Class 10

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.1

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Exercise 2.1

Question 1.
The graphs of y = p(x) are given in the figure (A) as shown below, for some polynomials p(x). Find the number of zeroes of p(x), in each case.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.1 1

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Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 2 Polynomials Ex 2.1

Solution :
(i) The graph is parallel to x-axis. It does not intersect the x-axis. So the number of zeroes is 0.
(ii) The graph intersects the x-axis at one point. So, the number of zeroes is 1.
(iii) The graph intersects the x-axis at three points. So, the number of zeroes is 3.
(iv) The graph intersects the x-axis at two points. So, the number of zeroes is 2.
(v) The graph intersects the x-axis at four points. So, the number of zeroes is 4.
(vi) The graph intersects the x-axis at three points. So, the number of zeroes is 3.

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HBSE 10th Class Science Notes Chapter 12 विद्युत

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 12 विद्युत Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 12 विद्युत

→ विद्युत धारा (Electric current)-विद्युत एक बहुउपयोगी, सुविधाजनक, नियंत्रित कर सकने योग्य महत्वपूर्ण ऊर्जा है, विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं।

→ विद्युत धारा को i= \( \frac{q}{t}\) सूत्र से व्यक्त करते हैं। विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर है।

→ विभवान्तर (Potential difference) किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों को प्रवाहित करने के लिए किसी सेल या। बैटरी का प्रयोग करते हैं, सेल अपने सिरों के बीच विभवान्तर उत्पन्न करता है। दो बिन्दुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश | को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में यदि 1 जूल कार्य किया जाए तो उन दोनों बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 1 वोल्ट होगा।

→ किसी धारावाही विद्युत परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच विद्युत विभवान्तर को हम उस कार्य द्वारा परिभाषित करते हैं। जो एकांक आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक लाने में किया जाता है।
V=\(\frac{W}{q} \) ; विद्युत विभवान्तर का मात्रक वोल्ट है।

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→ ओम का नियम (Ohm’s law)-किसी धातु के तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उस तार में सिरों के बीच विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है, परन्तु तार,का ताप समान रहना चाहिए। इसे ओम का नियम कहते हैं।
V∝ I अथवा \(\frac{V}{I} \) =R (नियतांक)

→ धारा नियंत्रक (Current Controller)-किसी विद्युत परिपथ में परिपथ के प्रतिरोध को परिवर्तित करने के लिए। । धारा नियंत्रक का उपयोग किया जाता है।

→ प्रतिरोध (Resistance) किसी चालक का वह गुण जिसके कारण वह अपने में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है। इसका SI मात्रक ओम (Ω) है।

→ किसी धातु के एक समान चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती तथा उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है। R= ρ \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\) ρ को वैद्युत प्रतिरोधकता या विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं, इसका SI मात्रक Ω m है।

→ श्रेणी संयोजन (Series combination)-यदि प्रतिरोधों के एक सिरे से दूसरे सिरे को जोड़ा जाये तो यह श्रेणीक्रम संयोजन कहलाता है।

→ श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध R = R1+ R2 + R3 +……………सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

→ पावक्रम संयोजन (Parallel combination)-प्रतिरोधकों का ऐसा संयोजन जिसमें प्रतिरोधक एक साथ दो बिन्दुओं के मध्य संयोजित हो, पार्श्वक्रम संयोजन या समानान्तर संयोजन कहलाता है।

→ पावक्रम संयोजन में कुल विद्युत धारा I = I1+I2 + I3 +……………. से प्रदर्शित की जाती है।

→ पार्श्वक्रम में तुल्य प्रतिरोध \(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3} \) + …………… सूत्र से प्रदर्शित किया जाता है।

→ जूल का तापन नियम (Joules heating effect law)-जूल के तापन नियमानुसार किसी प्रतिरोधक में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा निम्नलिखित दशाओं पर निर्भर करती है –

  • दिए गए प्रतिरोधक में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है।
  • दी गई विद्युत धारा के लिए प्रतिरोध के अनुक्रमानुपाती होती है, तथा
  • उस समय के अनुक्रमानुपाती होती है जिसके लिए दिए गए प्रतिरोध से विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
    H=i2Rt

→ विद्युत शक्ति (Electric power)-ऊर्जा के उपभुक्त होने की दर शक्ति कहलाती है- P= i2 R= \(\frac{V^2}{R} \) =Vi विद्युत शक्ति का मात्रक वॉट (W) है।

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→ यदि 1 A विद्युत धारा को 1 V विभवान्तर पर प्रचालित किया जाता है तो शक्ति 1 वॉट होती है
1 वॉट = 1 वोल्ट x 1 ऐम्पियर

→ विद्युत ऊर्जा (Electrical energy)-विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलोवॉट घण्टा (kWh) है।
kWh = 36,00,000 J= 3.6 x 106J.

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HBSE 10th Class Science Notes Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

→ नेत्र प्रकाश के माध्यम से इस अद्भुत संसार को देखने में हमें समर्थ बनाते हैं।

→ रेटिना (Ratina)-मानव नेत्र एक कैमरे की तरह होता है, इसका लेंस-निकाय एक प्रकाश सुग्राही पर्दे पर प्रतिबिम्ब बनाता है। इस पर्दे को रेटिना या दृष्टि पटल कहते हैं।

→ सुग्राही कोशिकाएँ (Light-sensitive cells) रेटिना पर प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं जो विद्युत सिग्नल उत्पन्न कर उन्हें मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं।

→ अभिनेत्र लेंस रेशेदार जैली जैसे पदार्थ से बना होता है।

→ समंजन क्षमता (Power of Accommodation)-अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन क्षमता कहलाती है।

→ किसी वस्तु को आराम से स्पष्ट रूप से देखने के लिये नेत्रों से इसे कम से कम 25 cm दूर रखना चाहिए।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

→ मानव के एक नेत्र का क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग 150° है जबकि दो नेत्रों द्वारा संयुक्त रूप से यह लगभग 180° हो जाता है।

→ दृष्टि के तीन दोष होते हैं-

  • निकट दृष्टि दोष,
  • दीर्घ दृष्टि दोष,
  • जरा दूर दृष्टिता दोष।

→ निकट दृष्टि दोष को उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस द्वारा ठीक किया जा सकता है।

→ दीर्घ दृष्टि दोष को उपयुक्त क्षमता के उत्तल लेंस द्वारा ठीक किया जा सकता है।

→ जरा दूर दृष्टिता दोष दूर करने के लिए द्विफोकसी लेंसों का उपयोग किया जाता है।

→ आजकल संस्पर्श लेंस (Contact lens) अथवा शल्य हस्तक्षेप द्वारा दृष्टि दोषों का संशोधन संभव है।

→ काँच का त्रिभुज प्रिज्म प्रकाश की किरणों को अपवर्तित कर देता है।

→ विक्षेपण (Dispersion)-प्रकाश के अवयवी वर्गों में विभाजन को विक्षेपण कहते हैं।

→ विचलन कोण (Angle of derivation)-प्रिज्म की विशेष आकृति के कारण निर्गत किरण, आपतित किरण की दिशा से एक कोण बनाती है, इस कोण को विचलन कोण कहते हैं।

→ VIBGYOR (Violet, Indigo, Blue, Green, Yellow, Orange, red) वर्णों के क्रम को प्रकट करता है।

→ स्पेक्ट्रम (Spectrum)-सर्वप्रथम न्यूटन ने काँच के प्रिज्म का उपयोग सूर्य के स्पेक्ट्रम को प्राप्त करने के लिए किया था।

→ वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।

→ वायुमंडलीय अपवर्तन (Atmospheric Refraction) के कारण सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पहले दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट पश्चात् तक दिखाई देता है।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

→ प्रकीर्णन (Scattering)-प्रकाश का प्रकीर्णन ही आकाश के नीले रंग, समुद्र के रंग, सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय । । सूर्य के लाल रंग का कारण है।

→ टिंडल प्रभाव (Tyndall effect)-कणों से विसरित प्रकाश परावर्तित होकर हमारे पास पहुँचता है।

→ लाल रंग के धुएँ या कुहरे में सबसे कम प्रकाश का प्रकीर्णन होता है इसलिए दूर से देखने पर भी वह लाल ही दिखाई देता है।

→ यदि पृथ्वी पर वायुमंडल न होता तो कोई प्रकीर्णन न हो पाता तब आकाश काला प्रतीत होता।

→ हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्ध्य का होता है, इस कारण से सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य लाल (रक्ताभ) प्रतीत होता है।

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HBSE 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

→ प्रकाश (Light)-प्रकाश वह भौतिक कारण है जो कि वस्तुओं को देखने में सहायक होता है। प्रकाश की उपस्थिति के कारण ही दृश्यता संभव है।

→ प्रकाश किरण (Ray of Light)-प्रकाश एक सरल रेखा में गमन करता है। सरल रेखा में गमन करने वाले प्रकाश को प्रकाश की किरण कहते हैं।

→ परावर्तन (Reflection)-दर्पण स्वयं पर पड़ने वाले अधिकांश प्रकाश को परावर्तित कर देता है। इस क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

→ परावर्तन के नियम (Laws of Reflection)-परावर्तन के नियम निम्नलिखित हैं-

  • आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है, तथा
  • आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल में होते हैं।

समतल दर्पण की अवधारणा (Concept Related to Plane Mirror)-समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब सदैव आभासी तथा सीधा होता है तथा यदि किरणें एक बिन्दु पर आती दिखाई पड़ती हैं तो प्रतिबिम्ब आभासी या काल्पनिक होता है।

→ गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)-ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं।
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं-

  • उत्तल दर्पण,
  • अवतल दर्पण।

→ ध्रुव (Pole)-गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केन्द्र को दर्पण का ध्रुव कहते हैं।

→ वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature)-गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग होता है, उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है।

→ दर्पण सूत्र (Mirror formula)-दर्पण सूत्र इस प्रकार होता है- \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f} \)

→ आवर्धन (Magnification)-गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन से यह ज्ञात होता है कि कोई प्रतिबिम्ब बिम्ब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है। इसे प्रतिबिम्ब की ऊँचाई तथा बिम्ब की ऊँचाई के अनुपात रूप में व्यक्त किया जाता है।
अतः HBSE 10th Class Science Notes Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1

→ प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of light)-जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो  वह अपने प्रारम्भिक मार्ग से विचलित हो जाती है, इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

→ अपवर्तन के नियम (Laws of Refraction)-अपवर्तन के नियम निम्न प्रकार है

  • आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब, सभी एक ही तल में होते हैं।
  • प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनुपात स्थिर होता है। इस नियम को स्नैल का अपवर्तन का नियम भी कहते हैं। यदि i आपतन कोण तथा r अपवर्तन कोण हो, तब \(\frac{\sin i}{\sin r}\) = स्थिरांक = अपवर्तनांक (Refractive Index)

→ निर्वात में प्रकाश की चाल 3 x 108 m/s होती है।

→  यदि प्रकाश की चाल माध्यम 1 में v1 तथा माध्यम 2 में है तब माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक,  माध्यम 1 में प्रकाश की चाल तथा माध्यम 2 में प्रकाश की चाल के अनुपात द्वारा व्यक्त करते हैं अतः
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→ लेंस (Lens)-दो पृष्ठों से घिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम, जिसके एक या दोनों पृष्ठ गोलीय हों, लेंस कहलाता है|

→ लेंस के प्रकार (Types of lens)-जो लेंस बीच में मोटे तथा किनारों पर पतले होते हैं, उन्हें उत्तल लेंस कहते हैं तथा जो लेंस बीच में पतले तथा किनारों पर मोटे होते हैं उन्हें अवतल लेंस कहते हैं। उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस भी , कहते हैं। उत्तल लेंस की शक्ति धन (+) तथा अवतल लेंस की शक्ति ऋण (-) होती है।

→ मुख्य फोकस (Principal focus)-उत्तल लेंस में मुख्य अक्ष के समान्तर प्रकाश की आपतित होने वाली किरणें लेंस से अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष पर एक बिन्दु पर अभिसारित हो जाती हैं। यह बिन्दु लेंस का मुख्य फोकस, कहलाता है।

→ लेंस सूत्र (Lens formula)-यदि बिम्ब दूरी (u), प्रतिबिम्ब दूरी (v) तथा फोकस दूरी (f) हो तो लेंस सूत्र निम्नलिखित होता है
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)

→ लेंस की क्षमता (Power of lens)-किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसारित या उपसारित करने की मात्रा (degree) को उस लेंस की क्षमता कहते हैं।
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लेंस की क्षमता का मात्रक = डाइऑप्टर (dioptre), इसे D से प्रदर्शित करते हैं। (1 डाइऑप्टर = 1m-1)!
उत्तल लेंस के लिये P = धनात्मक
अवतल लेंस के लिये P = ऋणात्मक

→ संयोजन की क्षमता (Power of combination)- P =P1 + P2 + P3 …..Pn (सभी क्षमतायें चिह्न के साथ जुड़ती हैं क्योंकि क्षमता अदिश राशि है।

→ आवर्धन (Magnification)- यदि बिम्ब की ऊँचाई h तथा लेंस द्वारा बनाए गए प्रतिबिम्ब की ऊँचाई h’ हो तब लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन निम्नवत् होगा
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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 4 Quadratic Equations Ex 4.2

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 4 Quadratic Equations Ex 4.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 4 Quadratic Equations Ex 4.2

Question 1.
Find the roots of the following quadratic equations by factorisation :
(i) x2 – 3x – 10 = 0
(ii) 2x2 + x – 6 = 0
(iii) √2x2 + 7x + 5√2 = 0
(iv) 2x2 – x + \(\frac{1}{8}\) = 0
(v) 100x2 – 20x + 1 = 0.
Solution :
(i) The given equation is :
x2 – 3x – 10 = 0
x2 – (5 – 2)x – 10 = 0
[∵ 1 × – 10 = – 10
5 × – 2 = – 10
5 – 2 = – 3]
⇒ x2 – 3x + 2x – 10 = 0
⇒ x(x – 5) + 2(x – 5) = 0
⇒ (x – 5)(x + 2) = 0
⇒ x – 5 = 0 or x + 2 = 0
⇒ x = 5 or x = – 2
Hence, x = 5 and x = – 2 are the roots of the given quadratic equation.

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(ii) The given equation is :
2x2 + x – 6 = 0
⇒ 2x2 + (4 – 3)x – 6 = 0
[∵ – 6 × 2 = – 12
– 3 × 4 = – 12
4 – 3 = 1]
⇒ 2x2 + 4x – 3x – 6 = 0
⇒ 2x(x + 2) – 3(x + 2) = 0
⇒ (x + 2)(2x – 3) = 0
⇒ x + 2 = 0 or 2x – 3 = 0
⇒ x = – 2 or x = – \(\frac{3}{2}\)
Hence, x = – 2 and x = – \(\frac{3}{2}\) are the roots of the given quadratic equation.

(iii) The given equation is :
√2x2 + 7x + 5√2 = 0
√2x2 + (2 + 5)x + 5√2 = 0
[∵ 5√2 × √2 = 10
2 × 5 = 10
2 + 5 = 7]
√2x2 + 2x + 5x + 5√2 = 0
√2x(x + √2) + 5(x + √2) = 0
(x + √2)(√2x + 5) = 0
x + √2 = 0 or √2x + 5 = 0
x = – √2or x = – \(\frac{5}{\sqrt{2}}\)
Hence, x = – √2 and x = – \(\frac{5}{\sqrt{2}}\) are the roots of the given quadratic equation.

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(iv) The given equation is:
2x2 – x + \(\frac{1}{8}\) = 0
16x2 – 8x + 1 = 0
[∵ 1 × 16 = 16
4 × 4 = 16
4 + 4 = 8]
16x2 – 8x + 1 = 0
16x2 – (4 + 4)x + 1 = 0
16x2 – 4x – 4x + 1 = 0
4x(4x – 1) – 1(4x – 1) = 0
(4x – 1)(4x – 1) = 0
4x – 1 = 0 or 4x – 1 = 0
x = \(\frac{1}{4}\) or x = \(\frac{1}{4}\)
Hence, x = \(\frac{1}{4}\) and x = \(\frac{1}{4}\) are the roots of given quadratic equation.

(v) The given equation is :
100x2 – 20x + 1 = 0
⇒ 100x2 – (10 + 10)x +1 = 0
[∵ 100 × 1 = 100
10 × 10 = 100.
10 + 10 = 20]
⇒ 100x2 – 1ox – 10x + 1 = 0
⇒ 10x (10x – 1) – 1 (10x – 1) = 0
⇒ (10x – 1) (10x – 1) = 0
⇒ 10x – 1 = 0 or 10x – 1 = 0
⇒ x = \(\frac{1}{10}\) or x = \(\frac{1}{10}\)
Hence, x = \(\frac{1}{10}\) and x = \(\frac{1}{10}\) are the roots of the given quadratic equation.

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Question 2.
(i) John and Jivanti together have 45 marbles. Both of them lost 5 marbles each and the product of the number of marbles they now have is 124. We would like to find out how many marbles they had to start with.

(ii) A cottage industry produces a certain number of toys in a day. The cost of production of each toy (in ₹) was found to be 55 minus the number of toys produced in a day. On a particular day, the total cost of production was ₹ 750. We would like to find out the number of toys produced on that day.
Solution :
(i) Let the number of marbles John has be x.
Then, the number of marbles Jivanti has = 45 – x.
The number of marbles left with John, when he lost 5 marbles = x – 5
and the number of marbles left with Jivanti, when she lost 5 marbles = 45 – x – 5 = 40 – x
According to question,
(x – 5) (40 – x) = 124
⇒ 40x – x2 – 200 + 5x = 124
⇒ – x2 + 45x – 200 – 124 = 0
⇒ – x2 + 45x – 324 = 0
⇒ x2 – 45x + 324 = 0
⇒ x2 – (36 + 9)x + 324 = 0
⇒ x2 – 36x – 9x + 324 = 0
[∵ 324 × 1 = 324
36 × 9 = 324
36 + 9 = 45]
⇒ x(x – 36) – 9(x – 36) = 0
⇒ (x – 36)(x – 9) = 0
⇒ x – 36 = 0 or x – 9 = 0
x = 36 or x = 9
Hence, either John had 36 marbles and Jivanti had 9 marbles or vice-versa.

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(ii) Let the number of toys produced on that day be x.
Therefore, the cost of production of each toy = ₹ (55 – x)
So, the total cost of production on that day = ₹ x(55 – x)
According to question,
x(55 – x) = 750
⇒ 55x – x2 = 750
⇒ – x2 + 55x – 750 = 0
⇒ x2 – 55x + 750 = 0
⇒ x2 – (25 + 30)x + 750 = 0
⇒ x2 – 25x – 30x + 750 = 0
[∵ 750 × 1 = 750
25 × 30 = 750
25 + 30 = 55]
⇒ x(x – 25) – 30(x – 25) = 0
⇒ (x – 25)(x – 30) = 0
⇒ x – 25 = 0 or x – 30 = 0
⇒ x = 25 or x = 30
Hence, the number of toys produced on that day = 25 or 30.

Question 3.
Find two numbers whose sum is 27 and product is 182.‘
Solution :
Let 1st number be x, then 2nd number = 27 – x
According to question,
x(27 – x) = 182
⇒ 27x – x2 = 182
⇒ – x2 + 27x – 182 = 0
⇒ x2 – 27x + 182 = 0
⇒ x2 – (14 + 13)x + 182= 0
[∵ 182 × 1 = – 182
14 × – 13 = – 182
14 – 13 = 1]
⇒ x2 – 14x – 13x + 182 = 0
⇒ x(x – 14) – 13(x – 14) = 0
⇒ (x – 14)(x – 13) = 0
⇒ x – 14 = 0 or x – 13
⇒ x = 14 or x = 13
Hence, the numbers are 14, 13 or 13, 14.

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Question 4.
Find two consecutive positive integers, sum of whose squares is 365.
Solution:
Let the consecutive positive integers be x and x + 1.
According to question,
x2 + (x + 1)2 = 365
⇒ x2 + x2 + 2x + 1 = 365
⇒ 2x2 + 2x + 1 – 365 = 0
⇒ 2x2 + 2x – 364 = 0
⇒ x2 + x – 182 = 0
[∵ 182 × 1 = 182
14 × 13 = 182
14 + 13 = 27]
⇒ x2 + x (14 – 13) – 182 = 0
⇒ x(x + 14) – 13(x + 14) = 0
⇒ (x + 14)(x – 13) = 0
⇒ x + 14 = 0 or x – 13 = 0
⇒ x = – 14 or x = 13
Since, x is a positive integer, it cannot be negative.
Therefore, x = 13.
Hence, the consecutive positive integers are 13, 14.

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Question 5.
The Edtitude of a right triangle is 7 cm less than its base. If the hypotenuse is 13 cm, find the other two sides.
Solution:
Let base of a right trismgle be x cm.
then altitude of the right triangle = (x – 7) cm
and hypotenuse = 13 cm (given)
In a right ∆ABC,

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By Pythagoras theorem, we get
AC2 = BC2 + AB2
⇒ 132 = x2 + (x – 7)2
⇒ 169 = x2 + x2 – 14x + 49
2x2 – 14x + 49 – 169
⇒ 2x2 – 14x – 120 = 0
[∵ – 60 × 1 = – 60
12 × – 5 = – 60
12 – 5 = 7]
⇒ x2 – 12x + 5x – 60 = 0
⇒ x(x – 12) + 5(x – 12) = 0
⇒ (x – 12)(x + 5) = 0
⇒ x – 12 = 0 or x + 5 = 0
⇒ x = 12 or x = – 5
Since, x is length of base, it cannot be negative.
Therefore, x = 12.
Hence, the base of triangle = 12 cm
and altitude of triangle = 12 – 7 = 5 cm.

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Question 6.
A cottage industry produces a certain number of pottery articles in a day. It was observed on a particular day that the cost of production of each article (in Rupees) was 3 more than twice the number of articles produced on that day. If the total cost of production on that day was 90. Find the number of articles produced and the cost of each article.
Solution:
Let the number of articles produced in a day be x,
then cost of one Eirticle = ₹ (2x + 3)
According to question,
x(2x + 3) = 90
⇒ 2x2 + 3x = 90
⇒ 2x2 + 3x – 90 = 0
[∵ 2 × (- 90) = – 180
15 × (- 12) = – 180
15 – 12 = 3]
⇒ 2x2 + (15 – 12)x – 90 = 0
⇒ 2x2 + 15x – 12x – 90 = 0
⇒ x(2x + 15) – 6(2x + 15) = 0
⇒ (2x + 15)(x – 6) = 0
⇒ 2x + 15 = 0
or x – 6=0
⇒ x = – \(\frac{15}{2}\) or x = 6
Since, x is number of articles. It cannot be negative.
Therefore, x = 6
Hence,the number of articles = 6
Cost of each article = ₹ 2 × 6 + 3 = ₹ 15

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HBSE 10th Class Science Notes Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

→ आनुवंशिकी (Genetics)-जीवविज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवधा यों के आनुवंशिक लक्षणों एवं विभिन्नताओं का अध्ययन करते हैं, आनुवंशिकी कहलाती है।

→ आनुवंशिकता (Heredity)-जीवों में जनकों (parents) के लक्षणों का सन्तान (offsprings) में वंशानुगत स्थानांतरण होना, आनुवंशिकता कहलाता है।

→ लक्षण (Traits)-जीवधारियों में जो भिन्न-भिन्न गुण विद्यमान होते हैं, लक्षण कहलाते हैं। ये लक्षण दो प्रकार के होते हैं

  • प्रभावी लक्षण-ऐसे लक्षण जो प्रथम पुत्री पीढ़ी में दिखाई देते हैं या प्रकट होते हैं, प्रभावी लक्षण कहलाते हैं, जैसे-लम्बापन मटर के पौधे का प्रभावी लक्षण है।
  • अप्रभावी लक्षण-ऐसे लक्षण जो प्रथम पीढ़ी में छिपे रहते हैं अप्रभावी लक्षण कहलाते हैं, जैसे-बौनापन मटर के पौधे का अप्रभावी लक्षण है।

→ विविधता (Diversity)-संसार में लगभग 10 लाख प्रकार के प्राणी तथा लगभग 3,43,000 पादप प्रजातियाँ पायी जाती हैं। ये सभी संरचनात्मक एवं क्रियात्मक रूप से एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। इसे जैव विविधता (Bio – diversity) कहते हैं। जीवधारियों में यह विभिन्नताएँ उनकी आनुवंशिक संरचना के कारण होती हैं।

→ वंशागति के नियम (Laws of Heredity)-आस्ट्रिया के निवासी ग्रेगर जॉन मेण्डल (G. J. Mendel) ने वंशागति के तीन नियम प्रस्तुत किये-
I . प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)-इसके अनुसार जब एक जोड़ी के विपरीत लक्षणों को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है तो पहली पीढ़ी में उत्पन्न होने वाला लक्षण प्रभावी (dominant) होता है तथा दूसरे लक्षण जो छिपे रहते हैं अप्रभावी होते हैं।

II युग्मकों की शुद्धता का नियम (Law of Segregation)इस नियम के अनुसार संकर F1 पीढ़ी के पौधों में दोनों विपरीत लक्षण जोड़े में विद्यमान रहते हैं। ये लक्षण F2 पीढ़ी में पृथक् हो जाते हैं अतः इसे पृथक्करण का नियम भी कहते हैं।

III. स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)-इसके अनुसार दो जोड़ी विपरीत लक्षणों वाले दो पौधों के बीच संकरण कराने पर इन लक्षणों का पृथक्करण स्वतन्त्र रूप से होता है तथा एक लक्षण की वंशागति दूसरे लक्षण की वंशागति को प्रभावित नहीं करती है। जीन (Gene) मेण्डल के अनुसार आनुवंशिक कारकों को जीन कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, आनुवंशिक लक्षणों का नियन्त्रण करने वाली इकाई को जीन कहते हैं।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

→ गुणसूत्र (Chromosomes)-जीवधारियों में पायी जाने वाली विशेष संरचनाएँ जो जीन्स का वहन करती हैं, गुणसूत्र न कहलाती हैं।

→ जीनोम (Genome)-किसी जीवधारी के गुणसूत्रों के एक अगुणित समुच्चय (haploid set) को जीनोम कहते हैं।

→ प्लाज्मोन (Plasmone)- केन्द्रक के बाहर कोशिका द्रव्य में पाये जाने वाले आनुवंशिक पदार्थ को प्लाज्मोन (plasmone) या प्लाज्मोजीन (Plasmogene) कहते हैं|

→ एलील (Allele)-जीन्स का वह जोड़ा जिसमें एक लक्षण के दो रूप होते हैं एलील कहलाता है।

→ उत्परिवर्तन (Mutation)-जीवों में अकस्मात् विकसित लक्षणों का परिवर्तित होना उत्परिवर्तन कहलाता है।

→ समयुग्मजी (Homozygous) कारकों के सजातीय जोड़े में दोनों कारकों में जब समान गुण पाए जाते हैं तो यह जोड़ा समयुग्मजी कहलाता है, (जैसे-TT)।

→ विषमयुग्मजी (Heterozygous)-यदि जीन्स के किसी जोड़े में दो विपर्यासी (अलग-अलग) लक्षणों वाले। । कारक होते हैं तो वह विषमयुग्मजी कहलाता है, (जैसे Tt)।

→ दर्शरूप (Phenotype)-वे लक्षण जो दिखाई देते हैं, फीनोटाइप कहलाते हैं।

→ लक्षण रूप (Genotype)-जीव का आनुवंशिक संगठन लक्षण रूप जीनोटाइप कहलाता है।

→ सहलग्नता (Linkage)-जब दो या दो से अधिक जीन्स एक ही गुणसूत्र पर तथा एक-दूसरे के पास स्थित होते हैं, तब यह स्वतन्त्र अपव्यूहन नहीं दिखाते, बल्कि यह साथ-साथ वंशानुगत होते हैं, इस लक्षण को सहलग्नता कहते |

→ दैहिक गुणसूत्र (Autosomes)-दैहिक लक्षणों का जीन्स को धारण करने वाले गुणसूत्र दैहिक गुणसूत्र कहलाते हैं।

→ लिंग गुणसूत्र (Sex chromosomes)-नर या मादा लक्षणों का निर्धारण करने वाले जीन्स को धारण करने वाले गुणसूत्रों को लिंग गुणसूत्र कहते हैं।

→ समलिंगी गुणसूत्र (Homologous chromosomes)-गुणसूत्रों का वह जोड़ा जिसमें माता-पिता से एक-एक गुणसूत्र प्राप्त होता है तथा दोनों में समान गुण होते हैं, समलिंगी गुणसूत्र कहलाते हैं।

→ विषमलिंगी गुणसूत्र (Heterosomes)-गुणसूत्रों का वह जोड़ा जिसमें से एक गुणसूत्र में नर लक्षण तथा दूसरे में , मादा लक्षण होते हैं, विषमलिंगी गुणसूत्र कहलाते हैं।

→ लिंग निर्धारण (Sex determination)-वह प्रक्रिया जिसके द्वारा व्यक्ति का लिंग निर्धारित किया जाता है, लिंग , निर्धारण कहलाता है। पुरुष के लिंग गुणसूत्रों में एक X तथा दूसरा Y होता है। स्त्री के दोनों लिंग गुणसूत्र X X होते हैं। जब पुरुष का X गुणसूत्र (शुक्राणु) मादा के अण्डाणु से निषेचन करता है तो होने वाली भावी सन्तान लड़की होती है। यदि पुरुष का Y गुणसूत्र वाला शुक्राणु मादा के अण्डाणु से निषेचन करता है तो भावी सन्तान लड़का होता है। इसी प्रक्रिया को लिंग निर्धारण कहते हैं।

→ विकास (Evolution)-पृथ्वी पर करोड़ों वर्ष पहले उपस्थित सरलतम जीवों से आधुनिक विशालतम जीवों के निर्माण की प्रक्रिया जैव विकास कहलाती है। जैव विकास के सम्बन्ध में समय-समय पर अनेक प्रमाण प्रस्तुत किए गए हैं-

  • जीवाश्मों से प्रमाण,
  • भूण विज्ञान से प्रमाण,
  • संयोजक कड़ियों से प्रमाण,
  • अवशेषी अंगों से प्रमाण। |

→ जीवाश्म (Fossils)-जीवधारियों के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं। उदाहरण के लिए; आर्कियोप्टेरिक्स , एक जीवाश्म है। जीवाश्म के अध्ययन से उनकी संरचना और विकास का ज्ञान होता है।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास

→  भ्रूण विज्ञान (Embryology)-अनेक जीवधारियों में भ्रूण अपने पूर्वजों के लक्षण दर्शाते हैं। इससे इनके पूर्वजों के । बारे में ज्ञान होता है।

→ संयोजन कड़ी (Connecting link)-अनेक ऐसे जीवधारी हैं जिनमें दो वर्गों के लक्षण उपस्थित होते हैं। उदाहरण के लिए; आर्कियोप्टेरिक्स में सरीसृप तथा पक्षी दोनों के लक्षण होते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ है।

→ समजात अंग (Homologous organs)-वे अंग जिनकी उत्पत्ति और मूल रचना समान होती है किन्तु कार्य भिन्न होते हैं। समजात अंग कहलाते हैं।

→ समवृत्ति अंग (Analogous organs)-वे अंग जिनकी उत्पत्ति और मूल रचना भिन्न होती है, लेकिन कार्य समान होते हैं, समवृत्ति अंग कहलाते हैं।

→ अवशेषी अंग (Vestigial organs)–ऐसे अंग जो किसी जीवधारी के पूर्वजों में क्रियाशील थे किन्तु अब उनकी सन्तानों में केवल अवशेष के रूप में शेष बचे हैं अवशेषी अंग कहलाते हैं। अवशेषी अंगों से विकास की पुष्टि होती।

→ डार्विनवाद (Darwinism) डार्विन के अनुसार –

  • किसी भी जनसमुदाय के बीच प्राकृतिक विविधता होती है। कुछ व्यक्तियों में दूसरे की अपेक्षा अधिक अनुकूल विविधताएँ होती हैं।
  • जीवधारियों में सन्तान उत्पत्ति की अत्यधिक क्षमता होती है, किन्तु फिर भी इनकी संख्या नियन्त्रित रहती है।
  • एक ही जाति के सदस्यों के बीच तथा भिन्न-भिन्न जातियों के बीच आवास, भोजन एवं प्रजनन के लिए संघर्ष होते हैं, जिन्हें जीवन संघर्ष कहते हैं।
  • जनसंख्याओं के अन्तर्गत जीवित रहने के लिए संघर्ष में जो व्यष्टि सफल होती है वही जीवित रहती है। इसे प्राकृतिक वरण (Natural selection) या योग्यतम की उत्तरजीविता (Survival of the fittest) कहते हैं।

→ लैमार्कवाद (Lamarckism)-लैमार्क के अनुसार-

  • जीवधारियों में लगातार बढ़ने की प्रवृत्ति होती है।
  • जीवों पर वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का सीधा प्रभाव पड़ता है।
  • अंगों के उपयोग तथा अनुप्रयोग से अंग क्रमशः विकसित या विलुप्त हो जाते हैं।
  • अपने जीवन काल में जीव जिन लक्षणों को उपार्जित करता है। यह उनकी वंशागति होती है।

→ आनुवंशिक पदार्थ (Genetic Material)-DNA जीवधारियों का आनुवंशिक पदार्थ होता है। प्रत्येक डी. एन. ए. अणु का निर्माण अनेक इकाइयों द्वारा होता है जिन्हें न्यूक्लिओटाइड कहते हैं। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड तीन विभिन्न अणुओं का बना होता है।

ये निम्न प्रकार है –

  • डी-ऑक्सी राइबोज शर्करा का एक अणु
  • फास्फोरिक अम्ल का एक अणु, तथा
  • एक नाइट्रोजनी क्षारक।

ये निम्न प्रकार के होते हैं-
(a) प्यूरीन – एडेनीन तथा ग्वानीन।
(b) पिरिमिडीन-साइटोसीन, थाइमीन तथा यूरेसिल।
HBSE 10th Class Science Notes Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास 1
डी. एन. ए. के अणु में दो पॉली न्यूक्लिओटाइड शृंखलाएँ होती हैं।

→ लिंग प्रभावित लक्षण (Sex influenced characters)- प्रत्येक लक्षण के लिए जीन्स उत्तरदायी होते हैं, जैसे- मनुष्य में गंजापन एक आनुवंशिक लक्षण है। इसकी आनुवंशिकी अलिंगी गुणसूत्र पर स्थित जीन्स की एक जोड़ी द्वारा नियन्त्रित होती है। जीन की होमोजाइगस प्रभावी (BB) में गंजापन स्त्री एवं पुरुष दोनों में विकसित होता है। जीन की हेटरोजाइगस अवस्था (Bb) में गंजापन केवल पुरुषों में प्रदर्शित होता है। इस अवस्था में यह नर हार्मोन से प्रभावित होता है। जीन की होमोजाइगस सुप्त (bb) अवस्था में गंजापन प्रदर्शित नहीं होता है।

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HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ कुल तत्व (Total Elements) सन् 1800 तक केवल 30 तत्वों का पता चला था। आज इनकी कुल संख्या 114 है। । सबसे पहले ज्ञात तत्वों को धातु और अधातु में वर्गीकृत किया गया।

→ डॉबेराइनर के त्रिक (Dobereiner’s Triads)-सन् 1817 में जर्मन रसायनज्ञ, वुल्फगांग डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों । वाले तत्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्वों वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा। त्रिक में वर्गीकृत करने की यह पद्धति सफल न हो सकी।

→ गुणों के आधार पर वर्गीकरण(Classification on the Basis of Properties)-प्रत्येक तत्व की विशेषताएँ और गुण परमाणुओं के कारण अलग-अलग होते हैं तथा तत्वों को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। सर्वप्रथम तत्वों को धातु और अधातु में वर्गीकृत किया गया।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ अष्टक नियम (Octet Rule)-सन् 1803 में डाल्टन ने परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर तत्वों का वर्गीकरण किया था | तथा न्यूलैण्ड ने सन् 1866 में अष्टक नियम के आधार पर 56 वें तत्व थोरियम तक वर्गीकरण किया, परन्तु यह नियम कैल्सियम तक ही लागू होता है। बाद में कई ऐसे तत्व पाये गये जिनके गुणधर्म न्यूलैण्ड के अष्टक सिद्धान्त से भिन्न थे। इन सिद्धान्तों की एक सीमा थी। .

→ मेण्डेलीफ के द्वारा वर्गीकरण (Classification by Mendeleev)-

  • तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य श्रेय रूसी रसायनज्ञ डमित्री इवानोविच मेण्डेलीफ को जाता है। इनका आवर्त नियम ‘मेण्डेलीफ का आवर्त नियम’ के नाम से प्रसिद्ध है। मेण्डेलीफ का सिद्धान्त ही वर्तमान आधुनिक आवर्त सारणी का आधार है।
  • मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी को आव? (Periods) तथा वर्गों (Groups) में बाँटा गया है। क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त तथा ऊर्ध्वाधर स्तंभों को वर्ग कहते हैं।
  • मेण्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए और इनसे संबंधित तत्वों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की तथा उनके गुणों का भी अनुमान लगाया। इस प्रकार यह नए तत्वों की खोज के लिए प्रेरित करती है।
  • मेण्डलीफ की दूरदर्शिता के कारण अक्रिय गैसों की खोज होने पर सारणी में छेड़छाड़ किए बिना इन्हें नए समूह में रखा जा सका।
  • अदलाफ अपनः सारणी में हाइड्रोजन को उचित स्थान न दे सके तथा बाद में समस्थानिकों की खोज होने पर मारा न उन्हें चित स्थान देने में कठिनाई उत्पन्न हुई है। यह मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी का एक प्रमुख दोष |

→ आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table) –

  • सन् 1913 में हेनरी मोजले ने बताया कि तत्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में उसकी परमाणु संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है। इसके अनुसार, “तत्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्त फलन होते हैं।”
  • तत्वों को उनकी परमाणु संख्या (Z) के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर जो वर्गीकरण प्राप्त होता है उसे आधुनिक आवर्त सारणी कहा गया है। आधुनिक आवर्त सारणी में मेण्डेलीफ़ की सारणी के दोषों को दूर किया गया।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्व स्तंभ हैं जिन्हें समूह कहते हैं। समूह के सभी तत्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या के समान होती है। समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती है।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं जिन्हें आवर्त कहते हैं। आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर कोशों की संख्या. तो समान रहती है परन्तु परमाणु संख्या तथा संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या में इकाई की वृद्धि होती है।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृत्ति (Nature of Modern Periodic Table)-
संयोजकता (Valency) किसी भी तत्व को संयोजकता उसके परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित । संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या से निर्धारित होती है।

  • परमाणु आकार (Atomic Size)-एक स्वतन्त्र परमाणु के केन्द्र से उसके सबसे बाहरी कोश की दूरी परमाणु आकार को दर्शाती है। आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है तथा समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ता है।
  • धात्विक लक्षण (Metallic Properties) -धात्विक अभिलक्षण आवर्त में घटता है तथा समूह में नीचे जाने पर बढ़ता है।
  • ऑक्साइडों की प्रकृति (Nature of Oxides)-धातुओं के ऑक्साइड क्षारकीय तथा अधातुओं के ऑक्साइड सामान्यतः अम्लीय होते हैं।
  • आयनन ऊर्जा (lonisation Energy)-किसी तत्व के उदासीन गैसीय परमाणु के बाहरी कक्ष से एक इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा को आयनन ऊर्जा कहते हैं। किसी समूह में ऊपर से नीचे आने पर आयनन ऊर्जा कम होती है।
  • इलेक्ट्रॉन बंधुता (Electron Affinity)-किसी तत्व के उदासीन परमाणु में एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन से जुड़ने पर निकलने वाली ऊर्जा इलेक्ट्रॉन बंधुता कहलाती है।

→ उपधातु (Metalloids) – आवर्त सारणी में एक टेढ़ी-मेढ़ी रेखा धातुओं को अधातुओं से अलग करती है। इस रेखा पर आने वाले तत्व बोरॉन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एण्टिमनी, टेलुरियम एवं पोलोनियम धातुओं एवं अधातुओं दोनों के गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं। इसलिए इन्हें अर्द्धधातु या उपधातु भी कहते हैं।

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

Question 1.
Solve the following pair of linear equations by the substitution method :
(i) x + y = 14
x – y = 4

(ii) s – t = 3
\(\frac{s}{3}+\frac{t}{2}\) = 6

(iii) 3x – y = 3
9x – 3y = 9

(iv) 0.2x + 0.3y = 1.3
0.4x + 0.5y = 2.3

(v) √2x + √3y = 0
√3x – √8y = 0

(vi) \(\frac{3 x}{2}-\frac{5 y}{3}\) = – 2
\(\frac{x}{3}+\frac{y}{2}=\frac{13}{6}\)

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

Solution:
(i) The given equations are :
x + y = 14 ………………..(1)
x – y = 4 …………………..(2)
From equation (2), we get x = 4 + y
Substituting the value of x in equation (1), we get
4 + y + y = 14
⇒ 2y = 14 – 4
⇒ 2y = 10
y = \(\frac{10}{2}\) = 5
Putting the value of y in equation (2), we get
x – 5 = 4
⇒ x = 4 + 5 = 9
Hence, x = 9, y = 5 is the required solution.

(ii) The given equations are :
s – t = 3 ………………(1)
\(\frac{s}{3}+\frac{t}{2}\) = 6
⇒ 2s + 3t = 36
⇒ 2s + 3t = 36
From equation (1), we get s = 3 + t
Substituting the value of s in equation (2), we get
2(3 + t) + 3t = 36
⇒ 6 + 2t + 3t = 36
⇒ 6 + 5t = 36
⇒ 5t = 36 – 6
⇒ 5t = 30
t = \(\frac{30}{5}\) = 6
Putting the value of t in equation (1), we get
s – 6 = 3
⇒ s = 3 + 6 = 9
Hence, s = 9, t = 6 is the required solution.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

(iii) The given equations are :
3x – y = 3 ……………….(1)
9x – 3y = 9 …………….(2)
From equation (1), we get
y = 3x – 3
Substituting the value of y in equation (2), we get
9x – 3 (3x – 3) = 9
⇒ 9x – 9x + 9 = 9
⇒ 9 = 9
It is a true statement. Hence, we do not get specific values ofx andy as a solution. So, equations (1) and (2) have infinitely many solutions.
Putting the different values of x in y = 3x – 3, we get different values of y.

(iv) The given equations are:
0.2x + 0.3y = 1.3
0.4x + 0.5y = 2.3
Multiplying both equations by 10, we
2x + 3y = 13 ………………(1)
4x + 5y = 23 ………………(2)
From equation (1), we get
3y = 13 – 2x
⇒ y = \(\frac{13-2 x}{3}\)
Substituting the value ofy in equation (2), we get

4x + \(\frac{5(13-2 x)}{3}\) = 23

4x + \(\frac{65-10 x}{3}\) = 23

\(\frac{12 x+65-10 x}{3}\) = 23

\(\frac{2 x+65}{3}\) =23
2x + 65 = 69
2x = 69 – 65 = 4
Putting the value of x in equation (1), we get
2 × 2 + 3y = 13
4 + 3y = 13
3y = 13 – 4 = 9
∴ y = \(\frac{9}{3}\) = 3
Hence, x = 2, y = 3 is the required solution.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

(v) The given equations are
√2x + √3y = 0 ………………..(1)
√3x – √8y = 0 ………………..(2)
From equation (1), we get
√2x = – √3y
⇒ x = – \(\sqrt{\frac{3}{2}}\)y
Substituting the value of x in equation (2), we get
√3 × (- \(\sqrt{\frac{3}{2}}\)y) – √8y = 0
⇒ – \(\frac{3}{\sqrt{2}}\) y – √8y = 0
⇒ – y(\(\frac{3}{\sqrt{2}}\) + √8) = 0
⇒ y = 0
Putting the value of y in equation (1), we get
√2x + √3 × 0 = 0
⇒ √2x = 0
⇒ x = 0
⇒ √2x = 0
⇒ x = 0
Hence, x = 0, y = 0 is the required solution.

(vi) The given equations are:

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3 1

117 – 47y = – 24
⇒ – 47y = – 24 – 117 = – 141
⇒ y = \(\frac{-141}{-47}\) = 3
Putting the value of y in equation (2), we get
2x + 3 × 3 = 13
⇒ 2x + 9 = 13
⇒ 2x = 13 – 9 = 4
⇒ x = \(\frac{4}{2}\) = 2
Hence, x = 2, y = 3 is the required solution.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

Question 2.
Solve 2x + 3y = 11 and 2x – = – 24 and hence find the value of ‘m’ for which y = mx + 3.
Solution :
The given equations are:
2x + 3y = 11 ……………….(1)
2x – 4y = – 24 ………………(2)
From equation (2), we get
2x = – 24 + 4y
x = \(\frac{-24+4 y}{2}\)
⇒ x = – 12 + 2y
Substituting the value of x in equation (1), we get
2 × (- 12 + 2y) + 3y = 11
⇒ – 24 + 4y + 3y = 11
⇒ – 24 + 7y = 11
⇒ 7y = 11 + 24 = 35
∴ y = \(\frac{35}{7}\) = 5
Putting the value of y in equation (2), we get
2x – 4 × 5 = – 24
2x – 20 = – 24
⇒ 2x = – 24 + 20 = – 4
Putting the value of y in equation (2), we get
2x – 4 × 5 = – 24
2x – 20 = – 24
⇒ 2x = – 24 + 20 = – 4
⇒ x = – \(\frac{4}{2}\) = – 2
Putting the x = – 2, y = 5 in the equation y = mx + 3, we get
5 = m × (- 2) + 3
⇒ 2m = 3 – 5
⇒ 2m = – 2
⇒ m = – \(\frac{2}{2}\) = – 1
Hence, x = – 2, y = 5 and m = – 1.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

Question 3.
Form the pair of linear equations for the following problems and find their solution by substitution method :
(i) The difference between two numbers is 26 and one number is three times the other. Find them.

(ii)The larger of two supplementary angles exceeds the smaller by 18 degrees. Find them.

(iii)The coach of a cricket team buys 7 bats and 6 balls for 3800. Later, she buys 3 bats and 5 balls for 1750. Find the cost of each bat and each ball.

(iv) The taxi charges in a city consist of a fixed charge together with the charge for the distance covered. For a distance of 10 km, the charge paid is 105 and for ajourney of 15 km, the charge paid is 155. What are the fixed charges and the charge per km? How much does a person have to pay for travelling a distance of 25 km?

(v) A fraction becomes if 2 is added to both the numerator and the denominator. If, 3 is added to both the numerator and the denominator it becomes \(\frac{5}{6}\). Find the fraction.

(vi) Five years hence, the age of Jacob will be three times that of his son. Five years ago, Jacob’s age was seven times that of his son. What are their present ages?
Solution:
(i) Let one number be x and other number be y
According to question,
x – y = 26 ……………(1)
and x = 3y
⇒ x – 3y = 0 ……………..(2)
From equation (2), we get
x = 3y
Substituting the value of x in equation (1), we get
3y – y = 26
2y = 26
⇒ y = \(\frac{26}{2}\) =13
Putting the value of y in equation (2), we get
x – 3 × 13 = 0
x – 39 = 0
x = 39
Hence, the required equations are x – y = 26, x – 3y = 0
and x = 39, y = 13 is the required solution.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

(ii) Let the larger supplementary angle be x° and the smaller supplementary angle be
x° + y° = 180°
[∵ Sum of supplimentary angles is 180°]
and According to question,
x° – y° = 18° ……………..(2)
From equation (2), we get
x° = 18° + y°
Substituting the value of x in equation (1), we get
18° + y° + y° = 180°
⇒ 2y° = 180° – 18°
⇒ 2y° = 162°
⇒ y° = \(\frac{162^{\circ}}{2^{\circ}}\) = 18°
Putting the value of y in equation (2), we get
⇒ x° – 81°= 18°
⇒ x° = 18° + 81°
⇒ x° = 99°
Hence, the required equations are x° + y° = 180°, x° – y° = 18° and x° = 99°, y = 81° is the required solution.
Therefore, supplimentary angles are 99° and 81°.

(iii) Let cost of 1 bat be ₹ x and cost of 1 ball be ₹ y.
According to question,
7x + 6y = 3800 ……………….(1)
and 3x + 5y = 1750 ………………(2)
From equation (2), we get
5y = 1750 – 3x
y = \(\frac{1750-3 x}{5}\)
Substituting the value of y in equation (1), we get

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3 2

⇒ 17x + 10500 = 19000
⇒ 17x = 19000 – 10500 = 8500
⇒ x = \(\frac{8500}{17}\) = 500
Putting the value of x in equation (2), we get
3 × 500 + 5y = 1750
⇒ 1500 + 5y = 1750
⇒ 5y = 1750 – 1500 = 250
⇒ y = \(\frac{250}{5}\) = 50
Hence, the required equations are 7x + 6y = 3800, 3x + 5y = 1750 and x = 500, y = 50 is the required solution.
Therefore, cost of 1 bat = ₹ 500 and cost of 1 ball = ₹ 50.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

(iv) Let the fixed charge of a taxi be ₹ x and charge per km be ₹ y.
According to question,
x + 10y = 105 ………………(1)
and x + 15y = 155 ……………..(2)
From equation (1), we get
x = 105 – 10y
Substituting the value of x in equation (2), we get
⇒ 5y = 155 – 105 = 50
y = \(\frac{50}{5}\) = 10
Putting the value of y in equation (1), we get
x + 10 × 10 = 105
⇒ x + 100 = 105
⇒ x = 105 – 100 = 5
Amount paid for 25 km = x + 25y = 5 + 25 × 10
= 5 + 250 = ₹ 255
Hence, the equations required are, x + 10y = 105, x + 15y = 155 and x = 5, y = 10 is the required solution.
Therefore, Fixed charge = ₹ 5
Charge per km = ₹ 10
Charge for 25 km = ₹ 255

(v) Let the numerator be x and denominator be y.
then fraction = \(\frac{x}{y}\)
Now, according to question,
\(\frac{x+2}{y+2}=\frac{9}{11}\)
⇒ 11x + 22 = 9y + 18
⇒ 11x – 9y = 18 – 22 = – 4 ……………..(1)
and \(\frac{x+3}{y+3}=\frac{5}{6}\)
⇒ 6x + 18 = 5y + 15
⇒ 6x – 5y = 15 – 18 = – 3 ………………(2)
From equation (2), we get
6x = – 3 + 5y
⇒ x = \(\frac{-3+5 y}{6}\)
Substituting the value of x in equation (1), we get
11 × \(\left(\frac{-3+5 y}{6}\right)\) – 9y = – 4
\(\frac{-33+55 y}{6}\) – 9y = – 4
\(\frac{-33+55 y-54 y}{6}\) = – 4
\(\frac{-33+y}{6}\) = – 4
– 33 + y = – 24
y = – 24 + 33 = 9
Puttingthe value of y in equation (2), we get
6x – 5 × 9 = – 3
6x – 45 = – 3
6x = – 3 + 45 = 42
x = \(\frac{42}{6}\) = 7
Hence, the equations are 11x – 9y = – 4, 6x – 5y = – 3 and x = 7, y = 9 is the required solution.
Therefore, fraction = \(\frac{7}{9}\).

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 3 Pair of Linear Equations in Two Variables Ex 3.3

(vi) Let the present age of Jacob be x years
and present age of his son be y years
After 5 years Jacob’s age = (x + 5) years
After 5 years son’s age = (y + 5) years
According to question,
(x + 5) = 3 (y + 5)
x + 5 = 3y + 15
x – 3y = 15 – 5 = 10 ………………..(1)
Five years ago Jacob’s age = (x – 5) years
Five years ago son’s age = (y – 5) years
According to question,
(x – 5) = 7(y – 5)
x – 5 = 7y – 35
x – 7y = – 35 + 5 = – 30 ………………(2)
From equation (1), we get
x = 10 + 3y
Substituting the value of x in equation (2), we get
10 + 3y – 7y = – 30
10 – 4y = – 30
– 4y = – 30 – 10 = – 40
y = \(\frac{-40}{-4}\) = 10
Putting the value of y in equation (1), we get
x – 3 × 10 = 10
x – 30 = 10
x = 10 + 30 = 40
Hence, the equations are x – 3y = 10, x – 7y = – 30 and x = 40, y = 10 is the required solution.
Therefore, present age of Jacob= 40 years and present age of his son = 10 years.

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HBSE 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण

→ पर्यावरण (Environment)-हमारे आस-पास का वह आवरण जो हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करता है, पर्यावरण कहलाता है।

→ पारिस्थितिकी (Ecology)-जीवधारियों पर पर्यावरण के प्रभावों के अध्ययन की शाखा को पारिस्थितिकी कहते हैं पारिस्थितिकी शब्द का सबसे पहले प्रयोग रेटर ने किया था।

→ पर्यावरणीय कारक (Environmental factors)-पर्यावरण के प्रमुख दो कारक होते हैं –

  • अजैविक कारक (Abiotic factors)-इसमें अजीवित अंश सम्मिलित होते हैं, जैसे-जल, वायु, वर्षा, ताप, नमी, मृदा, आदि ।
  • जैविक कारक (Biotic factors)-इसमें जीवित अंश सम्मिलित होते हैं, जैसे-उत्पादक, उपभोक्ता, अपघटक।

→ पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) किसी स्थान विशेष पर पाये जाने वाले जीवधारियों तथा उनके पर्यावरण के बीच प्रकार्यात्मक सम्बन्ध को पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। इकोसिस्टम शब्द सर्वप्रथम ए. जी. टेन्सले ने दिया।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण

→ पारिस्थितिक तंत्र के घटक (Components of ecosystem) : पारिस्थितिक तंत्र के निम्नलिखित दो प्रमुख घटक
होते हैं –
(A) अजैविक घटक (Abiotic components)-ये निम्न प्रकार हैं –

  • अकार्बनिक (Inorganic) इसमें H2O, CO2 एवं अन्य गैसें, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, अमोनिया, पोटैशियम, मैग्नीशियम, लवण, आदि सम्मिलित हैं।
  • कार्बनिक (Organic)-इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, आदि वृहत्त् अणु सम्मिलित हैं।
  • भौतिक (Physical)-इसमें वातावरणीय कारक जैसे-वायु, जल, ताप, प्रकाश आदि सम्मिलित हैं।

(B) जैविक घटक (Biotic components)-इसमें विभिन्न जीवधारी सम्मिलित किये जाते हैं। ये निम्न प्रकार होते |

  • उत्पादक (Producers)-सभी हरे प्रकाश संश्लेषी पौधे उत्पादक कहलाते हैं। ये सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पर्णहरित की सहायता से पानी एवं CO2 द्वारा भोजन संश्लेषित कर लेते हैं। यह भोजन प्रायः। मंड, प्रोटीन एवं वसा के रूप में संचित कर लिया जाता है।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण 1

उपभोक्ता (Consumers)-जन्तु भोजन प्राप्ति के लिए पौधों द्वारा बनाये गये भोजन पर आश्रित होते हैं।

अतः ये उपभोक्ता कहलाते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं

  • प्राथमिक उपभोक्ता-ये सीधे पौधों को खाते हैं अत: शाकाहारी होते हैं, जैसे-टिड्डा।।
  • द्वितीयक उपभोक्ता-ये शाकाहारी जन्तुओं को खाते हैं, जैसे-मेंढ़क।
  • तृतीयक उपभोक्ता-ये द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं, जैसे-सर्प।

(iii) अपघटक (Decomposers)-ये सूक्ष्म जीव होते हैं जो पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं के मृत शरीरों का अपघटन करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं। ये पदार्थों का चक्रण करते हैं।

→ आहार श्रृंखला (Food chain) किसी पारितंत्र में जीव भोजन के लिए अन्य जीवों पर निर्भर करते हैं। उदाहरण के लिए घास को टिड्डा खाता है, टिड्डे को मेंढ़क और मेंढ़क को सर्प खा लेता है। इस प्रकार पारितंत्र में जीवधारियों की निर्भरता के आधार पर एक श्रृंखला बन जाती है, इसे खाद्य श्रृंखला या आहार श्रृंखला कहते हैं। प्रकृति में तीन प्रकार की खाद्य शृंखलाएँ देखने को मिलती हैं – जलीय खाद्य श्रृंखला, स्थलीय खाद्य श्रृंखला तथा अपरद (detrites) खाद्य श्रृंखला।

कुछ प्रमुख खाद्य श्रृंखलाओं के उदाहरण निम्न प्रकार हैं –

  • घास स्थल : घास → टिड्डा → मेढक → सर्प।
  • वन स्थल : पौधे → हिरन → शेर।
  • तालाब : पादप प्लवक → कीड़े-मकोड़े → मछलियाँ।।
  • अपरद : सड़ी-गली पत्तियाँ → जीवाणु → जीवाणु भोजी, कवक → कवक भोजी।

→ पोषण स्तर (Trophic level)—आहार श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है, इन स्तरों को पोषण स्तर कहते हैं।

→ आहार जाल (Food web)-प्रकृति में कोई भी आहार श्रृंखला एकल नहीं होती। अनेक आहार श्रृंखलाएँ आपस मेंसम्बन्धित भी होती हैं। उदाहरण के लिए घास को टिड्डा खाता है, लेकिन घास हिरन, खरगोश आदि द्वारा भी खायी | जा सकती है। इसी प्रकार हिरन को शेर खाता है परन्तु हिरन को चीता, भेड़िया, तेंदुआ आदि भी खा सकते हैं। अतः । यह आवश्यक नहीं है कि किसी भी जीव को किसी भी विशिष्ट जीव द्वारा ही खाया जाए। स्पष्ट है कि एक जीव | के एक से अधिक भक्ष्य हो सकते हैं और स्वयं भी जीव अनेक जीवों का भक्ष्य बन सकता है। इस प्रकार अनेक | खाद्य श्रृंखलाएँ आपस में जुड़कर एक जाल जैसी रचना बनाती हैं जिसे खाद्य जाल या आहार जाल कहते हैं।

→ सुपोषण (Eutrophication)-वाहित मलमूत्र जब बहकर जलाशयों में पहुँचते हैं तो इनमें कार्बनिक पदार्थों की मात्रा | काफी बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप जलीय प्लवकों की संख्या भी काफी बढ़ जाती है। प्लवकों की अत्यधिक | संख्या बढ़ने पर इन्हें जलीय ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऑक्सीजन के अभाव में असंख्य जीव मरने और सड़ने लगते हैं। अतः जलाशय में पोषकों के अत्यधिक संभरण तथा ऑक्सीजन की कमी को सुपोषण कहते हैं। ।

→ ऊर्जा स्थानान्तरण का दस प्रतिशत का नियम-इसके अनुसार किसी भी आहार श्रृंखला में प्रत्येक पोषण स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा उससे पहले स्तर पर उपलब्ध ऊर्जा का 10% होती है। प्रत्येक श्रेणी के जीव एक पोषण स्तर बनाते हैं।। प्रत्येक पोषण स्तर पर लगभग 90% ऊर्जा जैवीय क्रियाओं तथा ऊष्मा के रूप में निकल जाती है तथा केवल 10% ऊर्जा ही इसमें संचित रहती है। यह ऊर्जा ही अगले पोषण स्तर के लिए उपलब्ध रहती है। इस प्रकार अन्तिम पोषण स्तर तक पहुँचते-पहुँचते बहुत कम ऊर्जा रह जाती है। इसे लिन्डेमान का ऊर्जा सम्बन्धी 10% का नियम कहते हैं।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण

→ पारिस्थितिक पिरैमिड (Ecological pyramids)-किसी भी पारितंत्र में उत्पादकों, विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं की संख्या, जीवभार तथा संचित ऊर्जा के पारस्परिक संबंधों के चित्रीय निरूपण को पारिस्थितिक पिरैमिड कहते हैं। पारिस्थितिक पिरैमिड तीन प्रकार के होते हैं

  • जीव संख्या का पिरैमिड,
  • जीव भार का पिरैमिड तथा
  • ऊर्जा का पिरैमिड।

→ जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ (Bio-degradable wastes)-ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जो समय के साथ प्रकृति में सूक्ष्मजीवों की क्रियाओं द्वारा हानिरहित पदार्थों में अपघटित कर दिए जाते हैं, जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं, जैसे-घरेलू कचरा, कृषि अपशिष्ट।

→ जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ (Non-biodegradable wastes)-ऐसे अपशिष्ट पदार्थ जो प्रकृति में लम्बे समय तक बने रहते हैं और जिनका अपघटन सूक्ष्म जीवों की क्रियाओं द्वारा नहीं किया जा सकता है। जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ कहलाते हैं, जैसे-प्लास्टिक, डी. डी. टी. आदि।।

→ जैविक-आवर्धन (Biological-magnification)-जब कोई हानिकारक रसायन, जैसे-डी. डी. टी. भोजन के साथ किसी स्व-आहार श्रृंखला में प्रवेश कर जाता है तो इसका सान्द्रण धीरे-धीरे प्रत्येक पोषी स्तर में बढ़ता जाता है। इस | परिघटना को जैविक आवर्धन कहते हैं। इस आवर्धन का स्तर अलग-अलग पोषी स्तरों पर भिन्न-भिन्न होता है, जैसे
HBSE 10th Class Science Notes Chapter 15 हमारा पर्यावरण 2

→ ओजोन (Ozone)-ओजोन प्रकृति में गैस के रूप में पायी जाती है। इसके एक अणु में ऑक्सीजन के तीन परमाणु होते हैं। यह ऑक्सीजन का एक अपरूप है। ओजोन पृथ्वी के ऊपर लगभग 16 किमी की ऊँचाई पर एक सघन परत के रूप में स्थित है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों (UV-rays) से पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है।

→ रेफ्रिजरेशन वर्क्स, अग्निशामक यंत्रों, जेट उत्सर्जन तथा ऐरोसोल स्प्रे से उत्सर्जित होने वाले एक रसायन क्लोरो-फ्लुओरो कार्बन (CFC) से वायुमण्डलीय ओजोन का क्षरण हो रहा है जिससे कुछ स्थानों पर ओजोन परत काफी पतली हो गयी है।

→ पराबैंगनी किरणों से त्वचा रोग, आँखों के रोग तथा प्रतिरक्षी तंत्र के रोग उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। जीवमण्डल (Biosphere)-पृथ्वी का वह समस्त भाग जिसमें जीवधारी पाये जाते हैं, जीवमण्डल कहलाता है।

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→ स्थलमण्डल (Lithosphere)-पृथ्वी की स्थल-सतह, जैसे-रेगिस्तान, मैदान, चट्टान आदि स्थलमण्डल कहलाती हैं।

→ जलमण्डल (Hydrosphere)-पृथ्वी का वह भाग जिस पर जल है, जलमण्डल कहलाता है।

→ वायुमण्डल (Atmosphere)-पृथ्वी के चारों ओर विभिन्न गैसों वाला क्षेत्र वायुमण्डल कहलाता है।

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HBSE 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

→  रासायनिक समीकरण (Chemical Equation)-किसी रासायनिक अभिक्रिया को अभिकारकों एवं उत्पादों के । प्रतीकों व रासायनिक सूत्रों का प्रयोग करके प्रदर्शित करना रासायनिक समीकरण कहलाता है, जैसे
ZnO.+H2SO4 + ZnSO2+H2O.

→ अभिकारक (Reactants)-ऐसे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं, अभिकारक कहलाते हैं, जैसे-
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→ उत्पाद (Products)-ऐसे पदार्थ जो रासायनिक अभिक्रिया के सम्पूर्ण होने पर प्राप्त होते हैं, उत्पाद कहलाते हैं, जैसे –
HBSE 9th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 2

→ रासायनिक परिवर्तन (Chemical Changes)-ऐसे परिवर्तन जिनमें नये पदार्थों या यौगिकों का निर्माण होता है,रासायनिक परिवर्तन कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-जल का विद्युत-अपघटन, दूध से दही बनना इत्यादि।

→ भौतिक परिवर्तन (Physical Changes)-ऐसे परिवर्तन जिनमें वस्तुओं के गुणों में अल्प समय के लिए परिवर्तन हो जाता है परन्तु कोई नया पदार्थ नहीं बनता, भौतिक परिवर्तन कहलाते हैं, जैसे-जल की अवस्था में परिवर्तन, लोहे का चुम्बकित होना आदि।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

→ सन्तुलित रासायनिक समीकरण (Balanced Chemical Equation)-वह रासायनिक समीकरण जिसमें विभिन्न तत्वों के परमाणुओं की संख्या अभिकारक व उत्पाद दोनों पक्षों में समान होती है, सन्तुलित रासायनिक समीकरण कहलाता है, जैसे
3Fe+ 4H2O → Fe3O4 +4H2

→ उपरोक्त अभिक्रिया में बाँयी तरफ तथा दाँयी तरफ Fe, H तथा 0 के परमाणुओं की संख्या समान है अत: यह एक सन्तुलित रासायनिक समीकरण है।

→  संयोजन अभिक्रिया या योगात्मक अभिक्रिया (Combination or Addition Reaction)-वह अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक प्रकार के पदार्थों के अणु परस्पर जुड़कर केवल एक ही प्रकार के अणु बनाते हैं, । संयोजन या योगात्मक अभिक्रिया कहलाती है, जैसे-
2Hg(g)+O2(g) → 2H2O (l)
उपरोक्त अभिक्रिया में H2 व O2 संयोजित होकर H2O बना रहे हैं।

→  वियोजन (अपघटन) अभिक्रिया (Decomposition Reaction)-ऐसी अभिक्रिया जिसमें एकल अभिकर्मक टूटकर या अपघटित या वियोजित होकर छोटे-छोटे उत्पादों का निर्माण करता है, वियोजन (अपघटन)। अभिक्रिया कहलाती है, जैसे
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→ ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (Exothermic Reactions)-ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, I ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं, जैसे-
CH4 (g) +2O2 (g) →CO2(g) +2H2O+ ऊर्जा

→ ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ (Endothermic Reactions)-जिन अभिक्रियाओं में ऊर्जा का अवशोषण होता है, । ऊष्माशोषी अभिक्रियाएँ कहलाती हैं, जैसे-
H2 (g)+I2 (g) + ऊर्जा → 2HI (g)

→ प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ (Photochemical Reactions)-जिन अभिक्रियाओं में प्रकाश का अवशोषण होता है, प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। ये अभिक्रियाएँ प्रकाश की उपस्थिति में ही होती हैं, । जैसे-प्रकाश-संश्लेषण
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→ विस्थापन अभिक्रिया (Displacement Reaction)- ऐसी अभिक्रिया जिसमें किसी यौगिक के अणु के । किसी एक परमाणु अथवा समूह के स्थान पर कोई दूसरा परमाणु अथवा समूह आ जाता है, विस्थापन | अभिक्रिया कहलाती है, जैसे
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→ द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ (Double Displacement Reactions)-वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है, द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं, जैसे
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→ उपचयन या ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ (Oxidation Reactions)-ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें ऑक्सीजन की | वृद्धि या हाइड्रोजन का ह्रास होता है, उपचयन या ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ कहलाती हैं, जैसे-
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→ अपचयन अभिक्रियाएँ (Reduction Reactions)-वे अभिक्रियाएँ जिनमें ऑक्सीजन का ह्मस या हाइड्रोजन की वृद्धि होती है, अपचयन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं, जैसे
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→ रेडॉक्स अभिक्रियाएँ (Redox Reactions)-जिन रासायनिक अभिक्रियाओं में उपचयन तथा अपचयन | अभिक्रियाएँ साथ-साथ होती हैं, रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहलाती हैं, जैसे
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→ संक्षारण (Corrosion)-जब कोई धातु अपने आस-पास विद्यमान नमी, ऑक्सीजन एवं अम्ल आदि के सम्पर्क में आने से संक्षारित हो जाती है तो उसे संक्षारण कहते हैं।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

→ विकृत गंधिता (Rancidity)-वह प्रक्रिया जिसमें खाद्य पदार्थों (वसायुक्त अथवा तैलीय) की ऑक्सीजन से अभिक्रिया के फलस्वरूप ऑक्सीकरण होने के कारण खाद्य पदार्थों के स्वाद व गंध में परिवर्तन हो जाता है, विकृत गंधिता कहलाती है।

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Ex 1.1

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Ex 1.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1

Question 1.
Use Euclid’s division algorithm to find the HCF of :
(i) 135 and 225
(ii) 196 and 38220
(iii) 867 and 255
Solution :
(i) 225 > 135 By Euclid’s division lemma,
225 = 135 × 1 + 90
Since remainder 90 ≠ 0

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 1

So, we consider divisor 135 and remainder 90 and apply Euclid’s division lemma.
135 = 90 × 1 + 45

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 2

Now, we consider new divisor 90 and new remainder 45 and apply Euclid’s division lemma.
90 = 45 × 2 + 0

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 3

Since, the remainder at this stage is zero and divisor is 45.
Therefore, HCF of 135 and 225 is 45.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1

(ii) 38220 > 196
By Euclid’s division lemma, 38220 = 196 × 195 + 0

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 4

Since, at this stage remainder is zero and divisor is 196.
Hence, from calculation of right side division we find, HCF of 196 and 38220 is 196.

(iii) 867 > 255
By Euclid’s division lemma, 867 = 255 × 3 + 102

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 5

Since, remainder 102 ≠ 0
So, we consider divisor 255 and remaihder 102 and apply the Euclid’s division lemma.
255= 102 × 2 + 51

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 6

Now we consider new divisor 102 and new remainder 51 and apply Euclid’s division lemma.
102 = 51 × 2 + 0

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 7

Since, the remainder at this stage is zero and divisor is 51.
Hence, HCF of 867 and 255 is 51.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1

Question 2.
Show that any positive odd integer is of the form 6q + 1 or 6q + 3 or 617 + 5, where q is some integer.
Solution :
Let a be any given positive integer and b = 6.
Then by Euclid’s division algorithm there exists integers q and r such that
a = 6q + r where 0 ≤ r < 6
r = 0, 1, 2, 3, 4, 5
For r = 0, a = 6q + 0 = 6q = 2(3q)
For r = 1, a = 6q + 1
For r = 2, a = 6q + 2 = 2(3q + 1)
For r = 3, a = 6q + 3
For r = 4, a = 6g + 4 = 2(3g + 2)
For r = 5, a = 6q + 5
a = 6q, 6q + 2 and 6 32
By Euclid’s division lemma,
616 = 32 × 19 + 8.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 8

Since, remainder 8 ≠ 0.
So, we consider divisor 32 and remainder 8 and apply Euclid’s division lemma.
32 = 8 × 4 + 0

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1 9

Since, the remainder at this stage is zero and divisor is 8.
Therefore, HCF of 616 and 32 is 8. Hence, the maximum number of column = 8.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1

Question 4.
Use Euclid’s division lemma to show that the square of any positive integer is either of the form 3m or 3m + 1 for some integer m.
[Hint – Let x be any positive integer then it is of the form 3q, 3q + 1 or 3q + 2. Now square each of these and show that they can be written in the form 3 m or 3m + 1.]
Solution :
Let x be any given positive integer and 6 = 3. Then by Euclid’s division algorithm there exists positive integers q and r such that :
x = 3q + r, where 0 ≤ r < 3
x = 3q, 3q + 1 or 3q +.2.
So, we have the following cases :
Case I : When x = 3q
x2 = 9q2 = 3 (3q2) [Squaring on both sides]
x2 = 3m, where m = 3q2

Case II: When x = 3q + 1
= (3q + 1)2 [Squaring on both sides]
= x2 = 9q2 + 6q + 1
= 3(3q2 + 2q) + 1
= 3m + 1, where m = 3q2 + 2q

Case III: When x = 3q + 2
x2 = (3q + 2)2 [Squaring on both sides]
= 9q2 + 12q + 4
= 9q2 + 12q + 3 + 1
= 3 (3q2 + 4q + 1) + 1
= 3m+ 1, where m = 3q2 + 4q + 1
Hence, square of any positive integer is either of the form 3m or 3m + 1 for some integer m.

Haryana Board Solutions for 10th Class Maths Chapter 1 Real Numbers Exercise 1.1

Question 5.
Use Euclid’s division lemma to show that the cube of any positive integer is of the form 9m, 9m + 1 or 9m + 8.
Solution:
Let x be positive integer and by applying Eucids division lemma it is of the form 3q or 3q + 1 or 3q + 2.
So, we have the following cases :
Case I: When x = 3q.
x3 = (3q)3 = 27q3 [Cube on both sides]
= 9(3q3)
= 9m, where m = 3q3

Case II: When x = 3q + 1
x3 = (3q + 1)3 (Cube on both sides]
= 27q3 + 27q2 + 9q + 1
= 9 (3q3 + 3q2 + q) + 1
= 9m + 1, where m = 3q3 + 3q2 + q

Case III: When x = 3q + 2
[Cube on both sides]
x3 = (3q + 2)3
= 27q3 + 54q2 + 36q + 8
= 9q(3q2 + 6q + 4) + 8
= 9m + 8
where m = q(3q2 + 6q + 4
Hence, x3 is either of the forms 9m, 9m + 1, 9m + 8.

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