HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर छाँटें-
(क) आमाशय में रस होता है-
(अ) पेप्सिन, लाइपेस और रेनिन
(स) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और लाइपेस
(ब) ट्रिप्सिन, लाइपेस और रेनिन
(द) ट्रिप्सिन, पेप्सिन और रेनिन ।
उत्तर:
(अ) पेप्सिन, लाइपेस और रेनिन

(ख) सक्कस एंटेरिकस नाम दिया गया है-
(अ) क्षुद्रान्त्र (illum ) और बड़ी आँत के सन्धिस्थल के लिये –
(स) आहारनाल में सूजन के लिये
(ब) आन्त्रिक रस के लिये
(द) परिशेषिका (Appendix ) के लिये
उत्तर:
(ब) आन्त्रिक रस के लिए ।

प्रश्न 2.
स्तम्भ I का स्तम्भ II से मिलान कीजिए-

सुस्म I स्तम्म II
बिलिरुबिन और बिलिवर्डिन पैरोटिड
मंड (स्टार्च) का जल-अपघटन पित
वसा का पाचन लाइपेस
लार मन्थि एमाइलेस

उत्तर:

सुस्म I रुसम II
बिलिरुबिन और बिलिवर्डिन पित्त
मंड (स्टार्च) का जल-अपघटन एमाइलेज
वसा का पाचन लाइपेज
लार मन्थि पैरोटिड

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रश्न 3.
संकेष में उतर दें-
(क) अंकुर (Villi) छोटी आँत में होते हैं, आमाशय में क्यों नहीं ?
(ख) पेप्सिनोजेन अपने सक्रिय रूप में कैसे परिवर्तित होता है ?
(ग) आहारनाल की दीवार के मूल स्तर क्या हैं ?
(घ) वसा के पाचन में पिस कैसे मदद करता है ?
उत्तर:
(क) आँत की भीतरी सतह श्लेष्मिका (mucosa) में अनेक वलय (folds) तथा रसांकुर ( Villi) पाये जाते हैं। ये रचनाएँ अँगुली सदृश होती हैं। श्लेष्मिका की कोशिकाओं की सतह पर अनेक ब्रश सदृश सूक्ष्म रसांकुर (microvilli) होते हैं। इससे आँत की अवशोषण सतह में 600 गुना वृद्धि हो जाती है। वे पचे हुए भोजन का अवशोषण करते हैं। आमाशय (stomach) में भोजन का पूरा पाचन नहीं होता है। इसलिए आमाशय में रसांकुर तथा सूक्ष्म रसांकुर (villi & microvilli) नहीं पाये जाते हैं।
(ख) पेप्सिनोजन ( Pepsinogen) जठर रस (Gastric juice) के नमक के अम्ल (HCI) की उपस्थिति में सक्रिय पेप्सिन (pepsin) में बदल जाता है।
(ग) आहारनाल की दीवार में निम्नलिखित चार मूल स्तर होते हैं-
(i) लस्यस्तर या सीरोसा (serosa ),
(ii) पेशीस्तर या मसल लेयर (muscle layer),
(iii) अथः श्लेष्पिका या सबम्यूकोसा (submucosa),
(iv) श्लेष्पिका (mucosa)।
वसा के पाचन में पित्त के कार्बनिक लवण वसा का इमल्सीकण ( emulsification) करते हैं। इमल्सीकृत वसा ( emulsified) का पाचन लाइपेज एन्जाइम द्वारा आसानी से हो जाता है। लाइपेज इमल्सीकृत वसा को घुलनशील वसा अम्ल (fatty acid) तथा ग्लिसरॉल (glycerol) में बदल देता है ।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 1

प्रश्न 4.
प्रोटीन के पाचन में अग्न्याशयी रस की भूमिका स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर:
प्रोटीन के पाचन में अग्न्याशयी रस की भूमिका (Role of Pancreatic Juice in Protein Digestion)
अग्न्याशयी रस (pencreatic juice) जल के समान पतला, रंगहीन और अत्यधिक क्षारीय (alkali) होता है। इसमें 96% जल तथा शेष भाग में लवण एवं पाचक एन्जाइम होते हैं। इसे पूर्णपाचक रस (complete digestive enzyme) कहते हैं, क्योंकि इसमें क्षारीय माध्यम में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, वसा को पचाने वाले एन्जाइम्स उपस्थित होते हैं।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रोटीन पाचन एन्जाइम ट्रिप्सिन और काइमोट्रिप्सन (Protein digestive Engyme – Trypsin & Chymotrypsin)
दोनों एन्जाइम्स (enzyme) मिलकर आमाशय से आयी काइम (chyme) की शेष बची प्रोटीन और पेप्टोन्स (peptones) पर क्रिया करके उनको पॉलीपेप्टाइड्स तथा पेप्टोन्स में बदल देते हैं। ये दोनों एन्जाइम पहले निष्क्रिय ट्रिप्सीनोजन तथा काइमोट्रिप्सिनोजन के रूप में स्रावित होते हैं, किन्तु ग्रहणी में आरस का एन्टीरोकाइनेज ट्रिप्सिनोजन को सक्रिय ट्रिप्सिन (trypsin) में तथा ट्रिप्सिन काइमोट्रिप्सिनोजन (chymotrypsin) को सक्रिय काइमोट्रिप्सिन में परिवर्तित कर देता है ।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 2

प्रश्न 5.
आमाशय में प्रोटीन के पाचन की क्रिया का वर्णन कीजिये ।
उत्तर:
आमाशय में प्रोटीन का पाचन (Digestion of Protein in Stomach)
आमाशय की दीवार में स्थित जठर प्रन्थियों से जठर रस (gastric juice) स्त्रावित होता है। यह रस उच्च अम्लीय ( pH 1-0 से 3.5 ) होता है। इसमें 99% जल, 0.5% HCl तथा 0.4% पेप्सिनोजन (pepsinogen), प्रोरेनिन (prorennin) नामक प्रोएन्जाइम तथा गैस्ट्रिक लाइपेज (gastric lipase) नामक एन्जाइम होते हैं। प्रोएन्जाइम पेप्सिनोजन HCl के सम्पर्क में आने पर सक्रिय पेप्सिन एन्जाइम (pepsin enzyme) में परिवर्तित हो जाता है तथा प्रोरेनिन रेनिन में बदल जाता है। ये प्रोटीन (protein) तथा दूध की केसीन (प्रोटीन) का पाचन करते हैं ।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 3.

प्रश्न 6.
मनुष्य का दन्त सूत्र बताइए।
उत्तर:
मनुष्य का दन्त सूत्र (Dental Formula of Man)
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 3

i = कृन्तक दन्त (incisors), c = भेदक दन्त (canine)
pm = अग्र चवर्णक दन्त (premolars), m = चवर्णक दन्त (molars) ।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रश्न 7.
पित्त रस में कोई पाचक एन्जाइम नहीं होते, फिर भी यह पाचन के लिये महत्वपूर्ण है, क्यों ?
उत्तर:
पित्तरस की पाचन में भूमिका (Role of Bile Juice in Digestion) – यकृत (liver) एक महत्वपूर्ण पाचक ग्रन्थि (digestive gland) है। इससे पित्त रस का स्त्रावण होता है। इसमें कोई एन्जाइम नहीं होते। यह हरे रंग का क्षारीय तरल होता है। इसमें पित्त लवण, पित रंग, कोलेस्ट्रॉल और लेसीथिन आदि उपस्थित होते हैं। यह आमाशय (stomach) से आई अम्लीय लुग्दी-काइम (chyme) को पतली क्षारीय काइल (chyle) में परिवर्तित करता है जिससे अग्न्याशयी एन्जाइम्स (pancreatic enzymes) इस पर क्रिया करके भोजन का पाचन कर सकें। यह वसा का इमल्सीकरण करता है। इमल्सीकृत वसा का लाइपेज एन्जाइम (lipase enzyme) द्वारा आसानी से पाचन हो जाता कार्बनिक लवण (पित्त लवण) वसा के पाचन में सहायता करते हैं।
पित्त (bile) हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके भोजन को ग्रहणी में सड़ने से बचाता है ।

प्रश्न 8.
पाचन में काइमोट्रिप्सिन की भूमिका वर्णित कीजिये। जिस ग्रन्थि से यह स्रावित होता है, इसी श्रेणी के दो अन्य एन्जाइम कौन से हैं ?
उत्तर:
पाचन में काइमोट्रिप्सिन की भूमिका (Role of Chymotrypsin in Digestion)
काइमोट्रिप्सन (chymotrypsin) अग्न्याशय (pancreas) से स्त्रावित होने वाला प्रोटीन पाचक एन्जाइम है। यह निष्क्रिय अवस्था में काइमोट्रिप्सिनोजन (Chymotrypsinogen) के रूप में स्रावित होता है। यह आन्त्रीय रस में उपस्थित एन्टेरोकाइनेज (enterokinase) एन्जाइम की उपस्थिति में सक्रिय काइमोट्रिप्सिन (chymotripsin) में परिवर्तित हो जाता है।
यह प्रोटीन को पॉलीपेप्टाइड एवं पेप्टोन में बदल देता है।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 4
अग्न्याशय से अन्य स्त्रावित होने वाले प्रोटीन पाचक एन्जाइम निम्नलिखित हैं-
1. ट्रिप्सिनोजन (Trypsinogen),
2. कार्बोक्सीपेप्टिडेज (Carboxypeptidase) ।

प्रश्न 9.
पॉलीसेकेराइड और डाइसैकेराइड का पाचन कैसे होता है ?
उत्तर:
पॉलीसेकेराइड और डाइसैकेराइड का पाचन (Digestion of Polysaccharides & Disaccharides) कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन मुखगुहा से ही प्रारम्भ हो जाता है। भोजन में लार (saliva) मिल जाती है। लार का pH मान 6-8 होता है । यह मुखगुहा आये भोजन को चिकना व निगलने योग्य बना देती है। लार में टायलिन (Ptyalin) नामक एन्जाइम होता है जो मण्ड या स्टार्च (पॉलीसेकेराइड) को माल्टोज (डाइसैकेराइड) में परिवर्तित कर देता है।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 5
आमाशय में कार्बोहाइड्रेट का पाचन नहीं होता है। अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) में एमाइलेज ( amylase) एन्जाइम होता है, जो स्टार्च (पॉलीसेकेराइड) को माल्टोज (डाइसैकेराइड) में परिवर्तित करता है।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 6
छोटी आँत में आत्रीय रस (intestinal juice) में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट पाचक एन्जाइम निम्नवत् इसके पाचन में सहायक है-
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 7
माल्टोज, लैक्टोज एवं सुक्रोज तीनों ही डाइसैकेराइड्स हैं।

प्रश्न 10.
यदि आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का स्त्राव नहीं होगा तो तब क्या होगा ?
उत्तर:
आमाशय की जठर ग्रन्थियों की आक्सिन्टिक कोशिकाओं (oxyntic cells) से हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) स्त्रावित होता है। यह आमाशय में भोजन को सड़ने से बचाता है और जठर मन्थियों से स्रावित निष्क्रिय एन्जाइम को सक्रिय बनाता है। भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाता है। HCl के अभाव में निम्नलिखित क्रियाएँ होंगी-
1. भोजन का माध्यम अम्लीय न होने से जठर रस के एन्जाइम पेप्सिनोजन और प्रोरेनिन निष्क्रिय बने रहेंगे और प्रोटीन का पाचन नहीं हो सकेंगा।
2. भोजन में उपस्थित कैल्सियम युक्त कठोर भागों का पाचन नहीं हो सकेगा ।
3. टायलिन द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स का पाचन होता रहेगा।
4. भोजन में उपस्थित न्यूक्लिक अम्लों का अपघटन नहीं होगा।

प्रश्न 11.
आपके द्वारा खाए गये मक्खन का पाचन और उसका शरीर में अवशोषण कैसे होता है ? विस्तार से वर्णन करें
उत्तर:
मक्खन इमल्सीकृत वसा (emulsified fat) है। इसका पाचन आमाशय (stomach) से शुरू हो जाता है। कुछ मात्रा में वसा का पाचन गैस्ट्रिक लाइपेज (gastric lipase) द्वारा वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में हो जाता है। ग्रहणी तथा आँत में लाइपेज एन्जाइम द्वारा वसा का पाचन होता है जिसके फलस्वरूप अन्ततः वसीय अम्ल और ग्लिसरॉल बनते हैं।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 8
इनका अवशोषण छोटी आँत में लसीका कोशिकाओं (lymph cells) द्वारा होता है। अवशोषित वसीय अम्ल, ग्लिसरॉल तथा फॉस्फेट मिलकर वसा बिन्दुक मिसेल (micelles) या काइलोमाइक्रोन्स (chylomicrons) का निर्माण करते हैं। लसीका वाहिनियों (lymph vessels) अन्ततः रुधिर वाहिनियों से मिल जाती हैं, जिससे मिसेल या काइलोमाइक्रोन्स रुधिर में पहुँच जाते हैं।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

प्रश्न 12.
आहारनाल के विभिन्न भागों में प्रोटीन के पाचन के मुख्य चरणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आहारनाल के विभिन्न भागों में प्रोटीन का पाचन
(1) आमाशय में पाचन (Digestion in Stomach) – आमाशय के जठर रस (gastric juice) में प्रोटीन पाचक, एन्जाइम निष्क्रिय पेप्सिनोजन तथा प्रोरेनिन (pepsinogen and prorennin) होते हैं। ये हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) की उपस्थिति में सक्रिय पेप्सिन (pepsin) तथा रेनिन ( ranin) में बदल जाते हैं, पेप्सिन भोजन की प्रोटीन को अपघटित करके पेप्टोन्स एवं पॉलीपेप्टाइड्स (peptones and polypeptides) में बदल देता है।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 9
(2) ग्रहणी में पाचन (Digestion in Duodenum) – अग्न्याशयिक रस के निष्क्रिय ट्रिप्सिनोजन तथा काइमाट्रिप्सिनोजन (trypsinogen and chymotrypsinogen) आन्त्रीय रस में उपस्थित एण्टेरोकाइनेज ट्रिप्सिनोजन को सक्रिय ट्रिप्सिन (trypsin) में तथा ट्रिप्सिन काइमोट्रिप्सिनोजन को सक्रिय काइमोट्रिप्सिन में परिवर्तित कर देता है ।

(3) क्षुद्रान्त्र में पाचन (Digestion in small intestine ) – आन्त्रीय रस में इरेप्सिन (erepsin) एन्जाइम का समूह होता है। इसमें एमीनोपेप्टिडेज (aminopeptidase), डाइपेप्टिडेज ( dipeptidase) तथा ट्राइपेप्टिडेज (tripeptidase) होते हैं। ये तीनों ही एन्जाइम क्रमशः पॉलीपेप्टाइट्स, डाइपेप्टाइड्स तथा ट्राइपेप्टाइड्स को अमीनो अम्लों (amino acids) में परिवर्तित कर देते हैं।
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 11

इस प्रकार प्रोटीन के पूर्ण पाचन हो जाने पर सरल घुलनशील अमीनो अम्ल ( amino acids) प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 13.
गर्तदन्ती (Thocodont) और द्विबारदन्ती (Diphyodont) शब्दों की व्याख्या कीजिये ।
उत्तर:
गर्लदन्ती (Thocodont) – ये दाँत अस्थियों के अन्दर गड्ढे में स्थित होते हैं। गड्ढे में दाँत घने तन्तुओं से बने परिदन्तीय स्नायु और मसूड़े (gum) द्वारा सधे रहते हैं। ऐसे दाँतों को गर्तदन्ती या थांकोडॉन्ट कहते हैं। द्विवारदन्ती (Diphyodont) – मनुष्य सहित अधिकांश स्तनियों में दाँत जीवन में दो बार निकलते हैं। पहली बार अस्थायी दूध के दाँत या क्षीर दन्तों (milk teeth) के रूप में निकलते हैं। इनके गिरने के बाद स्थायी दाँत (permanent teeth) निकलते हैं। इस प्रकार के दाँतों को द्विवारदन्ती या डाइफायोडॉन्ट कहते हैं।

प्रश्न 14.
विभिन्न प्रकार के दाँतों के नाम और एक वयस्क मनुष्य में दाँतों की संख्या बताइए।
उत्तर:
मनुष्य ‘में चार प्रकार के दाँत पाये जाते हैं।
(1) कृन्तक दन्त या छेदक दन्त (इनसाइजर्स – Incisors) – ये दाँत तेज धार वाले छैनी जैसे चौड़े होते हैं तथा भोजन को पकड़ने, काटने या कुतरने का कार्य करते हैं। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 4 होती है।
(2) भेदक या रदनक दन्त ( कैनाइन्स – Canines) – ये नुकीले होते हैं और भोजन को चीरने फाड़ने का कार्य करते हैं। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 2 होती है।
(3) अग्रचर्वणक दन्त (प्रीमोलर्स – Premolars) – ये किनारे पर चपटे, चौकोर व रेखादार होते हैं। इनका कार्य भोजन को कुचलना है। प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 4 होती है।
(4) चर्वणक दन्त (मोलर्स – Molars) – इनके सिरे चौरस व तेज धार युक्त होते हैं। इनक मुख्य कार्य भोजन को पीसना ( grinding ) है । प्रत्येक जबड़े में इनकी संख्या 6 होती है।
इस प्रकार वयस्क मनुष्य में 8 कृन्तक, 4 भेदक, 8 अग्रचर्वणक एवं 12 चर्वणक दन्त होते हैं। वयस्क ( adult) मनुष्य का दन्त सूत्र निम्नवत् है-
HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण 12

प्रश्न 15.
यकृत के क्या कार्य हैं ?
उत्तर:
यकृत के कार्य (Functions of Liver)
पाचन क्रिया में यकृत की भूमिका (Role of liver in the process of digestion)
यकृत एक महत्वपूर्ण पाचन ग्रन्थि ( digestive gland) है। यह अप्रवत् क्रिया में सहायक होती है-
(1) पित्त रस (Bile juice) का स्त्रावण करना – पित्त रस का स्त्रावण करना यकृत का प्रमुख कार्य है। यह हरे रंग का क्षारीय तरल (alkali fluid) होता है। इनमें पित्त लवण (bile salts), पित्त रंगा (bile pigments), कोलेस्टरॉल (cholesterol), लैसीथिन (lecithin) आदि पदार्थ होते हैं। यद्यपि इसमें पाचक एन्जाइम्स नहीं होते हैं, फिर भी यह वसा पाचन में महत्वपूर्ण भाग लेता है तथा इसका इमल्सीकरण (emulsification) करता है। यह भोजन को सड़ने से रोकता है और उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं (bacteria) को नष्ट करता है। क्षारीय होने के कारण यह भोजन के अम्लीय माध्यम को क्षारीय बनाता है तभी आन्त्र में काइम (chyme) पर अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) की प्रतिक्रियाएँ सम्भव हो पाती हैं। यह आहारनाल में क्रमाकुंचन गति को भी उद्दीप्त करता है।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

(2) ग्लाइकोजेनेसिस (Glycogenesis ) – आमाशय एवं आन्त्र में पचे भोज्य पदार्थों को यकृत निवाहिका शिरा (hepatic portal vein) यकृत में लाती हैं। यकृत कोशिकाएँ इससे आवश्यकता से अधिक शर्करा को अवशोषित करके उसे ग्लाइकोजन (glycogen) में बदलकर इसका संग्रह कर लेती है। इस क्रिया को ग्लाइकोजेनेसिस कहते हैं।

(3) ग्लोकोजिनोलिसिस (Glycogenolysis) – रुधिर में शर्करा की कमी पड़ जाने पर यकृत कोशिकाएँ संगृहीत ग्लाइकोजन (glycogen) को पुनः शर्करा में परिवर्तित करके रुधिर में मुक्त कर देती हैं। इस क्रिया को ग्लाइकोजिनोलिसिस (glycogenolysis) कहते हैं।

(4) ग्लूको नियोजेनिसिस (Gluconeogenesis ) – आवश्यकता पड़ने पर यकृत कोशिकाएँ अमीनो अम्लों, वसीय अम्लों तथा ग्लिसरॉल आदि अन्य पदार्थों से भी ग्लूकोज का संश्लेषण कर लेती हैं। इस क्रिया को ग्लूकोनियोजेनिसिस कहते हैं ।

(5) वसा (Fat) का संचय – यकृत कोशिकाएँ वसा के उपापचय (fat metabolism) में भी महत्वपूर्ण भाग लेती हैं और वसा का संचय भी करती हैं।

(6) एन्जाइम्स (Enzymes) का स्त्रावण करना-यकृत कोशिकाएँ प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट आदि के उपापचय हेतु कुछ एन्जाइम का स्राव भी करती हैं।

(7) विटामिन्स (Vitamins) का संचय – यकृत कोशिकाएँ विटामिन ‘ का संश्लेषण करके इसका तथा विटामिन ‘D’ व ‘B12‘ का संचय करती हैं।

यकृत के अन्य महत्वपूर्ण कार्य – इसके निम्नलिखित कार्य हैं-
(1) डीऐमीनेशन (Deamination ) – यकृत कोशिकाएँ आवश्यकता से अधिक अमीनो अम्लों (amino acid) को रुधिर से लेकर इन्हें पाइरुविक अम्ल (pyruvic acid) तथा अमोनिया में विखण्डित कर देती हैं। इस क्रिया को अमीनो अम्लों का डीऐमीनेशन (deamination) कहते हैं। पाइरुविक अम्ल का उपयोग ऊर्जा उत्पादन में या ग्लूकोनियोजेनिसिस के अन्तर्गत ग्लूकोज संश्लेषण में होता है।
(2) यूरिया का संश्लेषण (Synthesis of Urea ) – डीऐमीनेशन तथा प्रोटीन उपापचय में बनी अमोनिया को यकृत कोशिकाएँ CO2 को मिलाकर यूरिएज एन्जाइम की सहायता से यूरिया (urea) का संश्लेषण करती हैं। वृक्क इस यूरिया को रुधिर से ग्रहण करके मूत्र (urine ) के साथ इसका उत्सर्जन करते हैं। 2NH3 + CO2 → CO (NH2 ) 2 + H2 O

(3) उत्सर्जी पदार्थों का निष्कासन – कुछ उत्सर्जी पदार्थ पित्त (bile) में मिलकर महणी में पहुँचते हैं और फिर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 16 पाचन एवं अवशोषण

(4) विषाक्त पदार्थों का विषहरण (Detoxification) – आन्त्र में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न विषैले पदार्थ यकृत निवाहिका शिरा द्वारा यकृत में पहुँचते हैं तो यकृत कोशिकाएँ इन्हें नष्ट या निष्क्रिय करके हानिरहित पदार्थ में परिवर्तित कर देती हैं।

(5) रुधिराणुओं का निर्माण एवं विखण्डन- भ्रूणावस्था में यकृत में लाल रुधिराणुओं (RBCs) का निर्माण होता है। किन्तु वयस्क अवस्था में यकृत की कुफ्फर कोशिकाएँ (Kuffer cells) निष्क्रिय एवं मृत लाल रुधिराणुओं को विखण्डित कर देती हैं जो पित्त (bile) के साथ ग्रहणी में पहुँचकर मल के साथ बाहर निकल जाती हैं।

(6) अकार्बनिक पदार्थों का संग्रहण – यकृत कोशिकाएँ लौह, ताँबा आदि अकार्बनिक पदार्थों का संग्रह करते हैं।

(7) रुधिर – प्रोटीन का संश्लेषण – यकृत कोशिकाएँ प्रोथॉम्बिन (Prothrombin) तथा फाइब्रिनोजन (Fibrinogen) नामक रुधिर प्रोटीन्स का संश्लेषण करती हैं, जो चोट लगने पर बहते रुधिर का थक्का (clot) जमाने का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं।

(8) हिपैरिन (Heparin) का स्रावण – यकृत कोशिकाएँ हिपैरिन (heparin) का स्त्रावण करती हैं जो रुधिर वाहिनियों में रुधिर को जमने से रोकता है।

(9) जीवाणुओं का भक्षण-रुधिर में उपस्थित हानिकारक जीवाणुओं को यकृत कोशिकाएँ भक्षण करके नष्ट कर देती हैं।

(10) लसिका उत्पादन एवं संचय – यकृत में लसिका (lymph) निर्माण होता है तथा इसमें उपस्थित रुधिर पात्र (blood sinosoids) रुधिर संचय का कार्य करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *