्य रूप से श्वसन के नियमन के लिए उत्तरदायी होता है। मस्तिष्क के पॉन्स क्षेत्र में एक अन्य केन्द्र स्थित होता है जिसे श्वास प्रभावी (न्यूमोटोक्सिक – pneumotoxic) केन्द्र कहते हैं। यह श्वसन लय केन्द्र के कार्यों को संयत कर सकता है।

इस केन्द्र के तंत्रिका संकेत अंतःश्वसन की अवधि को कम कर सकते हैं। और इस प्रकार श्वसन दर को परिवर्तित कर सकते हैं। लयकेन्द्र के पास एक रसोसंवेदी (Chemosensitive) केन्द्र लयकेन्द्र के लिए अतिसंवेदी होता है, जो CO2 और हाइड्रोजन आयनों के लिए अति संवेदी होता है। इन पदार्थों की वृद्धि से यह केन्द्र सक्रिय होकर श्वसन प्रक्रिया में आवश्यक समायोजन करता है, जिससे ये पदार्थ निष्कासित किये जा सकें।

महाधमनी चाप (Aortic arch) और ग्रीवा धमनी (Carotid arch) से जुड़ी संवेदी संरचनाएँ भी CO2 और H+ सान्द्रता के परिवर्तन को पहचान सकते हैं तथा उपचारात्मक कार्यवाही हेतु लयकेन्द्र को संकेत दे सकते हैं। श्वसन लय के नियमन में ऑक्सीजन की भूमिका बहुत ही महत्वहीन है।

प्रश्न 8.
CO2 का ऑक्सीजन के परिवहन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
pCO2 का ऑक्सीजन के परिवहन पर प्रभाव
गैसों के मिश्रण में किसी विशेष गैस की दाब में भागीदारी को आंशिक दाब कहते हैं और इसे ऑक्सीजन तथा कार्बन डाईऑक्साइड के लिए क्रमशः pO2 तथा CO2 द्वारा प्रदर्शित करते हैं। निम्नोक्त सारणी में प्रदर्शित आँकड़े स्पष्ट रूप से कूपिकाओं से रक्त और रक्त से ऊतकों में ऑक्सीजन के लिए सांद्रता प्रवणता का संकेत देते हैं। इसी प्रकार CO2 के लिए विपरीत दिशा में प्रवणता प्रदर्शित की गई है, अर्थात् ऊतकों से रक्त और रक्त से कूपिकाओं की ओर।

वातावरण की तुलना में विसरण में सम्मिलित विभिन्न भागों पर 9 तथा CO2 का आंशिक दबाव (mm Hg में)

प्वसनवायुमंडलीय वायुवायु कूपिकाअनॉक्सीकृत्त रक्तऑक्सीकृत रक्तउतक
O2159104409540
CO20.345454045

वायु कूपिकाओं से जो ऑक्सीकृत रक्त ऊतकों में पहुँचता है, उसमें आंशिक दाब PO2 95 mm Hg तथा PCO 40mm Hg होता है। ऊतकों में O2 तथा CO2 का आंशिक दाब क्रमश: 40mm Hg और 45 mm Hg होता है। ऊतक तथा रक्त केशिकाओं में पाई जाने वाली O2 और CO2 की सांद्रता प्रवणता या आंशिक दाब में अन्तर होने के कारण रक्त केशिकाओं से O2 ऊतकों में और CO2 ऊतकों से रक्त केशिकाओं में विसरित हो जाती हैं।

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प्रश्न 9.
पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रक्रिया में क्या प्रभाव पड़ता है ?
जाता है
उत्तर:
पहाड़ पर चढ़ने वाले व्यक्ति की श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव पहाड़ पर ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ वायु में ऑक्सीजन का आंशिक दाब कम होता जाता है। अतः मैदान की अपेक्षा ऊँचाई पर श्वासोच्छ्वास क्रिया (breathing process) अधिक तेज गति से होगी। इसके कारण निम्नलिखित हैं-
1. रक्त में घुली हुई ऑक्सीजन का आंशिक दाब कम हो जाता है। O2 रक्त में आसानी से विसरित हो जाती है। अतः शरीर में ऑक्सीजन का परिसंचरण कम हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप सिरदर्द एवं वमन (उल्टी) का आभास होता है।
2. अधिक ऊँचाई पर वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है, अतः वायु से अधिक ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए श्वासोच्छ्वास प्रक्रिया की गति तीव्र हो जाती है।
3. कुछ दिनों तक ऊँचाई पर रहने से रक्त में RBC की संख्या बढ़ जाती है और श्वास प्रक्रिया सामान्य हो जाती है।

प्रश्न 10.
कीटों में श्वसन क्रिया विधि कैसी होती है ?
उत्तर:
कीटों में श्वसन क्रिया-विधि (Breathing in Insects)
हीमोग्लोबिन के अभाव के कारण कीटों का रुधिर ऑक्सीजन के वाहक के रूप में कार्य नहीं करता। इसलिए ऊतकों और शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए इनमें श्वास नलियाँ (ट्रेकिया (trachea) जाल के रूप में फैली रहती है। शरीर के पार्श्व भागों में स्थित 10 जोड़ी दरार जैसे श्वास रों (spiracles) द्वारा बाहर की वायु इन श्वास नलियों में प्रवेश करती है।

श्वास रन्ध्र छोटे वेश्म ( atrium) में खुलते हैं। श्वास रन्ध्रों पर रोम जैसे शूक (Bristles) होते हैं जो वायु को छानकर धूल आदि के कणों को वेश्म में प्रवेश करने से रोकते हैं। प्रत्येक रन्ध्र पर इसे खोलने और बंद करने एवं जल की हानि को रोकने के लिए कपाट भी होता है। कीटों के प्रत्येक उदर खंड में अनेक पेशियाँ होती हैं।

इन पेशियों के बार-बार संकुचन और अनुशिथिलन से कीटों का उदर नियमित समयान्तरों पर फूलता व पिचकता रहता है। उदर भाग के फूलने पर बाहर की वायु श्वास रन्ध्रों से होकर श्वास नलियों में प्रवेश कर जाती है। इस प्रक्रिया को अन्तःश्वसन या निःश्वसन (inspiration) कहते हैं। इसके विपरीत, शरीर के पिचकने पर वायु बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया को निःश्वसन या उच्छ्वास (expiration) कहते हैं।

गैसीय विनिमय – श्वास नलिकाओं की भित्ति से होकर ऑक्सीजन विसरण द्वारा ऊतकों में पहुँचती है। कीटों की विश्राम अवस्था में श्वास नलिकाओं में अन्दर आई ऑक्सीजन धीरे-धीरे ऊतक द्रव्य में घुलकर शरीर के ऊतकों में पहुँचती है और कीट की सक्रिय अवस्था में ऊतक द्रव्य निकलकर ऊतक कोशिकाओं में चला जाता है तथा ऑक्सीजन ऊतकों में सीधी पहुँच जाती है। ऊतकों के अन्दर ऑक्सीकरण क्रिया में मुक्त हुई CO2 श्वासनलिका में आ जाती है और फिर श्वास नलियों के श्वासरन्धों तथा अध्यावरण द्वारा विसरित होकर बाहर निकलती रहती है।

प्रश्न 11.
ऑक्सीजन वियोजन वक्र की परिभाषा दें। क्या आप इसकी सिग्माध आकृति का कोई कारण बता सकते हैं ?
उत्तर:
ऑक्सीजन वियोजन वक्रं (Oxygen Dissociation Curve) हीमोग्लोबिन द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता ऑक्सीजन के आंशिक दाब (PO2) पर निर्भर करती है। हीमोग्लोबिन की वह प्रतिशत मात्रा जिसने ऑक्सीजन ग्रहण की है, इसकी प्रतिशत मात्रा कहलाती है। फेफड़ों से आने वाले शुद्ध रुधिर में O2 का आंशिक दाब PO2 लगभग 97mm Hg होता है और इस PO2 पर हीमोग्लोबिन की प्रतिशत संतृप्ति लगभग 98% होती है।

जबकि ऊतकों से वापस आने वाले अशुद्ध रुधिर में O2 का आंशिक दाब PO2 लगभग 40mm Hg होता है और इस PO2 पर हीमोग्लोबिन की प्रतिशत संतृप्ति लगभग 75% होती है। इस अवस्था में ऑक्सीजन के आंशिक दाब (PO) तथा हीमोग्लोबिन की प्रतिशत संतृप्ति के बीच खींचे गए प्राफीय वक्र को ऑक्सीजन वियोजन वक्र कहते हैं, जो सदैव सिग्माकार (sigmoid) आकृति का होता है। ऑक्सीजन वियोजन वक्र पर शरीर के ताप एवं रुधिर के pH का प्रभाव पड़ता है।

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ताप बढ़ने या pH के कम होने पर यह वक्र दाहिनी ओर खिसकता है तथा ताप कम होने पर या PH के अधिक होने पर वक्रं बायीं ओर खिसकता है। रुधिर में CO2 की मात्रा बढ़ने या इसका pH घटने (H+ आयन की संख्या बढ़ने से ) पर O2 के प्रति हीमोग्लोबिन की आकर्षण क्षमता कम हो जाती है। इसे बोहरे का प्रभाव कहते हैं। यह क्रिया ऊतकों में होती है। इस प्रकार बोहर के प्रभाव का योगदान हीमोग्लोबिन को फेफड़ों से ऊतकों तक ऑक्सीजन के परिवहन को प्रोत्साहित करता है ।

फेफड़ों में हीमोग्लोबिन को O2 मिलते ही CO2 के प्रति इसका आकर्षण कम हो जाता है और कार्वामिनो हीमोग्लोबिन हीमोग्लोबिन और CO2 में विघटित हो जाता है। अम्लीय हीमोग्लोबिन H+ आयन मुक्त करता है। ये आयन बाइकार्बोनेट आयनों (HCO3) से मिलकर कार्बनिक अम्ल (H2 CO3) बनाते हैं जो शीघ्र ही जल (H2O) और CO2 में अपघटित हो जाता है। इसे हेल्डेन प्रभाव कहते हैं। हेल्डेन प्रभाव फेफड़ों में CO2 के निष्कासन को और ऊतकों से O2 के निष्कासन को प्रेरित करता है।
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प्रश्न 12.
क्या आपने अवकॉसीयता (हाइपोक्सिया) (न्यून ऑक्सीजन) के बारे में सुना है ? इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करें व साथियों के बीच चर्चा करें।
उत्तर:
अवकॉसीयता (Hypoxia)
अवकॉसीयता का सम्बन्ध शरीर की कोशिकाओं ऊतकों में ऑक्सीजन के आंशिक दाब में कमी से होता है। ऐसा ऑक्सीजन की कम आपूर्ति के कारण होता है। वायुमंडल में पहाड़ों पर 8000 फुट से अधिक ऊँचाई पर वायु में ऑक्सीजन का दाब कम हो जाता है। इसके कारण सिर दर्द, चक्कर आना, वमन, मानसिक थकान, श्वास लेने में कठिनाई जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। इसे कृत्रिम हाइपोक्सिया कहते हैं। यह रोग प्रायः पर्वतारोहियों को हो जाता है। शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने से रुधिर की ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसे एनीमिया हाइपोक्सिया कहते हैं ।

प्रश्न 13.
निम्न के बीच अन्तर कीजिए-
(क) IRV (आई. आर.वी.) और ERV (ई.आर.वी.)
(ग) जैव क्षमता और फेफड़ों की कुल धारिता
(ख) अन्तःश्वसन क्षमता (IC ) और निःश्वसन क्षमता (EC)
उत्तर:
(क) IRV (आई. आर.वी.) और ERV (ई.आर.वी.) में अन्तर

अन्त: श्वसन सुरछ्षित आयतन (Inspiratory Reserve Volume : IRV)नि:श्कसन सुरक्षित आयतान (Expiratory Reserve Volume : ERV)
प्रवाही वायु के अतिरिक्त जितनी वायु हम चेटा और अभ्यास से एक बार में अन्त:श्वासित कर सकते हैं, उसे अन्तःश्वसन सुरक्षित आयतन (IRV) कहते हैं। यह औसतन 2500 मिली से 3000 मिली होता है।प्रवाही वायु के अतिरिक्त वायु की वह अधिकतम मात्रा जिसे हम चेष्टा और अभ्यास से निःश्वासित कर सकते हैं, उसे नि:श्वसन सुरक्षित आयत्तन (ERV) कहते हैं। यह औसतन 1000 मिली से 1100 मिली होता है।

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(ख) अन्तःश्वसन क्षमता (IC) और निःश्वसन क्षमता (EC) में अन्तर

अन्तः श्वसन क्षमता (Inspiratory Capacity : IC)नि:श्वसन क्षमता (Expiratory Capacity : EC)
प्रवाही वायु एवं अन्तःश्वसन सुरक्षित वायु के योग को फेफड़ों की अन्तश्वसन क्षमता कहते हैं। यह वायु की वह अधिकतम मात्रा है जिसे हम चेष्टा करके फेफडों में भरते हैं। यह औसतन 500+3000=3500 मिली होती है।सामान्य अन्त:श्वसन के पश्चात वायु की वह अधिकतम मात्रा जिसे एक व्यक्ति नि:श्वासित कर सकता है। इसमें प्रवाही वायु एवं सुरक्षित वायु आयतन सम्मिलित होते हैं। वह औसतन 500+1100=1600 मिली होती है।

(ग) जैव क्षमता तथा फेफड़ों की कुल धारिता में अन्तर

जैव क्षमता (Vital Capacity : VC)फेफड़ों की कुल धारिता (Total Lung Capacity : TLC)
अन्तःश्वसन सुरक्षित वायु आयतन (IRV) प्रवाही वायु (TV) तथा निश्वसन सुरक्षित वायु (ERV) की कुल मात्रा को जैव क्षमता कहते हैं। यह वायु की वह मात्रा है जिसे पूरी चेष्टा द्वारा फेफड़ों में भर कर पूर्ण चेष्टा के साथ फेफड़ों से बाहर निकाल सकते हैं। यह मात्रा औसतन 3000+500+1100 = 4600 मिली होती है।यह जैव क्षमता तथा अवशेष क्षमता (4600 मिली +1200 मिली) के योग के बराबर होती है। यह औसतन 5800 मिली होती है। यह वायु की मात्रा फेफड़ों में भरी जा सकती है।

प्रश्न 14.
ज्वारीय आयतन क्या है ? एक स्वस्थ मनुष्य के लिए एक घंटे के ज्वारीय आयतन (लगभग मात्रा) को आकलित करें।
उत्तर:
ज्वारीय (या प्रवाही) आयतन (Tidal Volume : TV) सामान्य दशा में स्वस्थ मनुष्य जो वायु का आयतन ग्रहण करता है और निष्कासित करता है, उसे ज्वारीय या प्रवाही आयतन कहते हैं। सामान्यतः इसकी मात्रा लगभग 500 मिली होती है। एक घंटे में ग्रहण की गई वायु का आयतन – सामान्यतः एक स्वस्थ व्यक्ति प्रति मिनट 12-16 बार श्वास लेता है और निष्कासित करता है तो एक घंटे में महण की गई ज्वारीय ( प्रवाही) वायु का आयतन
= श्वास दर x ज्वारीय वायु का आयतन x 60
= 12 × 500 × 60 = 360000 मिली प्रति घंटा
16 × 500 × 60 = 480000 मिली प्रति घंटा

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर छाँटें-
(क) आमाशय में रस होता है-
(अ) पेप्सिन, लाइपेस और रेनिन
(स) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और लाइपेस
(ब) ट्रिप्सिन, लाइपेस और रेनिन
(द) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और रेनिन ।
उत्तर:
(अ) पेप्सिन, लाइपेस और रेनिन

(ख) सक्कस एंटेरिकस नाम दिया गया है-
(अ) क्षुद्रान्त्र (illum ) और बड़ी आँत के सन्धिस्थल के लिये –
(स) आहारनाल में सूजन के लिये
(ब) आन्त्रिक रस के लिये
(द) परिशेषिका (Appendix ) के लिये
उत्तर:
(ब) आन्त्रिक रस के लिए ।

प्रश्न 2.
स्तम्भ I का स्तम्भ II से मिलान कीजिए-

सुस्म Iस्तम्म II
बिलिरुबिन और बिलिवर्डिनपैरोटिड
मंड (स्टार्च) का जल-अपघटनपित
वसा का पाचनलाइपेस
लार मन्थिएमाइलेस

उत्तर:

सुस्म Iरुसम II
बिलिरुबिन और बिलिवर्डिनपित्त
मंड (स्टार्च) का जल-अपघटनएमाइलेज
वसा का पाचनलाइपेज
लार मन्थिपैरोटिड

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प्रश्न 3.
संकेष में उतर दें-
(क) अंकुर (Villi) छोटी आँत में होते हैं, आमाशय में क्यों नहीं ?
(ख) पेप्सिनोजेन अपने सक्रिय रूप में कैसे परिवर्तित होता है ?
(ग) आहारनाल की दीवार के मूल स्तर क्या हैं ?
(घ) वसा के पाचन में पिस कैसे मदद करता है ?
उत्तर:
(क) आँत की भीतरी सतह श्लेष्मिका (mucosa) में अनेक वलय (folds) तथा रसांकुर ( Villi) पाये जाते हैं। ये रचनाएँ अँगुली सदृश होती हैं। श्लेष्मिका की कोशिकाओं की सतह पर अनेक ब्रश सदृश सूक्ष्म रसांकुर (microvilli) होते हैं। इससे आँत की अवशोषण सतह में 600 गुना वृद्धि हो जाती है। वे पचे हुए भोजन का अवशोषण करते हैं। आमाशय (stomach) में भोजन का पूरा पाचन नहीं होता है। इसलिए आमाशय में रसांकुर तथा सूक्ष्म रसांकुर (villi & microvilli) नहीं पाये जाते हैं।
(ख) पेप्सिनोजन ( Pepsinogen) जठर रस (Gastric juice) के नमक के अम्ल (HCI) की उपस्थिति में सक्रिय पेप्सिन (pepsin) में बदल जाता है।
(ग) आहारनाल की दीवार में निम्नलिखित चार मूल स्तर होते हैं-
(i) लस्यस्तर या सीरोसा (serosa ),
(ii) पेशीस्तर या मसल लेयर (muscle layer),
(iii) अथः श्लेष्पिका या सबम्यूकोसा (submucosa),
(iv) श्लेष्पिका (mucosa)।
वसा के पाचन में पित्त के कार्बनिक लवण वसा का इमल्सीकण ( emulsification) करते हैं। इमल्सीकृत वसा ( emulsified) का पाचन लाइपेज एन्जाइम द्वारा आसानी से हो जाता है। लाइपेज इमल्सीकृत वसा को घुलनशील वसा अम्ल (fatty acid) तथा ग्लिसरॉल (glycerol) में बदल देता है ।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 1

प्रश्न 4.
प्रोटीन के पाचन में अग्न्याशयी रस की भूमिका स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर:
प्रोटीन के पाचन में अग्न्याशयी रस की भूमिका (Role of Pancreatic Juice in Protein Digestion)
अग्न्याशयी रस (pencreatic juice) जल के समान पतला, रंगहीन और अत्यधिक क्षारीय (alkali) होता है। इसमें 96% जल तथा शेष भाग में लवण एवं पाचक एन्जाइम होते हैं। इसे पूर्णपाचक रस (complete digestive enzyme) कहते हैं, क्योंकि इसमें क्षारीय माध्यम में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा को पचाने वाले एन्जाइम्स उपस्थित होते हैं।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रोटीन पाचन एन्जाइम ट्रिप्सिन और काइमोट्रिप्सन (Protein digestive Engyme – Trypsin & Chymotrypsin)
दोनों एन्जाइम्स (enzyme) मिलकर आमाशय से आयी काइम (chyme) की शेष बची प्रोटीन और पेप्टोन्स (peptones) पर क्रिया करके उनको पॉलीपेप्टाइड्स तथा पेप्टोन्स में बदल देते हैं। ये दोनों एन्जाइम पहले निष्क्रिय ट्रिप्सीनोजन तथा काइमोट्रिप्सिनोजन के रूप में स्रावित होते हैं, किन्तु ग्रहणी में आरस का एन्टीरोकाइनेज ट्रिप्सिनोजन को सक्रिय ट्रिप्सिन (trypsin) में तथा ट्रिप्सिन काइमोट्रिप्सिनोजन (chymotrypsin) को सक्रिय काइमोट्रिप्सिन में परिवर्तित कर देता है ।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 2

प्रश्न 5.
आमाशय में प्रोटीन के पाचन की क्रिया का वर्णन कीजिये ।
उत्तर:
आमाशय में प्रोटीन का पाचन (Digestion of Protein in Stomach)
आमाशय की दीवार में स्थित जठर प्रन्थियों से जठर रस (gastric juice) स्त्रावित होता है। यह रस उच्च अम्लीय ( pH 1-0 से 3.5 ) होता है। इसमें 99% जल, 0.5% HCl तथा 0.4% पेप्सिनोजन (pepsinogen), प्रोरेनिन (prorennin) नामक प्रोएन्जाइम तथा गैस्ट्रिक लाइपेज (gastric lipase) नामक एन्जाइम होते हैं। प्रोएन्जाइम पेप्सिनोजन HCl के सम्पर्क में आने पर सक्रिय पेप्सिन एन्जाइम (pepsin enzyme) में परिवर्तित हो जाता है तथा प्रोरेनिन रेनिन में बदल जाता है। ये प्रोटीन (protein) तथा दूध की केसीन (प्रोटीन) का पाचन करते हैं ।
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प्रश्न 6.
मनुष्य का दन्त सूत्र बताइए।
उत्तर:
मनुष्य का दन्त सूत्र (Dental Formula of Man)
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 3

i = कृन्तक दन्त (incisors), c = भेदक दन्त (canine)
pm = अग्र चवर्णक दन्त (premolars), m = चवर्णक दन्त (molars) ।

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प्रश्न 7.
पित्त रस में कोई पाचक एन्जाइम नहीं होते, फिर भी यह पाचन के लिये महत्वपूर्ण है, क्यों ?
उत्तर:
पित्तरस की पाचन में भूमिका (Role of Bile Juice in Digestion) – यकृत (liver) एक महत्वपूर्ण पाचक ग्रन्थि (digestive gland) है। इससे पित्त रस का स्त्रावण होता है। इसमें कोई एन्जाइम नहीं होते। यह हरे रंग का क्षारीय तरल होता है। इसमें पित्त लवण, पित रंग, कोलेस्ट्रॉल और लेसीथिन आदि उपस्थित होते हैं। यह आमाशय (stomach) से आई अम्लीय लुग्दी-काइम (chyme) को पतली क्षारीय काइल (chyle) में परिवर्तित करता है जिससे अग्न्याशयी एन्जाइम्स (pancreatic enzymes) इस पर क्रिया करके भोजन का पाचन कर सकें। यह वसा का इमल्सीकरण करता है। इमल्सीकृत वसा का लाइपेज एन्जाइम (lipase enzyme) द्वारा आसानी से पाचन हो जाता कार्बनिक लवण (पित्त लवण) वसा के पाचन में सहायता करते हैं।
पित्त (bile) हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके भोजन को ग्रहणी में सड़ने से बचाता है ।

प्रश्न 8.
पाचन में काइमोट्रिप्सिन की भूमिका वर्णित कीजिये। जिस ग्रन्थि से यह स्रावित होता है, इसी श्रेणी के दो अन्य एन्जाइम कौन से हैं ?
उत्तर:
पाचन में काइमोट्रिप्सिन की भूमिका (Role of Chymotrypsin in Digestion)
काइमोट्रिप्सन (chymotrypsin) अग्न्याशय (pancreas) से स्त्रावित होने वाला प्रोटीन पाचक एन्जाइम है। यह निष्क्रिय अवस्था में काइमोट्रिप्सिनोजन (Chymotrypsinogen) के रूप में स्रावित होता है। यह आन्त्रीय रस में उपस्थित एन्टेरोकाइनेज (enterokinase) एन्जाइम की उपस्थिति में सक्रिय काइमोट्रिप्सिन (chymotripsin) में परिवर्तित हो जाता है।
यह प्रोटीन को पॉलीपेप्टाइड एवं पेप्टोन में बदल देता है।
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अग्न्याशय से अन्य स्त्रावित होने वाले प्रोटीन पाचक एन्जाइम निम्नलिखित हैं-
1. ट्रिप्सिनोजन (Trypsinogen),
2. कार्बोक्सीपेप्टिडेज (Carboxypeptidase) ।

प्रश्न 9.
पॉलीसेकेराइड और डाइसैकेराइड का पाचन कैसे होता है ?
उत्तर:
पॉलीसेकेराइड और डाइसैकेराइड का पाचन (Digestion of Polysaccharides & Disaccharides) कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन मुखगुहा से ही प्रारम्भ हो जाता है। भोजन में लार (saliva) मिल जाती है। लार का pH मान 6-8 होता है । यह मुखगुहा आये भोजन को चिकना व निगलने योग्य बना देती है। लार में टायलिन (Ptyalin) नामक एन्जाइम होता है जो मण्ड या स्टार्च (पॉलीसेकेराइड) को माल्टोज (डाइसैकेराइड) में परिवर्तित कर देता है।
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आमाशय में कार्बोहाइड्रेट का पाचन नहीं होता है। अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) में एमाइलेज ( amylase) एन्जाइम होता है, जो स्टार्च (पॉलीसेकेराइड) को माल्टोज (डाइसैकेराइड) में परिवर्तित करता है।
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छोटी आँत में आत्रीय रस (intestinal juice) में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट पाचक एन्जाइम निम्नवत् इसके पाचन में सहायक है-
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माल्टोज, लैक्टोज एवं सुक्रोज तीनों ही डाइसैकेराइड्स हैं।

प्रश्न 10.
यदि आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्त्राव नहीं होगा तो तब क्या होगा ?
उत्तर:
आमाशय की जठर ग्रन्थियों की आक्सिन्टिक कोशिकाओं (oxyntic cells) से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) स्त्रावित होता है। यह आमाशय में भोजन को सड़ने से बचाता है और जठर मन्थियों से स्रावित निष्क्रिय एन्जाइम को सक्रिय बनाता है। भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाता है। HCl के अभाव में निम्नलिखित क्रियाएँ होंगी-
1. भोजन का माध्यम अम्लीय न होने से जठर रस के एन्जाइम पेप्सिनोजन और प्रोरेनिन निष्क्रिय बने रहेंगे और प्रोटीन का पाचन नहीं हो सकेंगा।
2. भोजन में उपस्थित कैल्सियम युक्त कठोर भागों का पाचन नहीं हो सकेगा ।
3. टायलिन द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन होता रहेगा।
4. भोजन में उपस्थित न्यूक्लिक अम्लों का अपघटन नहीं होगा।

प्रश्न 11.
आपके द्वारा खाए गये मक्खन का पाचन और उसका शरीर में अवशोषण कैसे होता है ? विस्तार से वर्णन करें
उत्तर:
मक्खन इमल्सीकृत वसा (emulsified fat) है। इसका पाचन आमाशय (stomach) से शुरू हो जाता है। कुछ मात्रा में वसा का पाचन गैस्ट्रिक लाइपेज (gastric lipase) द्वारा वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में हो जाता है। ग्रहणी तथा आँत में लाइपेज एन्जाइम द्वारा वसा का पाचन होता है जिसके फलस्वरूप अन्ततः वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल बनते हैं।
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इनका अवशोषण छोटी आँत में लसीका कोशिकाओं (lymph cells) द्वारा होता है। अवशोषित वसीय अम्ल, ग्लिसरॉल तथा फॉस्फेट मिलकर वसा बिन्दुक मिसेल (micelles) या काइलोमाइक्रोन्स (chylomicrons) का निर्माण करते हैं। लसीका वाहिनियों (lymph vessels) अन्ततः रुधिर वाहिनियों से मिल जाती हैं, जिससे मिसेल या काइलोमाइक्रोन्स रुधिर में पहुँच जाते हैं।

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प्रश्न 12.
आहारनाल के विभिन्न भागों में प्रोटीन के पाचन के मुख्य चरणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आहारनाल के विभिन्न भागों में प्रोटीन का पाचन
(1) आमाशय में पाचन (Digestion in Stomach) – आमाशय के जठर रस (gastric juice) में प्रोटीन पाचक, एन्जाइम निष्क्रिय पेप्सिनोजन तथा प्रोरेनिन (pepsinogen and prorennin) होते हैं। ये हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) की उपस्थिति में सक्रिय पेप्सिन (pepsin) तथा रेनिन ( ranin) में बदल जाते हैं, पेप्सिन भोजन की प्रोटीन को अपघटित करके पेप्टोन्स एवं पॉलीपेप्टाइड्स (peptones and polypeptides) में बदल देता है।
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(2) ग्रहणी में पाचन (Digestion in Duodenum) – अग्न्याशयिक रस के निष्क्रिय ट्रिप्सिनोजन तथा काइमाट्रिप्सिनोजन (trypsinogen and chymotrypsinogen) आन्त्रीय रस में उपस्थित एण्टेरोकाइनेज ट्रिप्सिनोजन को सक्रिय ट्रिप्सिन (trypsin) में तथा ट्रिप्सिन काइमोट्रिप्सिनोजन को सक्रिय काइमोट्रिप्सिन में परिवर्तित कर देता है ।

(3) क्षुद्रान्त्र में पाचन (Digestion in small intestine ) – आन्त्रीय रस में इरेप्सिन (erepsin) एन्जाइम का समूह होता है। इसमें एमीनोपेप्टिडेज (aminopeptidase), डाइपेप्टिडेज ( dipeptidase) तथा ट्राइपेप्टिडेज (tripeptidase) होते हैं। ये तीनों ही एन्जाइम क्रमशः पॉलीपेप्टाइट्स, डाइपेप्टाइड्स तथा ट्राइपेप्टाइड्स को अमीनो अम्लों (amino acids) में परिवर्तित कर देते हैं।
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इस प्रकार प्रोटीन के पूर्ण पाचन हो जाने पर सरल घुलनशील अमीनो अम्ल ( amino acids) प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 13.
गर्तदन्ती (Thocodont) और द्विबारदन्ती (Diphyodont) शब्दों की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर:
गर्लदन्ती (Thocodont) – ये दाँत अस्थियों के अन्दर गड्ढे में स्थित होते हैं। गड्ढे में दाँत घने तन्तुओं से बने परिदन्तीय स्नायु और मसूड़े (gum) द्वारा सधे रहते हैं। ऐसे दाँतों को गर्तदन्ती या थांकोडॉन्ट कहते हैं। द्विवारदन्ती (Diphyodont) – मनुष्य सहित अधिकांश स्तनियों में दाँत जीवन में दो बार निकलते हैं। पहली बार अस्थायी दूध के दाँत या क्षीर दन्तों (milk teeth) के रूप में निकलते हैं। इनके गिरने के बाद स्थायी दाँत (permanent teeth) निकलते हैं। इस प्रकार के दाँतों को द्विवारदन्ती या डाइफायोडॉन्ट कहते हैं।

प्रश्न 14.
विभिन्न प्रकार के दाँतों के नाम और एक वयस्क मनुष्य में दाँतों की संख्या बताइए।
उत्तर:
मनुष्य ‘में चार प्रकार के दाँत पाये जाते हैं।
(1) कृन्तक दन्त या छेदक दन्त (इनसाइजर्स – Incisors) – ये दाँत तेज धार वाले छैनी जैसे चौड़े होते हैं तथा भोजन को पकड़ने, काटने या कुतरने का कार्य करते हैं। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 4 होती है।
(2) भेदक या रदनक दन्त ( कैनाइन्स – Canines) – ये नुकीले होते हैं और भोजन को चीरने फाड़ने का कार्य करते हैं। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 2 होती है।
(3) अग्रचर्वणक दन्त (प्रीमोलर्स – Premolars) – ये किनारे पर चपटे, चौकोर व रेखादार होते हैं। इनका कार्य भोजन को कुचलना है। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 4 होती है।
(4) चर्वणक दन्त (मोलर्स – Molars) – इनके सिरे चौरस व तेज धार युक्त होते हैं। इनक मुख्य कार्य भोजन को पीसना ( grinding ) है । प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 6 होती है।
इस प्रकार वयस्क मनुष्य में 8 कृन्तक, 4 भेदक, 8 अग्रचर्वणक एवं 12 चर्वणक दन्त होते हैं। वयस्क ( adult) मनुष्य का दन्त सूत्र निम्नवत् है-
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प्रश्न 15.
यकृत के क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
यकृत के कार्य (Functions of Liver)
पाचन क्रिया में यकृत की भूमिका (Role of liver in the process of digestion)
यकृत एक महत्वपूर्ण पाचन ग्रन्थि ( digestive gland) है। यह अप्रवत् क्रिया में सहायक होती है-
(1) पित्त रस (Bile juice) का स्त्रावण करना – पित्त रस का स्त्रावण करना यकृत का प्रमुख कार्य है। यह हरे रंग का क्षारीय तरल (alkali fluid) होता है। इनमें पित्त लवण (bile salts), पित्त रंगा (bile pigments), कोलेस्टरॉल (cholesterol), लैसीथिन (lecithin) आदि पदार्थ होते हैं। यद्यपि इसमें पाचक एन्जाइम्स नहीं होते हैं, फिर भी यह वसा पाचन में महत्वपूर्ण भाग लेता है तथा इसका इमल्सीकरण (emulsification) करता है। यह भोजन को सड़ने से रोकता है और उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं (bacteria) को नष्ट करता है। क्षारीय होने के कारण यह भोजन के अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाता है तभी आन्त्र में काइम (chyme) पर अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) की प्रतिक्रियाएँ सम्भव हो पाती हैं। यह आहारनाल में क्रमाकुंचन गति को भी उद्दीप्त करता है।

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(2) ग्लाइकोजेनेसिस (Glycogenesis ) – आमाशय एवं आन्त्र में पचे भोज्य पदार्थों को यकृत निवाहिका शिरा (hepatic portal vein) यकृत में लाती हैं। यकृत कोशिकाएँ इससे आवश्यकता से अधिक शर्करा को अवशोषित करके उसे ग्लाइकोजन (glycogen) में बदलकर इसका संग्रह कर लेती है। इस क्रिया को ग्लाइकोजेनेसिस कहते हैं।

(3) ग्लोकोजिनोलिसिस (Glycogenolysis) – रुधिर में शर्करा की कमी पड़ जाने पर यकृत कोशिकाएँ संगृहीत ग्लाइकोजन (glycogen) को पुनः शर्करा में परिवर्तित करके रुधिर में मुक्त कर देती हैं। इस क्रिया को ग्लाइकोजिनोलिसिस (glycogenolysis) कहते हैं।

(4) ग्लूको नियोजेनिसिस (Gluconeogenesis ) – आवश्यकता पड़ने पर यकृत कोशिकाएँ अमीनो अम्लों, वसीय अम्लों तथा ग्लिसरॉल आदि अन्य पदार्थों से भी ग्लूकोज का संश्लेषण कर लेती हैं। इस क्रिया को ग्लूकोनियोजेनिसिस कहते हैं ।

(5) वसा (Fat) का संचय – यकृत कोशिकाएँ वसा के उपापचय (fat metabolism) में भी महत्वपूर्ण भाग लेती हैं और वसा का संचय भी करती हैं।

(6) एन्जाइम्स (Enzymes) का स्त्रावण करना-यकृत कोशिकाएँ प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट आदि के उपापचय हेतु कुछ एन्जाइम का स्राव भी करती हैं।

(7) विटामिन्स (Vitamins) का संचय – यकृत कोशिकाएँ विटामिन ‘ का संश्लेषण करके इसका तथा विटामिन ‘D’ व ‘B12‘ का संचय करती हैं।

यकृत के अन्य महत्वपूर्ण कार्य – इसके निम्नलिखित कार्य हैं-
(1) डीऐमीनेशन (Deamination ) – यकृत कोशिकाएँ आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्लों (amino acid) को रुधिर से लेकर इन्हें पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) तथा अमोनिया में विखण्डित कर देती हैं। इस क्रिया को अमीनो अम्लों का डीऐमीनेशन (deamination) कहते हैं। पाइरुविक अम्ल का उपयोग ऊर्जा उत्पादन में या ग्लूकोनियोजेनिसिस के अन्तर्गत ग्लूकोज संश्लेषण में होता है।
(2) यूरिया का संश्लेषण (Synthesis of Urea ) – डीऐमीनेशन तथा प्रोटीन उपापचय में बनी अमोनिया को यकृत कोशिकाएँ CO2 को मिलाकर यूरिएज एन्जाइम की सहायता से यूरिया (urea) का संश्लेषण करती हैं। वृक्क इस यूरिया को रुधिर से ग्रहण करके मूत्र (urine ) के साथ इसका उत्सर्जन करते हैं। 2NH3 + CO2 → CO (NH2 ) 2 + H2 O

(3) उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन – कुछ उत्सर्जी पदार्थ पित्त (bile) में मिलकर महणी में पहुँचते हैं और फिर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

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(4) विषाक्त पदार्थों का विषहरण (Detoxification) – आन्त्र में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न विषैले पदार्थ यकृत निवाहिका शिरा द्वारा यकृत में पहुँचते हैं तो यकृत कोशिकाएँ इन्हें नष्ट या निष्क्रिय करके हानिरहित पदार्थ में परिवर्तित कर देती हैं।

(5) रुधिराणुओं का निर्माण एवं विखण्डन- भ्रूणावस्था में यकृत में लाल रुधिराणुओं (RBCs) का निर्माण होता है। किन्तु वयस्क अवस्था में यकृत की कुफ्फर कोशिकाएँ (Kuffer cells) निष्क्रिय एवं मृत लाल रुधिराणुओं को विखण्डित कर देती हैं जो पित्त (bile) के साथ ग्रहणी में पहुँचकर मल के साथ बाहर निकल जाती हैं।

(6) अकार्बनिक पदार्थों का संग्रहण – यकृत कोशिकाएँ लौह, ताँबा आदि अकार्बनिक पदार्थों का संग्रह करते हैं।

(7) रुधिर – प्रोटीन का संश्लेषण – यकृत कोशिकाएँ प्रोथॉम्बिन (Prothrombin) तथा फाइब्रिनोजन (Fibrinogen) नामक रुधिर प्रोटीन्स का संश्लेषण करती हैं, जो चोट लगने पर बहते रुधिर का थक्का (clot) जमाने का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं।

(8) हिपैरिन (Heparin) का स्रावण – यकृत कोशिकाएँ हिपैरिन (heparin) का स्त्रावण करती हैं जो रुधिर वाहिनियों में रुधिर को जमने से रोकता है।

(9) जीवाणुओं का भक्षण-रुधिर में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को यकृत कोशिकाएँ भक्षण करके नष्ट कर देती हैं।

(10) लसिका उत्पादन एवं संचय – यकृत में लसिका (lymph) निर्माण होता है तथा इसमें उपस्थित रुधिर पात्र (blood sinosoids) रुधिर संचय का कार्य करते हैं।

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes

HBSE 10th Class Science Life Processes Textbook Questions and Answers

Question 1.
The kidneys in human beings are a part of the system for ……….
(a) nutrition
(b) respiration
(c) excretion
(d) transportation
Answer:
(c) excretion

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes

Question 2.
The xylem in plants is responsible for ……….
(a) transport of water
(b) transport of food
(c) transport of amino acids
(d) transport of oxygen
Answer:
(a) transport of water

Question 3.
The autotrophic mode of nutrition requires ……….
(a) carbon dioxide and water
(b) chlorophyll
(c) sunlight
(d) all of the above
Answer:
(d) all of the above.

Question 4.
The breakdown of pyruvate to give carbon dioxide, water and energy takes place in ……….
(a) cytoplasm
(b) mitochondria
(c) chloroplast
(d) nucleus
Answer:
(b) mitochondria

Question 5.
How are fats digested in our bodies? Where does this process take place?
Answer:
1. Fat digestion occurs in small intestine.

2. First of all the large tat molecules gets converted into small molecules. This helps the fat-digesting enzymes to act on the fat molecules efficiently.

3. The bile juice which comes from the gall bladder (produced by liver) contains bile salts. These bile salts emulsify the fat molecules. Here, the surface tension of fat molecules decrease and they become smaller

4. As the surface area of these smaller molecule is more, it helps in effective action of enzymes.

5. The enzyme lipase which does this task comes from pancreas as well as intestinal glands. This lipase converts the fats into fatty acids and glycerol and this is how fats get digested.

Question 6.
What is the role of saliva in the digestion of food?
Answer:
Human digestive system:
1. The function of digestive system is to break down larger molecules of food into smaller forms so that they can be absorbed easily into the body.
The human digestive system consists of the alimentary canal and its associated glands.

2. The main organs of the human digestive system are:
Mouth, oesophagus, stomach, small intestine and large intestine.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 5 Periodic Classification of Elements 5

The main glands associated with digestion are:
Salivary gland, liver, and pancreas.

Salivary gland:
1. The salivary gland secretes saliva in our mouth. It is a watery liquid and so it wets (lubricates) the food in mouth. It is easy to swallow wet food.
2. The salivary gland also secretes an enzyme called amylase. Amylase breaks the complex molecule called starch present in the food into sugar.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes

Question 7.
What are the necessary conditions for autotrophic nutrition and what are Its by-products?
Answer:
(a) Necessary conditions:

  • Presence of chlorophyll in the plants
  • Absorption of light energy
  • Splitting of water molecules
  • Reduction of carbon dioxide to carbohydrates

(b) By-products:
Oxygen is the by-product and carbohydrate (glucose) is the main product of the autotrophic nutrition.

Question 8.
What are the differences between aerobic and anaerobic respiration? Name some organisms that use the anaerobic mode of respiration.
Answer:
1. Yeast, fungi. endoparasites (tape-worm, ascans), some bacteria are examples of some organisms who show anaerobic mode of respiration.

2.

Aerobic respirationAnaerobic respiration
1. It takes place in presence of oxygen.

2. End products are CO2 and water.

3. It takes place in cytoplasm and mitochondria.

4. Aerobic respiration produces a considerable amount of energy.

1. It takes place in absence of oxygen.

2. End products are ethanol or lactic acid.

3. It takes place only in cytoplasm.

4. Anaerobic respiration produces quite Less energy.

Question 9.
How are the alveoli designed to maximize the exchange of gases?
Answer:
1. Alveoli are balloon-like structures. They can be also compared with a bunch of grapes. Their spacious structure facilitates the gaseous exchange with increased surface area.

2. Additionally, they are rich in blood supply and are thin-walled which helps in maximizing the exchange of gases.

Question 10.
What would be the consequences of deficiency of hemoglobin In our bodies?
Answer :
The desirable value of hemoglobin in males is 13-16 gibo mL blood and in females 12-15 gibo mL blood.
1. It hemoglobin is less, the oxygen-carrying capacity of blood decreases. It leads to lack of supply of oxygen to the body organs.

2. So, the heart has to pump the blood rapidly. As a result, a person gets tired soon and breathes faster than normal.

Question 11.
Describe double circulation of blood in human beings. Why Is it necessary?
Answer:
Double circulation:
In higher animals, the blood goes twice in the heart during each cardiac cycle. Hence, it is known as double circulation. The two circulations are called:

  • Systemic circulation and
  • Pulmonary circulation.

The systemic circulation occurs between the body cells (except lungs) and the heart while in pulmonary circulation, the circulation occurs only between the heart and the lungs.

Need of double circulation:
The need of oxygen is more in higher animals. In double circulation, the oxygenated and deoxygenated bloods do not mix. So, the body organs can get pure blood. It is helpful to maintain their metabolic needs.

Question 12.
What are the differences between the transport of materials In xylem and phloem?
Answer:

Xylem

Phloem

1. Xylem transports water and mineral salts in the plants.
2. Its transport route is from roots to leaves.
3. Here, transportation occurs in upward direction only.
4. Xylem contains tracheids and vessels.
1. Phloem transports organic food materials in the plants.
2. Its transport route is from leaves to various plant organs.
3. Here, translocation occurs in both upwards as well as downward direction and also in lateral direction. – in any and all directions.
4. Poem contains sieve tubes and sieve cells.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes

Question 13.
Compare the functioning of alveoli In the lungs and nephrons In the kidneys with respect to their structure and functioning.
Answer:

Functions of alveoli

Functions of nephron
1. It is the unit of respiratory system

2. It is thin-walled balloon-like structure

3. It increases the surface area for respiratory gas exchange

1. It is the unit of excretory system

2. It is thin-walled having cup shaped structure

3. It filters blood and formulates urine

HBSE 10th Class Science Life Processes InText Activity Questions and Answers

Textbook Page no – 95

Question 1.
Why is diffusion insufficient to meet the oxygen requirements of multi-cellular organisms like humans?
Answer:
1. In multicellular organisms such as humans, all the cells of, body are not in direct contact with surrounding environment.

2. Moreover, the size of human body is quite large as well as complex. So, each and every cell cannot perform gaseous exchange with environment by diffusion.

Question  2.
What criteria do we use to decide whether something is alive?
Answer:
1. Movement is one of the basic criterions of life to decide if something is alive.

2. Animals show visible movement called locomotion, while plants show invisible movement of biomolecules with themselves.

Question 3.
What are outside raw materials used for by an organism?
Answer:
Chief raw materials used by an organism from outside are:
(a) Food (Carbon based food source):
Constituents: Carbohydrates. proteins, fats etc.
Chief function: Providing energy, photosynthesis in plants
(b) Oxygen: For respiration
(c) Water:
Constituents: H2O and many water soluble minerals and salts.
Chief function: Universal medium for various metabolic processes in the body.

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes

Question 4.
What processes would you consider essential for maintaining life?
Answer:
Processes essential for maintaining life include —

  • Nutrition,
  • Respiration,
  • Transportation,
  • Excretion,
  • Control and Coordination,
  • Movement,
  • Reproduction.

Textbook Page no – 101.

Question 1.
What are the differences between autotrophic nutrition and heterotrophic nutrition?
Answer:

Autotrophic nutrition

Heterotrophic nutrition

1. In autotrophic nutrition, organisms produce their own food using water, carbon dioxide and sun light.
2. In this nutrition, organisms obtain energy by producing carbohydrates with the help of carbon dioxide, water and sunlight.
3. Autotrophic nutrition has no further classification.
Example: All green plants and some bacteria.
1. In heterotrophic nutrition, organisms derive energy by digesting organic substances obtained from plants and animals.
2. In this nutrition, the organisms first eat the food, then digest it into simpler forms and finally obtain energy.
3. Heterotrophic nutrition can be classified into (A) Saprophytic, (B) Parasitic and (C) Hoiozoic nutrition.
Example: Herbivores, carnivores and omnivores.

Question 2.
Where do plants get each of the raw materials required for photosynthesis?
Answer:
Plants need water. CO2, chlorophyll and sunlight for photosynthesis. They get these raw material from the following sources:

  • Water: Plants (Terrestrial plants) absorb water from the soil through roots.
  • CO2 : Plants get CO2 from the environment through the stomata.
  • Chlorophyll: Chlorophyll is a pigment found in the organelle called chloroplast of the cells of green parts of the plants.
  • Sunlight: The sun gives sunlight.

Question  3.
What is the role of the acid In our stomach?
Answer:
Stomach:

  • Stomach is a large organ which expands when the food enters it. Moreover, the stomach releases certain juices that help in digestion.
  • The muscular walls of the stomach churn the food thoroughly with these digestive juices.
  • During this process, the food is broken down into smaller pieces and is converted into a semi solid paste.
  • The wall of stomach contains three tubular glands which secrete gastric juice.

The gastric juice contains:

  • Dilute hydrochloric acid,
  • An enzyme called pepsin and
  • Mucus

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(a) Dilute hydrochloric acid:

  • Since the stomach releases dilute hydrochloric acid, the digestive juices are acidic in nature.
  • The presence of acid enables the enzyme pepsin to digest protein present in the food.
  • Therefore, the function of hydrochloric acid is to create an acidic medium in the stomach.
  • It also kills the bacteria that enter the stomach through food.

(b) Pepsin: Pepsin is an enzyme that helps in digesting protein and converting food into smaller molecules.

(c) Mucus: The mucus prevents the damage that the hydrochloric add may cause to the inner lining of the stomach.

Question  4.
What is the function of digestive enzymes?
Answer:
1. The digestive enzymes play an important role in digestion.
2. The food we eat contains complex macromolecules.
3. The digestive enzymes break down these complex molecules into smaller and simpler molecules.
4. These molecules are then easy to absorb by intestine.

Question 5.
How is the small intestine designed to absorb digested food?
Answer:
1. The process of digestion of food is almost completed in small intestine.
2. The small intestine is designed to provide maximum surface area for absorption of digested food.
3. To increase the surface area, the inner lining of the small intestine has numerous finger-like projections called ýilli.
4. These villi have a rich blood supply which helps to absorb food effectively.

Textbook Page no – 105

Question 1.
What advantage over an aquatic organism does a terrestrial organism have with regard to obtaining oxygen for respiration?
Answer:
In aquatic environment. i.e. in water, the dissolved O2 content is quite low compared to the oxygen-rich atmosphere of the terrestrial animal. So. the aquatic organisms have to breath at a much faster rate compared to the terrestrial organisms.

Question 2.
What are the different ways in which glucose Is oxidized to provide energy in various organisms?
Answer:
1. The food material taken in during the process of nutrition is used in cells to provide energy for various life processes. The process of converting food into energy varies among organisms.

2. In any case, the first step is to break-down glucose which is a 6-carbon molecule, into two 3-carbon molecule called pyruvate. This process takes place in the cytoplasm.

Further conversion of pyruvate:

1. In absence of oxygen (anaerobic respiration):

  • Conversion of pyruvate in absence of oxygen is called anaerobic respiration.
  • In the absence of oxygen, the conversion of pyruvate may take place in two ways. They are-

(a) The pyruvate may be converted into ethanol and carbon dioxide.
This process takes place in yeast during fermentation.

(b) When our muscles lack oxygen, the pyruvate gets converted into lactic acid which is also a 3-carbon molecule.
When we over-stress our muscles they build up lactic acid which then results in cramps.

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(2) In presence of oxygen (aerobic respiration):

  • The conversion of pyruvate in the presence of oxygen is called aerobic respiration.
  • In aerobic respiration, pyruvate breaks down in the mitochondria. This process breaks up the three-carbon pyruvate molecule to give three molecules of carbon dioxide. Water is also formed in this process.
  • Aerobic process releases much greater energy as compared to aerobic process.
  • The energy released during cellular respiration is immediately used to synthesize a molecule called ATP which is used to fuel all other activities in the, cell.

Question 3.
How is oxygen and carbondioxide transported in human beings?
Answer:
(a) Transport of oxygen:

  • In human body, hemoglobin has a very high affinity for oxygen.
  • Hemoglobin is present in the red blood cells. It carries oxygen from the respiratory surface of the lungs to the body cells.

(b) Transport of CO2:
Answer:
Carbon dioxide is a respiratory gas to be exhaled out of the body. CO2 is more soluble in water than oxygen. So, majority of CO2 is transported in the dissolved form in blood plasma.

Question 4.
How are the lungs designed in human beings to maximize the area for exchange of gases?
Answer:
1. Lungs have balloon-like structure.
2. The windpipe gets divided into left and right bronchi.
3. The bronchi enters into the lungs and further divides into narrower tubes called bronchioles.
4. The bronchioles terminate into balloon-like structure known as alveoli.
5. These alveoli provide a large surface area for maximum exchange of respiratory gases.

Textbook Page no – 110

Question 1.
What are the components of the transport system In human beings? What are the functions of these components?
Answer:
The transport system of human body contains three main components. They are –
(i) Heart,
(ii) Blood and
(iii) Blood vessels and
(iv) Lymph

(i) Functions of heart:

  • The human heart is a muscular pump which keeps blood flowing in the body till the person ¡s alive.
  • The heart receives purified (oxygenated) blood from the lungs and pumps it towards the body cells.
  • The heart receives deoxygenated blood from the body parts and sends it towards the lungs for purification.

(ii) Function of various blood cells:

  • Red blood cells (RBCs): They contain hemoglobin. Hence, they transport O2 from lungs to the body cells.
  • White blood cells (WBCs): They play an important role in providing immunity to the body. They protect the body from micro-organisms.
  • Blood platelets: When any blood vessel gets cut, the platelets clot the blood and prevent bleeding.
  • Blood plasma: Blood plasma transport nutrients, excretory substances, CO2, hormones, enzymes, etc.

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(iii) Functions of blood vessels:

  • Arteries carry blood from heart to the different organs of the body.
  • Exchange of materials between blood and its surrounding takes place through these capillaries.
  • Veins collect blood from different parts of the body and bring it back to the heart.

(iv) Functions of lymph: Lymph carries digested and absorbed fat from intestine and drain excess fluid from intercellular spaces back into blood.

Question 2.
Why is it necessary to separate oxygenated and deoxygenated blood in mammals and birds?
Answer:
1. Human heart (and also birds) require high amount of energy. They need to maintain their body temperature constantly. So, they need constant energy supply and hence constant supply of oxygen.

2. The septum separates the right side and the left side of te heart. As a result, the oxygenated blood and deoxygenated blood remain in separate chambers and do not mix.

3. Such a separation enables a very efficient supply of oxygen to the body cells.

Question 3.
What are the components of the transport system in highly organized plants?
Answer:
Xylem tissue and phloem tissue are the components of the transport system in highly organized plants.

Question 4.
How are water and minerals transported In plants?
Answer:
Transport of water in higher plants:

  • Higher plants possess xylem for transporting water to all its parts.
  • Xylem contains tracheids and vessels.
  • Xylem tissues of all the organs of a plant are connected end to end with each other to form a network of conducting tubes.

Process of transport:
(a) Through diffusion:

  • The cells of the roots are in direct contact with the soil and they take up ions from the soil.
  • Due to this, a difference is created between the concentration of ions in the roots and that of ions in the soil.
  • The ions present in the soil water are at higher concentrations and so the water moves up from soil to the roots through osmosis.
  • This water movement creates a water column under which water is steadily pushed upwards.

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(b) Through conduction (transpiration):

  • In higher plants transporting water till the highest point of the plant with this system is inefficient. As a result, higher plants take help of a process called transpiration.
  • The transpiration or evaporation of water from the leaves create a suction which pulls up water from the xylem vessels.
  • Thus the process of transpiration helps in the upward movement of water from roots to the leaves through the stem.
  • Since the stomata are open during the daytime, the transpiration pull becomes a major driving force in the movement of water in the xylem.

Transpiration:

  • The loss of water in the form of water vapour from the aerial parts of the plant is known as transpiration.
  • Plants absorb the water through the roots and transport it to all its parts.
  • This absorption is in fact driven by transpiration that occurs through the tiny pores on the leaves called stomata.
  • Transpiration creates a suction which pulls the water from the xylem cells of roots.
  • Thus, we can say transpiration plays an important role in making it possible for all the parts of the plant to receive water.
  • Transpiration also helps in regulating temperature.

Textbook Page no – 112.

Question 1.
Describe the structure and functioning of nephrons.
Answer:
Nephron:

  • Nephron is the main functional unit of kidney.
  • Each human kidney possesses about 10 lakh nephrons.

Structure of nephron:
Bowman’s capsule:

  • Each nephron has a double walled cup-shaped bag at its upper end which is called Bowman’s capsule.
  • The Bowman’s capsule contains a mass (bundle) of blood capillaries which is called glomerulus.

Tubule:

1. The lower end of the Bowman’s capsule is called tubule.
2. The part of tubule which is near the Bowman’s capsule is quite small and is called the neck.
3. After the neck, the tubule becomes very narrow and coiled.
4. This region of tubule consists of

  • A proximal convoluted tubule,
  • A Henle’s loop and
  • A distal convoluted tubule.

5. The posterior end of nephron is known as collecting tube.
6. Collecting tubule opens into renal pelvis.
7. The renal pelvis opens into ureter.

 

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 Life Processes 1

Question 2.
What are the methods used by plants to get rid of excretory products?
Answer:
Excretion in Plants:

  • For plants, oxygen is one of the end products of photosynthesis and can also be considered as a waste product.
  • Plants emit this oxygen into atmosphere through diffusion process.
  • Plants get rid of excess water through transpiration.
  • For other waste products, many of the plant tissues contain dead cells in themselves.
  • Some of the material is also lost by falling leaves.
  • In the plant cell, vacuoles are the excretory organelle.
  • Around the root system in the soil, plant excretes some of the waste products.
  • Peeling of the bark is also the example of plant excretion.
  • Resins and gums are excretions of plants.

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Question 3.
How is the amount of urine produced In the body, regulated?
Answer:
The amount of urine formed in the body depends on —

  • Amount of excess water present in the body
  • Amount of nitrogenous wastes produced in the body
  • Amount of re-absorption in kidneys
  • Certain hormones like ADH (Anti Diuretic Hormone)
  • Surrounding temperature

Activities

Activity 1.

Aim: To demonstrate that chlorophyll is essential for photosynthesis.

Procedure:

  • Take a potted plant with variegated leaves — for example, money-plant or croton.
  • Keep the plant in a dark room for three days so that all the starch gets used up.
  • Now keep the plant in sunlight for about six hours.
  • Pluck a leaf from the plant. Mark the green areas in it and trace them on a sheet of paper.
  • Dip the leaf in boiling water for a few minutes.
  • After this, immerse it in a beaker containing alcohol.
  • Carefully place the above beaker in a water-bath and heat till the alcohol begins to boil.
  • Now, dip the leaf in a dilute solution of iodine for a few minutes, Fig
  • Take out the leaf and rinse off the iodine solution.

Question 1.
What happens to the colour of the leaf? What is the colour of the solution?
Answer:
The leaf becomes colourless because on boiling the leaf, it loses the pigmentation. The water becomes green in colour due to presence of chlorophyll that was present in the leaf.

Question 2.
Observe the colour of the leaf and compare this with the tracing of the leaf done In the beginning.
Answer:
The leaf shows blue-black and colourless patches.

Question 3.
What can you conclude about the presence of starch in various areas of the leaf?
Answer:
The green patched areas become blue-black when they are tested with iodine. While the chlorophyll-

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Activity 2.

Aim: To demonstrate that carbon dioxide is necessary for photosynthesis.

1. Take two healthy potted plants which are nearly the same size.
2. Keep them in a dark room for three days.
3. Now place each plant on separate glass plates. Place a watch-glass containing potassium hydroxide by the side of one
of the plants. The potassium hydroxide is used to absorb carbon dioxide.
4. Cover both plants with separate bell-jars as shown in figure 2.
5. Use Vaseline to seal the bottom of the jars to the glass plates so that the set-up is air-tight.
6. Keep the plants in sunlight for about two hours.
7. Pluck a leaf from each plant and check for the presence of starch as in the above activity.

Question 1.
Do both the leaves show the presence of the same amount of starch?
Answer:
The leaves of plant ‘a’ show absence of starch, while the leaves of plant ‘b’ show presence of starch.

Question 2.
What can you conclude from this activity?
Answer:
1. Starch is not formed in the leaf of the plant kept under the bell-jar along with potassium hydroxide.
This is so because potassium hydroxide absorbs carbon dioxide from air. Hence, the plant does not get carbon dioxide and it can not undergo photosynthesis.
2. From the above activity, we can conclude that a good amount of CO2 is necessary to carry out photosynthesis at proper rate.

Activity 3.

Aim: To check the effect of saliva on starch.
1. Take 1 mL starch solution (1%) in two test tubes (A and B).
2. Add 1 mL saliva to test tube A and leave both test tubes undisturbed for 20-30 minutes.
3. Now, add a few drops of dilute iodine solution to the test tubes.

Question 1.
In which test tube do you observe a colour change?
Answer:
The solution of test tube B will turn bluish black.

Question 2.
What does this indicate about the presence or absence of starch in the two test tubes?
Answer:
It shows that starch is present in test tube ‘B’ while test tube ‘A’ does not have starch.

Question 3.
What does this tell us about the action of saliva on starch?
Answer:
The result shows that the saliva of test tube ‘A’ acts upon starch. So, starch gets converted into sugar and the solution does not show reaction to iodine test.

Activity 7.

Aim: To find out the haemoglobin content in human beings and in animals such as buffalo and cow.

Question 1.
Visit a health centre in your locality and find out what is the normal range of haemoglobin content in human beings.
Answer:
It is 13 — 18 g/dL (Note: dL = decilitre which means 1/10th of 1 litre or say loo mL)

Question 2.
Is It the same for children and adults?
Answer:
No, it is 12.5 g/dL for children

Question 3.
Is there any difference in the haemoglobin levels for men and women?
Answer:
In males, it is 13 — 18 g/dL and in females, it is 12 -10 g/dL.

Question 4.
Visit a veterinary clinic In your locality. Find out what is the normal range of hemoglobin content in an animal like buffalo or cow.
Answer:
It Is 10.4 — 16.4 g/dL in such animals.

Question 5.
Is this content different in calves, male and female animals?
Answer:
Yes, the haemoglobin level of calves is more than the adult male and female animals.

Question 6.
How would the difference, if any, be explained?
Answer:
Hemoglobin content depends on the personal health, genetic map and environment.

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Activity 8.

Aim : To demonstrate physiological process of transpiration in plants.

1. Take two small pots of approximately the same size and having the same amount of soil. One should have a plant in it. Place a stick of the same height as the plant in the other pot.
2. Cover the soil in both pots with a plastic sheet so that moisture cannot escape by evaporation.
3. Cover both sets, one with the plant and the other with the stick, with plastic sheets and place in bright sunlight for half an hour.

Question 1.
Do you observe any difference in the two cases?
Answer:
The plant which is covered with a plastic sheet, shows some water droplets inside the plastic sheet. This demonstrates that there is water loss from the aerial parts of a plant. This process is called transpiration.

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 1.
वद्धि विकेदन परिवर्षन निरिमेबन्न पुन्जिकेष्न सीमित वद्धि मेरिसेम तथा वदि दर की परिभापा लिखिए।
उत्तर:
निद्ध (Growth) – पौधों में उनकी उपापचयी क्रियाओं के परिणामस्वरूप होने वाले धनातक परिवर्तन हैं जिनमें पौधे के शुष्क भार एवं आमाप में बढ़ोत्तरी होती है। ये परिवर्तन अनुक्रमणीय होते हैं। इनें इदि (growth) कहते हैं। बढ़ोत्तरी होती है। ये परिवर्तन अनुक्रमणीय होते है। इहें शबि (growth) कहते हैं।

विशेक्ष (Differeatiation) – मूलशीर्ष या परोछरीर्ष (root apex or shoot apex) पर स्थित अमस्थ विभज्दोतक या एधा (cambium) कोशिकाओं से बनने वाली केशिकाएँ विधिन्न कायों के लिए विशिहीकृत्व हो बाती है। इस क्रिया को विषेक्न कहते हैं।

परिवर्षन (Development) – बीज के अंकुजण से लेकर मृत्प ठक होने वाले समस्त परिवर्वन बिसके फलस्वरूप पौछे के जटिल शरीर का गठन होता है, जिसमें पौषे के विभिन्न भाग जैसे-जड़, वना, पतिरों अदि बनवे है, परिखर्षन कहलाता है। परिवर्षन के दो समूह है-वृंदि तथा विषेदन।

निंकिष्द्न (Dedifferentiation) – कोशिकाओं में विभेदीकरण होने के पश्वात् कुछ स्वाई् कोशिकार्ष पुनः विभाजन योग्य हो जाती हैं, इस क्रिया को निधिमेद्न कहते हैं।

पुर्नांधिकेदन (Redifferentiation) – निर्विभेदित कोशिकाओं या ऊतको से बनी कोशिकाएँ अपनी विभाजन क्षमता पुनः खो देती हैं और विशिष कार्य करने के लिए रुपान्तरित हो जाती हैं। इस प्रक्रिया को पुनविभैद्न कहते हैं।

सींिि कद्धि (Determinating Growh) – यह पौधों में वृद्धि का खुला लूप होता है। यह पौषे के विभिन्न भागों में पायी जाती है। इसमें विभज्योतक से उत्पन्न कोशिकाएँ पादप शरीर का गठन करती है, उसे सीकित शब्बि कहते हैं।

मेंस्टेम (Meristem) – मूल तथा प्ररोह के शीर्ष पर स्थित कोशिकाओं के वे समूह जिनमें विभाबन करने की क्षमता होती है मेसिस्टेम कहलाते हैं। इनसे स्थाई, अन्त्रार्विट्ट हरा पार्श्व क्तकों (Permanent, intercallary and lateral tissucs) का निर्माण होता है।

वृद्धि दर (Growth rate) – प्रति इकाई समय में पौर्षो में हुई वृद्धि को उसकी दृद्धि दर कछते हैं। वृद्धि दर को गचितीय डंग से व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 2.
पुद्मित पौधों के जीवन में किसी एक प्राचालिक (Parameter) से ृद्धि को क्षणित नही किया जा सकता है क्यों ?
उत्तर:
वृद्धि के प्राचालिक (Parameter of Growth):
वृद्धि सभी पौरो की एक विशोषता है। पौर्षों में बृद्धि कोशिका विभाजन, कोशिका विवर्षन या दीर्षीकरण तथा कोशिका विभेदन के फलस्वरूप होती है। पौधे की प्राविभाजी कोशिकाओं (meristematic cells) में कोजिका विभाजन की धमता पायी जाती है। सामान्यतया कोशिका विभाजन जड़ तक्षा तने के शीर्ष (apex) पर होते हैं। इसके फलस्वरूप बड़ तथा तने की लम्बाई में वृद्धि होती है। एथा (cambium) वथा कार्क ए्या (cork cambium) के कारण तने और जड़ की मोटाई में वृद्धि होती है। इसे हिजीक्ड वब्षि (secondary growth) कहते हैं। कोशिकीय स्तर पर वृद्धि मुख्यतः जीक्दक्य मात्रा में वर्धन का परिजाम है।

जीवद्रव्य (protoplasm) की वृद्धि की माप कठिन कार्य है। वृद्धि दर का आकलन ताजे भाए में वृद्धि, शुर्क भार में वृद्धि, सम्बाई, मोटाई, क्षेत्रफल, आयतन तषा कोशिकाईं की संख्या के आधार पर किया जा सक्ता है। मक्का की मूल का अमस्य विभज्दोतकृ (apical meristem) प्रति हर्टे लगभग 17,500 कोशिकाओं का निर्माण करता है। तरबूज की केशिकाओं के आकार में लगभग 3,50,000 गुना वृद्धि हो सकती है। पराग नलिका (pollen tube) की लम्बाई में वृद्धि होने से यह वर्तिकाम (stigma), वर्तिका (style) से होती हुई अण्डाशय (ovary) में स्थित बीजाप्ड (ovule) तक प्रवेश करती है।

प्रश्न 3.
चिच्न का सीक्षिप्त वर्णन कीजिए –
(अ) अंकणणितीय वृद्धि
(घ) ज्वामितीय विद्धि
(स) सिम्माइड वृद्धि कात
(द) सन्पूर्ण एवं सापेबा शृद्धि दर
उत्तर:
वृद्धि दर एवं वृद्धिं वक्क (Growth Rate and Growth curve):
समय की प्रति इकाई के दौरान बढ़ी हुई वृद्धि को वृद्धि दर (growth rate) कहा जाता है। वृद्धि दर को विभिन्न रूपों में प्रदर्शित किया जाता है। जैसे-अंकगणितीय वृद्धि, ज्यामितीय वृद्धि, सिग्माइड वृद्धि तथा सम्पूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन - 1

(अ) अकगणितीय वृद्धि (Arithmetic Growth):
यह वृद्धि का वह प्रकार है जिसमें आरम्भ से ही एक स्थिर दर से वृद्धि होती है। समसूत्री विभाजन (mitosis) के पश्चात् बनने वाली दो संतति कोशिकाओं में से केवल एक कोशिका निरन्तर विभाजित होती रहती है और दूसरी कोशिका विभेदित एवं परिपक्व होती रहती है। अंकगणितीय वृद्धि को हम निश्चित दर पर वृद्धि करती जड़ में देख सकते हैं। यह एक सरलतम अभिव्यक्ति होती है। यदि इस वृद्धि का प्राफ पर आकलन किया जाए तो हमें एक सीधी रेखा प्राप्त होती है। इस वृद्धि को हम गणितीय रूप से व्यक्त कर सकते हैं –
Lt = L0 + rt

(यहाँ Lt = समय t पर लम्बाई,
L0 = समय शून्य पर लम्बाई, r = वृद्धि दर)

उसमितीय वृद्धि (Geometrical Growth):
किसी एक कोशिका, पौधे के एक अंग अथवा पूर्ण पौधे की वृद्धि सदैव एकसमान नहीं होती है अर्थात् बदलती रहती है। प्रारम्भिक अवस्था में वृद्धि धीमी होती है जिसे प्रारम्भिक धीमा वृद्धि काल (initial lag phase) कहते हैं। इसके पश्चात् वद्धि तीव्रतम होकर उच्चतम बिन्दु पर पहुँच जाती है जिसे मध्य तीव्र वृद्धि काल (middle logarithmic phase) कहते हैं। इसके पश्चात् वृद्धि पुन: धीमी होती है और अन्त में स्थिर हो जाती है। इसे अन्तिम धीमा वृद्धि काल (last stationary phase) कहते हैं।

इसे सामूहिक रूप से ज्यामितीय वृद्धि (geometrical growth) कहते हैं। इसमें सूत्री विभाजन (mitosis) से बनी दोनों संतति कोशिकाओं में पुन: विभाजन होता है और इनसे बनी कोशिकाएँ मातृ कोशिकाओं का अनुसरण करती हैं। यद्यपि सीमित पोषण आपूर्ति के साथ वृद्धि दर धीमी होकर स्थिर हो जाती है। समय के प्रति वृद्धि दर को ग्राफ पर अंकित करने पर एक सिग्मॉइड वाक्ष (Sigmoid curve) प्राप्त होता है। यह ‘ $S$ ‘ की आकृति का होता है। ज्यामितीय वृद्धि को गणितीय रूप से निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते हैं –
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन - 2
wt = w0ert
जहाँ ( w1= अन्तिम आकार, भार, ऊँचाई, संख्या आदि, w0 = प्रारम्भिक आकार वृद्धि के प्रारम्भ में, r = वृद्धि दर, t = समय, e = स्वाभाविक लघुगणक का आधार)। r एक सापेक्ष वृद्धि दर है। यह पौधे द्वारा नई पादप साममी भी निर्माण क्षमता को मापने के लिए है, जिसे एक दक्षता सूछकांक (efficiency index) के रूप में सन्दर्भित किया जाता है, अतः w1 का अन्तिम आकार w0 के प्रारम्भिक आकार पर निर्भर करता है।

(स) सिगॉईड वृद्धि क्s (Sigmoid Growth Curve):
ज्यामितीय वृद्धि को तीन प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता है-
(i) प्रारम्मिक धीमा वृद्धि काल (initial lag phase),
(ii) मध्य तीव्र वृद्धि काल (middle lag phase),
(iii) अन्तिम धीमा वृद्धि काल (last stationary phase)।
यदि समय के सापेक्ष वृद्धि दर का प्राफ खीचा जाय तो ‘S’ की आकृति का वक्क प्राप्त होता है। इसे सिग्मॉइ (sigmoid curve) वक्र कहते हैं।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन - 3

एक सिग्मॉइड वक्र में निम्न चार चरण होते है –
(1) पश्चान्त प्रावस्था (Lag phase) – इस प्रावस्था में कोशिका में आन्तरिक परिवर्तन होते हैं, संचित खाद्य पदार्थ के काम आने से इसके शुष्क भार में कमी आती है और वृद्धि बहुत धीमी गति से होती है। इसे मंद वृद्धि काल कहते हैं।
(2) पश्च प्राबस्था (Log phase)- इस प्रावस्था में वृद्धि दर एक साथ तीव्र होती है। इसे ग्राफ में सीधी रेखा से दर्शाया गया है। इसे समग्र वृद्धि काल भी कहते हैं। इसे अधिकतम वृद्धि काल कहते हैं।
(3) घटती प्राकस्था (Decline phase) – इस प्रावस्था में वृद्धि दर क्रमशः कम होने लगती है। इसे न्यून वृद्धि काल कहते हैं।
(4) स्याई प्रावस्था (Steady phase)-इस प्रावस्था में कोशिका के पूर्ण परिपक्व हो जाने से वृद्धि लगभग स्थिर हो जाती है। इसे स्थिर वृद्धि काल कहते हैं।
(द) सम्पूर्ण एवं सापेक वृद्धि दर (Absolute and Relative Growth Rate)
(i) प्रति इकाई समय और मापन में कुल वृद्धि को सम्पूर्ण या परमवृद्धि दर (absolute growth rate) कहते हैं।
(ii) किसी दी गई प्रणाली की प्रति इकाई समय में वृद्धि को सामान्य आधार पर प्रदर्शित करना सापेक्ष वृद्दि दर (relative growth rate) कहलाता है। सम्मुख चित्र में दोनों पत्तियों ने एक निश्चित समय में अपने सम्पूर्ण क्षेत्रफल में समान वृद्धि की है, फिर भी A की सापेक्ष वृद्धि दर अधिक है।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन - 4

प्रश्न 4.
प्राकृतिक पाद्य वृद्धि नियामकों के पाँच पुख्य समूक्तों के बारे में लिखिए। इकके आविष्धार, कारिकी प्रभाव तथा कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग के बोरे में लिखिए।
उत्तर:
पादप वद्धि नियामक (Plant Growth Regulators):
प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक विशेष प्रकार के कार्ििक यौगिक छोते हैं, जो मुख्य रूप से विकग्योतकों (Meristems) तथा विकासशील पतियों एवं प्रालो में उत्तन्न छोते हैं। इनकी अतिसूक्स माश्रा पौधों के विभिन्न भागों में पुँचकर उनकी विभिन्न उपापषयी क्रियाओं (metabolic processes) को प्रभावित एवं नियन्त्रि करती है। इन्ठं पादी जोंमोंस्स (plant hormones or phytohormones) मी कहोत हैं। अनेक कृत्रिम कार्षनिक योगिक भी पादप हॉर्मोंस्स की तरह कार्य करते हैं। वेन्ट (Went; 1928) के अनुसार वृध्धि नियामक पदार्थों के अभाव में वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव होता है।

पादप हॉर्मोंस्स को निम्नलिखित पाँच समूोों में बाँटा जा सकता है –
(1) ऑक्सिन्स (Auxins)
(2) जिबरेलिन्स (Gibberellins)
(3) साइटोकाइनिन्स (Cytokinins)
(4) ऐस्सिसिक अम्ल (Abscisic acid)
(5) एथिलीन (Ethylene)।

प्रश्न 5.
दीपिकालिता तथा वसंतीकरण क्या हैं ? इनके मंध्राप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दीप्तिकालिता (Photoperiodism):
पौधों के फलने-फूलने, वृद्धि, पुष्पन आदि पर प्रकाश की अवधि (Duration of light = photoperiod) का प्रभाव पड़ता है। पौधों द्वारा प्रकाश की अवधि तथा समय के प्रति अनुक्रिया को दीजिकालिता (photoperiodism) कहते हैं। दूसरे शब्दों में दिन व रात के परिवर्तनों के प्रति पौधों की कार्यात्मक अनुक्रियाएँ दीजिकालिता (photoperiodism) कहलाती हैं।

दीप्तिकालिता शब्द का प्रयोग गार्नर तथा एलाई्ड (Garner and Allard, 1920) ने किया। दीप्तिकालिता के आधार पर पौधों को निम्न तीन समूहों में बाँटा जा सकता है –
(i) अल्प प्रदीफिकाली पौधे (Short day plant = SDP)
(ii) दीर्घ प्रदीधिकाली पौधे (Long day plant = LDP)
(iii) दिकस निरपेक्ष पौधे (Day neutral plant = DNP)

अल्प प्रदीप्तिकाली पौधों को मिलने वाली प्रकाश अवधि को कम करके और दीर्ष प्रदीप्तिकाली पौधों को अतिरिक्त प्रकाश अवधि प्रदान करके शीष्ष पुष्पन कराया जा सकता है। कायिक शीर्षस्थ या कक्षस्य कलिका उपयुक्त प्रकाश अवधि प्राप्त होने पर ही पुष्प कलिका में रूपान्तरित होती है। यह परिवर्तन फ्लोरिजन हॉर्मोन (florigen hormone) के कारण होता है। दिन-रात्रि के अन्तराल के कारण संश्लेषित होता है।

वसन्तीकरण (Vernalization):
कम तापमान द्वारा पुष्पन को त्वरित (accelerate) करने की प्रक्रिया को वसन्तीकरण (vernalization) कहते हैं। इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम टी. की. लायसेन्को (T. D. Lysenko) ने 1928 में किया। कोआई (Chaurd; 1960) के अनुसार, “द्रुतशीतन उपचार (Chilling treatment) द्वारा पुष्पन की योग्यता के उपार्जन को वसन्तीकरण (vernalization) कहते हैं।”

गेहूँ की शीतकालीन प्रजाति को वसन्त ॠतु में बोने योग्य बनाने के लिए इसके भीगे बीजों को 10-12 दिन तक 3C ताप पर रखते हैं और इनें बसन्त ॠतु में बोये जाने वाले गेहूँ के साथ ही बोया व काटा जा सकता है। ऐसे पौधों में कायिक वृद्धि कम होती है। कम ताप उपचार से पौधों की कायिक अवधि कम हो जाती है। अनेक द्विवर्षी पौधों (Biennial plants) को कम तापक्रम में अनावृत कर दिये जाने से पौधों में दीप्तिकालिता के कारण पुष्पन की अनुक्रिया बढ़ जाती है। वसन्तीकरण (vernalization) के फलस्वरूप द्विवर्षी पौधों में प्रथम वृद्धि काल में ही पुष्पन किया जा सकता है। पौधों में शीत के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ जाती है। वसन्तीकरण (vernalization) द्वारा पौधों को प्राकृतिक कुप्रभावों जैसे-पाला, कुहरा आदि से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
ऐब्सिसिक अम्ल को तनाव हॉर्मोंन कहते हैं, क्यों ?
उत्तर:
ऐब्सिसिक अम्ल (abscisic acid) पत्तियों की बाह्य त्वचा में स्थित रन्ध्रों के बन्द होने को प्रेरित करता है, जिससे वाष्पोत्सर्जन कम हो जाता है । यह पौधों को प्रतिकूल परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के तनावों (stress) को सहन करने की क्षमता प्रदान करता है। इसलिये इसे तनाव हॉर्मोन (stress hormone) कहते हैं।

प्रश्न 7.
उच्च पादपों में वृद्धि एवं विभेदन खुला होता है। टिमपणी लिखिए।
उत्तर:
पौधों में वृद्धि एवं विभेदन उन्मुक्त होता है। विभज्योतकों (meristems) से निर्मित कोशिकाएँ या ऊतक परिपक्व होने पर विभिन्न रचनाएँ बनती हैं। कोशिका या ऊतक की परिपक्वता के समय अन्तिम संरचना कोशिका के आन्तरिक स्थान पर भी निर्भर करती हैं, जैसे-मूल शीर्ष पर स्थित विभज्योतक (apical meristem) से मूलगोप कोशिकाएँ (rootcap cells) परिधि की ओर मूलीय त्वचा (epiblema) के रूप में विभेदित होती हैं। इसी प्रकार कुछ कोशिकाएँ जाइलम, फ्लोएम, अन्तस्वचा (endodermis), परिरम्भ (pericycle), वल्कुट (cortex), पिथ (pith) आदि के रूप में विभेदित होती हैं। इस प्रकार विभज्योतक (meristem) की क्रियात्मकता से पौधे की विभिन्न कोशिकाओं, उतकों एवं अंगों का निर्माण होता है। इसे वृद्धि का खुला स्वरूप कहते हैं।

प्रश्न 8.
अल्प प्रदीप्तिकाली पौधे और दीर्घ प्रदीजिकाली पौधे किसी एक स्थान पर साथ-साथ फूलते हैं। विस्तित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अल्प प्रदीजिकाली पौधों (SDP) में निर्णायक दीप्तिकाल प्रकाश की वह अवधि है जिस पर या इससे कम प्रकाश अवधि पर पौधे पुष्पन (flowering) करते हैं, परन्तु उससे अधिक प्रकाश अवधि में पौधा पुष्प उत्पन्न नहीं कर सकता। दीर्घ प्रदीप्तिकाली पौधों (LDP) में निर्णायक दीप्तिकाल प्रकाश (critical photoperiod) की वह अवधि है जिससे अधिक प्रकाश अवधि पर पौधे पुष्प उत्पन्न करते हैं, परन्तु उससे कम प्रकाश अवधि में पुष्पन नहीं करते। इससे स्पष्ट है कि SDP और LDP में विभेदन उनमें निर्णायक दीप्तिकाल से कम अवधि पर पुष्पन होना अथवा अधिक अवधि पर पुष्पन होने के आधार पर किया जाता है।

दो भिन्न जातियों के पौधे समान अवधि के प्रकाश में पुष्पन करते हैं, परन्तु इनमें से एक LDP तथा दूसरा SDP हो सकता है। उदाहरणतः औैन्थियम (Xanthium) का निर्णायक दीप्तिकाल \(15 \frac{1}{2}\) घण्टे, जबकि छायोसाइमस नाइणर (Hyoscyanus niger) का निर्णायक दीप्तिकाल 11 घण्टे है। दोनों पौधों को यदि 14 घण्टे प्रकाश अवधि दी जाय तो इन दोनों में पुष्मन हो सकता है। इस आधार पर जैन्थियम SDP है क्योंकि यह निर्णायक दीप्तिकाल से कम प्रकाशीय अवधि में पुष्पन करता है तथा हायोसाइमस LDP है, क्योंकि यह निर्णायक दीप्तिकाल से अधिक प्रकाश अवधि में पुष्पन करता है।

प्रश्न 9.
अगर आपको निम्नलिखित करने को का़ जाए तो एक पादप वृद्धि नियामक का नाम दीजिए-
(क) किसी टहनी में जड़ पैदा करने हेतु,
(ख) फल को जल्दी पकाने हेतु,
(ग) पतियों की जरावस्था को रोकने हेतु,
(घ) कक्षस्थ कलिकाओं में वृद्धि कराने हैंतु,
(ङ) एक रोजेट पौधे में ‘वोल्ट’ हेतु,
(च) पत्तियों के रन्ध्र को तुरन्त बन्द करने हेतु।
उत्तर:
(क) ऑक्सिन (Auxin)
(ख) एथिलीन (Ethylene)
(ग) सायटोकाइनिन (Cytokinin)
(घ) जिब्बरेलिन (Gibberellins)
(ङ) ऐब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) ।

प्रश्न 10.
क्या एक पर्णकरित पद्पप दीजिकालिता के चक्क से अनुक्रिया कर सकता है ? यदि हौँ या नहीं तो क्यों ?
उत्तर:
पर्णहरित (chlorophyll) पादप दीप्तिकालिता (photoperiodism) के चक्र से अनुक्रिया नहीं करता क्योंकि दीप्तिकालिता के प्रति संवेदनशीलता पत्तियों द्वारा महण किये गये प्रकाश पर निर्भर करती है। पत्तियों में एक पुष्प प्रेरक पदार्थ उत्पन्न होता है। इसे फ्लोरिजन (florigen) कहते हैं। इसके अभाव में पुष्पन नहीं होता है।

प्रश्न 11.
क्या हो सकता है ? अगर –
(क) जीए, (GA3) को धान के नवेद्धिक्दों पर दिया जए।
(ख) विभाजित कोशिका विभेद्न करना बन्द कर दें।
(ग) एक सड़ा फल कच्चे फलों के साथ मिला दिया जाए।
(घ) अगर आप संवर्धन माध्यम में सायटोकीनिस मिलाना भूल जाएँ।
उत्तर:
(क) नवोद्भिद (seedlings) (GA3) के प्रभाव से अधिक लम्बे हो जाते हैं। पत्तियाँ पीली व लम्बी हो जाती हैं इसे बैकन रोग (फूलिश सीडलिंग) कहते हैं।
(ख) अविभेदित कोशिकाओं का समूह बन जायेगा।
(ग) सड़े फलों से एथिलीन गैस निकलती है जो अन्य कच्चे फलों को पकाने का कार्य करती है।
(घ) अविभेदित कैलस (callus) में प्ररोह तथा जड़ का विकास नहीं होगा।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 14 पादप में श्वसन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 14 पादप में श्वसन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 14 पादप में श्वसन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में अन्तर कीजिए-
(अ) साँस (श्वसन) और दहन,
(ब) ग्लाइकोलाइसिस तथा क्रेब्स-चक्क,
(स) ऑक्सीश्वसन तथा किण्वन।
उत्तर:
(अ) साँस (श्वसन) तथा दहन में अन्तर (Differences between Respiration and Combustion)

श्वसन (Respiration)दहन (Combustion)
1. यह एक जैविक क्रिया (Vital process) है।यह एक रासायनिक क्रिया (Chemical Process) है ।
2. इसमें तापमान नियत रहता है।इसमें तापमान बढ़ जाता है।
3. इस क्रिया में ऊर्जा विभिन्न चरणों में निकलती है।ऊर्जा एक साथ निकलती है।
4. इसमें ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है ।ऊर्जा ऊष्मा एवं प्रकाश के रूप में निकलती है
5. सम्पूर्ण क्रिया विभिन्न विकरों द्वारा नियन्त्रित होती है।सम्पूर्ण क्रिया उच्च ताप पर सम्पन्न होती है

(ब) ग्लाइकोलाइसिस तथा क्रेष्स-चक्र में अन्तर (Differences between Glycolysis and Kreb’s Cycle)

ऑक्सीश्वसन (Aerobic Respiration)किण्न (Fermentation)
1. यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होने वाला श्वसन है।इसके लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है।
2. यह क्रिया जीवित कोशिकाओं के अन्दर होती है।यह क्रिया क्रियाधर तथा विकर की उपस्थिति में होती है। जीवित कोशिकाओं की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। यह क्रिया प्राय: जीवाणुओं (Bacteria) तथा यीस्ट (Yeast) द्वारा होती है।
3. इसमें भोज्य पदार्थों के पूर्ण आक्सीकरण से अधिक ऊर्जा ग्लूकोज के एक अणु से (38 ATP) मुक्त होती है।इसमें खाद्य पदार्थों के अपूर्ण आक्सीकरण से कम ऊर्जा ग्लूकोज के एक अणु से (2 ATP) मुक्त होती है।
4. इसमें शर्करा के ऑक्सीकरण से CO2 तथा जल बनता है।इसमें क्रियाधर (Substrate) के अनुसार विभिन्न कार्बनिक अम्ल या ऐल्कोहॉल बनता है।
5. इस क्रिया में बहुत से विकर (enzyme) भाग लेते हैं।इसमें कम विकर (enzyme) भाग लेते हैं।

प्रश्न 2.
श्वसनीय क्रियाधार क्या है ? सर्वाधिक साधारण क्रियाधार का नाम बताइए।
उत्तर:
श्वसन क्रिया में ऑक्सीकरण द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने वाले कार्बनिक पदार्थ श्वसनी क्रियाधर (Respiratory substrate) कहलाते हैं। प्रायः कार्बोहाइड्रेट प्रमुख ऊर्जा उत्पादक पदार्थ हैं। कुछ पौधों में विशेष परिस्थितियों में प्रोटीन, वसा, कार्बनिक अम्लों के ऑक्सीकरण से ऊर्जा उत्पन्न होती है। कार्बनिक पदार्थों से ऊर्जा विभिन्न चरणों से मुक्त होती है। ये क्रियाएँ विकरों (Enzymes ) द्वारा नियन्त्रित होती हैं। सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला साधारण क्रियाधर ग्लूकोज (CH2O) होता है।

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प्रश्न 3.
ग्लाइकोलाइसिस को रेखाचित्र द्वारा बताइए।
उत्तर:
ग्लाइकोलाइसिस या एम्बडेन-मेयरहॉफ-परनास पथवे (GLOCOLYSIS or Embden-Meyerhoof Parnas Pathway):
ग्लाइकोलिसिस (Glycolysis) – इसे EMP पथ भी कहते हैं। इसमें ग्लूकोस विभिन्न प्रक्रियाओं से होता हुआ अन्त में पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) के दो अणुओं का निर्माण करता है। यह क्रिया निम्न पदों में पूर्ण होती है –

I. प्रथम फॉस्फोरिलीकरण (First Phosphorylation) – ग्लूकोज का एक अणु ATP के एक अणु से क्रिया करके ग्लूकोज 6-फॉस्फेट (Glucose-6-phosphate) बनाता है।
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II. समावयवीकरण (Isomerisation) – ग्लूकोज-6-फॉस्फेट समावयवीकरण द्वारा फ्रक्टोज-6-फॉस्फेट (Fructose-6-phosphate) बनाता है।
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III. द्वितीय फॉस्फोरिलीकरण (Second Phosporylation) – फ्रक्टोज-6-फॉस्फेट अणु ATP के एक अणु से क्रिया कर फ्रक्टोज-1, 6-डाइफास्फेट (Frutose-1, 6-diphosphate) बनाता है।
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IV. क्दिलन (Cleavage)-इस प्रक्रिया में 6C वाला फ्रक्टोज-1, 6-डाइफॉस्फेट अणु 3 C परमाणु वाले दो यौगिकों, 3 -फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड (3-phosphoglyceraldehyde) तथा डाइहाइड्रॉक्सीऐसीटोन फॉस्फेट (dihydroxyacetone phosphate) के एक-एक अणु में टूट जाता है। डाइहाइड्रॉक्सीऐसीटोन फॉस्फेट भी समावयवीकरण द्वारा 3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड (PGA) में परिवर्तित हो जाता है।
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इस प्रकार 3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड (3-phosphoglyceraldehyde) में दो अणु बनते हैं।

V. फॉस्फोरिलीकरण तथा ऑक्सीकीय जल वियोजन (Phosphorylative and oxidative dehydrogenation) – 3-फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड के दोनों अणुओं से एक-एक H2 PO4 अणु जुड़कर दो अणु 1,3 -डाइफास्फोग्लिसरल्डिहाइड के बनाते हैं।
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VI. 1, 3-ङाइफॉस्फोस्लिसरेलिकाइड (1, 3-diphosphoglyceraldehyde) NAD नामक ण्द-हैब्से से क्रिया करता है जिससे हाइड्रोजन के दो अणु निकल जाते हैं और 1,3 -डाइफास्फोग्लिसरिक अम्ल (1, 3-diphosphoglyceric acid) बनता है।
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VII. प्रथम ATP उत्पादन (First ATP Generation)-1, 3-डाइफास्फोग्लिसरिक अम्ल ADP के दो अणुओं को प्राप्त कर 3-फास्फोग्लिसरिक अम्ल बनाता है तथा ATP के दो अणुओं का निर्माण करता है।
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VIII. समावयवीकरण (Isomerisation)
3-फास्फोग्लिसरिक अम्ल के दोनों अणुओं का समावयवीकरण होकर 2-फास्फोग्लिसरिक अम्ल के दो अणु बनते हैं।
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IX. निर्जलीकरण (Dehydration)-2-फास्फोग्लिसरिक अम्ल के दोनों अणुओं से जल के दो अणु निकल जाते हैं और फाइफोइनोल पाइरुविक अम्ल (2-phosphoenol pyruvate) के दो अणु बनते हैं।
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X. द्वितीय ATP उत्पादन (Second ATP Generation)-2-फॉस्फोइनोल पाइुुेट या 2-फास्फोइनोल पाइरुविक अम्ल के दो अणुओं से ADP के दो अण क्रिया करके दो अणु पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) के तथा 2 अणु ATP के बनाते हैं।

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अतः ग्लूकोस (6C) से पाइइविक अम्ल (3C) के निर्माण की ग्लाइकोलाइसिस प्रक्रिया का समीकरण निम्नवत् होगा –
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इस प्रकार ग्लूकोस के एक अणु से पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) के दो अणुओं का निर्माण होता है।

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प्रश्न 4.
ऑक्सीश्वसन के मुख्य चरण कौन-कौन से हैं? यह कहाँ सम्पन्न होती है ?
उत्तर:
ऑक्सीश्वसन के मुख्य चरण जीवित कोशिकाओं में O2 की उपस्थिति में कार्बनिक भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण ऑक्सीश्वसन (aerobic respiration) कहलाता है। इस प्रक्रिया में रासायनिक ऊर्जा बन्धित ऊर्जा के रूप में ATP में संचित होती है।
C6H2O2 + 6O2 → 6CO2 + + 6H2O + 2870kJ.
ऑक्सी श्वसन निम्न चरणों में पूर्ण होता है-
(क) ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) – यह क्रिया कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm ) में सम्पन्न होती है। इसमें ग्लूकोज का विभिन्न पथों से आंशिक ऑक्सीकरण होकर अन्त में 2 अणु पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) के तथा 8 अणु ATP के बनते हैं।

(ख) ऐसीटिल कोएन्जाइम ~ A का निर्माण (Formation of Acetyl Co ~ A) – यह क्रिया माइटोकॉण्ड्रिया के मेट्रिक्स में सम्पन्न होती है कोशिकाद्रव्य में उत्पन्न पाइरुविक अम्ल (Pyruvic acid) माइटोकॉण्ड्रिया में प्रवेश करके NAD + तथा CO ~ A से संयुक्त होकर इसका ऑक्सीकीय वियोजन होता है। इस क्रिया में CO2 का एक अणु मुक्त होता है और NAD. 2H बनता है। अन्त में ऐसीटाइल CO ~ A बन जाता है।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 14 पादप में श्वसन - 33
ऐसीटिल कोएन्जाइम ~ A + CO2 + NaD2H

(ग) क्रेब्स चक्र या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Kreb’s Cycle or Tricarboxylic Acid Cycle) – यह माइटोकॉण्ड्रिया के मेट्रिक्स (Matrix ) में पूर्ण होता है। इसमें क्रेब्स चक्र के सभी विकर उपस्थित होते हैं। ऐसीटिल CO ~ A माइटोकॉण्ड्रिया के मेट्रिक्स में उपस्थित ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल (OAA) से क्रिया करके 6C यौगिक सिट्रिक अम्ल बनाता है। सिट्रिक अम्ल का क्रमिक निम्नीकरण होता है तथा अन्त में पुनः ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल (OAA) प्राप्त हो जाता है। क्रेब्स चक्र में 2 अणु CO2 के उत्पन्न होते हैं। चार स्थानों पर 2H+ मुक्त होते हैं, जिन्हें हाइड्रोजन मही NAD या FAD ग्रहण करते हैं। क्रेब्स चक्र में 24 ATP अणु ETS द्वारा प्राप्त होते हैं।
ऐसीटिल कोएन्जाइम A + H2O + 2NAD + FAD + ADP + iP → 2CO2 + 2NAD2H + FAD2H + ATP + COM A

(घ) इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र (Electron Transport System) – यह माइटोकॉण्ड्रिया की भीतरी सतह पर स्थित ऑक्सीसोम्स (Oxysomes) या F1 कण पर सम्पन्न होता है। क्रेब्स चक्र की ऑक्सीकरण क्रिया में डिहाइड्रोजिनेज विकर विभिन्न पदार्थों से हाइड्रोजन तथा इलेक्ट्रॉन के जोड़े मुक्त कराते हैं । हाइड्रोजन तथा इलेक्ट्रॉन कुछ मध्यस्थ संवाहकों के द्वारा होते हुए ऑक्सीजन से जुड़कर जल का निर्माण करते हैं। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक इलेक्ट्रॉनग्राही से दूसरे इलेक्ट्रॉनग्राही पर रूपान्तरित होते समय ऊर्जा मुक्त होती है। यह ऊर्जा ATP के रूप में संचित हो जाती है ।

प्रश्न 5.
क्रेन्स चक्र का समग्र रेखाचित्र बनाइए ।
उत्तर:
क्रेब्स चक्र या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Kreb’s Cycle or Tricarboxylic acid cycle):
इस चक्र की खोज हेन्स क्रेब (Hans Krebs) ने 1937 में की थी। इसके लिए इन्हें 1953 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। इसे सिट्रिक अम्ल चक्र (Citric acid cycle) या ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र ( Tricarboxylic acid cycle or TCA Cycle) भी कहते हैं। यह चक्र माइटोकॉन्ड्रिया के मेट्रिक्स में पूर्ण होता है। इस चक्र के प्रमुख चरण निम्नवत् हैं-

(i) संघनन (Condensation ) – ऐसीटिल CO ~ A जल की उपस्थिति में सामान्यतः कोशिका में उपस्थित ऑक्सेलोऐसीटेट से क्रिया करके 6 – कार्बन वाला यौगिक सिट्रेट बनाता है तथा CO ~ A को मुक्त कर देता है। इस अभिक्रिया के लिए ऊर्जा ऐसीटिल CO ~ A का उच्च ऊर्जा आबन्ध प्रदान करता है। यह अभिक्रिया सिट्रेट सिन्थेटेस एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है। सिट्रेट में 3- COOH समूह उपस्थित होते हैं। अतः इसे ट्राइकार्बोक्सिलिक अम्ल चक्र (Tricarboxylic acid cycle or TCA cycle) कहते हैं।
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(II) निर्जलन ( Dehydration) – सिट्रेट ऐकोनाइटेस एन्जाइम की उपस्थिति में H2O निष्कासित करके सिसऐकोनाइट्रेट बनाता है
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(iii) जलयोजन (Hydration) – सिसऐकोनाइट्रेट ऐकोनाइटेस एन्जाइम की उपस्थिति में H2O से संयोग करके आइसोसिट्रेट बनाता है।
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(iv) ऑक्सीकरणीय विकार्बोक्सिलीकरण (Oxidative Decarboxylation ) – आइसोसिट्रेट हाइड्रोजन परमाणुओं का एक युग्म देकर (ऑक्सीकरण) CO2 का एक अणु निष्कासित करके ( विकार्बोक्सिलीकरण ) 5-कार्बन – कीटोग्लूटारेट बनाता है। यह क्रिया आइसोसिट्रेट डिहाइड्रोजिनेस एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है।
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(v) ऑक्सीकरणीय विकार्बोक्सिलीकरण (Oxidative Decarboxylation ) – यह दो पदों में पूर्ण होता है।
(i) प्रथम पद में Co A, ca- कीटोग्लूटारेट से अभिक्रिया करके 4- कार्बन सक्सिनिल Co A बनाता है तथा हाइड्रोजन परमाणुओं का एक युग्म तथा CO2 को निर्मुक्त करता है। इस अभिक्रिया में – कीटोग्लूटारेट डिहाइड्रोजिनेस संकुल एन्जाइम भाग लेता है।
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(ii) द्वितीय पद में सक्सीनिल CO ~ A4 कार्बन सक्सीनेट तथा COA एवं H2O अणु में टूट जाता है।
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(vi) विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation) – इस प्रक्रम में सक्सीनेट 4- कार्बन फ्यूमेरेट में सक्सीनेट डीहाइड्रोजिनेस एन्जाइम की उपस्थिति में बदल जाता है तथा हाइड्रोजन परमाणुओं का एक युग्म निर्मुक्त करता है।
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(vii) जलयोजन (Hydration) – फ्यूमेरेस एन्जाइम की उपस्थिति में फ्यूमेरेट H2O के साथ जलयोजित होकर 4 कार्बन मेलेट बनाता है।
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(viii) विहाइड्रोजनीकरण (Dehydrogenation ) – इस प्रक्रम में ऑक्सेलोऐसीटेट का निर्माण होता है। यह क्रिया मैलेट डीहाइड्रोजिनेस एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है।
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ऑक्सेलोऐसीटेट ऐसीटिल CO A से संयुक्त होकर सिट्रेट बनाता है।
इस प्रकार क्रेब्स चक्र नियमित रूप से चलता रहता है।

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प्रश्न 6.
इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र या श्वसन में ATP का ऑक्सीकरणीय उत्पादन (Electron Transport System or Oxidative Production of ATP in Respiration) ग्लूकोस का ऑक्सीजन की उपस्थिति में वियोजित होना ऑक्सीकरण प्रक्रिया है। इस प्रक्रम के दौरान कुछ मध्यवर्ती जैसे फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड, पाइरुविक अम्ल, आइसोसिट्रिक अम्ल, -कीटोग्लूटारिक अम्ल, सक्सीनिक अम्ल तथा मैलिक अम्ल ऑक्सीकृत होते हैं। प्रत्येक ऑक्सीकरण पद में 2H निर्मुक्त होते हैं, जो विभिन्न सहएन्जाइमों; जैसे – NAD + तथा FAD को अपचयित करते हैं।
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साजन (21) द्वारा ऑक्सीक्वसन की निम्न अभिक्रियाओं द्वारा अपनायत होते हैं-
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अपचयित NAD + या FAD ग्लाइकोलाइसिस तथा क्रेव्स चक्र से निर्मुक्त होने के पश्चात् अन्त में ऑक्सीजन को HO में अपचयित करते हैं। NADH + H+ या FADH, से H + तथा का O2 को स्थानान्तरण आसान नहीं होता है तथा CO A से O2 को इलेक्ट्रॉनों का प्रत्यक्ष स्थानान्तरण ऊष्मागतिकीय रूप से संभव नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है कि NADH, 0.32 V रेडॉक्स विभव पर ऑक्सीकृत होता है। जबकि O2, + 0.82 v रेडॉक्स विभव पर अपचयित होती है। रेडॉक्स विभव का + 1.14V का अन्तराल अत्यधिक है इसलिए NADH तथा FADH2, ऑक्सीजन से संयुक्त होकर HO का निर्माण नहीं कर सकते हैं।

इस स्थानान्तरण को आसान बनाने के लिए अनेकों मध्यवर्ती साइटोक्रोम तथा मध्यवर्ती रेडॉक्स विभव वाले अन्य वाहक एक श्रेणी में व्यवस्थित होते हैं जो NADH या FADH, से इलेक्ट्रॉनों का स्थानान्तरण 0, को करते हैं। इलेक्ट्रॉन वाहकों का यह अनुक्रम इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र (Electron Transport Systems, ETS) बनाता है। इसके फलस्वरूप ADP तथा अकार्बनिक फॉस्फेट से ATP का संश्लेषण होता है। ATP के निर्माण की यह प्रक्रिया ऑक्सीकरणीय फॉस्फोटिीकरण Phosphorylation) कहलाती है।
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(Oxidative )साइटोक्रोम b. 2 प्रकार के साइटोम C2 यूविक्वनोन, फ्लेवोप्रोटीन (FMN या FAD), आइरन सल्फर प्रोटीन (Fe-S) तथा एन्जाइम साइटोक्रोम ऑक्सीडेस इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र के प्रमुख अवयव होते हैं। ये अवयव चार प्रकार के संकुलों – संकुल I (NADH डिहाइड्रोजिनेस संकुल), संकुल II (सक्सीनेट डिहाइड्रोजिनेस संकुल) संकुल III (साइटोक्रोम bc. संकुल) तथा संकुल IV (साइटोक्रोम ऑक्सीडेस संकुल) में व्यवस्थित होते हैं। पाँचवाँ संकुल ATP सिन्थेटेस संकुल ATP संश्लेषण में भाग लेता है। ये संकुल आन्तिरक माइटोकॉण्ड्रियल झिल्ली पर निश्चित अनुक्रम में व्यवस्थित रहते हैं। अपचयित सहएन्जाइम अपने इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों का स्थानान्तरण इलेक्ट्रॉन तन्त्र द्वारा निम्न अनुक्रम में करते हैं-

(1) प्रथम पद में NADH + H+ से हाइड्रोजन का स्थानान्तरण FMN (फ्लेविन मोनो न्यूक्लियोटाइड) को होता है। FMN, FMNH में अपचयित हो जाता है तथा सहएन्जाइम NADH + H+, NAD+ में ऑक्सीकृत हो जाता है।
(2) अपचयित FMNH, इलेक्ट्रॉनों को Fe-S प्रोटीन को स्थानान्तरित करता है तथा 2H+ को आन्तरिक झिल्ली अवकाश को देता है।
(3) अपचयित Fe-S प्रोटीन इलेक्ट्रॉनों को यूविक्विनोन (UQ) को स्थानान्तरित करता है। UQ, Fe-S प्रोटीन से दो इलेक्ट्रॉन तथा मेट्रिक्स से 2H+ लेकर UOH, में बदल जाता है।
(4) अपचयित UQH, अपने इलेक्ट्रॉन Cyt b को तथा 2H+ को आन्तरिक झिल्ली अवकाश को देता है।
क्रेब्स चक्र में अपचयित FaDH, संकुल II द्वारा इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र में प्रवेश करता है तथा UQ को 2H देकर UQH में अपचयित हो जाता है।
(5) अपचयित Cyt b अपने इलेक्ट्रॉनों को Fe-s प्रोटीन पर स्थानान्तरित करता है। Fe+S अब Fe2+ – S में परिवर्तित हो जाता है। यह प्रोटीन इलेक्ट्रॉनों को UQ को देता है जो आन्तरिक मेट्रिक्स से 2H+ लेकर UQH में बदल जाता है।
(6) अपचयित UQH, साइटोक्रोम c-1 को इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरित करता है। इस अवस्था में Ht का तृतीय युग्म बाहर की ओर स्थानान्तरित हो जाता है।
(7) अपचयित Cyt-c इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरित करके Cyt-c में अपचयित हो जाता है।
(8) अन्त में Cyt-c से इलेक्ट्रॉन Cyt-a तथा Cyt-a2 से होते हुए 2 को स्थानान्तरित हो जाते हैं।
यह पद टर्मिनल ऑक्सीकरण कहलाता है तथा साइटोक्रोम ऑक्सीडेस से उत्प्रेरित होता है। यह एन्जाइम O2 के HO में अपचयन को उत्प्रेरित करता है। 2Cyt (Fe2+) + 1 / 202 + 2H+. H, O + 2cyt (Fe 3+)

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 14 पादप में श्वसन

प्रश्न 7.
निम्निलिखित के मध्य अन्तर कीजिए-
(अ) ऑक्सीश्वसन तथा अनॉक्सीश्वसन
(ब) ग्लाइकोलाइसिस तथा किण्वन
(स) ग्लाइकोलाइसिस तथा सिट्रिक अम्ल चक्र ।
उत्तर:
(अ) ऑक्सीश्वसन (Aerobic respiration) तथा अनॉक्सी श्वसन (Anaerobic respiration) में अन्तर-

ऑक्सीश्वसन (Aerobic Respiration)अनॉक्सीश्वसन (Anaerobic Respiration)
1. यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है।इसमें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है।
2. इसमें ग्लूकोज (Glucose) का पूर्ण आक्सीकरण (Oxidation) होकर CO2 तथा जल बनता है।ग्लूकोज (Glucose) का पूर्ण आक्सीकरण नहीं होता तथा ऐथिल ऐल्कोहॉल व CO2 बनती है।
3. यह सभी जीवों में सामान्य रूप से पाया जाता है।यह केवल कुछ जन्तु एवं पादपों में पाया जाता है।
4. ग्लाइकोलाइसिस को छोड़कर इसकी सभी क्रियाएँ माइटोकाण्ड्रिया (Mitochondria) में होती हैं।इसकी सभी क्रियाएँ कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) में होती हैं। इसमें कम मात्रा में ऊर्जा (247 kJ) उत्पन्न होती है।

ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) तथा किण्वन (Fermentation) में अन्तर-

ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis)किण्वन (Fermentation)
1. यह क्रिया ऑक्सीजन (O2) की अनुपस्थिति में होती है।1. यह क्रिया ऑक्सीजन (O2) की उपस्थिति या अनुपस्थिति में होती है।
2. यह ऑक्सी तथा अनॉक्सी श्वसन दोनों के लिए सामान्य प्रक्रिया है2. यह सम्पूर्ण प्रक्रिया है।
3. यह सभी जीवों के कोशिका द्रव्य में होती है।3. यह कुछ जीवों के बाह्य माध्यम में होती है।
4. इसमें अनेक विकर (enzymes ) भाग लेते हैं।4. इसमें कुछ विकर (enzymes ) भाग लेते हैं।
5. इसका अन्तिम उत्पाद पाइरुविक अम्ल है।5. इसका अन्तिम उत्पाद एल्कोहॉल या अन्य कार्बनिक पदार्थ तथा CO2 होते हैं।
6. इसमें 8 ATP अणु उत्पन्न होते हैं।6. इसमें 8 ATP अणु उत्पन्न होते हैं।

(स) ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) तथा सिट्रिक अम्ल चक्र (Citric Acid Cycle) में अन्तर-

ऑक्सीश्वसन (Aerobic Respiration)किण्न (Fermentation)
1. यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होने वाला श्वसन है।इसके लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है।
2. यह क्रिया जीवित कोशिकाओं के अन्दर होती है।यह क्रिया क्रियाधर तथा विकर की उपस्थिति में होती है। जीवित कोशिकाओं की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। यह क्रिया प्राय: जीवाणुओं (Bacteria) तथा यीस्ट (Yeast) द्वारा होती है।
3. इसमें भोज्य पदार्थों के पूर्ण आक्सीकरण से अधिक ऊर्जा ग्लूकोज के एक अणु से (38 ATP) मुक्त होती है।इसमें खाद्य पदार्थों के अपूर्ण आक्सीकरण से कम ऊर्जा ग्लूकोज के एक अणु से (2 ATP) मुक्त होती है।
4. इसमें शर्करा के ऑक्सीकरण से CO2 तथा जल बनता है।इसमें क्रियाधर (Substrate) के अनुसार विभिन्न कार्बनिक अम्ल या ऐल्कोहॉल बनता है।
5. इस क्रिया में बहुत से विकर (enzyme) भाग लेते हैं।इसमें कम विकर (enzyme) भाग लेते हैं।

प्रश्न 8.
शुद्ध ATP के अणुओं की प्राप्ति की गणना के दौरान आप क्या कल्पनाएँ करते हैं ?
उत्तर:
ATP अणुओं की प्राप्ति की कल्पनाएँ (Assumptions of Formation of ATP Molecules)
1. ATP के अणुओं की प्राप्ति एक लम्बी प्रक्रिया द्वारा होती है जो ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) से प्रारम्भ होकर क्रेब्स चक्र तथा इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र में समाप्त होती है। इसमें विभिन्न स्थानों पर ATP प्राप्त होते हैं।

2. ग्लाइकोलाइसिस में संश्लेषित NAD माइटोकॉण्ड्रिया में प्रवेश करता है जहाँ इसका फॉस्फेटीकरण (Phosphorylation) होता है।

3. श्वसन मार्ग में भाग लेने वाले मध्यवर्ती यौगिक अपने पदों को ही आगे बढ़ाते हैं अर्थात् किसी अन्य यौगिक के निर्माण में प्रयोग नहीं होते। अतः ATP का निर्माण भी निश्चित स्थानों पर होता है।

4. ग्लाइकोलाइसिस ग्लूकोज से ही प्रारम्भ होता है। अन्य कोई यौगिक क्रिया के मध्य में प्रवेश नहीं कर सकता। इसी प्रकार क्रेब्स चक्र एसीटिल Co A से प्रारम्भ होता है, इसमें भी कोई मध्यवर्ती यौगिक न प्रविष्ट होता है न ही कहीं अन्यत्र प्रयुक्त होता है। वास्तव में श्वसन पथ एक लयबद्ध तरीके से कार्य करता है और इसमें भाग लेने वाले सभी अभिकारक अपने स्तर पर ही कार्य करते हैं। इन पथों में आवश्यकतानुसार ATP खर्च उत्पादित होते हैं। यह लयबद्धता जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक होती है।

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प्रश्न 9.
‘श्वसन पथ एक ऐम्फीबोलिक पथ होता है।’ इसकी चर्चा कीजिए।
उत्तर:
श्वसन क्रिया के लिए ग्लुकोज एक सामान्य क्रियाधर (Common Substrate) होता है, जिसे कोशिकीय ईंधन (Cellular fuel) कहते हैं, अन्य कार्बोहाइड्रेट्स भी श्वसन क्रिया से पहले ग्लूकोज में परिवर्तित कर दिये जाते हैं। वसा (Fat) को पहले ग्लसरॉॉल तथा वसीय अम्लों (Fatty acids) में विषटित किया जाता है। वसीय अम्ल ऐसीटिल कोएन्ताइम (Acetyle Co-A) बनकर श्वसन मार्ग में प्रवेश करता है। ग्लिसरॉल फॉस्स्फोम्लिसरेल्डिताइड (PGAL) में बदलकर श्वसन पथ में प्रवेश करता है। प्रोटीन्स विषटित होकर ऐमीनो अम्ल बनाती हैं।

एमीनो अम्ल (Amino acids) विएमिनीकरण (veamination) के पश्चात क्रेस्स चक्र के विभिन्न चरणों में प्रवेश करता है। इसी प्रकार वसा अम्ल के संश्लेषण में श्वसन मार्ग से ऐसीटिल कोएन्जाइम पृथक् हो जाता है। अतः वसा अम्ल के संश्लेषण एवं विषटन के दौरान श्वसनीय पथ का प्रयोग होता है। इसी प्रकार प्रोटीन के संश्लेषण व विषटन के दौरान भी श्वसन पथ का प्रयोग होता है। इस तरह श्वसन पथ में उपचय (Anabolism) तथा अफक्य (Catabolism) क्रियाएँ साथ-साथ होती रहती हैं। यही कारण है कि श्वसन पथ को ऐम्फीबोलिक पथ (Amphibolic Pathway) कहा जाता है।
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प्रश्न 10.
साँस (श्वसन) गुणांक को परिभाषित कीजिए। वसा के लिए इसका क्या मान है ?
उत्तर:
श्वसन गुणांक (Respiratory Quotient; R. Q.)
दिये गये किसी निश्चित समय में निश्चित ताप व दाब पर श्वसन क्रिया में निष्कासित CO2 व प्रयुक्त O2 के अनुपात को श्वसन गुणांक या श्वसन भागफल (R.Q.) कहते हैं। श्वसन पदार्थ के प्रकार के अनुसार R. Q. भी भिन्न-भिन्न होते हैं।
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वसा के लिए R. Q. – वसा का श्वसन गुणांक 1 से कम होता है क्योंकि वसीय पदार्थों के श्वसन में उपयोग होने से निष्कासित CO2 की मात्रा प्रयुक्त O2 की मात्रा से कम होती है।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 14 पादप में श्वसन - 31
अतः वसा का R. Q. 0.7 होता है

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प्रश्न 11.
ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण क्या है ?
उत्तर:
ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण (Oxidative Phosphorylation)
ऑक्सीकीय श्वसन (aerobic respiration) के विभिन्न चरणों में उत्पन्न हाइड्रोजन आयन्स (H) को हाइड्रोजनमाही NAD या FAD ग्रहण करके अपचयित हो जाते हैं तथा NAD2H या FAD2H बनाते हैं। प्रत्येक NAD. 2H अणु से दो इलेक्ट्रॉन निकलकर ऑक्सीजन तक पहुँचने के क्रम में तीन तथा FAD 2H अणु से दो ATP अणुओं का निर्माण होता है। इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरण तन्त्र के अन्तर्गत परिवहन के फलस्वरूप मुक्त ऊर्जा ADP + Pi → ATP क्रिया द्वारा ATP में संचित हो जाती है। प्रत्येक ATP अणु बनने में जन्तुओं में 7-3 kcal तथा पौधों में 10-12 kcal ऊर्जा संचय होती है। इस क्रिया को फॉस्फोरिलीकरण कहते हैं क्योंकि श्वसन क्रिया में यह प्रक्रिया O2 की उपस्थिति में होती है। अतः इसे ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण (Oxidative Phosphorylation) कहा जाता है।
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प्रश्न 12
साँस के प्रत्येक चरण में मुक्त होने वाली ऊर्जा का क्या महत्व है ?
उत्तर:
1, कोशिकाओं में जैव-रासायिनक ऑक्सीकरण के समय श्वसनी पदार्थ में संचित सम्पूर्ण रासायिनक ऊर्जा एक साथ मुक्त नहीं होती है, जिसे ATP के रूप में संचित किया जाता है।
2. श्वसन में मुक्त ऊर्जा सीधे ही उपयोग नहीं की जा सकती, इससे पहले ATP का संश्लेषण होता है।
3. ATP ऊर्जा मुद्रा का कार्य करते हैं और आवश्यकतानुसार जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं ।
4. विभिन्न जटिल कार्बनिक पदार्थों के संश्लेषण में भी ATP की ऊर्जा का प्रयोग होता है।
5. पौधों में जल अवशोषण, खनिज स्थानान्तरण, भोज्य पदार्थों के स्थानान्तरण आदि में ATP की ऊर्जा का ही प्रयोग होता है।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
एक पौधे को बाहर से देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4 ? कैसे और क्यों ?
उत्तर:
C3 पौधे प्रायः समशीतोष्ण जलवायु में उगते हैं। इनमें CO2 का उपयोग करने की क्षमता कम होती है। ये वायुमण्डल में CO2 की मात्रा के 50 ppm से अधिक होने पर ही इसका उपयोग कर पाते हैं। C3 पौधों के लिए उपयुक्त तापमान लगभग 20-25°C होता है। इनमें प्रकाश श्वसन (Photorespiration) होने के कारण ऊर्जा की क्षति होने की सम्भावना होती है।

ये पौधे जल वाष्पित करतेहैं तथा इनकी उत्पादकता (Productivity) कम होती हैं। अधिकांशत: जालिकावत् शिराविन्यास (Reticulate venation) वाले C3 पौधे होते हैं और इनकी पत्तियाँ भी प्रायः चौड़ी होती हैं। भी C पौधे शुष्क उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन पौधों में क्रॉन्ज प्रकार की शारीरिकी (Kranz anatomy) पायी जाती है।

ये पौधे उच्च ताप को सह सकते हैं। इन पौधों के लिए उपयुक्त तापमान 30-35°C होता है। ये वायुमण्डल में CO2 की कम मात्रा (10 ppm ) होने पर भी प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं। इनमें प्रकाश श्वसन न होने के कारण ऊर्जा क्षति कम होती है। ये अधिक उत्पादकता (Productivity) वाले पौधे होते हैं। प्रायः एक बीजपत्री, सँकरी पत्ती वाले पौधे C4 होते हैं।

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प्रश्न 2.
एक पौधे की आंतरिक संरचना को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4 ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पत्तियों की आंतरिक संरचना के आधार पर C3 तथा C4 पौधों को अलग-अलग विभेदित किया जा सकता है। C4 पौधों की पत्तियों की आन्तरिक संरचना या शारीरिकी (Anatomy) क्रॉन्ज प्रकार (Kranz type) की होती है। क्रॉन्ज जर्मन भाषा का शब्द है, इसका अर्थ है माला या छल्ला ।

अर्थात् इन पौधों की पत्तियों में पर्णमध्योतक (Mesophyll tissue) खम्भ ऊतक (Palisade) तथा स्पंजी ऊतक (Spongy tissue) में विभेदित नहीं होता। संवहन बण्डल (Vascular bundles ) के चारों ओर पूलाच्छद कोशिकाएँ (Bundle sheath cells) पायी जाती हैं। ये कोशिकाएँ बड़ी तथा इनमें बड़े-बड़े हरितलवक ( Chloroplast) होते हैं किन्तु इनमें ग्रेना कम विकसित होते हैं या अनुपस्थित होते हैं।

जबकि पर्णमध्योतक कोशिकाओं में हरित लवक छोटे होते हैं किन्तु इनमें प्रेना ( Grana) अधिक विकसित होते हैं। अतः C4 पौधों की पत्तियों में द्विरूपी हरित लवक होते हैं। इनकी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में वर्णक तंत्र II का अभाव होता है। C3 पौधों की पत्तियों की आन्तरिक संरचना C4 पौधों से भिन्न होती है।

इनमें पत्ती का पर्णमध्योतक पैलिसेड तथा स्पंजी मृदूतक (Palisade and Spongy Parenchyma ) में विभेदित होता है। इनमें पूलाच्छद का अभाव होता है। इनकी सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के हरित लवक पाए जाते हैं। इनमें प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दोनों वर्णक तंत्र पाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
हालांकि C4 पौधे में बहुत कम कोशिकाएँ जैव-संश्लेषण केल्विन पथ को वहन करती हैं, फिर भी वे उच्च उत्पादकता वाले होते हैं। क्या इस पर चर्चा कर सकते हैं कि ऐसा क्यों है ?
उत्तर:
C3 एवं C4 दोनों प्रकार के पौधों में कैल्विन पथ (Calvin Pathway) समान रूप से पाया जाता है। C3 पौध अधिक CO2 सान्द्रता पर ही प्रकाश संश्लेषण कर पाते हैं, जबकि C4 पौधे कम CO2 सान्द्रता पर प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं। अतः C3 पौधों को C4 पौधों की अपेक्षा कम CO2 उपलब्ध हो पाती है। C3 पौधों के लिए CO2 सान्द्रता सीमाकारी कारक (Limiting factor ) का कार्य करती हैं ।

C4 पौधों में कैल्विन चक्र (या C3 चक्र) केवल पूलाच्छद कोशिकाओं (Bundle sheath cells) में पाया जाता है। इनकी पर्णमध्योतक कोशिकाओं (mesophyll cells) में केल्विन चक्र नहीं पाया जाता है। इन कोशिकाओं में केवल हैच- स्लेक चक्र (या C4) चक्र ही सम्भव होता है। C3 पौधों में कुछ ऑक्सीजन रुबिस्को (RuBISCO) से बंधित हो जाने से CO2 का यौगिकीकरण (Carbon dioxide assimilation) कम हो जाता है यहाँ रिबुलोज बाई फॉस्फेट ( RUBP) 3- फास्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) के अणुओं में बदलने की अपेक्षा ऑक्सीजन से संयोग करके फॉस्फोग्लाइकोलेट (Phosphoglycolate) बनाते हैं।

इसे प्रकाश श्वसन (Photorespiration) कहते हैं। इसमें शर्करा एवं ATP का निर्माण नहीं होता है। अतः यह एक निरर्थक प्रक्रिया होती है। C4 पौधों में प्रकाश श्वसन न होने के कारण जैवभार अधिक उत्पन्न होता है। अतः ये उच्च उत्पादकता (High productivity) वाले होते हैं। पौधों हैं।

प्रश्न 4.
रुबिस्को (RuBISCO) एक एन्जाइम है जो कार्बोक्सिलेस और ऑक्सीजिनेज के रूप में काम करता है। आप ऐसा क्यों मानते हैं कि C4 में, रुबिस्को अधिक मात्रा में कार्बोक्सिलेशन करता है ?
उत्तर:
रुबिस्को (RuBISCO) संसार में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन विकर है। यह CO2 तथा O2 दोनों से बन्धित हो सकता है किन्तु इसमें (O2 की अपेक्षा CO4 से अधिक बन्धुता होती है। लेकिन यह बन्धुता O2 तथा CO2 की सापेक्ष सान्द्रता पर निर्भर करती है। रुबिस्को केल्विन चक्र में CO2 तथा RuBP की क्रिया को उत्प्रेरित करता है जिसके फलस्वरूप 3- फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3- Phospho glyceric acid) दो अणु बनते हैं।

C3 पादपों में कुछ O2 रुबिस्को (RuBISCO) से बन्धित हो जाती है जिससे CO2 का स्थिरीकरण कम हो जाता है। क्योंकि रुबिस्को O2 से बन्धित होकर फॉस्फोग्लाइकोलेट ( Phosphoglycolate) अणु बनाता है। इस प्रक्रिया को प्रकाश श्वसन कहते हैं। इसमें शर्करा का निर्माण नहीं होता हैं और न ही ATP के रूप में ऊर्जा संचित होती है।

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C3 पौधों के विपरीत C4 पौधों में प्रकाश श्वसन नहीं होता है। C4 पौधों की पत्तियों के पर्णमध्योतक (Mesophyll) की कोशिकाओं में उपस्थित मैलिक अम्ल पूलाच्छद कोशिकाओं के अन्दर पाइरुविक अम्ल तथा CO2 में टूट जाता है। जिसमें पूलाच्छद कोशिकाओं ( Bundile sheath cells) में CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है और रुबिस्को एक कार्बोक्सिलेज के रूप में ही कार्य करता है। फलस्वरूप यहाँ शर्करा की उत्पादकता बढ़ जाती है। यहाँ रुबिस्को ऑक्सीजिनेज (Oxygenase) का कार्य नहीं करता है।

प्रश्न 5.
मान लीजिए यहाँ पर क्लोरोफिल ‘बी’ की उच्च सान्द्रता युक्त, मगर क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पेड़ थे। क्या ये प्रकाश संश्लेषण करते होंगे ? तब पौधों में क्लोरोफिल ‘बी’ क्यों होता है और फिर दूसरे गौण वर्णकों की क्या जरूरत है ?
उत्तर:
क्लोरोफिल ‘बी’ (Chlorophyll-B), जैन्थोफिल (Xanthophyll) तथा कैरोटीन (Carotin) सहायक वर्णक होते हैं। ये प्रकाश की विभिन्न तरंगों को अवशोषित करके क्लोरोफिल ‘ए’ (chi-a) को स्थानान्तरित करते हैं। वास्तव में ये वर्णक प्रकाश संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंगदैर्ध्य के क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य करते हैं तथा क्लोरोफिल को प्रकाश- ऑक्सीकरण (Photo-oxidation) से बचाते हैं क्लोरोफिल ‘ए’ प्रकाश संश्लेषण में भाग लेने वाला मुख्य वर्णक है। अतः क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा ।

प्रश्न 6.
यदि पत्ती को अंधेरे में रख दिया गया हो तो उसका रंग क्रमशः पीला एवं हरा पीला हो जाता है ? कौन-से वर्णक आपकी सोच में अधिक स्थाई हैं ?
उत्तर:
पौधों का हरा रंग हरित लवक (Chloroplast) की उपस्थिति के कारण होता है। हरित लवक की उपस्थिति में ही ये पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं। पौधों के अप्रकाशित भागों में अवर्णी लवक (Leucoplast) तथा रंगीन भागों में वर्णी लवक (Chromoplast) पाया जाता है। ये तीनों प्रकार के लवक एक-दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं।

हरित लवक की ग्रेना पटलिकाओं (Granea lamellae) में पर्णहरित (Chlorophyll), कैरोटिनॉइड्स (Carotenoids) पाए जाते हैं। कैरोटिनॉइड दो प्रकार के होते हैं- जैन्थोफिल ( Xanthophyll) तथा कैरोटीन (Carotene)। ये क्रमशः पीले एवं नारंगी वर्णक होते हैं। पर्णहरित के निर्माण के लिए प्रकाश की उपस्थिति अनिवार्य होती है।

पौधे को अन्धकार में रखने से हरित लवक की मात्रा घटने लगती है और प्रकाश संश्लेषण क्रिया भी बन्द हो जाती है। पौधे में संचित भोज्य पदार्थ समाप्त हो जाते हैं। इसके कारण पत्तियों के पर्णहरित का विघटन हो जाता है। अब पत्तियों में कैरोटिनाइड्स के उपस्थित रहने के कारण ये हरी-पीली दिखाई देती हैं। कैरोटिनाइड्स पर्णहरित की तुलना में अधिक स्थाई होते हैं ।

प्रश्न 7.
एक ही पौधे की पत्ती का छाया वाला (उल्टा) भाग देखें और उसके चमक वाले (सीधे) भाग से तुलना करें अथवा गमले में लगे धूप में रखे हुए तथा छाया में रखे हुए पौधों के बीच तुलना करें। कौन-सा गहरे हरे रंग का होता है और क्यों ?
उत्तर:
पृष्ठाधारी (Dorsiventral) पत्तियों में पृष्ठ सतह (सीधी) अधिक गहरे रंग की एवं चमकीली दिखाई देती है। ऐसी पत्तियों में पृष्ठ सतह की बाह्य त्वचा के नीचे खम्भ ऊतक (Palisade tissue) पाया जाता है जिसमें हरित लवक अधिक मात्रा में होने के कारण अधिक गहरे रंग की होती है । बाह्य त्वचा पर मोटी उपत्वचा (Cuticle) होने के कारण यह चमकीली दिखाई देती है।

इसके विपरीत पत्ती की अधर सतह की बाह्य त्वचा पर पतली क्यूटिकल तथा बाह्य त्वचा के अन्दर की ओर स्पंजी ऊतक पाया जाता है जिसमें हरित लवक अपेक्षाकृत कम होता है। इसलिए यह सतह हल्के रंग की दिखाई देती है। धूप में रखे गमले में लगे पौधे में छाया में रखे पौधे की तुलना में पत्तियों में अधिक हरित लवक होता है जिससे धूप वाली पत्तियाँ अधिक गहरी हरी दिखाई देती हैं।

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प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण की दर पर प्रकाश का प्रभाव पड़ता है। ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(अ) वक्र के किस बिन्दु अथवा बिन्दुओं पर (क, ख अथवा ग) प्रकाश एक नियामक कारक है ?
(ब) क बिन्दु पर नियामक कारक कौन-से हैं ?
(स) वक्र में ‘ग’ और ‘घ’ क्या निरूपित करता है ?
उत्तर:
(अ) प्रकाश की तीव्रता तथा गुणवत्ता प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करती है। उच्च प्रकाश तीव्रता प्रकाश नियामक नहीं होती क्योंकि अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। कम प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश एक नियामक कारक बिन्दु ‘क’ पर होता है।
(ब) बिन्दु ‘क’ पर प्रकाश नियामक कारक होता है।
(स) वक्र में ग बिन्दु प्रकाश संतृप्तता को प्रदर्शित करता है। इस बिन्दु पर प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर भी प्रकाश संश्लेषण की दर नहीं बढ़ती है। घ बिन्दु पर प्रकाश की तीव्रता सीमाकारक (Limiting factor) हो सकती है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित की तुलना कीजिए-
(अ) C3 एवं C4 पथ
(ब) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेसन
(स) C3 एवं C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी ।
उत्तर:
(अ) C3 तथा C4 पथ में अन्तर (Difference between C3 and C4 Pathway)

C3 पथC4 पथ
1. यह C3 पौधों की पत्तियों में पाया जाता है।1. यह C3 पौधों की पत्तियों में पाया जाता है।
2. इसमें CO2 का स्थिरीकरण एक बार में होता है।2. इसमें CO2 का स्थिरीकरण दो बार में होता है। पर्णमध्योतक कोशिकाओं (Mesophyll cells) में तथा पूलाच्छद कोशिकाओं (Bundle sheath cells) में।
3. इसमें RuBP, CO2 ग्राही का कार्य करता है।3. इसमें PEP (Phosphoenol pyruvic acid) CO2 माही का कार्य करता है।
4. CO2 स्थिरीकरण के फलस्वरूप बनने वाला प्रथम स्थाई उत्पाद 3C वाला पदार्थ 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3-PGA) होता है।4. CO2 स्थिरीकरण के फलस्वरूप बनने वाला प्रथम स्थाई उत्पाद 4C वाला पदार्थ ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल (OAA) होता है।
5. इसमें कम मात्रा में वायुमण्डलीय CO2 ग्रहण की जाती है।5. इसमें अधिक मात्रा में वायुमण्डलीय CO2 ग्रहण की जाती है।
6. इसके लिए उपयुक्त तापक्रम 20-25° C होता है।6. इसके लिए उपयुक्त ताप 30-45° C होता है।
7. संतुलन तीव्रता बिन्दु (Compensation point ) CO2 की कम सान्द्रता (50-100 ppm) पर होता है।7. संतुलन तीव्रता बिन्दु CO2की कम सान्द्रता (0-10 ppm) पर होता है
8. इनमें प्रकाश श्वसन के फलस्वरूप (Phosphoglycolate) बनता है।8. इनमें प्रकाश श्वसन नहीं होता है।
9. इसमें RuBISCO2 एंजाइम भाग लेता है।9. इसमें PEP-कार्बोक्सीलेज (Pep-carboxylase) एंजाइम होता है ।
10. फॉस्फोग्लाइकोलेट इसमें O2 प्रकाश संश्लेषण के लिए अवरोधक का कार्य करती है।10. O2 का अवरोधक प्रभाव नहीं होता।
11. इसकी उत्पादकता कम होती है।11. इसकी उत्पादकता अधिक होती है।
उदाहरण- आलू, टमाटर आदि ।उदाहरण- मक्का, गन्ना आदि।

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(ब) चक्रीय तथा अचक्रीय फोटोफोस्फोरिलेशन में अंतर (Difference Between Cyclic and Non-cyclicPhotophosphorylation)

चक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशनअचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन
1. इसमें इलेक्ट्रॉनों का पथ चक्रीय (Cyclic) होता है ।इसमें इलेक्ट्रॉनों का पथ अचक्रीय (Non-cyclic) होता है।
2. इसमें P700 अन्तिम इलेक्ट्रॉन प्राही है। P700 से इलेक्ट्रॉन चलकर पुनः इसी में आ जाते हैं।NADP अन्तिम इलेक्ट्रॉन ग्राही है। P680 से चलकर इलेक्ट्रॉन पुन: इसमें नहीं लौटते हैं।
3. इसमें केवल प्रकाश कर्म-1 ही होता है।इसमें प्रकाश कर्म – I तथा II दोनों भाग लेते हैं ।
4. जल का प्रकाश अपघटन नहीं होता।जल का प्रकाश अपघटन होता है।
5. ऑक्सीजन नहीं निकलती।ऑक्सीजन निकलती है।
6. NADPH2 का निर्माण नहीं होता। केवल ATP का निर्माण होता है।NADPH2 तथा ATP दोनों बनते हैं।
7. फेरीडॉक्सिन से इलेक्ट्रॉनों के सायटोक्रोम bo – f कॉम्प्लैक्स (Cyt. bo – f complex) में आने पर ATP बनता है।प्लास्टोक्विनोन से इलेक्ट्रॉन के साइटोक्रोम bo – f कॉम्प्लैक्स (Cyt-b6-f complex) पर आने पर ATP मुक्त होता है।

(स) C3 तथा C4 पादपों की शारीरिकी में अन्तर (Difference between the Anatomy of C3 and C4 Plants)

C3 पौधों की शारीरिकीC4 पौधों की शारीरिकी
1. पत्तियों में क्रॉन्ज शारीरिकी (Kranz Anatomy ) नहीं पायी जाती है।पत्तियों में क्रॉन्ज शारीरिकी पायी जाती है।
2. पत्तियों का पूर्ण मध्योतक (Mesophyll) पैलीसेड कोशिकाओं एवं स्पंजी शकाओं (Spongy cells) में विभेदित होतापर्ण मध्योतक में केवल एक ही प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं।
3. संवहन पूल के चारों ओर पूलाच्छद ( Bundle sheath) नहीं पायी जाती है।पूलाच्छद (Bundle sheath) पायी जाती है।
4. सभी कोशिकाओं में हरितलवक (Chloroplast) एक ही प्रकार के होते हैं और इनमें दोनों वर्णक तन्त्र उपस्थित होते हैं।हरित लवक बहुरूपी ( Polymorphic) होते हैं। पूलाच्छद कोशिकाओं में बड़े तथा पर्णमध्योतक कोशिकाओं में छोटे होते हैं। एक ही वर्णक तन्त्र (Pigment system) उपस्थित होता है।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 12 खनिज पोषण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 12 खनिज पोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
पौधे में उत्तरजीविता के लिए उपस्थित सभी तत्वों की अनिवार्यता नहीं है।’ टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
अब तक खोजे गये 110 तत्वों में से लगभग 60 तत्वों की पौधों में उपस्थिति ज्ञात हो चुकी है। परन्तु उपयोगिता के आधार पर पौधों के लिए 17 पोषक तत्व अनिवार्य (essential) माने जाते हैं। अनिवार्य पोषक तत्वों को उनकी परिमाणात्मक आवश्यकता के आधार पर दो वर्गों में बाँटा जा सकता है- (क) वृहत या दीर्घमात्रिक पोषक तत्व (Macronutrients) ये पौधों के शुष्क पदार्थ की 1 से 10 की सान्द्रता में पाये जाते हैं जैसे-C, H, O, N, K, Ca, Mg, P, S

(ख) सूक्ष्म या लघुमात्रिक पोषक तत्व (Micronutrients) ये पौधे के शुष्क पदार्थ की 01 की सान्द्रता या उससे कम मात्रा में पाये जाते हैं। जैसे -Cl, B, Fe, Mn, Zn, Cu, Ni तथा Mo

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प्रश्न 2.
जल संवर्धन में खनिज पोषण हेतु अध्ययन में जल और पोषक लवणों की शुद्धता जरूरी क्यों है ?
उत्तर:
अशुद्ध जल में अनेकों खनिज घुले रहते हैं। सामान्यतः लवणों में भी अशुद्धियाँ पायी जाती हैं। यदि अशुद्ध जल का प्रयोग संवर्धन माध्यम में किया जाता है तब जल संवर्धन (hydroponics) तकनीक में तत्व की अनिवार्यता जाँचने में व्यवधान उत्पन्न होता है। अतः जल संवर्धन तकनीक में खनिज पोषण सम्बन्धी अध्ययनों के लिए शुद्ध जल तथा शुद्ध पोषक लवणों की ज्ञात मात्रा का प्रयोग किया जाना चाहिए।

प्रश्न 3.
उदाहरण के साथ व्याख्या कीजिए-वृहत् पोषक, सूक्ष्म पोषक, हितकारी पोषक आविष तत्व और अनिवार्य तत्व ।
उत्तर:
(1) वृहत् पोषक तत्व (Macronutrients) पौधों के शुष्क भाग में अधिक सान्द्रता में पाये जाने वाले तत्वों को वृहत पोषक तत्व कहते हैं:
जैसे -C, O, H, N, S, P K, Ca आदि ।
(2) सूक्ष्म पोषक (Micronutrients) – पौधों के शुष्क भाग में कम सान्द्रता में पाये जाने वाले तत्वों को सूक्ष्म पोषक कहते हैं। ये पौधों में अल्प मात्रा (1-0 ppm या इससे कम) होते हैं। जैसे-CL, B, Fe, Cu Zn, Ni तथा Mo.
(3) हितकारी पोषक तत्व (Beneficial Elements) अनिवार्य पोषक तत्वों के अतिरिक्त कुछ लाभदायक तत्व उच्च श्रेणी के पौधों के लिए आवश्यक होते हैं। इन्हें हितकारी पोषक तत्व कहते हैं।
(4) आविष तत्व या आविषालु तत्व (Toxic Elements ) किसी खनिज आयन की वह सान्द्रता जो ऊतकों के शुष्क भार में लगभग 10% तक की कमी कर सकता है, आविषालु तत्व (toxic element) माना जाता है। विभिन्न पोषक तत्वों का आविषालुता स्तर (toxicity level) भिन्न-भिन्न होता है।
(5) अनिवार्य तत्व (Essential Elements) पादपों के लिए 17 तत्व अनिवार्य होते हैं। इनकी मात्रा के आधार पर अनिवार्य तत्वों को दो समूहों में बाँटा जा सकता है। वृहत् तत्व एवं सूक्ष्म तत्व ।

प्रश्न 4.
पौधों में कम-से-कम पाँच अपर्याप्तता के लक्षण लिखिए। उन्हें वर्णित कीजिए और खनिजों की कमी से उसका सहसम्बन्ध बनाइए।
उत्तर:
पौधों में प्रमुख अपर्याप्तता लक्षण निम्नवत् है-
(1) हरिमाहीनता (Chlorosis ) क्लोरोफिल की हानि से पादपों की पत्तियों का पीला पड़ जाना हरिमाहीनता (chlorosis) कहलाता है। यह N, K, Mg, S, Fe, Mn, Zn तथा Mo आदि की कमी से होता है।
(2) उनक क्षय (Necrosis ) कोशिकाओं तथा ऊतकों का मर जाना ऊतक क्षय ( necrosis ) कहलाता है। यह पत्तियों पर धब्बों, रॉट तथा क्लाइट के रूप में दिखाई देता है। यह Ca Mg, Cu तथा K आदि की कमी से होता है।
(3) कोशिका विभाजन अवरोधन (Inhibition of Cell Division ) कोशिका विभाजन अवरुद्ध होने पर पौधों की वृद्धि रुक जाती है। यह N, K, S, Mo आदि की अनुपस्थिति या कमी से उत्पन्न होता है।
(4) पुष्पन में देरी (Delay of Flowering) कुछ पौधों में N, 5 तथा Mo की कमी से पुष्पन देरी से होता है।
(5) विकृति (Deformation) विकृति रंगहीनता तथा प्राविभाजी ऊतक का संगठन बिगड़ने से पादप की वृद्धि बिन्दुओं की मृत्यु हो जाती है। यह बोरॉन, की कमी से उत्पन्न होता है।

प्रश्न 5.
अगर एक पौधे में एक से ज्यादा तत्वों की कमी के लक्षण प्रकट हो रहे हैं तो प्रायोगिक तौर पर आप कैसे पता लगाएँगे कि अपर्याप्त खनिज कौन-से हैं ?
उत्तर:
किसी एक तत्व की अपर्याप्तता से कई तत्वों की कमी के लक्षण उत्पन्न होते हैं। अतः अपर्याप्त तत्व का पता करने के लिए पौधे के विभिन्न भागों में प्रकट होने वाले लक्षणों का अध्ययन किया जाता है और उपलब्ध तथा मान्य तालिका से उनकी तुलना करनी पड़ती है। समान तत्व की कमी होने पर अलग-अलग पौधों में भिन्न-भिन्न लक्षण प्रदर्शित होते हैं।

प्रश्न 6.
कुछ निश्चित पौधों में अपर्याप्तता लक्षण सबसे पहले नवजात भाग में क्यों पैदा होता है, जबकि कुछ अन्य में परिपक्व अंगों में ?
उत्तर:
पोषक तत्वों की कमी से पौधों में कुछ आकारिकीय परिवर्तन (morphological changes) उत्पन्न होते हैं ये परिवर्तन अपर्याप्तता को प्रदर्शित करते हैं। ये विभिन्न तत्वों के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं। अपर्याप्तता के लक्षण पोषक तत्वों की गतिशीलता पर निर्भर करते हैं। ये लक्षण कुछ पौधों के नवजात भागों या पुराने ऊतकों (tissues) में पहले प्रकट होते हैं।

पादप में जहाँ तत्व सक्रियता से गतिशील रहते हैं तथा तरुण वृद्धि कर रहे ऊतकों (tissue) को स्थानान्तरित होते हैं, वहाँ अपर्याप्तता के लक्षण पुराने ऊतकों (tissue) में पहले प्रकट होते हैं जैसे-नाइट्रोजन, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि की अपर्याप्तता के लक्षण सर्वप्रथम पुरानी पत्तियों में प्रकट होते हैं। पुरानी पत्तियों से ये तत्व विभिन्न जैव अणुओं में विखण्डित होने से उपलब्ध होते हैं और नई पत्तियों तक गतिशील होते हैं।

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जब तत्व अगतिशील होते हैं और वयस्क (Adult) अंगों से दूसरे ऊतकों को स्थानान्तरित नहीं होते तो अपर्याप्तता लक्षण नई पत्तियों में प्रकट होते हैं । जैसे- कैल्शियम, गन्धक आसानी से स्थानान्तरित नहीं होते हैं। अपर्याप्तता लक्षणों को पहचानने के लिए पौधे के विभिन्न भागों में प्रकट होने वाले लक्षणों क अध्ययन मान्य तालिका के अनुसार किया जाता है।

प्रश्न 7.
पौधों के द्वारा खनिजों का अवशोषण कैसे होता है ?
उत्तर:
खनिज तत्वों का अवशोषण (Absorption of Mineral Elements) – पौधों की जड़ों द्वारा खनिजों का अवशोषण दो पर्थो से होता है-
1. एपोप्लास्ट पथ (Apoplast Pathway ) – जल मृदा से होता हुआ मूलरोम कोशिकाओं की कोशाभित्तियों, वल्कुट (Cortex) कोशिकाओं, अन्त:त्वचा, परिरंभ, जाइलम मृदूतक (xylem parenchyma ) तथा जाइलम वाहिकाओं में पहुँचता है। चूँकि जाइलम मार्गों में जल पर अत्यधिक ऋणात्मक दाब होता है। अतः यह एपोप्लास्ट में मध्य से गुजरता हुआ जाइलम तक पहुँचता है। अन्तस्त्वचा (endodermis ) की कैस्पेरियन पट्टियाँ इसमें भाग नहीं लेती हैं।

2. सिमप्लास्ट पथ (Symplast Pathway ) – कोशिकाओं के अन्तराकोशिकीय स्थानों में आयन धीमी गति से अन्तर्ग्रहीत किये जाते हैं। आयनों के प्रवेश एवं निष्कासन में उपापचयी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह सक्रिय अवशोषण होता है। कोशिका में आयनों की गति को अन्तर्वाह ( influx) तथा कोशिका से बाहर की गति को बहिर्वाह (efflux) कहते हैं ।

प्रश्न 8.
राइजोबियम के द्वारा वातावरणीय नाइट्रोजन के स्थिरीकरण के लिए क्या शर्तें हैं तथा नाइट्रोजन स्थिरीकरण में इनकी क्या भूमिका है ?
उत्तर:
वायुमण्डलीय नाइट्रोजन स्थिरीकरण की शर्तें (Conditions for Atmospheric Nitrogen Fixation)-
1. नाइट्रोजिनेज विकर (Nitrogenase Enzyme),
2. लैगहीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin),
3. ATP
4. अनॉक्सी वातावरण ( Anaerobic environment) ।
मटर कुल के पौधों की जड़ों में ग्रन्थि सदृश रचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें मूल गुलिकाएँ (root nodules) कहते हैं। इन गुलिकाओं में राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणु पाये जाते हैं। इन गुलिकाओं में नाइट्रोजिनेज विकर, लैगहीमोग्लोबिन आदि कई रासायनिक संघटक उपस्थित होते हैं। नाइट्रोजिनेज विकर वातावरणीय नाइट्रोजन को अमोनिया में बदलने के लिए उत्प्रेरित करता है। इस विकर की सक्रियता के लिए अनॉक्सी दशाएँ आवश्यक हैं। लैगहीमोग्लोबिन
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नाइट्रोजनेज को ऑक्सीजन के सम्पर्क से सुरक्षित रखता है। अमोनिया के संश्लेषण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एक अमोनिया अणु के निर्माण में 8 ATP अणुओं की आवश्यकता होती है। ऊर्जा की पूर्ति मूल की कोशिकाओं में ऑक्सीश्वसन से होती है। अमोनिया ऐमीनो अम्लों के निर्माण में प्रयुक्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
मूल ग्रन्थि के निर्माण के लिए कौन-कौन से चरण भागीदार हैं ?
उत्तर:
मूल ग्रन्थि का निर्माण (Formation of Root Nodules) मूल प्रन्थि (root nodule) का निर्माण पोषक पौधों की जड़ों एवं राइजोबियम (Rhizobium) जीवाणुओं में पारस्परिक प्रक्रिया के कारण होता है। ग्रन्थि के निर्माण में निम्न चरण भाग लेते हैं- राइजोबियम जड़ के सम्पर्क में आकर गुणन करते हैं और जड़ पर एक समूह बना लेते हैं। ये मूलरोमों और जड़ की उपत्वचीय कोशिकाओं से चिपक जाते हैं।

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मूलरोम ( root hairs) मुड़ जाते हैं इनमें एक संक्रमण सूत्र ( infection thread ) उत्पन्न होता है जो जीवाणुओं का कार्टिकल कोशिकाओं (cortical cell) से सम्पर्क करा देता है। कार्टिकल कोशिकाओं (cortical cell) में जीवाणु प्रन्थि का निर्माण करते हैं। यहाँ ये कोशिकाओं का विभेदीकरण करते हैं। इस प्रकार बनी ग्रन्थि जड़ों की बाह्यत्वचीय कोशिकाओं को धकेलती हुई बाहर की ओर वृद्धि करती है। ग्रन्थि के अन्दर राइजोबियम जीवाणु, लैगहीमोग्लोबिन (Leghraemoglobin) एवं विभिन्न प्रकार के एन्जाइम होते हैं।
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प्रश्न 10.
निम्नलिखित कथनों में कौन सही हैं और अगर गलत हैं तो उन्हें सही कीजिए :
(क) बोरोन की अपर्याप्तता से स्थूलकाय अक्ष बनता है।
(ख) कोशिका में उपस्थित प्रत्येक खनिज तत्व उसके लिए अनिवार्य हैं।
(ग) नाइट्रोजन पोषक तत्व के रूप में पौधे में अत्यधिक अचल है।
(घ) सूक्ष्म पोषकों की अनिवार्यता निश्चित करना अत्यन्त ही आसान है, क्योंकि ये बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में लिए जाते हैं।
उत्तर:
(क) कथन सत्य है ।
(ख) कथन असत्य है । 110 खनिज तत्वों में से लगभग 60 तत्व पौधों में पाये गये हैं। इनमें से लगभग 17 खनिज तत्व ही अनिवार्य माने गये हैं।
(ग) कथन असत्य है । नाइट्रोजन अत्यधिक गतिमान पोषक तत्व है।
(घ) कथन असत्य है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की अनिवार्यता ज्ञात करना अत्यन्त कठिन कार्य है, क्योंकि ये अतिसूक्ष्म मात्रा में प्रयुक्त होते हैं। सामान्यतया पोषक खनिज लवणों में अशुद्धता के कारण ही इनकी अनिवार्यता को स्थापित करना कठिन होता है ।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 11 पौधों में परिवहन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 11 पौधों में परिवहन Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
विसरण की दर को कौन से कारक प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
विसरण की दर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Rate of diffusion ) – विसरण की दर को मुख्य रूप से चार कारक प्रभावित करते हैं-
1. तापमान (Temperature ) – ताप वृद्धि से विसरण की दर बढ़ जाती है क्योंकि ताप बढ़ाने से विसरित होने वाले अणुओं की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है।
2. विसरित होने वाले पदार्थों का घनत्व (Density of Diffusing Substances ) – विसरण दर विसरित होने वाले पदार्थ के घनत्व के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती (inversely proportional) होती है।
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3. माध्यम जिसमें विसरण होता है (Medium in which Diffusion Occurs ) अधिक सान्द्र माध्यम में विसरण दर कम होती है तथा कम सान्द्रता वाले माध्यम में विसरण दर अधिक होती है।
4. विसरण दावप्रवणता (Diffusion Pressure Gradient) विसरण दाब प्रवणता (DPD) अधिक होने पर विसरण दर अधिक होती है।

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प्रश्न 2. पोरीन्स क्या हैं ? विसरण में ये क्या भूमिका निभाते ?
उत्तर;
पोरीन्स (Porins) जीवाणु कोशिका (bacterial cell ) माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria), लवक (plastids ) आदि की बाह्य कला में पोरीन प्रोटीन्स उपस्थित होती हैं। ये बाह्य कला में बड़े-बड़े छिद्रों का निर्माण करती हैं जो बड़े-बड़े अणुओं को कला के आर-पार जाने का पथ प्रदान करते हैं। ये पथ सदैव खुले या बन्द भी हो सकते हैं। कुछ पथ बड़े होते हैं जिनसे अन्य प्रोटीन्स के छोटे अणु आर-पार हो सकते हैं।

सम्मुख दिये गये चित्र से स्पष्ट है कि कोशिका के बाहर उपस्थित अणु परिवहन प्रोटीन (transporter protein) पर अनुबंधित होकर कोशिका कला की भीतरी सतह पर पहुँचकर मुक्त हो जाते हैं। तन्त्रिका कोशिकाओं (nerve cells) में तंत्रिका कला से सोडियम पोटैशियम का स्थानान्तरण विद्युत विभव परिवर्तन द्वारा नियंत्रित होता है। Na+ तथा K+ गेट विद्युत परिवर्तनों के फलस्वरूप खुलते और बन्द होते हैं।
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प्रश्न 3.
पादपों में सक्रिय परिवहन के दौरान प्रोटीन पम्प के द्वारा क्या भूमिका निभाई जाती है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सक्रिय परिवहन सान्द्रता प्रवणता के विपरीत अणुओं को पम्प करने में ऊर्जा का व्यय करता है। सक्रिय परिवहन कला प्रोटीन्स द्वारा पूर्ण किया जाता है। अतः कला के विभिन्न प्रोटीन्स सक्रिय तथा निष्क्रिय दोनों परिवहन में मुख्य भूमिका निभाते हैं। पम्प एक प्रकार का प्रोटीन है जो पदार्थों या कणों की कला को पार कराने में ऊर्जा का उपयोग करती हैं। ये पंप प्रोटीन पंप पदार्थों को कम सान्द्रता से अधिक सान्द्रता में भी पंप (pump) करा सकते हैं। परिवहन की गति अधिकतम तब होती है जब परिवहन करने वाले सभी प्रोटीन्स का प्रयोग हो रहा हो। विकरों (enzymes ) की भाँति वाहक प्रोटीन्स (carrier proteins) कला के पार होने वाले पदार्थों के प्रति अत्यधिक विशिष्ट (specific) होती हैं। ये प्रोटीन्स निरोधकों के प्रति भी संवेदनशील होती हैं जो पार्श्व शृंखला से प्रक्रिया करते हैं।

प्रश्न 4.
शुद्ध जल का सबसे अधिक जल विभव क्यों होता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल के अणुओं में स्वयं की गतिज ऊर्जा होती है अतः ये लगातार अनियमित गति करते रहते हैं। शुद्ध जल में जल के अणुओं की गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है। शुद्ध जल में विलेय के घोलने पर जल के अणुओं की गतिज ऊर्जा कम हो जाती है तथा सामान्यता जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा (free energy) घटती है। अतः शुद्ध जल में जल के अणुओं का जल विभव विलयन की तुलना में अधिकतम (maximum) होता है।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(क) विसरण एवं परासरण
(ख) वाष्पीकरण एवं वाष्पोत्सर्जन
(ग) परासारी दाव तथा परासारी विभव
(घ) विसरण तथा अन्तःशोषण
(च) पादपों में पानी के अवशोषण का एपोप्लास्ट और सिम्प्लास्ट पथ
(छ) बिन्दुस्राव एवं परिवहन (अभिगमन) ।
उत्तर:
(क) विसरण (Diffusion ) एवं परासरण (Osmosis) में अन्तर

विसरण (Diffusion)परासरण (Osmosis)
यह छोटे कणों की गति है जिसमें विभिन्न पदार्थों के अणु अपनी सान्द्रता गुणांक (concentration coefficient) के अनुसार गत्ति करते हैं।यह केवल विलायक अणुओं या जल की गति है जिसमें वे अपने रासायनिक विभव गुणांक (chemical potential coefficient) के अनुसार गति करते हैं।
प्रत्येक पदार्थ स्वतंत्र विसरण प्रदर्शित करता है।विलायक के कण विसरण नहीं करते हैं।
प्रत्येक प्रकार के माध्यम में होता है।यह केवल तरल माध्यम में होता है।
अर्द्धपारगम्य कला (semipermeable membrane) की आवश्यकता नहीं होती है।अर्द्धपारगम्य (semipermeable membrane) कला की आवश्यकता होती है।
अन्य पदार्थों की उपस्थिति का प्रभाव नहीं होता है।अन्य पदार्थों विशेषकर विलेय अणुओं का प्रभाव पड़ता है।
इसमें विशेष दाब उत्पन्न नहीं होता है।परासरण दाब होता है जो विलयन की सान्द्रता पर निर्भर करता है।

(ख) वाष्पोत्सर्जन एवं वाष्पीकरण में अन्तर (Difference between Transpiration and Evaporation)

वाष्पोष्सर्जन (Transpiration)वाप्पीकरण (Evaporation)
यह एक जैविक क्रिया (vital process) है।यह एक भौतिक क्रिया (physical process) है।
पानी पत्ती के रन्ध्रों (stomata) से वाष्पित होता है। केवल जीवित कोशिकाओं द्वारा होता है।पानी किसी भी सतह से वाष्पित हो सकता है।
इसमें वाष्पन दाब, विसरण दाब, परासरण दाब आदि भाग लेते हैं।यह जीवित या अजीवित किसी भी पदार्थ से हो सकता है।
इसके फलस्वरूप पत्ती के चारों ओर नमी रहती है जिससे पत्ती झुलसती नहीं है।किसी प्रकार का दाब आवश्यक नहीं है।
वाष्पोष्सर्जन (Transpiration)यह सूखापन उत्पन्न करता है जिससे जीवित कोशिका झुलस सकती है।

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(ग) परासारी दाब (Osmotic Pressure) तथा परासारी विभव (Osmotic Potential) में अन्तर

परासारी दाब (Osmotic Pressure)परासारी विभव (Osmotic Potential)
1. यह किसी परासारी तंत्र (osmotic system) तंत्र में, जल के परासरणी प्रवेश के कारण उत्पन्न हुए दबाव को प्रदर्शित करता है।यह विलेय कणों की उपस्थिति के कारण जल की स्वतंत्र ऊर्जा में होने वाली कमी है।
2. इसे OP से प्रदर्शित किया जाता है।इसे Ψσ से प्रदर्शित किया जाता है।
3. इसका मापन किया जा सकता है इसे बार (Bars) में मापते हैं। (एक मेगापास्कल =10 बार)इसे मापा नहीं जा सकता है।
4. यह धनात्मक (+ve) होता है।यह ऋणात्मक (-ve) होता है।
5. यह परासारी विभव (osmotic potential) के बराबर व विपरीत होता है।संख्यात्मक आधार पर यह परासरण दाब (osmotic pressure) के बराबर किन्तु इसका चिह्न विपरीत होता है।

(घ) विसरण (Diffusion) एवं अन्तः शोषण (Imbibition) में अन्तर

विसरण (Diffusion)अन्त:शोषण (Imbibition)
1. इसमें विभिन्न पदार्थों के उनकी सान्द्रता प्रवणता (concentration gradient) के अनुसार छोटे कणों वाले अणुओं की गति होती है।इसमें ठोस सतह द्वारा जल का अवशोषण होता है।
2. सभी पदार्थ स्वतंत्र विसरण दर्शाते हैं।ठोस के अणु विसरण नहीं दर्शाते हैं।
3. दाब उत्पन्न नहीं होता है।यह बहुत उच्च अन्तःशोषण दाब विकसित करता है।
4. अणुओं या आयनों के बीच आकर्षण आवश्यक नहीं है ।इसमें अवशोषक तथा माध्यम के अणुओं के बीच आकर्षण होना आवश्यक है।

(च) पादपों में पानी के अवशोषण का एपोप्लास्ट और सिमप्लास्ट पथ में अन्तर (Difference between Apoplast and Symplast path ways of water absorption)

एपोप्लास्ट पथ (Apoplast Pathway)सिमप्लास्ट पथ (Symplast Pathway)
1. यह समीपवर्ती कोशिका भित्तियों का तंत्र है। यह एण्डोडर्मिस की कैस्पेरियन पह्टियों (casparian strips) को छोड़कर सम्पूर्ण पौर्धे में पाया जाता है।1. यह सम्बन्धित जीवद्रव्य का तंत्र है। समीपवर्ती कोशिकाएँ कोशिका द्रव्यी तन्तुओं से जुड़ी रहती हैं।
2. यह केवल अन्तरकोशिकीय अवकाशों (intercellular space) और कोशिका भित्तियों में होता है।2. यह कोशिकाओं के जीवद्रव्य और कोशिका द्रव्यी तन्तुओं (cytoplasmic fibres) के माध्यम से होता है।
3. यह जल परिवहन की गति प्रवणता पर निर्भर रहता है। यह मूलतः सामान्य विसरण एवं कोशिका क्रिया के कारण होता है।3. जल को जाइलम (xylem) ऊतक में पहुँचाने के लिए मूलत: परासरण क्रिया होती है।

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(छ) बिन्दुस्राव ( Guttation) एवं परिवहन ( Transportation) में अन्तर

बिन्दुत्राव (Guttation)परिवहन (Transportation)
1. पौधों की पत्तियों से तरल कोशिका रस के जल बूँदों के रूप में स्राव को बिन्दुसाव (guttation) कहते हैं।1. संवहनी ऊतकों (vascular tissues) द्वारा पदार्थों के स्थानान्तरण को परिवहन कहते हैं।
2. यह पत्तियों के किनारों पर स्थित जल रन्ध्रों (hydrathodes) से होता है। सामान्यतया मूलदाब (root pressure) के कारण कुछ शाकीय पौधों में रात्रि के समय होता है।2. इसमें जाइलम तथा फ्लोएम भाग लेते हैं। जल एवं खनिज पदार्थों तथा खाद्य पदार्थों का स्थानान्तरण हर समय होता रहता है।

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प्रश्न 6.
जल विभव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए कौन-कौन से कारक इसे प्रभावित करते हैं ? जल विभव विलेय विभव तथा दाव विभव के आपसी सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जल विभव (Water Potential ) – शुद्ध जल में जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा तथा किसी अन्य तन्त्र (जैसे- विलयन में जल या पादप कोशिका या ऊतक में जल) में जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा में अन्तर को जल विभव (water potential ) कहते हैं। इसे मीक अक्षर साई (p) से प्रदर्शित करते हैं। जल विभव को दाब के मात्रकों में भी व्यक्त किया जाता है।

I = 14.51b/in2 = 750mmHg = 0.987 atm.
1 atm पर शुद्ध जल का जल विभव शून्य (0) होता है। विलेय पदार्थ के कणों से जल की मुक्त ऊर्जा घटती है अतः जल विभव भी घटता है। अतः विलयन का जल विभव सदैव शून्य से कम अर्थात् ऋणात्मक होता है। जल विभव सान्द्रण प्रवणता तथा दाब द्वारा प्रभावित होता है। विलेय विभव (Solute Potential ) – विलेय की उपस्थिति के कारण जल विभव में आयी कमी विलेय विभव (solute potential, ps ) या परासरण विभव ( osmotic potential) कहलाती है।

दाय विभव (Pressure Potential ) कोशिका भित्ति प्रत्यास्थ होती है तथा कोशिकीय अवयवों पर अन्दर की ओर दाब आरोपित करती है जिसके परिणामस्वरूप रिक्तिका में द्रव स्थैतिक दाब उत्पन्न हो जाता है। दाब विभव सामान्यतः धनात्मक होता है तथा पादप कोशिका में भित्ति दाब ( wall pressure) तथा स्फीति दाब (turgor pressure) के रूप में कार्य करता है ।जल विभव (ψω), विलेय विभव (Ψσ ) तथा दाब विभव (ψp) में निम्न सम्बन्ध होता है-
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प्रश्न 7.
तब क्या होता है जब शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरण के दाब की अपेक्षा अधिक दाब लागू किया जाता है ?
उत्तर:
यदि शुद्ध जल या विलयन पर पर्यावरण (वायुमंडलीय ) के दाब की अपेक्षा अधिक दाब लगाया जाए तो उसका जल विभव (water potential) बढ़ जाता है। यह एक जगह से दूसरी जगह पानी पंप करने के बराबर होता है। जब विसरण के कारण पौधे की कोशिका में जल प्रवेश करता है और वह कोशिका भित्ति की ओर बढ़ा देता है और कोशिका को स्फीत (turgid) बना देता है। यह दाब विभव को बढ़ा देता है। दाब विभव प्रायः धनात्मक होता है। यद्यपि पौधों में ऋणात्मक विभव या जाइलम के जल स्तम्भ में तनाव एक तने में जल के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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प्रश्न 8.
(क) रेखांकित चित्र की सहायता से पौधों में जीवद्रव्य कुंचन की विधि का वर्णन उदाहरण देकर कीजिए।
(ख) यदि पौधे की कोशिका को उच्च जल विभव वाले विलेय में रखा जाए तो क्या होगा ?
उत्तर:
(क) जीवद्रव्य संकुचन (Plasmolysis ) किसी रिक्तिका युक्त कोशिका को एक अतिपरासारी विलयन (hypertonic Solution) में रख देने पर कोशिका रस कोशिका से विलयन में रिसने लगता है। यह क्रिया बहिपरासरण (exosmosis) के कारण होती है। इसके फलस्वरूप जीवद्रव्य (protoplasm) सिकुड़कर कोशिका में एक ओर एकत्र हो जाता है। इस अवस्था में कोशिका पूर्णश्लथ (flaccid ) हो जाती है।

इस क्रिया को जीवद्रव्य कुंचन (plasmolysis) कहते हैं। जीवद्रव्य कुंचित कोशिका की कोशा भित्ति एवं जीवद्रव्य के बीच अतिपरासारी विलयन एकत्र हो जाता है लेकिन यह विलयन कोशा रिक्तिका में नहीं पहुँचता । इससे यह स्पष्ट होता है कि कोशिका भित्ति पारगम्य होती है एवं रिक्तिका कला अर्द्धपारगम्य (semipermeable) होती है।

जीवद्रव्य कुंचित कोशिका (plasmolysed cell ) को आसुत जल या अल्पपरासारी (hypotonic solution) में रखा जाता है तो यह अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती है। इस क्रिया को जीवद्रव्य विकुंचन (deplasmolysis) कहते हैं। कोशिका को समपरासारी विलयन (isotonic solution) में रखने पर कोशिका पर कोई प्रभाव नहीं होता। इस क्रिया में कोशिका से जल के जितने अणु निकलते हैं उतने ही प्रवेश भी करते हैं।

(ख) यदि पौधे की कोशिका को उच्च जल विभव वाले विलयन में रखा जाता है तब जल ने अणु कोशिका में प्रवेश कर जाते हैं तथा कोशिका स्फीदि (turgid) दशा में आ जाती है।

प्रश्न 9.
पादप में जल एवं खनिज के अवशोषण में माइकोराइजल (कवकमूल सहजीवन) सम्बन्ध कितने सहायक हैं ?
उत्तर-
माइकोराइजल या कवकमूलीय सहजीवन (Mycorrhizal Association)
अनेक उच्च पादपों की जड़ें कवक द्वारा संक्रमित हो जाती हैं। जैसे-चीड़, देवदार, ओक आदि । कवक तन्तु (Fungal mycelia) पौधों की जड़ों की सतह पर या वल्कुट (cortex) में क्रमशः बाह्य कवक मूल (ectomycorrhiza) या अन्तः कवक मूल (endomycorrhiza ) का निर्माण करता है। इस प्रकार के सहजीवन (symbiosis) में कवक पौधे की जड़ों से अपना पोषण प्राप्त करता है तथा बदले में नमी एवं खनिज लवण अवशोषित करके पौधे को उपलब्ध कराता है।

कुछ आवृतबीजी पौधे जैसे निओशिया (Neottia) मोनोटापा (Monotrapa) आदि भी कवक मूल (mycorrhizal symbiosis) सहजीवन प्रदर्शित करते हैं। इन पौधों को कवक सहजीविता प्राप्त न होने पर ये मर जाते हैं। चीड़ (pinus) में नवांकुरों (seedlings) को यदि कवक सहजीविता प्राप्त नहीं होती तो ये वृद्धि नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 10.
पादप में जल परिवहन हेतु मूलदाब क्या भूमिका निभाता है ?
उत्तर:
मूल दाब (Root Pressure) मूल रोमों की कोशिकाओं की सान्द्रता अधिक होने के कारण मृदा से जल इन कोशिकाओं में प्रवेश करता है, फलस्वरूप ये स्फीति हो जाती हैं। अपनी सामान्य अवस्था में आने के लिए ये जल का स्थानान्तरण कॉर्टिकल कोशिकाओं (cortical cells) को कर देती हैं, जिससे कॉर्टिकल कोशिकाएँ आसून या स्फीति (turgid ) हो जाती हैं।

इस आसूनता (turgidity) के कारण जड़ों में जो दाब उत्पन्न होता है उसे मूल दाब (root Pressure) कहते हैं। मूलदाब सामान्यतया + 1 से 2 बार (bars) तक होता है, इससे जल पौधों में कुछ ऊँचाई तक चढ़ सकता है। शुष्क मृदा में मूलदाब उत्पन्न नहीं होता है। मूलदाब के द्वारा कुछ शाकीय पौधों (herbaceous plants) में जल ऊपर चढ़ता है। ऊँचे पौधों में मूलदाब नगण्य होता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 11 पौधों में परिवहन

प्रश्न 11.
पादपों में जल परिवहन हेतु वाष्पोत्सर्जन खिंचाव मॉडल की व्याख्या कीजिए। वाष्पोत्सर्जन क्रिया को कौन-सा कारक प्रभावित करता है ? पादपों के लिए कौन उपयोगी है ?
उत्तर:
पौधों में रसारोहण या जल परिवहन ( Ascent of sap or Transportation of water in plants ) – पौधों में मूल रोमों (root hairs) द्वारा जल एवं खनिज लवण (mineral salts) अवशोषित होकर गुरुत्वाकर्षण के विपरीत ऊपर चढ़कर पत्तियों तक पहुँचते हैं। यह ऊँचाई 370 फुट (सिकोया) तक है 1 हो सकती है। गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध पौधों में जल का ऊपर की ओर चढ़ना रसारोहण ( ascent of sap) कहलाता रसारोहण का सर्वमान्य मत वाष्पोत्सर्जनाकर्षण जलीय संसंजक मत (Transpiration pull cohesive force of water theory) है। इसके अनुसार रसारोहण निम्नलिखित कारणों से होता है-

1. वाष्पोत्सर्जन (Transpiration pull) पत्तियों की सतह से वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) होता है। यह जल पत्तियों की पर्णमध्योतक कोशिकाओं (mesophyll cell) से और इनमें संवहन बण्डल ( vascular bundle) से आता है। जल के वाष्पन के फलस्वरूप पर्णमध्योतक कोशिकाओं की परासरण सान्द्रता तथा विसरण दाब न्यूनता (DPD) अधिक हो जाती है। इसके फलस्वरूप जल जाइलम से परासरण द्वारा खिंचता रहता है। इसके फलस्वरूप जाइलम में एक जल स्तम्भ सतत रूप से कार्य करता है । जाइलम में जल की आपूर्ति मूल रोमों (root hairs) से होती है।

2. जल अणुओं का संसंजन बल (Cohesive force of water molecules) – जल के अणुओं के बीच एक संसंजन बल होता है। इस बल के कारण जाइलम का जल स्तम्भ 400 atm दाब पर भी खण्डित नहीं होता और इसकी निरंतरता बनी रहती है। इस बल के कारण जल 150 मीटर ऊंचाई तक चढ़ सकता है। :

3. जल तथा जाइलम भित्ति के मध्य आसंजन बल (Adhesion Force between water and cell wall of xylem tissues ) – जाइलम ऊतक की कोशिकाओं तथा जल के अणुओं के बीच एक बल कार्य करता है जिसे आसंजन ( adhesion force) बल कहते हैं। यह बल जल के स्तम्भ को सहारा प्रदान करता है। वाष्पोत्सर्जन (transpiration) के कारण उत्पन्न खिंचाव से जल स्तम्भ ऊपर की ओर गति करता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 11 पौधों में परिवहन 5

वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Transpiration)
(अ) बाह्य कारक (External factors)
1. वायुमण्डलीय आपेक्षिक सान्द्रता (Relative humidity of atmosphere) – वायुमण्डलीय आर्द्रता कम होने पर वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है। नम वातावरण होने पर वाष्पोत्सर्जन की दर घट जाती है।
2. प्रकाश (Light) – प्रकाश की उपस्थिति में रन्ध्र (stomata) खुलते हैं, जिससे वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है। रन्ध्र (stomata) बन्द होने की स्थिति में वाष्पोत्सर्जन कम होता है।
3. वायु (wind) – तीव्र वायु वेग की स्थिति में वाष्पोत्सर्जन (transpiration) बढ़ जाता है।
4. तापक्रम (Temperature ) – ताप बढ़ने से आपेक्षिक आर्द्रता कम हो जाती है तथा वायुमण्डल अधिक नमी ग्रहण कर सकता है। इससे वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है।
5. मृदा जल (Soil water ) – मृदा में जल की कमी होने पर वाष्पोत्सर्जन (transpiration) कम हो जाता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 11 पौधों में परिवहन

(ब) आन्तरिक कारक (internal factors) पत्तियों की संरचना, रन्ध्रों की संरचना एवं प्रकार, रन्ध्रों (Stomata) की संख्या, जाइलम एवं मूलरोम (root hairs) की संरचना आन्तरिक कारक हैं। ये वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करते हैं।
वाष्पोत्सर्जन की उपयोगिता (Importance of Transpiration)
1. जल एवं खनिजों के अवशोषण के लिए वाष्पोत्सर्जन एक खिंचाव उत्पन्न करता है।
2. इससे मृदा जल विभिन्न पादप अंगों में खनिजों को वितरित करता है।
3. इसके द्वारा पत्तियों का ताप अपेक्षाकृत कम रहता है।
4. अतिरिक्त जल पौधों से बाहर निकलता है।
5. कोशिकाओं की स्फीति बनी रहती है।

प्रश्न 12.
पादपों में जाइलम रसारोहण के लिए जिम्मेदार कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मूल रोमों द्वारा अवशोषित जल गुरुत्वाकर्षण बल (gravitational force) के विपरीत ऊपर की पट्टियों तक चढ़ता है, इसे रसारोहण (ascent of sap) कहते हैं। रसारोहण की क्रिया मुख्यतः वाष्पोत्सर्जनाकर्षण (transpiration pull) के कारण होती है। रसारोहण के लिए जिम्मेदार कारक निम्नलिखित
1. संसंजन (Cohesion) – यह जल के अणुओं के बीच आकर्षण बल होता है।
2. आसंजन (Adhesion)- यह जल अणुओं तथा जाइलम की दीवारों के बीच लगने वाला बल है
3. पृष्ठ तनाव (Surface Tension ) – यह जल की पृष्ठीय सतह पर उत्पन्न तनाव जल की उपर्युक्त विशिष्टताएँ जल को उच्च तनन सामर्थ्य (high tensile strength) प्रदान करती हैं।

प्रश्न 13.
पादपों में खनिजों के अवशोषण के दौरान अंतःस्त्वचा की आवश्यक भूमिका क्या होती है ?
उत्तर:
जड़ों की अन्तस्त्वचा (endodermis ) कोशिकाओं की कोशिका झिल्ली पर अनेक वाहक प्रोटीन्स (carrier proteins) पायी जाती हैं। ये प्रोटीन्स मूल रोमों द्वारा अवशोषित जल में घुलनशील पदार्थों की मात्रा और उनके प्रकार को नियंत्रित करने वाले बिन्दुओं की तरह कार्य करती है अन्तः स्त्वचा (endodermis) की सुबेरिन युक्त कैस्पेरियन पट्टियाँ (suberinised casparian strips) द्वारा घुलित पदार्थों का चालन एक ही दिशा अर्थात् केन्द्रीय भाग की ओर होता है। अतः अन्तस्त्वचा खनिजों की मात्रा और प्रकार को जाइलम तक पहुँचने को नियंत्रित करती है। जल तथा खनिजों की गति मूलत्वचा (Epiblema) से अन्तस्त्वचा तक सिमप्लास्टिक (symplastic) होती है।

प्रश्न 14.
जाइलम परिवहन एकदिशीय तथा फ्लोएम परिवहन द्विदिशीय होता है ? व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
जाइलम द्वारा परिवहन (Transport through xylem) – पौधे जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण मूलरोमों द्वारा मृदा से करते हैं। ये पदार्थ सक्रिय या निष्क्रिय अवशोषण या दोनों क्रियाओं द्वारा अवशोषित होकर जाइलम तक पहुँचते हैं। जाइलम में पहुँचे जल व खनिज लवण पत्तियों तक पहुँचते हैं। ये पदार्थ पौधे के किसी भाग से होकर पुनः मूलरोमों (root hairs) तक नहीं पहुँच सकते। अतः जाइलम द्वारा परिवहन एकदिशीय होता है। ये पदार्थ पौधों के वृद्धि क्षेत्र की ओर विसरण द्वारा पहुँचते हैं।

फ्लोएम द्वारा परिवहन (Transport through phloem) पत्तियों में निर्मित कार्बनिक भोज्य पदार्थों का परिवहन फ्लोएम द्वारा होता है। पौधों के वे भाग जो भोजन का संश्लेषण करते हैं, स्रोत (Source) तथा जहाँ भोजन का संचय होता है कुण्ड (sink ) कहलाता है। पौधों में स्रोत एवं कुण्ड आवश्यकतानुसार बदलते रहते हैं। स्रोत से सिंक (source to sink ) तक इन पदार्थों का स्थानान्तरण फ्लोएम द्वारा होता है। यदि किसी अंग में भोज्य पदार्थ की आवश्यकता होती है तब ये भोज्य पदार्थ पुनः फ्लोएम द्वारा कुंड (sink ) से उस अंग तक पहुँचते हैं। अतः फ्लोएम द्वारा परिवहन द्विदिशीय (bidirectional) होता है, पहले स्त्रोत से कुण्ड की ओर फिर कुण्ड से उपभोग स्थल की ओर।

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प्रश्न 15.
पादपों में शर्करा के स्थानान्तरण के दाव प्रवाह परिकल्पना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
शर्करा के स्थानान्तरण की दाव प्रवाह परिकल्पना अथवा मुंच परिकल्पना (The Pressure flow or Mass Flow Hypothesis of Sugar Translocation or Munch hypothesis )- मुंच (Munch, 1930) ने इस परिकल्पना का प्रतिपादन किया। इसके अनुसार खाद्य पदार्थों का स्थानान्तरण सान्द्रता प्रवणता के अनुरूप फ्लोएम द्वारा पत्तियों से उपभोग के अंगों तक (source to sink) होता है।

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा पत्तियों में निर्मित पदार्थ शर्करा (sugar) में बदलता है जिससे विलयन की सान्द्रता बढ़ जाती है और परासरण दाब (OP) अधिक हो जाता है। पत्तियों की कोशिकाओं से यह विलयन तने में स्थित चालनी नलिकाओं (seive tubes) से होकर जड़ों तक पहुँचता है जहाँ से कुछ पदार्थ श्वसन में व्यय हो जाता है तथा शेष संचित हो जाता है। यह क्रिया एक सरल प्रयोग द्वारा दर्शायी जा सकती है। अर्द्धपारगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) के बने दो बल्ब ‘A’ व ‘B’ लेते हैं तथा दोनों को एक नली T द्वारा जोड़ दिया जाता है।

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दोनों बल्बों को ऐसे दो बीकरों में रखते हैं जो आपस में ‘t’ नली द्वारा जुड़े रहते हैं। 4′ तथा ‘B’ की झिल्लियां केवल पानी के लिए पारगम्य (permeable) होती है। ‘A’ बल्ब में शर्करा का अधिक सान्द्र घोल तथा ‘B’ में जल भरते हैं। कुछ समय बाद ‘A’ बल्ब में जल के प्रवेश से स्फीति दाब TP उत्पन्न होता है। ‘A’ बल्ब का घोल T नली के द्वारा बल्ब ‘B’ की ओर बहना प्रारम्भ कर देता है।

यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि दोनों की सान्द्रता बराबर न हो जाए। यदि ऐसी व्यवस्था की जाए कि बल्ब ‘4’ में लगातार शर्करा प्रवेश कराते रहें तथा बल्ब ‘B’ से शर्करा का निष्कर्षण करते रहें तो 4′ से T नली से होकर शर्करा का घोल बल्ब B की ओर निरन्तर प्रवाहित होता रहेगा और जल नली ‘1’ से B की ओर आता रहेगा।

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प्रश्न 16.
वाष्पोत्सर्जन के दौरान रक्षकद्वार कोशिका खुलने एवं बन्द होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
रन्धों का खुलना एवं बन्द होना (Opening and Closing of Stomata) – रन्ध्र (stomata ) की रचनानुसार रक्षक द्वार कोशिका की अन्दर की ओर वाली भित्ति मोटी तथा बाह्य भित्ति पतली होती है। जब द्वार कोशिका की स्फीति (turgidity) बढ़ती है तो बाहरी भित्ति बाहर की ओर फैलती है जिससे छिद्र की ओर की भित्ति बाहर की ओर खिंचती है जिससे रन्ध्र खुल जाता है।

जब द्वार कोशिका श्लथ (flaccid ) अवस्था में आती है तो बाहरी भित्ति अन्दर की ओर आ जाती है जिससे भीतरी भित्ति पर खिंचाव नहीं रहता जिससे वह अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती है और रन्ध्र बन्द हो जाता है। लायड (Llyod, 1908) के अनुसार अंधेरे में द्वार कोशिकाओं में मण्ड (starch) की मात्रा अधिक व ग्लूकोज (glucose) की मात्रा कम होती है।

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इसके विपरीत दिन के प्रकाश में ग्लूकोज की मात्रा अधिक तथा मण्ड की मात्रा कम होती है, क्योंकि दिन के समय प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में ग्लूकोज (glucose) का निर्माण होता है। द्वार कोशिकाओं में अधिक ग्लूकोज की दशा में इनकी परासरण सान्द्रता बढ़ जाती है और समीपवर्ती कोशिकाओं से इनमें जल प्रवेश करने लगता है।

इसके फलस्वरूप द्वार कोशिकाओं की स्फीति बढ़ जाती है और रन्ध्र खुल जाते हैं। अंधेरे में चूंकि ग्लूकोज मण्ड (starch) में बदल जाता है। अतः द्वार कोशिकाओं की परासरण सान्द्रता ( osmotic concentration) कम हो जाती है और ये श्लथ हो जाती हैं जिसके फलस्वरूप रन्ध्र बन्द हो जाते हैं।

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HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles Important Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
In ΔPQR, if altitude PM bisects QR, prove that PQ = PR.
Solution :
Given: A ΔPQR such that PM ⊥ QR and MQ = MR.
To prove PQ = PR.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 1
Proof: In ΔPMQ and ΔPMR, we have
MQ = MR, (Given)
∠PMQ = ∠PMR, (Each = 90°)
and PM = PM, (Common)
∴ ΔPMQ ≅ ΔPMR,
(By SAS congruence rule)
⇒ PQ = PR (CPCT)
Hence Proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 2.
In the figure, BD ⊥ AC, CE ⊥ AB and AB = AC. Prove that BD = CE.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 2
Solution :
In ΔABD and ΔACE, we have
∠ADB = ∠AEC (Each = 90°)
∠BAD = ∠CAE (Common)
and AB = AC (Given)
∴ ΔABD ≅ ΔACE
(By AAS congruence rule)
⇒ BD = CE (CPCT)
Hence Proved

Question 3.
In the figure, ABCD is a quadrilateral in which AX ⊥ BD, CY ⊥ BD, AX = CY and BX = YD. Show that :
(i) ΔAXD ≅ ΔCYB
(ii) AD = BC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 3
Solution :
(i) We have
BX = YD
⇒ BX + XY = YD + XY,
(Adding XY on both sides)
⇒ BY = XD ……(i)
Now in ΔAXD and ΔCYB, we have
AX = CY. (Given)
∠AXD = ∠CYB (Each = 90°)
and XD = BY, [From (i)]
∴ ΔAXD ≅ ΔCYB, (By SAS congruence rule)
⇒ AD = BC,
Hence proved

(ii) ΔАХD ≅ ΔCYB (As proved above)
⇒ AD = BC, (CPCT)
Hence proved

Question 4.
On the arms AB and BC of an ∠ABC, points N and M are taken respectively such that ∠MAB = ∠NCB (see the figure). If AB = BC, then prove that BM = BN.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 4
Solution :
In ΔABM and ΔCBN, we have
∠MAB = ∠NCB, (Given)
AB = BC, (Given)
∠B = ∠B (Common)
∴ ΔABM ≅ ΔCBN,
(By ASA congruence rule)
⇒ BM = BN, (CPCT)
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 5.
In the figure, AP ⊥ BD, CQ ⊥ BD and AP = CQ. Prove that BD bisects AC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 5
Solution :
In ΔAOP and ΔCOQ, we have
∠APO = ∠CQO,
[∵ AP ⊥ BD and CQ ⊥ BD
∴ Each = 90°]
∠AOP = ∠COQ,
(Vertically opposite angles) and
and AP = CQ, (Given)
∴ ΔAOP ≅ ΔCOQ,
(By AAS congruence rule)
⇒ AO = OC, (CPCT)
⇒ O is the midpoint of AC.
Hence, BD bisects AC. Hence Proved

Question 6.
See figure, explain how one can find the breadth of the river without crossing it.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 6
Solution :
AB be the breadth of river Mark Point P on the bank of river.
Construction: Let O be the midpoint of BP. Mark a point Q on AO produced such that AO = OQ. Join PQ.
Now in ΔAOB and ΔQOP, we have
BO = OP
(O is the midpoint of BP)
∠AOB = ∠QOP
(Vertically opposite angles)
and AO = OQ (By construction)
∴ ΔAOB ≅ ΔQOP
(By SAS congruence rule)
⇒ AB = PQ (CPCT)
Hence, breadth of river AB = PQ i.e., one should measure PQ to find the breadth AB of the river.

Question 7.
In the figure, AP is the bisector of ∠CAD and AP || BC. Prove that AB = AC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 7
Solution :
∠DAP = ∠CAP …………..(i)
(∵ AP is the bisector of ∠CAD)
∵ AP || ВC (Given)
∠DAP = ∠ABC …………..(ii)
(Corresponding angles)
∠CAP = ∠ACB ………….(iii)
(Alternate interior angles)
From (i), (ii) and (iii), we get
∠ABC = ∠ACB
⇒ AB = AC, (sides opposite to equal angles are equal)
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 8.
In the figure, AC = BC and ∠x = ∠y.
Prove that: (i) ΔABD ≅ ΔBAE (ii) AD = BE.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 8
Solution :
(i) We have, BC = AC, (Given)
⇒ ∠B = ∠A, …………(i)
(Angles opposite to equal sides are equal)
In ΔABD and ΔBAE, we have
∠B = ∠A [from (i)]
∠y = ∠x, (Given)
and AB = AB, (Common)
∴ ΔABD ≅ ΔBAE, (By AAS congruence rule)
Hence proved

(ii) ΔABD ≅ ΔBAE (CPCT)
AD = BE. Hence proved

Question 9.
ABCD is a quadrilateral in which AB = BC and AD = CD. Show that BD bisects both the angles ABC and ADC.
[NCERT Exemplar Problems]
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 9
Solution :
In ΔABD and ΔCBD, we have
AB = BC (given)
AD = CD (given)
and BD = BD (common)
∴ ΔABD = ΔCBD
(by SSS congruence rule)
⇒ ∠ABD = ∠CBD (CPCT) and
and ∠ADB = ∠CDB (CPCT)
So, BD bisects ∠ABC and ∠ADC.
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 10.
In a triangle ABC, if ∠A = 55° and ∠C = 65°. Determine the shortest and longest sides of the triangle.
Solution :
In a ΔABC, we have
∠A = 55°, ∠C = 65°
But
∠A + ∠B + ∠C = 180°
(Sum of interior angles of a triangle = 180°)
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 10
⇒ 55° + ∠B + 65° = 180°
⇒ 120° + ∠B = 180°
⇒ ∠B = 180° – 120°
⇒ ∠B = 60°
∵∠C is the greatest angle.
∴ AB is the longest side of the ΔABC. [∵ Side opposite to greater angle is larger] and ∠A is the smallest angle.
∴ BC is the shortest side of the ΔABC. [∵ side opposite to smaller angle is shortest]
Hence, AB is the longest side and BC is the shortest side of the triangle.

Question 11.
In figure, D is a point on the side AC of ΔABC and E is a point such that CD = ED. Prove that AB + BC > AE.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 11
Solution :
In ΔABC, we have
AB + BC > AC, (Sum of any two sides of a triangle is greater than third side)
⇒ AB + BC > CD + AD,
[∵ AC = CD + AD]
⇒ AB + BC > ED + AD ……(i)
[∵ It is given that CD = ED]
In ΔAED, we have
AD + ED > AE ……(ii)
From (i) and (ii), we get
AB + BC > AE. Hence proved

Question 12.
The ABCD is a rectangle in which sides AB and AD produced to E and respectively such that AB = BE and EC = CF. Prove that AD = DF.
Solution :
We have,
AB = BE, (Given)
AB = DC, (Opposite sides of rectangle)
∴ BE = DC ……(i)
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 12
In ΔEBC and ΔCDF, we have
∠EBC = ∠FDC, (Each = 90°)
Hyp. EC = Hyp. CF, (Given)
and BE = DC,
[As proved above in (i)]
∴ ΔEBC ≅ ΔCDF
(By RHS congruence rule)
⇒ BC = DF, (CPCT) … (ii)
But BC = AD …..(iii)
From (ii) and (iii), we get
AD = DF. Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 13.
In figure, ABCD is a square. P and Q are points on sides AB and CD respectively such that CP = BQ. Prove that :
(i) BP = QC
(ii) ∠BCP = ∠CBQ
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 13
Solution :
In ΔPBC and ΔQCB, we have
∠PBC = ∠QCB,
(Each angle of a square is 90°)
Hyp. PC = Hyp. BQ, (Given)
and BC = BC (Common)
∴ ΔPBC ≅ ΔQCB,
(By RHS congruence rule)
⇒ PB = QC, (CPCT) [Proved (i)]
and ∠BCP = ∠CBQ,(CPCT) [Hence proved (ii)]

Question 14.
In the figure, ABCD is a quadrilateral in which AD = BC. If equal perpendiculars DP and BQ are drawn on diagonal AC. Prove that AP = CQ
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 14
Solution :
In ΔDPA and ΔBQC, we have
∠DPA = ∠BQC,
[∵ DP ⊥ AC and BQ ⊥ AC]
Hyp. AD = Hyp. BC, (Given)
and DP = BQ (Given)
∴ ΔDPA ≅ ΔBQC,
(By RHS congruence rule)
⇒ AP = CQ, (CPCT)
Hence proved

Short Answer Type Questions

Question 1.
In the ΔABC, D is the midpoint of BC, AD is produced upto E so that DE = AD.
Prove that:
(i) ΔABD ≅ ΔECD
(ii) AB = EC
(iii) AB || EC
Solution :
Given: A ΔABC, in which D is the midpoint of BC and AD is produced upto E such that AD = DE.
To prove : (i) ΔΑΒD ≅ ΔECD
(ii) AB = EC
(iii) AB || EC
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 15
Proof :
(i) In ΔΑΒD and ΔECD, we have
BD = CD
(∵ D is the midpoint of BC)
∠ADB = ∠EDC, (vertically opposite angles)
and AD = DE, (Given)
∴ ΔABD ≅ ΔECD
(by SAS congruence rule) Hence proved

(ii) ΔABD ≅ ΔECD
(As proved above)
⇒ AB = EC, (CPCT) Hence proved

(iii) ΔABD ≅ ΔECD
(As proved above)
⇒ ∠ABD = ∠ECD, (CPCT)
⇒ ∠ABC = ∠ECB,
But these are alternate interior angles.
So, AB || EC, (By theorem 6.3) Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 2.
In the figure, ABCD is a parallelogram in which E is the mid point of BC. DE is produce and intersect side AB produced at L. Prove that AL = 2CD.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 16
Solution :
Since opposite sides of a parallelogram are equal and parallel.
∴ AB = CD
and AB || CD …………(i)
∵ AB || CD and DL is the transversal.
∴ ∠CDL = ∠ALD
(A pair of alternate interior angles)
⇒ ∠CDL = ∠BLE …………(ii)
Now in ΔCDE and ΔBLE, we have
∠CDE = ∠BLE, [from (ii)]
∠DEC = ∠LEB,
(vertically opposite angles)
and EC = EB,
(E is the midpoint of BC)
∴ ΔCDE ≅ ΔBLE,
(By AAS congruence rule)
⇒ CD = BL (CPCT)
⇒ AB = BL, [Using (i) …(iii)]
Now, AL = AB + BL
⇒ AL = AB + AB, [Using (iii)]
⇒ AL = 2AB
⇒ AL = 2CD, [Using (i)]
Hence proved

Question 3.
In the parallellogram ABCD, the angles A and Care obtuse. Points P and Q are taken on the diagonal BD such that the angles PAD and QCB are right angles. Prove that PA = QC.
Solution :
Given: A parallelogram ABCD such that ∠A and ∠C are obtuse and ∠PAD = ∠QCB = 90°.
To prove: PA = QC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 17
Proof : Since opposite sides of a parallelogram are parallel and equal.
∴ AD = BC and AD || BC …(i)
∵ AD || BC and BD is the transversal
⇒ ∠ADB = ∠CBD, (A pair of alternate interior angles)
⇒ ∠ADP = ∠CBQ …(ii)
Now, in ΔPAD and ΔQCB, we have
∠PAD = ∠QCB, (Each = 90°)
AD = BC [From (i)]
and ∠ADP = ∠CBQ, [From (ii)]
∴ ΔPAD ≅ ΔQCB,
(By ASA congruence rule)
⇒ PA = QC, (CPCT)
Hence proved

Question 4.
In the figure, ABCD is a square in which P, Q and R are the points in AB, BC and CD respectively such that AP = BQ = CR. Prove that:
(i) PB = QC
(ii) PQ = QR
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 18
Solution :
∵ ABCD is a square and we know that each side of a square is equal.
∴ AB = BC = CD = DA
Now, AB = BC
⇒ AB – AP = BC – AP
(Subtracting AP from both sides)
⇒ AB – AP = BC – BQ (∵ AP = BQ)
⇒ PB = QC …………..(i) Hence Proved.

(ii) Now in triangles PBQ and QCR, we have
PB = QC [From (i)]
∠PBQ = ∠QCR
[∵ Each angle of a square is 90°]
and BQ = CR (Given)
ΔPBQ ≅ ΔQCR
(By SAS congruence rule)
⇒ PQ = QR (CPCT) Hence Proved.

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 5.
In the figure, ΔABC is the right-angled at B. Squares ABPQ and ACDE are draw on the sides AB and AC of ΔABC respectively. Prove that :
(i) ΔQAC ≅ ΔBAE
(ii) QC = BE
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 19
Solution :
(i) We have
∠QAB = ∠CAE
(Each angle of the square is 90°)
⇒ ∠QAB + ∠BAC = ∠CAE + ∠BAC,
(Adding ∠BAC on both sides)
⇒ ∠QAC = ∠BAE ……(i)
Now, in ΔQAC and ΔBAE, we have
AQ = AB, (Equal sides of square ABPQ)
∠QAC = ∠BAE, [From (i)]
and AC = AE, (Equal sides of square ACDE)
∴ ΔQAC ≅ ΔBAE, (By SAS congruence rule)
Hence proved

(ii) ΔQAC ≅ ΔBAE,
(As proved above)
⇒ QC = BE (CPCT)
Hence proved

Question 6.
In figure, the lines segment joining the midpoints P and Q of opposite sides AD and BC of quadrilateral ABCD is perpendicular to both these sides. Prove that the other sides of the quadrilateral are equal. [NCERT Exemplar Problems]
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 20
Solution :
Join BP and CP.
In ΔPQB and ΔPQC, we have
BQ = QC,
[∵ Q is the midpoint of BC]
∠PQB = ∠PQC, [Each = 90°]
and PQ = PQ, (Common)
∴ ΔPQB ≅ ΔPQC,
(By SAS congruence rule)
⇒ BP = CP, (CPCT) …(i)
and ∠BPQ = ∠CPQ, (CPCT) …(ii)
Now, ∠APQ = ∠DPQ, (Each = 90°)
⇒ ∠APQ – ∠BPQ = ∠DPQ – ∠BPQ,
(Subtracting ∠BPQ from both sides)
⇒ ∠APQ – ∠BPQ = ∠DPQ – ∠CPQ,
[Using (ii)]
⇒ ∠APB = ∠DPC …(iii)
Now, in ΔAPB and ΔDPV, we have
AP = PD, (∴ Pis the midpoint of AD)
∠APB = ∠DPC, [From …(iii)]
and BP = CP, [From (i)]
∴ ΔAPB ≅ ΔDPC,
(By SAS congruence rule)
⇒ AB = CD, (CPCT)
Or other sides of the quadrilateral are equal. Hence proved

Question 7.
If the diagonals of a quadrilateral bisect each other at right angles and ∠A = 90° prove that ABCD is a square.
Solution :
Given: A quadrilateral ABCD, in which diagonals AC and BD bisect each other at 90° and ∠A = 90°
To prove: ABCD is a square
i.e., AB = BC = CD = DA and
∠A = 90°.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 21
Proof: In ΔAOD and ΔAOB, we have
OD = OB (Given, diagonals bisect each other)
∠AOD = ∠AOB, (Each = 90°)
and AO = AO (Common)
∴ ΔAOD ≅ ΔAOB
(By SAS congruence rule)
⇒ AD = AB (CPCT) …(i)
Similarly we can prove that
ΔAOD ≅ ΔAOB
(By SAS congruence rule)
⇒ AB = BC ……(ii)
(CPCT)
and ΔBOC ≅ ΔDOC
(By SAS congruence rule)
⇒ BC = CD …….(iii) (CPCT)
From (i), (ii) and (iii), we get
AD = AB = BC = CD
and ∠A = 90 (Given)
Hence, ABCD is a square. Proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 8.
In the figure, ∠ABC = 70° and AB = AC = CD. Find the value of x.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 22
Solution :
In the ΔABC, we have AB = AC, (Given)
⇒ ∠ABC = ∠ACB, [∵ Angles opposite to equal sides are equal]
⇒ 70° = ∠ACB [∵ ∠ABC = 70°]
⇒ ∠ACB = 70°
Now in ΔACD, we have
AC = CD (Given)
⇒ ∠DAC = ∠ADC, ………(i)
[∵ Angles opposite to equal sides are equal]
In ΔACD, we have
∠ACB = ∠DAC + ∠ADC,
[By theorem 6.8]
⇒ 70° = ∠ADC + ∠ADC [From (i)]
⇒ 2∠ADC = 70°
⇒ ∠ADC = \(\frac {70°}{2}\) = 35° ……….(ii)
(Now in ΔABD, we have
x° = ∠ABD + ∠ADB
⇒ x° = ∠ABC + ∠ADC
⇒ x° = 70° + 35°,
[∵∠ABC = 70° and from (ii), ∠ADC = 35°]
⇒ x° = 105°
Hence, x° = 105°

Question 9.
In the figure, ABC is an isosceles triangle with AB = AC. BE and CF are respectively bisectors of ∠B and ∠C. Prove that ΔFCB ≅ ΔEBC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 23
Solution :
In ΔABC, we have AB = AC (Given)
⇒ ∠ABC = ∠ACB ……….(i)
(Angles opposite to equal sides are equal)
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠ABC = \(\frac {1}{2}\)∠ACB (Multiply by 1/2 on both sides)
⇒ ∠EBC = ∠FCB ……..(ii)
[∵ BE and CF are the bisectors of ∠B and ∠C respectively]
Now in ΔFCB and ΔEBC,
∠FBC = ∠ECB, [From (i)]
∠FCB = ∠EBC, [From (ii)]
and BC = BC, (Common)
∴ ΔFCB ≅ ΔEBC, (By ASA congruence rule)

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 10.
If bisector of the vertical angle of a triangle bisects the base, show that the triangle is isosceles. [NCERT Exemplar Problems]
Solution :
Given: A ΔABC in which AP is the bisector of vertical angle A bisects BC on Pie., BP = CP.
To prove AB = AC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 24
Construction: Produce AP to Q, so that AP = PQ. Join C to Q.
Proof: In ΔABP and ΔQCP, we have
BP = CP, (∵ AP bisects BC)
∠APB = ∠QPC,
(Vertically opposite angles)
and AP = PQ. (By construction)
∴ ΔABP ≅ ΔQCP,
(By SAS congruence rule)
⇒ AB=QC, (CPCT) …(i)
and ∠1 = ∠3, (CPCT) …(ii)
But ∠1 = ∠2, (Given) …(iii)
From (ii) and (iii), we get
∠2 = ∠3
⇒ AC = QC, …(iv)
(Sides opposite to equal angles are equal)
From (i) and (iv), we get
AB = AC
So, ΔABC is an isosceles triangle. Hence proved

Question 11.
In the figure, equilateral triangles APB and AQC are drawn on the sides of a ΔABC. If AB = AC, prove that CP = BQ.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 25
Solution :
Since, ΔAPB and ΔAQC are equilateral triangles.
AB = PB …(i) [Sides of equilateral triangle)
and AC = CQ ………(ii)
AB = AC (Given)…(iii)
From (i), (ii) and (iii), we get
PB = CQ …(iv)
∠ABP = ∠ACQ, ………….(v)
[Each = 60°]
∠ABC = ∠ACB, …(vi)
[∵ AB = AC]
Adding (v) and (vi), we get
∠ABP + ∠ABC = ∠ACQ + ∠ACB
⇒ ∠PBC = ∠QCB …(vii)
Now in ΔPBC and ΔQCB, we have
PB = CQ, [From (iv)]
∠PBC = ∠QCB, (From (vii)]
and BC = BC (Common)
∴ ΔPBC ≅ ΔQCB,
(By SAS congruence rule)
⇒ CP = BQ. (CPCT)
Hence proved

Question 12.
In the figure, CP is the bisector of ∠C meets AB on P. A point Q lies on CP such that AP = AQ. Prove that ∠CAQ = ∠ABC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 26
Solution :
In ΔAPQ, we have
AP= AQ
∠APQ = ∠AQP ……….(i)
[Angles opposite to equal sides are equal]
∵ CP is the bisector of ∠C.
⇒ ∠ACP = ∠BCP ……….(ii)
In ΔBPC, we have
∠APC = B + ∠BCP,
[By theorem 6.8]
⇒ ∠APQ = ∠B + ∠ACP, ……(iii)
[Using (ii)]
In ΔAQC, we have
∠AQP = ∠CAQ + ∠ACQ
[By theorem 6.8]
⇒ ∠AQP = ∠CAQ + ∠ACP …(iv)
From (i), (iii) and (iv), we get
∠B + ∠ACP = ∠CAQ + ∠ACP
⇒ ∠B = ∠CAQ
⇒ ∠ABC = ∠CAQ. Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 13.
In a parallelogram ABCD diagonals AC and BD are equal. Find the measure of angle B.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 27
Solution :
We have, ABCD is a parallelogram. AC and BD are its diagonals.
∴ AB = CD, ……(i) (Opposite sides of a parallelogram)
Now in ΔABC and ΔDCB, we have
AB = CD, [From (i)]
AC = BD, (Given)
and BC = BC, (Common)
∴ ΔABC ≅ ΔDCB.
(By SSS congruence rule)
⇒ ∠ABC = ∠DCB, (CPCT) …(ii)
Now AB || CD and transversal BC intersects them at B and C respectively. ∠ABC + ∠DCB = 180°
(Sum of co-interior angles is 180°)
⇒ ∠ABC + ∠ABC = 180°
[From (ii), ∠DCB = ∠ABC]
⇒ 2∠ABC = 180°
⇒ ∠ABC = \(\frac {180°}{2}\) = 90°
Hence measure of ∠B = 90°

Question 14.
In the figure, ΔPQR is a triangle in which PM ⊥ QR. Prove that :
(i) PQ > PM
(ii) PQ + PR > 2PM.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 28
Solution :
(i) In right-angled ΔPQM, we have
Proof : ∠PQM + ∠QPM + ∠PMQ = 180°,
(Sum of interior angles of a triangle = 180°)
⇒ ∠PQM + ∠QPM + 90° = 180°
⇒ ∠PQM + ∠QPM = 180° – 90°
⇒ ∠PQM + ∠QPM = 90°
∴ ∠PQM and ∠QPM are acute angles.
⇒ ∠PMQ > ∠PQM
⇒ PQ > PM ………….(i)
(Side opposite to greater angle is larger)
Hence proved

(ii) Similarly, In right-angled ΔPRM, we have
∠PRM + ∠RPM = 90°
⇒ ∠PRM and ∠RPM are acute angles.
⇒ ∠PMR > ∠PRM
⇒ PR > PM ………….(ii)
(Side opposite to greater angle is larger)
Adding (i) and (ii), we get
PQ + PR > PM + PM
⇒ PQ + PR > 2PM. Hence proved

Question 15.
In the figure, BM and CM are the bisectors of ∠B and ∠C respectively and AC > AB. Prove that CM > BM.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 29
Solution :
In ΔABC, we have
AC > AB (Given)
⇒ ∠B > ∠C [Angle opposite to longer side is greater]
⇒ \(\frac {1}{2}\)∠B > \(\frac {1}{2}\)∠C
(Multiply by 1/2 on both sides)
⇒ ∠MBC > ∠MCB, [∵ BM and CM are bisectors of ∠B and ∠C respectively]
∴ ∠MBC = \(\frac {1}{2}\)∠B and ∠MCB = \(\frac {1}{2}\)∠C)
⇒ CM > BM, (Side opposite to larger angle is longer)
Hence proved

Long Answer Type Questions

Question 1.
In a right-angled triangle, if one of the acute angles is double the other, prove that the hypotenuse is double the shortest side. [NCERT Exemplar Problems]
Solution :
Given: A ΔPQR such that
∠PQR = 90° and ∠R = 2.∠P.
To prove: PR = 2RQ.
Construction: Produce RQ to S such that QS = QR. Join PS.
Proof: ∠R = 2∠P, (Given)
Let ∠P = x, ∠R = 2x
In right-angled ΔPQR, we have
∠P + ∠R + ∠Q = 180°
(∵ Sum of interior angles of a Δ = 180°)
⇒ x + 2x + 90° = 180°
⇒ 3x = 180° – 90°
⇒ 3x = 90°
⇒ x = \(\frac {90°}{3}\) = 30°
∴ ∠P = 30° and ∠R = 2 × 30° = 60°
Now, ΔPQR and ΔPQS, we have
QR = QS, (By construction)
∠PQR = ∠PQS, (Each = 90°)
and PQ = PQ, (Common)
∴ ΔPQR ≅ ΔPQS
(By SAS congruence rule)
⇒ ∠R = ∠S (CPCT)
⇒ ∠R = ∠S = 60°
⇒ ΔPRS is an equilateral triangle.
RS = PS = PR, …(i) (Sides of an equilateral triangle)
But RQ = QS, (By construction)
∴ RS = RQ + QS
⇒ RS = RQ + RQ
⇒ RS = 2RQ
⇒ PR = 2RQ, [Using (i)]
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 2.
Prove that the medians of an equilateral triangle are equal.
Solution :
Given: An equilateral ΔABC such that AL, BM and CN are its medians.
To prove: AL = BM = CN.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 30
Proof: ΔABC is an equilateral triangle.
∴ AB = BC = AC ……………..(i)
⇒ AB = BC
⇒ \(\frac {1}{2}\)AB = \(\frac {1}{2}\)BC
(Multiply by 1/2 on both sides)
⇒ AN = BL …………….(ii)
(∵ CN and AL are medians)
Now in ΔALB and ΔCNA, we have
AB = AC, [From (i)]
∠ABL = ∠CAN, (Each = 60°)
and BL = AN, [From (ii)]
∴ ΔALB ≅ ΔCNA,
(By SAS congruence rule)
⇒ AL = CN, (CPCT) …(iii)
Similarly, ΔΑLC ≅ ΔΒΜΑ,
(By SAS congruence rule)
⇒ AL = BM (CPCT) …(iv)
From (iii) and (iv), we get
AL = BM = CN
Hence, medians of an equilateral triangle are equal.
Proved

Question 3.
In the figure, BCDE is a square and ΔABC is an equilateral triangle. Prove that :
(i) ∠BAE = 15°
(ii) AE = AD.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 31
Solution :
∠ABE = ∠ABC + ∠CBE
∠ABE = 60° + 90°,
⇒ ∠ABE = 150° …….(i)
Similarly, ∠ACD = 60° + 90° = 150° …(ii)
In ΔABE and ΔACD, we have
AB = AC, (Sides of an equilateral triangle)
∠ABE = ∠ACD,
[From (i) and (ii)]
and BE = CD, (Square’s sides)
∴ ΔABE ≅ ΔACD,
(By SAS congruence rule)
AE = AD, (CPCT)
Proved (ii)
∵ AB = BC,
(Sides of an equilateral triangle)
and BE = BC, (Square’s sides)
⇒ AB = BE
⇒ ∠BAE = ∠BEA, ………….(iii)
(Angles opposite to equal sides are equal)
Now in ΔABE, we have
∠ABE + ∠BAE + ∠BEA= 180°,
(Sum of interior angles of a triangle = 180°)
⇒ 150° + ∠BAE + ∠BAE = 180°,
[From (iii), ∠BEA = ∠BAE]
⇒ 2∠BAE = 180° – 150°
⇒ ∠BAE = \(\frac {30°}{2}\)
⇒ ∠BAE = 15°. Proved (i).

Question 4.
In ΔPQR, ∠Q = 2∠R, PM is the bisector of ∠QPR meets QR on M and PQ = MR (see figure). Find the ∠PQR.
Solution :
In ΔPQR, we have
∠Q = 2∠R (Given)
Let ∠Q = 2∠R = 2x
⇒ ∠R = x
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 32
PM is the bisector of ∠QPR (given).
Let ∠QPM = ∠RPM = y
Draw QN, bisector of ∠PQR.
∴ ∠PQN = ∠RQN = x
In ΔNQR, ∠NQR = ∠QRN = x
⇒ QN = NR …(i) (∵ Sides opposite to equal angles are equal)
In ΔPQN and ΔMRN, we have
PQ = MR. (Given)
∠PQN = ∠MRN = x
and QN = RN, [From (i)]
∴ ΔPQN ≅ ΔMRN,
(By SAS congruence rule)
⇒ ∠QPN = ∠RMN, (CPCT)
⇒ ∠QPN = ∠RMN = 2y …(ii) (CPCT)
and PN = MN, (CPCT)
⇒ ∠NMP = ∠MPN = y, …………(iii)
(Angles opposite to equal sides are equal)
In ΔPQM, we have
∠PMR = ∠PQM + ∠QPM,
(By theorem 6.8)
⇒ ∠PMR = 2x + y ……(iv)
But ∠PMR = ∠NMP + ∠RMN,
⇒ ∠PMR = y + 2y
[Using (ii) and (iii)]
⇒ ∠PMR = 3y ……(v)
From (iv) and (v), we get
2x + y = 3y
⇒ 2x = 2y
⇒ x = y
In ΔPQR, we have
∠P + ∠Q + ∠R = 180°
⇒ 2y + 2x + x = 180°
⇒ 2x + 2x + x = 180°, (∵ y = x)
⇒ 5x = 180°
⇒ x = \(\frac {180°}{5}\) = 36°
∴ ∠PQR = 2 × 36° = 72°
Hence, ∠PQR = 72°

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 5.
In the figure, ABCD is a square. X, Y and Z are the points in AB, BC and CD respectively, such that AX = BY = CZ.
Prove that :
(i) XY = YZ
(ii) ∠XYZ = 90°.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 33
Solution :
(i) ∵ ABCD is a square.
∴ AB = BC = CD = DA
Now AB = BC …(i)
and AX = BY (Given)…(ii)
AB – AX = BC – BY
[Subtracting (ii) from (i)]
⇒ BX = CY …….(iii)
(∵ AX = BY)
and BY = CZ (Given) …….(iv)
Now in ΔXBY and ΔYCZ, we have
BX = YC, [From (iii)]
∠XBY = ∠YCZ [Each = 90°]
and BY = CZ, [From (iv)]
∴ ΔXBY = ΔYCZ
(By SAS congruence rule)
⇒ XY = YZ (CPCT)
Hence proved

(ii) ∵ XY = YZ, (As proved above)
⇒ ∠YXZ = ∠YZX [Angles opposite to equal sides one equal]
∴ ∠YXZ = ∠YZX = 45°
In ΔXYZ, we have
∠YXZ + ∠YZX + ∠XYZ = 180°
⇒ 45° + 45° + ∠XYZ = 180°
⇒ 90° + ∠XYZ = 180°
⇒ ∠XYZ = 180° – 90°
⇒ ∠XYZ = 90°. Hence proved

Question 6.
In the figure, ABC is an isosceles triangle in which AB = AC, AE ⊥ BC and F is the mid point of BE and D is the mid
point of EC. Prove that :
(i) E is the midpoint of BC.
(ii) AF = AD,
(iii) ΔABF ≅ ΔACD.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 34
Solution :
(i) In ΔAEB and ΔAEC, we have
∠AEB = ∠AEC, (Each = 90°)
Hyp. AB = Hyp. AC, (Given)
and AE = AE (Common)
∴ ΔAEB ≅ ΔAEC,
(By RHS congruence rule)
⇒ BE = EC, (CPCT) …(i)
Or E is the midpoint of BC. Hence Proved

(ii) BE = EC, (As proved above)
⇒ \(\frac {1}{2}\)BE = \(\frac {1}{2}\)EC
(Multiply by 1/2 on both sides)
⇒ FE = ED,
[∵ F is the midpoint of BE and D is the midpoint of EC
∴ FE = \(\frac {1}{2}\)BE and ED = \(\frac {1}{2}\)EC]
Now in ΔAFE and ΔADE, we have
FE = ED, (As proved above)
∠AEF = ∠AED, (Each = 90°)
and AE = AE (Common)
∴ ΔAFE = ΔADE,
(By SAS congruence rule)
⇒ AF = AD, (CPCT) …(ii)
Hence proved

(iii) In ΔABF and ΔACD, we have
AB = AC, (Given)
BF = CD.
[∵ BE = EC ⇒ \(\frac {1}{2}\)BE = \(\frac {1}{2}\)EC
F and D are midpoints of BE and EC respectively ∴ BF = CD]
and AF = AD, [From (ii)]
∴ ΔABF ≅ ΔACD, (By SSS congruence rule)
Hence proved

Question 7.
Show at the difference of any two sides of a triangle is less than the third side.
Solution :
Given: A ΔABC.
To prove :
(i) AC – AB < BC.
(ii) BC – AC < AB.
(iii) BC – AB < AC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 35
Construction: Take a point D on AC such that AD = AB. Join BD.
Proof: In ΔABD, side AD has been produced to C.
∠BDC > ∠ABD ………..(i)
(∵ Exterior angle of a triangle is greater than each of interior opposite angle)
In ΔBCD, side CD has been produced to A.
∠ADB > ∠DBC ………..(ii)
[∵ Exterior angle of a triangle is greater than each of interior opposite angle]
In ΔABD, we have
AB = AD, (By construction)
⇒ ∠ABD = ∠ADB ………..(iii)
(Angles opposite to equal sides are equal)
From (ii) and (iii), we get
∠ABD > ∠DBC
From (i) and (iv), we get
∠BDC > ∠DBC
⇒ BC > CD, (Side opposite to greater angle is larger)
⇒ CD < BC
⇒ AC – AD < BC
⇒ AC – AB < BC (By construction)
Similarly, BC – AC < AB and BC – AB < AC.
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 8.
In the figure, ABCD is a square and P, Q and R are points on the sides AB, BC and CD respectively such that AP = BQ = CR. Prove that ∠PQR = 90°.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 36
Solution :
In square ABCD, we have
AP = BQ = CR(Given) …(i)
AB = BC, (Square’s sides)
⇒ AB – AP = BC – AP
(Subtracting AP from both sides)
⇒ AB – AP = BC – BQ,
[From (i), AP = BQ]
⇒ PB = QC ………(ii)
Join PR.
Now, in ΔPBQ and ΔQCR, we have
PB = QC,
[As proved above in (ii)]
∠PBQ = ∠QCR,
(Each angle of square = 90°)
and BQ = CR (Given)
∴ ΔPBQ ≅ ΔQCR
(By SAS congruence rule)
⇒ ∠2 = ∠5, (CPCT) … (iii)
and ∠6 = ∠1 (CPCT)
AB || CD
⇒ PB || CR and PR is the transversal.
⇒ ∠BPR + ∠CRP = 180°,
(Sum of allied angles = 180°)
⇒ ∠2 + ∠3 + ∠1 + ∠4 = 180° …… (iv)
and ∠5 + ∠PQR + ∠6 = 180°, …… (v)
(Linear pair)
From (iv) and (v), we get
∠2 + ∠3 + ∠1 + ∠4 = ∠5 + ∠PQR + ∠6
⇒ ∠2 + ∠3 + ∠1 + ∠4 = ∠2 + ∠PQR + ∠1
[From (iii), ∠5 = ∠2 and ∠6 = ∠1]
⇒ ∠3 + ∠4 = ∠PQR …(vi)

In ΔPQR, we have
∠3 + ∠4 + ∠PQR = 180° (Sum of interior angles of a triangle = 180°)
⇒∠PQR + ∠PQR = 180° [Using (vi)]
⇒ 2∠PQR = 180°
⇒ ∠PQR = \(\frac {180°}{2}\) = 90°
Hence, ∠PQR = 90°. Hence Proved

Question 9.
ABCD is a square in which P and Q are points on the sides BC and CD respectively such that PQ || BD. If AR bisects the PQ.
prove that :
(i) ∠PAR = ∠QAR
(ii) If AR produce it will passes through C.
Solution :
(i) In ΔBCD, we have
BC = DC, (Square’s sides)
⇒ ∠CBD = ∠CDB
(Angles opposite to equal sides are equal)
Now, PQ || BD (Given) …(i)
∠CPQ = ∠CBD …….(ii)
(Corresponding angles)
∠CQP = ∠CDB, …….(iii)
(Corresponding angles)
From (i), (ii) and (iii), we get
∠CPQ = ∠CQP
⇒ CP = CQ
(Side opposite to equal angles are equal)
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 37
Now BC = CD
⇒ BC – CP = CD – CP
⇒ BC – CP = CD – CQ, [∵ CP = CQ]
⇒ BP = DQ ……….(iii)
In ΔABP and ΔADQ, we have
AB = AD, (Square’s sides)
∠ABP = ∠ADQ, (Each = 90°)
and BP = DQ [Using (iii)]
∴ ΔABP ≅ ΔADQ,
[By SAS congruence rule]
⇒ AP = AQ, (CPCT) …(iv)
Now, in ΔAPR and ΔAQR, we have
AP = AQ, [As proved in (iv)]
AR = AR (Common)
and PR = QR [It is given that R is the midpoint of PQ]
∴ ΔAPR ≅ ΔΑQR,
(By SSS congruence rule)
⇒ ∠PAR = ∠QAR, (CPCT)
Proved

(ii) If AR produce and join to C. It must be a straight line we have PQ || BD.
∠BSR + ∠PRS = 180°,
(Sum of allied angles = 180°)
⇒ ∠PRC + ∠PRS = 180°, [∵ ∠BSR and ∠PRC are corresponding angles ∴ ∠PRC = ∠BSR]
∴ Point A, R and C lies on the line AC.
⇒ AC is a straight line.
Hence, if AR is produced it will passes through C.
Proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 10.
Squares ABCD and AFPQ are drawn on the sides AD and AF of parallelogram ADEF. Prove that BQ = AE.
Solution :
We have
AQ = AF …………(i)
(Square’s sides)
DE = AF …………(ii)
(Opposite sides of a parallelogram)
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 38
From (i) And (ii), we get
AQ = DE …………(iii)
⇒ ∠BAQ + 90° + ∠FAD + 90° = 360° (from fig.)
⇒ ∠BAQ + ∠FAD = 360°- 90° – 90°
⇒ ∠BAQ + ∠FAD = 180°
⇒ ∠BAQ = 180° – ∠FAD …(iv)
AF || DE, (Opposite sides of a parallelogram)
⇒ ∠ADE + ∠FAD = 180°,
(Sum of allied angles = 180°)
⇒ ∠ADE = 180° – ∠FAD …(v)
From (iv) and (v), we get
∠BAQ = ∠ADE …..(vi)
Now in ΔBAQ and ΔADE, we have
BA = AD, (Square’s sides)
∠BAQ = ∠ADE, [As proved in (vi)]
and AQ = DE, [As proved in (iii)]
∴ ΔBAQ ≅ ΔADE,
(By SSS congruence rule)
⇒ BQ = AE, (CPCT)
Hence proved.

Question 11.
In the figure, ABC is a triangle in which PQ ⊥ BC and PR ⊥ AB. If BP and CP are the bisectors of ∠B and ∠C respectively. Prove that :
(i) PR = PT,
(ii) AP bisects ∠A.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 39
Solution :
(i) In ΔPRB and ΔPQB, we have
∠PRB = ∠PQB, (Each = 90°)
∠RBP = ∠QBP, [BP is the bisector of ∠B]
and BP = BP, (Common)
∴ ΔPRB ≅ ΔPQB,
(By AAS congruence rule)
⇒ PR = PQ, (CPCT) …(i)
Now draw PT ⊥ AC and join AP.
Again in ΔPQC and ΔPTC, we have
∠PQC = ∠PTC (Each = 90°)
∠PCQ = ∠PCT, (PC is the bisector of ∠C)
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 40
and PC = PC (Common)
∴ ΔPQC ≅ ΔPTC,
(By AAS congruence rule)
⇒ PQ = PT, (CPCT)
⇒ PT = PQ …………(ii)
From (i) and (ii), we get
PR = PT ……..(iii)
Hence Proved

(ii) Now in ΔARP and ΔATP, we have
∠ARP = ∠ATP, (Each = 90°)
Hyp. AP = Hyp. AP (Common)
and PR = PT,
[As proved above in (iii)]
∴ ΔARP ≅ ΔATP,
(By RHS congruence rule)
⇒ ∠RAP = ∠TAP (CPCT)
⇒ AP bisects the ∠A.
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 12.
E is the point on the side AC of ΔABC such that AB = AE. If AD bisects ∠A, prove that :
(i) BD = DE,
(ii) ∠ABE > ∠C.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 41
Solution :
(i) In ΔABE, we have
AB = AE (Given)
⇒ ∠ABE = ∠AEB,
(Angles opposite to equal sides are equal)
⇒ ∠ABP = ∠AEP
In ΔABP and ΔAEP, we have
∠PAB = ∠PAE (Given)
∠ABP = ∠AEP,
[As proved above in (i)]
and AP = AP, (common)
∴ ΔABP ≅ ΔAEP,
(By AAS congruence rule)
⇒ BP = PE (CPCT) …….(ii)
and ∠APB = ∠APE (CPCT)
⇒ ∠EPD = ∠BPD, ………..(iii)
(∵ ∠APB = ∠EPD and ∠APE = ∠BPD)
Now in ΔBPD and ΔEPD, we have
BP = PE, [As proved above in (ii)]
∠BPD = ∠EPD,
[As proved above in (iii)]
and PD = PD, (common)
∴ ΔBPD ≅ ΔΕPD,
(By SAS congruence rule)
⇒ BD = DE (CPCT)
Hence proved

(ii) In ΔBEC, we have
∠AEB = ∠C + ∠EBC, (By theorem 6.8)
∴ ∠AEB > ∠C
⇒ ∠ABE > ∠C, [∵ ∠AEB = ∠ABE]
Hence proved

Question 13.
In the figure, AD, BE and CF are medians of ΔABC. Prove that :
2(AD + BE + CF) > AB + BC + CA.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 42
Solution :
In ΔABD, we have
BD + AD > AB, [∵ Sum of any two sides of a triangle is greater than third side]
⇒ \(\frac {1}{2}\)BC + AD > AB ……..(i)
Again in ΔACD, we have
CD + AD > AC,
[∵ Sum of any two sides of a Δ is greater than third side]
⇒ \(\frac {1}{2}\)BC + AD > AC …………(ii)
Adding (i) and (ii), we get
\(\frac {1}{2}\)BC + AD + \(\frac {1}{2}\)BC + AD > AB + AC
⇒ 2AD + BC > AB + AC …………….(iii)
Similarly, we can prove that
2BE + AC > AB + BC ………(iv)
and 2CF + AB > AC + BC ……………(v)
Adding (iii), (iv) and (v), we get
2AD + 2BE + 2CF + AB + BC + AC > AB + AC + AB + BC + AC + BC
⇒ 2AD + 2BE + 2CF > AB + BC + AC
2(AD + BE + CF) > AB + BC + CA.
Hence proved

Question 14.
In the figure, ABC is an equilateral triangle in which BP and CP are bisectors of ∠B and ∠C respectively. If PQ || AB and PR || AC, prove that BQ = QR = RC.
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 43
Solution :
We have ΔABC is an equilateral triangle.
∠A = ∠B = ∠C = 60°
∠PBQ = \(\frac {1}{2}\)∠B = \(\frac {60°}{2}\) = 30°……(i) [∵ BP is the bisector of ∠B]
and ∠PCR = \(\frac {1}{2}\)∠C = \(\frac {60°}{2}\) = 30°…(ii)
[∵ CP is the bisector of ∠C]
∵ PQ || AB
⇒ ∠PQR = ∠ABQ,
[Corresponding angles]
⇒ ∠PQR = 60° ……….(iii)
[∵ ∠ABQ = ∠ABC = 60°]
and PR || AC
⇒ ∠PRQ = ∠ACR
[Corresponding angles]
⇒ ∠PRQ = 60° ……(iv) [∵ ∠ABR = ∠ACB60°C]
In ΔPQR, we have
∠PQR + ∠PRQ + ∠QPR = 180°, (Sum of interior angles of a triangle = 180°)
⇒ 60° + 60° + ∠QPR = 180°,
[Using (iii) and (iv)]
⇒ ∠QPR = 180° – 60° – 60°
⇒ ∠QPR = 60°
∴ ΔPQR is an equilateral triangle.
⇒ PQ = QR = RP ……..(v)
In ΔPBQ, we have
∠PQR = ∠PBQ + ∠BPQ,
⇒ 60° = 30° + ∠BPQ,
[Using (i) and (iii)]
⇒ ∠BPQ = 60° – 30° = 30°
⇒ ∠PBQ = ∠BPQ, (Each = 30°)
⇒ PQ = BQ …(vi)
Similarly, PR = RC …(vii)
From (v), (vi) and (vii), we get
BQ = QR = RC.
Hence proved

Multiple Choice Questions

Choose the correct option in each of the following:

Question 1.
Which of the following is not a rule ‘for congruence of triangles’ :
(NCERT Exemplar Problems)
(a) SSS
(b) RHS
(c) SSA
(d) SAS
Solution :
(c) SSA

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 2.
If ΔABC ≅ ΔPQR and ΔABC is not congruent to ΔRPQ, then which of the following is not true :
[NCERT Exemplar Problems]
(a) BC = PQ
(b) AC = PR
(c) QR = BC
(d) AB = PQ
Solution :
(a) BC = PQ

Question 3.
In triangles ABC and DEF, AB = FD and ∠A = ∠D. The two triangles will be congruent by SAS axiom if : [NCERT Exemplar Problems]
(a) BC = EF
(b) AC = DE
(c) AC = EF
(d) BC = DE
Solution :
(b) AC = DE

Question 4.
Two equilateral triangles are congruent, when :
(a) their sides are proportional
(b) their sides are equal
(c) their angles are equal
(d) None of these
Solution :
(b) their sides are equal

Question 5.
ΔABC ≅ ΔPQR, if BC = 4 cm, ∠B = 60° and ∠C = 70°, then which of the following is true :
(a) QR = 4 cm, ∠P = 60°
(b) PQ = 4 cm, ∠Q = 60°
(c) QR = 4 cm, ∠R = 60°
(d) QR = 4 cm, ∠Q = 60°
Solution :
(d) QR = 4 cm, ∠Q = 60°

Question 6.
In figure, ΔABD ≅ ΔACD, AB = AC, BD = CD. Name the criteria by which the triangles are congruent :
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 44
(a) SSS
(b) SAS
(c) ASA
(d) RHS
Solution :
(a) SSS

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 7.
In the figure, ΔABD ≅ ΔACD. Name the criteria by which the triangles are congruent :
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 45
(a) SSS
(b) ASA
(c) AAS
(d) RHS
Solution :
(a) SSS

Question 8.
Two right-angled triangles ADB and ADC are congruent if AB = AC. Name the criteria by which the triangles are congruent :
(a) RHS
(b) SAS
(c) ASA
(d) SSA
Solution :
(a) RHS

Question 9.
In the figure, if AB = PQ, BC = QR and AC = PR, then which of the following is true :
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 46
(a) ΔABC ≅ ΔRPQ
(b) ΔACB ≅ ΔRQP
(c) ΔABC ≅ ΔPQR
(d) ΔABC ≅ ΔPRQ
Solution :
(a) ΔABC ≅ ΔRPQ

Question 10.
In ΔPQR, ∠R = ∠P and QR = 4 cm and PR = 5 cm. Then the length of PQ is : [NCERT Exemplar Problems]
(a) 4 cm
(b) 5 cm
(c) 2 cm
(d) 2.5 cm
Solution :
(a) 4 cm

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 11.
In ΔABC, BC = AB and ∠B = 80°. Then ∠A is equal to [NCERT Exemplar Problems]
(a) 80°
(b) 40°
(c) 50°
(d) 100
Solution :
(c) 50°

Question 12.
In triangles ABC and PQR, AB = AC, ∠C = ∠P and ∠B = ∠Q. The two triangles are:
[NCERT Exemplar Problems]
(a) isosceles but not congruent
(b) isosceles and congruent
(c) congruent but not isosceles
(d) neither congruent nor isosceles
Solution :
(a) isosceles but not congruent

Question 13.
In the figure, PQ = PR and QS = RS, then ratio of ∠PQS : ∠PRS is :
HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles - 47
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 2 : 3
(d) 1 : 1
Solution :
(d) 1 : 1

Question 14.
In a ΔABC, we have:
(a) AB + BC > AC
(b) AB + AC = BC
(c) AB + BC < AC
(d) None of these
Solution :
(a) AB + BC > AC

HBSE 9th Class Maths Important Questions Chapter 7 Triangles

Question 15.
In ΔABC, we have :
(a) AB + BC < AC
(b) AC – AB < BC (c) BC – AC > AB
(d) BC – AB > AC
Solution :
(b) AC – AB < BC

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

प्रश्न 1.
स्तनधारियों की कोशिकाओं की औसत कोशिका चक्र अवधि कितनी होती है ?
उत्तर:
स्तनधारियों (जैसे-मनुष्य) की कोशिकाओं की औसत कोशिका चक्र (cell cycle) अवधि 24 घण्टे होती है। यद्यपि कोशिका चक्र की यह अवधि एक जीव से दूसरे जीव एवं एक कोशिका से दूसरी कोशिका प्रारूप के लिए बदल सकती है।

प्रश्न 2.
जीव द्रव्य विभाजन व केन्द्रक विभाजन में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
कोशिका द्रव्य विभाजन तथा केन्द्रक विभाजन में अन्तर –
(Difference between Cytokinesis and Karyokinesis)

कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis):
इसमें कोशिका के अन्दर केन्द्रक का विभाजन हो जाने के पश्चात् कोशिका के द्रव्य का विभाजन होता है। जन्तु कोशिकाओं में यह खांच (furrow) विधि तथा पादप कोशिकाओं में यह कोशिका पट्टिका विधि द्वारा होता है।

केन्द्रक विभाजन (Karyokinesis):
इसमें कोशिका के अन्दर केन्द्रक का विभाजन होता है। समसूत्री विभाजन में केन्द्रक दो तथा अर्धसूत्री विभाजन ( meiosis) में केन्द्रक चार संतति केन्द्रकों (daughter nuclei) में विभाजित होता है। केन्द्रक विभाजन विभिन्न अवस्थाओं में पूर्ण होता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

प्रश्न 3.
अन्तरावस्था में होने वाली घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोशिका चक्र (cell cycle) में दो प्रमुख अवस्थाएँ होती हैं— अन्तरावस्था (interphase) तथा विभाजन अवस्था ( mitotic or M- phase)।
(1) अन्तरावस्था (Interphase) – इस अवस्था में कोशिका विभाजन के लिए तैयार होती है। इस अवस्था में कोशिका की प्रचुर वृद्धि होती है तथा DNA का द्विगुणन होता है। यह अवस्था दो क्रमिक विभाजन अवस्थाओं (M-Phase) के बीच की प्रावस्था की प्रदर्शित करती है ।

अन्तरावस्था या इण्टरफेज (interphase) को निम्नलिखित तीन प्रावस्थाओं में विभाजित किया जाता है-
(i) प्रथम वृद्धि प्रावस्था (First Growth Phase or G1) – इसे अवस्था में RNA तथा प्रोटीन का संश्लेषण तथा DNA संश्लेषण के लिए आवश्यक विकारों (enzymes) का संश्लेषण एवं संग्रह होता है। इसमें कोशिका चक्र के कुल समय का लगभग 30-40% समय लगता है। G1 प्रावस्था के बाद कोशिका के लिए दो विकल्प होते हैं। प्रथम विकल्प में या दो कोशिका S- प्रावस्था में प्रवेश करती है, या दूसरे विकल्प में यह शान्त प्रावस्था (Go-phase) में आ जाती है। Go प्रावस्था में कोशिका विभाजन नहीं करती है जैसे हृदय पेशियों की कोशिकाएँ, तंत्रिका कोशिकाएँ (nerve cell) आदि।

(ii) संश्लेषण प्रावस्था (Synthetic phase or S- phase) – इस प्रावस्था में DNA का द्विगुणन होता है। प्रत्येक गुणसूत्र (chromosome) से दो अर्द्धगुणसूत्रों (chromatids ) का निर्माण होता है। इसमें कोशिका चक्र के कुल समय का लगभग 30-50% समय लगता है।

(iii) द्वितीय वृद्धि प्रावस्था (Second growth phase or G2 phase ) – इस प्रावस्था में DNA का द्विगुणन होता है। प्रत्येक गुणसूत्र (chromosome) से दो अर्द्धगुणसूत्रों (chromatids ) का निर्माण होता है। इसमें कोशिका चक्र के कुल समय का लगभग 30-50% समय लगता है।

(iv) द्वितीय वृद्धि प्रावस्था (Second growth phase or G2 phase ) – यह S प्रावस्था के बाद की अवस्था है। इसमें कोशिका विभाजन के लिए तैयार होती है। इसमें कोशिका चक्र के कुल समय का 10-20% समय लगता है।

(2) विभाजन अवस्था (Mitotic or M-phase ) – यह द्वितीय वृद्धि प्रावस्था के बाद की प्रावस्था है। इसमें केन्द्रक (nuclei) तथा कोशिका द्रव्य का विभाजन होता है जो अनेक उप-प्रावस्थाओं में पूर्ण होता है। इसमें कोशिका चक्र (cell cycle) के कुल समय का लगभग 5-10% समय लगता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

प्रश्न 4.
कोशिका चक्र का Go (प्रशान्त प्रावस्था) क्या है ?
उत्तर:
Go ( प्रशान्त अवस्था Quiescent Phase) G1 प्रावस्था के बाद कोशिक के लिए दो विकल्प होते हैं—कोशिका विभाजन के लिए आगे की अवस्था में प्रवेश कर जाती है अथवा यह स्थाई कोशिका में बदल जाती है, जिसमें पुनः विभाजन नहीं होता इसे कोशिका की Go प्रावस्था कहते हैं। ऐसी कोशिका उपापचयी रूप (metabolically) से सक्रिय होती है।

प्रश्न 5.
सूत्री विभाजन को सम विभाजन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
सूत्री विभाजन (mitosis) के फलस्वरुप उत्पन्न पुत्री कोशिकाएँ (daughter cell) गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के बराबर ही होती हैं। इसीलिए सूत्री विभाजन को समविभाजन कहते हैं।

प्रश्न 6.
कोशिका चक्र की उस अवस्था का नाम बताएं जिसमें निम्नलिखित घटनाएँ सम्पन्न होती हैं –
(i) गुणसूत्र तर्क मध्य रेखा की तरफ गति करते हैं।
(ii) गुणसूत्र विन्दु का टूटना व अर्द्धगुणसूत्र का पृथक होना।
(iii) समजात गुणसूत्रों का आपस में युग्मन होना।
(iv) समजात गुणसूत्रों के बीच विनिमय होता है।
उत्तर:
(i) मध्यावस्था ( Metaphase)।
(ii) पश्चावस्था ( Anaphase)।
(iii) अर्द्धसूत्री विभाजन प्रथम की युग्मपट्ट (Zygotene ) उपावस्था।
(iv) अर्द्धसूत्री विभाजन प्रथम की स्थूलपट्ट (Pachytene) उपावस्था।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित के बारे में वर्णन कीजिए-
(i) सूत्रयुग्मन
(ii) युगली
(iii) काएबेटा।
उत्तर:
(i) सूत्रयुग्मन (Synapsis ) – अर्द्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था प्रथम (Prophase-I) की युग्म पट्ट (Zygotene) उपावस्था में समजात गुणसूत्र (homologous chromosomes) जोड़े बनाते हैं। इसे सूत्रयुग्मन (synapsis) कहते हैं।

(ii) युगली (Bivalent ) – अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis) की पूर्वावस्था प्रथम की युग्मपट्ट (zygotene ) उपावस्था में समजात गुणसूत्र (homologous chromosomes) जोड़े बनाते हैं। गुणसूत्रों के ये जोड़े युगली (Bivalent) कहलाते हैं।

(iii) कियाज्पेटा (Chiasmata) – अर्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था प्रथम की पेकीटीन तथा द्विपट्ट (Diplotene ) उपावस्था में युग्मित गुणसूत्रों के अर्धगुणसूत्र (chromatids) कुछ बिन्दुओं पर क्रास (Cross, X) बनाते हैं। इन बिन्दुओं को कियाज्मेटा (chiasmata) कहते हैं। इन बिन्दुओं पर गुणसूत्रों के क्रोमेटिड्स टूटकर पुनः जुड़ते हैं। इस प्रक्रिया में समजात गुणसूत्रों के क्रोमेटिड्स परस्पर बदल जाते हैं। इसे पारगमन या विनिमय (crossing over) कहते हैं।

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प्रश्न 8.
पादप एवं प्राणी कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य विभाजन में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
पादप कोशिकाएँ अपेक्षाकृत अप्रसारणीय कोशिका भित्ति से घिरी होती है अतः इनमें कोशिका द्रव्य विभाजन दूसरी भिन्न प्रक्रियाओं द्वारा सम्पन्न होता है। पादप कोशिकाओं में नई कोशिका भित्ति निर्माण कोशिका के केन्द्र से प्रारम्भ होकर बाहर की ओर बढ़ता है। नई कोशिका भित्ति का निर्माण एक साधारण पूर्वगामी रचना से प्रारम्भ होता है जिसे कोशिका पट्टिका (cell plate) कहते हैं। जो बाद में मध्य पटलिका (middle lamella) कहलाती है। जन्तु कोशिकाओं (Animal cells) के कोशिका द्रव्य का विभाजन जीवद्रव्य कला में एक पाश्ववर्ती खाँच या अन्तर्वलन (Invagination) द्वारा होता है। खाँचे आगे बढ़कर कोशिका द्रव्य (cytoplasm) को दो भागों में बाँट देती है।

प्रश्न 9.
अर्द्धसूत्री विभाजन के बाद बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ कहाँ आकार में समान और कहाँ भिन्न आकार की होती है ?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्मकों (gametes) का निर्माण होता है। शुक्राणु जनन (spermatogensis) या लघु बीजाणु जनन (microsporogenesis) में मातृ कोशिका के विभाजन से बनने वाली चारों पुत्री कोशिकाएँ परस्पर समान आकार की होती है किन्तु इनमें गुणसूत्रों (chromosomes) की संख्या मातृ कोशिका की आधी होती है। शुक्राणुजनन में पुत्री कोशिकाएँ कायान्तरण (metamorphosis) द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण करती हैं। लघुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ लघुबीजाणुओं या परागकणों (pollen grains) का निर्माण करती हैं। अण्ड जनन (oogenesis) में मातृ कोशिकाएँ भिन्न आकार की संतति कोशिकाओं को जन्म देती हैं। स्तनधारियों में इसके द्वारा एक अण्ड कोशिका (egg cell) तथा पोलर कोशिकाएँ बनती हैं। पोलर कोशिकाएँ छोटे आकार की होती हैं।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

प्रश्न 10.
सूत्री विभाजन की पश्चावस्था तथा अर्द्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था I में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
सूत्री विभाजन तथा अर्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था प्रथम में अन्तर
(Difference between the Anaphase of mitosis and melosis-1)

सूत्री विभाजन की पश्चावस्था (Anaphase Stage of mitosis):
इसमें गुणसूत्र के अर्द्धगुण सूत्र (chromatids ) प्रतिकर्षण के कारण विपरीत ध्रुवों की ओर खिंचने लगते हैं। इन अर्द्धगुणसूत्रों को संतति गुणसूत्र कहते हैं दोनों गुणसूत्रों की संरचना समान होने से संतति कोशिकाएँ (daughter cell) मातृ कोशिका (parent cell) के समान होती हैं। सेण्ट्रोमियर विभक्त होता है।

अर्द्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था-II (Anaphase stage of Melosis-I):
इसमें सूत्रयुग्मन (synapsis) के द्वारा बने गुणसूत्रों के जोड़ों में प्रतिकर्षण होने के कारण गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर खिंचने लगते हैं। समजात गुणसूत्रों (homologous chromosomes ) का बँटवारा होने के कारण पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों (chromosome) की संख्या आधी रह जाती है । सेण्ट्रोमियर विभक्त नहीं होता है।

प्रश्न 11.
सूत्री एवं अर्धसूत्री विभाजन में प्रमुख अंतरों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
सूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अन्तर –
(Differences between Mitosis and Melosis)

सूत्री विभाजन:

  • यह विभाजन दैहिक कोशिकाओं में (somatic cells) में होता है।
  • इसमें समजात गुणसूत्रों का युग्मन ( synapsis) नहीं होता है।
  • एक मातृ कोशिका दो पुत्री कोशिकाओं को जन्म देती है।
  • पुत्री कोशिकाएँ मातृ कोशिका के समान गुण वाली होती हैं।
  • कियाज्मेटा (chiasmata) का निर्माण नहीं होता है।
  • जीन विनिमय नहीं होता है। अतः विविधताएँ उत्पन्न नहीं होती। जैव विकास में सहायक नहीं।
  • इसके फलस्वरूप वृद्धि व अलैंगिक जनन होती है।

अर्द्धसूत्री विभाजन:

  • यह जनन कोशिकाओं (reproductive cells) में होता है।
  • इसमें समजात गुणसूत्रों का युग्मन (synapsis ) होता है।
  • एक मातृ कोशिका चार पुत्री कोशिकाओं को जन्म देती है।
  • पुत्री कोशिकाओं में मातृ कोशिका की अपेक्षा गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है।
  • काएज्मेटा का निर्माण होता है।
  • जीन विनिमय (crossing over ) होता है। अतः विविधताएँ उत्पन्न होती हैं तथा जीव विकास हेतु महत्वपूर्ण है।
  • इसके फलस्वरूप लैंगिक जनन (sexual reproduction) होता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

प्रश्न 12.
अर्द्धसूत्री विभाजन का क्या महत्व है ?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व (Importance of meiosis):
1. लैंगिक जनन करने वाले जीवों के जीवन इतिहास में अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) द्वारा जीवों की दैहिक कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थिर बनी रहती हैं।

2. अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरुप एक द्विगुणित ( diploid) कोशिका से चार अगुणित कोशिकाएँ (haploid cells) बनती हैं। प्रत्येक संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या मूल कोशिका की अपेक्षा आधी होती है। इन कोशिकाओं से युग्मक ( gametes) बनते हैं निषेचन के समय नर व मादा युग्मकों के संलयन से युग्मनज (zygote) बनता है जिसमें गुणसूत्रों की संख्या पुनः द्विगुणित (diploid) हो जाती है। अतः अर्द्धसूत्री विभाजन निषेचन के फलस्वरूप गुणसूत्रों की संख्या में वृद्धि को रोकता है और इस प्रकार जाति में गुणसूत्रों की संख्या की स्थिरता को बनाए रखता है।

3. अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप जीन के नये संयोग बनते हैं। जीन विनिमय (crossing over) से नर एवं मादा गुणसूत्रों के अर्द्धगुणसूत्रों (chromatids ) के खण्डों में बदला-बदली होती है। इससे माता-पिता के गुणों के नये संयोग बनते हैं। अतः अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप बने सभी युग्मक समान नहीं होते क्योंकि उनमें जीन्स के नये संयोग बनते हैं। इससे जीवों के विकास (organic evolution) में सहायता मिलती है।

प्रश्न 13.
अपने शिक्षक के साथ निम्नलिखित के बारे में चर्चा कीजिए-
(i) अगुणित कीटों व निम्न श्रेणी के पादपों में कोशिका विभाजन कहाँ सम्पन्न होता है ?
(ii) उच्च श्रेणी पादपों की कुछ अगुणित कोशिकाओं में कोशिका विभाजन कहाँ नहीं होता है ?
उत्तर:
(i) नर मधुमक्खियों अर्थात् ड्रोन्स (drones) अगुणित (haploid) होते हैं। इनमें सूत्री विभाजन अनिषेचित अगुणित अण्डों (unfertilized haploid eggs) में होता है। यह सूत्री विभाजन द्वारा ही अगुणित शुक्राणुओं का निर्माण करते हैं। शुक्राणु, अण्ड से निषेचन के पश्चात् युग्मनज (zygote) बनाता है। निम्न श्रेणी के पादपों जैसे – क्लैमाइडोमोनास (Chlamydomonas), यूलोथ्रिक्स (Ulothrix ) आदि में समसूत्री विभाजन द्वारा जनन होता है। इनमें अगुणित युग्मक (haploid gametes) बनते हैं। युग्मकों के मिलन से द्विगुणित युग्माणु (zygote) बनता है। युग्माणु में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है इससे अगुणित बीजाणु (n) बनते हैं। बीजाणु अंकुरित (germinate) होकर तथा समसूत्री विभाजन द्वारा नाये पादपों का विकास करते हैं।

(ii) उच्च श्रेणी के पादपों में द्विगुणित बीजाण्डकाय (nucellus ) में गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप चार अगुणित गुरुबीजाणु (haploid megaspore) बनते हैं। इसमें से तीन में कोशिका विभाजन नहीं होता। सक्रिय गुरुबीजाणु समसूत्री विभाजन द्वारा भ्रूणकोष (embryo sac) बनाता है। भ्रूणकोष की अगुणित प्रतिव्यासांत कोशिकाएँ (antipodals) तथा सहायक कोशिकाओं (synergids) में कोशिका विभाजन नहीं होता है। साइकस के लघुबीजाणुओं (pollen grains) के अंकुरण के फलस्वरूप नर युग्मकोद्भिद् (male gametophyte) बनता है। इसकी प्रोथीलियल कोशिका (prothelial cell ) तथा नाभिका कोशिका में विभाजन नहीं होता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन

प्रश्न 14.
क्या S- प्रावस्था में बिना डी. एन. ए. प्रतिकृति के सूत्री विभाजन हो सकता है ?
उत्तर:
नहीं। क्योंकि S – प्रावस्था के दौरान डी. एन. ए. का निर्माण एवं इसकी प्रतिकृति होती है। इस दौरान डी. एन. ए. की मात्रा दुगुनी होती है। यदि DNA की प्रतिकृति न हो और कसी तरह विभाजन होता रहे तो एक समय ऐसा आएगा कि कोशिका में DNA नगण हो जाएगा। अतः कोशिका की स्थिरता को बनाए रखने के लिए DNA का प्रतिकृतिकरण ( replication of DNA ) आवश्यक है।

प्रश्न 15.
क्या बिना कोशिका विभाजन के DNA प्रतिकृति हो सकती है ?
उत्तर:
कोशिका विष काल्विसीन की उपस्थिति में DNA का प्रतिकृतिकरण (replication) तो होता है लेकिन विभाजन पूर्ण नहीं होता । अतः अगुणित कोशिका द्विगुणित तथा द्विगुणित कोशिका चतुष्णुणित हो सकती है। कोशिका से बाहर कृत्रिम ढंग से उपयुक् एंजाइमों की उपस्थिति में भी DNA का प्रतिकृतिकरण किया जा सकता है।

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प्रश्न 16.
कोशिका विभाजन की प्रत्येक अवस्थाओं के दौरान होने वाली घटनाओं का विश्लेषण कीजिए और ध्यान दीजिए कि निम्नलिखित दो प्राचलों में कैसे परिवर्तन होता है ?
(i) प्रत्येक कोशिका की गुणसूत्र संख्या (N), (II) प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा (C)।
उत्तर:
(i) S – प्रावस्था के दौरान गुणसूत्र की संख्या में कोई वृद्धि नहीं होती। यदि G2 प्रावस्था में कोशिका द्विगुणित है या 2n है तो S प्रावस्था के बाद भी इसकी संख्या वही रहती है जो G अवस्था में थी अर्थात् 2n होगी ।
(ii) S-प्रावस्था में DNA की मात्रा दुगुनी हो जाती है। यदि DNA की प्रारम्भिक मात्रा को 2C से चिन्हित किया जाए तो यह बढ़कर 4C ही जाएगी।

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HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 9 जैव अणु

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 9 जैव अणु Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 9 जैव अणु

प्रश्न 1.
वृहत् अणु क्या हैं ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वृहत् अणु (Macro molecules) – जीवधारियों में पाये जाने वाले पदार्थ जिनके अणुओं का आण्विक भार अत्यधिक होता है, वृहत् अणु कहलाते । जैसे- प्रोटीन्स (proteins), न्यूक्लिक अम्ल ( nucleic acids), पॉलीसैकेराइड (Polysaccharides)। यह छोटी-छोटी एकलक इकाइयों (Monomer के बहुलक (polymers) होते हैं। इनका आण्विक भार दस हजार डाल्टन (dalton ) या इससे भी अधिक होता है।
units)

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प्रश्न 2.
ग्लाइकोसिडिक, पेप्टाइड तथा फास्फोडाइएस्टर बन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्लाइकोसिडिक बन्ध (Glycosidic bond ) – शर्कराओं का मुक्त ऐल्डिहाइड या कीटोन समूह किसी अन्य कार्बनिक पदार्थ के हाइड्रॉक्सिल (एल्कोहॉल) समूह से क्रिया कर ग्लाइकोसिडिक बंध बनाता है। पॉलीसैकेराइड बनाने वाले ग्लाइकोसिडिक बन्ध में एक मोनोसैकेराइड अणु का एल्डिहाइड या कीटोन समूह दूसरे मोनोसैकेराइड अणु के ऐल्कोहॉल या हाइड्रॉक्सिल (-OH) समूह से संयोजित होता है तथा जल का एक अणु निकलता है इसलिए अणुओं के इस प्रकार जुड़ने की प्रक्रिया को निर्जलीकरण संघनन संश्लेषण कहते हैं। ग्लाइकोसिडिक बन्ध उत्क्रमणीय ( reversible) होता है अर्थात् इस प्रक्रिया द्वारा जुड़े दोनों अणु पृथक् हो सकते हैं।

पेप्टाइड बन्ध (Peptide bonds) – प्रोटीन्स लम्बी-लम्बी पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं से निर्मित होती है और यह पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाएँ अनेक अमीनो अम्लों के जुड़ने से बनती हैं। बन्ध (bonds) जिनके द्वारा अमीनो अम्ल आपस में जुड़कर पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाएँ बनाते हैं, पेप्टाइड बन्य (peptide bonds) कहलाते हैं। इसमें एक अमीनो अम्ल का कार्बोक्सिलिक समूह ( – COOH) दूसरे अमीनो अम्ल के एमीनोसमूह (-NH2) से पेप्टाइड बन्ध (peptide bond) द्वारा जुड़ा रहता है। बंध बनते समय इसमें जल का एक अणु मुक्त होता है।

फॉस्फोडाइस्टर बंध (Phosphodiester bonds) : अनेक न्यूक्लिओटाइड्स 5’3′ फास्फोडाइएस्टर बंध द्वारा जुड़कर पॉलीन्यूक्लिओटाइड्स का निर्माण करते हैं। यह बंध एक न्यूक्लिओटाइड की पेंटोज शर्करा के 5′ कार्बन तथा अगले न्यूक्लिओटाइड की पेंटोज के 3′ कार्बन परमाणु के बीच बनता है। शर्करा व फॉस्फेट के बीच का बंध एस्टर बंध (ester bond) कहलाता है तथा फास्फेट समूह द्वारा जो शर्कराओं का जुड़ना फास्फोडाइएस्टर बंध कहलाता है। अतः न्यूक्लिक अम्ल की रीढ़ एकान्तरित क्रम में व्यवस्थित फास्फेट व शर्करा अणुओं की बनी होता है।

प्रश्न 3.
प्रोटीन की तृतीयक संरचना से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
प्रोटीन की तृतीयक संरचना (Tertiary Structure of Protein) – तृतीयक संरचना हेतु द्वितीयक संरचना (secondary structure) वाली लहरदार या ∝ – कुण्डलिनी श्रृंखलाओं का पुनः कुण्डलन (coiling) एवं वलन ( Folding ) होता है। यह वलन पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में दूर-दूर स्थित अमीनो अम्लों की पार्श्व शृंखलाओं (R-समूहों) के बीच में तथा पास-पास आने और मुड़ने से बनते हैं। इसके फलस्वरूप अमीनो अम्लों के अध्रुवीय जल विरागी (non-polar hydrophobic) R- समूह प्रोटीन अणु के अन्दर की ओर छुप जाते हैं तथा धुव्रीय जल स्नेही (Polar hydrophilic ) अमीनो (NH2) समूह प्रोटीन की सतह पर आ जाते हैं। प्रोटीन के सक्रिय भाग सतह पर आ जाते हैं। प्रोटीन को क्रियाशील (functional) होने के लिए उसकी त्रिविमीय संरचना आवश्यक है।

प्रश्न 4.
10 ऐसे रुचिकर सूक्ष्म जैव अणुओं का पता लगाइए जो कम अणु भार वाले होते हैं व इनकी संरचना बनाइए। ऐसे उद्योगों का पता लगाइए जो इन यौगिकों का निर्माण विलगन द्वारा करते हैं ? इनको खरीदने वाले कौन हैं ? मालूम कीजिए ।
उत्तर:
सूक्ष्म जैव अणु (Micromolecules) – जीवधारियों में पाये जाने वाले कर्म अणुभार सरल आण्विक संरचना तथा उच्च विलेयशीलता (solubility) वाले अणुओं के को जैव अणु कहते हैं ।

रुचिकर सूक्ष्म अणु व उन्हें विलगन से अलग करने वाले उद्योग व उपयोगकर्ता
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प्रश्न 5.
प्रोटीन में प्राथमिक संरचना होती है, यदि आपको जानने हेतु ऐसी विधि दी गई है जिसमें प्रोटीन के दोनों किनारों पर एमीनो अम्ल है तो क्या आप इस सूचना को प्रोटीन की शुद्धता अथवा समांगता (homogenecity) से जोड़ सकते हैं।
उत्तर:
प्रोटीन्स लम्बी-लम्बी पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं की बनी होती हैं। अमीनो अम्ल पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़कर पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला बनाते हैं जो प्रोटीन संरचना के प्राथमिक स्तर को प्रदर्शित करते हैं । पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के एक सिरे पर प्रथम अमीनो अम्ल का खुला अमीनो समूह (-NH2) तथा दूसरे सिरे पर अन्तिम अमीनो अम्ल का खुला हुआ कार्बोक्सिलिक समूह (-COOH) होता है। अगर प्रोटीन केवल अमीनो अम्लों की बनी है तब यह शुद्ध व समांगता (homogeneity) प्रदर्शित करती है। अगर प्रोटीन में अमीनो अम्लों के साथ कोई अन्य यौगिक भी जुड़ा है तब यह प्रोटीन की विषमांगता ( heterogenity) प्रदर्शित करेगा ।

प्रश्न 6.
चिकित्सार्थ अभिकर्ता ( Therapeutic agent) के रूप में प्रयोग में आने वाले प्रोटीन का पता लगाइए व सूचीबद्ध कीजिए । प्रोटीन की अन्य उपयोगिताओं को बताइए। (जैसे- सौन्दर्य प्रसाधन आदि) ।
उत्तर:

प्रोटीन प्रकारउदाहरण
चिकित्सार्थ अभिकर्ता (therapeutic agent)

(a) हार्मोन

(b) एंटीबाडी, इम्यूनोग्लोबिन

(c) इण्टरफेरॉन

(d) एंजाइम

खाद्य सम्पूरक प्रोटीन

रक्त का थक्का घोलने वाली प्रोटीन सौन्दर्य प्रसाधन (cosmetics)

इंसुलिन

विभिन्न एंटीबाडी के वैक्सीन इण्टरफेरान विषाणु उपचार से

 

पाचक एंजाइम डायस्टेज पेप्सिन रेनिन (दुग्ध स्कंदक) आदि

एल्ब्यूमिन, स्टेंप्टोकाइनेज

कोलेजन, ग्लाइकोप्रोटीन जोजोक प्रोटीन, सोयराइटस ल्युपीन, पेप्टाइड

प्रश्न 7.
ट्राइग्लिसराइड के संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ट्राइग्लिसराइड (Triglyceride ) – ग्लिसरॉल ( glycerol) का एक अणु वसीय अम्लों के तीन अणुओं से क्रिया करके वसा का एक अणु बनाता है। ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल अणुओं के बीच बनने वाले सहसंयोजी बन्ध को एस्टर बन्ध (ester bond) कहते हैं। ग्लिसरॉल एक ट्राइहाइड्रिक ऐल्कोहॉल है, जिसकी कार्बन श्रृंखला के तीनों कार्बन परमाणुओं से एक-एक हाइड्रोक्सिल समूह (OH) जुड़ा होता है जो वसीय अम्लों के तीन अणुओं से क्रिया करते हैं। इसलिए वसा अणु को ट्राइग्लिसरॉइड कहते हैं। इस क्रिया में जल का अणु निकलता है इसलिए इसे निर्जलीकरण संघनन संश्लेषण (dehydration-condensation synthesis) कहते हैं। ट्राइग्लिसराइड के तीनों वसीय अम्ल समान या असमान हो सकते हैं।
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प्रश्न 8.
क्या आप प्रोटीन की अवधारणा के आधार पर वर्णन कर सकते हैं कि दूध का दही अथवा योगर्ट में परिवर्तन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
दूध में कैसीन (casein) नाम की प्रोटीन प्रमुख रूप से पाई जाती है जो दुग्ध प्रोटीन का 82 प्रतिशत भाग बनाती है। शेष 18% घुलनशील वे प्रोटीन (Whey Proteins) या सीरम प्रोटीन कहलाती हैं। कैसीन के चार रूप होते हैं- अल्फा S1, अल्फा S2, बीटा व कप्पा प्रथम तीन रूप छोटी-छोटी मिसेल (micellae) के रूप में पाये जाते हैं जो पानी में बिखरी रहती हैं। इनका आकार -04-03yum तक होता है। पानी में यह समांगी रूप से वितरित रहती हैं। दही बनते समय कम pH के कारण या रेनिन एंजाइम मिलाने पर कप्पा प्रोटीन का जल अपघटन होता है । मिसेल एक साथ जुड़कर अवक्षेप बना देती हैं। अर्थात् प्रोटीन के क्रियात्मक समूहों में बदलाव होते हैं।

प्रश्न 9.
क्या आप व्यापारिक दृष्टि से उपलब्ध परमाणु मॉडल (बॉल व स्टिक नमूना) का प्रयोग करते हुए जैव अणुओं के उन प्रारूपों को बना सकते
उत्तर:
विभिन्न रंगों की बॉल का प्रयोग परमाणुओं को प्रदर्शित करने के लिए तथा स्टिक का प्रयोग बंधों (bonds) को दिखाने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कार्बन परमाणु को काले रंग की बॉल से हाइड्रोजन को लाल रंग की बॉल से, ऑक्सीजन को सफेद व नाइट्रोजन को पीली बॉल से प्रदर्शित कर सकते हैं। विभिन्न बंधों के लिए भी विभिन्न रंगों की स्टिक का प्रयोग किया जा सकता है। स्टिक का प्रयोग दो बॉल (परमाणुओं) को जोड़ने हेतु किया जाता है।

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प्रश्न 10.
ऐमीनो अम्लों को दुर्बल क्षार से अनुमापन (Titrate) कर एमीनो अम्ल में वियोजी क्रियात्मक समूहों का पता लगाने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
ऐमीनो अम्लों का दुर्बल क्षार से अनुमापन करने पर कार्बोक्सिल समूह (-COOH group) तथा ऐमीनो समूह ( NH2 ) पृथक् हो जाते हैं।

प्रश्न 11.
ऐलैनीन एमीनो अम्ल की संरचना बताइए।
उत्तर:
एलैनीन (alanine) ऐमीनो अम्ल एक उदासीन (neutral) ऐमीनो अम्ल है। इसमें एक कार्बोक्सिलिक ( – COOH) तथा एक ऐमीनो (- NH2) समूह होता है।

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प्रश्न 12.
गोंद किससे बने होते हैं ? क्या फैविकॉल इससे भिन्न है ?
उत्तर:
गोंद (Gum ) : यह द्वितीयक उपापचयी उत्पाद (secondary metabolites) है। रासायनिक रूप से यह ग्लाइकुरोनोगैलेक्टन (glycuronogalactons) तथा ग्लुकुरोनोमैनन्स (glucuronoannans) होते हैं। यह जल में विलेय किन्तु कार्बनिक विलायकों में अघुलनशील होता है। यह जल में घुलकर एक चिपचिपा घोल ( sticky Solution) बनाता है।
इसके विपरीत फैविकॉल (fevicol) एक रासायनिक संश्लेषित कृत्रिम उत्पाद है ।

प्रश्न 13.
प्रोटीन, वसा व तेल, एमीनो अम्लों का विश्लेषणात्मक परीक्षण बताइए एवं किसी भी फल के रस, लार, पसीना तथा मूत्र में इनका परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
प्रोटीन टेस्ट (Protein Test) प्रोटीन टेस्ट बाइयूरेट परीक्षण कहलाता है। परखनली में परीक्षण किये जाने वाले पदार्थ (जैसे अण्डा, दाल) के जलीय घोल में बाइयूरेट विलयन डाला जाता है। बाइयूरेट विलयन नीले रंग का घोल है जो प्रोटीन की उपस्थिति में बैंगनी रंग का तथा छोटी श्रृंखला वाले पॉलीपेप्टाइड की उपस्थिति में गुलाबी रंग का हो जाता है। बाइयूरेट अभिकर्मक के कॉपर आयन पेप्टाइड बंध से क्रिया कर रंग में परिवर्तन कर देते हैं। लार, (saliva), पसीना ( sweat) में प्रोटीन उपस्थित होती हैं। मूत्र में प्रोटीन सामान्य तौर पर नहीं पाई जाती हैं। प्रोटीन की उपस्थिति रोग का परिचायक है।

(i) मूत्र में प्रोटीन का परीक्षण ताप स्कंदन परीक्षण (Heat Coagulation Test) विधि द्वारा भी किया जा सकता है। परखनली में 5 mL मूत्र लेकर उसे गर्म किया जाता है। गर्म करने पर इसमें गंदलापन (turbidity) आना प्रोटीन या फास्फेट की उपस्थिति का परिचायक है। अब इसमें 5% एसीटिक अम्ल की कुछ बूंदें डाली जाती हैं। अगर गंदलापन और बढ़ जाता है व स्कंदित हो जाता है तब यह प्रोटीन की उपस्थिति सुनिश्चित करता है। फॉस्फेट की उपस्थिति से हुआ गंदलापन एसीटिक अम्ल से समाप्त हो जाता है।

(ii) मूत्र में प्रोटीन की उपस्थिति सल्फोसेलिसिलिक अम्ल परीक्षण (Sulphosalicylic acid test) द्वारा भी ज्ञात की जा सकती है। इस परीक्षण हेतु मूत्र को सर्वप्रथम एक बूंद ग्लेसियल ऐसिटिक अम्ल द्वारा अम्लीय बनाया जाता है। अब 2-3mL अम्लीय मूत्र में 2-3 बूंद सल्फोसेलिसिलिक अम्ल की डाली जाती हैं। गंदलापन (turbidity) प्रोटीन की उपस्थिति की परिचायक है। अमीनो अम्ल परीक्षण (Amino Acid Test)

(iii) निनहाइड्रिन परीक्षण (Ninhydrin Test) – 4 से 8 pH में सभी अमीनो अम्ल एक शक्तिशाली ऑक्सीकारक निनहाइड्रिन ( ट्राइकीटो हाइड्रिनडीन हाइड्रेट) से क्रिया कर बैंगनी रंग का पदार्थ डाइकीटोहाइड्रिन (diketohydrin ) बनाते हैं। इसे रयूमैन्स परपल (Rhuemann’s purple) कहा जाता है। यही इस परीक्षण का आधार है।
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(iv) एरोमैटिक अमीनो अम्ल (फिनाइलएलेनीन, टायरोसीन, ट्रिप्टोफन), सान्द्र नाइट्रिक अम्ल की उपस्थिति में पीला रंग देते हैं। क्षारीय pH में यह नारंगी रंग का हो जाता है। इसे जैन्योप्रोटीन अम्ल परीक्षण (Xanthoproteic acid test) कहते हैं।

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(v) राइटोसीन जैसे अमीनो अम्ल मिलन्स अभिकर्मक (Millon’s reagent) के साथ क्रिया कर लाल रंग देते हैं।
वसा परीक्षण (Lipid Test) –
प्रीस स्पॉट परीक्षण (Grease Spot Test)
वसा परीक्षण की यह एक सरल विधि है। वसीय पदार्थ बासी कागज (brown paper ) या किसी भी सादा कागज पर एक चिकना पारभासी धब्बा (greasy transluscent spot) बना देते हैं।

सूडान लाल परीक्षण (Sudan Red Test)- एक परखनली में 2 मिली पानी व परीक्षण किये जाने वाले पदार्थ (तेल आदि) की लगभग 2-3mL मात्रा लेकर उसमें 2-3 बूंद सूडान लाल की डाली जाती हैं। मिश्रण को मिलाने पर सूडान लाल, वसीय अणुओं को भी लाल बना देता है। जलीय मिश्रण में इनको अलग परत के रूप में देखा जा सकता है। मूत्र, लार में वसाएँ नहीं होती ।

प्रश्न 14.
पता लगाइए कि जैवमण्डल में सभी पादपों द्वारा कितने सेलुलोस का निर्माण होता है ? इसकी तुलना मनुष्यों द्वारा उत्पादित कागज से कीजिए। मानव द्वारा प्रतिवर्ष पादप पदार्थों की कितनी खपत की जाती है? इसमें वनस्पतियों की कितनी हानि होती है ?
उत्तर:
सेल्यूलोस पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट (पॉलीसेकेराइड) है। कार्बन स्थरीकरण का वैश्विक मान निम्न प्रकार है-

उष्ण कटिबन्धीय वनों व सवाना द्वारा
अन्य स्थलीय पादपों द्वारा
समुद्री पादपों द्वारा

85 x 109 टन प्रति वर्ष
53 x 109 टन प्रति वर्ष
120 x 109 टन प्रति वर्ष

कुल 258,000,000,000 टन कार्बन डाइ ऑक्साइड का स्थिरीकरण प्रतिवर्ष होता है। यह नेट उत्पादन है। कुल उत्पादन कहीं और अधिक होता है क्योंकि लगभग 46% पौधे श्वसन में खर्च कर देते हैं। पौधों में मुख्य पदार्थ सैल्यूलोस ही होता है लकड़ी (wood) में लगभग 50% व कपास ( cotton) में 90% तक सैल्यूलोस होता है। सन् 2011 में कागज का वैश्विक उत्पादन 398975 मीट्रिक टन था। इसमें पल्प शामिल नहीं है।
लकड़ी का एक बड़ा भाग कागज बनाने में खर्च हो जाता है।

प्रश्न 15.
एन्जाइम के महत्वपूर्ण गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एन्जाइम के महत्वपूर्ण गुण निम्नलिखित हैं-
1. क्रियाधार विशिष्टता ( Substrate specificity)- प्रत्येक एन्जाइम केवल एक निश्चित क्रियाधार ( Substrate) या इसके किसी समूह पर ही क्रियाशील होता है। उदाहरणतः यूरियेज (urease) केवल यूरिया (Urea) पर ही क्रियाशील होता है, यह किसी अन्य पदार्थ के साथ क्रिया नहीं करता। एन्जाइम की क्रिया विशिष्टता इसका प्रमुख गुण
है।
2. इष्टतम तापक्रम (Optimum temperature ) – प्रत्येक एन्जाइम प्रायः तापक्रम के एक सीमित परास ( limited range) में कार्य करता है। प्रत्येक एन्जाइम की क्रियाशीलता एक निश्चित तापक्रम पर सर्वाधिक होती है, इसे एन्जाइम का इष्टतम तापक्रम कहते हैं। एन्जाइम प्राय: 25-35° C पर सर्वाधिक क्रियाशील होते हैं। 60°C से अधिक ताप पर ये विकृत हो जाते हैं ताप 0°C ताप पर ये निष्क्रिय हो जाते हैं।

3. इष्टतम pH (Optimum pH ) – प्रत्येक एन्जाइम की क्रियाशीलता एक विशेष pH पर सबसे अधिक होती है। इसे इष्टतम pH कहते हैं। pH की कमी या अधिकता से एन्जाइम की क्रियाशीलता प्रभावित होती है।

4. एन्जाइम क्रियाधार सम्मिश्रण ( Enzyme substrate complex) – प्रत्येक एन्जाइम (E) पर क्रियाधार (S) को बांधने के लिए सक्रिय स्थान ( active sites) होते हैं जहाँ पर क्रियाधार के जुड़ने से एन्जाइम क्रियाधार सम्मिश्रण ( enzyme substrate complex ESC) बनता है। इसके विघटन से एक नया उत्पाद बनता है तथा एन्जाइम अपरिवर्तित रूप में शेष रह जाता है।

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5. क्रियाथार सान्द्रता ( Substrate concentration) – क्रियाधार की सान्द्रता के बढ़ने के साथ-साथ प्रारम्भ में तो एन्जाइम की क्रिया दर भी बढ़ती है। लेकिन ऐसा केवल एक निश्चित सीमा तक ही होता है। एक बिन्दु ऐसा आता है जब क्रियाधार की सान्द्रता में और अधिक वृद्धि का अभिक्रिया की दर पर कोई प्रभाव नहीं होता। ऐसा इसलिए होता है कि एन्जाइम के अणुओं की संख्या क्रियाधर (substrate) के अणुओं की संख्या से कम होती है। ज्यों-ज्यों क्रियाधर (substrate) की सान्द्रता बढ़ाई जाती है त्यों-त्यों एन्जाइम के अणुओं के सक्रिय स्थल भरने लगते हैं। एक अवस्था ऐसी आती है जब माध्यम में उपस्थित सभी एन्जाइम के अणु संतृप्त हो जाते हैं और अधिक क्रियाधारों से जुड़ने के लिए एन्जाइम उपलब्ध नहीं होते और क्रिया की दर घटने लगती है ।

6. एंजाइम क्रिया अवरोधन (Inhibition of enzyme action) – कुछ विशेष पदार्थों की उपस्थिति में एंजाइम क्रिया या तो मंद पड़ जाती है या पूर्णरूप से अवरोधित हो जाती है।
एन्जाइम के अन्य गुण (Other Properties of Enzymes)
(i) एन्जाइम कम मात्रा में प्रयुक्त होते हैं तथा स्वयं नष्ट हुए बिना अभिक्रिया को उत्प्रेरित करते हैं।
(ii) सभी एन्जाइम प्रोटीन के बने होते हैं। (राइबोजाइम को छोड़कर) ।
(iii) इनकी कार्यक्षमता अत्यधिक होती

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