Haryana State Board HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physical Education Solutions Chapter 2 स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा
HBSE 11th Class Physical Education स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Textbook Questions and Answers
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य का क्या अर्थ है? इसके पहलुओं का वर्णन कीजिए। अथवा स्वास्थ्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? इसके आयामों या रूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Health):
स्वास्थ्य से सभी परिचित हैं। सामान्यतया पारस्परिक व रूढ़िगत संदर्भ में स्वास्थ्य से अभिप्राय बीमारी की अनुपस्थिति से लगाया जाता है, परंतु यह स्वास्थ्य का विस्तृत अर्थ नहीं है। स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिससे वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारू होते हैं।
इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित्त और शरीर रोग-मुक्त रहता है। विभिन्न विद्वानों ने स्वास्थ्य को अग्रलिखित प्रकार से परिभाषित किया है
- जे०एफ० विलियम्स (J.E. Williams) के अनुसार, “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएँ प्रदान करता है।”
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।”
- वैबस्टर्स विश्वकोश (Webster’s Encyclopedia) के कथनानुसार, “उच्चतम जीवनयापन के लिए व्यक्तिगत, भावनात्मक और शारीरिक स्रोतों को संगठित करने की व्यक्ति की अवस्था को स्वास्थ्य कहते हैं।”
- रोजर बेकन (Roger Bacon) के अनुसार, “स्वस्थ शरीर आत्मा का अतिथि-भवन और दुर्बल तथा रुग्ण शरीर आत्मा का कारागृह है।”
- इमर्जन (Emerson) के अनुसार, ‘स्वास्थ्य ही प्रथम पूँजी है।”
संक्षेप में, स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है जिसमें वह मानसिक तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसमें उसके शारीरिक अंग, आंतरिक तथा बाहरी रूप से अपने पर्यावरण से व्यवस्थित होते हैं। स्वास्थ्य के विभिन्न पहलू या आयाम (Aspects or Dimensions of Health): स्वास्थ्य एक गतिशील प्रक्रिया है जो हमारी जीवन-शैली को प्रभावित करता है। इसके विभिन्न आयाम या पहलू निम्नलिखित हैं
1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health):
शारीरिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसके अंतर्गत हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त होती है। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि उसके सभी शारीरिक संस्थान सुचारू रूप से कार्य करते हों। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को न केवल शरीर के विभिन्न अंगों की रचना एवं उनके कार्यों की जानकारी होनी चाहिए, अपितु उनको स्वस्थ रखने की भी जानकारी होनी चाहिए।
शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समाज व देश के विकास एवं प्रगति में भी सहायक होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने हेतु संतुलित एवं पौष्टिक भोजन, व्यक्तिगत सफाई, नियमित व्यायाम व चिकित्सा जाँच और नशीले पदार्थों के निषेध आदि की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health):
मानसिक या बौद्धिक स्वास्थ्य के बिना सभी स्वास्थ्य अधूरे हैं, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य का संबंध मन की प्रसन्नता व शांति से है अर्थात् इसका संबंध तनाव व दबाव मुक्ति से है। यदि व्यक्ति का मन चिंतित एवं अशांत रहेगा तो उसका कोई भी विकास पूर्ण नहीं होगा। आधुनिक युग में मानव जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि उसका जीवन निरंतर तनाव, दबाव व चिंताओं से घिरा रहता है।
परन्तु जिन व्यक्तियों का मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होता है वे आधुनिक संदर्भ में भी स्वयं को चिंतामुक्त अनुभव करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य से व्यक्ति के बौद्धिक विकास और जीवन के अनुभवों को सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है। लेकिन मानसिक अस्वस्थता के कारण न केवल मानसिक रोग हो जाते हैं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी गिर जाता है और शारीरिक कार्य-कुशलता में भी कमी आ जाती है। इसलिए व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तनाव व दबाव से दूर रहना चाहिए; उचित विश्राम करना चाहिए और सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।
3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health):
सामाजिक स्वास्थ्य भी स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है। यह व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है। यह व्यक्ति में संतोषजनक व्यक्तिगत संबंधों की क्षमता में वृद्धि करता है। व्यक्ति सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज के नियमों, मान-मर्यादाओं आदि का पालन करता है।
यदि एक व्यक्ति अपने परिवार व समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत है तो उसे सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति कहा जाता है। सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सैद्धांतिक, वैचारिक, आत्मनिर्भर व जागरूक होता है। वह अनेक सामाजिक गुणों; जैसे आत्म-संयम, धैर्य, बंधुत्व, आत्म-विश्वास आदि से पूर्ण होता है। समाज, देश, परिवार व जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण रचनात्मक व सकारात्मक होता है।
4. संवेगात्मक या भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Health):
संवेगात्मक स्वास्थ्य में व्यक्ति के अपने संवेग; जैसे भय, गुस्सा, सुख, क्रोध, दु:ख, प्यार आदि शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत स्वस्थ व्यक्ति का अपने संवेगों पर पूर्ण नियंत्रण होता है। वह प्रत्येक परिस्थिति में नियंत्रित व्यवहार करता है। हार-जीत पर वह अपने संवेगों को नियंत्रित रखता है और अपने परिवार, मित्रों व अन्य व्यक्तियों से मिल-जुलकर रहता है। जिस व्यक्ति का अपने संवेगों पर नियंत्रण होता है वह बड़ी-से-बड़ी परिस्थितियों में भी स्वयं को संभाल सकता है और निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर हो सकता है।
5. आध्यात्मिक स्वास्थ्य (Spiritual Health):
आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जो नैतिक नियमों का पालन करता हो, दूसरों के प्रति अपने कर्त्तव्यों का पालन करता हो, सत्य व न्याय में विश्वास रखने वाला हो और जो दूसरों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान न पहुँचाता हो आदि। ऐसा व्यक्ति व्यक्तिगत मूल्यों से संबंधित होता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति एवं सहयोग की भावना रखना, सहायता करने की इच्छा आदि आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। आध्यात्मिक स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु मुख्यत: योग व ध्यान सबसे उत्तम माध्यम हैं। इनके द्वारा आत्मिक शांति व आंतद्रिक प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 2.
स्वास्थ्य क्या है? इसके महत्त्व या उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Health):
स्वास्थ्य से सभी परिचित हैं। सामान्यतया पारस्परिक व रूढ़िगत संदर्भ में स्वास्थ्य से अभिप्राय बीमारी की अनुपस्थिति से लगाया जाता है, परंतु यह स्वास्थ्य का विस्तृत अर्थ नहीं है। स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिसमें वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारू होते हैं। इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित्त और शरीर रोग-मुक्त रहता है।
स्वास्थ्य का महत्त्व या उपयोगिता (Importance or Utility of Health):
अच्छे स्वास्थ्य के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर सकता। अस्वस्थ व्यक्ति समाज की एक लाभदायक इकाई होते हुए भी बोझ-सा बन जाता है। एक प्रसिद्ध कहावत है-“स्वास्थ्य ही धन है।” यदि हम संपूर्ण रूप से स्वस्थ हैं तो हम जिंदगी में बहुत-सा धन कमा सकते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य का न केवल व्यक्ति को लाभ होता है, बल्कि जिस समाज या देश में वह रहता है, उस पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। साइरस (Syrus) के अनुसार, “अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी समझ-दोनों जीवन के सबसे बड़े आशीर्वाद हैं।” इसलिए स्वास्थ्य का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है; जैसे
- स्वास्थ्य मानव व समाज का आधार स्तंभ है। यह वास्तव में खुशी, सफलता और आनंदमयी जीवन की कुंजी है।
- अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी होते हैं।
- स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अरस्तू ने कहा-“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” इस कथन से भी हमारे जीवन में स्वास्थ्य की उपयोगिता व्यक्त हो जाती है।
- स्वास्थ्य व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
- स्वास्थ्य से हमारा जीवन संतुलित, आनंदमय एवं सुखमय रहता है।
- स्वास्थ्य हमारी जीवन-शैली को बदलने में हमारी सहायता करता है।
- किसी भी देश के नागरिकों के स्वास्थ्य व आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। यदि किसी देश के नागरिक शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगे तो उस देश का आर्थिक विकास भी उचित दिशा में होगा।
- स्वास्थ्य से हमारी कार्यक्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- अच्छे स्वास्थ्य से हमारे शारीरिक अंगों की कार्य-प्रणाली सुचारू रूप से चलती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
स्वास्थ्य एक गतिशील प्रक्रिया है जो हमारे शारीरिक संस्थानों को प्रभावित करती है और हमारी जीवन-शैली में आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण बदलाव करती है। अच्छा स्वास्थ्य रोगों से मुक्त होने के अतिरिक्त किसी व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक खुशहाली एवं प्रसन्नता को व्यक्त करता है। यह हमेशा अच्छा महसूस करवाता है।
वर्जिल के अनुसार, “सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है।” इस तरह हमारे जीवन में स्वास्थ्य बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। स्वास्थ्य की महत्ता बताते हुए महात्मा गाँधी ने कहा”स्वास्थ्य ही असली धन है न कि सोने एवं चाँदी के टुकड़े।” स्वास्थ्य ही हमारा असली धन है। जब हम इसे खो देते हैं तभी हमें इसका असली मूल्य पता चलता है।
प्रश्न 3.
स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए?
अथवा
अच्छे स्वास्थ्य हेतु हमें किन-किन नियमों या सिद्धांतों का पालन करना चाहिए?
उत्तर:
स्वस्थ रहने के लिए हमें निम्नलिखित आवश्यक नियम या सिद्धांत ध्यान में रखने चाहिएँ
1. शारीरिक संस्थानों या अंगों का ज्ञान (Knowledge of Body System or Organs):
हमें अपने शरीर के संस्थानों या अंगों; जैसे दिल, आमाशय, फेफड़े, तिल्ली, गुर्दे, कंकाल संस्थान, माँसपेशी संस्थान, उत्सर्जन संस्थान आदि का ज्ञान होना चाहिए।
2. डॉक्टरी जाँच (Medical Checkup):
समय-समय पर अपने शरीर की डॉक्टरी जाँच करवानी चाहिए। इससे हम अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं। डॉक्टरी जाँच या चिकित्सा जाँच से हम समय पर अपने शारीरिक विकारों या बीमारियों को दूर कर सकते हैं।
3. निद्रा व विश्राम (Sleep and Rest):
रात को समय पर सोना चाहिए और शरीर को पूरा विश्राम देना आवश्यक है।
4. व्यायाम (Exercises):
प्रतिदिन व्यायाम या सैर आदि करनी आवश्यक है। हमें नियमित योग एवं आसन आदि भी करने चाहिएँ।
5. नाक द्वारा साँस लेना (Breathing by Nose):
हमें हमेशा नाक द्वारा साँस लेनी चाहिए। नाक से साँस लेने से हमारे शरीर को शुद्ध हवा प्राप्त होती है, क्योंकि नाक के बाल हवा में उपस्थित धूल-कणों को शरीर के अंदर जाने से रोक लेते हैं।
6. साफ वस्त्र (Clean Cloth):
हमें हमेशा साफ-सुथरे और ऋतु के अनुसार कपड़े पहनने चाहिएँ।
7. शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण (Pure and Clean Environment):
हमें हमेशा शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए।
8. संतुलित भोजन (Balanced Diet):
हमें ताजा, पौष्टिक और संतुलित आहार खाना चाहिए।
9. अच्छा आचरण (Good Conduct):
हमेशा अपना आचरण व विचार शुद्ध व सकारात्मक रखने चाहिएँ और हमेशा खुश एवं संतुष्ट रहना चाहिए। कभी भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। हमेशा बड़ों का आदर करना चाहिए।
10. मादक वस्तुओं से परहेज (Away from Intoxicants):
मादक वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए हमें नशीली वस्तुओं; जैसे अफीम, शराब, चरस, गाँजा, तंबाकू आदि से स्वयं को बचाना चाहिए। दूसरों को भी नशीली वस्तुओं के दुष्प्रभावों से अवगत करवाना चाहिए।
11. उचित मनोरंजन (Proper Recreation):
आज के इस दबाव एवं तनाव-युक्त युग में स्वास्थ्य को बनाए रखने हेतु मनोरंजनात्मक क्रियाओं का होना अति आवश्यक है। हमें मनोरंजनात्मक क्रियाओं में अवश्य भाग लेना चाहिए। इनसे हमें आनंद एवं संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
12. नियमित दिनचर्या (Daily Routine):
समय पर उठना, समय पर सोना, समय पर खाना, ठीक ढंग से खड़े होना, बैठना, चलना, दौड़ना आदि क्रियाओं से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। व्यक्तिगत स्वच्छता, कपड़ों की सफाई व आस-पास की सफाई दिनचर्या के आवश्यक अंग होने चाहिएँ।
प्रश्न 4.
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों या तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं
1. वंशानुक्रमण (Heredity):
व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक गुण जीन (Genes) द्वारा निर्धारित होते हैं। जीन या गुणसूत्र को ही वंशानुक्रमण (Heredity) की इकाई माना जाता है। इसी कारण वंशानुक्रमण द्वारा व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। वंशानुक्रमण संबंधी गुण; जैसे ऊँचाई, चेहरा, रक्त समूह, रंग आदि माता-पिता के गुणसूत्रों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। बहुत-सी बीमारियाँ हैं जो वंशानुक्रमण द्वारा आगामी पीढ़ी को भी हस्तान्तरित हो जाती हैं।
2. वातावरण (Environment):
अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ वातावरण का होना बहुत आवश्यक होता है। यदि वातावरण प्रदूषित है तो ऐसे वातावरण में व्यक्ति अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं।
3. संतुलित व पौष्टिक भोजन (Balanced and Nutritive Diet):
भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। यदि हमारा भोजन संतुलित एवं पौष्टिक है तो इसका हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा और यदि भोजन में पौष्टिक तत्त्वों का अभाव है तो इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत. प्रभाव पड़ेगा।
4. सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण (Social and Cultural Environment):
वातावरण के अतिरिक्त व्यक्ति का अपना सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण भी उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि व्यक्ति और उसके सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के बीच असामंजस्य है तो इसका उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसीलिए व्यक्ति को अपने अच्छे स्वास्थ्य हेतु सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इसमें न केवल उसका कल्याण है बल्कि समाज व देश का भी कल्याण है।
5. आर्थिक दशाएँ (Economic Conditions):
स्वास्थ्य आर्थिक दशाओं से भी प्रभावित होता है। यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है अर्थात् गरीब है तो वह अपने परिवार के सदस्यों के लिए न तो संतुलित आहार की व्यवस्था कर पाएगा और न ही उन्हें चिकित्सा सुविधाएँ दे पाएगा। इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी है तो वह अपने परिवार के सदस्यों की सभी आवश्यकताएँ पूर्ण कर पाएगा।
6. अन्य कारण (Other Factors):
स्वास्थ्य को जीवन शैली भौतिक व जैविक वातावरण, स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर, मनोवैज्ञानिक कारक और पारिवारिक कल्याण सेवाएँ भी प्रभावित करती हैं।
प्रश्न 5.
स्वास्थ्य शिक्षा को परिभाषित कीजिए। इसके मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा से आपका क्या अभिप्राय है? विस्तार से लिखिए।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा की परिभाषा देकर, अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थव परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों या पहलुओं के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता करते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने विचार निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किए हैं
1. डॉ० थॉमस वुड (Dr. Thomas Wood) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”
2. सोफी (Sophie) के कथनानुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े व्यवहार से संबंधित है।”
3. प्रसिद्ध स्वास्थ्य शिक्षक ग्राऊंट (Grount) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय है कि स्वास्थ्य के ज्ञान को शिक्षा द्वारा व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार में बदलना है।”
4. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ रहने की स्थिति को कहते हैं न कि केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ या रोगमुक्त होने को।” इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय उन सभी बातों और आदतों से है जो व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्य (Main Objectives of Health Education): स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
1. सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Qualities):
स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति में अच्छे सामाजिक गुणों का विकास करके अच्छा नागरिक बनाना है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छे व्यक्तित्व को निखारती है, वहीं कई प्रकार के सामाजिक गुणों; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।
2. सर्वपक्षीय विकास (All Round Development):
सर्वपक्षीय विकास से अभिप्राय व्यक्ति के सभी पक्षों का विकास करना है। वह शारीरिक पक्ष से बलवान, मानसिक पक्ष से तेज़, भावात्मक पक्ष से संतुलित, बौद्धिक पक्ष से समझदार और सामाजिक पक्ष से निपुण हो। सर्वपक्षीय विकास से व्यक्ति के व्यक्तित्व में बढ़ोतरी होती है। वह परिवार, समाज और राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है।
3. उचित मनोवृत्ति का विकास (Development of Right Attitude):
स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल निर्देश देकर ही पूरा नहीं किया जा सकता बल्कि इसे पूरा करने के लिए सकारात्मक सोच की अति-आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य संबंधी उचित मनोवृत्ति का विकास तभी अस्तित्व में आ सकता है, यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी आदतें और व्यवहार इस प्रकार परिवर्तित करे कि वे उसकी आवश्यकताओं का अंग बन जाएँ, तो इससे एक अच्छे समाज और राष्ट्र की नींव रखी जा सकती है।
4. स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान (Knowledge about Health):
पुराने समय में स्वास्थ्य संबंधी बहुत अज्ञानता थी, परन्तु समय बदलने से रेडियो, टी०वी०, अखबारों और पत्रिकाओं ने संक्रामक बीमारियों और उनकी रोकथाम, मानसिक चिंताओं और उन पर नियंत्रण और संतुलित भोजन के गुणों के बारे में वैज्ञानिक ढंग से जानकारी सामान्य लोगों तक पहुँचाई है। यह ज्ञान उन्हें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित करता है।
5. स्वास्थ्य संबंधी नागरिक ज़िम्मेदारी का विकास (To Develop Civic Sense about Health):
स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्रों या व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी नागरिक जिम्मेदारी या उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना है। उन्हें नशीली वस्तुओं का सेवन करना, जगह-जगह पर थूकना, खुली जगह पर मल-मूत्र करना और सामाजिक अपराध आदि जैसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए।
6. आर्थिक कुशलता का विकास (Development of Economic Efficiency):
आर्थिक कुशलता का विकास तभी हो सकता है अगर स्वस्थ व्यक्ति अपने कार्यों को सही ढंग से करें। अस्वस्थ मनुष्य अपनी आर्थिक कुशलता में बढ़ोतरी नहीं कर सकता। स्वस्थ व्यक्ति जहाँ अपनी आर्थिक कुशलता में बढ़ोतरी करता है, वहीं उससे देश की आर्थिक कुशलता में भी बढ़ोतरी होती है। इसीलिए स्वस्थ नागरिक समाज व देश के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं । उनको देश की बहुमूल्य संपत्ति कहना गलत नहीं होगा।
प्रश्न 6.
स्वास्थ्य शिक्षा से क्या अभिप्राय है? इसकी महत्ता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा क्या है? इसकी हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है? वर्णन करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ (Meaning of Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। इसका संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनने में सहायता करते हैं । यह एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है।
स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता या उपयोगिता (Importance or Utility of Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) ने कहा था-“एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मजबूत काया का मालिक नहीं बन सकता।” इसलिए स्वास्थ्य की हमारे जीवन में विशेष उपयोगिता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समाज, देश आदि के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति को स्वास्थ्य से संबंधित विशेष जानकारियाँ प्रदान करती है, जिनकी पालना करके व्यक्ति संतुष्ट एवं सुखदायी जीवन व्यतीत कर सकता है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है
1. स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान (Knowledge about Health):
पुराने समय में बच्चों और साधारण लोगों में स्वास्थ्य संबंधी बहुत अज्ञानता थी, परन्तु समय बदलने से रेडियो, टी०वी०, अखबारों और पत्रिकाओं ने शारीरिक बीमारियों और उनकी रोकथाम, मानसिक चिंताओं और उन पर नियंत्रण और संतुलित भोजन के गुणों के बारे में वैज्ञानिक ढंग से जानकारी साधारण लोगों तक पहुँचाई है। स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान के कारण व्यक्तियों का जीवन सुखमय व आरामदायक हुआ है।
2. स्वास्थ्यप्रद आदतों का विकास (Development of Healthy Habits):
बचपन में बालक जैसी आदतों का शिकार हो जाता है वो आदत बालक के साथ जीवनपर्यन्त चलती है। अतः बालक को स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर साफ-सफाई का ध्यान, सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, खाने-पीने तथा शौच का समय निश्चित होना ऐसी स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने से व्यक्ति स्वस्थ तथा दीर्घायु रह सकता है। यह स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।
3. सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Qualities):
स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करके उसे अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छा व्यक्तित्व निखारती है, वहीं इसके साथ-साथ यह और कई प्रकार के गुणों; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।
4. प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान करना (To Provide First Aid Information):
स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जा सकती है जिसके अन्तर्गत व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा के सामान्य सिद्धान्तों की तथा विभिन्न परिस्थितियों में जैसे-साँप के काटने पर, डूबने पर, जलने पर, अस्थि टूटने आदि पर प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान की जाती है क्योंकि इस प्रकार की दुर्घटनाएँ कहीं भी, कभी भी तथा किसी के भी साथ घट सकती है तथा व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है। ऐसी जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही दी जा सकती है।
5. स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक आदतों को बढ़ाने में सहायक (Helpful in increase the Desirable Health Habits):
स्वास्थ्य शिक्षा जीवन के सिद्धांतों एवं स्वास्थ्य की अच्छी आदतों का विकास करती है; जैसे स्वच्छ वातावरण में रहना, पौष्टिक व संतुलित भोजन करना आदि।
6. जागरूकता एवं सजगता का विकास (Development of Awareness and Alertness):
स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति सजग एवं जागरूक रह सकता है। उसके चारों तरफ क्या घटित हो रहा है उसके प्रति वह हमेशा सचेत रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति सजग एवं जागरूक रहता है।
7.बीमारियों से बचाववरोकथाम के विषय में सहायक (Helpful Regarding Prevention and Control of Diseases):
स्वास्थ्य शिक्षा संक्रामक-असंक्रामक बीमारियों से बचाव व उनकी रोकथाम के विषय में हमारी सहायता करती है। इन बीमारियों के फैलने के कारण, लक्षण तथा उनसे बचाव व इलाज के विषय में जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा से ही मिलती है।
8. शारीरिक विकृतियों को खोजने में सहायक (Helpful in Discovering Physical Deformities):
स्वास्थ्य शिक्षा शारीरिक विकृतियों को खोजने में सहायक होती है। यह विभिन्न प्रकार की शारीरिक विकृतियों के समाधान में सहायक होती है।
9. मानवीय संबंधों को सुधारना (Improvement in Human Relations):
स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे मानवीय संबंधों का निर्माण करती है। स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थियों को यह ज्ञान देती है कि किस प्रकार वे अपने मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों व समुदाय के स्वास्थ्य के लिए कार्य कर सकते हैं।
10. सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive View):
स्वास्थ्य शिक्षा से व्यक्ति की सोच काफी विस्तृत होती है। वह दूसरे व्यक्तियों के दृष्टिकोण को भली भाँति समझता है। उसकी सोच संकीर्ण न होकर व्यापक दृष्टिकोण वाली होती है।
प्रश्न 7.
स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आज का बालक कल का भविष्य है। उसको इस बात का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है कि वह अपने तन व मन को किस प्रकार से स्वस्थ रख सकता है। एक पुरानी कहावत है-“स्वास्थ्य ही जीवन है।” अगर धन खो दिया तो कुछ खास नहीं खोया, लेकिन यदि स्वास्थ्य खो दिया तो सब कुछ खो दिया। अतः सुखी व प्रसन्नमय जीवन व्यतीत करने के लिए उत्तम स्वास्थ्य का होना बहुत आवश्यक है।
एक स्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार, समाज तथा देश के लिए हर प्रकर से सेवा प्रदान कर सकता है, जबकि अस्वस्थ या बीमार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता। तन व मन को स्वस्थ व प्रसन्न रखने में स्वास्थ्य शिक्षा महत्त्वपूर्ण योगदान देती है, क्योंकि स्वास्थ्य शिक्षा में वे सभी क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं जिनसे व्यक्ति में स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ती है, और इनके परिणामस्वरूप उसका स्वास्थ्य तंदुरुस्त रहता है। स्वास्थ्य शिक्षा को बहुत-से कारक प्रभावित करते हैं जिनमें से प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं
1. संतुलित भोजन (Balance Diet):
संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है और स्वस्थ जीवन हेतु भोजन ही मुख्य आधार है। वास्तव में हमें भोजन की जरूरत न केवल ऊर्जा या शक्ति की पूर्ति हेतु होती है बल्कि शरीर की वृद्धि, उसकी क्षतिपूर्ति और उचित शिक्षा प्राप्त करने हेतु भी होती है। अतः स्पष्ट है कि संतुलित भोजन स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करता है।
2. शारीरिक व्यायाम (Physical Exercise):
स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा व्यक्ति अपने शरीर को शारीरिक व्यायामों द्वारा लचीला एवं सुदृढ़ बनाता है। शारीरिक व्यायाम की क्रियाओं द्वारा पूरे शरीर को तंदुरुस्त बनाया जा सकता है। कौन-से व्यायाम कब करने चाहिएँ और कब नहीं करने चाहिएँ, का ज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्राप्त होता है।
3. आदतें (Habits):
आदतें भी स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव व आदतें अलग-अलग होती हैं। बालक की स्वास्थ्य शिक्षा उसके स्वभाव एवं आदत पर निर्भर करती है। बच्चों में अच्छी आदतों का विकास किया जाए, ताकि वह एक सफल नागरिक बन सके। अच्छी आदतों वाला व्यक्ति उचित मार्ग पर अग्रसर होकर तरक्की करता है। स्वास्थ्य शिक्षा अच्छी आदतों का विकास करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।
4. बीमारी (Disease):
स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है कि “एक व्यक्ति जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मज़बूत काया का मालिक नहीं बन सकता।” अत: बीमारी भी स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती है। एक बीमार बालक कोई भी शिक्षा प्राप्त करने में पूर्ण रूप से समर्थ नहीं होता। स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से एक स्वस्थ व्यक्ति या बालक प्रायः बीमारियों से मुक्त रहता है।
5. जीवन-शैली (Lifestyle):
जीवन-शैली जीवन जीने का एक ऐसा तरीका है जो व्यक्ति के नैतिक गुणों या मूल्यों और दृष्टिकोणों को प्रतिबिम्बित करता है। यह किसी व्यक्ति विशेष या समूह के दृष्टिकोणों, व्यवहारों या जीवन मार्ग का प्रतिमान है। स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने हेतु एक स्वस्थ जीवन-शैली बहुत आवश्यक होती है। एक स्वस्थ जीवन-शैली व्यक्तिगत रूप से पुष्टि के स्तर को बढ़ाती है। यह हमें बीमारियों से बचाती है और हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती है। इसके माध्यम से आसन संबंधी विकृतियों में सुधार होता है। इसके माध्यम से मनोवैज्ञानिक शक्ति या क्षमता में वृद्धि होती है जिससे तनाव, दबाव व चिंता को कम किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि एक स्वस्थ जीवन-शैली स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती है।
6. वातावरण (Environment):
स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने हेतु स्वच्छ वातावरण का होना बहुत आवश्यक है। वातावरण दो प्रकार के होते हैं
(i) आन्तरिक वातावरण,
(ii) बाह्य वातावरण। दोनों प्रकार के वातावरण बालक को प्रभावित करते हैं।
शिक्षा प्राप्त करने हेतु स्कूली वातावरण विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। बिना वातावरण के कोई भी विद्यार्थी किसी प्रकार का ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता। इसलिए स्कूल प्रबन्धों को स्कूली वातावरण की ओर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, ताकि विद्यार्थी बिना किसी बाधा के ज्ञान अर्जित कर सकें।
प्रश्न 8.
स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों के विभिन्न सिद्धांतों या नियमों का ब्योरा दें। अथवा स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रमों के लिए किन-किन बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए? अथवा आप अपने स्कूल में स्वास्थ्य शिक्षण कार्यक्रम को कैसे अधिक प्रभावशाली बनाएँगे?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों के विभिन्न सिद्धांत अथवा नियम निम्नलिखित हैं
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बच्चों की आयु और लिंग के अनुसार होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देने का तरीका साधारण और जानकारी से भरपूर होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए अपितु उसकी प्राप्तियों के बारे में कार्यक्रम बनाने चाहिएँ।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम लोगों या छात्रों की आवश्यकताओं, रुचियों और पर्यावरण के अनुसार होना चाहिए।
- मनुष्य का व्यवहार ही उसका सबसे बड़ा गुण है, जिसमें उसकी रुचि ज्यादा है वह उसे सीखने और करने के लिए तैयार रहता है। इसलिए कार्यक्रम बनाते समय बच्चों की उत्सुकता, रुचियों और इच्छाओं का ध्यान रखना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देते समय जीवन से संबंधित समस्याओं पर भी बातचीत होनी चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्तर के अनुसार बनाना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम ऐसे होने चाहिएँ जो बच्चों की अच्छी आदतों को उत्साहित कर सकें ताकि वे अपने सोचने के तरीके को बदल सकें।
- स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों में बुरी आदतों को छोड़ने और अच्छी आदतों को ग्रहण करने हेतु फिल्में, चार्ट, टी०वी०, रेडियो आदि माध्यमों के प्रयोग द्वारा बच्चों को प्रेरित किया जाना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अंग होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम रुचिपूर्ण, शिक्षा से भरपूर और मनोरंजनदायक होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम प्रस्तुत करते समय लोगों में प्रचलित भाषा का प्रयोग करना चाहिए। यह भाषा उनकी आयु और समझने की क्षमता के अनुसार होनी चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बनाते समय संक्रामक-असंक्रामक बीमारियों के बारे में व उनकी रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम केवल एक व्यक्ति तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसका क्षेत्र विशाल होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम लोगों की आंतरिक भावनाओं को जानकर ही बनाना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम में पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर के विषय शामिल होने चाहिएँ।
प्रश्न 9.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के विभिन्न तत्त्व या घटक कौन-कौन-से हैं? वर्णन कीजिए। अथवा स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य क्षेत्रों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र बहुत विशाल है। यह केवल स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है। इसमें स्वास्थ्य ज्ञान के अतिरिक्त और बहुत-से घटक शामिल हैं, जिनका आपस में गहरा संबंध होता है। ये सभी घटक बच्चों के स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम के विभिन्न घटक या क्षेत्र निम्नलिखित हैं
1. स्वास्थ्य सेवाएँ (Health Services):
छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना भी विद्यालय का मुख्य उत्तरदायित्व माना जाता है। स्वास्थ्य सेवाएँ वे सेवाएँ हैं जिनके माध्यम से छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है और उनमें पाए जाने वाले दोषों से माता-पिता को अवगत करवाया जाता है ताकि समय रहते उन दोषों का उपचार किया जा सके। इन सेवाओं के अंतर्गत स्कूल के अन्य कर्मचारियों एवं अध्यापकों के स्वास्थ्य की भी जाँच की जाती है।
आधुनिक युग में स्वास्थ्य सेवाओं की बहुत महत्ता है। स्वास्थ्य सेवाओं की सहायता से बच्चे और वयस्क अपने स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा उठा सकते हैं। साधारण जनता को ये सेवाएँ सरकार की ओर से मिलनी चाहिएँ, जबकि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल की ओर से ये सुविधाएँ मिलनी चाहिएँ । स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य बच्चों में संक्रामक रोगों को ढूँढकर उनके माता-पिता की सहायता से ठीक करना है। इस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए डॉक्टर, नर्स, मनोरोग चिकित्सक और अध्यापक विशेष योगदान दे सकते हैं।
2. स्वास्थ्यपूर्णस्कूली जीवन या वातावरण (Healthful School Living or Environment):
स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली वातावरण का अर्थ है कि स्कूल में संपूर्ण स्वच्छ वातावरण का होना या ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिससे छात्रों की सभी क्षमताओं एवं योग्यताओं को विकसित किया जा सके। स्कूल का स्वच्छ वातावरण ही छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ-ही-साथ उन्हें अधिक-से-अधिक सीखने हेतु प्रेरित करता है। स्कूल का वातावरण, रहने का स्थान और काम करने का स्थान स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
जिस देश के बच्चे और नवयुवक स्वस्थ होते हैं वह देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर होता है, क्योंकि आने वाला भविष्य उनसे बंधा होता है। बच्चा अपना अधिकांश समय स्कूल में गुजारता है। बच्चे का उचित विकास स्कूल के वातावरण पर निर्भर करता है। यह तभी संभव हो सकता है, अगर साफ़-सुथरा व स्वच्छ स्कूल अर्थात् वातावरण हो। स्वच्छ वातावरण बच्चे और वयस्क दोनों को प्रभावित करता है। स्वच्छ वातावरण केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावात्मक और नैतिक विकास में भी सहायक होता है।
3. स्वास्थ्य अनुदेशन या निर्देशन (Health Instructions):
स्वास्थ्य निर्देशन का आशय है-स्कूल के बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना। बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी ऐसी जानकारी देना कि वे स्वयं को स्वच्छ एवं नीरोग बना सकें। स्वास्थ्य निर्देशन स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों एवं दृष्टिकोणों का विकास करते हैं। ये बच्चों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना है ताकि वे स्वयं को स्वस्थ रख सकें।
स्वास्थ्य संबंधी निर्देशन में वे सभी बातें आ जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं; जैसे अच्छी आदतें, स्वास्थ्य को ठीक रखने के तरीके और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आदि। शरीर की बनावट एवं संरचना, संक्रामक रोगों के लक्षण एवं कारण, इनकी रोकथाम या बचाव के उपायों के लिए बच्चों को फिल्मों या तस्वीरों आदि के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। स्वास्थ्य निर्देशन की जानकारी प्राप्त कर बच्चे अनावश्यक विकृतियों या कमजोरियों का शिकार होने से बच सकते हैं।
प्रश्न 10.
छात्रों के स्वास्थ्य में सुधार हेतु शारीरिक शिक्षा का अध्यापक क्या भूमिका निभा सकता है? अथवा शारीरिक शिक्षा का अध्यापक विद्यार्थियों के स्वास्थ्य में क्या भूमिका निभाता है?
उत्तर:
छात्र अपना अधिकांश समय स्कूल में व्यतीत करते हैं। जितना वे स्कूल के वातावरण में सीखते हैं उतना शायद ही कहीं और सीखते हैं। स्कूल के वातावरण में सबसे अधिक वे अध्यापकों से प्रभावित होते हैं एवं उनको अपना आदर्श मानते हैं। स्कूल में शारीरिक शिक्षा के अध्यापक का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वह विद्यार्थियों को अच्छे स्वास्थ्य हेतु प्रेरित करता है। शारीरिक शिक्षा का अध्यापक बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए निम्नलिखित उपाय कर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देता है या दे सकता है
1. शारीरिक शिक्षा का अध्यापक छात्रों को उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु प्रेरित करता है। वह व्यक्तिगत स्वास्थ्य के महत्त्व को बताकर उनके स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
2. वह विद्यार्थियों को नियमित दिनचर्या के महत्त्व बताता है । वह छात्रों में अच्छी आदतें अपनाने हेतु प्रोत्साहित करता है। वह छात्रों को नियमित समय पर सोने एवं उठने के लिए प्रोत्साहित करता है। जो छात्र नियमित समय पर सोते एवं उठते हैं वे हमेशा चुस्त एवं फुर्तीले होते हैं। उनमें आलस्य नहीं होता।
3. वह छात्रों को स्वास्थ्य की महत्ता बताकर उनको अपने स्वास्थ्य हेतु जागरूक करता है। वर्जिल के अनुसार, “सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है।” वर्जिल का यह कथन इस प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण है।
4. वह अभिभावकों को भी स्वास्थ्य संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी देकर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है ताकि अभिभावक
अपने बच्चों के स्वास्थ्य की ओर विशेष रूप से ध्यान दे सकें।
5. वह स्कूल में स्वास्थ्य संबंधी अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करवाकर भी छात्रों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
6. अधिकांश शारीरिक शिक्षा के अध्यापक चुस्त एवं फुर्तीले होते हैं और अधिकांश छात्र अपने अध्यापकों का अनुसरण करते हैं। अत: वे अपने व्यक्तित्व से भी छात्रों को प्रभावित कर सकते हैं।
7. वह छात्रों को संक्रामक बीमारियों के कारणों व लक्षणों से अवगत करवाता है तथा उनकी रोकथाम के उपायों से भी अवगत करवाता है।
8. वह छात्रों को भोजन के आवश्यक तत्त्वों की महत्ता के बारे में बताता है। यदि भोजन में सभी आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होंगे तो इसका इनके स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
9. वह विद्यार्थियों को नशीले पदार्थों के दुष्परिणामों से अवगत करवाता है।
10. वह विद्यार्थियों को स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों को विकसित करने में सहायता करता है।
11. शारीरिक शिक्षा का अध्यापक स्कूल में अनेक शारीरिक क्रियाएँ करवाता है जिनका छात्रों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 11.
व्यक्ति एवं समाज के स्वास्थ्य की भलाई के लिए विभिन्न संगठनों की भागीदारी के योगदान का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में स्वास्थ्य कल्याण हेतु कार्यरत प्रमुख संघों या संस्थाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में किसी देश की शक्ति का अनुमान वहाँ के स्वस्थ नागरिकों से लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य की पूर्ण व्याख्या किसी व्यक्ति के सही शारीरिक पक्ष से की जा सकती है। स्वास्थ्य की पूर्ण व्याख्या से अभिप्राय व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक पक्ष के पूर्ण होने से है।
प्रत्येक पक्ष से स्वस्थ व्यक्ति अच्छे समाज का निर्माण करता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य का ज्ञान अति आवश्यक है। विकासशील देशों में सरकार और अन्य संगठन लोगों के स्वास्थ्य के लिए भरपूर सेवाएँ उपलब्ध करवाते हैं। भारत में निम्नलिखित प्रमुख संघ या संस्थान स्वास्थ्य कल्याण हेतु कार्यरत हैं
1. भारतीय तपेदिक रोग संगठन (Tuberculosis Association of India):
भारतीय तपेदिक रोग संगठन वर्ष 1939 में अस्तित्व में आया। इसका मुख्य कार्य टी०बी० से पीड़ित लोगों को इससे राहत देना है। भारत की बहुत-सी जनसंख्या इस रोग से पीड़ित है। भारत सरकार ने इस रोग पर नियंत्रण पाने के लिए कई बड़े-बड़े अस्पताल और अन्वेषण केंद्र स्थापित किए हैं, ताकि इस घातक बीमारी से लोगों को निजात दिलाई जा सके। यह संगठन डॉक्टरों, नर्सी और अन्य संगठन जो इस रोग के निवारण हेतु योगदान दे रहे हैं, उन्हें प्रशिक्षण की सुविधाएँ प्रदान करता है।
2. भारत सेवक समाज (Bharat Sewak Samaj):
भारत सेवक समाज संस्था वर्ष 1952 में अस्तित्व में आई। यह एक गैर-सरकारी संस्था है। इसका मुख्य कार्य लोगों को स्वस्थ रहने के तौर-तरीके बताना है। यह संस्था समय-समय पर शहरों और गाँवों में शिविर लगाकर लोगों को स्वास्थ्य चेतना या जागरूकता के बारे में जानकारी देती है।
3. अखिल भारतीय नेत्रहीन सहायक सोसायटी (All India Blind Relief Society):
यह सोसायटी वर्ष 1945 में स्थापित की गई। यह नेत्रहीन लोगों की सहायता के लिए कार्य कर रही है। यह अन्य कई संस्थाओं जोकि नेत्रहीनता को दूर करने के लिए कार्य कर रही हैं, उनकी सहायता करती है। इसका अस्तित्व सरकार की आर्थिक सहायता पर अधिक निर्भर करता है। यह समय-समय पर आँखों के शिविर लगाकर लोगों को आँखों की गंभीर बीमारियों से अवगत करवाती है और उन्हें इनके प्रति सुविधाएँ प्रदान करती है। यह लोगों को आँखें दान हेतु प्रेरित करती है, ताकि नेत्रहीनता के शिकार लोगों को रोशनी दी जा सके।
4. हिंद कुष्ठ निवारण संघ (Hind Kusht Niwaran Sangh):
हिंद कुष्ठ निवारण संघ वर्ष 1947 में स्थापित की गई। कुष्ठ रोग जैसी घातक बीमारी को रोकने के लिए यह संघ दिन-रात प्रयासरत है। यह संघ वैज्ञानिक खोजों से इस बीमारी के कारण और उपयुक्त इलाज संबंधी जानकारी लोगों को प्रदान कर रहा है।
5. भारतीय परिवार नियोजन संघ (Family Planning Association of India):
भारतीय परिवार नियोजन संघ की स्थापना वर्ष 1949 में हुई। भारत में बढ़ रही जनसंख्या पर रोक लगाने हेतु यह संघ प्रयासरत है। थोड़े ही समय में इसकी शाखाएँ पूरे भारत में खुल गई हैं। इस संघ ने अनेक डॉक्टरों और समाज-सुधारकों को प्रशिक्षण देकर लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जागरूक किया है।
6. भारतीय बाल कल्याण परिषद् (Indian Council for Child Welfare):
भारतीय बाल कल्याण परिषद् की स्थापना वर्ष 1952 में हुई। इसका मुख्य कार्य बच्चों संबंधी समस्याओं का हल और उनके कल्याण संबंधी योजनाएँ बनाना है। इस परिषद् ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिवस 14 नवंबर को बच्चों का दिन (बाल-दिवस) मनाने का निर्णय लिया। अब भारत में प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को यह दिन मनाया जाता है। यह परिषद् अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़ी हुई है। यह प्रत्येक वर्ष बच्चों के कल्याण के लिए नई-नई योजनाएँ बनाती है।
7. भारतीय चिकित्सा संघ (Indian Medical Association):
इस संघ का मुख्य कार्य सरकार का ध्यान राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की ओर दिलाना और उन्हें हल करने के लिए सहयोग देना है। यह संघ समय-समय पर सरकार से अपने वार्षिक बजट में आर्थिक सहायता की वृद्धि के लिए माँग करता है। भारतीय चिकित्सा संघ वैज्ञानिक अन्वेषण करके सरकार को घातक बीमारियों के फैलने और बचाव के बारे में सिफारिश करता रहता है। इस संघ की सिफारिश पर ही सरकार लोगों के स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार, अच्छी दवाइयाँ और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए नई-नई योजनाएँ बनाती रहती है।
8. भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी (Indian Redcross Society):
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी एक राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी का सदस्य है। भारत में यह वर्ष 1920 में अस्तित्व में आई। यह सोसायटी मानवता की सेवा में संलग्न है। यह लोगों को स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान, बीमारियों के बचाव और उपाय, युद्ध के दौरान घायलों की सहायता, प्राकृतिक आपदाओं के समय दवाइयाँ और आवश्यकतानुसार सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है। भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी जन-कल्याण के लिए निम्नलिखित कार्य करती है
- रक्त बैंक की स्थापना करना और आवश्यकता पड़ने पर रक्त की सुविधाएँ उपलब्ध करना।
- युद्ध के दौरान घायल हुए और रोगी सैनिकों की देखभाल करना।
- भूकंप, बाढ़, प्लेग और सूखा पड़ने से पीड़ित लोगों की सहायता करना।
- बाल कल्याण और उनकी भलाई के लिए विशेष योगदान देना।
- तपेदिक, कुष्ठ, एड्स और अन्य कई बीमारियों की रोकथाम के लिए मुफ्त दवाइयाँ प्रदान करना।
- उन अन्य संगठनों की आर्थिक सहायता करना, जो मानवता की सेवा में संलग्न हैं।
- दिव्यांग लोगों को नकली अंग देकर उनकी मदद करना।
लघूत्तरात्मक प्रश्न ( (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनने में सहायता करते हैं। यह एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है।
सामान्य शब्दों में, स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय बीमारियों पर काबू पाने, स्वास्थ्य सुधार के लिए प्रयत्न करने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए उत्साहित करने की प्रक्रिया से है। डॉ० थॉमस वुड के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”
प्रश्न 2.
स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं
- विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाए रखना।
- बच्चों में ऐसी आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हों।
- रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना तथा प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी देना।
- सभी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना व निर्देश देना।
- सभी विद्यार्थियों में स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान तथा अभिव्यक्ति का विकास करना।
- व्यक्तिगत सफाई तथा स्वच्छता के बारे में जानकारी देना।
- स्वास्थ्य संबंधी आदतों का विकास करना।
- रोगों से बचने का उपाय करना और शारीरिक रोगों की जांच करना।
प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत हमें किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान स्वयं में ही सरल उपाय है जिसके द्वारा रोगों को फैलने से रोका जा सकता है। हमें स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए तथा उनका प्रचार करना चाहिए
- विभिन्न खाद्य-पदार्थों में कौन-कौन-से पोषक तत्त्व उपलब्ध होते हैं?
- विभिन्न रोगों के क्या कारण होते हैं? वे किस प्रकार फैलते हैं तथा उनसे बचने के तरीके क्या हैं?
- स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत स्तर पर अच्छी आदतों का ज्ञान तथा सामुदायिक स्तर पर अच्छी परंपराओं की आवश्यकता।
- विभिन्न नशीले व मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले कुप्रभावों तथा परिणामों की जानकारी।
- खाद्य-पदार्थों को पकाने तथा उन्हें संगृहीत करने की विधियाँ।
- वातावरण को स्वच्छ रखने की विधियाँ या तरीके।
- घरेलू या औद्योगिक स्तर पर उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों के निपटान की विधियाँ।
प्रश्न 4.
स्वास्थ्य शिक्षा का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? अथवा स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता लिखें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है
1. मानवीय संबंधों में वृद्धि करना-स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे मानवीय संबंधों में वृद्धि करती है। स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थियों को यह ज्ञान भी देती है कि किस प्रकार वे अपने मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों व समुदाय के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कार्य कर सकते हैं।
2. बीमारियों से बचाव व रोकथाम में सहायक-स्वास्थ्य शिक्षा कई प्रकार की बीमारियों के बचाव व रोकथाम के विषय में हमारी सहायता करती है। विभिन्न प्रकार की बीमारियों के फैलने के कारण, लक्षण, उनसे बचाव व इलाज के विषय में जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा से ही मिलती है।
3. सामाजिक गुणों का विकास-स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करके उसे अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छा व्यक्तित्व निखारती है, वहीं इसके साथ-साथ यह और कई प्रकार के गुणों; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।
प्रश्न 5.
स्वस्थ व्यक्ति किसे कहते हैं? अच्छे स्वास्थ्य के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:
स्वस्थ व्यक्ति-स्वस्थ व्यक्ति के शरीर के सभी अंगों की बनावट और उनके कार्य ठीक-ठाक होते हैं। वह हर प्रकार के मनोवैज्ञानिक, मानसिक व सामाजिक तनावों से मुक्त होता है। केवल शारीरिक रोगों से मुक्त व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ नहीं होता, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति को रोग घटकों से भी मुक्त होना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लाभ:
- अच्छे स्वास्थ्य से व्यक्ति का जीवन सुखमय व आनंदमय होता है।
- अच्छे स्वास्थ्य का न केवल व्यक्तिगत लाभ होता है, बल्कि इसका सामूहिक लाभ भी होता है। इसका समाज व देश पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 6.
अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में स्वास्थ्य शिक्षा किस प्रकार सहायक होती है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक तौर पर विकारों तथा तनावों को दूर करने की आवश्यकता है, परंतु भारतवर्ष में बहुत-से लोग इस बात से भी अनभिज्ञ हैं कि कौन-कौन-से रोग किस-किस कारण से होते हैं? उनकी रोकथाम कैसे की जा सकती है तथा उनके बचाव के क्या उपाय हैं? केवल रोगों के निदान से ही स्वास्थ्य कायम नहीं होता।
इसके लिए बाह्य कारक; जैसे प्रदूषण तथा सूक्ष्म-जीवों के संक्रमण से भी बचाव अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य शिक्षा संतुलित आहार और उनमें पौष्टिक तत्त्व की कितनी-कितनी मात्रा होनी चाहिए आदि की जानकारी देने में हमारी सहायता करती है। स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा ही हमें किसी रोग के कारण, लक्षण और उनकी रोकथाम के उपायों का पता चलता है। स्वास्थ्य शिक्षा ही हमें पर्यावरण से संबंधित आवश्यक जानकारी देती है।
प्रश्न 7.
अभिभावकों को शिक्षित करके बच्चों में होने वाले रोगों की रोकथाम किस प्रकार की जा सकती है?
अथवा
माता-पिता किस प्रकार बच्चों की रोगों से बचाव हेतु सहायता कर सकते हैं?
उत्तर:
अभिभावकों को शिक्षित करके बच्चों में होने वाले रोगों की रोकथाम निम्नलिखित उपायों द्वारा की जा सकती है
- अभिभावकों को उचित एवं संतुलित आहार तथा विशेष परिस्थितियों में भोजन की आवश्यकताओं का ज्ञान कराने से बच्चों में कुपोषण से होने वाले रोगों की रोकथाम की जा सकती है।
- जन्म के बाद बच्चों में रोगों के कारण मृत्यु होने की संभावना रहती है। इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक है कि अभिभावक अपने बच्चों को समय-समय पर प्रतिरक्षी टीके लगवाएँ।
- महिलाओं को यह ज्ञान कराना आवश्यक है कि बच्चे के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम आहार है। इससे बच्चे को सभी पोषक तत्त्व तथा प्रतिजैविक पदार्थ प्राप्त होते हैं।
- अभिभावकों को विभिन्न रोगाणुओं से संक्रमण के तरीके तथा उनसे बचाव के उपायों की शिक्षा देकर भी बच्चों को इनसे होने वाले रोगों से बचाया जा सकता है।
प्रश्न 8.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं। स्कूल में जाने वाले बच्चे किसी राष्ट्र को सशक्त व मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्त राष्ट्र का उत्तरदायित्व उनके कोमल कंधों पर टिका होता है। इसलिए स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य ही स्कूल प्रणाली का महत्त्वपूर्ण तथा प्राथमिक मुद्दा है। अतः स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम वह ग्रहणित प्रक्रिया है जिसको स्कूली स्वास्थ्य सेवाओं, स्वास्थ्यप्रद स्कूली जीवन और स्वास्थ्य अनुदेशन में बच्चों के स्वास्थ्य के विकास के लिए अपनाया जाता है। इस प्रकार स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तीन चरण होते हैं:
- स्वास्थ्य सेवाएँ (Health Services),
- स्वास्थ्यप्रद स्कूली जीवन या वातावरण (Healthful School Living or Environment) तथा
- स्वास्थ्य अनुदेशन या निर्देशन (Health Instructions)।
प्रश्न 9.
स्वास्थ्य शिक्षा के किन्हीं चार सिद्धांतों का उल्लेख करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के चार सिद्धांत निम्नलिखित हैं
- स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम व पाठ्यक्रम बच्चों की आयु और रुचि के अनुसार होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देने का तरीका साधारण और जानकारी से भरपूर होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं रखनी चाहिए अपितु उसकी प्राप्तियों के बारे में कार्यक्रम बनाने चाहिएँ।
- स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम छात्रों की आवश्यकताओं, इच्छाओं और पर्यावरण के अनुसार होना चाहिए।
प्रश्न 10.
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी वातावरण हेतु किन मुख्य बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी वातावरण हेतु निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए
- अध्यापकों को अपना पाठ्यक्रम बच्चों की इच्छाओं, आवश्यकताओं, रुचियों के अनुसार बनाना चाहिए। इसके लिए अध्यापक को अपने अनुभव का प्रयोग करना चाहिए।
- बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय का भवन रेलवे स्टेशनों, सिनेमाघरों, कारखानों, यातायात सड़कों आदि से दूर होना चाहिए।
- बच्चों के संपूर्ण विकास हेतु अध्यापकों एवं छात्रों में सहसंबंध होना चाहिए।
- विद्यालय की समय-सारणी का विभाजन छात्रों के स्तर के अनुसार होना चाहिए।
प्रश्न 11.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महत्त्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम से बच्चे अनेक बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य तथा स्वच्छता की जानकारी स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक है। स्कूल के दिनों में बच्चों में जिज्ञासा की प्रवृत्ति अति तीव्र होती है। उनकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ये कार्यक्रम अति-आवश्यक होते हैं। सभी स्कूली छात्र कक्षा के अनुसार समान आयु के होते हैं, इसलिए उनकी समस्याएँ भी लगभग एक-जैसी होती हैं और उनके निदान के प्रति दृष्टिकोण भी एक-जैसा ही होता है।
इसलिए स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम सभी छात्रों के लिए समान रूप से उपयोगी होते हैं। स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को पोषक तत्त्वों एवं खनिज-लवणों की जानकारी की महत्ता बताई जाती है जो उनकी संपूर्ण जिंदगी में सहायक होती है। स्कूल के दिनों के दौरान विद्यालयी स्वास्थ्य कार्यक्रम अनेक अच्छी आदतों के निर्माण में सहायक हैं जो समाज के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 12.
स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख उपाय या अभियान बताएँ। अथवा आजकल स्कूलों में बच्चों को अपने परिवेश के बारे में जागरूक बनाने हेतु अपनाए गए प्रमुख तरीके बताएँ।
उत्तर:
वर्तमान समय में स्कूलों में स्वास्थ्य के प्रति बच्चों को जागरूक बनाने के लिए नए-नए तरीके या अभियान अपनाए जा रहे हैं। इनका विवरण निम्नलिखित है
1. मेडिकल निरीक्षण-अनेक स्कूल सर्वप्रथम तो उस समय निरीक्षण की माँग करते हैं, जब बच्चे स्कूल में प्रवेश पाते हैं और उसके बाद वे नियमित अंतराल के बाद मेडिकल निरीक्षण करवाने पर जोर डाल सकते हैं । इसके अंतर्गत वे शारीरिक माप, स्वास्थ्य जाँच, बोलने एवं सुनने की जाँच तथा खून की जाँच करवाते हैं। इसके अतिरिक्त दाँतों की देखभाल, संक्रामक रोगों के लक्षण, कारण एवं इसकी रोकथाम के उपायों आदि की जानकारी भी सेमिनारों के माध्यम से दी जाती है।
2. रोगों से मुक्ति के कार्यक्रम- अधिकतर स्कूल अनेक रोगों से मुक्ति के कार्यक्रम चलाते हैं; जैसे पल्स पोलियो, टी०बी०, मलेरिया, हेपेटाइटिस-बी, चेचक आदि।
3. एड्स जागरूकता संबंधी कार्यक्रम-स्कूल राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकतर भयानक बीमारियों; जैसे एड्स को . नियंत्रण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
4. प्राथमिक सहायता और आपातकालीन सेवाओं के पाठ्यक्रम- स्कूलों के आधुनिक तरीकों के अंतर्गत विद्यार्थियों को कक्षाओं तथा पाठ्यक्रम के माध्यम से प्राथमिक सहायता तथा आपातकालीन सेवाओं की जानकारी दी जाती है।
प्रश्न 13.
स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के प्रमुख उपाय बताएँ।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं
- स्वास्थ्य शिक्षा का पाठ्यक्रम बच्चों की आवश्यकताओं एवं रुचियों के अनुसार होना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रम व्यावहारिक जीवन से संबंधित होने चाहिएँ।
- स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी आदतें, पर्यावरण प्रदूषण, प्राथमिक उपचार, बीमारियों की रोकथाम आदि को चित्रों या फिल्मों की सहायता से समझाया या दिखाया जाना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा में वाद-विवाद और भाषण आदि को अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्यपूर्ण कार्यक्रमों को अधिक-से-अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चों को नियमित डॉक्टरी जाँच और अन्य सुविधाओं से लाभ हो सके।
- स्वास्थ्य शिक्षा में उन सभी पक्षों को शामिल करना चाहिए, जो छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक हों।
प्रश्न 14.
हमारे जीवन में अच्छे स्वास्थ्य की क्या उपयोगिता है?
अथवा
स्वास्थ्य (Health) का महत्त्व बताएँ।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर सकता। इसलिए स्वास्थ्य का हमारे जीवन में निम्नलिखित प्रकार से विशेष महत्त्व या उपयोगिता है:
- स्वास्थ्य मानव व समाज का आधार स्तंभ है। यह असल में खुशी, सफलता और आनंदमयी जीवन की कुंजी है।
- अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी होते हैं।
- स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अरस्तू ने कहा था-“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” अतः इस कथन से भी हमारे जीवन में स्वास्थ्य की उपयोगिता व्यक्त हो जाती है।
- स्वास्थ्य व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
- किसी भी देश के नागरिकों के स्वास्थ्य व आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। यदि किसी देश के नागरिक स्वस्थ होंगे तो आर्थिक विकास भी अच्छा होगा।
प्रश्न 15.
स्कूल में स्वास्थ्य निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्कूल में स्वास्थ्य निर्देशन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- बच्चों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी देना।
- बच्चों को स्वास्थ्य के विषय में पर्याप्त ज्ञान देना।
- स्वास्थ्य संबंधी महत्त्वपूर्ण नियमों या सिद्धांतों की जानकारी देना।
- संक्रामक रोगों की रोकथाम के उपायों की जानकारी देना।
- बच्चों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने हेतु प्रेरित करना।
- अच्छी आदतें एवं सेहत को ठीक रखने के उपाय बताना।
प्रश्न 16.
विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना भी विद्यालय का मुख्य उत्तरदायित्व माना जाता है। विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाएँ, वे सेवाएँ हैं जिनके माध्यम से छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है और उनमें पाए जाने वाले दोषों से माता-पिता को अवगत करवाया जाता है ताकि समय रहते उन दोषों का उपचार किया जा सके। इन सेवाओं के अंतर्गत स्कूल के अन्य कर्मचारियों एवं अध्यापकों के स्वास्थ्य की भी जाँच की जाती है।
इनके अंतर्गत छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें सभी प्रकार की बीमारियों के लक्षणों, कारणों, रोकथाम या बचाव के उपायों की जानकारी प्रदान की जाती है। स्कूल/विद्यालय में ऐसी सुविधाओं को विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाएँ (School Health Services) कहा जाता है। आधुनिक युग में इन सेवाओं की बहुत आवश्यकता है।
प्रश्न 17.
स्कूल के स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिए। उत्तर-स्कूल के स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक निम्नलिखित प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है
- शिक्षक छात्रों को स्वास्थ्य कार्यक्रम की उपयोगिता बताकर उन्हें अपने स्वास्थ्य हेतु प्रेरित कर सकता है।
- वह छात्रों को व्यक्तिगत सफाई के लिए प्रेरित कर सकता है, ताकि छात्र स्वयं को नीरोग एवं स्वस्थ रख सकें।
- शिक्षक छात्रों को संक्रामक रोगों के कारणों एवं रोकथाम के उपायों की जानकारी दे सकता है।
- शिक्षक को चाहिए कि वह स्वास्थ्य शिक्षा की विषय-वस्तु से संबंधित विभिन्न सेमिनारों का आयोजन करे।
- वह छात्रों को अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करे।
प्रश्न 18.
विद्यालयी स्वास्थ्य निर्देशन पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा स्वास्थ्य अनुदेशन/निर्देशन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्वास्थ्य निर्देशन से अभिप्राय है-स्कूल के बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी ऐसी जानकारी देना कि वे स्वयं को स्वस्थ एवं नीरोग बना सकें। स्वास्थ्य निर्देशन स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों एवं दृष्टिकोणों का विकास करते हैं । ये बच्चों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाते हैं । इनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना है ताकि वे स्वयं को स्वस्थ रख सकें।
स्वास्थ्य संबंधी निर्देशन में वे सभी बातें आ जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं; जैसे अच्छी आदतें, सेहत को ठीक रखने के तरीके और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आदि। शरीर की बनावट एवं संरचना, संक्रामक रोगों के लक्षण एवं कारण, इनकी रोकथाम या बचाव के उपायों के लिए बच्चों को फिल्मों या तस्वीरों आदि के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। स्वास्थ्य निर्देशन की जानकारी प्राप्त कर बच्चे अनावश्यक विकृतियों या कमजोरियों का शिकार होने से बच सकते हैं।
प्रश्न 19.
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा में क्या अंतर है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा में परस्पर अटूट संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं, क्योंकि आज एक ओर जहाँ स्वास्थ्य शिक्षा को शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत पढ़ाया जाता है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य शिक्षा के अध्ययन में भी शारीरिक शिक्षा के पक्षों पर जोर दिया जाता है। फिर भी इनमें कुछ अंतर है। शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत शारीरिक गतिविधियों या क्रियाओं पर विशेष बल दिया जाता है, जबकि स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है । शारीरिक शिक्षा का क्षेत्र स्वास्थ्य शिक्षा से अधिक व्यापक है।
प्रश्न 20.
सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा (Social Health Education) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जन्म से लेकर मृत्यु तक वह समाज का सदस्य बना रहता है। बिना समाज के इसके अस्तित्व की कल्पना करना व्यर्थ है। वह समाज के नियमों, कानूनों एवं मान-मर्यादाओं का पालन करता है और समाज में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाता है। यदि एक व्यक्ति समाज में अपनी अलग पहचान की योग्यता रखता है तो यही उसका सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा की ओर महत्त्वपूर्ण कदम है। सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्वपूर्ण पहलू है जिसका संबंध समाज के स्वास्थ्य से है।
यह शिक्षा सामाजिक गुणों का विकास करने में सहायक होती है जो सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में अच्छे समायोजन के लिए बहुत आवश्यक हैं। स्वास्थ्य जीवन का एक ऐसा पहलू है जिसकी कार्य-प्रणाली एवं उसे स्वस्थ रखने के उपायों का ज्ञान आवश्यक है, ताकि हम समाज को कुछ देने की आकांक्षा रख सके। सामाजिक एवं व्यक्तिगत रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही किसी को कुछ देने में समर्थ होता है। बीमार व्यक्ति न तो स्वयं की मदद कर सकता है और न ही समाज की।
सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा वह शिक्षा है जो एक व्यक्ति को समाज के अन्य सदस्यों के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत करती है और आसपास के लोगों से अच्छे संबंध बनाने की योग्यता एवं क्षमता का विकास करती है। जो व्यक्ति समाज से अनभिज्ञ होता है उसका व्यवहार समाज में अस्वीकार्य होता है। इसलिए हमें असामाजिक व्यवहार पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए। इसमें सामाजिक स्वास्थ्य शिक्षा बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह शिक्षा निम्नलिखित सामाजिक मूल्यों के विकास में भी सहायक होती है
- सामूहिक एकता का विकास,
- सामाजिक व्यवहार में सुधार,
- सहयोग व स्वभाव का विकास,
- मनोवृत्ति का विकास,
- सहानुभूति एवं धैर्य का विकास,
- सामाजिक स्वास्थ्य में सुधार,
- सामाजिक आदर्शों को बनाए रखने में सहायक।
प्रश्न 21.
व्यक्तित्व स्वास्थ्य शिक्षा (Personal Health Education) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा, वह शिक्षा है जो हमें तंदुरुस्त एवं नीरोग रहने की जानकारी देती है। इसमें नीरोग रहने हेतु स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने पर बल दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को व्यक्तिगत स्तर पर बिना किसी दवाई के स्वस्थ बनाना है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों, बालों, आँखों, हाथों आदि की सफाई, भोजन संबंधी नियमों का पालन, नशीले पदार्थों से परहेज और व्यायाम आदि अपनाने पड़ते हैं, तभी न केवल व्यक्ति स्वयं के लिए बल्कि समाज और देश के लिए भी महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी होता है।
एक स्वस्थ व्यक्ति ही देश की उन्नति एवं विकास में सहायक होता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा हमें अच्छी आदतों को अपनाने की शिक्षा देती है। अच्छी आदतों से हमारा व्यक्तित्व आकर्षित एवं प्रभावशाली बनता है और अच्छी आदतों से हमारी सोच सकारात्मक बनती है। इसलिए हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य शिक्षा की बहुत आवश्यकता है। संक्षेप में, यह शिक्षा स्वस्थ एवं सुडौल शरीर बनाने में, रोग-मुक्त रहने में, रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाए रखने में और शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता सुचारू रूप से बनाए रखने में हमारी सहायता करती है।
प्रश्न 22.
ग्रामीण जीवन की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएँ क्या हैं? अथवा गाँवों में स्वास्थ्य संबंधी किसी एक समस्या का वर्णन करें।
उत्तर:
ग्रामीण जीवन की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं
1. स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का अभाव-गाँवों में अधिकतर मकान कच्चे तथा गलियाँ ऊँची-नीची तथा नालियां भी गन्दे पानी का निकास नहीं कर पातीं। इसलिए यह गन्दा तथा दूषित पानी गाँव के बीच में ही इकट्ठा होने लगता है और उस पर कई प्रकार के संक्रामक रोगों के कीटाणु पनपने लगते हैं।
2. हस्पतालों तथा डॉक्टरों का अभाव-ग्रामीण बीमारी के घरेलू इलाज तथा झाड़-फूंक से रोग-मुक्त होने की कोशिश करते हैं। कई बार ऐसा डॉक्टरी सुविधाओं की कमी के कारण भी करना पड़ जाता है। यदि पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ व हस्पताल उपलब्ध हो तो तुरन्त लाभ उठाया जा सकता है।
3. व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी-अधिकतर ग्रामीण लोग व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति लापरवाही करते हैं। यही लापरवाही कई बीमारियों को जन्म देती है। प्रतिदिन स्नान करके साफ व सुथरे कपड़े पहनने से, समय पर नाखून आदि काटने और बालों को साफ रखने व दाँतों की प्रतिदिन ब्रश आदि से सफाई करने की आदत न होने से अच्छे स्वास्थ्य की आशा नहीं की जा सकती।
4. मादक पदार्थों का सेवन-ग्रामवासियों में बीड़ी, तम्बाकू, शराब आदि पदार्थों का प्रचलन आम बात है, जो कि अन्ततः स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
प्रश्न 23.
स्वास्थ्य के कोई चार सिद्धांत या नियम बताएँ।
उत्तर:
स्वास्थ्य के चार सिद्धांत निम्नलिखित हैं
- हमें हमेशा शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए।
- हमें ताजा, पौष्टिक और संतुलित आहार करना चाहिए।
- हमेशा अपना आचरण व विचार शुद्ध व सकारात्मक रखने चाहिएँ और हमेशा खुश एवं सन्तुष्ट रहना चाहिए। कभी भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। हमेशा बड़ों का आदर करना चाहिए।
- मादक वस्तुओं का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसलिए हमें नशीली वस्तुओं; जैसे अफीम, शराब, चरस, गाँजा, तंबाकू आदि से स्वयं को बचाना चाहिए। दूसरों को भी नशीली वस्तुओं के दुष्प्रभावों से अवगत करवाना चाहिए।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं? अथवा स्वास्थ्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिसमें वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारू होते हैं। इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित और शरीर रोग-मुक्त रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।”
प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के आवश्यक कारक बताएँ।
उत्तर:
- व्यक्तिगत तथा पर्यावरण स्वच्छता,
- व्यायाम तथा उचित विश्राम,
- भोजन में पौष्टिक तत्त्व एवं खनिज लवण,
- स्वच्छ भोजन व जल का उपयोग।
प्रश्न 3.
स्वास्थ्य के विभिन्न पहलू या रूप बताइए।
उत्तर:
(1) शारीरिक स्वास्थ्य,
(2) मानसिक स्वास्थ्य,
(3) सामाजिक स्वास्थ्य,
(4) आध्यात्मिक स्वास्थ्य,
(5) संवेगात्मक स्वास्थ्य।
प्रश्न 4.
स्वस्थ व्यक्ति के कोई दो गुण लिखें।
उत्तर:
(1) स्वस्थ व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक एवं सुंदर होता है,
(2) वह चुस्त एवं फुर्तीला होता है।
प्रश्न 5.
स्वास्थ्य के प्रमुख निर्धारक तत्त्व कौन-कौन-से हैं?
अथवा
विद्यालयी छात्रों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
- आनुवंशिकता,
- वातावरण,
- जीवन-शैली,
- सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण,
- आर्थिक दशाएँ,
- पारिवारिक कल्याण सेवाएँ आदि।
प्रश्न 6.
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी एक राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी का सदस्य है। भारत में यह वर्ष 1920 में अस्तित्व में आई। यह सोसायटी मानवता की सेवा में संलग्न है। यह लोगों को स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान, बीमारियों के बचाव और उपाय, युद्ध के दौरान घायलों की सहायता, प्राकृतिक आपदाओं के समय दवाइयाँ और आवश्यकतानुसार सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है।
प्रश्न 7.
विद्यालयी स्वास्थ्य कार्यक्रम के विभिन्न अंग कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
- स्वास्थ्य सेवाएँ,
- स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली वातावरण,
- स्वास्थ्य निर्देश।
प्रश्न 8.
सर्वपक्षीय विकास (All Round Development) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सर्वपक्षीय विकास से अभिप्राय व्यक्ति के सभी पक्षों का विकास करना है। वह शारीरिक पक्ष से बलवान, मानसिक पक्ष से तेज़, भावात्मक पक्ष से संतुलित, बौद्धिक पक्ष से समझदार और सामाजिक पक्ष से निपुण हो। सर्वपक्षीय विकास से व्यक्ति के व्यक्तित्व में बढ़ोतरी होती है। वह परिवार, समाज और राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है।
प्रश्न 9.
स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम कैसे होने चाहिएँ?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम रुचिकर, मनोरंजक तथा शिक्षाप्रद होने चाहिएँ, ताकि इनमें सभी बढ़-चढ़कर भाग ले सकें। ये बच्चों की रुचि, आयु, लिंग, स्वास्थ्य के स्तर तथा वातावरण की आवश्यकता के अनुसार तथा व्यावहारिक भी होने चाहिएँ, ताकि इनसे स्वास्थ्य संबंधी सभी पहलुओं की उचित जानकारी प्राप्त हो सके।
प्रश्न 10.
विद्यालयी स्वास्थ्य निर्देशन के कोई दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
- बच्चों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य की महत्ता की जानकारी देना,
- बच्चों को स्वास्थ्य के विषय में पर्याप्त ज्ञान देना।
प्रश्न 11.
स्वास्थ्य शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों या पहलुओं के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करते हैं। डॉ० थॉमस वुड के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”
प्रश्न 12.
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी जीवन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी जीवन का अर्थ है कि स्कूल में संपूर्ण स्वच्छ वातावरण का होना या ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिससे छात्रों की सभी क्षमताओं एवं योग्यताओं को विकसित किया जा सके। स्कूल का स्वच्छ वातावरण ही छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ-ही-साथ उन्हें अधिक-से-अधिक सीखने हेतु प्रेरित करता है।
प्रश्न 13.
निजी स्वास्थ्य क्या है?
उत्तर:
निजी स्वास्थ्य व्यक्ति का स्वयं का स्वास्थ्य है। इसमें वह व्यक्तिगत रूप से अपने शरीर की देख-रेख अर्थात् साफ-सफाई का ध्यान रखता है।
प्रश्न 14.
हमें स्वास्थ्य की आवश्यकता क्यों होती है? दो कारण बताएँ।
उत्तर:
- आनंदमय एवं सुखमय जीवन जीने हेतु,
- शारीरिक अंगों की कार्य प्रणाली सुचारू रूप से चलाने हेतु।
प्रश्न 15.
स्वास्थ्य अनुदेशन के कोई दो मार्गदर्शक सिद्धांत बताइए।
उत्तर:
- स्वास्थ्य संबंधी किसी विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता करवाना,
- स्वास्थ्य के सभी पहलुओं से संबंधित साहित्य स्कूल पुस्तकालय में उपलब्ध करवाना।
प्रश्न 16.
विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं के कोई दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
- छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना,
- उन्हें स्वास्थ्य के नियमों से अवगत कराना।
प्रश्न 17.
स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के कोई चार उपाय या तरीके बताएँ।
उत्तर:
- भाषणों द्वारा,
- फिल्मों द्वारा,
- रेडियो व टेलीविजन द्वारा,
- विज्ञापनों एवं समाचार-पत्रों द्वारा।
प्रश्न 18.
स्वास्थ्य के नए दर्शनशास्त्र को किन बातों से समझा जा सकता है?
उत्तर:
स्वास्थ्य के नए दर्शनशास्त्र को निम्नलिखित बातों से समझा जा सकता है
- स्वास्थ्य एक आधारभूत अधिकार है,
- स्वास्थ्य समस्त संसार का सामाजिक ध्येय है,
- स्वास्थ्य विकास का अभिन्न अंग है,
- स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता की धारणा का केंद्र बिंदु है।
प्रश्न 19.
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निराकरण के किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए व्यक्ति को शारीरिक व्यायाम तथा योगासन करने चाहिएँ।
- शुद्ध एवं स्वच्छ पर्यावरण या वातावरण में रहना चाहिए।
- संतुलित एवं पौष्टिक भोजन समय पर करना चाहिए। शुद्ध पानी पीना चाहिए।
प्रश्न 20.
शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
शारीरिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसके अंतर्गत हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त होती है। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि उसके सभी शारीरिक संस्थान सुचारू रूप से कार्य करते हों। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को न केवल शरीर के विभिन्न अंगों की रचना एवं उनके कार्यों की जानकारी होनी चाहिए, अपितु उनको स्वस्थ रखने की भी जानकारी होनी चाहिए।
शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समाज व देश के विकास एवं प्रगति में भी सहायक होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने हेतु संतुलित एवं पौष्टिक भोजन, व्यक्तिगत सफाई, नियमित व्यायाम व चिकित्सा जाँच और नशीले पदार्थों के निषेध आदि की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 21.
आध्यात्मिक स्वास्थ्य के बारे में आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जो नैतिक नियमों का पालन करता हो, दूसरों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करता हो, सत्य व न्याय में विश्वास रखने वाला हो और जो दूसरों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान न पहुँचाता हो आदि। ऐसा व्यक्ति व्यक्तिगत मूल्यों से संबंधित होता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति एवं सहयोग की भावना रखना, सहायता करने की इच्छा आदि आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। आध्यात्मिक स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु मुख्यत: योग व ध्यान सबसे उत्तम माध्यम हैं। इनके द्वारा आत्मिक शांति व आंतरिक प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 22.
स्वास्थ्य को आनुवंशिकी या वंशानुक्रमण कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर:
व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक गुण जीन (Genes) द्वारा निर्धारित होते हैं। जीन या गुणसूत्र को ही वंशानुक्रमण (Heredity) की इकाई माना जाता है। इसी कारण वंशानुक्रमण द्वारा व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है । वंशानुक्रमण संबंधी गुण; जैसे ऊँचाई, चेहरा, रक्त समूह, रंग आदि माता-पिता के गुणसूत्रों द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। बहुत-सी बीमारियाँ हैं जो वंशानुक्रमण द्वारा आगामी पीढ़ी को भी हस्तान्तरित हो जाती हैं।
HBSE 11th Class Physical Education स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions).
भाग-I : एक वाक्य में उत्तर दें
प्रश्न 1.
“स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएं प्रदान करता है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन जे०एफ० विलियम्स ने कहा।
प्रश्न 2.
“स्वस्थ शरीर आत्मा का अतिथि-भवन और दुर्बल तथा रुग्ण शरीर आत्मा का कारागृह है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन रोजर बेकन ने कहा।
प्रश्न 3.
“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन अरस्तू ने कहा।
प्रश्न 4.
किसी देश का कल्याण किसके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी देश का कल्याण उस देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
प्रश्न 5.
स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत आने वाले कोई दो कार्यक्रमों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- एड्स जागरूकता संबंधी कार्यक्रम,
- मेडिकल निरीक्षण कार्यक्रम।
प्रश्न 6.
“अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी समझ-दोनों जीवन के सबसे बड़े आशीर्वाद हैं।” यह कथन किसने कहा? उत्तर-यह कथन साइरस ने कहा।
प्रश्न 7.
प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध किससे था?
उत्तर:
प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध स्वास्थ्य निर्देशन से था।
प्रश्न 8.
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है।
प्रश्न 9.
“स्वास्थ्य प्रथम पूँजी है।” यह किसका कथन है?
उत्तर:
यह कथन इमर्जन का है।
प्रश्न 10.
W.H.0. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
World Health Organisation.
प्रश्न 11.
W.H.0. की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
W.H.O. की स्थापना अप्रैल, 1948 में हुई।
प्रश्न 12.
W.H.0. का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
W.H.O. का मुख्यालय जेनेवा में है।
प्रश्न 13.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम तीन प्रकार के होते हैं।
प्रश्न 14.
शहरों में स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्या क्या है?
उत्तर:
शहरों में स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्या यातायात वाहनों की अधिकता के कारण बढ़ता प्रदूषण है।
प्रश्न 15.
जन-साधारण को स्वास्थ्य-संबंधी उपयोगी जानकारी देने वाले माध्यम या साधन बताएँ।
उत्तर:
टेलीविजन, रेडियो, वार्तालाप, भाषण, समाचार-पत्र आदि।
प्रश्न 16.
अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन कैसा होता है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन शांत एवं सुखमय होता है।
प्रश्न 17.
“हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएँगे।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा।
प्रश्न 18.
“सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है।” यह कथन किसका है?
उत्तर:
यह कथन वर्जिल का है।
प्रश्न 19.
भारतीय परिवार नियोजन संघ की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
भारतीय परिवार नियोजन संघ की स्थापना वर्ष 1949 में हुई।
प्रश्न 20.
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना वर्ष 1920 में हुई।
भाग-II : सही विकल्प का चयन करें
1. स्वास्थ्य का शाब्दिक अर्थ है
(A) स्वस्थ शरीर
(B) स्वस्थ दिमाग
(C) स्वस्थ आत्मा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
2. “स्वास्थ्य हृष्ट-पुष्ट होने की एक दशा है।” यह कथन किसके अनुसार है?
(A) यूनिसेफ के
(B) विश्व स्वास्थ्य संगठन के
(C) अंग्रेज़ी पद के
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अंग्रेज़ी पद के
3. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम किसको ध्यान में रखकर तय करना चाहिए?
(A) बच्चों की आयु और लिंग को
(B) बच्चे के स्वास्थ्य को
(C) बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्तर को
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
4. “स्वास्थ्य ही असली धन है, न कि सोने एवं चाँदी के टुकड़े।” यह कथन है
(A) महात्मा गाँधी का
(B) डॉ० थॉमस वुड का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) जे०एफ०विलियम्स का
उत्तर:
(A) महात्मा गाँधी का
5. निम्नलिखित में से स्कूल स्वास्थ्य का चरण है
(A) स्वास्थ्य सेवाएँ
(B) स्कूली वातावरण
(C) स्वास्थ्य निर्देश
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
6. निम्नलिखित में से स्वास्थ्य का आयाम है
(A) शारीरिक स्वास्थ्य
(B) मानसिक स्वास्थ्य
(C) सामाजिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
7. “स्वास्थ्य ही प्रथम पूँजी है।” यह कथन किसने कहा?
(A) स्वामी विवेकानंद ने
(B) इमर्जन ने
(C) गाँधी जी ने
(D) डॉ० थॉमस वुड ने
उत्तर:
(B) इमर्जन ने
8. “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।” यह कथन है
(A) यूनिसेफ का
(B) स्वामी विवेकानंद का
(C) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(D) डॉ० थॉमस वुड का
उत्तर:
(C) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
9. स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य है
(A) स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान देना
(B) उचित मार्गदर्शन करना
(C) स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों का विकास करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
10. प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध किससे था?
(A) स्वास्थ्य सेवाओं से
(B) स्वास्थ्य अनुदेशन से
(C) स्वास्थ्य निरीक्षण से
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) स्वास्थ्य अनुदेशन से
11. विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
(A) न्यूयार्क में
(B) पेरिस में
(C) जेनेवा में
(D) लंदन में
उत्तर:
(C) जेनेवा में
12. स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला कारक है
(A) वातावरण
(B) संतुलित आहार
(C) वंशानुक्रमण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
13. “अच्छा मनुष्य होना जीवन की सफलता के लिए बड़ी बात है। अच्छे मनुष्य पर ही देश की खुशहाली निर्भर करती है।” यह कथन है
(A) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(B) वैबस्टर का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) थॉमस वुड का
उत्तर:
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
14. “स्वास्थ्य शारीरिक और मानसिक पक्ष से मजबूती है, जिसके द्वारा व्यक्ति शारीरिक समस्याओं से पूरी तरह स्वतंत्रता प्राप्त कर लेता है।” यह कथन है
(A) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(B) वैबस्टर का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) थामस वुड का
उत्तर:
(B) वैबस्टर का
15. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम मुख्यतः किसको ध्यान में रखकर तय करना चाहिए?
(A) बच्चों की आयु और लिंग को
(B) बच्चों के स्वास्थ्य को
(C) केवल आयु को
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बच्चों की आयु और लिंग को
16. सुखमय और आनंदमय जीवन की कुंजी है
(A) धन
(B) स्वास्थ्य
(C) परिश्रम
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) स्वास्थ्य
17. केंद्रीय स्तर पर कौन-सी स्वास्थ्य संबंधी संस्था स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निपटारा करती है?
(A) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
(B) राज्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
(C) जिला स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय
18. ‘प्रोटीन’ शब्द का प्रयोग बरजेलियास ने किया
(A) वर्ष 1938 में
(B) वर्ष 1948 में
(C) वर्ष 1976 में
(D) वर्ष 1996 में
उत्तर:
(A) वर्ष 1938 में
19. “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएँ प्रदान करता है।” यह कथन है
(A) विश्व स्वास्थ्य संगठन का
(B) जे०एफ० विलियम्स का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) थॉमस वुड का
उत्तर:
(B) जे०एफ० विलियम्स का
20. W.H.O. का पूरा नाम है
(A) Organisation of World Health
(B) World Health Organisation
(C) World Healthy Organisation
(D) Health World Organisation
उत्तर:
(B) World Health Organisation
21. व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक क्षमता की पूर्णरूपेण समन्वित स्थिति को क्या कहते हैं?
(A) स्वास्थ्य
(B) स्वस्थता
(C) सुयोग्यता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) स्वास्थ्य
22. अखिल भारतीय नेत्रहीन सहायक सोसायटी की स्थापना हुई
(A) वर्ष 1949 में
(B) वर्ष 1945 में
(C) वर्ष 1920 में
(D) वर्ष 1939 में
उत्तर:
(B) वर्ष 1945 में
23. भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापना हुई
(A) वर्ष 1946 में
(B) वर्ष 1949 में
(C) वर्ष 1939 में
(D) वर्ष 1920 में
उत्तर:
(D) वर्ष 1920 में
24. भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार से जुड़ी स्वयंसेवी संस्था है
(A) अखिल भारतीय नेत्रहीन सहायक सोसायटी
(B) हिन्द कुष्ठ निवारण संस्था
(C) भारतीय बाल कल्याण परिषद्
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
25. भारत सेवक समाज की स्थापना हुई
(A) वर्ष 1939 में
(B) वर्ष 1952 में
(C) वर्ष 1950 में
(D) वर्ष 1948 में
उत्तर:
(B) वर्ष 1952 में
26. “स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े व्यवहार से संबंधित है।” यह कथन है
(A) डॉ० थॉमस वुड का
(B) स्वामी विवेकानंद का
(C) सोफी का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) सोफी का
भाग-III: निम्नलिखित कथनों के उत्तर सही या गलत अथवा हाँ या नहीं में दें
1. साफ-सुथरे माहौल में रहने से तनाव बढ़ता है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
2. अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद आवश्यक है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
3. अच्छा स्वास्थ्य जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
4. अस्वस्थ व्यक्ति के सभी शारीरिक संस्थान सुचारू रूप से कार्य करते हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,
5. हमें हमेशा स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
6. वर्जिल के अनुसार व्यक्ति का सबसे बड़ा धन स्वास्थ्य है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
7. स्वास्थ्य आनंदमयी जीवन की कुंजी है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
8. क्या स्वास्थ्य शिक्षा से सामाजिक स्वास्थ्य बढ़ता है? (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
9. स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति को स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
10. बिना स्वास्थ्य के आंतरिक प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
11. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम अध्यापकों को ध्यान में रखकर तय करना चाहिए। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,
12. स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम में केवल शैक्षिक विषय ही शामिल होने चाहिएँ । (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,
13. स्वास्थ्य शिक्षा केवल स्वास्थ्य तक ही सीमित है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
14. स्वास्थ्य शिक्षा लोगों की सेहत का स्तर ऊँचा करने में सहायक है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
15. स्वास्थ्य का अर्थ व्यक्ति का केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ होना है। (सही/गलत)।
उत्तर:
गलत।
भाग-IV : रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. अच्छे स्वास्थ्य से व्यक्ति का जीवन ………….. होता है।
उत्तर:
सुखमयी व आनंदमयी,
2. स्कूल जाने वाले बच्चे किसी राष्ट्र को …………. बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
उत्तर:
सशक्त व मजबूत,
3. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम व पाठ्यक्रम …………… की आयु और रुचि के अनुसार होना चाहिए।
उत्तर:
बच्चों,
4. ………… शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।
उत्तर:
स्वस्थ,
5. ………… व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
उत्तर:
स्वास्थ्य,
6. …………. व्यक्ति के शरीर में फूर्ति एवं लचक होती है।
उत्तर:
स्वस्थ,
7. विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) का मुख्यालय …………… में है।
उत्तर:
जेनेवा,
8. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम मुख्यतः ……………. प्रकार के होते हैं।
उत्तर:
तीन,
9. अच्छे स्वास्थ्य हेतु हमें ……………. वस्तुओं के सेवन से दूर रहना चाहिए।
उत्तर:
नशीली,
10. “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिसमें व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएँ प्रदान करता है।” यह कथन …………. ने कहा।
उत्तर:
जे०एफ० विलियम्स।
स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा Sammary
स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य शिक्षा की अवधारणा परिचय
स्वास्थ्य (Health): अच्छा स्वास्थ्य होना जीवन की सफलता के लिए बहुत आवश्यक है, क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य से कोई व्यक्ति किसी निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल हो सकता है। आरोग्य व्यक्ति को स्वस्थ कहना बड़ी भूल है। स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जिसकी सभी शारीरिक प्रणालियाँ ठीक ढंग से कार्य करती हों और वह स्वयं को वातावरण के अनुसार ढालने में सक्षम हो।
अलग-अलग लोगों के लिए स्वास्थ्य का अर्थ भिन्न-भिन्न होता है। कुछ लोगों के लिए यह बीमारी से छुटकारा है तो कुछ के लिए शरीर और दिमाग का सुचारू रूप से कार्य करना। स्वास्थ्य का शाब्दिक अर्थ स्वस्थ शरीर, दिमाग तथा मन से चुस्त-दुरुस्त होने की अवस्था है, विशेष रूप से किसी बीमारी या रोग से मुक्त होना है।
अत: स्वास्थ्य कोई लक्ष्य नहीं, बल्कि जीवन में उपलब्धि प्राप्त करने का साधन है। महात्मा गौतम बुद्ध (Mahatma Gautam Budh) ने स्वास्थ्य के बारे में कहा- “हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएंगे।” स्वास्थ्य के नए दर्शनशास्त्र को निम्नलिखित बातों से समझा जा सकता है
- स्वास्थ्य एक आधारभूत अधिकार है।
- स्वास्थ्य समस्त संसार का सामाजिक ध्येय है।
- स्वास्थ्य विकास का अभिन्न अंग है।
- स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता की धारणा का केंद्र-बिंदु है।
स्वास्थ्य शिक्षा (Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। इसका संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनाने में सहायता करते हैं।
यह एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है। डॉ० थॉमस वुड (Dr Thomas Wood) के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”