Author name: Prasanna

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. आकार के आधार पर उद्योग कितने प्रकार के होते हैं?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(B) 3

2. निम्नलिखित में कौन-सा लौह धातु उद्योग है?
(A) तांबे पर आधारित उद्योग
(B) पेट्रोकेमिकल्स इद्योग
(C) ऐलुमिनियम पर आधारित उद्योग
(D) कृषि औजार उद्योग
उत्तर:
(D) कृषि औजार उद्योग

3. निम्नलिखित में आधारभूत उद्योग कौन-सा है?
(A) वस्त्र निर्माण उद्योग
(B) लौह-इस्पात उद्योग
(C) औषधि निर्माण उद्योग
(D) सीमेंट उद्योग
उत्तर:
(B) लौह-इस्पात उद्योग

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

4. निम्नलिखित में कृषि आधारित उद्योग कौन-सा है?
(A) कागज उद्योग
(B) फर्नीचर उद्योग
(C) चीनी उद्योग
(D) औषधि निर्माण उद्योग
उत्तर:
(C) चीनी उद्योग

5. पेट्रो-रसायन उद्योग में कौन-सा देश अग्रणी है?
(A) रूस
(B) सऊदी अरब
(C) भारत
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर:
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका

6. निम्नलिखित में कौन-सा उद्योगों की अवस्थिति में अभौगोलिक कारक है?
(A) उच्चावच
(B) जलवायु
(C) कच्चा माल
(D) सरकारी नीतियाँ
उत्तर:
(D) सरकारी नीतियाँ

7. ऊर्जा स्रोत के निकट स्थापित होने वाला उद्योग कौन-सा है?
(A) चीनी उद्योग
(B) कागज उद्योग
(C) ऐलुमिनियम उद्योग
(D) चाय उद्योग
उत्तर:
(C) ऐलुमिनियम उद्योग

8. निम्नलिखित में से कौन-सा उपभोक्ता उद्योग के अंतर्गत आता है?
(A) लौह-इस्पात उद्योग
(B) टेलीविजन उद्योग
(C) चीनी उद्योग ।
(D) कागज उद्योग
उत्तर:
(B) टेलीविजन उद्योग

9. हल्के उद्योग का सर्वोत्तम उदाहरण है
(A) कागज उद्योग
(B) चाय उद्योग
(C) इलैक्ट्रॉनिक उद्योग
(D) प्लास्टिक उद्योग
उत्तर:
(C) इलैक्ट्रॉनिक उद्योग

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10. सिलिकन घाटी कहाँ स्थित है?
(A) केरल
(B) कैलिफोर्निया
(C) टोकियो
(D) मास्को
उत्तर:
(B) कैलिफोर्निया

11. बड़े पैमाने के उत्पादन तथा श्रम के अत्यधिक विभाजन के मॉडल को कहा जाता है
(A) पोस्ट फोर्डिज्म
(B) फोर्डिज्म
(C) लोचयुक्त उत्पादन
(D) लोचयुक्त विशिष्टिकरण
उत्तर:
(B) फोर्डिज्म

12. निम्नलिखित में से कौन-सा लौह अयस्क क्षेत्र नहीं है?
(A) अमेरिका में महान् झीलों का क्षेत्र
(B) रूहर
(C) छोटा नागपुर
(D) सिलिकन घाटी
उत्तर:
(D) सिलिकन घाटी

13. सार्वजनिक उद्योग वह होता है, जिसका
(A) प्रबंधन राजकीय सरकार के हाथ में होता है
(B) मालिक एक व्यक्ति होता है
(C) स्वामित्व सहकारी संस्थाओं के हाथ में होता है
(D) प्रबंध कार्पोरेशन करती है
उत्तर:
(A) प्रबंधन राजकीय सरकार के हाथ में होता है

14. सर्वाधिक लौह-अयस्क के भंडार किस देश में हैं?
(A) ब्राजील
(B) भारत
(C) चीन
(D) फ्रांस
उत्तर:
(C) चीन

15. विश्व में तांबे का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन-सा है?
(A) इंडोनेशिया
(B) भारत
(C) मैक्सिको
(D) चिली
उत्तर:
(D) चिली

16. ऐलुमिनियम किस अयस्क से प्राप्त किया जाता है?
(A) हैमेटाइट
(B) बॉक्साइट
(C) मैग्नेटाइट
(D) लिमोनाइट
उत्तर:
(B) बॉक्साइट

17. निम्नलिखित में कौन-सा अधात्विक खनिज है?
(A) चांदी
(B) सोना
(C) तांबा
(D) गंधक
उत्तर:
(D) गंधक

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18. निम्नलिखित में कौन-सा धात्विक खनिज है?
(A) चांदी
(B) कोयला
(C) नमक
(D) गंधक
उत्तर:
(A) चांदी

19. निम्नलिखित में से कौन द्वितीयक क्रियाकलाप से संबंधित नहीं है?
(A) विनिर्माण
(B) संग्रहण
(C) प्रसंस्करण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) संग्रहण

20. …………….. का अभिप्राय किसी भी वस्तु के उत्पादन से है-
(A) बाजार
(B) आखेट
(C) विनिर्माण
(D) संग्रहण
उत्तर:
(C) विनिर्माण

21. कौन-से उद्योग सरकार के नियंत्रण में होते हैं?
(A) कुटीर उद्योग
(B) सार्वजनिक उद्योग
(C) निजी उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) सार्वजनिक उद्योग

22. किन क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है?
(A) प्राथमिक क्रियाओं द्वारा
(B) द्वितीयक क्रियाओं द्वारा
(C) तृतीयक क्रियाओं द्वारा
(D) चतुर्थक क्रियाओं द्वारा
उत्तर:
(B) द्वितीयक क्रियाओं द्वारा

23. उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाला कारक है-
(A) बाजार
(B) श्रम आपूर्ति
(C) कच्चा माल
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

24. वन आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) फर्नीचर उद्योग
(B) कागज उद्योग
(C) लाख उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

25. किन उद्योगों पर व्यक्तिगत निवेशकों का स्वामित्व होता है?
(A) सार्वजनिक उद्योग
(B) सरकारी उद्योग
(C) निजी उद्योग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) निजी उद्योग

26. कृषि आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) चीनी उद्योग
(B) वस्त्र उद्योग
(C) इस्पात उद्योग
(D) (A) व (B) दोनों
उत्तर:
(D) (A) व (B) दोनों

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27. हथकरघा क्षेत्र की विशेषता है-
(A) अधिक श्रमिकों की आवश्यकता
(B) कम पूँजी निवेश की आवश्यकता
(C) अर्द्धकुशल श्रमिकों को रोजगार
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

28. सहर औद्योगिक क्षेत्र का संबंध किस देश से है?
(A) जर्मनी से
(B) इंग्लैण्ड से
(C) फ्रांस से
(D) चीन से
उत्तर:
(A) जर्मनी से

29. विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई कौन-सा उद्योग है?
(A) कुटीर उद्योग
(B) लघु उद्योग
(C) सार्वजनिक उद्योग
(D) निजी उद्योग
उत्तर:
(A) कुटीर उद्योग

30. सिलिकॉन घाटी किस उद्योग के लिए प्रसिद्ध है?
(A) इस्पात उद्योग
(B) लोहा उद्योग
(C) सॉफ्टवेयर
(D) रसायन उद्योग
उत्तर:
(C) सॉफ्टवेयर

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
रूहर औद्योगिक प्रदेश किस देश में है?
उत्तर:
रूहर औद्योगिक प्रदेश जर्मनी में है।

प्रश्न 2.
पेट्रो-रसायन उद्योग में कौन-सा देश अग्रणी है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 3.
बड़े पैमाने के उत्पादन तथा श्रम के अत्यधिक विभाजन के मॉडल को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
फोर्डिज्म।

प्रश्न 4.
सिलिकन घाटी कहाँ स्थित है?
उत्तर:
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में।

प्रश्न 5.
महान् झीलों का लोहा-इस्पात क्षेत्र कहाँ स्थित है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में।

प्रश्न 6.
सूती वस्त्र उद्योग किसका उदाहरण है?
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग का।

प्रश्न 7.
कुशल श्रमिक प्रधान उद्योगों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  1. अलीगढ़ का ताला उद्योग
  2. मेरठ का कैंची उद्योग।

प्रश्न 8.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहते है?
उत्तर:
लौह-इस्पात को।

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प्रश्न 9.
कौन-सी अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में।

प्रश्न 10.
जापान का कौन-सा औद्योगिक प्रदेश घना बसा है?
उत्तर:
जापान का टोक्यो प्रदेश औद्योगिक दृष्टिकोण से घना बसा है। यह जापान के होन्शू द्वीप पर बसा हुआ है।

प्रश्न 11.
किन गतिविधियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों या प्राथमिक उत्पादों का मूल्य बढ़ जाता है?
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधियों द्वारा।

प्रश्न 12.
सभी आर्थिक गतिविधियों का क्या कार्य-क्षेत्र है?
उत्तर:
संसाधनों की प्राप्ति और उनके उपभोग का अध्ययन करना।

प्रश्न 13.
जहाँ कम जनसंख्या निवास करती है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
दूरस्थ क्षेत्र।

प्रश्न 14.
कुटीर या घरेलू उद्योग का कोई एक उदाहरण दें।
उत्तर:
कलाकृति।

प्रश्न 15.
कृषि आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण या उत्पाद दें।
उत्तर:

  1. चीनी
  2. वनस्पति तेल।

प्रश्न 16.
खनिज आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. ताँबा
  2. आभूषण।

प्रश्न 17.
रसायन आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. प्लास्टिक
  2. पेट्रो रसायन।

प्रश्न 18.
पशु आधारित उद्योगों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. ऊन
  2. चमड़ा।

प्रश्न 19.
उपभोक्ता सामान के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. बिस्कुट
  2. कपड़ा।

प्रश्न 20.
सीमेंट और मिट्टी के बर्तन आदि उद्योगों में किन खनिजों का प्रयोग होता है?
उत्तर:
अधात्विक खनिजों का।।

प्रश्न 21.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताइए जहाँ घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
नाइजीरिया।

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प्रश्न 22.
जर्मनी के कोई दो औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. रूहर औद्योगिक प्रदेश
  2. बेवरिया औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 23.
रूस के कोई दो औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. मॉस्को औद्योगिक प्रदेश
  2. यूराल औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 24.
ब्रिटेन के कोई दो औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. दक्षिणी वेल्स औद्योगिक प्रदेश
  2. मिडलैंड औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 25.
प्राथमिक गतिविधियों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. आखेट
  2. पशुचारण।।

प्रश्न 26.
द्वितीयक गतिविधियों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. कपास द्वारा सूती वस्त्र बनाना
  2. लौह अयस्क से मशीनों का निर्माण।

प्रश्न 27.
भोजन प्रसंस्करण के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. डिब्बा बंद भोजन
  2. क्रीम उत्पादन।

प्रश्न 28.
धातु उद्योग कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दो प्रकार के-

  1. लौह धातु उद्योग
  2. अलौह धातु उद्योग।

प्रश्न 29.
अधातु उद्योग के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. कोयला
  2. गंधक।

प्रश्न 30.
धातु उद्योग के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. लोहा
  2. इस्पात।

प्रश्न 31.
‘विनिर्माण’ का शाब्दिक अर्थ क्या है?
उत्तर:
हस्त एवं मशीनों से बनाना।

प्रश्न 32.
किन उद्योगों को ‘शिल्प उद्योग’ भी कहा जाता है?
उत्तर:
कुटीर उद्योगों को।

प्रश्न 33.
औद्योगिक क्रांति के समय विश्व की जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर:
50 करोड़।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निर्माण उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
कच्चे और अर्ध-निर्मित माल को हाथ अथवा मशीनों की सहायता से उपयोगी निर्मित माल में बदलने वाले उद्योग निर्माण उद्योग कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
उद्योगों के वर्गीकरण के आधार क्या हैं?
उत्तर:
उद्योगों को अनेक आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है; जैसे-

  1. आकार के आधार पर
  2. कार्य के आकार एवं उत्पादों के स्वरूप के आधार पर
  3. कच्चे माल की प्रवृत्ति के आधार पर
  4. निर्मित माल की प्रकृति के आधार पर
  5. स्वामित्व एवं प्रबंधन के आधार पर।

प्रश्न 3.
आधारभूत एवं उपभोक्ता उद्योगों के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
लौह-इस्पात निर्माण तथा विद्युत उत्पादन आधारभूत उद्योगों के उदाहरण हैं जबकि कागज़ निर्माण तथा टेलीविज़न निर्माण उपभोक्ता उद्योगों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 4.
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि अन्य सभी उद्योगों की मशीनें व परिवहन के साधन इसी से बनाए गए इस्पात से बनते हैं।

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प्रश्न 5.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन संकल अधिकतर तटों पर क्यों स्थित होते हैं?
उत्तर:
आयातित खनिज तेल पर आधारित होने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका के पेट्रो-रसायन उद्योग तटों पर स्थित हैं। अगर ये आंतरिक भागों में होते तो परिवहन की लागत तो बढ़ती ही साथ ही सामान और समय दोनों का अपव्यय भी होता।

प्रश्न 6.
प्रौद्योगिक-ध्रुव किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रौद्योगिक-ध्रुव एक सीमांकित क्षेत्र के भीतर नई प्रौद्योगिकी व उद्योगों से संबंधित उत्पादन के लिए नियोजित विकास है। इसके अंतर्गत विज्ञान व प्रौद्योगिकी पार्क, विज्ञान नगर तथा अन्य उच्च तकनीकी औद्योगिक संकुल शामिल किए जाते हैं।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता उद्योग क्या है?
उत्तर:
जिन उद्योगों में वस्तुओं का निर्माण सीधे उपभोग या उपभोक्ता के लिए किया जाता है; जैसे बेकरी उद्योग जिसमें निर्मित ब्रैड तथा बिस्कुट सीधे उपयोग के काम आ

प्रश्न 8.
कुटीर उद्योग किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
कुटीर उद्योग वस्तुओं के निर्माण का प्रारंभिक रूप है जो बहुत प्राचीन है। इसमें दक्षता के आधार पर वस्तुओं का निर्माण होता है। ये उद्योग मानवीय श्रम पर आधारित होते हैं। मिट्टी के बर्तन बनाना, टोकरियाँ बनाना, चमड़े के जूते बनाना आदि इस उद्योग के उदाहरण हैं।

प्रश्न 9.
लघु उद्योग किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
लघु उद्योगों में उत्पादकों का निर्माण करने के लिए छोटी-छोटी मशीनों का प्रयोग किया जाता है अर्थात् इसमें मानवीय श्रम के साथ-साथ छोटी मशीनों का भी प्रयोग किया जाता है। कागज बनाना, कपड़े बनाना, फर्नीचर बनाना आदि इस उद्योग के उदाहरण हैं।

प्रश्न 10.
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन उद्योगों का प्रबंध एवं स्वामित्व केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन होता है, उन्हें सार्वजनिक उद्योग कहते हैं; जैसे भारत में रेल उद्योग।

प्रश्न 11.
निजी उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन उद्योगों का स्वामित्व एवं प्रबंधन व्यक्ति या व्यक्तियों के हाथ में होता है, उन्हें निजी उद्योग कहते हैं; जैसे जमशेदपुर का लौह-इस्पात उद्योग।

प्रश्न 12.
भार हासमान पदार्थ क्या है?
उत्तर:
जिस कच्चे पदार्थ का भार निर्माण की प्रक्रिया में कम हो, उसे भार ह्रासमान पदार्थ कहते हैं।

प्रश्न 13.
यूरोप के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. ब्रिटेन के औद्योगिक प्रदेश
  2. फ्रांस के औद्योगिक प्रदेश
  3. जर्मनी के औद्योगिक प्रदेश
  4. नार्वे के औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 14.
संयुक्त राज्य अमेरिका के कोई चार लोहा-इस्पात केन्द्रों/क्षेत्रों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. शिकागो गैरी क्षेत्र
  2. पिट्सबर्ग-यंग्सटाउन क्षेत्र
  3. ईरी झील तटीय क्षेत्र
  4. मध्य अटलांटिक तटीय क्षेत्र।

प्रश्न 15.
विनिर्माण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, “विनिर्माण जैविक अथवा अजैविक पदार्थों का एक नए उत्पाद के रूप में यांत्रिक एवं रासायनिक परिवर्तन है। चाहे यह कार्य स्वचालित मशीन द्वारा सम्पन्न होता है अथवा हाथ द्वारा, चाहे यह कार्य कारखाने में किया जाता है अथवा कामगारों के घर में तथा उत्पाद चाहे थोक में बेचे जाएँ अथवा फुटकर में।”

प्रश्न 16.
द्वितीयक क्रियाओं का क्या महत्त्व है? अथवा द्वितीयक गतिविधियाँ क्यों महत्त्वपूर्ण होती हैं?
उत्तर:
द्वितीयक क्रियाओं या गतिविधियों का महत्त्व इसलिए है क्योंकि इन क्रियाओं द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है और ये अधिक मूल्यवान एवं उपयोगी हो जाती हैं।

प्रश्न 17.
धातु उद्योग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जिन उद्योगों में विभिन्न प्रकार की धातुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है, तो उन्हें धातु उद्योग कहते हैं।

प्रश्न 18.
भोजन प्रसंस्करण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
भोजन प्रसंस्करण उद्योग वर्तमान में तेजी से बढ़ रहा है। इसमें डिब्बाबन्द भोजन, क्रीम उत्पादन, फल प्रसंस्करण एवं मिठाइयाँ सम्मिलित की जाती हैं। भोजन को सुरक्षित रखने की अनेक विधियाँ प्राचीन समय से अपनाई जा रही हैं; जैसे अनाज को सुखाकर रखना, आचार बनाना आदि। औद्योगिक क्रांति के बाद ये विधियाँ कम ही अपनाई जा रही हैं, क्योंकि इनमें अधिक समय लगता है। पारम्परिक खाद्य संरक्षण की विधियों का स्थान अब मशीनों ने ले लिया है। इस प्रक्रिया में भोजन प्रसंस्करण का बहुत अधिक योगदान है।

प्रश्न 19.
औद्योगिक प्रदेश या औद्योगिक संकुल किसे कहते हैं?
उत्तर:
विश्व में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिल जाती हैं और वहाँ कई उद्योग स्थापित हो जाते हैं। धीरे-धीरे वहाँ उद्योगों का जमघट या पुंज बन जाता है, इसे ही औद्योगिक प्रदेश या संकुल कहते हैं।

प्रश्न 20.
कुटीर उद्योगों की कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  1. इन उद्योगों का व्यापारिक महत्त्व अधिक नहीं होता।
  2. ये विनिर्माण की सबसे छोटी इकाई होते हैं।

प्रश्न 21.
लघु उद्योगों की कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  1. इन उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होता है।
  2. इन उद्योगों से स्थानीय लोगों की क्रयशक्ति में वृद्धि होती है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 22.
कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

कुटीर उद्योगलघु उद्योग
1. कुटीर उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है।1. लघु उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल के साथ-साथ बाहर से भी कच्चा माल मँंगवाया जाता है।
2. अधिकांश तैयार उत्पाद घर में ही खप जाते हैं।2. समस्त तैयार उत्पाद बाजारों में बेचे जाते हैं।
3. इन उद्योगों में दस्तकार परिवार के सदस्य ही होते हैं।3. इन उद्योगों में श्रमिकों एवं मशीनों द्वारा कार्य किया जाता है।

प्रश्न 23.
आधुनिक समय में बड़े पैमाने पर होने वाले विनिर्माण की कोई चार विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  1. कौशल या उत्पादन की विधियों का विशिष्टीकरण।
  2. मशीनीकरण या यंत्रीकरण।
  3. प्रौद्योगिक नवाचार।
  4. संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

भारी उद्योगहल्के उद्योग
1. ये उद्योग प्राय: खनिज संसाधनों पर आधारित होते हैं।1. ये उद्योग खनिज संसाधनों तथा कृषि पर आधारित होते हैं।
2. इनमें बड़े पैमाने पर मशीनें तथा यंत्र बनाए जाते हैं।2. इनमें प्राय: दैनिक प्रयोग की वस्तुओं का निर्माण होता है।
3. इनमें अधिक पूँजी की जरूरत होती है।3. इनमें कम पूँजी की जरूरत होती है।
4. ये उद्योग प्रायः विकसित देशों में स्थापित किए जाते हैं।4. ये उद्योग विकासशील देशों में स्थापित होते हैं।

प्रश्न 2.
मूलभूत उद्योग एवं उपभोग वस्तु विनिर्माण उद्योग में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
मूलभूत उद्योग एवं उपभोग वस्तु विनिर्माण उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

मूलभूत उद्योगउपभोग वस्तु विनिर्माण उद्योग
1. इन उद्योगों के उत्पादों का प्रयोग अन्य प्रकार के उत्पादन प्राप्त करने के लिए किया जाता है।1. इन उद्योगों के उत्पादों को प्रत्यक्ष रूप से उपभोग के लिए प्रयोग किया जाता है।
2. ये उद्योग उत्पादन प्रक्रम के अगले चरण में सहायक हैं। ये औद्योगिक क्रांति में सहायक हैं।2. इनके उत्पाद प्रयोग के पश्चात् समाप्त हो जाते हैं।
3. लौह-इस्पात उद्योग इसका प्रमुख उदाहरण है।3. खाने के तेल, चाय, कॉफी, ब्रेड, बिस्कुट, रेडियो, टेलीविज़न आदि उद्योग इनके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 3.
उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
विभिन्न आधारों पर उद्योगों को कितने वर्गों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ 1

प्रश्न 4.
कृषि उद्योग और भारी उद्योगों में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
कृषि उद्योग और भारी उद्योगों में निम्नलिखित अंतर हैं-

कृषि उद्योगभारी उद्योग
1. ये उद्योग कृषि फसलों से कच्चा माल प्राप्त करते हैं।1. ये उद्योग विभिन्न खनिज पदार्थों पर आधारित होते हैं।
2. ये प्राथमिक उद्योग होते हैं।2. ये गौण उद्योग होते हैं।
3. इनमें मानवीय श्रम के साथ-साथ मशीनों का भी प्रयोग किया जाता है।3. ये पूर्ण रूप से ऊर्जा चलित भारी मशीनों पर आधारित होते हैं।
4. इन उद्योगों में श्रम की प्रधानता होती है।4. इन उद्योगों में पूँजी की प्रधानता होती है।
5. इनमें लघु तथा मध्यम वर्ग के उद्योग स्थापित किए जाते हैं।5. इन उद्योगों में भारी उद्योग स्थापित किए जाते हैं।
6. चीनी उद्योग, पटसन उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, चाय उद्योग, बनस्पति घी उद्योग आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं।6. लौह-इस्पात उद्योग, जलयान उद्योग, वायुयान उद्योग आदि भारी उद्योगों के प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
अथवा
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. इन उद्योगों के उत्पाद अत्यंत परिष्कृत होते हैं जिनका विकास गहन वैज्ञानिक शोध पर आधारित होता है।
  2. इन उद्योगों में उच्च कुशलता प्राप्त श्रमिकों को नौकरी पर रखा जाता है।
  3. ये उद्योग बाज़ार की बदलती माँग के अनुसार अपने उत्पादों में तेजी से सुधार करते हैं।
  4. इन उद्योगों में श्रम की गतिशीलता बहुत अधिक होती है क्योंकि ये उद्योग योग्यता, अनुभव, अधिक आय, बेहतर सुविधा – व सामाजिक स्तर के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  5. इन उद्योगों को स्वच्छंद उद्योग कहते हैं क्योंकि अवस्थिति का चुनाव करने में ये उद्योग अपेक्षाकृत स्वतंत्र होते हैं।

प्रश्न 6.
लघु उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लघु उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

लघु उद्योगबड़े पैमाने के उद्योग
1. इन उद्योगों में उत्पादन छोटे पैमाने पर होता है।1. इन उद्योगों में उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
2. इनमें ऊर्जा से चलने वाली छोटी व साधारण मशीनों का प्रयोग किया जाता है।2. इनमें ऊर्जा से चलने वाली बड़ी-बड़ी जटिल मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
3. इनमें कम पूँजी व कम श्रम की आवश्यकता होती है।3. इनमें भारी पूँजी व हज़ारों श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
4. इनमें उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता का कोई विशेष ध्यान नहीं रखा जाता।4. इनमें उत्पादन की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाता है।
5. लघु उद्योगों की प्रबंध प्रणाली साधारण होती है।5. बड़े उद्योगों का प्रबंध जटिल होता है।

प्रश्न 7.
स्वच्छंद उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
स्वच्छंद उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. स्वच्छंद उद्योग हल्के उद्योग होते हैं।
  2. इन उद्योगों में कम लोग ही कार्यरत होते हैं।
  3. ये उद्योग स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त होते हैं।
  4. ये उद्योग संसाधन एवं बाजार उन्मुख नहीं होते।
  5. इन उद्योगों के उत्पाद छोटे और आसानी से परिवहन के योग्य होते हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 8.
उत्पाद के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण करें। अथवा आधारभूत उद्योग तथा उपभोक्ता उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
उत्पाद के आधार पर उद्योगों को दो वर्गों में बाँटा गया है-

  • आधारभूत या मूलभूत उद्योग
  • उपभोक्ता उद्योग।

(i) आधारभूत या मूलभूत उद्योग-जिन उद्योगों में उत्पादित वस्तुएँ दूसरे उद्योग के लिए निर्मित होती हैं, उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं; जैसे लौह-इस्पात उद्योग। लौह-इस्पात उद्योग में जो मशीनें बनती हैं उनका प्रयोग अन्य उद्योगों में वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है। अतः लौह-इस्पात उद्योग मूलभूत या आधारभूत उद्योग है जो अन्य उद्योगों के लिए मशीनें बनाता है।

(ii) उपभोक्ता उद्योग-जिन उद्योगों में वस्तुओं का निर्माण सीधे उपभोग या उपभोक्ता के लिए किया जाता है; जैसे बेकरी उद्योग-जिसमें निर्मित ब्रैड तथा बिस्कुट सीधे उपयोग के काम आते हैं। तेल उद्योग, वस्त्र उद्योग, चाय एवं काफी उद्योग, रेडियो या टेलीविज़न उद्योग आदि ऐसे ही उद्योग हैं।

प्रश्न 9.
निरौधोगीकरण तथा पुनरोद्योगीकरण में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
निरौद्योगीकरण और पुनरौद्योगीकरण में निम्नलिखित अंतर हैं-

निरौद्योगीकरणपुनरौद्योगीकरण
1. विनिर्माण उद्योगों के ह्मास को निरौद्योगीकरण कहा जाता है।1. नए उद्योगों के कुछ खंडों का विकास करना जहाँ परंपरागत उद्योगों का ह्रास हुआ पुनरौद्योगीकरण कहलाता है।
2. मनुष्य के स्थान पर मशीन तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में औद्योगिक उत्पादों में प्रतिस्पर्धा से निरौद्योगीकरण हुआ।2. उच्च प्रौद्योगिकी तथा उच्च वैज्ञानिक शोध एवं विकास पर आधारित उन्नत उत्पादों के कारण पुनरौद्योगीकरण हुआ।

प्रश्न 10.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन संकुल अधिकतर तटों पर क्यों स्थित हैं?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन संकुलों के तटीय क्षेत्रों में स्थित होने के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. यहाँ जल विद्युत का पूर्ण रूप से विकास हुआ है।
  2. खनिज तेलों का परिवहन बड़े-बड़े टैंकरों तथा पाइपलाइनों द्वारा देश के आंतरिक भागों तक किया जाता है।
  3. यहाँ आयात और निर्यात की सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में मिलती हैं।

प्रश्न 11.
द्वितीयक क्रियाकलापों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
द्वितीयक गतिविधियों या क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर ये उसे मूल्यवान बना देती हैं। जैसे कपास से वस्त्र बनाना, लौह अयस्क से लौह-इस्पात बनाना। इस प्रकार निर्मित वस्तुएँ अधिक मूल्यवान हो जाती हैं। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त वस्तुओं के बारे में भी यही बात लागू होती है। इस प्रकार द्वितीयक क्रियाएँ विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण उद्योग से संबंधित हैं। सभी निर्माण उद्योग-धंधे गौण व्यवसाय हैं। गौण व्यवसायों पर भौतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है। संसार के विकसित देशों; जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, ग्रेट ब्रिटेन, पश्चिमी जर्मनी तथा जापान में अभूतपूर्व मूल्यवृद्धि हुई है।

प्रश्न 12.
ब्रिटेन के औद्योगिक प्रदेशों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
ब्रिटेन में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
1. मिडलैंड औद्योगिक प्रदेश यह इंग्लैंड का महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है, जिसका केंद्र बर्किंघम है। यहाँ छोटी-सी सूई से लेकर वायुयान तथा जलयान तक निर्मित होते हैं। यहाँ मोटरगाड़ी, लौह-इस्पात, इंजीनियरिंग, बिजली का सामान तथा हौजरी के औद्योगिक प्रतिष्ठान विकसित अवस्था में हैं। यहाँ लीड्स, बैडफोर्ड, नाटिंघम आदि सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। लौह-इस्पात का बर्किंघम एक बड़ा एवं विकसित केंद्र है। कावेंट्री मोटरगाड़ियों के उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है।

2. स्कॉटलैंड ग्लासगो क्षेत्र इस क्षेत्र में ग्लासगो नगर जलयान निर्माण के लिए विश्वविख्यात है। अन्य उद्योगों में लौह-इस्पात, इंजीनियरिंग तथा वस्त्र उद्योग प्रमुख हैं। ग्लासगो के अतिरिक्त एडिनबरा तथा एबरडीन यहाँ के प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं।

3. लंदन औद्योगिक प्रदेश-लंदन ब्रिटेन की राजधानी होने के साथ-साथ एक प्रमुख औद्योगिक नगर भी है। इसके आसपास अनेक उद्योग स्थापित हैं, जिनमें छपाई, सीमेंट, तेल शोधन, इंजीनियरिंग, वस्त्र निर्माण, फर्नीचर, विद्युत उपकरण, खाद्य परिष्करण तथा शृंगार प्रसाधन प्रमुख हैं।

4. दक्षिणी वेल्स औद्योगिक प्रदेश इस क्षेत्र के मुख्य औद्योगिक नगर कारडिफ, न्यूपोर्ट तथा स्वानसी हैं। यहाँ लौह-इस्पात, रसायन, तेल शोधन तथा कृत्रिम रेशे आदि उद्योग विकसित हैं।
उपर्युक्त क्षेत्रों के अतिरिक्त ब्रिटेन में नाटिंघमशायर, यार्कशायर, डर्बीशायर, लंकाशायर आदि अन्य औद्योगिक केंद्र हैं।

प्रश्न 13.
फ्रांस के औद्योगिक प्रदेशों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
फ्राँस में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
1. पेरिस औद्योगिक प्रदेश-पेरिस यूरोप के प्रमुख औद्योगिक केंद्रों में गिना जाता है। यहाँ कोयले की कमी है इसलिए भारी उद्योगों की स्थापना कम हो पाई है। यहाँ रसायन उद्योग, कागज उद्योग, मुद्रण उद्योग, काँच की वस्तुएँ, आभूषण आदि के उद्योग विकसित हैं। पेरिस शहर फैशन के लिए विश्वविख्यात है। इसे विश्व का फैशन केंद्र कहा जाता है। यहाँ आमोद-प्रमोद एवं फैशन की अनेक वस्तुएँ निर्मित होती हैं।

2. लॉरेन सार प्रदेश-यह प्रदेश लौह-इस्पात का प्रमुख केंद्र है। यहाँ सार बेसिन में कोयले की उपलब्धता के कारण लौह-इस्पात उद्योग विकसित हुआ है। लौह-इस्पात के अतिरिक्त रासायनिक उर्वरक, वस्त्र उद्योग तथा काँच उद्योग यहाँ के प्रमुख उद्योग-धंधे हैं।

प्रश्न 14.
जर्मनी के औद्योगिक प्रदेशों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
जर्मनी में निम्नलिखित प्रमुख औद्योगिक प्रदेश स्थित हैं-
1. रूहर औद्योगिक प्रदेश यह औद्योगिक प्रदेश विश्व के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों में गिना जाता है। रूहर क्षेत्र में कोयला पर्याप्त मात्रा में मिलता है, जिसके कारण भारी उद्योगों की स्थापना में सहायता मिली है। यहाँ लौह-इस्पात तथा भारी इंजीनियरिंग उद्योग विकसित अवस्था में हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ वस्त्र उद्योग तथा रसायन उद्योग भी स्थापित हैं। इस क्षेत्र के प्रमुख औद्योगिक केंद्र राइन, बोचम, डलसडर्फ, डारमण्ड तथा आखेन हैं।

2. बेवरिया औद्योगिक प्रदेश-इस क्षेत्र में हल्के उद्योग; जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान, घड़ी, हौजरी, रसायन पदार्थ, शराब, खाद्य-सामग्री तथा औषधियों से संबंधित उद्योग हैं।

3. सार प्रदेश-यह प्रदेश सार नदी के बेसिन में फैला है। यहाँ भारी इंजीनियरिंग, लौह-इस्पात, काँच का सामान, चीनी-मिट्टी के बर्तन तथा चमड़े के सामान बनाने के केंद्र हैं। यह क्षेत्र फ्रांस तथा जर्मनी की सीमा पर लगा औद्योगिक केंद्र है।

प्रश्न 15.
स्वामित्व एवं प्रबंध के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण करें।
उत्तर:
उद्योगों को स्वामित्व एवं प्रबंधन की व्यवस्था के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र, सहकारी क्षेत्र तथा बहु-राष्ट्रीय । उद्योग आदि वर्गों में बांटा जा सकता है-
1. सार्वजनिक उद्योग-वे उद्योग जिनका प्रबंध एवं स्वामित्व केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार के अधीन होता है, उन्हें सार्वजनिक उद्योग कहते हैं; जैसे भारत के भिलाई, दुर्गापुर तथा राऊरकेला में लौह-इस्पात उद्योग के केंद्र तथा भारतीय रेल सार्वजनिक उद्योग के उदाहरण हैं।

2. निजी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग जिनका स्वामित्व या प्रबंध व्यक्ति या व्यक्तियों अथवा फर्म या कंपनी के पास होता है, उन्हें निजी उद्योग कहते हैं; जैसे जमशेदपुर का लौह-इस्पात उद्योग (TISCO)।

3. सहकारी उद्योग-किसी निगम अथवा कुछ लोगों के संघ द्वारा जो उद्योग संचालित किए जाते हैं, उन्हें सहकारी उद्योग कहते हैं; जैसे उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल, हरियाणा राज्य सहकारी चीनी मिल, आनंद डेयरी सहकारी समिति आदि।

4. सम्मिलित उद्योग-ऐसे उद्योग जिनका संचालन राज्य सरकारों, कुछ लोगों तथा निजी फर्मों द्वारा किया जाता है, उन्हें सम्मिलित उद्योग कहते हैं। इनका स्वामित्व तथा प्रबंध सम्मिलित रूप से होता है।

5. बहु-राष्ट्रीय उद्योग-जब कोई उद्योग या कंपनी अथवा उद्यम किसी दूसरे राष्ट्र के सहयोग से चलाए जाते हैं तो उन्हें बहु-राष्ट्रीय उद्योग कहते हैं। इनमें पूँजी तथा तकनीक विदेशों की होती है तथा कच्चा माल, श्रम तथा बाजार की सुविधा उस देश द्वारा दी जाती है, जहाँ ये स्थापित किए जाते हैं।

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प्रश्न 16.
लौह-अयस्क के चार प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लौह-अयस्क के चार प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. मैग्नेटाइट-यह उत्तम कोटि का लौह-अयस्क माना जाता है। इसमें 70% से 75% लोहे की मात्रा मिलती है। इसका रंग काला होता है। यह आग्नेय तथा रूपांतरित चट्टानों में पाया जाता है। इसमें कुछ चुंबकीय लक्षण होते हैं। इस प्रकार का लोहा स्वीडन तथा रूस के यूरोप क्षेत्र में अधिक पाया जाता है।

2. हैमेटाइट-इस लोहे में लोहांश की मात्रा 50% से 65% के मध्य पाई जाती है। इसका रंग प्रायः लाल होता है तथा यह लोहा अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। संसार में यह लौह-अयस्क विस्तृत क्षेत्र में पाया जाता है। यह लौह-अयस्क संयुक्त राज्य अमेरिका के सुपीरियल झील क्षेत्र स्पेन तथा ब्राजील में अधिक पाया जाता है।

3. लिमोनाइट-इस लोहे में 40% के लगभग लोहांश पाया जाता है। इस अयस्क का रंग भूरा होता है। यह भी तलछटी चट्टानों में पाया जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के अल्बामा क्षेत्र, फ्रांस के लारेन प्रदेश तथा इंग्लैंड में पाया जाता है।

4. सिडेराइट-इस लौह-अयस्क में 20%-30% तक लोहा पाया जाता है। इसमें अशुद्धियों की मात्रा अधिक होती है। इसका रंग राख की तरह अथवा भूरा होता है। इसके प्रधान क्षेत्र नार्वे, स्वीडन तथा इंग्लैंड हैं।

प्रश्न 17.
खनिजों की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अभी तक वैज्ञानिकों ने लगभग 2000 खनिजों का पता लगाया है लेकिन उपयोग में केवल 200 खनिज ही आते हैं। सभी खनिजों की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। सामान्यतया सभी खनिजों में कुछ विशेषताएँ एक जैसी होती हैं जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं

  1. खनिजों का जमाव सीमित क्षेत्रों में मिलता है तथा इनका वितरण भी असमान है।
  2. सभी खनिज पदार्थ समाप्य या अनवीकरण योग्य संसाधन हैं।
  3. खनिजों का दोहन जनसंख्या की वृद्धि एवं औद्योगीकरण के कारण बढ़ता जा रहा है।
  4. आर्थिक विकास में खनिजों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
  5. सभी खनिजों का दोहन प्राकृतिक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।
  6. खनिजों का उत्पादन बाजार की माँग पर निर्भर करता है।
  7. कोई भी देश खनिजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं है।

प्रश्न 18.
कोयला कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक प्रकार के कोयले के मुख्य लक्षणों का वर्णन करें।
उत्तर:
कोयले में कार्बन की मात्रा के अनुसार उसकी ऊर्जा की क्षमता भिन्न-भिन्न होती है। गुणों के आधार पर कोयला निम्नलिखित चार प्रकार का होता है-
1. एन्ट्रासाइट कोयला यह उत्तम कोटि का कोयला है। इसमें कार्बन की मात्रा 90% होती है। इसमें ताप अधिक तथा धुआँ कम होता है। इसका रंग काला तथा चमकदार है।

2. बिटुमिनस कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 90% होती है। यह कोयला जल्दी आग पकड़ता है तथा इसकी लौ पीली होती है। यह जलते समय धुआँ अधिक देता है तथा अधिक मात्रा में राख छोड़ता है। बिटुमिनस कोयले के भंडार विश्व में सबसे अधिक हैं।

3. लिग्नाइट कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 45% से 70% तक होती है। यह भूरे रंग का होता है तथा जलते समय धुएँदार लंबी लपटें छोड़ता है। इसमें वनस्पति का अंश होता है। इसमें नमी की मात्रा अधिक होती है।

4. पीट कोयला यह नवीनतम कोयला है। इसमें नमी की मात्रा अधिक होने के कारण यह सुखाने पर ही जलता है। इसमें कार्बन की मात्रा 30% से 60% तक होती है। यह घरों में जलाने के काम लाया जाता है। इसका रंग भूरा होता है। यह सबसे घटिया होता है।

प्रश्न 19.
ऊर्जा के संसाधन के रूप में खनिज तेल कोयले से बेहतर क्यों है?
उत्तर:
खनिज तेल कोयले से बेहतर ऊर्जा का संसाधन माना जाता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. खनिज तेल का निष्कर्षण कोयले की अपेक्षा सरल और सस्ता है।
  2. खनिज तेल का परिवहन पाइप लाइनों द्वारा आसानी से दूर-दूर तक किया जा सकता है।
  3. खनिज तेल कोयले की अपेक्षा कम स्थान घेरता है।
  4. खनिज तेल द्वारा विभिन्न उद्योगों का विकेंद्रीकरण संभव है, जबकि कोयले पर आधारित उद्योग कोयला क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं।

प्रश्न 20.
कोयले का निर्माण किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
कोयला मुख्य रूप से अवसादी चट्टानों में पाया जाता है। यह एक जीवाश्म ईंधन है जो वनस्पति के गलने-सड़ने तथा अपघटित होने से बना है। आज से 30 करोड़ वर्ष पूर्व कार्बोनिफेरस युग में पृथ्वी के अधिकांश निम्न स्थलीय वन प्रदेश पृथ्वी की आंतरिक हलचलों के कारण नीचे दब गए। वायु की अनुपस्थिति में तथा उच्च ताप और दाब के कारण यह वनस्पति गल-सड़ कर अपघटित (Decomposed) हो गई और बाद में कोयले में परिवर्तित हो गई। प्राकृतिक वनस्पति से कोयला बनने में लाखों वर्ष लगे तथा यह परिवर्तन बहुत ही धीमी गति से हुआ।

प्रश्न 21.
खनन क्या है? इसको प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
उत्तर:
खनन (Mining) – खानों से खनिजों को निकालने की क्रिया को खनन कहते हैं। मनुष्य भूपर्पटी से प्राचीनकाल से ही खनिजों का दोहन करता आया है और आज यह एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है।
खनन को प्रभावित करने वाले कारक मानव ज्ञान, प्रयास, प्रौद्योगिकी और अत्यधिक पूँजी से ही खनन क्रिया को आर्थिक क्रिया में बदला जा सकता है। खनन को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं

  1. धरातल के नीचे खनिज निक्षेपों की गहराई, आकार और मात्रा
  2. खनिज अयस्कों में मिलने वाली धातु की मात्रा
  3. उपयोग के स्थान से खनिजों की दूरी
  4. खनन कार्य के लिए आवश्यक पूँजी
  5. उन्नत प्रौद्योगिकी व तकनीकी ज्ञान
  6. परिवहन के साधन
  7. खनिजों की माँग।

प्रश्न 22.
खनिजों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वैज्ञानिक अनुसंधान एवं तकनीकी विकास के साथ वर्तमान युग में खनिज पदार्थों का महत्त्व बढ़ गया है। खनिज प्रकृति का अमूल्य उपहार है। आज के युग में इस व्यवसाय की अत्यधिक महत्ता है। खनिजों पर समस्त निर्माण उद्योग आधारित हैं। खनिजों में ऊर्जा के संसाधन के रूप में कोयला, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, यूरेनियम तथा प्लेटिनियम का मुख्य स्थान है। इसी प्रकार लौह इस्पात उद्योग किसी भी देश की औद्योगिक प्रगति के लिए रीढ़ की हड्डी का काम करता है। इसके लिए लौह अयस्क, चूना पत्थर, मैग्नीशियम, मैंगनीज, निकल, कार्बन आदि धात्विक व अधात्विक खनिजों की आवश्यकता पड़ती है। रासायनिक खाद के निर्माण में जिप्सम तथा चूना पत्थर आदि खनिजों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ऐलुमिनियम, तांबा, जस्ता, सीसा तथा टिन आदि अन्य धातुएँ हैं जिनका खनन आज के युग में आवश्यक है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
उद्योगों की स्थापना को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं? वर्णन करें।
अथवा
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
किसी क्षेत्र में उद्योगों की अवस्थिति या स्थापना में निम्नलिखित कारक प्रभावी होते हैं-
1. कच्चा माल-कच्चा माल विनिर्माण उद्योगों के लिए एक मूलभूत आवश्यकता है। अतः उद्योगों की स्थापना प्रायः कच्चे माल के क्षेत्रों के निकट होती है। भारी उद्योग जैसे लौह-इस्पात को प्रायः कोयला तथा लोहे की खानों के निकट स्थापित किया जाता है अन्यथा परिवहन लागत में वृद्धि हो जाती है तथा वस्तुएँ प्रतिस्पर्धा में नहीं रहतीं। यही कारण है कि विश्व के अधिकांश भारी उद्योग कच्चे माल की आपूर्ति के निकट स्थापित हैं। भारत का लौह-इस्पात उद्योग छोटा नागपुर के पठार के आसपास ही स्थापित है, क्योंकि लौह-अयस्क तथा कोयला वहाँ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

इसी प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उद्योग महान झीलों के आसपास, जर्मनी में रूहर क्षेत्र में स्थापित है। कागज, दियासलाई तथा फर्नीचर उद्योग वनों के आसपास, चीनी उद्योग गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में स्थापित किया जाता है। कुछ उद्योग ऐसे हैं जिनका कच्चा माल हल्का होता है, परिवहन व्यय कम आता है इसलिए उनको कहीं भी स्थापित किया जा सकता है; जैसे घड़ी बनाने का उद्योग, इलैक्ट्रॉनिक्स उद्योग तथा सूती वस्त्र उद्योग जैसे ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग मिस्र से आयातित कपास से चलाया जाता है लेकिन भारत में अधिकांश सूती वस्त्र मिलें कपास उत्पादक क्षेत्रों के आसपास ही स्थित हैं।

2. ऊर्जा-उद्योगों में मशीनों को संचालित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा के साधनों में कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत्, प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा प्रमुख हैं। लौह-इस्पात उद्योग में कोयला शक्ति का प्रमुख साधन है, इसलिए विश्व के अधिकांश लौह-इस्पात उद्योग कोयला क्षेत्रों के निकट ही स्थापित हैं; जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में अप्लेशियन कोयला क्षेत्र के निकट महान झील औद्योगिक प्रदेश, भारत में जमशेदपुर स्टील प्लांट, झरिया और रानीगंज के कोयला क्षेत्रों पर तथा ब्रिटेन में दक्षिणी वेल्स, मिडलैंड और लंकाशायर के उद्योग आदि। एल्यूमिनियम उद्योग में जल विद्युत् की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए इसे जल विद्युत् ऊर्जा के क्षेत्रों में स्थापित किया जाता है। वर्तमान समय में पारंपरिक ऊर्जा के अनेक विकल्प निकाले जा रहे हैं, जिनसे उद्योगों को संचालित करने तथा उन्हें समाप्य ऊर्जा प्रदान करने के लिए ऊर्जा के संसाधनों पर अधिक निर्भर न रहना पड़े।

3. श्रम-कुछ उद्योगों में बहुत कुशल तथा अधिक संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता होती है; जैसे पटसन उद्योग, कांच उद्योग, चाय उद्योग आदि। यद्यपि आजकल मशीनी युग में संचालित मशीनों तथा कंप्यूटरों का प्रयोग आरंभ हो गया है जिसने श्रम शक्ति के प्रभाव को कम कर दिया है लेकिन फिर भी कई उद्योगों में मानवीय श्रम का आज भी महत्त्व है। श्रमिकों की दक्षता एवं कुशलता भी उद्योगों में आवश्यक है; जैसे इलैक्ट्रॉनिक घड़ी निर्माण उद्योग आदि भारत में बिहार तथा बंगाल में अधिक जनसंख्या के कारण हुगली तथा छोटा नागपुर के पठार के औद्योगिक प्रदेशों के लिए सस्ता एवं कुशल श्रम उपलब्ध होने के कारण उद्योगों के संचालन में कोई समस्या नहीं आती हैं।

4. परिवहन तथा संचार के साधन-विश्व के जिन देशों में यातायात तथा संचार वाहनों के साधनों का विकास नहीं हुआ है, वे औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए हैं। दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका के देशों में परिवहन के साधनों के अभाव से उद्योग स्थापित नहीं हो पाए हैं। यातायात के साधन उद्योगों के लिए धमनियों की तरह कार्य करते हैं। उद्योगों के लिए जल यातायात, सड़क परिवहन तथा रेल यातायात का विकास होना आवश्यक है। ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में यातायात के साधनों के विकास के कारण औद्योगिक विकास को गति मिली है।

जापान में कच्चे माल की कमी होते हुए भी परिवहन के साधनों के विकास ने औद्योगीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में कोलकाता, मुंबई (बंबई), अहमदाबाद तथा दिल्ली के आसपास औद्योगिक विकास का कारण परिवहन की सुविधाएँ हैं। वर्तमान समय में उद्योगपति टेलीफोन, फैक्स, पेजर आदि के प्रयोग से कच्चे माल तथा निर्मित माल को घर बैठे ही मंगवा लेते हैं। कच्चे माल को उद्योगों तक पहुंचाने तथा निर्मित माल को बाजार तक पहुंचाने के लिए परिवहन के सभी साधनों (सड़क, जल यातायात, रेल परिवहन, वायु परिवहन आदि) की सुविधाएँ आवश्यक हैं।

5. बाजार-उद्योग-धंधों में निर्मित माल की आपूर्ति के लिए बाजार का होना आवश्यक है जहाँ उसकी मांग तथा खपत हो सके। उद्योगों का बड़े नगरों या उसके आसपास केंद्रित होने का कारण बाजार की निकटता है। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुएँ; जैसे सब्जी, दूध, फल, मांस आदि का विकास महानगरों तथा औद्योगिक नगरों के निकट विकसित होने के कारण उन वस्तुओं की अधिक मांग है।

6. पूँजी उद्योग चाहे छोटा हो या बड़ा, उसके संचालन के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है। उद्योगों के लिए कच्चा माल, मशीनें, श्रम आदि के लिए पूँजी आवश्यक है। आज जो बड़े पैमाने के उद्योग-धंधे स्थापित किए जाते हैं, उनमें करोड़ों रुपए की पूँजी की आवश्यकता होती है। यूरोप तथा अमेरिका के धनी देशों में पूँजी का अभाव नहीं है इसलिए वहाँ औद्योगिक विकास उन्नत अवस्था में है।

एशिया तथा अफ्रीका के निर्धन देश पूँजी के अभाव में औद्योगिक विकास नहीं कर पाए। प्राकृतिक संसाधनों के रूप में कच्चा माल, श्रम के रूप में अधिक जनसंख्या तथा बाजार की उपलब्धता होने के बावजूद भी यह देश औद्योगिक विकास में पिछड़े हुए हैं। भारत में पूँजीपति बड़े-बड़े नगरों में रहते हैं इसलिए वे अपनी पूँजी बड़े-बड़े नगरों में उद्योगों के केंद्रीयकरण पर लगाते हैं।

7. बैंकिंग सुविधा उद्योगों की स्थापना के लिए बैंकिंग सुविधा का होना आवश्यक है। उद्योगपतियों को प्रतिदिन लाखों रुपयों का लेन-देन करना पड़ता है जिससे पैसे जमा करवाने तथा निकालने एवं पूँजी की सुरक्षा के लिए बैंकों का होना आवश्यक है। कई उद्योगों को स्थापित करने के लिए सरकार सस्ते ब्याज की दर पर बैंकों के द्वारा ऋण की सुविधा देती है।

8. जलवायु-कुछ उद्योगों के लिए जलवायु एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है; जैसे सूती वस्त्र उद्योग के लिए नम एवं आर्द्र जलवायु आवश्यक है जिससे उसका धागा टूटता नहीं है। शुष्क जलवायु में कृत्रिम नमी पैदा की जाती है जिससे उत्पादन व्यय बढ़ता है। दूसरा श्रमिकों एवं इंजीनियरों के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल जलवायु आवश्यक है। कठोर शीत तथा झुलसने वाली गर्मी में श्रमिकों की कार्यक्षमता कम हो जाती है।

9. राजनीतिक स्थिरता-राजनीतिक स्थिरता का उद्योगों की स्थापना पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। जहाँ सरकारें अस्थिर होती हैं तथा जहाँ आतंकवाद का प्रभाव होता है, वहाँ कोई भी उद्योगपति उद्योग लगाना नहीं चाहता। जहाँ राजनीतिक रूप से बार-बार सरकारें बदलती हैं वहाँ भी उद्योगपति उद्योग नहीं लगाते। 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के कारण कोई भी उद्योगपति वहाँ उद्योग लगाने को सहमत नहीं था, बल्कि वहाँ से उद्योगों का पलायन दिल्ली, जयपुर तथा मुंबई (बंबई) में हुआ लेकिन शांति-व्यवस्था कायम हो जाने पर अब दोबारा से उद्योगपति वहाँ आकर्षित हो रहे हैं। यही स्थिति आज जम्मू-कश्मीर की है।

वहाँ आतंकवाद के प्रभाव के कारण कोई भी उद्योगपति उद्योग लगाना पसंद नहीं करता। इसी प्रकार सरकार की नीति का भी उद्योगों की स्थापना पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जो सरकारें उद्योगों पर अधिक कर लगाती हैं तथा सुविधाएँ नहीं देतीं, वहाँ उद्योगपति आकर्षित नहीं होते। वहाँ विदेशी कंपनियाँ भी अपना उद्योग स्थापित नहीं करती। जिन देशों में सरकारें उद्योगों को विभिन्न रियायतें एवं सुविधाएँ प्रदान करती हैं, वहाँ अधिकतर उद्योग आकर्षित होते हैं और औद्योगिक विकास की दर बढ़ती है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
विश्व के विभिन्न लौह-इस्पात उद्योग के वितरण का वर्णन करें।
अथवा
एशिया के विभिन्न लौह-इस्पात उद्योगों का विवरण दें।
उत्तर:
लौह-इस्पात उद्योग औद्योगिक विकास की धुरी है। किसी भी देश के औद्योगिक विकास के लिए सर्वप्रथम लौह-इस्पात उद्योग को विकसित किया जाना आवश्यक है। एक सुई से लेकर विशाल आकार के जलयानों का निर्माण लौह-इस्पात द्वारा ही होता है। भारत तथा चीन में औद्योगिक विकास लौह-इस्पात उद्योग के विकास के बाद ही संभव हुआ।

ईसा से 400 वर्ष पूर्व लोहा गलाने की कला विकसित हुई थी। उस समय लकड़ी की आंच या कोयले में लोहा गलाकर कृषि के यंत्र बनाए जाते थे। धीरे-धीरे कोयले का प्रयोग किया जाने लगा। 19वीं शताब्दी में लोहा गलाने की परिवर्तन आए। कुकिंग कोयले का प्रयोग लोहे को गलाने के लिए किया जाने लगा। लौह-इस्पात बनाने के लिए लौह-अयस्क, कोक कोयला, मैगनीज़ तथा चूना पत्थर आदि मिलाकर भट्टी में गलाने के लिए ऑक्सीजन, गर्म हवा तथा तेल के तीव्र झोंकों द्वारा भट्टी में डाला जाता है इसलिए इन आधुनिक भट्टियों को झोंका भट्टी (Blast Furnace) कहते हैं।

विश्व में लौह-इस्पात उत्पन्न करने वाले देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, भारत, जर्मनी, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस आदि प्रमुख देश हैं।
(क) संयुक्त राज्य अमेरिका – संयुक्त राज्य अमेरिका में लौह-इस्पात उद्योग का संकेंद्रण देश के पूर्वी भार्ग में हुआ है। यह देश विश्व का 15% लौह-इस्पात उत्पन्न कर विश्व में प्रथम स्थान पर है। देश के पूर्वी भाग में इस उद्योग की स्थापना में यहाँ की अनुकूल सुविधाओं का होना है जो निम्नलिखित हैं

  • अप्लेशियन का कोयला क्षेत्र
  • सुपीरियर झील के दक्षिण-पश्चिम में लोहे की खानें हैं
  • महान् झीलों का सस्ता एवं सुलभ यातायात उपलब्ध है
  • सड़कों तथा रेल-मार्गों का इस क्षेत्र में पर्याप्त विकास हुआ है
  • विकसित बाजार जिससे खपत बनी रहती है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रमुख लौह-इस्पात के निम्नलिखित केंद्र हैं-
1. शिकागो गैरी क्षेत्र-यह संयुक्त राज्य अमेरिका का महत्त्वपूर्ण एवं बड़ा इस्पात क्षेत्र है जो फ्रांस के कुल इस्पात उत्पादन से भी अधिक उत्पन्न करता है। इस क्षेत्र में कोयले तथा लोहे के पर्याप्त भंडार हैं। झील का सस्ता परिवहन, मिशिगन राज्य से चूना पत्थर तथा शिकागो देश के विभिन्न भागों से रेलों तथा सड़कों द्वारा जुड़ा है जिससे निर्मित माल को भेजने की व्यवस्था है। यह क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका का 35% इस्पात तैयार करता है।

2. पिट्सबर्ग-यंग्सटाउन क्षेत्र-यहाँ संयुक्त राज्य अमेरिका का एक-तिहाई इस्पात तैयार होता है। पिट्सबर्ग क्षेत्र में इस्पात के केंद्र पश्चिम तथा दक्षिण में विकसित हुए हैं जिनमें जोहंसटाउन, कारनेगी, हिंगस्टन तथा ब्रडोक आदि प्रमुख हैं।

3. ईरी झील तटीय क्षेत्र-इस क्षेत्र में लौह-अयस्क के पर्याप्त भंडार हैं लेकिन कोयला खाने दूर स्थित हैं। लौह-अयस्क से लदे जलपोत भट्टियों में लोहा उतारते हैं और कोयला रेलमार्गों द्वारा पहुँचाया जाता है। इस क्षेत्र में बफैलो, क्लीवलैंड, डेट्राइट, ईरी तथा लारेन प्रमुख केंद्र हैं।

4. मध्य अटलांटिक तटीय क्षेत्र-न्यू इंग्लैंड राज्य बर्जीनिया तक फैला है। इस क्षेत्र में कोयला तथा चूना पत्थर के अलावा यातायात की सर्वोत्तम व्यवस्था तथा यातायात के साधन सभी सुलभ हैं। इस क्षेत्र में लौह-अयस्क की कमी है जो चिली, लैब्रेडोर तथा वेनेजुएला से आयात किया जाता है। मुख्य केंद्र फिलाडेलफिया तथा दूरस्टर हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ 2

5. दक्षिणी इस्पात क्षेत्र यहाँ लौह-इस्पात की सभी सुविधाएँ लौह-अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, मैगनीज़ तथा यातायात के साधन आदि उपलब्ध हैं। बकिंघम संयुक्त राज्य अमेरिका के महत्त्वपूर्ण इस्पात केंद्रों में गिना जाता है।

(ख) यूरोपीय देशों में लौह-इस्पात उद्योग-यूरोपीय देशों के अंतर्गत निम्नलिखित देशों में लौह-इस्पात उद्योग स्थापित हैं
1. ग्रेट ब्रिटेन-ब्रिटेन में रोमन साम्राज्य काल से ही लकड़ी से लोहा पिघलाने की कला विकसित थी लेकिन औद्योगिक क्रांति के बाद मांग बढ़ने के कारण आधुनिक मशीनों तथा भट्टियों द्वारा लौह-इस्पात का निर्माण आरंभ हुआ। 19वीं शताब्दी में 50 वर्षों तक ब्रिटेन विश्व का प्रमुख लौह-इस्पात उत्पादक देश रहा है। यहाँ लौह-इस्पात के प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं

  • दक्षिणी वेल्स-कार्डिफ, स्वानसी, लानेले, पोर्ट टालबट, न्यूपोर्ट।
  • उत्तरी-पूर्वी तटीय क्षेत्र-रेडकार, मिडिल्सबरो, डालिंगटन तथा कॉनसैट।
  • दक्षिणी यार्कशायर-चेस्टरफील्ड और फ्रोडिंन्धम।
  • मध्य स्कॉटलैंड-ग्लासगो, कैरन, कोटब्रिज, मदरवैल विशौ।
  • मिडलैंड-बर्किंघम, विल्सटन, राउंड ओक आदि।

2. जर्मनी-जर्मनी का रूहर क्षेत्र कोयले के लिए विश्वविख्यात है लेकिन लौह-अयस्क की देश में कमी है जिसकी पूर्ति फ्रांस, स्वीडन तथा स्पेन से आयात करके की जाती है। रूहर क्षेत्र देश का आधे से अधिक लौह-इस्पात का निर्माण करता है। इस क्षेत्र के प्रमुख केंद्र बोखम तथा आखेन हैं। फ्रेंकफर्ट, स्टटगार्ड तथा बूशन अन्य केंद्र हैं। जर्मनी में लौह-अयस्क की कमी के बावजूद भी यातायात की सुविधाओं के कारण लौह-इस्पात उद्योग विकसित अवस्था में है।

3. फ्रांस-फ्रांस का लारेन क्षेत्र संपूर्ण यूरोप का एक बृहत् तथा महत्त्वपूर्ण लौह-इस्पात उत्पादक क्षेत्र है। यहाँ उच्चकोटि का लौह-अयस्क प्राप्त है। 90% लौह-अयस्क इसी क्षेत्र से प्राप्त होता है। कोयला जर्मनी के रूहर क्षेत्र से मंगवाया जाता है। जो जहाज लोहा लेकर जर्मनी जाते हैं, वे वापसी में कोयला लाते हैं इसलिए परिवहन लागत अधिक नहीं आती। कुछ कोयला सार क्षेत्र से प्राप्त हो जाता है। फ्रांस के लारेन क्षेत्र के प्रमुख केंद्र मेट्ज़, ब्रिये, नांसी, थयोनविले तथा लोंगवे हैं। लारेन क्षेत्र के अतिरिक्त साम्ब्रेयूज तथा सार बेसिन अन्य उत्पादक क्षेत्र हैं।

4. यूक्रेन यूक्रेन का डोनबास क्षेत्र सोवियत रूस के सबसे बड़े लौह-इस्पात क्षेत्रों में गिना जाता है लेकिन यूक्रेन के पृथक्कीकरण से यह क्षेत्र यूक्रेन में स्थित है। इस देश में लौह-अयस्क क्रिवोई राग तथा कर्च प्रायद्वीप से मिलता है। कोयला डोनेत्ज बेसिन से तथा चूना पत्थर समीप ही स्थित है। कच्चे तथा तैयार माल को लाने व ले जाने के लिए यातायात की सुविधाएँ हैं। बाजार की सुविधाओं के रूप में चारों ओर बड़े-बड़े नगर हैं जिसके कारण यूक्रेन का लौह-इस्पात उद्योग विकसित अवस्था में है।

(ग) एशिया में लौह-इस्पात उद्योग – जापान का लौह-इस्पात के उत्पादन में विश्व में तीसरा स्थान है। पिछले चार दशकों में इसने फ्रांस, जर्मनी तथा ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया है। यहाँ पर लौह अयस्कों तथा कोयले की कमी के बावजूद भी लौह-इस्पात का तीव्र गति से विकास हुआ है। यहाँ सस्ती जल विद्युत् तथा यातायात के साधनों के विकास ने औद्योगिक वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जापान लौह-अयस्क कोरिया, भारत, वेनेजुएला, पेरू तथा ब्राज़ील से आयात करता है। यहाँ लौह-इस्पात के केंद्र समुद्र तटवर्ती भागों में स्थापित हुए हैं क्योंकि कच्चे माल को सुगमता से जलयानों द्वारा केंद्रों तक पहुँचाया जा सकता है। यहाँ यावाता-तोबाता, मौजी, शिमोनोसेकी तथा नागासाकी प्रमुख लौह-इस्पात के केंद्र हैं। ओसाका तथा कोबे आंतरिक सागर के पूर्वी सिरे पर हैं। एशिया में लौह-इस्पात उद्योग के प्रमुख केंद्र निम्नलिखित हैं
1. चीन-पिछले 20 वर्षों में चीन में लौह-इस्पात के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई है। सन् 1935 में चीन का उत्पादन बहुत कम था जो सन् 1973 में बढ़कर जर्मनी तथा फ्रांस से अधिक हो गया है। चीन में उच्चकोटि का एंथ्रासाइट कोयला शेंसी शासी क्षेत्र से तथा लौह-अयस्क मंचूरिया से प्राप्त होता है। मंचूरिया क्षेत्र देश का प्रमुख लौह-इस्पात क्षेत्र है जो लगभग एक-तिहाई उत्पादन करता है। मंचूरिया क्षेत्र में अन्शान, फुथुन और मुकडेन प्रमुख लौह-इस्पात केंद्र हैं। यांगटीसिक्यांग की घाटी में शंघाई मनशान, हैंकाऊ तथा तामेह हैं। शांसी में पाओटाऔ, टिटसिन, टानशान तथा शिट्टचिंगसांग लौह-इस्पात केंद्र हैं।

2. भारत में यह उद्योग अत्यंत प्राचीन है। इतिहास इस बात का प्रमाण है कि दमिश्क की तलवारों के लिए लोहा भारत से जाता था। दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार के निकट लौह स्तंभ इस बात का प्रमाण है कि भारत में इस्पात बनाने की कला कितनी उन्नत थी, क्योंकि अभी तक भी इस पर जंग नहीं लगा। भारत के प्रभुत्व उद्योगों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं
(i) टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी यह केंद्र बिहार राज्य में जमशेदपुर में 1907 ई० में स्थापित किया गया। यह आधुनिक लौह-इस्पात का पहला कारखाना है। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • उच्चकोटि का हैमेटाइट लोहा बिहार की सिंहभूम तथा उड़ीसा के मयूरभंज से प्राप्त होता है।
  • कोयला झरिया तथा रानीगंज की खानों से मिलता है।
  • मैगनीज़, नोआमंडी से तथा चूना पत्थर सुंदरगढ़ से प्राप्त होता है।
  • कोलकाता-नागपुर रेलमार्ग यहाँ से गुजरता है जो यातायात की सुविधा प्रदान करता है।

(ii) इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी इस कंपनी के कारखाने पश्चिमी बंगाल में कुल्टी, बर्नपुर तथा हीरापुर में हैं। कुल्टी के कारखाने में इस्पात पिंड तथा हीरापुर में लौह-पिंड और बर्नपुर में तैयार इस्पात बनाया जाता है। इन केंद्रों में निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • इस कंपनी को लोहा बिहार की सिंहभूम तथा उड़ीसा की मयूरभंज बादाम पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
  • इस कंपनी के लिए कोयला निकटवर्ती झरिया एवं रानीगंज की खानों से मंगवाया जाता है।
  • इस कंपनी को चूने का पत्थर पाराघाट तथा गंगापुर से उपलब्ध हो जाता है।
  • इस कंपनी को दामोदर नदी से जल की सुविधा प्राप्त है।
  • इस कंपनी को बिहार एवं पश्चिमी बंगाल से सस्ता श्रम उपलब्ध है।
  • इस कंपनी को यातायात की सुविधा आसनसोल जंक्शन से प्राप्त है।

(iii) विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स कर्नाटक राज्य में भद्रावती के किनारे 1923 ई० में मैसूर आयरन एंड स्टील कंपनी के नाम से एक कारखाने की स्थापना हुई, लेकिन अब यह संयुक्त उपक्रम है, जिसका संचालन केंद्र सरकार तथा कर्नाटक सरकार करती है। इस क्षेत्र में उद्योग के लिए अग्रलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं

  • इस क्षेत्र को लोहा (अयस्क) कादूर जिले के बाबाबूदान की पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
  • इस क्षेत्र को कोयले की सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन समीपवर्ती क्षेत्रों से लकड़ी (ईंधन) का प्रयोग किया जाता है, लेकिन अब शिमला विद्युत्-केंद्र से शक्ति के रूप में विद्युत् भी प्राप्त है।
  • इस क्षेत्र में माल लाने तथा ले जाने के लिए यातायात के साधन, विशेषकर रेल यातायात उपलब्ध है।

प्रश्न 3.
पेट्रो-रसायन उद्योगों के विश्व वितरण का विवरण दीजिए।
उत्तर:
जो उद्योग पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस पर आधारित होते हैं, उन्हें पेट्रो-रसायन उद्योग कहते हैं। इन उद्योगों की स्थापना तेल शोधन शालाओं (Oil Refineries) के निकट की जाती है। इनमें प्लास्टिक, कृत्रिम रेशे, खाद, कृत्रिम रबड़ तथा विस्फोटक (Explosive) सम्मिलित हैं। पेट्रो-रसायन उद्योगों के प्रमुख केंद्र निम्नलिखित हैं
1. संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राज्य अमेरिका में पिछले तीन दशकों में इस उद्योग ने काफी प्रगति की है। यहाँ यह उद्योग विदेशों से आयातित खनिज तेल पर आधारित है। इस उद्योग के अधिकांश केंद्र तटवर्ती भागों में स्थापित किए गए हैं। मैक्सिको की खाड़ी के आसपास तेल परिष्करण के अनेक प्लांट लगे हैं जहाँ मध्यपूर्व के देशों से खनिज तेल लाकर परिष्कृत किया जाता है इसलिए यहाँ पेट्रो-कैमिकल्स उद्योगों की स्थापना की गई है। पूर्वी तटीय भाग तथा महान् झील के आसपास के क्षेत्रों में भी अनेक परिष्करणशालाएँ कार्यरत हैं इसलिए यहाँ भी संयुक्त राज्य अमेरिका के 15% पेट्रो-रसायन उद्योग केंद्रित हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन उद्योग के प्रमुख केंद्र फिलाडेलफिया, डेलवियर, शिकागो, टोलेडो, लॉस एंजिल्स, डेट्राइट, सैंट लुहस पोर्टलैंड आदि हैं।

2. यूरोप के पेट्रो-रसायन उद्योग-यूरोप में पेट्रो-रसायन उद्योग मुख्य रूप से ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस तथा नीदरलैंड में स्थापित हैं। इन देशों में खनिज तेल की कमी के बावजूद भी यह उद्योग स्थापित हैं। जर्मनी में पेट्रो-रसायन उद्योग रूहर क्षेत्र में स्थापित है। ब्रिटेन में इंग्लिश चैनल के तटीय भागों में पेट्रो-कैमिकल्स उद्योगों का केंद्रीयकरण हुआ है। ब्रिटेन में साउथहैंपटन, नीदरलैंड में रॉटरड्रम, बेल्जियम में एंटवर्प में तथा फ्रांस में सोन नदी की घाटी में ये उद्योग स्थापित हुए हैं। यूरोपीय देशों में पेट्रो-रसायन से निर्मित पदार्थों की माँग अधिक है।

रूस में पेट्रो-रसायन उद्योग वोल्गा, यूराल तथा ग्रोजनी क्षेत्रों में अधिक विकसित है। यहाँ खनिज तेल तथा कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यहाँ के प्रमुख पेट्रो-रसायन उद्योग के केंद्र मास्को, गोर्की, लेनिनग्राड तथा बाक हैं।

3. दक्षिण-पश्चिमी एशिया दक्षिण-पश्चिमी एशिया में खनिज तेल के अपार भंडारों के बावजूद भी यहाँ पेट्रो-रसायन उद्योग का विकास नहीं हो पाया है। इसका कारण यहाँ इस उद्योग के उत्पादनों की मांग नहीं है। तटीय क्षेत्रों में जो पेट्रो-रसायन उद्योग स्थापित किए गए हैं, उनके उत्पाद विदेशों को निर्यात किए जाते हैं। लेबनान तथा अन्य देशों में तेल शोधनशालाएँ स्थापित होने के कारण भी इस उद्योग के विकास को प्रोत्साहन नहीं मिल पाया है। यहाँ अदनान (ईरान) सऊदी अरब में रास तनूरा तथा कुवैत में मिना-अल-अहमदी प्रमुख पेट्रो-रसायन उद्योग के केंद्र हैं।

4. भारत-भारत में पेट्रो-रसायन उद्योगों का आरंभ कुछ दशक पूर्व ही हुआ। सर्वप्रथम यूनियन कार्बाईड द्वारा इस क्षेत्र में उद्योग स्थापित किया गया। सार्वजनिक क्षेत्र में इंडियन कैमिकल्स लिमिटेड की स्थापना से पेट्रो-रसायन उद्योगों की स्थापना में सहयोग मिला। गुजरात में कोयली ब्रटेल परिष्करणशाला के विकास के कारण बड़ौदरा के निकट जवाहरनगर में पेट्रो-कैमिकल्स की स्थापना की गई। पेट्रो-कैमिकल्स का दूसरा सार्वजनिक क्षेत्र का कारखाना असम में बोगाईगांव में है। हल्दिया और बरौनी कारखानों की स्थापना का उद्देश्य भी पेट्रो-कैमिकल्स तैयार करना है। जगदीशपुर, बिजयपुर, सवाई माधोपुर में गैस पर आधारित उर्वरक के कारखाने लगाए जा रहे हैं। तीन परिष्करणशालाएँ हरियाणा में पानीपत, कर्नाटक में मंगलौर तथा असम में नूमालीगढ़ में बनाई गईं हैं, जिससे उनके आसपास के क्षेत्रों में पेट्रो-रसायन उद्योग भी स्थापित हो सकेंगे।

दक्षिणी महाद्वीपों में इन उद्योगों का कोई विशेष विस्तार नहीं हुआ। ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में ब्रिसवेन, सिडनी, मेलबोर्न, पर्थ तथा एडीलेड में पेट्रो-रसायन उद्योग स्थापित हैं। दक्षिणी अमेरिका तथा अफ्रीका महाद्वीप में पेट्रो-रसायनों के क्षेत्र में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई है। कुछ गिने-चुने उद्योग दक्षिणी अफ्रीका तथा ब्राज़ील में हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ 3

प्रश्न 4.
आकार के आधार पर उद्योगों के वर्गीकरण की व्याख्या।
अथवा
आकार पर आधारित उद्योग कौन-कौन से हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
उद्योगों को उनके आकार के आधार पर निम्नलिखित तीन वर्गों में रखा जाता है-

  • कुटीर उद्योग (Cottage Industry)
  • लघु उद्योग या छोटे पैमाने के उद्योग (Small Scale Industry)
  • बड़े पैमाने के उद्योग (Large Scale Industry)

1. कुटीर उद्योग-यह वस्तुओं के निर्माण का प्रारंभिक रूप है, जो प्राचीनतम भी है। इसमें न्यूनतम पूँजी का निवेश तथा कभी-कभी यह केवल मानवीय श्रम द्वारा भी लगाया जाता है। इसमें वस्तुओं का निर्माण स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल के आधार पर घरों में ही किया जाता है। इसलिए इन्हें घरेलू या ग्राम उद्योग भी कहा जाता है। इनमें अधिकांश कार्य हाथ से किए जाते हैं, इसलिए इन्हें हस्तशिल्प उद्योग भी कहा जाता है। यह उद्योग ग्रामीण किसानों द्वारा खाली समय में किया जाता है।

किसानों को जब खेत के काम से फुरसत मिलती है तो उस समय ये उद्योग संचालित किए जाते हैं। इन उद्योगों में मिट्टी के बर्तन बनाना, मूर्तियां बनाना, चटाइयां बनाना, टोकरियां बनाना, सूत कातना, चमड़े से जूते बनाना, रस्सी बनाना, ईंट बनाना, धातुओं से सजावट का सामान तथा हथियार बनाना, लकड़ी से फर्नीचर तथा इमारती सामान बनाना आदि कार्य सम्मिलित हैं। आज के विकसित तथा विकासशील देशों में कुटीर उद्योग जीवित हैं, लेकिन विकसित देशों में उद्योगों को पुनर्जीवित करने तथा प्रोत्साहन देने के लिए सरकारें अनेक रियायतें दे रही हैं, जिससे प्राचीन संस्कृति को संजोए रखा जा सके।

2. लघु उद्योग या छोटे पैमाने के उद्योग-ये उद्योग-धंधे कुटीर उद्योगों का ही विस्तृत रूप है। मानवीय आवश्यकताओं में वृद्धि के फलस्वरूप कुटीर उद्योग जब सभी आवश्यकताओं को पूरी करने में असक्षम रहे, तब कुशल कारीगरों एवं छोटी मशीनों के द्वारा उत्पादन में वृद्धि करनी पड़ी। इन उद्योगों में कम पूँजी, कुशल श्रमिकों तथा मशीनों से कार्य होता है। इन उद्योगों में दूर-दूर के क्षेत्रों से कच्चा माल मंगवाया जाता है तथा निर्मित वस्तुएँ भी दूर-दूर तक बेची जाती हैं।

ये उद्योग अधिक लोगों को रोजगार की सुविधा प्रदान करते हैं, क्योंकि इन उद्योगों में श्रमिकों की अधिक आवश्यकता होती है। विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में इन उद्योगों का विशेष योगदान है। लघु उद्योगों में कागज बनाना, कपड़े बनाना, बर्तन, फर्नीचर, बिजली तथा इलैक्ट्रॉनिक्स का सामान बनाना, धातु के द्वारा बर्तन बनाना, तेल की पिराई, साबुन बनाना, पुस्तकें, छापना आदि सम्मिलित हैं।

3. बड़े पैमाने के उद्योग-बड़े पैमाने के उद्योग-धंधे औद्योगिक क्रांति की देन हैं। इसमें बड़ी-बड़ी मशीनें तथा बड़ी मात्रा में पूँजी का निवेश किया जाता है। मशीनों के आविष्कार ने मानव का कार्य आसान कर दिया। इन उद्योगों में मशीनी शक्ति को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया। कम समय में अधिक वस्तुओं का उत्पादन बड़े उद्योगों के कारण ही संभव हुआ है। बड़े पैमाने के उद्योगों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • इन उद्योगों में बड़ी मात्रा में पूँजी लगती है।
  • इन उद्योगों के संचालन के लिए ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है।
  • इन उद्योगों में श्रमिकों की संख्या अधिक तथा श्रमिक कुशल होते हैं।
  • इन उद्योगों के लिए दूर-दूर से कच्चा माल मंगवाया जाता है।
  • इन उद्योगों में उत्पादित माल का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार होता है।
  • उन उद्योगों में वस्तुओं की गुणवत्ता तथा किस्म पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

बड़े पैमाने के उद्योग आज अधिकांशतः विकसित देशों में स्थापित हैं, जिसके कारण उनका औद्योगिक एवं आर्थिक विकास का स्तर ऊँचा है। अमेरिका, जापान, रूस तथा यूरोपीय देशों में बड़े पैमाने के उद्योग, विद्युत् उपकरण, चीनी, वस्त्र तथा विभिन्न रासायनिक उद्योग आते हैं। भारत में स्वतंत्रता के बाद बड़े उद्योगों का विकास तथा विस्तार किया गया।

प्रश्न 5.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण पाँच शीर्षकों के अंतर्गत किया जाता है-

  • कृषि आधारित उद्योग
  • खनिज आधारित उद्योग
  • रसायन आधारित उद्योग
  • वन आधारित उद्योग
  • पशु आधारित उद्योग

1. कृषि आधारित उद्योग जो उद्योग-धंधे कृषि की फसलों पर आधारित होते हैं या कृषि की फसलों से कच्चा माल प्राप्त करते हैं, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। कृषि या खेतों से प्राप्त कच्चे माल को विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा तैयार करके बाजारों में भेजा जाता है; जैसे चीनी, शक्कर, आचार, फलों के रस, मसाले, तेल, रबड़, वस्त्र आदि।

2. खनिज आधारित उद्योग-ऐसे उद्योग जिनमें खनिजों को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं। कुछ उद्योग लौह अंश वाले धात्विक खनिजों; जैसे लौह इस्पात का इस्तेमाल करते हैं, तो कुछ उद्योग अलौह धात्विक खनिजों; जैसे ताँबा, एल्युमीनियम का इस्तेमाल करते हैं। इस प्रकार खनिज आधारित उद्योग दो प्रकार के होते हैं

  • लौह धात उद्योग-लौह धात उद्योग ऐसी धातुओं पर आधारित होते हैं जिनमें लौहांश की मात्रा विद्यमान होती है। लौह-इस्पात उद्योग, मशीन व औजार उद्योग, तेल इंजन, मोटरकार, कृषि उपकरण उद्योग आदि इसके उदाहरण हैं।
  • अलौह धातु उद्योग-अलौह धातु उद्योग ऐसी धातुओं पर आधारित होते हैं जिनमें लौहांश विद्यमान नहीं होता। ताँबा, ऐल्युमीनियम, जवाहरात उद्योग आदि इसके उदाहरण हैं।

3. रसायन आधारित उद्योग-रसायन उद्योगों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक खनिजों का उपयोग होता है; जैसे पेट्रो रसायन उद्योग में खनिज तेल या पैट्रोलियम का उपयोग होता है। रसायन उद्योगों में नमक, पोटाश, गंधक, कोयला व पेट्रोलियम आदि का उपयोग किया जाता है।

4. वन आधारित उद्योग-वनों पर आधारित उद्योगों को कच्चा माल वनों से प्राप्त होता है। फर्नीचर उद्योग के लिए इमारती लकड़ी, कागज उद्योग के लिए लकड़ी तथा लाख उद्योग के लिए लाख वनों से ही प्राप्त होती है।

5. पशु आधारित उद्योग-पशु आधारित उद्योगों को कच्चा माल पशुओं से ही प्राप्त होता है; जैसे चमड़ा उद्योग के लिए चमड़ा एवं ऊन उद्योग के लिए ऊन पशुओं से ही प्राप्त होती है।

6. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य नहीं है?
(A) बाह्यस्रोतन दक्षता को बढ़ाता है और लागतों को घटाता है।
(B) कभी-कभार अभियांत्रिकी और विनिर्माण कार्यों की भी बाह्यस्रोतन की जा सकती है।
(C) बी०पी०ओज़ के पास के०पी०ओज़ की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं।
(D) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है।
उत्तर:
(D) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
फुटकर व्यापार सेवा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ये वे व्यापारिक क्रियाकलाप हैं जो उपभोक्ताओं की वस्तुओं के प्रत्यक्ष विक्रय से संबंधित हैं। अधिकांश फुटकर व्यापार केवल विक्रय के लिए तय दुकानों और भंडारों में संपन्न होते हैं। उदाहरणतया फेरी, रेहड़ी, ट्रक, द्वार से द्वार डाक आदेश, दूरभाष, इंटरनेट, फुटकर बिक्री आदि।

प्रश्न 2.
चतुर्थ सेवाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थ सेवाएँ अनुसंधान एवं विकास पर केंद्रित होती हैं और विशिष्टीकृत ज्ञान प्रौद्योगिक कुशलता और प्रशासकीय सामर्थ्य से संबद्ध सेवाओं के उन्नत नमूने के रूप में देखी जाती हैं। उच्च कोटि के बौद्धिक व्यवसायों को चतुर्थ सेवाओं के अंतर्गत रखा जाता है। अध्यापन, चिकित्सा, वकालत, अनुसंधान, सूचना आधारित ज्ञान आदि चतुर्थ सेवाओं के उदाहरण हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 3.
विश्व में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्रों में तेजी से उभरते हुए देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विश्व में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्रों में तेजी से उभरते हुए देशों में भारत तेजी से उभर रहा है। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में उभरते हुए देश हैं-थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस आदि।

प्रश्न 4.
अंकीय विभाजन क्या है?
उत्तर:
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास से मिलने वाले अवसरों का वितरण पूरे ग्लोब पर असमान रूप से वितरित है। देशों में विस्तृत आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। विकसित देश, सामान्य रूप से इस दिशा में आगे बढ़ गए हैं जबकि विकासशील देश पिछड़ गए हैं। यही अंकीय विभाजन कहलाता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की सार्थकता और वृद्धि की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक युग में आर्थिक विकास के लिए सेवाओं का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। कुछ वर्ष पूर्व सेवाओं की अपेक्षा वस्तुओं के उत्पादन पर अधिक बल दिया जाता था लेकिन विकसित अर्थव्यवस्था में सेवाओं पर आधारित विकास में तेजी आई है। आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की सार्थकता के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं

  • सेवा सेक्टर में फुटकर बिक्री और परिवहन के साधन सम्मिलित हैं जो विक्रेताओं एवं उपभोक्ताओं को जोड़ते हैं।
  • सेवा सेक्टर कच्चे माल को कारखाने तक और निर्मित माल को कारखाने से बाजार तक ले जाने में सहायता करते हैं।
  • सेवा सेक्टर वाणिज्यिक सेवा कम्पनियों की उत्पादकता एवं क्षमता में वृद्धि लाते हैं।

आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की वृद्धि – विकसित देशों के सेवा क्षेत्र में रोज़गार के अवसरों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। विकासशील देशों में भी विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है लेकिन इन देशों में बहुत-से लोग असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिनका लेखा-जोखा अच्छी तरह से नहीं रखा जाता।

अधिकतर देशों में विकास की प्रक्रिया का एक निश्चित क्रम होता है। पहले प्राथमिक क्षेत्र का वर्चस्व होता है, उसके बाद द्वितीयक क्षेत्र का महत्त्व बढ़ने लगता है। अंतिम अवस्थाओं में तृतीयक और चतुर्थक क्रियाकलाप महत्त्वपूर्ण बन जाते हैं। बहुत-से देशों में विनिर्माण उद्योगों में रोज़गार के अवसर घटते जा रहे हैं तथा सकल घरेलू उत्पाद में उनका अनुपात कम होता जा रहा है। आधुनिक आर्थिक विकास में सेवाओं का महत्त्व इतना बढ़ गया है कि उन्हें उत्पादक कार्यों की श्रेणी में रखा जाने लगा है। सेवाएँ अब निर्यातक बन गई हैं। कुछ देश; जैसे स्विट्ज़रलैंड तथा यूनाइटिड किंगडम सेवा क्षेत्र में उद्योगों से आगे निकल गए हैं।

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.5

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.5

प्रश्न 1.
समकोण ΔPQR की रचना कीजिए, जहाँ m∠Q= 90°, QR = 8 सेमी और PR = 10 सेमी है।
हल :
रचना के पद :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.5 1
1. एक रेखाखण्ड QR = 8 सेमी खींचा।
2. बिन्दु Q पर ∠XQR = 90° बनाया।
3. अब बिन्दु R को केन्द्र मानकर 10 सेमी की त्रिज्या का चाप खींचा जो QX को बिन्दु P पर काटता है।
4. RP को मिलाया।
इस प्रकार अभीष्ट ΔPQR प्राप्त हुआ।

प्रश्न 2.
एक समकोण त्रिभुज की रचना कीजिए, जिसका कर्ण 6 सेमी लम्बा है और एक पाद 4 सेमी लंबा है।
हल :
रचना के पद :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.5 2
1. एक रेखाखण्ड QR = 4 सेमी खींचा।
2. बिन्दु Q पर ∠XQR = 90° का बनाया।
3. बिन्दु R को केन्द्र मानकर कर्ण 6 सेमी की त्रिज्या का एक चाप लगाया जो QX को बिन्दु P पर काटता है।
4. RP को मिलाया।
इस प्रकार अभीष्ट ΔPQR प्राप्त होगा।

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प्रश्न 3.
एक समद्विबाहु समकोण त्रिभुज ABC की रचना कीजिए, जहाँ m∠ACB = 90° है और AC = 6 सेमी है।
हल :
रचना के पद :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.5 3
1. रेखाखण्ड AC = 6 सेमी खींचा।
2. बिन्दु C पर ∠ACX = 90° बनाया।
3. बिन्दु C से परकार में 6 सेमी की त्रिज्या का चाप लेकर खींचा, जो CX को बिन्दु B पर काटता है।
4. BA को मिलाया।
इस प्रकार अभीष्ट ΔABC प्राप्त होगा।

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HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

Haryana State Board HBSE 12th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Samas Prakaranam समास प्रकरणम् Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

परिभाषा – संक्षेप करने के लिए पदों के बीच में विभक्ति का लोप करके दो या दो से अधिक शब्दों के एक बन जाने को समास कहते हैं, जैसे –
राज्ञः पुत्रः = राजपुत्रः।
समास में विग्रह – जब समस्त पद का अर्थ स्पष्ट करने के लिए उसमें प्रयुक्त शब्दों के आगे विभक्ति लगा दी जाती है तो वह समस्त पद का विग्रह कहलाता है, जैसे –
‘राजपुत्रः’ इस पद के मध्य कोई विभक्ति नहीं है, लेकिन इसका अर्थ है ‘राजा का पुत्र’। इसी अर्थ को जब हम प्रत्येक। के सामने विभक्ति रखकर प्रकट करते हैं तो वह अवस्था ‘विग्रह अवस्था’ कहलाती है; जैसे-राज्ञः पुत्रः = राजपुत्रः। समास के प्रकार-संस्कृतभाषा में मुख्यतया चार प्रकार के समास होते हैं –
1. अव्ययीभाव समास
3. बहुब्रीहि समास
2. तत्पुरुष समास
4. द्वन्द्व समास

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

1. अव्ययीभाव समास :

अव्ययीभाव उस समास को कहते हैं जिसमें पूर्वपद अव्यय हो। इसमें अव्यय या उपसर्ग के साथ संज्ञा का समास होता है; जैसे –
दिनम् दिनम् इति प्रतिदिनम्।
अव्ययीभाव समास में अव्ययों का निम्न अर्थों में समास होता है –

(i) विभक्ति (किसी विभक्ति के अर्थ में); जैसे –
हरौ इति = अधिहरि।
आत्मनि इति = अध्यात्मम्।
नगरे इति = अधिनगरम्।
ग्रामे इति = अधिग्रामम्।

ऊपर के उदाहरणों में विग्रह वाक्य में ‘अधि’ इस अव्यय का प्रयोग सप्तमी विभक्ति के अर्थ में किया गया है।

(ii) सामीप्य (समीपता); जैसे –
कृष्णस्य समीपम् = उपकृष्णम्,
कूलस्य समीपम् = उपकूलम्।
नद्याः समीपम् = उपनदि।
देवस्य समीपम् = उपदेवम्।

(iii) समृद्धि (सौभाग्य); जैसे –
मद्राणां समृद्धिः = सुमद्रम्।
[समृद्धि अर्थ में ‘सु’ अव्यय का समास]

(iv) अर्थाभाव (किसी वस्तु का अभाव) जैसे –
मक्षिकाणामभावः = निर्मक्षिकम् [अभाव’ अर्थ में ‘निर्’ उपसर्ग का समास]

(v) पश्चात् (पीछे ), जैसे –
विष्णो पश्चात् = अनुविष्णु। [‘पश्चात्’ अर्थ में ‘अनु’ उपसर्ग का समास]

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

(vi) योग्यता, जैसे – रूपस्य योग्यम् = अनुरूपम्। गुणस्य योग्यम् = अनुगुणम्। ‘योग्यता’ अर्थ में ‘अनु’ उपसर्ग का समास’

(vii) वीप्सा (द्विरावृत्ति), जैसे –
अर्थमर्थम् = प्रत्यर्थम्। एकमेकम् = प्रत्येकम्।
अहनि अहनि = प्रत्यहम्। दिनम् दिनम् = प्रतिदिनम्।

(viii) सादृश्य (समानता) जैसे-हरे: सादृश्यम् = सहरि
[सादृश्यम् अर्थ में सह अव्यय का प्रयोग करके फिर सह को स बना कर समास]

(ix) अनतिवृत्ति (किसी पदार्थ की सीमा का उल्लङ्घन न करना, अर्थात् उसके अनुसार ही कार्य करना), जैसे –
विधिम् अनतिक्रम्य = यथाविधि।
शक्तिमनतिक्रम्य = यथाशक्ति।
उक्तमनतिक्रम्य = यथोक्तम्।
नियमनतिक्रम्य = यथानियमम्।
[‘अनतिक्रम्य’ अर्थ में ‘यथा’ अव्यय का समास]

(x) आनूपूर्व्य = (अनुक्रम, क्रम से), जैसे –
ज्येष्ठस्य आनुपूर्येण-अनुज्येष्ठम्। [‘आनुपूर्व्य’ अर्थ में अनु’ उपसर्ग का समास]

(xi) युगपद् (साथ, समकाल में), जैसे –
चक्रेण युगपद् = सचक्रम्। [‘युगपत्’ अर्थ में सह = ‘स’ अव्यय का समास]

(xii) मर्यादा (सीमा), जैसे –
आ मुक्तेः = आमुक्ति।
आ समुद्रात् = आसमुद्रम्।
आ बालेभ्यः = आबालम्।
आ नगरात् = आनगरम्।
[मर्यादा’ अर्थ में ‘आ’ उपसर्ग का समास]

(xiii) प्रति, पर और अनु इनके साथ अक्षि’ शब्द का अव्ययीभाव समास करने पर इसके अन्तिम ‘इ’ को ‘अ’ हो जाता है, जैसे –
अक्ष्णोः अभिमुखम् = प्रत्यक्षम्।
अक्ष्णोः परम् = परोक्षम्।
अक्ष्णोः योग्यम् = समक्षम्।
अक्ष्णोः पश्चात् = अन्वक्षम्।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

2. तत्पुरुष समास :

तत्पुरुष समास ऐसे दो पदों में होता है, जिनमें से पहला पद दूसरे का निर्धारण अथवा व्यवस्था करे। इसमें उत्तरपद का अर्थ प्रधान होता है और पूर्वपद प्रथमा के अतिरिक्त सभी विभक्तियों में प्रयुक्त होता है।

तत्पुरुष समास के निम्नलिखित भेद हैं –

1. द्वितीयातत्पुरुष समास – इनमें विग्रह वाक्य में पूर्व पद द्वितीया विभक्ति का होता है, जैसे –
ग्रामं गतः = ग्रामगतः।
शरणमापन्नः शरणापन्नः।
दुःखमतीतः = दुःखातीतः।
स्वर्ग प्राप्तः = स्वर्गप्राप्तः।
कृष्णं श्रितः = कृष्णाश्रितः।
नरकं पतितः = नरकपतितः।

2. तृतीयातत्पुरुष समास-इसमें पूर्वपद तृतीयान्त होता है और तृतीया विभक्ति का अर्थ देता है, जैसे –
नखैः भिन्नः = नखभिन्नः।
असिना छिन्नः = असिछिन्नः।
मासेन पूर्वः = मासपूर्वः।
शकुलया खण्डः = शकुलाखण्डः।
लोकैः पूजितः = लोकपूजितः।
अहिना दष्टः = अहिदष्टः।
धान्येन अर्थः = धान्यार्थः।
हरिणा त्रातः = हरित्रातः।
मात्रा सदृशः = मातृसदृशः।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

3. चतुर्थीतत्पुरुष समास – इसमें विग्रहवाक्य का पूर्वपद चतुर्थी विभक्त्यन्त होता है, जैसे –

द्विजाय अयम् = द्विजार्थः सूपः।
भूतेभ्यः बलिः = भूतबलिः।
द्विजाय इदम् = द्विजार्थं पयः।
कुण्डलाय हिरण्यम् = कुण्डलहिरण्यम्।
यूपाय दारु = यूपदारु।
द्विजाय इयम् = द्विजार्थयवागूः।
गवे हितम् = गोहितम्।
गवे सुखम् = गोसुखम्।

4. पञ्चमीतत्पुरुष समास-इस समास के पञ्चम्यन्त पूर्वपद का भय, भीत, भीति, अपेत, मुक्त, पतित आदि शब्दों के साथ समास हो जाता है, जैसे –

चोराद् भयम् = चोरभयम्।
सुखात् अपेतः = सुखोपेतः।
चोराद् भीतः = चोरभीतः।
स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः।
दुःखात् मुक्तः = दुःखमुक्तः।
सिंहाद् भीतः = सिंहभीतः।
संसारात् मुक्तः = संसारमुक्तः।
वृकात् भीतः = वृकभीतः।

5. षष्ठीतत्पुरुष समास – इस समास में षष्ठ्यन्त (षष्ठी विभक्ति वाले) पूर्वपद का किसी समर्थपद के साथ समास हो जाता है, जैसे –

राज्ञः पुत्रः = राजपुत्रः।
राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः।
रामस्य सेवकः = रामसेवकः।
राज्ञः पुरोहितः = राजपुरोहितः।
रत्नानाम् आकरः = रत्नाकरः।
विद्यायाः सागरः = विद्यासागरः।

अपवाद-‘त’ और ‘अक’ प्रत्ययान्त कर्तृवाची सुबन्त शब्दों का षष्ठ्यन्त पद के साथ समास नहीं होता है, जैसे –
नस्य पाचकः, अपां स्रष्टा, वेदस्य रक्षिता। लेकिन याचक, पूजक, स्नातक, परिचारक, अध्यापक, भर्त, होतृ इत्यादि शब्दों का षष्ठ्यन्त शब्द के साथ समास हो जाता है, जैसे –
ब्राह्मणानां याचकः = ब्राह्मणयाचकः।
राज्ञः परिचारकः =राजपरिचारकः।
देवानां पूजकः = देवपूजकः।
गुरुकुलस्य स्नातकः = गुरुकुलस्नातकः।
अग्नेः होता = अग्निहोता।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

6. सप्तमीतत्पुरुष समास-इस समास में पूर्वपद में सप्तमी विभक्ति होती है और इसका धूर्त, प्रवीण, पण्डित, कुशल, सिद्ध, शुष्क, पक्व, बन्ध आदि शब्दों के साथ समास हो जाता है, जैसे –
कार्ये कुशलः = कार्यकुशलः।
रणे कुशलः = रणकुशलः।
सभायां पण्डितः = सभापण्डितः।
अक्षेषु कुशलः = अक्षकुशलः।
अक्षेषु शौण्डः = अक्षशौण्डः।
चक्रे बन्धः = चक्रबन्धः।
पाशे बन्धः = पाशबन्धः।
स्थाल्यां पक्वः = स्थालीपक्वः।
आतपे शुष्कः = आतपशुष्कः।
वाचि पटुः = वाक्पटुः।

7. अलुक्तत्पुरुष समास-जिन समस्त पदों के पूर्वपद की विभक्ति का लोप न हो उन्हें ‘अलुक् तत्पुरुष’ समास कहते हैं।
(i) तृतीया-अलुक् तत्पुरुष – इसमें तृतीया विभक्ति का लोप नहीं होता –
पुंसा अनुजः = पुंसानुजः,
जनुषा अन्धः = जनुषान्धः।

(ii) चतुर्थी अलुक् तत्पुरुष – इसमें चतुर्थी विभक्ति का लोप नहीं होता – आत्मने पदम् आत्मनेपदम्। परस्मै पदम् परस्मैपदम्।

(iii) पञ्चमी अलुक तत्पुरुष – इसमें चतुर्थी विभक्ति का लोप नहीं होता –
स्तोकात् मुक्तः स्तोकान्मुक्तः।
दूरात् आयातः दूरादायातः।

(iv) षष्ठी-अलुक तत्पुरुष – इसमें षष्ठी विभक्ति का लोप नहीं होता वाचः पति-वाचस्पतिः, दास्यः पुत्र दास्याः पुत्रः, पश्यतः हरः पश्यतोहरः।

(v) सप्तमी-अलुक् तत्पुरुष – इसमें सप्तमी विभक्ति का लोप नहीं होता-युधि स्थिरः युधिष्ठिरः, कर्णे जपः कर्णेजपः, सरसि जायते इति सरसिजम्, अन्ते वसति इति अन्तेवासी।

8. न तत्पुरुष – जिसमें किसी पद के साथ निषेधार्थक ‘न’ के साथ समास किया जाता है, उसे नञ् तत्पुरुष समास कहते हैं।
(क) यदि ‘न’ से परे कोई ऐसा शब्द हो जिसके आदि में कोई व्यञ्जन हो तो ‘न’ को ‘अ’ हो जाता है, जैसे –

न पण्डितः = अपण्डितः।
न ब्राह्मणः = अब्राह्मणः।
न क्षत्रियः = अक्षत्रियः।
न उदारः = अनुदारः।
न न्यायः = अन्यायः।
न विद्वान् = अविद्वान्।
न हिंसा: अहिंसा।
न चिरात् = अचिरात्।
न साधुः = असाधुः।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

(ख) यदि ‘न’ से परे कोई ऐसा शब्द हो जिसके आदि में कोई स्वर हो तो ‘न’ को ‘अन्’ हो जाता है, जैसे –

न अश्वः = अनश्वः।
न उपकारः = अनुपकारः।
न आदि = अनादिः।
न अर्थः = अनर्थः।
न उपस्थितः = अनुपस्थितः।

9. कर्मधारय तत्पुरुष – इसमें पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य होता है, जैसे –

कृष्णश्चासौ सर्पः = कृष्णसर्पः।
परमः राजा = परमराजः।
नीलमुत्पलम् = नीलोत्पलम्।
मूर्खश्चासौ पुरुषः = मूर्खपुरुषः।
महान् चासौ पुरुषः = महापुरुषः।
कृष्णा चतुर्दशी = कृष्णचतुर्दशी।
श्वेतम् कमलम् = श्वेतकमलम्।
महती प्रिया = महाप्रिया।
कृष्णः सखा = कृष्णसखा।
कृष्ण सर्पः = कृष्णसर्पः।
सुकेशी भार्या = सुकेशभार्या।
पुण्यम् अहः = पुण्याहः।
घन इव श्यामः = घनश्यामः।
वानर इव चञ्चलः = वानरचञ्चलः।
मुखम् इन्द्रः इव = मुखेन्द्रः।
पुरुषः व्याघ्र इव = पुरुषव्याघ्रः।
ब्राह्मणी भार्या = ब्राह्मणभार्या।
महती मधुरा = महामधुरा।

10. उपपद तत्पुरुष समास-इस समास में उत्तरपद किसी धातु से निष्पन्न विशेष पद होता है और पूर्व पद का कर्मकारक यदि उत्तरपद के धातु से बनने वाले शब्द के साथ किसी कारक के रूप में सम्बन्ध रखता है तो वह समस्तपद उपपद समास कहलाता है। जैसे –

कुम्भं करोतीति = कुम्भकारः।
विश्वं जयतीति = विश्वजित्।
इन्द्रं जयतीति = इन्द्रजित्।
धनं ददातीति = धनदः।
उष्णं भुङ्क्ते इति = उष्णभोजी।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

11. द्विगु तत्पुरुष समास – जहाँ समाहार (समूह) का बोध होता है और पूर्वपद संख्यावाची हो, उसे द्विगु तत्पुरुष समास कहते हैं।
(क) इस समास में समस्तपद प्रायः एकवचन तथा नपुंसकलिंग होता है, जैसे –

त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्।
पञ्चानां तन्त्राणां समाहारः = पञ्चतन्त्रम्।
पञ्चानां पात्राणां समाहारः = पञ्चपात्रम्।
सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्।

(ख) जिस द्विगु समास में उत्तरपद अकारान्त हो उसमें समस्तपद स्त्रीलिङ्ग होता है, जैसे –

पञ्चानां मूलानां समाहारः = पञ्चमूली।
अष्टानामध्यायानां समाहारः = अष्टाध्यायी।
नवानामध्यायानां समाहारः = नवाध्यायी।
पञ्चानां वटानां समाहारः = पञ्चवटी।
त्रयाणां लोकानां समाहारः = त्रिलोकी।
सप्तानां शतानां समाहारः = सप्तशती।
शतानां अब्दानां समाहारः = शताब्दी।

3. बहुब्रीहि समास :

बहुब्रीहि समास उन दो या दो से अधिक पदों में होता है जो मिलकर किसी अन्य नाम का विशेषण बन जाते हैं ; जैसे चक्रं पाणौ यस्य सः-चक्रपाणिः। बहुब्रीहि समास दो प्रकार का होता है –
(क) समानाधिकरण बहुब्रीहि और
(ख) व्यधिकरण बहुब्रीहि।

(क) समानाधिकरण बहुब्रीहि समानाधिकरण बहुब्रीहि में विग्रहवाक्य में सभी पद प्रथम-विभक्त्यन्त होते हैं, जैसे –

(i) पीतानि अम्बराणि यस्य सः-पीताम्बरः।
(ii) चित्रा गावो यस्य सः-चित्रगुः।
(iii) विमला बुद्धिः यस्य सः-विमलबुद्धिः।
(iv) श्वेतानि अम्बराणि यस्य सः-श्वेताम्बरः।

(ख) व्यधिकरण बहुब्रीहि व्यधिकरण बहुब्रीहि समास में पूर्वपद तथा उत्तरपद दोनों में भिन्न-भिन्न विभक्तियाँ आती हैं, जैसे –

(i) कण्ठे कालः यस्य सः-कण्ठकालः।
(ii) चक्रं पाणौ यस्य सः-चक्रपाणिः।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

4. द्वन्द्व समास :

उभयपदार्थ-प्रधानो द्वन्द्वः – जिस समास में दोनों पदों के अर्थ की प्रधानता हो उसे ‘द्वन्द्व समास कहते हैं। जब दो या दो से अधिक संज्ञाएँ इस तरह जुड़ी रहती हैं कि उनके मध्य ‘च’ छिपा रहे तब ‘द्वन्द्व समास होता है। जैसे –
कृष्णश्च अर्जुनश्च = कृष्णार्जुनौ।

यह द्वन्द्व समास प्रधानतया तीन प्रकार का होता है –

1. इतरेतरद्वन्द्व
2. समाहारद्वन्द्व
3. एकशेषद्वन्द्व।

1. इतरेतरद्वन्द्व – इस समास में दो पदों के समास के साथ द्विवचन और दो से अधिक पदों के समास के साथ बहुवचन आता है। इसमें लिङ्ग का विधान अन्तिम पद के लिङ्ग के अनुसार होता है। जैसे –

माता च पिता च = मातापितरौ।
कन्दञ्च मूलं च फलञ्च = कन्दमूलफलानि।
कुक्कुटश्च मयूरी च = कुक्कुटमयूर्यो।

2. समाहारद्वन्द्व – इस समास में समाहार (समूह) का बोध होता है। समस्तपद में नपुंसकलिङ्ग का एकवचन आता है। जैसे –

पाणी च पादौ च एतेषां समाहारः = पाणिपादम्।
दधि च घृतं च अनयोः समाहारः = दधिघृतम्।
अहश्च रात्रिश्च = अहोरात्रम्।
गौश्च महिषी च = गोमहिषम्।

3. एकशेष द्वन्द्व – इस समास में विग्रह, में प्रयुक्त अनेक पदों में से एक ही पद शेष रह जाता है और अर्थ के अनुसार वचन का प्रयोग होता है। जैसे

माता च पिता च = पितरौ।
पुत्रश्च पुत्री च = पुत्रौ।
स च स च = तौ।
रामश्च रामश्च = रामौ।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

पाठ्यपुस्तक से समास/विग्रह के उदाहरण –

पाठ्यपुस्तक से उदाहरण –

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम् 1

पाठ्यपुस्तक से उदाहरण –

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम् 2

V. द्वन्द्वसमासस्य परिभाषां सोदाहरणं हिन्दीभाषायां लिखत।
उत्तरम् :
जब दो या दो से अधिक संज्ञाएँ इस तरह जुड़ती हैं कि उनके मध्य ‘च’ छिपा रहे, तब द्वन्द्व समास होता है। जैसे – कृष्ण चः अर्जुनः च = कुष्णार्जुनौ
यह समास तीन प्रकार का होता है –
1. इतरेतर द्वन्द्व-माता च पिता च = मातापितरौ।
2. समाहारद्वन्द्व-पाणी च पादौ च एतेषां समाहारः = पाणिपादम्।
3. एकशेष द्वन्द्व माता च पिता च = पितरौ।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् समास प्रकरणम्

VI. अव्ययीभावसमासस्य परिभाषां सोदाहरणं लिखत।
उत्तरम् :
अव्ययीभावसमास – विभक्ति आदि अर्थों में अव्ययीभाव समास होता है। इसमें अव्यय या उपसर्ग के साथ संज्ञा पद का समास होता है। इसका पूर्वपद कोई अव्यय होत है।
उदाहरण :
दिनम् दिनम् इति प्रतिदिनम्।
कृष्णस्य समीपम् उपकृष्णम्।
रूपस्य योग्यम् अनुरूपम्।

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2

प्रश्न 1.
दी गई भिन्न संख्याओं को प्रतिशत में बदलो :
(i) \(\frac {1}{8}\)
(ii) \(\frac {5}{4}\)
(iii) \(\frac {3}{40}\)
(iv) \(\frac {2}{7}\)
हल :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2 - 1
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2 - 2

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2

प्रश्न 2.
दी गई दशमलव भिन्नों को प्रतिशत में बदलो
(a) 0.65
(b) 2.1
(c) 0.02
(d) 12.35
हल :
(a) 0.65 = \(\frac{0 \cdot 65 \times 100}{100}=\frac{65}{100}\) = 65%
(b) 2.1 = \(\frac{2.1 \times 100}{100}=\frac{210}{100}\) = 210%
(c) 0.02 = \(\frac{0.02 \times 100}{100}=\frac{2}{100}\) = 2%
(d) 12.35 = \(\frac{12.35 \times 100}{100}=\frac{1235}{100}\) = 1235%.

प्रश्न 3.
अनुमान लगाइए कि आकृति का कितना भाग रंग दिया गया है और इस प्रकार ज्ञात कीजिए कि कितने प्रतिशत रंगीन है:
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2 - 3
हल :
(i) \(\frac {1}{4}\) भाग रंगा है।
रंगे भाग का प्रतिशत = (\(\frac {1}{4}\) × 100)% = 25%.

(ii) \(\frac {3}{5}\) भाग रंगा है।
रंगे भाग का प्रतिशत = (\(\frac {3}{5}\) × 100)%
= (3 × 20)% = 60%

(iii) \(\frac {3}{8}\) भाग रंगा है।
रंगे भाग का प्रतिशत = (\(\frac {3}{8}\) × 100)%
= (\(\frac {3}{2}\) × 25)% = \(\frac {75}{2}\)%
= 37.5%.

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2

प्रश्न 4.
ज्ञात कीजिए
(a) 250 का 15%
(b) 1 घंटे का 1%
(c) 2500 का 20%
(d) 1 किग्रा का 75%
हल :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2 - 4

प्रश्न 5.
संपूर्ण राशि ज्ञात कीजिए, यदि :
(a) इसका 5%, 600 है।
(b) इसका 12%, 1080 है।
(c) इसका 40%, 500 किमी है।
(d) इसका 70%, 14 मिनट है।
(e) इसका 8%, 40 लीटर है।
हल :
(a) माना सम्पूर्ण राशि x है, तो
x का 5% = 600
⇒ \(\frac {5}{100}\) × x = 600
⇒ x = \(\frac{600 \times 100}{5}\)
= 600 × 20 = ₹ 12000
अतः सम्पूर्ण राशि ₹ 12000 है।

(b) माना सम्पूर्ण राशि x है, तो
x का 12% = 1080
⇒ x × \(\frac {12}{100}\) = 1080
⇒ x = \(\frac{1080 \times 100}{12}\)
= 90 × 100 = ₹ 9000
अतः सम्पूर्ण राशि ₹ 9000 है।

(c) माना संपूर्ण राशि x है, तो
x का 40% = 500 किमी
⇒ \(\frac {40}{100}\) × x = 500 किमी
⇒ x = (500 × \(\frac {100}{40}\)) किमी
⇒ x = 25 × 50 = 1250 किमी
अत: संपूर्ण राशि 1250 किमी है!

(d) माना संपूर्ण राशि x है, तो
x का 70% = 14 मिनट
⇒ \(\frac {70}{100}\) × x = 14 मिनट
⇒ x = (14 × \(\frac {10}{7}\)) मिनट
⇒ x = (2 × 10) मिनट
⇒ x = 20 मिनट
अत: संपूर्ण राशि 20 मिनट है।

(e) माना संपूर्ण राशि x है, तो
x का 8% = 40 लीटर
⇒ \(\frac {8}{100}\) × x = 40 लीटर
⇒ x = \(\frac{40 \times 100}{8}\)
⇒ = 500 लीटर।
अतः सम्पूर्ण राशि 500 लीटर है।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2

प्रश्न 6.
दिए गए प्रतिशतों को साधारण व दशमलव भिन्नों में बदलो और अपने उत्तर को सरलतम रूप में लिखो
(a) 25%
(b) 150%
(c) 20%
(d) 5%
हल :
(a) 25% = \(\frac{25}{100}=\frac{1}{4}\) = 0.25
(b) 150% = \(\frac{150}{100}=\frac{3}{2}\) = 1:50
(c) 20% = \(\frac{20}{100}=\frac{1}{5}\) = 0.20
(d) 5% = \(\frac{5}{100}=\frac{1}{20}\) = 0.05

प्रश्न 7.
एक नगर में 30% महिलाएँ, 40% पुरुष तथा शेष बच्चे हैं। बच्चों का प्रतिशत कितना है ?
हल :
एक नगर में महिलाओं का प्रतिशत = 30%
पुरुषों का प्रतिशत = 40%
शेष बच्चों का प्रतिशत = (100 – 30 – 40)%
= (100 – 70)%
= 30%.

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 8 राशियों की तुलना Ex 8.2

प्रश्न 8.
किसी क्षेत्र के 15,000 मतदाताओं में से 60% ने मतदान में भाग लिया। ज्ञात कीजिए कि कितने प्रतिशत ने मतदान में भाग नहीं लिया। क्या अब ज्ञात कर सकते हैं कि वास्तव में कितने मतदाताओं ने मतदान नहीं किया ?
हल :
∵ मतदान करने वाले मतदाताओं का प्रतिशत = 60%
∴ मतदान न करने वाले मतदाताओं का प्रतिशत = (100 – 60)% = 40%
कुल मतदाताओं की संख्या = 15000
ऐसे मतदाता जिन्होंने मतदान में भाग नहीं लिया = 40%
∴ 15000 का 40% = \(\frac {40}{100}\) × 15000
= 6000
अत: मतदान में भाग नहीं लेने वाले मतदाताओं की संख्या = 6000.

प्रश्न 9.
मीता अपने वेतन में से ₹400 रु बचाती है। यदि यह उसके वेतन का 10% है, तब उसका वेतन कितना है?
हल :
मीता का वेतन = ₹ a तो
a का 10% = ₹ 400
⇒ \(\frac {10}{100}\) × a = 400
⇒ \(\frac {1}{100}\) × a = 400
⇒ a= (10 × 400) = ₹ 4000
अतः मीता का वेतन = ₹ 4000। उत्तर

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प्रश्न 10.
एक स्थानीय क्रिकेट टीम ने एक सत्र (season) में 20 मैच खेले। इनमें से उस टीम ने 25% मैच जीते। जीते गए मैचों की संख्या कितनी थी?
हल :
100 मैचों में से 25% मैच जीते, तो
20 मैचों में से मैच जीते = \(\frac {25}{100}\) × 20 = \(\frac {1}{4}\) × 20 = 5. उत्तर

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. संसार के अधिकांश महान पत्तन इस प्रकार वर्गीकृत किए गए हैं
(A) नौसेना पत्तन
(B) विस्तृत पत्तन
(C) तैल पत्तन
(D) औद्योगिक पत्तन
उत्तर:
(B) विस्तृत पत्तन

2. निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?
(A) एशिया
(B) यूरोप
(C) उत्तरी अमेरिका
(D) अफ्रीका
उत्तर:
(C) उत्तरी अमेरिका

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3. दक्षिण अमरीकी राष्ट्रों में से कौन-सा एक ओपेक का सदस्य है?
(A) ब्राज़ील
(B) वेनेजुएला
(C) चिली
(D) पेरू
उत्तर:
(B) वेनेजुएला

4. निम्न व्यापार स से भारत किसका एक सह-सदस्य है?
(A) साफ्टा (SAFTA)
(B) आसियान (ASEAN)
(C) ओइसीडी (OECD)
(D) ओपेक (OPEC)
उत्तर:
(A) साफ्टा (SAFTA)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौन-से हैं?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन एकमात्र ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों का व्यवहार करता है। यह विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए नियमों को नियत करता है और इसके सदस्य देशों के बीच विवादों का निपटारा करते हैं।

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प्रश्न 2.
ऋणात्मक भुगतान संतुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
उत्तर:
यदि किसी देश में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो उस देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक कहा जाता है। इसे विलोम व्यापार संतुलन या प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूह व्यापार की मदों में भौगोलिक समीपता, समरूपता और पूरकता के साथ देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध को हटाने के उद्देश्य से विकसित हुए हैं। ये व्यापारिक समूह राष्ट्रों में . व्यापार शुल्क को हटा देते हैं तथा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पत्तन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन्हीं पत्तनों द्वारा जहाज़ी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं। पत्तन जहाज़ के लिए गोदी लादने, उतारने तथा भंडारण के लिए सुविधाएँ प्रदान करते हैं तथा पत्तन आयात और निर्यात करने के क्षेत्र हैं। ये अपने पृष्ठ क्षेत्र से यातायात के साधनों द्वारा जुड़े होते हैं। यहाँ स्थल मार्गों द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ आती हैं जिन्हें सागरीय मार्ग द्वारा दूसरे देशों में भेजा जाता है व अन्य देशों से आयात किया गया माल इन पत्तनों द्वारा ही पृष्ठ देश में भेजा जाता है।

अवस्थिति के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण-अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के प्रकार निम्नलिखित हैं-

  1. अंतर्देशीय पत्तन-ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज़ द्वारा ही गम्य होते हैं। उदाहरणतया मानचेस्टर, कोलकाता।
  2. बाह्य पत्तन-ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाज़ों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में असमर्थ हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएं प्रदान करते हैं।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लाभ सभी व्यापारी देशों को मिलता है-

  1. इससे श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण के सभी लाभ प्राप्त होते हैं।
  2. व्यापार के लिए वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाना होता है। परिणामस्वरूप वस्तुओं का उपभोग बढ़ता है और इससे लोगों . का कल्याण अर्थात् जीवन स्तर बढ़ता है।
  3. विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की विश्वव्यापी उपलब्धता के कारण कीमतों और वेतन का समानीकरण होता है।
  4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रवेश करने से पहले निष्क्रिय, भूमि, श्रम व अन्य संसाधनों का प्रयोग अधिक उत्पादन के लिए किया जाता है।
  5. विदेशी व्यापार के माध्यम से हर देश अपनी सर्वश्रेष्ठ वस्तु को बाजार में उतारता है। आयात और निर्यात से अन्य आर्थिक क्रियाओं का विकास होता है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार HBSE 12th Class Geography Notes

→ अंतर्देशीय या प्रादेशिक या देशी व्यापार (Inland or Regional Trade) : देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों के बीच होने वाला व्यापार।

→ सीमाप्रांतीय व्यापार (Overland Trade) : किसी देश का अपने उन पड़ोसी देशों के साथ व्यापार जिनकी स्थलीय सीमा उस देश को स्पर्श करती है; जैसे भारत का बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल व सिक्किम इत्यादि से व्यापार।

→ तटीय व्यापार (Coastal Trade) : एक ही देश के बंदरगाहों के बीच होने वाला व्यापार।

→ पुनः निर्यात व्यापार (Entrepot Trade) : किसी वस्तु का आयात करके उसे पुनः उन देशों को निर्यात कर देना जिनके पास समुद्री तट की सुविधा नहीं है।

→ विदेशी मुद्रा विनिमय (Foreign Exchange) : यह एक प्रणाली है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा से अदल-बदल किया जाता है।

→ व्यापार का संघटन या संरचना (Composition of Trade): व्यापार में वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार।

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HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः

Haryana State Board HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Sanskrit Solutions रुचिरा Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः

कृषिकाः कर्मवीराः Chapter 10 6th Class Sanskrit HBSE प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत-

सूर्यस्तपतुजीर्णम्शीतकालेऽपि
वारयितुम्ग्रीष्मेसस्यपूर्णानि
उपानहीकण्टकावृताक्षुधा-तृषाकुलो

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः

कृषिकाः कर्मवीराः HBSE 6th Class Sanskrit Chapter 10 प्रश्न 2.
श्लोकांशान् योजयत

(i) गृहं जीर्णं न वर्षासुतौ तु क्षेत्राणि कर्षतः।
(ii) हलेन च कुदालेनया शुष्का कण्टकावृता।
(iii) पादयोन पदत्राणेसस्यपूर्णानि सर्वदा।
(iv) तयोः श्रमेण क्षेत्राणिशरीरे वसनानि नो।
(v) धरित्री सरसा जातावृष्टिं वारयितुं क्षमम्।

उत्तरम्:

(i) गृहं जीर्णं न वर्षासुवृष्टिं वारयितुं क्षमम्।
(ii) हलेन च कुदालेनतौ तु क्षेत्राणि कर्षतः।
(iii) पादयोन पदत्राणेशरीरे वसनानि नो।
(iv) तयोः श्रमेण क्षेत्राणिसस्यपूर्णानि सर्वदा।
(v) धरित्री सरसा जाताया शुष्का कण्टकावृता।

Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः HBSE 6th Class Sanskrit प्रश्न 3.
उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत
यथा- कृषकाः शीतकालेऽपि कर्मठाः भवन्ति। – आम्।
कृषकाः हलेन क्षेत्राणि न कर्षन्ति। – न।
(क) कृषकाः सर्वेभ्यः अन्नं यच्छन्ति। – …………
(ख) कृषकाणां जीवनं कष्टप्रदं न भवति। – …………
(ग) कृषकः क्षेत्राणि सस्यपूर्णानि करोति। – …………
(घ) शीते शरीरे कम्पनं न भवति। – …………
(ङ) श्रमेण धरित्री सरसा भवति। – …………
उत्तरम्:
(क) आम्।
(ख) न।
(ग) आम्।
(घ) न।
(ङ) आम्।

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः

HBSE 6th Class Sanskrit कृषिकाः कर्मवीराः Chapter 10 प्रश्न 4.
मञ्जूषातः पर्यायवाचिपदानि चित्वा लिखत
रविः ,वस्त्राणि ,जर्जरम् ,अधिकम् ,पृथ्वी ,पिपासा।
वसनानि – ……………..
सूर्यः – …………….
तृषा – ……………..
विपुलम् – …………….
जीर्णम् – ……………….
धरित्री – ………………..
उत्तरम्:
वसनानि – वस्त्राणि
सूर्यः – रविः
तृषा – पिपासा
विपुलम् – अधिकम्
जीर्णम् – जर्जरम्
धरित्री – पृथ्वी

प्रश्न 5.
मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत
धनिकम् ,नीरसा ,अक्षमम् ,दु:खम् ,शीते ,पार्वे।
सुखम् ……………..
निर्धनम् ……………..
क्षमम् ……………..
क्षमम् ग्रीष्मे ……………..
सरसा ……………..
उत्तरम्:
सुखम् – दुःखम्
दूरे – पारवों
निर्धनम् – धनिकम्
क्षमम् – अक्षमम्
ग्रीष्मे – शीते
सरसा – नीरसा

HBSE 6th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 कृषिकाः कर्मवीराः

प्रश्न 6.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) कृषकाः केन क्षेत्राणि कर्षन्ति?
(ख) केषां कर्मवीरत्वं न नश्यति?
(ग) श्रमेण का सरसा भवति?
(घ) कृषकाः सर्वेभ्यः किं किं यच्छन्ति?
(ङ) कृषकात् दूरे किं तिष्ठति?
उत्तरम्:
(क) कृषकाः हलेन क्षेत्राणि कर्षन्ति।
(ख) कृषिकाणां कर्मवीरत्वं न नश्यति।
(ग) श्रमेण धरित्री सरसा भवति।
(घ) कृषकाः सर्वेभ्यः शाकं अन्नं फलं दुग्धं च यच्छन्ति।
(ङ) कृषकात् दूरे सुखं तिष्ठति।

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Exercise 13.4

प्रश्न 1.
पानी पीने वाला एक गिलास 14cm ऊँचाई वाले एक शंकु के छिन्नक के आकार का है। दोनों वृत्ताकार सिरों के व्यास 4cm और 2cm हैं। इस गिलास की धारिता ज्ञात कीजिए। – हल :
यहाँ पर, शंकु के छिन्नक के आकार के गिलास के लिए
r1 = \(\frac{4}{2}\) = 2 cm
r2 = \(\frac{2}{2}\) = 1 cm
h = 14cm
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 1

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

प्रश्न 2.
एक शंकु के छिन्नक की तिर्यक ऊँचाई 4cm है तथा इसके वृत्तीय सिरों के परिमाप (परिधियाँ) 18cm और 6cm हैं। इस छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर, शंकु के छिन्नक के लिए ऊपरी सिरे की परिधि = 18cm
2πr1 = 18
r1 = \(\frac{18}{2 \pi}=\frac{9}{\pi}\) cm
निचले सिरे की परिधि = 6cm
2πr2 = 6 cm
r2 = \(\frac{6}{2 \pi}=\frac{3}{\pi}\) cm
तिर्यक ऊँचाई (l) = 4cm
अतः शंकु के छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल = π (r1 + r2)l
= π\(\left(\frac{9}{\pi}+\frac{3}{\pi}\right)\)l
= π x \(\frac{12}{\pi}\) x 4 cm2
= 48cm2

प्रश्न 3.
एक तुर्की टोपी शंकु के एक छिन्नक के आकार की है (देखिए संलग्न आकृति)। यदि इसके खुले सिरे की त्रिज्या 10cm है, ऊपरी सिरे की त्रिज्या 4cm है और टोपी की तिर्यक ऊँचाई 15cm है, तो इसके बनाने में प्रयुक्त पदार्थ का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 2
यहाँ पर, शंकु के छिन्नक के आकार की तुर्की टोपी के लिए
r1 = = 10cm
r2 = = 4cm
l = 15cm
अतः टोपी को बनाने में प्रयुक्त पदार्थ का क्षेत्रफल = π [r1 + r2] l + πr22
= \(\frac{22}{7}\) (10 +4) x 15 + \(\frac{22}{7}\) x 4 x 4 cm2
= \(\frac{22}{7}\)(210 + 16)cm2
= \(\frac{22 \times 226}{7} \mathrm{~cm}^{2}=\frac{4972}{7} \mathrm{~cm}^{2}=710 \frac{2}{7} \mathrm{~cm}^{2}\)

प्रश्न 4.
धातु की चादर से बना और ऊपर से खुला एक बर्तन शंकु के एक छिन्नक के आकार का है, जिसकी ऊँचाई 16cm है तथा निचले और ऊपरी सिरों की त्रिज्याएँ क्रमशः 8cm और 20cm हैं। 20 रु० प्रति लीटर की दर से, इस बर्तन को पूरा भर सकने वाले दूध का मूल्य ज्ञात कीजिए। साथ ही, इस बर्तन को बनाने के लिए प्रयुक्त थातु की चादर का मूल्य 8 रु० प्रति 100 cm- की दर से ज्ञात कीजिए। (π = 3.14 लीजिए।)
हल :
यहाँ पर, शंकु के छिन्नक के आकार के बर्तन के लिए
r1 = 20cm
r2 = 8cm
h = 16cm
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 3
बर्तन को बनाने में प्रयुक्त धातु की चादर का क्षेत्रफल = π (r1 + r2) + πr22
= 3.14 [(20 + 8) x 20 + 8 x 8]cm2
= 3.14 [560 + 64]cm2
= 3.14 x 624 cm2 = 1959.36 cm2
1cm2 धातु की चादर का मूल्य = 8 रु०
1cm2 धातु की चादर का मूल्य = 8/100 रु०
1959.36 cm2 धातु की चादर का मूल्य = \(\frac{8}{100}\) x 1959.36 रु०
= 156.75 रु०
बर्तन में उपस्थित दूध का आयतन = \(\frac{1}{3} \pi h\left[r_{1}^{2}+r_{1} r_{2}+r_{2}^{2}\right]\)
= \(\frac{1}{3}\) x 3.14 x 16 [(20)2 + (20) (8) + (8)2] cm3
= \(\frac{1}{3}\) x 50.24 [400 + 160 + 64] cm3
= \(\frac{50.24}{3}\) x 624 cm3 = 10449.92 cm3
= 10.44992 लीटर = missing 10.45 लीटर
बर्तन में उपस्थित 1 लीटर दूध का मूल्य = 20 रु०
बर्तन में उपस्थित 10.45 लीटर दूध का मूल्य = 10.45 x 20 रु०
= 209 रु०

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4

प्रश्न 5.
20cm ऊँचाई और शीर्ष कोण (vertical angle) 60° वाले एक शंकु को उसकी ऊँचाई के बीचो बीच से होकर जाते हुए एक तल से दो भागों में काटा गया है, जबकि तल शंकु के आधार के समांतर है। यदि इस प्राप्त शंकु के छिन्नक
को व्यास \(\frac{1}{16}\)= cm वाले एक तार के रूप में बदल दिया जाता है तो तार की लंबाई ज्ञात कीजिए।
हल :
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 4
माना APQ एक दिया गया शंकु है, जिसका शीर्ष ∠PAQ = 60° तथा ऊँचाई 20cm है।
इसे बिंदु O’ से इस प्रकार काटा गया है कि AO’ = O’O है।
माना शंकु के छिन्नक PQQ’P’ के वृत्ताकार सिरों की त्रिज्याएँ r1 तथा r2 हैं तो ΔAPO तथा ΔAP’O’ में,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 5
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 6
माना शंकु के छिन्नक से बने बेलनाकार तार की लंबाई = h cm
दिया है शंकु के छिन्नक से बने बेलनाकार तार का व्यास = \(\frac{1}{16}\)
अतः शंकु के छिन्नक से बने बेलनाकार तार की त्रिज्या (r) = \(\frac{1}{16} \times \frac{1}{2} \mathrm{~cm}=\frac{1}{32} \mathrm{~cm}\)
शंकु के छिन्नक से बने बेलनाकार तार का आयतन = πr²h
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.4 7
अतः शंकु के छिन्नक से बने बेलनाकार तार की लंबाई = 7964.44 m

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Exercise 14.4

प्रश्न 1.
निम्नलिखित बंटन किसी फैक्ट्री के 50 श्रमिकों की दैनिक आय दर्शाता है-
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 1
उपरोक्त बंटन को एक कम प्रकार’ के संचयी बारंबारता बंटन में बदलिए और उसका तोरण खींचिए।
हल :
दी गई बारंबारता बंटन को एक कम प्रकार की संचयी बारंबारता बंटन सारणी में बदलने पर प्राप्त होगा

दैनिक आय (रुपयों में)संचयी बारंबारता
120 से कम12
140 से कम26 (12 + 14)
160 से कम34 (26 + 8)
180 से कम40 (34 + 6)
200 से कम50 (40 + 10)

अब हम बिन्दुओं A(120, 12), B(140, 26), C(160, 34), D(180, 40) व E(200, 50) को ग्राफ पेपर पर क्रमशः अंकित कर इन्हें मुक्त हाथ से मिलाकर कम प्रकार की संचयी बारंबारता बंटन का तोरण प्राप्त करेंगे।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 2

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 2.
किसी कक्षा के 35 विद्यार्थियों की मेडिकल जाँच के समय, उनके भार निम्नलिखित रूप में रिकॉर्ड किए गए-

भार (किलोग्राम में)विद्यार्थियों की संख्या
38 से कम0
40 से कम3
42 से कम5
44 से कम9
46 से कम14
48 से कम28
50 से कम32
52 से कम35

उपरोक्त आँकड़ों के लिए कम प्रकार का तोरण’ खींचिए। इसके बाद माध्यक भार ज्ञात कीजिए।
हल :
बिन्दुओं A(38, 0), B(40, 3), C(42, 5), D(44, 9), E(46, 14), F(48, 28), G(50, 32) व H(52, 35) को ग्राफ पेपर पर अंकित कर इन्हें मुक्त हाथ से मिलाकर कम प्रकार का तोरण प्राप्त कीजिए।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 3
ग्राफ पेपर पर n/2 = 17.5 के विरुद्ध : निर्देशांक 47 प्राप्त होता है। इसलिए दी गई सारणी का माध्यक 47 है।

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी किसी गाँव के 100 फार्मों में हुआ प्रति हेक्टेयर (ha) गेहूँ का उत्पादन दर्शाते हैं :
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 4
इस बंटन को ‘अधिक के प्रकार के’ बंटन में बदलिए और फिर उसका तोरण खींचिए।
हल :
दी गई बारंबारता बंटन सारणी से अधिक के प्रकार के बंटन की सारणी होगी-

उत्पादन (kg/ha)संचयी बारंबारता
50 के बराबर या अधिक100
55 के बराबर या अधिक98
60 के बराबर या अधिक90
65 के बराबर या अधिक78
70 के बराबर या अधिक54
75 के बराबर या अधिक16

अब हम ग्राफ पेपर पर बिन्दुओं : A(50, 100), B(55, 98), C(60, 90), D(65,78), E(70, 54) और F(75, 16) को आलेखित कर निम्न तोरण प्राप्त करते हैं।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 5

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Exercise 13.3

(जब तक अन्यथा न कहा जाए, π = \(\frac{22}{7}\) लीजिए।)

प्रश्न 1.
त्रिज्या 4.2 cm वाले धातु के एक गोले को पिघलाकर त्रिज्या 6 cm वाले एक बेलन के रूप में ढाला जाता है। बेलन की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर,
धातु के गोले की त्रिज्या (r) = 4.2 cm
धातु के गोले का आयतन = 3
= \(\frac{4}{3}\) π(4.2)3 cm3
धातु के गोले को पिघलाकर बने बेलन की त्रिज्या (R)= 6 cm
माना
धातु के गोले को पिघलाकर बने बेलन की ऊँचाई = H cm
धातु के गोले को पिघलाकर बने बेलन का आयतन = πR2H cm3
= π(6)2H cm3
= 36 π H cm3\(\frac{4}{3}\) πr
प्रश्नानुसार
36 π H = \(\frac{4}{3}\) π (4.2)3
H = \(\frac{4}{3} \times \frac{1}{36}\) × 4.2 × 4.2 × 4.2
= 2.744 cm = 2.74 cm
अतः धातु के गोले को पिघलाकर बने बेलन की ऊँचाई = 2.74 cm

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3

प्रश्न 2.
क्रमशः 6 cm, 8 cm और 10 cm त्रिज्याओं वाले धातु के तीन ठोस गोलों को पिघलाकर एक बड़ा ठोस गोला बनाया जाता है। इस गोले की त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर, पहले ठोस गोले की त्रिज्या (r1) = 6 cm
दूसरे ठोस गोले की त्रिज्या (r2) = 8 cm
तीसरे ठोस गोले की त्रिज्या (r3) = 10 cm
माना तीनों ठोस गोलों को पिघलाकर
बने बड़े ठोस गोले की त्रिज्या = R cm
बड़े ठोस गोले का आयतन = (पहले + दूसरे + तीसरे) ठोस गोलों का आयतन
प्रश्नानुसार
बड़े ठोस गोले का आयतन = (पहले + दूसरे + तीसरे) ठोस गोलों का आयतन
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 1
R3 = (6)3 + (8)3 + (10)3
= 216 + 512 + 1000 = 1728 = (12)3
R3 = 12
अतः तीनों ठोस गोलों को पिघलाकर बने बड़े ठोस गोले की त्रिज्या= 12 cm

प्रश्न 3.
व्यास 7 m वाला 20 m गहरा एक कुआँ खोदा जाता है और खोदने से निकली हुई मिट्टी को समान रूप से फैलाकर 22 m × 14 m वाला एक चबूतरा बनाया गया है। इस चबूतरे की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर, बेलनाकार कुएँ का व्यास = 7 m
बेलनाकार कुएँ की त्रिज्या (r) = \(\frac{7}{2}\)
बेलनाकार कुएँ की गहराई (h) = 20 m
बेलनाकार कुएँ को खोदकर निकाली गई मिट्टी का आयतन = πr2h
= \(\frac{22}{7} \times \frac{7}{2} \times \frac{7}{2}\) × 20m3
= 770 m3
मिट्टी से बनने वाले चबूतरे का क्षेत्रफल = 22 × 14 m2
= 308 m2
मिट्टी का आयतन अतः मिट्टी से बनने वाले चबूतरे की ऊँचाई = चबतरे का क्षेत्रफल
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 2

प्रश्न 4.
व्यास 3 m का एक कुआँ 14 m की गहराई तक खोदा जाता है। इससे निकली हुई मिट्टी को कुएँ के चारों ओर 4m चौड़ी एक वृत्ताकार वलय (ring) बनाते हुए, समान रूप से फैलाकर एक प्रकार का बाँध बनाया जाता है। इस बाँध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 3
यहाँ पर, बेलनाकार कुएँ का व्यास = 3 m
बेलनाकार कुएँ की त्रिज्या (r) = \(\frac{3}{2}\) m
बेलनाकार कुएँ की गहराई (h) = 14 m
बेलनाकार कुएँ को खोदकर निकाली गई
मिट्टी का आयतन = πr2h
= \(\frac{22}{7} \times \frac{3}{2} \times \frac{3}{2}\) × 14 m3
= 99 m3
कुएँ की त्रिज्या (r) = 1.5 m
वृत्ताकार वलय (बांध) की चौड़ाई = 4.0 m
वृत्ताकार वलय की बाहरी त्रिज्या (R) = (1.5 +4) m = 5.5 m
अब वृत्ताकार वलय (बाँध) का क्षेत्रफल = बाहरी क्षेत्रफल – आंतरिक क्षेत्रफल
= πR2 – πr2 = π [(5.5)2 – (1.5)2] m2
= \(\frac{22}{7}\) × 28 m2 = 88 m2
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 4

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3

प्रश्न 5.
व्यास 12 cm और ऊँचाई 15 cm वाले एक लंब वृत्तीय बेलन के आकार का बर्तन आइसक्रीम से पूरा भरा हुआ है। इस आइसक्रीम को ऊँचाई 12 cm और व्यास 6 cm वाले शंकुओं में भरा जाना है, जिनका ऊपरी सिरा अर्धगोलाकार होगा। उन शंकुओं की संख्या ज्ञात कीजिए जो इस आइसक्रीम से भरे जा सकते हैं।
हल :
यहाँ पर,
आइसक्रीम के लिए बेलनाकार बर्तन का व्यास = 12 cm
आइसक्रीम के लिए बेलनाकार बर्तन की त्रिज्या (R) = \(\frac{12}{2}\) cm = 6 cm
आइसक्रीम के लिए बेलनाकार बर्तन की ऊँचाई (H) = 15 cm
आइसक्रीम के लिए बेलनाकार बर्तन का आयतन = πR2H
= π (6)2 × 15 cm3
= 540 π cm3
शंक्वाकार बर्तन का व्यास = 6 cm
शंक्वाकार वर्तन की त्रिज्या (7) = \(\frac{6}{2}\) cm = 3 cm
शंक्वाकार बर्तन की ऊँचाई (h) = 12 cm
शंक्वाकार बर्तन का आयतन = \(\frac{1}{3}\) πr2h
= [atex]\frac{1}{3}[/latex] × π(3)2 × 12 cm3
= 36 π cm3 .
शंकु के ऊपर अर्धगोलाकार आइसक्रीम का आयतन = \(\frac{2}{3}\)πr3
= \(\frac{2}{3}\)π(3)3 = 18πcm3
प्रत्येक शंकु में आइसक्रीम का आयतन = (36 π + 18 π) cm3
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 5

प्रश्न 6.
विमाओं 5.5 cm × 10 cm × 3.5 cm वाला एक घनाभ बनाने के लिए 1.75 cm व्यास और 2 mm मोटाई वाले कितने चाँदी के सिक्कों को पिघलाना पड़ेगा?
हल :
यहाँ पर, वांछित घनाभ का आयतन = 5.5 × 10 × 3.5 cm3
= 192.5 cm3
चाँदी के प्रत्येक सिक्के का व्यास = 1.75 cm
चाँदी के प्रत्येक सिक्के की त्रिज्या (7) = \(\frac{1.75}{2}=\frac{175}{200}=\frac{7}{8}\) cm
चाँदी के प्रत्येक सिक्के की ऊँचाई (h) = 2 mm = \(\frac{2}{10}\) cm = \(\frac{1}{5}\) cm
चाँदी के प्रत्येक सिक्के का आयतन = πr2h
= \(\frac{22}{7} \times \frac{7}{8} \times \frac{7}{8} \times \frac{1}{5} \mathrm{~cm}^{3}=\frac{77}{160} \mathrm{~cm}^{3}\)
अतः घनाभ बनाने के लिए आवश्यक
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 6

प्रश्न 7.
32 cm ऊँची और आधार त्रिज्या 18 cm वाली एक बेलनाकार बाल्टी रेत से भरी हुई है। इस बाल्टी को भूमि पर खाली किया जाता है और इस रेत की एक शंक्वाकार ढेरी बनाई जाती है। यदि शंक्वाकार ढेरी की ऊँचाई 24 cm है, तो इस ढेरी की त्रिज्या और तिर्यक ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर, दी गई बेलनाकार बाल्टी के आधार की त्रिज्या (R) = 18 cm
दी गई बेलनाकार बाल्टी की ऊँचाई (H) = 32 cm
दी गई बेलनाकार बाल्टी के रेत का आयतन = πR2H
= π(18)2 (32) cm3
माना बाल्टी को खाली करने से बनी
शंक्वाकार रेत की ढेरी की त्रिज्या = r cm
व बाल्टी को खाली करने से बनी
शंक्वाकार रेत की ढेरी की ऊँचाई (h) = 24 cm
बाल्टी को खाली करने से बनी शंक्वाकार रेत की ढेरी का आयतन = \(\frac{1}{3}\)πr2h
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 7

प्रश्न 8.
6 m चौड़ी और 1.5m गहरी एक नहर में पानी 10 km/h की चाल से बह रहा है। 30 मिनट में, यह नहर कितने क्षेत्रफल की सिंचाई कर पाएगी, जबकि सिंचाई के लिए 8 cm गहरे पानी की आवश्यकता होती है।
हल :
यहाँ पर,
नहर में पानी की चाल (l) = 10 km/h = \(\frac{10 \times 1000}{60}\) m/min = \(\frac{500}{3}\) m/min
नहर की चौड़ाई (b) = 6 m
नहर की गहराई (h) = 1.5 m
30 मिनट में नहर से निकले पानी का आयतन = [atex]\frac{500}{3}[/latex] × 30 × 6 × 1.5 m3
= 45000 m3
सिंचाई वाले क्षेत्र में पानी की ऊँचाई = 8 cm = \(\frac{8}{100}\) m
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3 8
= 562500 m2

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन Ex 13.3

प्रश्न 9.
एक किसान अपने खेत में बनी 10 m व्यास वाली और 2 m गहरी एक बेलनाकार टंकी को आंतरिक व्यास 20 cm वाले एक पाइप द्वारा एक नहर से जोड़ता है। यदि पाइप में पानी 3 km/h की चाल से बह रहा है, तो कितने समय बाद टंकी पूरी भर जाएगी?
हल :
यहाँ पर,
दी गई बेलनाकार टंकी का व्यास = 10 m
दी गई बेलनाकार टंकी की त्रिज्या (R) = \(\frac{10}{2}\) m = 5m
दी गई बेलनाकार टंकी की गहराई (H) = 2 m
दी गई बेलनाकार टंकी का आयतन = πR2H
= π (5)2 (2) m3
= 50 π m3
पाइप से निकलने वाले पानी की चाल = 3 km/h
= \(\frac{3 \times 1000}{60}\) = 50 m/min
60 माना पाइप द्वारा बेलनाकार टंकी को
भरने में लगा समय = t min
दिए गए पाइप का आंतरिक व्यास = 20 cm = \(\frac{20}{100} m=\frac{1}{5} m\)
दिए गए पाइप की आंतरिक त्रिज्या (r) = \(\frac{1}{10}\) m
अतः दिए गए पाइप से t min निकलने वाले
पानी का आयतन = π\(\left(\frac{1}{10}\right)^{2}\)(50 t) m3
= \(\frac{\pi}{2}\)t m3
प्रश्नानुसार \(\frac{\pi}{2}\) t = 50 π
t = 50 × 2 = 100
अतः पाइप द्वारा बेलनाकार टंकी को भरने में लगा समय = 100 मिनट

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Exercise 14.2

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी किसी अस्पताल में एक विशेष वर्ष में भर्ती हुए रोगियों की आयु को दर्शाती है :
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 1
उपरोक्त आँकड़ों के बहुलक और माध्य ज्ञात कीजिए। दोनों केंद्रीय प्रवृत्ति की मापों की तुलना कीजिए और उनकी व्याख्या कीजिए।
हल :
यहाँ पर अधिकतम वर्ग बारंबारता 23 है तथा इसका बारंबारता संगत वर्ग 35-45 है।
बहुलक वर्ग = 35 – 45
बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (l) = 35
वर्ग-माप (h) = 10
बहुलक वर्ग की बारंबारता (f1) = 23
बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की बारंबारता (f0) = 21
बहुलक वर्ग के ठीक बाद में आने वाले वर्ग की बारंबारता (f2) = 14
अब बहुलक = l + \(\left(\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}}\right)\) x h
= 35 + \(\left(\frac{23-21}{2 \times 23-21-14}\right)\) x 10
= 35 + \(\frac{2}{11}\) x 10
= 35 + 1.8 = 36.8 (लगभग) वर्ष
माध्य ज्ञात करने के लिए-
माना कल्पित माध्य (a) = 30
वर्ग-माप (h) = 10
ui = \(\frac{x_{i}-a}{h}=\frac{x_{i}-30}{10}\)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 2
अब माध्य \((\bar{x})=a+\left(\frac{\Sigma f_{i} u_{i}}{\Sigma f_{i}}\right) \times h\)
= 30 + \(\frac{43}{80}\) x 10
= 30 + 5.37 = 35.37 वर्ष
अतः अस्पताल में भर्ती अधिकतम रोगी 36.8 वर्ष आयु (लगभग) के हैं जबकि औसतन अस्पताल में भर्ती किए गए रोगियों की आयु 35.37 वर्ष है।

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 2.
निम्नलिखित आँकड़े, 225 बिजली उपकरणों के प्रेक्षित जीवनकाल (घंटों में) की सूचना देते हैं-
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 3
उपकरणों का बहुलक जीवनकाल ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर अधिकतम वर्ग बारंबारता 61 है तथा इस बारंबारता का संगत वर्ग 60-80 है।
बहुलक वर्ग = 60-80
बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (1) = 60
वर्ग-माप (h) = 20
बहुलक वर्ग की बारंबारता (f1) = 61
बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की बारंबारता (f0) = 52
बहलक वर्ग के ठीक बाद में आने वाले वर्ग की बारंबारता (f2) = 38
अब बहुलक = l + \(\left(\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}}\right)\) x h
= 60 + \(\left(\frac{61-52}{2 \times 61-52-38}\right)\) x 20 = 60 + \(\frac{9}{32}\) x 20
= 60 + 5.625 = 65.625
अतः दिए आँकड़ों के उपकरणों का बहुलक जीवनकाल 65.625 घण्टे है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित आँकड़े किसी गाँव के 200 परिवारों के कल मासिक घरेल व्यय के बंटन को दर्शाते हैं। इन परिवारों का बहुलक मासिक व्यय ज्ञात कीजिए। साथ ही, माध्य मासिक व्यय भी ज्ञात कीजिए।

व्यय (रुपयों में)परिवारों की संख्या
1000-150025
1500-200040
2000-250033
2500-300028
3000-350030
3500-400022
4000-450016
4500-50007

हल :
यहाँ पर अधिकतम वर्ग बारंबारता 40 है तथा इस बारंबारता का संगत वर्ग 1500 -2000 है।
बहुलक वर्ग = 1500-2000
बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (l) = 1500
वर्ग-माप (h) = 500
बहुलक वर्ग की बारंबारता (f1) = 40
बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की बारंबारता (f0) = 24
बहुलक वर्ग के ठीक बाद में आने वाले वर्ग की बारंबारता (f2) = 33
अब बहुलक = l + \(\left(\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}}\right)\) x h
= 1500 + \(\left(\frac{40-24}{2 \times 40-24-33}\right)\) x 500
= 1500 + \(\frac{16}{23}\) x 500
= 1500 + 347.83
= 1847.83
अतः परिवारों का बहुलक मासिक व्यय = 1847.83 रु०
माध्य मासिक व्यय के लिए-
माना कल्पित माध्य (a) = 2750
वर्ग-माप (h) = 500
ui = \(\frac{x_{i}-a}{h}\)
= \(\frac{x_{i}-2750}{500}\)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 4
अब माध्य \(a+\left(\frac{\Sigma f_{i} u_{i}}{\Sigma f_{i}}\right) \times h\)
= 2750 + \(\left(\frac{-35}{200}\right)\) x 500
= 2750 – 87.5 = 2662.5
अतः परिवार का माध्य मासिक व्यय = 2662.50 रु०

प्रश्न 4.
निम्नलिखित बंटन भारत के उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में, राज्यों के अनुसार, शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात को दर्शाता है। इन आँकड़ों के बहुलक और माध्य ज्ञात कीजिए। दोनों मापकों की व्याख्या कीजिए।

प्रति शिक्षक विद्यार्थियों की संख्याराज्य/संघीय क्षेत्रों की संख्या
15-203
20-258
25-309
30-3510
35-403
40-450
45-500
50-552

हल :
यहाँ पर अधिकतम वर्ग वारंवारता 10 है तथा इस वारंबारता का संगत वर्ग 30-35 है।
बहुलक वर्ग = 30-35
बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (l) = 30
वर्ग-माप (h) = 5
बहुलक वर्ग की बारंबारता (f1) = 10
बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की बारंबारता (f0) = 9
बहलक वर्ग के ठीक बाद में आने वाले वर्ग की बारंबारता (f2) = 3
अब बहुलक = l + \(\left(\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}}\right)\) x h
= 30 + \(\left(\frac{10-9}{2 \times 10-9-3}\right)\) x 5 = 30 + \(\frac{1}{8}\) x 5
= 30 + 0.625 = 30.625 = 30.6 (लगभग)

माध्य के लिए-
माना कल्पित माध्य (a) = 32.5
वर्ग-माप (h) = 5
ui = \(\frac{x_{i}-a}{h}=\frac{x_{i}-32.5}{5}\)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 5
माध्य \((\bar{x})\) = a + \(\left(\frac{\Sigma f_{i} u_{i}}{\Sigma f_{i}}\right)\) x h
= 32.5 + \(\left(\frac{-23}{35}\right)\) x 5
= 32.5 – 3.3 = 29.2
अतः अधिकांश राज्यों/U.T. में छात्र और अध्यापक का अनुपात 30.6 है तथा औसतन छात्र व अध्यापक अनुपात. 29.2 है।

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 5.
दिया हुआ बंटन विश्व के कुछ श्रेष्ठतम बल्लेबाज़ों द्वारा एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में बनाए गए रनों को दर्शाता है-

बनाए गए रनबल्लेबाज़ों की संख्या
3000-40004
4000-500018
5000-60009
6000-70007
7000-80006
8000-90003
9000 – 10,0001
10,000 – 11,0001

इन आँकड़ों का बहुलक ज्ञात कीजिए।
हल :
यहाँ पर अधिकतम वर्ग बारंबारता 18 है तथा इस बारंबारता का संगत वर्ग 4000 -5000 है।
बहुलक वर्ग = 4000 – 5000
बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (l) = 4000
वर्ग-माप (h) = 1000
बहुलक वर्ग की बारंबारता (f1) = 18
बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की बारंबारता (f0) = 4
बहुलक वर्ग के ठीक बाद में आने वाले वर्ग की बारंबारता (f2) = 9
अब बहुलक = l + \(\left(\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}}\right)\) x h
= 4000 + \(\frac{14}{23}\) x 1000
= 4000 + 52 x 1000
= 4000 + 608.695
= 4608.695 ≅ 4608.7 (लगभग)
अतः दिए गए आँकड़ों का बहुलक = 4608.7 रन (लगभग)

HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 6.
एक विद्यार्थी ने एक सड़क के किसी स्थान से होकर जाती हुई कारों की संख्याएँ नोट की और उन्हें नीचे दी हुई सारणी के रूप में व्यक्त किया। सारणी में दिया प्रत्येक प्रेक्षण 3 मिनट के अंतराल में उस स्थान से होकर जाने वाली कारों की संख्याओं से संबंधित है। ऐसे 100 अंतरालों पर प्रेक्षण लिए गए। इन आँकड़ों का बहुलक ज्ञात कीजिए।
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 6
हल :
यहाँ पर अधिकतम वर्ग बारंबारता 20 है तथा इस बारंबारता का संगत वर्ग 40-50 है।
बहुलक वर्ग = 40-50
बहुलक वर्ग की निम्न सीमा (l) = 40
वर्ग-माप (h) = 10
बहुलक वर्ग की बारंबारता (f1) = 20
बहुलक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की बारंबारता (f0) = 12
बहुलक वर्ग के ठीक बाद में आने वाले वर्ग की बारंबारता (f2) = 11
अब बहुलक = l + \(\left(\frac{f_{1}-f_{0}}{2 f_{1}-f_{0}-f_{2}}\right)\) x h
= 40 + \(\left(\frac{20-12}{2 \times 20-12-11}\right)\) x 10
= 40 + \(\frac{8}{17}\) x 10
= 40+ 4.7 = 44.7
अतः दिए गए आँकड़ों का बहुलक = 44.7 कारें

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(A) हुगली के सहारे जूट के कारखाने सस्ती जल यातायात की सुविधा के कारण स्थापित हुए।
(B) चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।
(C) खनिज तेल एवं जलविद्युत शक्ति के विकास ने उद्योगों की अवस्थिति कारक के रूप में कोयला शक्ति के महत्त्व को कम किया है।
(D) पत्तन नगरों ने भारत में उद्योगों को आकर्षित किया है।
उत्तर:
(B) चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।

2. निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
(A) पूँजीवाद
(B) मिश्रित
(C) समाजवाद
(D) कोई भी नहीं
उत्तर:
(A) पूँजीवाद

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

3. निम्न में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है?
(A) कुटीर उद्योग
(B) छोटे पैमाने के उद्योग
(C) आधारभूत उद्योग
(D) स्वच्छंद उद्योग
उत्तर:
(C) आधारभूत उद्योग

4. निम्न में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है?
(A) स्वचालित वाहन उद्योग … लॉस एंजिल्स
(B) पोत निर्माण उद्योग … लूसाका
(C) वायुयान निर्माण उद्योग … फलोरेंस
(D) लौह-इस्पात उद्योग … पिट्सबर्ग
उत्तर:
(D) लौह-इस्पात उद्योग … पिट्सबर्ग

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

(i) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग
(ii) विनिर्माण
(iii) स्वच्छंद उद्योग।
उत्तर:
(i) उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग-निर्माण क्रियाओं में उच्च प्रौद्योगिकी नवीनतम पीढ़ी है। इसमें उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादकों का निर्माण गहन शोध एवं विकास के प्रयोग द्वारा किया जाता है। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग में यंत्र, कंप्यूटर आधारित डिजाइन तथा निर्माण, धातु पिघलाने एवं शोधन के इलैक्ट्रोनिक नियंत्रण एवं नए रासायनिक व औषधीय उत्पाद प्रमुख स्थान रखते हैं।. .

(ii) विनिर्माण-वे प्रतिक्रियाएँ जिनके द्वारा कच्चे पदार्थों के स्वरूप को परिवर्तित करके तैयार माल का रूप देकर अधिक उपयोगी बनाया जाता है, उसे विनिर्माण अथवा निर्माण उद्योग कहते हैं। यह मानव का गौण अथवा द्वितीयक व्यवसाय है। उदाहरण के लिए गन्ने से चीनी बनाना, कपास से धागा तथा कपड़ा तैयार करना आदि। विनिर्माण उद्योग में कच्चे माल को मशीनों की सहायता से या विभिन्न उपकरणों की सहायता से तैयार सामग्री के रूप में बदला जाता है तथा उसकी उपयोगिता के मूल्यों में वृद्धि हो जाती है। सुई से लेकर विशाल जलयानों, वायुयानों तथा उपग्रहों तक का निर्माण करना विनिर्माण उद्योग के अंतर्गत आता है।

(iii) स्वच्छंद उद्योग-स्वच्छंद उद्योग व्यापक विविधता वाले स्थानों में स्थित होते हैं। ये उद्योग किसी विशिष्ट कच्चे माल के भार में कमी हो रही है अथवा नहीं, पर निर्भर नहीं रहते हैं। ये उद्योग संघटक पुों पर निर्भर रहते हैं जो कहीं से भी प्राप्त किए जा सकते हैं। इसमें उत्पादन कम मात्रा में होता है एवं श्रमिकों की कम आवश्यकता होती है। ये उद्योग प्रदूषण नहीं फैलाते।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में क्या अंतर है?
उत्तर:
प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में निम्नलिखित अंतर हैं-

प्रायमिक गतिविधियाँद्वितीयक गतिविधियाँ
1. प्राथमिक गतिविधियाँ वे होती हैं जो सीधे पर्यावरण पर निर्भर होती हैं। ये प्राकृतिक पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के विकास से संबंधित हैं।1. द्वितीयक गतिविधियों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों में परिवर्तन करके उन्हें और अधिक मूल्यवान एवं उपयोगी बनाया जाता है।
2. इनके अंतर्गत प्रकृति से प्राप्त संसाधनों का उपभोग बिना प्रसंस्करण के उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है।2. इनके अंतर्गत प्रकृति से प्राप्त या प्राथमिक संसाधनों को मशीनीकृत प्रक्रियाओं द्वारा प्रसंस्कृत करने के बाद उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है।
3. इन गतिविधियों के माध्यम से उद्योगों को कच्चा माल प्राप्त होता है।3. इन गतिविधियों के माध्यम से कच्चे माल का परिष्करण होता है। इनके द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।
4. इन गतिविधियों में विषम जलवायविक एवं भौगोलिक दशाओं को अधिक महत्त्व दिया जाता है।4. इन गतिविधियों में भौगोलिक दशाओं का अधिक महत्त्व नहीं रहता।
5. उदाहरण-आखेट, संग्रहण, पशुचारण, खनन, मछलीपकड़ना, लकड़ी काटना, कृषि आदि।5. उदाहरण-विनिर्माण, कुटीर उद्योग, डेयरी या दुग्ध उद्योग आदि।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ

प्रश्न 2.
विश्व के विकसित देशों के उद्योगों के संदर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विश्व में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिल जाती हैं और वहाँ कई उद्योग स्थापित हो जाते हैं और धीरे-धीरे उद्योगों का जमघट (पुंज) बन जाता है, जिसे औद्योगिक प्रदेश या औद्योगिक संकुल कहते हैं। उद्योगों के लिए अनकल क्षेत्र में एक या अनेक प्रकार के उद्योगों की एक कड़ी-सी बन जाती है जिसमें कई नगरों के उद्योग सम्मिलित हो जाते हैं। उद्योगों की स्थापना के लिए विशेष भौगोलिक कारक उत्तरदायी होते हैं। इन्हीं अनुकूल भौगोलिक कारकों के कारण वे क्षेत्र नए-नए उद्योगों को अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं। उद्योगों के जमघट में अनुकूल उत्तरदायी कारकों के अंतर्गत कच्चे माल की सुविधा, श्रमिकों की उपलब्धता, ऊर्जा के पर्याप्त संसाधन, जलवायु तथा परिवहन सुविधाएँ आदि हैं। कई बार सरकार की नीति भी उद्योगों की स्थापना में सहायक सिद्ध होती है। विश्व में प्रमुख औद्योगिक प्रदेश निम्नलिखित हैं

  • यूरोप के औद्योगिक प्रदेश
  • उत्तरी अमेरिका के औद्योगिक प्रदेश
  • दक्षिणी अमेरिका के औद्योगिक प्रदेश
  • रूस के औद्योगिक प्रदेश
  • एशिया के औद्योगिक प्रदेश
  • अफ्रीका के औद्योगिक प्रदेश
  • आस्ट्रेलिया के औद्योगिक प्रदेश।

विश्व के विकसित देशों में उद्योगों में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं
1. कौशल या श्रम का विशिष्टीकरण-शिल्प तरीकों से कारखानों व फैक्ट्रियों में सीमित मात्रा में ही सामान उत्पादित किया जाता है, जोकि आदेशानुसार ही तैयार किया जाता है। अतः इस पर अधिक लागत आती है। अधिक. उत्पादन के लिए प्रत्येक कारीगर निरंतर एक ही तरह का कार्य करे जिसमें उसकी विशिष्टता है।

2. प्रौद्योगिकीय नवाचार-प्रौद्योगिकीय नवाचार में शोध एवं विकासमान युक्तियों द्वारा विनिर्माण की गुणवत्ता को नियंत्रित करने, प्रदूषण को नियंत्रित करने और दक्षता को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है।

3. यंत्रीकरण यंत्रीकरण से अभिप्राय किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए मशीनों या उपकरणों के इस्तेमाल से है। यंत्रीकरण की विकसित एवं उत्तम अवस्था स्वचालित है। स्वचालित मशीनों ने लोगों की सोच को विकसित किया है।

4. संगठनात्मक ढाँचा एवं स्तरीकरण-आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं के निर्माण की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • एक जटिल प्रौद्योगिकी यंत्र
  • अत्यधिक विशिष्टीकरण व श्रम विभाजन द्वारा अल्प लागत से अधिक उत्पादन करना
  • बड़े संगठन एवं प्रशासकीय अधिकारी वर्ग
  • अधिक पूँजी निवेश करना

5. अनियमित भौगोलिक वितरण-विश्व के कुल स्थलीय भाग के 10% से कम भू-भाग पर इनका विस्तार है, किन्तु फिर भी ये क्षेत्र आर्थिक एवं राजनीतिक शक्ति के केंद्र बन गए हैं। यहाँ हजारों बेरोजगारों को रोजगार भरण-पोषण अच्छे से हो रहा है।

प्रश्न 3.
अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उच्च प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योग तेजी से विकसित हो रहे हैं। इन उद्योगों में वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास के बल पर अत्यधिक परिष्कृत उत्पादों का निर्माण किया जाता है। इन उद्योगों पर पारंपरिक कारकों का कोई विशेष प्रभाव नहीं होता। आज अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिक उद्योग प्रमुख महानगरों की परिधि में विकसित हो रहे हैं। इनके स्थानीयकरण में कुछ नए कारकों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है जो निम्नलिखित हैं

  • ये हल्के उद्योग होते हैं जो अधिकतर कच्चे माल की जगह उत्पादन के लिए अर्ध-निर्मित अथवा संसाधित वस्तुओं का उपयोग करते हैं।
  • वैज्ञानिक और तकनीकी दक्षता पर निर्भर रहने के कारण ये उद्योग प्रायः विश्वविद्यालयों तथा शोध संस्थाओं के निकट स्थापित किए जाते हैं।
  • इन उद्योगों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति बिजली द्वारा होती है जो मुख्यतः राष्ट्रीय ग्रिड से प्राप्त होती हैं।
  • इन उद्योगों के लिए अनुकूल जलवायु वाले महानगरीय क्षेत्र अधिक अनुकूल साबित होते हैं। महानगरों की सामाजिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक गतिविधियाँ इन उद्योगों को अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देती हैं।
  • इन उद्योगों का अंतिम उत्पाद छोटा किंतु परिष्कृत होता. है। अतः इन्हें सड़क मार्गों के निकट प्रदूषण-रहित आवासीय क्षेत्रों में लगाया जा सकता है।
  • परिवहन और संचार के अति आधुनिक साधनों के बिना ये उद्योग जीवित ही नहीं रह सकते। उपभोक्ताओं, वित्तीय संस्थाओं, सरकारी विभागों से तत्काल संपर्क बनाने तथा शोध के विभिन्न चरणों की सफलता के लिए महानगरीय व परिवहन के साधन जरूरी हैं।

प्रश्न 4.
अफ्रीका में अपरिमित प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहत पिछड़ा महाद्वीप है। समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों को हर जगह स्थापित नहीं किया जा सकता, उद्योग वहीं पर स्थापित किए जाते हैं जहाँ पर इनके निर्माण में कम-से-कम लागत आए व ज्यादा-से-ज्यादा लाभ हो। उद्योगों की अवस्थिति में कई भौगोलिक व गैर-भौगोलिक कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं; जैसे-कच्चा माल, बाजार, पूँजी, बैंकिंग व्यवस्था, श्रम, ऊर्जा के स्रोत आदि। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित अफ्रीका महाद्वीप प्राकृतिक संसाधन में उन्नत है। इस महाद्वीप का मध्य भाग उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों से आच्छादित है। इसके पठारी भागों में खनिज के अपार भंडार निक्षेपित हैं जिनमें खनिज तेल, यूरेनियम, ताँबा, लौह अयस्क, कोयला, जस्ता, बॉक्साइट आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ की अनेक सदानीरा नदियों में जलविद्युत पैदा करने की असीम संभावनाएँ हैं। एक अनुमान के अनुसार लगभग 40% जलविद्युत अफ्रीका की नदियों में विद्यमान है। इतना होने के बावजूद भी इस क्षेत्र में उद्योग विकसित नहीं हुए। यह महाद्वीप औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

  • विषम जलवायु, अधिक तापमान व गर्म पवनें।
  • उच्च प्रौद्योगिकी की अनुपलब्धता।
  • कुशल श्रम का अभाव।
  • परिवहन व संचार के साधनों का अभाव।
  • पूँजी का अभाव।

इनके अतिरिक्त इसके अधिकांश भू-भाग यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के अधीन रहे। इन साम्राज्यवादी शक्तियों ने यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का खूब दोहन किया। इन शक्तियों के कारण यहाँ की अर्थव्यवस्था पिछड़ी रही। इसी कारण यहाँ आज तक आधारभूत प्रौद्योगिकी विकास नहीं हो पाया है। अतः स्पष्ट है कि संसाधनों की बहुलता होते हुए भी अफ्रीका महाद्वीप औद्योगिक दृष्टि से आज भी पिछड़ा हुआ है।

द्वितीयक क्रियाएँ HBSE 12th Class Geography Notes

→ उद्योग (Industry) : लाभदायक अथवा उत्पादी उद्यमों का एक वर्ग, जिसमें उत्पादन के समान प्रौद्योगिकीय तकनीकों का उपयोग किया जाता है और जिससे उपयोगी सामान, सेवाएँ अथवा आय के साधन उपलब्ध होते हैं, उद्योग कहलाते हैं।

→ औद्योगिक जड़त्व (Industrial Inertia) : किसी उद्योग की उस स्थान पर अपनी क्रिया बनाए रखने की प्रवृत्ति, जहाँ पर उसके स्थापित होने के कारण महत्त्वहीन हैं या समाप्त हो चुके हैं, औद्योगिक जड़त्व कहलाता है।

→ औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) : यूरोपीय इतिहास में सन् 1750 से आधुनिक समय तक का काल जिसमें महत्त्वपूर्ण आविष्कारों के परिणामस्वरूप अधिकाधिक औद्योगिक विकास हुआ है।

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→ भार हासमान पदार्थ (Weight-Loosing Items) : ऐसा कच्चा माल, जिसके कुल भार में से निर्मित माल बहुत थोड़ा बन पाए (जैसे 10 टन गन्ना केवल एक टन चीनी बनाता है) भार ह्रासमान पदार्थ कहलाता है।

→ शुद्ध कच्चा माल (Pure Raw Material) : ऐसे पदार्थ जिनके कुल भार के बराबर या थोड़ा-सा कम निर्मित माल बनता है (जैसे एक टन पिंजी हुई रूई से लगभग एक टन सूत ही बनता है) ‘शुद्ध कच्चा माल’ कहलाते हैं।

→ औद्योगिक समूहन (Industrial Cluster) : अनुकूल दशाओं के कारण जब एक ही स्थान पर अनेक प्रकार के उद्योग स्थापित हो जाएँ तो उसे ‘औद्योगिक समूहन’ कहा जाता है।

→ औद्योगिक प्रदेश (Industrial Region) : स्थानीयकरण की विशिष्ट सुविधाओं के कारण किसी विशेष प्रदेश में ‘ उद्योगों का व्यापक रूप से विकास होता है तो उस प्रदेश को औद्योगिक प्रदेश की संज्ञा दी जाती है।

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