Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Solutions Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Biology Solutions Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण
प्रश्न 1.
एक पौधे को बाहर से देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4 ? कैसे और क्यों ?
उत्तर:
C3 पौधे प्रायः समशीतोष्ण जलवायु में उगते हैं। इनमें CO2 का उपयोग करने की क्षमता कम होती है। ये वायुमण्डल में CO2 की मात्रा के 50 ppm से अधिक होने पर ही इसका उपयोग कर पाते हैं। C3 पौधों के लिए उपयुक्त तापमान लगभग 20-25°C होता है। इनमें प्रकाश श्वसन (Photorespiration) होने के कारण ऊर्जा की क्षति होने की सम्भावना होती है।
ये पौधे जल वाष्पित करतेहैं तथा इनकी उत्पादकता (Productivity) कम होती हैं। अधिकांशत: जालिकावत् शिराविन्यास (Reticulate venation) वाले C3 पौधे होते हैं और इनकी पत्तियाँ भी प्रायः चौड़ी होती हैं। भी C पौधे शुष्क उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन पौधों में क्रॉन्ज प्रकार की शारीरिकी (Kranz anatomy) पायी जाती है।
ये पौधे उच्च ताप को सह सकते हैं। इन पौधों के लिए उपयुक्त तापमान 30-35°C होता है। ये वायुमण्डल में CO2 की कम मात्रा (10 ppm ) होने पर भी प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं। इनमें प्रकाश श्वसन न होने के कारण ऊर्जा क्षति कम होती है। ये अधिक उत्पादकता (Productivity) वाले पौधे होते हैं। प्रायः एक बीजपत्री, सँकरी पत्ती वाले पौधे C4 होते हैं।
प्रश्न 2.
एक पौधे की आंतरिक संरचना को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4 ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पत्तियों की आंतरिक संरचना के आधार पर C3 तथा C4 पौधों को अलग-अलग विभेदित किया जा सकता है। C4 पौधों की पत्तियों की आन्तरिक संरचना या शारीरिकी (Anatomy) क्रॉन्ज प्रकार (Kranz type) की होती है। क्रॉन्ज जर्मन भाषा का शब्द है, इसका अर्थ है माला या छल्ला ।
अर्थात् इन पौधों की पत्तियों में पर्णमध्योतक (Mesophyll tissue) खम्भ ऊतक (Palisade) तथा स्पंजी ऊतक (Spongy tissue) में विभेदित नहीं होता। संवहन बण्डल (Vascular bundles ) के चारों ओर पूलाच्छद कोशिकाएँ (Bundle sheath cells) पायी जाती हैं। ये कोशिकाएँ बड़ी तथा इनमें बड़े-बड़े हरितलवक ( Chloroplast) होते हैं किन्तु इनमें ग्रेना कम विकसित होते हैं या अनुपस्थित होते हैं।
जबकि पर्णमध्योतक कोशिकाओं में हरित लवक छोटे होते हैं किन्तु इनमें प्रेना ( Grana) अधिक विकसित होते हैं। अतः C4 पौधों की पत्तियों में द्विरूपी हरित लवक होते हैं। इनकी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में वर्णक तंत्र II का अभाव होता है। C3 पौधों की पत्तियों की आन्तरिक संरचना C4 पौधों से भिन्न होती है।
इनमें पत्ती का पर्णमध्योतक पैलिसेड तथा स्पंजी मृदूतक (Palisade and Spongy Parenchyma ) में विभेदित होता है। इनमें पूलाच्छद का अभाव होता है। इनकी सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के हरित लवक पाए जाते हैं। इनमें प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दोनों वर्णक तंत्र पाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
हालांकि C4 पौधे में बहुत कम कोशिकाएँ जैव-संश्लेषण केल्विन पथ को वहन करती हैं, फिर भी वे उच्च उत्पादकता वाले होते हैं। क्या इस पर चर्चा कर सकते हैं कि ऐसा क्यों है ?
उत्तर:
C3 एवं C4 दोनों प्रकार के पौधों में कैल्विन पथ (Calvin Pathway) समान रूप से पाया जाता है। C3 पौध अधिक CO2 सान्द्रता पर ही प्रकाश संश्लेषण कर पाते हैं, जबकि C4 पौधे कम CO2 सान्द्रता पर प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं। अतः C3 पौधों को C4 पौधों की अपेक्षा कम CO2 उपलब्ध हो पाती है। C3 पौधों के लिए CO2 सान्द्रता सीमाकारी कारक (Limiting factor ) का कार्य करती हैं ।
C4 पौधों में कैल्विन चक्र (या C3 चक्र) केवल पूलाच्छद कोशिकाओं (Bundle sheath cells) में पाया जाता है। इनकी पर्णमध्योतक कोशिकाओं (mesophyll cells) में केल्विन चक्र नहीं पाया जाता है। इन कोशिकाओं में केवल हैच- स्लेक चक्र (या C4) चक्र ही सम्भव होता है। C3 पौधों में कुछ ऑक्सीजन रुबिस्को (RuBISCO) से बंधित हो जाने से CO2 का यौगिकीकरण (Carbon dioxide assimilation) कम हो जाता है यहाँ रिबुलोज बाई फॉस्फेट ( RUBP) 3- फास्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) के अणुओं में बदलने की अपेक्षा ऑक्सीजन से संयोग करके फॉस्फोग्लाइकोलेट (Phosphoglycolate) बनाते हैं।
इसे प्रकाश श्वसन (Photorespiration) कहते हैं। इसमें शर्करा एवं ATP का निर्माण नहीं होता है। अतः यह एक निरर्थक प्रक्रिया होती है। C4 पौधों में प्रकाश श्वसन न होने के कारण जैवभार अधिक उत्पन्न होता है। अतः ये उच्च उत्पादकता (High productivity) वाले होते हैं। पौधों हैं।
प्रश्न 4.
रुबिस्को (RuBISCO) एक एन्जाइम है जो कार्बोक्सिलेस और ऑक्सीजिनेज के रूप में काम करता है। आप ऐसा क्यों मानते हैं कि C4 में, रुबिस्को अधिक मात्रा में कार्बोक्सिलेशन करता है ?
उत्तर:
रुबिस्को (RuBISCO) संसार में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन विकर है। यह CO2 तथा O2 दोनों से बन्धित हो सकता है किन्तु इसमें (O2 की अपेक्षा CO4 से अधिक बन्धुता होती है। लेकिन यह बन्धुता O2 तथा CO2 की सापेक्ष सान्द्रता पर निर्भर करती है। रुबिस्को केल्विन चक्र में CO2 तथा RuBP की क्रिया को उत्प्रेरित करता है जिसके फलस्वरूप 3- फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3- Phospho glyceric acid) दो अणु बनते हैं।
C3 पादपों में कुछ O2 रुबिस्को (RuBISCO) से बन्धित हो जाती है जिससे CO2 का स्थिरीकरण कम हो जाता है। क्योंकि रुबिस्को O2 से बन्धित होकर फॉस्फोग्लाइकोलेट ( Phosphoglycolate) अणु बनाता है। इस प्रक्रिया को प्रकाश श्वसन कहते हैं। इसमें शर्करा का निर्माण नहीं होता हैं और न ही ATP के रूप में ऊर्जा संचित होती है।
C3 पौधों के विपरीत C4 पौधों में प्रकाश श्वसन नहीं होता है। C4 पौधों की पत्तियों के पर्णमध्योतक (Mesophyll) की कोशिकाओं में उपस्थित मैलिक अम्ल पूलाच्छद कोशिकाओं के अन्दर पाइरुविक अम्ल तथा CO2 में टूट जाता है। जिसमें पूलाच्छद कोशिकाओं ( Bundile sheath cells) में CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है और रुबिस्को एक कार्बोक्सिलेज के रूप में ही कार्य करता है। फलस्वरूप यहाँ शर्करा की उत्पादकता बढ़ जाती है। यहाँ रुबिस्को ऑक्सीजिनेज (Oxygenase) का कार्य नहीं करता है।
प्रश्न 5.
मान लीजिए यहाँ पर क्लोरोफिल ‘बी’ की उच्च सान्द्रता युक्त, मगर क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पेड़ थे। क्या ये प्रकाश संश्लेषण करते होंगे ? तब पौधों में क्लोरोफिल ‘बी’ क्यों होता है और फिर दूसरे गौण वर्णकों की क्या जरूरत है ?
उत्तर:
क्लोरोफिल ‘बी’ (Chlorophyll-B), जैन्थोफिल (Xanthophyll) तथा कैरोटीन (Carotin) सहायक वर्णक होते हैं। ये प्रकाश की विभिन्न तरंगों को अवशोषित करके क्लोरोफिल ‘ए’ (chi-a) को स्थानान्तरित करते हैं। वास्तव में ये वर्णक प्रकाश संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंगदैर्ध्य के क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य करते हैं तथा क्लोरोफिल को प्रकाश- ऑक्सीकरण (Photo-oxidation) से बचाते हैं क्लोरोफिल ‘ए’ प्रकाश संश्लेषण में भाग लेने वाला मुख्य वर्णक है। अतः क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा ।
प्रश्न 6.
यदि पत्ती को अंधेरे में रख दिया गया हो तो उसका रंग क्रमशः पीला एवं हरा पीला हो जाता है ? कौन-से वर्णक आपकी सोच में अधिक स्थाई हैं ?
उत्तर:
पौधों का हरा रंग हरित लवक (Chloroplast) की उपस्थिति के कारण होता है। हरित लवक की उपस्थिति में ही ये पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं। पौधों के अप्रकाशित भागों में अवर्णी लवक (Leucoplast) तथा रंगीन भागों में वर्णी लवक (Chromoplast) पाया जाता है। ये तीनों प्रकार के लवक एक-दूसरे में परिवर्तित हो सकते हैं।
हरित लवक की ग्रेना पटलिकाओं (Granea lamellae) में पर्णहरित (Chlorophyll), कैरोटिनॉइड्स (Carotenoids) पाए जाते हैं। कैरोटिनॉइड दो प्रकार के होते हैं- जैन्थोफिल ( Xanthophyll) तथा कैरोटीन (Carotene)। ये क्रमशः पीले एवं नारंगी वर्णक होते हैं। पर्णहरित के निर्माण के लिए प्रकाश की उपस्थिति अनिवार्य होती है।
पौधे को अन्धकार में रखने से हरित लवक की मात्रा घटने लगती है और प्रकाश संश्लेषण क्रिया भी बन्द हो जाती है। पौधे में संचित भोज्य पदार्थ समाप्त हो जाते हैं। इसके कारण पत्तियों के पर्णहरित का विघटन हो जाता है। अब पत्तियों में कैरोटिनाइड्स के उपस्थित रहने के कारण ये हरी-पीली दिखाई देती हैं। कैरोटिनाइड्स पर्णहरित की तुलना में अधिक स्थाई होते हैं ।
प्रश्न 7.
एक ही पौधे की पत्ती का छाया वाला (उल्टा) भाग देखें और उसके चमक वाले (सीधे) भाग से तुलना करें अथवा गमले में लगे धूप में रखे हुए तथा छाया में रखे हुए पौधों के बीच तुलना करें। कौन-सा गहरे हरे रंग का होता है और क्यों ?
उत्तर:
पृष्ठाधारी (Dorsiventral) पत्तियों में पृष्ठ सतह (सीधी) अधिक गहरे रंग की एवं चमकीली दिखाई देती है। ऐसी पत्तियों में पृष्ठ सतह की बाह्य त्वचा के नीचे खम्भ ऊतक (Palisade tissue) पाया जाता है जिसमें हरित लवक अधिक मात्रा में होने के कारण अधिक गहरे रंग की होती है । बाह्य त्वचा पर मोटी उपत्वचा (Cuticle) होने के कारण यह चमकीली दिखाई देती है।
इसके विपरीत पत्ती की अधर सतह की बाह्य त्वचा पर पतली क्यूटिकल तथा बाह्य त्वचा के अन्दर की ओर स्पंजी ऊतक पाया जाता है जिसमें हरित लवक अपेक्षाकृत कम होता है। इसलिए यह सतह हल्के रंग की दिखाई देती है। धूप में रखे गमले में लगे पौधे में छाया में रखे पौधे की तुलना में पत्तियों में अधिक हरित लवक होता है जिससे धूप वाली पत्तियाँ अधिक गहरी हरी दिखाई देती हैं।
प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण की दर पर प्रकाश का प्रभाव पड़ता है। ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(अ) वक्र के किस बिन्दु अथवा बिन्दुओं पर (क, ख अथवा ग) प्रकाश एक नियामक कारक है ?
(ब) क बिन्दु पर नियामक कारक कौन-से हैं ?
(स) वक्र में ‘ग’ और ‘घ’ क्या निरूपित करता है ?
उत्तर:
(अ) प्रकाश की तीव्रता तथा गुणवत्ता प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करती है। उच्च प्रकाश तीव्रता प्रकाश नियामक नहीं होती क्योंकि अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। कम प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश एक नियामक कारक बिन्दु ‘क’ पर होता है।
(ब) बिन्दु ‘क’ पर प्रकाश नियामक कारक होता है।
(स) वक्र में ग बिन्दु प्रकाश संतृप्तता को प्रदर्शित करता है। इस बिन्दु पर प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर भी प्रकाश संश्लेषण की दर नहीं बढ़ती है। घ बिन्दु पर प्रकाश की तीव्रता सीमाकारक (Limiting factor) हो सकती है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित की तुलना कीजिए-
(अ) C3 एवं C4 पथ
(ब) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेसन
(स) C3 एवं C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी ।
उत्तर:
(अ) C3 तथा C4 पथ में अन्तर (Difference between C3 and C4 Pathway)
C3 पथ | C4 पथ |
1. यह C3 पौधों की पत्तियों में पाया जाता है। | 1. यह C3 पौधों की पत्तियों में पाया जाता है। |
2. इसमें CO2 का स्थिरीकरण एक बार में होता है। | 2. इसमें CO2 का स्थिरीकरण दो बार में होता है। पर्णमध्योतक कोशिकाओं (Mesophyll cells) में तथा पूलाच्छद कोशिकाओं (Bundle sheath cells) में। |
3. इसमें RuBP, CO2 ग्राही का कार्य करता है। | 3. इसमें PEP (Phosphoenol pyruvic acid) CO2 माही का कार्य करता है। |
4. CO2 स्थिरीकरण के फलस्वरूप बनने वाला प्रथम स्थाई उत्पाद 3C वाला पदार्थ 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (3-PGA) होता है। | 4. CO2 स्थिरीकरण के फलस्वरूप बनने वाला प्रथम स्थाई उत्पाद 4C वाला पदार्थ ऑक्सेलोऐसीटिक अम्ल (OAA) होता है। |
5. इसमें कम मात्रा में वायुमण्डलीय CO2 ग्रहण की जाती है। | 5. इसमें अधिक मात्रा में वायुमण्डलीय CO2 ग्रहण की जाती है। |
6. इसके लिए उपयुक्त तापक्रम 20-25° C होता है। | 6. इसके लिए उपयुक्त ताप 30-45° C होता है। |
7. संतुलन तीव्रता बिन्दु (Compensation point ) CO2 की कम सान्द्रता (50-100 ppm) पर होता है। | 7. संतुलन तीव्रता बिन्दु CO2की कम सान्द्रता (0-10 ppm) पर होता है |
8. इनमें प्रकाश श्वसन के फलस्वरूप (Phosphoglycolate) बनता है। | 8. इनमें प्रकाश श्वसन नहीं होता है। |
9. इसमें RuBISCO2 एंजाइम भाग लेता है। | 9. इसमें PEP-कार्बोक्सीलेज (Pep-carboxylase) एंजाइम होता है । |
10. फॉस्फोग्लाइकोलेट इसमें O2 प्रकाश संश्लेषण के लिए अवरोधक का कार्य करती है। | 10. O2 का अवरोधक प्रभाव नहीं होता। |
11. इसकी उत्पादकता कम होती है। | 11. इसकी उत्पादकता अधिक होती है। |
उदाहरण- आलू, टमाटर आदि । | उदाहरण- मक्का, गन्ना आदि। |
(ब) चक्रीय तथा अचक्रीय फोटोफोस्फोरिलेशन में अंतर (Difference Between Cyclic and Non-cyclicPhotophosphorylation)
चक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन | अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन |
1. इसमें इलेक्ट्रॉनों का पथ चक्रीय (Cyclic) होता है । | इसमें इलेक्ट्रॉनों का पथ अचक्रीय (Non-cyclic) होता है। |
2. इसमें P700 अन्तिम इलेक्ट्रॉन प्राही है। P700 से इलेक्ट्रॉन चलकर पुनः इसी में आ जाते हैं। | NADP अन्तिम इलेक्ट्रॉन ग्राही है। P680 से चलकर इलेक्ट्रॉन पुन: इसमें नहीं लौटते हैं। |
3. इसमें केवल प्रकाश कर्म-1 ही होता है। | इसमें प्रकाश कर्म – I तथा II दोनों भाग लेते हैं । |
4. जल का प्रकाश अपघटन नहीं होता। | जल का प्रकाश अपघटन होता है। |
5. ऑक्सीजन नहीं निकलती। | ऑक्सीजन निकलती है। |
6. NADPH2 का निर्माण नहीं होता। केवल ATP का निर्माण होता है। | NADPH2 तथा ATP दोनों बनते हैं। |
7. फेरीडॉक्सिन से इलेक्ट्रॉनों के सायटोक्रोम bo – f कॉम्प्लैक्स (Cyt. bo – f complex) में आने पर ATP बनता है। | प्लास्टोक्विनोन से इलेक्ट्रॉन के साइटोक्रोम bo – f कॉम्प्लैक्स (Cyt-b6-f complex) पर आने पर ATP मुक्त होता है। |
(स) C3 तथा C4 पादपों की शारीरिकी में अन्तर (Difference between the Anatomy of C3 and C4 Plants)
C3 पौधों की शारीरिकी | C4 पौधों की शारीरिकी |
1. पत्तियों में क्रॉन्ज शारीरिकी (Kranz Anatomy ) नहीं पायी जाती है। | पत्तियों में क्रॉन्ज शारीरिकी पायी जाती है। |
2. पत्तियों का पूर्ण मध्योतक (Mesophyll) पैलीसेड कोशिकाओं एवं स्पंजी शकाओं (Spongy cells) में विभेदित होता | पर्ण मध्योतक में केवल एक ही प्रकार की कोशिकाएँ पायी जाती हैं। |
3. संवहन पूल के चारों ओर पूलाच्छद ( Bundle sheath) नहीं पायी जाती है। | पूलाच्छद (Bundle sheath) पायी जाती है। |
4. सभी कोशिकाओं में हरितलवक (Chloroplast) एक ही प्रकार के होते हैं और इनमें दोनों वर्णक तन्त्र उपस्थित होते हैं। | हरित लवक बहुरूपी ( Polymorphic) होते हैं। पूलाच्छद कोशिकाओं में बड़े तथा पर्णमध्योतक कोशिकाओं में छोटे होते हैं। एक ही वर्णक तन्त्र (Pigment system) उपस्थित होता है। |