Haryana State Board HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 3 समानता Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Political Science Solutions Chapter 3 समानता
HBSE 11th Class Political Science समानता Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
कुछ लोगों का तर्क है कि असमानता प्राकृतिक है जबकि कुछ अन्य का कहना है कि वास्तव में समानता प्राकृतिक है और जो असमानता हम चारों ओर देखते हैं उसे समाज ने पैदा किया है। आप किस मत का समर्थन करते हैं? कारण दीजिए।
उत्तर:
कुछ लोगों का विचार है कि मनुष्य में स्वाभाविक असमानता है। स्वयं प्रकृति ने भी सबको समान नहीं बनाया है। कुछ लोग जन्म से ही तीव्र एवं बुद्धिमान् होते हैं, तो कुछ लोग मूर्ख एवं मन्दबुद्धि वाले। कोई शारीरिक दृष्टि से अधिक शक्तिशाली है, तो कोई दुर्बल है। सभी के खान-पान, रहन-सहन एवं स्वभाव में कुछ-न-कुछ असमानता है। अतः सभी व्यक्तियों को समान तुला पर तोलना ठीक नहीं है। अतएव यह कहना कि प्रत्येक मनुष्य समान है, उसी प्रकार गलत है, जैसे यह कहना कि पृथ्वी समतल है। इसके ठीक विपरीत कुछ लोगों का विचार है कि सभी लोग जन्म से ही समान हैं।
वे संसार में दिखाई देने वाली सभी असमानताओं को मानवकृत मानते हैं। प्राकृतिक समानता की अवधारणा को 1789 ई० को फ्रांस की मानव अधिकारों की घोषणा में माना गया है और 1776 ई० की अमेरिका की स्वतन्त्रता घोषणा में भी माना गया है। परन्तु ऐसा विचार गलत है, क्योंकि लोगों में काफी असमानताएँ हैं जो जन्म से ही होती हैं और उनको समाप्त करना भी असम्भव है।
दो भाई भी आपस में बराबर नहीं होते। सभी लोगों में शरीर और दिमाग से सम्बन्धित परस्पर असमानता है। वास्तव में जन्म से ही बच्चों में शारीरिक और मानसिक असमानता होती है जिसे दूर करना सम्भव नहीं है। इसलिए मेरे विचार से यह कहना गलत है कि प्रकृति मनुष्यों को जन्म से समानता प्रदान करती है। प्राकृतिक असमानता का समर्थन करते हुए जी०डी०एच० कोल (GD.H. Cole) ने कहा है, “व्यक्ति शारीरिक बल, पराक्रम, मानसिक योग्यता, सृजनात्मक प्रवृत्ति, समाज सेवा की भावना और सबसे अधिक कल्पना शक्ति में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।”
प्रश्न 2.
एक मत है कि पूर्ण आर्थिक समानता न तो संभव है और न ही वांछनीय एक समाज ज़्यादा से ज़्यादा बहुत अमीर और बहुत ग़रीब लोगों के बीच की खाई को कम करने का प्रयास कर सकता है। क्या आप इस तर्क से सहमत हैं? अपना तर्क दीजिए।
उत्तर:
इस तर्क से मैं पूर्णतः सहमत हूँ कि पूर्ण आर्थिक समानता लाना बिल्कुल भी संभव नहीं है। लेकिन हाँ, अमीरों और गरीबों के बीच की खाई बहुत चौड़ी या गहरी नहीं होनी चाहिए। इसीलिए आज अधिकतर सरकारें लोगों को आजीविका कमाने एवं आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु समान अवसर उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रही हैं। यद्यपि यहाँ यह भी स्पष्ट है कि समान अवसरों के बावजूद भी असमानता बनी रह सकती है, लेकिन इसमें यह संभावना छिपी है कि आवश्यक प्रयासों द्वारा कोई भी समाज में अपनी स्थिति बेहतर प्राप्त कर सकता है।
इसी उद्देश्य के अंतर्गत ही हमारी भारतीय सरकार ने भी वंचित समुदायों के लिए छात्रवृत्ति और हॉस्टल जैसी सुविधाएँ भी मुहैया करवाई हैं। वंचित समुदायों को अवसर की समानता देने के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की सुविधा भी दी गई है। जैसे दिसम्बर, 2019 में दिए गए 104वें संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान के मूल आरक्षण सम्बन्धी प्रावधान को सन् 2030 तक बढ़ाया गया है। अतः ऐसे सब प्रयासों से बहुत अमीर और बहुत गरीब लोगों के बीच की खाई को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
नीचे दी गई अवधारणा और उसके उचित उदाहरणों में मेल बैठायें।
(क) सकारात्मक कार्रवाई – (1) प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार है।
(ख) अवसर की समानता – (2) बैंक वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की ऊँची दर देते हैं।
(ग) समान अधिकार – (3) प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए।
उत्तर:
(क) सकारात्मक कार्रवाई – (2) बैंक वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज की ऊँची दर देते हैं।
(ख) अवसर की समानता – (3) प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क शिक्षा मिलनी चाहिए।
(ग) समान अधिकार – (1) प्रत्येक वयस्क नागरिक को मत देने का अधिकार है।
प्रश्न 4.
किसानों की समस्या से संबंधित एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार छोटे और सीमांत किसानों को बाजार से अपनी उपज का उचित मल्य नहीं मिलता। रिपोर्ट में सलाह दी गई कि सरकार को बेहतर मल्य सनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए। लेकिन यह प्रयास केवल लघु और सीमांत किसानों तक ही सीमित रहना चाहिए। क्या यह सलाह समानता के सिद्धांत से संभव है?
उत्तर:
रिपोर्ट में सरकार को जो सलाह दी गई है वह समानता के सिद्धांत के अनुसार संभव है क्योंकि रिपोर्ट में केवल लघु और सीमांत किसानों की ही चर्चा की गई है। अत: सलाह भी उन्हीं के हितों से संबंधित है। इसलिए यह सलाह समानता के सिद्धांत से संभव है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किस में समानता के किस सिद्धांत का उल्लंघन होता है और क्यों?
(क) कक्षा का हर बच्चा नाटक का पाठ अपना क्रम आने पर पड़ेगा।
(ख) कनाडा सरकार ने दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति से 1960 तक यूरोप के श्वेत नागरिकों को कनाडा में आने और बसने के लिए प्रोत्साहित किया।
(ग) वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से रेलवे आरक्षण की एक खिड़की खोली गई।
(घ) कुछ वन क्षेत्रों को निश्चित आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
उत्तर:
(क) इस कथन में सामाजिक समानता के सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि नाटक का पाठ पढ़ने का अवसर सबसे पहले मेधावी बच्चों को मिलना चाहिए।
(ख) इस कथन में राजनीतिक समानता के सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि इसमें कनाडा सरकार द्वारा अश्वेतों के साथ भेदभाव की नीति अपनाई गई है।
(ग) इस कथन में सामाजिक समानता के सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि इस तरह की समानता सभी नागरिकों के साथ एक-समान व्यवहार करने का दावा करती है।
(घ) इस कथन में भी सामाजिक समानता के सिद्धांत का ही उल्लंघन हो रहा है, क्योंकि वन क्षेत्रों पर निश्चित आदिवासी समुदायों का ही नहीं बल्कि पूरे आदिवासी समुदायों का अधिकार होना चाहिए।
प्रश्न 6.
यहाँ महिलाओं को मताधिकार देने के पक्ष में कुछ तर्क दिए गए हैं। इनमें से कौन-से तर्क समानता के विचार से संगत हैं। कारण भी दीजिए।
(क) स्त्रियाँ हमारी माताएँ हैं। हम अपनी माताओं को मताधिकार से वंचित करके अपमानित नहीं करेंगे।
(ख) सरकार के निर्णय पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी प्रभावित करते हैं इसलिए शासकों के चुनाव में उनका भी मत होना चाहिए।
(ग) महिलाओं को मताधिकार न देने से परिवारों में मतभेद पैदा हो जाएंगे।
(घ) महिलाओं से मिलकर आधी दुनिया बनती है। मताधिकार से वंचित करके लंबे समय तक उन्हें दबाकर नहीं रखा जा सकता है।
उत्तर:
तर्क (क) समानता के विचार से संगत है, क्योंकि इसमें पुरुषों की भाँति स्त्रियों को भी मताधिकार देने की बात कही गई है।
तर्क (ख) भी समानता के विचार से संगत है, क्योंकि इसमें भी स्त्रियों को पुरुषों की तरह मताधिकार देने की बात कही गई है।
तर्क (ग) समानता के विचार से मेल नहीं खाता. क्योंकि इसमें महिलाओं को मताधिकार नहीं देने की बात कही गई है।
तर्क (घ) समानता के विचार से मेल खाता है, क्योंकि इसमें स्पष्ट किया गया है कि जिस दुनिया में हम रहते हैं वह स्त्रियों और पुरुषों की बराबर की संख्या से बनी है और इस आधार पर उन्हें मताधिकार अवश्य दिया जाना चाहिए।
समानता HBSE 11th Class Political Science Notes
→ समानता राजनीति विज्ञान का एक आधारभूत सिद्धांत है। समानता प्रजातंत्र का एक मुख्य स्तंभ है। समानता व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए परम आवश्यक है।
→ प्रत्येक युग में मनुष्य ने समानता सामंतवाद और पूंजीवाद ने समानता के नारे को बुलंद किया है। समानता के महत्त्व को प्राचीनकाल से ही विचारकों ने स्वीकार किया है, किंतु यह एक महत्त्वपूर्ण अवधारणा के रूप में केवल 18वीं शताब्दी में ही उभरकर आई।
→ अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम (1776 ई०) और फ्रांस की राज्य क्रांति (1789 ई०) में जेफरसन, जॉन लॉक, रूसो, वाल्टैयर एवं पेन जैसे विचारकों ने स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व (Liberty, Equality and Fraternity) का नारा दिया जिसने आगे चलकर स्वतंत्र राष्ट्रों के निर्माण में मदद की।
→ 1776 ई० में अमेरिका में यह घोषणा की गई, “हम लोग इस सत्य को स्वतः सिद्ध मानते हैं कि सभी व्यक्ति समान पैदा होते हैं।”
→ सन् 1789 में फ्रांस की सफल क्रांति के बाद फ्रांस की राष्ट्रीय सभा (National Assembly) ने मानवीय अधिकारों की अपनी घोषणा में समानता के महत्त्व को स्वीकार करते हुए कहा था, “मनुष्य हमेशा स्वतंत्र और समान रूप में जन्म लेते हैं और अपने अधिकारों के विषय में समान ही रहते हैं।”
→ वर्तमान युग प्रजातंत्र और समाजवाद का युग है जिसका मूर्त रूप समानता के द्वारा ही संभव है। आज संपूर्ण विश्व समानता के सिद्धांत में आस्था प्रकट करता है तथा राजनीति विज्ञान की यह मुख्य धुरी बन गई है।
→ मानव-सभ्यता का विकास और प्रगति दोनों समानता के सिद्धांत पर आधारित हैं।