HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Notes.

Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ कुल तत्व (Total Elements) सन् 1800 तक केवल 30 तत्वों का पता चला था। आज इनकी कुल संख्या 114 है। । सबसे पहले ज्ञात तत्वों को धातु और अधातु में वर्गीकृत किया गया।

→ डॉबेराइनर के त्रिक (Dobereiner’s Triads)-सन् 1817 में जर्मन रसायनज्ञ, वुल्फगांग डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों । वाले तत्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया। उन्होंने तीन-तीन तत्वों वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा। त्रिक में वर्गीकृत करने की यह पद्धति सफल न हो सकी।

→ गुणों के आधार पर वर्गीकरण(Classification on the Basis of Properties)-प्रत्येक तत्व की विशेषताएँ और गुण परमाणुओं के कारण अलग-अलग होते हैं तथा तत्वों को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। सर्वप्रथम तत्वों को धातु और अधातु में वर्गीकृत किया गया।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ अष्टक नियम (Octet Rule)-सन् 1803 में डाल्टन ने परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर तत्वों का वर्गीकरण किया था | तथा न्यूलैण्ड ने सन् 1866 में अष्टक नियम के आधार पर 56 वें तत्व थोरियम तक वर्गीकरण किया, परन्तु यह नियम कैल्सियम तक ही लागू होता है। बाद में कई ऐसे तत्व पाये गये जिनके गुणधर्म न्यूलैण्ड के अष्टक सिद्धान्त से भिन्न थे। इन सिद्धान्तों की एक सीमा थी। .

→ मेण्डेलीफ के द्वारा वर्गीकरण (Classification by Mendeleev)-

  • तत्वों के वर्गीकरण का मुख्य श्रेय रूसी रसायनज्ञ डमित्री इवानोविच मेण्डेलीफ को जाता है। इनका आवर्त नियम ‘मेण्डेलीफ का आवर्त नियम’ के नाम से प्रसिद्ध है। मेण्डेलीफ का सिद्धान्त ही वर्तमान आधुनिक आवर्त सारणी का आधार है।
  • मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी को आव? (Periods) तथा वर्गों (Groups) में बाँटा गया है। क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त तथा ऊर्ध्वाधर स्तंभों को वर्ग कहते हैं।
  • मेण्डेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिए और इनसे संबंधित तत्वों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की तथा उनके गुणों का भी अनुमान लगाया। इस प्रकार यह नए तत्वों की खोज के लिए प्रेरित करती है।
  • मेण्डलीफ की दूरदर्शिता के कारण अक्रिय गैसों की खोज होने पर सारणी में छेड़छाड़ किए बिना इन्हें नए समूह में रखा जा सका।
  • अदलाफ अपनः सारणी में हाइड्रोजन को उचित स्थान न दे सके तथा बाद में समस्थानिकों की खोज होने पर मारा न उन्हें चित स्थान देने में कठिनाई उत्पन्न हुई है। यह मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी का एक प्रमुख दोष |

→ आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table) –

  • सन् 1913 में हेनरी मोजले ने बताया कि तत्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में उसकी परमाणु संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है। इसके अनुसार, “तत्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्त फलन होते हैं।”
  • तत्वों को उनकी परमाणु संख्या (Z) के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर जो वर्गीकरण प्राप्त होता है उसे आधुनिक आवर्त सारणी कहा गया है। आधुनिक आवर्त सारणी में मेण्डेलीफ़ की सारणी के दोषों को दूर किया गया।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्व स्तंभ हैं जिन्हें समूह कहते हैं। समूह के सभी तत्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या के समान होती है। समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती है।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं जिन्हें आवर्त कहते हैं। आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर कोशों की संख्या. तो समान रहती है परन्तु परमाणु संख्या तथा संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या में इकाई की वृद्धि होती है।

HBSE 10th Class Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृत्ति (Nature of Modern Periodic Table)-
संयोजकता (Valency) किसी भी तत्व को संयोजकता उसके परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित । संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या से निर्धारित होती है।

  • परमाणु आकार (Atomic Size)-एक स्वतन्त्र परमाणु के केन्द्र से उसके सबसे बाहरी कोश की दूरी परमाणु आकार को दर्शाती है। आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है तथा समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ता है।
  • धात्विक लक्षण (Metallic Properties) -धात्विक अभिलक्षण आवर्त में घटता है तथा समूह में नीचे जाने पर बढ़ता है।
  • ऑक्साइडों की प्रकृति (Nature of Oxides)-धातुओं के ऑक्साइड क्षारकीय तथा अधातुओं के ऑक्साइड सामान्यतः अम्लीय होते हैं।
  • आयनन ऊर्जा (lonisation Energy)-किसी तत्व के उदासीन गैसीय परमाणु के बाहरी कक्ष से एक इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा की न्यूनतम मात्रा को आयनन ऊर्जा कहते हैं। किसी समूह में ऊपर से नीचे आने पर आयनन ऊर्जा कम होती है।
  • इलेक्ट्रॉन बंधुता (Electron Affinity)-किसी तत्व के उदासीन परमाणु में एक अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन से जुड़ने पर निकलने वाली ऊर्जा इलेक्ट्रॉन बंधुता कहलाती है।

→ उपधातु (Metalloids) – आवर्त सारणी में एक टेढ़ी-मेढ़ी रेखा धातुओं को अधातुओं से अलग करती है। इस रेखा पर आने वाले तत्व बोरॉन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, एण्टिमनी, टेलुरियम एवं पोलोनियम धातुओं एवं अधातुओं दोनों के गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं। इसलिए इन्हें अर्द्धधातु या उपधातु भी कहते हैं।

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