Class 11

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. विश्व में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला स्थान कौन-सा है?
(A) मॉसिनराम
(B) चेरापूँजी
(C) तुरा
(D) सिल्वर
उत्तर:
(A) मॉसिनराम

2. भारत की जलवायु है-
(A) शीतोष्ण कटिबंधीय
(B) उष्ण कटिबंधीय
(C) ध्रुवीय
(D) उपोष्ण कटिबंधीय
उत्तर:
(B) उष्ण कटिबंधीय

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु

3. भारत के उत्तरी मैदान में ग्रीष्म ऋतु में दिन में बहने वाली पवन का क्या नाम है?
(A) काल बैसाखी
(B) सन्मार्गी पवनें
(C) लू
(D) शिनूक
उत्तर:
(C) लू

4. भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में सर्दियों में होने वाली वर्षा किस कारण से होती है?
(A) चक्रवातीय अवदाब
(B) पश्चिमी विक्षोभ
(C) लौटती मानसून
(D) दक्षिण-पश्चिमी मानसून
उत्तर:
(B) पश्चिमी विक्षोभ

5. निम्नलिखित में से किसके सहारे पर्वतीय वर्षा नहीं होती?
(A) पश्चिमी घाट
(B) अरावली
(C) शिवालिक
(D) गारो, खासी और जयंतिया
उत्तर:
(B) अरावली

6. निम्नलिखित में से वर्षा की सर्वाधिक परिवर्तनीयता कहाँ पाई जाती है?
(A) राजस्थान
(B) केरल
(C) कर्नाटक
(D) मेघालय
उत्तर:
(A) राजस्थान

7. कौन-सी विशेषता मानसूनी वर्षा की नहीं है?
(A) मौसमी वर्षा
(B) वर्षा वाले दिनों की निरंतरता
(C) वषां का असमान वितरण
(D) अनिश्चित और अनियमित वर्षा
उत्तर:
(B) वर्षा वाले दिनों की निरंतरता

8. ग्रीष्मकालीन मानसूनी वर्षा सबसे पहले भारत के किस राज्य में आती है?
(A) केरल
(B) पंजाब
(C) पश्चिमी बंगाल
(D) कर्नाटक
उत्तर:
(A) केरल

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु

9. सर्वाधिक वार्षिक तापांतर निम्नलिखित में से किस महानगर में पाया जाता है?
(A) कोलकाता
(B) फरीदाबाद
(C) मुंबई
(D) चेन्नई
उत्तर:
(B) फरीदाबाद

10. निम्नलिखित में से सबसे कम वार्षिक तापांतर पाया जाता है-
(A) शिलांग
(B) तिरुवनंतपुरम
(C) जोधपुर
(D) जींद
उत्तर:
(B) तिरुवनंतपुरम

11. भारतीय मौसम मानचित्र नहीं दर्शाता है-
(A) मेघाच्छादन
(B) समदाब रेखाएँ
(C) समताप रेखाएँ
(D) वायु की दिशा
उत्तर:
(C) समताप रेखाएँ

12. दिल्ली का वार्षिक तापांतर अधिक है, क्योंकि
(A) यह कर्क रेखा के निकटतम है
(B) यहाँ अल्प वर्षा होती है
(C) यह समुद्र से दूर स्थित है
(D) यह मरुस्थल के निकट है
उत्तर:
(C) यह समुद्र से दूर स्थित है

13. निम्नलिखित में से कौन-से राज्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून से वर्षा नहीं होती?
(A) पंजाब
(B) कर्नाटक
(C) तमिलनाडु
(D) राजस्थान
उत्तर:
(C) तमिलनाडु

14. तमिलनाडु में वर्षा होने का कारण है-
(A) दक्षिण-पश्चिमी मानसून
(B) उत्तर:पूर्वी मानसून
(C) पूर्वी अवदाब
(D) पश्चिमी विक्षोभ
उत्तर:
(B) उत्तर:पूर्वी मानसून

15. दक्षिण-पश्चिमी मानसून भारत के दक्षिण में केरल तट पर कब पहुँचती है?
(A) 1 जून
(B) 10 जून
(C) 13 जून
(D) 18 जून
उत्तर:
(A) 1 जून

16. कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण में मानसूनी जलवायु को किस संकेताक्षर से प्रस्तुत किया है?
(A) Am
(B) Aw
(C) Af
(D) Cw
उत्तर:
(A) Am

17. भारत में प्रवेश करने वाले शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति कहाँ होती है?
(A) अरब सागर में
(B) भूमध्य सागर में
(C) हिंद महासागर में
(D) अटलांटिक महासागर में
उत्तर:
(B) भूमध्य सागर में

18. कौन-सा पर्वतीय क्षेत्र अधिकतम वर्षा प्राप्त करता है?
(A) पश्चिमी घाट
(B) नीलगिरि
(C) सतपुड़ा
(D) खासी पहाड़ियाँ
उत्तर:
(D) खासी पहाड़ियाँ

19. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
(A) आन वर्षा : ओडिशा
(B) आंधी : उत्तर प्रदेश
(C) काल बैसाखी : पं० बंगाल
(D) लू : उत्तर पश्चिमी भारत
उत्तर:
(A) आन वर्षा : ओडिशा

20. भारत के कोरोमंडल तट पर वर्षा होती है-
(A) मार्च-मई में
(B) जनवरी-फरवरी में
(C) अक्तूबर-नवम्बर में
(D) जून-सितम्बर में
उत्तर:
(C) अक्तूबर-नवम्बर में

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21. निम्नलिखित में से किस स्थान पर सूर्य सिर के ऊपर कभी लंबवत् नहीं चमकता?
(A) चेन्नई
(B) दिल्ली
(C) भोपाल
(D) मुम्बई
उत्तर:
(B) दिल्ली

22. वर्षा की सर्वाधिक विरलता निम्नलिखित में से कहाँ पाई जाती है?
(A) जैसलमेर
(B) जोधपुर
(C) बीकानेर
(D) लेह
उत्तर:
(D) लेह

23. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण में ‘As’ संकेताक्षर भारत के किस क्षेत्र के लिए प्रयुक्त किया गया है?
(A) पूर्वी हिमालय
(B) केरल तट
(C) तमिलनाडु तट
(D) पश्चिमी राजस्थान
उत्तर:
(C) तमिलनाडु तट

24. दिसंबर मास में भारत में सबसे कम तापमान कहाँ पाया जाता है?
(A) गंगानगर
(B) द्रास/कारगिल
(C) पंजाब
(D) केरल
उत्तर:
(B) द्रास/कारगिल

25. भारत में उच्चतम तापमान कहाँ पाया जाता है?
(A) गंगानगर
(B) द्रास/कारगिल
(C) पंजाब
(D) केरल
उत्तर:
(A) गंगानगर

26. वर्षा ऋतु में वायुमंडल में सर्वाधिक आर्द्रता विद्यमान रहती है-
(A) मध्यान्ह के समय
(B) प्रातःकाल के समय
(C) सायंकाल के समय
(D) मध्यरात्रि के समय
उत्तर:
(B) प्रातःकाल के समय

27. निम्नलिखित में से कौन भारतीय मानसून को प्रभावित नहीं करता?
(A) जेट स्ट्रीम
(B) एल-निनो
(C) गल्फ स्ट्रीम
(D) तिब्बत का पठार
उत्तर:
(C) गल्फ स्ट्रीम

28. पश्चिमी घाट के पूर्व में स्थित वृष्टि-छाया प्रदेश के होने का प्रमुख कारण कौन-सा है?
(A) मंद ढाल
(B) आर्द्रता में वृद्धि
(C) तापमान में वृद्धि
(D) विरल वनस्पति
उत्तर:
(C) तापमान में वृद्धि

29. ग्रीष्म ऋतु में आने वाला कौन-सा तूफान चाय, पटसन व चावल के लिए उपयोगी माना जाता है?
(A) काल बैसाखी
(B) आम्र वर्षा
(C) फूलों वाली बौछार
(D) वज्र तूफान
उत्तर:
(A) काल बैसाखी

30. मानसून की गतिक विचारधारा का प्रतिपादन किस विद्वान ने किया था?
(A) एम०टी० यीन
(B) पी० कोटेश्वरम्
(C) रामारत्ना
(D) एच० फ्लोन
उत्तर:
(D) एच० फ्लोन

31. एल-निनो के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(A) यह पेरु के तट के सहारे बहने वाली समुद्री धारा है
(B) एल-निनो का अर्थ है ‘बालक ईसा’
(C) यह उष्ण वायु की धारा है जो जल में वाष्पिक अनियमितताएँ उत्पन्न कर देती है
(D) यह धारा क्रिसमस के आस-पास पैदा होती है
उत्तर:
(C) यह उष्ण वायु की धारा है जो जल में वाष्पिक अनियमितताएँ उत्पन्न कर देती है

32. निम्नलिखित में से कौन-सा भारतीय स्थान सबसे ठण्डा है?
(A) श्रीनगर
(B) गुलमर्ग
(C) द्रास
(D) नन्दा देवी
उत्तर:
(C) द्रास

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारत कौन-सी जलवायु वाला देश है?
उत्तर:
भारत उष्ण कटिबन्धीय मानसूनी जलवायु वाला देश है।

प्रश्न 2.
‘मानसून’ शब्द कौन-सी भाषा के किस शब्द से बना है?
उत्तर:
मानसून शब्द अरबी भाषा के मौसिम’ शब्द से बना है।

प्रश्न 3.
विश्व में सर्वाधिक वर्षा कहाँ होती है?
उत्तर:
विश्व में सबसे अधिक वर्षा मेघालय में चेरापूंजी के निकट मॉसिनराम स्थान पर होती है।

प्रश्न 4.
‘ल’ भारत में कब और किस क्षेत्र में चलती है?
उत्तर:
भारत में ‘लू’ ग्रीष्म ऋतु (मई-जून) में तथा उत्तरी भारत में चलती है।

प्रश्न 5.
जेट-प्रवाह की कौन सी शाखा सर्दियों में उत्तरी भारत में चक्रवात लाने में सहायक होती है?
उत्तर:
जेट-प्रवाह की पश्चिमी शाखा।

प्रश्न 6.
भारत में किस क्षेत्र से मानसून सबसे पहले लौटता है?
उत्तर:
पश्चिमी राजस्थान से।

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प्रश्न 7.
भारत के किन भागों में लौटती हुई मानसून पवनें शीतऋतु में वर्षा करती हैं?
उत्तर:
तमिलनाडु में।

प्रश्न 8.
थार्नवेट तथा कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के क्या आधार हैं?
उत्तर:
थार्नवेट : जल-सन्तुलन, कोपेन तापमान एवं वृष्टि के मासिक मान।

प्रश्न 9.
भारत में उच्चतम तापमान कहाँ और कितना पाया जाता है?
उत्तर:
भारत में उच्चतम तापमान राजस्थान के गंगानगर शहर में 52° सेल्सियस पाया जाता है।

प्रश्न 10.
भारत के किस राज्य में वार्षिक तापान्तर सबसे कम होता है?
उत्तर:
केरल में।

प्रश्न 11.
भारत के दक्षिणी-पूर्वी तट पर अथवा कोरोमण्डल तट पर सर्दियों में वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी मानसून पवनों के कारण।

प्रश्न 12.
मानसून पवनें कौन-सी पवनें होती हैं?
उत्तर:
मानसून पवनें मौसमी पवनों को कहते हैं।

प्रश्न 13.
गर्मियों में मानसून पवनों की दिशा बताएँ।
उत्तर:
दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर।

प्रश्न 14.
ग्रीष्मकालीन मानसूनी वर्षा सबसे पहले भारत के किस राज्य में आती है?
उत्तर:
केरल में।

प्रश्न 15.
काल बैसाखी नामक भयंकर तूफानी पवनें क्यों चलती हैं?
उत्तर:
शुष्क व गर्म पवनों के समुद्री आर्द्र पवनों से मिलने के कारण।

प्रश्न 16.
भारत में वर्षा ऋतु के महीने कौन-से माने जाते हैं?
उत्तर:
जून से सितम्बर तक के महीने।

प्रश्न 17.
मानसून प्रस्फोट क्या होता है?
उत्तर:
वर्षा का अचानक आरम्भ होना।

प्रश्न 18.
भारत का कौन-सा तट दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों से वर्षा प्राप्त करता है?
उत्तर:
पश्चिमी तट।

प्रश्न 19.
भारत के किस राज्य में आम्र वर्षा होती है?
उत्तर:
केरल में।

प्रश्न 20.
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार भारत की चार ऋतुएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:

  1. शीत ऋतु
  2. ग्रीष्म ऋतु
  3. वर्षा ऋतु
  4. मानसून के निवर्तन की ऋतु।

प्रश्न 21.
पश्चिमी विक्षोभ या शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात सर्दियों में कहाँ कहाँ वर्षा करते हैं?
उत्तर:
हिमालय की श्रेणियों, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में।

प्रश्न 22.
दक्षिणी भारत में उत्तर भारत जैसी प्रखर ग्रीष्म ऋतु क्यों नहीं होती?
उत्तर:
प्रायद्वीपीय स्थिति (तीन ओर से समुद्र) के कारण।

प्रश्न 23.
काल बैसाखी तूफान या नॉरवेस्टर कहाँ चलते हैं?
उत्तर:
असम और पश्चिमी बंगाल में।

प्रश्न 24.
आम्र वर्षा कहाँ होती है?
उत्तर:
पूर्वी महाराष्ट्र तथा पश्चिमी तटीय प्रदेश में।

प्रश्न 25.
200 सें०मी० से अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्र कौन से हैं?
उत्तर:
पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग तथा उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु

प्रश्न 26.
भारत की जलवायु की क्या विशेषता है?
अथवा
उष्ण कटिबन्धीय मानसनी जलवाय की क्या विशेषता है?
उत्तर:
उष्ण-आर्द्र गर्मियाँ व शुष्क एवं ठण्डी सर्दियाँ।

प्रश्न 27.
भारत में जून सबसे गर्म महीना होता हैं, जुलाई नहीं। क्यों?
उत्तर:
जुलाई में वर्षा हो जाने के कारण तापमान 10°C सेल्सियस गिर जाता है।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनवरी में जेट-प्रवाह की क्या स्थिति होती है?
उत्तर:
जनवरी में जेट-प्रवाह हिमालय के दक्षिण की ओर पश्चिम से पूर्व दिशा में होती है।

प्रश्न 2.
मानसून द्रोणी किसे कहते हैं?
उत्तर:
अंतउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र को मानसून द्रोणी कहते हैं।

प्रश्न 3.
मानसून विच्छेद क्या होता है?
उत्तर:
एक बार कुछ दिनों तक वर्षा होने के बाद यदि एक-दो या कई हफ्तों तक वर्षा न हो तो वह मानसून विच्छेद कहलाता है।

प्रश्न 4.
फूलों वाली बौछार कहाँ होती है और किस फसल के लिए उपयोगी मानी जाती है?
उत्तर:
फूलों वाली बौछार केरल में होती है तथा यह कहवा फसल के लिए उपयोगी मानी जाती है।

प्रश्न 5.
‘अक्तूबर हीट’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अत्यधिक आर्द्रता तथा गर्मी वाला अक्तूबर का घुटन भरा चिपचिपा मौसम।

प्रश्न 6.
‘लू’ किस प्रकार की पवनें होती हैं?
उत्तर:
गर्मियों में उत्तरी भारत में चलने वाली गर्म एवं धूल भरी पवनें।

प्रश्न 7.
वृष्टि-छाया क्षेत्र कौन-से होते हैं?
उत्तर:
पर्वतों के पवनाविमुखी ढाल वाले क्षेत्र वृष्टि-छाया क्षेत्र होते हैं।

प्रश्न 8.
‘मानसून’ शब्द से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानसून शब्द अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से लिया गया है। इस शब्द का अर्थ है ऋतु अर्थात् मानसून का अर्थ एक ऐसी ऋतु से है जिसमें पवनों की दिशा में पूरी तरह से परिवर्तन हो जाता है। ये मौसमी पवनें हैं जो मौसम के अनुसार अपनी दिशा बदल लेती हैं। ये पवनें ग्रीष्मकाल में छह मास सागर से स्थल की ओर तथा शीतकाल में छह मास तक स्थल से सागर की ओर चलती हैं।

प्रश्न 9.
अंतःउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (I.T.C.z.) क्या है?
उत्तर:
अंतःउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र निम्न वायुदाब क्षेत्र होता है जो सभी दिशाओं से पवनों के अन्तर्वहन को प्रोत्साहित करता है। यह भूमध्य-रेखीय क्षेत्र में स्थित होता है। इसकी स्थिति सूर्य की स्थिति के अनुसार उष्ण कटिबन्ध के मध्य बदलती रहती है। ग्रीष्मकाल में यह उत्तर की ओर तथा शीतकाल में यह दक्षिण की ओर सरक जाता है। इसे भूमध्यरेखीय द्रोणी भी कहते हैं।

प्रश्न 10.
लू से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
लू, वे स्थानीय पवनें हैं जो ग्रीष्मकाल में उत्तर तथा उत्तर:पश्चिमी भारत में दिन के समय तेज गति से चलती हैं। ये अत्यधिक गर्म हवाएँ होती हैं। लू के कारण तापमान 40° सेल्सियस से अधिक रहता है तथा धूल-भरी आँधियाँ चलती हैं। लू की गर्मी सहन नहीं होती और लोग प्रायः बीमार हो जाते हैं।

प्रश्न 11.
‘मानसून’ प्रस्फोट किसे कहते हैं? और भारत में सबसे अधिक वर्षा कहाँ होती है?
उत्तर:
भारत में ग्रीष्म ऋतु के पश्चात् वर्षा ऋतु आरम्भ होती है। इस समय भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पवनें प्रवेश करती हैं तथा भारत की 80% वर्षा इन्हीं पवनों से होती है। मानसून पवनों की वर्षा के
अकस्मात् आरम्भ होने को ‘मानसून प्रस्फोट’ कहते हैं। इसमें वर्षा की तेज बौछारें पडती हैं। भारत में सबसे अधिक वर्षा मॉसिनराम (चेरापंजी) में होती है।

प्रश्न 12.
वर्षा की परिवर्तनीयता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वर्षा की सामान्य मात्रा से अधिक या कम वर्षा होने की घटना को वर्षा की परिवर्तनीयता या विचरणशीलता कहते हैं। परिवर्तनीयता का मूल्य एक ऐसे सूत्र से निकाला जाता है जिसे विचरणशीलता का गुणांक या संक्षेप में C.V. कहा जाता है।
HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु 1

प्रश्न 13.
संसार में सर्वाधिक वर्षा मॉसिनराम में होती है। क्यों?
उत्तर:
मॉसिनराम मेघालय राज्य में स्थित है। यह स्थान 1221 सें०मी० से अधिक वार्षिक वर्षा प्राप्त करता है, जो विश्व में किसी भी स्थान की वर्षा की अपेक्षा अधिक है। यह स्थान खासी-गारो-ज्यन्तिया पहाड़ियों से घिरा हुआ है जिनकी स्थिति कुप्पी जैसी है। यहाँ बंगाल की खाड़ी में मानसून पवनें घुस जाती हैं जिससे यहाँ भारी वर्षा होती है।

प्रश्न 14.
तमिलनाडु के तटीय प्रदेशों में अधिकतर वर्षा जाड़ों में होती है, क्यों?
उत्तर:
दक्षिण-पश्चिमी मानसून के दिनों में वृष्टि-छाया क्षेत्र में होने के कारण ये क्षेत्र सूखे रह जाते हैं, परन्तु लौटती हुई मानसून (Retreating Monsoon) या उत्तर:पूर्वी मानसून के दिनों में यहाँ काफी वर्षा होती है क्योंकि ये पवनें जब खाड़ी बंगाल के ऊपर से गुज़रती हैं तो वाष्प लेकर सीधे तमिलनाडु के तट से टकराकर यहाँ खूब वर्षा करती हैं।

प्रश्न 15.
भारत के उत्तर:पश्चिम के मैदान में शीत ऋतु में वर्षा होती है, क्यों?
उत्तर:
भूमध्य सागर तथा फारस की खाड़ी से आर्द्रता ग्रहण करके पवनें, जेट-प्रवाह की सहायता से शीत ऋतु में उत्तर:पश्चिम भारत में प्रवेश करके और पश्चिमी हिमालय की पहाड़ियों से टकराकर यहाँ वर्षा करती हैं, जो इस मैदान की कृषि के लिए बहुत लाभदायक है।

प्रश्न 16.
वर्षा का वितरण सारे भारत में एक-समान नहीं है। क्यों?
उत्तर:
भारत में वर्षा का वितरण एक-समान नहीं है। इसका मुख्य कारण यह है कि जैसे-जैसे हम समुद्र से दूर जाते हैं, वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। समुद्र के निकट और पर्वतीय क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा अधिक होती है। इसी प्रकार वृष्टिछाया क्षेत्र में वर्षा की मात्रा बहुत कम होती है क्योंकि पर्वतों से नीचे उतरती वायु में वाष्पकण ग्रहण करने की शक्ति बढ़ती जाती है। भारत एक विशाल देश है। यहाँ राजस्थान जैसे प्रदेश समुद्र से इतने दूर हैं कि खाड़ी बंगाल की पवनें यहाँ आते-आते शुष्क हो जाती हैं।

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प्रश्न 17.
भारत की वार्षिक वर्षा के वितरण की दो मुख्य प्रवृत्तियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
भारत की वार्षिक वर्षा के वितरण की दो मुख्य प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं (1) वर्षा की मात्रा पश्चिमी बंगाल और ओडिशा के तट से पश्चिम और उत्तर-पश्चिम की ओर कम होती जाती है। (2) पश्चिमी एवं पूर्वी तटों से पठार के आन्तरिक क्षेत्रों की ओर वर्षा की मात्रा कम होती जाती है।

प्रश्न 18.
जैसलमेर में वर्षा शायद ही कभी 12 सें०मी० से अधिक होती है। क्यों?
उत्तर:
जैसलमेर राजस्थान में अरावली पर्वत के पश्चिम में स्थित है। अरावली पर्वत अरब सागर की मानसून पवनों के समानान्तर स्थित है। इसलिए ये मानसून पवनें बिना-रोक-टोक आगे निकल जाती हैं तथा वर्षा नहीं करतीं। इसलिए यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 12 सें०मी० से भी कम है।

प्रश्न 19.
उत्तर-पश्चिम भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को किस प्रकार के चक्रवातों से वर्षा प्राप्त होती है? ये चक्रवात कहाँ उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
उत्तर-पश्चिम भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को अत्यन्त लाभदायक शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात प्राप्त होते हैं, जिन्हें पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है। ये चक्रवात पूर्वी भूमध्य सागर पर उत्पन्न होते हैं और पूर्व की ओर यात्रा करते हुए भारत पहुँचते हैं।

प्रश्न 20.
भारत के तटीय प्रदेशों में गर्मी और जाड़े की ऋतुओं के मध्य तापमानों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता। क्यों?
उत्तर:
भारत के तटीय प्रदेश उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में स्थित हैं। यहाँ ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु में तापमान में कोई विशेष अन्तर नहीं होता क्योंकि सागरों के समकारी प्रभाव के कारण तापमान समान रहता है। यहाँ जल समीर तथा स्थल समीर चलती हैं। इनके प्रभाव के कारण तापमान अधिक नहीं बढ़ता तथा शीत ऋतु में सागरों के जल के गर्म रहने के कारण तापमान अधिक कम नहीं होता।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के अत्यधिक गर्म तथा अत्यधिक ठण्डे स्थानों का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारत में अत्यधिक ठण्डे प्रदेश उत्तर:पश्चिमी हिमालय में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा अन्य पर्वतीय क्षेत्र हैं। जम्मू-कश्मीर के कारगिल नामक स्थान पर न्यूनतम तापमान-40° सेल्सियस पाया जाता है। इन प्रदेशों के अत्यधिक ठण्डे होने का मुख्य कारण समुद्र-तल से ऊँचाई है। इन प्रदेशों में शीत ऋतु में हिमपात होता है तथा तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है।

भारत में सबसे अधिक गर्म स्थान राजस्थान का बाड़मेर क्षेत्र है। यहाँ ग्रीष्मकाल में दिन का तापमान 50° सेल्सियस तक पहुँच जाता है। यहाँ अधिक तापमान का मुख्य कारण समुद्र तल से दूरी है। गर्मियों में यहाँ लू चलती है जो यहाँ के तापमान को बढ़ा देती है। अन्य कारण यहाँ की रेतीली मिट्टी तथा वायु में आर्द्रता की कमी है।

प्रश्न 2.
भारत के सर्वाधिक वर्षा वाले तथा सर्वाधिक शुष्क स्थानों का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारत में सर्वाधिक वर्षा मॉसिनराम (मेघालय राज्य में चेरापूँजी के निकट स्थित) में 1140 सें०मी० तथा 200 सें०मी० से अधिक गारो तथा खासी की पहाड़ियों, पश्चिमी तटीय मैदान तथा पश्चिमी घाट पर होती है क्योंकि ये प्रदेश पर्वतीय क्षेत्र हैं तथा पवनों की दिशा में स्थित हैं। गारो तथा खासी की पहाड़ियों में खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें तथा पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलान पर अरब सागर की मानसून पवनें खूब वर्षा करती हैं।

भारत में निम्नतम वर्षा (20 सें०मी० से कम) वाले क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान में बाड़मेर क्षेत्र, कश्मीर में लद्दाख क्षेत्र तथा दक्षिणी पठार क्षेत्र हैं क्योंकि राजस्थान में अरावली पर्वत अरब मानसूनी पवनों के समानान्तर स्थित है। प्रायद्वीप पठार तथा लद्दाख क्षेत्र वृष्टिछाया में स्थित होने के कारण बहुत कम वर्षा प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 3.
‘जेट-प्रवाह’ क्या है? इसका क्या प्रभाव है?
उत्तर:
पृथ्वी के तल से लगभग तीन किलोमीटर की ऊँचाई पर तेज गति की धाराएँ चलती हैं, जिन्हें जेट-प्रवाह कहते हैं। एक मान्यता के अनुसार ये ‘जेट-प्रवाह’ मानसून पवनों की उत्पत्ति का एक कारण है। ये जेट-प्रवाह 40° उत्तर से 20° दक्षिण अक्षांशों में नियमित रूप से चलते हैं। हिमालय पर्वत तथा तिब्बत का पठार इसके मार्ग में अवरोध पैदा करते हैं, जिससे यह जेट-प्रवाह दो शाखाओं में बँट जाता है। एक भाग हिमालय के उत्तर में तथा दूसरा भाग दक्षिण में पश्चिमी-पूर्वी दिशा में बहता है। दक्षिणी को प्रभावित करता है। शीत काल में भारत के उत्तर:पश्चिमी भाग में आने वाले चक्रवात इस जेट-प्रवाह का ही परिणाम है।

प्रश्न 4.
पश्चिमी जेट-प्रवाह जाड़े के दिनों में किस प्रकार पश्चिमी विक्षोभों को भारतीय उप-महाद्वीप में लाने में मदद करते हैं?
उत्तर:
जेट-प्रवाह की दूसरी शाखा हिमालय के दक्षिण में पश्चिम से पूर्व को बहती है। यह शाखा 25° उत्तर अक्षांश पर स्थित होती है। इसका दाब स्तर 200 मिलीबार से 300 मिलीबार होता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जेट-प्रवाह की यह दक्षिणी शाखा भारत में शीत ऋतु को प्रभावित करती है तथा यहाँ पश्चिमी विक्षोभ लाने में सहायक है। ये विक्षोभ पश्चिमी एशिया तथा भूमध्य सागर के निकट निम्न वायु-दाब क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं तथा जेट-प्रवाह के साथ-साथ ईरान और पाकिस्तान को पार करके भारत में प्रवेश करते हैं। इनके प्रभाव से शीतकाल में उत्तर:पश्चिमी भारत में वर्षा होती है।

प्रश्न 5.
भारतीय मानसून की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय मानसून की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • मानसून पवनों का अनियमित तथा अनिश्चित होना।
  • ऋतु अनुसार पवनों की दिशा में परिवर्तन होना।
  • मानसून पवनों का प्रादेशिक स्वरूप भिन्न-भिन्न होते हुए भी जलवायविक एकता का होना।

प्रश्न 6.
भारत में कितनी ऋतुएँ होती हैं? क्या उनकी अवधि में दक्षिण से उत्तर में कोई अन्तर मिलता है? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहाँ तापमान दबाव, पवनों तथा वर्षा की परिस्थितियाँ सारा वर्ष समान नहीं रहतीं बल्कि इनमें नियमित रूप से परिवर्तन आते हैं। भारत की जलवायु की अवस्था तथा उसके रचना-तन्त्र के अनुसार निम्नलिखित चार ऋतुएँ पाई जाती हैं

  • शीत ऋतु-दिसम्बर से फरवरी।
  • ग्रीष्म ऋतु-मार्च से मध्य जून।
  • वर्षा ऋतु-मध्य जून से मध्य सितम्बर।
  • मानसून प्रत्यावर्तन ऋतु-दक्षिण से उत्तर की ओर जाते हुए विभिन्न प्रदेशों की इस ऋतु की अवधि में अन्तर मिलता है।

दक्षिणी भारत में कोई विशेष ऋतु नहीं होती। यहाँ सामान्यतः ग्रीष्म ऋतु पाई जाती है। तटीय क्षेत्रों में ऋतु परिवर्तन नहीं होता क्योंकि भारत का दक्षिणी भाग उष्ण कटिबन्ध में स्थित है। उत्तरी भारत में स्पष्ट रूप से ग्रीष्म ऋतु तथा शीत ऋतु पाई जाती है क्योंकि यह भाग शीत उष्णकटिबन्ध में स्थित है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु

प्रश्न 7.
पश्चिमी विक्षोभ क्या है? भारत में किस भाग में शीत ऋतु में वर्षा होती है?
अथवा
पश्चिमी विक्षोभ क्या है? भारत के किन भागों में ये शीतकालीन वर्षा लाते हैं?
उत्तर:
पश्चिमी विक्षोभ वे चक्रवात हैं जो पश्चिमी एशिया तथा भूमध्य सागर के निकट के प्रदेशों में उत्पन्न होते हैं। पश्चिमी जेट-प्रवाह के कारण ये चक्रवात पूर्व की तरफ से ईरान तथा पाकिस्तान को पार करके भारत में प्रवेश करते हैं। शीत ऋतु में ये चक्रवात पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में क्रियाशील होते हैं तथा इनके कारण जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भारी वर्षा होती है। यह वर्षा गेहूँ की फसल के लिए विशेष रूप से लाभदायक होती है।

प्रश्न 8.
कौन-कौन-से कारक भारतीय उप-महाद्वीप में तापमान वितरण को नियन्त्रित करते हैं?
उत्तर:
भारतीय उप-महाद्वीप के तापमान के वितरण में बहुत अन्तर पाया जाता है। मानसून प्रदेश में स्थित होने के कारण यह एक उष्ण देश है। यहाँ के विभिन्न क्षेत्रों के तापमान में पाई जाने वाली विविधता के निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-

  • अक्षांश अथवा भूमध्य रेखा से दूरी
  • पर्वतों की स्थिति
  • समुद्र तल से दूरी
  • प्रचलित पवनें
  • चक्रवातीय प्रभाव
  • समुद्र तल से ऊँचाई।

प्रश्न 9.
भारत में वार्षिक वर्षा के विचरण गुणांक के वितरण की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
भारत में वार्षिक वर्षा के विचरण गुणांक में सामान्य रूप से 15 से 30 प्रतिशत के बीच विचलन पाया जाता है। विचरण गुणांक अधिक वर्षा वाले भागों में कम और कम वर्षा वाले भागों में अधिक पाया जाता है। पश्चिमी तट पर मंगलौर, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, उप-हिमालयी पेटी, मणिपुर, मिज़ोरम व नगालैण्ड जैसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में विचरण गुणांक 15 प्रतिशत से कम है। इसके विपरीत पठारी प्रदेशों में विचरण गुणांक 30 प्रतिशत से अधिक है। ये साधारण वर्षा वाले क्षेत्र हैं। हरियाणा व पंजाब में विचरण गुणांक 40 प्रतिशत तथा पश्चिमी राजस्थान, कच्छ व गुजरात के न्यून वर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा की परिवर्तनीयता सर्वाधिक अर्थात् 50 से 80 प्रतिशत के बीच है।

प्रश्न 10.
जलवायु प्रदेश क्या होता है? जलवायु प्रदेश किन आधारों पर पहचाने जाते हैं?
उत्तर:
जलवायु प्रदेश जलवायु प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसमें विभिन्न जलवायविक तत्त्व अपने संयुक्त प्रभाव से एकरूपी जलवायविक दशाओं का निर्माण करते हैं। स्थानीय तौर पर मौसम के तत्त्व; जैसे तापमान, वर्षा इत्यादि मिलकर जलवायु में अनेक क्षेत्रीय विभिन्नताएँ उत्पन्न कर देते हैं। इन विभिन्नताओं को हम जलवायु के उप-प्रकार मानते हैं। इसी आधार पर जलवायु प्रदेश पहचाने जाते हैं।

प्रश्न 11.
भारत में ग्रीष्म ऋतु में आने वाले कुछ प्रसिद्ध तूफानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गर्मियों में भारत में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण तूफान आते हैं-

  • आम्र वर्षा यह पूर्वी महाराष्ट्र तथा पश्चिमी तटीय प्रदेशों में चलती है। आम के वृक्षों के लिए यह तूफानी वर्षा फायदेमन्द होती है।
  • फूलों वाली बौछार-इस वर्षा से केरल. तथा निकटवर्ती कहवा उत्पादन वाले क्षेत्रों में फूल खिलने लगते हैं।
  • काल बैसाखी-असम और पश्चिम बंगाल में बैसाख के महीने में चलने वाली ये भयंकर व विनाशकारी वर्षायुक्त पवनें हैं, जिन्हें नॉरवेस्टर भी कहा जाता है। चाय, पटसन व चावल के लिए ये पवनें अच्छी हैं।
  • लू–उत्तरी मैदान में चलने वाली गर्म, शुष्क व भीषण पवनें।

प्रश्न 12.
मानसूनी वर्षा की विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानसूनी वर्षा की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • यह मौसमी वर्षा है जो प्रतिवर्ष जून से सितम्बर के दौरान होती है। देश की कुल वर्षा का 75 प्रतिशत ग्रीष्मकालीन मानसून द्वारा प्राप्त होता है।
  • मानसूनी वर्षा अनिश्चित है। कभी निर्धारित समय से पहले व कभी देर से शुरू होती है। कभी तो कुछ समय होकर जल्दी रुक जाती है व कभी वर्षा काल की अवधि बढ़ जाती है।
  • मानसूनी वर्षा का भारत में वितरण असमान है। कुछ भागों में वर्षा 250 सेंटीमीटर से भी अधिक होती है व कुछ भागों में 12 सेंटीमीटर से भी कम होती है।
  • मानसनी वर्षा पर्वतीय है अथवा उच्चावच से प्रभावित होती है।
  • अधिकांश मानसूनी वर्षा मूसलाधार होती है।
  • यह वर्षा अनियमित भी है। एक ही क्षेत्र में कभी अकाल और कभी बाढ़ की दशाएँ उत्पन्न होती हैं।
  • कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में मानसून की भूमिका महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।

प्रश्न 13.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून का क्रम अन्तराल पर सामान्यतः शुष्क मौसम की छोटी अवधि द्वारा भंग होता रहता है, क्यों?
उत्तर:
भारत में मुख्य रूप से वर्षा ग्रीष्मकालीन मानसून पवनें करती हैं। इन पवनों द्वारा वर्षा लगातार नहीं होती अपितु कुछ दिनों अथवा कुछ सप्ताहों के अन्तराल पर होती है। इन दिनों एक दीर्घ शुष्क मौसम आ जाता है तथा वर्षा का क्रम भंग हो जाता है क्योंकि इसका कारण खाड़ी बंगाल अथवा अरब सागर में उत्पन्न होने वाले चक्रवात हैं। ये चक्रवात वर्षा की मात्रा को बढ़ाते हैं परन्तु ये चक्रवात अनियमित रूप से चलते हैं। इसलिए सामान्यतः शुष्क मौसम की छोटी अवधि द्वारा मानसून का क्रम भंग होता रहता है।

प्रश्न 14.
लगभग सम्पूर्ण उत्तरी भारत में सितम्बर तथा अक्तूबर के महीने में औसत अधिकतम तापमान काफी ऊँचा रहता है। क्यों?
उत्तर:
भारत में जून मास सबसे अधिक गर्म मास है। इसके पश्चात् मानसून पवनों की वर्षा के कारण तापमान में गिरावट आ जाती है परन्तु वर्षा ऋतु समाप्त होने के पश्चात् तापमान में फिर वृद्धि हो जाती है क्योंकि सितम्बर तथा अक्तूबर में मानसून पवनें वापस लौटने लगती हैं। ये पवनें शुष्क होती हैं तथा तापमान अधिक ऊँचे होते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में इन मासों में औसत तापमान अधिकतम 33° सेल्सियस से अधिक रहता है। सितम्बर मास में सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत् चमकता है इसलिए दक्षिण भारत में तापमान अधिक पाया जाता है।

प्रश्न 15.
उत्तर-पश्चिमी भारत में मानसून की अवधि बहुत कम है, क्यों?
उत्तर:
जिस प्रकार भारत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर मानसून के आने का समय भिन्न-भिन्न है, इसी प्रकार उसके लौटने का समय भी भिन्न-भिन्न होता है। इस प्रकार हर स्थान पर इसकी अवधि भी अलग-अलग होती है। उत्तर:पश्चिमी भारत में यह समय बहुत कम होता है क्योंकि गर्मियों की मानसून पवनें यहाँ बहुत देर से अर्थात् 15 जुलाई के आसपास पहुँचती हैं। यह 15 सितम्बर के आसपास लौटना शुरू कर देती हैं। अतः केवल 2 मास ही इस क्षेत्र में मानसून की अवधि होती है जो भारत के किसी भी क्षेत्र से कम है। वास्तव में यह अवधि भारत में दक्षिण-पूर्व से उत्तर:पश्चिम की ओर कम होती जाती है।

प्रश्न 16.
भारतीय मानसून की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानसून शब्द अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से लिया गया है। इस शब्द का अर्थ है-ऋतु, अर्थात् मानसून का अर्थ एक ऐसी ऋतु से है जिसमें पवनों की दिशा में पूरी तरह से परिवर्तन हो जाता है। ये मौसमी पवनें हैं जो मौसम के अनुसार अपनी दिशा बदल लेती हैं। ये पवनें ग्रीष्मकाल में छः मास सागर से स्थल की ओर तथा शीतकाल में छः मास तक स्थल से सागर की ओर चलती हैं।

मानसून की प्रकृति-मानसून पर लगभग तीन शताब्दियों से प्रेक्षण हो रहे हैं। इसके बावजूद आज भी यह वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली ही है। अब मानसून का अध्ययन क्षेत्रीय स्तर की बजाय भूमंडलीय स्तर पर किया गया है। दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में वर्षा के कारणों का व्यवस्थित अध्ययन मानसन के कारणों को समझने में सहायता करता है। इसके कछ विशेष पक्ष अग्रलिखित हैं

  • मानसून का आरम्भ और उसका स्थल की ओर बढ़ना।
  • वर्षा लाने वाले तंत्र तथा मानसूनी वर्षा की आवृत्ति और वितरण के बीच संबंध।
  • मानसून में विच्छेद।
  • मानसून का निवर्तन।

प्रश्न 17.
दक्षिण-पश्चिमी मानसून तथा उत्तर-पूर्वी मानसून में अन्तर बताइए।
उत्तर:
दक्षिण-पश्चिमी मानसून तथा उत्तर-पूर्वी मानसून में निम्नलिखित अन्तर हैं-

दक्षिण-पश्चिमी मानसूनउत्तर-पूर्वी मानसून
1. जून से सितम्बर तक की अवधि दक्षिण-पशिचमी मानसून की होती है।1. दिसम्बर से फरवरी तक की अवंधि उत्तर-पूर्वी मानसून की होती है।
2. इन महीनों में उत्तर भारत में निम्न दाब-क्षेत्र बन जाता है।2. इन महीनों में उत्तर भारत में उच्च दाब-क्षेत्र बन जाता है।
3. इस निम्न दाब-क्षेत्र की ओर पवनें अग्रसर होने लगती हैं और उनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व होती है।3. इस उच्च दाब से पवनें चारों ओर फैलने लगती हैं। पवनों की दिशा गंगा की घाटी में पश्चिम में, बंगाल में उत्तर में और बंगाल की खाड़ी में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम हो जाती है।

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प्रश्न 18.
भारत में पाई जाने वाली शीत ऋतु का वर्णन करें।
उत्तर:
शीतकाल भारत में सामान्यतः नवम्बर मध्य से मार्च तक होता है। इस ऋतु में अधिकांश भागों में महाद्वीपीय पवनें चलती हैं। इस ऋतु में उत्तरी भारत में तापमान अपेक्षाकृत कम रहता है। यहाँ के अधिकांश भागों में तापमान 20° सेल्सियस से नीचे रहता है और कई क्षेत्रों में हिमांक बिन्दु से भी नीचे गिर जाता है। उत्तरी भारत में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान तथा उत्तरी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शीत लहरें’ (Cold Waves) चलती हैं। दक्षिणी भारत में तापमान 22° सेल्सियस से नीचे नहीं आता।

शीतकाल में पवनें स्थलीय भागों से सागर की ओर चलती हैं, इसलिए ये हवाएँ शुष्क होती हैं। जो बंगाल की खाड़ी को पार करके नमी ग्रहण करती हैं तथा पूर्वी घाट से टकराकर आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु के तटीय भागों में वर्षा करती हैं।

इस मौसम में उत्तर:पश्चिम से आने वाले चक्रवातों एवं दक्षिण में लौटती हुई मानसून पवनों से वर्षा होती है, लेकिन पश्चिम से पूर्व की ओर जाने पर वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। इसे रबी की फसल के लिए वरदान माना जाता है। उत्तरी-पूर्वी भारत में इस मौसम में थोड़ी वर्षा होती है।

वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर पश्चिमी पवनों का प्रभाव होता है अर्थात् 3 किलोमीटर की ऊँचाई पर जेट प्रवाह सक्रिय होता है। हिमालय तथा तिब्बत की उच्च भूमि इन जेट प्रवाहों को अवरुद्ध करती है, जिससे जेट प्रवाह दो शाखाओं में बँट जाता है। इसकी एक शाखा हिमालय के उत्तर में तथा दूसरी दक्षिण में पश्चिमी-पूर्वी दिशा में 25° उत्तरी अक्षांश के सहारे चलने लगती है। इस जेट प्रवाह की दक्षिणी शाखा में शीत ऋतु में उत्तरी भारत में वर्षा होती है अर्थात् जेट प्रवाह उत्तर:पश्चिमी चक्रवातों को लाने में मदद करते हैं।

प्रश्न 19.
एल निनो क्या है? इसका भारतीय मानसून पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
एल निनो एक जटिल मौसम तन्त्र है जो हर पाँच या दस साल बाद प्रकट होता रहता है। इसके कारण संसार के अनेक भागों में सूखा, बाढ़ और मौसम की चरम अवस्थाएँ आती हैं। एल निनो पूर्वी प्रशान्त महासागर में पेरु के तट के निकट उष्ण समुद्री धारा के रूप में प्रकट होता है। इससे भारत का मानसून अत्यधिक प्रभावित होता है। यह धारा पेरु के तट के जल का तापमान 10°C तक बढ़ा देती है जिसके परिणामस्वरूप भूमध्य-रेखीय वायुमण्डलीय परिसंचरण में विकृति उत्पन्न हो जाती है जिससे भारतीय मानसून प्रभावित होता है।

प्रश्न 20.
मानसून की उत्पत्ति पर एक नोट लिखिए।
अथवा
मानसून की उत्पत्ति सम्बन्धित आधुनिक विचारधारा का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर:
आधुनिक मौसम-विशेषज्ञों का विचार है कि मानसून पवनों की उत्पत्ति का सम्बन्ध क्षोभ सीमा पर पाई जाने वाली जेट प्रवाह से है। सन् 1973 में भारतीय तथा सोवियत मौसम विशेषज्ञों ने ‘मानसून अभियान संगठन’ का गठन किया। यह संगठन इस जलवायु निष्कर्ष पर पहुँचा कि मानसून की उत्पत्ति तिब्बत के ऊँचे पठार से होती है। इस धारणा के अनुसार शीत ऋतु में एशिया में तीन कि०मी० की ऊँचाई पर क्षोभमण्डल में अपनी तरह का एक वायु-परिसंचरण दिखाई देता है। इसमें धरातलीय विषमताओं का कोई योगदान नहीं होता। इस समय समस्त एशिया के मध्य एवं पश्चिमी भाग के क्षोभमण्डल पर पश्चिमी पवनों का प्रभाव होता है, जिन्हें ‘जेट-स्ट्रीम’ कहते हैं।

तिब्बत का पठार तथा हिमालय इस जेट-प्रवाह के मार्ग में अवरोधक का काम करते हैं। इस रुकावट से जेट-प्रवाह दो भागों में विभाजित हो जाता है। एक भाग हिमालय के उत्तर में तथा दूसरा भाग दक्षिण तथा पश्चिम से पूर्व की ओर बहते हैं। इस जेट-प्रवाह से नीचे की ओर उतरती हुई वायु हिन्द महासागर की ओर चलती है। गर्मियों में भूमध्य रेखीय निम्न वायुदाब उत्तर भारत की ओर खिसकने के साथ पश्चिमी जेट-स्ट्रीम भारत से चला जाता है।

उसकी जगह भारत पर एक पूर्वी जेट-स्ट्रीम बहने लगता है, जो उष्ण कटिबन्धीय गों के भारतीय उप-महाद्वीप की ओर आकर्षित कर लेता है। इस पूर्वी जेट की उत्पत्ति गर्मियों में हिमालय पर्वत तथा तिब्बत के पठार के अत्यधिक गर्म होने से होती है। इन ऊँचे भागों से विकिरण के कारण क्षोभमण्डल में दक्षिणवर्ती (Clockwise) परिसंचरण आरम्भ होता है। इन उच्च स्थलों से भूमध्य रेखा की ओर बहने वाला प्रवाह भारत में ‘पूर्वी जेट-प्रवाह’ कहलाता है। अतः गर्मियों में मानसून की उत्पत्ति भूमध्य रेखीय निम्न दाब के उत्तर की ओर स्थानान्तरण तथा हिमालय एवं मध्य एशिया के ऊँचे स्थलों के गर्म होने के संयुक्त प्रयास से होती है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की ऋतु या वर्षा ऋतु का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केरल तथा तमिलनाडु के तटीय भागों में जून के प्रथम सप्ताह से मानसूनी वर्षा शुरू हो जाती है, लेकिन उत्तरी भारत में मानसून जुलाई के मध्य तक पहुँच जाता है। देश की 80 प्रतिशत वर्षा इसी ऋतु में होती है। जब अकस्मात् मानसून का आरम्भ होता है तो उसे ‘मानसून का विस्फोट’ (Burst of Monsoon) कहते हैं। अगस्त में तापमान 35° से 40° के मध्य रहता है। वर्षा के कारण तापमान में कमी आ जाती है।

दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पवनों की निम्नलिखित दो शाखाएँ हैं-

  • बंगाल की खाड़ी का मानसून
  • अरब सागर का मानसून।

(1) बंगाल की खाड़ी का मानसून (Monsoon of Bay of Bengal)-जब बंगाल की खाड़ी से दक्षिणी-पश्चिमी हवाएँ गुज़रती हैं, तो पर्याप्त नमी ग्रहण करती हैं। ये पवनें दो शाखाओं में बँट जाती हैं। एक शाखा पूर्व की ओर मेघालय में गारो, खासी एवं जयन्तिया की पहाड़ियों से टकराती है तथा वर्षा करती है। इन पहाड़ियों की आकृति कीप (Funnel) की तरह होने के कारण यहाँ अत्यधिक वर्षा होती है इसलिए मॉसिनराम (मेघालय राज्य में चेरापूँजी के निकट स्थित) में विश्व की सर्वाधिक वार्षिक वर्षा 1,140 सें०मी० होती है।

बंगाल की खाड़ी को मानसून की दूसरी शाखा सीधे गंगा घाटी में प्रवेश करके हिमालय से टकराकर बंगाल, बिहार तथा उत्तर प्रदेश से होती हुई हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर आदि में वर्षा करती है, लेकिन पश्चिम की ओर जाने पर इन मानसून पवनों की नमी में कमी आती जाती है। कोलकाता में 120 सें०मी०, पटना में 105 सें०मी०, इलाहाबाद में 75 सें०मी० और दिल्ली में 56 सें०मी० वर्षा होती है।

(2) अरब सागरीय मानसून (Monsoon of Arabian Sea) मानसून पवनों की दूसरी शाखा अरब सागरीय मानसून है जो पश्चिमी घाट से टकराकर पश्चिमी भारत में वर्षा करती है, लेकिन जब ये वाष्प भरी हवाएँ पश्चिमी घाट को पार करती हैं तो इनकी आर्द्रता में कमी आ जाती है और पश्चिमी घाट का पूर्वी भाग ‘वृष्टिछाया प्रदेश’ (Rain Shadow Area) में पड़ जाता है, जिसके कारण मंगलौर में जहाँ 280 सें०मी० वर्षा होती है, वहीं बंगलूरू में केवल 60 सें०मी० वर्षा होती है। अरब सागरीय मानसून की दूसरी शाखा उत्तर की ओर गुजरात एवं राजस्थान में अरावली पहाड़ियों के समानान्तर आगे हिमालय तक चली जाती है, लेकिन राजस्थान में वर्षा नहीं करती, वरन् हिमालय से टकराकर वर्षा करती है।

प्रश्न 2.
कोपेन द्वारा प्रस्तुत भारत को जलवायु विभागों में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
यह बताया जा चुका है कि सारे भारत में मानसूनी जलवायु पाई जाती है, फिर भी यहाँ जलवायु में विभिन्न प्रादेशिक स्वरूप पाए जाते हैं। इसका कारण यह है कि भारत एक विशाल देश है तथा यहाँ पर विभिन्न भौतिक स्वरूप मिलते हैं, जिनके कारण भारत में विभिन्न भागों में तथा विभिन्न समयों में जलवायु की कुछ अलग-अलग विशेषताएँ मिलती हैं। कई जलवायु-वेत्ताओं ने भारतीय जलवायु को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत करने की चेष्टा की है। कोपेन द्वारा प्रस्तुत भारत का जलवायु विभागों में वर्गीकरण अधिक मान्य है।
HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु 2

कोपेन द्वारा प्रस्तुत जलवायु प्रदेश: कोपेन की प्रणाली के अनुसार जलवायु प्रवेश कोपेन द्वारा प्रस्तुत जलवायु प्रदेश कोपेन द्वारा जलवायु के वर्गीकरण की पद्धति तापमान तथा वृष्टि के मासिक मान पर आधारित है। उसने भारतीय जलवाय को आठ जलवाय प्रदेशों में बाँटा है। वैसे कोपेन के जलवाय प्रदेश पाँच प्रकार के हैं, जिनको अंग्रेजी के पहले पाँच बड़े अक्षरों से सम्बोधित किया है; जैसे
(1) उष्ण कटिबन्धीय जलवायु (Tropical Climate) = A
(2) शुष्क जलवायु (Dry Climate) = B
(3) गर्म जलवायु (Warm Climate) = C
(4) हिम जलवायु (Snow Climate) = D
(5) बर्फीली जलवायु (Ice Climate) = E
वृहत रूप के उपर्युक्त पाँच जलवायु प्रदेशों को तापमान तथा वर्षा ऋतु के अनुसार वितरण के आधार पर उप-प्रदेशों में विभाजित किया गया है, जिनके लिए अंग्रेजी के छोटे अक्षरों का प्रयोग किया गया है, जिनका अर्थ इस प्रकार है
a = गर्म ग्रीष्म तथा सबसे अधिक गर्म माह का औसत तापमान 22° सेल्सियस से अधिक।
c = शीतल ग्रीष्म सबसे गर्म माह का औसत तापमान 22° सेल्सियस से कम।
i = कोई भी मौसम शुष्क नहीं।
s = ग्रीष्म ऋतु में शुष्क मौसम।
g = ग्रीष्म ऋतु में वर्षा तथा गंगा तुल्य तापमान का वार्षिक परिसर।
h = वार्षिक औसत तापमान 18° सेल्सियस से नीचे।
m = मानसून, शुष्क मौसम की अल्प अवधि।
भारत के आठ जलवायु प्रदेशों का वितरण इस प्रकार है-

  • लघु शुष्क ऋतु वाला मानसून प्रकार इस प्रकर की जलवायु भारत के पश्चिमी तटों पर गोवा के दक्षिण में पाई जाती है।
  • अधिक गर्मी की अवधि में शुष्क ऋतु का प्रदेश इस प्रकार की जलवायु भारत के कोरोमण्डल तट पर पाई जाती है।
  • उष्ण कटिबन्धीय सवाना प्रकार की जलवायु इस प्रकार की जलवायु दक्षिणी भारत के अधिकांश भाग पर पाई जाती है। कोरोमण्डल तथा मालाबार के तट इसके अपवाद हैं।
  • अर्ध-शुष्क स्टेपी जलवायु–यह जलवायु दक्षिणी पठार के वृष्टि छाया क्षेत्रों, गुजरात, राजस्थान तथा हरियाणा के दक्षिण-पश्चिमी भाग में पाई जाती है।
  • उष्ण मरुस्थलीय जलवायु-यह जलवायु भारत के पश्चिमी भागों में पाई जाती है।
  • शुष्क ऋतु वाला मानसून जलवायु-यह जलवायु भारत के उत्तरी विशाल मैदान में पाई जाती है।
  • लघु ग्रीष्म के साथ शीतल व अर्ध-शीत वाली जलवायु इस प्रकार की जलवायु भारत के उत्तर:पूर्वी भाग में पाई जाती है।
  • ध्रुवीय प्रकार इस प्रकार की जलवायु कश्मीर तथा निकटवर्ती पर्वतमालाओं में पाई जाती है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 4 जलवायु

प्रश्न 3.
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत की जलवायु को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-
1. उत्तर में स्थित हिमालय पर्वत-भारत की उत्तरी सीमा पर पूर्व-पश्चिम दिशा में फैले हिमालय पर्वत के कारण उत्तर भारत में ऊँचा तापमान तथा शुष्क ऋतु पाई जाती है। यहाँ उष्ण कटिबन्धीय लक्षण पाए जाते हैं, यद्यपि उत्तर भारत शीतोष्ण कटिबन्ध में स्थित है।

2. हिन्द महासागर-भारतीय जलवायु पर हिन्द महासागर का गहरा प्रभाव पड़ता है। यह मानसून पवनों को आर्द्रता प्रदान करता है तथा सम्पूर्ण भारत में वर्षा होती है।

3. भारत का विस्तार तथा विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ देश के बड़े आकार के कारण तथा पृथक्-पृथक् स्थलाकृतियों के मिलने के कारण भारत में विविध प्रकार की जलवायु पाई जाती है।

4. शीत ऋतु में विक्षोभ-भूमध्य सागर में उत्पन्न विक्षोभ चक्रवातों के रूप में भारत में पहुँचकर उत्तरी भारत के पश्चिमी हिमालय से टकराकर वर्षा करते हैं।

5. भूमध्य रेखा की समीपता भारत 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर के मध्य स्थित है। इसलिए भारत का दक्षिणी क्षेत्र भूमध्य रेखा के निकट स्थित है तथा सारा वर्ष गर्मी पड़ती है। कर्क रेखा देश के मध्य से गुजरती है इसलिए यहाँ उष्ण कटिबन्धीय जलवायु पाई जाती है।

6. समुद्र तट से दूरी-भारतीय तटीय प्रदेशों में समकारी प्रभाव के कारण सम प्रकार की जलवायु पाई जाती है। उदाहरण के लिए मुम्बई का ग्रीष्मकालीन तापमान लगभग 27° सेल्सियस तथा शीतकालीन तापमान लगभग 24° सेल्सियस रहता है। जो स्थान समुद्र तट से अधिक दूर है, वहाँ विषम प्रकार का जलवायु मिलता है। उदाहरण के लिए इलाहाबाद समुद्र तट से दूर है। इसलिए यहाँ ग्रीष्मकालीन तापमान लगभग 30° सेल्सियस तथा शीतकालीन तापमान लगभग 16° सेल्सियस रहता है। दक्षिणी भारत तीनों ओर से सागरों तथा महासागर से घिरा है। इसलिए यहाँ गर्मियों में कम गर्मी तथा सर्दियों में कम सर्दी पड़ती है।

7. धरातल का प्रभाव पश्चिमी घाट तथा मेघालय पर्वतीय क्षेत्र मानसून पवनों के सम्मुख ढाल पर स्थित हैं। इसलिए यहाँ वर्षा अधिक होती है। परन्तु दक्षिणी पठार पवन-विमुख ढाल के कारण वृष्टिछाया क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहाँ वर्षा बहुत कम होती है। राजस्थान में स्थित अरावली पर्वत मानसून पवनों की दिशा के समानान्तर स्थित होने के कारण शुष्क रह जाता है।

पर्वतीय प्रदेशों में तापमान कम तथा मैदानों में तापमान अधिक होता है। उदाहरण के लिए आगरा तथा दार्जिलिंग एक ही आक्षांश पर स्थित हैं, परन्तु आगरा में जनवरी का तापमान 16° सेल्सियस दार्जिलिंग में 4° सेल्सियस होता है, क्योंकि आगरा मैदानी क्षेत्र है तथा दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र है।

प्रश्न 4.
अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी की मानसूनी पवनों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. अरब सागर की मानसून पवनें ये पवनें अरब सागर में उत्पन्न होकर भारत की ओर अग्रसर होती हैं, परन्तु भारत के पश्चिमी तट पर पहुँचकर ये तीन शाखाओं में बँट जाती हैं, जो निम्नलिखित प्रकार से हैं-
(1) पहली शाखा, पश्चिमी घाटों से टकराकर भारत के पश्चिमी तटीय मैदानों पर लगभग 250 सें०मी० वर्षा करती है। पश्चिमी घाट के पूर्व की ओर घाटों से नीचे उतरने के कारण इन पवनों के तापमान में बढ़ोतरी हो जाती है तथा पूर्व की ओर ये वर्षा नहीं करती हैं, अतः पश्चिमी घाट के पूर्व का क्षेत्र ‘वृष्टि छाया’ (Rain Shadow) क्षेत्र कहलाता है।

(2) दूसरी शाखा, नर्मदा तथा ताप्ती नदियों की घाटियों में से होकर भारत के मध्यवर्ती क्षेत्र में प्रवेश करती है। यहाँ इनके रास्ते में ऐसी रुकावट नहीं है जो इन्हें रोककर वर्षा हो सके, अतः ये दूर तक मध्य भारतीय क्षेत्र से में निकल जाती हैं और वर्षा करती हैं। नागपुर के पास इन पवनों द्वारा लगभग 60 सें०मी० वर्षा होती है।

(3) तीसरी शाखा, उत्तर:पूर्व की ओर अरावली पर्वतों के समानान्तर चलती है तथा रुकावट न होने के कारण ये राजस्थान से बिना वर्षा किए निकल जाती है। आगे चलकर हिमालय की पश्चिमी पहाड़ियों से टकराकर काफी वर्षा करती है।

2. बंगाल की खाड़ी की मानसून पवनें-ये पवनें दो शाखाओं में विभक्त होकर चलती हैं-
(1) एक शाखा, गंगा के डेल्टे को पार करके असम में खासी तथा गारो की पहाड़ियों से टकराकर असम में खूब वर्षा करती है। यहाँ मॉसिनराम (मेघालय राज्य में चेरापूंजी के निकट स्थित) नामक स्थान पर विश्व की सर्वाधिक वर्षा (1140 सें०मी०) होती है।

(2) दूसरी शाखा हिमालय पर्वत के समानान्तर पश्चिम की ओर बहती है क्योंकि यह हिमालय को पार नहीं कर पाती इसलिए पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा करती जाती है तथा वर्षा की मात्रा में कमी आती जाती है।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 जलवायु Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

HBSE 11th Class Geography जलवायु Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन करें-

1. जाड़े के आरंभ में तमिलनाडु के तटीय प्रदेशों में वर्षा किस कारण होती है?
(A) दक्षिणी-पश्चिमी मानसून
(B) उत्तर:पूर्वी मानसून
(C) शीतोष्ण-कटिबंधीय चक्रवात
(D) स्थानीय वायु परिसंचरण
उत्तर:
(B) उत्तर-पूर्वी मानसून

2. भारत के कितने भू-भाग पर 75 सेंटीमीटर से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है?
(A) आधा
(B) दो-तिहाई
(C) एक-तिहाई
(D) तीन-चौथाई
उत्तर:
(C) एक-तिहाई

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

3. दक्षिण भारत के संदर्भ में कौन-सा तथ्य ठीक नहीं है?
(A) यहाँ दैनिक तापांतर कम होता है
(B) यहाँ वार्षिक तापांतर कम होता है
(C) यहाँ तापमान सारा वर्ष ऊँचा रहता है
(D) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है
उत्तर:
(D) यहाँ जलवायु विषम पाई जाती है

4. जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है, तब निम्नलिखित में से क्या होता है?
(A) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है
(B) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान बढ़ने के कारण निम्न वायुदाब विकसित हो जाता है
(C) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान और वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं आता
(D) उत्तरी-पश्चिमी भारत में झुलसा देने वाली तेज लू चलती है
उत्तर:
(A) उत्तरी-पश्चिमी भारत में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब विकसित हो जाता है

5. कोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत में ‘As’ प्रकार की जलवायु कहाँ पाई जाती है?
(A) केरल और तटीय कर्नाटक में
(B) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में
(C) कोरोमंडल तट पर
(D) असम व अरुणाचल प्रदेश में B-60
उत्तर:
(C) कोरोमंडल तट पर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
भारतीय मौसम तंत्र को निम्नलिखित तीन महत्त्वपूर्ण कारक प्रभावित करते हैं-

  • वायुदाब तथा पवनों के धरातलीय वितरण इसके महत्त्वपूर्ण कारक मानसून पवनें, कम वा क्षेत्र हैं।
  • ऊपरी वायु परिसंचरण-इसमें महत्त्वपूर्ण तत्त्व विभिन्न वायुराशियाँ और जेट स्ट्रीम का अंतर्वाह है।
  • विभिन्न वायु विक्षोभ-इसमें उष्ण कटिबन्धीय और पश्चिमी चक्रवातों के प्रभाव से वर्षा होती है।

प्रश्न 2.
अंतःउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?
उत्तर:
अंतःउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र निम्न वायुदाब क्षेत्र होता है जो सभी दिशाओं से पवनों के अन्तर्वहन को प्रोत्साहित करता है। यह भूमध्य-रेखीय क्षेत्र में स्थित होता है। इसकी स्थिति सूर्य की स्थिति के अनुसार उष्ण कटिबन्ध के मध्य बदलती रहती है। ग्रीष्मकाल में यह उत्तर की ओर तथा शीतकाल में यह दक्षिण की ओर सरक जाता है। इसे भूमध्यरेखीय द्रोणी भी कहते हैं।

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प्रश्न 3.
मानसून प्रस्फोट से आपका क्या अभिप्राय है? भारत में सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले स्थान का नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में ग्रीष्म ऋतु के पश्चात् वर्षा ऋतु आरम्भ होती है। इस समय भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पवनें प्रवेश करती हैं तथा भारत की 80% वर्षा इन्हीं पवनों से होती है। मानसून पवनों की वर्षा के अकस्मात आरम्भ होने को ‘मानसून प्रस्फोट’ कहते हैं। इसमें वर्षा की तेज बौछारें पड़ती हैं। भारत में सबसे अधिक वर्षा मॉसिनराम में होती है।

प्रश्न 4.
जलवायु प्रदेश क्या होता है? कोपोन की पद्धति के प्रमुख आधार कौन-से हैं?
उत्तर:
जलवायु प्रदेश-जलवायु प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसमें विभिन्न जलवायविक तत्त्व अपने संयुक्त प्रभाव से एकरूपी जलवायविक दशाओं का निर्माण करते हैं। स्थानीय तौर पर मौसम के तत्त्व; जैसे तापमान, वर्षा इत्यादि मिलकर जलवायु में अनेक क्षेत्रीय विभिन्नताएँ उत्पन्न कर देते हैं। इन विभिन्नताओं को हम जलवायु के उप-प्रकार मानते हैं। इसी आधार पर जलवायु प्रदेश पहचाने जाते हैं। कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण का आधार तापमान तथा वर्षण के मासिक मानों को रखा है।

प्रश्न 5.
उत्तर-पश्चिम भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को किस प्रकार के चक्रवातों से वर्षा प्राप्त होती है? वे चक्रवात कहाँ उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
उत्तर-पश्चिम भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को अत्यन्त लाभदायक शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात प्राप्त होते हैं, जिन्हें पश्चिमी विक्षोभ भी कहा जाता है। ये चक्रवात पूर्वी भूमध्य सागर पर उत्पन्न होते हैं और पूर्व की ओर यात्रा करते हुए भारत पहुँचते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जलवायु में एक प्रकार का ऐक्य होते हुए भी, भारत की जलवायु में क्षेत्रीय विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। उपयुक्त उदाहरण देकर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की जलवायु मानसूनी है जो कदाचित् देश की एकता का प्रतीक है, लेकिन जलवायु में प्रादेशिक विभिन्नता दृष्टिगोचर होती है। ये प्रादेशिक विभिन्नताएँ देश के तापक्रम, वर्षा, आर्द्रता, समुद्र तल से ऊँचाई, पर्वतों की दिशा तथा उच्चावच में देखने को मिलती हैं। इन विभिन्नताओं के निम्नलिखित कारण हैं-
1. अक्षांशीय विस्तार-भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर है जो लगभग 30° है। इतने अधिक विस्तार के कारण उत्तरी भारत तथा दक्षिणी भारत की जलवायु में अन्तर पाया जाना स्वाभाविक ही है। दक्षिणी भाग (प्रायद्वीपीय भाग) में भूमध्य रेखा तथा हिन्द महासागर के निकट होने के कारण वर्ष भर तापक्रम ऊँचा रहता है। कोंकण तटीय मैदान में तथा गोवा में रहने वाले लोगों को तापमान की विषमता एवं ऋतु परिवर्तनों का अहसास कम ही होता है।

दिसम्बर, जनवरी में कारगिल में तापक्रम जहाँ -40°C तक गिर जाता है, वहीं गोवा एवं चेन्नई में तापमान 20°-25°C के मध्य रहता है। राजस्थान में गंगानगर का जून का तापक्रम 50°C तक पहुँच जाता है, जबकि गुलमर्ग में 20°C के आसपास रहता है। भूमध्य रेखा से दूर होने के कारण तापक्रम की विभिन्नताएँ दृष्टिगोचर होती हैं।

2. उत्तर में विशाल हिमालय की स्थिति देश की उत्तरी सीमा पर हिमालय पर्वत श्रृंखलाएँ पूर्व से पश्चिम में दीवार की भाँति फैली हुई हैं जो देश की जलवायु को अत्यधिक प्रभावित करती हैं। हिमालय पर्वत अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी से आने वाली वाष्प भरी हवाओं को रोकने का कार्य करता है, जिससे सम्पूर्ण भारत में वर्षा होती है, दूसरी ओर हिमालय उत्तर से आने वाली शीत लहरों को भारत में आने से रोकता है, जिससे शीत ऋतु का तापमान अधिक नीचे नहीं गिर पाता। यदि उत्तर में हिमालय न होता तो सम्भवतः भारत एक मरुस्थली देश होता।

3. जल व स्थल का वितरण-भारत के उत्तर में विशाल स्थलीय भाग एशिया महाद्वीप तथा दक्षिण में हिन्द महासागर स्थित है। स्थल तथा जल में तापमान ग्रहण करने की क्षमता अलग-अलग होती है। स्थलीय भाग शीघ्र गर्म तथा शीघ्र ठण्डे होते हैं। इसके विपरीत जलीय भाग देर से गर्म तथा देर से ठण्डे होते हैं, इसलिए ग्रीष्म ऋतु में जलीय भाग में वायुदाब अधिक तथा उत्तर:पश्चिम भारत में वायुदाब कम होता है और पवनें सागरीय भागों से स्थलीय भाग की ओर चलती हैं। हवाएँ वाष्प-युक्त होती हैं, इसलिए उत्तरी भारत में वर्षा करती हैं।

भारत की जलवायु मानसूनी है। मानसून शब्द अरब भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से बना है अर्थात् देश की जलवायु में मानसूनी पवनों का विशेष योगदान है, जो मौसमानुसार देश में चलती हैं। मानसूनी पवनें छह महीने सागर से स्थल की ओर तथा छह महीने स्थल से सागर की ओर चलती हैं, लेकिन देश में पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की जलवायु दशाओं में अत्यधिक अन्तर या विभिन्नता देखने को मिलती है। इस विभिन्नता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) तापमान की विभिन्नता राजस्थान में बाड़मेर में जहाँ ग्रीष्मकालीन तापमान 50°C तक पहुँच जाता है, वहीं दूसरी ओर पहलगाम में तापमान 22°C के आसपास रहता है। शीतकाल में कारगिल में
तापमान –40°C तथा त्रिवेन्द्रम में तापमान 20°C के आसपास रहता है।

(2) वर्षा की विभिन्नता भारत के उत्तर:पूर्व में मॉसिनराम (मेघालय राज्य में चेरापूँजी के निकट स्थित) में औसत वार्षिक वर्षा 1140 सें०मी० है, जबकि जैसलमेर (राजस्थान) में केवल 12 सें०मी० है। गारो की पहाड़ियों तुरा (Tura) में एक ही दिन में इतनी वर्षा होती है, जितनी जैसलमेर में 10 वर्षों में भी नहीं होती।

(3) ऋतओं में विभिन्नता-

  • दिसम्बर-जनवरी के महीनों में उत्तरी भारत विशेषकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, पंजाब एवं हरियाणा में जहाँ शीत लहर चल रही होती है, वहीं दक्षिण भारत में केरल तथा तमिलनाडु में 22°C के आसपास तापमान रहता है।
  • मुम्बई तथा कोंकण तटीय प्रदेश के लोगों को ऋतु परिवर्तन का अनुभव नहीं होता। ये सारे वर्ष एक ही तरह के वस्त्र पहनते हैं।
  • केरल में वर्षा मई के माह में आरम्भ हो जाती है, जबकि चण्डीगढ़ एवं जम्मू-कश्मीर में जुलाई के महीने में मानसून का आगमन होता है।

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प्रश्न 2.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में कितने स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं? किसी एक मौसम की दशाओं की सविस्तार व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय जलवायु में प्रादेशिक विभिन्नता के साथ-साथ मौसमी विभिन्नताएँ भी देखने को मिलती हैं। भारत में प्रायः निम्नलिखित चार ऋतुएँ मानी जाती हैं-

  • शीत ऋतु (Winter Season)
  • ग्रीष्म ऋतु (Summer Season)
  • वर्षा ऋतु (Rainy Season)
  • मानसून के प्रत्यावर्तन या लौटने की ऋतु (Season of Retreating Monsoon)।

इनमें से ग्रीष्म ऋतु का वर्णन इस प्रकार है-
ग्रीष्म ऋतु-मार्च के महीने के बाद सूर्य उत्तर की ओर स्थानान्तरित होने लगता है और उत्तरी भारत, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में तापक्रम बढ़ने लगता है और धरातलीय एवं उच्च-स्तरीय वायु का परिसंचरण (Circulation) विपरीत दिशा में होने लगता है अर्थात् समुद्री भागों से हवाएँ स्थलीय भाग की ओर चलने लगती हैं। जून का तापक्रम उत्तरी-पश्चिमी भारत में 40° सेल्सियस से अधिक तापमान के कारण न्यून वायुदाब का केन्द्र बन जाता है, जिससे भूमध्य रेखीय द्रोणी वायु को विभिन्न दिशाओं से अपनी ओर आकर्षित करती है। दक्षिण से आने वाली वायु की दिशा भूमध्य रेखा को पार करने के बाद दक्षिण-पश्चिम हो जाती है, जिसे दक्षिण-पश्चिमी मानसून कहते हैं। इन दक्षिण-पश्चिमी वाष्प भरी पवनों की दो शाखाएँ अग्रलिखित हैं

  • अरब सागर का मानसून
  • बंगाल की खाड़ी का मानसून।

वायुदाब-शीत ऋतु में उत्तरी भारत में तापक्रम कम होने के कारण हवाएँ ठण्डी एवं भारी होती हैं, इसलिए वायुदाब अधिक होता है, जबकि दक्षिणी भाग में अपेक्षाकृत कम वायुदाब होता है। उत्तरी-पश्चिमी भाग में वायुदाब 1018 से 1020 मिलीबार की समदाब रेखाएँ देखी जाती हैं, जबकि दक्षिणी भारत विशेषकर बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर के आसपास 1012 से 1014 मिलीबार वायुदाब अंकित किया जाता है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ के कारण पवनों की दिशा में भी विक्षोभ आ जाता है। ये विक्षोभ भूमध्य सागर से उत्पन्न होकर ईरान, इराक, अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान से होता हुआ उत्तरी-पश्चिमी भारत में प्रवेश करता है। इन विक्षोभों को भारत में लाने में जेट-प्रवाह (Jet-flow) का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इस प्रकार का प्रवाह उत्तरी भारत में दिसम्बर से फरवरी तक सक्रिय रहता है।

तापमान कर्क रेखा भारत के बीचो-बीच गुजरती है और जून में सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है, जिससे तापमान उत्तरी-पश्चिमी भारत में कई स्थानों पर 45° सेल्सियस तक पहुँच जाता है। मई-जून में अधिक तापमान के कारण गर्म हवाएँ, जिन्हें ‘लू’ कहते हैं, उत्तरी भारत में चलती हैं। दक्षिणी भारत में तापक्रम 30°-35° सेल्सियस के बीच रहता है तथा तटीय भागों में कहीं-कहीं इससे भी कम रहता है अर्थात् समुद्र का प्रभाव रहता है।

वर्षा उत्तरी भारत में इस ऋतु में धूल-भरी आँधियों के साथ कभी-कभी छुट-पुट वर्षा होती है। दिल्ली, राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा में 1 सें०मी० से 3 सें०मी० तक वर्षा होती है, जबकि हिमालय एवं प्रायद्वीपीय भारत में 10 सें०मी० से 15 सें०मी० तक वर्षा होती है।

वायुदाब-ग्रीष्म ऋतु में तापक्रम की अधिकता के कारण उत्तरी भारत में वायुदाब कम होता है। वायुदाब वितरण मानचित्र को देखने से स्पष्ट होता है कि उत्तरी-पश्चिमी भारत में 997 मिलीबार रेखा राजस्थान तथा पाकिस्तान की सीमा के पास होती है, जबकि दक्षिणी भारत में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में वायुदाब अपेक्षाकृत अधिक 1008 से 1010 मिलीबार के मध्य अंकित किया गया है।

जलवायु HBSE 11th Class Geography Notes

→ एल-निनो (AI-Nino)-यह एक जटिल मौसम तंत्र है, जो हर पाँच या दस साल बाद प्रकट होता रहता है। इसके कारण संसार के विभिन्न भागों में सूखा, बाढ़ और मौसम की चरम अवस्थाएँ आती है।

→ लू (Loo)-उत्तरी मैदान में पंजाब से बिहार तक चलने वाली ये शुष्क, गर्म व पीड़ादायक पवनें हैं।

→ काल बैसाखी (Norwesters)-असम और पश्चिम बंगाल में बैसाख के महीने में शाम को चलने वाली ये भयंकर व विनाशकारी वर्षायुक्त पवनें हैं।

→ मानसून प्रस्फोट (Monsoon Boost)-मानसून पवनों द्वारा अकस्मात मूसलाधार वर्षा करना।

→ भूमध्यरेखीय द्रोणी (Equatorial Trough) यह अंतउष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र का दूसरा नाम है।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

HBSE 11th Class Geography जैव-विविधता एवं संरक्षण Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. जैव-विविधता का संरक्षण निम्न में किसके लिए महत्त्वपूर्ण है?
(A) जंतु
(B) पौधे
(C) पौधे और प्राणी
(D) सभी जीवधारी
उत्तर:
(D) सभी जीवधारी

2. निम्नलिखित में से असुरक्षित प्रजातियाँ कौन सी हैं?
(A) जो दूसरों को असुरक्षा दें
(B) बाघ व शेर
(C) जिनकी संख्या अत्यधिक हों अधिक हों
(D) जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है
उत्तर:
(D) जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

3. नेशनल पार्क (National parks) और पशुविहार (Sanctuaries) निम्न में से किस उद्देश्य के लिए बनाए गए है?
(A) मनोरंजन
(B) पालतू जीवों के लिए
(C) शिकार के लिए
(D) संरक्षण के लिए
उत्तर:
(D) संरक्षण के लिए

4. जैव-विविधता समृद्ध क्षेत्र हैं-
(A) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र
(B) शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र
(C) ध्रुवीय क्षेत्र
(D) महासागरीय क्षेत्र
उत्तर:
(A) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र

5. निम्न में से किस देश में पृथ्वी सम्मेलन (Earth summit) हुआ था?
(A) यू०के० (U.K.)
(B) ब्राजील
(C) मैक्सिको
(D) चीन
उत्तर:
(B) ब्राजील

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जैव-विविधता क्या है?
उत्तर:
जैव-विविधता (Bio-diversity)-किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव-विविधता कहा जाता है। यह विकास के लाखों वर्षों के इतिहास का परिणाम है।

प्रश्न 2.
जैव-विविधता के विभिन्न स्तर क्या हैं?
उत्तर:
जैव-विविधता को निम्नलिखित तीन स्तरों पर समझा जाता है-

  • आनुवांशिक जैव-विविधता
  • प्रजातीय जैव-विविधता
  • पारितन्त्रीय जैव-विविधता।

प्रश्न 3.
हॉट स्पॉट (Hot Spot) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हॉट स्पॉट (Hot Spot)-जिन क्षेत्रों में जैव-विविधता अति समृद्ध एवं संवेदनशील हो और मानवीय गतिविधियों के कारण खतरे में हो ऐसे क्षेत्रों को जैव-विविधता के हॉट स्पॉट कहा जाता है।

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प्रश्न 4.
मानव जाति के लिए जन्तुओं के महत्त्व का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर:
मानव अपनी मूलभूत आवश्यताएँ; जैसे रोटी, कपड़ा और मकान तथा विकसित सुखी जीवन की अन्य सुविधाएँ भिन्न-भिन्न तरीकों से जैविक विविधता से ही प्राप्त करता है। जीवों की अनेक प्रजातियाँ हमें बहुत-से पदार्थ प्रदान करती हैं जिससे हमारी भौतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सन्तुष्टि होती है, जो कल्याणकारी जीवन के लिए अति आवश्यक है।

प्रश्न 5.
विदेशज प्रजातियों (Exotic Species) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विदेशज प्रजातियाँ (Exotic Species)-वे प्रजातियाँ जो स्थानीय आवास की मूल जैव प्रजाति नहीं हैं लेकिन उस तन्त्र में स्थापित की गई हैं, उन्हें विदेशज प्रजातियाँ कहते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
प्रकृति को बनाए रखने में जैव-विविधता की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
जैव-विविधता ने मानव संस्कृति के विकास में बहुत योगदान दिया है, इसी प्रकार, मानव समुदायों ने भी आनुवंशिक, प्रजातीय व पारिस्थितिक स्तरों पर प्राकृतिक विविधता को बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया है।

दूसरे शब्दों में जिस पारितंत्र में जितनी प्रकार की प्रजातियाँ होंगी, वह पारितंत्र उतना ही अधिक स्थायी होगा।
1. जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका-

  • सभी मनुष्यों के लिए दैनिक जीवन में जैव-विविधता एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है, जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण भाग ‘फसलों की विविधता’ है, जिसे कृषि जैव विविधता कहा जाता है।
  • जैव-विविधता को संसाधनों के उन भंडारों के रूप में भी समझा जा सकता है, जिनकी उपयोगिता भोज्य-पदार्थ, औषधियाँ और सौंदर्य प्रसाधन आदि बनाने में है।

2. जैव-विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका-

  • जीव व प्रजातियाँ ऊर्जा ग्रहण कर उसका संग्रहण करती हैं। प्रत्येक जीव अपनी जरूरत पूरी करने के साथ-साथ दूसरे जीवों के पनपने में भी सहायक होता है।
  • प्रजातियाँ जलवायु को नियंत्रित करने में सहायक होती है। ये पारितंत्री क्रियाएँ मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ हैं।
  • पारितंत्र में जितनी अधिक विविधता होगी, प्रजातियों के प्रतिकूल स्थितियों में भी रहने की संभावना और उनकी उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होगी।

3. जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका-

  • जैव-विविधता इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक प्रजाति हमें यह संकेत देती है, कि जीवन का आरंभ कैसे हुआ और भविष्य में कैसे विकसित होगा।
  • पारितंत्र में हम भी एक प्रजाति हैं, तथा मानव प्रजाति की क्या भूमिका है, इसे हम जैव-विविधता से समझ सकते हैं।
  • यह समझना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हमारे साथ सभी प्रजातियों को जीवित रहने का अधिकार हैं। अतः कई प्रजातियों को स्वेच्छा से विलुप्त करना नैतिक रूप से गलत है।

प्रश्न 2.
जैव-विविधता के हास के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों का वर्णन करें। इसे रोकने के उपाय भी बताएँ।
उत्तर:
जैव-विविधता के ह्रास के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं
1. जनसंख्या में वृद्धि जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों को रहने के लिए एवं कृषि के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति वनों को काटकर की जाती है। इस प्रकार विभिन्न प्रजातियों के आवास स्थल नष्ट हो जाते हैं और बहुत-सी प्रजातियाँ लुप्त हो जाती हैं। इसलिए बढ़ती जनसंख्या जैव-विविधता के लिए बड़ा खतरा है।

2. वन्य जीवों का अवैध शिकार वन्य प्राणियों से बहुमूल्य पदार्थ प्राप्त करने के लिए उनका अवैध शिकार किया जाता है जिससे बहुत-सी प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं जो जैव-विविधता के लिए एक खतरा हैं।

3. प्रदूषण-पर्यावरण प्रदूषण, विशेषकर जलीय पारितन्त्र को खराब कर देता है, इससे जलीय जीवों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।

4. विदेशज प्रजातियों का आगमन किसी भी क्षेत्र में विदेशी प्रजातियों के आगमन से स्थानीय प्रजातियों के आवास एवं भोजन आदि के लिए उनके साथ संघर्ष करना पड़ता है। इस संघर्ष में स्थानीय कमजोर प्रजातियाँ नष्ट हो जाती हैं।

जैव-विविधता हास को रोकने के उपाय-जैव-विविधता ह्रास को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं-

  • संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास किए जाने चाहिएँ।।
  • प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए उचित योजनाएँ व प्रबन्धन किया जाना चाहिए।
  • वन्य जीवों के आवास के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पार्क बनाए जाने चाहिएँ।
  • वनस्पति एवं प्राणी प्रजातियों की किस्मों को संरक्षित करना चाहिए।

जैव-विविधता एवं संरक्षण HBSE 11th Class Geography Notes

→ जैव-विविधता (Biodiversity)-पृथ्वी अथवा किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्रों के पौधों, प्राणियों व सूक्ष्म जीवों की विविधता को जैव-विविधता कहते हैं।

→ टैक्सोनोमी (Taxonomy)-जीवों के वर्गीकरण के विज्ञान को टैक्सोनोमी कहते हैं।

→ तप्त स्थल (Hot Spots)-संसार के जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता पाई जाती है, उन्हें विविधता के ‘तप्त स्थल’ कहा जाता है।

→ आनुवंशिकी (Genetics)-आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचरण की विधियों और कारणों के अध्ययन को आनुवंशिकी कहते हैं।

→ आनुवंशिकता (Heredity)-जीवधारियों की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विभिन्न लक्षणों के प्रेक्षण या संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

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HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. पृथ्वी पर कितने परिमंडल हैं?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(C) 4

2. तटीय मरुस्थलों में प्रायः तापमान रहता है
(A) 21° – 38°C
(B) 2° – 25°C
(C) 15° – 35°C
(D) 29° – 37°C
उत्तर:
(C) 15° – 35°C

3. निम्नलिखित में से उच्च प्रदेशीय जीवोम कहाँ पाया जाता है?
(A) एंडीज
(B) स्टैपी
(C) प्रवालभित्ति
(D) रूब-एल-खाली
उत्तर:
(A) एंडीज

4. वायुमंडल में जीवमंडल का विस्तार कितनी ऊँचाई तक है?
(A) 2000 मी०
(B) 3000 मी०
(C) 4000 मी०
(D) 5000 मी०
उत्तर:
(D) 5000 मी०

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

5. वनस्पति जगत और प्राणी जगत किसके वर्ग हैं?
(A) स्थलमंडल
(B) वायुमंडल
(C) जलमंडल
(D) जैवमंडल
उत्तर:
(D) जैवमंडल

6. कौन-सी गैस ‘हरित गृह प्रभाव’ उत्पन्न करती है?
(A) कार्बन-डाइऑक्साइड
(B) ओजोन
(C) हाइड्रोजन
(D) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन
उत्तर:
(A) कार्बन-डाइऑक्साइड

7. Ecology’ शब्द यूनानी शब्दों Oikos तथा logos से मिलकर बना है। इनमें ‘आइकोस’ शब्द का क्या अर्थ है?
(A) जीव के प्रजनन का स्थान
(B) वनस्पति
(C) पर्यावरण
(D) रहने का स्थान
उत्तर:
(D) रहने का स्थान

8. ‘Ecology’ शब्द जर्मनी भाषा के किस शब्द से बना है?
(A) Oekology
(B) Oekologie
(C) Ekology
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) Oekologie

9. Ecosystem’ (पारिस्थितिक तंत्र) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस विद्वान ने किया था?
(A) ए०जी०टांसली
(B) लिंडमैन
(C) मोंकहाऊस
(D) सेंट हिलेयर आइसोडॉट ज्योफ्री
उत्तर:
(A) ए०जी०टांसली

10. जैवमंडल की सर्वप्रथम संकल्पना किसने प्रस्तुत की?
(A) ए०जी०टांसली
(B) लिंडमैन
(C) मोंकहाऊस
(D) एडवर्ड सुवेस
उत्तर:
(D) एडवर्ड सुवेस

11. निम्नलिखित में से अपघटक वर्ग में किसको रखा जा सकता है?
(A) पेड़-पौधे
(B) बकरी
(C) बैक्टीरिया
(D) सौर विकिरण
उत्तर:
(C) बैक्टीरिया

12. निम्नलिखित में से जैवमंडल का सदस्य नहीं है-
(A) शैवाल
(B) कवक
(C) जल
(D) पादप
उत्तर:
(C) जल

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

13. निम्नलिखित में से कौन-सा उदाहरण स्वपोषित घटक का है?
(A) घास
(B) मनुष्य
(C) हिरण
(D) गिद्ध
उत्तर:
(A) घास

14. पारिस्थितिक तंत्र में उपभोक्ता उन्हें कहा जाता है जो-
(A) अपना आहार स्वयं बनाते हैं।
(B) स्वपोषित प्राथमिक उत्पादक (पौधों) से भोजन प्राप्त करते हैं
(C) मृत जंतुओं और पौधों को गलाते-सड़ाते हैं
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) स्वपोषित प्राथमिक उत्पादक (पौधों) से भोजन प्राप्त करते हैं

15. निम्नलिखित में से किसको सर्वाहारी वर्ग में रखा जा सकता है?
(A) कीट, चूहे
(B) गाय, भैंस
(C) मनुष्य
(D) उल्लू, शेर, चीता
उत्तर:
(C) मनुष्य

16. जमीन पर कोई भी शाकाहारी, मांसाहारी और सर्वाहारी नहीं बचेगा, यदि-
(A) सारे पौधे हटा दिए जाएँ
(B) सारे खरगोश और हिरण हटा दिए जाएँ
(C) सारे शेर हटा दिए जाएँ
(D) सारे सूक्ष्म जीव व जीवाणु हटा दिए जाएँ
उत्तर:
(A) सारे पौधे हटा दिए जाएँ

17. निम्नलिखित में से मानव निर्मित पारिस्थितिक तंत्र का हिस्सा नहीं है-
(A) जनजातीय पारिस्थितिक तंत्र
(B) वनीय पारिस्थितिक तंत्र
(C) कृषि पारिस्थितिक तंत्र
(D) ग्रामीण पारिस्थितिक तंत्र
उत्तर:
(B) वनीय पारिस्थितिक तंत्र

18. खाद्य शृंखला के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(A) आद्य श्रृंखला में एक प्राणी दूसरे को खाकर ऊर्जा का स्थानान्तरण करता है
(B) इसमें केवल 50% ऊर्जा अगले पोषण तल को प्राप्त होती है
(C) इसके तीसरे स्तर पर मांसाहारी जानवर आ जाते हैं
(D) अधिकतर खाद्य शृंखलाएँ चार या पाँच स्तरों तक ही सीमित हो जाती हैं
उत्तर:
(B) इसमें केवल 50% ऊर्जा अगले पोषण तल को प्राप्त होती है

19. गिद्ध इसलिए समाप्त हो चुके हैं क्योंकि-
(A) वर्तमान जलवायु उनके अनुकूल नहीं रही
(B) भोजन व पानी की कमी ने उनका सफाया कर दिया
(C) पोषण तल के उच्चतम स्तर पर होने के कारण उनमें घातक रसायन एकत्रित हो गए
(D) गिद्ध को अन्य मांसाहारी जीव खा गए
उत्तर:
(C) पोषण तल के उच्चतम स्तर पर होने के कारण उनमें घातक रसायन एकत्रित हो गए

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें-

प्रश्न 1.
खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
घास।

प्रश्न 2.
उष्ण कटिबंधीय घास के मैदानों को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
सवाना।

प्रश्न 3.
शैलों में उपस्थित लोहांश से ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया होने पर क्या बनता है?
उत्तर:
आयरन ऑक्साइड।

प्रश्न 4.
वनस्पति जगत और प्राणी जगत किसके वर्ग हैं?
उत्तर:
जैवमंडल के।

प्रश्न 5.
कौन-सी गैस ‘हरित गृह प्रभाव उत्पन्न करती है?
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड।

प्रश्न 6.
‘Ecosystem’ (पारिस्थितिक तंत्र) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस विद्वान ने किया था?
उत्तर:
ए०जी० टांसली ने।

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प्रश्न 7.
जैवमंडल की सर्वप्रथम संकल्पना किसने प्रस्तुत की?
उत्तर:
एडवर्ड सुवेस ने।

प्रश्न 8.
जैवमण्डल के दो वर्ग कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. वनस्पति जगत और
  2. प्राणी जगत।

प्रश्न 9.
होमोसेपियन्स (Homo Sapiens) क्या है?
उत्तर:
एक प्रजाति के रूप में आधुनिक मानव।

प्रश्न 10.
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत क्या है?
उत्तर:
सूर्यातप।

प्रश्न 11.
पारिस्थितिक तन्त्र (Ecosystem) के घटकों के दो वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. जैव
  2. अजैव।

प्रश्न 12.
सभी प्राकृतिक चक्रों को ऊर्जा प्रदान करने वाला प्रमुख स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
सौर विकिरण।

प्रश्न 13.
एक प्रमुख पारितंत्र का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वन एक प्रमुख पारितंत्र है।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी के परिमण्डलों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. स्थलमण्डल
  2. वायुमण्डल
  3. जलमण्डल और
  4. जैवमण्डल।

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं के तीन मुख्य वर्ग बताइए। अथवा जीवों के मुख्य वर्ग कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. शाकाहारी (Herbivores)
  2. मांसाहारी (Carnivores)
  3. सर्वाहारी (Omnivores)।

प्रश्न 3.
अपघटक (Decomposers) क्या होते हैं?
उत्तर:
अपघटक वे सूक्ष्म जीव व जीवाणु होते हैं जो खाद्य श्रृंखला के सभी स्तरों से गले-सड़े जैव पदार्थ को अपना भोजन बनाते हैं।

प्रश्न 4.
पारिस्थितिक तन्त्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी भी क्षेत्र या प्रदेश के भौतिक वातावरण तथा जीवों के पारस्परिक सम्बन्धों के व्यवस्थित अध्ययन को पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। यह एक जटिल तन्त्र है, जिसमें दोनों के आपसी सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन सम्मिलित है। पारिस्थितिक तन्त्र में जैविक तथा अजैविक जगत की पारस्परिक प्रक्रियाओं तथा सम्बन्धों का विश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 5.
पारितन्त्र क्या है?
उत्तर:
पारितन्त्र पर्यावरण के सभी जैव तथा अजैव घटकों के एकीकरण का परिणाम है। दूसरे शब्दों में, जीव तथा उसके पर्यावरण के बीच की स्वतन्त्र इकाई को पारितन्त्र (Ecosystem) कहा जाता है।

प्रश्न 6.
जैवमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
जैवमण्डल से अभिप्राय पृथ्वी के उस अंग से है, जहाँ जीवन सम्भव है। सभी जीवित प्राणी जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे इसी मण्डल में पनपते हैं।

प्रश्न 7.
पारितंत्रीय विविधता क्या है?
उत्तर:
पारितंत्रीय विविधता पारितंत्र के प्रकारों की व्यापक भिन्नता, पर्यावासों की विविधता और प्रत्येक पारितंत्र में घटित हो. रही पारिस्थितिकीय प्रक्रियाओं से नजर आती है। पारितंत्रीय सीमाओं का निर्धारण न केवल जटिल है, बल्कि कठिन भी है।

प्रश्न 8.
शाकाहारी और माँसाहारी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
शाकाहारी और माँसाहारी में निम्नलिखित अन्तर हैं-

शाकाहारीमाँसाहारी
1. शाकाहारी जीव अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर करते हैं।1. माँसाहारी जीव अपना भोजन शाकाहारी जीवों के माँस से प्राप्त करते हैं।
2. ये पहले स्तर पर प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं।2. ये गौण उपभोक्ता कहलाते हैं।
3. कीट, चूहे, बकरियाँ, गाय, भैंस आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं।3. शेर, चीता, उल्लू, गिद्ध आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं।

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प्रश्न 9.
खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में क्या अन्तर है?
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में निम्नलिखित अन्तर हैं-

खाद्य शृंखलाखाद्य जाल
1. किसी पारिस्थितिक तन्त्र में एक स्रोत से दूसरे स्रोत में ऊर्जा स्थानान्तरण की प्रक्रिया को खाद्य शृंखला कहते हैं।1. जब बहुत-सी खाद्य शृंखलाएँ एक-दूसरे से घुल-मिलकर एक जटिल स्प धारण करती हैं, तो उसे खाद्य जाल कहते हैं।
2. खाद्य शृंखला ऊर्जा का प्रवाह चक्र है।2. खाद्य जाल अनेक स्रोतों से ऊर्जा के अन्तरण की एक जटिल प्रक्रिया है।

लातुरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जैवमण्डल का पर्यावरण में क्या स्थान है?
उत्तर:
जैवमण्डल प्राकृतिक पर्यावरण का एक विशिष्ट अंग है। इस मण्डल में सभी जीवित प्राणियों, मानव तथा जीव जन्तुओं की क्रियाएँ सम्मिलित हैं। जैवमण्डल के कारण भू-तल पर जीवन है। पर्यावरण के अन्य सभी अंग जैवमण्डल के प्राणियों को उत्पन्न करने तथा उनके क्रियाशील रहने में सहायक हैं। जैवमण्डल वायुमण्डल की ऊपरी परतों से महासागरों की गहराइयों तक विस्तृत रूप से फैला हुआ है। मनुष्य इस जैवमण्डल में पर्यावरण की समग्रता लाने में क्रियाशील है। मनुष्य भू-तल की सम्पदाओं का बुद्धिमत्ता से उपयोग करके इसका संरक्षण कर सकता है, इसलिए जैवमण्डल को प्राकृतिक पर्यावरण का सबसे महत्त्वपूर्ण तथा विशिष्ट मण्डल कहा जाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादक तथा उपभोक्ता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
उत्पादक तथा उपभोक्ता में निम्नलिखित अन्तर हैं-

उत्पादकउपभोक्ता
1. उत्पादक सौर ऊर्जा का प्रयोग करके अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं।1. उपभोक्ता अपना भोजन स्वयं उत्पन्न करने में असमर्थ होते हैं। ये अन्य जीवों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
2. ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट उत्पन्न करते हैं तथा खाद्य शृंखला के दूसरे उपभोक्ताओं को भोजन प्रदान करते हैं।2. उपभोक्ता प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाने में अमसर्थ हैं, इन्हें शाकाहारी, माँसाहारी तथा सर्वाहारी इन वर्गों में बाँटा जाता है ।
3. पेड़-पौधे, नीली-हरी शैवाल तथा कुछ जीवाणु इनके प्रमुख उदाहरण हैं।3. भेड़, बकरियाँ, उल्लू, मनुष्य आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 3.
जैवमण्डल हमारे लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जैवमण्डल से अभिप्राय पृथ्वी के उस अंग से है, जहाँ सभी प्रकार का जीवन पाया जाता है। स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल जहाँ मिलते हैं, वहीं जैवमण्डल स्थित है। इस मण्डल में सभी प्रकार का जीवन सम्भव है। सभी जीवित प्राणी जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे इसी मण्डल में पनपते हैं, इसलिए जैवमण्डल हमारे लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 4.
जैवमण्डल का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैवमण्डल क्षैतिज रूप से सारे भूमण्डल पर और लम्बवत् रूप से सागरों की गहराई से वायुमण्डल की ऊँचाई तक, जहाँ-जहाँ जीवन सम्भव है, तक फैला हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जैवमण्डल का विस्तार महासागरों में 9,000 मीटर की गहराई तक, स्थल के नीचे 300 मीटर की गहराई तक तथा वायुमण्डल में 5,000 मीटर की ऊँचाई तक है। जैवमण्डल की परत पतली किन्तु अत्यन्त जटिल है और किसी भी प्रकार का जीवन इसी परत में सम्भव है।

प्रश्न 5.
ऊर्जा प्रवाह में 10 प्रतिशत ऊर्जा स्थानान्तरण के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जीवविज्ञानी किन्डलमान (Kindlemann) ने सन् 1942 में एक सामान्यीकरण (Generalisation) प्रस्तुत किया जिसके अनुसार खाद्य श्रृंखला में एक पोषण तल के निकटतम उच्च पोषण तल (Trophic Level) में जब ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है तो ऊर्जा का अधिकांश भाग (90%) विभिन्न शारीरिक क्रियाओं में ताप के रूप में नष्ट हो जाता है। केवल 10 प्रतिशत ऊर्जा अगले पोषण तल को प्राप्त होती है। स्पष्ट है कि जैसे-जैसे हम खाद्य के प्राथमिक स्रोत से दूर होते जाते हैं वैसे-वैसे जन्तुओं द्वारा प्राप्त ऊर्जा की मात्रा न्यून होती चली जाती है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि ज्यों-ज्यों हम खाद्य श्रृंखला में ऊपर की ओर जाते हैं तो जन्तुओं की संख्या और उनकी विविधता कम होती जाती है। उदाहरणतः एक जंगल में हज़ारों पेड़-पौधे हो सकते हैं जिनमें सौ हिरण हो सकते हैं, दो चार लक्कड़बग्घे परन्तु शेर एक ही रह सकता है।

प्रश्न 6.
पारिस्थितिक सन्तुलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र की प्राकृतिक अवस्था में विविध चक्रों और ऊर्जा प्रवाहों में पूरा सामंजस्य होता है, जिससे एक गतिशील सन्तुलन स्थापित हो जाता है। इसे पारिस्थितिक सन्तुलन कहते हैं। सन्तुलन की इस दशा में विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं (जीव-जन्तुओं) की सापेक्षिक संख्या इस प्रकार निश्चित होती है कि किसी भी जीव के लिए खाद्य पदार्थ की कमी नहीं है।

छोटे और कमज़ोर जीवों अर्थात् प्राथमिक उपभोक्ताओं की कम जरूरत के कारण उनकी संख्या अधिक तथा उनकी प्रजनन दर भी तीव्र होती है। बड़े अर्थात् द्वितीय तथा तृतीय स्तर के उपभोक्ता संख्या में कम होते हैं और उनकी प्रजनन दर भी कम होती है। जब कभी किसी पारिस्थितिक तन्त्र में विभिन्न प्रकार के प्राणियों की सापेक्ष संख्या में अन्तर आ जाता है तो विविध चक्रों और ऊर्जा प्रवाहों का सामंजस्य भंग हो जाता है, परिणामस्वरूप पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ जाता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तन्त्र पर मनुष्य के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्र एक स्वचालित प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य अथवा किसी भी प्राणी की भूमिका गड़बड़ाने पर इस जटिल किन्तु संवेदनशील तन्त्र की प्रक्रिया में बाधा आ जाती है जिसके कुप्रभाव और दुष्परिणाम समस्त जीव-जगत् को भुगतने पड़ते हैं। इस जैवमण्डल के असंख्य जीवों में से एक होते हुए भी अपनी बुद्धि विज्ञान तथा तकनीकी विकास के सहारे मनुष्य पारिस्थितिक तन्त्र को अधिकाधिक प्रभावित करने की क्षमता धारण करता जा रहा है। मनुष्य द्वारा किए गए जानवरों के वर्णात्मक (Selective) शिकार से वह खाद्य शृंखला भंग हो गई है जिसमें वे जानवर प्रतियोगिता करते थे। एक खाद्य श्रृंखला भंग होने पर खाद्य जाल में कार्यरत अनेक खाद्य शृंखलाएँ बाधित होती हैं।

मनुष्य ने अपने आर्थिक लाभ और उपयोग के लिए अनेक पौधों और पशुओं को पालतू बना लिया है। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक चयन का स्थान मानवीय चयन ने ले लिया है। हमारी फसलें और गाय, भैंस, भेड़-बकरी तथा मुर्गी जैसे पालतू पशु-पक्षी इसी पर्यावरणीय नियन्त्रण का परिणाम हैं। इस प्रक्रिया में मानव ने पौधों और प्राणियों की आनुवंशिकी (Genetics) में भी परिवर्तन कर दिए हैं ताकि नई वांछनीय विशेषताएँ आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाई जा सकें। कई बार मनुष्य द्वारा जानबूझ कर अथवा आकस्मिक ढंग से अनेक पौधों और प्राणियों को उनके मूल स्थान से हटा कर नए क्षेत्रों में बसाया गया है। इस पराए वातावरण में कई बार पौधों और प्राणियों को प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता। परिणामस्वरूप उनकी संख्या अन्य जीवों से अधिक हो जाती है और वे पारिस्थितिक तन्त्र को भंग कर देते हैं।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 2.
पारिस्थितिक तन्त्र की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इसके विभिन्न अंगों में पदार्थ चक्रण और ऊर्जा प्रवाह को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्र की अवधारणा-किसी क्षेत्र के भौतिक पर्यावरण तथा उसमें रहने वाले जीवों के बीच होने वाली पारस्परिक क्रियाओं की जटिल व्यवस्था को पारिस्थितिक तन्त्र (Ecosystem) कहते हैं। पारिस्थितिक तन्त्र छोटा या बड़ा किसी भी आकार का हो सकता है। उदाहरणतः गाँव का छोटा-सा तालाब, अमेज़न का वर्षा-वन (Rain forest) जो कई देशों पर विस्तृत है, एक महासागर अथवा सारा संसार एक पारिस्थितिक तन्त्र हो सकता है। पारिस्थितिक तन्त्र के निर्माण, पुनरुत्थान और उसके जीवन-निर्वाह के लिए ऊर्जा का प्रवाह तथा पदार्थ का चक्रण अनिवार्य है।

पारिस्थितिक तन्त्र छोटा हो या बड़ा, उसकी मुख्य विशेषता होती है उसके विभिन्न अंगों में ऊर्जा का प्रवाह और पदार्थ का चक्रण (Circulation)। ऊर्जा तथा पदार्थ का उपयोग पारिस्थितिक तन्त्र के निर्माण, पुनरुत्थान और उसके जीवन निर्वाह के लिए किया जाता है।
1. पदार्थ चक्रण-सभी जीवों का निर्माण मुख्यतः तीन तत्त्वों से मिलकर हुआ है। ये तत्त्व हैं-(1) कार्बन, (2) हाइड्रोजन तथा (3) ऑक्सीजन। थोड़ी मात्रा में अन्य तत्त्वों; जैसे नाइट्रोजन, लोहा, फॉस्फोरस और मैंगनीज़ की भी आवश्यकता पड़ती है। इन सभी तत्त्वों को पोषक कहते हैं। जैवमण्डल में ये तत्त्व पौधों के द्वारा पहुँचते हैं।

पारिस्थितिक तन्त्र के विभिन्न अंगों के बीच पदार्थ चक्रीय ढंग से घूमते हैं। इन पदार्थों में तत्त्व (Elements) और यौ (Compounds) दोनों होते हैं। पदार्थ चक्रण के मार्ग स्पष्ट एवं सुसंगत होते हैं। उदाहरणतः कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और जल वायुमण्डल, स्थलमण्डल, जलमण्डल और जैवमण्डल के बीच एक प्राकृतिक व्यवस्था के तहत स्थानान्तरित होते रहते हैं। कुछ पदार्थों का चक्रण थोड़े समय में ही पूरा हो जाता है जबकि अन्य कुछ पदार्थ किसी एक रूप में लम्बे समय तक संचित पड़े रहते हैं और उनका चक्रण हज़ारों, लाखों अथवा करोड़ों वर्षों में पूरा होता है। परन्तु ये पदार्थ कभी भी पृथ्वी के बाहर नहीं जा पाते।

2. ऊर्जा प्रवाह जैसे किसी भी कार्य के लिए ऊर्जा (Energy) की आवश्यकता होती है वैसे ही पारिस्थितिक तन्त्र के विभिन्न अंग ऊर्जा के संचरण द्वारा ही कार्य करते हैं।

पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह क्रमबद्ध स्तरों की एक श्रृंखला में होता है जिसे खाद्य शृंखला (Food Chain) कहते हैं। खाद्य शृंखला वास्तव में एक समुदाय में जीवित प्राणियों का ऐसा अनुक्रम (Sequence) होता है जिसमें एक प्राणी दूसरे प्राणी को खाकर खाद्य ऊर्जा का स्थानान्तरण करता है। सरल शब्दों में, खाद्य श्रृंखला “कौन किसको खाता है” (Who eats whom) की एंक सूची होती है। आइए! निम्नलिखित खाद्य शृंखला के माध्यम से ऊर्जा प्रवाह को क्रमिक ढंग से समझें-

(1) खाद्य श्रृंखला में पहले स्तर पर हरे पौधे आते हैं जिन्हें उत्पादक कहते हैं। ये पौधे प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन-डाइऑक्साइड तथा जल को रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं जो पौधों में कार्बोहाइड्रेट के रूप में संचित हो जाती है। ऊर्जा रूपान्तरण की यह प्रक्रिया प्रकाश-संश्लेषण (Photo-synthesis) कहलाती है जिसके अन्तर्गत जीवनदायक जैव रासायनिक अणुओं की उत्पत्ति होती है। ऐसे पौधे जो प्रकाश-संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं अकार्बनिक पदार्थों से तैयार करते हैं, स्वपोषित (Autotroph) कहलाते हैं।

(2) इन पौधों अथवा उत्पादकों को शाकाहारी (Herbivores) प्राणी खा जाते हैं। ये प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं। कीट, चूहे, भेड़, बकरियाँ, गाय-भैंस आदि प्राथमिक उपभोक्ताओं के उदाहरण हैं।

(3) खाद्य शृंखला के तीसरे स्तर पर माँसाहारी (Carnivores) जानवर आते हैं जो प्राथमिक उपभोक्ताओं अर्थात् शाकाहारी जानवरों को खाकर जीवित रहते हैं। इन्हें गौण अथवा द्वितीयक उपभोक्ता कहते हैं। उल्ल, शेर, चीता आदि इसके उदाहरण हैं।

(4) कुछ जातियों को सर्वाहारी (Omnivores) कहते हैं क्योंकि वे शाकाहारी और माँसाहारी दोनों होते हैं। मनुष्य सर्वाहारी श्रेणी में आता है।

(5) कुछ सूक्ष्म जीव तथा जीवाणु जिन्हें अपघटक (Decomposers) कहते हैं, खाद्य श्रृंखला के सभी स्तरों से प्राप्त अवशेष या गले-सड़े जैव पदार्थ को अपना भोजना बना कर जीवित रहते हैं। ये अपघटक पारिस्थितिक तन्त्र में खनिज पोषकों के पुनर्चक्रण में सहायता करके खाद्य-शृंखला को पूरा करते हैं।

प्रश्न 3.
पारिस्थितिकी तथा पारिस्थितिक तन्त्र के बारे में विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर:
पारिस्थितिकी (Ecology)-पारिस्थितिकी का सीधा सम्बन्ध जैविक तथा अजैविक तत्त्वों के पारस्परिक सम्बन्धों से है अर्थात् जैव समूहों एवं जीवों तथा भौतिक वातावरण के बीच जो सम्बन्ध होते हैं, उनका अध्ययन पारिस्थितिकी में किया जाता है। प्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिक एरंट हैकल के अनुसार, “पारिस्थितिकी ज्ञान, जिसमें जैविक तत्त्वों का अपने चारों ओर के संसार के साथ सम्बन्धों के योगफल का अध्ययन किया जाता है।”

सन् 1860 में Ernt Haeckel ने सर्वप्रथम (Ecology) पारिस्थितिकी शब्द का प्रयोग किया था, लेकिन 20वीं शताब्दी में इसका व्यापक प्रयोग पर्यावरण के सन्दर्भ में किया जाने लगा। किसी भी क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण का प्रभाव वहाँ की वनस्पति तथा जीव-जन्तओं पर पड़ता है, ये आपस में एक-दूसरे से प्रभावित होते हैं तथा प्रभावित करते हैं। इसलिए Kerbs ने सन 1972 में लिखा है, “पारिस्थितिकी वातावरण की उन पारस्परिक प्रतिक्रियाओं के अध्ययन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो जीव-समूहों के कल्याण, उनके वितरण को विनियमित करने, प्रचुरता पुनरुत्यति तथा विकास को नियन्त्रित करते हैं।”

पारिस्थितिक तन्त्र (Eco-System)-किसी भी क्षेत्र या प्रदेश के भौतिक वातावरण एवं जीवों के पारस्परिक सम्बन्धों का व्यवस्थित अध्ययन पारिस्थितिकी तन्त्र कहलाता है। यह एक जटिल व्यवस्था (तन्त्र) है, जिसमें दोनों के आपसी सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन सम्मिलित है।

उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि पारिस्थितिकी तन्त्र में जैविक जगत् तथा अजैविक जगत् (Biotic and Abiotic World) की पारस्परिक प्रक्रियाओं एवं सम्बन्धों का विश्लेषण किया जाता है। जैव जगत् (Biotic World) में पशु-पक्षी, मानव, पेड़-पौधों आदि तथा अजैविक जगत् (Abiotic World) में भूमि, मिट्टी, जलवायु आदि तत्त्व सम्मिलित हैं। पारिस्थितिकी तन्त्र के विभिन्न अंग होते हैं जो एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। उदाहरणार्थ किसी वन प्रदेश में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, घास, झाड़ी, लताएँ, फफूंदी, जीवाणु, पशु-पक्षी तथा बड़े-बड़े जंगली जीव होते हैं। इन सभी का आपसी सम्बन्ध होता है। पेड़-पौधे तथा घास अपने लिए मिट्टी से पोषक तत्त्व पानी, हवा आदि ग्रहण करते हैं। कुछ पौधे परजीवी होते हैं।

जंगल में रहने वाले जीव-जन्तु कुछ तो वनस्पति से भोजन प्राप्त करते हैं तथा जो माँसाहारी होते हैं, वे छोटे जीवों का शिकार करके अपना भोजन जुटाते हैं। जीव-जन्तुओं के मरने के बाद उसके अवशेषों से मिट्टी का निर्माण अथवा मिट्टी में पोषक तत्त्वों की वृद्धि होती है। यही पोषक तत्त्व वनस्पति के विकास में सहायक होते हैं और फिर जीवों का भोजन बनाते हैं अर्थात् भौतिक वातावरण तथा जैविक वातावरण का पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध है और इन सम्बन्धों का वैज्ञानिक और व्यवस्थित अध्ययन पारिस्थितिकी तन्त्र है। यह महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि इन्हीं दोनों तत्त्वों में पोषक चक्र (Nutrient Cycle) गतिज ऊर्जा (Energy Flow) के माध्यम से विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा जीवन-संचार करते हैं।

प्रश्न 4.
जैव भू-रासायनिक चक्र के सम्पन्न होने के क्रमों को समझाइए।
उत्तर:
जैव भू-रासायनिक चक्र के सम्पन्न होने के क्रम-जैव भू-रासायनिक चक्र निम्नलिखित क्रम में सम्पन्न होता है-
1. पौधों के उगने-बढ़ने के लिए कुछ अजैव तत्त्व आवश्यक होते हैं। वे अजैव तत्त्व हैं कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन। थोड़ी मात्रा में अन्य तत्त्वों यथा-नाइट्रोजन, लोहा, गंधक, फॉस्फोरस और मैंगनीज की भी आवश्यकता होती है। इन सभी तत्त्वों को पोषक (Nutrients) कहा जाता है।

2. चट्टानों के अपघटन से प्राप्त अवसादों से मिट्टी बनती है जिसमें लोहा, तांबा, सोडियम और फॉस्फोरस जैसे खनिज (पोषक) तत्त्व स्वतः उपलब्ध होते हैं। वर्षा जल के साथ कुछ रासायनिक पोषक-कार्बन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन वायुमण्डल से निकलकर मिट्टी में मिल जाते हैं।

3. मृदा और वायु से प्राप्त इन पोषक तत्त्वों को पौधे अपनी जड़ों के द्वारा घोल के रूप में प्राप्त करते हैं। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति से हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड को ऑक्सीजन और कार्बनिक यौगिक (जैव पदार्थ) में परिवर्तित कर देते हैं।

4. पृथ्वी पर पहुँचने वाले सूर्यातप का मात्र 0.1 प्रतिशत भाग ही प्रकाश संश्लेषण में काम आता है। इसका आधे से अधिक भाग पौधों की श्वसन क्रिया में व्यय होता है और शेष ऊर्जा अस्थायी रूप से पौधों के अन्य भागों में संचित हो जाती है।

5. चट्टानों से मिट्टियों में आए कुछ रासायनिक तत्त्वों को वर्षा के जल के माध्यम से नदियाँ समुद्रों में पहुँचा देती हैं और .. वे अजैव तत्त्व जलमण्डल का अंग बन जाते हैं।

6. पौधे जिन पोषक तत्त्वों को मिट्टी से ग्रहण करते हैं वे आहार-शृंखला के माध्यम से विभिन्न पोषक तत्त्वों में स्थानांतरित होते रहते हैं। उदाहरणतः पौधों को शाकाहारी प्राणी खाते हैं। शाकाहारी प्राणियों को माँसाहारी प्राणी खाते हैं और इन दोनों को सर्वाहारी खाते हैं।

7. पौधों के सूखने और प्राणियों के मर जाने के बाद अपघटक जीव इन्हें फिर से अजैव रासायनिक तत्त्वों में बदल देते हैं अर्थात् इनका कुछ भाग गैसों के रूप में वायुमण्डल में जा मिलता है और अधिकांश भाग ह्यूमस तथा रसायनों के रूप में मिट्टी में मिल जाता है।

8. यही तत्त्व पौधों में पुनः उपयोग में आते हैं और यह जैव भू-रसायनिक चक्र अनवरत चलता रहता है। पिछले 100 करोड़ वर्षों में वायुमण्डल और जलवाष्प की संरचना में रासायनिक घटकों का सन्तुलन बिगड़ा नहीं है। रासायनिक तत्त्वों का यह सन्तुलन पौधों व प्राणी ऊतकों में होने वाले चक्रीय प्रवाह से बना हुआ है।

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HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. कौन-सा देश भारतीय उपमहाद्वीप में शामिल नहीं है?
(A) पाकिस्तान
(B) अफगानिस्तान
(C) भूटान
(D) बांग्लादेश
उत्तर:
(B) अफगानिस्तान

2. सर्वप्रथम ‘इंडिया’ शब्द का प्रयोग भारत के लिए किस भाषा में किया गया था?
(A) उर्दू
(B) यूनानी
(C) अरबी
(D) फारसी
उत्तर:
(B) यूनानी

3. भारत का पूर्वी देशांतर है
(A) 97° 25’E
(B) 68° 7’E
(C) 77° 9’E
(D) 82° 32’E
उत्तर:
(B) 68° 7’E

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

4. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल व सिक्किम राज्यों की सीमाएँ किस एक देश के साथ मिलती हैं?
(A) चीन
(B) भूटान
(C) नेपाल
(D) म्यांमार
उत्तर:
(C) नेपाल

5. क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन-सा है?
(A) मध्य प्रदेश
(B) उत्तर प्रदेश
(C) आंध्र प्रदेश
(D) राजस्थान
उत्तर:
(D) राजस्थान

6. गर्मियों की छुट्टियों में यदि आप सिलवासा आए हुए हैं तो आप कहाँ पर अवस्थित हैं?
(A) बंगाल की खाड़ी के किसी द्वीप पर
(B) अरब सागर के किसी द्वीप पर
(C) गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर
(D) तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सीमा पर
उत्तर:
(C) गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर

7. कर्क रेखा किस एक राज्य से नहीं गुज़रती?
(A) गुजरात
(B) राजस्थान
(C) ओडिशा
(D) त्रिपुरा
उत्तर:
(C) ओडिशा

8. निम्नांकित में से कौन-सा भारतीय राज्य म्यांमार देश की सीमा पर स्थित नहीं है?
(A) त्रिपुरा
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) नागालैंड
(D) मणिपुर
उत्तर:
(A) त्रिपुरा

9. रेटक्लिफ रेखा भारत के साथ किस देश की सीमा निर्धारित करती है?
(A) चीन
(B) पाकिस्तान
(C) भूटान
(D) बांग्लादेश
उत्तर:
(B) पाकिस्तान

10. कर्क रेखा भारत के कितने राज्यों से होकर गुज़रती है?
(A) 5
(B) 6
(C) 8
(D) 7
उत्तर:
(C) 8

11. भारत की स्थलीय सीमा कितनी लंबी है?
(A) 15,200 कि०मी०
(B) 20,015 कि०मी०
(C) 17,500 कि०मी०
(D) 7,516 कि०मी०
उत्तर:
(A) 15,200 कि०मी०

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12. किस देश की भारत के साथ सबसे लंबी स्थल सीमा है?
(A) चीन
(B) म्यांमार
(C) पाकिस्तान
(D) बांग्लादेश
उत्तर:
(D) बांग्लादेश

13. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन 82°30’E के संबंध में सही नहीं है?
(A) यह भारत की मानक देशांतर रेखा है
(B) इस रेखा का स्थानीय समय ग्रीनविच समय से 5.30 घंटे आगे है
(C) यह रेखा मिर्जापुर से गुज़रती है
(D) यह रेखा देश को दो बराबर भागों में बाँटती है
उत्तर:
(D) यह रेखा देश को दो बराबर भागों में बाँटती है

14. भारत के किस राज्य की तटरेखा सबसे लंबी है?
(A) गुजरात
(B) आंध्र प्रदेश
(C) तमिलनाडु
(D) कर्नाटक
उत्तर:
(A) गुजरात

15. संपूर्ण विश्व के क्षेत्रफल में भारत का हिस्सा है-
(A) 16%
(B) 2.4%
(C) 4.2%
(D) 1.6%
उत्तर:
(B) 2.4%

16. भारतीय तटरेखा की कुल लंबाई है
(A) 3,500 कि०मी०
(B) 7,516.6 कि०मी०
(C) 6,000 कि०मी०
(D) 9,500 कि०मी०
उत्तर:
(B) 7,516.6 कि०मी०

17. निम्नलिखित में से कौन-सा द्वीप मन्नार की खाड़ी में स्थित है?
(A) न्यूमूर
(B) एलिफेंटा
(C) लक्षद्वीप
(D) पांबन
उत्तर:
(D) पांबन

18. भारत का 30° का देशांतरीय विस्तार पृथ्वी की परिधि का कौन-सा भाग है?
(A) छठा
(B) बारहवाँ
(C) चौथा
(D) आठवाँ
उत्तर:
(B) बारहवाँ

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सर्वप्रथम ‘इंडिया’ शब्द का प्रयोग भारत के लिए किस भाषा में किया गया था?
उत्तर:
यूनानी।

प्रश्न 2.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
राजस्थान।

प्रश्न 3.
रेटक्लिफ रेखा भारत के साथ किस देश की सीमा निर्धारित करती है?
उत्तर:
पाकिस्तान की।

प्रश्न 4.
कर्क रेखा भारत के कितने राज्यों से होकर गुज़रती है?
उत्तर:
आठ।

प्रश्न 5.
भारत के किस राज्य की तटरेखा सबसे लंबी है?
उत्तर:
गुजरात की।

प्रश्न 6.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार के देशों में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
सातवाँ।

प्रश्न 7.
भारत के लगभग बीचों-बीच कौन-सी अक्षांश रेखा गुज़रती है?
उत्तर:
कर्क रेखा।

प्रश्न 8.
भारत के किस स्थान पर बंगाल की खाड़ी, अरब सागर तथा हिन्द महासागर मिलते हैं?
अथवा
भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम बिन्दु कौन-सा है?
उत्तर:
कन्याकुमारी।

प्रश्न 9.
‘संसार की छत’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
पामीर की गाँठ।

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प्रश्न 10.
भारत और श्रीलंका को कौन-सी जल-सन्धि अलग करती है?
उत्तर:
पाक जल-सन्धि।

प्रश्न 11.
मिज़ोरम राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
आइज़ोल।

प्रश्न 12.
मणिपुर राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
इम्फाल।

प्रश्न 13.
नागालैण्ड राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
कोहिमा।

प्रश्न 14.
कर्नाटक राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
बंगलुरु।

प्रश्न 15.
भारतीय यात्री कैलाश और मानसरोवर किन दरों से होकर जाते हैं?
उत्तर:
माना तथा नीति दरों से।

प्रश्न 16.
सिक्किम राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
गंगटोक।

प्रश्न 17.
त्रिपुरा राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
अगरतला।

प्रश्न 18.
मेघालय राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
शिलांग।

प्रश्न 19.
कर्क रेखा भारत को किन दो जलवायु प्रदेशों में बाँटती है?
उत्तर:

  1. उष्ण कटिबन्धीय
  2. उपोष्ण कटिबन्धीय।

प्रश्न 20.
भारत का प्रामाणिक समय किस देशान्तर से लिया जाता है? कौन-सी देशान्तर रेखा भारत के लगभग बीच से गुज़रती है?
अथवा
उत्तर:
82\(\frac { 1 }{ 2 }\)° पूर्वी देशान्तर।

प्रश्न 21.
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
इटानगर।

प्रश्न 22.
भारत का सबसे छोटा केन्द्र-शासित प्रदेश कौन-सा है?
उत्तर:
लक्षद्वीप।

प्रश्न 23.
गुजरात राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
गाँधीनगर।

प्रश्न 24.
भारत में कुल कितने राज्य व केन्द्र-शासित प्रदेश हैं?
उत्तर:
28 राज्य व 8 केन्द्र-शासित प्रदेश।

प्रश्न 25.
भारत का क्षेत्रफल बताइए।
उत्तर:
32,87,263 वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 26.
भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल/स्थलीय धरातल का कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
2.4 प्रतिशत।

प्रश्न 27.
भारत के किस राज्य में कर्क रेखा सर्वाधिक दूरी तय करती है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश से।

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प्रश्न 28.
कर्क रेखा पर स्थित दो भारतीय नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. गाँधीनगर
  2. जबलपुर।

प्रश्न 29.
82° पूर्वी देशान्तर पर स्थित प्रमुख नगर का नाम लिखें।
उत्तर:
इलाहाबाद।

प्रश्न 30.
तट पर स्थित भारत के केन्द्र-शासित प्रदेशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. दमन
  2. पुदुच्चेरी।

प्रश्न 31.
भारत के दक्षिण में स्थित दो पड़ोसी देशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. श्रीलंका
  2. मालदीव।

प्रश्न 32.
कौन-सा चैनल निकोबार द्वीप को अण्डमान द्वीप से अलग करता है?
उत्तर:
10° चैनल।

प्रश्न 33.
अण्डमान व निकोबार द्वीपों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
जलमग्न पहाड़ियों के शिखरों के कारण।

प्रश्न 34.
प्रायद्वीप भारत का दक्षिणतम बिंदु कौन-सा है?
उत्तर:
कन्याकुमारी।

प्रश्न 35.
भारत का मानक समय ग्रीनविच मानक समय से कितना आगे है?
उत्तर:
5 : 30 मिनट आगे।

प्रश्न 36.
भारत की मुख्य भूमि की तटरेखा कितनी है?
उत्तर:
6,100 कि०मी०।

प्रश्न 37.
भारत का सबसे बड़ा पठारी राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश।

प्रश्न 38.
भारत की प्रामाणिक मध्याह रेखा क्या कहलाती है?
उत्तर:
80°30′ पूर्वी देशांतर।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की मुख्य भूमि का अक्षांशीय तथा देशान्तरीय विस्तार बताइए।
उत्तर:
भारत की मुख्य भूमि 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तथा 68°7′ पूर्वी देशान्तर से 97°25′ पूर्वी देशान्तर तक है।

प्रश्न 2.
भारत के दक्षिणतम बिन्दु का नाम और अक्षांश बताइए।
उत्तर:
इन्दिरा प्वाइंट, 6°45′ उत्तरी अक्षांश (ग्रेट निकोबार द्वीप)।

प्रश्न 3.
भारत के उत्तरी छोर से दक्षिण छोर तक तथा पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक कितनी दूरी है?
अथवा
भारत की पूर्व से पश्चिम छोर के बीच की दूरी कितनी है?
उत्तर:
भारत उत्तर से दक्षिण तक 3,214 कि०मी० तथा पूर्व से पश्चिम तक 2,933 कि०मी० स्थित है। प्रश्न 4. भारत का कौन-सा स्थान व भाग इण्डोनेशिया के निकटतम है? उत्तर:स्थान-इन्दिरा प्वाइंट व भाग-ग्रेट निकोबार द्वीप।

प्रश्न 5.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कौन-कौन से भारतीय द्वीप स्थित है?
उत्तर:
क्रमशः लक्षद्वीप तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह।

प्रश्न 6.
बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले पाँच भारतीय राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. पश्चिम बंगाल
  2. असम
  3. मेघालय
  4. त्रिपुरा
  5. मिज़ोरम।

प्रश्न 7.
इन्दिरा कॉल कहाँ हैं? यहाँ कौन-कौन से देश मिलते हैं?
उत्तर:
भारत के उत्तर में पामीर की गाँठ के पास, भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान तथा चीन।

प्रश्न 8.
भारत के उन चार राज्यों के नाम बताओ जो न तो समुद्र को छूते हैं और न ही अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को।
उत्तर:

  1. हरियाणा
  2. मध्य प्रदेश
  3. छत्तीसगढ़
  4. झारखण्ड।

प्रश्न 9.
पाकिस्तान की सीमा से लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. गुजरात
  2. राजस्थान
  3. पंजाब
  4. जम्मू और कश्मीर (अब जम्मू और कश्मीर केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है)।

प्रश्न 10.
भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित सात राज्यों के नाम बताएँ।
अथवा
भारत के किन राज्यों को ‘सेवन सिस्टर्स’ कहा जाता है?
उत्तर:

  1. अरुणाचल प्रदेश
  2. असम
  3. नागालैण्ड
  4. मणिपुर
  5. मिज़ोरम
  6. त्रिपुरा
  7. मेघालय।

प्रश्न 11.
रेटक्लिफ व मैकमोहन रेखाएँ भारत की किन देशों के साथ सीमाएँ निर्धारित करती हैं?
उत्तर:
रेटक्लिफ रेखा-एक कत्रिम रेखा है जो भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमा रेखा बनाती है। मैकमोहन रेखा-भारत व चीन के बीच प्राकृतिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा का कार्य करती है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 12.
भारत के पूर्व तथा पश्चिम में स्थित तीन-तीन देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
पश्चिम में पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा ईरान। पूर्व में बांग्लादेश, म्याँमार तथा थाइलैण्ड।

प्रश्न 13.
नेपाल की सीमा के साथ लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. उत्तर प्रदेश
  2. उत्तराखंड
  3. बिहार
  4. पश्चिम बंगाल
  5. सिक्किम।

प्रश्न 14.
भूटान की सीमा के साथ लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. सिक्किम
  2. पश्चिम बंगाल
  3. असम
  4. अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 15.
म्यांमार की सीमा के साथ लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. अरुणाचल प्रदेश
  2. नागालैण्ड
  3. मणिपुर
  4. मिज़ोरम।

प्रश्न 16.
मैकमोहन रेखा किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूटान से पूर्व में भारत और चीन के बीच हिमालय की शिखर रेखा जो भारत-चीन-म्यांमार की त्रि-सन्धि तक विस्तृत है।

प्रश्न 17.
कर्क रेखा भारत के किन-किन राज्यों से होकर गुजरती है?
उत्तर:
कर्क रेखा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों से होकर गुजरती है।

प्रश्न 18.
भारत का जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा और सबसे छोटा राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
सबसे बड़ा राज्य-उत्तर प्रदेश। सबसे छोटा राज्य-सिक्किम।

प्रश्न 19.
भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा और सबसे छोटा राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
सबसे बड़ा राज्य-राजस्थान। सबसे छोटा राज्य-गोवा।

प्रश्न 20.
ग्रीनविच तथा भारतीय मानक समय के बीच 5% घंटों के अंतर का कारण बताइए।
उत्तर:
इलाहाबाद के निकट 82°30′ पू० देशांतर के स्थानीय समय को संपूर्ण भारत का मानक समय माना गया है। एक से दूसरे देशांतर के बीच 4 मिनट का अंतर होता है। इस प्रकार 82°30′ x 4 = 51/2 घंटे 30 मिनट का अंतर आएगा। यही कारण है कि भारत का मानक समय ग्रीनविच मानक समय से 5 घंटे आगे है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“भारत भूगोल और इतिहास दोनों के सन्दर्भ में महान् है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की सभ्यता और संस्कृति 5,000 वर्षों से भी अधिक पुरानी है। अपनी बहु-आयामी विशिष्टता के कारण भारत आदि काल से ही विश्व के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहा है। भौगोलिक रूप से भी यह एक विस्तृत और विशाल देश है जो उत्तर में हिमालय की गगनचुम्बी श्रेणियों व दक्षिण में हिन्द महासागर के बीच फैला हुआ है। यह विश्व के सबसे बड़े महाद्वीप एशिया के दक्षिण मध्य में स्थित है।

प्रश्न 2.
भारत की धरातलीय विविधता का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत-भूमि विविध प्रकार की है। इसके उत्तर में काँप की मिट्टी से बना विशाल उपजाऊ मैदान है व जीवनदायिनी नदियों के स्रोत, हिमाच्छादित लम्बी पर्वतीय शृंखलाएँ हैं। भारत के उत्तर:पश्चिम में थार का विशाल मरुस्थल है व दक्षिण में प्रायद्वीपीय भाग है, जो ऊबड़-खाबड़ पठारों से बना है। भारत के पूर्व में पूर्वी घाट व पूर्वी तटीय मैदान हैं तथा पश्चिम में पश्चिमी घाट व पश्चिमी तटीय मैदान हैं। ये तटीय मैदान नारियल व लैगून झीलों के लिए प्रसिद्ध हैं। मुख्य भूमि का लगभग 6,100 कि०मी० लम्बा समुद्री तट भारत की स्थिति को व्यापकता प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
कर्क रेखा भारत के मध्य से गुज़रती है, इसके क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
कर्क रेखा भारत के मध्य से गुज़रती है। इसके मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं-
1. दो विभिन्न जलवायु कटिबंध-कर्क रेखा के भारत के मध्य से गुज़रने के कारण देश दो जलवायु कटिबंधों में बँटा हुआ है। इसका उत्तरी भाग समशीतोष्ण कटिबंध में और दक्षिणी भाग उष्ण कटिबंध में स्थित है। यही कारण है कि इसका दक्षिणी भाग . उत्तरी भागों की अपेक्षा अधिक गर्म है।

2. दक्षिणी भारत में सूर्य की लंबवत् किरणें-उत्तरी भारत में किसी भी स्थान पर सूर्य की किरणें लंबवत् नहीं पड़तीं, जबकि दक्षिणी भारत के सभी स्थानों पर वर्ष में दो बार सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं।
भारत-स्थिति

प्रश्न 4.
क्या कारण है कि कन्याकुमारी में दिन और रात के समय में अंतर पता नहीं चलता, परंतु कश्मीर में ऐसा – नहीं है?
उत्तर:
कन्याकुमारी भारत के दक्षिण में स्थित होने के कारण भूमध्य रेखा के बहुत निकट है और कश्मीर भारत के उत्तर में के कारण भूमध्य रेखा से बहुत दूर पड़ता है। क्योंकि भूमध्य रेखा पर दिन और रात लगभग बराबर होते हैं, इसलिए, जो स्थान भूमध्य रेखा के निकट होंगे जैसे कि कन्याकुमारी है, वहाँ दिन और रात के समय का इतना अंतर नहीं होगा। जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा से दूर चलते जाएँगे, वैसे-वैसे दिन और रात के समय में भी अंतर बढ़ता जाएगा। इसी कारण कश्मीर में, जो भूमध्य रेखा से अपेक्षाकृत काफी दूर है, दिन और रात के समय में काफी अंतर पड़ जाएगा।

प्रश्न 5.
भारतीय उप-महाद्वीप से क्या अभिप्राय है? यह किन देशों से मिलकर बना है?
उत्तर:
भारतीय उप-महाद्वीप एशिया में स्थित होते हुए भी एक अलग भौगोलिक इकाई दिखाई देता है। इस उप-महाद्वीप में कई देश सम्मिलित हैं। इसके उत्तर:पश्चिम में पाकिस्तान, केंद्र में भारत, उत्तर में नेपाल, उत्तर:पूर्व में भूटान तथा पूर्व में बांग्लादेश हैं। भारत के दक्षिण में श्रीलंका और मालदीव हिंद महासागर में स्थित हैं। ये दोनों द्वीपीय राष्ट्र हैं। नेपाल में प्रजातंत्र तथा भूटान में राजतंत्र शासन है। शेष सभी देश गणतंत्र हैं।

प्रश्न 6.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग की दृष्टि से भारत की स्थिति बहुत ही महत्त्वपूर्ण है-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की स्थिति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग के संदर्भ में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण भारत एक ओर से स्वेज़ नहर द्वारा यूरोप के देशों से जुड़ा हुआ है और दूसरी ओर से जापान आदि पूर्वी देशों व ऑस्ट्रेलिया से जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त भारत की स्थिति खाड़ी तथा अरब देशों के संदर्भ में भी बड़ी महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 7.
“भारत न तो भीमकाय है और न ही बौना।” इस कथन की व्याख्या कीजिए। क्षेत्रफल के आधार पर विश्व के देशों में भारत की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। क्षेत्रफल में भारत से बड़े छः देश क्रमशः रूस, चीन, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील तथा ऑस्ट्रेलिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत से पौने तीन गुना व रूस भारत से साढ़े पाँच गुना बड़ा है। भारत पाकिस्तान से चार गुना, फ्रांस से छह गुना, जर्मनी से नौ गुना व बांग्लादेश से 23 गुना बड़ा है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि “भारत का आकार न तो भीमकाय है और न ही बौना।”

प्रश्न 8.
उन दो भौतिक लक्षणों के नाम बताइए जिन्होंने भारत के एक विशिष्ट भौगोलिक स्वरूप के विकास में सहयोग दिया है।
उत्तर:
निम्नलिखित दो भौतिक लक्षणों ने भारत के विशिष्ट भौगोलिक स्वरूप के विकास में काफी सफल भूमिका निभाई है।
1. उत्तर में हिमालय पर्वत एक अटूट श्रृंखला के रूप में हज़ारों कि०मी० तक फैला हुआ है। विश्व का यह उच्चतम पर्वत भारत को मध्य एशिया से अलग किए हुए है। अपारगम्यता के कारण हिमालय को पार करना कठिन है। इस विशिष्टता ने भारत के जन समूह के एकीकरण की भूमिका निभाई।

2. हिन्द महासागर ने जहाँ देश को एक तरफ विलगता प्रदान की वहाँ उसने पूर्व व पश्चिम के सुदूर स्थित देशों को भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया। इस प्रकार जलीय विस्तार ने अलगाव को भी बढ़ावा दिया तथा सम्पर्कों द्वारा सभ्यता को भी उन्नत किया। इससे भारतीय सभ्यता में एक विशिष्ट एकरूपता विकसित हुई।

प्रश्न 9.
भारत का अक्षांशीय विस्तार बताइए। इसके प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
भारत लगभग 8°4′ उत्तरी अक्षांश तथा 37°6′ उत्तरी अक्षांश के मध्य स्थित है। भारत विषुवत् वृत्त के उत्तर में स्थित होने के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में आता है। प्रधान मध्याह्न रेखा के पूर्व में स्थित होने के कारण भारत की गणना पूर्वी गोलार्द्ध में होती है। वास्तव में भारत का विस्तार एशिया महाद्वीप के दक्षिणी मध्य प्रायद्वीप में है। अपनी इस स्थिति के कारण प्राचीनकाल में भारत ने पश्चिम में अरब देशों से तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं सुदूर-पूर्व के साथ सांस्कृतिक तथा अन्य प्रकार के संबंध स्थापित कर रखे थे।

प्रश्न 10.
मैकमोहन रेखा किसे कहते हैं? इसका क्या महत्त्व है? इसका निर्धारण कैसे हुआ है?
उत्तर:
भारत और चीन के मध्य सीमा-मान्य रेखा को मैकमोहन रेखा कहते हैं। यह हिमालय के साथ-साथ कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक मान्य है। इस रेखा के उत्तर में चीन के सिक्यांग और तिब्बत के पठार स्थित हैं। इसके उत्तर:पूर्व में म्यांमार, भारत तथा चीन आपस में मिलते हैं। यह सीमा-रेखा मुख्यतः प्राकृतिक है और ऐतिहासिक रूप से निर्धारित की हुई है। हिमालय पर्वत भारतीय उत्तरी सीमा पर एक प्रहरी के रूप में स्थित है। उच्च हिमालय के शिखर जल विभाजक के रूप में फैले हुए हैं जो भारत और चीन को अलग करते हुए सीमारेखा को प्राकृतिक रूप प्रदान करते हैं।

प्रश्न 11.
भारत के अधिक देशान्तरीय विस्तार की भौगोलिक विशेषता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है इसलिए पृथ्वी के पूर्वी भाग पश्चिमी भागों की अपेक्षा सूर्य के समक्ष पहले आते हैं। अरुणाचल प्रदेश सौराष्ट्र के पूर्व में है, इसलिए वहाँ सूर्योदय पहले होगा। सौराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में 30 देशान्तरों का अन्तर होने के कारण इनके स्थानीय समय में दो घण्टे का अन्तर होता है क्योंकि सूर्य के समक्ष पृथ्वी एक देशान्तर को 4 मिनट में पार करती है (30 x 4 = 120 मिनट)। अतः जब अरुणाचल प्रदेश में सूर्योदय हो चुका होता है तो सौराष्ट्र में रात बाकी होती है। समय के इस भ्रम को 82°30′ पूर्वी देशान्तर के स्थानीय समय को प्रामाणिक समय घोषित करके दूर किया जाता है।

प्रश्न 12.
भारत के कौन-से राज्य किस देश के साथ लगते हैं?
उत्तर:

देशसीमा पर अवस्थित भारतीय राज्य
1. पाकिस्तान1. गुजरात, 2. राजस्थान, 3. पंजाब।
2. चीन1. हिमाचल प्रदेश, 2. सिक्किम, 3. अरुणाचल प्रदेश, 4 उत्तराखंड।
3. नेपाल1. उत्तर प्रदेश, 2. उत्तराखंड, 3. बिहार, 4. पश्चिम बंगाल, 5. सिक्किम।
4. भूटान1. सिक्किम, 2. पश्चिम बंगाल, 3. असम, 4. अरुणाचल प्रदेश।
5. बांग्लादेश1. पश्चिम बंगाल, 2. असम, 3. मेघालय, 4. त्रिपुरा।
6. म्यांमार1. अरुणाचल प्रदेश, 2. नागालैण्ड, 3. मणिपुर, 4. मिज़ोरम।
नोट-वर्तमान में जम्मू कश्मीर केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है।

प्रश्न 13.
“हिन्द महासागर वास्तव में हिन्द का सागर है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के तट को स्पर्श करने वाले समुद्रों के विस्तार ने भारत के साथ निकटस्थ प्रदेशों के परस्पर सम्बन्ध की प्रकृति निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिन्द महासागर के शीर्ष पर स्थित होने के कारण, भारत यूरोप, अफ्रीका तथा पूर्वी एशिया के व्यापारिक मार्गों से जुड़ा है। प्राचीनकाल में इसी सागर की लहरों पर बेबीलोन, मिस्र तथा फोनेशिया की नौकाएँ यात्रा करती थीं।

अरबों का समुद्री व्यापार भी इसी सागर के माध्यम से होता था। भारतीय नौकाएँ लगभग 4,000 वर्षों तक दजला, फरात एवं नील नदी की घाटियों को अपना माल पहुँचाया करती थीं। स्वेज नहर के खुलने से भूमध्य सागर को हिन्द महासागर से जोड़ दिया गया है और इस प्रकार दक्षिणी यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका भी हिन्द महासागर के प्रभाव क्षेत्र में आ गए हैं।

हिन्द महासागर में भारत की स्थिति बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। हमारे देश के अतिरिक्त संसार के किसी भी अन्य देश की इतनी लम्बी तट-रेखा इस समुद्र के साथ नहीं है। भारत का दक्कन प्रायद्वीप हिन्द महासागर की ओर इस प्रकार प्रक्षेपित है कि इस देश के लिए अपने पश्चिमी तट से पश्चिमी एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप तथा पूर्वी तट से दक्षिणी-पूर्वी एशिया तथा सुदूर पूर्व की ओर एक साथ देखना सम्भव है।

प्रश्न 14.
सूर्योदय अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में गुजरात के पश्चिमी भाग की अपेक्षा 2 घंटे पहले क्यों होता है, जबकि दोनों राज्यों में घड़ी एक ही समय दर्शाती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अरुणाचल प्रदेश 97° 25′ पूर्वी देशांतर पर स्थित है, जबकि भारत के सबसे पश्चिमी छोर जोकि गुजरात में है। वह 68° 7′ पूर्वी देशांतर पर स्थित है। अतः अरुणाचल प्रदेश और गुजरात के देशांतरों में (97° 25′- 68°7′ = 29° 18′) लगभग 30° का अंतर है और देशांतर में 1° का अंतर होने से 4 मिनट के समय का अंतर आ जाता है। इसलिए गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में भी सूर्योदय के समय में 30 x 4 = 120 मिनट अर्थात 2 घंटे का अंतर है। लेकिन पूरे भारत वर्ष में एक ही भारतीय मानक समय स्वीकार किया गया है।

प्रश्न 15.
“भारत को हिन्द महासागर में सर्वाधिक केन्द्रीय स्थिति प्राप्त है।” यह कथन कहाँ तक उचित है?
उत्तर:
हिन्द महासागर का विस्तार 40° पूर्व से 120° पूर्व देशान्तर तक है। भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम सिरा (केरल और तमिलनाडु) लगभग 76° से 80° पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। इस प्रकार भारत को हिन्द महासागर में केन्द्रीय स्थिति प्राप्त है। भारतीय प्रायद्वीप अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है। हिन्द महासागर में किसी भी देश की तट-रेखा भारतीय तट-रेखा जितनी लम्बी नहीं है। भारत पूर्व और पश्चिम दोनों दिशाओं में स्थित देशों के मध्य में स्थित है। इसी केन्द्रीय स्थिति के कारण ही हिन्द महासागर वास्तव में ‘हिन्द का महासागर’ है।

प्रश्न 16.
भारत के पड़ोसी देशों के बीच सीमा विस्तार को सूचीबद्ध करें।
उत्तर:

  • भारत-बांग्लादेश सीमा – 4,096 कि०मी०
  • भारत-चीन सीमा – 3,439 कि०मी०
  • भारत-नेपाल सीमा – 1,761 कि०मी०
  • भारत-पाक सीमा – 3,310 कि०मी०
  • भारत-म्यांमार सीमा – 1,643 कि०मी०
  • भारत-भूटान सीमा – 587 कि०मी०
  • भारत-अफगानिस्तान सीमा – 106 कि०मी०

प्रश्न 17.
भारत के लिए हमें एक मानक मध्याहून रेखा की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
विशाल देशांतरीय विस्तार के कारण भारत के पूर्वी तथा पश्चिमी सुदूर बिंदुओं के स्थानीय समय में दो घंटों का अंतर है। उदाहरण के लिए जब अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में सूर्योदय होता है, तो उस समय गुजरात के पश्चिमी भाग में रात रहती है। इसका तात्पर्य यह है कि हर स्थान का अपना अलग-अलग स्थानीय समय होता है। किंतु हम इस स्थानीय समय को, जो भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है, स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसा करने से परेशानी पैदा होगी तथा चारों ओर अव्यवस्था फैल जाएगी और दुर्घटनाएँ होंगी। इन सभी परिस्थितियों से बचने के लिए सारे देश के लिए एक सामान्य समय स्वीकार कर लिया जाता है, जो उस देश का मानक समय (Standard Time) कहलाता है।

हमारे देश में 82°30′ पूर्वी देशांतर को मानक रेखा स्वीकार किया गया है। इलाहाबाद के निकट से गजरने वाली इस मध्याहन रेखा का समय ही भारत का मानक समय (I.S.T.) है, जो ग्रीनविच समय से 5 1/2 घंटे आगे है। हमने 82°30′ पूर्वी देशांतर को भारत की प्रधान मध्याहून रेखा इसलिए स्वीकार किया है, क्योंकि यह रेखा भारत के लगभग बीचो-बीच से होकर गुज़रती है। भारतीय मानक समय के कारण सारे देश में समय की एकरूपता प्राप्त की जा सकी है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के आकार, स्थिति तथा विस्तार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आकार और स्थिति क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व का सातवाँ तथा जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरा बड़ा देश है। भारत की मुख्य भूमि 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 68°7′ पूर्वी देशान्तर से 97°25′ पूर्वी देशान्तर तक विस्तृत है। बंगाल की खाड़ी में स्थित मुख्य भूमि से दूर अण्डमान व निकोबार द्वीप-समूह का दक्षिणतम बिन्दु इन्दिरा प्वाइण्ट (Indira Point), जिसे पहले पिग्मेलियन प्वाइण्ट कहा जाता था, 6°45′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित है।

उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक भारत की लम्बाई 3,214 कि०मी० है। भारत का अक्षांशीय विस्तार लगभग 30° है जो भू-मध्य रेखा और उत्तरी ध्रुव के बीच कोणीय दूरी का एक तिहाई है। कच्छ के रन से अरुणाचल प्रदेश तक पूर्व-पश्चिम दिशा में भारत की चौड़ाई 2,933 कि०मी० है। भारत का देशान्तरीय विस्तार लगभग 30° है जो पृथ्वी की परिधि का बारहवाँ भाग है। यह देशान्तरीय विस्तार स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड्स, जर्मनी व पोलैण्ड के सम्मिलित देशान्तरीय विस्तार के समान है। कर्क रेखा (Tropic of Cancer) हमारे देश के लगभग मध्य से गुजरती है।

विस्तार-भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि० मी० है जो विश्व के क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। क्षेत्रफल में भारत से बड़े छः देश क्रमशः रूस (170.75 लाख वर्ग कि०मी०), चीन (95.97 लाख वर्ग कि० मी०), कनाडा (92.15 लाख वर्ग कि० मी०), संयुक्त राज्य अमेरिका (90.72 लाख वर्ग कि०मी०), ब्राजील (85.12 लाख वर्ग कि० मी०) तथा ऑस्ट्रेलिया (76.82 लाख वर्ग कि०मी०) है। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत से पौने तीन गुना व रूस भारत से साढ़े पाँच गुना बड़ा है। भारत पाकिस्तान से चार गुना, फ्रांस से छः गुना, जर्मनी से नौ गुना व बांग्लादेश से 23 गुना बड़ा है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि “भारत का आकार न तो भीमकाय है और न ही बौना।”

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 2.
भारत की भौगोलिक स्थिति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। अथवा भारत की भौगोलिक स्थिति का क्या महत्त्व है? वर्णन करें।
उत्तर:
भारत की भौगोलिक स्थिति की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. केन्द्रीय स्थिति-भारत की मुख्य भूमि 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 68°7′ पूर्वी देशान्तर से 97°25′ पूर्वी देशान्तर तक विस्तृत है। इस प्रकार भारत उत्तरी गोलार्द्ध में होने के साथ-साथ पूर्वी गोलार्द्ध के बीचो-बीच स्थित है। परिणामस्वरूप भारत एक ओर यूरोप से व दूसरी ओर उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से लगभग बराबर दूरी पर स्थित है।

2. अन्तर्राष्ट्रीय महामार्गों पर स्थित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दृष्टि से भी भारत की स्थिति अत्यन्त लाभदायक है। अनेक समुद्री व्यापारिक महामार्ग एवं वायुमार्ग भारत से होकर जाते हैं।

3. कर्क रेखा का देश के बीच से गुज़रना-देश के दक्षिणी सिरे से भूमध्य रेखा की निकटता तथा कर्क रेखा (23%° उ०) का देश के बीच से गुज़रना भारत के लिए सारा साल उष्ण व उपोष्ण प्रकार की जलवायुवी दशाएँ पैदा करते हैं। इन दशाओं में पूरे वर्ष खेती की जा सकती है। अपनी इसी स्थिति के कारण ही भारत आज एक कृषि प्रधान देश बना हुआ है।

4. लम्बी तट रेखा भारत की मुख्य भूमि की तट-रेखा 6,100 कि०मी० तथा द्वीपों सहित देश की तट-रेखा 7,516 कि०मी० लम्बी है। समुद्र के इस लम्बे विस्तार ने निकटस्थ प्रदेशों के परस्पर सम्बन्धों की प्रकृति निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लम्बी तट-रेखा के कारण भारत को अनेक बन्दरगाहों की सुविधा उपलब्ध है जिससे हमारे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बल मिलता है।

5. देश की सुरक्षा-उत्तर में हिमालय पर्वत तथा दक्षिण में हिन्द महासागर ने प्राकृतिक सीमा बनकर युगों से देश की बाहरी तत्त्वों से सुरक्षा की है।

6. मानसूनी जलवायु-हिन्द महासागर के सिरे पर भारत की स्थिति के कारण ही भारत को ग्रीष्म ऋतु में मानसूनी वर्षा प्राप्त होती है जो इस देश के करोड़ों लोगों की आजीविका के साधन-कृषि का आधार है।

इस प्रकार भारत की भौगोलिक स्थिति ने भारत में आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास में अनेक प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 3.
भारत को किन आधारों पर एक उप-महाद्वीप का दर्जा दिया गया है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक उप-महाद्वीप विशाल भौगोलिक इकाई होती है जो शेष महाद्वीप से भिन्न पहचान रखती है। यूरोपीय विद्वान् डॉ० क्रेसी ने भारत के विस्तार इसकी भौतिक, मानवीय व सांस्कृतिक विभिन्नताओं, विशाल जनसंख्या, हिमालय की लम्बी एवं बर्फीली श्रेणियों द्वारा स्थापित किया गया पृथक्, अस्तित्व, अनेक प्रकार की जलवायु के कारण इसे उप-महाद्वीप की संज्ञा दी है। .. इन आधारों की व्याख्या इस प्रकार है-
1. बड़ा क्षेत्रफल-भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि०मी० है जो विश्व के क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। रूस भारत में साढ़े पाँच गुना बड़ा है जबकि भारत पाकिस्तान से चार गुना, फ्रांस से छः गुना, जर्मनी से नौ गुना व बांग्लादेश से 23 गुना बड़ा है।

2. धरातलीय विभिन्नता-भारत-भूमि विविध प्रकार की है। इसके उत्तर में विशाल उपजाऊ मैदान व जीवनदायिनी नदियों के स्रोत हिमाच्छादित लम्बी पर्वत शृंखलाएँ हैं। भारत के उत्तर-पश्चिम में थार का मरुस्थल तथा दक्षिण में ऊबड़-खाबड़ पठारों से बना विशाल प्रायद्वीपीय भाग है। भारत के लम्बे और विस्तृत तट एवं घाट तथा नदियाँ और झीलें इसकी भौगोलिक विविधता को और अधिक प्रखर करती हैं।

3. विशाल जनसंख्या और उसकी विविधता-लगभग 121.01 करोड़ जनसंख्या (2011) के साथ भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत की जनसंख्या की नृ-जातीय तथा सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं में भी पर्याप्त विविधता पाई जाती है। अनेक जाति-वर्ग, भाषायी व धार्मिक समूह इस देश की विशालता और विविधता को उजागर करते हैं।

4. जलवायु की विविधता-भारत में दुनिया की हर प्रकार की जलवायु पाई जाती है। जलवायु की यह विविधता प्रादेशिक स्तर पर तापमान, वायुदाब, वर्षा की मात्रा, शुष्कता और आर्द्रता में भिन्नता के रूप में देखी जा सकती है। ब्लैंफोर्ड ने सत्य कहा था कि “हम भारत की जलवायुओं के बारे में कह सकते हैं, जलवायु के विषय में नहीं क्योंकि स्वयं विश्व में जलवायु की इतनी विषमताएँ नहीं मिलती जितनी अकेले भारत में।”

5. प्राकृतिक सीमाएँ-भारत उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में हिन्द महासागर के बीच फैला हुआ है। हिमालय भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल व भूटान को भी शेष एशिया से अलग करके उन्हें एक अनूठी भौगोलिक विशिष्टता प्रदान करता है। समुद्री मार्गों के कारण भारत ने अन्य देशों के सामाजिक-सांस्कृतिक गुणों को आत्मसात् किया। इन समुद्रों से अलगाव ही बनाए रखा जिससे भारत अपनी भौगोलिक विशिष्टता को बचाए रख सका।

6. परिबद्ध चरित्र-भारत चारों ओर से विशाल तथा कई मध्यम पर्वतों द्वारा घिरा हुआ है। इन पर्वतों ने हज़ारों कि०मी० की दूरी तक अखण्ड रूप से घेर कर भारत को परिबद्ध (Enclosed) चरित्र प्रदान किया है। इस पर्वतीय धेरे ने भारत को एशिया के अन्य भागों से व्यावहारिक रूप से अलग कर दिया है।

7. प्रचुर एवं विविध प्राकृतिक संसाधन-भू-गर्भिक, धरातलीय एवं जलवायविक विविधता ने भारत को नाना प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न किया है। यहाँ के खनिजों, मृदा, जल, वनस्पति, जीव-जन्तुओं की विविधता के साथ-साथ मानवीय संसाधनों ने देश के आर्थिक विकास के आधार को मज़बूत किया है। संसाधनों की इतनी अधिक विविधता एवं सम्पन्नता अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती।

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर प्रमाणित होता है कि भारत सही अर्थों में एक उप-महाद्वीप की हैसियत रखता है। इस उप-महाद्वीप में भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका देश भी शामिल हैं।

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HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

Haryana State Board HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class History Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

निबंधात्मक उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव प्राणियों की उत्पत्ति के संबंध में आप क्या जानते हैं?
अथवा
मानव प्राणियों की उत्पत्ति के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
मानव प्राणियों की उत्पत्ति कब और कैसे हुई यह एक लंबी एवं जटिल कहानी है। इस संबंध में अनेक उत्तर अभी भी खोजे जाने वाले बाकी हैं। नवीनतम खोजों के आधार पर मानव विकास के अनेक घटनाक्रमों को परिवर्तित करना पड़ा है। मानव विकास अनेक चरणों में हुआ है। निम्नलिखित चरण मानव के विकास पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालते हैं

1. प्राइमेट:
प्राइमेट स्तनपायी (mammals) प्राणियों के एक विशाल समूह के अधीन एक उपसमूह (subgroup) है। इस उपसमूह में बंदर (monkeys), पूँछहीन बंदर (apes) एवं मानव (humans) सम्मिलित थे। उनके जिस्म पर बाल होते थे। उनका बच्चा जन्म लेने से पहले अपेक्षाकृत काफी समय तक माता के गर्भ में पलता था। उनकी माताओं के बच्चों को दूध पिलाने के लिए स्तन होते थे। इन प्राइमेट प्राणियों के दाँत विभिन्न प्रकार के होते थे। ऐसे प्राणी 360 से 240 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका एवं एशिया में पाए जाते थे।

2. होमिनॉइड:
होमिनॉइड समूह 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया था। यह प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह था। इसमें पूँछहीन बंदर सम्मिलित थे। इनका मस्तिष्क छोटा होता था। अतः उनमें सोचने की शक्ति कम थी। उनके चार पैर थे। वे चलते समय चारों पैरों का प्रयोग करते थे। उनके शरीर का अगला हिस्सा और दोनों पैर लचकदार होते थे। वे सीधे खड़े होकर चल नहीं सकते थे। होमिनॉइड बंदरों से कई प्रकार से भिन्न होते थे। उनका शरीर बंदरों से बड़ा होता था। उनकी पूँछ भी नहीं होती थी। उनके बच्चों का विकास धीरे-धीरे होता था।

3. होमिनिड:
होमिनिड 56 लाख वर्ष पूर्व होमिनॉइड उपसमूह से विकसित हुए। इनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें लेतोली (Laetoli) तंजानिया से एवं हादार (Hadar) इथियोपिया से प्राप्त हुए हैं। दो प्रकार के साक्ष्यों से पता चलता है कि होमिनिडों का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। प्रथम, अफ्रीकी वानरों के समूह का होमिनिडों के साथ बहुत गहरा संबंध है। दूसरा, होमिनिडों के सबसे प्राचीन जीवाश्म (fossils) पूर्वी अफ्रीका में पाए गए हैं।

ये 56 लाख वर्ष पुराने हैं। अफ्रीका से बाहर जो जीवाश्म पाए गए हैं वे 18 लाख वर्ष से पुराने नहीं हैं। होमिनिड, होमिनिडेइ (Hominidae) नामक परिवार के साथ संबंधित हैं। इस परिवार में सभी रूपों के मानव प्राणी (human beings) सम्मिलित हैं। इस समूह की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-

    • इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा होता था।
    • वे सीधे खड़े हो सकते थे।
    • वे दो पैरों के बल चल सकते थे।
    • उनके हाथ विशेष प्रकार के होते थे।

वे इन हाथों की सहायता से औज़ार (tools) बना सकते थे और उनका प्रयोग कर सकते थे। होमिनिड आगे अनेक शाखाओं में विभाजित थे। इन्हें जीनस (genus) कहा जाता है। इन शाखाओं में आस्ट्रेलोपिथिकस और होमो सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है …

(क) आस्ट्रेलोपिथिकस:
आस्ट्रेलोपिथिकस के जीवाश्म 56 लाख वर्ष पुराने थे। जीवाश्म हमें तंजानिया के ओल्डवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त हए हैं। होमो की तुलना में उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था। उनके जबड़े अधिक भारी थे एवं दाँत भी ज्यादा. बड़े होते थे। आस्ट्रेलोपिथिकस बंदरों की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे दो पैरों पर खड़े हो सकते थे।

उनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी। इसका कारण यह था कि वे अभी अपना काफ़ी समय पेड़ों पर गुजारते थे। वे अपनी सुरक्षा के लिए औज़ारों का निर्माण करने लगे थे।

(ख) होमो :
होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। होमो लातीनी भाषा का एक शब्द है। इसका भाव है आदमी। इसमें पुरुष एवं स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित थे। आस्ट्रेलोपिथिकस की तुलना में होमो का मस्तिष्क बड़ा था, जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे एवं दाँत छोटे थे। वैज्ञानिकों ने होमो को निम्नलिखित तीन प्रमुख प्रजातियों में उनकी विशेषताओं के आधार पर बाँटा है–

1) होमो हैबिलिस :
होमो हैबिलिस औजार बनाने वाले के नाम से जाने जाते हैं । उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे अपने हाथों का दक्षतापूर्वक प्रयोग कर सकते थे। वे प्रथम होमिनिड थे जिन्होंने पत्थर के औजार बनाए।

2) होमो एरेक्टस :
होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औजारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।

3) होमो सैपियंस :
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष पूर्व से 1.60 लाख वर्ष के दौरान हुआ। आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं, जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। उस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था।

अत: वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हए उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 1

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 2.
होमो से आपका क्या अभिप्राय है? होमो हैबिलिस, होमो एरेक्टस तथा होमो सैपियंस के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
होमो से अभिप्राय (Meaning of Homo) होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। होमो लातीनी (Latin) भाषा का एक शब्द है। इसका भाव है आदमी। इसमें पुरुष एवं स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित थे। आस्ट्रेलोपिथिकस की तुलना में होमो का मस्तिष्क बड़ा था, जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे एवं दाँत छोटे थे। वैज्ञानिकों ने होमो को अनेक प्रजातियों (species) में उनकी विशेषताओं के आधार पर बाँटा है। इनमें से प्रमुख प्रजातियों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. होमो हैबिलिस :
होमो हैबिलिस औज़ार बनाने वाले (the tool makers) के नाम से जाने जाते हैं। उनके प्राचीनतम जीवाश्म 22 लाख वर्ष पूर्व से 18 लाख वर्ष पूर्व तक हैं। ये जीवाश्म हमें इथियोपिया में ओमो (Omo) एवं तंज़ानिया में ओल्डुवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त हुए हैं। उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे अपने हाथों का दक्षता पूर्वक प्रयोग कर सकते थे।

वे प्रथम होमिनिड थे जिन्होंने पत्थर के औज़ार बनाए। ये औज़ार उनके लिए शिकार के लिए बहुत उपयोगी प्रमाणित हुए। शिकार करते समय उन्हें आपसी सहयोग की आवश्यकता होती थी। इससे भाषा का विकास संभव हुआ। प्रसिद्ध इतिहासकार एडवर्ड मैक्नल बर्नस के अनुसार, “होमो हैबिलिस को स्पष्ट रूप से मानव जाति का मुखिया कहना उचित है।”

2. होमो एरेक्टस:
होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खडे होकर पैरों के बल चलना जानते थे। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। होमो एरेक्टस के प्राचीनतम जीवाश्म 18 लाख वर्ष पूर्व के हैं। ये जीवाश्म हमें अफ्रीका एवं एशिया दोनों महाद्वीपों से प्राप्त हुए हैं। इसके प्रसिद्ध केंद्र कूबी फ़ोरा (Koobi Fora), पश्चिमी तुर्काना (West Turkana), केन्या (Kenya), मोड़ जोकर्तो (Mod Jokerto), संगीरन (Sangiran) एवं जावा (Java) थे। अफ्रीका में पाए गए जीवाश्म एशिया में पाए गए जीवाश्मों की तुलना में अधिक प्राचीनकाल के हैं।

अत: संभव है कि होमो एरेक्टस पूर्वी अफ्रीका से चल कर दक्षिणी एवं उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी एवं पूर्वोत्तर एशिया एवं संभवतः यूरोप में गए। होमो एरेक्टस का मस्तिष्क होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक बड़ा था। अत: वे अधिक समझदार थे। उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औज़ारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था।

उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। आग के संबंध में हमें प्रथम साक्ष्य केन्या के चेसोवांजा (Chesowanja) से प्राप्त हुआ है। निस्संदेह होमो एरेक्टस मानव विकास की कड़ी में एक मील पत्थर सिद्ध हुए। उनका लोप 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ।

3. होमो सैपियंस :
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव (the wise man)। मानव (modern humans) के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष से 1.60 लाख वर्ष पूर्व के दौरान हुआ। इस मानव के प्राचीनतम साक्ष्य हमें अफ्रीका के विभिन्न भागों में मिले हैं। इनमें इथियोपिया का ओमो किबिश (Omo Kibish), दक्षिण अफ्रीका के बॉर्डर गुफ़ा (Border Cave), डाई केल्डर्स (Die Kelders) एवं कलासीज नदी का मुहाना (Klasies River Mouth) एवं मोरक्को का दार-एस सोल्तन (Dar-es-Solton) बहुत प्रसिद्ध हैं। इससे प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि आधुनिक मानव का उद्भव कहाँ हुआ? इस प्रश्न पर विद्वानों में दो मत प्रचलित हैं। कुछ विद्वान् प्रतिस्थापन मॉडल (replacement model) का समर्थन करते हैं।

उनके अनुसार आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक (anatomical) एवं जननिक (genetic) समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे अन्य स्थानों को गए।

दूसरी ओर कुछ अन्य विद्वान् क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल (regional continuity model) का समर्थन करते हैं। उनके विचारानुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ। इस अंतर को स्पष्टतः आज भी देखा जा सकता है।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 2
आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। इस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था। अतः वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी। इससे उसे भोजन की तलाश में भटकना नहीं पड़ा। उसने अब खाना पकाने की विधि की जानकारी प्राप्त कर ली थी।

उसने अब किसी प्राकृतिक संकट के समय भोजन का भंडारण (store) करना सीख लिया था। उसके हथियार बहुत उत्तम थे। उसने अनेक नए हथियारों का निर्माण भी कर लिया था। इससे वह जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा अधिक अच्छे ढंग से कर सका। उसने सूई का आविष्कार कर लिया था। अतः उसने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे। उसने कला एवं भाषा के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति कर ली थी। निस्संदेह आधुनिक मानव की उपलब्धियाँ महान् थीं। प्रसिद्ध इतिहासकार पी० एस० फ्राई का यह कहना ठीक है कि, “नए मानव की ये उपलब्धियाँ स्पष्ट करती हैं कि वह अपने पूर्वजों में सर्वश्रेष्ठ था।”

(क) होमो हाइडलवर्गेसिस :
उन्हें हाइडलबर्ग मानव के नाम से भी जाना जाता है। उनका यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि उनके प्राचीनतम जीवाश्म जर्मनी के शहर हाइडलबर्ग से प्राप्त हुए हैं। ये जीवाश्म यूरोप, एशिया एवं अफ्रीका में पाए गए हैं। हाइडलबर्ग मानव का मस्तिष्क काफ़ी बड़ा था। उसके अंग तथा हाथ बहुत भारी भरकम थे। उसके जबड़े बहुत भारी थे। उसके शरीर पर काफी बाल थे। वह संभवतः बोल सकता था किंतु भाषा का विकास नहीं कर पाया था। वे गुफ़ाओं में निवास करते थे।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 3

(ख) होमो निअंडरथलैंसिस:
उन्हें निअंडरथल मानव के नाम से भी जाना जाता है। उनका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उनके प्राचीनतम जीवाश्म जर्मनी की निअंडर घाटी से प्राप्त हुए हैं। उनके जीवाश्म हमें यूरोप एवं पश्चिमी तथा मध्य एशिया के अनेक देशों से प्राप्त हुए हैं। यह मानव कद में छोटा था। उसका सिर बड़ा था। उसकी नाक चौड़ी थी। उसके कंधे चौड़े थे।

उसका मस्तिष्क कोष काफी बड़ा किंतु निम्नकोटि का था। वह गुफ़ाओं में रहता था। उसे अग्नि की जानकारी थी। उसके प्रमुख भोजन जंगली फल एवं शिकार थे। वे अपने शवों को बहत सम्मान के साथ दफनाते थे।

प्रश्न 3.
प्रारंभिक समाज में मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीके क्या थे?
अथवा
आदिकालीन मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिकालीन मानव अनेक तरीकों से अपना भोजन जुटाते थे। इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण तरीके निम्नलिखित थे

1. संग्रहण :
आदिकालीन मानव पूर्ण रूप से प्रकृति जीवी थे। वे कृषि से अपरिचित थे। इसके अतिरिक्त वे पशुपालन भी नहीं करते थे। अतः आरंभ में आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वे पेड-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों जैसे-बीज, गुठलियाँ (nuts), फल एवं कंदमूल (tubers) एकत्र करते थे। संग्रहण के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।

इस संबंध में हमें प्रत्यक्ष प्रमाण बहुत कम मिले हैं। इसका कारण यह है कि हमें हड्डियों के जीवाश्म (fossil bones) तो काफी संख्या में प्राप्त हुए हैं जबकि पौधों के जीवाश्म (fossilised plant remains) बहुत कम प्राप्त हुए हैं। संग्रहण द्वारा भोजन जुटाने का मुख्य कार्य स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था। पुरुष मुख्य रूप से शिकार के लिए बाहर जाते थे।

2. अपमार्जन:
 (आदिकालीन मानव अपमार्जन द्वारा अथवा रसदखोरी द्वारा भी अपना भोजन जुटाता था। अपमार्जन (scavenging) से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। रसदखोरी (foraging) से अभिप्राय भोजन की तलाश करना है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस (meat) एवं मज्जा (marrow) प्राप्त करते थे। इनके अतिरिक्त वे छोटे-छोटे पक्षियों एवं उनके अंडों, सरीसृपों (reptiles), चूहों एवं अनेक प्रकार के कीड़े-मकोड़ों (insects) को खाते थे।

3. शिकार:
शिकार द्वारा भोजन प्राप्त करना आदिकालीन मानव का एक प्रमुख स्रोत रहा है। शिकार प्रमुख तौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता था। वे शिकार का पीछा करते हुए अपने निवास स्थान से काफी दूर तक निकल जाते थे। वे छोटे-मोटे पशुओं का शिकार स्वयं कर लेते थे। वे बड़े पशुओं का शिकार सम्मिलित रूप से करते थे। इसका कारण यह था कि बड़े पशुओं का अकेले शिकार करने में उनके स्वयं के मारे जाने की संभावना अधिक रहती थी।

वे जंगली घोड़ों, जंगली भैंसों जिन्हें बाइसन कहा जाता था, गैंडों, रीछों एवं विशालकाय जानवरों जिन्हें मैमथ कहा जाता था का शिकार करते थे। वे शिकार के लिए भालों एवं पत्थरों का प्रयोग करते थे। बाद में आदिमानव ने शिकार के लिए कुत्तों का सहयोग लेना आरंभ कर दिया था।

योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों का शिकार एवं उनका वध करने की सबसे पुरानी उदाहरण हमें दो स्थलों है। दूसरी उदाहरण 4 लाख वर्ष पूर्व की है। यह जर्मनी में शोनिंजन (Schoningen) से संबंधित है। लगभग 35 हजार वर्ष पूर्व आदिमानव द्वारा योजनाबद्ध ढंग से शिकार करने के कुछ साक्ष्य हमें कुछ यूरोपीय खोज स्थलों से प्राप्त हुए हैं। ऐसा ही एक स्थल चेक गणराज्य में नदी के पास स्थित दोलनी वेस्तोनाइस (Dolni Vestonice) था।

इस स्थान को बहुत सोच-समझकर चुना गया था। यहाँ अनेक जानवर पानी पीने के लिए आते थे। इसके अतिरिक्त घोड़े एवं रेडियर आदि जानवरों के झुंड पतझड़ एवं वसंत के मौसम में नदी के उस पार जाते थे। इस अवसर पर इन जानवरों का बड़े पैमाने पर शिकार किया जाता था। इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि उस समय के लोगों को जानवरों की आवाजाही की पूर्ण जानकारी होती थी।

आदिमानव द्वारा जिन जानवरों का शिकार करना होता था उन्हें घेरे में ले लेते थे। जब कोई विशालकाय पशु बीमार अथवा घायल अवस्था में मिल जाता था तो उसे पानी अथवा बर्फ में फंसा कर सुगमता से मार डालते थे। यदि जिस जानवर का शिकार किया गया हो वह छोटा हो तो उसे गुफ़ा में लाकर खाया जाता था। दूसरी ओर यदि वह जानवर विशालकाय हो तो उसके धड़ को वहीं खा लिया जाता था जबकि शेष भाग को काट कर गुफ़ा में लाया जाता था।

इसका अनुमान इस बात से लगाया जाता है कि हमें मृत पशुओं के लघु अंगों की हड्डियाँ गुफ़ाओं से प्रचुर मात्रा में मिली हैं जबकि उनकी रीढ़ की हड्डियाँ एवं पसलियाँ कम प्राप्त हुई हैं। आदिकालीन मानव मारे गए पशुओं की खाल को साफ करके धूप में सुखा लेता था तथा उससे पहनने एवं बिछाने का काम लेता था।

4. मछली पकड़ना (Fishing) मछली पकड़ना भी आदिकालीन मानव का भोजन जुटाने का एक महत्त्वपूर्ण ढंग था। वे नदियों एवं तालाबों से हाथ द्वारा ही मछली पकड़ लिया करते थे। इसके अतिरिक्त वे छोटी मछली पकड़ने के लिए काँटे का एवं बड़ी मछली पकड़ने के लिए हार्पून का प्रयोग भी करते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 4.
आदिमानव के निवास स्थान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिमानव कहाँ निवास करता था? वह पेड़ों से गुफ़ाओं तक तथा फिर खुले स्थलों पर कैसे पहुँचा? इस संबंध में हम साक्ष्यों के आधार पर पुनर्निर्माण करने का प्रयास करेंगे। इसका एक ढंग यह है कि उनके द्वारा निर्मित शिल्पकृतियों के फैलाव की जाँच करना (plotting the distribution of artefacts)। शिल्पकृतियाँ मानव निर्मित वस्तुएँ होती हैं।

इसमें अनेक प्रकार की वस्तुएँ सम्मिलित हैं जैसे-औजार, चित्रकारियाँ, मूर्तियाँ, उत्कीर्ण चित्र आदि। उदाहरण के तौर पर हमें केन्या में किलोंबे (Kilombe) तथा ओलोर्जेसाइली (Olorgesailie) नामक स्थलों से बड़ी संख्या में शल्क उपकरण (flake tools) एवं हस्त कुठार (hand axes) मिले हैं।

ये वस्तुएँ 7 लाख वर्ष पूर्व से 5 लाख वर्ष पूर्व पुरानी हैं। इतने सारे औज़ार एक स्थान पर किस प्रकार इकट्ठे हुए। यह अनुमान लगाया जाता है कि जिन स्थानों पर खाद्य प्राप्ति के संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे वहाँ लोग बार-बार आते रहे होंगे। ऐसे क्षेत्रों में वे अपनी शिल्पकृतियाँ छोड़ जाते रहे होंगे। जिन स्थानों में उनका आवागमन कम था वहाँ ऐसी शिल्पकृतियाँ हमें बहुत कम प्राप्त हुई हैं।

1. पेड़:
प्रारंभ में आदि मानव पेड़ों पर रहते थे। वे अपना अधिकाँश समय पेड़ों पर ही बिताते थे। इसका कारण यह था कि पेड़ों पर वे अपना भोजन सुगमता से जटा सकते थे। यहाँ उसे फल, कंदमल, पक्षी एवं उनके अंडे बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते थे। अतः उसे भोजन की तलाश में स्थान-स्थान भटकने की आवश्यकता नहीं थी।

उस समय पेड़ों पर ही बंदर, लंगूर एवं तेंदुए (leopards) आदि निवास करते थे। इन जानवरों से अपनी सुरक्षा करना आदिमानव के लिए एक भारी समस्या थी। इसके अतिरिक्त भयंकर तूफ़ान एवं भयंकर शीत से बचाव करना एक अन्य समस्या थी।

2. गुफ़ाएँ :
आज से 4 लाख वर्ष पूर्व आदिमानव ने गुफ़ाओं को अपना निवास स्थान बना लिया था। गुफ़ाओं में रहने के उसे अनेक लाभ हुए। प्रथम, वे भयंकर जानवरों से अपने को सुरक्षित रख सके। दूसरा, गुफ़ाओं में रहने के कारण उन्हें भयंकर तूफ़ानों के समय अथवा शीत के समय किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता था।

तीसरा, गुफ़ाओं की दीवारों से पानी रिसता रहता था। अतः उन्हें पानी पीने के लिए किसी दूसरे स्थान पर नहीं जाना पड़ता था। हमें आदिमानव के गुफ़ाओं में निवास करने के जो साक्ष्य प्राप्त हुए हैं उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध दक्षिण फ्राँस में स्थित लेज़रेट गुफ़ा (Lazaret cave) है। इस गुफ़ा का आकार 12 x 4 मीटर है।

इस गुफा के अंदर से हमें दो चूल्हों (hearths), अनेक प्रकार के फलों, सब्जियों, बीजों, काष्ठफलों (nuts), पक्षियों के अंडों एवं मछलियों जैसे ट्राउट (trout), पर्च (perch) एवं कार्प (carp) आदि के साक्ष्य (evidence) मिले हैं।

3. झोंपड़ियाँ :
आदिमानव ने 1.25 लाख वर्ष पूर्व झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। यह आदिमानव द्वारा प्रगति की दिशा में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पग था। उसने अब कृषि आरंभ कर दी थी। इसलिए उसे स्थायी निवास की आवश्यकता हुई।

अतः उसने झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ किया। आदिमानव के झोंपड़ियों के निर्माण संबंधी हमें जो साक्ष्य मिले हैं उनमें दक्षिणी फ्रांस में स्थित टेरा अमाटा (TerraAmata) नामक झं बहुत प्रसिद्ध है। यह झोंपड़ी घास-फूस से बनाई गई थी। इसकी छत लकड़ी की थी। इस झोंपड़ी के किनारों को सहारा देने के लिए बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया था।

फ़र्श पर जो पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े बिखरे हुए हैं वे उन स्थानों को दर्शाते हैं जहाँ बैठ कर लोग पत्थर के औजार बनाते थे। यहाँ से हमें चूल्हे को दर्शाने के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।

4. अग्नि (Fire)-अग्नि के आविष्कार के कारण आदिमानव के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आए। इसका आविष्कार कब हुआ इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके प्रथम साक्ष्य हमें केन्या में चेसोवांजा (Chesowanja) एवं दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रांस (Swartkrans) से प्राप्त हुए हैं। यहाँ से पत्थर के औज़ारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी और जली हुई हड्डियों के अंश प्राप्त हुए हैं। ये 14 लाख वर्ष पूर्व के हैं। इन वस्तुओं को किस प्रकार आग लगी इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता।

अग्नि का आविष्कार मानव के लिए अनेक पक्षों से लाभकारी प्रमाणित हुआ। प्रथम, आग से जंगली जानवरों को डर लगता था। अतः आदिमानव अग्नि से गुफ़ाओं को प्रज्वलित रखने लगा। इस कारण उसे जंगली जानवरों से सुरक्षा प्राप्त हुई। दूसरा, अग्नि की सहायता से आदिमानव के लिए भयंकर शीत से बचाव सुगम हो गया। तीसरा, इस कारण गुफ़ाओं के अंदर जहाँ अंधेरा रहता था प्रकाश करना संभव हुआ।

चौथा, अग्नि की सहायता से भोजन को पकाना संभव हुआ। यह कच्चे भोजन की अपेक्षा अधिक स्वाद होता था। चूल्हों के प्रयोग के बारे में हमें सबसे प्रथम साक्ष्य 1.25 लाख वर्ष पूर्व का मिला है। पाँचवां, अग्नि औज़ारों के निर्माण में काफी उपयोगी सिद्ध हुई।

प्रश्न 5.
आदिमानव ने औज़ारों का निर्माण किस प्रकार किया ?
उत्तर:
आदिमानव के जीवन में औज़ारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वह इनका प्रयोग जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा एवं अपने लिए भोजन जुटाने के लिए करता था। इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ पक्षी एवं वानर आदि भी औज़ारों का निर्माण करते हैं एवं उनका प्रयोग करते हैं। किंतु आदिमानव द्वारा बनाए गए औजार अधिक कौशल एवं स्मरण शक्ति को दर्शाते हैं।

आदिमानव के औज़ार पत्थर से निर्मित थे। संभवत: वे लकड़ी के औजार भी बनाते थे। किंतु लकड़ी के औजार समय के साथ नष्ट हो गए। पत्थर के बने औज़ारों को तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है। प्रथम श्रेणी में आने वाले औज़ारों को हस्त कुठार (hand axes) कहा जाता है। हस्त कुठारों को मुट्ठी (fist) में पकड़ा जाता था। ये अनेक प्रकार के होते थे। इनका प्रयोग किसी वस्तु को काटने अथवा किसी वस्तु को कुचलने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के औज़ार हमें बड़ी संख्या में तंजानिया के ओल्डुवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त हुए हैं।

दूसरी श्रेणी में गंडासे (choppers) सम्मिलित थे। उन्हें भारी पत्थरों से तैयार किया जाता था। इसमें शल्कों (flakes) को निकाल कर धारदार बनाया जाता था। इनका प्रयोग संभवत: माँस काटने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के हथियार हमें बड़ी संख्या में एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप के अनेक स्थानों से प्राप्त हुए हैं। तीसरी श्रेणी में शल्क औज़ार (flake tools) सम्मिलित थे। ये हस्त कुठारों एवं गंडासों की अपेक्षा छोटे एवं पतले होते थे। इनके किनारे अधिक पैने होते थे। ये औज़ार अधिक उपयोगी तथा दूर तक प्रहार करने में सक्षम होते थे।

पत्थर के औजार बनाने एवं इनका प्रयोग किए जाने के सबसे प्राचीन साक्ष्य हमें इथियोपिया (Ethiopia) एवं केन्या (Kenya) से प्राप्त हुए हैं। विद्वानों (scholars) के विचारानुसार आस्ट्रेलोपिथिकस ने सबसे पहले पत्थर के औज़ार बनाए थे। लगभग 35,000 वर्ष पूर्व जानवरों के शिकार करने के तरीकों में सुधार हुआ। इसका साक्ष्य यह है कि इस काल में नए प्रकार के भालों का निर्माण किया गया। इसके अतिरिक्त तीर-कमान भी बनाए गए। 21,000 वर्ष पूर्व सिलाई वाली सूई का आविष्कार हुआ।

निस्संदेह यह एक महत्त्वपूर्ण आविष्कार था। अब आदिमानव ने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे। अब हड्डी एवं हाथी दाँत से भी औज़ार बनाए जाने लगे। इनके अतिरिक्त अब छेनी (punch blade) जैसे छोटे-छोटे औजार भी बनाए जाने लगे। इनकी सहायता से हड्डी, सींग (antler), हाथी दाँत एवं लकड़ी पर नक्काशी (engravings) की जाने लगी।

हम निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकते कि औज़ारों का निर्माण पुरुषों अथवा स्त्रियों अथवा दोनों द्वारा मिल कर किया जाता था। यह संभव है कि स्त्रियाँ अपने और अपने बच्चों के लिए भोजन जुटाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के औजारों का निर्माण एवं प्रयोग करती रही होंगी।

प्रश्न 6.
भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी सुविधा मिली होगी? इस पर चर्चा कीजिए। इन क्रियाकलापों के लिए विचार संप्रेषण के अन्य किन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता था ?
अथवा
आदिमानव ने भाषा का विकास किस प्रकार किया ? इसका उनके जीवन में क्या महत्त्व था?
उत्तर:
भाषा का विकास आदिमानव की प्रगति की राह में एक मील पत्थर सिद्ध हआ। इनका संक्षिप्त वर्णन
निम्नलिखित अनुसार है
1. भाषा :
प्रारंभिक चरणों में जब भाषा का विकास नहीं हुआ था तो आदिमानव के लिए अपने विचारों की अभिव्यक्ति करना संभव न था। इस कारण उसकी प्रगति करने की रफ्तार बहुत धीमी रही। भाषा के विकास ने उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। प्रसिद्ध इतिहासकार जे० ई० स्वैन के अनुसार, “भाषा की श्रेष्ठता ने मानव को अन्य प्राइमेट के मुकाबले सांस्कृतिक तौर पर अधिक विकसित किया।” भाषा का विकास किस प्रकार हुआ इस संबंध में अनेक मत प्रचलित हैं।

  • होमिनिड भाषा में हाव-भाव (gestures) अथवा हाथों का संचालन (hand movements) सम्मिलित था।
  • उच्चरित (spoken) भाषा से पूर्व प्रचलन हुआ।
  • मानव भाषा का आरंभ संभवत: बुलावों (calls) की क्रिया से हआ था जैसा कि अन्य प्राइमेटों द्वारा किया जाता था।

समय के साथ-साथ इन ध्वनियों ने भाषा का रूप धारण कर लिया। बोलने वाली भाषा का आरंभ कब हुआ इस संबंध में विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार भाषा का सबसे पहले विकास 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ था। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार इसका विकास 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ था जब स्वरतंत्र (vocal tract) का विकास हुआ था।

इसका संबंध विशेष तौर पर आधुनिक मानव से है। कुछ अन्य विद्वानों के विचारानुसार भाषा का विकास 40,000 से 35,000 वर्ष पूर्व तब हुआ जब कला का विकास आरंभ हुआ। इसका कारण यह है कि ये दोनों ही विचार अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। भाषा के प्रयोग से शिकार करने में तथा आश्रय बनाने में अनेक लाभ हुए।

(क) शिकार करने में (In Hunting)-भाषा का प्रयोग शिकार करने में निम्नलिखित पक्षों से लाभकारी प्रमाणित हुआ-

  • लोग शिकार करने की योजना बना सकते थे।
  • वे जानवरों के क्षेत्रों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे जानवरों की प्रकृति पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे शिकार के लिए आवश्यक औज़ारों पर विचार कर सकते थे।
  • वे मारे गए जानवरों के उपयोग के संबंध में चर्चा कर सकते थे।

(ख) आश्रय बनाने में (In Constructing Shelters)-भाषा का प्रयोग आश्रय बनाने में निम्नलिखित पक्षों से लाभकारी प्रमाणित हुआ-

  • लोग आश्रय बनाने के लिए सुरक्षित क्षेत्रों पर चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के लिए उपलब्ध सामग्री की जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के तरीकों के संबंध में चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल के निकट उपलब्ध सुविधाओं पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल को जंगली जानवरों एवं भयंकर तूफ़ानों से सुरक्षित रखने के उपायों के बारे में सोच सकते थे।

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प्रश्न 7.
आदिमानव की कला पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
आदिकालीन मानव को प्रारंभ से ही कला में विशेष दिलचस्पी थी। अतः उसने चित्रकला एवं मूर्तिकला के क्षेत्रों में अपना हाथ आजमाया।

(क) चित्रकला :
प्रारंभ में आदिमानव अपने दैनिक जीवन में जिनसे प्रभावित होता था उन्हें वह पूर्ण भाव के साथ व्यक्त करने का प्रयास करता था। उसने जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों, सूर्य, चंद्रमा, तारों, नदियों आदि के चित्र बनाए। क्योंकि उनके जीवन में शिकार का विशेष महत्त्व था अतः उन्होंने इससे संबंधित सर्वाधिक चित्र बनाए। ये चित्र गुफ़ाओं की दीवारों एवं छतों पर बनाए गए थे।

इनमें से स्पेन में स्थित आल्टामीरा (Altamira) तथा फ्रांस में स्थित लैसकॉक्स (Lascaux) तथा चाउवेट (Chauvet) नामक गुफाएं विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। आल्टामीरा गुफ़ा की खोज 1879 ई० में मार्सिलीनो सैंज दि सउतुओला (Marcelino Sanz de Sautuola) एवं उसकी पुत्री मारिया (Maria) ने की।

इस गुफ़ा से हमें जो अनेक चित्र प्राप्त हुए हैं उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध एक जंगली भैंसे का चित्र है। 1994 ई० में लैसकॉक्स एवं चाउवेट नामक गुफ़ाओं की खोज हुई। इनमें भी बड़ी संख्या में सुंदर चित्र प्राप्त हुए हैं। इनमें जंगली बैलों (bison), घोड़ों, पहाड़ी बकरों (ibex), हिरणों, मैमथों (mammoths), गैंडों (rhinos), शेरों, भालुओं, चीतों, लकड़बग्धों एवं उल्लुओं आदि के चित्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन चित्रों में विशेष रूप से चार रंगों-काला, लाल, पीला एवं सफ़ेद का प्रयोग किया गया है। इन चित्रों को 30,000 से 12,000 वर्ष पूर्व बनाया गया था।

उपरोक्त चित्रों के संबंध में अनेक प्रश्न उठाए गए हैं। उदाहरणस्वरूप इन चित्रों में अधिकाँश शिकार के चित्र क्यों बनाए गए हैं ? इन्हें गुफ़ाओं के उन स्थानों पर क्यों बनाया गया था जहाँ अंधकार होता था? इन चित्रों में कुछ विशेष चित्रों को ही चित्रित क्यों किया गया है? केवल पुरुषों को ही जानवरों के साथ चित्रित किया गया है स्त्रियों को क्यों नहीं? इन प्रश्नों के संबंध में विद्वानों ने अलग-अलग स्पष्टीकरण दिए हैं। इन चित्रों के उद्देश्यों के संबंध में विद्वानों में मतभेद पाए जाते हैं। कुछ विद्वानों का विचार है कि ये चित्र गुफ़ाओं को सुंदर बनाने के उद्देश्य से बनाए गए थे।

कुछ अन्य का विचार है कि इन चित्रों को इसलिए चित्रित किया गया था ताकि वे भावी पीढ़ियों को शिकार के संबंध में अपनी जानकारी दे सकें। अधिकांश विद्वानों का विचार है कि इन चित्रों का वास्तविक उद्देश्य धार्मिक था। प्रसिद्ध इतिहासकारों जे० एच० बेंटली एवं एच० एफ० जाईगलर का यह कहना ठीक है कि, “इन चित्रों की सादगी एवं उन्हें दर्शाने की शक्ति ने प्रारंभिक 20वीं शताब्दी से आधुनिक आलोचकों पर गहन प्रभाव छोड़ा। प्रागैतिहासिक काल के कलाकारों के कौशल ने मानव प्रजातियों की अद्भुत दिमागी शक्ति को दर्शाया है।

2. मूर्तिकला (Sculpture)-आदिकालीन मानव ने कुछ छोटे आकार की मूर्तियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। उन्होंने मानवों एवं जानवरों की अनेक मूर्तियाँ बनाईं। इनमें से अधिकाँश मूर्तियाँ स्त्रियों से संबंधित थीं। इसका कारण यह था कि वे स्त्रियों को जनन (fertility) शक्ति का स्रोत समझते थे। इनमें प्रायः स्त्रियों के मुख को नहीं दर्शाया जाता था। इस प्रकार की अनेक मूर्तियाँ हमें यूरोप के विभिन्न स्थानों से प्राप्त हुई हैं। इन मूर्तियों को वीनस (Venus) देवी के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न 8.
हादज़ा जनसमूह का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रसिद्ध मानव विज्ञानी (anthropologist) जेम्स वुडबर्न (James Woodburn) द्वारा 1960 ई० में अफ्रीका के हादज़ा जनसमूह के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला गया। इसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार हादज़ा एक लघु समूह है जो एक खारे पानी की झील ‘लेक इयासी’ (Lake Eyasi) के इर्द-गिर्द रहते हैं। वे शिकारी तथा खाद्य संग्राहक हैं। पूर्वी हादज़ा का क्षेत्र सूखा एवं चट्टानी है। यहाँ सवाना घास, काँटेदार झाड़ियाँ तथा एकासिया (accacia) नामक पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ जंगली खाद्य पदार्थ भी काफी मात्रा में मिलते हैं।

20वीं शताब्दी के आरंभ में हादज़ा प्रदेश में बड़ी मात्रा में जानवर पाए जाते थे। यहाँ पाए जाने वाले बड़े जानवरों में हाथी, शेर, तेंदुए, लकड़बग्घे, गैंडे, भैंसे, चिंकारा, हिरण, बबून बंदर, जेब्रा, जिराफ़, वाटरबक एवं मस्सेदार सूअर (warthog) आदि थे। इनके अतिरिक्त यहाँ अनेक प्रकार के छोटे जानवर भी पाए जाते थे। इनमें खरगोश एवं कछुए आदि थे। हादज़ा लोग केवल हाथी को छोड़ कर अन्य सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं एवं उनका माँस खाते हैं। यहाँ यह बात स्मरण रखने योग्य है कि हादज़ा लोग विश्व में सबसे अधिक माँस खाते हैं। इसके बावजूद वे इस बात का ख्याल रखते हैं कि शिकार को भविष्य में कोई ख़तरा न हो।

साधारण दर्शकों को हादज़ा क्षेत्र में पाए जाने वाले कंदमूल, बेर, बाओबाब पेड़ के फल सुगमता से दिखाई नहीं देते। इसके बावजूद ये अत्यंत सूखे मौसम में भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। वहाँ वर्षा ऋतु के 6 महीनों में मिलने वाले खाद्य पदार्थ सूखे के मौसम में मिलने वाले खाद्य पदार्थ से भिन्न होते हैं। किंतु वहाँ कभी भी खाद्य पदार्थ की कोई कमी नहीं रहती। यहाँ पाई जाने वाली सात प्रकार की मधुमक्खियाँ, शहद एवं सूंडियों को विशेष चाव के साथ खाया जाता है। इनकी आपूर्ति (supplies) मौसम के अनुसार बदलती रहती है।

वर्षा ऋतु में संपूर्ण देश में जल स्रोतों की कोई कमी नहीं रहती। ये बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। किंतु सूखे के मौसम में इनमें से अधिकाँश सूख जाते हैं। इसलिए वे प्रायः अपने शिविर जल स्रोतों से एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थापित नहीं करते हैं। हादज़ा लोगों के कुछ क्षेत्रों में घास के विशाल मैदान हैं। इसके बावजूद वे कभी भी वहाँ अपना शिविर स्थापित नहीं करते। वे अपने शिविर पेड़ों अथवा चट्टानों के मध्य अथवा उन स्थानों पर लगाते हैं जहाँ ये दोनों सुविधाएँ उपलब्ध हों।

हादज़ा लोग ज़मीन और उसके संसाधनों पर अपना दावा नहीं करते। कोई भी व्यक्ति जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। वह वहाँ से कंदमूल, फल एवं शहद एकत्र कर सकता है तथा पानी ले सकता है। वास्तव में इस संबंध में हादज़ा प्रदेश में कोई प्रतिबंध नहीं है। यद्यपि हादज़ा प्रदेश में बड़ी मात्रा में जानवर शिकार के लिए उपलब्ध हैं फिर भी हादज़ा लोग अपने भोजन का 80 प्रतिशत जंगली साग-सब्जियों से प्राप्त करते हैं। वे अपने भोजन का शेष 20 प्रतिशत माँस एवं शहद से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 9.
क्या आज के शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में प्राप्त सूचनाओं को अतीत के मानव जीवन के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जा.सकता है?
अथवा
क्या वर्तमान शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में प्राप्त जानकारी के सुदूर अतीत के मानव के जीवन को पुनर्निर्मित करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है?
उत्तर:
मानव विज्ञानियों (anthropologists) के अध्ययनों के आधार पर वर्तमान समय के शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में जैसे-जैसे हमारे ज्ञान में वद्धि हई वैसे-वैसे हमारे सामने यह प्रश्न आता है कि क्या आज के शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में प्राप्त सूचनाओं को अतीत के मानव जीवन के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस संबंध में इतिहासकारों में निम्नलिखित दो मत प्रचलित हैं

(क) कुछ इतिहासकारों के विचारानुसार वर्तमान समय के शिकारी संग्राहक समाजों से प्राप्त तथ्यों को प्राचीनकालीन प्राप्त अवशेषों के अध्ययन के लिए प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए कुछ पुरातत्त्वविदों (archaeologists) का विचार है कि 20 लाख वर्ष पूर्व के होमिनिड स्थल जो तुर्काना झील (Lake Turkana) के किनारे स्थित हैं वास्तव में आदिकालीन मानवों के निवास स्थान थे। यहाँ वे सूखे के मौसम में जब स्रोतों में कमी आ जाती थी, आकर निवास करते थे। वर्तमान समय में हादज़ा (Hadza) एवं कुंग सैन (Kung San) समाज भी इसी ढंग से रहते हैं।

(ख) दूसरी ओर कुछ अन्य इतिहासकारों का विचार है कि संजातिवृत्त (ethnography) संबंधी तथ्यों का उपयोग अतीत के समाजों को समझने के लिए नहीं किया जा सका क्योंकि दोनों समाज एक-दूसरे से अलग हैं। संजातिवृत्त में समकालीन नृजातीय समूहों (ethnic groups) का विश्लेषणात्मक अध्ययन होता है। इसमें उनके रहन-सहन, खान-पान, आजीविका के साधन, रीति-रिवाजों, सामाजिक रूढ़ियों एवं राजनीतिक संस्थाओं का अध्ययन किया जाता है।

आज के शिकारी संग्राहक समाज शिकार एवं संग्रहण के अतिरिक्त कई अन्य आर्थिक गतिविधियों में भी लगे रहते हैं। उदाहरण के तौर पर वे जंगलों में पाए जाने वाले छोटे-छोटे उत्पादों का आपस में विनिमय (exchange) करते हैं तथा इनका व्यापार भी करते हैं। वे पड़ोसी किसानों के खेतों में मजदूरी का काम भी करते हैं। सबसे बढ़कर वे जिन हालातों में रहते हैं वे आदिकालीन मानवों से पूर्णतः भिन्न हैं।

वर्तमान काल के शिकारी संग्राहक समाजों में आपस में भी बहुत भिन्नता है। उनकी गतिविधियों में बहुत अंतर है। वे शिकार एवं संग्रहण को अलग-अलग महत्त्व देते हैं। उनका आकार भी छोटा-बड़ा होता है। भोजन प्राप्त करने के संबंध में श्रम विभाजन (division of labour) को लेकर भी मतभेद पाए जाते हैं।

यद्यपि आज भी अधिकाँश स्त्रियाँ खाद्य-पदार्थों को एकत्र करने का कार्य करती हैं एवं पुरुष शिकार करते हैं किंतु फिर भी अनेक ऐसे समाजों के उदाहरण मिलेंगे जहाँ स्त्रियाँ एवं पुरुष दोनों ही शिकार करते हैं, संग्रहण का कार्य करते हैं तथा औजार बनाते हैं। निस्संदेह इससे ऐसे समाजों में स्त्रियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका की जानकारी प्राप्त होती है। अतः अतीत के संबंध में कोई अनुमान लगाना कठिन है।

प्रश्न 10.
अध्याय के अंत में दिए गए प्रत्येक कालानुक्रम में से किन्हीं दो घटनाओं को चुनिए और यह बताइए कि इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
कालानुक्रम-1

1. होमिनॉइड और होमिनिड की शाखाओं में विभाजन : नोट-इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 1 के भाग 2 एवं 3 का उत्तर देखें।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 4

2. होमो एरेक्टस : नोट-इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 2 के भाग 2 का उत्तर देखें।

कालानुक्रम-2
1. आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव : नोट- इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 2 के भाग 3 का उत्तर देखें।
2. निअंडरथल मानव का प्रादुर्भाव : नोट-इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 2 के भाग 3 का (ख) भाग देखें।

क्रम संख्यावर्षघटना
1 .-240 लाख वर्ष पूर्वप्राइमेट प्राणियों का अफ्रीका एवं एशिया में उत्थान।
2 .240 लाख वर्ष पूर्वहोमिनॉइड का उत्थान।
3 .56 लाख वर्ष पूर्वआस्ट्रेलोपिथिकस अस्तित्व में आए।
4 .25 लाख वर्ष पूर्वहिम युग का आरंभ, होमो अस्तित्व में आए।
5 .22 लाख वर्ष पूर्वहोमो हैबिलिस का उत्थान।
6 .20 लाख वर्ष पूर्वहोमिनिड का तुर्काना झील पर स्थल।
7 .18 लाख वर्ष पूर्वहोमो एरेक्टस का अस्तित्व में आना।
8 .13 लाख वर्ष पूर्वआस्ट्रेलोपिथिकस का विलुप्त होना।
9 .8 लाख वर्ष पूर्वहोमो हाइडलबर्गेसिस का अस्तित्व में आना।
10 .5 लाख वर्ष पूर्वबॉक्सग्रोव, इंग्लैंड से स्तनपायी जानवरों का योजनाबद्ध ढंग से शिकार का साक्ष्य।
11 .4 लाख वर्ष पूर्वशोनिंजन, जर्मनी से स्तनपायी जानवरों का योजनाबद्ध ढंग से शिकार का साक्ष्य, गुफ़ाओं में निवास।
12.2 लाख वर्ष पूर्वहोमो एरेक्टस का लोप होना।
13.1.95 लाख वर्ष पूर्वआधुनिक मानव का अस्तित्व में आना।
14.1.30 लाख वर्ष पूर्वहोमो निअंडरथलैंसिस का अस्तित्व में आना।
15.1.25 लाख वर्ष पूर्वझोंपड़ियों का निर्माण।
16.35 हज़ार वर्ष पूर्वनिअंडरथल मानवों का लोप, शिकार के तरीकों में सुधार।
17.21 हज़ार वर्ष पूर्वसिलाई वाली सूई का आविष्कार।
18.1879 ई०आल्टामीरा गुफ़ा की खोज हुई।
19.1959 ई०ओल्डुवई गोर्ज की खोज हुई।
20.1960 ईमानव विज्ञानी जेम्स वुडबर्न द्वारा हादज़ा जनसमूह का वर्णन।

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न
(Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
होमिनॉइड और होमिनिड से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
1) होमिनॉइड-होमिनॉइड समूह 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया था। यह प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह था। इसमें पूँछहीन बंदर सम्मिलित थे। इनका मस्तिष्क छोटा होता था। अत: उनमें सोचने की शक्ति कम थी। उनके चार पैर थे। वे चलते समय चारों पैरों का प्रयोग करते थे। उनके शरीर का अगला हिस्सा और दोनों पैर लचकदार होते थे। वे सीधे खड़े होकर चल नहीं सकते थे। होमिनॉइड बंदरों से कई प्रकार से भिन्न होते थे। उनका शरीर बंदरों से बड़ा होता था। उनकी पूँछ भी नहीं होती थी। उनके बच्चों का विकास धीरे-धीरे होता था।

2) होमिनिड-होमिनिड 56 लाख वर्ष पूर्व होमिनॉइड उपसमूह से विकसित हुए। इनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें लेतोली तंजानिया से एवं हादार इथियोपिया से प्राप्त हुए हैं। दो प्रकार के साक्ष्यों से पता चलता है कि होमिनिडों का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। ये 56 लाख वर्ष पुराने हैं। अफ्रीका से बाहर जो जीवाश्म पाए गए हैं वे 18 लाख वर्ष से पुराने नहीं हैं। होमिनिड, होमिनिडेइ नामक परिवार के साथ संबंधित हैं। इस परिवार में सभी रूपों के मानव प्राणी सम्मिलित हैं। इस समूह की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-

  • इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा होता था।
  • वे सीधे खड़े हो सकते थे।
  • वे दो पैरों के बल चल सकते थे।
  • उनके हाथ विशेष प्रकार के होते थे। वे इन हाथों की सहायता से औजार बना सकते थे और उनका प्रयोग कर सकते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 2.
दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था को दर्शाने वाले आरेख को देखिए। क्या आप उन निवेशों की सूची दे सकते हैं जो औज़ारों के निर्माण में सहायक हुए ? औज़ारों के निर्माण से किन-किन प्रक्रियाओं को बल मिला ?
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 5
उत्तर:
औज़ारों के निर्माण में सहायक निवेश

  • मस्तिष्क के आकार और उसकी क्षमता में वृद्धि।
  • औज़ारों के इस्तेमाल के लिए बच्चों व चीज़ों को ले जाने के लिए हाथों का मुक्त होना।
  • सीधे खड़े होकर चलना।
  • आँखों से निगरानी, भोजन और शिकार की तलाश में लंबी दूरी तक चलना।

प्रक्रियाएँ जिनको औज़ारों के निर्माण से बल मिला

  • सीधे खड़े होकर चलना।
  • आँखों से निगरानी, भोजन और शिकार की तलाश में लंबी दूरी तक चलना।
  • मस्तिष्क के आकार और उसकी क्षमता में वृद्धि।

प्रश्न 3.
मानव और लंगूर तथा वानरों जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शरीर रचना में कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संभवतः मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ।
(क) व्यवहार और
(ख)शरीर रचना शीर्षकों के अंतर्गतः दो अलग-अलग स्तंभ बनाइए और उन समानताओं की सूची दीजिए। दोनों के बीच पाए जाने वाले उन अंतरों का भी उल्लेख कीजिए जिन्हें आप महत्त्वपूर्ण समझते हैं।
उत्तर:
(क) समानताएँ-व्यवहार एवं शरीर रचना

मानववानर तथा लंगूर
1. मानव पेड़ों पर चढ़ सकता है।1. वानर भी पेड़ों पर चढ़ सकते हैं।
2. माताएँ अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं।2. मादा वानर भी अपने बच्चों को दूध पिलाती है।
3. मानव लंबी दूरी तक चल सकता है।3. वानर भी लंबी दूरी तक चल सकते हैं।
4. मानव प्रजनन द्वारा अपने जैसी संतान उत्पन्न करते हैं।4. वानर भी ऐसा ही करते हैं।
5. मानव रीढ़धारी हैं।5. वानर भी रीढ़धारी होते हैं।

(ख) असमानताएँ-व्यवहार एवं शरीर रचना

मानववानर तथा लंगूर
1. मानव दो पैरों पर चलता है।1. वानर चार पैरों पर चलता है।
2. मानव खेती करके अपने भोजन के लिए अनाज उगाता है।2. वानर ऐसा नहीं कर सकते।
3. मानव सीधे खड़ा होकर चल सकता है।3. वानर ऐसा नहीं कर सकते।
4. मानव की पूँछ नहीं होती।4. वानरों की पूँछ होती है।
5. मानव का शरीर बड़ा होता है।5. वानरों का शरीर अपेक्षाकृत छोटा होता है।

प्रश्न 4.
मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के पक्ष में दिए गए तर्कों पर चर्चा करिए। क्या आपके विचार से यह मॉडल पुरातात्विक साक्ष्य का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण देता है ?
उत्तर:
आधुनिक मानव का उद्भव कहाँ हुआ इस संबंध में इतिहासकार एक मत नहीं है। कुछ विद्वान् क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल का समर्थन करते हैं। उनके विचारानुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति किसी एक विशेष क्षेत्र में नहीं अपितु अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई है। उनका मानना है कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ।

इस अंतर को स्पष्टतः आज भी देखा जा सकता है। कुछ अन्य विद्वान् प्रतिस्थापन मॉडल का समर्थन करते हैं। उनका कथन है कि आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ। अपने पक्ष में वे तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक एवं जननिक समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे विश्व के विभिन्न भागों में फैले।

प्रश्न 5.
आस्ट्रेलोपिथिकस मानव के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
आस्ट्रेलोपिथिकस शब्द लातीनी भाषा के शब्द ‘आस्ट्रल’ भाव दक्षिणी एवं यूनानी भाषा के शब्द ‘पिथिकस’ भाव बंदर से मिल कर बना है। इसका कारण यह था कि मानव के इस रूप में बंदर के अनेक लक्षण बरकरार रहे। आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें तंज़ानिया के ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं। इसकी खोज 17 जुलाई, 1959 ई० को मेरी एवं लुईस लीकी ने की थी। उनके जीवाश्म 56 लाख वर्ष पुराने थे। होमो की तुलना में उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था। उनके जबड़े अधिक भारी थे एवं दाँत भी ज़्यादा बड़े होते थे।

आस्ट्रेलोपिथिकस बंदरों की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे दो पैरों पर खड़े हो सकते थे। उनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी। इसका कारण यह था कि वे अभी भी अपना काफी समय पेड़ों पर गुजारते थे। वे अपनी सरक्षा के लिए औज़ारों का निर्माण करने लगे थे। लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व ध्रुवीय हिमाच्छादन अथवा हिम युग के प्रारंभ से पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए। इस कारण जलवायु एवं वनस्पति की स्थिति में बहुत परिवर्तन हुए। तापमान एवं वर्षा में कमी के कारण पृथ्वी पर वन कम हो गए। इसके चलते 13 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस लुप्त हो गए।

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प्रश्न 6.
‘होमो’ शब्द से आप क्या समझते हैं ? इन्हें किन-किन प्रजातियों में बाँटा गया है ?
उत्तर:
होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। होमो लातीनी भाषा का एक शब्द है। इसका भाव है में पुरुष एवं स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित थे। आस्ट्रेलोपिथिकस की तुलना में होमो का मस्तिष्क बड़ा था, जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे एवं दाँत छोटे थे। वैज्ञानिकों द्वारा होमो को निम्नलिखित तीन प्रमुख प्रजातियों में बाँटा गया है

1) होमो हैबिलिस-होमो हैबिलिस औज़ार बनाने वाले के नाम से जाने जाते हैं। उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे अपने हाथों का दक्षतापूर्वक प्रयोग कर सकते थे। वे प्रथम होमिनिड थे जिन्होंने पत्थर के औजार बनाए।

2) होमो एरेक्टस-होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औज़ारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।

3) होमो सैपियंस-होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष पूर्व से 1.60 लाख वर्ष के दौरान हुआ। आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। उस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था। अतः वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी।

प्रश्न 7.
होमो एरेक्टस से आपका क्या अभिप्राय है ? उनकी क्या विशेषताएँ थीं ?
अथवा
‘होमो एरेक्टस’ मानव के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
उन मानवों को जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे होमो एरेक्टस कहा जाता था। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। होमो एरेक्टस के प्राचीनतम जीवाश्म 18 लाख वर्ष पूर्व के हैं। ये जीवाश्म हमें अफ्रीका एवं एशिया दोनों महाद्वीपों से प्राप्त हुए हैं। होमो एरेक्टस का मस्तिष्क होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक बड़ा था। अत: वे अधिक समझदार थे।

उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औज़ारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। आग के संबंध में हमें प्रथम साक्ष्य केन्या के चेसोवांजा से प्राप्त हुआ है। निस्संदेह होमो एरेक्टस मानव विकास की कड़ी में एक मील पत्थर सिद्ध हुए।

प्रश्न 8.
प्रतिस्थापन मॉडल एवं क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
1) प्रतिस्थापन मॉडल-आधुनिक मानव के उद्भव के बारे में कुछ विद्वान् प्रतिस्थापन मॉडल का समर्थन करते हैं। उनके अनुसार आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक एवं जननिक समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे विभिन्न स्थानों में गए।

2) क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल-दूसरी ओर कुछ अन्य विद्वान् क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल का समर्थन करते हैं। उनके विचारानुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ। इस अंतर को स्पष्टतः आज भी देखा जा सकता है।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 6

प्रश्न 9.
होमो सैपियंस मानव की प्रमुख विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष पूर्व से 1.60 लाख वर्ष पूर्व के दौरान हुआ। आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। इस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था। अतः वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था।

वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी। इससे उसे भोजन की तलाश में भटकना नहीं पड़ा। उसने अब खाना पकाने की विधि की जानकारी प्राप्त कर ली थी। उसके हथियार बहुत उत्तम थे। उसने अनेक नए हथियारों का निर्माण भी कर लिया था। इससे वह जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा अधिक अच्छे ढंग से कर सका। उसने सूई का आविष्कार कर लिया था। अतः उसने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे। एवं भाषा के क्षेत्रों में काफ़ी विकास कर लिया था।

प्रश्न 10.
आदि मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिकालीन मानव निम्नलिखित तरीकों से अपना भोजन प्राप्त करते थे
1) संग्रहण-आदिकालीन मानव पूर्ण रूप से प्रकृति जीवी थे। उन्हें कृषि की जानकारी नहीं थी। वे पशुपालन भी नहीं करते थे। अत: आरंभ में आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वे पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों जैसे-बीज, गुठलियाँ, फल एवं कंदमूल एकत्र करते थे। संग्रहण के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। इस संबंध में हमें प्रत्यक्ष प्रमाण बहत कम मिले हैं। संग्रहण द्वारा भोजन जुटाने का मुख्य कार्य स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था। पुरुष मुख्य रूप से शिकार के लिए बाहर जाते थे।

2) अपमार्जन-आदिकालीन मानव अपमार्जन द्वारा अथवा रसदखोरी द्वारा भी अपना भोजन प्राप्त करता था। अपमार्जन से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। रसदखोरी से अभिप्राय भोजन की तलाश करना है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस एवं मज्जा प्राप्त करते थे।

3) शिकार-शिकार द्वारा भोजन प्राप्त करना आदिकालीन मानव का महत्त्वपूर्ण स्रोत रहा है। शिकार मुख्यतः पुरुषों द्वारा किया जाता था। वे शिकार का पीछा करते हुए अपने निवास स्थान से काफ़ी दूर तक निकल जाते थे। वे छोटे-मोटे पशुओं का शिकार स्वयं कर लेते थे। वे बड़े पशुओं का शिकार सम्मिलित रूप से करते थे। इसका कारण यह था कि बड़े पशुओं का अकेले शिकार करने में उनके स्वयं के मारे जाने का खतरा अधिक रहता था।

वे जंगली घोड़ों, जंगली भैंसों जिन्हें बाइसन कहा जाता था, गैंडों, रीछों एवं विशालकाय जानवरों जिन्हें मैमथ कहा जाता था, का शिकार करते थे। वे शिकार के लिए भालों एवं पत्थरों का प्रयोग करते थे। बाद में कुत्तों ने आदिमानव को शिकार के लिए बहुमूल्य योगदान दिया।

4) मछली पकड़ना-मछली पकड़ना भी आदिकालीन मानव का भोजन प्राप्त करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि थी। वे नदियों एवं तालाबों से हाथ द्वारा ही मछली पकड़ लिया करते थे। इसके अतिरिक्त वे छोटी मछली पकड़ने के लिए काँटे का एवं बड़ी मछली पकड़ने के लिए हार्पून का प्रयोग भी करते थे।

प्रश्न 11.
संग्रहण और अपमार्जन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
1) संग्रहण-आदिकालीन मानव पूर्ण रूप से प्रकृति जीवी थे। उन्हें कृषि की जानकरी नहीं थी। इसके अतिरिक्त वे पशुपालन भी नहीं करते थे। अतः आरंभ में आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वे पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों जैसे-बीज, गुठलियाँ, फल एवं कंदमूल एकत्र करते थे। संग्रहण के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।

इस संबंध में हमें प्रत्यक्ष प्रमाण बहुत कम मिले हैं। इसका कारण यह है कि हमें हड्डियों के जीवाश्म तो काफ़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं जबकि पौधों के जीवाश्म बहुत कम प्राप्त हुए हैं। संग्रहण द्वारा भोजन जुटाने का मुख्य कार्य स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था। पुरुष मुख्य रूप से शिकार के लिए बाहर जाते थे।

2) अपमार्जन-आदिकालीन मानव अपमार्जन द्वारा अथवा रसदखोरी द्वारा भी अपना भोजन प्राप्त करता था। अपमार्जन से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। रसदखोरी से अभिप्राय भोजन की तलाश करना है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस एवं मज्जा प्राप्त करते थे। इनके अतिरिक्त वे छोटे-छोटे पक्षियों एवं उनके अंडों, गों चूहों एवं अनेक प्रकार के कीड़े-मकोड़ों को खाते थे।

प्रश्न 12.
आदिमानव शिकार द्वारा भोजन किस प्रकार प्राप्त करता था ?
उत्तर:
शिकार द्वारा भोजन प्राप्त करना आदिकालीन मानव का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत रहा है। शिकार प्रमुख तौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता था। वे शिकार का पीछा करते हुए अपने निवास स्थान से काफ़ी दूर तक निकल जाते थे। वे छोटे-मोटे पशुओं का शिकार स्वयं कर लेते थे। वे बड़े पशुओं का शिकार सम्मिलित रूप से करते थे।

इसका कारण यह था कि बड़े पशुओं का अकेले शिकार करने में उनके स्वयं के मारे जाने की संभावना अधिक रहती थी। वे जंगली घोड़ों, जंगली भैंसों जिन्हें बाइसन कहा जाता था, गैंडों, रीछों एवं विशालकाय जानवरों जिन्हें मैमथ कहा जाता था, का शिकार करते थे। वे शिकार के लिए भालों एवं पत्थरों का प्रयोग करते थे। बाद में आदिमानव ने शिकार के लिए कुत्तों का सहयोग लेना आरंभ कर दिया था।

योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों का। उनका वध करने की सबसे परानी उदाहरण हमें दो स्थलों से मिलती है। प्रथम उदाहरण 5 लाख वर्ष पर्व की है। यह दक्षिणी इंग्लैंड में बॉक्सग्रोव से संबंधित है। दूसरी उदाहरण 4 लाख वर्ष पूर्व की है। यह जर्मनी में शोनिंजन से संबंधित है।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 13.
अग्नि का आविष्कार किस प्रकार आदिमानव के लिए क्रांतिकारी सिद्ध हुआ ?
उत्तर:
अग्नि का आविष्कार आदिमानव के जीवन में क्रांतिकारी प्रमाणित हुआ। इसका आविष्कार कब हुआ इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके प्रथम साक्ष्य हमें केन्या में चेसोवांजा एवं दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रांस से प्राप्त हुए हैं। यहाँ से पत्थर के औजारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी और जली हुई हड्डियों के अंश प्राप्त हुए हैं। ये 14 लाख वर्ष पूर्व के हैं। इन वस्तुओं को किस प्रकार आग लगी, इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। अग्नि का आविष्कार मानव के लिए अनेक पक्षों से बहुमूल्य प्रमाणित हुआ।

प्रथम, आग से जंगली जावरों को डर लगता था। अत: आदिमानव अग्नि से गुफ़ाओं को प्रज्वलित रखने लगा। इस कारण उसे जंगली जानवरों, से सुरक्षा प्राप्त हुई। दूसरा, अग्नि की सहायता से आदिमानव के लिए भयंकर शीत से बचाव सुगम हो गया। तीसरा, इस कारण गुफ़ाओं के अंदर जहाँ अंधेरा रहता था प्रकाश करना संभव हुआ। चौथा, अग्नि की सहायता से भोजन को पकाना संभव हुआ। यह कच्चे भोजन की अपेक्षा अधिक स्वाद होता था।

प्रश्न 14.
आदिमानव के औज़ारों के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
आदिमानव के औजार पत्थर से निर्मित थे। संभवतः वे लकड़ी के औजार भी बनाते थे। किंतु लकड़ी के औज़ार समय के साथ नष्ट हो गए। पत्थर के बने औज़ारों को तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है। प्रथम श्रेणी में आने वाले औज़ारों को हस्त कुठार कहा जाता है। हस्त कुठारों को मुट्ठी में पकड़ा जाता था। ये अनेक प्रकार के होते थे। इनका प्रयोग किसी वस्तु को काटने अथवा किसी वस्तु को कुचलने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के औज़ार हमें बड़ी संख्या में तंजानिया के ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं।

दूसरी श्रेणी में गंडासे सम्मिलित थे। उन्हें भारी पत्थरों से तैयार किया जाता था। इसमें शल्कों को निकाल कर धारदार बनाया जाता था। इनका प्रयोग संभवतः माँस काटने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के हथियार हमें बड़ी संख्या में एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप के अनेक स्थानों से प्राप्त हुए हैं। तीसरी श्रेणी में शल्क औज़ार सम्मिलित थे। ये हस्त कुठारों एवं गंडासों की अपेक्षा छोटे एवं पतले होते थे। इनके किनारे अधिक पैने होते थे। ये औज़ार अधिक उपयोगी तथा दूर तक प्रहार करने में सक्षम होते थे।

प्रश्न 15.
मानव ने बोलना कैसे सीखा ?
अथवा
भाषा का विकास किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
भाषा का विकास किस प्रकार हुआ इस संबंध में अनेक मत प्रचलित हैं।

  • होमिनिड भाषा में हाव-भाव अथवा हाथों का संचालन सम्मिलित था।
  • उच्चरित भाषा से पूर्व गुनगुनाने का प्रचलन हुआ।
  • मानव भाषा का आरंभ संभवत: बुलावों की क्रिया से हुआ था जैसा कि अन्य प्राइमेटों द्वारा किया जाता था। समय के साथ-साथ इन ध्वनियों ने भाषा का रूप धारण कर लिया।

बोलने वाली भाषा का आरंभ कब हुआ इस संबंध में विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार भाषा का सबसे पहले विकास 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ था। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार इसका विकास 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ था जब स्वरतंत्र का विकास हुआ था। इसका संबंध विशेष तौर पर आधुनिक मानव से है। कुछ अन्य विद्वानों के विचारानुसार भाषा का विकास 40,000 से 35,000 वर्ष पूर्व तब हुआ जब कला का विकास आरंभ हुआ। इसका कारण यह है कि ये दोनों ही विचार अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। भाषा के प्रयोग से शिकार करने में तथा आश्रय बनाने में अनेक लाभ हुए।।

प्रश्न 16.
भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी मदद मिली होगी ? उस पर चर्चा करिए।
उत्तर:
1) शिकार करने में-भाषा का प्रयोग शिकार करने में निम्नलिखित पक्षों से बहुमूल्य प्रमाणित हुआ

  • लोग शिकार करने की योजना बना सकते थे।
  • वे जानवरों के क्षेत्रों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे जानवरों की प्रकृति पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे शिकार के लिए आवश्यक औज़ारों पर विचार कर सकते थे।
  • वे मारे गए जानवरों के उपयोग के संबंध में चर्चा कर सकते थे।

2) आश्रय बनाने में-भाषा का प्रयोग आश्रय बनाने में निम्नलिखित पक्षों से बहुमूल्य प्रमाणित हुआ

  • लोग आश्रय बनाने के लिए सुरक्षित क्षेत्रों पर चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के लिए उपलब्ध सामग्री की जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के तरीकों के संबंध में चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल के निकट उपलब्ध सुविधाओं पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल को जंगली जानवरों एवं भयंकर तूफ़ानों से सुरक्षित रखने के उपायों के बारे में सोच सकते थे।

प्रश्न 17.
हादज़ा जन समूह के विषय में आपके क्या जानते हो ?
उत्तर:
हादज़ा एक लघु समूह है जो एक खारे पानी की झील ‘लेक इयासी’ के आस-पास रहते हैं। वे शिकारी तथा खाद्य संग्राहक हैं। हादज़ा लोग केवल हाथी को छोड़ कर अन्य सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं .एवं उनका माँस खाते हैं। यहाँ यह बात स्मरण रखने योग्य है कि हादज़ा लोग विश्व में सबसे अधिक माँस खाते हैं।

इसके बावजूद वे इस बात का ख्याल रखते हैं कि शिकार को भविष्य में कोई ख़तरा न हो। वर्षा ऋतु में संपूर्ण देश में जल स्रोतों की कोई कमी नहीं रहती। ये बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। किंतु सूखे के मौसम में इनमें से अधिकाँश सूख जाते हैं। इसलिए वे प्रायः अपने शिविर जल स्रोतों से एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थापित नहीं करते हैं। हादज़ा लोग ज़मीन और उसके संसाधनों पर अपना दावा नहीं करते।

कोई भी व्यक्ति जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। वह वहाँ से कंदमूल, फल एवं शहद एकत्र कर सकता है तथा पानी ले सकता है। वास्तव में इस संबंध में हादज़ा प्रदेश में कोई प्रतिबंध नहीं है। यद्यपि हादज़ा प्रदेश में बड़ी मात्रा में जानवर शिकार के लिए उपलब्ध हैं फिर भी हादज़ा लोग अपने भोजन का 80 प्रतिशत जंगली साग-सब्जियों से प्राप्त करते हैं। वे अपने भोजन का शेष 20 प्रतिशत माँस एवं शहद से प्राप्त करते हैं।

अति संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवाश्म से आपका क्या अभिप्राय है ?
अथवा
जीवाश्म से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जीवाश्म अत्यंत प्राचीन पौधे, जानवर अथवा मानव के वे अवशेष होते हैं जो अब पत्थर का रूप धारण करके किसी चट्टान में समा गए हैं। ये लाखों वर्ष तक सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रजाति अथवा स्पीशीज़ से आपका क्या भाव है ?
उत्तर:
प्रजाति अथवा स्पीशीज़ जीवों का एक ऐसा समूह होता है जिसके नर एवं मादा मिल कर संतान उत्पन्न कर सकते हैं। किसी एक प्रजाति के जीव किसी दूसरी प्रजाति के जीव के साथ संभोग करके संतान उत्पन्न नहीं कर सकते।

प्रश्न 3.
चार्ल्स डार्विन कौन था ? उसने कौन-सा सिद्धांत पेश किया ?
अथवा
चार्ल्स डार्विन क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
चार्ल्स डार्विन (1809-1882 ई०) ब्रिटेन का एक प्रसिद्ध विद्वान् था। उसने 1859 ई० में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक जिसका नाम ‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़’ प्रकाशित की। इसमें उसने मानव उत्पत्ति के संबंध में विस्तृत प्रकाश डाला है।

प्रश्न 4.
मानव विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
मानव विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के उद्विकासीय पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 5.
प्राइमेट से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
प्राइमेट स्तनधारियों के विशाल समूह में एक छोटा समूह है। इस उपसमूह में बंदर, पूंछहीन बंदर एवं मानव सम्मिलित हैं। प्राइमेट 360 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए।

प्रश्न 6.
प्राइमेट की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • इनके शरीर पर बाल होते थे।
  • इनका गर्भकाल अपेक्षाकृत लंबा होता था।

प्रश्न 7.
होमिनॉइड कब अस्तित्व में आए ? उनकी कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
होमिनॉइड कौन थे ?
उत्तर:

  • होमिनॉइड 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए।
  • इनका मस्तिष्क छोटा होता था।
  • होमिनॉइड सीधे खड़े होकर नहीं चल सकते थे।

प्रश्न 8.
होमिनॉइड एवं बंदरों में कोई दो अंतर बताएँ।
उत्तर:

  • होमिनॉइड का शरीर बंदरों से बड़ा होता था।
  • उनकी पूँछ नहीं होती थी।

प्रश्न 9.
होमिनिड की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा होता था।
  • वे सीधे खड़े हो सकते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 10.
होमिनिड तथा होमिनॉइड के मध्य कोई दो अंतर बताएँ।
उत्तर:

  • होमिनिड सीधे खड़े होकर चल सकते थे। होमिनॉइड ऐसा नहीं कर सकते थे।
  • होमिनिड का मस्तिष्क होमिनॉइड की अपेक्षा बड़ा था।

प्रश्न 11.
आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म किसने, कब तथा कहाँ से प्राप्त किए ?
उत्तर:
आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म मेरी एवं लुईस लीकी ने, 17 जुलाई, 1959 ई० को ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त किए।

प्रश्न 12.
आस्ट्रेलोपिथिकस की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • इनके जबड़े अधिक भारी थे।
  • इनके दाँत बहुत बड़े थे।

प्रश्न 13.
आस्ट्रेलोपिथिकस एवं होमो में कोई दो अंतर लिखें।
उत्तर:

  • आस्ट्रेलोपिथिकस का मस्तिष्क होमो की तुलना में छोटा था।
  • आस्ट्रेलोपिथिकस के जबड़े होमो की तुलना में भारी थे।

प्रश्न 14.
‘होमो’ शब्द से आप क्या समझते हैं ? ‘होमो’ की तीन प्रजातियाँ बताएँ।।
उत्तर:
होमो लातीनी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है आदमी। वे 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। वैज्ञानिकों ने उन्हें उनकी विशेषताओं के आधार पर तीन प्रजातियों-होमो हैबिलिस, होमो एरेक्टस तथा होमो सैपियंस में बाँटा है।

प्रश्न 15.
होमो की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • होमो का मस्तिष्क बड़ा था।
  • उनके जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे।

प्रश्न 16.
होमो हैबिलिस कौन थे ?
उत्तर:
होमो हैबिलिस औजार बनाने वाले थे। वे 22 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे हाथों का दक्षतापूर्वक प्रयोग कर सकते थे। उन्होंने भाषा का प्रयोग आरंभ किया। उनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें इथियोपिया में ओमो तथा तंज़ानिया में ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 17.
होमो एरेक्टस से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे। उनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें अफ्रीका एवं एशिया से प्राप्त हुए हैं। वे बहुत समझदार थे। उन्होंने भाषा का अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने अग्नि के संबंध में जानकारी प्राप्त कर ली थी।

प्रश्न 18.
होमो सैपियंस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। यह मानव 1.95 से 1.60 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। इस मानव के प्राचीनतम जीवाश्म हमें अफ्रीका से प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 19.
आधुनिक मानव की कोई दो सफलताएँ लिखें।
उत्तर:

  • उसने कृषि आरंभ कर दी थी।
  • उसने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे।

प्रश्न 20.
प्रतिस्थापन मॉडल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
प्रतिस्थापन मॉडल इस बात का समर्थन करता है कि आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका अपने पक्ष में वे तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक एवं जननिक समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उसके पूर्वज एक ही क्षेत्र भाव अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे अन्य स्थानों को गए।

प्रश्न 21.
क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल इस बात का समर्थन करता है कि आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। अपने पक्ष में तर्क देते हुए उनका कथन है कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ।

प्रश्न 22.
हाइडलबर्ग मानव की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • उसका मस्तिष्क काफी बड़ा था।
  • उसके अंग एवं हाथ काफी भारी थे।

प्रश्न 23.
निअंडरथल मानव की कोई दो विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:

  • यह मानव कद में छोटा था।
  • उसका सिर काफी बड़ा था।

प्रश्न 24.
क्रोमैगनन मानव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्रोमैगनन मानव के जीवाश्म हमें फ्राँस से प्राप्त हुए हैं। यह मानव आज से 35 हज़ार वर्ष पहले रहा करता था। वह काफी लंबा होता था। उसका चेहरा काफी चौड़ा होता था। वह आधुनिक मानव से काफी मिलता जुलता था।

प्रश्न 25.
जावा मानव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जावा मानव के जीवाश्म 1894 ई० में डॉक्टर यूजन दुबोरस ने जावा से प्राप्त किए थे। यह मानव लगभग 5 लाख वर्ष पहले रहा करता था। इसका मस्तिष्क आधुनिक मानव से छोटा था। वह खड़ा होकर चलता था।

प्रश्न 26.
आदिकालीन मानव किन-किन तरीकों से अपना भोजन प्राप्त करता था ?
उत्तर:
आदिकालीन मानव संग्रहण द्वारा, अपमार्जन द्वारा, शिकार करके एवं मछलियाँ पकड़ कर अपना भोजन प्राप्त करता था।

प्रश्न 27.
अपमार्जन और संग्रहण से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
संग्रहण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
1) अपमार्जन-अपमार्जन से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफ़ाई करने से है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस एवं मज्जा प्राप्त करते थे।

2) संग्रहण-संग्रहण से अभिप्राय है जुटाना। आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वह पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों को एकत्र करता था। यह कार्य मुख्य तौर पर स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था।

प्रश्न 28.
खाद्य संग्राहक और खाद्य उत्पादक शब्दों का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:

  • खाद्य संग्राहक-इससे अभिप्राय उस मानव से था जो जंगली पौधे खाकर एवं शिकार करके अपना गुजारा करता था।
  • खाद्य उत्पादक-इससे अभिप्राय उस मानव से था जो खेती करता था एवं पशु पालता था।

प्रश्न 29.
योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों के शिकार करने की सबसे प्रथम उदाहरण कब और कहाँ से प्राप्त हुई है ?
उत्तर:
योजनाबद्ध ढंग से शिकार करने की सबसे प्रथम उदाहरण 5 लाख वर्ष पूर्व इंग्लैंड में बॉक्सग्रोव से प्राप्त हुई है।

प्रश्न 30.
दोलनी वेस्तोनाइस कहाँ स्थित है ? यह क्यों प्रसिद्ध था ?
उत्तर:

  • दोलनी वेस्तोनाइस चेक गणराज्य में स्थित है।
  • यह शिकार के स्थल के लिए प्रसिद्ध था।

प्रश्न 31.
आदिमानव के गुफ़ाओं में निवास के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  • इससे जंगली जानवरों से आदिमानव को सुरक्षा प्राप्त हुई।
  • इससे आदिमानव भयंकर शीत का सामना सुगमता से कर सका।

प्रश्न 32.
लेज़रेट गुफ़ा कहाँ स्थित है ? इसका आकार क्या है ?
उत्तर:

  • लेज़रेट गुफा दक्षिण फ्रांस में स्थित है।
  • इसका आकार 12×4 मीटर है।

प्रश्न 33. टेरा अमाटा कहाँ स्थित है ? इसकी कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  • टेरा अमाटा दक्षिण फ्राँस में स्थित है।
  • इसकी छत घास-फस एवं लकडी से बनायी गयी थी।
  • इस झोंपड़ी को सहारा देने के लिए बड़े-बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया था।

प्रश्न 34.
चेसोवांजा कहाँ स्थित है ? वहाँ से हमें किस बात का प्रमाण मिला है ?
उत्तर:

  • चेसोवांजा केन्या में स्थित है।
  • वहाँ से हमें पत्थर के औज़ारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी एवं जली हुई हड्डियों के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 35.
आग की खोज ने आदिमानव के जीवन को कैसे प्रभावित किया ?
अथवा
आग की खोज का महत्त्व लिखिए।
उत्तर:

  • अग्नि के कारण आदिमानव अपने भोजन को पका सका।
  • अग्नि के कारण आदिमानव भयंकर शीत से अपना बचाव कर सका।
  • अग्नि के कारण आदिमानव जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा कर सका।

प्रश्न 36.
पहिए की खोज का महत्त्व लिखिए।
अथवा
पहिए के आविष्कार ने मानव जीवन में कौन-कौन से परिवर्तन लाए ?
उत्तर:

  • चाक की सहायता से अब पहले की अपेक्षा कहीं सुंदर बर्तन बनाए जाने लगे।
  • चरखे के कारण अब कपास कातना सरल हो गया।
  • पहिए का उपयोग गाड़ी खींचने के लिए भी किया जाने लगा। इससे मनुष्य एवं सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना सुगम हो गया।

प्रश्न 37.
आदिमानव के प्राचीन औज़ार किस वस्तु के बने थे ? किन्हीं दो प्रकार के औज़ारों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • आदिमानव के प्राचीन औज़ार पत्थर के बने थे।
  • उस समय हस्त कुठारों एवं गंडासों का प्रयोग होता था।

प्रश्न 38.
मानव ने बोलना कैसे सीखा?
उत्तर:
मानव ने भाषा के विकास के साथ-साथ बोलना सीखा। इसका आरंभ बोलने वाली क्रिया से हुआ। बाद में इसने ध्वनियों का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न 39.
भाषा का विकास शिकार करने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुआ ?
उत्तर:

  • इस कारण लोग शिकार संबंधी योजना बना सके।
  • इस कारण वे शिकार के लिए आवश्यक औज़ारों पर विचार कर सके।
  • इस कारण वे मारे गए जानवरों के उपयोग के संबंध में चर्चा कर सके।

प्रश्न 40.
भाषा का विकास किस प्रकार आश्रय बनाने में सहायक सिद्ध हुआ ?
उत्तर

  • इस कारण लोग आश्रय बनाने के लिए सुरक्षित क्षेत्रों की चर्चा कर सके।
  • वे आश्रय बनाने के लिए आवश्यक सामग्री पर चर्चा कर सके।
  • वे आश्रय स्थल की जंगली जानवरों से सुरक्षा के बारे में विचार कर सके।

प्रश्न 41.
आल्टामीरा गुफ़ा कहाँ स्थित है ? इसकी खोज किसने तथा कब की ? यह क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर:

  • आल्टामीरा गुफ़ा स्पेन में स्थित है।
  • इसकी खोज मार्सिलोना सैंज दि सउतुओला एवं उसकी पुत्री मारिया ने की।
  • यह चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 42.
आल्टामीरा एवं चाउवेट गुफ़ाओं से हमें किन जानवरों के चित्र प्राप्त हुए हैं ?
उत्तर:
आल्टामीरा एवं चाउवेट गुफ़ाओं से हमें बड़ी संख्या में जंगली भैंसों, बैलों, घोड़ों, पहाड़ी बकरों, हिरणों, मैमथों, गैंडों, शेरों, भालुओं, चीतों, लकड़बग्घों एवं उल्लुओं के चित्र प्राप्त हुए हैं।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 43.
मानव विज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
मानव विज्ञान से अभिप्राय एक ऐसे विज्ञान से है जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के उद्विकासीय पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 44.
हादज़ा जनसमूह के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:

  • हादजा एक लघु समूह है जो लेक इयासी के आस-पास के क्षेत्रों में रहते हैं।
  • वे शिकारी एवं खाद्य-संग्राहक थे।
  • वे भूमि एवं उसके संसाधनों पर कभी अधिकार नहीं जमाते।

प्रश्न 45.
हादज़ा जनसमूह के भोजन के बारे में बताएँ।
उत्तर:

  • उनका 80% भोजन जंगली साग-सब्जियाँ हैं।
  • उनका 20% भोजन माँस एवं शहद द्वारा पूरा किया जाता है।
  • वे हाथी को छोड़कर अन्य सभी जानवरों का माँस खाते हैं।

प्रश्न 46.
हादज़ा लोग ज़मीन एवं उसके संसाधनों पर अपना दावा क्यों नहीं करते ?
उत्तर:

  • वे जहाँ चाहें वहाँ रह सकते हैं।
  • उन्हें कहीं भी पशुओं का शिकार करने की पूर्ण स्वतंत्रता है।
  • वे कहीं से भी कंदमूल एवं शहद एकत्र कर सकते हैं।

प्रश्न 47.
हादज़ा लोगों के पास सूखा पड़ने पर भी भोजन की कमी क्यों नहीं होती ?
उत्तर:
हादज़ा लोगों के पास सूखे के मौसम में भी कंदमूल, बेर, बाओबाब पेड़ के फल बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसलिए उनके पास भोजन की कमी नहीं होती।

प्रश्न 48.
हादज़ा लोगों के शिविरों के आकार और स्थिति में मौसम के अनुसार परिवर्तन क्यों होता रहता है?
उत्तर:
नमी के मौसम में हादज़ा लोगों के शिविर आमतौर पर छोटे एवं दूर-दूर तक फैले होते हैं किंतु सूखे के मौसम में जब पानी की कमी होती है तो उनके शिविर पानी के स्रोतों के आसपास एवं घने बसे होते हैं।

प्रश्न 49.
आज के शिकारी समाजों में पाई जाने वाली कोई दो भिन्नताएँ बताओ।
उत्तर:

  • आज के शिकारी समाज शिकार एवं संग्रहण को अलग-अलग महत्त्व देते हैं।
  • उनके आकार भी छोटे-बड़े होते हैं।

प्रश्न 50.
इनमें से कौन-सी क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं : (क) संग्रह ) औज़ार बनाना, (ग) आग का प्रयोग।
उत्तर:
इन बनाने के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं।

प्रश्न 51.
ट से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
फ़ट से अभिप्राय उर्वर अर्धचंद्राकार क्षेत्र से है। यह क्षेत्र मध्य सागर तट से लेकर ईरान में जागरोस पर्वतमालागीक फला हुआ था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक मानव लगभग वर्ष पूर्व पैदा हुए थे ?
उत्तर:
1,60,000.

प्रश्न 2.
‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ नामक पुस्तक की रचना किसके द्वारा की गई थी ?
उत्तर:
चार्ल्स डार्विन।

प्रश्न 3.
चार्ल्स डार्विन द्वारा अपनी पुस्तक ‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ की रचना कब की गई थी?
उत्तर:
1859 ई०।

प्रश्न 4.
प्राइमेट स्तनपायी कब अस्तित्व में आए ?
उत्तर:
360 से 240 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 5.
लेतोली कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
तंजानिया में।

प्रश्न 6.
पूर्वी अफ्रीका में आस्ट्रेलोपिथिकस वंश कब पाया गया था ?
उत्तर:
लगभग 56 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 7.
होमिनॉइड समूह कितने वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया था ?
उत्तर:
240 लाख।

प्रश्न 8.
होमिनिड कितने वर्ष पूर्व होमिनॉइड से विकसित हुए थे ?
उत्तर:
56 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 9.
‘होमो’ शब्द किस भाषा का शब्द है ?
उत्तर:
लातिनी।

प्रश्न 10.
लातिनी भाषा के शब्द ‘होमो’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
आदमी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 11.
ओल्डुवई गोर्ज की खोज कब हुई ?
उत्तर:
1959 ई० में।

प्रश्न 12.
औज़ार बनाने वाले क्या कहलाते थे ?
उत्तर:
होमो हैबिलिस।

प्रश्न 13.
वे कौन-से मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे ?
उत्तर:
होमो एरेक्टस।

प्रश्न 14.
आग के संबंध में हमें प्रथम साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुआ है ?
उत्तर:
चेसोवांजा से।

प्रश्न 15.
आधुनिक मानव की खोज कब की गई थी ?
उत्तर:
1.95 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 16.
आधुनिक मानव सर्वप्रथम कहाँ पाए गए थे ?
उत्तर:
आस्ट्रेलिया।

प्रश्न 17.
आधुनिक मानव किन वस्तुओं से औजारों का निर्माण करते थे ?
उत्तर:
पत्थरों व हड्डियों से।

प्रश्न 18.
दार-एस-सोल्तन कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
मोरक्को में।

प्रश्न 19.
जर्मनी के किस नगर से हमें योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों के शिकार एवं उनके वध का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
उत्तर:
शोनिंजन से।

प्रश्न 20.
दक्षिणी फ्राँस में स्थित टेरा अमाटा क्या है ?
उत्तर:
एक प्रसिद्ध झोंपड़ी।

प्रश्न 21.
स्वार्टक्रान्स कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में।

प्रश्न 22.
सिलाई वाली सूई का आविष्कार कब हुआ ?
उत्तर:
21,000 वर्ष पूर्व।

प्रश्न 23.
स्पेन का कौन-सा स्थान आदिमानव की चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
आल्टामीरा।

प्रश्न 24.
हादज़ा जनसमूह के बारे में किस विद्वान् ने प्रकाश डाला ?
उत्तर:
जेम्स वुडबर्न ने।

प्रश्न 25.
वर्तमान समय के दो शिकारी संग्राहक समाज कौन-से हैं ?
उत्तर:
हादज़ा एवं कुंग सैन।

प्रश्न 26.
आधुनिक मानव कब अस्तित्व में आया था ?
उत्तर:
1.95 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 27.
आदिकालीन मानव किन ढंगों से अपना भोजन एकत्रित करते थे ?
उत्तर:
संग्रहण तथा अपमार्जन।

प्रश्न 28.
होमिनिडों द्वारा संचार के लिए प्रयोग की जाने वाले अंगविक्षेप पद्धति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
हाव-भाव अथवा हाथों को हिला कर अपनी बात समझाना।।

प्रश्न 29.
अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान में रहने वाले शिकारी संग्राहक का नाम क्या था ?
उत्तर:
कुंग सैन।

प्रश्न 30.
मानव विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
इसमें मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 31.
संजातिवृत क्या होता है ?
उत्तर:
इसमें नृजातीय समूहों का विश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 32.
शिकारियों व संग्राहकों के जनसमूह को क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
हादजा जनसमूह।

प्रश्न 33.
पूर्ण मानव कहाँ निवास करते थे ?
उत्तर:
गुफ़ाओं व कच्ची झोपड़ियों में।

रिक्त स्थान भरिए

1. आधुनिक मानव लगभग …………….. वर्ष पूर्व पैदा हुए थे।
उत्तर:
1,60,000

2. ‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ नामक पुस्तक की रचना …………….. ने की थी।
उत्तर:
चार्ल्स डार्विन

3. 240 लाख वर्ष पूर्व ‘प्राइमेट’ श्रेणी में एक उपसमूह उत्पन्न हुआ जिसे …………….. कहते हैं।
उत्तर:
होमिनॉइड

4. होमिनिड प्राणियों का साक्ष्य …………….. लाख वर्ष पूर्व प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
56

5. होमिनिड जीवाश्म …………….. वंश से संबंधित है।
उत्तर:
आस्ट्रेलोपिथिकस

6. सर्वप्रथम होमिनिड जीवाश्म …………….. से पाए गए थे।
उत्तर:
पूर्वी अफ्रीका

7. ओल्डुवई गोर्ज की खोज …………….. में हुई थी।
उत्तर:
17 जुलाई, 1959 ई०

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

8. लातिनी भाषा के शब्द ‘होमो’ का अर्थ है ……………. ।
उत्तर:
आदमी

9. जर्मनी के शहर हाइडलवर्ग में पाए गए जीवाश्मों को ……….. कहा गया है।
उत्तर:
होमोहाइडल बर्गेसिस

10. होमो निअंडरथलैंसिस जीवाश्म …………….. से प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
निअंडर घाटी

11. एशिया व यूरोप से प्राप्त जीवाश्मों को ……………. कहा जाता था।
उत्तर:
हाइडवर्ग मानव

12. आधुनिक मानव की खोज …………….. में हुई थी।
उत्तर:
1.95 लाख वर्ष पूर्व

13. आधुनिक मानव सर्वप्रथम …………….. में पाए गए थे।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया

14. …………….. तथा …………….. आदिकालीन मानवों के भोजन एकत्रित करने के मुख्य साधन थे।
उत्तर:
संग्रहण, शिकार

15. …………….. से तात्पर्य त्यागी हुई वस्तुओं की सफ़ाई करने से है।
उत्तर:
अपमार्जन

16. ……………. से अभिप्राय भोजन की तलाश करने से है।
उत्तर:
रसदखोरी

17. पूर्व मानव द्वारा …………. नामक स्थान को शिकार के लिए चुना गया था।
उत्तर:
दोलनी वेस्तोनाइस

18. मानव निर्मित वस्तुओं को ……………. कहा जाता था।
उत्तर:
शिल्पकृतियाँ

19. पूर्व मानव द्वारा …………….. तथा …………….. वस्तुओं का निर्माण किया गया।
उत्तर:
औज़ार, चित्रकारियाँ

20. पूर्व मानव …………….. तथा …………….. में निवास करते थे।
उत्तर:
गुफ़ाओं, कच्ची झोपड़ियों

21. पूर्व मानव ने औज़ारों का निर्माण …………….. के लिए किया।
उत्तर:
शिकार

22. पूर्व मानव …………….. तथा …………….. से औज़ारों का निर्माण करते थे।
उत्तर:
हड्डियों, सींगों

23. पूर्व मानव द्वारा औज़ार बनाने व प्रयोग किए जाने का सबसे प्राचीन साक्ष्य ……………. तथा से प्राप्त हुआ है।
उत्तर:
इथियोपिया, केन्या

24. ह्यूमेनिटिज शब्द लातीनी शब्द …………… से बना है।
उत्तर:
ह्यूमिनिटास

25. होमिनिड …………….. विधि द्वारा आपस में संप्रेषण व संचार करते थे।
उत्तर:
अंगविक्षेप

26. होमिनिडों द्वारा संचार के लिए प्रयोग की जाने वाली अंगविक्षेप विधि से अभिप्राय ……………. से था।
उत्तर:
हाथों को हिला कर बात करने

27. भाषा का विकास …………….. वर्ष पूर्व आरंभ हुआ।
उत्तर:
20

28. स्पेन में पूर्व मानव द्वारा निर्मित चित्र ……………. गुफ़ा से प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
आल्टामीरा

29. फ्रांस में पूर्व मानव द्वारा निर्मित चित्र …………….. तथा …………….. की गुफ़ाओं से प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
लैसकॉक्स, शोवे

30. अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान में रहने वाले शिकारी संग्राहक का नाम …………….. था।
उत्तर:
कुंग सैन

31. मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के बारे में जानने वाले विषय को ………… कहा जाता है।
उत्तर:
मानव विज्ञान

32. ‘शिकारियों व संग्राहकों के जन समूह को …………… कहा जाता था।
उत्तर:
हादज़ा जनसमूह

33. …………. में समकालीन नृजातीय समूहों का विश्लेषणात्मक अध्ययन होता है।
उत्तर:
संजातिवृत

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. आधुनिक मानव कब अस्तित्व में आए?
(क) 2.95 से 1.60 लाख वर्ष पहले
(ख) 1.95 से 1.60 लाख वर्ष पहले
(ग) 2.95 से 1.95 लाख वर्ष पहल
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) 1.95 से 1.60 लाख वर्ष पहले

2. जीवाश्म से आपका क्या अभिप्राय है?
(क) बहुत पुराने पौधों, पशुओं एवं जानवरों के अवशेष जो पत्थर का रूप धारण करके चट्टानों में समा जाते हैं
(ख) जीवों का एक समूह जिसके नर तथा मादा मिल कर बच्चे उत्पन्न कर सकते हैं
(ग) आस्ट्रेलोपिथिकस का प्रारंभिक रूप
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(क) बहुत पुराने पौधों, पशुओं एवं जानवरों के अवशेष जो पत्थर का रूप धारण करके चट्टानों में समा जाते हैं

3. ऑन दि ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़ का लेखक कौन है?
(क) न्यूटन
(ख) आइंसटीन
(ग) गैलिलियो
(घ) चार्ल्स डार्विन।
उत्तर:
(घ) चार्ल्स डार्विन।

4. प्राइमेट कौन थे?
(क) स्तनपायी प्राणियों का समूह
(ख) एशिया के निवासी
(ग) अफ्रीका के निवासी
(घ) आदिमानव।
उत्तर:
(क) स्तनपायी प्राणियों का समूह

5. होमिनॉइड कब अस्तित्व में आए?
(क) 360 लाख वर्ष पहले
(ख) 240 लाख वर्ष पहले
(ग) 56 लाख वर्ष पहले
(घ) 160 लाख वर्ष पहले।
उत्तर:
(ख) 240 लाख वर्ष पहले

6. होमिनिडों का उद्भव कहाँ हुआ?
(क) एशिया में
(ख) अफ्रीका में
(ग) यूरोप में
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) अफ्रीका में

7. होमिनिड समूह की प्रमुख विशेषता क्या है?
(क) मस्तिष्क का बड़ा आकार
(ख) हाथ की विशेष क्षमता
(ग) पैरों के बल सीधे खड़े होना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

8. आस्टूलोपिथिकस किन दो शब्दों के मेल से बना है ?
(क) लैटिन और अंग्रेज़ी
(ख) ग्रीक और संस्कृत
(ग) फ्रेंच और जर्मन
(घ) लैटिन और ग्रीक।
उत्तर:
(घ) लैटिन और ग्रीक।

9. आस्ट्रेलोपिथिकस कब विलुप्त हो गए?
(क) 360 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 240 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 25 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 13 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(घ) 13 लाख वर्ष पूर्व।

10. निम्नलिखित में से कौन-सी होमो की प्रजाति है?
(क) होमो हैबिलिस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) होमो सैपियंस
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

11. निम्नलिखित में से कौन विकसित औज़ार बनाने वाले थे?
(क) होमो सैपियंस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) होमो हैबिलिस
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) होमो हैबिलिस

12. ओल्डुवई गोर्ज कहाँ स्थित है?
(क) इथियोपिया में
(ख) तंजानिया में
(ग) केन्या में
(घ) सूडान में।
उत्तर:
(ख) तंजानिया में

13. होमो एरेक्टस कब अस्तित्व में आए?
(क) 25 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 20 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 18 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 10 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(ग) 18 लाख वर्ष पूर्व

14. होमीनिड के सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें किस स्थान से प्राप्त हुए हैं?
(क) पूर्वी अफ्रीका
(ख) दक्षिणी अफ्रीका
(ग) उत्तरी अफ्रीका
(घ) दक्षिणी एशिया।
उत्तर:
(क) पूर्वी अफ्रीका

15. हाइडलबर्ग मानव कब अस्तित्व में आए?
(क) 25 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 18 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 8 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 1 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(ग) 8 लाख वर्ष पूर्व

16. निअंडरथल मानव के जीवाश्म सर्वप्रथम कहाँ मिले हैं ?
(क) एशिया में
(ख) यूरोप में
(ग) अमरीका में
(घ) ऑस्ट्रेलिया में।
उत्तर:
(ख) यूरोप में

17. आधुनिक मानव का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
(क) होमो सैपियंस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) नियंडरथल
(घ) होमो हैबिलिस।
उत्तर:
(क) होमो सैपियंस

18. प्रतिस्थापन सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का उद्भव कहाँ हुआ?
(क) एशिया में
(ख) अफ्रीका में
(ग) यूरोप में
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) अफ्रीका में

19. आदिकालीन मानव निम्नलिखित में से किस तरीके से अपना भोजन जुटाता था?
(क) संग्रहण
(ख) शिकार
(ग) अपमार्जन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

20. मानव ने शिकार करना कब आरंभ किया?
(क) 15 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 10 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 5 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 1 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(ग) 5 लाख वर्ष पूर्व

21. शोनिंजन कहाँ स्थित है?
(क) इंग्लैंड में
(ख) पूर्वी अफ्रीका में
(ग) फ्राँस में
(घ) जर्मनी में।
उत्तर:
(घ) जर्मनी में।

22. चेक गणराज्य के किस स्थान से हमें योजनाबद्ध तरीके से शिकार करने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है?
(क) दोलनी वेस्तोनाइस
(ख) बॉक्सग्रोव
(ग) शोनिंजन
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) दोलनी वेस्तोनाइस

23. लज़ारेट गुफ़ा कहाँ स्थित है?
(क) उत्तरी फ्रांस में
(ख) दक्षिणी फ्राँस में
(ग) पूर्वी अफ्रीका में
(घ) दक्षिणी अफ्रीका में।
उत्तर:
(ख) दक्षिणी फ्राँस में

24. आदिकालीन मानव के लिए आग का प्रमुख लाभ क्या था?
(क) वह आग द्वारा गुफ़ाओं के अंदर प्रकाश करता था
(ख) वह आग द्वारा जानवरों को डराने का काम लेता था
(ग) वह आग द्वारा भोजन को पकाता था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

25. निम्न में से किसने सर्वप्रथम पत्थर के औज़ार बनाए?
(क) आस्ट्रेलोपिथिकस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) होमो हाइडलबर्गसिस
(घ) निअंडरथलैंसिस।
उत्तर:
(क) आस्ट्रेलोपिथिकस

26. सर्वप्रथम भाषा का उपयोग कब आरंभ हुआ?
(क) 35 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 30 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 25 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 20 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(घ) 20 लाख वर्ष पूर्व।

27. स्पेन की किस गुफ़ा से हमें चित्रकला के प्राचीन साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ?
(क) आल्टामीरा
(ख) बॉर्डर गुफ़ा
(ग) नियाह गुफ़ा
(घ) चाउवेट गुफ़ा।
उत्तर:
(क) आल्टामीरा

28. आल्टामीरा की खोज कब हुई ?
(क) 1869 ई० में
(ख) 1879 ई० में
(ग) 1885 ई० में
(घ) 1889 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1879 ई० में

29. हादज़ा जनसमूह कहाँ के रहने वाले हैं ?
(क) एशिया
(ख) अफ्रीका
(ग) यूरोप
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) अफ्रीका

30. हादजा लोग निम्नलिखित में से किस जानवर का माँस नहीं खाते हैं ?
(क) हाथी
(ख) शेर
(ग) गैंडा
(घ) जिराफ़।
उत्तर:
(क) हाथी

31. हादज़ा लोग ज़मीन और उसके संसाधनों पर अपना दावा क्यों नहीं करते?
(क) वे जहाँ चाहें रह सकते हैं
(ख) वे कहीं भी पशुओं का शिकार कर सकते हैं
(ग) वे कहीं से भी कंदमूल एवं शहद इकट्ठा कर सकते हैं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

समय की शुरुआत से HBSE 11th Class History Notes

→ मानव प्राणियों की उत्पत्ति कब हुई, इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं। प्राइमेट स्तनपायी 360 से 240 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका एवं एशिया में अस्तित्व में आए। इस समूह में बंदर, पूँछहीन बंदर एवं मानव सम्मिलित थे। होमिनॉइड 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। यह प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह है।

→ इसमें पूँछहीन बंदर सम्मिलित थे। इनमें सोचने की शक्ति कम थी एवं वे सीधे खड़े होकर चल नहीं सकते थे। 56 लाख वर्ष पूर्व होमिनिड समूह का विकास हुआ। इनके सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें अफ्रीका में लेतोली (तंजानिया) एवं हादार (इथियोपिया) से प्राप्त हुए हैं।

→ इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा था तथा वे सीधे खड़े होकर चल सकते थे। आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें 1959 ई० में ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं। इनकी खोज मेरी एवं लुइस लीकी ने की थी। होमो की तुलना में उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था एवं जबक भारी थे।

→ 13 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस लुप्त हो गए। होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। उन्हें उनकी विशेषताओं के आधार पर अनेक प्रजातियों में बाँटा जाता है। होमो हैबिलिस 22 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। इनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें ओमो एवं ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं।

→ वे औज़ार बनाने वाले के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने पत्थर के औज़ार बनाए। उन्होंने शिकार के लिए भाषा का प्रयोग आरंभ किया। होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर चलना जानते थे। वे 18 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। वे अफ्रीका से एशिया एवं फिर यूरोप में गए। उन्होंने आग का आविष्कार किया एवं भाषा का अधिक विकास किया। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आए। आधुनिक मानव को होमो सैपियंस के नाम से जाना जाता है। यह मानव 1.95 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया।

→ प्रतिस्थापन मॉडल के अनुसार उनका उद्भव अफ्रीका में हुआ। दूसरी ओर क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के अनुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। यह मानव सबसे समझदार था। उसने खेती सीख ली थी तथा स्थायी निवास आरंभ कर दिया था। उसके औज़ार बहुत उत्तम थे। उसने सूई का आविष्कार कर लिया था। अत: उसने सिले हुए कपड़े पहनने आरंभ कर दिए थे। आदिकालीन मानव संग्रहण द्वारा, अपमार्जन द्वारा, शिकार द्वारा तथा मछली पकड़ कर अपना भोजन जुटाता था।

→ आदिमानव द्वारा योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों के शिकार एवं उनके वध करने के सबसे प्राचीन साक्ष्य हमें लाख वर्ष पूर्व इंग्लैंड के बॉक्सग्रोव नामक स्थल से एवं 4 लाख वर्ष पूर्व जर्मनी के शोनिंजन नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं। 35 हज़ार वर्ष पूर्व शिकार के तरीकों का सुधार हुआ। इस संबंध में हमें चेक गणराज्य में स्थित दोलनी वेस्तोनाइस नामक स्थल से जानकारी प्राप्त होती है।

→ आदिकालीन मानव का प्रारंभिक निवास पेड़ों पर था। 4 लाख वर्ष पर्व उसने गफ़ाओं में अपना निवास आरंभ कर दिया। इससे उसे भयंकर शीत एवं जंगली जानवरों से सरक्षा मिली। 1.25 लाख वर्ष पर्व उसने झोंपडियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। दक्षिणी फ्राँस से प्राप्त टेरा अमाटा नामक झोंपड़ी इसकी प्रसिद्ध उदाहरण है।

→ अग्नि का आविष्कार आदिकालीन मानव के लिए बहुत क्रांतिकारी प्रमाणित हुआ। इसके प्रथम साक्ष्य हमें केन्या में चेसोवांजा तथा दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रांस से प्राप्त हुए हैं। आदिकालीन मानव के जीवन में औज़ारों का विशेष महत्त्व रहा है। प्रारंभिक औजार पत्थर के थे। इनमें हस्त कुठार, गंडासे एवं शल्क औज़ार सम्मिलित थे। इनका प्रयोग आदिमानव जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा एवं उनके शिकार के लिए करता था।

→ भाषा एवं कला के विकास ने आदिमानव के जीवन को एक नई दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्पेन में स्थित आल्टामीरा तथा फ्राँस में स्थित लैसकॉक्स एवं चाउवेट नामक गुफ़ाओं में की गई चित्रकारी को देख कर व्यक्ति चकित रह जाता है। उनकी अधिकाँश मूर्तियाँ स्त्रियों से संबंधित थीं क्योंकि वे उन्हें जनन शक्ति का स्रोत समझते थे।

→ 1960 ई० में प्रसिद्ध मानव विज्ञानी जेम्स वुडबर्न ने अफ्रीका के हादज़ा जनसमूह के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला है। उनके अनुसार हादज़ा एक छोटा समूह है जो लेक इयासी के आस-पास रहता है। वे केवल हाथी को छोड़कर अन्य सभी जानवरों का शिकार करते हैं। वे विश्व में सबसे अधिक माँस खाते हैं। वे अपने भोजन का 80% भाग जंगली साग-सब्जियों से प्राप्त करते हैं।

→ उनके प्रदेश में सूखे में भी भोजन की कोई कमी नहीं होती। वे ज़मीन एवं उसके संसाधनों पर अपना दावा नहीं करते क्योंकि वे इनका स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग करते हैं। आज का शिकारी संग्राहक समाज प्राचीन शिकारी समाज से अनेक बातों से भिन्न है। इससे अतीत के संबंध में कोई अनुमान लगाना कठिन है। ब्रिटेन के प्रसिद्ध विद्वान् चार्ल्स डार्विन ने 24 नवंबर, 1859 ई० को एक विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ऑन दि ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़ का प्रकाशन करवाया। इसमें मानव के क्रमिक विकास का विस्तृत वर्णन किया गया।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

HBSE 11th Class Geography भारत-स्थिति Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन करें-

1. निम्नलिखित में से कौन-सा अक्षांशीय विस्तार भारत की संपूर्ण भूमि के विस्तार के संदर्भ में प्रासंगिक है?
(A) 8°41′ उ० से 35°17′ उ०
(B) 8°4′ उ० से 35°6′ उ०
(C) 8°4′ उ० से 37°6′ उ०
(D) 6°45′ उ० से 37°6′ उ०
उत्तर:
(C) 8°4′ उ० से 37°6′ उ०

2. निम्नलिखित में से किस देश की भारत के साथ सबसे लंबी स्थलीय सीमा है?
(A) बांग्लादेश
(B) पाकिस्तान
(C) चीन
(D) म्यांमार
उत्तर:
(A) बांग्लादेश

3. निम्नलिखित में से कौन-सा देश क्षेत्रफल में भारत से बड़ा है?
(A) चीन
(B) फ्रांस
(C) मिस्र
(D) ईरान
उत्तर:
(A) चीन

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

4. निम्नलिखित याम्योत्तर में से कौन-सा भारत का मानक याम्योत्तर है?
(A) 69°30′ पूर्व
(B) 75°30′ पूर्व
(C) 82°30′ पूर्व
(D) 90°30′ पूर्व
उत्तर:
(C) 82°30′ पूर्व

5. अगर आप एक सीधी रेखा में राजस्थान से नागालैंड की यात्रा करें तो निम्नलिखित नदियों में से किस एक को आप पार नहीं करेंगे?
(A) यमुना
(B) सिंधु
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) गंगा
उत्तर:
(B) सिंधु

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
क्या भारत को एक से अधिक मानक समय की आवश्यकता है? यदि हाँ, तो आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
हाँ, भारत को एक से अधिक मानक समय की आवश्यकता है, क्योंकि देशांतर रेखाओं के मानों से स्पष्ट होता है कि इनमें लगभग 30 डिग्री का अंतर होता है। हमारे देश के सबसे पूर्वी और सबसे पश्चिमी भागों के समय में लगभग 2 घंटे का अंतर है। विश्व में अनेक देश ऐसे हैं जिनमें अधिक पूर्व-पश्चिम विस्तार के कारण एक से अधिक मानक देशांतर रेखाएँ हैं; जैसे अमेरिका में लगभग 7 समय मानक या कटिबंध पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
भारत की लंबी तटरेखा के क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा है। भारत की तटीय रेखा द्वीपों सहित 7516.6 कि०मी० है। इतनी लंबी तटीय रेखा के कारण भारत विश्व में मछली उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके अतिरिक्त समुद्री संसाधनों से खनिज तेल, नमक, मोती आदि की भी प्राप्ति होती है।

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के रूप में देश की तटरेखा समुद्री यातायात और पर्यावरणीय दृष्टि से लाभदायक है। तटीय रेखाओं पर स्थित समुद्री मार्गों या बंदरगाहों के माध्यम से भारत विदेशों से वस्तुओं का आयात-निर्यात करता है। इनके कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अधिक होता है।

प्रश्न 3.
भारत का देशांतरीय फैलाव इसके लिए किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
भारत 68°07′ पूर्वी देशांतर से 97°5′ पूर्वी देशांतर के बीच फैला हुआ है। इसका देशांतरीय विस्तार या फैलाव 28°55′ है। इतने कम देशांतरीय फैलाव के कारण ही भारत की एक ही मानक समय रेखा अर्थात् 80°30′ पूर्व है। यह रेखा देश के बीचो-बीच से गुजरती है, इसी कारण इसको देश का मानक समय माना जाता है। आधुनिक संदर्भ में वर्तमान देशांतरीय फैलाव मानक समय की दृष्टि से लाभप्रद है।

प्रश्न 4.
जबकि पूर्व में, उदाहरणतः नागालैंड में, सूर्य पहले उदय होता है और पहले ही अस्त होता है, फिर कोहिमा और नई दिल्ली में घड़ियाँ एक ही समय क्यों दिखाती हैं?
उत्तर:
यह बात सत्य है कि देश के पूर्वी भाग में सूर्य पहले उदय होता है और पहले ही अस्त होता है, लेकिन देश के अन्य भागों में सूर्योदय और सूर्यास्त बाद में होता है। परन्तु दोनों स्थान पर समय एक ही होता है अर्थात् घड़ियाँ एक ही समय दिखाती हैं। इसका मुख्य कारण 80°30′ पूर्व याम्योत्तर को देश की मानक याम्योत्तर चुना गया है जो देश के बीचो-बीच से गुजरती है। देश में घड़ियों के समय का निर्धारण इसी के द्वारा होता है। इसलिए देश के विभिन्न भागों में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में अंतर होने के बावजूद घड़ी के समय में अंतर नहीं होता। यही कारण है कि कोहिमा और नई दिल्ली में घड़ियाँ एक ही समय दिखाती हैं।

परिशिष्ट-I पर आधारित क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
एक ग्राफ पेपर पर मध्य प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, गोवा, केरल तथा हरियाणा के जिलों की संख्या को आलेखित कीजिए। क्या ज़िलों की संख्या का राज्यों के क्षेत्रफल में कोई संबंध है?
उत्तर:

राज्यज़िलों की संख्याराज्यों का क्षेत्रफल (वर्ग कि०मी०)
मध्य प्रदेश553,08,000
कर्नाटक311,91,791
मेघालय1122,429
गोवा023,702
केरल1438,863
हरियाणा2244,212

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति 3
हाँ, ज़िलों की संख्या का राज्यों के क्षेत्रफल से संबंध है; जैसाकि रेखाचित्र या ग्राफ से दर्शाया गया है। ग्राफ़ से पता चल रहा है कि जिस राज्य का क्षेत्रफल अधिक है उसमें जिलों की संख्या अधिक है और जिस राज्य का क्षेत्रफल कम है उसमें जिलों की संख्या भी कम है। गोवा और मध्य प्रदेश इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा, राजस्थान तथा जम्मू और कश्मीर में से कौन-सा राज्य सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला और कौन-सा एक न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है?
उत्तर:

2001 की जनगणना के अनुसार2011 की जनगणना के अनुसार
राज्यजनसंख्या घनत्व (वर्ग कि०मी०)राज्यजनसंख्या घनत्व (वर्ग कि०मी०)
उत्तर प्रदेश690उत्तर प्रदेश829
पशिचम बंगाल903पशिचम बंगाल1,029
गुजरात258गुजरात308
अरुणाचल प्रदेश13अरुणाचल प्रदेश17
तमिलनाडु480तमिलनाडु555
त्रिपुरा305त्रिपुरा350
राजस्थान165राजस्थान201
जम्मू और कशमीर99जम्मू और कश्मीर124

2001 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य पश्चिम बंगाल (903 वर्ग कि०मी०) और न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश (13 वर्ग कि०मी०) है। 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य पश्चिम बंगाल (1029 वर्ग कि०मी०) और न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश. (17 वर्ग कि०मी०) है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 3.
राज्य के क्षेत्रफल व जिलों की संख्या के बीच संबंध को ढूंढिए।
उत्तर:
राज्य के क्षेत्रफल व जिलों की संख्या के बीच धनात्मक संबंध पाया जाता है। यदि किसी राज्य का क्षेत्रफल अधिक है, तो उस राज्य के जिलों की संख्या भी अधिक होती है और यदि किसी राज्य का क्षेत्रफल कम है तो उसके जिलों की संख्या भी कम होती है।

प्रश्न 4.
तटीय सीमाओं से संलग्न राज्यों की पहचान कीजिए।
उत्तर:
भारत की तटीय सीमा की कुल लंबाई 7,516.6 कि०मी० है। इतनी लंबी तटीय सीमा को देश के 9 राज्यों की सीमाएँ स्पर्श करती हैं। सबसे लम्बी सीमा गुजरात की और सबसे छोटी सीमा गोवा की है। भारत के तटीय सीमा से लगने वाले राज्य निम्नलिखित हैं

तटीय सीमाओं से संलग्न राज्य अरब सागर की ओर से-

  • गुजरात
  • महाराष्ट्र
  • गोवा
  • कर्नाटक
  • केरल।

बंगाल की खाड़ी की ओर से-

  • तमिलनाडु
  • आंध्र प्रदेश
  • ओडिशा
  • पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 5.
पश्चिम से पूर्व की ओर स्थलीय सीमा वाले राज्यों का क्रम तैयार कीजिए।
उत्तर:
पश्चिम से पूर्व की ओर स्थलीय सीमा वाले राज्य निम्नलिखित हैं-

  • जम्मू और कश्मीर (अब जम्मू और कश्मीर केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है। इसको जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख दो भागों में ट दिया गया है।)
  • हिमाचल प्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तर प्रदेश
  • बिहार
  • पश्चिम बंगाल और
  • अरुणाचल प्रदेश।

परिशिष्ट-II पर आधारित क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
उन केंद्र-शासित क्षेत्रों की सूची बनाइए जिनकी स्थिति तटवर्ती है।
उत्तर:

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  2. पदुच्चेरी
  3. लक्षद्वीप
  4. दमन व दीव
  5. दादर व नगर हवेली।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रफल और जनसंख्या में अंतर की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रफल और जनसंख्या में अंतर है-

वर्गराष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्लीअंडमान व निकोबार द्वीप समूह
क्षेत्रफल (वर्ग कि०मी०)1,4838,249
जनसंख्या1,67,53,2353,79,944
जनसंख्या घनत्व (प्रति वर्ग कि०मी०)11,29746

(i) 2011 की जनगणना के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की जनसंख्या अंडमान व निकोबार द्वीप समूह से अधिक है।

(ii) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का क्षेत्रफल अंडमान व निकोबार द्वीप समूह से कम है।

प्रश्न 3.
एक ग्राफ पेपर पर दंड आरेख द्वारा केंद्र शासित क्षेत्रों के क्षेत्रफल व जनसंख्या को आलेखित कीजिए।
उत्तर:
2011 की जनगणना के अनुसार-

केंद्र शासित प्रदेशक्षेत्रफल (वर्ग कि०मी०)जनसंख्या
1. दिल्ली1,4831,67,53,235
2. चण्डीगढ़11410,54,686
3. लक्षद्वीप3264,429
4. पुद्दुच्चेरी49012,44,464
5. दमन व दीव1112,42,911
6. दादर व नगर हवेली4913,42,853
7. अंडमान व निकोबार द्वीप समूह8,2493,79,944

Note-विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से ग्राफ स्वयं बनाने का प्रयास करें।

भारत-स्थिति HBSE 11th Class Geography Notes

→ अंतःक्रिया (Interaction)-दो या अधिक तत्त्वों का एक-दूसरे पर पड़ने वाला आपसी प्रभाव।

→ स्थानीय समय (Local Time)-किसी स्थान पर सूर्य की अधिकतम ऊंचाई का समय।

→ प्रामाणिक समय (Standard Time) किसी देशांतर विशेष पर सूर्य की अधिकतम ऊंचाई का समय जो उस संपूर्ण क्षेत्र में लागू किया जाए।

→ प्रायद्वीप (Peninsula)-ऐसा स्थलखंड जो तीन ओर से समुद्रों से घिरा हो।

→ सापेक्षिक स्थिति (Relative Position)निकटवर्ती स्थानों के संदर्भ में किसी क्षेत्र की स्थिति।

→ जलडमरुमध्य (Strait)-दो स्थलखंडों को अलग करता पानी का हिस्सा।

→ खाड़ी (Gulf)-विस्तृत घुमाव वाले सागरीय तट से घिरा हुआ समुद्र का एक भाग जिसका नाम निकटवर्ती क्षेत्र के आधार पर होता है; जैसे बंगाल की खाड़ी, मैक्सिको की खाड़ी इत्यादि।

→ भारत की स्थिति (Location of India)-भारत एशिया महाद्वीप का एक ऐसा देश है जो एशिया के दक्षिणी भाग में हिन्द महासागर के शीर्ष पर तीन ओर समुद्र से घिरा हुआ है। संपूर्ण भारत उत्तरी गोलार्द्ध में है।

→ राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश (States and Union Territories)-वर्तमान में भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित। प्रदेश हैं।

→ विस्तार (Expansion)-भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तक और देशांतर विस्तार 68°7′ पूर्वी देशांतर से 97°25′ पूर्वी देशांतर तक है।

→ आकार (Size) भारत त्रिकोणीय आकार का देश है। इसकी उत्तर से दक्षिण तक लम्बाई 3214 कि०मी० और पूर्व से पश्चिम तक लम्बाई 2933 कि०मी० है।

→ क्षेत्रफल एवं जनसंख्या (Area and Population)-क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में भारत का सातवाँ स्थान है। भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि०मी० है। जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या लगभग 121.2 करोड़ है।

  • क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य – राजस्थान
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा राज्य – गोवा
  • जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य – उत्तर प्रदेश
  • जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा राज्य – सिक्किम

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

अन्तिम सीमा बिन्दु (Last Boundary Points)-भारत के अन्तिम सीमा बिंदु हैं-

  • उत्तरी बिंदु – इंदिरा कॉल (जम्मू-कश्मीर)
  • दक्षिणी बिंदु – इंदिरा प्वाइंट (ग्रेट निकोबार द्वीप)
  • पूर्वी बिंदु – किबिथू (अरुणाचल प्रदेश)
  • पश्चिमी बिंदु – राजहर कीक (गुजरात)
  • मुख्य भूमि की दक्षिणी सीमा – कन्याकुमारी (तमिलनाडु)

भारत: राज्य, राजधानी, क्षेत्रफल, जनसंख्या और जनसंख्या घनत्व-2011
HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति 1
भारत : केंद्र-शासित प्रदेश, राजधानियाँ, क्षेत्रफल और 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या एवं जनसंख्या घनत्व

राज्यराजधानीक्षेत्रफलजनसंख्याजनसंख्या घनत्व
1. अंडमान व निकोबार द्वीप-समूहपोर्ट ब्लेयर8,2493,79,94446
2. चण्डीगढ़चण्डीगढ़11410,54,6869,252
3. दादर व नगर हवेलीसिलवासा4913,42,853698
4. दमन व दीवदमन1112,42,9112,169
5. लक्षद्वीपकवरत्ती3264,4292,013
6. पुद्दुच्चेरीपुद्धु्चेरी49012,44,4642,598
7. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्लीनई दिल्ली1,4831,67,53,23511,297

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति 2
नोट – जून, 2014 में तेलगांना भारत का नवगठित राज्य बना। इसकी राजधानी हैदराबाद को बनाया गया।

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HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. प्राकृतिक आपदाएँ प्रतिवर्ष भारत के कितने लोगों को प्रभावित करती हैं?
(A) 2 करोड़
(B) 6 करोड़
(C) 10 करोड़
(D) 12 करोड़
उत्तर:
(B) 6 करोड़

2. विश्व के सर्वाधिक आपदा संभावित देशों में भारत का कौन-सा स्थान है?
(A) दूसरा
(B) तीसरा
(C) चौथा
(D) पाँचवां
उत्तर:
(A) दूसरा

3. सामान्यतः भारत का कितने प्रतिशत क्षेत्र सूखे से ग्रस्त रहता है?
(A) 5%
(B) 10%
(C) 14%
(D) 16%
उत्तर:
(D) 16%

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

4. निम्नलिखित में से कौन-सा एक इलाका भूकंप की दृष्टि से अति जोखिम क्षेत्र के अंतर्गत आता है?
(A) दक्कन पठार
(B) पूर्वी हरियाणा
(C) पश्चिमी उत्तर प्रदेश
(D) कश्मीर घाटी
उत्तर:
(D) कश्मीर घाटी

5. भूकंप किस प्रकार की आपदा है?
(A) वायुमण्डलीय
(B) भौमिकी
(C) जलीय
(D) जीवमण्डलीय
उत्तर:
(B) भौमिकी

6. आपदा प्रबंधन नियम किस वर्ष बनाया गया?
(A) वर्ष 2003 में
(B) वर्ष 2005 में
(C) वर्ष 2007 में
(D) वर्ष 1999 में
उत्तर:
(B) वर्ष 2005 में

7. भारत में सूखे का प्रभाव लगभग कितने क्षेत्र पर होता है?
(A) 5 लाख वर्ग कि०मी०
(B) 7 लाख वर्ग कि०मी०
(C) 10 लाख वर्ग कि०मी०
(D) 15 लाख वर्ग कि०मी०
उत्तर:
(C) 10 लाख वर्ग कि०मी०

8. भुज में विनाशकारी भूकंप कब आया था?
(A) 26 जनवरी, 1999
(B) 26 जनवरी, 2000
(C) 26 जनवरी, 2001
(D) 26 जनवरी, 2002
उत्तर:
(C) 26 जनवरी, 2001

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9. भुज में 2001 को आए भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता क्या थी?
(A) 2.5
(B) 3.5
(C) 5.2
(D) 7.9
उत्तर:
(D) 7.9

10. आपदाओं के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(A) समय के साथ प्राकृतिक आपदाओं के प्रारूप में परिवर्तन आया है
(B) सभी संकट आपदाएँ होती हैं
(C) समय के साथ आपदाओं द्वारा किए गए नुकसान में वृद्धि हो रही है
(D) आपदाओं के भय ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है
उत्तर:
(B) सभी संकट आपदाएँ होती हैं

11. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही नहीं है?
(A) सर्वाधिक चक्रवात अक्तूबर और नवम्बर में आते हैं
(B) ये पूर्वी प्रशांत महासागर, मैक्सिको तथा मध्य अमेरिकी तट पर भी पैदा होते हैं
(C) इनकी उत्पत्ति भूमध्यरेखा के पास 0° से 5° अक्षांशों के बीच होती है।
(D) इन चक्रवातों में समदाब रेखाएँ एक-दूसरे के नजदीक होती हैं
उत्तर:
(C) इनकी उत्पत्ति भूमध्यरेखा के पास 0° से 5° अक्षांशों के बीच होती है।

12. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात सामान्यतः निम्नलिखित अक्षांश में आते हैं-
(A) 0° – 5° अक्षांशों के बीच
(B) 5° – 15° अक्षांशों के बीच
(C) 15° – 20° अक्षांशों के बीच
(D) 5° – 20° अक्षांशों के बीच
उत्तर:
(D) 5° – 20° अक्षांशों के बीच

13. आपदाओं के संबंध में जो कथन सही नहीं है, उसे चिहनित कीजिए-
(A) देश में 4 करोड़ हैक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित घोषित किया गया है
(B) देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 30 प्रतिशत भाग पर सूखे का प्रभाव रहता है
(C) सूखे का अधिक प्रभाव वहाँ पड़ता है जहाँ वर्षा की परिवर्तिता का गुणांक 20 प्रतिशत से अधिक होता है
(D) भूस्खलन की दृष्टि से हरियाणा अधिक सुभेद्यता क्षेत्र में आता है
उत्तर:
(D) भूस्खलन की दृष्टि से हरियाणा अधिक सुभेद्यता क्षेत्र में आता है

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदाएँ प्रतिवर्ष भारत के कितने लोगों को प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
लगभग 6 करोड़।

प्रश्न 2.
विश्व के सर्वाधिक आपदा सम्भावित देशों में भारत का कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
दूसरा।

प्रश्न 3.
भारत के किस राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है?
उत्तर:
तमिलनाडु में।

प्रश्न 4.
भूकम्पों के आने का क्या कारण है?
उत्तर:
विवर्तनिक हलचलें।

प्रश्न 5.
भारतीय प्लेट किस दिशा में खिसक रही है?
उत्तर:
उत्तर दिशा।

प्रश्न 6.
सामान्यतः भारत का कितना प्रतिशत क्षेत्र सूखे से ग्रस्त रहता है?
उत्तर:
16 प्रतिशत।

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प्रश्न 7.
चक्रवात में समदाब रेखाओं की आकृति लगभग कैसी होती है?
उत्तर:
लगभग गोल।

प्रश्न 8.
धरातल के उस बिन्दु का नाम बताएँ जहाँ सबसे पहले भूकम्पीय तरंगें पहुँचती हैं।
उत्तर:
अधिकेन्द्र।

प्रश्न 9.
भूकम्प की तीव्रता को किस स्केल पर मापा जाता है?
उत्तर:
रिक्टर स्केल पर।

प्रश्न 10.
रिक्टर स्केल पर कितनी इकाइयाँ होती हैं?
उत्तर:
1 से 9 तक।

प्रश्न 11.
भुज में 26 जनवरी, 2001 को आए भूकम्प की रिक्टर स्केल पर तीव्रता क्या थी?
उत्तर:
7.9।

प्रश्न 12.
भारत में अत्याधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र के एक जिले का नाम लिखें।
उत्तर:
बीकानेर (राजस्थान)।

प्रश्न 13.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात सामान्यतः किन अक्षांशों में आते हैं?
उत्तर:
5° से 20° अक्षांशों के बीच।

प्रश्न 14.
भारत में बाढ़ों का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
भारी मानसून तथा चक्रवात।

प्रश्न 15.
प्रायद्वीपीय भारत में बातें कम क्यों आती हैं?
उत्तर:
नदियाँ मौसमी होने के कारण।

प्रश्न 16.
उत्तराखण्ड में भयंकर प्राकृतिक आपदा कब आई?
उत्तर:
16 जून, 2013 में।

प्रश्न 17.
पृथ्वी के अन्दर भूकम्प कितनी गहराई तक उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
75 कि०मी० की गहराई तक।

प्रश्न 18.
पृथ्वी के अन्दर भूकम्प उत्पत्ति वाले स्थान का नाम बताओ।
उत्तर:
उद्गम केन्द्र या भूकम्प मूल।

प्रश्न 19.
रिक्टर स्केल का आविष्कारक कौन था?
उत्तर:
चार्ल्स फ्रांसिस रिक्टर।

प्रश्न 20.
महाराष्ट्र के लाटूर में आए भूकम्प का क्या कारण था?
उत्तर:
भारतीय प्लेट का उत्तर दिशा में खिसकना।

प्रश्न 21.
भूकम्प और ज्वालामुखी की सर्वोत्तम व्याख्या कौन-सा सिद्धान्त करता है?
उत्तर:
प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धान्त।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूखा क्यों पड़ता है?
उत्तर:
वर्षा की परिवर्तनीयता के कारण सूखा पड़ता है।

प्रश्न 2.
भारत में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. बाढ़
  2. सूखा
  3. चक्रवात
  4. भू-स्खलन
  5. भूकम्प
  6. ज्वारीय तरंगें इत्यादि।

प्रश्न 3.
कोयना भूकम्प क्यों आया था?
उत्तर:
कोयना जलाशय में पानी के भारी दबाव के कारण यहाँ भूकम्प आया था।

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प्रश्न 4.
चक्रवातों से प्रभावित भारत के तीन राज्यों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. ओडिशा
  2. आन्ध्र प्रदेश तथा
  3. तमिलनाडु।

प्रश्न 5.
प्राकृतिक आपदा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जल, स्थल अथवा वायुमण्डल में उत्पन्न होने वाली ऐसी घटना या बदलाव जिसके कुप्रभाव से विस्तृत क्षेत्र में जान-माल की हानि और पर्यावरण का अवक्रमण होता हो, प्राकृतिक आपदा कहलाती है।

प्रश्न 6.
बाढ़ संभावित क्षेत्रों में कौन-कौन से क्षेत्र आते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने देश में 4 करोड़ हैक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। असम, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्य सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में से हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत की ज्यादातर नदियाँ, विशेषकर पंजाब और उत्तर प्रदेश में बाढ़ लाती रहती हैं।

प्रश्न 7.
सुनामी लहरें क्या हैं?
उत्तर:
भूकम्प और ज्वालामुखी से उठी समुद्री लहरों को सुनामी लहरें तरंगें कहा जाता है। महासागरों की तली पर आने वाले भूकम्प से महासागरीय जल विस्थापित होता है जिससे ऊर्ध्वाधर ऊँची तरंगें पैदा होती हैं जिन्हें ‘सुनामी’ कहा जाता है। महासागरों के तटीय क्षेत्रों में ये तरंगें ज्यादा प्रभावी होती हैं। कई बार तो इनकी ऊँचाई 15 मीटर या इससे भी अधिक होती है।

प्रश्न 8.
सूखा किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूखा एक घातक पर्यावरणीय आपदा है। यह मनुष्य, जीव-जंतुओं, वनस्पति तथा कृषि को प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र विशेष अथवा प्रदेश या देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। किसी क्षेत्र में लंबी अवधि तक वर्षा की कमी, कम वर्षा होना, अत्यधिक वाष्पीकरण तथा जलाशयों तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाती है, जिसे सूखा कहते हैं। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी क्षेत्र में सामान्य वर्षा से 75 प्रतिशत से कम वर्षा होती है तब सूखा उत्पन्न होता है।

प्रश्न 9.
बाढ़ से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नदी की क्षमता से अधिक जल का बहाव, जिसमें नदी तट के निकट की निम्न व समतल भूमि डूब जाए, बाढ़ कहलाती है। नदी में जल का उसकी क्षमता से अधिक विसर्जन भारी वर्षा, अत्यधिक हिम के पिघलने, प्राकृतिक अवरोध के खण्डित हो जाने तथा बाँध टूटने के परिणामस्वरूप होता है।

प्रश्न 10.
महाराष्ट्र के कोयना क्षेत्र में आए भूकंप के पीछे कौन-सा कारण माना जाता है ?
उत्तर:
कोयना बाँध महाराष्ट्र में दक्षिणी पठार पर बनाया गया है। इस क्षेत्र को स्थिर और भूकंप-रहित समझा जाता था, परन्तु यहाँ 11 दिसम्बर, 1967 में कोयना बाँध पर आए भूकंप ने सभी को अचम्भित कर दिया। यह भूकंप कोयना बाँध के जलाशय में अधिक जल के भर जाने के कारण आया। इस जल के अधिक भार के कारण स्थानीय भू-सन्तुलन बिगड़ गया तथा चट्टानों में दरारें पड़ गईं। इस भूकंप को मानवकृत भूकंप कहा जा सकता है।

प्रश्न 11.
प्राकृतिक आपदा और अकाल में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
जहाँ आपदाएँ और संकट प्राकृतिक परिघटनाएँ हैं, वहाँ अकाल एक मानव-जनित (Man made) स्थिति है। अकाल तब पड़ता है जब भोजन, दवाइयों व राहत-सामग्री की कमी तथा यातायात और संचार की अपर्याप्त सुविधा के कारण लोग भूख, बीमारी और बेबसी से त्रस्त होकर मरने लगते हैं।

प्रश्न 12.
भू-स्खलन को रोकने के दो उपाय बताइए।
उत्तर:

  1. पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाए तथा किसी नीतिगत ढंग से पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाया जाए।
  2. पर्वतों में गैर जरूरी खनन पर रोक लगाई जाए।

प्रश्न 13.
भू-स्खलन क्या होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभावाधीन पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी शिलाओं से लेकर काफी बड़े भू-भाग के ढलान के नीचे की ओर सरकने या खिसकने की क्रिया को भूस्खलन कहा जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बाढ़ से आपका क्या अभिप्राय है? बाढ़ आने के किन्हीं चार कारणों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नदी की क्षमता से अधिक जल का बहाव, जिसमें नदी तट के निकट की निम्न व समतल भूमि डूब जाए, बाढ़ कहलाती है। नदी में जल का उसकी क्षमता से अधिक विसर्जन भारी वर्षा, अत्यधिक हिम के पिघलने, प्राकृतिक अवरोध के खण्डित हो जाने तथा बाँध टूटने के परिणामस्वरूप होता है।

बाढ़ आने के कारण-बाढ़ आने के कारण निम्नलिखित हैं-
(1) भारी वर्षा-दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनें सीमित अवधि में भारी वर्षा करती हैं। इस वर्षा का तीन-चौथाई भाग मानसून पवनों द्वारा जून से सितम्बर तक प्राप्त किया जाता है। इस कारण गंगा व उसकी अनेक सहायक नदियों में वर्षा ऋतु में बाढ़ आ जाती है। इसी प्रकार पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों व पश्चिमी तटीय मैदान तथा असम में हिमालय में भारी तथा निरन्तर वर्षा के कारण ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ जाती है।

(2) उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात-भारत के पूर्वी तट पर आन्ध्र प्रदेश व उड़ीसा में तथा पश्चिमी तट पर गुजरात में बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से उठने वाले उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात भयंकर बाढ़ लाते हैं।

(3) विस्तृत जल-ग्रहण क्षेत्र भारत की अधिकांश नदियों के जलग्रहण क्षेत्र बहुत विस्तृत हैं। परिणामस्वरूप इन नदी घाटियों के मध्य व निम्न भागों में भारी मात्रा में जल भर जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है।

(4) नदी के प्रवाह में अवरोध नदी के तली में मिट्टी व अन्य अवसादों के जमाव, भूस्खलन तथा नदी विसर्जन (Meandering) आदि से नदी के जल का प्रवाह अवरुद्ध होने लगता है। अवरोध के अचानक टूटने के बाद नदी का जल अत्यन्त तेजी के साथ बहकर निकटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ ला देता है।

प्रश्न 2.
सूखे के चार प्रकारों के नाम लिखिए व किसी एक प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूखा निम्नलिखित प्रकार का होता है-

  • मौसम विज्ञान सम्बन्धी सूखा
  • जल विज्ञान सम्बन्धी सूखा
  • भौमिक जल सम्बन्धी सूखा
  • कृषि अथवा मृदा जल सम्बन्धी सूखा।

मौसम विज्ञान सम्बन्धी सूखा-यह सूखा सामान्य से कम वर्षा होने की स्थिति में पैदा होता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Dept.) के अनुसार, यदि दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों से औसत वार्षिक वर्षा के 75 प्रतिशत से कम हो तो सूखा पड़ता है और यदि यह वर्षा सामान्य से 50 प्रतिशत से भी कम हो तो भीषण सूखा पड़ता है।

प्रश्न 3.
भूकम्प के परिणाम बताते हुए इसके प्रभाव को कम करने के सुझाव दीजिए।
उत्तर:
भूकम्प में बड़े पैमाने पर भू-तल और जनसंख्या प्रभावित होती है। इससे जान और माल की भारी क्षति होती है तथा भूकम्प बुनियादी ढाँचे, परिवहन व संचार व्यवस्था, उद्योग और अन्य विकासशील क्रियाओं को ध्वस्त कर देता है। इससे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट पहुँचती है।

भूकम्प के प्रभाव से होने वाले नुकसान को कम करने के निम्नलिखित तरीके हैं-

  • भूकम्प-नियन्त्रण केन्द्रों की स्थापना की जाए ताकि भूकम्प सम्भावित क्षेत्रों में लोगों को सूचित किया जा सके। GPS प्रणाली की सहायता से प्लेट हलचल का पता लगाया जा सकता है।
  • भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवन डिजाइन में सुधार करना।
  • भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में भूकम्प प्रतिरोधी भवन बनाना और हल्की निर्माण सामग्री का प्रयोग करना।

प्रश्न 4.
भूकम्प आने के किन्हीं दो कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर:
1. भू-प्लेटों का खिसकना-जब अधिकांश वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि भूकम्प भू-प्लेटों के खिसकने से आते हैं। पृथ्वी का कठोर स्थलमंडल भू-प्लेटों से बना है, जिनकी औसत मोटाई 100 कि०मी० है। इन प्लेटों के नीचे दुर्बलता मंडल स्थित हैं। ये प्लेटें एक साथ गतिशील रहती हैं। इन प्लेटों के आपस में टकराने से भूकम्प पैदा होते हैं। अधिकांश भूकम्प इन प्लेटों के किनारों पर आते हैं।

2. ज्वालामुखी क्रिया-प्रचण्ड वेग से मैग्मा व गैसें जब भूपटल पर आने का प्रयास करती हैं तो कड़ी शैलों के अवशेष के कारण चट्टानों में कम्पन पैदा होता है। इसके अतिरिक्त भूपटल के कमज़ोर भागों को तोड़कर मैग्मा जब भारी विस्फोट के साथ बाहर निकलता है तो इससे चट्टानों में कम्पन आता है। लेकिन इस तरह के झटके छोटे क्षेत्र तक सीमित रहते हैं।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 5.
भारत में भूकंपीय क्षेत्रों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में कोई भी क्षेत्र भूकम्पों के प्रभाव से अछूता नहीं हैं। भारत मध्य महाद्वीपीय भूकम्प पेटी में आता है। सबसे अधिक भूकम्प भारत के हिमालयी क्षेत्र में आते हैं। इसका कारण यह है कि ये नवीन मोड़दार पर्वत आज भी ऊपर उठ रहे हैं। इससे इस क्षेत्र का सन्तुलन बिगड़ता है और भूकम्प आते हैं। अरावली से पूर्व में असम तक फैले उत्तरी भारत के मैदान में जलोढ़ के भारी जमाव द्वारा उत्पन्न भू-असन्तुलन के कारण भूकम्प आते हैं। मैदानी भाग के भूकम्प कम विनाशकारी होते हैं।

दक्कन पठार अब तक भूकम्पों से इसलिए मुक्त समझा जाता था क्योंकि यह विश्व के सबसे कठोर स्थल खण्डों में से एक है। लेकिन सन् 1967 में कोयना तथा सन् 1993 में लाटूर में आए भूकम्पों ने इस भ्रम को भी तोड़ दिया। फिर भी यह माना जा सकता है कि दक्षिणी पठार पर बहुत कम भूकम्प आते हैं। भारत में अब तक का सबसे बड़ा भूकम्प सन् 2001 में गुजरात के भुज में आया था। इसमें 50,000 से अधिक लोग मारे गए थे। सन् 2005 में कश्मीर में आए भूकम्प में भी 15,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

प्रश्न 6.
भूकम्प क्या है? उसके परिणाम लिखिए।
अथवा
भूकम्प के किन्हीं चार दुष्परिणामों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के आंतरिक भाग में संचित दबाव तथा हलचलों के कारण तरंगों का संचरण चट्टानों में कंपन पैदा करता है, इसे भूकंप कहते हैं। भूकंप पृथ्वी की ऊपरी सतह में होने वाली विवर्तनिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न ऊर्जा से पैदा होते हैं। भूकम्प के दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

  • भूकम्पों से न केवल हजारों-लाखों लोग मारे जाते हैं, बल्कि भारी संख्या में मकान और खेत इत्यादि भी नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं।
  • भूकम्प के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन होता है जिनसे नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। इससे बातें आती हैं जो जन और धन की हानि करती हैं।
  • भूकम्प के आने पर समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं। इन भूकम्पीय समुद्री लहरों को जापान में सुनामी तरंगें (Tsunamis) कहा जाता है। ये तरंगें तटीय भागों का विनाश करती हैं।
  • भूकम्प से भूपटल पर पड़ी दरारों के कारण न केवल यातायात अवरुद्ध हो जाता है बल्कि अनेक इम पशु इनमें समा जाते हैं।

प्रश्न 7.
भू-स्खलन निवारण के मुख्य उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
भू-स्खलन निवारण के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग उपाय होने चाहिएँ, जो निम्नलिखित हैं-

  • अधिक भू-स्खलन वाले क्षेत्रों में सड़क और बाँध निर्माण कार्य पर प्रतिबन्ध होना चाहिए।
  • स्थानान्तरी कृषि वाले क्षेत्रों में (उत्तर:पूर्वी भाग) सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए।
  • पर्वतीय क्षेत्रों में वनीकरण को बढ़ावा देना चाहिए।
  • जल-बहाव को कम करने के लिए बाँधों का निर्माण किया जाना चाहिए।

प्रश्न 8.
भूकम्पों से होने वाले प्रमुख लाभों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. भूकम्पों के माध्यम से हमें पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  2. भूकम्पीय बल से उत्पन्न भ्रंश और वलन अनेक प्रकार के भू-आकारों को जन्म देते हैं; जैसे पर्वत, पठार, मैदान और घाटियाँ आदि। भूमि के धंसने से झरनों और झीलों जैसे नए जलीय स्रोतों की रचना होती है।
  3. समुद्र तटीय भागों में आए भूकम्पों के कारण कम गहरी खाड़ियों का निर्माण होता है जहाँ सुरक्षित पोताश्रय बनाए जा सकते हैं।

प्रश्न 9.
भू-स्खलन के दुष्परिणामों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. बेशकीमती जान और माल की हानि होती है।
  2. नदी मार्ग अवरुद्ध हो जाने से बाढ़ें आती हैं। उदाहरणतः अगस्त, 1998 में पिथौरागढ़ का लामारी गाँव भूस्खलन से अवरुद्ध हुई काली नदी के जल में डूबकर नष्ट हो गया था।
  3. भू-स्खलनों से न केवल पर्यावरण नष्ट हो रहा है, बल्कि उपजाऊ मिट्टी के रूप में प्राकृतिक संसाधनों का भी विनाश हो रहा है।
  4. हरित आवरण विहीन ढलानों पर बहते जल का अवशोषण न हो पाने की स्थिति में जलीय स्रोत सूख रहे हैं।

प्रश्न 10.
“उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात केवल प्रायद्वीपीय भारत में ही अधिक प्रभावशाली होते हैं।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
चक्रवातों की उत्पत्ति के निम्नलिखित कारण हैं-
(1) चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए पर्याप्त कॉरियालिस बल चाहिए ताकि पवन चक्राकार घूम सके। भूमध्य रेखा व इसके दोनों ओर 5° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच कॉरियालिस बल क्षीण होता है। इसीलिए चक्रवात 5° से 20° अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं।

(2) विस्तृत समुद्री क्षेत्र जिसके तल का तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो ताकि चक्रवात को भारी मात्रा में आर्द्रता मिल सके। आर्द्र वायु के संघनित होने पर जो गुप्त ऊष्मा मुक्त होती है, वही चक्रवात की अपार ऊर्जा का स्रोत होती है।

(3) शान्त वायु क्षेत्र का होना भी आवश्यक है।

(4) चक्रवात के ऊपर 8 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रतिचक्रवात अर्थात् उच्च वायुदाब होना चाहिए ताकि धरातल से ऊपर उठने वाली वायु को बाहर निकलने का मौका मिलता रहें और धरातल में स्थित केन्द्र में निम्न वायुदाब बना रहे। दी गई दशाएँ बंगाल की खाड़ी व अरब सागर में उपलब्ध होती हैं। यही कारण है कि चक्रवात इन जलराशियों में उत्पन्न होकर निकटवर्ती भारतीय प्रायद्वीय पर अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।

प्रश्न 11.
चक्रवातों की उत्पत्ति के मुख्य कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
चक्रवातों की उत्पत्ति के निम्नलिखित कारण हैं-
(1) चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए पर्याप्त कॉरियालिस बल चाहिए ताकि पवन चक्राकार घूम सके। भूमध्य रेखा व इसके दोनों ओर 5° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच कॉरियालिस बल क्षीण होता है। इसीलिए चक्रवात 5° से 20° अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं।

(2) विस्तृत समुद्री क्षेत्र जिसके तल का तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो ताकि चक्रवात को भारी मात्रा में आर्द्रता मिल सके। आर्द्र वायु के संघनित होने पर जो गुप्त ऊष्मा मुक्त होती है, वही चक्रवात की अपार ऊर्जा का स्रोत होती है।

(3) शान्त वायु क्षेत्र का होना भी आवश्यक है।

(4) चक्रवात के ऊपर 8 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रतिचक्रवात अर्थात उच्च वायुदाब होना चाहिए ताकि धरातल से ऊपर उठने वाली वायु को बाहर निकलने का मौका मिलता रहे और धरातल में स्थित केन्द्र में निम्न वायुदाब बना रहे। यही कारण है कि चक्रवात इन जलराशियों में उत्पन्न होकर निकटवर्ती भारतीय प्रायद्वीय पर अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।

प्रश्न 12.
भूकम्प की आपदा से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
भूकम्प कुदरत का एक ऐसा कहर है जिसे रोकना तो सम्भव नहीं किन्तु संगठित प्रयासों से उसके विनाश को कम किया जा सकता है। भूकम्प सैंकड़ों वर्षों के विकास को क्षण-भर में मिटा सकता है। भूकम्प का प्रतिकार करना किसी अत्यन्त शक्तिशाली शत्रु से युद्ध करने जैसा है। अतः भूकम्प के विरुद्ध एक नीतिगत रक्षा कवच बनाया जाना जरूरी है। इसके तहत न केवल भूकम्पमापी केन्द्रों की संख्या बढ़ाई जाए बल्कि भूकम्प की सूचना को कारगर तरीके से आखिरी आदमी तक फैलाया जाए। संवदेनशील भूकम्प क्षेत्रों में लोगों को भूकम्प से पहले, उसके दौरान व बाद में उठाए जाने वाले कदमों का अभ्यास करवाते रहना चाहिए। वहाँ तरंगरोधी मकानों की योजना लागू करना जरूरी है।

भूकम्प के विरुद्ध उपाय और इच्छाशक्ति जन-धन की अपार हानि को कम कर सकती है।

प्रश्न 13.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सूखे के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सूखे के निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं
(1) कृषि उपज में कमी-वर्ष 1987 के सूखे के कारण II 25 अरब से अधिक कृषि उपज का नुकसान हुआ। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों ने सूखे पर लगभग II 75 अरब व्यय किए। खाद्यान्नों के उत्पादन में लगभग 165 लाख टन की गिरावट आई। खाद्य समस्या के कारण जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया।

(2) प्रति व्यक्ति आय में कमी-सूखे के परिणामस्वरूप कम कृषि उपज के कारण भारत की प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है, जिसको बढ़ाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

(3) कृषि मजदूरों की दुर्दशा-सूखे का सबसे बुरा प्रभाव कृषि मजदूरों पर पड़ता है। मज़दूर बेरोज़गार हो जाते हैं, क्योंकि वर्षा न होने के कारण खेतों में कोई काम नहीं रहता और धन के अभाव के कारण मजदूरों का भूख से मरना शुरु हो जाता है।

(4) बीमारियों की बढ़ोत्तरी-सूखे में जल के अभाव के कारण अनेक बीमारियाँ पनपने लगती हैं। पौष्टिक भोजन में कमी होने के कारण बच्चों तथा स्त्रियों में बीमारियाँ बहुत फैल जाती हैं। सरकार के राहत कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं, जिससे राजस्व पूँजी में कमी आ जाती है।

(5) पशुधन में कमी-चारे के अभाव के कारण लाखों पशु मर जाते हैं, जिसका खाद्य आपूर्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदाएँ क्या हैं? भारत के संदर्भ में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं का वर्णन कीजिए। अथवा भारत में प्राकृतिक आपदाओं के क्षेत्रों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदा का अर्थ (Meaning of Natural Disaster)-जल, थल अथवा वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली एक असामान्य घटना जिसके कुप्रभाव से एक विस्तृत क्षेत्र में जान-माल की हानि तथा पर्यावरण का ह्रास होता है, प्राकृतिक आपदा कहलाती है। यह प्राकृतिक घटना जो सीमित अवधि के लिए आती है उस देश की सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था को बुरी तरह छिन्न-भिन्न कर देती है। आपदा केवल प्राकृतिक नहीं होती, यह मानव-जनित भी हो सकती है। आपदाओं के विभिन्न स्वरूपों के आधार पर उन्हें निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • प्राकृतिक अथवा भौगोलिक आपदा
  • मानवकृत अथवा कृत्रिम आपदा
  • जैविक आपदा।

विभिन्न प्राकृतिक आपदाएँ (Various Natural Disasters)-प्राकृतिक प्रकोप अथवा कारणों से उत्पन्न आपदाएँ प्राकृतिक आपदाएँ कहलाती हैं। ये धरातल के ऊपर अथवा नीचे कार्यरत शक्तियों की क्रिया का परिणाम होती हैं। विश्व जलवायु संगठन के अनुसार प्राकृतिक घटनाओं का प्रलयकारी परिणाम या इन घटनाओं की संगठित क्रिया जिससे बड़े पैमाने पर जनहानि तथा मानव क्रियाकलापों का उच्छेदन हो, प्राकृतिक आपदा कहलाती है। इनका वर्गीकरण अनेक निम्नलिखित दृष्टियों से किया जा सकता है

  • विवर्तनिक (Tectonic) आपदाएँ भूकंप (Earthquake) तथा ज्वालामुखी उदगार (Volcanic Eruption)।
  • भौमिक अथवा भू-तलीय आपदाएँ-भूस्खलन (Landslide), हिमस्खलन या हिमघाव (Avalanche) तथा भू-क्षरण।
  • वायुमंडलीय आपदाएँ-चक्रवात (Cyclone), तड़ित (Lightning), तड़ितझंझा (Thunder Storm), टारनैडो (Tomado), बादल फटना (Cloud Brust), सूखा (Drought), पाला (Frost), लू (Loo)।
  • जलीय आपदाएँ-बाढ़ (Flood), ज्वार (Tide), महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents), सुनामी (Tsunami)।

इनमें से प्रमुख आपदाओं का विवरण इस प्रकार है–
1. भूकंप-पृथ्वी के आंतरिक भाग में संचित दबाव तथा हलचलों के कारण तरंगों का संचरण चट्टानों में कंपन पैदा करता है, इसे भूकंप कहते हैं। भूकंप पृथ्वी की ऊपरी सतह में होने वाली विवर्तनिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न ऊर्जा से पैदा होते हैं।
देश को निम्नलिखित पांच भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है-
(1) सर्वाधिक तीव्रता का क्षेत्र इस क्षेत्र में उत्तर:पूर्वी राज्य, नेपाल, बिहार सीमावर्ती क्षेत्र, उत्तराखंड, हिमालय पर्वत श्रेणी, पश्चिमी हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला क्षेत्र, कश्मीर घाटी के कुछ क्षेत्र, कच्छ प्रायद्वीप तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह सम्मिलित हैं।

(2) अधिक तीव्रता का क्षेत्र-इसके अंतर्गत कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के बचे भाग, उत्तरी पंजाब, पूर्वी हरियाणा, बिहार के उत्तरी मैदानी भाग एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश आते हैं।

(3) मध्यम तीव्रता का क्षेत्र-इसके अंतर्गत उत्तरी प्रायद्वीपीय पठार सम्मिलित हैं।

(4) निम्न तीव्रता का क्षेत्र देश के शेष बचे हुए भागों में से तमिलनाडु, उत्तर:पश्चिम तथा पूर्वी राजस्थान, ओडिशा का प्रायद्वीपीय भाग, उत्तरी मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ आते हैं।

(5) अति निम्न तीव्रता का क्षेत्र इस क्षेत्र में जोन-II के क्षेत्रों के भीतरी भाग शामिल हैं।

2. भूस्खलन-पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में चट्टानों के टुकड़ों का पर्वतीय ढलानों पर अचानक नीचे की ओर सरकना तथा लुढ़कना भूस्खलन कहलाता है। यह प्राकृतिक आपदा मुख्यतया पर्याप्त वर्षा वाले पर्वतीय क्षेत्रों में आती है। भूस्खलन एक त्वरित घटने वाली प्राकृतिक घटना है जिससे जन-धन की हानि होती है। नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं तथा यातायात प्रभावित होता है। भूस्खलन अनेक प्रकार के होते हैं, जिनमें-

  • अवपात
  • सर्पण
  • अवसर्पण
  • प्रवाह तथा
  • विसर्पण मुख्य होते हैं।

भारत के प्रमुख भूस्खलन क्षेत्र इस प्रकार है।

  • अति उच्च भूस्खलन क्षेत्र-इसमें हिमालय के राज्य; जैसे हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड आते हैं। इन क्षेत्रों में अत्यधिक हानि होती है।
  • उच्च भूस्खलन क्षेत्र इसमें समस्त पूर्वोत्तर राज्य; जैसे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, असम आदि आते हैं। यहाँ वर्षाकाल में जानमाल की हानि अधिक होती है।
  • मध्यम भूस्खलन क्षेत्र इसके अंतर्गत पश्चिमी घाट, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु राज्यों के नीलगिरी पहाड़ियों के क्षेत्र आते हैं।
  • निम्न भूस्खलन क्षेत्र-इस क्षेत्र में पूर्वीघाट के राज्यों के सागर तटीय क्षेत्र आते हैं। यहाँ वर्षाकाल में हानि अधिक है। सामान्य भूस्खलन की घटनाएँ होती रहती हैं।
  • अतिनिम्न भूस्खलन क्षेत्र इस क्षेत्र में विंध्याचल की पहाड़ियाँ तथा पठारों के भाग शामिल हैं। यहाँ कभी-कभी भूस्खलन की घटनाएँ होती हैं।

3. चक्रवात उष्ण कटिबंधीय चक्रवात 30° उत्तर से 30° दक्षिण अक्षांशों के मध्य पाए जाते हैं। साधारणतया इनका व्यास 500 से 1000 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ होता है। इनकी ऊर्ध्वाधर ऊँचाई 12-14 किलोमीटर तक होती है। प्राकृतिक आपदाओं में उष्ण कटिबंधीय चक्रवात सर्वाधिक शक्तिशाली, विध्वंसक, प्राणघातक तथा खतरनाक होते हैं। चक्रवातों को उनके था मौसम के आधार पर चार प्रकारों में बाँटा जा सकता है-

  • विक्षोभ
  • अवदाब
  • तूफान तथा
  • हरिकेन या टाइफून।

भारत में चक्रवातों का वितरण-भारत के प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। भारत में आने वाले चक्रवात इन्हीं दोनों जलीय क्षेत्रों से उत्पन्न होते हैं। बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवात अधिकतर अक्तूबर व नवम्बर में 16° से. 21° उत्तरी अक्षांश तथा 92° पूर्व देशांतर के पश्चिम में पैदा होते हैं। ये चक्रवात जुलाई के महीने में सुंदरवन डेल्टा के पास 18° उत्तर अक्षांश तथा 90° पूर्व देशांतर के पश्चिम से उत्पन्न होते हैं।

4. सूखा-सूखा एक घातक पर्यावरणीय आपदा है। यह मनुष्य, जीव-जंतुओं, वनस्पति तथा कृषि को प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र विशेष अथवा प्रदेश या देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। किसी क्षेत्र में लंबी अवधि तक वर्षा की कमी, कम वर्षा होना, अत्यधिक वाष्पीकरण तथा जलाशयों तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाती है, जिसे सूखा कहते हैं। विभाग ने सूखे को दो वर्गों में बांटा है

  • प्रचंड सूखा-जब वास्तविक वर्षा सामान्य वर्षा से 50 प्रतिशत अथवा इससे भी कम होती है तो इसे प्रचंड सूखा कहते हैं
  • सामान्य सूखा जब वास्तविक वर्षा सामान्य वर्षा से 50 से 75 प्रतिशत के मध्य होती है तो इसे सामान्य सूखा कहते हैं।

भारत में सूखाग्रस्त क्षेत्र भारत में सूखे से प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्र बिहार, झारखंड का पठारी भाग, गुजरात, पश्चिमी राजस्थान, मराठवाड़ा, तेलंगाना, ओडिशा के कालाहाण्डी तथा समीपवर्ती क्षेत्र आदि मुख्य हैं। सूखे की तीव्रता के आधार पर भारत को निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में बांटा गया है
(i) अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-राजस्थान, विशेषकर पश्चिमी राजस्थान का मरुस्थल जिसमें राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर जिले शामिल हैं। यहाँ औसत वर्षा 90 मि०मी० से भी कम होती है तथा गुजरात का रन व कच्छ क्षेत्र आता है।

(ii) अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-इस क्षेत्र के अंतर्गत राजस्थान के पूर्वी भाग, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के पूर्वी भाग, कर्नाटक का पठारी भाग, आंध्र प्रदेश के भीतरी भाग, तमिलनाडु का उत्तरी भाग, दक्षिणी झारखंड तथा ओडिशा के भीतरी भाग सम्मिलित हैं।

(iii) मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र-इसमें उत्तरी राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले, पूर्वी गुजरात, झारखंड, तमिलनाडु से कोयम्बटूर पठार तक तथा आंतरिक कर्नाटक शामिल हैं।

5. बाढ बाढ का संबंध अतिवष्टि से है। प्राकतिक आपदाओं में बाढ भी एक अत्यंत तबाही मचाने वाली आपदा है। नदियों में जल-स्तर इतना बढ़ जाता है कि जल की विशाल राशि उन क्षेत्रों में प्रविष्ट कर जाती है जहाँ सामान्यतया उसकी उपेक्षा नहीं की जाती। इस प्रकार जल के अनियंत्रित तथा असीमित फैलाव को बाढ़ कहा जाता है। सामान्य शब्दों में वर्षा जल की अधिकता के कारण जल अपने प्रवाह मार्ग में न बहकर तटबंधों से बाहर आकर मानव अधिवासों तथा समीपवर्ती भूभाग को जलमग्न कर देता है तो उसे बाढ़ कहते हैं। सामान्यतया बाढ़ विशेष ऋतु में तथा विशेष क्षेत्र में ही आती है।

बाढ़ मूलतः प्राकृतिक कारकों का प्रतिफल है, परंतु मानवीय कारक भी इसमें सक्रिय योगदान देते हैं। मानवीय क्रियाकलाप; जैसे नदियों के मार्ग में परिवर्तन, नगरीकरण, बांध का निर्माण, अंधाधुंध वन कटाव, अवैज्ञानिक कृषि, भूमि उपयोग में परिवर्तन, बाढ़ के मैदानों में मानव अधिवास के कारण बाढ़ की तीव्रता, परिमाण तथा विध्वंसता में वृद्धि होती है

6. सुनामी-भूकम्प और ज्वालामुखी से उठी समुद्री लहरों को सुनामी तरंगें कहा जाता है। महासागरों की तली पर आने वाले भूकम्प से महासागरीय जल विस्थापित होता है जिससे ऊर्ध्वाधर ऊँची तरंगें पैदा होती हैं जिन्हें ‘सुनामी’ कहा जाता है। महासागरों के तटीय क्षेत्रों में ये तरंगें ज्यादा प्रभावी होती हैं कई बार तो इनकी ऊँचाई 15 मीटर या इससे भी अधिक होती है।

सुनामी लहरों के क्षेत्र-सुनामी लहरें आमतौर पर प्रशान्त महासागरीय तट जिसमें अलास्का, जापान, फिलीपाइन, दक्षिण-पूर्वी एशिया के दूसरे द्वीप, इण्डोनेशिया और मलेशिया तथा हिन्द महासागर में म्यांमार, श्रीलंका और भारत के तटीय भागों में आती हैं।

सुनामी लहरों के प्रभाव तट पर पहुँचने पर सुनामी लहरें अत्यधिक ऊर्जा निर्मुक्त करती हैं और समुद्र का जल तेजी से तटीय क्षेत्रों में घुस जाता है और तट के निकटवर्ती क्षेत्रों में तबाही फैलाता है। अतः तटीय क्षेत्रों में जनसंख्या अधिक होने के कारण दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की अपेक्षा सुनामी अधिक जान-माल का नुकसान पहुँचाती है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 2.
भारत में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का वर्णन कीजिए तथा बाढ़ों से होने वाली क्षति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नदी में जब पानी की मात्रा उसकी जलमार्ग क्षमता से अधिक हो जाती है तब उसे बाढ़ के रूप में जाना जाता है। बाढ़ की मात्रा घर्षण की मात्रा और तीव्रता, तापमान, तथा ढाल पर निर्भर करती है। लम्बी अवधि तक होने वाली वर्षा से मिट्टी अपनी सम्पूर्ण क्षमता तक पानी से परिपूर्ण हो जाती है और वहाँ का अनुपात बढ़ता जाता है। बजरी, जिसके नीचे अप्रवेश्य पदार्थ न हो, इसका अपवाद है। जहाँ पर झंझावातों द्वारा भारी वर्षा होती है, वहाँ बाढ़ का खतरा अधिक होता है। बाढ़ निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

आकस्मिक बाढ़-इनकी अवधि बहुत छोटी होती है, इस प्रकार की बाढ़ गरज के साथ होने वाली प्रबल बौछारों से आती है। दीर्घ अवधि बाद-लम्बे समय तक वर्षा होने के कारण जल की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, जिससे सम्पूर्ण जल विभाजक क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है।।

भारत में बाढ़ग्रस्त क्षेत्र बाढ़ से जन-जीवन अव्यवस्थित हो जाता है। जन-धन की अपार हानि होती है। शहरी क्षेत्र में पेय जल की समस्या के कारण अनेक बीमारियाँ पनपने लगती हैं। भारत का अधिकांश भाग बाढ़ सम्भावित क्षेत्र है। अधिकांश बाढ़ भारत के उत्तरी भाग में आती है। गंगा तथ ब्रह्मपुत्र नदियों के अप्रवाह क्षेत्र में भारत का 60% बाढ़ग्रस्त क्षेत्र आता है। हर वर्ष गंगा, यमुना, सतलुज, रावी, व्यास, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी, महानदी आदि नदियों में बाढ़ आती है।

असम, बिहार, आन्ध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश आदि में बाढ़ का प्रकोप बना रहता है। कोसी, तिस्ता और टोर्सा नदियाँ हिमाचल से उतरकर अवसादों के निक्षेपण से अपने रास्ते बदल लेती हैं। कोसी नदी को ‘शोक की नदी’ कहा जाता है, क्योंकि इससे काफी मात्रा में फसल नष्ट होती है। ब्रह्मपुत्र नदी असम में बाढ़ लाती है। हुगली नदी पश्चिमी बंगाल में बाढ़ लाती है। महानदी से ओडिशा के कई भाग प्रभावित होते हैं। हरियाणा में जल निकास की अव्यवस्था के कारण बाढ़ आ जाती है।

बाढ़ से होने वाली क्षति या प्रभाव-बाढ़ों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा है-

  • बाढ़ों से फसलें समाप्त हो जाती हैं। कृषि उपज में गिरावट आ जाती है।
  • प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है।
  • बिजली आपूर्ति ठप्प होने से करोड़ों रुपए की हानि होती है।
  • कृषि भूमि अनुपजाऊ बन जाती है।
  • परिवहन तन्त्र गड़बड़ा जाता है।
  • उत्पादन प्रक्रिया ठप्प होने से काफी नुकसान होता है।
  • विकास कार्य रुक जाते हैं।
  • राहत कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं।
  • पीने का पानी, खाद्य सामग्री की व्यवस्था बिगड़ जाती है।

इस प्रकार प्रत्येक वर्ष भारत में सूखा तथा बाढ़ के प्रकोप से करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। हमारी अर्थव्यवस्था में गिरावट का यह मुख्य कारण है। अतः हमें सूखा तथा बाढ़ को रोकने के लिए समय-समय पर उचित कदम उठाने चाहिएँ। हमें योजना बनाकर इस समस्या से निपटना चाहिए। हमारे द्वारा किया गया सही नियोजन करोड़ों रुपयों की पूँजी बचा सकता है।

प्रश्न 3.
एक प्राकृतिक आपदा के रूप में भूकम्प क्या है? इसके कारणों तथा परिणामों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण जब धरातल का कोई भाग अकस्मात् काँप उठता है तो उसे भूकम्प कहते हैं। चट्टानों की तीव्र गति के कारण हुआ यह कम्पन अस्थायी होता है। भूकम्प आने के कारण भूकम्प आने का मुख्य कारण पृथ्वी की सन्तुलित अवस्था में व्यवधान का पड़ना है। सन्तुलन की अवस्था में अस्थिरता निम्नलिखित कारणों से आती है-
1. भू-प्लेटों का खिसकना-पृथ्वी का कठोर स्थलमंडल भू-प्लेटों से बना है। इन प्लेटों के नीचे दुर्बलता मंडल स्थित हैं। ये प्लेटें एक साथ गतिशील रहती हैं तथा इन प्लेटों के आपस में टकराने से भूकम्प पैदा होते हैं। अधिकांश भूकम्प इन प्लेटों के किनारे पर आते हैं।

2. ज्वालामुखी क्रिया प्रचण्ड वेग से मैग्मा व गैसें जब भूपटल पर आने का प्रयास करती हैं तो कड़ी शैलों के अवरोध के कारण चट्टानों में कम्पन पैदा होती है। इसके अतिरिक्त भूपटल के कमजोर भागों को तोड़कर मैग्मा जब भारी विस्फोट के साथ बाहर निकलता है तो इससे चट्टानों में कम्पन आती है।

3. भूपटल का संकुचन पृथ्वी के भीतर का भाग धीरे-धीरे ठण्डा होकर सिकुड़ रहा है। ऊपर की चट्टानें जब नीचे की सिकुड़ती हुई चट्टानों से समायोजन करती हैं तो शैलों में आई अव्यवस्था के कारण भूकम्प आते हैं।

4. भूसन्तुलन भूपटल की ऊपरी चट्टानों ने ऊपर-नीचे समायोजित होकर सन्तुलन बना लिया है। कालान्त भू-भागों के अपरदन से उत्पन्न तलछट धीरे-धीरे समुद्री तली में निक्षेपित होने लगता है। इससे पृथ्वी का सन्तुलन भंग हो जाता है। अतः पुनः सन्तुलन प्राप्त करने की प्रक्रिया भूकम्प को जन्म देती है।

5. इलास्टिक रिबाऊन्ड सिद्धान्त-चट्टानें रबड़ की तरह प्रत्यास्थ होती हैं, इनमें पैदा होने वाले सम्पीड़न और तनाव की एक सीमा होती है। उस सीमा के बाद शैल और अधिक तनाव सहन नहीं कर सकती और वह टूट जाती है; ठीक उसी प्रकार जैसे रबड़ अत्यधिक खिंचाव के बाद टूट जाती है। शैल खण्डों का अकस्मात् टूटना और पुनः अपना स्थान ग्रहण करना भूकम्प पैदा करता है।

6. जलीय भार जब कभी मानव-निर्मित बड़े-बड़े जलाशयों में जल एकत्रित कर लिया जाता है तो जल भार से नीचे की चट्टानों पर दबाव बढ़ता है। इससे भूसन्तुलन अस्थिर हो जाता है। अतः उस क्षेत्र में जब भूसन्तुलन पुनः स्थापित होता है तब भूकम्प आते हैं।

7. गैसों का फैलाव-भूगर्भ में ऊँचे ताप के कारण चट्टानों के पिघलने और रिसे हुए समुद्री जल के उबलने से गैसों की उत्पत्ति होती है। चट्टानों पर सतत् बढ़ता हुआ दबाव उनमें कम्पन पैदा करता है।

8. अन्य कारण भस्खलन (Landslide), भारी हिमखण्डों (Avalanches) का ढलानों से नीचे गिरना, चना प्रदेशों (Karst Regions) में बड़ी गुफाओं की छतों का गिरना, खानों (Mines) की छतों का नीचे बैठना, पोखरण जै परीक्षण तथा भारी मशीनों और रेलों का चलना आदि ऐसे कारण हैं जो स्थानीय स्तर पर भूकम्प लाते हैं।

भूकम्पों से होने वाली हानियाँ (परिणाम)-
(1) भूकम्पों से न केवल हजारों-लाखों लोग मारे जाते हैं, बल्कि भारी संख्या में मकान और खेत इत्यादि भी नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं। बीसवीं शताब्दी में लाखों भूकम्प आए किन्तु इनमें से केवल 34 भूकम्प ऐसे थे जिनके कारण लगभग 67 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु हुई।

(2) भूकम्प के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन होता है जिनसे नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। इससे बातें आती हैं जो जन और धन की हानि करती हैं।

(3) भूकम्प के आने पर समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं। इन भूकम्पीय समुद्री लहरों को जापान में सुनामी तरंगें (Tsunamis) कहा जाता है। ये तरंगें तटीय भागों का विनाश करती हैं। सन् 1960 में चिली में आए भूकम्प से उत्पन्न सुनामी तरंगों ने काफी कहर बरसाया था।

(4) भूकम्प से भूपटल पर पड़ी दरारों के कारण न केवल यातायात अवरुद्ध हो जाता है बल्कि अनेक इमारतें, मनुष्य और पुश इनमें समा जाते हैं। सन् 1897 में असम में आए भूकम्प के कारण वहाँ 12 मील लम्बी व 35 फुट चौड़ी दरार पड़ गई थी।

(5) भूकम्प से पड़ी दरारों में से गैस, जल व कीचड़ आदि बाहर निकलते रहते हैं। गैसें वायु के सम्पर्क में आकर प्रज्ज्वलित हो उठती हैं जिससे भीषण आग लग जाती है। जल और कीचड़ में आसपास के क्षेत्र डूब जाते हैं।

प्रश्न 4.
भूस्खलन के कारणों और प्रभावों पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा
भूस्खलन के कारण और इससे होने वाले दुष्परिणामों या संकटों का वर्णन करें।
उत्तर:
भूस्खलन के कारण यद्यपि भूस्खलन प्रकृति-जनित दुर्घटना है, लेकिन इस आपदा की आवृत्ति व उसके प्रभाव को बढ़ाने में मनुष्य की भूमिका को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। भूस्खलन के जिम्मेदार प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं-
1. वनों का विनाश-वक्षों की जड़ें मिट्टी को जकड़े रहती हैं। इससे वर्षा का बहता जल मिट्टी में कटाव नहीं कर पाता । वनों के विनाश से जल ढाल पर निर्बाध गति से बहता है और वृहत् स्तर पर मिट्टी और मलबे को बहा ले जाता है। वनों का विनाश मुख्यतः निम्नलिखित कारणों से होता है

  • पहाड़ों पर बढ़ती जनसंख्या खेती के लिए वनों को साफ करती है और ईंधन के लिए वृक्षों को काटती है।
  • जनसंख्या के साथ पशुओं-गाय, भेड़-बकरी आदि की संख्या भी बढ़ रही है। पशुओं से होने वाले अति चारण से वनस्पति का आवरण तेजी से हट रहा है।
  • वन विभागों व ठेकेदारों की मिली-भगत से ‘वुड माफ़िया’ पनप जाता है जो भ्रष्ट तरीकों के नियत संख्या से ज्यादा पेड़ काट लेते हैं।

2. भकम्प हिमालयी क्षेत्र में प्रायः आने वाले भूकम्प के झटके शिलाखण्डों को हिला देते हैं जिससे वे टकर नीचे की ओर खिसक जाते हैं।

3. सड़क निर्माण-पहाड़ों में सड़क निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। वहाँ एक किलोमीटर लम्बी सड़क बनाने के लिए लगभग 6 हजार घन मीटर मलबा हटाना पड़ता है। इतनी बड़ी मात्रा में ढीला मलबा जहाँ भी पड़ता है, वर्षा के जल का अवशोषण कर ढलान के साथ नीचे की ओर सरक कर विनाश का कार्य करता है।

4. भवन निर्माण-पहाड़ों में बढ़ती जनसंख्या के लिए मकान व पर्यटन के विकास के लिए भवन एवं स्थल विकसित किए . जा रहे हैं। इन क्रियाओं से भी भूस्खलन में वृद्धि होती है।

5. स्थनान्तरी कृषि-उत्तर:पूर्वी राज्यों के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी प्रचलित स्थानान्तरी अथवा झूम कृषि वनों को साफ करके की जा रही है। इससे भी भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ती हैं।

भूस्खलन से होने वाले संकट (दुष्परिणाम) अथवा प्रभाव भूस्खलन से होने वाले दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

  • बेशकीमती जान और माल की हानि होती है।
  • नदी मार्ग अवरुद्ध हो जाने से बाढ़ें आती हैं। उदाहरणतः अगस्त, 1998 में पिथौरागढ़ का लामारी गाँव भूस्खलन से अवरुद्ध हुई काली नदी के जल में डूबकर नष्ट हो गया था।
  • भूस्खलनों से न केवल पर्यावरण नष्ट हो रहा है, बल्कि उपजाऊ मिट्टी के रूप में प्राकृतिक संसाधनों का भी विनाश हो रहा है।
  • हरित आवरण विहीन ढलानों पर बहते जल का अवशोषण न हो पाने की स्थिति में जलीय स्रोत सूख रहे हैं।

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HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

Haryana State Board HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

निबंधात्मक उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
12वीं शताब्दी में यायावरिता के स्वरूप का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के आधुनिक मंगोलिया प्रदेश में रहने वाला एक यायावर समूह था। 12वीं शताब्दी में चंगेज़ खाँ के उत्थान से पूर्व मंगोल यायावरिता के स्वरूप की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

1. प्रमुख व्यवसाय (Chief occupations):
12वीं शताब्दी में यायावरी कबीलों का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था। उस समय मंगोलिया में अनेक अच्छी चरागाहें थीं। अल्ताई पहाड़ों की बर्फीली चोटियों से निकलने वाले सैंकड़ों झरनों तथा ओनोन (Onon) एवं सेलेंगा (Selenga) नदियों के पानी के कारण यहाँ हरी घास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती थी।

मंगोल जिन पशुओं का पालन करते थे उनमें प्रमुख थे घोड़े एवं भेड़ें। इनके अतिरिक्त वे गायों, बकरियों एवं ऊँटों का पालन भी करते थे। इन पशुओं का प्रयोग वे दूध, माँस एवं ऊन प्राप्त करने के लिए तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोने के लिए करते थे। घोड़ों का प्रयोग वे घुड़सवारी के लिए करते थे। मंगोल घोड़ों पर सवार होकर ही युद्धों में भाग लेते थे।

कुछ मंगोल शिकार संग्राहक (hunter gatherers) थे। वे जंगली जानवरों का शिकार करते थे एवं मछलियाँ पकडते थे। वे साइबेरियाई वनों में रहते थे। वे पशुपालक लोगों की तुलना में अधिक गरीब होते थे। उस समय मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं। अतः यायावरी कबीले कृषि कार्य नहीं करते थे। इस कारण यायावरी कबीलों की अर्थव्यवस्था घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थी। अतः यहाँ कोई नगर नहीं उभर पाया।

2. निवास स्थान (Dwellings):
यायावरी कबीले चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे। अतः वे किसी स्थान में स्थाई रूप से नहीं रहते थे। मंगोल गोलाकार तंबुओं में रहते थे जिसे वे जर (ger) कहते थे। जनसाधारण लोगों के तंबू छोटे आकार के होते थे। धनी लोगों के तंबुओं का आकार बड़ा होता था। ये तंबु सन के बने होते थे। इन तंबुओं का प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर होता था। इसका कारण यह था कि मंगोलिया में शीत हवाएँ उत्तर की ओर से आती थीं। तंबू को दो भागों में बाँटा जाता था। एक भाग मेहमानों के लिए होता था। दूसरा भाग घर के सदस्यों के लिए होता था।

3. समाज (Society):
यायावरी समाज की मूल इकाई परिवार थी। उस समय परिवार पितृपक्षीय (patriarchal) होते थे। परिवार का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति इसकी देखभाल करता था। धनी परिवार बहुत विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु एवं चारागाहें होती थीं। इस कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे तथा स्थानीय राजनीति में उनकी उल्लेखनीय भूमिका होती थी।

प्राकृतिक आपदाओं जैसे भीषण शीत ऋतु के दौरान एकत्रित की गई शिकार एवं अन्य सामग्रियों के समाप्त हो जाने की स्थिति में अथवा वर्षा न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने की स्थिति चारागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।

इस कारण वे लटपाट करने के लिए बाध्य हो जाते थे। अतः परिवारों के समूह अपनी रक्षा हेतु अधिक शक्तिशाली कुलों से मित्रता कर लेते थे तथा परिसंघ का गठन कर लेते थे। अधिकांश परिसंघ छोटे एवं अल्पकालिक होते थे। उस समय परिवार में पुत्र का होना बहुत आवश्यक माना जाता था।

उस समय मंगोल समाज में बहु-विवाह (polygamy) प्रथा प्रचलित थी। उस समय स्त्रियाँ समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। वे न केवल घरेलू कार्य करती थीं अपितु आवश्यकता पड़ने पर रणभूमि में दुश्मनों से लोहा लेती थीं।

4. भोजन (Diet) :
यायावरी लोगों का प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। मंगोल घोड़े का माँस खाने के बहुत शौकीन थे। वे गायों, भेड़ों एवं बकरियों का माँस भी खाते थे। इनके अतिरिक्त वे कुत्तों, लोमड़ियों, खरगोशों तथा चूहों का माँस भी खाते थे। वे सामान्य तौर पर पकाए हुए अथवा उबले हुए माँस का प्रयोग करते थे। कभी-कभी वे कच्चा माँस भी खा जाते थे। बचे हुए माँस को वे चमड़े के थैले में रख लेते थे।

वे खाने के बर्तनों की सफाई की ओर बहुत कम ध्यान देते थे। वे घोड़ी का दूध पीने के बहुत शौकीन थे। इसे कुम्मी (kumiss) कहा जाता था। धनी लोग शराब पीने के भी शौकीन थे। इसे. चीन से मंगवाया जाता था। इसके सेवन को बहुत सम्मानजनक समझा जाता था।

5. पोशाक (Dress):
यायावरी लोग सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। वे सूती एवं रेशमी वस्त्रों का चीन से आयात करते थे। ऊनी वस्त्र वे स्वयं बनाते थे। जनसाधारण के वस्त्र सामान्य प्रकार के होते थे। धनी लोग बहुमूल्य वस्त्रों को धारण करते थे। सर्दियों से बचाव के लिए वे फर के कोट एवं टोप पहनते थे। स्त्रियों के वस्त्र एवं उनके सिर पर डालने वाला टोप विशेष प्रकार से बना होता था।

6. मृतकों का संस्कार (Disposal of the Dead):
यायावरी लोग रात्रि के समय अपने मृतकों का संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे। मंगोल मृत्यु के पश्चात् जीवन में विश्वास रखते थे। अतः वे शवों के साथ खाने-पीने की वस्तुएँ एवं बर्तनों आदि को भी रखते थे। धनी व्यक्तियों के साथ अनेक बहुमूल्य वस्तुएँ, उसके घोड़ों, नौकरों एवं स्त्रियों को भी दफ़न किया जाता था। प्रायः शवों को उस स्थान पर दफ़न किया जाता था जिसका चुनाव उसने अपने जीवनकाल में किया हो अथवा जो स्थान उसे सबसे अधिक प्रिय हो।

7. व्यापार (Trade):
स्टेपी क्षेत्र अथवा मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी। अतः यायावरी कबीले व्यापार के लिए अपने पड़ोसी देश चीन पर निर्भर करते थे। उनका व्यापार वस्तु-विनिमय (barter) पर आधारित था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले चीन से कृषि उत्पाद एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे। इनके बदले वे घोड़ों, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे।

कभी-कभी दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने हेतु सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे एवं लूटपाट में भी सम्मिलित हो जाते थे। इस संघर्ष में यायावरों को कम हानि होती थी। इसका कारण यह था कि वे लूटपाट कर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे। चीन को इन यायावरी आक्रमणों से बहुत क्षति पहुँचती थी। अतः चीनी शासकों ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए ‘चीन की महान् दीवार’ को अधिक मज़बूत किया।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 2.
चंगेज़ खाँ कौन था? उसके प्रारंभिक जीवन एवं उत्थान के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ यायावर साम्राज्य अथवा मंगोलों का सबसे महान् एवं प्रसिद्ध शासक था। चंगेज़ खाँ के प्रारंभिक जीवन के बारे में हमें अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है। प्राप्त स्रोतों के आधार पर हमें जो जानकारी प्राप्त हुई है उसका संक्षिप्त वर्णन अग्रलिखित अनुसार है

1. जन्म एवं माता-पिता (Birth and Parents):
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं। अधिकांश इतिहासकारों का कथन है कि चंगेज़ खाँ का जन्म 1162 ई० में हुआ। कुछ इतिहासकारों का विचार है कि चंगेज खाँ का जन्म 1167 ई० में हुआ। चंगेज़ खाँ का जन्म मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसके पिता का नाम येसूजेई (Yesugei) था। वह एक छोटे से कबीले कियात (Kiyat) का मुखिया था। वह बोरजिगिद (Borjigid) कुल से संबंधित था।

चंगेज खाँ की माता का नाम ओलुन-के (Oelun-eke) था। वह ओंगीरत (Onggirat) कबीले से संबंधित थी। चंगेज खाँ का बचपन का नाम तेमुजिन (Temujin) था। कहा जाता है कि जिस समय बालक का जन्म हुआ उस समय उसका पिता येसूजेई अपने एक विरोधी तातार (Tatar) कबीले के मुखिया तेमुजिन को पराजित कर वापस लौटा था। अत: मंगोलियाई परंपरा के अनुसार नव जन्मे बालक का नाम तेमुजिन रखा गया।

2. तेमुजिन की कठिनाइयाँ (DImculties of Temujin):
तेमुजिन की अल्पायु में उसके पिता येसूजेई की धोखे से तातार कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। येसूजेई की हत्या का समाचार सुनकर तेमुजिन की माँ ओलुन इके पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने पाँच बच्चों को लेकर कहाँ जाए। कियात कबीले के लोग तेमुजिन को अपना मुखिया स्वीकार करने को तैयार नहीं थे क्योंकि वह स्वयं अभी एक बच्चा था।

इस संकट के समय में ओलुन-इके ने अपना धैर्य न खोया। वह शिकार कर एवं जंगली फल खाकर अपना एवं अपने बच्चों का गुजारा करती रही। वह तेमुजिन को अपने कबीले की गौरव गाथाएँ सुनाकर एक नई प्रेरणा स्रोत उत्पन्न करती रही।

3. तेमुजिन के बहादुरी भरे कारनामे (Acts of Bravery of Temujin):
तेमुजिन जब युवा हुआ तो उसमें अदम्य उत्साह था। एक बार उसके विरोधी कबीले वालों ने तेमुजिन पर अचानक आक्रमण कर उसे बंदी बना लिया। निस्संदेह यह तेमुजिन के लिए सबसे विकट स्थिति थी।

ऐसे समय में तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया। एक दिन जब कबीले के लोग रंगरलियों में मस्त थे तो यह स्वर्ण अवसर देखकर तेमुजिन वहाँ से भागने में सफल हुआ। वह वापस अपने परिवार के सदस्यों के साथ आ मिला। यह घटना उसके जीवन में एक नया मोड़ सिद्ध हुई। एक दिन कुछ चोरों ने तेमुजिन के परिवार के आठ घोड़ों को चुरा लिया।

जब तेमुजिन को इसका पता चला तो वह फौरन अपने घोड़े पर अकेला ही उनके पीछे हो लिया। रास्ते में बोघूरचू (Boghurchu) नामक एक युवक उसके साथ हो लिया। इन दोनों ने चोरों को घेर लिया तथा अत्यंत बहादुरी से अपने घोड़ों को छुड़वा लिया। इस प्रकार बोधूरचू तेमुजिन का प्रथम मित्र बना। वे सदैव एक विश्वस्त साथी के रूप में एक-दूसरे के साथ रहे। जब तेमुजिन 18 वर्ष का हुआ तो उसका विवाह बोरटे के साथ हो गया। इस विवाह के कारण तेमुजिन की स्थिति कुछ सुदृढ़ हुई।

तेमुजिन ने जमूका (Jamuqa) को जो कि जजीरात (Jajirat) कबीले से संबंधित था को अपना सगा भाई (आंडा anda) बनाया। इसके पश्चात् तेमुजिन तुगरिल खाँ (Tughril Khan) अथवा ओंग खाँ (Ong Khan) से आशीर्वाद लेने उसके दरबार में पहुंचा।

वह कैराईट (Kereyite) कबीले का मुखिया था तथा तेमुजिन के पिता का सगा भाई (आंडा) बना था। तुगरिल खाँ ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसी समय के दौरान मेरकिट (Merkit) कबीले के मुखिया ने तेमुजिन के कैंप पर आक्रमण कर दिया तथा उसकी पत्नी बोरटे को बंदी बनाकर अपने साथ ले गया।

इस संकट के समय में जमूका एवं तुगरिल खाँ ने तेमुजिन की बहुमूल्य सहायता की। अत: वह अपनी पत्नी बोरटे को मेरकिट कबीले के चंगुल से छुड़ाने में सफल रहा। प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज वर्नडस्की के अनुसार, “मेरकिटों के विरुद्ध अभियान के दौरान तेमुजिन ने बहुत बहादुरी दिखायी तथा उसने अनेक नए मित्र बनाए। वास्तव में यह उसके जीवन में एक नया मोड़ प्रमाणित हुई।”

4. तेमुजिन का चंगेज खाँ बनना (Temujin became Genghis Khan):
अपनी आरंभिक सफलताओं न का साहस बढ़ गया था। इसी समय जमूका, तेमुजिन एवं तुगरिल खाँ के मध्य बढ़ते हुए मैत्रीपूर्ण संबंधों के कारण ईर्ष्या करने लगा। उसने तेमुजिन के सभी विरोधी कबीलों के साथ गठजोड़ आरंभ कर दिया था। तेमुजिन इसे सहन करने को तैयार नहीं था। अतः उसने तुगरिल खाँ के सहयोग से जमूका को कड़ी पराजय दी।

निस्संदेह यह तेमुजिन की एक महान् सफलता थी। इसके पश्चात् तेमुजिन ने शक्तिशाली तातार, नेमन एवं कैराईट कबीलों को पराजित किया। स्वयं तुगरिल खाँ जो बाद में तेमुजिन का शत्रु बन गया था उससे पराजित हुआ।

इस कारण तेमुजिन स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। तेमुजिन की इन महान् उपलब्धियों को देखते हुए कुरिलताई (quriltai) जो कि मंगोल सरदारों की एक सभा थी, ने 1206 ई० में उसे चंगेज़ खाँ (सार्वभौम शासक) की उपाधि से सम्मानित किया।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 3.
चंगेज खाँ की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी सफलता के क्या कारण थे?
उत्तर:
1206 ई० में चंगेज़ खाँ मंगोलों का नया शासक बना। उसने सर्वप्रथम अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने की ओर ध्यान दिया। इस उद्देश्य से चंगेज़ खाँ ने अपनी एक विधि संहिता यास (Yasa) को लागू किया। इसके पश्चात् उसने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया। इस सेना के सहयोग से चंगेज खाँ ने महान् सफलताएँ प्राप्त की। इन सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. उत्तरी चीन की विजय (Conquest of Northern China):
चंगेज़ खाँ ने सर्वप्रथम अपना ध्यान चीन की ओर दिया। उस समय चीन तीन राज्यों में विभाजित था। प्रथम राज्य उत्तर-पश्चिमी प्रांत था। यहाँ तिब्बती मूल के सी सिआ (Hsi Hsia) लोगों का शासन था। दूसरे राज्य में चीन का उत्तरी क्षेत्र आता था। यहाँ चिन राजवंश का शासन था। तीसरे राज्य में चीन का दक्षिणी क्षेत्र सम्मिलित था। यहाँ शंग राजवंश का शासन था।

चीन पर आक्रमण करने से पूर्व चंगेज़ खाँ ने अपनी सेना को संबोधित करते हुए कहा, “चीन के शासकों ने हमारे पूर्वजों एवं मेरे संबंधियों का बहुत अपमान किया है। अब वह महान् परमात्मा मुझे यह भरोसा दिलाता है कि विजय हमारी होगी। चीन के इस राज्य में उसने मुझे अवसर एवं शक्ति दी है ताकि मैं अपने पूर्वजों के अपमान का बदला ले सकूँ।

चीन के विरुद्ध चंगेज़ खाँ का अभियान एक लंबे समय तक चला। 1209 ई० में चंगेज़ खाँ ने सर्वप्रथम सी सिआ लोगों को सुगमता से पराजित कर दिया। 1215 ई० में चंगेज़ खाँ ने पीकिंग (Peking) पर कब्जा करने में सफलता प्राप्त की। इसके पश्चात् चंगेज़ खाँ ने पीकिंग में भयंकर लूटमार मचाई। चिन शासक को भी बाध्य होकर अपनी एक पुत्री का विवाह चंगेज़ खाँ से करना पड़ा। चंगेज़ खाँ की यह विजय उसके लिए बहुत निर्णायक सिद्ध हुई।

2. करा खिता की विजय (Conquest of Qara Khita):
चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन की विजय के पश्चात् अपना ध्यान करा खिता की विजय की ओर किया। इस उद्देश्य से उसने 1218 ई० में 20,000 सैनिकों को मंगोल सेनापति जेब (Jeb) की अधीनता में करा खिता भेजा। उस समय करा खिता में कुचलुग (Kuchlug) का शासन था।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 iMG 1

जेब ने सुगमता से कुचलुग को पराजित कर करा खिता पर अधिकार कर लिया। इस विजय के कारण मंगोल साम्राज्य की सीमाएँ अमू दरिया (Amu Darya), तूरान (Turan) एवं ख्वारज़म (Khwarazm) राज्य तक फैल गईं।

3. ख्वारज़म शाह के विरुद्ध अभियान (The Campaign against the Khwarazm Shah):
1200 ई० में मुहम्मद (Muhammad) ख्वारज़म का नया शाह बना था। उसने अपने शासनकाल में अनेक क्षेत्रों पर अधिकार कर अपने साम्राज्य का काफी विस्तार कर लिया था। ऐसे शक्तिशाली साम्राज्य से टक्कर लेना चंगेज़ खाँ के लिए कोई सहज कार्य न था। 1218 ई० में चंगेज़ खाँ ने चार सदस्यों का एक व्यापारिक मंडल मुहम्मद के पास भेजा।

जब यह मंडल ख्वारजम साम्राज्य के ओट्रार (Otrar) नामक स्थान पर ठहरा तो वहाँ के गवर्नर इनाल खाँ (Inal Khan) ने मुहम्मद के इशारे पर इन सदस्यों का वध कर दिया तथा उनका सामान लूट लिया। जब यह समाचार चंगेज़ खाँ को मिला तो उसने मुहम्मद को संदेश भेजा कि वह इनाल खाँ के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करे तथा उसे बंदी बनाकर उसके दरबार में भेजे। मुहम्मद ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप चंगेज़ खाँ आग बबूला हो गया। उसने मुहम्मद को एक अच्छा सबक सिखाने का निर्णय किया।

उसने लगभग एक लाख सैनिकों की विशाल सेना के साथ ख्वारज़म साम्राज्य पर 1219 ई० में आक्रमण कर दिया। मंगोल सेना ने जिस ओर रुख किया वही भयंकर तबाही मचा दी। लाखों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया एवं अनेक नगरों एवं गाँवों का ऐसा विनाश किया गया कि जिसे सुनकर रूह भी काँप उठे। 1219 ई० से 1222 ई० के दौरान मंगोल सेना ने ओट्रार (1219 ई०), बुखारा (1220 ई०), समरकंद (1220 ई०), बल्ख (1221 ई०), मर्व (1221 ई०), निशापुर (1221 ई०) एवं हेरात (1222 ई०) पर कब्जा कर लिया। मुहम्मद ने मंगोल सेना का सामना करने का साहस न किया।

वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर भागता रहा। उसका पीछा करते हुए मंगोल सेनाएँ अज़रबैजान (Azerbaizan) तक चली गईं। यहाँ मंगोल सेना ने क्रीमिया (Crimea) में रूसी सेना को कड़ी पराजय दी। मुहम्मद का पुत्र जलालुद्दीन भाग कर भारत आ गया। चंगेज़ खाँ उसका पीछा करता हुआ 1221 ई० में भारत आ पहुँचा। यहाँ की भयंकर गर्मी के कारण एवं चंगेज़ खाँ के ज्योतिषी द्वारा दिए गए अशुभ संकेतों के कारण चंगेज़ खाँ ने वापस मंगोलिया लौटने का निर्णय किया।

4. साम्राज्य का विस्तार (Extent of the Empire):
चंगेज़ खाँ की 1227 ई० में मृत्यु हो गई थी। अपनी मृत्यु से पूर्व उसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर ली थी। उसका साम्राज्य अब फ़ारस से लेकर पीकिंग तक तथा साईबेरिया से लेकर सिंध तक फैला था। यह साम्राज्य इतना विशाल था कि किसी भी यात्री को मंगोल साम्राज्य की यात्रा एक सिरे से दूसरे सिरे तक करने के लिए दो वर्ष का समय लग जाता था। चंगेज़ खाँ ने कराकोरम (Karakoram) को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया था।

चंगेज़ खाँ की गणना विश्व के महान् विजेताओं में की जाती है। उसने 20 वर्ष के अल्प काल में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर सबको स्तब्ध कर दिया था। उसकी सफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1) चंगेज़ खाँ स्वयं जन्मजात सेनापति था। वह जिस ओर रुख करता सफलता उसके कदम चूमती थी।

2) चंगेज़ खाँ ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया था। यह सेना बहुत अनुशासित थी। इस सेना का मुकाबला करना कोई सहज कार्य न था।

3) चंगेज़ खाँ का जासूसी विभाग अत्यंत कुशल था। उनके द्वारा दी गई जानकारी उसके लिए बहुत बहुमूल्य सिद्ध होती थी।

4) चंगेज़ खाँ मनोवैज्ञानिक युद्ध (psychological warfare) के महत्त्व को भली-भाँति जानता था। अत: जब भी किसी स्थान के लोग उसकी सेना का मुकाबला करने का साहस करते तो उसकी सेना वहाँ इतना विनाश करती जिसे सुनकर लोग थर-थर काँपने लगते थे। अतः लोग बिना लड़ाई किए ही उसके समक्ष आत्म-समर्पण कर देते थे।

5) मंगोल सैनिक घुडसवारी एवं तीरंदाजी में इतने कशल थे कि शत्र भौचक्के रह जाते थे।

6) चंगेज़ खाँ आमतौर पर शीत ऋतु में अपने अभियान आरंभ करता था। इस ऋतु में नदियाँ बर्फ के कारण जम जाती थीं। अत: इन नदियों को पार करना सुगम हो जाता था।

7) चंगेज़ खाँ ने शत्रु दुर्गों को नष्ट करने के लिए घेराबंदी यंत्र (siege engine) एवं नेफ़था (naphtha) बमबारी का व्यापक प्रयोग किया। इनके युद्ध में घातक प्रभाव होते थे। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार,

“यद्यपि चंगेज़ ख़ाँ अनपढ़ था किंतु वह साइरस, डेरियस तथा सिकंदर से महान् सेनापति था तथा उसके कारनामों ने नेपोलियन तथा हिटलर को भी मात कर दिया था।”

प्रश्न 4.
मंगोल प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
अथवा
मंगोल प्रशासन के सैनिक एवं नागरिक प्रशासन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ यद्यपि अपना संपूर्ण जीवन युद्धों में ही उलझा रहा इसके बावजूद वह एक कुशल प्रशासक भी प्रमाणित हुआ। उसने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसका प्रशासन इतना अच्छा था कि यह लगभग उसी रूप में उसके उत्तराधिकारियों के समय में भी जारी रहा।

I. सैनिक प्रशासन
चंगेज़ खाँ एक महान् योद्धा था। अत: उसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार एवं इसकी सुरक्षा के लिए सैनिक प्रशासन की ओर विशेष ध्यान दिया। मंगोलों के सैनिक प्रशासन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

1. भर्ती (Recruitment):
चंगेज़ खाँ के समय सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सेना में भर्ती होना अनिवार्य था। केवल पुरोहितों, डॉक्टरों एवं विद्वानों को इसमें छूट दी गई थी। अधिकारियों की भर्ती का कार्य केवल चंगेज़ खाँ के हाथों में था। प्रायः ऊँचे और बहुत ही विश्वसनीय अधिकारियों के पुत्रों को अफसर पद पर नियुक्त किया जाता था।

2. संगठन (Organization) :
चंगेज़ खाँ की सेना पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। यह 10, 100, 1000 एवं 10,000 सैनिकों की इकाइयों में विभाजित थी। 10 सैनिकों की इकाई को पलाटून, 100 सैनिकों की इकाई को कंपनी, 1000 सैनिकों की इकाई को ब्रिगेड तथा 10,000 सैनिकों की इकाई को तुमन कहा जाता था। चंगेज़ खाँ से पूर्व एक इकाई में एक ही कुल (clan) अथवा कबीले (tribe) के सैनिक होते थे। चंगेज़ खाँ ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसकी इकाइयों में विभिन्न कुलों एवं कबीलों के सैनिकों को सम्मिलित किया जाता था।

3. रचना (Composition):
चंगेज़ खाँ की सेना में विभिन्न मंगोल जनजातियों के लोग सम्मिलित थे। उसने विभिन्न देशों के लोगों को जिन्हें उसने अपने अधीन किया, को भी सेना में भर्ती किया। इसमें उसकी सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार करने वाले तुर्की मूल के उइगुर (Uighurs) लोग सम्मिलित थे। यहाँ तक कि चंगेज़ खाँ ने अपनी सेना में कैराईटों (Kereyits) को भी सम्मिलित किया। कैराईट चंगेज़ खाँ के कट्टर शत्र थे।

4. प्रशिक्षण (Training):
चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। उसने संपूर्ण सेना को अपने चार पुत्रों के अधीन किया। वे विशेष कप्तानों को नियुक्त करते थे जिन्हें नोयान (noyans) कहा जाता था। इनके अतिरिक्त सैनिकों को प्रशिक्षण देने में ऐसे व्यक्तियों ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिन्हें चंगेज़ खाँ अपना सगा भाई (आंडा) कहता था।

5. अनुशासन (Discipline):
चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से अनेक नियम बनाए थे। इनका उल्लंघन करने वाले सैनिकों को मृत्यु दंड दिया जाता था। ये नियम थे-

  • युद्ध के आरंभ होने पर छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
  • सभी सैनिकों के लिए आवश्यक था कि वे अपने अधिकारियों के आदेश का पालन करें।
  • कोई भी सैनिक अपनी इकाई को छोड़कर किसी दूसरी इकाई में नहीं जा सकता था।
  • युद्ध में जाने से पहले सभी सैनिकों को अपने हथियारों का निरीक्षण कर लेना चाहिए।
  • कोई भी सैनिक अपने अधिकारियों की अनुमति के बिना लूटपाट न करे।
  • अधिकारियों द्वारा अनुमति मिलने पर ही लूटपाट आरंभ की जाए। लूट के धन से अधिकारियों एवं खाँ का हिस्सा दिया जाना चाहिए।

6. सेना की कुल संख्या (Total Strength of the Army):
चंगेज़ खाँ की सेना की कुल संख्या के बारे में इतिहासकारों में मतभेद हैं। इसका कारण यह है कि आरंभ में उसकी सेना की संख्या कम थी। जैसे-जैसे उसके साम्राज्य का विस्तार होता गया वैसे-वैसे उसके सैनिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती चली गई। अनुमानतयः यह 1 लाख से 1.5 लाख के मध्य थी।।

7. हथियार एवं सामान (Arms and Equipments):
उस समय घुड़सवार सेना का युग था। अतः प्रत्येक सैनिक के पास एक से अधिक घोड़े होते थे। ये घोड़े बहुत फुर्तीले थे। प्रत्येक घोड़ा एक दिन में सहजता से 100 मील दौड़ सकता था। हल्के घुड़सवार (light cavalry) सैनिकों के पास दो धनुष (bows) एवं दो तरकस (quivers) होते थे जिनमें अनेक तीर रखे जाते थे। मंगोल सैनिक तीरअंदाज़ी में बहुत कुशल थे।

उनके द्वारा छोड़े गए तीर 200 से 300 गज की दूरी तक तबाही मचाने की समर्था रखते थे। उनके तीर इतने नुकीले होते थे कि वे लोहे में भी सुराख कर सकते थे। ये तीर शत्रु सेना में तहलका मचा देते थे। भारी घुड़सवार (heavy cavalry) सैनिक तलवारों एवं भालों से लैस होते थे। मंगोल सैनिक इन्हें चलाने में बहुत दक्ष थे। इनके अतिरिक्त मंगोल सैनिक शत्रु के दुर्गों का विनाश करने के लिए घेराबंदी यंत्र (siege engine) एवं नेफ़था बमबारी (naphtha bombardment) का प्रयोग करते थे।

प्रत्येक मंगोल सैनिक लोहे का टोप (helmet) छाती एवं भुजाओं पर लोहे के कवच (armour) डालते थे। वे चमड़े के भारी बूट डालते थे। वे सर्दियों में फर का कोट एवं फर का टोप पहनते थे। प्रत्येक सैनिक के पास एक चमड़े का बैग होता था। इसमें कुछ खाने-पीने का सामान, व रखे जाते थे। घोड़ों की सुरक्षा के लिए उन्हें चमड़े का कवच पहनाया जाता था।

8. लड़ाई का ढंग (Mode of warfare):
कोई भी अभियान आरंभ करने से पूर्व मंगोल खानों द्वारा कुरिलताई की सभा का आयोजन किया जाता था। इसमें युद्ध के उद्देश्यों एवं योजना के संबंध में विस्तृत चर्चा की जाती थी। इस सभा में सभी कप्तान सम्मिलित होते थे तथा वे खाँ से विशेष निर्देश प्राप्त करते थे। युद्ध आरंभ होने से पूर्व मंगोल जासूसों द्वारा शत्रु देश में झूठी अफ़वाहें फैलाई जाती थीं। इसका उद्देश्य शत्रु सैनिकों के मनोबल को नीचा करना था। शत्रु देश के सैनिकों को बिना लड़ाई के आत्म-समर्पण करने अथवा विनाश की चेतावनी दी जाती थी।

मंगोल सैनिक जिस प्रदेश पर आक्रमण करना होता था उसे चारों ओर से घेरा डाल लेते थे। यदि किसी स्थान पर शत्रु सेना का सामना करना पड़ता तो मंगोल सैनिक वहाँ से पीछे भागने का नाटक करते। शत्रु सेना उन्हें भगौड़ा समझ कर उनका पीछा करती। निश्चित स्थान पर पहुँचने पर मंगोल सैनिक शत्रु सेना पर टूट पड़ते एवं उन्हें कड़ी 167 पराजय देते। इसके पश्चात् मंगोल वहाँ इतनी भयंकर लूटमार करते कि उनका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते थे। इससे मंगोलों की विजय का काम सुगम हो जाता था। प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज वनडस्की के अनुसार,

“13वीं शताब्दी में मंगोल सेना युद्ध का एक शक्तिशाली यंत्र थी। निस्संदेह यह उस समय के विश्व में सर्वोत्तम थी।”

II. नागरिक प्रशासन

मंगोल यायावर समाज से संबंधित थे। इसलिए उनका नागरिक प्रशासन न तो अधिक उत्तम था एवं न ही अच्छी प्रकार संगठित । इसके बावजूद यह उस समय की परिस्थितियों के अनुकूल था। मंगोलों के नागरिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

1. खाँ की स्थिति (Position of Khan):
मंगोल साम्राज्य में खाँ (सम्राट) की स्थिति सर्वोच्च थी। उसे असीम शक्तियाँ प्राप्त थीं। उसके द्वारा राज्य की सभी आंतरिक एवं बाह्य नीतियाँ तैयार की जाती थीं। राज्य की समस्त सेना उसके अधीन होती थी तथा उसके निर्देश अनुसार कार्य करती थी। राज्य के सभी उच्च पदों की नियुक्ति चाहे वे सैनिक हों अथवा असैनिक उसके द्वारा की जाती थी।

उसे किसी देश के साथ युद्ध करने अथवा उससे संधि करने का अधिकार प्राप्त था। वह प्रजा पर कोई भी नया कर लगा सकता था अथवा पुराने करों को हटा सकता था अथवा उन्हें कम या अधिक कर सकता था। उसके मुख से निकला प्रत्येक शब्द प्रजा के लिए कानून होता था। कोई भी व्यक्ति इसका उल्लंघन नहीं कर सकता था। ऐसा करने पर उसे मृत्यु दंड दिया जाता था। यद्यपि खाँ की शक्ति किसी तानाशाह से कम नहीं थी किंतु उसकी शक्तियों पर कुरिलताई द्वारा कुछ अंकुश ज़रूर लगाया जाता था।

2. नागरिक प्रशासकों की भूमिका (Role of Civil Administrators):
चंगेज़ खाँ स्वयं अनपढ़ था तथा वह यायावर समाज से संबंधित था। उसने अपनी बहादुरी से एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर ली थी। इसमें विभिन्न जातियों एवं सभ्य समाजों से संबंधित लोग थे। ऐसे लोगों पर शासन करना कोई सुगम कार्य न था। इस कार्य में मंगोल उसकी सहायता करने में असमर्थ थे।

अतः चंगेज़ खाँ ने अपने अधीन किए गए सभ्य समाजों में से नागरिक प्रशासकों को भर्ती किया। चंगेज़ खाँ उनकी भर्ती के समय केवल उनकी योग्यता को प्रमुख रखता था। वह उनकी जाति अथवा धर्म को कोई महत्त्व नहीं देता था। इन नागरिक प्रशासकों ने मंगोल साम्राज्य की नींव को सुदृढ़ करने एवं उसे संगठित करने में प्रशंसनीय भूमिका निभाई।

यहाँ तक कि इन्होंने मंगोल शासकों को प्रशासन के प्रति अपनी नीतियाँ बदलने में काफी सीमा तक प्रभाव डाला। इनमें चीनी मंत्री ये-लू-चुत्साई (Yeh-lu-Chut sai) तथा इल-खानी शासक गज़न खाँ के वज़ीर रशीदुद्दीन (Rashiduddin) के नाम उल्लेखनीय हैं।

3. उलुस (Ulus):
मंगोल प्रशासन की एक उल्लेखनीय विशेषता चंगेज़ खाँ द्वारा उलुस का गठन करना था। इसके अनुसार चंगेज़ खाँ ने नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चारों पुत्रों को दे दिया। उलुस से भाव किसी निश्चित भू-भाग से नहीं था क्योंकि इनमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासक जैसी थी।

उनके अधीन अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा) थीं। वे अपने अधीन क्षेत्रों से लोगों को सेना में भर्ती कर सकते थे। उन्हें लोगों पर नए कर लगाने का अधिकार दिया गया था। इसके चलते बाद में जोची ने दक्षिणी रूस में गोल्डन होर्ड (Golden Horde) एवं तोलूई के वंशजों ने चीन में युआन वंश एवं ईरान में इल-खानी वंशों की स्थापना की।

4. याम (Yam) :
चंगेज़ खाँ की एक बहुमूल्य देन याम की स्थापना करना था। याम एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। मंगोल साम्राज्य में प्रत्येक 25 मील की दूरी पर ऐसी चौकियाँ स्थापित की गई थीं। इन चौकियों में घुड़सवार संदेशवाहक तथा फुर्तीले घोड़े सदैव तैनात रहते थे।

घुड़सवार संदेशवाहक सभी प्रकार के सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे। इन यामों में ठहरने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए उनके खाने पीने का पूरा इंतजाम किया जाता था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से एक प्रकार के पास जारी किए जाते थे।

इन पासों को फ़ारसी में पैज़ा (paiza) तथा मंगोल भाषा में जेरेज़ (gerege) कहते थे। प्रत्येक याम में यात्रियों को इन पासों के अनुसार सुविधाएँ दी जाती थीं। इन चौकियों के कारण सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया जाता था। इस सुविधा के लिए व्यापारी सरकार को बाज़ (baz) नामक कर देते थे। इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मंगोल सरकार को अपने पशुओं का दसवाँ हिस्सा देते थे। इसे कुबकुर (kubcur) कहा जाता था।

इस संस्था का उद्देश्य मंगोल साम्राज्य के दूरस्थ स्थानों पर नियंत्रण रखना एवं संपूर्ण साम्राज्य की महत्त्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना था। याम संस्था अपने उद्देश्य में काफी सीमा तक सफल रही। जॉर्ज वर्नडस्की के अनुसार,

“यह (याम) बहुत ही लाभकारी तथा भली-भाँति संचालित संस्था थी।”

5. यास (Yasa):
मंगोल प्रशासन चलाने में यास की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। यास वे विधि नियम थे जिन्हें चंगेज़ खाँ के शासनकाल में 1206 ई० में कुरिलताई द्वारा पारित किया गया था। इन नियमों को 1218 ई० में अंतिम रूप दिया गया था। ये नियम उसके उत्तराधिकारियों के समय में भी जारी रहे। ये नियम मंगोल सेना, शिकार, डाक प्रणाली, नैतिक एवं सामाजिक व्यवस्था से संबंधित थे।

इन नियमों को मंगोलों ने पराजित लोगों पर भी लागू किया। वास्तव में यास ने मंगोलों को एक सूत्र में पिरोने, उनकी अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने, जटिल शहरी समाजों पर शासन करने तथा एक विश्वव्यापी मंगोल साम्राज्य की स्थापना में प्रशंसनीय योगदान दिया।

6. प्रजा का सुख (Welfare of the Subjects) :
मंगोल प्रशासन की एक अन्य विशेषता यह थी कि मंगोल शासक अपनी प्रजा के सुख का सदैव ध्यान रखते थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि चंगेज़ खाँ एवं अन्य मंगोल शासकों ने अनेक प्रदेशों को विजित करने के उद्देश्य से वहाँ भयंकर विनाश किया।

किंतु इन प्रदेशों को अपने साम्राज्य में सम्मिलित करने के पश्चात् वहाँ नगरों का पुनः निर्माण किया तथा शांति व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से अनेक पग उठाए। मंगोल शासकों ने सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया। उन्होंने व्यापारियों को बहुत प्रोत्साहन दिया। लोगों पर बहुत कम कर लगाए गए थे।

7. धार्मिक नीति (Religious Policy):
मंगोल शासकों का धर्म में बहुत विश्वास था। वे मुख्य रूप से तेंगरी (Tengri) भाव सूर्य देवता की उपासना करते थे। वे इसे सर्वशक्तिमान् मानते थे। वे इसे प्रसन्न करने के लिए जानवरों एवं विशेषतः घोड़ों की बलियाँ देते थे। वे पवित्र धार्मिक लोगों जिन्हें शामन (shamans) कहा जाता था का विशेष सम्मान करते थे। मंगोल शासकों की विशेषता थी कि उन्होंने सभी धर्मों ईसाई, मुस्लिम, यहूदी, बौद्ध एवं ताओ आदि के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।

उन्होंने सब धर्मों के लोगों को अपने रीति-रिवाजों का पालन करने की पूर्ण छूट दी थी। उनके साम्राज्य में नौकरियाँ बिना किसी धार्मिक मतभेद के योग्यता के आधार पर दी जाती थीं। निस्संदेह यायावर समाज के शासकों द्वारा अपनाई गई धार्मिक सहनशीलता की नीति उस युग की एक महान् उपलब्धि थी। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर जे० जे० सांडर्स के अनुसार,

“एशिया के महाद्वीप में कभी भी इतनी धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी गई तथा विभिन्न मिशनरियों ने अपने धर्म का प्रचार करने का इतना प्रयास कभी नहीं किया।”
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 iMG 2

क्रम संख्यावर्षघटना
1.1162 ई०तेमुजिन का जन्म।
2.1206 ई。कुरिलताई द्वारा तेमुजिन को चंगेज़ खाँ घोषित करना। चंगेज़ खाँ द्वारा यास की घोषणा।
3.1209 ई०चीन के उत्तर-पश्चिमी प्राँत के सी-सिआ लोगों को पराजित करना।
4.1215 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा पीकिंग पर अधिकार करना।
5.1218 ई。चंगेज़ खाँ द्वारा करा रिता की विजय।
6.1219 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा ओट्रार पर अधिकार।
7.1220 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा बुखारा एवं समरकंद पर अधिकार।
8.1221 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा बल्ख, मर्व एवं निशापुर पर अधिकार।
9.1222 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा हेरात पर अधिकार।
10.1227 ई०चंगेज़ खाँ की मृत्यु।
11.1229-41 ई。ओगोदेई का शासनकाल।
12.1234 ई。ओगोदेई द्वारा चीन पर अधिकार।
13.1236-42 ई०चंगेज़ खाँ के पोते बाटू द्वारा रूस, हंगरी, पोलैंड एवं ऑस्ट्रिया पर अधिकार।
14.1246-48 ई०गुयूक का शासनकाल।
15.1251-59 ई०मोंके का शासनकाल।
16.1254 ई०फ्राँस के शासक लुई नौवें के राजदूत विलियम का मोंके के दरबार में पहुँचना।
17.1258 ई०मंगोलों का बगदाद पर अधिकार एवं अब्बासी वंश का अंत।
18.1260-94 ई०कुबलई खाँ का शासनकाल।
19.1260 ई०कुबलई खाँ द्वारा चीन में यूआन वंश की स्थापना।
20.1275-92 ई०वेनिस यात्री माक्को पोलो द्वारा चीन की यात्रा।
21.1295-1304 ई०गज़न खाँ का शासनकाल।

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ? उनके समाज की प्रमुख विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया में रहने वाला एक यायावर समूह था। ये लोग मूलतः घुमक्कड़ थे। वे पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे। उनका समाज विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इन कबीलों में आपसी लड़ाइयाँ चलती रहती थीं। लूटमार करना उनकी जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था। वे चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते रहते थे। वे तंबुओं में निवास करते थे। उनके परिवार पितृपक्षीय थे। अतः परिवार में पुत्र का होना आवश्यक समझा जाता था।

उस समय धनी परिवार बहुत विशाल होते थे। उस समय बहु-विवाह का प्रचलन था। उनका प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। वे सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। मंगोल अपने मृतकों का रात्रि के समय संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे तथा उनके साथ कुछ आवश्यक वस्तुएँ भी रखते थे। क्योंकि उस समय स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी इसलिए मंगोलों ने चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे।

प्रश्न 2.
मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे ? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देगें?
उत्तर:
मंगोल स्टेपी क्षेत्र के यायावर कबीले थे। यह क्षेत्र बहुत मनोरम एवं पहाड़ी था। दूसरी ओर बेदोइन अरब के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहते थे। वे अपने लिए भोजन एवं पशुओं के लिए चारे की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान आते-जाते रहते थे। उनका मुख्य भोजन खजूर एवं मुख्य पशु ऊँट था। इसके विपरीत मंगोल यायावरों के पास हरी-भरी विशाल चरागाहें थीं। उनके पास पानी की कोई कमी नहीं थी।

उनके प्रदेश में ओनोन तथा सेलेंगा जैसी नदियाँ तथा बर्फीली पहाड़ियों से निकलने वाले सैकड़ों झरने भी थे। उनके मुख्य पशु घोड़े एवं भेड़ें थीं। वे शिकारी संग्राहक थे। उनका मुख्य व्यवसाय व्यापार करना था। दूसरी ओर बेदोइन शिकारी संग्राहक नहीं थे। वे मुख्यतः पशुपालक थे। उनकी भिन्नता का मुख्य कारण उनके प्रदेश की भौगोलिक भिन्नताएँ थीं।

प्रश्न 3.
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र अथवा मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी। अतः यायावरी कबीले व्यापार के लिए अपने पड़ोसी देश चीन पर निर्भर करते थे। उनका व्यापार वस्तु-विनिमय पर आधारित था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले चीन से कृषि उत्पाद एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे। इनके बदले वे घोड़ों, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे। कभी-कभी दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने हेतु सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे एवं लूटपाट में भी सम्मिलित हो जाते थे। इस संघर्ष में यायावरों को कम हानि होती थी।

इसका कारण यह था कि वे लूटपाट कर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे। चीन को इन यायावरी आक्रमणों से बहुत क्षति पहुँचती थी। अत: चीनी शासकों ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए ‘चीन की महान् दीवार’ को अधिक मज़बूत किया।

प्रश्न 4.
चंगेज़ खाँ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चंगेज़ खाँ ने यायावर साम्राज्य की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उसका जन्म 1162 ई० में हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई था तथा वह कियात कबीले का मुखिया था। उसकी माता का नाम ओलुन-इके था। तेमुजिन का विवाह बोरटे के साथ हुआ था। उसके बचपन में ही उसके पिता की एक विरोधी कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसलिए उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

इसके बावजूद तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया। इस संकट के समय उसे बोघूरचू, जमूका तथा तुगरिल खाँ ने बहुमूल्य सहयोग दिया। तेमुजिन ने अनेक शक्तिशाली कबीलों को पराजित कर अपने नाम की धाक जमा दी। उसकी सफलताओं को देखते हुए कुरिलताई ने 1206 ई० में तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से सम्मानित किया।

चंगेज़ खाँ ने 1227 ई० तक शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन एवं करा खिता को विजित किया। उसने ख्वारज़म के शाह मुहम्मद को पराजित कर उसके अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। उसने कराकोरम को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया। चंगेज़ खाँ ने मंगोल साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार के उद्देश्य से अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया।

उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसकी महान् सफलताओं को देखते हुए उसे आज भी मंगोलिया के इतिहास में महान् राष्ट्र-नायक के रूप में स्मरण किया जाता है।

प्रश्न 5.
मंगोल कबीलों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) मंगोल कबीले नृजातीय और भाषायी संबंधी के कारण आपस में जुड़े हुए थे। परंतु उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के अभाव के कारण उनका समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था।

(2) धनी-परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चरण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में भी उनका अधिक दबदबा होता था। इसलिए उनके अनेक अनुयायी होते थे।

(3) समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि भीषण शीत-ऋतु के दौरान उनके द्वारा एकत्रित शिकार-सामग्रियाँ तथा अन्य खाद्य भंडार समाप्त हो जाते थे। वर्षा न होने पर घास के मैदान भी सूख जाते थे। इसलिए उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।

(4) मंगोल कबीलों में आपसी संघर्ष भी होता था। पशुधन प्राप्त करने के लिए वे लूटपाट भी करते थे।

(5) प्रायः परिवारों के समूह आक्रमण करने अथवा अपनी रक्षा करने के लिए शक्तिशाली कुलों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ बना लेते थे।

प्रश्न 6.
चंगेज़ खाँ की सफलता के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की सफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1) चंगेज़ खाँ स्वयं जन्मजात सेनापति था। वह जिस ओर रुख करता सफलता उसके कदम चूमती थी। अतः उसका नाम सुनते ही शत्रु की रूह कॉप जाती थी।

2) चंगेज़ खा ने एक शक्तिशाली सेना का गठ यह सेना बहुत अनुशासित थी। इस सेना का मुकाबला करना कोई सहज कार्य न था।

3) चंगेज़ खाँ का जासूसी विभाग अत्यंत कशल था। उसके जासस कोई भी युद्ध आरंभ होने से पूर्व उसके शत्र के संबंध में प्रत्येक छोटी से-छोटी जानकारी उपलब्ध करवाते थे। यह जानकारी उसके लिए बहुत बहमुल्य सिद्ध होती थी।

4) चंगेज़ खाँ मनोवैज्ञानिक युद्ध के महत्त्व को भली-भाँति जानता था। अतः जब भी किसी स्थान के लोग उसकी सेना का मुकाबला करने का साहस करते तो उसकी सेना वहाँ इतना विनाश करती जिसे सुनकर लोग थर-थर काँपने लगते थे। अतः लोग बिना लड़ाई किए ही उसके समक्ष आत्म-समर्पण कर देते थे।

5) मंगोल सैनिक घुड़सवारी एवं तीरंदाज़ी में इतने कुशल थे कि शत्रु भौचक्के रह जाते थे।

6) चंगेज़ खाँ ने शत्रु दुर्गों को नष्ट करने के लिए घेराबंदी यंत्र एवं नेफ़था बमबारी का व्यापक प्रयोग किया। इनके युद्ध में घातक प्रभाव होते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 7.
यास से आपका क्या अभिप्राय है ? इसके प्रमुख नियम क्या हैं ?
उत्तर:
यास वे विधि नियम थे, जिन्हें चंगेज़ खाँ के शासनकाल में कुरिलताई द्वारा पारित किया गया था। इसके प्रमुख नियम निम्नलिखित थे

1) लोगों को एक परमात्मा में विश्वास रखना चाहिए जो कि स्वर्ग एवं पृथ्वी का स्वामी है। वह ही जीवन एवं मृत्यु, अमीरी तथा ग़रीबी देता है।

2) धार्मिक नेताओं, परामर्शदाताओं, पुरोहितों, मस्जिदों की देखभाल करने वालों, डॉक्टरों एवं शवों को स्नान कराने वालों को राज्य की तरफ से मुफ्त भोजन दिया जाना चाहिए।

3) जो भी व्यक्ति कुरिलताई से मान्यता प्राप्त किए बिना अपने आपको खाँ घोषित करता है उसे मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।

4) जिन कबीलों ने मंगोलों की अधीनता स्वीकार कर ली हो उनके मुखिया महत्त्वपूर्ण उपाधियाँ धारण नहीं कर सकते।

5) जो कोई शासक अथवा कबीला मंगोलों की अधीनता स्वीकार नहीं करता उसके साथ किसी प्रकार का कोई समझौता न किया जाए।

6) सभी धर्मों का सम्मान किया जाए। सभी धर्मों के पुरोहितों को सभी प्रकार के करों से मुक्त रखा जाए।

7) किसी चलते हुए दरिया में वस्त्र धोकर अथवा मलमूत्र द्वारा गंदा करने पर कड़ा प्रतिबंध था। ऐसा करने वालों को मृत्यु दंड दिया जाता था।

प्रश्न 8.
चंगेज़ खाँ ने सेना में अनुशासन बनाए रखने के लिए कौन-से नियम बनाए ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। वह अनुशासनहीन सेना को एक भीड़ मात्र समझता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से अनेक नियम बनाए थे। इनका उल्लंघन करने वाले सैनिकों को मृत्यु दंड दिया जाता था। ये नियम थे

  • युद्ध के आरंभ होने पर छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
  • सभी सैनिकों के लिए आवश्यक था कि वे अपने अधिकारियों के आदेश का पालन करें।
  • कोई भी सैनिक अपनी इकाई को छोड़कर किसी दूसरी इकाई में नहीं जा सकता था।
  • युद्ध में जाने से पहले सभी सैनिकों को अपने हथियारों का निरीक्षण कर लेना चाहिए।
  • कोई भी सैनिक अपने अधिकारियों की अनुमति के बिना लूटपाट न करे।
  • अधिकारियों द्वारा अनुमति मिलने पर ही लूटपाट आरंभ की जाए। लूट के धन से अधिकारियों एवं खाँ का हिस्सा दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 9.
चंगेज़ खाँ के सैनिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ के समय सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सेना में भर्ती होना अनिवार्य था। केवल पुरोहितों, डॉक्टरों एवं विद्वानों को इसमें छूट दी गई थी।
  • चंगेज़ खाँ की सेना पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। यह 10,100, 1000 एवं 10,000 सैनिकों की इकाइयों में विभाजित थी।
  • चंगेज़ खाँ की सेना में विभिन्न मंगोल जनजातियों के लोग सम्मिलित थे।
  • चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। उसने विशेष कप्तानों को नियुक्त किया था, जिन्हें नोयान कहा जाता था।
  • चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। वह अनुशासनहीन सेना को एक भीड़ मात्र समझता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य में अनेक नियम बनाए थे।

प्रश्न 10.
चंगेज़ खाँ को मंगोलों का सबसे महान् शासक क्यों माना जाता था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ को निम्नलिखित कारणों से मंगोलों का सबसे महान शासक माना जाता था

  • उसने मंगोलों को एक झंडे के अधीन एकत्रित किया।
  • उसने लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों का अंत किया।
  • उसने मंगोलों को चीनियों द्वारा किए जा रहे शोषण से मुक्ति दिलवाई।
  • उसने एक महान् साम्राज्य की स्थापना की।
  • उसके व्यापार द्वारा मंगोलों को समृद्ध बनाया।
  • उसने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया।

प्रश्न 11.
याम से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की एक बहुमूल्य देन याम की स्थापना करना था। याम एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। मंगोल साम्राज्य में प्रत्येक 25 मील की दूरी पर ऐसी चौकियाँ स्थापित की गई थीं। इन चौकियों में घुड़सवार संदेशवाहक तथा फुर्तीले घोड़े सदैव तैनात रहते थे। घुड़सवार संदेशवाहक सभी प्रकार के सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे।

प्रत्येक घुड़सवार अपने घोड़े के गले में एक घंटी बाँध कर रखता था। जब वह किसी याम के निकट पहुँचता तो इस घंटी की आवाज़ सुन कर संदेशवाहक अपने घोड़े के साथ आगे गंतव्य तक बढ़ने के लिए तैयार हो जाता।

इन यामों में ठहरने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए उनके खाने-पीने का पूरा इंतजाम किया जाता था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से एक प्रकार के पास जारी किए जाते थे। इन पासों को फ़ारसी में पैजा तथा मंगोल भाषा में जेरेज़ कहते थे। ये पास तीन प्रकार-सोने, चाँदी एवं लोहे के होते थे। प्रत्येक याम में यात्रियों को इन पासों के अनुसार सुविधाएँ दी जाती थीं। इन चौकियों के कारण सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया जाता था।

प्रश्न 12.
उलुस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मंगोल प्रशासन की एक उल्लेखनीय विशेषता चंगेज़ खाँ द्वारा उलुस का गठन करना था। इसके अनुसार चंगेज़ खाँ ने नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चारों पुत्रों को दे दिया। उसके सबसे ज्येष्ठ पुत्र जोची को रूसी स्टेपी का प्रदेश दिया गया। उसके दूसरे पुत्र चघताई को तूरान का स्टेपी क्षेत्र तथा पामीर पर्वत का उत्तरी क्षेत्र दिया गया। चंगेज़ खाँ ने संकेत दिया कि उसका तीसरा पुत्र ओगोदेई उसका उत्तराधिकारी होगा।

उसके सबसे छोटे पुत्र तोलुई को मंगोलिया का क्षेत्र दिया गया। उलुस से भाव किसी निश्चित भू-भाग से नहीं था क्योंकि इनमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासक जैसी थी। उनके अधीन अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा) थीं। वे अपने अधीन क्षेत्रों से लोगों को सेना में भर्ती कर सकते थे। उन्हें लोगों पर नए कर लगाने का अधिकार दिया गया था।

प्रश्न 13.
मंगोलों की हरकारा पद्धति क्या थी?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ द्वारा स्थापित एक फुर्तीली संचार व्यवस्था को हरकारा पद्धति कहा जाता था। इस कारण राज्य के दूर स्थित स्थानों में आपसी संपर्क बना रहता था। निश्चित की गई दूरी पर निर्मित सैनिक, चौकियों में स्वस्थ एवं बलवान घोड़े एवं घुड़सवार तैनात रहते थे। इस संचार पद्धति के संचालन के लिए मंगोल यायावर अपने घोड़ों अथवा अन्य पशुओं का दसवां भाग प्रदान करते थे। इसे कुबकुर कर कहते थे। यायावर लोग यह कर अपनी इच्छा से प्रदान करते थे। इससे उन्हें अनेक लाभ प्राप्त होते थे। चंगेज़ खाँ की मृत्यु के पश्चात् मंगोलों ने इस पद्धति में और भी सुधार किए। इस कारण महान् खाँनों को अपने विस्तृत साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं पर निगरानी रखने में सहायता मिलती थी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 14.
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को पसंद नहीं करते थे । क्यों?
उत्तर:
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को निम्नलिखित कारणों से पसंद नहीं करते थे

  • मंगोलों ने अपने युद्धों के दौरान अनेक भव्य नगरों को नष्ट कर दिया था।
  • मंगोलों ने कृषि भूमि को भारी हानि पहुँचाई थी।
  • उनके आक्रमणों के दौरान विजित क्षेत्रों के व्यापार को व्यापक पैमाने पर क्षति पहुंची थी।
  • इन युद्धों के कारण दस्तकारी वस्तुओं का उत्पादन लगभग ठप्प हो गया था।
  • इन युद्धों के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे तथा कइयों को दास बना लिया गया था।
  • इन युद्धों के दौरान समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा था।

प्रश्न 15.
कुबलई खाँ पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
कुबलई खाँ ने 1260 ई० में पीकिंग में यूआन वंश की स्थापना की घोषणा की। कुबलई खाँ ने 1294 ई० तक शासन किया। कुबलई खाँ एक योग्य एवं महान् शासक प्रमाणित हुआ। उसने सर्वप्रथम उत्तरी चीन में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया। उसने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसके पश्चात् उसने अरिक बुका को पराजित किया। 1280 ई० में कुबलई खाँ ने दक्षिण चीन के शुंग शासक को पराजित करने में सफलता प्राप्त की।

निस्संदेह यह कुबलई खाँ की एक महान् सफलता थी। इसके पश्चात् उसने बर्मा, चंपा एवं कंबोडिया के शासकों को पराजित किया। कुबलई खाँ ने न केवल अपने साम्राज्य का विस्तार ही किया अपितु इसे अच्छी प्रकार से संगठित भी किया। उसने चीन में प्रचलित परंपराओं को जारी रखा। उसने अनेक नई सड़कों का निर्माण किया एवं पुरानी की मुरम्मत करवाई। उसने सड़कों के किनारे छाया वाले वृक्ष लगवाए। उसने यात्रियों की सुविधा के लिए सराएँ बनवाईं।

उसने शिक्षा को प्रोत्साहित किया। उसने सिविल सर्विस में उल्लेखनीय सुधार किए। उसने राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से अनेक कदम उठाए। उसने 1282 ई० में कागज़ की मुद्रा का प्रचलन किया। उसने अकालों से निपटने के लिए भी अनेक प्रयास किए। यद्यपि कुबलई खाँ का झुकाव बौद्ध धर्म की ओर था किंतु उसने अन्य धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।

अति संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के आधुनिक मंगोलिया प्रदेश में रहने वाला एक यायावर समूह था। यह समूह विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इनमें प्रमुख थे मंगोल, तातार, नेमन एवं खितान । मंगोल पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे।

प्रश्न 2.
खानाबदोश या यायावर साम्राज्य से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
खानाबदोश या यायावर लोग मूलतः घुमक्कड़ होते हैं। ये सापेक्षिक तौर पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन एवं प्रारंभिक राजनैतिक संगठन के साथ परिवारों के समूह में संगठित होते हैं।

प्रश्न 3.
मंगोलों का सबसे बहुमूल्य स्रोत किसे माना जाता है ? इसका रचयिता कौन था ?
उत्तर:

  • मंगोलों का सबसे बहुमूल्य स्रोत ‘मंगोलों का गोपनीय इतिहास’ को माना जाता है।
  • इसका रचयिता ईगोर दे रखेविल्ट्स था।

प्रश्न 4.
मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
उत्तर:

  • मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया था।
  • मंगोलों की पशुपालक एवं शिकार संग्राहक अर्थव्यवस्थाएँ भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थीं।

प्रश्न 5.
मंगोलों के धनी परिवारों के अनेक अनुयायी क्यों होते थे ?
उत्तर:

  • उनके पास अधिक संख्या में पश एवं चारण भमि होती थी।
  • वे स्थानीय राजनीति में काफी प्रभावशाली होते थे।

प्रश्न 6.
मंगोल कबीलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पड़ता था ?
उत्तर:

  • शीत ऋतु में मंगोल कबीलों द्वारा एकत्रित की गई खाद्य सामग्री समाप्त हो जाती थी।
  • वर्षा न होने से घास मैदान सूख जाते थे।

प्रश्न 7.
मंगोलों के निवास स्थान को क्या कहा जाता था ? इसकी कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  • मंगोलों के निवास स्थान को जर (तंबू) कहा जाता था।
  • इसका प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर होता था ताकि उत्तर से आने वाली शीत हवाओं से बचा जा सके।
  • जर को दो भागों में बाँटा जाता था। एक भाग मेहमानों के लिए एवं दूसरा घर के सदस्यों के लिए होता था।

प्रश्न 8.
मंगोल कृषि कार्य क्यों नहीं करते थे ?
उत्तर:

  • उस समय स्टेपी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं।
  • वहाँ केवल सीमित काल में ही कृषि करना संभव था।

प्रश्न 9.
12वीं शताब्दी में मंगोल समाज की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • उस समय परिवार पितृपक्षीय होते थे।
  • उस समय समाज में बहु-विवाह प्रणाली प्रचलित थी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 10.
मंगोल अपने मृतकों का संस्कार कैसे करते थे ?
उत्तर:
मंगोल अपने मृतकों के शवों को जमीन में दफनाते थे। वे उनके साथ दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएँ एवं बर्तनों आदि को भी दफनाते थे। धनी लोगों के शवों के साथ अनेक बहुमूल्य वस्तुओं, घोड़ों, नौकरों एवं स्त्रियों आदि को भी दफ़न किया जाता था।

प्रश्न 11.
मंगोल कौन थे ? मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
अथवा
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
अथवा
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
मंगोल स्टेपी क्षेत्र में रहते थे। इस क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी। उनके लिए व्यापार जीविका का एकमात्र साधन था। अतः मंगोलों के लिए व्यापार बहुत महत्त्वपूर्ण था।

प्रश्न 12.
मंगोल चीन से किन वस्तुओं का आयात-निर्यात करते थे ?
अथवा
चीन से मंगोलों को कौन-सी वस्तुएँ निर्यात की जाती थीं?
उत्तर:

  • मंगोल चीन से कृषि उत्पादों एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे।
  • मंगोल चीन को घोड़े, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे।

प्रश्न 13.
वाणिज्यिक क्रियाकलापों में मंगोलों को कभी-कभी तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
कभी-कभी व्यापार करने वाले दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने की होड़ में सैनिक कार्यवाही कर देते थे एवं लूटपाट में सम्मिलित हो जाते थे। इस कारण उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता था।

प्रश्न 14.
चीन की महान् दीवार क्यों बनवाई गई थी ?
उत्तर:
चीन की महान् दीवार इसलिए बनवाई गई थी क्योंकि यायावर कबीले चीन पर बार-बार आक्रमण करते रहते थे। इन आक्रमणों से चीन की सुरक्षा के लिए यह दीवार बनवाई गई थी।

प्रश्न 15.
चंगेज़ खाँ कौन था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ मंगोलों का सबसे महान् नेता था।
  • उसने 1206 ई० से 1227 ई० तक शासन किया।

प्रश्न 16.
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ ? उसका प्रारंभिक नाम क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ का जन्म 1162 ई० में हुआ।
  • उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था।

प्रश्न 17.
चंगेज़ खाँ के पिता का नाम क्या था ? वह किस कबीले का मुखिया था ?
उत्तर:

  • चंगेज खाँ के पिता का नाम येसूजेई था।
  • वह कियात कबीले का मुखिया था।

प्रश्न 18.
चंगेज़ खाँ का नाम तेमुजिन क्यों रखा गया था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ का नाम तेमुजिन इसलिए रखा गया था क्योंकि उसके जन्म के समय उसके पिता येसूजेई ने तातार कबीले के मुखिया तेमुजिन को पराजित किया था। अतः मंगोलियाई परंपरा के अनुसार नव-जन्में बालक का नाम तेमुजिन रखा गया।

प्रश्न 19.
आंडा (anda) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
आंडा से अभिप्राय ऐसे व्यक्तियों से है जिन्हें मंगोल सौगंध के आधार पर अपना सगा भाई बना लेते थे।

प्रश्न 20.
तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से कब तथा किसने सम्मानित किया था ? इससे क्या भाव था ?
उत्तर:

  • तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से 1206 ई० में कुरिलताई ने सम्मानित किया था।
  • इससे भाव था सार्वभौम शासक।

प्रश्न 21.
खाँ की उपाधि से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
खाँ की उपाधि से अभिप्राय है सार्वभौम शासक। कुरिलताई ने तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से 1206 ई० में सम्मानित किया था।

प्रश्न 22.
कुरिलताई से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कुरिलताई प्रतिष्ठित मंगोल सरदारों के कबीले की एक सभा थी।

प्रश्न 23.
कुरिलताई के कोई दो प्रमुख कार्य बताएँ।
उत्तर:

  • उत्तराधिकार संबंधी निर्णय लेना।।
  • राज्य के भविष्य एवं अभियानों संबंधी निर्णय लेना।

प्रश्न 24.
चंगेज़ खाँ की कोई दो महत्त्वपूर्ण विजयें बताएँ।
उत्तर:

  • उत्तरी चीन की विजय।
  • ख्वारज़म की विजय।

प्रश्न 25.
चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया ? उस समय वहाँ किस राजवंश का शासन था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर 1215 ई० में अधिकार किया।
  • उस समय वहाँ चिन राजवंश का शासन था।

प्रश्न 26.
चंगेज खाँ ने खारजम पर आक्रमण कब किया ? इसका तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ ने ख्वारज़म पर 1219 ई० में आक्रमण किया था।
  • इसका तात्कालिक कारण यह था कि ओट्रार के गवर्नर ने वारज़म शाह के इशारे पर चंगेज़ खाँ के एक व्यापारिक मंडल के चार सदस्यों की हत्या कर दी थी।

प्रश्न 27.
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ?
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ। इसका कारण यह है कि यायावर नगरों में भयंकर लूटमार करते थे तथा उन्हें नष्ट कर देते थे।

प्रश्न 28.
क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ा कर संख्या क्यों बताई है ?
उत्तर:
फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की संख्या इतनी बढ़ा-चढ़ा कर इसलिए बताई है क्योंकि वे मंगोलों को क्रूर हत्यारा दर्शाना चाहते थे।

प्रश्न 29.
चंगेज़ खाँ की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की मृत्यु 1227 ई० में हुई।

प्रश्न 30.
चंगेज़ खाँ का साम्राज्य कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था ? उसकी राजधानी का नाम क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ का साम्राज्य फ़ारस से लेकर पीकिंग तक तथा साईबेरिया से लेकर सिंध तक फैला था।
  • उसकी राजधानी का नाम कराकोरम था।

प्रश्न 31.
चंगेज़ खाँ की सफलता के दो प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ स्वयं एक महान् सेनापति था।
  • चंगेज़ खाँ ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया था।

प्रश्न 32.
चंगेज़ खाँ की अलोकप्रियता के दो कारण लिखिए।
अथवा
चंगेज़ खाँ द्वारा विजित लोगों को अपने नवीन यायावर शासकों से कोई लगाव न था। इसके कोई दो कारण बताएँ।
अथवा
क्या कारण था कि 13वीं शताब्दी में चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी स्टेपी के गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे ?
उत्तर:

  • मंगोलों ने अपने युद्धों के दौरान अनेक नगरों का विनाश कर दिया था।
  • मंगोलों ने युद्धों के दौरान लाखों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

प्रश्न 33.
यास से क्या अभिप्राय है ? इसका प्रचलन कब और किसने किया ?
अथवा
यांस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:

  • यास से अभिप्राय है विधि संहिता।
  • इसका प्रचलन 1206 ई० में चंगेज़ खाँ ने किया।

प्रश्न 34.
यास क्या था? इसके दो सैनिक नियम क्या थे?
उत्तर:

  • यास चंगेज़ खाँ की विधि संहिता थी।
  • युद्ध आरंभ होने की स्थिति में छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
  • कोई भी सैनिक अपने कमांडर की अनुमति के बिना लूटमार नहीं कर सकता।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 35.
यास के कोई दो महत्त्वपूर्ण नियम बताएँ।
उत्तर:

  • जो भी व्यक्ति कुरिलताई से मान्यता प्राप्त किए बिना अपने आपको खाँ घोषित करता है उसे मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।
  • सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए तथा उनके पुरोहितों को सभी प्रकार के करों से मुक्त रखा जाना चाहिए।

प्रश्न 36.
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज़ खाँ की स्मृति के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंधों को उजागर करता है ?
उत्तर:
परवर्ती मंगोल यास को चंगेज़ खाँ की विधि संहिता कह कर पुकारते थे। वे स्वयं का यास लागू करना चाहते थे। इससे उनके तनावपूर्ण संबंध उजागर होते हैं।

प्रश्न 37.
चंगेज़ खाँ के सैनिक प्रशासन की कोई दो प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  • उसने अपनी सेना को दशमलव पद्धति के अनुसार गठित किया।
  • उसकी सेना में न केवल विभिन्न मंगोल जनजातियों अपितु विभिन्न देशों के लोग सम्मिलित थे।

प्रश्न 38.
मंगोलों के नागरिक प्रशासन की कोई दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  • मंगोल प्रशासन में खाँ की स्थिति सर्वोच्च थी।
  • मंगोलों ने अपने नागरिक प्रशासकों को योग्यता के आधार पर भर्ती किया था।

प्रश्न 39.
उलुस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उलुस का गठन चंगेज़ खाँ ने किया था। इसके अधीन चंगेज़ खाँ ने अपने पुत्रों को नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का अधिकार दिया था। उलुस से भाव किसी निश्चित क्षेत्र से नहीं था क्योंकि इसमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासकों जैसी थी।

प्रश्न 40.
ये-लू-चुत्साई कौन था ?
उत्तर:
ये-लू-चुत्साई एक चीनी मंत्री था। उसे मंगोलों ने 1215 ई० के आक्रमण के दौरान बँदी बना लिया था। उसने मंगोल प्रशासन को एक नया स्वरूप देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

प्रश्न 41.
याम (yam) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
याम की स्थापना चंगेज़ खाँ ने की थी। यह एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। यहाँ से घुड़सवार संदेशवाहक सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे। इन यामों में यात्रियों के ठहरने का पूरा प्रबंध था।

प्रश्न 42.
कुबकुर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कुबकुर एक प्रकार का कर था। इसके अधीन मंगोल यायावर अपने पशु समूहों से अपने घोड़े अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ हिस्सा सरकार को देते थे। मंगोल इन पशुओं का प्रयोग अपनी संचार व्यवस्था को बनाए रखने के लिए करते थे।

प्रश्न 43.
पैज़ा (paiza) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पैज़ा एक प्रकार के पास थे जिन्हें यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए मंगोल सरकार द्वारा जारी किया जाता था। ये पास तीन प्रकार सोने, चाँदी एवं लोहे के होते थे। इसे यात्री अपने माथे पर बाँधते थे। इन पासों के आधार पर ही इन यात्रियों एवं व्यापारियों को यामों में सुविधाएँ दी जाती थीं।

प्रश्न 44.
मंगोलों के धार्मिक जीवन की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • मंगोलों का प्रमुख देवता तेंगरी था। वे उसे सर्वशक्तिमान समझते थे।
  • मंगोल शासकों ने विभिन्न धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।

प्रश्न 45.
चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी कौन था ? उसका शासनकाल क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी ओगोदेई था।
  • उसने 1229 ई० से 1241 ई० तक शासन किया।

प्रश्न 46.
ओगोदेई की कोई दो प्रमुख सफलताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • उसने उत्तरी चीन में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया।
  • उसने ईरान के शासक जलालुद्दीन को कड़ी पराजय दी।

प्रश्न 47.
ओगोदेई के कोई दो प्रमुख प्रशासनिक सुधार बताएँ।
उत्तर:

  • उसने मंगोल साम्राज्य में अनेक न्यायालयों की स्थापना की।
  • उसने करों को नियमित कर मंगोल अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया।

प्रश्न 48.
बाटू कौन था ?
उत्तर:
बाटू चंगेज़ खाँ का पोता था। उसने 1236 ई० से 1242 ई० तक अपने अभियानों के दौरान रूस, हंगरी, पोलैंड एवं ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर मंगोल साम्राज्य के विस्तार में प्रशंसनीय योगदान दिया। उसने दक्षिण रूस में सुनहरा गिरोह की स्थापना की।

प्रश्न 49.
मोंके कौन था ?
उत्तर:
मोंके चंगेज़ खाँ का पोता एवं तोलूई का पुत्र था। वह 1251 ई० से 1259 ई० तक मंगोलों का महान् खाँ रहा। वह चंगेज़ खाँ के उत्तराधिकारियों में सबसे योग्य प्रमाणित हुआ।

प्रश्न 50.
कुबलई खाँ कौन था ?
उत्तर:
कुबलई खाँ चीन में मंगोलों का एक प्रसिद्ध शासक था। उसने 1260 ई० से 1294 ई० तक शासन किया। उसने दक्षिण चीन को अपने अधीन किया। उसने शिक्षा को प्रोत्साहित किया एवं अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया। उसकी राजधानी का नाम पीकिंग था।

प्रश्न 51.
प्रसिद्ध वेनिस यात्री मार्को पोलो ने चीन की यात्रा कब की तथा वह किसके दरबार में रहा ?
अथवा
मार्को पोलो कौन था ?
उत्तर:

  • प्रसिद्ध वेनिस यात्री मार्को पोलो ने चीन की यात्रा 1275 ई० से 1292 ई० तक की।
  • वह कुबलई खाँ के दरबार में रहा।
  • उसने कुबलई खाँ के शासनकाल के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला है।

प्रश्न 52.
हुलेगु ने बग़दाद पर कब अधिकार किया ? उसने किस खलीफ़ा का वध किया ? वह किस वंश से संबंधित था ?
उत्तर:

  • हुलेगु ने बग़दाद पर 1258 ई० में अधिकार किया।
  • उसने खलीफ़ा अल-मुस्तासिम का वध किया।
  • वह अब्बासी वंश से संबंधित था।

प्रश्न 53.
फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार जुवाइनी किस शासक का दरबारी इतिहासकार था ? उसकी रचना का नाम क्या था ?
उत्तर:

  • फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार जुवाइनी हुलेगु का दरबारी इतिहासकार था।
  • उसकी रचना का नाम हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मध्य एशिया का एक यायावर समूह।

प्रश्न 2.
बर्बर शब्द यूनानी भाषा के किस शब्द से उत्पन्न हुआ है ?
उत्तर:
बारबोस।

प्रश्न 3.
मंगोल कहाँ का रहने वाला एक यायावर समूह था ?
उत्तर:
मध्य एशिया का।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 4.
मंगोलों का गोपनीय इतिहास का लेखक कौन था ?
उत्तर:
ईगोर दे रखेविल्ट्स।।

प्रश्न 5.
मंगोल जिन तंबुओं में रहते थे उन्हें क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
जर।

प्रश्न 6.
मंगोलों का सर्वाधिक प्रसिद्ध नेता कौन था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ।

प्रश्न 7.
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
1162 ई० में।

प्रश्न 8.
चंगेज़ खाँ किस कुल से संबंधित था ?
उत्तर:
बोरजिगिद।

प्रश्न 9.
चंगेज खाँ के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर:
तेमुजिन।

प्रश्न 10.
मंगोलों के किस शासक को समुद्री खाँ की उपाधि दी गई थी ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ।

प्रश्न 11.
मंगोलों द्वारा बुखारा पर आधिपत्य कब स्थापित किया गया ?
उत्तर:
1221 ई०।

प्रश्न 12.
मंगोलों ने हिरात पर अपना अधिकार कब स्थापित किया ?
उत्तर:
1222 ई०।

प्रश्न 13.
चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया था ?
उत्तर:
1215 ई० में।

प्रश्न 14.
चंगेज़ खाँ ने यास का प्रचलन कब किया था ?
उत्तर:
1206 ई० में।

प्रश्न 15.
चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए किन्हें नियुक्त किया था ?
उत्तर:
नोयान को।

प्रश्न 16.
ये-लू-चुत्साई कौन था ?
उत्तर:
एक चीनी मंत्री।

प्रश्न 17.
मंगोल साम्राज्य में व्यापारी अपनी सुरक्षा के लिए कौन-सा कर देते थे ?
उत्तर:
बाज़।

प्रश्न 18.
चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी कौन था ?
उत्तर:
ओगोदेई।

प्रश्न 19.
मंगोलों ने बग़दाद पर कब अधिकार कर लिया था ?
उत्तर:
1258 ई० में।

प्रश्न 20.
पीकिंग में यूआन वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर:
कुबलई खाँ ने।

प्रश्न 21.
इल-खानी वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर:
हुलेगु।

प्रश्न 22.
हिस्ट्री-ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड का लेखक कौन था ?
उत्तर:
जुवाइनी।

प्रश्न 23.
मंगोलों ने अब्बासी वंश का अंत कब किया ?
उत्तर:
1258 ई०।

प्रश्न 24.
चीन में यूआन राजवंश का अंत कब हुआ ?
उत्तर:
1368 ई०।

प्रश्न 25.
गजन खाँ किस वंश का शासक था ?
उत्तर:
इल-खानी।

प्रश्न 26.
मंगोलों ने गोल्डन होर्ड की स्थापना कहाँ की थी ?
उत्तर:
दक्षिण रूस में।

रिक्त स्थान भरिए

1. चंगेज़ खाँ का जन्म .. ……………. ई० में हुआ।
उत्तर:
1162

2. चंगेज़ खाँ का प्रारंभिक नाम …………….. था।
उत्तर:
तेमुजिन

3. मंगोलों द्वारा चंगेज़ खाँ को …………….. तथा …………….. उपाधि से नवाजा गया।
उत्तर:
समुद्री खाँ, सार्वभौम शासक

4. मंगोलों का महानायक …………….. को घोषित किया गया।
उत्तर:
चंगेज़ खाँ

5. मंगोलों द्वारा निशापुर पर आधिपत्य …………….. ई० में किया गया।
उत्तर:
122

6. मंगोलों ने बग़दाद पर अधिकार व अब्बासी खिलाफ़त का अंत …………….. ई० में किया।
उत्तर:
1258

7. चीन में 1368 ई० में …………….. राजवंश का अंत हो गया।
उत्तर:
यूआन

8. मंगोलों द्वारा पीकिंग को ……………. ई० में लूटा गया।
उत्तर:
1215

9. ईरान में 1295-1304 ई० तक ……………. का शासन काल रहा।
उत्तर:
गज़न खाँ

10. गज़न खाँ सिंहासन पर …………….. ई० में बैठा।
उत्तर:
1295 ई०

11. जोची की मृत्यु …………….. ई० में हुई थी।
उत्तर:
1227

12. चंगेज़ खाँ के बड़े पुत्र जोची के पुत्र का नाम …………….. था।
उत्तर:
बाटू

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. 13वीं-14वीं शताब्दी में स्थापित विश्व का सबसे महत्त्वपूर्ण खानाबदोश साम्राज्य था
(क) मंगोल
(ख) हूण
(ग) हुआंग डी
(घ) गोवांग।
उत्तर:
(क) मंगोल

2. मंगोल कहाँ के निवासी थे ?
(क) मध्य एशिया के
(ख) भूमध्यसागर के
(ग) टुंड्रा के
(घ) चीन के।
उत्तर:
(क) मध्य एशिया के

3. यायावर से आपका क्या अभिप्राय है ?
(क) लुटेरे
(ख) कबीला
(ग) घुमक्कड़
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) घुमक्कड़

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

4. मंगोलों का प्रमुख व्यवसाय क्या था ?
(क) कृषि
(ख) पशुपालन
(ग) व्यापार
(घ) शिकार।
उत्तर:
(ख) पशुपालन

5. मंगोल निम्नलिखित में से किस जानवर को सबसे अधिक महत्त्व देते थे ?
(क) ऊँट
(ख) भेड़
(ग) घोड़ा
(घ) गाय।
उत्तर:
(ग) घोड़ा

6. मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
(क) मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया था
(ख) मंगोलों की अर्थव्यवस्था घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थी
(ग) मंगोलों का निवास स्थाई नहीं था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

7. मंगोलों ने कृषि कार्य को क्यों नहीं अपनाया ?
(क) क्योंकि वे कृषि को पसंद नहीं करते थे
(ख) क्योंकि वे अपनी सभी खाद्य वस्तुएँ चीन से मंगवाते थे
(ग) क्योंकि मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ग) क्योंकि मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं

8. 12वीं शताब्दी में यायावरी समाज में धनी परिवार विशाल क्यों होते थे ?
(क) उनके पास बड़ी संख्या में पशु एवं चारण भूमि होती थी
(ख) उनके बड़ी संख्या में अनुयायी होते थे
(ग) उनका स्थानीय राजनीति में बहुत दबदबा होता था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

9. मंगोलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पडता था ?
(क) क्योंकि मंगोलिया में चरागाहों की बहत कमी थी
(ख) वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे
(ग) क्योंकि मंगोल बड़ी संख्या में पशुपालन का कार्य करते थे
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे

10. मंगोलों के लिए व्यापार क्यों महत्त्वपूर्ण था ?
(क) क्योंकि इनसे राज्य को काफी धन प्राप्त होता था
(ख) क्योंकि इससे व्यापारी बहुत प्रसन्न थे।
(ग) क्योंकि मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) क्योंकि मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी

11. मंगोल साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
(क) रोमानोव
(ख) माँचू
(ग) तैमूर लंग
(घ) चंगेज़ खाँ।
उत्तर:
(घ) चंगेज़ खाँ।

12. चंगेज खाँ कौन था ?
(क) चीनियों का प्रसिद्ध नेता
(ख) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता
(ग) ईरानियों का प्रसिद्ध नेता
(घ) जापानियों का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(ख) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता

13. चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ ?
(क) 1160 ई० में
(ख) 1162 ई० में
(ग) 1165 ई० में
(घ) 1167 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1162 ई० में

14. चंगेज़ खाँ का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) तेमुजिन
(ख) माँचू
(ग) तातार
(घ) कगान।
उत्तर:
(क) तेमुजिन

15. कुरिलताई से क्या भाव है ?
(क) मंगोल सरदारों की सभा
(ख) मंगोलिया का प्रसिद्ध पर्वत
(ग) मंगोलिया की प्रसिद्ध नदी
(घ) मंगोलिया का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(क) मंगोल सरदारों की सभा

16. चंगेज़ खाँ मंगोलों का शासक कब बना ?
(क) 1203 ई० में
(ख) 1205 ई० में
(ग) 1206 ई० में
(घ) 1209 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1206 ई० में

17. चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया था ?
(क) 1206 ई० में
(ख) 1209 ई० में
(ग) 1213 ई० में
(घ) 1215 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1215 ई० में।

18. चंगेज खाँ की राजधानी का नाम क्या था ?
(क) कराकोरम
(ख) बुखारा
(ग) पीकिंग
(घ) हेरात।
उत्तर:
(क) कराकोरम

19. यास से आपका क्या अभिप्राय है?
(क) विधि संहिता
(ख) मंगोल प्राँत
(ग) मंगोल सेनापति
(घ) मंगोल हरकारा पद्धति।
उत्तर:
(क) विधि संहिता

20. यास का प्रचलन किसने किया ?
(क) ओगोदेई ने
(ख) अल-मुस्तासिम ने
(ग) चंगेज़ खाँ ने
(घ) जुवाइनी ने।
उत्तर:
(ग) चंगेज़ खाँ ने

21. ये-लू-चुत्साई कौन था ?
(क) फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार
(ख) एक चीनी मंत्री
(ग) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता
(घ) तातारों का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(ख) एक चीनी मंत्री

22. पैजा अथवा जेरेज़ क्या था ?
(क) यात्रियों को दिया जाने वाला पास
(ख) सेना का एक महत्त्वपूर्ण पद
(ग) प्रांत का मुखिया
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) यात्रियों को दिया जाने वाला पास

23. चंगेज़ खाँ की मृत्यु कब हुई थी?
(क) 1206 ई० में
(ख) 1226 ई० में
(ग) 1227 ई० में
(घ) 1237 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1227 ई० में

24. चंगेज़ खाँ के बाद मंगोलिया का शासक कौन बना ?
(क) ओगोदेई
(ख) जोची
(ग) तोलुई
(घ) चघताई।
उत्तर:
(क) ओगोदेई

25. ओगोदेई ने चीन पर कब अधिकार कर लिया था ?
(क) 1231 ई० में
(ख) 1232 ई० में
(ग) 1234 ई० में
(घ) 1241 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1234 ई० में

26. बाटू कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
(ख) कुबलई खाँ का पोता
(ग) तैमूर का पुत्र
(घ) मोंके का पुत्र।
उत्तर:
(क) चंगेज़ खाँ का पोता

27. मोंके कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
(ख) ओगोदेई का पोता
(ग) जमूका का पुत्र
(घ) ओंग खाँ का पुत्र।
उत्तर:
(क) चंगेज़ खाँ का पोता

28. मंगोलों के किस नेता ने बग़दाद पर अधिकार कर लिया था ?
(क) चंगेज़ खाँ
(ख) ओगोदेई
(ग) जोची
(घ) हुलेगु।
उत्तर:
(घ) हुलेगु।

29. यूआन वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ
(ख) ओगोदेई
(ग) बाटू
(घ) कुबलई खाँ।
उत्तर:
(घ) कुबलई खाँ।

30. कुबलई खाँ की राजधानी का नाम क्या था ?
(क) कराकोरम
(ख) पीकिंग
(ग) शंघाई
(घ) बगदाद।
उत्तर:
(ख) पीकिंग

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

31. कुबलई खाँ के दरबार में कौन-सा महान् यात्री पहुंचा था ?
(क) मार्कोपोलो
(ख) कोलंबस
(ग) ह्यनसांग
(घ) वास्कोडिगामा।
उत्तर:
(क) मार्कोपोलो

32. इल-खानी वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) ओगोदेई
(ख) कुबलई खाँ
(ग) हुलेगु
(घ) जोची।
उत्तर:
(ग) हुलेगु

33. जुवाइनी की प्रसिद्ध रचना का नाम क्या था ?
(क) हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड
(ख) मंगोलों का गोपनीय इतिहास
(ग) हिस्ट्री ऑफ़ द मंगोलस
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड

34. गज़न खाँ किस वंश का प्रसिद्ध शासक था ?
(क) सी सिया
(ख) तातार
(ग) इल-खानी
(घ) यूआन।
उत्तर:
(ग) इल-खानी

35. गोल्डन होर्ड की स्थापना कहाँ की गई थी?
(क) रूसी स्टेपी क्षेत्र में
(ख) मंगोलिया में
(ग) ईरान में
(घ) जापान में।
उत्तर:
(क) रूसी स्टेपी क्षेत्र में

यायावर साम्राज्य HBSE 11th Class History Notes

→ मंगोल मध्य एशिया में रहने वाला एक यायावर समूह था। ये लोग मूलतः घुमक्कड़ थे। वे पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे। उनका समाज विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इन कबीलों में आपसी लड़ाइयाँ चलती रहती थीं। लूटमार करना उनकी जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था।

→ वे चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते रहते थे। वे तंबुओं में निवास करते थे। उनके परिवार पितृपक्षीय थे। अतः परिवार में पुत्र का होना आवश्यक समझा जाता था। उस समय धनी परिवार बहुत विशाल होते थे।

→ उस समय बहु-विवाह का प्रचलन था। उनका प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। वे सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। मंगोल अपने मृतकों का रात्रि के समय संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे तथा उनके साथ कुछ आवश्यक वस्तुएँ भी रखते थे।

→ क्योंकि उस समय स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी इसलिए मंगोलों ने चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे। मंगोलों एवं चीनियों द्वारा की जाने वाली लूटमार के कारण इनके संबंधों में आपसी दरार भी उत्पन्न हो जाती थी।

→ चंगेज़ खाँ ने यायावर साम्राज्य की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उसका जन्म 1162 ई० में हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई था तथा वह कियात कबीले का मुखिया था।

→ उसकी माता का नाम ओलुन-इके था। तेमुजिन का विवाह बोरटे के साथ हुआ था। उसके बचपन में ही उसके पिता की एक विरोधी कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसलिए उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया।

→ इस संकट के समय उसे बोघूरचू, जमुका तथा तुगरिल खाँ ने बहुमूल्य सहयोग दिया। तेमुजिन ने अनेक शक्तिशाली कबीलों को पराजित कर अपने नाम की धाक जमा दी। उसकी सफलताओं को देखते हुए कुरिलताई ने 1206 ई० में तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से सम्मानित किया।

→ चंगेज़ खाँ ने 1227 ई० तक शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन एवं करा खिता को विजित किया। उसने ख्वारज़म के शाह मुहम्मद को पराजित कर उसके अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।

→ उसने कराकोरम को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया। चंगेज़ खाँ ने मंगोल साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार के उद्देश्य से अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसकी महान् सफलताओं को देखते हुए उसे आज भी मंगोलिया के इतिहास में महान् राष्ट्र-नायक (national hero) के रूप में स्मरण किया जाता है।

→ चंगेज़ खाँ की मृत्यु के पश्चात् ओगोदेई (1229-41 ई०), गुयूक (1246-48 ई०) एवं मोंके (1251-59 ई०) ने शासन किया। उन्होंने मंगोल साम्राज्य के विस्तार एवं संगठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोंके की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य अनेक वंशों में विभाजित हो गया था।

→ इनमें चीन में कुबलई खाँ द्वारा स्थापित किया गया यूआन वंश, ईरान में हुलेगु द्वारा स्थापित किया गया इल-खानी वंश एवं दक्षिण रूस में बाटू द्वारा स्थापित किया गया गोल्डन होर्ड वंश उल्लेखनीय थे। स्टेपी निवासियों का अपना साहित्य लगभग न के बराबर था।

→ अतः यायावरी समाज के बारे हमारा ज्ञान मुख्य तौर पर इतिवृत्तों (chronicles), यात्रा वृत्तांतों (travelogues) तथा नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों (documents produced by city based literateurs) से प्राप्त होता है। इन लेखकों की यायावरों के जीवन संबंधी सूचनाएँ अज्ञात एवं पूर्वाग्रहों (biased) से ग्रस्त हैं।

→ इनमें यायावर समुदायों को आदिम बर्बर (primitive barbarians) एवं मंगोलों को स्टेपी लुटेरों के रूप में पेश किया गया। मंगोलों पर सबसे बहुमूल्य शोध कार्य 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में रूसी विद्वानों ने किया।

→ इनमें बोरिस याकोवालेविच ब्लाडिमीरस्टॉव (Boris Yakovlevich Vladimirtsov) एवं वैसिली ब्लैदिमिरोविच बारटोल्ड (Vasily Vladimirovich Bartold) के नाम उल्लेखनीय हैं। हमें पारमहाद्वीपीय (transcontinental) मंगोल साम्राज्य के विस्तार से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी चीनी, मंगोलियाई, फ़ारसी, अरबी, इतालवी, लातीनी, फ्रांसीसी एवं रूसी स्रोतों से मिलती है।

→ मंगोलों के इतिहास पर बहुमूल्य प्रकाश डालने वाले दो महत्त्वपूर्ण स्रोत ईगोर दे रखेविल्ट्स (Igor de Rachewiltz) की रचना मंगोलों का गोपनीय इतिहास (The Secret History of the Mongols) तथा मार्को पोलो (Marco Polo) का यात्रा वृत्तांत (travels) हैं।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

HBSE 11th Class Geography महासागरीय जल Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. उस तत्त्व की पहचान करें जो जलीय चक्र का भाग नहीं है।
(A) वाष्पीकरण
(B) वर्षण
(C) जलयोजन
(D) संघनन
उत्तर:
(C) जलयोजन

2. महाद्वीपीय ढाल की औसत गहराई निम्नलिखित के बीच होती है।
(A) 2-20 मी०
(B) 20-200 मी०
(C) 200-3,000 मी०
(D) 2,000-20,000 मी०
उत्तर:
(C) 200-3,000 मी०

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

3. निम्नलिखित में से कौन-सी लघु आकृति महासागरों में नहीं पाई जाती है?
(A) समुद्री टीला
(B) महासागरीय गंभीर
(C) प्रवाल द्वीप
(D) निमग्न द्वीप
उत्तर:
(B) महासागरीय गंभीर

4. लवणता को प्रति समुद्री मक (ग्राम) की मात्रा से व्यक्त किया जाता है-
(A) 10 ग्राम
(B) 100 ग्राम
(C) 1,000 ग्राम
(D) 10,000 ग्राम
उत्तर:
(C) 1,000 ग्राम

5. निम्न में से कौन-सा सबसे छोटा महासागर है?
(A) हिंद महासागर
(B) अटलांटिक महासागर
(C) आर्कटिक महासागर
(D) प्रशांत महासागर
उत्तर:
(C) आर्कटिक महासागर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
हम पृथ्वी को नीला ग्रह क्यों कहते हैं?
उत्तर:
जल पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्रकार के जीवों के लिए आवश्यक घटक है। पृथ्वी के जीव सौभाग्यशाली हैं कि यह एक जलीय ग्रह है। पृथ्वी ही सौरमण्डल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसकी सतह पर 71% जल पाया जाता है। जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी को नीला ग्रह या जलीय ग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 2.
महाद्वीपीय सीमांत क्या होता है?
उत्तर:
महाद्वीपीय सीमांत प्रत्येक महादेश का विस्तृत किनारा होता है जोकि अपेक्षाकृत छिछले समुद्रों तथा खाड़ियों से घिरा भाग होता है। यह महासागर का सबसे छिछला भाग होता है, जिसकी औसत प्रवणता 1 डिग्री या उससे भी कम होती है। इस सीमा का किनारा बहुत ही खड़े ढाल वाला होता है।

प्रश्न 3.
विभिन्न महासागरों के सबसे गहरे गर्तों की सूची बनाइये।
उत्तर:
वर्तमान समय में लगभग 57 गर्मों की खोज हो चुकी है जो निम्नलिखित अनुसार हैं-
32 प्रशांत महासागर
19 अटलांटिक महासागर
6 हिंद महासागर

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 4.
ताप-प्रवणता क्या है?
उत्तर:
यह सीमा समुद्री सतह से लगभग 100 से 400 मीटर नीचे प्रारंभ होती है, एवं कई सौ मीटर नीचे तक जाती है। वह सीमा क्षेत्र जहाँ तापमान में तीव्र गिरावट आती है, उसे ताप-प्रवणता (थर्मोक्लाइन) कहा जाता है।

प्रश्न 5.
समुद्र में नीचे जाने पर आप ताप की किन परतों का सामना करेंगे? गहराई के साथ तापमान में भिन्नता क्यों आती है?
उत्तर:
समुद्र में नीचे जाने पर हमें तीन परतों से गुजरना पड़ता है
1. पहली परत-

  • यह महासागरीय जल की सबसे उपरी परत होती है
  • यह परत 500 मीटर तक मोटी होती है
  • इसका तापमान 20° सेंटीग्रेड से -25° सेंटीग्रेड के बीच होता है।

2. दूसरी परत-

  • इसे तापप्रवणता परत कहा जाता है
  • यह पहली परत के नीचे स्थित होती है
  • ताप प्रवणता की मोटाई -500 से 1000 मीटर तक होती है।

3. तीसरी परत-

  • यह परत बहुत ठंडी होती है
  • यह परत गम्भीर महासागरीय तली तक विस्तृत होती है
  • आर्कटिक एवं अंटार्कटिक वृत्तों में सतही जल का तापमान 0° से० के निकट होता है और इसलिए गहराई के साथ तापमान में बहुत कम परिवर्तन आता है।

प्रश्न 6.
समुद्री जल की लवणता क्या है?
उत्तर:
सागरीय जल की मात्रा और उसमें घुले हुए लवणों की मात्रा के बीच पाए जाने वाले अनुपात को समुद्री जल की लवणता कहा जाता है। लवणता को प्रति हजार भागों में व्यक्त किया जाता है अर्थात् प्रति 1,000 ग्राम समुद्री जल में कितने ग्राम लवण की मात्रा है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जलीय चक्र के विभिन्न तत्व किस प्रकार अंतर-संबंधित हैं?
उत्तर:
जल एक चक्रीय संसाधन है जिसका प्रयोग एवं पुनः प्रयोग किया जा सकता है। जब समुद्री जल वाष्प बनकर बादल का रूप धारण करता है और वो ही बादल जब वायुमंडलीय अवरोधों से टकराता है तो वर्षा करता है वर्षा का जल प्रवाहित होकर नदी, नालों से होते हुए सागरों में मिल जाता है। फिर सूर्यताप से सागरों के जल वाष्प बन जाते है। इस प्रक्रिया को जल चक्र कहा जाता है। इसी प्रकार जलीय चक्र में एक तत्व दूसरे तत्व से अंतर-संबंधित है।

जलीय चक्र पृथ्वी के जलमंडल में विभिन्न रूपों जैसे-गैस, तरल व ठोस में जल का परिसंचलन है। इसका संबंध महासागरों, वायुमंडल, भूपृष्ठ, स्तल एवं जीवों के बीच सतत् आदान-प्रदान से भी है। पर्यावरण में जल तीनों मण्डलों में तीनों अवस्थाओं (ठोस, तरल तथा गैस) में पाया जाता है। वर्षा होने तथा हिम पिघलने से जल का अधिकतर भाग ढाल के अनुरूप बहकर नदियों के द्वारा समुद्र में चला जाता है। इस जल का कुछ भाग महासागरों, झीलों तथा नदियों से जलवाष्प (Water Vapour) बनकर वायुमण्डल में लौट जाता है व कुछ भाग वनस्पति द्वारा अवशोषित होकर वाष्पोत्सर्जन (Evapotranspiration) द्वारा वायुमण्डल में जा मिलता है।

वर्षा और हिम के पिघले जल का शेष भाग रिसकर या टपक-टपककर भूमिगत हो जाता है। वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प संघनित (Condense) होकर बादलों का रूप धारण करते हैं। बादलों से वर्षा होती है और वर्षा का जल नदियों के रास्ते फिर से पहुँच जाता है। झरनों के माध्यम से भूमिगत जल भी कहीं-न-कहीं धरातल पर निकलकर नदियों से होता हुआ समुद्रों में जा पहुँचता है। “अतः महासागरों, वायुमण्डल तथा स्थलमण्डल में परस्पर होने वाला जल का समस्त आदान-प्रदान जलीय-चक्र कहलाता है।” इस जलीय चक्र में जल कभी रुकता नहीं और अपनी अवस्था (State) तथा स्थान बदलता रहता है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

प्रश्न 2.
महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
महासागरों के तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
स्थलमण्डल और वायुमण्डल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारकों की अपेक्षा जलमण्डल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारक अधिक जटिल (Complex) होते हैं। महासागरों पर तापमान वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं

1. अक्षाश (Latitude)-भूमध्य रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत् और ध्रुवों की ओर तिरछी पड़ती हैं। फलस्वरूप भूमध्यरेखीय क्षेत्र में महासागरीय जल का औसत वार्षिक तापमान अधिक रहता है और ध्रुवों की ओर जाने पर समुद्री जल का तापमान घटता जाता है। उदाहरणतः भूमध्य रेखा पर महासागरीय जल का औसत वार्षिक तापमान 26°C, 20° अक्षांश पर 23°C, 40° अक्षांश पर -14°C तथा 60° अक्षांश पर 1°C रह जाता है। 0°C की समताप रेखा ध्रुवीय क्षेत्रों के चारों ओर टेढ़ा-मेढ़ा वृत्त बनाती है और सर्दियों के मौसम में थोड़ा-सा भूमध्य रेखा की ओर खिसक आती है।

2. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds)-स्थल से जल की ओर बहने वाली प्रचलित पवनें समुद्री जल को तट से परे बहा ले जाती हैं। हटे हुए गर्म जल का स्थान लेने के लिए नीचे से समुद्र का ठण्डा पानी ऊपर आता रहता है। परिणामस्वरूप वहाँ सागरीय का तापमान कम हो जाता है। उदाहरणतः उष्ण कटिबन्ध से पूर्व से आने वाली सन्मार्गी पवनों (Trade Winds) के प्रभाव से महासागरों के पूर्वी तटों पर समुद्री जल का तापमान कम और पश्चिमी तटों पर समुद्री जल का तापमान अपेक्षाकृत अधिक होता है। इसके विपरीत शीतोष्ण कटिबन्ध में पछुवा पवनों (Westerlies) के प्रभाव से महाद्वीपों के पश्चिमी तटों पर समुद्री जल का तापमान कम और पूर्वी तटों पर समुद्री जल का तापमान अपेक्षाकृत अधिक होता है।

3. महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents)-महासागरीय जल के तापमान को वहाँ चलने वाली गर्म अथवा ठण्डी जल धाराएँ भी प्रभावित करती हैं। उदाहरणतः मैक्सिको की खाड़ी से चलने वाली गल्फ स्ट्रीम (Gulf Stream) नामक गर्म जल धारा उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट के पास तथा उत्तरी-पश्चिमी यूरोप के पास समुद्री जल के तापमान को बढ़ा देती है। इसी कारण नार्वे के तट पर 60° उत्तरी अक्षांश पर भी समुद्री जल जम नहीं पाता। इसके विपरीत लैब्रेडोर की ठण्डी जलधारा के कारण शीत ऋतु में उत्तरी अमेरिका के उत्तरी-पूर्वी तट पर 50° उत्तर अक्षांश पर ही तापमान हिमांक तक पहुँच जाता है।

4. समीपवर्ती स्थलखण्डों का प्रभाव (Effect ofAdjacent Land Masses) खुले महासागरों के तापमान सारा साल लगभग एक-जैसे रहते हैं, परन्तु पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से स्थल खण्डों से घिरे हुए समुद्रों का तापमान ग्रीष्म ऋतु में अधिक व शीत ऋतु में कम हो जाता है। ऐसे समुद्रों पर निकटवर्ती स्थल खण्डों का प्रभाव पड़ता है जो जल की अपेक्षा शीघ्र गर्म और शीघ्र ठण्डे हो जाते हैं। उदाहरणतः भूमध्य रेखा पर ग्रीष्म ऋतु में खुले महासागरीय जल का तापमान 26°C होता है जबकि लाल सागर (Red Sea) का तापमान उन्हीं दिनों 30°C तक पहुँचा होता है।

5. लवणता (Salinity)-प्रायः अधिक लवणता वाला महासागरीय जल अधिक ऊष्मा ग्रहण कर लेता है जिससे उसका तापमान भी बढ़ जाता है। इसके विपरीत समुद्र का कम खारा जल कम ऊष्मा ग्रहण करने के कारण अपेक्षाकृत ठण्डा रहता है।

6. प्लावी हिमखण्ड तथा प्लावी हिमशैल (Ice floes and Icebergs)-ध्रुवीय क्षेत्रों से टूटकर आने वाले बहुत अधिक प्लावी हिमखण्ड (Ice floes) और प्लावी हिमशैल (Icebergs) जिन महासागरों में मिलते हैं, वहाँ के जल का तापमान अपेक्षाकृत कम हो जाता है। उत्तरी ध्रुव के पास ग्रीनलैंड से टूटकर आने वाले हिमखण्ड और हिमशैल पर्याप्त दूरी तक अन्धमहासागर के जल का तापमान नीचे कर देते हैं। इसी प्रकार दक्षिणी ध्रुव के पास अंटार्कटिका से टूटकर आने वाले हिमखण्ड व हिमशैल निकटवर्ती दक्षिणी महासागर (Southern Ocean) के जल का तापमान कम कर देते हैं।

7. वर्षा का प्रभाव (Effect of Rain)-जिन समुद्री भागों में वर्षा अधिक होती है, वहाँ सतह (सागर की सतह) का तापक्रम अपेक्षाकृत कम तथा नीचे के जल का तापमान अधिक होता है। भूमध्य रेखीय महासागरों में अधिक वर्षा के कारण ऊपरी सतह का तापक्रम कम तथा नीचे गहराई में तापक्रम अधिक होता है अर्थात् तापक्रम की विलोमता देखने को मिलती है।

महासागरीय जल HBSE 11th Class Geography Notes

→ महाद्वीपीय मग्नतट (Continental Shelf) महाद्वीपीय मग्नतट महासागर का एक ऐसा निमज्जित प्लेटफॉर्म होता है जिस पर महाद्वीपीय उच्चावच स्थित है।

→ जलमग्न केनियन (Submarine Canyons) महासागरीय नितल पर तीव्र ढालों वाली गहरी व संकरी ‘V’ आकार की घाटियों या गॉর্जो को जलमग्न केनियन कहते हैं। जलमग्न कटक (Submarine Ridges) महासागरों की तली पर स्थित सैंकड़ों कि०मी० चौड़ी तथा हज़ारों कि०मी० लम्बी पर्वत श्रेणियों को जलमग्न कटक कहते हैं।

→ गाईऑट (Guyot)-सपाट शीर्ष वाले समुद्री पर्वतों को गाईऑट कहा जाता है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 13 महासागरीय जल

→ महाद्वीपीय सीमान्त (Continental Margin) यह महाद्वीपों की पर्पटी की अंतः समुद्री सीमा है। इसमें महाद्वीपीय मग्नतट, ढाल और उत्थान शामिल हैं।

→ ग्रांड बैंक्स (Grand Banks)-कनाडा के न्यूफाउंडलैंड द्वीप के दक्षिण-पूर्व में विश्व के सर्वश्रेष्ठ मत्स्य-ग्रहण क्षेत्रों में से एक।

→ अयन वृत्त (Tropics)-कर्क रेखा (23.5° उ०) व मकर रेखा (23.5° द०) को अयन वृत्त कहा जाता है, क्योंकि यहाँ सूर्य का प्रखर प्रकाश पड़ता है।

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HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. ट्रिवार्था के वर्गीकरण में वर्षण पर आधारित जलवायु वर्ग का नाम लिखो-
(A) A वर्ग
(B) C वर्ग
(C) B वर्ग
(D) H वर्ग
उत्तर:
(C) B वर्ग

2. अमेजन बेसिन में कौन-सी जलवायु पाई जाती है?
(A) भूमध्यरेखीय
(B) सवाना
(C) ध्रुवीय
(D) मानसूनी
उत्तर:
(A) भूमध्यरेखीय

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

3. विश्व की जलवायु के वर्गीकरण को कितने प्रकारों में बाँटा जा सकता है?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(A) 2

4. वे काल्पनिक रेखाएँ जो समुद्रतल के अनुसार समानीत ताप वाले स्थानों को मिलाती हैं-
(A) समदाब रेखाएँ
(B) समताप रेखाएँ
(C) समान रेखाएँ
(D) सम समुद्रतल रेखाएँ
उत्तर:
(B) समताप रेखाएँ

5. वायुमंडल में उपस्थित ग्रीन हाऊस गैसों में सबसे अधिक सांद्रण किस गैस का है?
(A) CO2
(B) CFCs
(C) CHA
(D) NO
उत्तर:
(A) CO2

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

6. उपोष्ण मरुस्थलीय जलवायु दोनों गोलार्डों में कितने अक्षांशों के बीच पाई जाती है?
(A) 5°- 20°
(B) 15°- 30°
(C) 15°- 35°
(D) 30°- 40°
उत्तर:
(B) 15°- 30°

7. भारत में किस प्रकार की जलवायु पाई जाती है?
(A) उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु
(B) उष्ण कटिबन्धीय मानसून जलवायु
(C) उपोष्ण कटिबन्धीय स्टैपीज
(D) भूमध्य सागरीय जलवायु
उत्तर:
(B) उष्ण कटिबन्धीय मानसून जलवायु

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
ट्रिवार्था ने विश्व की जलवायु को कितने प्रकारों में विभाजित किया है?
उत्तर:
16 प्रकारों में।

प्रश्न 2.
ट्रिवार्था के जलवायु वर्गीकरण का क्या आधार था?
उत्तर:
तापमान तथा वर्षण।

प्रश्न 3.
ट्रिवार्था ने विश्व की जलवायु को कितने मुख्य भागों में बाँटा?
उत्तर:
छह।

प्रश्न 4.
ट्रिवार्था के वर्गीकरण में वर्षण पर आधारित जलवायु वर्ग का नाम लिखो।
उत्तर:
B वर्ग।

प्रश्न 5.
अमेज़न बेसिन में कौन-सी जलवायु पाई जाती है?
उत्तर:
भूमध्य रेखीय जलवायु।

प्रश्न 6.
टैगा जलवायु में कौन-से वन मिलते हैं?
उत्तर:
शंकुधारी टैगा वन।

प्रश्न 7.
टैगा जलवायु में न्यूनतम तापमान कहाँ नापा गया है?
उत्तर:
वल्यान्सक (-50° सेल्सियस)।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जलवायु वर्गीकरण की पद्धतियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
जलवायु का वर्गीकरण तीन वृहद उपागमों द्वारा किया गया है जो निम्नलिखित हैं-

  1. आनुभविक
  2. जननिक और
  3. अनुप्रयुक्त।

प्रश्न 2.
यूनानियों ने संसार को कौन-कौन से ताप कटिबन्धों में विभाजित किया था?
उत्तर:

  1. उष्ण
  2. शीतोष्ण तथा
  3. शीतकटिबन्ध।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

प्रश्न 3.
विश्व की जलवायु का वर्गीकरण करने वाले तीन वैज्ञानिकों के नाम बताओ।
उत्तर:
कोपेन, थार्नथ्वेट तथा ट्रिवार्था।

प्रश्न 4.
विश्व के सभी जलवायु वर्गीकरणों को कितने प्रकारों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
दो प्रकारों में-

  1. आनुभविक वर्गीकरण
  2. जननिक वर्गीकरण।

प्रश्न 5.
कोपेन ने अपने वर्गीकरण के लिए जलवायु के किन तत्त्वों को आधार बनाया?
उत्तर:

  1. तापमान
  2. वर्षा तथा
  3. वर्षा के मौसमी स्वभाव को।

प्रश्न 6.
थानथ्वेट ने अपने वर्गीकरण के लिए जलवायु के किन तत्त्वों को आधार बनाया?
उत्तर:

  1. वर्षण प्रभाविता
  2. तापीय दक्षता
  3. वर्षा का मौसमी वितरण।

प्रश्न 7.
ट्रिवार्था ने सवाना जलवायु तथा भूमध्य सागरीय जलवायु के लिए किन संकेताक्षरों का उपयोग किया है?
उत्तर:
A, C, D, E, H तथा B क्रमशः Aw तथा Cs।

प्रश्न 8.
प्रमुख ग्रीन हाऊस गैसों के नाम बताइए।
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरो कार्बन, ओज़ोन व जलवाष्प।

प्रश्न 9.
भूमण्डलीय तापन क्या होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के तापमान का औसत से अधिक होना।

प्रश्न 10.
ट्रिवार्था के जलवायु वर्गीकरण में ताप पर आधारित पाँच वर्ग कौन-से हैं?
उत्तर:
A, C, D, E तथा H वर्ग।

प्रश्न 11.
Aw प्रकार की जलवायु कौन-सी होती है?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय सवाना जलवायु।

प्रश्न 12.
Bwh प्रकार की जल न-सी होती है?
उत्तर:
उष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय गर्म मरुस्थल।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

प्रश्न 13.
किन्हीं दो उष्ण मरुस्थलों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. सहारा तथा
  2. थार।

प्रश्न 14.
ध्रुवीय जलवायु के कौन से दो प्रकार हैं?
उत्तर:

  1. टुण्ड्रा और
  2. ध्रुवीय हिमाच्छादित जलवायु।

प्रश्न 15.
उष्ण कटिबन्ध में पाई जाने वाली तीन प्रकार की जलवायु का नाम बताओ।
उत्तर:

  1. भूमध्य रेखीय
  2. सवाना
  3. मानसूनी।

प्रश्न 16.
भूमध्य सागरीय प्रदेश में सर्दियों में वर्षा होने का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
पवन पेटियों का खिसकना।

प्रश्न 17.
टैगा जलवायु कहाँ पाई जाती है?
उत्तर:
केवल 50° से 70° उत्तरी अक्षांशों में, दक्षिणी गोलार्द्ध में नहीं।

प्रश्न 18.
टैगा जलवायु में वार्षिक तापान्तर कितना होता है?
उत्तर:
65.5° सेल्सियस तथा इससे ज्यादा वार्षिक तापान्तर कहीं नहीं मिलता।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रीनहाऊस गैसों से आपका क्या अभिप्राय है? ग्रीनहाऊस प्रभाव बढ़ाने वाले प्रमुख तत्त्वों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ग्रीनहाऊस गैसें ऐसी गैसें जो धरती पर एक आवरण बनाकर कम्बल की भाँति काम करती हैं और धरती की ऊष्मा को बाहर जाने से रोकती हैं, ग्रीनहाऊस गैसें कहलाती हैं। ये पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने में सहायक हैं। कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के अतिरिक्त भूमण्डलीय तापन की प्रक्रिया को तेज करने वाले कुछ अन्य तत्त्व निम्नलिखित हैं
1. जलवाष्प तापमान बढ़ने से जल की वाष्पन दर बढ़ जाती है। ज्यादा जलवाष्प तापमान को और ज्यादा बढ़ाते हैं क्योंकि जलवाष्प एक प्राकृतिक ग्रीन हाऊस गैस है।

2. नाइट्रस ऑक्साइड-कृषि में नाइट्रोजन उर्वरकों के प्रयोग, पेड़-पौधों को जलाने, नाइट्रोजन वाले ईंधन को जलाने आदि के कारण वायुमण्डल में नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इसका प्रत्येक अणु कार्बन डाइ-ऑक्साइड की तुलना में 250 गुना अधिक ताप प्रगृहित करता है।

3. मीथेन गैस-मीथेन गैस सागरों, ताजे जल, खनन कार्य, गैस ड्रिलिंग तथा जैविक पदार्थों के सड़ने से उत्पन्न होती है। पशु व दीमक आदि को भी मीथेन गैस छोड़ने का जिम्मेदार माना गया है।

4. क्लोरो-फ्लोरो कार्बन-ये संश्लेषित यौगिकों का समूह है जो वातानुकूलन व प्रशीतन की मशीनों, आग बुझाने के उपकरणों तथा छिड़काव यन्त्रों में प्रणोदक के रूप में प्रयुक्त होते हैं।

प्रश्न 2.
जलवायु परिवर्तन के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन के कारणों को दो वर्गों में बाँटा गया है-

  • खगोलीय कारण
  • पार्थिव कारण।

(1) खगोलीय कारणों में सौर कलंक जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है। सौर कलंक सूर्य पर काले धब्बे होते हैं जो एक चक्रीय ढंग से घटते-बढ़ते रहते हैं। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार सौर कलंकों की संख्या बढ़ने पर मौसम ठण्डा और आर्द्र हो जाता है और तूफानों की संख्या बढ़ जाती है।

(2) पार्थिव कारणों में ज्वालामुखी क्रिया जलवायु परिवर्तन का एक अन्य प्रमुख कारण है। ज्वालामुखी उभेदन के दौरान वायुमण्डल में बड़ी मात्रा में ऐरोसोल छोड़ दिए जाते हैं। ये ऐरोसोल वायुमण्डल में लम्बे समय तक रहते हैं और पृथ्वी की सतह पर पहुंचने वाले सौर विकिरण को कम करते हैं, जिससे पृथ्वी का औसत तापमान कुछ हद तक कम हो जाता है।

इसके अतिरिक्त ग्रीनहाऊस गैसों का सान्द्रण जलवाय को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इससे पथ्वी का ता

प्रश्न 3.
भूमण्डलीय तापन में मनुष्य की भूमिका पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
वर्तमान युग में बढ़ता भूमण्डलीय तापन संसाधनों के अनियोजित उपयोग और हमारी भोगवादी जीवन शैली की देन है। चूल्हे से धमन भट्टी तक तथा जुगाड़ से रॉकेट तक हुआ तकनीकी विकास, बढ़ता औद्योगीकरण, नगरीकरण, परिवहन तथा कृषि के क्षेत्र में आए क्रान्तिकारी बदलावों, भूमि की जुताई तथा वनों के विनाश जैसी मनुष्य की गतिविधियों ने वायुमण्डल में ग्रीन हाऊस गैसों की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ा दी है। ये गैसें वायुमण्डल में एक कम्बल या काँच घर (Glass House) का कार्य करती हैं, जिसमें गर्मी आ तो जाती है पर आसानी से जाने नहीं पाती।

प्रश्न 4.
भूमण्डलीय तापन के दुष्परिणामों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूमण्डलीय तापन के प्रमुख दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

  1. विश्व में औसत तापमान बढ़ने से हिमाच्छादित क्षेत्रों में हिमानियाँ पिघलेंगी।
  2. समुद्र का जल-स्तर ऊँचा उठेगा जिससे तटवर्ती प्रदेश व द्वीप जलमग्न हो जाएँगे। करोड़ों लोग शरणार्थी बन जाएँगे।
  3. वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज़ होगी। पृथ्वी का समस्त पारिस्थितिक तन्त्र प्रभावित होगा। शीतोष्ण कटिबन्धों में वर्षा बढ़ेगी और समुद्र से दूर उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा घटेगी।।
  4. आज के ध्रुवीय क्षेत्र पहले की तुलना में अधिक गर्म हो जाएँगे।
  5. जलवायु के दो तत्त्वों तापमान और वर्षा में जब परिवर्तन होगा तो निश्चित रूप से धरातल की वनस्पति का प्रारूप (Patterm) बदलेगा।
  6. हरित गृह प्रभाव के कारण कृषि क्षेत्रों, फसल प्रारूप तथा कृषि प्राकारिकी (Topology) में परिवर्तन होना निश्चित है।

प्रश्न 5.
भूमण्डलीय जलवायविक परिवर्तन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वायुमण्डलीय दशाएँ केवल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ही नहीं बदलती वरन् ये समय के साथ-साथ भी बदल जाती हैं। अतः जलवायु परिवर्तन से आशय 30-35 वर्षों में या हजारों वर्षों में मिलने वाली जलवायवी भिन्नताओं के अध्ययन से नहीं है। वरन् इसमें लाखों वर्षों से चले आ रहे समय मापकों में होने वाली जलवायु की भिन्नताओं का अध्ययन शामिल किया जाता है।

प्रश्न 6.
जलवायु परिवर्तन के पार्थिव कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन के पार्थिव कारक निम्नलिखित हैं-
1. महाद्वीपीय विस्थापन-भू-गर्भिक काल में महाद्वीपों के विखण्डन व विभिन्न दिशाओं में संचलन के कारण विभिन्न भू-खण्डों में जलवायु परिवर्तन हुए हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों के समीप स्थित भू-भागों का भू-मध्य रेखा के निकट आने पर जलवायु परिवर्तन होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दक्षिणी भारत में हिमनदों के चिह्नों तथा अंटार्कटिका में कोयले का मिलना इस जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रमाण हैं।

2. पर्वत निर्माण प्रक्रिया यह जलवायु को दो प्रकार से प्रभावित करती है-(a) पर्वतों के उत्थान तथा घिसकर उनके नीचे हो जाने से स्थलाकृतियों की व्यवस्था भंग हो जाती है। इसका प्रभाव पवन प्रवाह, सूर्यातप तथा मौसमी तत्त्वों; जैसे तापमान एवं वर्षा के वितरण पर पड़ता है। (b) पर्वत निर्माण की प्रक्रिया से ज्वालामुखी उद्गार की सम्भावनाएँ प्रबल हो जाती हैं। ज्वालामुखी उद्गार से भारी मात्रा में वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें और जलवाष्प निष्कासित होते हैं। इससे वायुमण्डल की पारदर्शिता (Transparency) प्रभावित होती है, जिसका सीधा प्रभाव प्रवेशी सौर्य विकिरण तथा पार्थिव विकिरण पर पड़ता है। ये सभी प्रक्रियाएँ पृथ्वी के ऊष्मा सन्तुलन (Heat Balance) को भंग कर जलवायु परिवर्तन की भूमिका तैयार करती हैं।

3. मनुष्य के क्रिया-कलाप मनुष्य अपनी विकासात्मक गतिविधियों से हरित-गृह गैसों (कार्बन-डाइ-ऑक्साइड, ओजोन, जलवाष्प) की मात्रा वायुमण्डल में बढ़ाता रहता है। वायुमण्डल में इन अवयवों के प्राकृतिक संकेन्द्रण में भिन्नता आने से भूमण्डलीय ऊष्मा सन्तुलन प्रभावित होता है। इससे वायुमण्डल की सामान्य प्रणाली, जिस पर जलवायु भी निर्भर करती है, प्रभावित होती है।

प्रश्न 7.
जलवायु परिवर्तन के खगोलीय कारकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन से जुड़े खगोलीय कारक तीन तथ्यों पर आधारित हैं-
1. पृथ्वी की कक्षा की उत्केन्द्रीयता (Ecentricity) में परिवर्तन-पृथ्वी की उत्केन्द्रीयता में लगभग 92 हजार वर्षों में परिवर्तन आ जाता है अर्थात् सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिक्रमण पथ की आकृति कभी अण्डाकार तो कभी गोलाकार हो जाती है। उदाहरणतः वर्तमान में पृथ्वी की सूर्य के निकटतम रहने की स्थिति–उपसौर (Perihelion) जनवरी में आती है। यह उपसौर स्थिति 50 हजार वर्ष बाद जुलाई में आने लगेगी। इसका परिणाम यह होगा कि आगामी 50 हजार वर्षों में उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्मकाल अधिक गर्म व शीतकाल अधिक ठण्डा हो जाएगा।

2. पृथ्वी की काल्पनिक धुरी के कोण में परिवर्तन सूर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी की धुरी (Axes) अपने कक्षा-पथ के साथ एक कोण बनाती है। वर्तमान युग में यह कोण 239° का है, लेकिन प्रत्येक 41-42 हजार वर्षों के बाद पृथ्वी की धुरी के कोण में 1.5° का अन्तर आ जाता है। कभी यह झुकाव 22° तो कभी 241/2° हो जाता है। पृथ्वी के झुकाव में परिवर्तन से मौसमी दशाओं व तापमान में तो अन्तर होंगे ही साथ ही भौगोलिक पेटियों की भिन्नताएँ कम या विलुप्त हो जाएँगी।

3. विषुव का पुरस्सरण (Precession)-वर्तमान में चार मौसमी दिवसों की स्थितियाँ इस प्रकार हैं-21 मार्च-बसन्त विषव, 23 सितम्बर-शरद विषुव, 21 जून-कर्क संक्रांति तथा 22 दिसम्बर मकर संक्रांति। प्रत्येक 22 हजार वर्षों में इन स्थितियों में परिवर्तन आता है जिसका सीधा प्रभाव जलवायु पर पड़ता है।

प्रश्न 8.
जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रमाणों का संक्षिप्त ब्योरा दीजिए।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी प्रमाणों को भी निम्नलिखित दो वर्गों में रखा जा सकता है-
1. भू-वैज्ञानिक अतीत काल में हुए जलवायु परिवर्तन के प्रमाण

  • अवसादी चट्टानों में प्राणियों और वनस्पति के जीवाश्म
  • गहरे महासागरों के अवसादों से प्राप्त प्राणियों और वनस्पति के जीवाश्म
  • वृक्षों के वलय
  • झीलों के अवसाद
  • चट्टानों की प्रकृति
  • हिमनदियों के आकार में परिवर्तन
  • समुद्रों तथा झीलों के जल-स्तर में परिवर्तन
  • भू-आकारों के प्रमाण।

2. ऐतिहासिक काल में हुए जलवायु परिवर्तन के प्रमाण-

  • अभिलेखों में जलवायु परिवर्तन के उल्लेख
  • पुराने पुस्तकालयों में मौसम सम्बन्धी जानकारी
  • फसलों के बोने तथा काटने के मौसम
  • सूखे व बाढ़ से जुड़ी लोक कथाएँ
  • पत्तनों के जल का जम जाना
  • सूखी झीलें, नदियाँ व नहरे
  • पुरानी बस्तियों के खण्डहर
  • लोगों का बड़े पैमाने पर प्रवास
  • लुप्त वन तथा अतीत में वनस्पति का वितरण।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

प्रश्न 9.
मनुष्य और जलवायु में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
प्राचीनकाल से ही मनुष्य और वातावरण का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। मानव का रहन-सहन, उसके अधिवास, आर्थिक क्रिया-कलाप आदि पर जलवायु का विशेष प्रभाव पड़ता है। यह प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से मानव के प्रत्येक क्रिया-कलाप को प्रभावित करता है। विश्व के कई क्षेत्रों में मनुष्य की लापरवाही से वनों की कटाई के कारण मृदा अपरदन होता है जिससे अधिकतर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कुछ शताब्दियों से कोयले और तेल की खपत बढ़ जाने से वायुमण्डल में कार्बन-डाइऑक्साइड में वृद्धि हो गई है जिससे वायुमण्डल का तापमान भी अधिक हो गया है।

प्रश्न 10.
विश्व के मुख्य ताप कटिबन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संसार की जलवायु के वर्गीकरण का संभवतः सबसे पहला प्रयास प्राचीन यूनानियों ने किया था। उन्होंने ताप को आधार मानते हुए संसार को तीन ताप अथवा जलवायु कटिबन्धों में बाँटा था

  • उष्ण कटिबन्ध-यह भूमध्य रेखा के दोनों और 23 1/2° उत्तर तथा 23 1/2° दक्षिण अक्षांशों के मध्य स्थित है। यहाँ सारा वर्ष ऊँचा तापमान रहता है।
  • शीतोष्ण कटिबन्ध-यह कटिबन्ध दोनों गोलार्डों में 23 1/2° उत्तर से 66 1/2° उत्तर तथा 23 1/2° दक्षिण से 66 1/2° दक्षिण अक्षांशों के मध्य स्थित है।
  • शीत कटिबन्ध यह कटिबन्ध उत्तर तथा दक्षिण में 66 1/2° से ध्रुवों तक फैला हुआ है। ध्रुवीय क्षेत्रों में तापमान वर्ष भर कम रहता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जलवायु का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्राकतिक पर्यावरण की रचना वायमण्डल, जलमण्डल, स्थलमण्डल और जैवमण्डल से मिलकर होती है। जलवाय इस प्राकृतिक पर्यावरण का एक महत्त्वपूर्ण घटक (Constituent) होता है। जलवायु का प्रभाव मानव की समस्त क्रियाओं पर देखा जा सकता है।
1. मृदा-निर्माण-मूल चट्टान को मृदा में बदलने में जलवायु अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मिट्टी का रंग, संरचना, बनावट, उपजाऊपन, कटाव और निक्षालन (Leaching) इत्यादि गुण जलवायु पर निर्भर करते हैं। मृदा ही अन्य कारकों के साथ कृषि की उत्पादकता का स्तर निर्धारित करती है।

2. वनस्पति और प्राणी-वनस्पतियों और प्राणियों का धरातल पर वितरण जलवायु ही करती है। इसी कारण वनस्पति को जलवायु का दर्पण (Mirror of Climate) कहा जाता है। मनुष्य के जीवन की बहुत सारी आवश्यकताएँ वनों और प्राणियों से पूरी होती हैं।

3. कृषि-कृषि, जो मानव और पशुओं के भोजन का आधार तथा अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल का स्रोत है। केवल अनुकूल जलवायुवी दशाओं में ही की जा सकती है।

4. जनसंख्या का वितरण-प्रतिकूल जलवायु वाले प्रदेशों में जनसंख्या विरल होती है, जबकि अनुकूल जलवायु वाले क्षेत्रों में जनसंख्या का सर्वाधिक सान्द्रण पाया जाता है।

5. आर्थिक उन्नति-जलवायु अपनी विशेषताओं के आधार पर मानव के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, जिसका अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक-आर्थिक उन्नति पर प्रभाव पड़ता है। यूरोप व उत्तरी अमेरिका की शीत व शीतोष्ण जलवायु में व्यक्ति फुर्तीला रहता है, जबकि भूमध्यरेखीय उष्ण व आर्द्र जलवायु में आदमी आलस्यपूर्ण हो जाता है।

6. शारीरिक बनावट-जलवायु के प्रकार शरीर की बनावट व चमड़ी के रंग को प्रभावित करते हैं। मध्य अफ्रीका में रहने वाली जन-जातियों का रंग काला और यूरोप में रहने वाली जन-जातियों का रंग गोरा जलवायु का ही परिणाम है।

7. सभ्यताओं का उदय-निर्बाध जलापूर्ति, उपजाऊ मिट्टी के साथ-साथ अनकल जलवायु ने विश्व में अनेक प्राचीन सभ्यताओं के उदय में भूमिका निभाई है। सामाजिक, सांस्कृतिक व वैज्ञानिक उन्नति में सुखद जलवायु का अत्यन्त महत्त्व होता है।

इनके अतिरिक्त सिंचाई, वन प्रबन्धन, भूमि उपयोग, परिवहन, भवन निर्माण तथा अनेकानेक आर्थिक कार्यक्रम प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जलवायु द्वारा प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 2.
कोपेन द्वारा प्रस्तुत जलवायु वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रसिद्ध जलवायुवेत्ता डॉ० व्लाडिमीर कोपेन का जलवायु वर्गीकरण अत्यधिक प्रचलित है। उन्होंने 1918 ई० में संसार की जलवायु का वर्गीकरण मूल रूप में प्रस्तुत किया जिसको बाद में उन्होंने संशोधित कर 1936 ई० में उसे अन्तिम रूप दिया। उनका उद्देश्य वर्गीकरण की एक ऐसी विधि विकसित करना था जो जलवायु तत्त्वों का संख्यात्मक आधार पर प्रदेशों का सीमांकन कर सके। उन्होंने तापमान, वर्षा और उनकी मौसमी विशेषताओं को महत्त्वपूर्ण स्थान देकर प्रदेशों का सीमांकन किया। उन्होंने अपना वर्गीकरण प्राकृतिक वनस्पति के वितरण को मद्देनज़र रखते हुए किया। उनका कहना था कि प्राकृतिक वनस्पति वर्षा की मात्रा तथा तापमान से प्रभावित होती है। जैसा कि उन्होंने कहा है, “Natural Vegetation is considered to be the best expression of the totality of the climate.”

कोपेन के वर्गीकरण को निम्नलिखित पाँ वर्गों में बाँटा गया है जिन्हें उन्होंने अंग्रेजी के बड़े अक्षरों के रूप में व्यक्त किया है-

कोपेन का वर्गीकरण
A – आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय जलवायु1. उष्ण कटिबन्धीय प्रचुर वर्षा वाले क्षेत्र
2. सवाना जलवायु (Af)
3. मानसूनी जलवायु (Aw)
B – शुष्क जलवायु1. मरुस्थलीय जलवायु (BW)
2. स्टेपी जलवायु (BS)
C – आर्द्र शीतोष्ण कटिबन्धीय जलवायु1. भूमध्य सागरीय जलवायु (Cf)
2. चीनी प्रकार की जलवायु (Cs)
3. पश्चिमी यूरोपीय जलवायु (CW)
D – आर्द्र शीतोष्ण जलवायु1. टैगा जलवायु (Df)
2. शीत पूर्वी जलवायु (Dw)
3. महाद्वीपीय जलवायु (Dfb)
E – ध्रुवीय जलवायु
H – उच्च पर्वतीय जलवायु
1. टुण्ड्रा जलवायु (ET)
2. हिमाच्छादित प्रदेश जलवायु (Ef)
हिमाच्छादित उच्च भूमियाँ (H)

A – आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय जलवायु।
B – शुष्क जलवायु।
C – आर्द्र शीतोष्ण कटिबन्धीय जलवायु [मृदु शीतकाल]।
D – आर्द्र शीतोष्ण जलवायु [कठोर शीतकाल]।
E – ध्रुवीय जलवायु।
इन अक्षरों के अतिरिक्त कुछ अन्य अक्षरों का भी प्रयोग किया गया है जोकि वर्षा की अवधि को प्रदर्शित करते हैं।
f- वर्ष भर वर्षा
s – ग्रीष्मकाल शुष्क
S – अर्द्ध-शुष्क या स्टेपी जलवायु।
W – शुष्क ऋतु।
आधुनिक समय में भी कोपेन का जलवायु वर्गीकरण सर्वमान्य है। जलवायु के मुख्य वर्ग अंग्रेजी के बड़े अक्षरों द्वारा तथा उप-वर्ग छोटे अक्षरों द्वारा दर्शाए गए हैं। यह एक सरल, महत्त्वपूर्ण तथा लाभदायक विधि है। वायुमण्डल परिसंचरण के अनुसार भी यह विधि उचित तथा सही है, परन्तु इस वर्गीकरण में भी कुछ निम्नलिखित त्रुटियाँ हैं जिससे विपक्षीय विचार प्रकट होते हैं

  • यह वर्गीकरण केवल वर्षा की प्रभावशीलता पर आधारित है।
  • इसमें समुद्री धाराओं, पवनों आदि जलवायु तत्वों के प्रभाव को ध्यान में नहीं रखा गया।
  • कोपेन ने जलवायु वर्गीकरण में कृषि जैसे महत्त्वपूर्ण कारक की अवहेलना की है।

प्रश्न 3.
ग्रीन हाऊस प्रभाव क्या होता है? विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
“भू-तल के परावर्तित विकिरण द्वारा वायुमण्डल का अप्रत्यक्ष रूप से गर्म होना ग्रीन हाऊस प्रभाव कहलाता है।” अत्यधिक ठण्डे देशों में उष्ण कटिबन्धीय पौधों को सुरक्षित रखने अथवा फल या सब्जियाँ उगाने के लिए काँच या पारदर्शी प्लास्टिक की दीवारों वाले घर बनाए जाते हैं। काँच ऊष्मा का अवशोषण तो करता है, लेकिन तापमान को बाहर नहीं जाने देता, जिसमें ठण्डे देशों में भी उच्च ताप प्राप्त कर पौधे जीवित रहते हैं, हरे रहते हैं, इसलिए उन्हें हरित-गृह कहते हैं। हम सभी जानते हैं कि सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली विकिरण ऊर्जा, जिसे हम सूर्यातप (Insolation) कहते हैं, लघु तरंगों (Short-waves) के रूप में होती है। इस प्रवेशी सौर विकिरण से पृथ्वी गर्म होती है, वायुमण्डल तो इस ऊर्जा का केवल 20 प्रतिशत भाग ही अवशोषित कर पाता है।

सरल शब्दों में, सूर्य की किरणों से वायुमण्डल सीधे गर्म नहीं होता, बल्कि पहले पृथ्वी गर्म होती है। जब पृथ्वी को प्राप्त यह ऊष्मा दीर्घ तरंगों (Long waves) के रूप में वापस लौटने लगती है तो वायुमण्डल में उपस्थित कुछ गैसें इसे अवशोषित कर लेती हैं और पृथ्वी का तापमान 15° सेल्सियस तक बनाए रखती हैं। इस प्रकार वायुमण्डल को गर्म करने का मुख्य स्रोत पार्थिव विकिरण (Terrestrial Radiation) है।

वायुमण्डल की इसी गर्मी के कारण धरती पर जीव-जन्तु, पेड़-पौधे इत्यादि जीवित रह सकते हैं। पृथ्वी पर वनस्पतियों तथा प्राणियों के जीने योग्य तापक्रम बनाए रखने की इस प्राकृतिक व्यवस्था को ही ग्रीन हाऊस प्रभाव कहा जाता है। वे सभी गैसें जो इस प्रक्रिया में सहायक होती हैं, ‘ग्रीन हाऊस गैसें’ कहलाती हैं। इनमें प्रमुख स्थान कार्बन-डाइऑक्साइड का है। अन्य प्रमुख गैसें मीथेन व सी०एफ०सी० गैसें तथा जलवाष्प हैं।

प्रश्न 4.
भू-वैज्ञानिक अतीतकाल तथा ऐतिहासिक काल में होने वाले भूमण्डलीय जलवायविक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अभिप्राय (Meaning)-वायुमण्डल स्थिर न रहकर सदा गतिशील रहता है। वायुमण्डल की यह गत्यात्मकता इसके निचले स्तरों में बहुत ज्यादा जटिल है। वायमुण्डलीय विशेषताएँ केवल एक स्थान से दूसरे स्थान पर ही नहीं बदलती वरन् ये समय के साथ-साथ भी बदल जाती हैं। पृथ्वी का भू-गर्भिक इतिहास इस बात का साक्षी है कि अतीत में हर युग की अपनी विशिष्ट जलवायुवी दशाएँ रही हैं। स्पष्ट है कि यहाँ जलवायु परिवर्तन से आशय 30-35 वर्षों में या हजारों वर्षों में मिलने वाली जलवायुवी भिन्नताओं के अध्ययन से नहीं है वरन् इसमें लाखों वर्षों से चले आ रहे समय मापकों में होने वाली जलवायु की भिन्नताओं का अध्ययन शामिल किया जाता है।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि जब से वायुमण्डल बना है तब से जलवायु में परिवर्तन हो रहे हैं, लेकिन ये परिवर्तन स्थायी कभी नहीं रहे। एक परिवर्तन दूसरे परिवर्तन के लिए जगह बनाता आया है।

विश्व में जलवायुवी परिवर्तनों की पड़ताल दो खण्डों में की जा सकती है-

  • भू-वैज्ञानिक अतीत काल (Geological Past Period)
  • ऐतिहासिक काल (Historical Period)।

(A) भू-वैज्ञानिक अतीत काल (Geological Past Period)-
1. अनुमान है कि आज से 425 करोड़ साल पूर्व वायुमण्डल का तापमान 37° सेल्सियस रहा होगा। लगभग 250 करोड़ साल पहले ये तापमान घटकर 25° सेल्सियस हो गया। तापमान घटने का यह सिलसिला जारी रहा और 250 करोड़ से 180 करोड़ वर्ष पहले की अवधि के दौरान हिमयुग आया। हिमयुग के आने का संकेत हमें उस समय की हिमनदियों से बनी स्थलाकृतियों से मिलता है।

2. इसके बाद आने वाले 95 करोड़ वर्षों तक जलवायु उष्ण रही और हिमनदियाँ लुप्त हो गईं।

3. वैज्ञानिक अध्ययन प्रमाणित करते हैं कि कैम्ब्रियन युग (लगभग 60 करोड़ वर्ष पूर्व) से पहले भू-पटल से अधिकांश भागों पर हिम की चादर बिछी हुई थी, जिस कारण भू-पटल पर शीत जलवायु का प्रभुत्व था।

4. ओरडोविशियन कल्प (50 करोड़ वर्ष पहले) तथा सिल्युरियन कल्प (44 करोड़ वर्ष पहले) में जलवायु गर्म रही। यह जलवायु हमारी वर्तमान जलवायु जैसी थी।

5. इसी प्रकार जुरैसिक कल्प (18 करोड़ वर्ष पहले) में पृथ्वी की जलवायु वर्तमान समय की जलवायु की तुलना में अधिक गर्म थी।

6. इयोसीन युग (6 करोड़ वर्ष पहले) शीतोष्ण वनस्पति ध्रुवीय भागों के अधिक निकट थी। इसी प्रकार 60° अक्षांश रेखा पर प्रवालों के अवशेष प्रदर्शित करते हैं कि इयोसीन काल में इन अक्षांशीय क्षेत्रों के महासागरीय जल का तापमान वर्तमान तापमान से 10°F अधिक था।

7. प्लीस्टोसीन अर्थात् अत्यन्त नूतन युग (30 लाख साल पहले) में हिमनदियों का विस्तार हुआ। वर्तमान युग की हिम की टोपियाँ इस समय के हिम के अवशेष हैं।

8. विगत 20 लाख वर्षों में कई ठण्डी और गर्म जलवायु आईं और गईं।

9. उत्तरी गोलार्द्ध में अन्तिम हिमनदन का अन्तिम दौर आज से 18,000 वर्ष पहले अपनी चरम सीमा पर था। उस समय समुद्र तल आज की तुलना में 85 मीटर नीचे था।

(B) ऐतिहासिक काल (Historical Period)
1. अब से 16,000 वर्ष पूर्व हिम ने पिघलना शुरू किया। तापमान ऊँचा और वर्षा पर्याप्त होने लगी। 7,000 से 10,000 साल पहले जलवायु आज की तुलना में गर्म थी। आज जहाँ टुण्ड्रा प्रदेश है, वहाँ उस समय वन उगे हुए थे।

2.  सन् 1450 से 1850 के बीच की अवधि को लघु हिमयुग (Little Ice Age) कहा जाता है। इस युग में आल्पस पर्वतों पर हिमनदियों का विस्तार हुआ।

3. औद्योगिक क्रान्ति (सन 1780) के बाद मानव की बढती गतिविधियों के कारण ग्रीन हाऊस गैसों के सान्द्रण से वायुमण्डल का तापमान बढ़ने लगा है।

एल्सवर्थ हंटिंगटन (E. Huntington) ने अपनी पुस्तक सभ्यता एवं जलवायु (Civilization and Climate) में ऐतिहासिक काल में हुए भूमण्डलीय जलवायु परिवर्तन के तीन सन्दर्भ दिए हैं-

  • उन मरुस्थलीय भागों में जहाँ आज काफिले (Caravans) भी नहीं जा सकते, पुराने नगरों के अवशेष देखने को मिलते हैं।
  • अफ्रीका तथा अमेरिका के ऐसे भागों में नगरों के खण्डहर देखने को मिलते हैं, जहाँ इस समय पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं हैं।
  • आज कई ऐसे क्षेत्रों में कृषि, सिंचाई तथा नहरों के चिह्न देखने को मिलते हैं, जहाँ जल का अभाव है और वर्तमान में अति न्यून वर्षा होती है।

प्रश्न 5.
पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन के कारकों को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

  • पार्थिव कारक (Terrestrial Factors)
  • खगोलीय कारक (Astronomical Factors)
  • पार्थिवेत्तर कारक (Extra Terrestrial Factors)।

(A) पार्थिव कारक (Terrestrial Factors)
1. महाद्वीपीय विस्थापन भू-गर्भिक काल में महाद्वीपों के विखण्डन व विभिन्न दिशाओं में संचलन के कारण विभिन्न भू-खण्डों में जलवायु परिवर्तन हुए हैं। ध्रुवीय क्षेत्रों के समीप भू-भागों का भूमध्य रेखा के निकट आने पर जलवायु परिवर्तन होना एक सामान्य प्रक्रिया है। दक्षिणी भारत में हिमनदों के चिह्नों तथा अंटार्कटिका में कोयले का मिलना इस जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रमाण हैं।

2. पर्वत निर्माण प्रक्रिया-यह जलवायु को दो प्रकार से प्रभावित करती हैं-
(a) पर्वतों के उत्थान तथा घिसकर उनके नीचे हो जाने से स्थलाकृतियों की व्यवस्था भंग हो जाती है। इसका प्रभाव पवन प्रवाह, सूर्यातप तथा मौसमी तत्त्वों; जैसे तापमान एवं वर्षा के वितरण पर पड़ता है।

(b) पर्वत निर्माण की प्रक्रिया से ज्वालामुखी उद्गार की सम्भावनाएँ प्रबल हो जाती हैं। ज्वालामुखी उद्गार से भारी मात्रा में वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें और जलवाष्प निष्कासित होते हैं। इससे वायुमण्डल की पारदर्शिता (Transparency) प्रभावित होती है, जिसका सीधा प्रभाव प्रवेशी सौर विकिरण तथा पार्थिव विकिरण पर पड़ता है। ये सभी प्रक्रियाएँ पृथ्वी के ऊष्मा सन्तुलन (Heat Balance) को भंग कर जलवायु परिवर्तन की भूमिका तैयार करती हैं।

3. मनुष्य के क्रिया-कलाप मनुष्य अपनी विकासात्मक गतिविधियों से हरित-गृह गैसों (कार्बन-डाइऑक्साइड, आज़ोन, जलवाष्प) की मात्रा वायुमण्डल में बढ़ाता रहता है। वायुमण्डल में इन अवयवों के प्राकृतिक संकेन्द्रण में भिन्नता आने से भूमण्डलीय ऊष्मा सन्तुलन प्रभावित होता है। इससे वायुमण्डल की सामान्य प्रणाली, जिस पर जलवायु भी निर्भर करती है, प्रभावित होती है।

(B) खगोलीय कारक (Astronomical Factors) जलवायु परिवर्तन से जुड़े खगोलीय कारक तीन तथ्यों पर आधारित हैं
1. पृथ्वी की कक्षा की उत्केन्द्रीयता (Ecentricity) में परिवर्तन-पृथ्वी की उत्केन्द्रीयता में लगभग 92 हजार वर्षों में परिवर्तन आ जाता है अर्थात् सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिक्रमण पथ की आकृति कभी अण्डाकार तो कभी गोलाकार हो जाती है। उदाहरणतः वर्तमान में पृथ्वी की सूर्य के निकटतम रहने की स्थिति-उपसौर (Perihelion) जनवरी में आती है। यह उपसौर स्थिति 50 हजार वर्ष बाद जुलाई में आने लगेगी। इसका परिणाम यह होगा कि आगामी 50 वर्षों में उत्तरी गोलार्द्ध में ग्रीष्मकाल अधिक गर्म व शीतकाल अधिक ठण्डा होता जाएगा।

2. पृथ्वी की काल्पनिक धरी के कोण में परिवर्तन सर्य की परिक्रमा करते समय पृथ्वी की धरी (Axes) अपने कक्षा-पथ के साथ कोण बनाती है। वर्तमान युग में यह कोण 23/2° का है, लेकिन प्रत्येक 41-42 हजार वर्षों के बाद पृथ्वी की धुरी के कोण में 1.5° का अन्तर आ जाता है। कभी यह झुकाव 22° तो कभी 24% हो जाता है। पृथ्वी के झुकाव में परिवर्तन से मौसमी दशाओं व तापमान में तो अन्तर होंगे ही, साथ ही भौगोलिक पेटियों की भिन्नताएँ कम या विलुप्त हो जाएँगी।

3. विषुव का पुरस्सरण (Precession) वर्तमान में चार मौसमी दिवसों की स्थितियाँ इस प्रकार हैं-21 मार्च-बसन्त विषुव, 23 सितम्बर-शरद विषुव, 21 जून कर्क संक्रांति तथा 22 दिसम्बर मकर संक्रांति। प्रत्येक 22 हजार वर्षों में इन स्थितियों में परिवर्तन आता है जिसका सीधा प्रभाव जलवायु पर पड़ता है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 12 विश्व की जलवायु एवं जलवायु परिवर्तन

(C) पार्थिवेत्तर कारक (Extra Terrestrial Factors) इन कारकों में पृथ्वी पर पहुँचने वाली सौर ऊर्जा की मात्रा में परिवर्तनों को शामिल किया जाता है
1. सौर विकिरण की प्राप्ति में भिन्नता-पृथ्वी पर ऊर्जा का एकमात्र स्रोत सूर्य है। सूर्य में होने वाली उथल-पुथल से पृथ्वी को मिलने वाली ऊर्जा में अन्तर आ जाता है। सूर्यातप की मात्रा में परिवर्तन वायुमण्डल द्वारा सौर विकिरण के अवशोषण की मात्रा में परिवर्तन से भी हो सकता है।

2. सौर कलंक सूर्य के सौर कलंकों (Sun Spots) की संख्या में प्रत्येक 11 वर्षों बाद परिवर्तन आता रहता है। सौर कलंकों की संख्या बढ़ना अधिक उष्ण व तर (Cooler and Wetter) दशाओं से जुड़ा है, जबकि सौर कलंकों की संख्या में कमी, गर्म तथा शुष्क (Warm and Drier) दशाओं से सम्बन्धित होती है। यही नहीं सौर कलंकों की संख्या का प्रभाव सूर्य से निष्कासित होने वाली पराबैंगनी किरणों पर भी पड़ता है। इन्हीं पराबैंगनी किरणों की मात्रा में वायुमण्डल में ओज़ोन गैस की मात्रा निर्धारित होती है। वायुमण्डल में ओज़ोन गैस की मात्रा भू-मण्डल पर ताप सन्तुलन को प्रभावित करती है।

पृथ्वी एक जीवन्त जीव (Living Organism) की भाँति है। इसकी प्रक्रियाएँ (Processes) स्व-नियन्त्रित हैं। पृथ्वी बृहद् स्तर पर जलवायुवी सन्तुलन बनाए रखने में सक्षम है। लेकिन ये प्रक्रियाएँ अत्यन्त जटिल और सूक्ष्म भी हैं। तापमान वृद्धि के रूप में प्रकृति से की गई अनावश्यक छेड़छाड़ दुष्परिणाम ला सकती है।

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