Author name: Bhagya

HBSE 9th Class Science Notes Chapter 1 Matter in Our Surroundings

Haryana State Board HBSE 9th Class Science Notes Chapter 1 Matter in Our Surroundings Notes.

Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 1 Matter in Our Surroundings

→ Materials found around us have different sizes, shapes and forms.

→ Matter is a substance that possesses mass and occupies space.

→ The ancient philosophers of India have classified matter mainly into five basic elements viz. air, earth, fire, water and sky (which are said to be ‘Panch Tatvas’).

→ The modem scientists have classified matter on the basis of its physical properties and chemical nature.

→ The particles of a matter have presumably sufficient space in them.

→ The purity of honey can be tested merely by pouring down just a drop of it into a glass of water as if honey falls in form of a colour line, then it is supposed to be pure.

→ The particles in the matter do always remain in motion continuously i.e., they do have kinetic energy in them.

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→ The kinetic energy of the particles speeds up with the increase in temperature.

→ The particles of matter attract one another, but the capability of force of cohesion is different in every material.

→ Matter exists in three different states namely solid, liquid and gas.

→ Solids are fully incompressible, of definite shapes and fixed volume.

→ The particles of solids have the ability to rotate about accordingly to their mean positions.

→ The solids do not have the property to lose their indentity while intermixing into other solid materials.

→ Liquids are comparatively compressible to solids. They have fixed volume, but no definite shape.

→ Gases diffuse up and dissolve into water. Due to this property of them the aquatic plants and animals sustain life in water.

→ The aquatic living beings are able to breathe in water because of the dissolved oxygen in water.

→ In liquids, there is complete possibility of solubility of solids, liquids and gases.

→ There is comparatively more mixing-rate in liquids than that of solids, since in liquid state the particles have maximum space in them and they can freely move about.

→ In comparison to solids and liquids, gases are more compressible.

→ Due to random speed and maximum space, gases mix up with other gases more quickly.

→ In order to convert the degree of temperature from kelvin into Celsius, 273 should be subtracted from the given temperature and to convert from Celsius into kelvin the given temperature should be added to 273.

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→ The melting point of a solid indicates the ability of force of cohesion between its particles.

→ At 0°C, the energy of the particles of water use to be more at the similar temperature than that of the energy of the particles of ice.

→ The boiling point of water is 373 K (100°C).

→ By changing in temperature we can convert matter from one state into another.

→ With the increase in pressure and decrease in temperature, gas can be converted into liquid.

→ Camphor and ammonium chloride are volatile substances.

→ Increase in the level-region, increases the rate of vaporisation.

→ With an increase in temperature, the rate of vaporisation rises.

→ Due to vaporisation, cooling occurs.

→ Diffusion: Intermixing of particles of two different materials by themselves is called diffusion.

→ LPG: By compressing butane at high pressure the fuel-gas used in the kitchen to cook is called Liquefied Petroleum Gas (LPG).

→ CNG: The natural gas after treating it with high pressure and such treated gas which is used in vehicles in the form of fuel is called as Compressed Natural Gas (CNG).

→ Density: The mass per unit volume of a substance is called density. i.e„
Density = \(\frac{\text { Mass of the substance }}{\text { Volume of the substance }}\)
or
D = \(\frac{M}{V}\)

→ Thermometer: The device used to measure temperature is called thermometer.

→ Melting Point: That fixed temperature at which a solid converts into a liquid is called melting point.

→ Melting: The process of melting or changing of a solid into liquid state is known as melting.

→ Dormant (Hidden) Heat of Melting: The heat energy that is required to convert 1 kg of a solid at atmospheric pressure at its melting point into liquid is called dormant heat of melting.

→ Boiling Point: That temperature at a certain atmospheric pressure at which a liquid starts boiling is said to be boiling point.

→ Unexposed Heat of Vaporisation: The amount of heat energy that is required to convert 1 kg of liquid at a certain atmospheric pressure at its boiling point is called as dormant/unexposed heat of vaporisation.

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→ Sublimation: The process by means of which a substance converts into gaseous state directly from solid state without changing into liauid is called sublimation.

→ Dry Ice: Solid carbon dioxide is called dry ice.

→ Thawing: Changing of a liquid in solid state is called thawing.

→ Freezing Point: That fixed degree of temperature at which some liquid stmts converting into solid state is called freezing point.

→ Vaporisation: The process where a liquid changes into vapour state below the temperature of its boiling point is called vaporisation.

→ Humidity: The quantity of water vapours present in the air is called humidity.

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HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

Haryana State Board HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

HBSE 9th Class Science हमारे आस-पास के पदार्थ Intext Questions and Answers

(पृष्ठ संख्या -4)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-से पदार्थ हैं कुर्सी, वायु, स्नेह, गंध, घृणा, बादाम, विचार, शीत, नींबू पानी, इत्र की सुगंध।
उत्तर:
कुर्सी, वायु, बादाम व नींबू पानी, पदार्थ हैं क्योंकि ये स्थान घेरते हैं तथा द्रव्यमान रखते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रेक्षण के कारण बताएँ गर्मा-गरम खाने की गंध कई मीटर दूर से ही आपके पास पहुँच जाती है लेकिन ठडे खाने की महक लेने के लिए आपको उसके पास जाना पड़ता है।
उत्तर:
क्योंकि तापमान बढ़ने से विसरण तेज हो जाता है। इसी कारण गर्मा-गरम खाने की गंध कई मीटर से ही हमारे पास पहुँच जाती है, जबकि ठंडे खाने की महक लेने के लिए हमें उसके पास जाना पड़ता है।

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प्रश्न 3.
स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी काट पाता है। इससे पदार्थ का कौन-सा गुण प्रेक्षित होता है?
उत्तर:
जल के कणों के बीच दूरी अपेक्षाकृत अधिक होने के कारण इसमें संपीडय का गुण पाया जाता है इसी कारण स्वीमिंग पूल में गोताखोर पानी (जल) को काट पाता है।

प्रश्न 4.
पदार्थ के कणों की क्या विशेषताएँ होती हैं? ।
उत्तर:
पदार्थ के कणों की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

  1. पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
  2. पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं अर्थात् उनमें गतिज ऊर्जा होती है।
  3. तापमान बढ़ने से पदार्थ के कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
  4. पदार्थ के कण अपने आप अंतः मिश्रित हो जाते हैं।
  5. पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

(पृष्ठ संख्या -6)

HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 1.
किसी तत्त्व के द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं। (घनत्व = द्रव्यमान/आयतन)। बढ़ते हुए घनत्व के क्रम में निम्नलिखित को व्यवस्थित करें-वायु, चिमनी का धुआँ, शहद, जल, चॉक, रुई और लोहा।
उत्तर:
दिए गए तत्त्वों को घनत्व बढ़ने के साथ आरोही क्रम में लिखने पर निम्नलिखित क्रम प्राप्त होगाचिमनी का धुआँ, वायु, रुई, चॉक, जल, शहद व लोहा।

प्रश्न 2.
(a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में होने वाले अंतर को सारणीबद्ध कीजिए।
(b) निम्नलिखित पर टिप्पणी कीजिए-दृढ़ता, संपीडयता, तरलता, बर्तन में गैस का भरना, आकार, गतिज ऊर्जा एवं घनत्व।
उत्तर:
(a) पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के गुणों में निम्नलिखित अंतर पाए जाते हैं

क्रमांक सं.गुणठोसद्रवगैस
1.आकारइनका आकार निश्चित होता है।इनका आकार निश्चितइनका आकार निश्चित
2.आयतनइनका आयतन निश्चित होता है।नहीं होता। ये बर्तन केनहीं होता।
3.कठोरताये कठोर होते हैं।आकार के अनुसार अपनाइनका आयतन निश्चित
4.ढेर लगानाइनको ढेर के रूप में इकट्ठा कियाआकार बदल लेते हैं।नहीं होता।
5.संपीडितजा सकता है।इनका आयतन भीइनमें यह गुण नहीं होता।
क्षमताइन्हें संपीडित नहीं किया जानिश्चित होता है।यह भी बह जाती है।
6.कणों कीसकता।ये कठोर नहीं होते।इन्हें संपीडित किया जा
स्थितिइनमें कण एक-दूसरे के बहुतये बह जाते हैं।सकता है।

(b) दृढ़ता-पदार्थ के कणों के बीच लगने वाला आकर्षण बल पदार्थ की दृढ़ता निश्चित करता है। ठोसों में आकर्षण बल अधिक होने के कारण दृढ़ता अधिक होती है। द्रवों में उससे कम तथा गैसों में सबसे कम दृढ़ता होती है।

संपीडयता – किसी पदार्थ पर बल लगाकर उसके कणों की बीच की दूरी को कम करना संपीडयता कहलाता है। गैसों में संपीडयता का गुण पाया जाता है।

तरलता – जिन पदार्थों में बहने का गुण पाया जाता है, उन्हें तरल पदार्थ कहते हैं। द्रवों में तरलता का गुण पाया जाता है।

बर्तन में गैस का भरना-किसी बर्तन में गैस कणों में अंतराणुक बल क्षीण होने के कारण गैस सारे उपलब्ध स्थान को घेर लेती है। अर्थात् गैसों का आयतन निश्चित नहीं होता। इन्हें बर्तन में उच्च दाब पर भरा जाता है।

आकार-ठोस के कण अधिक अंतराणुक बल के साथ जुड़े होने के कारण ठोस को निश्चित आकार प्रदान करते हैं, जबकि द्रवों में यह अंतराणुक बल कम होता है जिस कारण इनका आकार निश्चित नहीं होता। गैसों में भी ऐसा होता है।

गतिज ऊर्जा-कणों की गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहा जाता है। तापमान बढ़ाने से कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है। ठोस में अधिक गतिज ऊर्जा नहीं होती, द्रव में कुछ गतिज ऊर्जा होती है जबकि गैसों में उच्च गतिज ऊर्जा होती है।

घनत्व-किसी तत्त्व के द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को घनत्व कहते हैं अर्थात् घनत्व = द्रव्यमान । ठोस पदार्थों का घनत्व उच्च होता है, द्रव में निम्न जबकि गैसों में नगण्य होता है।

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प्रश्न 3.
कारण बताएँ
(a) गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है, जिसमें इसे रखते हैं।
(b) गैस बर्तन की दीवारों पर दबाव डालती है।
(c) लकड़ी की मेज़ ठोस कहलाती है।
(d) हवा में हम आसानी से अपना हाथ चला सकते हैं, लेकिन एक ठोस लकड़ी के टुकड़े से हाथ चलाने के लिए हमें कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।
उत्तर:
(a) गैस का आयतन निश्चित न होने के कारण गैस पूरी तरह उस बर्तन को भर देती है जिसमें इसे रखा जाता है।
(b) गैसीय अवस्था में कणों की गति अनियमित और अत्यधिक तीव्र होती है। इस अनियमित गति के कारण गैस के कण आपस में एवं बर्तन की दीवारों से टकराते हैं। बर्तन की दीवार पर गैस कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्र पर लगे बल के कारण गैस का दबाव बनता है।
(c) लकड़ी की मेज का निश्चित आकार, निश्चित आयतन तथा असंपीडय होने के कारण ठोस कहलाती है।
(d) हवा के कणों के बीच अधिक दूरी होने के कारण हवा में हम हाथ को आसानी से चला सकते हैं, जबकि ठोस लकड़ी के टुकड़े के कणों के बीच की दूरी कम होने के कारण हमें हाथ चलाने के लिए कराटे में दक्ष होना पड़ेगा।

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प्रश्न 4.
सामान्यतया ठोस पदार्थों की अपेक्षा द्रवों का घनत्व कम होता है, लेकिन आपने बर्फ के टुकड़े को जल में तैरते हुए देखा होगा। पता लगाइए, ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
सामान्यतया ठोस पदार्थों की अपेक्षा द्रवों का घनत्व कम होता है परंतु जल का घनत्व 4°C पर अधिकतम होता है। जब इसे 4°C से नीचे ठंडा किया जाता है तो 0°C पर बर्फ जम जाती है जिसका घनत्व जल के घनत्व से कम होता है इसी कारण बर्फ जल में तैरती है।

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(पृष्ठ संख्या-9)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तापमान को सेल्सियस में बदलें
(a) 300K
(b) 573K
उत्तर:
(a) 300K = (300 – 273)°C = 27°C
(b) 573K = (573 – 273)°C = 300°C

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तापमान पर जल की भौतिक अवस्था क्या होगी?
(a) 250°C
(b) 100°C
उत्तर:
(a) 250°C तापमान पर समस्त जल भाप बनकर उड़ जाएगा।
(b) 100°C पर जल उबलना शुरू कर देगा क्योंकि यह जल का क्वथनांक है।

प्रश्न 3.
किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर क्यों रहता है?
उत्तर:
किसी भी पदार्थ की अवस्था परिवर्तन के दौरान तापमान स्थिर रहता है क्योंकि अवस्था परिवर्तन के समय पदार्थ को दी जाने वाली समस्त ऊष्मा कणों के पारस्परिक आकर्षण बल को वशीभूत करके पदार्थ की अवस्था को बदलने में उपयोग हो जाती है।

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प्रश्न 4.
वायुमंडलीय गैसों को द्रव में परिवर्तन करने के लिए कोई विधि सुझाइए।
उत्तर:
वायुमंडलीय गैसों को किसी बंद बर्तन में बंद करके तथा दाब बढ़ाकर व तापमान घटाकर द्रव में परिवर्तित किया जा सकता है।

(पृष्ठ संख्या-11)

प्रश्न 1.
गर्म, शुष्क दिन में कूलर कमरे को अधिक ठंडा क्यों करता है?
उत्तर:
गर्म, शुष्क दिन में आर्द्रता कम होने के कारण वायु शुष्क होती है जब यह वायु कूलर के पंखे द्वारा खींची जाती है तो कूलर में मैट पर टपकता हुआ जल वाष्पीकृत होकर गर्म व शुष्क वायु की गर्मी को अवशोषित कर लेता है जिसके परिणामस्वरूप वायु ठंडी हो जाती है। यह ठंडी वायु कमरे को ठंडा कर देती है।

प्रश्न 2.
गर्मियों में घड़े का जल ठंडा क्यों होता है?
उत्तर:
घड़े में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिनके माध्यम से गर्मियों में जल रिसकर वाष्पीकृत होता रहता है तथा वाष्पन के लिए वह ऊष्मा जल से ही लेता है जिस कारण घड़े में रखा जल ठंडा हो जाता है।

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प्रश्न 3.
एसीटोन/पेट्रोल या इत्र डालने पर हमारी हथेली ठंडी क्यों हो जाती है?
उत्तर:
एसीटोन पेट्रोल या इत्र को हथेली पर डालने से इसके कण हथेली से ऊर्जा प्राप्त कर वाष्पीकृत हो जाते हैं जिससे हथेली ठंडी हो जाती है।

प्रश्न 4.
कप की अपेक्षा प्लेट से हम गर्म दूध या चाय जल्दी क्यों पी लेते हैं?
उत्तर:
प्लेट की सतह का क्षेत्रफल कप की सतह की अपेक्षा अधिक होता है जिस कारण प्लेट की सतह से वाष्पीकरण अधिक होने के कारण गर्म दूध या चाय जल्दी ठंडी हो जाती है तथा ठंडी होने के कारण जल्दी पी जाती है।

प्रश्न 5.
गर्मियों में हमें किस तरह के कपड़े पहनने चाहिएँ?
उत्तर:
गर्मियों में हमें सूती कपड़े पहनने चाहिएँ क्योंकि गर्मियों में शारीरिक प्रक्रिया के कारण अधिक पसीना आता है, जिससे हमें ठंडक मिलती है जैसा कि हम जानते हैं कि वाष्पीकरण के दौरान द्रव की सतह के कण हमारे शरीर से ऊर्जा प्राप्त करके वाष्प में बदल जाते हैं। वाष्पीकरण की प्रसुप्त ऊष्मा के बराबर ऊष्मीय ऊर्जा हमारे शरीर से अवशोषित हो जाती है, जिससे शरीर शीतल हो जाता है। सूती कपड़े पहनने से जल का अवशोषण अधिक होता है, जिस कारण पसीना इसमें अवशोषित होकर वायुमंडल में आसानी से वाष्पीकृत हो जाता है।

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HBSE 9th Class Science हमारे आस-पास के पदार्थ Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तापमानों को सेल्सियस इकाई में परिवर्तित करें
(a) 300K
(b) 573K
उत्तर:
(a) 300K = (300 – 273)° = 27°C
(b) 573K = (573 — 273)°C = 300°C

प्रश्न 2.
निम्नलिखित तापमानों को केल्विन इकाई में परिवर्तित करें
(a) 25°C
(b) 373°C
उत्तर:
(a) 25°C = (25 + 273)K 298K
(b) 373°C = (373 + 273)K = 646K

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अवलोकनों हेतु कारण लिखें
(a) नैफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह समय के साथ कुछ भी ठोस पदार्थ छोड़े बिना अदृश्य हो जाती है।
(b) हमें इत्र की गंध बहुत दूर बैठे हुए भी पहुँच जाती है।
उत्तर:
(a) नैफ्थलीन को रखा रहने देने पर यह समय के साथ कुछ भी ठोस पदार्थ छोड़े बिना अदृश्य हो जाती है क्योंकि नैफ्थलीन एक ऊर्ध्वापातित पदार्थ है जो ठोस से सीधा ही गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
(b) हमें इत्र की गंध बहुत दूर बैठे हुए भी पहुँच जाती है क्योंकि इत्र वायु में विसरित होने का गुण रखता है।

HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पदार्थों को उनके कणों के बीच बढ़ते आकर्षण के अनुसार व्यवस्थित करें
(a) जल,
(b) चीनी,
(c) ऑक्सीजन।
उत्तर:
कणों के बीच बढ़ते आकर्षण के अनुसार पदार्थों का व्यवस्थित रूप निम्नलिखित है-
ऑक्सीजन < जल < चीनी

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तापमानों पर जल की भौतिक अवस्था क्या है
(a) 25°C,
(b) 0°C,
(c) 100°C
उत्तर:
(a) 25°C पर जल द्रव अवस्था में होगा।
(b) 0°C पर जल ठोस (बफ) अवस्था में होगा।
(c) 100°C पर जल क्वथित अवस्था (भाप) में होगा।

HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ

प्रश्न 6.
पुष्टि हेतु कारण दें
(a) जल कमरे के ताप पर द्रव है।
(b) लोहे की अलमारी कमरे के ताप पर ठोस है।
उत्तर:
(a) जल कमरे के ताप पर द्रव है, क्योंकि

  1. इस ताप पर इसके अणुओं के बीच लगने वाला आकर्षण बल सामान्य होता है।
  2. इसके अणुओं की गतिज सामान्य होती है।

(b) लोहे की अलमारी कमरे के ताप पर ठोस है क्योंकि

  1. लोहे के अणुओं के बीच लगने वाला आकर्षण बल काफी अधिक होता है।
  2. लोहे के अणुओं के बीच दूरी नगण्य होती है जिस कारण वे निश्चित दूरी तक घूम सकते हैं।

प्रश्न 7.
273K पर बर्फ को ठंडा करने पर तथा जल को इसी तापमान पर ठंडा करने पर शीतलता का प्रभाव अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
273K तापमान पर बर्फ को ठंडा करने पर तथा जल को इसी तापमान पर ठंडा करने पर शीतलता का प्रभाव अधिक होता है, क्योंकि बर्फ में संगलन गुप्त ऊष्मा अधिक होती है।

प्रश्न 8.
उबलते हुए जल अथवा भाप में से जलने की तीव्रता किसमें अधिक महसूस होती है?
उत्तर:
उबलते हुए जल अथवा भाप में से जलने की तीव्रता भाप में अधिक महसूस होती है क्योंकि भाप में अतिरिक्त ऊष्मा होती है जिसे वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।

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प्रश्न 9.
निम्नांकित चित्र के लिए A, B, C, D, E तथा F की अवस्था परिवर्तन को नामांकित करें
HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ img-1
उत्तर:
(A) संगलन,
(B) वाष्पन,
(C) संघनन,
(D) जमना,
(E) ऊर्ध्वपातन,
(F) ऊर्ध्वपातन।

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Exercise 9.4

प्रश्न 1.
समांतर. चतुर्भुज ABCD और आयत ABEF एक ही आधार पर स्थित हैं और उनके क्षेत्रफल बराबर हैं। दर्शाइए कि समांतर चतुर्भुज का परिमाप आयत के परिमाप से अधिक है।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 1
दिया है : एक समांतर चतुर्भुज ABCD और एक आयत ABEF एक ही आधार AB पर स्थित हैं और उनके क्षेत्रफल भी समान हैं।
सिद्ध करना है : समांतर चतुर्भुज ABCD का परिमाप > आयत ABEF का परिमाप।
प्रमाण : क्योंकि समांतर चतुर्भुज और आयत की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं।
∴ AB = DC [∵ ABCD एक समांतर चतुर्भुज है।]
और AB = EF [∵ ABEF एक आयत है।]
⇒ DC = EF ……(i)
या AB + DC = AB + EF ……(ii)
क्योंकि दी गई रेखा के किसी बिंदु से खींचे जा सकने वाले सभी खंड इस पर स्थित नहीं हैं, अतः लंब खंड सबसे छोटा है।
∴ BE < BC व AF < AD
या BC > BE व AD > AF
या BC + AD > BE + AF ……(iii)
समीकरण (ii) व (iii) को जोड़ने पर,
AB + DC + BC + AD > AB + EF + BE + AF
या AB + BC + CD + DA > AB + BE + EF + FA
अतः समांतर चतुर्भुज ABCD का परिमाप > आयत ABEF का परिमाप। [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 2.
आकृति में, भुजा BC पर दो बिंदु D और E इस प्रकार स्थित हैं कि BD = DE = EC है। दर्शाइए कि ar (ABD) = ar (ADE) = ar (AEC) है।
क्या आप अब उस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं, जो आपने इस अध्याय की ‘भूमिका’ में छोड़ दिया था कि “क्या बुधिया का खेत वास्तव में बराबर क्षेत्रफलों वाले तीन भागों में विभाजित हो गया है”?
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 2
हल :
दिया है : ΔABC की भुजा BC पर दो बिंदु D व E इस प्रकार हैं कि BD = DE = EC
सिद्ध करना है : ar (ΔABD) = ar (ΔADE) = ar (ΔAEC)
रचना : A से AL ⊥ BC खींचो।
प्रमाण : आकृति अनुसार, AL, ΔABD, ΔADE व ΔAEC का शीर्षलंब है।
ar (ΔABD) = \(\frac{1}{2}\) × BD × AL …..(i)
ar (ΔADE) = \(\frac{1}{2}\) × DE × AL …(ii)
ar (ΔAEC) = \(\frac{1}{2}\) × EC × AL …(iii)
परंतु BD = DE = EC (दिया है)…(iv)
समीकरण (i), (ii), (iii) व (iv) की तुलना करने पर,
ar (ΔABD) = ar (ΔADE) = ar (ΔAEC)
हां सभी त्रिभुजों के शीर्षलंब समान हैं। बुधिया इस प्रश्न के उत्तर द्वारा अपने खेत तीन समान भागों में बांट सकती है।

प्रश्न 3.
आकृति में, ABCD, DCFE और ABFE समांतर चतुर्भुज हैं। दर्शाइए कि ar (ADE) = ar (BCF) है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 3
हल :
दिया है : आकृति में ABCD, DCFE व ABFE तीन समांतर चतुर्भुज हैं।
सिद्ध करना है : ar (ΔADE) = ar (ΔBCF)
प्रमाण : क्योंकि समांतर चतुर्भुजों की सम्मुख भुजाएं बराबर होती हैं।
∴ AD = BC [|| चतुर्भुज ABCD की भुजाएं]
DE = CF [|| चतुर्भुज DCFE की भुजाएं]
AE = BF [|| चतुर्भुज ABFE की भुजाएं]
अब ΔADE और ΔBCF में,
AD = BC [प्रमाणित]
DE = CF [प्रमाणित]
AE = BF [प्रमाणित]
∴ ΔADE ≅ ΔBCF [भुजा-भुजा-भुजा सर्वांगसमता]
अतः ar (ΔADE) = ar (ΔBCF) [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 4.
आकृति में, ABCD एक समांतर चतुर्भुज है और BC को एक बिंदु Q तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि AD = CQ है। यदि AQ भुजा DC को P पर प्रतिच्छेद करती है, तो दर्शाइए कि ar (BPC) = ar (DPO) है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 4
हल :
दिया है : एक समांतर चतुर्भुज ABCD की भुजा BC को Q तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि AD = CQ, AQ भुजा DC को P पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है : ar (ΔBPC) = ar (ΔDPQ)
रचना : A व C को मिलाओ।
प्रमाण : क्योंकि ΔADC और ΔADQ एक ही आधार AD और एक ही समांतर रेखाओं AD व CQ के मध्य स्थित है।
∴ ar (ΔADC) = ar (ΔADQ)
दोनों ओर से ΔADP का क्षेत्रफल घटाने पर,
ar (ΔADC) – ar (ΔADP) = ar (ΔADQ) – ar (ΔADP)
⇒ ar (ΔAPC) = ar (ΔDPQ) …(i)
इसी प्रकार ΔAPC और ΔPCB एक ही आधार PC तथा एक ही समांतर रेखाओं PC व AB के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (ΔAPC) = ar (ΔPCB)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
ar (ΔPCB) = ar (ΔDPQ)
या ar (ΔBPC) = ar (ΔDPQ) [इति सिद्धम]

प्रश्न 5.
आकृति में, ABC और BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य-बिंदु है। यदि AE भुजा BC को F पर प्रतिच्छेद करती है, तो दर्शाइए कि
(i) ar (BDE) = \(\frac{1}{4}\)ar (ABC)
(ii) ar (BDE) = \(\frac{1}{2}\)ar (BAE)
(iii) ar (ABC) = 2 ar (BEC)
(iv) ar (BFE) = ar (AFD)
(v) ar (BFE) = 2 ar (FED)
(vi) ar (FED) = \(\frac{1}{8}\)ar (AFC)
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 5
हल :
दिया है : ΔABC और ΔBDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य-बिंदु है। AE भुजा BC को F पर प्रतिच्छेद करती है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 6
सिद्ध करना है : (i) ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC)
(ii) ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔBAE)
(iii) ar (ΔABC) = 2 ar (ΔBEC)
(iv) ar (ΔBEF) = ar (ΔAFD)
(v) ar (ΔBFE) = 2 ar (ΔFED)
(vi) ar (ΔFED) = \(\frac{1}{8}\)ar (ΔAFC)
रचना : EC व AD को मिलाओं तथा EL ⊥ BC खींचो।
प्रमाण : माना समबाहु ΔABC की प्रत्येक भुजा = a मात्रक
(i) ar (ΔABC) = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\)a2 …(1) [∵ समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\)(भुजा)2]
ar (ΔBDE) = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\left(\frac{a}{2}\right)^2\)
= \(\frac{\sqrt{3}}{4}\left(\frac{a^2}{4}\right)=\frac{\sqrt{3} a^2}{16}\)
= \(\frac{1}{4} \times \frac{\sqrt{3}}{4} a^2\)
= \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC) [समीकरण (1) से]
अतः ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC) [इति सिद्धम]

(ii) ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔBEC) …..(2)
[∵ ED, ΔBEC की माध्यिका है तथा माध्यिका A के दो समान भाग करती है।]
अब ∠EBC = ∠ACB [प्रत्येक = 60%]
परंतु यह एकांतर कोण हैं।
∴ BE || AC
ΔBEC तथा ΔBEA एक ही आधार BE तथा एक ही समांतर रेखाओं BE व AC के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (ΔBEC) = ar (ΔBEA) …..(3)
\(\frac{1}{2}\)ar (ΔBEC) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔBEA) …..(3)
समीकरण (2) व (3) की तुलना से,
ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔBAE) [इति सिद्धम]

(iii) ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC) ….(4) [प्रमाणित]
ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔBEC) ….(5) [प्रमाणित]
समीकरण (4) तथा (5) की तुलना से,
\(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔBEC)
ar (ΔABC) = 2 ar (ΔBEC) [इति सिद्धम]

(iv) ∠ABD = ∠BDE [प्रत्येक = 60%]
परन्तु यह एकांतर कोण हैं।
∴ AB || DE
अब ΔBED व ΔAED एक ही आधार ED तथा एक ही समांतर रेखाओं ED और AB के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (ΔBED) = ar (ΔAED)
दोनों ओर से ΔEDF का क्षेत्रफल घटाने पर,
ar (ΔBED) – ar (ΔEDF) = ar (ΔAED) – ar (ΔEDF)
∴ ar (ΔBFE) = ar (ΔAFD) …..(6) [इति सिद्धम]

(v) ΔABD में,
AD2 = AB2 – BD2
= (a2) – (\(\frac{a}{2}\))2
= \(a^2-\frac{a^2}{4}=\frac{3 a^2}{4}\)
AD = \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)
ΔLED में,
EL2 = DE2 – DL2
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 7
समीकरण (7) व (8) से,
ar (ΔAFD) = 2 ar (ΔEFD)
समीकरण (6) व (9) से,
ar (ΔBEF) = 2 ar (ΔEFD)

(vi) अब ar (ΔBDE) = \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC) [प्रमाणित]
ar (ΔBEF) + ar (ΔFED) = \(\frac{1}{4}\) × 2 ar (ΔADC)
2 ar (ΔFED) + ar (ΔFED) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔADC) {∵ ar (ΔBEF) = 2ar (ΔFED) प्रमाणित}
3 ar (ΔFED) = \(\frac{1}{2}\)[ar (ΔAFC) – ar (ΔAFD)]
3 ar (ΔFED) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔAFC) – \(\frac{1}{2}\) × 2ar (ΔFED)
{∵ ar (ΔAFD) = 2 ar (ΔFED) प्रमाणित}
4 ar (ΔFED) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔAFC)
ar (ΔFED) = \(\frac{1}{8}\)ar (ΔAFC) [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 6.
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD परस्पर बिंदु P पर प्रतिच्छेद D करते हैं। दर्शाइए कि ar (APB) × ar (CPD) = ar (APD) × ar (BPC) है।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 8
दिया है : चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD परस्पर बिंदु P पर प्रतिच्छेद करते हैं।
सिद्ध करना है : ar (ΔAPB) × ar (ΔCPD) = ar (ΔAPD) × ar (ΔBPC)
रचना : AM ⊥ BD व CN ⊥ BD खींचिए।
प्रमाण: ar (ΔAPB) = \(\frac{1}{2}\) × PB × AM …(i)
ar (ΔCPD) = \(\frac{1}{2}\) × DP × CN …(ii)
ar (ΔAPD) = \(\frac{1}{2}\) × DP × AM….(iii)
ar (ΔBPC) = \(\frac{1}{2}\) × PB × CN …(iv)
समीकरण (i) व (ii) से,
ar (ΔAPB) × ar (ΔCPD) = \(\frac{1}{2}\) × PB × AM × \(\frac{1}{2}\) × DP × CN …(v)
समीकरण (iii) व (iv) से,
ar (ΔAPD) × ar (ΔBPC) = \(\frac{1}{2}\) × DP × AM × \(\frac{1}{2}\) × PB × CN …(vi)
समीकरण (v) व (vi) से,
ar (ΔAPB) × ar (ΔCPD) = ar (ΔAPD) × ar (ΔBPC) [इति सिद्धम]

प्रश्न 7.
Pऔर Q क्रमशः त्रिभुज ABC की भुजाओं AB और BC के मध्य-बिंदु हैं तथा R रेखाखंड AP का मध्य-बिंदु है। दर्शाइए कि:
(i) ar (PRQ) = \(\frac{1}{2}\)ar (ARC)
(ii) ar (RQC) = \(\frac{3}{8}\)ar (ABC)
(iii) ar (PBQ)= ar (ARC)
हल :
दिया है : ΔABC की भुजाओं AB और BC के मध्य-बिंदु क्रमशः P व Q है। R रेखाखंड AP का मध्य-बिंदु है।
सिद्ध करना है :
(i) ar (ΔPRQ) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔARC)
(ii) ar (ΔRQC) = \(\frac{3}{8}\)ar (ΔABC)
(iii) ar (ΔPBQ) = ar (ΔARC)
रचना : AQ तथा PC को मिलाओ।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 9
प्रमाण : (i) ∵ ar (ΔPQR) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔAPQ) [∵ QR त्रिभुज APQ की माध्यिका है जो त्रिभुज को दो समान क्षेत्रफलों वाले त्रिभुजों में बांटती है]
= \(\frac{1}{2} \times \frac{1}{2}\)ar (ΔABQ) [∵ QP त्रिभुज ABQ की माध्यिका है]
= \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABQ)
= \(\frac{1}{4} \times \frac{1}{2}\)ar (ΔABC) [∵ AQ त्रिभुज ABC की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{8}\)ar (ΔABC) …..(i)
अब ar (ΔARC) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔAPC) [∵ CR त्रिभुज APC की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{2} \times \frac{1}{2}\)ar (ΔABC) [∵ CP त्रिभुज ABC की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC) ……(ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
ar (ΔPQR) = \(\frac{1}{8}\)ar (ΔABC)
= \(\frac{1}{2} \times \frac{1}{4}\)ar (ΔABC)
= \(\frac{1}{2}\)ar (ΔARC) [इति सिद्धम]

(ii) ar (ΔRQC) = ar (ΔRQA) + ar (ΔAQC) – ar (ΔARC) ….(iii)
अब ar (ΔRQA) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔPQA) [∵ RQ, ΔPQA की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{2} \times \frac{1}{2}\)ar (AQB) [∵ PQ, ΔAQB की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{4}\)ar (AQB)
= \(\frac{1}{4} \times \frac{1}{2}\)ar(ABC) [∵ AQ, ΔABC की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{8}\)ar (ΔABC) …..(iv)
अतः ar (ΔAQC) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔABC) …..(v)
[∵ AQ, ΔABC की माध्यिका है।]
या ar (ΔARC) = \(\frac{1}{2}\)ar(ΔAPC) [∵ CR, ΔAPC की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{2} \times \frac{1}{2}\)ar (ΔABC) [∵ CP, ΔABC की माध्यिका है।
= \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC) …..(vi)
समीकरण (iii), (iv), (v) व (vi) की तुलना से,
ar (ΔRQC) = \(\frac{1}{8}\)ar (ΔABC) + \(\frac{1}{2}\)ar(ΔABC) – \(\frac{1}{4}\)ar(ΔABC)
= \(\frac{3}{8}\)ar (ΔABC) [इति सिद्धम]

(iii) ∵ ar (ΔPBQ) = \(\frac{1}{2}\)ar (ΔABQ) [∵ PQ, ΔABQ की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{2} \times \frac{1}{2}\)ar (ΔABC) [∵ AQ, ΔABC की माध्यिका है।]
= \(\frac{1}{4}\)ar (ΔABC)
= ar (ΔARC) [समीकरण (iv) से]
[इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 8.
आकृति में, ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसका कोण A समकोण है। BCED, ACFG और ABMN क्रमशः भुजाओं BC, CA और AB पर बने वर्ग हैं। रेखाखंड AX ⊥ DE भुजा BC को बिंदु Y पर मिलता है। दर्शाइए किः
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 10
(i) ΔMBC ≅ ΔABD
(ii) ar (BYXD) = 2 ar (MBC)
(iii) ar (BYXD) = ar (ABMN)
(iv) ΔFCB ≅ ΔACE
(v) ar (CYXE) = 2 ar (FCB)
(vi) ar (CYXE) = ar (ACFG)
(vii) ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG)
हल :
दिया है : समकोण ΔABC में ∠A समकोण है। BCED, ACFG व ABMN क्रमशः भुजाओं BC, CA व AB बने तीन वर्ग हैं। रेखाखंड AX ⊥ DE भुजा BC को बिंदु Y पर मिलता है।
सिद्ध करना है :
(i) ΔMBC ≅ ΔABD
(ii) ar (BYXD) = 2 ar (MBC)
(iii) ar (BYXD) = ar (ABMN)
(iv) ΔFCB ≅ ΔACE
(v) ar (CYXE) = 2 ar (FCB)
(vi) ar (CYXE) = ar (ACFG)
(vii) ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG)
प्रमाण : (i) ∠BAC + ∠CAG = 180° (प्रत्येक = 90°)
∴ BAG एक सरल रेखा है।
इसी प्रकार CAN एक सरल रेखा है।
∠MBA = ∠CBD (प्रत्येक = 90°)
दोनों ओर ∠ABC जोड़ने पर,
∠MBA + ∠ABC = ∠CBD + ∠ABC
⇒ ∠MBC = ∠ABD
ΔMBC तथा ΔABD में,
BC = BD [वर्ग BCDE की भुजाएं]
MB = AB [वर्ग ABMN की भुजाएं]
∠MBC = ∠ABD [प्रमाणित]
∴ ΔMBC ≅ ΔABD [भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता]
[इति सिद्धम]

(ii) ΔABD तथा आयत BYXD एक ही आधार BD तथा एक ही समांतर रेखाओं BD एवं AX के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (आयत BYXD) = 2 ar (ΔABD)
∴ ar (आयत BYXD) = 2 ar (ΔMBC) …..(i)
[∵ ΔABD = ΔMBC प्रमाणित] [इति सिद्धम]

(iii) ΔMBC तथा वर्ग ABMN एक ही आधार MB तथा एक ही समांतर रेखाओं MB तथा NC के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (वर्ग ABMN) = 2 (ar AMBC) …..(ii)
समीकरण (i) व (ii) से,
ar (आयत BYXD) = ar (वर्ग ABMN) [इति सिद्धम]

(iv) ΔFCB तथा ΔACE में,
CB = CE [वर्ग BCED की भुजाएं]
FC = AC [वर्ग ACFG की भुजाएं]
∠FCB = ∠ACE [प्रत्येक = ∠ACB+ 90°]
∴ ΔFCB ≅ ΔACE [भुजा-कोण-भुजा सर्वांगसमता] [इति सिद्धम]

(v) ΔACE तथा आयत CYXE एक ही आधार CE तथा एक ही समांतर रेखाओं के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (आयत CYXE) = 2 ar (ΔACE)
∴ ar (आयत CYXE) = 2 ar (ΔFCB) ….(iii) [इति सिद्धम]
[∵ ΔACE ≅ ΔFCB प्रमाणित] [इति सिद्धम]

(vi) ΔFCB तथा वर्ग ΔCFG एक ही आधार CF तथा एक ही समांतर रेखाओं के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (वर्ग ΔCFG) = 2 ar (ΔFCB) ….(iv)
समीकरण (iii) व (iv) की तुलना से,
ar (आयत CYXE) = ar (वर्ग ACFG)

(vii) ar (वर्ग BCED) = ar (आयत BYXD) + ar (आयत CYXE)
⇒ ar (वर्ग BCED) = ar (वर्ग ABMN) + ar (वर्ग ACFG)
{∵ ar (आयत BYXD) = ar (वर्ग ABMN) तथा ar (आयत CYXE) = ar (वर्ग ACFG)}
[इति सिद्धम]

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HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा

Haryana State Board HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा

HBSE 11th Class Physical Education स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Textbook Questions and Answers

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य का क्या अर्थ है? इसके पहलुओं का वर्णन कीजिए। अथवा स्वास्थ्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? इसके आयामों या रूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Health):
स्वास्थ्य से सभी परिचित हैं। सामान्यतया पारस्परिक व रूढ़िगत संदर्भ में स्वास्थ्य से अभिप्राय बीमारी की अनुपस्थिति से लगाया जाता है, परंतु यह स्वास्थ्य का विस्तृत अर्थ नहीं है। स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिससे वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारू होते हैं।

इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित्त और शरीर रोग-मुक्त रहता है। विभिन्न विद्वानों ने स्वास्थ्य को अग्रलिखित प्रकार से परिभाषित किया है

  1. जे०एफ० विलियम्स (J.E. Williams) के अनुसार, “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएँ प्रदान करता है।”
  2. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।”
  3. वैबस्टर्स विश्वकोश (Webster’s Encyclopedia) के कथनानुसार, “उच्चतम जीवनयापन के लिए व्यक्तिगत, भावनात्मक और शारीरिक स्रोतों को संगठित करने की व्यक्ति की अवस्था को स्वास्थ्य कहते हैं।”
  4. रोजर बेकन (Roger Bacon) के अनुसार, “स्वस्थ शरीर आत्मा का अतिथि-भवन और दुर्बल तथा रुग्ण शरीर आत्मा का कारागृह है।”
  5. इमर्जन (Emerson) के अनुसार, ‘स्वास्थ्य ही प्रथम पूँजी है।”

संक्षेप में, स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है जिसमें वह मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसमें उसके शारीरिक अंग, आंतरिक तथा बाहरी रूप से अपने पर्यावरण से व्यवस्थित होते हैं। स्वास्थ्य के विभिन्न पहलू या आयाम (Aspects or Dimensions of Health): स्वास्थ्य एक गतिशील प्रक्रिया है जो हमारी जीवन-शैली को प्रभावित करता है। इसके विभिन्न आयाम या पहलू निम्नलिखित हैं

1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health):
शारीरिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसके अंतर्गत हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त होती है। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि उसके सभी शारीरिक संस्थान सुचारू रूप से कार्य करते हों। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को न केवल शरीर के विभिन्न अंगों की रचना एवं उनके कार्यों की जानकारी होनी चाहिए, अपितु उनको स्वस्थ रखने की भी जानकारी होनी चाहिए।

शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समाज व देश के विकास एवं प्रगति में भी सहायक होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने हेतु संतुलित एवं पौष्टिक भोजन, व्यक्तिगत सफाई, नियमित व्यायाम व चिकित्सा जाँच और नशीले पदार्थों के निषेध आदि की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health):
मानसिक या बौद्धिक स्वास्थ्य के बिना सभी स्वास्थ्य अधूरे हैं, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य का संबंध मन की प्रसन्नता व शांति से है अर्थात् इसका संबंध तनाव व दबाव मुक्ति से है। यदि व्यक्ति का मन चिंतित एवं अशांत रहेगा तो उसका कोई भी विकास पूर्ण नहीं होगा। आधुनिक युग में मानव जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि उसका जीवन निरंतर तनाव, दबाव व चिंताओं से घिरा रहता है।

परन्तु जिन व्यक्तियों का मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होता है वे आधुनिक संदर्भ में भी स्वयं को चिंतामुक्त अनुभव करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के बौद्धिक विकास और जीवन के अनुभवों को सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है। लेकिन मानसिक अस्वस्थता के कारण न केवल मानसिक रोग हो जाते हैं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी गिर जाता है और शारीरिक कार्य-कुशलता में भी कमी आ जाती है। इसलिए व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तनाव व दबाव से दूर रहना चाहिए; उचित विश्राम करना चाहिए और सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।

3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health):
सामाजिक स्वास्थ्य भी स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है। यह व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है। यह व्यक्ति में संतोषजनक व्यक्तिगत संबंधों की क्षमता में वृद्धि करता है। व्यक्ति सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज के नियमों, मान-मर्यादाओं आदि का पालन करता है।

यदि एक व्यक्ति अपने परिवार व समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत है तो उसे सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति कहा जाता है। सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सैद्धांतिक, वैचारिक, आत्मनिर्भर व जागरूक होता है। वह अनेक सामाजिक गुणों; जैसे आत्म-संयम, धैर्य, बंधुत्व, आत्म-विश्वास आदि से पूर्ण होता है। समाज, देश, परिवार व जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण रचनात्मक व सकारात्मक होता है।

4. संवेगात्मक या भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Health):
संवेगात्मक स्वास्थ्य में व्यक्ति के अपने संवेग; जैसे भय, गुस्सा, सुख, क्रोध, दु:ख, प्यार आदि शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत स्वस्थ व्यक्ति का अपने संवेगों पर पूर्ण नियंत्रण होता है। वह प्रत्येक परिस्थिति में नियंत्रित व्यवहार करता है। हार-जीत पर वह अपने संवेगों को नियंत्रित रखता है और अपने परिवार, मित्रों व अन्य व्यक्तियों से मिल-जुलकर रहता है। जिस व्यक्ति का अपने संवेगों पर नियंत्रण होता है वह बड़ी-से-बड़ी परिस्थितियों में भी स्वयं को संभाल सकता है और निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर हो सकता है।

5. आध्यात्मिक स्वास्थ्य (Spiritual Health):
आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जो नैतिक नियमों का पालन करता हो, दूसरों के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन करता हो, सत्य व न्याय में विश्वास रखने वाला हो और जो दूसरों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान न पहुँचाता हो आदि। ऐसा व्यक्ति व्यक्तिगत मूल्यों से संबंधित होता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति एवं सहयोग की भावना रखना, सहायता करने की इच्छा आदि आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। आध्यात्मिक स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु मुख्यत: योग व ध्यान सबसे उत्तम माध्यम हैं। इनके द्वारा आत्मिक शांति व आंतद्रिक प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 2.
स्वास्थ्य क्या है? इसके महत्त्व या उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Health):
स्वास्थ्य से सभी परिचित हैं। सामान्यतया पारस्परिक व रूढ़िगत संदर्भ में स्वास्थ्य से अभिप्राय बीमारी की अनुपस्थिति से लगाया जाता है, परंतु यह स्वास्थ्य का विस्तृत अर्थ नहीं है। स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिसमें वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारू होते हैं। इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित्त और शरीर रोग-मुक्त रहता है।

स्वास्थ्य का महत्त्व या उपयोगिता (Importance or Utility of Health):
अच्छे स्वास्थ्य के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर सकता। अस्वस्थ व्यक्ति समाज की एक लाभदायक इकाई होते हुए भी बोझ-सा बन जाता है। एक प्रसिद्ध कहावत है-“स्वास्थ्य ही धन है।” यदि हम संपूर्ण रूप से स्वस्थ हैं तो हम जिंदगी में बहुत-सा धन कमा सकते हैं।

अच्छे स्वास्थ्य का न केवल व्यक्ति को लाभ होता है, बल्कि जिस समाज या देश में वह रहता है, उस पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। साइरस (Syrus) के अनुसार, “अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी समझ-दोनों जीवन के सबसे बड़े आशीर्वाद हैं।” इसलिए स्वास्थ्य का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है; जैसे

  1. स्वास्थ्य मानव व समाज का आधार स्तंभ है। यह वास्तव में खुशी, सफलता और आनंदमयी जीवन की कुंजी है।
  2. अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी होते हैं।
  3. स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अरस्तू ने कहा-“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” इस कथन से भी हमारे जीवन में स्वास्थ्य की उपयोगिता व्यक्त हो जाती है।
  4. स्वास्थ्य व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
  5. स्वास्थ्य से हमारा जीवन संतुलित, आनंदमय एवं सुखमय रहता है।
  6. स्वास्थ्य हमारी जीवन-शैली को बदलने में हमारी सहायता करता है।
  7. किसी भी देश के नागरिकों के स्वास्थ्य व आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। यदि किसी देश के नागरिक शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगे तो उस देश का आर्थिक विकास भी उचित दिशा में होगा।
  8. स्वास्थ्य से हमारी कार्यक्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  9. अच्छे स्वास्थ्य से हमारे शारीरिक अंगों की कार्य-प्रणाली सुचारू रूप से चलती है।

निष्कर्ष (Conclusion):
स्वास्थ्य एक गतिशील प्रक्रिया है जो हमारे शारीरिक संस्थानों को प्रभावित करती है और हमारी जीवन-शैली में आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण बदलाव करती है। अच्छा स्वास्थ्य रोगों से मुक्त होने के अतिरिक्त किसी व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक खुशहाली एवं प्रसन्नता को व्यक्त करता है। यह हमेशा अच्छा महसूस करवाता है।

वर्जिल के अनुसार, “सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है।” इस तरह हमारे जीवन में स्वास्थ्य बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। स्वास्थ्य की महत्ता बताते हुए महात्मा गाँधी ने कहा”स्वास्थ्य ही असली धन है न कि सोने एवं चाँदी के टुकड़े।” स्वास्थ्य ही हमारा असली धन है। जब हम इसे खो देते हैं तभी हमें इसका असली मूल्य पता चलता है।

प्रश्न 3.
स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए?
अथवा
अच्छे स्वास्थ्य हेतु हमें किन-किन नियमों या सिद्धांतों का पालन करना चाहिए?
उत्तर:
स्वस्थ रहने के लिए हमें निम्नलिखित आवश्यक नियम या सिद्धांत ध्यान में रखने चाहिएँ
1. शारीरिक संस्थानों या अंगों का ज्ञान (Knowledge of Body System or Organs):
हमें अपने शरीर के संस्थानों या अंगों; जैसे दिल, आमाशय, फेफड़े, तिल्ली, गुर्दे, कंकाल संस्थान, माँसपेशी संस्थान, उत्सर्जन संस्थान आदि का ज्ञान होना चाहिए।

2. डॉक्टरी जाँच (Medical Checkup):
समय-समय पर अपने शरीर की डॉक्टरी जाँच करवानी चाहिए। इससे हम अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं। डॉक्टरी जाँच या चिकित्सा जाँच से हम समय पर अपने शारीरिक विकारों या बीमारियों को दूर कर सकते हैं।

3. निद्रा व विश्राम (Sleep and Rest):
रात को समय पर सोना चाहिए और शरीर को पूरा विश्राम देना आवश्यक है।

4. व्यायाम (Exercises):
प्रतिदिन व्यायाम या सैर आदि करनी आवश्यक है। हमें नियमित योग एवं आसन आदि भी करने चाहिएँ।

5. नाक द्वारा साँस लेना (Breathing by Nose):
हमें हमेशा नाक द्वारा साँस लेनी चाहिए। नाक से साँस लेने से हमारे शरीर को शुद्ध हवा प्राप्त होती है, क्योंकि नाक के बाल हवा में उपस्थित धूल-कणों को शरीर के अंदर जाने से रोक लेते हैं।

6. साफ वस्त्र (Clean Cloth):
हमें हमेशा साफ-सुथरे और ऋतु के अनुसार कपड़े पहनने चाहिएँ।

7. शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण (Pure and Clean Environment):
हमें हमेशा शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए।

8. संतुलित भोजन (Balanced Diet):
हमें ताजा, पौष्टिक और संतुलित आहार खाना चाहिए।

9. अच्छा आचरण (Good Conduct):
हमेशा अपना आचरण व विचार शुद्ध व सकारात्मक रखने चाहिएँ और हमेशा खुश एवं संतुष्ट रहना चाहिए। कभी भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। हमेशा बड़ों का आदर करना चाहिए।

10. मादक वस्तुओं से परहेज (Away from Intoxicants):
मादक वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए हमें नशीली वस्तुओं; जैसे अफीम, शराब, चरस, गाँजा, तंबाकू आदि से स्वयं को बचाना चाहिए। दूसरों को भी नशीली वस्तुओं के दुष्प्रभावों से अवगत करवाना चाहिए।

11. उचित मनोरंजन (Proper Recreation):
आज के इस दबाव एवं तनाव-युक्त युग में स्वास्थ्य को बनाए रखने हेतु मनोरंजनात्मक क्रियाओं का होना अति आवश्यक है। हमें मनोरंजनात्मक क्रियाओं में अवश्य भाग लेना चाहिए। इनसे हमें आनंद एवं संतुष्टि की प्राप्ति होती है।

12. नियमित दिनचर्या (Daily Routine):
समय पर उठना, समय पर सोना, समय पर खाना, ठीक ढंग से खड़े होना, बैठना, चलना, दौड़ना आदि क्रियाओं से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। व्यक्तिगत स्वच्छता, कपड़ों की सफाई व आस-पास की सफाई दिनचर्या के आवश्यक अंग होने चाहिएँ।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 4.
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों या तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं
1. वंशानुक्रमण (Heredity):
व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक गुण जीन (Genes) द्वारा निर्धारित होते हैं। जीन या गुणसूत्र को ही वंशानुक्रमण (Heredity) की इकाई माना जाता है। इसी कारण वंशानुक्रमण द्वारा व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। वंशानुक्रमण संबंधी गुण; जैसे ऊँचाई, चेहरा, रक्त समूह, रंग आदि माता-पिता के गुणसूत्रों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। बहुत-सी बीमारियाँ हैं जो वंशानुक्रमण द्वारा आगामी पीढ़ी को भी हस्तान्तरित हो जाती हैं।

2. वातावरण (Environment):
अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ वातावरण का होना बहुत आवश्यक होता है। यदि वातावरण प्रदूषित है तो ऐसे वातावरण में व्यक्ति अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं।

3. संतुलित व पौष्टिक भोजन (Balanced and Nutritive Diet):
भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। यदि हमारा भोजन संतुलित एवं पौष्टिक है तो इसका हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और यदि भोजन में पौष्टिक तत्त्वों का अभाव है तो इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत. प्रभाव पड़ेगा।

4. सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण (Social and Cultural Environment):
वातावरण के अतिरिक्त व्यक्ति का अपना सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण भी उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि व्यक्ति और उसके सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के बीच असामंजस्य है तो इसका उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसीलिए व्यक्ति को अपने अच्छे स्वास्थ्य हेतु सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इसमें न केवल उसका कल्याण है बल्कि समाज व देश का भी कल्याण है।

5. आर्थिक दशाएँ (Economic Conditions):
स्वास्थ्य आर्थिक दशाओं से भी प्रभावित होता है। यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है अर्थात् गरीब है तो वह अपने परिवार के सदस्यों के लिए न तो संतुलित आहार की व्यवस्था कर पाएगा और न ही उन्हें चिकित्सा सुविधाएँ दे पाएगा। इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी है तो वह अपने परिवार के सदस्यों की सभी आवश्यकताएँ पूर्ण कर पाएगा।

6. अन्य कारण (Other Factors):
स्वास्थ्य को जीवन शैली भौतिक व जैविक वातावरण, स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर, मनोवैज्ञानिक कारक और पारिवारिक कल्याण सेवाएँ भी प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य शिक्षा को परिभाषित कीजिए। इसके मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा से आपका क्या अभिप्राय है? विस्तार से लिखिए।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा की परिभाषा देकर, अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थव परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों या पहलुओं के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता करते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने विचार निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किए हैं
1. डॉ० थॉमस वुड (Dr. Thomas Wood) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”

2. सोफी (Sophie) के कथनानुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े व्यवहार से संबंधित है।”

3. प्रसिद्ध स्वास्थ्य शिक्षक ग्राऊंट (Grount) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय है कि स्वास्थ्य के ज्ञान को शिक्षा द्वारा व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार में बदलना है।”

4. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ रहने की स्थिति को कहते हैं न कि केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ या रोगमुक्त होने को।” इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय उन सभी बातों और आदतों से है जो व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं।

स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्य (Main Objectives of Health Education): स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1. सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Qualities):
स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति में अच्छे सामाजिक गुणों का विकास करके अच्छा नागरिक बनाना है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छे व्यक्तित्व को निखारती है, वहीं कई प्रकार के सामाजिक गुणों; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।

2. सर्वपक्षीय विकास (All Round Development):
सर्वपक्षीय विकास से अभिप्राय व्यक्ति के सभी पक्षों का विकास करना है। वह शारीरिक पक्ष से बलवान, मानसिक पक्ष से तेज़, भावात्मक पक्ष से संतुलित, बौद्धिक पक्ष से समझदार और सामाजिक पक्ष से निपुण हो। सर्वपक्षीय विकास से व्यक्ति के व्यक्तित्व में बढ़ोतरी होती है। वह परिवार, समाज और राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है।

3. उचित मनोवृत्ति का विकास (Development of Right Attitude):
स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल निर्देश देकर ही पूरा नहीं किया जा सकता बल्कि इसे पूरा करने के लिए सकारात्मक सोच की अति-आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य संबंधी उचित मनोवृत्ति का विकास तभी अस्तित्व में आ सकता है, यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी आदतें और व्यवहार इस प्रकार परिवर्तित करे कि वे उसकी आवश्यकताओं का अंग बन जाएँ, तो इससे एक अच्छे समाज और राष्ट्र की नींव रखी जा सकती है।

4. स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान (Knowledge about Health):
पुराने समय में स्वास्थ्य संबंधी बहुत अज्ञानता थी, परन्तु समय बदलने से रेडियो, टी०वी०, अखबारों और पत्रिकाओं ने संक्रामक बीमारियों और उनकी रोकथाम, मानसिक चिंताओं और उन पर नियंत्रण और संतुलित भोजन के गुणों के बारे में वैज्ञानिक ढंग से जानकारी सामान्य लोगों तक पहुँचाई है। यह ज्ञान उन्हें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित करता है।

5. स्वास्थ्य संबंधी नागरिक ज़िम्मेदारी का विकास (To Develop Civic Sense about Health):
स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्रों या व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी नागरिक जिम्मेदारी या उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना है। उन्हें नशीली वस्तुओं का सेवन करना, जगह-जगह पर थूकना, खुली जगह पर मल-मूत्र करना और सामाजिक अपराध आदि जैसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए।

6. आर्थिक कुशलता का विकास (Development of Economic Efficiency):
आर्थिक कुशलता का विकास तभी हो सकता है अगर स्वस्थ व्यक्ति अपने कार्यों को सही ढंग से करें। अस्वस्थ मनुष्य अपनी आर्थिक कुशलता में बढ़ोतरी नहीं कर सकता। स्वस्थ व्यक्ति जहाँ अपनी आर्थिक कुशलता में बढ़ोतरी करता है, वहीं उससे देश की आर्थिक कुशलता में भी बढ़ोतरी होती है। इसीलिए स्वस्थ नागरिक समाज व देश के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं । उनको देश की बहुमूल्य संपत्ति कहना गलत नहीं होगा।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य शिक्षा से क्या अभिप्राय है? इसकी महत्ता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा क्या है? इसकी हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है? वर्णन करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ (Meaning of Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। इसका संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनने में सहायता करते हैं । यह एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है।

स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता या उपयोगिता (Importance or Utility of Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) ने कहा था-“एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मजबूत काया का मालिक नहीं बन सकता।” इसलिए स्वास्थ्य की हमारे जीवन में विशेष उपयोगिता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समाज, देश आदि के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति को स्वास्थ्य से संबंधित विशेष जानकारियाँ प्रदान करती है, जिनकी पालना करके व्यक्ति संतुष्ट एवं सुखदायी जीवन व्यतीत कर सकता है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है

1. स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान (Knowledge about Health):
पुराने समय में बच्चों और साधारण लोगों में स्वास्थ्य संबंधी बहुत अज्ञानता थी, परन्तु समय बदलने से रेडियो, टी०वी०, अखबारों और पत्रिकाओं ने शारीरिक बीमारियों और उनकी रोकथाम, मानसिक चिंताओं और उन पर नियंत्रण और संतुलित भोजन के गुणों के बारे में वैज्ञानिक ढंग से जानकारी साधारण लोगों तक पहुँचाई है। स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान के कारण व्यक्तियों का जीवन सुखमय व आरामदायक हुआ है।

2. स्वास्थ्यप्रद आदतों का विकास (Development of Healthy Habits):
बचपन में बालक जैसी आदतों का शिकार हो जाता है वो आदत बालक के साथ जीवनपर्यन्त चलती है। अतः बालक को स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर साफ-सफाई का ध्यान, सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, खाने-पीने तथा शौच का समय निश्चित होना ऐसी स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने से व्यक्ति स्वस्थ तथा दीर्घायु रह सकता है। यह स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।

3. सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Qualities):
स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करके उसे अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छा व्यक्तित्व निखारती है, वहीं इसके साथ-साथ यह और कई प्रकार के गुणों; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।

4. प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान करना (To Provide First Aid Information):
स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जा सकती है जिसके अन्तर्गत व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा के सामान्य सिद्धान्तों की तथा विभिन्न परिस्थितियों में जैसे-साँप के काटने पर, डूबने पर, जलने पर, अस्थि टूटने आदि पर प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान की जाती है क्योंकि इस प्रकार की दुर्घटनाएँ कहीं भी, कभी भी तथा किसी के भी साथ घट सकती है तथा व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है। ऐसी जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही दी जा सकती है।

5. स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक आदतों को बढ़ाने में सहायक (Helpful in increase the Desirable Health Habits):
स्वास्थ्य शिक्षा जीवन के सिद्धांतों एवं स्वास्थ्य की अच्छी आदतों का विकास करती है; जैसे स्वच्छ वातावरण में रहना, पौष्टिक व संतुलित भोजन करना आदि।

6. जागरूकता एवं सजगता का विकास (Development of Awareness and Alertness):
स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति सजग एवं जागरूक रह सकता है। उसके चारों तरफ क्या घटित हो रहा है उसके प्रति वह हमेशा सचेत रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति सजग एवं जागरूक रहता है।

7.बीमारियों से बचाववरोकथाम के विषय में सहायक (Helpful Regarding Prevention and Control of Diseases):
स्वास्थ्य शिक्षा संक्रामक-असंक्रामक बीमारियों से बचाव व उनकी रोकथाम के विषय में हमारी सहायता करती है। इन बीमारियों के फैलने के कारण, लक्षण तथा उनसे बचाव व इलाज के विषय में जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा से ही मिलती है।

8. शारीरिक विकृतियों को खोजने में सहायक (Helpful in Discovering Physical Deformities):
स्वास्थ्य शिक्षा शारीरिक विकृतियों को खोजने में सहायक होती है। यह विभिन्न प्रकार की शारीरिक विकृतियों के समाधान में सहायक होती है।

9. मानवीय संबंधों को सुधारना (Improvement in Human Relations):
स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे मानवीय संबंधों का निर्माण करती है। स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थियों को यह ज्ञान देती है कि किस प्रकार वे अपने मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों व समुदाय के स्वास्थ्य के लिए कार्य कर सकते हैं।

10. सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive View):
स्वास्थ्य शिक्षा से व्यक्ति की सोच काफी विस्तृत होती है। वह दूसरे व्यक्तियों के दृष्टिकोण को भली भाँति समझता है। उसकी सोच संकीर्ण न होकर व्यापक दृष्टिकोण वाली होती है।

प्रश्न 7.
स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आज का बालक कल का भविष्य है। उसको इस बात का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है कि वह अपने तन व मन को किस प्रकार से स्वस्थ रख सकता है। एक पुरानी कहावत है-“स्वास्थ्य ही जीवन है।” अगर धन खो दिया तो कुछ खास नहीं खोया, लेकिन यदि स्वास्थ्य खो दिया तो सब कुछ खो दिया। अतः सुखी व प्रसन्नमय जीवन व्यतीत करने के लिए उत्तम स्वास्थ्य का होना बहुत आवश्यक है।

एक स्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार, समाज तथा देश के लिए हर प्रकर से सेवा प्रदान कर सकता है, जबकि अस्वस्थ या बीमार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता। तन व मन को स्वस्थ व प्रसन्न रखने में स्वास्थ्य शिक्षा महत्त्वपूर्ण योगदान देती है, क्योंकि स्वास्थ्य शिक्षा में वे सभी क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं जिनसे व्यक्ति में स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ती है, और इनके परिणामस्वरूप उसका स्वास्थ्य तंदुरुस्त रहता है। स्वास्थ्य शिक्षा को बहुत-से कारक प्रभावित करते हैं जिनमें से प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं

1. संतुलित भोजन (Balance Diet):
संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है और स्वस्थ जीवन हेतु भोजन ही मुख्य आधार है। वास्तव में हमें भोजन की जरूरत न केवल ऊर्जा या शक्ति की पूर्ति हेतु होती है बल्कि शरीर की वृद्धि, उसकी क्षतिपूर्ति और उचित शिक्षा प्राप्त करने हेतु भी होती है। अतः स्पष्ट है कि संतुलित भोजन स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करता है।

2. शारीरिक व्यायाम (Physical Exercise):
स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा व्यक्ति अपने शरीर को शारीरिक व्यायामों द्वारा लचीला एवं सुदृढ़ बनाता है। शारीरिक व्यायाम की क्रियाओं द्वारा पूरे शरीर को तंदुरुस्त बनाया जा सकता है। कौन-से व्यायाम कब करने चाहिएँ और कब नहीं करने चाहिएँ, का ज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्राप्त होता है।

3. आदतें (Habits):
आदतें भी स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव व आदतें अलग-अलग होती हैं। बालक की स्वास्थ्य शिक्षा उसके स्वभाव एवं आदत पर निर्भर करती है। बच्चों में अच्छी आदतों का विकास किया जाए, ताकि वह एक सफल नागरिक बन सके। अच्छी आदतों वाला व्यक्ति उचित मार्ग पर अग्रसर होकर तरक्की करता है। स्वास्थ्य शिक्षा अच्छी आदतों का विकास करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।

4. बीमारी (Disease):
स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है कि “एक व्यक्ति जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मज़बूत काया का मालिक नहीं बन सकता।” अत: बीमारी भी स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती है। एक बीमार बालक कोई भी शिक्षा प्राप्त करने में पूर्ण रूप से समर्थ नहीं होता। स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से एक स्वस्थ व्यक्ति या बालक प्रायः बीमारियों से मुक्त रहता है।

5. जीवन-शैली (Lifestyle):
जीवन-शैली जीवन जीने का एक ऐसा तरीका है जो व्यक्ति के नैतिक गुणों या मूल्यों और दृष्टिकोणों को प्रतिबिम्बित करता है। यह किसी व्यक्ति विशेष या समूह के दृष्टिकोणों, व्यवहारों या जीवन मार्ग का प्रतिमान है। स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने हेतु एक स्वस्थ जीवन-शैली बहुत आवश्यक होती है। एक स्वस्थ जीवन-शैली व्यक्तिगत रूप से पुष्टि के स्तर को बढ़ाती है। यह हमें बीमारियों से बचाती है और हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती है। इसके माध्यम से आसन संबंधी विकृतियों में सुधार होता है। इसके माध्यम से मनोवैज्ञानिक शक्ति या क्षमता में वृद्धि होती है जिससे तनाव, दबाव व चिंता को कम किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि एक स्वस्थ जीवन-शैली स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती है।

6. वातावरण (Environment):
स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने हेतु स्वच्छ वातावरण का होना बहुत आवश्यक है। वातावरण दो प्रकार के होते हैं
(i) आन्तरिक वातावरण,
(ii) बाह्य वातावरण। दोनों प्रकार के वातावरण बालक को प्रभावित करते हैं।
शिक्षा प्राप्त करने हेतु स्कूली वातावरण विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। बिना वातावरण के कोई भी विद्यार्थी किसी प्रकार का ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता। इसलिए स्कूल प्रबन्धों को स्कूली वातावरण की ओर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, ताकि विद्यार्थी बिना किसी बाधा के ज्ञान अर्जित कर सकें।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 8.
स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों के विभिन्न सिद्धांतों या नियमों का ब्योरा दें। अथवा स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रमों के लिए किन-किन बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए? अथवा आप अपने स्कूल में स्वास्थ्य शिक्षण कार्यक्रम को कैसे अधिक प्रभावशाली बनाएँगे?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों के विभिन्न सिद्धांत अथवा नियम निम्नलिखित हैं

  1. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बच्चों की आयु और लिंग के अनुसार होना चाहिए।
  2. स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देने का तरीका साधारण और जानकारी से भरपूर होना चाहिए।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए अपितु उसकी प्राप्तियों के बारे में कार्यक्रम बनाने चाहिएँ।
  4. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम लोगों या छात्रों की आवश्यकताओं, रुचियों और पर्यावरण के अनुसार होना चाहिए।
  5. मनुष्य का व्यवहार ही उसका सबसे बड़ा गुण है, जिसमें उसकी रुचि ज्यादा है वह उसे सीखने और करने के लिए तैयार रहता है। इसलिए कार्यक्रम बनाते समय बच्चों की उत्सुकता, रुचियों और इच्छाओं का ध्यान रखना चाहिए।
  6. स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देते समय जीवन से संबंधित समस्याओं पर भी बातचीत होनी चाहिए।
  7. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्तर के अनुसार बनाना चाहिए।
  8. स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम ऐसे होने चाहिएँ जो बच्चों की अच्छी आदतों को उत्साहित कर सकें ताकि वे अपने सोचने के तरीके को बदल सकें।
  9. स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों में बुरी आदतों को छोड़ने और अच्छी आदतों को ग्रहण करने हेतु फिल्में, चार्ट, टी०वी०, रेडियो आदि माध्यमों के प्रयोग द्वारा बच्चों को प्रेरित किया जाना चाहिए।
  10. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अंग होना चाहिए।
  11. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम रुचिपूर्ण, शिक्षा से भरपूर और मनोरंजनदायक होना चाहिए।
  12. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम प्रस्तुत करते समय लोगों में प्रचलित भाषा का प्रयोग करना चाहिए। यह भाषा उनकी आयु और समझने की क्षमता के अनुसार होनी चाहिए।
  13. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बनाते समय संक्रामक-असंक्रामक बीमारियों के बारे में व उनकी रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
  14. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम केवल एक व्यक्ति तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसका क्षेत्र विशाल होना चाहिए।
  15. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम लोगों की आंतरिक भावनाओं को जानकर ही बनाना चाहिए।
  16. स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम में पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर के विषय शामिल होने चाहिएँ।

प्रश्न 9.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के विभिन्न तत्त्व या घटक कौन-कौन-से हैं? वर्णन कीजिए। अथवा स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य क्षेत्रों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र बहुत विशाल है। यह केवल स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है। इसमें स्वास्थ्य ज्ञान के अतिरिक्त और बहुत-से घटक शामिल हैं, जिनका आपस में गहरा संबंध होता है। ये सभी घटक बच्चों के स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम के विभिन्न घटक या क्षेत्र निम्नलिखित हैं

1. स्वास्थ्य सेवाएँ (Health Services):
छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना भी विद्यालय का मुख्य उत्तरदायित्व माना जाता है। स्वास्थ्य सेवाएँ वे सेवाएँ हैं जिनके माध्यम से छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है और उनमें पाए जाने वाले दोषों से माता-पिता को अवगत करवाया जाता है ताकि समय रहते उन दोषों का उपचार किया जा सके। इन सेवाओं के अंतर्गत स्कूल के अन्य कर्मचारियों एवं अध्यापकों के स्वास्थ्य की भी जाँच की जाती है।

आधुनिक युग में स्वास्थ्य सेवाओं की बहुत महत्ता है। स्वास्थ्य सेवाओं की सहायता से बच्चे और वयस्क अपने स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा उठा सकते हैं। साधारण जनता को ये सेवाएँ सरकार की ओर से मिलनी चाहिएँ, जबकि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल की ओर से ये सुविधाएँ मिलनी चाहिएँ । स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य बच्चों में संक्रामक रोगों को ढूँढकर उनके माता-पिता की सहायता से ठीक करना है। इस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए डॉक्टर, नर्स, मनोरोग चिकित्सक और अध्यापक विशेष योगदान दे सकते हैं।

2. स्वास्थ्यपूर्णस्कूली जीवन या वातावरण (Healthful School Living or Environment):
स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली वातावरण का अर्थ है कि स्कूल में संपूर्ण स्वच्छ वातावरण का होना या ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिससे छात्रों की सभी क्षमताओं एवं योग्यताओं को विकसित किया जा सके। स्कूल का स्वच्छ वातावरण ही छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ-ही-साथ उन्हें अधिक-से-अधिक सीखने हेतु प्रेरित करता है। स्कूल का वातावरण, रहने का स्थान और काम करने का स्थान स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

जिस देश के बच्चे और नवयुवक स्वस्थ होते हैं वह देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर होता है, क्योंकि आने वाला भविष्य उनसे बंधा होता है। बच्चा अपना अधिकांश समय स्कूल में गुजारता है। बच्चे का उचित विकास स्कूल के वातावरण पर निर्भर करता है। यह तभी संभव हो सकता है, अगर साफ़-सुथरा व स्वच्छ स्कूल अर्थात् वातावरण हो। स्वच्छ वातावरण बच्चे और वयस्क दोनों को प्रभावित करता है। स्वच्छ वातावरण केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावात्मक और नैतिक विकास में भी सहायक होता है।

3. स्वास्थ्य अनुदेशन या निर्देशन (Health Instructions):
स्वास्थ्य निर्देशन का आशय है-स्कूल के बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना। बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी ऐसी जानकारी देना कि वे स्वयं को स्वच्छ एवं नीरोग बना सकें। स्वास्थ्य निर्देशन स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों एवं दृष्टिकोणों का विकास करते हैं। ये बच्चों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना है ताकि वे स्वयं को स्वस्थ रख सकें।

स्वास्थ्य संबंधी निर्देशन में वे सभी बातें आ जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं; जैसे अच्छी आदतें, स्वास्थ्य को ठीक रखने के तरीके और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आदि। शरीर की बनावट एवं संरचना, संक्रामक रोगों के लक्षण एवं कारण, इनकी रोकथाम या बचाव के उपायों के लिए बच्चों को फिल्मों या तस्वीरों आदि के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। स्वास्थ्य निर्देशन की जानकारी प्राप्त कर बच्चे अनावश्यक विकृतियों या कमजोरियों का शिकार होने से बच सकते हैं।

प्रश्न 10.
छात्रों के स्वास्थ्य में सुधार हेतु शारीरिक शिक्षा का अध्यापक क्या भूमिका निभा सकता है? अथवा शारीरिक शिक्षा का अध्यापक विद्यार्थियों के स्वास्थ्य में क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर:
छात्र अपना अधिकांश समय स्कूल में व्यतीत करते हैं। जितना वे स्कूल के वातावरण में सीखते हैं उतना शायद ही कहीं और सीखते हैं। स्कूल के वातावरण में सबसे अधिक वे अध्यापकों से प्रभावित होते हैं एवं उनको अपना आदर्श मानते हैं। स्कूल में शारीरिक शिक्षा के अध्यापक का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वह विद्यार्थियों को अच्छे स्वास्थ्य हेतु प्रेरित करता है। शारीरिक शिक्षा का अध्यापक बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए निम्नलिखित उपाय कर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देता है या दे सकता है

1. शारीरिक शिक्षा का अध्यापक छात्रों को उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु प्रेरित करता है। वह व्यक्तिगत स्वास्थ्य के महत्त्व को बताकर उनके स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

2. वह विद्यार्थियों को नियमित दिनचर्या के महत्त्व बताता है । वह छात्रों में अच्छी आदतें अपनाने हेतु प्रोत्साहित करता है। वह छात्रों को नियमित समय पर सोने एवं उठने के लिए प्रोत्साहित करता है। जो छात्र नियमित समय पर सोते एवं उठते हैं वे हमेशा चुस्त एवं फुर्तीले होते हैं। उनमें आलस्य नहीं होता।

3. वह छात्रों को स्वास्थ्य की महत्ता बताकर उनको अपने स्वास्थ्य हेतु जागरूक करता है। वर्जिल के अनुसार, “सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है।” वर्जिल का यह कथन इस प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण है।

4. वह अभिभावकों को भी स्वास्थ्य संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी देकर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है ताकि अभिभावक
अपने बच्चों के स्वास्थ्य की ओर विशेष रूप से ध्यान दे सकें।

5. वह स्कूल में स्वास्थ्य संबंधी अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करवाकर भी छात्रों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

6. अधिकांश शारीरिक शिक्षा के अध्यापक चुस्त एवं फुर्तीले होते हैं और अधिकांश छात्र अपने अध्यापकों का अनुसरण करते हैं। अत: वे अपने व्यक्तित्व से भी छात्रों को प्रभावित कर सकते हैं।

7. वह छात्रों को संक्रामक बीमारियों के कारणों व लक्षणों से अवगत करवाता है तथा उनकी रोकथाम के उपायों से भी अवगत करवाता है।

8. वह छात्रों को भोजन के आवश्यक तत्त्वों की महत्ता के बारे में बताता है। यदि भोजन में सभी आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होंगे तो इसका इनके स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

9. वह विद्यार्थियों को नशीले पदार्थों के दुष्परिणामों से अवगत करवाता है।

10. वह विद्यार्थियों को स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों को विकसित करने में सहायता करता है।

11. शारीरिक शिक्षा का अध्यापक स्कूल में अनेक शारीरिक क्रियाएँ करवाता है जिनका छात्रों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 11.
व्यक्ति एवं समाज के स्वास्थ्य की भलाई के लिए विभिन्न संगठनों की भागीदारी के योगदान का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में स्वास्थ्य कल्याण हेतु कार्यरत प्रमुख संघों या संस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में किसी देश की शक्ति का अनुमान वहाँ के स्वस्थ नागरिकों से लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य की पूर्ण व्याख्या किसी व्यक्ति के सही शारीरिक पक्ष से की जा सकती है। स्वास्थ्य की पूर्ण व्याख्या से अभिप्राय व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक पक्ष के पूर्ण होने से है।

प्रत्येक पक्ष से स्वस्थ व्यक्ति अच्छे समाज का निर्माण करता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य का ज्ञान अति आवश्यक है। विकासशील देशों में सरकार और अन्य संगठन लोगों के स्वास्थ्य के लिए भरपूर सेवाएँ उपलब्ध करवाते हैं। भारत में निम्नलिखित प्रमुख संघ या संस्थान स्वास्थ्य कल्याण हेतु कार्यरत हैं

1. भारतीय तपेदिक रोग संगठन (Tuberculosis Association of India):
भारतीय तपेदिक रोग संगठन वर्ष 1939 में अस्तित्व में आया। इसका मुख्य कार्य टी०बी० से पीड़ित लोगों को इससे राहत देना है। भारत की बहुत-सी जनसंख्या इस रोग से पीड़ित है। भारत सरकार ने इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए कई बड़े-बड़े अस्पताल और अन्वेषण केंद्र स्थापित किए हैं, ताकि इस घातक बीमारी से लोगों को निजात दिलाई जा सके। यह संगठन डॉक्टरों, नर्सी और अन्य संगठन जो इस रोग के निवारण हेतु योगदान दे रहे हैं, उन्हें प्रशिक्षण की सुविधाएँ प्रदान करता है।

2. भारत सेवक समाज (Bharat Sewak Samaj):
भारत सेवक समाज संस्था वर्ष 1952 में अस्तित्व में आई। यह एक गैर-सरकारी संस्था है। इसका मुख्य कार्य लोगों को स्वस्थ रहने के तौर-तरीके बताना है। यह संस्था समय-समय पर शहरों और गाँवों में शिविर लगाकर लोगों को स्वास्थ्य चेतना या जागरूकता के बारे में जानकारी देती है।

3. अखिल भारतीय नेत्रहीन सहायक सोसायटी (All India Blind Relief Society):
यह सोसायटी वर्ष 1945 में स्थापित की गई। यह नेत्रहीन लोगों की सहायता के लिए कार्य कर रही है। यह अन्य कई संस्थाओं जोकि नेत्रहीनता को दूर करने के लिए कार्य कर रही हैं, उनकी सहायता करती है। इसका अस्तित्व सरकार की आर्थिक सहायता पर अधिक निर्भर करता है। यह समय-समय पर आँखों के शिविर लगाकर लोगों को आँखों की गंभीर बीमारियों से अवगत करवाती है और उन्हें इनके प्रति सुविधाएँ प्रदान करती है। यह लोगों को आँखें दान हेतु प्रेरित करती है, ताकि नेत्रहीनता के शिकार लोगों को रोशनी दी जा सके।

4. हिंद कुष्ठ निवारण संघ (Hind Kusht Niwaran Sangh):
हिंद कुष्ठ निवारण संघ वर्ष 1947 में स्थापित की गई। कुष्ठ रोग जैसी घातक बीमारी को रोकने के लिए यह संघ दिन-रात प्रयासरत है। यह संघ वैज्ञानिक खोजों से इस बीमारी के कारण और उपयुक्त इलाज संबंधी जानकारी लोगों को प्रदान कर रहा है।

5. भारतीय परिवार नियोजन संघ (Family Planning Association of India):
भारतीय परिवार नियोजन संघ की स्थापना वर्ष 1949 में हुई। भारत में बढ़ रही जनसंख्या पर रोक लगाने हेतु यह संघ प्रयासरत है। थोड़े ही समय में इसकी शाखाएँ पूरे भारत में खुल गई हैं। इस संघ ने अनेक डॉक्टरों और समाज-सुधारकों को प्रशिक्षण देकर लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जागरूक किया है।

6. भारतीय बाल कल्याण परिषद् (Indian Council for Child Welfare):
भारतीय बाल कल्याण परिषद् की स्थापना वर्ष 1952 में हुई। इसका मुख्य कार्य बच्चों संबंधी समस्याओं का हल और उनके कल्याण संबंधी योजनाएँ बनाना है। इस परिषद् ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिवस 14 नवंबर को बच्चों का दिन (बाल-दिवस) मनाने का निर्णय लिया। अब भारत में प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को यह दिन मनाया जाता है। यह परिषद् अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़ी हुई है। यह प्रत्येक वर्ष बच्चों के कल्याण के लिए नई-नई योजनाएँ बनाती है।

7. भारतीय चिकित्सा संघ (Indian Medical Association):
इस संघ का मुख्य कार्य सरकार का ध्यान राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की ओर दिलाना और उन्हें हल करने के लिए सहयोग देना है। यह संघ समय-समय पर सरकार से अपने वार्षिक बजट में आर्थिक सहायता की वृद्धि के लिए माँग करता है। भारतीय चिकित्सा संघ वैज्ञानिक अन्वेषण करके सरकार को घातक बीमारियों के फैलने और बचाव के बारे में सिफारिश करता रहता है। इस संघ की सिफारिश पर ही सरकार लोगों के स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार, अच्छी दवाइयाँ और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए नई-नई योजनाएँ बनाती रहती है।

8. भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी (Indian Redcross Society):
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी एक राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी का सदस्य है। भारत में यह वर्ष 1920 में अस्तित्व में आई। यह सोसायटी मानवता की सेवा में संलग्न है। यह लोगों को स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान, बीमारियों के बचाव और उपाय, युद्ध के दौरान घायलों की सहायता, प्राकृतिक आपदाओं के समय दवाइयाँ और आवश्यकतानुसार सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है। भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी जन-कल्याण के लिए निम्नलिखित कार्य करती है

  • रक्त बैंक की स्थापना करना और आवश्यकता पड़ने पर रक्त की सुविधाएँ उपलब्ध करना।
  • युद्ध के दौरान घायल हुए और रोगी सैनिकों की देखभाल करना।
  • भूकंप, बाढ़, प्लेग और सूखा पड़ने से पीड़ित लोगों की सहायता करना।
  • बाल कल्याण और उनकी भलाई के लिए विशेष योगदान देना।
  • तपेदिक, कुष्ठ, एड्स और अन्य कई बीमारियों की रोकथाम के लिए मुफ्त दवाइयाँ प्रदान करना।
  • उन अन्य संगठनों की आर्थिक सहायता करना, जो मानवता की सेवा में संलग्न हैं।
  •  दिव्यांग लोगों को नकली अंग देकर उनकी मदद करना।

लघूत्तरात्मक प्रश्न ( (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनने में सहायता करते हैं। यह एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है।

सामान्य शब्दों में, स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय बीमारियों पर काबू पाने, स्वास्थ्य सुधार के लिए प्रयत्न करने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए उत्साहित करने की प्रक्रिया से है। डॉ० थॉमस वुड के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”

प्रश्न 2.
स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

  1. विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाए रखना।
  2. बच्चों में ऐसी आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हों।
  3. रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना तथा प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी देना।
  4. सभी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना व निर्देश देना।
  5. सभी विद्यार्थियों में स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान तथा अभिव्यक्ति का विकास करना।
  6. व्यक्तिगत सफाई तथा स्वच्छता के बारे में जानकारी देना।
  7. स्वास्थ्य संबंधी आदतों का विकास करना।
  8. रोगों से बचने का उपाय करना और शारीरिक रोगों की जांच करना।

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत हमें किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान स्वयं में ही सरल उपाय है जिसके द्वारा रोगों को फैलने से रोका जा सकता है। हमें स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए तथा उनका प्रचार करना चाहिए

  1. विभिन्न खाद्य-पदार्थों में कौन-कौन-से पोषक तत्त्व उपलब्ध होते हैं?
  2. विभिन्न रोगों के क्या कारण होते हैं? वे किस प्रकार फैलते हैं तथा उनसे बचने के तरीके क्या हैं?
  3. स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत स्तर पर अच्छी आदतों का ज्ञान तथा सामुदायिक स्तर पर अच्छी परंपराओं की आवश्यकता।
  4. विभिन्न नशीले व मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले कुप्रभावों तथा परिणामों की जानकारी।
  5. खाद्य-पदार्थों को पकाने तथा उन्हें संगृहीत करने की विधियाँ।
  6. वातावरण को स्वच्छ रखने की विधियाँ या तरीके।
  7. घरेलू या औद्योगिक स्तर पर उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों के निपटान की विधियाँ।

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प्रश्न 4.
स्वास्थ्य शिक्षा का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? अथवा स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता लिखें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है
1. मानवीय संबंधों में वृद्धि करना-स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे मानवीय संबंधों में वृद्धि करती है। स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थियों को यह ज्ञान भी देती है कि किस प्रकार वे अपने मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों व समुदाय के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कार्य कर सकते हैं।

2. बीमारियों से बचाव व रोकथाम में सहायक-स्वास्थ्य शिक्षा कई प्रकार की बीमारियों के बचाव व रोकथाम के विषय में हमारी सहायता करती है। विभिन्न प्रकार की बीमारियों के फैलने के कारण, लक्षण, उनसे बचाव व इलाज के विषय में जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा से ही मिलती है।

3. सामाजिक गुणों का विकास-स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करके उसे अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छा व्यक्तित्व निखारती है, वहीं इसके साथ-साथ यह और कई प्रकार के गुणों; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।

प्रश्न 5.
स्वस्थ व्यक्ति किसे कहते हैं? अच्छे स्वास्थ्य के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:
स्वस्थ व्यक्ति-स्वस्थ व्यक्ति के शरीर के सभी अंगों की बनावट और उनके कार्य ठीक-ठाक होते हैं। वह हर प्रकार के मनोवैज्ञानिक, मानसिक व सामाजिक तनावों से मुक्त होता है। केवल शारीरिक रोगों से मुक्त व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ नहीं होता, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति को रोग घटकों से भी मुक्त होना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लाभ:

  1. अच्छे स्वास्थ्य से व्यक्ति का जीवन सुखमय व आनंदमय होता है।
  2. अच्छे स्वास्थ्य का न केवल व्यक्तिगत लाभ होता है, बल्कि इसका सामूहिक लाभ भी होता है। इसका समाज व देश पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 6.
अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में स्वास्थ्य शिक्षा किस प्रकार सहायक होती है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक तौर पर विकारों तथा तनावों को दूर करने की आवश्यकता है, परंतु भारतवर्ष में बहुत-से लोग इस बात से भी अनभिज्ञ हैं कि कौन-कौन-से रोग किस-किस कारण से होते हैं? उनकी रोकथाम कैसे की जा सकती है तथा उनके बचाव के क्या उपाय हैं? केवल रोगों के निदान से ही स्वास्थ्य कायम नहीं होता।

इसके लिए बाह्य कारक; जैसे प्रदूषण तथा सूक्ष्म-जीवों के संक्रमण से भी बचाव अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य शिक्षा संतुलित आहार और उनमें पौष्टिक तत्त्व की कितनी-कितनी मात्रा होनी चाहिए आदि की जानकारी देने में हमारी सहायता करती है। स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा ही हमें किसी रोग के कारण, लक्षण और उनकी रोकथाम के उपायों का पता चलता है। स्वास्थ्य शिक्षा ही हमें पर्यावरण से संबंधित आवश्यक जानकारी देती है।

प्रश्न 7.
अभिभावकों को शिक्षित करके बच्चों में होने वाले रोगों की रोकथाम किस प्रकार की जा सकती है?
अथवा
माता-पिता किस प्रकार बच्चों की रोगों से बचाव हेतु सहायता कर सकते हैं?
उत्तर:
अभिभावकों को शिक्षित करके बच्चों में होने वाले रोगों की रोकथाम निम्नलिखित उपायों द्वारा की जा सकती है

  1. अभिभावकों को उचित एवं संतुलित आहार तथा विशेष परिस्थितियों में भोजन की आवश्यकताओं का ज्ञान कराने से बच्चों में कुपोषण से होने वाले रोगों की रोकथाम की जा सकती है।
  2. जन्म के बाद बच्चों में रोगों के कारण मृत्यु होने की संभावना रहती है। इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक है कि अभिभावक अपने बच्चों को समय-समय पर प्रतिरक्षी टीके लगवाएँ।
  3. महिलाओं को यह ज्ञान कराना आवश्यक है कि बच्चे के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम आहार है। इससे बच्चे को सभी पोषक तत्त्व तथा प्रतिजैविक पदार्थ प्राप्त होते हैं।
  4. अभिभावकों को विभिन्न रोगाणुओं से संक्रमण के तरीके तथा उनसे बचाव के उपायों की शिक्षा देकर भी बच्चों को इनसे होने वाले रोगों से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं। स्कूल में जाने वाले बच्चे किसी राष्ट्र को सशक्त व मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्त राष्ट्र का उत्तरदायित्व उनके कोमल कंधों पर टिका होता है। इसलिए स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य ही स्कूल प्रणाली का महत्त्वपूर्ण तथा प्राथमिक मुद्दा है। अतः स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम वह ग्रहणित प्रक्रिया है जिसको स्कूली स्वास्थ्य सेवाओं, स्वास्थ्यप्रद स्कूली जीवन और स्वास्थ्य अनुदेशन में बच्चों के स्वास्थ्य के विकास के लिए अपनाया जाता है। इस प्रकार स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तीन चरण होते हैं:

  1. स्वास्थ्य सेवाएँ (Health Services),
  2. स्वास्थ्यप्रद स्कूली जीवन या वातावरण (Healthful School Living or Environment) तथा
  3. स्वास्थ्य अनुदेशन या निर्देशन (Health Instructions)।

प्रश्न 9.
स्वास्थ्य शिक्षा के किन्हीं चार सिद्धांतों का उल्लेख करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के चार सिद्धांत निम्नलिखित हैं

  1. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम व पाठ्यक्रम बच्चों की आयु और रुचि के अनुसार होना चाहिए।
  2. स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देने का तरीका साधारण और जानकारी से भरपूर होना चाहिए।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं रखनी चाहिए अपितु उसकी प्राप्तियों के बारे में कार्यक्रम बनाने चाहिएँ।
  4. स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम छात्रों की आवश्यकताओं, इच्छाओं और पर्यावरण के अनुसार होना चाहिए।

प्रश्न 10.
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी वातावरण हेतु किन मुख्य बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी वातावरण हेतु निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए

  1. अध्यापकों को अपना पाठ्यक्रम बच्चों की इच्छाओं, आवश्यकताओं, रुचियों के अनुसार बनाना चाहिए। इसके लिए अध्यापक को अपने अनुभव का प्रयोग करना चाहिए।
  2. बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय का भवन रेलवे स्टेशनों, सिनेमाघरों, कारखानों, यातायात सड़कों आदि से दूर होना चाहिए।
  3. बच्चों के संपूर्ण विकास हेतु अध्यापकों एवं छात्रों में सहसंबंध होना चाहिए।
  4. विद्यालय की समय-सारणी का विभाजन छात्रों के स्तर के अनुसार होना चाहिए।

प्रश्न 11.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महत्त्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम से बच्चे अनेक बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य तथा स्वच्छता की जानकारी स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक है। स्कूल के दिनों में बच्चों में जिज्ञासा की प्रवृत्ति अति तीव्र होती है। उनकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ये कार्यक्रम अति-आवश्यक होते हैं। सभी स्कूली छात्र कक्षा के अनुसार समान आयु के होते हैं, इसलिए उनकी समस्याएँ भी लगभग एक-जैसी होती हैं और उनके निदान के प्रति दृष्टिकोण भी एक-जैसा ही होता है।

इसलिए स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम सभी छात्रों के लिए समान रूप से उपयोगी होते हैं। स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को पोषक तत्त्वों एवं खनिज-लवणों की जानकारी की महत्ता बताई जाती है जो उनकी संपूर्ण जिंदगी में सहायक होती है। स्कूल के दिनों के दौरान विद्यालयी स्वास्थ्य कार्यक्रम अनेक अच्छी आदतों के निर्माण में सहायक हैं जो समाज के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 12.
स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख उपाय या अभियान बताएँ। अथवा आजकल स्कूलों में बच्चों को अपने परिवेश के बारे में जागरूक बनाने हेतु अपनाए गए प्रमुख तरीके बताएँ।
उत्तर:
वर्तमान समय में स्कूलों में स्वास्थ्य के प्रति बच्चों को जागरूक बनाने के लिए नए-नए तरीके या अभियान अपनाए जा रहे हैं। इनका विवरण निम्नलिखित है

1. मेडिकल निरीक्षण-अनेक स्कूल सर्वप्रथम तो उस समय निरीक्षण की माँग करते हैं, जब बच्चे स्कूल में प्रवेश पाते हैं और उसके बाद वे नियमित अंतराल के बाद मेडिकल निरीक्षण करवाने पर जोर डाल सकते हैं । इसके अंतर्गत वे शारीरिक माप, स्वास्थ्य जाँच, बोलने एवं सुनने की जाँच तथा खून की जाँच करवाते हैं। इसके अतिरिक्त दाँतों की देखभाल, संक्रामक रोगों के लक्षण, कारण एवं इसकी रोकथाम के उपायों आदि की जानकारी भी सेमिनारों के माध्यम से दी जाती है।

2. रोगों से मुक्ति के कार्यक्रम- अधिकतर स्कूल अनेक रोगों से मुक्ति के कार्यक्रम चलाते हैं; जैसे पल्स पोलियो, टी०बी०, मलेरिया, हेपेटाइटिस-बी, चेचक आदि।

3. एड्स जागरूकता संबंधी कार्यक्रम-स्कूल राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकतर भयानक बीमारियों; जैसे एड्स को . नियंत्रण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

4. प्राथमिक सहायता और आपातकालीन सेवाओं के पाठ्यक्रम- स्कूलों के आधुनिक तरीकों के अंतर्गत विद्यार्थियों को कक्षाओं तथा पाठ्यक्रम के माध्यम से प्राथमिक सहायता तथा आपातकालीन सेवाओं की जानकारी दी जाती है।

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प्रश्न 13.
स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के प्रमुख उपाय बताएँ।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं

  1. स्वास्थ्य शिक्षा का पाठ्यक्रम बच्चों की आवश्यकताओं एवं रुचियों के अनुसार होना चाहिए।
  2. स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रम व्यावहारिक जीवन से संबंधित होने चाहिएँ।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी आदतें, पर्यावरण प्रदूषण, प्राथमिक उपचार, बीमारियों की रोकथाम आदि को चित्रों या फिल्मों की सहायता से समझाया या दिखाया जाना चाहिए।
  4. स्वास्थ्य शिक्षा में वाद-विवाद और भाषण आदि को अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  5. स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्यपूर्ण कार्यक्रमों को अधिक-से-अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चों को नियमित डॉक्टरी जाँच और अन्य सुविधाओं से लाभ हो सके।
  6. स्वास्थ्य शिक्षा में उन सभी पक्षों को शामिल करना चाहिए, जो छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक हों।

प्रश्न 14.
हमारे जीवन में अच्छे स्वास्थ्य की क्या उपयोगिता है?
अथवा
स्वास्थ्य (Health) का महत्त्व बताएँ।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर सकता। इसलिए स्वास्थ्य का हमारे जीवन में निम्नलिखित प्रकार से विशेष महत्त्व या उपयोगिता है:

  1. स्वास्थ्य मानव व समाज का आधार स्तंभ है। यह असल में खुशी, सफलता और आनंदमयी जीवन की कुंजी है।
  2. अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी होते हैं।
  3. स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अरस्तू ने कहा था-“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” अतः इस कथन से भी हमारे जीवन में स्वास्थ्य की उपयोगिता व्यक्त हो जाती है।
  4. स्वास्थ्य व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
  5. किसी भी देश के नागरिकों के स्वास्थ्य व आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। यदि किसी देश के नागरिक स्वस्थ होंगे तो आर्थिक विकास भी अच्छा होगा।

प्रश्न 15.
स्कूल में स्वास्थ्य निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्कूल में स्वास्थ्य निर्देशन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. बच्चों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी देना।
  2. बच्चों को स्वास्थ्य के विषय में पर्याप्त ज्ञान देना।
  3. स्वास्थ्य संबंधी महत्त्वपूर्ण नियमों या सिद्धांतों की जानकारी देना।
  4. संक्रामक रोगों की रोकथाम के उपायों की जानकारी देना।
  5. बच्चों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने हेतु प्रेरित करना।
  6. अच्छी आदतें एवं सेहत को ठीक रखने के उपाय बताना।

प्रश्न 16.
विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना भी विद्यालय का मुख्य उत्तरदायित्व माना जाता है। विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाएँ, वे सेवाएँ हैं जिनके माध्यम से छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है और उनमें पाए जाने वाले दोषों से माता-पिता को अवगत करवाया जाता है ताकि समय रहते उन दोषों का उपचार किया जा सके। इन सेवाओं के अंतर्गत स्कूल के अन्य कर्मचारियों एवं अध्यापकों के स्वास्थ्य की भी जाँच की जाती है।

इनके अंतर्गत छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें सभी प्रकार की बीमारियों के लक्षणों, कारणों, रोकथाम या बचाव के उपायों की जानकारी प्रदान की जाती है। स्कूल/विद्यालय में ऐसी सुविधाओं को विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाएँ (School Health Services) कहा जाता है। आधुनिक युग में इन सेवाओं की बहुत आवश्यकता है।

प्रश्न 17.
स्कूल के स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिए। उत्तर-स्कूल के स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक निम्नलिखित प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है

  1. शिक्षक छात्रों को स्वास्थ्य कार्यक्रम की उपयोगिता बताकर उन्हें अपने स्वास्थ्य हेतु प्रेरित कर सकता है।
  2. वह छात्रों को व्यक्तिगत सफाई के लिए प्रेरित कर सकता है, ताकि छात्र स्वयं को नीरोग एवं स्वस्थ रख सकें।
  3. शिक्षक छात्रों को संक्रामक रोगों के कारणों एवं रोकथाम के उपायों की जानकारी दे सकता है।
  4. शिक्षक को चाहिए कि वह स्वास्थ्य शिक्षा की विषय-वस्तु से संबंधित विभिन्न सेमिनारों का आयोजन करे।
  5. वह छात्रों को अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करे।

प्रश्न 18.
विद्यालयी स्वास्थ्य निर्देशन पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा स्वास्थ्य अनुदेशन/निर्देशन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्वास्थ्य निर्देशन से अभिप्राय है-स्कूल के बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी ऐसी जानकारी देना कि वे स्वयं को स्वस्थ एवं नीरोग बना सकें। स्वास्थ्य निर्देशन स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों एवं दृष्टिकोणों का विकास करते हैं । ये बच्चों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाते हैं । इनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना है ताकि वे स्वयं को स्वस्थ रख सकें।

स्वास्थ्य संबंधी निर्देशन में वे सभी बातें आ जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं; जैसे अच्छी आदतें, सेहत को ठीक रखने के तरीके और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आदि। शरीर की बनावट एवं संरचना, संक्रामक रोगों के लक्षण एवं कारण, इनकी रोकथाम या बचाव के उपायों के लिए बच्चों को फिल्मों या तस्वीरों आदि के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। स्वास्थ्य निर्देशन की जानकारी प्राप्त कर बच्चे अनावश्यक विकृतियों या कमजोरियों का शिकार होने से बच सकते हैं।

प्रश्न 19.
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा में क्या अंतर है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा में परस्पर अटूट संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं, क्योंकि आज एक ओर जहाँ स्वास्थ्य शिक्षा को शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत पढ़ाया जाता है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य शिक्षा के अध्ययन में भी शारीरिक शिक्षा के पक्षों पर जोर दिया जाता है। फिर भी इनमें कुछ अंतर है। शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत शारीरिक गतिविधियों या क्रियाओं पर विशेष बल दिया जाता है, जबकि स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है । शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र स्वास्थ्य शिक्षा से अधिक व्यापक है।

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प्रश्न 20.
सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा (Social Health Education) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जन्म से लेकर मृत्यु तक वह समाज का सदस्य बना रहता है। बिना समाज के इसके अस्तित्व की कल्पना करना व्यर्थ है। वह समाज के नियमों, कानूनों एवं मान-मर्यादाओं का पालन करता है और समाज में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाता है। यदि एक व्यक्ति समाज में अपनी अलग पहचान की योग्यता रखता है तो यही उसका सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा की ओर महत्त्वपूर्ण कदम है। सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्वपूर्ण पहलू है जिसका संबंध समाज के स्वास्थ्य से है।

यह शिक्षा सामाजिक गुणों का विकास करने में सहायक होती है जो सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में अच्छे समायोजन के लिए बहुत आवश्यक हैं। स्वास्थ्य जीवन का एक ऐसा पहलू है जिसकी कार्य-प्रणाली एवं उसे स्वस्थ रखने के उपायों का ज्ञान आवश्यक है, ताकि हम समाज को कुछ देने की आकांक्षा रख सके। सामाजिक एवं व्यक्तिगत रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही किसी को कुछ देने में समर्थ होता है। बीमार व्यक्ति न तो स्वयं की मदद कर सकता है और न ही समाज की।

सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा वह शिक्षा है जो एक व्यक्ति को समाज के अन्य सदस्यों के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत करती है और आसपास के लोगों से अच्छे संबंध बनाने की योग्यता एवं क्षमता का विकास करती है। जो व्यक्ति समाज से अनभिज्ञ होता है उसका व्यवहार समाज में अस्वीकार्य होता है। इसलिए हमें असामाजिक व्यवहार पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए। इसमें सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह शिक्षा निम्नलिखित सामाजिक मूल्यों के विकास में भी सहायक होती है

  1. सामूहिक एकता का विकास,
  2. सामाजिक व्यवहार में सुधार,
  3. सहयोग व स्वभाव का विकास,
  4. मनोवृत्ति का विकास,
  5. सहानुभूति एवं धैर्य का विकास,
  6. सामाजिक स्वास्थ्य में सुधार,
  7. सामाजिक आदर्शों को बनाए रखने में सहायक।

प्रश्न 21.
व्यक्तित्व स्वास्थ्य शिक्षा (Personal Health Education) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा, वह शिक्षा है जो हमें तंदुरुस्त एवं नीरोग रहने की जानकारी देती है। इसमें नीरोग रहने हेतु स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने पर बल दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को व्यक्तिगत स्तर पर बिना किसी दवाई के स्वस्थ बनाना है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों, बालों, आँखों, हाथों आदि की सफाई, भोजन संबंधी नियमों का पालन, नशीले पदार्थों से परहेज और व्यायाम आदि अपनाने पड़ते हैं, तभी न केवल व्यक्ति स्वयं के लिए बल्कि समाज और देश के लिए भी महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी होता है।

एक स्वस्थ व्यक्ति ही देश की उन्नति एवं विकास में सहायक होता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा हमें अच्छी आदतों को अपनाने की शिक्षा देती है। अच्छी आदतों से हमारा व्यक्तित्व आकर्षित एवं प्रभावशाली बनता है और अच्छी आदतों से हमारी सोच सकारात्मक बनती है। इसलिए हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। संक्षेप में, यह शिक्षा स्वस्थ एवं सुडौल शरीर बनाने में, रोग-मुक्त रहने में, रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाए रखने में और शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता सुचारू रूप से बनाए रखने में हमारी सहायता करती है।

प्रश्न 22.
ग्रामीण जीवन की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएँ क्या हैं? अथवा गाँवों में स्वास्थ्य संबंधी किसी एक समस्या का वर्णन करें।
उत्तर:
ग्रामीण जीवन की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं
1. स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का अभाव-गाँवों में अधिकतर मकान कच्चे तथा गलियाँ ऊँची-नीची तथा नालियां भी गन्दे पानी का निकास नहीं कर पातीं। इसलिए यह गन्दा तथा दूषित पानी गाँव के बीच में ही इकट्ठा होने लगता है और उस पर कई प्रकार के संक्रामक रोगों के कीटाणु पनपने लगते हैं।

2. हस्पतालों तथा डॉक्टरों का अभाव-ग्रामीण बीमारी के घरेलू इलाज तथा झाड़-फूंक से रोग-मुक्त होने की कोशिश करते हैं। कई बार ऐसा डॉक्टरी सुविधाओं की कमी के कारण भी करना पड़ जाता है। यदि पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ व हस्पताल उपलब्ध हो तो तुरन्त लाभ उठाया जा सकता है।

3. व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी-अधिकतर ग्रामीण लोग व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति लापरवाही करते हैं। यही लापरवाही कई बीमारियों को जन्म देती है। प्रतिदिन स्नान करके साफ व सुथरे कपड़े पहनने से, समय पर नाखून आदि काटने और बालों को साफ रखने व दाँतों की प्रतिदिन ब्रश आदि से सफाई करने की आदत न होने से अच्छे स्वास्थ्य की आशा नहीं की जा सकती।

4. मादक पदार्थों का सेवन-ग्रामवासियों में बीड़ी, तम्बाकू, शराब आदि पदार्थों का प्रचलन आम बात है, जो कि अन्ततः स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

प्रश्न 23.
स्वास्थ्य के कोई चार सिद्धांत या नियम बताएँ।
उत्तर:
स्वास्थ्य के चार सिद्धांत निम्नलिखित हैं

  1. हमें हमेशा शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए।
  2. हमें ताजा, पौष्टिक और संतुलित आहार करना चाहिए।
  3. हमेशा अपना आचरण व विचार शुद्ध व सकारात्मक रखने चाहिएँ और हमेशा खुश एवं सन्तुष्ट रहना चाहिए। कभी भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। हमेशा बड़ों का आदर करना चाहिए।
  4. मादक वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए हमें नशीली वस्तुओं; जैसे अफीम, शराब, चरस, गाँजा, तंबाकू आदि से स्वयं को बचाना चाहिए। दूसरों को भी नशीली वस्तुओं के दुष्प्रभावों से अवगत करवाना चाहिए।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं? अथवा स्वास्थ्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिसमें वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारू होते हैं। इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित और शरीर रोग-मुक्त रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।”

प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के आवश्यक कारक बताएँ।
उत्तर:

  1. व्यक्तिगत तथा पर्यावरण स्वच्छता,
  2. व्यायाम तथा उचित विश्राम,
  3. भोजन में पौष्टिक तत्त्व एवं खनिज लवण,
  4. स्वच्छ भोजन व जल का उपयोग।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य के विभिन्न पहलू या रूप बताइए।
उत्तर:
(1) शारीरिक स्वास्थ्य,
(2) मानसिक स्वास्थ्य,
(3) सामाजिक स्वास्थ्य,
(4) आध्यात्मिक स्वास्थ्य,
(5) संवेगात्मक स्वास्थ्य।

प्रश्न 4.
स्वस्थ व्यक्ति के कोई दो गुण लिखें।
उत्तर:
(1) स्वस्थ व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक एवं सुंदर होता है,
(2) वह चुस्त एवं फुर्तीला होता है।

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य के प्रमुख निर्धारक तत्त्व कौन-कौन-से हैं?
अथवा
विद्यालयी छात्रों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:

  1. आनुवंशिकता,
  2. वातावरण,
  3. जीवन-शैली,
  4. सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण,
  5. आर्थिक दशाएँ,
  6. पारिवारिक कल्याण सेवाएँ आदि।

प्रश्न 6.
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी एक राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी का सदस्य है। भारत में यह वर्ष 1920 में अस्तित्व में आई। यह सोसायटी मानवता की सेवा में संलग्न है। यह लोगों को स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान, बीमारियों के बचाव और उपाय, युद्ध के दौरान घायलों की सहायता, प्राकृतिक आपदाओं के समय दवाइयाँ और आवश्यकतानुसार सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है।

प्रश्न 7.
विद्यालयी स्वास्थ्य कार्यक्रम के विभिन्न अंग कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. स्वास्थ्य सेवाएँ,
  2. स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली वातावरण,
  3. स्वास्थ्य निर्देश।

प्रश्न 8.
सर्वपक्षीय विकास (All Round Development) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सर्वपक्षीय विकास से अभिप्राय व्यक्ति के सभी पक्षों का विकास करना है। वह शारीरिक पक्ष से बलवान, मानसिक पक्ष से तेज़, भावात्मक पक्ष से संतुलित, बौद्धिक पक्ष से समझदार और सामाजिक पक्ष से निपुण हो। सर्वपक्षीय विकास से व्यक्ति के व्यक्तित्व में बढ़ोतरी होती है। वह परिवार, समाज और राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है।

प्रश्न 9.
स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम कैसे होने चाहिएँ?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम रुचिकर, मनोरंजक तथा शिक्षाप्रद होने चाहिएँ, ताकि इनमें सभी बढ़-चढ़कर भाग ले सकें। ये बच्चों की रुचि, आयु, लिंग, स्वास्थ्य के स्तर तथा वातावरण की आवश्यकता के अनुसार तथा व्यावहारिक भी होने चाहिएँ, ताकि इनसे स्वास्थ्य संबंधी सभी पहलुओं की उचित जानकारी प्राप्त हो सके।

प्रश्न 10.
विद्यालयी स्वास्थ्य निर्देशन के कोई दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर:

  1. बच्चों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य की महत्ता की जानकारी देना,
  2. बच्चों को स्वास्थ्य के विषय में पर्याप्त ज्ञान देना।

प्रश्न 11.
स्वास्थ्य शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों या पहलुओं के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करते हैं। डॉ० थॉमस वुड के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”

प्रश्न 12.
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी जीवन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी जीवन का अर्थ है कि स्कूल में संपूर्ण स्वच्छ वातावरण का होना या ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिससे छात्रों की सभी क्षमताओं एवं योग्यताओं को विकसित किया जा सके। स्कूल का स्वच्छ वातावरण ही छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ-ही-साथ उन्हें अधिक-से-अधिक सीखने हेतु प्रेरित करता है।

प्रश्न 13.
निजी स्वास्थ्य क्या है?
उत्तर:
निजी स्वास्थ्य व्यक्ति का स्वयं का स्वास्थ्य है। इसमें वह व्यक्तिगत रूप से अपने शरीर की देख-रेख अर्थात् साफ-सफाई का ध्यान रखता है।

प्रश्न 14.
हमें स्वास्थ्य की आवश्यकता क्यों होती है? दो कारण बताएँ।
उत्तर:

  1. आनंदमय एवं सुखमय जीवन जीने हेतु,
  2. शारीरिक अंगों की कार्य प्रणाली सुचारू रूप से चलाने हेतु।

प्रश्न 15.
स्वास्थ्य अनुदेशन के कोई दो मार्गदर्शक सिद्धांत बताइए।
उत्तर:

  1. स्वास्थ्य संबंधी किसी विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता करवाना,
  2. स्वास्थ्य के सभी पहलुओं से संबंधित साहित्य स्कूल पुस्तकालय में उपलब्ध करवाना।

प्रश्न 16.
विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं के कोई दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर:

  1. छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना,
  2. उन्हें स्वास्थ्य के नियमों से अवगत कराना।

प्रश्न 17.
स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के कोई चार उपाय या तरीके बताएँ।
उत्तर:

  1. भाषणों द्वारा,
  2. फिल्मों द्वारा,
  3. रेडियो व टेलीविजन द्वारा,
  4. विज्ञापनों एवं समाचार-पत्रों द्वारा।

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प्रश्न 18.
स्वास्थ्य के नए दर्शनशास्त्र को किन बातों से समझा जा सकता है?
उत्तर:
स्वास्थ्य के नए दर्शनशास्त्र को निम्नलिखित बातों से समझा जा सकता है

  1. स्वास्थ्य एक आधारभूत अधिकार है,
  2. स्वास्थ्य समस्त संसार का सामाजिक ध्येय है,
  3. स्वास्थ्य विकास का अभिन्न अंग है,
  4. स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता की धारणा का केंद्र बिंदु है।

प्रश्न 19.
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निराकरण के किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए व्यक्ति को शारीरिक व्यायाम तथा योगासन करने चाहिएँ।
  2. शुद्ध एवं स्वच्छ पर्यावरण या वातावरण में रहना चाहिए।
  3. संतुलित एवं पौष्टिक भोजन समय पर करना चाहिए। शुद्ध पानी पीना चाहिए।

प्रश्न 20.
शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
शारीरिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसके अंतर्गत हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त होती है। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि उसके सभी शारीरिक संस्थान सुचारू रूप से कार्य करते हों। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को न केवल शरीर के विभिन्न अंगों की रचना एवं उनके कार्यों की जानकारी होनी चाहिए, अपितु उनको स्वस्थ रखने की भी जानकारी होनी चाहिए।

शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समाज व देश के विकास एवं प्रगति में भी सहायक होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने हेतु संतुलित एवं पौष्टिक भोजन, व्यक्तिगत सफाई, नियमित व्यायाम व चिकित्सा जाँच और नशीले पदार्थों के निषेध आदि की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न 21.
आध्यात्मिक स्वास्थ्य के बारे में आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जो नैतिक नियमों का पालन करता हो, दूसरों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करता हो, सत्य व न्याय में विश्वास रखने वाला हो और जो दूसरों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान न पहुँचाता हो आदि। ऐसा व्यक्ति व्यक्तिगत मूल्यों से संबंधित होता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति एवं सहयोग की भावना रखना, सहायता करने की इच्छा आदि आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। आध्यात्मिक स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु मुख्यत: योग व ध्यान सबसे उत्तम माध्यम हैं। इनके द्वारा आत्मिक शांति व आंतरिक प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 22.
स्वास्थ्य को आनुवंशिकी या वंशानुक्रमण कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर:
व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक गुण जीन (Genes) द्वारा निर्धारित होते हैं। जीन या गुणसूत्र को ही वंशानुक्रमण (Heredity) की इकाई माना जाता है। इसी कारण वंशानुक्रमण द्वारा व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है । वंशानुक्रमण संबंधी गुण; जैसे ऊँचाई, चेहरा, रक्त समूह, रंग आदि माता-पिता के गुणसूत्रों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। बहुत-सी बीमारियाँ हैं जो वंशानुक्रमण द्वारा आगामी पीढ़ी को भी हस्तान्तरित हो जाती हैं।

HBSE 11th Class Physical Education स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions).

भाग-I : एक वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
“स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएं प्रदान करता है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन जे०एफ० विलियम्स ने कहा।

प्रश्न 2.
“स्वस्थ शरीर आत्मा का अतिथि-भवन और दुर्बल तथा रुग्ण शरीर आत्मा का कारागृह है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन रोजर बेकन ने कहा।

प्रश्न 3.
“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन अरस्तू ने कहा।

प्रश्न 4.
किसी देश का कल्याण किसके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी देश का कल्याण उस देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत आने वाले कोई दो कार्यक्रमों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. एड्स जागरूकता संबंधी कार्यक्रम,
  2. मेडिकल निरीक्षण कार्यक्रम।

प्रश्न 6.
“अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी समझ-दोनों जीवन के सबसे बड़े आशीर्वाद हैं।” यह कथन किसने कहा? उत्तर-यह कथन साइरस ने कहा।

प्रश्न 7.
प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध किससे था?
उत्तर:
प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध स्वास्थ्य निर्देशन से था।

प्रश्न 8.
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है।

प्रश्न 9.
“स्वास्थ्य प्रथम पूँजी है।” यह किसका कथन है?
उत्तर:
यह कथन इमर्जन का है।

प्रश्न 10.
W.H.0. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
World Health Organisation.

प्रश्न 11.
W.H.0. की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
W.H.O. की स्थापना अप्रैल, 1948 में हुई।

प्रश्न 12.
W.H.0. का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
W.H.O. का मुख्यालय जेनेवा में है।

प्रश्न 13.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम तीन प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 14.
शहरों में स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्या क्या है?
उत्तर:
शहरों में स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्या यातायात वाहनों की अधिकता के कारण बढ़ता प्रदूषण है।

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प्रश्न 15.
जन-साधारण को स्वास्थ्य-संबंधी उपयोगी जानकारी देने वाले माध्यम या साधन बताएँ।
उत्तर:
टेलीविजन, रेडियो, वार्तालाप, भाषण, समाचार-पत्र आदि।

प्रश्न 16.
अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन कैसा होता है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन शांत एवं सुखमय होता है।

प्रश्न 17.
“हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएँगे।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा।

प्रश्न 18.
“सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
यह कथन वर्जिल का है।

प्रश्न 19.
भारतीय परिवार नियोजन संघ की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
भारतीय परिवार नियोजन संघ की स्थापना वर्ष 1949 में हुई।

प्रश्न 20.
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना वर्ष 1920 में हुई।

भाग-II : सही विकल्प का चयन करें

1. स्वास्थ्य का शाब्दिक अर्थ है
(A) स्वस्थ शरीर
(B) स्वस्थ दिमाग
(C) स्वस्थ आत्मा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

2. “स्वास्थ्य हृष्ट-पुष्ट होने की एक दशा है।” यह कथन किसके अनुसार है?
(A) यूनिसेफ के
(B) विश्व स्वास्थ्य संगठन के
(C) अंग्रेज़ी पद के
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अंग्रेज़ी पद के

3. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम किसको ध्यान में रखकर तय करना चाहिए?
(A) बच्चों की आयु और लिंग को
(B) बच्चे के स्वास्थ्य को
(C) बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्तर को
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

4. “स्वास्थ्य ही असली धन है, न कि सोने एवं चाँदी के टुकड़े।” यह कथन है
(A) महात्मा गाँधी का
(B) डॉ० थॉमस वुड का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) जे०एफ०विलियम्स का
उत्तर:
(A) महात्मा गाँधी का

5. निम्नलिखित में से स्कूल स्वास्थ्य का चरण है
(A) स्वास्थ्य सेवाएँ
(B) स्कूली वातावरण
(C) स्वास्थ्य निर्देश
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

6. निम्नलिखित में से स्वास्थ्य का आयाम है
(A) शारीरिक स्वास्थ्य
(B) मानसिक स्वास्थ्य
(C) सामाजिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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7. “स्वास्थ्य ही प्रथम पूँजी है।” यह कथन किसने कहा?
(A) स्वामी विवेकानंद ने
(B) इमर्जन ने
(C) गाँधी जी ने
(D) डॉ० थॉमस वुड ने
उत्तर:
(B) इमर्जन ने

8. “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।” यह कथन है
(A) यूनिसेफ का
(B) स्वामी विवेकानंद का
(C) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(D) डॉ० थॉमस वुड का
उत्तर:
(C) विश्व स्वास्थ्य संगठन का

9. स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य है
(A) स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान देना
(B) उचित मार्गदर्शन करना
(C) स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों का विकास करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

10. प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध किससे था?
(A) स्वास्थ्य सेवाओं से
(B) स्वास्थ्य अनुदेशन से
(C) स्वास्थ्य निरीक्षण से
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) स्वास्थ्य अनुदेशन से

11. विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
(A) न्यूयार्क में
(B) पेरिस में
(C) जेनेवा में
(D) लंदन में
उत्तर:
(C) जेनेवा में

12. स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला कारक है
(A) वातावरण
(B) संतुलित आहार
(C) वंशानुक्रमण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

13. “अच्छा मनुष्य होना जीवन की सफलता के लिए बड़ी बात है। अच्छे मनुष्य पर ही देश की खुशहाली निर्भर करती है।” यह कथन है
(A) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(B) वैबस्टर का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) थॉमस वुड का
उत्तर:
(C) हरबर्ट स्पेंसर का

14. “स्वास्थ्य शारीरिक और मानसिक पक्ष से मजबूती है, जिसके द्वारा व्यक्ति शारीरिक समस्याओं से पूरी तरह स्वतंत्रता प्राप्त कर लेता है।” यह कथन है
(A) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(B) वैबस्टर का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) थामस वुड का
उत्तर:
(B) वैबस्टर का

15. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम मुख्यतः किसको ध्यान में रखकर तय करना चाहिए?
(A) बच्चों की आयु और लिंग को
(B) बच्चों के स्वास्थ्य को
(C) केवल आयु को
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बच्चों की आयु और लिंग को

16. सुखमय और आनंदमय जीवन की कुंजी है
(A) धन
(B) स्वास्थ्य
(C) परिश्रम
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) स्वास्थ्य

17. केंद्रीय स्तर पर कौन-सी स्वास्थ्य संबंधी संस्था स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निपटारा करती है?
(A) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
(B) राज्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
(C) जिला स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय

18. ‘प्रोटीन’ शब्द का प्रयोग बरजेलियास ने किया
(A) वर्ष 1938 में
(B) वर्ष 1948 में
(C) वर्ष 1976 में
(D) वर्ष 1996 में
उत्तर:
(A) वर्ष 1938 में

19. “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएँ प्रदान करता है।” यह कथन है
(A) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(B) जे०एफ० विलियम्स का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) थॉमस वुड का
उत्तर:
(B) जे०एफ० विलियम्स का

20. W.H.O. का पूरा नाम है
(A) Organisation of World Health
(B) World Health Organisation
(C) World Healthy Organisation
(D) Health World Organisation
उत्तर:
(B) World Health Organisation

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21. व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक क्षमता की पूर्णरूपेण समन्वित स्थिति को क्या कहते हैं?
(A) स्वास्थ्य
(B) स्वस्थता
(C) सुयोग्यता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) स्वास्थ्य

22. अखिल भारतीय नेत्रहीन सहायक सोसायटी की स्थापना हुई
(A) वर्ष 1949 में
(B) वर्ष 1945 में
(C) वर्ष 1920 में
(D) वर्ष 1939 में
उत्तर:
(B) वर्ष 1945 में

23. भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना हुई
(A) वर्ष 1946 में
(B) वर्ष 1949 में
(C) वर्ष 1939 में
(D) वर्ष 1920 में
उत्तर:
(D) वर्ष 1920 में

24. भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार से जुड़ी स्वयंसेवी संस्था है
(A) अखिल भारतीय नेत्रहीन सहायक सोसायटी
(B) हिन्द कुष्ठ निवारण संस्था
(C) भारतीय बाल कल्याण परिषद्
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

25. भारत सेवक समाज की स्थापना हुई
(A) वर्ष 1939 में
(B) वर्ष 1952 में
(C) वर्ष 1950 में
(D) वर्ष 1948 में
उत्तर:
(B) वर्ष 1952 में

26. “स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े व्यवहार से संबंधित है।” यह कथन है
(A) डॉ० थॉमस वुड का
(B) स्वामी विवेकानंद का
(C) सोफी का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) सोफी का

भाग-III: निम्नलिखित कथनों के उत्तर सही या गलत अथवा हाँ या नहीं में दें

1. साफ-सुथरे माहौल में रहने से तनाव बढ़ता है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,

2. अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद आवश्यक है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:

3. अच्छा स्वास्थ्य जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

4. अस्वस्थ व्यक्ति के सभी शारीरिक संस्थान सुचारू रूप से कार्य करते हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,

5. हमें हमेशा स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

6. वर्जिल के अनुसार व्यक्ति का सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

7. स्वास्थ्य आनंदमयी जीवन की कुंजी है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

8. क्या स्वास्थ्य शिक्षा से सामाजिक स्वास्थ्य बढ़ता है? (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

9. स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति को स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

10. बिना स्वास्थ्य के आंतरिक प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,

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11. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम अध्यापकों को ध्यान में रखकर तय करना चाहिए। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,

12. स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम में केवल शैक्षिक विषय ही शामिल होने चाहिएँ । (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,

13. स्वास्थ्य शिक्षा केवल स्वास्थ्य तक ही सीमित है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,

14. स्वास्थ्य शिक्षा लोगों की सेहत का स्तर ऊँचा करने में सहायक है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

15. स्वास्थ्य का अर्थ व्यक्ति का केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना है। (सही/गलत)।
उत्तर:
गलत।

भाग-IV : रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. अच्छे स्वास्थ्य से व्यक्ति का जीवन ………….. होता है।
उत्तर:
सुखमयी व आनंदमयी,

2. स्कूल जाने वाले बच्चे किसी राष्ट्र को …………. बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
उत्तर:
सशक्त व मजबूत,

3. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम व पाठ्यक्रम …………… की आयु और रुचि के अनुसार होना चाहिए।
उत्तर:
बच्चों,

4. ………… शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।
उत्तर:
स्वस्थ,

5. ………… व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
उत्तर:
स्वास्थ्य,

6. …………. व्यक्ति के शरीर में फूर्ति एवं लचक होती है।
उत्तर:
स्वस्थ,

7. विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) का मुख्यालय …………… में है।
उत्तर:
जेनेवा,

8. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम मुख्यतः ……………. प्रकार के होते हैं।
उत्तर:
तीन,

9. अच्छे स्वास्थ्य हेतु हमें ……………. वस्तुओं के सेवन से दूर रहना चाहिए।
उत्तर:
नशीली,

10. “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिसमें व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएँ प्रदान करता है।” यह कथन …………. ने कहा।
उत्तर:
जे०एफ० विलियम्स।

स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Sammary

स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा परिचय

स्वास्थ्य (Health): अच्छा स्वास्थ्य होना जीवन की सफलता के लिए बहुत आवश्यक है, क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य से कोई व्यक्ति किसी निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल हो सकता है। आरोग्य व्यक्ति को स्वस्थ कहना बड़ी भूल है। स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जिसकी सभी शारीरिक प्रणालियाँ ठीक ढंग से कार्य करती हों और वह स्वयं को वातावरण के अनुसार ढालने में सक्षम हो।

अलग-अलग लोगों के लिए स्वास्थ्य का अर्थ भिन्न-भिन्न होता है। कुछ लोगों के लिए यह बीमारी से छुटकारा है तो कुछ के लिए शरीर और दिमाग का सुचारू रूप से कार्य करना। स्वास्थ्य का शाब्दिक अर्थ स्वस्थ शरीर, दिमाग तथा मन से चुस्त-दुरुस्त होने की अवस्था है, विशेष रूप से किसी बीमारी या रोग से मुक्त होना है।

अत: स्वास्थ्य कोई लक्ष्य नहीं, बल्कि जीवन में उपलब्धि प्राप्त करने का साधन है। महात्मा गौतम बुद्ध (Mahatma Gautam Budh) ने स्वास्थ्य के बारे में कहा- “हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएंगे।” स्वास्थ्य के नए दर्शनशास्त्र को निम्नलिखित बातों से समझा जा सकता है

  • स्वास्थ्य एक आधारभूत अधिकार है।
  • स्वास्थ्य समस्त संसार का सामाजिक ध्येय है।
  • स्वास्थ्य विकास का अभिन्न अंग है।
  •  स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता की धारणा का केंद्र-बिंदु है।

स्वास्थ्य शिक्षा (Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। इसका संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनाने में सहायता करते हैं।

यह एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है। डॉ० थॉमस वुड (Dr Thomas Wood) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”

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HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

Haryana State Board HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

HBSE 11th Class Physical Education शारीरिक शिक्षा की अवधारणा Textbook Questions and Answers

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न ( (Long Answer Type Questions) 

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा से आप क्या समझते हैं? इसके लक्ष्यों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा देते हुए, अर्थ स्पष्ट कीजिए।
अथवा
शारीरिक शिक्षा से आपका क्या अभिप्राय है? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Physical Education) शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह अभिन्न अंग है, जो खेलकूद तथा अन्य शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से व्यक्ति में एक चुनी हुई दिशा में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। इससे केवल बुद्धि तथा शरीर का ही विकास नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र एवं आदतों के निर्माण में भी सहायक होती है अर्थात् शारीरिक शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के संपूर्ण (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक आदि) व्यक्तित्व का विकास होता है।

शारीरिक शिक्षा ऐसी शिक्षा है जो वैयक्तिक जीवन को समृद्ध बनाने में प्रेरक सिद्ध होती है। शारीरिक शिक्षा, शारीरिक विकास के साथ शुरू होती है और मानव-जीवन को पूर्णता की ओर ले जाती है, जिसके परिणामस्वरूप वह एक हृष्ट-पुष्ट और मजबूत शरीर, अच्छा स्वास्थ्य, मानसिक स्फूर्ति और सामाजिक एवं भावनात्मक संतुलन रखने वाला व्यक्ति बन जाता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी प्रकार की चुनौतियों अथवा परेशानियों से प्रभावी तरीके से लड़ने में सक्षम होता है। शारीरिक शिक्षा के विषय में विभिन्न शारीरिक शिक्षाशास्त्रियों के विचार निम्नलिखित हैं

1. सी० सी० कोवेल (C.C.Cowell):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा व्यक्ति-विशेष के सामाजिक व्यवहार में वह परिवर्तन है जो बड़ी माँसपेशियों तथा उनसे संबंधित गतिविधियों की प्रेरणा से उपजता है।”

2. जे० बी० नैश (J. B. Nash):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा के संपूर्ण क्षेत्र का वह भाग है जो बड़ी माँसपेशियों से होने वाली क्रियाओं तथा उनसे संबंधित प्रतिक्रियाओं से संबंध रखता है।”

3. ए० आर० वेमैन (A. R. Wayman):
के मतानुसार, “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह भाग है जिसका संबंध शारीरिक गतिविधियों द्वारा व्यक्ति के संपूर्ण विकास एवं प्रशिक्षण से है।”

4. आर० कैसिडी (R. Cassidy):
के अनुसार, “शारीरिक क्रियाओं पर केंद्रित अनुभवों द्वारा जो परिवर्तन मानव में आते हैं, वे ही शारीरिक शिक्षा कहलाते हैं।”

5. जे० एफ० विलियम्स (J. E Williams):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा मनुष्य की उन शारीरिक क्रियाओं को कहते हैं, जो किसी विशेष लक्ष्य को लेकर चुनी और कराई गई हों।”

6. सी० एल० ब्राउनवैल (C. L. Brownwell):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा उन परिपूर्ण एवं संतुलित अनुभवों का जोड है जो व्यक्ति को बहु-पेशीय प्रक्रियाओं में भाग लेने से प्राप्त होते हैं तथा उसकी अभिवृद्धि और विकास को चरम-सीमा तक बढ़ाते हैं।”

7.निक्सन व कोजन (Nixon and Cozan):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा की पूर्ण क्रियाओं का वह भाग है जिसका संबंध शक्तिशाली माँसपेशियों की क्रियाओं और उनसे संबंधित क्रियाओं तथा उनके द्वारा व्यक्ति में होने वाले परिवर्तनों से है।”

8. डी०ऑबरटियूफर (D.Oberteuffer):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा उन अनुभवों का जोड़ है जो व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियों से प्राप्त हुई है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी पहलू है जिसमें शारीरिक गतिविधियों या व्यायामों द्वारा व्यक्ति के विकास के प्रत्येक पक्ष प्रभावित होते हैं। यह व्यक्ति के व्यवहार और दृष्टिकोण में आवश्यक परिवर्तन करती है। इसका उद्देश्य न केवल व्यक्ति का शारीरिक विकास है, बल्कि यह मानसिक विकास, सामाजिक विकास, भावनात्मक विकास, बौद्धिक विकास, आध्यात्मिक विकास एवं नैतिक विकास में भी सहायक होती है अर्थात् यह व्यक्ति का संपूर्ण या सर्वांगीण विकास करती है। संक्षेप में विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन करने से हमें निम्नलिखित जानकारी प्राप्त होती है

  1. शारीरिक शिक्षा साधारण शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण अंग है।
  2. शारीरिक शिक्षा का माध्यम शिक्षा के साथ-साथ क्रियाएँ हैं। जब तक ये क्रियाएँ शक्तिशाली नहीं होंगी, शरीर के सारे अंगों का पूरी तरह से विकास नहीं हो सकता।
  3. शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य केवल शारीरिक विकास ही नहीं, बल्कि सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक विकास करना भी है।
  4. आज की शारीरिक शिक्षा वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें क्रियाओं का चुनाव इस प्रकार किया जाता है जिससे इसके उद्देश्य की पूर्ति की जा सके।
  5. शारीरिक शिक्षा संबंधी क्रियाओं द्वारा व्यक्ति अपने शरीर में सुधार करता है और इसे मजबूत बनाता है।
  6. यह शिक्षा शरीर की कार्य-कुशलता व क्षमता में वृद्धि करती है।

शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य (Aims of Physical Education): शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य विद्यार्थी को इस प्रकार तैयार करना है कि वह एक सफल एवं स्वस्थ नागरिक बनकर अपने परिवार, समाज व राष्ट्र की समस्याओं का समाधान करने की क्षमता या योग्यता उत्पन्न कर सके और समाज का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनकर सफलता से जीवनयापन करते हुए जीवन का पूरा आनंद उठा सके। विभिन्न विद्वानों के अनुसार शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य निम्नलिखित हैं

1. जे० एफ० विलियम्स (J. E. Williams):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य एक प्रकार का कुशल नेतृत्व तथा पर्याप्त समय प्रदान करना है, जिससे व्यक्तियों या संगठनों को इसमें भाग लेने के लिए पूरे-पूरे अवसर मिल सकें, जो शारीरिक रूप से आनंददायक, मानसिक दृष्टि से चुस्त तथा सामाजिक रूप से निपुण हों।”

2. जे० आर० शर्मन (J. R. Sherman):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य है कि व्यक्ति के अनुभव को इस हद तक प्रभावित करे कि वह अपनी क्षमता से समाज में अच्छे से रह सके, अपनी जरूरतों को बढ़ा सके, उन्नति कर सके तथा अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्षम हो सके।”

3. केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय (Central Ministry of Education):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा को प्रत्येक बच्चे को शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से स्वस्थ बनाना चाहिए और उसमें ऐसे व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का विकास करना चाहिए ताकि वह दूसरों के साथ प्रसन्नता व खुशी से रह सके और एक अच्छा नागरिक बन सके।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है। इसके लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए जे०एफ० विलियम्स (J.E. Williams) ने भी कहा है कि “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है।”

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा से आपका क्या अभिप्राय है? इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
शारीरिक शिक्षा क्या है? विद्वानों ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को किस प्रकार से विभाजित किया है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा का अर्थ (Meaning of Physical Education):
शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह अभिन्न अंग है, जो खेलकूद तथा अन्य शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से व्यक्ति में एक चुनी हुई दिशा में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। इससे केवल बुद्धि तथा शरीर का ही विकास नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र एवं आदतों के निर्माण में भी सहायक होती है।

शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Physical Education):
शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य से हमारा अभिप्राय उन सीढ़ियों से है जिन पर एक-एक करके चढ़ते हुए हम अपने लक्ष्य तक पहुँचते हैं। जैसे कि हमारा लक्ष्य तो ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतना है, लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें कई उद्देश्य बनाने पड़ते हैं जैसे कि अच्छा प्रशिक्षण लेना, अच्छा ट्रेनिंग प्रोग्राम, संतुलित आहार इत्यादि। इसके बाद जिला स्तर, राज्य स्तर, राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल करना और फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल करना है।

उसके बाद हम अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो सकते हैं। उद्देश्य गिनती में बहुत अधिक होते हैं तथा किसी मुख्य स्थान पर जाने के लिए निर्धारक का काम करते हैं। नि:संदेह इनकी प्राप्ति व्यक्तियों तथा सिद्धांतों द्वारा ही होती है, परंतु प्रत्येक हालत में सब उद्देश्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसका भाव यह नहीं है कि उद्देश्यों का कोई महत्त्व ही नहीं है, इनके द्वारा ही बच्चों या विद्यार्थियों के आचरण में कई तरह के परिवर्तन तथा सुधार किए जा सकते हैं । विभिन्न विद्वानों ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को विभिन्न वर्गों में विभाजित किया है; जैसे

1. हैगमैन तथा ब्राउनवैल (Hagman and Brownwell) ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया है

  • शारीरिक स्वास्थ्य में बढ़ोतरी करना (Increase in Physical Health),
  • गति या तकनीकी योग्यताओं में बढ़ोतरी करना (Increase in Motor Skills),
  • ज्ञान में वृद्धि करना (Increase in Knowledge),
  • अभिरुचि में सुधार लाना (Improvement in Aptitude)।

2. जे०बी०नैश (J. B. Nash) ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित चार वर्गों में विभाजित किया है

  • शारीरिक अंगों का विकास (Development of Organic),
  • नाड़ी-माँसपेशियों संबंधी विकास (Neuro-Muscular Development),
  • अर्थ समझने की योग्यता का विकास (Development of Inter-pretative Ability),
  • भावनात्मक विकास (Emotional Development)।

3. बी० वाल्टर (B. Walter) ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया है

  • सेहत या स्वास्थ्य में सुधार करना (Improvement in Health),
  • खाली समय का उचित प्रयोग (Proper or Worthy use of Leisure Time),
  • नैतिक आचरण (Ethical Character)।

4. लास्की (Laski) ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित पाँच वर्गों में विभाजित किया है

  • शारीरिक विकास (Physical Development),
  • नाड़ी-माँसपेशियों के समन्वय में विकास (Development of Neuro-Muscular Co-ordination),
  • भावनात्मक विकास (Emotional Development),
  • सामाजिक विकास (Social Development),
  • बौद्धिक विकास (Intellectual Development)।

5. एच० क्लार्क (H. Clark) के अनुसार, शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है

  • शारीरिक स्वास्थ्य में वृद्धि (Increase in Physical Health),
  • सांस्कृतिक विकास (Cultural Development),
  • सामाजिक गुणों में वृद्धि (Increase in Social Qualities)।

6. हेथरिंग्टन (Hetherington) के अनुसार, शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित पाँच वर्गों में विभाजित किया जाता है

  • तात्कालिक उद्देश्य (Immediately Objectives),
  • विकासात्मक उद्देश्य (Developmental Objectives),
  • सामाजिक स्तर के उद्देश्य (Objectives of Social Level),
  • शारीरिक स्थिति पर नियंत्रण (Control on Physical Condition),
  • दूरवर्ती उद्देश्य (Distal Objectives)।

7. इरविन (Irwin) ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित पाँच वर्गों में विभाजित किया है

  • शारीरीक विकास (Physical Development),
  • भावनात्मक विकास (Emotional Development),
  • सामाजिक विकास (Social Development),
  • मानसिक विकास (Mental Development),
  • मनोरंजक गतिविधियों में निपुणता या मनोरंजक विकास (Skill in Recreative Activities or Development of Recreation)

8. चार्ल्स ए० बूचर (Charles A. Bucher) ने अपनी पुस्तक ‘Foundations of Physical Education’ में शारीरिक शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य बताए हैं

  • शारीरिक विकास (Physical Development),
  • गतिज विकास (Motor Development),
  • मानसिक विकास (Mental Development),
  • मानवीय संबंधों का विकास (Development of Human Relations)।

उपर्युक्त वर्णित उद्देश्यों के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि शारीरिक शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1. शारीरिक विकास (Physical Development):
शारीरिक शिक्षा संबंधी क्रियाएँ शारीरिक विकास का माध्यम हैं। शारीरिक क्रियाएँ माँसपेशियों को मजबूत करने, रक्त का बहाव ठीक रखने, पाचन-शक्ति में बढ़ोतरी करने और श्वसन क्रिया को ठीक रखने में सहायक होती हैं। शारीरिक क्रियाएँ न केवल भिन्न-भिन्न प्रणालियों को स्वस्थ और ठीक रखती हैं, बल्कि उनके आकार, शक्ल
और कुशलता में भी बढ़ोतरी करती हैं। शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को शारीरिक तौर पर स्वस्थ बनाना और उसके व्यक्तित्व के प्रत्येक पहलू को निखारना है।

2. गतिज विकास (Motor Development):
शारीरिक शिक्षा संबंधी क्रियाएँ शरीर में ज्यादा-से-ज्यादा तालमेल बनाती हैं। अगर शारीरिक शिक्षा में उछलना, दौड़ना, फेंकना आदि क्रियाएँ न हों तो कोई भी उद्देश्य पूरा नहीं किया जा सकता। मानवीय शरीर में सही गतिज विकास तभी हो सकता है जब नाड़ी प्रणाली और माँसपेशीय प्रणाली का संबंध ठीक रहे। इससे कम थकावट और अधिक-से-अधिक कुशलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

3. भावनात्मक विकास (Emotional Development):
शारीरिक शिक्षा कई प्रकार के ऐसे अवसर पैदा करती है, जिनसे शरीर का भावनात्मक या संवेगात्मक विकास होता है। खेल में बार-बार जीतना या हारना दोनों हालातों में भावनात्मक पहलू प्रभावित होते हैं। इससे खिलाड़ियों में भावनात्मक स्थिरता उत्पन्न होती है। इसलिए उन पर जीत-हार का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। शारीरिक शिक्षा खिलाड़ियों को अपनी भावनाओं पर काबू रखना सिखाती है।

4. सामाजिक व नैतिक विकास (Social and Moral Development):
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में मिल-जुलकर रहना पड़ता है। शारीरिक शिक्षा कई प्रकार के ऐसे अवसर प्रदान करती है, जिससे खिलाड़ियों के सामाजिक व नैतिक विकास हेतु सहायता मिलती है; जैसे उनका एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहना, एक-दूसरे का सम्मान करना, दूसरों की आज्ञा का पालन करना, नियमों का पालन करना, सहयोग देना, एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना आदि।

5. मानसिक विकास (Mental Development):
शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास भी होता है। जब बालक या खिलाड़ी शारीरिक क्रियाओं में भाग लेता है तो इनसे उसके शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास में भी बढ़ोतरी होती है।

6. सांस्कृतिक विकास (Cultural Development):
शारीरिक शिक्षा संबंधी खेल और क्रियाकलापों के दौरान विभिन्न संस्कृतियों के व्यक्ति आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे के बारे में जानते हैं व उनके रीति-रिवाज़ों, परंपराओं और जीवन-शैली के बारे में परिचित होते हैं, जिससे सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

निष्कर्ष (Conclusion):
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों का क्षेत्र बहुत विशाल है। शारीरिक शिक्षा को व्यक्ति का विकास सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक तथा अन्य कई दृष्टिकोणों से करना होता है ताकि वह एक अच्छा नागरिक बन सके। एक अच्छा नागरिक बनने के लिए टीम भावना, सहयोग, दायित्व का एहसास और अनुशासन आदि गुणों की आवश्यकता होती है। शारीरिक शिक्षा, एक सामान्य शिक्षा के रूप में शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने में सहायक होती है। यह व्यक्ति में आंतरिक कुशलताओं का विकास करती है और उसमें अनेक प्रकार के छुपे हुए गुणों को बाहर निकालती है।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 3.
शिक्षा के क्षेत्र में शारीरिक शिक्षा क्यों आवश्यक है? वर्णन करें। अथवा हमें शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता किन कारणों से पड़ती है? वर्णन करें।
उत्तर:
शिक्षा के क्षेत्र में शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता या उपयोगिता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान युग में शारीरिक शिक्षा पूरे विश्व के स्कूल-कॉलेजों में पाठ्यक्रम का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई है। एच०सी० बॅक (H.C. Buck) के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा कार्यक्रम का वह भाग है जो माँसपेशियों के क्रियाकलापों के माध्यम से बच्चों की वृद्धि, विकास तथा शिक्षा से संबंधित है।” आज के मनुष्य को योजनाबद्ध खेलों और शारीरिक शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। आधुनिक संदर्भ में शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता या उपयोगिता निम्नलिखित प्रकार से है

1. शारीरिक विकास (Physical Development):
शारीरिक विकास शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से होता है। शारीरिक क्रियाएँ माँसपेशियों को मजबूत, रक्त का संचार सही, पाचन-शक्ति में बढ़ोतरी तथा श्वसन क्रिया को ठीक रखती हैं। शारीरिक क्रियाएँ न केवल अलग-अलग प्रणालियों को स्वस्थ और ठीक रखती हैं, बल्कि उनके आकार, शक्ल और कुशलता में बढ़ोतरी भी करती हैं। शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मनुष्य को शारीरिक तौर पर स्वस्थ बनाना है। नियमित रूप में किया जाने वाला व्यायाम एक स्वस्थ जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति की निपुणता और सामर्थ्य में वृद्धि करता है। इस कारण शारीरिक क्रियाकलाप शारीरिक वृद्धि और विकास के लिए अत्यावश्यक है।

2. नियमबद्ध वृद्धि एवं विकास (Harmonious Growth and Development):
नियमित रूप से वृद्धि और विकास शारीरिक शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। सभी सजीव वस्तुएँ वृद्धि करती हैं। जैसे एक छोटा-सा बीज बड़ा होकर एक भारी पेड़ बन जाता है। शारीरिक शिक्षा का संबंध भी वृद्धि और विकास से है। व्यायाम करने से माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं। नियमित रूप से किया जाने वाला शारीरिक अभ्यास विभिन्न अंगों में वृद्धि एवं विकास करता है। इसलिए आज हमें इसकी बहुत आवश्यकता है।

3. अच्छे नागरिक के गुणों का विकास (Development of Qualities of Good Citizen):
शारीरिक शिक्षा खेलकूद के माध्यम से अच्छे नागरिकों के गुणों को विकसित करती है। जैसे खेलों के नियमों की पालना करना, खेलों में आपसी तालमेल बनाना, हार व जीत में संयम रखना, दूसरों का आदर, देशभक्ति की भावना जो लोकतांत्रिक जीवन में आवश्यक है, को विकसित करती है।

4. मानसिक विकास (Mental Development):
अरस्तू के अनुसार, “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग का वास होता है।” भाव यह है कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का विकास भी होना चाहिए। शारीरिक और मानसिक दोनों के मिलाप से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। जब कोई व्यक्ति शारीरिक क्रियाओं में भाग लेता है तो उसके शारीरिक विकास के साथ-साथ उसका मानसिक विकास भी होता है।

5. नेतृत्व का विकास (Development of Leadership):
शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में नेतृत्व करने के अनेक अवसर होते हैं। जब किसी खिलाड़ी को शरीर गर्माने के लिए नियुक्त किया जाता है तो उस समय भी नेतृत्व की शिक्षा दी जाती है। उदाहरणतया, हॉकी की टीम के कैप्टन को निष्पक्षता और समझदारी से खेलना पड़ता है। कई बार प्रतियोगिताओं का आयोजन करना भी नेतृत्व के गुणों के विकास में सहायक होता है। इसलिए हमें शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है।

6. गतिज विकास (Motor Development):
शारीरिक क्रियाएँ शरीर में अधिक-से-अधिक तालमेल बढ़ाती हैं । यदि शारीरिक क्रियाओं में कूदना, दौड़ना, फेंकना आदि न हो तो कोई भी लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकता । मानवीय शरीर में सही गतिज विकास तभी हो सकता है जब नाड़ी प्रणाली और माँसपेशीय प्रणाली का संबंध ठीक रहे। इससे कम थकावट और अधिक-से-अधिक कुशलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

7. भावनात्मक विकास (Emotional Development):
शारीरिक क्रियाएँ कई प्रकार के ऐसे अवसर पैदा करती हैं जिनसे भावनात्मक विकास होता है। खेल में बार-बार विजयी होना या हारना, दोनों अवस्थाओं में भावनात्मक स्थिरता आती है। इसलिए खिलाड़ी पर जीत-हार का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सिखाती है। जिस व्यक्ति का अपने संवेगों पर नियंत्रण होता है वह सफलता की ओर अग्रसर होता है। इसलिए हमें शारीरिक शिक्षा की अधिक आवश्यकता है।

8. सामाजिक विकास (Social Development):
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । वह समाज में मिल-जुलकर सम्मानपूर्वक जीना चाहता है। शारीरिक शिक्षा द्वारा व्यक्ति के सामाजिक पक्ष को जागृत करने के प्रबंध किए जाते हैं। शारीरिक शिक्षा की क्रियाओं द्वारा व्यक्ति का सामाजिक विकास होता है जैसे कि एक-दूसरे को सहयोग देना, दूसरों का सम्मान करना और आज्ञा का पालन करना, अनुशासन, वफादारी, सहनशीलता, सदाचार, नियमों व कर्तव्यों की पालना, नियमबद्धता इत्यादि। ये सभी गुण मित्रता और भाईचारे में वृद्धि करते हैं। इसलिए शारीरिक शिक्षा हमारे लिए उपयोगी है।

9. स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान (Knowledge of Health Education):
स्वस्थ जीवन के लिए स्वास्थ्य संबंधी विस्तृत जानकारी होना आवश्यक है। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को एक अच्छा जीवन व्यतीत करने का मार्ग दर्शाती है। शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत जन-संपर्क के रूप में कार्य करती है, जो सेहत और रोगों से संबंधी जानकारी प्रदान करती है। यह लोगों को अपनी आदतों और जीवन व्यतीत करने के तौर-तरीकों का विकास करने की प्रेरणा देती है।

निष्कर्ष (Conclusion):
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि शारीरिक गतिविधियाँ नियमित रूप से वृद्धि करने में सहायक होती हैं। इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में हमें शारीरिक शिक्षा की अति आवश्यकता पड़ती है। इसकी उपयोगिता देखते हुए इसका क्षेत्र दिन-प्रतिदिन विस्तृत होता जा रहा है। अतः हम यह कह सकते हैं कि शारीरिक शिक्षा को हमें विशाल स्तर पर सर्व-प्रिय बनाना चाहिए और इसे न केवल शिक्षा के क्षेत्र तक सीमित रखना चाहिए बल्कि इसे ग्रामीण या अन्य क्षेत्रों तक भी पहुँचाना चाहिए।

प्रश्न 4.
आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
दैनिक जीवन में शारीरिक शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आज का युग एक मशीनी व वैज्ञानिक युग है, जिसमें मनुष्य स्वयं मशीन बनकर रह गया है। इसकी शारीरिक शक्ति खतरे में पड़ गई है। मनुष्य पर मानसिक तनाव और कई प्रकार की बीमारियों का संक्रमण बढ़ रहा है। मनुष्य को नीरोग एवं स्वस्थ रखने में शारीरिक शिक्षा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शारीरिक शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए रूसो (Rousseau) ने कहा”शारीरिक शिक्षा शरीर का एक मजबूत ढाँचा है जो मस्तिष्क के कार्य को निश्चित तथा आसान करता है।” शारीरिक शिक्षा के महत्त्व को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है

1. शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है (Physical Education is Useful for Health):
अच्छा स्वास्थ्य अच्छी जलवायु की उपज नहीं, बल्कि यह अच्छी खुराक, सफ़ाई, उचित आराम, अनावश्यक चिंताओं से मुक्ति और रोग-रहित जीवन है। आवश्यक डॉक्टरी सहायता भी स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए जरूरी है। बहुत ज्यादा कसरत करना, परन्तु आवश्यक खुराक न खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। जो व्यक्ति खेलों में भाग लेते हैं, उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है। खेलों में भाग लेने से शरीर की सारी शारीरिक प्रणालियाँ सही ढंग से काम करने लग जाती हैं।

ये प्रणालियाँ शरीर में हुई थोड़ी-सी कमी या बढ़ोतरी को भी सहन कर लेती हैं। इसलिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति खेलों में अवश्य भाग ले। आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए डॉ० राधाकृष्णन (Dr. Radha Krishanan) ने कहा है, “मजबूत शारीरिक नींव के बिना कोई राष्ट्र महान नहीं बन सकता।” कीजिए।

2. शारीरिक शिक्षा हानिकारक मनोवैज्ञानिक व्याधियों को कम करती है (Physical Education decreases Harmful Psychological Disorders):
आधुनिक संसार में व्यक्ति का ज्यादा काम दिमागी हो गया है; जैसे प्रोफैसर, वैज्ञानिक, गणित-शास्त्री, दार्शनिक आदि सारे व्यक्ति मानसिक कामों से जुड़े हुए हैं । मानसिक काम से हमारे स्नायु संस्थान (Nervous System) पर दबाव बढ़ता है। इस दबाव को कम करने के लिए काम में परिवर्तन आवश्यक है। यह परिवर्तन मानसिक शांति पैदा करता है। सबसे लाभदायक परिवर्तन शारीरिक कसरतें हैं। जे०बी० नैश (J.B. Nash) का कहना है कि “जब कोई विचार दिमाग में आ जाता है तो हालात बदलने पर भी दिमाग में चक्कर लगाता रहता है।” अतः स्पष्ट है कि शारीरिक क्रियाएँ करने से हमारी मानसिक थकान कम होती है।

3. शारीरिक शिक्षा भीड़-भाड़ वाले जीवन के दुष्प्रभाव को कम करती है (Physical Education decreases the side effects of Congested Life):
आजकल शहरों में जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कई समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। शहरों में यातायात वाहनों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। मोटर-गाड़ियों और फैक्टरियों का धुआँ निरंतर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। अतः शारीरिक शिक्षा से लोगों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। विभिन्न क्षेत्रों में शारीरिक शिक्षा संबंधी खेल क्लब बनाकर लोगों को अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

4. शारीरिक शिक्षा सुस्त जीवन के बुरे प्रभावों को कम करती है (Physical Education corrects the Harmful effects of Lazy Life):
आज का युग मशीनी है। दिनों का काम कुछ घण्टों में हो जाता है जिसके कारण मनुष्य के पास काफी समय बच जाता है जो गुजारना बहुत मुश्किल होता है। बिना काम के जीवन सुस्त और क्रिया-रहित हो जाता है। ऐसी हालत में लोगों को दौड़ने-भागने के मौके देकर उनका स्वास्थ्य ठीक रखा जा सकता है। जब तक व्यक्ति योजनाबद्ध तरीके से खेलों और शारीरिक क्रियाओं में भाग नहीं लेगा, तब तक वह अपने स्वास्थ्य को अधिक दिनों तक तंदुरुस्त नहीं रख पाएगा।

5. शारीरिक शिक्षा और सामाजिक एकता (Physical Education and Social Cohesion):
सामाजिक जीवन में कई तरह की भिन्नताएँ होती हैं; जैसे अलग भाषा, अलग संस्कृति, रंग-रूप, अमीरी-गरीबी, शक्तिशाली-कमज़ोर आदि । इन भिन्नताओं के बावजूद मनुष्य को सामाजिक इकाई में रहना पड़ता है। शारीरिक शिक्षा भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों को एक स्थान पर इकट्ठा करती है।

उनमें एकता व एकबद्धता लाती है। खेल में धर्म, जाति, श्रेणी, वर्ग या क्षेत्र आदि के आधार पर किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाता। इस तरह से शारीरिक शिक्षा कई ऐसे अवसर प्रदान करती है जिससे सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है और सामाजिक व नैतिक विकास में वृद्धि होती है; जैसे एक-दूसरे से मिलकर रहना, एक-दूसरे का सम्मान करना, दूसरों की आज्ञा का पालन करना, बड़ों का सम्मान करना, नियमों का पालन करना आदि।

6. शारीरिक शिक्षा मनोरंजन प्रदान करती है (Physical Education provides the Recreation):
मनोरंजन जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग है। मनोरंजन व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक खुशी प्रदान करता है। इसमें व्यक्ति निजी प्रसन्नता और संतुष्टि के कारण अपनी इच्छा से भाग लेता है। शारीरिक शिक्षा और मनोरंजन में गहरा संबंध है। शारीरिक शिक्षा मनुष्य को कई प्रकार की क्रियाएँ प्रदान करती है जिससे उसको मनोरंजन प्राप्त होता है।

7. शारीरिक शिक्षा शारीरिक संस्थानों का ज्ञान प्रदान करती है (Physical Education Provides the Knowledge of Human Body System):
शारीरिक शिक्षा मानवीय शरीर की सभी प्रणालियों का ज्ञान प्रदान करती है। यह किसी भी व्यक्ति के शरीर की विभिन्न प्रणालियों पर व्यायाम द्वारा पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी देती है। यह विभिन्न रोगों से व्यक्ति को अपने शारीरिक अंगों की रक्षा करने संबंधी जानकारी देती है।

8. खाली समय का सही उपयोग (Proper Use of Leisure Time):
शारीरिक शिक्षा खाली समय के सही उपयोग में सहायक होती है। खाली समय में व्यक्ति शारीरिक क्रियाकलापों द्वारा कोई अच्छा कार्य कर सकता है। जैसे कि वह खाली समय में कोई खेल, खेल सकता है। यदि वह बाहर जाकर नहीं खेल सकता तो घर में ही खेल सकता है जिससे व्यक्ति का मन सामाजिक कुरीतियों की तरफ नहीं जाता।

9. अच्छे नागरिक के गुणों का विकास (Development Qualities of Good Citizen):
शारीरिक शिक्षा खेलकूद के माध्यम से अच्छे नागरिकों के गुणों को विकसित करती है। जैसे खेलों के नियमों की पालना करना, खेलों में आपसी तालमेल बनाना, हार व जीत में संयम रखना, दूसरों के प्रति आदर व सम्मान की भावना, देशभक्ति की भावना जो लोकतांत्रिक जीवन में आवश्यक है, को विकसित करती है।

10. सांस्कृतिक विकास (Cultural Development):
शारीरिक शिक्षा खेल व शारीरिक गतिविधियों की प्रक्रिया है। खेलों और क्रियाकलापों के दौरान विभिन्न संस्कृतियों के खिलाड़ी आपस में मिलते हैं और एक-दूसरे के बारे में जानते हैं। वे एक-दूसरे के रीति-रिवाजों, परंपराओं और जीवन-शैली से परिचित होते हैं, जिससे सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

11. राष्ट्रीय एकता का विकास (Development of National Integration):
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जिससे राष्ट्रीय एकता में वृद्धि की जा सकती है। खेलें खिलाड़ियों में सांप्रदायिकता, असमानता, प्रांतवाद और भाषावाद जैसे अवगुणों को दूर करती है। इसमें खिलाड़ियों को ऐसे अनेक अवसर मिलते हैं, जब उनमें सहनशीलता, सामाजिकता, बड़ों का सत्कार और देश-भक्ति की भावना जैसे गुण विकसित होते हैं। ये गुण उनमें राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हैं और उनके व्यक्तित्व को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार खेलकूद में भाग लेने से मातृत्व या राष्ट्रीयता की भावना विकसित होती है।

12. शारीरिक शिक्षा सन्तुलित व्यक्तित्व बनाने में सहायता करती है (Physical Education helps in making Balanced Personality):
शारीरिक शिक्षा मनुष्य के सन्तुलित व्यक्तित्व में बढ़ोतरी करती है। यह बहु-पक्षीय प्रगति करती है। शारीरिक शिक्षा शरीर का हर पहलू से विकास करती है, जिससे मनुष्य का सन्तुलित व्यक्तित्व बनता है।

प्रश्न 5.
शारीरिक शिक्षा को परिभाषित करें। इसके सिद्धांतों का वर्णन करें।
अथवा
शारीरिक शिक्षा के सिद्धांतों या नियमों का वर्णन करें।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा की परिभाषा (Definition of Physical Education)-शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह अभिन्न अंग है, जो खेलकूद तथा अन्य शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से व्यक्ति में एक चुनी हुई दिशा में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। सी० ए० बूचर (C. A. Bucher) के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा, संपूर्ण शिक्षा पद्धति का एक अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य नागरिक को शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक रूप से शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से, जो गतिविधियाँ उनके परिणामों को दृष्टिगत रखकर चुनी गई हों, सक्षम बनाना है।”

शारीरिक शिक्षा के सिद्धांत (Principles of Physical Education) शारीरिक शिक्षा के सिद्धांत या नियम निम्नलिखित हैं

  1. शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा का एक अभिन्न अंग है जो व्यक्ति के संपूर्ण विकास में सहायक होता है।
  2. शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत ऐसे कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है जिनमें भाग लेकर छात्र या व्यक्ति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने में समर्थ हो सके। इससे अच्छे संवेगों का विकास होता है और बुरे संवेगों का निकास होता है।
  3. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम या गतिविधियाँ ज्ञान संबंधी तथ्यों को सीखने में योगदान देती हैं।
  4. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम गतिज कौशलों, शारीरिक सुयोग्यता एवं पुष्टि तथा स्वास्थ्य में सुधार करने वाले होने चाहिएँ।
  5. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम छात्रों की रुचियों, आवश्यकताओं एवं पर्यावरण पर आधारित होने चाहिएँ।
  6. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रमों में छात्रों का पूर्ण चिकित्सा-परीक्षण किया जाना चाहिए, क्योंकि बिना चिकित्सा परीक्षण के किसी को यह पता नहीं चल सकता कि छात्र किस प्रकार की असमर्थता का सामना कर रहा है।
  7. शारीरिक शिक्षा का महत्त्वपूर्ण माध्यम शारीरिक क्रियाएँ हैं । जब तक ये क्रियाएँ व्यवस्थित एवं प्रभावशाली नहीं होंगी, तब तक व्यक्ति या छात्रों के सभी अंगों का पूरी तरह से विकास नहीं हो सकता।
  8. शारीरिक शिक्षा के सिद्धांत वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित हैं। इसमें क्रियाओं का चुनाव इस प्रकार से किया जाना चाहिए कि इसके उद्देश्यों की पूर्ति पूर्णतः की जा सके।
  9. शारीरिक शिक्षा की गतिविधियों द्वारा छात्रों के आचरण में कई प्रकार के महत्त्वपूर्ण परिवर्तन एवं सुधार किए जा सकते हैं; जैसे नियमों की पालना करना, सहयोग देना, दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना आदि।
  10. शारीरिक शिक्षा के बारे में जानकारी सामान्य भाषा में देनी चाहिए और यह जानकारी भरपूर होनी चाहिए।
  11. शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत ऐसे कार्यक्रमों को भी शामिल करना चाहिए जिनमें छात्रों की स्वाभाविक इच्छाओं एवं आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके।
  12. शारीरिक क्रियाओं का चयन छात्रों की आयु, लिंग के अनुसार होना चाहिए।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 6.
शारीरिक शिक्षा के बारे में क्या-क्या गलत धारणाएँ या भ्रांतियाँ प्रचलित हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा के बारे में लोगों की अलग-अलग धारणाएँ हैं। कुछ लोग शारीरिक शिक्षा को क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स आदि समझ लेते हैं। इसके कारण इस विषय संबंधी गलत धारणाएँ प्रचलित हो जाती हैं। इस विषय संबंधी कुछ भ्रांतियाँ या गलत धारणाएँ अग्रलिखित हैं

1. यह एक आम भ्रांति है कि शारीरिक प्रशिक्षण और शारीरिक शिक्षा एक ही वस्तु है। परंतु ये दोनों भिन्न शब्द हैं। प्रशिक्षण वह कार्यक्रम है जो सेना में सैनिकों को शक्ति या शौर्य प्रदर्शन हेतु दिया जाता है। दूसरी ओर शारीरिक शिक्षा का अर्थ है अभिव्यक्ति, आत्म-अनुशासन, कल्पनाशील विचार, आयोजन में भाग लेना आदि।

2. लोगों की यह आम धारणा है कि शारीरिक शिक्षा के द्वारा शरीर को ही स्वस्थ बनाया जा सकता है। शारीरिक शिक्षा का संबंध केवल शारीरिक स्फूर्ति को बनाए रखने वाली शारीरिक क्रियाओं अथवा व्यायाम से ही है। इसलिए कोई भी इस प्रकार की क्रिया जिसका उद्देश्य व्यायाम करने से या शरीर को स्फूर्ति प्रदान करना हो, शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत मानी जाती है। परन्तु
यह धारणा संकुचित है।

3. कुछ लोग मानते हैं कि शारीरिक शिक्षा द्वारा वे अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल नहीं कर सकते। उनका मानना है कि यह समय एवं पैसे की बर्बादी है जो कि गलत धारणा है। वास्तव में शारीरिक शिक्षा से बच्चों को आगे बढ़ने की शक्ति एवं प्रेरणा मिलती है। यह उनका पूर्ण रूप से शारीरिक विकास करने में सहायक होती है जिसके कारण वे सभी कार्य अधिक कुशलता एवं क्षमता से करने में समर्थ होते हैं।

4. कुछ लोग यह सोचते हैं कि शारीरिक शिक्षा व्यक्ति या खिलाड़ी के लिए कोई कैरियर या व्यवसाय नहीं है। परन्तु यह गलत है, क्योंकि वर्तमान में विभिन्न सरकारी विभागों में खिलाड़ियों के लिए नौकरियों में आरक्षण दिया जा रहा है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में खिलाड़ियों के चयन की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

5. कुछ लोगों की धारणा है कि शारीरिक शिक्षा केवल खेल है। खेल के लिए किसी प्रकार के निर्देश की आवश्यकता नहीं होती और न ही निरीक्षण आवश्यक होता है परन्तु यह एक नकारात्मक अवधारणा है।

6. कुछ लोग शारीरिक शिक्षा को पी०टी० कहते हैं । वास्तव में पी०टी० अंग्रेजी में फिजिकल ट्रेनिंग शब्दों के प्रथम दो अक्षर हैं। पी०टी० सेना में प्रातःकाल सैनिकों को स्वस्थ रखने के लिए करवाई जाती है। शारीरिक शिक्षा को पूर्ण रूप से पी०टी० कहना गलत है।

7. कुछ लोग शारीरिक शिक्षा को सामूहिक ड्रिल कहते हैं परन्तु सामूहिक ड्रिल और शारीरिक शिक्षा में बहुत अंतर है। शारीरिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास होता है और सामूहिक ड्रिल से केवल शारीरिक विकास होता है। शारीरिक शिक्षा में स्वतंत्रता व विविधता रहने से वातावरण आनंददायी बनता है और सामूहिक ड्रिल में पुनरावृत्ति अधिक होने से थकान और उदासीन वृत्ति आ जाती है।

8. कुछ लोग जिम्नास्टिक को शारीरिक शिक्षा कहते हैं । जिम्नास्टिक के द्वारा तो केवल शरीर को अधिक लचीला बनाया जाता है। परन्तु शारीरिक शिक्षा संपूर्ण विकास का पहलू है।

9. कुछ लोगों की धारणा है कि शारीरिक शिक्षा संबंधी गतिविधियों से विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता फैलती है परन्तु यह गलत धारणा है। एक खिलाड़ी खेल गतिविधियों से अनेक आवश्यक नियमों की जानकारी प्राप्त करता है। एक अच्छा खिलाड़ी सदा अनुशासित ढंग से व्यवहार करता है और खेलों के नियमों के अनुसार खेलता है। वह न केवल खेल के मैदान
में नियमों का अनुसरण करता है बल्कि अपने वास्तविक जीवन में भी नियमों का अनुसरण करता है।

10. कुछ लोग यह सोचते हैं कि शारीरिक शिक्षा का अर्थ केवल खेलों में भाग लेना है। परन्तु वास्तव में शारीरिक गतिविधियों में भाग लेकर व्यक्ति या खिलाड़ी शारीरिक रूप से मजबूत एवं सुडौल बनता है और इन गतिविधियों का उसके स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

11. कुछ लोगों की धारणा है कि वीडियो गेम शारीरिक शिक्षा की गतिविधि है जिससे शारीरिक विकास होता है, परन्तु यह गलत धारणा है। वीडियो गेम से मनोरंजन तो हो सकता है परन्तु संपूर्ण शारीरिक विकास नहीं।

12. कुछ लोगों की धारणा है कि शारीरिक शिक्षा की गतिविधियों में भाग केवल सक्षम व्यक्ति या खिलाड़ी ही लेते हैं, परन्तु यह गलत धारणा है। खेल गतिविधियों में कोई भी भाग ले सकता है। इनमें अमीरी-गरीबी, ऊँच-नीच आदि प्रवृत्तियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 7.
शारीरिक शिक्षा के अध्यापक के व्यक्तिगत गुणों का वर्णन कीजिए। उत्तर-शारीरिक शिक्षा के अध्यापक के व्यक्तिगत गुण निम्नलिखित हैं
1. व्यक्तित्व (Personality):
अच्छा व्यक्तित्व शारीरिक शिक्षा के अध्यापक का सबसे बड़ा गुण है, क्योंकि व्यक्तित्व बहुत सारे गुणों का समूह है। एक अच्छे व्यक्तित्व वाले अध्यापक में अच्छे गुण; जैसे कि सहनशीलता, पक्का इरादा, अच्छा चरित्र, सच्चाई, समझदारी, ईमानदारी, मेल-मिलाप की भावना, निष्पक्षता, धैर्य, विश्वास आदि होने चाहिएँ।

2. चरित्र (Character):
शारीरिक शिक्षा का अध्यापक एक अच्छे चरित्र वाला व्यक्ति होना चाहिए, क्योंकि उसका सीधा संबंध विद्यार्थियों से होता है। यदि उसके अपने चरित्र में कमियाँ हैं तो वह कभी भी विद्यार्थियों के चरित्र को ऊँचा नहीं उठा पाएगा।

3. नेतृत्व के गुण (Qualities of Leadership):
शारीरिक शिक्षा के अध्यापक में एक अच्छे नेता के गुण होने चाहिएँ क्योंकि उसने ही विद्यार्थियों से शारीरिक क्रियाएँ करवानी होती हैं और उनसे क्रियाएँ करवाने के लिए सहयोग लेना होता है। यह तभी संभव है जब शारीरिक शिक्षा का अध्यापक अच्छे नेतृत्व वाले गुण अपनाए।

4. दृढ़-इच्छा शक्ति (Strong Will Power):
शारीरिक शिक्षा का अध्यापक दृढ़-इच्छा शक्ति या पक्के इरादे वाला होना चाहिए। वह विद्यार्थियों में वृढ़-इच्छा शक्ति की भावना पैदा करके उन्हें मुश्किल-से-मुश्किल प्रतियोगिताओं में भी जीत प्राप्त करने के लिए प्रेरित करे।

5. अनुशासन (Discipline):
अनुशासन एक बहुत महत्त्वपूर्ण गुण है और इसकी जीवन के हर क्षेत्र में जरूरत है। शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य भी बच्चों में अनुशासन की भावना पैदा करना है । शारीरिक शिक्षा का अध्यापक बच्चों में निडरता, आत्मनिर्भरता, दुःख में धीरज रखना जैसे गुण पैदा करता है। इसलिए जरूरी है कि शारीरिक शिक्षा का अध्यापक खुद अनुशासन में रहकर बच्चों में अनुशासन की आदतों का विकास करे ताकि बच्चे एक अच्छे समाज की नींव रख सकें।

6. आत्म-विश्वास (Self-confidence):
किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए आत्म-विश्वास का होना बहुत आवश्यक है। शारीरिक शिक्षा का अध्यापक बच्चों में आत्म-विश्वास की भावना पैदा करके उन्हें निडर, बलवान और हर दुःख में धीरज रखने वाले गुण पैदा कर सकता है।

7. सहयोग (Co-operation):
शारीरिक शिक्षा के अध्यापक का सबसे बड़ा गुण सहयोग की भावना है। शारीरिक शिक्षा के अध्यापक का संबंध केवल बच्चों तक ही सीमित नहीं है बल्कि मुख्याध्यापक, बच्चों के माता-पिता और समाज से भी है।

8. सहनशीलता (Tolerance):
शारीरिक शिक्षा का अध्यापक बच्चों से अलग-अलग क्रियाएँ करवाता है। इन क्रियाओं में बच्चे बहुत सारी गलतियाँ करते हैं। उस वक्त शारीरिक शिक्षा के अध्यापक को सहनशील रहकर उनकी गलतियों पर गुस्सा न करते हुए गलतियाँ दूर करनी चाहिएँ। यह तभी हो सकता है अगर शारीरिक शिक्षा का अध्यापक सहनशीलता जैसे गुण का धनी हो।

9. त्याग की भावना (Spirit of Sacrifice):
शारीरिक शिक्षा के अध्यापक में त्याग की भावना का होना बहुत जरूरी है। त्याग की भावना से ही अध्यापक बच्चों को प्राथमिक प्रशिक्षण अच्छी तरह देकर उन्हें अच्छे खिलाड़ी बना सकता है।

10. न्यायसंगत (Fairness):
शारीरिक शिक्षा का अध्यापक न्यायसंगत या न्यायप्रिय होना चाहिए, क्योंकि अध्यापक को न केवल शारीरिक क्रियाएँ ही करवानी होती हैं बल्कि अलग-अलग टीमों में खिलाड़ियों का चुनाव करने जैसे निर्णय भी लेने होते हैं। न्यायप्रिय और निष्पक्ष रहने वाला अध्यापक ही बच्चों से सम्मान प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 8.
संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास में शारीरिक शिक्षा का क्या योगदान है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास को अपना उद्देश्य बनाती है। संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि शारीरिक शिक्षा मनुष्य के संपूर्ण विकास में सहायक होती है। यह बात निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होती है

1. नेतृत्व का विकास (Development of Leadership):
शारीरिक शिक्षा में नेतृत्व करने के अनेक अवसर प्राप्त होते हैं; जैसे क्रिकेट टीम में टीम का कैप्टन, निष्पक्षता, सूझ-बूझ और भावपूर्ण ढंग से खेल की रणनीति तैयार करता है। जब किसी खेल के नेता को खेल से पहले शरीर गर्माने के लिए नियुक्त किया जाता है, तब भी नेतृत्व की शिक्षा दी जाती है। कई बार प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन करना भी नेतृत्व के विकास में सहायता करता है।

2. अनुशासन का विकास (Development of Discipline):
शारीरिक शिक्षा हमें अनुशासन का अमूल्य गुण भी सिखाती है। हमें अनुशासन में रहते हुए और खेल के नियमों का पालन करते हुए खेलना पड़ता है। इस प्रकार खेल अनुशासन की भावना में वृद्धि करते हैं। खेल में अयोग्य करार दिए जाने के डर से खिलाड़ी अनुशासन भंग नहीं करते। वे अनुशासन में रहकर ही खेलते हैं।

3. सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार का विकास (Development of Sympathetic Attitude):
खेल के दौरान यदि कोई खिलाड़ी घायल हो जाता है तो दूसरे सभी खिलाड़ी उसके प्रति हमदर्दी की भावना रखते हैं। ऐसा हॉकी अथवा क्रिकेट खेलते समय देखा भी जा सकता है। जब भी किसी खिलाड़ी को चोट लगती है तो सभी खिलाड़ी हमदर्दी प्रकट करते हुए उसकी सहायता के लिए दौड़ते हैं। यह गुण व्यक्तित्व निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

4. राष्ट्रीय एकता का विकास (Development of National Integration):
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जिससे राष्ट्रीय एकता में वृद्धि की जा सकती है। खेलें खिलाड़ियों में सांप्रदायिकता, असमानता, प्रांतवाद और भाषावाद जैसे अवगुणों को दूर करती हैं। इसमें खिलाड़ियों को ऐसे अनेक अवसर मिलते हैं, जब उनमें सहनशीलता, सामाजिकता, बड़ों का सत्कार और देश-भक्ति जैसे गुण विकसित होते हैं। ये गुण उनमें राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हैं और उनके व्यक्तित्व को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

5. अच्छे नागरिक के गुणों का विकास (Development of Qualities of Good Citizen):
शारीरिक शिक्षा खेलकूद के माध्यम से अच्छे नागरिकों के गुणों को विकसित करती है। जैसे खेलों के नियमों की पालना करना, खेलों में आपसी तालमेल बनाना, हार व जीत में संयम रखना, दूसरों के प्रति आदर व सम्मान की भावना, देशभक्ति की भावना जो लोकतांत्रिक जीवन में आवश्यक है, को विकसित करती है।

6. शारीरिक विकास (Physical Development):
शारीरिक शिक्षा संबंधी क्रियाएँ शारीरिक विकास का माध्यम हैं। शारीरिक क्रियाएँ माँसपेशियों को मज़बूत, रक्त का बहाव ठीक रखने, पाचन-शक्ति में बढ़ोतरी और श्वसन क्रिया को ठीक रखने में सहायक हैं । शारीरिक क्रियाओं से खिलाड़ी या व्यक्ति का शरीर मजबूत, शक्तिशाली, लचकदार और प्रभावशाली बनता है।

7. उच्च नैतिकता की शिक्षा (Lesson of High Morality):
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति में खेल भावना (Sportsmanship) उत्पन्न करती है। यह इस बात में भी सहायता करती है कि खिलाड़ी का स्तर नैतिक दृष्टि से ऊँचा रहे तथा वह पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ अपने उद्देश्य की ओर अग्रसर होता रहे। संक्षेप में, शारीरिक शिक्षा खिलाड़ी का उच्च स्तर का नैतिक विकास करने में सहायक होती है।

8. भावनात्मक संतुलन (Emotional Balance):
भावनात्मक संतुलन भी व्यक्तित्व के पूर्ण विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । यह शारीरिक शिक्षा और खेलों द्वारा पैदा होता है। शारीरिक शिक्षा खिलाड़ी में अनेक प्रकार से भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में सहायक होती है। बच्चे को बताया जाता है कि वह विजय प्राप्त करने के बाद आवश्यकता से अधिक प्रसन्न न हो और हार के गम को भी सहज भाव से ले। इस तरह भावनात्मक संतुलन एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए अत्यावश्यक है।

9. सामाजिक विकास (Social Development):
शारीरिक शिक्षा समूचे व्यक्तित्व का विकास इस दृष्टि से भी करती है कि व्यक्ति में अनेक प्रकार के सामाजिक गुण आ जाते हैं। उदाहरणतया सहयोग, टीम भावना, उत्तरदायित्व की भावना और नेतृत्व जैसे गुण भी बच्चे में खेलों द्वारा ही उत्पन्न होते हैं। ये गुण बड़ा होने पर अधिक विकसित हो जाते हैं । फलस्वरूप बच्चा एक अच्छा नागरिक बनता है।

10. अच्छी आदतों का विकास (Development of Good Habits):
अच्छी आदतें व्यक्तित्व की कुंजी होती हैं। शारीरिक शिक्षा से खिलाड़ी या व्यक्ति में अच्छी आदतों का विकास होता है; जैसे दूसरों का आदर व सम्मान करना, बड़ों का आदर करना, समय का पाबंद होना, नियमों का पालन करना, समय पर भोजन करना, व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना आदि। ये सभी संपूर्ण व्यक्तित्व के विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं।

निष्कर्ष (Conclusion):
उपर्युक्त विवरण से हम कह सकते हैं कि शारीरिक शिक्षा बच्चों में न केवल भीतरी गुणों को ही व्यक्त करती है, अपितु यह उनके व्यक्तित्व के विकास में भी सहायक होती है। यह उनमें कई प्रकार के सामाजिक व नैतिक गुण पैदा करती है और उनमें भावनात्मक संतुलन बनाए रखती है। शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति में कुर्बानी, निष्पक्षता, मित्रता की भावना, सहयोग, स्व-नियंत्रण, आत्म-विश्वास और आज्ञा की पालना करने जैसे गुणों का विकास होता है। शारीरिक शिक्षा द्वारा सहयोग करने की भावना में वृद्धि होती है।

प्रश्न 9.
संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में शारीरिक शिक्षा का क्या स्थान है? वर्णन कीजिए। अथवा शारीरिक शिक्षा व शिक्षा में क्या संबंध है? वर्णन करें।
उत्तर:
प्राचीन भारत में शारीरिक शिक्षा के स्वरूप के बारे में जानकारी प्राप्त करना बहुत कठिन है। केवल मूर्तियों और तस्वीरों से ही खेलों का अनुमान लगाया जा सकता है कि लोग कैसे अपने शरीर का ध्यान रखते थे। मोहनजोदड़ो से जो पुराने खंडहर मिले हैं, उनसे उस समय की नृत्यकारी के बारे में पता चलता है। इस नृत्यकारी के कारण लोग शारीरिक तौर पर शक्तिशाली, मजबूत और फुर्तीले थे। मध्यकालीन भारत पर अनेक विदेशी शासकों ने शासन किया, परन्तु जब भारत सन् 1947 में स्वतंत्र हुआ तो स्वदेशी सरकार ने देश की बागडोर को संभाला और व्यवस्थित शिक्षा एवं शारीरिक शिक्षा का प्रसार किया।

कई प्रकार की योजनाएँ भी तैयार की गईं। शिक्षा को प्रांतीय सरकार का विषय बना दिया गया। स्वतंत्रता के पश्चात् शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र का बहुत विकास हुआ। शारीरिक शिक्षा के अनेक नए कॉलेज और प्रशिक्षण केन्द्र खोल दिए गए। भारत सरकार ने सन् 1950 में शारीरिक शिक्षा व मनोरंजन के केंद्रीय सलाहकार बोर्ड (Central Advisory Board of Physical Education and Recreation) और सन् 1954 में भारतीय खेल सलाहकार परिषद् (All India Council of Sports) की स्थापना की। इन दोनों का उद्देश्य शारीरिक शिक्षा और खेल के विकास के लिए नई-नई योजनाएँ बनाना और उन पर अमल करवाना है।

आधुनिक युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। अब लोगों के विचारों, रहन-सहन, पहनावे आदि में बहुत तबदीली आ गई है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारी विचारधाराएँ बदल रही हैं। आज शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा का अभिन्न अंग है। यह सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। प्राचीन समय में शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के तन का विकास करना था जबकि वर्तमान शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल व्यक्ति का शारीरिक विकास करना ही नहीं, बल्कि मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास करना भी है। आज सामान्य शिक्षा व शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य एक जैसा ही हो गया है और वह है-मनुष्य का सर्वांगीण विकास करना। इनमें अंतर केवल इतना है कि उद्देश्य की प्राप्ति हेतु दोनों का ढंग भिन्न-भिन्न है।

सामान्य शिक्षा और शारीरिक शिक्षा के बारे में दिए गए विचारों से अनुमान लगाया जा सकता है कि दोनों के उद्देश्य एक हैं। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में चाहे वे मानसिक अथवा व्यावहारिक हों, ज्ञान बढ़ता रहता है। शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के छिपे हुए गुणों को अच्छी तरह विकसित करना है। इन गुणों के विकास द्वारा व्यक्ति का सर्वपक्षीय विकास संभव है।
आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का नियमित कार्यक्रम है।

इस कार्यक्रम में सिर्फ शारीरिक पक्ष की ओर ही ध्यान नहीं दिया जाता, अपितु व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाता है। ये पहलू बौद्धिक विकास, सामाजिक विकास और व्यक्तित्व निर्माण में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं । शारीरिक शिक्षा ऐसी सुविधाएँ पैदा करती है जिनमें व्यक्ति का आवश्यक विकास होना संभव है। इसलिए शारीरिक शिक्षा और सामान्य शिक्षा के उद्देश्य एक होने के कारण इनमें गहरा संबंध है। विभिन्न विद्वानों व बोर्ड ने निम्नलिखित परिभाषाओं के माध्यम से इन दोनों के संबंधों को स्पष्ट किया है

1. चार्ल्स ए० बूचर (Charles A. Bucher):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा संपूर्ण शिक्षा पद्धति का अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा सामाजिक रूप से, जो शारीरिक गतिविधियाँ उनके परिणामों को दृष्टिगत रखकर चुनी गई हों, सक्षम बनाना है।”

2. जे०बी० नैश (J.B. Nash):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा के संपूर्ण क्षेत्र का वह भाग है, जिसका संबंध बड़ी माँसपेशियों और उनकी क्रियाओं से है।”

3. शारीरिक शिक्षा तथा मनोरंजन के केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड (Central Advisory Board of Physical Education and Recreation):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा ही है। यह वह शिक्षा है जो शारीरिक क्रियाओं द्वारा बच्चे के संपूर्ण व्यक्तित्व के लिए अथवा शरीर, मन व आत्मा के पूर्ण विकास के लिए दी जाती है।”

4. निक्सन व कोजन (Nixon and Cozan):
के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा की पूर्ण क्रियाओं का वह भाग है जिसका संबंध शक्तिशाली माँसपेशियों की क्रियाओं और उनसे संबंधित क्रियाओं तथा उनके परिणामों द्वारा व्यक्ति में होने वाले परिवर्तनों से है।”

निष्कर्ष (Conclusion):
उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि शारीरिक शिक्षा, शिक्षा प्रक्रिया का अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग है। शारीरिक शिक्षा का माध्यम शारीरिक क्रियाएँ हैं। जब तक ये क्रियाएँ प्रभावशाली नहीं होंगी, तब तक शरीर के सभी अंगों का पूरी तरह विकास नहीं हो सकता। शारीरिक शिक्षा का मनोरथ सिर्फ शारीरिक विकास नहीं, अपितु सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक विकास करना भी है। आधुनिक शारीरिक शिक्षा वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें क्रियाओं का चुनाव इस प्रकार किया जाए ताकि इसके उद्देश्यों की पूर्ति की जा सके। इस प्रकार शारीरिक शिक्षा, संपूर्ण शिक्षा प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण तथा अभिन्न अंग है।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 10.
शारीरिक शिक्षा के मुख्य क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र बहुत विशाल है। इसमें तरह-तरह की गतिविधियाँ या क्रियाएँ शामिल होती हैं। इनमें से कुछ का संक्षेप में उल्लेख इस प्रकार है

1. शोधक क्रियाएँ (Corrective Exercises):
इन क्रियाओं द्वारा विद्यार्थियों के शारीरिक अंगों की कमजोरियों में सुधार किया जा सकता है। प्रायः ये कमजोरियाँ माँसपेशियों के अवगुणों के कारण होती हैं।

2. खेलकूद क्रियाएँ (Games & Sports Activities):
इन क्रियाओं में एथलेटिक्स, टेबल टेनिस, हॉकी, फुटबॉल, बास्केटबॉल, तैरना और किश्ती चलाना आदि शामिल हैं।

3. स्वयं-रक्षक क्रियाएँ (Self-defence Activities):
इनमें दंड निकालना, मुक्केबाजी, लाठी चलाना तथा गतका आदि क्रियाएँ सम्मिलित हैं।

4. मौलिक क्रियाएँ (Fundamental Exercises):
इस क्षेत्र में शरीर का संतुलन ठीक रखने के लिए चलना-फिरना, भागना, चढ़ना और उतरना इत्यादि क्रियाएँ शामिल हैं।

5. लयबद्ध क्रियाएँ (Rhythmics Exercises):
नाचना और गाना मनुष्य का स्वभाव है। इस स्वभाव से मनुष्य अपनी खुशी और पीड़ा को प्रकट करता है। शारीरिक शिक्षा में लोक-नाच और ताल-भरी क्रियाओं का विशेष स्थान है। टिपरी, डम्बल, लोक-नाच, लेजियम, उछलना और जिम्नास्टिक्स जैसी क्रियाएँ शामिल हैं। ये क्रियाएँ शारीरिक तंदुरुस्ती और माँसपेशियों के तालमेल के अतिरिक्त मनोरंजन का साधन भी हैं।

6. यौगिक क्रियाएँ (Yogic Exercises):
योग (Yoga) भारत की देन है। हजारों साल पहले ऋषि-मुनियों ने योग द्वारा प्रसिद्धि प्राप्त की। आज केवल भारत ही नहीं, बल्कि सारा संसार इन यौगिक क्रियाओं के लाभों से परिचित है। यौगिक क्रियाएँ केवल खेलों और बीमारी के उपचार के लिए ही लाभदायक नहीं हैं, बल्कि इन क्रियाओं द्वारा शरीर और आत्मा का निर्माण भी किया जा सकता है।

7. मनोरंजनात्मक क्रियाएँ (Recreation Activities):
शारीरिक शिक्षा में मनोरंजन का विशेष स्थान है। विकसित देशों में शारीरिक शिक्षा के अध्यापक को मनोरंजन की शिक्षा अवश्य दी जाती है। इसमें नाच, नाटक, पहाड़ों की सैर, कैंप लगाने, लंबी सैर, मछली पकड़ना, बागवानी और कुदरत के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। इन क्रियाओं से व्यक्ति का विकास आसानी से हो सकता है।

8. खोजात्मक क्रियाएँ (Research Activities):
आधुनिक युग मशीनी युग है। मशीनों ने मनुष्य के शरीर को कमजोर और सुस्त बना दिया है। शारीरिक शिक्षा में अब खोज की पहले से ज्यादा आवश्यकता है। खोजों से शारीरिक शिक्षा का इतिहास, प्रबंध के नियम, शारीरिक रचना, शारीरिक बनावट, माँसपेशियों की हरकतें, खेल चिकित्सा, प्रशिक्षण विधि, खेल मनोविज्ञान के प्रभावों के बारे में जानकारी मिलती है।

दुनिया के जिस देश ने शारीरिक शिक्षा के विषय में खोजों में दिलचस्पी दिखाई है, उन देशों के खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय खेलों में अपने देश का नाम ऊँचा किया है। खोजें शारीरिक शिक्षा के विषय में आए भ्रमों को दूर करती हैं और शारीरिक कमजोरियों को दूर करने के तरीके बताती हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न ( (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा की परम्परागत अवधारणा का वर्णन करें।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा की अवधारणा व्यक्तियों के लिए कोई नई नहीं है। वास्तव में इसकी जड़ें बहुत प्राचीन हैं। प्राचीन समय में विचारों के आदान-प्रदान का सर्वव्यापी माध्यम शारीरिक गतिविधियों एवं शारीरिक अंगों का हाव-भाव था। प्राचीन समय में दौड़ने, कूदने, छलांग लगाने, युद्ध करने तथा शिकार करने आदि को ही शारीरिक शिक्षा का अभिन्न अंग माना जाता है। उस समय मानव इन सभी क्रियाओं का प्रयोग अपनी रक्षा करने और आजीविका कमाने के लिए करता है। पुरातन समय में कुशल, योद्धा एवं योग्य नागरिक बनाने के लिए जो शारीरिक क्रियाएँ करवाई जाती थीं, वे शारीरिक प्रशिक्षण कहलाती थीं।

इन गतिविधियों या क्रियाओं का मुख्य उद्देश्य शारीरिक विकास था अर्थात् व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत एवं शक्तिशाली बनाना था। अतः परम्परागत अवधारणा शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से शारीरिक विकास पर अधिक जोर देती थी और शैक्षिक पक्षों को अनदेखा करती थी। इसलिए शारीरिक शिक्षा की इस अवधारणा को वर्तमान जीवन हेतु उचित नहीं ठहराया जा सकता। ये क्रियाएँ व्यक्ति के मनोरंजन, कौशल, शक्ति प्रदर्शन का साधन मानी जाती थी।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा की आधुनिक अवधारणा (Modern Concept) का वर्णन करें।
उत्तर:
आधुनिक युग विज्ञान एवं मशीनी युग है जिसकी बहुत-सी आवश्यकताएँ हैं। समय के साथ-साथ शारीरिक शिक्षा की परम्परागत अवधारणा का स्थान शारीरिक शिक्षा की आधुनिक अवधारणा ने ले लिया है। शिक्षाशास्त्रियों ने शारीरिक शिक्षा की अवधारणा को पुनः परिभाषित किया है। शारीरिक शिक्षा की आधुनिक अवधारणा के अंतर्गत शारीरिक शिक्षा न केवल शारीरिक विकास करती है बल्कि यह मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक विकास भी करती है अर्थात् इसका उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है।

इस अवधारणा के अनुसार शारीरिक शिक्षा का मुख्य लक्ष्य शिक्षा है न कि स्वास्थ्य, शारीरिक क्रियाएँ या प्रशिक्षण । शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार यह शिक्षा का ही एक महत्त्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग है क्योंकि शारीरिक क्रियाओं व खेलों द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जाता है। चार्ल्स ए० बूचर के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा समस्त शिक्षा प्रणाली का ही एक आधारभूत अंग है।” आज शारीरिक क्रियाएँ या गतिविधियाँ न केवल मनोरंजन या शक्ति प्रदर्शन के ही साधन मानी जाती हैं बल्कि ये बालक के विकास के विभिन्न पक्षों को प्रभावित कर उनके विकास में सहायक होती हैं।

आज यह माना जाने लगा है कि शारीरिक शिक्षा की आधुनिक अवधारणा से न केवल व्यक्ति की मूल भावनाओं या संवेगों को एक नई दिशा मिलती है बल्कि उसमें अनेक नैतिक एवं मूल्यपरक गुणों का विकास भी होता है। इससे मानसिक एवं बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि होती है। आज यह न केवल शारीरिक परीक्षण, शारीरिक सुयोग्यता एवं सामूहिक ड्रिल की प्रक्रिया है बल्कि यह बहु-आयामी एवं उपयोगी प्रक्रिया है जो जीवन एवं स्वास्थ्य के पहले पहलू के लिए अति आवश्यक है।

प्रश्न 3.
शारीरिक शिक्षा के कोई चार सिद्धांत बताएँ।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा के चार सिद्धांत या नियम निम्नलिखित हैं

  1. शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा का एक अभिन्न अंग है जो व्यक्ति के संपूर्ण विकास में सहायक होता है।
  2. शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत ऐसे कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है जिनमें भाग लेकर छात्र या व्यक्ति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने लगे। इससे अच्छे संवेगों का विकास होता है और बुरे संवेगों का निकास होता है।
  3. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम या गतिविधियाँ ज्ञान संबंधी तथ्यों को सीखने में योगदान देती हैं।
  4. शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम गतिज कौशलों, शारीरिक सुयोग्यता तथा पुष्टि एवं स्वास्थ्य में सुधार करने वाले होने चाहिएँ।

प्रश्न 4.
शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का अभिन्न अंग है-इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
आज से कुछ ही दशक पूर्व शिक्षा का लक्ष्य केवल मानसिक विकास माना जाता था और इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केवल किताबी ज्ञान पर ही बल दिया जाता था। लेकिन आधुनिक युग में यह अनुभव होने लगा कि मानसिक व शारीरिक विकास एक-दूसरे से किसी भी प्रकार अलग नहीं हैं। जहाँ मानसिक ज्ञान से बुद्धि का विकास होता है और मनुष्य इस ज्ञान का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में करके सुखी जीवन के लिए साधन जुटाने में सक्षम हो पाता है, वहीं शारीरिक शिक्षा उसे अतिरिक्त समय को बिताने की विधियाँ, अच्छा स्वास्थ्य रखने का रहस्य तथा चरित्र-निर्माण के गुणों की जानकारी प्रदान करती है।

शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य में सुधार लाकर कार्य-कुशलता को बढ़ाने में सहायता करती है और शिक्षा मानसिक विकास के उद्देश्यों की पूर्ति करने में विशेष भूमिका निभाती है। अत: आज के समय में शारीरिक शिक्षा (Physical Education) शिक्षा का अभिन्न अंग है जिससे व्यक्ति के जीवन का प्रत्येक पक्ष प्रभावित होता है।

प्रश्न 5.
शारीरिक शिक्षा के बारे में प्रचलित किन्हीं तीन भ्रांतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा के बारे में प्रचलित मुख्य भ्रांतियाँ निम्नलिखित हैं
1. यह एक आम भ्रांति है कि शारीरिक प्रशिक्षण और शारीरिक शिक्षा एक ही वस्तु है। परंतु ये दोनों भिन्न शब्द हैं। प्रशिक्षण वह कार्यक्रम है जो सेना में सैनिकों को शक्ति या शौर्य प्रदर्शन हेतु दिया जाता है। दूसरी ओर शारीरिक शिक्षा का अर्थ है अभिव्यक्ति, आत्म-अनुशासन, कल्पनाशील विचार, आयोजन में भाग लेना आदि।

2. लोगों की यह आम धारणा है कि शारीरिक शिक्षा के द्वारा शरीर को ही स्वस्थ बनाया जा सकता है। शारीरिक शिक्षा का संबंध केवल शारीरिक स्फूर्ति को बनाए रखने वाली शारीरिक क्रियाओं अथवा व्यायाम से ही है। कोई भी इस प्रकार की क्रिया जिसका उद्देश्य व्यायाम करने से या शरीर को स्फूर्ति प्रदान करना हो, शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत मानी जाती है। परन्तु यह
धारणा संकुचित है।

3. कुछ लोग मानते हैं कि शारीरिक शिक्षा द्वारा वे अपने बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल नहीं कर सकते। उनका मानना है कि यह समय एवं पैसे की बर्बादी है जो कि गलत धारणा है। वास्तव में शारीरिक शिक्षा से बच्चों को आगे बढ़ने की शक्ति एवं प्रेरणा मिलती है। यह उनका पूर्ण रूप से शारीरिक विकास करने में सहायक होती है जिसके कारण वे सभी कार्य अधिक कुशलता एवं क्षमता से करने में समर्थ होते हैं।

प्रश्न 6.
शारीरिक शिक्षा के किन्हीं तीन उद्देश्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1. शारीरिक शिक्षा संबंधी क्रियाएँ शरीर में ज्यादा-से-ज्यादा तालमेल बनाती हैं। अगर शारीरिक शिक्षा में उछलना, दौड़ना, फेंकना आदि क्रियाएँ न हों तो कोई भी उद्देश्य पूरा नहीं किया जा सकता। मानवीय शरीर में सही गतिज विकास तभी हो सकता है जब नाड़ी प्रणाली और माँसपेशीय प्रणाली का संबंध ठीक रहे । इससे कम थकावट और अधिक-से-अधिक कुशलता प्राप्त करने में सहायता मिलती है।

2. शारीरिक शिक्षा कई प्रकार के ऐसे अवसर पैदा करती है, जिनसे शरीर का भावनात्मक या संवेगात्मक विकास होता है। खेल में बार-बार जीतना या हारना दोनों हालातों में भावनात्मक पहलू प्रभावित होते हैं। इससे खिलाड़ियों में भावनात्मक स्थिरता उत्पन्न होती है। इसलिए उन पर जीत-हार का बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। शारीरिक शिक्षा खिलाड़ियों को अपनी
भावनाओं पर काबू रखना सिखाती है।

3. शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास भी होता है । जब बालक या खिलाड़ी शारीरिक क्रियाओं में भाग लेता है तो इनसे उसके शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास में भी बढ़ोतरी होती है।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 7.
शारीरिक शिक्षा का क्या लक्ष्य है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य विद्यार्थी को इस प्रकार तैयार करना है कि वह एक सफल एवं स्वस्थ नागरिक बनकर अपने परिवार, समाज व राष्ट्र की समस्याओं का समाधान करने की क्षमता या योग्यता उत्पन्न कर सके और समाज का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बनकर सफलता से जीवनयापन करते हुए जीवन का पूरा आनंद उठा सके। विभिन्न विद्वानों के अनुसार शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य निम्नलिखित हैं

1. जे० एफ० विलियम्स के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य एक प्रकार का कुशल नेतृत्व तथा पर्याप्त समय प्रदान करना है, जिससे व्यक्तियों या संगठनों को इसमें भाग लेने के लिए पूरे-पूरे अवसर मिल सकें, जोशारीरिक रूप से आनंददायक, मानसिक दृष्टि से चुस्त तथा सामाजिक रूप से निपुण हों।”

2. जे० आर० शर्मन के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य है कि व्यक्ति के अनुभव को इस हद तक प्रभावित करे कि वह अपनी क्षमता से समाज में अच्छे से रह सके, अपनी जरूरतों को बढ़ा सके, उन्नति कर सके तथा अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सक्षम हो सके।” उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है। इसके लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए जे०एफ० विलियम्स ने भी कहा है कि “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है।”

प्रश्न 8.
मानसिक व भावनात्मक विकास में शारीरिक शिक्षा या क्रियाओं का क्या योगदान है?
अथवा
शारीरिक शिक्षा मानसिक एवं भावनात्मक विकास में किस प्रकार सहायक होती है?
उत्तर:
मानसिक विकास:
अरस्तू के अनुसार, “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ दिमाग का वास होता है।” भाव यह है कि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का विकास भी होना चाहिए। शारीरिक और मानसिक दोनों के मिलाप से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। जब कोई व्यक्ति शारीरिक क्रियाओं में भाग लेता है तो उसके शारीरिक विकास के साथ-साथ उसका मानसिक विकास भी होता है। शारीरिक क्रियाओं से व्यक्ति की कल्पना एवं स्मरण शक्ति बढ़ती है।

भावनात्मक विकास:
शारीरिक क्रियाएँ कई प्रकार के ऐसे अवसर पैदा करती हैं जिनसे भावनात्मक विकास होता है। खेल में बार-बार विजयी होना या हारना, दोनों अवस्थाओं में भावनात्मक स्थिरता आती है। इसलिए खिलाड़ी पर जीत-हार का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखना सिखाती है। जिस व्यक्ति का अपने संवेगों पर नियंत्रण होता है वह सफलता की ओर अग्रसर होता है। इसलिए हमें शारीरिक शिक्षा की अधिक आवश्यकता है।

प्रश्न 9.
शारीरिक शिक्षा घरेलू तथा पारिवारिक जीवन में क्या योगदान देती है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा घरेलू तथा पारिवारिक जीवन में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को न केवल अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने की कुशलता प्रदान करती है, बल्कि यह उसे अपने परिवार एवं समाज के स्वास्थ्य को ठीक रखने में भी सहायता करती है। किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य जितना अच्छा होगा, उसका पारिवारिक जीवन भी उतना ही अच्छा होगा।

शारीरिक शिक्षा अनेक सामाजिक व नैतिक गुणों जैसे सहनशीलता, धैर्यता, अनुशासन, सहयोग, बंधुत्व, आत्मविश्वास, अच्छा आचरण आदि को विकसित करने में सहायक होती है। शारीरिक शिक्षा अवसाद, चिन्ता, दबाव व तनाव को कम करती है। यह अनेक रोगों से बचाने में सहायक होती है, क्योंकि इसकी गतिविधियों द्वारा रोग निवारक क्षमता बढ़ती है। ये सभी विशेषताएँ घरेलू तथा पारिवारिक जीवन में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं।

प्रश्न 10.
“आधुनिक शिक्षा को पूरा करने के लिए शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता है।” इस कथन की व्याख्या करें।
अथवा
आधुनिक शिक्षा को पूरा करने में शारीरिक शिक्षा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्राचीनकाल में विद्या का प्रसार बहुत कम था। उस समय पिता ही पुत्र को पढ़ा देता था या शिक्षा आचार्य दे दिया करते थे। परंतु वर्तमान युग में प्रत्येक व्यक्ति के पढ़े लिखे होने की आवश्यकता है। बच्चा विभिन्न क्रियाओं में भाग लेकर अपना शारीरिक विकास करता है। इसलिए बच्चों को खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। शारीरिक शिक्षा केवल शारीरिक निर्माण तक ही सीमित नहीं है, वास्तव में यह बच्चे का मानसिक, भावनात्मक, नैतिक और सामाजिक पक्ष का भी विकास करती है।

आधुनिक शिक्षा को पूरा करने के लिए शारीरिक शिक्षा की आवश्यकता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान युग में शारीरिक शिक्षा पूरे विश्व के स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई है, क्योंकि यह शिक्षा, शिक्षा के उद्देश्यों को योजनाबद्ध तरीके से प्राप्त करने में सहायक होती है। एच०सी० बॅक के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा सामान्य शिक्षा कार्यक्रम का वह भाग है जो माँसपेशियों के क्रियाकलापों के माध्यम से बच्चों की वृद्धि, विकास तथा शिक्षा से संबंधित है। इस प्रकार से स्पष्ट है कि आधुनिक शिक्षा को पूरा करने के लिए शारीरिक शिक्षा की बहुत आवश्यकता होती है।”

प्रश्न 11.
“शारीरिक शिक्षा बढ़ रहे स्कूल दायित्व को पूरा करती है।” इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
प्राचीनकाल में शिक्षा का प्रसार बहुत कम था। बच्चा प्राथमिक शिक्षा अपने माता-पिता और भाई-बहनों से प्राप्त करता था। स्कूलों तथा कॉलेजों का प्रचलन बिल्कुल नहीं था। परंतु आधुनिक युग में शिक्षा का क्षेत्र बहुत बढ़ गया है। जगह-जगह पर स्कूल-कॉलेज खुल गए हैं। आज के युग में बच्चे को छोटी आयु में ही स्कूल भेज दिया जाता है।

घर में बच्चा नकल करके अथवा गलतियाँ करके बहुत कुछ सीख जाता है। अभिभावक उसकी गलतियों में सुधार करते हैं। बच्चा सहयोग और सहायता करना सीख जाता है। पाठ्यक्रम में शारीरिक शिक्षा का मिश्रण सीखने की क्रिया को आसान और मनोरंजक बना सकता है। परिणामस्वरूप शारीरिक शिक्षा बढ़ रहे स्कूली दायित्व को पूरा करती है।

प्रश्न 12.
शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु एक शिक्षक क्या भूमिका निभा सकता है?
उत्तर:
वर्तमान में स्कूल ही एकमात्र ऐसी प्राथमिक संस्था है, जहाँ शारीरिक शिक्षा प्रदान की जाती है। विद्यार्थी स्कूलों में स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान शिक्षकों से सीखते हैं। मुख्याध्यापक व शिक्षक-वर्ग विद्यार्थियों के लिए शारीरिक शिक्षा का कार्यक्रम बनाकर उन्हें शिक्षा देते हैं जिनसे विद्यार्थी यह जान पाते हैं कि किन तरीकों और साधनों से वे अपने शारीरिक संस्थानों व स्वास्थ्य को सुचारु व अच्छा बनाए रख सकते हैं। शिक्षकों द्वारा ही उनमें अपने शरीर व स्वास्थ्य के प्रति एक स्वस्थ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किया जा सकता है और उनको अच्छे स्वास्थ्य हेतु प्रेरित किया जा सकता है।

प्रश्न 13.
शारीरिक शिक्षा हानिकारक मानसिक दुष्प्रभावों को किस प्रकार कम करती है? अथवा शारीरिक शिक्षा मनोवैज्ञानिक व्याधियों को कम करती है, कैसे?
उत्तर:
आधुनिक युग में व्यक्ति का अधिकतर काम मानसिक हो गया है। उदाहरण के रूप में, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, दार्शनिक, गणित-शास्त्री आदि सभी बुद्धिजीवी मानसिक कार्य अधिक करते हैं। मानसिक कार्यों से हमारे नाड़ी तंत्र (Nervous System) पर दबाव पड़ता है। इस दबाव को कम करने या समाप्त करने के लिए हमें अपने काम में परिवर्तन लाने की जरूरत है। यह परिवर्तन मानसिक सुख पैदा करता है। सबसे लाभदायक परिवर्तन शारीरिक व्यायाम है।

जे०बी० नैश का कहना है कि जब कोई विचार उसके दिमाग में आता है तो परिस्थिति बदल जाने पर भी वह विचार उसके दिमाग में चक्कर काटने लगता है तो इससे पीछा छुड़वाने के लिए अपने आपको दूसरे कामों में लगा लेता हूँ ताकि उसका दिमाग तरोताजा हो सके। इसलिए सभी लोगों को मानसिक उलझनों से छुटकारा पाने के लिए खेलों में भाग लेना चाहिए, क्योंकि खेलें मानसिक तनाव को दूर करती हैं। इस प्रकार हानिकारक प्रभावों को कम करने में शारीरिक शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रश्न 14.
खेलों या शारीरिक शिक्षा द्वारा व्यक्ति का सामाजिक विकास कैसे होता है?
उत्तर:
सामाजिक जीवन में कई तरह की भिन्नताएँ होती हैं; जैसे अलग भाषा, अलग संस्कृति, रंग-रूप, अमीरी-गरीबी, शक्तिशाली-कमज़ोर आदि । इन भिन्नताओं के बावजूद मनुष्य को सामाजिक इकाई में रहना पड़ता है। शारीरिक शिक्षा भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों को एक स्थान पर इकट्ठा करती है। उनमें एकता व एकबद्धता लाती है।

खेल में धर्म, जाति, श्रेणी, वर्ग या क्षेत्र आदि के आधार पर किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाता। इस तरह से शारीरिक शिक्षा कई ऐसे अवसर प्रदान करती है जिससे सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है और सामाजिक व नैतिक विकास में वृद्धि होती है; जैसे एक-दूसरे से मिलकर रहना, एक-दूसरे का सम्मान करना, दूसरों की आज्ञा का पालन करना, बड़ों का सम्मान करना, नियमों का पालन करना आदि।

प्रश्न 15.
शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य के लिए कैसे लाभदायक है?
उत्तर:
अच्छा स्वास्थ्य अच्छी जलवायु की उपज नहीं, बल्कि यह अच्छी खुराक, सफ़ाई, उचित आराम, अनावश्यक चिंताओं से मुक्ति और रोग-रहित जीवन है। आवश्यक डॉक्टरी सहायता भी स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए ज़रूरी है। बहुत ज़्यादा कसरत करना, परन्तु आवश्यक खुराक न खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। जो व्यक्ति खेलों में भाग लेते हैं, उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है।

खेलों में भाग लेने से शरीर की सारी शारीरिक प्रणालियाँ सही ढंग से काम करने लग जाती हैं। ये प्रणालियाँ शरीर में हुई थोड़ी-सी कमी या बढ़ोतरी को भी सहन कर लेती हैं। इसलिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति खेलों में अवश्य भाग ले।आधुनिक युग में शारीरिक शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए डॉ० राधाकृष्णन ने कहा है, “मजबूत शारीरिक नींव के बिना कोई राष्ट्र महान नहीं बन सकता।”

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 16.
शारीरिक शिक्षा राष्ट्रीय एकता में कैसे सहायक होती है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जिससे राष्ट्रीय एकता में वृद्धि की जा सकती है। खेलें खिलाड़ियों में सांप्रदायिकता, असमानता, प्रांतवाद और भाषावाद जैसे अवगुणों को दूर करती हैं। इसमें खिलाड़ियों को ऐसे अनेक अवसर मिलते हैं, जब उनमें सहनशीलता, सामाजिकता, बड़ों का सत्कार, देश-भक्ति और राष्ट्रीय आचरण जैसे गुण विकसित होते हैं। ये गुण उनमें राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हैं और उनके व्यक्तित्व को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अत: खेलकूद में भाग लेने से मातृत्व या राष्ट्रीयता की भावना विकसित होती है।

प्रश्न 17.
शारीरिक शिक्षा खाली समय का सदुपयोग करना कैसे सिखाती है?
उत्तर:
किसी ने ठीक ही कहा है कि “खाली दिमाग शैतान का घर होता है।” (An idle brain is a devil’s workshop.) यह आमतौर पर देखा जाता है कि खाली या बेकार व्यक्ति को हमेशा शरारतें ही सूझती हैं। कभी-कभी तो वह इस प्रकार के अनैतिक कार्य करने लग जाता है, जिनको सामाजिक दृष्टि से उचित नहीं समझा जा सकता। खाली या बेकार समय का सदुपयोग न करके उसका दिमाग बुराइयों में फंस जाता है। शारीरिक शिक्षा में अनेक शारीरिक क्रियाएँ शामिल होती हैं।

इन क्रियाओं में भाग लेकर हम अपने समय का सदुपयोग कर सकते है। अतः शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को खाली समय का सदुपयोग करना सिखाती है। खाली समय का प्रयोग यदि खेल के मैदान में खेलें खेलकर किया जाए तो व्यक्ति के हाथ से कुछ नहीं जाता, बल्कि वह कुछ प्राप्त ही करता है। खेल का मैदान जहाँ खाली समय का सदुपयोग करने का उत्तम साधन है, वहीं व्यक्ति की अच्छी सेहत बनाए रखने का भी उत्तम साधन है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति को एक अच्छे नागरिक के गुण भी सिखा देता है।

प्रश्न 18.
शारीरिक शिक्षा समाजीकरण की प्रक्रिया को किस प्रकार से प्रभावित करती है? अथवा शारीरिक शिक्षा सामाजिक एवं नैतिक विकास कैसे करती है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा समाजीकरण का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। व्यक्ति किसी भी खेल में खेल के नियमों का पालन करते हुए तथा अपनी टीम के हित को सामने रखते हुए भाग लेता है। वह अपनी टीम को पूरा सहयोग देता है। वह हार-जीत को समान समझता है। उसमें अनेक सामाजिक गुण; जैसे सहनशीलता, धैर्यता, अनुशासन, सहयोग आदि विकसित होते हैं। इतना ही नहीं, प्रत्येक पीढ़ी कुछ-न-कुछ खास परंपराएँ व नियम भावी पीढ़ी के लिए छोड़ जाती है जिससे विद्यार्थियों को शारीरिक शिक्षा के माध्यम से परिचित करवाया जाता है। इस प्रकार शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के समाजीकरण में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में मिल-जुलकर रहना पड़ता है। शारीरिक शिक्षा कई प्रकार के ऐसे अवसर प्रदान करती है, जिससे खिलाड़ियों के सामाजिक व नैतिक विकास हेतु सहायता मिलती है; जैसे उनका एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहना, एक-दूसरे का सम्मान करना, दूसरों की आज्ञा का पालन करना, झूठ न बोलना, नियमों का पालन करना, सहयोग देना, एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना आदि।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very ShortAnswer Type Questions)

प्रश्न 1.
शारीरिक शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह अभिन्न अंग है, जो खेलकूद तथा अन्य शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से, व्यक्तियों में एक चुनी हुई दिशा में, परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। इससे केवल बुद्धि तथा शरीर का ही विकास नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र एवं आदतों के निर्माण में भी सहायक होती है। अतः शारीरिक शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के संपूर्ण (शारीरिक, मानसिक एवं . आध्यात्मिक) व्यक्तित्व का विकास होता हैं।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा की कोई दो परिभाषाएँ बताएँ। अथवा शारीरिक शिक्षा को परिभाषित करें।
उत्तर:
1. ए०आर० वेमैन के मतानुसार, “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह भाग है जिसका संबंध शारीरिक गतिविधियों द्वारा व्यक्ति के संपूर्ण विकास एवं प्रशिक्षण से है।”
2. आर० कैसिडी के अनुसार, “शारीरिक क्रियाओं पर केंद्रित अनुभवों द्वारा जो परिवर्तन मानव में आते हैं, वे ही शारीरिक शिक्षा कहलाते हैं।”

प्रश्न 3.
हैगमैन तथा ब्राउनवैल के अनुसार शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य बताएँ। अथवा हैगमन तथा ब्राउनवैल ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को किस प्रकार से वर्गीकृत किया है?
उत्तर:
हैगमैन तथा ब्राउनवैल (Hagman and Brownwell) ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को निम्नलिखित चार भागों में वर्गीकृत किया है:

  1. शारीरिक स्वास्थ्य में बढ़ोतरी करना,
  2. गति या तकनीकी योग्यताओं में बढ़ोतरी करना,
  3. ज्ञान में वृद्धि करना,
  4. अभिरुचि में सुधार लाना।

प्रश्न 4.
जे०बी०नैश के अनुसार शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
जे०बी०नैश (J. B. Nash) के अनुसार शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. शारीरिक अंगों का विकास,
  2. नाड़ी-माँसपेशियों संबंधी विकास,
  3. अर्थ समझने की योग्यता का विकास,
  4. भावनात्मक विकास।

प्रश्न 5.
बी० वाल्टर के अनुसार शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
बी० वाल्टर (B. Walter) के अनुसार शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. सेहत या स्वास्थ्य में सुधार करना,
  2. खाली समय का उचित प्रयोग,
  3. नैतिक आचरण।

प्रश्न 6.
लास्की के अनुसार शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
लास्की (Laski) के अनुसार शारीरिक शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. शारीरिक विकास,
  2. नाड़ी-माँसपेशियों के तालमेल में विकास,
  3. भावनात्मक विकास,
  4. सामाजिक विकास,
  5. बौद्धिक विकास।

प्रश्न 7.
क्या खेल लोगों में मानसिक सद्भावना पैदा करती हैं?
उत्तर:
खेल लोगों में मानसिक सद्भावना पैदा करती हैं, क्योंकि खेल लड़ाइयों की भांति नहीं होतीं, ये तो आपसी प्यार, सहानुभूति और भ्रातृभाव पैदा करने के लिए खेली जाती हैं। आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत बैरन-डी-कोबर्टिन ने अंतर्राष्ट्रीय लोगों में सद्भाव पैदा करने के उद्देश्य को समक्ष रखकर की थी।

प्रश्न 8.
हमें बेकार या खाली समय का सदुपयोग कैसे करना चाहिए?
उत्तर:
हमें बेकार समय का सदुपयोग खेल खेलकर करना चाहिए। खेल खेलने से जहाँ बेकार समय का सदुपयोग हो जाता है, वहीं खेलों द्वारा शारीरिक रूप से अभ्यस्त होकर शरीर में सुंदरता, शक्ति और चुस्ती-स्फूर्ति आ जाती है। शरीर की कार्यकुशलता बढ़ जाती है और शरीर नीरोग रहता है।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 9.
युवा व्यक्तियों के लिए कौन-सी खेलों का चयन करना चाहिए?
उत्तरयुवा व्यक्तियों के लिए अधिक शारीरिक शक्ति खर्च करने वाली खेल क्रियाओं; जैसे हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स, पहाड़ों पर चढ़ना, तैरना और घुड़सवारी करने आदि का चयन करना चाहिए।

प्रश्न 10.
शारीरिक शिक्षा अनुशासन का गुण कैसे विकसित करती है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा हमें अनुशासन का अमूल्य गुण सिखाती है। हमें अनुशासन में रहते हुए और खेल के नियमों का पालन करते हुए खेलना पड़ता है। इस प्रकार खेल अनुशासन के गुण में वृद्धि करते हैं। खेल में अयोग्य करार दिए जाने के डर से खिलाड़ी भावनात्मक जोश में होते हैं और वे अनुशासन भंग नहीं करते। वे अनुशासन में रहकर ही खेलते हैं।

प्रश्न 11.
शारीरिक पुष्टि को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शारीरिक पुष्टि का अर्थ बहुत व्यापक है, इसलिए इसे परिभाषित करना बहुत कठिन है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि यह हमें अपने शरीर को सही ढंग से रखने और अधिक देर तक मेहनत करने की क्षमता प्रदान करती है। डॉ०ए०के० उप्पल के अनुसार, “शारीरिक पुष्टि वह क्षमता है जिसके द्वारा शारीरिक क्रियाओं के विभिन्न रूपों को बिना थकावट के तर्कपूर्ण ढंग से किया जा सके। इसके अंतर्गत व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा नीरोगता के महत्त्वपूर्ण गुण सम्मिलित होते हैं।”

प्रश्न 12.
शारीरिक शिक्षा का ज्ञान व्यक्ति को अच्छा कार्यक्रम बनाने में कैसे सहायता करता है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को शरीर से संबंधित विभिन्न गतिविधियों और उसे करने की सही तकनीकों की जानकारी प्रदान करती है। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को उसके विभिन्न पक्षों; जैसे शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक आदि का ज्ञान प्रदान करती है। इसलिए शारीरिक शिक्षा का ज्ञान व्यक्ति को अच्छा कार्यक्रम बनाने में सहायता करता है।

HBSE 11th Class Physical Education शारीरिक शिक्षा की अवधारणा Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

भाग-I : एक वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
“शारीरिक शिक्षा शरीर का एक मजबूत ढाँचा है जो मस्तिष्क के कार्य को निश्चित एवं आसान करता है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
यह कथन रूसो का है।

प्रश्न 2.
शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
संपूर्ण शारीरिक विकास करना।

प्रश्न 3.
“शारीरिक क्रियाओं पर केंद्रित अनुभवों द्वारा जो परिवर्तन मानव में आते हैं, वे ही शारीरिक शिक्षा कहलाते हैं?” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन आर० कैसिडी ने कहा।

प्रश्न 4.
“मजबूत शारीरिक नींव के बिना कोई राष्ट्र महान् नहीं बन सकता।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
यह कथन डॉ० राधाकृष्णन का है।

प्रश्न 5.
बी० वाल्टर ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को कितने भागों में विभाजित किया है?
उत्तर:
बी० वाल्टर ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को तीन भागों में विभाजित किया है।

प्रश्न 6.
भारतीय खेल सलाहकार परिषद् की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
भारतीय खेल सलाहकार परिषद् की स्थापना वर्ष 1954 में हुई।

प्रश्न 7.
भारत में संगठित शारीरिक शिक्षा कब और किसके प्रयासों से आरंभ हुई? \
उत्तर:
भारत में संगठित शारीरिक शिक्षा सन् 1920 में एच०सी० बॅक के प्रयासों से आरंभ हुई।

प्रश्न 8.
मध्यकाल में शारीरिक शिक्षा कहाँ दी जाती थी?
उत्तर:
मध्यकाल में शारीरिक शिक्षा गुरुकुल में दी जाती थी।

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

प्रश्न 9.
शारीरिक शिक्षा किन अनुभवों का अध्ययन है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा उन सभी शारीरिक अनुभवों का अध्ययन है, जो शारीरिक अभ्यास द्वारा प्रकट होते हैं।

प्रश्न 10.
सामाजिक रूप से शारीरिक क्रियाएँ मनुष्य को किस प्रकार का बनाती हैं?
उत्तर:
सामाजिक रूप से शारीरिक क्रियाएँ मनुष्य को निपुण बनाती हैं।

प्रश्न 11.
शारीरिक शिक्षा को पहले कौन-कौन-से नामों से जाना जाता था?
उत्तर:
शारीरिक सभ्यता, शारीरिक प्रशिक्षण, खेलों और कोचिंग के नाम आदि से।

प्रश्न 12.
शारीरिक रूप से शारीरिक क्रियाएँ मनुष्य को किस प्रकार का बनाती हैं?
उत्तर:
शारीरिक रूप से शारीरिक क्रियाएँ मनुष्य को स्वस्थ एवं मजबूत बनाती हैं।

प्रश्न 13.
हेथरिंग्टन ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को कितने भागों में बाँटा है?
उत्तर:
हेथरिंग्टन ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को पाँच भागों में बाँटा है।

प्रश्न 14.
कौन-सा व्यक्ति अच्छा खिलाड़ी बन सकता है?
उत्तर:
मानसिक और शारीरिक तौर पर प्रफुल्लित एवं मजबूत व्यक्ति अच्छा खिलाड़ी गन सकता है।

प्रश्न 15.
खेलें खिलाड़ी को समाज में कौन-सा स्थान प्रदान करती हैं?
उत्तर:
खेलें खिलाड़ी को सामाजिक मान्यता देती हैं और समाज में सम्मानजनक स्थान प्रदान करती हैं।

प्रश्न 16.
खिलाड़ी खेल के मैदान से क्या सीखता है?
उत्तर:
आज्ञा का पालन करना, सद्भावना, मेल-जोल और संयम से रहना।

प्रश्न 17.
इरविन के अनुसार, शारीरिक शिक्षा के कितने उद्देश्य होते हैं?
उत्तर:
इरविन के अनुसार, शारीरिक शिक्षा के पाँच उद्देश्य होते हैं।

प्रश्न 18.
“शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन जे०एफ० विलियम्स ने कहा।

प्रश्न 19.
“शारीरिक शिक्षा समस्त शिक्षा प्रणाली का ही एक आधारभूत अंग है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन चार्ल्स ए० बूचर ने कहा।

प्रश्न 20.
शारीरिक शिक्षा व मनोरंजन के केन्द्रीय सलाहाकार बोर्ड की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा व मनोरंजन के केन्द्रीय सलाहाकार बोर्ड की स्थापना सन् 1950 में हुई।

भाग-II : सही विकल्प का चयन करें

1. मनुष्य कैसा प्राणी है?
(A) अलौकिक
(B) सामाजिक
(C) प्राकृतिक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) सामाजिक

2. “शारीरिक शिक्षा, शिक्षा के संपूर्ण क्षेत्र का वह भाग है जो बड़ी माँसपेशियों से होने वाली क्रियाओं तथा उनसे संबंधित प्रतिक्रियाओं से संबंध रखता है।” यह कथन किसका है?
(A) ए०आर० वेमैन का
(B) चार्ल्स ए० बूचर का
(C) जे०बी० नैश का
(D) आर० कैसिडी का
उत्तर:
(C) जे०बी० नैश का

3. ………….. शिक्षा का वह अभिन्न अंग है जो खेल-कूद व अन्य शारीरिक क्रियाओं की मदद से व्यक्तियों में एक चुनी हुई दिशा में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है।
(A) स्वास्थ्य शिक्षा
(B) शारीरिक शिक्षा
(C) नैतिक शिक्षा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) शारीरिक शिक्षा

4. जे०बी० नैश के अनुसार शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य है
(A) शारीरिक अंगों का विकास
(B) नाड़ी-माँसपेशियों संबंधी विकास
(C) भावनात्मक विकास
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

5. “शारीरिक शिक्षा शरीर का मजबूत ढाँचा है जो मस्तिष्क के कार्य को निश्चित एवं आसान करता है।” यह कथन है
(A) रूसो का
(B) अरस्तू का
(C) प्लेटो का
(D) सुकरात का
उत्तर:
(A) रूसो का

6. लयात्मक क्रियाओं में शामिल है
(A) नाचना
(B) लोक-नृत्य
(C) लेजियम
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

7. शारीरिक शिक्षा किस विकास में मदद करती है?
(A) मानसिक विकास में
(B) सर्वांगीण विकास में
(C) सामाजिक विकास में
(D) भावनात्मक विकास में
उत्तर:
(B) सर्वांगीण विकास में

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8. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन लक्ष्य से संबंधित नहीं है?
(A) यह अंतिम उद्देश्य को प्राप्त करने का साधन है
(B) यह साधारण दिखावे वाला होता है
(C) इसकी व्याख्या पूर्ण होती है
(D) यह अदृश्य तथा अपूर्ण है
उत्तर:
(C) इसकी व्याख्या पूर्ण होती है

9. एच० क्लार्क ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को कितने भागों में बाँटा है?
(A) चार
(B) तीन
(C) पाँच
(D) छह
उत्तर:
(B) तीन

10. लास्की ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को कितने भागों में बाँटा है?
(A) तीन
(B) चार
(C) पाँच
(D) छह
उत्तर:
(C) पाँच

11. “Foundations of Physical Education” नामक पुस्तक लिखी है
(A) चार्ल्स ए० बूचर ने
(B) लास्की ने
(C) जे०बी० नैश ने
(D) बी० वाल्टर ने
उत्तर:
(A) चार्ल्स ए० बूचर ने

12. शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र है
(A) विकट
(B) सरल
(C) सीमित
(D) विशाल
उत्तर:
(D) विशाल

13. शोधिक क्रियाएँ करने से सबसे अधिक प्रभावित होने वाली प्रणाली है
(A) माँसपेशी प्रणाली
(B) पाचन प्रणाली
(C) श्वास प्रणाली
(D) उत्सर्जन प्रणाली
उत्तर:
(A) माँसपेशी प्रणाली

14. शारीरिक शिक्षा से संबंधित कथन सही है
(A) यह व्यक्ति के संपूर्ण विकास में सहायक होती है
(B) यह मनोरंजन प्रदान करती है
(C) यह स्वास्थ्य में सुधार करती है
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

15. वर्तमान में शिक्षा का मूल उद्देश्य है
(A) शरीर का विकास करना
(B) मन का विकास करना
(C) व्यक्ति का चहुंमुखी विकास करना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) व्यक्ति का चहुंमुखी विकास करना

16. “शारीरिक शिक्षा उन अनुभवों का जोड़ है जो व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियों से प्राप्त हुई है।” यह कथन है
(A) ए०आर० वेमैन का
(B) डी० ऑबरटियूफर का
(C) आर० कैसिडी का
(D) जे०बी० नैश का
उत्तर:
(B) डी० ऑबरटियूफर का

भाग-III: निम्नलिखित कथनों के उत्तर सही या गलत अथवा हाँ या नहीं में दें

1. शारीरिक शिक्षा से मानसिक विकास संभव है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

2. शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

3. शारीरिक शिक्षा केवल व्यक्तिगत गुणों का ही विकास करती है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,

4. शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का अभिन्न अंग है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

5. शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र संकुचित है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत

6. शारीरिक शिक्षा का उद्देश्य शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास भी होता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

7. शारीरिक शिक्षा से भावनात्मक विकास होता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

8. शारीरिक क्रियाएँ शारीरिक वृद्धि व विकास के लिए आवश्यक होती हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

9. शारीरिक शिक्षा मनोरंजन प्रदान करती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

10. एच० क्लार्क ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को तीन भागों में विभाजित किया है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 1 शारीरिक शिक्षा की अवधारणा

11. शारीरिक शिक्षा मनो-शारीरिक व्याधियों को बढ़ाती है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत

12. शारीरिक शिक्षा राष्ट्रीय एकता के विकास में सहायक होती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

13. शारीरिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को शारीरिक तौर पर स्वस्थ बनाना है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,

14. शारीरिक शिक्षा खाली समय का सही उपयोग करने में सहायक होती है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,

भाग-IV: रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. इरविन के अनुसार शारीरिक शिक्षा के ……… उद्देश्य होते हैं।
उत्तर:
पाँच,

2. “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य मनुष्य के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करना है।” यह कथन …………….. ने कहा।
उत्तर:
जे०एफ० विलियम्स,

3. ………… शिक्षा हमें नेतृत्व के अनेक अवसर प्रदान करती है।
उत्तर:
शारीरिक,

4. जे०बी० नैश ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को ……………. भागों में बाँटा है।
उत्तर:
चार,

5. प्राचीनकाल में मनुष्य प्राकृतिक रूप से …………….. क्रियाएँ अधिक करता था।
उत्तर:
शारीरिक,

6. “मजबूत शारीरिक नींव के बिना कोई राष्ट्र महान् नहीं बन सकता।” यह कथन …………….. ने कहा।
उत्तर:
डॉ० राधाकृष्णन,

7. शारीरिक शिक्षा स्वास्थ्य के लिए …………….. है।
उत्तर:
लाभदायक,

8. शारीरिक शिक्षा व्यक्ति को अपनी भावनाओं पर …………….. रखना सिखाती है।
उत्तर:
नियंत्रण,

9. मनुष्य एक ……………. प्राणी है।
उत्तर:
सामाजिक,

10. लास्की ने शारीरिक शिक्षा के उद्देश्यों को …………….. भागों में विभाजित किया है।
उत्तर:
पाँच।

शारीरिक शिक्षा की अवधारणा Summary

शारीरिक शिक्षा की अवधारणा परिचय

शारीरिक शिक्षा की अवधारणा बहुत प्राचीन है। प्राचीन समय में इसका प्रयोग अव्यवस्थित रूप से था जो आज पूर्णतः व्यवस्थित हो चुका है। इसलिए शिक्षाशास्त्रियों ने शारीरिक शिक्षा की अवधारणा को पुनः परिभाषित किया है। शारीरिक शिक्षा की आधुनिक अवधारणा के अंतर्गत शारीरिक शिक्षा न केवल शारीरिक विकास करती है, बल्कि यह मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक आदि विकास भी करती है अर्थात् इसका उद्देश्य व्यक्ति या छात्र का सर्वांगीण विकास करना है।

इस अवधारणा के अनुसार शारीरिक शिक्षा का मुख्य लक्ष्य शिक्षा है न कि स्वास्थ्य, शारीरिक क्रियाएँ या प्रशिक्षण। शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार यह शिक्षा का ही एक महत्त्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग है क्योंकि शारीरिक क्रियाओं व खेलों द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। चार्ल्स ए० बूचर के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा समस्त शिक्षा प्रणाली का ही एक आधारभूत अंग है।”

आज शारीरिक क्रियाएँ या गतिविधियाँ न केवल मनोरंजन या शक्ति प्रदर्शन के ही साधन मानी जाती हैं, बल्कि ये बालक के विकास के विभिन्न पक्षों को प्रभावित कर उनके विकास में सहायक होती हैं। आज यह माना जाने लगा है कि शारीरिक शिक्षा की आधुनिक अवधारणा से न केवल व्यक्ति की मूल भावनाओं या संवेगों को एक नई दिशा मिलती है, बल्कि उसमें अनेक नैतिक एवं मूल्यपरक गुणों का भी विकास होता है। इससे मानसिक एवं बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि होती है।

आज शारीरिक शिक्षा न केवल शारीरिक प्रशिक्षण, शारीरिक सुयोग्यता एवं सामूहिक ड्रिल की प्रक्रिया है, बल्कि यह बहु-आयामी एवं उपयोगी प्रक्रिया है जो जीवन एवं स्वास्थ्य के प्रत्येक पहलू के लिए अति आवश्यक है। जे० एफ० विलियम्स के अनुसार, “शारीरिक शिक्षा का लक्ष्य एक प्रकार का कुशल नेतृत्व तथा पर्याप्त समय प्रदान करना है, जिससे व्यक्तियों या संगठनों को इसमें भाग लेने के लिए पूरे-पूरे अवसर मिल सकें, जो शारीरिक रूप से आनंददायक, मानसिक दृष्टि से चुस्त तथा सामाजिक रूप से निपुण हों।”

संक्षेप में, शारीरिक शिक्षा, शिक्षा का वह अभिन्न अंग है, जो खेलकूद तथा अन्य शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से व्यक्ति में एक चुनी हुई दिशा में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। इससे केवल बुद्धि तथा शरीर का ही विकास नहीं होता, बल्कि यह व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र एवं आदतों के निर्माण में भी सहायक होती है। अतः शारीरिक शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति के संपूर्ण (शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं संवेगात्मक आदि) व्यक्तित्व का विकास होता है।

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.1

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Exercise 9.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित आकृतियों में से कौन-सी आकृतियां एक ही आधार और एक ही समांतर रेखाओं के बीच स्थित हैं? ऐसी स्थिति में, उभयनिष्ठ आधार और दोनों समांतर रेखाएं लिखिए।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.1 1
हल :
(i) ΔPDC व समांतर चतुर्भुज ABCD एक ही आधार DC तथा समांतर रेखाओं DC व AB के मध्य में स्थित हैं।
(ii) चतुर्भुज SRNM व SRQP एक आधार SR पर हैं परंतु एक ही समांतर रेखाओं के बीच नहीं हैं।
(iii) ΔTQR व समांतर चतुर्भुज PQRS एक ही आधार QR तथा समांतर रेखाओं QR व PS के मध्य में स्थित हैं।
(iv) ΔRPQ व || चतुर्भुज ABCD एक ही आधार पर नहीं हैं परंतु एक ही समांतर रेखाओं BC व AD के मध्य में स्थित हैं।
(v) समांतर चतुर्भुज ABCD व समांतर चतुर्भुज APQD एक ही आधार AD तथा एक ही समांतर रेखाओं AD व BQ के मध्य में स्थित हैं।
(vi) चतुर्भुज PSDA, PSCB व PSRQ एक ही आधार PS पर हैं परन्तु एक ही समांतर रेखाओं के बीच नहीं हैं।

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Exercise 12.1

प्रश्न 1.
एक यातायात संकेत बोर्ड पर ‘आगे स्कूल है’ लिखा है और यह भुजा ‘a’ वाले एक समबाहु त्रिभुज के आकार का है। हीरोन के सूत्र का प्रयोग करके इस बोर्ड का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। यदि संकेत बोर्ड का परिमाप 180 cm है, तो इसका क्षेत्रफल क्या होगा ?
हल :
यहाँ समबाहु त्रिभुज की प्रत्येक भुजा = a अर्थात a = a, b = a, c = a
∴ s = \(\frac{a+a+a}{2}=\frac{3 a}{2}\)
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 1
a + a + a = 180 cm
3a = 180
a = \(\frac{180}{3}\) = 60cm
∵ वांछित क्षेत्रफल = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\) × (60)2 cm2
= \(\frac{\sqrt{3}}{4}\) × 3600 = 900\(\sqrt{3}\) cm2 उत्तर

प्रश्न 2.
किसी फ्लाईओवर (flyover) की त्रिभुजाकार दीवार को विज्ञापनों के लिए प्रयोग किया जाता है। दीवार की भुजाओं की लंबाइयाँ 122 m, 22 m और 120 m हैं (देखिए आकृति)। इस विज्ञापन से प्रति वर्ष ₹ 5000 प्रति m2 की प्राप्ति होती है। एक कंपनी ने एक दीवार को विज्ञापन देने के लिए 3 महीने के लिए किराए पर लिया। उसने कुल कितना किराया दिया ?
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 2
हल :
यहाँ त्रिभुजाकार दीवार के लिए
a = 122 m
b = 22 m
c = 120 m
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 3
1 वर्ग मी० क्षेत्रफल का 1 वर्ष का विज्ञापन किराया = ₹ 5000
1320 वर्ग मी० क्षेत्रफल का \(\frac{1}{4}\) वर्ष का किराया = 5000 × 1320 × \(\frac{1}{4}\)
= ₹ 16,50,000 उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1

प्रश्न 3.
किसी पार्क में एक फिसल पट्टी (slide) बनी हुई है। इसकी पार्वीय दीवारों (side walls) में से एक दीवार पर किसी रंग से पेंट किया गया है और उस पर “पार्क को हरा-भरा और साफ रखिए” लिखा हुआ है (देखिए आकृति)। यदि इस दीवार की विमाएँ 15 m, 11 m और 6 m हैं, तो रंग से पेंट हुए भाग का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 4
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 5
आकृति यहाँ पेंट की गई दीवार की विमाएँ
a = 15 m
b = 11 m
c = 6 m
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 6

प्रश्न 4.
उस त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए जिसकी दो भुजाएँ 18 cm और 10 cm हैं तथा उसका परिमाप 42 cm है।
हल :
यहाँ पर
a = 18 cm
b = 10 cm
a+ b + c = 42 cm
या 18 + 10 + c = 42
या c = 42 – 28 = 14 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 7

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1

प्रश्न 5.
एक त्रिभुज की भुजाओं का अनुपात 12 : 17 : 25 है और उसका परिमाप 540 cm है। इस त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए। [B.S.E.H. March, 2019]
हल :
यहाँ पर त्रिभुज की भुजाओं का अनुपात = a : b : c = 12 : 17 : 25
अनुपाती योग = 12 + 17 + 25 = 54
∴ a = \(\frac{12}{54}\) × 540 = 120cm
b = \(\frac{17}{54}\) × 540 = 170cm
c = \(\frac{25}{54}\) × 540 = 250cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 8

प्रश्न 6.
एक समद्विबाहु त्रिभुज का परिमाप 30 cm है और उसकी बराबर भुजाएँ 12 cm लंबाई की हैं। इस त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर
a = 12 cm
b = 12 cm
c = 30 – (a + b)
= 30 – (12 + 12) = 30 – 24 = 6 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.1 9
= \(\sqrt{15 \times 3 \times 3 \times 9}\) cm2
= \(\sqrt{15 \times 9 \times 9}\) cm2
= 9\(\sqrt{15}\) cm2

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.9

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.9 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Exercise 13.9

प्रश्न 1.
एक लकड़ी के बुकशेल्फ (book-shell) की बाहरी विमाएं निम्न हैं : ऊंचाई = 110 सें०मी०, गहराई = 25 सें०मी०, चौड़ाई = 85 सें०मी० (देखिए आकृति)। प्रत्येक स्थान पर तख्तों की मोटाई 5 सें०मी० है। इसके बाहरी फलकों पर पालिश कराई जाती है और आंतरिक फलकों पर पेंट किया जाना है। यदि पालिश कराने की दर 20 पैसे प्रति सें०मी० है और पेंट कराने की दर 10 पैसे प्रति सें०मी० है, तो इस बुक-शैल्फ पर पालिश और पेंट कराने का कुल व्यय ज्ञात कीजिए।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.9 1
हल :
यहां पर, पॉलिश वाले तल का क्षेत्रफल = (110 × 85 + 2 × 85 × 25 + 2 × 25 × 110 + 4 × 75 × 5 + 2 × 110 × 5) सें०मी०2
= (9350 + 4250 + 5500 + 1500 + 1100) सें०मी०2
= 21700 सें०मी०2
इस पर पॉलिश कराने का खर्च = 21700 × \(\frac{20}{100}\) = ₹ 4340
पेंट वाले तल का क्षेत्रफल = (6 × 75 × 20 + 2 × 90 × 20 + 75 × 90) सें०मी०2
= (9000 + 3600 + 6750) सें०मी०2 = 19350 सें०मी०2
इस पर पेंट कराने का खर्च = 19350 × \(\frac{10}{100}\) = ₹ 1935
पॉलिश व पेंट कराने का कुल खर्च = 4340 + 1935 = ₹ 6275 उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.9

प्रश्न 2.
किसी घर के कंपाउंड के सामने की दीवार को 21 सें०मी० व्यास वाले लकड़ी के गोलों को छोटे आधारों पर टिका कर सजाया जाता है, जैसा कि आकृति में दिखाया गया है। इस प्रकार के आठ गोलों का प्रयोग इस कार्य के लिए किया जाना है और इन गोलों को चांदी वाले रंग में पेंट करवाना है। प्रत्येक आधार 1.5 सें०मी० त्रिज्या और ऊंचाई 7 सें०मी० का एक बेलन है तथा इन्हें काले रंग से पेंट करवाना है। यदि चांदी के रंग के पेंट करवाने की दर 25 पैसे प्रति से०मी० है तथा काले रंग के पेंट करवाने की दर 5 पैसे प्रति सें०मी० हो, तो पेंट करवाने का कुल व्यय ज्ञात कीजिए।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.9 2
हल :
माना
लकड़ी के गोले का व्यास (d) = 21 सें०मी०
लकड़ी के गोले की त्रिज्या = \(\frac{21}{2}\) सें०मी०
∴ गोले का पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr2
= \(4 \times \frac{22}{7} \times \frac{21}{2} \times \frac{21}{2}\) = 1386 सें०मी०2
गोले के जितने तल पर चांदी वाला रंग होगा = \(\left[1386-\frac{22}{7} \times \frac{3}{2} \times \frac{3}{2}\right]\) सें०मी०2
= \(\left[1386-\frac{99}{14}\right]\) सें०मी०2
= [1386 – 7.07] सें०मी०2
= 1378.93 सें०मी०2
8 गोलों में जितने तल पर चांदी वाला रंग होगा = 1378.93 × 8 सें०मी०2 = 11031.44 सें०मी०2
चांदी का पेंट करने की दर = 25 पैसे प्रति सें०मी०2
∴ चांदी वाले रंग पर व्यय = \(\frac{11031.44 \times 25}{100}\)
= ₹ 2757.86
बेलन की त्रिज्या (r) = 1.5 = \(\frac{15}{10}=\frac{3}{2}\) सें०मी०
बेलन की ऊंचाई (h) = 7 सें०मी०
बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 2πrh
= \(2 \times \frac{22}{7} \times \frac{3}{2} \times 7\) = 66 सें०मी०2
8 बेलनों का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = 66 × 8 = 528 सें०मी०2
काले रंग का पेंट करवाने की दर = 5 पैसे प्रति सें०मी०2
बेलनों पर काला रंग कराने पर व्यय = \(\frac{528 \times 5}{100}\) = ₹ 26.40
दोनों रंगों के पेंट पर कुल व्यय = 2757.86 + 26.40
= ₹ 2784.26 उत्तर

प्रश्न 3.
एक गोले के व्यास में 25% की कमी हो जाती है। उसका वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल कितने प्रतिशत कम हो गया है?
हल :
माना,
गोले का पहला व्यास = 2x मी०
गोले की पहली त्रिज्या = x मी०
गोले का पहला पृष्ठीय क्षेत्रफल = 4πr2 = 4πx2 मी०2
25% कमी करने के पश्चात्
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.9 3

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Exercise 9.2

प्रश्न 1.
आकृति में, ABCD एक समांतर चतुर्भुज है, AE ⊥ DC और CF ⊥ AD है। यदि AB = 16 सें०मी०, AE = 8 सें०मी० और CF = 10 सें०मी० है, तो AD ज्ञात कीजिए। [B.S.E.H. March, 2018]
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 1
हल :
यहाँ पर आधार (AB) = 16 सें०मी०
शीर्षलंब (AE) = 8 सें०मी०
∴ समांतर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल = आधार × शीर्षलंब
= 16 सें०मी० × 8 सें०मी०
= 128 सें०मी०2
दूसरी अवस्था में
शीर्षलंब (CF) = 10 सें०मी०
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 2

प्रश्न 2.
यदि E, F, G और H क्रमशः समांतर चतुर्भुज ABCD की भुजाओं के मध्य-बिंदु हैं, तो दर्शाइए कि ar (EFGH) = \(\frac{1}{2}\)ar (ABCD) है।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 3
दिया है : समांतर चतुर्भुज ABCD में E, F, G व H क्रमशः भुजाओं AB, BC, CD व DA के मध्य बिंदु हैं।
इन्हें मिलाने पर चतुर्भुज EFGH प्राप्त होता है।
सिद्ध करना है : ar (EFGH) = \(\frac{1}{2}\)ar (ABCD)
रचना : H व F को मिलाओ।
प्रमाण : ΔHGF और समांतर चतुर्भुज HDCF समान आधार HF और समान समांतर रेखाओं HF और DC के मध्य स्थित हैं।
∴ ar (ΔHGF) = \(\frac{1}{2}\)ar (HDCF) …..(i)
इसी प्रकार, ΔHEF और समांतर चतुर्भुज ABFH समान आधार HF और समान समांतर रेखाओं HF और AB के मध्य स्थित है।
∴ ar (ΔHEF) = \(\frac{1}{2}\)ar (ABFH) …..(ii)
समीकरण (i) एवं (ii) को जोड़ने पर,.
ar (ΔHGF) + ar (ΔHEF) = \(\frac{1}{2}\)[ar (HDCF) + ar (ABFH)]
⇒ ar (EFGH) = \(\frac{1}{2}\)ar (ABCD) [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

प्रश्न 3.
P और Q क्रमशः समांतर चतुर्भुज ABCD की भुजाओं DC और AD पर स्थित बिंदु हैं। दर्शाइए कि ar (APB) = ar (BQC) है।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 4
दिया है :
समांतर चतुर्भुज ABCD की भुजाओं DC और AD पर क्रमशः P व Q दो बिंदु स्थित हैं।
सिद्ध करना है : ar (ΔAPB) = ar (ΔBQC)
प्रमाण : यहाँ पर ΔAPB तथा || चतुर्भुज ABCD एक ही आधार AB तथा समांतर रेखाओं AB व CD के मध्य में हैं।
∴ ar (ΔAPB) = \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज ABCD) …..(i)
इसी प्रकार ΔBQC तथा || चतुर्भुज ABCD एक ही आधार BC तथा समांतर रेखाओं AD व BC के मध्य में हैं।
∴ ar (ΔBQC) = \(\frac{1}{2}\)ar (॥ चतुर्भुज ABCD) …..(ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना में,
ar (ΔAPB) = ar (ΔBQC) [इति सिद्धम]

प्रश्न 4.
आकृति में, P समांतर चतुर्भुज ABCD के अभ्यंतर में स्थित कोई बिंदु है। दर्शाइए कि
(i) ar (APB) + ar (PCD) = \(\frac{1}{2}\)ar (ABCD)
(ii) ar (APD) + ar (PBC) = ar (APB) + ar (PCD)
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 5
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 6
दिया है : समांतर चतुर्भुज ABCD के अभ्यंतर में स्थित कोई बिंदु P है।
सिद्ध करना है : (i) ar (ΔAPB) + ar (ΔPCD) = \(\frac{1}{2}\)ar (ABCD)
(ii) ar (ΔAPD) + ar (ΔPBC) = ar (ΔAPB) + ar (ΔPCD)
रचना : P से EPF समांतर AB या DC तथा GPH समांतर AD या BC खींचिए।
प्रमाण : क्योंकि AB || EF m(रचना से)
तथा AE || BF [|| चतुर्भुज की सम्मुख भुजाएं]
∴ AEFB एक || चतुर्भुज है। इसी प्रकार EDCF भी एक || चतुर्भुज है।
ΔAPB तथा || चतुर्भुज AEFB एक ही आधार AB तथा समांतर रेखाओं AB तथा EF के मध्य में स्थित हैं।
∴ ar (ΔAPB) = \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज AEFB) …..(i)
इसी प्रकार ar (ΔPCD) = \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज EDCF) …..(ii)
समीकरण (i) व (ii) को जोड़ने पर,
ar (ΔAPB + ar (ΔPCD) = \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज AEFB) + \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज EDCF)
ar (ΔAPB) + ar (ΔPCD) = \(\frac{1}{2}\){ar (|| चतुर्भुज AEFB) + ar (|| चतुर्भुज EDCF)}
∴ ar (ΔAPB) + ar (ΔPCD) = \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज ABCD) …..(iii)
इसी प्रकार हम सिद्ध कर सकते हैं कि,
ar (ΔAPD) + ar (ΔPBC) = \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज ABCD) …..(iv)
समीकरण (iii) व (iv) की तुलना से,
ar (ΔAPB) + ar (ΔPCD) = ar (ΔAPD) + ar (ΔPBC) [इति सिद्धम]

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2

प्रश्न 5.
आकृति में, PQRS और ABRS समांतर चतुर्भुज हैं तथा X भुजा BR पर स्थित कोई बिंदु है। दर्शाइए कि
(i) ar (PQRS) = ar (ABRS)
(ii) ar (AXS) = \(\frac{1}{2}\)ar (PQRS)
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 7
हल :
दिया है : PQRS और ABRS समांतर चतुर्भुज एक ही आधार SR तथा दो समांतर रेखाओं SR व PB के बीच स्थित हैं तथा X भुजा BR पर स्थित कोई बिंदु है।
सिद्ध करना है : (i) ar (PQRS) = ar (ABRS)
(ii) ar (ΔAXS) = \(\frac{1}{2}\)ar (PQRS)
प्रमाण : (i) समांतर चतुर्भुज PQRS और समांतर चतुर्भुज ABRS समान आधार RS और एक ही समांतर रेखाओं SR तथा PB के बीच स्थित हैं।
∴ ar (PQRS) = ar (ABRS) [इति सिद्धम]
(ii) ΔAXS और समांतर चतुर्भुज ABRS समान आधार AS और एक ही समांतर रेखाओं AS बीच RB के बीच स्थित है।
∴ ar (ΔAXS) = \(\frac{1}{2}\)ar (ABRS)
या ar (ΔAXS) = \(\frac{1}{2}\)ar (PQRS) [भाग (i) से] [इति सिद्धम]

प्रश्न 6.
एक किसान के पास समांतर चतुर्भुज PQRS के रूप का एक खेत था। उसने RS पर स्थित कोई बिंदु A लिया और उसे P और Q से मिला दिया। खेत कितने भागों में विभाजित हो गया है? इन भागों के आकार क्या हैं? वह किसान खेत में गेहूँ और दालें बराबर-बराबर भागों में अलग-अलग बोना चाहता है। वह ऐसा कैसे करें?
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.2 8
इस प्रकार खेत तीन भागों में बँट जाता है तथा तीनों भाग त्रिभुज के आकार में हैं।
(i) ΔAPQ (ii) ΔASP (iii) ΔARQ
क्योंकि ΔAPQ तथा || चतुर्भुज PQRS एक ही आधार PQ तथा एक ही समांतर रेखाओं PQ तथा Rs के मध्य में स्थित है।
∴ ar (ΔAPQ) = \(\frac{1}{2}\)ar (|| चतुर्भुज PORS)
⇒ ar (ΔAPQ) = ar (ΔAPS) + ar (ΔAQR)
किसान को या तो गेहूँ ΔAPQ में तथा दालें अन्य दो त्रिभुजों में बोनी चाहिएं या दालें ΔAPQ में तथा गेहूँ अन्य दो त्रिभुजों में बोनी चाहिए।

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Exercise 12.2

प्रश्न 1.
एक पार्क चतुर्भुज ABCD के आकार का है, जिसमें ∠C = 90°, AB = 9 m, BC = 12 m, CD =5 m और AD = 8 m है। इस पार्क का कितना क्षेत्रफल है ?
हल :
ΔBCD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) × BC × CD
= (\(\frac{1}{2}\) × 12 × 5) m2 = 30 m2
पाइथागोरस प्रमेय से,
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 1
BD2 = BC2 + CD2
⇒ BD2 = 122 + 52
⇒ BD2 = 144 + 25
⇒ BD2 = 169
BD = \(\sqrt{169}\) = 13 m
Δ ABD के लिए
a = 13 m , b = 8 m site c = 9m
अब s = \(\frac{1}{2}\)(a + b + c)
= \(\frac{1}{2}\)(13 + 8 + 9) m
= \(\frac{1}{2}\) × 30 m = 15 m
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 2
अतः चतुर्भुजाकार पार्क Δ BCD का क्षेत्रफल = (Δ BCD + Δ ABD) का क्षेत्रफल
= (30 + 35.4) m2 = 65.4 m2 (लगभग) उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2

प्रश्न 2.
एक चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसमें AB = 3 cm, BC = 4 cm, CD = 4 cm, DA = 5cm और AC = 5 cm है।
हल :
यहाँ पर ΔABC के लिए a = 3 cm, b = 4 cm, c = 5 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 3
s = \(\frac{a+b+c}{2}=\frac{3+4+5}{2}\) cm
= \(\frac{12}{2}\) cm = 6 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 4
अतः चतुर्भुज (ΔBCD) का क्षेत्रफल = (ΔABC) + (ΔADC) का क्षेत्रफल
= (6 + 9.2) cm2
= 15.2 cm2 (लगभग) उत्तर

प्रश्न 3.
राधा ने एक रंगीन कागज से एक हवाई जहाज का चित्र बनाया, जैसा कि आकृति में दिखाया गया है। प्रयोग किए गए कागज का कुल क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 5
हल :
यहाँ पर भाग I के लिए
a = 5 cm, b = 5 cm, c = 1 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 6
भाग II के लिए
आयत का क्षेत्रफल = लंबाई × चौड़ाई
= 6.5 × 1 cm2 = 6.5 cm2
भाग III के लिए
समलंब का क्षेत्रफल = 3 × समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल
= 3 × \(\frac{\sqrt{3}}{4}\) (1)2cm2
= 3 × \(\frac{1.732}{4}\) cm2
= \(\frac{5.196}{4}\) = 1.3 cm2
भाग IV के लिए
त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) × 6 × 1.5 cm2 = 4.5 cm2
भाग V के लिए
त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) × 6 x 1.5 cm2 = 4.5 cm2
अतः राधा द्वारा प्रयोग किए गए कागज का कुल क्षेत्रफल
= भाग [I + II + III + IV + V] का क्षेत्रफल
= [2.5 + 6.5 + 1.3 + 4.5 + 4.5] cm2
= 19.3 cm2 (लगभग) उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2

प्रश्न 4.
एक त्रिभुज और एक समांतर चतुर्भुज का एक ही आधार है और क्षेत्रफल भी एक ही है। यदि त्रिभुज की भुजाएँ 26 cm, 28 cm और 30 cm हैं तथा समांतर चतुर्भुज 28 cm के आधार पर स्थित है, तो उसकी संगत ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ त्रिभुज के लिए
a = 26 cm, b = 28 cm, c = 30 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 7
समांतर चतुर्भुज का आधार = 28 cm
प्रश्नानुसार
समांतर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = त्रिभुज का क्षेत्रफल
⇒ आधार × संगत ऊँचाई = 336
या 28 × संगत ऊँचाई = 336
या संगत ऊँचाई = \(\frac{336}{28}\) = 12 cm उत्तर

प्रश्न 5.
एक समचतुर्भुजाकार घास के खेत में 18 गायों के चरने के लिए घास है। यदि इस समचतुर्भुज की प्रत्येक भुजा 30 m है और बड़ा विकर्ण 48 m है, तो प्रत्येक गाय को चरने के लिए इस घास के खेत का कितना क्षेत्रफल प्राप्त होगा ? [B.S.E.H. March, 2019]
हल :
हम जानते हैं कि समचतुर्भुज का विकर्ण इसे दो बराबर त्रिभुजों में बाँटता है।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 8
प्रत्येक त्रिभुज के लिए
a = 30m
b = 30m
c = 48m
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 9
अतः समचतुर्भुजाकार खेत का क्षेत्रफल = 2 × त्रिभुज का क्षेत्रफल
= 2 × 432 m2 = 864 m2
18 गायों को चरने के लिए उपलब्ध क्षेत्रफल = 864 m2
1 गाय को चरने के लिए उपलब्ध क्षेत्रफल = \(\frac{864}{18}\) m2
= 48 m2 उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2

प्रश्न 6.
दो विभिन्न रंगों के कपड़ों के 10 त्रिभुजाकार टुकड़ों को सीकर एक छाता बनाया गया है (देखिए आकृति)। प्रत्येक टुकड़े के माप 20 cm, 50 cm और 50 cm हैं। छाते में प्रत्येक रंग का कितना कपड़ा लगा है ?
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 10
हल :
यहाँ पर प्रत्येक त्रिभुजाकार टुकड़े के लिए
a = 20 cm
b = 50 cm
c = 50 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 11
अतः छाते में प्रत्येक रंग के कपड़े का क्षेत्रफल = 5 × 200\(\sqrt{6}\) cm2
= 1000\(\sqrt{6}\) cm2 उत्तर

प्रश्न 7.
एक पतंग तीन भिन्न-भिन्न शेडों (shades) के कागजों से बनी है। इन्हें आकृति में I, II और III से दर्शाया गया है। पतंग का ऊपरी भाग 32 cm विकर्ण का एक वर्ग है और निचला भाग 6 cm, 6 cm और 8 cm भुजाओं का एक समद्विबाहु त्रिभुज है। ज्ञात कीजिए कि प्रत्येक शेड का कितना कागज प्रयुक्त किया गया है ?
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 12
हल :
पतंग के ऊपरी भाग का विकर्ण = 32 cm
∴ ऊपरी भाग का कुल क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) × पहला विकर्ण × दूसरा विकर्ण
= \(\frac{1}{2}\) × 32 × 32 cm2
= 16 × 32 cm2 = 512 cm2
512 अतः छायांकित भाग I का क्षेत्रफल = छायांकित भाग II का क्षेत्रफल = \(\frac{512}{2}\)
= 256 cm2 उत्तर
अब भाग III के लिए
a = 6 cm, b = 6 cm, c = 8 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 13

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2

प्रश्न 8.
फर्श पर एक फूलों का डिज़ाइन 16 त्रिभुजाकार टाइलों से बनाया गया है, जिनमें से प्रत्येक की भुजाएँ 9 cm, 28 cm और 35 cm हैं (देखिए आकृति)। इन टाइलों को 50 पैसे प्रति cm2 की दर से पॉलिश कराने का व्यय ज्ञात कीजिए।
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 14
हल :
प्रत्येक त्रिभुजाकार टाइल के लिए
a = 9 cm, b = 28 cm, c = 35 cm
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 15
= \(\sqrt{36 \times 27 \times 8 \times 1}\) cm2
= \(\sqrt{6 \times 6 \times 3 \times 3 \times 3 \times 2 \times 2 \times 2}\) cm2
= 6 × 3 × 2 × \(\sqrt{6}\) cm2
= 36\(\sqrt{6}\) cm2
अतः फर्श में लगी 16 टाइलों का कुल क्षेत्रफल = 16 × 36\(\sqrt{6}\) cm2
= 576 × 2.45 cm2
= 1411.2 cm2
1 वर्ग सें०मी० टाइल पर पॉलिश करने का व्यय = 50 पैसे = ₹ \(\frac{50}{100}\)
1411.2 वर्ग सें०मी० टाइल पर पॉलिश करने का व्यय = ₹\(\frac{50}{100}\) × 1411.2
₹ 705.60 उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2

प्रश्न 9.
एक खेत समलंब के आकार का है जिसकी समांतर भुजाएँ 25 m और 10 m हैं। इसकी असमांतर भुजाएँ 14 m और 13 m हैं। इस खेत का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 16
माना ABCD एक समलंब के आकार का खेत है जिसमें
AB = 10 m, BC = 14 m
CD = 25 m, DA = 13 m
BE||AD खींचिए जो CD को E पर काटे तथा BM⊥CD खींचे जो CD को M पर मिले। इस प्रकार ABED एक समांतर चतुर्भुज है।
AB = DE = 10 m
BE = DA = 13 m
CE = DC – DE = 25 – 10 = 15 m
अब ΔBEC में
a = 13 m
b = 15 m
c = 14 m
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Ex 12.2 17
अतः समलंब ABCD का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) × (AB + CD) × BM
= \(\frac{1}{2}\) × (10 + 25) × 11.2 m2
= \(\frac{1}{2}\) × 35 × 11.2 m2
= 35 × 5.6 m2
= 196 m2 उत्तर

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Exercise 13.7

[नोट-जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = \(\frac{22}{7}\) लीजिए।]

प्रश्न 1.
उस लंब वृत्तीय शंकु का आयतन ज्ञात कीजिए, जिसकी
(i) त्रिज्या 6 सें०मी० और ऊंचाई 7 सें०मी० है।
(ii) त्रिज्या 3.5 सें०मी० और ऊंचाई 12 सें०मी० है।
हल :
(i) यहां पर,
शंकु की त्रिज्या (r) = 6 सें०मी०
शंकु की ऊंचाई (h) = 7 सें०मी०
∴ शंकु का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
= \(\frac{1}{3}\) × \(\frac{22}{7}\) × 6 × 6 × 7 = 264 सें०मी०3 उत्तर

(ii) यहां पर,
शंकु की त्रिज्या (r) = 3.5 सें०मी० = \(\frac{35}{10}=\frac{7}{2}\) सें०मी०
शंकु की ऊंचाई (h) = 12 सें०मी०
∴ शंकु का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times \frac{7}{2} \times \frac{7}{2}\) × 12 = 154 सें०मी०3 उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7

प्रश्न 2.
शंकु के आकार के उस बर्तन की लीटरों में धारिता ज्ञात कीजिए जिसकी
(i) त्रिज्या 7 सें०मी० और तिर्यक ऊंचाई 25 सें०मी० है।
(ii) ऊंचाई 12 सें०मी० और तिर्यक ऊंचाई 13 सें०मी० है।
हल :
(i) यहां पर,
शंकु के आकार के बर्तन की त्रिज्या (r) = 7 सें०मी०
शंकु के आकार के बर्तन की तिर्यक ऊंचाई (l) = 25 सें०मी०
शंकु के आकार के बर्तन की ऊंचाई (h) = \(\sqrt{\ell^2-r^2}\)
= \(\sqrt{(25)^2-(7)^2}\) सें०मी०
= \(\sqrt{625-49}\) सें०मी०
= \(\sqrt{576}\) सें०मी०
= 24 सें०मी०
अतः शंकु के आकार के बर्तन का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
= \(\frac{1}{3}\) × \(\frac{1}{3}\) × 7 × 7 × 24 सें०मी०3
= 1232 सें०मी०3
इस प्रकार शंकु के आकार के बर्तन की धारिता = \(\frac{1232}{1000}\) = 1.232 लीटर उत्तर (∵ 1 लीटर = 1000 सें०मी०3)

(ii) यहां पर,
शंकु के आकार के बर्तन की ऊंचाई (h) = 12 सें०मी०
शंकु के आकार के बर्तन की तिर्यक ऊंचाई (l) = 13 सें०मी०
शंकु के आकार के बर्तन की त्रिज्या (r) = \(\sqrt{\ell^2-h^2}\)
= \(\sqrt{(13)^2-(12)^2}\) सें०मी०
= \(\sqrt{169-144}\) सें०मी०
= \(\sqrt{25}\) सें०मी०
= 5 सें०मी०
अतः शंकु के आकार के बर्तन का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7}\) × 5 × 5 × 12 सें०मी०3
= \(\frac{2200}{7}\) सें०मी०3
इस प्रकार शंकु के आकार के बर्तन की धारिता = \(\frac{2200}{7 \times 1000}=\frac{11}{35}\) लीटर उत्तर (∵ 1 लीटर = 1000 सें०मी०3)

प्रश्न 3.
एक शंकु की ऊंचाई 15 सेंमी० है। यदि इसका आयतन 1570 सें०मी०3 है, तो इसके आधार की त्रिज्या ज्ञात कीजिए (π = 3.14 प्रयोग कीजिए।)
हल :
यहां पर,
शंकु की ऊंचाई (h) = 15 सें०मी०
शंकु के आधार की त्रिज्या (r) = ?
शंकु का आयतन (V) = 1570 सें०मी०3
⇒ \(\frac{1}{3}\)πr2h = 1570
या \(\frac{1}{3}\) × 3.14 × r2 × 15 = 1570
या 15.70 r2 = 1570
या r2 = \(\frac{1570}{15.70}\)
या r2 = 100
या r = 10 सें०मी०
अतः शंकु के आधार की त्रिज्या (r) = 10 सें०मी० उत्तर

प्रश्न 4.
यदि 9 सें०मी० ऊंचाई वाले एक लंब वृत्तीय शंकु का आयतन 48 π सें०मी०3 है, तो इसके आधार का व्यास ज्ञात कीजिए।
हल :
यहां पर,
शंकु की ऊंचाई (h) = 9 सें०मी०
शंकु का आयतन (V) = 48 π सें०मी०3
⇒ \(\frac{1}{3}\)πr2h = 48 π
या \(\frac{1}{3}\) × π × r2 × 9 = 48 π
या 3r2 = 48
या r2 = \(\frac{48}{3}\)
या r2 = 16
या r = 4 सें०मी०
अतः शंकु के आधार का व्यास (d) = 2r = 2 × 4 = 8 सें०मी० उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7

प्रश्न 5.
ऊपरी व्यास 3.5 मी० वाले शंकु के आकार का एक गड्ढा 12 मी० गहरा है। इसकी धारिता किलोलीटरों में कितनी है ?
हल :
यहां पर,
शंकु का व्यास (d) = 3.5 मी० = \(\frac{35}{10}=\frac{7}{2}\)
शंकु की त्रिज्या (r) = \(\frac{7}{2 \times 2}\) मी० = \(\frac{7}{4}\) मी०
शंकु की गहराई (h) = 12 मी०
शंकु का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times \frac{7}{4} \times \frac{7}{4} \times 12\) मी०3
= \(\frac{77}{2}\) मी०3 = 38.5 मी०3
इस प्रकार शंकु के आकार के गड्ढे की धारिता = 38.5 कि०लीटर उत्तर (∵ 1 मी०3 = 1 कि०लीटर)

प्रश्न 6.
एक लंब वृत्तीय शंकु का आयतन 9856 सें०मी०3 है। यदि इसके आधार का व्यास 28 सें०मी० है. तो ज्ञात कीजिए: [B.S.E.H. March, 2017, 2018]
(i) शंकु की ऊंचाई,
(ii) शंकु की तिर्यक ऊंचाई,
(iii) शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7 1
(i) यहां पर,
शंकु के आधार का व्यास (d) = 28 सें०मी०
शंकु के आधार की त्रिज्या (r) = \(\frac{28}{2}\) सें०मी० = 14 सें०मी०
शंकु का आयतन (V) = 9856 सें०मी०3
⇒ \(\frac{1}{3}\)πr2h = 9856
या \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7}\) × 14 × 14 × h = 9856
या \(\frac{616}{3}\)h = 9856
h = \(\frac{9856 \times 3}{616}\) = 48 सें०मी०
अतः शंकु की ऊंचाई = 48 सें०मी० उत्तर

(ii) शंकु की तिर्यक ऊंचाई (l) = \(\sqrt{(r)^2+(h)^2}\)
= \(\sqrt{(14)^2+(48)^2}\)
= \(\sqrt{196+2304}\) सें०मी०
= \(\sqrt{2500}\) = 50 सें०मी०
अतः शंकु की तिर्यक ऊंचाई = 50 सें०मी० उत्तर

(iii) शंकु का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = πrl
= \(\frac{22}{7}\) × 14 × 50 सें०मी०2
= 2200 सें०मी०2 उत्तर

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प्रश्न 7.
भुजाओं 5 सें०मी०, 12 सें०मी० और 13 सें०मी० वाले एक समकोण त्रिभुज ABC को भुजा 12 सें०मी० के परित घुमाया जाता है। इस प्रकार प्राप्त ठोस का आयतन ज्ञात कीजिए।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7 2
इस प्रकार बना ठोस शंकु आकृति में दर्शाया गया है।
इस शंकु की त्रिज्या (r) = 5 सें०मी०
इस शंकु की ऊंचाई (h) = 12 सें०मी०
इस शंकु का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
= \(\frac{1}{3}\)π × 5 × 5 × 12 सें०मी०3
= 100π सें०मी०3 उत्तर

प्रश्न 8.
यदि प्रश्न 7 के त्रिभुज ABC को यदि भुजा 5 सें०मी० के परित घुमाया जाए, तो इस प्रकार प्राप्त ठोस का आयतन ज्ञात कीजिए। प्रश्नों 7 और 8 में प्राप्त किए गए दोनों ठोसों के आयतन का अनुपात भी ज्ञात कीजिए।
हल :
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7 3
इस प्रकार प्राप्त ठोस शंकु आकृति में दर्शाया गया है।
इस शंकु की त्रिज्या (r) = 12 सें०मी०
इस शंकु की ऊंचाई (h) = 5 सें०मी०
इस शंकु का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
\(\frac{1}{3}\)π × 12 × 12 × 5 सेंमी०3
= 240π सें०मी०3 उत्तर
दोनों शंकुओं के आयतनों का अनुपात = 100π : 240π
= 5 : 12 उत्तर

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.7

प्रश्न 9.
गेहूं की एक ढेरी 10.5 मी० व्यास और ऊंचाई 3 मी० वाले एक शंकु के आकार की है। इसका आयतन ज्ञात कीजिए। इस ढेरी को वर्षा से बचाने के लिए केनवास से ढका जाना है। वांछित केनवास का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
यहां पर,
शंक्वाकार ढेरी का व्यास (d) = 10.5 मी० = \(\frac{105}{10}=\frac{21}{2}\)
शंक्वाकार ढेरी की त्रिज्या (r) = \(\frac{21}{2 \times 2}\) मी० = \(\frac{21}{4}\) मी०
शंक्वाकार ढेरी की ऊंचाई (h) = 3 मी०
∴ शंक्वाकार ढेरी का आयतन (V) = \(\frac{1}{3}\)πr2h
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7} \times \frac{21}{4} \times \frac{21}{4} \times 3\) मी०3
= \(\frac{693}{8}\) मी०3 = 86.625 मी०3
अतः गेहूं का आयतन = 86.625 मी०3 उत्तर
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अतः गेहूं को ढ़कने के लिए 99.825 मी०2 केनवास की आवश्यकता पड़ेगी। उत्तर

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