HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मंडल आयोग ने पिछड़े वर्ग के लिए कितने प्रतिशत आरक्षण की सिफ़ारिश की थी?
(A) 16.7%
(B) 27%
(C) 30%
(D) 17%
उत्तर:
27%.

प्रश्न 2.
भारत में अनुसूचित जातियां लगभग कितने प्रतिशत हैं?
(A) 17%
(B) 27%
(C) 7%
(D) 37%.
उत्तर:
27%.

प्रश्न 3.
अनुसूचित जातियां, अन्य जातियों से किस आधार पर पृथक् हैं?
(A) अस्पृश्यता
(B) धार्मिक अशुद्धता
(C) सामाजिक प्रतिबंध
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
सबसे पहले हरिजन शब्द का प्रयोग किसने किया था?
(A) अंबेदकर
(B) महात्मा गांधी
(C) संविधान
(D) घूर्ये।
उत्तर:
महात्मा गांधी।

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प्रश्न 5.
नागरिक अधिकार संरक्षण कानून कब पास हुआ था?
(A) 1975
(B) 1976
(C) 1977
(D) 1978
उत्तर:
1976

प्रश्न 6.
इनमें से धार्मिक निर्योग्यता चुनो।
(A) धार्मिक पुस्तकें पढ़ने पर पाबंदी
(B) धार्मिक संस्कार करने की पाबंदी
(C) मंदिरों में जाने पर पाबंदी।
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 7.
संविधान के अनुसार कौन-सा वर्ग पिछड़ा है?
(A) जिसके पास पैसा नहीं है
(B) जो सामाजिक तथा शैक्षिक आधार पर पिछड़े हों
(C) धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग
(D) अस्पृश्य समूह।
उत्तर:
जो सामाजिक तथा शैक्षिक आधार पर पिछडे हों।

प्रश्न 8.
संविधान के किस अनुच्छेद में राष्ट्रपति को जनजातियों को अनुसूचित जनजाति में घोषित करने का प्रावधान
(A) 342 में
(B) 346 में
(C) 356 में
(D) 370 में।
उत्तर:
342 में।

प्रश्न 9.
कौन-सा कथन असत्य है?
(A) आरक्षण का लाभ सभी संबंधित जातियों को समान रूप से मिलता है
(B) आरक्षण का आधार जाति नहीं आर्थिक होना चाहिए
(C) आरक्षण का लाभ संबंधित जातियों के कुछ ऊपरी सतह के व्यक्ति ही ले पाए हैं
(D) आरक्षण अंतर्जातीय तनावों में वृद्धिकारक है।
उत्तर:
आरक्षण का लाभ सभी संबंधित जातियों को समान रूप से मिलता है।

प्रश्न 10.
अनुसूचित जातियों को हरिजन (नाम) किसने कहा?
(A) नेहरू जी
(B) गांधी जी
(C) तुकाराम
(D) नामदेव।
उत्तर:
गांधी जी।

प्रश्न 11.
1991 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति की प्रतिशत संख्या थी
(A) 6.28%
(B) 7.28%
(C) 8.28%
(D) 9.28%
उत्तर:
7.28%

प्रश्न 12.
नारी को किसका प्रतीक माना जाता है?
(A) पैसे का
(B) बच्चे पैदा करने का
(C) ज्ञान का
(D) समाज का।
उत्तर:
ज्ञान का।

प्रश्न 13.
प्रतिकूल लिंग अनुपात के लिए कौन-सी प्रवृत्ति ज़िम्मेदार है?
(A) पुत्र को वरीयता
(B) पुत्रियों से भेदभाव
(C) दहेज प्रचलन
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
पुत्र को वरीयता।

प्रश्न 14.
आर्थिक स्वतंत्रता के कारण स्त्रियों में कौन-सी प्रवृत्ति आगे आ रही है?
(A) विवाह न करने की प्रवृत्ति
(B) तलाक दर में बढ़ोत्तरी
(C) छोटा परिवार रखने की प्रवृत्ति
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 15.
विधवा विवाह का सबसे अधिक प्रचार किसने किया था?
(A) दयानंद सरस्वती
(B) विवेकानंद
(C) राजा राममोहन राय
(D) ईश्वर चंद्र विद्यासागर।
उत्तर:
ईश्वरचंद्र विद्यासागर।

प्रश्न 16.
किस काल को स्त्रियों के लिए काला युग कहा जाता है?
(A) मध्य काल
(B) वैदिक काल
(C) उत्तर वैदिक काल
(D) आधुनिक काल।
उत्तर:
मध्य काल।

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प्रश्न 17.
किस कानून ने बहुविवाह प्रथा को समाप्त कर दिया था?
(A) हिंदू विवाह एक्ट 1955
(B) हिंदू उत्तराधिकार एक्ट 1956
(C) अस्पृश्यता अपराध एक्ट 1955
(D) दहेज निरोधक एक्ट 1961
उत्तर:
हिंदू विवाह एक्ट, 1955.

प्रश्न 18.
किस युग में नारी को देवी तथा शक्ति का नाम दिया गया था?
(A) वैदिक युग
(B) उत्तर वैदिक काल
(C) मध्य युग
(D) आधुनिक युग।
उत्तर:
वैदिक युग।

प्रश्न 19.
विधवाओं के लिए आश्रमों की व्यवस्था किसने शुरू की थी?
(A) महर्षि कार्वे
(B) स्वामी दयानंद
(C) ज्योतिबा फूले
(D) विवेकानंद सरस्वती।
उत्तर:
महर्षि कार्वे।

प्रश्न 20.
केंद्रीय परिवार में आजकल स्त्री का पुरुष के साथ क्या संबंध है?
(A) नौकरानी का
(B) साथी का
(C) रिश्तेदार का
(D) सिर्फ बच्चों की माँ का।
उत्तर:
साथी का।

प्रश्न 21.
कौन-से काल में नारी की सामाजिक प्रस्थिति पुरुषों के समान थी?
(A) वैदिक काल
(B) मध्य काल
(C) आधुनिक काल
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
वैदिक काल।

प्रश्न 22.
वी० पी० सिंह सरकार ने 27% आरक्षण की घोषणा कब की थी?
(A) 13 अगस्त, 1990
(B) जनवरी, 1991
(C) 26 जनवरी, 1992.
उत्तर:
13 अगस्त, 1990.

प्रश्न 23.
निम्नलिखित में से कौन-सा वर्ग पिछड़ा नहीं माना जाता है?
(A) अनुसूचित जाति
(B) अनुसूचित जनजाति
(C) अन्य पिछड़ा वर्ग
(D) सामान्य वर्ग।
उत्तर:
सामान्य वर्ग।

प्रश्न 24.
2001 की जनगणना निम्नोक्त में से किस राज्य में जनजाति जनसंख्या है?
(A) हरियाणा
(B) पंजाब
(C) दिल्ली
(D) असम।
उत्तर:
असम।

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में से कौन-सा निम्न जातियों का समूह है?
(A) अनुसूचित जातियाँ
(B) अनुसूचित जनजातियाँ
(C) उच्च जातियाँ
(D) सामान्य वर्ग।
उत्तर:
अनुसूचित जातियाँ।

प्रश्न 26.
2001 की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से किस राज्य में जनजातीय जनसंख्या नहीं है?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) असम
(C) मेघालय
(D) हरियाणा।
उत्तर:
हरियाणा।

प्रश्न 27.
मंडल आयोग ने निम्नोक्त में से किसकी पहचान की?
(A) अन्य पिछड़ा वर्ग की।
(B) अनुसूचित जाति की
(C) अनुसूचित जनजाति की
(D) धार्मिक अल्पसंख्यक की।
उत्तर:
अन्य पिछड़ा वर्ग की।

प्रश्न 28.
अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित आयोग कौन-सा है?
(A) श्रीनिवास
(B) कुरियन
(C) मंडल
(D) गांधी।
उत्तर:
मंडल।

प्रश्न 29.
निम्नलिखित में से किस वर्ष वर्ग जातीय आधार पर जनगणना नहीं हुई?
(A) 1921
(B) 1931
(C) 2001
(D) 2011
उत्तर:
2001

प्रश्न 30.
भारतीय समाज में निम्नलिखित में से किस श्रेणी के लिए संविधान में विशेष अधिकारों का प्रावधान नहीं है?
(A) अनुसूचित जाति
(B) अनुसूचित जनजाति
(C) अन्य पिछड़ा वर्ग
(D) सामान्य वर्ग।
उत्तर:
सामान्य वर्ग।

प्रश्न 31.
‘पिछड़े वर्ग’ आयोग की रिपोर्ट कब पेश की गई थी?
(A) 1852 में
(B) 1853 में
(C) 1952 में
(D) 1953 में।
उत्तर:
1953 में।

प्रश्न 32.
निम्न में से कौन सामाजिक स्तरीकरण के आधार हैं?
(A) जाति
(B) वर्ग
(C) लिंग
(D) ये सभी।
उत्तर:
ये सभी।

प्रश्न 33.
निम्न में से कौन-कौन से अन्यथा सक्षम की श्रेणी में आते हैं?
(A) दृष्टि बाधित
(B) अपाहिज
(C) शारीरिक रूप से बाधित
(D) ये सभी।
उत्तर:
ये सभी।

प्रश्न 34.
बहिष्कार, अनादर और शोषण-ये किसके आयाम हैं?
(A) जाति के
(B) जनजाति के
(C) अस्पृश्यता के
(D) उपर्युक्त सभी के।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी के।

प्रश्न 35.
स्त्री पुरुष तुलना लिखी गई।
(A) 1782 में
(B) 1882 में
(C) 1982 में
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
1982 में।

प्रश्न 36.
चार वर्षों का वर्गीकरण लगभग कितने साल पुराना है?
(A) 2000
(B) 3000
(C) 4000
(D) 5000
उत्तर:
3000

प्रश्न 37.
जनजातीय जनसंख्या का कितने प्रतिशत मध्य भारत में रहता है?
(A) 50%
(B) 65%
(C) 85%
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
65%

प्रश्न 38.
निम्न में से कौन-सा सामाजिक भेदभाव का स्पष्ट रूप है?
(A) महिलाएँ
(B) अन्य पिछड़े वर्ग
(C) अस्पृश्यता
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
अस्पृश्यता।

प्रश्न 39.
सामाजिक विषमता एवं सामाजिक बहिष्कार सामाजिक है, क्योंकि :
(A) यह व्यक्ति से संबंधित है
(B) यह समूह से संबंधित है
(C) यह सामाजिक है, आर्थिक नहीं
(D) (B) व (C) दोनों हैं।
उत्तर:
(B) व (C) दोनों है।

प्रश्न 40.
जनजातीय जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग पूर्वोत्तर राज्यों में निवास करता है?
(A) 2.5%
(B) 4.5%
(C) 11%
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
11%

प्रश्न 41.
निम्न में से क्या हमारे समाज की विशेषताओं में सबसे बड़ी चिंता का विषय रहा है?
(A) असीमित विषमता
(B) अपवर्जन
(C) बहिष्कार
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
उपरोक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अन्य पिछड़ा वर्ग क्या होता है?
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग कौन से हैं?
उत्तर:
जो लोग मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं वे पिछड़े वर्ग में आते हैं। अनुसूचित जनजातियां, अनुसूचित जातियां, छोटे किसान, भूमिहीन लोग सभी इस श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 2.
सत्य शोधक समाज की स्थापना क्यों तथा किसने की थी?
उत्तर:
सत्य शोधक समाज की स्थापना 1873 में ज्योतिबा फूले ने की थी। क्योंकि वे पश्चिमी भारत के पिछड़े वर्गों को ऊपर उठाना चाहते थे।

प्रश्न 3.
सत्य शोधक समाज के आंदोलन को क्या नाम दिया गया था?
उत्तर:
सत्य शोधक समाज के आंदोलन को सांस्कृतिक क्रांति का नाम दिया गया था।

प्रश्न 4.
झूम खेती या स्थानांतरित खेती कौन करता है?
उत्तर:
झूम खेती या स्थानांतरित खेती जनजाति के लोग करते हैं।

प्रश्न 5.
भारत की सबसे ज्यादा उन्नति करने वाली जनजाति कौन सी है?
उत्तर:
भारत की सबसे ज़्यादा उन्नति करने वाली जनजाति नागा जनजाति है।

प्रश्न 6.
नागा जाति …………………. में रहती है।
उत्तर:
नागा जाति नागालैंड में रहती है।

प्रश्न 7.
टोडा जनजाति किस पशु की पूजा करती है?
उत्तर:
टोडा जनजाति में भैंस की पूजा की जाती है।

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प्रश्न 8.
किस जनजाति में गांव को मुंड कहते हैं?
उत्तर:
टोडा जनजाति में गांव को मुंड कहते हैं।

प्रश्न 9.
अस्पृश्यता अधिनियम का खाका किसने तैयार किया था?
उत्तर:
अस्पृश्यता अधिनियम का खाका डॉ० कैलाशनाथ माटजू ने तैयार किया था।

प्रश्न 10.
भारत की सबसे बड़ी जनजाति कौन-सी है?
उत्तर:
संथाल।

प्रश्न 11.
संथाल जनजाति कहां पायी जाती है?
उत्तर:
बिहार तथा झारखंड में।

प्रश्न 12.
खासी जनजाति में किस प्रकार का समाज पाया जाता है?
उत्तर:
खासी जनजाति में मात-सत्तात्मक समाज पाया जाता है।

प्रश्न 13.
टोटम क्या होता है?
उत्तर:
टोटम कोई प्रतीक या चिन्ह होता है जिसको पवित्र मानकर उसकी पूजा की जाती है। यह कोई जानवर, पेड़, पौधा, पत्थर इत्यादि भी हो सकता है।

प्रश्न 14.
किस राज्य में जनजातियों की संख्या सबसे अधिक है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश में सबसे अधिक जनजातियां रहती हैं।

प्रश्न 15.
भारत की कितने प्रतिशत जनसंख्या पिछड़ी जातियों की है?
उत्तर:
52.04% जनसंख्या।

प्रश्न 16.
हरिजन छात्रों को छात्रवृत्ति तथा मार्ग व्यय देने का कार्यक्रम कब शुरू हुआ था?
उत्तर:
हरिजन छात्रों को छात्रवृत्ति तथा मार्ग व्यय देने का कार्यक्रम 1952-53 में शुरू हुआ था।

प्रश्न 17.
गांधी जी ने अस्पृश्य जातियों को क्या नाम दिया था?
अथवा
अनुसूचित जाति को हरिजन (नाम) किसने कहा?
अथवा
हरिजन शब्द से आप क्या समझते हैं तथा यह किसने दिया?
अथवा
हरिजन शब्द का अर्थ दीजिए।
उत्तर:
गांधी जी ने अस्पृश्य जातियों को हरिजन का नाम दिया था। हरि का अर्थ है भगवान् तथा जन का अर्थ है बच्चे। इस तरह हरिजन का अर्थ है भगवान् के बच्चे।

प्रश्न 18.
डॉ० बी० आर० अंबेदकर ने क्यों तथा किस धर्म को अपनाया था?
उत्तर:
डॉ० बी० आर० अंबेदकर ने अस्पृश्यता के अभिशाप से तंग आकर अपनी जाति के लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था।

प्रश्न 19.
गोलमेज़ सम्मेलन कितने तथा कब हुए थे?
उत्तर:
1931-32 में तीन गोलमेज़ सम्मेलन हुए थे।

प्रश्न 20.
डॉ० अंबेदकर ने गोलमेज़ सम्मेलन में क्या मांग रखी थी?
उत्तर:
डॉ० अंबेदकर ने गोलमेज़ सम्मेलन में हरिजनों के लिए स्वतंत्र मताधिकार की मांग रखी थी।

प्रश्न 21.
क्या हरिजनों को गोलमेज़ सम्मेलन में अलग मताधिकार मिल गया था?
उत्तर:
जी हां, मिल गया था।

प्रश्न 22.
अस्पृश्यता अपराध कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
अस्पृश्ता अपराध कानून 1955 में पास हुआ था।

प्रश्न 23.
अस्पृश्यता कानून में क्या प्रावधान था?
उत्तर:
अस्पृश्यता कानून में यह प्रावधान था कि अस्पृश्यता को बढ़ावा देना कानूनन जुर्म है। जो कोई इस का प्रयोग करेगा उसे 6 महीने कैद या जुर्माना या दोनों इकट्ठे हो सकते हैं।

प्रश्न 24.
पूना पैक्ट कब और किन में हुआ था?
उत्तर:
पूना पैक्ट 1931 में महात्मा गांधी तथा लॉर्ड इर्विन में हुआ था।

प्रश्न 25.
पूना पैक्ट में अस्पृश्य जातियों के लिए क्या प्रावधान था?
उत्तर:
पूना पैक्ट के अनुसार अस्पृश्य जातियों को समाज का अंग समझा गया।

प्रश्न 26.
अस्पृश्य जातियों को अनुसूचित नाम कब से दिया गया?
उत्तर:
1935 में अस्पृश्य जातियों को अनुसूचित जातियों का नाम दिया गया।

प्रश्न 27.
नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम क्यों तथा कब पास हुआ था?
उत्तर:
1955 के अस्पृश्यता अपराध कानून में बहुत-सी कमियां थीं। इन कमियों को दूर करने के लिए नागरिक अधिकार संरक्षण अधिकार 1976 में पास हुआ था।

प्रश्न 28.
लोकसभा में हरिजनों के लिए कितने स्थान सुरक्षित रखे गए हैं?
उत्तर:
लोकसभा में हरिजनों के लिए 79 स्थान सुरक्षित रखे गए हैं।

प्रश्न 29.
अनुसूचित जातियों को कब और नागरिकों के समान अधिकार मिलने शुरू हो गए?
उत्तर:
आजादी के बाद अनुसूचित जातियों को और नागरिकों को समान अधिकार मिलने शुरू हो गए।

प्रश्न 30.
गांधी जी ने हरिजनों के लिए कौन-सी संस्था बनायी थी?
उत्तर:
गांधी जी ने हरिजनों के उत्थान के लिए हरिजन सेवक संघ नाम की संस्था बनायी थी।

प्रश्न 31.
अनुच्छेद 15 की धारा 7 क्या कहती है?
उत्तर:
अनुच्छेद 15 की धारा 7 के अनुसार अस्पृश्यता को बढ़ावा देने वाले को दंड दिया जाएगा।

प्रश्न 32.
पहला कांग्रेसी मंत्रिमंडल कब बना था?
उत्तर:
1936 में।

प्रश्न 33.
देश में आपात्काल (Emergency) कब लागू हुआ था?
उत्तर:
देश में आपात्काल 1975 में लागू हुआ था।

प्रश्न 34.
अनुसूचित जातियों के लिए संसद् में आरक्षण कब तक है?
उत्तर:
2020 तक।

प्रश्न 35.
बिहार राज्य पिछड़ा वर्ग संघ कब बना था?
उत्तर:
1947 में।

प्रश्न 36.
झूम कृषि कौन करता है?
उत्तर:
झूम कृषि जनजातियों के लोग करते हैं।

प्रश्न 37.
जनजाति की कोई विशेषता बताएं।
उत्तर:
यह निश्चित भू-भाग में रहती है, इनकी अपनी ही संस्कृति और भाषा होती है तथा जीवन जीने का ढंग आदिम होता है।

प्रश्न 38.
जनजातियों के लोग कौन-सी समस्याओं का सामना करते हैं?
उत्तर:
जनजातियों के लोग अशिक्षा, अत्यधिक निर्धनता, अंधविश्वास जैसी बहुत-सी समस्याओं का सामना करते हैं।

प्रश्न 39.
नागा, खासी, गोंड, संथाल, कूकी, भील इत्यादि क्या हैं?
उत्तर:
यह सब जनजातियों के नाम हैं।

प्रश्न 40.
कुछ सामाजिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
शिक्षा लेने की पाबंदी, कुओं से पानी भरने की पाबंदी, उच्च जातियों से मेल-जोल की पाबंदी इत्यादि।

प्रश्न 41.
कुछ धार्मिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
धार्मिक संस्कार करने की पाबंदी, मंदिरों में जाने की पाबंदी, धार्मिक पुस्तकें पढ़ने की पाबंदी इत्यादि।

प्रश्न 42.
निर्योग्यता का अर्थ बताएं।
उत्तर:
उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों पर लगाई जाने वाली पाबंदी को निर्योग्यता कहते हैं।

प्रश्न 43.
सुधार आंदोलन का अर्थ बताएं।
उत्तर:
स्त्रियों तथा निम्न जातियों को ऊपर उठाने के लिए चलाए गए आंदोलन को सुधार आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 44.
मंडल आयोग की मुख्य सिफ़ारिश क्या थी?
उत्तर:
पिछड़ी जातियों के लिए सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण।

प्रश्न 45.
जनजातियों के बच्चों को शिक्षा लेने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जा सकता है?
उत्तर:
उनके बच्चों को छात्रवृत्तियां देकर, मुफ्त किताबें देकर, उनके क्षेत्रों में स्कूल खोलकर उन्हें शिक्षा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

प्रश्न 46.
जनजातियों के क्षेत्रों में कैसे सुधार किया जा सकता है?
उत्तर:
उनके क्षेत्रों में यातायात के साधनों का विकास करके, उन्हें रोजगार उपलब्ध करवा कर तथा सस्ते ऋण देकर उनमें सुधार किया जा सकता है।

प्रश्न 47.
संविधान के अनुसार अनुसूचित जातियों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
संविधान के अनुसार अनुसूचित जातियों की संख्या 2 1 2 है।

प्रश्न 48.
संविधान के किस अनुच्छेद में जनजातियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है?
उत्तर:
अनुच्छेद 335.

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प्रश्न 49.
जनजातियों के लिए लोकसभा में कितने स्थान आरक्षित हैं?
उत्तर:
जनजातियों के लिए लोकसभा में 41 स्थान आरक्षित हैं।

प्रश्न 50.
राज्य विधानसभाओं में जनजातियों के लिए कितने स्थान आरक्षित हैं?
उत्तर:
राज्य विधानसभाओं में जनजातियों के लिए 527 स्थान आरक्षित हैं।

प्रश्न 51.
जनजातियों के लिए सभी सेवाओं की नौकरियों में कितने स्थान आरक्षित हैं?
उत्तर:
जनजातियों के लिए सभी सेवाओं की नौकरियों में 7.5% स्थान आरक्षित हैं।

प्रश्न 52.
पिछड़े वर्गों की क्या समस्याएं होती हैं?
उत्तर:
अशिक्षा, ऋणग्रस्तता, व्यवसाय चुनने की समस्या इत्यादि पिछड़े वर्गों की समस्याएं होती हैं।

प्रश्न 53.
काका केलकर आयोग क्यों तथा किस लिए बनाया गया था?
उत्तर:
काका केलकर आयोग 29 जनवरी, 1953 को पिछड़ों के कल्याण के लिए सुझाव देने के लिए बनाया गया था।

प्रश्न 54.
मंडल आयोग का गठन कब हुआ था और इसके अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
मंडल आयोग का गठन 20 दिसंबर, 1978 को हुआ था तथा इसके अध्यक्ष बी० पी० मंडल थे।

प्रश्न 55.
भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत अनुसूचित जनजातियों की पहचान की जाती है?
उत्तर:
अनुच्छेद 335 तथा 336.

प्रश्न 56.
डॉ० अंबेदकर ने अस्पृश्यता से तंग आकर कौन-सा धर्म अपना लिया था?
उत्तर:
डॉ० अंबेदकर ने अस्पृश्यता से तंग आकर बौद्ध धर्म अपना लिया था।

प्रश्न 57.
संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार सभी लोग सार्वजनिक तथा धार्मिक स्थानों पर जाने के लिए स्वतंत्र
उत्तर:
अनुच्छेद 330 तथा 332.

प्रश्न 58.
………………… को भारतीय समाज का स्वर्णिम युग कहते हैं।
उत्तर:
वैदिक काल को भारतीय समाज का स्वर्णिम युग कहते हैं।

प्रश्न 59.
उत्तर वैदिक काल का समय बताएं।
उत्तर:
ईसा से 600 वर्ष पहले से 300 सन् तक।

प्रश्न 60.
महात्मा गांधी ने महिलाओं के उत्थान के लिए क्या किया?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने महिलाओं को सार्वजनिक जीवन में लाने का प्रयास किया ताकि वह घर की चारदीवारी से निकल कर आत्म-निर्भर बन सकें।

प्रश्न 61.
शारदा बिल क्या था?
उत्तर:
शारदा बिल 1929 में पास हुआ था। इस बिल के अनुसार बाल विवाह पर पाबंदी लगा दी गई थी।

प्रश्न 62.
शारदा बिल के अनुसार विवाह के लिए क्या उम्र होनी चाहिए?
उत्तर:
शारदा बिल के अनुसार विवाह के लिए न्यूनतम आयु 14 वर्ष लड़कियों के लिए तथा 18 वर्ष लड़कों के लिए निश्चित की गई।

प्रश्न 63.
विधवा विवाह कानून कब पास हआ था?
उत्तर:
विधवा विवाह कानून 1856 में पास हुआ था।

प्रश्न 64.
विधवा विवाह कानून किस की कोशिशों का नतीजा था?
उत्तर:
विधवा विवाह कानून ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कोशिशों का नतीजा था।

प्रश्न 65.
किस वेद ने विधवा पुनर्विवाह को मान्यता दी है?
उत्तर:
अथर्ववेद ने विधव वाह को मान्यता दी है।

प्रश्न 66.
किसने राज्यों को लिंग, धर्म तथा जाति के आधार पर भेद न रखने को कहा है?
उत्तर:
भारतीय संविधान ने राज्यों को किसी भी प्रकार का भेद न रखने को कहा है।

प्रश्न 67.
भारत में कानून क्यों सफल नहीं हो पाए हैं?
उत्तर:
लोगों के अशिक्षित होने की वजह से कानून भारत में सफल नहीं हो पाए हैं।

प्रश्न 68.
वैदिक युग में नारी को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
वैदिक युग में नारी को देवी तथा शक्ति का नाम दिया गया था।

प्रश्न 69.
किस युग में औरतों का धार्मिक अधिकार खत्म कर दिया गया था?
उत्तर:
उत्तर वैदिक काल में औरतों का धार्मिक अधिकार खत्म कर दिया गया था।

प्रश्न 70.
बाल विवाह तथा पर्दा प्रथा क्यों शुरू हुए?
उत्तर:
विदेशी आक्रमणों की वजह से तथा रक्त शुद्धता बनाए रखने के लिए बाल विवाह तथा पर्दा प्रथा शुरू हुए।

प्रश्न 71.
स्त्रियां पुरुषों पर निर्भर क्यों थीं?
उत्तर:
अशिक्षित होने की वजह से स्त्रियां पुरुषों पर हर प्रकार से निर्भर थीं।

प्रश्न 72.
गर्भपात को कानूनी मान्यता कब मिली थी?
उत्तर:
सन 1971 में।

प्रश्न 73.
किस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाया गया था?
उत्तर:
1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष के रूप में मनाया गया था।

प्रश्न 74.
……………….. राज्य में महिलाएं पुरुषों से अधिक हैं।
उत्तर:
केरल में महिलाएं पुरुषों से अधिक हैं।

प्रश्न 75.
कब यज्ञ पूर्ण नहीं माना जाता?
उत्तर:
अगर पति पत्नी के बिना यज्ञ करे तो उस यज्ञ को पूर्ण नहीं माना जाता।

प्रश्न 76.
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर पश्चिमी नारी बन गई।

प्रश्न 77.
मुस्लिम स्त्रियों की क्या स्थिति है?
उत्तर:
मुस्लिम स्त्रियों की स्थिति आज भी दयनीय है क्योंकि उनको न तो कोई अधिकार प्राप्त है तथा आज भी मुस्लिम मर्द चार विवाह कर सकते हैं।

प्रश्न 78.
दहेज निरोधक अधिनियम प्रथम कब पास हुआ था?
उत्तर:
दहेज निरोधक अधिनियम 1961 में पास हुआ था।

प्रश्न 79.
दहेज निरोधक अधिनियम की प्रमुख धारा क्या थी?
उत्तर:
दहेज निरोधक अधिनियम के अनुसार विवाह तय करते समय या विवाह के समय अगर कोई आर्थिक शर्त रखी जाएगी तो यह दंडनीय अपराध है तथा इसके लिए सज़ा तथा जुर्माना तथा दोनों भी हो सकते हैं।

प्रश्न 80.
बालिग और नाबालिग में क्या अंतर है?
उत्तर:
बालिग की उम्र 18 साल से ऊपर तथा नाबालिग की उम्र 18 साल से कम होती है।

प्रश्न 81.
ज्ञान का प्रतीक कौन माना जाता है?
उत्तर:
ज्ञान का प्रतीक नारी मानी जाती है।

प्रश्न 82.
औरतों को वोट देने का अधिकार कब प्राप्त हुआ?
उत्तर:
औरतों को वोट देने का अधिकार 1935 में प्राप्त हुआ।

प्रश्न 83.
विवाहित स्त्रियों की संपत्ति संबंधी अधिनियम कब पास हुआ था?
उत्तर:
विवाहित स्त्रियों की संपत्ति संबंधी अधिनियम 1874 में पास हुआ था।

प्रश्न 84.
महिलाओं की भारतीय समिति की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
श्रीमती ऐनी बेसेंट ने।

प्रश्न 85.
स्त्रियों को संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिनियम कब पास हुआ था?
उत्तर:
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत स्त्रियों को भी पुरुषों के समान पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार मिल गया था।

प्रश्न 86.
किस कानून ने बहु-विवाह प्रथा को समाप्त कर दिया था?
उत्तर:
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत बहु-विवाह की प्रथा को खत्म कर दिया था।

प्रश्न 87.
किस प्रकार के विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 ने मान्यता दी थी?
उत्तर:
इस अधिनियम ने एक विवाह को मान्यता दी थी।

प्रश्न 88.
आजकल स्त्रियों की स्थिति कैसी है?
उत्तर:
आजकल स्त्रियों की स्थिति धीरे-धीरे ऊंची हो रही है।

प्रश्न 89.
संयुक्त तथा केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की कैसी स्थिति होती है?
उत्तर:
संयुक्त परिवार में स्त्रियों की निम्न स्थिति होती है तथा केंद्रीय परिवारों में उच्च स्थिति होती है।

प्रश्न 90.
स्त्रियों की स्थिति पर सुधार आंदोलनों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
बाल विवाह कम हो गए, सती प्रथा खत्म हो गई तथा विधवा विवाह होने शुरू हो गए।

प्रश्न 91.
पिछड़ा वर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो लोग मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं वे पिछड़े वर्ग में आते हैं। अनुसूचित जनजातियां, अनुसूजित जातियां, छोटे किसान, भूमिहीन लोग सभी इस श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 92.
जनजाति क्या होती है?
उत्तर:
जनजाति व्यक्तियों का वह समूह होता है जो दूर जंगलों या पहाड़ों में आदिम या पुरातन अवस्था में रहता है तथा जिसकी अपनी ही संस्कृति, भाषा, रहन-सहन, खाना-पीना होते हैं।

प्रश्न 93.
झूम कृषि किसे कहते हैं?
उत्तर:
झूम कृषि जनजाति के लोग करते हैं। जब एक स्थान पर उत्पादन कम हो जाता है तो ये लोग उस स्थान पर कृषि करना छोड़ देते हैं तथा किसी और स्थान पर जाकर वन को काटकर उस स्थान को साफ कर देते हैं। फिर वह उस स्थान पर कृषि करना शुरू कर देते हैं। इसी को झूम अथवा स्थानांतरित कृषि कहते हैं।

प्रश्न 94.
निर्योग्यता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्राचीन समय में जाति प्रथा व्याप्त थी तथा समाज उच्च और निम्न जातियों में विभाजित था। उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों पर बहुत-सी पाबंदियां लगी होती थीं। इन पाबंदियों को निर्योग्यता कहा जाता था। निर्योग्यताएं कई प्रकार की होती हैं जैसे कि सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक इत्यादि।

प्रश्न 95.
सामाजिक तथा आर्थिक निर्योग्यता का अर्थ बताएं।
उत्तर:
ऊँची जातियों के निम्न जातियों के साथ सामाजिक मेल-जोल पर पाबंदियां हुआ करती थीं। इनको निम्न जातियों की सामाजिक निर्योग्यताएं कहते थे। इसी प्रकार निम्न जातियों के लोगों को कुछ कार्य करने की पाबंदी होती थी ताकि वे उस कार्य को करके पैसे न कमा सकें। इसे आर्थिक निर्योग्यता कहते हैं।

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प्रश्न 96.
धार्मिक. निर्योग्यता क्या होती थी?
उत्तर:
प्राचीन समाज उच्च तथा निम्न जातियों में बँटा हुआ था। निम्न जातियों के मंदिरों में जाने, धार्मिक ग्रंथ पढ़ने तथा धार्मिक संस्कार करने पर पाबंदी हुआ करती थी क्योंकि निम्न जातियों को अपवित्र तथा अस्पृश्य समझा जाता था। इसको ही धार्मिक निर्योग्यताएं कहा जाता था।

प्रश्न 97.
वंचित समूह किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हरेक समाज में कुछ ऐसे समूह होते हैं जो आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक तथा राजनीतिक दृष्टि से कमज़ोर होते हैं। इन समूहों को वंचित समूह कहा जाता है। उदाहरण के लिए अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां, महिलाएं, अन्य पिछड़े वर्ग इत्यादि।

प्रश्न 98.
क्षतिपूर्ति विभेद नीति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
हरेक समाज में कुछ वंचित समूह होते हैं। जब इन वंचित समूहों को समान अवसर उपलब्ध करवाने के लिए उनके लिए विशेष अतिरिक्त अवसरों का प्रावधान किया जाए तो इस नीति को क्षतिपूर्ति विभेद नीति कहा जाता है। उदाहरण के लिए भारत में वंचित समूहों के लिए आरक्षण रखा गया है।

प्रश्न 99.
संविधान में पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए किए गए प्रावधान बताएं।
उत्तर:
संविधान में अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए प्रावधान रखे गए हैं। उन्हें शिक्षण संस्थाओं, सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया है ताकि वह सामाजिक स्थिति सुधार सकें। उन्हें अपनी भाषा, संस्कृति इत्यादि के विकास के अवसर प्रदान किए गए हैं। अल्पसंख्यकों को अपना धर्म मानने की छूट दी गई है।

प्रश्न 100.
कुछ सामाजिक निर्योग्यताओं के बारे में बताएं।
उत्तर:

  • निम्न जातियों के लिए उच्च जातियों के कुंओं से पानी लेने की पाबंदी थी।
  • निम्न जातियों को शिक्षा ग्रहण करने की पाबंदी थी।।
  • निम्न जातियां उच्च जातियों के लोगों से मेल-जोल नहीं रख सकती थीं।
  • निम्न जातियां उच्च जातियों के लोगों के सामने नहीं जा सकती थीं।

प्रश्न 101.
कुछ धार्मिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:

  • निम्न जातियों पर धार्मिक पुस्तकें पढ़ने पर पाबंदी थी।
  • निम्न जातियों के लोग मंदिरों में नहीं जा सकते थे।
  • वह धार्मिक संस्कार नहीं कर सकते थे।
  • वह मंदिरों के कुओं के नज़दीक नहीं जा सकते थे।

प्रश्न 102.
हरिजनों की सामाजिक स्थिति को कैसे ऊँचा किया जा सकता है?
उत्तर:

  • जाति प्रथा को खत्म करके उनकी सामाजिक स्थिति को ऊँचा किया जा सकता है।
  • गंदे पेशों को खत्म करना चाहिए।
  • अस्पृश्यता विरोधी प्रचार होने चाहिएं।
  • अलग-अलग प्रकार की निर्योग्यताएं खत्म होनी चाहिएं।
  • उनमें शिक्षा का प्रचार तथा प्रसार होना चाहिए।

प्रश्न 103.
भारत में कितने अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लोग रहते हैं?
उत्तर:
1991 की जनगणना के अनुसार भारत में 13.82 करोड़ लोग अनुसूचित जातियों के लोग रहते हैं जो कि देश की जनसंख्या का 16.48% हैं। सन् 2001 की जनसंख्या के अनुसार भारत में 6.7 करोड़ लोग अनुसूचित जनजातियों के है जो कि कुल जनसंख्या का 8.28% होते हैं।

प्रश्न 104.
स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले कुछ अपराध बताएं।
उत्तर:
स्त्रियों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में से कुछेक हैं दहेज हत्या, छेड़ छाड़, बलात्कार, पत्नी का शारीरिक उत्पीड़न, भ्रूण हत्या इत्यादि।

प्रश्न 105.
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर:
पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर पश्चिमी नारी बन गई। उसने शिक्षा प्राप्त करनी शुरू की जिससे उसने नौकरी करके स्वयं कमाना शुरू कर दिया।

प्रश्न 106.
अंग्रेज़ों के समय स्त्रियों के लिए बनाए कुछ कानूनों के नाम बताओ।
उत्तर:

  • सती प्रथा निरोधक अधिनियम, 1829.
  • विधवा विवाह अधिनियम, 1856.
  • विवाहित स्त्रियों का संपत्ति संबंधी अधिनियम, 1874.
  • बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929.

प्रश्न 107.
स्वतंत्रता के पश्चात् स्त्रियों के लिए बनाए कुछ कानूनों के नाम बताएं।
उत्तर:

  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954.
  • हिंद विवाह अधिनियम, 1955.
  • हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम, 1956.
  • दहेज निरोधक अधिनियम, 1961, 1986.

प्रश्न 108.
अल्पसंख्यक क्या होता है?
अथवा
अल्पसंख्यक समुदाय किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी समाज में जब जनसंख्या में कुछ लोगों का प्रतिनिधित्व कम होता है उन्हें अल्पसंख्यक कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि कुल जनसंख्या में से कोई समूह जो धर्म, जाति या किसी आधार पर कम संख्या में होते हैं उन्हें अल्पसंख्यक कहा जाता है।

प्रश्न 109.
भारत में अल्पसंख्यक शब्द किन लोगों के लिए प्रयोग होता है? उदाहरण दें।
उत्तर:
भारत में अल्पसंख्यक शब्द उन लोगों के लिए प्रयोग होता है जो धार्मिक है जो धार्मिक दृष्टि से कम पाए जाते हैं। मुसलमान, सिक्ख, बौद्ध, ईसाई, जैन धर्मों के लोग भारत में अल्पसंख्यक समूह है।

प्रश्न 110.
भारत में अल्पसंख्यकों की समस्याओं के बारे में बताएं।
उत्तर:

  • भारत में अल्पसंख्यकों में शिक्षा का अभाव है।
  • भारत में अल्पसंख्यक के नेता ठीक नहीं हैं।
  • भारत में अल्पसंख्यकों असुरक्षा की भावना के साथ जीते हैं।
  • भारत में अल्पसंख्यक अधिक निर्धन हैं।

प्रश्न 111.
भारत में हिंदुओं, सिक्खों, ईसाइयों तथा मुसलमानों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
1991 की जनसंख्या के अनुसार भारत में हिंदू कुल जनसंख्या का 79.8%, सिक्ख 1.7%; ईसाई 2.4% तथा मुसलमान 13.2% थे।

प्रश्न 112.
पश्चिमी संस्कृति का भारतीय स्त्रियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
पश्चिमी सभ्यता के भारत में आने से भारत की नारियों में जागृति आ गई। पहले जो औरत घर की चारदीवारी में घुट-घुट कर रहती थी अब वह सारे बंधन तोड़कर घर से बाहर निकल कर काम करने लग गई है। उसने समाज में फैले अन्याय तथा कुरीतियों का विरोध किया तथा अपने बारे में सोचना शुरू कर दिया है।

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प्रश्न 113.
मुस्लिम राजाओं के समय में स्त्रियों की कैसी स्थिति थी?
उत्तर:
मुस्लिम राजाओं या मध्य काल में स्त्रियों की स्थिति बहुत खराब थी। स्त्रियों को किसी प्रकार के अधिकार नहीं थे। उनको चीज़ तथा पैरों की जूती समझा जाता था। अगर किसी राजा को कोई स्त्री पसंद आ जाती थी तो वह उसे उठा लेता था। स्त्रियां घर की चारदीवारी में रहती थीं। उनका मुख्य काम बच्चे पैदा करना तथा घर की देखभाल करना होता था।

प्रश्न 114.
दहेज प्रथा कैसे पैदा हुई?
उत्तर:
हर किसी की इच्छा होती है कि उसकी लड़की का विवाह उससे उच्च परिवार में हो जिसे कि कुलीन विवाह .. कहते हैं। कुलीन विवाह की वजह से उच्च परिवार के लड़कों की मांग बढ़ गई जिस वजह से उच्च परिवार के लड़कों की कमी हो गई। इस वजह से इन लड़कों की कीमत बढ़ गई तथा दहेज प्रथा भी यहीं से शुरू हो गई।

प्रश्न 115.
दहेज निरोधक कानून 1986 में क्या प्रावधान था?
उत्तर:
पहला दहेज निरोधक कानून 1961 में पास हुआ था पर उसमें कुछ कमियां थीं। इन कमियों को दूर करने के लिए दहेज निरोधक कानून 1986 पास किया गया जिसमें यह प्रावधान था कि दहेज लेने या देने वाले व्यक्ति को 5 वर्ष की सज़ा या 15,000 रुपये जुर्माना या दोनों भी हो सकते हैं।

प्रश्न 116.
आजकल स्त्रियों की क्या स्थिति है?
उत्तर:
आजकल स्त्रियों को संपत्ति में अधिकार प्राप्त हो गए हैं। अब औरतें घरों से बाहर निकल कर दफ्तरों में काम कर रही हैं। अब औरत हर वह काम कर रही है जो पहले सिर्फ पुरुष किया करते थे। वह पढ़ रही है, नौकरी कर रही है, घर संभाल रही है। आज स्त्रियों का भी पश्चिमीकरण हो गया है।

प्रश्न 117.
संयुक्त परिवार में स्त्रियों की क्या दशा होती है?
उत्तर:
संयुक्त परिवार में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न होती है। स्त्रियों का काम घर संभालने का होता है। उनको न तो कोई अधिकार प्राप्त होता है तथा न ही वह घर से बाहर जा सकती हैं। किसी मामले में न तो उसकी सलाह ली जाती है तथा न ही उसकी बात मानी जाती है। इस तरह उसकी स्थिति काफ़ी खराब होती है।

प्रश्न 118.
केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की किस प्रकार की स्थिति होती है?
उत्तर:
केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी होती है। इन परिवारों में स्त्रियां घर से बाहर जाकर नौकरी करती हैं। घर के हर फैसले में उनकी सलाह ली जाती है तथा ज्यादातर उनकी बात मान ली जाती है क्योंकि वह पुरुष के साथ कमाने के मामले में कंधे से कंधा मिला कर खड़ी होती है। इस तरह केंद्रीय परिवारों में स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी होती है। ..

प्रश्न 119.
प्रांरभिक सुधार आंदोलनों के कौन-से नेताओं ने स्त्री सुधार में योगदान दिया था?
उत्तर:
प्रांरभिक सुधार आंदोलनों के प्रसिद्ध नेता थे राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, केशव चंद्र सेन, ज्योतिबा फूले, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, महर्षि कार्वे, गोविंद रानाडे इत्यादि। इन सभी ने स्त्रियों की निर्योग्यताओं की आलोचना की तथा स्त्री सुधार के लिए कदम उठाए।

प्रश्न 120.
असक्षमता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समाज में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो किसी बीमारी, विकलांगता अथवा बेसहारा होने के कारण स्थायी/ अस्थायी रूप से कार्य करने में अक्षम होते हैं। उनकी इस प्रकार की स्थिति को असक्षमता कहते हैं।

प्रश्न 121.
निर्धनता का असक्षमता से क्या संबंध है?
उत्तर:
निर्धनता का असक्षमता से गहरा संबंध है। इसका कारण यह है कि निर्धन स्त्रियां कपोषण, बीमारियों. अधिक लोगों में घर में दुर्घटना इत्यादि का शिकार हो जाती हैं तथा असक्षमता आ जाती है। इस कारण होकर असक्षक्त तथा विकलांग हो जाते हैं।

प्रश्न 122.
कौन-से काल में नारी की सामाजिक प्रस्थिति पुरुषों के समान थी?
उत्तर:
वैदिक काल में नारी की सामाजिक प्रस्थिति पुरुषों के समान थी।

प्रश्न 123.
कोई एक मूलभूत अधिकार बताइए।
उत्तर:
जीवन जीने का अधिकार हमारा मूलभूत अधिकार है।

प्रश्न 124.
सामाजिक विषमता में सामाजिक क्या है?
उत्तर:
सामाजिक विषमता तथा बहिष्कार सामाजिक व्यक्ति है, परंतु यह अलग-अलग समूहों के लिए है। इन्हें सामाजिक इस भावना में कहा जाता है कि यह आर्थिक नहीं है। वास्तव में यह व्यवस्थित तथा संगठनात्मक है।

प्रश्न 125.
बीसवीं शताब्दी के दौरान सन् – – – में जाति के आधार पर अंतिम जनगणना की गई।
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी के दौरान सन् 1931 में जाति के आधार पर अंतिम जनगणना की गई।

प्रश्न 126.
बी.पी. मंडल – – – आयोग के अध्यक्ष थे जिन्होंने ‘अन्य पिछड़े वर्ग’ के लिए आरक्षण की सिफ़ारिश की?
उत्तर:
बी.पी. मंडल मंडल आयोग के अध्यक्ष थे जिन्होंने ‘अन्य पिछड़े वर्ग’ के लिए आरक्षण की सिफ़ारिश की।

प्रश्न 127.
महात्मा गांधी ने निम्न जातियों के लिए किस शब्द का प्रयोग किया?
उत्तर:
महात्मा गांधी ने निम्न जातियों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया।

प्रश्न 128.
उत्तरी भारत की किसी प्रमुख जनजाति का नाम बताएँ।
उत्तर:
गद्दी उत्तरी भारत की प्रमुख जनजाति है जो अधिकतर हिमाचल प्रदेश में पाई जाती है। प्रश्न 129. निम्न जातियों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया? उत्तर:निम्न जातियों के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने किया था।

प्रश्न 130.
मलाई परत को ‘अन्य – – – वर्ग के अंतर्गत आरक्षण से बाहर रखा गया है?
उत्तर:
मलाई परत को ‘अन्य पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आरक्षण से बाहर रखा गया है।

प्रश्न 131.
‘गद्दी, लहोले, स्पीतन तथा किन्नौरे’ जनजातियाँ किस प्रदेश में पाई जाती हैं?
उत्तर:
‘गद्दी, लहोले, स्पीतन तथा किन्नौरे’ जनजातियाँ हिमाचल प्रदेश में पाई जाती हैं।

प्रश्न 132.
अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण – – – आयोग की सिफारिशों के अनुसार दिया गया।
उत्तर:
अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार दिया गया।

प्रश्न 133.
अनुसूचित जातियों का संबंध उच्च या निम्न जाति में से किससे है?
उत्तर:
अनुसूचित जातियों का संबंध निम्न जाति से है।

प्रश्न 134.
जनजातीय समाज का संबंध जाति या क्षेत्र विशेष में से किससे है?
उत्तर:
जनजातीय समाज का संबंध क्षेत्र विशेष से है।

प्रश्न 135.
भारत में लड़के के विवाह की न्यूनतम आयु ………………. वर्ष तय की गई है।
उत्तर:
भारत में लड़के के विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष तय की गई है।

प्रश्न 136.
भारत में लड़की के विवाह के लिए न्यूनतम आयु ………………. वर्ष तय की गई है।
उत्तर:
भारत में लड़की के विवाह के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष तय की गई है।

प्रश्न 137.
………………. राज्य में अनुसूचित जनजाति नहीं पाई जाती है।
उत्तर:
हरियाणा राज्य में अनुसूचित जनजाति नहीं पाई जाती है।

प्रश्न 138.
जाति, धर्म तथा जनजाति में से कौन-सा क्षेत्रीय समूह है?
उत्तर:
जाति, धर्म तथा जनजाति में से जनजाति एक क्षेत्रीय समूह है।

प्रश्न 139.
सामाजिक असमानता क्या है?
उत्तर:
समाज के अलग-अलग वर्गों में व्यापत असमानता अथवा ना बराबरी को सामाजिक असमानता कहते हैं।

प्रश्न 140.
सामाजिक स्तरीकरण की परिभाषा दें।
उत्तर:
वह व्यवस्था जो एक समाज में लोगों का वर्गीकरण करते हुए एक अधिक्रमित संरचना में इन्हें श्रेणीबद्ध करती है उसे सामाजिक स्तरीकरण कहते हैं।

प्रश्न 141.
भेदभाव क्या है?
उत्तर:
अगर कोई वर्ग किसी अन्य वर्ग के साथ कई आधारों पर अंतर रखे तो उसे भेदभाव कहा जाता है।

प्रश्न 142.
सत्यशोधक समाज के उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
सत्यशोधक समाज के उद्देश्य थे निम्न जातियों को समाज में ऊपर उठाना तथा स्त्रियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देना।

प्रश्न 143.
संस्कृतिकरण की अवधारणा किसने दी थी?
उत्तर:
संस्कृतिकरण की अवधारणा एम० एन० श्रीनिवास ने दी थी।

प्रश्न 144.
सत्यशोधक समाज की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
सत्यशोधक समाज की स्थापना ज्योतिबा फूले ने की थी।

प्रश्न 145.
अक्षमता एक ………………….. कमज़ोरी है।
उत्तर:
अक्षमता एक शारीरिक कमजोरी है।

प्रश्न 146.
जाति प्रथा में पूर्वाग्रह पाया जाता है। सत्य या असत्य।
उत्तर:
जाति प्रथा में पूर्वाग्रह पाया जाता है-सत्य।

प्रश्न 147.
सावित्री बाई फूले ने किस जाति की शिक्षा के लिए कार्य किया?
उत्तर:
सावित्री बाई फूले ने निम्न जाति की शिक्षा के लिए कार्य किया।

प्रश्न 148.
किस जाति समूह के ज्यादातर लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे (BPL) की श्रेणी में आते हैं?
उत्तर:
निम्न जाति के ज्यादातर लोग ग़रीबी की रेखा के नीचे आते हैं।

प्रश्न 149.
जनजातीय समाज की ……………….. तथा ……………….. विशेषताएं हैं।
उत्तर:
जनजातीय समाज की अलग भौगोलिक क्षेत्र तथा अलग भाषा विशेषताएं हैं।

प्रश्न 150.
भीम राम अंबेडकर का जन्म ………………. में हुआ।
उत्तर:
भीम राम अंबेडकर का जन्म 4 अप्रैल, 1891 में हुआ।

प्रश्न 151.
अछूत मानी जाने वाली जातियों का अधिक्रम में कोई स्थान नहीं है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 152.
सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़ों को क्या कहा जाता है:
उत्तर:
अन्य पिछड़े वर्ग।

प्रश्न 153.
जाति व्यवस्था ही विशेष जातियों में पैदा हुए व्यक्तियों के विरुद्ध भेदभावपूर्ण व्यवहार को लागू करती है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 154.
अस्पृश्यता को अखिल भारतीय प्रघटना मानना अनुचित है। (उचित/अनुचित)
उत्तर:
अनुचित।

प्रश्न 155.
अक्षमता एक जैविक कमज़ोरी है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 156.
बहिष्कार बहिष्कृत लोगों की इच्छाओं के विरुद्ध कार्यान्वित होता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

प्रश्न 157.
सीमांत किसान और भूमिहीन लोग निम्न जातीय समूहों में होते हैं। (सही/गलत)
उत्तर:
सही।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातियों को शिक्षा लेने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जा रहा है?
उत्तर:
जनजातियों के बच्चों को शिक्षा लेने के लिए निम्नलिखित तरीकों से प्रोत्साहित किया जा रहा है-

  • उनके बच्चों को पढ़ने के लिए छात्रवृत्तियां दी जा रही हैं।
  • उनके बच्चों में मुफ्त किताबें बांटी जाती हैं।
  • जनजातीय क्षेत्रों में स्कूल खोले जा रहे हैं।
  • विदेशों में पढ़ने के लिए इनके बच्चों को छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।
  • इनके क्षेत्रों में क्षेत्रीय कॉलेज खुल रहे हैं जिनमें इनको रोज़गार संबंधी शिक्षा दी जाती है ताकि यह पढ़-लिख कर अपना काम कर सकें।

प्रश्न 2.
जनजातियों को कौन-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
(i) जनजातीय लोग इतने दूर घने जंगलों या पहाड़ों में रहते हैं जहां यातायात के साधन तथा संचार की सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई हैं जिस वजह से वह आज के वैज्ञानिक युग की तरक्की से अनजान हैं।

(ii) इन लोगों का और जातियों के लोगों से लगातार शोषण हो रहा है। जब इन लोगों को पैसे की ज़रूरत होती है तो साहूकार बहुत ज्यादा ब्याज वसूलते हैं तथा इन की बनाई चीजें कम दाम पर खरीदते हैं। इन तरह इन का लगातार शोषण हो रहा है।

(iii) आजकल नए उद्योग लगने शुरू हो गए हैं जहां पर उद्योगों के मालिक इन लोगों को कम मजदूरी पर काम पर रख लेते हैं। कम मजदूरी की वजह से इनकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है।

(iv) आजकल नए-नए अफसर इनके क्षेत्रों में जाने लग गए हैं जहां पर अफसर इनके अंदरूनी मामलों में दखल देते हैं। इस वजह से भी इन लोगों की अफसरों के साथ समन्वय करने की समस्या आ रही है।

प्रश्न 3.
राज्य सरकारें जनजातियों के सुधार के लिए क्या-क्या कदम उठा रही हैं?
उत्तर:

  • उन्हें निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।
  • उन्हें छात्रवृत्तियां दी जा रही हैं।
  • उन्हें मुफ्त किताबें दी जा रही हैं।
  • उनकी भूमि पर सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है।
  • उनमें छोटे-छोटे उद्योगों का विकास किया जा रहा है।
  • उनके क्षेत्रों में यातायात तथा संचार के साधनों का विकास किया जा रहा है।
  • उन्हें सस्ते ऋण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
  • उनके लिए चिकित्सा, पेयजल, कानूनी सहायता इत्यादि सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है।
  • कई गैर-सरकारी संस्थाओं को इनकी मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

प्रश्न 4.
अस्पृश्यता अपराध अधिनियम में किस प्रकार की निर्योग्यताएं हटा ली गई हैं?
उत्तर:

  • अब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को मंदिर या किसी पूजा स्थल पर जाने से नहीं रोकेगा।
  • होटलों, पार्को, क्लबों इत्यादि में भी हर किसी को आने-जाने की छूट होगी।
  • अब प्रत्येक व्यक्ति किसी भी तालाब, नदी या कुएं से पीने या नहाने के लिए पानी भर सकेगा।
  • अगर कोई इन निर्योग्तायों को मानेगा तो उसे कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
1976 का नामरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम क्या था?
उत्तर:
1955 में अस्पृश्यता अपराध अधिनियम पास हुआ था। यह पास तो हो गया था पर इसमें कई कमियां थीं। सबसे पहली तो यह कि यह अच्छी तरह लागू नहीं हो पाया था। लोग अब भी अस्पृश्यता का प्रयोग करते थे। इसलिए न कमियों को दूर करने के लिए नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976 में पास हुआ था। इस अधिनियम के अंतर्गत जो कोई भी एक बार अस्पृश्यता के प्रयोग के लिए दंडित हो गया तो वह संसद् या विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएगा। कोई सरकारी कर्मचारी अगर इस का प्रयोग करेगा तो उसे दंड दिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए कदमों की रिपोर्ट हर वर्ष संसद् में पेश होगी तथा राज्य सरकारों को भी इसके बारे में निर्देश दिए गए।

प्रश्न 6.
20 सूत्री कार्यक्रम क्या था?
उत्तर:
1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपात्काल घोषित कर दिया तथा निर्बल तथा शोषित वर्ग को ऊपर उठाने के लिए 20 सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की जिस की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  • सीमा से ज्यादा भूमि भूमिहीनों को दी जाएगी।
  • बेगार प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया जाएगा।
  • खेती करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन घोषित किया जाएगा।
  • ज्यादा बिजली उत्पादन के कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
  • कपड़े में सुधार तथा उसके वितरण की व्यवस्था की जाएगी।
  • आर्थिक अपराध करने वालों को कठोर सज़ा दी जाएगी।
  • पूँजी नियोजन की व्यवस्था को सरल किया जाएगा।
  • यातायात के लिए राष्ट्रीय परमिट व्यवस्था को शुरू किया जाएगा।
  • विद्यार्थियों को जरूरी चीजें सही मूल्यों पर दी जाएंगी।
  • पढ़े-लिखे लोगों के लिए रोज़गार की ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाएगी।
  • उत्पादन बढ़ाकर वितरण प्रणाली ठीक की जाएगी।
  • ग़रीबों को घर बनाने के लिए जमीन दी जाएगी।
  • ग्रामीणों के ऊपर के कर्ज को खत्म किया जाएगा।
  • 50 लाख हक्टेयर जमीन पर सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी।
  • छोटे उद्योगों को बढ़ाने के लिए योजना बनाई जाएगी।
  • शहरों में खाली पड़ी भूमि को ग़रीबों में बांटा जाएगा।
  • तस्करी खत्म करने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे।
  • उद्योगों में मजदूरों को हिस्सा दिलाया जाएगा।
  • मध्यम वर्ग को आय कर में राहत दी जाएगी।
  • विद्यार्थियों को किताबें सस्ती कीमत पर उपलब्ध करवाई जाएंगी।

प्रश्न 7.
जनजातियों के गोत्र का महत्त्व बताओ।
उत्तर:

  • गोत्र अपने सदस्यों के व्यवहारों पर नियंत्रण रखता है। व्यक्ति को नियंत्रण में रहने की शिक्षा भी गोत्र ही देता है।
  • प्राचीन समाजों में जनजातियों की शासन व्यवस्था गोत्र के मुखिया ही किया करते थे। कई जनजातियां एक परिषद् निर्माण करती थीं जिसके सदस्य गोत्रों के मुखिया हुआ करते थे।

प्रश्न 8.
सुधार आंदोलनों से स्त्रियों की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
सुधार आंदोलन राजा राममोहन राय की कोशिशों के बाद शुरू हुए तथा उसके बाद कई और समाज सुधारक आगे आए जिन्होंने स्त्रियों की स्थिति ऊपर उठाने के लिए बहुत काम किए जिनकी वजह से स्त्रियों की स्थिति में निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

  • अब विधवा विवाह होने शुरू हो गए।
  • अब सती प्रथा काफी कम हो गई थी।
  • बाल विवाह भी कम हो गए थे।
  • स्त्रियों की शिक्षा पर ध्यान दिया जाने लगा।
  • जाति प्रथा कमज़ोर हुई जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति में काफी सुधार हुए।

प्रश्न 9.
वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति किस प्रकार की थी?
उत्तर:
वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी थी क्योंकि:

  • स्त्रियों को परिवार में काफ़ी अधिकार प्राप्त थे।
  • स्त्रियों को शिक्षा लेने, संपत्ति रखने का अधिकार प्राप्त था।
  • स्त्रियां यज्ञ करती थीं।
  • ज्ञान के मामले में वे पुरुषों के बराबर थीं।
  • विधवा विवाह प्रचलित था।
  • समाज में स्त्रियों का बहुत सम्मान था।
  • उनका अपमान समाज का अपमान माना जाता था।

प्रश्न 10.
आधुनिक समय में औरतों की स्थिति किस प्रकार की है?
अथवा
आधुनिक युग में नारी की स्थिति स्पष्ट कीजिए।
अथवा
स्वतंत्रता के पश्चात् महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अब स्त्रियों की स्थिति काफी अच्छी है क्योंकि-
(i) अब औरत घर में सिर्फ दासी नहीं रह गई है। उसको घर में हर प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं। घर के प्रत्येक काम में उसकी सलाह ली जाती है तथा उसकी बात मानी जाती है। घर का हर काम खाना बनाने से बच्चों की शिक्षा तक सब उसके सहारे चलता है।

(ii) आजकल विधवा विवाह हो रहे हैं, बाल-विवाह बहुपत्नी विवाह खत्म हो गए हैं। औरतों को तलाक का अधिकार मिल गया है। औरतें शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर जा रही हैं।

(iii) आजकल औरतों को संपत्ति रखने का अधिकार, पिता की संपत्ति में हिस्सा लेने का अधिकार प्राप्त है। औरतें घर से बाहर जा कर नौकरियां कर रही हैं तथा आर्थिक तौर पर आत्म निर्भर हो रही हैं।

(iv) अब औरतों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई सविधाएं दी जा रही हैं। मफ्त शिक्षा, छात्रवत्तियां इत्यादि कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे औरतों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब उनमें साक्षरता दर भी काफी तेजी से बढ़ रही है।

(v) अब स्त्रियां राजनीति में भी आगे आ रही हैं, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, जयललिता, अंबिका सोनी, सुषमा स्वराज, उमा भारती, वसुंधरा राज सिंधिया इत्यादि कुछ ऐसे नाम हैं जो राजनीतिक क्षेत्र में काफ़ी आगे हैं।

प्रश्न 11.
स्त्रियों की स्थिति में सुधार के क्या कारण हैं?
उत्तर:
भारत में आज स्त्रियों की स्थिति में काफ़ी सुधार आया जिसके कारणों का वर्णन निम्नलिखित है-
(i) स्त्रियों की स्थिति सुधारने के लिए सबसे पहले प्रयास शुरू किए गए थे जब राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के विरुद्ध तथा विधवा विवाह के लिए आवाज़ उठायी थी। उनकी वजह से 1829 में सती प्रथा निरोधक कानून बना तथा 1856 में विधवा विवाह कानून से विधवा विवाह को मंजूरी मिल गई थी जिस कारण से भारतीय समाज के दो अभिशाप दूर हो गए।

(ii) इनके बाद भारत में कई संस्थाएं बनीं जैसे कि प्रार्थना समाज, सत्य शोधक समाज, आर्य समाज, ब्रमों समाज जिन्होंने स्त्रियों के लिए आवाज़ उठायी, उन्होंने स्त्रियों की शिक्षा तथा उनके उत्थान पर भी जोर दिया। रामाबाई रानाजे, गोविंद रानाडे इत्यादि नाम इनमें काफ़ी प्रमुख हैं।

(iii) इनके बाद श्रीमती ऐनी बेसेंट, कस्तूरबा गांधी इत्यादि ने भी औरतों के उत्थान के लिए आवाज़ उठाई तथा उनकी स्थिति सुधारने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

(iv) आज़ादी के बाद कई तरह के कानून पास हुए जिन की मदद से औरतों को बहुत से अधिकार प्राप्त हो गए।

(v) पश्चिमी शिक्षा के प्रभाव में स्त्रियों की स्थिति में काफी परिवर्तन आए।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 12.
आज़ादी के बाद पास हुए ऐसे अधिनियमों के नाम बताओ जिन की वजह से स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन हुए।
उत्तर:

  • हिंदू विवाह अधिनियम 1955।
  • विशेष विवाह अधिनियम 1954।
  • हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम 1956।
  • हिंद गोद लेना तथा भरण पोषण अधिनियम 1956।
  • अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955।
  • हिंदू नाबालिग तथा संरक्षण अधिनियम 1956।
  • बाल विवाह निरोधक अधिनियम 19781
  • दहेज निरोधक अधिनियम 1961।
  • अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 1956।
  • हिंदू विवाह तथा विवाह विच्छेद अधिनियम 1976।
  • दहेज निरोधक अधिनियम 1961, 1986।
  • मातृत्व हित लाभ अधिनियम 19761
  • मुस्लिम महिला तलाक के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम 1986।

प्रश्न 13.
भारतीय समाज में स्त्रियों की निम्न दशा के क्या कारण थे?
उत्तर:
भारतीय समाज में स्त्रियों की निम्न दशा के निम्नलिखित कारण थे-

  • भारतीय समाज में परुष प्रधानता की वजह से।
  • औरतों का पुरुषों पर आर्थिक तौर पर निर्भर होने की वजह से।
  • औरतों के अशिक्षित होने की वजह से।
  • संयुक्त परिवारों में स्त्रियों के दबे रहने की वजह से।
  • कई प्रकार की स्त्री विरोधी प्रथाओं जैसे बाल विवाह, सती प्रथा, विधवा विवाह के न होने की वजह से।
  • हिंदू धार्मिक ग्रंथों की वजह से।

प्रश्न 14.
स्त्रियों को किस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए?
उत्तर:

  • स्त्रियों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए जिससे वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें।
  • स्त्रियों की शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे वे आर्थिक तौर पर आत्म निर्भर हो सकें।
  • स्त्रियों की शिक्षा उनके स्वास्थ्य, खाने-पीने, परिवार नियोजन इत्यादि के बारे में होनी चाहिए।
  • ऐसी शिक्षा होनी चाहिए जिससे उनका हर प्रकार से विकास हो सके।

प्रश्न 15.
सती प्रथा के बारे में बताएं।
उत्तर:
सती प्रथा पुराने समय में प्रचलित थी। इस प्रथा में अगर किसी पत्नी के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उस औरत को उसके पति की चिता पर जीवित ही बिठा दिया जाता था ताकि वह भी अपने पति के साथ ही मर जाए। उस औरत को सती कहते थे तथा इस प्रथा को सती प्रथा कहा जाता था। इसमें औरतों को सती होने के लिए मज़बूर किया जाता था। अगर पत्नी अपनी मर्जी से तैयार हो जाती थी तो ठीक है नहीं तो उसे जबरदस्ती पति की जलती चिता में डाल दिया जाता था। इसका विरोध सबसे पहले राजा राममोहन राय ने किया था तथा उनके प्रयासों की वजह से ही उस समय के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिंक (Lord William Bentinck) ने इस प्रथा के विरुद्ध कानून पास किया जिसका नाम सती प्रथा निवारण अधिनियम 1829 था।

प्रश्न 16.
शिक्षा ने महिलाओं के हालात बदलने में कैसे मदद की है?
उत्तर:
शिक्षा ने महिलाओं के हालात बदलने में बहुत मदद की है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

  • शिक्षा की वजह से औरतों में अपने अधिकारों के प्रति जागृति पैदा हुई है जिस वजह से वह अब अपने अधिकारों के लिए लड़ने लग गई हैं।
  • शिक्षा की वजह से औरतें अब घर से बाहर निकल कर दफ्तरों में काम करने लग गई हैं।
  • बाहर काम करने की वजह से औरतें पैसा कमाने लग गई हैं जिस वजह से वे आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर हो गई हैं।
  • शिक्षा प्राप्त करने की वजह से औरतों की सामाजिक स्थिति अच्छी हो गई है। अब कोई भी उनका शोषण करने से पहले दस बार सोचता है क्योंकि अब औरतों की सुरक्षा के लिए बहुत से कानून बन गए हैं।
  • शिक्षा प्राप्त करने की वजह से अब औरतें राजनीतिक क्षेत्रों में भी काफ़ी आगे आ रही हैं। सोनिया गांधी, सुषमा स्वराज, अंबिका सोनी इत्यादि इसकी उदाहरणें हैं।
  • अब औरतें शिक्षा प्राप्त करने की वजह से अंतरिक्ष तक में जाने लग गई हैं। कल्पना चावला इसका उदाहरण है। अब औरतें वे सारे काम करने लग गई हैं जो पहले मर्दो के होते थे। जैसे सेना, पुलिस या जहाज़ तक उड़ा रही हैं।
  • शिक्षा प्राप्त करने की वजह से औरतें दफ्तरों में काम करने लग गई हैं, जिस वजह से संयुक्त परिवार टूट कर केंद्रीय परिवारों में बदल गए हैं तथा औरतों की स्थिति परिवारों में अच्छी हो गई है।

प्रश्न 17.
अनुसूचित जातियों की समस्याएं बताएं।
उत्तर:

  • अनुसूचित जातियों की सामाजिक स्थिति निम्न होती थी।
  • इनको सार्वजनिक स्थानों के प्रयोग पर प्रतिबंध होता था।
  • इनके साथ सार्वजनिक मेल-जोल पर प्रतिबंध होता था।
  • ये जातियां किसी उच्च जाति के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं कर सकती थे।
  • अनुसूचित जातियों को शिक्षा लेने का भी अधिकार नहीं था।
  • यह लोग धार्मिक स्थानों पर नहीं जा सकते थे।

प्रश्न 18.
अनुसूचित जातियों पर थोपी गई निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:

  • अनुसूचित जातियों के लोग धार्मिक कर्मकांड नहीं कर सकते थे तथा उनको धार्मिक ग्रंथों, उपनिषदों, श्लोकों को पढ़ने की मनाही थी।
  • अनुसूचित जातियों के लोग सार्वजनिक स्थानों जैसे कि मंदिर, कुओं, होटलों, पंचायतों, सड़कों इत्यादि का प्रयोग भी नहीं कर सकते थे।
  • अनुसूचित जातियों के लोग शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते थे क्योंकि प्राचीन शिक्षा धर्म पर आधारित होती थी तथा वह धार्मिक मूल्यों को पढ़ नहीं सकते थे।
  • अनुसूचित जातियों के लोग उच्च जातियों के घरों पर कार्य करते थे जिसकी एवज में थोड़ा सा भोजन तथा थोड़े से पैसे प्राप्त हो जाते थे। इस कारण उनकी स्थिति काफ़ी निम्न थी।
  • वह उच्च जातियों के सामने नहीं आ सकते थे तथा उनके साथ संबंध रखने की भी पाबंदी थी।

प्रश्न 19.
निर्योग्यताओं के परिणाम बताएं।
उत्तर:

  • निर्योग्यताओं के कारण उच्च तथा निम्न जातियों में संघर्ष बढ़ गया।
  • निर्योग्यताओं का एक ग़लत परिणाम यह निकला कि निम्न जातियों के लोगों का आर्थिक जीवन काफ़ी निम्न . हो गया।
  • निर्योग्यताओं के कारण अनुसूचित जातियों के ऊपर बहुत अत्याचार होते थे।
  • इन निर्योग्यताओं के कारण अनुसूचित जातियों के लोगों का जीवन स्तर काफ़ी निम्न हो गया।

प्रश्न 20.
अनुसूचित जातियों की धार्मिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
अनुसूचित जातियों को धार्मिक क्रियाओं, धार्मिक कर्मकांडों को करने की मनाही थी। इसके साथ ही वह धार्मिक ग्रंथ, उपनिषद् श्लोक इत्यादि भी पढ़ नहीं सकते थे। प्राचीन समय में शिक्षा धर्म पर आधारित होती थी। इसलिए अनुसूचित जातियों के लोगों को धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने की मनाही थी। वह मंदिरों में नहीं जा सकते थे तथा पूजा-पाठ भी नहीं कर सकते थे। यहां तक कि वह अपने घरों में धार्मिक ग्रंथ नहीं रख सकते थे, न ही पढ़ सकते थे तथा न ही धार्मिक कर्मकांड कर सकते थे।

प्रश्न 21.
अनुसूचित जातियों की सामाजिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
इन लोगों को हिंदू समाज का अंग नहीं, बल्कि समाज से अलग समझा जाता था। वह शहर अथवा गांव ते थे। वह उच्च जातियों के सामने भी नहीं आ सकते थे। यदि वह उनके सामने आ जाते थे तो उन्हें दंड दिया जाता था। यह लोग सार्वजनिक स्थानों का प्रयोग नहीं कर सकते थे। यह लोग मंदिरों, कुओं, सड़कों इत्यादि का प्रयोग नहीं कर सकते थे। ये लोग शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर सकते थे। यह लोग सूर्य से अस्त रहते ही गांव में अपना कार्य करने आते थे तथा सूर्यास्त में ही वापिस चले जाते थे।

प्रश्न 22.
अनुसूचित जातियों की शैक्षिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
प्राचीन समय में शिक्षा धर्म पर आधारित होती थी तथा प्रत्येक व्यक्ति धार्मिक शिक्षा प्राप्त करता था परंतु अनुसूचित जातियों के व्यक्तियों को शिक्षा लेने की आज्ञा नहीं थी क्योंकि उनको धार्मिक शिक्षा लेने अथवा धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने की आज्ञा नहीं थी। उनको किसी भी शैक्षिक संस्था अथवा गुरुकुल में दाखिला नहीं मिलता था। यदि किसी को किसी तरह प्रवेश मिल भी जाता था तो उसके साथ काफ़ी ग़लत व्यवहार किया जाता था।

प्रश्न 23.
अनुसूचित जातियों की आर्थिक निर्योग्यताएं बताएं।
उत्तर:
अनुसूचित जातियों के मुख्य पेशे सफ़ाई करना, गंदगी उठाना, चमड़े का कार्य करना इत्यादि थे। समाज में इन पेशों को बहुत निम्न दृष्टि से देखा जाता था जिस कारण इन अनुसूचित जातियों के लोगों को उनके कार्य के लिए बहुत ही कम पैसे मिलते थे। कम पैसे मिलने के कारण उन्हें दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता था। यदि कोई विवाह, जन्म अथवा मृत्यु का मौका आ जाए तो उन्हें साहूकारों से कर्ज़ लेना पड़ता था तथा वह तमाम आयु कर्जा वापिस नहीं कर सकते थे। इस प्रकार अपने कार्य की कम मजदूरी मिलने के कारण उनके जीवन में काफ़ी निर्धनता थी।

प्रश्न 24.
संविधान के Article 16. की व्याख्या करें।
उत्तर:
संविधान के Article 16 के अनुसार देश के किसी भी नागरिक से धर्म, जाति, रंग, प्रजाति इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। सरकार किसी के साथ भी किसी आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगी। सरकार अनुसूचित जातियों के लोगों को सरकारी संस्थाओं में नियुक्त करने के प्रयास करेगी।

प्रश्न 25.
संविधान के Article 17. की व्याख्या करें।
उत्तर:
संविधान के Article 17 में यह कहा गया है कि अस्पश्यता को मानना एक दंडनीय अपराध है तथा इसको देश में से ख़त्म किया जाता है। सभी के लिए अस्पृश्यता की practice करना मना है। यदि कोई अस्पृश्यता अथवा अस्पृश्य शब्द का प्रयोग करता है तो उसे देश की न्याय व्यवस्था के अनुसार दंड दिया जाएगा।

प्रश्न 26.
संविधान के Article 338. की व्याख्या करें।
उत्तर:
संविधान के Article 338 में यह कहा गया है कि राष्ट्रपति राज्यों में राज्यपालों को अनुसूचित जातियों तथा कबीलों के विकास के लिए एक विशेष अधिकारी को नियुक्त करने के लिए निर्देश देगा। वह अधिकारी अनुसूचित जातियों तथा कबीलों से संबंधित सभी समस्याओं के विषय पर खोज करके उनके हल के संबंध में रिपोर्ट राज्यपाल तथा राष्ट्रपति को देगा। अब इस उपबंध को ख़त्म कर दिया गया है।

प्रश्न 27.
अस्पृश्यता अपराध कानून 1955 क्या था?
उत्तर:
प्राचीन समय से ही भारत में अस्पृश्यता की प्रथा चली आ रही थी जिस कारण प्राचीन समय से ही निम्न जातियां दबी हुई थीं। चाहे संविधान में इस प्रथा के विरुद्ध प्रावधान रखे गए परंतु फिर भी यह प्रथा चलती रही। इसलिए भारत सरकार ने 1955 में अस्पृश्यता अपराध कानून पास किया जिसमें कहा गया है कि अस्पृश्यता की प्रथा को मानने वाले को तीन महीने की कैद अथवा 50 रुपये जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं। प्रत्येक प्रकार का सार्वजनिक स्थल अनुसूचित जातियों के लिए खोल दिया गया है। अब वह किसी भी स्थान पर जा सकते हैं, किसी भी शैक्षिक संस्था में प्रवेश पा सकते हैं। उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

प्रश्न 28.
अलग-अलग कालों में स्त्रियों की स्थिति की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी तथा ऊंची थी। इस काल में स्त्री को धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों को पूर्ण करने के लिए आवश्यक माना जाता है। उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों का आदर-सम्मान कम हो गया। बाल-विवाह शुरू हो गए जिससे उसे शिक्षा प्राप्त करनी मुश्किल हो गई। स्मृति काल में स्त्री की स्थिति और निम्न हो गई। उसे हर समय निगरानी में रखा जाता था तथा उसका सम्मान केवल मां के रूप में ही रह गया था। मध्य काल में तो जाति प्रथा के कारण उसे कई प्रकार के प्रतिबंधों के बीच रखा जाता था परंतु आधुनिक काल में उसकी स्थिति को ऊंचा उठाने के लिए कई प्रकार की आवाजें उठी तथा आज उसकी स्थिति मर्दो के समान हो गई है।

प्रश्न 29.
स्त्रियों की निम्न स्थिति के कारण बताएं।
उत्तर:

  • संयुक्त परिवार प्रथा में स्त्री को घर की चारदीवारी तथा कई प्रकार के प्रतिबंधों में रहना पड़ता था जिस कारण उसकी स्थिति निम्न हो गई।
  • समाज में मर्दो की प्रधानता तथा पितृ सत्तात्मक परिवार होने के कारण स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न हो गई।
  • बाल विवाह के कारण स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने का मौका प्राप्त नहीं होता था जिससे उनकी स्थिति निम्न हो गई।
  • स्त्रियों के अनपढ़ होने के कारण वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं थीं तथा उनकी स्थिति निम्न ही रही।
  • स्त्रियां मर्दो पर आर्थिक तौर पर निर्भर होती थीं जिस कारण उन्हें अपनी निम्न स्थिति को स्वीकार करना पड़ता था।

प्रश्न 30.
स्त्रियों की धार्मिक व आर्थिक निर्योग्यताएं बताएं।
अथवा
महिलाओं के साथ किए जाने वाले भेदभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) वैदिक काल में स्त्रियों को धार्मिक कर्म-कांडों के लिए आवश्यक माना जाता था परंतु बाल विवाह के शुरू होने से उनका धार्मिक ज्ञान ख़त्म होना शुरू हो गया जिस कारण उन्हें यज्ञों से दूर किया जाने लगा। शिक्षा प्राप्त न कर सकने के कारण उनका धर्म संबंधी ज्ञान ख़त्म हो गया तथा वह यज्ञ तथा धार्मिक कर्मकांड नहीं कर सकती थी। आदमी के प्रभुत्व के कारण स्त्रियों के धार्मिक कार्यों को बिल्कुल ही ख़त्म कर दिया गया। उसको मासिक धर्म के कारण अपवित्र समझा जाने लगा तथा धार्मिक कार्यों से दूर कर दिया गया।

(ii) स्त्रियों को बहुत-सी आर्थिक निर्योग्यताओं का सामना करना पड़ता था। वैदिक काल में तो स्त्रियों को संपत्ति रखने का अधिकार प्राप्त था परंतु समय के साथ-साथ यह अधिकार ख़त्म हो गया। मध्य काल में वह न तो संपत्ति तथा न ही पिता की संपत्ति में से हिस्सा ले सकती थी। वह कोई कार्य नहीं कर सकती थी जिस कारण उसे पैसे के संबंध में स्वतंत्रता हासिल नहीं थी। आर्थिक तौर पर वह पिता, पति तथा बेटों पर निर्भर थी।

प्रश्न 31.
स्त्रियों की स्थिति में आ रहे परिवर्तनों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • पढ़ने-लिखने के कारण स्त्रियां पढ़-लिख रही हैं।
  • औद्योगिकीकरण के कारण स्त्रियां अब उद्योगों तथा दफ्तरों में कार्य कर रही हैं।
  • पश्चिमी संस्कृति के विकास के कारण उनकी मानसिकता बदल रही है तथा उन्हें अपने अधिकारों का पता चल रहा है।
  • भारत सरकार ने उन्हें ऊपर उठाने के लिए कई प्रकार के कानूनों का निर्माण किया है जिस कारण उनकी स्थिति ऊंची हो रही है।
  • संयुक्त परिवारों के टूटने से वह घर की चारदीवारी से बाहर निकल रही है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुसूचित जाति क्या होती है? इनकी सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं का वर्णन करो।
अथवा
अनुसूचित जाति क्या है?
अथवा
अनुसूचित जातियों की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
अथवा
अनुसूचित जाति में पाये जाने वाले भेदभाव बताइए।
उत्तर:
वैदिक काल से 20वीं शताब्दी तक भारतीय समाज में हजारों वर्ग थे। सैंकड़ों वर्षों के बाद भी भारत में सभी वर्ग समान रूप से प्रगति नहीं कर पाए। बहुत-सी निर्योग्यताओं के कारण सैंकड़ों जातियां व अन्य वर्ग विकास यात्रा में काफ़ी पिछड़े रहे। अनुसूचित जाति वर्ग भारतीय समाज का प्रमुख उपेक्षित वर्ग रहा है। यह कई निम्न जातियों का समूह है।

सबसे पहले अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग साइमन कमीशन ने अप्रैल, 1935 में किया। कुछ विशेष सुविधाएं देने के लिए 429 अछूत जातियों की सूची तैयार की गई। जिन जातियों के नाम इस सूची में शामिल थे उन्हें अनुसूचित जातियां कहा जाने लगा। आज़ादी के बाद संविधान में भी निम्न जातियों की सूची अनुसूची में दी गई जिसकी संख्या में राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिमंडल की सलाह पर परिवर्तन किया जा सकता है। संविधान में इनकी संख्या 212 बताई गई है।

अनुसूचित जाति का अर्थ (Meaning of Scheduled Castes)-अनुसूचित जातियों को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है। जाति के आधार पर हुई अंतिम जनगणना 1931 में इन्हें अस्पृश्य जातियों को बाहरी जातियां के रूप में कहा गया। महात्मा गांधी ने इन्हें हरिजन कहा था। डॉ० बी० आर० अंबेदकर का कहना था कि प्राचीन काल में इन्हें बाहरी जातियां तथा भग्न पुरुष कहा जाता था। वास्तव में निम्न जातियों का यह समूह वैदिक काल के चौथे वर्ण का परिवर्तित रूप है। अलग-अलग विद्वानों ने इस शब्द की अपने-अपने तरीके से व्याख्या की है जिनका वर्णन निम्नलिखित है –
(i) डी० एन० मजूमदार (D.N. Majumdar) के अनुसार, “अस्पृश्य जातियाँ वे हैं जो अनेक सामाजिक तथा राजनीतिक निर्योग्तयाओं का शिकार हैं इनमें से अनेक निर्योग्यताएं उच्च जातियों द्वारा परंपरागत तौर पर लागू की गई हैं।”

(ii) जी० एस० घुरिये (G.S. Ghuriye) के अनुसार, “मैं अनुसूचित जातियों की परिभाषा उन समूहों के रूप में करता हूँ, जिनका उल्लेख अनुसूचित जातियों में आदेश में किया गया हो।’ . भारत के संविधान में अनुसूचित जातियों की सूची डाली गई है लेकिन उनकी परिभाषा नहीं दी गई है। संविधान के अनुसार, “संविधान के अनुच्छेद 341 में राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया कि अमूक जातियां, जनजातियां या जातियों, प्रजातियों या जनजातियों के भाग या उनके अंतर्गत समूह संविधान के अभिप्रायों के लिए उस राज्य के संबंध में अनुसूचित मानी जाएंगी।”

उपरोक्त विवरणों से स्पष्ट है कि अनुसूचित जाति उन निम्न वर्गों का समूह है जिनको विशेष सुविधाएं प्रदान करने के लिए उनके नाम संविधान की सूची में अंकित हैं। यह निम्न जातियों का समूह है। देश के प्रत्येक जिले व प्रदेश में ये पाए जाते हैं। इनकी संस्कृति, भाषा, देवी, देवता, व्यवसाय भी उनके निवास के क्षेत्र के अनुसार भिन्न भिन्न हैं। उनकी अनेक सामाजिक एवं धार्मिक निर्योग्यताएं भी हैं। 1991 की जनगणना के अनुसार इनकी जनसंख्या 13.80 करोड़ थी जो कि देश की जनसंख्या का 16.7% था। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।

अनुसूचित जातियों की सामाजिक एवं आर्थिक समस्याएं – (Social and Economic Problems of Scheduled Castes):
इनकी अनेक सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक तथा राजनीतिक निर्योग्यताएं थीं जिनके कारण इन निम्न वर्गों को कई प्रकार की सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता थी जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) निम्न सामाजिक स्थिति (Low Social Status)-इन अनुसूचित जातियों की सामाजिक संस्तरण में निम्न स्थिति थी। इसके अलावा इनमें अनेक सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा धार्मिक निर्योग्यताएं थीं जिनकी वजह से इनमें हीनता की भावना घर कर गई थी। इनकी स्थिति सुधारने के रास्ते में भी अनेक प्रतिबंध थे।

(ii) सार्वजनिक स्थलों में उपयोग पर रोक (Restriction on use of Public Places)-समाज के इस वर्ग में सदस्यों को सार्वजनिक स्थलों पर जाने से रोक थी। वे सार्वजनिक कुओं से पानी नहीं भर सकते, सार्वजनिक पार्को तथा अन्य स्थलों पर भी नहीं जा सकते थे। अगर वे ऐसा करते थे या सामाजिक परंपराओं को तोड़ते थे तो उनको दंड दिया जाता थे।

(iii) सामाजिक संपर्क पर प्रतिबंध (Restriction on Social Contact)- इन जातियों को समाज के अन्य वर्गों के साथ अंतक्रिया करने पर भी प्रतिबंध थे। उन्हें उच्च जातियों से सामाजिक दूरी बनाए रखना ज़रूरी होता था। उन्हें जन्मदिन, होली, दीवाली या किसी और त्योहार के मौकों पर बुलाया नहीं जाता था तथा न ही उच्च जाति के लोग अनुसूचित जातियों के उत्सवों में भाग लेते थे। इस तरह इन से सामाजिक दूरी बना कर रखी जाती थी।

(iv) अस्पृश्यता (Untouchability) अनुसूचित जातियों को आमतौर पर अस्पृश्य जातियाँ कहा जाता था जिसका मतलब था कि निम्न जातियों के सदस्य उच्च जातियों के सदस्यों को छू भी नहीं सकते थे। ऐसा कहा जाता
था कि उनके स्पर्श से उच्च जाति के लोग अपवित्र हो जाएंगे।

(v) आवासीय निर्योग्यताएं (Habitational Disabilities) अनुसूचित जातियों के लोग और जातियों के लोगों के साथ गांव में नहीं रह सकते थे। वे तो पक्के घर भी नहीं बना सकते। आमतौर पर वे गांव से बाहर घर बना कर रहते थे ताकि और जातियों से शारीरिक दूरी बना कर रखी जा सके।

(vi) विवाह संबंधी प्रतिबंध (Marriage Related Restrictions)-अनुसूचित जाति के सदस्य अपने से उच्च जाति के सदस्यों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं कर सकते क्योंकि जातीय नियमों के अनुसार जाति अंतर्विवाही होती थी। इस तरह इनके साथ विवाह करने पर भी प्रतिबंध थे।

(vii) धार्मिक निर्योग्यताएं (Religious Disabilities)-अनुसूचित जातियों के सदस्यों को धार्मिक स्थलों पर जाने से प्रतिबंध रहा था। वह किसी भी मंदिर में पूजा तो दूर प्रवेश भी नहीं कर सकते थे। उन्हें अपने घरों में भी धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन तथा पूजा पाठ व धार्मिक कर्मकांडों की भी मनाही थी।

(viii) शैक्षणिक निर्योग्यताएं (Educational Disabilities)-अनुसूचित जातियों को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं था। वैदिक काल से ही इन्हें को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था, यदि कोई किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश पा भी जाता था तो उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। इसी वजह से इन लोगों में साक्षरता दर काफ़ी निम्न थी।

(ix) भूमिहीन कृषक (Landless Farmers)-इन जातियों की काफ़ी संख्या कृषि संबंधी कार्य भी करती रही थी लेकिन वे बड़े किसानों के पास श्रमिकों के रूप में कार्य किया करते थे। अधिकांश मामलों में इन जातियों के लोग भूमिहीन कृषि मज़दूर होते थे। कई बार तो ये बंधुआ मजदूर के रूप में भी कार्य करते थे।

(x) पेशों के चुनाव का अभाव (Lack of Choice of Occupations)-इन जातियों को अपनी पसंद का व्यवसाय करने की मनाही थी। उन्हें चमड़े, सफाई तथा इस प्रकार के अन्य निम्न स्तर के व्यवसाय करने की आज्ञा होती थी। इस प्रकार के कामों की वजह से इनकी आय भी काफ़ी कम होती थी।

(xi) आर्थिक शोषण (Economic Exploitation)–आर्थिक रूप से समाज का यह सबसे शोषित वर्ग रहा था। अधिक काम के उपरांत भी उन्हें नाममात्र पैसे या बहुत कम वेतन दिया जाता था। उनकी अथक सेवाओं के बदले उन्हें दो वक्त का भरपेट भोजन प्राप्त नहीं होता था तथा जिनके यहां वे काम करते थे उनके जूठे तथा बासी भोजन पर उन्हें अपना पेट भरना पड़ता था।

प्रश्न 2.
अनुसूचित जातियों की समस्याओं के समाधान के लिए किस तरह के प्रयास किए गए हैं?
अथवा
अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए उठाये गए कदमों का वर्णन कीजिए।
अथवा
अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं में समाधान के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों की विवेचना कीजिए।
अथवा
समाज का जनजातियों के प्रति क्या रवैया है?
अथवा
तियों का हित करने के लिए किन-किन आरक्षणों को शामिल किया गया?
उत्तर:
अनुसूचित जातियों की समस्याओं के समाधान के लिए बहुत से सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रयास हुए हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) निम्न जातियों द्वारा प्रयास (Efforts by Low Castes) स्वतंत्रता से पहले तथा बाद में अनुसूचित जातियों की समस्याओं के समाधान के लिए कई संगठित प्रयास हुए हैं। डॉ० बी० आर० अंबेदकर के नेतृत्व में 1920 में अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ तथा अखिल भारतीय दलित वर्ग फैडरेशन की स्थापना की गई। निम्न जातियों के महान् नेता ज्योतिबा फूले ने पूना में सत्य शोधक समाज की स्थापना की जिसके माध्यम से निम्न जातियों को समाज में उचित स्थान दिलवाने तथा उनकी निर्योग्यताओं को समाप्त करने के विशेष प्रयत्न किए गए।

(ii) उच्च जातियों के प्रयास (Efforts by High Castes)-उच्च जाति से संबंधित समाज सुधारकों ने भी निम्न जातियों को ऊपर उठाने में काफ़ी प्रयास किए जिससे निम्न जातियों में अपने अधिकारों के प्रति जागृति आयी। राजा राममोहन राय का ब्रह्म समाज, दयानंद सरस्वती का आर्य समाज तथा विवेकानंद के रामकृष्ण मिशन नामक संगठनों ने निम्न जातियों की समस्याओं तथा अधिकारों के प्रति जागरूकता का विकास किया तथा शिक्षा के प्रचार द्वारा अस्पृश्य जातियों में नई चेतना जगाई। महात्मा गांधी ने इन्हें हरिजन कहा तथा 1932 में हरिजन सेवक संघ की स्थापना की ताकि हरिजनों को ऊपर उठाया जा सके।

(iii) अन्य संगठनों के प्रयास (Efforts by Other Organizations)-आज़ादी के बाद निम्न जातियों के कर्मचारियों, व्यापारियों तथा अन्य व्यवसायों से संबंधित व्यक्तियों ने कई संगठनों का निर्माण किया। उनके ये संगठन अपनी समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा सरकार पर दबाव बनाए रखते हैं।

(iv) संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)-संविधान में बिना किसी जाति का भेद किए हर किसी को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। अनुच्छेद 15 के अंतर्गत जाति धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही है। अनुच्छेद 16 के अंतर्गत सरकारी नौकरियों में किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होगा। अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। अनुच्छेद 2 5 के द्वारा सभी धार्मिक स्थल सभी जातियों के लिए खोल दिए गए हैं। अनुच्छेद 29 के अनुसार सरकारी सहायता प्राप्त संस्थाओं में किसी को जाति धर्म के आधार पर शिक्षा प्राप्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। अनुच्छेद 330, 332, 334, द्वारा संसद् तथा राज्य विधानसभाओं में इन के लिए विशेष आरक्षण का प्रावधान है। इस के अलावा कई और प्रावधान किए गए हैं ताकि अनुसूचित जातियों को ऊपर उठाया जा सके।

(v) स्थानीय सरकारों में प्रतिनिधित्व (Representation in Local Self Governments)-देश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग स्तर पर स्थानीय सरकारों का गठन किया जाता है। 73वें संवैधानिक संशोधन तथा 74वें संशोधन के द्वारा देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज्य संस्थाओं के गठन का प्रावधान है। इन सभी संस्थाओं में अनुसूचित जातियों की संख्या के अनुपात में स्थान आरक्षित किए गए हैं। इसी तरह नगर पालिकाओं, परिषदों में भी उनके लिए स्थान आरक्षित हैं।

(vi) कल्याण एवं सलाहकार संगठन (Welfare and Advisory Boards)- कल्याण मंत्रालय केंद्र व राज्यों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों में समन्वय करता है। सरकार संसदीय समितियां बना कर अनुसूचित जातियों हे कार्यक्रमों की जांच करती है। राज्य सरकारों ने भी अलग-अलग कल्याण विभागों का गठन किया हुआ है। देश में स्वयं सेवी संगठन इनकी समस्याओं के समाधान के कार्य कर रहे हैं। सरकार इन संगठनों को सरकारी सहायता देकर उनकी मदद कर रही है ताकि ये संस्थाएं ज्यादा-से-ज्यादा काम कर सकें।

(vii) सरकारी नौकरियों में आरक्षण (Reservation in Govt. Services) अनुसूचित जातियों के ज्यादा से ज्यादा लोग सरकारी नौकरियां प्राप्त कर सकें इसलिए उन्हें आरक्षण प्रदान किया गया है। भारतीय स्तर पर होने वाली नियुक्तियों में 15% पद उनके लिए आरक्षित हैं। ऐसे प्रावधान राज्यों में भी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त आयु सीमा में भी विशेष छूट दी जाती है।

(viii) शैक्षणिक सविधाएं (Educational Facilities)-अनसचित जातियों में साक्षरता दर काफी निम्न रही है। 1991 में भारत की साक्षरता दर 52.19% पी पर अनुसूचित जातियों में यह 37.41% थी। इससे यह स्पष्ट है कि 1991 में अनुसूचित जातियों के लगभग दो तिहाई लोग निरक्षर थे। इनकी साक्षरता दर बढ़ाने तथा शैक्षणिक स्तर ऊँचा उठाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
निःशुल्क शिक्षा, छात्रवृत्तियां, मुफ्त पुस्तकें तथा जगह जगह पर स्कूल खोलकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए इन्हें प्रेरित किया जा रहा है।

(ix) कल्याणकारी कार्यक्रम (Welfare Programmes)-इनके कल्याण के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भूमिहीनों को मुफ्त भूमि आबंटन, उन्हें ऋण उपलब्ध करवाना, काम आर्थिक अनदान देना इत्यादि ऐसे कार्य हैं जो इनके लिए किए जा रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में पर्याप्त धन राशि समाज के इस वर्ग के उत्थान के लिए रखी जाती है।

प्रश्न 3.
अनुसूचित जनजाति क्या होती है? उनकी समस्याओं का वर्णन करो।
अथवा
भारतीय जनजातियों की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
अनुसूचित जनजातियों की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
अथवा
अनुसूचित जनजाति क्या है?
उत्तर:
वर्तमान समय में भारत के प्रमुख चार वर्गों-सामान्य वर्ग, अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां तथा अन्य पिछड़े वर्गों में से प्रथम वर्ग को छोड़ कर अन्य तीनों वर्ग उपेक्षित रह गए। अनुसूचित जातियां तो कई प्रकार की निर्योग्यताओं की वजह से कमजोर रह गईं जबकि अनुसूचित जनजातियों में इस प्रकार की निर्योग्यताएं नहीं थीं। यह लोग पहाड़ों, जंगलों, घाटियों तथा दुर्गम क्षेत्रों में रहने के कारण उपेक्षित रह गए।

अनुसूचित जनजाति का अर्थ (Meaning of Scheduled Tribe) आजकल इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। रिजले ने इन्हें आदिवासी कहा है। हट्टन ने इन्हें आदिम जातियां कहा है। सर वेन्स ने इन्हें पर्वतीय जनजातियां कहा है क्योंकि यह पहाड़ों, दुर्गम क्षेत्रों में रहते थे। गिसवर्ट ने इन्हें ‘प्री लिटरेट’ (Pre-literate) कहा है। इनको वनवासी तथा वन्यजाती भी कहा जाता है।

वास्तव में अनुसूचित जनजातियां ऐसी जनजातियों का समूह है। संविधान के अनुच्छेद 342 (1) के अनुसार, “राष्ट्रपति सार्वजनिक सूचना द्वारा जनजातियों, जनजाति समुदायों या जनजाति के भीतर समूहों की घोषणा करेंगे। इस अधिसूचना में जो जनजातियां, जनजाति समुदाय या जनजातियों के भीतर समूह परिगठित किए जाएंगे, वे सब अनुसूचित जनजातियां कहलाएंगे।

इंपीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया (Imperial Gazetteer of India) के अनुसार, “एक जनजाति परिवारों का एक ऐसा संकलन है जिसका एक नाम होता है, जो एक बोली बोलती है, एक सामान्य भू-भाग पर अधिकार रखती है या अधिकार जताती है और प्रायः अंतर्विवाह नहीं करती रही है।”

चार्ल्स विनिक (Charles Winick) के अनुसार, “एक जनजाति में क्षेत्र, भाषा, सांस्कृतिक समरूपता तथा एक सूत्र में बंधने वाला सामाजिक संगठन आता है तथा यह सामाजिक संगठन उपसमूहों जैसे गोत्रों या गांवों को सम्मिलित कर सकता है।

इस तरह हम कह सकते हैं कि जनजाति परिवारों का एक ऐसा समूह है जो सामान्यतः एक निश्चित क्षेत्र में निवास करता है, जिसकी सामान्य भाषा, धर्म, संस्कृति होती है और साधारणतया अंतर्विवाही होता है।

जनजातीय समस्याएं – (Tribal Problems):
भारतीय जनजातियों की बहुत सी समस्याएं हैं। ये समस्याएं अंतः संबंधित तथा अंतः निर्भर हैं जिन्हें अलग-अलग करके समझा नहीं जा सकता। जनजातियों की विभिन्न समस्याओं का वर्णन निम्नलिखित है-
1. दुर्गम निवास स्थान (Unapproachable Habitation)-भारत की ज्यादातर जनजातियां दुर्गम क्षेत्रों, जंगलों, पहाड़ों, घाटियों इत्यादि में निवास करती हैं। ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में यातायात तथा संचार के साधनों का विशेष विकास नहीं हो पाया है जिससे जनजातीय क्षेत्रों का नगरों के साथ ज्यादा संपर्क नहीं हो पाया है। यातायात के साधनों के अभाव के कारण जनजातीय लोगों में गतिशीलता नहीं हो पाती है। ऐसे स्थानों पर सुविधाओं का पहुँचना बहुत मुश्किल है जिस वजह से शिक्षा, यातायात, संचार, विज्ञान की सुख सुविधाओं से यह लोग वंचित रह जाते हैं।

2. प्रतिकूल जलवायु (Inhospitable Climatic Conditions)-पहाड़ों में रहने के कारण जनजातीय क्षेत्रों की आमतौर पर प्रतिकूल जलवायु होती है जिससे उनका जीवन काफ़ी मुश्किल होता है। विपरीत मौसम के कारण अनेक जनजातियां घुमंतु जीवन व्यतीत करती हैं तथा प्रतिकूल जलवायु की वजह से यह लोग रहने की जगह बदल लेते हैं।

3. कृषि भूमि का अभाव (Lack of Agricultural Land)-इन क्षेत्रों में कृषि भूमि काफ़ी कम होती है। कठिन क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि के विकास करने में आदिवासियों को कड़ा परिश्रम करना पड़ता है तब कहीं छोटे-छोटे खेत बनते हैं। सिंचाई व्यवस्था के अभाव में पानी के लिए वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता है। अनियमित वर्षा, वैज्ञानिक उपकरणों के अभाव की वजह से लोगों की समस्या और बढ़ गई है।

4. ऋणों में दबे होना-जनजातियों के अधिकांश सदस्य पूरी उम्र ऋणों से मुक्त नहीं हो पाते हैं। जब वह पैदा होते हैं उन पर ऋण होता है, सारी उम्र वे ऋण चुकाते रह जाते हैं तथा अपनी संतान के लिए भी वे ऋण छोड़कर मर जाते हैं। विवाह, जन्म, मृत्यु के समय वह साहूकारों से ब्याज पर ऋण लेते हैं। साहूकार ऊँची दर का ब्याज लेते हैं। कर्ज चुकाने के लिए साहूकार इन लोगों को बंधुआ मज़दूर रख लेते हैं। पैसे कमाने के अच्छे साधन न होने की वजह से ये ऋण चक्र से मुक्त नहीं हो पाते हैं।

5. ग़रीबी (Poverty)-आमतौर पर भारतीय जनजातियों की आर्थिक स्थिति काफ़ी निम्न होती है। कृषि के लिए भूमि की कमी, वर्षा पर निर्भरता, उद्योगों का न होना, कम आय, आय के सीमित स्रोत, सुविधाओं के अभाव की वजह से इन लोगों की आर्थिक स्थिति काफ़ी कमज़ोर रहती है। गरीबी के कारण गिरता स्वास्थ्य स्तर, नशाखोरी इत्यादि ने उनके जीवन को नर्क बना दिया है। गरीबी की वजह से लोग उनका शोषण करते हैं।

6. नशाखोरी की आदत (Habit of Drug-Addiction)-जनजातीय समूहों के ज्यादातर सदस्यों को मादक द्रव्यों की आदत लग जाती है। वे जो चावल, गुड़ इत्यादि से बनी शराब का प्रयोग करते हैं। कई बार ज़हरीली शराब पीने से कई लोग मर जाते हैं। इनके अलावा चरस, अफीम, गांजा, तंबाकू इत्यादि पदार्थों का भी सेवन करते हैं। उत्सवों, त्योहारों, मेलों पर यह कई-कई दिनों तक मादक पदार्थों का सेवन करते हैं जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य काफ़ी गिर जाता है।

7. वेश्यावृति (Prostitution) वेश्यावृति भी जनजातीय लोगों की एक मुख्य समस्या है। गैर-जनजातीय लोग जनजातीय लोगों के सादेपन या भोलेपन का फायदा उठाते हैं। उनकी गरीबी, अनपढ़ता, ऋणग्रस्तता, जीवन की तड़क भड़क के प्रति आकर्षण का और लोगों ने फायदा उठाना शुरू कर दिया। जनजातीय स्त्रियों से यौन संबंध स्थापित किए जाने लगे। इनको धन का लालच देकर इनकी औरतों को वेश्यावृति के लिए प्रोत्साहित किया गया।

8. अनपढ़ता (Illiteracy) विभिन्न जनजातीय समूहों में साक्षरता दर काफ़ी कम है क्योंकि इनके क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार काफ़ी कम हुआ है। जो शिक्षण संस्थाएं खोली गईं वे उनके क्षेत्रों से दूर थीं इस वजह से इन लोगों ने अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजा। भाषा की वजह से भी शिक्षा लेने में मुश्किल आयी। शिक्षा प्राप्त करके भी इन लोगों को दिक्कतें आयीं। इन सब की वजह से इनमें साक्षरता दर काफ़ी कम है। शिक्षा के न होने की वजह से यह लोग आधुनिकता का फायदा नहीं उठा पाते हैं।

9. भाषा की समस्या (Problem of Language)-बाहरी संस्कृतियों के साथ संपर्क में आने के कारण ये लोग और लोगों की भाषा सीखने लगे, जिस की वजह से ये औरों की बोली तो सीख गए पर धीरे-धीरे अपनी भाषा भूलने लगे। इससे वे अपने समुदाय से कटने शुरू हो जए तथा उनमें समुदाय भावना कम होने लग गई। एकता कम होनी शुरू हो गई तथा उनके अपने अस्तित्व को खतरा पड़ना शुरू हो गया।

10. धर्म व जादू (Religion and Magic)-हिंदू तथा ईसाई मिशनरियों ने योजना बना कर जनजातियों में धर्म प्रचार का कार्य किया। इस प्रक्रिया में जनजातीय विश्वासों, कर्मकांडों तथा मान्यताओं का भी विश्वास उड़ाया जाता था। जनजातीय समूहों को अपने धर्म में अविश्वास होने लगा। भूत-प्रेत, आत्माओं में विश्वास के कारण इन में जादू टोना भी प्रचलित था। इसका प्रयोग वे बिमारियों से मुक्ति पाने के लिए करते थे। इस तरह की रूढ़िवादिता तथा धर्म प्रचारकों द्वारा जनजातीय लोगों का धर्म परिवर्तन आदिवासियों की मुख्य समस्या है।

प्रश्न 4.
जनजातीय समस्याओं को दूर करने के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए हैं?
अथवा
अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं को दूर करने के लिए क्या उपाय किए गए?
अथवा
जनजातियों के प्रति भेदभाव मिटाने के लिए राज्यों व अन्य संगठनों द्वारा उठाए गए कदमों को बताइए।
अथवा
अनुसूचित जनजातियों का हित करने के लिए किन-किन आरक्षणों को शामिल किया गया?
उत्तर:
भारतीय समाज में संगठन व संतुलन बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है कि जनजातीय समस्याओं का समाधान किया जाए। इसके लिए आज़ादी के बाद कई प्रकार के सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रयास किए गए हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)-आज़ादी के बाद निम्न वर्गों को ऊपर उठाने के लिए संविधान में प्रावधान रखे गए हैं। जनजातियों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। उनके लिए संविधान में विभिन्न प्रावधान रखे गए हैं जो कि निम्नलिखित हैं –

  • अनुच्छेद 244 तथा 324 में राज्यपालों को जनजातियों से संबंधित विशेषाधिकार दिए गए हैं।
  • अनुच्छेद 275 के अनुसार जनजातीय कल्याण के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकारों को पैसा देगी।
  • अनुच्छेद 325 के अनुसार किसी को भी किसी भी आधार पर मत देने से वंचित नहीं किया जाएगा।
  • अनुच्छेद 330 तथा 332 के अनुसार अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए लोकसभा तथा राज्य विधान सभाओं में स्थान आरक्षित हैं।
  • अनुच्छेद 335 में सरकारी नौकरियों में इनके लिए आरक्षण का प्रावधान है।

(ii) वैधानिक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व (Representation in Legislative Bodies) कानून निर्माण में भागीदारी देने के लिए इनके लिए लोकसभा तथा विधानसभाओं में स्थान आरक्षित रखे गए हैं। लोकसभा की 545 में से 41 स्थान तथा विधान सभाओं की 4047 स्थानों में से 527 स्थान इनके लिए सुरक्षित हैं। यह आरक्षण हर 10 वर्ष के बाद बढ़ाया जाता रहा है। अब यह 2010 तक है।

(iii) सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व (Respresentation in Govt. Services)-आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए जनजातियों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिया गया है। सभी सेवाओं में उनके लिए 7.5% पद आरक्षित हैं जबकि राज्यों में यह उनकी जनसंख्या के अनुपात से आरक्षित होते हैं।

(iv) शैक्षणिक सुविधाएं (Educational Facilities) विभिन्न जनजातियों में निरक्षरता को दूर करने के लिए जनजातीय क्षेत्रों में जगह-जगह स्कूल तथा प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं। उन्हें निःशुल्क शिक्षा दी जाती है उन्हें मुफ्त पुस्तकें दी जाती हैं, उन्हें छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। इनके लिए शिक्षण संस्थानों में स्थान आरक्षित किए गए हैं। उनमें शिक्षा योजनाएं चलाकर उनमें साक्षरता दर बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।

(v) कल्याणकारी कार्यक्रम (Welfare Programmes)-जनजातियों को ऊपर उठाने के लिए बहुत से कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं तथा इन कार्यक्रमों के लिए पंचवर्षीय योजनाओं में धन रखा जाता है। पहली, दूसरी, तीसरी तथा चौथी पंचवर्षीय योजनाओं में लगभग 20 करोड़, 43 करोड़, 51 करोड़ तथा 75 करोड़ जनजातियों के कल्याण पर खर्च किए गए। पांचवीं, छठी तथा सातवीं पंचवर्षीय योजनाओं में 1102 करोड़, 55 3 5 करोड़ तथा ₹ 7073 करोड़ खर्च किए गए। नौवीं योजना में ₹ 15,965 करोड़ खर्च करने का प्रावधान था।

शिक्षा प्राप्त करने के लिए जनजातियों के छात्रों के लिए छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। जनजातीय छात्रवास खोले गए हैं। उनके लिए सहकारी समितियां, अनुसंधान संस्थाएं तथा आश्रम खोले गए हैं। इन सबसे पता चलता है कि सरकार इनके उत्थान के लिए कितनी चिंतित है।

(vi) कल्याण तथा सलाहकार संगठन (Welfare and Advisory Organizations)-इनकी समस्याओं के समाधान के लिए समय-समय पर समितियां गठित की जाती हैं। विभिन्न राज्यों में इनके कल्याण के कार्यक्रम चलाने के लिए स्वतंत्र विभाग खोले गए हैं। भारत सरकार ने 1968 तथा 1971 में संसदीय समितियों का गठन किया ताकि जनजातियों के लिए चल रहे कार्यक्रमों का मूल्यांकन किया जा सके। आजकल 30 सदस्यों की स्थायी संसदीय समिति इन कल्याण के कार्यक्रमों की जांच करती है।

इसके अलावा जनजातीय तथा गैर-जनजातीय लोगों द्वारा भी जनजातीय लोगों के उत्थान के प्रयास किए जाते रहे हैं ताकि ये लोग भी और सामान्य वर्गों की तरह आज के समय के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें तथा समाज में ऊपर उठ सकें। इन सभी के प्रयासों के फलस्वरूप अब ये लोग धीरे-धीरे ऊपर उठ रहे हैं।

प्रश्न 5.
जनजातीय समस्याओं के समाधान के लिए अपने सुझाव दें।
उत्तर:
भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए खास प्रावधान किए गए हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों ने इनको ऊपर उठाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम बनाए तथा उनको कार्यान्वित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी किए, पर फिर भी आज़ादी के 63 सालों के बाद भी ये समूह पूरी तरह आगे नहीं आ पाए हैं तथा बहुत सारे जनजातीय समूह आज भी पिछड़े हुए हैं।

न तो ये राष्ट्रीय मुख्यधारा में मिल पाए हैं तथा न ही ये अपने आपको भारतीय समाज का अंग समझते हैं। इनको ऊपर उठाने के लिए निम्नलिखित प्रयोग करने चाहिए ताकि ये भी और जातियों की तरह ऊपर उठ सकें।

(i) इन लोगों की कृषि संबंधी समस्या हल की जानी चाहिए। इसको भूमि आबंटित करनी चाहिए तथा इनको स्थानांतरित खेती की जगह स्थायी खेती करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

(ii) इनके इलाकों में यातायात की समस्या हल की जानी चाहिए। इनके इलाकों तक सड़कों तथा रेल की पटरियों का निर्माण होना चाहिए ताकि यह और इलाकों में आराम से आ जा सकें तथा अपने
आपको मुख्यधारा से जोड़ सकें।

(iii) इन लोगों को दोबारा वन या पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा खाना बनाने के लिए गैस इत्यादि मुहईया करवानी चाहिए।

(iv) इन लोगों की नशे की समस्या को हल के लिए इन को शराब के सेवन की जगह और किसी पेय के सेवन के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इनमें नशे की लत हटाने के लिए यहां नशा निरोधक केंद्र खोले जाने चाहिएं ताकि यह नशे की आदत छोड़ सकें।

(v) वेश्यावृत्ति की समस्या खत्म करने के लिए उनमें साक्षरता दर बढ़ानी चाहिए ताकि यह लोग पढ़-लिखकर किसी स्वरोजगार के तरीके ढूंढ़ सकें तथा वेश्यावृत्ति की तरफ न मुड़ सकें। ग़रीबी दूर करने के लिए उन्हें ऋण उपलब्ध करवाने चाहिए ताकि वह कोई काम-धंधा कर सकें।

(vi) इनकी सारी समस्याओं की जड़ अनपढ़ता है। अनपढ़ता दूर करने के लिए उनमें शिक्षा का ज्यादा प्रसार करना चाहिए तथा किसी व्यवसाय से संबंधित प्रशिक्षण केंद्र खोलने चाहिएं। छात्रों को निःशुल्क शिक्षा तथा मुफ्त किताबें उपलब्ध करवाई जानी चाहिएं।

(vii) स्वास्थ्य संबंधी समस्या को हल करने के लिए इनके क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा अस्पताल तथा डिस्पैंसरियां खोली जानी चाहिएं तथा इन लोगों को चिकित्सा तथा दवाइयां मुफ्त उपलब्ध करवानी चाहिएं। इन लोगों को भी प्राथमिक चिकित्सा संबंधी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह इसका प्रयोग कर सकें।

(viii) भाषा की समस्या हल करने के लिए इनको प्राथमिक या माध्यमिक स्तर तक स्थानीय भाषा में शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

(ix) धार्मिक समस्याओं को हल करने के लिए इनमें धर्म परिवर्तन रोका जाना चाहिए। इनको धीरे-धीरे हिंदुओं में मिला देना चाहिए क्योंकि ये लोग पिछड़े हुए हिंदू हैं। जादू टोने को कम करने के लिए विज्ञान का प्रचार करना चाहिए।

(x) राजनीतिक समस्याओं को हल करने के लिए इनकी उचित मांगों को स्वीकार करना चाहिए तथा इनके पिछड़ेपन को दूर करने के लिए इनमें मानवाधिकारों का उल्लंघन रोकना चाहिए।

(xi) इन्हें उच्च वर्गों की तरह सम्मान देना चाहिए। इनके साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए ताकि उनमें देश प्रेम व राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा हो जाए। उनकी मान्यताओं विश्वासों से भी छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए ताकि वे चैन से जी सकें।

प्रश्न 6.
अन्य पिछड़े वर्ग का क्या अर्थ है? इनकी समस्याओं का वर्णन करो।
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग से आपका क्या तात्पर्य है?
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग किसे कहते हैं?
अथवा
अन्य पिछड़े वर्ग पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के अलावा भी भारतीय समाज में एक ऐसा बड़ा वर्ग रहा है जो सैंकड़ों सालों से उपेक्षित रहा है। अगड़ी जातियों, समुदायों से नीचे तथा अनुसूचित जातियों से ऊपर समाज का बहुत बड़ा वर्ग है जो विभिन्न कारणों से उपेक्षित रहा है तथा भारतीय समाज की विकास यात्रा में निरंतर पिछड़ता गया। इसी वर्ग को अन्य पिछड़ा वर्ग कहते हैं।

अन्य पिछड़े वर्ग का अर्थ (Meaning of O.B.C.)-पिछड़ा वर्ग भारतीय समाज का बहुसंख्यक ऐसा वर्ग है जो सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा भौगोलिक कारणों से कमज़ोर रह गया है। स्वतंत्रता के बाद इनके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग शब्द का प्रयोग किया गया। ये हिंदुओं के द्रविड़ों हरिजनों के बीच की जातियों का समूह है। इसके अलावा इसमें गैर-हिंदुओं, अनुसूचित जातियों व जनजातियों को छोड़ कर अन्य निम्न वर्गों को शामिल किया जाता है। – इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले 1917-18 में किया गया था। देश की आजादी के बाद इत्र कुत्र पिछड़े वर्ग अन्य पिछड़े वर्ग शब्दों का प्रयोग किया गया। संविधान में इस शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।

सुभाष तथा बी० पी० गुप्ता द्वारा तैयार किये गए राजनीति कोष में पिछड़े वर्ग की परिभाषा दी गई है। उनके अनुसार, “पिछड़े हुए वर्ग से मतलब समाज के उस वर्ग से है जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक निर्योग्यताओं के कारण समाज के अन्य वर्गों की तुलना में नीचे स्तर पर हों।”

विभिन्न राज्यों के पिछड़ेपन को आंकने के अलग-अलग पैमाने हैं। संविधान की धारा 340 में राष्ट्रपति तथा अनुच्छेद 15 व 16 के अनुसार राज्य सरकारें आयोगों का गठन कर पिछड़े वर्ग की आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षणिक स्थिति का पता लगा सकती हैं।

अन्य पिछड़े वर्गों की समस्याएं – (Problems of Other Backward Classes):
पिछड़े वर्गों की समस्याओं का वर्णन निम्नलिखित है –
1. भूमिहीन कृषकों की समस्या-भारत के ज्यादातर भागों में ऊँची जातियों का अधिकार माना गया है। गांव में ये लोग बिना भूमि के कृषक होते हैं तथा इन्हें और लोगों की भूमि पर काम करना पड़ता है। इस तरह उनके मालिक उनका शोषण करते हैं तथा ये लोग अपने मालिकों की दया पर निर्भर होते हैं।

2. व्यवसाय चुनने की समस्या-इस वर्ग के सदस्य आमतौर पर सामाजिक, शैक्षिक तथा आर्थिक तौर पर पिछड़े हुए होते हैं जिस वजह से उनके सामने व्यवसाय चुनने की समस्या पैदा हो जाती है। आर्थिक तथा शैक्षिक तौर पर भी ये लोग पिछड़े हुए होते हैं जिस वजह से भी ये अपनी मर्जी का व्यवसाय नहीं चुन सकते।

3. वेतन की समस्या-इन लोगों की एक और समस्या यह है कि इन लोगों को न तो पूरा वेतन मिलता है तथा न ही समय पर मिलता है। ये लोग ज्यादातर उच्च जाति के लोगों के खेतों में काम करते हैं तथा इन्हें नकद वेतन कम ही मिलता है। इन्हें इनके मालिक वेतन के बदले अनाज दे देते हैं जो इनके गुज़ारे के लिए पूरा नहीं पड़ता है। गांव में धोबी, लोहार, कुम्हार इत्यादि काम करते हैं तथा कम आमदनी की वजह से इनका गुजारा बड़ी मुश्किल से चलता है।

4. शिक्षा की समस्या-इन लोगों की एक और बड़ी समस्या यह है कि यह लोग अशिक्षित होते हैं। गरीबी की वजह से इनके बच्चे शिक्षा नहीं ले पाते हैं। उच्च शिक्षा आजकल काफी महंगी हो गई है जिस वजह से इनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं तथा आर्थिक रूप से पिछड़ जाते हैं।

5. ऋणग्रस्तता की समस्या-इन लोगों की एक महत्त्वपूर्ण समस्या ऋणग्रस्तता की है। आम तौर पर ये गरीब होते हैं जिस वजह से जन्म, मौत, शादी, विवाह के समय पर इन्हें कर्ज लेना पड़ता है। साहूकार इनसे मनमर्जी का ब्याज वसूलते हैं। सारी उम्र यह कर्ज चुकाते रह जाते हैं। आदमी मर जाता है पर कर्ज खत्म नहीं होता। फिर यह कर्जा उसके बच्चों को उतारना पड़ता है। इस तरह यह हमेशा कर्ज में डूबे रहते हैं।

इस तरह इसके अलावा और बहुत सी समस्याएं हैं जिनकी वजह से पिछड़े वर्गों का जीवन नर्क बना हुआ है।

प्रश्न 7.
काका कालेलकर तथा मंडल आयोग की सिफारिशों के बारे में बताएं।
अथवा
मंडल आयोग का संबंध किस वर्ग से है? इस आयोग की प्रमुख सिफारिशें कौन-सी हैं?
उत्तर:
काका कालेलकर तथा मंडल आयोग दोनों ही केंद्र सरकार द्वारा गठित किए गए थे। इनका गठन विभिन्न आधारों पर पिछड़े वर्गों की पहचान करने तथा उनके कल्याण के लिए सुझाव देने के लिए किया गया था।
I. काका कालेलकर आयोग (Kaka Kalelkar Commission)-29 जनवरी, 1953 को काका कालेलकर की अध्यक्षता में केंद्र सरकार ने एक आयोग बनाया। अखिल भारतीय स्तर पर पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए यह पहला वर्ग था। आयोग के अध्यक्ष काका कालेलकर थे इसलिए इसे काका कालेलकर आयोग भी कहते हैं।

आयोग के कार्य व उद्देश्य (Functions and Objectives of Commission)-इस आयोग का गठन निम्नलिखित पिछड़ी जातियों से संबंधित सूचना एकत्रित करने तथा अपने सुझाव देने के लिए किया गया था।

  • पिछड़े वर्गों के पिछड़ेपन होने संबंधी मानदंड निर्धारित करना।
  • पिछड़े वर्गों की सूची तैयार करना।
  • पिछड़े वर्गों की समस्याओं को दूर करने के लिए सुझाव देना।

पिछड़ेपन की कसौटियां (Criteria of Backwardness)-इस आयोग ने निम्नलिखित चार मानदंडों के आधार पर पिछड़ी जातियों की सूची तैयार की।

  • जातीय संस्तरण में निम्न स्थान।
  • शिक्षा का अभाव।
  • सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व।
  • व्यापार व उद्योगों में कम प्रतिनिधित्व।

आयोग की सिफारिशें (Recommendations of Commission)-आयोग ने व्यक्ति या परिवार की बजाए जाति को पिछड़ेपन का आधार माना तथा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए-

  • राष्ट्रीय एकता तथा प्रगति के प्रोत्साहन की नीति बनाना तथा उसको लागू करना।
  • सामाजिक, धार्मिक निर्योग्यताओं को दूर करने के लिए कानून का निर्माण करना।
  • सरकारी कार्यों से जातीय भावना भड़काने वाले कार्यों पर प्रतिबंध लगाना।
  • पिछड़े वर्गों में तेज़ गति से शिक्षा का प्रसार करना।
  • सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए जनसंचार का उपयोग करना।
  • विवाह तथा उत्तराधिकार के निर्धारण के लिए कानून का निर्माण करना।
  • पिछड़े वर्गों की महिलाओं के कल्याण के लिए विशेष सहायता देना।

लेकिन केंद्र सरकार ने जाति को पिछड़ेपन का आधार नहीं माना तथा राज्यों को निर्देश दिया कि वह पिछड़े वर्गों की पहचान करें तथा उनके कल्याण के लिए कार्य करें।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 सामाजिक विषमता एवं बहिष्कार के स्वरूप

II. मंडल आयोग (Mandal Commission)-जनता पार्टी ने चुनावों में किए अपने वायदे को पूरा करने के लिए पिछड़े वर्गों को सरकारी सेवा तथा शिक्षा संस्थानों में आरक्षण देने के लिए 20 दिसंबर, 1978 को एक आयोग का गठन किया तथा इस आयोग के अध्यक्ष बी० पी० मंडल थे।

आयोग के कार्य तथा उद्देश्य (Functions and Objectives of Commission) – मंडल आयोग को पिछड़े वर्ग से संबंधित निम्नलिखित तथ्य इकट्ठे करने तथा अपने सुझाव देने के लिए बनाया गया था।

  • पिछड़े वर्गों के पिछड़ेपन के मापदंड निर्धारित करना।
  • पिछड़े वर्गों के उत्थान के सुझाव देना।
  • केंद्र व राज्य सेवाओं में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की संभावनाओं का पता लगाना।
  • इकट्ठे किए जाने वाले तथ्यों के आधार पर सुझाव देना।

पिछड़ेपन की कसौटियाँ (Criteria for Backwardness)-मंडल आयोग ने पिछड़े वर्ग निर्धारण के लिए तीन मापदंडों का चयन किया था वह थे सामाजिक, शैक्षणिक तथा आर्थिक। इन्हें कई भागों में विभाजित किया। प्रत्येक मानदंड के लिए महत्त्व अलग-अलग दिया गया।

आयोग की सिफ़ारिशें (Recommendations of the Commission)-पिछड़े वर्गों में कल्याण के लिए मंडल आयोग द्वारा दी गई सिफ़ारिशें निम्नलिखित हैं –

  • सार्वजनिक सेवाओं में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण।
  • अन्य पिछड़े वर्गों के लिए 27% आरक्षण क्योंकि संविधान के अनुसार अनुसूचित जातियों, जनजातियों के लिए आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं हो सकता।।
  • अन्य पिछड़े वर्गों में तकनीकी, व्यावसायिक प्रशिक्षण तथा शैक्षणिक योग्यता बढ़ाना।
  • भूमि सुधारों को उच्चतम प्राथमिकता देना।

मंडल आयोग की रिपोर्ट में भी कई गलतियां थीं।

अन्य पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए सामाजिक आधार को ज्यादा महत्त्व दिया गया। आयोग ने सिर्फ 1% जनसंख्या का नमूने के तौर पर अध्ययन कर अन्य पिछड़े वर्गों का निर्धारण कर दिया। जातीय संबंधी जानकारी के लिए 1931 की जनगणना को आधार माना जबकि 50 वर्षों में देश की जातियों के अनेकों परिवर्तन आए थे।

फिर भी इन त्रुटियों को नज़र अंदाज करते हुए 1989 में जनता दल के बने प्रधानमंत्री वी० पी० सिंह ने 7 अगस्त, 1990 को इस रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा कर दी। इस तरह इसके बाद 1992 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद ये सिफारिशें यानि कि 27% आरक्षण पिछड़ी जातियों के लिए लागू हो गया।

प्रश्न 8.
विभिन्न युगों में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर:
दुनिया तथा भारत में लगभग आधी जनसंख्या स्त्रियों की है पर अलग-अलग देशों में स्त्रियों की स्थिति समान नहीं है। हिंदू शास्त्रों में स्त्री को अर्धांगिनी माना गया है तथा हिंदू समाज में इनका वर्णन लक्ष्मी, दुर्गा, काली, सरस्वती इत्यादि के रूप में किया गया है। स्त्री को भारत में भारत माता कह कर भी बुलाते हैं तथा उसके प्रति अपना आभार तथा श्रद्धा प्रकट करते हैं। यहां तक कि कई धार्मिक यज्ञ तथा कर्मकांड स्त्री के बगैर अधूरे माने जाते हैं।

उत्तर वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी थी पर मध्य युग आते-आते स्त्रियों की स्थिति काफ़ी दयनीय हालत में पहंच गई। 19वीं शताब्दी में बहत-से समाज सधारकों ने स्त्रियों की स्थिति सधारने का प्रयास किया। 20वीं सदी में स्त्रियां अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो गईं तथा उन्होंने आज़ादी के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिए। इसी के साथ उनके दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया तथा इनकी राजनीतिक तथा आर्थिक क्षेत्र में काफ़ी भागीदारी बढ़ गई।

फिर भी इन परिवर्तनों, जोकि हम आज देख रहे हैं, के बावजूद समाज में स्त्रियों की स्थिति अलग-अलग कालों में अलग-अलग रही है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. वैदिक काल (Vedic Age) वैदिक काल को भारतीय समाज का स्वर्ण काल भी कहा जाता है। इस युग में स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी थी। उस समय का साहित्य जो हमारे पास उपलब्ध है उसे पढ़ने से पता चलता है कि इस काल में स्त्रियों को शिक्षा ग्रहण करने, विवाह तथा संपत्ति रखने के अधिकार पुरुषों के समान थे। परिवार में स्त्री का स्थान काफ़ी अच्छा होता था तथा स्त्री को धार्मिक तथा सामाजिक कार्य पूरा करने के लिए बहुत ज़रूरी माना जाता था।

इस समय में लड़कियों की उच्च शिक्षा पर काफ़ी ध्यान दिया जाता था। उस समय पर्दा प्रथा तथा बाल विवाह जैसी कुरीतियां नहीं थीं, चाहे बहू-पत्नी विवाह अवश्य प्रचलित थे पर स्त्रियों को काफ़ी सम्मान से घर में रखा जाता था। विधवा विवाह पर प्रतिबंध नहीं था। सती प्रथा का कोई विशेष प्रचलन नहीं था इसलिए विधवा औरत सती हो भी सकती थी तथा नहीं भी। वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति पुरुषों के समान ही थी। इस युग में स्त्री का अपमान करना पाप समझा जाता था तथा स्त्री की रक्षा करना वीरता का काम समझा जाता था। भारत में स्त्री की स्थिति काफ़ी उच्च थी तथा पश्चिमी देशों में वह दासी से ज़्यादा कुछ नहीं थी। यह काल 4500 वर्ष पहले था।

2. उत्तर वैदिक काल (Post Vedic Period)- यह काल ईसा से 600 वर्ष पहले (600 B.C.) शुरू हुआ तथा ईसा के 3 शताब्दी (300 A.D.) बाद तक माना गया। इस समय में स्त्रियों को वह आदर सत्कार, मान-सम्मान न मिल पाया जो उन को वैदिक काल में मिलता था। इस समय बाल-विवाह प्रथा शुरू हुई जिस वजह से स्त्रियों को शिक्षा प्राप्ति में कठिनाई होने लगी। शिक्षा न मिल पाने की वजह से उनका वेदों का ज्ञान खत्म हो गया या न मिल पाया जिस वजह से उनके धार्मिक संस्कारों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

इस काल में स्त्रियों के लिए पति की आज्ञा मानना अनिवार्य हो गया तथा विवाह करना भी ज़रूरी हो गया। इस काल में बहु-पत्नी दा प्रचलित हो गई थी तथा स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न हो गयी थी। इस काल में विधवा विवाह पर नियंत्रण लगना शुरू हो गया तथा स्त्रियों का काम सिर्फ घर की ज़िम्मेदारियां पूरी करना रह गया था। इस युग में आखिरी स्तर पर आते-आते स्त्रियों की स्वतंत्रता तथा अधिकार काफ़ी कम हो गए थे तथा उनकी स्वतंत्रता पर नियंत्रण लगने शुरू हो गए थे।

3. स्मृति काल (Smriti Period) इस काल में मनु स्मृति में दिए गए सिद्धांतों के अनुरूप व्यवहार करने पर ज्यादा ज़ोर देना शुरू हो गया था। इस काल में बहुत-सी संहिताओं जैसे मनु संहिता, पराशर संहिता तथा याज्ञवल्क्य संहिता रचनाओं की रचना की गई। इसलिए इस काल को धर्म शास्त्र काल के नाम से भी पुकारा जाता है। इस काल में स्त्रियों की स्थिति पहले से भी ज्यादा निम्न हो गई। स्त्री का सम्मान सिर्फ माता के रूप में रह गया था। विवाह करने की उम्र और भी कम हो गई तथा समाज में स्त्री को काफ़ी हीन दृष्टि से देखा जाता था।

मनुस्मृति में तो यहां तक लिखा है कि स्त्री को हमेशा कड़ी निगरानी में रखना चाहिए, छोटी उम्र में पिता की निगरानी में, युवावस्था में पति की निगरानी में तथा बुढ़ापे में पुत्रों की निगरानी में रखना चाहिए। इस काल में विधवा विवाह पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया तथा सती प्रथा को ज्यादा महत्त्व दिया जाने लगा। स्त्रियों का मुख्य धर्म पति की सेवा माना गया। विवाह 10-12 वर्ष की उम्र में ही होने लगे। स्त्री का अपना कोई अस्तित्व नहीं रह गया था। स्त्रियों के सभी अधिकार पति या पुत्र को दे दिए गए। पति को देवता कहा गया तथा पति की सेवा ही उसका धर्म रह गया था।

4. मध्य काल (Middle Period) मध्यकाल में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना के बाद तो स्त्रियों की स्थिति बद से बदतर होती चली गई। ब्राह्मणों ने हिंदू धर्म की रक्षा, स्त्रियों की इज्जत तथा रक्त की शुद्धता बनाए रखने के लिए स्त्रियों के लिए काफ़ी कठोर नियमों का निर्माण कर दिया था। स्त्री शिक्षा काफ़ी हद तक खत्म हो गई तथा पर्दा प्रथा काफ़ी ज्यादा चलने लगी। लड़कियों के विवाह की उम्र भी घटकर 8-9 वर्ष ही रह गई। इस वजह से बचपन में ही उन पर गृहस्थी का बोझ लाद दिया जाता था।

सती प्रथा काफ़ी ज्यादा प्रचलित हो गई थी तथा विधवा विवाह पूरी तरह बंद हो गए थे। स्त्रियों को जन्म से लेकर मृत्यु तक पुरुष के अधीन कर दिया गया तथा उनके सारे अधिकार लिए गए। मध्य काल का समय स्त्रियों के लिए काला युग था। परिवार में उसकी स्थिति शून्य के समान थी तथा उसे पैर की जूती समझा जाता था। स्त्रियों को ज़रा-सी गलती पर शारीरिक दंड दिया जाता था। अधिकार भी वापस ले लिया गया था।

5. आधुनिक काल (Modern Age)-अंग्रेजों के आने के बाद आधुनिक काल शुरू हुआ। इस समय औरतों के उद्धार के लिए आवाज़ उठनी शुरू हुई तथा सबसे पहले आवाज़ उठाई राजा राममोहन राय ने जिनके यत्नों की वजह से सती प्रथा बंद हुई। विधवा विवाह को कानूनी मंजूरी मिल गई। फिर और समाज सुधारक जैसे कि दयानंद सरस्वती, गोविंद रानाडे, रामाबाई रानाडे, विवेकानंद इत्यादि ने भी स्त्री शिक्षा तथा उनके अधिकारों के लिए आवाज़ उठायी।

इनके यत्नों की वजह से स्त्रियों की स्थिति में कुछ सुधार होने लगा। स्त्रियों को शिक्षा प्राप्त होने लगी तथा वह घर की चार-दीवारी से बाहर निकल कर देश के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने लगीं। शिक्षा की वजह से वह नौकरी करने लगी तथा राजनीतिक क्षेत्र में भी हिस्सा लेने लगी जिस वजह से वह आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर ने लगी। आजकल स्त्रियों की स्थिति काफ़ी अच्छी है क्योंकि शिक्षा तथा आत्म निर्भरता की वजह से स्त्री को अपने अधिकारों का पता चल गया है। आज से संपत्ति रखने, पिता की जायदाद से हिस्सा लेने तथा हर तरह के वह अधिकार प्राप्त हैं जो पुरुषों को प्राप्त हैं।

प्रश्न 9.
हिंदू महिलाओं की निम्न स्थिति के क्या कारण हैं?
उत्तर:
विभिन्न युगों या कालों में स्त्रियों की स्थिति कभी अच्छी या कभी निम्न रही है। वैदिक काल में तो यह बहुत अच्छी थी पर धीरे-धीरे काफ़ी निम्न होती चली गई। वैदिक काल के बाद तो विशेषकर मध्यकाल से लेकर ब्रिटिश काल अर्थात् आजादी से पहले तक स्त्रियों की स्थिति निम्न रही है। स्त्रियों की निम्न स्थिति का सिर्फ़ कोई एक कारण नहीं है बल्कि अनेकों कारण हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint Family System) भारतीय समाज में संयुक्त परिवार प्रथा मिलती है। स्त्रियों की दयनीय स्थिति बनाने में इस प्रणाली की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस प्रथा में स्त्रियों को संपत्ति रखने या किसी और प्रकार के सामाजिक अधिकार नहीं होते हैं। स्त्रियों को घर की चारदीवारी में कैद रखना पारिवारिक सम्मान की बात समझी जाती थी। परिवार में बाल विवाह को तथा सती प्रथा को महत्त्व दिया जाता था जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति काफ़ी निम्न होती थी।

2. पितृसत्तात्मक परिवार (Patriarchal Family)-भारतीय समाज में ज्यादातर पितृसत्तात्मक परिवार देखने को मिल जाते हैं। इस प्रकार के परिवार में परिवार का हरेक कार्य पिता की इच्छा के अनुसार ही होता है। बच्चों के नाम के साथ पिता के वंश का नाम जोड़ा जाता है। विवाह के बाद स्त्री को पति के घर जाकर रहना होता है। पारिवारिक मामलों तथा संपत्ति पर अधिकार पिता का ही होता है। इस प्रकार के परिवार में स्त्री की स्थिति काफ़ी निम्न होती है क्योंकि घर के किसी काम में स्त्री की सलाह नहीं ली जाती है।

3. कन्यादान का आदर्श (Ideal of Kanyadan)-पुराने समय से ही हिंद विवाह में कन्यादान का आदर्श प्रचलित रहा है। पिता अपनी इच्छानुसार अपनी लड़की के लिए अच्छा-सा वर ढूंढ़ता है तथा उसे अपनी लड़की दान के रूप में दे देता है। पिता द्वारा किया गया कन्या का यह दान इस बात का प्रतीक है कि पत्नी के ऊपर पति का परा अधिकार होता है। इस तरह दान के आदर्श के आधार पर भी स्त्रियों की स्थिति समाज में निम्न ही रही है।

4. बाल विवाह (Child Marriage)-बाल विवाह की प्रथा के कारण भी स्त्रियों की स्थिति निम्न रही है। इस प्रथा के कारण छोटी उम्र में ही लड़कियों का विवाह हो जाता है जिस वजह से न तो वह शिक्षा ग्रहण कर पाती हैं तथा न ही उन्हें अपने अधिकारों का पता लगता है। पति भी उन पर आसानी से अपनी प्रभुता जमा लेते हैं जिस वजह से स्त्रियों को हमेशा पति के अधीन रहना पड़ता है।

5. कुलीन विवाह (Hypergamy)-कुलीन विवाह प्रथा के अंतर्गत लड़की का विवाह या तो बराबर के कुल में या फिर अपने से ऊँचे कुल में करना होता है, जबकि लड़कों को अपने से नीचे कुलों में विवाह करने की छूट होती है। इसलिए लड़की के माता-पिता छोटी उम्र में ही लड़की का विवाह कर देते हैं ताकि किसी किस्म की उन्हें तथा लड़की को परेशानी न उठानी पड़े। इस वजह से स्त्रियों में अशिक्षा की समस्या हो जाती है तथा उनकी स्थिति निम्न ही रह जाती है।

6. स्त्रियों की अशिक्षा (Illiteracy)-शिक्षा में अभाव के कारण भी हिंदू स्त्री की स्थिति दयनीय रही है। बाल-विवाह के कारण शिक्षा न प्राप्त कर पाना जिसकी वजह से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक न होना स्त्रियों की निम्न स्थिति का महत्त्वपूर्ण कारण रहा है। अज्ञान के कारण अनेक अंधविश्वासों, कुरीतियों, कुसंस्कारों तथा सामाजिक परंपराओं के बीच स्त्री इस प्रकार जकड़ती गई कि उनसे पीछा छुड़ाना एक समस्या बन गई।

स्त्रियों को चारदीवारी के अंदर रखकर पति को परमेश्वर मानने का उपदेश उसे बचपन से ही पढ़ाया जाता था तथा पूरा जीवन सबके बीच में रहते हुए सबकी सेवा करते हुए बिता देना स्त्री का धर्म समझा जाता रहा है। इन सब चीज़ों के चलते स्त्री अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हो पाई तथा उसका स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता ही चला गया।

7. स्त्रियों की आर्थिक निर्भरता (Economic Dependency of Women)-पुराने समय से ही परिवार का कर्ता पिता या पुरुष रहा है। इसलिए परिवार के भरण-पोषण या पालन-पोषण का भार उसके कंधों पर ही होता है। स्त्रियों का घर से बाहर जाना परिवार के सम्मान के विरुद्ध समझा जाता था। इसलिए आर्थिक मामलों में हमेशा स्त्री को पुरुष के ऊपर निर्भर रहना पड़ता था। परिणामस्वरूप स्त्रियों की स्थिति निम्न से निम्नतम होती गई।

8. ब्राह्मणवाद (Brahmanism) कुछ विचारकों का यह मानना है कि हिंदू धर्म या ब्राह्मणवाद स्त्रियों की निम्न स्थिति का मुख्य कारण है क्योंकि ब्राह्मणों ने जो सामाजिक तथा धार्मिक नियम बनाए थे उनमें पुरुषों को उच्च स्थिति तथा स्त्रियों को निम्न स्थिति दी गई थी। मनु के अनुसार भी स्त्री का मुख्य धर्म पति की सेवा करना है। मुसलमानों ने जब भारत में अपना राज्य बनाया तो उनके पास स्त्रियों की कमी थी क्योंकि वह बाहर से आए थे तथा उन्हें हिंदू स्त्रियों से विवाह पर कोई आपत्ति नहीं थी।

इस वजह से हिंदू स्त्रियों को मुसलमानों से बचाने के लिए हिंदुओं ने विवाह संबंधी नियम और कठोर कर दिए। बाल विवाह को बढ़ावा दिया गया तथा विधवा पुनर्विवाह पर प्रतिबंध लगा दिए गए। सती प्रथा तथा पर्दा प्रथा को बढावा दिया गया जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति और निम्न होती चली गई।

प्रश्न 10.
स्वतंत्रता के बाद महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए क्या प्रयास किए गए हैं?
अथवा
स्वतंत्रता के पश्चात महिलाओं की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
देश की आधी जनसंख्या स्त्रियों की है। इसलिए देश के विकास के लिए यह भी ज़रूरी है कि उनकी स्थिति में सुधार लाया जाये। उनसे संबंधित कुप्रथाओं तथा अंधविश्वासों को समाप्त किया जाए। स्वतंत्रता के बाद भारत के संविधान में कई ऐसे प्रावधान किये गये जिनसे महिलाओं की स्थिति में सुधार हो। उनकी सामाजिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए। आजादी के बाद देश की महिलाओं के उत्थान, कल्याण तथा स्थिति में सुधार के लिए निम्नलिखित प्रयास किए गए हैं-
1. संवैधानिक प्रावधान (Constitutional Provisions)-महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए संविधान में निम्नलिखित प्रावधान हैं

  • अनुच्छेद 14 के अनुसार कानून के सामने सभी समान हैं।
  • अनुच्छेद 15 (1) द्वारा धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी भारतीय से भेदभाव की मनाही है।
  • अनुच्छेद 15 (3) के अनुसार राज्य, महिलाओं तथा बच्चों के लिए विशेष प्रावधान करें।
  • अनुच्छेद 16 के अनुसार राज्य रोज़गार तथा नियुक्ति के मामलों में सभी भारतीयों को समान अवसर प्रदान करें।
  • अनुच्छेद 39 (A) के अनुसार राज्य, पुरुषों तथा महिलाओं को आजीविका के समान अवसर उपलब्ध करवाएं।
  • अनुच्छेद 39 (D) के अनुसार पुरुषों तथा महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
  • अनुच्छेद 42 के अनुसार राज्य कार्य की न्यायपूर्ण स्थिति उत्पन्न करें तथा अधिक-से-अधिक प्रसूति सहायता प्रदान करें।
  • अनुच्छेद 51 (A) (E) के अनुसार स्त्रियों के गौरव का अपमान करने वाली प्रथाओं का त्याग किया जाए।
  • अनुच्छेद 243 के अनुसार स्थानीय निकायों-पंचायतों तथा नगरपालिकाओं में एक तिहाई स्थानों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है।

2. कानून (Legislations)-महिलाओं के हितों की सुरक्षा तथा उनकी सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए कई कानूनों का निर्माण किया गया जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

  • सती प्रथा निवारण अधिनियम, 1829, 1987 (The Sati Prohibition Act)
  • हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 (The Hindu Widow Remarriage Act)
  • बाल विवाह अवरोध अधिनियम (The Child Marriage Restraint Act)
  • हिंदू स्त्रियों का संपत्ति पर अधिकार (The Hindu Women’s Right to Property Act) 1937.
  • विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act) 1954.
  • हिंदू विवाह तथा विवाह विच्छेद अधिनियम (The Hindu Marriage and Diworce Act) 1955 & 1967.
  • हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (The Hindu Succession Act) 1956.
  • दहेज प्रतिबंध अधिनियम (Dowry Prohibition Act) 1961, 1984. 1986.
  • मातृत्व हित लाभ अधिनियम (Maternity Relief Act) 1961, 1976.
  • मुस्लिम महिला तलाक के अधिकारों का संरक्षण अधिनियम (Muslim Women Protection of Rights of Diworce) 1986.

ऊपर लिखे कानूनों में से चाहे कुछ आजादी से पहले बनाए गए थे पर उनमें आजादी के बाद संशोधन कर लिए गए हैं। इन सभी विधानों से महिलाओं की सभी प्रकार की समस्याओं जैसे दहेज, बाल विवाह, सती प्रथा, संपत्ति का उत्तराधिकार इत्यादि का समाधान हो गया है तथा इनसे महिलाओं की स्थिति सुधारने में मदद मिली है।

3. महिला कल्याण कार्यक्रम (Women Welfare Programmes)-स्त्रियों के उत्थान के लिए आज़ादी के बाद कई कार्यक्रम चलाए गए जिनका वर्णन निम्नलिखित है

  • 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया तथा उनके कल्याण के कई कार्यक्रम
  • 1982-83 में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक तौर पर मज़बूत करने के लिए डवाकरा कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • 1986-87 में महिला विकास निगम की स्थापना की गई ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हों।
  • 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग का पुनर्गठन किया गया ताकि महिलाओं के ऊपर बढ़ रहे अत्याचारों को रोका जा सके।

4. देश में महिला मंडलों की स्थापना की गई। यह महिलाओं के वे संगठन हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के कल्याण के लिए कार्यक्रम चलाते हैं। इन कार्यक्रमों पर होने वाले खर्च का 75% पैसा केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड देता

5. शहरों में कामकाजी महिलाओं को समस्या न आए इसीलिए सही दर पर रहने की व्यवस्था की गई है। केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड ने होस्टल स्थापित किए हैं ताकि कामकाजी महिलाएं उनमें रह सकें।

6. केंद्रीय समाज कल्याण मंडल ने सामाजिक आर्थिक कार्यक्रम देश में 1958 के बाद से चलाने शुरू किए ताकि ज़रूरतमंद, अनाथ तथा विकलांग महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके। इसमें डेयरी कार्यक्रम भी शामिल है।

इस तरह आज़ादी के पश्चात् बहुत सारे कार्यक्रम चलाए गए हैं ताकि महिलाओं की सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाया जा सके। अब महिला सशक्तिकरण में चल रहे प्रयासों की वजह से भारतीय महिलाओं का बेहतर भविष्य दृष्टिगोचर होता है।

प्रश्न 11.
भारतीय महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन के कारणों का वर्णन करो।
उत्तर:
आज के समय में भारतीय महिलाओं की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन आए हैं। महिलाओं की जो स्थिति आज से 50 वर्ष पहले थी उसमें तथा आज की महिला की स्थिति में काफ़ी फर्क है। आज महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर बाहर दफ्तरों में काम कर रही हैं। पर यह परिवर्तन किसी एक कारण की वजह से नहीं आया है। इसमें कई कारण हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. स्त्रियों की साक्षरता दर में वृद्धि-आज़ादी से पहले स्त्रियों की शिक्षा की तरफ़ कोई ध्यान नहीं देता था पर आजादी के पश्चात् भारत सरकार की तरफ से स्त्रियों की शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए गए जिस वजह से स्त्रियों की शिक्षा के स्तर में काफ़ी वृद्धि हुई। सरकार ने लड़कियों को पढ़ाने के लिए मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्तियां प्रदान की, मुफ्त किताबों का प्रबंध किया ताकि लोग अपनी लड़कियों को स्कूल भेजें।

इस तरह धीरे-धीरे स्त्रियों में शिक्षा का प्रसार हुआ तथा उनका शिक्षा स्तर बढ़ने लगा। आजकल हर क्षेत्र में लड़कियाँ उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। शिक्षा की वजह से उनके विवाह भी देर से होने लगे जिस वजह से उनका जीवन स्तर ऊंचा उठने लगा। आज लड़कियां भी लड़कों की तरह बढ़-चढ़ कर शिक्षा ग्रहण करती हैं। इस तरह स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण उनमें शिक्षा का प्रसार है।

2. औद्योगीकरण-आज़ादी के बाद औद्योगीकरण का बहुत तेजी से विकास हुआ। शिक्षा प्राप्त करने की वजह से औरतें भी घर की चारदीवारी से बाहर निकल कर नौकरियां करने लगीं जिस वजह से उनके ऊपर से पाबंदियां हटने लगीं। औरतें दफ्तरों में और पुरुषों के साथ मिलकर काम करने लगीं जिस वजह से जाति प्रथा की पाबंदियां खत्म होनी शुरू हो गईं। औरों के साथ मेल-जोल से प्रेम विवाह के प्रचलन बढ़ने लगे। दफ्तरों में काम करने की वजह से उनकी पुरुषों पर से आर्थिक निर्भरता कम हो गई जिस वजह से स्त्रियों की स्थिति में काफ़ी सुधार हुआ। इस तरह औरतों की स्थिति सुधारने में औद्योगीकरण की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

3. पश्चिमी संस्कृति-आजादी के बाद भारत पश्चिमी देशों के संपर्क में आया जिस वजह से वहां के विचार, वहां की संस्कृति हमारे देश में भी आयी। महिलाओं को उनके अधिकारों, उनकी आजादी के बारे में पता चला जिस वजह से उनकी विचारधारा में परिवर्तन आना शुरू हो गया। इस संस्कृति की वजह से अब महिलाएं मर्दो के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी होनी शुरू हो गईं। दफ्तरों में काम करने की वजह से औरतें आर्थिक तौर पर आत्म-निर्भर हो गईं तथा उनमें मर्दो के साथ समानता का भाव आने लगा। कुछ महिला आंदोलन भी चले जिस वजह से महिलाओं में जागरूकता आ गई तथा उनकी स्थिति में परिवर्तन आना शुरू हो गया।

4. अंतर्जातीय विवाह-आजादी के बाद 1955 में हिंदू विवाह कानून पास हुआ जिससे अंतर्जातीय विवाह को कानूनी मंजूरी मिल गई। शिक्षा के प्रसार की वजह से औरतें दफ्तरों में काम करने लग गईं, घर से बाहर निकली जिस वजह से वह अन्य जातियों के संपर्क में आईं। प्रेम विवाह, अंतर्जातीय विवाह होने लगे जिस वजह से लोगों की विचारधारा में परिवर्तन आने लग गए। इस वजह से अब लोगों की नज़रों में औरतों की स्थिति ऊँची होनी शुरू हो गई। औरतों की आत्म निर्भरता की वजह से उन्हें और सम्मान मिलने लगा। इस तरह अंतर्जातीय विवाह की वजह से दहेज प्रथा या वर मूल्य में कमी होनी शुरू हो गई तथा स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन आना शुरू हो गया।

5. संचार तथा यातायात के साधनों का विकास-आज़ादी के बाद यातायात तथा संचार के साधनों में विकास होना शुरू हुआ। लोग एक-दूसरे के संपर्क में आने शुरू हो गए। लोग गांव छोड़कर दूर-दूर शहरों में जाकर रहने लगे जिस वजह से वे अन्य जातियों के संपर्क में आए। इसके साथ ही कुछ नारी आंदोलन चले तथा सरकारी कानून भी बने ताकि महिलाओं का शोषण न हो सके। इन साधनों के विकास की वजह से स्त्रियां पढ़ने लगीं, नौकरियां करने लगी तथा लोगों की विचारधारा में धीरे-धीरे परिवर्तन होने शुरू हो गए।

6. विधानों का निर्माण-चाहे आज़ादी से पहले भी महिलाओं में उत्थान के लिए कई कानूनों का निर्माण हुआ था पर वह पूरी तरह लागू नहीं हुए थे क्योंकि हमारे देश में विदेशी सरकार थी। पर 1947 के पश्चात् भारत सरकार ने इन कानूनों में संशोधन किए तथा उन्हें सख्ती से लागू किया।

इसके अलावा कुछ और नए कानून भी बने जैसे कि हिंदू विवाह कानून, हिंदू उत्तराधिकार कानून, दहेज प्रतिबंध कानून इत्यादि ताकि स्त्रियों का शोषण होने से रोका जा सके। इन क की वजह से स्त्रियों का शोषण कम होना शुरू हो गया तथा स्त्रियां अपने आपको सुरक्षित महसूस करने लग गईं। अब कोई भी स्त्रियों का शोषण करने से पहले दस बार सोचता है क्योंकि अब कानून स्त्रियों के साथ है। इस तरह कानूनों की वजह से भी स्त्रियों की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन आए हैं।

7. संयुक्त परिवार का विघटन-यातायात तथा संचार के साधनों के विकास, शिक्षा, नौकरी, दफ्तरों में काम, अपने घर या गांव या शहर से दूर काम मिलना तथा औद्योगीकरण की वजह से संयुक्त परिवारों में विघटन आने शुरू हो गए। पहले संयुक्त परिवारों में स्त्री घर में ही घुट-घुट कर मर जाती थी पर शिक्षा के प्रसार तथा दफ्तरों में नौकरी करने की वजह से हर कोई संयुक्त परिवार छोड़कर अपना केंद्रीय परिवार बसाने लगा जो कि समानता पर आधारित होता है।

संयुक्त परिवार में स्त्री को पैर की जूती समझा जाता है पर केंद्रीय परिवारों में स्त्री की स्थिति पुरुषों के समान होती है जहां स्त्री आर्थिक या हर किसी क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होती हैं। इस तरह संयुक्त परिवारों के विघटन ने भी स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। – इन कारणों के अलावा और बहुत-से कारण हैं जिन्होंने स्त्रियों के उत्थान में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है पर ऊपर दिए गए कारण उन सभी कारणों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं।

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