Class 12

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन

HBSE 12th Class Sociology सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
जाति व्यवस्था में पृथक्करण (Separation) और अधिक्रम (Hierarchy) की क्या भूमिका है?
अथवा
जाति व्यवस्था में पृथककरण तथा अधिकार की भूमिका पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
अगर हम ध्यान से जाति व्यवस्था को देखें तो हमें पता चलता है कि जाति व्यवस्था में पृथक्करण तथा अधिक्रम की बहुत बड़ी भूमिका है। इन दोनों के न होने की स्थिति में जाति व्यवस्था के मुख्य लक्षण ही खत्म हो जाएंगे।
इनका विवेचन इस प्रकार है-
1. पृथक्करण (Separation)-जाति व्यवस्था की यह विशेषता थी कि इसमें हरेक जाति दूसरी जाति से पूर्णतया पृथक् होती थी। पृथक् होने के कारण दो जातियों के एक-दूसरे में मिश्रित होने का खतरा नहीं रहता है। प्रत्येक जाति के कुछ नियम होते थे; जैसे कि खाने-पीने के, विवाह के, सामाजिक संबंध रखने के, व्यवसाय के इत्यादि तथा इनके कारण ही वह एक-दूसरे से पृथक् होती थी। चाहे यह सभी जातियां एक-दूसरे से पूर्णतया पृथक् होती थीं, परंतु इनका अस्तित्व संपूर्ण जाति-व्यवस्था के कारण ही संभव था। इससे अलग होने से इनका कोई अस्तित्व ही नहीं रह जाता था।

2. अधिक्रम (Hierarchy)-जाति व्यवस्था की एक और महत्त्वपूर्ण विशेषता इसमें अधिक्रम का पाया जाना था। अधिक्रम का अर्थ है प्रत्येक वर्ग अथवा जाति का व्यवस्था में विशेष स्थान होता था
तथा एक सीढ़ीनुमा व्यवस्था में प्रत्येक जाति का विशेष स्थान। प्रत्येक जाति के बीच कुछ अंतर होते थे तथा ये अंतर शुद्धता तथा अशुद्धता पर आधारित होते थे। उन जातियों को उच्च स्थान प्राप्त होता था जिन्हें शुद्ध माना जाता था तथा जिन जातियों को अशुद्ध समझा जाता था उन्हें निम्न स्थान प्राप्त होता था। मुख्यतः आजकल के समाजों में उन वर्गों को उच्च स्थान प्राप्त होता था जिनके पास सत्ता अथवा शक्ति होती थी।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन

प्रश्न 2.
वे कौन-से नियम हैं जिनका पालन करने के लिए जाति व्यवस्था बाध्य करती है? कुछ के बारे में बताइए।
अथवा
जाति व्यवस्था की चार विशेषताएं बताइए।
अथवा
जाति व्यवस्था की कुछ विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
जाति व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है जिनका वर्णन इस प्रकार है
(i) प्रत्येक व्यक्ति की जाति जन्म से ही निर्धारित हो जाती थी अर्थात् जिस जाति में व्यक्ति जन्म लेता है उसे उस जाति में ही तमाम आयु व्यतीत करनी पड़ती थी। वह योग्यता होते हुए भी अपनी जाति को परिवर्तित नहीं कर सकता था। हम न तो अपनी जाति को छोड़ सकते थे तथा न ही अन्य जाति को अपना सकते थे।

(ii) प्रत्येक जाति में विवाह के संबंध में नियम बनाये होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को पता होता है कि किस जाति से वैवाहिक संबंध स्थापित करने थे। जाति अंतर्वैवाहिक होती थी अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ही जाति में विवाह करवाना पड़ता था।

(iii) जाति व्यवस्था में एक निश्चित अधिक्रम पाया जाता था। अर्थात् इसमें एक निश्चित सोपान होता है। प्रत्येक जाति का एक निश्चित स्थान होता था तथा इसके आधार पर प्रत्येक जाति की सामाजिक स्थिति उच्च अथवा निम्न होती थी।

(iv) जाति व्यवस्था में खाने-पीने के संबंध में प्रतिबंध होते हैं। प्रत्येक जाति के लिए यह निश्चित होता है कि किस जाति के साथ खाने-पीने के संबंध रखने हैं तथा किस के साथ नहीं रखने हैं।

(v) प्रत्येक जाति का अपना एक निश्चित व्यवसाय होता था तथा व्यक्ति का व्यवसाय उसके जन्म के अनुसार ही निश्चित हो जाता था। व्यक्ति को उस जाति का व्यवसाय ही अपनाना पड़ता था जिसमें उसने जन्म लिया था।

(vi) प्रत्येक जाति आगे बहुत-सी उपजातियों में विभाजित होती थी तथा प्रत्येक उपजाति के अपने ही नियम होते थे। प्रत्येक व्यक्ति इन नियमों को मानने को बाध्य होता था।

प्रश्न 3.
उपनिवेशवाद के कारण जाति व्यवस्था में क्या-क्या परिवर्तन आए?
अथवा
उपनिवेशवाद व जाति में संबंध बताइए।
उत्तर:
भारत में उपनिवेशवाद के स्थापित होने से पहले तथा स्थापित होने के कुछ समय तक जाति व्यवस्था सुदृढ़ता से कार्य कर रही थी। परंतु उपनिवेशवाद के स्थापित होने के बाद औपनिवेशिक शासकों ने भारत में बहुत से परिवर्तन किए जिनका जाति व्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ा। इस प्रकार उपनिवेशवाद के कारण जाति व्यवस्था में बहुत से परिवर्तन आए जिनका वर्णन इस प्रकार है-

(i) पश्चिमी शिक्षा के कारण आए परिवर्तन-उपनिवेशवाद में भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार हुआ जिसमें बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों के बच्चों को समान रूप से शिक्षा दी जाती थी। पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद सभी को एक-दूसरे के अधिकारों के बारे में पता चला जिससे जाति प्रथा का प्रभाव कम हो गया। स्त्रियों तथा निम्न जातियों के लिए शिक्षा के द्वार खोल दिए गए जिस कारण जाति प्रथा की इन्हें शिक्षा न देने की विशेषता खत्म हो गई तथा जाति प्रथा का प्रभाव कम हो गया।

(ii) सर्वेक्षण करवाना-औपनिवेशिक शासकों ने भारत में बहुत-से परिवर्तन तो किए तथा यह सभी परिवर्तन सोच समझकर लाए गए। शुरू में उन्होंने जाति व्यवस्था की जटिलताओं को समझने का प्रयास किया ताकि शासन को कुशलतापूर्वक चलाया जा सके। इसलिए उन्होंने अलग-अलग जातियों तथा जनजातियों की प्रथाओं तथा तौर-तरीकों के बारे में गहन सर्वेक्षण किए तथा रिपोर्ट तैयार की गई। इनके आधार पर उन्होंने समाज में परिवर्तन लाने शुरू किए जिससे जाति व्यवस्था भी परिवर्तित होनी शुरू हो गई।

(iii) समाज सुधार-पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद पढ़े-लिखे भारतीयों ने समाज-सुधार के कार्य शुरू किए तथा उनका मुख्य उद्देश्य जाति प्रथा को समाज में से खत्म करना था। अंग्रेजों ने भी उनका साथ दिया। सभी समाज सुधारकों ने जाति-प्रथा के विरुद्ध कई प्रकार के प्रयास किए। निम्न जातियों के कल्याण के कार्य किए गए, अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन दिया गया, विधवा विवाह को तथा बाल विवाह खत्म करने को कानूनी मान्यता प्राप्त हुई। इससे जाति प्रथा की जटिलता कम होनी शुरू हो गई।

(iv) परंपरागत व्यवसायों का कम होना-उपनिवेशवाद के आने से भारत में नए सैंकड़ों प्रकार के व्यवसाय भी आए। उद्योग शुरू हुए, स्कूल, कॉलेज इत्यादि शुरू हुए, दफ्तर खुल गए जिससे लोगों ने अपनी पसंद तथा योग्यता के अनुसार कार्य करने शुरू किए। इससे परंपरागत व्यवसायों का समाप्त होना शुरू हुआ जिससे जाति व्यवस्था में परिवर्तन आना शुरू हो गया।

(v) निम्न जातियों का कल्याण-औपनिवेशिक काल के अंतिम दौर में निम्न जातियों के कल्याण के कार्य शुरू हुए। प्रशासन ने इनके कल्याण में विशेष रुचि ली। 1935 में भारत सरकार अधिनियम पास किया गया जिसने राज्य द्वारा विशेष व्यवहार के लिए निर्धारित जातियों तथा जनजातियों की सूचियों या अनुसूचियों को वैध मान्यता प्रदान कर दी।

इससे अनुसूचित जातियाँ तथा अनुसूचित जनजातियाँ जैसे शब्द अस्तित्व में आए। जातीय सोपान में निम्न स्थान पर रहने वाली जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल किया गया तथा उनके कल्याण के अनेकों कार्य किए गए। इस प्रकार उपनिवेशवाद से जाति व्यवस्था में बहुत से परिवर्तन आए। यदि हम यह कहें कि औपनिवेशिक काल में जाति व्यवस्था में आधारभूत परिवर्तन आए हैं तो गलत भी नहीं होगा।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन

प्रश्न 4.
किन अर्थों में नगरीय उच्च जातियों के लिए जाति अपेक्षाकृत अदृश्य हो गई है?
अथवा
जाति व्यवस्था के समकालीन रूप पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वर्तमान समय में जाति व्यवस्था में आए महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक परिवर्तन यह भी है कि अब नगरीय उच्च जातियों के लिए जाति अपेक्षाकृत अदृश्य होती जा रही है। यह समूह, जो स्वतंत्रता के बाद की विकासात्मक नीतियों से सबसे अधिक लाभांवित हुए हैं, जातीय महत्ता को बहुत ही कम महत्त्व देते हैं। इसका कारण यह है कि जाति व्यवस्था का कार्य अच्छी तरह संपन्न हो चुका है। इन समूहों की जातीय परिस्थिति ने यह बात सुनिश्चित किया है कि इन समूहों के लिए विकास करने के लिए आवश्यक आर्थिक तथा शैक्षिक संसाधन उपलब्ध हों। उच्च जातियों के लोग सार्वजनिक शिक्षा संस्थानों विशेषतया विज्ञान, आयुर्विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा प्रबंधन इत्यादि से व्यावसायिक शिक्षा लेने में सफल हुए।

उन्होंने राजकीय क्षेत्रों में स्वतंत्रता के पश्चात् नौकरियां की तथा लाभ उठाया। इनकी अग्रणी शैक्षिक स्थिति के कारण इन्हें किसी गंभीर प्रतिस्पर्धा का सामना करना नहीं पड़ा। उनकी दूसरी तथा तीसरी पीढ़ियों में जब उनकी स्थिति और सुदृढ़ हो गई तो इन समूहों को यह विश्वास हो गया कि उनकी प्रगति का जाति से कुछ भी लेना देना नहीं है।

उनकी अगली पीढ़ियों की आर्थिक तथा शैक्षिक पूँजी यह सुनिश्चित करने के लिए काफी थी कि उन्हें जीवन में सर्वोत्तम अवसर प्राप्त होते रहेंगे। इन समूहों के सार्वजनिक जीवन में जाति का महत्त्व खत्म हो गया है। अगर है भी तो वह है धार्मिक रीति-रिवाज अथवा नातेदारी के.व्यक्तिगत क्षेत्र तक ही सीमित है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नगरीय उच्च जातियों के लिए जाति अपेक्षाकृत अदृश्य हो गई है।

प्रश्न 5.
भारत में जनजातियों का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है?
अथवा
भारत में जनजातियों के वर्गीकरण की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
अथवा
जनजातियों के अर्जित विशेषकों पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
अथवा
जनजातियों के स्थायी विशेषकों पर प्रकाश डालिये।
अथवा
जनजातीय समाज की स्थायी एवं अर्जित विशेषताएं बताइए।
अथवा
भाषायी दृष्टि से जनजातियों की कौन-कौन सी श्रेणियाँ हैं?
अथवा
जनजातीय समाज के अर्जित विशेषक क्या हैं?
उत्तर:
यदि हम ध्यान से देखें तो जनजातियों को स्थायी तथा अर्जित विशेषताओं के आधार पर विभाजित किया जाता है। इन दोनों आधारों का वर्णन इस प्रकार है-
1. स्थायी विशेषक-भारत में जनजातियाँ अलग-अलग क्षेत्रों में फैली हुई हैं, परंतु कुछ क्षेत्रों में यह काफ़ी अधिक हैं। 85% जनजातीय लोग मध्य भारत में रहते हैं जो पश्चिम में गुजरात और राजस्थान से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा तक फैला हुआ है। इनकी 11% जनसंख्या पूर्वोत्तर राज्यों में तथा 3% से कुछ अधिक शेष भारत में रहते हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में इनकी जनसंख्या सबसे घनी हैं। असम को छोड़कर उनका घनत्व 30% से अधिक है, परंतु अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिज़ोरम तथा नागालैंड जैसे राज्यों में इनकी जनसंख्या 60% से लेकर 95% तक है। देश के शेष भागों में इनकी जनसंख्या बहुत ही कम है।

(a) भाषा के आधार पर विभाजन-भाषा के आधार पर इन्हें चार श्रेणियों में बाँटा गया है। इनमें से दो श्रेणियों अर्थात् भारतीय आर्य तथा द्रविड़ परिवार की भाषाएँ शेष भारतीय जनसंख्या द्वारा भी बोली जाती हैं। जनजातियों में से लगभग 1% लोग भारतीय आर्य परिवार की भाषाएँ तथा 3% लोग द्रविड़ परिवार की भाषाएँ बोलते हैं। दो और भाषा समूह-आस्ट्रिक तथा तिब्बती-बर्मी, जनजातीय लोगों द्वारा बोले जाते हैं। इनमें से आस्ट्रिक परिवार की भाषाएँ पूर्णतया जनजातीय लोगों द्वारा तथा तिब्बती-बर्मी परिवार की भाषाएँ 80% से अधिक जनजातीय लोगों द्वारा ही प्रयुक्त होती हैं।

(b) शारीरिक प्रजातीय आधार-शारीरिक प्रजातीय दृष्टि से जनजातियों के लोगों को नीग्रिटो, आर्टेलॉयड, द्रविड़ तथा आर्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। भारत की जनसंख्या का शेष भाग भी आर्य तथा द्रविड़ श्रेणियों के अंतर्गत आता है।

(c) जनसंख्या के आधार पर-जनसंख्या के आधार पर जनजातियों में काफी विविधता पाई जाती है। सबसे बड़ी जनजाति की संख्या 70 लाख के लगभग है जबकि सबसे छोटी जनजाति के लोग 100 से भी कम हैं। गोंड, भील, संथाल, ओराँव, मीना, बोडो तथा मुंजा जनजातियों की जनसंख्या 10 लाख से ऊपर है। यह लोग भारत की जनसंख्या का 8.2% अथवा 8.4 करोड़ लोग हैं।

(ii) अर्जित विशेषक-अर्जित विशेषताओं के आधार पर उन्हें अजीविका साधन तथा हिंदू समाज में उनके समावेश की सीमा अथवा दोनों के आधार पर विभाजित किया जा सकता है।

(a) आजीविका के आधार पर-आजीविका के आधार पर इन्हें मछुआ, खाद्य संग्राहक तथा शिकारी, भूमि कृषि करने वाले, कृषक और बागान तथा औद्योगिक कामगारों की श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। परंतु इनका सबसे प्रभावी वर्गीकरण इस बात पर आधारित है कि हिंदू समाज में किसी जनजाति को कहाँ तक शामिल किया गया है। मुख्यधारा के दृष्टिकोण से, जनजातियों को हिंदू समाज में मिली परिस्थिति की दृष्टि से भी देखा जा सकता है। कुछेक को तो उच्च स्थान दिया जाता है, परंतु अधिकांश को मुख्यता निम्न स्थान ही दिया जाता है।

प्रश्न 6.
जनजातियाँ आदिम समुदाय हैं जो सभ्यता से अछूते रहकर अपना अलग-थलग जीवन व्यतीत करते हैं, इस दृष्टिकोण के विपक्ष में आप क्या साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहेंगे?
उत्तर:
कुछ विद्वान् यह कहते हैं कि जनजातियों को ऐसे आदिम अथवा मौलिक समाज मानने का कोई आधार नहीं है कि यह सभ्यता से अछूते रहे हों। इनके स्थान पर उनका कहना था कि जनजातियों को वास्तव में ऐसी दवितीयक प्रघटना माना जाए जो पहले से मौजूद राज्यों तथा जनजातियों जैसे राज्येतर समहों के बीच शोषण करने वाले और उपनिवेशवादी संपर्क के कारण अस्तित्व में आया। इस प्रकार का संपर्क स्वयं ही एक जनजातिवादी विचारधारा को जन्म देता है-जनजातीय समूह नए संपर्क में आए अन्य लोगों से अपने आपको अलग दिखाने के लिए. स्वयं को जनजातीय के रूप में परिभाषित करने लगता है।

प्रश्न 7.
आज जनजातीय पहचानों के लिए जो दावा किया जा रहा है उसके पीछे क्या कारण हैं?
अथवा
समकालीन जनजातीय पहचान की विवेचना कीजिए।
अथवा
जनजातीय पहचान आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आज के समय में जनजातीय पहचान को बनाए रखने का आग्रह लगातार बढ़ रहा है। इसका एक कारण यह हो सकता है कि जनजातीय समाज के अंदर भी एक मध्य वर्ग का प्रादुर्भाव हो चला है। विशेष रूप से इस वर्ग के आगे आने के साथ ही परंपरा, संस्कृति, आजीविका यहाँ तक कि भूमि तथा संसाधनों पर नियंत्रण और आधुनिकता की परियोजनाओं के लाभों में हिस्से की मांगें भी जनजातियों में अपनी पहचान को बनाए रखने के आग्रह का अभिन्न अंग बन गई हैं। इसलिए अब जनजातियों में उनके मध्य वर्ग के कारण एक नई जागरूकता की लहर आ रही है। यह मध्य वर्ग स्वयं भी आधुनिक शिक्षा तथा आधुनिक व्यवसायों के कारण सामने आया है जिन्हें सरकार की आरक्षण रखने की नीतियों से प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 8.
परिवार के विभिन्न रूप क्या हो सकते हैं?
उत्तर:
यदि हम ध्यान से देखें तो आधुनिक समाज में मुख्य दो प्रकार के परिवार पाए जाते हैं जो कि इस प्रकार हैं-
(i) एकाकी परिवार-परिवार का मूल रूप एकाकी परिवार है। एकाकी परिवार में पति-पत्नी तथा उनके अविवाहित बच्चे रहते हैं। जब उनके बच्चों का विवाह हो जाता है तो वह अपना नया घर बसा लेते हैं। चाहे परिवार के सदस्यों की संख्या बढ़ जाती है, परंतु मौलिक रूप से परिवार एकाकी ही रहता है। इस परिवार में पति-पत्नी को समान परिस्थिति… तथा समान अधिकार प्राप्त होते हैं। कोई निर्णय लेने से पहले पत्नी तथा बच्चों की राय भी ली जाती है।

(ii) संयुक्त परिवार-चाहे आजकल के नगरीय परिवारों में परिवार का यह रूप बहत ही कम देखने को मिलता है, परंतु ग्रामीण परिवार आज भी संयुक्त परिवार ही होते हैं। इस प्रकार के परिवार में परिवार की कई पीढ़ियों के सदस्य एक ही छत के नीचे इकट्ठे रहते हैं तथा एक ही रसोई में बना हुआ भोजन खाते हैं। परिवार पर सबसे बड़े सदस्य का पूर्ण अधिकार होता है तथा वह ही परिवार की सम्पत्ति पर पूर्ण अधिकार रखता है।

प्रश्न 9.
सामाजिक संरचना में होने वाले परिवर्तन पारिवारिक संरचना में किस प्रकार परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
यह निश्चित है कि सामाजिक संरचना में होने वाले परिवर्तनों से पारिवारिक संरचना में भारी परिवर्तन होता है। कभी-कभी तो यह परिवर्तन अचानक तथा कभी-कभी यह धीरे-धीरे होते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर अंग्रेजों के भारत में आने से शासन व्यवस्था में परिवर्तन आया, पश्चिमी शिक्षा का प्रसार हुआ, औद्योगिकीकरण का विकास हुआ जिससे विभिन्न प्रकार के पेशे सामने आए। लोगों ने कार्य की तलाश में ग्रामीण क्षे परिवारों को छोड़ दिया। वह शहरों में रहने लगे तथा उन्होंने एकाकी परिवार स्थापित कर लिए। इस प्रकार उपनिवेशवाद द्वारा सामाजिक संरचना में परिवर्तन आया तथा इससे पारिवारिक संरचना में भी परिवर्तन आया।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन

प्रश्न 10.
मातृवंश (Matriliny) और मातृतंत्र (Matriarachy) में क्या अंतर है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हमारे समाज में कई प्रकार के परिवार पाए जाते हैं। आवास के आधार पर कुछ समाज पत्नी-स्थानिक तथा कुछ पति-स्थानिक होते हैं। पत्नी-स्थानिक परिवार में नवविवाहित जोड़ा लड़की के माता-पिता के साथ रहता है तथा पति-स्थानिक परिवार में लड़के के माता-पिता के साथ। उत्तराधिकार के नियम के अनुसार, मातृवंशीय समाज में बेटी को माँ से जायदाद प्राप्त होती है तथा पितृवंशीय समाज में पिता से पुत्र को। पितृतंत्रात्मक परिवार में सत्ता तथा प्रभुत्व पुरुष के पास होता है तथा मातृतंत्रात्मक परिवारों में स्त्रियों के पास सत्ता तथा प्रभुत्व होता है। चाहे पितृतंत्र के विपरीत मातृतंत्र एक आनुभाविक संकल्पना की जगह एक सैद्धांतिक कल्पना है।

माततंत्र का कोई मानवशास्त्रीय अथवा ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है अर्थात ऐसा कोई समाज नहीं है जहाँ स्त्रियों का प्रभुत्व अधिक हो। चाहे मातृवंशीय समाज होते हैं जहाँ स्त्रियाँ अपनी माताओं से उत्तराधिकार के रूप में जायदाद प्राप्त करती हैं। परंतु उस पर उनका न तो अधिकार होता है तथा न ही सार्वजनिक क्षेत्र में उन्हें कोई निर्णय लेने का अधिकार होता है।

सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन HBSE 12th Class Sociology Notes

→ कोई भी समाज संस्थाओं के बिना नहीं चल सकता है। इसलिए सभी समाजों ने अपने क्रिया-कलापों को ठीक ढंग से चलाने के लिए कुछेक संस्थाओं का निर्माण किया हुआ है। इन संस्थाओं को अलग-अलग हिस्सों में भी वर्गीकृत किया गया है जैसे कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक इत्यादि।

→ इस अध्याय में केवल सामाजिक संस्थाओं का ही वर्णन किया जाएगा। भारत में भी बहुत-सी सामाजिक संस्थाएं व्याप्त हैं। उनमें से जाति व्यवस्था, विवाह, परिवार, नातेदारी इत्यादि प्रमुख हैं। इस अध्याय में इन संस्थाओं का अध्ययन किया जाएगा।

→ जाति व्यवस्था अपने आप में भारतीय समाज की एक ऐसी संस्था है जिसकी उदाहरण संसार के किसी और देश में देखने को नहीं मिलती है। जाति व्यवस्था का प्रमुख आधार भेदभाव है। चाहे कई आधारों पर अन्य देशों में भी भेदभाव देखने को मिल जाता है, परंतु ऐसी सुदृढ़ संस्था कहीं और देखने को नहीं मिलती है जिसने संपूर्ण समाज तथा देश को बाँधकर रखा था।

→ जाति व्यवस्था जन्म पर आधारित एक ऐसी व्यवस्था थी जिसने खान-पान, विवाह करने, सामाजिक संबंधों इत्यादि के संबंध में बहुत से नियम बनाए हुए थे। व्यक्ति के पास चाहे जितनी मर्जी योग्यता हो, वह उसे तमाम आयु परिवर्तित नहीं कर सकता।

→ वैसे तो बहुत-से समाजशास्त्रियों ने इसकी परिभाषाएं दी हैं परंतु घुर्ये के अनुसार यह इतनी जटिल व्यवस्था है कि इसको परिभाषित नहीं किया जा सकता। इसके लिए उन्होंने जाति व्यवस्था की छः परिभाषाएं दी हैं।

→ चाहे प्राचीन समय से लेकर 20वीं शताब्दी तक जाति प्रथा के पाँव मज़बूती से भारतीय समाज में बने रहे, परंतु अंग्रेजों के आने के पश्चात् तथा स्वतंत्रता के पश्चात् जाति प्रथा कमजोर पड़नी शुरू हो गई। विधानों, औद्योगीकरण, पश्चिमीकरण, पश्चिमी शिक्षा जैसी प्रक्रियाओं ने जाति प्रथा को आज के समय में काफी कमजोर कर दिया है।

→ हमारे देश में एक ऐसा समुदाय भी है जो आधुनिक समाज तथा अवस्था से दूर जंगलों, पहाड़ों, घाटियों इत्यादि में आदिम अवस्था में रहता है। इसे जनजातीय समुदाय कहते हैं। इनकी अपनी ही संस्कृति तथा भाषा होती है तथा अपना ही समाज होता है जो एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में रहता है।

→ जनजाति को कबीला, आदिवासी, वनवासी, अनुसूचित जनजाति इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है। यह माना जाता है कि भारत के असली निवासी तो यही हैं। जब आर्य लोग भारत में आए तो इन्हें जंगलों की तरफ़ खदेड़ दिया गया।

→ क्योंकि यह लोग आदिम अवस्था में रहते हैं इसलिए इनके उत्थान तथा कल्याण के लिए सरकार ने कई प्रकार के कल्याण कार्यक्रम चलाए हैं। यहाँ तक कि इन्हें शैक्षिक संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया ताकि यह अपने जीवन स्तर को ऊँचा उठा सकें। इनके नाम तो संविधान में भी दर्ज हैं।

→ परिवार हमारे समाज की सबसे मौलिक संस्थाओं में से एक है। संसार में कोई भी ऐसा समाज नहीं है, जहाँ पर परिवार मौजूद न हो। समाज में बहुत-सी संस्थाएं बनीं, विकसित हुईं तथा खत्म हो गईं, परंतु परिवार नाम की संस्था सदियों से समाज में चल रही है तथा यह चलती ही रहेगी।

→ परिवार उस समूह को कहते हैं जो यौन संबंधों पर आधारित होता है तथा जो इतना छोटा व स्थायी है कि उससे बच्चों की उत्पत्ति तथा पालन-पोषण हो सके। जो हमदर्दी तथा प्यार व्यक्ति को परिवार में रहकर प्राप्त होता है वह और कहीं भी नहीं होता है।

→ परिवार व्यक्ति के लिए हरेक प्रकार के कार्य करता है। परिवार में बच्चे पैदा होते हैं, उनका पालन-पोषण होता है, उन्हें हरेक प्रकार की शिक्षा दी जाती है, उनका समाजीकरण किया जाता है, उन्हें प्रस्थिति प्रदान की जाती है, उन्हें नियंत्रण में रहना सिखाया जाता है इत्यादि। अगर ध्यान से देखा जाए तो परिवार ही ऐसी संस्था है जो व्यक्ति के लिए हरेक प्रकार का कार्य करती है।

→ हमारे समाज में कई प्रकार के परिवार कई आधारों पर पाए जाते हैं जैसे कि संख्या के आधार पर, रहने के स्थान के आधार पर, सत्ता के आधार पर। वैसे मुख्य रूप से हमारे समाज में एकाकी परिवार तथा संयुक्त परिवार पाए जाते हैं। चाहे बहुत-सी प्रक्रियाओं के कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, परंतु फिर भी एकाकी परिवार हमारे सामने आ रहे हैं। नातेदारी ऐसे संबंधियों के बीच संबंधों की व्यवस्था होती है जिनसे हमारा संबंध वंशावली के आधार पर होता है। वंशावली संबंध परिवार के द्वारा विकसित होते हैं। नातेदारी संसार के सभी समाजों में व्याप्त है। नातेदारी के लिए बंधुत्व, संगोत्रता तथा स्वजनता इत्यादि जैसे शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन

→ नातेदारी मुख्य दो आधारों पर विकसित होती है। पहला है रक्त संबंधों के आधार पर अर्थात् इसमें केवल रक्त संबंधियों को ही शामिल किया जाता है जैसे कि माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-ताया-दादा, पौत्र इत्यादि। दूसरा आधार है विवाह का जिसमें केवल विवाह संबंधियों को शामिल किया जाता है जैसे कि सास-ससुर, जीजा, साला, ननद, बहनोई इत्यादि।

→ नातेदारी में तीन प्रकार के संबंध पाए जाते हैं-प्राथमिक, द्वितीय तथा तृतीय। प्राथमिक संबंधों में वे संबंध आते हैं जो सीधे तौर पर बनते हैं जैसे कि पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री इत्यादि। द्वितीय संबंध प्राथमिक संबंधों के आधार पर बनते हैं जैसे कि पिता का भाई, माता का भाई इत्यादि। तृतीय संबंधी द्वितीय संबंधियों के कारण बनते हैं जैसे कि पिता के भाई की पत्नी चाची। शब्दावली

→ जाति (Caste)-वह अंतर्वैवाहिक समूह जिसकी सदस्यता जन्म पर आधारित होती है तथा जिसने सामाजिक सहवास, खान-पान, पेशे इत्यादि से संबंधित सख्त नियम बना कर रखे हैं।

→ संस्कृतिकरण (Sanskritization)-वह प्रक्रिया जिसके द्वारा निम्न जातियों के लोग किसी उच्च जाति की धार्मिक क्रियाओं, घरेलू या सामाजिक पारिपाटियों को अपनाकर अपनी सामाजिक परिस्थिति को ऊँचा करने का प्रयत्न करते हैं।

→ प्रबल जाति (Dominent Caste) यह शब्द ऐसी जातियों के लिए प्रयोग किया जाता है जो किसी विशेष क्षेत्र में जनसंख्या में काफ़ी बड़ी होती है अथवा वह उस क्षेत्र में अपने पैसे या शक्ति के आधार पर अपना प्रभुत्व स्थापित करती हैं। इसके सदस्य कम भी हो सकते हैं।

→ जनजातीय (Tribal)-यह एक आधुनिक शब्द है जो उन समुदायों के लिए प्रयोग होता है जो बहुत प्राचीन हैं तथा उप-महाद्वीप के सबसे प्राचीन निवासी हैं। ये हमारी सभ्यता से दूर जंगलों, पहाड़ों पर रहते हैं तथा इनकी अपनी ही संस्कृति होती है।

→ आदिम (Prestine)-मौलिक अथवा विशुद्ध समाज जो सभ्यता से अछूते रहे हों।

→ मूल परिवार (Nuclear Family)-परिवार का वह रूप जिसमें केवल पति-पत्नी तथा उनके अविवाहित बच्चे ही रहते हैं।

→ संयुक्त परिवार (Joint Family)-परिवार का वह रूप जिसमें दो-तीन पीढ़ियों के सदस्य इकट्ठे एक ही छत के नीचे रहते हैं तथा एक ही रसोई में पका हुआ भोजन खाते हैं।

→ पति स्थानिक (Patrilocal)-परिवार का वह रूप जिसमें विवाह के पश्चात् पत्नी, पति अथवा उसके पिता के घर जाकर रहती है।

→ पत्नी स्थानिक (Matrilocal)-परिवार का वह रूप जिसमें विवाह के पश्चात् पति पत्नी के घर जाकर रहता है।

→ मातृवंशीय समाज (Matriarchal Society)-वह समाज जहाँ पर वंश का नाम माता के नाम से चलता है तथा जायदाद माँ से बेटी को मिलती है।

→ पितृवंशीय समाज (Patriarchal Society)-वह समाज जहाँ पर वंश का नाम पिता के नाम से चलता है तथा जायदाद पिता से पुत्र को मिलती है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 सामाजिक संस्थाएँ : निरन्तरता एवं परिवर्तन Read More »

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

HBSE 12th Class Political Science सत्ता के वैकल्पिक केंद्र Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
तिथि के हिसाब से इन सबको क्रम दें
(क) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश
(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना।
उत्तर:
(क) यूरोपीय आर्थिक समुदाय की स्थापना
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना
(ग) यूरोपीय संघ की स्थापना
(घ) विश्व व्यापार संगठन में चीन का प्रवेश।

प्रश्न 2.
‘आसियान वे’ या आसियान शैली क्या है ?
(क) आसियान के सदस्य देशों की जीवन शैली है।
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज का स्वरूप है।
(ग) आसियान सदस्यों की रक्षा नीति है।
(घ) सभी आसियान सदस्य देशों को जोड़ने वाली सड़क है।
उत्तर:
(ख) आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज का स्वरूप है।

प्रश्न 3.
इनमें से किसने ‘खुले द्वार’ की नीति अपनाई ?
(क) चीन
(ख) यूरोपीय संघ
(ग) जापान
(घ) अमेरिका।
उत्तर:
(क) चीन

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 4.
खाली स्थान भरें
(क) 1962 में भारत और चीन के बीच ……….. और …………… को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में …………….. और …………….. करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में …………….. के साथ दोतरफा सम्बन्ध शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) ……………… योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ङ) …………. आसियान का एक स्तम्भ है, जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।
उत्तर:
(क) 1962 में भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और लद्दाख के अक्साई चिन क्षेत्र को लेकर सीमावर्ती लड़ाई हुई थी।
(ख) आसियान क्षेत्रीय मंच के कामों में आर्थिक विकास को तेज़ करना और सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास प्राप्त करना शामिल है।
(ग) चीन ने 1972 में अमेरिका के साथ दोतरफा सम्बन्ध शुरू करके अपना एकांतवास समाप्त किया।
(घ) मार्शल योजना के प्रभाव से 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना हुई।
(ङ) आसियान सुरक्षा समुदाय आसियान का एक स्तम्भ है जो इसके सदस्य देशों की सुरक्षा के मामले देखता है।

प्रश्न 5.
क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के उद्देश्य क्या हैं ?
उत्तर:
क्षेत्रीय संगठनों को बनाने के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

  • क्षेत्रीय देशों के लोगों का कल्याण और जीवन में गुणात्मकता लाना।
  • क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति एवं सांस्कृतिक विकास लाना ।
  • सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
  • अन्य देशों के साथ सहयोग करना।
  • आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
  • एक-दूसरे की समस्याओं के लिए आपसी विश्वास, समझबूझ व सहृदयता विकसित करना।
  • अन्य क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।

प्रश्न 6.
भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर क्या असर होता है ?
उत्तर:
भौगोलिक निकटता का क्षेत्रीय संगठनों के गठन पर सकारात्मक असर पड़ता है। भौगोलिक निकटता के कारण उस क्षेत्र के देशों की कई समस्याएं, धर्म, रीति-रिवाज तथा भाषाएं समान होती हैं, जिसके कारण एक क्षेत्रीय संगठन के निर्माण में मदद मिलती है। क्षेत्रीय संगठनों से सम्बन्धित देशों में परस्पर सहयोग एवं संगठन की भावना पैदा होती है। क्षेत्रीय संगठनों के कारण सम्बन्धित देशों में शत्रुता एवं युद्ध की भावना न होकर बन्धुत्व एवं शान्ति की भावना पैदा होती है।

प्रश्न 7.
आसियान विजन 2020 की मुख्य-मुख्य बातें क्या हैं ?
उत्तर:
आसियान विजन 2020 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं
(1) आसियान विजन 2020 में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई

(2) हनोई कार्य योजना के तहत क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, व्यापारिक उदारीकरण तथा वित्तीय सहयोग की वृद्धि के लिए विभिन्न उपाय निर्धारित किये गये हैं।

(3) आसियान विजन 2020 के तहत एक आसियान सुरक्षा समुदाय, एक आसियान आर्थिक समुदाय तथा एक आसियान सामाजिक एवं सांस्कृतिक समुदाय बनाने की संकल्पना की गई है।

प्रश्न 8.
आसियान समुदाय के मुख्य स्तंभों और उनके उद्देश्यों के बारे में बताएं।
उत्तर:
आसियान समुदाय के तीन मुख्य स्तंभ हैं-आसियान सुरक्षा समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय और आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय।
1. आसियान सुरक्षा समुदाय-यह समुदाय आसियान देशों के बीच होने वाले टकरावों को दूर करता है।

2. आसियान आर्थिक समुदाय-आसियान आर्थिक समुदाय आसियान देशों का साझा बाज़ार और उत्पादन आधार तथा क्षेत्र में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।

3. आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय-यह समुदाय आसियान देशों के बीच सामाजिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्धों को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 9.
आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियन्त्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है ?
उत्तर:
आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियन्त्रित अर्थव्यवस्था से पूरी तरह अलग है। चीनी अर्थव्यवस्था की नीति विदेशी पूंजी और प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता को प्राप्त करना है। चीन ने वर्तमान समय में बाजारोन्मुख अर्थव्यवस्था को अपनाया है, चीन ने ‘शॉक थेरेपी’ की अपेक्षा चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को बाज़ारोन्मुख बनाया। चीन ने 1982 में कृषि एवं 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया। आर्थिक विकास के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की गई। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं, कि वर्तमान चीनी अर्थव्यवस्था 1950 की चीनी अर्थव्यवस्था की अपेक्षा अधिक खुलापन लिये हुए है।

प्रश्न 10.
किस तरह यूरोपीय देशों ने युद्ध के बाद की अपनी परेशानियां सुलझाई ? संक्षेप में उन कदमों की चर्चा करें जिनसे होते हुए यूरोपीय संघ की स्थापना हुई।
उत्तर:
यूरोपीय देशों ने दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् आपसी बातचीत, सहयोग एवं परस्पर विश्वासों के आधार पर अपनी परेशानियों को दूर किया। यूरोपीय देशों ने अपने आर्थिक विकास के लिए 1948 में मार्शल योजना के अधीन यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की। राजनीतिक सहयोग के लिए यूरोपीय देशों ने 1949 में यूरोपीय परिषद् की स्थापना की। 1957 में इन देशों ने यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) की स्थापना की। सन् 1985 में यूरोपीय देशों ने शांगेन सन्धि करके यूरोपीय देशों के बीच सीमा नियन्त्रण को समाप्त कर दिया। 1990 में यूरोपीय देशों के प्रयासों से जर्मनी का एकीकरण हुआ। 1992 में यूरोपीय देशों ने मास्ट्रिस्ट सन्धि पर हस्ताक्षर करके यूरोपीय संघ की स्थापना की।

प्रश्न 11.
यूरोपीय संघ को क्या चीजें एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन बनाती हैं ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ यूरोपीय देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। यूरोपीय संघ का अपना झण्डा, गान, स्थापना दिवस तथा मुद्रा है, जो इसे शक्तिशाली स्थिति प्रदान करते हैं। यूरोपीय संघ का विश्व राजनीति में आर्थिक, राजनैतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक महत्त्व बहुत अधिक है। यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य हैं तथा इनके पास परमाणु हथियार भी हैं। यूरोपीय संघ के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। ये सभी तत्त्व यूरोपीय संघ को एक प्रभावशाली संगठन बनाने में मदद प्रदान करते हैं।

प्रश्न 12.
चीन और भारत की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौजूदा एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था को चुनौती दे सकने की क्षमता है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने तर्कों से अपने विचारों की पुष्टि करें।
उत्तर:
भारत एवं चीन विश्व की उभरती हुई दो आर्थिक व्यवस्थाएं हैं। वर्तमान समय में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को दोनों देश प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए समय-समय पर यह कहा जाता है कि चीन एवं भारत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका को चनौती देने की स्थिति में है। चीन संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है, इसके पास परमाणु शक्ति है। चीन के पास विश्व की सबसे बड़ी सेना है। इसके साथ चीन बड़ी तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व स्तरीय बना रहा है।

जहां तक भारत का प्रश्न है, तो कुछ समीक्षक भारत को आने वाले समय की महाशक्ति के रूप में देख रहे हैं। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। भारत ने संचार, तकनीक, विज्ञान एवं सूचना के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में किसी भी देश से अधिक उन्नति की है। भारत के पास एक शक्तिशाली सेना है, तथा भारत एक परमाणु सम्पन्न ज़िम्मेदार राष्ट्र है। अमेरिका ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका को देखते हुए ही भारत के साथ असैनिक परमाणु क्षमता समझौता किया है। अतः कहा जा सकता है कि आने वाले समय में चीन एवं भारत एकपक्षीय विश्व को चुनौती दे सकते हैं।

प्रश्न 13.
मुल्कों की शान्ति और समृद्धि क्षेत्रीय आर्थिक संगठनों को बनाने और मजबूत करने पर टिकी है। इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर:
लोगों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व में शान्ति एवं व्यवस्था का होना आवश्यक है। इसके साथ-साथ प्रत्येक देश का आर्थिक विकास होना भी आवश्यक है। इन दोनों शर्तों को क्षेत्रीय आर्थिक संगठन बनाकर पूरा किया जा सकता है। इसीलिए कहा जाता है, कि विश्व शान्ति एवं समृद्धि के लिए क्षेत्रीय आर्थिक संगठन आवश्यक है। अतः अधिकांश महाद्वीपों में क्षेत्रीय आर्थिक संगठन बने हुए हैं, जैसे यूरोप में यूरोपीय संघ, एशिया में आसियान तथा सार्क। ये संगठन सम्बन्धित देशों के आर्थिक विकास को अधिक बढ़ावा देने तथा इन्हें युद्ध से दूर रखते हैं, ताकि क्षेत्र एवं विश्व में शान्ति बने रहे।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 14.
भारत और चीन के बीच विवाद के मामलों की पहचान करें और बताएं कि वृहत्तर सहयोग के लिए इन्हें कैसे निपटाया जा सकता है ? अपने सुझाव भी दीजिए।
उत्तर:
भारत तथा चीन दो पड़ोसी देश हैं। दोनों देशों के मध्य ऐसे बहुत-से मुद्दे हैं, जो दोनों देशों के सम्बन्धों में तनाव भी पैदा करते हैं।

1. सीमा विवाद-भारत-चीन के मध्य सर्वाधिक तनावपूर्ण मुद्दा सीमा विवाद है। 1962 को भारत-चीन युद्ध के समय चीन ने बहुत-से भारतीय क्षेत्र पर अधिकार कर लिया है, जिसे आज भी चीन अपने क्षेत्र में बताता है।

2. मैकमोहन रेखा-मैकमोहन रेखा ऐसी रेखा है जो भारत तथा चीन के क्षेत्र की सीमा निश्चित करती है। यह रेखा 1914 ई० में भारत-चीन तथा तिब्बत के प्रतिनिधियों के एक सम्मेलन द्वारा निश्चित की गई थी। 1956 तक चीन ने कभी भी मैकमोहन रेखा को स्वीकार करने से स्पष्ट इन्कार नहीं किया था, किन्तु 1956 के पश्चात् चीन ने इस सीमा रेखा सम्बन्धी अपनी आपत्ति को प्रकट करना आरम्भ कर दिया था।

3. चीन का पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करना-चीन ने सदैव पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की है, जिनका प्रयोग पाकिस्तान भारत के विरुद्ध करता है। इसके लिए भारत ने कई बार चीन से अपना विरोध जताया है।

4. भारत द्वारा दलाईलामा को समर्थन देना-चीन को सदैव इस बात पर आपत्ति रही है, कि भारत दलाईलामा का समर्थन करता है। भारत एवं चीन के वृहत्तर सहयोग के लिए सर्वप्रथम अपने सीमा विवाद को सुलझाना चाहिए, दोनों देशों को इस प्रकार का रास्ता निकालना चाहिए जो दोनों देशों को मंजूर हो, चीन को मैकमोहन रेखा के विषय में भारत से सहयोग करना चाहिए।

चीन द्वारा पाकिस्तान को की गई हथियारों की आपूर्ति भारत-चीन सम्बन्धों में तनाव पैदा करती है। अत: चीन को पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति के समय सतर्क रहने की आवश्यकता है। दलाईलामा के विषय पर भी दोनों देशों की बातचीत द्वारा एक सर्वमान्य उपाय निकालना चाहिए। इन सभी उपायों द्वारा ही इस क्षेत्र का विकास हो सकता है।

सत्ता के वैकल्पिक केंद्र HBSE 12th Class Political Science Notes

→ अमेरिका के मुकाबले सत्ता के कुछ विकल्प विश्व स्तर पर उभर रहे हैं।
→ सत्ता के विकल्पों में यूरोपीय संघ, आसियान, चीन तथा भारत शामिल हैं।
→ यूरोपीय संघ की स्थापना 1992 में हुई।
→ जनवरी, 2002 में यूरोप के 12 देशों ने यूरो मुद्रा की शुरुआत की।
→ यूरोपीय संघ विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
→ आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है।
→ आसियान की स्थापना 1967 में की गई।
→ 1996 में भारत को आसियान में पूर्ण वार्ताकार का दर्जा प्राप्त हुआ।
→ 1970 के दशक से चीन विश्व स्तर पर आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है।
→ 1972 में चीन ने अमेरिका के साथ अपने सम्बन्ध बनाने शुरू किये।
→ 1973 में चीनी प्रधानमन्त्री चाऊ एन-लाई ने आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव दिये।
→ 1978 में चीन में आर्थिक सुधारों और खुले द्वार (Open Door) की नीति की घोषणा की गई।
→ 1982 में चीन ने कृषि का निजीकरण किया।
→ 1998 में चीन ने उद्योगों का निजीकरण किया।
→ भारत 1990 के दशक में तेज़ी से आर्थिक ताकत के रूप में उभरा है।
→ अमेरिका ने भारत के सम्बन्धों को महत्त्वपूर्ण माना है।
→ भारत-चीन के आर्थिक सम्बन्ध अच्छे हैं।
→ जून 2016 में इंग्लैण्ड में हुए जनमत संग्रह के अन्तर्गत इंग्लैण्ड ने यूरोपीय संघ (BREXIT) से अलग होने का निर्णय किया।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र Read More »

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अफ़गानिस्तान युद्ध एवं खाड़ी युद्धों के सन्दर्भ में एक ध्रुवीय विश्व के विकास की व्याख्या करें।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् शीत युद्ध की भी समाप्ति हो गई। इस प्रकार 1990 के दशक में विश्व में दो गुटों के बीच पाई जाने वाली कड़वाहट नहीं रही। परन्तु द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के समाप्त होने के पश्चात् विश्व तेज़ी से एक ध्रुवीय व्यवस्था में तबदील होने लगा और वो एक ध्रुव अमेरिका है। सोवियत संघ के पतन के बाद विश्व में कोई भी देश अमेरिका को चुनौती देने की स्थिति में नहीं था।

इस अवस्था का फायदा उठाकर अमेरिका ने भी विश्व में अपने प्रभाव को और अधिक बढ़ाना शुरू कर दिया तथा विश्व के कई क्षेत्रों में उसने सैनिक हस्तक्षेप किया। निम्नलिखित घटनाओं के वर्णन से एक ध्रुवीय विश्व (अमेरिका का एकाधिकार) के विकास का पता चलता है

1. प्रथम खाड़ी युद्ध (First Gulf War):
अमेरिका के एकाधिकार अर्थात् एक ध्रुवीय विश्व की शुरुआत हम प्रथम खाड़ी युद्ध को मान सकते हैं। जब अमेरिका ने अपनी सैनिक शक्ति के बल पर कुवैत को इराक से स्वतन्त्र करवाया था। अगस्त, 1990 में इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन ने अपने छोटे से पड़ोसी देश कुवैत पर कब्जा कर लिया। अमेरिका ने कुवैत को स्वतन्त्र कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विश्व के 34 देशों की लगभग 6 लाख, 70 हजार की फ़ौज ने इराक पर हमला कर दिया। इस सैनिक अभियान में लगभग 75% सैनिक अमेरिका के थे और अमेरिका ही इस युद्ध को निर्देशित एवं नियन्त्रित कर रहा था। इतनी बड़ी फ़ौज के सामने इराक ज्यादा दिन तक नहीं टिक सका और उसे कुवैत से पीछे हटना पड़ा। इस युद्ध ने विश्व में अमेरिका की सैनिक ताकत को बहुत अधिक बढा दिया तथा विश्व एक ध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ने लगा।

2. सूडान एवं अफ़गानिस्तान पर अमेरिकन प्रक्षेपास्त्र हमला (American Missile Attack on Sudan and Afghanistan):
1998 में नैरोबी (कीनिया) तथा दारे-सलाम (तंजानिया) में अमेरिकन दूतावासों पर बम विस्फोट हुए। इन बम विस्फोटों का जिम्मेदार अल-कायदा को माना गया। परिणामस्वरूप अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिटन ने अल-कायदा के ठिकानों पर प्रक्षेपास्त्र हमले की आज्ञा दी।

जिसके कारण अमेरिका सूडान एवं अफ़गानिस्तान में अल-कायदा के ठिकानों पर क्रूज प्रक्षेपास्त्रों से हमला किया। अमेरिका ने इस सम्बन्ध में विश्व आलोचनाओं को नजरअंदाज कर दिया। इस घटना से साबित हो गया कि अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति है क्योंकि अन्य कोई भी देश इस प्रकार का हमला करने का साहस नहीं कर सकता।

3. 9/11 की घटना एवं अफ़गानिस्तान युद्ध (Incident of 9/11 and Afghanistan War):
विश्व में एक बड़ी आतंकवादी घटना तब घटी जब 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर एवं पेंटागन पर जबरदस्त आतंकवादी हमला किया गया। इस हमले में लगभग 3000 लोग मारे गए। इस आतंकवादी हमले में भी अल-कायदा के शामिल होने की शंका जाहिर की गई। परिणामस्वरूप अमेरिका ने बदले की कार्यवाही करते हुए अफ़गानिस्तान जोकि अल-कायदा का गढ़ बन चुका था, में युद्ध की घोषणा कर दी।

यद्यपि अमेरिका अल-कायदा तथा तालिबान को पूरी तरह समाप्त नहीं कर पाया, परन्तु उसने इसकी शक्ति को बहुत कम अवश्य कर दिया। इस ले को रोकने के लिए यद्यपि कई देशों ने अमेरिका से आग्रह किया, परन्तु अमेरिका ने किसी बात पर ध्यान न देते हुए हमला जारी रखा। इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका विश्व की एक बड़ी सैनिक ताकत था तथा विश्व एक ध्रुवीय हो गया था।

4. द्वितीय खाड़ी युद्ध (Second Gulf War):
विश्व के एक ध्रुवीय होने की पुष्टि एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटना से हुई, जब अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने मार्च, 2003 में व्यापक विनाश के हथियारों का आरोप लगाकर इराक के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध को संयुक्त राष्ट्र की स्वीकृति प्राप्त नहीं थी। इस युद्ध में भी अमेरिका ने इराक के शासक सद्दाम हुसैन को हटाकर उसके स्थान पर अपनी कठपुतली सरकार बना दी, परन्तु अमेरिका वहां पर शान्ति कायम न रख पाया।

विश्व के किसी भी देश की आलोचना की परवाह न करते हुए अमेरिका ने इराक पर युद्ध थोपा था। … उपरोक्त घटनाओं से स्पष्ट होता है कि इन घटनाओं के कारण विश्व तेज़ी से एक ध्रुवीय होता चला गया और अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति है, जबकि अन्य कोई भी देश उसके समान शक्तिशाली नहीं है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 2.
अमेरिका की आर्थिक एवं विचारधारात्मक वर्चस्वता एवं इसकी चुनौती का वर्णन करें।
उत्तर:
1. अमेरिका की आर्थिक वर्चस्वता एवं चुनौतियां (Dominance and Challenges to the U.S. in Economy):
अमेरिका विश्व की एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक महाशक्ति है। विश्व के सभी महत्त्वपूर्ण आर्थिक सम्मेलनों पर अमेरिका का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है। परन्तु वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अमेरिका को जापान, चीन एवं भारत से कड़ी चुनौती मिल रही है। जापान 1970 एवं 1980 के दशक से ही आर्थिक एवं तकनीकी क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देता आया है। परन्तु 1980 के बाद से चीन भी एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में अमेरिका को चुनौती दे रहा है।

जहां जापान अमेरिका का एक सहयोगी रहा है, वहीं चीन अमेरिका का प्रतियोगी माना जाता है। चीन अमेरिका की आर्थिक प्रभावशीलता को कम करने के लिए अपनी ही राष्ट्रीय मुद्रा का अवमूल्यन करने से भी गुरेज नहीं करता। चीन के साथ-साथ 1990 के दशक में भारत ने भी अमेरिका की आर्थिक वर्चस्वता को चुनौती देनी शुरू कर दी। चीन ने अमेरिका को उत्पादन आधारित विकास पर परम्परागत उपायों पर जोर देते हुए चुनौती दी है तो भारत ने वैश्विक सेवा के क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती दी है।

2. अमेरिका की विचारधारात्मक वर्चस्वता एवं चुनौतियां (Dominance and Challenges to the U.S. in Ideology)-सोवियत संघ के विघटन एवं शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व में अमेरिका जनित विचारधारा पूंजीवाद एवं प्रजातन्त्रवाद की वर्चस्वता बढ़ गई। शीत युद्ध दो विचारधाराओं के बीच भी टकराव था, जिसमें अमेरिका की प्रजातन्त्र पर आधारित विचारधारा की विजय हुई।

अत: 1991 के बाद अमेरिका ने विचारधारात्मक रूप से भी विश्व में वर्चस्व कायम किया तथा अधिकांश देश इस ओर बढ़ रहे हैं, परन्तु पिछले 10 वर्षों में अमेरिका की इस विचारधारा को आतंकवादी विचारधारा से लगातार चुनौतियां मिल रही हैं। आतंकवादी संगठनों ने नैरोबी तथा दारे-सलाम के अमेरिकी दूतावासों, अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सैन्टर तथा पेंटागन पर एवं इंग्लैण्ड में बम विस्फोट एवं हवाई हमला करके लगातार अमेरिका की प्रजातन्त्रात्मक विचारधारा को चुनौती दी है।

प्रश्न 3.
1991 के पश्चात् भारत-अमेरिका सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
शीत यद्ध की समाप्ति के पश्चात विश्व राजनीति में बहत महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए, भारत भी इससे अछता नहीं रहा तथा इसने भी अमेरिका के साथ अपने सम्बन्धों को बढ़ाना शुरू कर दिया। वैसे भी वर्तमान बदलती परिस्थितियों में सभी राष्ट्र एक-दूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाने के लिए तत्पर हैं। इसी दिशा में भारत एवं अमेरिका भी कदम बढ़ा रहे हैं। भारत एवं अमेरिका के सम्बन्ध अब तनावपूर्ण परिस्थितियों से निकलकर सामान्य बल्कि घनिष्ट एवं मैत्रीपूर्ण हो रहे हैं।

भारत-अमेरिका के सम्बन्धों में एक नया मोड़ देने के लिए भारत के प्रधानमन्त्री पी० वी० नरसिम्हा राव 6 दिन की सरकारी यात्रा पर मई, 1994 को अमेरिका गए। वहां पर आपसी सहयोग के क्षेत्र में 4 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, परन्तु परमाणु अप्रसार सन्धि और व्यापक परमाणु प्रसार निषेध सन्धि (C.T.B.T.) पर मतभेद बने रहे। 11 मई और 31 मई, 1998 को वाजपेयी की सरकार ने परमाणु परीक्षण किए, जिस पर अमेरिका ने भारत के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए।

इसमें सन्देह नहीं है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (सी० टी० बी० टी०) के विषय पर आज भी मतभेद बने हुए हैं, परन्तु मई, 1999 से भारत एवं अमेरिका के सम्बन्धों में सुधार हुआ है। मई, 1999 में भारत ने पाक घुसपैठियों को कारगिल से बाहर निकालने के लिए सैनिक कार्यवाही प्रारम्भ की। पूरे कारगिल संकट के दौरान अमेरिका भारत के साथ खड़ा रहा और उसने पाकिस्तान को उसकी ग़लतियों के लिए फटकारा।

21 मार्च, 2000 को अमेरिकन राष्ट्रपति बिल क्लिटन पांच दिन के लिए भारत की सरकारी यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान अमेरिका एवं भारत ने आर्थिक क्षेत्र में अनेक समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसके अतिरिक्त भारत अमेरिकी सम्बन्धों की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए विज़न-2000 नामक दस्तावेज़ पर भी हस्ताक्षर किये गए। अमेरिकी राष्ट्रपति की इस यात्रा से भारत-अमेरिकी सम्बन्धों में एक नए युग का सूत्रपात हुआ है।

8 सितम्बर, 2000 को भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी अमेरिका की यात्रा पर गए। अपने लम्बे व्यस्त में प्रधानमन्त्री वाजपेयी ने अमेरिकी राष्टपति बिल क्लिटन सहित अनेक प्रमुख नेताओं और व्यापारिक संस्थाओं से बातचीत की। इस दौरान आपसी हित के विभिन्न विषयों पर व्यापक बातचीत हुई।11 सितम्बर, 2001 को आतंकवादियों ने अमेरिका के अनेक महत्त्वपूर्ण स्थानों पर हमला किया जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई। भारत सहित विश्व समुदाय ने इस हमले की कड़ी आलोचना की। भारत ने आतंकवाद को रोकने और उसके उन्मूलन में अमेरिका का समर्थन किया।

नवम्बर, 2001 में अमेरिका के रक्षामन्त्री रूमसफील्ड भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद के विरुद्ध मिलकर लड़ने का फैसला किया। इस यात्रा की महत्त्वपूर्ण घटना यह रही कि अमेरिका भारत को सैनिक साजो-सामान देने के लिए तैयार हो गया। इसके साथ ही अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर भारत की चिन्ताओं पर सहमति जताई। नवम्बर, 2001 में भारत के प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिका की यात्रा की।

वाजपेयी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश के साथ शिखर वार्ता के दौरान आतंकवाद के खिलाफ लड़ने, नई रणनीतिक योजना बनाने, परमाणु क्षेत्र में शान्तिपूर्ण उद्देश्यों के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने, सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने एवं अफ़गानिस्तान के अच्छे भविष्य के लिए मिलकर काम करने की बात की। दिसम्बर, 2001 को भारतीय संसद् पर आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले में शामिल सभी आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे। इसके विरोध में पाकिस्तान के प्रति सख्त रवैया अपनाया और भारी मात्रा में सीमा पर सेना की तैनाती कर दी।

इससे भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध का वातावरण बन गया। इस बीच अनेक अमेरिकी उच्चाधिकारियों ने भारत और पाकिस्तान को युद्ध टालने की सलाह दी। अमेरिका ने अनेक बार पाकिस्तान सरकार को आतंकवादी गतिविधियां संचालित करने से मना किया। इन आतंकवादी हमलों से भारत-अमेरिकी सम्बन्धों में एक नया दृष्टिकोण विकसित हुआ है। जनवरी, 2002 में भारत के रक्षामन्त्री श्री जार्ज फर्नांडीस अमेरिका यात्रा पर गए। वहां पर फर्नांडीस ने अमेरिका के रक्षामन्त्री श्री रूम्सफील्ड के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।

असैनिक परमाणु समझौता–भारत एवं संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने सम्बन्धों की और मज़बूती प्रदान करते हुए 2005 में असैनिक परमाणु समझौता किया, जिस पर पूर्ण रूप से 11 अक्तूबर, 2008 को दोनों देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते से दोनों देश और भी निकट आ गए। भारत एवं अमेरिका अब तीन विशेष क्षेत्रों पर सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हो गए हैं। ये हैं

  • मानवता के हित में परमाणु कार्यक्रम
  • मानवीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम
  • उच्च तकनीकी व्यापार।

नवम्बर, 2009 में भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह अमेरिका यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान प्रधानमन्त्री अमेरिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिले तथा दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सम्बन्धों पर बातचीत की। दोनों देशों ने साझा बयान जारी करते हुए अफ़गानिस्तान एवं पाकिस्तान में आतंकी अभयारण्यों को समाप्त करने का संकल्प लिया। नवम्बर, 2010 में अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक हुसैन ओबामा भारत यात्रा पर आए। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थाई सदस्यता के दावे का समर्थन किया।

सितम्बर, 2013 में भारतीय प्रधानमन्त्री ने अमेरिका की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों में आतंकी गतिविधियों से लेकर एच-1 बी वीजा, सिविल परमाणु करार और सामरिक सहयोग पर बातचीत की। __ जनवरी, 2015 में अमेरिकन राष्ट्रपति ने भारत की यात्रा की। वे 26 जनवरी की गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने नागरिक परमाणु समझौता तथा स्वच्छ ऊर्जा जैसे महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

सितम्बर 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सामरिक साझेदारी को और बेहतर बनाने का निर्णय लिया तथा सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने, रक्षा, आर्थिक साझेदारी तथा जलवायु परिवर्तन पर सहयोग को और गति देने पर सहमति व्यक्त की। जून 2016 एवं 2017 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद, सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा तथा एन० एस० जी० में भारत को शामिल करने पर बातचीत की।

सितम्बर, 2019 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान 22 सितम्बर, 2019 को हयूस्टन में आयोजित ‘हाउदी मोदी’ कार्यक्रम में अमेरिकन राष्ट्रपति श्री डॉनाल्ड ट्रम्प ने भी भाग लिया, जोकि भारत-अमेरिका के लगातार हो रहे अच्छे सम्बन्धों का उदाहरण है। 24 सितम्बर, 2019 को दोनों देशों ने आतंकवाद, ऊर्जा, विश्व सुरक्षा एवं व्यापार पर चर्चा की।

फरवरी 2020 में अमेरिकन राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रम्प भारत यात्रा पर आए। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग एव सुरक्षा को बढ़ाने पर जोर दिया। दोनों देशो ने जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊजी एव आतंकवाद पर भी चचा की। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि भारत-अमेरिका के सम्बन्ध न केवल सामान्य हो रहे हैं अपितु मैत्रीपूर्ण होते जा रहे हैं।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 4.
एक ध्रुवीय विश्व पर एक निबन्ध लिखें।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व धीरे-धीरे दो गुटों में बंट गया। एक गुट का नेता उदारवादी देश अमेरिका था तो दूसरे गुट का नेता साम्यवादी देश सोवियत संघ था। द्वितीय युद्ध के पश्चात् लगभग 15 वर्षों तक इन दोनों देशों में अधिक-से-अधिक शक्तिशाली बनने की होड़ लगी रही। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि इस समय विश्व पूर्ण रूप से द्वि-ध्रुवीय (Bipolar) था। विश्व के अधिकांश देश इन दोनों गुटों में बंटे हुए थे।

परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध के 15 या 20 वर्षों के बाद विश्व राजनीति में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगे जिससे विश्व द्वि-ध्रुवीय के स्थान पर बहु ध्रुवीय (Multi polar) बनने लगा। उदाहरण के लिए 1955 में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की शुरुआत हुई, जिसकी संख्या अधिक-से-अधिक होती चली गई। इस आन्दोलन की स्थापना ही दोनों गुटों से अलग रहने के लिए की गई थी।

क्योंकि भारत गुट निरपेक्ष आन्दोलन का नेता था। इसलिए भारत की स्थिति अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वाभिमानी तथा क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में होने लगी। चीन एशिया में धीरे-धीरे एक महाशक्ति के रूप में उभरने लगा था। उधर पश्चिमी यूरोप के देश अपनी कुशलता एवं संचालन के बल पर एक शक्तिशाली केन्द्र बनते जा रहे थे।

फ्रांस एक और महाशक्ति का रूप लेता जा रहा था। विश्व राजनीति में जापान तथा पश्चिमी जर्मनी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व थे। इसके अतिरिक्त ब्राज़ील, इण्डोनेशिया तथा मिस्र इत्यादि जैसे देशों ने भी विश्व राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करनी शुरू कर दी थी। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि तत्कालीन परिस्थितियों में अमेरिका एवं सोवियत संघ के अतिरिक्त कुछ अन्य शक्तियां भी थीं जो अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित कर रही थीं। अतः विश्व एक प्रकार से द्वि ध्रुवीय के स्थान पर बहु-ध्रुवीय बनने लगा।

इसके पश्चात् 1980 के दशक के अन्त एवं 1990 के दशक के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक स्तर पर परिवर्तन आए। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सबसे बड़ा परिवर्तन सोवियत संघ का विघटन एवं शीत युद्ध की समाप्ति था। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की सक्रियता भी थोड़ी कम हो गई। पूर्वी यूरोप के अधिकांश साम्यवादी देशों में पूंजीवादी हवा चलने लगी। इन सभी परिस्थितियों ने विश्व को बहु-ध्रुवीय के स्थान पर एक ध्रुवीय (Unipolar) बनाने में मदद की। एक ध्रुवीय विश्व का नेता अमेरिका था, क्योंकि उसे किसी भी अन्य शक्ति से चुनौती नहीं मिल पा रही थी। अतः वह विश्व राजनीति में एकमात्र महाशक्ति रह गया था जिसके कारण विश्व एक ध्रुवीय होता चला गया।

प्रश्न 5.
एक-ध्रुवीय व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? इसके मुख्य कारण लिखो।
उत्तर:
एक ध्रुवीय व्यवस्था का अर्थ-1980 के दशक के अन्त एवं 1990 के दशक के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक परिवर्तन आए। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सबसे बड़ा परिवर्तन सोवियत संघ का विघटन एवं शीत युद्ध की समाप्ति था। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की सक्रियता भी थोड़ी कम हो गई। पूर्वी यूरोप के अधिकांश साम्यवादी देशों में आतंकवादी हवा चलने लगी।

इन सभी परिस्थितियों ने विश्व को बहु-ध्रुवीय के स्थान पर एक-ध्रुवीय (Unipolar) बनाने में मदद की। एक-ध्रुवीय विश्व का नेता अमेरिका था, क्योंकि उसे किसी भी अन्य शक्ति से चुनौती नहीं मिल पा रही थी। अतः वह विश्व राजनीति में एक महाशक्ति रह गया था जिसके कारण विश्व एक-ध्रुवीय होता चला गया। एक-ध्रुवीय व्यवस्था के मुख्य कारण 1990 के दशक में विश्व के एक ध्रुवीय होने के निम्नलिखित कारण थे

1. शीत युद्ध की समाप्ति:
शीत युद्ध की समाप्ति ने विश्व को एक-ध्रुवीय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोवियत संघ का 1991 में विघटन हो गया। सोवियत संघ के विघटन के परिणामस्वरूप रूस ने सोवियत संघ का स्थान लिया, परन्तु रूस सोवियत संघ जितना शक्तिशाली कभी नहीं रहा। इन सब कारणों से अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा जिससे विश्व एक-ध्रुवीय बन गया, क्योंकि अमेरिका को कोई भी देश चुनौती देने की स्थिति में नहीं था।

2. रूस की कमज़ोर स्थिति:
जैसा कि हम वर्णन कर चुके हैं कि सोवियत संघ के पतन के बाद उसका स्थान रूस ने लिया। परन्तु रूस कभी भी सोवियत संघ जैसी प्रभावशाली स्थिति प्राप्त न कर सका। इसके कारण अमेरिका पर अंकुश लगाने वाली कोई शक्ति नहीं थी, जिसके कारण विश्व पर अमेरिका का प्रभाव बढ़ता ही गया तथा विश्व एक ध्रुवीय हो गया।

3. पूर्वी यूरोप में परिवर्तन:
सोवियत संघ के पतन के बाद पूर्वी यूरोप में कई ऐसे परिवर्तन हुए जिससे अमेरिका का प्रभाव विश्व राजनीति में बढ़ता ही चला गया। पूर्वी यूरोप के अधिकांश देश, जो पहले सोवियत संघ के प्रभाव क्षेत्र में थे, धीरे-धीरे साम्यवाद के प्रभाव से बाहर आकर पश्चिमी यूरोप के पूंजीवादी देशों से अपने सम्बन्ध बनाने लगे। ये परिवर्तन विश्व राजनीति में अमेरिका के प्रभाव को बढ़ाने वाले साबित हुए।

4. साम्यवादी देशों में उदारवादी परिवर्तन:
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् न केवल पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देशों में ही उदारवादी परिवर्तन हुए, बल्कि विश्व के अन्य साम्यवादी देशों में भी उदारवादी परिवर्तन हुए, जिससे अमेरिका की भूमिका विश्व राजनीति में महत्त्वपूर्ण हो गयी।

5. नाटो का विस्तार:
शीत युद्ध के प्रारम्भिक वर्षों में अमेरिका ने नाटो का निर्माण किया था। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भी अमेरिका ने नाटो को न केवल बनाए रखा, बल्कि इसका सम्यवादी देशों में विस्तार भी किया। र्तमान समय में रूस भी नाटो का एक सदस्य देश है। अतः स्पष्ट है कि नाटो के और अधिक विस्तार एवं शक्तिशाली होने से अमेरिका की विश्व राजनीति में धमक और अधिक बढ़ी है तथा विश्व एक-ध्रुवीय बन गया।

6. अमेरिका के विश्व राजनीति में बढ़ते प्रभाव एवं विश्व के एक ध्रुवीय होने का एक कारण विश्व राजनीति में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की प्रासंगिकता में कमी आना है।

7. विश्व राजनीति में अमेरिका के प्रभाव के बढ़ने का एक कारण यह है, कि इसके लिए स्वयं अमेरिका ने बहुत अधिक प्रयास किए हैं।

8. आतंकवाद की समस्या ने विश्व राजनीति में अमेरिका के प्रभाव को और अधिक बढ़ाया है। 9. इराक एवं अफ़गानिस्तान में अमेरिका के सैनिक हस्तक्षेप ने भी उसके प्रभाव में वृद्धि की है।

10. उपरोक्त कारणों के अतिरिक्त वर्तमान समय में अमेरिका विश्व राजनीतिक में जो भूमिका निभा रहा है, उसने भी उसके प्रभाव को बढ़ाया है।

प्रश्न 6.
एक-ध्रुवीय व्यवस्था के लाभ लिखिए।
उत्तर:
एक-ध्रुवीय विश्व के निम्नलिखित लाभ हुए हैं
1. शान्तिपूर्ण व्यवस्था की स्थापना (Establishment of Peaceful System):
एक-ध्रुवीय विश्व का है, कि इससे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शान्तिपूर्ण व्यवस्था की स्थापना हो सकती है। द्वि-ध्रुवीय विश्व में दोनों गुटों, अमेरिका एवं सोवियत संघ में सदैव शीत युद्ध चलता रहा है, जिसके कारण अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भय व आतंक का वातावरण बना रहता था। परन्तु 1991 में सोवियत संघ के पतन एवं शीत युद्ध के समाप्त होने से विश्व स्तर पर शान्ति की स्थापना सम्भव हो सकी।

2. साम्यवाद के उग्रवादी व्यवहार पर नियन्त्रण (Control over Extremism of Communism):
एक ध्रुवीय विश्व का एक और महत्त्वपूर्ण लाभ यह हुआ है कि इसमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर साम्यवाद के उग्रवादी व्यवहार पर नियन्त्रण लग गया। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् साम्यवादी विचारधारा को बहुत अधिक नुकसान हुआ, साम्यवादी विचारधारा के साधनों में बहुत कमी आ गई है, जिससे रूस तथा चीन जैसे साम्यवादी देशों के उग्रवादी व्यवहार में कुछ कमी आई। शीत युद्ध तथा द्वि-ध्रुवीय विश्व के समय सोवियत संघ विश्व के अन्य देशों में तथा चीन एशिया के देशों में साम्यवादी विचारधारा का बड़ी उग्रता से प्रचार तथा विस्तार करते थे, परन्तु एक ध्रुवीय विश्व में इस प्रकार की उग्रता पर नियन्त्रण लग गया।

3. तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा (Encouragement to Technological and Scientific Development):
एक-ध्रुवीय विश्व में तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा मिला है। जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तथा शीत युद्ध समाप्त हो गया, तब द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था भी समाप्त हो गई, इसके पश्चात् अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नव-निर्माण एवं पुनर्निर्माण की भी आवश्यकता अनुभव की गई, जिससे तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा दिया गया। क्योंकि नव-निर्माण एवं पुनर्निर्माण तब तक सम्भव नहीं था, जब तक तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा न मिले।

4. यूरोप में शान्ति एवं एकीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ (Beginning of Peace and Integration Process in Europe):
एक-ध्रुवीय विश्व का एक लाभ यह हुआ, कि इससे यूरोप में शान्ति एवं एकीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ हुआ। द्वि-ध्रुवीय विश्व के अन्तर्गत यूरोप में सदैव तनाव बना रहता था, जर्मनी का विभाजन भी हो गया था। परन्तु द्वि-ध्रुवीय के समाप्त होने तथा एक-ध्रुवीय के अस्तित्व में आने से यूरोप में न केवल शान्ति स्थापित हुई, बल्कि जर्मनी जैसे देशों का एकीकरण भी हुआ।

5. उदारवाद का अधिक लोकप्रिय होना (Increasing Popularity of Liberalism)-एक-ध्रुवीय विश्व का एक लाभ यह हुआ है कि इसने उदारवादी विचारधारा या उदारवाद को अधिक लोकप्रिय बनाया। द्वि-ध्रुवीय विश्व में सदैव उदारवाद एवं साम्यवाद में तनाव चलता रहता था जिसके कारण किसी भी विचारधारा को बढ़ावा नहीं मिल पाता था। परन्तु द्वि-ध्रुवीय विश्व की समाप्ति एवं एक-ध्रुवीय विश्व (पूंजीवादी) के अस्तित्व में आने से उदारवाद को अधिक बढ़ावा मिला तथा इसकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई।

विश्व के अधिकांश राज्य (यहां तक कि साम्यवादी राज्य भी) उदारवादी विचारधारा को अपनाने लगे। इस विचारधारा के अन्तर्गत मुक्त व्यापार को बढ़ावा दिया गया। उदारवाद के कारण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण को भी बढ़ावा मिला, जिससे विभिन्न निर्धन, विकासशील एवं अविकसित देशों को विकास करने के अधिक अवसर प्राप्त हुए। आधुनिक समय में कल्याणकारी राज्य की धारणा ने जन्म लिया। राज्यों के नागरिकों पर कुछ कर लगाकार उससे जन-कल्याण के कई कार्य किए।

6. शान्ति स्थापना में सहायक (Helpful in Peace Process):
एक-ध्रुवीय विश्व में विश्व स्तर पर शान्ति स्थापना में सहायता मिलती है। द्वि-ध्रुवीय विश्व में दोनों गुटों में तनाव रहता था। परन्तु एक-ध्रुवीय विश्व में ऐसी स्थिति नहीं थी। यदि विश्व के किसी एक भाग में तनाव पैदा होता है, तो विश्व में केवल एक महाशक्ति होने के कारण विश्व स्तर पर शान्ति बनाने का उत्तरदायित्व उस पर ही अधिक होता है, तथा किसी दूसरे शक्तिशाली गुट के न होने से वह शीघ्र निर्णय लेने में भी स्वतन्त्र रहता है ताकि तनाव को समाप्त किया जा सके।

7. जनता के जीवन स्तर में सुधार (Improvement in the Living Standard of People):
एक-ध्रुवीय विश्व का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह हुआ है, कि इससे विश्व स्तर पर जनता के जीवन-स्तर में काफी सुधार आया है। एक ध्रुवीय विश्व में उदारवाद, निजीकरण, वैश्वीकरण तथा कल्याणकारी राज्य की धारणा को अधिक बढ़ावा मिला है, इन सभी परिवर्तनों से जनता को अधिक-से-अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं, न केवल अपने देश में ही, बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी। इससे उनके जीवन स्तर पर काफ़ी सुधार आया है।

8. आर्थिक विकास को बढ़ावा (Encouragement to Economic Development):
एक-ध्रुवीय विश्व का एक अन्य महत्त्वपूर्ण लाभ यह रहा है कि इसमें आर्थिक विकास को अधिक महत्त्व एवं बढ़ावा दिया गया है। इसमें विश्व स्तर पर आर्थिक सुधार लागू करने, वित्तीय घाटों को कम करने तथा लोगों के आर्थिक जीवन में सुधार जैसे विषय शामिल थे।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 7.
एक-ध्रुवीय विश्व के अवगुण लिखें। (Write the demerits of Unipolar World.)
उत्तर:
एक-ध्रुवीय विश्व के जहां कुछ लाभ हैं, वहीं पर कुछ दोष या हानियां भी हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

1. नव-साम्राज्यवाद का उदय (Rise of New Imperialism):
एक-ध्रुवीय विश्व का सबसे बड़ा दोष यह है, कि इस एक तरह से पुनः साम्राज्यवाद का उदय हुआ है, इसे हम नव-साम्राज्यवाद भी कह सकते हैं। अमेरिका ने विश्व के अधिकांश देशों में बड़ी-बड़ी कम्पनियां खोलकर वहां पर आर्थिक प्रभुत्व जमाकर साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया है।

2. अमेरिका का बढ़ता प्रभुत्व (Increasing Importance of America):
एक-ध्रुवीय विश्व का एक दोष यह है कि इसके अन्तर्गत विश्व राजनीति में अमेरिका का अनावश्यक प्रभुत्व बढ़ गया। प्रभुत्व बढ़ने से अमेरिका ने अनावश्यक हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। विश्व का कोई भी क्षेत्र अमेरिकन हस्तक्षेप से अछूता नहीं रहता है। इराक, अफ़गानिस्तान, पनामा, क्यूबा, सोमालिया, उत्तरी कोरिया तथा ईरान जैसे राज्य अमेरिकन हस्तक्षेप के उदाहरण हैं। समय-समय पर विश्व के अन्य राज्यों द्वारा अमेरिका की इस प्रकार की कार्यवाहियों की आलोचना भी होती रही है, परन्तु अमेरिका पर इसका कोई प्रभाव नहीं।

3. वैश्विक आतंकवाद की समस्या (Problem of Global Terrorism):
वर्तमान समय की एक महत्त्वपूर्ण समस्या वैश्विक आतंकवाद है। हालांकि आतंकवाद की समस्या द्वि-ध्रुवीय विश्व में भी थी, परन्तु तब इसका क्षेत्र बहत अधिक नहीं था, परन्तु एक-ध्रुवीय विश्व में आतंकवाद की समस्या ने पूरे विश्व को चिन्तित कर रखा है। सितम्बर, 2001 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सैन्टर पर आतंकवादी हमला, दिसम्बर, 2001 में भारतीय संसद् पर हमला, मार्च 2003 में रूस के एक सिनेमा घर में दर्शकों को बन्दी बनाना, जून 2006 में लन्दन में बम विस्फोट तथा जुलाई, 2006 में बम्बई की ट्रेनों में सिलसिलेवार बम विस्फोट इस आतंकवादी समस्या के उदाहरण हैं।

4. आर्थिक सहायता में पक्षपात (Discrimination Regarding Financial Help):
एक-ध्रुवीय विश्व में अमेरिका एक महाशक्ति के रूप में समय-समय पर विश्व के ग़रीब एवं पिछड़े देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है, परन्तु कुछ देशों का यह आरोप है, कि अमेरिका विभिन्न देशों की आर्थिक सहायता देते समय पक्षपात करता है। अमेरिका उन देशों को अधिक आर्थिक सहायता देता है, जो उसकी नीतियों का आंख मूंदकर समर्थन करते हैं, या जो देश अमेरिका के पिछलग्गू हैं।

5. संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता में कमी (Decline of effectiveness of U.N.O.):
एक-ध्रुवीय विश्व का सबसे बड़ा दोष यह रहा है कि इसमें संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशाली में बहुत कमी आई है। अमेरिका के द्वारा विश्व राजनीति में जो अनावश्यक हस्तक्षेप किया जाता है, उसमें संयुक्त राष्ट्र रोकने में असफल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में अमेरिका अपने प्रभाव से कई विषयों में अपने पक्ष में प्रस्ताव पास कर लेता है।

6. आर्थिक संकट (Economic Crises):
एक-ध्रुवीय विश्व में यद्यपि उदारवाद, निजीकरण, वैश्वीकरण एवं आर्थिक विकास की बात की जाती है, परन्तु वास्तविकता यह है कि, इस आर्थिक उदारीकरण के दौर में भी कई देशों में भुखमरी, बेरोज़गारी तथा ग़रीबी पाई जाती है।

प्रश्न 8.
क्या अमेरिका के वर्चस्व की कोई सीमाएं हैं ? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अमेरिका बहुत शक्तिशाली देश है, विशेषकर शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात्। विश्व की प्रत्येक अन्तर्राष्ट्रीय घटना चाहे वह आर्थिक हो, राजनीतिक हो, सांस्कृतिक हो, या कोई अन्य हो, सभी पर अमेरिका के प्रभाव को देखा जा सकता है। परन्तु इस प्रभाव पर कुछ सीमाएं भी हैं। ऐतिहासिक तौर पर कोई भी साम्राज्य अजेय नहीं रहा तथा लगभग सभी साम्राज्यों का समय के साथ-साथ नाश हो गया। इसी तरह अमेरिकन व्यवस्था में कुछ इस प्रकार की सीमाएं हैं, जो उसे आगे बढ़ने से रोकती हैं

अमेरिकी वर्चस्व की राह में मुख्य रूप से तीन व्यवधान हैं

1. अमेरिका की संस्थागत बनावट-अमेरिका के वर्चस्व का प्रथम व्यवधान अमेरिका की स्वयं की संस्थागत बनावट है। अमेरिका में सरकार के तीनों अंग एक-दूसरे से स्वतन्त्र हैं तथा कार्यपालिका अमेरिकी सैनिक अभियानों पर अंकुश लगाता है।

2. उन्मुक्त समाज-अमेरिकन वर्चस्व की राह में दूसरा व्यवधान अमेरिकी उन्मुक्त समाज है। अमेरिकी उन्मुक्त समाज में शासन के उद्देश्य और ढंगों को लेकर संदेह बना रहता है।

3. नाटो-अमेरिकन वर्चस्व के मार्ग का तीसरा महत्त्वपूर्ण व्यवधान ‘नाटो’ है और आने वाले दिनों में अमेरिकी वर्चस्व को नाटो द्वारा ही कम किया जा सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक-ध्रुवीय विश्व से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व धीरे-धीरे दो गुटों में बंट गया। एक गुट का नेता उदारवादी देश अमेरिका था तो दूसरे गुट का नेता साम्यवादी देश सोवियत संघ था। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् लगभग 15 वर्षों तक इन दोनों देशों में अधिक-से-अधिक शक्तिशाली बनने की होड़ लगी रही। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि इस समय विश्व पूर्ण रूप से द्वि-ध्रुवीय (Bipolar) था। परन्तु 1980 के दशक के अन्त एवं 1990 के दशक के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक स्तर पर परिवर्तन आए।

अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सबसे बड़ा परिवर्तन सोवियत संघ का विघटन एवं शीत युद्ध की समाप्ति था। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की सक्रियता भी थोड़ी कम हो गई। पूर्वी यूरोप के अधिकांश साम्यवादी देशों में आतंकवादी हवा चलने लगी। इन सभी परिस्थितियों ने विश्व को बह-ध्रुवीय के स्थान पर एक-ध्रवीय (Unipolar) बनाने में मदद की। एक ध्रुवीय विश्व का नेता अमेरिका था, क्योंकि उसे किसी भी अन्य शक्ति से चुनौती नहीं मिल पा रही थी। अतः वह विश्व राजनीति में एकमात्र महाशक्ति रह गया था जिसके कारण विश्व एक-ध्रुवीय होता चला गया।

प्रश्न 2.
विश्व के एक-ध्रुवीय होने के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
1. शीत युद्ध की समाप्ति:
शीत युद्ध की समाप्ति ने विश्व को एक-ध्रुवीय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही अमेरिका एवं सोवियत संघ में एक-दूसरे से अधिक शक्तिशाली होने के लिए युद्ध चल रहा था। विश्व में शक्ति सन्तुलन इन दो महाशक्तियों के हाथ में ही थी। परन्तु 1980 के दशक में सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव ने पैट्राइस्का तथा ग्लासनोस्ट की नीति अपनाई, जिसके कारण सोवियत संघ का 1991 में विघटन हो गया।

सोवियत संघ के विघटन के परिणामस्वरूप रूस ने सोवियत संघ का स्थान लिया, परन्तु रूस सोवियत संघ जितना शक्तिशाली कभी नहीं रहा। इन सब कारणों से अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा जिससे विश्व एक-ध्रुवीय बन गया, क्योंकि अमेरिका को कोई भी देश चुनौती देने की स्थिति में नहीं था।

2. रूस की कमज़ोर स्थिति:
सोवियत संघ के पतन के बाद उसका स्थान रूस ने लिया। परन्तु रूस कभी भी सोवियत संघ जैसी प्रभावशाली स्थिति प्राप्त न कर सका। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में रूस कभी निर्णायक भूमिका नहीं निभा सका। अफ़गानिस्तान समस्या तथा इराक समस्या इनका उदाहरण है। इसके कारण अमेरिका पर अंकुश लगाने वाली कोई शक्ति नहीं थी, जिसके कारण विश्व पर अमेरिका का प्रभाव स्थापित हो गया तथा विश्व एक-ध्रुवीय हो गया।

प्रश्न 3.
प्रथम खाड़ी युद्ध के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • इराक द्वारा कुवैत पर कब्ज़ा : प्रथम खाड़ी युद्ध का सबसे बड़ा कारण इराक द्वारा कुवैत पर कब्जा करना था।
  • अमेरिका की युद्ध की इच्छा : प्रथम खाड़ी युद्ध के लिए अमेरिका की युद्ध की इच्छा भी ज़िम्मेदार थी।
  • सोवियत संघ का पतन : सोवियत संघ के पतन के पश्चात् अमेरिका पर लगाम कसने वाला कोई था।
  • सयुक्त राष्ट्र संघ की असफलता : प्रथम खाड़ी युद्ध के पहले संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी सही भूमिका नहीं निभा पाया।

प्रश्न 4.
अमेरिका ने अफ़गानिस्तान पर हमला क्यों किया ?
उत्तर:

1. 9/11 की घटना:
11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर एवं पेंटागन आतंकवादी हमला किया गया। इस हमले में लगभग 3000 लोग मारे गए। इस आतंकवादी हमले में अल-कायदा के शामिल होने की शंका जाहिर की गई। परिणामस्वरूप अमेरिका ने बदले की कार्यवाही करते हुए अफ़गानिस्तान जोकि अल-कायदा का गढ़ बन चुका था, में युद्ध की घोषणा कर दी।

2. अफ़गानिस्तान में तालिबान एवं अल-कायदा का शासन:
अमेरिका ने अफ़गानिस्तान में युद्ध इसलिए शुरू गानिस्तान में 2001 में तालिबान एवं अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठनों का शासन था, जो विश्व स्तर पर आतंकवादी गतिविधियां कर रहे थे। अतः अमेरिका ने इन आतंकवादी संगठनों को समाप्त करने के लिए भी अफ़गानिस्तान में युद्ध किया।

प्रश्न 5.
शीत युद्ध के बाद भारत-अमेरिकी सम्बन्धों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
1990-91 में प्रमुख साम्यवादी देश सोवियत संघ विखंडित हो गया और इसके 15 गणराज्य नए राज्यों के रूप में सामने आए। विश्व परिदृश्य पर यह घटना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। सोवियत संघ के विखण्डन से अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चलने वाला शीत युद्ध भी समाप्त हो गया। पूर्व और पश्चिम के देशों में विचारधारात्मक शत्रुता की कड़वाहट समाप्त हो गई।

ऐसे में अमेरिका की रुचि पूर्वी देशों की अर्थव्यवस्थाओं या बाज़ारों में बढ़ गई। भारतीय अर्थव्यवस्था भी विविधतापूर्ण और व्यापक है। भारत को अपने आर्थिक विकास के लिए तकनीकी, आर्थिक और भौतिक मंदद की आवश्यकता है। अमेरिका भी आर्थिक दृष्टि से भारत के महत्त्व को पहचानने लगा है। धीरे-धीरे दोनों देशों के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है।

दूसरी ओर भारत और अमेरिका को आतंकवादी गतिविधियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए भी दोनों देशों के बीच आपसी सूझ-बूझ का वातावरण तैयार हुआ है। शीत युद्ध के बाद अमेरिका व भारत के बीच अनेक समझौते हुए और दोनों देशों के राष्ट्रपतियों व उच्चाधिकारियों ने एक-दूसरे के यहां यात्राएं की।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 6.
आर्थिक क्षेत्र में अमेरिका को किन देशों से चुनौती मिल रही है ?
उत्तर:
अमेरिका विश्व की एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक महाशक्ति है। विश्व के सभी महत्त्वपूर्ण आर्थिक सम्मेलनों पर अमेरिका का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है, परन्तु वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अमेरिका को जापान, चीन एवं भारत से कड़ी चुनौती मिल रही है। जापान 1970 एवं 1980 के दशक से ही आर्थिक एवं तकनीकी क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देता आया है। परन्तु 1980 के बाद से चीन भी एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में अमेरिका को चुनौती दे किर रहा है।

जहां जापान, अमेरिका का एक सहयोगी रहा है, वहीं चीन अमेरिका का प्रतियोगी माना जाता है। चीन अमेरिका . की आर्थिक प्रभावशीलता को कम करने के लिए अपनी ही राष्ट्रीय मुद्रा का अवमूल्यन करने से भी गुरेज नहीं करता। चीन के साथ-साथ 1990 के दशक में भारत ने भी अमेरिका की आर्थिक वर्चस्वता को चुनौती देनी शुरू कर दी। चीन ने अमेरिका को उत्पादन आधारित विकास पर परम्परागत उपायों पर जोर देते हुए चुनौती दी है, तो भारत ने वैश्विक सेवा के क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती दी है।

प्रश्न 7.
अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में उत्पन्न किन्हीं चार चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अमेरिकी वर्चस्व के मार्ग में मुख्य रूप से निम्न चुनौतियां हैं

1. अमेरिका की संस्थागत बनावट:
अमेरिका के वर्चस्व की प्रथम चुनौती अमेरिका की स्वयं की संस्थागत बनावट है। अमेरिका में सरकार के तीनों अंग एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं तथा कार्यपालिका अमेरिकी सैनिक अभियानों पर अंकुश लगाती है।

2. उन्मुक्त समाज:
अमेरिकन वर्चस्व की राह में दूसरी चुनौती अमेरिकी उन्मुक्त समाज है। अमेरिकी उन्मुक्त समाज में शासन के उद्देश्य और ढंगों को लेकर संदेह बना रहता है।

3. नाटो:
अमेरिकन वर्चस्व के मार्ग की तीसरी महत्त्वपूर्ण चुनौती ‘नाटो’ है और आने वाले दिनों में अमेरिकी वर्चस्व को नाटो द्वारा ही कम किया जा सकता है।

4. आर्थिक क्षेत्र में चुनौती:
अमेरिका को चीन, भारत, यूरोपीय संघ तथा जापान से लगातार चुनौती मिल रही है जो उसके वर्चस्व में बाधा बनती है।

प्रश्न 8.
‘आपरेशन डेजर्ट स्टार्म’ पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
प्रथम खाड़ी युद्ध, जोकि 1990-1991 में हुआ था, को ‘ऑपरेशन डेजर्ट-स्टॉर्म’ के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध इराक एवं अमेरिका गठबन्धन सेनाओं के बीच लड़ा गया। 1990 में इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन ने अपने छोटे से पड़ोसी देश कुवैत पर कब्जा कर लिया। कुवैत को स्वतन्त्र कराने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में 34 देशों के लगभग 6 लाख 70 हजार सैनिकों ने इराक के खिलाफ़ युद्ध छेड़ दिया।

प्रश्न 9.
अमेरिकी वर्चस्व से निपटने के कोई चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  • अमेरिकी वर्चस्व से निपटने का सबसे अच्छा उपाय बैंड बैगन की रणनीति है।
  • एक देश को अपने आपको अमेरिका की नजरों से छुपा कर रखना चाहिए।
  • अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मज़बूत करना चाहिए।
  • विभिन्न देशों को सामूहिक सुरक्षा का सिद्धान्त अपनाना चाहिए।

प्रश्न 10.
वर्चस्वता के इतिहास की व्याख्या करें।
उत्तर:
विश्व राजनीति में ऐसे बहुत कम अवसर आए हैं, जब सम्पूर्ण विश्व पर किसी एक देश की वर्चस्वता स्थापित हुई। इतिहास में अमेरिका से पहले ऐसे अवसर केवल दो बार ही आए हैं, जब किसी देश या संघ ने अमेरिका की तरह अपना वर्चस्व कायम किया हो। 1660 से लेकर 1713 ई० तक फ्रांस का वर्चस्व था जबकि 1860 से लेकर 1910 तक ब्रिटेन का वर्चस्व रहा।

ब्रिटेन ने समुद्री व्यापार के बल पर अपना वर्चस्व कायम किया। वर्चस्वता के विषय में इतिहास से हमें यह भी सीख मिलती है कि सदैव किसी एक देश का वर्चस्व स्थापित नहीं रह सकता। समय आने पर एक शक्तिशाली देश का स्थान दूसरा देश ले लेता है।

प्रश्न 11.
1990 के दशक में विश्व के एक-ध्रुवीय होने के क्या कारण थे ?
अथवा
विश्व को एक-धुव्रीय बनाने के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों का वर्णन करें।
उत्तर:
1990 के दशक में विश्व के एक-ध्रुवीय होने के निम्नलिखित कारण थे

1. शीत युद्ध की समाप्ति (End of Cold War):
शीत युद्ध की समाप्ति ने विश्व को एक-ध्रुवीय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा, जिससे विश्व एक-ध्रुवीय बन गया, क्योंकि अमेरिका को कोई भी देश चुनौती देने की स्थिति में नहीं था।

2. रूस की कमज़ोर स्थिति (Weaker Position of Russia):
जैसा कि हम ऊपर वर्णन कर चुके हैं जो सोवियत संघ के पतन के बाद उसका स्थान रूस ने लिया। परन्तु रूस कभी भी सोवियत संघ जैसी प्रभावशाली स्थिति प्राप्त न कर सका।

3. पूर्वी यूरोप में परिवर्तन (Changes in East Europe):
सोवियत संघ के पतन के बाद पूर्वी यूरोप में कई ऐसे परिवर्तन हुए जिससे अमेरिका का प्रभाव विश्व राजनीति में बढ़ता ही चला गया।

4. साम्यवादी देशों में उदारवादी परिवर्तन (Liberal Changes in Communist Countries):
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् न केवल पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देशों में ही उदारवादी परिवर्तन हुए, बल्कि विश्व के अन्य साम्यवादी देशों में भी उदारवादी परिवर्तन हुए, जिससे अमेरिका की भूमिका विश्व राजनीति में महत्त्वपूर्ण हो गयी।

प्रश्न 12.
वर्तमान विश्व में अमेरिका के एकाधिकार का क्या अर्थ है ? अमेरिका के एकाधिकार को बनाए रखने वाले कोई दो तत्त्व बताएं।
उत्तर:
वर्तमान विश्व में अमेरिका के एकाधिकार का अर्थ यह है कि अमेरिका आज विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश है तथा पूरे विश्व में उसका प्रभाव है। विश्व राजनीति में अमेरिका की इच्छानुसार ही निर्णय लिए जाते हैं तथा यदि कोई देश अमेरिका की इच्छानुसार कार्य नहीं करता तो अमेरिका उस पर कई तरह के प्रतिबन्ध लगा देता है तथा आवश्यकता पड़ने पर सैनिक शक्ति का भी प्रयोग करता है। वर्तमान विश्व में अमेरिका के एकाधिकार को बनाये रखने में दो तत्त्वों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

  • सैनिक शक्ति-वर्तमान विश्व में अमेरिका के एकाधिकार को बनाये रखने में अमेरिका की सैनिक शक्ति का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  • आर्थिक शक्ति-सैनिक शक्ति के साथ-साथ अमेरिका की अर्थव्यवस्था ने भी विश्व में अमेरिका के एकाधिकार को बनाये रखा है।

प्रश्न 13.
एक ध्रुवीय व्यवस्था के कोई चार लाभ लिखिए।
उत्तर:
1. शान्तिपूर्ण व्यवस्था की स्थापना- एक ध्रुवीय विश्व का सर्वप्रथम लाभ यह है, कि इससे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शान्तिपूर्ण व्यवस्था की स्थापना हो सकती है।

2. साम्यवाद के उग्रवादी व्यवहार पर नियन्त्रण-एक-ध्रुवीय विश्व का एक और महत्त्वपूर्ण लाभ यह हआ है कि इसमें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर साम्यवाद के उग्रवादी व्यवहार पर नियन्त्रण लग गया।

3. तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा-एक-ध्रुवीय विश्व में तकनीकी एवं वैज्ञानिक विकास को बढ़ावा मिला है।

4. यूरोप में शान्ति एवं एकीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ-एक-ध्रुवीय विश्व का एक लाभ यह हुआ, कि इससे यूरोप में शान्ति एवं एकीकरण की प्रक्रिया का आरम्भ हुआ।

प्रश्न 14.
सैन्य शक्ति के रूप में अमेरिका के वर्चस्व की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अमेरिका की वर्तमान शक्ति की रीढ़ उसकी सैन्य क्षमता है। वर्तमान समय में अमेरिका की सैन्य शक्ति अन्य देशों के मुकाबले अद्भुत एवं अनूठी है। वर्तमान समय में अमेरिका अपनी सैन्य क्षमता के बल पर विश्व के किसी भी भाग पर हमला कर सकता है उसका हमला भी अचूक एवं संहारक होता है। अमेरिका अपनी सेना को यद्धभमि में दर रखकर भी विरोधी देश को उसके अपने घर में ही पूरी तरह से शक्तिहीन करके लाचार बना सकता है। आज अमेरिका की सैन्य शक्ति का अंदाजा इसी बाते से लगाया जा सकता है कि वह 12 सर्वाधिक सैन्य खर्च करने वाले देशों से भी ज्यादा अकेला ही अपनी सेना पर खर्च करता है।

प्रश्न 15.
अमेरिका के वर्चस्व के ढांचागत शक्ति के रूप की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अमेरिका के वर्चस्व में ढांचागत शक्ति का भी विशेष योगदान है। वर्चस्व के ढांचागत शक्ति का अर्थ वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी इच्छा चलाने वाले एक देश की आवश्यकता होती है, जो अपने मतलब की वस्तुओं को बनाये रखता है। अमेरिका विश्व की अर्थव्यवस्था तथा प्रौद्योगिकी के प्रत्येक भाग में विद्यमान है। अमेरिका की विश्व अर्थव्यवस्था में 28% की भागेदारी है।

विश्व की तीन अग्रणी कम्पनियों में से एक अमेरिकन कम्पनी है। विश्व के आर्थिक संगठनों जैसे-विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक तथा विश्व मुद्रा कोष पर अमेरिकन प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। इससे स्पष्ट है कि अमेरिकन वर्चस्व में उसकी ढांचागत शक्ति की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

प्रश्न 16.
अमेरिका के वर्चस्व की सांस्कृतिक शक्ति के रूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1990 के दशक में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् विश्व में अमेरिका ही एकमात्र महाशक्ति रह गया था तथा उसने शक्ति तेजी से और भी बढ़ानी शुरू कर दी। परिणामस्वरूप उसका कई पक्षों से विश्व पर वर्चस्व स्थापित हो गया, जैसे-सैनिक शक्ति के रूप, ढांचागत व्यवस्था के रूप में तथा सांस्कृतिक रूप में। सांस्कृतिक वर्चस्व का अर्थ सहमति गढ़ने की ताकत से है।

कोई प्रभुत्वशाली वर्ग या देश अपने प्रभाव में रहने वाले लोगों को इस तरह सहमत करता है, कि वे दुनिया को उसी दृष्टिकोण से देखें । अमेरिका भी वर्तमान समय में सांस्कृतिक रूप में ताकतवर है। बीसवीं शताब्दी तथा 21वीं शताब्दी के आरम्भ में सांस्कृतिक क्षेत्र में जो बदलाव या परिवर्तन आ रहे हैं वे सब अमेरिकन संस्कृति के ही प्रतिबिम्ब हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका में प्रचलित जीन्स को आज अधिकांश देशों के लोग पहनने के अभ्यस्त हो गये हैं।

प्रश्न 17.
अमेरिका की आर्थिक प्रबलता उसकी ढांचागत शक्ति से पृथक् नहीं है। वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अमेरिका की आर्थिक प्रबलता उनकी ढांचागत शक्ति में ही पाई जाती है। अमेरिका अपनी ढांचागत शक्ति के कारण ही विश्व में आर्थिक प्रभुत्व बनाए हुए है, तथा विश्व आर्थिक संस्थाओं को नियन्त्रित कर रहा है। विश्व में सार्वजनिक वस्तुओं को उपलब्ध कराने में अमेरिका ने अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्योंकि अमेरिका के पास इस प्रकार का आधारभूत ढांचा है, कि वह सम्पूर्ण विश्व से सम्पर्क कर सके।

उदाहरण के लिए अमेरिका अपनी नौसेना की शक्ति के कारण व्यापारिक जलयानों को नियन्त्रित करता है। कम्प्यूटर एवं इंटरनेट की शक्ति के कारण विश्व में आदान-प्रदान होने वाली सूचनाओं पर नियन्त्रण रखता है। अमेरिका की विश्व अर्थव्यवस्था में लगभग 28% भागेदारी है। एम० बी० ए० अमेरिकन ढांचागत शक्ति का एक अन्य उदाहरण है। अतः स्पष्ट है कि अमेरिका की आर्थिक प्रबलता उनकी ढांचागत शक्ति में ही पाई जाती है।

प्रश्न 18.
एक आक्रमण में सैनिक बल प्राय: जिन चार नियत कार्यों को पूरा करना चाहते हैं, उनका उल्लेख कीजिए। इराक पर आक्रमण में किस कार्य में अमेरिका की गम्भीर कमज़ोरी सामने प्रतिबिम्बित हुई ?
उत्तर:
एक आक्रमण में सैनिक बल प्रायः जिन चार नियत कार्यों को पूरा करना चाहते हैं, वे हैं-

  • युद्ध जीतना,
  • अपरोध करना,
  • दण्ड देना,
  • कानून व्यवस्था बहाल करना।

अमेरिका ने इराक युद्ध में दिखा दिया, कि उसकी युद्ध जीतने की क्षमता बहुत अधिक है, तथा वह सैनिक शक्ति में बाकी अन्य देशों से बहुत आगे है। अमेरिका की अवरोध करने एवं दण्ड देने की क्षमता भी बहुत अधिक है। इराक के विषय में अमेरिका की सैन्य क्षमता बल की केवल एक कमज़ोरी नज़र आती है, और वह यह है कि अमेरिका इराक में कानून एवं व्यवस्था स्थापित नहीं कर पाया।

प्रश्न 19.
‘बैंड-वैगन’ की रणनीति से क्या अभिप्राय है ? यह छुपा’ की रणनीति से कैसे भिन्न है ?
उत्तर:
‘बैंड वैगन’ की रणनीति अमेरिका के वर्चस्व से सम्बन्धित है। विश्व के रणनीतिकारों के लिए सदैव यह एक कठिन प्रश्न रहा है, कि अमेरिका के वर्चस्व से कैसे निपटा जाए। कुछ रणनीतिकारों का मानना है, कि अमेरिका से संघर्ष करने की अपेक्षा उसके वर्चस्व के साये में आकर अधिक-से-अधिक लाभ उठाना चाहिए।

उदाहरण के लिए एक देश के आर्थिक विकास के लिए निवेश करना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा व्यापार को बढ़ावा देना आवश्यक है और ये सभी आवश्यकताएं अमेरिका के साथ रह कर पूरी हो सकती हैं। इस रणनीति को ही ‘बैंड वैगन’ रणनीति कहा जाता है। ‘छुपा’ की रणनीति ‘बैंड वैगन’ की रणनीति से अलग है। इस नीति के अन्तर्गत एक देश अपने आप को इस प्रकार छुपा लेता है, कि वह अमेरिका की नज़रों में न चढ़ पाए।

प्रश्न 20.
एक-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के कोई चार दोष लिखें।
अथवा
एक-ध्रुवीय व्यवस्था के किन्हीं चार दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. नव-साम्राज्यवाद का उदय:
एक-ध्रुवीय विश्व का सबसे बड़ा दोष यह है, कि इस एक तरह से पुनः साम्राज्यवाद का उदय हुआ है, इसे हम नव-साम्राज्यवाद भी कह सकते हैं।

2. अमेरिका का बढ़ता प्रभुत्व:
एक-ध्रुवीय विश्व का एक दोष यह है कि इसके अन्तर्गत विश्व राजनीति में अमेरिका का अनावश्यक प्रभुत्व बढ़ गया। प्रभुत्व बढ़ने से अमेरिका ने विश्व के कई राज्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया।

3. वैश्विक आतंकवाद की समस्या:
एक-ध्रुवीय विश्व में आतंकवाद की समस्या ने पूरे विश्व को चिन्तित कर रखा है।

4. आर्थिक सहायता में पक्षपात:
अमेरिका उन देशों को अधिक आर्थिक सहायता देता है, जो उसकी नीतियों का आँख मूंदकर समर्थन करते हैं, या जो देश अमेरिका के पिछलग्गू हैं।

प्रश्न 21.
अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते की किन्हीं चार चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में उत्पन्न किन्हीं तीन बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. अमेरिका की संस्थागत बनावट:
अमेरिका के वर्चस्व का प्रथम व्यवधान अमेरिका की स्वयं की संस्थागत बनावट है। अमेरिका में सरकार के तीनों अंग एक-दूसरे से स्वतन्त्र हैं, तथा कार्यपालिका अमेरिकी सैनिक अभियानों पर अंकुश लगाता है।

2. उन्मुक्त समाज:
अमेरिकन वर्चस्व की राह में दूसरा व्यवधान अमेरिकी उन्मुक्त समाज है। अमेरिकी अनमुक्त समाज में शासन के उद्देश्य और ढंगों को लेकर संदेह बना रहता है।

3. नाटो:
अमेरिकन वर्चस्व के मार्ग का तीसरा महत्त्वपूर्ण व्यवधान ‘नाटो’ है और आने वाले दिनों में अमेरिकी वर्चस्व को नाटो द्वारा ही कम किया जा सकता है।

4. आर्थिक क्षेत्र में चुनौती-अमेरिका को चीन, भारत, यूरोपीय यूनियन तथा जापान से निरन्तर चुनौती मिल रही है, जो उसके वर्चस्व में बाधा बनती है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 22.
भारत और अमेरिका के बीच तनाव के कोई चार कारण लिखिये।
उत्तर:

  • भारत के पास परमाणु हथियारों का होना, दोनों देशों के बीच तनाव का कारण है।
  • अमेरिका चाहता है कि भारत सी० टी० बी० टी० एवं एन० पी० टी० पर हस्ताक्षर करें, परन्तु भारत सदैव इनकार करता रहा है।
  • भारत के विरोध के बावजूद भी अमेरिका पाकिस्तान के हथियारों की पूर्ति करता है।
  • पर्यावरणीय मुद्दों पर भी दोनों देशों में मतभेद पाया जाता है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
विश्व राजनीति में जब किसी एक देश का ही अधिक प्रभाव हो तथा अधिकांश अन्तर्राष्ट्रीय निर्णय उसकी इच्छानुसार लिए जाएं, तो उसे एक-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था कहा जाता है। जैसे वर्तमान समय में विश्व एक-ध्रुवीय है तथा अमेरिका इसका नेता बना हुआ है।

प्रश्न 2.
विश्व व्यवस्था के एक-ध्रुवीय होने के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:

  • विश्व व्यवस्था को एक-ध्रुवीय होने का एक सोवियत संघ का पतन होना था।
  • शीत युद्ध की समाप्ति के कारण भी विश्व व्यवस्था एक-ध्रुवीय बन गई।

प्रश्न 3.
एक-ध्रुवीय विश्व में अमेरिका कैसे अपना प्रभाव जमा रहा है ?
उत्तर:

  • अमेरिका अधिकांश देशों में आर्थिक हस्तक्षेप कर रहा है।
  • अमेरिका आवश्यकता पड़ने पर सैनिक शक्ति भी प्रयोग कर रहा है।

प्रश्न 4.
‘ऑपरेशन डेजर्ट-स्टॉर्म’ से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
‘ऑपरेशन डेजर्ट-स्टॉर्म’ क्या था ?
उत्तर:
प्रथम खाड़ी युद्ध, जोकि 1990-1991 में हुआ था, को ऑपरेशन डेजर्ट-स्टॉर्म के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध इराक एवं अमेरिका गठबन्धन सेनाओं के बीच लड़ा गया। अगस्त, 1990 में इराक के तानाशाह शासक सद्दाम हुसैन ने अपने छोटे से पड़ोसी देश कुवैत पर कब्जा कर लिया। कुवैत को स्वतन्त्र कराने के लिए अमेरिका के नेतृत्व में 34 देशों के लगभग 6 लाख 70 हजार सैनिकों ने इराक के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।

प्रश्न 5.
आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने कब और कौन-सा ऑपरेशन चलाया।
अथवा
सन् 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के लिए किस आंतकवादी गुट को जिम्मेदार माना गया?
उत्तर:
11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर एवं पेंटागन पर ज़बरदस्त आतंकवादी हमला किया गया। इस हमले में लगभग 3000 लोग मारे गए। इस आतंकवादी हमले के लिए अलकायदा को ज़िम्मेदार माना गया। परिणामस्वरूप अमेरिका ने बदले की कार्यवाही करते हुए अफ़गानिस्तान जोकि अल-कायदा का गढ़ बन चुका था, में युद्ध की घोषणा कर दी।

प्रश्न 6.
अमेरिका द्वारा 2003 में इराक पर किये गए हमले के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने मार्च 2003 में व्यापक विनाश के हथियारों का आरोप लगाकर इराक के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्वीकृति प्राप्त नहीं थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराक के शासक सद्दाम हुसैन को हटाकर उनके स्थान पर कठपुतली सरकार बना दी, परन्तु अमेरिका वहां पर शान्ति कायम न रख पाया।

पश्न 7.
आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने कब और कौन-सा आपरेशन चलाया?
उत्तर:
आंतकवाद के खिलाफ अमेरिका ने अक्तूबर, 2001 में आपरेशन एन्ड्रयूरिंग फ्रीडम चलाया।

प्रश्न 8.
कोई दो उदाहरण देते हुए एक-ध्रुवीय विश्व के विकास की व्याख्या करें।
उत्तर:
1. प्रथम खाड़ी युद्ध-एक-ध्रुवीय विश्व की शुरुआत प्रथम खाड़ी युद्ध से मानी जा सकती है, जब अमेरिका ने अपनी सैनिक शक्ति के बल पर कुवैत को इराक से स्वतन्त्र करवाया था।

2. 9/11 की घटना एवं अफ़गानिस्तान युद्ध-11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर एवं पेंटागन पर जबरदस्त आतंकवादी हमला हुआ। अमेरिका ने इस घटना के लिए तालिबान एवं अलकायदा को दोषी मानते हुए अफ़गानिस्तान पर हमला किया।

प्रश्न 9.
आर्थिक क्षेत्र में अमेरिका को किन देशों से चुनौती मिल रही है ?
उत्तर:
आर्थिक क्षेत्र में अमेरिका को जापान, चीन एवं भारत से कड़ी चुनौती मिल रही है। जापान 1970 एवं 1980 के दशक से ही आर्थिक एवं तकनीकी क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देता आया है। चीन ने अमेरिका को उत्पादन आधारित विकास पर परम्परागत उपायों पर जोर देते हुए चुनौती दी है, तो भारत ने वैश्विक सेवा के क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती दी है।

प्रश्न 10.
विचारधारात्मक क्षेत्र में अमेरिका को किस प्रकार की चुनौतियां मिल रही हैं ?
उत्तर:
1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद अमेरिका ने विचारधारात्मक रूप से भी विश्व में वर्चस्व कायम किया, परन्तु पिछले 10 वर्षों में अमेरिका की इस विचारधारा को आतंकवादी विचारधारा से लगातार चुनौतियां मिल रही हैं। आतंकवादी संगठनों ने नैरोबी तथा दारे-सलाम के अमेरिकी दूतावासों, अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर तथा पेंटागन पर एवं इंग्लैण्ड में बम विस्फोट एवं हवाई हमला करके लगातार अमेरिका की प्रजातान्त्रिक विचारधारा को च

प्रश्न 11.
प्रथम खाड़ी युद्ध के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  • इराक द्वारा कुवैत पर कब्जा-प्रथम खाड़ी युद्ध का सबसे बड़ा कारण इराक द्वारा कुवैत पर कब्जा करना था।
  • अमेरिका की युद्ध की इच्छा-प्रथम खाड़ी युद्ध के लिए अमेरिका की युद्ध की इच्छा भी ज़िम्मेदार थी।

प्रश्न 12.
वर्चस्व से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में वर्चस्व का अर्थ शक्ति का केवल एक ही केन्द्र का होना है। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्राय: सभी देश शक्ति प्राप्त करना एवं उसे बनाये रखना चाहते हैं। यह शक्ति सैनिक शक्ति, राजनीतिक प्रभाव, आर्थिक शक्ति और सांस्कृतिक प्रभाव के रूप में होती है।

प्रश्न 13.
इराक पर अमेरिकी आक्रमण के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:

  • इराक पर अमेरिकी आक्रमण का प्रथम उद्देश्य अमेरिका द्वारा इराक के तेल भण्डारों पर कब्जा करना था।
  • अमेरिका की यह इच्छा थी कि इराक में उसकी पसन्द के अनुसार सरकार का निर्माण हो ताकि तेल उत्पादक देश उसके मित्र एवं सहयोगी बने रहें।

प्रश्न 14.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका के शक्तिशाली होने के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • अमेरिका का युद्ध के समय एवं बाद में निर्यात बहुत बढ़ चुका था, जिससे विश्व में उसका प्रभाव बढ़ गया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका ने जापान के विरुद्ध परमाणु बमों का प्रयोग किया, जिससे विश्व में उसका प्रभाव बहुत बढ़ गया।

प्रश्न 15.
अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते में किन्हीं दो चुनौतियों का उल्लेख करें।
उत्तर:
1. अमेरिका की संस्थागत बनावट-अमेरिका के वर्चस्व का प्रथम व्यवधान अमेरिका की स्वयं की संस्थागत बनावट है। अमेरिका में सरकार के तीनों अंग एक-दूसरे से स्वतन्त्र हैं, तथा कार्यपालिका अमेरिकी सैनिक अभियानों पर अंकुश लगाता है।

2. उन्मुक्त समाज-अमेरिका वर्चस्व की राह में दूसरा व्यवधान अमेरिकी उन्मुक्त समाज है। अमेरिकी अनमुक्त समाज में शासन के उद्देश्य और ढंगों को लेकर संदेह बना रहता है।

प्रश्न 16.
विश्व का पहला बिजनेस स्कूल कब और कहां खोला गया था ?
उत्तर:
विश्व का पहला बिजनेस स्कूल सन् 1881 में अमेरिका में खुला था।

प्रश्न 17.
अमेरिकी वर्चस्व के तीन रूप कौन-से हैं ?
अथवा
अमेरिकी वर्चस्व के तीनों रूपों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • सैन्य शक्ति के रूप में अमेरिका का वर्चस्व।
  • ढांचागत शक्ति के रूप में अमेरिका का वर्चस्व।
  • सांस्कृतिक शक्ति के रूप में अमेरिका का वर्चस्व ।

प्रश्न 18.
प्रथम खाड़ी युद्ध को कम्प्यूटर युद्ध या वीडियो गेमवार क्यों कहा जाता है ? व्याख्या करें।
उत्तर:
प्रथम खाड़ी युद्ध में अमेरिका ने बहुत ही उच्च तकनीक के स्मार्ट बमों का प्रयोग किया, इसलिए इसे कम्प्यूटर युद्ध की संज्ञा दी जाती है। इस युद्ध का विभिन्न देशों के टेलीविज़नों पर व्यापक प्रसार हुआ। इसलिए इसे वीडियो गेमवार भी कहा जाता है।

प्रश्न 19.
वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक वस्तओं से आप क्या अर्थ लेते हैं ?
उत्तर:
वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक वस्तुओं से अभिप्राय ऐसी वस्तुओं से है, जिसका उपयोग प्रत्येक देश या प्रत्येक व्यक्ति समान रूप से कर सके। उस पर किसी प्रकार की रुकावट या कमी न आए। वायु, पानी, सड़क तथा समुद्री व्यापार वैश्विक सार्वजनिक वस्तुओं के महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।

प्रश्न 20.
ब्रेटनवुड प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
ब्रेटनवुड प्रणाली के अन्तर्गत विश्व व्यापार के नियम एवं उपनियम बनाए जाते हैं। इस प्रणाली के अन्तर्गत बनाए गए नियम एवं कानून संयुक्त राज्य अमेरिका के पक्ष में थे और ये नियम एवं कानून आज भी विश्व व्यापार में बुनियादी संरचना की भूमिका निभा रहे हैं।

प्रश्न 21.
अमरीकी वर्चस्व से निबटने के कोई दो सुझाव दीजिये।
उत्तर:

  • अमेरिका के वर्चस्व के साये में (बैंड वैगन) आकर अधिक से अधिक लाभ उठाया जाए।
  • एक देश को अपने आप को इस प्रकार छुपा लेना चाहिए ताकि वह अमेरिका की नज़रों में न आ पाए।

प्रश्न 22.
बैंड-वैगन राजनीति का क्या अर्थ है ?
अथवा
‘बैंड-वैगन’ रणनीति क्या है ?
उत्तर:
रणनीतिकारों का मानना है, कि अमेरिका से संघर्ष करने की अपेक्षा उसके वर्चस्व के साये में आकर अधिक-से-अधिक लाभ उठाना चाहिए। उदाहरण के लिए एक देश के आर्थिक विकास के लिए निवेश करना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण तथा व्यापार को बढ़ावा देना आवश्यक है और ये सभी आवश्यकताएं अमेरिका के साथ रह कर पूरी हो सकती हैं। इस रणनीति को ही ‘बैंड वैगन’ रणनीति कहा जाता है।

प्रश्न 23.
अमेरिका के सांस्कृतिक वर्चस्व के कोई दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:

  • विश्व में लोगों द्वारा अमेरिका द्वारा प्रचलित जीन्स पहनी जा रही है।
  • अमेरिका में प्रचलित जंक फूड (फास्टफूड) विश्व में लोकप्रिय हो गया है।

प्रश्न 24.
‘पेंटागन’ अमेरिका में क्या है ?
उत्तर:
‘पेंटागन’ अमेरिका में रक्षा मन्त्रालय है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. शीत युद्ध के बाद विश्व बना हुआ है :
(A) एक-ध्रुवीय
(B) द्वि-ध्रुवीय
(C) बहु-ध्रुवीय
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) एक-ध्रुवीय।

2. 1990-91 में अमेरिका एवं भिन्न देशों द्वारा इराक पर किए गए हमले को क्या नाम दिया गया ?
(A) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम
(B) ऑपरेशन एन्ड्यूरिंग फ्रीडम
(C) ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(C) ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म।

3. 9/11 की घटना के समय अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था ?
(A) बिल क्लिटन
(B) जार्ज बुश
(C) जिमी कार्टर
(D) निक्सन।
उत्तर:
(B) जार्ज बुश।

4. मार्च 2003 को संयुक्त राज्य अमेरिका ने इराक पर आक्रमण किस नाम से किया?
(A) आपरेशन एंड्यूरिंग फ्रीडम
(B) आपरेशन डेजर्ट स्टार्म
(C) आपरेशन इराकी फ्रीडम
(D) आपरेशन ब्लू-स्टार।
उत्तर:
(C) आपरेशन इराकी फ्रीडम।

5. अमेरिका की आर्थिक वर्चस्वता को कौन चुनौती दे रहा है ?
(A) जापान
(B) चीन
(C) भारत
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

6. इराक ने कुवैत पर कब आक्रमण किया ?
(A) 1990 में
(B) 1991 में
(C) 1992 में
(D) 1993 में।
उत्तर:
(A) 1990 में।

7. 9/11 की आतंकवादी घटना के लिए किसे ज़िम्मेदार माना जाता है ?
(A) इंग्लैण्ड
(B) फ्रांस
(C) चीन
(D) तालिबान एवं अलकायदा।
उत्तर:
(D) तालिबान एवं अलकायदा।

8. अमेरिकन वर्चस्व का क्षेत्र है-
(A) राजनीतिक क्षेत्र
(B) आर्थिक क्षेत्र
(C) सांस्कृतिक क्षेत्र
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

9. विश्व राजनीति में अमेरिकन प्रभुत्व की शुरुआत कब से हुई ?
(A) 1985
(B) 1980
(C) 1986
(D) 1991.
उत्तर:
(D) 1991.

10. ‘कम्प्यूटर युद्ध’ किस युद्ध को कहा जाता है ?
(A) प्रथम खाड़ी युद्ध
(B) द्वितीय खाड़ी युद्ध
(C) इराक युद्ध
(D) अफ़गान युद्ध।
उत्तर:
(A) प्रथम खाड़ी युद्ध।

11. प्रथम खाड़ी युद्ध कब हुआ था ?
(A) 1990-91
(B) 1995-96
(C) 1997-98
(D) 1998-99.
उत्तर:
(A) 1990-91.

12. प्रथम खाड़ी युद्ध हुआ था
(A) भारत एवं इराक के बीच
(B) इरान एवं इराक के बीच
(C) इरान एवं मिस्त्र के बीच
(D) इराक एवं अमेरिकी गठबंधन सेनाओं के बीच।
उत्तर:
(D) इराक एवं अमेरिकी गठबंधन सेनाओं के बीच।

13. प्रथम खाड़ी युद्ध का क्या कारण था ?
(A) इराक द्वारा कुवैत पर कब्जा
(B) अमेरिका की युद्ध की इच्छा
(C) सोवियत संघ का पतन
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

14. दूसरा खाड़ी युद्ध कब हुआ था ?
(A) मार्च, 2003
(B) मई, 2008
(C) अक्तूबर, 2004
(D) जनवरी, 2005.
उत्तर:
(A) मार्च, 2003.

15. दूसरा खाड़ी युद्ध किनके बीच हुआ था ?
(A) इरान एवं मिस्र के बीच
(B) भारत एवं इराक के बीच
(C) इरान एवं इराक के बीच ।
(D) इराक एवं अमेरिकी गठबंधन सेनाओं के बीच।
उत्तर:
(D) इराक एवं अमेरिकी गठबंधन सेनाओं के बीच।

16. अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कोसावो में सैन्य कार्यवाही कब की थी ?
(A) 1996
(B) 1999
(C) 2000
(D) 2001.
उत्तर:
(B) 1999.

17. पेंटागन क्या है ?
(A) अमेरिकी रक्षा मन्त्रालय
(B) अमेरिकी गृह मन्त्रालय
(C) अमेरिकी शिक्षा मन्त्रालय
(D) अमेरिकी कानून मन्त्रालय।
उत्तर:
(A) अमेरिकी रक्षा मन्त्रालय।

18. विश्व अर्थव्यवस्था में अमेरिका की हिस्सेदारी कितनी है ?
(A) 28%
(B) 25%
(C) 20%
(D) 15%.
उत्तर:
(A) 28%.

19. निम्न में से प्रभुत्व (वर्चस्व) का क्या अर्थ लिया जाता है ?
(A) अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति का एक ही केन्द्र होना
(B) अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति के दो केन्द्र होना
(C) अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति के अनेक केन्द्र होना
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(A) अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति का एक ही केन्द्र होना।

20. संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति कौन हैं ?
(A) जार्ज बुश
(B) बराक ओबामा
(C) हिलेरी क्लिंटन
(D) डोनाल्ड ट्रम्प।
उत्तर:
(B) बराक ओबामा।

21. अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति हैं
(A) हिलेरी क्लिंटन
(B) जो बाइडेन
(C) बराक ओबामा
(D) कमला हैरिस
उत्तर:
(B) जो बाइडेन।

22. कौन-सा देश विश्व में सबसे अधिक रक्षा पर खर्च करता है ?
(A) भारत
(B) चीन
(C) अमेरिका
(D) रूस।
उत्तर:
(C) अमेरिका।

23. अमेरिका कब एक देश बना ?
(A) 1770 में
(B) 1776 में
(C) 1789 में
(D) 1792 में।
उत्तर:
(B) 1776 में।

24. दूसरा खाड़ी युद्ध कब हुआ था ?
(A) मार्च, 2003
(B) मार्च, 2008
(C) मई, 2004
(D) जून, 2005.
उत्तर:
(A) मार्च, 2003.

25. 9/11 की आतंकवादी घटना का संबंध किस देश से है ?
(A) भारत से
(B) चीन से
(C) अमेरिका से
(D) पाकिस्तान से।
उत्तर:
(C) अमेरिका से।

26. 1881 में विश्व का प्रथम बिजनेस स्कूल कहां खुला था ?
(A) भारत में
(B) चीन में
(C) अमेरिका में
(D) जापान में।
उत्तर:
(C) अमेरिका में।

27. संयुक्त राज्य अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले को किस नाम से पुकारा जाता है?
(A) इलेवन-नाइन
(B) नाइन-इलेवन
(C) गृहयुद्ध
(D) तालिबानी युद्ध।
उत्तर:
(B) नाइन-इलेवन।

28. सद्दाम हुसैन कब पकड़े गए ?
(A) मार्च, 2001 में
(B) जून, 2003 में
(C) दिसम्बर, 2003 में
(D) जुलाई, 2005 में।
उत्तर:
(C) दिसम्बर, 2003 में।

29. किस युद्ध को कम्प्यूटर युद्ध के नाम से जाना जाता है ?
(A) इराकी युद्ध
(B) प्रथम खाड़ी युद्ध
(C) द्वितीय खाड़ी युद्ध
(D) वियतनाम युद्ध।
उत्तर:
(B) प्रथम खाड़ी युद्ध।

रिक्त स्थान भरें

(1) विश्व का प्रथम बिजनेस स्कूल ……………… में खुला था।
उत्तर:
अमेरिका,

(2) अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति ……………… हैं ।
उत्तर:
बराक हुसैन ओबामा,

(3) इराक ने कुवैत पर वर्ष …………….. में आक्रमण किया।
उत्तर:
1990,

(4) प्रथम खाड़ी युद्ध सन् ………………. में लड़ा गया।
उत्तर:
1991,

(5) शीत युद्ध के बाद विश्व व्यवस्था ………………. बन गई।
उत्तर:
एक-धुव्रीय।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
नाइन-इलेवन की घटना का संबंध किस देश से है ?
उत्तर:
अमेरिका।

प्रश्न 2.
पेंटागन अमेरिका में क्या है ?
अथवा
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेंटागन किसे कहा गया है ?
उत्तर:
रक्षा मन्त्रालय।

प्रश्न 3.
अमेरिका में हुए आतंकवादी हमले को किस नाम से पुकारा जाता है ?
उत्तर:
नाइन-इलेवन की आतंकवादी घटना।

प्रश्न 4.
वर्ल्ड-ट्रेड सेंटर पर 9/11 के आक्रमण में लगभग कितने लोग मारे गए थे ?
उत्तर:
लगभग 3000 लोग मारे गए थे।

प्रश्न 5.
अमेरिका में आजकल किन भारतीयों की मांग अधिक है ?
उत्तर:
कम्प्यूटर इंजीनियर ।

प्रश्न 6.
अमेरिका ने किस वर्ष इराक पर आक्रमण किया था ?
उत्तर:
सन् 2003 में।

प्रश्न 7.
अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति का नाम बताएं।
उत्तर:
श्री जो बाइडेन।

प्रश्न 8.
भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद में अमेरिका ने किस देश का साथ दिया?
उत्तर:
पाकिस्तान का।

प्रश्न 9.
सद्दाम हुसैन किस वर्ष कारावास के लिए पकड़ा गया था?
उत्तर:
दिसम्बर, 2003 में।

प्रश्न 10.
2001 में विश्व व्यापार केन्द्र (अमेरिका) पर आक्रमण के लिए उत्तरदायी कौन था?
अथवा
विश्व व्यापार केन्द्र (अमेरिका) पर 2001 के आक्रमण के लिए कौन उत्तरदायी था ?
उत्तर:
अल कायदा नामक आतंकवादी संगठन।

प्रश्न 11.
भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पर अमेरिका ने किसका साथ दिया?
उत्तर:
पाकिस्तान का।

प्रश्न 12.
1881 में विश्व का प्रथम बिजनस स्कूल कहां खुला था?
उत्तर:
अमेरिका में।

प्रश्न 13.
अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति कौन थे?
उत्तर:
श्री बराक हुसैन ओबामा।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 14.
अमेरिका की आर्थिक वर्चस्वता को कौन चुनौती दे रहा है ?
उत्तर:
(1) यूरोपियन यूनियन,
(2) आसियान,
(3) चीन,
(4) भारत,
(5) जापान।

प्रश्न 15.
किस वर्ष में आतंकवादियों ने विश्व व्यापार केन्द्र को धराशायी किया था ?
उत्तर:
सन् 2001 में।

प्रश्न 16.
कम्प्यूटर युद्ध किस युद्ध को कहा जाता है ?
उत्तर:
प्रथम खाड़ी युद्ध को कम्प्यूटर युद्ध कहा जाता है। यह युद्ध सन् 1990-91 में हुआ था।

प्रश्न 17.
9/11 की घटना के समय अमेरिका का राष्ट्रपति कौन था ?
उत्तर:
श्री जॉर्ज बुश।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व Read More »

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

HBSE 12th Class Political Science समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
वर्चस्व के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ग़लत है ?
(क) इसका अर्थ किसी एक देश की अगुवाई या प्राबल्य है।
(ख) इस शब्द का इस्तेमाल प्राचीन यूनान में एथेंस की प्रधानता को चिह्नित करने के लिए किया जाता था।
(ग) वर्चस्वशील देश की सैन्य शक्ति अजेय होती है।
(घ) वर्चस्व की स्थिति नियत होती है।
जिसने एक बार वर्चस्व कायम कर लिया उसने हमेशा के लिए वर्चस्व कायम कर लिया।
उत्तर:
(घ) वर्चस्व की स्थिति नियत होती है।

प्रश्न 2.
समकालीन विश्व-व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ग़लत है ?
(क) ऐसी कोई विश्व-सरकार मौजूद नहीं जो देशों के व्यवहार पर अंकुश रख सके।
(ख) अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में अमेरिका की चलती है।
(ग) विभिन्न देश एक-दूसरे पर बल प्रयोग कर रहे हैं।
(घ) जो देश अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं उन्हें संयुक्त राष्ट्र कठोर दंड देता है।
उत्तर:
(क) ऐसी कोई विश्व-सरकार मौजूद नहीं जो देशों के व्यवहार पर अंकुश रख सके।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 3.
‘ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ (इराकी मुक्ति अभियान ) के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है ?
(क) इराक पर हमला करने के इच्छुक अमरीकी अगुवाई वाले गठबन्धन में 40 से ज्यादा देश शामिल हुए।
(ख) इराक पर हमले का कारण बताते हुए कहा गया कि यह हमला इराक को सामूहिक संहार के हथियार बनाने से रोकने के लिए किया जा रहा है।
(ग) इस कार्रवाई से पहले संयुक्त राष्ट्र की अनुमति ले ली गई थी।
(घ) अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबन्धन को इराकी सेना से तगड़ी चुनौती नहीं मिली।
उत्तर:
(ग) इस कार्रवाई से पहले संयुक्त राष्ट्र की अनुमति ले ली गई थी।

प्रश्न 4.
इस अध्याय में वर्चस्व के तीन अर्थ बताए गए हैं। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण बतायें। ये उदाहरण इस अध्याय में बताए गए उदाहरणों से अलग होने चाहिए।
उत्तर:
इस अध्याय में वर्चस्व के तीन अर्थ-सैन्य शक्ति में वर्चस्व. ढांचागत ताकत के अर्थ में वर्चस्व तथा सांस्कृतिक अर्थ में वर्चस्व बताए गए हैं। इन तीनों वर्चस्व के निम्नलिखित उदाहरण दिये जा सकते हैं

  • अफ़गानिस्तान में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के कारण लोगों का जीवन पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।
  • आधुनिक विश्व के लोग इंटरनेट के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, जोकि अमेरिका के ढांचागत वर्चस्व का एक उदाहरण है।
  • टेलीविज़न के माध्यम से हम अधिकांश वे कार्यक्रम एवं फिल्में ही देखते हैं, जिन्हें अमेरिका में या उनके लोगों द्वारा तैयार किया गया होता है। यह अमेरिका के सांस्कृतिक वर्चस्व का उदाहरण है।

प्रश्न 5.
उन तीन बातों का जिक्र करें जिनसे साबित होता है कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिकी प्रभुत्व का स्वभाव बदला है और शीत युद्ध के वर्षों के अमेरिकी प्रभुत्व की तुलना में यह अलग है।
उत्तर:

  • शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिका ने सम्पूर्ण विश्व पर अपना प्रभाव जमाया हुआ है।
  • शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिका ने विश्व के सभी महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों पर भी अपना दबदबा कायम किया है।
  • शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अमेरिका ने अफ़गानिस्तान, ईरान तथा इराक जैसे देशों में सैनिक हस्तक्षेप बढा दिया है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में मेल बैठायें
(i) ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच – (क) तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जंग
(i) ऑपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीडम – (ख) इराक पर हमले के इच्छुक देशों का गठबन्धन
(iii) ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म – (ग) सूडान पर मिसाइल से हमला
(iv) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम – (घ) प्रथम खाड़ी युद्ध।
उत्तर:
(i) ऑपरेशन इनफाइनाइट रीच – (ग) सूडान पर मिसाइल से हमला
(ii) ऑपरेशन इंड्यूरिंग फ्रीडम – (क) तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ जंग
(iii) ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म – (घ) प्रथम खाड़ी युद्ध
(iv) ऑपरेशन इराकी फ्रीडम – (ख) इराक पर हमले के इच्छुक देशों का गठबन्धन।

प्रश्न 7.
अमेरिकी वर्चस्व की राह में कौन-से व्यवधान हैं ? क्या आप जानते हैं इनमें से कौन-सा व्यवधान आगामी दिनों में सबसे महत्त्वपूर्ण साबित होगा ?
उत्तर:
इसके लिए अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में (निबन्धात्मक प्रश्न) प्रश्न नं० 8 देखें।

प्रश्न 8.
भारत-अमेरिका समझौते से सम्बन्धित बहस के तीन अंश इस अध्याय में दिए गए हैं। इन्हें पढ़ें और किसी एक अंश को आधार मानकर पूरा भाषण तैयार करें जिसमें भारत-अमेरिकी सम्बन्ध के बारे में किसी एक रुख का समर्थन किया गया हो।
उत्तर:
शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व राजनीति में बहुत महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं। सोवियत संघ के विघटन से विश्व दो ध्रुवीय की अपेक्षा एक ध्रुवीय हो गया है और विश्व राजनीति अमेरिका के इर्द-गिर्द होकर ही चलती है। ऐसे में भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए यही अच्छा रहेगा कि वह आने वाले समय में अमेरिका से सम्बन्ध अच्छे रखकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक-से-अधिक लाभ उठाए।

भारत ने हाल के कुछ वर्षों में अमेरिका से कुछ ऐसे सन्धि या समझौते किये हैं, जिनसे दोनों के सम्बन्धों में लगातार सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए 2006 में अमेरिका एवं भारत के बीच किये गए असैनिक परमाणु समझौते ने दोनों को और अधिक नज़दीक ला दिया है।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व

प्रश्न 9.
“यदि बड़े और संसाधन सम्पन्न देश अमेरिकी वर्चस्व का प्रतिकार नहीं कर सकते तो यह मानना अव्यावहारिक है कि अपेक्षाकृत छोटी और कमज़ोर राज्येतर संस्थाएँ अमेरिकी वर्चस्व का कोई प्रतिरोध कर पाएंगी।” इस कथन की जाँच करें और अपनी राय बताएं।
उत्तर:
अमेरिकी वर्चस्व को यदि बड़े देश चुनौती नहीं दे सकते तो छोटे देशों से इस प्रकार की उम्मीद करना व्यर्थ है, क्योंकि छोटे एवं विकासशील देश आर्थिक, तकनीकी तथा सैनिक क्षेत्र में अमेरिका के सामने कहीं नहीं ठहरते।

समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व HBSE 12th Class Political Science Notes

→ शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व एक ध्रुवीय बन गया।
→ समकालीन विश्व में अमेरिका का वर्चस्व कायम है।
→ सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति रह गया।
→ अमेरिका ने अपने वर्चस्व को बनाये रखने के लिए कई सैन्य अभियान चलाये।
→ 1990-1991 में अमेरिका एवं उसके सहयोगियों ने इराक पर हमला किया।
→ इराक पर किये गए हमले को ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म’ नाम दिया गया।
→ 9/11 को अमेरिका पर जबरदस्त आतंकवादी हमला हुआ।
→ अमेरिका ने 9/11 के हमले के जवाब में अफगानिस्तान में तालिबान एवं अलकायदा के विरुद्ध युद्ध छेड़ा।
→ अफ़गानिस्तान युद्ध को ‘ऑपरेशन एन्ड्यूरिंग फ्रीडम’ का नाम दिया।
→ मार्च, 2003 में अमेरिका ने व्यापक विनाश के हथियार रखने का आरोप लगाकर इराक पर हमला किया।
→ इराक हमले को ‘ऑपरेशन इराकी फ्रीडम’ का नाम दिया गया।
→ अमेरिका की आर्थिक वर्चस्वता को जापान, चीन एवं भारत जैसे देश चुनौती दे रहे हैं।
→ अमेरिका की प्रजातन्त्रात्मक विचारधारा की वर्चस्वता को आतंकी संगठन अपनी आतंकवादी विचारधारा से चुनौती दे रहे हैं।
→ शीत युद्ध के पश्चात् अमेरिका एवं भारत ने अपने सम्बन्धों को परस्पर बेहतर बनाया है।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 3 समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व Read More »

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत किस प्रकार का देश है?
(A) धर्म निरपेक्ष
(B) दो धर्मों को मानने वाला
(C) विशेष धर्म को मानने वाला
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
धर्म निरपेक्ष।

2. भारत को धर्म-निष्पक्षता किसने प्रदान की है?
(A) राज्य
(B) सरकार
(C) जनता
(D) संविधान।
उत्तर:
संविधान।

3. हम कहाँ पर व्यापारी, अध्यापक, मध्य वर्ग, ट्रेड युनियन जैसे वर्ग देख सकते हैं?
(A) कस्बे में
(B) गाँव में
(C) शहरों में
(D) कहीं नहीं।
उत्तर:
शहरों में।

4. कहाँ पर हम सीमांत तथा छोटे किसान, ज़मींदार, मज़दूर जैसे वर्ग देख सकते हैं?
(A) गाँव में
(B) शहर में
(C) कस्बे में
(D) बड़े शहरों में।
उत्तर:
गाँव में।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

5. भारत में विश्वव्यापीकरण तथा उदारीकरण की प्रक्रिया कब शुरू हुई थी?
(A) 1990 से पहले
(B) 1990 के बाद
(C) 1991 के बाद
(D) 1985 के बाद।
उत्तर:
1991 के बाद।

6. उदारीकरण की प्रक्रिया किस प्रधानमंत्री ने शुरू की थी?
(A) राजीव गाँधी
(B) चंद्रशेखर
(C) वी० पी० सिंह
(D) पी० वी० नरसिम्हा राव।
उत्तर:
पी० वी० नरसिम्हा राव।

7. उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था में मिल जाती है?
(A) निजीकरण
(B) विश्वव्यापीकरण
(C) उदारीकरण
(D) संस्कृतिकरण।
उत्तर:
विश्वव्यापीकरण।

8. सार्वजनिक उपक्रमों को व्यक्तिगत पार्टियों को बेचने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(A) विश्वव्यापीकरण
(B) उदारीकरण
(C) निजीकरण
(D) संस्कृतिकरण।
उत्तर:
निजीकरण।

9. सामाजिक परिवर्तन कब आवश्यक हो जाता है?
(A) शिक्षा प्राप्त करने के बाद
(B) नौकरी प्राप्त करने के बाद
(C) विवाह के बाद
(D) बच्चों के बाद।
उत्तर:
शिक्षा प्राप्त करने के बाद।

10. हमारा समाज किस प्रकार औद्योगीकरण से प्रभावित हुआ है?
(A) शहर बढ़ रहे हैं
(B) वातावरण प्रदूषित हो रहा है।
(C) उत्पादन बढ़ रहा है
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

11. नगर की इनमें से कौन-सी विशेषता है?
(A) अधिक जनसंख्या
(B) द्वितीयक संबंध
(C) गैर-कृषि पेशे
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

12. उस प्रक्रिया को क्या कहते हैं जिसमें गांव की स्थिति में परिवर्तन आ जाता है तथा उसमें नगरों जैसे लक्षण आने शुरू हो जाते हैं?
(A) नगरीकरण
(B) संस्कृतिकरण
(C) औद्योगीकरण
(D) आधुनिकीकरण।
उत्तर:
नगरीकरण।

13. इनमें से कौन-सी नगरीकरण की विशेषता है?
(A) औपचारिक संबंध
(B) परिवारों का टूटना
(C) अधिक गतिशीलता
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

14. नगरों में जनसंख्या क्यों बढ़ती है?
(A) सुख-सुविधाओं का उपलब्ध होना
(B) रोज़गार के अधिक साधन
(C) तकनीक का प्रयोग
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

15. इनमें से कौन-सा समाज औद्योगीकरण के कारण ग्रामीण से स्थानांतरित होकर नगरीय देश बना?
(A) जापान
(B) अमेरिका
(C) ब्रिटेन
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(A) जापान।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक परिवर्तन क्यों होता है?
उत्तर:
जब शिक्षा लेने के बाद व्यक्ति शिक्षित हो जाता है तो सामाजिक परिवर्तन होना ज़रूरी होता है।

प्रश्न 2.
औद्योगीकरण का कोई एक प्रभाव बताओ।
उत्तर:
औद्योगीकरण से नगर बढ़ते हैं तथा वातावरण दूषित होता है।

प्रश्न 3.
नीली क्रांति क्या होती है?
उत्तर:
मछलियों के उत्पादन को बढ़ाने को नीली क्रांति कहते हैं।

प्रश्न 4.
हरित क्रांति क्या होती है?
उत्तर:
कृषि के उत्पादन को बढ़ाने को हरित क्रांति कहते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

प्रश्न 5.
श्वेत क्रांति क्या होती है?
उत्तर:
दूध के उत्पादन को बढ़ाने को श्वेत क्रांति कहते हैं।

प्रश्न 6.
सामाजिक क्रांति क्यों आती है?
उत्तर:
जब समाज में आर्थिक समानता न हो, असमानता कुछ ज्यादा ही हो तथा व्यक्ति के मौलिक मानवीय अधिकारों का दमन हो रहा हो तो सामाजिक क्रांति आती है।

प्रश्न 7.
किसके कहने के अनुसार आर्थिक आधार पर समाज में क्रांति आएगी?
उत्तर:
कार्ल मार्क्स के कहने के अनुसार समाज में आर्थिक आधार पर क्रांति आएगी।

प्रश्न 8.
कौन-सी क्रांति बिना हिंसा के आती है?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति बिना हिंसा के आती है।

प्रश्न 9.
चक्रीय कार्य-कारण का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
जब एक परिवर्तन के कारण किसी और जगह भी परिवर्तन आए तो उसे चक्रीय कार्य-कारण कहते हैं।

प्रश्न 10.
भारत में I.R.D.P. कब शुरू हुए थे?
उत्तर:
भारत में I.R.D.P. 1952 में शुरू हुए थे।

प्रश्न 11.
भारत में C.D.P. कब शुरू हुए थे? (Community Development Programme.)
उत्तर:
भारत में C.D.P. 1952 में शुरू हुए थे।

प्रश्न 12.
एम० एन० श्रीनिवास ने कौन-सी धारणाएं दी हैं?
उत्तर:
एम० एन० श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण तथा पश्चिमीकरण की धारणाएं दी हैं।

प्रश्न 13.
सामाजिक परिवर्तन क्या होता है?
उत्तर:
जब सामाजिक संबंधों में परिवर्तन शुरू हो जाए तो उसे सामाजिक परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 14.
प्रगति क्या होती है?
उत्तर:
जो परिवर्तन हमारी इच्छानुसार हो उसे प्रगति कहते हैं।

प्रश्न 15.
सांस्कृतिक परिवर्तन क्या होता है?
उत्तर:
हमारी संस्कृति, हमारे विचारों, धर्म, संस्थाओं, व्यवहार इत्यादि में होने वाले परिवर्तन को सांस्कृतिक परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 16.
क्या सामाजिक परिवर्तन के बारे में निश्चितता से कहा जा सकता है कि सामाजिक परिवर्तन आएगा?
उत्तर:
जी नहीं, सामाजिक परिवर्तन के बारे में निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि सामाजिक परिवर्तन आएगा।

प्रश्न 17.
सरल तथा जटिल समाजों में किस गति से परिवर्तन आते हैं?
उत्तर:
सरल समाजों में धीमी गति से तथा जटिल समाजों में तेज़ गति से परिवर्तन आते हैं।

प्रश्न 18.
उद्विकास क्या होता है?
उत्तर:
समाज के सरलता से जटिलता की तरफ जाने को उद्विकास कहते हैं।

प्रश्न 19.
मार्गन के अनुसार उद्विकास की कितनी अवस्थाएं हैं?
उत्तर:
मार्गन के अनुसार उद्विकास की तीन अवस्थाएं हैं।

प्रश्न 20.
किसी नयी खोज के कारण होने वाले परिवर्तन को क्या कहते हैं?
उत्तर:
किसी नयी खोज के कारण होने वाले परिवर्तन को रेखीय परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 21.
किस समाजशास्त्री ने धर्म में विकास को अलग हिस्सों में विभाजित किया है?
उत्तर:
अगस्ते काम्ते ने धर्म में विकास को अलग हिस्सों में विभाजित किया है।

प्रश्न 22.
भारत का सबसे बड़ा उद्योग कौन-सा है?
उत्तर:
भारत का सबसे बड़ा उद्योग कपड़ा उद्योग है।

प्रश्न 23.
सुधारवादी आंदोलन क्या थे?
उत्तर:
जिन आंदोलनों ने भारतीय समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के प्रयास किए, उन को सुधारवादी आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 24.
सामाजिक परिवर्तन किस प्रकृति के होते हैं?
उत्तर:
सामाजिक परिवर्तन सामाजिक प्रकृति के होते हैं।

प्रश्न 25.
पूंजीवाद का जन्म क्यों हुआ?
उत्तर:
पूंजीवाद का जन्म प्रोटेस्टेंट धर्म की वजह से हुआ था।

प्रश्न 26.
क्रांति क्या होती है?
उत्तर:
जब समाज में चल रहे असंतोषों की वजह से सामाजिक तथा राजनीतिक परिवर्तन का प्रयास किया जाए तो उसे क्रांति कहते हैं।

प्रश्न 27.
मार्गन के अनुसार उद्विकास की कौन-सी तीन अवस्थाएं हैं?
उत्तर:
मार्गन के अनुसार उद्विकास की तीन अवस्थाएं-जंगली अवस्था, बर्बरता की अवस्था तथा सभ्यता की अवस्थाएं हैं।

प्रश्न 28.
बर्बरता अवस्था में किन संगठनों का विकास हुआ था?
उत्तर:
बर्बरता अवस्था में आर्थिक संगठनों जैसे कि पूंजीवाद का विकास हुआ था।

प्रश्न 29.
रेखीय परिवर्तन क्या होता है?
उत्तर:
जब नए आविष्कारों की वजह से परिवर्तन तथा सीधी रेखा में विकास होता जाए तो उसे रेखीय परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 30.
सांस्कृतिक परिवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर:
हमारी संस्कृति, हमारे विचारों, धर्म, संस्थानों, व्यवहार इत्यादि में होने वाले परिवर्तन को सांस्कृतिक परिवर्तन कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि हमारी संस्कृति में होने वाले परिवर्तनों को सांस्कृतिक परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 31.
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
जब समाज के अधिकतर लोगों के विचारों, कार्य करने के ढंगों इत्यादि में परिवर्तन आना शुरू हो जाए तो उसे सामाजिक परिवर्तन कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि जब समाज के अधिकतर अंगों, संस्थाओं, विचारों इत्यादि में परिवर्तन आना शुरू हो जाए उसे सामाजिक परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 32.
नगरीकरण की प्रक्रिया कब हमारे सामने आती है?
उत्तर:
जब नगरों की जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाए, यातायात के साधनों का विकास होना शुरू हो जाए, नगरों के आकार में बढ़ोत्तरी होनी शुरू हो जाए, उत्पादन बड़े पैमाने पर होना शुरू हो जाए तो नगरीकरण की प्रक्रिया हमारे सामने आती है।

प्रश्न 33.
हरेक परिवर्तन को प्रगति क्यों नहीं कह सकते?
उत्तर:
जब परिवर्तन व्यक्ति की ऐच्छिक दिशा में हो तो उसे प्रगति कहते हैं परंतु परिवर्तन हमारे मन की इच्छा के अनुसार नहीं होता। जो परिवर्तन हमारी इच्छा के अनुसार नहीं होता उसे प्रगति नहीं कह सकते। इस तरह हरेक परिवर्तन प्रगति नहीं हो सकता।

प्रश्न 34.
नगर क्या होता है?
उत्तर:
नगर किसी खास भौगोलिक क्षेत्र में बसा वह समुदाय है जिसमें ज्यादा जनसंख्या, गैर-कृषि कार्यों की भरमार, अव्यक्तिक संबंध, औपचारिक नियंत्रण तथा द्वितीय समूहों की प्रधानता होती है।

प्रश्न 35.
नगरीयकरण किसे कहते हैं?
अथवा
शहरीकरण से क्या तात्पर्य है?
अथवा
नगरीकरण की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं?
अथवा
नगरीकरण क्या है?
उत्तर:
नगरीयकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें गांव की स्थिति में परिवर्तन आ जाता है तथा उसमें शहरों या नगरों जैसे लक्षण आने शुरू हो जाते हैं अर्थात् वहां का रहन-सहन शहरों जैसा हो जाता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

प्रश्न 36.
नगरीयकरण की तीन विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. नगरीयकरण में संबंध औपचारिक होते हैं।
  2. नगरीयकरण में गतिशीलता अधिक होती है।
  3. नगरीयकरण में परिवार टूटने लग जाते हैं।

प्रश्न 37.
औद्योगीकरण का क्या अर्थ है?
अथवा
औद्योगीकरण की परिभाषा दें।
अथवा
औद्योगीकरण किसे कहते हैं?
अथवा
औद्योगीकरण की प्रक्रिया क्या है?
अथवा
औद्योगीकरण का अर्थ बताइए।
अथवा
औद्योगीकरण क्या है?
उत्तर:
औद्योगीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें उत्पादन घरेलू स्तर से आगे निकल कर कारखानों तक पहुँच जाता है तथा उत्पादन बड़े स्तर पर शुरू हो जाता है।

प्रश्न 38.
विकास क्या होता है?
उत्तर:
जब किसी भी चीज़ के बारे में ज्यादा जानकारी हो जाए या जब कोई चीज़ आगे बढ़नी शुरू हो जाए तो उसे विकास कहते हैं।

प्रश्न 39.
विकास किससे संबंधित होता है?
उत्तर:
विकास का संबंध सिर्फ परिवर्तन से होता है। यह अच्छे बुरे से या इसका किसी चीज़ की विशेषता से कोई संबंध नहीं होता।

प्रश्न 40.
संरचनात्मक परिवर्तन क्या होता है?
उत्तर:
सामाजिक संबंधों तथा सामाजिक संस्थाओं में होने वाले परिवर्तनों को संरचनात्मक परिवर्तन कहते हैं। विवाह, परिवार में होने वाले परिवर्तन संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं।

प्रश्न 41.
औद्योगीकरण के क्या ग़लत परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर:

  1. औद्योगीकरण से प्रदूषण फैलता है।
  2. औद्योगीकरण से छोटे उद्योगों का नाश होता है।
  3. औद्योगीकरण से पैसा कुछ हाथों में ही केंद्रित हो जाता है।

प्रश्न 42.
नगरों में जनसंख्या बढ़ने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
नगरों में सभी सुख-सुविधाओं का उपलब्ध होना, रोज़गार के ज्यादा साधन, कम होती भूमि, तकनीक का प्रयोग, रोजगार की तलाश की वजह से नगरों में जनसंख्या बढ़ रही है।

प्रश्न 43.
जनसंख्या के बढ़ने से दसलक्षी शहरों की संख्या कितनी बढ़ गई?
उत्तर:
जनसंख्या के बढ़ने से दसलक्षी शहरों की संख्या काफ़ी बढ़ गई है। पहले केवल चार दसलक्षी शहर होते थे-दिल्ली, मुंबई, कोलकाता तथा चेन्नई परंतु अब यह संख्या 15 से ऊपर पहुंच गई है। जैसे कि अहमदाबाद, बैंगलुरू, चंडीगढ़, लखनऊ इत्यादि।

प्रश्न 44.
उपनिवेशवाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:
एक स्तर पर, एक देश के द्वारा दूसरे देश पर शासन को उपनिवेशवाद कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि जब किसी शक्तिशाली देश द्वारा कमज़ोर देश पर अपने लाभ के लिए कब्जा कर लिया जाता है तो उसे उपनिवेशवाद कहते हैं।

प्रश्न 45.
ऐसे किसी एक भारतीय शहर का नाम बताएं जिसकी जनसंख्या एक करोड़ या इससे अधिक हो।
उत्तर:
मम्बई, दिल्ली. कोलकाता ऐसे भारतीय शहर हैं जिनकी जनसंख्या एक करोड या इससे अधिक है।

प्रश्न 46.
कस्बे का न्यूनतम जनसंख्या घनत्व कितने व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० होना आवश्यक है?
उत्तर:
कस्बे का जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति कि०मी० होना आवश्यक है।

प्रश्न 47.
भारत में कस्बा घोषित करने के लिए न्यूनतम जनसंख्या कितनी तय की गई है?
उत्तर:
भारत में कस्बा घोषित करने के लिए न्यूनतम जनसंख्या 5000 तय की गई है।

प्रश्न 48.
औद्योगीकरण का संबंध उद्योगों की स्थापना से है या इनको हटाने से है?
उत्तर:
औद्योगीकरण का संबंध उद्योगों की स्थापना से है।

प्रश्न 49.
चंडीगढ़ एक कस्बा है या शहर?
उत्तर:
चंडीगढ़ एक शहर है।

प्रश्न 50.
अपने राज्य में स्थित किसी बड़े उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर:
मारूति उद्योग हमारे राज्य में स्थित एक बड़ा उद्योग है।

प्रश्न 51.
नगरीकरण की कोई एक विशेषता बताएँ।
उत्तर:
नगरीकरण में नगरों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है तथा लोग गांवों को छोड़ कर नगरों की तरफ रहने के लिए जाते हैं।

प्रश्न 52.
सामाजिक परिवर्तन की किसी एक प्रक्रिया का नाम बताएँ।
उत्तर:
आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण, संस्कृतिकरण इत्यादि सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएं हैं।

प्रश्न 53.
औद्योगीकरण की प्रक्रिया का संबंध किस गतिविधि से है?
उत्तर:
औद्योगीकरण की प्रक्रिया का संबंध उद्योगों की प्रगति से है।

प्रश्न 54.
सामाजिक परिवर्तन का कोई एक कारक बताएं।
उत्तर:
जनसंख्या के अधिक घटने-बढ़ने से सामाजिक परिवर्तन होता है।

प्रश्न 55.
औद्योगीकरण की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
औद्योगीकरण में उत्पादन घरों से निकल कर बड़े-बड़े कारखानों में चला जाता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक परिवर्तन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामाजिक संबंधों, सामाजिक संगठन, सामाजिक संरचना, सामाजिक अंतक्रिया में होने वाले किसी भी प्रकार के परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन का नाम दिया जाता है। समाज में होने वाले हरेक प्रकार का परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन नहीं होता। केवल सामाजिक संबंधों, सामाजिक क्रियाओं इत्यादि में पाया जाने वाला परिवर्तन ही सामाजिक परिवर्तन होता है।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि लोगों के जीवन जीने के ढंगों में पाया जाने वाला परिवर्तन ही सामाजिक परिवर्तन होता है। यह हमेशा सामूहिक तथा सांस्कृतिक होता है। जब भी मनुष्यों के व्यवहार में परिवर्तन आता है तो हम कह सकते हैं कि सामाजिक परिवर्तन हो रहा है।

प्रश्न 2.
सामाजिक परिवर्तन के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
सामाजिक परिवर्तन के बहुत से प्रकार हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

  • परिवर्तन-किसी भी चल रही या मौजूद स्थिति में बदलाव को परिवर्तन कहते हैं। यह परिवर्तन अच्छा तथा बुरा दोनों हो सकते हैं।
  • वृद्धि-परिवर्तन एक दिशा में होता है तथा इस दिशा को वृद्धि कहते हैं। वृद्धि की गति भी होती है तथा यह गति धीमी तथा तेज़ दोनों तरह से हो सकती है।
  • उद्विकास-जब परिवर्तन निश्चित स्तरों से होकर गुजरता है तो उस प्रक्रिया को उद्विकास कहते हैं।
  • प्रगति-प्रगति हमेशा अच्छाई के लिए होती है। जब परिवर्तन हमारी इच्छित तथा मर्जी की दिशा में होता है तो उसे प्रगति कहते हैं।
  • क्रांति-जब परिवर्तन तेज़ी से तथा अकस्मात होता है तो उसे क्रांति कहते हैं। इससे परंपराओं, राजनीति में तेजी से बदलाव आ जाता है। यह हिंसात्मक तथा अहिंसात्मक भी हो सकती है।
  • विकास-इस प्रकार के परिवर्तन में परिवर्तन एक अवस्था से होकर दूसरी अवस्था में पहुंचता है। इस तरह परिवर्तन अपेक्षित दिशा तथा अपने लक्ष्य की ओर नियोजित होता है।

प्रश्न 3.
आधुनिकीकरण की कोई चार विशेषताएं बताओ।
अथवा
आधुनिकीकरण की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:

  1. आधुनिकीकरण में हर तरफ तकनीक का बोल-बाला होता है।
  2. इसमें औद्योगीकरण का पक्ष भी शामिल होता है। उद्योगों पर ज्यादातर लोग आश्रित होते हैं।
  3. इसमें साक्षरता दर काफ़ी ज्यादा होती है।
  4. संचार के साधन विकसित रूप में पाए जाते हैं।
  5. यातायात के साधनों का विकसित रूप हमारे सामने होता है।

प्रश्न 4.
आप कैसे कह सकते हैं कि परिवर्तन एक तुलनात्मक प्रक्रिया है?
उत्तर:
यह सही है कि परिवर्तन एक तुलनात्मक प्रक्रिया है क्योंकि परिवर्तन को किसी से तुलना करके ही समझा जा सकता है। किसी समाज में ज्यादा परिवर्तन होते हैं किसी में कम, यह तो हम उन दोनों समाजों की तुलना करके ही समझ सकते हैं। पुराने समय में लोग हल से कृषि करते थे, आजकल ट्रैक्टर से कृषि करते हैं। यह परिवर्तन है पर यह तभी समझा जा सकता है जब हम दोनों समाजों की तुलना करेंगे। इसके साथ ही यह भी पता चल जाता है कि परिवर्तन है या नहीं तथा अगर है तो कितना। यह तो सिर्फ तुलना करके ही समझा जा सकता है।

प्रश्न 5.
सामाजिक परिवर्तन सामाजिक जीवन में होने वाला परिवर्तन कैसे है?
उत्तर:
सामाजिक परिवर्तन का मतलब होता है समाज में चल रहे मूल्यों, आदर्शों, विधियों, परिमापों, व्यवस्था में परिवर्तन चाहे यह परिवर्तन तकनीकी या किसी और कारणों की वजह से क्यों न आए हों। इससे यह स्पष्ट है कि समाज में चल रहे आदर्शों, नियमों में आने वाले बदलावों को सामाजिक परिवर्तन कहते हैं तथा ये परिवर्तन किसी कारण से भी आ सकते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि सामाजिक जीवन में आने वाले परिवर्तन को ही सामाजिक परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 6.
नगरीयकरण की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:

  1. नगरीयकरण की प्रमुख विशेषता यह होती है कि यहां संबंध अस्थायी होते हैं तथा अपने कार्य खत्म होने के बाद संबंध खत्म कर दिए जाते हैं।
  2. नगरीयकरण की दूसरी प्रमुख विशेषता घनी आबादी का होना है। लोग नगरों में जगह कम होने की वजह से छोटे-छोटे घरों में तथा ज्यादा तादाद में रहते हैं।
  3. नगरीयकरण में गतिशीलता पायी जाती है। लोग अपना घर, कारोबार, नौकरी कभी भी छोड़कर कहीं भी जा सकते हैं।
  4. नगरीयकरण में व्यवसाय में कृषि संबंधों कार्यों की कमी पायी जाती है। लोगों की व्यवसाय संबंधी निर्भरता कृषि पर कम और कार्यों पर ज्यादा होती है।
  5. नगरों में लोग अपनी संस्कृति का आदान-प्रदान करते हैं। अलग-अलग संस्कृतियों के लोग इकट्ठे रहते हैं जिस वजह से उनमें संस्कृतियों का आदान-प्रदान हो जाता है।
  6. नगरों में लोगों में समायोजन की क्षमता होती है। जैसी परिस्थितियां व्यक्ति के सामने आती हैं वह उनके अनुसार ही स्वयं को ढाल लेता है।

प्रश्न 7.
विकास तथा प्रगति में क्या अंतर होता है?
उत्तर:
विकास तथा प्रगति में अंतर निम्नलिखित हैं-

विकासप्रगति
(i) विकास क्रमिक परिवर्तन होता है।(i) प्रगति क्रमिक परिवर्तन भी हो सकता है तथा नहीं भी।
(ii) विकास अपने-आप हो जाता है।(ii) प्रगति अपने-आप नहीं होती बल्कि यह योजनाबद्ध प्रयास होता है।
(iii) विकास परिवर्तन की स्वाभाविक प्रक्रिया है।(iii) प्रगति हमेशा इच्छित दिशा में परिवर्तन होता है।
(iv) विकास की प्रक्रिया हमेशा समाज में चलती रहती है।(iv) प्रगति अपने-आप नहीं होती। इसको तो योजनाबद्ध तरीके से चलाना पड़ता है।
(v) परिवर्तन में सबसे पहले विकास आता है।(v) परिवर्तन में प्रगति दूवितीय स्थान पर आती है।
(vi) विकास अनुभव व अनुमान पर आधारित होता है।(vi) प्रगति को उपयोगिता के आधार पर मापा जाता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

प्रश्न 8.
तकनीक तथा नगरीकरण का आपस में क्या संबंध हैं?
उत्तर:
तकनीक की वजह से बड़े-बड़े उद्योग शुरू हो गए तथा देश का औद्योगीकरण हो गया है। औद्योगीकरण के कारण बड़े-बड़े नगर उन उद्योगों के पास बस गए। शुरू के गाँवों में उद्योगों में कार्य करने के लिए आने वाले मज़दूरों के लिए आस-पास बस्तियां बस गईं। फिर उन बस्तियों के जीवन जीने के लिए तथा चीजें मुहैया करवाने के लिए दुकानें तथा बाजार खुल गए।

फिर लोगों के लिए होटल, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर, व्यापारिक कंपनियां खुल गई तथा दफ्तर बन गए। इस प्रकार धीरे-धीरे इनके कारण शहरों का विकास हुआ तथा शहरीकरण बढ़ गया। इस प्रकार नगरीकरण को बढ़ाने में तकनीक का सबसे बड़ा हाथ है।

प्रश्न 9.
संरचनात्मक परिवर्तन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामाजिक परिवर्तन को दो भागों में विभाजित किया जाता है तथा वह है संरचनात्मक तथा सांस्कृतिक। परिवर्तन की प्रक्रिया संरचनात्मक सामाजिक संबंधों, परिवार, नातेदारी, जाति, व्यावसायिक समूह इत्यादि से संबंधित होती है। अगर इनमें कोई परिवर्तन आता है तो उसे संरचनात्मक परिवर्तन कहते हैं। हम उदाहरण ले सकते हैं कृषि से संबंधित कार्यों की। प्राचीन समय में कृषि का कार्य परिवार के सदस्य ही करते थे तथा कृषि प्राचीन परंपरागत ढंगों से होती थी।

परंतु आधुनिक समय में कृषि यंत्रों के साथ तथा किराए पर मज़दूर लेकर होती है और उत्पादन बाजार के लिए होता है। इसे ही संरचनात्मक परिवर्तन कहते हैं। हम एक और उदाहरण ले सकते हैं संयुक्त परिवार की जो पहले होते थे। आधुनिक समय में केंद्रीय परिवार सामने आ रहे हैं तथा परिवार की संरचना तथा कार्य बदल गए हैं। इसे ही संरचनात्मक परिवर्तन कहा जाता है। पश्चिमीकरण, औद्योगीकरण तथा आधुनिकीकरण जैसी प्रक्रियाओं के कारण संरचनात्मक परिवर्तन हो जाता है।

प्रश्न 10.
नगरीकरण के कारण कौन-सी समस्याएं उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
नगरों में बसी हुई गंदी बस्तियां कई प्रकार के अपराधों का केंद्र होती है। अधिक जनसंख्या तथा पेशे होने के कारण यहां अपराध अधिक होते हैं। निर्धनता तथा बेरोज़गारी व्यक्ति को जल्दी अमीर बनने के लिए अपराध करने को प्रेरित करते हैं। बड़े घरों की लड़कियाँ अपने खर्चे पूर्ण करने के लिए काल गर्ज़ बन जाती हैं।

शहरों में स्मगलिंग का कार्य भी अधिक होता है। स्मगलिंग, नशा बेचना, बैंक डकैतियां, दुकानें लूटना, गंदी बस्तियां, निर्धनता, अपराध, बेरोजगारी, अनैतिकता इत्यादि जैसी समस्याएँ शहरों में आम देखने को मिल जाती हैं तथा यह सब नगरीकरण के कारण ही होता है।

प्रश्न 11.
स्वतंत्रता के बाद देश में औद्योगीकरण की प्रक्रिया में आए परिवर्तनों का वर्णन करें।
अथवा
भारत में औद्योगीकरण तथा नगरीयकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता से पहले देश में काफ़ी कम उद्योग स्थापित हुए थे क्योंकि विदेशी सरकार से उद्योगों को स्थापित करने में सुविधाएं प्राप्त नहीं होती थी। 1947 से पहले देश में इस्पात का उत्पादन करने वाली दो ही इकाइयाँ थीं। परंतु 1947 के बाद यह काफ़ी तेजी से बढ़ गई। सरकार ने पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं जिनका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विकास करना था। इसके बाद तो देश का औद्योगिक विकास तेज़ी से शुरू हुआ।

इस्पात के उद्योग, ट्रैक्टर, कारों, स्कूटरों, मोटर साइकलों, इलेक्ट्रॉनिक्टस, उर्वरकों, कैमीकल, भारी उद्योगों के क्षेत्र में तो देश ने काफ़ी प्रगति कर ली। वस्त्र उत्पादों के क्षेत्र में तो देश का विश्व में अग्रणी स्थान है। कोयला, जहाजरानी, पेट्रोलियम उत्पादों के उद्योग इत्यादि के क्षेत्र में भी देश ने काफी तेजी से विकास किया है। 1991 के बाद तो देश में विदेशी निवेश की बाढ़ आ गई जिससे देश में और तेज़ी से उद्योग लगने शुरू हो गए।

प्रश्न 12.
भारत में आज़ादी के बाद उद्योगों के क्षेत्र में क्या-क्या महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं?
उत्तर:

  1. आजादी के बाद देश में उद्योगों का तेज़ी से विकास हुआ है तथा उद्योगों में उत्पादन आधुनिक मशीनों से शुरू हो गया है।
  2. अब उद्योगों में उत्पादन तेजी से होना शुरू हो गया है जिससे देश का निर्यात बढ़ गया है।
  3. उद्योगों में नई-नई मशीनों का प्रयोग होना शुरू हो गया है जिनका प्रयोग उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है।
  4. श्रमिकों के हितों के लिए श्रमिक संघ निर्मित हुए हैं ताकि उद्योगों में कार्य कर रहे श्रमिकों के लाभ के लिए कार्य किया जा सके।

प्रश्न 13.
भारतीय समाज पर नगरीकरण के पाँच प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वतंत्र भारत में नगरीकरण के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:

  1. नगरीकरण की प्रक्रिया के कारण भारतीय समाज की जनसंख्यात्मक संरचना बदल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों की जनसंख्या कम हो रही हैं तथा नगरों की जनसंख्या बढ़ रही है।
  2. नगरीकरण के कारण भारतीय समाज की कई संस्थाएं जैसे कि संयुक्त परिवार, जाति व्यवस्था खत्म हो गई है तथा केंद्रीय परिवार सामने आ रहे हैं।
  3. नगरीकरण के कारण लोगों में व्यक्तिवादिता बढ़ रही है तथा लोग अब केवल अपने हितों की पूर्ति के बारे में ही सोचते हैं।
  4. नगरीकरण की प्रक्रिया के कारण सुविधाएं बढ़ रही हैं जिससे उनका जीवन आसान हो गया है।
  5. नगरीकरण के कारण नगरों में रोजगार प्राप्त करने के मौके बढ़ गए हैं तथा रोजगार के अवसरों की तो बाढ़ सी आ गई है।

प्रश्न 14.
आज़ादी के बाद के सालों भारत में कई औद्योगिक शहरों का उद्भव और विकास हुआ। उनका संक्षिप्त विवरण दें।
अथवा
भारतीय समाज में नगरीकरण पर एक निबंध लिखिए।
अथवा
भारत में नगरीकरण की प्रक्रिया की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चाहे आज़ादी से पहले अंग्रेजों ने भारत में बहुत से उद्योग स्थापित किए थे, परंतु वह ठीक ढंग से विकसित न हो पाए। आजादी के पश्चात् भारत सरकार ने देश में औद्योगीकरण की प्रक्रिया को तेजी से चलाने का निश्चय किया तथा उसके लिए सरकार ने उद्योगों को कई प्रकार के प्रोत्साहन दिए। इस कारण ही बोकारो, भिलाई, राऊरकेला, दुर्गापुर जैसे शहर सामने आए। यह औद्योगिक शहर बिहार, झारखंड जैसे प्रदेशों में स्थित हैं।

इन प्रदेशों में औद्योगिक शहरों के सामने आने का कारण यह है कि यहाँ पर सभी खनिज पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात में सूरत, अहमदाबाद, पंजाब में फगवाड़ा जैसे शहर कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध हुए। मुंबई के नज़दीक बाम्बे हाई का पिकास हुआ जहां से तेल निकाला जाता है। काँडला, विशाखापट्टनम जैसे शहर बंदरगाहों के कारण विकसित हुए। अहमदाबाद, डालमिया नगर, पोरबंदर, सतना, सूरतपुर इत्यादि जैसे शहर सीमेंट उद्योग के कारण सामने आए। इस प्रकार आज़ादी के बाद बहुत से शहर उद्योगों के कारण ही विकसित हुए।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
औद्योगीकरण की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
औद्योगीकरण की विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित है-
(i) मशीनों से उत्पादन-औद्योगीकरण की प्रक्रिया में उत्पादन मशीनों से होता है न कि हाथों से। इस प्रक्रिया में नयी-नयी मशीनों का ईजाद होता है तथा उन मशीनों की मदद से उत्पादन बढ़ाया जाता है। प्राचीन समाजों में उत्पादन हाथों से होता था इसलिए औद्योगीकरण इतनी उन्नत अवस्था में नहीं था। औद्योगीकरण में उत्पादन नयी मशीनों से तथा ज्यादा मात्रा में होता है।

(ii) औद्योगीकरण का संबंध उत्पादन की प्रक्रिया से होता है-औद्योगीकरण का संबंध उत्पादन की प्रक्रिया से होता इस प्रक्रिया के दौरान उत्पादन बढ़ जाता है। इसमें मशीनों की मदद से उत्पादन किया जाता है तथा उत्पादन भी ज्यादा मात्रा में होता है।

(iii) औद्योगीकरण में परंपरागत शक्ति का प्रयोग नहीं होता-परंपरागत शक्ति वह शक्ति होती है जो मानव शक्ति या पशु शक्ति पर आधारित होती है। औद्योगीकरण में इस मानव या पशु शक्ति की बजाए पेट्रोल, डीज़ल, कोयला, विद्युत् या परमाणु शक्ति का प्रयोग होता है क्योंकि परंपरागत शक्ति की अपेक्षा यह शक्ति ज्यादा तेज़ी से मशीनों को चलाती है तथा आज-कल की मशीनें भी इसी शक्ति से चलती हैं।

(iv) ओद्योगीकरण में उत्पादन तेज़ी से होता है-इस प्रक्रिया में उत्पादन बहुत तेज़ गति से होता है। प्राचीन समय में क्योंकि उत्पादन हाथों से होता था इसलिए उत्पादन बहुत कम हुआ करता था परंतु औद्योगीकरण में उत्पादन मशीनों से होता है इसलिए उत्पादन भी ज्यादा मात्रा में होता है। क्योंकि आजकल जनसंख्या भी काफी बढ़ गई है इसलिए उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा मशीनों का प्रयोग होता है ताकि ज्यादा उत्पादन किया जा सके।

(v) औदयोगीकरण में आर्थिक विकास होता है-इस प्रक्रिया में आर्थिक विकास होना ज़रूरी है। इस में बहत सारे उद्योग लग जाते हैं जो न सिर्फ अपने देश की ज़रूरतें पूरी करते हैं बल्कि दूसरे देशों की भी ज़रूरतें पूरी करते हैं। इस वजह से ये ज्यादा मुनाफ़ा कमाते हैं तथा देश के लिए भी पैसा कमाते हैं। पैसा कमाने के साथ ये देश को काफ़ी कर भी देते हैं जिससे देश को काफ़ी आमदनी हो जाती है जो कि देश के विकास में खर्च होती है। लोगों को उद्योगों में काम मिलता है जिससे उनका जीवन स्तर ऊँचा होता है जिससे देश का आर्थिक विकास होता है।

(vi) औद्योगीकरण से प्राचीन मान्यताएं टूट जाती हैं-औद्योगीकरण से प्राचीन मान्यताएं टूट जाती हैं। उदाहरण के लिए, भारत में इस प्रक्रिया के फलस्वरूप संयुक्त परिवार की मान्यता तथा परंपरा में विघटन हो गया है। इस वजह से संयुक्त परिवार टूट कर केंद्रीय परिवारों में बदल रहे हैं। इस तरह और भी कई परंपराओं जैसे जाति प्रथा, विवाह नाम की संस्था में भी बहुत से परिवर्तन आ रहे हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि औद्योगीकरण में प्राचीन परंपराएं टूट जाती हैं।

(vii) औद्योगीकरण में नए वर्गों का उदय होता है-औद्योगीकरण में नए-नए वर्ग सामने आते हैं। अमीर वर्ग, ग़रीब वर्ग, मध्यम वर्ग, मालिक वर्ग, मज़दूर वर्ग जैसे कई और वर्ग हमारे सामने आते हैं। इस वजह से कइयों को पैसा आ जाता है, कइयों के पास कम हो जाता है। कई ट्रेड यूनियन इत्यादि जैसे वर्ग सामने आ जाते हैं जोकि हमारे समाज में ज़रूरी हो जाते हैं।

(viii) औद्योगीकरण में प्राकृतिक साधनों का पूरी तरह प्रयोग होता है-इस प्रक्रिया में देश के प्राकृतिक साधनों का पूरी तरह प्रयोग होता है। मशीनों से उत्पादन की वजह से कोयला, डीज़ल, पेट्रोल, बिजली इत्यादि शक्ति का प्रयोग होता है जोकि प्राकृतिक साधनों का हिस्सा होते हैं। इसके अलावा कच्चे माल के लिए कृषि पर तथा भूमि पर आवश्यकता से अधिक बोझ पड़ता है जिससे प्राकृतिक साधनों का विनाश होना शुरू हो जाता है।

(ix) औद्योगीकरण में कई तकनीकों का प्रयोग होता है-औद्योगीकरण में हमेशा नई तकनीकों का प्रयोग होता रहता है क्योंकि औद्योगीकरण में नयी-नयी मशीनों का प्रयोग होता है। इस वजह से नए-नए आविष्कार होते रहते हैं जिसके कारण हमारे सामने नयी-नयी मशीनें आती हैं जिनका प्रयोग उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
औद्योगीकरण की वजह से क्या समस्याएं आती हैं? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
औद्योगीकरण से समाज को बहुत सारे लाभ होते हैं जैसे पैसा बढ़ता है, आर्थिक विकास होता है, उत्पादन बढ़ता है, नए वर्गों का निर्माण होता है पर भारत जैसे देश में, जहां व्यक्ति जातीय बंधनों में बंधा होता है, औद्योगीकरण की वजह से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) आर्थिक संकट-औद्योगीकरण की वजह से कई बार आर्थिक विकास की बजाए आर्थिक संकट भी आ जाता है। उत्पादन बहुत ज्यादा होता है पर कई बार ऐसा होता है कि उत्पादन तो ज्यादा होता है पर खपत ज्यादा नहीं होती या कम हो जाती है। उत्पादन तो उसी तरह से चलता रहता है पर खपत कम होने की वजह से तथा फैक्टरी में इकट्ठा होता जाता है जिस वजह से उस उद्योग में आर्थिक संकट आ जाता है।

(ii) बेकारी-औद्योगीकरण की वजह से बेकारी की समस्या भी बढ़ जाती है। पुराने तरीकों से उत्पादन हाथों से होता है जिस वजह से सभी को काम मिल जाता है पर इस प्रक्रिया में नए-नए आविष्कार होते रहते हैं तथा मशीनें आती रहती हैं जिस वजह से मजदूरों को काम से हटा दिया जाता है। उनकी जगह मशीनें आ जाती हैं। एक-एक मशीन दस-दस मजदूरों का काम कर सकती है। वे मज़दूर बेकार हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण बेकारी की समस्या को भी बढ़ावा देता है।

(iii) कुटीर उद्योगों का खत्म होना-औद्योगीकरण की वजह से गांवों में लगे कुटीर उद्योग भी खत्म हो जाते हैं। औद्योगीकरण में उत्पादन मशीनों से होता है जो कि सस्ता तथा अच्छा भी होता है। पर कुटीर उद्योगों में क्योंकि होता है जिस वजह से वह महंगा तथा मशीनों जैसा अच्छा भी नहीं होता है।

इस तरह फैक्टरियों का माल बिकने लग जाता है तथा इन कुटीर उद्योगों का माल बिकना बंद हो जाता है जिस वजह से इन कुटीर उद्योगों में आर्थिक संकट आ जाता है तथा ये धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण कुटीर उद्योगों के विनाश का कारण बनता है।

(iv) संयुक्त परिवारों में विघटन-औद्योगीकरण की प्रक्रिया संयुक्त परिवारों में विघटन का कारण बनती है। उद्योग शहरों में लगते हैं जिसके लिए उनमें काम करने के लिए लोगों को गांव में अपने संयुक्त परिवारों को छोड़ना पड़ता है। धीरे-धीरे सभी अपने संयुक्त परिवारों को छोड़ कर शहरों में चले जाते हैं। पहले तो वो अकेले जाते हैं पर धीरे-धीरे अपनी पत्नी तथा बच्चों को भी शहरों में ले जाते हैं तथा केंद्रीय परिवार का निर्माण करते हैं। इस तरह संयुक्त परिवार, जो भारतीय समाज की विशेषता हुआ करते थे, वह टूट जाते हैं तथा इसका कारण सिर्फ औद्योगीकरण ही है।

(v) जाति प्रथा का कमज़ोर होना-अगर हम प्राचीन भारतीय समाज को देखें तो जाति प्रथा बहुत मज़बूत हुआ करती थी पर आज के समय में बहुत कमज़ोर पड़ गई है। इसके कमज़ोर पड़ने की सबसे बड़ी वजह औद्योगीकरण है। जाति प्रथा की विशेषता विभिन्न जातियों में मेल-जोल तथा खाने-पीने पर पाबंदियां हुआ करती थीं। पर औद्योगीकरण ने इन पाबंदियों को तोड़ दिया है।

फैक्टरियों में सभी लोग मिल कर काम करते हैं तथा कोई किसी से यह नहीं पूछता कि वह किस जाति से है क्योंकि फैक्टरी में काम योग्यता के आधार पर मिलता है न कि जाति के आधार पर। सभी जातियों के लोग मिल-जुल कर काम करते हैं, खाने के समय मिल-जुल कर खाते हैं तथा यह नहीं पूछते कि वह किस जाति से है। इस तरह जाति प्रथा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषताएं मेल-जोल तथा खाने-पीने पर पाबंदियां को औद्योगीकरण ने खत्म कर दिया है। इस तरह जाति प्रथा को कमजोर करने में औदयोगीकरण का बहुत बड़ा हाथ है।

(vi) स्त्रियों का घर की चार दीवारी से बाहर निकलना-औद्योगीकरण की वजह से स्त्रियां घर की चार दीवारी से बाहर निकलना शुरू हो गई हैं। उद्योगों में मशीनें चलाने के अतिरिक्त अन्य बहुत-से कार्य होते हैं। स्त्रियों में साक्षरता दर के बढ़ने की वजह से वह भी दफ्तरों में काम करना शुरू हो गई हैं। स्त्रियां अब काफ़ी हद तक आर्थिक रूप से पति या पिता पर निर्भर न रह कर आत्म-निर्भर हो गई हैं जिस वजह से वे समानता का अधिकार मांगती हैं जिसे देने में मर्द आनाकानी करते हैं।

इस तरह मर्दो तथा स्त्रियों में अहं का टकराव होता है तथा घर टूटने तथा लड़ाई-झगड़ों का खतरा पैदा हो जाता है। इसके अलावा महिलाओं के घर से बाहर काम करने के लिए जाने की वजह से बच्चों के पालन-पोषण में कमी आई है जो कि आजकल क्रैच में होता है। इस वजह से बच्चों में आजकल अच्छे गुणों की कमी पायी जाती है जो कि सिर्फ माता-पिता ही बच्चों में डाल सकते हैं। माता-पिता के पास इसके लिए समय नहीं होता। इस तरह स्त्रियों की स्वतंत्रता नयी प्रकार की समस्याएं पैदा कर रही है।

(vii) प्रेम-विवाह, अंतर्जातीय-विवाह तथा तलाक-औरतों के घर से बाहर निकलने से तथा जाति प्रथा की परंपराओं के टूटने की वजह से अब प्रेम विवाह तथा अंतर्जातीय विवाह बढ़ रहे हैं। शिक्षा के बढ़ने की वजह से लड़का-लड़की कॉलेज में मिलते हैं तथा उनमें प्यार हो जाता है तथा बाद में वह प्रेम-विवाह कर लेते हैं।

इसके अलावा औरतों के दफ्तरों में मर्दो के साथ काम करने की वजह से उनमें मेल-जोल बढ़ता है तथा धीरे-धीरे उनमें प्यार हो जाता है। वह विवाह कर लेते हैं। दोनों ही हालातों में यह ज़रूरी नहीं कि दोनों एक ही जाति के हों। वह अलग-अलग जातियों के भी हो सकते हैं। इस तरह प्रेम विवाह तथा अंतर्जातीय विवाहों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। इनके अलावा एक बड़ी समस्या जिस-का समाज को सामना करना पड़ रहा है वह है तलाक की समस्या।

औरतें अब आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हो गई हैं जिस वजह से वह किसी के अधिकार के अंदर नहीं रहना चाहती जिस वजह से पति-पत्नी के अहं में टकराव होता है तथा बात तलाक तक आ जाती है। इसके साथ ही प्रेम विवाह रोमांच पर आधारित होता है।

जब रोमांच खत्म हो जाता है तथा जिंदगी की सच्चाई भी सामने आ जाती है तो प्यार भी खत्म होना शुरू हो जाता है तथा झगड़े शुरू हो जाते हैं। इस वजह से तलाक तक बात पहुँच जाती है। अंतर्जातीय विवाह में कई बार दोनों की संस्कृति, परंपराएं, रहन-सहन नहीं मिल पाते जिस वजह से झगड़े शुरू हो जाते हैं तथा बात तलाक तक पहुँच जाती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

प्रश्न 3.
औद्योगीकरण के समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
अथवा
उद्योगों से किस तरह समाज में विकास होता है?
उत्तर:
औद्योगीकरण के समाज पर बहुत से अच्छे-बुरे प्रभाव पड़ते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) श्रम विभाजन-प्राचीन समय में किसी चीज़ का उत्पादन परिवार में ही हुआ करता था। सभी को उस चीज़ के उत्पादन से संबंधित कार्य आते थे तथा वे सभी मिल-जुल कर कार्य करके उसका उत्पादन कर लिया करते थे। परंतु औद्योगीकरण की वजह से काम मशीनों पर होना शुरू हो गया जिस वजह से श्रम विभाजन का संकल्प हमारे सामने आया। किसी चीज़ का उत्पादन कई चरणों में होता है।

हर चरण में अलग-अलग काम होते हैं। अब हर कोई अलग-अलग काम करता है, जैसे कपड़ा बनाने में कोई किसी मशीन को चलाता है, कोई किसी मशीन को। अगर कोई रंगाई करता है तो यह भी श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण का काम हो जाता है। इस तरह हर काम में श्रम विभाजन हो गया है। हर कोई एक खास काम करता है तथा उसका उसी काम में विशेषीकरण हो जाता है। यह औद्योगीकरण की वजह से हुआ है।

(ii) यातायात के साधनों का विकास-औद्योगीकरण की वजह से यातायात के साधनों का भी विकास हुआ है। फैक्टरियों में उत्पादन के लिए कच्चे माल की ज़रूरत होती है। कच्चे माल को फैक्टरियों तक दूर-दूर के इलाकों से पहुँचाने के लिए ट्रेन, ट्रकों इत्यादि जैसे यातायात के साधनों का विकास हुआ। इसके अलावा बने हुए माल को फैक्टरी से बाज़ार तक पहुँचाने के लिए भी इन यातायात के साधनों की आवश्यकता होती है जिनका धीरे-धीरे विकास हो गया। इस तरह औद्योगीकरण की वजह से यातायात के साधनों का विकास तेज़ी से हुआ।

(iii) फैक्टरियों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी-औद्योगीकरण की वजह से चीजों का उत्पादन घरों से निकल कर फैक्टरी में आ गया जहां पर उत्पादन हाथों की बजाए मशीनों से होता है। हाथों से उत्पादन धीरे-धीरे होता है परंतु मशीनों से उत्पादन तेजी से होता है। चाहे जनसंख्या के बढ़ने से खपत में भी बढ़ोत्तरी हुई पर इसके साथ-साथ नए-नए आविष्कार हुए जिन से उत्पादन भी और बढ़ता गया। इस तरह चीज़ों के उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी औद्योगीकरण की वजह से हुई।

(iv) शहरों के आकार में बढ़ोत्तरी-औद्योगीकरण के बढ़ने से शहरों के आकार भी बढ़ने लगे। उद्योग शहरों में लगते थे जिस वजह से गांवों के लोग शहरों की तरफ जाने लगे। रोज़-रोज़ गांव में जाना मुमकिन नहीं था इसलिए लोग अपने परिवार भी शहर ले जाने लगे। जनसंख्या के बढ़ने से शहरों में जनसंख्या बढ़ने लगी जिस वजह से धीरे धीरे शहरों के आकार बढ़ने लगे तथा धीरे-धीरे नगरीयकरण का संकल्प हमारे सामने आया।

(v) पंजीवाद-औदयोगीकरण की वजह से पंजीवाद का भी जन्म हआ। जब घरों में उत्पादन हआ करता था तो ज्यादा पूंजी की ज़रूरत नहीं होती थी क्योंकि उत्पादन कम होता था तथा उत्पादन घर में ही हो जाता था पर औद्योगीकरण ने फैक्टरी प्रथा को जन्म दिया। फैक्टरी बनाने के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की ज़रूरत पड़ी। फैक्टरी बनाने के लिए, कच्चा माल खरीदने के लिए, बनी हुई चीज़ को बाज़ार में बेचने के लिए, मजदूरों को तनख्वाह देने तथा कई और कामों के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की ज़रूरत पड़ी।

जिनके पास पैसा था उन्होंने बड़ी-बड़ी फैक्टरियां खड़ी कर ली तथा धीरे-धीरे पैसे की मदद से और पैसा कमाने लग गए। इसके साथ-साथ समाज में कई और वर्ग जैसे व्यापारी, मालिक, मजदूर, दलाल इत्यादि हमारे सामने आए तथा व्यापार में भी बढ़ोत्तरी हुई। पैसे की मदद से उत्पादित चीजें और देशों को भेजी जाने लगी जिससे और पैसा आने लगा। इस पैसे की वजह से और देशों पर कब्जे होने लगे जिसे हम साम्राज्यवाद कहते हैं। इसने और देशों का शोषण करने को प्रेरित किया। इस तरह पूंजीवाद का जन्म हुआ जिसने कई और समस्याओं को जन्म दिया।

(vi) कुटीर उद्योगों का खत्म होना-इसकी वजह से गांवों में लगे कुटीर उद्योग खत्म हो जाते हैं। इसमें उत्पादन मशीनों से होता है जोकि सस्ता तथा अच्छा भी होता है। कुटीर उद्योग में क्योंकि उत्पादन हाथों से होता है जिस कारण वह महंगा तथा मशीनों जैसा अच्छा भी नहीं होता है। इस तरह फैक्टरियों का माल बिकने लग जाता है तथा कुटीर उद्योगों का माल बिकना बंद हो जाता है जिस वजह से इन कुटीर उद्योगों में आर्थिक संकट आ जाता है तथा यह धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण कुटीर उद्योगों के विनाश का कारण बनता है।

(vii) रहने की जगह की समस्या-उद्योग नगरों में लगते हैं। गांवों से हज़ारों लोग शहरों में इन उद्योगों में काम की तलाश में आते हैं जिस वजह से शहरों में रहने की जगह की या मकानों की समस्या हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए कई-कई लोग एक कमरे में रहते हैं जिस वजह से उनमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जन्म लेती हैं। इसी के साथ गंदी बस्तियां भी पनप जाती हैं जो शहरों में गंदगी फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

(viii) बेकारी-औद्योगीकरण की वजह से बेकारी की समस्या भी बढ़ जाती है। पुराने तरीकों से उत्पादन हाथों से होता है जिस वजह से सभी को काम मिल जाता है पर इस प्रक्रिया में नए-नए आविष्कार होते रहते हैं तथा मशीनें भी आती रहती हैं जिस वजह से मजदूरों को काम से हटा दिया जाता है। उनकी जगह मशीनें आ जाती हैं। एक एक मशीन दस-दस मजदूरों का काम कर सकती है। वे मजदूर बेकार हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण बेकारी की समस्या को भी बढ़ावा देता है।

(ix) स्वास्थ्य की समस्या-औद्योगीकरण का एक और प्रभाव मजदूरों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इन उद्योगों का वातावरण मजदूरों की सेहत के लिए काफ़ी हानिकारक होता है। वहां ताजी हवा नहीं जाती, उन्हें प्रदूषण में काम करना पड़ता है जिस वजह से उनके स्वास्थ्य पर काफ़ी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
सामाजिक परिवर्तन क्या है? इसकी विशेषता का वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
अथवा
सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सामाजिक परिवर्तन का अर्थ (Meaning of Social Changes)-साधारण शब्दों में परिवर्तन का अर्थ समाज में घटित होने वाले परिवर्तनों से समझा जाता है अर्थात् परिवर्तन शब्द समय की किसी अवधि में आए परिवर्तन को स्पष्ट करता है। प्रारंभ में सामाजिक विचारकों ने उद्विकास (evolution), प्रगति (Progress) एवं सामाजिक परिवर्तन तीन अवधारणाओं का एक ही अर्थ माना जाता है। केवल आगबर्न पहले ऐसे विद्वान हुए जिन्होंने 1922 में अपनी पुस्तक (Social change) में इन सभी अवधारणाओं का अंतर समझाया।

सामाजिक परिवर्तन के बारे में विभिन्न विद्वानों की निम्नलिखित परिभाषाएं हैं किंग्सले डेविस (Kingsley Devis) के अनुसार, “सामाजिक परिवर्तन से हमारा अभिप्रायः उन परिवर्तनों से है जो सामाजिक संगठन अर्थात् समाज की संरचना और कार्यों में उत्पन्न होते हैं।”

गिन्सबर्ग (Ginsberg) के शब्दों में, “सामाजिक परिवर्तन से हमारा अभिप्राय सामाजिक ढांचे में परिवर्तन से है। उदाहरण के रूप में समाज के आकार, उनके विभिन्न अंगों की बनावट या संतुलन अथवा उसके संगठन के प्रकारों में होने वाले परिवर्तन से है।’

जेन्सन (Jenson) का मानना है कि, “सामाजिक परिवर्तन को लोगों के कार्य करने तथा विचार करने के तरीकों में होने वाले रूपांतर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।” मैकाइवर एवं पेज (MacIver and Page) के अनुसार, “समाजशास्त्री होने के नाते हमारी विशेष रुचि प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक संबंधों से है। केवल इन सामाजिक संबंधों में होने वाले परिवर्तन को ही सामाजिक परिवर्तन कहते हैं।”

पर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर सामाजिक परिवर्तन लोगों के जीवन में होने वाले परिवर्तन को दर्शाता है। सामाजिक परिवर्तन सामाजिक संबंधों में परिवर्तन है। सामाजिक परिवर्तन उन परिवर्तनों को कहा जाता है जो मानवीय संबंधों, व्यवहारों, प्रथाओं, परंपराओं, संस्थाओं, मूल्यों, कार्यविधियों, प्रकार्यों व सामाजिक व्यवस्था व संरचना है।

सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएं (Characteristics of Social Change) सामाजिक परिवर्तन एक आवश्यक एवं सर्वव्यापी प्रक्रिया है। लेकिन स्थिर व गतिशील समाजों में इसकी प्रकृति अलग-अलग देखने को मिलती है। इन विभिन्नताओं को देखते हुए सामाजिक परिवर्तन की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
1. सामाजिक परिवर्तन अनेक तत्त्वों की अंतः क्रिया का परिणाम होता है (Social Change is a result of the interaction of a number of factor)-सामाजिक परिवर्तन किसी एक तत्त्व के प्रभाव के कारण नहीं होता है। कुछ विद्वानों का मानना है कि कोई विशेष तत्त्व प्रौद्योगिकी में परिवर्तन, आर्थिक विकास या जलवायु संबंधी दशाएं सामाजिक परिवर्तन उत्पन्न करती है।

लेकिन इसे एकलवादी सिद्धांत कहा जाता है जोकि सामाजिक परिवर्तन की किसी अकेले तत्त्व के आधार पर समीक्षा करता है। यह एकलवादी सिद्धांत सामाजिक परिवर्तन की सही व्याख्या नहीं करता। क्योंकि सामाजिक परिवर्तन किसी एक तत्त्व नहीं बल्कि अनेक तत्त्वों सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनैतिक, भौगोलिक तथा प्राकृतिक आदि का परिणाम हो सकता है।

2. सामाजिक परिवर्तन एक जटिल तथ्य है (Social Change is a Complex Phenomenon)-सामाजिक परिवर्तन एक गुणात्मक परिवर्तन है परिवर्तन की मात्रा को मापा या तोला नहीं जा सकता। अतः यह एक जटिल तथ्य है। किसी भौतिक वस्तु या भौतिक संस्कृति में होने वाले परिवर्तन की मात्रा का माप या तोल किया जा सकता है। मूल्यों, विचारों, विश्वासों, संस्थाओं एवं व्यवहारों में होने वाले परिवर्तनों को माप-तोल के आधार पर व्यक्त नहीं कर सकते। सामाजिक परिवर्तन को सरलता से समझा भी नहीं जा सकता।

3. सामाजिक परिवर्तन की गति समरूप नहीं होती है (Speed of Social Changes is not Uniform)-यद्यपि सामाजिक परिवर्तन प्रत्येक समाज की आवश्यक घटना है। फिर भी परिवर्तन की प्रकृति प्रत्येक समाज में अलग अलग होती है। कई समाजों में तो परिवर्तन की गति इतनी धीमी होती है कि लोगों को परिवर्तन का अहसास तक नहीं होता है। आधुनिक समय में भी कई ऐसे समाज अब भी हैं जिनके परिवर्तन की गति काफ़ी धीमी है। नगरीय समाजों में ग्रामीण समाजों से तीव्र रूप से परिवर्तन आता है। इसी कारण नगरीय समुदाय अत्यधिक विकसित होता है। सामाजिक परिवर्तनों की गति समय, स्थान एवं परिस्थितियों के ऊपर निर्भर करती है।

4. सामाजिक परिवर्तन एक अनिवार्य घटना है (Social Change Occurs as an Essential Law)-परिवर्तन प्राकृतिक नियम है तथा सामाजिक परिवर्तन एक सामाजिक तथ्य है। परिवर्तन सुनियोजित प्रयत्नों का परिणाम भी हो सकता है। कई बार व्यक्ति परिवर्तन का विरोध करता है। फिर भी परिवर्तन के ऊपर उसके परिवर्तन के विरुद्ध प्रयासों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। मनुष्य की इच्छाओं, आवश्यकताओं एवं परिस्थितियों में परिवर्तन होने पर समाज में भी परिवर्तन होता है।

5. सामाजिक परिवर्तन सामुदायिक परिवर्तन है (Social Change is Community Change) सामाजिक परिवर्तन का संबंध किसी व्यक्ति विशेष, जाति, समूह, संस्था एवं प्रजाति में होने वाले परिवर्तन से नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण सामुदायिक जीवन में घटित होने वाले परिवर्तन हैं। सामाजिक परिवर्तन किसी एक व्यक्ति के जीवन या कुछ एक व्यक्तियों के जीवन प्रतिमानों में परिवर्तन नहीं है बल्कि संपूर्ण समुदाय में परिवर्तित घटना से होता है। सारे सामुदाय पर परिवर्तन ही सामाजिक परिवर्तन कहलाता है। यह वैयक्तिक न होकर सामाजिक होता है।

6. सामाजिक परिवर्तन सार्वभौमिक है (Social Change is a Universal Phenomenon) कोई भी समाज ऐसा नहीं जिसमें परिवर्तन न पाया जाए अर्थात् कोई भी समाज गतिहीन नहीं होता। प्राचीन समाज हो या आधुनिक ग्रामीण या नगरीय समाज सभी में परिवर्तन होता है। समाज में दिन-प्रतिदिन अनेक गतिशील प्रभावों के कारण अस्थिरता पाई जाती है।

जनसंख्या में वृद्धि और प्रौद्योगिकी के विस्तार के कारण भौतिक पदार्थों में परिवर्तन आता रहता है। विचारधाराओं और सामाजिक मूल्यों व आदर्शों में भी नये तत्त्व सम्मिलित होते जाते हैं। जिससे सामाजिक संस्था संरचना की प्रकृति भी बदलती जाती है। परिवर्तन की गति कम या अधिक होना समाज की प्रकृति पर निर्भर करता है।

7. सामाजिक परिवर्तन की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती (Prediction of Social Change is not Possible) सामाजिक परिवर्तन का निश्चित रूप से पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं है। औद्योगीकरण व नगरीयकरण के कारण भारत में संयुक्त परिवार प्रथा, जाति प्रथा एवं विवाह प्रणाली में कौन-कौन से परिवर्तन आयेंगे इसके साथ ही इनके प्रभाव के कारण लोगों के विचारों, विश्वासों व मनोवृत्तियों, मूल्यों व आदर्शों आदि पर किस प्रकार के परिवर्तन आयेंगे यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता।

कई बार आकस्मिक कारणों से भी परिवर्तन होते हैं। जिनके बारे में पहले सोचा तक भी नहीं होता है। जैसे ‘भुज’ गुजरात में भूकंप आने से वहां मूलभूत सामाजिक परिवर्तन आए हैं। विश्व युद्धों के दौरान या बाद में कई सामाजिक मूलभूत परिवर्तन आये जिनके बारे में कभी पहले सोचा भी नहीं गया। मई, 1998 में परमाणु बम का भारत में परीक्षण करने पर प्रतिक्रिया स्वरूप विश्व समुदाय ने भारत पर अनेक आर्थिक पाबंदियां लगाईं जिसने भारतीय समाज के परिवर्तनों की गति एवं स्वरूप को प्रभावित किया। इस तरह सामाजिक परिवर्तन अनेक कारकों पर निर्भर करते हैं जिनका सही पूर्वानुमान भविष्यवाणी करना संभव नहीं होता है।

प्रश्न 5.
सामाजिक परिवर्तन लाने वाले कारकों का वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक परिवर्तन में जनांकिक कारकों का वर्णन करें।
अथवा
सामाजिक परिवर्तन के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किसी भी घटना के घटने का कोई न कोई कारण अवश्य होता है। सामाजिक परिवर्तन को भली-भांति समझने के लिए उन कारकों का जानना आवश्यक है जो इस परिवर्तन को संभव बनाते हैं। इस विषय में एक प्रसिद्ध रोमन कवि का कथन है कि, “वह व्यक्ति सबसे सुखी है जो वस्तुओं के कारणों को जान लेता है।” विभिन्न विचारकों के भिन्न कारकों को सामाजिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया है जैसे कार्ल मार्क्स ने आर्थिक कारक को, वेबर ने धर्म को व ऑगबर्न ने सांस्कृतिक विलंबना को सामाजिक परिवर्तन के कारक माना है।

इन सबके आधार पर सामाजिक परिवर्तन के लिए सामूहिक कारक उत्तरदायी होते हैं। इस वाक्य के विचारक ए० एम० रोज़ (A.M. Rose) का कथन है कि, “सामाजिक परिवर्तन का कोई कारक या कारकों की एक श्रृंखला सभी समाजों में सभी परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी नहीं है और न ही सिर्फ एक कारक ही किसी एक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है।”

1. आर्थिक कारक (Economic Factors)-सृष्टि के प्रारंभिक काल से ही मानव की सबसे पहली आवश्यकता भूख थी। मानव ने भूख को मिटाने के लिए इधर-उधर भटकना शुरू किया तथा इसके साथ ही अनेक वस्तुओं का भी उपयोग किया व अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के अनेक साधनों की खोज कर डाली। इस प्रकार समय के साथ-साथ उसने कई प्रकार के संबंध स्थापित किए व कई व्यवस्थाओं का भी निर्माण किया। प्रारंभिक मानव सभ्यता व संस्कृति के विकास हेतु अपनी आदतों, व्यवहारों, इच्छाओं व साधनों में परिवर्तन करता हुआ सामाजिक प्राणी में परिवर्तित हो गया।

2. भौगोलिक व प्राकृतिक कारक (Geographical or Natural Factors)-प्राकृतिक व भौगोलिक कारक मानवीय संबंधों, व्यवहार के तरीकों, विश्वासों को प्रभावित व परिवर्तित करते हैं। सुगम्य व अगम्य क्षेत्रों का सामाजिक परिवर्तन की गति पर प्रभाव पड़ता रहता है। नदियां, जंगल, पहाड़, अकाल, ऋतुएं, बाढ़ व भूकंप का सामाजिक जीवन पर निरंतर प्रभाव रहता है। जनवरी, 2001 में भुज (गुजरात) में व 1905 में कांगड़ा में विनाशकारी भूकंप, उड़ीसा में बाढ़, राजस्थान में सूखा आदि ने संबंधित क्षेत्रों के लोगों की जीवन शैली बदल डाली।

ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण वर्तमान समय में भी भारत में लाखों लोग प्राकृतिक शक्तियों का मानवीकरण करके उनकी पूजा करते हैं। वायु, सूर्य, चंद्रमा, शनि, बृहस्पति, नदियों, पर्वतों व अग्नि आदि की पूजा इसके कुछेक उदाहरण हैं। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण निश्चित सामाजिक मल्य शिष्टाचार, विश्वास, नियम, आदर्श, कानन व व्यवहार के तरीके निश्चित स्वरूप धारण करते हैं।

रामपुर हिमाचल प्रदेश में “लवी का मेला’ शरद ऋतु से संबंधित हैं। अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियां मानव के स्वास्थ्य, कार्यक्षमता कार्यकुशलता को बढ़ाती है। खान-पान, पहरावे, धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित करती हैं। किंतु प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों का मानव की कार्यकुशलता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

3. मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors) मानसिक असंतोष, तनाव जिज्ञासा व इच्छा इत्यादि मनौवैज्ञानिक कारक है जो मानव को निश्चित तरह से क्रियाएं व व्यवहार करने को प्रेरित करते हैं। मानसिक असंतोष के कारण व्यक्ति सामाजिक मूल्य आदर्शों का उल्लंघन तक कर देता है। निश्चित उद्देश्यों की पूर्ति न कर पाने, जीवन में अपने लिए संगठन व समाज के लिए कुछ करने की इच्छा व सामाजिक व्यवस्था से निराशा असंतोष को जन्म देती है।

वर्तमान समय में उग्रवाद, आतंकवाद, मूल्यों का पतन व अनेक आदर्श नियमों के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार कारकों में से मानसिक असंतोष एक है। कुछ नया करने व जानने की इच्छा के कारण अनेक जिज्ञासु नए नए आविष्कार कर डालते हैं। जो सामाजिक परिवर्तनों को जन्म देते हैं। मानसिक असंतोष व जिज्ञासा से विवाह विच्छेद, हत्या, आत्महत्या, बाल-अपराध व वैश्यावृति, खोजें, आविष्कार, सामाजिक विघटन व प्रगति के तत्त्वों का जन्म होता है जो सामाजिक परिवर्तनों का रास्ता प्रशस्त करते हैं।

4. जनांकिक कारक (Demographic Factors)-विविध जनांकिक कारक किसी भी समाज की सामाजिक संरचना व सामाजिक व्यवस्था के परिवर्तनों को गति व दिशा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करते हैं। जनसंख्या के प्रमुख कारकों में कुल जनसंख्या जन्म दर व मृत्यु दर जीवन प्रत्याशा (Life Expactancy) लिंग अनुपात (Sex Ratio), साक्षरता दर, ग्रामीण व नगरीय जनसंख्या व आयु संरचना आदि सम्मिलित हैं। भारतीय समाज के 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल जनसंख्या लगभग 121 करोड़ है।

जबकि एक सौ दस वर्ष पूर्व 1901 में भारत की जनसंख्या 24 करोड़ से भी कम थी। 1991-2011 के दौरान बीस वर्षों में देश की कुल जनसंख्या में लगभग 32 करोड़ की वृद्धि हुई। भारतीय समाज में विभिन्न पहलुओं ग़रीबी, बेरोज़गारी, जीवन स्तर, स्वास्थ्य स्तर, साक्षरता, संस्कृति संबंधों की व्यवस्था आदि अनेक पहलुओं का प्रभाव पड़ा है। इसी तरह देश की साक्षरता दर में परिवर्तनों से सामाजिक परिवर्तन हो रहे हैं।

स्त्रियों की साक्षरता दर 0.60% से 65.5% पहुंच गई। अतः 1901 में 500 में से केवल 3 महिलाएं साक्षर थीं। महिलाओं में शिक्षा के तीव्रगति से प्रचार व प्रसार से उनमें आत्मविश्वास का विकास हुआ, जागरूकता बढ़ी, जिससे विवाह, परिवार, स्त्रियों की स्थिति, आर्थिक क्रियाओं, विश्वासों, सोच मनोवृत्तियों, रुचियों में परिवर्तन हुआ। जैसे जनसंख्या के एक कारक साक्षरता का सामाजिक परिवर्तनों में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा इसी प्रकार जनसंख्यात्मक कारकों से सामाजिक परिवर्तन हुए हैं।

5. सांस्कृतिक कारक (Cultural Factors)-सामाजिक परिवर्तनों के विभिन्न कारकों में सांस्कृतिक कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चूंकि संस्कृति, व्यक्ति के विश्वासों, विचारों, मूल्यों, धर्म, प्रथा, नैतिकता आदि से निर्मित होती है। जैसे ही किसी समाज की संस्कृति में परिवर्तन आता है वैसे ही सांस्कृतिक तत्त्व भी परिवर्तित हो जाते हैं। सांस्कृतिक तत्त्वों का संबंध व्यक्तियों के व्यवहारों, आदतों व तरीकों से है। स्वाभाविक रूप से उनमें भी परिवर्तन आ जाता है।

इस प्रकार संस्कृति के विभिन्न तत्त्वों में होने वाला परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन कहलाता समाज में संस्कृति ही निर्धारित करती है कि अमुक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के साथ-क्या संबंध होगा व उस संबंध के आधार पर वह दूसरे व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करेगा। परिवार के सदस्यों के परस्पर व्यवहार करने के व सदस्यों के बीच किस प्रकार का संबंध होगा. यह सब संस्कति दवारा तय होता है। संस्कृति के भौतिक और अभौतिक दो पक्ष होते हैं।

भौतिक पक्ष का संबंध भौतिक वस्तुओं जैसे मशीन, कलपुर्जे, कार व रेलगाड़ी से है जबकि अभौतिक संस्कृति का संबंध समाज में प्रचलित रूढ़ियों, आदर्शों, नियमों व मूल्यों से है। सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में भौतिक पक्ष आगे बढ़ता जाता है जबकि अभौतिक पक्ष पिछड़ जाता है।

संस्कृति का भौतिक पहलू व्यक्ति की आदतों में परिवर्तन को बढ़ावा देता है व अभौतिक पक्ष व्यक्ति के व्यवहारों में परिवर्तन को योग देता है। जब भी किसी समाज के लोगों की आदत व व्यवहार में परिवर्तन आता है तो सामाजिक परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। संस्कृति केवल सांस्कृतिक क्षेत्र में ही परिवर्तन को संभव नहीं बनाती बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक प्रयोगीकरण के क्षेत्र में भी परिवर्तन की दिशा में अपना योगदान देती है।

6. प्राणीशास्त्रीय कारक (Biological Factors) डार्विन (Darvin) के अनुसार प्राणीशास्त्रीय कारक सामाजिक परिवर्तन लाने में काफ़ी महत्त्वपूर्ण हैं। शारीरिक रूप से शक्तिशाली व साहसिक, मानसिक दृष्टि से अधिक बुद्धिमान व्यक्ति सामाजिक परिवर्तनों का रास्ता प्रशस्त करते हैं। जन्मदर, मृत्यु, औसत आयु व लिंग अनुपात प्राणीशास्त्रीय कारक हैं।

लिंगानुपात के आधार पर समाज में विवाह का स्वरूप, परिवार का गठन, आर्थिक गतिविधियां व राजनीतिक क्रियाएं प्रभावित होती हैं। जहां पुरुष व स्त्रियों की संख्या लगभग समान होती है वहां सामान्यतः एक विवाह प्रचलित होता है। बहुपति व बहुपत्नी विवाह प्रचलन के लिए भी लिंगानुपात कारक हैं।

7. वैचारिक कारक (Ideological Factors) विचारधाराएं सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करती हैं। गांधीवाद, पूंजीवाद, मार्क्सवाद व समतावाद आदि विचारधाराओं ने विश्व के विभिन्न समाजों में मूलभूत परिवर्तन किए। साम्यवाद, पूंजीवाद व समतावाद का विकास अनेक विद्वानों के सामूहिक प्रयत्नों का फल है। गांधी जी ने सत्याग्रह व अहिंसा के दवारा ब्रिटिश सरकार को भारत स्वतंत्र करने के लिए बाध्य किया, मार्क्सवाद के प्रभावाधीन विश्व के अनेक देशों ने सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक व्यवस्था में मार्क्सवाद को अपनाया।

महात्मा बुद्ध ने भारतीय समाज में अनावश्यक व खर्चीले कर्मकांडों का विरोध किया तथा अहिंसा एवं सादगी को जीवन में अपनाने पर बल दिया। पूंजीवाद व साम्यवाद विचारधाराओं के आधार पर द्वितीय महायुद्ध से लेकर 1990 के दशक के आरंभ तक विश्व दो गुटों में बंटा रहा जिसने “शीत युद्ध” को जन्म दिया। इन विचारधाराओं के प्रभाव के कारण इनको अपनाने वाले राष्ट्रों में परिवर्तनों की प्रक्रिया, दिशा व गति में काफ़ी अंतर रहा है।

8. प्रौद्योगिक कारक (Technological Factors)-वर्तमान समय में प्रौद्योगिक कारक सामाजिक परिवर्तन का महत्त्वपूर्ण कारण हैं। प्रौदयोगिक का अर्थ उन उन्नत प्रविधियों से है जिनके दवारा व्यक्ति की भौतिक आवश्यकताओं भी है। विज्ञान के क्षेत्र में होने वाली प्रगति ने अनेक आविष्कारों को जन्म दिया है। इन आविष्कारों के आधार पर यंत्रीकरण में वृद्धि हुई और यंत्रीकरण के परिणामस्वरूप ही उत्पादन प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन आये हैं।

जैसे उत्पादन प्रणाली में परिवर्तन आता है वैसे ही सामाजिक संबंधों, व्यवस्था, संरचना, भूमिका एवं भी परिवर्तन आ जाता है। साधारण रूप से इसी को सामाजिक परिवर्तन कहा जाता है। भाप के इंजन के आविष्कार से मानव का सामाजिक जीवन इतना परिवर्तित हो गया जिसकी पहले किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी। यातायात एवं संचार की सुविधाओं के विस्तार व प्रसार से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से स्थानीय गतिशीलता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।

औद्योगीकरण व नगरीयकरण की प्रक्रिया के आधार पर नगरों में उद्योगों का विकास बढ़ा जिससे नगरों में घनी बस्तियों का निर्माण हुआ। इसी प्रकार रेडियो, टेलीफोन, टेलीविज़न, कंप्यूटर, ई मेल, प्रेस व मशीनों के आविष्कार ने संपूर्ण सामाजिक संरचना को परिवर्तित रूप दिया। नवीन प्रौद्योगिकी ने न केवल पाश्चात्य देशों को ही बल्कि भारत व एशियाई देशों को भी काफ़ी हद तक प्रभावित किया।

मानव वर्तमान समय में धर्म व जाति से बाहर निकल कर अपनी सोच को विकसित करने में लगा हुआ है। प्रौद्योगिकी के विकास के कारण स्त्रियों के अधिकारों व उनकी आर्थिक स्वतंत्रता में भी वृद्धि हुई है। समाज में युवा पीढ़ी की शक्ति व अधिकारों में वृद्धि हुई है। इन सब पहलुओं को देखने से स्पष्ट होता है कि प्रौद्योगिकी विकास सामाजिक परिवर्तन का महत्त्वपूर्ण कारक है।

9. राजनीतिक कारक (Political Factors)-आज तक समाज में जो परिवर्तन हुए हैं वह राजनीतिक उथल पुथल के कारण हुए हैं। बीयरस्टीड का कथन है कि, “कई लेखकों के अनुसार सामाजिक परिवर्तन युद्धों, लड़ाइयों, विजय, पराजय, वंशों व महायुदधों की कहानी हैं।”

इतिहास का लेखन कार्य सैन्य शक्ति के आधार पर ही था व सामाजिक परिवर्तन के बारे में भी सैन्य सिद्धांत (Military Theory) ही पाया जाता था। इस सिद्धांत के समर्थकों के अनुसार धार्मिक एवं दार्शनिक नेता समाज में अपना प्रभाव सैन्य शक्ति धारण करने वाले व्यक्तियों की अपेक्षा कम डाल पाते हैं। जिसके कारण परिवर्तन की मात्रा इन नेताओं की अपेक्षा राजनीतिक सत्ता प्राप्त व्यक्ति के द्वारा अधिक पायी जाती है। इस प्रकार इतिहास को युद्धों के संदर्भ में ही समझा जाना चाहिए व युद्धों के आधार पर परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन कहलाता है।

सामाजिक परिवर्तन से पहले राजनीतिक परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देने लगता है। युद्ध और क्रांति होकर शांत हो जाते हैं। देश की व्यवस्था एक के बाद दूसरे राजनेता के पास आती रहती है। इस सबके परिणामस्वरूप सामाजिक व्यवस्था पूर्ण रूप से परिवर्तित रूप धारण कर लेती है।

सन् 1947 का परिवर्तन अंग्रेजी शासकों को उखाड़ फेंक कर सत्ता अपने हाथ में लेने का परिवर्तन है तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी अनेक राजनीतिक पार्टियां अपने आपको राजगद्दी पर बिठाने के लिए प्रयास करती रहती हैं। यही प्रयास आगे सामाजिक परिवर्तन के रूप में स्पष्ट दिखाई देते हैं।

न लोगों एवं विदवानों का योगदान (Contribution of Greatmen and Scholars)-किसी भी समाज के परिवर्तन में वहां के महान् लोगों व विद्वानों की विशेष भूमिका रहती है। महात्मा बुद्ध, महावीर, संत कबीर, राजा राम मोहन राय, तुलसीदास, स्वामी विवेकानंद जी, दयानंद सरस्वती, टैगोर, महात्मा गांधी तथा नेहरू आदि ने भारतीय समाज में अनेक परिवर्तनों का मार्ग प्रशस्त किया।

पेरेटो का भारत की इस पृष्ठभूमि को देखते हुए यह विचार कि इतिहास अभिजात्य वर्ग की कब्र है (History is the graveyard of elites) सार्थक है। इन भारतीय संत-महात्माओं, विद्वानों व अनेक अन्य बुद्धिजीवियों ने भारतीय समाज के मूलभूत ढांचों में परिवर्तन किए।

प्रश्न 6.
औद्योगीकरण के परिणामों का वर्णन करो।
अथवा
औद्योगीकरण के भारतीय समाज पर परिणामों की व्याख्या करें।
उत्तर:
सन् 1947 के पश्चात् भारतवर्ष में बढ़ते औद्योगीकरण का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। जिसका वर्णन निम्नलिखित है-
1. सामुदायिक भावना में परिवर्तन (Change in Community Feelings)-औद्योगीकरण की प्रक्रिया का प्रभाव ग्रामीण समुदाय एवं नगरीय समुदाय दोनों पर पड़ा है। लेकिन ग्रामीण समुदाय में जहां पर सामुदायिक भावना का सुदृढ़ रूप देखने को मिलता है। औद्योगीकरण के कारण नगरीय जनसंख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। जिसके परिणामस्वरूप सामुदायिक भावना कम हुई है।

2. सामाजिक नियंत्रण में कमी (Decline in Social Control)-औदयोगीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप नगरीय जनसंख्या में वृद्धि हुई है। जिसके कारण जातीय एवं सामाजिक संगठनों की शक्ति कम होती गई। जातीय एवं सामाजिक आधार पर संगठनों के निर्बल होने के परिणामस्वरूप सामुदायिक भावना घटती गई तथा सामाजिक नियंत्रण में कमी आ गई।

3. नगरीयकरण की प्रक्रिया का विकास (Development of the Process of Urbanisation)-नगरीयकरण की प्रक्रिया का विकास उद्योग ही रहे हैं। औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप ही नगरों का विकास आरंभ हुआ। जहां पर उद्योग स्थापित किये जाते हैं वहां पर लोग गांवों से आकर काम करने के लिये नगरों में बस जाते हैं। धीरे धीरे ऐसे स्थान औद्योगिक नगरों के रूप में जाने लग जाते हैं।

4. यातायात एवं संचार का विकास (Development of Transportation and Communication)-भारत में बड़े-बड़े उद्योग-धंधों के विकास के कारण यातायात एवं संचार का तीव्र गति से विकास हुआ है। यातायात एवं संचार के साधन: जैसे-रेल, बस, सड़क एवं समद्री यातायात के साधनों में वदधि होने से लोगों को व्यापार इत्यादि करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना या फिर अपना उत्पादन पहुंचाना काफ़ी सरल हो गया। उद्योगों के यंत्रीकरण से उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि हुई है।

5. धर्म के महत्त्व में कमी (Decline in the Importance of Religion)-औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय समाज में धर्म के महत्त्व को भी कम किया है। उद्योगों में कार्य करने हेतु ग्रामीण समुदाय के लोग नगरों में आकर बस जाते हैं। नगरों में भौतिकवाद का अधिक महत्त्व होता है जिससे नगरों में रहने एवं संपर्क में आने पर ग्रामीण लोग भी नास्तिक प्रवृत्ति के होने लग गये हैं। अतः धर्म का महत्त्व व प्रभाव स्वतः कम होता गया।

6. परिवार व्यवस्था में परिवर्तन (Change in Family System)-उद्योगों का विकास शहरों व नगरों में होने के कारण गांवों के अधिकतर लोग शहरों में आकर अपना रोज़गार करने लग पड़े। अपनी रोजी-रोटी को अर्जित करने हेतु उन्हें अपने पैतृक मकान व निवास स्थान तक छोड़ने भी पड़े।

जिससे ग्रामीण इलाकों में पाई जाने वाली संयुक्त परिवार प्रथा भी धीरे-धीरे टूटने लगी। इसके स्थान पर एकाकी परिवारों का उद्गम होने लग पड़ा। जिन कार्यों को पहले परिवार के आधार पर पूरा किया जाता था, उन कार्यों को अन्य संस्थाएं पूरा करने लग गईं हैं। परिवार के मुखिया को भी कोई विशेष महत्त्व नहीं दिया जाने लगा। वर्तमान में भी परिवार नियोजन बढ़ने से परिवार छोटे होते जा रहे हैं।

7. श्रम-विभाजन (Devision of Labour)-ग्रामीण कुटीर उद्योगों में एक परिवार के व्यक्ति मिलकर ही संपूर्ण कार्य कर लेते थे। लेकिन जब उत्पादन कार्य बड़ी-बड़ी मशीनों के आधार पर किया जाने लगा, तो संपूर्ण उत्पादन क्रिया को छोटे-छोटे भागों में बांट दिया गया। इसके परिणामस्वरूप श्रम का विभाजन का विकास आरंभ हुआ।

श्रम विभाजन के अंतर्गत एक व्यक्ति संपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया में केवल एक भाग को कर सकता है। उदाहरणार्थ कार निर्माण में कुछ व्यक्ति टायर बनाने कुछ व्यक्ति इंजन बनाने तथा कुछ व्यक्ति दूसरे पुर्जे बनाने के विशेषज्ञ होते हैं। जिस व्यक्ति को जिस क्षेत्र में निपुणता होती है, उसे उसी क्षेत्र से संबंधित कार्य भी दिया जाता है। अतः उद्योगों के विकास के कारण श्रम-विभाजन एवं विशेषीकरण में प्रर्याप्त वृद्धि हुई है।

8. व्यक्तिवाद एवं समाजवाद (Individualisim and Socialism)-पूंजीवाद के विकास के कारण देश में व्यक्तिवादिता एवं समाजवादी विचारधारा का भी विकास हुआ। अधिकाधिक पूंजी संग्रह के लिये व्यक्ति हमेशा अपने हित व स्वार्थ के लिये ही कार्य करने लगा। जिसके कारण वह अपनी जाति व समूह व समुदाय से अलग होता गया।

इसके साथ ही उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों एवं उद्योगपतियों के बीच भी अंतर बढ़ गया। अनेक समस्याओं के आधार पर श्रमिकों एवं पूंजीपतियों के बीच झगड़े-आरंभ हो गये। श्रमिकों ने अपनी समस्या के हल के लिये तथा पूंजीपतियों से निपटने के लिये अनेक यूनियनों का भी विकास किया जिसके परिणामस्वरूप भारत में समाजवादी एवं साम्यवादी विचारधाराओं का विकास हुआ।

9. पूंजीवाद का विकास (Development of Capitalism)-औद्योगीकरण के आधार पर ही भारत में पूंजीवाद का विकास हुआ है। औद्योगीकरण से पहले लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा कुटीर उद्योग होते थे। इस व्यवसाय को करने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता नहीं होती थी।

उत्पादन स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता था। व्यक्ति की भूमि ही उसकी संपत्ति होती थी। जैसे-जैसे ही बड़े-बड़े उद्योगों का विकास हुआ, वैसे ही संपूर्ण अर्थव्यवस्था में परिवर्तन हुआ। उद्योग स्थापित करने के लिये अधिक पूंजी की आवश्यकता हुई तथा माल खरीदने व बेचने के लिये दलालों व एजेंटों की भी आवश्यकता महसूस की गई। पहले जहां पर वस्तु विनिमय की व्यवस्था थी अब मुद्रा व्यवस्था विकसित हो गई है।

परिणामस्वरूप मुद्रा का भी संग्रह आसान हो गया जिसने पूंजी का अधिक संग्रह किया और उसने ही कारखाना या उद्योग भी लगाया। धीरे-धीरे पूंजी में वृद्धि होती गई तथा श्रमिकों का लाभ पूंजीपतियों को मिलने लगा। पूंजीपति और धनी होते गये और श्रमिक और ग़रीब होते गये। औद्योगीकरण ने ही समाज में दो वर्गों पूंजीपति वर्ग और श्रमिक वर्ग (Capitalistic and Labourer Class) का उदय भी किया।

अतः यह कहा जा सकता है कि औद्योगीकरण सामाजिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया के रूप में विकसित हुआ है। इस प्रक्रिया का प्रभाव व्यक्ति के आर्थिक सामाजिक एवं राजनैतिक जीवन पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

एक ओर जहां इस प्रक्रिया में सामाजिक व्यवस्था व संरचना में सकारात्मक परिवर्तन किये हैं। वहां दूसरी ओर कछ ऐसे परिणाम इस प्रक्रिया के उभर कर सामने आए हैं जिसके कारण हमारी संरचना एवं व्यवस्था विघटित भी हुई है। कुल मिला कर औद्योगीकरण एक परिवर्तन की प्रक्रिया है, जिसने व्यक्ति के जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है।

प्रश्न 7.
नगरीकरण का क्या अर्थ है? भारत में नगरीकरण की प्रक्रिया का वर्णन करें।
अथवा
नगरीकरण क्या है?
उत्तर:
नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्र से नगरों की ओर आते हैं। इस प्रक्रिया के अंतर्गत नगरों की जनसंख्या में वृद्धि होती जाती है। नगरों का विकास अचानक या एक तरफा नहीं होता है बल्कि ग्रामीण समुदाय धीरे-धीरे नगरों के रूप में विकसित होते जाते हैं। अतः गांव नगर की पहली अवस्था है। ग्रामीण समुदाय में धीरे-धीरे परिवर्तन के फलस्वरूप नगरों की विशेषताओं का जब विकास हो जाता है तो इस परिवर्तन को नगरीकरण कहा जाता है।

एण्डर्सन (Anderson) के मतानुसार, “नगरीकरण एक तरफा प्रक्रिया नहीं बल्कि दो तरफा प्रक्रिया है। इसमें न केवल गांवों से नगरों की तरफ गमन तथा कृषि व्यवसाय से कारोबार, व्यापार, सेवाओं एवं धंधों की ओर परिवर्तन ही शामिल है बल्कि प्रवासियों की मनोवृत्तियों, विश्वासों, मूल्यों तथा व्यावहारिक प्रतिमानों में भी परिवर्तन सम्मिलित होता है।”

बर्गेल (Bergal) के शब्दों में, “हम ग्रामीण क्षेत्रों के नगरीय क्षेत्रों में रूपांतरित होने की प्रक्रिया को नगरीकरण कहते हैं।”

सामान्यतः नगरीकरण एक प्रक्रिया है जो मूलरूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था से नगरीय अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन को दर्शाती है। जब ग्रामीण समुदायों में धीरे-धीरे उद्योग-धंधों, शिक्षा संस्थाओं तथा व्यापार केंद्रों इत्यादि का विकास हो जाता है तब वहां पर विभिन्न जाति, वर्ग, धर्म एवं संप्रदाय के लोग आकर बस जाते हैं। जनसंख्या में वृद्धि होती है, विभिन्न रोज़गार की सुविधाएं विकसित हो जाती हैं।

बड़े पैमाने पर उत्पादन तथा यातायात व संचार सुविधाओं का विकास हो जाता है। इसके साथ ही संबंधों की संरचना में भी परिवर्तन होता है। द्वैतीयक संबंध विकसित होते हैं तो यह प्रक्रिया नगरीकरण की प्रक्रिया कहलाना शुरू कर देती है। विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारतवर्ष में नगरीकरण की प्रक्रिया अधिक विकसित नहीं हो पाई है। इसका कारण यहां पर ग्रामीण समुदायों की बहुलता तथा कृषि मुख्य व्यवसाय है।

भारत में नगरीकरण की प्रक्रिया/भारत में नगरों का विकास-(Urbanization in India/Urban Development in India):
भारतवर्ष में नगरों के विकास के अनेक कारकों एवं परिस्थितियों की क्रियाशीलता के परिणामस्वरूप अनेक नये नगरों का विकास हुआ तथा पुराने नगरों के विकास में भी वृद्धि हुई। भारत में भी विश्व के अन्य भागों की तरह ही नगरों का विकास ग्रामीण क्षेत्र से लोगों के प्रवास के द्वारा हुआ। सन् 1951 में नगरीय जनसंख्या 6 करोड़ 22 लाख थी जो 2011 में बढ़कर अढ़ाई गुना अर्थात् 38 करोड़ हो गई।

शताब्दी के अंत तक अर्थात् सन् 2000 तक जनसंख्या के 35 करोड़ हो जाने की आशंका थी। इस शताब्दी के अंत तक अर्थात् 1996 से 2000 तक नगरीय भारत में वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत होने की संभावना थी जबकि ग्रामीण भारत की जनसंख्या में केवल 0.7 प्रतिशत वृद्धि होने की संभावना थी।

नगरीय जनसंख्या की वृद्धि के साथ ही नगरीय क्षेत्रों में भी वृद्धि हुई है। 1971 की जनगणना के अनुसार, भारत में 1921 नगर थे जिनमें 69 नगरीय संग्रह भी सम्मिलित थे। 1991 में इसकी संख्या 3301 हो गई। 1951 एवं 2001 के मध्य नगरीकरण की प्रवृत्ति की ओर धीमी, परंतु निरंतर वृद्धि निम्नलिखित आधार पर हुई है-
तालिका : भारत में नगरीय जनसंख्या
(TABLE : URBAN POPULATION IN INDIA)

वर्ष
(Year)
नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत
Percentage of Urban Population
195117.3
196118.0
197119.9
198123.73
199125.2
200127.88
201132.2

प्रश्न 8.
नगरीकरण के निर्धारक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतवर्ष में नगरीकरण या नगरीय विकास को निर्धारित करने वाले तत्त्व निम्नलिखित हैं-
1. अनुकूल भौगोलिक पर्यावरण (Favourable Geographic Enviroment) नगर के विकास में भौगोलिक पर्यावरण एक आवश्यक तत्त्व है। जहां पर्यावरण अनुकूल होता है, वहीं नगर विकसित हो जाता है। भौगोलिक पर्यावरण के अनुकूल होने से व्यक्ति अपनी रोज़मर्रा की आवश्यकताओं को सरलतापूर्वक पूरा कर सकते हैं। भारतवर्ष में अनेक प्राचीन नगरों का विकास गंगा, यमुना एवं सिंधु नदियों के किनारे पर हुआ है। भारत में गंगा नदी के किनारे एक सौ से अधिक कस्बों एवं नगरों का विकास हुआ है।

2. अधिक खाद्य सामग्री (Surplus Food Stuffs)-गाँव में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है। ग्रामों में जब व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के अतिरिक्त अधिक खादय सामग्री का उत्पादन करने लगे तो वहाँ पर अधिक व्यक्ति रहना प्रारंभ कर देते हैं। धीरे-धीरे इन स्थानों पर जनसंख्या वृद्धि तथा नये उद्योगों व मंडियों इत्यादि का विकास शुरू हो जाता है। परिणामस्वरूप गाँव नगरों में परिवर्तित होने लगते हैं।

3. आवागमन के साधनों का आविष्कार (Invention of the Means of Transport)-प्राचीन समय में ग्रामों से अतिरिक्त खाद्य सामग्री को नगरों तक पहुँचाने के लिए पहिए, नावों तथा पशुओं का प्रयोग किया जाता था। आवागमन के साधनों ने भी नगर के विकास में अहम भूमिका निभाई है।

4. नगरों का आकर्षण (Attraction of the Cities)-अपने जीवन को अधिक से अधिक सुखमय एवं खुशहाल बनाने के लिए, शिक्षा ग्रहण करने तथा रोजगार पाने के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों के व्यक्ति नगरों की ओर खिंचते चले जाते हैं। इससे भी नगरों का अधिक विकास हुआ है। भारतवर्ष में पाटलिपुत्र नगर के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय के कारण विकसित हुआ माना जाता है।

5. सांस्कृतिक तथा आर्थिक महत्त्व (Cultural and Economic Importance)-किसी भी क्षेत्र की संस्कति तथा आर्थिक सुविधाएं भी नगरों के विकास में अपनी अहम भूमिका अभिनीत करते हैं। भारतवर्ष में भी नगरों का विकास विभिन्न क्षेत्रों में सांस्कृतिक तथा आर्थिक महत्त्व के कारण हुआ है।

जैसे-ढाका का विकास व्यापारिक कारणों से हुआ माना जाता है तथा पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) का नगर के रूप में विकास नालंदा विश्वविद्यालय के कारण हुआ है। इसी प्रकार बरेली व मुरादाबाद जैसे नगरों के विकास में भी इन्हीं कारकों का योगदान रहा है। भारतवर्ष में अनेक राजाओं के शासन के समय में अनेक स्थानों पर विशेष उद्योग-धंधों और दस्तकारी इत्यादि के विकास के परिणामस्वरूप भी अनेक नगरों का विकास हुआ है।

6. धार्मिक महत्त्व (Religious Importance)-भारतवर्ष में अनेक स्थान ऐसे हैं जो धार्मिक दृष्टि से पवित्र माने जाते हैं। इन स्थानों की धार्मिक उपयोगिता के कारण ही नगरों का रूप धारण कर लिया है। इनमें जैसे हरिद्वार, मथुरा, काशी, प्रयाग, गया, आनंदपुर साहिब आदि ऐसे ही नगर हैं जिनका विकास धार्मिक उपयोगिता के कारण हुआ है।

7. सैनिक छावनियों की स्थापना (Establishment of Army Camps)-प्राचीन समय से ही प्रायः विजयी वर्ग पराजित वर्ग पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से गाँवों के इर्द-गिर्द सैनिक छावनियां स्थापित कर लेते हैं। ये धीरे-धीरे नगरों का रूप धारण कर लेते हैं। भारतवर्ष में भी नगरों का विकास जैसे-दिल्ली, कोलकाता, आगरा का विकास इसी आधार पर हुआ है।

प्रश्न 9.
नगरीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करें।
अथवा
नगरीय विकास की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाले कारकों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
नगरीय विकास की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाले सहायक तत्त्व निम्नलिखित हैं-
1. औदयोगिकीकरण एवं वाणिज्यीकरण (Industrialization and Commercialization)-जब से औदयोगिक क्षेत्र में क्रांति आई है तब से ही नगरीय विकास में भी वृद्धि हुई है। उद्योगों में नई प्रविधियों, यंत्रों के आविष्कार तथा औद्योगिक उद्यमों में अपार पूंजी के निवेश से दीर्घकालीन उद्योगों की स्थापना हुई। ग्रामीण व्यक्ति अधिक वेतन पाने की चाहत से अपने ग्रामीण व्यवसायों को छोड़कर औद्योगिक क्षेत्रों में प्रविष्ट हुए।

इस प्रकार भारत में इस्पात केंद्र जमशेदपुर तथा शिकागो, लिवरपूल आदि विश्व के महान् औद्योगिक नगरों के रूप में विकसित हो गये। पहले लोग उपजाऊ भूमि तथा अनुकूल जलवायु के कारण निश्चित क्षेत्र में निवास स्थान बनाने को प्राथमिकता देते थे, लेकिन वर्तमान समय में लोहे, कोयले तथा सोने इत्यादि संबंधी कार्यों के लिए विभिन्न केंद्रों की ओर स्थानांतरित होते हैं।

औद्योगिकीकरण के साथ-साथ व्यापार एवं वाणिज्य ने भी नगरों के विस्तार एवं विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत की है। प्राचीन समय में भी नगरों का विकास उन स्थानों पर ही अधिक हआ है जहां पर सामान वितरण आसानी से किया जा सकता था। वर्तमान समय में वाणिज्य-व्यापार के विकास से नगरों के विकास में वृद्धि की है। इस प्रकार औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया तथा व्यापार-वाणिज्य नगरीकरण की प्रक्रिया में अहम् भूमिका अभिनीत करते हैं।

2. अधिक साधन (Surplus Resources)-जब समाज या समूह अपनी आवश्यकता पूर्ति से अधिक साधनों का विकास कर लेता है, तो उस विकास के परिणामस्वरूप नगरों का विकास होना आरंभ हो जाता है। प्राचीन समय में व्यक्ति इन साधनों की प्राप्ति व्यक्ति पर विजय प्राप्त करने के बाद करता था। लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य ने प्रकृति पर विजय प्राप्त कर उत्पाद शक्ति को बढ़ाया है। अपने ज्ञान के विकास के साथ प्रौद्योगिक प्रगति के कारण सका थोड़े-से व्यक्ति अधिक व्यक्तियों के समान कार्य करने में समर्थ हैं। प्रकृति के ऊपर मनुष्य का नियंत्रण नगरों के विकास का एक कारण है।

3. यातायात तथा संचार का विकास (Development of Transportation and Communication) यातायात तथा संचार की सुविधाओं ने भी नगरों के विकास में प्रोत्साहन दिया है। उद्योग कच्चे माल एवं निर्मित माल के वितरण के लिए यातायात पर निर्भर रहते हैं।

औद्योगिक नगर में यातायात एवं संचार की सुविधाएं अत्यावश्यक रखाना प्रणाली के आरंभ के समय स्थानीय यातायात अधिक विकसत नहीं था जिसके परिणामस्वरूप मिकों को वहीं निवास करना पड़ता था, जिसके कारण बड़ी-बड़ी बस्तियों का निर्माण हुआ। वर्तमान समय में नगरों में इन सुविधाओं के अधिक विकास के कारण नगर को विभिन्न क्षेत्रों, जैसे-निवास क्षेत्र, श्रमिक क्षेत्र, बाजार क्षेत्र तथा औद्योगिक क्षेत्र में विभाजित कर दिया गया।

4. शिक्षा संबंधी सुविधाएं (Educational Facilities) नगरों के विकास में शिक्षा संबंधी सुविधाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। प्राचीन समय में मुख्य शिक्षा संस्थान नगरों या शहरों में ही स्थित थे। मुख्य प्रशिक्षण संस्थान, महाविद्यालय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, तकनीकी शिक्षा संबंधी तथा कृषि विश्वविद्यालय भी नगरों में ही अधिकतर पाये जाते हैं।

अनेक प्रकार के कला केंद्र एवं संग्रहालय व पुस्तकालय भी नगरों में ही देखने को मिलते हैं। इन सब सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए ग्रामवासी नगरों की तरफ जा रहे हैं, जिससे नगरीकरण की प्रक्रिया में वृद्धि होती देखी जा सकती है।

5. मनोरंजनात्मक सुविधाएं (Recreational Facilities) नगरों में मनोरंजनात्मक सुविधाएं पर्याप्त रूप में पाई जाती हैं। मनोरंजन के उद्देश्य से अनेक प्रकार के क्लब, थियेटर एवं नृत्यगृह नगरों में विकसित किये गये हैं, जिनका उद्देश्य दूसरे क्षेत्रों में रह रहे व्यक्तियों ज्यादातर बच्चे और वयस्कों को अपनी ओर आकर्षित करना है। इस प्रकार नगरों के विकास में यह सब साधन भी अहम् भूमिका निभाते हैं।

6. नगर का आर्थिक आकर्षण (Economic Pull of City)-नगर वैयक्तिक उन्नति तथा विकास का आधार है। आधुनिक समय में अच्छा वेतन पाने में, वाणिज्य व्यापार करने में नगर नवयुवकों की सहायता करता है। नगर में रहकर व्यक्ति को अपनी आवश्यकता पूर्ति हेतु अच्छा रोज़गार व वेतन प्राप्त होता है, जिसके कारण वह नगरों में रहना पसंद करते हैं।

ग्राम की अपेक्षा नगर में सुविधाएं अधिक एवं अच्छी होती हैं। नगर में रहते हुए व्यापारी वर्ग भी अधिक-से-अधिक लाभ कमाता है। नगर में जीवन स्तर को उच्च करने की अधिक संभावनाओं के परिणामस्वरूप नगरों का विकास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

प्रश्न 10.
शहरों में रहने वाले लोगों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
अगर हम हमारे वर्तमान समाज को देखें तो इस को बदलने में औद्योगीकरण तथा शहरीकरण का प्रमुख रोल रहा है। पर इनके साथ-साथ शहरों में रह रहे लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) रहने की समस्या-शहरों में सबसे बड़ी समस्या रहने की जगह यानि कि मकानों की समस्या है। गांवों से शहरों की तरफ पलायन बादस्तूर जारी रहता है जिस वजह से शहरों की आबादी काफ़ी बढ़ जाती है। आबादी तो बढ़ जाती है पर रहने के लिए जगह तो वही रहती है। इसलिए या तो आस-पास के जंगलों की कटाई करके नए मकान बनाए जाते हैं या एक-एक कमरे में कई लोग एक साथ रहते हैं। इसके अलावा धीरे-धीरे गंदी बस्तियों का भी निर्माण हो जाता है जहां पर रहना अपने आप में एक समस्या होती है।

(ii) स्वास्थ्य की समस्या-शहरों में लोगों को स्वास्थ्य की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। बड़ी-बड़ी फैक्टरियों से निकले धुएं से होता प्रदूषण, यातायात के साधनों से होता प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, गंदी बस्तियां कुछ ऐसे तरीके हैं जिन की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य को कुछ न कुछ हो ही जाता है यानि कि कोई न कोई बीमारी लग ही जाती है।

इस तरह शोरगुल, मक्खी, मच्छर, गंदा पानी, नाले इत्यादि से भी लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। जब गांवों से लोग पलायन करके आते हैं तो काफ़ी ताकतवर तथा हृष्ट-पुष्ट होते हैं पर धीरे-धीरे शहरों के दूषित वातावरण में रहकर उनका स्वास्थ्य भी गिरने लगता है।

(iii) जनसंख्या का बढ़ना-शहरों में जनसंख्या हमेशा बढ़ती रहती है जिस वजह से कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक तरफ तो ज्यादा जन्म दर तथा कम मृत्यु दर की वजह से जनसंख्या बढ़ती है तथा दूसरी तरफ गांवों से रोजगार की तलाश में लोग शहरों की तरफ आते हैं जिस वजह से जनसंख्या में दुगनी रफ्तार से बढोत्तरी होती है। जनसंख्या तो तेजी से बढ़ती रहती है पर आवास की समस्या, ज्यादा जनसंख्या की वजह से सु कमी हो जाती है। जनसंख्या बढ़ने से शिक्षा तथा और कई प्रकार की कमी हो जाती है।

(iv) अपराध की समस्या-गांवों की अपेक्षा शहरों में अपराध की समस्या बहुत बड़ी समस्या है। गांवों में आम तौर पर झगड़े या अपराध भूमि से संबंधित होते हैं पर शहरों में इनकी प्रकृति अलग प्रकार की होती है। शहरों में डाके, चोरी, हत्या, बलात्कार इत्यादि हर तरह के अपराध होते हैं।

लोगों के बीच औपचारिक संबंध होते हैं, पड़ोसी तक को पता नहीं होता कि पड़ोस में क्या हो रहा है जिस वजह से अपराधी आराम से अपराध करके निकल जाते हैं तथा किसी को पता नहीं चलता। शहरों में अपराध नियोजित ढंग से होते हैं जिस कारण अपराध आसानी से हो जाते हैं। इस तरह शहर के लोगों को इस प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

(v) मनोरंजन की समस्या-शहरों में यह भी एक बड़ी समस्या है क्योंकि शहरों में प्रत्येक कार्य पैसे से होता है। गांव में तो घर में, पंचायत में या चौपाल में बड़े-बूढ़ों के साथ बैठ कर बातें करके व्यक्ति अपना मनोरंजन कर लेता है- सब नहीं होता। शहरों में या तो सिनेमा है या फिर घमने की कोई जगह जहां पर जाने के लिए पैसा खर्च करना पड़ता है। इस तरह अगर पैसा नहीं है तो आप अपना मनोरंजन नहीं कर सकते।

(vi) सामाजिक समस्याएं-शहरों में और जो समस्याएं पाई जाती हैं वह सब समस्याएं प्रकृति से सामाजिक हैं। वेश्यावृत्ति, भिक्षावृत्ति इत्यादि ऐसी समस्याएं हैं जो केवल शहरों में पाई जाती हैं। शहरों में औरतें भी दफ्तरों में काम करती हैं जिस वजह से कई बार वे अपने पति की यौन इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर पातीं।

पति असंतुष्ट रहने लग जाता है जिस वजह से वे घर से बाहर अपनी यौन संतुष्टि के लिए जाते हैं जिससे वेश्यावृत्ति को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ-साथ भिक्षावृत्ति एक और समस्या है जो शहरों में ज्यादा होती है। प्रत्येक गली, नुक्कड़, लाल बत्ती पर भिखारी मिल जाएंगे जो कि बहुत बड़ी समस्या है।

इस तरह चाहे और भी शहरों में समस्याएं हैं पर ऊपर लिखी समस्याएं बहुत महत्त्वपूर्ण हैं; इनका समाधान होना चाहिए।

प्रश्न 11.
भारतीय समाज पर उपनिवेशवाद के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
1. सामाजिक एकता पर प्रभाव (Impact onSocial Unity)-ब्रिटिश सरकार ने भारत में ‘फूट डालो तथा राज करो’ (Divide and Rule) की नीति अपनाई। भारतीय हिंदुओं तथा मुसलमानों के बीच वैर-विरोध के बीज डाले। मिंटो मार्ले (Minto Marley) ने सन् 1909 में मुसलमानों के लिए अलग सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व स्वीकार कर लिया। तत्पश्चात् 1919 तथा 1935 के अधिनियमों द्वारा सिखों, इसाइयों तथा हरिजनों के लिए भी ऐसे प्रतिनिधित्व स्वीकार कर लिए। इस सबसे भारतीय धार्मिक समुदायों तथा अगड़ी व पिछड़ी जातियों के सौहार्दपूर्ण संबंधों में कड़वाहट आ गई।

2. ग्राम्य जीवन पर प्रभाव (Impact on Rural Life)-प्राचीन काल से भारतीय गाँव छोटे गणतंत्र रहे हैं। गांव के अनुभवी व्यक्ति पंच-परमेश्वर ग्रामीण क्षेत्र के झगड़े निपटाते रहे हैं। ब्रिटिश सरकार के नए कानूनों को अपनाया। पंचायतों तथा पंच-परमेश्वरों को विशेष महत्व नहीं दिया। फलस्वरूप ग्राम्य जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

3. कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture)-कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी रही है। कृषि क्षेत्र पर नियंत्रण करने तथा आसानी से राजस्व एकत्रित करने के लिए अंग्रेजों ने भारत में ज़मींदारी व्यवस्था लागू की। इस व्यवस्था के तहत सरकार ने ज़मीन के बड़े-बड़े भाग ज़मींदारों को दे दिए। जमींदार भू-स्वामी बन गए। उन्होंने कषि कार्य के लिए जमीन जोतकारों (Tillers) को दे दी। जोतकार जमींदारों को लगान तथा ज़मींदार सरकार को राजस्व देते थे।

ज़मींदार किसानों तथा सरकार के बीच में विचोलिए बन गए। वे जोतकारों से मनमाने ढंग से बहुत अधिक लगान वसूल करते थे। इसके अतिरिक्त वे जब चाहे ज़मीन को पूर्व जोतकारों से लेकर अन्य जोतकारों को दे देते थे। जोतकारों को सदैव इस बात को लेकर असुरक्षा रहती कि कहीं ज़मींदार उनसे ज़मीन वापिस न ले लें। इसलिए उन्होंने ज़मीन की देखभाल कम करना शुरू कर दी जिससे खाद्यान्न उत्पादन में भारी गिरावट आई। इस प्रकार ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

4. व्यापार तथा उद्योग पर प्रभाव (Impact on Trade and Industry)-अंग्रेज़ शासकों का उद्देश्य भारतीय व्यापारियों तथा उद्योगपतियों की बजाए ब्रिटिश व्यापारियों तथा उद्योगपतियों को बढ़ावा देना था। प्रारंभ में भारत से कच्चा माल इंग्लैंड ले जाकर अपने कारखानों में वस्तुएं निर्मित कर भारत में महंगे दामों में बेचा जाता था।

बाद में भारत में ही ब्रिटिश उद्योगपतियों तथा ईस्ट इंडिया कंपनी ने कारखाने लगा लिए। भारत के कच्चे माल को सस्ते भाव खरीदकर इन कारखानों में वस्तुएँ निर्मित की जाने लगी तथा उन्हें मनमाने दामों में बेचा जाने लगा। फलस्वरूप भारत में औद्योगिक उत्पाद एवं इसकी खपत तो बढ़ी परंतु भारतीय उद्योग जगत को इससे भारी नुकसान हुआ।

5. सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन पर प्रभाव (Impact on Social and Culture life)-ब्रिटिशवासी स्वयं को श्रेष्ठ तथा भारतीयों को निम्न श्रेणी के नागरिक के रूप में लेते थे। कई स्थानों पर लिखा होता था कि भारतीयों तथा कुत्तों को मालरोड पर आने की अनुमति नहीं है। इसके अतिरिक्त सन् 1835 में अंग्रेज़ी को भारत में शिक्षा के माध्यम के रूप में अपनाया गया। इस सबके चलते भारतीयों में हीनता की भावना का विकास हुआ। जबकि विधवा विवाह अनुमति तथा सती प्रथा के विरुद्ध कानून निर्माण कर भारतीय समाज को सुधारने के प्रयास भी किए गए।

6. यातायात तथा संचार साधनों का विकास (Development of Means of Transportation and Comunication)-भारत में बड़े-बड़े नगरों, मंडियों तथा बंदरगाहों को सड़कों तथा रेलमार्गों के द्वारा जोड़ा गया। डाक-तार तथा टेलीफोन आदि संचार साधनों का विकास किया गया।

भले ही ब्रिटिश शासन ने भारत में अपने व्यापारिक व राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए ये कदम उठाए। मगर इस सबसे देशवासियों को देश के एक कोने से दूसरे कोने के निवासियों के संपर्क में आने का सुअवसर मिल गया। परिणामस्वरूप भारतवासियों को एकता के सूत्र में बंधने में सहायता मिली।

7. राष्ट्रीय एकीकरण (National Unification)-ब्रिटिश शासन से पूर्व भारत सैंकड़ों छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था। अंग्रेजों ने इन रियासतों के राजाओं को पराजित कर अपने अधीन कर लिया। इससे पूरे भारत को एक राष्ट्रीय स्वरूप मिला। भारत में राजनीतिक एकता स्थापित हुई।

8. लोकतंत्रात्मक संस्थाओं का विकास (Development of Democratic institutions)-इंग्लैंड विश्व में लोकतंत्र की जननी है। इसके भारत में शासन के कारण देश में वयस्क चुनाव प्रणाली, महिलाओं को अधिकार, संसद्, लोक सभा तथा राज्य सभा तथा स्वतंत्र न्यायपालिका आदि अपूर्व लोकतंत्रात्मक संस्थाओं के विकास में सहायता मिली।

9. प्रशासन पर प्रभाव (Impact on Administration) ब्रिटिश उपनिवेशवाद से भारत में नई प्रशासनिक व्यवस्था का विकास हुआ। भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के माध्यम से उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति की जाने लगी। इससे नौकरशाही का विकास जोकि देश की स्वतंत्रता के छः सात दशकों के पश्चात् भी भारतीय राष्ट्र का अभिन्न अंग है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन Read More »

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

HBSE 12th Class Sociology संरचनात्मक परिवर्तन Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
उपनिवेशवाद का हमारे जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ा है? आप या तो किसी एक पक्ष जैसे संस्कृति या राजनीति में केंद्र में रखकर या सारे पक्षों को जोड़कर विश्लेषण कर सकते हैं।
उत्तर:
उपनिवेशवाद-एक स्तर पर, एक देश के द्वारा दूसरे देश पर राजनीतिक रूप से शासन करने को उपनिवेशवाद कहा जाता है। आधुनिक समय को पश्चिमी उपनिवेशवाद ने सबसे अधिक प्रभावित किया है। भारत का इतिहास देखने से यह पता चलता है कि यहाँ काल तथा स्थान के अनुसार अलग-अलग प्रकार के समूहों का उन अलग-अलग क्षेत्रों पर शासन रहा है जो आज के आधुनिक भारत का निर्माण करते हैं। परंतु औपनिवेशिक शासन किसी और शासन तथा प्रणाली से अलग तथा ज्यादा प्रभावशाली रहा है। इसलिए जो भी परिवर्तन आए वह काफ़ी गहरे तथा भेदभाव से भरपूर थे।

संस्कृति तथा राजनीति पर प्रभाव-आधुनिक समय में भारत में मौजूद संसदीय, विधि तथा शिक्षा व्यवस्था ब्रिटिश प्रारूपों पर आधारित है। अगर हम सड़कों पर बाईं ओर चलते हैं तो यह भी ब्रिटिश अनुकरण हैं। हमें सड़कों के किनारे रेहड़ियों तथा गाड़ियों पर कटलेट तथा ब्रेड, ऑमलेट जैसी चीजें साधारणतया खाने को मिल जाती है। यहाँ तक कि एक प्रसिद्ध बिस्कुट बनाने वाली कंपनी का नाम भी ब्रिटेन से संबंधित है। बहुत से स्कूलों में ‘नेक-टाई ड्रैस का एक ज़रूरी हिस्सा है।

हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली चीजें कितनी अधिक पश्चिम से संबंधित है, हम सोच भी नहीं सकते। हम न केवल पश्चिम की प्रशंसा करते हैं बल्कि उसकी आलोचना भी करते हैं। हमें इस बात की कई उदाहरणे अपने रोज़ाना जीवन में देखने को मिल जाएंगी। इस सबसे पता चलता है कि आज भी ब्रिटिश उपनिवेशवाद हमारे जीवन का एक जटिल अंग है।

यहाँ तक अंग्रेज़ी भाषा की उदाहरण ले सकते हैं जिसके बहुत अधिक तथा विरोधात्मक प्रभाव है। हम केवल अंग्रेज़ी भाषा को प्रयोग ही नहीं करते बल्कि कई भारतीयों ने अंग्रेजी भाषा में उत्तम साहित्यिक रचनाएं भी की हैं। अंग्रेजी भाषा के ज्ञान की वजह से ही भारत को भूमंडलीकृत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफ़ी ऊँचा स्थान प्राप्त है।

परंतु इसके साथ ही हम भी नहीं भल सकते कि अंग्रेज़ी को आज भी विशेषाधिकारों का सचक माना जाता है। अगर किसी को अंग्रेजी भाषा नहीं आती हैं या कम आती है तो उसे रोज़गार प्राप्त करने में परेशानी होती है। परंतु कई वंचित समूहों के लिए अंग्रेज़ी भाषा की जानकारी एक वरदान साबित हुई है। यह बात निम्न जातियों के संदर्भ में बिल्कुल ही उपयुक्त है जो औपचारिक शिक्षा तथा अंग्रेजी शिक्षा ग्रहण करके अपनी सामाजिक स्थिति ऊंची कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
औद्योगीकरण और नगरीकरण का परस्पर संबंध हैं, विचार करें।
उत्तर:
यह सच है कि औद्योगीकरण तथा नगरीकरण परस्पर संबंधित हैं। आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से न केवल औद्योगीकरण बढ़ता है बल्कि नगरीकरण का भी विकास होता है। इस कारण तकनीक का विकास होता है तथा नए नए और बड़े उद्योग स्थापित हो जाते हैं। उद्योगों के इर्द-गिर्द नगर विकसित हो जाते हैं।

उद्योग लगने से गांव की जनसंख्या उनकी तरफ भागने लगती है ताकि उनमें रोजगार प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार उद्योगों के इर्द-गिर्द पहले बस्तियां तथा फिर शहर बन जाते हैं। शहरों में हजारों पेशे पाए जाते हैं तथा बहुत-सी सुविधाएं भी। तथा यातायात के साधन भी इस प्रक्रिया के कारण विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार नगरों के विकसित होने तथा नगरीकरण की प्रक्रिया के बढ़ने में औद्योगीकरण का बहुत बड़ा हाथ होता है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

प्रश्न 3.
किसी ऐसे शहर या नगर को चुनें जिससे आप भली-भाँति परिचित हैं। उस शहर/नगर के इतिहास, उसके उद्भव और विकास तथा समसामयिक स्थिति का विवरण दें।
उत्तर:
हम दिल्ली शहर से भली-भाँति परिचित हैं। वैसे तो दिल्ली को बसे सैंकड़ों वर्ष हो चुके हैं परंतु दिल्ली को महत्त्व प्राप्त हुआ दिल्ली के सुलतानों के समय जब उन्होंने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया। उसके बाद तो जैसे दिल्ली पर अधिकार जमाने के लिए संघर्ष ही छिड़ गया। यह माना जाने लगा कि जिसका दिल्ली पर अधिकार है वह ही हिन्दुस्तान का राजा है।

इस कारण ही समय-समय पर दिल्ली पर अधिकार जमाने के लिए साजिशें होती रहीं। जिस किसी विदेशी मणकारी ने भारत पर आक्रमण किया उसने सबसे पहले दिल्ली को अपना निशाना बनाया। मुगल बादशाह बाबर ने भारत पर कई बार आक्रमण किया, परंतु अपने अंतिम आक्रमण में उसने दिल्ली पर अधिकार कर ही लिया। उसके बाद दिल्ली सत्ता का केंद्र बन गया। मुग़ल बादशाहों के समय सारे देश की सत्ता दिल्ली से ही चलती थी।

परंतु अंग्रेजों के आने के पश्चात् मुग़ल साम्राज्य का पतन होना शुरू हो गया। इस कारण ही दिल्ली का महत्त्व धीरे-धीरे कम होता चला गया। दिल्ली के स्थान पर कलकत्ता, मद्रास तथा बम्बई जैसे नए शहरों का महत्त्व बढ़ गया। 1857 के विद्रोह का मुख्य केंद्र दिल्ली था। विद्रोह खत्म होने के पश्चात् अंग्रेजों ने दिल्ली को खूब लूटा, हज़ारों लोगों को मारा तथा शहर को पूर्णतया ध्वस्त कर दिया। परंतु दिल्ली धीरे-धीरे फिर बस गया।

अंग्रेजी साम्राज्य कलकत्ता से चलता रहा। परंतु 20वीं शताब्दी की शुरूआत में अंग्रेजों ने कलकत्ता के स्थान पर दिल्ली को अपनी राजधानी बना लिया। उन्होंने पुरानी दिल्ली के साथ नई दिल्ली को भी विकसित किया। इंग्लैंड से वास्तुकार बुलाए गए ताकि नई दिल्ली को विकसित किया जा सके। उसके बाद तो दिल्ली का महत्त्व बढ़ने लग गया। उसके बाद से अब तक दिल्ली देश की राजधानी है।

समसामयिक स्थिति से दिल्ली का स्थान देश में सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि देश की राजधानी का देश में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। यदि देश की राजधानी पर ही विदेशी आक्रमण तथा अधिकार हो जाए तो देश पर ही विदेशी अधिकार हो जाता है। इस प्रकार दिल्ली देश का सबसे महत्त्वपूर्ण शहर है। सम्पूर्ण देश की सत्ता दिल्ली से ही चलती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यदि हमारे देश में सबसे महत्त्वपूर्ण शहर है तो वह है दिल्ली।

प्रश्न 4.
आप एक छोटे कस्बे में या बहुत बड़े शहर या अर्धनगरीय स्थान या एक गाँव में रहते हैं-

  • जहाँ आप रहते हैं उस जगह का वर्णन करें।
  • वहाँ की विशेषताएं क्या है, आपको क्यों लगता है कि वह एक कस्बा है शहर नहीं, एक गाँव है कस्बा नहीं या शहर हैं गाँव नहीं?
  • जहाँ आप रहते हैं वहाँ क्या कोई कारखाना है?
  • क्या लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है?
  • क्या व्यवसाय वहां निर्णायक रूप में प्रभावशाली है?
  • क्या वहाँ इमारतें हैं?
  • क्या वहाँ शिक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध हैं?
  • लोग कैसे रहते और व्यवहार करते हैं?
  • लोग किस तरह बात करते और कैसे कपड़े पहनते हैं?

उत्तर:
इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से तथा अपने इर्द-गिर्द के स्थानों की तरफ देख कर स्वयं ही दें।

संरचनात्मक परिवर्तन HBSE 12th Class Sociology Notes

→ वर्तमान को समझने के लिए अतीत को जानना जरूरी होता है। भारत के आधुनिक रूप से समझने के लिए इसके इतिहास को समझने की आवश्यकता है। भारत की आधुनिक संस्थाएं तथा इसका नया रूप औपनिवेशिक शासन की देन है। उपनिवेशवाद के कारण भारत को आधुनिक विचारों का पता चला।

→ एक स्तर पर, एक देश के द्वारा दूसरे देश पर शासन को उपनिवेशवाद माना जाता है। भारत के इतिहास से यह पता चलता है कि यहाँ काल और स्थान के अनुसार विभिन्न प्रकार के समूहों का उन अलग-अलग क्षेत्रों पर शासन रहा जो आज के आधुनिक भारत का निर्माण करते हैं।

→ प्राचीन भारतीय अर्थव्यवस्था लेन-देन पर आधारित थी परंतु ब्रितानी उपनिवेशवाद पूँजीवादी व्यवस्था पर आधारित था। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया जिससे ब्रितानी पूँजीवाद का विस्तार हुआ और उसे सुदृढ़ता मिली।

→ उपनिवेशवाद से भारत में बहुत से परिवर्तन आए जिनमें प्रशासन में मूलभूत बदलाव, यातायात तथा संचार के साधनों का विकास, पूँजीवाद का बढ़ना, संस्कृति में परिवर्तन इत्यादि प्रमुख थे। अंग्रेज़ों ने चाहे अपने लाभ के लिए भारत में उद्योग लगाने शुरू किए परंतु इसने अप्रत्यक्ष रूप से भारत का विकास करना शुरू कर दिया। भारत का औद्योगीकरण शुरू हुआ जिससे नगरीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिला तथा नये नगर विकसित होने शुरू हो गए। इससे पुराने शहरों का अस्तित्व कमज़ोर होता चला गया।

→ अंग्रेजों के जाने के पश्चात् स्वतंत्र भारत में तेजी से औद्योगीकरण शुरू हुआ। भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाएं बनाई जिनका मुख्य उद्देश्य ही भारत का औद्योगीकरण करना था। भारत में भारी मशीनीकृत उद्योगों का विकास हुआ। स्वतंत्रता के बाद भारत में नगर भी तेजी से विकसित हुए। बड़े शहर और बड़े हो गए तथा छोटे-छोटे कस्बे शहरों में परिवर्तित हो गए। बड़े-बड़े गाँव शहरों में परिवर्तित हो गए। इससे भारत में नगरीकरण की प्रक्रिया तेज़ी से विकसित हुई।

→ अगर देखा जाए तो भारत में औद्योगीकरण तथा नगरीकरण का विकास ब्रिटिश शासन की ही देन है। अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए उद्योगों तथा नगरों का विकास करना शुरू किया जिससे भारतीयों ने भी उससे काफ़ी लाभ प्राप्त किया।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन

→ औद्योगिकरण से सामाजिक परिवर्तन काफी तेजी से होता है। स्वतंत्रता के बाद भारत में तेजी से औद्योगीकरण शुरू हुआ जिसमें सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों ने काफ़ी बड़ी भूमिका निभाई। आज उदारीकरण तथा भूमंडलीकरण के समय में तो यह और तेज़ी से बढ़ रहे हैं। औद्योगीकरण तथा नगरीकरण प्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से संबंधित हैं। जहां पर उद्योग विकसित होते हैं वहां पर उद्योगों के आस-पास नगर भी विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार इन दोनों के कारण सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन भी होने शुरू हो जाते हैं।

→ उपनिवेशवाद-एक स्तर पर, एक देश के द्वारा देश पर शासन को उपनिवेशवाद माना जाता है।

→ राष्ट्र राज्य-एक ऐसा राष्ट्र जिसमें लोगों को स्वतंत्रता तथा और सभी प्रकार के अधिकार प्राप्त होते हैं तथा जिन्हें अपनी संप्रभुता प्रयोग करने का अधिकार प्राप्त होता है।

→ औद्योगिक क्षरण-पुराने बसे औद्योगिक क्षेत्रों में से उद्योगों का पतन।

→ औद्योगीकरण-देश में उद्योगों का अधिक-से-अधिक विकास होना।

→ नगरीकरण-छोटे नगरों का बड़े नगरों में परिवर्तन होना तथा गाँवों और कस्बों का छोटे नगरों में परिवर्तित होना।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 1 संरचनात्मक परिवर्तन Read More »

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

HBSE 12th Class English The Last Lesson Textbook Questions and Answers

Question 1.
The people in this story suddenly realise how precious their language is to them. What shows you this? Why does this happen? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (इस कहानी के लोग अचानक महसूस करते हैं कि उनकी भाषा उनके लिए कितनी कीमती है। यह बात आपको किस प्रकार नज़र आती है ? ऐसा क्यों होता है ?)
Answer:
The people of Alsace were indifferent to their own language, that is, French. But in the war, Alsace and Lorraine pass into the hands of Prussia. An order comes from Berlin that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. Now the patriotic feelings of these people for their language are aroused. They suddenly realise that their language is very precious to them. Now the people of Alsace suddenly develop a new-found love for French. They visit the school of M. Hamel and sit on the back benches in his class.

M. Hamel tells them that French is the most beautiful language in the world. It is the clearest and the most logical language in the world. He tells them that they must guard their language. The villagers seem to agree with him. They feel that they should not have neglected their language. They must love their own language. The old men of the village show their respect for their language and country by attending the class of M. Hamel.

Franz also grows sentimental. He feels sad to think that this is the last lesson in French. His teacher is going away the next day. He feels sorry for neglecting his lessons in French. Now suddenly, he develops a liking for French and his teacher.

(अल्सेस के लोग अपनी मातृभाषा फ्रैंच के प्रति रुचि नहीं ले रहे थे। लेकिन युद्ध में, अल्सेस और लॉरेन के क्षेत्र पर पर्शिया का कब्जा हो गया। बर्लिन से एक आदेश आता है कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। इस बात से इन लोगों के मन में अपनी भाषा के प्रति देशभक्ति की भावनाओं का विकास हो गया। उन्हें अचानक इस बात की अनुभूति हुई कि उनकी भाषा उनके लिए बहुत कीमती है। अब अल्सेस के लोगों के मन में फ्रैंच भाषा के प्रति नव-सृजित प्रेम था। वे एम० हैमेल के स्कूल में आते हैं और कक्षा में पिछली कतारों में लगे बैंचों पर बैठ जाते हैं। एम० हैमेल उनको बताता है कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे सुन्दर भाषा है।

यह संसार की सबसे अधिक स्पष्ट और तर्कपूर्ण भाषा है। वह उन्हें बताता है कि उन्हें अपनी भाषा की रक्षा करनी चाहिए। गाँव के लोग उससे सहमत प्रतीत होते हैं। वे महसूस करते हैं कि उन्हें अपनी भाषा की अवहेलना नहीं करनी चाहिए थी। उन्हें अपनी भाषा से प्यार करना चाहिए। गाँव के वृद्ध लोग एम० हैमेल की कक्षा में उपस्थित होकर अपनी भाषा और अपने देश के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। फ्रेन्ज भी भावुक हो जाता है। वह इस बात को सोचकर निराश हो जाता है कि फ्रैंच भाषा में यह उसका अंतिम पाठ है। अगले दिन उसका अध्यापक जा रहा है। वह फ्रैंच भाषा के पाठों की अवहेलना करने के बारे में खेद प्रकट करता है। अब अचानक ही, फ्रैंच भाषा और अपने अध्यापक के प्रति उसके मन में स्नेह पैदा हो जाता है।)

Question 2.
Franz thinks, “Will they make them sing in German, even the pigeons?” What could this mean? (There could be more than one answer.) (फ्रेन्ज सोचता है, “क्या वे कबूतरों को भी जर्मन भाषा में गाना सिखाएँगे ?” इसका क्या अभिप्राय हो सकता है?) (इसका एक से अधिक उत्तर हो सकता है।)
Answer:
In the war against Prussia, France is defeated. Two districts of France, Alsace and Lorraine pass into the hands of Prussia. They impose their own language on this area. An order comes from Berlin that French will no longer be taught in the schools of Alsace and Lorraine. In its place, German will be taught. M.Hamel is the teacher in a school of Alsace. He has been there for the last forty years. He has been very strict. Franz has never liked him. But now he is going the next day. The new teacher is coming to teach German.

M. Hamel announces that this is last lesson in French. Everyone is shocked. Now they will have to learn a language, which is quite foreign to them. Their patriotic feelings are aroused. Franz never paid attention to his lessons. But now he is also sentimental. Now he realises that French is beautiful language. He dislikes German.

Suddenly he hears pigeons cooing on the roof. He remarks, “Will they make them sing in German. Even the pigeons.” Franz wants to say that a person’s native language comes to him naturally as cooing comes to pigeons. The Prussians can impose German language on the people of that area. But they cannot create a love for German in their hearts. When a person will express his inner feelings he will express it in his own language as a pigeon coos in its own language. No one can compel it to coo in any other way.

(पर्शिया के खिलाफ युद्ध में, फ्रांस पराजित हो गया। फ्रांस के दो जिले, अल्सेस और लॉरेन पर्शिया को सौंप दिए गए। इस क्षेत्र पर उन्होंने अपनी भाषा थोप दी। बर्लिन से एक आदेश आता है कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में फ्रैंच भाषा नहीं पढ़ाई जाएगी। इसके स्थान पर जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। एम० हैमेल अल्सेस के एक विद्यालय का शिक्षक है। वह पिछले 40 वर्षों से वहीं पर है। वह बहुत ही कठोर रहा है। पॅन्ज कभी-भी उसे पसंद नहीं करता है। लेकिन अब वह अगले दिन जा रहा है। जर्मन भाषा पढ़ाने के लिए नया शिक्षक आ रहा है। एम० हैमेल घोषणा करता है कि फ्रैंच भाषा का यह अंतिम पाठ है। हर कोई सदमे में है। अब उन्हें एक ऐसी भाषा सीखनी पड़ेगी जो उनके लिए पूर्णतया अपरिचित है। उनकी देशभक्ति की भावनाएँ उभर उठीं। फ़ैन्ज ने अपने पाठों पर पहले कभी-भी ध्यान नहीं दिया था। लेकिन अब वह भी भावुक हो गया। अब उसे अहसास हो गया कि फ्रैंच एक सुन्दर भाषा है। वह जर्मन भाषा को पसंद नहीं करता था।

अचानक ही उसे छत पर कबूतर गुटर-गूं करते सुनाई दिए। वह कहता है “क्या वे कबूतरों से भी जर्मन में गुटर-गू करने को कहेंगे।” फ्रेन्ज कहना चाहता है कि किसी व्यक्ति को उसकी मातृभाषा का ज्ञान उसी प्रकार से हो जाता है जैसे कि कबूतरों को गुटर-गूं करने का। पर्शिया के लोग उस क्षेत्र के लोगों पर जर्मन भाषा थोंप सकते हैं। लेकिन वे उनके दिलों में जर्मन भाषा के प्रति प्यार पैदा नहीं कर सकते हैं। जब कोई व्यक्ति अपनी अंदरूनी भावनाओं को प्रकट करेगा तो वह उन्हें अपनी भाषा में उसी प्रकार से प्रकट करेगा जैसे कबूतर अपनी भाषा में गुटर-गूं करता है। कबूतर को कोई भी किसी अन्य ढंग से गुटर-यूँ करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।)

Think As You Read
Question 1.
What was Franz expected to be prepared with for school that day? [H.B.S.E. 2017 (Set-A)] (उस दिन स्कूल के लिए फ्रन्ज को कौन-सा पाठ तैयार करना था ?)
Answer:
Franz was expected to be prepared with participles on that day. His teacher, M. Hamel, had said that he would ask the students questions on participles on that day. But Franz had not prepared the lesson. He expected that his teacher would scold him.

(उस दिन फ्रेन्ज को क्रिया-विशेषण का पाठ तैयार करके आना था। उसके अध्यापक एम० हैमेल ने कहा था कि वह उस दिन क्रिया-विशेषण से संबंधित प्रश्न पूछेगा। लेकिन फ्रेन्ज ने पाठ तैयार नहीं किया था। उसे लग रहा था कि अध्यापक उसे दण्ड देगा।)

Question 2.
What did Franz notice that was unusual about the school that day? [H.B.S.E. 2017 (Set-B)] (उस दिन स्कूल में फ्रन्ज ने क्या असाधारण बात देखी?)
Answer:
Franz noticed that there was something unusual about the school that day. Usually there was a great bustle when the school began. The noise could be heard in the street. But on that day everything was as still as a Sunday morning. So it was quite unusual and surprising to Franz.
(फ्रेन्ज ने देखा कि उस दिन स्कूल में कुछ अजीब-सा हो रहा था। आमतौर पर जब स्कूल लगता था तो वहाँ बहुत शोर-शराबा होता था। शोर गली में भी सुनाई पड़ जाता था। लेकिन उस दिन सब कुछ रविवार की सुबह की तरह शांत था। इसलिए यह फ्रेन्ज के लिए बिल्कुल अजीब और हैरान कर देने वाली बात थी।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 3.
What had been put up on the bulletin-board? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (समाचार-पट्ट (नोटिस बोर्ड) पर क्या लगाया गया था ?)
Answer:
On his way to school, he passed by the town hall. There was a crowd before the bulletin board. There was a notice on the bulletin board that French language would be taught no more in the schools. The order had come from Berlin that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

(स्कूल जाते समय वह टाऊन हॉल के पास से गुजरा। समाचार-पट्ट (नोटिस बोड) के सामने बहुत भीड़ थी। समाचार-पट्ट (नोटिस बोर्ड) पर एक सूचना लगी हुई थी कि अब से स्कूलों में फ्रांसीसी भाषा नहीं पढ़ाई जाएगी। बर्लिन से आदेश आया था कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी।)

Think as you read
Question 1.
What changes did the order from Berlin cause in the school that day? (उस दिन स्कूल में बर्लिन से आए आदेश ने क्या परिवर्तन करवाए थे ?)
Answer:
The order from Berlin said that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. That order caused a lot of dismay in the school that day. It upset the students as well as their teacher. M. Hamel told that the students that it was their last French lesson that day. The new teacher would come the next day. He would teach them, German.

(बर्लिन से आए आदेश में कहा गया था कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। इस आदेश से उस दिन स्कूल में बहुत अधिक निराशा फैल गई। इस आदेश से विद्यार्थी और शिक्षक सभी परेशान हो गए। एम० हैमेल ने विद्यार्थियों को बताया कि उस दिन उनका फ्रैंच भाषा का अंतिम पाठ था। अगले दिन नया अध्यापक आ जाएगा। वह उन्हें जर्मन भाषा पढ़ाएगा।)

Question 2.
How did Franz’s feelings about M. Hamel and school change? (एम० हैमेल और स्कूल के बारे में फ्रन्ज के विचार किस प्रकार बदल गए ?)
Answer:
M. Hamel said that it was their last French lesson. The new teacher was coming the next day. Now Franz became sentimental. He knew very little about French. But suddenly he developed a strange fascination for this language. Only a while ago, his books seemed a nuisance to him. But now these were his old friends. M. Hamel was going away. The idea that he would never see teacher again was painful to him. He even forget how cranky M. Hamel was.

(एम० हैमेल ने कहा कि फ्रैंच भाषा का वह उनका अंतिम पाठ था। अगले दिन नया अध्यापक आ रहा था। अब फ्रेन्ज भावुक हो गया। उसे फ्रैंच भाषा का कम ही ज्ञान था। लेकिन इस भाषा के प्रति उसमें एक अजीब-सा आकर्षण पैदा हो गया था। केवल कुछ ही समय पहले, उसकी पुस्तकें उसे एक सरदर्द प्रतीत होती थीं। लेकिन अब वे उसकी पुरानी मित्र बन गई थीं।
एम० हैमेल वहाँ से जा रहा था। यह विचार कि वह अपने शिक्षक को फिर कभी नहीं देखेगा उसके लिए पीड़ादायक था। वह इस बात को भी भूल चुका था कि एम० हैमेल कितना सनकी था।)

Talking about the text :
Question 1.
“When a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison.” Can you think of examples in history where a conquered people had their language taken away from them or had a language imposed on them? (“जब कोई समाज गुलाम हो जाता है, तो जब तक वे अपनी भाषा को पकड़े रहते हैं, तो ऐसा होता है कि मानो यह उनके जेल की चाबी है।” क्या आप इतिहास में से ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं जहाँ गुलाम लोगों की भाषा उनसे छीन ली गई हो या उन पर कोई और भाषा थोप दी गई हो ?)
Answer:
It is true that our language is the key to our freedom. By holding fast to their language, the conquered people can hope to attain freedom soon. There are many examples where the conquering nations imposed their language on the conquered nation. The British imposed English language on the Indians. In the same way, Spanish and Portuguese were imposed on the people of Latin American countries.

(यह बात सच है कि हमारी भाषा हमारी सफलता की कुंजी होती है। अपनी भाषा पर मजबूत पकड़ रखने वाले लोग, जिन पर विजय हासिल कर ली जाती है शीघ्र ही स्वतंत्रता की आशा कर सकते हैं। ऐसे बहुत-से उदाहरण हैं जहाँ जीतने वाले लोगों ने जीते हुए राष्ट्रों के ऊपर अपनी भाषा थोप दी थी। अंग्रेजों ने भारतीयों पर अंग्रेजी भाषा थोप दी थी। इसी तरह से लैटिन अमरीकी देशों पर स्पेन और पुर्तगाल की भाषाएँ थोप दी गई थीं।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 2.
What happens to a linguistic minority in a state? How do you think they can keep their language alive? For example : Punjabis in Bangalore Tamilians in Mumbai Kannadigas in Delhi Gujaratis in Kolkata. (किसी राज्य में भाषाई अल्पसंख्यक के साथ क्या होता है ? आपके अनुसार वे अपनी भाषा को किस प्रकार जीवित रख सकते हैं ? उदाहरण के तौर पर बंगलौर में पंजाबी मुम्बई में तामिल दिल्ली में कन्नड़ लोग कोलकाता में गुजराती।)
Answer:
A linguistic minority faces difficulty in any state. People of this minority find it difficult to communicate with the others in the state. They have to learn the language which the majority of the people in the state speak and write. In government offices, the work is done in the state language. In schools and colleges, the medium of instruction is the language of the majority.

The Punjabis in Bangalore, the Tamilians in Mumbai, the Kannadigas in Delhi and the Gujaratis in Kolkata can keep their language alive by safeguarding it among themselves. They must communicate with the members of their community in their own language.

(भाषाई अल्पसंख्यक लोग किसी भी राज्य में कठिनाई महसूस करते हैं। इस अल्पसंख्यक समूह के लोग राज्य के दूसरे लोगों के साथ बातचीत करने में कठिनाई महसूस करते हैं। उनको उस भाषा को सीखना पड़ता है जो भाषा उस राज्य का बहुसंख्यक समुदाय बोलता और लिखता है। राजकीय कार्यालयों में, काम उस राज्य की भाषा में किया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा का माध्यम बहुसंख्यक समुदाय के लोगों की भाषा होता है। बंगलौर में पंजाबी, मुम्बई में तमिल, दिल्ली में कन्नड़ और कोलकाता में गुजराती अपनी भाषा को जीवित रख सकते हैं, इसे स्वयं के लोगों के बीच सुरक्षित रखकर । उन्हें अपने समुदाय के लोगों के बीच अपनी भाषा में ही संवाद करना चाहिए।)

Question 3.
Is it possible to carry pride in one’s language too far? Do you know what “linguistic chauvinism means?
(क्या भाषा के प्रति अपने गर्व को बहुत आगे तक ले जाना सम्भव है ? क्या आप जानते हैं ‘भाषा का दमन’ क्या होता है ?)
Answer:
Excessive pride in one’s language is not good. It is dangerous to carry our pride in our language too far. It is not bad to be proud of our culture, our traditions and language. But if we consider our language superior to other languages, it is not good. Language is after all, only a way of expressing our thoughts. As different people believe in different religions, so they speak different languages.

We must respect all languages. ‘Linguistic Chauvinism’ means opposition to all languages except our own. It means having an excessive pride in one’s own language. This is shown in the story. Prussia captured two districts of France. They ordered that only German language would be taught in those districts. They imposed their own language without caring for the sentiments of the people. This is ‘linguistic chauvinism’.

(किसी को अपनी भाषा पर अति गर्व होना भी अच्छी बात नहीं है। अपनी भाषा पर गर्व को बहुत आगे तक बढ़ाना खतरनाक बात है। अपनी संस्कृति, अपनी परम्पराओं और भाषा पर गर्व करना बुरी बात नहीं है। लेकिन यदि हम अपनी भाषा को अन्य भाषाओं से श्रेष्ठ मानते हैं, तो यह अच्छी बात नहीं है। आखिरकार भाषा केवल हमारे विचारों को प्रकट करने का एक माध्यम है। क्योंकि भिन्न-भिन्न लोग, भिन्न-भिन्न धर्मों में विश्वास रखते हैं, इसलिए वे भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलते हैं। हमें सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।

‘भाषाई अंधराष्ट्रवाद’ का अर्थ है-अपनी भाषा को छोड़कर अन्य सभी भाषाओं का विरोध करना। इसका अर्थ है व्यक्ति का अपनी भाषा पर अति गर्व करना। यह बात इस कहानी में दशाई गई है। पर्शिया ने फ्रांस के दो जिलों पर कब्जा कर लिया। उन्होंने आदेश दिया कि उन जिलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। उन्होंने लोगों की भावनाओं का ख्याल किए बिना उन पर अपनी भाषा को थोप दिया। इसे ही भाषा का दमन’ कहा जाता है।)

Working With Words

Question 1.
English is a language that contains words from many other languages. This inclusiveness is one of the reasons it is now a world language, For example :
petite – French
kindergarten – German
capital – Latin
democracy – Greek
bazaar – Hindi

Find out the origins of the following words.
tycoon barbecue zero
tulip veranda ski
logo robot trek
bandicoot
Answer:
Word – Origin
(i) tycoon – Japanese (taikun)
(ii) tulip – French (tulipe)
(iii) logo – Greek (logos)
(iv) bandicoot – Telugu (pandikokku)
(v) barbecue – Spanish (barbacoa)
(vi) veranda – Hindi (veranda)
(vii) robot – Czech (robota)
(viii) zero – American English
(ix) ski – Norwegian
(x) trek – Dutch (trekken)

2. Notice the underlined words in these sentences and tick the option that best explains their meaning. (a) “What a thunderclap these words were to me!”
The words were
(i) loud and clear.
(ii) startling and unexpected.
(iii) pleasant and welcome.
(b) “When a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison.” It is as if they have the key to the prison as long as they
(i) do not lose their language.
(ii) are attached to their language.
(iii) quickly learn the conqueror’s language.

(c) Don’t go so fast, you will get to your school in plenty of time.
You will get to your school
(i) very late.
(ii) too early.
(iii) early enough.

(d) I never saw him look so tall.
M. Hamel
(i) had grown physically taller.
(ii) seemed very confident.
(iii) stood on the chair.
Answer:
(a)
(ii) startling and unexpected.
(b)
(ii) are attached to their language.
(c)
(iii) early enough.
(d)
(ii) seemed very confident.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Noticing form
Read this sentence
M. Hamel had said that he would question us on participles. उक्त वाक्य के प्रथम भाग में verb का रूप “had said” पूर्वकालिक भूत (earlier past) को दर्शाने के लिए प्रयुक्त हुआ है । पूरी कहानी भूतकाल में वर्णित है । एम. हेमल का “कथन” इस कहानी की घटनाओं से पहले का है । Verb का यह रूप past perfect कहलाता है । Pick out five sentences from the story with this form of the verb and say why this form has been used. कहानी से कोई पाँच वाक्य चुनिए जिनमें क्रिया के इस रूप का प्रयोग हुआ हो और बताइये कि क्रिया के इस रूप का प्रयोग क्यों हुआ है।
Answer:
(i) I had counted on the commotion to get to my desk without being seen.
(ii) I had got a little over my fright ……..
(iii) That was what they had put up at the town hall.
(iv) He had put on his fine Sunday clothes.
(v) I had never listened so carefully. In all the above mentioned sentences, the past perfect form of verb has been used to point out something that had happened before a certain point of time in the past.
उपर्युक्त सभी वाक्यों में Past Perfect का प्रयोग भूतकाल के किसी निर्देश बिन्दु से पूर्व घटित हो रही किसी घटना को दर्शाने के लिए किया गया है ।

Writing:

Question 1.
Write a notice for your school bulletin-board. Your notice could be an announcement of a forthcoming event, or a requirement to be fulfilled or a rule to be followed.
अपने विद्यालय के सूचना-पट्ट के लिए एक सूचना लिखिए । आपकी सूचना किसी आने वाली घटना अथवा किसी अनिवार्यता के पालन करने अथवा किसी नियम के पालन से सम्बंधित हो सकती है ।
Answer:

Government Higher Secondary School, Dulchasar (Bikaner)

November 27, 20-

NOTICE
Essay Writing Competition

The Cultural Society of Dulchasar is going to organize an essay writing competition on 25-12-20xx, on the topic ‘How to Eradicate Corruption.’ The forms are available in the school office. Interested students may get them from the office in school hours. The society will give prizes as well as citations to the winning candidates.

Principal
Govt H. Sec. School, Dulchasar

Question 2.
Write a paragraph of about 100 words arguing for or against having to study three languages at school.
स्कूल में तीन भाषाएँ पढ़ने के पक्ष अथवा विपक्ष में 100 शब्दों का एक अनुच्छेद लिखिये ।
Answer:
For: After deep deliberations, India has accepted three language formulas. India is a vast country with so much diversity. Such a big nation as ours can be held together with the help of languages only. Every region of our country has a language of its own.

These are regional languages such as Marwari, Gujarati, Tamil, Telugu, Bangla etc. So a student must learn his/her regional language. Hindi is our national language so it is highly imperative to all Indians to learn Hindi. English is an international language. In this age of globalization, it is utterly undesirable not to learn English. So learning three languages at school level is very necessary.

पक्ष : गहन विचार-विमर्श के बाद, भारत ने त्रिभाषा सूत्र को स्वीकार कर लिया है। भारत बहुत अधिक विविधताओं वाला एक बहुत विशाल राष्ट्र है। हमारे जैसे एक विशाल राष्ट्र को केवल भाषा की मदद से संगठित रखा जा सकता है । हमारे देश के प्रत्येक क्षेत्र की अपनी स्वयं की एक बोली है ।

ये क्षेत्रीय भाषाएँ हैं; जैसे मारवाड़ी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, बंगला इत्यादि । इसलिए एक विद्यार्थी को अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखनी ही चाहिये । हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है इसलिए सभी भारतीयों के लिए हिन्दी सीखना अति आवश्यक है । अंग्रेजी एक अंतर्राष्ट्रीय भाषा है । वैश्वीकरण के इस युग में अंग्रेजी नहीं सीखना अत्यधिक अवांछनीय है । इसलिए विद्यालय स्तर पर तीन भाषाएँ सीखना अति आवश्यक है। .

Question 3.
Have you ever changed your opinion about someone or something that you had earlier likad or disliked ? Narrate what led you to change your mind.
क्या आपने कभी किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में अपने विचार बदले हैं जिसे आप पहले पसंद या नापसंद करते थे ? वर्णन कीजिये किस चीज ने आपके मन को बदल दिया ।।
Answer:
My father is a teacher and a kind man. We have a maternal uncle. He was a rich man. We respected him very much. He used to visit our house time and again. We felt very happy when he visited our house. He used to bring sweets and fruits for us. My father used to lend him money.

We didn’t know this but mother knew it. One day my father fell seriously ill and we needed money for his treatment. My mother sent me to him for the money. My maternal uncle behaved very rudely. He rebuked me badly and refused to return our money. I felt very sorry. Since then I have no respect for him. His being an opportunist changed my mind.

मेरे पिताजी एक अध्यापक व दयालु व्यक्ति हैं । हमारे एक मामा हैं । वह एक धनी व्यक्ति थे । हम उनका बहुत सम्मान करते थे । वे अक्सर हमारे घर पर आया करते थे । जब वे हमारे घर आते थे तो हम बहुत खुश होते थे । वे हमारे लिए मिठाइयाँ व फल लाया करते थे । मेरे पिताजी उन्हें रुपये उधार दिया करते थे ।

हम यह नहीं जानते थे लेकिन मेरी माताजी यह जानती थीं। एक बार मेरे पिताजी भयंकर बीमार पड़े तथा हमें उनके इलाज के लिए रुपयों की आवश्यकता हुई । मेरी माँ ने मुझे रुपयों के लिए उनके पास भेजा । मेरे मामा ने अत्यधिक अशिष्ट व्यवहार किया । उन्होंने मुझे बुरी तरह से फटकारा व हमारे रुपये लौटाने से इन्कार कर दिया । मुझे बहुत दु:ख हुआ । तब से उनके प्रति मेरे मन में कोई सम्मान नहीं है । उनकी अवसरवादिता ने मेरे मन को बदल दिया।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

HBSE 12th Class English The Last Lesson Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 

Question 1.
What is the background of the story ‘The Last Lesson’? .. (‘द लास्ट लैस्न’ कहानी की पृष्ठभूमि क्या है ?)
Answer:
This story is set in the days of the Franco-Prussian War (1870-1871). In this war, France was defeated by Prussia (Germany). Then an order came from Germany. According to this order, German language was imposed on the French districts of Alsace and Lorraine. A student named Franz is the narrator of the story. The writer describes the effect of this shocking news on the narrator, his teacher, M. Hamel and the villagers.

(यह कहानी 1870-71 में फ्रांसीसी-पर्शिया युद्ध के दिनों के दौरान की घटना के बारे में है। इस युद्ध में फ्रांस पर्शिया (जर्मनी) के हाथों पराजित हो गया। तब जर्मनी से एक आदेश आया। इस आदेश के तहत, फ्रांस के अल्सेस और लॉरेन जिलों पर जर्मन भाषा थोप दी गई। फ्रेन्ज नाम का एक विद्यार्थी इस कहानी का वर्णनकर्ता है। लेखक इस सदमे भरी खबर का वर्णनकर्ता, उसके अध्यापक एम० हैमेल और गाँव वालों पर पड़े प्रभाव का वर्णन करता है।)

Question 2.
Why was Franz afraid of? [H.B.S.E. 2017 (Set-C)] (फ्रेन्ज क्यों डरा हुआ था ?)
Or
What dread did little Franz have when he started for school in the morning? [2020 (Set-C)] (छोटे फ्रेन्ज को किस बात का भय था जब वह सुबह स्कूल के लिए निकला?)
Answer:
Franz was very late for school. He feared that he would be rebuked for coming late. But his real dread was his failure to learn the participles. On that day, the teacher, M. Hamel, had to question the students about participles. But Franz had not prepared his lesson. So he was afraid of being rebuked.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए बहुत अधिक देर हो गई थी। उसे डर था कि उसे देर से आने की वजह से डाँट पड़ेगी। लेकिन उसका असली भय क्रिया-विशेषण का पाठ याद न कर पाने की वजह से था। उस दिन, शिक्षक एम० हैमेल ने क्रिया-विशेषण के पाठ से सम्बन्धित प्रश्न पूछने थे। लेकिन फ्रेन्ज ने अपना पाठ याद नहीं किया था। इसलिए उसे डाँट पड़ने का डर था।)

Question 3.
What did Franz decide to do for a moment ? (एक क्षण के लिए फ्रेन्ज क्या करने का फैसला करता है ?)
Answer:
Franz was late for school. Secondly, on that day, his teacher had to ask questions on participles. But he had not learnt his lesson. He feared that the teacher would rebuke him. So for a moment, he thought of running away and spending the day in the countryside. But then he decided to attend the school and hurried on.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देर हो गई थी। दूसरे, उस दिन उसके शिक्षक ने क्रिया-विशेषण के पाठ से सम्बन्धित प्रश्न पूछने थे। लेकिन उसने अपना पाठ याद नहीं किया था। उसे डर था कि शिक्षक उसे डाँटेगा। इसलिए एक पल के लिए उसके दिमाग में भागकर कहीं देहात में दिन बिताने का विचार आया। लेकिन तब उसने स्कूल में उपस्थित होने का निर्णय लिया और तेजी से आगे बढ़ गया।)

Question 4.
What was the temptation and how did Franz resist it? (प्रलोभन क्या था और फ्रेन्ज ने इसका विरोध किस प्रकार किया ?)
Answer:
Franz had not prepared his lesson. He feared that his teacher would rebuke him. For a moment he decided to run away and spend the day in the countryside. There was a great temptation before him. The weather was very warm and the day was bright. Open fields and the chirping of birds were more attractive than the participles. He could also watch the Prussian soldiers drilling in the open. But he had the strength to resist this temptation. He decided to hurry off to the school.

(फ्रेन्ज ने अपना पाठ याद नहीं किया था। उसे डर था कि उसका शिक्षक उसे डाँटेगा। एक क्षण के लिए तो उसके मन में विचार आया कि वह वहाँ से भाग कर अपना दिन कहीं देहात में बिताए। उसके सामने एक बड़ा प्रलोभन था। उस दिन मौसम बहुत गर्म था और दिन चमकीला था। खुले खेत और पक्षियों की चहकने की आवाज़ों का आकर्षण क्रिया-विशेषण के पाठ से कहीं अधिक था। वह पर्शिया के सैनिकों को खुले मैदानों में बोर करते हुए देख सकता था। लेकिन उसमें इस प्रलोभन को रोक पाने की ताकत थी। इसलिए उसने तेजी से स्कूल की ओर जाने का निर्णय किया।)

Question 5.
What caused the bustle when the school began? [H.B.S.E. 2017 (Set-D)] (जब स्कूल आरम्भ होता था तो किस बात से शोर होता था ?)
Answer:
Usually, when the school began, there was a great bustle. The noise could be heard out in the street. This bustle was caused by the opening and closing of desks. The students repeated their lessons very loud in unison. This caused a lot of noise. The teacher rapped his ruler on the table. All these things caused a lot of bustle.

(प्रायः जब स्कूल शुरू होता था, तो वहाँ बहुत शोर होता था। वह शोर बाहर गली में भी सुनाई पड़ जाता था। यह शोर डेस्कों के खोलने और उन्हें बंद करने का होता था। विद्यार्थी एक लय में अपने पाठों को ऊँचे स्वर में दोहराते थे। इसकी वजह से बहुत अधिक शोर पैदा होता था। अध्यापक अपने डंडे को मेज पर टक-टक मारता रहता था। ये सभी चीजें बहुत अधिक शोर पैदा करती थीं।)

Question 6.
Why was there a big crowd in front of the bulletin board? What kind of news did people get from there?
(समाचार-पट्ट (नोटिस बोर्ड) के सामने भीड़ क्यों थी ? लोगों को वहाँ से किस प्रकार की खबरें मिलती थीं ?)
Answer:
On his way to school, Franz passed by the Town Hall. There he found that there was a big crowd in front of the bulletin board. It was a usual sight these days. For the last two years, all kinds of bad news had come from there. People got the news of the lost battles, the draft and the orders of the commanding officer. That day, there was another bad news. The order from Berlin said that German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

(स्कूल के रास्ते में, फॅन्ज टाऊन हाल के पास से गुजरा। वहाँ उसने पाया कि समाचार-पट्ट के सामने अत्यधिक भीड़ थी। ऐसा होना आजकल एक आम बात थी। पिछले दो वर्षों से वहाँ से सभी तरह के बुरे समाचार आ रहे थे। लोगों ने वहाँ से युद्ध में पराजय के समाचार और कमांडिंग अफसर के आदेश प्राप्त किए थे। उस दिन भी वहाँ एक बुरा समाचार था। बर्लिन से आए आदेश में कहा गया था कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी।)

Question 7.
Why had Franz hoped that he would be able to enter the school unnoticed? (फ्रेन्ज को यह आशा क्यों थी कि वह चुपचाप स्कूल में प्रवेश कर पाएगा?)
Answer:
Franz was late for school. He feared that if he was noticed, he would be punished. But he also hoped that he would be able to enter the school unnoticed. Generally, when the school began, there was a lot of bustle. This noise was so great that it could be heard in the street. He hoped that in that bustle no one would notice that he was late.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देरी हो गई थी। उसे डर था कि यदि उस पर नजर पड़ गई तो उसे सजा मिलेगी। लेकिन उसे ऐसी उम्मीद भी थी कि वह बिना किसी की नजर में आए स्कूल में प्रवेश कर सकता था। आमतौर, पर जब स्कूल शुरू होता था तो वहाँ बहुत अधिक शोर होता था। यह शोर इतना अधिक होता था कि इसे बाहर गली में भी सुना जा सकता थ। उसे उम्मीद थी कि इस शोर-शराबे में किसी का भी ध्यान उसके देर से आने पर नहीं जाएगा।)

Question 8.
What did he find unusual about the school? (उसने स्कूल के बारे में क्या असाधारण बात देखी?)
Answer:
When the narrator reached school, he found something unusual. Generally, there was a great hustle and bustle at the school in the morning. The noise was created by the opening and closing of desks and the repeating of lessons loudly. The sound made by the teacher by rapping his ruler on the table could also be heard from the street. But that day, everything was calm and quiet. It was quite unusual.

(जब वर्णनकर्ता स्कूल पहुंचा, तो उसे कुछ अजीब-सा लगा। आमतौर पर, सुबह के समय स्कूल में बहुत अधिक चहल-पहल और शोर-शराबा होता था। यह शोर डेस्कों को खोलने और बंद करने और पाठों की दोहराई करने के कारण पैदा होता था। अध्यापक के द्वारा अपने डंडे को टक-टक से मेज पर मारने की वजह से पैदा हुआ शोर भी बाहर गली में सुना जा सकता था। लेकिन उस दिन सब कुछ शांत था। यह एक बिल्कुल अजीब बात थी।)

Question 9.
How did Franz enter the school? How did the teacher react? (फ्रेन्ज ने स्कूल में प्रवेश किस प्रकार किया ? अध्यापक की क्या प्रतिक्रिया थी ?) Or Did M. Hamel get angry with Franz for being late?
[H.B.S.E. March, 2018 (Set-B)] (क्या एम० हैमेल फ्रेन्ज के देर से आने पर क्रोधित हुए?)
Answer:
Franz was late for school. He feared that he would be rebuked by his teacher. He wanted to get to his desk without being noticed. But that day, everything was calm and quiet. He had to open the door and go in before everybody. The teacher was already there. Franz blushed and was frightened. But nothing happened. His teacher spoke very kindly and asked him to take his seat.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देर हो गई थी। उसे डर था कि उसे शिक्षक से डाँट पड़ेगी। वह बिना किसी की नजर पड़े अपने डेस्क तक पहुँचना चाहता था। लेकिन उस दिन सब कुछ शांत था। उसे दरवाजा खोलकर सभी के सामने अंदर आना पड़ा। अध्यापक पहले से ही वहाँ था। फ्रेन्ज का चेहरा लाल पड़ गया और वह डर गया। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसके अध्यापक ने बड़ी दयालुता से बात की और उसे अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 10.
What surprised the narrator most when he took his seat in the class? (जब कक्षा में वह अपनी सीट पर बैठा तो वर्णनकर्ता को किस बात ने हैरान किया?) Or How was M. Hamel’s class different the day Franz went late to school? [H.B.S.E. 2019 (Set-A)] (एम० हैमेल की कक्षा अन्य दिनों से कैसे भिन्न थी, जिस दिन फ्रांज देर से स्कूल गया था?)
Answer:
Franz entered the class and took his seat. It was strange that he was not rebuked by his teacher. It was also strange that the whole school seemed calm and quiet. But what surprised him most was that the village people were sitting on the back benches. Everybody sat quiet and looked sad. He saw that the former mayor, the former postmaster and many others villagers were sitting there. They were sad to know that from the next day, German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

(फ्रन्ज ने कक्षा में प्रवेश किया और अपनी सीट पर बैठ गया। यह अजीब बात थी कि उसके शिक्षक ने उसे डाँटा नहीं था। यह भी अजीब बात थी कि सारा स्कूल एकदम से शांत था। लेकिन जिस बात ने उसे सबसे अधिक हैरान किया वह थी कि गाँव के लोग पीछे वाले बैंचों पर कक्षा में बैठे हुए थे। प्रत्येक व्यक्ति शांत बैठा था और उदास दिखाई दे रहा था। उसने देखा कि पूर्व महापौर, पूर्व डाकपाल और बहुत-से अन्य ग्रामीण वहाँ पर बैठे हुए थे। वे इस बात को जानकार हैरान थे कि अगले दिन से, अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी।)

Question 11.
What shocking news did M. Hamel give to the students and the villagers? What was its effect on them?
(एम० हैमेल ने छात्रों और गाँव वालों को सदमे वाली क्या खबर दी ? इसका उन पर क्या प्रभाव हुआ?)
Answer:
That day villagers attended the class of M. Hamel. They were sitting on the back benches. Everything was quiet and calm. M. Hamel took his chair. He spoke in a grave and gentle tone. He announced that it was his last French lesson. He said that an order had come from Berlin. German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. The new teacher was coming the next day. This news made everyone sad. They were shocked.

(उस दिन ग्रामीण एम० हैमेल की कक्षा में उपस्थित थे। वे पीछे वाले बैंचों पर बैठे थे। सब कुछ एकदम से शांत था। एम० हैमेल अपनी कुर्सी पर बैठा था। वह एक गंभीर और सौम्य स्वर में बोला। उसने घोषणा की कि यह उसका फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। उसने कहा कि बर्लिन से एक आदेश आया है कि अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था। इस समाचार ने हर किसी को उदास कर दिया। वे सदमे में थे।)

Question 12.
What was the effect of M.Hamel’s announcement on the narrator? (वर्णनकर्ता पर एम० हैमेल की घोषणा का क्या प्रभाव हुआ ?)
Answer:
M. Hamel announced that it was his last French lesson. He said that according to an order from Berlin, only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. This announcement made Franz very sad. He felt sorry for not learning his lessons in French. He had never liked his books. But now he no longer hated his books. He even started liking M. Hamel, in spite of his harshness.

(एम० हैमेल ने घोषणा की कि वह उसका फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। उसने कहा कि बर्लिन से आए एक आदेश के अनुसार अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। इस घोषणा ने फॅन्ज को बहुत अधिक उदास कर दिया। आज उसे अपने फ्रांसीसी भाषा के पाठों को याद न करने का अफसोस हो रहा था। वह अपनी किताबों को कभी पसंद नहीं करता था। लेकिन अब वह अपनी किताबों के प्रति घृणा को भूल चुका था। उसने एम० हैमेल को भी उसकी सख्तमिजाजी के बावजूद पसंद करना शुरू कर दिया था।)

Question 13.
Franz could not recite the rules for the participles. How did M. Hamel react? (फ्रेन्ज पार्टीसिप्ल के नियम नहीं सुना पाया। इस पर श्री हैमेल की क्या प्रतिक्रिया हुई ?) Or
Who did M. Hamel blame for the neglect of learning on the part of boys like Franz? . (फ्रेन्ज जैसे लड़के के पाठ याद करने की उपेक्षा के लिए एम० हैमेल ने किसे दोषी ठहराया?)[H.B.S.E. 2019 (Set-D)]
Answer:
Franz heard his name called. It was his turn to recite the rules of participles. In spite of his best efforts, he could not recite the rules. He stood there holding on the desk. His heart was beating. He did not dare to look up. But the teacher did not rebuke him. He told Franz kindly that he would not rebuke him. He said that Franz was not the only one who neglected learning French. Many others in Alsace and Lorraine were like him.

(फ्रेन्ज ने अपने नाम की पुकार सुनी। क्रिया-विशेषण के नियम सुनाने की अब उसकी बारी थी। अपने पूरे प्रयास करने के बावजूद भी वह नियम नहीं सुना सका। वह डेस्क को पकड़े हुए खड़ा रहा। उसका दिल धक-धक कर रहा था। उसमें ऊपर देखने तक का साहस नहीं था। लेकिन अध्यापक ने उसे डाँटा नहीं। उसने फॅन्ज को दयालुतापूर्वक बताया कि वह उसे डाँटेगा नहीं। उसने बताया कि फ्रन्ज केवल मात्र अकेला नहीं था जिसने फ्रांसीसी भाषा को सीखने में अवहेलना की थी। अल्सेस और लॉरेन में उस जैसे और बहुत थे।)

Question 14.
What kind of clothes was M.Hamel wearing? Why had he put on that fine dress? (एम० हैमेल किस प्रकार के कपड़े पहने हुए था? उसने वह सुन्दर पोशाक क्यों पहनी हुई थी ?)
Answer:
M. Hamel had put on his beautiful green coat, his frilled shirt and the little black silk cap. He never wore those clothes except on inspection and prize days. But that day he was wearing those clothes in honour of the last French lesson. An order from Berlin had come that only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. The new teacher was coming the next day.

(एम० हैमेल ने अपना हरे रंग का सुन्दर कोट, झालरवाला कमीज और रेशम की छोटी टोपी पहनी हुई थी। वह निरीक्षण और पुरस्कार वितरण समारोह के अतिरिक्त उन कपड़ों को कभी नहीं पहनता था। लेकिन उस दिन उसने फ्रांसीसी भाषा के अंतिम पाठ के सम्मान में वे कपड़े पहन रखे थे। बर्लिन से एक आदेश आया था कि अब अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था।)।

Question 15.
What did M. Hamel say about the French language? What did he urge upon his students and villagers to do? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-D)] (एम० हैमेल ने फ्रांसीसी भाषा के बारे में क्या कहा ? उसने अपने छात्रों और गाँव वालों से क्या करने का आग्रह किया ?)
or
How does M. Hamel pay a tribute to the French language? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)] (एम० हैमेल फ्रांसीसी भाषा को श्रद्धांजली कैसे देता है?)
Answer:
It was M.Hamel’s last French lesson. He talked in length about the French language. He told the students and villagers that French was the most beautiful language in the world. He said that it was the clearest and most logical language. He urged upon the students and the villagers to protect it among themselves. He reminded them never to forget it.
(यह एम० हैमेल का फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। उसने फ्रांसीसी भाषा के बारे में विस्तार से बातचीत की। उसने विद्यार्थियों और गाँव वालों को बताया कि फ्रांसीसी भाषा दुनिया की सबसे सुन्दर भाषा है। उसने बताया कि यह सबसे अधिक स्पष्ट और तर्कपूर्ण भाषा है। उसने विद्यार्थियों और गाँव वालों को इस भाषा को अपने में संरक्षित रखने का आह्वान किया। उसने उन्हें याद दिलाया कि वे उस भाषा को कभी न भूलें।)

Question 16.
Why did M.Hamel ask his students and the villages to guard French among themselves? (एम० हैमेल ने छात्रों एवं गाँव वालों से फ्रांसीसी भाषा को अपने बीच में सुरक्षित रखने के लिए क्यों कहा ?)
Answer:
It was M. Hamel’s last French lesson to his students. From the next day, German would be taught in all the schools of Alsace and Lorraine. M. Hamel was sad but helpless. In his last lesson, he said that French was the most beautiful language in the world. It was the most logical language. He urged upon his students apd the villagers to guard this language. He said that their language is the key to their happiness and freedom. They must not forget it.

(यह एम० हैमेल का अपने विद्यार्थियों के लिए फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ था। अगले दिन से अल्सेस और लॉरेन के सभी स्कूलों में जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। एम० हैमेल निराश परन्तु असहाय था। अपने अंतिम पाठ में, उसने कहा कि फ्रांसीसी भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। वह सबसे अधिक तर्कपूर्ण भाषा है। उसने अपने विद्यार्थियों और गाँव वालों से इस भाषा की रक्षा करने का आह्वान किया। उसने कहा कि उनकी भाषा उनकी खुशी और स्वतंत्रता की कुंजी है। उन्हें इस भाषा को भूलना नहीं चाहिए।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 17.
What was the effect of the last lesson on the narrator? (वर्णनकर्ता पर अन्तिम पाठ का क्या प्रभाव हुआ ?) or
“What a thunderclap these words were to me!” Which were the words that shocked and surprised little Franz? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-C)] (“कैसे चौकाने वाले शब्द थे ये मेरे लिए!” ये कौन-से शब्द थे, जिन्होंने छोटे फ्रैन्ज को चौंका दिया और आश्चर्यचकित कर दिया?)
Answer:
M. Hamel was giving his last French lesson. After praising the French language, he opened a grammar book and read them their lesson. Franz found that lesson seemed very easy. He understood it so well. He was very attentive. M. Hamel had never explained everything with so much patience. It appeared as if the teacher wanted to give his students all he knew before going away. He wanted to put it all into their heads with one stroke.

(एम० हैमेल अपना फ्रांसीसी भाषा का अंतिम पाठ पढ़ रहा था। फ्रांसीसी भाषा की प्रशंसा करने के उपरांत, उसने व्याकरण की एक किताब खोली और उसमें से एक पाठ पढ़ा। फ्रेन्ज को लगा कि वह पाठ बहुत आसान था। उसे वह पाठ अच्छी तरह से समझ में आ गया। उसने पूरा ध्यान लगा रखा था। एम० हैमेल ने कभी भी इतने धैर्य के साथ प्रत्येक चीज की इतनी व्याख्या नहीं की थी। ऐसा प्रतीत होता था कि अध्यापक अपने विद्यार्थियों को वह सब कुछ दे देना चाहता था जो कुछ वह जानता था। वह एक ही प्रयास में ये सब बातें विद्यार्थियों के दिमाग में डाल देना चाहता था।)

Question 18.
How did M.Hamel bid farewell to his students and the villagers? (एम० हैमेल ने छात्रों और गाँव वालों को अलविदा किस प्रकार कहा ?)
Answer:
The church clock struck twelve. The trumpets of the Prussian soldiers sounded under the window. It was time to close to school. M. Hamel stood up. He looked very pale. He tried to speak, but could not. His emotions choked his speech. Then he turned to the blackboard and took a piece of chalk. He wrote in big letters, “Vive La France!” (Long Live France). Then, without a word, he made a gesture to those in the classroom with hand, “School is dismissed -you may go.”

(गिरजाघर की घड़ी ने 12 बजे का घंटा बजाया। खिड़की के बाहर से पर्शिया के सैनिकों के बिगुल की आवाज़ सुनाई दी। स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था। एम० हैमेल खड़ा हो गया। उसका चेहरा पीला पड़ गया था। उसने बोलने का प्रयास किया, लेकिन बोल नहीं सका। उसकी भावनाओं से उसका गला रुंध गया था। तब वह ब्लैक-बोर्ड की ओर मुड़ा और उसने चॉक का एक टुकड़ा लिया। उसने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा “फ्रांस अमर रहे” । तब उसने बिना कुछ बोले, कक्षा में उपस्थितजनों को हाथ के इशारे से संकेत करते हुए कहा, “स्कूल की छुट्टी हो गई है, आप जा सकते हो”।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
Reproduce in your own words what Franz did or thought on his way to school? (फ्रेन्ज ने स्कूल जाते समय क्या किया और क्या सोचा, इसका अपने शब्दों में वर्णन करो।) [H.B.S.E. 2020 (Set-D)]
Answer:
Franz was late for school. He feared that his teacher M. Hamel would rebuke him for coming late. Moreover, Franz had not prepared his lesson. He feared that his teacher would rebuke him. For a moment he decided to run away and spend the day in the countryside. There was a great temptation before him. The weather was very warm and the day was Open fields and the chirping of birds were more attracting of birds were more attractive than the participles. He could also watch the Prussian soldiers drilling in the open.

But he had the strength to resist this temptation. He decided to hurry off to the school. When he passed by the Town hall, he saw a big crowd in front of the bulletin board. It was a usual sight these days. For the last two years all kinds of bad news came from Berlin. But Franz did not stop there. He continued going fast. When he reached his school, he was all out of breath.

(फ्रेन्ज को स्कूल के लिए देर हो गई थी। उसे डर लग रहा था कि देर से आने की वजह से उसका अध्यापक उसे डाँटेगा। इससे भी बड़ी बात, फ्रन्ज ने अपना पाठ तैयार नहीं किया था। उसे डर था कि उसका अध्यापक उसे डाँटेगा। एक पल के लिए तो उसने वहाँ से भागकर अपना दिन कहीं देहात में बिताने के बारे में सोचा। उसके सामने एक बहुत बड़ा प्रलोभन था। मौसम बहुत गर्म था और दिन भी एकदम साफ। खुले खेत और पक्षियों के चहचहाने की आवाजें क्रिया-विशेषण के पाठ से कहीं अधिक आकर्षक थीं। वह पर्शिया के सिपाहियों को खुले मैदानों में बोर करते हुए देख सकता था। लेकिन उसमें इस प्रलोभन को रोकने की ताकत थी। उसने जल्दी से स्कूल की ओर जाने का निर्णय लिया। जब वह टाउन हॉल के पास से गुजरा तो उसने समाचार पट्ट के सामने अत्याधिक भीड़ देखी। आजकल ऐसा होना आम दृश्य था। पिछले दो वर्षों से बर्लिन से सभी तरह के बुरे समाचार आ रहे थे। लेकिन फॅन्ज वहाँ नहीं रुका। वह तेजी से चलता रहा। जब वह अपने स्कूल में पहुँचा तो उसका साँस फूला हुआ था।)

Question 2.
What was the order from Berlin? What was its effect on M. Hamel, Franz and the people of Alsace? (बर्लिन से आया हुआ आदेश क्या था ? इसका एम० हैमेल, फॅन्ज और अल्सेस के लोगों पर क्या प्रभाव था ?) Or The order from Berlin aroused a particular zeal in the school. Comment.[H.B.S.E. 2018 (Set-D)] (बर्लिन से आए आदेश ने स्कूल में एक विशेष उत्तेजना जागृत कर दी। टिप्पणी करें।)
Answer:
For the last two years all bad news had come from Berlin. That day also there was shocking news. An order had come from Berlin. According to that order, German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine.

The order from Berlin shocked the people of Alsace. M. Hamel was a teacher in a school in Alsace. He was also heartbroken. That day he gave his last lesson in French to his students. From the next day, German would be taught. Apart from his students, people from the village also attended his school that day. This was a mark of honour for the teacher. M.Hamel broke the news to his students and the villagers. He to his last lesson. The new teacher would join the school the next day. The narrator, Franz, was shocked. The villagers were also sad.

Then M.Hamel praised the French language. He said that French was the most beautiful language in the world. It was the most logical language. He urged his students and the villagers to protect this language. Everyone listened to him with attention and respect. In the end, he got up. He took a piece of chalk and wrote on the blackboard, “Vive La France!” (Long Live France). Then without a word, he made a gesture to convey that the school was over and they could go.

(पिछले दो वर्षों से बर्लिन से सभी बुरे समाचार आ चुके थे। उस दिन भी एक सदमे वाला समाचार था। बर्लिन से एक आदेश आया था। उस आदेश के अनुसार, अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में जर्मन भाषा पढाई जाएगी। बर्लिन से आए आदेश ने अल्सेस के लोगों को सदमे में डाल दिया। एम० हैमेल अल्सेस के एक स्कूल में शिक्षक था। उसका भी दिल टूटा हुआ था। उस दिन उसने अपने विद्यार्थियों को फ्रैंच भाषा का अपना अंतिम पाठ पढ़ाया। अगले दिन से, जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। उस दिन विद्यार्थियों के साथ-साथ गाँव के अन्य लोग भी स्कूल में उपस्थित हुए। यह शिक्षक के लिए एक सम्मान का प्रतीक था।

एम० हैमेल ने विद्यार्थियों और गाँव वालों को समाचार के बारे में बताया। उसने बताया कि यह उसका अंतिम पाठ था। नया शिक्षक अगले दिन स्कूल में आ जाएगा। वर्णनकर्ता फ्रेन्ज, सदमे में था। गाँव वाले भी उदास थे। तब एम० हैमेल ने फ्रैंच भाषा की प्रशंसा की। उसने कहा कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। यह सबसे अधिक तर्कपूर्ण भाषा है। उसने विद्यार्थियों और गाँव वालों को इस भाषा को संरक्षित रखने का आह्वान किया। हर किसी ने उसकी बात को सम्मानपूर्वक और पूरे ध्यान के साथ सुना। अंत में वह खड़ा हो गया। उसने चॉक का एक टुकड़ा उठाया और ब्लैकबोर्ड पर लिख दिया, “फ्रांस अमर रहे!” तब एक भी शब्द बोले बिना उसने इशारा कर दिया कि स्कूल की छुट्टी हो गई है और वे जा सकते थे।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Question 3.
Write a brief character-sketch of M. Hamel, the narrator’s teacher. Or (वर्णनकर्ता के अध्यापक एम० हैमेल का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण करो।) How do you estimate M. Hamel as a man with aruler and as a man with agesture? [2019 (Set-A)] (आप कैसे अनुमान लगा सकते हैं कि एम० हैमेल एक कठोर और शान्ति से अपने मन के भाव प्रकट करने वाला व्यक्ति था?)
Answer:
M.Hamel is the central character in the story ‘The Last Lesson. He is a teacher of French in a school of Alsace. He is the narrator’s teacher. Like the other teachers of that time, he was also strict. The students of his school were afraid of him. The narrator, Franz, was in great dread of him. He feared that he would be rebuked by his teacher because he had not prepared his lesson. M. Hamel always maintained strict discipline in the class.

However, the writer presents the other side of his character also. When the order from Berlin comes, we find that M.Hamel is very patriotic. He was very sentimental. He did not rebuke the narrator when he came late. He did not lose his temper even when Franz did not recite his lesson properly. He urged upon the students and the villagers to protect the French language. He said that it was not proper for them to neglect their own language.

In the end, he got up. He wanted to say something but his sentiments choked his voice. He took a piece of chalk and wrote on the blackboard in big letters, “Vive La France!’ (Long Live France). Then without speaking, he made a gesture to indicate that the school was over and they could go. Thus we find that he was a man with a ruler and a man with a gesture.

(एम० हैमेल इस कहानी ‘अंतिम सबक’ का केंद्रीय पात्र है। वह अल्सेस के एक स्कूल में फ्रैंच भाषा का एक शिक्षक है। वह वर्णनकर्ता का शिक्षक है। उस समय के अन्य शिक्षकों की तरह, वह भी कठोर था। उसके स्कूल के विद्यार्थी उससे डरते थे। वर्णनकर्ता, फ्रन्ज भी उससे बहुत अधिक डरता था। उसे डर था कि उसे उसके अध्यापक से डॉट पड़ेगी क्योंकि उसने अपना पाठ याद नहीं किया था। एम० हैमेल कक्षा में हमेशा कठोर अनुशासन रखता था।

यद्यपि, लेखक उसके चरित्र का दूसरा पहलू भी प्रस्तुत करता है। जब बर्लिन से आदेश आता है तो हम देखते हैं कि एम० हैमेल बहुत ही देशभक्त है। वह बहुत भावुक हो गया था। वह वर्णनकर्ता को देर से आने की वजह से नहीं डाँटता है। उसे उस समय भी क्रोध नहीं आता है जब फ्रेन्ज अपना पाठ सही ढंग से नहीं सुनाता है। वह विद्यार्थियों और गाँव वालों से फ्रैंच भाषा को संरक्षित रखने का आह्वान करता है। उसने कहा कि अपनी भाषा की अवहेलना करना उनके लिए सही बात नहीं है।

अंत में, वह उठ खड़ा हुआ। वह कुछ कहना चाहता था लेकिन उसकी भावनाओं से उसका गला सँध गया। उसने चॉक का एक टुकड़ा उठाया और ब्लैक-बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिख दिया “फ्रांस अमर रहे।” तब बिना बोले उसने इशारा करके कहा कि स्कूल की छुट्टी हो गई है और वे जा सकते थे। अतः हम देखते हैं कि एम० हैमेल एक कठोर और शान्ति से अपने मन के भाव को प्रकट करने वाला व्यक्ति था।)

Question 4.
Write a brief character-sketch of Franz, the narrator of the story. [H.B.S.E. 2019 (Set-C)] (कहानी के वर्णनकर्ता, फ्रन्ज का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण करो।) What impression do you form about Franz after reading this story? (कहानी पढ़ने के बाद फ्रेन्ज के बारे में आपका क्या विचार बनता है ?)
Answer:
Franz is the narrator of this story. He is a student in a school of Alsace. M. Hamel was his school teacher. He is an ordinary student and has such feelings about the school and his teacher as such students have. He is not brilliant at studies. So he dreads his teacher. When the story starts, he is going to school. He is in great dread of his teacher because he is late for school. Moreover, he has not prepared his lesson on participles.

He fears that his teacher, M.Hamel would rebuke him. For a moment he thinks of running away from the school. He thinks that there are many things which are more attractive than his teacher’s lecture. He likes the chirping of birds in the woods. He likes to watch the Prussian soldiers drilling. However, he resists the temptation and attends the school.

However, there is a change in Franz’s opinion about his teacher. That day M. Hamel says that it is his last French lesson. The new teacher is coming the next day. Now only German would be taught in the schools. Like others, Franz is also shocked to hear this news. When he hears the cooing of pigeons, he remarks, “Will they make them sing in German, even the pigeons?” Now Franz begins to respect his teacher. He thinks that M. Hamel is a dedicated teacher.

He has been in the school for the last forty years. He feels sorry for having neglected the study of French. He agrees with his teacher that French is the most beautiful language in the world. When M. Hamel reads out the lesson to the class, he finds that he understands it all. He listens to his teacher’s last lesson with rapt attention and respect.
(फ्रेन्ज इस कहानी का वर्णनकर्ता है। वह अल्सेस के एक स्कूल का विद्यार्थी है। एम० हैमेल उसके स्कूल का एक शिक्षक था। वह एक आम विद्यार्थी है और उसके भी अपने स्कूल और शिक्षक के बारे में वैसे ही विचार हैं जैसे कि उस जैसे अन्य बच्चों के होते हैं। वह पढ़ाई में होशियार नहीं है। इसलिए वह अपने शिक्षक से डरता है। जब कहानी शुरू होती है तो वह स्कूल जा रहा है। उसे अपने शिक्षक से बहुत अधिक डर रहा है क्योंकि उसे स्कूल के लिए देर हो गई है।

इससे भी बड़ी बात, उसने क्रिया-विशेषण वाला अपना पाठ तैयार नहीं किया था। वह डर रहा है कि उसका शिक्षक एम० हैमेल उसे डाँटेगा। एक पल के लिए तो वह स्कूल से भाग जाने के बारे में भी सोचता है। वह सोचता है कि उसके शिक्षक के भाषण से भी अधिक आकर्षित करने वाली बहुत-सी चीजें थीं। उसे जंगल में पक्षियों के चहकने की आवाज़ पसंद है। वह पर्शिया के सिपाहियों द्वारा की जा रही खुदाई को पसंद करता है। फिर भी वह इन प्रलोभनों को रोक कर स्कूल में उपस्थित होता है।

यद्यपि, फॅन्ज के अपने शिक्षक के प्रति विचार में एक परिवर्तन आ जाता है। उस दिन शिक्षक एम० हैमेल कहता है कि यह उसका फ्रैंच भाषा का अंतिम पाठ है। अगले दिन नया शिक्षक आ रहा है। अब स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। अन्य सभी की तरह फ्रेन्ज भी इस खबर को सुनकर सदमे में आ गया। जब वह कबूतरों की गुटर-गूं सुनता है तो वह कहता है “क्या वे कबूतरों को भी जर्मन भाषा में गुटर-गू करने को बाध्य कर देंगे?” अब फ्रेन्ज अपने शिक्षक का सम्मान करना शुरू कर देता है। वह सोचता है कि एम० हैमेल एक समर्पित शिक्षक है।

वह पिछले चालीस वर्षों से उस स्कूल में है। उसे फ्रैंच भाषा के अध्ययन की अवहेलना करने के बारे में अफसोस हो रहा है। वह अपने शिक्षक की इस बात से सहमत होता है कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। जब एम० हैमेल कक्षा के सामने पाठ पढ़ता है तो वह पाता है कि उसे सारा पाठ समझ आ गया है। वह अपने शिक्षक के अंतिम पाठ को पूरे ध्यान और सम्मान के साथ सुनता है।)

Question 5.
How did M.Hamel bid farewell to his students and the people of the village? (एम० हैमेल ने अपने छात्रों और गाँव के लोगों को अलविदा किस प्रकार कहा ?) Or Describe the feelings, emotions and behaviour of Mr. Hamel on the day of the last lesson. (अंतिम पाठ के दिन एम० हेमेल की भावनाओं और व्यवहार का वर्णन करें।)
Answer:
M.Hamel told his students and the villagers that it was his last French lesson. An order had come from Germany. According to the order, only German would be taught in the schools of Alsace and Lorraine. The new teacher was coming the next day. In his last lesson, M.Hamel became very sentimental. He said that the French language was the most beautiful language in the world. It was the most logical language. He urged the students and the villagers to protect their beautiful language. He said that our language can be the key to our happiness and freedom.

Then he asked Franz to recite his lesson. He got up but could not recite it. However, M. Hamel did not rebuke him for neglecting the learning of French. He blamed the parents for not showing due attention and care to the learning of French. Most of the people of Alsace could neither speak nor write their own language. The parents were not anxious to have their children learn it. They preferred to put them to work to earn a little more money. M.Hamel blamed himself also.

He had often sent his students to water his flowers instead of learning their lessons. And he gave them a holiday because he wanted to go on fishing Just then the church clock struck twelve. The trumpets of the Prussian soldiers sounded under the to close to school.

M. Hamel stood up. He looked very pale. He tried to speak, but could not. His emotions choked his speech. Then he turned to the blackboard and took a piece of chalk. He wrote in big letters, “Vive La France!” (Long Live France). Then, without a word, he made a gesture to those in the classroom with hand, “School is dismissed – you may go.”

(एम० हैमेल ने अपने विद्यार्थियों और गाँव वालों को बताया कि यह उसका फ्रेंच भाषा का अंतिम पाठ था। जर्मनी से एक आदेश आया था। उस आदेश के अनुसार, अल्सेस और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा ही पढ़ाई जाएगी। नया शिक्षक अगले दिन आ रहा था। अपने अंतिम सबक में, एम० हैमेल अति भावुक हो गया। उसने कहा कि फ्रैंच भाषा दुनिया की सबसे अधिक सुन्दर भाषा है। यह सबसे अधिक तर्कपूर्ण भाषा है। उसने विद्यार्थियों और ग्रामीणों से अपनी सुन्दर भाषा की रक्षा करने का आह्वान किया।

उसने कहा कि उनकी भाषा ही उनकी प्रसन्नता और आज़ादी की एक कुँजी हो सकती है। तब उसने फ्रेन्ज से अपना पाठ सुनाने को कहा। वह खड़ा तो हो गया लेकिन पाठ नहीं सुना सका। यद्यपि, एम० हैमेल ने उसे फ्रैंच भाषा की अवहेलना करने के लिए नहीं डाँटा। उसने फ्रैंच भाषा को सीखने के लिए पूरा ध्यान न देने और परवाह न करने के बारे में अभिभावकों को दोषी ठहराया। अल्सेस के अधिकतर लोग न तो अपनी भाषा बोल सकते थे और न ही पढ़ सकते थे।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

माता-पिता अपने बच्चों के फ्रैंच भाषा को सीखने के बारे में चिन्तित नहीं थे। वे तो अपने बच्चों से धन कमाने के लिए उन्हें काम पर लगाने को प्राथमिकता देते थे। एम० हैमेल ने स्वयं को भी दोष दिया। वह भी आमतौर पर अपने विद्यार्थियों को पाठ याद करने के स्थान पर अपने फूलों को पानी देने के लिए भेज दिया करता था और वह उन्हें छुट्टी दे दिया करता था क्योंकि वह मछली पकड़ने के लिए जाना चाहता था।

तभी गिरजाघर की घड़ी में बारह बजे का घंटा बजा। खिड़की के बाहर से जर्मन सैनिकों के आने का बिगुल सुनाई दिया। स्कूल की छुट्टी का समय हो गया था। एम० हैमेल खड़ा हो गया। वह बिल्कुल पीला नज़र आ रहा था। उसने बोलने का प्रयास किया लेकिन बोल नहीं सका। उसकी भावनाओं से उसका भाषण रुक गया। तब वह ब्लैक-बोर्ड की ओर मुड़ा और उसने चॉक का एक टुकड़ा लिया। उसने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा “फ्रांस अमर रहे’। तब उसने कक्षा में उपस्थित सभी को हाथ से इशारा करके कहा “स्कूल की छुट्टी हो गई है-आप जा सकते हो ।”

The Last Lesson MCQ Questions with Answers

Multiple Choice Questions

1. Who is the writer of the story ‘The Last Lesson’?
(A) Gandhi
(B) Wordsworth
(C) R.K.Narayan
(D) Alphonse Daudet
Answer:
(D) Alphonse Daudet

2. Who is the narrator of the story ‘The Last Lesson’?
(A) the author
(B) a boy named Franz
(C) Anand Saraswati
(D) Robert Frost
Answer:
(B) a boy named Franz

3. Who was M. Hamel?
(A) a patriotic teacher
(B) a leader
(C) a student
(D) a doctor
Answer:
(A) a patriotic teacher

4. What did Franz fear as he hurried to his school?
(A) he would not see the teacher in the school
(B) his friends would laugh at him
(C) he would be rebuked for coming late
(D) the teacher would laugh at him
Answer:
(C) he would be rebuked for coming late

5. What thought came to Franz’s mind for a second?
(A) to run away
(B) to attend the school
(C) to eat sweets
(D) to meet his friends
Answer:
(A) to run away

6. What did Franz see in front of the bulletin board?
(A) hawkers
(B) a big crowd
(C) writers
(D) players
Answer:
(B) a big crowd

7. Why was Franz surprised when he reached the school?
(A) it was a holiday
(B) the school was closed
(C) there was a function in the school
(D) there was perfect calm in the school
Answer:
(D) there was perfect calm in the school

8. What happened when Franz reached his school late?
(A) the teacher rebuked him
(B) the teacher expelled him
(C) the teacher did not say anything
(D) the teacher laughed at him
Answer:
(C) the teacher did not say anything

9. Who were sitting at the back benches of the class?
(A) film heroines
(B) some people from the town
(C) beautiful girls
(D) cricket players
Answer:
(B) some people from the town

10. What did M. Hamel say about his lesson?
(A) it was his last lesson in French
(B) it was his first lesson
(C) he would deliver a long lesson
(D) he would not deliver any lesson that day
Answer:
(A) it was his last lesson in French

11. What order had come from Berlin?
(A) M. Hamel would be transferred
(B) the school would be closed
(C) only German would be taught in schools of Alsace and Lorraine
(D) only English would be taught
Answer:
(C) only German would be taught in schools of Alsace and Lorraine

12. When would the next teacher come, according to M. Hamel?
(A) after two months
(B) next month
(C) next week
(D) next day
Answer:
(D) next day

13. What did Franz feel sorry for?
(A) coming to the class
(B) listening to M. Hamel
(C) not learning his lessons in French
(D) eating too many sweets
Answer:
(C) not learning his lessons in French

14. How long had M. Hamel served the school?
(A) ten years
(B) twenty years
(C) thirty years
(D) forty years
Answer:
(D) forty years

15. What did M. Hamel do when Franz could not tell the rules of participles?
(A) he beat Franz
(B) he did not beat him
(C) he asked to stand on the desk
(D) he expelled Franz
Answer:
(B) he did not beat him

16. What did M. Hamel say about the French language?
(A) it was the most beautiful language
(B) it was very difficult in the world
(C) it was very bad
(D) it should not be learnt
Answer:
(A) it was the most beautiful language in the world

17. What did Hamel ask the people of the town to do?
(A) not to study their language
(B) to stick to their language and protect it
(C) criticize their own language
(D) study only the foreign languages
Answer:
(B) to stick to their language and protect it

18. According to M. Hamel, what happens if those who are enslaved stick to their language?
(A) they will suffer
(B) they will regret
(C) they will fall ill
(D) they are sure to win freedom in the long run
Answer:
(D) they are sure to win freedom in the long run

19. What happened when the church clock struck twelve?
(A) the school was closed
(B) the Prussian soldiers sounded their trumpets
(C) M. Hamel walked out
(D) the soldiers came in
Answer:
(B) the Prussian soldiers sounded their trumpets

20. What did M. Hamel write on the blackboard?
(A) long live France
(B) long live Prussia
(C) long live Germany
(D) long live India
Answer:
(A) long live France

The Last Lesson Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Passage 1.
I started for school very late that morning and was in great dread of a scolding, especially because M. Hamel had said that he would question us on participles, and I did not know the first word about them. For a moment I thought of running away and spending the day out of doors. It was so warm, so bright! The birds were chirping at the edge of the woods; and in the open field back of the sawmill, the Prussian soldiers were drilling. It was all much more tempting than the rule for participles, but I had the strength to resist and hurried off to school.

Word-meanings : Scolding = rebuking (डाँटना)  drilling = parading (परेड करना); tempting = attractive (आकर्षित करना) [H.B.S.E. March 2019 (Set-A)]

Questions :
(1) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘l’ refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

(iii) M. Hamel was going to ask the questions on :
(A) gerunds
(B) infinitives
(C) participles
(D) tenses
Answer:
(C) participles

(iv) What was the narrator full of?
(A) fear
(B) pain
(C) happiness
(D) all of the above
Answer:
(A) fear

(v) Who was M. Hamel?
(A) the narrator’s neighbour
(B) the narrator’s father
(C) the narrator’s teacher
(D) the narrator’s friend
Answer:
(C) the narrator’s teacher

Passage 2
When I passed the town hall there was a crowd in front of the bulletin board. For the last two years, all our bad news had come from there the lost battles, the draft, the orders of the commanding officer and I thought to myself, without stopping, “What can be the matter now?”

Then, as I hurried by as fast as I could go, the blacksmith, Wachter, who was there, with his apprentice, reading the bulletin, called after me, “Don’t go so fast, bub; you’ll get to your school in plenty of time!” I thought he was making fun of me and reached M. Hamel’s little garden all out of breath. [2020 Set-A]
Word-meanings :
Apprentice = assistant (सहायक)
blacksmith = Ironsmith (Lohar) (लोहार)

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘l’refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

(iii) Who was Wachter ?
(A) A blacksmith
(B) A carpenter
(C) A teacher
(D) An apprentice
Answer:
(A) A blacksmith

(iv) Which news does the narrator consider bad?
(A) the lost battles
(B) the draft
(C) the orders of the commanding officer
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

(v) What did the narrator think of the blacksmith?
(A) he was making fun of him
(B) he was making a fool of him.
(C) he was taking a revenge on him
(D) all of the above
Answer:
(A) he was making fun of him

Passage 3

My last French lesson! Why I hardly knew how to write! I should never learn anymore! I must stop there, then! Oh, how sorry I was for not learning my lessons, for seeking birds’ eggs, or going sliding on the Saar! My books, that had seemed such a nuisance a while ago, so heavy to carry, my grammar, and my history of the saints, were old friends now that I couldn’t give up. And M. Hamel, too; the idea that he was going away, that I should never see him again, made me forget all about his ruler and how cranky he was. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]

Word-meanings :
Nuisance = something annoying (परेशानीपूर्ण वस्तु)
cranky = whimsical (सनकी)

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘I refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

(iii) Which language did the narrator hardly know to write?
(A) English
(B) French
(C) Both (A) and (B)
(D) neither (A) or (B)
Answer:
(B) French

(iv) Which language is the narrator talking about?
(A) English
(B) Hindi
(C) French
(D) German
Answer:
(C) French

(v) What was the narrator sorry for?
(A) for not learning his lessons in French
(B) for disobeying M. Hamel
(C) for spending his fee money
(D) all of the above
Answer:
(A) for not learning his lessons in French.

Passage 4

I heard M. Hamel say to me, “I won’t scold you, little Franz; you must feel bad enough. See how it is! Every day we have said to ourselves, ‘Bah! I’ve plenty of time. I’ll learn it tomorrow.’And now you see where we’ve come out. Ah, that’s the great trouble with Alsace; she puts off learning till tomorrow. Now those fellows out there will have the right to say to you, ‘How is it; you pretend to be Frenchmen, and yet you can neither speak nor write your own language?’ But you are not the worst, poor little Franz. We’ve all a great deal to reproach ourselves with.”
(H.B.S.E. March. 2019 (Set-C)]
Word-meanings :
Pretend = show off (दिखावा करना)
reproach = scold (डाँटना)|

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(A) The Last Lesson

(ii) Who does ‘I’ refer to in these lines?
(A) M. Hamel
(B) Franz
(C) Alphonse Daudet
(D) none of the above
Answer:
(B) Franz

(iii) Who would not scold Franz?
(A) his father
(B) his mother
(C) M. Hamel
(D) none of the above
Answer:
(C) M. Hamel

(iv) What is the trouble with Alsace?
(A) she is putting off learning till tomorrow
(B) she is leaving the city till tomorrow
(C) she is coming back till tomorrow
(D) none of the above
Answer:
(A) she is putting off learning till tomorrow

(v) According to M. Hamel what language could they speak or write?
(A) English
(B) German
(C) French
(D) Hindi
Answer:
(C) French

Type (ii)
Passage 5

Usually, when school began, there was a great bustle, which could be heard out in the street, the opening and closing of desks, lessons repeated in unison, very loud, with our hands over our ears to understand better and the teacher’s great ruler rapping on the table. But now it was all so still! I had counted on the commotion to get to my desk without being seen; but, of course, that day everything had to be as quiet as Sunday morning.

Through the window, I saw my classmates, already in their places, and M. Hamel walking up and down with his terrible iron ruler under his arm. I had to open the door and go in before everybody. You can imagine how I blushed and how frightened I was. But nothing happened. M. Hamel saw me and said very kindly, “Go to your place quickly, little Franz. We were beginning without you.”

Word-meanings :
Bustle = noise (शोर);
in unison = together (साथ-साथ);
commotion = confusion (शोर-शराबा)|

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) Who is “I” referred to in these lines?
(ii) What was the scene when the school began?
(iv) Who was walking up and down with his terrible iron ruler under his arm?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) noise (b) confusion
Answers :
(i) Chapter: The Last Lesson.
Author : Alphonse Daudet.

(ii) In these lines ‘l’ is referred to the narrator Franz.

(iii) Usually there was a great bustle when the school began.

(iv) The French teacher M. Hamel was walking up and down with his terrible iron ruler under his arm.

(v) (a) bustle (b) commotion.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

Passage 6

Then, from one thing to another, M. Hamel went on to talk of the French language, saying that it was the most beautiful language in the world – the clearest, the most logical; that we must guard it among us and never forget it, because when a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison. Then he opened a grammar and read us our lesson.

I was amazed to see how well I understood it. All he said seemed so easy, so easy! I think, too, that I had never listened so carefully, and that he had never explained everything with so much patience. It seemed almost as if the poor man wanted to give us all he knew before going away, and to put it all into our heads at one stroke.

Word-meanings :
Enslaved = become slaves (गुलाम बनाना);
amazed = surprised (हैरान)|

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) Who is ‘T’ in these lines?
(iii) What was the most beautiful language in the world?
(iv) When do the enslaved people have the key to their prison?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) become slaves,
(b) surprised.
Answers :
(i) Chapter: The Last Lesson.
Author : Alphonse Daudet.

(ii) In these lines is referred to the narrator Franz.

(iii) French was the most beautiful language in the world.

(iv) The enslaved people have the key to their prison when they hold fast to their language.

(v) (a) enslaved, (b) amazed.

Passage 7

While I was wondering about it all, M. Hamel mounted his chair, and in the same grave and gentle tone which he had used to me, said, “My children, this is the last lesson I shall give you. The order has come from Berlin to teach only German in the schools of Alsace and Lorraine. The new master comes tomorrow. This is your last French lesson. I want you to be very attentive.” [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]

Word-meanings :
Mounted = occupied (ग्रहण की);
attentive = full of concentration (ध्यानपूर्वक)|

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) How did the teacher speak to the students?
(iv) When was the new master coming?
(v) What did the teacher want the students to do?
Answers :
(i) The Last Lesson
(ii) Alphronse Daudet
(iii) The teacher spoke to the students in a grave and gentle tone.
(iv) The new master was coming the next day.
(v) The teacher wanted the students to be very attentive.

Passage 8

Poor man! It was in honour of this last lesson that he had put on his fine Sunday clothes, and now I understood why the old men of the village were sitting there in the back of the room. It was because they were sorry, too, that they had not gone to school more. It was their way of thanking our master for his forty years of faithful service and of showing their respect for the country that was theirs no more. [(H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]

Word-meanings :
Honour = respect (सम्मान);
faithful = sincere (वफादार)|

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What were the old men of the village sorry about?
(iv) Why was ‘their country theirs no more?
(v) Why was the man in fine Sunday clothes?
Answers :
(i) The Last Lesson
(ii) Alphonse Daudet
(iii) The old men of the village were sorry that they had not gone to school more.
(iv) It was so because the Germans were coming to rule them.
(v) The man was in fine Sunday clothes because it was his last lesson.

The Last Lesson Summary in English and Hindi

The Last Lesson Introduction to the Chapter

Alphonse Daudet was a French writer. His father, Vincent Daudet, was a silk manufacturer, who faced misfortune and failure in life. Daudet was a great writer. He published his first novel at the age of fourteen. He was a patriot. He was pained at France’s defeat in the war against Prussia. As a result of the defeat, two districts of France, Alsace, and Lorraine passed into Prussia’s hands.

Now German language was imposed on these two districts under their control. This story centers around M. Hamel, a dedicated and patriotic teacher. He had taught French for forty years. But now German language had been imposed on the people of that area. The new teacher was coming the next day. This was M. Hamel’s last lesson. In his lesson, he gave the message of patriotism to his students and countrymen. He urged them to protect their language. He said that their language was the key to their freedom from the foreign rule.

(Alphonse Daudet एक फ्रांसीसी लेखक थे। उनके पिता, Vincent Daudet एक रेशम निर्माता थे जिन्होंने जीवन में दुर्भाग्य और असफलता का सामना किया। Daudet एक महान लेखक थे। उन्होंने अपना पहला उपन्यास चौदह वर्ष की आयु में प्रकाशित किया। वे एक देशभक्त थे। प्रशिया के खिलाफ युद्ध में फ्रांस की पराजय से उन्हें पीड़ा पहुँची। पराजय के परिणामस्वरूप, फ्रांस के दो जिले अल्सेस और लॉरेन प्रशिया के कब्जे में आ गए।

अब उनके नियंत्रण में इन दो जिलों पर जर्मनी भाषा थोपी गई। यह कहानी एम० हैमेल नाम के एक समर्पित और देशभक्त अध्यापक के इर्द-गिर्द केंद्रित है। उन्होंने चालीस साल तक फ्रांसीसी भाषा पढ़ाई थी। लेकिन अब उस क्षेत्र के लोगों पर जर्मन भाषा थोपी जा रही थी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था। यह एम० हैमेल का अंतिम सबक था। अपने सबक में उसने अपने विद्यार्थियों और देशवासियों को देशभक्ति का संदेश दिया। उसने उन्हें अपनी भाषा की रक्षा करने को प्रेरित किया। उसने कहा कि उनकी भाषा विदेशी शासन से मुक्ति पाने की कुंजी है।)

उन्होंने चालीस साल तक फ्रांसीसी भाषा पढ़ाई थी। लेकिन अब उस क्षेत्र के लोगों पर जर्मन भाषा थोपी जा रही थी। नया अध्यापक अगले दिन आ रहा था। यह एम० हैमेल का अंतिम सबक था। अपने सबक में उसने अपने विद्यार्थियों और देशवासियों को देशभक्ति का संदेश दिया। उसने उन्हें अपनी भाषा की रक्षा करने को प्रेरित किया। उसने कहा कि उनकी भाषा विदेशी शासन से मुक्ति पाने की कुंजी है।)

The Last Lesson Summary
A boy named Franz is the narrator of this story. He was a student of M. Hamel’s school. One day, he was late for school. So, he was hurrying to school. He feared that he would be rebuked for coming late. Secondly, M. Hamel had said that he would question the students on the participles. Franz had not learnt them. For a moment he thought of running away and spending the day in the countryside. But then he decided to attend the school and hurried on.

On his way to school, Franz passed the town hail. He saw a big crowd in front of the bulletin board. For the past two year, all the bad news had appeared on the bulletin board. The people of that area got the news of the lost battles and other important happenings only from there.

Franz was afraid of being rebuked. He wanted to enter the school unnoticed. He hoped that in the noise confusion of the school, he would be able to get to his desk without being seen. But when he reached the school, he was surprised to find that there was a perfect calm. The other students were sitting in their places. M. Hamel was there with his rod. He saw Franz but did not rebuke him. He asked him very kindly to take his seat. To Franz, the whole school seemed very strange and silent.

But he was most surprised to find that some people from the village were sitting at the back benches of the class. M. Hamel was wearing his best clothes. Everyone was quiet and solemn. Then, M. Hamel sat in his chair. He spoke in a grave and gentle tone. He announced that it was their last lesson in French. He said that an order had come from Berlin, only German would be taught in schools of Alsace and L.orraine. The new teacher would come the next day.

Franz became very attentive. He felt sorry for not learning his lessons in French. He had never liked his books. But now he no longer hated his books. He even started liking M. Hamel in spite of his harshness. Ile realized that M. Hamel was a dedicated teacher. He had served the school for forty years. The old people of the village had come to attend the last lecture as a mark of respect to the teacher. Now it was Franz’s turn to tell the rules of participles. He got up but he became confused and remained silent. However, M. Hamel did not rebuke him.

Then Hamel said that it was not Franz to blame. The people of Alsace generally put off learning their
own native language. He said that French language was the most beautiful language in the world. It was the
clearest and the most logical language. Hamel asked them to stick to their language and protect it too. If those
who are enslaved stick to their language, they are sure to win freedom in the long run.

Then Hamel taught grammar and the lesson of the day as usual. Franz felt that for the first time, he could
understand everything the teacher explained. After the grammar, Hamel gave the students new copies. Everyone set to writing.

Suddenly the church clock struck twelve. The Prussian soldiers sounded their trumpets. Harnel stood up very pale. He tried to speak, but something choked him. He couldn’t speak. He took a piece of chalk and wrote on the blackboard in very large letters, “Vive La France!” (Long Live France). Then with the gesture of his hand, he indicated that the school was over.

(फ्रेन्ज नाम का एक लड़का इस कहानी का वर्णनकर्ता है। वह एम० हैमेल के स्कूल का एक विद्यार्थी था। एक दिन उसे स्कूल के लिए देर हो गई। इसलिए वह जल्दी से स्कूल जा रहा था। उसे डर था कि देरी से आने के कारण उसे डॉट पड़ेगी। दूसरे, एम० हैमेल ने कह रखा था कि वे कृदंत (क्रिया-विशेषण के गुणों वाली Verb) पर प्रश्न पूड़ेंगे। फ्रेन्ज ने उन्हें याद नहीं किया था। एक पल के लिए तो उसने वहाँ से भाग जाने और सारा दिन देहात में कहीं पर बिताने के बारे में सोचा। लेकिन तब उसने स्कूल में उपस्थित होने का निर्णय लिया और वह तेजी से आगे बढ़ा।

स्कूल जाते समय वह टाउन हॉल के पास से गुजरा। उसने समाचार-पट्ट के सामने एक बड़ी भीड़ देखी। पिछले दो साल से सारी बुरी खबरें समाचार-पट्ट पर प्रदर्शित की गई थीं। उस क्षेत्र के लोगों को हारी हुई लड़ाइयों तथा अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में केवल वहीं से ही पता चलता था। फ्रेन्ज डॉट जाने से डरा हुआ था। वह चुपचाप तरीके से स्कूल में दाखिल होना चाहता था। उसे उम्मीद थी कि स्कूल के शोर-शराबे में, वह बिना नज़र पड़े अपने डेस्क पर पहुँच सकता था। लेकिन जब वह स्कूल पहुंचा, तो वह चारों ओर पूर्ण शांति पाकर हैरान हुआ। अन्य विद्यार्थी अपने-अपने स्थान पर बैठे थे। एम० हैमेल अपनी छड़ी के साथ वहाँ था। उसने फ्रेन्ज को देखा लेकिन उसे डाँटा नहीं। उसने उसे बड़ी दयालुतापूर्वक कहा कि वह अपनी सीट पर बैठ जाए।

फैन्ज को सारा स्कूल बड़ा विचित्र और शांत प्रतीत हो रहा था। लेकिन वह यह देखकर बहुत हैरान हुआ कि कक्षा के पिछले बेंचों पर गाँव से आए हुए कुछ लोग बैठे थे। एम० हैमेल ने अपने सबसे बढ़िया कपड़े पहन रखे थे। हर कोई शांत और गंभीर था। तब एम० हेमेल अपनी कुर्सी पर बैठा। वह एक गंभीर और भद्र आवाज के साथ बोला। उसने घोषणा की कि फ्रांसीसी भाषा में यह उनका अंतिम सबक था। उसने कहा कि बलिन से एक आदेश आ गया है कि अल्सेस और लरिन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। अगले दिन नया अध्यापक आ जाएगा।

फ्रेन्ज अति गंभीर हो गया। उसे फ्रांसीसी भाषा में अपना सबक न सीख पाने के लिए खेद हुआ। उसने कभी भी अपनी पुस्तकों को पसंद नहीं किया था। लेकिन अब वह अपनी इन पुस्तकों से घृणा नहीं करता था। अब तो उसने एम० हैमेल की कठोरता के बावजूद उसे पसंद करना शुरू कर दिया था। उसने महसूस किया कि एम० हैमेल एक समर्पित अध्यापक था। उसने चालीस साल तक स्कूल की सेवा की थी। अध्यापक के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए गाँव के वृद्ध लोग उसका अंतिम भाषण सुनने आए थे। अब कृदंत के नियम बताने के लिए फ्रेन्ज की बारी थी।

वह उठ खड़ा हुआ लेकिन वह घबरा गया और चुप रहा। हालांकि, एम० हैमेल ने उसे डॉटा नहीं। तब हेमेल ने कहा कि इसमें फ्रेन्ज का कोई दोष नहीं है। अल्सेस के लोगों ने प्रायः अपनी मातृभाषा को सीखना बंद कर दिया है। उसने कहा कि फ्रांसीसी भाषा दुनिया की सबसे सुंदर भाषा है। यह सबसे अधिक स्पष्ट और तर्कपूर्ण भाषा है। हैमेल ने उन्हें अपनी भाषा के साथ जुड़े रहने और उसकी रक्षा करने के लिए भी कहा। यदि वे लोग, जो पराधीन हो चुके हैं, अपनी भाषा से चिपके रहें, तो दीर्घ अवधि में वे लोग निश्चित रूप से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त कर लेंगे।

तब हैमेल ने व्याकरण और हमेशा की तरह उस दिन का पाठ पढ़ाया। फ्रेन्ज को लगा कि पहली बार, जो कुछ भी अध्यापक ने समझाया वह सब कुछ उसकी समक्ष में आ गया था। व्याकरण के पश्चात् हैमेल ने विद्यार्थियों को नई कॉपियाँ दीं। प्रत्येक लिखने लग गया। अचानक ही गिरजाघर की घड़ी ने बारह बजा दिए। प्रशा के सिपाहियों ने अपने बिगुल बजा दिए। हैमेल पीला पड़ गया। उसने बोलने का प्रयास किया लेकिन किसी बात से उसका गला रुंध गया। वह बोल नहीं सका। उसने चाक का एक टुकड़ा उठाया और बड़े-बड़े अक्षरों में श्याम-पट्ट पर लिखा ‘फ्रांस अमर रहे’ । तब उसने अपने हाथ के इशारे से संकेत दिया कि स्कूल का समय पूरा हो गया था।)

The Last Lesson Word Meanings

[Page 2]:

Dread (fear)=भय, डर;
scolding (rebuking)=डाँटना;
participles (words combining the functions of adjectives and verbs)= वे शब्द जिनमें विशेषण एवं क्रिया के गुण हों;
out of doors (in the open) = खुले में;
chirping (twittering)=चहचहाना;
edge (boundary)=सीमा, किनारा;
woods (jungle)=जंगल;
sawmill (amill forsawing wood) =आरा मशीन;
Prussian (habitantofPrussia)-प्रशिया का वासी;
drilling (parading)=परेड करना;
tempting (enticing) = प्रलोभित करने वाला;
resist (control/oppose) = विरोध करना;
bulletin-board (notice board) = सूचना-पट्ट;
draft (conscription) = सेवा में भर्ती होने का फरमान।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

[Page 3] :

Blacksmith (ironsmith) = लोहार;
apprentice (learner/trainee)= सीखने वाला/सहायक;
bub (boy) = लड़का;
plenty (enough) = काफी;
making a fun (laughing at) = हँसना;
out of breath (gasping) = सांस फूलना;
bustle (noisy activity)=शोर-शराबा;
in unison (together)=साथ-साथ;
ruler (rod)=डण्डा;
rapping (thumping/beating) = धड़कना;
counted on (depended on) =निर्भर होना;
commotion (confusion)=शोर-शराबा;
classmates (classfellows) = सहपाठी;
terrible (dreadful) = भयानक;
frightened (scared)= भयभीत;
blushed (feel red in the face)= चेहरा लाल होना;
fright (fear) =भय;
happen (take place)=घटित होना;
kindly (politely)= विनम्रता से;
frilled (with ornamental edging) = झालर वाला।

[Page 4] :

Embroidered (ornamental with needle work)= कढ़ाई का काम;
except (apart from)=के अलावा;
strange (peculiar) = अजीब;
seemed (appeared)= प्रतीत हुआ;
solemn (serious) = गम्भीर;
thumbed (made dirty with thumbs) = अँगूठे से गन्दा होना;
former (previous) = पहले का;
primer (a small book for learners) = कायदा;
spectacles (glasses) = चश्मा;
mounted (occupied) = ग्रहण की;
grave (serious) = गम्भीर;
gentle (mild) = हल्का;
tone (manner of voice)= लहजा;
attentive (full of concentration) = ध्यानपूर्ण;
thunderclap (startling) हैरानी वाला;
wretches (unhappy persons)= दुःखी व्यक्ति;
seeking (trying to find out) = ढूँढना;
sliding (gliding)=खिसकना, तैरना;
nuisance (something annoying) = परेशानीपूर्ण वस्तु;
saints (sages)= संत;
a while ago (a little before) = कुछ समय पहले;
give up (sacrifice/leave) = त्याग देना;
cranky (whimsical) = सनकी।

[Page 5]:

Their way (theirstyle)= उनका स्टाइल;
faithful (sincere) =वफादार;
recite (toutter loudlyapiece of writing)= किसी लिखी चीज़ को जोर से बोलकर सुनाना;
mixed up (confused) विचलित हो गया;
beating (palpitating) = धड़कना;
daring (taking courage) = साहस करना;
scold (rebuke)= डाँटना;
put off (postpone) = स्थगित करना;
pretend (show off) = दिखावा करना;
reproach (scold) = डाँटना;
anxious (worried) = चिन्तित;
preferred (gave preference to)= प्राथमिकता देना;
blame (fault) = दोष।

[Page 7] :

Logical(according to reason)= तर्कसंगत;
guard (protect) = रक्षा करना;
enslaved (made slaves) = गुलाम बनाना;
hold fast to (stick firmly) = अपनाए रखना;
amazed (surprised) हैरान;
patience (being patient)= धैर्य;
atonestroke(allatonce)=एकदम;
floating (swimming) तैरना;
oughtto (should)=चाहिए;
scratching (sound produced byapen writing on paper)=कलम की कागज़ पर चलने की आवाज़;
beetles (flying insects)=भंवरा;
tracing (copying) = नकल करना;
fish-hooks (hooks for catching fish) = मछली पकड़ने का कांटा;
pigeon (a bird) = कबूतर;
cooed (sound made by pigeons) = कबूतर की आवाज़;
motionless (still) =शान्त;
gazing (looking intently) = ध्यान से देखना;
fix in his mind (imprinted)= अंकित करना;
fancy (imagine)= कल्पना करना।

[Page 8] :

Worn (rubbed) = घिसा हुआ;
walnuttree (hazel tree) = अखरोट;
hopvine (a kind of vine) = एक प्रकार की बेल;
twined (wound)=लिपटी हुई;
chanted (recited/sang)= उच्चारण करना, गाना;
trembled (shook)=हिलाया;
emotion (strong feelings)=भावनाएँ;
angelus (bell for prayer)=प्रार्थना की घण्टी;
funny(strange) अजीब;
trumpets (trumpets) = (बिगुल);
pale (wanting in colour) = (पीला पड़ा हुआ);
choked (blocked in the throat) = (गला रुँध जाना);
go on (continue) = जारी रखना;
vive La France (Long live France) = फ्रांस अमर रहे;
gesture (sign) = चिह्न:
dismissed (dispersed/closed)= विसर्जित करना।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

The Last Lesson Translation in Hindi

I started for school very late that morning and was in great dread of a scolding, especially because M. Hamel had said that he would question us on participles, and I did not know the first word about them. For a moment I thought of running away and spending the day out of doors. It was so warm, so bright! The birds were chirping at the edge of the woods, and in the open field back of the sawmill, the Prussian soldiers were drilling. It was all much more tempting than the rule for participles, but I had the strength to resist and hurried off to school.

When I passed the town hall there was a crowd in front of the bulletin board. For the last two years all our bad news had come from there – the lost battles, the draft, the orders of the commanding officer-and I thought to myself, without stopping, “What can be the matter now ?”

(उस सुबह मैं स्कूल के लिए बहुत देरी से चला था और मुझे डाँटे जाने का बड़ा डर लग रहा था, विशेष रूप से इसलिए कि एम० हैमेल ने कहा था कि वे हमसे पार्टीसिप्ल पर सवाल पूछेगे और मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता था। क्षण भर के लिए मैंने स्कूल से भागकर बाहर दिन बिताने के बारे में सोचा। कितना सुहावना और चमकीला दिन था! जंगल के बाहरी छोर पर पक्षी चहचहा रहे थे और आरा-मिल के पीछे खुले मैदान में पर्सियन सैनिक परेड कर रहे थे। यह सब पार्टीसिप्ल के नियमों की अपेक्षा कहीं अधिक लुभावना था। परन्तु मुझमें स्वयं को रोकने की क्षमता थी और मैं जल्दी-जल्दी स्कूल की ओर चल पड़ा।

जब मैं टाउन हाल के पास से गुजरा, तब नोटिस-बोर्ड के सामने भीड़ लगी थी। पिछले दो वर्षों से सारी बुरी खबरें वहीं से आ रही थीं-युद्ध में पराजय, सेना में भर्ती होने के आदेश, कमांडिंग ऑफिसर की आज्ञाएँ और बिना रुके मैंने सोचा, “अब क्या बात हो सकती है?”)
Then, as I hurried by as fast as I could go, the blacksmith, Watcher, who was there, with his apprentice, reading the bulletin, called after me, “Don’t go so fast, bub; you’ll get to your school in plenty of time!” I thought he was making fun of me and reached M. Hamel’s little garden all out of breath.

(फिर जब मैं तेज़ी से जाता हुआ उस लोहार के पास से गुज़रा जो अपने चेले के साथ समाचार पढ़ रहा था, वह मेरे पीछे से बोला-“लड़के, इतने तेज़ मत जाओ, तुम स्कूल काफी वक्त से पहुँच जाओगे!” मुझे लगा कि वह मेरा मजाक उड़ा रहा था और हाँफता हुआ एम० हैमेल के पीछे बगीचे में पहुँचा।)

Usually, when school began, there was a great bustle, which could be heard out in the street, the opening and closing of desks, lessons repeated in unison, very loud, with our hands over our ears to understand better, and the teacher’s great ruler rapping on the table. But now it was all so still! I had counted on the commotion to get to my desk without being seen; but, of course, that day everything had to be as quiet as Sunday morning.

Through the window I saw my classmates, already in their places, and M. Hamel walking up and down with his terrible iron ruler under his arm. I had to open the door and go in before everybody. You can imagine how I blushed and how frightened I was But nothing happened. M. Hamel saw me and said very kindly, “Go to your place quickly, little Franz. We were beginning without you.”

(आमतौर पर जब स्कूल आरम्भ होता था तो बहुत शोर-शराबा होता था जो बाहर गली में भी सुनाई देता था; जैसे डेस्कों का खुलना और बन्द होना, बहुत जोर से एक साथ मिलकर पाठ को दोहराना, कुछ ज्यादा समझने के लिए हमारे हाथ हमारे कानों के ऊपर और अध्यापक का डण्डा मेज पर बजता हुआ। परन्तु आज सब कुछ शान्त था। मैं हमेशा बिना दिखे हुए अपने डेस्क पर पहुँचने के लिए शोर पर निर्भर रहता था।

परन्तु उस दिन सब कुछ रविवार की सुबह की तरह शान्त था। खिड़की से मैंने अपने सहपाठियों को देखा जो पहले ही आ चुके थे, और एम० हैमेल को तो भयानक लोहे का डण्डा लिए हुए कमरे में इधर-उधर घूमते हुए देखा। मुझे दरवाजा खोलकर सभी के सामने से अन्दर जाना पड़ा। आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं शर्म से कितना लाल था और कितना भयभीत था। परन्तु कुछ नहीं हुआ। एम० हैमेल ने मुझे देखा और दयालुता से कहा, “जल्दी से अपनी जगह पर जाओ, छोटे फ्रैंज। हम तुम्हारे बिना ही शुरू करने जा रहे थे।”)

I jumped over the bench and sat down at my desk. Not till then, when I had got a little over my fright, did I see that our teacher had on his beautiful green coat, his frilled shirt, and the little black silk cap, all embroidered, that he never wore except on inspection and prize days.

Besides, the whole school seemed so strange and solemn. But the thing that surprised me most was to see, on the back benches that were always empty, the village people sitting quietly like ourselves; old Hauser, with his three-cornered hat, the former mayor, the former postmaster, and several others besides. Everybody looked sad, and Hauser had brought an old primer, thumbed at the edges, and he held it open on his knees with his great spectacles lying across the pages.

(बैंच के ऊपर से कूदकर मैं अपनी डैस्क पर बैठ गया। जब तक अपने डर पर मैं कुछ काबू न कर पाया, मैंने यह नहीं देखा कि हमारे अध्यापक ने अपना सुन्दर हरा कोट, अपनी झालरदार कमीज और पूरी तरह कढ़ाई की हुई छोटी रेशमी टोपी पहन रखी थी जिसे वह केवल निरीक्षण और पुरस्कार के दिन के अलावा कभी नहीं पहनता था। इसके अतिरिक्त सारा स्कूल बहुत विचित्र और गम्भीर लग रहा था।

परन्तु जिस बात ने मुझे सबसे अधिक हैरान किया वह यह कि सदा खाली पड़ी रहने वाली पिछली बैंचों पर गाँव के लोग हमारी तरह शान्त बैठे थे। अपना तिकोना टोप पहने बूढ़ा हॉसर, भूतपूर्व मेयर, भूतपूर्व पोस्टमास्टर और इनके अतिरिक्त कई अन्य। हर व्यक्ति उदास लगता था और बूढ़ा हॉसर एक पुरानी प्राईमर लेकर आया था, उसके किनारे मुड़े हुए थे जिसे उसने अपने घुटनों पर खोलकर रखा था। उसका बड़ा चश्मा पृष्ठों के बीच में पड़ा था।)

While I was wondering about it all, M. Hamel mounted his chair, and, in the same grave and gentle tone which he had used to me, said, “My children, this is the last lesson I shall give you. The order has come from Berlin to teach only German in the schools of Alsace and Lorraine. The new master comes tomorrow. This is your last French lesson. I want you to be very attentive.” What a thunderclap these words were to me! Oh, the wretches; that was what they had put up at the town hall!

(जब मैं इस सबके बारे में हैरान हो रहा था तो एम० हैमेल अपनी कुर्सी पर बैठ गया और उसी गम्भीर और शान्त स्वर में जो उसने मुझसे बात करते हुए अपनाया था, बोला “मेरे बच्चो, यह मेरे द्वारा तुम्हें पढ़ाया जाने वाला अन्तिम पाठ होगा। बर्लिन से आदेश आया है कि अलसेस और लोरेन के स्कूलों में केवल जर्मन भाषा पढ़ाई जाएगी। नया अध्यापक कल आ रहा है। यह तुम्हारा फ्रांसीसी भाषा का अन्तिम पाठ है। मैं चाहता हूँ कि आप बहुत ध्यान दें।” कैसे चौंकाने वाले शब्द थे ये मेरे लिए! ओह, अभागे लोग, तो यही (वह आदेश) था जो उन्होंने टाउनहॉल (नोटिस बोर्ड पर) पर लगाया हुआ था!)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

My last French lesson! Why I hardly knew how to write! I should never learn anymore! I must stop there, then! Oh, how sorry I was for not learning my lessons, for seeking birds’ eggs, or going sliding on the Saar! My books, that had seemed such a nuisance a while ago, so heavy to carry, my grammar, and my history of the saints, were old friends now that I couldn’t give up. And M. Hamel, too; the idea that he was going away, that I should never see him again, made me forget all about his ruler and how cranky he was.

(मेरा अन्तिम फ्रेंच पाठ! क्यों, अभी तो मुझे पूरी तरह लिखना भी नहीं आया था! तो क्या मुझे और नहीं सीखना चाहिए! मुझे, तब वहीं रुक जाना चाहिए! ओह, मुझे मेरे पाठ न सीखने का कितना अफसोस था, पक्षियों के अण्डे ढूँढ़ने का, या सार पर फिसलते हुए जाने के लिए! मेरी किताबें, जो थोड़ी देर पहले मुझे एक समस्या लगती थीं, जो ले जाने में इतनी भारी थीं, मेरी व्याकरण और मेरा संतों का इतिहास, अब मेरे पुराने दोस्त बन गए थे जिनको मैं त्याग नहीं सकता था। और एम० हैमेल भी; इस विचार ने कि वह दूर जा रहा था, कि मैं उसे दुबारा नहीं देख पाऊँगा, मैं उसके डण्डे के बारे में भूल गया था और यह भूल गया था कि वह कितना सनकी था।)

Poor man! It was in honour of this last lesson that he had put on his fine Sunday clothes, and now I understood why the old men of the village were sitting there in the back of the room. It was because they were sorry, too, that they had not gone to school more. It was their way of thanking our master for his forty years of faithful service and of showing their respect for the country that was theirs no more.

(बेचारा! उसने इस अन्तिम पाठ के सम्मान में ये रविवार को पहनने वाले सुन्दर कपड़े पहन रखे थे, और अब मैं यह भी समझ गया कि गाँव के बूढ़े कमरे में पीछे क्यों बैठे थे। इसलिए क्योंकि उन्हें भी खेद था, कि वे स्कूल में और अधिक क्यों न गए थे। हमारे अध्यापक का उसकी चालीस वर्ष की ईमानदारी की सेवा का धन्यवाद करने और उस देश के प्रति, जो अब उनका न रहा था, सम्मान प्रकट करने का उनका यह तरीका था।)

While I was thinking of all this, I heard my name called. It was my turn to recite. What would I not have given to be able to say that dreadful rule for the participle all through, very loud and clear, and without one mistake? But I got mixed up on the first words and stood there, holding on to my desk, my heart beating, and not daring to look up.

(जब मैं इन सब बातों के बारे में सोच रहा था तो मैंने सुना कि मेरा नाम पुकारा गया। अब पाठ सुनाने की मेरी बारी थी। मैं पार्टीसिप्ल के उस भयानक नियम को सुनाने के योग्य होने के लिए और उस नियम को बिना गलती किए और ऊँचे एवं स्पष्ट शब्दों में सुनाने के काबिल होने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार था। मगर मैं तो पहले शब्द में ही अटक गया और अपने डेस्क को पकड़कर धड़कते दिल से खड़ा रहा और मुझमें सिर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं हुई।)

I heard M. Hamel say to me, “I won’t scold you, little Franz; you must feel bad enough. See how it is! Every day we have said to ourselves, ‘Bah! I’ve plenty of time. I’ll learn it tomorrow.’And now you see where we’ve come out. Ah, that’s the great trouble with Alsace; she puts off learning till tomorrow. Now those fellows out there will have the right to say to you, ‘How is it; you pretend to be Frenchmen, and yet you can neither speak nor write your own language ?’ But you are not the worst, poor little Franz. We’ve all a great deal to reproach ourselves with.”

(मैंने एम० हैमेल को मुझसे यह कहते हुए सुना, “मैं तुम्हें डाँटूगा नहीं, छोटे फ्रेंज; तुम काफी बुरा महसूस करते होगे। देखो यह कैसे होता है! प्रतिदिन हम कहते रहे अपने आपसे, ‘अरे! मेरे पास बहुत समय है। मैं इसे कल सीलूँगा।’ और अब देखो हम कहाँ तक पहुंचे हैं। आह, अलसेस के साथ यही तो समस्या है; यहाँ के लोग सीखने को कल पर टालते रहते हैं। अब उन लोगों के पास यह कहने का अधिकार होगा, ‘यह कैसे है, तुम फ्रांसीसी होने का दम भरते हो, और तुम अपनी ही भाषा को न तो बोल सकते हो न लिख सकते हो ?’ परन्तु तुम सबसे बुरे नहीं हो, छोटे फ्रैंज। हमारे पास स्वयं को दोष देने के लिए बहुत कुछ है।”)

“Your parents were not anxious enough to have you learn. They preferred to put you to work on a farm or at the mills, so as to have a little more money. And I ? I’ve been to blame also. Have I not often sent you to water my flowers instead of learning your lessons? And when I wanted to go fishing, did I not just give you a holiday ?”

(“तुम्हारे माता-पिता तुम्हें पढ़ाने को अधिक इच्छुक नहीं थे। वे तुम्हें किसी खेत या फैक्ट्री में काम पर लगाना चाहते थे ताकि थोड़ा धन और मिल जाए और मैं भी दोषी हूँ। क्या मैंने कई बार तुम्हें पाठ पढ़ाने की बजाए अपने फूलों को पानी देने के लिए नहीं भेजा था ? और जब मेरा मन मछलियाँ पकड़ने के लिए जाने को होता था, तब क्या मैं तुम्हें छुट्टी न दे देता था ?”)

Then, from one thing to another, M. Hamel went on to talk of the French language, saying that it was the most beautiful language in the world-the clearest, the most logical; that we must guard it among us and never forget it, because when a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison. Then he opened a grammar and read us our lesson.

I was amazed to see how well I understood it. All he said seemed so easy, so easy! I think, too, that I had never listened so carefully, and that he had never explained everything with so much patience. It seemed almost as if the poor man wanted to give us all he knew before going away, and to put it all into our heads at one stroke.

(फिर एक बात से दूसरी बात निकलती रही, एम० हैमेल फ्रेंच भाषा की बात करता रहा, उसने कहा कि यह संसार की सबसे सुन्दर भाषा है सबसे स्पष्ट और सबसे तर्कसंगत और हमें अपने मध्य इसकी रक्षा करनी चाहिए और हम कभी इसे न भूलें, क्योंकि जब किसी समाज को गुलाम बनाया जाता है, तो जब तक उस समाज के लोग अपनी भाषा को कसकर पकड़े रहें तब तक ऐसा है कि मानो उनके पास अपनी आज़ादी की चाबी है। फिर उसने व्याकरण खोली और हमें हमारा पाठ पढ़कर सुनाया। मैं यह देखकर हैरान था कि मैं उसको कितनी अच्छी तरह समझ रहा था। जो भी वह बोल रहा था कितना आसान लग रहा था, कितना आसान! मैं यह भी सोचता हूँ कि मैंने कभी इतने ध्यान से सुना नहीं था, और यह कि इतने धैर्य से उसने हर बात कभी समझाई नहीं थी। कुछ ऐसा लगता था कि वह बेचारा व्यक्ति विदाई से पहले अपना सारा ज्ञान हमें दे देना चाहता था, और एक झटके में सारा ज्ञान हमारे दिमाग में भर देना चाहता था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson

After the grammar, we had a lesson in writing. That day M. Hamel had new copies for us, written in a beautiful round hand-France, Alsace, France, Alsace. They looked like little flags floating everywhere in the school room, hung from the rod at the top of out desks. You ought to have seen how everyone set to work, and how quiet it was! The only sound was the scratching of the pens over the paper. Once some beetles flew in; but nobody paid any attention to them, not even the littlest ones, who worked right on tracing their fishhooks, as if that was French, too. On the roof the pigeons cooed very low, and I thought to myself, “Will they make them sing in German, even the pigeons ?”.

(व्याकरण के बाद हमारा लिखने का पाठ था। उस दिन एम० हैमेल हमारे लिए नई कापियाँ लेकर आया था जिन पर सुन्दर गोल लिखावट से लिखा था-फ्रांस, अलसेस, फ्रांस, अलसेस। ये शब्द छोटे-छोटे झण्डों जैसे लग रहे थे, लग रहा था जैसे हमारी डेस्कों के ऊपर वे डण्डों से लटक रहे थे। काश कि आपने देखा होता कि कैसे हर एक काम में लग गया था, और कैसी शान्ति छा गई थी। कागज़ के ऊपर पैन के रगड़ की आवाज ही एकमात्र आवाज थी। एक बार कुछ भंवरे उड़कर अन्दर आ गए, पर किसी ने भी उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। यहाँ तक कि सबसे छोटे बच्चों ने भी नहीं, जो मछली पकड़ने के हुक ट्रेस कर रहे मानो यह भी फ्रेंच ही हो। छत के ऊपर कबूतर बड़े धीमे स्वर में गुटर-गूं कर रहे थे और मैंने मन में सोचा-“क्या वे इन कबूतरों से भी जर्मन में गवाएँगे ?”)

Whenever I looked up from my writing I saw M. Hamel sitting motionless in his chair and gazing first at one thing, then at another, as if he wanted to fix in his mind just how everything looked in that little schoolroom. Fancy! For forty years he had been there in the same place, with his garden outside the window and his class in front of him, just like that. Only the desks and benches had been worn smooth; the walnut trees in the garden were taller, and the hop vine that he had planted himself twined about the windows to the roof. How it must have broken his heart to leave it all, poor man; to hear his sister moving about in the room above, packing their trunks! For they must leave the country next day.

(मैं जब भी अपनी लिखावट से सिर उठाकर देखता तो मुझे एम० हैमेल अपनी कुर्सी पर बैठा दिखाई देता था और एक के बाद दूसरी चीज़ को देखता हुआ मानो वह इस स्कूल के कमरे की हर चीज को अपने दिमाग में बैठा लेना चाहता हो। कल्पना करो! चालीस वर्ष से वह उसी जगह पर था, खिड़की के बाहर उसका बगीचा और उसकी कक्षा उसके सामने, ठीक उसी तरह । केवल डेस्क और बैंच घिसकर चिकने हो गए थे; अखरोट के पेड़ बगीचे में थोड़े लम्बे हो गए थे, और होपवाइन जो खुद उसने उगाई थी, खिड़की से होते हुए छत पर चढ़ गई थी। इन सबको छोड़ते हुए उसका दिल कितना टूट गया होगा, बेचारा; उसकी बहन को ऊपर घूमते हुए और उनके बक्सों में सामान पैक करते हुए सुनना! क्योंकि अगले दिन उनको देश छोड़ना होगा।)

But he had the courage to hear every lesson to the very last. After the writing, we had a lesson in history, and then the babies chanted their ba, be bi, bo, bu. Down there at the back of the room old Hauser had put on his spectacles and, holding his primer in both hands, spelled the letters with them. You could see that he, too, was crying; his voice trembled with emotion, and it was so funny to hear him that we all wanted to laugh and cry. Ah, how well I remember it, that last lesson!

(परन्तु उसमें इतनी हिम्मत थी कि उसने हर पाठ को अन्त तक सुना। लिखने के बाद हमारा इतिहास का पाठ था और बच्चे अपना बा, बि, बी, बो, बू बोल-बोलकर याद कर रहे थे। कमरे में बिल्कुल बूढ़े हॉसर ने अपना चश्मा पहन लिया था और दोनों हाथों में अपनी प्राईमर पकड़े, उनसे अक्षर पढ़ने का प्रयत्न कर रहा था। आप देख सकते थे कि वह भी रो रहा था, आवेग से भरी उसकी आवाज़ कांप रही थी और उसको ऐसा मनोरंजक अनुभव था कि हम सभी हँसना और रोना चाह रहे थे। आह, कितनी अच्छी तरह मुझे याद है, वह अन्तिम पाठ।)

All at once, the church clock struck twelve. Then the Angelus. At the same moment the trumpets of the Prussians, returning from drill, sounded under our windows. M. Hamel stood up, very pale, in his chair. I never saw him look so tall.

(उसी समय चर्च की घड़ी ने बारह बजाए। इसके बाद पूजा की घण्टी। ठीक उसी क्षण, ड्रिल से लौटते हुए पर्सियन लोगों के बिगुल हमारी खिड़कियों के नीचे बजने लगे। बहुत पीला हुआ एम० हैमेल अपनी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ। मुझे वह कभी इतना लम्बा नहीं लगा था।)

“My friends,” said he, “I-I-” But something choked him. He could not go on. Then he turned to the blackboard, took a piece of chalk, and, bearing on with all his might, he wrote as large as he could “Vive La France!”

(“मेरे दोस्तो”, उसने कहा, “मैं-मैं-” परन्तु किसी चीज़ से उसका गला रूंध गया। वह जारी नहीं रह पाया। फिर वह ब्लैक बोर्ड की तरफ मुड़ा, एक चाक का टुकड़ा उठाया और फिर पूरी ताकत के साथ उसने जितना वह लिख सकता था उतने बड़े अक्षरों में लिखा  –
Then he stopped and leaned his head against the wall, and, without a word, he made a gesture to us with his hand: “School is dismissed- you may go” (तब वह रुका और अपने सिर को दीवार पर झुकाते हुए, बिना कोई शब्द बोले उसने हमें अपने हाथ से संकेत किया-“स्कूल समाप्त हुआ-तुम जा सकते हो।”)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 1 The Last Lesson Read More »

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

HBSE 12th Class Political Science लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बताएं कि आपात्काल के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत
(क) आपात्काल की घोषणा 1975 में इन्दिरा गांधी ने की।
(ख) आपात्काल में सभी मौलिक अधिकार निष्क्रिय हो गए।
(ग) बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति के मद्देनज़र आपात्काल की घोषणा की गई थी।
(घ) आपात्काल के दौरान विपक्ष के अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
(ङ) सी० पी० आई० ने आपात्काल की घोषणा का समर्थन किया।
उत्तर:
(क) सही,
(ख) सही,
(ग) गलत,
(घ) सही,
(ङ) सही।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा आपात्काल की घोषणा के सन्दर्भ से मेल नहीं खाता है ?
(क) ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान
(ख) 1974 की रेल हड़ताल
(ग) नक्सलवादी आन्दोलन
(घ) इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला
(ङ) शाह आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्ष।
उत्तर:
(ग) नक्सलवादी आन्दोलन

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में मेल बैठाएं
(क) सम्पूर्ण क्रान्ति – (i) इन्दिरा गांधी
(ख) ग़रीबी हटाओ – (ii) जयप्रकाश नारायण
(ग) छात्र आन्दोलन – (iii) बिहार आन्दोलन
(घ) रेल हड़ताल – (iv) जॉर्ज फर्नांडीस
उत्तर:
(क) सम्पूर्ण क्रान्ति – (i) जयप्रकाश नारायण
(ख) ग़रीबी हटाओ – (ii) इन्दिरा गांधी
(ग) छात्र आन्दोलन – (iii) बिहार आन्दोलन
(घ) रेल हड़ताल – (iv) जॉर्ज फर्नाडीस

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

प्रश्न 4.
किन कारणों से 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े ?
उत्तर:
1980 में हुए मध्यावधि चुनाव का सबसे बड़ा कारण जनता पार्टी की सरकार की अस्थिरता थी। यद्यपि जनता पार्टी ने 1977 के चुनावों में एकजुट होकर चुनाव लड़ा था, कांग्रेस पार्टी को चुनावों में हराया था, परन्तु जनता पार्टी के नेताओं में प्रधानमन्त्री के पद को लेकर मतभेद हो गए, पहले मोरारजी देसाई तथा बाद में कुछ समय के लिए चरण सिंह प्रधानमन्त्री बने।

केवल 18 महीने में ही मोरारजी देसाई ने लोकसभा में अपना बहुमत खो दिया, जिसके कारण मोरारजी देसाई को त्याग-पत्र देना पड़ा। मोरारजी देसाई के पश्चात् चरण सिंह कांग्रेस पार्टी के समर्थन से प्रधानमन्त्री बने, परन्तु चरण सिंह भी मात्र चार महीने ही प्रधानमन्त्री पद पर रह पाए, जिसके पश्चात 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाए गए।

प्रश्न 5.
जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग को नियुक्त किया था। इस आयोग की नियुक्ति क्यों की गई थी और इसके क्या निष्कर्ष थे ?
अथवा
जनता पार्टी की सरकार ने 1977 में शाह आयोग की नियुक्ति क्यों की थी ?
उत्तर:
जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग की नियुक्ति की। इस आयोग का मुख्य कार्य श्रीमती इन्दिरा गांधी की सरकार द्वारा आपात्काल में किये गए अत्याचारों की जांच करना था। शाह आयोग का निष्कर्ष था कि वास्तव में श्रीमती गांधी की सरकार ने लोगों पर अत्याचार किए तथा उन्होंने स्वयं तानाशाही ढंग से शासन किया।

प्रश्न 6.
1975 में राष्ट्रीय आपात्काल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके क्या कारण बताए थे ?
उत्तर:
1975 में राष्ट्रीय आपात्काल की घोषणा करते हुए सरकार ने कहा है कि विपक्षी दलों द्वारा लोकतन्त्र को रोकने की कोशिश की जा रही थी तथा लोगों की सरकार को उचित ढंग से कार्य नहीं करने दिया जा रहा है। विपक्षी दल सेना, पुलिस कर्मचारियों तथा लोगों को सरकार के विरुद्ध भड़का रहे हैं। इसलिए सरकार ने राष्ट्रीय आपात्काल की घोषणा की।

प्रश्न 7.
1977 के चुनावों के बाद पहली दफा केन्द्र में विपक्षी दल की सरकार बनी। ऐसा किन कारणों से सम्भव हुआ ?
उत्तर:
इसके लिए अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में (निबन्धात्मक प्रश्न) प्रश्न नं० 8 देखें।

प्रश्न 8.
हमारी राजव्यवस्था के निम्नलिखित पक्ष पर आपात्काल का क्या असर हुआ ?
(क) नागरिक अधिकारों की रक्षा और नागरिकों पर इसका असर।
(ख) कार्यपालिका और न्यायपालिका के सम्बन्ध।
(ग) जनसंचार माध्यमों के कामकाज
(घ) पुलिस और नौकरशाही की कार्रवाइयां।
उत्तर:
(क) आपात्काल के दौरान नागरिक अधिकारों को निलम्बित कर दिया गया तथा नागरिकों को बिना कारण बताए कानूनी हिरासत में लिया जा सकता था।

(ख) आपातकाल में कार्यपालिका एवं न्यायपालिका एक-दूसरे के सहयोगी हो गये, क्योंकि सरकार ने सम्पूर्ण न्यायपालिका को सरकार के प्रति वफादार रहने के लिए कहा तथा आपात्काल के दौरान कुछ हद तक न्यायपालिका सरकार के प्रति वफादार भी रही। इस प्रकार आपात्काल के दौरान न्यायपालिका कार्यपालिका के आदेशों का पालन करने वाली एक संस्था बन गई थी।

(ग) आपात्काल के दौरान जनसंचार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, कोई भी अखबार सरकार के विरुद्ध कोई भी खबर या सम्पादकीय नहीं लिख सकता था तथा जो भी खबर अखबार द्वारा छापी जाती थी, उसे पहले सरकार से स्वीकृति प्राप्त करनी पड़ती थी।

(घ) आपात्काल के दौरान पुलिस और नौकरशाही, सरकार के प्रति वफादार बनी रही, यदि किसी पुलिस अधिकारी या नौकरशाही ने सरकार के आदेशों को मानने से मना किया तो उसे या तो निलम्बित कर दिया गया या गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रश्न 9.
भारत की दलीय प्रणाली पर आपातकाल का किस तरह असर हआ ? अपने उत्तर की पष्टि उदाहरणों से करें।
उत्तर:
आपात्काल का भारत की दलीय प्रणाली पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा क्योंकि अधिकांश विरोधी दलों को किसी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों की इजाजत नहीं थी। आजादी के समय से लेकर 1975 तक भारत में वैसे भी कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व रहा तथा संगठित विरोधी दल उभर नहीं पाया, वहीं आपात्काल के दौरान विरोधी दलों की स्थिति और भी खराब हुई।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट

प्रश्न 10.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें 1977 के चुनावों के दौरान भारतीय लोकतन्त्र, दो-दलीय व्यवस्था के जितना नज़दीक आ गया था उतना पहले कभी नहीं आया। बहरहाल अगले कुछ सालों में मामला पूरी तरह बदल गया। हारने के तुरन्त बाद कांग्रेस दो टुकड़ों में बंट गई….. जनता पार्टी में भी बड़ी अफरा-तफरी मची….. डेविड बटलर, अशोक लाहिड़ी और प्रणव रॉय।
(क) किन वजहों से 1977 में भारत की राजनीति दो-दलीय प्रणाली के समान जान पड़ रही थी ?

(ख) 1977 में दो से ज्यादा पार्टियां अस्तित्व में थीं। इसके बावजूद लेखकगण इस दौर को दो-दलीय प्रणाली के नज़दीक क्यों बता रहे हैं ?

(ग) कांग्रेस और जनता पार्टी में किन कारणों से फूट पैदा हुई ?
उत्तर:
(क) 1977 में भारत की राजनीति दो दलीय प्रणाली के समान इसलिए दिखाई पड़ रही थी, क्योंकि उस समय मुख्य रूप से केवल दो दल ही चुनावी दंगल में आमने-सामने थे, जिसमें सत्ताधारी दल कांग्रेस एवं मुख्य विपक्षी दल जनता पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला था।

(ख) यद्यपि 1977 में दो से ज्यादा पार्टियां अस्तित्व में थीं, परन्तु अधिकांश विपक्षी दलों जैसे संगठन कांग्रेस, जनसंघ, भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी ने मिलकर जनता पार्टी के नाम से एक पार्टी बना ली थी, जिस कारण 1977 में केवल कांग्रेस एवं जनता पार्टी ही चुनावी दंगल में आमने-सामने थी। इसीलिए लेखकगण इस दौर को दो दलीय प्रणाली के नज़दीक बताते हैं।

(ग) कांग्रेस में 1977 में हुई हार के कारण नेताओं में पैदा हुई निराशा के कारण फूट पैदा हुई, क्योंकि अधिकांश कांग्रेसी नेता श्रीमती गांधी के चमत्कारिक नेतृत्व के मोहपाश से बाहर निकल चुके थे, दूसरी ओर जनता पार्टी में नेतृत्व को लेकर फूट पैदा हो गई थी।

 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट HBSE 12th Class Political Science Notes

→ वचनबद्ध नौकरशाही का अर्थ है कि नौकरशाही किसी विशिष्ट राजनीतिक दल के सिद्धान्तों एवं नीतियों से बन्धी हुई रहती है।
→ भारत में 1970 के दशक में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने वचनबद्ध नौकरशाही का समर्थन किया।
→ भारत में वचनबद्ध नौकरशाही नहीं पाई जाती है।
→ वचनबद्ध न्यायपालिका से अभिप्राय ऐसी न्यायपालिका से है, जो एक दल विशेष या सरकार विशेष के प्रति वफादार हो तथा उसके निर्देशों के अनुसार ही चले।
→ भारत में 1970 के दशक में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने वचनबद्ध न्यायपालिका का समर्थन किया तथा श्री ए. एन० राय को तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की वरिष्ठता की उपेक्षा करके मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करना, इसी का एक उदाहरण है।
→ न्यायपालिका को सरकार के प्रति वचनबद्ध बनाने के लिए. कई कदम उठाये गये जैसे न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी की गई. न्यायाधीशों का स्थानान्तरण किया गया, रिक्त पदों को भरने से मना किया गया तथा अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई इत्यादि।
→ भारत में वचनबद्ध न्यायपालिका नहीं पाई जाती, इसके विपरीत भारत में एक स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका पाई जाती है।
→ 1970 के दशक में गुजरात में नवनिर्माण आन्दोलन की शुरुआत हुई।
→ 1974 में बिहार में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में बिहार आन्दोलन चलाया गया।
→ 1975 में श्रीमती इन्दिरा गांधी के निर्वाचन को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अवैध घोषित कर दिया।
→ 25 जून, 1975 को श्रीमती गांधी ने आन्तरिक आपात्काल लागू कर दिया तथा विरोधी नेताओं पर अत्याचार किये गए।
→ 1977 में जनता पार्टी की स्थापना हुई।
→ 1977 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक पराजय एवं जनता पार्टी की जीत हुई।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 6 लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Read More »

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कौन-सा कथन असत्य है?
(A) भारत में जन्म दर मृत्यु दर घट रही है
(B) भारत में जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है।
(C) भारत की कुल जनसंख्या बढ़ रही है
(D) भारत में स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है।
उत्तर:
भारत में स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है।

प्रश्न 2.
दीर्घकालिक प्रवसन-
(A) मौसमी होता है
(B) अस्थायी होता है
(C) स्थायी होता है
(D) उपर्युक्त कोई नहीं।
उत्तर:
स्थायी होता है।

प्रश्न 3.
कौन-सा कथन असत्य है?
(A) अकाल द्वारा जनसंख्या कम होती है
(B) परिवार नियोजन जनसंख्या नियंत्रित करता है
(C) परिवार नियोजन को भारत में आशातीत सफलता नहीं मिली है
(D) महामारी नियंत्रण द्वारा जनसंख्या कम होती है।
उत्तर:
महामारी नियंत्रण द्वारा जनसंख्या कम होती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 4.
परिवार नियोजन का कौन-सा नारा नवीनतम है?
(A) दो या तीन बच्चे, होते हैं घर में अच्छे
(B) दो ही काफी, और से माफी
(C) लड़की लड़का एक समान
(D) लड़का लड़की, एक समान।
उत्तर:
लड़का लड़की, एक समान।

प्रश्न 5.
जनसंख्या वृद्धि का देश पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(A) कम आर्थिक विकास
(B) बहुत-सी समस्याएं
(C) खाद्य समस्या
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
उपरोक्त सभी।

प्रश्न 6.
प्रति हज़ार पर प्रसूति में मरने वाली स्त्रियों की संख्या को क्या कहते हैं?
(A) प्रसूति मृत्यु-दर
(B) प्रसूति दर
(C) कुल प्रजनन दर
(D) प्रजनन दर।
उत्तर:
प्रसूति मृत्यु-दर।

प्रश्न 7.
हरियाणा का जनसंख्या घनत्व कितना है?
(A) 477 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
(B) 460 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
(C) 490 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
(D) 500 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।
उत्तर:
477 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 8.
भारत में जन्म दर क्या है?
(A) 23%
(B) 24.5%
(C) 27%
(D) 19.8%
उत्तर:
19.8%.

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 9.
जनांकिकीय परिप्रेक्ष्य किसके सिद्धांत पर आधारित है?
(A) माल्थस
(B) विलियम
(C) गुलियार्ड
(D) जॉन ग्रांट।
उत्तर:
माल्थस।

प्रश्न 10.
किसी क्षेत्र में 1000 पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या को क्या कहते हैं?
(A) लिंग अनुपात
(B) संख्या अनुपात
(C) स्त्री पुरुष अनुपात
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
लिंग अनुपात।

प्रश्न 11.
गाँव और शहर को परिभाषित करने का कौन-सा आधार सर्वाधिक सही है?
(A) जनसंख्या कम/अधिक
(B) जनसंख्या का घनत्व
(C) जनसंख्या की मानसिक विशेषताएं
(D) उपर्युक्त कोई नहीं।
उत्तर:
जनसंख्या कम/अधिक।

प्रश्न 12.
निम्न में से किस समुदाय को आप शहरी कहेंगे?
(A) कुल जनसंख्या 500 हो
(B) 75% लोग गैर-कृषि कार्य करते हों
(C) जनसंख्या घनत्व 40 व्यक्ति प्रति वर्ष कि० हो
(D) उपर्युक्त कोई नहीं।
उत्तर:
75% लोग गैर-कृषि कार्य करते हों।

प्रश्न 13.
नगर का कौन-सा मापदंड सही है?
(A) बड़ा आकार
(B) अधिक जनसंख्या घनत्व
(C) जटिल प्रशासनिक व्यवस्था
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 14.
निम्न में से किस शहर में उपनिवेशक भारतीय नगरों तथा पारंपरिक भारतीय नगरों का सम्मिश्रण देखा जा सकता है?
(A) पुरानी और नई दिल्ली में
(B) आगरा में
(C) फतेहपुर सीकरी में
(D) बंबई में।
उत्तर:
पुरानी और नई दिल्ली में।

प्रश्न 15.
कौन-सी विशेषता शहरी समुदाय से मेल नहीं खाती?
(A) कम जनसंख्या घनत्व
(B) खुला संगठन
(C) जटिल जीवन
(D) दवितीयक सामाजिक संबंध।
उत्तर:
कम जनसंख्या घनत्व।

प्रश्न 16.
कौन-सा कथन असत्य है?
(A) ग्रामीण समाज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं
(B) ग्रामीण व्यवस्था कृषि व्यवसाय पर आधारित है
(C) ग्रामीण समाज में प्राथमिक संबंध कमज़ोर होते हैं
(D) ग्रामीण समाज सरल होते हैं।
उत्तर:
ग्रामीण समाज में प्राथमिक संबंध कमज़ोर होते हैं।

प्रश्न 17.
ग्रामीण समुदाय का किससे घनिष्ठ संबंध होता है?
(A) प्रकृति
(B) पड़ोस
(C) शहर
(D) महानगर।
उत्तर:
प्रकृति।

प्रश्न 18.
हमारे देश की कितने प्रतिशत जनसंख्या गांवों तथा शहरों में रहती है?
(A) 70% तथा 30%
(B) 32% तथा 68%
(C) 68% तथा 32%
(D) 25% तथा 75%
उत्तर:
68% तथा 32%.

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 19.
एक जाति का जाल जो कई गांवों तक फैला हुआ होता है तो उसे क्या कहते हैं?
(A) चौखला
(B) आंगन
(C) त्रिजला
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
चौखला।

प्रश्न 20.
ग्रामीण नगरीय समुदाय की धारणा किसने दी थी?
(A) देसाई
(B) मजूमदार
(C) सोरोकिन तथा ज़िमरमैन
(D) मैकाइवर तथा पेज।
उत्तर:
सोरोकिन तथा ज़िमरमैन।

प्रश्न 21.
ग्रामीण क्षेत्रों में किस व्यवसाय की अधिकता पायी जाती है?
(A) उद्योग
(B) विभिन्न पेशे
(C) प्रौद्योगिकी
(D) कृषि।
उत्तर:
कृषि।

प्रश्न 22.
जजमानी व्यवस्था में सेवा प्रदान करने वाले को क्या कहा जाता है?
(A) जजमान
(B) प्रजा
(C) सेवक
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
सेवक।

प्रश्न 23.
शहरी इलाकों में लोगों में किस प्रकार के सांस्कृतिक संबंध पाये जाते हैं?
(A) एकरूपता
(B) बहुलता
(C) विविधता
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
विविधता।

प्रश्न 24.
जजमानी व्यवस्था में जो सेवा ग्रहण करते हैं उन्हें क्या कहा जाता है?
(A) राजा
(B) जजमान
(C) प्रजा
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
जजमान।

प्रश्न 25.
1991 में भारत की जनसंख्या कितनी थी?
(A) 80 करोड़
(B) 70 करोड़
(C) 83.39 करोड।
उत्तर:
83.39 करोड़।

प्रश्न 26.
विश्व में भारत का जनसंख्या के आधार पर कौन-सा स्थान है?
(A) दूसरा
(B) पहला
(C) तीसरा।
उत्तर:
दूसरा।

प्रश्न 27.
निम्न में से किससे जनांकिकी का संबंध नहीं है?
(A) जनसंख्या का आकार
(B) जनसंख्या का स्थानीय वितरण
(C) देश के क्षेत्रफल में परिवर्तन।
उत्तर:
देश के क्षेत्रफल में परिवर्तन।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 28.
हरियाणा में पुरुष-स्त्री अनुपात क्या है?
(A) 600
(B) 815
(C) 861
उत्तर:
861

प्रश्न 29.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता कितने प्रतिशत है?
(A) 60%
(B) 65.38%
(C) 50%.
उत्तर:
65.38%.

प्रश्न 30.
भारत में अति जनसंख्या वृद्धि के कारण कौन-कौन सी प्रमुख समस्याएँ बढ़ रही हैं?
(A) निर्धनता
(B) अच्छा स्वास्थ्य
(C) अच्छे मकान।
उत्तर:
निर्धनता।

प्रश्न 31.
भारत के किसी एक नगर का नाम बताइये जिसकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक है?
(A) रोहतक
(B) जयपुर
(C) मुंबई।
उत्तर:
मुंबई।

प्रश्न 32.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व क्या है?
(A) 300
(B) 315
(C) 324
उत्तर:
324

प्रश्न 33.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या लगभग कितने करोड़ हैं?
(A) 111
(B) 121
(C) 131
(D) 141
उत्तर:
121

प्रश्न 34.
2001 की जनगणना के अनुसार हरियाणा की जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का लगभग कितना प्रतिशत है?
(A) 2
(B) 12
(C) 22
(D) 32
उत्तर:
2

प्रश्न 35.
2001 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत के किस राज्य में लिंग अनुपात न्यूनतम है?
(A) हिमाचल प्रदेश
(B) दिल्ली
(C) हरियाणा
(D) केरल।
उत्तर:
हरियाणा।

प्रश्न 36.
भारत की दो तिहाई जनसंख्या निम्नोक्त में से किन क्षेत्रों में निवास करती है?
(A) जनजातीय
(B) नगरीय
(C) पर्वतीय
(D) ग्रामीण।
उत्तर:
ग्रामीण।

प्रश्न 37.
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नलिखित में से आय का मुख्य स्रोत क्या है?
(A) कृषि
(B) उद्योग
(C) व्यापार
(D) दूध।
उत्तर:
कृषि।

प्रश्न 38.
किसी क्षेत्र को शहरी क्षेत्र घोषित करने के लिए वहाँ की न्यूनतम आबादी कितनी होनी चाहिए?
(A) 500
(B) 5,000
(C) 50,000
(D) 5,00,000
उत्तर:
5,000

प्रश्न 39.
पिछले 10 वर्षों (2001 से 2011) के दौरान भारत की जनसंख्या में कितने करोड़ की वृद्धि हुई?
(A) 8
(B) 18
(C) 28
(D) 38
उत्तर:
18

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 40.
जनसंख्या के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन-सा है?
(A) हरियाणा
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) पंजाब
(D) उत्तर प्रदेश।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 41.
जनसंख्या के आधार पर भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) चतुर्थ।
उत्तर:
द्वितीय।

प्रश्न 42.
भारत के नगरीय क्षेत्रों में लोगों की आय का प्रमुख स्रोत है?
(A) उद्योग एवं व्यापार
(B) कृषि
(C) सब्जियाँ
(D) दूध।
उत्तर:
उदयोग एवं व्यापार।

प्रश्न 43.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या लगभग कितने करोड़ थी?
(A) 84
(B) 103
(C) 121
(D) 139
उत्तर:
103

प्रश्न 44.
भारत के किस राज्य में लिंग अनुपात सबसे कम है?
(A) हरियाणा
(B) केरल
(C) हिमाचल प्रदेश
(D) उत्तराखंड।
उत्तर:
हरियाणा।

प्रश्न 45.
निम्नलिखित में से किन दो देशों की जनसंख्या विश्व के अन्य किन्हीं भी दो देशों से अधिक है?
(A) भारत एवं चीन
(B) पाकिस्तान एवं श्रीलंका
(C) रूस एवं अमेरिका
(D) इंग्लैंड एवं कनाडा।
उत्तर:
भारत एवं चीन।

प्रश्न 46.
भारत के निम्नोक्त में से किन क्षेत्रों में सबसे अधिक जनसंख्या निवास करती है?
(A) नगरीय
(B) जनजातीय
(C) ग्रामीण
(D) पर्वतीय।
उत्तर:
ग्रामीण।

प्रश्न 47.
भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग कितना प्रतिशत है?
(A) 7%
(B) 17%
(C) 27%
(D) 37%
उत्तर:
17%.

प्रश्न 48.
भारत में किस राज्य की जनसंख्या सबसे अधिक है?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) हरियाणा
(D) पंजाब।
उत्तर:
उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 49.
साक्षरता दर के आधार पर भारत में प्रथम स्थान किस राज्य का है?
(A) बिहार
(B) झारखंड
(C) केरल
(D) उत्तराखंड।
उत्तर:
केरल।

प्रश्न 50.
जनसंख्या के आधार पर भारत का सबसे बड़ा शहर कौन-सा है?
(A) जम्मू
(B) श्रीनगर
(C) शिमला
(D) मुंबई।
उत्तर:
मुंबई।

प्रश्न 51.
जाति के आधार पर भारत में जनगणना कब हुई थी?
(A) 1981 में
(B) 1991 में
(C) 2001 में
(D) 2011 में।
उत्तर:
2011 में।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 52.
निम्नलिखित में से किसकी जनसंख्या सबसे कम है?
(A) दिल्ली
(B) चंडीगढ़
(C) कोलकत्ता
(D) मुंबई।
उत्तर:
चंडीगढ़।

प्रश्न 53.
निम्नोक्त में से कौन-सा शहर महानगर नहीं है?
(A) चंडीगढ़
(B) दिल्ली
(C) चेन्नई
(D) कोलकाता।
उत्तर:
चंडीगढ़।

प्रश्न 54.
भारत में जाति के आधार पर नवीनतम जनगणना किस वर्ष हई?
(A) 1901
(B) 1951
(C) 2001
(D) 2011.
उत्तर:
2011

प्रश्न 55.
जनसंख्या के आधार पर भारत का सबसे छोटा राज्य कौन-सा है?
(A) सिक्किम
(B) बिहार
(C) महाराष्ट्र
(D) मध्य प्रदेश।
उत्तर:
सिक्किम।

प्रश्न 56.
भारत में लिंग अनुपात (1000 पुरुषों के पीछे महिलाओं की संख्या) क्या है?
(A) 940
(B) 1240
(C) 1540
(D) 1840
उत्तर:
940.

प्रश्न 57.
जनसंख्या के आधार पर भारत का विश्व में कौन सा स्थान है?
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) छठा
(D) चौथा।
उत्तर:
दूसरा।

प्रश्न 58.
निम्न में से कौन सी विशेषता ग्रामीण समुदाय की नहीं है?
(A) प्राथमिक सम्बन्ध
(B) सामुदायिक भावना
(C) व्यक्तिवादिता
(D) कृषि मुख्य व्यवसाय।
उत्तर:
व्यक्तिवादिता।

प्रश्न 59.
भारत में प्रथम राष्ट्रीय जनसंख्या नीति कब शुरू हुई?
(A) सन् 1976
(B) सन् 2000
(C) सन् 1952
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
सन् 1976

प्रश्न 60.
इनमें से कौन सी नगरीय समुदाय की विशेषता नहीं है?
(A) व्यक्तिवादिता
(B) प्राथमिक सम्बन्ध
(C) प्रतिस्पर्धा
(D) अधिक जनसंख्या।
उत्तर:
प्राथमिक संबंध।

प्रश्न 61.
जनसंख्या वृद्धि का सिद्धांत देन है :
(A) डी० एन० मजूमदार का
(B) पी० एन० प्रभु का
(C) थामस रॉबर्ट माल्थस का
(D) दूबे का।
उत्तर:
थामस रॉबर्ट माल्थस का।

प्रश्न 62.
इनमें से भारत में नियमित जनगणना का वर्ष है :
(A) 1871
(B) 1881
(C) 1981
(D) 1991
उत्तर:
1871

प्रश्न 63.
इनमें से सर्वाधिक साक्षरता वाला राज्य है :
(A) उत्तर प्रदेश
(B) हरियाणा
(C) केरल
(D) बिहार।
उत्तर:
केरल।

प्रश्न 64.
राबर्ट माल्थस का जन्म किस वर्ष में हुआ?
(A) 1765 में
(B) 1833 में
(C) 1766 में
(D) 1834 में।
उत्तर:
1766 में।

प्रश्न 65.
2026 में कितने प्रतिशत 0-14 वय वर्ग में होंगे?
(A) 08%
(B) 38%
(C) 29%
(D) 63%.
उत्तर:
29%.

प्रश्न 66.
इनमें से कौन-सा देश जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा स्थान रखता है?
(A) चीन
(B) भारत
(C) बांग्लादेश
(D) अमेरिका।
उत्तर:
भारत।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 67.
इनमें से किस देश ने 1790 की आधुनिक जनगणना सबसे पहले करवाई?
(A) भारत
(B) चीन
(C) अमेरिका
(D) ब्रिटेन।
उत्तर:
अमेरिका।

प्रश्न 68.
जन्म दर और मृत्यु दर के बीच का अंतर कहलाता है :
(A) प्राकृतिक वृद्धि दर
(B) जनसंख्या संवृद्धि दर
(C) (A) + (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
जनसंख्या संवृद्धि दर।

प्रश्न 69.
निम्न में से किस राजनीतिक अर्थशास्त्री का नाम “जनसांख्यिकीय के जनसंख्या वृद्धि” के सिद्धांत से जुड़ा है?
(A) थॉमस रॉबर्ट माल्थस
(B) मार्क्स
(C) वेबर
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
थॉमस रॉबर्ट माल्थस।

प्रश्न 70.
जनगणना के माध्यम से सबसे महत्त्वपूर्ण सरकारी प्रयास किस विषय पर सूचना एकत्रित करता था?
(A) जनजाति
(B) अन्य पिछड़े वर्ग
(C) जाति
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
इनमें से कोई नहीं।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनांकिकी में कौन महत्त्वपूर्ण होता है?
उत्तर:
जनसंख्या।

प्रश्न 2.
जनांकिकी का क्या अर्थ है?
अथवा
जनांकिकी का अर्थ बताएं।
अथवा
जनसांख्यिकी से आप क्या समझते हैं?
अथवा
जनांकिकी क्या है?
उत्तर:
मनुष्यों की जनसंख्या के वैज्ञानिक अध्ययन को जनांकिकी कहते हैं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या तथा उस क्षेत्र के क्षेत्रफल के आपसी अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

प्रश्न 4.
जनसंख्या विस्फोट किसे कहते हैं?
उत्तर:
जनसंख्या के तेजी से बढ़ने को जनसंख्या विस्फोट कहते हैं।

प्रश्न 5.
कार्यशील जनसंख्या का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वह जनसंख्या जो उत्पादन कार्यों में लगी हुई है उसे कार्यशील जनसंख्या कहते हैं।

प्रश्न 6.
माल्थस के अनुसार अधिक जनसंख्या किससे संबंधित है?
उत्तर:
माल्थस के अनुसार अधिक जनसंख्या आर्थिक तथा सामाजिक कारणों से संबंधित है।

प्रश्न 7.
जनसंख्या नीति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सरकार द्वारा जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए बनाई गई नीति को जनसंख्या नीति कहते हैं।

प्रश्न 8.
जनसंख्या नीति ……………… में लागू हुई थी।
उत्तर:
जनसंख्या नीति 1976 में लागू हुई थी।

प्रश्न 9.
कुल प्रजनन दर क्या है?
उत्तर:
स्त्रियों की कुल संख्या में प्रजनन क्षमता रखने वाली स्त्रियों की संख्या को कुल प्रजनन दर कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रसूति मृत्यु दर का क्या अर्थ है?
अथवा
मातृ मृत्यु दर क्या है?
उत्तर:
प्रति हज़ार पर प्रसूति में मरने वाली स्त्रियों की संख्या को प्रसूति मृत्यु दर कहते हैं।

प्रश्न 11.
अनुकूलतम जनसंख्या किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी देश की जनसंख्या दवारा उस देश के आर्थिक संसाधनों का अधिक प्रयोग हो तो उसे अनुकूलतम जनसंख्या कहते हैं।

प्रश्न 12.
बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए, जीवन स्तर ऊँचा उठाने के लिए तथा सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण आवश्यक है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 13.
जन्म दर किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक वर्ष में 1000 स्त्री पुरुषों द्वारा उत्पन्न की गई संतानों की संख्या को जन्म दर कहते हैं।

प्रश्न 14.
भारत में जन्म दर तथा मृत्यु दर कितनी है?
उत्तर:
जन्म दर 19.8% तथा मृत्यु दर 7.9% है।

प्रश्न 15.
………………… को जनांकिकी का पिता कहा जाता है।
उत्तर:
गुलियार्ड को जनांकिकी का पिता कहा जाता है।

प्रश्न 16.
भारत के किस शहर की जनसंख्या सबसे अधिक है?
उत्तर:
भारत के मुंबई शहर की जनसंख्या सबसे अधिक है।

प्रश्न 17.
हरियाणा का जनसंख्या घनत्व कितना है?
उत्तर:
477 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 18.
भारत में कौन-सा व्यक्ति साक्षर होता है?
उत्तर:
भारत में जो व्यक्ति किसी भी भाषा में पढ़ या लिख सकता है उसे साक्षर कहते हैं।

प्रश्न 19.
स्त्री-पुरुष अनुपात क्या है?
अथवा
लिंग अनुपात क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में 1000 पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या को स्त्री-पुरुष अनुपात कहते हैं।

प्रश्न 20.
आगबर्न तथा निमकॉफ के अनुसार गांवों का विकास कितने भागों में हुआ है?
उत्तर:
आगबर्न तथा निमकॉफ के अनुसार गांवों का विकास तीन चरणों में हुआ है।

प्रश्न 21.
आधुनिक गाँव का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जिस गाँव में लोगों की विचारधारा विज्ञान से प्रभावित हो गई हो, उसे आधुनिक गाँव कहते हैं।

प्रश्न 22.
संयुक्त परिवार का अर्थ बताएं।
उत्तर:
वह परिवार जिसमें दो या दो से अधिक पीढ़ियां रहती हों तथा खाना इकट्ठे खाती हों, उसे संयुक्त परिवार कहते हैं।

प्रश्न 23.
वस्तु विनिमय विधि का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वस्तु से वस्तु के लेन-देन को वस्तु विनिमय विधि कहते हैं।

प्रश्न 24.
ज़मींदारी प्रथा कब शुरू हुई थी?
उत्तर:
ज़मींदारी प्रथा ब्रिटिश काल में शुरू हुई थी।

प्रश्न 25.
केंद्रीय परिवार का अर्थ बताएं।
उत्तर:
वह परिवार जिसमें पति-पत्नी तथा उनके बिन ब्याहे बच्चे रहते हों उसे केंद्रीय परिवार कहते हैं।

प्रश्न 26.
सामुदायिक विकास योजना (C.D.P.) ……………….. में शुरू हुई थी।
उत्तर:
सामुदायिक विकास योजना 1952 में शुरू हुई थी।

प्रश्न 27.
हरित क्रांति का अर्थ बताएं।
उत्तर:
नए बीजों, उर्वरकों तथा तकनीक की सहायता से कृषि क्षेत्र में लाए गए परिवर्तनों को हरित क्रांति कहते हैं।

प्रश्न 28.
ग्रामीण जीवन में एकरूपता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब किसी गाँव में एक ही संस्कृति वाले लोग रहते हों उसे ग्रामीण जीवन में एकरूपता कहते हैं।

प्रश्न 29.
चौखला का अर्थ बताएं।
उत्तर:
एक जाति का जाल जो कई गाँवों तक फैला हुआ होता है उसे चौखला कहते हैं।

प्रश्न 30.
औद्योगिक नगर की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
औद्योगिक नगर में फैक्टरी में उत्पादन, अधिक श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण होता है।

प्रश्न 31.
नगरीकरण का अर्थ बताएं।
उत्तर:
जब गांव के लोग शहरों के आदर्श, मूल्य, आदतें इत्यादि अपना लें तो इसे नगरीकरण कहते हैं।

प्रश्न 32.
गाँव तथा नगर में कोई दो मुख्य अंतर बताएं।
उत्तर:

  1. गाँवों की जनसंख्या कम तथा नगरों की जनसंख्या अधिक होती है।
  2. गांवों में सुविधाएं कम तथा नगरों में अधिक होती हैं।

प्रश्न 33.
गांवों में परिवर्तन क्यों आ रहे हैं?
उत्तर:
शिक्षा के बढ़ने से, कृषि के आधुनिक साधनों के प्रयोग से तथा औपचारिक संबंधों के बढ़ने से गांवों में परिवर्तन आ रहे हैं।

प्रश्न 34.
ग्रामीण समुदाय की कौन-सी विशेषता होती है?
उत्तर:
ग्रामीण समुदाय में प्राथमिक संबंध होते हैं, सरल जीवन होता है तथा कृषि वहां का मुख्य व्यवसाय होता है।

प्रश्न 35.
गाँवों में किस प्रकार के संबंध पाए जाते हैं?
उत्तर:
गाँवों में प्राथमिक संबंध पाए जाते हैं।

प्रश्न 36.
नगरीय समुदाय की कौन-सी विशेषता होती है?
उत्तर:
नगरीय समुदाय में अधिक जनसंख्या होती है, द्वितीयक संबंध होते हैं तथा वहां पर विभिन्न व्यवसायों की भरमार होती है।

प्रश्न 37.
जनसंख्या संरचना क्या होती है?
उत्तर:
जनसंख्या संरचना का अर्थ किसी देश की जनसंख्या का अलग-अलग क्षेत्रों में वितरण, जनसंख्या की घनता, जन्म तथा मृत्यु दर, आवास, प्रवास, शिक्षा, लिंग अनुपात इत्यादि से है। जनसंख्या संरचना में जनसंख्या से संबंधित अलग-अलग पहलुओं या जनसंख्या की विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 38.
जनसंख्या घनत्व क्या होता है? यह कितने प्रकार का होता है?
अथवा
जनसंख्या घनत्व क्या है?
अथवा
जनसंख्या घनत्व से आप क्या समझते हैं?
अथवा
जन घनत्व क्या है?
उत्तर:
किसी देश या क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या तथा उस देश या प्रदेश के क्षेत्र के क्षेत्रफल के आपसी अनपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। यह प्रति वर्ग कि०मी० के क्षेत्र में रहने वाली जनसंख्या से पता चलती है। यह का होता है-आर्थिक घनत्व, अंक गणितीय घनत्व, पोषण घनत्व, कायिक घनत्व तथा कृषि घनत्व।

प्रश्न 39.
आर्थिक घनत्व क्या होता है?
उत्तर:
आर्थिक घनत्व से भाव उस देश या क्षेत्र के आर्थिक संसाधनों से है। इनमें संसाधनों की उत्पादन क्षमता तथा वहां रहने वाले मनुष्यों की संख्या का अनुपात होता है।

प्रश्न 40.
अत्यधिक जनसंख्या से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब किसी देश की जनसंख्या उस देश की अधिकतम उत्पादन सीमा से ज्यादा हो जाती है तो उस देश की जनसंख्या को अत्यधिक जनसंख्या कहते हैं।

प्रश्न 41.
जीवन प्रत्याशा क्या होती है?
उत्तर:
जीवन प्रत्याशा का दूसरा नाम औसत आयु भी है। ज्यादातर लोगों के जीवित रहने की आयु की प्रत्याशा (expentancy) को औसत आयु कहते हैं। यह औसत के आधार पर पता चलती है।

प्रश्न 42.
जनसंख्या वृद्धि दर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि दर से अभिप्राय किसी देश या क्षेत्र की बढ़ी हुई जनसंख्या की दर से है। इसमें जन्म दर में से मृत्यु दर निकाल कर बचे हुए अंतर तथा बाहर से आने वाली जनसंख्या को भी शामिल किया जाता है।

प्रश्न 43.
जनसंख्या विस्फोट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट से अभिप्राय जनसंख्या के अप्रत्याशित रूप में ज़रूरत से ज्यादा बढ़ जाने से है। जनसंख्या विस्फोट का अर्थ जनसंख्या का इतना बढ़ जाना है कि उसके परिणाम विनाशकारी हों। भारत में भी इस प्रकार की स्थिति पैदा हो गई है।

प्रश्न 44.
अल्प जनसंख्या क्या होती है?
उत्तर:
जब किसी देश के प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग के लिए जनसंख्या काफ़ी कम हो तो उसे अल्प जनसंख्या कहते हैं। ऑस्ट्रेलिया इसकी उदाहरण है।

प्रश्न 45.
परिवार नियोजन क्या होता है?
अथवा
परिवार नियोजन कार्यक्रम क्या है?
उत्तर:
परिवार नियोजन का अर्थ है परिवार के आकार को छोटा रखना। परिवार को इस हद तक बढ़ाया जाए कि परिवार की आय व्यय से ज्यादा ही रहे। परिवार का खर्च आय से ज्यादा न हो जाए तथा जीवन स्तर ऊँचा बना रहे। बच्चों को अपनी इच्छा के अनुसार पैदा करना ही परिवार नियोजन है। परिवार में संतान अपनी इच्छा के अनसार तथा सीमित संख्या में पैदा की जाती है। इसी को परिवार नियोजन कहते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 46.
देश की इष्टतम संख्या क्या होती है?
उत्तर:
किसी देश की ऐसी संख्या जो उसके हाथ में उपलब्ध साधनों के अनुसार होती है, इष्टतम संख्या कहलाती है। अधिक जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए प्रयोग में किए जाने वाले तरीकों का उद्देश्य उस देश में इष्टतम संख्या को प्राप्त करना होता है।

प्रश्न 47.
जनसंख्या के घटने-बढ़ने का जैवकीय सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
जनंसख्या के घटने-बढ़ने के जैवकीय सिद्धांत के समर्थकों के अनुसार जनसंख्या के घनत्व के बढ़ने से प्रजनन दर कम हो जाती है क्योंकि गर्भ धारण करके बच्चे पैदा करने की शक्ति कम हो जाती है जिससे जन्म दर कम हो जाती है।

प्रश्न 48.
जनसंख्या पर नियंत्रण के माल्थस के दो तरीके बताओ।
उत्तर:

  1. पहले तरीके को माल्थस ने निरोधात्मक कहा है। इसमें खुद पर संयम रख कर, सही उम्र में विवाह करके इस जनसंख्या बढ़ाने की बुराई से दूर रहने को कहा गया है।
  2. दूसरे तरीके को उन्होंने निश्चयात्मक नियंत्रण कहा है। इसके अनुसार भयंकर बीमारियों, जैसे महामारी, प्लेग, अकाल या युद्ध की वजह से लोग काफ़ी संख्या में मर जाते हैं जिससे जनसंख्या अपने आप नियंत्रण में आ जाती है।

प्रश्न 49.
माल्थस के जनसंख्या के सिद्धांत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
माल्थस के अनुसार आय की प्रगति का स्तर अंक गणितीय तरीके से तथा जनसंख्या की वृद्धि रेखागणितीय तरीके से होती है अर्थात् जनसंख्या की वृद्धि आय या जीविका के स्तर में होने वाली वृद्धि के अनुसार चलती है।

प्रश्न 50.
जनसंख्या के संक्रमण सिद्धांत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
यह सिद्धांत सभी समाजों के अनुभवों पर आधारित है। इसके अनुसार जन्म दर बढ़ती है तथा मृत्यु दर घटती है जिस कारण से जनसंख्या विस्फोट या जनसंख्या बहुत बढ़ जाती है। आधुनिक समाजों में भी यही सिद्धांत चल रहा है जहां मृत्यु दर पर तो काबू कर लिया गया है पर जन्म दर पर मृत्यु दर की तरह काबू नहीं पाया गया है जिससे जनसंख्या में काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है। इसी को जनसंख्या संक्रमण का सिद्धांत कहते हैं।

प्रश्न 51.
जन्म दर कम करने वाले कोई दो कारण बताओ।
उत्तर:

  1. शिक्षा-जब सभी को शिक्षा मिलने लग जाएगी तो सभी को ज्यादा जनसंख्या के नुकसान तथा कम जनसंख्या के फायदे पता चल जाएंगे तो वह जन्म दर कम रखने की कोशिश करेंगे।
  2. यदि लड़का-लड़की की विवाह करने की न्यूनतम आयु निश्चित कर दी जाए तो वह दिमागी तौर पर समझदार हो जाएंगे तथा कम बच्चे पैदा करेंगे जिससे जन्म दर नियंत्रण में रहेगी।

प्रश्न 52.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. मृत्यु दर 9 प्रति हज़ार तक लाना।
  2. जन्म दर 21 प्रति हज़ार तक लाना।
  3. बाल मृत्यु दर 60 प्रति हजार से कम करना।
  4. जनसंख्या वृद्धि दर 1.2% प्रतिवर्ष तक लाना।

प्रश्न 53.
जनसांख्यिकी का शाब्दिक अर्थ बताएं।
उत्तर:
जनसांख्यिकी (Demography) जनसंख्या का व्यवस्थित अध्ययन है। यह अंग्रेजी शब्द:Demography का हिंदी रूपांतर है जो यूनानी भाषा के दो शब्दों demos तथा Graphin से मिलकर बना है जिसका अर्थ है लोगों का वर्णन।

प्रश्न 54.
भारत में सबसे पहले तथा अंतिम बार जनगणना कब हुई थी?
अथवा
भारत में जनगणना के कार्य को सर्वप्रथम किस दशक में प्रारंभ किया गया?
उत्तर:
भारत में सबसे पहली जनगणना 1872 में हुई थी तथा उसके बाद 1881 में हुई थी। उसके बाद हरेक 10 वर्षों के बाद जनगणना होती है। अंतिम बार भारत में जनगणना सन् 2011 में हुई थी।

प्रश्न 55.
पराश्रित जनसंख्या का अर्थ बताएं।
उत्तर:
जो जनसंख्या अपना जीवन जीने, खाने पीने, रहने इत्यादि के लिए और लोगों पर निर्भर होती है उसे पराश्रित जनसंख्या कहते हैं। भारत में 0-14 वर्ष की आयु के लोग तथा 60 वर्ष के ऊपर के लोग पराश्रित जनसंख्या के अंतर्गत आते हैं।

प्रश्न 56.
नगरीकरण तथा नगरीयवाद क्या होता है?
अथवा
नगरीकरण की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर:
नगरीकरण का अर्थ है जब गाँव से जाकर लोग शहरों के आदर्श, मूल्य, आदतें इत्यादि अपना लें। इस गांव से नगरों में आने वाले परिवर्तन को नगरीकरण कहते हैं। नगरीयवाद मूल्यों की वह व्यवस्था है जिसमें व्यक्तियों के बीच का संबंध व्यक्तिवादी, स्वार्थपूर्ण तथा औपचारिक होता है।

प्रश्न 57.
नगरों की कोई दो विशेषताएं बताओ।
अथवा
नगरीय समुदाय की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. नगरों में श्रम विभाजन का पाया जाना।
  2. औपचारिक तथा स्वार्थपूर्ण संबंधों का पाया जाना।
  3. अधिक उद्योगों का पाया जाना।
  4. कृषि पर कम निर्भरता।

प्रश्न 58.
गाँव के लिए ग्राम पंचायत क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां 70% से अधिक आबादी कृषि के कार्यों में लगी हुई है। भारत सरकार ने शक्तियों का विकेंद्रीकरण किया है ताकि हर ग्राम का विकास हो सके तथा गांव की शांति, सुरक्षा तथा शासन प्रबंध अच्छी तरह चल सके। गांव में पंचों की बात सभी द्वारा मानी जाती है तथा उन्हें भगवान का दर्जा दिया जाता है। आजकल तो पंचायत के पास कर वसूलने तथा शांति बनाए रखने के भी अधिकार हैं। इसलिए ग्राम पंचायत बहुत ज़रूरी है।

प्रश्न 59.
कस्बा क्या होता है?
उत्तर:
जो क्षेत्र ग्राम से बड़ा हो पर नगर से छोटा हो उसे कस्बा कहते हैं। आमतौर पर 5000 से अधिक जनसंख्या, 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से ज्यादा घनत्व तथा 75% से ज्यादा लोग गैर-कृषि व्यवसाय में लगे हों वह क्षेत्र कस्बा होता है।

प्रश्न 60.
ग्राम तथा कस्बे में कोई तीन अंतर बताओ।
उत्तर:

  1. ग्राम की जनसंख्या कम तथा कस्बे की अधिक होती है।
  2. ग्राम में शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं कम होती हैं पर कस्बे में अधिक होती हैं।
  3. ग्राम में ज़्यादातर लोग कृषि संबंधी कार्य करते हैं पर कस्बे में ज्यादातर लोग गैर-कृषि संबंधी कार्य करते हैं।

प्रश्न 61.
गाँव के लोग शहरों की तरफ क्यों भाग रहे हैं?
उत्तर:

  1. गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं उपलब्ध नहीं होती।
  2. नगरों की चमक-दमक लोगों को आकर्षित करती है।
  3. नगरों में ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 62.
भारत में साक्षरता दर के बारे में बताएं।
उत्तर:
सन 2011 में भारत की साक्षरता दर 74% थी जिनमें से 82.1 साक्षरता दर 14% था जिनम स 82.1% पुरुष तथा 65.5 स्त्रिया साक्षर थीं। इस सारणी को देखकर सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा!

वर्षव्यक्तिपुरुषस्त्रियां
195118.327.28.9
196128.340.415.4
197134.546.022.0
198143.656.429.8
199152.264.139.3
200165.475.954.2
20117482.165.5

प्रश्न 63.
भारत में मिलने वाले मुख्य धर्म कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में इस समय सात प्रकार के मुख्य धर्म पाए जाते हैं तथा वे हैं-

  1. हिंदू – 79.5%
  2. मुसलमान – 13.4%
  3. ईसाई – 2.4%
  4. सिक्ख – 2.1%
  5. बौद्ध – 0.8%
  6. जैन – 0.8%
  7. पारसी तथा अन्य जनजातीय धर्म – 0.4%

प्रश्न 64.
आदिम गाँव किस प्रकार के होते थे?
उत्तर:
पुराने समय में क्योंकि संयुक्त परिवार हुआ करते थे इसलिए एक गांव में रक्त संबंधी रहा करते थे। ऊंच-नीच की भावना नहीं होती थी। चीज़ों का लेन-देनं होता था जिसको हम ‘Barter System’ कहते थे-मतलब एक चीज़ देकर दूसरी चीज़ प्राप्त की जा सकती थी। संबंध बहुत सीधे-सादें हुआ करते थे।

प्रश्न 65.
आधुनिक गाँव किस प्रकार का होता है?
उत्तर:
वह गाँव जहां लोगों की विचारधारा विज्ञान से प्रभावित हो गई हो, जहां पर वैज्ञानिक पद्धति का खूब प्रयोग होता हो, भाईचारे की भावना खत्म हो गई हो, त्याग, प्रेम, परोपकार इत्यादि देखने को न मिले तथा कृषि बाज़ार के लिए की जाती हो वह आधुनिक गाँव होता है।

प्रश्न 66.
संयुक्त परिवार क्या होता है?
उत्तर:
वह परिवार जहां दो या दो से ज्यादा पीढ़ियां एक साथ रहती हों, खाना-पीना एक साथ हो तथा आय-व्यय भी इकट्ठा हो उसे संयुक्त परिवार कहते हैं।

प्रश्न 67.
ग्रामीण जीवन में एकरूपता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब गाँवों में एक ही संस्कृति के लोग रहते हों, उनका खाना-पीना, रहन-सहन, पहरावा इत्यादि एक जैसा हो उसे ग्रामीण जीवन में एकरूपता कहते हैं। यहां पर शहरों की तरह अलग-अलग संस्कृतियों के लोग नहीं बसते।

प्रश्न 68.
ग्रामीण जीवन में परिवार का महत्त्व बताओ।
उत्तर:

  1. गाँव में परिवार में परिवार की प्रथाएं और परंपराएं बच जाती हैं।
  2. व्यक्ति अपने परिवार की स्थिति पर निर्भर होता है।
  3. गाँव में परिवार एक सामाजिक नियंत्रण का काम करता है।
  4. परिवार की वजह से काम-धंधे की कोई चिंता नहीं होती।

प्रश्न 69.
शहरी इलाकों में बेरोज़गारी का क्या कारण है?
उत्तर:
वैसे तो शहरी इलाकों में बेरोज़गारी के कई कारण होते हैं, परंतु इनमें सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कारण अधिक जनसंख्या है। नौकरियों की संख्या कम होती है तथा जनसंख्या अधिक होती है जिस कारण कम ही लोगों को नौकरी मिल पाती है। इस कारण अधिक लोग बेरोज़गार होते हैं।

प्रश्न 70.
ग्राम्य अर्थव्यवस्था किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
ग्राम्य अर्थव्यवस्था साधारण होती है जिसमें चीज़ों के बदले चीजें अथवा चीज़ों के बदले पैसे दिए जाते हैं। कई बार तो सेवाओं का भी लेन-देन होता है।

प्रश्न 71.
शहरी समाजों की अर्थव्यवस्था किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
शहरी समाजों की अर्थव्यवस्था समझौते पर आधारित होती है जिसमें समझौते करके कार्य पूर्ण किए जाते हैं। सेवाओं के स्थान पर पैसे का अधिक बोलबाला होता है।

प्रश्न 72.
गाँवों में जनसंख्या घनत्व कैसा होता है?
उत्तर:
गाँवों में जनसंख्या कम होती है जिस कारण जनसंख्या घनत्व भी काफ़ी कम होता है। इसका कारण है कि भूमि अधिक होती है तथा कम जनसंख्या होती है।

प्रश्न 73.
शहरी समाजों में किस प्रकार के व्यवसाय पाए जाते हैं?
उत्तर:
शहरी समाजों में हजारों प्रकार के व्यवसाय पाए जाते हैं जिनमें अध्यापक, वकील, डॉक्टर, दुकानदार, नौकरी पेशा लोग इत्यादि प्रमुख होते हैं।

प्रश्न 74.
भारत में – – – वर्ष के पश्चात् जनगणना की जाती है?
उत्तर:
भारत में 10 वर्ष के पश्चात् जनगणना की जाती है।

प्रश्न 75.
इक्कीसवीं शताब्दी के दौरान भारत में कुल – – – बार जनगणना की गई।
उत्तर:
इक्कीसवीं शताब्दी के दौरान भारत में कुल 10 बार जनगणना की गई।

प्रश्न 76.
भारत के ……………. राज्य में लिंग अनुपात भारत के सभी राज्यों से कम है।
उत्तर:
भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में लिंग अनुपात भारत के सभी राज्यों से कम है।

प्रश्न 77.
सरकारी तौर पर 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनाने वाला ………………. विश्व का प्रथम देश है।
उत्तर:
सरकारी तौर पर 1952 में परिवार नियोजन कार्यक्रम अपनाने वाला भारत विश्व का प्रथम देश है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 78.
भारत में कन्या भ्रूण हत्या के कारण शिशु लिंग अनुपात घट रहा है या बढ़ रहा है।
उत्तर:
भारत में कन्या भ्रूण हत्या के कारण शिशु लिंग अनुपात घट रहा है।

प्रश्न 79.
पंचायती राज संस्थाओं का गठन ग्रामीण तथा शहरी में से किन क्षेत्रों में किया जाता है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है।

प्रश्न 80.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या ग्रामीण/नगरीय/जनजातीय समुदाय में से किसमें रहती है?
उत्तर:
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या ग्रामीण समदाय में रहती है।

प्रश्न 81.
ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय में से सामान्यतः किसकी जनसंख्या अधिक है?
उत्तर:
ग्रामीण समुदाय में सामान्यतः जनसंख्या अधिक होती है।

प्रश्न 82.
भारत में किस राज्य की जनसंख्या सबसे कम है?
उत्तर:
भारत में सिक्किम राज्य की जनसंख्या सबसे कम है।

प्रश्न 83.
भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम कब शुरू किया गया?
उत्तर:
भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम 1965 में शुरू किया गया।

प्रश्न 84.
ग्रामीण क्षेत्र में लोगों का मुख्य व्यवसाय ………… होता है।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्र में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है।

प्रश्न 85.
भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 17% है।

प्रश्न 86.
भारत में जाति के आधार पर नवीनतम जनगणना किस वर्ष हुई?
उत्तर:
भारत में जाति के आधार पर नवीनतम जनगणना 2011 में हुई थी।

प्रश्न 87.
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या किस समुदाय (ग्रामीण/शहरी/जनजातीय) में निवास करती है?
उत्तर:
भारत में सबसे अधिक जनसंख्या ग्रामीण समुदाय में निवास करती है।

प्रश्न 88.
जजमान किस व्यवस्था से संबंधित है?
उत्तर:
जजमान जजमानी व्यवस्था से संबंधित है।

प्रश्न 89.
2001 की जनगणना के अनुसार नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत कितना है?
उत्तर:
2001 की जनगणना के अनुसार नगरीय जनसंख्या 32% था।

प्रश्न 90.
प्राकृतिक वृद्धि दर क्या है?
उत्तर:
प्राकृतिक वृद्धि दर या जनसंख्या संवृद्धि दर का अर्थ है जन्म दर तथा मृत्यु दर के बीच का अंतर।

प्रश्न 91.
जनसंख्या का प्रतिस्थापन स्तर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब जन्म दर तथा मृत्यु दर के बीच का अंतर शून्य हो जाता है तो यह जनसंख्या का प्रतिस्थापन स्तर होता है।

प्रश्न 92.
‘थॉमस राबर्ट माल्थस’ ने किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है?
उत्तर:
थॉमस रॉबर्ट माल्थस ने जनसंख्या वृद्धि का सिद्धांत दिया है।

प्रश्न 93.
सन् 2001 की जनगणनानुसार ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत बताइए।
उत्तर:
सन् 2001 की जनगणनानुसार 72.2 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण थी।

प्रश्न 94.
सकल प्रजनन दर क्या है?
उत्तर:
सकल प्रजनन दर का अर्थ है ऐसे जीवित जन्म लेने वाले बच्चों की कुल संख्या जिन्हें कोई एक स्त्री जन्म देती यदि वह बच्चे पैदा करने के संपूर्ण आयु वर्ग में जीवित रहती और इस आयु वर्ग के प्रत्येक हिस्से में औसत उतने ही बच्चे पैदा करती जितने कि उस क्षेत्र में आयु विशेष की प्रजनन के अनुसार होने चाहिए।

प्रश्न 95.
प्रभु जाति क्या है?
अथवा
प्रबल जाति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
किसी गाँव में जिस जाति का अधिपत्य हो तथा वह शक्तिशाली हो, जाति कहा जाता है।

प्रश्न 96.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या ………………… करोड़ है।
उत्तर:
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 102 करोड़ है।

प्रश्न 97.
2001 की जनगणना के अनुसार ………………. % आबादी हिंदुओं की है।
उत्तर:
2001 की जनगणना के अनुसार 80.5% आबादी हिंदुओं की है।

प्रश्न 98.
माल्थस ने अपनी किस पुस्तक में जनसंख्या वृद्धि का सिद्धांत स्पष्ट किया है?
उत्तर:
An Essay on the Principles of Population.

प्रश्न 99.
1918-1919 में किस महामारी के कारण 125 लाख लोग मृत्यु को प्राप्त हुए?
उत्तर:
Influenza के कारण।

प्रश्न 100.
सबसे अधिक लिंग अनुपात किस राज्य का है?
उत्तर:
सबसे अधिक लिंग अनुपात केरल राज्य का है।

प्रश्न 101.
2001 की जनगणना के अनुसार ……………… % ग्रामीण जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे रहती है।
उत्तर:
2001 की जनगणना के अनुसार 37% ग्रामीण जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे रहती है।

प्रश्न 102.
माल्थस का जनसंख्या वृद्धि का सिद्धांत निराशावादी था। सत्य या असत्य।
उत्तर:
माल्थस का जनसंख्या वृद्धि का सिद्धांत निराशावादी था-असत्य।

प्रश्न 103.
मृत्यु दर क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में एक वर्ष में 100 लोगों के पीछे मरने वाले लोगों की संख्या को मृत्यु दर कहते हैं।

प्रश्न 104.
सबसे नई जनगणना का वर्ष बताइए।
उत्तर:
सबसे नई जनगणना सन् 2011 में हुई थी।

प्रश्न 105.
शिशु मृत्यु-दर क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में एक वर्ष में नए जन्में 1000 बच्चों के पीछे एक वर्ष के अंदर मरने वाले बच्चों की संख्या को मृत्यु दर कहते हैं।

प्रश्न 106.
भारत में जनगणना के कार्य को सर्वप्रथम किस दशक में प्रारंभ किया गया?
उत्तर:
वैसे तो प्रथम बार जनगणना 1872 में हुई थी परंतु उसके पश्चात् 1881 में पहली बार नियमित जनगणना की शुरुआता हुई।

प्रश्न 107.
मातृ मृत्यु-दर क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में एक वर्ष में 1000 स्त्रियों के पीछे बच्चे पैदा होते समय मरने वाली माताओं की संख्या को मातृ मृत्यु दर कहते हैं।

प्रश्न 108.
विश्वभर में जनगणना के लिये किए जाने का सबसे बड़ा कार्य किस देश का है?
उत्तर:
विश्व भर में जनगणना के लिये किये जाने का सबसे बड़ा कार्य भारत में होता है।

प्रश्न 109.
स्त्री-पुरुष अनुपात क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में 1000 पुरुषों के पीछे मिलने वाली स्त्रियों की संख्या को स्त्री पुरुष अनुपात कहते हैं।

प्रश्न 110.
आप कार्यशील आयु वर्ग किसे मानते हैं?
उत्तर:
14-60 वर्ष के आयु वर्ग को ही कार्यशील आयु वर्ग माना जाता है क्योंकि इस आयु के लोग ही अधिक कार्य करते हैं।

प्रश्न 111.
पराश्रित वर्ग क्या है?
उत्तर:
0-14 वर्ष तथा 60 वर्ष से ऊपर वाले दोनों वर्गों को पराश्रित वर्ग माना जाता है क्योंकि यह कार्यशील वर्ग के ऊपर निर्भर होता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय जनसंख्या की विशेषताएं बताओ।
अथवा
भारत की जनसंख्या की नीति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारतीय जनसंख्या की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

  1. 1951 में भारत में औसत जीवन अवधि 33 वर्ष के करीब थी पर 2001 में यह बढ़कर 63 वर्ष के करीब हो गई है।
  2. 1991 में भारत की साक्षरता दर 52-53% थी पर 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर 65% तक हुँच गई जिसमें 75% पुरुष तथा 54% महिलाएं शामिल हैं।
  3. 1951 में पुरुष-स्त्री का अनुपात 1000 : 946 था पर 2001 में यह 1000 : 933 था।
  4. 1951 में भारत में जनसंख्या घनत्व 117 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर थी जो बढ़कर 2001 में 324 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० हो गया। पंजाब में यह 482 तथा हरियाणा में 477 व्यक्ति थी।
  5. शहरी जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। 1951 में 83% लोग गाँव में तथा 17% लोग शहरों में रहते थे। 1991 में यह 74% तथा 26% हो गए। 2001 में यह 72% तथा 28% हो गए हैं।

प्रश्न 2.
भारत में जन्म दर में कमी करना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:

  1. जन्म दर के बढ़ने से जनसंख्या विस्फोट का खतरा पैदा हो जाता है।
  2. जन्म दर के ज्यादा होने से प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय कम हो जाएगी।
  3. जन्म दर के ज्यादा होने से खाद्य समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
  4. जन्म दर के बढ़ने से बेरोज़गारी तथा निर्धनता में बढ़ोत्तरी होगी।
  5. ज्यादा निवेश की ज़रूरत पड़ेगी।
  6. पूंजी निर्माण की दर में कमी आएगी।

प्रश्न 3.
भारत में जन्म दर ऊँची होने के क्या कारण हैं?
अथवा
जनसंख्या विस्फोट के कारण बताइए।
अथवा
जनसंख्या वृद्धि के मूलभूत चरण कौन-से हैं?
अथवा
वर्तमान में जनसंख्या संवृद्धि के दो प्रमुख कारक बताइए।
उत्तर:

  1. लोगों का निर्धन होना।
  2. लोगों का अशिक्षित होना।
  3. मनोरंजन के साधनों का कम होना।
  4. स्त्रियों की निम्न स्थिति का होना।
  5. परिवार नियोजन तथा संतान निरोधक साधनों की कमी।
  6. बाल विवाह प्रथा का होना या छोटी उम्र में ही विवाह हो जाना।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 में कौन-से निर्णय लिए गए थे?
उत्तर:

  1. प्रधानमंत्री के अधीन एक नया जनसंख्या तथा सामाजिक विकास आयोग बनाया गया। इसमें स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री के अलावा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे।
  2. सन् 2010 तक जनसंख्या वृद्धि दर 2% तक लाना है। इस दर से 2010 तक भारत की जनसंख्या 110 करोड़ हो जाएगी।
  3. जो राज्य जनसंख्या पर अंकुश नहीं लगा सकेंगे उनका 2026 तक लोकसभा में प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ाया जाएगा। वैसे संविधान में 2001 में इस पर विचार करने का प्रावधान था।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं के बारे में बताओ।
उत्तर:

  1. शिशु मृत्यु दर प्रति हज़ार 30 से नीचे लाना।
  2. मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख पर 100 से कम करना।
  3. कन्या विवाह को देरी से करने को बढ़ावा देना।
  4. जन्म, मृत्यु, विवाह का पूरा पंजीकरण करना।
  5. 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा देने के लिए कदम उठाना।
  6. एड्स प्रसार को रोकना। इसके लिए यौन संचार रोगों तथा राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के बीच एकीकरण को बढ़ावा देना।
  7. गर्भ निरोधक तरीकों के व्यापक तरीकों का पता लगाना तथा लोगों को इसकी जानकारी देना।
  8. बुनियादी प्रजनन तथा शिशु सेवाओं, आपूर्तियों तथा आधारभूत ढांचे से संबंधित ज़रूरतों पर विशेष ध्यान देना।

प्रश्न 6.
प्रवास क्या होता है? इसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
प्रवास शब्द अंग्रेजी के Migration शब्द का हिंदी रूपांतर है जिसका अर्थ है अपने मूल स्थान को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाना। इसका अर्थ है कि अपने जन्म के स्थान को छोड़कर कहीं और जाकर बस जाने को प्रवास कहते हैं, व्यक्ति कभी-कभी अपने मूल स्थान पर भी आ-जा सकता है। यह चार प्रकार का होता है। पहला है दैनिक प्रवास, जिसमें लोग काम, व्यवसाय या शिक्षा के लिए अपना गाँव या शहर छोड़ कर दूसरे बड़े शहर में जाते हैं तथा काम खत्म होने के बाद शाम को वापस आ जाते हैं।

दूसरा है मौसमी प्रवास जिसमें किसी खास मौसम में लोग एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं फिर मौसम के खात्मे के बाद वापस आ जाते हैं; जैसे कि फसल की कटाई के समय पर। तीसरा है आकस्मिक प्रवास जिसमें कुछ विशेष हालात पैदा हो जाते हैं तो व्यक्ति को प्रवास करना पड़ जाता है; जैसे बीमारी या किसी और कारण से। चौथा और आखिरी प्रकारं है स्थायी प्रवास, जिसमें व्यक्ति अपना गांव, शहर या देश छोड़कर दूसरे गांव, शहर या देश में रहने चला जाता है।

प्रश्न 7.
भारत के संविधान में लिखित 22 भाषाएं कौन-सी हैं?
उत्तर:

  1. मणिपुरी
  2. नेपाली
  3. सिंधी
  4. संस्कृत
  5. बंगला
  6. तेलुगू
  7. गुजराती
  8. कन्नड़
  9. उड़िया
  10. असमी
  11. उर्दू
  12. कश्मीरी
  13. तमिल
  14. पंजाबी
  15. मराठी
  16. मलयालम
  17. हिंदी
  18. कोंकणी
  19. डोगरी
  20. संथाली
  21. मैथिली
  22. बोडो।

प्रश्न 8.
भारत में कितने-कितने लोग किस-किस धर्म को मानते हैं?
उत्तर:
भारत में 79.5% लोग हिंदू धर्म को, 13.4% लोग इस्लाम को, 2.4% लोग ईसाई धर्म को, 2.1% लोग सिक्ख धर्म को, 0.8% लोग बौद्ध धर्म को, 0.8% जैन धर्म को तथा 0.4% लोग पारसी तथा अन्य जनजातीय धर्मों को मानते हैं।

प्रश्न 9.
माल्थस ने जनसंख्या नियंत्रण के कौन-से दो अवरोध बताए हैं?
अथवा
कृत्रिम अवरोध क्या है?
अथवा
प्राकृतिक निरोध क्या है?
उत्तर:
माल्थस के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण में दो प्रकार के अवरोध होते हैं-
(i) प्राकृतिक अवरोध-जो अवरोध प्रकृति की तरफ से लगाए जाते हैं उन्हें प्राकृतिक अवरोध कहते हैं। इसकी वजह से मृत्यु दर बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर, युद्ध, बीमारी, अकाल, भूकंप, सुनामी, बाढ़ इत्यादि। यह प्राकृतिक अवरोध बेहद कष्टदायी होते हैं पर इनसे जनसंख्या में काफ़ी कमी आ जाती है। चाहे जनसंख्या के कम होने से जनसंख्या तथा खाद्य पदार्थों के बीच कुछ समय के लिए संतुलन आ जाता है पर यह स्थाई नहीं होता। जनसंख्या फिर बढ़ती है, फिर प्रकृति इसे कम कर देती है। यह चक्र चलता रहता है तथा इसे माल्थसियन चक्र कहते हैं।

(ii) प्रतिबंधक अवरोध-इस प्रकार के अवरोध को माल्थस ने मनुष्यों के द्वारा किया गया प्रयत्न कहा है। इसे दो भागों में बांटा है-नैतिकता तथा कृत्रिम साधनों द्वारा प्रतिबंध। नैतिक प्रतिबंध में माल्थस के अनुसार व्यक्ति अपने विवेक का प्रयोग करके जनसंख्या नियंत्रण के बारे में कहता है। कृत्रिम साधनों में माल्थस उन साधनों के बारे में बताता है जो व्यक्ति ने जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए कृत्रिम रूप से बनाए हैं। माल्थस नैतिक अवरोध को सही तथा कृत्रिम साधनों के प्रयोग को पाप तथा अधर्म मानता है।

प्रश्न 10.
भारत की सन् 1951 तथा 2001 में कुल जनसंख्या कितनी थी?
उत्तर:
भारत में 1951 में जनसंख्या 36.11 करोड़ थी जिसमें 29.9 करोड़ लोग ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 6.2 करोड़ लोग शहरों में रहते थे। 2001 में भारत की जनसंख्या 102.70 करोड़ थी जिसमें 74.2 करोड़ लोग ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 28.5 करोड़ लोग शहरों में रहते हैं।

प्रश्न 11.
हमारे रहन-सहन के निचले स्तर के लिए जनसंख्या विस्फोट कैसे ज़िम्मेदार है?
उत्तर:
यह ठीक है कि हमारे घटते रहन-सहन के लिए जनसंख्या विस्फोट ज़िम्मेदार है। जनसंख्या तो बढ़ गई है परंतु प्रति व्यक्ति आय उतनी नहीं बढ़ पाई है बल्कि कम हो गई है। अगर जनसंख्या ज्यादा बढ़ जाए तथा राष्ट्रीय आय उतनी न बढ़े तो विकास दर कम हो जाती है तथा देश ग़रीब हो जाता है। जनसंख्या तो बढ़ी है पर राष्ट्रीय आय नहीं बढ़ पाई है। प्रति व्यक्ति आय कम होने की वजह से व्यक्ति उपभोग कम कर पाता है जिस वजह से जीवन स्तर कम हो जाता है। इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है तथा कार्य क्षमता कम होती है।

प्रश्न 12.
बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण बहुत ज़रूरी है, क्योंकि-

  1. इससे प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है।
  2. इससे बचत की मात्रा बढ़ती है तथा पूंजी निर्माण में वृद्धि होती है।
  3. इससे जीवन स्तर ऊँचा उठता है।
  4. इससे कई समस्याएं जैसे ग़रीबी, बेरोज़गारी इत्यादि हल हो जाती हैं।
  5. इससे कीमतों में कमी आती है तथा खाद्य समस्या हल हो जाती है।
  6. जनकल्याण पर ज्यादा पैसा खर्च हो सकता है।

प्रश्न 13.
बढ़ती जनसंख्या को कैसे कम किया जा सकता है? दो उपाय बताओ।
अथवा
जनसंख्या वृद्धि को कम करने के उपाय बताएँ।
उत्तर:

  1. देश में कृषि उत्पादन बढ़ा कर तथा उद्योगों का जल्दी विकास करना चाहिए ताकि प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो। इससे जीवन स्तर ऊँचा उठेगा तथा लोग बच्चे कम पैदा करेंगे।
  2. ऊँचे जीवन स्तर के लिए शिक्षा देने की ज़रूरत है ताकि लोग कम बच्चे पैदा करने प्रति जागरूक रहें। इसके लिए वह परिवार नियोजन का सहारा लेंगे तथा जनसंख्या वृद्धि कम हो जाएगी।

प्रश्न 14.
जनसंख्या आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर:
अगर जनसंख्या ज्यादा है तो उसका आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उत्पादन से ज्यादा उपभोग करने वाले ज्यादा होंगे तो देश के संसाधन जल्दी खत्म हो जाएंगे जिससे देश की राष्ट्रीय आय कम हो जाएगी तथा देश ग़रीब हो जाएगा। अगर देश की जनसंख्या कम होगी तो उसका देश के आर्थिक विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उपभोग करने वालों से ज्यादा उत्पादन करने वाले होंगे। देश के संसाधन ज्यादा समय तक चल सकेंगे। देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ी रहेगी तथा राष्ट्रीय आय भी ज्यादा होगी। जीवन स्तर ऊँचा रहेगा। इस तरह देश की कम या ज्यादा जनसंख्या आर्थिक विकास पर प्रभाव डालती है।

प्रश्न 15.
जनसंख्या बढ़ने से क्या हानियां होती हैं?
उत्तर:

  1. जनसंख्या बढ़ने से बेरोज़गारी, ग़रीबी इत्यादि बढ़ती है।
  2. जनसंख्या बढ़ने से जीवन स्तर निम्न हो जाता है।
  3. इससे स्वास्थ्य हमेशा ख़राब रहता है।
  4. देश में खाद्य समस्या पैदा हो जाती है।
  5. आर्थिक विकास, राष्ट्रीय तथा प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है।

प्रश्न 16.
जनसंख्या घटने के क्या फायदे हैं?
उत्तर:

  1. इससे जीवन स्तर अच्छा होता है।
  2. इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  3. सभी को रोजगार मिल जाता है।
  4. रोजगार मिलने से निर्धनता कम हो जाती है।
  5. सभी की ज़रूरतों की पूर्ति हो जाती है।

प्रश्न 17.
भारत में पुरुष-स्त्री अनुपात के बारे में बताएं।
उत्तर:
अगर हम भारत में पुरुष-स्त्री अनुपात को देखें तो सभी के लिए काफ़ी चिंता का विषय है जो लगातार कम हो रहा है। लड़का प्राप्त करने की इच्छा में हम लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही मार देते हैं जिस कारण स्त्रियों की संख्या लगातार कम हो रही है। हमारे देश में केरल जैसे केवल एक दो प्रदेश ही हैं जहां पर स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है। निम्नलिखित तालिका से सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।

वर्षस्त्री-पुरुष अनुपात
(सभी आयु वर्गों में)
1951946
1961941
1971930
1981934
1991927
2001933
2011940

प्रश्न 18.
भारत के मानचित्र पर बाल स्त्री-पुरुष अनुपात को समझाएं।
उत्तर:
HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना 1
इस मानचित्र को देखकर पता चलता है कि कई राज्यों में जैसे कि केरल, आंध्र प्रदेश इत्यादि में यह 950 से अधिक है तथा कई राज्यों जैसे कि पंजाब में यह 800 से भी कम है। इस मानचित्र से हमें पता में बाल स्त्री-पुरुष अनुपात में कितनी असमानता है।

प्रश्न 19.
भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रम इतना अधिक सफल क्यों नहीं हो पाया है?
उत्तर:
(i) भारत के लोग धार्मिक विश्वासों में बंधे हुए हैं जो भाग्य पर विश्वास करते हैं कि भाग्य में जितने बच्चे हैं उतने तो होंगे ही। इसलिए वह परिवार नियोजन की तरफ ध्यान नहीं देते हैं।

(ii) हमारे देश में लोगों के पास पर्याप्त संतान निरोधकों की कमी है। लोगों के पास जितने भी संसाधन उपलब्ध हैं उनका भी वह ठीक से प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण यह कार्यक्रम अधिक सफल नहीं हुआ है।

(iii) भारत में लोग अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं जिस वजह से यह छोटे परिवार के लाभों के बारे में ठीक तरह से नहीं जानते हैं। उन्हें नहीं पता है कि अधिक बच्चे होने से निर्धनता आती है तथा उनका भरण पोषण भी ठीक ढंग से नहीं हो पाता है।

(iv) परिवार कल्याण कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाया जाता है तथा इसमें हमेशा ही वित्तीय संसाधनों की कमी होती है। जितना भी पैसा इस कार्यक्रम को दिया जाता है, वह संपूर्ण देश के लिए काफ़ी नहीं होता है।

प्रश्न 20.
परिवार नियोजन कार्यक्रम को कैसे सफल किया जा सकता है?
उत्तर:
(i) सबसे पहले तो विवाह की निम्नतम आयु को कठोरता से लागू करना चाहिए ताकि पढ़-लिखकर वह इस कार्यक्रम के लक्ष्य को समझ सकें।।

(ii) बच्चों को अधिक-से-अधिक पढ़ाना चाहिए तथा उन्हें सरकार द्वारा पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि उन्हें छोटे परिवार के लाभों तथा बड़े परिवार की हानियों का पता चल सके।

(iii) परिवार नियोजन कार्यक्रम का विस्तार किया जाना चाहिए तथा इसमें स्वैच्छिक संगठनों की सहायता ली जानी चाहिए।

(iv) जो परिवार इस प्रकार के कार्यक्रमों को अपनाएं उन्हें विशेष प्रकार की सुविधाएं दी जानी चाहिएं।

प्रश्न 21.
आगबर्न तथा निमकॉफ के अनुसार गाँवों का विकास कैसे हुआ?
उत्तर:
आगबर्न तथा निमकॉफ ने गाँवों के विकास को तीन भागों में बांटा है-
(i) उनके अनुसार पहले चरण में मानव जंगलों में रहा करता था। जानवरों का शिकार करता था या कंदमूल इकट्ठे करके अपना पेट भरता था। यह उसकी घुमंतू या खानाबदोश अवस्था थी। जहां उसे खाना मिलता था वह वहां चला जाता था। इस स्तर पर गाँव का विकास संभव नहीं था।

(ii) दूसरे चरण में व्यक्ति ने जानवरों का शिकार छोड़कर उन्हें पालना शुरू कर दिया था। इसलिए उन्हें जानवरों के लिए चारा चाहिए होता था। इसलिए जहां उन्हें चारा मिलता वहीं बस जाते थे तथा जब खत्म हो जाता था वो वह जगह छोड़ देते थे। यह भी एक खानाबदोश जैसा ही स्तर था। इसलिए इस चरण में भी गाँव का विकास मुमकिन नहीं था।

(iii) तीसरे चरण में व्यक्ति को उगाने का पता चल गया था। जब उसे फसल या खाने की चीजें उगाने का पता चल गया तो उसने एक जगह पर रहना शुरू कर दिया क्योंकि वह खाने के लिए ही घूमता था। जब उसे खाना एक ही जगह पर मिलना शुरू हो गया तो वह एक ही जगह पर रहने लग गया। इस तरह और लोग भी उसके साथ रहने लग गए। इस तरह गाँव हमारे सामने आया। इस तरह कृषि अवस्था के शुरू होने के बाद गांव सामने आए।

प्रश्न 22.
गाँव के विकास की कौन-सी तीन अवस्थाएं हैं?
उत्तर:
(i) आदिम गाँव-गाँव के विकास में सबसे पहले हमारे सामने आदिम गाँव आए। यह कृषि की प्रारंभिक अवस्था थी। गाँव में रहने वाले आम तौर पर रक्त संबंधी हुआ करते थे। परिवार का मुखिया ही गाँव का मुखिया हुआ करता था। बहुत सीधे-सादे संबंध हुआ करते थे। निजी संपत्ति की धारणा अभी शुरू नहीं हुई थी। वस्तुओं का लेन-देन हुआ करता था।

(ii) मध्यवर्ती गाँव-यह आदिम तथा आधुनिक के बीच की अवस्था थी। गाँव में रक्त संबंधियों के अलावा और लोग भी रहने लगे। सामुदायिक भावना टूटने लगी। स्वार्थ तथा जनसंख्या भी बढ़ने लगी। कृषि के तरीके पुराने हुआ करते थे।

(iii) आधुनिक गांव-इस अवस्था में आदिम तथा मध्यवर्ती गांव की विशेषताएं लुप्त हो चुकी हैं। कृषि व्यवसायीकरण हो चुका है। कृषि करने के आधुनिक तरीके मशीनों के साथ होते हैं। निजी संपत्ति तथा स्वार्थ की भावना का बोलबाला होता है। यातायात तथा संचार के साधनों का विकास हो चुका है तथा वह गांव तक पहुंच चुके हैं। जनसंख्या काफ़ी बढ़ चुकी है।

प्रश्न 23.
आप कैसे कह सकते हैं कि गाँव एक सामाजिक इकाई है?
उत्तर:
यह सच है कि गाँव एक सामाजिक इकाई है। अगर हम ध्यानपूर्वक भारतीय गाँवों का अध्ययन करें तो हमें यह पता चलता है कि गाँव ही भारत की संस्कृति का मूल आधार है। भारत की 70% से ज्यादा जनसंख्या गाँवों में रहती है तथा इतनी ही जनसंख्या कृषि से संबंधित कार्यों में लगी हुई है। चाहे गांवों में परिवर्तन आ रहे हैं पर फिर भी एक इकाई के रूप में यह क्रियाशील है। ग्रामीण समाज भारतीय समाज की संरचना का प्रमुख आधार रहा है। गाँव में लोग मिल-जुल कर रहते हैं। सभी त्योहार मिल-जुल कर मनाते हैं। दुःख-सुख बांटते हैं, उनके संबंध अत्यधिक तथा प्राथमिक होते हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि गांव एक सामाजिक इकाई है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 24.
जजमानी प्रथा क्या होती है?
उत्तर:
भारतीय समाज में बहुत पुराने समय से एक प्रथा चली आ रही है जिसको जजमानी प्रथा का नाम दिया गया है। यह आम तौर पर गांवों में पाई जाती थी। ऑस्कर लेविस (Oscar Lewis) के अनुसार, “इस प्रथा के अंतर्गत एक गाँव में रहने वाले प्रत्येक जाति समूह से यह आशा की जाती है कि वह अन्य जातियों के परिवारों को कुछ प्रामाणिक सेवाएं उपलब्ध करें।”

इससे यह स्पष्ट है कि गाँवों में कुछ जाति समूह होते हैं जो दूसरी जातियों को अपनी सेवाएं देते हैं। इनको कमीन कहा जाता है। इस सेवा की एवज में सेवा लेने वाली जाति, जो कि जजमान कहलाती है, उन्हें अनाज, चावल इत्यादि देती थी ताकि वह अपना गुजारा कर सके। बारबर, धोबी, चर्मकार इत्यादि अपनी सेवा दिया करते थे। इसका यह फायदा था कि ऊँची निम्न जातियों में सद्भावना तथा अच्छे संबंध बने रहते थे। यह आमतौर पर परंपरागत हुआ करते थे। पिता के बाद उसका पुत्र काम किया करता था। अगर पत्र ज्यादा होते थे तो उनमें जजमान बंट जाया करते थे। कमीन को अनाज के साथ-साथ कभी-कभी पैसा भी मिलता था।

प्रश्न 25.
नगरीकरण में बढ़ोत्तरी क्यों हो रही है?
अथवा
गाँव से नगरों की ओर प्रवसन तेज़ी से हो रहा है। क्यों?
उत्तर:

  1. देश का औद्योगीकरण हो रहा है।
  2. नगरों में सुविधाएं ज्यादा हैं।
  3. नगरों में शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि सेवाएं आसानी से प्राप्त हो जाती हैं।
  4. नगरों में रोजगार आसानी से प्राप्त हो जाता है।
  5. नगरों में सुरक्षा ज्यादा होती है।

प्रश्न 26.
गाँवों तथा नगरों में कछ समानताएं बताओ।
उत्तर:

  1. गाँवों तथा नगरों में भारत में समान चुनाव प्रणाली है।
  2. दोनों में राजनीतिक संबंध समान होते हैं।
  3. दोनों में अर्थव्यवस्था समान होती है।
  4. कानून दोनों के लिए समान हैं।
  5. पंचायतों तथा नगरपालिकाओं को समान अधिकार प्राप्त हैं।

प्रश्न 27.
ग्रामीण समुदाय में कौन-कौन से परिवर्तन आ रहे हैं?
उत्तर:

  1. अब गाँव के लोग शहरों की तरफ अधिक भाग रहे हैं।
  2. अब गाँव में भी शिक्षा प्राप्त करने की तरफ ध्यान दिया जाता है।
  3. अब कृषि करने के आधुनिक साधन प्रयोग हो रहे हैं।
  4. जाति प्रथा काफ़ी कमजोर पड़ गई है। उसकी जगह धीरे-धीरे वर्ग व्यवस्था सामने आ रही है।
  5. अब सामाजिक स्थिति जाति या परिवार के आधार पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत गुणों के आधार पर होती है।
  6. अब व्यक्तिवादिता का बोलबाला हो रहा है।
  7. अनौपचारिक संबंधों की जगह औपचारिक संबंध बढ़ रहे हैं।
  8. मशीनीकरण के बढ़ने की वजह से कुटीर उद्योग नष्ट हो रहे हैं।

प्रश्न 28.
जनांकिकी का महत्त्व बताइए।
अथवा
जनांकिकी से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जनांकिकी मानव विज्ञान से संबंधित है जो जनसंख्या के वितरण पर ध्यान देती है। जनांकिकी में बहुत से तत्व शामिल किए जाते हैं जैसे कि मानवीय जनसंख्या का आकार, जनसंख्या की संरचना, उसका स्थानीय वितरण, जन्म दर, मृत्यु दर, विवाह, आवास, प्रवास, बेरोज़गारी, गतिशीलता इत्यादि। यदि सरकार को इन सभी आंकड़ों का ज्ञान हो तो सरकार जनता के कल्याण के लिए ठीक ढंग से प्रयास कर सकती है। सरकार इन आंकड़ों की सहायता से कई प्रकार की योजनाएं बना सकती है जिससे देश प्रगति कर सकता है। इसकी सहायता से देश में उत्पादन, उपभोग तथा वितरण को ठीक ढंग से संतुलित किया जा सकता है जिससे काफ़ी कुछ सामान खराब होने से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 29.
जनसंख्या विस्फोट क्यों होता है?
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है-जनसंख्या का अप्रत्याशित रूप से आवश्यकता से अधिक बढ़ जाना अर्थात् जनसंख्या का इतना अधिक बढ़ जाना कि उसके परिणाम विनाशकारी हों। यह वास्तव में उस समय होता है जब जन्म दर तथा मृत्यु दर में काफ़ी अधिक अंतर उत्पन्न हो जाए। सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं की सहायता से अलग अलग बिमारियों पर तो नियंत्रण कर लेती है तथा मृत्यु दर कम हो जाती है। परंतु इसके विपरीत जन्म दर में कमी नहीं आ पाती है जिस कारण जनसंख्या विस्फोट हो जाता है। इसके अतिरिक्त अनपढ़ लोगों को छोटा परिवार रखने के लाभ समझ में नहीं आते तथा वह बच्चे पैदा करते रहते हैं। इससे भी जनसंख्या विस्फोट हो जाता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक जनांकिकी क्या होती है? जनांकिकी के क्षेत्र तथा विषय सामग्री के बारे में बताएं।
अथवा
जनांकिकी का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
अथवा
जनांकिकी की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
Demography शब्द का हिंदी अर्थ जनांकिकी है। Demography शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है जनसंख्या के बारे में लिखना। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले गुलियार्ड (एक फ्रांसीसी विद्वान्) ने 1885 में किया था। जनांकिकी का अर्थ जनसंख्या की विशेषताओं का अध्ययन तथा विश्लेषण करने वाला विज्ञान है। दूसरे शब्दों में, मानव जनसंख्या के अध्ययन को जनांकिकी कहते हैं।

अलग-अलग विद्वानों ने जनांकिकी की परिभाषाएं अपने-अपने दृष्टिकोण से दी हैं इसलिए एक ही परिभाषा पर पहुंचना कठिन है। फिर भी हम अलग अलग विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं का वर्णन नीचे कर रहे हैं-
(1) गलियार्ड के अनुसार, “जनांकिकी एक गणितीय ज्ञान है जो जनसंख्या की समान गतियों, भौतिक, सामाजिक, बौद्धिक तथा नैतिक दशाओं का अध्ययन करती है और कहीं अधिक विस्तृत अर्थों में यह मानव जाति का प्राकृतिक और सामाजिक इतिहास है।”

(2) डोनाल्ड बोग के अनुसार, “जनांकिकी मानव जनसंख्या के आकार, संगठन, स्थानीय वितरण तथा उसमें प्रजनन, मृत्यु, विवाह, देशांतरण व सामाजिक गतिशीलता की पांच प्रक्रियाओं द्वारा समय-समय पर होने वाले परिवर्तनों का गणितीय तथा सांख्यिकीय अध्ययन है।”

(3) बेंजामिन के अनुसार, “जनांकिकी मानवीय जनसंख्या का एक समग्र के रूप में वृद्धि, विकास तथा गतिशीलता से संबंधित अध्ययन है।”

(4) हपिल के अनुसार, “जनांकिकी मानवीय जीवन का सांख्यिकीय अध्ययन है।”

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि जनांकिकी मानव विज्ञान से संबंधित है जो जनसंख्या के वितरण पर ध्यान देती है। जनांकिकी में जनसंख्या के गुणात्मक हिस्से तथा गणनात्मक हिस्से पर ध्यान दिया जाता है। अगर हम जनांकिकी के अर्थ विशाल अर्थों में लें तो इसमें कई प्रकार के तत्त्व शामिल किए जा सकते हैं जैसे मानवीय जनसंख्या का आकार, जनसंख्या की संरचना, उसका स्थानीय वितरण, जन्म दर, मृत्यु दर, विवाह, आवास, प्रवास, बेरोजगारी, गतिशीलता इत्यादि।

इन सब चीजों को हम जनांकिकी में शामिल कर सकते हैं क्योंकि ये सब चीजें जनांकिकी को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के तौर पर, जन्म दर के बढ़ने से जनसंख्या के आकार में बढ़ोत्तरी होगी तथा मृत्यु दर के बढ़ने से जनसंख्या के आकार में कमी आएगी। इस तरह जनांकिकी में वह सब चीजें सम्मिलित हो सकती हैं जो जनसंख्या के वितरण, उसके घनत्व को प्रभावित करती हैं।

जनांकिकी का क्षेत्र तथा विषय-सामग्री (Scope and Subject Matter)-जिस तरह किसी भी विषय के क्षेत्र तथा सामग्री के बारे में विद्वान् एक मत नहीं होते उसी तरह से जनांकिकी के क्षेत्र तथा विषय सामग्री के बारे में विद्वान् एक मत नहीं हैं। इसके बारे में हमें दो दृष्टिकोण व्यापक तथा संकुचित मिल जाते हैं। व्यापक दृष्टिकोण के समर्थकों में वांस, मूरे तथा स्पेंग्लर प्रमुख हैं तथा संकुचित दृष्टिकोण के समर्थकों में बर्कले, थाम्पसन एवं लेविस, हाऊजर एवं डंकन प्रमुख हैं। इन दोनों दृष्टिकोणों के कई अंतर हैं तथा इन अंतरों को स्पष्ट करने के लिए दो शब्दों का प्रयोग किया गया है जनांकिकी समष्टिभाव तथा जनांकिकी व्यष्टिभाव।

जनांकिकी व्यष्टिभाव में मनुष्य, उसके परिवार तथा समूह का अध्ययन विद्वान करते हैं जबकि जनांकिकी समष्टिभाव में मानव द्वारा निर्मित व्यवस्थाओं, उसकी संस्कृति तथा सामाजिक व्यवस्थाओं का अध्ययन किया जाता है। असल में, जनांकिकी में निगमन (Deductive) विधि का प्रयोग किया जाता है पर धीरे-धीरे इसमें आगमन (Inductive) विधि का प्रयोग होना शुरू हो गया है। इसीलिए जनांकिकी के क्षेत्र को समझने के लिए समष्टिभाव तथा व्यष्टिभाव का प्रयोग किया गया है। जनांकिकी को दो भागों में बांटा गया है

  • औपचारिक जनांकिकी प्रक्रियाएं जिनमें जन्म, मृत्यु, प्रवास, विवाह, तलाक आदि प्रक्रियाएं शामिल हैं।
  • अनौपचारिक जनांकिकी प्रक्रियाएं जिनमें विभिन्न आयु वर्ग, पुरुष-स्त्री अनुपात, जनसंख्या का आकार तथा मिश्रण को शामिल किया गया है।।

जनसंख्या से संबंधित आर्थिक तथा सामाजिक समस्याएं भी अनौपचारिक जनांकिकी में आते हैं। आजकल अनौपचारिक जनांकिकी सामाजिक जनांकिकी में बदल गई है क्योंकि जनांकिकी का एक विषय के रूप में धीरे-धीरे विकास हो रहा है। जनसंख्या का आकार, वितरण, बनावट, सामाजिक तथा आर्थिक कारक भी इसके क्षेत्र में आ गए हैं। जनांकिकी में परिवर्तन के साथ-साथ आजकल उन परिवर्तनों में कौन-से सामाजिक तथा आर्थिक कारण ज़िम्मेदार थे, उनका भी अध्ययन किया जाता है। जिस वजह से जनांकिकी का विश्लेषण अब वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है।

सामाजिक जनांकिकी का आधार सामाजिक प्रक्रियाएं हैं तथा यह आधार सामाजिक संरचनाओं को नियमित करता है। सामाजिक प्रक्रियाओं में सामाजिक, सांस्कृतिक लेन-देन, मूल्य, रीति-रिवाज, विश्वास, शिक्षा, पारिवारिक संरचना, गतिशीलता, वर्ग, जाति, विवाह, व्यवसाय, नातेदारी आदि अनेक बदलाव शामिल किए जाते हैं। जो समाजशास्त्री जनांकिकी का अध्ययन करता है, वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन ऊपर दी गई प्रक्रियाओं का भी अध्ययन करता है। वैसे आम तौर पर जनांकिकी में निम्नलिखित विषय शामिल किए जाते हैं-

  • जनसंख्या का वितरण (Distribution)-जनसंख्या का शहरों तथा गाँवों में वितरण, व्यवसाय तथा भौगोलिक वितरण इसमें शामिल है।
  • जनसंख्या का आकार-जनसंख्या का आकार कितना है, यह कौन-से कारकों से प्रभावित होता है। जन्म दर, मृत्यु दर, वृद्धि दर, आवास, प्रवास इत्यादि इसमें शामिल हैं।
  • जनसंख्या की विशेषता-जनसंख्या में कौन-कौन सी विशेषताएं हैं, और समाजों की जनसंख्या की विशेषताओं के साथ तुलनात्मक अध्ययन इसमें आता है।
  • जनसंख्या की संरचना-इसमें जनसंख्या की संरचना से संबंधित कई विषय; जैसे आयु संरचना, पुरुष-स्त्री लिंग अनुपात, शिक्षा, स्वास्थ्य का स्तर इत्यादि शामिल किए जाते हैं।
  • जनसंख्या में परिवर्तन-कौन-कौन से कारकों की वजह से जनसंख्या के आकार, संरचना इत्यादि में परिवर्तन आते हैं, सभी इसमें शामिल किए जाते हैं।
  • जनसंख्या की कई प्रकार की विशेषताएं होती हैं। इन विशेषताओं में क्यों परिवर्तन आते हैं, वह कौन-से कारक हैं, उन सब सामाजिक तथा आर्थिक कारकों का अध्ययन इसमें शामिल है।

इसके साथ-साथ अध्ययन करने की सुविधा की दृष्टि से निम्नलिखित विषयों से संबंधित विषय-सामग्री को भी इसमें शामिल किया जाता है।

  • जीवशास्त्र संबंधी-इसमें जन्म तथा मृत्यु दर, वृद्धि दर, मृत्यु तथा जन्म दर के कारण, लिंग अनुपात, आयु संरचना आदि चीजें शामिल की जाती हैं।
  • समाजशास्त्र संबंधी-इसमें वैवाहिक स्थिति, धर्म का स्वरूप, पारिवारिक संरचना, शिक्षा, जाति व्यवस्था, इत्यादि शामिल किए जाते हैं।
  • भूगोल संबंधी-इसमें जनंसख्या का भौगोलिक वितरण तथा उसके कारण शामिल किए जाते हैं।
  • अर्थशास्त्र संबंधी-इसमें रोजगार तथा बेरोज़गारी की स्थिति. जीवन-स्तर. आय का स्तर. खादय सामग्री का स्तर तथा वितरण, जनसंख्या की गतिशीलता, श्रम पूँजी का निर्माण, जनसंख्या की कार्य-क्षमता आदि शामिल हैं।

1954 के बाद से जनांकिकी के विषय को ज्यादा महत्त्व दिया जा रहा है, इसलिए इसके विषय में लगातार वृद्धि हो रही है। यही वजह है कि इसकी सीमा अभी कम है तथा इसको एक सीमा में बाँधना ठीक नहीं है।

प्रश्न 2.
भारत की बदलती जनांकिकी स्थिति के बारे में बताओ।
उत्तर:
भारत की बदलती सामाजिक जनांकिकी स्थिति को अच्छी तरह समझने के लिए अग्रलिखित कारकों को समझना ज़रूरी है-

  • जन्म दर एवं मृत्यु दर (Birth and Death Rate)
  • जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)
  • लिंग अनुपात (Sex Ratio)
  • साक्षरता (Literacy)
  • जन घनत्व (Population Density)
  • ग्रामीण एवं नगरीय जनसंख्या (Rural and Urban Population)
  • आयु संरचना (Age Structure)
  • धर्म (Religion)

(i) जन्म दर एवं मृत्यु दर (Birth and Death Rate)-किसी भी देश की जनसंख्या का ज्ञान प्राप्त करने के लिए यह ज़रूरी है कि उस देश की जन्म-मृत्यु दर की जानकारी हो। इस भिन्नता के आधार पर देश की जनसंख्या में वृद्धि या कमी का पता चल जाता है।

YearBirth Rate per 1000Death Rate per 1000Difference
190145.844.41.4
192148.148.6-0.5
195139.927.412.5
197141.219.021.2
199132.511.421.1
200127.09.018.0
201120.977.4813.49

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि आज़ादी के बाद जन्म दर में कमी आई पर साथ में स्वास्थ्य सेवाओं के बढ़ने की वजह से मृत्यु दर में भी काफ़ी कमी आई है। 1951 तक मृत्यु दर ज्यादा होने से जनसंख्या वृद्धि काफ़ी कम थी पर 1951-1991 में मृत्यु दर की अपेक्षा जन्म दर धीमी गति से कम हुई। देश में मृत्यु दर पर नियंत्रण पा लिया गया है। 1991 में मृत्यु दर 11.4 थी जो 2001 में 9 पर आ गई थी पर जन्म दर 27 थी इस वजह से जनसंख्या वृद्धि भी उच्च है। 2011 में जन्म दर 20.97% तथा मृत्यु दर 7.48% थी।

(ii) जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)-जीवन प्रत्याशा से अभिप्राय है कि एक निश्चित समय पर पैदा हुए व्यक्ति की आम हालातों में कितने वर्ष तक जीवित रहने की संभावना है। मानव बिकास रिपोर्ट के अनुसार 1997 में जन्म के समय विकसित देशों में यह 77.7 वर्ष, विकासशील देशों में 64.4 वर्ष तथा अल्प विकसित देशों में 51.7 वर्ष है।

Decadeभारत में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा
MalesFemalesOverall
1911-2119.420.920.1
1931-4132.131.431.8
1951-6141.940.641.2
1971-8154.154.754
1991-200162.5
2001-201165.7767.9566.8

इससे यह स्पष्ट है कि 1911-21 में भारत में जीवन प्रत्याशा मात्र 20 वर्ष थी जोकि 1951 में 32 वर्ष हो गई। 1941-51 के दौरान यह 32 वर्ष हो गयी। स्वतंत्रता के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में काफी सुधार हुआ जिस वजह से जीवन प्रत्याशा काफ़ी बढ़ गई है। सन् 2001 में यह बढ़कर 62.5 वर्ष हो गई है तथा 2011 में 66.8 वर्ष है।

(iii) लिंग अनुपात (Sex Ratio) लिंग अनुपात का अर्थ है 1000 पुरुषों के पीछे कितनी स्त्रियां हैं। 2001 में 53.1 करोड़ पुरुषों के पीछे 49.6 करोड़ महिलाएं थीं। इससे पता चलता है कि पुरुषों के पीछे औरतें काफ़ी कम हो रही हैं।

सन्आदमीऔरतें
19011000972
19111000964
19311000950
19511000946
19711000930
19911000927
20011000933
20111000940

इन आंकड़ों से पता चलता है कि 1901-2001 के 100 वर्षों में आम लिंगानुपात में कमी आई है। 1991 में महिलाएं कुछ बढ़ी हैं तथा 2001 में भी इसमें बढ़ोत्तरी हुई है। केरल ही एकमात्र राज्य है जहां यह अनुपात स्त्रियों के अनुकूल है। केरल में यह 1000 पुरुषों के बदले 1058 है। पांडिचेरी में यह अनुपात 1001 है। 2001 में हरियाणा में 861 तथा चंडीगढ़ में 773 था जो सब से कम है।

(iv) साक्षरता (Literacy)-साक्षरता जनसंख्या की संरचना का न केवल ज़रूरी तत्व है बल्कि यह उस देश के मानव विकास का सूचक भी है। 20वीं शताब्दी के शुरू में भारत में साक्षरता दर काफ़ी कम थी तथा 1947 तक इसमें धीमी गति से वृद्धि हुई। 1901 में साक्षरता दर 5.35% थी जिनमें पुरुष 9.83% तथा स्त्रियां 0.60% साक्षर थीं।

1951 में यह दर 27.16% पुरुष तथा 8.86% स्त्रियों की थी जबकि कुल साक्षरता दर 18.33% थी। 1951-2001 तक साक्षरता दर 18.33% से बढ़कर 65.38% हो गई है। 2001 की जनगणना के अनुसार यह दर 75.85% पुरुषों की तथा 54.16% स्त्रियों की थी तथा 2011 में यह 82.1% तथा 65.5% थी। इन दोनों के अंतर में निरंतर कमी आ रही है। 1991 तथा 2001 की जनगणना के अनुसार केरल, लक्षद्वीप में साक्षरता दर सब से अधिक है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

(v) जन घनत्व (Population Density)-जनसंख्या घनत्व भूमि एवं जनसंख्या में अनुपात दर्शाता है। जन घनत्व का अर्थ है औसतन एक वर्ग कि०मी० में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या। देश की जनसंख्या में वृद्धि के कारण घनत्व भी बढ़ रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार यह 361.75 प्रति वर्ग कि०मी० है। 2001 में यह 324 तथा 1991 में 267 था। देश में कई क्षेत्रों में घनत्व काफी ज्यादा है तथा कई क्षेत्रों में काफी कम है। 2001 में पश्चिम बंगाल का जनसंख्या घनत्व 904 दर्ज किया गया था जो कि सबसे ज्यादा है जबकि अरुणाचल प्रदेश में सबसे कम 13 था। दिल्ली में यह 9294 था जबकि अंडमान तथा निकोबार में 43 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० था।

(vi) ग्रामीण एवं नगरीय जनसंख्या (Rural and Urban Population)-देश की जनसंख्या की संरचना को सही ढंग से समझने के लिए ग्रामीण एवं शहरी जनसंख्या की जानकारी ज़रूरी है। 1901 से 2001 के 100 वर्षों के दौरान शहरों की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है।

वर्षजनसंख्या (करोड़ में)
ग्रामीणनगरीय
190124.32.6
192122.32.8
193124.63.3
195129.96.2
197143.910.9
199162.921.8
200174.228.5
201183.337.7

इन आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि 1901 में केवल 10.8% लोग नगरों में रहते थे। 1951 में 82.7% लोग गांव तथा 17.3% लोग शहरों में रहते थे। 2001 में यह 72.2% तथा 27.8% हो गई तथा 2011 में यह 68.84% तथा 31.16% है। इससे पता चलता है कि धीरे-धीरे गांव के लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। 2001 में सबसे ज्यादा नगरों में लोग गोवा (49.77%) रहते थे। हिमाचल में केवल 9.79% लोग नगरों में रहते हैं।

(vii) आयु संरचना (Age Structure)-भारत की आयु संरचना देश की जनसंख्या का रोचक चित्र पेश करती है।
HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना 2
1991 की जनगणना के अनुसार 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों की संख्या 36% थी। 57% लोग 15-59 वर्ष की आयु वर्ग में थे जबकि 60 से ऊपर वाले 7% थे। विभिन्न जनगणनाओं से पता चलता है कि 14 वर्ष तक की आयु में निरंतर कमी हो रही है जबकि 60 व अधिक आयु वर्ग की जनसंख्या बढ़ रही है। यह जीवन प्रत्याशा के बढ़ने की वजह से है।

(vii) धर्म (Religion)-भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं। 1991 की जनगणना के अनुसार 82.4% लोग हिंदू थे। जनगणना के अनुसार 1961 में हिंदू 83.5% पर यह 1991 में घटकर 82.4% रह गए। हिंदू कम हो रहे हैं पर मुसलमानों की संख्या 1961 में 10.7% से बढ़कर 1991 में 11.7 पहुँच गई। इस तरह इस के दौरान हिंदुओं में 1% कमी आई है पर मुसलमान 1% बढ़े हैं। 1961-91 में ईसाइयों एवं जैनियों की जनसंख्या प्रतिशत में कमी आई है जबकि सिक्खों व बौद्धों की जनसंख्या बढ़ी है।

इस तरह हम देख सकते हैं कि भारत में जनांकिकी संख्या या जनांकिकी में लगातार परिवर्तन आ रहे हैं।

प्रश्न 3.
भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति-1976 तथा राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के बारे में बताएं।
अथवा
भारत की जनसंख्या नीति-2000 का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या में 1947 के बाद काफ़ी बढ़ोत्तरी हई क्योंकि आजादी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं के बढ़ने से मृत्यु दर में कमी आयी। चाहे जन्म दर में भी कमी आयी पर इतनी तेजी से नहीं जितनी तेजी से मृत्यु दर में कमी आयी। इसलिए देश में दो बार राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 1976 तथा 2000 में बनी जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 1976-25 जून-1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में आपात्काल की घोषणा कर दी जो कि 1977 तक चली। आपात्काल के दौरान 1976 में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की गई जिसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 15 वर्ष से बढ़ा कर 18 वर्ष तथा लड़कों की 18 वर्ष से 21 वर्ष कर दी गई।
  • सरकार स्त्री शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए विशेष प्रावधान करेगी।
  • पुरुष-स्त्री द्वारा परिवार नियोजन के लिए बंध्यीकरण (Sterlization) कराने के लिए मुआवजे की राशि में वृद्धि कर दी गई।

आपात्काल का लाभ उठाते हुए सरकार ने बंध्यीकरण को तेज़ कर दिया तथा लाखों लोगों का उनकी इच्छा के विरुद्ध बंध्यीकरण कर दिय 82 लाख लोगों को बंध्यीकरण किया गया जो कि अपने आप में एक रिकार्ड है।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000-सरकार ने अलग-अलग स्वैच्छिक संगठनों, विद्वानों तथा जनांकिकी में रुचि रखने वाले लोगों तथा सरकारी तंत्र से विचार-विमर्श करके राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 बनाई जिसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • शिशु मृत्यु दर प्रति हज़ार 30 से नीचे लाना।
  • मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख जन्मों पर 100 से कम लाना।
  • कन्या विवाह को देरी से करने को बढ़ावा देना।
  • जन्म-मृत्यु, विवाह व गर्भावस्था का शत-प्रतिशत पंजीकरण करना।
  • प्रजनन विनियमन के लिए सूचना, सलाह तथा सेवाओं को सब लोगों तक पहुंचाना।
  • गर्भ निरोधक तरीकों के व्यापक तरीकों का पता लगाना तथा लोगों को इसकी जानकारी देना।
  • 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को मुफ्त तथा ज़रूरी शिक्षा के लिए कदम उठाना।
  • एड्स प्रसार को रोकना।
  • परिवार कल्याण तथा जन केंद्रित कार्यक्रमों में तालमेल बिठाना।

इस तरह इन दोनों नीतियों का मुख्य उद्देश्य जनंसख्या में कमी लाना है। कहा जाता है कि 1956-2000 के दौरान 25 करोड़ बच्चों को पैदा होने से रोका जा सका है।

प्रश्न 4.
भारतीय जनसंख्या नीति की विशेषताओं तथा उपलब्धियों के बारे में चदा
अथवा
भारत की जनसंख्या नीति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आज भारत की जनसंख्या 10 5 करोड़ से ऊपर हो चुकी है। यह दुनिया में सिर्फ चीन से कम है। कहा जाता है कि जिस रफ़्तार से भारत की जनसंख्या बढ़ रही है अगर उसी हिसाब से बढ़ती रही तो 292) तक भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। भारत सरकार इस पक्ष से काफ़ी चिंतित है। इसलिए उसने समय समय पर कई प्रकार की जनसंख्या नीतियां बनाई हैं। इन सभी नीतियों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

जनसंख्या नीति की विशेषताएं-
(i) कम जन्म दर (Reduction of Birth Rate)-1947 के बाद से वर्तमान समय तक मृत्यु दर में काफ़ी कमी आयी है। जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए ज़रूरी है कि जन्म दर कम हो तभी जनसंख्या कम हो सकती है। इस को ध्यान में रखते हुए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कई विधियों को अपनाया जा रहा है। अप्रत्यक्ष तरीकों में गरीबी हटाओ कार्यक्रम, स्त्रियों में शिक्षा का विस्तार तथा साक्षरता दर में वृद्धि करना है। इसके साथ ही विवाह के लिए आयु निश्चित करने से भी जन्म दर कम हो सकती है।

(ii) विस्तृत विषय क्षेत्र (Wider Scope)-जनसंख्या नीति का विषय क्षेत्र अति व्यापक है। इसके अंतर्गत जनसंख्या नियंत्रण की विधियों के अलावा दूसरे कार्यक्रमों, जैसे स्वास्थ्य, माताओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य को भी लिया जाता है। वास्तव में यह कार्यक्रम परिवार कल्याण कार्यक्रम में विकसित हो रहा है।

(iii) स्वैच्छिक नीति (Voluntary Policy)-भारत सरकार द्वारा अपनायी जनसंख्या संबंधी नीति एक स्वैच्छिक नीति है जिसका उद्देश्य लोगों की मदद से जनसंख्या पर नियंत्रण करना है। इसके अंतर्गत लोगों को छोटे परिवार के लाभों के बारे में बताया जाता है तथा उन्हें जन्म दर कम करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है।

(iv) विभिन्न विधियाँ (Different Methods) इस नीति का उद्देश्य जन्म दर को कम करना है जिसके लिए कई विधियों को अपनाया जाता है। परिवार नियोजन केंद्रों में लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि लोगों को इन विधियों के प्रयोग में कोई परेशानी न आ सके।

(v) प्रचार (Propoganda) परिवार नियोजन कार्यक्रम एक बड़े पैमाने पर शुरू किया गया है। लोगों को मुफ्त या कम कीमत पर सामग्री बांटी जाती है। इसके साथ-साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम का प्रचार दूरदर्शन, मैगज़ीन, रेडियो, समाचार-पत्र, किताबों इत्यादि की मदद से किया जाता है। इस कार्यक्रम की विधियों को लोगों को बताने के लिए डॉक्टरों तथा नसों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।

(vi) संगठन एवं शोध (Organization and Research)-परिवार नियोजन कार्यक्रम संबंधी पैसे केंद्र सरकार देती है पर कार्यक्रम को राज्य सरकार लागू करती है। यह कार्यक्रम पंचायत से शुरू किया जाता है ताकि सभी को प्रतिनिधित्व तथा प्रशिक्षण मिल सके। जन्म दर को कम करने की विधियों की लोगों को जानकारी दी जाती है तथा इसके बारे में शोध भी जारी है।

जनसंख्या नीति की उपलब्धियाँ
(Achievements of India’s Population Policy)
भारत में जनसंख्या नीति की उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:
(i) जन्म दर में कमी (Decline in Birth Rate)-आजादी के बाद भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ी क्योंकि मृत्यु दर में कमी आयी है। मृत्यु दर में कमी के साथ-साथ सरकार ने जन्म दर में कमी के लिए भी उपाय किए हैं। इसके लिए जनसंख्या नीति तैयार की गई। 1951 में जो जन्म दर 40 प्रति हज़ार थी वह 2001 में कम होकर 27 प्रति हज़ार रह गई है। इस तरह जन्म दर में कमी जनसंख्या नियंत्रण का एक महत्त्वपूर्ण उपाय है।

(ii) मृत्यु दर में कमी (Decline in Death Rate)-आजादी से पहले स्वास्थ्य सेवाओं की कमी थी क्योंकि सरकार विदेशी थी। आज़ादी के बाद अपनी सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से विस्तार किया जिस कारण मृत्यू दर में काफ़ी कमी आयी है। 1951 में मृत्यु दर 27.4 थी जो कि 2001 में कम होकर 9 रह गई है। भारत में मृत्यु दर दूसरे सभी विकासशील देशों से कम है।

(iii) जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) आज़ादी से पहले स्वास्थ्य सेवाओं की कमी की वजह से जीवन प्रत्याशा कम थी पर आज़ादी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोत्तरी तथा जनसंख्या नियंत्रण के लिए किए गए प्रयासों के कारण जीवन प्रत्याशा लगभग दुगुनी हो गई है। 1951 में व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा 32 वर्ष थी जो कि 2001 में 62.5 वर्ष हो गई है। यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि पुरुषों की जगह महिलाओं में जीवन प्रत्याशा अधिक है जोकि 1951 से उलट है।

(iv) बंध्यीकरण (Sterlization)-बंध्यीकरण या नपुंसीकरण जन्म दर नियंत्रण का एक अच्छा, लोकप्रिय तथा हानि रहित तरीका है। यह एक प्रकार का छोटा-सा आप्रेशन होता है जिससे व्यक्ति की प्रजनन शक्ति को खत्म कर दिया जाता है। 1956 में यह संख्या 7153 थी जोकि 1967-68 में 18 लाख, 1976-77 में 80 लाख तथा 1999-2000 तक यह 6 करोड़ तक पहुंच गई थी।

(v) शिशु मृत्यु दर में कमी (Decline in Infant Mortality Rate)-आजादी के बाद से अब तक शिशु मृत्यु दर आधे से भी कम रह गई है। 1951 में यह दर 146 थी जोकि 2001 में कम होकर सिर्फ 70 रह गई है।

इस तरह इन सब को देखकर हम कह सकते हैं कि भारत में सरकार ने कई प्रकार के कार्यक्रम चला कर जनसंख्या को नियंत्रण में रखने की कोशिश की है तथा इसमें काफ़ी हद तक सफलता भी पाई है। चाहे मृत्यु दर की अपेक्षा जन्म दर आज भी काफ़ी ज्यादा है पर फिर भी सरकार इसको कम करने के प्रयास कर रही है।

प्रश्न 5.
भारत की जनसंख्या नीति की कमजोरियां तथा इसके बेहतर परिणामों के लिए अपने सुझाव दें।
अथवा
परिवार नियोजन कार्यक्रम की कमजोरियों तथा इसके बेहतर परिणामों के लिए सुझाव दें।
उत्तर:
भारत को आजाद हुए 60 वर्ष से अधिक हो चुके हैं तथा भारत की आबादी इस समय 105 करोड़ से ऊपर पहुंच चुकी है। आजादी से पहले जन्म दर तथा मृत्यु दर में ज्यादा अंतर नहीं था। अगर जन्म दर ज्यादा थी तो मृत्यु दर भी उसके आस-पास ही थी क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव था। आज़ादी के बाद सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को उन्नत करने पर काफ़ी ध्यान दिया। अस्पताल, डिस्पैंसरी इत्यादि हज़ारों की संख्या में खोले गए ताकि लोग बीमारी की वजह से न मरें।

इन प्रयासों की वजह से मृत्यु दर में काफ़ी ज्यादा कमी आयी। 1951 में जो 27 थी वह 2001 में केवल 9 तक रह गयी। पर इसके साथ-साथ सरकार ने जन्म दर में भी कमी करने की कोशिश की। चाहे जन्म दर में भी कमी आयी है पर फिर भी उतनी तेजी से नहीं आयी है जितनी तेजी से यह मृत्यु दर में आयी है। सरकार के बहुत से प्रयासों के बावजूद परिणाम संतोषजनक नहीं रहे हैं। परिवार नियोजन के कार्यक्रम पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं। इसके कई कारण हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है:
(i) उच्च जन्म दर (High Birth Rate) भारत में परिवार नियोजन कार्यक्रमों पर सरकार ने पिछले 50 वर्षों में अरबों रुपये खर्च कर दिए हैं। हर साल बजट में इन पर खर्च की जाने वाली रकम बढ़ा दी जाती है पर फिर भी यह 1951 में 40 से कम होकर 2001 में केवल 27 तक पहुँच पायी है जबकिं विकसित देशों अमेरिका, जापान, इत्यादि में यह केवल 10 प्रति हज़ार है।

(ii) निम्न जीवन प्रत्याशा (Low Life Expectancy)-1951 में भारत में जीवन प्रत्याशा 32 वर्ष थी जोकि स्वास्थ्य सेवाओं की वजह से 2001 में 62.5 वर्ष हो गई है। विश्व में यह 66 वर्ष, विकसित देशों में यह 78 वर्ष है तथा विकासशील देशों में यह 64 वर्ष है जोकि भारत से ज्यादा है। अतः औसत आयु के बढ़ने के बावजूद भी यह और देशों की तुलना में काफ़ी कम है।

(iii) उच्च शिशु मृत्यु दर (High Infant Mortality Rate)-भारत में शिशु मृत्यु दर भी काफ़ी उच्च है। देश में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर 98 है जबकि दुनिया के 138 और देशों में यह भारत से काफ़ी कम है। यहां तक कि कई देशों में यह 10 से भी कम है।

(iv) यह केवल सरकारी कार्यक्रम बन कर रह गया है (It remained aGovernment Programme)-परिवार कल्याण तथा परिवार नियोजन कार्यक्रमों को सहायता पूरी तरह से केंद्र सरकार देती है पर यह सारे कार्यक्रम राज्य सरकारें कार्यान्वित करती हैं। इतने लंबे समय से चले आ रहे कार्यक्रमों को अभी भी जनता से नहीं जोड़ा जा सका है। फलस्वरूप लोग इसे सरकारी कार्यक्रम मानते हैं तथा इसके साथ नहीं जुड़ते।

(v) खर्च पर अधिक ध्यान (More Care on Spending)-भारत की जनसंख्या नीति की यह कमज़ोरी रही है कि इन कार्यक्रमों के लिए जो पैसा दिया जाता है, उसे समय से पहले ही खर्च करने पर बल दिया जाता है। इस बात को नहीं देखा जाता कि जिन लोगों के ऊपर धन खर्च किया जा रहा है उन पर खर्च करना ज़रूरी है या नहीं।

इसके अलावा लोगों की अनपढ़ता, ग़रीबी इन कार्यक्रमों को अपनाने के प्रति संकोच भी इन नीतियों की कमजोरी का एक कारण रही है।

बेहतर परिणामों के लिए सुझाव:
भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों से बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं:

  • युवाओं को देरी से विवाह करने के लिए प्रेरित करना ताकि वह समझदार हो जाएं तथा ज्यादा बच्चों के होने के नुकसान के बारे में समझ सकें।
  • महिलाओं को संतानोत्पति के अलावा और आर्थिक कामों में भागीदार बनाना ताकि वह आर्थिक तौर पर खुद ही सुदृढ़ हो सकें तथा परिवार के आकार के बारे में खुद फैसला कर सकें।
  • शत-प्रतिशत शिक्षा दर को प्राप्त करना ताकि लोग पढ़-लिख कर सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों को समझ कर अपना सकें।
  • जिन जातियों या धार्मिक समूहों में उच्च जन्म दर है उन पर परिवार नियोजन के विशेष कार्यक्रमों को लागू करना ताकि उनकी उच्च जन्म दर को नीचे लाया जा सके।
  • विवाह, जन्म तथा मृत्यु का पूरी तरह पंजीकरण करना ताकि सरकार को सही आंकड़े मिल सकें।
  • जनसंचार के माध्यमों के माध्यम से परिवार कल्याण तथा परिवार नियोजन के तरीकों का प्रचार करना ताकि लोग इनको अपना कर जन्म दर को कम कर सकें।

प्रश्न 6.
जनसंख्या वृद्धि के माल्थस के सिद्धांत तथा जनसांख्यिकीय संक्रमण के सिद्धांत का वर्णन करें।
अथवा
माल्थस के जनसंख्या के सिद्धांत को स्पष्ट करें।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि का माल्थस का सिद्धांत-जनसांख्यिकी के सबसे अधिक प्रसिद्ध सिद्धांतों में से एक सिद्धांत अंग्रेज़ राजनीतिक अर्थशास्त्री थॉमस माल्थस के नाम से जुड़ा है। माल्थस का कहना था कि जनसंख्या उस तुलना में अधिक तेजी से बढ़ती है जिस दर पर मनुष्य के भरण-पोषण के साधन बढ़ सकते हैं। इस कारण ही मनुष्य निर्धनता की स्थिति में रहने को बाध्य होता है क्योंकि जनसंख्या की वृद्धि की दर से अधिक होती है।

क्योंकि जनसंख्या वृद्धि दर कृषि उत्पादन की वृद्धि दर अधिक होती है इसलिए समाज की समृद्धि को एक ढंग से बढ़ाया जा सकता है तथा वह है जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण में रखा जाए। या तो मनुष्य अपनी इच्छा से जनसंख्या को नियंत्रण में रख सकते हैं या फिर प्राकृतिक आपदाओं से माल्थस का मानना था कि अकाल तथा महामारी जैसी विनाशकारी घटनाएं जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अपरिहार्य होती हैं। इन्हें प्राकृतिक निरोध कहा जाता है क्योंकि यह ही बढ़ती जनसंख्या तथा खाद्य आपूर्ति के बीच बढ़ते असंतुलन को रोकने का प्राकृतिक उपाय है।

माल्थस के अनुसार जनसंख्या नियंत्रण में दो प्रकार के अवरोध होते हैं-
(i) प्राकृतिक अवरोध-जो अवरोध प्रकृति की तरफ से लगाए जाते हैं उन्हें प्राकृतिक अवरोध कहते हैं। इसके कारण मृत्यु दर बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर युद्ध, बीमारी, अकाल, भूकंप, सुनामी, बाढ़ इत्यादि। यह प्राकृतिक अवरोध बेहद कष्टदायी होते हैं पर इनसे जनसंख्या में काफ़ी कमी आ जाती है। चाहे जनसंख्या के कम होने से जनसंख्या तथा खाद्य पदार्थों के बीच कुछ समय के लिए संतुलन आ जाता है पर यह स्थाई नहीं होता। जनसंख्या फिर बढ़ती है, फिर प्रकृति इसे कम कर देती है। यह चक्र चलता रहता है तथा इसे माल्थसियन चक्र कहते हैं।

(ii) प्रतिबंधक अवरोध-इस प्रकार के अवरोध को माल्थस ने मनुष्यों द्वारा किया गया प्रयत्न कहा है। इसे दो भागों में बांटा है-नैतिकता तथा कृत्रिम साधनों द्वारा प्रतिबंध। नैतिक प्रतिबंध में माल्थस के अनुसार व्यक्ति अपने विवेक का प्रयोग करके जनसंख्या नियंत्रण के बारे में कहता है। कृत्रिम साधनों में माल्थस उन साधनों के बारे में बताता है जो व्यक्ति ने जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए कृत्रिम रूप से बनाए हैं। माल्थस नैतिक अवरोध को सही तथा कृत्रिम साधनों के प्रयोग को पाप तथा अधर्म मानता है।

जनसांख्यिकीय संक्रमण का सिद्धांत–जनसांख्यिकीय विषय में एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत जनसांख्यिकीय संक्रमण का सिद्धांत है। इसका अर्थ है कि जनसंख्या में वृद्धि आर्थिक विकास के सभी स्तरों के साथ जुड़ी होती है तथा हरेक समाज विकास से संबंधित जनसंख्या वृद्धि के एक निश्चित स्वरूप के अनुसार चलता है। जनसंख्या वृद्धि के तीन मुख्य स्तर होते हैं। पहले स्तर में जनसंख्या वृद्धि कम होती है क्योंकि समाज कम विकसित तथा तकनीकी रूप से पिछड़ा होता है।

वृद्धि दर के कम होने के कारण जन्म दर तथा मृत्यु दर काफ़ी ऊँचे होने के कारण कम अंतर होता है। तीसरे चरण में भी विकसित समाजों में भी जनसंख्या वृद्धि दर कम होती है क्योंकि जन्म दर तथा मृत्यु दर दोनों ही कम होते हैं। इसलिए उनमें अंतर भी काफ़ी कम होता है। इन दोनों स्तरों के बीच एक तीसरी संक्रमणकालीन अवस्था होती है जब समाज पिछड़ी अवस्था से उस अवस्था में पहुँच जाता है जब जनसंख्या वृद्धि दर काफ़ी अधिक होती है।

संक्रमण अवधि जनसंख्या विस्फोट से इसलिए जुड़ी होती है क्योंकि मृत्यु दर को रोग नियंत्रण, स्वास्थ्य सुविधाओं से तेज़ी से नीचे कर दिया जाता है। परंतु जन्म दर इतनी तेजी से कम नहीं होती तथा जिस कारण वृद्धि दर ऊँची हो जाती है। बहुत-से देश जन्म दर को घटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, परंतु वह कम नहीं हो पा रही है।

प्रश्न 7.
ग्रामीण समुदाय क्या होता है? इसकी उत्पत्ति और विकास के बारे में बताओ।
अथवा
ग्रामीण समुदाय क्या है?
उत्तर:
भारत गाँवों का देश है। क्योंकि देश की आबादी की कुल जनसंख्या का तीन चौथाई भाग ग्रामीण क्षेत्रों में ही निवास करता है। 2001 की जनसंख्या के अंतरिम (Interim) आंकड़ों के अनुसार 72 प्रतिशत लोग गाँवों में और 28 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं। जीवन पद्धति आर्थिक क्रियाओं, सामाजिक जीवन, राजनैतिक व्यवस्थाओं या जनांकिक कारकों के आधार पर भारतीय समाज में मुख्यतः तीन प्रकार के समुदाय, ग्रामीण, नगरीय और जनजातीय पाए जाते हैं।

प्रत्येक समुदाय की भिन्न-भिन्न विशेषताएं हैं। यह माना जाता है कि जब से मानव ने अपने घुमंतू जीवन को छोड़कर एक स्थान पर रहकर कृषि कार्य को स्थायी रूप से अपनाया है तभी से गाँव का विकास हुआ है। इससे पहले मनुष्य अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए झुंड बना कर एक स्थान से दूसरे स्थान में जाता था और अपना जीवन व्यतीत करता था। गांवों का वर्तमान स्वरूप तथा विशेष ग्रामीण जीवन शैली हजारों वर्षों के गाँवों के उविकास का परिणाम है।

ग्रामीण समुदाय का अर्थ (Meaning of Village Community) विद्वानों ने गाँव या ग्रामीण शब्द की अनेक आधारों पर व्याख्या की है। कुछ विद्वानों का कहना है कि गाँव का अर्थ “किसानों की बस्तियों’ से है तथा कुछ इसे क्षेत्रीय समूह मानते हैं। कई विचारकों का मत है कि जहां पर आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से पिछड़े लोग रहते हैं उस स्थान को गाँव माना जाता है जबकि कुछ विचारकों के मतानुसार ग्रामीण शब्द की व्याख्या नगरीय शब्द के विपरीत की जानी चाहिए।

अतः नगरीय समुदाय की विशेषताओं के विपरीत विशेषताओं वाले समुदाय को ग्रामीण समझ लेना चाहिए। लोग जहां मुख्यतः कृषि व कृषि से संबंधित कार्यों को करते हैं। अनेक मतों के बावजूद ग्रामीण समुदाय की सही प्रकृति को दर्शाने के उद्देश्य से विभिन्न विचारकों की परिभाषाएं अग्रलिखित हैं

के० एन० श्रीवास्तव (K.N. Shrivastva) के अनुसार, “एक ग्रामीण क्षेत्र वह है जहां लोग किसी प्राथमिक उद्योग में लगे हए हों या प्रकृति के सहयोग से वस्तुओं का प्रथम बार उत्पादन करते हों।”

मैरिल तथा एलरिज (Merill and Elridge) के मतानुसार, “ग्रामीण समुदाय एक ऐसा समूह है जिसमें व्यक्ति व संस्थाएं एक छोटे से केंद्र के चारों ओर संगठित होती हैं तथा जिसके अंतर्गत सभी सदस्य सामान्य व प्राथमिक हितों द्वारा एक दूसरे से परस्पर बंधे रहते हैं।”

भारत सरकार द्वारा प्रकाशित भारत 1969 (India 1969) में लिखा है, “ग्रामीण जीवन से तात्पर्य वह सामुदायिक जीवन है जो अनौपचारिक, प्राथमिकता, सरल तथा परंपरागत संबंधों पर आधारित होता है और जो कृषि या कुटीर उद्योगों के द्वारा समाज की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।’

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि गांव या ग्रामीण समुदाय प्रकृति से निकटता वाला समुदाय है जिसमें प्राथमिक संबंधों की बहुलता होती है, कृषि व्यवसाय की प्रधानता होती है व कम जनसंख्या, गतिशीलता का अभाव व सामाजिक एकरूपता, सामान्य दृष्टिकोण व सहमति जैसी विशेषताएं पाई जाती हैं।

ग्रामीण समुदाय अथवा ग्राम की उत्पत्ति और विकास – (Origin and Development of Rural Community or Village):
ग्रामीण समुदाय प्राचीनतम समुदाय है। बोगार्डस (Bogardus) ग्रामीण समुदाय के संदर्भ में लिखते हैं कि “मानव समाज का पालन-पोषण ग्रामीण समुदाय में हुआ है।” ग्रामीण समुदाय का विकास मानव प्रकृति के अनुकूल की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप धीरे-धीरे हुआ है।

ऑगबर्न और निमकॉफ (Ogburm and Nimkaff) ने ग्रामीण समुदाय के विकास में निम्नलिखित भागों का उल्लेख किया है-
1. कृषि अवस्था (Agricultural Stage)-वास्तव में गांव का स्पष्ट रूप उस समय सामने आया जब मानव ने कृषि अर्थ-व्यवस्था आरंभ की। इस अवस्था में मानव ने कृषि करना सीखा व चलायमान जीवन त्याग कर एक स्थान पर रहकर स्थायी जीवन व्यतीत करना आरंभ किया। यह माना जाता है कि कृषि व्यवसाय का ज्ञान सर्वप्रथम स्त्रियों को हुआ चूंकि पुरुष शिकार की खोज में जंगलों में चले जाते थे जबकि स्त्रियां फूल-फल एकत्र करने व बच्चों के पालन-पोषण का कार्य करती थीं।

इसी कारण स्त्रियों को यह ज्ञान हुआ कि गुठली या बीज से दोबारा पौधा उग जाता है। इसी कारण आदिकाल में समाजों में स्त्रियां कृषि कार्य में निपुण होती थीं। कृषि कार्य के प्रारंभ होने के साथ ही मानव एक निश्चित भू-भाग या भूमि से बंध गया, परिणामस्वरूप गांव का सूत्रपात हुआ। कृषि को ग्रामीण समुदाय उत्पत्ति का मूलाधार भी कहा जा सकता है। कृषि व्यवस्था के प्रारंभ के पश्चात् भी ग्रामीण समुदाय के विकास के तीन चरण हैं

(i) आदिम गांव (Primitive Village)-आदिम गांव ग्रामीण समुदाय के विकास का प्रारंभिक स्तर था चूंकि इस स्तर में मानव को कृषि का ज्ञान नया-नया ही हुआ था। ये गांव कुटुंब के रूप में छोटे-छोटे गांव थे। इस गांव में नातेदारी की अहम भूमिका थी। ग्रामीण समुदाय 15-20 परिवारों का एक समूह होता था। भूमि सबकी साझी संपत्ति होती थी व संपूर्ण समुदाय की धरोहर मानी जाती थी।

गांव पर मुखिया का नियंत्रण होता था। विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अदल-बदल की व्यवस्था (Barter System) प्रचलित थी। आधुनिक काल में भी भारत की अनेक जनजातियों में गांवों के इसी प्रारंभिक स्वरूप के दर्शन होते हैं। जैसे कि बंगाल की संथाल, बिहार के मुंडा, राजस्थान की भील तथा गोंड जनजातियों इत्यादि में इस प्रकार के गांव देखने को मिलते हैं।

(ii) मध्यकालीन गांव (Medieval Village)-मध्यकालीन गांव आदिम काल के गांव से कुछ भिन्न था। इस काल तक पहुंचते गांव की आदिम काल की अनेक विशेषताएं होने लगीं। ग्रामीण समुदाय, जो रक्त संबंधों के आधार पर आधारित था तथा भाईचारे की भावना से बंधा हुआ था।

ये संबंध ढीले पड़ने लगे व भाईचारे की भावना में कमी आने लगी, इस काल में गांव की जनसंख्या में वृद्धि हुई व साथ ही साथ निजी संपत्ति व स्वार्थ की भावना पनपने लगी। गांवों का आकार विस्तृत हुआ तथा समाज दो वर्गों भू-स्वामी वर्ग तथा भूमिहीन वर्ग में बंट गया। इस काल में कृषि कार्यों को अधिक महत्त्व नहीं दिया गया जिससे कृषि व्यवसाय पिछड़ता गया।

(iii) आधुनिक गांव (Modern Village)-आधुनिक गांव, गांव के विकास का विकसित स्तर है। ग्रामीण समुदाय की जनसंख्या बढ़ने के कारण इनके आकार में भी वृद्धि हुई है तथा सामुदायिक भावना लोप हो रही है। आधुनिक ग्रामीण समुदाय नगरों के संपर्क में आ रहे हैं इससे इनकी संस्कृति व जीवन शैली दिन-ब-दिन प्रभावित हो रही है।

कृषि कार्य के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है व उत्पादन बड़ी-बड़ी मशीनों से हो रहा है। भूमि पर व्यक्तिगत अधिकार हो रहा है। गांव में भी लोग नगरों की सुविधाओं का लाभ उठाने लगे हैं। आधुनिक समय में जो गांव नगरों के समीप हैं वह गांव आधुनिक गांव श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

2. शिकार करने व फल-फूल एकत्र करने की अवस्था (Hunting and Food Collection Stage)-यह अवस्था मानव जीनव की प्रारंभिक अवस्था है। इसमें मानव फल-फूल एकत्र करता था व जंगली जानवरों का शिकार आदि करके अपनी भोजन संबंधी आवश्यकता की पूर्ति करता था। इस अवस्था में मानव को घर व वस्त्र आदि का तनिक भी ज्ञान न था। वह झुंड बनाकर भोजन की तलाश में जगह-जगह घूमता रहता था। इस तरह से मानव के जीवन में स्थिरता की कमी थी।

स्थिरता की कमी होने के कारण ग्रामीण समुदाय का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। इस प्रकार का सामाजिक आर्थिक स्तर भारत की अनेक जन-जातियों में देखने को मिलता है। अस कुकी तथा कोनयक, हैदराबाद के चेचूं, बिहार के विरहोर तथा खड़िया जनजातियां इस अवस्था को प्रकट करती हैं।

3. पशु-पालन अवस्था (Pastoral Stage) यह अवस्था प्रथम अवस्था का कुछ विकसित रूप है। यहां मानव ने पशुओं का शिकार करने के स्थान पर उन्हें पालना शुरू कर दिया। मानव ने पशुओं के चारे के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना आरंभ किया जहां चारा उपलब्ध होता था वहीं मानव रहना शुरू कर देते थे। इस अवस्था में जीवन कम घुमंतू होने के कारण सामाजिक, पारिवारिक व राजनीतिक आदि संगठनों का विकास होने लगा। इस प्रकार इस अवस्था में पहुंचते-पहुंचते मानव जीवनयापन साधनों में वृद्धि हुई व जनसंख्या में भी वृद्धि हुई।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

प्रश्न 8.
ग्रामीण समुदाय की प्रमुख विशेषताओं को विस्तार से लिखो।
अथवा
ग्रामीण समुदाय की कोई दो विशेषताएं दें।
उत्तर:
ग्रामीण समुदाय को इसकी विशेषताओं के आधार पर एक अलग समुदाय के रूप में जाना जाता है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. प्राथमिक संबंध (Primary Relations)-ग्रामी में व्यक्तियों में प्राथमिक संबंध पाए जाते हैं। गाँव का आकार लघु व सीमित होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जानता व पहचानता है। ग्रामवासियों में आपस के संबंध प्रत्यक्ष, घनिष्ठ व समीपता के होते हैं। इन संबंधों का आधार परिवार, पड़ोस व नातेदारी होती है। ग्रामवासियों के संबंध औपचारिकता व कृत्रिमता व दिखावे से दूर होते हैं। लोगों में परस्पर सहयोग की भावना होती है व उन पर प्राथमिक नियंत्रण होता है।

2. कृषि मुख्य व्यवसाय (Agriculture as the main Occupation)-भारतीय ग्रामीण समुदाय की मुख्य विशेषता कृषि व्यवसाय है। यहां पर 70% से अधिक लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कृषि व्यवसाय के आधार पर निर्भर हैं। गाँव में कृषि व्यवसाय मुख्य व्यवसाय होता है, परंतु इसके साथ ही कुछ लोग दूसरे व्यवसाय जैसे, मिट्टी के बर्तन, गुड़, रस्सी, चटाई व वस्त्र बनाने का काम भी करते हैं। भारतवर्ष की कृषि प्रकृति के साधनों पर निर्भर रती है। यदि प्राकृतिक परिस्थितियां अनुकूल हों तो फसल का उत्पादन अच्छा होता है अन्यथा प्रतिकूल परिस्थिति में उत्पादन कम व किसान की मेहनत अधिक होती है। कृषि भारत वर्ष की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है।

3. सीमित आकार (Limited Size)-ग्रामीण समुदाय में व्यक्ति प्रकृति के ऊपर निर्भर रहते हैं। प्रकृति पर प्रत्यक्ष निर्भरता ही इस समुदाय के आकार को छोटा व सीमित बनाती है। कृषि जन-जाति के जीवन-यापन का मुख्य आधार है व कृषि कार्य के लिए भूमि का अधिक मात्रा में होना अनिवार्य है। पर्याप्त भूमि के चारों ओर लोग अपना अपना घर बनाते हैं। इसलिए गांवों का आकार बहुत बड़ा नहीं होता है।

4. संयुक्त परिवार (Joint Family) संयुक्त परिवार प्रथा भारतीय गाँवों की मुख्य विशेषता है। संयुक्त परिवार में तीन या चार पीढ़ियों के लोग एक साथ एक घर में रहते हैं। इन सब लोगों का भोजन, संपत्ति व भूमि साझी होती है। ऐसे परिवारों का संचालन परिवार के वृद्ध व्यक्ति द्वारा होता है। परिवार का मुखिया ही परिवार का निर्णय लेता है व प्रत्येक सदस्य मुखिया की आज्ञा का पालन करता है। भारतवर्ष में परिवारों का आरंभिक रूप रेवार प्रणाली ही था। वर्तमान में बदलती परस्थितियों के साथ परिवार के स्वरूप में भी परिवर्तन आया है। संयुक्त परिवार एकांगी परिवारों में परिवर्तित हो रहे हैं। इन परिवारों में एक साथ दो पीढ़ियों के लोग अर्थात् पति-पत्नी व उनके अविवाहित बच्चे एक साथ रहते हैं।

5. सरल जीवन (Simple Living)-ग्रामीण व्यक्तियों का जीवन सरल व सादा होता है। प्रकृति के प्रत्यक्ष संपर्क के कारण गाँवों के व्यक्ति सीधे, सरल व छल रहित स्वभाव के होते हैं। गाँव के लोग नगरों की तड़क-भड़क व चमक-दमक के बनावटी जीवन से दूर होते हैं। गांव के लोग अपने परिवार व समुदाय के आदर्शों की रक्षा करता है। इन लोगों की आवश्यकताएं सीमित होती हैं। इनमें संघर्ष व मानसिक तनाव भी कम पाया जाता है। गाँव के लोग नगरों के जीवन को पसंद नहीं करते हैं उनकी पसंद साधारण भोजन, शुद्ध हवा व प्रेम सादगीपूर्ण व्यवहार है।

6. जजमानी व्यवस्था (Jajmani System)-जजमानी व्यवस्था भी भारतीय ग्रामीण समुदाय की एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत विभिन्न जातियां अपने-अपने परंपरागत व्यवसाय के द्वारा एक दूसरे की सहायता या सेवा करती हैं। ब्राह्मण विवाह, उत्सव व त्यौहारों के समय दूसरी जातियों के यहां धार्मिक क्रियाओं को पूरा करवाते हैं इसी तरह धोबी कपड़ा धोने, लुहार लोहे के औजार बनाने, बारबर बाल काटने, जुलाहा कपड़ा बुनने, कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाने व चर्मकार जूता इत्यादि बनाने का कार्य एक दूसरे के लिए करते हैं। इसके अंतर्गत एक जाति दूसरी जाति की सेवा करती है। इन सेवाओं के बदले में उन्हें अनाज व पैसे दिए जाते हैं। जो व्यक्ति सेवा प्रदान करता है उसे ‘प्रजानन’ या ‘कमीन’ या ‘सेवक’ कहा जाता है। जिन व्यक्तियों को सेवाएं प्रदान की जाती हैं उन्हें ‘जजमान’ कहा जाता है। इस प्रकार यह व्यवस्था पारस्परिक सहयोग के आधार पर विकसित व्यवस्था है।

7. सामुदायिक भावना (Community Feeling) ग्रामीण समुदाय का आकार सीमित होता है। अतः सदस्यों में अपने गांव के प्रति लगाव व हम की भावना (We Feeling) व भाईचारे की भावना पाई जाती है। ग्रामीण व्यक्ति संपूर्ण गांव या समुदाय के कल्याण के बारे में सोचते हैं। सभी लोग प्राकृतिक विपदाओं जैसे-बाढ़, भूकंप, सूखा, अकाल, महामारी आदि में सामूहिक रूप से मिलकर मुकाबला करते हैं। सब लोग मिलकर पूजा-पाठ व हवन यज्ञ आदि करते हैं तथा प्राकृतिक शक्तियों को खुश करने का प्रयास करते हैं। गांवों में व्यक्ति खुद को गांव से संबंधित करके गौरव महसूस करता है। बदलती परिस्थितियों के साथ ग्रामवासियों में सामुदायिक भावना में कमी आ रही है।

8. प्रकृति से घनिष्ठ संबंध (Close Contact with Nature)-ग्रामीण समुदाय का प्रकृति से समीपता का संबंध पाया जाता है। ग्रामीण लोग शुद्ध वायु, रोशनी, जल, सर्दी व गर्मी आदि प्राकृतिक दशा में जीवन व्यतीत करते हैं। इन लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि होता है। इसके अतिरिक्त मछली पकड़ना, पशु-पालन, शिकार व भोजन इकट्ठा करना आदि क्रियाएं भी ये लोग करते हैं।

इन सब कार्यों के लिए व्यक्ति को प्रकृति के प्रत्यक्ष संपर्क में रहना पड़ता है। किसान खेतों में काम करते समय हवा, धूप, छाया, वर्षा आदि से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होते हैं। ग्रामवासी ठंडी हवा व पानी को प्राप्त करने के लिए कृत्रिम संसाधनों का सहारा नहीं लेते हैं। ग्रामीण व्यक्ति अपने आपको मौसम के अनुकूल ढालते हैं व प्राकृतिक वातावरण में अपना जीवन निर्वाह करते हैं।

9. स्त्रियों की निम्न स्थिति (Lower status of Women) ग्रामीण य में स्त्रियों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति निम्न रही है। अशिक्षा व अज्ञानता के कारण स्त्रियों को अबला एवं दासी के रूप में समझा जाता रहा है। स्त्रियों की निम्न स्थिति के लिए गांव का सामाजिक आकार, जाति व्यवस्था, प्रथाएं व परंपराएं, लोकरीतियां, रूढिर उत्तरदायी रही हैं। शिक्षा की कमी के कारण रूढ़िवादी व भाग्यवादी दृष्टिकोण विकसित हुआ।

धार्मिक अंधविश्वासों के कारण सती प्रथा, पर्दा प्रथा, बाल-विवाह प्रथा, विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध, दहेज प्रथा इत्यादि का विकास उतरोत्तर बढ़ता गया जिसका नकारात्मक प्रभाव स्त्रियों पर पड़ा। इन सब कारणों से स्त्री मुख्य रूप से ग्रामीण स्त्री की स्थिति शोचनीय ही होती चली गई। आधुनिक समाज में अनेक परिवर्तनों के कारण स्त्रियों की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है।

10. जाति-प्रथा (Caste System)-जाति प्रथा भारतीय समाज की एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक संस्था है। जाति व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण का मुख्य आधार है। यह संस्था जातीय आधार पर व्यक्तियों को विभिन्न स्तरों में बांट देती है। प्राचीन काल में भारत में चार मुख्य जातियां ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र पाई जाती थीं।

लेकिन आजकल ये जातियां तीन हजार से अधिक जातियों-उपजातियों में विभाजित हो गई हैं। जाति की सदस्यता जन्म पर आधारित होती है। प्रत्येक जाति के सदस्य को जातीय आधार पर परंपरागत व्यवसाय को अपनाना पड़ता है। जाति के अंतर्गत अंतर्विवाही प्रथा (Endogamy) प्रचलित है।

व्यक्ति को अपनी ही जाति के अंदर विवाह करना होता है। जाति की एक पंचायत होती है जो व्यक्तियों के जीवन को नियंत्रित व निर्देशित करती है। समाज में जातीय आधार पर सदस्यों के लिए खान-पान संबंधी व सामाजिक सहवास के नियमों की भी व्यवस्था होती है। जाति के नियमों का उल्लंघन करने पर व्यक्ति को जाति से या तो बहिष्कृत कर दिया जाता है या उसे दंड दिया जाता है।

जाति व्यवस्था के अनुसार ब्राहमण को समाज में सर्वोच्च स्थान दिया जाता है व शद्र को निम्न स्थान प्राप्त है। क्षत्रिय व वैश्य को ब्राह्मण की अपेक्षा निम्न दर्जा प्राप्त है। जातियों के बीच में परस्पर भेदभाव व छुआछूत की भावना का भी विकास हुआ है। ग्रामीण समुदाय में जाति व्यवस्था का गहरा प्रभाव है।

11. सामुदायिक भावना (Community Feeling)-भारतीय ग्रामीण समुदाय अपेक्षाकृत आकार में छोटे होते हैं जिसके कारण व्यक्तियों में एक दूसरे के साथ प्रत्यक्ष व व्यक्तिगत संपके रहता है। गांव के सदस्य अपनी सीमित आवश्यकताओं की पूर्ति परस्पर सहयोग के आधार पर ही पूरी कर लेते हैं। इस प्रकार निकटता व समीपता के संपर्क के परिणामस्वरूप ग्रामवासियों में ‘हम की भावना’ (We Feeling) का विकास होना स्वाभाविक ही है।

प्रश्न 9.
नगरीय समुदाय क्या होता है? इसकी विशेषताओं के बारे में बताओ।
अथवा
नगरीय समुदाय किसे कहते हैं?
अथवा
नगरीय समुदाय को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
भारत में नगरों की संख्या और नागरिक संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है। वर्तमान समय में देश में पांच हजार से भी अधिक नगर एवं कस्बे हैं। शहरी क्षेत्रों में लगातार जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण वहां के लोगों का जीवन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। औद्योगीकरण, आधुनिकीकरण, यातायात व दूरसंचार के विकास, शैक्षणिक, तकनीकी तथा वैज्ञानिक संस्थाओं के विकास से शहरों के निवासियों में नवीन जीवनशैली विकसित हुई है। मध्यम एवं उच्च वर्ग के लोगों की आवश्यकताएं पूर्ति में विशेष समस्या नहीं आती जबकि निम्न वर्ग के लोगों के लिए आजीविका अर्जित करना काफ़ी मुश्किल होता है। नगरों में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए अपार अवसर उपलब्ध होते हैं।

नगर या नगरीय समुदाय का अर्थ। – (Meaning of City or Urban Community):
साधारण शब्दों में नगर से अभिप्राय एक ऐसे औपचारिक और विस्तृत समुदाय से है, जिसका निर्धारण एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों के जीवन स्तर तथा नगरीय विशेषताओं के आधार पर होता है। शाब्दिक रूप में नगर शब्द अंग्रेजी भाषा के सिटी (City) का रूपांतर है और सिटी शब्द लैटिन भाषा के सिविटाज़ (Civitas) से बना है जिसका अर्थ है नागरिकता।

इसी तरह अंग्रेजी भाषा का Urban शब्द भी लैटिन भाषा के Urbans शब्द से बना है जिसका अर्थ है शहर। लैटिन भाषा के Urbs शब्द का तात्पर्य भी City अर्थात् शहर है। इस प्रकार नगर या शहर दोनों धारणाएं एक ही हैं। नगर के अर्थ को अधिक रूप से स्पष्ट रूप से समझने के लिए अनेक विचारकों ने अनेक आधारों पर परिभाषाएं दी हैं-

जनसंख्या के आधार पर परिभाषा (Definition on the basis of Population)-अमेरिका के जनगणना ब्यूरो के अनुसार नगर ऐसे स्थान हैं जिनकी जनसंख्या 25,000 हो या उससे अधिक हो। इस तरह फ्रांस में 2,000 और मिस्र में 11,000 से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों को नगर की संज्ञा दी जाती है। भारतवर्ष में 5,000 या इससे अधिक जनसंख्या वाले समुदाय को शहरी क्षेत्र कहा जाता है, जिसका जन घनत्व 400 या इससे अधिक होता तथा 75 प्रतिशत या इससे अधिक पुरुष सदस्य गैर-कृषि कार्य करते हैं।

विलिकाक्स (Willicox) के अनुसार, “नगर का तात्पर्य उन सभी क्षेत्रों से है जहां प्रति वर्ग मील में जनसंख्या का घनत्व एक हज़ार व्यक्तियों से अधिक हो तथा व्यावहारिक रूप से कृषि न की जाती हो।”

व्यवसाय के आधार पर परिभाषा (Definition on the basis of Occupation)-व्यवसाय के आधार पर ऐसे क्षेत्र जहां पर व्यक्तियों का व्यवसाय कृषि से संबंधित नहीं है, उनको नगर कहा जाता है।

बर्गल (Bergal) के शब्दों में, “नगर एक ऐसी संस्था है जहां के अधिकतर निवासी कृषि कार्य के अतिरिक्त अन्य उद्योगों में व्यस्त हों।”

नगरीय समुदाय की विशेषताएँ – (Characteristics of Urban Community):
1. विभिन्न व्यवसाय (Different Occupation) नगरों का विकास विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के आधार पर होता है। नगरों में अनेक उद्योग, धंधे एवं संस्थान पाए जाते हैं, जिसमें अनेक व्यक्ति विभिन्न प्रकार के कार्यों को करते हैं। इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक, मैनेजर, कुशल एवं अकुशल आदि असंख्य नये-नये पदों का सृजन होता है। अनेक व्यवसायों को पूरा करने के लिए अधिक जनसंख्या का पाया जाना भी आवश्यक है।

2. व्यक्तिवादिता (Individualism) व्यक्तिवादिता का रूप भी नगरीय समुदाय में देखने को मिलता है। यहां पर सामुदायिक भावना की तुलना में व्यक्तिवादिता की भावना अधिक देखने को मिलती है। नगर में हर एक व्यक्ति अपने हितों के बारे में विचार करता है। व्यक्ति प्रत्येक क्षेत्र में साधन संपन्नता और अधिक-से-अधिक धन संग्रह को ही जीवन का अंतिम उददेश्य मानता है। व्यक्तिवादिता का गण आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि पारंपरिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में भी इसका विकास हो चका है।

3. जनसंख्या की अधिकता (Large Population)-जनसंख्या की बहुलता नगरीय क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। जनसंख्या का घनत्व अर्थात् नगरों में प्रति वर्ग किलोमीटर में काफ़ी अधिक व्यक्ति निवास करते हैं। 2001 दिल्ली में जनसंख्या का घनत्व 9,294 था। जनसंख्या की अधिकता के आधार पर ही नगरों का विकास विभिन्न श्रेणियों जैसे नगर व उपनगर में किया जाता है।

दिल्ली तथा मुंबई की जनसंख्या एक-दो करोड़ से ऊपर है, जबकि भारत के 13 राज्यों की जनसंख्या 1 करोड़ से कम है। नगर में औद्योगिक संस्थानों, शिक्षण संस्थानों तथा व्यापार व वाणिज्य केंद्रों के बाहुल्य के कारण जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। जनसंख्या की अधिकता ने ही नगरों में गंदी बस्तियों, अपराध, प्रशासन, ग़रीबी, बेकारी, भूखमरी, भिक्षावृत्ति आदि अनेक समस्याओं को पैदा किया है।

4. आर्थिक वर्ग विभाजन (Division in Economic Classes) नगरीय समुदाय में व्यक्ति की जाति, धर्म अथवा व्यवसाय को कोई महत्त्व नहीं होता लेकिन आर्थिक आधार पर जनसंख्या अनेक वर्गों में विभाजित हो जाती है। नगरों में केवल पूंजीपति और श्रमिक 2 वर्गों में ही जनसंख्या का विभाजन नहीं होता है बल्कि अनेक छोटे-छोटे अन्य वर्ग व उपवर्ग भी आर्थिक स्थिति के आधार पर पाये जाते हैं। वर्गीय आधार पर ऊंच-नीच का भेद पाया जाता है।

5. प्रतिस्पर्धा (Competition)-नगरीय समुदाय में जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ने के अनेक अवसर उपलब्ध होते हैं लेकिन शिक्षित एवं योग्य व्यक्तियों की भी कमी नहीं होती। इसलिए शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश नौकरियों तथा पदोन्नति के लिये प्रतिस्पर्धा होती है। औद्योगिकीकरण के विकास से तो नगरों में गलाकाट (Throatent) प्रतियोगिता बढ़ी है।

6. दुवैतीयक संबंध (Secondary Relations) जनसंख्या की अधिकता नगरीय समुदाय की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। अतः यहां पर सब लोगों के साथ प्राथमिक संबंध पर आमने-सामने के नहीं होते हैं। नगर के लोगों में अधिकतर संबंध औपचारिक रूप में विकसित होते हैं। ये संबंध अस्थायी प्रकृति के होते हैं। व्यक्ति आवश्यकता पूर्ति हेतु इन संबंधों का विकास करता है तथा आवश्यकता पूर्ति के पश्चात् इन संबंधों को तोड़ देता है। इस प्रकार नगरीय जीवन का आधार द्वैतीयक तथा औपचारिकता पूर्ण संबंध होता है।

7. आवास की कमी (Lack of Home)-मकान की कमी भी नगरीय समुदाय की एक विशेषता है। बड़े-बड़े नगरों में आवासीय समस्या एक अति गंभीर समस्या होती है। अनेक निम्न वर्ग के लोग सड़कों के किनारे, वृक्षों के नीचे या झुग्गी-झोंपड़ियों में रहकर अपनी रातें व्यतीत करते हैं। नगरीय समुदाय में मध्यवर्गीय लोग एक या दो कमरों में रहकर ही अपना जीवन व्यतीत करते हैं। इनके बच्चों के लिए न तो खेलने-कूदने के लिये खुली जगह, न ही पढ़ने के लिये अलग से कमरे होते हैं।

8. सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)-नगरों में सामाजिक और भौगोलिक गतिशीलता भी अधिक पाई जाती है। नगरों में लोग अत्यधिक लाभ हेतु एक स्थान को छोड़कर दूसरे स्थानों पर जाने के लिए तैयार रहते हैं। स्थानीय गतिशीलता के साथ-साथ सामाजिक गतिशीलता भी देखने को मिलती है। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति की योग्यता के आधार पर ही उसके जीवन में अनेक बार समाज में उसकी स्थिति ऊंची या नीची होती रहती है।

9. स्त्रियों की उच्च स्थिति (Higher Status of Woman)-नगरीय समुदाय में स्त्रियों की स्थिति अपेक्षाकृत ऊंची होती है। इन समुदाय में स्त्री-पुरुष के समान ही समाज के प्रत्येग वर्ग में काम करती हुई देखी जा सकती है। इन समाजों में अनेक सामाजिक कुरीतियों जैसे—पर्दा प्रथा, बाल-विवाह, स्त्री शिक्षा के ऊपर प्रतिबंध इत्यादि कम ही देखने को मिलते हैं जिसके कारण स्त्रियों के व्यक्तित्व के विकास में कोई कमी नहीं आती और स्त्रियां समाज के प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों के साथ भूमिका निभाती नज़र आती हैं।

10. पारिवारिक नियंत्रण में कमी (Decline in Family Control)-नगरीय समुदाय में प्राथमिक संबंधों और सामुदायिक भावना की कमी पाई जाती है। नगर में रहते हुए व्यक्ति को खाना बनाने की सुविधा, कपड़े-धोने की सुविधा तथा बच्चों की देख-रेख आदि के लिये शिशु ग्रह इत्यादि सुविधाएं मिल जाती हैं, जिससे उसे इन सब आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये परिवार के अन्य सदस्यों पर निर्भर नहीं होना पड़ता। इन समुदायों में स्त्रियां भी आर्थिक गतिविधियों में भाग लेती हैं जिससे स्त्रियों की जो परिवार या बच्चों के प्रति ज़िम्मेदारियां अन्य संस्थाओं के ऊपर आ जाती हैं। इस प्रकार पारिवारिक संबंधों का स्थान वर्तमान में पैसे ने ले लिया है। इन सबके कारण पारिवारिक संबंधों में नियंत्रण में कमी आना स्वाभाविक है।

11. तकनीकी एवं आविष्कार (Technology and Invention)-नगरीय समुदाय में विकसित तकनीकी, शिक्षा एवं परीक्षण पाया जाता है। नगर के लोगों को अनेक नयी-नयी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए वे नये-नये आविष्कारों व प्रविधियों की खोज करते रहते हैं। नगरों में उच्च शैक्षणिक, तकनीकी तथा वैज्ञानिक संस्थाओं में विज्ञान एवं तकनीक का विकास करते रहते हैं।

12. सामाजिक समस्याओं का केंद्र (Centre of Social Problems)-नगरों ने समाज में अनेक समस्याओं को प्रोत्साहन देने में विशेष भूमिका निभाई है। वर्तमान समय में समाज जिन प्रमुख समस्याओं से जूझ रहा है उनमें से अधिकांश समस्याओं का केंद्र नगर है। समाज में अपराध, भिक्षावृत्ति, भ्रष्टाचार, वर्ग संघर्ष, मद्यपान, वेश्यावृत्ति, युवा तनाव, बेकारी, बेरोजगारी, निर्धनता, पारिवारिक विघटन, नैतिक मूल्यों का ह्रास इत्यादि सभी प्रकार नगरों की समस्याएं नगरों की ही देन हैं। नगरीय जनसंख्या प्रविधियों आकार में वृद्धि जिस दर से बढ़ती जा रही है ये समस्याएं दिन-प्रतिदिन और गंभीर रूप धारण करती जा रही हैं।

13. धर्म का कम प्रभाव (Decreasing Influence of Religion)-नगरीय समुदायों में व्यक्ति शिक्षित होता है। इन समुदायों में व्यक्ति अंधविश्वासों व रूढ़िवादियों या भाग्यवादिता के आधार पर अपना जीवन व्यतीत नहीं करता है। व्यक्ति अपनी बात को तर्क व वैज्ञानिकता के आधार पर करता है और धार्मिक मूल्यों को भी तर्क की कसौटी पर समझना चाहता है। इस प्रकार धर्म की प्राथमिकता को सिद्ध न कर पाने के कारण उसका विश्वास व आस्था धर्म पर कम होती जा रही है।

प्रश्न 10.
ग्रामीण तथा नगरीय समुदायों में अंतर बताओ।
अथवा
ग्रामीण नगरीय विभिन्नताओं की विवेचना कीजिए।
अथवा
ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में ग्रामीण व नगरीय समुदाय में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ग्रामीण नगरीय भिन्नताओं पर अपने विचार व्यक्त करें।
अथवा
ग्रामीण नगरीय विभिन्नताएं बताइए।
अथवा
ग्रामीण नगरीय भिन्नताओं पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत ग्रामीण व नगरीय अंतर को निम्न आधारों पर स्पष्ट किया गया है-
1. वैवाहिक आधार पर अंतर (Difference based on Marriage) ग्रामीण समुदायों में विवाह को दो परिवारों को जोड़ने की कड़ी माना जाता है। यहां पर विवाह व्यक्ति अपनी ही जाति (Endogames) या उपजाति में करता है विवाह के निर्धारण में परिवार के सदस्यों तथा सगे-संबंधियों की महत्त्वपर्ण भमिका है विपरीत नगरीय समुदायों में विवाह दो व्यक्तियों का व्यक्तिगत मामला होता है।

विवाह तय करते समय लड़के व लड़की की पसंद या नापसंद को अधिक महत्त्व दिया जाता है। नगरों में मुख्यतया प्रेम-विवाह, अंतर्जातीय विवाह (Exogamy), तलाक तथा विधवा पुनर्विवाह की मात्रा गांवों की अपेक्षा अधिक पाई जाती है। गाँवों में बाल-विवाह एवं बेमेल विवाह होने की अधिक संभावना होती है जबकि नगरों में कम।

2. गतिशीलता के आधार पर अंतर (Difference based on Mobility) सामाजिक गतिशीलता के आधार पर भी ग्रामीण व नगरीय समुदाय अत्यधिक भिन्न हैं। ग्रामीण समुदायों में स्थिरता व स्थायित्व का गुण पाया जाता है। ग्रामीण व्यक्ति परिवर्तन के प्रति उदासीन रहते हैं। उनकी उदासीनता का कारण उनमें प्रशिक्षित भारतीय परंपराएं, प्रथाएं व रूढ़ियां हैं जिनसे उनका जीवन पूर्ण रूप से घुल-मिल जाता है। इसके विपरीत नगरीय समुदाय का महत्त्वपूर्ण गुण गतिशीलता का अधिक पाया जाना है।

नगरीय जीवन में व्यावसायिक अवसरों की अधिकता होने के कारण व्यक्ति शीघ्रता के साथ परिवर्तन के लिए सदैव तैयार रहता है। इस संदर्भ में ‘सोरोकिन तथा जिमरमैन’ का यह कथन सत्य प्रतीत होता है कि, “ग्रामीण समुदाय एक घड़े में भरे हुए शांत जल के समान है, जबकि नगरीय समुदाय केतली में उबलते हुए पानी के समान हैं, एक विशेष लक्षण स्थायित्व है जबकि दूसरे की विशेषता गतिशीलता है।”

3. पारिवारिक जीवन (Family Life)-ग्रामीण व नगरीय समुदायों के अंतर को अनेक विद्वानों ने पारिवारिक संबंधों तथा स्थिति के आधार पर भी व्यक्त किया है। ग्रामीण समुदाय में परिवार एक प्रभुत्वशाली व आत्म निर्भर इकाई है। यहां पर परिवार के प्रति सभी में सीमित उत्तरदायित्व की भावना होती है। परिवारों की संरचना संयुक्त परिवार (Joint Family) ही होती है तथा कर्ता की सत्ता सर्वोपरि एवं महत्वपर्ण होती है। परिवार की नैतिकता को व्यक्ति की नैतिकता माना जाता है।

विवाह, खानपान व सामाजिक संपर्क के क्षेत्र में व्यक्ति परिवार के नियमों की अवहेलना नहीं कर सकता है। इसके विपरीत नगरों में परिवार और व्यक्ति दो भिन्न इकाइयां बन गई हैं। आमतौर पर व्यक्ति की उच्च व निम्न स्थिति के आधार पर ही परिवार की स्थिति का बोझा होता है। इन समुदायों में एकाकी परिवार (Nuclear family) देखने को मिलते हैं। परिवार के सदस्यों के बीच संबंध औपचारिकता के होते हैं। संपत्ति व्यक्तिगत ही होती है। सभी व्यक्ति सामाजिक संपर्क में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के आधार पर भाग लेते हैं। पारिवारिक सदस्यों के ऊपर परिवार का कोई नियंत्रण नहीं होता है।

4. विशेषीकरण के आधार पर अंतर (Difference based on Specialization)-विशेषीकरण की विशेषता मुख्य रूप से नगरीय समुदाय की है। ग्रामीण समुदाय में व्यक्ति के जीवन का कोई भी क्षेत्र विशेषीकृत नहीं होता है। व्यक्ति अपने जीवन से संबंधित सभी आवश्यकताओं को पूरा करने के बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान अवश्य रखता है। ग्रामीण समुदाय का जीवन सामान्य जीवन होता है लेकिन नगरीय जीवन में विशेषीकरण का गुण अपनी चरम सीमा तक पहुंच गया है।

जैसे-जैसे प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे प्रत्येक व्यक्ति एक विशेष क्षेत्र में विशेष योग्यता व कुशलता प्राप्त करने की कोशिश करता है। नगरों में आर्थिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि भौतिक संरचना में भी एक विशेषीकरण होता है। कहने का अभिप्राय यह है कि यहां पर विभिन्न व्यवसायों तथा विभिन्न स्थिति समूहों के स्थानीय क्षेत्र भी एक दूसरे से अलग होते हैं। इन समुदायों में यहां तक कि निम्न मध्यम एवं उच्च वर्ग के व्यक्तियों के निवास स्थान भी एक-दूसरे से अलग होते हैं।

5. सामाजिक दृष्टिकोण में अंतर (Difference in Social Attitude)-गांवों की अपेक्षा नगरों में सामाजिक विघटन अधिक देखा जाता है। गांव के लोग अधिकतर भाग्यवादी होते हैं। वे प्रकृति व ईश्वर के ऊपर विश्वास करते हैं जबकि नगरवासी अपने श्रम के ऊपर ही विश्वास करते हैं तथा श्रम को अधिक महत्त्व देते हैं। गांव में धर्म को अधिक माना जाता है जबकि नगर में तर्क व वृद्धि एवं विवेक को मुख्य माना जाता है। गांव के लोग सरल व सादे होते हैं। उनका जीवन दिखावे या बनावटीपन से दूर होता है जबकि नगरीय लोगों का जीवन कृत्रिमता पूर्ण व दिखावे से भरपूर होता है। इस प्रकार दोनों समुदायों की विचारधारा में दिन-रात का अंतर देखने को मिलता है।

6. जनसंख्या के आधार पर अंतर (Difference based of Population)-ग्रामीण व नगरीय समुदायों में सबसे बड़ा अंतर जनसंख्या का है। ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा नगरीय क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या पाई जाती है। जनसंख्या कम व अधिक होने के कारण ही ग्राम का आकार सीमित व छोटा होता है व नगर विस्तृत व बड़े आकार के होते हैं।

नगरों में लोगों की शिक्षा, रोज़गार तथा स्वास्थ्य संबंधी सभी सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इस कारण भी यहां पर जनसंख्या का अधिक दबाव रहता है। लोग अधिक विकसित सुविधाएं प्राप्त करने के लिए ग्रामों में शहरों की तरफ आते हैं। अतः ग्रामों की जनसंख्या कम व शहरों की जनसंख्या में वृदधि होती रहती है।

7. सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification)-सामाजिक स्तरीकरण के आधार पर भी ग्रामीण व नगरीय समुदाय में बहुत अंतर देखने को मिलता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्तरीकरण का आधार जाति है। यहां पर अधिकांश लोग कृषि व्यवसाय से संबंधित हैं। परिणामस्वरूप स्तरीकरण का एक आधार कृषि व्यवस्था भी है।

इस व्यवस्था में एक वर्ग किसान का होता है व दूसरा ज़मींदार का। जमींदार की स्थिति किसान की अपेक्षा गांव में उच्च मानी जाती है जबकि नगरों में स्तरीकरण जातीय आधार पर नहीं होता है। वहां पर वर्ग व्यवस्था के आधार पर स्तरीकरण होता है। नगरों में भी दो वर्ग अधिक प्रसिद्ध होते हैं।

एक तरफ पूंजीपति वर्ग जिसके पास पूंजी अधिक होती है तथा दूसरी ओर मज़दूर या श्रमिक वर्ग जो दिन-रात अपना श्रम बेचकर अर्थात् मेहनत-मजदूरी कर अपनी दो वक्त की रोटी कमाता है। प्रो० बोगार्डस (Prof. Bogardus) के अनुसार, “अधिकतर वर्ग विषमताएं नगर का लक्षण है।” ग्रामों में नगरों की भांति वर्ग-विषमताएं अर्थात् वर्ग संघर्ष नहीं होता है। इन समुदायों में तो आये दिन पूंजीपतियों व मजदूरों के बीच संघर्ष चले रहते हैं।

8. मनोवैज्ञानिक आधार पर अंतर (Difference based on Psychology)-ग्रामीण व शहरी लोगों में मनोवैज्ञानिकता के आधार पर भी स्पष्ट भेद देखा जा सकता है। ग्रामीण लोगों में सामुदायिक व भाईचारे की भावना पाई जाती है। इन लोगों में प्रेम, त्याग, बलिदान व सहनशीलता की भावना देखने को मिलती है। यह सब मिल-जुल कर अपनी आवश्यकताओं को परस्पर सहयोग के आधार पर पूरा करते हैं। इसके विपरीत नगर के लोगों में व्यक्तिवादिता की भावना पाई जाती है। नगरीय लोग सामुदायिक या सामूहिकता के आधार पर एक दूसरे से संबंधित नहीं होते बल्कि व्यक्तिगत हितों को अधिक महत्त्व देते हैं।

9. सांस्कृतिक जीवन में अंतर (Difference in Cultural Life)-ग्रामीण संस्कृति में स्थिरता व स्थायित्व पाया जाता है। यह सांस्कृतिक स्थिरता समाज में अंधविश्वासों, रूढ़िवादिता एवं कूप मंडूकता को जन्म देती है। ग्रामीण संस्कृति में परंपराओं व प्रथाओं का मुख्य स्थान होता है। नगरों की संस्कृति में परिवर्तनशीलता का गुण पाया जाता है। नगरों में सांस्कृतिक परिवर्तन को प्रगति का आधार माना जाता है। नगरों में व्यक्ति फ़ैशन व नवीनता को अधिक महत्त्व देते हुए इसे अपनाते हैं।

10. स्त्रियों की स्थिति में अंतर (Difference in the Status of Women)-ग्रामीण समुदायों में शिक्षा की कमी, बाल-विवाह, पर्दा-प्रथा आदि के कारण स्त्रियों की स्थिति बहुत निम्न होती है। स्त्री-शिक्षा का अभाव होने के कारण स्त्रियां खुद को घर की चारदीवारी तक ही सीमित रखती हैं व अपने जीवन को घर के काम-काज व बच्चों के पालन-पोषण व पति सेवा में ही व्यतीत कर देती हैं। परिणामस्वरूप वे अपने अधिकारों से अनभिज्ञ रहती हैं व अपनी स्थिति को बद से बदतर बनाती चली जाती हैं।

नगरीय समुदायों में स्त्रियों की स्थिति ग्रामीण समुदायों से विपरीत है। यहां पर स्त्रियां अधिक शिक्षित एवं स्वतंत्र होती हैं। स्त्रियां स्वयं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होती हैं व अपने जीवन के अनेक महत्त्वपूर्ण फैसले स्वतंत्रतापूर्वक लेने में समर्थ होती हैं। इन समुदायों में महिलाएं अपनी इच्छानुसार किसी भी क्षेत्र में योग्यता व कुशलता के आधार पर प्रवेश कर सकती हैं उनके ऊपर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होता।

11. सामाजिक विघटन में अंतर (Difference between Social Disorganisation) ग्रामीण समाजों में व्यक्ति सामूहिकता के साथ बंधा होता है। यही कारण है कि यहां पर विघटन कम देखने को मिलता है। इन समाजों में अपराध व बाल अपराध जैसी घटनाएं, हत्याएं, चोरी, बलात्कार, डकैती, बाल अपराध आदि घटनाएं साधारण बात होती हैं। इस प्रकार ग्रामों की अपेक्षा नगरों में सामाजिक विघटन के अधिक तत्त्व पाए जाते हैं।

वास्तव में ग्रामीण एवं नगरीय समुदाय को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। नगरों में ग्रामीण समुदाय के तत्त्व पाये जाते हैं तथा गांवों में नगरीय समुदाय के तत्त्व विद्यमान होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का विकास, यातायात व दूरसंचार की सुविधा, समाचार-पत्रों, फोन, मोबाइल, रेडियो, दूरदर्शन व उच्च शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना से ग्रामीण समुदाय नगरीय समुदाय के अधिक निकट हो गया है। उद्योगों में निर्मित वस्तुओं की ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्धता से गांवों के लोगों की जीवन शैली शहरी जीवन शैली की तरह विकसित होने लगी है। दूसरी ओर नगरीय समुदायों में भी झुग्गी-झोंपड़ियों औद्योगिक मजदूरों व निम्न वर्गों का जीवन कृषि मज़दूरों व छोटे किसानों से काफ़ी मिलता-जुलता है।

12. सामाजिक नियंत्रण में अंतर (Difference in Social Control)-ग्रामीण व नगरीय समुदाय में सामाजिक नियंत्रण के साधनों के प्रकारों में भी पर्याप्त अंतर पाया जाता है। गांवों में सामाजिक नियंत्रण अनौपचारिक साधनों के माध्यम जैसे परिवार, धर्म, प्रथा, जाति, परंपरा, पंचायत, नैतिकता, जनरीति, लोकाचार तथा जनमत आदि को आधार पर रखा जाता है। ग्रामीण समुदाय में व्यक्ति के प्राथमिक व आमने-सामने के संबंध होते हैं, जिनके कारण हर व्यक्ति अपने-अपने कार्य के प्रति सदैव सचेत रहता है।

इन समुदायों में प्रथा राजा का काम करती है तथा रीति रिवाज व रूढ़ियां व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करती हैं। इसके विपरीत नगरीय समुदायों में नियंत्रण को बनाये रखने के लिए औपचारिक साधनों; जैसे-सरकार, गुप्तचर, पुलिस, कानून, न्यायालय, विभाग संविधान एवं वैतीयक समूहों का सहारा लिया जाता है। नगर में हर व्यक्ति के संबंध व्यक्तिगत होते हैं। सब व्यक्ति एक-दूसरे के लिए अपरिचित होते हैं। कोई किसी की परवाह नहीं करता है। नगरों में व्यक्ति अपने निजी हित को प्राप्त करने के लिए दूसरे व्यक्तियों से संघर्ष करता रहता है व व्यस्तता का जीवन जीता चला जाता है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना

13. आर्थिक जीवन में अंतर (Difference in Economic Life)–नगरों तथा ग्रामों के व्यक्तियों के आर्थिक जीवन में भी पर्याप्त अंतर पाया जाता है। गांव मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर होते हैं। ग्रामवासियों की आवश्यकताएं सीमित होती हैं व आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन भी सीमित हो जाते हैं। ग्रामों में श्रम विभाजन वे विशेषीकरण कम मात्रा में मिलता है। ग्राम के लोग मितव्ययी व कम खर्चीले होते हैं। वे विलासितापूर्ण वस्तुओं से जहां तक हो सके दूर ही रहते हैं। इसके विपरीत नगरों में व्यक्तियों की आवश्यकताएं व इन्हें पूरा करने के साधन भी असीमित होते हैं। यहां पर श्रम विभाजन व विशेषीकरण चरम सीमा तक विकसित होता है। नगरों के लोग विलासितापूर्ण वस्तुओं के ऊपर फिजूलखर्ची अधिक करते हैं। रॉस के शब्दों में, “ग्रामीण जीवन सुझाव देता है ‘बचाओ’, नगरीय जीवन सुझाता है-खर्च करो।”

प्रश्न 11.
ग्रामीण समुदाय में कौन-कौन से परिवर्तन आ रहे हैं? .
उत्तर:
ग्रामीण समुदाय में परिवर्तन स्वाभाविक हैं। क्योंकि परिवर्तन प्रकृति का नियम है तथा यह सामाजिक विकास के लिए आवश्यक भी है। भारतीय ग्रामीण समुदाय काफ़ी समय तक ग्रामीण गणराज्य के रूप में प्रतिष्ठित रहा लेकिन अनेक परिवर्तनों ने धीरे-धीरे इसकी आत्म-निर्भरता को प्रभावित किया। ग्रामीण समुदाय में परिवर्तन की गति नगरीय समुदाय की उपेक्षा कम होती है। ग्रामीण समुदाय में निम्न क्षेत्रों में परिवर्तन देखा जा सकता है-
1. सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन (Changes in Social Values)-ग्रामीण समुदाय सामाजिक मूल्यों में भी पर्याप्त परिवर्तन हुआ है। पहले इन समुदाय में रहने वाले व्यक्ति भाग्यवादी होते थे, व्यक्ति की स्थिति का निर्धारण जन्म के आधार पर होता था, लेकिन वर्तमान समय में सरकार के प्रयासों से धर्म, जाति तथा वंश संबंधी भेदभाव को काफ़ी हद तक कम कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप गांवों में भी समानता के प्रति जागरुकता की शुरुआत हुई है। अब ग्रामवासी अंधविश्वास में रहकर जादू-टोने या अलौकिक शांति को प्रसन्न करने के लिए धार्मिक क्रियाओं को नहीं करता बल्कि तार्किकता के आधार पर अपने कार्यों को पूरा करने लगे हैं।

2. जाति प्रथा में परिवर्तन (Changes in Caste System)-प्राचीन काल में ग्रामीण समुदाय में व्यक्तिगत व्यवहारों तथा पारस्परिक संबंधों का निर्धारण जातीय आधार पर होता था। जाति ही व्यक्ति की सामाजिक स्थिति व व्यवसाय का निर्धारण करती थी लेकिन ब्रिटिश शासन ने इस व्यवस्था को काफ़ी आघात पहुंचाया। ब्रिटिश शासकों ने अपनी कानूनी नीतियों और कानूनों के अंतर्गत विभिन्न जातियों को अपने व्यवसाय छोड़कर विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के लिए प्रेरित किया। इससे जातीय प्रतिबंध ढीले पड़े और जाति व्यवस्था का प्रभाव भी समाज में कम हुआ। अब व्यक्ति की सामाजिक स्थिति उसकी जाति के आधार पर नहीं अपितु उसकी व्यक्तिगत उपलब्धियों से निर्धारित होती है।

3. परिवार व्यवस्था में परिवर्तन (Changes in Family System)-ग्रामीण समुदाय में मुख्यतः संयुक्त परिवार प्रथा पाई जाती है। अब इसकी संरचना में काफ़ी हद तक परिवर्तन हो चुका है। अब इन परिवारों के स्थान पर एकाकी परिवार प्रथा प्रचलित हो गई है। संयुक्त परिवार में जहां पूरे परिवार के ऊपर मुखिया का नियंत्रण होता था। आज इसका नियंत्रण कम होता जा रहा है। सदस्य अपनी इच्छा अनुसार अपने अधिकारों का प्रयोग करने लगे। परिवार अब आर्थिक इकाई भी नहीं रहा। ग्रामीण समुदाय में स्त्रियों को पहले से अधिक अधिकार प्राप्त हैं। परिवार के बीच कर्तव्य व अधिकारों का विभाजन परंपरागत तरीकों से नहीं बल्कि योग्यता व कार्य-कुशलता के आधार पर होता है।

4. यजमानी व्यवस्था में परिवर्तन (Changes in Jajmani System) यजमानी व्यवस्था ग्रामीण समाज की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता रही है। वर्तमान समय में निम्न जातियों की परिस्थिति को ऊपर उठाने के लिए सरकारी प्रयासों तथा नगरीकरण व शहरीकरण के प्रभाव के कारण यह व्यवस्था दिन-प्रतिदिन लुप्त होती जाती है। अब ग्रामवासियों द्वारा अपनाये गये व्यवसाय जातीय आधार पर नहीं हैं और न ही निम्न जातियों द्वारा सेवाओं का भुगतान अनाज या वस्तुओं के रूप में होता है। अब अधिकांश सेवाओं का भुगतान नगद मुद्रा द्वारा ही किया जाता है। अब भी कुछ क्षेत्रों में यह व्यवस्था प्रचलित है, परंतु अब काफ़ी परिवर्तन आ चुके हैं।

5. शिक्षा क्षेत्र के परिवर्तन (Changes In field of Education)-गांवों में अब शैक्षणिक संस्थाओं का अभूतपूर्व विकास हुआ है। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर विद्यालयों और महाविद्यालयों के खुलने से गाँवों की साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। लड़कों के साथ-साथ लड़कियों की शिक्षा के प्रति भी विशेष ध्यान दिया जाने लगा है। यातायात के साधनों के विकास के कारण गांवों से लोग शिक्षा प्राप्त करने हेतु शहरों में जाने लगे हैं। शिक्षा में ग्रामवासियों की जागरूकता बढ़ी है।

6. विवाह प्रथा में परिवर्तन (Changes in Marriage System)-ग्रामीण समुदायों में विवाहों में भी परिवर्तन होने लग पड़े हैं। गांवों में आमतौर पर अंतर्विवाही प्रथा प्रचलित थी। यद्यपि आज भी यही प्रथा पाई जाती है। आज भी माता-पिता अपनी संतान के लिये वर-वधु का चयन स्वयं करते हैं और अपनी जाति में करते हैं परंतु वर्तमान समय में ग्रामीण समुदायों में प्रेम-विवाह, बहिर्विवाह तथा विवाह-विच्छेद की अवधारणा विकसित हो चुकी है।

वर्तमान समय में विवाह, साथियों की शिक्षा, व्यक्तिगत विशेषताओं, आर्थिक व्यवसाय पर अधिक ध्यान दिया जाता है। विवाह की रीतियों में व्यय में भी कटौती कर देता है। भारतीय सरकार ने विवाह हिंदू अधिनियम के अंतर्गत लड़के की आयु 21 वर्ष और लड़की की आयु 18 वर्ष निर्धारित कर दी है। इसके साथ ही विधवा पुनः विवाह प्रतिबंध को भी हटा दिया है। दहेज विरोधी अधिनियम भी पास कर दिया है जिससे दहेज जैसी कुरीति भी समाप्त हो रही

7. ग्रामीण नारी स्थिति में परिवर्तन (Changes in the status of Rural Woman)-ग्रामीण स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन भी इससे अछूता नहीं रहा। पहले गांवों में स्त्रियों की स्थिति नगरीय स्त्रियों की स्थिति से बहुत निम्न होती र्तमान समय में सरकारी प्रयासों और स्त्रियों को अपनी जागरूकता के कारण इनकी स्थिति में काफी परिवर्तन हआ है। नारी अब पढ़ लिखकर अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो गई है। आज ग्रामीण महिलाएं शिक्षित होकर सरकारी पदों पर नौकरी प्राप्त कर रही हैं।

आज हमें अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में महिलाएं काम करती दिखाई देती हैं। इससे उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजनीतिक क्षेत्रों में स्त्रियों की भागीदारी बढ़ी है। सरकार ने इनके स्तर को ऊपर उठाने के लिए ग्राम पंचायतों में 33% स्थान आरक्षित कर दिये हैं। इसी तरह बी० डी० एस० की सदस्य चैयरमैन एम० एल० ए० तथा एम० पी० के रूप में स्त्रियां अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

8. जीवन स्तर में परिवर्तन (Changes in Living Standards)-ग्रामीण व्यक्तियों के जीवन स्तर में भी परिवर्तन आ रहा है। गांवों में भी भोजन, वस्त्र, सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग, बिजली की सुविधा, जल की व्यवस्था तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का विकास उत्तरोतर बढ़ रहा है। ग्रामीण विकास हेतु अनेक शिक्षण संस्थानों को खोला जा रहा है जिसके माध्यम से ग्रामवासियों को शिक्षित किया जाता है। अब ग्रामीण व्यक्ति भी उच्च शिक्षा को प्राप्त करने हेतु कालेज व महाविश्वविद्यालयों में दाखिला ले रहे हैं। कुछ गांवों में स्नातक व स्नातकोत्तर शिक्षण संस्थाओं को खोला गया है, जिसके माध्यम से ज्ञान अर्जित कर ग्रामीण व्यक्ति शहर में जाकर अच्छी नौकरी प्राप्त कर रहे हैं। इस प्रकार ग्रामीण व्यक्तियों के स्तर में दिन-प्रतिदिन प्रगति हो रही है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 2 भारतीय समाज की जनसांख्यिकीय संरचना Read More »

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मंडल आयोग ने पिछड़े वर्ग के लिए कितने प्रतिशत आरक्षण की सिफ़ारिश की थी?
(A) 16.7%
(B) 27%
(C) 30%
(D) 17%
उत्तर:
27%.

प्रश्न 2.
भारत में अनुसूचित जातियां लगभग कितने प्रतिशत हैं?
(A) 17%
(B) 27%
(C) 7%
(D) 37%.
उत्तर:
27%.

प्रश्न 3.
अनुसूचित जातियां, अन्य जातियों से किस आधार पर पृथक् हैं?
(A) अस्पृश्यता
(B) धार्मिक अशुद्धता
(C) सामाजिक प्रतिबंध
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
सबसे पहले हरिजन शब्द का प्रयोग किसने किया था?
(A) अंबेदकर
(B) महात्मा गांधी
(C) संविधान
(D) घूर्ये।
उत्तर:
महात्मा गांधी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 5.
नागरिक अधिकार संरक्षण कानून कब पास हुआ था?
(A) 1975
(B) 1976
(C) 1977
(D) 1978
उत्तर:
1976

प्रश्न 6.
इनमें से धार्मिक निर्योग्यता चुनो।
(A) धार्मिक पुस्तकें पढ़ने पर पाबंदी
(B) धार्मिक संस्कार करने की पाबंदी
(C) मंदिरों में जाने पर पाबंदी।
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 7.
संविधान के अनुसार कौन-सा वर्ग पिछड़ा है?
(A) जिसके पास पैसा नहीं है
(B) जो सामाजिक तथा शैक्षिक आधार पर पिछड़े हों
(C) धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग
(D) अस्पृश्य समूह।
उत्तर:
जो सामाजिक तथा शैक्षिक आधार पर पिछडे हों।

प्रश्न 8.
संविधान के किस अनुच्छेद में राष्ट्रपति को जनजातियों को अनुसूचित जनजाति में घोषित करने का प्रावधान
(A) 342 में
(B) 346 में
(C) 356 में
(D) 370 में।
उत्तर:
342 में।

प्रश्न 9.
कौन-सा कथन असत्य है?
(A) आरक्षण का लाभ सभी संबंधित जातियों को समान रूप से मिलता है
(B) आरक्षण का आधार जाति नहीं आर्थिक होना चाहिए
(C) आरक्षण का लाभ संबंधित जातियों के कुछ ऊपरी सतह के व्यक्ति ही ले पाए हैं
(D) आरक्षण अंतर्जातीय तनावों में वृद्धिकारक है।
उत्तर:
आरक्षण का लाभ सभी संबंधित जातियों को समान रूप से मिलता है।

प्रश्न 10.
अनुसूचित जातियों को हरिजन (नाम) किसने कहा?
(A) नेहरू जी
(B) गांधी जी
(C) तुकाराम
(D) नामदेव।
उत्तर:
गांधी जी।

प्रश्न 11.
1991 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति की प्रतिशत संख्या थी
(A) 6.28%
(B) 7.28%
(C) 8.28%
(D) 9.28%
उत्तर:
7.28%

प्रश्न 12.
नारी को किसका प्रतीक माना जाता है?
(A) पैसे का
(B) बच्चे पैदा करने का
(C) ज्ञान का
(D) समाज का।
उत्तर:
ज्ञान का।

प्रश्न 13.
प्रतिकूल लिंग अनुपात के लिए कौन-सी प्रवृत्ति ज़िम्मेदार है?
(A) पुत्र को वरीयता
(B) पुत्रियों से भेदभाव
(C) दहेज प्रचलन
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
पुत्र को वरीयता।

प्रश्न 14.
आर्थिक स्वतंत्रता के कारण स्त्रियों में कौन-सी प्रवृत्ति आगे आ रही है?
(A) विवाह न करने की प्रवृत्ति
(B) तलाक दर में बढ़ोत्तरी
(C) छोटा परिवार रखने की प्रवृत्ति
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 15.
विधवा विवाह का सबसे अधिक प्रचार किसने किया था?
(A) दयानंद सरस्वती
(B) विवेकानंद
(C) राजा राममोहन राय
(D) ईश्वर चंद्र विद्यासागर।
उत्तर:
ईश्वरचंद्र विद्यासागर।

प्रश्न 16.
किस काल को स्त्रियों के लिए काला युग कहा जाता है?
(A) मध्य काल
(B) वैदिक काल
(C) उत्तर वैदिक काल
(D) आधुनिक काल।
उत्तर:
मध्य काल।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 17.
किस कानून ने बहुविवाह प्रथा को समाप्त कर दिया था?
(A) हिंदू विवाह एक्ट 1955
(B) हिंदू उत्तराधिकार एक्ट 1956
(C) अस्पृश्यता अपराध एक्ट 1955
(D) दहेज निरोधक एक्ट 1961
उत्तर:
हिंदू विवाह एक्ट, 1955.

प्रश्न 18.
किस युग में नारी को देवी तथा शक्ति का नाम दिया गया था?
(A) वैदिक युग
(B) उत्तर वैदिक काल
(C) मध्य युग
(D) आधुनिक युग।
उत्तर:
वैदिक युग।

प्रश्न 19.
विधवाओं के लिए आश्रमों की व्यवस्था किसने शुरू की थी?
(A) महर्षि कार्वे
(B) स्वामी दयानंद
(C) ज्योतिबा फूले
(D) विवेकानंद सरस्वती।
उत्तर:
महर्षि कार्वे।

प्रश्न 20.
केंद्रीय परिवार में आजकल स्त्री का पुरुष के साथ क्या संबंध है?
(A) नौकरानी का
(B) साथी का
(C) रिश्तेदार का
(D) सिर्फ बच्चों की माँ का।
उत्तर:
साथी का।

प्रश्न 21.
कौन-से काल में नारी की सामाजिक प्रस्थिति पुरुषों के समान थी?
(A) वैदिक काल
(B) मध्य काल
(C) आधुनिक काल
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
वैदिक काल।

प्रश्न 22.
वी० पी० सिंह सरकार ने 27% आरक्षण की घोषणा कब की थी?
(A) 13 अगस्त, 1990
(B) जनवरी, 1991
(C) 26 जनवरी, 1992.
उत्तर:
13 अगस्त, 1990.

प्रश्न 23.
निम्नलिखित में से कौन-सा वर्ग पिछड़ा नहीं माना जाता है?
(A) अनुसूचित जाति
(B) अनुसूचित जनजाति
(C) अन्य पिछड़ा वर्ग
(D) सामान्य वर्ग।
उत्तर:
सामान्य वर्ग।

प्रश्न 24.
2001 की जनगणना निम्नोक्त में से किस राज्य में जनजाति जनसंख्या है?
(A) हरियाणा
(B) पंजाब
(C) दिल्ली
(D) असम।
उत्तर:
असम।

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में से कौन-सा निम्न जातियों का समूह है?
(A) अनुसूचित जातियाँ
(B) अनुसूचित जनजातियाँ
(C) उच्च जातियाँ
(D) सामान्य वर्ग।
उत्तर:
अनुसूचित जातियाँ।

प्रश्न 26.
2001 की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से किस राज्य में जनजातीय जनसंख्या नहीं है?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) असम
(C) मेघालय
(D) हरियाणा।
उत्तर:
हरियाणा।

प्रश्न 27.
मंडल आयोग ने निम्नोक्त में से किसकी पहचान की?
(A) अन्य पिछड़ा वर्ग की।
(B) अनुसूचित जाति की
(C) अनुसूचित जनजाति की
(D) धार्मिक अल्पसंख्यक की।
उत्तर:
अन्य पिछड़ा वर्ग की।

प्रश्न 28.
अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित आयोग कौन-सा है?
(A) श्रीनिवास
(B) कुरियन
(C) मंडल
(D) गांधी।
उत्तर:
मंडल।

प्रश्न 29.
निम्नलिखित में से किस वर्ष वर्ग जातीय आधार पर जनगणना नहीं हुई?
(A) 1921
(B) 1931
(C) 2001
(D) 2011
उत्तर:
2001

प्रश्न 30.
भारतीय समाज में निम्नलिखित में से किस श्रेणी के लिए संविधान में विशेष अधिकारों का प्रावधान नहीं है?
(A) अनुसूचित जाति
(B) अनुसूचित जनजाति
(C) अन्य पिछड़ा वर्ग
(D) सामान्य वर्ग।
उत्तर:
सामान्य वर्ग।

प्रश्न 31.
‘पिछड़े वर्ग’ आयोग की रिपोर्ट कब पेश की गई थी?
(A) 1852 में
(B) 1853 में
(C) 1952 में
(D) 1953 में।
उत्तर:
1953 में।

प्रश्न 32.
निम्न में से कौन सामाजिक स्तरीकरण के आधार हैं?
(A) जाति
(B) वर्ग
(C) लिंग
(D) ये सभी।
उत्तर:
ये सभी।

प्रश्न 33.
निम्न में से कौन-कौन से अन्यथा सक्षम की श्रेणी में आते हैं?
(A) दृष्टि बाधित
(B) अपाहिज
(C) शारीरिक रूप से बाधित
(D) ये सभी।
उत्तर:
ये सभी।

प्रश्न 34.
बहिष्कार, अनादर और शोषण-ये किसके आयाम हैं?
(A) जाति के
(B) जनजाति के
(C) अस्पृश्यता के
(D) उपर्युक्त सभी के।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी के।

प्रश्न 35.
स्त्री पुरुष तुलना लिखी गई।
(A) 1782 में
(B) 1882 में
(C) 1982 में
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
1982 में।

प्रश्न 36.
चार वर्षों का वर्गीकरण लगभग कितने साल पुराना है?
(A) 2000
(B) 3000
(C) 4000
(D) 5000
उत्तर:
3000

प्रश्न 37.
जनजातीय जनसंख्या का कितने प्रतिशत मध्य भारत में रहता है?
(A) 50%
(B) 65%
(C) 85%
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
65%

प्रश्न 38.
निम्न में से कौन-सा सामाजिक भेदभाव का स्पष्ट रूप है?
(A) महिलाएँ
(B) अन्य पिछड़े वर्ग
(C) अस्पृश्यता
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
अस्पृश्यता।

प्रश्न 39.
सामाजिक विषमता एवं सामाजिक बहिष्कार सामाजिक है, क्योंकि :
(A) यह व्यक्ति से संबंधित है
(B) यह समूह से संबंधित है
(C) यह सामाजिक है, आर्थिक नहीं
(D) (B) व (C) दोनों हैं।
उत्तर:
(B) व (C) दोनों है।

प्रश्न 40.
जनजातीय जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग पूर्वोत्तर राज्यों में निवास करता है?
(A) 2.5%
(B) 4.5%
(C) 11%
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
11%

प्रश्न 41.
निम्न में से क्या हमारे समाज की विशेषताओं में सबसे बड़ी चिंता का विषय रहा है?
(A) असीमित विषमता
(B) अपवर्जन
(C) बहिष्कार
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
उपरोक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्य पिछड़ा वर्ग क्या होता है?
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग कौन से हैं?
उत्तर:
जो लोग मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं वे पिछड़े वर्ग में आते हैं। अनुसूचित जनजातियां, अनुसूचित जातियां, छोटे किसान, भूमिहीन लोग सभी इस श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 2.
सत्य शोधक समाज की स्थापना क्यों तथा किसने की थी?
उत्तर:
सत्य शोधक समाज की स्थापना 1873 में ज्योतिबा फूले ने की थी। क्योंकि वे पश्चिमी भारत के पिछड़े वर्गों को ऊपर उठाना चाहते थे।

प्रश्न 3.
सत्य शोधक समाज के आंदोलन को क्या नाम दिया गया था?
उत्तर:
सत्य शोधक समाज के आंदोलन को सांस्कृतिक क्रांति का नाम दिया गया था।

प्रश्न 4.
झूम खेती या स्थानांतरित खेती कौन करता है?
उत्तर:
झूम खेती या स्थानांतरित खेती जनजाति के लोग करते हैं।

प्रश्न 5.
भारत की सबसे ज्यादा उन्नति करने वाली जनजाति कौन सी है?
उत्तर:
भारत की सबसे ज़्यादा उन्नति करने वाली जनजाति नागा जनजाति है।

प्रश्न 6.
नागा जाति …………………. में रहती है।
उत्तर:
नागा जाति नागालैंड में रहती है।

प्रश्न 7.
टोडा जनजाति किस पशु की पूजा करती है?
उत्तर:
टोडा जनजाति में भैंस की पूजा की जाती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 8.
किस जनजाति में गांव को मुंड कहते हैं?
उत्तर:
टोडा जनजाति में गांव को मुंड कहते हैं।

प्रश्न 9.
अस्पृश्यता अधिनियम का खाका किसने तैयार किया था?
उत्तर:
अस्पृश्यता अधिनियम का खाका डॉ० कैलाशनाथ माटजू ने तैयार किया था।

प्रश्न 10.
भारत की सबसे बड़ी जनजाति कौन-सी है?
उत्तर:
संथाल।

प्रश्न 11.
संथाल जनजाति कहां पायी जाती है?
उत्तर:
बिहार तथा झारखंड में।

प्रश्न 12.
खासी जनजाति में किस प्रकार का समाज पाया जाता है?
उत्तर:
खासी जनजाति में मात-सत्तात्मक समाज पाया जाता है।

प्रश्न 13.
टोटम क्या होता है?
उत्तर:
टोटम कोई प्रतीक या चिन्ह होता है जिसको पवित्र मानकर उसकी पूजा की जाती है। यह कोई जानवर, पेड़, पौधा, पत्थर इत्यादि भी हो सकता है।

प्रश्न 14.
किस राज्य में जनजातियों की संख्या सबसे अधिक है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जनजातियां रहती हैं।

प्रश्न 15.
भारत की कितने प्रतिशत जनसंख्या पिछड़ी जातियों की है?
उत्तर:
52.04% जनसंख्या।

प्रश्न 16.
हरिजन छात्रों को छात्रवृत्ति तथा मार्ग व्यय देने का कार्यक्रम कब शुरू हुआ था?
उत्तर:
हरिजन छात्रों को छात्रवृत्ति तथा मार्ग व्यय देने का कार्यक्रम 1952-53 में शुरू हुआ था।

प्रश्न 17.
गांधी जी ने अस्पृश्य जातियों को क्या नाम दिया था?
अथवा
अनुसूचित जाति को हरिजन (नाम) किसने कहा?
अथवा
हरिजन शब्द से आप क्या समझते हैं तथा यह किसने दिया?
अथवा
हरिजन शब्द का अर्थ दीजिए।
उत्तर:
गांधी जी ने अस्पृश्य जातियों को हरिजन का नाम दिया था। हरि का अर्थ है भगवान् तथा जन का अर्थ है बच्चे। इस तरह हरिजन का अर्थ है भगवान् के बच्चे।

प्रश्न 18.
डॉ० बी० आर० अंबेदकर ने क्यों तथा किस धर्म को अपनाया था?
उत्तर:
डॉ० बी० आर० अंबेदकर ने अस्पृश्यता के अभिशाप से तंग आकर अपनी जाति के लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था।

प्रश्न 19.
गोलमेज़ सम्मेलन कितने तथा कब हुए थे?
उत्तर:
1931-32 में तीन गोलमेज़ सम्मेलन हुए थे।

प्रश्न 20.
डॉ० अंबेदकर ने गोलमेज़ सम्मेलन में क्या मांग रखी थी?
उत्तर:
डॉ० अंबेदकर ने गोलमेज़ सम्मेलन में हरिजनों के लिए स्वतंत्र मताधिकार की मांग रखी थी।

प्रश्न 21.
क्या हरिजनों को गोलमेज़ सम्मेलन में अलग मताधिकार मिल गया था?
उत्तर:
जी हां, मिल गया था।

प्रश्न 22.
अस्पृश्यता अपराध कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
अस्पृश्ता अपराध कानून 1955 में पास हुआ था।

प्रश्न 23.
अस्पृश्यता कानून में क्या प्रावधान था?
उत्तर:
अस्पृश्यता कानून में यह प्रावधान था कि अस्पृश्यता को बढ़ावा देना कानूनन जुर्म है। जो कोई इस का प्रयोग करेगा उसे 6 महीने कैद या जुर्माना या दोनों इकट्ठे हो सकते हैं।

प्रश्न 24.
पूना पैक्ट कब और किन में हुआ था?
उत्तर:
पूना पैक्ट 1931 में महात्मा गांधी तथा लॉर्ड इर्विन में हुआ था।

प्रश्न 25.
पूना पैक्ट में अस्पृश्य जातियों के लिए क्या प्रावधान था?
उत्तर:
पूना पैक्ट के अनुसार अस्पृश्य जातियों को समाज का अंग समझा गया।

प्रश्न 26.
अस्पृश्य जातियों को अनुसूचित नाम कब से दिया गया?
उत्तर:
1935 में अस्पृश्य जातियों को अनुसूचित जातियों का नाम दिया गया।

प्रश्न 27.
नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम क्यों तथा कब पास हुआ था?
उत्तर:
1955 के अस्पृश्यता अपराध कानून में बहुत-सी कमियां थीं। इन कमियों को दूर करने के लिए नागरिक अधिकार संरक्षण अधिकार 1976 में पास हुआ था।

प्रश्न 28.
लोकसभा में हरिजनों के लिए कितने स्थान सुरक्षित रखे गए हैं?
उत्तर:
लोकसभा में हरिजनों के लिए 79 स्थान सुरक्षित रखे गए हैं।

प्रश्न 29.
अनुसूचित जातियों को कब और नागरिकों के समान अधिकार मिलने शुरू हो गए?
उत्तर:
आजादी के बाद अनुसूचित जातियों को और नागरिकों को समान अधिकार मिलने शुरू हो गए।

प्रश्न 30.
गांधी जी ने हरिजनों के लिए कौन-सी संस्था बनायी थी?
उत्तर:
गांधी जी ने हरिजनों के उत्थान के लिए हरिजन सेवक संघ नाम की संस्था बनायी थी।

प्रश्न 31.
अनुच्छेद 15 की धारा 7 क्या कहती है?
उत्तर:
अनुच्छेद 15 की धारा 7 के अनुसार अस्पृश्यता को बढ़ावा देने वाले को दंड दिया जाएगा।

प्रश्न 32.
पहला कांग्रेसी मंत्रिमंडल कब बना था?
उत्तर:
1936 में।

प्रश्न 33.
देश में आपात्काल (Emergency) कब लागू हुआ था?
उत्तर:
देश में आपात्काल 1975 में लागू हुआ था।

प्रश्न 34.
अनुसूचित जातियों के लिए संसद् में आरक्षण कब तक है?
उत्तर:
2020 तक।

प्रश्न 35.
बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग संघ कब बना था?
उत्तर:
1947 में।

प्रश्न 36.
झूम कृषि कौन करता है?
उत्तर:
झूम कृषि जनजातियों के लोग करते हैं।

प्रश्न 37.
जनजाति की कोई विशेषता बताएं।
उत्तर:
यह निश्चित भू-भाग में रहती है, इनकी अपनी ही संस्कृति और भाषा होती है तथा जीवन जीने का ढंग आदिम होता है।

प्रश्न 38.
जनजातियों के लोग कौन-सी समस्याओं का सामना करते हैं?
उत्तर:
जनजातियों के लोग अशिक्षा, अत्यधिक निर्धनता, अंधविश्वास जैसी बहुत-सी समस्याओं का सामना करते हैं।

प्रश्न 39.
नागा, खासी, गोंड, संथाल, कूकी, भील इत्यादि क्या हैं?
उत्तर:
यह सब जनजातियों के नाम हैं।

प्रश्न 40.
कुछ सामाजिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
शिक्षा लेने की पाबंदी, कुओं से पानी भरने की पाबंदी, उच्च जातियों से मेल-जोल की पाबंदी इत्यादि।

प्रश्न 41.
कुछ धार्मिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
धार्मिक संस्कार करने की पाबंदी, मंदिरों में जाने की पाबंदी, धार्मिक पुस्तकें पढ़ने की पाबंदी इत्यादि।

प्रश्न 42.
निर्योग्यता का अर्थ बताएं।
उत्तर:
उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों पर लगाई जाने वाली पाबंदी को निर्योग्यता कहते हैं।

प्रश्न 43.
सुधार आंदोलन का अर्थ बताएं।
उत्तर:
स्त्रियों तथा निम्न जातियों को ऊपर उठाने के लिए चलाए गए आंदोलन को सुधार आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 44.
मंडल आयोग की मुख्य सिफ़ारिश क्या थी?
उत्तर:
पिछड़ी जातियों के लिए सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण।

प्रश्न 45.
जनजातियों के बच्चों को शिक्षा लेने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जा सकता है?
उत्तर:
उनके बच्चों को छात्रवृत्तियां देकर, मुफ्त किताबें देकर, उनके क्षेत्रों में स्कूल खोलकर उन्हें शिक्षा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

प्रश्न 46.
जनजातियों के क्षेत्रों में कैसे सुधार किया जा सकता है?
उत्तर:
उनके क्षेत्रों में यातायात के साधनों का विकास करके, उन्हें रोजगार उपलब्ध करवा कर तथा सस्ते ऋण देकर उनमें सुधार किया जा सकता है।

प्रश्न 47.
संविधान के अनुसार अनुसूचित जातियों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
संविधान के अनुसार अनुसूचित जातियों की संख्या 2 1 2 है।

प्रश्न 48.
संविधान के किस अनुच्छेद में जनजातियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है?
उत्तर:
अनुच्छेद 335.

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 49.
जनजातियों के लिए लोकसभा में कितने स्थान आरक्षित हैं?
उत्तर:
जनजातियों के लिए लोकसभा में 41 स्थान आरक्षित हैं।

प्रश्न 50.
राज्य विधानसभाओं में जनजातियों के लिए कितने स्थान आरक्षित हैं?
उत्तर:
राज्य विधानसभाओं में जनजातियों के लिए 527 स्थान आरक्षित हैं।

प्रश्न 51.
जनजातियों के लिए सभी सेवाओं की नौकरियों में कितने स्थान आरक्षित हैं?
उत्तर:
जनजातियों के लिए सभी सेवाओं की नौकरियों में 7.5% स्थान आरक्षित हैं।

प्रश्न 52.
पिछड़े वर्गों की क्या समस्याएं होती हैं?
उत्तर:
अशिक्षा, ऋणग्रस्तता, व्यवसाय चुनने की समस्या इत्यादि पिछड़े वर्गों की समस्याएं होती हैं।

प्रश्न 53.
काका केलकर आयोग क्यों तथा किस लिए बनाया गया था?
उत्तर:
काका केलकर आयोग 29 जनवरी, 1953 को पिछड़ों के कल्याण के लिए सुझाव देने के लिए बनाया गया था।

प्रश्न 54.
मंडल आयोग का गठन कब हुआ था और इसके अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
मंडल आयोग का गठन 20 दिसंबर, 1978 को हुआ था तथा इसके अध्यक्ष बी० पी० मंडल थे।

प्रश्न 55.
भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत अनुसूचित जनजातियों की पहचान की जाती है?
उत्तर:
अनुच्छेद 335 तथा 336.

प्रश्न 56.
डॉ० अंबेदकर ने अस्पृश्यता से तंग आकर कौन-सा धर्म अपना लिया था?
उत्तर:
डॉ० अंबेदकर ने अस्पृश्यता से तंग आकर बौद्ध धर्म अपना लिया था।

प्रश्न 57.
संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार सभी लोग सार्वजनिक तथा धार्मिक स्थानों पर जाने के लिए स्वतंत्र
उत्तर:
अनुच्छेद 330 तथा 332.

प्रश्न 58.
………………… को भारतीय समाज का स्वर्णिम युग कहते हैं।
उत्तर:
वैदिक काल को भारतीय समाज का स्वर्णिम युग कहते हैं।

प्रश्न 59.
उत्तर वैदिक काल का समय बताएं।
उत्तर:
ईसा से 600 वर्ष पहले से 300 सन् तक।

प्रश्न 60.
महात्मा गांधी ने महिलाओं के उत्थान के लिए क्या किया?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में लाने का प्रयास किया ताकि वह घर की चारदीवारी से निकल कर आत्म-निर्भर बन सकें।

प्रश्न 61.
शारदा बिल क्या था?
उत्तर:
शारदा बिल 1929 में पास हुआ था। इस बिल के अनुसार बाल विवाह पर पाबंदी लगा दी गई थी।

प्रश्न 62.
शारदा बिल के अनुसार विवाह के लिए क्या उम्र होनी चाहिए?
उत्तर:
शारदा बिल के अनुसार विवाह के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष लड़कियों के लिए तथा 18 वर्ष लड़कों के लिए निश्चित की गई।

प्रश्न 63.
विधवा विवाह कानून कब पास हआ था?
उत्तर:
विधवा विवाह कानून 1856 में पास हुआ था।

प्रश्न 64.
विधवा विवाह कानून किस की कोशिशों का नतीजा था?
उत्तर:
विधवा विवाह कानून ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कोशिशों का नतीजा था।

प्रश्न 65.
किस वेद ने विधवा पुनर्विवाह को मान्यता दी है?
उत्तर:
अथर्ववेद ने विधव वाह को मान्यता दी है।

प्रश्न 66.
किसने राज्यों को लिंग, धर्म तथा जाति के आधार पर भेद न रखने को कहा है?
उत्तर:
भारतीय संविधान ने राज्यों को किसी भी प्रकार का भेद न रखने को कहा है।

प्रश्न 67.
भारत में कानून क्यों सफल नहीं हो पाए हैं?
उत्तर:
लोगों के अशिक्षित होने की वजह से कानून भारत में सफल नहीं हो पाए हैं।

प्रश्न 68.
वैदिक युग में नारी को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
वैदिक युग में नारी को देवी तथा शक्ति का नाम दिया गया था।

प्रश्न 69.
किस युग में औरतों का धार्मिक अधिकार खत्म कर दिया गया था?
उत्तर:
उत्तर वैदिक काल में औरतों का धार्मिक अधिकार खत्म कर दिया गया था।

प्रश्न 70.
बाल विवाह तथा पर्दा प्रथा क्यों शुरू हुए?
उत्तर:
विदेशी आक्रमणों की वजह से तथा रक्त शुद्धता बनाए रखने के लिए बाल विवाह तथा पर्दा प्रथा शुरू हुए।

प्रश्न 71.
स्त्रियां पुरुषों पर निर्भर क्यों थीं?
उत्तर:
अशिक्षित होने की वजह से स्त्रियां पुरुषों पर हर प्रकार से निर्भर थीं।

प्रश्न 72.
गर्भपात को कानूनी मान्यता कब मिली थी?
उत्तर:
सन 1971 में।

प्रश्न 73.
किस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाया गया था?
उत्तर:
1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाया गया था।

प्रश्न 74.
……………….. राज्य में महिलाएं पुरुषों से अधिक हैं।
उत्तर:
केरल में महिलाएं पुरुषों से अधिक हैं।

प्रश्न 75.
कब यज्ञ पूर्ण नहीं माना जाता?
उत्तर:
अगर पति पत्नी के बिना यज्ञ करे तो उस यज्ञ को पूर्ण नहीं माना जाता।

प्रश्न 76.
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर पश्चिमी नारी बन गई।

प्रश्न 77.
मुस्लिम स्त्रियों की क्या स्थिति है?
उत्तर:
मुस्लिम स्त्रियों की स्थिति आज भी दयनीय है क्योंकि उनको न तो कोई अधिकार प्राप्त है तथा आज भी मुस्लिम मर्द चार विवाह कर सकते हैं।

प्रश्न 78.
दहेज निरोधक अधिनियम प्रथम कब पास हुआ था?
उत्तर:
दहेज निरोधक अधिनियम 1961 में पास हुआ था।

प्रश्न 79.
दहेज निरोधक अधिनियम की प्रमुख धारा क्या थी?
उत्तर:
दहेज निरोधक अधिनियम के अनुसार विवाह तय करते समय या विवाह के समय अगर कोई आर्थिक शर्त रखी जाएगी तो यह दंडनीय अपराध है तथा इसके लिए सज़ा तथा जुर्माना तथा दोनों भी हो सकते हैं।

प्रश्न 80.
बालिग और नाबालिग में क्या अंतर है?
उत्तर:
बालिग की उम्र 18 साल से ऊपर तथा नाबालिग की उम्र 18 साल से कम होती है।

प्रश्न 81.
ज्ञान का प्रतीक कौन माना जाता है?
उत्तर:
ज्ञान का प्रतीक नारी मानी जाती है।

प्रश्न 82.
औरतों को वोट देने का अधिकार कब प्राप्त हुआ?
उत्तर:
औरतों को वोट देने का अधिकार 1935 में प्राप्त हुआ।

प्रश्न 83.
विवाहित स्त्रियों की संपत्ति संबंधी अधिनियम कब पास हुआ था?
उत्तर:
विवाहित स्त्रियों की संपत्ति संबंधी अधिनियम 1874 में पास हुआ था।

प्रश्न 84.
महिलाओं की भारतीय समिति की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
श्रीमती ऐनी बेसेंट ने।

प्रश्न 85.
स्त्रियों को संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिनियम कब पास हुआ था?
उत्तर:
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत स्त्रियों को भी पुरुषों के समान पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार मिल गया था।

प्रश्न 86.
किस कानून ने बहु-विवाह प्रथा को समाप्त कर दिया था?
उत्तर:
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत बहु-विवाह की प्रथा को खत्म कर दिया था।

प्रश्न 87.
किस प्रकार के विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 ने मान्यता दी थी?
उत्तर:
इस अधिनियम ने एक विवाह को मान्यता दी थी।

प्रश्न 88.
आजकल स्त्रियों की स्थिति कैसी है?
उत्तर:
आजकल स्त्रियों की स्थिति धीरे-धीरे ऊंची हो रही है।

प्रश्न 89.
संयुक्त तथा केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की कैसी स्थिति होती है?
उत्तर:
संयुक्त परिवार में स्त्रियों की निम्न स्थिति होती है तथा केंद्रीय परिवारों में उच्च स्थिति होती है।

प्रश्न 90.
स्त्रियों की स्थिति पर सुधार आंदोलनों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
बाल विवाह कम हो गए, सती प्रथा खत्म हो गई तथा विधवा विवाह होने शुरू हो गए।

प्रश्न 91.
पिछड़ा वर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो लोग मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं वे पिछड़े वर्ग में आते हैं। अनुसूचित जनजातियां, अनुसूजित जातियां, छोटे किसान, भूमिहीन लोग सभी इस श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 92.
जनजाति क्या होती है?
उत्तर:
जनजाति व्यक्तियों का वह समूह होता है जो दूर जंगलों या पहाड़ों में आदिम या पुरातन अवस्था में रहता है तथा जिसकी अपनी ही संस्कृति, भाषा, रहन-सहन, खाना-पीना होते हैं।

प्रश्न 93.
झूम कृषि किसे कहते हैं?
उत्तर:
झूम कृषि जनजाति के लोग करते हैं। जब एक स्थान पर उत्पादन कम हो जाता है तो ये लोग उस स्थान पर कृषि करना छोड़ देते हैं तथा किसी और स्थान पर जाकर वन को काटकर उस स्थान को साफ कर देते हैं। फिर वह उस स्थान पर कृषि करना शुरू कर देते हैं। इसी को झूम अथवा स्थानांतरित कृषि कहते हैं।

प्रश्न 94.
निर्योग्यता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्राचीन समय में जाति प्रथा व्याप्त थी तथा समाज उच्च और निम्न जातियों में विभाजित था। उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों पर बहुत-सी पाबंदियां लगी होती थीं। इन पाबंदियों को निर्योग्यता कहा जाता था। निर्योग्यताएं कई प्रकार की होती हैं जैसे कि सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक इत्यादि।

प्रश्न 95.
सामाजिक तथा आर्थिक निर्योग्यता का अर्थ बताएं।
उत्तर:
ऊँची जातियों के निम्न जातियों के साथ सामाजिक मेल-जोल पर पाबंदियां हुआ करती थीं। इनको निम्न जातियों की सामाजिक निर्योग्यताएं कहते थे। इसी प्रकार निम्न जातियों के लोगों को कुछ कार्य करने की पाबंदी होती थी ताकि वे उस कार्य को करके पैसे न कमा सकें। इसे आर्थिक निर्योग्यता कहते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 96.
धार्मिक. निर्योग्यता क्या होती थी?
उत्तर:
प्राचीन समाज उच्च तथा निम्न जातियों में बँटा हुआ था। निम्न जातियों के मंदिरों में जाने, धार्मिक ग्रंथ पढ़ने तथा धार्मिक संस्कार करने पर पाबंदी हुआ करती थी क्योंकि निम्न जातियों को अपवित्र तथा अस्पृश्य समझा जाता था। इसको ही धार्मिक निर्योग्यताएं कहा जाता था।

प्रश्न 97.
वंचित समूह किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हरेक समाज में कुछ ऐसे समूह होते हैं जो आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक तथा राजनीतिक दृष्टि से कमज़ोर होते हैं। इन समूहों को वंचित समूह कहा जाता है। उदाहरण के लिए अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां, महिलाएं, अन्य पिछड़े वर्ग इत्यादि।

प्रश्न 98.
क्षतिपूर्ति विभेद नीति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
हरेक समाज में कुछ वंचित समूह होते हैं। जब इन वंचित समूहों को समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिए उनके लिए विशेष अतिरिक्त अवसरों का प्रावधान किया जाए तो इस नीति को क्षतिपूर्ति विभेद नीति कहा जाता है। उदाहरण के लिए भारत में वंचित समूहों के लिए आरक्षण रखा गया है।

प्रश्न 99.
संविधान में पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए किए गए प्रावधान बताएं।
उत्तर:
संविधान में अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए प्रावधान रखे गए हैं। उन्हें शिक्षण संस्थाओं, सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया है ताकि वह सामाजिक स्थिति सुधार सकें। उन्हें अपनी भाषा, संस्कृति इत्यादि के विकास के अवसर प्रदान किए गए हैं। अल्पसंख्यकों को अपना धर्म मानने की छूट दी गई है।

प्रश्न 100.
कुछ सामाजिक निर्योग्यताओं के बारे में बताएं।
उत्तर:

  • निम्न जातियों के लिए उच्च जातियों के कुंओं से पानी लेने की पाबंदी थी।
  • निम्न जातियों को शिक्षा ग्रहण करने की पाबंदी थी।।
  • निम्न जातियां उच्च जातियों के लोगों से मेल-जोल नहीं रख सकती थीं।
  • निम्न जातियां उच्च जातियों के लोगों के सामने नहीं जा सकती थीं।

प्रश्न 101.
कुछ धार्मिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:

  • निम्न जातियों पर धार्मिक पुस्तकें पढ़ने पर पाबंदी थी।
  • निम्न जातियों के लोग मंदिरों में नहीं जा सकते थे।
  • वह धार्मिक संस्कार नहीं कर सकते थे।
  • वह मंदिरों के कुओं के नज़दीक नहीं जा सकते थे।

प्रश्न 102.
हरिजनों की सामाजिक स्थिति को कैसे ऊँचा किया जा सकता है?
उत्तर:

  • जाति प्रथा को खत्म करके उनकी सामाजिक स्थिति को ऊँचा किया जा सकता है।
  • गंदे पेशों को खत्म करना चाहिए।
  • अस्पृश्यता विरोधी प्रचार होने चाहिएं।
  • अलग-अलग प्रकार की निर्योग्यताएं खत्म होनी चाहिएं।
  • उनमें शिक्षा का प्रचार तथा प्रसार होना चाहिए।

प्रश्न 103.
भारत में कितने अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लोग रहते हैं?
उत्तर:
1991 की जनगणना के अनुसार भारत में 13.82 करोड़ लोग अनुसूचित जातियों के लोग रहते हैं जो कि देश की जनसंख्या का 16.48% हैं। सन् 2001 की जनसंख्या के अनुसार भारत में 6.7 करोड़ लोग अनुसूचित जनजातियों के है जो कि कुल जनसंख्या का 8.28% होते हैं।

प्रश्न 104.
स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले कुछ अपराध बताएं।
उत्तर:
स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में से कुछेक हैं दहेज हत्या, छेड़ छाड़, बलात्कार, पत्नी का शारीरिक उत्पीड़न, भ्रूण हत्या इत्यादि।

प्रश्न 105.
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर:
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर पश्चिमी नारी बन गई। उसने शिक्षा प्राप्त करनी शुरू की जिससे उसने नौकरी करके स्वयं कमाना शुरू कर दिया।

प्रश्न 106.
अंग्रेज़ों के समय स्त्रियों के लिए बनाए कुछ कानूनों के नाम बताओ।
उत्तर:

  • सती प्रथा निरोधक अधिनियम, 1829.
  • विधवा विवाह अधिनियम, 1856.
  • विवाहित स्त्रियों का संपत्ति संबंधी अधिनियम, 1874.
  • बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929.

प्रश्न 107.
स्वतंत्रता के पश्चात् स्त्रियों के लिए बनाए कुछ कानूनों के नाम बताएं।
उत्तर:

  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954.
  • हिंद विवाह अधिनियम, 1955.
  • हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम, 1956.
  • दहेज निरोधक अधिनियम, 1961, 1986.

प्रश्न 108.
अल्पसंख्यक क्या होता है?
अथवा
अल्पसंख्यक समुदाय किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी समाज में जब जनसंख्या में कुछ लोगों का प्रतिनिधित्व कम होता है उन्हें अल्पसंख्यक कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि कुल जनसंख्या में से कोई समूह जो धर्म, जाति या किसी आधार पर कम संख्या में होते हैं उन्हें अल्पसंख्यक कहा जाता है।

प्रश्न 109.
भारत में अल्पसंख्यक शब्द किन लोगों के लिए प्रयोग होता है? उदाहरण दें।
उत्तर:
भारत में अल्पसंख्यक शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग होता है जो धार्मिक है जो धार्मिक दृष्टि से कम पाए जाते हैं। मुसलमान, सिक्ख, बौद्ध, ईसाई, जैन धर्मों के लोग भारत में अल्पसंख्यक समूह है।

प्रश्न 110.
भारत में अल्पसंख्यकों की समस्याओं के बारे में बताएं।
उत्तर:

  • भारत में अल्पसंख्यकों में शिक्षा का अभाव है।
  • भारत में अल्पसंख्यक के नेता ठीक नहीं हैं।
  • भारत में अल्पसंख्यकों असुरक्षा की भावना के साथ जीते हैं।
  • भारत में अल्पसंख्यक अधिक निर्धन हैं।

प्रश्न 111.
भारत में हिंदुओं, सिक्खों, ईसाइयों तथा मुसलमानों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
1991 की जनसंख्या के अनुसार भारत में हिंदू कुल जनसंख्या का 79.8%, सिक्ख 1.7%; ईसाई 2.4% तथा मुसलमान 13.2% थे।

प्रश्न 112.
पश्चिमी संस्कृति का भारतीय स्त्रियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
पश्चिमी सभ्यता के भारत में आने से भारत की नारियों में जागृति आ गई। पहले जो औरत घर की चारदीवारी में घुट-घुट कर रहती थी अब वह सारे बंधन तोड़कर घर से बाहर निकल कर काम करने लग गई है। उसने समाज में फैले अन्याय तथा कुरीतियों का विरोध किया तथा अपने बारे में सोचना शुरू कर दिया है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 113.
मुस्लिम राजाओं के समय में स्त्रियों की कैसी स्थिति थी?
उत्तर:
मुस्लिम राजाओं या मध्य काल में स्त्रियों की स्थिति बहुत खराब थी। स्त्रियों को किसी प्रकार के अधिकार नहीं थे। उनको चीज़ तथा पैरों की जूती समझा जाता था। अगर किसी राजा को कोई स्त्री पसंद आ जाती थी तो वह उसे उठा लेता था। स्त्रियां घर की चारदीवारी में रहती थीं। उनका मुख्य काम बच्चे पैदा करना तथा घर की देखभाल करना होता था।

प्रश्न 114.
दहेज प्रथा कैसे पैदा हुई?
उत्तर:
हर किसी की इच्छा होती है कि उसकी लड़की का विवाह उससे उच्च परिवार में हो जिसे कि कुलीन विवाह .. कहते हैं। कुलीन विवाह की वजह से उच्च परिवार के लड़कों की मांग बढ़ गई जिस वजह से उच्च परिवार के लड़कों की कमी हो गई। इस वजह से इन लड़कों की कीमत बढ़ गई तथा दहेज प्रथा भी यहीं से शुरू हो गई।

प्रश्न 115.
दहेज निरोधक कानून 1986 में क्या प्रावधान था?
उत्तर:
पहला दहेज निरोधक कानून 1961 में पास हुआ था पर उसमें कुछ कमियां थीं। इन कमियों को दूर करने के लिए दहेज निरोधक कानून 1986 पास किया गया जिसमें यह प्रावधान था कि दहेज लेने या देने वाले व्यक्ति को 5 वर्ष की सज़ा या 15,000 रुपये जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं।

प्रश्न 116.
आजकल स्त्रियों की क्या स्थिति है?
उत्तर:
आजकल स्त्रियों को संपत्ति में अधिकार प्राप्त हो गए हैं। अब औरतें घरों से बाहर निकल कर दफ्तरों में काम कर रही हैं। अब औरत हर वह काम कर रही है जो पहले सिर्फ पुरुष किया करते थे। वह पढ़ रही है, नौकरी कर रही है, घर संभाल रही है। आज स्त्रियों का भी पश्चिमीकरण हो गया है।

प्रश्न 117.
संयुक्त परिवार में स्त्रियों की क्या दशा होती है?
उत्तर:
संयुक्त परिवार में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न होती है। स्त्रियों का काम घर संभालने का होता है। उनको न तो कोई अधिकार प्राप्त होता है तथा न ही वह घर से बाहर जा सकती हैं। किसी मामले में न तो उसकी सलाह ली जाती है तथा न ही उसकी बात मानी जाती है। इस तरह उसकी स्थिति काफ़ी खराब होती है।

प्रश्न 118.
केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की किस प्रकार की स्थिति होती है?
उत्तर:
केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी होती है। इन परिवारों में स्त्रियां घर से बाहर जाकर नौकरी करती हैं। घर के हर फैसले में उनकी सलाह ली जाती है तथा ज्यादातर उनकी बात मान ली जाती है क्योंकि वह पुरुष के साथ कमाने के मामले में कंधे से कंधा मिला कर खड़ी होती है। इस तरह केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी होती है। ..

प्रश्न 119.
प्रांरभिक सुधार आंदोलनों के कौन-से नेताओं ने स्त्री सुधार में योगदान दिया था?
उत्तर:
प्रांरभिक सुधार आंदोलनों के प्रसिद्ध नेता थे राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, केशव चंद्र सेन, ज्योतिबा फूले, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, महर्षि कार्वे, गोविंद रानाडे इत्यादि। इन सभी ने स्त्रियों की निर्योग्यताओं की आलोचना की तथा स्त्री सुधार के लिए कदम उठाए।

प्रश्न 120.
असक्षमता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समाज में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी बीमारी, विकलांगता अथवा बेसहारा होने के कारण स्थायी/ अस्थायी रूप से कार्य करने में अक्षम होते हैं। उनकी इस प्रकार की स्थिति को असक्षमता कहते हैं।

प्रश्न 121.
निर्धनता का असक्षमता से क्या संबंध है?
उत्तर:
निर्धनता का असक्षमता से गहरा संबंध है। इसका कारण यह है कि निर्धन स्त्रियां कपोषण, बीमारियों. अधिक लोगों में घर में दुर्घटना इत्यादि का शिकार हो जाती हैं तथा असक्षमता आ जाती है। इस कारण होकर असक्षक्त तथा विकलांग हो जाते हैं।

प्रश्न 122.
कौन-से काल में नारी की सामाजिक प्रस्थिति पुरुषों के समान थी?
उत्तर:
वैदिक काल में नारी की सामाजिक प्रस्थिति पुरुषों के समान थी।

प्रश्न 123.
कोई एक मूलभूत अधिकार बताइए।
उत्तर:
जीवन जीने का अधिकार हमारा मूलभूत अधिकार है।

प्रश्न 124.
सामाजिक विषमता में सामाजिक क्या है?
उत्तर:
सामाजिक विषमता तथा बहिष्कार सामाजिक व्यक्ति है, परंतु यह अलग-अलग समूहों के लिए है। इन्हें सामाजिक इस भावना में कहा जाता है कि यह आर्थिक नहीं है। वास्तव में यह व्यवस्थित तथा संगठनात्मक है।

प्रश्न 125.
बीसवीं शताब्दी के दौरान सन् – – – में जाति के आधार पर अंतिम जनगणना की गई।
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी के दौरान सन् 1931 में जाति के आधार पर अंतिम जनगणना की गई।

प्रश्न 126.
बी.पी. मंडल – – – आयोग के अध्यक्ष थे जिन्होंने ‘अन्य पिछड़े वर्ग’ के लिए आरक्षण की सिफ़ारिश की?
उत्तर:
बी.पी. मंडल मंडल आयोग के अध्यक्ष थे जिन्होंने ‘अन्य पिछड़े वर्ग’ के लिए आरक्षण की सिफ़ारिश की।

प्रश्न 127.
महात्मा गांधी ने निम्न जातियों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने निम्न जातियों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया।

प्रश्न 128.
उत्तरी भारत की किसी प्रमुख जनजाति का नाम बताएँ।
उत्तर:
गद्दी उत्तरी भारत की प्रमुख जनजाति है जो अधिकतर हिमाचल प्रदेश में पाई जाती है। प्रश्न 129. निम्न जातियों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? उत्तर:निम्न जातियों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने किया था।

प्रश्न 130.
मलाई परत को ‘अन्य – – – वर्ग के अंतर्गत आरक्षण से बाहर रखा गया है?
उत्तर:
मलाई परत को ‘अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आरक्षण से बाहर रखा गया है।

प्रश्न 131.
‘गद्दी, लहोले, स्पीतन तथा किन्नौरे’ जनजातियाँ किस प्रदेश में पाई जाती हैं?
उत्तर:
‘गद्दी, लहोले, स्पीतन तथा किन्नौरे’ जनजातियाँ हिमाचल प्रदेश में पाई जाती हैं।

प्रश्न 132.
अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण – – – आयोग की सिफारिशों के अनुसार दिया गया।
उत्तर:
अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार दिया गया।

प्रश्न 133.
अनुसूचित जातियों का संबंध उच्च या निम्न जाति में से किससे है?
उत्तर:
अनुसूचित जातियों का संबंध निम्न जाति से है।

प्रश्न 134.
जनजातीय समाज का संबंध जाति या क्षेत्र विशेष में से किससे है?
उत्तर:
जनजातीय समाज का संबंध क्षेत्र विशेष से है।

प्रश्न 135.
भारत में लड़के के विवाह की न्यूनतम आयु ………………. वर्ष तय की गई है।
उत्तर:
भारत में लड़के के विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष तय की गई है।

प्रश्न 136.
भारत में लड़की के विवाह के लिए न्यूनतम आयु ………………. वर्ष तय की गई है।
उत्तर:
भारत में लड़की के विवाह के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष तय की गई है।

प्रश्न 137.
………………. राज्य में अनुसूचित जनजाति नहीं पाई जाती है।
उत्तर:
हरियाणा राज्य में अनुसूचित जनजाति नहीं पाई जाती है।

प्रश्न 138.
जाति, धर्म तथा जनजाति में से कौन-सा क्षेत्रीय समूह है?
उत्तर:
जाति, धर्म तथा जनजाति में से जनजाति एक क्षेत्रीय समूह है।

प्रश्न 139.
सामाजिक असमानता क्या है?
उत्तर:
समाज के अलग-अलग वर्गों में व्यापत असमानता अथवा ना बराबरी को सामाजिक असमानता कहते हैं।

प्रश्न 140.
सामाजिक स्तरीकरण की परिभाषा दें।
उत्तर:
वह व्यवस्था जो एक समाज में लोगों का वर्गीकरण करते हुए एक अधिक्रमित संरचना में इन्हें श्रेणीबद्ध करती है उसे सामाजिक स्तरीकरण कहते हैं।

प्रश्न 141.
भेदभाव क्या है?
उत्तर:
अगर कोई वर्ग किसी अन्य वर्ग के साथ कई आधारों पर अंतर रखे तो उसे भेदभाव कहा जाता है।

प्रश्न 142.
सत्यशोधक समाज के उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
सत्यशोधक समाज के उद्देश्य थे निम्न जातियों को समाज में ऊपर उठाना तथा स्त्रियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देना।

प्रश्न 143.
संस्कृतिकरण की अवधारणा किसने दी थी?
उत्तर:
संस्कृतिकरण की अवधारणा एम० एन० श्रीनिवास ने दी थी।

प्रश्न 144.
सत्यशोधक समाज की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फूले ने की थी।

प्रश्न 145.
अक्षमता एक ………………….. कमज़ोरी है।
उत्तर:
अक्षमता एक शारीरिक कमजोरी है।

प्रश्न 146.
जाति प्रथा में पूर्वाग्रह पाया जाता है। सत्य या असत्य।
उत्तर:
जाति प्रथा में पूर्वाग्रह पाया जाता है-सत्य।

प्रश्न 147.
सावित्री बाई फूले ने किस जाति की शिक्षा के लिए कार्य किया?
उत्तर:
सावित्री बाई फूले ने निम्न जाति की शिक्षा के लिए कार्य किया।

प्रश्न 148.
किस जाति समूह के ज्यादातर लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे (BPL) की श्रेणी में आते हैं?
उत्तर:
निम्न जाति के ज्यादातर लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे आते हैं।

प्रश्न 149.
जनजातीय समाज की ……………….. तथा ……………….. विशेषताएं हैं।
उत्तर:
जनजातीय समाज की अलग भौगोलिक क्षेत्र तथा अलग भाषा विशेषताएं हैं।

प्रश्न 150.
भीम राम अंबेडकर का जन्म ………………. में हुआ।
उत्तर:
भीम राम अंबेडकर का जन्म 4 अप्रैल, 1891 में हुआ।

प्रश्न 151.
अछूत मानी जाने वाली जातियों का अधिक्रम में कोई स्थान नहीं है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 152.
सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़ों को क्या कहा जाता है:
उत्तर:
अन्य पिछड़े वर्ग।

प्रश्न 153.
जाति व्यवस्था ही विशेष जातियों में पैदा हुए व्यक्तियों के विरुद्ध भेदभावपूर्ण व्यवहार को लागू करती है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 154.
अस्पृश्यता को अखिल भारतीय प्रघटना मानना अनुचित है। (उचित/अनुचित)
उत्तर:
अनुचित।

प्रश्न 155.
अक्षमता एक जैविक कमज़ोरी है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 156.
बहिष्कार बहिष्कृत लोगों की इच्छाओं के विरुद्ध कार्यान्वित होता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 157.
सीमांत किसान और भूमिहीन लोग निम्न जातीय समूहों में होते हैं। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातियों को शिक्षा लेने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जा रहा है?
उत्तर:
जनजातियों के बच्चों को शिक्षा लेने के लिए निम्नलिखित तरीकों से प्रोत्साहित किया जा रहा है-

  • उनके बच्चों को पढ़ने के लिए छात्रवृत्तियां दी जा रही हैं।
  • उनके बच्चों में मुफ्त किताबें बांटी जाती हैं।
  • जनजातीय क्षेत्रों में स्कूल खोले जा रहे हैं।
  • विदेशों में पढ़ने के लिए इनके बच्चों को छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।
  • इनके क्षेत्रों में क्षेत्रीय कॉलेज खुल रहे हैं जिनमें इनको रोज़गार संबंधी शिक्षा दी जाती है ताकि यह पढ़-लिख कर अपना काम कर सकें।

प्रश्न 2.
जनजातियों को कौन-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
(i) जनजातीय लोग इतने दूर घने जंगलों या पहाड़ों में रहते हैं जहां यातायात के साधन तथा संचार की सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई हैं जिस वजह से वह आज के वैज्ञानिक युग की तरक्की से अनजान हैं।

(ii) इन लोगों का और जातियों के लोगों से लगातार शोषण हो रहा है। जब इन लोगों को पैसे की ज़रूरत होती है तो साहूकार बहुत ज्यादा ब्याज वसूलते हैं तथा इन की बनाई चीजें कम दाम पर खरीदते हैं। इन तरह इन का लगातार शोषण हो रहा है।

(iii) आजकल नए उद्योग लगने शुरू हो गए हैं जहां पर उद्योगों के मालिक इन लोगों को कम मजदूरी पर काम पर रख लेते हैं। कम मजदूरी की वजह से इनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है।

(iv) आजकल नए-नए अफसर इनके क्षेत्रों में जाने लग गए हैं जहां पर अफसर इनके अंदरूनी मामलों में दखल देते हैं। इस वजह से भी इन लोगों की अफसरों के साथ समन्वय करने की समस्या आ रही है।

प्रश्न 3.
राज्य सरकारें जनजातियों के सुधार के लिए क्या-क्या कदम उठा रही हैं?
उत्तर:

  • उन्हें निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।
  • उन्हें छात्रवृत्तियां दी जा रही हैं।
  • उन्हें मुफ्त किताबें दी जा रही हैं।
  • उनकी भूमि पर सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है।
  • उनमें छोटे-छोटे उद्योगों का विकास किया जा रहा है।
  • उनके क्षेत्रों में यातायात तथा संचार के साधनों का विकास किया जा रहा है।
  • उन्हें सस्ते ऋण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
  • उनके लिए चिकित्सा, पेयजल, कानूनी सहायता इत्यादि सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है।
  • कई गैर-सरकारी संस्थाओं को इनकी मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्रश्न 4.
अस्पृश्यता अपराध अधिनियम में किस प्रकार की निर्योग्यताएं हटा ली गई हैं?
उत्तर:

  • अब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को मंदिर या किसी पूजा स्थल पर जाने से नहीं रोकेगा।
  • होटलों, पार्को, क्लबों इत्यादि में भी हर किसी को आने-जाने की छूट होगी।
  • अब प्रत्येक व्यक्ति किसी भी तालाब, नदी या कुएं से पीने या नहाने के लिए पानी भर सकेगा।
  • अगर कोई इन निर्योग्तायों को मानेगा तो उसे कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
1976 का नामरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम क्या था?
उत्तर:
1955 में अस्पृश्यता अपराध अधिनियम पास हुआ था। यह पास तो हो गया था पर इसमें कई कमियां थीं। सबसे पहली तो यह कि यह अच्छी तरह लागू नहीं हो पाया था। लोग अब भी अस्पृश्यता का प्रयोग करते थे। इसलिए न कमियों को दूर करने के लिए नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976 में पास हुआ था। इस अधिनियम के अंतर्गत जो कोई भी एक बार अस्पृश्यता के प्रयोग के लिए दंडित हो गया तो वह संसद् या विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएगा। कोई सरकारी कर्मचारी अगर इस का प्रयोग करेगा तो उसे दंड दिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए कदमों की रिपोर्ट हर वर्ष संसद् में पेश होगी तथा राज्य सरकारों को भी इसके बारे में निर्देश दिए गए।

प्रश्न 6.
20 सूत्री कार्यक्रम क्या था?
उत्तर:
1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपात्काल घोषित कर दिया तथा निर्बल तथा शोषित वर्ग को ऊपर उठाने के लिए 20 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की जिस की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  • सीमा से ज्यादा भूमि भूमिहीनों को दी जाएगी।
  • बेगार प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया जाएगा।
  • खेती करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन घोषित किया जाएगा।
  • ज्यादा बिजली उत्पादन के कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
  • कपड़े में सुधार तथा उसके वितरण की व्यवस्था की जाएगी।
  • आर्थिक अपराध करने वालों को कठोर सज़ा दी जाएगी।
  • पूँजी नियोजन की व्यवस्था को सरल किया जाएगा।
  • यातायात के लिए राष्ट्रीय परमिट व्यवस्था को शुरू किया जाएगा।
  • विद्यार्थियों को जरूरी चीजें सही मूल्यों पर दी जाएंगी।
  • पढ़े-लिखे लोगों के लिए रोज़गार की ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाएगी।
  • उत्पादन बढ़ाकर वितरण प्रणाली ठीक की जाएगी।
  • ग़रीबों को घर बनाने के लिए जमीन दी जाएगी।
  • ग्रामीणों के ऊपर के कर्ज को खत्म किया जाएगा।
  • 50 लाख हक्टेयर जमीन पर सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी।
  • छोटे उद्योगों को बढ़ाने के लिए योजना बनाई जाएगी।
  • शहरों में खाली पड़ी भूमि को ग़रीबों में बांटा जाएगा।
  • तस्करी खत्म करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
  • उद्योगों में मजदूरों को हिस्सा दिलाया जाएगा।
  • मध्यम वर्ग को आय कर में राहत दी जाएगी।
  • विद्यार्थियों को किताबें सस्ती कीमत पर उपलब्ध करवाई जाएंगी।

प्रश्न 7.
जनजातियों के गोत्र का महत्त्व बताओ।
उत्तर:

  • गोत्र अपने सदस्यों के व्यवहारों पर नियंत्रण रखता है। व्यक्ति को नियंत्रण में रहने की शिक्षा भी गोत्र ही देता है।
  • प्राचीन समाजों में जनजातियों की शासन व्यवस्था गोत्र के मुखिया ही किया करते थे। कई जनजातियां एक परिषद् निर्माण करती थीं जिसके सदस्य गोत्रों के मुखिया हुआ करते थे।

प्रश्न 8.
सुधार आंदोलनों से स्त्रियों की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
सुधार आंदोलन राजा राममोहन राय की कोशिशों के बाद शुरू हुए तथा उसके बाद कई और समाज सुधारक आगे आए जिन्होंने स्त्रियों की स्थिति ऊपर उठाने के लिए बहुत काम किए जिनकी वजह से स्त्रियों की स्थिति में निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

  • अब विधवा विवाह होने शुरू हो गए।
  • अब सती प्रथा काफी कम हो गई थी।
  • बाल विवाह भी कम हो गए थे।
  • स्त्रियों की शिक्षा पर ध्यान दिया जाने लगा।
  • जाति प्रथा कमज़ोर हुई जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति में काफी सुधार हुए।

प्रश्न 9.
वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति किस प्रकार की थी?
उत्तर:
वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी थी क्योंकि:

  • स्त्रियों को परिवार में काफ़ी अधिकार प्राप्त थे।
  • स्त्रियों को शिक्षा लेने, संपत्ति रखने का अधिकार प्राप्त था।
  • स्त्रियां यज्ञ करती थीं।
  • ज्ञान के मामले में वे पुरुषों के बराबर थीं।
  • विधवा विवाह प्रचलित था।
  • समाज में स्त्रियों का बहुत सम्मान था।
  • उनका अपमान समाज का अपमान माना जाता था।

प्रश्न 10.
आधुनिक समय में औरतों की स्थिति किस प्रकार की है?
अथवा
आधुनिक युग में नारी की स्थिति स्पष्ट कीजिए।
अथवा
स्वतंत्रता के पश्चात् महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अब स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी है क्योंकि-
(i) अब औरत घर में सिर्फ दासी नहीं रह गई है। उसको घर में हर प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं। घर के प्रत्येक काम में उसकी सलाह ली जाती है तथा उसकी बात मानी जाती है। घर का हर काम खाना बनाने से बच्चों की शिक्षा तक सब उसके सहारे चलता है।

(ii) आजकल विधवा विवाह हो रहे हैं, बाल-विवाह बहुपत्नी विवाह खत्म हो गए हैं। औरतों को तलाक का अधिकार मिल गया है। औरतें शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर जा रही हैं।

(iii) आजकल औरतों को संपत्ति रखने का अधिकार, पिता की संपत्ति में हिस्सा लेने का अधिकार प्राप्त है। औरतें घर से बाहर जा कर नौकरियां कर रही हैं तथा आर्थिक तौर पर आत्म निर्भर हो रही हैं।

(iv) अब औरतों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई सविधाएं दी जा रही हैं। मफ्त शिक्षा, छात्रवत्तियां इत्यादि कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे औरतों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब उनमें साक्षरता दर भी काफी तेजी से बढ़ रही है।

(v) अब स्त्रियां राजनीति में भी आगे आ रही हैं, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, जयललिता, अंबिका सोनी, सुषमा स्वराज, उमा भारती, वसुंधरा राज सिंधिया इत्यादि कुछ ऐसे नाम हैं जो राजनीतिक क्षेत्र में काफ़ी आगे हैं।

प्रश्न 11.
स्त्रियों की स्थिति में सुधार के क्या कारण हैं?
उत्तर:
भारत में आज स्त्रियों की स्थिति में काफ़ी सुधार आया जिसके कारणों का वर्णन निम्नलिखित है-
(i) स्त्रियों की स्थिति सुधारने के लिए सबसे पहले प्रयास शुरू किए गए थे जब राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के विरुद्ध तथा विधवा विवाह के लिए आवाज़ उठायी थी। उनकी वजह से 1829 में सती प्रथा निरोधक कानून बना तथा 1856 में विधवा विवाह कानून से विधवा विवाह को मंजूरी मिल गई थी जिस कारण से भारतीय समाज के दो अभिशाप दूर हो गए।

(ii) इनके बाद भारत में कई संस्थाएं बनीं जैसे कि प्रार्थना समाज, सत्य शोधक समाज, आर्य समाज, ब्रमों समाज जिन्होंने स्त्रियों के लिए आवाज़ उठायी, उन्होंने स्त्रियों की शिक्षा तथा उनके उत्थान पर भी जोर दिया। रामाबाई रानाजे, गोविंद रानाडे इत्यादि नाम इनमें काफ़ी प्रमुख हैं।

(iii) इनके बाद श्रीमती ऐनी बेसेंट, कस्तूरबा गांधी इत्यादि ने भी औरतों के उत्थान के लिए आवाज़ उठाई तथा उनकी स्थिति सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

(iv) आज़ादी के बाद कई तरह के कानून पास हुए जिन की मदद से औरतों को बहुत से अधिकार प्राप्त हो गए।

(v) पश्चिमी शिक्षा के प्रभाव में स्त्रियों की स्थिति में काफी परिवर्तन आए।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 12.
आज़ादी के बाद पास हुए ऐसे अधिनियमों के नाम बताओ जिन की वजह से स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन हुए।
उत्तर:

  • हिंदू विवाह अधिनियम 1955।
  • विशेष विवाह अधिनियम 1954।
  • हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956।
  • हिंद गोद लेना तथा भरण पोषण अधिनियम 1956।
  • अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955।
  • हिंदू नाबालिग तथा संरक्षण अधिनियम 1956।
  • बाल विवाह निरोधक अधिनियम 19781
  • दहेज निरोधक अधिनियम 1961।
  • अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 1956।
  • हिंदू विवाह तथा विवाह विच्छेद अधिनियम 1976।
  • दहेज निरोधक अधिनियम 1961, 1986।
  • मातृत्व हित लाभ अधिनियम 19761
  • मुस्लिम महिला तलाक के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम 1986।

प्रश्न 13.
भारतीय समाज में स्त्रियों की निम्न दशा के क्या कारण थे?
उत्तर:
भारतीय समाज में स्त्रियों की निम्न दशा के निम्नलिखित कारण थे-

  • भारतीय समाज में परुष प्रधानता की वजह से।
  • औरतों का पुरुषों पर आर्थिक तौर पर निर्भर होने की वजह से।
  • औरतों के अशिक्षित होने की वजह से।
  • संयुक्त परिवारों में स्त्रियों के दबे रहने की वजह से।
  • कई प्रकार की स्त्री विरोधी प्रथाओं जैसे बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा विवाह के न होने की वजह से।
  • हिंदू धार्मिक ग्रंथों की वजह से।

प्रश्न 14.
स्त्रियों को किस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए?
उत्तर:

  • स्त्रियों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें।
  • स्त्रियों की शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे वे आर्थिक तौर पर आत्म निर्भर हो सकें।
  • स्त्रियों की शिक्षा उनके स्वास्थ्य, खाने-पीने, परिवार नियोजन इत्यादि के बारे में होनी चाहिए।
  • ऐसी शिक्षा होनी चाहिए जिससे उनका हर प्रकार से विकास हो सके।

प्रश्न 15.
सती प्रथा के बारे में बताएं।
उत्तर:
सती प्रथा पुराने समय में प्रचलित थी। इस प्रथा में अगर किसी पत्नी के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उस औरत को उसके पति की चिता पर जीवित ही बिठा दिया जाता था ताकि वह भी अपने पति के साथ ही मर जाए। उस औरत को सती कहते थे तथा इस प्रथा को सती प्रथा कहा जाता था। इसमें औरतों को सती होने के लिए मज़बूर किया जाता था। अगर पत्नी अपनी मर्जी से तैयार हो जाती थी तो ठीक है नहीं तो उसे जबरदस्ती पति की जलती चिता में डाल दिया जाता था। इसका विरोध सबसे पहले राजा राममोहन राय ने किया था तथा उनके प्रयासों की वजह से ही उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिंक (Lord William Bentinck) ने इस प्रथा के विरुद्ध कानून पास किया जिसका नाम सती प्रथा निवारण अधिनियम 1829 था।

प्रश्न 16.
शिक्षा ने महिलाओं के हालात बदलने में कैसे मदद की है?
उत्तर:
शिक्षा ने महिलाओं के हालात बदलने में बहुत मदद की है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

  • शिक्षा की वजह से औरतों में अपने अधिकारों के प्रति जागृति पैदा हुई है जिस वजह से वह अब अपने अधिकारों के लिए लड़ने लग गई हैं।
  • शिक्षा की वजह से औरतें अब घर से बाहर निकल कर दफ्तरों में काम करने लग गई हैं।
  • बाहर काम करने की वजह से औरतें पैसा कमाने लग गई हैं जिस वजह से वे आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर हो गई हैं।
  • शिक्षा प्राप्त करने की वजह से औरतों की सामाजिक स्थिति अच्छी हो गई है। अब कोई भी उनका शोषण करने से पहले दस बार सोचता है क्योंकि अब औरतों की सुरक्षा के लिए बहुत से कानून बन गए हैं।
  • शिक्षा प्राप्त करने की वजह से अब औरतें राजनीतिक क्षेत्रों में भी काफ़ी आगे आ रही हैं। सोनिया गांधी, सुषमा स्वराज, अंबिका सोनी इत्यादि इसकी उदाहरणें हैं।
  • अब औरतें शिक्षा प्राप्त करने की वजह से अंतरिक्ष तक में जाने लग गई हैं। कल्पना चावला इसका उदाहरण है। अब औरतें वे सारे काम करने लग गई हैं जो पहले मर्दो के होते थे। जैसे सेना, पुलिस या जहाज़ तक उड़ा रही हैं।
  • शिक्षा प्राप्त करने की वजह से औरतें दफ्तरों में काम करने लग गई हैं, जिस वजह से संयुक्त परिवार टूट कर केंद्रीय परिवारों में बदल गए हैं तथा औरतों की स्थिति परिवारों में अच्छी हो गई है।

प्रश्न 17.
अनुसूचित जातियों की समस्याएं बताएं।
उत्तर:

  • अनुसूचित जातियों की सामाजिक स्थिति निम्न होती थी।
  • इनको सार्वजनिक स्थानों के प्रयोग पर प्रतिबंध होता था।
  • इनके साथ सार्वजनिक मेल-जोल पर प्रतिबंध होता था।
  • ये जातियां किसी उच्च जाति के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं कर सकती थे।
  • अनुसूचित जातियों को शिक्षा लेने का भी अधिकार नहीं था।
  • यह लोग धार्मिक स्थानों पर नहीं जा सकते थे।

प्रश्न 18.
अनुसूचित जातियों पर थोपी गई निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:

  • अनुसूचित जातियों के लोग धार्मिक कर्मकांड नहीं कर सकते थे तथा उनको धार्मिक ग्रंथों, उपनिषदों, श्लोकों को पढ़ने की मनाही थी।
  • अनुसूचित जातियों के लोग सार्वजनिक स्थानों जैसे कि मंदिर, कुओं, होटलों, पंचायतों, सड़कों इत्यादि का प्रयोग भी नहीं कर सकते थे।
  • अनुसूचित जातियों के लोग शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते थे क्योंकि प्राचीन शिक्षा धर्म पर आधारित होती थी तथा वह धार्मिक मूल्यों को पढ़ नहीं सकते थे।
  • अनुसूचित जातियों के लोग उच्च जातियों के घरों पर कार्य करते थे जिसकी एवज में थोड़ा सा भोजन तथा थोड़े से पैसे प्राप्त हो जाते थे। इस कारण उनकी स्थिति काफ़ी निम्न थी।
  • वह उच्च जातियों के सामने नहीं आ सकते थे तथा उनके साथ संबंध रखने की भी पाबंदी थी।

प्रश्न 19.
निर्योग्यताओं के परिणाम बताएं।
उत्तर:

  • निर्योग्यताओं के कारण उच्च तथा निम्न जातियों में संघर्ष बढ़ गया।
  • निर्योग्यताओं का एक ग़लत परिणाम यह निकला कि निम्न जातियों के लोगों का आर्थिक जीवन काफ़ी निम्न . हो गया।
  • निर्योग्यताओं के कारण अनुसूचित जातियों के ऊपर बहुत अत्याचार होते थे।
  • इन निर्योग्यताओं के कारण अनुसूचित जातियों के लोगों का जीवन स्तर काफ़ी निम्न हो गया।

प्रश्न 20.
अनुसूचित जातियों की धार्मिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
अनुसूचित जातियों को धार्मिक क्रियाओं, धार्मिक कर्मकांडों को करने की मनाही थी। इसके साथ ही वह धार्मिक ग्रंथ, उपनिषद् श्लोक इत्यादि भी पढ़ नहीं सकते थे। प्राचीन समय में शिक्षा धर्म पर आधारित होती थी। इसलिए अनुसूचित जातियों के लोगों को धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने की मनाही थी। वह मंदिरों में नहीं जा सकते थे तथा पूजा-पाठ भी नहीं कर सकते थे। यहां तक कि वह अपने घरों में धार्मिक ग्रंथ नहीं रख सकते थे, न ही पढ़ सकते थे तथा न ही धार्मिक कर्मकांड कर सकते थे।

प्रश्न 21.
अनुसूचित जातियों की सामाजिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
इन लोगों को हिंदू समाज का अंग नहीं, बल्कि समाज से अलग समझा जाता था। वह शहर अथवा गांव ते थे। वह उच्च जातियों के सामने भी नहीं आ सकते थे। यदि वह उनके सामने आ जाते थे तो उन्हें दंड दिया जाता था। यह लोग सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग नहीं कर सकते थे। यह लोग मंदिरों, कुओं, सड़कों इत्यादि का प्रयोग नहीं कर सकते थे। ये लोग शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर सकते थे। यह लोग सूर्य से अस्त रहते ही गांव में अपना कार्य करने आते थे तथा सूर्यास्त में ही वापिस चले जाते थे।

प्रश्न 22.
अनुसूचित जातियों की शैक्षिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
प्राचीन समय में शिक्षा धर्म पर आधारित होती थी तथा प्रत्येक व्यक्ति धार्मिक शिक्षा प्राप्त करता था परंतु अनुसूचित जातियों के व्यक्तियों को शिक्षा लेने की आज्ञा नहीं थी क्योंकि उनको धार्मिक शिक्षा लेने अथवा धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने की आज्ञा नहीं थी। उनको किसी भी शैक्षिक संस्था अथवा गुरुकुल में दाखिला नहीं मिलता था। यदि किसी को किसी तरह प्रवेश मिल भी जाता था तो उसके साथ काफ़ी ग़लत व्यवहार किया जाता था।

प्रश्न 23.
अनुसूचित जातियों की आर्थिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
अनुसूचित जातियों के मुख्य पेशे सफ़ाई करना, गंदगी उठाना, चमड़े का कार्य करना इत्यादि थे। समाज में इन पेशों को बहुत निम्न दृष्टि से देखा जाता था जिस कारण इन अनुसूचित जातियों के लोगों को उनके कार्य के लिए बहुत ही कम पैसे मिलते थे। कम पैसे मिलने के कारण उन्हें दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता था। यदि कोई विवाह, जन्म अथवा मृत्यु का मौका आ जाए तो उन्हें साहूकारों से कर्ज़ लेना पड़ता था तथा वह तमाम आयु कर्जा वापिस नहीं कर सकते थे। इस प्रकार अपने कार्य की कम मजदूरी मिलने के कारण उनके जीवन में काफ़ी निर्धनता थी।

प्रश्न 24.
संविधान के Article 16. की व्याख्या करें।
उत्तर:
संविधान के Article 16 के अनुसार देश के किसी भी नागरिक से धर्म, जाति, रंग, प्रजाति इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। सरकार किसी के साथ भी किसी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगी। सरकार अनुसूचित जातियों के लोगों को सरकारी संस्थाओं में नियुक्त करने के प्रयास करेगी।

प्रश्न 25.
संविधान के Article 17. की व्याख्या करें।
उत्तर:
संविधान के Article 17 में यह कहा गया है कि अस्पश्यता को मानना एक दंडनीय अपराध है तथा इसको देश में से ख़त्म किया जाता है। सभी के लिए अस्पृश्यता की practice करना मना है। यदि कोई अस्पृश्यता अथवा अस्पृश्य शब्द का प्रयोग करता है तो उसे देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार दंड दिया जाएगा।

प्रश्न 26.
संविधान के Article 338. की व्याख्या करें।
उत्तर:
संविधान के Article 338 में यह कहा गया है कि राष्ट्रपति राज्यों में राज्यपालों को अनुसूचित जातियों तथा कबीलों के विकास के लिए एक विशेष अधिकारी को नियुक्त करने के लिए निर्देश देगा। वह अधिकारी अनुसूचित जातियों तथा कबीलों से संबंधित सभी समस्याओं के विषय पर खोज करके उनके हल के संबंध में रिपोर्ट राज्यपाल तथा राष्ट्रपति को देगा। अब इस उपबंध को ख़त्म कर दिया गया है।

प्रश्न 27.
अस्पृश्यता अपराध कानून 1955 क्या था?
उत्तर:
प्राचीन समय से ही भारत में अस्पृश्यता की प्रथा चली आ रही थी जिस कारण प्राचीन समय से ही निम्न जातियां दबी हुई थीं। चाहे संविधान में इस प्रथा के विरुद्ध प्रावधान रखे गए परंतु फिर भी यह प्रथा चलती रही। इसलिए भारत सरकार ने 1955 में अस्पृश्यता अपराध कानून पास किया जिसमें कहा गया है कि अस्पृश्यता की प्रथा को मानने वाले को तीन महीने की कैद अथवा 50 रुपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। प्रत्येक प्रकार का सार्वजनिक स्थल अनुसूचित जातियों के लिए खोल दिया गया है। अब वह किसी भी स्थान पर जा सकते हैं, किसी भी शैक्षिक संस्था में प्रवेश पा सकते हैं। उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 28.
अलग-अलग कालों में स्त्रियों की स्थिति की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी तथा ऊंची थी। इस काल में स्त्री को धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों को पूर्ण करने के लिए आवश्यक माना जाता है। उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों का आदर-सम्मान कम हो गया। बाल-विवाह शुरू हो गए जिससे उसे शिक्षा प्राप्त करनी मुश्किल हो गई। स्मृति काल में स्त्री की स्थिति और निम्न हो गई। उसे हर समय निगरानी में रखा जाता था तथा उसका सम्मान केवल मां के रूप में ही रह गया था। मध्य काल में तो जाति प्रथा के कारण उसे कई प्रकार के प्रतिबंधों के बीच रखा जाता था परंतु आधुनिक काल में उसकी स्थिति को ऊंचा उठाने के लिए कई प्रकार की आवाजें उठी तथा आज उसकी स्थिति मर्दो के समान हो गई है।

प्रश्न 29.
स्त्रियों की निम्न स्थिति के कारण बताएं।
उत्तर:

  • संयुक्त परिवार प्रथा में स्त्री को घर की चारदीवारी तथा कई प्रकार के प्रतिबंधों में रहना पड़ता था जिस कारण उसकी स्थिति निम्न हो गई।
  • समाज में मर्दो की प्रधानता तथा पितृ सत्तात्मक परिवार होने के कारण स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न हो गई।
  • बाल विवाह के कारण स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने का मौका प्राप्त नहीं होता था जिससे उनकी स्थिति निम्न हो गई।
  • स्त्रियों के अनपढ़ होने के कारण वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं थीं तथा उनकी स्थिति निम्न ही रही।
  • स्त्रियां मर्दो पर आर्थिक तौर पर निर्भर होती थीं जिस कारण उन्हें अपनी निम्न स्थिति को स्वीकार करना पड़ता था।

प्रश्न 30.
स्त्रियों की धार्मिक व आर्थिक निर्योग्यताएं बताएं।
अथवा
महिलाओं के साथ किए जाने वाले भेदभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) वैदिक काल में स्त्रियों को धार्मिक कर्म-कांडों के लिए आवश्यक माना जाता था परंतु बाल विवाह के शुरू होने से उनका धार्मिक ज्ञान ख़त्म होना शुरू हो गया जिस कारण उन्हें यज्ञों से दूर किया जाने लगा। शिक्षा प्राप्त न कर सकने के कारण उनका धर्म संबंधी ज्ञान ख़त्म हो गया तथा वह यज्ञ तथा धार्मिक कर्मकांड नहीं कर सकती थी। आदमी के प्रभुत्व के कारण स्त्रियों के धार्मिक कार्यों को बिल्कुल ही ख़त्म कर दिया गया। उसको मासिक धर्म के कारण अपवित्र समझा जाने लगा तथा धार्मिक कार्यों से दूर कर दिया गया।

(ii) स्त्रियों को बहुत-सी आर्थिक निर्योग्यताओं का सामना करना पड़ता था। वैदिक काल में तो स्त्रियों को संपत्ति रखने का अधिकार प्राप्त था परंतु समय के साथ-साथ यह अधिकार ख़त्म हो गया। मध्य काल में वह न तो संपत्ति तथा न ही पिता की संपत्ति में से हिस्सा ले सकती थी। वह कोई कार्य नहीं कर सकती थी जिस कारण उसे पैसे के संबंध में स्वतंत्रता हासिल नहीं थी। आर्थिक तौर पर वह पिता, पति तथा बेटों पर निर्भर थी।

प्रश्न 31.
स्त्रियों की स्थिति में आ रहे परिवर्तनों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • पढ़ने-लिखने के कारण स्त्रियां पढ़-लिख रही हैं।
  • औद्योगिकीकरण के कारण स्त्रियां अब उद्योगों तथा दफ्तरों में कार्य कर रही हैं।
  • पश्चिमी संस्कृति के विकास के कारण उनकी मानसिकता बदल रही है तथा उन्हें अपने अधिकारों का पता चल रहा है।
  • भारत सरकार ने उन्हें ऊपर उठाने के लिए कई प्रकार के कानूनों का निर्माण किया है जिस कारण उनकी स्थिति ऊंची हो रही है।
  • संयुक्त परिवारों के टूटने से वह घर की चारदीवारी से बाहर निकल रही है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुसूचित जाति क्या होती है? इनकी सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं का वर्णन करो।
अथवा
अनुसूचित जाति क्या है?
अथवा
अनुसूचित जातियों की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
अथवा
अनुसूचित जाति में पाये जाने वाले भेदभाव बताइए।
उत्तर:
वैदिक काल से 20वीं शताब्दी तक भारतीय समाज में हजारों वर्ग थे। सैंकड़ों वर्षों के बाद भी भारत में सभी वर्ग समान रूप से प्रगति नहीं कर पाए। बहुत-सी निर्योग्यताओं के कारण सैंकड़ों जातियां व अन्य वर्ग विकास यात्रा में काफ़ी पिछड़े रहे। अनुसूचित जाति वर्ग भारतीय समाज का प्रमुख उपेक्षित वर्ग रहा है। यह कई निम्न जातियों का समूह है।

सबसे पहले अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग साइमन कमीशन ने अप्रैल, 1935 में किया। कुछ विशेष सुविधाएं देने के लिए 429 अछूत जातियों की सूची तैयार की गई। जिन जातियों के नाम इस सूची में शामिल थे उन्हें अनुसूचित जातियां कहा जाने लगा। आज़ादी के बाद संविधान में भी निम्न जातियों की सूची अनुसूची में दी गई जिसकी संख्या में राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिमंडल की सलाह पर परिवर्तन किया जा सकता है। संविधान में इनकी संख्या 212 बताई गई है।

अनुसूचित जाति का अर्थ (Meaning of Scheduled Castes)-अनुसूचित जातियों को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। जाति के आधार पर हुई अंतिम जनगणना 1931 में इन्हें अस्पृश्य जातियों को बाहरी जातियां के रूप में कहा गया। महात्मा गांधी ने इन्हें हरिजन कहा था। डॉ० बी० आर० अंबेदकर का कहना था कि प्राचीन काल में इन्हें बाहरी जातियां तथा भग्न पुरुष कहा जाता था। वास्तव में निम्न जातियों का यह समूह वैदिक काल के चौथे वर्ण का परिवर्तित रूप है। अलग-अलग विद्वानों ने इस शब्द की अपने-अपने तरीके से व्याख्या की है जिनका वर्णन निम्नलिखित है –
(i) डी० एन० मजूमदार (D.N. Majumdar) के अनुसार, “अस्पृश्य जातियाँ वे हैं जो अनेक सामाजिक तथा राजनीतिक निर्योग्तयाओं का शिकार हैं इनमें से अनेक निर्योग्यताएं उच्च जातियों द्वारा परंपरागत तौर पर लागू की गई हैं।”

(ii) जी० एस० घुरिये (G.S. Ghuriye) के अनुसार, “मैं अनुसूचित जातियों की परिभाषा उन समूहों के रूप में करता हूँ, जिनका उल्लेख अनुसूचित जातियों में आदेश में किया गया हो।’ . भारत के संविधान में अनुसूचित जातियों की सूची डाली गई है लेकिन उनकी परिभाषा नहीं दी गई है। संविधान के अनुसार, “संविधान के अनुच्छेद 341 में राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया कि अमूक जातियां, जनजातियां या जातियों, प्रजातियों या जनजातियों के भाग या उनके अंतर्गत समूह संविधान के अभिप्रायों के लिए उस राज्य के संबंध में अनुसूचित मानी जाएंगी।”

उपरोक्त विवरणों से स्पष्ट है कि अनुसूचित जाति उन निम्न वर्गों का समूह है जिनको विशेष सुविधाएं प्रदान करने के लिए उनके नाम संविधान की सूची में अंकित हैं। यह निम्न जातियों का समूह है। देश के प्रत्येक जिले व प्रदेश में ये पाए जाते हैं। इनकी संस्कृति, भाषा, देवी, देवता, व्यवसाय भी उनके निवास के क्षेत्र के अनुसार भिन्न भिन्न हैं। उनकी अनेक सामाजिक एवं धार्मिक निर्योग्यताएं भी हैं। 1991 की जनगणना के अनुसार इनकी जनसंख्या 13.80 करोड़ थी जो कि देश की जनसंख्या का 16.7% था। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।

अनुसूचित जातियों की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएं – (Social and Economic Problems of Scheduled Castes):
इनकी अनेक सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा राजनीतिक निर्योग्यताएं थीं जिनके कारण इन निम्न वर्गों को कई प्रकार की सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता थी जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) निम्न सामाजिक स्थिति (Low Social Status)-इन अनुसूचित जातियों की सामाजिक संस्तरण में निम्न स्थिति थी। इसके अलावा इनमें अनेक सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा धार्मिक निर्योग्यताएं थीं जिनकी वजह से इनमें हीनता की भावना घर कर गई थी। इनकी स्थिति सुधारने के रास्ते में भी अनेक प्रतिबंध थे।

(ii) सार्वजनिक स्थलों में उपयोग पर रोक (Restriction on use of Public Places)-समाज के इस वर्ग में सदस्यों को सार्वजनिक स्थलों पर जाने से रोक थी। वे सार्वजनिक कुओं से पानी नहीं भर सकते, सार्वजनिक पार्को तथा अन्य स्थलों पर भी नहीं जा सकते थे। अगर वे ऐसा करते थे या सामाजिक परंपराओं को तोड़ते थे तो उनको दंड दिया जाता थे।

(iii) सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंध (Restriction on Social Contact)- इन जातियों को समाज के अन्य वर्गों के साथ अंतक्रिया करने पर भी प्रतिबंध थे। उन्हें उच्च जातियों से सामाजिक दूरी बनाए रखना ज़रूरी होता था। उन्हें जन्मदिन, होली, दीवाली या किसी और त्योहार के मौकों पर बुलाया नहीं जाता था तथा न ही उच्च जाति के लोग अनुसूचित जातियों के उत्सवों में भाग लेते थे। इस तरह इन से सामाजिक दूरी बना कर रखी जाती थी।

(iv) अस्पृश्यता (Untouchability) अनुसूचित जातियों को आमतौर पर अस्पृश्य जातियाँ कहा जाता था जिसका मतलब था कि निम्न जातियों के सदस्य उच्च जातियों के सदस्यों को छू भी नहीं सकते थे। ऐसा कहा जाता
था कि उनके स्पर्श से उच्च जाति के लोग अपवित्र हो जाएंगे।

(v) आवासीय निर्योग्यताएं (Habitational Disabilities) अनुसूचित जातियों के लोग और जातियों के लोगों के साथ गांव में नहीं रह सकते थे। वे तो पक्के घर भी नहीं बना सकते। आमतौर पर वे गांव से बाहर घर बना कर रहते थे ताकि और जातियों से शारीरिक दूरी बना कर रखी जा सके।

(vi) विवाह संबंधी प्रतिबंध (Marriage Related Restrictions)-अनुसूचित जाति के सदस्य अपने से उच्च जाति के सदस्यों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं कर सकते क्योंकि जातीय नियमों के अनुसार जाति अंतर्विवाही होती थी। इस तरह इनके साथ विवाह करने पर भी प्रतिबंध थे।

(vii) धार्मिक निर्योग्यताएं (Religious Disabilities)-अनुसूचित जातियों के सदस्यों को धार्मिक स्थलों पर जाने से प्रतिबंध रहा था। वह किसी भी मंदिर में पूजा तो दूर प्रवेश भी नहीं कर सकते थे। उन्हें अपने घरों में भी धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन तथा पूजा पाठ व धार्मिक कर्मकांडों की भी मनाही थी।

(viii) शैक्षणिक निर्योग्यताएं (Educational Disabilities)-अनुसूचित जातियों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं था। वैदिक काल से ही इन्हें को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था, यदि कोई किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश पा भी जाता था तो उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। इसी वजह से इन लोगों में साक्षरता दर काफ़ी निम्न थी।

(ix) भूमिहीन कृषक (Landless Farmers)-इन जातियों की काफ़ी संख्या कृषि संबंधी कार्य भी करती रही थी लेकिन वे बड़े किसानों के पास श्रमिकों के रूप में कार्य किया करते थे। अधिकांश मामलों में इन जातियों के लोग भूमिहीन कृषि मज़दूर होते थे। कई बार तो ये बंधुआ मजदूर के रूप में भी कार्य करते थे।

(x) पेशों के चुनाव का अभाव (Lack of Choice of Occupations)-इन जातियों को अपनी पसंद का व्यवसाय करने की मनाही थी। उन्हें चमड़े, सफाई तथा इस प्रकार के अन्य निम्न स्तर के व्यवसाय करने की आज्ञा होती थी। इस प्रकार के कामों की वजह से इनकी आय भी काफ़ी कम होती थी।

(xi) आर्थिक शोषण (Economic Exploitation)–आर्थिक रूप से समाज का यह सबसे शोषित वर्ग रहा था। अधिक काम के उपरांत भी उन्हें नाममात्र पैसे या बहुत कम वेतन दिया जाता था। उनकी अथक सेवाओं के बदले उन्हें दो वक्त का भरपेट भोजन प्राप्त नहीं होता था तथा जिनके यहां वे काम करते थे उनके जूठे तथा बासी भोजन पर उन्हें अपना पेट भरना पड़ता था।

प्रश्न 2.
अनुसूचित जातियों की समस्याओं के समाधान के लिए किस तरह के प्रयास किए गए हैं?
अथवा
अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए उठाये गए कदमों का वर्णन कीजिए।
अथवा
अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं में समाधान के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों की विवेचना कीजिए।
अथवा
समाज का जनजातियों के प्रति क्या रवैया है?
अथवा
तियों का हित करने के लिए किन-किन आरक्षणों को शामिल किया गया?
उत्तर:
अनुसूचित जातियों की समस्याओं के समाधान के लिए बहुत से सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रयास हुए हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) निम्न जातियों द्वारा प्रयास (Efforts by Low Castes) स्वतंत्रता से पहले तथा बाद में अनुसूचित जातियों की समस्याओं के समाधान के लिए कई संगठित प्रयास हुए हैं। डॉ० बी० आर० अंबेदकर के नेतृत्व में 1920 में अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ तथा अखिल भारतीय दलित वर्ग फैडरेशन की स्थापना की गई। निम्न जातियों के महान् नेता ज्योतिबा फूले ने पूना में सत्य शोधक समाज की स्थापना की जिसके माध्यम से निम्न जातियों को समाज में उचित स्थान दिलवाने तथा उनकी निर्योग्यताओं को समाप्त करने के विशेष प्रयत्न किए गए।

(ii) उच्च जातियों के प्रयास (Efforts by High Castes)-उच्च जाति से संबंधित समाज सुधारकों ने भी निम्न जातियों को ऊपर उठाने में काफ़ी प्रयास किए जिससे निम्न जातियों में अपने अधिकारों के प्रति जागृति आयी। राजा राममोहन राय का ब्रह्म समाज, दयानंद सरस्वती का आर्य समाज तथा विवेकानंद के रामकृष्ण मिशन नामक संगठनों ने निम्न जातियों की समस्याओं तथा अधिकारों के प्रति जागरूकता का विकास किया तथा शिक्षा के प्रचार द्वारा अस्पृश्य जातियों में नई चेतना जगाई। महात्मा गांधी ने इन्हें हरिजन कहा तथा 1932 में हरिजन सेवक संघ की स्थापना की ताकि हरिजनों को ऊपर उठाया जा सके।

(iii) अन्य संगठनों के प्रयास (Efforts by Other Organizations)-आज़ादी के बाद निम्न जातियों के कर्मचारियों, व्यापारियों तथा अन्य व्यवसायों से संबंधित व्यक्तियों ने कई संगठनों का निर्माण किया। उनके ये संगठन अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा सरकार पर दबाव बनाए रखते हैं।

(iv) संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)-संविधान में बिना किसी जाति का भेद किए हर किसी को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। अनुच्छेद 15 के अंतर्गत जाति धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही है। अनुच्छेद 16 के अंतर्गत सरकारी नौकरियों में किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होगा। अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। अनुच्छेद 2 5 के द्वारा सभी धार्मिक स्थल सभी जातियों के लिए खोल दिए गए हैं। अनुच्छेद 29 के अनुसार सरकारी सहायता प्राप्त संस्थाओं में किसी को जाति धर्म के आधार पर शिक्षा प्राप्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 330, 332, 334, द्वारा संसद् तथा राज्य विधानसभाओं में इन के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान है। इस के अलावा कई और प्रावधान किए गए हैं ताकि अनुसूचित जातियों को ऊपर उठाया जा सके।

(v) स्थानीय सरकारों में प्रतिनिधित्व (Representation in Local Self Governments)-देश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग स्तर पर स्थानीय सरकारों का गठन किया जाता है। 73वें संवैधानिक संशोधन तथा 74वें संशोधन के द्वारा देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज्य संस्थाओं के गठन का प्रावधान है। इन सभी संस्थाओं में अनुसूचित जातियों की संख्या के अनुपात में स्थान आरक्षित किए गए हैं। इसी तरह नगर पालिकाओं, परिषदों में भी उनके लिए स्थान आरक्षित हैं।

(vi) कल्याण एवं सलाहकार संगठन (Welfare and Advisory Boards)- कल्याण मंत्रालय केंद्र व राज्यों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों में समन्वय करता है। सरकार संसदीय समितियां बना कर अनुसूचित जातियों हे कार्यक्रमों की जांच करती है। राज्य सरकारों ने भी अलग-अलग कल्याण विभागों का गठन किया हुआ है। देश में स्वयं सेवी संगठन इनकी समस्याओं के समाधान के कार्य कर रहे हैं। सरकार इन संगठनों को सरकारी सहायता देकर उनकी मदद कर रही है ताकि ये संस्थाएं ज्यादा-से-ज्यादा काम कर सकें।

(vii) सरकारी नौकरियों में आरक्षण (Reservation in Govt. Services) अनुसूचित जातियों के ज्यादा से ज्यादा लोग सरकारी नौकरियां प्राप्त कर सकें इसलिए उन्हें आरक्षण प्रदान किया गया है। भारतीय स्तर पर होने वाली नियुक्तियों में 15% पद उनके लिए आरक्षित हैं। ऐसे प्रावधान राज्यों में भी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त आयु सीमा में भी विशेष छूट दी जाती है।

(viii) शैक्षणिक सविधाएं (Educational Facilities)-अनसचित जातियों में साक्षरता दर काफी निम्न रही है। 1991 में भारत की साक्षरता दर 52.19% पी पर अनुसूचित जातियों में यह 37.41% थी। इससे यह स्पष्ट है कि 1991 में अनुसूचित जातियों के लगभग दो तिहाई लोग निरक्षर थे। इनकी साक्षरता दर बढ़ाने तथा शैक्षणिक स्तर ऊँचा उठाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
निःशुल्क शिक्षा, छात्रवृत्तियां, मुफ्त पुस्तकें तथा जगह जगह पर स्कूल खोलकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए इन्हें प्रेरित किया जा रहा है।

(ix) कल्याणकारी कार्यक्रम (Welfare Programmes)-इनके कल्याण के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भूमिहीनों को मुफ्त भूमि आबंटन, उन्हें ऋण उपलब्ध करवाना, काम आर्थिक अनदान देना इत्यादि ऐसे कार्य हैं जो इनके लिए किए जा रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में पर्याप्त धन राशि समाज के इस वर्ग के उत्थान के लिए रखी जाती है।

प्रश्न 3.
अनुसूचित जनजाति क्या होती है? उनकी समस्याओं का वर्णन करो।
अथवा
भारतीय जनजातियों की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
अनुसूचित जनजातियों की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
अथवा
अनुसूचित जनजाति क्या है?
उत्तर:
वर्तमान समय में भारत के प्रमुख चार वर्गों-सामान्य वर्ग, अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां तथा अन्य पिछड़े वर्गों में से प्रथम वर्ग को छोड़ कर अन्य तीनों वर्ग उपेक्षित रह गए। अनुसूचित जातियां तो कई प्रकार की निर्योग्यताओं की वजह से कमजोर रह गईं जबकि अनुसूचित जनजातियों में इस प्रकार की निर्योग्यताएं नहीं थीं। यह लोग पहाड़ों, जंगलों, घाटियों तथा दुर्गम क्षेत्रों में रहने के कारण उपेक्षित रह गए।

अनुसूचित जनजाति का अर्थ (Meaning of Scheduled Tribe) आजकल इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। रिजले ने इन्हें आदिवासी कहा है। हट्टन ने इन्हें आदिम जातियां कहा है। सर वेन्स ने इन्हें पर्वतीय जनजातियां कहा है क्योंकि यह पहाड़ों, दुर्गम क्षेत्रों में रहते थे। गिसवर्ट ने इन्हें ‘प्री लिटरेट’ (Pre-literate) कहा है। इनको वनवासी तथा वन्यजाती भी कहा जाता है।

वास्तव में अनुसूचित जनजातियां ऐसी जनजातियों का समूह है। संविधान के अनुच्छेद 342 (1) के अनुसार, “राष्ट्रपति सार्वजनिक सूचना द्वारा जनजातियों, जनजाति समुदायों या जनजाति के भीतर समूहों की घोषणा करेंगे। इस अधिसूचना में जो जनजातियां, जनजाति समुदाय या जनजातियों के भीतर समूह परिगठित किए जाएंगे, वे सब अनुसूचित जनजातियां कहलाएंगे।

इंपीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया (Imperial Gazetteer of India) के अनुसार, “एक जनजाति परिवारों का एक ऐसा संकलन है जिसका एक नाम होता है, जो एक बोली बोलती है, एक सामान्य भू-भाग पर अधिकार रखती है या अधिकार जताती है और प्रायः अंतर्विवाह नहीं करती रही है।”

चार्ल्स विनिक (Charles Winick) के अनुसार, “एक जनजाति में क्षेत्र, भाषा, सांस्कृतिक समरूपता तथा एक सूत्र में बंधने वाला सामाजिक संगठन आता है तथा यह सामाजिक संगठन उपसमूहों जैसे गोत्रों या गांवों को सम्मिलित कर सकता है।

इस तरह हम कह सकते हैं कि जनजाति परिवारों का एक ऐसा समूह है जो सामान्यतः एक निश्चित क्षेत्र में निवास करता है, जिसकी सामान्य भाषा, धर्म, संस्कृति होती है और साधारणतया अंतर्विवाही होता है।

जनजातीय समस्याएं – (Tribal Problems):
भारतीय जनजातियों की बहुत सी समस्याएं हैं। ये समस्याएं अंतः संबंधित तथा अंतः निर्भर हैं जिन्हें अलग-अलग करके समझा नहीं जा सकता। जनजातियों की विभिन्न समस्याओं का वर्णन निम्नलिखित है-
1. दुर्गम निवास स्थान (Unapproachable Habitation)-भारत की ज्यादातर जनजातियां दुर्गम क्षेत्रों, जंगलों, पहाड़ों, घाटियों इत्यादि में निवास करती हैं। ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में यातायात तथा संचार के साधनों का विशेष विकास नहीं हो पाया है जिससे जनजातीय क्षेत्रों का नगरों के साथ ज्यादा संपर्क नहीं हो पाया है। यातायात के साधनों के अभाव के कारण जनजातीय लोगों में गतिशीलता नहीं हो पाती है। ऐसे स्थानों पर सुविधाओं का पहुँचना बहुत मुश्किल है जिस वजह से शिक्षा, यातायात, संचार, विज्ञान की सुख सुविधाओं से यह लोग वंचित रह जाते हैं।

2. प्रतिकूल जलवायु (Inhospitable Climatic Conditions)-पहाड़ों में रहने के कारण जनजातीय क्षेत्रों की आमतौर पर प्रतिकूल जलवायु होती है जिससे उनका जीवन काफ़ी मुश्किल होता है। विपरीत मौसम के कारण अनेक जनजातियां घुमंतु जीवन व्यतीत करती हैं तथा प्रतिकूल जलवायु की वजह से यह लोग रहने की जगह बदल लेते हैं।

3. कृषि भूमि का अभाव (Lack of Agricultural Land)-इन क्षेत्रों में कृषि भूमि काफ़ी कम होती है। कठिन क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि के विकास करने में आदिवासियों को कड़ा परिश्रम करना पड़ता है तब कहीं छोटे-छोटे खेत बनते हैं। सिंचाई व्यवस्था के अभाव में पानी के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। अनियमित वर्षा, वैज्ञानिक उपकरणों के अभाव की वजह से लोगों की समस्या और बढ़ गई है।

4. ऋणों में दबे होना-जनजातियों के अधिकांश सदस्य पूरी उम्र ऋणों से मुक्त नहीं हो पाते हैं। जब वह पैदा होते हैं उन पर ऋण होता है, सारी उम्र वे ऋण चुकाते रह जाते हैं तथा अपनी संतान के लिए भी वे ऋण छोड़कर मर जाते हैं। विवाह, जन्म, मृत्यु के समय वह साहूकारों से ब्याज पर ऋण लेते हैं। साहूकार ऊँची दर का ब्याज लेते हैं। कर्ज चुकाने के लिए साहूकार इन लोगों को बंधुआ मज़दूर रख लेते हैं। पैसे कमाने के अच्छे साधन न होने की वजह से ये ऋण चक्र से मुक्त नहीं हो पाते हैं।

5. ग़रीबी (Poverty)-आमतौर पर भारतीय जनजातियों की आर्थिक स्थिति काफ़ी निम्न होती है। कृषि के लिए भूमि की कमी, वर्षा पर निर्भरता, उद्योगों का न होना, कम आय, आय के सीमित स्रोत, सुविधाओं के अभाव की वजह से इन लोगों की आर्थिक स्थिति काफ़ी कमज़ोर रहती है। गरीबी के कारण गिरता स्वास्थ्य स्तर, नशाखोरी इत्यादि ने उनके जीवन को नर्क बना दिया है। गरीबी की वजह से लोग उनका शोषण करते हैं।

6. नशाखोरी की आदत (Habit of Drug-Addiction)-जनजातीय समूहों के ज्यादातर सदस्यों को मादक द्रव्यों की आदत लग जाती है। वे जो चावल, गुड़ इत्यादि से बनी शराब का प्रयोग करते हैं। कई बार ज़हरीली शराब पीने से कई लोग मर जाते हैं। इनके अलावा चरस, अफीम, गांजा, तंबाकू इत्यादि पदार्थों का भी सेवन करते हैं। उत्सवों, त्योहारों, मेलों पर यह कई-कई दिनों तक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य काफ़ी गिर जाता है।

7. वेश्यावृति (Prostitution) वेश्यावृति भी जनजातीय लोगों की एक मुख्य समस्या है। गैर-जनजातीय लोग जनजातीय लोगों के सादेपन या भोलेपन का फायदा उठाते हैं। उनकी गरीबी, अनपढ़ता, ऋणग्रस्तता, जीवन की तड़क भड़क के प्रति आकर्षण का और लोगों ने फायदा उठाना शुरू कर दिया। जनजातीय स्त्रियों से यौन संबंध स्थापित किए जाने लगे। इनको धन का लालच देकर इनकी औरतों को वेश्यावृति के लिए प्रोत्साहित किया गया।

8. अनपढ़ता (Illiteracy) विभिन्न जनजातीय समूहों में साक्षरता दर काफ़ी कम है क्योंकि इनके क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार काफ़ी कम हुआ है। जो शिक्षण संस्थाएं खोली गईं वे उनके क्षेत्रों से दूर थीं इस वजह से इन लोगों ने अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजा। भाषा की वजह से भी शिक्षा लेने में मुश्किल आयी। शिक्षा प्राप्त करके भी इन लोगों को दिक्कतें आयीं। इन सब की वजह से इनमें साक्षरता दर काफ़ी कम है। शिक्षा के न होने की वजह से यह लोग आधुनिकता का फायदा नहीं उठा पाते हैं।

9. भाषा की समस्या (Problem of Language)-बाहरी संस्कृतियों के साथ संपर्क में आने के कारण ये लोग और लोगों की भाषा सीखने लगे, जिस की वजह से ये औरों की बोली तो सीख गए पर धीरे-धीरे अपनी भाषा भूलने लगे। इससे वे अपने समुदाय से कटने शुरू हो जए तथा उनमें समुदाय भावना कम होने लग गई। एकता कम होनी शुरू हो गई तथा उनके अपने अस्तित्व को खतरा पड़ना शुरू हो गया।

10. धर्म व जादू (Religion and Magic)-हिंदू तथा ईसाई मिशनरियों ने योजना बना कर जनजातियों में धर्म प्रचार का कार्य किया। इस प्रक्रिया में जनजातीय विश्वासों, कर्मकांडों तथा मान्यताओं का भी विश्वास उड़ाया जाता था। जनजातीय समूहों को अपने धर्म में अविश्वास होने लगा। भूत-प्रेत, आत्माओं में विश्वास के कारण इन में जादू टोना भी प्रचलित था। इसका प्रयोग वे बिमारियों से मुक्ति पाने के लिए करते थे। इस तरह की रूढ़िवादिता तथा धर्म प्रचारकों द्वारा जनजातीय लोगों का धर्म परिवर्तन आदिवासियों की मुख्य समस्या है।

प्रश्न 4.
जनजातीय समस्याओं को दूर करने के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए हैं?
अथवा
अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं को दूर करने के लिए क्या उपाय किए गए?
अथवा
जनजातियों के प्रति भेदभाव मिटाने के लिए राज्यों व अन्य संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों को बताइए।
अथवा
अनुसूचित जनजातियों का हित करने के लिए किन-किन आरक्षणों को शामिल किया गया?
उत्तर:
भारतीय समाज में संगठन व संतुलन बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि जनजातीय समस्याओं का समाधान किया जाए। इसके लिए आज़ादी के बाद कई प्रकार के सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रयास किए गए हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)-आज़ादी के बाद निम्न वर्गों को ऊपर उठाने के लिए संविधान में प्रावधान रखे गए हैं। जनजातियों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। उनके लिए संविधान में विभिन्न प्रावधान रखे गए हैं जो कि निम्नलिखित हैं –

  • अनुच्छेद 244 तथा 324 में राज्यपालों को जनजातियों से संबंधित विशेषाधिकार दिए गए हैं।
  • अनुच्छेद 275 के अनुसार जनजातीय कल्याण के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों को पैसा देगी।
  • अनुच्छेद 325 के अनुसार किसी को भी किसी भी आधार पर मत देने से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • अनुच्छेद 330 तथा 332 के अनुसार अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं में स्थान आरक्षित हैं।
  • अनुच्छेद 335 में सरकारी नौकरियों में इनके लिए आरक्षण का प्रावधान है।

(ii) वैधानिक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व (Representation in Legislative Bodies) कानून निर्माण में भागीदारी देने के लिए इनके लिए लोकसभा तथा विधानसभाओं में स्थान आरक्षित रखे गए हैं। लोकसभा की 545 में से 41 स्थान तथा विधान सभाओं की 4047 स्थानों में से 527 स्थान इनके लिए सुरक्षित हैं। यह आरक्षण हर 10 वर्ष के बाद बढ़ाया जाता रहा है। अब यह 2010 तक है।

(iii) सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व (Respresentation in Govt. Services)-आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए जनजातियों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिया गया है। सभी सेवाओं में उनके लिए 7.5% पद आरक्षित हैं जबकि राज्यों में यह उनकी जनसंख्या के अनुपात से आरक्षित होते हैं।

(iv) शैक्षणिक सुविधाएं (Educational Facilities) विभिन्न जनजातियों में निरक्षरता को दूर करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में जगह-जगह स्कूल तथा प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं। उन्हें निःशुल्क शिक्षा दी जाती है उन्हें मुफ्त पुस्तकें दी जाती हैं, उन्हें छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। इनके लिए शिक्षण संस्थानों में स्थान आरक्षित किए गए हैं। उनमें शिक्षा योजनाएं चलाकर उनमें साक्षरता दर बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।

(v) कल्याणकारी कार्यक्रम (Welfare Programmes)-जनजातियों को ऊपर उठाने के लिए बहुत से कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं तथा इन कार्यक्रमों के लिए पंचवर्षीय योजनाओं में धन रखा जाता है। पहली, दूसरी, तीसरी तथा चौथी पंचवर्षीय योजनाओं में लगभग 20 करोड़, 43 करोड़, 51 करोड़ तथा 75 करोड़ जनजातियों के कल्याण पर खर्च किए गए। पांचवीं, छठी तथा सातवीं पंचवर्षीय योजनाओं में 1102 करोड़, 55 3 5 करोड़ तथा ₹ 7073 करोड़ खर्च किए गए। नौवीं योजना में ₹ 15,965 करोड़ खर्च करने का प्रावधान था।

शिक्षा प्राप्त करने के लिए जनजातियों के छात्रों के लिए छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। जनजातीय छात्रवास खोले गए हैं। उनके लिए सहकारी समितियां, अनुसंधान संस्थाएं तथा आश्रम खोले गए हैं। इन सबसे पता चलता है कि सरकार इनके उत्थान के लिए कितनी चिंतित है।

(vi) कल्याण तथा सलाहकार संगठन (Welfare and Advisory Organizations)-इनकी समस्याओं के समाधान के लिए समय-समय पर समितियां गठित की जाती हैं। विभिन्न राज्यों में इनके कल्याण के कार्यक्रम चलाने के लिए स्वतंत्र विभाग खोले गए हैं। भारत सरकार ने 1968 तथा 1971 में संसदीय समितियों का गठन किया ताकि जनजातियों के लिए चल रहे कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया जा सके। आजकल 30 सदस्यों की स्थायी संसदीय समिति इन कल्याण के कार्यक्रमों की जांच करती है।

इसके अलावा जनजातीय तथा गैर-जनजातीय लोगों द्वारा भी जनजातीय लोगों के उत्थान के प्रयास किए जाते रहे हैं ताकि ये लोग भी और सामान्य वर्गों की तरह आज के समय के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें तथा समाज में ऊपर उठ सकें। इन सभी के प्रयासों के फलस्वरूप अब ये लोग धीरे-धीरे ऊपर उठ रहे हैं।

प्रश्न 5.
जनजातीय समस्याओं के समाधान के लिए अपने सुझाव दें।
उत्तर:
भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए खास प्रावधान किए गए हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों ने इनको ऊपर उठाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम बनाए तथा उनको कार्यान्वित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी किए, पर फिर भी आज़ादी के 63 सालों के बाद भी ये समूह पूरी तरह आगे नहीं आ पाए हैं तथा बहुत सारे जनजातीय समूह आज भी पिछड़े हुए हैं।

न तो ये राष्ट्रीय मुख्यधारा में मिल पाए हैं तथा न ही ये अपने आपको भारतीय समाज का अंग समझते हैं। इनको ऊपर उठाने के लिए निम्नलिखित प्रयोग करने चाहिए ताकि ये भी और जातियों की तरह ऊपर उठ सकें।

(i) इन लोगों की कृषि संबंधी समस्या हल की जानी चाहिए। इसको भूमि आबंटित करनी चाहिए तथा इनको स्थानांतरित खेती की जगह स्थायी खेती करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

(ii) इनके इलाकों में यातायात की समस्या हल की जानी चाहिए। इनके इलाकों तक सड़कों तथा रेल की पटरियों का निर्माण होना चाहिए ताकि यह और इलाकों में आराम से आ जा सकें तथा अपने
आपको मुख्यधारा से जोड़ सकें।

(iii) इन लोगों को दोबारा वन या पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा खाना बनाने के लिए गैस इत्यादि मुहईया करवानी चाहिए।

(iv) इन लोगों की नशे की समस्या को हल के लिए इन को शराब के सेवन की जगह और किसी पेय के सेवन के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इनमें नशे की लत हटाने के लिए यहां नशा निरोधक केंद्र खोले जाने चाहिएं ताकि यह नशे की आदत छोड़ सकें।

(v) वेश्यावृत्ति की समस्या खत्म करने के लिए उनमें साक्षरता दर बढ़ानी चाहिए ताकि यह लोग पढ़-लिखकर किसी स्वरोजगार के तरीके ढूंढ़ सकें तथा वेश्यावृत्ति की तरफ न मुड़ सकें। ग़रीबी दूर करने के लिए उन्हें ऋण उपलब्ध करवाने चाहिए ताकि वह कोई काम-धंधा कर सकें।

(vi) इनकी सारी समस्याओं की जड़ अनपढ़ता है। अनपढ़ता दूर करने के लिए उनमें शिक्षा का ज्यादा प्रसार करना चाहिए तथा किसी व्यवसाय से संबंधित प्रशिक्षण केंद्र खोलने चाहिएं। छात्रों को निःशुल्क शिक्षा तथा मुफ्त किताबें उपलब्ध करवाई जानी चाहिएं।

(vii) स्वास्थ्य संबंधी समस्या को हल करने के लिए इनके क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा अस्पताल तथा डिस्पैंसरियां खोली जानी चाहिएं तथा इन लोगों को चिकित्सा तथा दवाइयां मुफ्त उपलब्ध करवानी चाहिएं। इन लोगों को भी प्राथमिक चिकित्सा संबंधी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह इसका प्रयोग कर सकें।

(viii) भाषा की समस्या हल करने के लिए इनको प्राथमिक या माध्यमिक स्तर तक स्थानीय भाषा में शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

(ix) धार्मिक समस्याओं को हल करने के लिए इनमें धर्म परिवर्तन रोका जाना चाहिए। इनको धीरे-धीरे हिंदुओं में मिला देना चाहिए क्योंकि ये लोग पिछड़े हुए हिंदू हैं। जादू टोने को कम करने के लिए विज्ञान का प्रचार करना चाहिए।

(x) राजनीतिक समस्याओं को हल करने के लिए इनकी उचित मांगों को स्वीकार करना चाहिए तथा इनके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए इनमें मानवाधिकारों का उल्लंघन रोकना चाहिए।

(xi) इन्हें उच्च वर्गों की तरह सम्मान देना चाहिए। इनके साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए ताकि उनमें देश प्रेम व राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा हो जाए। उनकी मान्यताओं विश्वासों से भी छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए ताकि वे चैन से जी सकें।

प्रश्न 6.
अन्य पिछड़े वर्ग का क्या अर्थ है? इनकी समस्याओं का वर्णन करो।
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग से आपका क्या तात्पर्य है?
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग किसे कहते हैं?
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के अलावा भी भारतीय समाज में एक ऐसा बड़ा वर्ग रहा है जो सैंकड़ों सालों से उपेक्षित रहा है। अगड़ी जातियों, समुदायों से नीचे तथा अनुसूचित जातियों से ऊपर समाज का बहुत बड़ा वर्ग है जो विभिन्न कारणों से उपेक्षित रहा है तथा भारतीय समाज की विकास यात्रा में निरंतर पिछड़ता गया। इसी वर्ग को अन्य पिछड़ा वर्ग कहते हैं।

अन्य पिछड़े वर्ग का अर्थ (Meaning of O.B.C.)-पिछड़ा वर्ग भारतीय समाज का बहुसंख्यक ऐसा वर्ग है जो सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा भौगोलिक कारणों से कमज़ोर रह गया है। स्वतंत्रता के बाद इनके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग शब्द का प्रयोग किया गया। ये हिंदुओं के द्रविड़ों हरिजनों के बीच की जातियों का समूह है। इसके अलावा इसमें गैर-हिंदुओं, अनुसूचित जातियों व जनजातियों को छोड़ कर अन्य निम्न वर्गों को शामिल किया जाता है। – इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1917-18 में किया गया था। देश की आजादी के बाद इत्र कुत्र पिछड़े वर्ग अन्य पिछड़े वर्ग शब्दों का प्रयोग किया गया। संविधान में इस शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।

सुभाष तथा बी० पी० गुप्ता द्वारा तैयार किये गए राजनीति कोष में पिछड़े वर्ग की परिभाषा दी गई है। उनके अनुसार, “पिछड़े हुए वर्ग से मतलब समाज के उस वर्ग से है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक निर्योग्यताओं के कारण समाज के अन्य वर्गों की तुलना में नीचे स्तर पर हों।”

विभिन्न राज्यों के पिछड़ेपन को आंकने के अलग-अलग पैमाने हैं। संविधान की धारा 340 में राष्ट्रपति तथा अनुच्छेद 15 व 16 के अनुसार राज्य सरकारें आयोगों का गठन कर पिछड़े वर्ग की आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षणिक स्थिति का पता लगा सकती हैं।

अन्य पिछड़े वर्गों की समस्याएं – (Problems of Other Backward Classes):
पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन निम्नलिखित है –
1. भूमिहीन कृषकों की समस्या-भारत के ज्यादातर भागों में ऊँची जातियों का अधिकार माना गया है। गांव में ये लोग बिना भूमि के कृषक होते हैं तथा इन्हें और लोगों की भूमि पर काम करना पड़ता है। इस तरह उनके मालिक उनका शोषण करते हैं तथा ये लोग अपने मालिकों की दया पर निर्भर होते हैं।

2. व्यवसाय चुनने की समस्या-इस वर्ग के सदस्य आमतौर पर सामाजिक, शैक्षिक तथा आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए होते हैं जिस वजह से उनके सामने व्यवसाय चुनने की समस्या पैदा हो जाती है। आर्थिक तथा शैक्षिक तौर पर भी ये लोग पिछड़े हुए होते हैं जिस वजह से भी ये अपनी मर्जी का व्यवसाय नहीं चुन सकते।

3. वेतन की समस्या-इन लोगों की एक और समस्या यह है कि इन लोगों को न तो पूरा वेतन मिलता है तथा न ही समय पर मिलता है। ये लोग ज्यादातर उच्च जाति के लोगों के खेतों में काम करते हैं तथा इन्हें नकद वेतन कम ही मिलता है। इन्हें इनके मालिक वेतन के बदले अनाज दे देते हैं जो इनके गुज़ारे के लिए पूरा नहीं पड़ता है। गांव में धोबी, लोहार, कुम्हार इत्यादि काम करते हैं तथा कम आमदनी की वजह से इनका गुजारा बड़ी मुश्किल से चलता है।

4. शिक्षा की समस्या-इन लोगों की एक और बड़ी समस्या यह है कि यह लोग अशिक्षित होते हैं। गरीबी की वजह से इनके बच्चे शिक्षा नहीं ले पाते हैं। उच्च शिक्षा आजकल काफी महंगी हो गई है जिस वजह से इनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं तथा आर्थिक रूप से पिछड़ जाते हैं।

5. ऋणग्रस्तता की समस्या-इन लोगों की एक महत्त्वपूर्ण समस्या ऋणग्रस्तता की है। आम तौर पर ये गरीब होते हैं जिस वजह से जन्म, मौत, शादी, विवाह के समय पर इन्हें कर्ज लेना पड़ता है। साहूकार इनसे मनमर्जी का ब्याज वसूलते हैं। सारी उम्र यह कर्ज चुकाते रह जाते हैं। आदमी मर जाता है पर कर्ज खत्म नहीं होता। फिर यह कर्जा उसके बच्चों को उतारना पड़ता है। इस तरह यह हमेशा कर्ज में डूबे रहते हैं।

इस तरह इसके अलावा और बहुत सी समस्याएं हैं जिनकी वजह से पिछड़े वर्गों का जीवन नर्क बना हुआ है।

प्रश्न 7.
काका कालेलकर तथा मंडल आयोग की सिफारिशों के बारे में बताएं।
अथवा
मंडल आयोग का संबंध किस वर्ग से है? इस आयोग की प्रमुख सिफारिशें कौन-सी हैं?
उत्तर:
काका कालेलकर तथा मंडल आयोग दोनों ही केंद्र सरकार द्वारा गठित किए गए थे। इनका गठन विभिन्न आधारों पर पिछड़े वर्गों की पहचान करने तथा उनके कल्याण के लिए सुझाव देने के लिए किया गया था।
I. काका कालेलकर आयोग (Kaka Kalelkar Commission)-29 जनवरी, 1953 को काका कालेलकर की अध्यक्षता में केंद्र सरकार ने एक आयोग बनाया। अखिल भारतीय स्तर पर पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए यह पहला वर्ग था। आयोग के अध्यक्ष काका कालेलकर थे इसलिए इसे काका कालेलकर आयोग भी कहते हैं।

आयोग के कार्य व उद्देश्य (Functions and Objectives of Commission)-इस आयोग का गठन निम्नलिखित पिछड़ी जातियों से संबंधित सूचना एकत्रित करने तथा अपने सुझाव देने के लिए किया गया था।

  • पिछड़े वर्गों के पिछड़ेपन होने संबंधी मानदंड निर्धारित करना।
  • पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करना।
  • पिछड़े वर्गों की समस्याओं को दूर करने के लिए सुझाव देना।

पिछड़ेपन की कसौटियां (Criteria of Backwardness)-इस आयोग ने निम्नलिखित चार मानदंडों के आधार पर पिछड़ी जातियों की सूची तैयार की।

  • जातीय संस्तरण में निम्न स्थान।
  • शिक्षा का अभाव।
  • सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व।
  • व्यापार व उद्योगों में कम प्रतिनिधित्व।

आयोग की सिफारिशें (Recommendations of Commission)-आयोग ने व्यक्ति या परिवार की बजाए जाति को पिछड़ेपन का आधार माना तथा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए-

  • राष्ट्रीय एकता तथा प्रगति के प्रोत्साहन की नीति बनाना तथा उसको लागू करना।
  • सामाजिक, धार्मिक निर्योग्यताओं को दूर करने के लिए कानून का निर्माण करना।
  • सरकारी कार्यों से जातीय भावना भड़काने वाले कार्यों पर प्रतिबंध लगाना।
  • पिछड़े वर्गों में तेज़ गति से शिक्षा का प्रसार करना।
  • सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए जनसंचार का उपयोग करना।
  • विवाह तथा उत्तराधिकार के निर्धारण के लिए कानून का निर्माण करना।
  • पिछड़े वर्गों की महिलाओं के कल्याण के लिए विशेष सहायता देना।

लेकिन केंद्र सरकार ने जाति को पिछड़ेपन का आधार नहीं माना तथा राज्यों को निर्देश दिया कि वह पिछड़े वर्गों की पहचान करें तथा उनके कल्याण के लिए कार्य करें।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

II. मंडल आयोग (Mandal Commission)-जनता पार्टी ने चुनावों में किए अपने वायदे को पूरा करने के लिए पिछड़े वर्गों को सरकारी सेवा तथा शिक्षा संस्थानों में आरक्षण देने के लिए 20 दिसंबर, 1978 को एक आयोग का गठन किया तथा इस आयोग के अध्यक्ष बी० पी० मंडल थे।

आयोग के कार्य तथा उद्देश्य (Functions and Objectives of Commission) – मंडल आयोग को पिछड़े वर्ग से संबंधित निम्नलिखित तथ्य इकट्ठे करने तथा अपने सुझाव देने के लिए बनाया गया था।

  • पिछड़े वर्गों के पिछड़ेपन के मापदंड निर्धारित करना।
  • पिछड़े वर्गों के उत्थान के सुझाव देना।
  • केंद्र व राज्य सेवाओं में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की संभावनाओं का पता लगाना।
  • इकट्ठे किए जाने वाले तथ्यों के आधार पर सुझाव देना।

पिछड़ेपन की कसौटियाँ (Criteria for Backwardness)-मंडल आयोग ने पिछड़े वर्ग निर्धारण के लिए तीन मापदंडों का चयन किया था वह थे सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक। इन्हें कई भागों में विभाजित किया। प्रत्येक मानदंड के लिए महत्त्व अलग-अलग दिया गया।

आयोग की सिफ़ारिशें (Recommendations of the Commission)-पिछड़े वर्गों में कल्याण के लिए मंडल आयोग द्वारा दी गई सिफ़ारिशें निम्नलिखित हैं –

  • सार्वजनिक सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण।
  • अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण क्योंकि संविधान के अनुसार अनुसूचित जातियों, जनजातियों के लिए आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता।।
  • अन्य पिछड़े वर्गों में तकनीकी, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा शैक्षणिक योग्यता बढ़ाना।
  • भूमि सुधारों को उच्चतम प्राथमिकता देना।

मंडल आयोग की रिपोर्ट में भी कई गलतियां थीं।

अन्य पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए सामाजिक आधार को ज्यादा महत्त्व दिया गया। आयोग ने सिर्फ 1% जनसंख्या का नमूने के तौर पर अध्ययन कर अन्य पिछड़े वर्गों का निर्धारण कर दिया। जातीय संबंधी जानकारी के लिए 1931 की जनगणना को आधार माना जबकि 50 वर्षों में देश की जातियों के अनेकों परिवर्तन आए थे।

फिर भी इन त्रुटियों को नज़र अंदाज करते हुए 1989 में जनता दल के बने प्रधानमंत्री वी० पी० सिंह ने 7 अगस्त, 1990 को इस रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा कर दी। इस तरह इसके बाद 1992 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ये सिफारिशें यानि कि 27% आरक्षण पिछड़ी जातियों के लिए लागू हो गया।

प्रश्न 8.
विभिन्न युगों में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर:
दुनिया तथा भारत में लगभग आधी जनसंख्या स्त्रियों की है पर अलग-अलग देशों में स्त्रियों की स्थिति समान नहीं है। हिंदू शास्त्रों में स्त्री को अर्धांगिनी माना गया है तथा हिंदू समाज में इनका वर्णन लक्ष्मी, दुर्गा, काली, सरस्वती इत्यादि के रूप में किया गया है। स्त्री को भारत में भारत माता कह कर भी बुलाते हैं तथा उसके प्रति अपना आभार तथा श्रद्धा प्रकट करते हैं। यहां तक कि कई धार्मिक यज्ञ तथा कर्मकांड स्त्री के बगैर अधूरे माने जाते हैं।

उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी थी पर मध्य युग आते-आते स्त्रियों की स्थिति काफ़ी दयनीय हालत में पहंच गई। 19वीं शताब्दी में बहत-से समाज सधारकों ने स्त्रियों की स्थिति सधारने का प्रयास किया। 20वीं सदी में स्त्रियां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गईं तथा उन्होंने आज़ादी के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिए। इसी के साथ उनके दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया तथा इनकी राजनीतिक तथा आर्थिक क्षेत्र में काफ़ी भागीदारी बढ़ गई।

फिर भी इन परिवर्तनों, जोकि हम आज देख रहे हैं, के बावजूद समाज में स्त्रियों की स्थिति अलग-अलग कालों में अलग-अलग रही है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. वैदिक काल (Vedic Age) वैदिक काल को भारतीय समाज का स्वर्ण काल भी कहा जाता है। इस युग में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी थी। उस समय का साहित्य जो हमारे पास उपलब्ध है उसे पढ़ने से पता चलता है कि इस काल में स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने, विवाह तथा संपत्ति रखने के अधिकार पुरुषों के समान थे। परिवार में स्त्री का स्थान काफ़ी अच्छा होता था तथा स्त्री को धार्मिक तथा सामाजिक कार्य पूरा करने के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता था।

इस समय में लड़कियों की उच्च शिक्षा पर काफ़ी ध्यान दिया जाता था। उस समय पर्दा प्रथा तथा बाल विवाह जैसी कुरीतियां नहीं थीं, चाहे बहू-पत्नी विवाह अवश्य प्रचलित थे पर स्त्रियों को काफ़ी सम्मान से घर में रखा जाता था। विधवा विवाह पर प्रतिबंध नहीं था। सती प्रथा का कोई विशेष प्रचलन नहीं था इसलिए विधवा औरत सती हो भी सकती थी तथा नहीं भी। वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति पुरुषों के समान ही थी। इस युग में स्त्री का अपमान करना पाप समझा जाता था तथा स्त्री की रक्षा करना वीरता का काम समझा जाता था। भारत में स्त्री की स्थिति काफ़ी उच्च थी तथा पश्चिमी देशों में वह दासी से ज़्यादा कुछ नहीं थी। यह काल 4500 वर्ष पहले था।

2. उत्तर वैदिक काल (Post Vedic Period)- यह काल ईसा से 600 वर्ष पहले (600 B.C.) शुरू हुआ तथा ईसा के 3 शताब्दी (300 A.D.) बाद तक माना गया। इस समय में स्त्रियों को वह आदर सत्कार, मान-सम्मान न मिल पाया जो उन को वैदिक काल में मिलता था। इस समय बाल-विवाह प्रथा शुरू हुई जिस वजह से स्त्रियों को शिक्षा प्राप्ति में कठिनाई होने लगी। शिक्षा न मिल पाने की वजह से उनका वेदों का ज्ञान खत्म हो गया या न मिल पाया जिस वजह से उनके धार्मिक संस्कारों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

इस काल में स्त्रियों के लिए पति की आज्ञा मानना अनिवार्य हो गया तथा विवाह करना भी ज़रूरी हो गया। इस काल में बहु-पत्नी दा प्रचलित हो गई थी तथा स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न हो गयी थी। इस काल में विधवा विवाह पर नियंत्रण लगना शुरू हो गया तथा स्त्रियों का काम सिर्फ घर की ज़िम्मेदारियां पूरी करना रह गया था। इस युग में आखिरी स्तर पर आते-आते स्त्रियों की स्वतंत्रता तथा अधिकार काफ़ी कम हो गए थे तथा उनकी स्वतंत्रता पर नियंत्रण लगने शुरू हो गए थे।

3. स्मृति काल (Smriti Period) इस काल में मनु स्मृति में दिए गए सिद्धांतों के अनुरूप व्यवहार करने पर ज्यादा ज़ोर देना शुरू हो गया था। इस काल में बहुत-सी संहिताओं जैसे मनु संहिता, पराशर संहिता तथा याज्ञवल्क्य संहिता रचनाओं की रचना की गई। इसलिए इस काल को धर्म शास्त्र काल के नाम से भी पुकारा जाता है। इस काल में स्त्रियों की स्थिति पहले से भी ज्यादा निम्न हो गई। स्त्री का सम्मान सिर्फ माता के रूप में रह गया था। विवाह करने की उम्र और भी कम हो गई तथा समाज में स्त्री को काफ़ी हीन दृष्टि से देखा जाता था।

मनुस्मृति में तो यहां तक लिखा है कि स्त्री को हमेशा कड़ी निगरानी में रखना चाहिए, छोटी उम्र में पिता की निगरानी में, युवावस्था में पति की निगरानी में तथा बुढ़ापे में पुत्रों की निगरानी में रखना चाहिए। इस काल में विधवा विवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया तथा सती प्रथा को ज्यादा महत्त्व दिया जाने लगा। स्त्रियों का मुख्य धर्म पति की सेवा माना गया। विवाह 10-12 वर्ष की उम्र में ही होने लगे। स्त्री का अपना कोई अस्तित्व नहीं रह गया था। स्त्रियों के सभी अधिकार पति या पुत्र को दे दिए गए। पति को देवता कहा गया तथा पति की सेवा ही उसका धर्म रह गया था।

4. मध्य काल (Middle Period) मध्यकाल में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बाद तो स्त्रियों की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। ब्राह्मणों ने हिंदू धर्म की रक्षा, स्त्रियों की इज्जत तथा रक्त की शुद्धता बनाए रखने के लिए स्त्रियों के लिए काफ़ी कठोर नियमों का निर्माण कर दिया था। स्त्री शिक्षा काफ़ी हद तक खत्म हो गई तथा पर्दा प्रथा काफ़ी ज्यादा चलने लगी। लड़कियों के विवाह की उम्र भी घटकर 8-9 वर्ष ही रह गई। इस वजह से बचपन में ही उन पर गृहस्थी का बोझ लाद दिया जाता था।

सती प्रथा काफ़ी ज्यादा प्रचलित हो गई थी तथा विधवा विवाह पूरी तरह बंद हो गए थे। स्त्रियों को जन्म से लेकर मृत्यु तक पुरुष के अधीन कर दिया गया तथा उनके सारे अधिकार लिए गए। मध्य काल का समय स्त्रियों के लिए काला युग था। परिवार में उसकी स्थिति शून्य के समान थी तथा उसे पैर की जूती समझा जाता था। स्त्रियों को ज़रा-सी गलती पर शारीरिक दंड दिया जाता था। अधिकार भी वापस ले लिया गया था।

5. आधुनिक काल (Modern Age)-अंग्रेजों के आने के बाद आधुनिक काल शुरू हुआ। इस समय औरतों के उद्धार के लिए आवाज़ उठनी शुरू हुई तथा सबसे पहले आवाज़ उठाई राजा राममोहन राय ने जिनके यत्नों की वजह से सती प्रथा बंद हुई। विधवा विवाह को कानूनी मंजूरी मिल गई। फिर और समाज सुधारक जैसे कि दयानंद सरस्वती, गोविंद रानाडे, रामाबाई रानाडे, विवेकानंद इत्यादि ने भी स्त्री शिक्षा तथा उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठायी।

इनके यत्नों की वजह से स्त्रियों की स्थिति में कुछ सुधार होने लगा। स्त्रियों को शिक्षा प्राप्त होने लगी तथा वह घर की चार-दीवारी से बाहर निकल कर देश के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने लगीं। शिक्षा की वजह से वह नौकरी करने लगी तथा राजनीतिक क्षेत्र में भी हिस्सा लेने लगी जिस वजह से वह आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर ने लगी। आजकल स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी है क्योंकि शिक्षा तथा आत्म निर्भरता की वजह से स्त्री को अपने अधिकारों का पता चल गया है। आज से संपत्ति रखने, पिता की जायदाद से हिस्सा लेने तथा हर तरह के वह अधिकार प्राप्त हैं जो पुरुषों को प्राप्त हैं।

प्रश्न 9.
हिंदू महिलाओं की निम्न स्थिति के क्या कारण हैं?
उत्तर:
विभिन्न युगों या कालों में स्त्रियों की स्थिति कभी अच्छी या कभी निम्न रही है। वैदिक काल में तो यह बहुत अच्छी थी पर धीरे-धीरे काफ़ी निम्न होती चली गई। वैदिक काल के बाद तो विशेषकर मध्यकाल से लेकर ब्रिटिश काल अर्थात् आजादी से पहले तक स्त्रियों की स्थिति निम्न रही है। स्त्रियों की निम्न स्थिति का सिर्फ़ कोई एक कारण नहीं है बल्कि अनेकों कारण हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint Family System) भारतीय समाज में संयुक्त परिवार प्रथा मिलती है। स्त्रियों की दयनीय स्थिति बनाने में इस प्रणाली की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस प्रथा में स्त्रियों को संपत्ति रखने या किसी और प्रकार के सामाजिक अधिकार नहीं होते हैं। स्त्रियों को घर की चारदीवारी में कैद रखना पारिवारिक सम्मान की बात समझी जाती थी। परिवार में बाल विवाह को तथा सती प्रथा को महत्त्व दिया जाता था जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न होती थी।

2. पितृसत्तात्मक परिवार (Patriarchal Family)-भारतीय समाज में ज्यादातर पितृसत्तात्मक परिवार देखने को मिल जाते हैं। इस प्रकार के परिवार में परिवार का हरेक कार्य पिता की इच्छा के अनुसार ही होता है। बच्चों के नाम के साथ पिता के वंश का नाम जोड़ा जाता है। विवाह के बाद स्त्री को पति के घर जाकर रहना होता है। पारिवारिक मामलों तथा संपत्ति पर अधिकार पिता का ही होता है। इस प्रकार के परिवार में स्त्री की स्थिति काफ़ी निम्न होती है क्योंकि घर के किसी काम में स्त्री की सलाह नहीं ली जाती है।

3. कन्यादान का आदर्श (Ideal of Kanyadan)-पुराने समय से ही हिंद विवाह में कन्यादान का आदर्श प्रचलित रहा है। पिता अपनी इच्छानुसार अपनी लड़की के लिए अच्छा-सा वर ढूंढ़ता है तथा उसे अपनी लड़की दान के रूप में दे देता है। पिता द्वारा किया गया कन्या का यह दान इस बात का प्रतीक है कि पत्नी के ऊपर पति का परा अधिकार होता है। इस तरह दान के आदर्श के आधार पर भी स्त्रियों की स्थिति समाज में निम्न ही रही है।

4. बाल विवाह (Child Marriage)-बाल विवाह की प्रथा के कारण भी स्त्रियों की स्थिति निम्न रही है। इस प्रथा के कारण छोटी उम्र में ही लड़कियों का विवाह हो जाता है जिस वजह से न तो वह शिक्षा ग्रहण कर पाती हैं तथा न ही उन्हें अपने अधिकारों का पता लगता है। पति भी उन पर आसानी से अपनी प्रभुता जमा लेते हैं जिस वजह से स्त्रियों को हमेशा पति के अधीन रहना पड़ता है।

5. कुलीन विवाह (Hypergamy)-कुलीन विवाह प्रथा के अंतर्गत लड़की का विवाह या तो बराबर के कुल में या फिर अपने से ऊँचे कुल में करना होता है, जबकि लड़कों को अपने से नीचे कुलों में विवाह करने की छूट होती है। इसलिए लड़की के माता-पिता छोटी उम्र में ही लड़की का विवाह कर देते हैं ताकि किसी किस्म की उन्हें तथा लड़की को परेशानी न उठानी पड़े। इस वजह से स्त्रियों में अशिक्षा की समस्या हो जाती है तथा उनकी स्थिति निम्न ही रह जाती है।

6. स्त्रियों की अशिक्षा (Illiteracy)-शिक्षा में अभाव के कारण भी हिंदू स्त्री की स्थिति दयनीय रही है। बाल-विवाह के कारण शिक्षा न प्राप्त कर पाना जिसकी वजह से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न होना स्त्रियों की निम्न स्थिति का महत्त्वपूर्ण कारण रहा है। अज्ञान के कारण अनेक अंधविश्वासों, कुरीतियों, कुसंस्कारों तथा सामाजिक परंपराओं के बीच स्त्री इस प्रकार जकड़ती गई कि उनसे पीछा छुड़ाना एक समस्या बन गई।

स्त्रियों को चारदीवारी के अंदर रखकर पति को परमेश्वर मानने का उपदेश उसे बचपन से ही पढ़ाया जाता था तथा पूरा जीवन सबके बीच में रहते हुए सबकी सेवा करते हुए बिता देना स्त्री का धर्म समझा जाता रहा है। इन सब चीज़ों के चलते स्त्री अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हो पाई तथा उसका स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता ही चला गया।

7. स्त्रियों की आर्थिक निर्भरता (Economic Dependency of Women)-पुराने समय से ही परिवार का कर्ता पिता या पुरुष रहा है। इसलिए परिवार के भरण-पोषण या पालन-पोषण का भार उसके कंधों पर ही होता है। स्त्रियों का घर से बाहर जाना परिवार के सम्मान के विरुद्ध समझा जाता था। इसलिए आर्थिक मामलों में हमेशा स्त्री को पुरुष के ऊपर निर्भर रहना पड़ता था। परिणामस्वरूप स्त्रियों की स्थिति निम्न से निम्नतम होती गई।

8. ब्राह्मणवाद (Brahmanism) कुछ विचारकों का यह मानना है कि हिंदू धर्म या ब्राह्मणवाद स्त्रियों की निम्न स्थिति का मुख्य कारण है क्योंकि ब्राह्मणों ने जो सामाजिक तथा धार्मिक नियम बनाए थे उनमें पुरुषों को उच्च स्थिति तथा स्त्रियों को निम्न स्थिति दी गई थी। मनु के अनुसार भी स्त्री का मुख्य धर्म पति की सेवा करना है। मुसलमानों ने जब भारत में अपना राज्य बनाया तो उनके पास स्त्रियों की कमी थी क्योंकि वह बाहर से आए थे तथा उन्हें हिंदू स्त्रियों से विवाह पर कोई आपत्ति नहीं थी।

इस वजह से हिंदू स्त्रियों को मुसलमानों से बचाने के लिए हिंदुओं ने विवाह संबंधी नियम और कठोर कर दिए। बाल विवाह को बढ़ावा दिया गया तथा विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध लगा दिए गए। सती प्रथा तथा पर्दा प्रथा को बढावा दिया गया जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति और निम्न होती चली गई।

प्रश्न 10.
स्वतंत्रता के बाद महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं?
अथवा
स्वतंत्रता के पश्चात महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
देश की आधी जनसंख्या स्त्रियों की है। इसलिए देश के विकास के लिए यह भी ज़रूरी है कि उनकी स्थिति में सुधार लाया जाये। उनसे संबंधित कुप्रथाओं तथा अंधविश्वासों को समाप्त किया जाए। स्वतंत्रता के बाद भारत के संविधान में कई ऐसे प्रावधान किये गये जिनसे महिलाओं की स्थिति में सुधार हो। उनकी सामाजिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए। आजादी के बाद देश की महिलाओं के उत्थान, कल्याण तथा स्थिति में सुधार के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए हैं-
1. संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)-महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए संविधान में निम्नलिखित प्रावधान हैं

  • अनुच्छेद 14 के अनुसार कानून के सामने सभी समान हैं।
  • अनुच्छेद 15 (1) द्वारा धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भारतीय से भेदभाव की मनाही है।
  • अनुच्छेद 15 (3) के अनुसार राज्य, महिलाओं तथा बच्चों के लिए विशेष प्रावधान करें।
  • अनुच्छेद 16 के अनुसार राज्य रोज़गार तथा नियुक्ति के मामलों में सभी भारतीयों को समान अवसर प्रदान करें।
  • अनुच्छेद 39 (A) के अनुसार राज्य, पुरुषों तथा महिलाओं को आजीविका के समान अवसर उपलब्ध करवाएं।
  • अनुच्छेद 39 (D) के अनुसार पुरुषों तथा महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
  • अनुच्छेद 42 के अनुसार राज्य कार्य की न्यायपूर्ण स्थिति उत्पन्न करें तथा अधिक-से-अधिक प्रसूति सहायता प्रदान करें।
  • अनुच्छेद 51 (A) (E) के अनुसार स्त्रियों के गौरव का अपमान करने वाली प्रथाओं का त्याग किया जाए।
  • अनुच्छेद 243 के अनुसार स्थानीय निकायों-पंचायतों तथा नगरपालिकाओं में एक तिहाई स्थानों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।

2. कानून (Legislations)-महिलाओं के हितों की सुरक्षा तथा उनकी सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए कई कानूनों का निर्माण किया गया जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

  • सती प्रथा निवारण अधिनियम, 1829, 1987 (The Sati Prohibition Act)
  • हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 (The Hindu Widow Remarriage Act)
  • बाल विवाह अवरोध अधिनियम (The Child Marriage Restraint Act)
  • हिंदू स्त्रियों का संपत्ति पर अधिकार (The Hindu Women’s Right to Property Act) 1937.
  • विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) 1954.
  • हिंदू विवाह तथा विवाह विच्छेद अधिनियम (The Hindu Marriage and Diworce Act) 1955 & 1967.
  • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (The Hindu Succession Act) 1956.
  • दहेज प्रतिबंध अधिनियम (Dowry Prohibition Act) 1961, 1984. 1986.
  • मातृत्व हित लाभ अधिनियम (Maternity Relief Act) 1961, 1976.
  • मुस्लिम महिला तलाक के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम (Muslim Women Protection of Rights of Diworce) 1986.

ऊपर लिखे कानूनों में से चाहे कुछ आजादी से पहले बनाए गए थे पर उनमें आजादी के बाद संशोधन कर लिए गए हैं। इन सभी विधानों से महिलाओं की सभी प्रकार की समस्याओं जैसे दहेज, बाल विवाह, सती प्रथा, संपत्ति का उत्तराधिकार इत्यादि का समाधान हो गया है तथा इनसे महिलाओं की स्थिति सुधारने में मदद मिली है।

3. महिला कल्याण कार्यक्रम (Women Welfare Programmes)-स्त्रियों के उत्थान के लिए आज़ादी के बाद कई कार्यक्रम चलाए गए जिनका वर्णन निम्नलिखित है

  • 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया तथा उनके कल्याण के कई कार्यक्रम
  • 1982-83 में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक तौर पर मज़बूत करने के लिए डवाकरा कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • 1986-87 में महिला विकास निगम की स्थापना की गई ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हों।
  • 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग का पुनर्गठन किया गया ताकि महिलाओं के ऊपर बढ़ रहे अत्याचारों को रोका जा सके।

4. देश में महिला मंडलों की स्थापना की गई। यह महिलाओं के वे संगठन हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के कल्याण के लिए कार्यक्रम चलाते हैं। इन कार्यक्रमों पर होने वाले खर्च का 75% पैसा केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड देता

5. शहरों में कामकाजी महिलाओं को समस्या न आए इसीलिए सही दर पर रहने की व्यवस्था की गई है। केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड ने होस्टल स्थापित किए हैं ताकि कामकाजी महिलाएं उनमें रह सकें।

6. केंद्रीय समाज कल्याण मंडल ने सामाजिक आर्थिक कार्यक्रम देश में 1958 के बाद से चलाने शुरू किए ताकि ज़रूरतमंद, अनाथ तथा विकलांग महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके। इसमें डेयरी कार्यक्रम भी शामिल है।

इस तरह आज़ादी के पश्चात् बहुत सारे कार्यक्रम चलाए गए हैं ताकि महिलाओं की सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाया जा सके। अब महिला सशक्तिकरण में चल रहे प्रयासों की वजह से भारतीय महिलाओं का बेहतर भविष्य दृष्टिगोचर होता है।

प्रश्न 11.
भारतीय महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन के कारणों का वर्णन करो।
उत्तर:
आज के समय में भारतीय महिलाओं की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन आए हैं। महिलाओं की जो स्थिति आज से 50 वर्ष पहले थी उसमें तथा आज की महिला की स्थिति में काफ़ी फर्क है। आज महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर बाहर दफ्तरों में काम कर रही हैं। पर यह परिवर्तन किसी एक कारण की वजह से नहीं आया है। इसमें कई कारण हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. स्त्रियों की साक्षरता दर में वृद्धि-आज़ादी से पहले स्त्रियों की शिक्षा की तरफ़ कोई ध्यान नहीं देता था पर आजादी के पश्चात् भारत सरकार की तरफ से स्त्रियों की शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए गए जिस वजह से स्त्रियों की शिक्षा के स्तर में काफ़ी वृद्धि हुई। सरकार ने लड़कियों को पढ़ाने के लिए मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्तियां प्रदान की, मुफ्त किताबों का प्रबंध किया ताकि लोग अपनी लड़कियों को स्कूल भेजें।

इस तरह धीरे-धीरे स्त्रियों में शिक्षा का प्रसार हुआ तथा उनका शिक्षा स्तर बढ़ने लगा। आजकल हर क्षेत्र में लड़कियाँ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। शिक्षा की वजह से उनके विवाह भी देर से होने लगे जिस वजह से उनका जीवन स्तर ऊंचा उठने लगा। आज लड़कियां भी लड़कों की तरह बढ़-चढ़ कर शिक्षा ग्रहण करती हैं। इस तरह स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण उनमें शिक्षा का प्रसार है।

2. औद्योगीकरण-आज़ादी के बाद औद्योगीकरण का बहुत तेजी से विकास हुआ। शिक्षा प्राप्त करने की वजह से औरतें भी घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर नौकरियां करने लगीं जिस वजह से उनके ऊपर से पाबंदियां हटने लगीं। औरतें दफ्तरों में और पुरुषों के साथ मिलकर काम करने लगीं जिस वजह से जाति प्रथा की पाबंदियां खत्म होनी शुरू हो गईं। औरों के साथ मेल-जोल से प्रेम विवाह के प्रचलन बढ़ने लगे। दफ्तरों में काम करने की वजह से उनकी पुरुषों पर से आर्थिक निर्भरता कम हो गई जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति में काफ़ी सुधार हुआ। इस तरह औरतों की स्थिति सुधारने में औद्योगीकरण की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

3. पश्चिमी संस्कृति-आजादी के बाद भारत पश्चिमी देशों के संपर्क में आया जिस वजह से वहां के विचार, वहां की संस्कृति हमारे देश में भी आयी। महिलाओं को उनके अधिकारों, उनकी आजादी के बारे में पता चला जिस वजह से उनकी विचारधारा में परिवर्तन आना शुरू हो गया। इस संस्कृति की वजह से अब महिलाएं मर्दो के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी होनी शुरू हो गईं। दफ्तरों में काम करने की वजह से औरतें आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर हो गईं तथा उनमें मर्दो के साथ समानता का भाव आने लगा। कुछ महिला आंदोलन भी चले जिस वजह से महिलाओं में जागरूकता आ गई तथा उनकी स्थिति में परिवर्तन आना शुरू हो गया।

4. अंतर्जातीय विवाह-आजादी के बाद 1955 में हिंदू विवाह कानून पास हुआ जिससे अंतर्जातीय विवाह को कानूनी मंजूरी मिल गई। शिक्षा के प्रसार की वजह से औरतें दफ्तरों में काम करने लग गईं, घर से बाहर निकली जिस वजह से वह अन्य जातियों के संपर्क में आईं। प्रेम विवाह, अंतर्जातीय विवाह होने लगे जिस वजह से लोगों की विचारधारा में परिवर्तन आने लग गए। इस वजह से अब लोगों की नज़रों में औरतों की स्थिति ऊँची होनी शुरू हो गई। औरतों की आत्म निर्भरता की वजह से उन्हें और सम्मान मिलने लगा। इस तरह अंतर्जातीय विवाह की वजह से दहेज प्रथा या वर मूल्य में कमी होनी शुरू हो गई तथा स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन आना शुरू हो गया।

5. संचार तथा यातायात के साधनों का विकास-आज़ादी के बाद यातायात तथा संचार के साधनों में विकास होना शुरू हुआ। लोग एक-दूसरे के संपर्क में आने शुरू हो गए। लोग गांव छोड़कर दूर-दूर शहरों में जाकर रहने लगे जिस वजह से वे अन्य जातियों के संपर्क में आए। इसके साथ ही कुछ नारी आंदोलन चले तथा सरकारी कानून भी बने ताकि महिलाओं का शोषण न हो सके। इन साधनों के विकास की वजह से स्त्रियां पढ़ने लगीं, नौकरियां करने लगी तथा लोगों की विचारधारा में धीरे-धीरे परिवर्तन होने शुरू हो गए।

6. विधानों का निर्माण-चाहे आज़ादी से पहले भी महिलाओं में उत्थान के लिए कई कानूनों का निर्माण हुआ था पर वह पूरी तरह लागू नहीं हुए थे क्योंकि हमारे देश में विदेशी सरकार थी। पर 1947 के पश्चात् भारत सरकार ने इन कानूनों में संशोधन किए तथा उन्हें सख्ती से लागू किया।

इसके अलावा कुछ और नए कानून भी बने जैसे कि हिंदू विवाह कानून, हिंदू उत्तराधिकार कानून, दहेज प्रतिबंध कानून इत्यादि ताकि स्त्रियों का शोषण होने से रोका जा सके। इन क की वजह से स्त्रियों का शोषण कम होना शुरू हो गया तथा स्त्रियां अपने आपको सुरक्षित महसूस करने लग गईं। अब कोई भी स्त्रियों का शोषण करने से पहले दस बार सोचता है क्योंकि अब कानून स्त्रियों के साथ है। इस तरह कानूनों की वजह से भी स्त्रियों की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन आए हैं।

7. संयुक्त परिवार का विघटन-यातायात तथा संचार के साधनों के विकास, शिक्षा, नौकरी, दफ्तरों में काम, अपने घर या गांव या शहर से दूर काम मिलना तथा औद्योगीकरण की वजह से संयुक्त परिवारों में विघटन आने शुरू हो गए। पहले संयुक्त परिवारों में स्त्री घर में ही घुट-घुट कर मर जाती थी पर शिक्षा के प्रसार तथा दफ्तरों में नौकरी करने की वजह से हर कोई संयुक्त परिवार छोड़कर अपना केंद्रीय परिवार बसाने लगा जो कि समानता पर आधारित होता है।

संयुक्त परिवार में स्त्री को पैर की जूती समझा जाता है पर केंद्रीय परिवारों में स्त्री की स्थिति पुरुषों के समान होती है जहां स्त्री आर्थिक या हर किसी क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होती हैं। इस तरह संयुक्त परिवारों के विघटन ने भी स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। – इन कारणों के अलावा और बहुत-से कारण हैं जिन्होंने स्त्रियों के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है पर ऊपर दिए गए कारण उन सभी कारणों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप Read More »

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

HBSE 12th Class Sociology सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक विषमता व्यक्तियों की विषमताओं से कैसे भिन्न है?
अथवा
सामाजिक असमानता व्यक्तिगत असमानता से भिन्न होती है। व्याख्या कीजिए।
अथवा
सामाजिक विषमता सामाजिक क्यों है? विस्तृत चर्चा करें।
उत्तर:सामाजिक संसाधनों तक असमान पहुँच की पद्धति को सामाजिक विषमता कहा जाता है। कुछ सामाजिक विषमताएँ व्यक्तियों के बीच स्वाभाविक भिन्नता को दर्शाती हैं जैसे कि उनकी योग्यता तथा प्रयासों में अंतर। कोई व्यक्ति असाधारण प्रतिभा का भी हो सकता है तथा कोई अधिक बुद्धिमान भी हो सकता है। यह भी हो सकता है कि उस व्यक्ति ने अच्छी स्थिति प्राप्त करने के लिए अधिक परिश्रम किया हो। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सामाजिक विषमता व्यक्तियों के बीच प्राकृतिक अंतरों के कारण नहीं बल्कि उस समाज द्वारा उत्पन्न होती है जिसमें वह रहते हैं।

प्रश्न 2.
सामाजिक स्तरीकरण की कुछ विशेषताएं बतलाइए।
अथवा
सामाजिक स्तरीकरण की चार प्रमुख विशेषताएं बताइए।
अथवा
सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताएं बताइए।
उत्तर:

  • सामाजिक स्तरीकरण में समाज को अलग-अलग भागों अथवा स्तरों में विभाजित किया जाता है जिसमें समाज के व्यक्तियों का आपसी संबंध उच्चता निम्नता पर आधारित होता है।
  • सामाजिक स्तरीकरण में अलग-अलग वर्गों की असमान स्थिति होती है। किसी की सबसे उच्च, किसी की उससे कम तथा किसी की बहुत निम्न स्थिति होती है।
  • स्तरीकरण में अंतक्रियाएं विशेष स्तर तक ही सीमित होती हैं। हरेक व्यक्ति अपने स्तर के व्यक्ति से संबंध स्थापित करता है।
  • सामाजिक स्तरीकरण पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहता है। यह परिवार और सामाजिक संसाधनों के एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में उत्तराधिकार के रूप में घनिष्ठता से जुड़ा है।
  • सामाजिक स्तरीकरण को विश्वास व विचारधारा द्वारा समर्थन मिलता है।

प्रश्न 3.
आप पूर्वाग्रह और अन्य किस्म की राय अपना विश्वास के बीच कैसे भेद करेंगे?
अथवा
पूर्वग्रह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पूर्वाग्रह एक समूह के सदस्यों द्वारा दूसरे के बारे में पूर्वकल्पित विचार अथवा व्यवहार होता है। पूर्वाग्रह शब्द के शाब्दिक अर्थ हैं पूर्व निर्णय अर्थात् किसी के बारे वह धारणा जो उसे जाने बिना तथा उसके तथ्यों को परखे बिना शुरू में ही स्थापित कर ली जाती है। एक पूर्वाग्रहित व्यक्ति के पूर्वकल्पित विचार तथ्यों के विपरीत सुनी सुनाई बातों पर ही आधारित होते हैं। चाहे इनके बारे में बाद में नई जानकारी प्राप्त हो जाती है, परंतु फिर भी यह बदलने से मना कर देते हैं।

पर्वाग्रह सकारात्मक भी होता है तथा नकारात्मक भी। वैसे मख्यता इस शब्द को नकारात्मक रूप से लिए गए पूर्वनिर्णयों के लिए ही प्रयोग किया जाता है परंतु इसे स्वीकारात्मक पूर्वनिर्णयों पर भी प्रयोग किया जाता है। जैसे कि कोई व्यक्ति अपने समूह के सदस्यों या जाति के पक्ष में पूर्वाग्रहित हो सकती है तथा उन्हें दूसरी जाति या समूह के सदस्य श्रेष्ठ मान सकता है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 4.
सामाजिक अपवर्जन या बहिष्कार क्या है?
अथवा
सामाजिक बहिष्कार सामाजिक क्यों है? विस्तृत चर्चा करें।
अथवा
सामाजिक अपवर्जन से आप क्या समझते हैं?
अथवा
सामाजिक बहिष्कार क्या है?
अथवा
सामाजिक अपवर्जन (बहिष्कार) क्या है?
उत्तर:
सामाजिक अपवर्जन अथवा बहिष्कार वह ढंग हैं जिनकी सहायता से एक व्यक्ति अथवा समूह को समाज में पूर्णतया घुलने मिलने से रोका जाता है तथा पृथक् रखा जाता है। बहिष्कार उन सभी कारकों की तरफ ध्यान दिलाता है जिनसे उस व्यक्ति या समूह को उन मौकों से वंचित किया जाता है जो और जनसंख्या के लिए खुले होते हैं। व्यक्ति को क्रियाशील तथा भरपूर जीवन जीने के लिए मूलभूत ज़रूरतों जैसे कि रोटी, कपड़ा तथा मकान के साथ-साथ अन्य ज़रूरी चीज़ों तथा सेवाओं जैसे कि बैंक, यातायात के साधन, शिक्षा इत्यादि की भी आवश्यकता होती है। सामाजिक भेदभाव अचानक नहीं बल्कि व्यवस्थित ढंग से होता है। यह समाज की संरचनात्मक विशेषताओं का नतीजा है।

परंतु एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सामाजिक बहिष्कार हमेशा अनैच्छिक होता है अर्थात् बहिष्कार उन लोगों की इच्छा के विरुद्ध होता है जिनका बहिष्कार किया जा रहा हो। उदाहरण के लिए शहरों में हजारों बेघर लोग फुटपाथ या पुलों के नीचे सोते हैं, धनी व्यक्ति नहीं। इसका अर्थ यह नहीं है कि धनी व्यक्ति फुटपाथ का प्रयोग करने से बहिष्कृत हैं। अगर वह चाहें तो वह इनका प्रयोग कर सकते हैं, परंतु वह ऐसा नहीं करते । सामाजिक भेदभाव को कभी-कभी गलत तर्क से ठीक कहा जाता है कि बहिष्कृत समूह स्वयं समाज में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं। इस प्रकार का तर्क इच्छित चीज़ों के लिए बिल्कुल ही गलत है।

प्रश्न 5.
आज जाति और आर्थिक असमानता के बीच क्या संबंध है?
उत्तर:
प्राचीन समय में जाति और आर्थिक असमानता एक-दसरे से गहरे रूप से संबंधित थे। व्यक्ति की सामाजिक स्थिति तथा आर्थिक स्थिति एक-दूसरे के अनुरूप होती थी। उच्च जातियों के लोगों की आर्थिक स्थिति प्रायः अच्छी होती थी जबकि निम्न जातियों के लोगों की आर्थिक स्थिति काफ़ी निम्न होती थी। परंतु आधुनिक समय अर्थातु 19वीं शताब्दी के बाद से जाति तथा व्यवसाय के संबंधों में काफ़ी परिवर्तन आए हैं।

आज के समय में जाति के व्यवसाय तथा धर्म संबंधी प्रतिबंध लागू नहीं होते। अब व्यवसाय अपनाना पहले की अपेक्षाकृत आसान हो गया है। अब व्यक्ति कोई भी व्यवसाय अपना सकता है। पिछले 100 वर्षों की तुलना में आज जाति तथा आर्थिक स्थिति का संबंध काफ़ी कमज़ोर हो गया है। आजकल में अमीर तथा निर्धन लोग हरेक जाति में मिल जाएंगे। परंतु मुख्य बात यह है कि जाति-वर्ग परस्पर संबंध वृहत स्तर पर अभी भी पूर्णतया कायम है। जाति व्यवस्था के कमजोर होने से सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति वाली जातियों के बीच अंतर कम हो गया है। परंतु अलग-अलग सामाजिक आर्थिक समूहों के बीच जातीय अंतर अभी भी मौजूद है।

प्रश्न 6.
अस्पृश्यता क्या है?
अथवा
अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारतीय समाज में जाति प्रथा का काफ़ी महत्त्व था। उच्च तथा निम्न जातियों को अस्पश्यता की सहायता से अलग किया जाता था। अस्पृश्यता की धारणा यह थी कि निश्चित निम्न जातियों के लोगों के छूने अथवा परछाईं से उच्च जातियों के लोग अपवित्र हो जाएंगे। इसका अर्थ यह है कि यदि उच्च जाति के लोग अछूत जाति के लोगों के नज़दीक भी आ जाएंगे अथवा उनकी छाया भी यदि उन पर पड़ गई तो वह अपवित्र हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में उन्हें दोबारा पवित्र होने के लिए या तो गंगाजल से नहाना पड़ेगा या विशेष धार्मिक कर्मकांड करने पड़ेंगे। 1955 के अस्पृश्यता अपराध कानून से इसे गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था।

प्रश्न 7.
जातीय विषमता को दूर करने के लिए अपनाई गई कुछ नीतियों का वर्णन करें।
उत्तर:
जातीय विषमता को दूर करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों ने कुछ नीतियां अपनाई हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-

  • केंद्र सरकार ने कई प्रकार के कानून बनाए हैं जिनसे जातीय निर्योग्यताएं खत्म कर दी गई हैं। इससे जातीय अंतर कम हुआ है।
  • निम्न जातियों के लोगों को गांवों में भूमि वितरित की गई है ताकि वह अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठा सके।
  • निम्न जातियों के लोगों को कम ब्याज पर तथा आसान किश्तों पर अपना धंधा शुरू करने के लिए ऋण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
  • उनकी बस्तियों में सुधार करने के लिए सरकारें विशेष प्रबंध कर रही हैं तथा उन्हें कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
  • निम्न जातियों के लोगों को कृषि उत्पादन के लिए अच्छे बीज, उवर्रक तथा मशीनें उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
  • सरकार ने 20 सूत्री आर्थिक कार्यक्रम चलाए हैं जिसमें उन्हें रोज़गार दिलाने की तरफ विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

इन सब कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य जातीय विषमता को दूर करके निम्न जातियों की सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाना है।

प्रश्न 8.
अन्य पिछड़े वर्ग, दलितों (या अनुसूचित जातियों) से भिन्न कैसे हैं?
उत्तर:
भारतीय समाज में या तो उच्च जातियों की उच्चता या फिर अनुसूचित जातियों के शोषण को महत्व दिया गया है। परंतु उच्च जातियों तथा अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के अतिरिक्त भी भारतीय समाज में एक ऐसा बड़ा वर्ग रहा है जो सैंकड़ों वर्षों से उपेक्षित रहा है। अगड़ी जातियों, समुदायों से नीचे तथा अनुसूचित जातियों से ऊपर समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो विभिन्न कारणों से उपेक्षित रहा है तथा भारतीय समाज की विकास यात्रा में निरंतर पिछड़ता गया। इसी वर्ग को अन्य पिछड़ा वर्ग कहते हैं।

इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जातियों से ऊपर भारतीय समाज में बहुसंख्यक ऐसा वर्ग है जो सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा भौगोलिक कारणों से कमजोर रह गया है। स्वतंत्रता के बाद इसके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग शब्द का प्रयोग किया गया। यह हिंदुओं के दविजों तथा हरिजनों के बीच की जातियों का समूह है । इसके अतिरिक्त इसमें गैर-हिंदुओं, अनुसूचित जातियों व जनजातियों को छोड़कर अन्य निम्न वर्गों को शामिल किया जाता है।

सुभाष तथा बी०पी० गुप्ता द्वारा तैयार किए गए राजनीति कोष में अन्य पिछड़े वर्ग की परिभाषा दी गई है। उनके अनुसार, “अन्य पिछड़े हुए वर्ग का अर्थ समाज के उस वर्ग से है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक निर्योग्यताओं के कारण समाज के अन्य वर्गों की तुलना में निम्न स्तर पर हों।’

1953 में काका कालेलकर आयोग गठित किया गया जिसने पिछड़ेपन की चार कसौटियों पर पिछड़ी जातियों की सूची तैयारी की। यह मानदंड थे-जातीय संस्तरण में निम्न स्थान, शिक्षा का अभाव, सरकारी नौकरियों में कम पार व उदयोगों में कम प्रतिनिधित्व। 1978 में मंडल आयोग गठित किया गया जिसने पिछडे वर्ग निर्धारण के लिए तीन मानदंडों का चयन किया था वह थे सामाजिक, शैक्षणिक तथा आरि में विभाजित किया तथा प्रत्येक मानदंड के लिए महत्त्व अलग-अलग दिया गया।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 9.
आज आदिवासियों से संबंधित बड़े मुद्दे कौन-से हैं?
उत्तर:
जनजातियां हमारे समाज, सभ्यता तथा संस्कृति से बहुत ही दूर रहती हैं जिस कारण यह कुछ समय पहले ही हमारे समाज के संपर्क में आई हैं। इसलिए ही हमारे समाज की अनुसूचित जातियों को जिन निर्योग्यताओं का सामना करना पड़ा है, उन निर्योग्यताओं का सामना जनजातियों को नहीं करना पड़ा है। उनसे संबंधित बड़े मुद्दे अलग ही प्रकृति के हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-

(i) जनजातियों का शोषण-अंग्रेज़ों के शासन के समय कबायली लोग हमारे समाज के संपर्क में आना शुरू हुए। असल में कबायली लोग न तो किसी के मामले में हस्तक्षेप करते हैं तथा न ही किसी को अपने मामलों में हस्तक्षेप करने देते हैं। जब अंग्रेजों ने भारत में अपनी शासन व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए यहां डाक-तार की तारें बिछाने का कार्य शुरू किया तो उन्हें कबायली इलाकों में से अपनी तारें बिछानी पड़ी। इस बात का कबायली लोगों ने हिंसात्मक विरोध किया।

इससे नाराज़ होकर अंग्रेजों ने अपने ज़मींदारों, व्यापारियों तथा सूद पर पैसा देने वाले साहूकारों को कबायली लोगों को शोषित करने के लिए प्रेरित किया। साहूकारों तथा ज़मींदारों ने धीरे-धीरे इनका शोषण करना शुरू किया तथा इनका जम कर शोषण किया। इससे इन लोगों का जीवन स्तर इतना निम्न हो गया कि यह अच्छा जीने के काबिल ही न रहे। इस प्रकार इनमें यह निर्योग्यता आ गई।

(ii) निर्धनता-कबायली लोग हमारी सभ्यता से दूर पहाड़ों, जंगलों, घाटियों इत्यादि में रहते हैं। इन लोगों का समाज में कोई वर्ग नहीं पाया जाता है तथा यह बहुत ही साधारण जीवन जीते हैं। इनकी आवश्यकताएं काफ़ी सीमित हैं जिस कारण इन्हें अधिक चीजों की आवश्यकता नहीं होती है।

परंतु धीरे-धीरे यह हमारे समाज के संपर्क में आए जिस कारण इनकी आवश्यकताएं बढ़ती गईं। परंतु काफ़ी समय से कबायली लोगों का साहूकारों तथा जमींदारों से शोषण होता रहा है। इस शोषण के कारण यह निर्धन से और निर्धन हो गए। इस प्रकार निर्धनता के कारण उन्नति न कर पाए तथा पिछड़ते चले गए।

(iii) अलग-थलग करने की नीति-जब अंग्रेजों ने भारत में अपने शासन का विस्तार करना शुरू किया तो उनके रास्ते में कबायली लोग आ गए। कबायली लोग न तो किसी के मामले में हस्तक्षेप करते हैं तथा न ही किसी को हस्तक्षेप करने की आज्ञा देते हैं। परंतु जब अंग्रेजों ने अपने शासन का विस्तार करना शुरू किया तो कबायली लोगों ने इसका हिंसात्मक विरोध किया। इस विरोध के कारण अंग्रेजों को अपने इलाकों में विस्तार का कार्य छोड़ना पड़ा।

इसके बाद अंग्रेज़ों ने इन लोगों को अलग-थलग करने की नीति को अपनाया। इसलिए उनके क्षेत्रों को अलग-थलग किया गया ताकि उनके हितों की रक्षा हो सके तथा उनके हिंसात्मक विरोध को भी रोका जा सके। इस प्रकार चाहे अंग्रेजों ने प्रशासनिक कारणों से उन्हें अलग-थलग करने की नीति अपनाई जिससे वह समाज में पिछड़ते ही चले गए तथा निर्धन से और निर्धन हो गए।

(iv) मध्यस्त रास्ता-स्वतंत्रता के बाद संविधान ने देश के सभी नागरिकों तथा समूहों की प्रगति करने का निर्देश सरकार को दिया। इसलिए भारत ने अनुसूचित जनजातियों की उन्नति के लिए बीच का रास्ता अपनाया। इसके अनुसार उनके क्षेत्र में न केवल प्रगति के अवसर उत्पन्न किए गए बल्कि उनकी संस्कृति का ध्यान भी रखा गया।

इससे कबायली लोग धीरे-धीरे प्रगति करने लगे। चाहे इस नीति से वह प्रगति करने लगे, परंतु इसका उन्हें नुकसान भी हुआ। चाहे कुछ शिक्षा प्राप्त की गई, परंतु वह नौकरी लेने लायक न थी तथा साथ ही वह अपने परंपरागत कार्यों से भी दूर होते चले गए। इस प्रकार वह सामाजिक क्षेत्र में भी पिछड़ते चले गए।

प्रश्न 10.
नारी आंदोलन ने अपने इतिहास के दौरान कौन-कौन से मुद्दे उठाए हैं?
अथवा
महिलाओं की समानता के लिए संघर्षों पर अपने विचार दें।
अथवा
स्त्रियों की समानता और अधिकारों के लिए किए संघर्षों की जानकारी दीजिए।
अथवा स्त्रियों द्वारा समानता के लिए किए गए संघर्षों का वर्णन करें।
उत्तर:
वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी उच्च थी क्योंकि उस समय नारी को देवी समझा जाता था। परंतु समय के साथ-साथ अलग-अलग कालों अथवा युगों में उनकी स्थिति में काफ़ी गिरावट आई। मध्य काल को तो स्त्रियों के लिए काला यग कहा जाता है। चाहे मध्य काल में बहुत से संत महात्माओं ने उनकी सामाजिक स्थिति सधारने का प्रयास किया. परंतु वह अधिक सफल न हो पाए।

मध्य काल के अंत तथा आधुनिक काल की शुरुआत में समाज में महिलाओं से संबंधित बहुत सी बुराइयां व्याप्त थीं जैसे कि बहुविवाह, बाल विवाह, दहेज प्रथा, सती प्रथा, पर्दा प्रथा इत्यादि। आधुनिक समाज सुधारकों ने इन बुराइयों के विरुद्ध आवाज़ उठाई तथा महिला आंदोलन को सुदृढ़ता प्रदान की।

कुछ सुधारकों अंग्रेजों की सहायता से कानून भी पास करवाए ताकि इन बुराइयों को खत्म किया जा सके। इसके बाद गाँधी जी ने महिलाओं को घरों से बाहर निकल कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि अगर महिलाएं घरों से बाहर निकल आईं तो उनकी निर्योग्यताओं का खात्मा हो जाएगा। उन्होंने स्त्रियों की शिक्षा पर भी काफ़ी बल दिया। इस कारण ही हजारों लाखों महिलाएं घरों से बाहर निकल आई।

स्वतंत्रता के पश्चात् महिलाओं के उत्थान से संबंधित कई प्रकार के कानून बनाए गए ताकि उन्हें शिक्षा, मातृत्व लाभ, जायदाद संबंधी अधिकार, अच्छा स्वास्थ्य तथा बुराइयों के विरुद्ध अधिकार प्रदान किया जा सके। समय समय पर महिला आंदोलन चले जिन्होंने समाज का ध्यान उनके कल्याण की तरफ खींचा। महिलाओं के शोषण, बलात्कार, छेड़छाड़, वैवाहिक हिंसा, गर्भपात, प्रतिकुल लिंग अनुपात, दहेज के कारण हत्या इत्यादि जैसे कई मुद्दे हैं जिन्हें आधुनिक समय में उठाया जा रहा है ताकि महिलाओं को इन सबसे मुक्ति दिलाई जा सके।

प्रश्न 11.
हम यह किस अर्थ में कह सकते हैं कि ‘असक्षमता जितनी शारीरिक है उतनी ही सामाजिक भी’?
अथवा
अक्षमता के लक्षण बताएं।
उत्तर:
असक्षमता शब्द के लिए मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त (Mentally challenged) दृष्टि बाधित (Visually impaired) और शारीरिक रूप से बाधित (Physically impaired), जैसे शब्दों का प्रयोग अब पुराने घिसे-पिटे नकारात्मक अर्थ बताने वाले शब्दों जैसे मंदबुद्धि, अपंग अथवा लंगड़ा-लूला इत्यादि के स्थान पर किया जाने लगा है। कोई भी विकलांग जैविक असक्षमता के कारण विकलांग नहीं बनता बल्कि उन्हें समाज द्वारा ऐसा बनाया जाता है।

असक्षमता के संबंध में एक सामाजिक विचारधारा भी है। असक्षमता तथा निर्धनता के बीच गहरा संबंध है। कुपोषण, कई बच्चे पैदा करने से कमजोर हुई माताओं की रोग प्रतिरक्षा के कम कार्यक्रम, भीड़-भाड़ भरे घरों में दुर्घटनाएँ इत्यादि सभी बातें इकट्ठे मिलकर निर्धन लोगों में असक्षमता के ऐसे हालात उत्पन्न कर देते हैं जो आसान हालातों में रहने वाले लोगों की तुलना में बहुत गंभीर होते हैं।

इसके अतिरिक्त असक्षमता, व्यक्ति के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण परिवार के लिए अलगपन और आर्थिक दबाव को बढ़ाते हुए निर्धनता की स्थिति उत्पन्न करके उसे और गंभीर बना देती है। इस बात में कोई शक नहीं है कि निर्धन देशों में असक्षम लोग सबसे निर्धन होते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि असक्षमता शारीरिक होने के साथ-साथ सामाजिक भी हैं।

सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप HBSE 12th Class Sociology Notes

→ हमारे देश भारत में सामाजिक विषमताओं एवं बहिष्कार के कई स्वरूप देखने को मिल जाएंगे जैसे कि जाति पर आधारित भेदभाव, आदिवासियों तक सुविधाओं का न पहुँच पाना, पिछड़े वर्गों से भेदभाव, स्त्रियों तथा निम्न वर्गों की निर्योग्यताएं तथा अंत में अन्यथा सक्षम व्यक्तियों का संघर्ष।

→ सामाजिक संसाधनों तक असमान पहुँच की पद्धति को ही सामाजिक विषमता कहा जाता है। सामाजिक विषमता प्राकृतिक भिन्नता की वजह से नहीं बल्कि यह उस समाज द्वारा उत्पन्न होती है जिसमें हम रहते है।

→ सामाजिक बहिष्कार वह तौर तरीके हैं जिनके द्वारा किसी व्यक्ति या समूह को समाज में पूरी तरह घुलने मिलने से रोका जाता है या अलग रखा जाता है। प्राचीन समय में निम्न तथा अस्पृश्य जातियों के साथ ऐसा ही होता था।

→ जाति व्यवस्था सामाजिक बहिष्कार का ही एक रूप है जिसमें उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों का बहिष्कार करके उन्हें समाज से अलग रखा जाता था। चाहे आजकल यह वैधानिक रूप से प्रतिबंधित है परंतु फिर भी दूरदराज के क्षेत्रों में ऐसा हो रहा है। अस्पृश्यता को छुआछूत भी कहा जाता है। अस्पृश्य जातियों का समाज में कोई स्थान नहीं था। उनके साथ स्पर्श करना पाप समझा जाता था। अस्पृश्यता के तीन आयाम हैं-बहिष्कार, अनादर तथा शोषण। इन लोगों का इतना अधिक शोषण हुआ था कि स्वतंत्रता के 67 वर्षों के बाद भी यह अच्छी तरह प्रगति नहीं कर पाए है।

→ जातियों की तरह जनजातियां भी पिछड़े हुए वर्ग का एक हिस्सा हैं जो सामाजिक प्रगति की दौड़ में काफी पीछे हैं। उन्हें भी बहुत-सी निर्योग्यताओं का सामना करना पड़ा है।

→ निम्न जातियों तथा जनजातियों के प्रति भेदभाव खत्म करने के लिए राज्य तथा अन्य संगठनों द्वारा बहुत से कदम उठाए गए हैं। उनके शोषण, बहिष्कार को गैर-कानूनी घोषित किया गया है। उनकी स्थिति ऊपर उठाने के लिए संविधान में कई प्रावधान रखे गए हैं तथा उन्हें आरक्षण देकर उन्हें ऊँचा उठाने का प्रयास किया जा रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

→ निम्न जातियों की तरह अन्य पिछड़े वर्ग भी भारतीय जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा हैं जिन्हें बहुत सी सामाजिक निर्योग्यताओं का सामना करना पड़ा था। यह न तो उच्च जातियों में आते थे तथा न ही निम्न जातियों में। यह जातियां हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं थे बल्कि सभी प्रमुख भारतीय धर्मों में मौजूद थे।

→ इनके उत्थान के लिए कई कार्यक्रम बनाए गए। पहले काका कालेलकर आयोग बनाया गया फिर मंडल आयोग की सिफारिशों को मानकर उनके लिए आरक्षण लागू कर दिया गया ताकि यह भी सामाजिक सोपान में अपने आपको ऊँचा उठा सकें।

→ आदिवासी लोगों ने अपने आपको बचा कर रखने के लिए काफ़ी संघर्ष किया। पहले उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किए तथा स्वतंत्रता के पश्चात् भारत सरकार से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। सरकार ने भी उनके उत्थान के लिए कई कार्यक्रम चलाए, उन्हें आरक्षण दिया ताकि वह देश की मुख्य धारा में मिलकर अपनी स्थिति सुधार सकें।

→ इन सबके साथ देश का एक और बड़ा वर्ग है जो सदियों से शोषण का शिकार होता रहा है तथा वह है वैदिक काल में उनकी स्थिति बहत अच्छी थी परंत उसके बाद सभी कालों में उनकी स्थिति खराब होती चली गई। मध्य काल तो उनके लिए काला युग था। आधुनिक समय में उनकी स्थिति सुधारने के लिए बहत से समाज सधारकों ने प्रयास किए।

→ सरकार तथा समाज सुधारकों के प्रयासों के फलस्वरूप स्त्रियों की स्थिति में सुधार हुआ है। उनसे जुड़ी कुप्रथाएँ खत्म हो रही हैं, उनकी शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है तथा उनकी सामाजिक स्थिति ऊँची हो रही है। उन्हें अब पैर की जूती नहीं बल्कि जीवन साथी समझा जाता है। उन्हें हरेक प्रकार का वह अधिकार प्राप्त है जिससे कि अच्छा जीवन व्यतीत हो सके।

→ अन्यथा सक्षम लोग न केवल शारीरिक व मानसिक रूप से अक्षम होते हैं बल्कि समाज भी कुछ इस रीति से बना है कि वह उनकी ज़रूरतों को पूर्ण नहीं करता। उन्हें भारत में निर्योग्य, बाधित, अक्षम, अपंग, अंधा तथा बहरा भी कहा जाता है।

→ यहां एक बात उल्लेखनीय है कि उनकी स्थिति को सुधारने के प्रयास स्वयं विकलांगों की ओर से ही नहीं किए गए हैं, सरकार को भी अपनी ओर से कार्यवाही करनी पड़ी है। उन्हें शिक्षण संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में कुछेक प्रतिशत आरक्षण भी दिया गया है ताकि वह किसी पर बोझ न बनकर अपने पैरों पर स्वयं खड़े हो सकें।

→ सामाजिक विषमता-सामाजिक संसाधनों तक असमान पहुँच की पद्धति को सामाजिक विषमता कहा जाता है।

→ पूर्वाग्रह-एक समूह के सदस्यों द्वारा दूसरे समूह के बारे में पूर्वकल्पित विचार या व्यवहार।

→ सामाजिक बहिष्कार-वह तौर तरीके जिनके द्वारा किसी व्यक्ति या समूह को समाज में पूर्णतया घुलने मिलने से रोका जाता हो तथा पृथक् रखा जाता हो।

→ अस्पृश्यता-वह प्रक्रिया जिसके द्वारा समाज की कुछ निम्न जातियों को अछुत अथवा अस्पृश्य समझा जाता था।

→ हरिजन-अस्पृश्य जातियों को महात्मा गांधी द्वारा दिया गया नाम जिसका शाब्दिक अर्थ है परमात्मा के बच्चे।

→ आरक्षण-सार्वजनिक जीवन के विभिन्न पक्षों में विशेष जातियों के लिए कुछ स्थान या सीटें निर्धारित करना।

→ आदिवासी-वह पिछड़े हुए लोग जो हमारी सभ्यता से दूर जंगलों पहाड़ों में रहते हुए अविकसित जीवन व्यतीत करते तथा अपनी ही संस्कृति के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप Read More »