Author name: Prasanna

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1

प्रश्न 1.
हल कीजिए :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 1
हल :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 2
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 3
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 4
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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को अवरोही क्रम में रखिए :
(i) \(\frac{2}{9}, \frac{2}{3}, \frac{8}{21}\)
(ii) \(\frac{1}{5}, \frac{3}{7}, \frac{7}{10}\)
हल :
सबसे पहले इन्हें तुल्य भिन्न में परिवर्तित करेंगे। इसके लिए पहले इनके हरों का ल.स. ज्ञात करते हैं।
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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 7

प्रश्न 3.
एक ‘जादुई वर्ग’ में प्रत्येक पंक्ति, प्रत्येक स्तम्भ एवं प्रत्येक विकर्ण की संख्याओं का योग समान होता है। क्या यह एक जादुई वर्ग है?
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 8
हल :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 9
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 10
इस प्रकार, प्रत्येक पंक्ति, स्तम्भ तथा विकर्ण के योग समान हैं।
अतः यह एक जादुई वर्ग है।

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प्रश्न 4.
एक आयताकार कागज की लम्बाई 12\(\frac {1}{2}\) cm और चौड़ाई 10\(\frac {2}{3}\) cm है। कागज का परिमाप ज्ञात कीजिए।
हल :
आयत का परिमाप = 2 × (लम्बाई + चौड़ाई)
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प्रश्न 5.
दी हुई आकृति में, (i) ∆ABE (ii) आयत BCDE, का परिमाप ज्ञात कीजिए। किसका परिमाप ज्यादा है?
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हल :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 2 भिन्न एवं दशमलव Ex 2.1 - 13

(ii) आयत BCDE का परिमाप
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चूँकि, 8\(\frac {17}{20}\) > 7\(\frac {5}{6}\), इसलिए, त्रिभुज ABE का परिमाप, आयत BCDE के परिमाप से ज्यादा है।

प्रश्न 6.
सलील एक तस्वीर को किसी फ्रेम (चौखट ) में जड़ना चाहता है। तस्वीर 7\(\frac {3}{5}\) cm चौड़ी है। चौखट में उचित रूप से जड़ने के लिए तस्वीर की चौड़ाई 7\(\frac {3}{10}\) cm से ज्यादा नहीं हो सकती। तस्वीर की कितनी काट-छाँट की जानी चाहिए?
हल :
तस्वीर की चौड़ाई = 7\(\frac {3}{5}\) cm
फ्रेम की चौड़ाई = 7\(\frac {3}{10}\) cm
इसे फ्रेम में फिट करने के लिए काट-छाँट करनी चाहिए।
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प्रश्न 7.
रीतू ने एक सेब का \(\frac {3}{5}\) भाग खाया और शेष सेब उसके भाई सोमू ने खाया। सेब का कितना भाग सोमू ने खाया? किसका हिस्सा ज्यादा था? कितना ज्यादा था?
हल :
सोमू ने खाया = 1 – \(\frac{3}{5}=\frac{5}{5}-\frac{3}{5}=\frac{2}{5}\)
चूँकि \(\frac {3}{5}\) > \(\frac {2}{5}\), अतः रीतू का हिस्सा ज्यादा था।
उसने (\(\frac{3}{5}-\frac{2}{5}\)) = \(\frac {1}{5}\) भाग ज्यादा खाया।

प्रश्न 8.
माइकल ने एक तस्वीर में रंग भरने का कार्य \(\frac {7}{12}\) घण्टे में समाप्त किया। वैभव ने उसी तस्वीर में रंग भरने का कार्य \(\frac {3}{4}\) घण्टे में समाप्त किया। किसने ज्यादा समय कार्य किया? यह समय कितना ज्यादा था?
हल :
माइकल ने तस्वीर को रंगा = \(\frac {7}{12}\) घण्टे में वैभव ने उसी तस्वीर को रंगा = \(\frac {3}{4}\) घण्टे
या \(\frac{3 \times 3}{4 \times 3}=\frac{9}{12}\) घण्टे में
चूँकि \(\frac {9}{12}\) > \(\frac {7}{12}\)
अतः वैभव ने अधिक समय कार्य किया
= \(\frac{9}{12}-\frac{7}{12}=\frac{2}{12}\) घण्टे = \(\frac {1}{6}\) घण्टे
अतः वैभव ने \(\frac {1}{6}\) घण्टे अधिक कार्य किया।

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Exercise 6.1

नोट : यह प्रश्नावली विभिन्न आकृतियों की समरूपता पर आधारित है। भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं यदि (1) उनके सभी संगत कोण बराबर हों तथा (ii) उनकी संगत भुजाएँ एक ही अनुपात (समानुपात) में हों।

प्रश्न 1.
कोष्ठकों में दिए शब्दों में से सही शब्दों का प्रयोग करते हुए, रिक्त स्थानों को भरिए-
(i) सभी वृत्त …………… होते हैं। (समरूप, सर्वांगसम)
(ii) सभी वर्ग …………… होते हैं। (समरूप, सर्वांगसम)
(iii) सभी …………… त्रिभुज समरूप होते हैं। (समद्विबाहु, समबाहु)
(iv) भुजाओं की समान संख्या वाले दो बहुभुज समरूप होते हैं, यदि (i) उनके संगत कोण ………..हों तथा (ii) उनकी संगत भुजाएँ …………… हों। (बराबर, समानुपाती)
हल :
(i) समरूप, (ii) समरूप, (iii) समबाहु, (iv) बराबर; समानुपाता।

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित युग्मों के दो भिन्न-भिन्न उदाहरण दीजिए(i) समरूप आकृतियाँ (ii) ऐसी आकृतियाँ जो समरूप नहीं हैं।
हल :
(i) समरूप आकृतियाँ : समान आकार वाली आकृतियों को समरूप आकृतियाँ कहते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि वे समान आमाप (size) की भी हों; जैसे (a) सभी वृत्त समरूप होते हैं। (b) सभी समबाहु त्रिभुज समरूप होते हैं। (c) सभी वर्ग समरूप होते हैं।
(ii) ऐसी आकृतियाँ जो समरूप नहीं हैं : जिन आकृतियों का आकार तथा आमाप दोनों भिन्न-भिन्न होते हैं वे समरूप नहीं होती हैं; जैसे (a) समबाहु त्रिभुज तथा समद्विबाहु त्रिभुज समरूप नहीं होते। (b) वर्ग तथा आयत समरूप नहीं होते। (c) त्रिभुज तथा वर्ग समरूप नहीं होते।

प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित चतुर्भुज समरूप हैं या नहीं :
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.1 1
हल :
दिए गए चतुर्भुज PQRS और ABCD समरूप नहीं हैं क्योंकि इनके कोण समान नहीं हैं।

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HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए

1. माइक्रो (Micro) और मैक्रो (Macro) शब्दों की उत्पत्ति निम्नलिखित में से कौन-सी भाषा से हुई है?
(A) अंग्रेज़ी
(B) लैटिन
(C) यूनानी (ग्रीक)
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) यूनानी (ग्रीक)

2. व्यष्टि (Micro) और समष्टि (Macro) शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
(A) मार्शल
(B) रोबिन्स
(C) रैगनर नर्कसे
(D) रैगनर फ्रिश
उत्तर:
(D) रैगनर फ्रिश

3. समष्टि (मैक्रो) अर्थशास्त्र का संबंध है-
(A) व्यक्तिगत इकाइयों से
(B) सामूहिक कार्यों से
(C) एक फर्म से
(D) एक उद्योग से
उत्तर:
(B) सामूहिक कार्यों से

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

4. विश्वव्यापी महामंदी का काल बताइए
(A) 1929-30
(B) 1929-32
(C) 1929-33
(D) 1929-36
उत्तर:
(C) 1929-33

5. आय और रोजगार सिद्धांत निम्नलिखित में से कौन-से सिद्धांत की एक प्रमुख विशेषता है?
(A) व्यष्टि
(B) समष्टि
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) समष्टि

6. समष्टि अर्थशास्त्र तथा व्यष्टि अर्थशास्त्र में निम्नलिखित में से कौन-सा अंतर सही है?
(A) अध्ययन क्षेत्र में अंतर
(B) सामूहिकता में अंतर
(C) विभिन्न मान्यताओं में अंतर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

7. विश्वमंदी का अध्ययन होता है-
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में

8. समष्टि अर्थशास्त्र का विकास एक अलग शाखा के रूप में कब हुआ?
(A) 1930 से 1940 के बीच में
(B) 1910 से 1920 के बीच में
(C) 1920 से 1930 के बीच में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) 1930 से 1940 के बीच में

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

9. साधनों के आबंटन का अध्ययन होता है-
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(B) समष्टि अर्थशास्त्र में
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यष्टि अर्थशास्त्र में

10. समष्टि अर्थशास्त्र अध्ययन करता है-
(A) संपूर्ण अर्थव्यवस्था का
(B) एक उद्योग का
(C) एक फर्म का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) संपूर्ण अर्थव्यवस्था का

11. यदि समूचे चीनी उद्योग की जाँच की जाए, तो यह कौन-सा विश्लेषण कहलाएगा?
(A) व्यष्टिपरक
(B) समष्टिपरक
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यष्टिपरक

12. आधुनिक समष्टि आर्थिक विश्लेषण का जनक किसे माना जाता है?
(A) डेविड रिकार्डो को
(B) डॉ० मार्शल को
(C) जॉन मेनार्ड केज़ को
(D) एडम स्मिथ को
उत्तर:
(C) जॉन मेनार्ड केज़ को

13. निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि तत्त्व नहीं है?
(A) रोज़गार का सिद्धांत
(B) माँग का सिद्धांत
(C) आय का सिद्धांत
(D) मौद्रिक नीति
उत्तर:
(B) माँग का सिद्धांत

14. राष्ट्रीय आय का अध्ययन होता है-
(A) समष्टि अर्थशास्त्र में
(B) व्यष्टि अर्थशास्त्र में
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) समष्टि अर्थशास्त्र में

15. उस अर्थशास्त्री का नाम बताइए जिसने सबसे पहले समष्टि अर्थशास्त्र की बुनियाद डाली।
(A) डेविड रिकार्डो
(B) डॉ० मार्शल
(C) जॉन मेनार्ड केज़
(D) एडम स्मिथ
उत्तर:
(D) एडम स्मिथ

16. समष्टि अर्थशास्त्र का मौलिक उद्देश्य यह जानना है कि-
(A) अर्थव्यवस्था में मंदी के क्या कारण हैं?
(B) अर्थव्यवस्था में धीमी संवृद्धि के क्या कारण हैं?
(C) कीमत स्तर में वृद्धि या बेरोज़गारी में वृद्धि के क्या कारण हैं?
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

17. निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि तत्त्व नहीं है?
(A) समग्र माँग
(B) राष्ट्रीय आय
(C) व्यापार चक्र
(D) उपभोक्ता संतुलन
उत्तर:
(D) उपभोक्ता संतुलन

18. निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि चर है?
(A) रोजगार का सिद्धान्त
(B) कीमत लोच
(C) लगान का सिद्धान्त
(D) वस्तु की कीमत
उत्तर:
(A) रोजगार का सिद्धान्त

B. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. कीमत सिद्धांत ……………. अर्थशास्त्र की एक प्रमुख विशेषता है। (व्यष्टि/समष्टि)
उत्तर:
व्यष्टि

2. संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन ……………. अर्थशास्त्र करता है। (समष्टि/व्यष्टि)
उत्तर:
समष्टि

3. ……………… समष्टिगत तत्त्व है। (माँग की लोच/मुद्रास्फीति)
उत्तर:
मुद्रास्फीति

4. विश्व महामंदी का वर्ष …………….. था। (1929/1942)
उत्तर:
1929

5. आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक ……………. है। (एडम स्मिथ जे०एम० केज)
उत्तर:
एडम स्मिथ

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

6. राष्ट्रीय आय का अध्ययन करना ……………. अर्थशास्त्र की विशेषता है। (समष्टि/व्यष्टि)
उत्तर:
समष्टि

7. आधुनिक समष्टि आर्थिक विश्लेषण का जनक ………….. को माना जाता है। (जे०एम० केज/एडम स्मिथ)
उत्तर:
जे०एम० केज

C. बताइए कि निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत

  1. समष्टि अर्थशास्त्र का संबंध व्यक्तिगत इकाइयों से होता है।
  2. जो बात व्यष्टि अर्थशास्त्र के लिए सही है, वही बात समष्टि अर्थशास्त्र के लिए भी सही होती है।
  3. सभी प्रकार के आर्थिक समूहों और औसतों का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के अर्न्तगत किया जाता है।
  4. प्रो० केज़ के अनुसार समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्यकरण से संबंधित है।
  5. व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में कोई संबंध नहीं पाया जाता है।
  6. भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है।
  7. पूँजीवादी अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य जन-कल्याण होता है।
  8. समष्टि अर्थशास्त्र और व्यष्टि अर्थशास्त्र परस्पर एक-दूसरे के विरोधी हैं।
  9. समष्टि अर्थशास्त्र का वैकल्पिक नाम आय एवं रोजगार का सिद्धांत है।
  10. कुल माँग एवं कुल पूर्ति व्यष्टि अर्थशास्त्र के उदाहरण हैं।
  11. समष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध व्यक्तिगत इकाइयों से होता है।
  12. समग्र माँग और समग्र पूर्ति समष्टि अर्थशास्त्र के मुख्य उपकरण हैं।
  13. सामान्य कीमत स्तर पर समष्टि अर्थशास्त्र एक आर्थिक अध्ययन है।
  14. प्रो० केज के अनुसार समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्यकरण से संबंधित है।

उत्तर:

  1. गलत
  2. गलत
  3. सही
  4. गलत
  5. गलत
  6. सही
  7. सही
  8. गलत
  9. सही
  10. गलत
  11. गलत
  12. सही
  13. सही
  14. गलत।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत की वह शाखा है जिसके अंतर्गत संपूर्ण अर्थव्यवस्था का एक इकाई के रूप में अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समाहारों (Aggregates); जैसे सकल घरेलू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सामान्य कीमत स्तर, रोज़गार का स्तर, कुल बचत, कुल निवेश, कुल माँग, कुल पूर्ति आदि का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
दो मुख्य विषय बताएँ जिनका अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है।
उत्तर:

  1. व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics)
  2. समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics)।

प्रश्न 3.
व्यष्टि अर्थशास्त्र एवं समष्टि अर्थशास्त्र में कोई दो अंतर बताइए।
उत्तर:

  1. व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन किया जाता है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समूहों का अध्ययन किया जाता है।
  2. व्यष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार की मान्यता पर आधारित है जबकि समष्टि अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था में संसाधनों के अपूर्ण व अल्प रोज़गार पर आधारित है।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

प्रश्न 4.
आधनिक अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं? उनके द्वारा लिखी गई सप्रसिद्ध पस्तक का नाम लिखें।
उत्तर:
एडम स्मिथ (Adam Smith) आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक हैं। एडम स्मिथ द्वारा रचित सुप्रसिद्ध पुस्तक “An Enquiry into the Nature and Causes of the Wealth of Nations” है।

प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र पर जॉन मेनार्ड केञ्ज (Keynes) द्वारा लिखी गई पुस्तक का नाम बताइए। यह कौन-से वर्ष प्रकाशित हुई? .
उत्तर:
जॉन मेनार्ड केञ्ज की लिखी पुस्तक ‘रोज़गार, ब्याज और मुद्रा का सामान्य सिद्धांत’ (The General Theory of Employment, Interest and Money) है जो सन् 1936 ई० में प्रकाशित हुई।

प्रश्न 6.
भारत में बेरोज़गारी की समस्या का अध्ययन समष्टि आर्थिक अध्ययन क्यों कहलाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के अध्ययन से संबंधित है। चूँकि बेरोज़गारी की समस्या का अध्ययन संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित है, इसलिए बेरोजगारी की समस्या का अध्ययन समष्टि आर्थिक अध्ययन कहलाता है।

प्रश्न 7.
क्या एक फर्म के उत्पादन का स्तर समष्टि आर्थिक अध्ययन है? कारण दें।
उत्तर:
समष्टि आर्थिक सिद्धांत अर्थशास्त्र का वह भाग है जो अर्थव्यवस्था के कुल समूहों का अध्ययन करता है। इस दृष्टि . से एक फर्म के उत्पादन का स्तर समष्टि आर्थिक अध्ययन नहीं है।

प्रश्न 8.
सूती वस्त्र उद्योग का अध्ययन समष्टि आर्थिक अध्ययन है या व्यष्टि आर्थिक अध्ययन।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन नहीं बल्कि व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय है। चूंकि यह अध्ययन किसी विशेष उद्योग से संबंधित है।

प्रश्न 9.
समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण के किन तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण के कुल माँग, कुल पूर्ति, कुल उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश आदि तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 10.
समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्वपूर्ण विषय कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
आय तथा रोज़गार का निर्धारण, सामान्य कीमत स्तर, आर्थिक विकास की समस्या, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समष्टि आर्थिक अध्ययन के महत्त्वपूर्ण विषय हैं।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

प्रश्न 11.
सन् 1929-33 की महामंदी काल में क्या बातें देखने में आईं?
उत्तर:
महामंदी के संकट के समय विश्व में उत्पादन तो था परंतु वस्तुओं की माँग नहीं थी। इस महामंदी के दौरान विश्व को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा था। श्रमिकों में बेरोज़गारी बढ़ गई थी।

प्रश्न 12.
समष्टि अर्थशास्त्र की दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  1. समष्टि अर्थशास्त्र अपूर्ण रोज़गार व अल्प रोज़गार की स्थिति पर आधारित है।
  2. समष्टि अर्थशास्त्र सरकारी हस्तक्षेप द्वारा सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के महत्त्व को प्रकट करता है, चूँकि निवेश में वृद्धि पर ही आय तथा रोज़गार निर्भर करता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र का प्रादुर्भाव कैसे हुआ?
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र का उद्भव कैसे हुआ?
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की विचारधारा का विकास किस प्रकार हुआ? समझाइए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र में काफी लंबे समय तक व्यष्टिगत आर्थिक सिद्धांतों का प्रचलन रहा और अर्थशास्त्रियों ने उन्हें मान्यता दी, परंतु 1929-33 की विश्वव्यापी मंदी के दौरान इन सिद्धांतों को सत्य नहीं पाया गया। इस अवधि के दौरान संसार के अनेक देशों में मंदी और बेरोज़गारी की समस्या का समाधान करने के लिए जे०एम०केञ्ज ने अपने सिद्धांत अपनी पुस्तक ‘The General Theory of Employment, Interest and Money’ में 1936 में प्रकाशित किए। इस पुस्तक ने आर्थिक जगत में नए विचारों का सूत्रपात किया। केज के विचारों से आर्थिक क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन आया, जिसे ‘केजीयन क्रांति’ की संज्ञा दी गई। केजीयन क्रांति के बाद ही समष्टि स्तरीय आर्थिक चिंतन में अर्थशास्त्रियों की रुचि जागत हुई। उससे पहले के आर्थिक चिंतन में किसी प्रकार के आर्थिक संकट की संभावना को स्वीकार नहीं किया जाता था।

उस समय ऐसा माना जाता था कि बाज़ार व्यवस्था में ‘स्वचालित सामंजस्य’ की क्षमता होती है जो अर्थव्यवस्था को सदैव संतुलन में रखती है। उन लोगों की मान्यता थी कि किसी भी आर्थिक व्यवधान के समय सामंजस्य प्रक्रिया उस व्यवधान का अपने-आप समाधान कर देगी। परंतु 1929-33 की विश्वव्यापी महामंदी के दौरान इन सिद्धांतों के उदय का मार्ग प्रशस्त हुआ। समष्टि स्तरीय आर्थिक विश्लेषण का आरंभ इसी सिद्धांत से होता है। केज ने अपने सिद्धांत में संपूर्ण अर्थव्यवस्था से संबंधित समस्याओं का अध्ययन करने के लिए समष्टि अर्थशास्त्र की प्रणाली का उपयोग किया। मंदी, बेरोज़गारी, राष्ट्रीय आय व रोज़गार, सामान्य कीमत स्तर, सामान्य मज़दूरी स्तर आदि के अध्ययन के लिए समष्टि अर्थशास्त्र के अध्ययन को अपनाने पर जोर दिया। यह सिद्धांत मुख्य रूप से यह स्पष्ट करता है कि किसी देश में आय व रोजगार का निर्धारण किस प्रकार होता है।

प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) व्यक्ति की समस्याएँ समूह की समस्याओं से भिन्न होती हैं जबकि समष्टि अर्थशास्त्र में समूहों का अध्ययन होता है। समूह में परिवर्तन का प्रभाव व्यक्तिगत इकाइयों पर अलग-अलग पड़ सकता है। जिस प्रकार बढ़ती हुई कीमतों का प्रभाव समाज के धनी वर्ग पर कम और निर्धन वर्ग पर अधिक पड़ता है।

(ii) इसका एक प्रमुख दोष यह है कि सामान्य निष्कर्ष वैयक्तिक इकाइयों के लिए उपयुक्त नहीं होते। व्यक्ति के लिए अपनी आय से एक भाग बचाना अच्छी बात है, किंतु यदि सारा समाज ही धन बचाने में जुट जाए तो निश्चय ही अर्थव्यवस्था में मंदी आ जाएगी।

(iii) यदि जिन इकाइयों से मिलकर समूह बनता है, वे बदल जाती हैं, किंतु समूह अपरिवर्तित रहता है तो इसके परिणामस्वरूप अनेक भ्रमात्मक निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।

(iv) समष्टि अर्थशास्त्र समूहों की समरूपता की मान्यता पर आधारित है, लेकिन व्यवहार में हमें अधिकांश रूप से विभिन्न रूपों वाले समूह ही देखने को मिलते हैं।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व निम्नलिखित हैं
1. संपूर्ण अर्थव्यवस्था के अध्ययन के लिए उपयुक्त-समष्टि अर्थशास्त्र बताता है कि संपूर्ण अर्थव्यवस्था एक इकाई के रूप में कैसे कार्य करती है और राष्ट्रीय आय व रोज़गार का स्तर कैसे निर्धारित होता है।

2. आर्थिक समस्याओं को हल करने व नीति-निर्धारण में सहायक-समष्टि अर्थशास्त्र अनेक आर्थिक समस्याओं; जैसे बेरोज़गारी, व्याप्त गरीबी, मंदी व तेजी, निम्न उत्पादन स्तर, व्यापार चक्र जैसी समस्याओं के मूल कारकों की पहचान कराने और उपयुक्त निदानकारी नीति बनाने में यह सहायता करता है।

3. आर्थिक विकास प्राप्त करने में सहायक प्रत्येक देश का उद्देश्य शीघ्र आर्थिक विकास करना है। समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों का विवेचन करता है जो आर्थिक विकास संभव बनाते हैं। यह आर्थिक विकास की उच्चतम अवस्था प्राप्त करने और उसे बनाए रखने की विधि बताता है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समष्टि अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए। इसके क्षेत्र का वर्णन करें।
उत्तर:
समष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषाएँ-समष्टि शब्द का अंग्रेज़ी रूपांतर मैक्रो (Macro) है जो ग्रीक (Greek) भाषा के ‘MAKROS’ से बना है, जिसका अर्थ होता है-बड़ा (Large)। समष्टि अर्थशास्त्र में संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक सिद्धांत की वह शाखा है जो समग्र अर्थव्यवस्था का एक इकाई के रूप में अध्ययन करता है।
1. प्रो० बोल्डिंग के शब्दों में, “समष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत मात्राओं का अध्ययन नहीं करता बल्कि इन मात्राओं के समूहों का अध्ययन करता है; व्यक्तिगत आय का नहीं बल्कि राष्ट्रीय आय का; व्यक्तिगत कीमतों का नहीं बल्कि सामान्य कीमत स्तर का; व्यक्तिगत उत्पादन का नहीं अपितु राष्ट्रीय उत्पादन का अध्ययन करता है।”

2. शेपीरो के अनुसार, “समष्टि अर्थशास्त्र संपूर्ण अर्थव्यवस्था के कार्यकरण से संबंधित है।”
दूसरे शब्दों में, समष्टि अर्थशास्त्र में उन आर्थिक मुद्दों का अध्ययन होता है जिनका संबंध संपूर्ण अर्थव्यवस्था से होता है; जैसे समग्र माँग, समग्र पूर्ति, कुल रोज़गार, राष्ट्रीय आय, कीमत स्तर, कुल निवेश, कुल बचत आदि। उपमा के रूप में हम कह सकते हैं कि समष्टि अर्थशास्त्र आर्थिक वन का विश्लेषण करता है न कि वन के वृक्षों का।

समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र-समष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में निम्नलिखित विषयों का अध्ययन किया जाता है
1. राष्ट्रीय आय का सिद्धांत-समष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत राष्ट्रीय आय का अर्थ, राष्ट्रीय आय संबंधी विभिन्न अवधारणाएँ, उसके विभिन्न तत्त्व, राष्ट्रीय आय के मापन की विधियाँ तथा सामाजिक लेखे (Social Accounting) आदि का अध्ययन किया जाता है।

2. रोज़गार का सिद्धांत-समष्टि अर्थशास्त्र में रोज़गार निर्धारण तथा बेरोज़गारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें रोज़गार निर्धारण के विभिन्न कारकों; जैसे समस्त माँग, समस्त पूर्ति, कुल उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश तथा कुल पूँजी-निर्माण आदि का अध्ययन किया जाता है।

3. मुद्रा का सिद्धांत मुद्रा की मात्रा का देश के उत्पादन, रोज़गार, आय, कीमत-स्तर आदि पर बहुत प्रभाव पड़ता है। अतः समष्टि अर्थशास्त्र में मुद्रा के कार्यों तथा मुद्रा पूर्ति से संबंधित सिद्धांतों, बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं का अध्ययन किया जाता है।

4. सामान्य कीमत स्तर का सिद्धांत-समष्टि अर्थशास्त्र में सामान्य कीमत स्तर के निर्धारण तथा उसमें होने वाले परिवर्तन जैसे मुद्रास्फीति (Inflation) अर्थात कीमतों में होने वाली माँग जन्य तथा लागत जन्य वृद्धि एवं अवस्फीतिक (Deflation) अर्थात् कीमतों में होने वाली सामान्य कमी आदि समस्याओं का अध्ययन भी किया जाता है।

5. आर्थिक विकास का सिद्धांत-आर्थिक विकास के सिद्धांतों का अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। इसमें किसी राष्ट्र के अल्पविकसित होने के कारणों, विकास करने की नीतियों एवं विधियों का अध्ययन किया जाता है।

6. व्यापार चक्र का सिद्धांत प्रत्येक अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास की गति में परिवर्तन आता रहता है। कभी तेजी (Boom) और कभी मंदी (Depression) की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इन्हें व्यापार चक्र कहा जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र व्यापार चक्र की समस्याओं का भी अध्ययन करता है।

7. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धांत समष्टि अर्थशास्त्र में विभिन्न देशों के बीच में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का भी अध्ययन किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत; जैसे कोटा (Quota), टैरिफ (Tariff) तथा संरक्षण (Protection) आदि के अध्ययन का समष्टि अर्थशास्त्र में विशेष महत्त्व है।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 1 समष्टि अर्थशास्त्र : एक परिचय

प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र के अलग अध्ययन की आवश्यकता क्यों है? समझाइए।
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से समष्टि अर्थशास्त्र के अलग अध्ययन की आवश्यकता है
1. व्यक्तिगत इकाइयाँ समूची अर्थव्यवस्था की दशा नहीं दर्शाती यद्यपि व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाइयों; जैसे एक उपभोक्ता, एक उत्पादक (एक फर्म) आदि के व्यवहार का विवेचन करता है परंतु व्यक्तिगत इकाइयाँ समूची अर्थव्यवस्था की दशा को प्रतिबिंबित नहीं करतीं।

2. आर्थिक विकास-वर्तमान युग में, संसार के प्रत्येक देश का उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास करना है। इसके लिए आर्थिक मुद्दों; जैसे राष्ट्रीय आय, सामान्य कीमत स्तर, गरीबी, कुल रोज़गार, मुद्रास्फीति, कुल व्यय, कुल बचत, कुल निवेश, अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्ण व सर्वोत्तम प्रयोग, आर्थिक नीतियों का निर्माण आदि के लिए समष्टि स्तर पर अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।

3. समष्टि आर्थिक विरोधाभास समष्टि आर्थिक विरोधाभास (Macro Economic Paradox) से अभिप्राय उन निष्कर्षों से है जोकि व्यक्तिगत इकाई के लिए सही होते हैं, परंतु संपूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर सही होना आवश्यक नहीं है। विरोधाभास के कारण भी समष्टि आर्थिक सिद्धांत की अलग से अध्ययन की आवश्यकता है; जैसे
(i) बचत का विरोधाभास-बचत निःसंदेह व्यक्तियों के लिए लाभकारी है परंतु बचत समाज या अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक भी सिद्ध होती है। विशेष रूप से उस समय जब समग्र माँग में कमी होने के फलस्वरूप बेरोज़गारी और मंदी फैली हुई हो। अतः बचत एक व्यक्ति के लिए तो ठीक है, परन्तु संपूर्ण समाज के लिए ठीक नहीं है। इस कारण आर्थिक समूहों का समुच्चय स्तर पर अलग से विश्लेषण करना बहुत जरूरी हो जाता है।

(ii) मज़दूरी-रोज़गार विरोधाभास-परंपरावादी (Classical) अर्थशास्त्री मंदी व बेरोज़गारी दूर करने के लिए मज़दूरी-दर को घटाने की वकालत करते हैं जिसके फलस्वरूप व्यक्तिगत उद्योग काम पर अधिक श्रमिक लगाते हैं क्योंकि लागत कम होने से लाभ बढ़ जाता है। दूसरी ओर, अर्थव्यवस्था में सब जगह मज़दूरी घटने से वस्तुओं व सेवाओं की कुल माँग गिर जाती है जिससे श्रमिकों के लिए माँग भी गिर जाती है क्योंकि श्रमिकों की माँग उन वस्तुओं की माँग पर निर्भर करती है जिन्हें श्रमिक उत्पन्न करने में सहायक होते हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि एक श्रमिक कम मजदूरी लेकर अपनी बेरोज़गारी की समस्या तो हल कर लेता है पर समष्टि (या अर्थव्यवस्था) स्तर पर यदि सब श्रमिक कम मजदूरी प्राप्त करते हैं, तो कुल रोज़गार में अंततः गिरावट आ जाती है। अतः आर्थिक समूहों का समष्टि स्तर पर अलग से अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।

ये विरोधाभास ऐसे लगते हैं जैसे एक वृक्ष अपने पड़ोस की जलवायु नहीं बदल सकता, पर एक वन जलवायु बदल सकता है। इस दृष्टि से केज ने व्यष्टि सिद्धांत से हटकर समष्टि स्तर पर अलग से विवेचन करने की वकालत की है।

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HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Solutions Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र

पाठयपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
संतुलित व्यापार शेष और चालू खाता संतुलन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यापार शेष वस्तुओं के आयात व निर्यात का लेखा होता है अर्थात् व्यापार शेष में केवल दृश्य मदों को सम्मिलित किया जाता है। इसमें सेवाओं; जैसे कि जहाज़रानी, बीमा, बैंकिंग, ब्याज एवं लाभांश भुगतान और पर्यटकों द्वारा व्यय आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता। चालू खाते में वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात और एक-पक्षीय हस्तांतरणों का ब्यौरा रखा जाता है। व्यापार शेष के निर्धारण में केवल दृश्य मदों पर ही विचार किया जाता है जबकि भुगतान शेष के चालू खाते में निम्नलिखित मदों को सम्मिलित किया जाता है

  1. वस्तुओं का आयात-निर्यात (दृश्य मदें)
  2. सेवाओं का आयात-निर्यात (अदृश्य मदें)
  3. एक-पक्षीय हस्तांतरण।

इस प्रकार व्यापार शेष एक संकुचित अवधारणा है और भुगतान शेष के चालू खाते का एक भाग है।

प्रश्न 2.
आधिकारिक आरक्षित निधि का लेन-देन क्या है? अदायगी-संतुलन में इनके महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आधिकारिक आरक्षित निधि (Official Reserve Transactions) के लेन-देन से अभिप्राय उन लेन-देनों से है जो विदेशी विनिमय बाज़ार में विदेशी मुद्रा के क्रय-विक्रय से संबंधित है। आधिकारिक आरक्षित निधि के लेन-देन भुगतान शेष की समस्या को हल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। घाटे की स्थिति में एक देश की सरकार विदेशी बाज़ार में विदेशी मुद्रा की बिक्री कर सकती है, जिसके फलस्वरूप विदेशी विनिमय की आरक्षित निधि कम हो जाएगी।

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प्रश्न 3.
मौद्रिक विनिमय दर और वास्तविक विनिमय दर में भेद कीजिए। यदि आपको घरेलू वस्तु अथवा विदेशी वस्तुओं के बीच किसी को खरीदने का निर्णय करना हो, तो कौन-सी दर अधिक प्रासंगिक होगी?
उत्तर:
मौद्रिक विनिमय दर से अभिप्राय देशी मुद्रा के रूप में विदेशी मुद्रा की एक इकाई की कीमत से है। इसके विपरीत, वास्तविक विनिमय दर देशी वस्तु के रूप में विदेशी वस्तुओं की सापेक्ष कीमत होती है। वास्तविक विनिमय दर मौद्रिक विनिमय दर के बराबर होती है, जोकि विदेशी कीमत स्तर में देशी कीमत स्तर से भाग देकर प्राप्त की जाती है। वास्तविक विनिमय दर से किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का मूल्यांकन होता है। वास्तविक विनिमय दर को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
वास्तविक विनिमय दर = \(\frac{e P_{f}}{P}\)
यहाँ,
P = देश का कीमत स्तर
Pf = विदेशी कीमत स्तर
e = मौद्रिक विनिमय दर इस प्रकार हम देखते हैं कि मौद्रिक विनिमय दर चालू कीमतों पर आधारित है, जबकि वास्तविक विनिमय दर स्थिर कीमतों पर आधारित है। यदि हमें घरेलू वस्तु अथवा विदेशी वस्तुओं के बीच किसी को खरीदने का निर्णय करना है तो वास्तविक विनिमय दर अधिक प्रासंगिक होगी।

प्रश्न 4.
यदि 1 रुपए की कीमत 1.25 येन है और जापान में कीमत स्तर 3 हो तथा भारत में 1.2 हो, तो भारत और जापान के बीच बास्तविक विनिमय दर की गणना कीजिए (जापानी वस्तु की कीमत भारतीय वस्तु के संदर्भ में)।
संकेत-रुपए में येन की कीमत के रूप में मौद्रिक विनिमय दर को पहले ज्ञात कीजिए।
हल:
वास्तविक विनिमय दर = \(\frac{e P_{f}}{P}\)
P= देश का कीमत स्तर = 1.2
Pf = विदेशी कीमत स्तर = 3
e = मौद्रिक विनिमय दर
= \(\frac { 1 }{ 1.25 }\)
= 0.8
वास्तविक विनिमय दर = \(\frac{0.8 \times 3}{1.2}\) = 2.4
= 2 उत्तर

प्रश्न 5.
स्वचालित युक्ति की व्याख्या कीजिए जिसके द्वारा स्वर्णमान के अंतर्गत अदायगी-संतुलन प्राप्त किया जाता था।
उत्तर:
स्वर्णमान के अंतर्गत सभी करेंसियाँ सोने के रूप में परिभाषित की जाती थीं। प्रत्येक देश एक निश्चित कीमत पर अपनी मुद्रा को मुफ़्त रूप से परिवर्तनीयता की गारंटी देने के लिए प्रतिबद्ध था। विनिमय दरों का निर्धारण सोने के रूप में उस मुद्रा के मूल्य द्वारा होता था जहाँ सोने की मुद्रा होती थी। दरों में एक ऊपरी सीमा और निचली सीमा के बीच उतार-चढ़ाव होता रहता था। अधिकृत समता को बनाए रखने के लिए प्रत्येक देश को सोने के पर्याप्त स्टॉक रखने की आवश्यकता होती थी। इस प्रकार स्वर्णमान के अंतर्गत अदायगी-संतुलन प्राप्त किया जाता था।

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प्रश्न 6.
नम्य विनिमय दर व्यवस्था में विनिमय दर का निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
नम्य विनिमय दर व्यवस्था में विनिमय दर का निर्धारण विदेशी मुद्रा बाज़ार में होता है। विदेशी मुद्रा बाज़ार में संतुलन उस बिंदु पर निर्धारित होता है, जहाँ विदेशी मुद्रा का माँग वक्र और मुद्रा का पूर्ति वक्र एक-दूसरे को काटते हों। विदेशी मुद्रा का माँग वक्र ऊपर से नीचे दाईं ओर गिरता हुआ होता है जबकि विदेशी मुद्रा का पूर्ति वक्र नीचे से ऊपर दाईं ओर उठता हुआ होता है। संलग्न रेखाचित्र में विदेशी मुद्रा बाज़ार में संतुलन की स्थिति को दिखाया गया है।
HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था समष्टि अर्थशास्त्र 1
संलग्न रेखाचित्र में माँग वक्र और पूर्ति वक्र एक-दूसरे को E बिंदु पर काटते हैं जहाँ संतुलन विनिमय दर OP है और संतुलन विदेशी मुद्रा की मात्रा OQ है।

प्रश्न 7.
अवमूल्यन और मूल्यहास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवमूल्यन (मूल्यवृद्धि) और मूल्यह्रास दोनों का संबंध देशीय मुद्रा के मूल्य में वृद्धि या कमी से है, जिससे विदेशी मुद्रा प्रभावित होती है। अवमूल्यन के अंतर्गत घरेलू मुद्रा की इकाइयों में विदेशी मुद्रा की कीमत कम हो जाती है और मूल्यह्रास के अंतर्गत घरेलू मुद्रा की इकाइयों में विदेशी मुद्रा की कीमत में वृद्धि हो जाती है।

प्रश्न 8.
क्या केंद्रीय बैंक प्रबंधित तिरती व्यवस्था में हस्तक्षेप करेगा? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रबंधित तिरती व्यवस्था (Managed Floating System) से अभिप्राय ऐसी व्यवस्था से है जिसमें केंद्रीय बैंक बाज़ार की शक्तियों के द्वारा विनिमय दर के निर्धारण की अनुमति प्रदान करता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में केंद्रीय बैंक विनिमय दरको प्रभावित करने के लिए हस्तक्षेप करता है।

प्रश्न 9.
क्या देशी वस्तुओं की माँग और वस्तुओं की देशीय माँग की संकल्पनाएँ एक-समान हैं?
उत्तर:
नहीं, देशी वस्तुओं की माँग और वस्तुओं की देशीय माँग की संकल्पनाएँ एक-समान नहीं होती। देशी वस्तुओं की माँग (Demand for Domestic Goods) में निवल निर्यात सम्मिलित नहीं होता। जब आय में वृद्धि होती है तो खुली अर्थव्यवस्था में बढ़ी हुई आमदनी का बड़ा भाग आयातों पर व्यय होता है और एक छोटा भाग ही देशी वस्तुओं की माँग बढ़ाता है। इस प्रकार विकासशील अर्थव्यवस्था में वस्तुओं की देशीय माँग (Domestic Demand for Goods) देशी वस्तुओं की माँग से अधिक होगी।

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प्रश्न 10.
जब M=60 + 0.06Y हो, तो आयात की सीमांत प्रवृत्ति क्या होगी? आयात की सीमांत प्रवृत्ति और समस्त माँग फलन में क्या संबंध है?
उत्तर
M = 60+ 0.06Y (दिया हुआ है)
M = \(\overline{\mathrm{M}}\) + mY
इस प्रकार, m = 0.06
यहाँ, m = आयात की सीमांत प्रवृत्ति
इसलिए आयात की सीमांत प्रवृत्ति = 0.06
आयात की सीमांत प्रवृत्ति और समस्त माँग फलन में धनात्मक संबंध होता है। आयात की सीमांत प्रवृत्ति बढ़ी हुई आय का वह भाग है जो आयात पर व्यय किया जाता है। यह आयात में परिवर्तन और आय में परिवर्तन का अनुपात है।
आयात की सीमांत प्रवृत्ति = \(\frac { ∆M }{ ∆Y }\)
आयात की माँग घरेलू आय और वास्तविक विनिमय दर पर निर्भर करती है। आय बढ़ने से माँग में वृद्धि होती है और बढ़ी हुई माँग का अधिकांश भाग आयातों के लिए होता है। फलस्वरूप आयात की सीमांत प्रवृत्ति में भी वृद्धि होती है।

प्रश्न 11.
खुली अर्थव्यवस्था के स्वायत्त व्यय (खर्च) गुणक बंद अर्थव्यवस्था के गुणक की तुलना में छोटा क्यों होता है?
उत्तर:
खुली अर्थव्यवस्था के स्वायत्त व्यय (खर्च) गुणक बंद अर्थव्यवस्था के स्वायत्त व्यय गुणक की तुलना में इसलिए छोटा होता है कि बंद अर्थव्यवस्था में व्यय गुणक केवल सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (c) पर निर्भर करता है जबकि खुली अर्थव्यवस्था में गुणक सीमांत उपभोग प्रवृत्ति और आयात की सीमांत प्रवृत्ति (m) दोनों के योग पर निर्भर करता है।
इस प्रकार, खुली अर्थव्यवस्था गुणक = \(\frac { 1 }{ 1-c+m }\)
बंद अर्थव्यवस्था गुणक =\(\frac { 1 }{ 1-c }\)

प्रश्न 12.
पाठ में एकमुश्त कर की कल्पना के स्थान पर आनुपातिक कर T = tY के साथ खुली अर्थव्यवस्था गुणक की गणना कीजिए।
उत्तर:
एकमुश्त कर की स्थिति में खुली अर्थव्यवस्था गुणक = \(\frac { 1 }{ 1-c+m }\)
आनुपातिक कर की स्थिति में खुली अर्थव्यवस्था गुणक = \(\frac{1}{1-c(1-t)+m}\)

प्रश्न 13.
मान लीजिए C = 40 + 0.8Y D, T = 50, I = 60, G = 40, x = 90, M = 50 + 0.05Y (a) संतुलन आय ज्ञात कीजिए, (b) संतुलन आय पर निवल निर्यात संतुलन ज्ञात कीजिए, (c) संतुलन आय और निवल निर्यात संतुलन क्या होता है, जब सरकार के क्रय में 40 से 50 की वृद्धि होती है?
हल:
(a) संतुलन आय (Y) = \(\overline{\mathrm{C}}\) + c(Y – T) + I + G + X – M
= 40 + 0.8(Y – 50) + 60 + 40 + 90 – (50 + 0.05Y)
= 40 + 0.8Y – 40 + 60 + 40 + 90 – 50 – 0.05Y
= 0.75Y + 230 – 90
= 0.75Y + 140
Y – 0.75Y = 140
0.25Y = 140
Y = 560
इस प्रकार संतुलन आय = 560 उत्तर

(b) निवल निर्यात = X – M
= 90 – (50 + 0.05Y)
= 90 – (50 + 0.05 x 560)
= 90 – (50 + 28)
= 90 – 78
= 12 उत्तर

(c) सरकार के क्रय में वृद्धि (∆G) = 50 – 40
संतुलन आय में परिवर्तन =\(\frac{1}{1-c+m} \Delta \mathrm{G}\)
= \(\frac{1}{1-0.8+0.05}\) x 10
= \(\frac{1}{0.25}\) x 10 = 40
नई संतुलन आय = पुरानी संतुलन आय + परिवर्तन
= 560 + 40 = 600
निवल निर्यात में परिवर्तन = X1 – M1
= 90 – (50 + 0.05 x 600)
= 90 – 50 + 30
= 90 – 80
= 10 उत्तर

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प्रश्न 14.
उपर्युक्त उदाहरण में यदि निर्यात में X = 100 का परिवर्तन हो, तो संतुलन आय और निवल निर्यात संतुलन में परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
हल:
संतुलन आय में परिवर्तन (ΔY) = \(\frac{1}{1-c+m} \Delta \mathrm{X}\)
= \(\frac{1}{1-0.8+0.05}\) x 10
= \(\frac{1}{0.25}\) x 10
= 40
नई संतुलन आय = 560 + 40 = 600
निवल निर्यात में परिवर्तन = X1 – M1
= 100 – (50 + 0.05 x 600)
= 100 – (50 + 30)
= 100 – 80
= 20 उत्तर

प्रश्न 15.
व्याख्या कीजिए कि G – T = (Sg – I) – (X – M)।
उत्तर:
G – T = (Sg – I) – (X – M)
यहाँ, G = सरकारी व्यय
T = कर
G – T = निवल सरकारी व्यय
sg = सरकार की बचत
I = निवेश
Sg – I = निवल बचत
X = निर्यात
M = आयात
X – M = व्यापार शेष
दिए हुए समीकरण के अनुसार, निवल सरकारी व्यय निवल बचत और व्यापार शेष के योग के बराबर होता है। इसका अभिप्राय यह है कि निवल सरकारी व्यय की क्षतिपूर्ति सरकारी बचत और व्यापार घाटे से होती है।

प्रश्न 16.
यदि देश Bसे देश A में मुद्रास्फीति ऊँची हो और दोनों देशों में विनिमय दर स्थिर हो, तो दोनों देशों के व्यापार शेष का क्या होगा?
उत्तर:
यदि देश Bसे देश A में मुद्रास्फीति ऊँची है और दोनों देशों में विनिमय दर स्थिर है, तो देश A के व्यापार शेष में घाटा होगा जबकि देश Bका व्यापार शेष आधिक्य होगा। इसका कारण यह है कि मुद्रास्फीति के ऊँचे होने पर उस देश के आयात में वृद्धि होगी और निर्यात में कमी आएगी जिससे व्यापार शेष में घाटा होगा।

प्रश्न 17.
क्या चालू पूँजीगत घाटा खतरे का संकेत होगा? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यदि चालू पूँजीगत घाटे के फलस्वरूप निवेश में वृद्धि और भविष्य के निर्गत में वृद्धि होती है तो यह खतरे का संकेत (Cause for alarm) नहीं है। यदि चालू पूँजीगत घाटे के फलस्वरूप निजी अथवा सरकारी उपभोग में वृद्धि होती है तो यह खतरे का संकेत है।

प्रश्न 18.
मान लीजिए C = 100 + 0.75YD, I = 500, G = 750, कर आय का 20 प्रतिशत है, X = 150, M = 100 + 0.2Y, तो संतुलन आय, बजट घाटा अथवा आधिक्य और व्यापार घाटा अथवा आधिक्य की गणना कीजिए।
हल:
C = 100 + 0.75YD
I = 500
G = 750
आनुपातिक कर (T) = 20%
X = 150
M = 100 + 0.2Y
(a) संतुलन आय (Y) = \(\overline{\mathrm{C}}\) + c(Y – T)Y + I + G + X – M
= 100 + 0.75 (1-0.2)Y + 500 + 750 + 150 – (100 + 0.2Y)
= 100 + 0.75 (0.8)Y+ 500 +750 + 150-100-0.2Y
= 100 + 0.6Y+ 1300-0.2Y
= 1,400 + 0.4Y
Y – 0.4Y = 1,400
0.6Y = 1,400
Y = 2,333
संतुलन आय = 2,333 उत्तर

(b) बजट घाटा = सरकारी व्यय (G) – कर (T)
= 750 – 20%Y
= 750 – \(\frac { 20 }{ 100 }\) x 2,333
= 750 – 467 = 283 उत्तर

(c) व्यापार घाटा = M – X
= 100+ 0.2Y – X
= 100 + 0.2 x 2,333 – 150
= 100 + 467 – 150
= 417 उत्तर

HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 19.
उन विनिमय दर व्यवस्थाओं की चर्चा कीजिए, जिन्हें कुछ देशों ने अपने बाह्य खाते में स्थायित्व लाने के लिए प्रयोग किया है।
उत्तर:
निम्नलिखित विनिमय दर व्यवस्थाओं को कई देशों ने अपने बाह्य खाते में स्थायित्व लाने के लिए प्रयोग किया है

स्वर्णमान-स्वर्णमान व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक देश की मुद्रा सोने के मूल्य से संचालित होती है। विनिमय दरों का निर्धारण सोने के रूप में उस मुद्रा के मूल्य के द्वारा होता था।
स्थिर विनिमय दर-स्थिर विनिमय दर व्यवस्था के अंतर्गत देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष की अनुमति के बिना विनिमय दर में परिवर्तन नहीं कर सकता।
प्रबंधित तिरती कई देशों ने अपने केंद्रीय बैंकों को विनिमय दर नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करने की अनुमति दी है।
नम्य विनिमय दर-कई देशों ने स्वतंत्र कीमत प्रणाली का उपयोग किया है।

खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र HBSE 12th Class Economics Notes

→ विनिमय दर-विनिमय दर से अभिप्राय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ार (अथवा अंतर्राष्ट्रीय विनिमय बाज़ार) में एक करेंसी की अन्य करेंसियों के रूप में कीमत से है। उदाहरण के लिए, यदि 1 अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए 50 रु० देने पड़ते हैं तो दोनों करेंसियों की विनिमय दर = 50 : 1 होगी।

→ विनिमय दर की प्रणालियाँ-मोटे तौर पर विनिमय दर को निर्धारित करने की दो प्रणालियाँ हैं-6) स्थिर विनिमय दर प्रणाली और (ii) नम्य (लोचशील) विनिमय दर प्रणाली।

→ स्थिर विनिमय दर प्रणाली स्वर्ण विनिमय दर तथा विनिमय दर की समंजनीय सीमा प्रणाली स्थिर विनिमय दर प्रणाली के दो महत्त्वपूर्ण परिवर्तित रूप हैं। विनिमय दर की समंजनीय सीमा प्रणाली (जिसे ब्रेटन वुडस प्रणाली भी कहते हैं। विनिमय में कछ सीमा तक समंजन की अनमति देती है. यह प्रणाली उतनी कठोर नहीं है जितनी स्वर्ण विनिमय दर प्रणाली।

→ नम्य विनिमय दर का निर्धारण-नम्य विनिमय दर का निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय विनिमय बाज़ार में विभिन्न करेंसियों की माँग तथा पूर्ति की कीमतों द्वारा होता है।

→ संतुलित विनिमय दर-संतुलित विनिमय दर तब स्थापित होती है जब विदेशी विनिमय की पूर्ति = विदेशी विनिमय की माँग। विनिमय दर की मिश्रित प्रणालियाँ-विनिमय दर की मिश्रित प्रणालियाँ हैं-(i) विस्तृत सीमापट्टी, (ii) चलित सीमाबंध तथा (ii) प्रबंधित तरणशीलता। विनिमय दर की ये प्रणालियाँ, ‘स्थिर’ तथा ‘नम्य’ विनिमय दरों की दो चरम स्थितियों के बीच है।

→ विस्तृत सीमापट्टी प्रणाली-इस प्रणाली के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाज़ार में दो करेंसियों की ‘समता दर’ के बीच 10 प्रतिशत की कमी या वृद्धि करके अपने भुगतान शेष को ठीक करने की छूट होती है।

→ चलित (परिवर्तनशील) सीमाबंध-यह स्थिर (Fixed) विनिमय दर और नम्य (लचीली) (Flexible) विनिमय दर के बीच का एक समझौता (Compromise) है। इस प्रणाली में एक देश अपनी विनिमय दर घोषित कर उसमें 1 प्रतिशत तक उतार-चढ़ाव कर सकता है। प्रबंधित तरणशीलता-यह स्थिर विनिमय दर और लचीली (नम्य) विनिमय दर के प्रबंध की अंतिम संकर प्रजाति या मिश्रण है जो सरकार द्वारा प्रबंधित या नियंत्रित होती है। इसे प्रबंधित तरणशीलता कहते हैं, परंतु यह नियत दर समय-समय पर जरूरत के अनुसार मौद्रिक अधिकारी द्वारा संशोधित की जाती है।

→ हाज़िर (चालू) बाज़ार-हाज़िर बाज़ार वह बाज़ार है जिसमें विदेशी विनिमय का चालू क्रय-विक्रय होता है। इसमें तात्कालिक विनिमय दर का निर्धारण होता है।

HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र

→ वायदा बाज़ार-वायदा बाज़ार का संबंध विदेशी विनिमय के ऐसे क्रय तथा विक्रय से है जिसमें लेन-देन के प्रपत्रों पर हस्ताक्षर तो आज किए जाते हैं, किंतु यह लेन-देन भविष्य में किसी दिन पूरा होता है। यह भविष्य की विनिमय दर को परिभाषित करता है।

→ भुगतान शेष भुगतान शेष एक देश तथा विश्व के बीच सभी आर्थिक सौदों का संक्षिप्त विवरण है।

→ व्यापार शेष व्यापार शेष दृश्य निर्यात और दृश्य आयात का अंतर है।

→ व्यापार शेष और भुगतान शेष में अंतर व्यापार शेष में केवल दृश्य मदों का रिकॉर्ड होता है। भुगतान शेष में दृश्य तथा अदृश्य मदों के अतिरिक्त पूँजी अंतरण का रिकॉर्ड भी पाया जाता है।

→ स्वप्रेरित तथा समायोजक मदें-स्वायत्त या स्वप्रेरित मदें उन सौदों से संबंधित होती हैं जिनका निर्धारण लाभ को ध्यान में रखकर किया जाता है। समायोजक मदों का निर्धारण लाभ को ध्यान में रखकर नहीं किया जाता है। इन मदों का ध्येय भुगतान शेष की समानता को पुनः स्थापित करना है।

→ भुगतान शेष में असंतुलन यह असंतुलन बचत वाला भी और घाटे वाला भी हो सकता है।

→ भुगतान शेष में असंतुलन के कारण-(i) आर्थिक कारक, (ii) राजनीतिक कारक और (iii) सामाजिक कारक।

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.2

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1

प्रश्न 1.
ऐसा पूर्णाक युग्म लिखिए जिसका
(a) योग-7 है
(b) अन्तर – 10 है
(c) योग 0 है।
हल :
(a) पूर्णांक युग्म जिनका योग – 7 है, (-10) तथा 3 हो सकते हैं।
क्योंकि (-10) +3 = -7

(b) एक पूर्णांक युग्म जिनका अन्तर – 10 है, हो सकते हैं (-6) तथा (4) .
क्योंकि -6 – (+4) = – 6 – 4 = -10

(c) एक पूर्णाक युग्म जिनका योग 0 हो, हो सकते हैं 3 और (-3) क्योंकि (3) + (-3) = 0

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.2

प्रश्न 2.
(a) एक ऐसा ऋणात्मक पूर्णांक युग्म | लिखिए जिसका अन्तर 8 है।
(b) एक ऋणात्मक पूर्णांक और एक धनात्मक पूर्णाक लिखिए जिनका योग-5 है।
(c) एक ऋणात्मक पूर्णांक और एक धनात्मक पूर्णांक लिखिए जिनका अन्तर – 3 है।
हल :
(a) एक ऐसा ऋणात्मक पूर्णाक युग्म जिसका अन्तर 8 हो, हो सकता है -2 और – 10
∴ (-2) – (-10) = – 2 + 10 = 8
(b) एक ऋणात्मक पूर्णाक तथा एक धनात्मक पूर्णांक जिनका योग -5 है. हो सकते हैं -6 और 1
∴ (-6) + 1 = -6 + 1 =-5
(c) एक ऋणात्मक पूर्णांक व एक धनात्मक पूर्णांक | जिनका अन्तर -3 हो, हो सकते हैं- 1 और 2
∴ (-1) – 2 = – 1 – 2 = – 3

प्रश्न 3.
किसी प्रश्नोत्तरी के तीन उत्तरोत्तर चक्करों (rounds) में टीम A द्वारा प्राप्त किए गए अंक-40, 10.0थे और टीम B द्वारा प्राप्त किए गए अंक 10, 0,-40 थे। किस टीम ने अधिक अंक प्राप्त किए? क्या हम कह सकते हैं कि पूर्णाकों को किसी भी क्रम में जोड़ा जा सकता है?
हल:
A टीम के प्राप्तांक = (- 40) + 10 + 0
= [(-40) + 10] + 0
= [-40 + 10] + 0
= -30 + 0 = – 30
और B टीम के प्राप्तांक = 10 + 0 + (-40)
= [10 + 0] – 40
= 10 – 40 = – 30
अतः प्रत्येक टीम के प्राप्तांक समान हैं।
चूंकि दोनों टीमों द्वारा प्राप्त अंक समान हैं। अतः किसी भी टीम ने एक दूसरी टीम से अधिक अंक नहीं प्राप्त किए।
हाँ, हम पूर्णांकों को किसी भी क्रम में जोड़ सकते हैं।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.2

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों को सत्य बनाने के लिए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
(i) (-5) + (-8) = (-8) + (……….)
(ii) – 53+………… = – 53
(iii) 17 + ………. = 0
(iv) [13 + (-12)] + (…..) = 13 + [(-12) + (-7)]
(v) (-4) + [15 + (-3)] = [-4 + 15] + ……….
हल :
(i) (-5) + (-8) = (-8) + (-5)
(ii) -53 + 0 = -53
(iii) 17+ (-17) = 0
(iv) [13 + (-12)] + (-7)= 13+[(-12) + (-7)]
(v) (-4) + [15 + (-3)] = [(-4) + 15] + (-3)

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Exercise 6.2

यदि एक रेखा किसी त्रिभुज की दो भुजाओं को एक ही अनुपात में विभाजित करे, तो वह तीसरी भुजा के समांतर होती है। [आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय का विलोम]
हल :
दिया है : ΔABC में एक रेखा l भुजाओं AB और AC को क्रमशः D और E पर इस प्रकार काटती है कि \(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{DB}}=\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}\)
सिद्ध करना है : DE || BC
उपपत्ति: माना DE ∦ BC तब D से DE’ || BC खींचे।
अब, क्योंकि DE’ || BC.
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 01
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 02
[atex]\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{E}^{\prime} \mathrm{C}}=\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{EC}}[/latex]
E’C || EC.
परंतु यह तभी संभव है जब E तथा E’ संपाती हों अर्थात् DE’ रेखा l हो जबकि DE’ || BC अतः
DE || BC [इति सिद्धम]

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

प्रश्न 1.
आकृति (i) और (ii) में, DE || BC है। (i) में EC और (ii) में AD ज्ञात कीजिए-
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 1
हल :
(i) दिया है, AD = 1.5cm, DB = 3cm, AE = 1cm, EC = ?
क्योंकि ΔABC में DE || BC,
इसलिए \(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{DB}}=\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}\)
\(\frac{1.5}{3}=\frac{1}{E C}\)
1.5 EC = 3 x 1
EC = \(\frac{3 \times 1}{1.5}\)= 2cm

(ii) दिया है, DB = 7.2cm, AE = 1.8cm, EC = 5.4cm, AD = ?
क्योंकि ΔABC में DE || BC,
इसलिए \(\frac{A D}{D B}=\frac{A E}{E C}\)
\(\frac{\mathrm{AD}}{7.2}=\frac{1.8}{5.4}\)
DB – EC AD 1.8 7.2 5.4
AD = \(\frac{1.8 \times 7.2}{5.4}\) = 2.4 cm

प्रश्न 2.
किसी APQR की भुजाओं PQ और PR पर क्रमशः बिंदु E और F स्थित हैं। निम्नलिखित में से प्रत्येक स्थिति के लिए, बताइए कि क्या EF || QR है
(i) PE = 3.9cm, EQ = 3cm, PF = 3.6cm और FR = 2.4cm
(ii) PE = 4cm, QE = 4.5cm, PF = 8cm और RF = 9cm
(iii) PQ = 1.28cm, PR = 2.56cm, PE = 0.18cm 3 PF = 0.36cm
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 1-1
हल :
(i) दिया है, PE = 3.9cm, EQ = 3cm, PF = 3.6cm, FR = 2.4cm
अब,
\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{3.9}{3}=\frac{39}{30}=\frac{13}{10}\) ……………(i)
\(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}=\frac{3.6}{2.4}=\frac{36}{24}=\frac{3}{2}\) ……………(ii)
समीकरण (i) व (ii) से,
\(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}=\frac{3.6}{2.4}=\frac{36}{24}=\frac{3}{2}\)
\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}} \neq \frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}\)
अतः EF समांतर नहीं है QR अर्थात् EF ∦ QR

(iii) दिया है, PE = 4cm, QE = 4.5cm, PF = 8cm, RF = 9cm
अब,
\(\frac{P E}{E Q}=\frac{4}{4.5}=\frac{40}{45}=\frac{8}{9}\) …………….(i)
\(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}=\frac{8}{9}\) …………..(ii)
समीकरण (i) व (ii) से,
\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}\)
अतः EF || QR

(iii) दिया है, PQ = 1.28cm, PR = 2.56cm, PE = 0.18cm, PF = 0.36cm
EQ=PQ-PE = 1.28 -0.18 = 1.10cm
FR = PR-PF = 2.56-0.36 = 2.20cm
अब,
\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{0.18}{1.10}=\frac{18}{110}=\frac{9}{55}\) ……………(i)
\(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}=\frac{0.36}{2.20}=\frac{36}{220}=\frac{9}{55}\) ……………(ii)
समीकरण (i) व (ii) से,
\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}\)
अतः EF || QR

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

प्रश्न 3.
संलग्न आकृति में यदि LM || CB और LN || CD हो तो सिद्ध कीजिए कि \(\frac{A M}{A B}=\frac{A N}{A D}\) है।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 2
हल :
ΔABC में LM || BC
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 4
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 5

प्रश्न 4.
संलग्न आकृति में DE || AC और DF ||AE है। सिद्ध कीजिए कि \(\frac{\mathbf{B F}}{\mathbf{F E}}=\frac{\mathbf{B E}}{\mathbf{E C}}\) है।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 3
हल :
ΔABC में DE || AC (दिया है)
\(\frac{\mathrm{BD}}{\mathrm{AD}}=\frac{\mathrm{BE}}{\mathrm{EC}}\) ……. (i)
ΔABE में DF || AE (दिया है)
[ltex]\frac{\mathrm{BD}}{\mathrm{AD}}=\frac{\mathrm{BF}}{\mathrm{FE}}[/latex] ……. (ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
\(\frac{\mathrm{BF}}{\mathrm{FE}}=\frac{\mathrm{BE}}{\mathrm{EC}}\) (इति सिद्धम)

प्रश्न 5.
संलग्न आकृति में DE || OQ और DF || OR है। दर्शाइए कि EF || QR है।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 6
हल :
ΔPQO में DE || OQ है
\(\frac{P E}{E Q}=\frac{P D}{D O}\) ……. (i)
ΔPRO में DF || OR है
\(\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}=\frac{\mathrm{PD}}{\mathrm{DO}}\) …… (ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}\)
अब क्योंकि ΔPQR में
\(\frac{\mathrm{PE}}{\mathrm{EQ}}=\frac{\mathrm{PF}}{\mathrm{FR}}\)
EF || QR (इति सिद्धम)

प्रश्न 6.
संलग्न आकृति में क्रमशः OP,OQ और OR पर स्थित बिंदु A, B और C इस प्रकार हैं कि AB || PQ और AC || PR है। दर्शाइए कि BC ||QR है।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 7
हल :
ΔPOQ में AB || PQ है
\(\frac{\mathrm{OA}}{\mathrm{AP}}=\frac{\mathrm{OB}}{\mathrm{BQ}}\) …………..(i)
ΔPOR में AC || PR है
\(\frac{\mathrm{OA}}{\mathrm{AP}}=\frac{\mathrm{OC}}{\mathrm{CR}}\) ….. (ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
\(\frac{O B}{B Q}=\frac{O C}{C R}\)
अतःΔOQR में BC || QR (इति सिद्धम)

प्रश्न 7.
प्रमेय 6.1 (आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय) का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की एक भुजा के मध्य-बिंदु से होकर दूसरी भुजा के समांतर खींची गई रेखा तीसरी भुजा को समद्विभाजित करती है। (याद कीजिए कि आप इसे कक्षा IX में सिद्ध कर चुके हैं।)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 8
हल :
दिया है : एक ΔABC में AB के मध्य-बिंदु D से एक रेखा ! ||BC खींची गई जो AC को E पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है : E, AC का मध्य-बिंदु है।
उपपत्तिः क्योंकि D, AB का मध्य-बिंदु है, इसलिए,
AD = DB
\(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{DB}}=\frac{1}{1}\)
परंतु ΔABC में l || BC
\(\frac{A D}{D B}=\frac{A E}{E C}\) (आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के अनुसार) ….(ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
\(\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}=\frac{1}{1}\)
(इति सिद्धम)
AE = EC
अतः E, AC का मध्य-बिंदु है।

प्रश्न 8.
प्रमेय 6.2 (आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम) का प्रयोग करते हुए सिद्ध कीजिए कि एक त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं के मध्य-बिंदुओं को मिलाने वाली रेखा तीसरी भुजा के समांतर होती है। (याद कीजिए कि आप कक्षा IX में ऐसा कर चुके हैं।)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 9
हल :
दिया है : एक ΔABC में D और E क्रमशः भुजाओं AB और AC के मध्य-बिंदु हैं।
सिद्ध करना है : DE || BC
उपपत्ति : क्योंकि D, भुजा AB का मध्य-बिंदु है,
AD = DB
\(\frac{\mathrm{AD}}{\mathrm{DB}}=\frac{1}{1}\) ………….(i)
इसी प्रकार E, भुजा AC का मध्य-बिंदु है।
AE = EC
\(\frac{\mathrm{AE}}{\mathrm{EC}}=\frac{1}{1}\) ….(ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
\(\frac{A D}{D B}=\frac{A E}{E C}\)
अतः रेखा DE भुजाओं AB और AC को समानुपात में विभाजित करती है। आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम अनुसार,
DE || BC (इति सिद्धम)

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2

प्रश्न 9.
ABCD एक समलंब है जिसमें AB || DC है तथा इसके विकर्ण परस्पर बिंदु ० पर प्रतिच्छेद करते हैं। दर्शाइए कि \(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\) है।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 10
हल :
दिया है : ABCD एक समलंब है जिसमें AB || DC तथा विकर्ण AC और BD परस्पर बिंदु 0 पर प्रतिच्छेद करते हैं।
सिद्ध करना है : \(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\)
रचना : बिंदु O से OE || AB या DC खींचें जो AD को E पर काटे।
उपपत्ति : ΔADC में OE || DC (रचना द्वारा)
\(\frac{A E}{E D}=\frac{A O}{C O}\)
(आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से) …(1) इसी प्रकार ΔABD में OE || AB (रचना द्वारा)
\(\frac{A E}{E D}=\frac{B O}{D O}\)
(आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय से) ….(ii)
समीकरण (i) व (ii) की तुलना से,
\(\frac{A O}{C O}=\frac{B O}{D O}\)
\(\frac{\mathrm{AO}}{\mathrm{BO}}=\frac{\mathrm{CO}}{\mathrm{DO}}\) (इति सिद्धम)

प्रश्न 10.
एक चतुर्भुज ABCD के विकर्ण परस्पर बिंदु O पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि 4 4 है। दर्शाइए कि ABCD समलंब है।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 11
हल :
दिया है : चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC तथा BD परस्पर बिंदु ० पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करते हैं कि
\(\)
सिद्ध करना है : ABCD एक समलंब है।
रचना : बिंदु 0 से OE || AB खींचो जो AD को E पर प्रतिच्छेद करे।
उपपत्ति :ΔABD में OE || AB (रचना द्वारा)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.2 12
अतः आधारभूत समानुपातिकता प्रमेय के विलोम से,
OE || DC …………(iii)
परंतु OE || AB ……………(iv)
समीकरण (iii) व (iv) से,
DC || AB
इसलिए ABCD एक समलंब है।

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1

प्रश्न 1.
किसी विशिष्ट दिन विभिन्न स्थानों के तापमानों को डिग्री सेल्सियस (°C) में निम्नलिखित संख्या रेखा द्वारा दर्शाया गया है:
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1 - 1
(a) इस संख्या रेखा को देखिए और इस पर अंकित स्थानों के तापमान लिखिए।
(b) उपर्युक्त स्थानों में से सबसे गर्म और सबसे ठण्डे स्थानों के तापमानों में क्या अन्तर है?
(c) लाहुलस्पीती एवं श्रीनगर के तापमानों में क्या अन्तर है?
(d) क्या हम कह सकते हैं कि शिमला और श्रीनगर के तापमानों का योग शिमला के तापमान से कम है? क्या इन दोनों स्थानों के तापमानों का योग श्रीनगर के तापमान से भी कम है?
हल :
(a) दी गई संख्या रेखा पर अंकित स्थानों के तापमान:

स्थानतापमान
लाहुलस्पीती– 8°C
श्रीनगर-2°C
शिमला5°C
ऊटी14°C
बैंगलोर22°C

स्थान तापमान स्थान तापमान लाहुलस्पीती – 8°C ऊटी श्रीनगर -2°C . बैंगलोर 22°C शिमला 5°C

(b) बैंगलोर सबसे गर्म (22°C) तथा सबसे ठण्डा लाहुलस्पीती (-8°C) है तथा इनका तापान्तर = 22°C(-8°C) = 22°C + 8°C = 30°C है।

(c) लाहुलस्पीती तथा श्रीनगर के तापमानों में अन्तर – 2°C – (-8°C) = -2°C + 8°C = 6°C

(d) हाँ, श्रीनगर तथा शिमला के तापमानों का योग शिमला के तापमान से कम है।
-2°C + 5°C = 3°C तथा 3°C <5°C
यह तापमान श्रीनगर के तापमान से कम नहीं है।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1

प्रश्न 2.
किसी प्रश्नोत्तरी में सही उत्तर के लिए धनात्मक अंक दिए जाते हैं और गलत उत्तर के लिए ऋणात्मक अंक दिए जाते हैं। यदि पाँच उत्तरोत्तर चक्करों (rounds) में जैक द्वारा प्राप्त किए गए अंक 25, -5, -10, 15 और 10 थे, तो बताइए अन्त में उसके अंकों का कुल योग कितना था?
हल :
जैक द्वारा पाँच क्रमागत चक्करों में प्राप्त अंक 25, -5, -10, 15 और 10 थे।
जैक द्वारा प्राप्तांकों का कुल योग = 25 + (-5) + (-10) + 15 + 10
= 25 – 5 – 10 + 15 + 10
= 50 – 15 = 35 उत्तर

प्रश्न 3.
सोमवार को श्रीनगर का तापमान -5°C था और मंगलवार को तापमान 2°C कम हो गया। मंगलवार को श्रीनगर का तापमान क्या था? बुधवार को तापमान 4°C बढ़ गया। बुधवार को तापमान कितना था?
हल :
सोमवार को श्रीनगर का तापमान = -5°C
मंगलवार को तापमान 2°C कम हो गया तो मंगलवार | का तापमान = (- 5 – 2)°C = -7°C उत्तर
बुधवार के तापमान में वृद्धि 4°C तो बुधवार का | तापमान = (- 7+ 4)°C = -3°C उत्तर

प्रश्न 4.
एक हवाई जहाज समुद्र तल से 5000 मीटर की ऊँचाई पर उड़ रहा है। एक विशिष्ट बिन्दु पर यह हवाई जहाज समुद्र तल से 1200 मीटर नीचे तैरती हुई पनडुब्बी के ठीक ऊपर है। पनडुब्बी और हवाई जहाज के. बीच की ऊर्ध्वाधर दूरी कितनी है?
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1 - 2
हल :
हवाई जहाज तथा पनडुब्बी के मध्य ऊर्ध्वाधर दूरी
= 5000m – (-1200) m
=5000 m + 1200 m
= 6200 m उत्तर

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1

प्रश्न 5.
मोहन अपने बैंक खाते में 2000 रुपये जमा करता है और अगले दिन इसमें से 1642 रुपये निकाल लेता है। यदि खाते में से निकाली गई राशि को ऋणात्मक संख्या से निरूपित किया जाता है, तो खाते में जमा की गई राशि को आप कैसे निरूपित करोगे? निकासी के पश्चात् मोहन के खाते में शेष राशि ज्ञात कीजिए।
हल :
बैंक खाते में जमा की गई राशि को धनात्मक पूर्णाक से प्रदर्शित करेंगे।
निकासी के पश्चात् मोहन के खाते में शेष राशि = (+2000 रु.) + (-1642 रु.)
= (2000 – 1642) रु.
= 358 रु. उत्तर

प्रश्न 6.
रीता बिन्दु A से पूर्व की ओर बिन्दु B तक 20 किलोमीटर की दूरी तय करती है। उसी सड़क के अनुदिश बिन्दु B से वह 30 किलोमीटर की दूरी पश्चिम की ओर तय कस्ती है। यदि पूर्व की ओर तय की गई दूरी को धनात्मक पूर्णांक से निरूपित किया जाता है, तो पश्चिम की ओर तय की गई दूरी को आप कैसे निरूपित करोगे? बिन्दु A से उसकी अन्तिम स्थिति को किस पूर्णांक से निरूपित करोगे?
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1 - 3
हल :
पश्चिम की ओर तय की गई दूरी को ऋणात्मक संख्या से निरूपित करेंगे। रीता द्वारा तय की गई दूरी का चित्रण :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1 - 4
रीता बिन्दु A से 20 किलोमीटर दूर पूर्व की ओर बिन्दु B तक पहुँचती है तथा B से पश्चिम की ओर 30 किलोमीटर उसी सड़क के सहारे जाती है।
अत: A से उसकी अन्तिम स्थिति (-10) किलोमीटर होगी। यह पूर्णांक – 10 से प्रदर्शित किया जायेगा। उत्तर

प्रश्न 7.
किसी मायावी वर्ग में प्रत्येक पंक्ति, प्रत्येक स्तम्भ एवं प्रत्येक विकर्ण की संख्याओं का योग समान होता है। बताइए निम्नलिखित में से कौनसा वर्ग एक मायावी वर्ग है?
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1 - 5
हल :
(i) प्रथम वर्ग में :
प्रथम पंक्ति : 5 + (-1) + (-4) = 5 – 1 – 4 = 0
द्वितीय पंक्ति : (-5) + (-2) + 7
= – 5 – 2 + 7 = 0
तृतीय पंक्ति : 0 + 3 + (-3)= 0 + 3 – 3 = 0
प्रथम स्तम्भ : 5 + (-5) + 0 = 5 – 5 + 0 = 0
द्वितीय स्तम्भ : (-1) + (-2) + 3
= – 1 – 2 + 3 = 0
तृतीय स्तम्भ : (-4) + 7 + (-3)
= – 4 + 7 – 3 = 0
पहला विकर्ण : 5 + (-2) + (-3)
= 5 – 2 – 3 = 0
परन्तु दूसरा विकर्ण : 0 + (-2) + (-4)
= 0 – 2 – 4 = – 6
∴ प्रत्येक पंक्ति, स्तम्भ तथा विकर्ण का योग समान नहीं है। अत: यह एक मायावी वर्ग नहीं है।

(ii) द्वितीय वर्ग में :
प्रथम पंक्ति : 1 + (-10) + 0
= 1 – 10 + 0 = -9
द्वितीय पंक्ति : (-4) + (-3) + (-2)
= – 4 – 3 – 2 = – 9
तृतीय पंक्ति : (-6) + 4 + (-7)
= – 6 + 4 – 7 = – 9
प्रथम स्तम्भ : 1 + (-4) + (-6)
= 1 – 4 – 6 = -9
द्वितीय स्तम्भ : (-10) + (-3) +4
= – 10 – 3 + 4 = – 9
तृतीय स्तम्भ : 0 + (-2) + (-7)
= 0 – 2 – 7 = -9
पहला विकर्ण : 1 + (-3) + (-7)
= 1 – 3 – 7 = -9
और दूसरा विकर्ण : (-6) + (-3) + 0
= – 6 – 3 + 0 = -9
∴ प्रत्येक स्तम्भ, पंक्ति तथा विकर्ण के योग समान हैं। अत: यह एक मायावी वर्ग है।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1

प्रश्न 8.
a और b के निम्नलिखित मानों के लिए a -(b)= a + b का सत्यापन कीजिए:
(i) a = 21, b = 18
(ii) a = 118, b = 125
(iii) a = 75, b = 84
(iv) a = 28,b = 11
हल :
(i) बायाँ भाग = a -(-b) = 21 – (-18)
= 21 + 18 = 39
दायाँ भाग = a + b = 21 + 18 = 39
∴ बायाँ भाग = दायाँ भाग

(ii) बायाँ भाग = a -(-b)= 118 – (-125)
= 118 + 125 = 243
दायाँ भाग = a + b = 118 + 125 = 243
∴ बायाँ भाग = दायाँ भाग

(iii) बायाँ भाग = a -(- b) = 75 -(-84)
= 75 + 84 = 159
दायाँ भाग = a + b = 75 + 84 = 159
∴ बायाँ भाग = दायाँ भाग

(iv) बायाँ भाग = a – (-b) = 28 – (-11)
= 28 + 11 = 39
दायाँ भाग = a + b = 28 + 11 = 39
∴ बायाँ भाग = दायाँ भाग

प्रश्न 9.
निम्नलिखित कथनों को सत्य बनाने के लिए, बॉक्स में संकेत >, < अथवा = का उपयोग कीजिए:
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1 - 6
हल :
(a) यहाँ (-8) + (-4) = – 8 – 4 = – 12
और (-8) – (-4) = – 8 + 4 = – 4
चूँकि – 12 < – 4
इसलिए, (-8) + (-4) < (-8) – (-4)

(b) यहाँ (-3) + 7 – (19) = – 3 + 7 – 19
= – 22 + 7 = – 15
और 15 – 8 + (-9) = 15 – 8 – 9
= 15 – 17 = – 2
चूँकि – 15 < – 2
इसलिए, (-3) + 7 – (19)015-8+ (-9)

(c) यहाँ 23 – 41 + 11 = 34 – 41 = – 7
और 23 – 41 – 11 = 23 – 52 = – 29
चूँकि -7 > -29
इसलिए 23 – 41 + 11 > 23 – 41 – 11

(d) यहाँ 39 + (-24) – (15) = 39 – 24 – 15
= 39 -39 = 0
और 36 + (-52) – (-36) = 36 – 52 + 36
= 72 – 52 = 20
चूँकि 0 < 20
इसलिए, 39 + (-24) – (15) < 36 + (-52) – (-36)

(e) यहाँ – 231 + 79 + 51 = – 231 + 130 = -101
और – 399 + 159 + 81 = – 399 + 240 = -159
चूंकि – 101 > – 159
इसलिए, – 231 + 79 + 51 > – 399 + 159 + 81

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 1 पूर्णांक Ex 1.1

प्रश्न 10.
पानी के एक तालाब में अन्दर की ओर सीढ़ियाँ हैं। एक बन्दर सबसे ऊपर वाली सीढ़ी (यानी पहली सीढ़ी) पर बैठा हुआ है। पानी नौवीं सीढ़ी पर है।
(i) वह एक छलाँग में तीन सीढ़ियाँ नीचे की ओर और अगली छलाँग में दो सीढ़ियों ऊपर की ओर जाता है। कितनी छलाँगों में वह पानी के स्तर तक पहुँच पाएगा?
(i) पानी पीने के पश्चात् वह वापस जाना चाहता है। इस कार्य के लिए वह एक छलाँग में 4 सीढ़ियाँ ऊपर की ओर और अगली छलाँग में 2 सीढ़ियाँ नीचे की ओर जाता है। कितनी छलाँगों में वह वापस सबसे ऊपर वाली सीढ़ी पर पहुँच जाएगा?
(iii) यदि नीचे की ओर पार की गई सीढ़ियों की संख्या को ऋणात्मक पूर्णाक से निरूपित किया जाता है और ऊपर की ओर पार की गई सीढ़ियों की संख्या को धनात्मक पूर्णांक से निरूपित किया जाता है, तो निम्नलिखित को पूरा करते हुए भाग (i) और (ii) में उसकी गति को निरूपित कीजिए :
(a) – 3 + 2 – …….. = – 8
(b) 4 – 2 + …… = 8.
(c) में योग (-8) आठ सीढ़ियों नीचे जाने को निरूपित करता है, तो (b) में योग 8 किसको निरूपित करेगा?
हल :
(i) नीचे जाते समय बन्दर एक छलांग में 3 सीढ़ियाँ नीचे कूदता है तथा अगली छलाँग में 2 वापस ऊपर की ओर।
अत: पानी तक पहुँचने के लिए वह प्रति छलाँग निम्न प्रकार कूदेगा :
– 3 + 2 – 3 + 2 – 3 + 2 – 3 + 2 – 3 + 2 – 3 = – 8
अत: पानी तक पहुँचने के लिए वह 11 बार छलांग लगायेगा।

(ii) पानी पीने के पश्चात् वह ऊपर वाली सीढ़ी तक पहुँचने के लिए प्रति छलाँग निम्न प्रकार कूदेगा :
4 – 2 + 4 – 2 + 4 = 8
अत: वह वापसी के लिए 5 बार छलांग लगायेगा।

(iii) (a) -3 + 2 – 3 + 2 – 3 + 2 – 3 + 2 – 3 + 2 – 3 = -8
(b) 4 – 2 + 4 – 2 + 4 = 8
(b) में योग 8 का अर्थ ऊपर जाने वाली सीढ़ियों से है।

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Exercise 5.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित स्थितियों में से किन स्थितियों में संबद्ध संख्याओं की सूची AP है और क्यों?
(i) प्रत्येक किलोमीटर के बाद का टैक्सी का किराया, जबकि प्रथम किलोमीटर के लिए किराया 15 रु० है और प्रत्येक अतिरिक्त किलोमीटर के लिए किराया 8 रु० है।
(ii) किसी बेलन (cylinder) में उपस्थित हवा की मात्रा, जबकि वायु निकालने वाला पंप प्रत्येक बार बेलन की शेष हवा का 1/4 भाग बाहर निकाल देता है।
(ii) प्रत्येक मीटर की खुदाई के बाद, एक कुआँ खोदने में आई लागत, जबकि प्रथम मीटर खुदाई की लागत 150 रु० है और बाद में प्रत्येक मीटर खुदाई की लागत 50 रु० बढ़ती जाती है।
(iv) खाते में प्रत्येक वर्ष का मिश्रधन, जबकि 10000 रु० की राशि 8% वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्याज पर जमा की जाती है।
हल :
(i) यहाँ पर, प्रथम 1 कि०मी० का टैक्सी का किराया = 15 रु०
प्रत्येक अतिरिक्त 1 कि०मी० का टैक्सी का किराया = 8 रु०
अतः टैक्सी का 1 कि०मी०, 2 कि०मी०, 3 कि०मी०, 4 कि०मी० इत्यादि का क्रमशः किराया
= 15 रु०, 23 रु०, 31 रु०, 39 रु०……………..
इस प्रकार संबंध संख्याओं की सूची = 15, 23, 31, 39….
∵ सार्व अंतर (d) = 23 – 15 = 8
अतः संबंध संख्याओं की सूची AP है जिसका सार्व अंतर 8 है।

(ii) यहाँ पर, माना बेलन में उपस्थित हवा की मात्रा = Vm3
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 1
क्योंकि क्रमागत संख्याओं में समान अंतर नहीं है।
इसलिए संबंध संख्याओं की सूची AP में नहीं है।

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(iii) यहाँ पर, प्रथम 1 मी० कुएँ की खुदाई का व्यय = 150 रु०
प्रत्येक अतिरिक्त 1 मी० कुएँ की खुदाई का व्यय = 50 रु०
अतः कुएँ की खुदाई का 1 मी०, 2 मी०, 3 मी०, 4 मी० ………….. इत्यादि का व्यय
= 150 रु०, 200 रु०, 250 रु०, 300 रु०…….
इस प्रकार संबंध संख्याओं की सूची = 150, 200, 250, 300…
सार्व अंतर (d) = 200 – 150 = 50
अतः संबंध संख्याओं की सूची AP है जिसका सार्व अंतर 50 है।

(iv) यहाँ पर,
मूलधन = 10,000 रु०
दर = 8% वार्षिक
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 2
3 वर्ष बाद मिश्रधन = 10000 x \(\frac{108}{100} \times \frac{108}{100} \times \frac{108}{100}\) = 12597.12 रु०
अतः संबंध संख्याओं की सूची = 10800, 11664, 12597.12 …………
यहाँ पर 11664 – 10800 = 864
तथा 12597.12 – 11664 = 933.12
864 ≠ 933.12
क्योंकि क्रमागत संख्याओं में समान अंतर नहीं है।
इसलिए संबंध संख्याओं की सूची AP में नहीं है।

प्रश्न 2.
दी हुई A.P. के प्रथम चार पद लिखिए, जबकि प्रथम पद a और सार्व अंतर d निम्नलिखित हैं-
(i) a= 10, d = 10
(ii) a =-2, d = 0
(iii) a = 4, d = -3
(iv) a =-1, d = 1/2
(v) a = -1.25, d = -0.25
हल :
(i) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = 10
सार्व अंतर (a) = 10
a2 = a + 1d = 10 + 10 = 20
a3 = a + 2d = 10 + 2 x 10 = 30
a4 = a + 3d = 10 + 3 x 10 = 40
अतः AP के प्रथम चार पद = 10, 20, 30, 40

(ii) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = -2
सार्व अंतर (a) = 0
a2 = a + 1d = -2 + 1 x 0 = -2
a3 = a + 2d = -2 + 2 x 0 = -2
a4 = a + 3d = -2 + 3 x 0 = -2
अतः AP के प्रथम चार पद = -2,-2,-2,-2

(iii) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = 4
सार्व अंतर (d) = -3
a2 = a + 1d = 4 + 1(-3)= 4 – 3 = 1
a3 = a + 2d = 4 + 2(-3) = 4 – 6 = -2
a4 = a+ 3d = 4 + 3(-3) = 4 – 9 = -5
अतः AP के प्रथम चार पद = 4, 1,-2,-5

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(iv) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = -1
सार्व अंतर (d) = 1/2
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 3
अतः AP के प्रथम चार पद =-1, –\(\frac{1}{2}\), 0, \(\frac{1}{2}\)

(v) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = -1.25
सार्व अंतर (d) = -0.25
a2 = a + 1d = -1.25 +1 (-0.25) = –1.50
a3 = a+2d = -1.25 + 2 (-0.25) = -1.75
a4 = a + 3d = -1.25 + 3 (-0.25) = -2.00
अतः AP के प्रथम चार पद = -1.25, -1.50,-1.75, -2.00

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से प्रत्येक AP के लिए प्रथम पद तथा सार्व अंतर लिखिए
(i) 3, 1, -1, -3, …………
(ii) -5,-1, 3, 7, ………. …. 1 5 9 13
(iii) \(\frac{1}{3}, \frac{5}{3}, \frac{9}{3}, \frac{13}{3}\)
(iv) 0.6, 1.7, 2.8, 3.9, ……..
हल :
(i) यहाँ पर दी गई
AP = 3,1,-1,-3, …………
प्रथम पद (a) = 3
सार्व अंतर (d) = 1-3 = -2
अतः = 3 व d= – 2

(ii) यहाँ पर दी गई
AP = -5, -1, 3, 7, …………
प्रथम पद (a) = -5
सार्व अंतर (d) = -1 – (-5) = -1 + 5 = 4
अतः a = -5 व d = 4

(iii) यहाँ पर दी गई
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 4

(iv) यहाँ पर दी गई
AP = 0.6, 1.7, 2.8, 3.9,
प्रथम पद (a) = 0.6
सार्व अंतर (d) = 1.7-0.6 = 1.1
अतः a = 0.6 व d = 1.1

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-कौन AP हैं? यदि कोई AP है, तो इसका सार्व अंतर ज्ञात कीजिए और इनके तीन और पद लिखिए।
(i) 2, 4, 8, 16, …………
(ii) 2,\(\frac{5}{2}\),3, \(\frac{7}{2}\), ……….
(iii) -1.2,-3.2, -5.2, -7.2, ……………………
(iv) -10, -6, -2, 2, …………
(v) 3,3 + -2 , 3 + 272, 3 + 3-12,………
(vi) 0.2, 0.22, 0.222, 0.2222, ………………
(vii) 0, -4, -8, –12, ………….
(viii) \(-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2}\)
(ix) 1, 3, 9, 27, ……
(x) a, 2a, 3a, 4a, …….
(xi) a, a2, a3, a4, ……
(xii) 12, 18, 18, 132 ,…..
(xiii) √3, √6, √9, √2 , ………
(xiv) 12, 32,52,72, …………………………
(xv) 12,52,72, 73 ……………
हल :
(i) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है-2, 4, 8, 16, …………
a2 – a1 = 4 – 2 = 2
a3 – 42 = 8 – 4 =4
a4 – a3 = 16 – 8 = 8
`क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान नहीं है।
इसलिए दिया गया अनुक्रम AP नहीं है।

(ii) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है-2,\(\frac{5}{2}\),3, \(\frac{7}{2}\), ……….
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 5
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) =\(\frac{1}{2}\)
AP के अगले तीन पद होंगे
a5 = a + 4d = 2 + 4 x \(\frac{1}{2}\) = 2 + 2 = 4
a6 = a + 5d = 2 + 5 x \(\frac{1}{2}\) = \(\frac{4+5}{2}=\frac{9}{2}\)
a7 = a + 6d = 2 +6 x \(\frac{1}{2}\) = 2 + 3 = 5

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(iii) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- -1.2,-3.2, -5.2, -7.2, ……………………
a2 – a1 = -3.2 – (-1.2) = -3.2 + 1.2 = 2.0
a3 – a2 = -5.2 -(-3.2)=-5.2 + 3.2 = -2.0
a4 – a3 = -7.2 – (-5.2) = -7.2 + 5.2 = -2.0
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = -2
AP के अगले तीन पद होंगे
a5 = a + 4d = -1.2 + 4(-2) = -1.2 – 8 = -9.2
a6 = a+ 5d = -1.2 + 5(-2) = -1.2 – 10 = -11.2
a7 = a + 6d = -1.2 + 6(-2) = -1.2 – 12 = -13.2

(iv) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- -10, -6, -2, 2, …………
a2 – a1 = -6-(-10) = -6 + 10 = 4
a3 – a2 = -2 -(-6) = -2 + 6 = 4
a4 – a3 = 2 – (-2)= 2 + 2 = 4
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = 4
AP के अगले तीन पद होंगे
a5 = a +4d = -10 + 4(4) = -10 + 16 = 6
a6 = a+ 5d = -10 + 5(4) = -10 + 20 = 10
a7 = a + 6d = -10 + 6(4) = -10 + 24 = 14

(v) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- 3,3 + -2 , 3 + 272, 3 + 3-12,………
a2 – a1 = (3 + √2)-3 = 3 + √2 – 3 = √2
a3 – a2 = (3 + 2√2)- (3 + √2) = 3 + 2√2 -3 – √2 = √2
a4 – a3 = (3 + 3√2)- (3 + 2√2) = 3 +3√2 – 3 – 2√2 = √2
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = √2
AP के अगले तीन पद होंगे
a5 = a +4d = 3 +4√2
a6 = a+ 5d = 3 + 5√2
a7 = a + 6d = 3 + 6√2

(vi) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है-0.2, 0.22, 0.222, 0.2222, ………………
a2 – a1 = 0.22 – 0.2 = 0.02
a3 – a2 = 0.222 – 0.22 = 0.002
a4 – a3 = 0.2222 – 0.222 = 0.0002
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान नहीं है।
इसलिए दिया गया अनुक्रम AP नहीं है।

(vii) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- 0, -4, -8, –12, ………….
a2 – a1 = -4 – 0 = -4
a3 – a2 = -8 -(-4) = -8 + 4 =-4
a4 – a3 = -12 – (-8) = -12 + 8 = -4
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = -4
AP के अगले तीन पद होंगे
a5 = a + 4d = 0 + 4(-4)= –16
a6 = a + 5d = 0 + 5(-4) = -20
a7 = a + 6d = 0 + 6(-4)= -24

(viii) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- \(-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2},-\frac{1}{2}\)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1 6
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = 0
AP के अगले तीन पद होंगे
a5 = a + 4d = –\(\frac{1}{2}\) + 4(0) = –\(\frac{1}{2}\)
a6 = a + 4d = –\(\frac{1}{2}\) + 5(0) = –\(\frac{1}{2}\)
a7 = a + 6d = 1 + 6(0) = –\(\frac{1}{2}\) + 6(0) = –\(\frac{1}{2}\)

(ix) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है-1, 3, 9, 27, ……
a2 – a1 = 3 – 1 = 2
a3 – a2 = 9 – 3 = 6
a4 – a3 = 27 – 9 = 18
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान नहीं है।
इसलिए दिया गया अनुक्रम AP नहीं है।

(x) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- a, 2a, 3a, 4a, …….
a2 – a1 = 2a – a = a
a3 – a2 = 3a – 2a = a
a4 – a3 = 4a – 3a = a
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = a
AP के अगले तीन पद होंगे
a5 = a + 4d = a + 4(a) = 5a
a6 = a + 5d = a + 5(a) = 6a
a7 = a + 6d = a + 6(a) = 7a

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.1

(xi) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है-a, a2, a3, a4, ……
a2 – a1 = a2 – a = a(a-1)
a3 – a2 = a3 – a2 = a2(a-1)
a4 – a3 = a4 – a3 = a3(a-1)
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान नहीं है।
इसलिए दिया गया अनुक्रम AP नहीं है।

(xii) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- 12, 18, 18, 132 ,…..
a2 – a1 = √8 – √2 = 2√2 – √2 = 2
a3 – a2 = √18 – √8 = 3√2 – 2√2 = 12
a4 – a3 = √32 – √18 = 4√2 – 3√2 = 2
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है। अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = √2
AP के अगले तीन पद होंगे-
a5 = a +4d = √2 + 4(√2) = 5√2 = √50
a6 = a + 5d. = √2 + 5(√2) = 6√2 = √72
a7 = a + 6d = √2 + 6(√2) = 7√2 = √98

(xiii) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है- √3, √6, √9, √2 , ………
a2 – a1 = √6 – √3 = √3 (√2 – 1)
a3 – a2 = √9 – √6 = √3 (√3 – √2)
a4 – a3 = √12 – √5 = 2√3 -3
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान नहीं है।
इसलिए दिया गया अनुक्रम AP नहीं है।।

(xiv) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है-12, 32,52,72, …………………………
= 1, 9, 25, 49,.. ……..
a2 – a1 = 9 – 1 = 8
a3 – a2 = 25 – 9 = 16
a4 – a3 = 49 – 25 = 24
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान नहीं है।
इसलिए दिया गया अनुक्रम AP नहीं है।

(xv) यहाँ पर दिया गया अनुक्रम है – 12,52,72, 73 ……………
= 1, 25, 49,73……
a2 – a1 = 25 – 1 = 24
a3 – a2 = 49 – 25 = 24
a4 – a3 = 73 – 49 = 24
क्योंकि दो क्रमागत पदों का अंतर समान है।
अतः दिया गया अनुक्रम AP है, जिसका सार्व अंतर (d) = 24
AP के अगले तीन पद होंगे-
a5 = a + 4d = 1 + 4(24)= 1 + 96 = 97
a6 = a + 5d = 1 + 5(24) = 1 + 120 = 121
a7 = a + 6d = 1+ 6(24) = 1 + 144 = 145

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Exercise 5.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी में, रिक्त स्थानों को भरिए, जहाँ AP का प्रथम पद a, सार्व अंतर d और nवाँ पद an है-
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 1
हल :
(i) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = 7
सार्व अंतर (d) = 3
n = 8
हम जानते हैं कि
an = a + (n-1)d
7+ (8 – 1) x 3
= 7 + 21 = 28

(ii) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = -18
सार्व अंतर (d) = ?
n = 10
a10 = 0
हम जानते हैं कि
an = a + (n – 1)d
a10 = a + (10 – 1)d
0 = -18 + 9(d)
9d = 18
d= 18/9 = 2
अतः सार्व अंतर (d) = 2

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

(iii) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = ?
सार्व अंतर (d) = -3
n = 18
a18= -5
हम जानते हैं कि
an = a + (n-1)d
a18 = a + (18 – 1)d
-5 = a + 17(-3).
a = -5 +51
a = 46
प्रथम पद (a) = 46

(iv) यहाँ पर
प्रथम पद (a) =-18.9
सार्व अंतर (d) = 2.5
n = ?
an = 3.6
an= a + (n-1)d
3.6 = -18.9 + (n-1)2.5
3.6 + 18.9 = (n-1)2.5
n-1 = \(\frac{22.5}{2.5}\)
n = 9+ 1
n = 10

(v) यहाँ पर
प्रथम पद (a) = 3.5
सार्व अंतर (d) = 0
n = 105
a105 = ? हम जानते हैं कि
an = a + (n-1)d
a105 = 3.5 + (105 – 1)0
a105 = 3.5

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनिए और उसका औचित्य दीजिए-
(i) AP : 10, 7, 4, ……. , का 30वाँ पद है
(A) 97 (B) 77 (C)-77 (D)-87
(ii) AP:-3,\(-\frac{1}{2}\), 2,…….. , का 11वाँ पद है-
(A) 28 (B) 22 . (C)-38 (D) -481/2
हल :
(i) यहाँ पर AP = 10, 7,4,…..
प्रथम पद (a) = 10
सार्व अंतर (a) = 7 – 10 = -3
n = 30
हम जानते हैं कि
a = a + (n-1)d
a30 = a+29d
a30 = 10 + 29(-3)
= 10 – 87 = -77
अतः सही उत्तर = C

(ii) यहाँ पर
AP = -3, \(-\frac{1}{2}\),2, …………
प्रथम पद (a) = -3
सार्व अंतर (d) = \(-\frac{1}{2}-(-3)=-\frac{1}{2}+3=\frac{-1+6}{2}=\frac{5}{2}\)
n = 11
हम जानते हैं कि
an = a+ (n-1)d
a11 = a + 10d
a11 = -3 + 10(5/2)
= -3 + 25 = 22
अतः सही उत्तर = B

प्रश्न 3.
निम्नलिखित समांतर श्रेढ़ियों में, रिक्त खानों के पदों को ज्ञात कीजिए-
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 2
हल :
(i) हम जानते हैं कि यदि a, b, c समांतर श्रेढ़ी में हों तो
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 3

(ii) यहाँ पर
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 4

(iii) यहाँ पर
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 5
प्रथम पद (a) = 5
n = 4
a4 = \(9 \frac{1}{2}=\frac{19}{2}\)
सार्व अंतर (d) = ?
हम जानते हैं कि
a4 = a + 3d
\(\frac{19}{2}\) = 5 + 3d
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 6

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

(iv) यहाँ पर
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 7
प्रथम पद (a) = -4
n = 6
d = ?
a6 = 6
हम जानते हैं कि
a6 = a+ 5d
6 = -4 + 5d
5d = 6 +4
d = 10/5 =2
a2 = a +d=-4 + 2 = -2
a3 = a + 2d = -4 + 2(2) = -4 + 4 = 0
a4 = a + 3d =-4 + 3(2) = -4 + 6 = 2
a5 = a +4d = 4+ 4(2) = –4.+ 8 = 4
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 8

(v) यहाँ पर दिया है-
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 9
a2 = 38
a + d = 38 ……….(i)
तथा a6 = -22
a+ 5d = -22 …………….(ii)
समीकरण (i) को समीकरण (ii) में से घटाने पर प्राप्त होता है,
4d = -60
d= \(\frac{-60}{4}\) =-15
d का मान समीकरण (i) में रखने पर, .
a-15 = 38
a = 38+15 = 53
a1 = 53
a3 = a + 2d = 53 +2(-15)= 53 -30 = 23
a4 = a + 3d = 53 + 3(-15)= 53-45 = 8
a5 = a + 4d = 53 + 4(-15) = 53 – 60 = -7
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 10

प्रश्न 4.
AP: 3, 8, 13, 18, ……. का कौन-सा पद 78 है?
हल :
यहाँ पर A.P. = 3, 8, 13, 18, ……..
प्रथम पद (a) = 3
सार्व अंतर (d) = 8 – 3 = 5
an = 78
n = ?
हम जानते हैं कि
an = a + (n-1)d
78 = 3 + (n- 1)5
(n – 1)5 = 78-3
n – 1 = \(\frac{75}{5}\)
n = 15 + 1
n = 16
अतः दी गई AP का 16वाँ पद 78 होगा।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित समांतर श्रेढ़ियों में से प्रत्येक श्रेढ़ी में कितने पद हैं?
(i) 7, 13, 19,…………, 205
(i) 18, 15 1/2, 13….., -47
हल :
(i) यहाँ पर
AP = 7, 13, 19, ……….., 205
प्रथम पद (a) = 7
सार्व अंतर (d) = 13 – 7 = 6
an = 205
n = ?
हम जानते हैं कि
= a+ (n-1)d
205 = 7 + (n-1)6
(n – 1) = \(\frac{205-7}{6}=\frac{198}{6}\) = 33
n = 33 + 1 = 34
अतः दी गई AP में पदों की संख्या = 34

(ii) यहाँ पर
AP = 18,15 1/2, 1….., -47
प्रथम पद (a) = 18
सार्व अंतर (d) = \(\frac{31}{2}-18=\frac{31-36}{2}=-\frac{5}{2}\)
an = -47
n = ?
हम जानते हैं कि
= an + (n – 1)d
-47 = 18 + (n-1)(\left(-\frac{5}{2}\right))
(n-1) (\left(-\frac{5}{2}\right))= -47 – 18
(n-1) = -65 x (\(\left(-\frac{2}{5}\right)[/laex])
n-1 = 26
n = 26 + 1 = 27
अतः दी गई AP में पदों की संख्या = 27

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 6.
क्या AP : 11, 8, 5, 2,…… का एक पद -150 है? क्यों?
हल :
यहाँ पर
AP = 11, 8, 5, 2, ………..
प्रथम पद (a) = 11
सार्व अंतर (d) = 8-11 = -3
माना दी गई AP का nवाँ पद (an) = -150
a+ (n-1)d = -150
11 + (n-1)-3 = -150
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2 11
क्योंकि n पूर्णांक होना चाहिए।
इसलिए दी गई AP का एक पद -150 नहीं हो सकता।

प्रश्न 7.
उस AP का 31वाँ पद ज्ञात कीजिए, जिसका 11वाँ पद 38 है और 16वाँ पद 73 है।
हल :
यहाँ पर
a11 = 38
a+ 10d = 38 ……………….(i)
तथा a16 = 73
a + 15d = 73 …………….(ii)
समीकरण (i) को समीकरण (ii) में से घटाने पर प्राप्त होता है,
15d – 10d = 73 – 38
5d = 35
d = 35/5 =7
d का मान समीकरण (i) में रखने पर,
a+ 10(7) = 38
a = 38 – 70 = -32
अब a31 = a + 30d = -32 + 30(7) = -32 + 210 = 178
अतः AP का 31वाँ पद = 178

प्रश्न 8.
एक AP में 50 पद हैं, जिसका तीसरा पद 12 है और अंतिम पद 106 है। इसका 29वाँ पद ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर
n = 50
a3 = 12
a+2d = 12 …………….(i)
तथा a50 = 106
a + 49d = 106 …………….(ii)
समीकरण (i) को समीकरण (ii) में से घटाने पर प्राप्त होता है,
49d – 2d = 106 – 12
47d = 94
d = [latex]\frac{94}{47}\) = 2
d का मान समीकरण (i) में रखने पर,
a + 2(2) = 12
a = 12 -4 = 8
a29 = a + 28d = 8 + 28(2) = 8 + 56 = 64
अतः AP का 29वाँ पद = 64

प्रश्न 9.
यदि किसी AP के तीसरे और नौवें पद क्रमशः 4 और -8 हैं, तो इसका कौन-सा पद शून्य होगा?
हल :
यहाँ पर
a3 = 4
a+2d = 4 …….(i)
a9 = -8
a + 8d = -8 ………(ii)
समीकरण (i) को समीकरण (ii) में से घटाने पर प्राप्त होता है,
8d – 2d = – 8 – 4
6d = -12
d= -12/6 = -2
d का मान समीकरण (i) में रखने पर,
a + 2(-2) = 4
a = 4 + 4 = 8
माना AP का nवाँ पद (an) = 0
a + (n – 1)d = 0
8 + (n – 1)(-2) = 0
(n-1) = \(\frac{-8}{-2}\)
n = 4 + 1 = 5
अतः AP का 5वाँ पद शून्य होगा।

प्रश्न 10.
किसी AP का 17वाँ पद उसके 10वें पद से 7 अधिक है। इसका सार्व अंतर ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर प्रश्नानुसार a17 = a10 + 7
a + 16d = a + 9d + 7
a + 16d – a – 9d = 7
7d = 7
d = \(\frac{7}{7}\) =1
अतः AP का सार्व अंतर (d) = 1

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 11.
AP: 3, 15, 27, 39,…….. का कौन-सा पद उसके 54वें पद से 132 अधिक होगा?
हल :
यहाँ पर
AP = 3, 15, 27, 39, …….
प्रथम पद (a) = 3
सार्व अंतर (a) = 15-3 = 12
माना AP का 7वाँ पद 54वें पद से 132 अधिक है
an = a54 + 132
a + (n – 1)d = a+53d+ 132
(n – 1)12 = 53(12) + 132
= 636 + 132 = 768
n – 1 = \(\frac{768}{12}\) = 64
n = 64 + 1 = 65 अतः दी गई AP का 65वाँ पद 54वें पद से 132 अधिक है।

प्रश्न 12.
दो समांतर श्रेढ़ियों का सार्व अंतर समान है। यदि इनके 100वें पदों का अंतर 100 है, तो इनके 1000वें पदों का अंतर क्या होगा?
हल :
माना दोनों समांतर श्रेढ़ियों का सार्व अंतर = d
माना प्रथम समांतर श्रेढ़ी = a, a +d, a+2d, ……………., a + nd
व दूसरी समांतर श्रेढ़ी = a1, a1+d, a1 + 2d, ……………., a1 + nd
प्रथम समांतर श्रेढ़ी का 100वाँ पद (a100) = a + 99d
दूसरी समांतर श्रेढ़ी का 100वाँ पद (a11oo)= a1 + 99d
a100 – a1100 = a-a1
100 = a – a1
a – a1 = 100 …..(i)
इसी प्रकार a1000 – a11000 = a – a1
= 100 [समीकरण (i) से]
अतः दोनों समांतर श्रेढ़ियों के 1000वें पदों का अंतर = 100

प्रश्न 13.
तीन अंकों वाली कितनी संख्याएँ 7 से विभाज्य हैं?
हल :
हम जानते हैं कि
7 से विभाज्यं तीन अंकों की सबसे छोटी संख्या = 105
7 से विभाज्य तीन अंकों की सबसे बड़ी संख्या = 994
अतः AP = 105, 112, 119,………, 994
प्रथम पद (a) = 105
सार्व अंतर (a) = 7
an = 994
n = ?
हम जानते हैं कि
an= a + (n – 1)d
994 = 105 + (n – 1)7
(n – 1) = \(\frac{994-105}{7}\)
n-1 = \(\frac{889}{7}\)
n = 127 + 1
n = 128
अतः तीन अंकों वाली 7 से विभाज्य संख्याओं की संख्या = 128

प्रश्न 14.
10 और 250 के बीच में 4 के कितने गुणज हैं?
हल :
यहाँ पर 10 और 250 के बीच 4 के गुणज = 12, 16, 20, …………., 248
प्रथम पद (a) = 12
सार्व अंतर (a) = 16- 12 = 4
an = 248
n = ?
हम जानते हैं कि
= an + (n – 1)d
248 = 12 + (n – 1)4
(n-1) = \(\frac{248-12}{4}\)
n-1 = \(\frac{236}{4}\)
n = 59 + 1
n = 60
अतः 10 और 250 के बीच 4 के गुणजों की संख्या = 60 उत्तर

प्रश्न 15.
n के किस मान के लिए, दोनों समांतर श्रेढ़ियों 63, 65, 67,…….. और 3, 10, 17,…….. के इवें पद बराबर होंगे?
हल :
यहाँ पर
‘प्रथम AP = 63, 65, 67, …………
प्रथम पद (a) = 63
सार्व अंतर (a) = 65 – 63 = 2
nवाँ पद (a.) = a + (n – 1)d
= 63 + (n-1)2
= 63 + 2n-2 = 61 + 2n
तथा दूसरी AP = 3, 10, 17, ………..
प्रथम पद (a1) = 3
सार्व अंतर (d1) = 10 – 3 = 7
nवाँ पद (a1n) = a1 + (n-1)d1
= 3+ (n-1)7
= 3 + 7n – 7 = -4 + 7n
प्रश्नानुसार दोनों AP के n पद समान हैं।
an = an1
61 + 2n = -4+7n
7n- 2n = 61 +4
5n = 65
n = \(\frac{65}{5}\)
n = 13
अतः दोनों समांतर श्रेढ़ियों के 13वें पद समान होंगे।

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 16.
वह AP ज्ञात कीजिए जिसका तीसरा पद 16 है और 7वाँ पद 5वें पद से 12 अधिक है।
हल :
यहाँ पर
a = 16
a+2d = 16 ……(i)
a7 = a5 + 12
a + 6d = a +4d + 12
a+6d -a-4d = 12
2d = 12
d = 12/2 = 6
d का मान समीकरण (i) में रखने पर, .
a + 2(6) = 16
a = 16 – 12 = 4
अतः अभीष्ट AP = 4, 10, 16, 22, ……….

प्रश्न 17.
AP: 3, 8, 13, …….., 253 में अंतिम पद से 20वाँ पद ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर
AP = 3, 8, 13, ……., 253
प्रथम पद (a) = 3
अंतिम पद (1) = 253
सार्व अंतर (d) = 8-3 = 5
अंतिम पद से 20वाँ पद = l- (20 – 1)d
= 253 – 19 x 5
= 253 – 95 = 158

प्रश्न 18.
किसी AP के चौथे और 8वें पदों का योग 24 है तथा छठे और 10वें पदों का योग 44 है। इस A.P.के प्रथम तीन पद ज्ञात कीजिए। हल : माना
AP का प्रथम पद = a
सार्व अंतर = d
प्रश्नानुसार
an + ag = 24
(a + 3d) + (a + 7a) = 24
2a+ 10d = 24
a + 5d = 12 (दोनों ओर 2 से भाग करने पर) ……………..(i)
as + a10 = 44
(a + 5a) + (a + 9d) = 44
2a + 14d = 44
a+7d = 22 (दोनों ओर 2 से भाग करने पर)। …………………(ii)
समीकरण (i) को समीकरण (ii) में से घटाने पर प्राप्त होता है,
2d = 10
या d = 10/2 = 5
d का मान समीकरण (i) में रखने पर,
a + 5(5) = 12
a = 12 – 25 = -13
अतः AP के प्रथम तीन पद = -13, -8,-3

प्रश्न 19.
सुब्बा राव ने 1995 में 5000 रु० के मासिक वेतन पर कार्य आरंभ किया और प्रत्येक वर्ष 200 रु० की वेतन वृद्धि प्राप्त की। किस वर्ष में उसका वेतन 7000 रु० हो गया?
हल :
यहाँ पर
प्रथम पद (a) = 5000 रु०
सार्व अंतर (d) = 200 रु०
n = ?
an = 7000 रु०
हम जानते हैं कि
an = a + (n-1)d
7000 = 5000 + (n – 1)200
n-1 = \(\frac{7000-5000}{200}=\frac{2000}{200}\) = 10
n = 10 + 1 = 11.
अतः सुब्बा राव का 11वें वर्ष का वेतन 7000 रु० होगा।

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.2

प्रश्न 20.
रामकली ने किसी वर्ष के प्रथम सप्ताह में 5 रु० की बचत की और फिर अपनी साप्ताहिक बचत 1.75 रु० बढ़ाती गई। यदि nवें सप्ताह में उसकी साप्ताहिक बचत 20.75 रु० हो जाती है, तो n ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर
प्रथम पद (a) = 5 रु०
सार्व अंतर (a) = 1.75 रु०
n = ?
an = 20.75 रु०
हम जानते हैं कि = an + (n-1)d
20.75 = 5 + (n – 1)1.75
n – 1 = \(\frac{20.75-5}{1.75}=\frac{15.75}{1.75}\) = 9
n = 9+ 1 = 10
अतः रामकली की 10वें सप्ताह में साप्ताहिक बचत 20.75 रु० होगी।

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HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए

1. पूर्ण प्रतियोगिता उस दशा में पाई जाती है, जब प्रत्येक उत्पादन उपज की माँग
(A) अत्यधिक लोचदार होती है
(B) पूर्णतया लोचदार होती है
(C) पूर्णतया बेलोचदार होती है
(D) कम. बेलोचदार होती है
उत्तर:
(B) पूर्णतया लोचदार होती है

2. पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में कीमत समान रहती है, अतः AR रेखा की आकृति-
(A) U आकृति होती है
(B) आकृति होती है
(C) मूल बिंदु से 45° का कोण बनाती हुई सीधी रेखा होती है
(D) X-अक्ष के समानांतर होती है
उत्तर:
(D) X-अक्ष के समानांतर होती है

3. किस प्रकार के बाज़ार में एक फर्म कीमत स्वीकारक होती है?
(A) पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में
(B) एकाधिकार बाज़ार में
(C) एकाधिकारी प्रतिस्पर्धी बाज़ार में
(D) अल्पाधिकार बाज़ार में
उत्तर:
(A) पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

4. पूर्ण प्रतियोगिता (प्रतिस्पर्धा) में वस्तु की कीमत का निर्धारण-
(A) अकेली वस्तु की माँग करती है
(B) अकेली वस्तु की पूर्ति करती है
(C) वस्तु की माँग और पूर्ति दोनों द्वारा होता है
(D) सरकार द्वारा किया जाता है
उत्तर:
(C) वस्तु की माँग और पूर्ति दोनों द्वारा होता है

5. फर्मों के निर्बाध प्रवेश तथा बहिर्गमन के कारण-
(A) फर्मे अधि-सामान्य लाभ अर्जित करती हैं
(B) फळं हानि उठाती हैं
(C) फर्मे सामान्य लाभ अर्जित करती हैं
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) फर्मे सामान्य लाभ अर्जित करती हैं

6. सही समीकरण चुनिए-
(A) TR = \(\frac { AR }{ Q }\)
(B) AR = \(\frac { MR }{ Q }\)
(C) MR = \(\frac{\Delta \mathrm{TR}}{\Delta \mathrm{Q}}\)
(D) AR = TR x Q
उत्तर:
(C) MR = \(\frac{\Delta \mathrm{TR}}{\Delta \mathrm{Q}}\)

7. फर्म के आगम का अर्थ है-
(A) उत्पादन की इकाइयों का मूल्य
(B) बिक्री से प्राप्त आगम
(C) बिक्री पर किया गया व्यय
(D) लागत एवं लाभ का अंतर
उत्तर:
(B) बिक्री से प्राप्त आगम

8. निम्नलिखित में से कौन-सा सत्य है?
(A) कुल आगम = बिक्री इकाइयाँ x सीमांत आगम
(B) कुल आगम = बिक्री इकाइयाँ x औसत आगम
(C) कुल आगम = कुल आगम – कुल लागत
(D) कुल आगम = कुल लागत – कुल आगम
उत्तर:
(B) कुल आगम = बिक्री इकाइयाँ – औसत आगम

9. उस स्थिति को क्या कहते हैं, जिसमें असामान्य लाभ शून्य होते हैं?
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 1
(A) लाभ-अलाभ बिंदु
(B) सम-विच्छेद बिंदु
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

10. दिए गए रेखाचित्र में औसत आगम तथा सीमांत आगम वक्र किस बाज़ार में पाए जाते हैं?
(A) एकाधिकार
(B) पूर्ण प्रतियोगिता
(C) अल्पाधिकार
(D) एकाधिकारी प्रतियोगिता
उत्तर:
(B) पूर्ण प्रतियोगिता

11. दो इकाइयों की कुल आगम 100 इकाइयाँ हैं, तो औसत आगम होगी-
(A) 50
(B) 200
(C) 20
(D) 80
उत्तर:
(A) 50

12. पहली इकाई बेचने से मोहन को 20 रु० मिले, दूसरी इकाई बेचने से 16 रु० मिले। दोनों इकाइयों की औसत आगम (AR) होगी-
(A) 16 रु०
(B) 18 रु०
(C) 36 रु०
(D) 4 रु०
उत्तर:
(B) 18 रु०

13. पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में सीमांत आगम-
(A) औसत आगम के बराबर होती है
(B) औसत आगम से अधिक होती है
(C) औसत आगम से कम होती है
(D) औसत आगम के अंश के बराबर है
उत्तर:
(A) औसत आगम के बराबर होती है

14. औसत आगम (AR) के स्थिर रहने पर, MR और AR में क्या संबंध होता है?
(A) MR > AR
(B) AR < MR
(C) AR = MR
(D) AR # MR
उत्तर:
(C) AR = MR

15. औसत आगम हो सकती है-
(A) धनात्मक
(B) ऋणात्मक
(C) शून्य
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) धनात्मक

16. सीमांत आगम (MR) हो सकती है-
(A) धनात्मक
(B) ऋणात्मक
(C) शून्य
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

17. औसत आगम वक्र को कहा जाता है-
(A) माँग वक्र
(B). उत्पादन वक्र
(C) पूर्ति वक्र
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) माँग वक्र

18. पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में कीमत समान रहती है। अतः कुल आगम रेखा की आकृति निम्नलिखित में से कौन-सी होती है-
(A) X-अक्ष के समानांतर
(B) U आकृति की
(C) आकृति की
(D) मूल बिंदु से 45° का कोण बनाती हुई सीधी रेखा होती है
उत्तर:
(D) मूल बिंदु से 45° का कोण बनाती हुई सीधी रेखा होती है

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

19. जब AR वक्र सीधी रेखा में होते हैं, तब AR से Y-अक्ष पर डाले गए लंब को MR वक्र-
(A) मध्य-बिंदु पर काटती है
(B) मध्य-बिंदु से बाईं ओर काटती है
(C) मध्य-बिंदु से दाईं ओर काटती है
(D) Y-अक्ष पर ही काटती है
उत्तर:
(D) Y-अक्ष पर ही काटती है

20. उत्पादक (फर्म) का उद्देश्य क्या होता है?
(A) अधिकतम लाभ प्राप्त करना
(B) व्यापार करना
(C) सामान्य लाभ प्राप्त करना
(D) हानि से बचना
उत्तर:
(A) अधिकतम लाभ प्राप्त करना

21. संतुलन की अवस्था में एक फर्म को-
(A) आवश्यक रूप से अधिकतम लाभ मिलता है
(B) आवश्यक रूप से न्यूनतम हानि होती है
(C) अधिकतम लाभ अथवा न्यूनतम हानि कुछ भी हो सकती है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) आवश्यक रूप से अधिकतम लाभ मिलता है

22. कुल आगम और कुल लागत के अंतर को क्या कहते हैं?
(A) कुल लाभ
(B) प्रति इकाई लाभ
(C) सामान्य लाभ
(D) असामान्य हानि
उत्तर:
(A) कुल लाभ

23. लाभ की अवस्था में एक फर्म का संतुलन तभी होता है जब-
(A) कुल आगम कुल लागत से अधिक हो
(B) कुल आगम और कुल लागत बराबर हो
(C) कुल आगम कुल लागत से कम हो
(D) कुल आगम कुल लागत से अधिक हो और इनमें अधिकतम अंतर हो
उत्तर:
(D) कुल आगम कुल लागत से अधिक हो और इनमें अधिकतम अंतर हो

24. हानि की अवस्था में एक फर्म का संतुलन तभी होता है जब
(A) कुल आगम कुल लागत से कम हो
(B) कुल आगम कुल लागत से कम हो और इनमें न्यूनतम अंतर हो
(C) कुल आगम और कुल लागत बराबर हों
(D) कुल आगम कुल लागत से अधिक हो
उत्तर:
(B) कुल आगम कुल लागत से कम हो और इनमें न्यूनतम अंतर हो

25. उत्पादक संतुलन की स्थिति में MR तथा MC होते हैं-
(A) अधिक
(B) कम
(C) बराबर
(D) शून्य
उत्तर:
(C) बराबर

26. पूर्ण प्रतियोगिता की अवस्था में फर्म संतुलन की अवस्था में होगी, जब-
(A) MR = 0
(B) MC = TR
(C) MC = MR
(D) AC = AR
उत्तर:
(C) MC = MR.

27. संतुलन की स्थिति में सीमांत लागत वक्र सीमांत आगम (MR) वक्र को कहाँ से काटता है?
(A) ऊपर से
(B) नीचे से
(C) कहीं से भी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) नीचे से

28. पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म के संतुलन के लिए-
(A) सीमांत लागत और सीमांत आगम का बराबर होना आवश्यक है
(B) सीमांत लागत वक्र का सीमांत आगम वक्र को ऊपर से काटना आवश्यक है
(C) सीमांत लागत वक्र का सीमांत आगम वक्र का बराबर होना व नीचे से काटना आवश्यक है
(D) औसत आगम और औसत लागत का बराबर होना आवश्यक है
उत्तर:
(C) सीमांत लागत वक्र का सीमांत आगम वक्र का बराबर होना व नीचे से काटना आवश्यक है।

29. संलग्न रेखाचित्र में कौन-सा बिंदु फर्म का संतुलन बिंदु है?
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 2
(A) A
(B) B
(C) C
(D) D
उत्तर:
(B) B

30. संलग्न रेखाचित्र में फर्म का संतुलन किस बिंदु पर होगा?
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 3
(A) बिंदु E1 पर
(B) बिंदु E2 पर
(C) बिंदु M पर
(D) उपर्युक्त किसी बिंदु पर नहीं
उत्तर:
(B) बिंदु E2 पर

31. पूर्ण प्रतियोगिता में दीर्घकाल की अवस्था में
(A) TR = TC
(B) फर्म न्यूनतम औसत लागत पर उत्पादन करती है
(C) फर्मों को उद्योग में प्रवेश या उद्योग को छोड़ने की प्रवृत्ति नहीं होती उत्पादन(निर्गत)
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) फर्म न्यूनतम औसत लागत पर उत्पादन करती है

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

32. उद्योग में फर्मों के स्वतंत्र प्रवेश और निकासी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(A) फर्मों के लाभों में वृद्धि
(B) फर्मों को दीर्घकाल में केवल सामान्य लाभ
(C) औसत लागत में वृद्धि
(D) फर्मों को दीर्घकाल में असामान्य हानि
उत्तर:
(B) फर्मों को दीर्घकाल में केवल सामान्य लाभ

33. फर्म को सामान्य लाभ तब उत्पन्न होते हैं, जब-
(A) AR > AC
(B) AR = AC
(C) AR < AC
(D) TR > TC
उत्तर:
(B) AR = AC

34. उत्पादन-बंद करने वाले बिंदु उस स्थिति में उत्पन्न होते हैं, जब-
(A) TR > TVC
(B) TR = TVC
(C) TR < TVC
(D) TR = Zero
उत्तर:
(B) TR = TVC

35. सम-स्तर बिंदु अथवा लाभ-अलाभ बिंदु क्या दर्शाता है?
(A) असामान्य लाभ
(B) असामान्य हानि
(C) अधिकतम लाभ
(D) न लाभ-न हानि
उत्तर:
(D) न लाभ-न हानि

36. पूर्ति से अभिप्राय है-
(A) वस्तु का स्टॉक
(B) वस्तु की उपभोग की जाने वाली मात्रा
(C) किसी कीमत पर वस्तु की बेची जाने वाली मात्रा
(D) वस्तु की उत्पादित मात्रा
उत्तर:
(C) किसी कीमत पर वस्तु की बेची जाने वाली मात्रा

37. कीमत और पूर्ति का सामान्यतया संबंध होता है-
(A) प्रत्यक्ष
(B) विलोम
(C) स्थिर।
(D) आनुपातिक
उत्तर:
(A) प्रत्यक्ष

38. पूर्ति वक्र होता है-
(A) नीचे से ऊपर दाईं ओर ढालू
(B) ऊपर से नीचे दाईं ओर ढालू
(C) Y-अक्ष के समानांतर
(D) X-अक्ष के समानांतर
उत्तर:
(A) नीचे से ऊपर दाईं ओर ढालू

39. कीमत के घटने पर पूर्ति-
(A) बढ़ती है
(B) घटती है
(C) स्थिर रहती है
(D) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता
उत्तर:
(B) घटती है

40. एक निश्चित समय एवं कीमत पर उत्पादक द्वारा बिक्री के लिए प्रस्तुत की जाने वाली वस्तु की मात्रा को क्या कहते हैं?
(A) भंडार
(B) पूर्ति
(C) आगम
(D) लागत
उत्तर:
(B) पूर्ति

41. समविच्छेद बिन्दु पर फर्म की लाभ तथा हानि होती है
(A) शून्य
(B) धनात्मक
(C) ऋणात्मक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) शून्य

42. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(A) कीमत के बढ़ने के साथ-साथ पूर्ति घटती है
(B) कीमत के घटने से पूर्ति बढ़ती है
(C) कीमत के बढ़ने से पूर्ति बढ़ती है
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) कीमत के बढ़ने से पूर्ति बढ़ती है

43. पूर्ति वक्र का ढलान होता है-
(A) ऋणात्मक
(B) धनात्मक
(C) OX-अक्ष के समानांतर
(D) OY-अक्ष के समानांतर
उत्तर:
(B) धनात्मक

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

44. पूर्ति में वृद्धि के कारण हैं-
(A) तकनीकी प्रगति
(B) उत्पादन साधनों की कीमत में कमी
(C) बाज़ार में फर्मों की संख्या में वृद्धि
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

45. पूर्ति का नियम पूर्ति एवं कीमत में कैसा संबंध दर्शाता है?
(A) सीधा
(B) उल्टा
(C) अप्रत्यक्ष
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) सीधा

46. पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन कब होता है?
(A) वस्तु की अपनी कीमत में परिवर्तन के कारण
(B) तकनीकी में परिवर्तन
(C) आगतों की कीमत में परिवर्तन
(D) सरकारी नीति में परिवर्तन
उत्तर:
(A) वस्तु की अपनी कीमत में परिवर्तन के कारण

47. तकनीकी उन्नति से पूर्ति वक्र पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(A) यह बाईं ओर खिसक जाता है
(B) यह दाईं ओर खिसक जाता है
(C) यह स्थिर रहता है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) यह दाईं ओर खिसक जाता है

48. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(A) पूर्ति स्टॉक का अंग है
(B) पूर्ति वक्र बाएँ से दाएँ ऊपर की ओर ढालू होता है
(C) पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन और पूर्ति में परिवर्तन का समान अर्थ है
(D) प्रतिस्पर्धी फर्म P = MC स्तर के उत्पादन पर अधिकतम लाभ अर्जित करेगी
उत्तर:
(C) पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन और पूर्ति में परिवर्तन का समान अर्थ है

49. जब किसी वस्तु की कीमत के अतिरिक्त अन्य तत्त्वों में परिवर्तन के कारण उसकी आपूर्ति में परिवर्तन होता है, तो उसे क्या कहते हैं?
(A) पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन
(B) पूर्ति में परिवर्तन
(C) पूर्ति वक्र पर संचलन
(D) पूर्ति का विस्तार
उत्तर:
(B) पूर्ति में परिवर्तन

50. कौन-सा पूर्ति की कमी का कारण है?
(A) साधन कीमत में गिरावट
(B) अन्य वस्तुओं की कीमत में वृद्धि
(C) उत्पादन कर में वृद्धि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) उत्पादन कर में वृद्धि

51. पूर्ति में विस्तार होने पर-
(A) पूर्ति वक्र में दाईं ओर खिसकाव आता है
(B) पूर्ति वक्र में बाईं ओर खिसकाव आता है
(C) उसी पूर्ति वक्र पर ऊपर की ओर संचरण होता है
(D) उसी पूर्ति वक्र पर नीचे की ओर संचरण होता है
उत्तर:
(C) उसी पूर्ति वक्र पर ऊपर की ओर संचरण होता है

52. कीमत के 5 रु० प्रति इकाई से बढ़कर 7 रु० प्रति इकाई हो जाने पर पूर्ति 50 से बढ़कर 60 हो जाती है। पूर्ति में यह परिवर्तन-
(A) पूर्ति में वृद्धि है
(B) पूर्ति में कमी है
(C) पूर्ति में संकुचन है
(D) पूर्ति में विस्तार है
उत्तर:
(D) पूर्ति में विस्तार है

53. पूर्ति वक्र का दाईं ओर खिसकाव पूर्ति में क्या दर्शाता है?
(A) कमी
(B) वृद्धि
(C) स्थिरता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) वृद्धि

54. यदि अति अल्पकाल में सब्जी की कीमत बहुत बढ़ जाती है तो भी पूर्ति बढ़ाना असंभव होगा क्योंकि अति अल्पकाल में सब्जी का पूर्ति वक्र होगा-
(A) पूर्णतया लोचदार
(B) पूर्णतया बेलोचदार
(C) लोचदार
(D) बेलोचदार
उत्तर:
(B) पूर्णतया बेलोचदार

55. पूर्ति लोच का तात्पर्य है, पूर्ति में परिवर्तन निम्नलिखित के परिवर्तन के कारण होना-
(A) वस्तु की कीमत
(B) पूर्ति की अवस्था
(C) उपभोक्ता की रुचि
(D) वस्तु की माँग
उत्तर:
(A) वस्तु की कीमत

56. पूर्ति लोच का तात्पर्य है-
(A) ∆q/∆p x p0/q0
(B) ∆p/∆q x q0p0
(C) ∆q/∆p
(D) q0/p0
उत्तर:
(A) ∆q/∆p x p0/q0

57. पूर्ति की लोच का सूत्र कौन-सा है?
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 4
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

58. पूर्ति की लोच को मापने की विधि है-
(A) प्रतिशत विधि
(B) ज्यामितीय विधि
(C) (A) एवं (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) एवं (B) दोनों

59. यदि कीमत 10 रु० से बढ़कर 12 रु० हो गई, जिसके कारण पूर्ति 15 इकाइयों से बढ़कर 20 इकाइयाँ हो गईं तो पूर्ति की लोच होगी-
(A) इकाई से कम
(B) इकाई से अधिक
(C) इकाई के बराबर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) इकाई से अधिक

60. पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले कारक हैं-
(A) प्राकृतिक बाधाएँ
(B) वस्तु की प्रकृति
(C) उत्पादन लागत
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

61. जब कीमत में काफी परिवर्तन आने पर भी पूर्ति में कोई परिवर्तन न आए, तब पूर्ति कहलाती है-
(A) पूर्णतया लोचदार
(B) पूर्णतया बेलोचदार
(C) इकाई लोचदार
(D) इकाई से कम लोचदार
उत्तर:
(B) पूर्णतया बेलोचदार

62. पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति वक्र की लोच कितनी होगी?
(A) अनंत
(B) इकाई
(C) शून्य
(D) 1 से 10 तक
उत्तर:
(C) शून्य

63. पूर्ति की इकाई लोच की स्थिति में एक सरल रेखा पूर्ति वक्र-
(A) X-अक्ष को काटता है
(B) Y-अक्ष को काटता है
(C) मूल बिंदु से गुजरता है
(D) Y-अक्ष के समानांतर होता है
उत्तर:
(C) मूल बिंदु से गुजरता है

64. पूर्णतया लोचदार पूर्ति वक्र की लोच होती है
(A) es = ∞
(B) es = 1
(C) es = 0
(D) es = 1 to 10
उत्तर:
(A) es = ∞

65. इकाई लोचदार पूर्ति की स्थिति में, पूर्ति एवं कीमत में परिवर्तन कैसे होते हैं?
(A) समान दर से
(B) असमान दर से
(C) कीमत परिवर्तन पूर्ति परिवर्तन से अधिक होता है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) समान दर से

66. जब कीमत में थोड़ा परिवर्तन होने पर पूर्ति में अनंत परिवर्तन हो जाता है, तब वस्तु की पूर्ति होती है-
(A) पूर्णतया लोचदार
(B) पूर्णतया बेलोचदार
(C) इकाई से अधिक लोचदार
(D) इकाई से कम लोचदार
उत्तर:
(A) पूर्णतया लोचदार

67. किसी वस्तु की पूर्ति की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा उसकी कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात के माप को कहते-
(A) माँग की कीमत लोच
(B) पूर्ति की कीमत लोच
(C) पूर्ति की आय लोच
(D) माँग की तिरछी लोच
उत्तर:
(B) पूर्ति की कीमत लोच

68. पूर्ति की लोच का मूल्य हो सकता है
(A) 0 से ∞ के बीच
(B) -1 से +1 तक
(C) 0 से 1 तक
(D) 1 से 10 तक
उत्तर:
(A) 0 से ∞ के बीच

69. यदि एक सीधी पूर्ति रेखा X-अक्ष पर रूकती है तो पूर्ति लोच होती है-
(A) इकाई के बराबर
(B) इकाई से कम
(C) इकाई से अधिक
(D) शून्य
उत्तर:
(B) इकाई से कम

B. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. संतुलन बिंदु पर जहाँ MC = MR है वहाँ MC का ढाल …………. होना चाहिए। (धनात्मक/ऋणात्मक)
उत्तर:
धनात्मक

2. जब पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में कीमत समान होती है तो AR वक्र की आकृति ……….. के समानांतर होती है। (x-अक्ष/Y-अक्ष)
उत्तर:
X-अक्ष

3. …………. बाजार में एक फर्म कीमत स्वीकारक होती है। (अल्पाधिकार/पूर्ण प्रतिस्पर्धी)
उत्तर:
पूर्ण प्रतिस्पर्धी

4. पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार में सीमांत संप्राप्ति, औसत संप्राप्ति ……………. होती है। (से कम/के बराबर)
उत्तर:
के बराबर

5. औसत संप्राप्ति (आगम) वक्र को …………… कहा जाता है। (उत्पादन वक्र/माँग वक्र)
उत्तर:
माँग वक्र

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

6. जब कीमत के बढ़ने पर पूर्ति बढ़ जाती है तो इसे ……………. कहते हैं। (पूर्ति का विस्तार पूर्ति में वृद्धि)
उत्तर:
पूर्ति का विस्तार

7. पूर्ति वक्र का दाईं ओर खिसकाव पूर्ति में ………… दर्शाता है। (कमी/वृद्धि)
उत्तर:
वृद्धि

8. एक फर्म तब संतुलन में होती है जब वह ……………. लाभ कमा रही होती है। (सामान्य/अधिकतम)
उत्तर:
अधिकतम

C. बताइए कि निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत

  1. फर्म का संतुलन निर्धारित करने के लिए AR तथा AC की आवश्यकता होती है।
  2. एक फर्म उस समय संतुलन की अवस्था में होती है जब AC तथा MC दोनों बराबर होते हैं।
  3. एक फर्म तब संतुलन में होती है जब MC = MR है तथा MC वक्र MR को नीचे से काटता है।
  4. संतुलन बिंदु पर जहाँ MC = MR है वहाँ MC का ढाल धनात्मक होना चाहिए।
  5. दीर्घकाल में, पूर्ण प्रतियोगिता में, संतुलन बिंदु इष्टतम उत्पादन बिंदु होता है।
  6. एक उद्योग संपूर्ण वस्तुओं का उत्पादन करने वाली फर्मों के समूह को कहा जाता है।
  7. औसत आगम कभी ऋणात्मक नहीं होती है।
  8. जब सीमांत आगम ऋणात्मक हो तो कुल आगम घटती है।
  9. सीमांत आय जब शून्य होती है, तो कुल आय अधिकतम होती है।
  10. पूर्ति वक्र की धारणा केवल पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में लागू होती है।
  11. एक उद्योग तब संतुलन स्थिति में होता है जब सभी फर्मे संतुलन की स्थिति में होती हैं।
  12. जब एक उद्योग संतुलन की स्थिति में होता है तो सभी फर्मों को असामान्य लाभ प्राप्त होता है।
  13. पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पादन बन्द करने का बिंदु वह बिंदु है जिस पर कीमत औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) के बराबर होती है।
  14. पूर्ति तथा स्टॉक में अन्तर नहीं होता है।
  15. पूर्ति स्टॉक से भी अधिक हो सकती है।
  16. जब पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में कीमत समान होती है तो AR वक्र की आकृति X-अक्ष के समानांतर होती है।
  17. अल्पाधिकार बाज़ार में एक फर्म कीमत स्वीकारक होती है।
  18. पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत सदैव सीमांत लागत के बराबर होती है।
  19. कीमत और पूर्ति का संबंध सामान्यतया प्रत्यक्ष होता है।
  20. पूर्ति वक्र का दाईं ओर खिसकाव पूर्ति में वृद्धि को दर्शाता है।

उत्तर:

  1. गलत
  2. गलत
  3. सही
  4. सही
  5. सही
  6. सही
  7. सही
  8. सही
  9. सही
  10. सही
  11. सही
  12. गलत
  13. सही
  14. सही
  15. गलत
  16. सही
  17. गलत
  18. गलत
  19. सही
  20. सही।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रतियोगिता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता से अभिप्राय बाज़ार की उस स्थिति से है जिसमें किसी वस्तु के क्रेता व विक्रेता बहुत अधिक संख्या में होते हैं और समरूप वस्तुओं को बाज़ार में एक समान कीमत पर बेचा जाता है।

प्रश्न 2.
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म का माँग वक्र किस प्रकार का होता है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म का माँग वक्र X-अक्ष के समानांतर एक सीधी रेखा के रूप में होता है।

प्रश्न 3.
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म कीमत स्वीकारक क्यों होती है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म का उद्योग में अति नगण्य स्थान होता है और कीमत उद्योग द्वारा निर्धारित होती है अर्थात् एक फर्म उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत में परिवर्तन नहीं कर सकती।

प्रश्न 4.
आगम (Revenue) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी वस्तु की बिक्री करने से एक फर्म को जो कुल आगम प्राप्त होती है, उसे फर्म की आगम कहते हैं।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 5.
कुल आगम (TR) की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
एक फर्म द्वारा वस्तु की विशेष मात्रा बेचने से जो मुद्रा राशि प्राप्त होती है, उसे कुल आगम कहते हैं। अर्थात् TR = q x p – 1 अथवा कुल आगम = बेची गई मात्रा x कीमत

प्रश्न 6.
औसत आगम (AR) की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
बेची गई वस्तु की प्रति इकाई के आगम या आगम को औसत आगम कहते हैं।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 5

प्रश्न 7.
क्या औसत आगम (संप्राप्ति) कीमत के बराबर होता है?
उत्तर:
हाँ, औसत आगम कीमत के बराबर होता है।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 6

प्रश्न 8.
सीमांत आगम (MR) किसे कहते हैं?
उत्तर:
वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के बेचने से कुल आगम में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत आगम कहते हैं।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 7

प्रश्न 9.
क्या MR शून्य या ऋणात्मक हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, MR शून्य या ऋणात्मक हो सकता है, जब एकाधिकार तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता में कीमत कम हो रही होती है।

प्रश्न 10.
पूर्ण प्रतिस्पर्धी फर्म के लिए कीमत तथा सीमांत आगम में क्या संबंध है?
उत्तर:
किसी प्रतिस्पर्धी फर्म के लिए कीमत (AR) तथा सीमांत आगम (MR) दोनों परस्पर बराबर होते हैं।

प्रश्न 11.
एक फर्म का संतुलन कब होता है?
उत्तर:
एक फर्म का संतुलन उस समय होता है, जब उसे अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।

प्रश्न 12.
एक फर्म के लाभ को अधिकतम करने की सामान्य शर्ते क्या हैं?
उत्तर:
TR और TC वक्रों के बीच अंतर अधिकतम होना चाहिए।

प्रश्न 13.
एक प्रतिस्पर्धी फर्म की अधिकतम लाभ की शर्त क्या है?
उत्तर:
एक पूर्ण प्रतियोगिता फर्म के अधिकतम लाभ की स्थिति तब होगी. जब कीमत (P) सीमांत लागत (MC) के बराबर होगी अर्थात् P = MC।

प्रश्न 14.
संतुलन बिंदु पर MC बढ़ती हुई क्यों होनी चाहिए?
उत्तर:
गिरती MC का अर्थ है कि उत्पाद की एक अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने पर सीमांत लागत घटती है। वह स्थिति जिसमें कीमत स्थिर रहती है (जैसे पूर्ण प्रतियोगिता में), इसका अर्थ वह स्थिति होगी जिसमें फर्म का कुल लाभ TR-TC बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में फर्म अपना उत्पादन बढ़ाना चाहेगी और संतुलन में नहीं होगी। इसलिए फर्म केवल तब संतुलन अवस्था प्राप्त करेगी जब MC बढ़ रही होती है।

प्रश्न 15.
MC < MR होना उत्पादक संतुलन स्तर क्यों नहीं है?
उत्तर:
MC < MR अधिकतम लाभ की स्थिति नहीं है, क्योंकि उत्पादक इस स्थिति में उत्पादन बढ़ाकर अपना लाभ बढ़ा सकता है।

प्रश्न 16.
MC > MR होना उत्पादक के लिए लाभ अधिकतमीकरण की स्थिति क्यों नहीं है?
उत्तर:
MC > MR की स्थिति भी अधिकतम लाभ की स्थिति नहीं है, क्योंकि यदि ऐसी स्थिति में उत्पादक अधिक उत्पादन करता है तो उसके लाभों में कमी होती है।

प्रश्न 17.
क्या होता है यदि फर्म अपना उत्पादन बढ़ाती है जबकि MR = MC है?
उत्तर:
वह स्थिति जिसमें MR = MC उत्पादन में कोई भी वृद्धि का अर्थ होगा MC > MR ऐसा इसलिए क्योंकि MR को स्थिर मान लिया गया है (जैसे कि पूर्ण प्रतियोगिता में) और (संतुलन दु पर) MC बढ़ रही है। तब यह वह स्थिति होगी जिसमें TR = ∑MR तथा TVC = ∑MC के बीच के अंतर में घटने की प्रवृत्ति होती है अथवा फर्म का सकल लाभ कम होना शुरू हो जाता है।

प्रश्न 18.
फर्म के संतुलन की प्रथम क्रम की शर्त (Condition of First Order) क्या है?
उत्तर:
फर्म के संतुलन की प्रथम क्रम की शर्त यह है कि सीमांत आगम सीमांत लागत के बराबर (MR = MC) होनी चाहिए।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 19.
फर्म के संतुलन की द्वितीय क्रम की शर्त (Condition of Second Order) क्या है?
उत्तर:
फर्म के संतुलन के लिए द्वितीय क्रम की शर्त यह है कि MC वक्र MR वक्र को नीचे से ऊपर की ओर काटती हो।

प्रश्न 20.
सामान्य लाभ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सामान्य लाभ वह न्यूनतम लाभ है जो साहसी को व्यवसाय में बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 21.
पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले कोई दो कारक बताएँ।
उत्तर:

  • उत्पादन लागत
  • वस्तु की प्रकृति।

प्रश्न 22.
असामान्य लाभ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
असामान्य लाभ का अभिप्राय कुल लागत (सामान्य लाभ सहित) पर कुल आगम के आधिक्य से है।
असामान्य लाभ = कुल आगम – कुल लागत

प्रश्न 23.
असामान्य हानि का क्या अर्थ है?
उत्तर:
असामान्य हानि का अभिप्राय कुल आगम पर कुल लागत के आधिक्य से है।
असामान्य हानि = कुल लागत कुल आगम

प्रश्न 24.
उत्पादन-बंद बिंदु (Shut-down Point) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उत्पादन-बंद बिंदु उत्पादन के उस स्तर को बताता है जहाँ फर्म अल्पकाल में हानि की स्थिति में उत्पादन बंद कर देगी। इस उत्पादन स्तर पर कीमत (p), औसत परिवर्ती लागत (AVC) के बराबर होती है।

प्रश्न 25.
यदि वर्तमान फर्मे असामान्य लाभ कमा रही हों, तो उद्योग में फर्मों की संख्या पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यदि वर्तमान फर्मे असामान्य लाभ कमा रही हों, तो उद्योग में फर्मों की संख्या में वृद्धि होगी।

प्रश्न 26.
यदि वर्तमान फर्मों को असामान्य हानि उठानी पड़ रही हो, तो उद्योग में फर्मों का किस प्रकार का परिवर्तन होगा?
उत्तर:
यदि वर्तमान फर्मों को असामान्य हानि उठानी पड़ रही हो, तो उद्योग में फर्मों की संख्या में कमी होगी।

प्रश्न 27.
दीर्घकालीन प्रतियोगिता संतुलन में सीमांत और औसत लागतों का क्या संबंध रहता है?
उत्तर:
दीर्घकालीन प्रतियोगिता संतुलन में सीमांत और औसत लागत बराबर होते हैं। इस प्रकार, औसत लागत (AC) = सीमांत लागत (MC)

प्रश्न 28.
पूर्ण प्रतिस्पर्धी उद्योग में दीर्घकालिक संतुलन की शर्ते बताइए।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगी उद्योग में दीर्घकालिक संतुलन की शर्ते निम्नलिखित हैं कीमत (P) = दीर्घकालीन औसत लागत (LAC) = दीर्घकालीन सीमांत लागत (LMC)।

प्रश्न 29.
दीर्घकालिक संतुलन की दशा में पूर्ण प्रतिस्पर्धी फर्म अपने दीर्घकालीन औसत लागत वक्र के किस बिंदु पर उत्पादन करेगी?
उत्तर:
दीर्घकालिक संतुलन की दशा में पूर्ण प्रतियोगी फर्म अपने दीर्घकालीन औसत लागत (LAC) वक्र के न्यूनतम बिंदु पर उत्पादन करेगी।

प्रश्न 30.
‘लाभ-अलाभ बिंदु’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘लाभ-अलाभ बिंदु’ उत्पादन मात्रा के उस स्तर को बताता है, जिस पर फर्म की कुल आगम और कुल लागत बराबर होते हैं।

प्रश्न 31.
क्या एक फर्म ‘सम-स्तर बिंदु’ अर्थात् ‘लाभ-अलाभ बिंदु’ पर भी लाभ प्राप्त करती है?
उत्तर:
सम-स्तर बिंद’ अर्थात ‘लाभ-अलाभ बिंद’ से यह नहीं समझ लेना चाहिए कि उत्पादक (फर्म) का लाभ शन्य है। वास्तव में इस बिंदु पर भी फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है क्योंकि उसकी कुल आगम, कुल लागत के बराबर है और कुल लागत में उसका सामान्य लाभ शामिल होता है।

प्रश्न 32.
‘पूर्ति’ का अर्थ बताइए।
उत्तर:
एक निश्चित समय में, निश्चित कीमत पर उत्पादक द्वारा बिक्री के लिए प्रस्तुत की जाने वाली वस्तु की मात्रा को पूर्ति कहते हैं।

प्रश्न 33.
पूर्ति को प्रभावित (निर्धारित) करने वाले किन्हीं तीन तत्त्वों के नाम बताइए।
उत्तर:

  • उत्पादन के कारकों की कीमत
  • उत्पादन तकनीक तथा
  • प्राकृतिक तत्त्व।

प्रश्न 34.
पूर्ति तालिका की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
पूर्ति तालिका एक ऐसी तालिका है जो वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बिक्री के लिए प्रस्तुत की जाने वाली विभिन्न मात्राओं को दर्शाती है।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 35.
व्यक्तिगत पूर्ति की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत पूर्ति से अभिप्राय किसी वस्तु की उस मात्रा से है जिसे एक विक्रेता एक विशेष समय में वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बाज़ार में बेचने के लिए तैयार है।

प्रश्न 36.
बाज़ार पूर्ति की परिभाषा दीजिए अथवा बाज़ार आपूर्ति क्या है?
उत्तर:
बाज़ार पूर्ति से अभिप्राय किसी वस्तु की उस मात्रा से है जिसे सभी विक्रेता एक विशेष समय में वस्तु की विभिन्न. कीमतों पर बाज़ार में बेचने के लिए तैयार है।

प्रश्न 37.
पूर्ति के नियम का क्या अर्थ है?
उत्तर:
पूर्ति का नियम यह बताता है कि अन्य बातें समान रहने पर, वस्तु की कीमत बढ़ने पर पूर्ति बढ़ जाती है और कीमत कम होने पर पूर्ति कम हो जाती है।

प्रश्न 38.
एक काल्पनिक पूर्ति तालिका बनाइए।
उत्तर:

कीमत प्रति 1 किलो (रपाए)पूर्ति (किल्नो)
103,000
115,000
128,000

प्रश्न 39.
पूर्ति वक्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
पूर्ति वक्र वह वक्र है जो वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बिक्री की जाने वाली विभिन्न मात्राएँ दर्शाता है।

प्रश्न 40.
एक पूर्ति वक्र बनाइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 8

प्रश्न 41.
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन से हमारा अभिप्राय वस्तु की अपनी कीमत में परिवर्तन के कारण पूर्ति की मात्रा में होने वाले परिवर्तन से है। इसे एक ही पूर्ति वक्र पर चलन भी कहते हैं।

प्रश्न 42.
पूर्ति में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अन्य कारकों; जैसे तकनीकी परिवर्तन, आगतों की कीमत में परिवर्तन, उत्पादन कर की दर में परिवर्तन आदि के कारण पूर्ति वक्र का खिसकान (दाईं अथवा बाईं ओर) पूर्ति में परिवर्तन कहलाता है।

प्रश्न 43.
पूर्ति वक्र पर चलने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब पूर्ति वक्र में होने वाले परिवर्तन को उसी पूर्ति वक्र पर दर्शाया जाता है, तो इसे हम पूर्ति वक्र पर चलना कहते हैं।

प्रश्न 44.
पूर्ति में विस्तार से क्या आशय है?
उत्तर:
वस्तु की कीमत में वृद्धि के फलस्वरूप पूर्ति की मात्रा में बढ़ोतरी को पूर्ति में विस्तार कहते हैं।

प्रश्न 45.
पूर्ति में संकुचन से क्या आशय है?
उत्तर:
वस्तु की कीमत में कमी के फलस्वरूप पूर्ति की मात्रा में कमी को पूर्ति में संकुचन कहते हैं।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 46.
पूर्ति वक्र पर खिसकने का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब पूर्ति में होने वाले परिवर्तन को दूसरी पूर्ति वक्र से दर्शाया जाता है तो इसे हम पूर्ति वक्र पर खिसकना कहते हैं।

प्रश्न 47.
पूर्ति में वृद्धि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वस्तु की कीमत में वृद्धि के अतिरिक्त अन्य कारकों; जैसे अन्य वस्तुओं की कीमतों में कमी, उत्पादन साधनों (कारकों) की लागत में कमी आदि से वस्तु की पूर्ति में होने वाली बढ़ोतरी को पूर्ति में वृद्धि कहते हैं।

प्रश्न 48.
पूर्ति में कमी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वस्तु की कीमत में कमी के अतिरिक्त अन्य कारकों; जैसे अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, उत्पादन साधनों की लागत में वृद्धि आदि से वस्तु की पूर्ति में होने वाली गिरावट को पूर्ति में कमी क

प्रश्न 49.
आपूर्ति वक्र को खिसका सकने वाले तीन कारक बताएँ।
उत्तर:

  • तकनीकी सुधार
  • आगतों (Inputs) की कीमतों में परिवर्तन
  • उत्पादन शुल्क की दर में परिवर्तन।

प्रश्न 50.
ऐसे दो उदाहरण दें जिनमें तकनीकी प्रगति आपूर्ति वक्र को खिसका देती है।
उत्तर:

  • इंटरनेट का प्रयोग
  • फोटो कॉपी निकालने की मशीन (Duplicating Machine) का प्रयोग।

प्रश्न 51.
आगत कीमत की वृद्धि का आपूर्ति वक्र पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
आगत कीमतों में वृद्धि से आपूर्ति वक्र बाईं ओर खिसक जाता है।

प्रश्न 52.
उत्पादन शुल्क दर में वृद्धि का आपूर्ति वक्र पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
उत्पादन शुल्क की दर में वृद्धि के परिणामस्वरूप आपूर्ति वक्र बाईं ओर खिसक जाता है, क्योंकि परिवर्ती लागत में शुल्क जुड़ने से सीमांत लागत बढ़ जाती है।

प्रश्न 53.
फर्मों की संख्या में वृद्धि किस प्रकार बाज़ार पूर्ति वक्र को प्रभावित करेगी?
उत्तर:
जब किसी उद्योग में फर्मों की संख्या बढ़ जाती है तो उत्पाद का बाज़ार पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाएगा। यह पूर्ति में वृद्धि का सूचक है।

प्रश्न 54.
प्रौद्योगिकी/तकनीकी में परिवर्तन का पूर्ति पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 9
प्रौद्योगिकी या तकनीकी विकास उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर सीमांत लागतों को कम कर देते हैं, जिससे वस्तु की पूर्ति में वृद्धि हो जाती है। लागतों में बचत करने वाले प्रौद्योगिकी परिवर्तन के कारण पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाता है।

प्रश्न 55.
एक ही पूर्ति वक्र पर ऊपर की ओर संचलन का क्या कारण होता है?
उत्तर:
किसी वस्तु के पूर्ति वक्र पर ऊपर की ओर संचलन का कारण वस्तु की अपनी कीमत में वृद्धि का होना है। यह पूर्ति के विस्तार की स्थिति है।

प्रश्न 56.
किसी वस्तु के पूर्ति वक्र पर नीचे की ओर संचलन का क्या कारण होता है?
उत्तर:
पूर्ति वक्र पर नीचे की ओर संचलन का कारण वस्तु की अपनी कीमत में कमी का होना है। यह पूर्ति के संकुचन की स्थिति होती है।

प्रश्न 57.
‘बाज़ार काल’ से क्या तात्पर्य है? बाज़ार काल में पूर्ति वक्र कैसा होता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 10
बाजार काल वह अल्प अवधि होती है जिसमें फर्मे कीमत परिवर्तन के कारण अपना उत्पादन परिवर्तित नहीं कर पाती। बाज़ार काल में पूर्ति वक्र उदग्र (Vertical) होता है।

प्रश्न 58.
अल्पकाल तथा दीर्घकाल में किसी प्रतिस्पर्धी फर्म के पूर्ति वक्र में क्या अंतर है?
उत्तर:
अल्पकाल में AVC के न्यूनतम बिंदु के ऊपर MC पूर्ति वक्र है, जबकि दीर्घकाल में AC के न्यूनतम बिंदु के ऊपर LMC पूर्ति वक्र है।

प्रश्न 59.
‘पूर्ति की कीमत लोच’ की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी पूर्ति में जिस दर से परिवर्तन आता है, उसे पूर्ति की कीमत लोच कहते हैं।

प्रश्न 60.
आपूर्ति की कीमत लोच किस चीज का मान निर्धारण/मापन करती है?
उत्तर:
आपूर्ति की कीमत लोच कीमत परिवर्तन के प्रति आपूर्ति की प्रतिक्रिया के परिमाण को व्यक्त करती है।

प्रश्न 61.
पूर्ति की कीमत लोच ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 11

प्रश्न 62.
यदि दो पूर्ति वक्र परस्पर काटते हैं तो प्रतिच्छेदन बिंदु पर कौन-सा वक्र अधिक लोचदार होगा?
उत्तर:
यदि दो पूर्ति वक्र परस्पर काट रहे हों तो प्रतिच्छेदन बिंदु पर जो वक्र कम ढलवाँ या अधिक चपटा (More Flatter) होगा, उसकी लोच अधिक होगी।

प्रश्न 63.
अधिक लोचदार पूर्ति कब होती है?
उत्तर:
जब कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप पूर्ति में तुलनात्मक अधिक परिवर्तन होता है, तब पूर्ति अधिक लोचदार कही जाएगी।

प्रश्न 64.
कम लोचदार पूर्ति से क्या आशय है?
उत्तर:
जब पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन, कीमत में प्रतिशत परिवर्तन की अपेक्षा कम हो, उसे कम लोचदार पूर्ति कहेंगे।

प्रश्न 65.
शून्य लोचदार पूर्ति (Zero Elastic Supply) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब वस्तु की कीमत का उसकी पूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, तो उस वस्तु की पूर्ति शून्य लोचदार कहलाती है।

प्रश्न 66.
एक वस्तु की पूर्ति को लोचदार (Elastic) कब कहा जाता है?
उत्तर:
एक वस्तु की पूर्ति को लोचदार तब कहा जाता है, जब कीमत में प्रतिशत परिवर्तन की तुलना में पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन अधिक हो।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 67.
एक वस्तु की पूर्ति को बेलोचदार कब कहा जाता है?
उत्तर:
एक वस्तु की पूर्ति को बेलोचदार तब कहा जाता है, जब वस्तु की पूर्ति में होने वाला प्रतिशत परिवर्तन वस्तु की कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन से कम हो।

प्रश्न 68.
X-अक्ष के मूल बिंदु से गुजरने वाले सरल रेखीय (Straight line) पूर्ति वक्र की पूर्ति की लोच (e) क्या होती है?
उत्तर:
सरल रेखीय पूर्ति वक्र यदि अक्ष केंद्र (अर्थात् X-अक्ष के मूल बिंदु) से गुजरे तो उसकी लोच का मान सदा एक इकाई के बराबर (es =1) होता है।

प्रश्न 69.
यदि दो पूर्ति वक्र एक-दूसरे को काटते हैं तो प्रतिच्छेदित बिंदु पर किस पूर्ति वक्र (कम ढलवाँ या अधिक ढलवाँ) की लोच अधिक होती है?
उत्तर:
यदि दो पूर्ति वक्र एक-दूसरे को काटते (intersect) हैं तो प्रतिच्छेदन बिंदु (point of intersection) पर कम ढलवाँ (Less flatter) पूर्ति वक्र की लोचशीलता (कम ढलवाँ माँग वक्र की भाँति) अधिक होती है।

प्रश्न 70.
पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार की दो मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) विक्रेताओं और क्रेताओं की बड़ी संख्या पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत बड़ी होती है। प्रत्येक क्रेता या विक्रेता कुल उत्पादन का बहुत ही सूक्ष्म भाग खरीदता या बेचता है और इस प्रकार वह कीमत को प्रभावित नहीं कर सकता।

(ii) समरूप वस्तु-पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में सभी फर्मे ही वस्तु का उत्पादन करती हैं। बाज़ार में सभी फर्मों द्वारा जो वस्तुएँ बेची जाती हैं। वे रंग-रूप, आकार व गुणवत्ता में एक-समान होती हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म का माँग वक्र पूर्णतया लोचदार क्यों होता है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार की वह स्थिति है जिसमें एक बड़ी संख्या में फर्मे समरूप वस्तु को बेचने की प्रतियोगिता करती हैं। पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार में वस्तु की कीमत उद्योग द्वारा निर्धारित होती है और एक फर्म को वही कीमत स्वीकार करनी पड़ती है। उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत पर फर्म जितना माल बेचना चाहे बेच सकती है। इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म का माँग वक्र पूर्णतया लोचदार होता है। इसे हम निम्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 12

प्रश्न 2.
पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म मूल्य स्वीकारक क्यों होती है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार में समान कीमत का प्रचलन होता है। कीमत का निर्धारण समस्त उद्योग की माँग व पूर्ति द्वारा किया जाता है और सभी फर्मों को वह कीमत स्वीकार करनी पड़ती है। उद्योगों द्वारा निर्धारित मूल्य (P) फर्म के AR और MR वक्र होते हैं। इसीलिए पूर्ण प्रतियोगिता में उद्योग को कीमत निर्धारक और फर्म को कीमत स्वीकारक कहा जाता है। इसे हम निम्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 13
रेखाचित्र में DD बाज़ार माँग वक्र तथा SS बाज़ार पूर्ति वक्र है। ये दोनों E बिंदु पर काटते हैं। संतुलन कीमत OP है जिस पर बाज़ार माँग और बाज़ार पूर्ति दोनों बराबर हैं। एक फर्म OP प्रति इकाई कीमत पर जितना माल बेचना चाहे बेच सकती है। क्योंकि इस बाज़ार में विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है। एक विक्रेता कुल बिक्री के अति सूक्ष्म भाग को बेचता है जिससे वह अपनी गतिविधियों से बाज़ार मूल्य को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं होता। इस प्रकार विक्रेता को वस्तु का मूल्य अपनी इच्छानुसार निर्धारित करने की जरा भी स्वतंत्रता नहीं होती।

प्रश्न 3.
फर्म के लाभ अधिकतमीकरण (Profit Maximisation) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फर्म का उद्देश्य केवल लाभ कमाना ही नहीं होता बल्कि लाभ का अधिकतमीकरण होता है। कुल लाभ मोटे तौर पर कुल आगम (TR) और कुल लागत (TC) का अंतर होता है। समीकरण के रूप में,
कुल लाभ = कुल आगम – कुल लागत
स्पष्ट है, लाभ अधिकतमीकरण का अर्थ है-कुल आगम और कुल लागत के अंतर को अधिकतम करना। यह अंतर जितना अधिक होगा, लाभ उतना ही अधिक होगा। अब प्रश्न उठता है कि उत्पादन (निर्गत) के किस स्तर पर फर्म का लाभ अधिकतम होगा? उत्पादन के उस स्तर (Level of Output) पर फर्म का लाभ अधिकतम होता है जहाँ एक अतिरिक्त इकाई की बिक्री से प्राप्त आगम (MR), अतिरिक्त इकाई की लागत (MC) के बराबर होता है अर्थात् जहाँ MR = MC । इसे फर्म की संतुलन स्थिति (State of Firm’s Equilibrium) भी कहा जाता है।

प्रश्न 4.
वस्तु के पूर्णतया समरूप होने का क्या अर्थ है? इसका बाज़ार में उत्पादकों द्वारा वसूल की जा रही कीमत पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
वस्तु के पूर्णतया समरूप होने का अर्थ यह है कि बाज़ार में बेची जाने वाली वस्तुएँ रंग-रूप, आकार तथा गुण में समान होती हैं। इस प्रकार एक विक्रेता द्वारा बेची गई वस्तु दूसरे विक्रेता द्वारा बेची गई वस्तु का पूर्ण स्थानापन्न होती है।

वस्तु के पूर्णतया समरूप होने का प्रभाव यह होता है कि बाज़ार में सभी फर्मों द्वारा वस्तु की समान कीमत वसूल की जाएगी। यदि एक विक्रेता उस वस्तु की कीमत उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत से अधिक वसूल करने का प्रयास करेगा तो कोई भी विक्रेता उससे वस्तु क्रय नहीं करेगा क्योंकि बाज़ार में अन्य विक्रेता उसी प्रकार की वस्तु बेचते हैं।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 5.
समझाइए कि दीर्घकाल में प्रतिस्पर्धी उद्योग में फर्मों का निर्बाध प्रवेश और बहिर्गमन असामान्य लाभों को शून्य कैसे कर देती है?
उत्तर:
यदि अल्पकाल में फर्मों को असामान्य लाभ प्राप्त होता है तो यह स्थिति नयी फर्मों को बाज़ार में प्रवेश करने के निमंत्रण का कार्य करती है। नयी फर्मों के प्रवेश से पूर्ति वक्र अपने दाहिने ओर खिसक जाएगा, जिससे कीमत में गिरावट आएगी। इस प्रकार जो फर्मे असामान्य लाभ कमा रही थीं, उनका असामान्य लाभ समाप्त हो जाएगा।

यदि अल्पकाल में फर्मों को असामान्य हानि होती है तो यह स्थिति वर्तमान फर्मों को बाज़ार से निकासी के लिए प्रेरित करने का कार्य करती है। कुछ फर्मों की निकासी से पूर्ति वक्र अपने बाईं ओर खिसक जाएगा जिससे कीमत में बढ़ोतरी होगी। इस प्रकार जो फर्मे असामान्य हानि अर्जित कर रही थीं, उनकी असामान्य हानि समाप्त हो जाएगी।

प्रश्न 6.
अल्पकाल में, पूर्ण प्रतियोगिता में यदि नई फर्मे उद्योग में प्रवेश न पा सकें तथा पुरानी फर्मे उसे छोड़कर न जा सकें, तो क्या होता है?
उत्तर:
यदि उद्योग में वर्तमान में काम कर रही फर्मे असामान्य लाभ कमा रही हैं [कुल आगम (TR) > कुल लागत (TC)] अथवा [औसत आगम (AR) > औसत लागत (AC)] तो वे असामान्य लाभ प्राप्त करती रहेंगी, क्योंकि नई प्रतिस्पर्धी फमें उद्योग में प्रवेश नहीं पा सकती। इसके विपरीत यदि उद्योग में काम कर रही फर्में हानि उठा रही हैं [कुल आगम/आगम < कुल लागत] अथवा [औसत आगम/आगम < औसत लागत तो वे हानि को उठाती रहेंगी, क्योंकि वे उद्योग को छोड़कर नहीं जा सकती।

प्रश्न 7.
दीर्घकाल में, जब नई फर्मे उद्योग में प्रवेश कर सकती हैं और पुरानी फमें उद्योग को छोड़कर जा सकती हैं, तो क्या होता है?
उत्तर:
असामान्य लाभ की स्थिति में कई नई प्रतिस्पर्धी फर्मे उद्योग में प्रवेश कर जाएँगी। उनके आने से बाज़ार वस्तु की पूर्ति बहुत बढ़ जाएगी तथा बाजार कीमत (औसत आगम) गिर जाएगी। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक असामान्य लाभ समाप्त नहीं हो जाते। इनके विपरीत हानि की स्थिति में उद्योग में काम कर रही फळं उद्योग को छोड़ जाएँगी। फलस्वरूप बाज़ार में वस्तु की पूर्ति कम हो जाएगी तथ बाज़ार कीमत (औसत आगम) बढ़ जाएगी। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक कि फर्मों को होने वाली हानि समाप्त नहीं हो जाती।

प्रश्न 8.
पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत एक फर्म की औसत आगम वक्र की प्रकृति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 14
पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य का निर्धारण उद्योग द्वारा किया जाता है और फर्म को वह मूल्य स्वीकार करना पड़ता है। फर्म को इसी मूल्य पर अपना उत्पादन बेचना होता है। इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म की वस्तु की माँग पूर्णतया लोचदार (Perfectly Elastic) होती है। ऐसी स्थिति में औसत आगम वक्र जो की माँग रेखा भी है, X-अक्ष के समानांतर होगा। ऐसी स्थिति में औसत आगम और सीमांत आगम बराबर होते हैं। इसे हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।

प्रश्न 9.
एक प्रतियोगिता फर्म का AR सदा MR के समान क्यों होता है?
उत्तर:
एक प्रतियोगिता फर्म कीमत स्वीकारक होती है और उसे उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत को स्वीकार करना पड़ता है। फलस्वरूप एक फर्म को अपनी बिक्री एक ही कीमत पर करनी पड़ती है। इसलिए प्रतिस्पर्धी फर्म का AR और MR बराबर रहता है। इसे हम निम्नलिखित उदाहरण द्वारा व्यक्त कर सकते हैं-

बिक्री की इकाइयाँप्रति इकाई कीमतTRARMR
110101010
210201010
310301010
410401010
510501010

प्रश्न 10.
किसी प्रतिस्पर्धी फर्म का कुल आगम वक्र अक्ष केंद्र से गुजरने वाली सरल रेखा क्यों बन जाता है?
उत्तर:
एक प्रतिस्पर्धी फर्म मूल्य स्वीकारक होती है अर्थात् एक प्रतिस्पर्धी फर्म को एक दी हुई कीमत स्वीकार करनी पड़ती है। फर्म की बिक्री चाहे जितनी ही क्यों न हो, फर्म वस्तु की कीमत बदल नहीं सकती। कुल आगम कीमत और बेची गई इकाइयों का गुणनफल है। इसलिए कुल आगम वक्र एक सरल रेखा बन जाता है।
कुल आगम = कीमत x बेची गई इकाइयाँ
इसे निम्नलिखित तालिका तथा संलग्न रेखाचित्र द्वारा व्यक्त किया गया है-

कीमत (रु०)बेची गई इकाइयाँकुल आगम (रु०)
10110
10220
10330
10440

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 15

प्रश्न 11.
पूर्ण प्रतियोगिता में TR और MR में संबंध एक रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में उद्योग कीमत निर्धारित करता है और फर्म कीमत स्वीकार करती है। अतः उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत पर फर्म वस्तु की जितनी भी इकाइयाँ बेचेंगी, उसे प्रत्येक इकाई से प्राप्त आगम अर्थात् MR, उस कीमत अर्थात् AR के बराबर होगी। अन्य शब्दों में, पूर्ण प्रतियोगिता में MR=AR, यदि कीमत AR स्थिर रहती है, तो MR (MR = AR) भी स्थिर रहता है। फलस्वरूप कुल आगम भी स्थिर दर या समान दर (= MR) से बढ़ेगी। रेखाचित्र में प्रदर्शन करने पर TR वक्र मूल बिंदु ‘O’ (शून्य) से शुरू होकर ऊपर की ओर ढलान वाली 45° एक सरल रेखा बनेगी। जैसे कि संलग्न रेखाचित्र में दिखाया गया है। क्योंकि कीमत =AR = MR हैं, इसलिए MR/AR वक्र X-अक्ष के समानांतर एक सरल समतल रेखा होगी।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 16

प्रश्न 12.
एक कीमत स्वीकारक फर्म का कुल आगम वक्र कैसा दिखाई देता है? यह ऐसा क्यों दिखाई देता है?
उत्तर:
कुल आगम उत्पादन की कीमत (p) तथा बिक्री की मात्रा (q) का गुणनफल है।
TR = p x q
एक प्रतिस्पर्धी बाज़ार में कीमत दी गई होती है और कोई फर्म इसे प्रभावित नहीं कर सकती। इसलिए जब कीमत दी गई है, कुल आगम बेची गई मात्रा के अनुरूप बढ़ेगी।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 17
उत्पादन के शून्य स्तर पर कुल आगम शून्य होगी। जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है, कुल आगम भी बढ़ती है समीकरण TR = p x q एक सीधी रेखा का समीकरण है। इसलिए TR वक्र ऊपर उठती हुई एक सीधी रेखा के रूप में होगा, जैसाकि संलग्न रेखाचित्र में दिखाया गया है।

प्रश्न 13.
पूर्ति क्या है? पूर्ति को प्रभावित करने वाले किन्हीं चार कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
किसी निश्चित अवधि में अलग-अलग कीमतों पर एक विक्रेता किसी वस्तु की जिन मात्राओं को बेचने के लिए तैयार है, उसे पूर्ति कहते हैं।
पूर्ति को प्रभावित करने वाले चार कारक निम्नलिखित हैं-

  • वस्तु की कीमत।
  • अन्य वस्तुओं की कीमतें।
  • उत्पादन तकनीक।
  • उत्पादन साधनों (Factors) की लागत।

प्रश्न 14.
एक फर्म का पूर्ति वक्र प्रायः बाएँ से दाएँ, नीचे से ऊपर की ओर ढलवाँ क्यों होता है?
उत्तर:
एक फर्म का पूर्ति वक्र प्रायः बाएँ से दाएँ, नीचे से ऊपर की ओर ढलवाँ होता है। इसका अर्थ है कि एक फर्म अधिक कीमत होने पर अधिक पूर्ति करने को तत्पर होगी और कम कीमत पर कम। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक विक्रेता अधिक त पर अधिक पूर्ति कर अधिक लाभ कमाने के लिए प्रेरित होता है। इस प्रकार वह कम कीमत होने पर कम पर्ति करने को तैयार होगा।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 15.
पूर्ति का नियम बताइए और इसकी मान्यताएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पूर्ति का नियम वस्तु की कीमत और पूर्ति की मात्रा के बीच सीधे और प्रत्यक्ष संबंध को प्रदर्शित करता है। पूर्ति के नियम के अनुसार, “यदि अन्य बातें समान रहें तो नीची कीमत पर वस्तु की पूर्ति कम होगी और ऊँची कीमत पर वस्तु की पूर्ति अधिक होगी।”

पूर्ति के नियम की मान्यताएँ निम्नलिखित हैं-

  • उत्पादन के साधनों (Factors) की कीमत में परिवर्तन नहीं होता।
  • उत्पादन तकनीक में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  • संबंधित वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तन नहीं होता।
  • फर्म के उद्देश्यों में कोई परिवर्तन नहीं होता।

प्रश्न 16.
पूर्ति का नियम एक पूर्ति अनुसूची और पूर्ति वक्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
पूर्ति का नियम यह बताता है कि यदि अन्य कारक अपरिवर्तित रहें तो वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी पूर्ति की मात्रा बढ़ जाएगी और कीमत घटने पर वस्तु की पूर्ति कम हो जाएगी। इस प्रकार पूर्ति का नियम पूर्ति और कीमत के धनात्मक संबंध को प्रदर्शित करता है। इसे हम निम्न तालिका और रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं

सेर्बों की कीमत
(रु० प्रति कि०ग्रा०)
सेबों की माँग
(कि०ग्रा०)
8200
9300
10400
11500

इस रेखाचित्र में हम देखते हैं कि OP कीमत पर वस्तु की पूर्ति OQ है। जैसे ही वस्तु की कीमत OP से बढ़कर OP1 हो जाती है तो वस्तु की पूर्ति OQ से बढ़कर OQ1 हो जाती है।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 18

प्रश्न 17.
वस्तु की ऊँची कीमत पर अधिक पूर्ति क्यों की जाती है?
उत्तर:
ऊँची कीमत पर वस्तु की अधिक पूर्ति के दो निम्नलिखित कारण हैं-
(i) अन्य बातें समान रहने पर, ऊँची कीमत का अर्थ ऊँचा लाभ है। फलस्वरूप, उत्पादक अधिक उत्पादन करने तथा अधिक . मात्रा बेचने के लिए प्रोत्साहित होता है।

(ii) अधिक उत्पादन (अधिक पूर्ति के लिए) प्रायः ह्रासमान प्रतिफल नियम के अंतर्गत किया जाता है, जिसका अर्थ उत्पादन के बढ़ने पर सीमांत लागत (MC) का बढ़ना है। फलस्वरूप कीमत भी बढ़ेगी यदि अधिक पूर्ति के लिए उत्पादन को बढ़ाया जाता है।

प्रश्न 18.
उत्पादन के साधनों की कीमत या उत्पादन लागत का एक वस्तु की पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
एक वस्तु का उत्पादन करने के लिए जिन साधनों को प्रयोग में लाया जाता है उनकी कीमत में वृद्धि से उत्पादन लागत बढ़ जाती है और लाभ कम होने लगता है। अतः उत्पादक ऐसी वस्तु का उत्पादन करने को तैयार नहीं होंगे। इसके विपरीत उत्पादन लागत में कमी उस वस्तु की पूर्ति में वृद्धि करती है। उत्पादन के साधनों की कीमत में परिवर्तन से विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन की सापेक्षिक लाभप्रदता बदल जाएगी। उदाहरण के लिए, भूमि की कीमत में कमी से कृषि उत्पाद की उत्पादन लागत कम हो जाएगी।

प्रश्न 19.
एक ही पूर्ति वक्र पर चलन से क्या तात्पर्य है? रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
जब उत्पादक एक ही पूर्ति वक्र पर ऊपर से नीचे अथवा नीचे से ऊपर पहुँचता है, तो इसे एक ही पूर्ति वक्र पर चलन कहते हैं। (रेखाचित्र देखिए)
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 19
पूर्ति में संकुचन ऊपर की ओर चलन अर्थात पूर्ति में विस्तार → बिंदु A से B की ओर चलन।
नीचे की ओर चलन अर्थात पूर्ति में संकुचन → बिंदु A से C की ओर चलन।

प्रश्न 20.
रेखाचित्र की सहायता से पूर्ति वक्र के खिसकाव का क्या अर्थ है? समझाइए।
उत्तर:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 20
जब पूर्ति में परिवर्तन कीमत के अलावा अन्य कारकों में परिवर्तन के कारण आता है तो उसे पूर्ति वक्र में खिसकाव कहते हैं। जब अन्य कारकों में परिवर्तन के कारण पूर्ति में वृद्धि आती है तो पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाता है, जबकि पूर्ति वक्र का बाईं ओर खिसकना पूर्ति में कमी को बताता है। जैसाकि है रेखाचित्र में दर्शाया गया है। रेखाचित्र में OP कीमत पर PA पूर्ति की जाती है। पूर्ति वक्र का SS से S1S1 की स्थिति में पहुंचना पूर्ति में वृद्धि तथा S2S2 की स्थिति में पूर्ति में कमी को बताता है।

प्रश्न 21.
पूर्ति में वृद्धि के तीन कारण बताइए।
अथवा
पूर्ति वक्र के दाईं ओर खिसकने के कोई तीन कारण बताइए।
उत्तर:
एक पूर्ति वक्र के दाईं ओर खिसकने के तीन कारण निम्नलिखित हैं-
1. अन्य सभी वस्तुओं की कीमत में कमी-यदि दूसरी सभी वस्तुओं की कीमतों में कमी होती है तो उत्पादकों को अन्य सभी वस्तुओं की पूर्ति करना अधिक लाभदायक नहीं लगेगा और वे इस दी गई वस्तु का उत्पादन व पूर्ति करना अधिक लाभदायक महसूस करेंगे। इस प्रकार जिस वस्तु की कीमत में कमी नहीं आई है, उसका पूर्ति वक्र दाई ओर खिसक जाएगा।

2. उत्पादन साधनों की कीमतों में कमी-उत्पादन साधनों की कीमतों में कमी होने से उस वस्तु की लागत अन्य वस्तुओं की तुलना में कम होगी। इस प्रकार उत्पादक उस वस्तु का उत्पादन अधिक करेंगे जिसकी लागत में कमी हुई है। इस प्रकार उस वस्तु का पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाएगा।

3. तकनीकी सुधार-जब नए अनुसंधान तथा नवप्रवर्तनों से उत्पादन तकनीक में सुधार होता है तो उससे वस्तु की पूर्ति बढ़ती है जिससे वस्तु का पूर्ति वक्र दाईं ओर खिसक जाएगा।

प्रश्न 22.
पूर्ति में कमी के तीन कारण बताइए।
अथवा
पूर्ति वक्र के बाईं ओर खिसकने के कोई तीन कारण बताइए।
उत्तर:
पूर्ति वक्र के बाईं ओर खिसकने (अर्थात् पूर्ति में कमी) के कारण निम्नलिखित हैं-
1. अन्य सभी वस्तुओं की कीमतें-अन्य सभी वस्तुओं की कीमतों का वस्तु की पूर्ति पर प्रभाव पड़ता है। यदि दूसरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं तो उत्पादकों को उन वस्तुओं का उत्पादन अधिक लाभदायक लगेगा और वे उन वस्तुओं का उत्पादन अधिक करेंगे। इस प्रकार जिस वस्तु की कीमत नहीं बढ़ी है, उसकी पूर्ति कम हो जाएगी।

2. उत्पादन साधनों की कीमतें-उत्पादन साधनों की कीमतों में वृद्धि होने से उस वस्तु की लागत अन्य वस्तुओं की तुलना में अधिक होगी। इस प्रकार उत्पादक उन वस्तुओं का उत्पादन अधिक करेंगे जिनकी लागत में वृद्धि या तो नहीं हुई है या कम हुई है। जिसकी लागत में अधिक वृद्धि हुई है, उस वस्तु की तुलना में अन्य वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जाएगी और उस वस्तु की पूर्ति में कमी हो जाएगी जिसके फलस्वरूप पूर्ति वक्र बाईं ओर खिसक जाएगा।

3. तकनीकी अवनति-तकनीकी अवनति के कारण एक वस्तु की पूर्ति में कमी हो सकती है जिससे उसका पूर्ति वक्र बाईं ओर खिसक जाएगा।

प्रश्न 23.
पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले तीन कारकों का वर्णन करो।
उत्तर:
पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले तीन कारक निम्नलिखित हैं-
1. उत्पादन लागत-यदि एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई को उत्पादित करने की लागत बढ़ती जाती है तो उत्पादक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर भी पूर्ति को नहीं बढ़ाएगा, इस स्थिति में पूर्ति बेलोचदार होगी। इसके विपरीत, यदि अतिरिक्त इकाई को उत्पादित करने की लागत लगातार कम हो जाती है, तो उत्पादकों को वस्तु की पूर्ति बढ़ाने से अधिक लाभ प्राप्त हो सकेंगे। इस स्थिति में आपूर्ति लोचदार हो जाएगी।

2. वस्तु की प्रकृति शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं की पूर्ति बेलोच होती है क्योंकि कीमत में परिवर्तनों के अनुसार वस्तु की पूर्ति को बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता। इसके विपरीत, टिकाऊ वस्तुओं की पूर्ति लोचदार होती है।

3. समय तत्त्व-समय जितना अधिक दीर्घ होगा, उतनी ही एक वस्तु की पूर्ति अधिक लोचदार होगी। इसका कारण है कि दीर्घकाल में वस्तु की पूर्ति को आसानी से घटाया या बढ़ाया जा सकता है। इसके विपरीत, अल्पकाल में पूर्ति बेलोचदार होगी।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 24.
पूर्ति की लोच के पाँच प्रकारों को सारणीबद्ध करें।
उत्तर:
पूर्ति की लोच के पाँच प्रकार, निम्नलिखित सारणीबद्ध हैं-

क्रम संख्यापूर्ति की लोचपूर्ति की लोच के प्रकारविवरण
1es = 0पूर्णतया बेलोचदार पूर्तिवस्तु की कीमत में परिवर्तन का उसकी पूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं। पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन, कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से कम । पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन, कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के समान। पूर्ति में प्रतिशत परिवर्तन, कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से अधिक। वस्तु की कीमत में परिवर्तन हुए बिना ही उसकी पूर्ति का घट अथवा बढ़ जाना।
2es < 0बेलोचदार पूर्ति
3es = 1पूर्ति में इकाई लोच
4es > 1लोचदार पूर्ति
5es = ∞पूर्ण लोचदार पूर्ति

प्रश्न 25.
रेखाचित्र की सहायता से शून्य उत्पादन की स्थिति समझाइए।
उत्तर:
अल्पकाल में एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी फर्म को हानि हो सकती है। एक फर्म की हानि का अर्थ है कुल लागत का कुल आगम से अधिक होना। कुल लागत के दो भाग होते हैं-

  • स्थिर लागत
  • परिवर्ती लागत

यदि उत्पादन को बंद करने या शून्य करने का निर्णय लिया जाता है, तो फर्म की हानि स्थिर लागत के बराबर होगी क्योंकि उत्पादन बंद करने से परिवर्ती लागत शून्य होगी। जब तक कीमत परिवर्ती लागत को पूरा करने में समर्थ है, तब तक फर्म उत्पादन करती रहेगी। जैसे ही कीमत परिवर्ती लागत को पूरा नहीं करती फर्म उत्पादन बंद कर देगी। इसे हम संलग्न चित्र द्वारा दिखा सकते हैं
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 21
संलग्न चित्र में फर्म का संतुलन बिंदु E है जहाँ वस्तु की प्रति इकाई लागत OD है और प्रति इकाई कीमत OL है। वस्तु की औसत परिवर्ती लागत OF है अर्थात् औसत स्थिर लागत NF है। चूँकि वस्तु की कीमत AVC से अधिक है, फर्म उत्पादन जारी रखेगी। यदि वस्तु की कीमत OF से कम होगी, तो फर्म उत्पादन बंद कर देगी। इस प्रकार R अथवा F उत्पादन-बंद बिंदु है।

प्रश्न 26.
पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में एक फर्म के दीर्घकालीन संतुलन की स्थिति समझाइए।
उत्तर:
पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार में दीर्घकाल में एक फर्म की संतुलन स्थिति के लिए निम्नलिखित शर्तों का होना आवश्यक है
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 22
(i) p (बाज़ार कीमत) = LRMC (दीर्घकालीन सीमांत लागत)

(ii) p (बाज़ार कीमत) = LRAC (दीर्घकालीन औसत लागत)
रेखाचित्र से स्पष्ट है कि फर्म का दीर्घकालीन संतुलन E बिंदु पर है। चूँकि यहाँ, (i) P = LRMC, (ii) P = तथा

(iii) दीर्घकालीन सीमांत लागत घटती हुई बढ़ रही होनी चाहिए। अर्थात् संतुलन बिंदु पर दीर्घकालीन सीमांत लागत (LRMC)। एक प्रतिस्पर्धी फर्म की दीर्घकालीन संतुलन स्थिति को हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।

रेखाचित्र से स्पष्ट है कि फर्म का दीर्घकालीन संतुलन E बिंदु पर है। चूँकि यहाँ (i), P = LRMC, (ii) P = LRAC तथा LRMC बढ़ती हुई है।

दीर्घकाल में लागत और आगम बराबर होते हैं जिसके फलस्वरूप एक फर्म को न तो असामान्य लाभ होगा और न असामान्य हानि। रेखाचित्र से फर्म का संतुलन बिंदु E पर केवल मात्र सामान्य लाभ ही प्राप्त होते हैं।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाज़ार की शर्ते बताइए। पूर्ण प्रतियोगिता के अंतर्गत फर्म का माँग वक्र कैसा होता है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतिस्पर्धी बाजार के लिए निम्नलिखित शर्तों का होना आवश्यक है-
(i) क्रेताओं और विक्रेताओं की बहुत बड़ी संख्या, जिसके अंतर्गत प्रत्येक विक्रेता या खरीददार कुल उत्पादन का बहुत ही छोटा भाग बेचता या खरीद पाता है जिससे उस क्रय-विक्रय से कीमत अप्रभावित रहती है।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 23
(ii) समरूप वस्तु, ताकि वस्तु और विक्रेता दोनों ही मानकीकृत हों और इस कारण वस्तु की एक इकाई या एक विक्रेता को अन्य इकाइयों या विक्रेताओं के मुकाबले में अधिक पसंद न किया जा सके।

(iii) बाज़ार में वस्तुओं और उत्पादन-साधनों की पूर्ण गतिशीलता।

(iv) क्रेताओं और विक्रेताओं द्वारा सामयिक तथा भविष्य की कीमतों एवं उत्पादन मूल्यों का पूर्ण ज्ञान होता है।

(v) पूर्ण प्रतियोगिता वाले उद्योग में फर्मों को आने-जाने की पूर्ण स्वतंत्रता रहती है यानी नई फर्में उद्योग में आना चाहें तो आ सकती हैं और
वस्तु की मात्रा पुरानी फर्मे बाहर जाना चाहें तो उद्योग से बाहर जा सकती हैं।

पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म मूल्य स्वीकारक होती है। इसे उद्योग द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही वस्तु की कम या अधिक मात्रा बेचनी है। अतः फर्म का माँग वक्र पूर्णतया लोचदार होता है। इसे हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।

प्रश्न 2.
पूर्ण प्रतियोगिता का विक्रेता किस प्रकार कीमत स्वीकारक होता है? इस संदर्भ में बाज़ार की इस विशेषता का कि “विक्रेताओं की अधिक संख्या है” का क्या औचित्य है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेता तथा विक्रेता बहुत अधिक संख्या में होते हैं और सभी विक्रेता समरूप वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। फर्मों के समूह को उद्योग कहा जाता है। पूर्ण प्रतियोगिता में मूल्य निर्धारण उद्योग द्वारा कुल माँग और कुल पूर्ति की शक्तियों के आधार पर किया जाता है। एक व्यक्तिगत फर्म को यही कीमत स्वीकार करनी होती है और वह इसे प्रभावित नहीं कर सकती। उद्योगों द्वारा निर्धारित मूल्य Pफर्म के AR और MR वक्र होते हैं। इसे हम अग्रांकित रेखाचित्र द्वारा दिखा

पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म कीमत स्वीकारक इसलिए होती है क्योंकि इस बाज़ार में विक्रेताओं की संख्या बहुत अधिक होती है। एक विक्रेता कुल बिक्री के अति सूक्ष्म भाग को बेचता है और इस तरह वह अपनी गतिविधियों से बाज़ार मूल्य को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं होता। इस प्रकार विक्रेता को वस्तु का मूल्य अपनी इच्छानुसार निर्धारित करने की स्वतंत्रता नहीं होती।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 24

प्रश्न 3.
पूर्ति से क्या अभिप्राय है? इसे प्रभावित करने वाले तत्त्वों या कारकों की व्याख्या करें।
उत्तर:
पूर्ति का अर्थ-एक निश्चित समय में, निश्चित कीमत पर उत्पादक द्वारा बिक्री के लिए प्रस्तुत की जाने वाली वस्तु की मात्रा को पूर्ति कहते हैं।

पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्त्व या कारक-किसी वस्तु की पूर्ति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं-
1. कीमत-किसी वस्तु की कीमत के कम होने पर पूर्ति कम होती है और कीमत के बढ़ने पर पूर्ति बढ़ती है।

2. उत्पादन की लागत उत्पादन की लागत के कम होने से वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जाती है और उत्पादन की लागत बढ़ जाने से वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाती है।

3. उत्पादन के कारकों की उपलब्धि-यदि उत्पादन के कारक सस्ते तथा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों, तो वस्तु की पूर्ति बढ़ जाएगी। यदि उत्पादन के साधन महँगे तथा कम हों, तो वस्तु की पूर्ति कम हो जाएगी।

4. फर्मों की संख्या किसी वस्तु की बाज़ार पूर्ति फर्मों की संख्या पर भी निर्भर करती है। फर्मों की संख्या अधिक होने पर पूर्ति अधिक तथा फर्मों की संख्या कम होने पर पूर्ति कम हो जाती है।

5. उत्पादकों के उद्देश्य-यदि उत्पादकों का उद्देश्य अधिकतम लाभ कमाना है तो केवल अधिक कीमत पर ही अधिक प्रति जाएगी। इसके विपरीत यदि उत्पादकों का उद्देश्य बिक्री, उत्पादन या रोज़गार को अधिकतम करना है अथवा सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करनी है तो वर्तमान कीमत पर भी अधिक पूर्ति की जाएगी।

6. प्राकृतिक तत्त्व-प्राकृतिक तत्त्वों; जैसे मौसम, वर्षा, सूखा, ओले इत्यादि का भी कृषि पदार्थों की पूर्ति पर काफी प्रभाव पड़ता है। मौसम ठीक रहने पर इनकी पूर्ति बढ़ जाती है और मौसम के खराब रहने पर इनकी पूर्ति कम हो जाती है।

7. यातायात तथा संचार के साधन-यातायात तथा संचार के साधनों; जैसे रेलें, मोटरें, ट्रक, टेलीफोन, डाक-तार इत्यादि की सहायता से पूर्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से कम लागत पर भेजा जा सकता है, जिससे वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है। यदि यातायात के साधन अविकसित होंगे, तो वस्तु की पूर्ति कम होगी।

8. सरकार की नीति-सरकार की नीति भी पूर्ति को प्रभावित करती है। सरकार जिन वस्तुओं के उत्पादन में रियायतें (Subsidies) देती है, उनकी पूर्ति बढ़ जाती है। इसके विपरीत, यदि सरकार किसी वस्तु पर कर (Taxes) लगाती है, तो उनकी पूर्ति कम हो जाती है। सरकार जिन वस्तुओं का आयात (Import) करती है, उनकी पूर्ति बढ़ जाती है और जिनका निर्यात (Export) करती है, उनकी पूर्ति कम हो जाती है।

प्रश्न 4.
रेखाचित्रों की सहायता से ‘पूर्ति के विस्तार’ तथा ‘पूर्ति में वृद्धि’ में अंतर बताइए।
उत्तर:
पूर्ति का विस्तार-अन्य बातें समान रहने पर, जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ने से वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है, तो इसे पूर्ति का विस्तार कहते हैं।
उदाहरण के लिए-

पूर्ति का विस्तार
कीमतपूर्ति
110
550

दी गई तालिका से स्पष्ट है कि जब वस्तु की कीमत रु० 1 से बढ़कर रु० 5 हो जाती है, तो वस्तु की पूर्ति 10 इकाइयों से बढ़कर 50 इकाइयाँ हो जाती है तो इसे पूर्ति में विस्तार कहते हैं। चित्र में SS वस्तु का पूर्ति वक्र है। जब कीमत OP है तो वस्तु की पूर्ति OQ है और जब कीमत बढ़कर OP1 हो जाती है, तो वस्तु की पूर्ति बढ़कर OQ1 हो जाती है। वस्तु की पूर्ति में QQ1 की वृद्धि पूर्ति का विस्तार है।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 25

पूर्ति में वृद्धि-जब वस्तु की कीमत के अतिरिक्त किन्हीं अन्य तत्त्वों; जैसे उत्पादन करने के ढंग में सुधार, सरकार की नीति, साधनों की लागत में कमी, यातायात और संचार साधनों के विकास, मौसम में परिवर्तन इत्यादि के कारण वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है, तो इसे पूर्ति में वृद्धि कहते हैं। अन्य शब्दों में, पूर्ति में वृद्धि से अभिप्राय है-

  • समान कीमत, अधिक पूर्ति (Same Price, More Supply)
  • कम कीमत, समान पूर्ति (Less Price, Same Supply)

पूर्ति वृद्धि को निम्नांकित उदाहरणों या तालिकाओं की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है-
(I)

समान कीमतअधिक पूर्ति
कीमतपूर्ति
3
3
30
40

(II)

कम कीमतसमान पूर्ति
कीमतपूर्ति
3
3
30
30

तालिका I से स्पष्ट है कि समान कीमत पर वस्तु की पूर्ति बढ़ जाती है और तालिका II से स्पष्ट है कि वस्तु की कम कीमत पर वस्तु की पूर्ति समान रहती है। पूर्ति में वृद्धि को चित्र की सहायता से भी स्पष्ट किया जा सकता है।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 26
चित्र में SS वस्तु की प्रारंभिक पूर्ति वक्र है जो यह स्पष्ट करता है कि जब वस्तु की कीमत OP है, तो वस्तु की पूर्ति OQ है। जब कीमत की अपेक्षा किन्हीं अन्य कारणों से वस्तु की अधिक पूर्ति की जाती है, तो प्रारंभिक पूर्ति वक्र SS दाईं ओर खिसककर S1S1 हो जाएगा। स्पष्ट है कि उसी कीमत OP1 पर वस्तु की पूर्ति OQ से बढ़कर OQ1 हो जाती है या फिर कम कीमत OP1 पर वस्तु की समान पूर्ति अर्थात् OQ ही रहती है। यह पूर्ति में वृद्धि को स्पष्ट करती है।

प्रश्न 5.
रेखाचित्रों की सहायता से पूर्ति के संकुचन और पूर्ति में कमी में भेदं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पूर्ति का संकुचन-अन्य बातें समान रहने पर, जब किसी वस्तु की कीमत कम होने से वस्तु की पूर्ति कम हो जाती है, तो इसे पूर्ति का संकुचन कहते हैं। उदाहरण के लिए-

पूर्ति का संकुचन
कीमतपूर्ति
5
1
50
10

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि जब वस्तु की कीमत 5 रुपए से घटकर 1 रुपया हो जाती है, तो वस्तु की पूर्ति 50 इकाइयों से घटकर 10 इकाइयाँ रह जाती हैं तो इसे पूर्ति का संकुचन कहते हैं। रेखाचित्र में SS वस्तु का पूर्ति वक्र है। जब कीमत OP है, तो वस्तु की पूर्ति OQ है और जब कीमत गिरकर OP1 हो जाती है, तो वस्तु की पूर्ति घटकर OQ1 रह जाती है। वस्तु की पूर्ति में Q1Q की कमी पूर्ति का संकुचन है।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 27

पूर्ति में कमी-जब वस्तु की कीमत के अतिरिक्त किन्हीं अन्य तत्त्वों; जैसे कच्चे माल का न मिलना, बिजली की कमी, सरकारी नीति, साधनों की लागत में वृद्धि, मौसम में परिवर्तन इत्यादि के कारण वस्तु की पूर्ति कम हो जाती है, तो इसे पूर्ति में कमी कहते हैं। अन्य शब्दों में, पूर्ति में कमी से अभिप्राय है

  1. समान कीमत, कम पूर्ति (Same Price, Less Supply)
  2. अधिक कीमत, समान पूर्ति (More Price, Same Supply)

पूर्ति में कमी को निम्नांकित तालिकाओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(I)

समान कीमतकम पूर्ति
कीमतपूर्ति
3
3
30
20

(II)

अधिक कीमतसमान पूर्ति
कीमतपूर्ति
3
4
30
30

तालिका (I) से स्पष्ट है कि समान कीमत पर वस्तु की पूर्ति घट जाती है और तालिका (II) से स्पष्ट है कि वस्तु की अधिक कीमत पर वस्तु की पूर्ति समान रहती है। पूर्ति में कमी को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 28
संलग्न रेखाचित्र में SS वस्तु का प्रारंभिक पूर्ति वक्र है जो यह स्पष्ट करता है कि जब वस्तु की कीमत OP है, तो वस्तु की पूर्ति OQ है। जब कीमत की अपेक्षा किन्हीं अन्य कारणों से वस्तु की पूर्ति घट जाती है, तो प्रारंभिक पूर्ति वक्र SS बाईं ओर खिसककर S1S1 हो जाता है। स्पष्ट है कि उसकी कीमत OP पर पूर्ति OQ से घटकर OQ1 हो जाती है या फिर वस्तु की अधिक कीमत OP, पर वस्तु की पूर्ति उतनी ही OQ रहती है। यह पूर्ति में कमी को स्पष्ट करती है।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 6.
पूर्ण प्रतियोगिता किसे कहते हैं? पूर्ण प्रतियोगिता में अल्पकाल में फर्म के संतुलन की सीमांत विधि द्वारा व्याख्या करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता का अर्थ-‘पूर्ण प्रतियोगिता’ बाज़ार की वह अवस्था है, जिसमें वस्तु के क्रेता तथा विक्रेता बहुत अधिक संख्या में होते हैं। सभी विक्रेता समरूप (Homogeneous) वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, जिनकी बाज़ार में एक ही कीमत होती है। समरूप वस्तुओं का उत्पादन करने वाली सभी फर्मों के समूह को उद्योग कहा जाता है। उद्योग की कुल माँग तथा कुल पूर्ति द्वारा ही सन्तुलन कीमत का निर्धारण होता है। कोई भी व्यक्तिगत फर्म इस कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती। प्रत्येक फर्म को यह कीमत स्वीकार करनी पड़ती है। पूर्ण प्रतियोगिता में इस कीमत पर एक फर्म जितना माल बेचना चाहे बेच सकती है।

फर्म के सन्तुलन का अर्थ–पूर्ण प्रतियोगी बाज़ार में कीमत का निर्धारण उद्योग द्वारा किया जाता है तथा व्यक्तिगत फर्मों को यह कीमत स्वीकार करनी पड़ती है। प्रत्येक फर्म को यह निर्णय लेना होता है कि बाज़ार में प्रचलित कीमत पर इसे कितना उत्पादन करना चाहिए। जिस स्थिति में फर्म या उत्पादक उत्पादन-सम्बन्धी निर्णय लेता है, उसे फर्म का सन्तुलन कहते हैं।

फर्म के सन्तुलन का निर्धारण-पूर्ण प्रतियोगिता में एक फर्म की सन्तुलन की स्थिति का वर्णन निम्नलिखित दो विधियों द्वारा किया जा सकता है

  • कुल आय तथा कुल लागत विधि
  • सीमान्त आय तथा सीमान्त लागत विधि।

यहाँ हम केवल सीमान्त विधि द्वारा एक फर्म का संतुलन निर्धारित करेंगे।
सीमान्त आय तथा सीमान्त लागत विधि-एक फर्म की सन्तुलन की स्थिति को सीमान्त आय (MR) और सीमान्त लागत (MC) की सहायता से भी स्पष्ट किया जा सकता है।

1. सीमान्त आय सीमान्त लागत के बराबर (MR = MC) पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म के सन्तुलन की MR = MC की अनिवार्य शर्त (Necessary Condition) चित्र द्वारा स्पष्ट की गई है। चित्र में, MC और MR वक्र एक-दूसरे को K बिन्दु पर काटते हैं। यह सन्तुलन बिन्दु है। यहाँ सन्तुलन मात्रा OQ है। यदि फर्म उत्पादन को घटाकर OQ1 कर देती है तो यहाँ सीमान्त आय, सीमान्त लागत से अधिक है। अतः इस उत्पादन मात्रा पर रुकने से फर्म को बिन्दांकित त्रिभुज के बराबर लाभ से वंचित रहना पड़ता है, क्योंकि OQ उत्पादन तक फर्म को प्रत्येक इकाई से लाभ मिल रहा है। दूसरी ओर, यदि फर्म उत्पादन को OQ से बढ़ाकर OQ2 कर देती है तो बिन्दु वाली त्रिभुज के समान हानि होती है, क्योंकि OQ मात्रा के पश्चात् सीमान्त लागत सीमान्त आय से अधिक है। इसलिए फर्म का उत्पादन सदैव उस बिन्दु पर होगा जहाँ MR व MC
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 29

2. सीमान्त लागत वक्र सीमान्त आय वक्र को नीचे से ऊपर की ओर काटने वाली शर्त पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में फर्म के सन्तुलन MC = MR वाली शर्त अनिवार्य (Necessary) तो है किन्तु, पर्याप्त (Sufficient) नहीं है। यहाँ फर्म की दूसरी शर्त है कि “MC वक्र MR वक्र को नीचे से ऊपर को काटता हो” भी पूरी होनी चाहिए। यदि MC वक्र MR वक्र को दो स्थानों पर काटता है तो सन्तुलन उस स्थान पर होगा जहाँ यह नीचे से ऊपर की ओर काटता है। इसे हम चित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं।
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 30

चित्र में MC वक्र MR वक्र को दो बिन्दुओं Z और K पर काट रहा है। दोनों बिन्दुओं पर MR = MC है, किन्तु दोनों बिन्दुओं में केवल K वाला बिन्दु ही सन्तुलन बिन्दु है, क्योंकि इस पर MR = MC भी है और MR, MC को नीचे से काट रही है जैसा कि तीर (Arrow) के चिह्न से स्पष्ट है। इसलिए सन्तुलन मात्रा OQ है। Z पर MC =MR तो है, परन्तु MC वक्र ऊपर से नीचे को आता हुआ MR को काट रहा है, जैसा कि तीर (Arrow) के चिह्न से स्पष्ट है। अतः OQ1 तक तो प्रत्येक इकाई की MC, MR से अधिक है और OQ1 से OQ तक प्रत्येक इकाई की MC, MR से कम है। अतः फर्म को उत्पादन बढ़ाने से लाभ होगा। इसलिए यह सन्तुलन बिन्दु नहीं हो सकता।

स्पष्ट है कि पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म तब सन्तुलन स्थिति में होगी जब (i) उसकी MR = MC हो, तथा (ii) उसका MC वक्र MR वक्र को नीचे से ऊपर काटे।

प्रश्न 7.
पूर्ति की कीमत लोच को मापने की प्रतिशत विधि को उदाहरण सहित सुस्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रतिशत या आनुपातिक विधि के अनुसार, पूर्ति की कीमत लोच को पूर्ति की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन और वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात के रूप में मापा जाता है। इसे आनुपातिक विधि भी कहा जाता है। अन्य शब्दों में, पूर्ति की लोच मापने के लिए पूर्ति की मात्रा में हुए आनुपातिक परिवर्तन को कीमत में हुए आनुपातिक परिवर्तन से भाग देते हैं। यदि भाज्यफल एक से अधिक हो तो पूर्ति अधिक लोचदार, यदि एक के बराबर हो तो इकाई लोचदार और यदि एक से कम हो तो बेलोचदार कहलाती है। सूत्र के रूप में,
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 31
सांकेतिक रूप में,
es = \(\frac{\frac{\Delta q}{q^{0}} \times 100}{\frac{\Delta p}{p^{0}} \times 100}=\frac{\Delta q}{q^{0}} \times \frac{p^{0}}{\Delta p}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\)
यहाँ, ∆q = पूर्ति की मात्रा में परिवर्तन, q° = प्रारंभिक पूर्ति
∆p = कीमत में परिवर्तन, p° = प्रारंभिक कीमत
इस प्रकार पूर्ति की लोच को मापने का सूत्र है-
es = \(\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\)
वैकल्पिक विधि
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 32
उदाहरण:
मान लो एक वस्तु का मूल्य 4 रु० है तो उसकी पूर्ति 2000 इकाइयाँ हैं। यदि वस्तु का मूल्य बढ़कर 5 रु० हो जाता है तो पूर्ति 3000 इकाइयाँ हो जाती है। वस्तु की पूर्ति लोच होगी
हल:
es = \(\frac{\frac{1000}{2000}}{\frac{1}{4}}\)
es = \(\frac{1000}{2000} \times \frac{4}{1}=\frac{4}{2}\) = 2
q0 = 2000
∆q = 1000
p0 = 4
∆q = 1.
अर्थात् es > 1 है। अतः पूर्ति अधिक लोचदार है।

प्रश्न 8.
पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक बताइए।
उत्तर:
पूर्ति की लोच को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1. लागत-यदि वस्तु के उत्पादन पर बढ़ती लागतों का नियम लागू हो रहा है अर्थात् उत्पादन के बढ़ाने से प्रति इकाई लागत बढ़ती है तो उत्पादक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर भी पूर्ति को नहीं बढ़ाएगा। अतः पूर्ति बेलोचदार होगी। इसके विपरीत, यदि उत्पादन लागत घटती है, तो उत्पादक को पूर्ति बढ़ाने से अधिक लाभ प्राप्त होगा। अतः पूर्ति लोचदार होगी।

2. समय तत्त्व-समय तत्त्व भी पूर्ति को प्रभावित करने वाला एक मुख्य तत्त्व है। समय जितना लंबा होगा, वस्तु की पूर्ति की लोच उतनी ही अधिक होगी और समय जितना कम होगा, वस्तु की पूर्ति की लोच उतनी ही अधिक बेलोचदार होगी।

3. उत्पादन प्रणाली-जिन वस्तुओं की उत्पादन प्रणाली सरल है और जिनमें अधिक पूँजी की आवश्यकता नहीं होती, उनकी पूर्ति लोचदार होती है, क्योंकि इनकी पूर्ति को कीमत में परिवर्तित करके सरलता से घटाया-बढ़ाया जा सकता है, परंतु स वस्तु की उत्पादन प्रणाली जटिल है और जिसमें अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है, उसकी पूर्ति बेलोचदार होती है।

4. वस्तु की प्रकृति-जो वस्तुएँ शीघ्र नष्ट होने वाली होती हैं, उनकी पूर्ति पूर्णतया बेलोचदार होती है, क्योंकि कीमत में परिवर्तन करके उनकी पूर्ति को घटाया-बढ़ाया जा सकता है, परंतु जो वस्तुएँ टिकाऊ होती हैं, उनकी पूर्ति लोचदार होती है।

5. भावी कीमतों में परिवर्तन-यदि उत्पादक को भविष्य में वस्तु की कीमत के अधिक होने की आशा है तो वे वस्तु की वर्तमान पूर्ति में कमी कर देंगे, जिसके कारण पूर्ति बेलोचदार हो जाएगी। यदि भविष्य में कीमत कम होने की आशा है, तो उत्पादक . वर्तमान समय में अधिक मात्रा बेचने लगेंगे, जिनके कारण पूर्ति लोचदार हो जाएगी।

6. उत्पादन के नियम-जिस वस्तु के उत्पादन में घटते प्रतिफल अथवा बढ़ती लागतों का नियम लागू होता है, उसकी पूर्ति कम लोचदार होती है। इसके विपरीत, जिस वस्तु के उत्पादन में बढ़ते प्रतिफल अथवा घटती लागत का नियम लागू होता है, उसकी पूर्ति अधिक लोचदार होती है।

7. प्रकृति का प्रभाव-जिन वस्तुओं के उत्पादन पर प्रकृति का प्रभाव अधिक होता है उनकी पूर्ति बेलोचदार होती है; जैसे कृषि उत्पादन। इसके विपरीत, कारखाने में होने वाला उत्पादन मनुष्य के नियंत्रण
में है। यहाँ पर उत्पादन कई तरह से बढ़ाया जा सकता है। इसलिए कारखानों में बनी वस्तुओं का उत्पादन अपेक्षाकृत लोचदार होता है।

संख्यात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यदि वस्तु की प्रत्येक इकाई 5 रु० में बिक रही हो तो इस तालिका की पूर्ति करें-

बिक्री की मात्राTRMRAR
1
2
3
4
5
6
7

हल:

बिक्री की मात्राTRMRAR
1555
21055
31555
42055
52555
63055
73555

प्रश्न 2.
एक फर्म की TR सारणी निम्नलिखित तालिका में दर्शाई गई है। फर्म के समक्ष बाज़ार में वस्तु की कीमत क्या है?

उत्पादनTR (रु०)
17
214
321
428
535

हल:

उत्पादनTR (रु०)AR (कीमत)
177
2147
3217
4287
5357

फर्म के समक्ष बाज़ार में वस्तु की कीमत औसत आगम के बराबर अर्थात् 7 रु० होगी।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित तालिका के आधार पर TR, AR, MR की गणना कीजिए

बिक्री (इकाई)345
कीमत (रु०)1098

हल:

बिक्री (इकाईकीमतTRARMR
3103010
493696
584084

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 4.
एक विक्रेता हीरे की तीन अंगूठियों को 12,000 रु० प्रति अंगूठी के हिसाब से बेच सकता है। यदि चार अंगूठियाँ बेचे तो उसकी सीमांत आय 10,500 रु० होगी। बताइए वह चार अंगूठियों को किस कीमत पर बेच सकता है?
हल:
3 अंगूठियों के बेचने से TR = 12,000 x 3 = 36,000 रु०
चौथी अंगूठी को बेचने से आगम = 10,500 रु०
चार अंगूठियों से TR = 36,000 + 10,500 = 46,500 रु०
प्रति अंगूठी आगम (कीमत) = 46,500 ÷ 4 = 11,625 रु०

प्रश्न 5.
निम्नलिखित तालिका को पूरा कीजिए

बेची गई इकाइयाँकीमत = A RTRMR
10100
911
1296
713
1484
515
1664

हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 33

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तालिका को पूरा करो-

औसत आगम या मूल्य (प्रति इकाई)बेची गई इकाइयों की संख्याकुल आगमसीमांत आगम
10100
119-1
1296-3
137-5
1484-7
155-9
1664-11

हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 34

प्रश्न 7.
मयंकदीप 10 वस्तुएँ 50 रु० प्रति वस्तु के हिसाब से बेचता है, यदि वह 11 वस्तुएँ 47 रु० प्रति वस्तु के हिसाब से बेचता है तो उसकी सीमांत आगम निकालिए।
हल:

वस्तुओं की बिक्रीकीमतकुल आगमसीमांत आगम
1050 रु०500 रु०
1147 रु०517 रु०17 रु०

प्रश्न 8.
निम्नलिखित तालिका से कुल आय (TR) तथा सीमांत आय (MR) निकालिए-

उत्पादन इकाइयाँऔसत कीमत आय (₹ )कुल आय (₹)सीमांत लागत (₹)
56______
47______
38______

हल:

उत्पादन इकाइयाँऔसत कीमत आय (₹ )कुल आय (₹)सीमांत लागत (₹)
5630_
4728-2
3824-4

प्रश्न 9.
कल्पना कीजिए कि मांग तथा पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित किसी वस्तु की बाज़ार कीमत 4 रु० प्रति इकाई है। इस कीमत के संदर्भ में किसी फर्म के विभिन्न उत्पादन स्तरों पर औसत, सीमांत तथा कुल आगम ज्ञात कीजिए। इस स्थिति में फर्म के समक्ष जो मांग वक्र होगी उसकी आकृति कैसी होगी?
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 35
फर्म के समक्ष मांग वक्र की आकृति OX-अक्ष के समानांतर होगी।

प्रश्न 10.
एक विक्रेता की कुल आगम (TR) अनुसूची नीचे दी गई है। इसके आधार पर 6 इकाइयों की AR और MR ज्ञात कीजिए। क्या यह विक्रेता पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार में बेच रहा है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।

बेची गई इकाइयाँकुल आगम
5300
6330

हल:

बेची गई इकाइयाँTRARMR
530060
63305530

यह पूर्ण प्रतियोगिता बाज़ार नहीं है, क्योंकि यहाँ AR और MR भिन्न-भिन्न हैं।

प्रश्न 11.
कल्पना कीजिए कि किसी वस्तु की बाज़ार कीमत 5 रु० प्रति इकाई है, जो माँग व पूर्ति के नियमों के आधार पर निर्धारित हुई है। इस कीमत को लेकर किसी फर्म द्वारा उत्पादन के विभिन्न स्तरों से संबंधित AR, MR तथा TR के कक्रों का रेखाचित्र बनाइए।
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 36

प्रश्न 12.
एक प्रतिस्पर्धी फर्म की बाज़ार में कीमत 15 रु० है।
(क) इसकी कुल आगम तालिका का निर्माण करें, यदि बिक्री 0 से 10 इकाई तक हो।
(ख) मान लीजिए कि कीमत 17 रु० हो जाती है। क्या नए TR वक्र का ढाल पहले वाले से अधिक होगा या कम?
हल:
(क) कुल आगम तालिका

उत्पादन             कुल आगम
जब कीमत 15 रु० होजब कीमत 17 रु० हो
000
11517
23034
34551
46068
57585
690102
7105119
8120136
9135153
10150170

(ख) यदि कीमत 15 रु० से बढ़कर 17 रु० हो जाती है, तो TR वक्र का ढाल पहले वाले से अधिक तीखा होगा।

प्रश्न 13.
एक पूर्ण प्रतिस्पर्धी फर्म की वस्तु की बाज़ार कीमत 10 रु० प्रति इकाई है, बिक्री के विभिन्न स्तरों के लिए TR अनुसूची व्युत्पन्न करें। यदि फर्म कुछ समय के लिए उत्पादन बंद करने का निर्णय लेती है, तो बाज़ार कीमत क्या होगी?
हल:

वस्तु की बिक्री (इकाइयाँ)कीमत (रु०)कुल आगम (रु०)
11010
21020
31030
41040
51050
61060
71070
81080
91090
1010100

यदि पूर्ण प्रतियोगी फर्म कुछ समय के लिए उत्पादन बंद करने का निर्णय लेती है, तो बाज़ार कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होगा क्योंकि पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में कोई अकेली फर्म बाज़ार में प्रचलित कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 14.
नीचे दी गई सारणी से कुल आगम, औसत आगम और माँग की कीमत लोच की गणना कीजिए
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 37a
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 37b
प्रयोग किए गए सूत्र-
(i) कुल आगम = सीमांत आगम, + सीमांत आगम, + …………… + सीमांत आगम,
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 37

प्रश्न 15.
निम्नलिखित तालिका से उत्पादन का वह स्तर ज्ञात कीजिए जिस पर उत्पादक संतुलन की स्थिति में है। कारण बताइए।

उत्पादन (इकाइयाँ)12345
कुल लागत (रु०)200300380540640
कुल आगम (रु०)180340480480600

हल:

उत्पादन (इकाइयाँ)TCTRलाभ (TR-TC)
1200180-20
230034040
3380480100
4500480-20
5640600-40

उत्पादन की 3 इकाइयों के स्तर पर उत्पादक संतुलन की स्थिति में है, क्योंकि इस स्तर पर लाभ अधिकतम अर्थात् 100 रु० है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित तालिका से उत्पादक के संतुलन का निर्धारण करें। तार्किक कारण दीजिए।

बेची गई मात्रा (इकाइयाँ)5678910
कुल आगम (रु०)152025303540
कुल लागत (रु०)182226273038

हल:

बेची गई मात्रा (इकाइयाँ)कुल आगम (रु०)कुल लागत

(रु०)

लाभ (रु०)
51518-3
62022-2
72526-1
830273
935305
1040382

9वीं इकाई उत्पादन स्तर पर लाभ अधिकतम होगा। इस स्तर पर TR एवं TC के बीच का अंतर अधिकतम है जो कि 5. है। इस प्रकार उत्पादक संतुलन 9वीं इकाई के उत्पादन स्तर पर होगा।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर कुल आगम (TR) व कुल लागत (TC) में तुलना करते हुए उत्पादक के अधिकतम लाभ वाली स्थिति बताइए।

उत्पादन इकाइयाँ12345
औसत आगम (AR) (र०)12111098
औसत लागत (AC) (रु०)79101112

हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 38a
उत्पादन के अधिकतम लाभ (अर्थात् 5 रु०) की स्थिति 1 इकाई के उत्पादन पर होगी।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित तालिका को पूरी करें। अधिकतम लाभ वाली अवस्था भी बताइए।

उत्पादन (इकाइयाँ)कुल आगम (रु०)कुल लागत (रु०)लाभ (रु०)
168
29-1
3100
41211
5148

हल:

उत्पादन (इकाइयाँ)कुल आगम (रु०)कुल लागत (रु०)लाभ (रु०)
168-2
289-1
310100
412111
51486

उत्पादक के अधिकतम लाभ (अर्थात् 6 रु०) की स्थिति 5वीं इकाई के उत्पादन स्तर पर है।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 19.
निम्नलिखित तालिका से बेची गई मात्रा के प्रत्येक स्तर पर लाभ ज्ञात करें।

बेची गई मात्रा (इकाइयाँ)कीमत (रु० प्रति इकाई)औसत लागत (रु०)
11515
21612
31710
41812
51914

हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 38

प्रश्न 20.
निम्नलिखित तालिका से TR-TC विधि द्वारा लाभ अधिकतम उत्पादन स्तर ज्ञात करें।

बेची गई मात्रा (इकाइयाँ)कुल आगम (रु०)सीमांत लागत
(रु०)
11215
2269
3346
4402
5423

हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 39
लाभ अधिकतम तब होगा, जब उत्पादन स्तर 4 है क्योंकि इस स्तर पर लाभ अधिकतम है, जो कि 8 है। इस उत्पादन स्तर के बाद लाभ घटने लगता है।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित तालिका में सीमांत आगम (MR) और सीमांत लागत (MC) में तुलना करते हुए प्रतिस्पर्धी फर्म की संतुलन की स्थिति ज्ञात कीजिए।

उत्पादन (इकाइयाँ)23456
कीमत (र०)1010101010
सीमांत ज्ञागत (MC) (र०)678910

हल:
प्रतियोगी फर्म 6 इकाइयों के उत्पादन स्तर पर संतुलन की स्थिति में है, क्योंकि इस पर MR = MC = 10 रु० (पूर्ण प्रतियोगिता में कीमत = AR = MR)।

प्रश्न 22.
कीमत 10 रु० से बढ़कर 12 रु० हो गई, जिसके फलस्वरूप पूर्ति 15 इकाइयों से बढ़कर 20 इकाइयाँ हो गईं। पूर्ति की लोच ज्ञात कीजिए।
हल:
इस उदाहरण में,
p0 = 10, ∆p = 2, q0 = 15, ∆q = 5
∴ es = \(\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}=\frac{5}{2} \times \frac{10}{15}=\frac{5}{3}=1.66\)
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है।

प्रश्न 23.
मान लो जब आइसक्रीम की कीमत 5 रु० प्रति कप है तो 5 आइसक्रीम की पूर्ति की जाती है। यदि कीमत बढ़कर 10 रु० हो जाती है तो पूर्ति बढ़कर 10 हो जाती है। पूर्ति की कीमत लोच ज्ञात करें।
हल:
es = \(\frac{p^{0}}{q^{0}} \times \frac{\Delta q}{\Delta p}\)
p0 = 5 रु०, p1 = 10 रु०, ∆p = 10 – 5 = 5 रु०
q0 = 5, q1 = 10, ∆q = 10 – 5 = 5
es = \(\frac { 5 }{ 5 }\) x \(\frac { 5 }{ 5 }\) = 1 (इकाइ)

प्रश्न 24.
जब कीमत 4 रु० प्रति इकाई है तो गुड़िया बनाने वाली प्रतिदिन 8 गुड़ियों की पूर्ति करती है। कीमत 5 रु० प्रति गुड़िया होने पर वह प्रतिदिन 10 गुड़ियों को बेचने को तैयार है। गुड़िया की पूर्ति की लोच क्या होगी?
हल:
पूर्ति की लोच (e) = es = \(\frac{p^{0}}{q^{0}} \times \frac{\Delta q}{\Delta p}\)
p0 = 4 रु०, p1 = 5 रु०, ∆p = 5 – 4 = 1 रु०
q0 = 8 गुड़ियाँ, q1 = 10 गुड़ियाँ,
∆q = 10 – 8 = 2 गुड़ियाँ
es = \(\frac { 4 }{ 8 }\) x \(\frac { 2 }{ 1 }\) = 1 (इकाई)

प्रश्न 25.
वस्तु की कीमत 12 रु० प्रति इकाई पर वस्तु की पूर्ति 25 इकाइयाँ थीं। कीमत में 8 रु० प्रति इकाई की वृद्धि हो जाने से वस्तु की पूर्ति बढ़कर 35 इकाइयाँ हो गईं। पूर्ति की लोच ज्ञात कीजिए।
हल:
इस उदाहरण में,
p0 = 12 रु०, p1 = 20 रु०, ∆p = 20 – 12 = 8 रु०
q0 = 25, q1 = 35, ∆q= 35 – 25 = 10
∴ \(e_{s}=\frac{p^{0}}{q^{0}} \times \frac{\Delta q}{\Delta p}=\frac{12}{25} \times \frac{10}{8}=0.6\)
पूर्ति की लोच इकाई से कम है।

प्रश्न 26.
कीमत में 20% वृद्धि होने के फलस्वरूप पूर्ति 35 इकाइयों से बढ़कर 70 इकाइयाँ हो गईं। पूर्ति की लोच ज्ञात कीजिए।
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 40
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है।

प्रश्न 27.
जब किसी वस्तु की बाजार कीमत 4 रु० है तो विक्रेता 600 इकाइयाँ बेचने को तैयार है। यदि कीमत बढ़कर 5 रु० हो जाती है तो वह 850 इकाइयाँ बेचने को तैयार है। पूर्ति की लोच ज्ञात करें।
हल:
es = \(\frac{p^{0}}{q^{0}} \times \frac{\Delta q}{\Delta p}\)
p0 = 4 रु०, p1 = 5 रु०, ∆p = 5 – 4 = 1 रु०
q0 = 600, q1 = 850, ∆q = 850 – 600 = 250
es = \(\frac{4}{600} \times \frac{250}{1}=\frac{1000}{600}\) = 1 (इकाई)
= 1.6
पूर्ति की लोच इकाई से अधिक है।

प्रश्न 28.
निम्नलिखित सूचना के आधार पर पूर्ति की लोच ज्ञात कीजिए-

कीमत (रु०)बिक्री आगम (र०)
8224
12504

हल:
दिए गए उदाहरण में पहले हमें पूर्ति की मात्रा ज्ञात करनी होगी।

कीमत (रु०)बिक्री आगम (र०)पूर्ति (इकाइयाँ)
822428
1250442

\(e_{s}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{a^{0}}=\frac{14}{4} \times \frac{8}{28}\) = 1
अर्थात् इकाई पूर्ति की लोच।

प्रश्न 29.
एक फर्म को 50 रु० आगम की प्राप्ति हो रही थी, जब वस्तु की कीमत 10 रु० थी। कीमत बढ़कर 15 रु० हो जाने से फर्म को कुल आगम 150 रु० प्राप्त हो रहा है। फर्म की आपू की कीमत लोच क्या है?
हल:
\(q^{0}=\frac{50}{10}=5, q^{1}=\frac{150}{15}=10\)
∴ ∆q = q1-q0 = 10 – 5 = 5
P0 = 10, p1 = 15 ∴ ∆p = 15 – 10 = 5
∴ es = \(\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}=\frac{5}{5} \times \frac{10}{5}=2\)

प्रश्न 30.
एक वस्तु की पूर्ति की कीमत लोच इकाई है। 5 रु० प्रति इकाई कीमत पर एक फर्म उस वस्तु की 25 इकाइयों की पूर्ति करती है। यदि इस वस्तु की कीमत बढ़कर 6 रु० प्रति इकाई हो जाती है तो वह फर्म उस वस्तु की कितनी इकाइयों की पूर्ति करेगी ?
हल:
पूर्ति की कीमत लोच =\(\frac{p^{0}}{q^{0}} \times \frac{\Delta q}{\Delta p}\)
यहाँ,
p° = प्रारंभिक कीमत q° = प्रारंभिक पूर्ति
= पूर्ति में परिवर्तन Ap = कीमत में परिवर्तन
इस प्रकार,
1 = \(\frac{5}{25} \times \frac{\Delta q}{1}\)
1 = \(\frac{\Delta q}{5}\)
∆q = 5
पूर्ति में परिवर्तन = 5
इस प्रकार, परिवर्तित पूर्ति = प्रारंभिक पूर्ति + पूर्ति में परिवर्तन
= 25 + 5
= 30 इकाइयाँ

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 31.
एक वस्तु की पूर्ति की लोच का गुणांक 3 है। 8 रु० प्रति इकाई कीमत पर एक विक्रेता इस वस्तु की 20 इकाइयाँ सप्लाई करता है। इस वस्तु की कीमत 2 रु० प्रति इकाई बढ़ने पर विक्रेता इसकी कितनी मात्रा सप्लाई करेगा?
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 41
मात्रा में परिवर्तन = 3 x 5 = 15
इस प्रकार विक्रेता वस्तु की 20 + 15 = 35 मात्रा सप्लाई करेगा।

प्रश्न 32.
जब एक वस्तु की कीमत 10 रु० से बढ़कर 11 रु० प्रति इकाई हो जाती है, तो उसकी पूर्ति मात्रा 100 इकाई बढ़ती है। इसकी पूर्ति की कीमत लोच 2 है। बढ़ी हुई कीमत पर इसकी पूर्ति मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
पूर्ति की कीमत लोच (e) = 2
पूर्ति में परिवर्तन ∆q = 100
कीमत में परिवर्तन ∆p = 11 – 10 = 1
प्रारंभिक कीमत p0 = 10
प्रारंभिक पूर्ति q0 = ?
पूर्ति की कीमत लोच = \(\frac{p^{0}}{q^{0}} \times \frac{\Delta q}{\Delta p}\)
2 = \(\frac{10}{q^{0}} \times \frac{100}{1}\)
2q0 = 10 x 100 = 1,000
q0 = \(\frac { 1000 }{ 2 }\) = 500
प्रारंभिक पूर्ति = 500
नई पूर्ति = 500 + 100 = 600

प्रश्न 33.
एक वस्तु की पूर्ति कीमत लोच 2 है। जब इसकी कीमत 10 रु० से घटकर 8 रु० प्रति इकाई हो जाती है, तो इसकी पूर्ति मात्रा 500 इकाई कम हो जाती है। घटी हुई कीमत पर इसकी पूर्ति मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 42
पूर्ति की नई मात्रा = प्रारंभिक पूर्ति + मात्रा में परिवर्तन
= 1250 + (-500) = 750 इकाइयाँ
मात्रा में परिवर्तन = मात्रा में गिरावट

प्रश्न 34.
X और Y वस्तुओं की पूर्ति की कीमत लोच बराबर है। X की कीमत में 20% वृद्धि होने से उसकी पूर्ति 400 इकाई से बढ़कर 500 इकाई हो जाती है। यदि Y की कीमत 8% घटती है, तो उसकी पूर्ति में होने वाली प्रतिशत कमी का परिकलन कीजिए।
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 43

प्रश्न 35.
एक फर्म 10 रु० प्रति इकाई कीमत पर उत्पाद की 1000 इकाई बेचती है। इसकी पूर्ति लोच 3 है। यदि कीमत गिर कर 7.50 रु० प्रति इकाई हो जाए तो फर्म कितनी इकाइयाँ बेचने योग्य होंगी ?
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 44
फर्म 250 = 1000 – 750 पूर्ति में परिवर्तन) इकाई बेचने योग्य होगी।

प्रश्न 36.
एक वस्तु की कीमत पूर्ति लोच 5 है। एक उत्पादक 5 रु० प्रति इकाई पर इस वस्तु की 500 इकाइयाँ बेचता है। 6 रु० प्रति इकाई पर वह कितनी मात्रा बेचना पसंद करेगा?
हल:
\(e_{s}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\)
\(5=\frac{q^{0}-500}{1(=6-5)} \times \frac{5}{500} \text { अथवा } \frac{5 q^{0}-2500}{500}\)
2500 = 5q0 – 2500 अथवा 5q0 अथवा q0 = 1000
उत्पादक 1000 इकाइयाँ बेचना पसंद करेगा।

प्रश्न 37.
एक वस्तु की कीमत 10रु० प्रति इकाई है और इस कीमत पर पूर्ति की मात्रा 500 इकाई है। यदि इसकी कीमत 10% कम हो जाती है तो इसकी पूर्ति की मात्रा घटकर 400 इकाई हो जाती है। इसकी पूर्ति की कीमत लोच का परिकलन कीजिए।
हल:
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 46

प्रश्न 38.
एक वस्तु की कीमत 8 रु० प्रति इकाई है और उसकी पूर्ति की मात्रा 200 इकाई है। इसकी कीमत पूर्ति लोच 1.5 है। यदि यह कीमत बढ़कर 10रु० प्रति इकाई हो जाती है तो नई कीमत पर इसकी पूर्ति मात्रा ज्ञात कीजिए।
हल:
\(e_{s}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\) या 1.5 =\(\frac{\Delta q}{2} \times \frac{8}{200}\) \(\frac { Δq }{ 50 }\) या
= Δq
= 75

प्रश्न 39.
एक वस्तु की पूर्ति की कीमत लोच 2.5 है। 5 रु० प्रति इकाई कीमत पर इसकी पूर्ति मात्रा 300 इकाई है। 4 रु० प्रति इकाई कीमत पर इसकी पूर्ति मात्रा कितनी होगी? ज्ञात कीजिए।
हल:
\(e_{s}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\) या 2.5 =\(\frac{\Delta q}{1} \times \frac{5}{300}\) या
\(\frac { Δq }{ 60 }\)
= Δq
= 150
पूर्ति की मात्रा = 300 – 150 = 150 इकाइयाँ (कीमत गिरने पर पूर्ति कम हो जाएगी।

प्रश्न 40.
एक वस्तु की कीमत 12 रु० प्रति इकाई है और इसकी पूर्ति 500 इकाई है। जब इसकी कीमत बढ़कर 15 रु० प्रति इकाई हो जाती है तो इसकी पूर्ति मात्रा बढ़कर 650 इकाई हो जाती है। इसकी पूर्ति की कीमत लोच ज्ञात कीजिए। क्या इसकी पूर्ति लोचदार है?
हल:
\(e_{s}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\) \(\frac{150}{3} \times \frac{12}{500}\) = 1.2
पूर्ति लोचदार है क्योंकि लोच इकाई से अधिक है।

HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का

प्रश्न 41.
एक वस्तु की कीमत 8 रु० प्रति इकाई है और उसकी पूर्ति मात्रा 400 इकाई है। उसकी पूर्ति की कीमत लोच 2 है। वह कीमत ज्ञात कीजिए जिस पर उसकी पूर्ति मात्रा 600 इकाई होगी।
हल:
\(e_{s}=\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{p^{0}}{q^{0}}\) या 2 = \(\frac { 200(600-400) }{ Δp }\) या = Δp = 4 ÷ 2 = 2
नई कीमत = 8 + 2 = 10 रु० होगी (क्योंकि पूर्ति बढ़ गई है)।

प्रश्न 42.
जब एक वस्तु की कीमत 10 रु० प्रति इकाई से घटकर 9 रु० प्रति इकाई हो जाती है तो इसकी पूर्ति मात्रा 20% घट जाती है। इसकी पूर्ति की कीमत लोच ज्ञात कीजिए।
हल:
कीमत में % गिरावट =\(\frac{1(10-9)}{10} \times 100=10\)
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 47
= \(\frac{20}{10}\) = 2

प्रश्न 43.
एक वस्तु की कीमत 5 रु० प्रति इकाई है और उसकी पूर्ति मात्रा 600 इकाई है। यदि इसकी कीमत बढ़कर 6 रु० प्रति इकाई हो जाती है तो इसकी पूर्ति मात्रा 25% बढ़ जाती है। इसकी पूर्ति की कीमत लोच ज्ञात कीजिए।
हल:
कीमत में % गिरावट =\(\frac{1(6-5)}{5} \times 100\) = 20
HBSE 12th Class Economics Important Questions Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का 47
= \(\frac{25}{20}\) = 1.25

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Ex 5.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 5 समांतर श्रेढ़ियाँ Exercise 5.4

प्रश्न 1.
AP: 121, 117, 113, ………, का कौन-सा पद सबसे पहला ऋणात्मक पद होगा?
हल :
यहाँ पर AP = 121, 117, 113,…
माना nवाँ पद सबसे पहला ऋणात्मक पद है तो
a = 121
d = 117-121 = -4
an < 0
n = ?
हम जानते हैं कि an < 0
a+ (n-1)d <0
121 + (n-1)(-4) < 0
121-4n+4 <
125 < 4n n > \(\frac{125}{4}\)
n > 31.25
अतः 32वाँ पद सबसे पहला ऋणात्मक पद होगा।

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प्रश्न 2.
किसी AP के तीसरे और सातवें पदों का योग 6 है और उनका गुणनफल 8 है। इस AP के प्रथम 16 पदों का योग ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर माना दी गई AP का प्रथम पद =a
तथा सार्व अंतर = d
प्रश्नानुसार
a3 + a7 = 6
(a +2a) + (a +6a) = 6
2a + 8d = 6
a + 4d = 3 (दोनों ओर 2 से भाग करने पर) ………….(i)
a3 x a7 = 8
(a +2d)(a + 6d) = 8
a2 + 6ad + 2ad + 12d2 = 8
a2+ 8ad + 12d2 = 8
समीकरण (i) से a = 3-4d को समीकरण (ii) में प्रतिस्थापित करने पर,
(3-4a)2 + 8(3-4d)d + 12d2 = 8
9 – 24d + 16d2 + 24d – 32d2 + 12d2 – 8 = 0
4d2 + 1 = 0
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अतः दी गई AP के प्रथम 16 पदों का योग = 20 व 76

प्रश्न 3.
एक सीढ़ी के क्रमागत डडे परस्पर 25cm की दूरी पर हैं (देखिए संलग्न आकृति में)। डंडों की लंबाई एक समान रूप से घटती जाती हैं तथा सबसे निचले डडे की लंबाई 45cm है और सबसे ऊपर वाले डडे की लंबाई 25cm है। यदि ऊपरी और निचले डडे के बीच की दूरी 2 1/2m है, तो डंडों को बनाने के लिए लकड़ी की कितनी लंबाई की आवश्यकता होगी?
हल :
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यहाँ पर प्रश्नानुसार,
सीढ़ी के दो क्रमागत डंडों के बीच की दूरी = 25cm
सीढ़ी के सबसे निचले व सबसे ऊपरी डंडों के बीच की दूरी = 2.5m = 250cm
सीढ़ी के डंडों की संख्या = \(\frac{250}{25}\) = 10
दी गई स्थिति अनुसार AP के लिए
a = 45cm
l = 25cm
n = 10
अतः सीढ़ी के डंडों को बनाने के लिए आवश्यक लकड़ी की लंबाई
= \(\frac{n}{2}\)[a + l]
= \(\frac{10}{2}\)[45 + 25]
= 5 x 70 = 350cm
= 3.5m

प्रश्न 4.
एक पंक्ति के मकानों को क्रमागत रूप से संख्या 1 से 49 तक अंकित किया गया है। दर्शाइए कि x का एक ऐसा मान है कि से अंकित मकान से पहले के मकानों की संख्याओं का योग उसके बाद वाले मकानों की संख्याओं के योग । के बराबर है। x का मान ज्ञात कीजिए।
हल : यहाँ पर माना,
मकानों की पंक्ति = H1, H2, H3, ………. , Hx-1, Hx, Hx + 1, ………….. , H49
मकान संख्या = 1, 2, 3, ……….. , (x – 1), x, (x + 1), ………. 49
प्रश्नानुसार, 1 + 2 + 3 + …………. + (x – 1) = (x + 1) + (x + 2) + (x + 3)………..+ 49
1 + 2 + 3 +…… (x – 1) = [1 + 2 + 3 +……….. + (x – 1) + (x), (x + 1)+………. 49]
[1 + 2 + 3 +…. + x] [∵ Sx-1 = S49 – Sx]
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x2 – x = 49 x 50 – x2 – x[दोनों ओर 2 से गुणा करने पर]
2x2 = 49 x 50
x2 = 49 x 25
(x)2 = (7 x 5)2
x = 35

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प्रश्न 5.
एक फुटबाल के मैदान में एक छोटा चबूतरा है जिसमें 15 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों में से प्रत्येक की लंबाई 50m है और वह ठोस कंक्रीट (concrete) की बनी है। प्रत्येक सीढ़ी में 1/4 m की चढ़ाई है और 1/2 m का फैलाव (चौड़ाई) है। (देखिए संलग्न आकृति में)। इस चबूतरे को बनाने में लगी कंक्रीट का कुल आयतन परिकलित कीजिए।
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हल :
यहाँ पर प्रश्नानुसार,
प्रत्येक सीढ़ी की लंबाई (l) = 50m
प्रत्येक सीढ़ी की चौड़ाई (b) = \(\frac{1}{4}\) m
पहली सीढ़ी की ऊँचाई (h1)= \(\frac{1}{4}\)
दूसरी सीढ़ी की ऊँचाई (h2) = 2 x \(\frac{1}{4} m=\frac{2}{4} m\)
तीसरी सीढ़ी की ऊँचाई (h3) = 3 x \(\frac{1}{4} m=\frac{3}{4} m\)
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= \(\frac{15}{2}\) x 100 = 15 x 50 = 750m

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