Author name: Prasanna

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

अति लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Type Questinos)

प्रश्न 1.
दो जीवाश्म ईंधनों के नाम दीजिए।
उत्तर-

  • कोयला,
  • पेट्रोलियम।

प्रश्न 2.
पर्यावरण संरक्षण हेतु आप किस तकनीक का प्रयोग करेंगे?
उत्तर-
तीन आर (Reduce, Recycle तथा Reuse) का।

प्रश्न 3.
चिपको आन्दोलन कहाँ प्रारम्भ हुआ?
उत्तर-
उत्तराखण्ड के ‘रेनी’ ग्राम में सन् 1970 में।

प्रश्न 4.
जल संग्रहण (Water Harvesting) क्या है ?
उत्तर-
जल संग्रहण का अर्थ है कि वर्षा के पानी को एकत्र करके बाद में उपयोग करना।

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प्रश्न 5.
प्रदूषण क्या है ?
उत्तर-
प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले अथवा शुद्ध रूप में पाए जाने वाले पदार्थों में धूल कण तथा अन्य नुकसानदेह पदार्थों का मिश्रण प्रदूषण कहलाता है।

प्रश्न 6.
CFC का पूरा नाम बताएँ।
उत्तर-
क्लोरोफ्लोरो कार्बन।

प्रश्न 7.
गंगा सफाई योजना किस सन् में अपनाई गई थी?
उत्तर-
सन् 1985.

प्रश्न 8.
कोलीफॉर्म क्या है ?
उत्तर-
कोलीफार्म एक जीवाणु वर्ग है जो जल प्रदूषण के कारण मानव की आँत में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
खुदाई से किस प्रकार प्रदूषण बढ़ता है ?
उत्तर-
खुदाई में धातु निष्कर्षण के साथ-साथ बड़ी मात्रा में धातुमल निकलता है।

प्रश्न 10.
समुद्री जल से हमें क्या मिलता है ?
उत्तर-
आयोडीन हमें समुद्री जल से प्राप्त होता है।

प्रश्न 11.
सौर ऊर्जा हमें किस प्रकार मिलती है ?
उत्तर-
सौर ऊर्जा हमें सौर किरणों के रूप में सीधे सूर्य से मिलती है एवं पेड़-पौधों के द्वारा हम उसे ग्रहण करते हैं।

प्रश्न 12.
तीन विषैली गैसों के नाम बताएँ।
उत्तर-
नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड विषैली गैसें हैं।

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प्रश्न 13.
तीन मुख्य खनिज संसाधनों के नाम बताएँ।
उत्तर-
कॉपर, आयरन तथा मैंगनीज।

प्रश्न 14.
ऊर्जा के नवीनीकरणीय स्रोतों के उदाहरण दो।
उत्तर-
लकड़ी, जल तथा सौर ऊर्जा ।

प्रश्न 15.
ऊर्जा के अनवीनीकरणीय स्रोतों के दो उदाहरण दें।
उत्तर-
कोयला एवं पेट्रोलियम ।

प्रश्न 16.
जल संभर प्रबंधन में किस पर जोर दिया जाता है?
उत्तर-
मृदा एवं जलसंरक्षण पर।

प्रश्न 17.
वन्य संपदा संरक्षण के दो उपाय बताओ।
उत्तर-

  1. प्राकृतिक आवासों में मानव दखल को रोका जाए।
  2. शिकार को वर्जित किया जाए।

प्रश्न 18.
भारत की वर्षा किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
मानसून पर।

प्रश्न 19.
टिम्बर का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
इमारती लकड़ी।

प्रश्न 20.
वनों से प्राप्त उत्पादों की सूची बनाइए।
उत्तर-
लकड़ी, फल, फूल, शहद, ईंधन, माँस, ऊन, हाथी-दाँत आदि।

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प्रश्न 21.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन की मात्रा का क्या प्रतिशत है ?
उत्तर-
78%.

प्रश्न 22.
जल प्रदूषण के दो कारण लिखिए।
उत्तर-

  1. वाहित मल विसर्जन
  2. परमाणु भट्टी से निकला जल।

प्रश्न 23.
जल प्रदूषण के दो प्रभाव बताइए।
उत्तर-

  • प्रदूषित जल प्रयोग करने से भयंकर बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • जलीय जीवों की मृत्यु।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमें संसाधनों के प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता (मा. शि. बोर्ड 2012)
उत्तर-
संसाधन सीमित होते हैं। हमें अनेक दैनिक वस्तुएँ प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होती हैं। यदि हम इन संसाधनों का उपयोग अल्प समय में कर लेंगे तो अपनी भावी पीढ़ी को इन संसाधनों से वंचित रहना पड़ेगा। इसीलिए हमें संसाधनों का प्रयोग विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए।

प्रश्न 2.
संपोषणीय विकास से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
संपोषणीय विकास की संकल्पना मनुष्य की वर्तमान आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं विकास को प्रोत्साहित तो करती ही है साथ ही आने वाली पीढ़ी के लिए संसाधनों का संरक्षण भी करती है। आर्थिक विकास पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित है अतः संपोषित विकास से जीवन के सभी आयाम में परिवर्तन निहित हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में प्रत्येक के तीन लाभों की सूची बनाइए:
(i) कम अवधि के उद्देश्य से संसाधनों का दोहन, तथा
(ii) हमारे प्राकृतिक संसाधनों का लम्बी अवधि को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन। (CBSE 2019)
उत्तर-
(i) कम अवधि के उद्देश्य से संसाधनों के दोहन के लाभ –
(a) वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को शीघ्रता से पूरा करना।
(b) बिना किसी जवाबदेही के अधिक लाभ अर्जित करना।
(iii) आधुनिकीकरण व औद्योगिकरण को तीव्रता से बढ़ाना।

(ii) प्राकृतिक संसाधनों की लम्बी अवधि के प्रबंधन के लाभ
(a) वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी के लिए संसाधनों को बनाए रखना।
(b) इससे प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन पर रोक लगेगी।
(c) पर्यावरण को भी कम-से-कम क्षति होगी।

प्रश्न 4.
“वन जैव विविधता के तप्त स्थल (Hotspots) है” इस कथन को समझाइए।
उत्तर-
जैव विविधता का एक आधार उस क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न स्पीशीज की संख्या है। किसी स्थान विशेष पर पाए जाने वाले दुर्लभ प्राणिजात एवं पादपजात जैव विविधता के तप्तस्थल कहलाते हैं। ऐसे विशिष्ट स्थल केवल वनों में ही पाए जाते हैं। ये स्थल हमारी प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करते हैं।

प्रश्न 5.
(i) वन संरक्षण तथा
(ii) जंगली प्राणियों के संरक्षण में प्रत्येक के दो-दोलाभ लिखिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
(i) वन संरक्षण के लाभ
(a) वन संरक्षण से बाढ़ तथा भूमि कटाव को रोकने में सहायता मिलती है।
(b) वन संरक्षण से उस स्थान की ‘जैव विविधता’ भली प्रकार बनी रहती है।
(c) वन संरक्षण बाढ़ जैसी भयानक प्राकृतिक आपदा को भी रोकने में सहायक है।

(ii) जंगली प्राणियों के संरक्षण
(a) इनके संरक्षण से पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने में सहायता मिलती है।
(b) जंगली प्राणियों के संरक्षण से खाद्य श्रृंखलाएँ तथा खाद्य जाल सुरक्षित रहते हैं।

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प्रश्न 6.
पर्यावरण संरक्षण में वनों की तीनभूमिकाओं की सूची बनाइए। वन किस प्रकार अपक्षयित (नष्ट) हो जाते हैं? वनोन्मूलन के पर्यावरण पर दो दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
पर्यावरण संरक्षण में वनों की भूमिका

  • वन वर्षा लाने में सहायक होते हैं जिससे पर्यावरण में जल-चक्र संतुलित रहता है।
  • वन वन्यजीवों तथा पक्षियों को वास-स्थान प्रदान करते हैं।
  • वन मृदा की उर्वरता बनाये रखने में सहायक होते हैं तथा अधिक वर्षा के समय भूमि कटाव को भी रोकते हैं।

वनों के अपक्षयित होने के कारण-औद्योगीकरण तथा शहरीकरण के चलते वनों का धीरे-धीरे नाश हो रहा है। जनसंख्या बढ़ने के साथ उसके रहने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है और यह वनों के विनाश का मुख्य कारण बनती है। इसवेह अतिरिक्त जंगल में प्रतिवर्ष लगने वाली आग तथा अतिचारन के कारण भी वनों का प्रतिशत कम होता जा रहा है।

वनोन्मूलन के दुष्परिणाम-

  • पेड़ों के अधिक कटने से मृदा अपरदन होता है तथा जल-चक्र भी प्रभावित होता है।
  • वनोन्मूलन से वायुमण्डल में CO2, गैस की मात्रा बढ़ जाती है जिसके कारण अधिक हरितग्रह प्रभाव उत्पन्न होता है तथा वायुमण्डल का तापक्रम बढ़ने लगता है।

प्रश्न 7.
पारिस्थितिक विशेषज्ञों के अनुसार वनारोपण का क्या प्रभाव होगा?
उत्तर-
वनारोपण के निम्नलिखित प्रभाव होंगे –

  • वनों की वृद्धि से वायुप्रदूषण में कमी होगी।
  • वनों की वृद्धि से मृदा अपरदन कम होता है तथा वर्षा अधिक होती है।
  • कुछ वन वन भूमि की शुद्धता में वृद्धि करते हैं जिससे सल्फर तथा नाइट्रोजन के यौगिकों का ऑक्सीकरण होता है।
  • अम्लीय आर्द्र भूमि चीड़ के वृक्षों द्वारा उत्पन्न की जाती है जो भूमि की अम्लीयता को बढ़ाती है।

प्रश्न 8.
चिपको आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? (मा. शि. बोर्ड 2012)
अथवा
चिपको आन्दोलन क्या था? (CBSE 2016)
उत्तर-
गढ़वाल के रेनी नामक गाँव की महिलाओं ने वनों के ठेकेदार द्वारा काटे जाने का विरोध किया। उन्होंने पेड़ों से लिपटकर उनकी रक्षा की। उनके इस प्रयास से स्थानीय वन उजड़ने से बच गए। इस घटना को चिपको आन्दोलन नाम दिया गया।

प्रश्न 9.
वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए आप क्या उपाय सुझाएँगे ?
उत्तर-

  • प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा करना।
  • विलुप्त प्रजातियों को प्रजनन द्वारा बढ़ावा देना।
  • शिकार पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाना।
  • वृक्षों की कटाई को रोका जाना।

प्रश्न 10.
भू-जल की उपलब्धता में काफी कमी क्यों आई है?
उत्तर-
इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  • पेड़ों का काटा जाना।
  • भू-जल का अत्यधिक मात्रा में दोहन।
  • उद्योगों से पेय जल प्रदूषण।
  • अपर्याप्त वर्षा |

प्रश्न 11.
जल संग्रहण किसे कहते हैं? सामुदायिक स्तर पर जल संग्रहण से संबंधित दो प्रमुख लाभों की सूची बनाइए। भूजल की संपोषित उपलब्धता में असफलता के दो.कारण लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
जल संग्रहण से अभिप्राय है जल तथा जल के भूमिगत स्रोतों को मनुष्य की प्राप्ति के लिए बनाए रखना। वर्षा के जल को भूमिगत जलाशयों, गड्ढे खोद कर, झीलों का निर्माण करके व छत पर बनी टंकियों में एकत्रित करके किया जाना चाहिए ताकि उस जल का उपयोग गरमी तथा सूखे के दिनों में किया जा सके।

सामुदायिक स्तर पर जल संग्रहण के दो लाभ-

  • सूखे के दिनों में एकत्रित जल को सभी लोगों में वितरित किया जा सकता है ताकि किसी के लिए जल का अभाव न हो।
  • इस जल द्वारा भीषण गर्मीयों में फसलों को भी न्यूनतम मात्रा में जल से सिंचित किया जा सकता है।

भूजल की संपोषित उपलब्धता में असफलता के दो कारण-

  1. नलकूपों द्वारा अत्यधिक मात्रा में फसलों की सिंचाई के लिए भूजल का उपयोग।
  2. स्थानीय लोगों द्वारा जल संग्रहण के पुराने तरीकों को त्याग देने के कारण।
  3. सिंचाई के लिए अधिक माँग वाली फसलों का विषयांतर।

प्रश्न 12.
बांध क्या होता है? हम बड़े बांध क्यों बनाना चाहते हैं? बड़े बांधों का निर्माण करते समय किन तीन समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों में शांति बनी रहे, उनका उल्लेख कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
किसी नदी के जल को, ऊँचाई पर बहुत बड़े कुंड-रूपी संरचना में एकत्र करने की प्रक्रिया को बांध कहते हैं। बड़े बाँध द्वारा जल संग्रहण पर्याप्त मात्रा में किया जा सकता है जिसका प्रयोग न केवल सिंचाई वरन् विद्युत का अधिक मात्रा में उत्पादन करने के लिए भी किया जाता है।

बड़े बांधों के निर्माण करते समय हमें निम्नलिखित समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए

  • बांध बनाने के कारण विस्थापित हुए किसानों तथा आदिवासी लोगों को पुनः स्थापित करना।
  • बांध के निर्माण के समय होने वाले खर्च पर नियंत्रण रखना।
  • बांध बनने से पर्यावरण का नुकसान कम से कम होना चाहिए।

प्रश्न 13.
‘जल संरक्षण की खादिन संरचना’ का नामांकित चित्र बनाकर जल संरक्षण के कोई दो उपाय लिखिए।
उत्तर-
अनुच्छेद 16.3.2. का अध्ययन करें।

प्रश्न 14.
वर्षा जल संग्रहण के दो तरीके तथा दो लाभ बताइए।
उत्तर-
वर्षा जल संग्रहण के उपाय
(i) खाली भूमि पर तालाब बनवाए जाएँ।
(ii) शहरों में भूमिगत टैंकों में छतों से आने वाला वर्षा जल संग्रहीत किया जाए।

वर्षा जल संग्रहण के लाभ –
(i) वर्ष भर पेय जल की उपलब्धता,
(ii) कृषि के लिए सिंचाई जल की प्राप्ति।

प्रश्न 15.
गंगा प्रदूषण के स्रोत क्या हैं ?
उत्तर-

  • कचरा एवं मल का प्रवाह-नगरों द्वारा उत्सर्जित कचरा एवं मल को नाले एवं नालियों द्वारा गंगा जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।
  • उद्योग अपशिष्ट-विभिन्न नगरों में स्थित छापेखाने, कागज मिलों, कपड़ा मिलों से निकली गन्दगी गंगा में छोड़ दी जाती है।

प्रश्न 16.
बड़े बाँधों के निर्माण के विरोध के क्या कारण हैं ? (नमूना प्रश्न पत्र 2012)
उत्तर-

  • सामाजिक कारण-बड़ी संख्या में जनजीवन को विस्थापित करना एवं उनका पुर्नवास कराना।
  • आर्थिक कारण-इन पर जनता का बहुत धन खर्च होता है।
  • पर्यावरणीय कारण-इनके निर्माण के कारण बड़ी मात्रा में वन विनाश होता है तथा प्रदूषण उत्पन्न होता है।

प्रश्न 17.
राजस्थान में कार्यान्वित वर्षा जल संग्रहण के खादिन तंत्र को समझाइए।
उत्तर-
‘खादिन’ का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। वर्षा जल संग्रहण के खादिन तंत्र की विशेषता है कि यह ढालू खेत के निचले भाग में निर्मित काफी लम्बा (100 मी से 300 मी) मिट्टी का बना तटबंध होता है। अपवाह क्षेत्र में जल ढलानों पर नीचे की ओर बहता है और बंध द्वारा रुककर जलाशय बना लेता है। एकत्र जल की कुछ मात्रा को कुँयें बनाकर भूमि में प्रवेश करा दिया जाता है। इन जलाशयों के सूखने पर भी इनमें काफी नमी होती है, जहाँ फिर कृषि की जाती है।

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प्रश्न 18.
जल के भौम जल संग्रहण के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
जल के भौम जल के रूप में संग्रहण के निम्नलिखित लाभ है-

  • यह वाष्प बनकर उड़ता नहीं है।
  • इसके लिए अधिक भूमि क्षेत्र की आवश्यकता नहीं व होती है।
  • यह पौधों की जड़ों द्वारा अवशोषित होता है।
  • इससे भूमि जल स्तर में वृद्धि होती है।

प्रश्न 19.
जीवाश्मी ईंधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढंग से करना चाहिए। क्यों ?
उत्तर-

  1. पृथ्वी पर जीवाश्मी ईंधनों के स्रोतों (कोयला एवं पेट्रोलियम) की मात्रा सीमित है।
  2. जीवाश्मी ईंधनों के जलाने से वायु प्रदूषण उत्पन्न होता है।

प्रश्न 20.
कोयला तथा पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के दो उपाय बताइए।
उत्तर-

  1. कोयला द्वारा निर्मित विद्युत उत्पादन तथा । इसकी खपत को कम करना चाहिए।
  2. व्यक्तिगत वाहनों के स्थान पर सामूहिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 21.
वायु में CO2, की मात्रा बढ़ने से क्या प्रभाव होते हैं?
उत्तर-

  • फसल के पैदावार क्रम में परिवर्तन होता है।
  • वैश्विक ऊष्मायन प्रभाव उत्पन्न होता है।
  • ध्रुवीय बर्फ पिघलती है।

प्रश्न 22.
ओजोन परत किस प्रकार बनती है? पृथ्वी पर सभी जीवन स्वरूपों के लिए इसके महत्त्व का उल्लेख कीजिए। 1980 के दशक में वायुमण्डल में ओज़ोन की मात्रा में तीव्रता से गिरावट क्यों आई? (CBSE 2020)
उत्तर-
आजोन परत का निर्माण-वायुमण्डल के ऊपरी भाग में सूर्य की पराबैंगनी विकिरणों के उपयोग से ऑक्सीजन गैस ओज़ोन में परिवर्तित होती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन 1
ओज़ोन परत का महत्त्व-पृथ्वी पर सभी जीवों को ओज़ोन परत सूर्य के प्रकाश की हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है। इसलिए सभी जीव इन विकिरणों से होने वाले रोगों से बच जाते हैं।
ओजोन परत का ह्रास-मनुष्य द्वारा अत्यधिक मात्रा में क्लोरोफ्लुओरो कार्बन (CFCs) रसायनों के उपयोग करने के कारण 1980 के दशक में वायुमण्डल में आज़ोन की मात्रा में तीव्रता से गिरावट आई।

प्रश्न 23.
CO2 में उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर-
क्योटो प्रोटोकाल में CO2 के उत्सर्जन विनियमन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों में चर्चा की गई। इस समझौते के अनुसार औद्योगिक राष्ट्रों को अपने CO2 तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन स्तर में 5.2% की कमी लाने के लिए कहा गया था। आस्ट्रेलिया एवं आइसलैंड के लिए यह मानक क्रमश: 8% तथा 10% निर्धारित किया गया है। क्योटो प्रोटोकाल समझौता जापान में क्योटो शहर में दिसम्बर 1997 में हुआ था। इसे 16 फरवरी, 2005 को लागू किया गया। दिसम्बर 2006 तक 169 देशों ने इस समझौते का अनुमोदन किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘नमामि गंगे परियोजना’ पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर-
भारत सरकार ने गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामि गंगे नामक संरक्षण मिशन शुरू किया था। इस अभियान की शुरूवात 2014 में की गई थी। गंगा नदी को सन् 2020 तक प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प लिया गया है। इस मिशन के तहत केन्द्रीय हिस्सेदारी के साथ 8 राज्यों और 47 शहरों को कार्यान्वित किया गया है। इस योजना के तहत राष्ट्रीय निगरानी केन्द्र तथा 4 स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

इस मिशन के द्वारा गंगा नदी के मुख्य घटकों जैसे की नालों के गंदे जल का उपचार, नदी भूतल साफ-सफाई, नदी में से माद हटाना, नदी के आस-पास का विकास करना, जैव-विविधता संरक्षण, वनीकरण बनाना, ग्राम परियोजना इत्यादि शामिल है। राष्ट्रीय गंगा परिषद ने 2016 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का जगह ली थी। इस मिशन के तहत अब तक लगभग 313 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इनकी लागत 25,000 करोड़ रुपये है।

प्रश्न 2.
वन्य प्राणियों के जीवन की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कानून एवं नियम अस्तित्व में आए हैं ?
उत्तर-
केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा वन्य प्राणियों के जीवन की सुरक्षा के लिए अनेक नियम व कानून बनाए गए हैं-

  • वन्य पक्षी एवं प्राणी सुरक्षा नियम, 1912
  • मद्रास वन्य हाथी सुरक्षा नियम, 1873
  • अखिल भारतीय हाथी सुरक्षा नियम, 1879
  • बंगाल राइनो सुरक्षा कानून, 1932.
  • वन्य प्राणियों हेतु भारतीय बोर्ड की स्थापना, 1952.
  • राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य प्राणी विज्ञानशालाओं की स्थापना।
  • असम गैंडा सुरक्षा कानून 1954.
  • जैव मंडल सुरक्षा हेतु भारतीय राष्ट्रीय मानव तथा जैव-मण्डलीय समिति, 1972.
  • विलुप्त होती जा रही प्रजातियों जैसे मगरमच्छ तथा बाघों के संरक्षण हेतु परियोजना 1973.
  • राष्ट्रीय वन्य जीवन क्रियाकलाप नियम, 1982.

प्रश्न 3.
वनों को किस प्रकार हानि होती है ? वन विनाश के प्रभाव तथा वन विनाश को रोकने के उपाय सुझाइए।
उत्तर-
वन हमारे प्राकृतिक संसाधन हैं। वनों की हानि के लिए मनुष्य सबसे अधिक जिम्मेदार है। मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं जैसे कृषि भूमि, भवन निर्माण, उद्योगधन्धे, आखेट, ईधन आदि के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की है जिससे प्राकृतिक संतुलन खतरे में पड़ गया है। बढ़ती आबादी एवं विकास कार्यक्रमों के कारण वन भूमि सिकुड़ती जा रही है।

वन विनाश के निम्नलिखित प्रभाव हैं-

  • प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होना,
  • वन्य जीवों की संख्या में कमी,
  • सूखे की स्थिति उत्पन्न होना,
  • जलवायु में परिवर्तन,
  • मृदा अपरदन में वृद्धि।

वन विनाश को रोकने के निम्न उपाय किए जा सकते है-

  • खाली भूमि पर पुनः वन रोपण,
  • वनों की कटाई पर प्रतिबन्ध,
  • वनों को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित कर इन्हें हानि पहुँचाने वालों को दण्ड का प्रावधान,
  • जैव विविधता को बढ़ावा देना,
  • पशुओं के चारण पर रोक,
  • व उत्पादों के विकल्पों की खोज।

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प्रश्न 4.
सार्वसूचक (Universal indicator) की सहायता से अपने घर में आपूर्ति पानी का pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
सार्वसूचक एक pH सूचक है, जो pH के विभिन्न मान वाले विलयनों में विभिन्न रंग प्रदर्शित करता है। अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। क्षारकों का स्वाद कड़वा होता है। यह लाल लिटमस को नीला कर देते हैं लिटमस एक प्राकृतिक सूचक होता है।

पानी के नमूनों को अलग-अलग परखनली या बीकर में लेकर इसमें लिटमस कागज डालने पर कागज में आने वाले परिवर्तनों से पानी के नमूने की प्रकृति ज्ञात की जा सकती है। यदि रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो वह जल का नमूना उदासीन होता है। उदासीन जल का pH मान 7 होता है। इससे कम मान अम्लता को तथा अधिक मान क्षारकता को प्रदर्शित करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. मानव की आँत में कौन सा जीवाणु होता है जो गंगा जल को दूषित करता है ?
(a) राइजोबियम
(b) कोलीफॉर्म
(c) फीताकृमि
(d) प्लाज्मोडियम
उत्तर-
(b) कोलीफॉर्म।

2. IUCN का अर्थ है-
(a) इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर एण्ड नेचुरल रिसोर्सेस
(b) इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ कंट्री नेचर
(c) इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ कॉउन्सिल नेचुरल रिसॉर्सेस
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर एण्ड नेचुरल रिसोर्सेस।

3. पर्यावरण को बचाने के लिए है –
(a) 3R’
(b) 5 Rs.
(c) 3 Ps.
(d) 5 Ps.
उत्तर-
(a) 3R’.

4. प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होता है-
(a) भोजन
(b) सीमेण्ट
(c) पत्थर
(d) ये सभी।
उत्तर-
(d) ये सभी।

5. संसाधन प्रबंधन का अर्थ है कि उनका उपयोग
(a) गाँव में रहने वाले करें
(b) शहर में रहने वाले करें
(c) सभी वर्गों में समान रूप से हो
(d) सिर्फ उद्योगपति करें।
उत्तर-
(c) सभी वर्गों में समान रूप से हो।

6. सन् 1970 के गढ़वाल में ‘रेनी’ नामक गाँव में पेड़ों को बचाने के लिए कौन सा आन्दोलन चलाया गया?
(a) पर्यावरण बचाओ आन्दोलन
(b) चिपको आन्दोलन
(c) खेजड़ी बचाओ आन्दोलन
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(b) चिपको आन्दोलन।

7. किस वर्ष खेजड़ली गाँव में 363 लोगों ने ‘खेजड़ी वृक्षों’ को बचाने हेतु अपने जीवन का बलिदान दिया ?
(a) 1741
(b) 1831
(c) 1713
(d) 1841.
उत्तर-
(c) 1713.

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8. भारत में जल संग्रहण की पुरानी पद्धति है-
(a) खादिन एवं कुल्ह
(b) बंधारस एवं ताल
(c) अहार तथा पाइन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

9. जल संग्रहण है-
(a) जलीय नहरों का शाखान्वयन
(b) नदियों का शाखान्वयन
(c) वर्षा जल का संग्रहण
(d) गंदे जल का संग्रहण ।
उत्तर-
(c) वर्षा जल का संग्रहण।

10. चिपको आंदोलन किस वर्ष प्रारम्भ हुआ ?
(a) 1970
(b) 1985
(c) 1990
(d) 1995.
उत्तर-
(a) 1970.

11. गंगा कार्य योजना किस वर्ष प्रारम्भ हुई थी ?
(a) 1980
(b) 1985
(c) 1990
(d) 1995.
उत्तर-
(b) 1985.

12. सरदार सरोवर बाँध किस नदी पर निर्मित हुआ?
(a) नर्मदा
(b) गंगा
(c) नर्मदा
(d) तावा।
उत्तर-
(c) नर्मदा।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. सफेदी करने के दो-तीन दिन बाद ……………………….. की परत का निर्माण होता है।
उत्तर-
कैल्सियम कार्बोनेट,

2. श्वसन एक ……………………….. रासायनिक अभिक्रिया है।
उत्तर-
ऊष्माक्षेपी,

3. लोहे की वस्तुओं पर जंग उनकी खुली सतह पर ……………………….. एवं ……………………….. के कारण लगती हैं।
उत्तर-
ऑक्सीजन, नमी,

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

4. तेल एव वसायुक्त खाद्य पदार्थों के अपचयन से बचाव हेतु हम इनमें ……………………….. प्रवाहित कर देते हैं।
उत्तर-
नाइट्रोजन,

5. मैग्नीशियम को वापयु की उपस्थिति में जलाने पर ……………………….. प्राप्त होगा।
उत्तर-
मैग्नीशियम ऑक्साइड।

सुमेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)

सूची A तथा सूची B को मिलान कीजिए।

सूची Aसूची B
1. कुल्ह(i) उत्तरप्रदेश
2. चिपको आन्दोलन(ii) वन
3. तालाब(iii) हिमाचल प्रदेश
4. तप्त स्थल(iv) कागज उद्योग
5. गंगा सफाई योजना(v) 1985
6. वन पर आधारित(vi) उत्तराखंड

उत्तर-

सूची Aसूची B
1. कुल्ह(iii) हिमाचल प्रदेश
2. चिपको आन्दोलन(vi) उत्तराखंड
3. तालाब(i) उत्तरप्रदेश
4. तप्त स्थल(ii) वन
5. गंगा सफाई योजना(v) 1985
6. वन पर आधारित(iv) कागज उद्योग

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

(b)

सूची A, सिंचाई प्रणालीसूची B, राज्य
1. खादिन(i) महाराष्ट्र
2. ताल(ii) केरल
3. कुल्ह(iii) तमिलनाडु
4. एरिस(iv) राजस्थान
5. पाइन(v) हिमाचल प्रदेश
6. सुरंगम(vi) बिहार

उत्तर-

सूची A, सिंचाई प्रणालीसूची B, राज्य
1. खादिन(iv) राजस्थान
2. ताल(i) महाराष्ट्र
3. कुल्ह(v) हिमाचल प्रदेश
4. एरिस(iii) तमिलनाडु
5. पाइन(vi) बिहार
6. सुरंगम(ii) केरल

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HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

निबन्धात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
राष्ट्र निर्माण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण की समस्या सभी राष्ट्रों के सामने आती है। यह समस्या विशेषकर उन देशों की है जिन्होंने द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् स्वतन्त्रता प्राप्त की। आज भी यह समस्या तीसरे विश्व (Third World) के देशों के लिए बनी हुई है।

राष्ट्र-निर्माण का अर्थ (Meaning of Nation-Building):
राष्ट्र निर्माण के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण हैं। एक इतिहासकार राष्ट्रों के विकास (Growth of Nations) की शब्दावली का प्रयोग करता है जबकि एक राजनीतिज्ञ राष्ट्र निर्माण (Nation-Building) की भाषा बोलता है। समाजशास्त्री राष्ट्र विकास (Nation Development) जैसे शब्दों का प्रयोग करता है। राष्ट्र निर्माण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा राष्ट्र निर्माण की चुनौतियां ।

कुछ समूहों में राष्ट्रीय चेतना प्रकट होती है। यह सामाजिक प्रक्रिया कई प्रकार की संस्थाओं में पाई जाती है। इसके कई स्वरूप होते हैं जिनके द्वारा राष्ट्र निर्माण का कार्य होता है। डेविड ए० विलसन (David A. Wilson) के शब्दों में, “राष्ट्र निर्माण से अभिप्राय वह सामाजिक प्रक्रिया अथवा प्रक्रियाएं हैं जिनके द्वारा कुछ समूहों में राष्ट्रीय चेतना उभरती है तथा यह समूह कुछ-न-कुछ संगठित सामाजिक संरचनाओं के माध्यम से समाज के लिए राजनैतिक स्वायत्तता प्राप्त करते हैं।’

लुसियन पाई (Pye) के मतानुसार, “राष्ट्र निर्माण का अर्थ है वह प्रक्रिया जिसके द्वारा लोग छोटे कबीलों, गांवों, नगरों या छोटी रियासतों के प्रति वफ़ादारी और बन्धनों को विशाल केन्द्रीय राजनीतिक प्रणाली की ओर मोड़ लेते हैं।”

गिलक्राइस्ट (Gilchrist) ने राष्ट्र की परिभाषा इस प्रकार दी है, “राष्ट्र राज्य तथा राष्ट्रीयता का योग है।”

ब्लंट्शली (Bluntschli) के अनुसार, “राष्ट्र निर्माण मनुष्यों के ऐसे समूह को कहते हैं जो विशेषतया भाषा और रीति-रिवाज द्वारा एक समान सभ्यता में बंधे हुए हों, जिससे उनमें एकता और समस्त विदेशियों से भिन्नता की भावना पैदा होती है।”

नाविको (Navicow) कहता है कि, “राष्ट्र एक सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक एकता है और सामाजिक विकास का उच्चतम उत्पादन है।” कुछ विद्वान् राष्ट्र निर्माण को राजनीतिक विकास समझते हैं। परन्तु वास्तव में राष्ट्र निर्माण राजनीतिक विकास नहीं है। राजनीतिक विकास का अर्थ समाज का सामूहिक राजनीतिक परिवर्तन होता है। (Total Political Formation of Society.) राजनीतिक परिवर्तन के भिन्न-भिन्न पक्ष होते हैं।

आल्मण्ड और पॉवेल (Almond and Powell) के अनुसार, “राजनीतिक विकास अर्थात् राजनीतिक परिवर्तन में चार मुख्य समस्याएं होती हैं।” वे हैं-राज्य निर्माण, राष्ट्र निर्माण, राजनीतिक भागेदारी, कल्याण और विभाजन। (State building, Political Participation, Welfare and Distribution.) इसका अर्थ यह है कि राष्ट्र निर्माण न तो राज्य निर्माण है और न ही इसको राजनीतिक विकास कहा जा सकता है क्योंकि आल्मण्ड के मतानुसार राज्य निर्माण का अर्थ है एक राज्य में नये ढांचों की रचना और सरकार के चले हुए ढांचों का पुनर्गठन और उसकी अधिक क्रिया। इससे अभिप्राय यह है कि राज्य निर्माण का अर्थ है आधुनिक राजनीतिक ढांचों के सभी रूपों की रचना।

इसके विपरीत राष्ट्र निर्माण एक ढांचे सम्बन्धी समस्या नहीं है, राष्ट्र निर्माण राजनीतिक विकास के सांस्कृतिक पक्ष पर जोर देता है। इसके अनुसार एक राष्ट्र में ऐसी प्रक्रिया हो जिसके द्वारा लोग अपने छोटे-छोटे कबीलों, गांवों और नगरों के प्रति वफ़ादारी के स्थान पर विशाल केन्द्रीय राजनीतिक प्रणाली को वफ़ादारी प्रदान करें।

साधारण शब्दों में इसका अर्थ यह है कि परम्परावादी संकुचित वफ़ादारों को समाप्त होना चाहिए जैसे कि परिवार, जाति, धर्म, आदि के प्रति वफ़ादारी के स्थान पर सम्पूर्ण प्रणाली तथा राष्ट्र के प्रति वफ़ादारी होनी चाहिए। इससे अभिप्राय यह है कि एक देश में राष्ट्रीय एकीकरण (National Integration) हो जहां एक व्यक्ति सीमित वफ़ादारियों की तुलना में राज्य के प्रति वफादारियों को अधिक महत्त्व दें।

प्रश्न 2.
राष्ट्र निर्माण की परिभाषा दीजिए और राष्ट्र निर्माण के मुख्य तत्त्वों का उल्लेख करें।
अथवा
राष्ट्र निर्माण का अर्थ स्पष्ट करें। राष्ट्र निर्माण के मुख्य तत्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण का अर्थ- इसके लिए प्रश्न नं० 1 देखें। राष्ट्र निर्माण के तत्त्व-इसके लिए पाठ्य-पुस्तक का प्रश्न नं० १ देखें।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

प्रश्न 3.
“राष्ट्र निर्माण” के मार्ग में बाधक तत्वों का वर्णन कीजिए।
अथवा
राष्ट्र निर्माण के मार्ग में आने वाले बाधक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत को विदेशी गुलामी से स्वतंत्रता 15 अगस्त, 1947 को प्राप्त हुई थी। इस दीर्घ समय में भारत राष्ट्र निर्माण के आदर्श को प्राप्त नहीं कर सका है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत में कुछ ऐसी समस्याएं विद्यमान हैं जो राष्ट्र निर्माण के मार्ग में बाधाएं सिद्ध हुई हैं। ऐसी कुछ समस्याएं अथवा बाधाएं इस प्रकार हैं

1. साम्प्रदायिकता (Communalism):
भारत बहुधर्मी देश है। अंग्रेजों ने भारत के इस बहुधर्मी स्वरूप को अपने राजनीतिक हितों के लिए प्रयोग किया था। उन्होंने भारतीयों में ‘फूट डालो तथा राज्य करो’ की नीति (Policy of divide and rule) को ग्रहण किया था। अंग्रेजों ने विशेष रूप से हिन्दुओं तथा मुसलमानों में पारस्परिक वैर विरोध बढ़ाने के लिए विशेष प्रयत्न किये थे।

उनके ऐसे प्रयत्नों के कारण ही 1947 में साम्प्रदायिक आधार पर भारत का विभाजन हुआ था। इस विभाजन के साथ ही भारत में साम्प्रदायिकता समाप्त न हुई, बल्कि अनेक कारणों ने साम्प्रदायिकता को और भी अधिक उत्तेजित किया तथा अन्त में यह समस्या राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक महत्त्वपूर्ण संकट अथवा बाधा बन गई।

2. जातिवाद (Casteism):
साम्प्रदायिकता की तरह जातिवाद भी राष्ट्र निर्माण के मार्ग में एक बड़ी बाधा है। जातिवाद के तथ्य ने लोगों को तुच्छ विचारों वाले मनुष्य बना दिया है। अनेक लोग राष्ट्रीय हितों की अपेक्षा जाति हितों को प्राथमिकता देते हैं। उनकी ऐसी प्रवृत्ति ही राष्ट्रीय एकीकरण के मार्ग में बड़ी बाधा है।

3. भाषावाद (Linguism):
जिस तरह भारत एक बह-धर्मी देश है उसी तरह भारत एक बह-भाषाई देश भी है। भारतीय संविधान ने हिन्दी सहित भारत की 22 भाषाओं को मान्यता दी है। परन्तु भारत में बोलने वाली भाषाएं कई सैंकड़ों में हैं। भारतीय लोग अपनी भाषा के साथ बहुत अनुराग रखते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि सभी लोगों को अपनी मातृ-भाषा से प्रेम होता है। परन्तु भारत में भाषा को एक राजनीतिक तथ्य बना दिया गया है। भाषावाद तथा साम्प्रदायिकता का गम्भीर संगम कर दिया है तथा यह संगम राष्ट्र निर्माण के मार्ग में बाधा बना हुआ है।

4. क्षेत्रवाद (Regionalism):
भारत एक विशाल देश है जिसके कई क्षेत्र (Regions) हैं। कई क्षेत्रों को भाषा के आधार पर राज्यों के रूप में संगठित किया गया है। लोगों की क्षेत्रवाद की भावना इतनी अधिक बलवान् है कि राष्ट्रीय सरकार इन विवादों को सम्बन्धित लोगों की प्रसन्नतानुसार हल नहीं कर सकी है। क्षेत्रवाद की इस बलवान भावना के कारण ही भारत के कई भागों में पृथक्कवाद का स्वर भी उठा है। इस तरह क्षेत्रवाद अथवा प्रदेशवाद राष्ट्र निर्माण के मार्ग में बाधा बन गया है।

5. साम्प्रदायिक राजनीतिक दल (Communal Political Parties):
भारत के कुछ राजनीतिक दल साम्प्रदायिक आधारों पर संगठित किए गए हैं। कुछ ऐसे दल भी हैं जिसका संगठन जाति अथवा भाषा के आधार पर किया गया है। ऐसे राजनीतिक दल दोनों की धार्मिक, जातीय अथवा भाषाई भावनाओं को अपने राजनीतिक हितों के लिए उत्तेजित करते हैं। इस तरह की नीतियों वाले राजनीतिक दल भी राष्ट्र निर्माण के मार्ग में रुकावट सिद्ध होते हैं।

6. राजनीतिक अवसरवादिता (Political Opportunism):
भारत में लगभग सभी राजनीतिक दलों में राजनीतिक अवसरवादिता पाई जाती है। राजनीतिक व्यक्ति यह देखते हैं कि उसके दल को राजनीतिक लाभ किस तरह हो सकता है। राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए विरोधी विचारों वाले राजनीतिक दल चुनाव गठबन्धन कर लेते हैं। इसका परिणाम यह निकला है कि अधिकतर नेताओं तथा उनके समर्थकों में अपने स्वार्थी हितों के अतिरिक्त राष्ट्र अथवा समाज के हितों के विषय में सोचने अथवा कुछ करने की कोई रुचि नहीं रही है। ऐसी रुचि का अभाव भी राष्ट्र निर्माण के आदर्श के लिए हानिकारक सिद्ध हो रहा है।

7. ग़रीबी तथा निरक्षरता (Poverty and Illiteracy):
भारत में ग़रीबी तथा निरक्षरता व्यापक स्तर पर पाई जाती है। ऐसे लोगों को राष्ट्र निर्माण के अर्थों का ज्ञान शायद तब तक न हो सके जब तक ग़रीबी तथा निरक्षरता से उनकी मुक्ति नहीं हो जाती है।

8. आन्दोलनों तथा हिंसा की राजनीति (Politics of Agitation and Violence):
भारतीय राजनीति वास्तव में आन्दोलनों की राजनीति बन गई है। छोटी-छोटी बातों के लिए भी हड़तालों, धरनों, रैलियों इत्यादि का सहारा लिया जाता है। हिंसक घटनाएं लोगों में एक-दूसरे के प्रति घृणा उत्पन्न करती हैं। इस तरह आन्दोलनों तथा हिंसा की राजनीति भी राष्ट्र निर्माण के मार्ग में बाधा सिद्ध हो रही है।

9. अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना (Sence of Insecurity in Minorities):
भारत में अनेक ही धार्मिक, भाषाई तथा सांस्कृतिक अल्पसंख्यक है। संविधान ने इन अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति तथा भाषा की सुरक्षा का अधिकार दिया हुआ है परन्तु इसके बावजूद भारत में रहते अल्पसंख्यकों को असुरक्षा की भावना अनुभव होती है। इस तरह अल्पसंख्यकों तथा बहुसंख्यकों में अविश्वास की भावना बढ़ती जा रही है तथा भावना राष्ट्र निर्माण के लिए बाधा सिद्ध होगी।

10. अपर्याप्त संसाधन (Inadequate Resources):
भारत में धन एवं पर्याप्त संसाधनों की कमी है, जिसके कारण राष्ट्र निर्माण के कार्यों में बाधा पहुंचती है।

प्रश्न 4.
राष्ट्र निर्माण के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए। 2014, 18)
उत्तर:
भारतीय राष्ट्र निर्माण के मार्ग में आने वाली रुकावटों को निम्नलिखित उपायों द्वारा दूर किया जा सकता है

1. शिक्षा प्रणाली में सुधार (Reforms in Educational System):
प्रचलित भारतीय शैक्षिक प्रणाली में क्रान्तिकारी सुधार किए जाने अनिवार्य हैं। शिक्षा को वास्तविक जीवन से सम्बन्धित करने की अति आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त शैक्षिक प्रणाली में ऐसे सुधार करने चाहिए जिनके फलस्वरूप शिक्षा रोज़गार प्रधान (Employment Oriented) हो तथा विद्यार्थियों में हथकरघों का गुण विकसित करे।

शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा पास करना ही नहीं होना चाहिए बल्कि विद्यार्थियों में देश-भक्ति तथा राष्ट्रवाद की भावना तथा राष्ट्रीय चरित्र का विकास होना चाहिए। पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो विद्यार्थियों में धर्म-निरपेक्षता का गुण विकसित कर सके तथा उनके दृष्टिकोण को विशाल कर सके।

2. ग़रीबी तथा बेरोज़गारी को दूर करना (Removal of Poverty and Unemployment):
जब तक बेरोज़गारी को समाप्त नहीं किया जाता तब तक ग़रीबी की भी समाप्ति नहीं हो सकती। ये दोनों आर्थिक बुराइयां परस्पर सम्बन्धित हैं तथा दोनों की समाप्ति के बिना राष्ट्र निर्माण का कार्य सफल नहीं हो सकता।

3. सन्तुलित आर्थिक विकास (Balanced Economic Development):
भारत के विभिन्न भागों अथवा क्षेत्रों का सन्तुलित विकास होना अनिवार्य है। यदि कुछ क्षेत्र अधिक विकसित हों तथा कुछ अधिक पिछड़े होंगे तो उनमें ईर्ष्या अथवा पारस्परिक विरोध की भावना उत्पन्न हो सकती है। इस पारस्परिक विरोध के अतिरिक्त पिछड़े हुए क्षेत्रों के लोगों में ऐसा असन्तोष फैलता है कि वह धीरे-धीरे राष्ट्रीय मुख्य धारा से दूर होते जाते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए देश के सभी क्षेत्रों का सन्तुलित विकास होना चाहिए।

4. भाषा की समस्या का समाधान (Solution of Language Problem):
भारत में भाषा की समस्या भी गम्भीर रूप की है। भाषा की समस्या का समाधान करने के लिए तीन भाषाई फार्मूला तैयार किया गया था। इस फार्मूले ने भाषा सम्बन्धी समस्या की गम्भीरता को कुछ कम तो अवश्य किया है परन्तु समस्या पूरी तरह हल नहीं हुई। भाषा सम्बन्धी समस्या को हल किए बिना राष्ट्र निर्माण के आदर्श की प्राप्ति असम्भव है।

5. भारतीय भाषाओं की एक साझी लिपि (Common Script for all Indian Languages):
राष्ट्र निर्माण के कार्य की सफलता के लिए सभी भारतीय भाषाओं की एक सांझी लिपि का विकास करना अनिवार्य है। यूरोप के कई देशों में कई भाषाएं बोली जाती हैं तथा रोमन लिपि को सभी भाषाओं की एक सांझी लिपि के रूप में ग्रहण किया जाता है।

आचार्य विनोबा भावे तथा श्री राज नारायण ने देवनागरी लिपि को सभी भारतीय भाषाओं की सांझी लिपि के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया था। यदि कोई सांझी लिपि ग्रहण कर ली जाए तो विभिन्न भाषाएं बोलने वाले भारतीयों में वह लिपि साझी कड़ी का काम कर सकती है।

6. स्वस्थ राजनीतिक वातावरण (Healthy Political Atmosphere):
यदि देश के राजनीतिक वातावरण में आवश्यक सुधार न किए गए तो राष्ट निर्माण का आदर्श मात्र कल्पना बन कर ही रह जाएगा। इसलिए यह अनिवार्य है कि राजनीतिक बुराइयों को दूर करके राजनीतिक वातावरण स्वस्थ बनाया जाए।

7. स्वच्छ प्रशासन (Clean Administration):
राजनीतिक भ्रष्टाचार ने प्रशासन को भी भ्रष्ट बना दिया है। आज प्रशासन के प्रत्येक स्तर पर भ्रष्टाचार की भरमार है। धन के बल से प्रशासकीय अधिकारियों से गैर-कानूनी कार्य भी करवाए जाते हैं। यह भी सत्य है कि रिश्वत दिए बिना उचित कार्य कम ही होते हैं। प्रशासन में बेइमानी, रिश्वतखोरी को समाप्त करने की आवश्यकता है। ऐसी बुराइयों को समाप्त करने से ही स्वच्छ प्रशासन सम्भव हो सकता है।

8. साम्प्रदायिक राजनीतिक दलों तथा संगठनों पर प्रतिबन्ध (Ban on Communal Parties and Organisations):
राष्ट्र निर्माण की प्राप्ति के लिए यह भी आवश्यक है कि ऐसे राजनीतिक दलों तथा संगठनों पर प्रतिबन्ध लगाया जाए जो लोगों में साम्प्रदायिकता की घृणा उत्पन्न करते हैं।

9. दल प्रणाली में सुधार (Reforms in Party System):
हमारे देश में बहुदलीय प्रणाली है। ठोस सिद्धान्तों पर आधारित राजनीतिक दलों का अभाव है। दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का भी अभाव है। गुटबन्दी अथवा आन्तरिक धड़ेबन्दी लगभग प्रत्येक भारतीय राजनीतिक दल की विशेषता बन चुकी है। इतने अधिक राजनीतिक दल राष्ट्रीय एकता के लिए स्वयं ही संकट बन जाते हैं। राष्ट्र निर्माण के लिए यह अनिवार्य है कि दल प्रणाली में ऐसे सुधार किए जाएं।

10. भावनात्मक एकीकरण (Emotional Integration):
राष्ट्र निर्माण के लिए भारतीयों में भावनात्मक एकीकरण का होना है। भावनात्मक एकीकरण एक प्रकार की भावना है जिसका स्थान लोगों के मन तथा दिमागों में हैं। भावनात्मक एकीकरण की प्राप्ति सत्ताधारी कानूनों द्वारा नहीं हो सकती। यह तो एक आन्तरिक भावना है जो स्वयं ही विकसित हो सकती है तथा लोगों को जागृत करने से उनके मन में उत्पन्न की जा सकती है। भारतीय राष्ट्र निर्माण के आदर्श की प्राप्ति के लिए भारतीयों में पारस्परिक भावनात्मक साझेदारी विकसित की जानी अनिवार्य है।

प्रश्न 5.
विभाजन की विरासतों का वर्णन करें।
अथवा
1947 में भारत विभाजन से उत्पन्न समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत लगभग 200 वर्षों तक ब्रिटेन के अधीन रहा। एक लम्बे स्वतन्त्रता संग्राम के कारण भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई। परन्तु भारत की स्वतन्त्रता के साथ-साथ भारत का दुःखद विभाजन हो गया तथा पाकिस्तान नाम का एक नया स्वतन्त्र राज्य अस्तित्व में आया। भारत विभाजन के समय हमें बहुत-सी समस्याएं विरासत के रूप में मिलीं। जैसे रिफ्यूजियों के पुनर्वास की समस्या, कश्मीर समस्या, राज्यों के गठन एवं पुनर्गठन की समस्या तथा भाषा से सम्बन्धित राजनीतिक विवाद। इन समस्याओं से निपटने के लिए पं० नेहरू एवं सहयोगियों ने क्या दृष्टिकोण अपनाया, उनका वर्णन इस प्रकार है

1. शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या (Problem of resettlement of Refugee):
भारत के विभाजन के फलस्वरूप जो पहली समस्या हमें विरासत के रूप में मिली, वह थी शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या। जब भारत का विभाजन होना निश्चित हो गया, तो बड़ी संख्या में जो लोग पाकिस्तान को छोड़कर भारत आए, उन्हें ही वास्तव में शरणार्थी कहा जाता है। पाकिस्तान छोड़कर भारत आने वाले लोगों की संख्या लाखों में थी।

अतः सरकार के सामने इन लोगों के पुनर्वास की मुश्किल समस्या सामने थी। भारत सरकार को न केवल इन शरणार्थी लोगों को भारत में रहने के लिए घरों की ही व्यवस्था करनी थी, बल्कि उन्हें मनोवैज्ञानिक आधार पर यह समझाना भी था, कि जिस प्रकार वे पाकिस्तान में सुरक्षित जीवन व्यतीत कर रहे थे, वैसा ही सुरक्षित जीवन उन्हें अब भारत में भी प्रदान किया जायेगा।

परन्तु विभाजन के समय दोनों ओर से जिस प्रकार कत्लेआम किया जा रहा था, वैसी स्थिति में लोगों को किसी भी प्रकार का ढाढस या विश्वास दिलाना मुश्किल था, क्योंकि इस विभाजन के कारण लाखों लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा था यही कारण था, कि विभाजन के समय भारत आने वाले लोग, जिन्हें हम शरणार्थी कहते हैं, काफ़ी डरे हुए थे,

इसके साथ ही इन लोगों को अपनी ज़मीन जायदाद की चिन्ता भी सता रही थी कि बार्डर के दूसरी ओर (हिन्दुस्तान) जाकर हमें हमारी सम्पत्ति एवं जायदाद के मुआवजे के रूप में कुछ प्राप्त भी होगा, या नहीं। शरणार्थियों की इस प्रकार की समस्याओं ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री पं० नेहरू एवं उनके सहयोगियों के सामने मुश्किलें खड़ी कर रखी थीं तथा पं० नेहरू एवं उनके सहयोगियों के लिए इस प्रकार की समस्या से निपटना एक चुनौती थी।

समस्या का समाधान (Settlement of the Problems) यद्यपि शरणार्थियों की समस्या भारत के विभाजन की सबसे बड़ी समस्या थी, परन्तु भारत सरकार को इस समस्या को निपटाना ही था, अन्यथा भारत में अराजकता की स्थिति पैदा होने का खतरा था, तथा जो लोग अपना सब कुछ छोड़कर भारत आए उन्हें यह लगे कि उन्होंने भारत आकर कोई गल्ती नहीं की।

इस समस्या को हल करने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री पं० नेहरू ने दूरदर्शिता का परिचय दिया तथा लोगों के पुनर्वास को बड़े ही संयम ढंग से व्यावहारिक रूप प्रदान किया। पं० नेहरू ने शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए सर्वप्रथम एक पुनर्वास मन्त्रालय (Resettlement Ministry) का निर्माण किया, जिसको शरणार्थी लोगों के पुनर्वास की ज़िम्मेदारी सौंपी गई।

शरणार्थियों को अस्थाई तौर पर ठहराने के लिए जगह-जगह कैम्प लगाए। जैसे-जैसे इन लोगों के रहने की पूर्णकालिक व्यवस्था होने लगी, वैसे-वैसे उन्हें इन कैम्पों से निकालकर उन स्थानों पर भेजा जाने लगा। पं० नेहरू ने शरणार्थियों को मुआवजे के रूप में यथा-योग्य जमीन जायदाद प्रदान की। उन्हें सभी प्रकार के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक अधिकार प्रदान किये गए। 1955 में नागरिकता कानून बना कर इन शरणार्थियों को भारत का नागरिक बनाया गया। इस प्रकार पं० नेहरू ने अपने सकारात्मक दृष्टिकोण से एक बड़ी ही जटिल समस्या का समाधान किया।

2. कश्मीर की समस्या (The Kashmir Problem)-कश्मीर की समस्या भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक प्रमुख समस्या बनी हुई है। भारत के विभाजन स्वरूप कश्मीर समस्या पैदा हुई। स्वतन्त्रता से पहले कश्मीर भारत के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित एक देशी रियासत थी। भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय यह निर्णय लिया गया कि इस बात का फैसला स्वयं कश्मीर करेगा कि वह भारत में शामिल होना चाहता है या पाकिस्तान में या स्वतन्त्र राज्य बनना चाहेगा। कश्मीर के राजा हरि सिंह ने कश्मीर को एक स्वतन्त्र राज्य ही बनाये रखने का निर्णय लिया। परन्तु पाकिस्तान सदैव ही कश्मीर को अपने राज्य में शामिल करने के लिए उत्सुक रहा। अतः उसने पश्चिमी सीमा प्रान्त के कबाइली लोगों को प्रेरणा और सहायता देकर कश्मीर पर आक्रमण करवा दिया।

15 अक्तूबर, 1947 को लगभग 5000 आक्रमणकारियों ने कश्मीर के अन्दर ओवन के किले (Fort Owen) की घेराबन्दी शुरू कर दी। 22 अक्तूबर, तक इस घुसपैठ ने एक पूर्ण आक्रमण का रूप धारण कर लिया। यह बात सर्वविदित थी, कि आक्रमणकारियों में अधिकांशतः पाकिस्तानी सैनिक थे। इस आक्रमण से कश्मीर के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया। इससे भारत का चिन्तित होना भी स्वाभाविक था, क्योंकि इस प्रकार की घटना का भारत में अवश्य प्रभाव पड़ता। अत: कश्मीर समस्या का समाधान पं० नेहरू एवं सरदार पटेल के लिए एक मुश्किल चुनौती थी।

समस्या के समाधान का प्रयास (Efforts to resolve the Problem)-कश्मीर के राजा हरि सिंह को जब यह लगने लगा, कि कश्मीर पर पाकिस्तान का कब्जा हो जायेगा, तो उसने भारत से सहायता मांगी। भारत ने सहायता का आश्वासन देते हुए कश्मीर को भारत में शामिल होने की बात कही, जिसे राजा हरि सिंह ने मान लिया। इस पर पं० नेहरू एवं सरदार पटेल ने भारतीय सेना को कश्मीर में भेजा, इसके साथ भारत ने पाकिस्तान से यह आग्रह किया कि, वह कश्मीर में अपनी सैनिक गतिविधियां बन्द करें।

परन्तु पाकिस्तान ने इससे इन्कार कर दिया। जब भारत सरकार एवं माऊंटबेटन को यह लगने लगा, कि कश्मीर की समस्या को इस ढंग से नहीं सुलझाया जा सकता तो, पं० नेहरू इस समस्या को संयुक्त राष्ट्र के सामने ले गए, ताकि इसका कोई सर्वमान्य हल निकल सके। परन्तु कश्मीर की समस्या काफ़ी सालों तक बनी रही। अन्तत: 5-6 अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने धारा 370 को समाप्त कर दिया तथा यह स्पष्ट किया, कि अब केवल पाकिस्तान के गैर-कानूनी कब्जे वाले (पी० ओ० के०-POK) पर ही बातचीत होगी।

3. राज्यों का गठन एवं पुनर्गठन की समस्या-इसके लिए प्रश्न नं० 6 देखें। प्रश्न 6. भारत में राज्यों के पुनर्गठन पर एक विस्तृत लेख लिखें।
उत्तर:
भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप विरासत के रूप में जो दूसरी बड़ी समस्या मिली, वह थी, देशी रियासतों का स्वतन्त्र भारत में विलय करना। स्वतन्त्रता प्राप्ति से पहले भारत दो भागों में बंटा हआ था-ब्रिटिश भारत (British India) एवं देशी राज्य (Native States) । ब्रिटिश भारत का शासन तत्कालीन भारत सरकार के अधीन था, जबकि देशी राज्यों का शासन देशी राजाओं के हाथों में था। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के मार्ग में देशी रियासतें सदैव बाधा बनी रहीं। इन देशी रियासतों ने संवैधानिक गतिरोधों को बढ़ावा दिया। जब कभी भी भारत की संवैधानिक समस्या को हल करने का प्रयास किया जाता, तो इन देशी रियासतों के भविष्य की समस्या पैदा हो जाती थी।

स्वतन्त्र भारत के निर्माण के भावी ढांचे में देशी रियासतों के लिए व्यवस्था करना संविधान निर्माताओं के लिए हमेशा सिरदर्द बना रहा। स्वतन्त्रता प्राप्ति से पहले भारत में देशी रियासतों की संख्या लगभग 565 थी, इसके अन्तर्गत भारत की जनसंख्या का 20% भाग तथा भारत के क्षेत्रफल का लगभग 45% भाग आता था, अतः इतनी बड़ी जनसंख्या एवं क्षेत्रफल को भारत से अलग नहीं किया जा सकता था और उस स्थिति में तो बिल्कुल नहीं, जब अधिकांश देशी रियासतें भारत के आन्तरिक हिस्सों में विद्यमान थीं।

इन देशी रियासतों में जनसंख्या, क्षेत्र एवं आर्थिक दृष्टिकोण के आधार पर पर्याप्त अन्तर पाए जाते थे, जहां एक ओर कश्मीर, हैदराबाद तथा मैसूर जैसे ऐसे देशी राज्य थे जोकि कई यूरोपीय राज्यों से भी बड़े थे, तो वहीं दूसरी ओर काठियावाड़ तथा पश्चिमी भारत के देशी राज्य नक्शों में सूई की नोक से अधिक बड़े नहीं थे। ये देशी राज्य भारत में विलय को तैयार नहीं थे, जोकि भारत की कानून व्यवस्था के लिए काफ़ी हानिकारक स्थिति थी। वी० पी० मेनन का कहना है, कि, “निराशावादी भविष्यवक्ताओं ने यह भविष्यवाणी की, कि भारतीय स्वतन्त्रता की नौका देशी रियासतों की चट्टानों से टकरा कर चूर-चूर हो जायेगी।” इस प्रकार देशी रियासतों की भारत में विलय की समस्या भारत सरकार के सामने खड़ी थी।

समस्या का समाधान (Resettlement of the Problems) यद्यपि देशी रियासतों की भारत में विलय की समस्या एक महत्त्वपूर्ण समस्या थी, परन्तु पं० नेहरू एवं तत्कालीन गृहमन्त्री सरदार पटेल ने इस समस्या को बड़े ही सुनियोजित ढंग से सुलझाया। देशी रियासतों की समस्या के हल के लिए पं० नेहरू ने 27 जून, 1947 को एक विभाग की स्थापना की, जिसे राज्य विभाग (State’s Department) कहा जाता है। पं० नेहरू ने सरदार पटेल को इस विभाग का मन्त्री एवं वी० पी० मेनन को इसका सचिव नियुक्त किया।

देशी रियासतों का भारत में विलय तीन चरणों के अन्तर्गत किया गया। प्रथम एकीकरण, द्वितीय-अधिमिलन, तृतीय-प्रजातन्त्रीकरण। एकीकरण (Integration) के अन्तर्गत वे देशी रियासतें आती हैं, जिन्होंने सरदार पटेल के परामर्श पर स्वयं ही भारत में विलय होना स्वीकार कर लिया था। अधिकांश देशी रियासतें इसी आधार पर भारत में शामिल हो गईं।

जबकि अधिमिलन (Accession) के अन्तर्गत जूनागढ़ एवं हैदराबाद जैसी रिय ो शामिल किया गया, क्योंकि इन्होंने स्वेच्छा से भारत में शामिल होना स्वीकार नहीं किया था, परन्तु सरदार पटेल ने अपने रणनीतिक कौशल एवं सूझ-बूझ से इन दोनों रियासतों को भारत में विलय होने के लिए मजबूर कर दिया।

तीसरा चरण इन संस्थाओं के प्रजातन्त्रीकरण (Democratisation) से सम्बन्धित है। देशी रियासतों को प्रजातान्त्रिक ढांचे में ढालना भारत सरकार के लिए प्रमुख समस्या थी। इस समस्या के लिए प्रान्तों में प्रजातान्त्रिक एवं प्रतिनिधिक संस्थाओं की स्थापना की गई। इन प्रान्तों में भी संसदीय शासन प्रणाली लागू की गई तथा निर्वाचित विधानसभाओं की व्यवस्था की गई। इस प्रकार पं० नेहरू एवं सरदार पटेल की सूझ-बूझ से देशी रियासतों की समस्या का समाधान हो पाया।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

प्रश्न 7.
‘भाषा’ पर राजनीतिक विवाद की समस्या का वर्णन करें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता के पश्चात् संविधान निर्माताओं के सामने एक प्रमुख समस्या सरकारी भाषा को लेकर थी। भारत के बहुत बड़े भाग में हिन्दी भाषा बोली जाती है लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न भाषाओं का प्रयोग किया जाता है। भाषायी विविधता को देखते हुए भी संविधान निर्माता इस बात पर सहमत थे कि भारत के लिए एक सामान्य भाषा का होना आवश्यक है।

संविधान सभा के बहुत-से सदस्य हिन्दी को सरकारी भाषा बनाने के पक्ष में थे जबकि अहिन्दी भाषी क्षेत्रों से आए सदस्यों ने इसका विरोध किया। इनका मानना था कि यदि हिन्दी को सरकारी भाषा घोषित कर दिया गया तो प्रतियोगी सरकारी नौकरियों में हिन्दी बोलने वाले व्यक्तियों का प्रभुत्व स्थापित हो जाएगा और ग़ैर-हिन्दी भाषी क्षेत्र पिछड़ जाएंगे।

परन्तु हिन्दी भाषा के समर्थकों का विचार था कि, क्योंकि भारत के लगभग 40 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलने वाले हैं, अतः हिन्दी स्वाभाविक रूप से सरकारी भाषा होनी चाहिए। उनका यह भी मानना था कि यदि अंग्रेज़ी को सरकारी भाषा घोषित किया गया तो इससे सरकार और लोगों में दूरियां बढ़ जाएंगी क्योंकि विदेशी भाषा होने के कारण लोग इससे भावनात्मक रूप से जुड़ नहीं पाएंगे।

अन्ततः संविधान सभा में यह निर्णय लिया गया कि हिन्दी भारत की सरकारी भाषा होगी। (अनुच्छेद 343) लेकिन अंग्रेजी भाषा अगले 15 वर्षों तक संघीय सरकार के अधिकारिक कार्यों के लिए जारी रहेगी। इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 345 में यह भी व्यवस्था की गई कि राज्य विधानमण्डल के कानून द्वारा कोई राज्य अधिकारिक रूप से किसी अन्य भाषा को सरकारी कार्यों के लिए प्रयोग कर सकता है।

यद्यपि अंग्रेजी भाषा संविधान लागू होने के 15 वर्षों तक सरकारी भाषा के रूप में जारी रहनी थी, परन्तु 1955 में श्री जी० बी० खेर (G.B. Kher) की अध्यक्षता में गठित सरकारी भाषा आयोग ने अंग्रेजी भाषा के स्थान पर हिन्दी भाषा का प्रयोग करने पर बल दिया। भाषा आयोग ने और भी कई महत्त्वपूर्ण सिफ़ारिशें कीं। लेकिन भाषा आयोग की सिफारिशों पर गैर-हिन्दी क्षेत्रों में तीखी प्रतिक्रिया हुई। इसके विरोध में देश के कई स्थानों पर व्यापक प्रदर्शन हुए।

सरकारी भाषा विधेयक, 1963 (Official Language Bill, 1963):
अप्रैल, 1963 में संसद् में औपचारिक रूप से सरकारी भाषा विधेयक प्रस्तुत किया गया। साथ ही प्रधानमन्त्री पं० जवाहर लाल नेहरू को यह भी आश्वासन देना पड़ा कि हिन्दी भाषा को गैर-हिन्दी भाषी क्षेत्रों पर थोपा नहीं जाएगा। हिन्दी का सरकारी भाषा बनना और भाषायी विवाद (Hindi to be an official Language and Lingual Conflicts)-26 जनवरी, 1965 को हिन्दी सरकारी भाषा बन गई।

लेकिन जब इसको लागू करने का प्रश्न आया तो भारत के अधिकांश प्रदेशों में भारी प्रदर्शन एवं दंगे हुए। विशेषतया मद्रास, बंगाल और केरल में हिन्दी विरोधी जबकि उत्तरी राज्यों-राजस्थान, उत्तर-प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि में हिन्दी के समर्थन में प्रदर्शन हुए।

भाषायी विवाद के दिनों में सितम्बर-अक्तूबर, 1961 में दिल्ली में हुए राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में यह सुझाव दिया गया था कि सैकेण्डरी शिक्षा के लिए त्रि-भाषा फार्मूला प्रयोग में लाया जाए। यह कहा गया कि हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी और अंग्रेजी के साथ-साथ एक और आधुनिक भाषा अपनाई जाएगी और गैर-हिन्दी भाषी राज्यों में क्षेत्रीय भाषा और अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी भाषा को पढ़ाए जाने की व्यवस्था की जाए।

धीरे-धीरे हिन्दी अंग्रेजी भाषा का स्थान ले लेगी। लेकिन त्रि-भाषीय फार्मूला एक मज़ाक बन कर रह गया। 1965 में हिन्दी विरोधी दंगों को शान्त करने के लिए प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री ने यह आश्वासन दिया, कि हिन्दी को सरकारी स्तर पर लाने का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है, कि अंग्रेजी को भारत से बाहर निकाला जा रहा है, गैर-हिन्दी भाषी राज्य तब तक अंग्रेजी का प्रयोग करते रहेंगे, जब तक वे हिन्दी प्रयोग के लिए तैयार नहीं हो जाते।

प्रश्न 8.
स्वतंत्र भारत के सामने मुख्य चुनौतियां क्या थीं ?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी निम्नलिखित चुनौतियां थीं

1. राष्ट्रीय एकीकरण की चुनौती-स्वतत्रता के समय भारत के समक्ष राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रीय एकीकरण की थी। स्वतंत्रता के समय लगभग 565 देशी रियासतों को भारत में शामिल करने की बड़ी चुनौती थी। इन सभी रियासतों की बोली, भाषा, खान-पान, रहन-सहन तथा पहरावा सब कुछ भिन्न-भिन्न था। अधिक अनेकता वाला देश कभी भी एकजुट नहीं रह सकता। इसीलिए देश के नेताओं के सामने देश के भविष्य को लेकर गम्भीर प्रश्न खड़े थे। जिसका हल किया जाना आवश्यक था।

2. विकास की चुनौती-स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी एक अन्य बड़ी चुनौती विकास की थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय लगभग प्रत्येक क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता थी, क्योंकि अंग्रेज़ भारत को बहुत बुरी दशा में छोड़कर गए थे। अतः सभी प्रकार के क्षेत्र में विकास की आवश्यकता थी। साथ ही साथ भारतीय नेताओं को इस बात की भी व्यवस्था करनी थी कि विकास ऐसा हो, जिससे सभी वर्गों का कल्याण हो।

3. लोकतन्त्र की स्थापना की चुनौती-स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में नेताओं के समक्ष लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना की भी चुनौती थी। ताकि समाज के सभी वर्गों को भारत की राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिल सके। इसके लिए भारत में संसदीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की व्यवस्था की गई। लोगों को मौलिक अधिकार प्रदान किए गए तथा राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों की व्यवस्था की गई।

प्रश्न 9.
भारत विभाजन के अच्छे व बरे परिणामों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत का विभाजन सन् 1947 में हुआ। इस विभाजन के अच्छे एवं बुरे परिणामों का वर्णन इस प्रकार है

(क) भारत विभाजन के अच्छे परिणाम

  • भारत विभाजन से लोगों को आजादी अपेक्षाकृत जल्दी मिल गई।
  • विभाजन के पश्चात् भारत एवं पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करना आसान हो गया।
  • विभाजन के पश्चात् कानून व्यवस्था को लागू करना आसान हो गया।
  • विभाजन के पश्चात् प्रशासन को उचित एवं कुशलतापूर्वक चलाया जाने लगा।

(ख) भारत विभाजन के बुरे परिणाम

  • सन् 1947 में बड़े पैमाने पर एक जगह की आबादी को दूसरी जगह जाना पड़ा।
  • धर्म के नाम पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदायों के लोगों को बेरहमी से कत्ल किया।
  • भारत विभाजन से महिलाओं को अमानवीय यातनाएं झेलनी पड़ी।
  • भारत विभाजन से देश की एकता एवं अखण्डता को गहरा धक्का लगा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्र निर्माण से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कुछ समूहों में राष्ट्रीय चेतना प्रकट होती है। राष्ट्र निर्माण राजनीतिक विकास के सांस्कृतिक पक्ष पर जोर देता है। इसके अनुसार एक राष्ट्र में ऐसी प्रक्रिया हो जिसके द्वारा लोग अपने छोटे-छोटे कबीलों, गांवों और नगरों के प्रति वफ़ादारी के स्थान पर विशाल केन्द्रीय राजनीतिक प्रणाली को वफ़ादारी प्रदान करें।

साधारण शब्दों में, इसका अर्थ यह है कि परम्परावादी संकुचित वफ़ादारियों को समाप्त होना चाहिए जैसे कि परिवार, जाति, धर्म आदि के प्रति वफ़ादारी के स्थान पर सम्पूर्ण प्रणाली तथा राष्ट्र के प्रति वफ़ादारी होनी चाहिए। इससे अभिप्राय यह है कि एक देश में राष्ट्रीय एकीकरण (National Integration) हो जहां एक व्यक्ति सीमित वफ़ादारियों की तुलना में राज्य के प्रति वफ़ादारियों को अधिक महत्त्व दें।

प्रश्न 2.
राष्ट्र निर्माण की परिभाषा दें।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण की निम्नलिखित परिभाषाएं हैं

(1) डेविड ए० विल्सन के अनुसार, “राष्ट्र निर्माण से अभिप्राय वह सामाजिक प्रक्रिया अथवा प्रक्रियाएं हैं जिनके द्वारा कुछ समूहों में राष्ट्रीय चेतना उभरती है तथा यह समूह कुछ-न-कुछ संगठित सामाजिक संरचनाओं के माध्यम से समाज के लिए राजनीतिक स्वायत्तता प्राप्त करते हैं।”

(2) ब्लंटशली के अनुसार, “राष्ट्र निर्माण मनुष्यों के ऐसे समूह को कहते हैं, जो विशेषतया भाग और रीति-रिवाज द्वारा एक समान सभ्यता में बंधे हुए हैं, जिससे उनमें एकता और समस्त विदेशियों से भिन्नता की भावना उत्पन्न हो।”

(3) लूसियन पाई के मतानुसार, “राष्ट्र निर्माण का अर्थ है वह प्रक्रिया जिसके द्वारा लोग छोटे कबीलों, गांवों, नगरों या छोटी रियासतों के प्रति वफ़ादारी और बन्धनों को विशाल केन्द्रीय राजनीतिक प्रणाली की ओर मोड़ लेते हैं।”

(4) प्रेडियर फोडरे के अनुसार, “नस्ल की साझ और भाषा, आदतें, रीति-रिवाज और धर्म की समानता ऐसे तत्त्व हैं, जो राष्ट्र का निर्माण करते हैं।”

प्रश्न 3.
राष्ट्र निर्माण के विषय में लूसियन पाई के विचारों का वर्णन करें।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण के विषय में लूसियन पाई के विचारों को तीन भागों में बांटा जा सकता है

1. सामूहिक जन-सम्बन्धी-राजनीतिक विकास को जब जन-सम्बन्धी स्तर से देखते हैं तो इसका अर्थ यह हो जाता है कि लोगों के आदर्श में क्या मुख्य परिवर्तन आया है। वे सरकार और उच्च स्तरीय अधिकारियों इत्यादि के निर्णयों का पालन कैसे करते हैं ? और राजनीतिक निर्णयों में किस तरह और किस हद तक भागीदार है। इसको गण का सिद्धान्त (Principal of Quality) कहा जा सकता है।

2. सरकार के स्तर सम्बन्धी राजनीतिक विकास के साथ प्रजातन्त्र प्रणाली में अधिक शक्ति (सामर्थ्य) उत्पन्न हो जाती है। इसका अर्थ है कि जन सम्बन्धी मामलों के प्रतिबन्ध की सामर्थ्य तथा जन साधारण की मांगों के साथ चलने की सामर्थ्य । एक अविकसित राजनीतिक प्रणाली में इस प्रकार का सामर्थ्य बहुत कम होता है।

3. नीति के संगठन सम्बन्धी-राजनीतिक प्रणाली के संगठन के विषय में यह कहा जा सकता है कि एक विकसित हो रही राजनीतिक प्रणाली में संगठन सम्बन्धी भिन्नता अधिक होती है और भागीदारी संस्थाओं का समूहीकरण भी 15 अधिक होता है। इससे यह पता चलता है कि पाई (Pye) की राजनीतिक विकास की धारणा आल्मण्ड (Almond) के राजनीतिक विकास की धारणा से भिन्न है क्योंकि वह सामर्थ्य का एक नया तत्त्व प्रस्तुत करता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

प्रश्न 4.
राष्ट्र निर्माण को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करो।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन इस प्रकार है

1. औद्योगीकरण. औद्योगीकरण राष्ट्र निर्माण को प्रभावित करता है। जैसे ही एक देश औद्योगिक उन्नति करता लोगों का जीवन स्तर ऊंचा होता है और वे अपनी परानी आदतों और परम्पराओं को त्याग देते हैं।

2. ध्यम का प्रसार एक राष्ट्र में जन-माध्यम के साधनों का विकास और प्रसार भी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देता है। जन-माध्यम के साधनों में समाचार-पत्र, प्रसारण, डाक एवं तार प्रबन्ध, सड़कें, रेलें, वायु सेवाएं, चलचित्र, टेलीविज़न आदि शामिल हैं। इन साधनों द्वारा नागरिकों में अधिक जानकारी तथा चेतनता उत्पन्न होती है।

3. धर्म-निरपेक्ष संस्कृति का प्रसार-धर्म-निरपेक्ष संस्कृति भी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देती है क्योंकि कट्टर धर्म कई बार नागरिकों में फूट और घृणा पैदा करता है। इसके विपरीत यदि एक देश में लोग धर्म-निरपेक्ष संस्कृति को अपना लें तो उनका दृष्टिकोण विशाल हो जाता है।

4. राजनीतिक भागीदारी-राजनीतिक भागीदारी भी राष्ट्र-निर्माण में अपनी भूमिका निभाती है। इसका अर्थ यह है कि लोगों को राष्ट्र की राजनीतिक क्रियाओं में भाग लेना चाहिए। यदि वे राजनीतिक क्रियाओं, जनता के कामों और निर्णयों में भाग लेते रहें तो राष्ट्र निर्माण में वृद्धि होती है। राजनीतिक भागीदारी के साथ अवसरों की समानता भी उत्पन्न होती है। इससे जाति-पाति के प्रभावों को भी पराजित किया जाता है।

प्रश्न 5.
राष्ट्र निर्माण के किन्हीं चार बाधक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
अथवा
राष्ट्र निर्माण के चार बाधक तत्त्वों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • जातिवाद राष्ट्र निर्माण के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है।
  • भाषावाद ने राष्ट्र निर्माण के मार्ग में बाधाएं पैदा की हैं।
  • क्षेत्रवाद ने राष्ट्र निर्माण की भावना को हानि पहुंचाई है।
  • भारत में कुछ सांप्रदायिक दल पाए जाते हैं, जो राष्ट्र निर्माण के मार्ग में रुकावट सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 6.
भारतीय संघ में हैदराबाद को शामिल करने की घटना पर नोट लिखें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता के समय भारत में लगभग 565 देशी रियासतें थीं। ब्रिटिश सरकार ने इन रियासतों को यह निर्णय करने की छूट दे दी थी, कि वे भारत में शामिल हों, या पाकिस्तान में या स्वतन्त्र राज्य के रूप में अपने आपको बनाये रखें। तत्कालीन परिस्थितियों में हैदराबाद के निजाम उसमान अली खान ने हैदराबाद को स्वतन्त्र रखने का निर्णय किया। परन्तु हैदराबाद का निजाम परोक्ष रूप से पाकिस्तान समर्थक था। हैदराबाद भारत के केन्द्र में स्थित था। इसका क्षेत्रफल 132000 वर्ग किलोमीटर था।

इसकी जनसंख्या लगभग एक करोड़ चालीस लाख थी। इस जनसंख्या में से लगभग 85% जनसंख्या हिन्दू थी। भारत के गृहमन्त्री सरदार पटेल को यह अन्देशा था कि आने वाले समय में हैदराबाद पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के लिए खतरा पैदा कर सकता है। हैदराबाद के निजाम ने पाकिस्तान से हथियार खरीद कर हिन्दुओं पर अत्याचार करने शुरू कर दिये।

सरदार पटेल ने लॉर्ड माऊण्टबेटन की मदद से निजाम को यह समझाने का पूरा प्रयास किया कि हैदराबाद को भारत में मिलाने में ही हित है। परन्तु निजाम ने सभी प्रयासों को नकार दिया। तत्पश्चात् सरदार पटेल ने हैदराबाद के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही करने का आदेश दिया। 13 सितम्बर, 1947 से 18 सितम्बर, 1947 तक दोनों पक्षों में युद्ध हुआ परन्तु हैदराबाद के लड़ाकुओं को भारतीय सेना के सामने हथियार डालने ही पड़े। हैदराबाद को भारत में मिला लेने की अनेक मुसलमान नेताओं ने तारीफ की।

प्रश्न 7.
भारतीय संघ में जूनागढ़ को शामिल करने की घटना पर नोट लिखें।
उत्तर:
जूनागढ़ गुजरात के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक राज्य था। इसमें बाबरियावाड़, मानावदार तथा मंगरोल नामक जागीरें शामिल थीं। जूनागढ़ की लगभग 80% जनसंख्या हिन्दू थी। जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने पाकिस्तान के साथ शामिल होने का निर्णय किया। सितम्बर, 1947 में जब पाकिस्तान ने जनागढ के शामिल होने की स्वीकृति का अनुमोदन किया तो भारत सरकार को गहरा धक्का लगा।

क्योंकि भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर जूनागढ़ भारत में ही शामिल हो सकता था, परन्तु जूनागढ़ के शासक के न मानने पर सरदार पटेल ने, जूनागढ़ के शासकों के विरुद्ध बल प्रयोग का आदेश दिया। जूनागढ़ में भारतीय सैनिकों का सामना करने की क्षमता नहीं थी। अत: पहले अरजी हुकूमत (अरजी अर्थात् लोगों द्वारा प्रार्थना तथा हुकूमत अर्थात् शासन) को आमन्त्रित किया गया तत्पश्चात् भारतीय सरकार को 1 दिसम्बर, 1947 में करवाये गए जनमत संग्रह में जूनागढ़ के लगभग 99% लोगों ने भारत में शामिल होने की बात कही।

प्रश्न 8.
पाण्डिचेरी तथा गोवा के भारत में शामिल होने की घटना पर नोट लिखें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् पाण्डिचेरी फ्रांस तथा गोवा पुर्तगाल के अधीन थे। फ्रांस पाण्डिचेरी को भारत में शामिल करने के पक्ष में नहीं था। परिणामस्वरूप भारतीय सैनिकों ने कार्यवाही करके पाण्डिचेरी को भारतीय संघ में शामिल कर लिया। इसी तरह पुर्तगाल भी गोवा पर से अपना अधिकार छोड़ना नहीं चाहता था। अतः पुर्तगाल ने भारत द्वारा पेश किये गए सभी प्रस्तावों का विरोध किया।

परिणामस्वरूप 18 दिसम्बर, 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन व दीयू को पुर्तगाल से मुक्त कराके भारत में शामिल कर लिया। भारतीय प्रधानमन्त्री ने इसे मात्र पुलिस कार्यवाही की संज्ञा दी। लगभग 3000 पुर्तगाली सैनिक युद्धबन्दी बना लिए गए, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। 1987 में गोवा भारत का 25वां राज्य बन गया।

प्रश्न 9.
कश्मीर समस्या पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता से पूर्व कश्मीर भारत के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित एक देशी रियासत थी। 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ और पाकिस्तान की भी स्थापना हुई। पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा प्रान्त के कबाइली लोगों को प्रेरणा और सहायता देकर 22 अक्तूबर, 1947 को कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और कश्मीर को भारत में शामिल करने की प्रार्थना की।

भारत में कश्मीर का विधिवत् विलय हो गया, परन्तु पाकिस्तान का आक्रमण जारी रहा और पाकिस्तान ने कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और अब भी उस क्षेत्र पर जिसे ‘आजाद कश्मीर’ कहा जाता है, पाकिस्तान का कब्जा है। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। भारत सरकार ने कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र को सौंप दिया और 1 जनवरी, 1949 को कश्मीर का युद्ध विराम हो गया।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने कश्मीर की समस्या को हल करने का प्रयास किया पर यह समस्या काफ़ी सालों तक बनी रही। अन्ततः 5-6-अगस्त, 2019 को भारत सरकार ने धारा 370 को समाप्त कर दिया तथा यह स्पष्ट किया, कि अब केवल पाकिस्तान के गैर-कानूनी कब्जे वाले (पी० ओ० के०-POK) पर ही बातचीत होगी।

प्रश्न 10.
‘भाषावाद’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत एक बहु-भाषी देश है। यहां पर सैंकड़ों भाषाएं बोली जाती हैं। संविधान के द्वारा देवनागरी लिपि की हिन्दी भाषा को केन्द्र सरकार की सरकारी भाषा निश्चित किया है। इसके अतिरिक्त संविधान द्वारा हिन्दी सहित 22 भाषाओं को भी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। भारतीय लोगों को अपनी मातृ-भाषा के प्रति बहुत ज्यादा लगन और श्रद्धा है। इसीलिए भारत में भाषावाद का विकास हुआ है। भारतीय संघ के राज्यों का संगठन भी भाषा के आधार पर किया गया है।

इस तथ्य ने भी भारत में भाषावाद के विकास को प्रोत्साहित किया है। भाषावाद भारतीय लोकतन्त्र की कार्यशीलता पर बुरे प्रभाव डाल रहा है। कई राजनीतिक दलों का निर्माण भाषा के आधार पर किया गया है।

कई राज्यों के लोग भाषा के आधार पर पृथक् राज्यों के निर्माण की मांग कर रहे हैं। लोगों की भाषा के प्रति निष्ठा राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय भावना के विकास के मार्ग में रुकावट बन रही है। भाषावाद कई लोगों के मत व्यवहार को प्रभावित करता है। दक्षिण भारत के लोगों की विरोधता के कारण हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा सरकारी रूप से नहीं दिया जा सका है। यह पूर्णतया राष्ट्रीय विकास के रास्ते में रुकावट बन रहा है।

प्रश्न 11.
भारत विभाजन के अच्छे परिणाम बताइये।
उत्तर:

  • भारत विभाजन से लोगों को आजादी अपेक्षाकृत जल्दी मिल गई।
  • विभाजन के पश्चात् भारत एवं पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करना आसान हो गया।
  • विभाजन के पश्चात् कानून व्यवस्था को लागू करना आसान हो गया।
  • विभाजन के पश्चात् प्रशासन को उचित ढंग से चलाया जाने लगा।

प्रश्न 12.
भारतीय राजनीति में भाषा की भूमिका पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
भाषा ने भारतीय राजनीति को निम्नलिखित ढंगों से प्रभावित किया है
1. राष्ट्रीय एकता को खतरा-राष्ट्रीय एकता के लिए एक सामान्य भाषा का होना अति आवश्यक है। संविधान निर्माताओं ने यही बात सोचकर हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित किया था। परन्तु भाषा के विवाद ने राष्ट्रीय एकता व अखण्डता को करारी चोट पहुंचायी है। दक्षिण के राज्य और उत्तर के राज्यों में मुख्य विवाद का कारण भाषा ही है।

2. भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन–राज्य पुनर्गठन कानून 1956 के आधार पर भारत को 14 राज्यों तथा 6 संघीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया। परन्तु राज्यों के 1956 के पुनर्गठन से समस्या समाप्त नहीं हुई, बल्कि उसके बाद भी अनेक राज्यों का पुनर्गठन किया गया और आज भारत में 28 राज्य और 8 संघीय क्षेत्र हैं। आज भी अनेक क्षेत्रों के भाषा के आधार पर अलग राज्य बनाने की मांग उठाई जाती है।

3. क्षेत्रवाद की भावना का विकास-भाषा के आधार पर ही लोगों में क्षेत्रवाद की भावना का विकास हुआ है और विभिन्न भाषा बोलने वाले पृथक् राज्य की मांग करते हैं जिससे भारत की एकता खतरे में पड़ सकती है।

4. सीमा विवाद-भाषा के कारण अनेक राज्यों में सीमा विवाद उत्पन्न हुए हैं और आज भी अनेक राज्यों के बीच यह विवाद चल रहे हैं। उदाहरणस्वरूप पंजाब और हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक तथा केरल इत्यादि में सीमा विवाद विद्यमान है।

प्रश्न 13.
राष्ट्र निर्माण के मार्ग की बाधाओं को दूर करने के कोई चार उपाय लिखिए।
उत्तर:

  • राष्ट्र निर्माण के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार करना आवश्यक है। शिक्षा को वास्तविक जीवन से सम्बन्धित करने की आवश्यकता है।
  • बेरोज़गारी एवं ग़रीबी को दूर करना आवश्यक है।
  • राष्ट्र निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए देश में संतुलित आर्थिक विकास होना चाहिए।
  • राष्ट्र निर्माण की बाधाओं को दूर करने के लिए लोगों को स्वच्छ एवं पारदर्शी प्रशासन दिया जाना आवश्यक है।

प्रश्न 14.
विभाजन से उत्पन्न किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत विभाजन से उत्पन्न कोई चार समस्याएं लिखें।
उत्तर:

  • विभाजन से उत्पन्न पहली जो समस्या थी, वह थी शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या।
  • भारत के विभाजन की दूसरी समस्या कश्मीर की समस्या है। भारत के विभाजन स्वरूप ही कश्मीर की समस्या पैदा हई है।
  • भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप जो एक अन्य समस्या पैदा हुई, वह थी देशी रियासतों का स्वतन्त्र भारत में विलय करना।
  • भारत के विभाजन के कारण राज्यों के पुनर्गठन की समस्या भी पैदा हुई।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

प्रश्न 15.
स्वतन्त्रता के बाद, पिछले छः दशकों में राष्ट्रीय एकता से सम्बन्धित सीखे पाठों में से किन्हीं चार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • राष्ट्रीय एकता के लिए धर्म-निरपेक्षता का होना आवश्यक है, ताकि सभी लोगों को धर्म की स्वतन्त्रता प्राप्त हो।
  • राष्ट्रीय एकता के लिए साम्प्रदायिक सद्भावना का होना भी आवश्यक है।
  • राष्ट्रीय एकता के लिए लोगों का शिक्षित होना आवश्यक है, ताकि उन्हें अपने अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का ज्ञान हो।
  • राष्ट्रीय एकता के लिए राजनीतिक दलों का स्वस्थ आधारों पर संगठित होना आवश्यक है, राजनीतिक दल धर्म या जाति के आधार पर संगठित न होकर राजनीतिक और आर्थिक आधार पर संगठित होने चाहिएं।

प्रश्न 16.
मणिपुर और जूनागढ़ के रजवाड़े भारतीय संघ का अंग कैसे बने ?
उत्तर:
मणिपुर- मणिपुर की विधानसभा में भारत के विलय के प्रश्न पर सहमति नहीं थी। मणिपुर कांग्रेस चाहती थी कि इस रियासत को भारत में मिला दिया जाए, जबकि अन्य पार्टियां इसके विरुद्ध थीं। परन्तु भारत सरकार ने मणिपुर पर भारत में विलय के लिए दबाव डाला, जिसमें उसे सफलता भी मिली। मणिपुर के महाराजा बोधचन्द्र सिंह ने भारत में विलय से सम्बन्धित दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर किये। जूनागढ़- इसके लिए प्रश्न नं0 7 देखें।

प्रश्न 17.
राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी नेहरू जी के दृष्टिकोण की व्याख्या करें।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी नेहरू जी के दृष्टिकोण का वर्णन इस प्रकार है

  • संसदीय शासन प्रणाली-राष्ट्र निर्माण के लिए नेहरू जी संसदीय शासन प्रणाली को लागू करना चाहते थे।
  • धर्म-निरपेक्ष राज्य-नेहरू जी राष्ट्र निर्माण के लिए धर्म-निरपेक्ष राज्य की स्थापना करना चाहते थे।
  • न्याय एवं स्वतन्त्रता-नेहरू जी ने राष्ट्र निर्माण के लिए न्याय एवं स्वतन्त्रता का समर्थन किया।
  • मिश्रित अर्थव्यवस्था-पं० नेहरू राष्ट्र के निर्माण के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाए जाने के पक्ष थे।

प्रश्न 18.
स्वतन्त्र भारत के सामने उपस्थित किन्हीं चार मुख्य चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वतन्त्र भारत के सामने राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी निम्नलिखित चुनौतियां थीं

1. राष्ट्रीय एकीकरण की चुनौती-स्वतन्त्रता के समय भारत के समक्ष राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्रीय एकीकरण की थी।

2. विकास की चुनौती-स्वतन्त्रता के समय भारत के समक्ष राष्ट्र निर्माण सम्बन्धी एक अन्य बड़ी चुनौती विकास की थी। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय लगभग प्रत्येक क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता थी, क्योंकि अंग्रेज़ भारत को बहुत बुरी दशा में छोड़कर गए थे।

3. लोकतन्त्र की स्थापना की चनौती-स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत में नेताओं के समक्ष लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना की भी चुनौती थी ताकि समाज के सभी वर्गों को भारत की राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिल सके।

4. धार्मिक कट्टरता की चुनौती-स्वतन्त्रता के समय धार्मिक कट्टरता भी एक चुनौती थी।

प्रश्न 19.
भारत विभाजन के चार प्रमुख कारण बताइये।
उत्तर:
1. अंग्रेजों की कुटिल नीति – भारत विभाजन का प्रमुख कारण अंग्रेजों की कुटिल नीतियां थीं, क्योंकि अंग्रेज़ जाते-जाते भारत को कमज़ोर करना चाहते थे।

2. जिन्ना की हठधर्मिता – भारत विभाजन का एक अन्य कारण जिन्ना की हठधर्मिता थी।

3. भारतीय नेताओं की शांति की इच्छा – भारत का विभाजन इसलिए भी हुआ, क्योंकि भारतीय नेताओं को यह आशा थी, कि विभाजन के बाद शायद भारत में शांति स्थापित हो जाए।

4. साम्प्रदायिक दंगे – भारत विभाजन का एक अन्य कारण उस दौरान हुए भीषण साम्प्रदायिक दंगे हैं।

प्रश्न 20.
राष्ट्र के किन्हीं चार तत्वों का वर्णन करें।
अथवा
राष्ट्र निर्माण के किन्हीं चार तत्वों का वर्णन करें।
अथवा
राष्ट्र को जन्म देने वाले चार तत्व बताइये।।
उत्तर:
1.सामान्य मातृभूमि-प्रत्येक मनुष्य को अपनी मातृभूमि अर्थात् अपने जन्म-स्थान से प्यार होना स्वाभाविक ही है। एक ही स्थान या प्रदेश पर जन्म लेने वाले व्यक्ति मातृभूमि से प्यार करते हैं और इस प्यार के कारण वे आपस में एक भावना के अन्दर बन्ध जाते हैं।

2. वंश की समानता-कुछ लेखकों ने राष्ट्रीयता के लिए वंश पर जोर दिया है। वंश अथवा जाति की समानता से अभिप्राय व्यक्तियों के उस समूह से है जो एक ही पूर्वजों से सम्बन्धित हैं और वे रूप, आकार, रंग, कद आदि की कुछ शारीरिक समानताएं रखते हैं।

3. सामान्य भाषा-सामान्य भाषा राष्ट्रवाद का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। भाषा के द्वारा ही एक मनुष्य अपने विचारों को प्रकट कर सकता है।

4. सामान्य धर्म-सामान्य धर्म से भी एकता उत्पन्न होती है। धर्म के नाम पर लोग इकट्ठे हो जाते हैं और धर्म के नाम पर अपना जीवन भी बलिदान दे देते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्र निर्माण का अर्थ बताइए।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण एक ऐसी सामाजिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कुछ समूहों में राष्ट्रीय चेतना प्रकट होती है। राष्ट्र निर्माण राजनीतिक विकास के सांस्कृतिक पक्ष पर जोर देता है। इसके अनुसार एक राष्ट्र में ऐसी प्रक्रिया हो जिसके द्वारा लोग अपने छोटे-छोटे कबीलों, गांवों एवं नगरों के प्रति वफ़ादारी के स्थान पर विशाल केन्द्रीय राजनीतिक प्रणाली को वफ़ादारी प्रदान करें।

प्रश्न 2.
राष्ट्र निर्माण की कोई दो परिभाषाएं लिखें।
अथवा
राष्ट्र की कोई एक परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
1. डेविड ए० विल्सन के अनुसार, “राष्ट्र निर्माण से अभिप्राय वह सामाजिक प्रक्रिया अथवा प्रक्रियाएं हैं, जिनके द्वारा कुछ समूहों में राष्ट्रीय चेतना उभरती है तथा यह समूह कुछ-न-कुछ संगठित सामाजिक संरचनाओं के माध्यम से समाज के लिए राजनीतिक स्वायत्तता प्राप्त करते हैं।”

2. लुसियन पाई के अनुसार, “राष्ट्र निर्माण का अर्थ है, वह प्रक्रिया जिसके द्वारा लोग छोटे कबीलों, गांवों, नगरों या छोटी रियासतों के प्रति वफादारी और बन्धनों को विशाल केन्द्रीय राजनीतिक प्रणाली की ओर मोड़ लेते हैं।”

प्रश्न 3.
राष्ट्र निर्माण को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन करो।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का वर्णन इस प्रकार है

1. औद्योगीकरण – औद्योगीकरण राष्ट निर्माण को प्रभावित करता है। जैसे ही एक देश औद्योगिक उन्नति करता है वैसे ही वहां के लोगों का जीवन स्तर ऊंचा होता है और वे अपनी पुरानी आदतों और परम्पराओं को त्याग देते हैं।

2. जन-माध्यम का प्रसार – एक राष्ट्र में जन-माध्यम के साधनों का विकास और प्रसार भी राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देता है। जन-माध्यम के साधनों में समाचार-पत्र, प्रसारण, डाक एवं तार प्रबन्ध, सड़कें, रेलें, वायु सेवाएं, चलचित्र, टेलीविज़न आदि शामिल हैं। इन साधनों द्वारा नागरिकों में अधिक जानकारी तथा चेतनता उत्पन्न होती है।

प्रश्न 4.
3 जून, 1947 को ब्रिटिश गवर्नर जनरल माऊण्टबेटन ने क्या घोषणा की ?
उत्तर:
3 जून, 1947 का दिन भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इस दिन ब्रिटिश गवर्नर जनरल माऊण्टबेटन ने यह घोषणा की, कि ब्रिटिश सरकार जून, 1948 की अपेक्षा अगस्त, 1947 में सत्ता भारतीयों को सौंप देगी।

प्रश्न 5.
हैदराबाद को भारत में किस प्रकार शामिल किया गया ?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति एवं भारत के विभाजन के पश्चात् हैदराबाद के निजाम उसमान अली खान ने हैदराबाद को स्वतन्त्र रखने का निर्णय किया। परन्तु परोक्ष रूप से निजाम पाकिस्तान समर्थक था। हैदराबाद भारत के केन्द्र में स्थित था तथा इसकी 85% जनसंख्या हिन्दू थी। हैदराबाद कभी भी भारतीय सुरक्षा को खतरा पैदा कर सकता था। अतः सरदार पटेल के काफ़ी मनाने के बाद भी निज़ाम जब नहीं माना तो भारत ने सैनिक कार्यवाही करके हैदराबाद को भारत में मिला लिया।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

प्रश्न 6.
जूनागढ़ को भारत में किस प्रकार शामिल किया गया ?
उत्तर:
जूनागढ़ गुजरात के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक राज्य था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् जूनागढ़ ने पाकिस्तान में शामिल होने का निर्णय किया। परन्तु भारत की सुरक्षा की दृष्टि से यह उचित नहीं था। अन्ततः भारत द्वारा बल प्रयोग करने के बाद पहले अरजी हुकूमत को आमन्त्रित किया गया, तत्पश्चात् शासन सम्भालने के लिए भारत को आमन्त्रित किया गया।

प्रश्न 7.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत द्वारा किन दो चुनौतियों का सामना किया जा रहा था ?
उत्तर:

  • शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या-स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत द्वारा शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या का सामना किया जा रहा था।
  • राज्यों के पुनर्गठन की समस्या-स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय विरासत के रूप जो दूसरी बड़ी समस्या मिली, वह थी देशी रियासतों का स्वतन्त्र भारत में विलय करना।

प्रश्न 8.
उन वास्तविक राज्यों के नाम बताएं, जिनमें से निम्नलिखित राज्य बने
1. मेघालय
2. गुजरात।
उत्तर:

  1. मेघालय- मेघालय, असम राज्य से अलग होकर राज्य बना है।
  2. गुजरात-गुजरात, बम्बई प्रेजीडेंसी से अलग होकर राज्य बना है।

प्रश्न 9.
राज्यों का पुनर्गठन क्या है ? यह कब किया गया ?
उत्तर:
राज्यों के पुनर्गठन का अर्थ है कि राज्यों का भाषा के आधार पर पुनः गठन करना। भारत में राज्यों का पुनर्गठन 1956 में किया गया।

प्रश्न 10.
मुहम्मद अली जिन्नाह के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
मुहम्मद अली जिन्नाह का जन्म कराची में 1876 में हुआ। जिन्नाह ने द्वि-राष्ट्र का सिद्धान्त दिया, तथा पाकिस्तान की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 11.
महात्मा गांधी ने 14 अगस्त, 1947 को कहा, “कल का दिन हमारे लिए खुशी का दिन भी होगा और गमी का भी।” इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
महात्मा गांधी के अनुसार 15 अगस्त, 1947 को खुशी का दिन इसलिए होगा, क्योंकि इस दिन भारत आजाद होगा जबकि गमी का दिन इसलिए होगा, क्योंकि इस दिन भारत का विभाजन होगा।

प्रश्न 12.
भारत के विभाजन के दो मुख्य कारण बताएँ।
उत्तर:

  • भारत के विभाजन का प्रमुख कारण अंग्रेजों की कुटिल नीतियां थीं, जो जाते-जाते भारत को कमज़ोर करना चाहते थे।
  • भारत विभाजन के लिए जिन्नाह की हठधर्मिता भी ज़िम्मेदार थी।

प्रश्न 13.
किस अधिनियम के अन्तर्गत भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई ?
उत्तर:
भारत को भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 1947 के अन्तर्गत स्वतन्त्रता प्राप्त हुई।

प्रश्न 14.
देश विभाजन के समय कश्मीर का राजा कौन था ?
उत्तर:
देश विभाजन के समय कश्मीर का राजा हरि सिंह था।

प्रश्न 15.
वर्तमान में कितनी भाषाओं को संविधान के द्वारा मान्यता दी गई है ?
उत्तर:
वर्तमान में 22 भाषाओं को संविधान द्वारा मान्यता दी गई है।

प्रश्न 16.
देश के विभाजन के समय भारत के गवर्नर जनरल कौन थे ?
उत्तर:
देश के विभाजन के समय भारत के गर्वनर जनरल लार्ड माऊण्टबेटन थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. गुजरात राज्य का निर्माण हुआ
(A) वर्ष 1959 में
(B) वर्ष 1958 में
(C) वर्ष 1960 में
(D) वर्ष 1957 में।
उत्तर:
(C) वर्ष 1960 में।

2. द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त का प्रतिपादन किया
(A) कांग्रेस ने
(B) मुस्लिम लीग ने
(C) हिन्दू महासभा ने
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(B) मुस्लिम लीग ने।

3. विभाजन से पहले भारत की जनसंख्या थी
(A) लगभग 36 करोड़
(B) लगभग 40 करोड़
(C) लगभग 50 करोड़
(D) लगभग 38 करोड़।
उत्तर:
(A) लगभग 36 करोड़।

4. भारत में राष्ट्र निर्माण में निम्न बाधा है
(A) अनपढ़ता
(B) बेरोजगारी
(C) जातिवाद
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

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5. हरियाणा राज्य का गठन हुआ
(A) वर्ष 1966 में
(B) वर्ष 1967 में
(C) वर्ष 1968 में
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) वर्ष 1966 में।

6. सीमा आयोग के अध्यक्ष कौन थे ?
(A) जवाहर लाल नेहरू
(B) सरदार पटेल
(C) लिरिल रेडक्लिफ
(D) जॉन साइमन।
उत्तर:
(D) लिरिल रेडक्लिफ।

7. भारत के विभाजन से उत्पन्न समस्याएं हैं
(A) भौगोलिक दूरी की समस्या
(B) गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों की समस्या
(C) शरणार्थियों की समस्या
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी।

8. निम्नलिखित में से किसे पुलिस कार्य द्वारा पुर्तगालियों से मुक्त करवाया गया था ?
(A) पांडिचेरी
(B) कारगिल
(C) गोवा
(D) कश्मीर।
उत्तर:
(C) गोवा।

9. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व राष्ट्र निर्माण में बाधा डालता है ?
(A) भौगोलिक एकता
(B) शिक्षा का प्रसार
(C) राजनीतिक भागीदारी
(D) साम्प्रदायिकता।
उत्तर:
(D) साम्प्रदायिकता।

10. निम्नलिखित में से भारत के प्रथम गहमन्त्री कौन थे ?
(A) महात्मा गांधी
(B) डॉ० अम्बेदकर
(C) पं० नेहरू
(D) सरदार पटेल।
उत्तर:
(D) सरदार पटेल।

11. राज्य पुनर्गठन अधिनियम को कब लागू किया गया था ?
(A) 10 जून, 1956 को
(B) 15 अगस्त, 1947 को
(C) 20 जनवरी, 1948 को
(D) 1 नवम्बर, 1956 को।
उत्तर:
(D) 1 नवम्बर, 1956 को।

12. हैदराबाद के शासक को कहा जाता था
(A) नवाब
(B) राजा
(C) निजाम
(D) महाराजा।
उत्तर:
(C) निजाम।

13. राज्य बनने से पहले हरियाणा किस राज्य का अंग था ?
(A) मुम्बई
(B) पंजाब
(C) राजस्थान
(D) गुजरात।
उत्तर:
(B) पंजाब।

14. भारतीय संविधान को लागू किया गया
(A) 26 जनवरी, 1948 को
(B) 26 जनवरी, 1950 को
(C) 15 अगस्त, 1947 को
(D) 28 जनवरी, 1949 को।
उत्तर:
(B) 26 जनवरी, 1950 को।

15. भारत में कितनी भाषाओं को संवैधानिक मान्यता प्राप्त है ?
(A) 22 भाषाओं को
(B) 24 भाषाओं को
(C) 18 भाषाओं को
(D) 25 भाषाओं को।
उत्तर:
(A) 22 भाषाओं को।

16. भारत के पहले प्रधानमंत्री थे
(A) डॉ. मनमोहन सिंह
(B) पं० जवाहर लाल नेहरू
(C) श्रीमती इंदिरा गांधी
(D) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद।
उत्तर:
(B) पं० जवाहर लाल नेहरू।

17. विभाजन के समय भारत में कुल देशी रियासतों की संख्या थी :
(A) 560
(B) 562
(C) 565
(D) 665.
उत्तर:
(C) 565.

18. अलग आन्ध्र प्रदेश राज्य का उदय किस वर्ष में हुआ ?
(A) 1957 में
(B) 1956 में
(C) 1952 में
(D) 1959 में।
उत्तर:
(C) 1952 में।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करो

(1) स्वतन्त्रता के बाद सबसे बड़ी चुनौती ……….. की थी।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण

(2) स्वतन्त्रता के समय भारतीय रियासतों की संख्या ………… थी।
उत्तर:
565

(3) हैदराबाद की रियासत के शासक को ……….. कहते थे।
उत्तर:
निजाम

(4) ………… में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ।
उत्तर:
1956

(5) असम से अलग करके 1972 में …………. राज्य बनाया गया।
उत्तर:
मेघालय

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ

(6) भारत 15 अगस्त, ………… को स्वतन्त्र हुआ।
उत्तर:
1947

(7) 15 अगस्त, 1947 को लाल किले की प्राचीर से ………… ने ऐतिहासिक भाषण दिया।
उत्तर:
पं० जवाहर लाल नेहरू

(8) स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत के समक्ष कई ……….. थीं।
उत्तर:
चुनौतियाँ

(9) 26 जनवरी, 1950 को भारतीय ………… लागू किया गया।
उत्तर:
संविधान।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
राष्ट्र निर्माण के लिए किन तत्वों का होना अनिवार्य है ?
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण के लिए भाषायी एकता, सामान्य संस्कृति तथा भौगोलिक एकता जैसे महत्वपूर्ण तत्त्वों का होना अनिवार्य है।

प्रश्न 2.
भारत में राष्ट्र निर्माण में कौन-से तत्त्व बाधा डालते हैं ?
उत्तर:
भारत में राष्ट्र निर्माण में अनपढ़ता, बेरोज़गारी तथा जातिवाद इत्यादि जैसे तत्त्व बाधा डालते हैं।

प्रश्न 3.
हजोग, चकमा, सन्थाल तथा अन्य अनेक गैर-बंगाली समूह जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान छोड़ दिया था, वे बसने के लिए कहां गए ?
उत्तर:
भारत।

प्रश्न 4.
भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री कौन थे ?
उत्तर:
भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं० जवाहर लाल नेहरू थे।

प्रश्न 5.
भारत के प्रथम गृहमन्त्री कौन थे ?
उत्तर:
भारत के प्रथम गृहमन्त्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।

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HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1990 के बाद भारतीय राजनीति में उभरती प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1990 के बाद भारतीय राजनीति में उभरने वाली प्रमुख प्रवृत्तियां इस प्रकार हैं:

1. दलीय प्रणाली का बदला हुआ स्वरूप (Changing Nature of Party System):
भारत में दलीय प्रणाली के स्वरूप में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। नवम्बर 1989, मई-जून 1991, अप्रैल-मई 1996 और फरवरी मार्च 1998 के लोकसभा के चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ जिस कारण चारों बार अल्पमत की सरकार बनी जिन्हें अपने अस्तित्व के लिए विभिन्न दलों पर निर्भर रहना पड़ा। अप्रैल-मई, 2009 में हुए 15वीं लोकसभा के चुनाव में किसी भी दल या गठबन्धन को बहुमत नहीं मिला।

कांग्रेस ने अन्य दलों के समर्थन से ‘संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन’ के नाम से सरकार बनाई। 2014 एवं 2019 में हुए 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनावों में यद्यपि भाजपा ने अकेले ही (282 सीटें एवं 303 सीटें) लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया, परन्तु भाजपा ने दोनों ही बार श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गठबन्धन सरकार (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन) का ही निर्माण किया। इससे स्पष्ट होता है कि भारत में दलीय प्रणाली के स्वरूप में परिवर्तन आया है।

2. शक्तिशाली विरोधी दल का उदय (Rise of Powerful Opposition Party):
1977 ई० के आम चुनावों के बाद केन्द्र में जनता पार्टी की सरकार बनी। जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ और कांग्रेस को केवल 153 सीटें प्राप्त हुईं। कांग्रेस की इस हार से केन्द्र में पहली बार संगठित विरोधी दल का उदय हुआ।

3. राजनीति में जातिवाद की भूमिका (Role of Casteism in Politics):
भारतीय राजनीति में जातिवाद एक महत्त्वपूर्ण तथा निर्णायक तत्त्व रहा है। स्वतन्त्रता के पश्चात् जाति का प्रभाव कम होने की अपेक्षा बढ़ा ही है जो राष्ट्रीय एकता के लिए घातक है। चुनावों के समय उम्मीदवारों का चयन जाति के आधार पर किया जाता है। नेताओं का उत्थान व पतन जाति के समर्थन पर ही निर्भर करता है।

4. बहु-दलीय प्रणाली के साथ-साथ साम्प्रदायिक दलों का अस्तित्व (Existence of Communal parties with Multy Party System):
भारत में साम्प्रदायिक दल भी पाए जाते हैं यद्यपि धर्म-निरपेक्ष राज्य में साम्प्रदायिक दलों का भविष्य उज्ज्वल नहीं है तथा उनके प्रचार और गतिविधियों से देश का राजनीतिक वातावरण दूषित हो जाता है।

5. सरकार के निर्माण में स्वतन्त्र सदस्यों की भूमिका (Role of Independent Members to make Govt.):
भारत में बहु-दलीय व्यवस्था होने के साथ-साथ संसद् तथा राज्य विधानसभाओं में स्वतन्त्र सदस्यों की संख्या बहुत पाई जाती है। स्वतन्त्र सदस्य स्वस्थ प्रजातन्त्र के हित में नहीं है। दल-बदल के लिए स्वतन्त्र सदस्य काफ़ी हद तक ज़िम्मेवार हैं। स्वतन्त्र सदस्य जब चाहे किसी दल के साथ मिल सकते हैं और जब चाहे बाहर आकर फिर स्वतन्त्र हो जाते हैं। लोकतन्त्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि स्वतन्त्र उम्मीदवारों को कोई विशेष सफलता नहीं मिलनी चाहिए।

6. चुनावों में हिंसा का प्रयोग (Use of Violence in Elections):
भारत के चुनावों में कुछ राजनीतिक दल अपने राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हिंसक साधनों का प्रयोग करते हैं।

7. भारतीय राजनीति का अपराधीकरण होना (Criminalisation of Indian Politics):
स्वतन्त्रता के बाद भारतीय राजनीति में धीरे-धीरे आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का समावेश होता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 200 के लगभग विधायक आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। इतनी बड़ी संख्या में अपराधियों का विधानसभा में पहुंचना भारत जैसे लोकतन्त्र के लिए हानिकारक है।

8. असैद्धान्तिक चुनावी गठजोड़ (Non-Principle Alliances of Political Parties):
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में एक मुख्य प्रवृत्ति असैद्धान्तिक चुनावी गठजोड़ का होना है। प्राय: सभी राजनीतिक दल अपने हितों की पूर्ति के लिए सिद्धान्तहीन समझौते करने के लिए तत्पर रहते हैं। अप्रैल-मई, 2019 में हुए 17वीं लोकसभा के चुनावों में प्रायः सभी दलों ने सिद्धान्तहीन समझौते किए।

9. प्रादेशिक दलों की भूमिका (Role of Regional Parties):
भारतीय राजनीति में अन्य प्रवृत्ति उभर कर आई है और वह है केन्द्रीय राजनीति में प्रादेशिक दलों की भूमिका। अप्रैल-मई, 2019 में हुए 17वीं लोकसभा के चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों ने कई क्षेत्रीय दलों से चुनावी गठजोड़ किया। यह प्रादेशिक दल लोगों की क्षेत्रीय भावनाओं को भड़का कर राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करते हैं।

10. राष्ट्रीय समस्याओं की जगह क्षेत्रीय समस्याओं पर बल (More importance to Regional Problem than National Problem):
भारतीय राजनीति की एक अन्य प्रवृत्ति यह है कि चुनाव प्रचार अभियान में प्रायः राष्ट्रीय विषयों को पीछे छोड़कर क्षेत्रीय समस्याओं पर बल दिया जाने लगा।

11. राजनीति में भ्रष्टाचार (Corruption in Politics):
भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार ने अपना स्थान बना लिया है। प्राय: सभी राजनीतिक दल चुनावों के अवसर पर एक-दूसरे के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। राजनीतिज्ञ चुनाव जीतने के लिए प्रायः भ्रष्ट साधनों का उपयोग करते हैं। मन्त्री पद पर आसीन उम्मीदवार अपने पद और शासन की मशीनरी का अनुचित प्रयोग करते हैं।

12. कांग्रेस के आधिपत्य की समाप्ति (End of Congress Party Dominance):
भारत में लम्बे समय तक विशेषकर 1977 तक कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व रहा, परन्तु वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व समाप्त हो चुका है और उसकी जगह अन्य दलों ने ले ली है।

प्रश्न 2.
जनता दल के उदय एवं विभाजन पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
भारतीय राजनीति में वर्ष 1988 का एक विशेष महत्त्व है क्योंकि इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर एक नए राजनीतिक दल ‘जनता दल’ का निर्माण किया गया है। जिस प्रकार 1978 में कांग्रेस की एकता स्थिर न रहने के कारण दल दो भागों में विभाजित हो गया था, उसी प्रकार 1987 में एक बार फिर कांग्रेस (आई) के कई प्रमुख नेताओं ने इस दल से त्याग-पत्र दे दिया।

इन नेताओं में भूतपूर्व वित्त मन्त्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, श्री रामधन, श्री अरुण नेहरू, श्री आरिफ मोहम्मद खां जैसे प्रमुख नेता शामिल थे। कांग्रेस (आई) से पृथक् होकर 2 अक्तूबर, 1987 को श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने ‘जन मोर्चा’ के गठन की घोषणा की। इसका मुख्य उद्देश्य देश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक ढांचे में लोकतान्त्रिक तथा क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने के उद्देश्य से देश व्यापी आन्दोलन छेड़ना था।

इसके साथ ही भारत में काफ़ी लम्बे समय से विपक्षी दल एक ऐसे नये राजनीतिक दल का निर्माण करने का प्रयास कर रहे थे जो कांग्रेस (आई) का सशक्त विकल्प बन सके। ये विपक्षी दल इस दिशा के प्रति निरन्तर प्रयास करते रहे। अन्त में 26 जुलाई, 1988 को चार विपक्षी दलों जनता पार्टी, लोकदल, कांग्रेस (स) और जन मोर्चा के विलय की औपचारिक घोषणा कर दी गई और एक नये राजनीतिक दल को स्थापित किया गया।

इस नये दल का नाम समाजवादी जनता दल रखा गया। इस दल के गठन की घोषणा करने में हरियाणा के मुख्यमन्त्री श्री देवी लाल की प्रमुख भूमिका रही। इसके उपरान्त राजनीति में पिछले महीनों की कशमकश के बाद 11 अक्तूबर, 1988 को बंगलौर में ‘जनता दल’ के गठन की विधिवत् घोषणा कर दी गई।श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को उस नये दल का प्रधान मनोनीत किया गया। इस नये दल का भारतीय राजनीति-नए बदलाव चुनाव चिह्न ‘चक्र के बीच हलधर’ होगा तथा दल का झण्डा हरे रंग का होगा जिस पर चुनाव चिह्न सफ़ेद रंग में ऊपर से अंकित होगा।

जनता दल का विभाजन-23 अक्तूबर, 1990 को भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। भतपूर्व प्रधानमन्त्री वी० पी० सिंह ने त्याग-पत्र देने के स्थान पर लोकसभा में अपना बहमत सिद्ध करने का निर्णय किया। 7 नवम्बर, 1990 को लोकसभा का अधिवेशन बुलाया गया। जनता दल के असन्तुष्ट सांसदों ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग की। 5 नवम्बर, 1990 को प्रधानमन्त्री वी० पी० सिंह से इस्तीफा देने की मांग करने वाले जनता दल के असन्तुष्ट सांसदों ने जनता दल संसदीय पार्टी की बैठक का बहिष्कार कर चौधरी देवी लाल के निवास स्थान पर बैठक की और श्री चन्द्रशेखर को अपना नेता चुना।

दूसरी ओर संसदीय पार्टी की नियमित बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए उचित कदम उठाने के लिए अधिकृत किया गया।श्री चन्द्रशेखर सहित जनता दल के तीस असन्तुष्ट सांसदों को पार्टी से निकाल दिया गया। इस प्रकार 5 नवम्बर, 1990 को जनता दल का विधिवत् विभाजन हो गया। फरवरी, 1992 में जनता दल का पुनः विभाजन हो गया, जबकि अजीत सिंह गुट जनता दल से अलग हो गया। 28 जुलाई, 1993 को जनता दल में तीसरा विभाजन हुआ जब जनता दल (अ) के सात सांसदों ने कांग्रेस (इ) के पक्ष में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान किया और अगस्त, 1993 में सभी सांसद् कांग्रेस (इ) में शामिल हो गए।

28 जून, 1994 को जनता दल में चौथा विभाजन हुआ। जनता दल के 14 सदस्य जॉर्ज फर्नांडीस के नेतृत्व में जनता दल से पृथक् हो गए और उन्होंने जनता दल (ज) का गठन किया। 20 अक्तूबर, 1994 को जनता दल (ज) ने अपने दल का नाम समता पार्टी रख लिया और 23 नवम्बर, 1994 को चुनाव आयोग ने समता पार्टी को राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्रदान की।

परन्तु 24 मार्च, 1999 को चुनाव आयोग ने इसकी राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता समाप्त करते हुए इसे राज्य स्तर के दल के रूप में मान्यता प्रदान की। 21 जुलाई, 1999 को जनता दल का सातवीं बार विभाजन हुआ। इस दिन जनता दल के नेता शरद यादव वाले गुट (राम विलास पासवान, जे० एच० पटेल आदि) के साथ समता पार्टी व लोक शक्ति का विलय हो गया।

इस नए दल का नाम जनता दल (यूनाइटेड ) रखा गया। दूसरी ओर जनता दल के दूसरे गुट ने जिसमें मधु दण्डवते, एस० आर० बोम्मई, सी० एम० इब्राहिम आदि सम्मिलित थे, एच० डी० देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सैक्यूलर) के नाम से अलग दल बना लिया। 30 सितम्बर, 2000 को चुनाव आयोग ने जनता दल (सैक्यूलर) एवं जनता दल (यूनाइटिड) दोनों की राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता रद्द कर दी।

चुनाव आयोग ने जनता दल के चुनाव चिह्न ‘चक्र’ को जब्त करके जनता दल (सैक्यूलर) को ‘ट्रैक्टर चलाता किसान’ एवं जनता दल (यूनाइटिड) को ‘तीर’ चुनाव चिह्न प्रदान किया। 28 नवम्बर, 2000 को जनता दल का आठवां विभाजन हुआ। इस दिन जनता दल के नेता राम विलास पासवान अपने समर्थकों के साथ जनता दल से अलग हो गए और उन्होंने ‘जनशक्ति’ नाम से एक नई पार्टी बना ली।

प्रश्न 3.
भारतीय जनता पार्टी के उदय पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
यद्यपि जुलाई, 1979 में जनता पार्टी का विभाजन दोहरी सदस्यता के प्रश्न पर हुआ था, परन्तु विभाजन के बाद भी दोहरी सदस्यता का विवाद समाप्त नहीं हुआ। 19 मार्च, 1980 को जनता पाटी के केन्द्र संसदीय बोडे ने बहुमत से फैसला किया कि जनता पार्टी का कोई भी अधिकारी, विधायक और संसद सदस्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की रोजमर्रा की गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले सकता। बोर्ड की बैठक में श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लाल कृष्ण अडवानी और श्री नाना जी देशमुख ने बोर्ड के इस निर्णय का विरोध किया और इस सम्बन्ध में तैयार किए गए प्रस्ताव में अपना विमत दर्ज कराया।

बाद में अलग से एक वक्तव्य जारी कर इन नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि भू० पू० जनसंघ घटक अभी पार्टी को भले ही न छोड़े पर वह अपने संख्या बल के आधार पर पार्टी के नेतृत्व को जल्दी ही चुनौती देगा। इस वक्तव्य में जनसंघ घटक ने साफ-साफ कहा कि संसदीय बोर्ड और राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन चुनाव से नहीं हुआ। वे तदर्थ हैं और इनका तथा उनके सभी पदाधिकारियों का शीघ्र चुनाव होना चाहिए, परन्तु पार्टी के अध्यक्ष श्री चन्द्रशेखर ने पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने की मांग को रद्द करते हुए घोषणा की कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी को ऐसे मामलों में फैसला लेने का अन्तिम अधिकार है।

4 अप्रैल को जनता पार्टी का एक और विभाजन प्रायः निश्चित हो गया, जब पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने संसदीय बोर्ड के प्रस्ताव का अनुमोदन कर पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यों में भाग लेने पर रोक लगा दी। अनुमोदन प्रस्ताव के पक्ष में 17 सदस्यों ने और विरोध में 14 सदस्यों ने मत दिए। श्री अडवानी के शब्दों में, “जनता पार्टी की कार्यसमिति में पहली बार मतदान हुआ और वह भी किसी एक गुट को पार्टी से निकालने के लिए।”

5 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व जनसंघ के सदस्यों ने नई दिल्ली में दो दिन का सम्मेलन किया और एक नई पार्टी बनाने का निश्चय किया। सम्मेलन की अध्यक्षता श्रीमती विजयराजे सिंधिया ने की। 6 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व विदेश मन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का गठन किया गया। यद्यपि जनता पार्टी का विभाजन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ, जनसंघ के सम्बन्धों पर हुआ था फिर भी जनसंघ को पुनर्जीवित नहीं किया गया, क्योंकि श्री वाजपेयी के शब्दों में हमारे साथ पिछले तीन वर्ष का अनुभव है, व्यापक सम्पर्क है जिन्हें हम अपने आन्दोलन का भाग बनाएंगे और इसलिए भी कि वे लोग हमारे साथ आएं जो कभी जनसंघ में नहीं थे या जिनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से कोई नाता ही नहीं था।

इस गुट को कुछ ऐसे लोगों को भी अपने पक्ष में करने में सहायता मिली जिनका सम्बन्ध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ या जनसंघ से नहीं था। भूतपूर्व आवास मन्त्री सिकन्दर बख्त और भूतपूर्व विधि मन्त्री शान्ति भूषण तथा संसद् सदस्य राम जेठमलानी इनमें प्रमुख थे। इस सम्मेलन में लगभग चार हजार प्रतिनिधि शामिल हुए और दो दिन का यह समारोह एक राजनीतिक दल के वार्षिक अधिवेशन की तरह ही संचालित किया गया। भारतीय जनता पार्टी का प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन 27 दिसम्बर, 1980 को मुम्बई में हआ। इस सम्मेलन में 55 हज़ार प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 6 हजार से भी अधिक स्त्रियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया जो अपने आप में स्वतन्त्रता के बाद किसी राजनीतिक दल के लिए एक कीर्तिमान ही है।

पार्टी की सदस्यता (Membership of Party):
पार्टी के संविधान की धारा 7 के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष या इससे अधिक आयु का हो और जो संविधान की धारा 2 को स्वीकार करता हो, सदस्यता के फार्म (Annextured) में लिखित घोषणा करने पर एवं वर्णित शुल्क देने पर पार्टी का सदस्य बन सकता है, किन्तु शर्त यह है कि वह व्यक्ति किसी भी अन्य राजनीतिक दल का सदस्य नहीं होना चाहिए।

साधारणतया व्यक्ति अपने स्थायी निवास अथवा उस जगह पर जहां पर यह कार्य करता हो, दल का सदस्य बन सकता है। नवम्बर, 2019 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य संख्या 18 करोड़ से अधिक थी। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री अमित शाह के अनुसार सदस्यता के विषय में भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। जबकि जनसंघ की सदस्य संख्या कभी भी 12 लाख के ऊपर नहीं गई थी।

भारतीय जनता पार्टी का सामाजिक आधार (Social Base of Bharatiya Janata Party):
भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रवादी दल है। नि:संदेह इस पार्टी में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्यों का प्रभुत्व है, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि इस पार्टी का सामाजिक आधार केवल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तक ही सीमित है। आरम्भ में इस पार्टी को अल्पसंख्यकों का समर्थन न होने के बराबर प्राप्त था क्योंकि यह पार्टी अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की नीति की विरोधी थी। मुसलमान और ईसाइयों का इसका समर्थन बहुत कम प्राप्त है। पर हरिजनों और जनजातियों तथा कबीलों में इस पार्टी की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ रही है।

मई, 1982 में होने वाले उप-चुनावों में और 1987 में हरियाणा विधानसभा के चुनाव में इसने सुरक्षित स्थान जीत कर यह प्रमाणित कर दिया कि अनुसूचित जातियों और पिछड़े लोगों में भी इसका प्रभाव है। सरकारी कर्मचारी और शिक्षित वर्ग भारतीय जनता पार्टी के महान् समर्थक हैं। श्रमिकों में इसका समर्थन बढ़ता जा रहा है। भारतीय मजदूर संघ, जिसकी सदस्यता 20 लाख से अधिक है, भारतीय जनता पार्टी के समर्थक हैं। मध्य वर्ग के व्यापारी इसके समर्थक हैं।

ध्येय तथा उद्देश्य (Aims and Objects):
पार्टी संविधान की धारा 2 में कहा गया है-‘पार्टी राष्ट्रीय समन्वय, लोकतन्त्र, सकारात्मक धर्म-निरपेक्ष, गांधीवादी, समाजवाद और मूल्यों पर आधारित राजनीति के लिए कृत-संकल्प है। पार्टी आर्थिक और राजनीतिक सत्ता के विकेन्द्रीकरण में विश्वास रखती है।”

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 4.
भारत में क्षेत्रीय दलों का महत्त्व क्यों बढ़ता जा रहा है ?
अथवा
गठबन्धन राजनीति में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
क्षेत्रीय दल का अर्थ-आमतौर पर राज्य दलों (State Parties) को ही क्षेत्रीय राजनीतिक दल कहा जाता है। किसी राजनीतिक दल को चुनाव आयोग द्वारा राज्य-दल (State Party) के रूप में मान्यता दी जाती है।। चनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता देने का आधार-इसके लिए अध्याय 8 का लघु उत्तरीय प्रश्न नं० 9 देंखे। राजनीतिक व्यवस्था में क्षेत्रीय दलों का योगदान-भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का महत्त्व दिन-प्रतिदिन अधिक बढ़ रहा है। वर्तमान समय में चुनाव आयोग ने 8 राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय दल के रूप में तथा 53 राजनीतिक दलों को राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता प्रदान की हुई है।

पंजीकृत दलों को चुनाव आयोग की मान्यता तो प्राप्त नहीं होती लेकिन उन्हें चुनाव में भाग लेने का अधिकार प्राप्त होता है। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की बढ़ रही महत्ता का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि 19 मार्च, 1998 को श्री अटल बिह के नेतत्वाधीन जिस भारतीय जनता पार्टी ने केन्द्र में सरकार स्थापित की थी उस सरकार में 18 राजनीतिक दल सम्मिलित थे, जिनमें से मात्र दो राजनीतिक दल ही राष्ट्रीय स्तर के थे। इसके अतिरिक्त सितम्बर-अक्तूबर, 1999 में 13वीं लोकसभा के चुनावों से पहले और बाद में भी क्षेत्रीय दलों की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रही। इन चुनावों से पहले लगभग सभी राष्ट्रीय दलों ने क्षेत्रीय दलों के साथ गठबन्धन किया और उन्हें सत्ता में भागीदार बनाने का वायदा किया।

भारतीय जनता पार्टी ने 24 दलों के साथ मिलकर एक महान् गठबन्धन (Grand Alliance) बनाया जिसे राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का नाम दिया गया। लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने के बाद इस गठबन्धन के अधिकांश सदस्यों को सरकार में भी सम्मिलित किया गया। 2004 के 14वीं लोकसभा चुनावों में भी किसी एक दल को बहुमत नहीं मिला। जिसके कारण कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (United Progressive Alliance-U.P.A.) का निर्माण किया गया, जिसमें कई क्षेत्रीय दलों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2009 के लोकसभा के चुनावों के पश्चात् भी कांग्रेस ने केन्द्र में सरकार बनाने के लिए कई क्षेत्रीय दलों का समर्थन लिया।

2014 एवं 2019 में भी भारतीय जनता पार्टी द्वारा 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनावों में स्पष्ट बहुमत प्राप्त होने के बावजूद भी गठबन्धन सरकार का निर्माण किया गया। केन्द्र में सरकार स्थापित करने के अलावा अनेकों राज्यों में भिन्न-भिन्न क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने सरकारें बनाई हैं। समय-समय पर पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कान्फ्रेंस, असम में असम गण परिषद्, आन्ध्र प्रदेश में तेलुगू देशम, तमिलनाडु में डी० एम० के० और कई अन्य राज्यों में अन्य क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की सरकारें बनी हैं।

क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय राजनीतिक व्यवस्था का अटूट अंग बन गए हैं। आने वाले समय में भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में इन दलों की भूमिका और भी अधिक महत्त्वपूर्ण बनेगी और यह दल राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करते रहेंगे। क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की महत्ता के कारण ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और अन्य राष्ट्रीय राजनीतिक दल क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से चुनाव गठबन्धन करने के लिए विवश हैं।

प्रश्न 5.
भारत में मिली-जुली या गठबन्धन सरकारों की राजनीति की व्याख्या करें।
अथवा
भारत में गठबन्धन की राजनीति का क्या अर्थ है ? गठबन्धन सरकार के मुख्य लक्षण बताइये।
अथवा
गठबन्धन सरकार से आप क्या समझते हैं ? इसके मुख्य लक्षणों का वर्णन करें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया। जिसके तहत भारत में लोकतान्त्रिक प्रणाली की व्यवस्था की गई है। सन् 1952 से लेकर वर्तमान समय तक भारत में 17 आम चुनाव हो चुके हैं। भारत में मिली-जुली सरकारों के निर्माण का इतिहास भी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के साथ ही जुड़ा है। भारत में मिली-जुली सरकारों की राजनीति के अध्ययन से पूर्व हमें मिली-जुली सरकार के अर्थ से परिचित होना ज़रूरी है।

भारत में मिली-जुली सरकारों के लिए कई शब्दों का प्रयोग होता है, जिनमें मुख्य हैं ‘जनता सरकार’, ‘राष्ट्रीय मोर्चा सरकार’, ‘संयुक्त मोर्चा सरकार’, राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन, संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन तथा ‘मिली-जुली सरकार’ ली-जुली सरकार का साधारण अर्थ है कई दलों द्वारा मिलकर सरकार का निर्माण करना। चुनावों से पूर्व या चुनावों के बाद कई दल मिलकर अपना साझा कार्यक्रम तैयार करते हैं।

उसके आधार पर वे मिलकर चुनाव लड़ते हैं अथवा अपनी सरकार बनाते हैं। मिली-जुली सरकार का निर्माण प्राय: उस स्थिति में किया जाता है, जब प्रायः किसी एक दल को चुनावों के बाद स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो। तब दो या दो से अधिक दल मिलकर संयुक्त सरकार का निर्माण करते हैं। ऐसी सरकार में प्राय: सभी राजनीतिक दल अपने दलों के संकीर्ण व विशेष हितों को त्याग कर एक निश्चित कार्यक्रम पर अपनी सहमति प्रकट करते हैं। इन मिली-जुली सरकारों की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है

1. समझौतावादी कार्यक्रम-मिले-जुले मन्त्रिमण्डलों की पहली विशेषता यह है कि उनका राजनीतिक कार्यक्रम समझौतावादी होता है। सरकार निर्माण के कुछ दिन बाद ही मन्त्रिमण्डल के घटक दलों के शीर्षस्थ नेता मिलकर मिली जुली सरकार के लिए राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक कार्यक्रम तैयार करते हैं, इसके सम्बन्ध में वह समझौता करते हैं, जिसमें कि प्रत्येक दल की बातों को व कार्यक्रम को ध्यान में रखा जाता है। अतः मिले-जुले मन्त्रिमण्डलों की पहली प्रवृत्ति अथवा विशेषता समझौतावादी है।

2. सर्वसम्मत नेता-मिली-जुली सरकार के निर्माण से पूर्व सभी दल मिलकर अपने नेता का चुनाव करते हैं। नेता का चुनाव प्रायः सर्वसम्मत ढंग से किया जाता है। यद्यपि मिली-जुली सरकार का एक सर्वसम्मत नेता होता है, फिर भी घटक दलों के नेता व उनके अस्तित्व को दृष्टि विगत नहीं किया जाता। इसके कारण सरकार में एकता बनी रहती है।

3. सर्वसम्मत निर्णय-मिली-जुली सरकार में शामिल घटक दल किसी भी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय समस्या का हल सर्वसम्मति से करते हैं। कोई भी राजनीतिक समस्या पैदा होने पर घटक दलों की संयुक्त बैठक बुलाई जाती है, जिससे उक्त समस्या पर घटक दलों की राय जानी जाती है। प्रत्येक दल द्वारा दिए गए सुझावों को विशेष महत्त्व दिया जाता है ताकि कोई दल यह महसूस न करे कि उसके अस्तित्व को अनदेखा कर दिया गया है।

4. मिल-जुल कर कार्य करना-मिली-जुली सरकार में शामिल सभी घटक दल मिल-जुलकर कार्य करते हैं। प्रत्येक दल को कोई न कोई महत्त्वपूर्ण विभाग अवश्य सौंपा जाता है। इस विभाग की कुशलता आदि उस दल के ऊपर निर्भर करती है। एक दल द्वारा किया गया गलत कार्य सभी दलों द्वारा किया गया गलत कार्य समझा जाएगा। इसीलिए सभी दल मिल-जुल कर कार्य करते हैं।

भारत में मिली-जुली सरकारों की राजनीति का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है

1. स्वतन्त्रता से पूर्व मिली-जुली सरकार (Coalition Government before Independence):
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में मिली-जली सरकार के निर्माण का इतिहास स्वतन्त्रता प्राप्ति के पर्व से आरम्भ होता है। भारत के लिए नया संविधान बनाने के लिए कैबिनेट मिशन के द्वारा एक अन्तरिम सरकार का गठन किया गया। इस सरकार में भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस, मुस्लिम लीग, अकाली दल आदि को शामिल किया गया।

2. मिली-जुली सरकार 1952 से 1967 (Coalition Government from 1952 to 1967):
भारत में पहले संसदीय चुनाव सन् 1952 में हुए। इन चुनावों के समय चुनाव आयोग ने 14 राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दी। इन चुनावों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ, क्योंकि उस समय कोई राजनीतिक दल कांग्रेस के समान स्तर का नहीं था, फिर भी पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने अपने मन्त्रिमण्डल में भारतीय राजनीति-नए बदलाव डॉ० बी० आर० अम्बेदकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, गोपाल स्वामी आयंगर जैसे गैर-कांग्रेसी सदस्य भी सम्मिलित किए। श्री लाल बहादुर शास्त्री व श्रीमती इन्दिरा गांधी के शासन काल में सभी मन्त्री कांग्रेस से ही लिए गए थे।

3. मिली-जुली सरकार की राजनीति 1967 से 1977 तक (Coalition Government Politics from 1967 to 1977):
चौथे आम चुनावों के पश्चात् यद्यपि कांग्रेस को केन्द्र में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ, परन्तु कई राज्यों में मिली-जुली सरकारें बनीं। सन् 1969 में कांग्रेस में विभाजन के पश्चात् इन्दिरा गांधी की सरकार को साम्यवादी दल के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ा। सन् 1967 के चुनाव के पश्चात् बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि प्रान्तों में मिली-जुली सरकारों के बनने और गिरने का सिलसिला आरम्भ हो गया, परन्तु केन्द्र में कांग्रेस की ही सरकार बनी।

4. केन्द्र में पहली मिली-जुली सरकार (First Coalition Government in the Centre in 1977):
केन्द्र में पहली मिली-जुली सरकार का निर्माण। मार्च, 1977 में लोकसभा चुनाव हुए और इन चुनावों में कांग्रेस की ऐतिहासिक हार हुई। जनता पार्टी व उसके सहयोगी दलों को 300 स्थान प्राप्त हुए। केन्द्र में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् गैर-कांग्रेसी सरकार की स्थापना हुई। केन्द्र में यह मिली-जुली सरकार का पहला प्रयोग था। जनता पार्टी की सरकार में कांग्रेस संगठन, भारतीय लोकदल, जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी, विद्रोही कांग्रेस, अकाली दल, द्रमुक आदि दल शामिल हुए।

5. राष्ट्रीय मोर्चा सरकार 1989 (National Front Government 1989):
1989 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में राष्ट्रीय मोर्चा की मिली-जुली सरकार बनी। राष्ट्रीय मोर्चा और जनता दल ने मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में राष्ट्रीय मोर्चे के सबसे महत्त्वपूर्ण घटक जनता दल को 141 स्थान प्राप्त हुए, परन्तु कांग्रेस (स), तेलुगू देशम तथा डी० एम० के० को कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई। विश्वनाथ प्रताप सिंह को राष्ट्रीय मोर्चा संसदीय दल का नेता चुना गया और उन्होंने केन्द्र में दूसरी मिली-जुली सरकार का निर्माण किया।

भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों ने राष्ट्रीय मोर्चा सरकार को बाहर से समर्थन 23 अक्तबर, 1990 को भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपना समर्थन वापस लेने व जनता दल में विभाजन के कारण राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार को लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त नहीं हो सका और 7 नवम्बर, 1990 को प्रधानमन्त्री. वी० पी० सिंह ने अपने पद से त्याग–पत्र दे दिया। मई-जून, 1991 को लोकसभा के मध्यावधि चुनावों में यद्यपि किसी दल को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ, परन्तु कांग्रेस को लोकसभा में सबसे अधिक स्थान प्राप्त हुए और कांग्रेस ने अपनी अल्पमत सरकार बनाई और 1996 तक कांग्रेस सत्ता में रही।।

6. संयुक्त मोर्चा सरकार 1996 (United Front Government 1996):
चुनाव आयोग ने कुछ राज्य स्तरीय क्षेत्रीय दलों को भी मान्यता प्रदान की। अप्रैल-मई, 1996 के चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ जिसके कारण मिली-जुली सरकार बनाने की सम्भावनाएं बहुत बढ़ गईं। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और उसे 161 स्थान प्राप्त हुए। दूसरे नम्बर पर कांग्रेस रही, जिसको 140 स्थान प्राप्त हुए। कांग्रेस को इतने कम स्थान पहले कभी भी किसी भी लोकसभा चुनाव में प्राप्त नहीं हुए। जनता दल को 45, मार्क्सवादी पार्टी को 32, भारतीय साम्यवादी दल को 12, समता पार्टी को 8, कांग्रेस (ति०’) को 4 और जनता पार्टी को कोई विशेष सफलता प्राप्त नहीं हुई।

इन चुनावों में क्षेत्रीय दलों को भारी सफलता प्राप्त हुई जिनमें डी० एम० के० को 17, तमिल मनीला कांग्रेस को 20, तेलुगू देशम पार्टी को 16, समाजवादी पार्टी को 16, अकाली दल को 8, शिवसेना को 15, असम गण परिषद् को 5, हरियाणा विकास पार्टी को 3, मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस को 2 और बहुजन समाज पार्टी को 11 स्थान प्राप्त हुए, जिसके कारण सरकार के निर्माण में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ गई। राष्ट्रपति डॉ० शंकर दयाल शर्मा ने 16 मई, 1996 को लोकसभा में सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमन्त्रित किया।

16 मई, 1996 को भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगी दलों सम दल, शिव सेना और हरियाणा विकास पार्टी के सहयोग से मिली-जुली सरकार का गठन किया, परन्तु इससे पहले 10 मई, 1996 को 10 राजनीतिक दलों जनता दल, भारतीय साम्यवादी दल, भारतीय साम्यवादी दल (मार्क्सवादी), अखिल भारतीय इन्दिरा कांग्रेस (तिवारी), डी० एम० के०, तमिल मनीला कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, मध्य प्रदेश कांग्रेस, मस्लि लीग, जनता पार्टी ने मिलकर संयुक्त मोर्चे का निर्माण किया।

19 मई, 1996 को इस मोर्चे में असम गण परिषद् और तेलुगू देशम पार्टी भी शामिल हो गईं। इस तरह 12 दलों के सहयोग से मिलकर संयुक्त मोर्चे का निर्माण किया गया और श्री हरदन हल्ली डोडेगौड़ा देवेगौड़ा को संयुक्त मोर्चे का नेता चुना गया। इस मोर्चे को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बाहर से बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा कर दी। परन्तु इससे पूर्व केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया जा चुका था, राष्ट्रपति ने 31 मई, 1996 तक भाजपा को लोकसभा में अपना बहुमत सिद्ध करने का निर्देश दिया, परन्तु प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 28 मई, 1996 को ही अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया, क्योंकि उन्हें आभास हो गया था कि बहुमत उनके साथ नहीं है।

29 मई को राष्ट्रपति ने संयुक्त मोर्चा के नेता एच० डी० देवेगौड़ा को 1 जून, 1996 को अपनी सरकार बनाने का निमन्त्रण दिया। जून, 1996 को एच० डी० देवेगौड़ा ने 13 दलों द्वारा गठित संयुक्त मोर्चे से मिली-जुली सरकार का निर्माण किया। जनतान्त्रिक गठबन्धन सरकार 1999, 2014 एवं 2019 (National Democratic Alliance Government 1999, 2014 and 2019)-सितम्बर-अक्तूबर, 1999 में 13वीं लोकसभा के चुनाव में किसी भी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ, परन्तु भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन को बहुमत प्राप्त हो गया। 24 राजनीतिक दलों के सहयोग से मिलकर बने राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के 70 सदस्यीय मन्त्रिमण्डल ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 13 अक्तूबर, 1999 को शपथ ग्रहण की।

इस सरकार में अधिकतर क्षेत्रीय दल सम्मिलित हैं। इन चुनावों ने भारतीय राजनीति में मिली-जुली सरकारों के युग का मार्ग और प्रशस्त किया। अप्रैल-मई, 2014 में हुए 16वीं 2019 में हुए 17वीं लोकसभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन ने क्रमश: 335 एवं 355 सीटें जीतीं, तथा दोनों बार श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का निर्माण किया। संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन सरकार-2004 एवं 2009 (United Progressive Alliance Government -2004 and 2009)- अप्रैल-मई, 2004 में 14वीं तथा अप्रैल-मई, 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनाव हुए।

इन चुनावों में भी किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। अत: दोनों बार कई दलों ने मिलकर कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (United Progressive Alliance-UPA) का निर्माण किया तथा डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई। उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि गठबन्धन सरकारों को अपने अस्तित्व के लिए विभिन्न दलों के सहयोग पर निर्भर रहना पड़ा। इसके कारण ही त्रिशंकु संसद् (Hung Parliament) का जन्म हुआ।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 6.
भारत में गठबन्धन सरकार की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में गठबन्धन सरकार की उत्पत्ति के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं

1. कांग्रेस के आधिपत्य की समाप्ति-1989 के बाद कांग्रेस के आधिपत्य वाली स्थिति पहले जैसी नहीं रही। इसके विरुद्ध अनेक राजनीतिक दल आ गए जिससे गठबन्धनवादी सरकारों का दौर शुरू हुआ।

2. क्षेत्रीय दलों में वृद्धि-क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या के कारण किसी भी एक राष्ट्रीय दल को लोकसभा या विधानसभा में बहुमत मिलना कठिन हो गया है। इससे राजनीतिक दल आपस में गठबन्धन बनाने लगे हैं।

3. दल-बदल-भारत में दल-बदल विरोधी कानून होने के बावजूद भी दल-बदल की प्रवृत्ति पर रोक नहीं लग पाई है। दल-बदल के कारण सरकारों का अनेक बार पतन हुआ और जो नई सरकारें बनीं वे भी गठबन्धन करके बनीं।

4. क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा–प्राय: केन्द्र में बनी राष्ट्रीय दलों की सरकारों ने क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा की है। इससे क्षेत्रीय स्तर के दलों ने मुद्दों पर आधारित राजनीति के अनुसार गठबन्धनकारी दौर की शुरुआत की।

5. राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा-वर्तमान समय में प्रत्येक नेता मन्त्री पद प्राप्त करना चाहता है, इसलिए वह किसी तरह का समझौता करने के लिए तैयार रहता है।

6. लोगों का राष्ट्रीय दलों पर अविश्वास-गठबन्धन सरकारों के बनने का एक कारण यह है कि लोगों का राष्ट्रीय दलों पर विश्वास कम होता जा रहा है तथा वे क्षेत्रीय दलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

प्रश्न 7.
गठबन्धन सरकार के विभिन्न रूपों का वर्णन करें।
उत्तर:
गठबन्धन सरकार के कई रूप हो सकते हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

1. समान रूप से प्रभावशाली दो विरोधी गठबन्धन-इस प्रकार का गठबन्धन उस समय अस्तित्व में आता है, जब एक राज्य या प्रान्त में दो समान रूप से प्रभावशाली विरोधी गठबन्धन हो तथा उस राज्य या प्रान्त में अन्य छोटे-छोटे दल भी पाए जाते हों । इस प्रकार की स्थिति में दोनों बड़े विरोधी दल अन्य छोटे-छोटे दलों से समझौता करके अधिक-से-अधिक सीटें जीतकर सत्ता में आना चाहते हैं। इस प्रकार की स्थिति द्वि-दलीय व्यवस्था के रूप में कार्य करती है।

2. एक दल की प्रधानता वाला गठबन्धन-गठबन्धन सरकार का एक रूप दल की प्रधानता वाला गठबन्धन है। इस प्रकार के गठबन्धन के सभी छोटे-छोटे दल एक बड़े दल के साथ मिलकर गठबन्धन का निर्माण करते हैं। छोटे-छोटे दल यद्यपि महत्त्वपूर्ण होते हैं, परन्तु वे सरकार को पूर्ण रूप से प्रभावित नहीं कर पाते। इस प्रकार के गठबन्धन में से यदि एक-दो छोटे दल बाहर भी हो जाएं तो भी सरकार के अस्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

3. राष्ट्रीय सरकार-गठबन्धन सरकार का एक रूप राष्ट्रीय सरकार का भी है। राजनीतिक दल संसद में अपने अपने आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर सरकार का गठन करते हैं। इस प्रकार की सरकार का निर्माण किसी राष्ट्रीय संकट या चुनावों से पूर्व किया जाता है।

4. नकारात्मक आधार पर निर्मित गठबन्धन सरकार- इस प्रकार का गठबन्धन प्रायः चुनावों के बाद ही बनता है, तथा सरकार बनाई जाती है। इस प्रकार का गठबन्धन ऐसे दलों का गठबन्धन होता है, जो किसी दूसरे विरोधी दल या गठबन्धन को सरकार बनाने से रोकना चाहते हों। ऐसे गठबन्धन अवसरवादिता के उदाहरण माने जाते हैं।

प्रश्न 8.
2004 के 14वें लोकसभा चुनावों एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
2004 में हुए लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election held in 2004) अप्रैल-मई, 2004 में 14वीं लोकसभा के चुनाव सम्पन्न हुए। ये चुनाव पाँच चरणों में कराये गए थे, और इसमें 66 करोड़ मतदाताओं में से 58 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया गया। 14वीं लोकसभा चुनाव पूर्णतः इलेक्ट्रॉनिक चुनाव मशीन द्वारा करवाए गये थे। इस चुनाव में दलीय स्थिति इस प्रकार रहीं

राजनीतिक दलसीटें जीतीं
कांग्रेस गठबन्धन219
कांग्रेस145
डी० एम० के०16
एन० सी० पी०9
टी० आर० एस०5
पी० एम० के०6
एम० डी० एम० के०4
आर० जे० डी०23
जे० एम० एम०5
एल० जे० एन० एस० पी०3
जे० के० पी० डी० पी०1
एम० यू० एल1
आर० पी० भाई०1
(ए) राजग186
भाजपा138
एस० एच० एस०12
टी० डी० पी०5
अकाली दल8
जनता दल (यू)7
ए० आई० टी० सी०2
बी० जे० डी०11
एम० एन० एफ०1
आई० एफ० डी० पी०1
एन० पी० एफ०1
अन्य136
सी॰ पी० आई० (एम)43
सी० पी० आई०10
एस० पी०36
जनता दल (एस०)4
ए० आई० एफ० बी०3
ए० आई० एम० आई० एम०1
बी० एन० पी०1
के० ई० सी०1
इनैलो4
बी० एस० पी०18
आर० एल० डी०3
जे० के० एन०2
एस० जे० पी० (आर०)1
आर० एस० पी०3
ऐ० जी० पी०2
एन० एल० पी०1
एस० डी० एफ०1
एल० टी० एस० पी०1
एस० एच० एस०12

दलीय स्थिति के अध्ययन से पता चलता है कि मतदाताओं ने किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत प्रदान नहीं किया।

संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण (Formation of United Progressive Alliance)-2004 के लोकसभा के चुनावों में जब किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हुआ तब भाजपा गठबन्धन एवं कांग्रेस गठबन्धन ने सरकार बनाने के प्रयास तेज़ कर दिये। अन्ततः अधिकांश गैर कांग्रेस एवं गैर भाजपा गठबन्धन दलों ने कांग्रेस गठबन्धन को समर्थन देने का निर्णय किया जिससे कांग्रेस गठबन्धन के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ़ हो गया।

कांग्रेस एवं सहयोगी दलों ने अपने गठबन्धन को संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (United Progressive Alliance-UPA) का नाम दिया। यद्यपि दलीय स्थिति देखने के पश्चात् हम यह कह सकते हैं कि कांग्रेस एवं भाजपा की सीटों में कोई बहुत बड़ा अन्तर नहीं था, परन्तु अन्य दलों ने कांग्रेस को समर्थन देकर संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार बनाने में मदद की। गठबन्धन के नेता के रूप में श्रीमती सोनिया का प्रधानमन्त्री बनना लगभग तय लग रहा था, परन्तु भाजपा एवं कुछ अन्य वर्गों के विरोध के कारण श्रीमती सोनिया गांधी ने स्वेच्छा से प्रधानमन्त्री बनने भारतीय राजनीति-नए बदलाव से इन्कार कर दिया।

अत: गठबन्धन में कांग्रेस के नेता डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमन्त्री बनाने पर सहमति बनी, परिणामस्वरूप 22 मई, 2004 को डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली। इस प्रकार लगभग 20 दलों की गठबन्धन सरकार अस्तित्व में आई। संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार को वामपंथियों ने बाहर से समर्थन देने का निर्णय किया। कांग्रेस के पश्चात् वामपंथी दलों ने सर्वाधिक 63 सीटें जीतीं।

अतः गठबन्धन सरकार पर वामपंथी दलों का विशेष प्रभाव है तथा डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार कोई भी नीतिगत निर्णय लेने से पहले वामपंथी दलों से विचार-विमर्श अवश्य करती है। संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन लगभग 20 दलों का एक गठबन्धन है। अत: गठबन्धन ने सभी सहयोगी दलों को खुश करने का प्रयास किया। गठबन्धन ने सर्वप्रथम अपना न्यूनतम सांझा कार्यक्रम (Common Minimum Programme) बनाया, जिसमें सभी दलों की विशेष नीतियों को शामिल किया। मन्त्रिपरिषद् के निर्माण में भी सहयोगी दलों को स्थान दिया गया।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 9.
2009 में हुए 15वीं लोकसभा के चुनावों एवं संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन पर एक नोट लिखें। (Write a note on 15th Lok Sabha Elections and United Progressive Alliance.)
उत्तर:
2009 में हुए लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election held in 2009)
अप्रैल-मई, 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनाव सम्पन्न हुए, ये चुनाव पांच चरणों में कराये गए थे। इसमें 71 करोड़ 40 लाख मतदाताओं में से लगभग 60 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। 15वीं लोकसभा के चुनाव भी पूर्ण रूप से इलैक्ट्रोनिक चुनाव मशीन से करवाए गए थे। इस चुनाव में दलीय स्थिति इस प्रकार रही

राजनीतिक दलसीटें जीतीं
1. कांग्रेस206
2. भाजपा116
3. सपा23
4. बसपा21
5. जद (यू)20
6. टी०एम०सी०19
7. डी०एम०के०18
8. माकपा16
9. बीजद14
10. शिवसेना11
11. एन० सी० पी०9
12. अन्ना द्रमुक9
13. टी० डी० पी०6
14. रालोद5
15. अकाली दल4
16. राजद4
17. भाकपा4
18. नेशनल कान्फ्रेंस3
19. जद (एस)3
20. अन्य23
21. निर्दलीय9

दलीय स्थिति के अध्ययन से पता चलता है कि मतदाताओं ने किसी भी एक दल को पूर्ण बहुमत प्रदान नहीं किया।

संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन द्वारा सरकार का निर्माण (Formation of Govt. by U.P.A.) यद्यपि 2009 के चुनाव में भी किसी एक दल या गठबन्धन को पूर्व बहुमत प्राप्त नहीं हुआ था, कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील . गठबन्धन को 2004 के चुनावों के मुकाबले में अधिक सीटें मिली थीं। स्वयं कांग्रेस को 1991 के पश्चात् 200 से अधिक सीटें प्राप्त हुई थीं। अतः सरकार बनाने के लिए राष्ट्रपति ने डॉ. मनमोहन को आमन्त्रित किया। डॉ. मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति को अपने समर्थन में 322 सांसदों की सूची सौंपी, जिसमें यू० पी० ए० के दलों के अतिरिक्त राजद, बसपा सपा तथा जनता दल (एस) का भी समर्थन शामिल था।

परिणामस्वरूप 22 मई, 2009 को डॉ. मनमोहन सिंह ने पुनः भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली। उल्लेखनीय बात यह है कि 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में यू०पी०ए० की सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वामपंथी दल इस सरकार में शामिल नहीं हुए।

प्रश्न 10.
सन 2014 में हए 16वीं लोकसभा के चनावों एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन पर एक नोट लिखो।
उत्तर:
भारत में 16वीं लोकसभा के चुनाव अप्रैल-मई 2014 में 9 चरणों में करवाए गए। इन चुनावों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं

  • इन चुनावों में अब तक सबसे अधिक 66.38% मतदान हुआ।
  • इन चुनावों में 60 लाख मतदाताओं ने नोटा (None of the Above-Nota) बटन दबाया।
  • इन चुनावों में मतदाताओं की संख्या 81 करोड़ 40 लाख थी, जिसमें से लगभग 55 करोड मतदाताओं ने मतदान दिया।
  • इन चुनावों में अधिकतम खर्च सीमा 70 लाख थी।
  • इन चुनावों में 1687 राजनीतिक दलों ने भाग लिया, जिसमें 6 राष्ट्रीय एवं 54 क्षेत्रीय राजनीतिक दल शामिल थे।
  • इन चुनावों में अब तक सर्वाधिक 61 महिलाएं चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची। इन चुनावों के चुनाव परिणाम इस प्रकार रहे

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उपरोक्त चुनाव परिणामों से स्पष्ट है, कि भाजपा ने जहां 282 सीटें जीतीं वहीं इसके गठबन्धन को भाजपा सहित 334 सीटें प्राप्त हुईं। अत: भाजपा एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन के नेता श्री नरेन्द्र मोदी को 26 मई, 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। श्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई, 2014 को ही अपनी मंत्रिपरिषद् का भी निर्माण किया, जिसमें कुल 45 मंत्री शामिल थे, इसमें 23 कैबिनेट मंत्री, 10 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री तथा 12 राज्यमंत्री शामिल थे। श्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जुलाई, 2016 को अपनी मंत्रिपरिषद् का विस्तार एवं पुनर्गठन किया। इस प्रकार मंत्रिपरिषद् की कुल संख्या 75 हो गई। इसमें 26 कैबिनेट मंत्री, 13 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री तथा 36 राज्यमंत्री शामिल थे।

प्रश्न 11.
सन् 2019 में हुए 17वीं लोकसभा के चुनावों एवं राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन पर एक नोट लिखो।
उत्तर:
भारत में 17वीं लोकसभा के चुनाव अप्रैल-मई, 2019 में 7 तरणों में करवाए गए थे। इन चुनावों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं

  • इन चुनावों में 67.11 मतदान हुआ।
  • इन चुनानों में मतदाताओं की गिनती 90 करोड़ थी।
  • इन चुनावों में 2200 से अधिक राजनीतिक दलों ने भाग लिया, जिसमें 7 राष्ट्रीय एवं 59 क्षेत्रीय दल शामिल थे।
  • इन चुनावों में अब तक सर्वाधिक 78 महिलाएं चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची।
  • इन चुनावों के लिए पूरे भारत में कुल 10 लाख मतदाता केन्द्र बनाए गये थे।
  • इन चुनावों से सभी मतदाता केन्द्रों पर ई० वी० एम० मशीनों के साथ-साथ वी० वी० पी० ए० टी० (V.V.P.A.T. Voter Verifiable Paper Anchit Irail) का भी प्रयोग किया गया।
  • इन चुनावों में लगभग 99.3% मतदाताओं के पास पहचान पत्र थे।

इन चुनावों के चुनाव परिणाम इस प्रकार रहे

Result Status
Status Known for 542 out of 542 Constituencies
PartyWon
Aam Aadmi Party1
AJSU Party1
All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam1
All India Majlis-E-Ittehadul Muslimeen2
All India Trinamool Congress22
All India United Democratic Front1
Bahujan Samaj Party10
Bharatiya Janata Party303
Biju Janata Dal12
Communist Party of India2
Communist Party of India (Marxist)3
Dravida Munnetra Kazhagam23
Indian National Congress52
Indian Union Muslim League3
Jammu \& Kashmir National Conference3
Janata Dal (Secular)1
Janata Dal (United)16
Jharkhand Mukti Morcha1
Kerala Congress (M)1
Lok Jan Shakti Party6
Mizo-National Front1
Naga Peoples Front1
National People’s Party1
Nationalist Congress Party5
Nationalist Democratic Progressive Party1
Revolutionary Socialist Party1
Samajwadi Party5
Shiromani Akali Dal2
Shivsena18
Sikkim Krantikari Morcha1
Telangana Rashtra Samithi9
Telugu Desam3
Yuvajana Sramika Rythu Congress Party22
Other8
Total542

प्रश्न 12.
भारत में गठबन्धन की राजनीति का क्या अर्थ है ? गठबन्धन सरकार का भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
भारतीय राजनीति पर गठबन्धन सरकार के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में गठबन्धन राजनीति का अर्थ- इसके लिए प्रश्न नं० 5 देखें। गठबन्धन सरकार का भारतीय राजनीति पर प्रभाव

1. अस्थाई सरकार:
गठबन्धन सरकारों के कारण भारत में अस्थिरता बढ़ी है क्योंकि विभिन्न दल अपने स्वार्थी हितों की खातिर मिलकर सरकार बनाते हैं। अतः यह पता नहीं होता कि कब वह सरकार से अलग हो जाएं।

2. नीतियों में निरन्तरता का अभाव:
गठबन्धन सरकार द्वारा बनाई जाने वाली नीतियों में निरन्तरता नहीं होती है। मिली-जुली सरकार कभी भी दीर्घकालीन एवं प्रभावशाली नीतियां नहीं बना पाती।

3. राष्ट्रीय एकता को खतरा:
गठबन्धन सरकार में शामिल दल केवल अपने हितों की पूर्ति में ही लगे रहते हैं। उन्हें देश की रक्षा की कोई चिन्ता नहीं होती।

4. प्रधानमन्त्री की कमज़ोर स्थिति:
गठबन्धन सरकार में प्रधानमन्त्री की स्थिति कमजोर होती है, जिसके कारण वह देश को अच्छा नेतृत्व नहीं दे पाता।

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प्रश्न 13.
“1989 के चुनावों के बाद गठबन्धन की राजनीति का युग आरम्भ हुआ, जिसमें राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठ-जोड़ नहीं करते।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय राजनीति का वर्तमान दौर गठबन्धन राजनीति का दौर है। वर्तमान समय कोई भी राजनीतिक दल अपने दम पर सरकार नहीं बना सकता। अत: वह अन्य दलों से गठबन्धन करता है। इस गठबन्धन का कोई वैचारिक या नैतिक आधार नहीं होता, बल्कि सत्ता प्राप्ति होता है। इस प्रकार के गठबन्धन की शुरुआत 1989 के पश्चात् शुरू हुई। 1989 के चुनाव के अवसर पर जनता दल ने मार्क्सवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबन्धन किया।

1991, 1996, 1998, 1999, 2004 2009 तथा 2014 के लोकसभा के चुनावों के अवसर पर लगभग सभी दलों ने अवसरवादी समझौते किए। 1996 में तमिलनाडु विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए द्रमुक और तमिल मनीला कांग्रेस (T.M.C.) के बीच सीटों का समझौता हुआ। कांग्रेस (इ) ने अन्ना द्रमुक के साथ समझौता किया।

नवम्बर, 1993 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के अवसर पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में समझौता हुआ। 1 जून, 1995 को यह समझौता टूट गया और बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी से अपना समर्थन वापस ले लिया। मई, 1996 में 13 दलों ने मिलकर संयुक्त मोर्चे का निर्माण किया। इन 13 दलों के इकट्ठे होने का एक ही उद्देश्य था, सत्ता पर कब्ज़ा करना।

मार्च, 1998 में भारतीय जनता पार्टी तथा उसके सहयोगी दलों ने केन्द्र में सरकार का निर्माण किया। इस सरकार में अनेक ऐसे दल शामिल थे जिसकी नीतियां परस्पर विरोधी थीं। 15 मई, 1999 को भारतीय जनता पार्टी सहित 24 राजनीतिक दलों ने मिलकर राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन नाम से एक महान गठबन्धन बनाया। इस गठबन्धन का उद्देश्य केन्द्र में सत्ता प्राप्त करना था। सितम्बर-अक्तूबर, 1999 में हुए लोकसभा के चुनावों में इस गठबन्धन को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ और इसने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई।

इस प्रकार यह गठबन्धन अपने उद्देश्य में सफल रहा। 2004 के 14वीं लोकसभा के चुनाव के अवसर पर भारतीय जनता पार्टी ने जहां अनेक घोटालों में संलिप्त जयललिता से चुनावी समझौता किया, वहीं काग्रेस ने अपने कट्टर विरोधी डी० एम० के० के साथ चुनाव समझौता किया। अप्रैल-मई, 2009 में हुए 15वीं, अप्रैल-मई 2014 में हुए 16वीं एवं अप्रैल-मई 2019 में हुए 17वीं लोकसभा के चुनाव में भी लगभग सभी राजनीतिक दलों ने सिद्धान्तहीन समझौते किए थे। उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने जो गठजोड़ किए उनका आधार विचारधारा नहीं बल्कि सत्ता प्राप्ति था।

प्रश्न 14.
साम्प्रदायिकता का क्या अर्थ है ? साम्प्रदायिकता के प्रभावों को दूर करने के उपायों का वर्णन करें।
अथवा
भारत में साम्प्रदायिकता को समाप्त करने के लिए मुख्य उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साम्प्रदायिकता का अर्थ:
साम्प्रदायिकता का अभिप्राय है धर्म अथवा जाति के आधार पर एक-दूसरे के विरुद्ध भेदभाव की भावना रखना। ए० एच० मेरियम (A.H. Merriam) के अनुसार, “साम्प्रदायिकता अपने समुदाय के प्रति वफादारी की अ की ओर संकेत करती है जिसका अर्थ भारत में हिन्दुत्व या इस्लाम के प्रति पूरी वफादारी रखना है।”

डॉ० इ० स्मिथ (Dr. E. Smith) के अनुसार, “साम्प्रदायिकता को आमतौर पर किसी धार्मिक ग्रुप के सीमित स्वार्थी, विभाजकता और आक्रमणशील दृष्टिकोण से जोड़ा जाता है।”

के० पी० करुणाकरण (K.P. Karunakarn) के अनुसार, “भारत में साम्प्रदायिकता का अर्थ वह विचारधारा है जो किसी विशेष धार्मिक समुदाय या किसी विशेष जाति के सदस्यों के हितों के विकास का समर्थन करती है।” साम्प्रदायिकता के प्रभाव को कम करने के उपाय शक्षा द्वारा साम्प्रदायिकता को दर करने का सबसे अच्छा साधन शिक्षा का प्रसार है। जैसे-जैसे शिक्षित की संख्या बढ़ती जाएगी, धर्म का प्रभाव भी कम हो जाएगा और साम्प्रदायिकता की बीमारी भी दूर हो जाएगी।

2. प्रचार के द्वारा समाचार:
पत्रों, रेडियो तथा टेलीविज़न के द्वारा साम्प्रदायिकता के विरुद्ध प्रचार करके भ्रातृ की भावना उत्पन्न की जा सकती है।

3. नागरिक अपना दायित्व पूरा करें:”
नागरिकों को अपने दायित्व के प्रति सचेत होना चाहिए और शान्ति स्थापना में प्रशासन की मदद करनी चाहिए। प्रशासन दंगों को दबा सकता है, नागरिकों की मदद के लिए गश्त की व्यवस्था भी कर सकता है, लेकिन सन्देह का वातावरण खत्म करना नागरिकों का दायित्व है।

4. साम्प्रदायिक दलों का अन्त करके:
सरकार को सभी ऐसे दलों को समाप्त कर देना चाहिए जो साम्प्रदायिकता पर आधारित हों। चुनाव आयोग को साम्प्रदायिक पार्टियों को मान्यता नहीं देनी चाहिए।

5. धर्म और राजनीति को अलग करके:
साम्प्रदायिकता को रोकने का एक महत्त्वपूर्ण उपाय यह है कि राजनीति को धर्म से अलग रखा जाए।

6. सामाजिक और आर्थिक विकास:
साम्प्रदायिक तत्व लोगों के आर्थिक पिछड़ेपन का पूरा फायदा उठाते हैं। अतः ज़रूरत इस बात की है कि जहां-जहां कट्टरपंथी ताकतों का बोलबाला है वहां की गरीब बस्तियों के निवासियों की आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं के हल के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।

7. आपसी विवाह के द्वारा:
अन्तर्जातीय विवाह करके साम्प्रदायिकता को समाप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
भारत में बढ़ती हुई म्प्रदायिक प्रवृत्तियों के भारतीय राजनीति पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साम्प्रदायिकता ने निम्नलिखित प्रकार से भारतीय राज्य व्यवस्था को प्रभावित किया है
1. साम्प्रदायिकता और राजनीतिक दल:
भारत में अनेक राजनीतिक दलों का निर्माण साम्प्रदायिकता के आधार पर हुआ है।

2. साम्प्रदायिकता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन:
चुनाव में धर्म की भावना महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। चुनाव के समय उम्मीदवारों का चयन करते समय धर्म भी अन्य आधारों में से एक महत्त्वपूर्ण आधार होता है। प्रायः सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का चुनाव करते समय धर्म को महत्त्व देते हैं और जिस चुनाव क्षेत्र में जिस धर्म के अधिक मतदाता होते हैं प्रायः उसी धर्म का उम्मीदवार उस चुनाव क्षेत्र में खड़ा किया जाता है। प्रायः सभी राजनीतिक दल चुनावों में वोट पाने के लिए धार्मिक तत्त्वों के साथ समझौता करते हैं।

3. धर्म तथा मतदान व्यवहार (Religion and Voting Behaviour):
चुनाव के समय मतदाता भी धर्म से प्रभावित हो कर अपने मत का प्रयोग करते हैं। प्रत्येक धार्मिक सम्प्रदाय के लोग अपनी संख्या के आधार पर अपना महत्त्व समझने लगे हैं। प्रायः यह देखा गया है कि मुस्लिम मतदाता और सिक्ख मतदाता अधिकतर अपने धर्म से सम्बन्धित उम्मीदवार को वोट डालते हैं। मई-जून, 1991 में दसवीं लोकसभा के चुनावों के अवसर पर राम भक्तों ने भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान किया।

4. दबाव समूह तथा धर्म (Pressure Groups and Religion):
भारतीय राज्य-व्यवस्था में धर्म प्रधान दबाव समूह भी महत्त्वपूर्ण बनते जा रहे हैं। धर्म प्रधान दबाव समूह समय-समय पर शासन की नीतियों को प्रभावित करते रहते हैं। वे अपने सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए नीति निर्माताओं को प्रभावित कर अपने कार्य में सफलता प्राप्त कर लेते हैं। अनेक धर्म प्रधान संगठन राजनीतिक मामलों में विशेष रुचि लेते हैं और अपनी मांगों को स्वीकार करवाने के लिए राजनीतिक दलों से सौदेबाजी करते हैं।

5. धर्म के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग (Demand for States Re-organisation on the basis of Religion):
भारत में कई बार अप्रत्यक्ष रूप से धर्म के आधार पर पृथक् राज्यों की मांग की गई है। पंजाब में अकालियों की पंजाबी सूबा की मांग कुछ हद तक धर्म के प्रभाव का परिणाम थी।

6. धर्म के आधार पर अस्थिरता (Unstability on the basis of Religion):
राजनीति को धार्मिक आधार देकर राष्ट्र में अस्थिरता की स्थिति पैदा करने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। धर्म के नाम पर राजनीतिक संघर्ष होते रहते हैं।

प्रश्न 16.
भारत में साम्प्रदायिकता की उत्पत्ति और विकास के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में साम्प्रदायिकता की उत्पत्ति और विकास के निम्नलिखित कारण हैं

1. सांप्रदायिक दल-साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने में साम्प्रदायिक दलों का महत्त्वपूर्ण हाथ है। भारत में अनेक साम्प्रदायिक दल पाए जाते हैं।

2. राजनीति और धर्म-साम्प्रदायिकता का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि राजनीति में धर्म घुसा हुआ है। धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जाता है। पंजाब के धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जाता है जोकि पिछले कई वर्षों से चिंता का विषय बना हुआ है।

3. सरकार की उदासीनता-हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि संघीय और राज्यों की सरकारों ने दृढ़ता से इस समस्या को हल करने का प्रयास नहीं किया है। कभी भी इस समस्या की विवेचना गंभीरता से नहीं की गई।

4. साम्प्रदायिकता शिक्षा-कई प्राइवेट स्कूलों तथा कॉलेजों में धर्म-शिक्षा के नाम पर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया जाता है।

5. पारिवारिक वातावरण-कई घरों में साम्प्रदायिकता की बातें होती रहती हैं जिनका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और बड़े होकर वे भी साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देते हैं।

6. विभिन्न धार्मिक स्थानों का एक स्थान पर होना-कई बार विभिन्न धार्मिक स्थानों का साथ-साथ होना या एक ही स्थान पर मंदिर, मस्जिद का होना साम्प्रदायिकता का कारण बन जाता है। एक स्थान पर पहले एक धार्मिक स्थान होने और बाद में विभिन्न धर्म के धार्मिक स्थान बन जाने से भी साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिलता है। राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद विवाद ने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया है।

प्रश्न 17.
गठबन्धन सरकार की सफलता हेतु मुख्य सुझावों का वर्णन करें।
उत्तर:
गठबन्धन सरकार की सफलता हेतु निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं

  • गठबन्धन सरकार का एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम होना चाहिए।
  • गठबन्धन सरकार का एक सर्वसम्मत नेता होना चाहिए।
  • गठबन्धन सरकार में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाने चाहिए।
  • गठबन्धन सरकार में परस्पर समन्वय बनाकर कार्य करना चाहिए।
  • गठबन्धन सरकार के माध्यम से राजनीतिक अस्थिरता के प्रयास नहीं करने चाहिए।
  • गठबन्धन में शामिल क्षेत्रीय दलों को उचित सम्मान देना चाहिए।
  • गठबन्धन में शामिल क्षेत्रीय दलों को प्रधानमन्त्री पर अनावश्यक दबाव नहीं बनाना चाहिए।
  • गठबन्धन सरकार दल-बदल का मंच नहीं बननी चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
1990 के दशक में सहभागी उमड़ के कोई चार पक्ष लिखें।
उत्तर:
1. लोगों की सहभागिता में वृद्धि-1990 के दशक में लोगों की राजनीतिक सहभागिता में वृद्धि हुई। पिछले दशकों की अपेक्षा इस दशक में लोगों के राजनीतिक ज्ञान, रुचि एवं गतिविधियों में वृद्धि हुई।

2. विभिन्न दलों की सत्ता में भागीदारी-1989 से सत्ता कई दलों में विभाजित रही। इस दौरान जनता दल, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, डी० एम० के०, अन्ना डी० एम० के०, तेलुगू देशम, नेशनल कान्फ्रेंस, शिरोमणि अकाली दल, इनैलो, शिवसेना, बीजू जनता दल, तृणमूल पार्टी तथा असम गण परिषद जैसे दलों ने भी केन्द्र स्तर पर सत्ता में भागीदारी की।

3. क्षेत्रीय दलों का प्रभाव- भारतीय राजनीति में लोकतान्त्रिक उमड़ का एक पक्ष यह रहा है कि 1990 के दशक में क्षेत्रीय दलों ने भारतीय राजनीति को प्रभावित किया।

4. दलित एवं पिछड़े वर्गों का उभरना-भारतीय राजनीति में लोकतान्त्रिक उमड़ का एक पक्ष अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों की राजनीति का उभरना है।

प्रश्न 2.
जनता दल का निर्माण किन कारणों से हुआ? इसके मुख्य घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
1988 में एक नए राजनीतिक दल, जनता दल की स्थापना की गई। 1987 में, कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी का त्याग करके ‘जन मोर्चा’ का निर्माण किया। इसके साथ ही अनेक नेता एक ऐसे नये राजनीतिक दल का निर्माण करने का प्रयास कर रहे थे, जो कांग्रेस का विकल्प बन सके। 26 जुलाई, 1988 को चार विपक्षी दलों जनता पार्टी, लोकदल, कांग्रेस (स) और जन मोर्चा के विलय से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की गई। इस नये दल का नाम समाजवादी जनता दल रखा गया। 11 अक्तूबर, 1988 को बैंगलोर में समाजवादी जनता दल का नाम बदलकर जनता दल कर दिया गया। श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को जनता दल का प्रधान मनोनीत किया गया।

प्रश्न 3.
जनता दल का कार्यक्रम एवं नीतियां लिखें।
उत्तर:

  • जनता दल का लोकतन्त्र में दृढ़ विश्वास है और उत्तरदायी प्रशासनिक व्यवस्था को अपनाने के पक्ष में है।
  • जनता दल ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सात सूत्रीय कार्यक्रम अपनाने की बात कही है।
  • पार्टी राजनीति में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल की नियुक्ति के पक्ष में है।
  • पार्टी पंचायती राज संस्थाओं को अधिक-से-अधिक स्वायत्तता देने के पक्ष में है।

प्रश्न 4.
भारतीय जनता पार्टी का उदय किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी का उदय (जन्म) 1980 में जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता के मुद्दे को लेकर असहमति के कारण हुआ। 19 मार्च, 1980 को जनता पार्टी के केन्द्रीय संसदीय बोर्ड ने बहुमत से फैसला किया कि जनता पार्टी का कोई भी अधिकारी, विधायक और सांसद् राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की दैनिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकता। परन्तु बोर्ड की बैठक में श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लाल कृष्ण आडवाणी तथा श्री नाना जी देशमुख ने बोर्ड के इस निर्णय का विरोध किया।

4 अप्रैल, 1980 को जनता पार्टी का एक और विभाजन प्रायः निश्चित हो गया, जब पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने संसदीय बोर्ड के प्रस्ताव का अनुमोदन कर पार्टी के विधायकों, सांसदों और पदाधिकारियों पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यों में भाग लेने पर रोक लगा दी। 5 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व जनसंघ के सदस्यों ने नई दिल्ली में दो दिन का सम्मेलन किया और एक नई पार्टी बनाने का निश्चय किया। 6 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व विदेश मन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का गठन किया गया।

प्रश्न 5.
भारत में गठबन्धन सरकार के उदय के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
1. कांग्रेस के आधिपत्य की समाप्ति-1989 के बाद कांग्रेस के आधिपत्य वाली स्थिति पहले जैसी नहीं रही। इसके विरुद्ध अनेक राजनीतिक दल आ गए जिससे गठबन्धनवादी सरकारों का दौर शुरू हुआ।

2. क्षेत्रीय दलों में वृद्धि-क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या के कारण किसी भी एक राष्ट्रीय दल को लोकसभा या विधानसभा में बहुमत मिलना कठिन हो गया है। इससे राजनीतिक दल आपस में गठबन्धन बनाने लगे हैं।

3. दल-बदल-भारत में दल-बदल विरोधी कानून होने के बावजूद भी दल-बदल की प्रवृत्ति पर रोक नहीं लग पाई है। दल-बदल के कारण सरकारों का अनेक बार पतन हुआ और जो नई सरकारें बनीं वे भी गठबन्धन करके बनीं।

4. क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा-प्रायः केन्द्र में बनी राष्ट्रीय दलों की सरकारों ने क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा की है। इससे क्षेत्रीय स्तर के दलों ने मुद्दों पर आधारित राजनीति के अनुसार गठबन्धनकारी दौर की शुरुआत की।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 6.
भारत द्वारा नई आर्थिक नीति अपनाने के कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:
भारत द्वारा निम्नलिखित कारणों से नई आर्थिक नीति अपनाई गई

  • भारत में सन् 1980 तक आर्थिक सुधार की प्रक्रिया बहुत धीमी थी, इस प्रक्रिया को बढ़ाना अवश्यक था।
  • भारत का सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) इस दौरान केवल 36% की दर से बढ़ रहा था। इसे बढ़ाने के लिए नई आर्थिक नीति की आवश्यकता थी।
  • भारत में निर्यात की मात्रा कम थी, जबकि आयात की मात्रा अधिक थी, अत: निर्यात की मात्रा बढ़ाने के लिए नई आर्थिक नीति की आवश्यकता थी।
  • भारत पर लगातार बढ़ रहे विदेशी कर्जे को कम करने के लिए भी नई आर्थिक नीति की आवश्यकता थी।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के उदय का वर्णन करें।
उत्तर:
26 अप्रैल, 1999 को मात्र 13 माह पुरानी लोकसभा को राष्ट्रपति के० आर० नारायणन ने प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सलाह पर भंग कर दिया। सितम्बर-अक्तूबर, 1999 में 13वीं लोकसभा के चुनाव करवाए गए। परन्तु इन चुनावों से पहले मई, 1999 में 24 राजनीतिक दलों ने मिलकर राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन-राजग (National Democratic Alliance—NDA) के नाम से एक महान् गठबन्धन बनाया।

इस गठबन्धन में अधिकतर वे दल ही सम्मिलित थे, जो बारहवीं लोकसभा में भाजपा गठबन्धन सरकार में सम्मिलित थे। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भी अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमन्त्री के रूप में पेश किया। इस गठबन्धन ने उन राजनीतिक दलों, जिन्होंने राष्ट्रीय हित से ऊपर राजनीतिक निषेधवाद, संकीर्ण निजी हितों और सत्ता के लालच को अपना स्वार्थ बनाया है, पर आरोप लगाया कि उन्होंने 1999 के चुनाव अनावश्यक रूप से राष्ट्र पर थोप दिये हैं।

राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने सितम्बर-अक्तूबर, 1999 में हुए 13वीं लोकसभा के चुनावों में 297 सीटों पर विजय प्राप्त की तथा श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई। परन्तु 2004 के 14वीं एवं 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों में इस गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा। परंतु 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव जीतकर इस गठबन्धन ने श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का निर्माण किया।

प्रश्न 8.
संयक्त प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किस प्रकार हआ ?
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (United Progressive Alliance-UPA) का निर्माण 14वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् हुआ। अप्रैल-मई, 2004 के 14वीं लोकसभा के चुनावों में भी किसी दल को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। अधिकांश गैर भाजपा गठबन्धन तथा गैर कांग्रेस गठबन्धन दलों जैसे भारतीय साम्यवादी दल, भारतीय साम्यवादी दल (मार्क्सवादी), जनता दल (एस०) तथा लोकजन शक्ति पार्टी ने कांग्रेस गठबन्धन को अपना समर्थन दिया।

परिणामस्वरूप 22 मई, 2004 को गठबन्धन के नेता डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलाई गई। 27 मई, 2004 को कांग्रेस गठबन्धन को विधिवत् रूप से संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन का नाम दिया गया तथा इस गठबन्धन ने अपना एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी जारी किया। भारतीय साम्यवादी दल, भारतीय साम्यवादी दल (मार्क्सवादी) ने इस गठबन्धन को बाहर से समर्थन देने का निर्णय किया।

प्रारम्भिक तौर पर गठबन्धन के नेता के रूप में श्रीमती सोनिया गाँधी का प्रधानमन्त्री बनना लगभग तय माना जा रहा था, परन्तु भाजपा एवं कुछ अन्य वर्गों के विरोध के. कारण श्रीमती सोनिया गांधी ने स्वेच्छा से प्रधानमन्त्री बनने से इन्कार कर दिया। अतः गठबन्धन में कांग्रेस के नेता डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमन्त्री बनाने पर सहमति बनी। अप्रैल-मई, 2009 में हुए 15वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् पुनः इस गठबन्धन की सरकार बनी तथा डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री बने। 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनावों में इस गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 9.
साम्प्रदायिकता से आपका क्या तात्पर्य है ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
साम्प्रदायिकता का अभिप्राय है धर्म जाति के आधार पर एक-दूसरे के विरुद्ध भेदभाव की भावना रखना। . एक धार्मिक समुदाय को दूसरे समुदायों और राष्ट्रों के विरुद्ध उपयोग करना साम्प्रदायिकता है। ए० एच० मेरियम के अनुसार, “साम्प्रदायिकता अपने समुदाय के प्रति वफादारी की अभिवृत्ति की ओर संकेत करती है जिसका अर्थ भारत में हिन्दुत्व या इस्लाम के प्रति पूरी वफ़ादारी रखना है।” के० पी० करुणाकरण के अनुसार, “भारत में साम्प्रदायिकता का अर्थ वह विचारधारा है जो किसी विशेष धार्मिक समुदाय या जाति के सदस्यों के हितों का विकास का समर्थन करती है।”

प्रश्न 10.
भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के कोई चार प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
साम्प्रदायिकता ने निम्नलिखित ढंगों से भारतीय लोकतन्त्र को प्रभावित किया है-

(1) भारत में अनेक राजनीतिक दलों का निर्माण धर्म के आधार पर हुआ है।

(2) चुनावों में साम्प्रदायिकता की भावना महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। प्राय: सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों का चुनाव करते समय साम्प्रदायिकता को महत्त्व देते हैं और जिस चुनाव क्षेत्र में जिस समुदाय के अधिक मतदाता होते हैं प्राय: सभी राजनीतिक दल चुनावों में वोट डालने के लिए साम्प्रदायिक तत्त्वों के साथ समझौता करते हैं।

(3) राजनीतिक दल ही नहीं बल्कि मतदाता भी धर्म से प्रभावित होकर अपने मत का प्रयोग करते हैं।

(4) धर्म के नाम पर राजनीतिक संघर्ष और साम्प्रदायिक झगड़े होते रहते हैं।

प्रश्न 11.
भारत में नई आर्थिक नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
भारत की ‘नई आर्थिक नीति’ की कोई चार मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत में नई आर्थिक नीति की घोषणा सन् 1991 में की गई थी, जिसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं
1. परमिट राज की समाप्ति-1991 की नई आर्थिक के अन्तर्गत परमिट राज की समाप्ति करके भारतीय बाजारों को मुक्त एवं उदारवादी व्यवस्था में परिवर्तित किया गया।

2. राजकोषीय नीति-1991 की आर्थिक नीति की घोषणा के अन्तर्गत राजकोषीय नीति की भी घोषणा की गई, सार्वजनिक खर्चे को नियन्त्रित करके राजस्व को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया। इस नीति में केन्द्र एवं राज्य सरकार पर सब्सिडी को धीरे-धीरे कम करके राजकोषीय अनुशासन को लागू करने की बात की गई।

3. विदेशी खाते सम्बन्धी नीति-1991 की आर्थिक नीति के अन्तर्गत विदेशी खाते के घाटे को कम करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए।

4. कीमत नीति-1991 की आर्थिक नीति के अन्तर्गत सब्सिडी को धीरे-धीरे कम करके कई वस्तुओं जैसे पेट्रोलियम पदार्थों, खादों, रेलवे तथा बसों के किरायों तथा चीनी के दामों में वृद्धि की गई। इसके साथ-साथ सभी क्षेत्रों में कीमत नीतियों को लोचशील बनाने का प्रयास किया गया।

प्रश्न 12.
भारत में साम्प्रदायिकता के कोई चार कारण लिखें।
अथवा
भारत में साम्प्रदायिकता के विकास के कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:
1. साम्प्रदायिक दल-साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने में साम्प्रदायिक दलों का महत्त्वपूर्ण हाथ है। भारत में अनेक साम्प्रदायिक दल पाए जाते हैं।

2. राजनीति और धर्म–साम्प्रदायिकता का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि राजनीति में धर्म घुसा हुआ है। धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जाता है। पंजाब के धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल राजनीति के लिए किया जाता है जोकि पिछले कई वर्षों से चिन्ता का विषय बना हुआ है।

3. सरकार की उदासीनता-हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिकता का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि संघीय और राज्यों की सरकारों ने दृढ़ता से इस समस्या को हल करने का प्रयास नहीं किया है। कभी भी इस समस्या की विवेचना गम्भीरता से नहीं की गई।

4. साम्प्रदायिक शिक्षा-कई प्राइवेट स्कूलों तथा कॉलेजों में धर्म-शिक्षा के नाम पर साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया जाता है।

प्रश्न 13.
भारत में साम्प्रदायिकता को रोकने के कोई चार उपाय लिखें।
उत्तर:

  • साम्प्रदायिकता को रोकने का सबसे अच्छा साधन शिक्षा का प्रसार है।
  • साम्प्रदायिक दलों को समाप्त कर देना चाहिए।
  • धर्म एवं राजनीति को अलग-अलग रखना चाहिए।
  • सरकार को अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए और उनमें सुरक्षा की भावना पैदा करनी चाहिए।

प्रश्न 14.
गठबन्धन सरकार के भारतीय राजनीति पर पड़ने वाले कोई चार प्रभावों का उल्लेख करें।
उत्तर:

  • गठबन्धन सरकार के कारण भारतीय राजनीति में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई है।
  • गठबन्धन सरकारों में प्रधानमन्त्री की स्थिति कमजोर हई है।
  • गठबन्धन सरकार में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ा है।
  • गठबन्धन सरकारों के कारण दल-बदल को बढ़ावा मिला है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 15.
गठबन्धन सरकार के कोई चार मुख्य लक्षण बताइए।
उत्तर:
1. समझौतावादी कार्यक्रम-गठबन्धन सरकार का पहला लक्षण यह है, कि उनका राजनीतिक कार्यक्रम समझौतावादी होता है। गठबन्धन सरकार का कार्यक्रम बनाते प्रत्येक दल की बातों व कार्यक्रम का ध्यान रखा जाता है।

2. सर्वसम्मत नेता-गठबन्धन सरकार में सभी दल मिलकर अपने नेता का चुनाव करते हैं। नेता का चुनाव प्रायः सर्वसम्मत ढंग से किया जाता है।

3. सर्वसम्मत निर्णय-गठबन्धन सरकार में शामिल घटक दल किसी भी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय समस्या का हल सर्वसम्मति से करते हैं।

4. मिल-जुल कर कार्य करना-गठबन्धन सरकार में शामिल सभी घटक दल मिल-जुलकर कार्य करते हैं।

प्रश्न 16.
गठबन्धन राजनीति से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
गठबन्धन सरकार का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
गठबन्धन की राजनीति का साधारण अर्थ है कई दलों द्वारा मिलकर सरकार का निर्माण करना। चुनावों से पूर्व या चुनावों के बाद कई दल मिलकर अपना साझा कार्यक्रम तैयार करते हैं। उसके आधार पर वे मिलकर चुनाव लड़ते हैं अथवा अपनी सरकार बनाते हैं । गठबन्धन सरकार का निर्णय प्रायः उस स्थिति में किया जाता है, जब प्राय: किसी एक दल को चुनावों के बाद स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो। तब दो या दो से अधिक दल मिलकर संयुक्त सरकार का निर्माण करते हैं। ऐसी सरकार में प्रायः सभी राजनीतिक दल अपने दलों के संकीर्ण व विशेष हितों को त्याग कर एक निश्चित कार्यक्रम पर अपनी सहमति प्रकट करते हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
1990 के दशक में सहभागी उमड़ के कोई दो पक्ष लिखें।
उत्तर:
(1) 1990 के दशक में लोगों की राजनीतिक सहभागिता में वृद्धि हुई। पिछले दशकों की अपेक्षा इस दशक में लोगों के राजनीतिक ज्ञान, रुचि एवं गतिविधियों में वृद्धि हुई है।

(2) 1990 के दशक में जनता दल, भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, डी० एम० के०, अन्ना डी० एम० के०, तेलुगू देशम, नेशनल कान्फ्रेंस, शिरोमणि अकाली दल, इनैलो, शिवसेना, बीजू जनता दल, तृणमूल कांग्रेस तथा असम गण परिषद् जैसे दलों ने भी केन्द्र स्तर पर सत्ता में भागीदारी की।

प्रश्न 2.
जनता दल के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
1980 के दशक के अन्त में अनेक नेता एक ऐसे नये राजनीतिक दल का निर्माण करने का प्रयास कर रहे थे, जो कांग्रेस का विकल्प बन सके। 26 जुलाई, 1988 में चार विपक्षी दलों जनता पार्टी, लोकदल, कांग्रेस (स) और जन मोर्चा के विलय से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की गई। इस नये राजनीतिक दल का नाम समाजवादी जनता दल रखा गया। 11 अक्तूबर, 1988 को बंगलौर में समाजवादी जनता दल का नाम बदल कर जनता दल कर दिया तथा श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को जनता दल का प्रधान मनोनीत किया।

प्रश्न 3.
भारतीय जनता पार्टी का जन्म किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी का जन्म 1980 में जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता के मुद्दे को लेकर असहमति के कारण हुआ। 19 मार्च, 1980 को जनता पार्टी के केन्द्रीय संसदीय बोर्ड ने बहुमत से फैसला किया कि जनता पार्टी का कोई भी अधिकारी, विधायक और सांसद् राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की दैनिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकता।

परन्तु बोर्ड की बैठक में श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्री लाल कृष्ण आडवाणी तथा श्री नाना जी देशमुख ने इस निर्णय का विरोध किया। 5 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व जनसंघ के सदस्यों ने नई दिल्ली में दो दिन का सम्मेलन किया, और एक नई पार्टी बनाने का निश्चय किया। 6 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व विदेशमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का गठन किया गया।

प्रश्न 4.
भारत में गठबन्धनवादी सरकारों के निर्माण के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:
(1) 1989 के बाद राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के आधिपत्य की पूर्ण रूप से समाप्ति हो गई। कांग्रेस के विरुद्ध अनेक राजनीतिक दल आ गए हैं, जिससे गठबन्धनवादी सरकारों का दौर शुरू हुआ।

(2) क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या के कारण किसी भी एक राष्ट्रीय दल को लोकसभा या विधानसभा में बहुमत मिलना कठिन हो गया है, इससे राजनीतिक दल आपस में गठबन्धन बनाने लगे हैं।

प्रश्न 5.
राजीव गांधी सरकार ने दल-बदल विरोधी अधिनियम कब पास किया ?
उत्तर:
राजीव गांधी सरकार ने दल-बदल विरोधी अधिनियम सन् 1985 में लागू किया।

प्रश्न 6.
संयुक्त मोर्चे के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
संयुक्त मोर्चे का निर्माण 11 मई, 1996 को किया गया। इस मोर्चे में गैर भाजपा एवं गैर कांग्रेसी दल शामिल हुए, जिनमें जनता दल, भारतीय साम्यवादी दल, भारतीय साम्यवादी दल (मार्क्सवादी), तिवारी कांग्रेस, डी० एम० के०, तमिल मनीला कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस, मुस्लिम लीग तथा जनता पार्टी प्रमुख थे। 1996 में भाजपा गठबन्धन सरकार गिरने के बाद संयुक्त मोर्चे ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार का निर्माण किया था।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन-राजग (National Democratic Alliance-NDA) का निर्माण मई, 1999 में भारतीय जनता पार्टी एवं इसके सहयोगी दलों ने किया। इस गठबन्धन में अधिकतर वे दल ही सम्मिलित थे, जो बारहवीं लोकसभा में भाजपा गठबन्धन सरकार में सम्मिलित थे। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमन्त्री के रूप में पेश किया।

इस गठबन्धन ने 1999 में हुए 13वीं लोकसभा के चुनावों में 297 सीटों पर विजय प्राप्त की, तथा श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई। परन्तु, 2004 के 14वीं एवं 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों में इस गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा। जबकि 2014 एवं 2019 के चुनावों में इस गठबन्धन को ऐतिहासिक जीत प्राप्त हुई।

प्रश्न 8.
साम्प्रदायिकता का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
साम्प्रदायिकता से अभिप्राय है धर्म अथवा जाति के आधार पर एक-दूसरे के विरुद्ध भेदभाव की भावना रखना, एक धार्मिक समुदाय को दूसरे समुदायों और राष्ट्र के विरुद्ध उपयोग करना साम्प्रदायिकता है। ए० एच० मेरियम (A.H. Merriam) के अनुसार, “साम्प्रदायिकता अपने समुदाय के प्रति वफादारी की अभिवृत्ति की ओर संकेत करती है जिसका अर्थ भारत में हिन्दुत्व या इस्लाम के प्रति पूरी वफादारी रखना है।”

प्रश्न 9.
केन्द्र में इस समय किस राजनीतिक दल की सरकार है ?
उत्तर:
केन्द्र में इस समय भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार है, और इस गठबन्धन सरकार के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं।

प्रश्न 10.
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन पर नोट लिखें।
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (United Progressive Alliance-UPA) का निर्माण मई, 2004 में कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों ने किया। इस गठबन्धन का अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को बनाया गया तथा कांग्रेस के नेताडॉ० मनमोहन सिंह को प्रधानमन्त्री बनाने का निर्णय लिया, जिन्होंने 22 मई, 2004 को अपनी सरकार बनाई। इस गठबन्धन ने अपना एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी जारी किया, जिसमें सभी सहयोगी दलों की मुख्य नीतियों को शामिल किया। मई, 2009 में भी डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में इस गठबन्धन की सरकार बनी। परंतु 2014 एवं 2019 के चुनावों में इस गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 11.
अप्रैल-मई 2019 में हुए 17वीं लोक सभा के चुनावों में किस गठबन्धन को सफलता प्राप्त हुई ?
उत्तर:
अप्रैल-मई 2019 में हुए 17वीं लोक सभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन को सफलता प्राप्त हुई। इस गठबन्धन को 355 सीटें प्राप्त हुईं तथा इसने श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का निर्माण किया।

प्रश्न 12.
शाहबानो केस क्या था ?
उत्तर:
शाहबानो केस (1985) एक 62 वर्षीया तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो से सम्बन्धित था। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए अदालत में याचिका दायर की। सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में फैसला दिया। परन्तु कुछ मुस्लिम नेताओं ने इसे ‘पर्सनल ला’ में हस्तक्षेप माना। अतः सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला कानन (तलाक से सम्बन्धित अधिकारों) पास किया। इस कानन द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को निरस्त कर दिया गया।

प्रश्न 13.
त्रिशंकु संसद् से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
त्रिशंकु संसद् का अर्थ यह है कि चुनावों के बाद किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलना। तब दो या दो से अधिक दल मिलकर सरकार का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 14.
1990 के पश्चात् भारतीय राजनीति में उभार के दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  • राजनीतिक जागरूकता-1990 के पश्चात् भारतीय राजनीति में उभार का एक प्रमुख कारण लोगों में राजनीतिक जागरूकता का आना था।
  • क्षेत्रीय दलों का उदय-1990 के पश्चात् भारतीय राजनीति में उभार का एक अन्य प्रमुख कारण क्षेत्रीय दलों का उदय था।

प्रश्न 15.
‘गठबन्धन’ का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
उत्तर:
गठबन्धन की राजनीति का साधारण अर्थ है कई दलों द्वारा मिलकर सरकार का निर्माण करना। चुनावों से पूर्व या चुनावों के बाद कई दल मिलकर अपना साझा कार्यक्रम तैयार करते हैं। उसके आधार पर वे मिलकर चुनाव लड़ते हैं अथवा अपनी सरकार बनाते हैं। गठबन्धन सरकार का निर्णय प्रायः उस स्थिति में किया जाता है, जब प्रायः किसी एक दल को चुनावों के बाद स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो। तब दो या दो ये अधिक दल मिलकर संयुक्त सरकार का निर्माण करते हैं।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 16.
‘गठबन्धन सरकार’ की कोई दो विशेषतायें लिखिए।
उत्तर:

  • गठबन्धन सरकार का राजनीतिक कार्यक्रम समझौतावादी होता है।
  • गठबन्धन सरकार में सभी दल मिलकर अपने नेता का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 17.
भारत में साम्प्रदायिकता को रोकने के लिए कोई दो सुझाव दीजिये।
उत्तर:

  • भारत में साम्प्रदायिकता को रोकने के लिए शिक्षा का प्रसार करना।
  • साम्प्रदायिक दलों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. 1990 के दशक में लोकतान्त्रिक उमड़ का क्या कारण है ?
(A) अत्यधिक क्षेत्रीय दलों की उत्पत्ति
(B) राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का बढ़ता महत्त्व
(C) लोगों में राजनीतिक जागरूकता
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. जनता दल की स्थापना कब हुई ?
(A) 1989
(B) 1992
(C) 1993
(D) 1995
उत्तर:
(A) 1989

3. 1989 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में जनता दल ने किसके नेतृत्व में सरकार बनाई ?
(A) एस० आर० बोम्मई
(B) चौ० देवी लाल
(C) श्री वी० पी० सिंह
(D) श्री चन्द्रशेखर।
उत्तर:
(C) श्री वी० पी० सिंह।

4. भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई ?
(A) 1977
(B) 1980
(C) 1982
(D) 1984
उत्तर:
(B) 1980

5. संयुक्त मोर्चा की स्थापना किस वर्ष में हुई ?
(A) 1996
(B) 1998
(C) 1999
(D) 2000
उत्तर:
(A) 1996

6. 1996 में किस दल की सरकार केवल 13 दिन तक चली ?
(A) कांग्रेस
(B) भारतीय जनता पार्टी
(C) संयुक्त मोर्चा
(D) जनता दल।
उत्तर:
(B) भारतीय जनता पार्टी।

7. भारत में नई आर्थिक नीति कब अपनाई गई ?
(A) 1989 में
(B) 1985 में
(C) 1950 में
(D) 1991 में।
उत्तर:
(D) 1991 में।

8. बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं
(A) मायावती
(B) कांशीराम
(C) (A) और (B) दोनों
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) मायावती।

9. राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (N.D.A.) का गठन कब हुआ?
(A) सन् 1977 में
(B) सन् 1991 में
(C) सन् 1998 में
(D) सन् 1999 में।
उत्तर:
(D) 1999 में।

10. भारत में कौन-सी दलीय प्रणाली पाई जाती है?
(A) एक दलीय प्रणाली
(B) द्विदलीय प्रणाली
(C) बहु दलीय प्रणाली
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(C) बहुदलीय प्रणाली।

11. संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (UPA) का गठन कब हुआ?
(A) सन् 1998 में
(B) सन् 1999 में
(C) सन् 2004 में
(D) सन् 2009 में।
उत्तर:
(C) सन् 2004 में।

12. 2019 के 17वें लोकसभा चुनावों में किस गठबन्धन की सरकार बनी ?
(A) संयुक्त मोर्चा की
(B) राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की
(C) संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की
(D) साम्यवादी दलों के गठबन्धन की।
उत्तर:
(B) राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की।

13.
2014 के 16वीं लोकसभा के चुनावों में किस गठबन्धन की सरकार बनी?
(A) संयुक्त मोर्चा की
(B) राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की
(C) संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की
(D) वाम पंथी गठबन्धन की।
उत्तर:
(B) राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की।

14. किस वित्त मन्त्री ने नई आर्थिक नीति की घोषणा की ?
(A) जसवंत सिंह
(B) डॉ. मनमोहन सिंह
(C) मुरली मनोहर जोशी
(D) डॉ० प्रणव मुखर्जी।
उत्तर:
(B) डॉ. मनमोहन सिंह।

15. बाबरी मस्जिद का विध्वंस कब हुआ?
(A) 6 दिसम्बर, 1992 को
(B) 11 दिसम्बर, 1992 को
(C) 13 दिसम्बर, 1992 को
(D) 25 नवम्बर, 1990 को।
उत्तर:
(A) 6 दिसम्बर, 1992 को।

16. गुजरात में साम्प्रदायिक दंगे कब हुए ?
(A) 1990
(B) 2000
(C) 1996
(D) 2002
उत्तर:
(D) 2002

17. गुजरात में साम्प्रदायिक दंगों का मुख्य कारण था
(A) आरक्षण विवाद
(B) गोधरा काण्ड
(C) 1984 के दिल्ली के दंगे
(D) मण्डल आयोग।
उत्तर:
(B) गोधरा काण्ड।

18. सन् 2004 के संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (यू० पी० ए०) सरकार में अधिकतम मंत्री किस दल के थे?
(A) भारतीय जनता पार्टी
(B) कांग्रेस पार्टी
(C) कम्युनिस्ट पार्टी
(D) समाजवादी पार्टी।
उत्तर:
(B) कांग्रेस पार्टी।

19. सन् 2014 में लोकसभा का कौन-सा चुनाव हुआ था ?
(A) चौदहवां चुनाव
(B) पंद्रहवां चुनाव
(C) सोलहवां चुनाव
(D) सत्रहवां चुनाव।
उत्तर:
(C) सोलहवां चुनाव।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

20. केन्द्र में गठबन्धन सरकारों का दौर कब शुरू हुआ था ?
(A) 1989 में
(B) 2009 में
(C) 1996 में
(D) 2004 में।
उत्तर:
(A) 1989 में।

21. जनमोर्चा का गठन किया गया :
(A) 2 अक्टूबर, 1980
(B) 2 अक्टूबर, 1986
(C) 2 अक्टूबर, 1987
(D) 2 अक्टूबर, 1992
उत्तर:
(C) 2 अक्टूबर 1987

22. किसने जनमोर्चा का गठन किया था ?
(A) सोनिया गांधी
(B) नरसिम्हा राव
(C) लाल कृष्ण आडवाणी
(D) वी० पी० सिंह।
उत्तर:
(D) वी० पी० सिंह।

23. जनता दल का प्रथम अध्यक्ष किसे नियुक्त किया गया था ?
(A) वी० पी० सिंह
(B) लाल कृष्ण आडवाणी
(C) डॉ. मनमोहन सिंह
(D) अटल बिहारी वाजपेयी।
उत्तर:
(A) वी० पी० सिंह।

24. भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार से समर्थन कब वापिस लिया था ?
(A) 23 अक्टूबर, 1990
(B) 23 अक्टूबर, 1991
(C) 23 अक्टूबर, 1992
(D) 23 अक्टूबर, 1993
उत्तर:
(A) 23 अक्टूबर, 1990

25. वी० पी० सिंह के पश्चात् देश का प्रधानमन्त्री कौन बना था ?
(A) राजीव गांधी
(B) श्रीमती सोनिया गांधी
(C) चन्द्रशेखर
(D) नरसिम्हा राव।
उत्तर:
(C) चन्द्रशेखर।

26. भारतीय जनता पार्टी का वर्तमान अध्यक्ष कौन है ?
(A) अटल बिहारी वाजपेयी
(B) जे० पी० नड्डा
(C) लाल कृष्ण आडवाणी
(D) सुषमा स्वराज।
उत्तर:
(B) जे० पी० नड्डा।

27. भारत में कितने मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं ?
(A) 5
(B) 6
(C) 7
(D) 8
उत्तर:
(D) 8

28. भारत में मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल हैं
(A) 40
(B) 42
(C) 43
(D) 53
उत्तर:
(D) 53

29. 2019 के 17वीं लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को कितनी सीटें मिली ?
(A) 209
(B) 52
(C) 226
(D) 216
उत्तर:
(B) 52

30. 2019 के 17वीं लोकसभा के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को कितनी सीटें मिली ?
(A) 303
(B) 86
(C) 181
(D) 216
उत्तर:
(A) 303

निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) भारत में ……………. के दशक से लोकतान्त्रिक उमड़ एवं गठबन्धनवादी राजनीति में वृद्धि हुई।
उत्तर:
1990

(2) श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या …………… में की गई।
उत्तर:
1984

(3) 1988 में ………….. का गठन हुआ।
उत्तर:
जनता दल

(4) राजग सरकार का गठन …………. में हुआ।
उत्तर:
1999

(5) संप्रग (UPA) सरकार का गठन ………….. में हुआ।
उत्तर:
2004

(6) 1989 में ………… प्रधानमन्त्री बने।
उत्तर:
वी० पी० सिंह

(7) बाबरी मस्जिद का विध्वंस 6 दिसम्बर, ……… को हुआ।
उत्तर:
1992

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
वर्तमान समय में कांग्रेस का चुनाव चिह्न क्या है ?
उत्तर:
वर्तमान समय में कांग्रेस का चुनाव चिह्न हाथ है ।

प्रश्न 2.
जनता दल का गठन कब किया गया ?
उत्तर:
जनता दल का गठन 1988 में किया गया।

प्रश्न 3.
‘मण्डल आयोग’ की सिफ़ारिशों को किस प्रधानमन्त्री द्वारा लागू किया गया ?
उत्तर:
श्री० वी० पी० सिंह द्वारा।

प्रश्न 4.
इस समय केन्द्र में किसकी सरकार कार्यरत है ?
उत्तर:
इस समय केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार कार्यरत है।

प्रश्न 5.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना सन् 1980 में हुई।

प्रश्न 6.
संयुक्त मोर्चा की स्थापना किस वर्ष हुई ?
उत्तर:
संयुक्त मोर्चा की स्थापना 1996 में हुई।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 7.
1996 में किस दल की सरकार केवल 13 दिन तक चली ?
उत्तर:
1996 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार केवल 13 दिन तक चली।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की स्थापना कब की गई ?
उत्तर:
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की स्थापना सन् 1999 में की गई।

प्रश्न 9.
2019 के 17वें लोकसभा चुनावों में किस गठबन्धन की सरकार बनी ?
उत्तर:
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की।

प्रश्न 10.
वर्तमान में ‘बहुजन समाज पार्टी’ का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन है ?
उत्तर:
कुमारी मायावती।

प्रश्न 11.
वर्तमान में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (U.P.A.) का अध्यक्ष कौन है ?
उत्तर:
वर्तमान में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (U.P.A.) की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी है।

प्रश्न 12.
‘बहुजन समाज पार्टी’ का चुनाव चिह्न क्या है ? .
उत्तर:
बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिह्न ‘हाथी’ है।

प्रश्न 13.
आजकल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन हैं ?
उत्तर:
जे० पी० नड्डा।

प्रश्न 14.
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (U.P.A.) का गठन कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 2004 में।

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HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

HBSE 12th Class English Lost Spring Textbook Questions and Answers

Question 1.
What could be some of the reasons for the migration of people from villages to cities? (गाँव से शहर की तरफ लोगों के आने के क्या कारण हो सकते हैं ?) [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)]
Answer:
More and more villagers keep migrating to cities. There are many reasons for the migration of people from villages to cities. They come to cities looking for work. With the increase in population, pressure on land is also increasing. The land for agriculture is limited. It cannot accommodate the growing families. So they come to cities for their livelihood. Sometimes, natural calamities also force people to leave villages and come to cities. Another reason is the mechanisation of farming.

Because of use of machines on the farms, less labour is required. So the surplus labour comes to cities in search of employment. Another reason is that due to modernisation, the social set up of the villages has been disturbed. The rural crafts are disappearing. The villages are no long self-sufficient. Lastly, cities have better facilities like good markets, hospitals, schools and colleges. That is why people form the villages are migrating to cities.

(अधिक-से-अधिक ग्रामीण शहरों की ओर विस्थापन करते आ रहे हैं। गाँवों से शहरों की ओर लोगों के विस्थापन करने के पीछे बहुत-से कारण हैं। वे शहरों में काम की तलाश में आते हैं। जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण, भूमि पर दबाव बढ़ता जा रहा है। कृषि के लिए भूमि सीमित है। वह बढ़ते हुए परिवारों को समायोजित नहीं कर सकती है। इसलिए लोग रोजी-रोटी की तलाश में शहरों में आते हैं। कई बार, प्राकृतिक आपदाएँ भी लोगों को गाँव छोड़कर शहर आने के लिए मजबूर कर देती हैं। दूसरा कारण है कृषि का मशीनीकरण हो जाना।

क्योंकि खेतों में मशीनों के प्रयोग के कारण, मजदूरों की कम जरूरत पड़ती है। इसलिए फालतू श्रमिक रोजगार की तलाश में शहरों में आ जाते हैं। एक और कारण है, आधुनिकीकरण के कारण, गाँवों का सामाजिक ढाँचा बिगड़ गया है। ग्रामीण हस्त-शिल्प लुप्त होती जा रही हैं। अब गाँव स्वयं में स्वावलम्बी नहीं रहे हैं। अंतिम बात यह है कि शहरों में अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध हैं जैसे कि अच्छे बाज़ार, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज। यही कारण है कि लोग गाँवों से शहरों की ओर विस्थापन कर रहे हैं।)

Question 2.
Would you agree that promises made to poor children are rarely kept? Why do you think this happens in the incidents narrated in the text? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-C)] (क्या आप इस बात से सहमत हैं कि गरीब बच्चों से किए गए वायदे कभी पूरे नहीं किए जाते? आपके विचार में पाठ में वर्णित घटनाओं में ऐसा क्यों होता है ?)
Answer:
Yes, the promises made to the poor children are rarely kept. When we see a poor child, we are filled with pity and want to help him. We may give him a little help at that moment. But we often make promises to them our temporary sense of pity at their plight. However, most of these promises are impracticable. In this lesson, Saheb is a poor ragpicker. The author feels pity for him. She asks him to join a school. Saheb replies that there is no school in the neighbourhood.

The author tells him half jokingly that she would start a school and would give him admission in it. This is not the real or serious promise. However, like other poor children, Saheb takes this promise seriously. After a few days, he asks the author whether her school is ready. The author herself knows that such promises cannot be fulfilled. She says, “But promises like mine abound in every corner of this bleak world.” In this way, promises made to poor children for their welfare are generally not serious promises. These promises are not meant to be fulfilled.

(हाँ, गरीब बच्चों के साथ किए गए वायदों को कभी-कभार ही पूरा किया जाता है। जब हम किसी गरीब बच्चे को देखते हैं तो दया से भर जाते हैं और हम उसकी मदद करना चाहते हैं। उसी क्षण हम उसकी कुछ मदद कर सकते हैं। लेकिन उनकी दुर्दशा को देखकर जो अस्थायी दया हमारे मन में आती है उसकी वजह से उनके साथ हम कुछ वायदे कर देते हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर वायदे व्यावहारिक नहीं होते। इस अध्याय में, साहेब एक गरीब कबाड़ बीनने वाला है। लेखिका को उस पर दया आती है। वह उसको स्कूल में दाखिला लेने के लिए कहती है।

साहेब कहता है कि पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। लेखिका उसके साथ मज़ाक करती हुई कहती है कि वह उसके लिए स्कूल खोलेगी और उसको स्कूल में दाखिला देगी। यह कोई सच्चा और गम्भीर वायदा नहीं है। लेकिन अन्य गरीब बच्चों की तरह, साहेब इस वायदे को गम्भीरता से लेता है। कुछ दिनों के बाद, वह लेखिका से पूछता है कि क्या उसका स्कूल तैयार हो गया है। लेखिका स्वयं भी जानती है कि ऐसे वायदों को पूरा नहीं किया जा सकता है। वह कहती है, “लेकिन मेरे जैसे वायदे तो उसकी अंधेरी दुनिया में बहुत पड़े हैं। इस तरह से, गरीब बच्चों से उनके कल्याण के लिए किए गए वायदे प्रायः गंभीर वायदे नहीं होते। ये वायदे पूरे करने के लिए नहीं होते।”)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 3.
What forces conspire to keep the workers in the bangle industry of Firozabad in poverty? (कौन-सी शक्तियाँ षड्यन्त्र करके फिरोज़ाबाद के चूड़ी उद्योग के मजदूरों को गरीब रखती हैं ?) Or [2020 (Set-C)]
The bangle makers of Firozabad make beautiful bangles and make everyone happy but they live and die in squalor. Elaborate. [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)] (फिरोज़ाबाद के चूड़ी बनाने वाले लोग खूबसूरत चूड़ियाँ बनाते हैं और प्रत्येक को खुश रखते हैं परन्तु वे गन्दगी में ही जीते और मरते हैं। विस्तार से बताओ।) Or Write a brief note about the town of firozabad. [H.B.S.E. March, 2020 (Set-B)] (फिरोज़ाबाद नगर पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।)
Answer:
Firozabad is a famous city of Uttar Pradesh. It is famous for its bangles and bangle industry. Many families in Firozabad have spent generations working around furnaces, grinding glass, welding it and making bangles. Apart from the elders, there are about 20,000 children working in these factories. They work in miserable conditions. The author feels pity for these workers. She comes across a child named Mukesh. She visits his house and finds that they live in great poverty and misery.

They work in very dim lights. Many of them lose their eyesight before they become adults. Mukesh’s grandfather had become blind with the dust from polishing the glass of bangles. They have fallen into the trap of middleman who exploit them. The author asks a group of young men why they don’t organize themselves into cooperative. When they try to get organized, they are hauled up by the police, beaten and dragged to jail. Thus, the middleman and police conspire to keep the workers of Firozabad in poverty.

(फिरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है। यह अपनी चूड़ियों और चूड़ी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद के बहुत-से परिवारों ने अपनी कई पीढ़ियाँ काँच गलाने की भट्टियों, काँच को घिसाने, उसे जोड़ने और उससे चूड़ियाँ बनाने के काम में गुजार दी हैं। बड़ों के साथ-साथ लगभग 20,000 बच्चे भी इन उद्योगों में काम कर रहे हैं। वे दयनीय हालातों में काम कर रहे हैं। लेखिका को इन कामगारों पर दया आती है। उसे मुकेश नाम का एक बच्चा मिलता है। वह उसके घर जाती है और देखती है कि वे अत्यधिक गरीबी और दयनीय स्थिति में रहते हैं। वे अति मद्धम प्रकाश में काम करते हैं।

उनमें से बहुत-से तो वयस्क होने से पहले ही अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं। मुकेश का दादा भी चूड़ियों को पॉलिश करने से उठी धूल की वजह से अंधा हो गया था। वे उस बिचौलिए के चंगुल में फँस गए हैं जो कि उनका शोषण कर रहा है। लेखिका नवयुवकों के एक समूह से पूछती है कि वे अपने आप को एक सहकारी समिति के रूप में संगठित क्यों नहीं करते हैं। जब वे संगठित होने का प्रयास करते हैं तो उनको पुलिस के द्वारा धमकाया जाता है, पीटा जाता है और जेल में घसीटा जाता है। इस तरह से, बिचौलिया और पुलिस फिरोजाबाद के कामगारों को गरीबी की स्थिति में बने रहने को मजबूर करते हैं।)
Think As You Read

Question 1.
What is Saheb looking for in the garbage dumps? Where is he and where has he come from? (कूड़े के ढेर में साहेब क्या ढूँढ रहा है ? वह कहाँ है और कहाँ से आया है ?)[H.B.S.E. 2017 (Set-D), 2018 (Set-B)]
Answer:
Saheb is a ragpicker. He scrounges the garbage dumps for bits of paper, rags, plastic items, etc. He makes a living by selling these things. He tells the author that sometimes he finds a rupee, even a ten-rupee note in the garbage. He is living in Seemapuri, which is at the outskirts of Delhi. He has come from Dhaka, in Bangladesh.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला है। वह कागज़ के टुकड़ों, फटे-पुराने कपड़ों, प्लास्टिक की चीजों इत्यादि को कूड़े के ढेरों में खोज रहा है। वह इन चीजों को बेचकर आजीविका कमाता है। वह लेखिका को बताता है कि कई बार तो उसे कूड़े के ढेर से एक रुपया मिल जाता है और कभी-कभी तो दस रुपए का नोट भी मिल जाता है। वह सीमापुरी में रह रहा है, जो कि दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। वह बांग्लादेश, ढाका से आया है।)

Question 2.
What explanations does the author offer for the children not wearing footwear? (बच्चों के जूते न पहनने का लेखिका क्या कारण बताती है ?)
Answer:
The author sees Saheb and other poor children without footwear. One explanation is that it has become a tradition for them to remain barefoot. But the author feels that it is only an excuse to explain away a continuous state of poverty. Because of their poverty, they cannot afford to buy shoes.

(लेखिका साहेब और अन्य गरीब बच्चों को बिना जूतों के देखती है। इस बात की एक व्याख्या तो यह है कि उन्हें नंगे पाँव रहने की आदत पड़ गई है। लेकिन लेखिका महसूस करती है कि गरीबी की निरन्तर बनी रहने वाली दशा में यह तो केवल एक बहाना है। अपनी गरीबी की वजह से, वे जूते नहीं खरीद सकते हैं।)

Question 3.
Is Saheb happy working at the tea-stall? Explain. (क्या चाय की दुकान में काम करके साहेब खुश है? व्याख्या करो।)
Answer:
One day the author finds that Saheb has left rag-picking and is now working at a tea-stall. He gets Rs 800 per month with meals. But his face doesn’t show the carefree look. He doesn’t seem to be happy working at the tea stall. He is no longer his own master.

(एक दिन लेखिका देखती है कि साहेब ने कूड़ा बीनने का काम छोड़ दिया है और वह चाय की एक दुकान पर काम कर रहा है। उसे भोजन के साथ 800 रुपए मासिक मिलते हैं। लेकिन उसके चेहरे पर पुराने दिनों की तरह बेफिक्री के संकेत नहीं थे। ऐसा लगता था कि वह चाय की दुकान पर काम करके खुश नहीं था। अब वह अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा था।)

Question 4.
What makes the city of Firozabad famous? [H.B.S.E. March, 2017, 2018 (Set-A)] (फिरोजाबाद शहर क्यों प्रसिद्ध है ?)
Answer:
The city of Firozabad is famous for its bangles. Many families in this town are engaged in this business. (फ़िरोज़ाबाद शहर अपनी चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर में बहुत-से परिवार इस व्यवसाय में लगे हुए हैं।)

Question 5.
Mention the hazards of working in the glass bangles industry. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)] (काँच की चूड़ियों के उद्योग में काम करने के खतरे बताइए।)
Answer:
The workers in the glass bangle industry work in dark cells without air and light. They cannot bear the daylight. They go blind before they are old. The dust from polishing the glass bangles makes the bangle makers blind. Thus working in the glass bangles industry is hazardous and unhealthy.

(काँच की चूड़ियाँ बनाने के कारखानों में काम करने वाले कारीगर बिना हवा और प्रकाश वाली अंधेरी कोठरियों में काम करते हैं। वे सूर्य के प्रकाश को सहन नहीं कर सकते। बुढ़ापा आने से पहले ही वे अंधे हो जाते हैं। काँच की चूड़ियों पर की जाने वाली पॉलिश की धूल इन चूड़ियाँ बनाने वालों को अंधा कर देती है। अतः काँच की चूड़ियाँ बनाने वाले कारखानों में काम करना खतरनाक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 6.
How is Mukesh’s attitude to his situation different from that of his family? (अपनी हालत के प्रति मुकेश का दृष्टिकोण अपने परिवार से भिन्न क्यों है ?) [H.B.S.E. March, 2019 (Set-A)]
Answer:
Mukesh belongs to a family of bangle makers. Their work is hazardous and their life is poor and miserable. But they have accepted their destiny. However, Mukesh’s attitude is different. He does not want to follow the occupation of his family. He wants to become a motor mechanic.
(मुकेश चूड़ियाँ बनाने वाले एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। उनका काम खतरनाक है और उनका जीवन गरीबी वाला और कष्टकारक है। लेकिन उन्होंने अपनी किस्मत के साथ समझौता कर लिया है। लेकिन, मुकेश का दृष्टिकोण भिन्न है। वह अपने परिवार के व्यवसाय को नहीं अपनाना चाहता। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है।)

Talking About The Text

Question 1.
How, in your opinion, can Mukesh realise his dream? (आपके विचार में मुकेश अपना सपना कैसे पूरा कर सकता है ?)
Answer:
Mukesh is a poor boy. He belongs to a family of bangle makers. Like other bangle makers of Firozabad, Mukesh’s family also leads a life of utter poverty and misery. Mukesh also works in a bangle factory. But he has his own dream. He does not want to spend all his life in bangle-making. He wants to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day.

Mukesh seems to be determined. He can realise his dream by his willpower and determination. He has to take courage and leave the work of bangle-making. He should contact a garage owner and convince him to take him as an apprentice. With his determination, he can prove his worth and win the confidence of the owner. Thus he can become a good mechanic. If he wants to be a taxi driver, he has to learn to drive. After clearing the driving test, he can have a driving license. In this way, Mukesh can realise his dreams.

(मुकेश एक गरीब लड़का है। वे चूड़ी बनाने वाले एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। फ़िरोज़ाबाद के अन्य चूड़ी बनाने वालों की भांति, मुकेश का परिवार भी गम्भीर गरीबी और कष्टों से भरा जीवन व्यतीत कर रहा है। मुकेश भी एक चूड़ी उद्योग में काम करता है। लेकिन उसका अपना एक सपना है। वह अपना सारा जीवन चूड़ी बनाने में नहीं गुजारना चाहता। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। मुकेश दृढ़-निश्चय वाला दिखाई पड़ता है। वह अपनी इच्छा शक्ति और दृढ़ निश्चय के सहारे अपने सपने को पूरा कर सकता है।

उसे हिम्मत करनी है और चूड़ी बनाने के काम को छोड़ना है। उसे किसी गैराज के मालिक से सम्पर्क करना चाहिए और उसे उसको एक प्रशिक्षु के रूप में रखने के लिए मनाना चाहिए। अपने दृढ़-निश्चय के साथ, वह अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर सकता है और मालिक का विश्वास जीत सकता है। इस तरह से वह एक अच्छा मैकेनिक बन सकता है। यदि वह एक टैक्सी चालक बनना चाहता है तो उसे वाहन चलाना सीखना होगा। चालक परीक्षा पास करने के उपरांत, वह चालक लाइसेंस हासिल कर सकता है। इस तरह से, मुकेश अपने सपने को पूरा कर सकता है।)

Question 2.
Mention the hazards of working in the glass bangles industry. (काँच की चूड़ियों के उद्योग में काम करने के खतरे बताओ।)
Answer:
Working in the glass bangles industry is hazardous to health. Adults, as well as children, work in the unhealthy conditions. They work in very dim light. As a result they lose their eyesight by the time they become adults. They have to work on the furnaces with high temperature, in dark cells without enough air and light. They have to grind glass and have to inhale the fine glass particles. The author comes across a child named Mukesh who works in a glass bangle industry. His grandfather became blind with the dust from polishing glass.

(काँच की चूड़ियों के कारखाने में काम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बड़े और बच्चे सभी अस्वस्थ स्थितियों में काम करते हैं। वे अति मद्धम प्रकाश में काम करते हैं। जब तक वे बड़े होते हैं तो वे अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं। उन्हें ऊँचे तापमान वाली भट्टियों पर (अंधेरे वाले कमरों में जहाँ पर्याप्त हवा और प्रकाश नहीं होता) काम करना पड़ता है। उन्हें काँच को घिसाना पड़ता है और काँच के महीन कण उनके शरीर के अन्दर चले जाते हैं। लेखिका एक बच्चे से मिलती है जिसका नाम मुकेश है जो काँच की चूड़ियाँ बनाने वाले एक कारखाने में काम करता है। उसका दादा काँच को पॉलिश करने से उठी धूल की वजह से अंधा हो गया था।)

Question 3.
Why should child labour be eliminated and how? (बाल श्रम को क्यों और कैसे समाप्त करना चाहिए ?)
Answer:
Child labour is one of the great evils of India. Millions of children are engaged in labour at an age at which they should be in schools.

The twin factors responsible for child labour are:

  • poverty and
  • the lack of a social security network.

Poverty has an obvious relationship with child labour. Poor families need money to survive, and children are a source of additional income. The problem of illiteracy is also one of the reasons of the problem of child labour. It has been observed that the overall condition of the education system can be a powerful influence on the supply of child labour.

The concept of compulsory education, where all school-aged children are required to attend school, combats the force of poverty that pulls children out of school. The law relating to compulsory education will not only force children to attend school but also contribute more funds to the primary education system, instead of higher education.

The problem of child labour has social, economical, and political aspects. It cannot be eliminated by focusing on one aspect only, for example only by compulsory education, or by blind enforcement of child labour laws. The government must ensure that the needs of the poor are fulfilled before eliminating child labour. If poverty is eradicated, the need for child labour will automatically diminish. No matter how hard the government tries, child labour always will exist unless we all work honestly in this direction.

(बाल श्रम भारत की बड़ी बुराइयों में से एक है। लाखों बच्चे उस उम्र में श्रम पर लगे होते हैं जिस उम्र में उन्हें स्कूल में होना चाहिए था। बाल श्रम के दो कारण हैं-(1) गरीबी और (2) सामाजिक सुरक्षा के ढाँचे की कमी। गरीबी का तो बाल श्रम से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। गरीब परिवारों को अपना गुजारा करने के लिए धन की जरूरत होती है और बच्चे अतिरिक्त आय का एक स्रोत हैं। अनपढ़ता की समस्या भी बाल श्रम की समस्या का एक बड़ा कारण है। ऐसा देखा गया है कि शिक्षा व्यवस्था की संपूर्ण स्थिति बालश्रम की पूर्ति पर एक बहुत बड़ा प्रभाव डालती है।

अनिवार्य शिक्षा का विचार, जहाँ पर स्कूल जाने की आयु के सभी बच्चे स्कूलों में होने चाहिए, गरीबी की स्थिति जो बच्चों को स्कूलों से बाहर रहने के लिए बाध्य करती है, से लड़ता है। अनिवार्य शिक्षा से सम्बन्धित कानून न केवल बच्चों को स्कूल में उपस्थित रहने के लिए बाध्य करेगा, बल्कि (उच्च शिक्षा की अपेक्षा) प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के लिए अधिक धन की व्यवस्था में योगदान करेगा। बाल श्रम की समस्या के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक पहलू हैं। केवल किसी एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करके इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता, उदाहरण के लिए केवल अनिवार्य शिक्षा के द्वारा या फिर बाल श्रम के कानूनों का कठोरता से पालन करके। सरकार को यह बात सुनिश्चित करनी चाहिए कि बाल श्रम को समाप्त करने से पहले गरीबों की सभी जरूरतों को पूरा किया जा सके। यदि गरीबी को दूर कर दिया जाता है, तो बाल श्रम की जरूरत अपने आप ही समाप्त हो जाएगी। चाहे सरकार कितनी अधिक कोशिश क्यों न कर ले, बाल श्रम की समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक कि इसके लिए हम सभी ईमानदारी से प्रयास नहीं करेंगे।)

Thinking About Language

Although this text speaks of factual events and situations of misery it transforms these situations with an almost poetical prose into a literary experience. How does it do so? Here are some. literary devices:
Hyperbole is a way of speaking or writing that makes something sound better or more exciting than
it really is. For example: Garbage to them is gold. A Metaphor as you may know, compares two things or ideas that are not very similar.

A metaphor describes a thing in terms of a single quality or feature of some other thing, we can say that a metaphor “transfers” a quality of one thing to another. For example: The road was a ribbon of light. Contrast refers to a difference between people and things that can be seen clearly when they are compared or put close together.

For example: His dream looms like a mirage amidst the dust of streets that fill his town, Firozabad, famous for its bangles. Simile is a word or phrase that compares one thing with another using the words “like” or “as”. For example: As white as snow. Carefully read the following phrases and sentences taken from the text. Can you identify the literary device in each example?
1. Saheb-e-Alam which means the lord of the universe is directly in contrast to what Saheb is in reality.
2. Drowned in an air of desolation.
3. Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically.
4. For the children it is wrapped in wonder; for the elders it is a means of survival.
5. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make.
6. She still has bangles on her wrist, but not light in her eyes.
7. Few airplanes fly over Firozabad.
8. Web of poverty.
9. Scrounging for gold.
10. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of
a fine art.
11. The steel canister seems heavier than the plastic bag he would carry so lightly over his shoulders.
Answer:
1. contrast
2. metaphor
3. contrast
4. contrast
5. simile
6. contrast
7. metaphor
8. metaphor
9. hyperbole
10. simile
11. contrast

Things To Do

The beauty of the glass bangles of Firozabad contrasts with the misery of people who produce them. This paradox is also found in some other situations, for example, those who work in gold and diamond mines or carpet weaving factories and the products of their labour, the lives of construction workers and the buildings they build.

Look around and find examples of such paradoxes.
Write a paragraph of about 200 to 250 words on any one of them. You can start by making notes. Here is an example of how one such paragraph may begin :
You never see the poor in this town. By day they toil, working cranes and earthmovers, squirreling deep into the hot sand to lay the foundations of chrome. By night they are banished to bleak labour camps at the outskirts of the city.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

They Make Houses For Others

A house is one of the basic needs of man. We build houses for our comfort. Our house gives us protection from the scorching heat or the cold winter. It also provides safety to our possessions. The rich people make good and luxury houses. The masons and labourers who make these houses do not live in luxury. We often see the labourers carrying bricks on their heads in the intense heat of June or in the chilling cold of December. Often they do not have proper clothes to protect them from the weather.

They do not have any holiday to enjoy. They work for all the seven days of the week from morning till evening. Their clothes are torn. They have no security of job. They do not know whether they will get work the next day or not. Their job depends on the pleasure of the owner or the availability of work. They help in making fabulous and comfortable houses. But they themselves live in huts where there is no light, water and sanitation. This is a paradox that they enable us to enjoy the luxuries of a big house.

But often they do not have even a small room for them to live in. Because of their poverty, they cannot send their children to school. So, often their children have also to work in order to earn some extra money. The same is the case of workers who make bricks at the brick kilns. They also lead very miserable and poor lives. They too don’t have any security of jobs. Our government should come forward and do something for the welfare of such workers.

HBSE 12th Class English The Lost Spring Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 
Question 1.
Where has Saheb come from? [H.B.S.E. 2017 (Set-B)] (साहेब कहाँ से आया है ?) or Does Saheb remember his native?
[H.B.S.E. 2018 (Set-D)] (क्या साहेब अपने जन्म स्थान को याद करता है?)
Answer:
No, Saheb has no memory of his native land. Saheb’s family belonged to Dhaka, in Bangladesh. He, along with his family, left his home long ago. His house in Dhaka was set amidst the green fields. But there were many storms that swept away their homes and fields. That is why they had to leave. His family came to Seemapuri where Saheb started working as a ragpicker.

(नहीं, साहेब को अपने जन्म स्थान की याद नहीं आती। साहेब का परिवार बांग्लादेश में, ढाका से सम्बन्ध रखता था। उसने अपने परिवार के साथ बहुत पहले अपने घर को छोड़ दिया था। ढाका में उसका घर हरे खेतों के बीच में स्थित था। लेकिन वहाँ कई बार तूफान आते थे जो उनके घरों और खेतों को तहस-नहस कर देते थे। इसी वजह से उन्हें वहाँ से जाना पड़ा। उसका परिवार सीमापुरी में आ गया जहाँ साहेब ने एक कबाड़ बीनने वाले के रूप में काम करना शुरू कर दिया।)

Question 2.
Where does the author encounter Saheb every morning? (लेखिका साहेब को हर प्रातः कहाँ देखती है ?)
Answer:
Saheb is a ragpicker. The author encounters him every morning searching the garbage dumps for bits of papers and rags. He is one of the army of ragpickers who can be seen scrounging the garbage. Most of these boys are migrants from Bangladesh and have settled in Seemapuri in Delhi.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला है। लेखिका का हर रोज उससे सामना होता है जब वह कागज के टुकड़ों या चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदता रहता था। वह कबाड़ बीनने वालों के बड़े समूह का एक सदस्य था जो कूड़े को कुरेदते रहते थे। इनमें से अधिकतर लोग बांग्लादेश के विस्थापित हैं और वे दिल्ली की सीमापुरी में आकर बस गए हैं।)

Question 3.
Give an account of the background of Saheb and his fellow ragpickers. (साहेब एवं उसके साथी कूड़ा बीनने वालों की दशा का वर्णन करो।)
Answer:
Saheb belongs to a community of ragpickers who scrounge the dumps of garbage for paper and rags. He is one of more than 10,000 persons who are engaged in this profession. Most of them migrated to India from Bangladesh in 1971. They were compelled to leave their homes because of many storms which destroyed their homes and lands. They are living in Seemapuri on the outskirts of Delhi.

(साहेब कबाड़ बीनने वाले समुदाय से सम्बन्ध रखता है जो कि कागज के टुकड़ों और चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं। वह उन दस हजार से भी अधिक लोगों में से एक है जो इस व्यवसाय में लगे हुए हैं। उनमें से अधिकतर लोग 1971 में बांग्लादेश से विस्थापित होकर भारत आए थे। वे अपने घरों को छोड़ने के लिए बाध्य हो गए थे क्योंकि बहुत से तूफानों ने उनके घरों और खेतों को तबाह कर दिया था। वे दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित सीमापुरी में रह रहे हैं।)

Question 4.
What happens when the author asks Saheb to go to school? (जब लेखिका साहेब से स्कूल जाने को कहती है तो क्या होता है ?)
Answer:
Saheb spends his time scrounging the garbage dumps for bits of paper and rags. He tells the author that he has nothing else to do. She tells him to go to school. Saheb replies that there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him he would come if she started a school. Saheb says that he would be glad to come.

(साहेब कागज के टुकड़ों और फटे-पुराने कपड़ों की तलाश में कूड़े के ढेरों को कुरेदता रहता है। वह लेखिका को बताता है कि उनके पास करने के लिए इसके अलावा और कोई अन्य काम नहीं है। वह उसे स्कूल जाने के लिए कहती है। साहेब उत्तर देता है कि उसके पड़ोस में कोई स्कूल ही नहीं है। इस पर लेखिका उसे कहती है कि यदि उसने स्कूल खोल दिया तो क्या वह आएगा। साहेब कहता है कि वह स्कूल में आकर अति प्रसन्न होगा।)

Question 5.
What hollow promise does the author make to Saheb? (लेखिका साहेब से क्या खोखला वायदा करती है ?)
Answer:
Saheb tells the author that he cannot join a school as there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him whether he would come if she started a school. Saheb becomes happy. A few days later, he asks her if she has started a school. Now the author feels embarrassed at having made a hollow promise to a poor boy.

(साहेब लेखिका को बताता है कि वह स्कूल में दाखिला नहीं ले सकता है क्योंकि उसके पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। इस पर लेखिका उससे पूछती है कि यदि वह स्कूल खोल देती है तो क्या वह उस स्कूल में दाखिला लेगा। साहेब प्रसन्न हो जाता है। कुछ दिनों के बाद, वह उससे पूछता है कि क्या उसने स्कूल शुरू कर दिया है। अब लेखिका को उस बच्चे के साथ खोखला वायदा करने की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है।)

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Question 6.
What is ironical about Saheb’s full name? (साहेब के पूरे नाम के बारे में विडम्बनात्मक क्या है ?)
Answer:
The author often comes across a poor ragpicker named Saheb. His full name is ‘Saheb-e-Alam’, which means “Lord of the Universe.’ This name is quite ironical. He is a poor boy who earns his living by scrounging the dumps of garbage for bits of paper and rags. His life is full of poverty and misery.

(लेखिका की मुलाकात प्रायः साहेब नाम के एक गरीब कूड़ा बीनने वाले बच्चे के साथ हो जाती थी। उसका पूरा नाम है ‘साहेब-ए-आलम’ जिसका अर्थ है-‘ब्रह्मांड का मालिक’ । यह नाम पूरी तरह से व्यंग्यात्मक है। वह एक गरीब बालक है जिसको कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और फटे-पुराने कपड़ों को तलाश कर अपनी रोजी-रोटी कमानी पड़ती है। उसका जीवन गरीबी और कष्टों से भरा हुआ था।)

Question 7.
What story did a man from Udipi once tell the author? (उडिपी के व्यक्ति ने लेखिका को एक बार क्या कहानी सुनाई ?)
Answer:
Once a man from Udipi told the author that as a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest at that temple. He would stop briefly at the temple and prayed to the goddess for a pair of shoes. Finally the goddess granted his prayer and he got a pair of shoes.

(एक बार उडिपी के एक व्यक्ति ने लेखिका को बताया कि जब वह एक लड़का था तो वह मंदिर के पास से गुजरकर स्कूल जाया करता था। उसके पिता जी उस मंदिर में पुजारी थे। वह थोड़ी देर के लिए मंदिर में रुक जाया करता था और देवी से जूतों की जोड़ी के लिए प्रार्थना करता था। अंततः देवी ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उसे एक जोड़ी जूते मिल गए।)

Question 8.
What did the author observe when she went to Udipi thirty years later? (जब लेखिका तीस साल बाद उडिपी गई तो उसने क्या देखा ?)
Answer:
The author again visited Udipi thirty years later. She went to the temple. She saw that there was a new priest in that temple. She saw a young boy. He was dressed in a grey uniform and was wearing socks and shoes. Now young boys like the priest’s son wore shoes.

(लेखिका तीस साल बाद फिर से उडिपी जाती है। वह मंदिर में जाती है। उसने देखा कि मंदिर में नया पुजारी आ गया था। उसने एक युवा लड़के को देखा। उसने स्लेटी रंग की एक कमीज पहनी हुई थी और उसने जुराबें और जूते पहने हुए थे। अब जवान लड़के पुजारी के लड़के की तरह जूते पहनते थे।)

Question 9.
The author says, “Seemapuri is on the periphery of Delhi, yet miles away from it, metaphorically.” What does she mean to say? (लेखिका कहती है, “सीमापुरी दिल्ली की सीमा पर है, मगर रूपक के तौर पर इससे मीलों दूर है।” वह ऐसा क्यों कहती है?)
Answer:
Seemapuri is a settlement of thousands of ragpickers. It is on the periphery of Delhi. It is a dirty colony, where people live in poverty and misery. The houses are made of mud, tins and tarpaulin. The streets are full of dirt and sewerage. There is a complete contrast between the modern Delhi and Seemapuri. That is why, metaphorically, it is far away from Delhi.

(सीमापुरी हजारों कबाड़ियों की एक बस्ती है। यह दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। यह एक मंदी बस्ती है, जिसमें लोग गरीबी और कष्टों भरा जीवन जीते हैं। मकान मिट्टी, टिन और तिरपाल से बने हुए हैं। गलियाँ, गंदगी और गंदे पानी से भरी हुई हैं। आधुनिक दिल्ली और सीमापुरी की स्थितियों में पूरा विरोधाभास है। अतः रूपक दृष्टि से, सीमापुरी अभी दिल्ली से बहुत दूर है।)

Question 10.
Describe the miserable condition of the ragpickers of Seemapuri. (सीमापुरी के कूड़ा बीनने वालों की दुःखद अवस्था का वर्णन करो।)
Answer:
The ragpickers of Seemapuri lead a life of misery and poverty. They live in dirty conditions. Their houses are made of mud with roofs of tin and tarpaulin. There is no sewerage system, or draining. They don’t have running water. Children are without shoes and are dressed in tattered clothes. Survival in Seemapuri means ragpicking.

(सीमापुरी के कबाड़ बीनने वाले एक कष्टों भरा और गरीबी वाला जीवन व्यतीत करते हैं। वे गंदी स्थितियों में रहते हैं। उनके घर मिट्टी से बने होते हैं और उनकी छतें टिन और तिरपाल की होती हैं। यहाँ पर मल-निकासी और पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। उनके पास जल का कोई स्रोत नहीं है। बच्चों के पास जूते नहीं हैं और वे फटे-पुराने कपड़े पहनते हैं। सीमापुरी में रहने का अर्थ है कबाड़ी के रूप में काम करना।)

Question 11.
Why does the author say that survival in Seemapuri means ragpicking? (लेखिका ऐसा क्यों कहती है कि सीमापुरी में जीवित रहने का अभिप्राय है, कूड़ा बीनना?)
Answer:
Seemapuri is a dirty colony on the outskirts of Delhi. It is a colony of ragpickers. More than ten thousand people are engaged in this job. Most of them have migrated from Bangladesh. They lead miserable and poor lives. They have no other means of earning their livelihood. So they have to scrounge the garbage dumps for bits of paper and rags. That is why the author says that survival in Seemapuri means ragpicking.

(सीमापुरी दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित एक गंदी बस्ती है। यह एक कबाड़ बीनने वालों की बस्ती है। यहाँ के दस हजार से ज्यादा लोग इस काम में लगे हुए हैं। उनमें से अधिकतर बांग्लादेश से आए हैं। वे बहुत ही दयनीय और गरीबी भरा जीवन जीते हैं। उनके पास अपनी आजीविका कमाने का और कोई साधन नहीं है। इसलिए वे कागज़ के टुकड़ों और चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं। यही वजह है कि लेखिका कहती है-सीमापुरी में जिंदा रहने का अर्थ है कबाड़ी के रूप में काम करना।)

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Question 12.
How did Saheb get a pair of shoes? (साहेब को एक जोड़ी जूते कैसे मिले ?)
Answer:
One morning the author saw that Saheb was standing by the fenced gate of the tennis club. Two young men were playing tennis. Saheb was also wearing tennis shoes. These were the discarded shoes of a rich boy. Perhaps he had discarded them as there was a hole in one of them. In this way, Saheb got a pair of shoes.

(एक दिन लेखिका ने देखा कि साहेब टेनिस क्लब के जंगले वाले गेट के पास खड़ा था। दो नौजवान टेनिस खेल रहे थे। साहेब ने भी टेनिस वाले जूते पहने हुए थे। ये एक अमीर लड़के द्वारा पहनकर त्यागे हुए जूते थे। शायद उसने उन जूतों को इस वजह से त्याग दिया था क्योंकि उनमें से एक जूते के तलवे में छिद्र हो गया था। इस तरह से साहेब को वे जूते मिले।)

Question 13.
“Saheb is no longer his own master.” Why does the author feel so? (“साहेब अपना मालिक आप नहीं रहा।” लेखिका को ऐसा महसूस क्यों हुआ ?)
Ans. Saheb gets a job in a tea stall. The author sees him on his way to the milk booth. He is carrying a steel canister on his head. Now he gets Rs 800 per month and all his meals. But he has lost his carefree look. The bag in which he picks the rags was his. But the canister belongs to the tea shop owner. So, the author feels that Saheb is no longer his own master.

(साहेब को एक चाय की दुकान में नौकरी मिल जाती है। लेखिका उसे दूध की दुकान की ओर जाते हुए देखती है। उसने अपने सिर पर स्टील का डिब्बा उठा रखा है। अब उसको 800 रुपए महीना वेतन और भोजन मिलता है। लेकिन अब उसने अपनी बेपरवाह जिंदगी को खो दिया है। जिस बोरी में वह कबाड़ इकट्ठा किया करता था वह बोरी उसकी अपनी थी। लेकिन वह कनस्तर चाय की दुकान के मालिक का था। इसलिए लेखिका को लगता है कि साहेब अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा था।)

Question 14.
Who is Mukesh? Describe his background. (मुकेश कौन है ? उसकी पृष्ठभूमि का वर्णन करो।)
Answer:
Mukesh is a poor boy of Firozabad. He belongs to a family of bangle makers. He is one of the 20,000 young people engaged in bangle-making. He and his family lead a poor and miserable life. They work by glass furnaces with high temperature. His family lives in half-built hut. The street is.choked with garbage.
(मुकेश फिरोज़ाबाद का एक गरीब लड़का है। वह चूड़ी बनाने वालों के एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। वह उन बीस हजार लोगों में से एक है जो चूड़ी बनाने के काम में लगे हुए हैं। वह और उसका परिवार एक गरीबीपूर्ण और कष्टों भरा जीवन जी रहे हैं। वे उच्च तापमान वाली काँच की भट्टियों के पास काम करते हैं। उसका परिवार एक अधूरी बनी झोंपड़ी में रहता है। उनकी गली कूड़े से भरी पड़ी है।)

Question 15.
Describe the conditions in which the bangle makers of Firozabad work. (उन परिस्थितियों का वर्णन करो जिनमें फिरोजाबाद के चूड़ी बनाने वाले काम करते हैं।)
Answer:
More than 20,000 persons are engaged in bangle making work in Firozabad. They work in miserable conditions. They work near glass furnaces with high temperature. They make bangles in small rooms without proper light or air. Because of dim light and because of the dust rising from polishing the glass, most of the children lose their eyesight before they become adults.
(फिरोजाबाद में बीस हजार से अधिक लोग चूड़ी बनाने के काम में लगे हुए हैं। वे कष्टकारी स्थितियों में काम करते हैं। वे उच्च तापमान वाली शीशे की भट्टियों के पास काम करते हैं। वे छोटे-छोटे कमरों में जहाँ उचित हवा और प्रकाश की कमी होती है वहाँ चूड़ियाँ बनाते हैं। मद्धम प्रकाश और काँच पर की जाने वाली पॉलिश की धूल की वजह से, अधिकतर बच्चे वयस्क (बड़े) होने से पहले ही अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं

Question 16.
What for is Firozabad known? (फिरोजाबाद किस लिए प्रसिद्ध है ?)
Answer:
Firozabad is known for its bangles industry. The glass-blowing industry of Firozabad employs more than twenty thousand workers, most of whom are children. In Firozabad, families have spent generations working around furnaces, welding glass, making bangles for women.
(फिरोज़ाबाद अपने चूड़ी उद्योग की वजह से प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद के काँच पिघलाने वाले उद्योगों में बीस हजार से भी अधिक श्रमिक काम करते हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चे हैं। फिरोजाबाद में परिवारों ने भट्टियों के पास काम करते हुए, काँच को जोड़ने में, महिलाओं के लिए काँच की चूड़ियाँ बनाने में कई पीढ़ियाँ गुज़ार दी हैं।)

Question 17.
What has Mukesh’s father achieved after years of hard labour? (कई सालों के कठिन परिश्रम के बाद मुकेश के पिता ने क्या पाया है ?) Or Why is Mukesh’s Father a failed man?[H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)] (मुकेश के पिता एक असफल व्यक्ति क्यों हैं?)
Answer:
Mukesh’s family is engaged in bangle-making. His father started his career as a tailor. But soon he became a bangle maker. But even many years of hard labour as a bangle maker, his life is still poor and miserable. He has failed to renovate his house. Nor has he been able to send his two sons to school. He has only been able to teach them the art of bangle-making.
(मुकेश का परिवार चूड़ी बनाने के काम में लगा हुआ है। उसके पिता ने एक दर्जी के रूप में अपना व्यवसाय शुरू किया था। लेकिन शीघ्र ही वह चूड़ी बनाने के काम में लग गया। लेकिन चूड़ी बनाने वाले के रूप में काम करते हुए सालों की कठोर मेहनत के बावजूद भी, उसका जीवन अभी भी गरीबी और कष्टों से भरा हुआ है। वह अपने घर की मुरम्मत भी नहीं कर सका है। वह अपने दो बेटों को स्कूल भी नहीं भेज सका है। वह तो उनको केवल चूड़ी बनाने की कला का ही ज्ञान दे सका है।)

Question 18.
Describe the kind of bangles made in Firozabad. (फिरोजाबाद में बनाई गई चूड़ियों का वर्णन करो।)।
Answer:
Firozabad is known for its bangles industry. The town produces all kinds of bangles for Indian women. In the factories of Firozabad, bangles of all sizes and colours are made. These bangles can be sunny gold and paddy green. One may have royal blue, pink or purple bangles.
(फिरोज़ाबाद अपने चूड़ी उद्योग की वजह से जाना जाता है। इस शहर में भारतीय महिलाओं के लिए सभी तरह की चूड़ियों का निर्माण किया जाता है। फिरोज़ाबाद के कारखानों में सभी आकारों और रंगों की चूड़ियों का निर्माण किया जाता है। ये चूड़ियाँ चमकीले सुनहरी रंग की और गहरे हरे रंग की होती थीं। कोई रॉयल ब्लू, गुलाबी या बैंगनी रंग की चूड़ियाँ ले सकता है।)

Question 19.
What does the author think when she sees Savita helping to make bangles? (जब लेखिका सविता को चूड़ियाँ बनाने में सहायता करती देखती है तो क्या सोचती है ?)
Answer:
The author sees Savita is sitting alongside an elderly woman. She is joining with solder pieces of glass and thus helping to make bangles. The author wonders whether Savita knows the sanctity of bangles she helps make. She finds that Savita does not know that bangles symbolize an Indian woman’s ‘suhaag’.
(लेखिका देखती है कि सविता एक वृद्ध महिला के पास बैठी है। वह काँच जोड़ने की मशीन के साथ काँच के टुकड़ों को जोड़ रही है और इस तरह से चूड़ियाँ बनाने में मदद कर रही है। लेखिका हैरान होती है कि क्या वह उन चूड़ियों की पवित्रता को जानती है जिनको बचाने में वह सहायता कर रही है। उसे पता लगता है कि सविता इस बात को नहीं जानती है कि चूड़ियाँ एक भारतीय महिला के सुहाग की निशानी होती हैं।)

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Question 20.
Why don’t the bangle makers of Firozabad organise themselves into a cooperative? (फिरोज़ाबाद के चूड़ी निर्माता स्वयं को सहकारी संस्था में संगठित क्यों नहीं करते ?)
Answer:
The author asks some bangle makers as to why they don’t organize themselves into a cooperative. They reply that they are caught in a vicious circle. The sahukars, the middlemen and the police all conspire to keep them poor. If they try to make a cooperate, the police hauls them up and beats them on false charges. These forces will never let them organise into a cooperative.

(लेखिका कुछ चूड़ी बनाने वालों से पूछती है कि वे स्वयं को एक सहकारी संस्था के अन्तर्गत संगठित क्यों नहीं कर लेते हैं। वे उत्तर देते हैं कि वे तो एक जाल में फंस चुके हैं। साहूकार, बिचौलिए और पुलिस सभी मिलकर उन्हें गरीब बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। यदि वे एक सहकारी संस्था बनाने का प्रयास करते हैं, तो पुलिस उनको धमकाती है और झूठे आरोप लगाकर उन्हें पीटती है। ये ताकतें कभी-भी उन्हें एक सहकारी संस्था के अन्तर्गत संगठित नहीं होने देती हैं।)

Question 21.
What is the ambition of Mukesh? (मुकेश की महत्त्वाकांक्षा क्या है ?) Or How can Mukesh realise his dreams? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)] (मुकेश को अपने सपनों का एहसास कैसे होता है?)
Answer:
Mukesh is a bangle maker of Firozabad. But he is different from others. He does not want to make bangles all his life. His ambition is to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day. He is determined and hopeful. The author feels that one day he will be able to realise his dream.

(मुकेश फिरोज़ाबाद का एक चूड़ी निर्माता है। लेकिन वह अन्य चूड़ी निर्माताओं से अलग है। वह अपना सारा जीवन चूड़ी बनाने में ही नहीं बिताना चाहता। उसका सपना एक मोटर मैकेनिक बनना है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। वह दृढ़ निश्चय वाला और आशावान है। लेखिका को भी लगता है कि एक दिन वह अपने सपने को पूरा करने में सफल रहेगा।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
What does the writer want Saheb to do? Why has she to feel embrassed about it later ? (लेखिका साहेब से क्या करने को कहती है ? बाद में उसे इसके बारे में क्यों शर्मिंदा होना पड़ा ?)
Answer:
Saheb is a ragpicker. The author encounters him every morning searching the garbage dumps for bits of papers and rags. He is one of the army of ragpickers who can be seen scrounging the garbage. Most of these boys are migrants from Bangladesh and have settled in Seemapuri in Delhi. Saheb spends his time scrounging the garbage dumps for bits of paper and rags. He tells the author that he has nothing else to do. She tells him to go to school. Saheb replies that there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him if he would come if she started a school. Saheb says that he would be glad to come. A few days later, Saheb sees the writer. He comes running to her and asks her if she has started a school. Now the author feels embarrased at having made a hollow promise to a poor boy.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला लड़का है। लेखिका की उससे प्रतिदिन मुलाकात होती थी जब वह कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और चीथड़ों की तलाश कर रहा होता था। वह कबाड़ बीनने वालों के समूह में से मात्र एक था जो कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते थे। इनमें से अधिकतर लड़के बांग्लादेश से आए शरणार्थी थे और वे दिल्ली के सीमापुरी में आकर बस गए थे। साहेब कागज के टुकड़ों और फटे पुराने कपड़ों की तलाश में कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहने में अपना समय बिताता है। वह लेखिका को बताता है कि उसके पास इसके अतिरिक्त करने के लिए कोई और काम नहीं है। वह उससे स्कूल जाने के लिए कहती है। साहेब उत्तर देता है कि उसके पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। इस पर लेखिका उससे पूछती है कि यदि उसने स्कूल खोल दिया तो क्या वह आएगा। साहेब कहता है कि वह स्कूल में आकर अति प्रसन्नता महसूस करेगा। कुछ दिनों के पश्चात्, साहेब लेखिका को देखता है। वह दौड़कर उसके पास आता है और पूछता है कि क्या उसने स्कूल शुरू कर दिया है। अब लेखिका को एक गरीब बच्चे के साथ झूठा वायदा करने पर शर्म आती है।)

Question 2.
Reproduce briefly the story related to the man from Udipi ? (उडिपी से आए हुए आदमी से संबंधित कहानी का संक्षेप में वर्णन करो।)
or
“It is his Karam, his destiny that made Mukesh’s grandfather go blind.” How did Mukesh disprove this belief by choosing a new vocation and making his own destiny? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (यह उसका कर्म, उसका भाग्य है जिसने मुकेश के दादा को अंधा बनाया?)
Answer:
The writer once goes on a visit to Udipi. There she met a man from Udipi. The man told the author that as a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest at that temple. He would stop briefly at the temple and prayed to the goddess for a pair of shoes. Finally the goddess granted his prayer and he got a pair of shoes. The author again visited Udipi thirty years later. She went to the temple. She saw that there was a new priest in that temple. She saw a young boy. He was dressed in a grey uniform and was wearing socks and shoes. Now young boys like the priest’s son wore shoes. But many others like the ragpickers in her neighbourhood were still without shoes.

(एक बार लेखिका उडिपी की यात्रा पर जाती है। वहाँ उसकी मुलाकात उडिपी के एक आदमी से होती है। उस आदमी ने लेखिका को बताया कि जब वह लड़का था तो वह एक मंदिर के पास से गुजर कर स्कूल जाता था। उसके पिताजी उस मंदिर के पुजारी थे। वह थोड़ी देर के लिए उस मंदिर में रुक कर देवी माँ से एक जोड़ी जूतों के लिए प्रार्थना करता था। अंततः देवी माँ ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे एक जोड़ी जूते मिल गए। लेखिका तीस साल बाद फिर से उडिपी गई। वह मंदिर में गई। उसने देखा कि उस मंदिर में अब एक नया पुजारी था। उसने एक युवा लड़के को देखा। उसने स्लेटी रंग की वर्दी पहन रखी थी और जूते तथा जुराबें पहन रखे थे। अब युवा लड़के भी पुजारी के बेटे जैसे जूते पहनने लगे थे। लेकिन उसके पड़ोस में रहने वाले बहुत-से कबाड़ बीनने वाले अभी भी बिना जूतों के हैं।)

Question 3.
What is ironical about Saheb’s name? Describe the life of Saheb and the life of the other ragpickers of Seemapuri.
(साहेब के नाम के बारे में विडम्बनात्मक क्या है ? साहेब एवं सीमापुरी के अन्य कूड़ा बीनने वालों के जीवन का वर्णन करो।)
Answer:
Sahebis a poor ragpicker. He is one of the numerous ragpickers of Seemapuri which is on the periphery of Delhi. Saheb’s full name is ‘Saheb-e-Alam’ which means ‘Lord of the Universe. This is highly ironical. He leads a very poor and miserable life. He moves barefoot as he has no money to buy shoes. He earns his living by scrounging garbage dumps for pits of paper and rags. He does not know what his name means.

Saheb and the other ragpickers of Seemapuri lead a miserable and poor life. They live in dingy huts made of mud with roofs of tin and tarpaulin. They live amidst dirty and unhygienic surroundings. There is no sewerage, no drainage and no running water in their colony. They move around without shoes in the scorching heat. There is no development and no progress. For these poor people survival means rag-picking. For these poor children, garbage is wrapped in wonder. It is their source of livelihood.

(साहेब एक गरीब कबाड़ बीनने वाला है। वह दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित सीमापुरी में रहने वाले असंख्य कबाड़ियों में से एक है। साहेब का पूरा नाम ‘साहेब-ए-आलम’ है जिसका अर्थ होता है इस ‘सृष्टि का मालिक’ । यह बात अत्यंत व्यंगात्मक है। वह एक अति गरीबी भरा और कष्टों वाला जीवन व्यतीत कर रहा है। वह नंगे पाँव घूमता है क्योंकि उसके पास जूते खरीदने के लिए धन नहीं है। वह कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और चीथड़ों को ढूँढकर अपनी आजीविका कमाता है। वह नहीं जानता है कि उसके नाम का क्या अर्थ है।

साहेब और सीमापुरी के अन्य कबाड़ बीनने वाले सभी गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। वे मिट्टी की बदबूदार झोंपड़ियों जिनकी छतें टिन और तिरपाल से बनी हुई थीं, में रहते हैं। वे गंदे और अस्वास्थ्यकर माहौल में रहते हैं। उनके यहाँ मल-निकासी और जल-निकासी का कोई साधन नहीं है और उनके यहाँ ताजा पानी भी नहीं आता है। वे झुलसाने वाली तपत में भी बिना जूतों के घूमते हैं। उनके क्षेत्र में कोई विकास और प्रगति नहीं है। इन गरीब लोगों के लिए जिंदा रहने का अर्थ है कबाड़ बीनना। इन गरीब बच्चों के लिए कूड़ा अजूबे में लिपटी हुई चीज है। यह उनकी आजीविका का एक साधन है।)

Question 4.
Describe the life of the ragpickers of Seemapuri. Why does the author say that Seemapuri is on the periphery of Delhi, yet miles away from it, metaphorically? (सीमापुरी के कूड़ा बीनने वालों के जीवन का वर्णन करो। लेखिका ऐसा क्यों कहती है कि सीमापुरी दिल्ली की सीमा पर है, फिर भी रूपक के तौर पर दिल्ली से मीलों दूर है?)
Or
How does the writer describe seemapuri, a place on the periphery of Delhi? (H.B.S.E. 2020 (Set-A)] (लेखक सीमापुरी, जो दिल्ली की सीमा पर स्थित है, का वर्णन कैसे करता है?)
Answer:
The ragpickers of Seemapuri lead a life of poverty and misery. There are more than ten thousand ragpickers in Seemapuri. Most of them came here from Bangladesh in 1971. They have been living here for more than thirty years. They don’t have identity and permits. But they do have ration cards which enable them to buy grain and cast their votes at the time of elections. For them food is more important than identity. As children grow up in Seemapuri, they become a part of the barefoot army of ragpickers.

Here survival means rag-picking. These young ragpickers appear in the morning with their bags on their shoulders. They scrounge the garbage dumps for bits of paper, rags, plastic items or other things which they can sell to the Kabariwallah. A garbage dump for them is wrapped in wonder. Sometimes, a ragpicker may find a rupee, a ten rupee note or even a silver coin.

Seemapuri is on the periphery of Delhi. Yet the author says that it is metaphorically miles away from Delhi. She means to say that the glitter and development of Delhi has not touched Seemapuri. The poor ragpickers live in huts made of mud, with roofs of tin and tarpaulin. There is no disposal system for sewage, no draining and no running water. It is unimaginable that Seemapuri is part of Delhi, the capital of India. Here we find no signs of development, only squalor and poverty.

(सीमापुरी के कबाड़ बीनने वाले एक गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। सीमापुरी में कबाड़ बीनने वाले लोगों की संख्या दस हजार से भी अधिक है। इनमें से अधिकतर यहाँ पर बांग्लादेश से 1971 में आए थे। वे यहाँ पर तीस वर्षों से भी अधिक लंबे समय से रह रहे हैं। उनके पास कोई परिचय पत्र या अनुमति पत्र नहीं है। लेकिन उनके पास राशन कार्ड है जिसकी मदद से वे अनाज खरीद सकते हैं और चुनाव के समय अपना वोट डाल सकते हैं।

उनके लिए पहचान से अधिक महत्वपूर्ण भोजन है। जैसे ही सीमापुरी के बच्चे बड़े होते हैं, वे नंगे पाँव वाले कबाड़ियों के दल का हिस्सा बन जाते हैं। यहाँ पर जिंदा रहने का अर्थ कबाड़ बीनना। ये कबाड़ बीनने वाले अपने कंधों पर थैले लादकर सुबह-सुबह बाहर निकल पड़ते हैं। वे कागज के टुकड़ों, फटे-पुराने कपड़ों, प्लास्टिक की चीजों या अन्य चीजों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं जिनको वे कबाड़ीवाले को बेच देते हैं। उनके लिए कूड़े का ढेर अजूबे में लिपटी चीज है। कई बार तो किसी कबाड़ बीनने वाले को वहाँ से एक रुपए का सिक्का, दस रुपए का नोट यहाँ तक कि चाँदी का सिक्का भी मिल जाता है।

सीमापुरी दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। लेकिन फिर भी लेखिका कहती है कि यह लाक्षणिक रूप में दिल्ली से मीलों दूर है। उसका यह कहने का अर्थ है कि यह दिल्ली की चमक-दमक और विकास से अछूता है। गरीब कबाड़ बीनने वाले मिट्टी की बनी झोंपड़ियों में रहते हैं, जिनक छतें टिन और तरपाल से बनी होती हैं। उनके यहाँ मल निकासी और गंदे जल की निकासी की या ताजे पानी के आने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह बात अकल्पनीय है कि सीमापुरी भारत की राजधानी दिल्ली का एक हिस्सा है। यहाँ पर हमें विकास का कोई चिह्न नज़र नहीं आता, सिवाय गंदगी और गरीबी के।)

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Question 5.
Do you think the poor ragpickers remain barefoot because of tradition or lack of money? (क्या आप सोचते हैं गरीब कूड़ा बीनने वाले परम्परा के कारण नंगे पाँव रहते हैं, या पैसे की कमी के कारण ?)
Answer:
The author comes across Saheb, a ragpicker of Seemapuri. He is part of many ragpickers settled in Seemapuri. They live in poor and dirty conditions. Saheb and other ragpickers are barefoot. The author calls them an “army of barefoot boys.” She asks one of them why he is not wearing shoes. He replies that his mother did not bring the shoes down from the shelf. Some boys tell them that it is a tradition with them to remain barefoot. But the author thinks that this is only an excuse to explain away the perpetual poverty which compels them to remain barefoot. She remembers a story, which a man from Udipi told her.

As a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest in that temple. He was poor and could not afford shoes. He would stop briefly in the temple and pray for shoes. Thirty years later, the author visited the same temple. She saw a young boy dressed in gray uniform, wearing socks and shoes. But the boys of Seemapuri are too poor to afford shoes. Some days later, she finds Saheb wearing discarded tennis shoes. This shows that the ragpickers are barefoot not because of any tradition but because of their poverty.

(लेखिका की मुलाकात सीमापुरी के एक कबाड़ बीनने वाले साहेब से होती है। वह सीमापुरी में रहने वाले कबाड़ बीनने वालों में से एक हैं। वे गरीबी वाली और गंदी स्थितियों में रहते हैं। साहेब और अन्य कबाड़ बीनने वाले नंगे पाँव रहते हैं। लेखिका उनको “नंगे पाँव लड़कों की सेना” कहकर सम्बोधित करती है। वह उनमें से एक से पूछती है कि उसने जूते क्यों नहीं पहन रखे हैं। वह उनमें से एक से पूछती है कि उसने जूते क्यों नहीं पहन रखे हैं। वह उत्तर देता है कि उसकी माँ ने शेल्फ़ से जूते नीचे नहीं उतारे हैं। कुछ लड़के उसको बताते हैं कि उनके यहाँ तो बिना जूतों के ही रहना एक परंपरा सी बन गई है। परन्तु लेखिका सोचती है कि यह उनका अपनी चिरस्थायी गरीबी को समझाने का एक बहाना है, जो उन्हें नंगे पाँव रहने पर मजबूर करती है।

उसे एक कहानी याद आती है जो उडिपी के एक आदमी ने उसे सुनाई थी। जब वह छोटा था तो वह एक मंदिर के पास से गुजर कर स्कूल जाता था। उसके पिता जी उस मंदिर में पुजारी थे। वे गरीब थे और उसे जूते नहीं दिला सकते थे। वह थोड़ी देर मंदिर में रुक जाया करता था और जूतों के लिए प्रार्थना करता था। तीस साल के बाद, लेखिका फिर से उस मंदिर में गई। उसने एक युवा लड़के को देखा जिसने स्लेटी रंग की वर्दी पहन रखी थी और जूते तथा जुराबें पहन रखे थे। लेकिन सीमापुरी के बालक तो इतने गरीब हैं कि वे जूते नहीं खरीद सकते हैं। कुछ दिनों के बाद, वह साहेब को टेनिस खेलने के पुराने जूते पहने हुए देखती है। इस बात से पता चलता है कि कूड़ा बीनने वाले अपनी गरीबी की वजह से नंगे पाँव रहते हैं, न कि किसी परंपरा की वजह से।)

Question 6.
Who is Mukesh? What is his ambition? Describe the author’s visit to the house of Mukesh? (मुकेश कौन है ? उसकी महत्त्वाकांक्षा क्या है ? लेखिका के मुकेश के घर आगमन का वर्णन करो।)
Or
“It is his Karam, his destiny that made Mukesh’s grandfather go blind.” How did Mukesh disprove this belief by choosing a new vocation and making his own destiny. [H.B.S.E. March 2018 (Set-A)] (यह उसका कर्म, उसका भाग्य है, जिसने मुकेश के दादा को अंधा बनाया। मुकेश ने एक नए पेशे को अपनाकर तथा अपना स्वयं का भाग्य बनाकर इस धारणा को कैसे गलत साबित किया?)
Or
What did the writer see when Mukesh took her to his home ?[H.B.S.E. March, 2019, 2020 (Set-D)] (जब मुकेश लेखक को अपने घर ले गया तो लेखक ने क्या देखा?)
Answer:
Mukesh is a young bangle maker of Firozabad. His family has been doing this job for generations. Like the other families of bangle makers, Mukesh’s family is also very poor. They think that their destiny is fixed and they will spend their lives making bangles only. But Mukesh seems to be different. He is determined that one day he will leave this job. He wants to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day. The author thinks that Mukesh can achieve his aim as he seems determined.

The author visits Mukesh’s home. He lives in a stinking lane, choked with garbage. The houses in the streets are just hoveled with crumbling walls and no windows. They are crowded with families of humans and animals. Then they enter Mukesh’s home. It is a half-built rough hut. In one part of it, the roof is covered with dry grass. There is firewood stove. A frail woman is cooking the evening meal for the family. She is the wife of Mukesh’s elder brother.

Mukesh’s father is a poor bangle maker. He has been making bangles for many long years. Yet he has not been able to renovate the house and to send his two sons to schools. He could just teach them the art of bangle-making. Mukesh’s grandfather had gone blind with the dust from polishing the glass of bangles.

(मुकेश फिरोजाबाद का चूड़ी बनाने वाला एक छोटा लड़का है। उसका परिवार कई पीढ़ियों से यह काम कर रहा है। चूड़ियाँ बनाने वाले अन्य परिवारों की तरह मुकेश का परिवार भी गरीब है। वे सोचते हैं कि उनका भाग्य तो तय कर दिया गया है और वे तो केवल मात्र चूड़ियाँ बनाकर ही अपना जीवन व्यतीत करेंगे। लेकिन मुकेश का विचार भिन्न है। उसे पक्का यकीन है कि एक दिन वह उस काम को छोड़ देगा। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। लेखिका सोचती है कि मुकेश अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है क्योंकि उसका इरादा पक्का है।

लेखिका मुकेश के घर जाती है। वह एक बदबूदार गली में रहता है जो कि कूड़े से भरी पड़ी है। गलियों में बने घर मात्र सिर्फ छप्पर ही हैं जिनकी टूटी-फूटी दीवारें हैं और उनमें कोई खिड़की भी नहीं है। उन घरों में इन्सानों और पशुओं की भीड़ भरी हुई है। तब वे मुकेश के घर में प्रवेश करते हैं। उसका घर एक आधी बनी झोंपड़ी के समान है। इसके एक भाग में, छत सूखे घास से बनी हुई है। इसमें लकड़ी का चूल्हा रखा हुआ है। एक कमजोर-सी महिला परिवार के लिए रात्रि भोजन तैयार कर रही है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। मुकेश का पिता एक गरीब चूड़ी बनाने वाला है। वह पिछले बहुत-से सालों से चूड़ियाँ बना रहा है। लेकिन फिर भी वह अपने घर की मुरम्मत नहीं करवा सका है और न ही अपने दो बेटों को स्कूल भेज सका है। वह तो उनको केवल मात्र चूड़ियाँ बनाने की कला ही सिखा पाया है। मुकेश का दादा काँच को पॉलिश करते समय उठी धूल की वजह से अंधा हो चुका था।)

The Lost Spring MCQ Questions with Answers

Multiple Choice Questions

1. Who is the writer of extract ‘Lost Spring’?
(A) Najees Jung
(B) Anees Jung
(C) Janees Aung
(D) Ganesh Gunj
Answer:
(B) Anees Jung

2. Who is Saheb?
(A) a shopkeeper
(B) a soldier
(C) a ragpicker
(D) a student
Answer:
(C) a ragpicker

3. From where did Saheb come?
(A) Dhaka
(B) Dhamaka
(C) Jorhat
(D) Chittagong
Answer:
(A) Dhaka

4. Why did Saheb and his family come to India leaving Bangladesh?
(A) they liked India
(B) they were expelled from there
(C) because of communal violence there
(D) because storms destroyed their homes and fields
Answer:
(D) because storms destroyed their homes and fields.

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5. What is Saheb’s full name?
(A) Saheb-e-Alam
(B) Alam-e-Saheb
(C) Laheb-e-Salam
(D) Maheb-e-Lalam
Answer:
(A) Saheb-e-Alam

6. What is the meaning of ‘Saheb-e-Alam’?
(A) great ragpicker
(B) chief of pick-pockets
(C) Lord of the Universe
(D) Lord of the pirates
Answer:
(C) Lord of the Universe.

7. Saheb’s name means “Lord of the Universe, but he leads a life of ………………………………..
(A) wealth and power
(B) opulence
(C) prosperity
(D) poverty and misery
Answer:
(D) poverty and misery

8. Why does Saheb remain barefoot?
(A) his feet are beautiful
(B) he hates shoes
(C) he is so poor that he cannot buy shoes and chappals
(D) his employer forbids him to wear shoes
Answer:
(C) he is so poor that he cannot buy shoes and chappals

9. Where does Saheb live?
(A) Seemapuri
(B) Peemasuri
(C) Maujpur
(D) Paujmur
Answer:
(A) Seemapuri

10. The houses in Seemapuri are made of ………………………………….
(A) bricks and concrete
(B) asbestos sheets
(C) mud, tin, and tarpaulin
(D) plywood
Answer:
(C) mud, tin and tarpaulin

11. For the people of Saheb’s colony what is more important than identity?
(A) gold
(B) Silver
(C) coats
(D) food
Answer:
(D) food

12. Where do Saheb and other such people pitch their tents?
(A) in a good colony
(B) wherever they find food
(C) by the bank of a river
(D) near a theatre
Answer:
(B) wherever they find food.

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13. What is Saheb watching from the fenced gate of a club?
(A) two young men playing tennis
(B) two women dancing
(C) two dogs quarreling dog
(D) a gardener planting flowers
Answer:
(A) two young men playing tennis

14. Later, Saheb is found wearing shoes. Who gave them the shoes?
(A) the writer
(B) a policeman
(C) a doctor
(D) a rich boy
Answer:
(D) a rich boy

15. Why did a rich boy give the tennis shoes to Saheb?
(A) he liked Saheb
(B) he hated his shoes
(C) there was a hole in one of them
(D) Saheb bought them from him.
Answer:
(C) there was a hole in one of them

16. Where does Saheb work after leaving the work of being a ragpicker?
(A) a factory
(B) in a tea stall
(C) on a farm
(D) in a school
Answer:
(B) in a tea stall

17. The writer describes the life of another poor boy. What is his name?
(A) Mukesh
(B) Sukesh
(C) Ramesh
(D) Sumesh
Answer:
(A) Mukesh

18. Where does Mukesh’s family work?
(A) in a school
(B) on a farm
(C) in a club
(D) in a bangle factory
Answer:
(D) in a bangle factory

19. Where does Mukesh live?
(A) in Ferozepur
(B) in Faridabad
(C) in Aurangabad
(D) in Firozabad
Answer:
(D) in Firozabad

20. What is Firozabad famous for?
(A) bangles
(B) sandals
(C) cloth
(D) electronics
Answer:
(A) bangles

21. What does Mukesh want to become?
(A) a doctor
(B) a motor mechanic
(C) teacher
(D) writer
Answer:
(B) a motor mechanic

22. What does the writer say about the street in which Mukesh’s house is situated?
(A) a fine street
(B) a wide street
(C) a street with civic amenities
(D) a stinking lane, choked with garbage
Answer:
(D) a stinking lane, choked with garbage.

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23. In what kind of house does Mukesh live?
(A) in a big house
(B) in a bungalow
(C) in a half-built rough hut
(D) in a flat
Answer:
(C) in a half-built rough hut

24. What’s Mukesh’s father?
(A) a doctor
(B) a poor bangle maker
(C) a teacher
(D) a leader
Answer:
(B) a poor bangle maker

25. What do the bangles symbolize in Indian culture?
(A) ‘Suhaag’
(B) corruption
(C) chastity
(D) farming
Answer:
(A) ‘Suhaag

The Lost Spring Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Type (i)
Passage 1.
“Why do you do this?” I ask Saheb whom I encounter every morning scrounging for gold in the garbage dumps of my neighbourhood. Saheb left his home long ago. Set amidst the green fields of Dhaka, his home is not even a distant memory. There were many storms that swept away their fields and homes, his mother tells him. That’s why they left, looking for gold in the big city where he now lives. “I have nothing else to do,” he mutters, looking away.

Word-meanings :
Encounter = come across (भेंट करना);
scrounging = searching for something (किसी चीज़ को खोजना);
dumps = heaps (ढेर)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.

(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) Who is Saheb?
(A) a school-going boy
(B) the son of a king
(C) a ragpicker boy
(D) the writer’s son
Answer:
(C) a ragpicker boy

(iv) Which city did Saheb’s family belong to?
(A) Dhaka
(B) Kolkata
(C) Patna
(D) Chennai
Answer:
(A) Dhaka

(v) What was Saheb scrounging for in the heaps of garbage?
(A) books
(B) food
(C) toys
(D) rags
Answer:
(D) rags

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Passage 2
After months of knowing him, I ask him his name. “Saheb-e-Alam,” he announces. He does not know what it means. If he knew its meaning – lord of the universe – he would have a hard time believing it. Unaware of what his name represents, he roams the streets with his friends, an army of barefoot boys who appear like the morning birds and disappear at noon. Over the months, I have come to recognize each of them.

Word-meanings :
Roam = wanders (घूमना);
barefooted = without shoes (बिना जूतों के);
disappear = go out of sight (नज़र न आना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) What is the meaning of ‘Saheb-e-Alam’?
(A) Lord of the state
(B) Lord of the universe
(C) Lord of the land
(D) none of the above
Answer:
(B) Lord of the universe

(iv) Who does Saheb roam with?
(A) his parents
(B) his brother
(C) his classmates
(D) his friends
Answer:
(D) his friends

(v) Did Saheb know the meaning of his name?
(A) Yes
(B) No
(C) Maybe
(D) May not be
Answer:
(B) No

Passage 3
I remember a story a man from Udipi once told me. As a young boy he would go to school past an old temple, where his father was a priest. He would stop briefly at the temple and pray for a pair of shoes. Thirty years later I visited his town and the temple, which was now drowned in an air of desolation. In the backyard, where lived the new priest, there were red and white plastic chairs. A young boy dressed in a grey uniform, wearing socks and shoes, arrived panting and threw his school bag on a folding bed.

Looking at the boy, I remembered the prayer another boy had made to the goddess when he had finally got a pair of shoes, “Let me never lose them.” The goddess had granted his prayer. Young boys like the son of the priest now wore shoes. But many others like the ragpickers in my neighbourhood remain shoeless. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]

Word-meanings :
Desolation = ruin (विनाश);
panting = breathing heavily (ज़ोर-से साँस लेना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) None of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) What was the young boys father?
(A) Priest
(B) Farmer
(C) Teacher
(D) Soldier
Answer:
(A) Priest

(iv) What did the boy pray for?
(A) A pair of shirts
(B) Books
(C) Money
(D) A pair of boots
Answer:
(D) A pair of boots

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(v) Who does “I’ refer to in the first line?
(A) Anees Jung
(B) Saheb
(C) Saheb’s father
(D) None of the above
Answer:
(A) Anees Jung

Passage 4
My acquaintance with the barefoot ragpickers leads me to Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically. Those who live here are squatters who came from Bangladesh back in 1971. Saheb’s family is among them. Seemapuri was then a wilderness. It still is, but it is no longer empty. In structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin, devoid of sewage, drainage or running water, live 10,000 ragpickers.

Word-meanings :
Acquaintance = introduction (परिचय);
squatters = illegal settlers (गैर-कानूनी स्थापित होना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) Where is Seemapuri situated?
(A) in the center of Delhi
(B) on the periphery of Delhi
(C) outside Delhi
(D) all of the above
Answer:
(B) on the periphery of Delhi

(iv) Who lived in Seemapuri?
(A) Farmers
(B) Politicians
(C) Traders
(D) Ragpickers
Answer:
(D) Ragpickers

(v) What change has come in Seemapuri over the years?
(A) It is no longer a wilderness
(B) Here structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin have appeared here
(C) About 10,000 ragpickers live here
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

Passage 5
“I, sometimes, find a rupee, even a ten-rupee note,” Saheb says, his eyes lighting up. When you can find a silver coin in a heap of garbage, you don’t stop scrounging, for there is hope of finding more. It seems that for children garbage has a meaning different from what it means to their parents. For the children it is wrapped in wonder, for the elders, it is a means of survival.

Word-meanings :
Garbage = rubbish (कूड़ा);
scrounging = searching for something (किसी चीज को खोजना);
wrapped = covered (लिपटा) ।

Questions :
(i) This passage has been taken from :
(A) The Last Lesson
(B) Deepwater
(C) Lost Spring
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Lost Spring

(ii) Who, sometimes, finds a rupee, even a ten-rupee note?
(A) The writer
(B) The story-teller
(C) Saheb
(D) His parents
Answer:
(C) Saheb

(iii) What does a heap of garbage stand for the children’s parents?
(A) A source of water
(B) A means of survival
(C) Both (A) and (B)
(D) neither (A) and (B)
Answer:
(B) A means of survival

(iv) The word “garbage’ means :
(A) rubbish
(B) expensive material
(C) rare material
(D) useful material
Answer:
(A) rubbish

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

(v) The writer of the passage is :
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) W. Douglas
(D) none of these
Answer:
(B) Anees Jung

Type (ii)
Passage 6
They have lived here for more than thirty years without an identity, without permits but with ration cards that get their names on voters’ lists and enable them to buy grain. Food is more important for survival than an identity. “If at the end of the day we can feed our families and go to bed without an aching stomach, we would rather live here than in the fields that gave us no grain,” say a group of women in tattered saris when I ask them why they left their beautiful land of green fields and rivers.

Wherever they find food, they pitch their tents that become transit homes. Children grow up in them, becoming partners in survival. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of a fine art. Garbage to them is gold. It is their daily bread, a roof over their heads, even if it is a leaking roof. But for a child, it is even more.

Word-meanings:
Identity = recognition (पहचान);
aching = paining (पीड़ा);
survival = living (जीवन)।

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) Where have the rag-pickers lived for more than thirty years?
(iii) Why have the people left their green field’s behind?
(iv) What is gold to the ragpickers?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) painting,
(b) living.
Answers :
(i) Chapter: Lost Spring-Stories of Stolen Childhood.
Author: Anees Jung.
(ii) The ragpickers have lived for more than thirty years in Seemapuri.
(iii) The people have left their green fields behind because that gave no grain to them.
(iv) Garbage is gold to the ragpickers.
(v) (a) aching, (b) survival.

Passage 7
Saheb too is wearing tennis shoes that look strange over his discolored shirt and shorts. “Someone game them to me,” he says in the manner of an explanation. The fact that they are discarded shoes of some rich boy, who perhaps refused to wear them because of a hole in one of them, does not bother him. For one who had walked barefoot, even shoes with a hole is a dream come true. But the game he is watching so intently is out of his reach. [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]

Word-meanings :
Discard = given up/in disuse (छाड़ना);
intently = attentively (आभलाषा)।

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What looks strange?
(iv) Why did some rich boy discard the shoes?
(v) What is a dream come true for Saheb?
Answers:
(i) Lost Spring
(ii) Anees Jung
(iii) Tennis shoes that Saheb was wearing look strange.
(iv) Some rich boys discarded them because of a hole in one of them.
(v) Dream of wearing a shoe come true for Saheb.

Passage 8
Savita, a young girl in a drab pink dress, sits alongside an elderly woman, soldering pieces of glass. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make. It symbolises an Indian woman’s suhag, auspiciousness in marriage. It will dawn on her suddenly one day when her head is draped with a red veil, her hands dyed red with henna, and the red bangles rolled onto her wrists. She will then become a bride. [H.B.S.E. March 2018 (Set-D)]

Word-meanings :
Drab = dull (नीरस);
soldering = welding (धातु जाड़न का टाका);
dyed = coloured (रग किया)।

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Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What is Savita wearing?
(iv) What sanctity is attached to bangles?
(v) What job is Savita doing?
Answers:
(i) Lost Spring
(ii) Anees Jung
(iii) Savita is wearing a pink dress.
(iv) Bangles symboliseS an Indian woman’s suhag.
(v) Savita is soldering pieces of glass.

The Lost Spring Summary in English and Hindi

The Lost Spring Introduction to the Chapter
Anees Jung is one of the famous writers of India. She was born in Rourkela. But she spent her childhood in Hyderabad. She got her education in Hyderabad and in USA. Anees Jung began her literary career as writer and columnist for major newspapers of India. This lesson has been taken from her book ‘Lost Spring, Stories of Stolen Childhood. This lesson presents a depressing picture of modern India. She gives a realistic description of the grinding poverty and pathetic condition of poor and innocent children like Saheb of Seemapuri and Mukesh of Firozabad. Saheb is a ragpicker in Seemapuri, near Delhi. Mukesh works as a labourer in a bangle making factory of Firozabad in Uttar Pradesh. Like many others in India, the childhood of Saheb and Mukesh is full of abject poverty and misery.

(अनीस जंग भारत के प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं। उनका जन्म राऊरकेला में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना बचपन हैदराबाद में बिताया। उन्होंने अपनी शिक्षा हैदराबाद और संयुक्त राज्य अमेरिका में प्राप्त की। अनीस जंग ने अपना साहित्यिक सफर भारत के प्रसिद्ध समाचार-पत्रों के लिए एक लेखक और स्तंभकार के रूप में शुरू किया। यह पाठ उनकी पुस्तक ‘Lost Spring Stories of Stolen Childhood’ से लिया गया है।

यह पाठ आधुनिक भारत की विषाद भरी तस्वीर का प्रदर्शन करता है। वे कष्टकारक गरीबी और सीमापुरी के साहेब और फिरोज़ाबाद के मुकेश जैसे (निर्दोष) बच्चों की करुणाजनक स्थिति का वास्तविक चित्रण करती हैं। साहेब दिल्ली के निकट सीमापुरी में एक कबाड़ इकट्ठा करने वाला है। मुकेश उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद में चूड़ियों का निर्माण करने वाली एक फैक्टरी में श्रमिक है। भारत में अन्य बहुत-से लोगों की तरह साहेब और मुकेश का बचपन भी दयनीय गरीबी और कष्टों से भरा हुआ है।)

The Lost Spring Summary

“Sometimes I find a rupee in the garbage” : Saheb is a ragpicker. Anees Jung sees him daily scrounging the garbage dumps. He came from Dhaka, which is in Bangladesh. He has no memory of his home. His family came away from Bangladesh because storms destroyed their homes and fields. Anees Jung asks him his full name. His full name is ‘Saheb-e-Alam,’ which means “Lord of the Universe”. This name is ironical as he is not the lord of even his own life. He leads a life of utter poverty and misery. He roams the streets with other ragpickers. Like them, he is also barefoot. They live in a state of perpetual poverty and cannot afford shoes or chappals.

Like many other families of ragpickers, Saheb’s family lives in Seemapuri. This is a dirty colony on the periphery of Delhi. About 10,000 ragpickers live there in miserable conditions. The colony shows no signs of development. The houses are made of mud and have roofs of tin and tarpaulin. The colony is devoid of sewage drainage or running water. They have lived for more than thirty years. They have no identity or permits. But they have ration cards that enable them to buy grain or to cast votes. For them food is more important than identity. Wherever they find food, they pitch their tents and become a transit camp.

One morning, the writer sees Saheb standing by the fenced gate of a club. He is watching two young men playing tennis. He tells her that he likes the game. Saheb is also wearing tennis shoes. These were given to him by a rich boy because there is a hole in one of the shoes. Now Saheb works in a tea stall. He gets 800 rupees plus meals. The writer observes that Saheb’s face has lost its carefree look. He is no longer his own master.
“I want to drive a car.”

Now the writer describes the life of another poor boy. His name is Mukesh. His family works in a bangle factory. He lives in a dusty street of Firozabad. This town is famous for its bangles. It is the center of India’s glass-blowing factory. Like other poor families of the town, Mukesh’s family has been making bangles for generations. But Mukesh has dreams in his eyes. He wants to be a motor mechanic. He says that he wants to learn to drive a car.

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The author says that more than 20,000 children work in the bangle factories of Firozabad. They do not know that it is illegal for children to work in the glass furnaces with high temperatures. They work in dark cells without air and light. They live in miserable conditions. The author visits Mukesh’s home. He lives in a stinking lane, choked with garbage. The houses in the streets are just hovels with crumbling walls and no windows. They are crowded with families of humans and animals.

Then they enter: Mukesh’s home. It is a half-built rough hut. In one part of it, the roof is covered with dry grass. There is firewood stove. A frail woman is cooking the evening meal for the family. She is the wife of Mukesh’s elder brother. Mukesh’s father is a poor bangle maker. He has been making bangles for many long years. Yet he has not been able to renovate the house and to send his two sons to schools. He could just teach them the art of bangle-making. Mukesh’s grandfather had gone blind with the dust from polishing the glass of bangles.

There is great poverty in the families of these bangle makers. But they cannot give up their profession. They are born in the caste of bangle makers. They have nothing but bangles in their houses. In dark hutments, boys and girls sit with their fathers and mothers, welding pieces of coloured glass into circles of bangles. They work by flickering oil lamps.

The author meets a young girl in a dull pink dress, sitting alongside an elderly woman. The girl’s name is Savita. She is welding the pieces of glass. Her hands move mechanically while doing so. The author wonders whether she knows the sanctity of bangles. They symbolise an Indian woman’s ‘suhaag’. They stand for auspiciousness in marriage. Perhaps she will realise it one day when she herself becomes a bride.

These poor people have no money to do any other work except carry on the business of making bangles. Years of mind-numbing toil have killed all initiative and the ability to dream. The author asks some young men why they do not organise themselves into a cooperative. They say that even they make an attempt to do, they will be hauled up by the police, beaten and dragged to jail for doing something illegal.

The author realises that there are two distinct worlds. One is the world of the family, caught in a web of poverty. The other is the world of moneylenders, the middlemen and the policeman, the bureaucrats and the politicians. They all exploit the poor bangle makers. Mukesh’s eyes are full of hope. The author asks him if he dreams of flying an aeroplane. He says ‘no’ and is content to dreams of cars which he sees moving down the streets of his town. The child accepts his destiny as his father had accepted it.

(“कई बार मुझे कबाड़ में से एक रुपया मिल जाता है।” साहेब कबाड़ बीनने वाला है। अनीस जंग उसे हररोज कूड़े के ढेर के पास खोजबीन करते हुए देखती है। वह ढाका से आया था जो कि बंगलादेश में है। उसे अपने घर की कोई याददाश्त नहीं है। उसका परिवार बंगला देश से पलायन कर आया था क्योंकि तूफान में उनका घर और खेत नष्ट हो चुके थे। अनीस जंग उससे उसका पूरा नाम पूछती है। उसका पूरा नाम है ‘साहिब-ए-आलम’ जिसका अर्थ है ‘दुनिया का मालिक’। यह नाम व्यंग्यात्मक है क्योंकि वह तो खुद अपने जीवन का भी मालिक नहीं है। वह पूर्ण गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करता है। वह कबाड़ बीनने वाले दूसरे लड़कों के साथ गलियों में घूमता है। उनकी तरह वह भी नंगे पाँव है। वे कभी समाप्त न होने वाली गरीबी की स्थिति में रहते हैं और जूते या चप्पलें भी नहीं जुटा सकते हैं।

कबाड़ इकट्ठा करने वालों के अन्य बहुत-से परिवारों की तरह, साहेब का परिवार भी सीमापुरी में रहता है। यह दिल्ली की परिधि पर बसी एक गंदी बस्ती है। लगभग 10,000 कबाड़ इकट्ठा करने वाले वहाँ दयनीय स्थिति में रहते हैं। कॉलोनी में विकास का कोई संकेत नहीं है। मकान मिट्टी से बने हुए हैं और उनकी छतें टिन और तिरपाल से बनी हुई हैं। कॉलोनी मल निकासी और जलापूर्ति रहित है। वे तीस सालों से अधिक से यहाँ रह रहे हैं।

उनका कोई पहचान-पत्र या अनुमति पत्र नहीं है। लेकिन उनके पास राशन-कार्ड है। जिससे वे अनाज प्राप्त कर सकते हैं और वोट डाल सकते हैं। उनके लिए पहचान-पत्र की अपेक्षा राशन अधिक जरूरी है। जहाँ कहीं भी उन्हें भोजन मिल जाता है वे अपने तंबू गाड़ देते हैं और एक अस्थायी कैंप बना लेते हैं। एक सुबह लेखिका साहेब को एक क्लब में गेट के पास खड़े देखती है। वह दो नवयुवकों को टेनिस खेलते हुए देख रहा है। वह उसे बताता है कि वह उस खेल को पसंद करता है।

साहेब ने भी टेनिस के जूते पहन रखे हैं। उसको ये एक अमीर लड़के के द्वारा दिए गए थे क्योंकि एक जूते में सुराख हो गया था। अब साहेब एक चाय की दुकान पर काम करता है। उसे भोजन के साथ 800 रुपये मिलते हैं। लेखिका देखती है कि साहेब के चेहरे के चिंतामुक्त भाव खो गए हैं। अब वह अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा है।

“मैं कार चलाना चाहता हूँ।” अब लेखिका एक-दूसरे गरीब लड़के का वर्णन करती है। उसका नाम मुकेश है। उसका परिवार एक चूड़ियों के कारखाने में काम करता है। वह फिरोजाबाद की एक धूलभरी गली में रहता है। यह कस्बा अपनी चूड़ियों के कारण प्रसिद्ध है। यह भारत के काँच उद्योग का केंद्र है। कस्बे के अन्य गरीब परिवारों की भाँति, मुकेश का परिवार भी कई पीढ़ियों से चूड़ियाँ बनाने का काम कर रहा है। लेकिन मुकेश की आँखों में सपने हैं। वह एक मोटर मकैनिक बनना चाहता है। वह कहता है कि वह कार चलाना सीखना चाहता है।

लेखिका कहती है कि फिरोज़ाबाद के चूड़ियाँ बनाने वाले कारखानों में 20,000 से अधिक बच्चे काम कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते हैं कि इतने उच्च तापमान पर काँच पिघलाने वाले इन उद्योगों में बच्चों का भारी काम करना उनके लिए गैर-कानूनी है। वे बिना हवा और प्रकाश के अंधेरे कमरों में काम करते हैं। वे दयनीय परिस्थितियों में रहते हैं। लेखिका मुकेश के घर जाती है। वह एक बदबूदार गली में रहता है जो कि कबाड़ से भरी पड़ी है। उस गली के घर जीर्ण-शीर्ण दीवारों वाले छप्पर है और उनमें खिड़कियाँ नहीं हैं। उनमें मनुष्यों और पशुओं की भीड़ है। तब वे मुकेश के घर में प्रवेश करते हैं। यह एक आधी-अधूरी बनी भद्दी-सी झोपड़ी है। इसके एक भाग में, छत सूखी घास से ढकी हुई है। इसमें लकड़ी से चलने वाला चूल्हा रखा है।

एक दुबली-पतली महिला परिवार के लिए शाम का भोजन पका रही है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। मुकेश का पिता एक गरीब चूड़ी निर्माता है। वह बहुत सालों से चूड़ियाँ बना रहा है। लेकिन फिर भी वह अपने घर की मुरम्मत नहीं करवा सका और न ही अपने दो बेटों को स्कूल भेज सका। वह उन्हें केवल चूड़ियाँ बनाने की कला ही सिखा पाया। मुकेश के दादा जी चूड़ियों के काँच पर पॉलिश करते हुए धूल के कारण अंधे हो गए थे।

इन चूड़ी निर्माताओं के परिवारों में बहुत अधिक गरीबी है। लेकिन वे अपना पेशा नहीं छोड़ सकते हैं। उनका जन्म चूड़ी निर्माताओं की जाति में हुआ है। उनके घरों में चूड़ियों के सिवाय कुछ भी नहीं मिलता है। अंधेरी झोंपड़ियों में लड़के और लड़कियाँ अपने माता-पिता के साथ बैठकर रंगीन काँच के टुकड़ों को गोल चूड़ियों के रूप में जोड़ते हैं। वे तेल के दिए जलाकर काम करते हैं।

लेखिका एक छोटी लड़की से मिलती है जिसने फीके गुलाबी रंग की पोशाक पहन रखी थी और वह एक वृद्ध महिला के पास बैठी थी। लड़की का नाम सविता है। वह काँच के टुकड़ों को जोड़ रही है। ऐसा करते हुए उसके हाथ मशीन की तरह चल रहे हैं। लेखिका हैरान होती है कि क्या उस लड़की को चूड़ियों की पवित्रता का पता है। ये एक भारतीय महिला के ‘सुहाग’ का प्रतीक हैं। ये शादी में शुभ मानी जाती हैं। शायद उसे इसके बारे में एक दिन पता चल जाएगा जब वह दुल्हन बनेगी।

इन गरीब लोगों के पास चूड़ी बनाने के इस पेशे को जारी रखने के सिवाय और कोई काम करने के लिए धन नहीं है। मन को चेतना शून्य कर देने वाले वर्षों के परिश्रम ने उनकी सभी रुचियों और स्वप्नों को मार दिया है। लेखिका कुछ नवयुवकों से पूछती है कि वे स्वयं को एक सहकारी समिति के रूप में संगठित क्यों नहीं करते हैं। वे कहते हैं कि यदि वे ऐसा करने का प्रयास भी करते हैं तो पुलिस उन्हें खींच लेगी और उनकी पिटाई करके उन्हें गैर-कानूनी कार्य करने के जुर्म में जेल में डाल देगी। लेखिका महसूस करती है कि दो भिन्न-भिन्न प्रकार का संसार है। एक संसार तो गरीबी के जाल में फंसे हुए परिवारों का है। दूसरा संसार साहूकारों, मध्यमवर्ग के लोगों और पुलिस वालों, अधिकारियों और राजनीतिज्ञों का है।

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वे सभी गरीब चूड़ी निर्माताओं का शोषण करते हैं। मुकेश की आँखें आशा से भरी हैं। लेखिका उससे पूछती है कि क्या वह हवाई जहाज उड़ाने का स्वप्न देखता है। वह कहता है “नहीं” और वह तो कार चलाने के सपने से ही संतुष्ट है जो कि उसे अपने कस्बे में गली से नीचे की ओर आती हुई जान पड़ती है। बच्चा अपने भाग्य को स्वीकार कर लेता है जैसे उसके पिता ने स्वीकार कर लिया था।)

The Lost Spring Word Meanings

[Page 13] :
Garbage (rubbish) = कूड़ा-कर्कट;
encounter (come across) = भेंट करना;
scrounging (searching for something)=किसी चीज़ को खोजना;
dumps (heaps)=ढेर;
amidst (in the middle of) =के बीच में;
distant (faroff) =से दूर;
swept away (washed away) = तहस-नहस करना;
else (any other thing) =अन्य वस्तु;
mutters (grumbles)= दुःख व्यक्त करना;
glibly (easily)= आसानी से;
hollow (empty) खाली;
sound (seem) = प्रतीत होना।

[Page 14] :
Broadly (widely)= चौड़ा ;
embarrassed (confused) = व्याकुल;
abound (in plenty)= प्रचुरता में;
bleak (dark, cheerless)= अंधेरा, उदास;
hard time (difficult time)= मुश्किल समय;
unaware (ignorant)= उपेक्षा करना;
represents (stands for)= पक्ष लेना;
roams (wanders) = घूमना;
barefoot (without shoes) = बिना जूतों के;
disappear (go out of sight)= नज़र न आना;
match (equal)= बराबर;
shuffles (keeps shifting)= बदलते रहना ;
lack (shortage)= कमी;
owned (possess) = अधिकार रखना;
tradition (custom)=रिवाज़;
wonder (surprise) = हैरान ।

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(Page 15) :
Excuse (pretext) = बहाना;
perpetual (never ending) = निरन्तर;
drowned (submerged)= डुबा देना;
Falt; briefly (for a short period)= संक्षेप में;
desolation (ruin) = विनाश;
panting (breathing heavily)= जोर से सांस लेना;
ragpickers (those who pickrags)= कूड़ा बीनने वाले;
acquaintance (introduction)= परिचय;
periphery (border) = सीमा रेखा;
metaphorically (symbolically) = लाक्षणिक रूप से;
squatters (illegal settlers)= गैर-काननी स्थापित होना;
wilderness (desolate area)= निर्जन स्थान;
tarpaulin (coarse waterproof cloth) = तिरपाला;
devoid (without)= रहित;
sewage (slush)= कीचड़;
identity (recognition)= पहचान;
grain (corn)= अनाज;
survival (living)= जीवन;
aching (paining)= पीड़;
tattered (torn to pieces) = फटा-पुराना;
transit (passing, temporary)= अस्थायी;
proportions(forms) = भाग, अंश |

[Page 16]:
Heap (mound)= मिट्टी का टीला;
wrapped (covered)= ढका हुआ;
fenced (having a fence around) = चारदीवारी;
content(satisfied)= सन्तुष्ट;
swing(to sway)= झूलना;
discarded (given up/in disuse) = छोड़ना;
intently (attentively)= अभिलाषा;
canister (tin) =

[Page 17]:
Insists (stresses)= मिट्टी का टीला;
announce (declare)= ढका हुआ;
mirage (false appearance)=झूठा दिखाना;
furnace (hearth)= भट्ठी;
illegal (against the law)= नियम के विरुद्ध;
dingy (dark and dirty) = काला और गन्दा;
slog (toil) = कठिन परिश्रम;
beam (brighten) = चमकीला;
volunteers (offers himself) = स्वयं सेवक;
stinking (foul smelling) = गन्दी दुर्गन्ध;
choked (blocked) = रोकना;
hovels (sheds) = छप्पर;
crumbling (falling) = गिरना;
wobbly (unstable)= अस्थिर;
primeval(very ancient) = आदियुगीन;
thatched (having a roofofstraw) = छप्पर;
vessel (utensil)= बर्तन;
spinach (a leafy vegetable) = पालक;
platters (large plates) = बड़ी थालियाँ;
frail (delicate)= कमज़ोर ।

[Page 18] :
Command (order) = आदेशः
bahu (daughter-in-law) = पुत्रवधू;
veil (face cover) = घूँघट;
impoverished (very poor)= बहुत गरीब;
despite (in spite of)= बावजूद;
renovate (repair) = मुरम्मत करना;
implies means) = अभिप्राय, अर्थ;
spirals (coils) = चक्कर;
mound heap = ढेर:
unkempt (messy/untidy) = कंघी न किया हुआ/अस्त-व्यस्त;
shanty (hut)=झोंपड़ी;
flickering (shining unsteadily)= अस्थिर चमकना;
drabdull =नीरस;
soldering (welding)= धातु जोड़ने का टांका;
suhaag (auspiciousness in marriage) = शादी का सौभाग्य;
dyed (coloured)= रग किया;
henna (mehandi) = मेंहदी।

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[Page 19]:
Entire (complete) = समूचा;
achieved (got) =प्राप्त करना;
echo (reflected sound)= अनुकरण ध्वनि गूँज;
organise (unite) = इकट्ठा करना;
vicious (wicked) = दुष्ट;
trapped (cheated)=छल-कपट;
hauled up (dragged ) = खींचना;
apathy (indifference) = विमुखता;
distinct (clear) = स्पष्ट।

[Page 20]:
Stigma (mark of disgrace) = धब्बा;
bureaucrats (officials) = नौकरशाही;
imposed (burdened forcibly) = प्रभावशाली दबाव;
flash (dazzle of light) = चमक;
murmur (grumble) = बड़बड़ाहट;
regret (repentance) = पश्चाताप;
hurtling (clattering) = बक-बक करना |

The Lost Spring Translation in Hindi

“Sometimes I find a Rupee in the garbage’ (कई बार मुझे कचरे में रुपया मिल जाता है।) “Why do you do this ?” I ask Saheb whom I encounter every morning scrounging for gold in the garbage dumps of my neighborhood. Saheb left his home long ago. Set amidst the green fields of Dhaka, his home is not even a distant memory. There were many storms that swept away their fields and homes, his mother tells him. That’s why they left, looking for gold in the big city where he now lives. “I have nothing else to do,” he mutters, looking away.

(“तुम यह काम क्यों करते हो ?” मैं साहेब से पूछती हूँ जब मैं प्रतिदिन कूड़े के ढेर में सोने की खोज करते हुए पड़ोस में उससे मिलती हूँ। साहब अपने घर से बहुत पहले ही आ गया था। ढाका के हरे खेतों के बीच में बने अपने घर की उसे जरा भी याद नहीं है। उसकी माँ उसे बताती है कि बहुत से तूफान आए जो उनके घरों और खेतों को बहाकर ले गए। यही कारण है कि वे सोने की तलाश में उस बड़े शहर में आ गए जहाँ वह अब रहता है। “मेरे पास और कोई काम नहीं है”, एक तरफ देखते हुए वह बड़बड़ाता है।)

“Go to school,” I say glibly, realising immediately how hollow the advice must sound. “There is no school in my neighbourhood. When they build one, I will go.” “If I start a school, will you come ?” I ask, half-joking. “Yes,” he says, smiling broadly. A few days later I see him running up to me. “Is your school ready ?” “It takes longer to build a school,” I say, embarrassed at having made a promise that was not meant. But promises like mine abound in every corner of his bleak world.

(“स्कूल जाओ”, मैं बिना विचारे कह देती हूँ परन्तु तुरन्त ही ध्यान आता है कि यह सलाह कितनी खोखली प्रतीत होती होगी। “मेरे आस-पास कोई स्कूल नहीं है। जब बन जाएगा तो मैं जाऊँगा।” “अगर मैं एक स्कूल शुरु करूँ तो क्या तुम आओगे ?” मैंने मजाकपूर्ण ढंग से पूछा। “हाँ,” एक चौड़ी मुस्कराहट से वह कहता है। कुछ दिन बाद मैं उसे भागकर अपने पास आता देखती हूँ। “क्या आपका स्कूल तैयार है ?” एक झूठे वायदे से असमंजस में पड़ी मैं कहती हूँ, “स्कूल बनाने में अधिक समय लगता है।” परन्तु मेरे जैसे वायदे तो उसकी अन्धेरी दुनिया में बहुत पड़े हैं।)’

After months of knowing him, I ask him his name. “Saheb-e-Alam,” he announces. He does not know what it means. If he knew its meaning-lord of the universe-he would have a hard time believing it. Unaware of what his name represents, he roams the streets with his friends, an army of barefoot boys who appear like the morning birds and disappear at noon. Over the months, I have come to recognise each of them. “Why aren’t you wearing chappals ?”I ask one. “My mother did not bring them down from the shelf,” he answers simply.

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(उसे जानने के कई महीने बाद मैं उससे उसका नाम पूछती हूँ। “साहब-ए-आलम,” वह कहता है। वह नहीं जानता कि इसका क्या अर्थ है ? अगर वह इसका अर्थ जानता होता-ब्रह्माण्ड का स्वामी तो उसे विश्वास करना मुश्किल हो जाता। अपने नाम के अर्थ से अनभिज्ञ, वह अपने मित्रों के साथ घूमता रहता है, यह नंगे-पैर वाले लड़कों की ऐसी सेना है जो सुबह पक्षियों की तरह नजर आते हैं और दोपहर होते-होते गायब हो जाते हैं। कई महीनों के बाद, अब मैं उनमें से प्रत्येक को पहचानने लगी हूँ। “तुमने चप्पल क्यों नहीं पहन रखी है ?” मैं उनमें से एक से पूछती हूँ। “मेरी माँ ने उन्हें सेल्फ से नीचे नहीं उतारा,” वह सादा-सा उत्तर देता है।)

“Even if she did he will throw them off,” adds another who is wearing shoes that do not match. When I comment on it, he shuffles his feet and says nothing. “I want shoes,” says a third boy who has never owned a pair all his life. Traveling across the country I have seen children walking barefoot, in cities, on village roads. It is not lack of money, but a tradition to stay barefoot is one explanation. I wonder if this is only an excuse to explain away a perpetual state of poverty.

(“यदि वह उतार भी देती तो ये उनको फेंक देता”, एक दूसरा कहता है जो ऐसे जूते पहने हुए है जो एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। जब मैंने इस पर टिप्पणी की, तो वह कुछ नहीं कहता, बस एक पैर से दूसरे पर खड़ा होता है। “मुझे जूते चाहिएँ”, एक तीसरा लड़का कहता है जिसने अपने जीवन में कभी जूते नहीं पहने थे। देश का भ्रमण करते हुए मैंने शहरों में गाँव की सड़कों पर नंगे पैर घूमते बच्चों को देखा है। एक स्पष्टीकरण यह है कि यह पैसे की कमी के कारण नहीं है बल्कि नंगे पैर रहना परम्परा के कारण है। मैं हैरान हुई कि क्या यह एक लगातार चलती गरीबी को उचित ठहराने का बहाना है।)

I remember a story a man from Udipi once told me. As a young boy he would go to school past an old temple, where his father was a priest. He would stop briefly at the temple and pray for a pair of shoes. Thirty years later I visited his town and the temple, which was now drowned in an air of desolation. In the backyard, where lived the new priest, there were red and white plastic chairs. A young boy dressed in a grey uniform, wearing socks and shoes, arrived panting and threw his school bag on a folding bed.

Looking at the boy, I remembered the prayer another boy had made to the goddess when he had finally got a pair of shoes, “Let me never lose them.” The goddess had granted his prayer. Young boys like the son of the priest now wore shoes. But many others like the ragpickers in my neighbourhood remain shoeless.

(मुझे एक कहानी याद आती है जो मुझे उडीपी के एक व्यक्ति ने सुनाई थी। जब वह छोटा लड़का था तब एक मन्दिर के पास से गुजरते हुए स्कूल जाता था, जहाँ उसका पिता एक पुजारी था। वह मन्दिर में एक जोड़ी जूते के लिए प्रार्थना करने के लिए थोड़ी देर रुकता था। तीस वर्ष बाद मैं उसके कस्बे में और उस मन्दिर में गई, जो अब वीरान था। पीछे के आँगन में, जहाँ नया पुजारी रहता था, लाल और सफेद प्लास्टिक की कुर्सियाँ थीं। एक छोटा लड़का

भूरे रंग की ड्रेस पहने हुए, जूते व जुराबें पहने हुए हाँफता हुआ आया और अपना बैग फोल्डिंग चारपाई पर फेंक दिया। बच्चे को देखते ही मुझे एक दूसरे लड़के द्वारा जूतों की जोड़ी के लिए देवी को की गई वह प्रार्थना याद आई जब उसे अन्त में एक जोड़ी जूते मिल गए थे–“मेरे यह जूते कभी गुम न हो।” देवी उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर चुकी थी। नौजवान लड़के अब पुजारी के बेटे की तरह जूते पहनते थे। परन्तु मेरे पड़ोस के कचरा बीनने वालों की तरह और भी हैं जो जूतों के बिना रहते हैं।)

My acquaintance with the barefoot ragpickers leads me to Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically. Those who live here are squatters who came from Bangladesh back in 1971. Saheb’s family is among them. Seemapuri was then a wilderness. It still is, but it is no longer empty. In structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin, devoid of sewage, drainage or running water, live 10,000 ragpickers. They have lived here for more than thirty years without an identity, without permits but with ration cards that get their names on voters’ lists and enable them to buy grain.

Food is more important for survival than an identity. “If at the end of the day we can feed our families and go to bed without an aching stomach, we would rather live here than in the fields that gave us no grain,” say a group of women in tattered saris when I ask them why they left their beautiful land of green fields and rivers. Wherever they find food, they pitch their tents that become transit homes. Children grow up in them, becoming partners in survival. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of a fine art. Garbage to them is gold. It is their daily bread, a roof over their heads, even if it is a leaking roof. But for a child it is even more.

(कूड़ा बीनने वालों से मेरी पहचान मुझे सीमापुरी ले आती है, जो ऐसा स्थान है जो दिल्ली के किनारे बसा है लेकिन रूपक के रूप में कहूँ तो दिल्ली से बड़ी दूर है। यहाँ रहने वाले वे अनाधिकृत निवासी हैं जो बहुत पहले 1971 में बांग्लादेश से आए थे। साहेब का परिवार भी उन्हीं में से एक है। सीमापुरी उन दिनों एक वीरान स्थान था। अभी भी है पर अब खाली नहीं है। यहाँ दस हजार कूड़ा बीनने वाले मिट्टी के ढाँचों में टिन और टारपालिन से बनी छतों के नीचे रहते हैं और यहाँ सीवेज, नालियाँ या पानी के कनेक्शन नहीं हैं। बिना किसी पहचान के वे यहाँ तीस से अधिक वर्षों से रह रहे हैं, उनके पास परमिट नहीं पर राशनकार्ड हैं जिनसे उनका नाम वोटर लिस्ट में आ जाता है और उससे वे अनाज खरीद सकते हैं।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

जिन्दा रहने के लिए पहचान से अधिक भोजन की जरूरत होती है। “अगर दिन ढलने पर हम अपने परिवार को खाना दे सकें और बिना खाली पेट के सो सकें तो उन खेतों की अपेक्षा पर जिनसे कोई अनाज नहीं मिलता था, हम यहाँ रहना अधिक पसन्द करेंगे,” फटी साड़ियाँ पहने औरतों का एक समूह यह बात तब मुझे बताता है जब मैं उनसे पूछती हूँ कि उन्होंने अपने हरे-भरे खेतों और नदियों को क्यों छोड़ दिया। जहाँ भी उन्हें भोजन मिलता है, वहाँ वे अपना टेंट गाड़ देते हैं जो उनका अस्थायी घर बन जाता है।

बच्चे वहाँ बड़े होते हैं और जीवित रहने की क्रिया के हिस्सेदार बन जाते हैं। और सीमापुरी में जीवित रहने का मतलब है कूड़ा बीनना। वर्षों के बीतने के साथ इसने एक ललित कला का रूप ले लिया है। कूड़ा उनके लिए सोना है। यह उनकी आजीविका है, उनके सिर के ऊपर की छत है फिर चाहे वह टपकती हुई क्यों न हो। परन्तु एक बच्चे के लिए यह और अधिक है।)

“I sometimes find a rupee, even a ten-rupee note,” Saheb says, his eyes lighting up. When you can find a silver coin in a heap of garbage, you don’t stop scrounging, for there is hope of finding more. It seems that for children garbage has a meaning different from what it means to their parents. For the children it is wrapped in wonder, for the elders it is a means of survival.

One winter morning I see Saheb standing by the fenced gate of the neighbourhood club, watching two young men dressed in white, playing tennis. “I like the game,” he hums, content to watch it standing behind the fence. “I go inside when no one is around,” he admits. “The gatekeeper lets me use the swing.”

(“कभी-कभी मुझे एक रुपया मिल जाता है, दस का नोट भी,” साहेब कहता है, उसकी आँखों में चमक है। अगर तुम्हें किसी कूड़े के ढेर में चाँदी का सिक्का मिल जाए तो तुम बीनना बन्द नहीं कर दोगे, क्योंकि और पाने की आशा बनी रहती है। ऐसा लगता है कि बच्चों के लिए कूड़े का अर्थ वह नहीं है जो उनके माँ-बाप के लिए है। बच्चों के लिए यह हैरानी से लिपटा है, बड़ों के लिए इसका अर्थ जीवित रहना है।

सर्दियों की एक सुबह पड़ोस के क्लब के बाड़ वाली गेट पर मैं साहेब को खड़ा देखती हूँ जो सफेद कपड़े पहने दो युवकों को टेनिस खेलता देख रहा है। “मुझे यह खेल पसन्द है,” बाड़े के पीछे खड़ा सन्तुष्टि से खेल को देखता हुआ वह कहता है। “जब कोई आस-पास नहीं होता तब मैं अन्दर चला जाता हूँ,” वह स्वीकार करता है। “चौकीदार मुझे झूला झूलने देता है।”)

Saheb too is wearing tennis shoes that look strange over his discoloured shirt and shorts. “Someone gave them to me,” he says in the manner of an explanation. The fact that they are discarded shoes of some rich boy, who perhaps refused to wear them because of a hole in one of them, does not bother him. For one who has walked barefoot, even shoes with a hole is a dream come true. But the game he is watching so intently is out of his reach.

(साहेब ने भी टेनिस के जूते पहने हुए हैं जो उसकी बदरंग कमीज और निक्कर के साथ अजीब लगते हैं। “किसी ने वे मुझे दिए थे,” वह सफाई देने के लहजे में कहता है। यह तथ्य कि वे किसी धनवान बच्चे के छोड़े हुए जूते थे जिसने उन्हें पहनने से मना कर दिया था, क्योंकि उनमें एक सुराख हो गया था, भी उसे परेशान नहीं करता। उस बच्चे के लिए जो नंगे पैर घूमता हो, सुराख वाले जूते भी उसका सपना पूरा होना जैसा है। परन्तु वह खेल जिसको वह इतने ध्यान से देख रहा था वह उसकी पहुँच से बाहर है।)

This morning, Saheb is on his way to the milk booth. In his hand is a steel canister. “I now work in a tea stall down the road,” he says, pointing in the distance. “I am paid 800 rupees and all my meals.” Does he like the job? I ask. His face, I see, has lost the carefree look. The steel canister seems heavier than the plastic bag he would carry so lightly over his shoulder. The bag was his. The canister belongs to the man who owns the tea shop. Saheb is no longer his own master!

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(आज सुबह साहेब मिल्क बूथ की तरफ जा रहा है। उसके हाथ में स्टील का एक डिब्बा है। “मैं अब सड़क के उस तरफ चाय की दुकान पर काम करता हूँ,” दूर इशारा करता हुआ वह कहता है। “मुझे 800 रुपए और पूरा भोजन मिलता है।” क्या उसे काम पसन्द है ? मैं पूछती हूँ। मैं देखती हूँ कि उसके चेहरे से बेफिक्री का भाव गायब हो गया है। स्टील का डिब्बा उस प्लास्टिक के बैग से भारी लगता है जिसे वह आराम से अपने कन्धे पर उठाया करता था। बैग उसका था। डिब्बा चाय की दुकान के मालिक का था। अब साहेब खुद का मालिक नहीं रह गया था!)

“I want to drive a car” . (“मैं एक कार चलाना चाहता हूँ”) Mukesh insists on being his own master. “I will be a motor mechanic,” he announces. “Do you know anything about cars ?” I ask. (मुकेश खुद का मालिक बनने की जिद्द करता है। “मैं एक मोटर मैकेनिक बनूँगा”, वह कहता है। “क्या तुम कारों के बारे में कुछ जानते हो ?” मैं पूछती हूँ।)

“I will learn to drive a car,” he answers, looking straight into my eyes. His dream looms like a mirage amidst the dust of streets that fill his town Firozabad, famous for its bangles. Every other family in Firozabad is engaged in making bangles. It is the center of India’s glass-blowing industry where families have spent generations working around furnaces, welding glass, making bangles for all the women in the land it seems.

(“मैं कार चलाना सीलूँगा,” सीधा मेरी आँखों में देखते हुए, वह उत्तर देता है। उसके सपने मृगतृष्णा की तरह गलियों की धूल से ऊपर उठे हुए हैं जो उसके शहर फिरोज़ाबाद को पूरी तरह भर देती है, फिरोज़ाबाद जो चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद में हर एक परिवार चूड़ियाँ बनाने के धन्धे में लगा हुआ है। यह भारत के ग्लास उद्योग का केन्द्र है जहाँ पर परिवारों ने, ऐसा प्रतीत होता है, भट्टियों के चारों ओर काम करते हुए ग्लास को वैल्ड करते हुए, यहाँ की सभी औरतों के लिए चूड़ियाँ बनाने में पीढ़ियाँ गुजार दी हैं।)

Mukesh’s family is among them. None of them know that it is illegal for children like him to work in the glass furnaces with high temperatures, in dingy cells without air and light; that the law, if enforced, could get him and all those 20,000 children out of the hot furnaces where they slog their daylight hours, often losing the brightness of their eyes. Mukesh’s eyes beam as he volunteers to take me home, which he proudly says is being rebuilt. We walk down stinking lanes choked with garbage, past homes that remain hovels with crumbling walls, wobbly doors, no windows, crowded with families of humans and animals coexisting in a primeval state.

He stops at the door of one such house, bangs a wobbly iron door with his foot, and pushes it open. We enter a half-built shack. In one part of it, thatched with dead grass, is a firewood stove over which sits a large vessel of sizzling spinach leaves. On the ground, in large aluminum platters, are more chopped vegetables. A frail young woman is cooking the evening meal for the whole family. Through eyes filled with smoke she smiles. She is the wife of Mukesh’s elder brother.

Not much older in years, she has begun to command respect as the bahu, the daughter-in-law of the house, already in charge of three men her husband, Mukesh and their father. When the older man enters, she gently withdraws behind the broken wall and brings her veil closer to her face. As custom demands, daughters-in-law must veil their faces before male elders. In this case, the elder is an impoverished bangle maker. Despite long years of hard labour, first as a tailor, then a bangle maker, he has failed to renovate a house, send his two sons to school. All he has managed to do is teach them what he knows the art of making bangles.

(मकेश का परिवार भी उन्हीं में से एक है। उनमें से कोई नहीं जानता कि हवा और प्रकाश से वंचित अन्धेरी कोठरियों में ऊँचे तापक्रम वाली शीशे की भट्टी पर काम करना उस जैसे बच्चों के लिए गैर-कानूनी है। अगर कानून लागू किया गया तो वह और उसके जैसे 20000 बच्चे उन गर्म भट्टियों से छुटकारा पा सकते हैं जहाँ वे अपना दिन का समय बिताते हैं और प्रायः अपनी आँखों की चमक खो देते हैं। मुझे अपने घर ले चलने का आग्रह करते हुए मुकेश की आँखों में चमक आ जाती है। गर्व के साथ वह कहता है कि उसके घर को फिर से बनाया जा रहा है। हम कूड़े से बन्द बदबूदार गलियों को पार करते हैं, गिरती हुई दीवारों वाली झोपड़ियाँ जिन्हें घर कहते हैं, इनके कमजोर दरवाजे हैं, खिड़कियाँ नहीं हैं, मानव और पशुओं के परिवार प्राचीन जमाने की हालत में साथ-साथ रहते हैं। ऐसे ही एक दरवाजे पर वह रुकता है, लोहे के एक कमजोर दरवाजे पर वह जोर से ठोकर मारता है और धक्का देकर खोलता है।

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हम एक अधबने झोपड़ी में प्रवेश करते हैं। सूखे घास के छप्पर से ढके इसके एक हिस्से में लकड़ी से जलने वाला चूल्हा है जिस पर एक बड़े बर्तन में पालक की पत्तियाँ उबल रही हैं। और कटी हुई सब्जियाँ बड़े एल्यूमीनियम के थालों में जमीन पर रखी हैं। एक कमजोर युवती पूरे परिवार का शाम का खाना बना रही है। धुएँ भरी आँखों से वह मुस्कुराती है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। उम्र में कोई खास अधिक नहीं है लेकिन घर की बहू के रूप में आदर पाना प्रारम्भ कर दिया है, तीन पुरुषों का दायित्व उसे मिल ही चुका है-उसका पति, मुकेश और इनके पिता का। जब बुजुर्ग व्यक्ति अन्दर आता है, वह धीरे से टूटी दीवार के पीछे चली जाती है और अपना धूंघट अपने चेहरे पर डाल लेती है। रिवाज की माँग है कि बहू को घर के बड़े पुरुषों के सामने मुँह ढकना चाहिए। यहाँ बुजुर्ग एक गरीब चूड़ी बनाने वाला है। पहले दर्जी और फिर चूड़ी निर्माता के रूप में वर्षों तक कठिन परिश्रम करने के बाद भी वह न तो अपने घर की मरम्मत करवा सका है और न ही अपने दोनों लड़कों को स्कूल भेज सका है। वह केवल इतना ही कर सका है कि उन्हें वह सिखा दे जो वह जानता है-चूड़ियाँ बनाने की कला।)

“It is his karma, his destiny,” says Mukesh’s grandmother, who has watched her own husband to blind with the dust from polishing the glass of bangles. “Can a god-given lineage ever be broken ?” she implies. Born in the caste of bangle makers, they have seen nothing but bangles-in the house, in the yard, in every other house, every other yard, every street in Firozabad. Spirals of bangles-sunny gold, paddy green, royal blue, pink, purple, every colour born out of the seven colours of the rainbow-lie in mounds in unkempt yards, are piled on four-wheeled handcarts, pushed by young men along the narrow lanes of the shanty town.

And in dark hutments, next to lines of flames of flickering oil lamps, sit boys and girls with their fathers and mothers, welding pieces of coloured glass into circles of bangles. Their eyes are more adjusted to the dark than to the light outside. That is why they often end up losing their eyesight before they become adults.

(“यह उसका कर्म है, उसका भाग्य,” मुकेश की दादी कहती है जिसने अपने पति को शीशे की चूड़ियों पर पालिश करने वाली धूल से अन्धे होते हुए देखा है। उसका अभिप्राय है, “क्या भगवान के लिखे प्रारब्ध को मिटाया जा सकता है ?” चूड़ी वालों की जाति में जन्म लेकर उन्होंने चूड़ियों के अलावा कुछ नहीं देखा है-घर में, आँगन में और हर दूसरे घर में, फिरोज़ाबाद की हर गली में। चूड़ियों के गुच्छे-धूप सी सुनहरी, धान सी हरी, गहरी नीली, गुलाबी, बैंगनी, हर उस रंग की जो इन्द्रधनुष के सात रंगों में होता है-बेतरतीब आँगनों में उनके ढेर लगे होते हैं, और उन चार पहियों वाली रेड़ियों पर ढेर लगा है जिन्हें इन गन्दे मकानों के शहर की गलियों में नवयुवक हाथ में खींचते हुए ले जाते हैं और अन्धेरी झोपड़ियों में टिमटिमाते तेल के लैम्पों की लौ के पास लड़के और लड़कियाँ अपनी माताओं और पिताओं के पास बैठे शीशे के रंगीन टुकड़ों को जोड़कर गोल चूड़ियाँ बनाते हैं। उनकी आँखें बाहर के प्रकाश की अपेक्षा अन्धेरे के अधिक अनुकूल हैं। यही कारण है कि प्रायः वयस्क होने के पहले ही वे अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं।)

Savita, a young girl in a drab pink dress, sits alongside an elderly woman, soldering pieces of glass. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make. It symbolizes an Indian woman’s suhaag, auspiciousness in marriage. It will dawn on her suddenly one day when her head is draped with a red veil, her hands dyed red with henna, and red bangles rolled onto her wrists. She will then become a bride.

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Like the old woman beside her who became one many years ago. She still has bangles on her wrist, but no light in her eyes. “Ek waqt ser bhar khana bhi nahin khaya,” she says, in a voice drained of joy. She has not enjoyed even one full meal in her entire lifetime that’s what she has reaped! Her husband, an old man with a flowing beard, says, “I know nothing except bangles. All I have done is make a house for the family to live in.”

(फीके गुलाबी रंग की ड्रेस पहने सविता नाम की लड़की, एक बुजुर्ग महिला के पास बैठी शीशे के टुकड़ों को जोड़ रही है। किसी मशीन के चिमटे की तरह उसके हाथ यन्त्रवत चलते रहते हैं, मैं सोचती हूँ कि क्या उसे उन चूड़ियों की पवित्रता के बारे में कुछ पता है जिन्हें बनाने में वह सहायता कर रही है। यह एक भारतीय महिला के सुहाग की निशानी है और विवाह में शुभ मानी जाती है। इसका पता उसे एक दिन अचानक ही लगेगा जब उसके सिर पर लाल दुपट्टा होगा, उसके हाथ लाल मेंहदी से रंगे होंगे और लाल चूड़ियाँ उसके हाथों की कलाई में चढ़ा दी जाएँगी। तब वह दुल्हन बन जाएगी।

अपने पास बैठी उस बुजुर्ग महिला की तरह जो बहुत पहले दुल्हन बनी थी। उसके हाथों में अब भी चूड़ियाँ हैं पर आँखों में रोशनी नहीं है। “एक वक्त सेर भर खाना भी नहीं खाया,” प्रसन्नता रहित आवाज में वह कहती है। उसने अपने पूरे जीवन में कभी भर-पेट खाना नहीं खाया यह है उसकी कमाई। लहराती हुई दाढ़ी वाला उसका बूढ़ा पति कहता है, “मुझे चूड़ियों के अलावा कुछ नहीं पता। मैंने सिर्फ इतना किया है कि परिवार के रहने के लिए मकान बनवा लिया है।”)

Hearing him, one wonders if he has achieved what many have failed in their lifetime. He has a roof over his head!
The cry of not having money to do anything except carry on the business of making bangles, not even enough to eat, rings in every home. The young men echo the lament of their elders. Little has moved with time, it seems, in Firozabad. Years of mind-numbing toil have killed all initiative and the ability to dream. “Why not organise yourselves into a cooperative ?” I ask a group of young men who have fallen into the vicious circle of middlemen who trapped their fathers and forefathers.

“Even if we get organized, we are the ones who will be hauled up by the police, beaten and dragged to jail for doing something illegal,” they say. There is no leader among them, no one who could help them see things differently. Their fathers are as tired as they are. They talk endlessly in a spiral that moves from poverty to apathy to greed and to injustice.

(उसकी बात सुनकर लगता है कि उसने कुछ ऐसा पा लिया है जो बहुत से लोग अपनी जीवन में नहीं कर पाते हैं। उसके सिर के ऊपर छत है। चड़ी के धन्धे को चलाने के अतिरिक्त किसी अन्य काम के लिए धन का न होना, पेट भर भोजन के भी न होने की चीख हर घर में सुनाई देती है। नवयुवक भी अपने बड़ों के अफसोस को दोहराते हैं। लगता है कि फिरोज़ाबाद में समय के साथ कुछ नहीं बदला है। दिमाग को सुन्न कर देने वाले वर्षों के परिश्रम ने सारी नेतृत्व क्षमता और स्वप्न देखने की सामर्थ्य को नष्ट कर दिया है।

“तुम लोग स्वयं को इकट्ठा करके एक सहकारी संस्था क्यों नहीं बनाते ?” मैं नौजवानों के एक समूह से पूछती हूँ जो बिचौलियों के कभी न निकलने वाले जाल में फँस गए हैं जिनके जाल में उनके पिता और पूर्वज फँसे थे। “यदि हम संगठित हो भी जाते हैं, तो पुलिस हमें ही घसीटती है, पीटती है और जेल में फेंक देती है, कुछ गलत करने के जुर्म में, वे कहते हैं। उनका कोई नेता नहीं है, कोई नहीं जो उनकी कुछ अलग तरह से देखने में सहायता करें। उनके पिता भी इतने थके हुए हैं जितने कि वे खुद हैं। वे न खत्म होते हुए एक चक्कर में बातें करते हैं जो उनकी गरीबी से उनकी दयनीयता, लालच और अन्याय तक चलता रहता है।”)

Listening to them, I see two distinct worlds-one of the family, caught in a web of poverty, burdened by the stigma of caste in which they are born; the other a vicious circle of the sahukars, the middlemen, the policemen, the keepers of law, the bureaucrats and the politicians. Together they have imposed the baggage on the child that he cannot put down. Before he is aware, he accepts it as naturally as his father. To do anything else would mean to dare. And daring is not part of his growing up.

When I sense a flash of it in Mukesh I am cheered. “I want to be a motor mechanic,” he repeats. He will go to a garage and learn. But the garage is a long way from his home. “I will walk,” he insists. “Do you also dream of flying a plane ?” He is suddenly silent. “No,” he says, staring at the ground. In his small murmur there is an embarrassment that has not yet turned into regret. He is content to dream of cars that he sees hurtling down the streets of his town. Few airplanes fly over Firozabad.

(उनकी बात सुनकर मुझे दो भिन्न संसार नजर आते हैं-एक परिवार का, जो गरीबी में फंसा और अपने जन्म की जाति के कलंक से दबा है, दूसरा साहूकारों, दलालों, सिपाहियों, कानून के रखवालों, सरकारी अफसरों और राजनीतिज्ञों का है। इन सबने मिलकर बच्चे के ऊपर वह बोझ डाल दिया है जिसे वह नहीं उतार सकता। कुछ चेतना आने से पहले ही वह इसे अपने पिता की तरह स्वाभाविक रूप से स्वीकार कर लेता है। कुछ और करने का अर्थ होगा हिम्मत करना। और हिम्मत करना उसके पालन-पोषण का हिस्सा नहीं है।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

जब मैं मुकेश के अन्दर इसकी एक चिंगारी देखती हूँ तो मैं खुश हो जाती हूँ। “मैं एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता हूँ,” वह दोहराता है। वह गैरेज में जाएगा और सीखेगा। पर गैरेज तो उसके घर से बहुत दूर है। “मैं पैदल चलूँगा,” वह जिद्द करता है। “क्या तुम जहाज उड़ाने का सपना भी रखते हो ?” वह अचानक चुप हो जाता है। “नहीं,” धरती की ओर देखता हुआ वह कहता है। उसकी इस छोटी-सी बुड़बुड़ाहट में एक असमंजस है जो अभी पश्चात्ताप में नहीं बदला है। वह उन कारों के सपनों से सन्तुष्ट है जिन्हें वह अपने शहर की गलियों में भागता देखता है। फिरोज़ाबाद के ऊपर जहाज बहुत कम उड़ते हैं।)

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HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

HBSE 12th Class Political Science भारतीय राजनीति : नए बदलाव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
उन्नी-मुन्नी ने अखबार की कुछ कतरनों को बिखेर दिया है। आप इन्हें कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें
(क) मण्डल आयोग की सिफ़ारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा
(ख) जनता दल का गठन
(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस
(घ) इन्दिरा गांधी की हत्या
(ङ) राजग सरकार का गठन
(च) संप्रग सरकार का गठन
(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम।
उत्तर:
(क) इन्दिरा गांधी की हत्या (सन् 1984)
(ख) जनता दल का गठन (सन् 1988)
(ग) मण्डल आयोग की सिफ़ारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा (सन् 1990)
(घ) बाबरी मस्जिद का विध्वंस (सन् 1992)
(ङ) राजग सरकार का गठन (सन् 1999)
(च) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम (सन् 2002)
(छ) संप्रग सरकार का गठन (सन् 2004)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में मेल करें
(क) सर्वानुमति की राजनीति – (i) शाहबानो मामला
(ख) जाति आधारित दल – (ii) अन्य पिछड़ा वर्ग का उभार
(ग) पर्सनल लॉ और लैंगिक न्याय – (iii) गठबन्धन सरकार
(घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत – (iv) आर्थिक नीतियों पर सहमति
उत्तर:
(क) सर्वानुमति की राजनीति – (iv) आर्थिक नीतियों पर सहमति
(ख) जाति आधारित दल – (ii) अन्य पिछड़ा वर्ग का उभार
(ग) पर्सनल लॉ और लैंगिक न्याय – (i) शाहबानो मामला
(घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत – (iii) गठबन्धन सरकार

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 3.
1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे क्या रहे हैं ? इन मुद्दों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं ?
उत्तर:
1989 के बाद भारतीय राजनीति में जो मुद्दे उभरे, उनमें कांग्रेस का कमज़ोर होना, मण्डल आयोग की सिफारिशें एवं आन्दोलन, आर्थिक सुधारों को लागू करना, राजीव गांधी की हत्या तथा अयोध्या मामला प्रमुख हैं। इन सभी मुद्दों ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की तथा भारत में गठबन्धनवादी सरकारों का युग शुरू हुआ जो वर्तमान समय में भी जारी है।

1989 में वी०पी० सिंह की सरकार को आश्चर्यजनक ढंग से वाम मोर्चा एवं भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही समर्थन दिया, इसी तरह आगे चलकर अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कई ऐसे दलों ने आपस में समझौता किया, जोकि परस्पर कट्टर विरोधी थे, उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी का समझौता, भारतीय जनता पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी का समझौता तथा दक्षिण में कांग्रेस एवं डी० एम० के० पार्टी का समझौता इत्यादि। ये सभी समझौते 1989 के बाद बने गठबन्धन सरकारों के कारण ही हुए।

प्रश्न 4.
“गठबन्धन की राजनीति के इस नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते हैं।’ इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-से तर्क देंगे ?
उत्तर:
इसके लिए अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में (निबन्धात्मक प्रश्न) प्रश्न नं० 13 देखें।

प्रश्न 5.
आपात्काल के बाद के दौर में भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। इस दौर में इस पार्टी के विकास-क्रम का उल्लेख करें।
उत्तर:
आपात्काल के बाद निस्संदेह भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। सन् 1980 में अपनी स्थापना के बाद भाजपा भारतीय राजनीति में सदैव आगे ही बढ़ती रही। 1989 के नौवीं लोकसभा चुनाव में इसे 88 सीटें प्राप्त हुईं तथा इसके समर्थन से जनता दल की सरकार बनी। 1996 में हुए 11 वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई तथा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व के केन्द्र में पहली बार सरकार का निर्माण किया।

1998 में हुए 12वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने सर्वाधिक 181 सीटें जीतकर पुन: वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई। 1999 में हुआ 13वीं लोकसभा का चुनाव भाजपा ने राजग के घटक के रूप में लड़ा तथा इस गठबन्धन ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। अतः एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने गठबन्धन सरकार बनाई। इस पार्टी ने अप्रैल-मई, 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में 138 एवं अप्रैल-मई, 2009 में हुए 15वीं लोकसभा चुनाव में 116 सीटें जीतकर, दोनों बार लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

2014 एवं 2019 में हुए 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने क्रमश: 282 एवं 303 सीटें जीतकर लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया तथा श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का निर्माण किया। केन्द्र के अतिरिक्त भाजपा ने समय-समय पर उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अमस, त्रिपुरा, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, दिल्ली, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश तथा हरियाणा में अपने दम पर सरकारें बनाई तथा पंजाब, महाराष्ट्र उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, बिहार तथा गोवा जैसे राज्यों में गठबन्धन सरकार का निर्माण किया।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है। इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
देश की राजनीति पर से, यद्यपि कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त हो गया है, परन्तु अभी कांग्रेस का असर कायम है। क्योंकि अब भी भारतीय राजनीति कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घूम रही है तथा सभी राजनीतिक दल अपनी नीतियां एवं योजनाएं कांग्रेस को ध्यान में रखकर बनाते हैं। 2004 के 14वीं एवं 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनावों में इसने अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में सरकार बनाई।

इसके साथ-साथ जुलाई, 2007 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में भी इस दल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। अतः कहा जा सकता है कि कमज़ोर होने के बावजूद भी कांग्रेस का असर भारतीय राजनीति पर कायम है। यद्यपि 2014 एवं 2019 में 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को केवल 44 एवं 52 सीटें ही मिल पाई थीं।

प्रश्न 7.
अनेक लोग सोचते हैं कि सफल लोकतन्त्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था ज़रूरी है। पिछले बीस सालों के भारतीय अनुभवों को आधार बनाकर एक लेख लिखिए और इसमें बताइए कि भारत की मौजूदा बहुदलीय व्यवस्था के क्या फायदे हैं ?
उत्तर:
भारत में बहुदलीय प्रणाली है। कई विद्वानों का विचार है कि भारत में बहु-दलीय प्रणाली उचित ढंग से कार्य नहीं कर पा रही है तथा यह भारतीय लोकतन्त्र के लिए बाधाएं पैदा कर रही है। अत: भारत को द्वि-दलीय प्रणाली अपनानी चाहिए। परन्तु पिछले बीस सालों के अनुभव के आधार पर यहा कहा जा सकता है कि बहु-दलीय प्रणाली से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निम्नलिखित फायदे हुए हैं

1. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व-बहु-दलीय प्रणाली के कारण भारतीय राजनीति में सभी वर्गों तथा हितों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। इस प्रणाली से कच्चे लोकतन्त्र की स्थापना होती है।

2. मतदाताओं को अधिक स्वतन्त्रता-अधिक दलों के कारण मतदाताओं को अपने वोट का प्रयोग करने के लिए अधिक स्वतन्त्रताएं होती हैं। मतदाताओं के लिए अपने विचारों से मिलते-जुलते दल को वोट देना आसान हो जाता है।

3. राष्ट दो गुटों में नहीं बंटता-बहु दलीय प्रणाली होने के कारण भारत कभी भी दो विरोधी गुटों में विभाजित नहीं हुआ।

4. मन्त्रिमण्डल की तानाशाही स्थापित नहीं होती-बहु-दलीय प्रणाली के कारण भारत में मन्त्रिमण्डल तानाशाह नहीं बन सकता।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें
उत्तर:
भारत की दलगत राजनीति ने कई चुनौतियों का सामना किया है। कांग्रेस-प्रणाली ने अपना खात्मा ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस के जमावड़े के बिखर जाने से आत्म-प्रतिनिधित्व की नयी प्रवृत्ति का भी ज़ोर बढ़ा। इससे दलगत व्यवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की इसकी क्षमता पर भी सवाल उठे। राजव्यवस्था के सामने एक महत्त्वपूर्ण काम एक ऐसी दलगल व्यवस्था खड़ी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढ़ने की है, जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें…
(क) इस अध्याय को पढ़ने के बाद क्या आप दलगत व्यवस्था की चुनौतियों की सूची बना सकते हैं ?
(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना क्यों ज़रूरी है ?
(ग) इस अध्याय में आपने अयोध्या विवाद के बारे में पढ़ा। इस विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की?
उत्तर:
(क) इस अध्याय में दलगत व्यवस्था की निम्नलिखित चुनौतियां उभर कर सामने आती हैं

  • गठबन्धन राजनीति को चलाना
  • कांग्रेस के कमजोर होने से खाली हुए स्थान को भरना
  • पिछड़े वर्गों की राजनीति का उभरना
  • अयोध्या विवाद का उभरना
  • गैर-सैद्धान्तिक राजनीतिक समझौतों का होना
  • गुजरात दंगों से साम्प्रदायिक दंगे होना।

(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना जरूरी है, क्योंकि तभी भारत अपनी एकता और अखण्डता को बनाए रखकर विकास कर सकता है।

(ग) अयोध्या विवाद भारत के राजनीतिक दलों के सामने साम्प्रदायिकता की चुनौती पेश की तथा भारत में साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक दलों की राजनीति बढ़ गई।

भारतीय राजनीति : नए बदलाव HBSE 12th Class Political Science Notes

→ भारत में 1990 के दशक से लोकतान्त्रिक उमड़ एवं गठबन्धन राजनीति में वृद्धि हुई है।
→ 1989 तक भारत में केवल दो ही राजनीतिक दलों (कांग्रेस एवं जनता पार्टी) के पास सत्ता रही।
→ 1989 से लेकर अब तक सत्ता कई दलों में विभाजित रही।
→ भारतीय जनता पार्टी ने गठबन्धन राजनीति को अलग स्वरूप प्रदान करते हुए राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का निर्माण किया।
→ 1989 के पश्चात् केन्द्र सरकार के निर्माण में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव अधिक रहा।
→ 1988 में जनता दल की स्थापना हुई तथा 1989 के चुनावों में जीत हासिल कर के इस दल ने सरकार बनाई।
→ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 में हुई।
→ 1989 के पश्चात् भारत में गठबन्धन या मिली-जुली सरकारों की अधिकता रही है।
→ गठबन्धनवादी सरकार के मुख्य उदाहरण राष्ट्रीय मोर्चा सरकार, संयुक्त मोर्चा सरकार, राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार है।
→ 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार बनी।
→ 2014 के 16वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार बनी।
→ 2019 के 17वीं लोकसभा के पश्चात् केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में पुनः राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार बनी।

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HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You

Haryana State Board HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You

HBSE 9th Class English If I Were You Textbook Questions and Answers

Thinking about the Text

I. Answer these questions.

If I Were You Question Answers HBSE 9th Class Question 1.
“At last a sympathetic audience.”
(“अंततः एक पैर्यवान श्रोता तो मिला।”)

(i) Who says this?
(यह कौन कहता है ?)
Answer:
Gerrard says this
(ऐसा जिराई कहता है।)

(ii) Why does he say it?
(उसने ऐसा क्यों कहा?)
Answer:
Gerrard lived all alone in his cottage. There was no one who could listen his tale, how he was stolen by the gypsies when he was a small child. When the intruder asked him to tell about himself, he made this statement.

(में बिल्कल अकेला रहता था। उसके पास कोई नहीं रहता था जिसको वह सुना सकता कि किसी प्रकार से खानाबदोशों ने उसको चुरा लिया था जब वह एक छोटा-सा बालक था। जब घुसपैठिया उसे अपने बारे में बताने को कहता है तो वह यह कथन कहता है।)

(iii) Is he sarcastic or serious ?
(क्या वह दिखावा कर रहा है या गंभीरता से कह रहा है।)
Answer:
He is just sarcastic.
(वह मात्र दिखावा कर रहा है।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You

If I Were You Question Answer HBSE 9th Class Question 2.
Why does the intruder choose Gerrard as the man whose identity he wants to take on?
(घुसपेठिया जिराई को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में क्यों चुनता है जिसका वह वेश धारण कर सकता है?)
Answer:
The intruder resembled Gerrard. He could easily kill Gerrard because he lived all alone. So he chooses Gerrard as the man whose identity he wants to take on

(घुसपैठिए की शक्ल जिराई से मिलती थी। वह जिराई को आसानी से मार सकता था, क्योंकि वह बिल्कुल अकेला रहता था। इसलिए वह जिराई को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में चुनता है जिसकी पहचान वह धारण कर सकता है।)

Class 9th Beehive Chapter 11 Question Answer HBSE Question 3.
“Isaid it with bullets.”
(“मैंने इसका जवाब गोलियों से दिया।”)

(i) Who says this?
(ऐसा कौन कहता है ?)
Answer:
Gerrard says this.
(ऐसा जिराई कहता है।)

(ii) What does it mean?
(इसका क्या अर्थ है ?)
Answer:
It means that once he had fired to escape from a difficult situation.
(इसका अर्थ यह है कि एक बार उसने एक विकट स्थिति से बचने के लिए गोली चला दी थी।)

(iii) Is it the truth ? What is the speaker’s reason for saying this?
(क्या यह बात सच है? ऐसा कहने के पीछे वक्ता का क्या कारण है ?)
Answer:
No, it is not the truth. The speaker’s reason for saying this is to save his life from the intruder.
(नहीं, यह बात सच नहीं है। वक्ता के ऐसा कहने के पीछे मुख्य कारण घुसपैठिए से अपनी जान बचाना था।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You

Question 4.
What is Gerrard’s profession ? Quote the parts of the play that support your answer.
(जिराई का व्यवसाय क्या है ? नाटक में से वाक्य लिखिए जो आपके उत्तर का समर्थन करते हो।)
Answer:
Gerrard is a playwright. He says that he has had a spot of bother-quite amusing. He thinks he will put it in his next play.

(जिराई एक नाटककार है। वह कहता है कि उसे काफी दिक्कत में एक रोचक कहानी मिल गई है। वह इसे अपने अगले नाटक में लेने के बारे सोच रहा है।)

Question 5.
“You’ll soon stop being smart.”
(“तुम जल्दी ही चालाक बनना बंद कर दोगे।”)

(i) Who says this?
(ऐसा कौन कहता है ?)
Answer:
The intruder says this.
(यह घुसपैठिया कहता है।)

(ii) Why does the speaker say it?
(वक्ता वह क्यों कहता है ?)
Answer:
The speaker says this to make Mr Gerrard frighten so that he may get the answer to his questions.
(वक्ता मि. जिराई से यह बात इसलिए कहता है ताकि वह उसे भयभीत करके अपने प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर सके।)

(iii) What according to the speaker will stop Gerrard from being smart?
(बक्ता के अनुसार जिराई को क्या चीज चालाकी दिखाने से रोक देगी ?)
Answer:
According to the speaker his revolver will stop Gerrard from being smart.
(वक्ता के अनुसार उसकी रिवाल्वर जिराई को चालाकियों को दिखाने से रोक देगी।)

Question 6.
“They can’t hang me twice.”
(“वे मुझे दो बार फांसी पर नहीं लटका सकते।”)

(i) Who says this?
(ऐसा कौन कहता है ?)
Answer:
The intruder says this.
(यह घुसपैठिया कहता है।)

(ii) Why does the speaker say it ?
(वक्ता यह बात क्यों कहता है ?)
Answer:
The intruder has committed a murder. He has killed a policeman. He can be hanged for this crime. So now he has become carefree. He would not hesitate in killing another person. He knows that he cannot be hanged twice for another murder.

(घुसपैठिए ने एक हत्या कर दी है। उसने एक सिपाही को मार दिया है। उसे इसके लिए फांसी हो सकती है। इसलिए अब वह चिंतामुक्त है। वह दूसरे आदमी को मारने में संकोच नहीं करेगा। वह जानता है कि एक और खून कर दिए जाने पर उसे दो बार फांसी नहीं हो सकती।)

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Question 7.
“A mystery I propose to explain.” What is the mystery the speaker proposes to explain?
(“एक रहस्य जिसकी में व्याख्या करना चाहता हूँ।” वह क्या रहस्य है जिसकी वक्ता व्याख्या करना चाहता है ।)
Answer:
The mystery Gerrard proposes to explain is that he is also a criminal. He says that he is a murderer and the police is also in search of him. That is why he lives in a mysterious way. He says that he often disappears from there. He tells the intruder that if he killed him, he would be hanged, if not as himself, then as Gerrard.

(जिराई जिस रहस्य को व्याख्या करना चाहता है वह है कि वह भी एक अपराधी है। वह कहता है कि वह एक हत्यारा है और पुलिस उसके पीछे पड़ी हुई है। यही कारण है कि वह रहस्यपूर्ण परिस्थितियों में रहता है। वह कहता है कि वह प्रायः उस स्थान से गायब हो जाता है। वह घुसपैठिए को बताता है कि यदि उसने उसको मार दिया तो उसे यदि उसके रूप में फांसी नहीं हुई तो जिराई के रूप में फांसी अवश्य हो जाएगी।)

Question 8.
“This is your big surprise.”
(“यह तुम्हारे लिए एक बड़ी हैरानी की बात है।”)

(i) Where has this been said in the play ?
(नाटक में यह बात कहाँ पर कही गई है ?)
Answer:
This statement has been said by Gerrard in the last scence of the play when he starts telling a cock up story to the intruder about his past.
(यह कथन जिराई के द्वारा नाटक के अंतिम दृश्य में उस समय कहा गया है जब वह घुसपैठिए को अपने भूतकाल के बारे में एक मनगढ़ंत कहानी सुनाना शुरू करता है।)

(i) What is the surprise?
(आश्चर्य क्या है ?)
Answer:
The surprise is that the person whom the intruder is going to disguise is himself a big criminal. The police is hunting him badly.
(रहस्य की बात तो यह है कि घुसपैठिया जिस व्यक्ति का वेश धारण करने जा रहा है वह स्वयं में एक बड़ा अपराधी है। पुलिस उसके पीछे बुरी तरह से पड़ी हुई है।)

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Thinking about language

I. Consult your dictionary and choose the correct word from the pairs given in brackets.

1. The (site, cite) of the accident was (ghastly/ ghostly).
2. Our college (principle/ principal) is very strict.
3. I studied (continuously/ continually) for eight hours.
4. The fog had an adverse (affect/ effect) on the traffic.
5. Cezanne, the famous French painter, was a brilliant (artist/artiste).
6. The book that you gave me yesterday is an extraordinary (collage/college) of science fiction and mystery.
7. Our school will (host/hoist) an exhibition on cruelty to animals and wildlife conservation.
8. Screw the lid tightly on to the top of the bottle and (shake/shape) well before using the contents
Answer:
1. site, ghastly
2. principal
3. continuously
4. effect
5. artist
6. college
7. host
8. shake.

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II. Irony is when we say one thing but mean another, usually the opposite of what we say. When someone makes a mistake and you say, “Oh! that was clever!”, that is irony. You’re saying “clever” to mean “not clever”.

Expressions we often use in an ironic fashion are :

  • Oh, wasn’t that clever! / Oh that was clever!
  • You have been a great help, I must say!
  • You’ve got yourself into a lovely mess, haven’t you?
  • Oh, very funny!/How funny!

We use a slightly different tone of voice when we use these words ironically.

Read the play carefully and find words and expressions Gerrard uses in an ironic way. Then say what these expressions really mean. Two examples have been given below. Write down three more such expressions along with what they really mean.

What the author saysWhat he means
Why, this is a surprise, Mr – er-He pretends that the intruder is a social visitor whom he is welcoming. In this way he hides his fear.
At last a sympathetic audience!He pretends that the intruder wants to listen to him, whereas actually the intruder wants to find out information for his own use.

Answer:

1. That is a disguise outfit.He pretends that he himself is in a false disguise wearing false decorations but actually it was not so.
2. Come on! They’re after us.He asks the intruder to hurry up to go with him but actually he wants the intruder not to go out.

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Dictionary use

A word can mean different things in different contexts. Look at these three sentences:

  • The students are taught to respect different cultures.
  • The school is organising a cultural show.
  • His voice is cultured.

In the first sentence, ‘culture’ (noun) means way of life’, in the second, ‘cultural’ (adjective) means connected with art, literature and music; and in the third, ‘cultured’ (verb) means sophisticated, well mannered. Usually a dictionary helps you identify the right meaning by giving you signposts.

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Look at the dictionary entry on ‘culture’ from Oxford Advanced Learner’s Dictionary, 2005.
HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You -1
(Noun, verb, adjective, adverb, synonyms, etc, are signposts which help you locate the right meaning and usage, and give information about the part of speech that the world is.)

Look up the dictionary entries for the words sympathy, familiarity, comfort, care and surprise. Use the information given in the dictionary and complete the table.

NounAdjectiveAdverbVerbMeaning
sympathy
familiarity
comfort
care
surprise

Answer:

NounAdjectiveAdverbVerbMeaning
sympathysympatheticsympatheticallysympathiseto show feeling of kindness
familiarityfamiliarfamiliarlyfamiliarfamous
comfortcomfortablecomfortablycomfortprovide easy feeling
carecarefulcarefullycaredExpress concern
surprisesurprisedsurprisinglysurpriseExpression of exclaimation

Speaking

Question 1.
Imagine you are Gerrard. Tell your friend what happened when the Intruder broke into your house.
[Clues: Describe (i) the intruder- his appearance, the way he spoke, his plan, his movements etc. (ii) how you outwitted him.]
Answer:
Do it yourself.

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Question 2.
Enact the play is the class. Pay special attention to words given in italics, before a dialogue. These words will tell you whether the dialogue has to be said in a happy, sarcastic or ironic tone and how the characters move and what they do as they speak. Read these carefully before you enect the play.
Answer:
Do it yourself.

Writing:

I. Which of the words below describe Gerrard and which describe the intruder?

smallhumorousclever
beautifulcoolconfident
flashywittynonchalant

Write a paragraph each about Gerrard and the Intruder to show what qualities they have. (You can use some of the words given above.)
Answer:
Gerrard:
Gerrard the real hero of the story is presented as a smart fellow. He is cool and confident. When the Intruder enters his room, he does not get nervous. He remains cool and calm. He deals with the Intruder very intelligently and traps him. He show a high presence of mind. When he comes to know to real motive of the Intruder, he makes a plan, He cocks up a false story and saves his life.

Intruder:
The Intruder is presented as a nonchalant fellow. He is clever enough to design a plan to kill Gerrard and disguide himself as Gerrard but he is not tactful enough to execute his plan. He is made foolish by Gerrard and is made imprisoned in a cupboard.

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II. Convert the play into a story (150-200 words’). Your story should be as exciting and as witty as the play. Provide a suitable title to it.
Answer:

Man in the Cupboard

Gerrard is a playwright. He lives at a lonely place. He lives all alone. One day as he is getting ready to go out somewhere, suddenly a man enters silently from the right. He has a revolver in his hand. This intruder is a criminal. He orders Gerrard to put up his hands. Gerrard obeys him but is not afraid. He talks pleasantly to the Intruder. The Intruder warns to stop being smart and answers his questions. Gerrard says he cannot feel comfortable while his hands are up. The Intruder asks him to sit in a chair.

From their conversation, we come to know that Gerrard’s full name is Vincent Charles Gerrard. He has a car also. He is a sort of mystery man. Something he is here and the very next day he is nowhere to be seen. He gives his orders on phone and never meets tradesmen.

Then the Intruder tells Gerrard about himself. He is a criminal. He has killed a policeman. Now the police are after him. He knows that he bears a resemblance to Gerrard. Then he tells his plan to Gerrard. He has decided to kill Gerrard and live there under the identity of Gerrard. From the intruder’s way of talking, Gerrard guesses that he is a foolish, boastful man. It would not be difficult to get rid of this man.

Gerrard makes up a story. He says that he is also a criminal and a murderer. The police are also in search of him. That is why he lives in a mysterious way. He often disappears from there. He tells the Intruder that it would be a folly to kill him. He killed him, he would be hanged, if not as himself, then as Gerrard.

The Intruder begins to think. This is an apportunity for Gerrard. He offers to take the Intruder to a safe place in his car. He asks him to hurry up as the police may come there any time. The Intruder is taken in. Gerrard opens a door and asks the Intruder to enter it. He tells him that the door goes to the garge and they will escape in his car. Just the Intruder turns his head to step in, Gerrard pushes him and knocks the revolver out of his hand.

Then he shuts the door and locks it. In fact, the door does not lead to any garage. It is the door of his cupboard. The Intruder shouts from inside to let him out. But Gerrard picks up the phone and tells the police to come. In this way, Gerrard saves his life by a clever trick.

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HBSE 9th Class English If I Were You Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Who enters Gerrard’s cottage ?
Answer:
An intruder enters Gerrard’s cottage.

Question 2.
Why did the intruder enter Gerrard’s cottage ?
Answer:
He wanted to kill Gerrard and disguise himself as Gerrard.

Question 3.
How did Gerrard react to find the intruder in his room ?
Answer:
He was cool and calm to see the intruder. :

Question 4.
What did Gerrard tell the intruder about his childhood ?
Answer:
Gerrard told the intruder that in childhood he was stolen by the gypsies.

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Question 5.
What was Gerrard’s Christian name ?
Answer:
His Christian name was Vincent Charles.

Question 6.
What did the Intruder tell Gerrard about his speciality ?
Answer:
The intruder told Gerrard that his speciality was jewel robbery.

Question 7.
What did the intruder wanted to know of Gerrard ?
Answer:
He wanted to know of Gerrard, how he talked and how he met people.

Question 8.
Why did the intruder want to hurt but not to kill Gerrard ?
Answer:
He wanted to hurt him and get answer to his questions before killing him.

Question 9.
Where does the incident of the play take place?
Answer:
The incident takes place in Gerrard’s cottage. .

Question 10.
What crime had the intruder committed ?
Answer:
The intruder had killed a policeman.

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Question 11.
Where did Gerrard imprison the intruder ?
Answer:
Gerrard imprisoned the intruder in the cupboard.

Short Answer Type Questions

Question 1.
Who is intruder and what kind of man is he?
(घुसपैठिया कौन है और वह किस किस्म का आदमी है?)
Answer:
The intruder was a criminal. He was a jewel thief resembled Gerrard. He had committed a murder. He made a plan to save himself from the police. He decided that after killing Gerrard he would take on his identity and live without any fear.

(घुसपैठिया एक अपराधी था। वह आभूषणों की चोरी करने वाला एक जिराई था। उसने एक हत्या कर दी थी। उसने स्वयं को पुलिस से बचाने के लिए एक योजना बनाई। उसने निर्णय किया कि जिराई को मारकर वह उसकी पहचान हासिल कर लेगा और बिना किसी भय के रह सकेगा।)

Question 2.
Why did the intruder want Gerrard to speak to him?
(घुसपैठिया क्यों चाहता था कि जिराडे उससे बातें करे ?)
Answer:
The intruder wanted to take on Gerrard’s identity after killing him. But before killing him he wanted to know how Gerrard talked and how he dealt with people. He could know this only when Gerrard spoke with him. So he wanted him to speak with him.

(एसपैठिया जिराई को मारकर उसकी पहचान हासिल करना चाहता था। लेकिन उसे मारने से पहले वह जानना चाहता था कि जिराई कैसे बातें करता है और कैसे लोगों से व्यवहार करता है। वह यह तभी जान सकता था जब जिराई उससे बातें करता। इसलिए वह चाहता था कि जिराई उसके साथ बातें करे।)

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Question 3.
What crime had the intruder committed?
(घुसपैठिए ने क्या अपराध किया था ?)
Answer:
The intruder was a jewel thief. When he was being chased by the police, he killed a policeman. So he was wanted for murder also.

(घुसपैठिया आभूषणों की चोरी करता था। जब पुलिस उसका पीछा कर रही थी तो उसने एक सिपाही को मार दिया था। इसलिए हत्या के अपराध में भी उसकी तलाश थी।)

Question 4.
Why did he send for the sergeant?
(उसने साजेंट को क्यों बुला भेजा ?)
Answer:
A jewel thief and murderer entered Gerrard’s cottage. He wanted to kill Gerrard also. Gerrard shut the murderer in a cupboard. Then he phoned the police. He sent for the sergeant to get the intruder arrested.

(एक जेवरात का चोर और हत्यारा जिराई के घर में युस गया। वह जिराई को भी मारना चाहता था। जिराई ने उसे लकड़ी की अलमारी में बंद कर दिया। तब उसने पुलिस को टेलीफोन किया। उसने घुसपैठिए को गिरफ्तार करने के लिए सार्जेंट को बुला भेजा।)

Question 5.
How does Gerrard imprison the intruder and save his life?
(जिराई घुसपैठिए को कैसे बंदी बनाता है और अपना जीवन बचाता है )
Answer:
Gerrard asks the intruder to run away from there with him because the police may come any time. He opens a door. He says that this door leads to the garage. The intruder steps in. It was the cupboard door Gerrard pushes the intruder in and shuts the door. Thus he imprisons the intruder and save his life.

(जिराई घुसपैठिए से कहता है कि वह उसके साथ वहाँ से जल्दी से भाग चले क्योंकि पुलिस किसी भी समय आ सकती है। वह एक दरवाजा खोलता है। वह कहता है कि यह दरवाजा गरज की ओर जाता है। घुसपठिया दरवाजे के अदर कदम रखता है। यह लकड़ी की अलमारी का दरवाजा था। जिराई उसे अंदर धक्का दे देता है और दरवाजा बंद कर देता है। इस प्रकार से वह घुसपैठिए को बंदी बना लेता है और अपना जीवन बचा लेता है।)

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Essay Type Questions

Question 1.
Gerrard talks pleasantly with the intruder. Was he really pleased to see the criminal?
(जिराई पुसपैठिए से खुशी से बात करता है। क्या वह अपराधी को देखकर सचमुच खुश था ?)
Answer:
Gerrard is living alone in his house. One day an intruder enters his room. There is a gun in his hand and he threatens to kill Gerrard. But Gerrard does not panic. He is a clever man. He has understood that the criminal has evil intentions. He knows that if he fights with the intruder, he will be killed. So his best chance is to talk with the intruder in a friendly manner.

Even the intruder notes it and says that Gerrard is trying to be calm and careless. By talking pleasantly, Gerrard makes the intruder delay his plan of killing him. So Gerrard tells him that he is pleased to see him. We know that this is a lie. He was not really pleased to see the criminal By engaging the intruder in talks, Gerrard comes to know that he is not an intelligent man and it is not difficult to befool him. Gerrard’s behaviour shows that he is a sensible person. He knows how to behave in a crisis. In the end, he is able to lock the intruder in a cupboard and calls the police.

(जिराई अपने घर में अकेला रहता है। एक दिन एक घुसपैठिया उसके कमरे में प्रवेश करता है। उसके हाथ में बंदूक है और वह जिराई को मारने की धमकी देता है। लेकिन जिराई डरता नहीं है। वह एक चालाक व्यक्ति है। वह समझ गया था कि अपराधी में बुरी भावनाएं हैं। वह जानता है कि अगर वह घुसपैठिए से लड़ाई करेगा तो वह मारा जाएगा। इसलिए घुसपैठिए के साथ दोस्ताना तरीके से बात करना ही उसके लिए सबसे अच्छा उपाय था।

यहाँ तक कि घुसपैठिए ने भी इसे महसूस किया और कहता है कि जिराई शांत और लापरवाह होने की कोशिश कर रहा है। खुशी से बातें करते हुए जिराई घुसपैठिए को उसे मारने की योजना को टालने के लिए मनाता है। इसलिए जिराई उसे कहता है कि वह उसे देखकर खुश है। हम जानते हैं कि यह झूठ है। सचमुच वह अपराधी को देखकर खुश नहीं था।

घुसपैठिए को बातों में लगाकर जिराई को पता चलता है कि वह बुद्धिमान व्यक्ति नहीं है और उसे बेवकूफ बनाना मुश्किल नहीं है। जिराई का स्वभाव दर्शाता है कि वह एक समझदार व्यक्ति है। वह जानता है कि मुश्किल के समय कैसा बर्ताव करना है। अंत में वह घुसपैठिए को अलमारी में बंद करने और पुलिस को बुलाने में सफल हो जाता है।)

Question 2.
The intruder is boastful. He threatens Gerrard, “I’ll make you crawl.” Was he able to carry out his threat? What happened to him?
(सपेठिया शेखीबाज है। वह जिराई को धमकी देता है, “में तुम्हें रेंगने पर मजबूर कर दूंगा।” क्या वह अपनी धमकी को पूरा करने में सफल होता है ? उसके साथ क्या होता है ?)
Answer:
An intruder forcibly enters Gerrard’s room. There is a revolver in his hand. His intentions are evil. He threatens to kill Gerrard. But Gerrard talks pleasantly to him. The intruder is surprised. He thinks that Gerrard is playing a trick. He tells him to stop playing smart. He boasts that he is intelligent. He threatens Gerrard, “I’ll make you crawl.” But the subsequent happening shows that the intruder is a foolish person. Instead of making Gerrard crawl, he finds himself shut in a cupboard in the end

The intruder wanted to know more about Gerrard. But Gerrard makes him talk about himself. He discloses that he is a jewel thief. He has murdered a policeman. Now he is running from the police. He resembles Gerrard. His plan is to kill Gerrard and live in his room under his name. Gerrard guesses rightly that the intruder is not intelligent. He plays a clever game and shuts him in a cupboard. Then he calls the police. Thus the boast of the intruder is proved wrong.

(एक घुसपेठिया ज़बरदस्ती जिराई के कमरे में प्रवेश करता है। उसके हाथ में एक बंदूक है। उसके इरादे बुरे है। वह जिराई को मारने की धमकी देता है। लेकिन जिराई उससे खुशी से बातें करता है। घुसपैठिया हैरान होता है। वह सोचता है कि जिराई उसके साथ कोई चाल चल रहा है। वह उससे कहता है कि वह स्वयं को चालाक समझना बंद कर दे। वह डींग मारता है कि वह बद्धिमान है। वह जिराई को धमकी देता है कि, “मैं तुम्हें रेंगने पर मजबूर कर दूंगा। लेकिन बाद की घटनाएं बताती हैं कि कबेवकूफ व्यक्ति है।

जिराई को रेंगने पर मजबूर करने की बजाय, अंत में वह स्वयं को ही अलमारी में बंद पाता है। घुसपैठिया जिराई के बारे में और अधिक जानना चाहता था। लेकिन जिराई उसे अपने ही बारे में बोलने पर मजबूर कर देता है। वह बताता है कि वह गहनों का चोर है। उसने एक पुलिस वाले का खून किया है। अब वह पुलिस से भाग रहा है।

उसकी शक्ल जिराई से मिलती है। उसकी योजना जिराई को मारकर उसके कमरे में उसके नाम के साथ रहने की है। जिराई सही अनुमान लगाता है कि घुसपैठिया बुद्धिमान नहीं है। वह एक चतुर खेल खेलता है और उसे अलमारी में बंद कर देता है। तब वह पुलिस को बुलाता है। इस प्रकार घुसपैठिए की डींग गलत साबित होती है।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You

Question 3.
Gerrard says, “In most melodramas, the villain is foolish enough to delay his killing long enough to be frustrated.” Does this statement holds good for the play ‘If I Were You’?
(जिराई कहता है, “अधिकतर सनसनीखेज नाटकों में खलनायक इतना मूर्ख होता है कि वह हत्या को टालता रहता है और अंत में निराश हो जाता है।” क्या यह कवन इस नाटक If I Were You’ के बारे में सत्य है।
Answer:
In most melodramas, the playwright wants to make the hero successful. The villain in the play wants to kill the hero. But he presented as someone who is foolish. He goes on delaying the killing for one reason or the other. In the end, his plans are frustrated and the hero is able to get the better of him.

The same thing holds good of this play. In this play, the villain is the intruder. He resembles Gerrard. So he wants to kill Gerrard and live under his name. He has gathered a lot of information about Gerrard. But he does not know that Gerrard is a stage actor. He can act well.

Gerrard poses to be pleased on seeing the intruder. He talks to him in a tactful way. He makes the intruder talk about himself. Thus he goes on delaying the killing. This gives Gerrard enough time to plan to get rid of him. In the end, the intruder’s plan of killing Gerrard is frustrated and he is shut up in a cupboard.

(ज्यादातर सनसनीखेज नाटकों में नाटककार नायक को सफल बनाना चाहता है। नाटक में खलनायक नायक को मारना चाहता है। लेकिन उसे इस तरह प्रस्तुत किया जाता है जैसे कि वह कोई मर्ज है। वह किसी न किसी कारण से हत्या टालता रहता है। अंत में उसकी सभी योजनाएँ विफल हो जाती हैं और नायक उसे मात देने में कामयाब हो जाता है। यही बात इस नाटक के बारे में भी सत्य है।

इस नाटक में खलनायक एक घसपैठिया है। उसकी शक्ल जिराई से मिलती है। इसलिए वह जिराई को मारना और उसके नाम के साथ रहना चाहता है। उसने जिराई के बारे में बहुत जानकारी इकट्ठी की है। लेकिन वह नहीं जानता कि जिराई मंच का कलाकार है। वह अच्छी अदाकारी कर सकता है। जिराई ढोंग करता है कि वह घुसपैठिए को देखकर खुश हुआ है।

वह बहुत तरीके से उससे बात करता है। वह घुसपैठिए को अपने बारे में बोलने पर मजबूर करता है। इस प्रकार वह हत्या को टालता रहता है। इससे जिराई को पर्याप्त समय मिल जाता है कि वह उससे छुटकारा पाने के लिए योजना बना सके। अंत में घुसपैठिए की जिराई को मारने की योजना विफल हो जाती है और वह एक अलमारी में बंद हो जाता है।)

Question 4.
The best way to deal with a crisis is not to lose your calm. Discuss this statement with reference to the behaviour of Gerrard in the play.
(मुश्किल का सामना करने का सबसे अच्छा तरीका है अपने संयम को न खोना। इस कथन के नाटक में जिराई के व्यवहार के सदर्भ में विवेचना करो।)
Answer:
A cool person is more successful than a person who loses his temper or acts rashly. In this play, Gerrard saves his life by acting calmly. Moreover, he is able to catch the murderer also. It would not be possible if he lost his calm. An ordinary person is terrified on seeing an intruder with a gun in his hand. He acts foolishly.

The person fears that he may not harm him. So, generally, in such cases, the criminal kills his victim. But Gerrard does not lose his calmness and patience. He poses that he is pleased to see the intruder. He talks to him a friendly manner. He makes the criminal talk about himself. This gives Gerrard enough time to plan his line of action. Thus Gerrard was not frightened to see the intruder. This calmness saved his life.

(एक शांत दिमाग का व्यक्ति उस व्यक्ति से अधिक कामयाब होता है जो जल्दी गुस्सा होता है या जो बिना विचारे काम करता है। इस नाटक में जिराई संयम से काम करके अपना जीवन बचाता है। इसके अलावा, वह एक खूनी को पकड़ने में भी सफल होता है। ऐसा संभव नहीं होता अगर वह अपना संयम खो देता। एक साधारण व्यक्ति हाथ में बंदूक लिए हुए घुसपैठिए को देखकर डर जाता है। वह मूर्खतापूर्ण ढंग से काम करता है। व्यक्ति डरता है कि कहीं वह उसे नुकसान न पहुंचा दे।

इसलिए आमतौर पर ऐसे मामलों में अपराधी अपने शिकार को मार देता है। लेकिन जिराई अपने संयमता और धैर्य को खोने नहीं देता। वह ढोंग करता है कि वह घुसपैठिए को देखकर खुश हुआ है। वह मित्रतापूर्ण तरीके से उससे बात करता है। वह अपराधी को अपने बारे में बोलने पर मजबूर करता है। इससे जिराई को पर्याप्त समय मिल जाता है ताकि वह अपने काम की योजना बना सके। इस प्रकार जिराई घुसपैठिए को देखकर डरता नहीं है। यह संयमता उसका जीवन बचाती है।)

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If I Were You Important Passages For Comprehension

Read the following passages and answer the questions given at the end of each :

Passage – 1

Gerrard : ‘Nonchalant’ is your word, I think.

Intruder : Thanks a lot. You’ll soon stop being smart. I’ll make you crawl. I want to know a few things, see.

Gerrard : Anything you like. I know all the answers. But before we begin I should like to change my position; you may be comfortable, but I am not.

Intruder : Sit down there, and no funny business. (Motions to a chair, and seats himself on the divan by the bag.)

Now then, we’ll have a nice little talk about yourself !

Gerrard : At last a sympathetic audience! I’ll tell you the story of my life. How as a child I was stolen by the gypsies, and why at the age of thirty – two, I find myself in my lonely Essex cottage, how.
Questions :
(i) What threat does the intruder give to Gerrard ?
(ii) Why was Gerrard in an uncomfortable position ?
(iii) Did Gerrard give correct answers to the intruder ?
(iv) Was the intruder really a sympathetic audience ?
(v) Find a word in the passage which means ‘humorous’.
Answers :
(i) The intruder threatens that he will make Gerrard crawl.
(ii) He was standing with his hands up.
(iii) No, he gave him wrong answers.
(iv) No, he was not really a sympathetic audience
(v) Funny.

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Passage – 2

Intruder : Keep it to yourself, and just answer my questions. You live here alone ? Well, do you?

Gerrard : I’m sorry. I thought you were telling me, not asking me. A question of inflection; your voice is unfamiliar.

Intruder : (with emphasis) Do you live here alone?

Gerrard : And if I don’t answer?

Intruder : You’ve got enough sense not to want to get hurt.

Gerrard : I think good sense is shown more in the ability to avoid pain than in the mere desire to do so. What do you think, Mr – er –

Intruder : Never mind my name. I like yours better, Mr Gel7ard. What are your Christian names?

Gerrard : Vincent Charles.
Questions:
(i) From which chapter have these lines been taken ?
(ii) Why was the intruder’s voice unfamiliar to Gerrard ?
(iii) What did the intruder want Gerrard to keep to himself ?
(iv) What was Gerrard’s full name ?
(v) Find a word in the passage which means ‘stress’.
Answers :
(i) These lines have been taken from the chapter ‘If I Were You’.
(ii) His voice was unfamiliar to Gerrard as he had never met him before.
(iii) He wanted Gerrard to keep his life history to himself.
(iv) His full name was Vincent Charles Gerrard.
(v) Emphasis.

Passage – 3

Intruder : Do you run a car ?

Gerrard : No.

Intruder : That’s a lie. You’re not dealing with a fool. I’m as smart as you and smarter, and I know you run a car. Better be careful, wise guy!

Gerrard : Are you American, or is that merely a clever imitation ?

Intruder : Listen, this gun’s no toy. I can hurt you without killing you, and still get my answers.

Gerrard : Of course, if you put it like that, I’ll be glad to assist you. I do possess a car, and it’s in the garage round the comer.

Intruder : That’s better. Do people often come out here ?

Gerrard : Very rarely. Surprisingly few people take the trouble to visit me. There’s the baker and the greengrocer, of course; and then there’s the milkman – quite charming, but no one so interesting as
Questions :
(i) Does Gerrard possess a car ?
(ii) Why did the intruder want to hurt, but not to kill Gerrard ?
(iii) Where is Gerrard’s car ?
(iv) Why did the intruder want to know if people came to visit Gerrard or not ?
(v) Find a word from the passage which means ‘copy’.
Answers :
(i) Yes,, he possesses a car.
(ii) He wants to hurt him and get answers to his questions, before killing him.
(iii) It is in the garage round the comer
(iv) He wanted to lead a solitary life.
(v) Imitation.

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Passage – 4

Intruder : My speciality’s jewel robbery. Your car will do me a treat. It’s certainly a dandy bus.

Gerrard : 1m afraid jewels are few and far between in the wilds of Essex.

Intruder : So are the cops. ¡ can retire here nicely for a little while.

Gerrard : You mean to live with me ? A trifle sudden isn’t it: you’ve not been invited.

Intruder : You won’t be here long; so I didn’t trouble to ask.

Gerrard : What do you mean?

Intruder : This is your big surprise. I’m going to kill you.

Gerrard : A little harsh, isn’t it?

Intruder : (with heavy sarcasm) Yeah, I’ll be sorry to do it. I’ve taken a fancy to you, but it’s just got to be done.

Gerrard : Why add murder to your other crimes ? It’s a grave step you’re taking.
Questions :
(i) What is the name of the chapter from which these lines have been taken ?
(ii) Why does the intruder think that he can live at Gerrard’s house for sometime ?
(iii) What is a big surprise for Gerrard, according to the intruder ?
(iv) Why does Gerrard call the intruder’s step ‘grave’ ?
(v) Find a word from the passage which means ‘serious’.
Answers :
(i) These lines have been taken from the chapter ‘If I Were You’.
(ii) He thinks so because that area is lonely and police does not often come there.
(iii) He tells Gerrard that he is going to kill him.
(iv) He tells him that murder is a serious crime.
(v) Grave.

Passage – 5

Intruder : I’ve got freedom to gain. As for myself, I’m a poor hunted rat. As Vincent Charles Gerrard I’m free to go places and do nothing. I can eat well and sleep and without having to be ready to beat it at the sight of a cop.

Gerrard : In most melodramas the villain is foolish enough to delay his killing long enough to be frustrated. You are much luckier.

Intruder : I’m O.K. I’ve got a reason for everything. I’m going to be Vincent Charles Gerrard, see. I’ve got to know what he talks like. Now I know. That posh stuff comes easy. This is Mr V.C. Gerrard speaking. (Pantomime of phoning, in imitation cultured voice.) And that’s not all. (He stands up.) Get up a minute (Gerrard stands.) Now take a look at me.
Questions :
(i) What will the intruder gain as Gerrard ?
(ii) How does the intruder describe himself ?
(iii) How is the villain in most melodramas ?
(iv) Why does the intruder imitate Gerrard’s voice ?
(v) Find a word in the passage which means ‘sensational play’.
Answers :
(i) The intruder will gain freedom disguised as Gerrard.
(ii) He describes himself as a poor hunted rat.
(in) The villain in most melodramas is foolish.
(iv) He imitates Gerrard’s voice to show that he can talk like him.
(v) Melodrama.

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Passage – 6

Gerrard : You’re not particularly decorative.

Intruder : No! Well, that goes for you, too. I’ve only got to wear specs and I’ll be enough like you to get away with it.

Gerrard : What about your clothes ? They’ll let you down, if you’re not careful.

Intruder : That’ll be all right. Yours will fit me fine.

Gerrard : That is extremely interesting, but you seem to miss the point of my remark. I said, you were luckier than most melodramatic villains. It was not a tribute to your intelligence. You won’t kill me for a very good reason.

Intruder : So that’s what you think.
Questions :
(i) What does Gerrard mean when he says that the intruder is not decorative ?
(ii) Name the chapter from which these lines have been taken.
(iii) What has the intruder to do to look like Gerrard ?
(iv) What does the intruder say about Gerrard’s clothes ?
(v) Find a word in the passage which means ‘a bad character’.
Answers :
(i) He means to say that the intruder’s personality is not attractive.
(ii) These lines have been taken from the chapter ‘If I Were You’.
(iii) He thinks that he has only to wear spectacles to look like Gerrard.
(iv) He says that Gerrard’s clothes will fit him.
(v) Villain.

Passage – 7

Gerrard : Apparently you haven’t the intelligence to ask why I am invested in this cloak of mystery.

Intruder : (preparing to shoot) As I said before, this conversation bores me.

Gerrard : Don’t be a fool. If you shoot, you’ll hang for sure. If not as yourself, then as Vincent Charles Gerrard.

Intruder : What is this ?

Gerrard : This is your big surprise. I said you wouldn’t kill me and I was right. Why do you think I am here today and gone tomorrow, never see trades people ? You say my habits would suit you. You are a crook. Do you think I am a Sunday – school teacher ?
Questions :
(i) What is the name of the chapter from which these lines have been taken ?
(ii) What has the intruder not asked Gerrard ?
(ii) What would happen, according to Gerrard, if the intruder killed him ?
(iv) Why, according to him, does Gerrard behave in a mysterious way ?
(v) Find a word in the passage which means the same as ‘a criminal’.
Answers :
(i) These fines have been taken from the play ‘If I Were You’.
(ii) The intruder has not asked Gerrard why he lives in mystery.
(iii) He would be hanged, if not as himself, then as Gerrard.
(iv) He behaves in a mysterious way to escape the police.
(v) A crook.

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Passage – 8

Gerrard : For God’s sake clear that muddled head of yours and let’s go. Come with me in the car. I can use you. If you find it’s a frame, you’ve got me in the car, and you’ve still got your gun.

Intruder : May be you’re right.

Gerrard : Then don’t waste time. (Goes and picks up hat and bag.)

Intruder : Careful, boss, I’m watching you.

Gerrard : I have got a man posted on the main road. He’ll ring up if he sees the police, but I don’t want to leave… (telephone bell rings) Come on! They’re after us. Through here straight to the garage.

Intruder : How do I know that you are telling the truth ?

Gerrard : Oh, don’t be a fool. Look for yourself.
Questions :
(i) Name the chapter this passage has been taken from.
(ii) What could be the ‘frame’, according to Gerrard ?
(iii) Why, according to Gerrard, he has posted a man on the main road ?
(tv) Why do they plan to go straight from the room ?
(v) Who is the writer of this chapter?
Answers :
(i) This passage has been taken from the play ‘If I Were You’.
(ii) He could deceive the intruder in order to save himself.
(iii) He has posted a man on the main road to inform him about the police.
(iv) They plan to go the garage straight from the room.
(v) Douglas James.

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If I Were You Summary

If I Were You Introduction in English

This play is the story of an intruder. He breaks into a lonely house. A man named Gerrard lives there. He is a playwright. The intrader is a criminal. He has killed a policeman and is now on the ran. This man has some physical resemblance to Gerrard. His plan is to kill Gerrard and live there under his name. But Gerrard is smarter than the criminal. He tells the intruder that he has also killed someone and the police are after him. He offers to take the intruder in his car to safety. He opens a door and tells the intruder that it goes to the garage. As soon as the intruder enters, Gerrard locks the door. In fact it is not the way to garage but the door of a cupboard. Then he phones the police to come and arrest the intruder.

If I Were You Summary in English

The play starts in the house of Gerrard. He is a playwright. We find that Gerrard is talking to someone on the telephone. He is going somewhere. So after the talk is over, he starts packing a travelling bag. Suddenly a man enters silently from the right. He is similar to Gerrard in appearance. He has a revolver in his hand. This intruder is a criminal. He orders Gerrard to put up his hands. Gerrard obeys him but is not afraid. He talks pleasantly to the intruder. The intruder warns to stop being smart and answers his questions. Gerrard says he cannot feel comfortable while his hands are up. The intruder asks him to sit in a chair.

From their conversation, we come to know about the intruder and also Gerrard. We come to know that Gerrard’s full name is Vincent Charles Gerrard. He lives there alone. He has a car also. He is a sort of mystery man. Sometimes he is here and the very next day he is nowhere to be seen. He gives his orders on phone and never meets tradesmen.

Then the intruder tells Gerrard about himself. He is a criminal. He specialises in jewel robbery. He has killed a policeman. Now the police are after him. He knows that he bears a resemblance to Gerrard. Then he tells his plan to Gerrard. He has decided to kill Gerrard and live there under the identity of Gerrard. From the intruder’s way of talking, Gerrard guesses that he is a foolish, boastful man. It would not be difficult to get rid of this man.

Gerrard makes up a story. He says that he is also a criminal and a murderer. The police are also in search of him. That is why he lives in a mysterious way. He often disappears from there. He tells the intruder that it would be a folly to kill him. He killed him, he would be hanged, if not as himself, then as Gerrard. The intruder begins to think.

This is an opportunity for Gerrard. He offers to take the intruder to a safe place in his car. He asks him to hurry up as the police may come there any time. The intruder is taken in. Gerrard opens a door and asks the intruder to enter it. He tells him that the door goes to the garage and they will escape in his car.

Just the intruder turns his head to step in, Gerrard pushes him and knocks the revolver out of his hand. Then he shuts the door and locks it. .In fact, the door does not lead to any garage. It is the door of his cupboard. The intruder shouts from inside to let him out. But Gerrard picks up the phone and tells the police to come. In this way, Gerrard saves his life by a clever trick.

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If I Were You Introduction in Hindi

(यह नाटक एक घुसपैठिए की कहानी है। वह एक सुनसान घर में घुसता है। वहाँ जिराई नामक व्यक्ति रहता है। वह एक नाटककार है। घुसपैठिया एक अपराधी है। उसने एक पुलिस वाले की हत्या की थी और अब वह भाग रहा है। इस व्यक्ति की जिराई, के साथ कुछ शारीरिक समानता है। उसकी योजना है कि वह जिराई को मार देगा और उसके नाम के साथ वहाँ पर रहेगा। लेकिन जिराई अपराधी से भी ज्यादा होशियार है।

वह घुसपैठिए को बताता है कि उसने भी किसी का खून किया है और पुलिस उसके पीठ है। वह घुसपठिए को अपनी कार में सुरक्षित स्थान पर ले जाने का प्रस्ताव रखता है। वह एक दरवाजा खोलता है और घुसपैठिए को बताता है कि यह रास्ता गैराज की तरफ जाता है। जैसे ही घुसपैठिया प्रवेश करता है, जिराई दरवाजे का ताला लगा देता है। वास्तव में यह गैराज का रास्ता नहीं है, बल्कि एक अलमारी का दरवाज़ा है। तब वह पुलिस को आने और घुसपैठिए को गिरफ्तार करने के लिए फोन करता है।)

If I Were You Summary in Hindi

नाटक जिराई के घर में शुरू होता है। वह एक नाटककार है। हम देखते हैं कि जिराई किसी से फोन पर बात कर रहा है। वह कहीं बाहर जा रहा है। इसलिए बात खत्म करने के बाद वह अपना यात्रा का बैग तैयार करना शुरू कर देता है। अचानक एक व्यक्ति चुपके से दाई ओर से प्रवेश करता है। वह देखने में जिराई जैसा है। उसके हाथ में बंदूक है।

यह घुसपैठिया एक अपराधी है। वह जिराई को अपने हाथ ऊपर करने के लिए कहता है। जिराई उसका कहना मानता है, लेकिन वह डरा हुआ नहीं है। वह घुसपैठिए से बहुत अच्छी तरह से बात करता है। घुसपैठिया उसे धमकी देता है कि वह अपने – आपको चालाक समझना बंद करे और उसके सवालों का जवाब दे। जिराई कहता है जब तक उसके हाथ ऊपर हैं तब तक वह अपने – आपको आरामदायक महसूस नहीं कर सकता। घुसपैठिया उसे कुर्सी पर बैठने के लिए कहता है।

उनकी वार्तालाप से हमें घुसपैठिए और जिराई के भी बारे में पता चलता है। हमें पता चलता है कि जिराई का पूरा नाम विंसंट चार्ल्स जिराई है। वह वहाँ पर अकेला रहता है। उसके पास एक कार भी है। वह एक किस्म का रहस्यमयी व्यक्ति है। कई बार वह यहाँ होता है और अगले ही दिन वह कहीं भी दिखाई नहीं देता है। वह अपने आदेश फोन पर देता है और कभी भी किसी व्यापारी से नहीं मिलता है।
तब घुसपैठिया जिराई को अपने बारे में बताता है। वह एक अपराधी है। वह गहने लूटने में माहिर है।

उसने एक पुलिस वाले का खून किया था। अब पुलिस उसके पीछे है। वह जानता है कि उसकी जिराई से शक्ल मिलती है। तब वह जिराई को अपनी योजना बताता है। उसने जिराई को मारने और जिराई की पहचान के साथ वहाँ रहने का फैसला किया था। घुसपैठिए के बात करने के तरीके से जिराई ने अनुमान लगाया कि वह बेवकूफ और डींगें मारने वाला व्यक्ति है। इस व्यक्ति से छुटकारा पाना मुश्किल नहीं होगा।

जिराई एक कहानी बनाता है। वह कहता है कि वह भी एक अपराधी और एक खूनी है। पुलिस वाले उसकी भी तलाश कर रहे हैं। यही कारण है कि वह रहस्यमयी ढंग से रहता है। वह अकसर वहाँ से गायब हो जाता है। वह घुसपैठिए को कहता है कि उसको मारना बेवकूफी होगी। वह उसको मारेगा तो उसे फाँसी हो जाएगी, अगर उसे अपने नाम से नहीं तो जिराई के रूप में हो जाएगी। घुसपैठिया सोचने लगता है। जिराई के लिए यह एक मौका है। वह घुसपैठिए को अपनी कार में सुरक्षित जगह ले जाने का प्रस्ताव रखता है। वह उसे जल्दी करने के लिए कहता है, क्योंकि पुलिस किसी भी समय वहाँ आ सकती है।

घुसपैठिया उसकी बातों में आ जाता है। जिराई एक दरवाज़ा खोलता है और घुसपैठिए को उसमें प्रवेश करने के लिए कहता है। वह उसे बताता है कि यह दरवाज़ा गैराज की ओर जाता है और वे उसकी कार से भाग जाएँगे। जैसे ही घुसपैठिया अंदर कदम रखने के लिए अपना सिर घुमाता है तभी जिराई उसे धक्का देता है और उसके हाथ से बंदूक छीन लेता है। तब वह दरवाज़ा बंद करता है और उसे ताला लगा देता है। वास्तव में दरवाज़ा किसी गैराज की तरफ नहीं जाता है। यह एक अलमारी का दरवाज़ा है। घुसपैठिया उसे बाहर निकालने के लिए अंदर से चिल्लाता है। लेकिन जिराई फोन उठाता है और पुलिस को वहाँ आने के लिए कहता है। इस प्रकार जिराई एक चालाक चाल से अपना जीवन बचाता है।

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If I Were You Word – Meanings

(Page 138) :
Lonely = solitary = अकेला; cottage = a small bungalow = छोटा बंगला; Intruder = one who enters forcibly = घुसपैठिया; criminal = one who commits crime = अपराधी; bears = maintains = कायम रखना; resemblance = similarity = समानता; interior = inner part= आंतरिक भाग; entrance = door a दरवाज़ा; curtained – covered with curtains = पदों से ढका; practical = of daily use = व्यावहारिक; consisting = made = बना हुआ; divan = a kind of bed = दीवान; upstage = on the far side of the stage – स्टेज के पीछे का भाग।

(Page 139):
Rimmed = frame = फ्रेम बाला; lounge = sitting room = बैठक; cultured – refined – सुसंस्कृत, count on – depend on = निर्भर होना; engaged = busy = व्यस्त; flashily = in a gaudy manner: तड़क – भड़क से; bumps a strikes = टकराना; accidentally = by chance = संयोग से; put those paws up = raise your hands = हाय ऊपर करो; melodramatic = sensational = सनसनीखेज; original = genuine = मूलभूत; nonchalant – careless manner = लापरवाह; smart = clever = चालाक; crawl = creep = रंगना।

(Page 140) :
Funny = humorous = हास्यप्रद; motions = gestures = इशारे; sympathetic a kind – दयालु, audience = listeners = श्रोता; gypsies = homads = खानाबदोश; inflection = change of voice – लापरवाह; unfamiliar s not intimate = परिचित न होना; emphasis = stress = जोर देना; hurt = injured = घायल: guy = manव्यक्ति; imitation – copy = नकल; assist = help = सहायता करना; garage = covered space for parking cars – गैराज; rarely a very infrequently – बहुत कम; baker = one who bakes = बेकर; greengrocer – vegetable seller: सब्जी वाला; charming – attractive = आकर्षक।

(Page 141) :
Considerable = a lot of = बहुत अधिक; modest = humble = विनम्र; plenty = much = अधिक; precisely – exactly – एकदम; require = need = आवश्यकता होना; to break into a to intrude – घुसपैठ करना; figuring – appearing – नजर आना; embrace = have adopted = अपनाना; treat – joy – प्रसन्नता dandy . excellent – शानदार jewelka diamonds = हीर; cops = policemen = सिपाही; retire – live in comfort – आराम से रहना; trifle = a little = कुछ। harsh = cruel = क्रूर; sarcasm = bitter satire = व्यंग्य; taken a fancy = have started liking = चाहना आरंभ कर देना; grave = serious = गंभीर; hunted = chased = पीछा करना; gratuitous = without good reason – बिना कारण से; admitted = confessed = स्वीकार करना; at the sight of = on seeing – देखने पर, sensational drama = सनसनीखेज नाटक; villain = bad character = खलनायक; frustrated : disappointed = निराश।

(Page 142) :
Posh = belonging to the upper class = उच्च वर्ग का stuff = material – माल: pantomimen silent imitation – खामोश नकल: decorative = fine looking = अच्छा दिखने वाला; spees – eye glasses. चश्मा, tribute a praise – प्रशंसा; Intelligence = wisdom = बुद्धिमत्ता; on your mind = in your thoughts – तुम्हारे विचारों में conversation = talk = बातचीत; elude = escape = बचना; dodge = escape = बचना; queer = strange – अजीब mystery – strange/unexplained – रहस्य; propose = suggest = सझाव देना: invested in there) – adopted – अपनाया।

(Page 143) :
Crook = rogue = ढंग, धूत; disguise = hiding in false identity = भेष; musingly . thoughtfully = विचारशीलता से; muddled = confused = परेशान; leans = bends = सकता है।

(Page 144) :
Slams = shuts = बंद करता हैं; cupboard = almirah = अलमारी; rattles = knocks = खटखटाता है; props = lines spoken in a drama = नाटक में बोली गई पक्तियाँ; probably %D perhaps = शायद ।

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If I Were You Translation n Hindi

पढ़ने से पहले –
(Page 138)
जिराई एक सुनसान बंगले में अकेला रहता है। एक घुसपैठिया, जो कि एक अपराधी है, उसके बंगले में घुस जाता है। वह जिराई को मारना चाहता है और तब उसका वेश (रूप धारण करता है। क्या वह सफल हो जाता है?

दृश्य – एक छोटे से बंगले का अंदरूनी भाग। पीछे दाईं ओर प्रवेश द्वार है (जिस पर पर्दा हो सकता है।) बाई ओर एक अन्य दरवाजा अवश्य ही व्यावहारिक दरवाजा होगा। फर्नीचर सादा है और इसमें बाई ओर एक छोटा सा मेज़ है, एक या दो कुर्सियाँ और स्टेज के ऊपरी भाग में दाई ओर एक दीवान है। मेज़ पर एक टेलीफोन है।

(Page 139)
(जब पर्दा उठता है तो जिराई मेज़ के पास खड़ा होकर फोन कर रहा है। वह मध्यम कद का है और उसने सींग के फ्रेम बाला चश्मा पहने हुए है.. उसने लाउज सूट पहना हुआ है और एक ओवरकोट पहना है। उसकी आवाज़ सुसंस्कृत है)

जिराई : …. खैर, उसे कहो कि वह सीधे ही फोन करे। मुझे अवश्य पता लगना चाहिए… हाँ, मुझे आशा है कि मैं यहाँ ही होऊँगा। मगर आप इस बात पर निर्भर न रहें।… लगभग दस मिनट के समय में। ठीक हो। अलविदा।

वह फोन रख देता है और बाई ओर दिवान के पास जाता है. जहाँ पर एक यात्रा – बैग है और पैकिंग आरंभ कर देता है। जब वह इस प्रकार व्यस्त है, तो एक अन्य व्यक्ति जो डील – डौल में जिराई से मिलता है, खामोशी से दाईं ओर से प्रवेश करता हैउसके हाथ में रिवॉल्वर है। वह तड़कीले रूप से एक ओवरकोट एवं हैट में सुसज्जित है। वह दुर्घटनावश मेज़ से टकरा जाता है और आवाज़ सुनकर जिराई एकदम मुड़ता है।

जिराई – (प्रसन्नता से) अरे, यह तो आश्चर्य है, श्री.. अरे…

घुसपेठिया – मुझे खुशी है कि आप मुझे देखकर खुश हैं। मैं नहीं सोचता कि तुम अधिक देर तक खश रहोगे। अपने हाथ ऊपर करो!

जिराई – यह सब बहुत सनसनीखेज है, मगर शायद अधिक मोलिक नहीं है, मगर… घुसपैठिया – शांत होने का प्रयत्न कर रहे हो एवं, अरे… जिराई – शायद तुम जो शब्द कहना चाहते हो वह है ‘बेपरवाह’ ।

घुसपैठिया – बहुत धन्यवाद । शीघ्र ही तुम यह चुस्ती करनी बंद कर दोगे। मैं तुम्हें रेंगने के लिए मजबूर कर दूंगा। देखो, मैं कुछ बातें जानना चाहता हूँ।

(Page 140)
जिराई – जो चाहते हो, पूछो। मुझे सब बातों के उत्तर पता हैं। किंतु इससे पहले कि हम शुरू करें, मैं अपनी स्थिति को बदलना चाहूँगा; शायद तुम आराम की स्थिति में हो, पर मैं नहीं हूँ।

घुसपैठिया – वहाँ बैठ जाओ और कोई ठिठोली बात नहीं करनी है। (उसे एक कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करता है और स्वयं दीवान के ऊपर बैग के पास बैठ जाता है)
तो अब हम तुम्हारे बारे में थोड़ी – सी अच्छी बातें करेंगे!

जिराई – आखिर यहाँ एक सहानुभूतिपूर्ण श्रोता है! मैं तुम्हें अपने जीवन की कहानी बताऊँगा। मैं तुम्हें बताऊँगा कि बचपन में मुझे किस तरह खानाबदोश लोगों ने चुरा लिया था और अब बत्तीस वर्ष की आयु में मैं यहाँ एसेक्स के बंगले में स्वयं को अकेला क्यों पाता हूँ। किस तरह….

घुसपैठिया – वह सब अपने पास रखो और केवल मेरे प्रश्नों का उत्तर दो। तुम यहाँ अकेले रहते हो? क्यों, रहते हो ?

जिराई – क्षमा करें। मैंने समझा था कि आप मुझसे कुछ पूछ नहीं रहे बल्कि बता रहे हैं। आवाज़ में परिवर्तन की बात है; आपकी आवाज़ अपरिचित लगती है।

घुसपैठिया – (जोर देकर) तुम यहाँ अकेले रहते हो?

जिराई – और अगर मैं आपके प्रश्नों का उत्तर न दूं?

घुसपैठिया – तुममें इतनी समझ है कि घायल होने से बचना चाहोगे।

जिराई – मेरे विचार में समझदारी दर्द से बचने में है न कि केवल मात्र ऐसी इच्छा करने में। आपका क्या विचार है श्रीमान्… अरे घुसपैठिया मेरे नाम की चिंता छोड़ो। मुझे तुम्हारा नाम अधिक पसंद है, श्री जिराई। तुम्हारे नाम के प्रथम शब्द क्या हैं?

जिराई – विसंट चार्ल्स।

घुसपैठिया – क्या तुम्हारे पास कार है ?

जिराई – नहीं।

घुसपैठिया – यह झूठ है। तुम किसी मूर्ख से बात नहीं कर रहे हो। मैं इतना चतुर हूँ जितने तुम, और तुमसे अधिक चालाक और मैं जानता हूँ तुम्हारे पास कार है। बुद्धिमान होकर ध्यान दो!

जिराई – तुम अमेरिकन हो या यह केवल शानदार नकल है ?

घुसपेठिया – सुनो, यह बंदूक कोई खिलोना नहीं है। मैं तुम्हें मारे बिना घायल कर सकता हूँ और फिर भी उत्तर पा सकता हूँ।

जिराई – निस्संदेह, यदि तुम इस प्रकार करोगे, तो मुझे तुम्हारी सहायता करके खुशी होगी। मेरे पास एक कार है और यह पीछे कोने में खड़ी है।

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 11 If I Were You

घुसपैठिया – यह हुई न बात। क्या लोग अकसर यहाँ आते हैं ?

जिराई – बहुत कम। आश्चर्य की बात है कि बहुत कम लोग मुझे मिलने के लिए यहाँ आने का कष्ट करते हैं। एक डबल रोटी वाला, एक सब्जी – विक्रेता, और निस्संदेह एक दूध वाला बहुत ही आकर्षक व्यक्ति, परंतु तुम्हारे जैसा इतनी अधिक रुचि रखने वाला कोई नहीं आता।

घुसपैठिया – मुझे पता चला है कि तुम व्यापार के लोगों से कभी नहीं मिलते।

(Page 141)

जिराई – लगता है तुमने काफी मेहनत की है। क्योंकि तुम मेरे बारे में बहुत कुछ जानते हो, क्या तुम अपने बारे में कुछ नहीं कहोगे? आप कितने लज्जाशील हैं।

पुसपेठिया में तुम्हें बहुत कुछ बता सकता हूँ। तुम खुद को चालाक समझते हो, परंतु इस इलाके में मुझसे अधिक चालाक कोई नहीं है। मेरे पास दिमाग है और में उसका उपयोग करता हूँ। इसीलिए जहाँ मैं हूँ वहाँ पहुँच पाया हूँ।

जिराई – और आप ठीक – ठीक कहाँ पहुँचे हैं ? मेरे इस छोटे से मकान में सेंध लगाने के लिए किसी बड़े दिमाग की आवश्यकता नहीं थी।

पुसपैठिया – जब तुम्हें पता लगेगा कि मैं तुम्हारी छोटी सी कुटिया में क्यों घुसा हूँ, तो तुम्हें हैरानी होगी और यह कोई सुखद आश्चर्य नहीं होगा।

जिराई – इस आश्चर्य में जब आप इतने विशाल रूप में शामिल हैं, तब इस बात को समझा जा सकता है। जरा यह बताएँ कि आप अपराध की किस शाखा में हैं अथवा क्या आप विशेषज्ञ नहीं हैं ?

पुसपैठिया मैं हीरों की चोरी का विशेषज्ञ हूँ। तुम्हारी कार मेरे लिए एक बढ़िया तोहफा होगी। यह तो सचमुच एक शानदार बस है।

जिराई – मगर मेरे विचार से एसेक्स के इस जंगली इलाके में हीरे कम होते हैं। पुसपेठिया – यहाँ पुलिस भी कम होती है। मैं कुछ देर तक यहाँ आराम से रह सकता हूँ।

जिराई – आपका इरादा मेरे साथ रहने का है क्या ? आप कुछ अधिक जल्दबाजी कर रहे हो। आपको यहाँ रहने का कोई निमंत्रण नहीं दिया गया।

घुसपैठिया – तुम यहाँ पर अधिक देर रहने वाले नहीं हो; इसलिए मैंने तुमसे पूछने का कष्ट नहीं किया।

जिराई – आपका मतलब क्या है ?

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घुसपैठिया – यही तुम्हारे लिए बड़ा आश्चर्य होगा। मैं तुम्हारी हत्या करने वाला हूँ।

जिराई – कुछ बुरी लगने वाली बात है, नहीं क्या ?

पुसपैठिया – (बड़े बंग्य से) हां, मुझे ऐसा करते हुए दुःख होगा। मुझे तुम अच्छे लगने लगे हो पर यह तो करना ही होगा।

जिराई – अपने अन्य अपराधों में हत्या को क्यों जोड़ रहे हो ? आप बड़ा गंभीर कदम उठाने जा रहे हैं।

पुसपैठिया – मैं यह कदम मजे के लिए नहीं उठा रहा। मेरा बहुत पीछा किया जा चुका है। पहले से ही मेरी कत्ल के सिलसिले में तलाश है और वे मुझे दो बार फांसी पर नहीं लटका सकते।

जिराई – ऐसा कहा जा सकता है कि तुमने शानदार दोहरी भूमिका का इंतजाम किया है। यह माना है कि तुम्हारा कोई नुकसान नहीं होगा तो मगर तुम्हें फायदा क्या होगा।

के रूप में आजादी मिलेगी। जहाँ तक मेरी बात है. मैं तो एक बेचारा ऐसा चहा हैं जिसका पीछा किया जा रहा है। विंसंट चार्ल्स जिराई के रूप में में किसी स्थान पर चला जाऊँगा और कुछ करूँगा भी नहीं। मैं अच्छी तरह खाऊँगा, सोऊँगा और किसी पलिस वाले को देखते ही मझे भागने के लिए तैयार नहीं होना पड़ेगा।

जिराई – बहुत से सनसनीखेज नाटकों में खलनायक इतना मूर्ख होता है कि मारने में देरी करके उसे निराशा हाथ लगती है। आप तो अधिक भाग्यशाली हैं।

(Page 142)
घुसपैठिया – में ठीक हूँ। मेरे पास हर बात के कारण हैं। देखो, मैं विंसंट चार्ल्स जिराई बनने जा रहा हूँ। मैं यह जानना चाहता हूँ कि वह किस प्रकार बात करता है। अब में यह जान गया हूँ। यह शानदार बहुत आसानी से आ गया है। में मि. विंसंट चार्ल्स जिराई बोल रहा हूँ। (फोन करने का मूक अभिनय करके सभ्य स्वर में नकल करता हुआ) और केवल इतना ही नहीं (वह खड़ा हो जाता है)। एक मिनट के लिए खड़े हो जाओ। (जिराई खड़ा हो जाता है) अब थोड़ा सा मुझे देखो।

जिराई – आप कुछ विशेष सजावटी नहीं लगते हो।

पुसपैठिया नहीं। यही बात तुम पर लागू होती है। मुझे केवल चश्मा पहनने की जरूरत है और मैं तुम्हारे जैसा इतना लगूंगा जिससे काम चल सके।

जिराई – तुम्हारे कपड़ों का क्या होगा ? अगर तुमने सावधानी नहीं बरती तो वे तुम्हें धोखा दे सकते हैं। घुसपैठिया – यह ठीक हो जाएगा। तुम्हारे कपड़े मुझे बिल्कुल ठीक रहेंगे।

जिराई – यह तो बड़ी रोचक बात है, परंतु आप मेरी बात नहीं समझ रहे हैं। मैंने कहा था कि आप नाटकों के अधिकांश खलनायकों से अधिक सोभाग्यशाली हैं। यह आपकी बुद्धिमत्ता की तारीफ नहीं थी। एक महत्त्वपूर्ण कारण है कि आप मेरी हत्या नहीं कर सकते।

घुसपैठिया – तुम ही ऐसा सोचते हो। जिराई – तुम मुझे जाने दोगे और भगवान का शुक्र है कि तुमने मुझे पहले ही गोली नहीं मार दी है।

घुसपेठिया – आओ। तुम्हारे दिमाग में क्या योजना है; अच्छा होगा अगर जल्दी करोगे। यह वार्तालाप मुझे उकता रहा है।

जिराई – क्या तुम्हारा विचार मझे मारकर मेरी पहचान लेना और इस प्रकार पुलिस को चकमा देना है?

घुसपैठिया – मुझे यह विचार अच्छा लगता है।

जिराई – मगर क्या तुम्हें विश्वास है कि यह योजना तुम्हारी सहायता करेगी ?

घुसपैठिया – अब सुनो। मैंने सारी योजना बना रखी है। मैं शहर में नौकरी करता था। बात बिगड़ गई और मैंने एक सिपाही को मार दिया। तब से मैं पुलिस से बचने के अलावा और कुछ नहीं कर रहा हूँ।

जिराई – और बचते – बचाते तुम यहाँ आ गए हो ?

पुसपेठिया – यह बात मुझे Aylesbury ले गई। वहीं मैंने तुम्हें कार में देखा। दो अन्य लोगों ने भी तुम्हें देखा और बातें करनी आरंभ कर दीं। मैंने उन्हें सुना। ऐसा लगता है कि तुम कुछ अजीब एवं रहस्यपूर्ण व्यक्ति हो।

जिराई – एक रहस्य जो मैं समझाना चाहता हूँ।

पुसपेठिया – (उसकी तरफ ध्यान न देते हुए) तुम अपने आदेश फोन पर देते हो और कई बार तुम अचानक चले जाते हो और वैसे ही अचानक वापस आ जाते हो। ये वही चीजें है जो मैं करना चाहता हूँ। तुम्हारे बारे में सुनना मेरे लिए बहुत भाग्यशाली बात थी।

जिराई – लगता है कि तुम्हारे पास यह पूछने की बुद्धि नहीं है कि मैंने रहस्य का यह जामा क्यों पहन रखा है।

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(Page 143)
पुसपैठिया – (गोली चलाने के लिए तैयारी करते हुए) जैसा कि में पहले कह चुका हूँ, यह बातचीत मुझे उवा रही है।

जिराई – मूर्खता मत करो। अगर तुमने गोली चलाई तो तुम्हें फांसी लगना निश्चित है। अगर अपने असली रूप में नहीं तब विंसंट चार्ल्स जिराई के रूप में।

घुसपैठिया – तुम क्या कहना चाहते हो?

जिराई – यह तुम्हारे लिए सबसे बड़ा आश्चर्य है। मैंने कहा था कि तुम मुझे नहीं मारोगे और मैंने सच कहा था। तुम्हारे ख्याल में मैं क्यों आज यहाँ और कल वहाँ होता हूँ और कभी व्यापारियों से नहीं मिलता हूँ ? तुम कहते हो कि मेरी आदतें तुम्हें रास आएँगी। तुम एक बदमाश हो। तुम क्या सोचते हो कि मैं कोई पादरी हूँ?

जहाँ तक मेरा सवाल है, खेल खत्म हो चुका है। मेरे साथ सब कुछ गड़बड़ हो गया। मैंने अपनी बात गोलियों से कही और बच निकला। दुर्भाग्यवश उन्हें मेरा एक व्यक्ति मिल गया और उन्हें वे वस्तुएँ मिल गई जिन्हें उस मूर्ख व्यक्ति को जला देना चाहिए था। आज रात मुझे मुसीबत आने की आशा है। मेरा बैग भाग जाने के लिए पैक पड़ा है। वहीं पर है वह।

घुसपैठिया – बैग भी ठीक है और बंदूक भी ठीक है। यह सब क्या है ?

जिराई – यह सब वेश बदलने का सामान है। नकली मूंछे और पता नहीं क्या। अब क्या तुम मुझ पर विश्वास करते हो ?

घुसपैठिया – (सोचते हुए) मैं नहीं जानता।

जिराई – भगवान के लिए अपने बुद्धि दिमाग को ठीक करो और आओ हम यहाँ से चलें। मेरे साथ कार में आओ। मैं तुम्हारा उपयोग कर सकता हूँ। अगर तुम समझते हो कि यह एक चाल है, तब भी कार में मैं तुम्हारे साथ ही होऊँगा, और तुम्हारे पास तुम्हारी बंदूक भी होगी।

घुसपैठिया – शायद तुम ठीक ही कहते हो।

जिराई – फिर समय बर्बाद मत करो (अपना हैट और बैग उठा लेता है।)

घुसपैठिया – सावधान साहिब, मैं तुम्हें देख रहा हूँ।

जिराई – मैंने एक आदमी मुख्य सड़क पर खड़ा कर रखा है। पुलिस को देखते ही वह मुझे फोन कर देगा, पर मैं जाना नहीं चाहता हूँ..(टेलीफोन बजता है) जल्दी करो! वे लोग हमारे पीछे हैं। हम यहाँ से सीधे गैराज की तरफ जाएंगे।

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(Page 144)
पुसपैठिया मुझे कैसे पता कि तुम सच बोल रहे हो ?

जिराई – अरे, मूर्खता मत करो। अपना ख्याल करो।

(जिराई दरवाजा खोलता है और एक तरफ हट जाता है। घुसपैठिया इसकी जांच करने के लिए आगे पकता है उसके शरीर का एक भाग जिराई की तरह है, मगर रिवॉल्वर तैयार है। जब वह अपना सिर घुमाता है तो जिराई उसे अलमारी में धक्का मारता है और रिवॉल्वर उसके हाथ से झटक लेता है। वह दरवाजा बंद करता है और उसे ताला लगा देता है, रिवॉल्वर उठा लेता है और फोन के पास जाता है जहाँ यह बंदूक का मुँह अलमारी के दरवाजे की तरफ करके खड़ा हो जाता है)

घुसपैठिया – (दरवाजा खड़खड़ाता और चिल्लाता है) मुझे यहाँ से बाहर निकालो!

जिराई – हेलो, हां में बोल रहा हूँ। अफसोस है कि मैं तुम्हें रिहर्सल के लिए सहायता पंक्तियों समय पर नहीं दे पाऊंगा। मुझे काफी दिक्कत हुई है – बहुत हास्यास्पद है। मेरे विचार से मैं इसे अपने नाटक में डालूंगा। सुनो, क्या तुम हमारे मित्र साजेंट से कह सकते हो कि वह फौरन यहाँ आ जाए। वह शायद तुम्हें पक्तिक बार में मिलेगा।

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HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Haryana State Board HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

HBSE 9th Class English A Legend of the Northland Textbook Questions and Answers

Thinking about the Poem

I.

Beehive Class 9 Poem A Legend of the Northland Question Answer Question 1.
Which country or countries do you think “the Northland” refers to?
(आपके विचार में ‘The Northland’ किस देश या देशों के लिए प्रयोग किया गया है?)
Answer:
“The Northland’ refers to Northland country.
(‘The Northland’ नॉर्थलैण्ड देश के लिए प्रयोग किया गया है।)

A Legend of the Northland Summary In Hindi HBSE 9th Class Question 2.
What did Saint Peter ask the old lady for? What was the lady’s reaction?
(सेंट पीटर ने बूढ़ी महिला से क्या मांगा? उस महिला की क्या प्रतिक्रिया थी?)
Answer:
St. Peter asked the old lady for a cake from her store of cakes. The lady was very greedy. She made a small cake for him. But it seemed to her too big to be given. In the end, she made a very small and thin cake, But she did not give even that cake to St. Peter. She put it on the shelf.

(सेंट पीटर ने बूढ़ी महिला से उसके केकों के भंडार में से एक केक मांगा। वह महिला बहुत लालची थी। उसने उनके लिए एक छोटा केक बनाया। लेकिन उसे यह केक इतना बड़ा लगा कि वह उन्हें दे नहीं सकी। अंत में उसने एक बहुत ही छोटा-सा और पतला-सा केक बनाया। लेकिन उसने वह केक भी संत पीटर को नहीं दिया। उसने उसे अलमारी के ऊपर रख दिया।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

A Legend of the Northland Class 9 Word Meaning HBSE Question 3.
How did he punish her? Or
(उन्होंने उसे क्या सजा दी?)

What was St. Peter’s curse upon the woman?
(सेंट पीटर ने बूढ़ी औरत को क्या अभिशाप दिया था?)
Answer:
Saint Peter was hungry and tired. He demanded a cake from the lady. The lady was greedy. She did not give him any cake. He became angry. He cursed the old lady to be changed into a bird. She was changed into a woodpecker and flew out of the chimney.

(सेंट पीटर भूखे और थके हुए थे। उन्होंने महिला से एक केक मांगा। वह महिला लालची थी। उसने उन्हें केक नहीं दिया। वे नाराज हो गए। उन्होंने बुढ़िया को पक्षी बन जाने का अभिशाप दे दिया। वह एक कठफोड़े में बदल गई और चिमनी में से उड़ गई।)

Beehive Poem A Legend of the Northland Question Answer HBSE 9th Class Question 4.
How does the woodpecker get her food?
(कठफोड़ा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?)
Answer:
The woodpecker has a long beak. With this beak it keeps boring into the dry wood all the day. Only then it gets its food.

(कठफोड़े की एक लंबी चोंच होती है। इस चोंच की सहायता से वह लकड़ी के अंदर सारा दिन काफी गहरे खोदता रहता है। तब जाकर वह अपना भोजन बना पाता है।)

A Legend of the Northland Short Question Answer HBSE 9th Class Question 5.
Do you think that the old lady would have been so ungenerous if she had known who Saint Peter really was? What would she have done then?
(क्या आप ऐसा सोचते हो कि यदि बूढ़ी महिला को वास्तव में यह पता होता कि सेंट पीटर वास्तव में कौन है तो क्या वह उसके प्रति दयालु होती? तब उसने क्या किया होता ?)
Answer:
The lady was very greedy. It is very difficult to say what she would have done if she had known the man was Saint Peter. Perhaps she would have given him a very small cake to eat.

(वह महिला लालची थी। यह कहना बहुत कठिन है कि वह क्या कर देती यदि उसे यह पता होता कि वह आदमी सेंट पीटर है ? शायद वह उसे थोड़ा-सा केक तो खाने के लिए दे देती।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

A Legend of the Northland Solutions HBSE 9th Class Question 6.
Is this a true story? Which part of this poem do you feel is the most important?
(क्या यह एक सच्ची कहानी है? आपके विचार में इस कविता का कौन-सा भाग सबसे महत्त्वपूर्ण है?)
Answer:
It is not a true story. It is a legend meant to teach a moral. It is a legend of an old woman who was very greedy. The most important part of the poem is when the old woman is punished for being greedy. Saint Peter curses her to be changed into a bird.

(यह एक सच्ची कहानी नहीं है। वह एक दंतकथा है, जो एक शिक्षा देती है। यह एक बूढ़ी महिला की दंतकथा है, जो बहुत लालची थी। इस कविता का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग वह है, जब उसे उसके लालच के कारण सजा दी जाती है। सेंट पीटर उसे पक्षी बन जाने का अभिशाप दे देते हैं।)

A Legend of the Northland Class 9 Questions And Answers HBSE Question 7.
What is a legend? Why is this poem called a legend?
(दंतकया क्या होती है। इस कविता को दंतकथा क्यों कहा गया है?)
Answer:
A legend is an old story handed from generation to generation. This story may or may not be true. The poetess herself says, “I don’t believe it’s true.” It is a legend from Northland. It teaches a moral lesson that one must not be greedy.

(दंतकथा एक पुरानी कहानी होती है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे चलती रहती है। हो सकता है यह कहानी सच्ची हो या न हो। कवयित्री स्वयं कहती है, “मैं नहीं मानती कि यह सच्ची है।” यह Northland की एक दंतकथा है। यह एक शिक्षा देती है कि व्यक्ति को लालच नहीं करना चाहिए।)

Class 9th A Legend of the Northland HBSE  Question 8.
Write the story of ‘A Legend of the Northland’ in about ten sentences.
(‘A Legend of the Northland’ के बारे में दस वाक्य लिखिए।)
Or
Why did the saint punish the woman? What was the punishment?
(संत ने महिला को अभिशाप क्यों दिया? अभिशाप क्या था?)
Answer:
It is the story of the time when Saint Peter lived on the earth. One day he was walking about in Northland. He had kept a fast on that day. So he was weak and tired. He reached the door of a little cottage. He saw that a woman was making cakes. He requested the woman to give him a cake. She was very greedy. She did not want to give big cakes to Saint Peter. So she made a small cake for him.

But she thought that it was also very big. Then she made a smaller cake for him. But she thought it was of the same size as before. So she made a very small and thin cake for him. But as she was greedy, she did not give even this cake to Saint Peter. She placed it on the shelf. Saint Peter became very angry. He cursed a curse to the lady to become a bird.

(यह उस समय की कहानी है, जब सेंट पीटर धरती पर रहते थे। एक दिन वे Northland में विचरण कर रहे थे। उन्होंने उस दिन व्रत रखा हुआ था। इसलिए वे कमजोर और थके हुए महसूस कर रहे थे। वे एक छोटे से घर के द्वार पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि एक महिला केक बना रही थी। उन्होंने महिला से प्रार्थना की कि वह उन्हें एक केक दे दे। वह बहुत लालची थी। वह सेंट पीटर को बड़ा केक नहीं देना चाहती थी।

अतः उसने उनके लिए एक छोटा-सा केक बनाया। लेकिन उसे लगा कि यह तो बड़ा केक था। तब उसने उनके लिए छोटा-सा केक बनाया। लेकिन उसे लगा कि वह केक भी पहले वाले केक जितना बड़ा था। इसलिए उसने उनके लिए बहुत ही छोटा और पतला-सा केक बनाया। लेकिन लालची होने के कारण, उसने यह केक भी सेंट पीटर को नहीं दिया। उसने उसे अलमारी के ऊपर रख दिया। सेंट पीटर को क्रोध आ गया। उन्होंने महिला को अभिशाप दे दिया कि वह एक पक्षी बन जाए।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

II.
A Legend of the Northland Poem HBSE 9th Class Question 1.
Let’s look at words at the end of second and fourth lines, vis, snows’ and ‘clothes’, ‘true’ and ‘you’, ‘below’ and ‘know’. We find that ‘snows’ rhymes with ‘clothes’, ‘true’ rhymes with ‘you’ and ‘below’ rhymes with ‘know’.
Find more such rhyming words.
Answer:
Self Attempt.

Question 2.
Go to the local library or talk to older persons in your locality and find legends in your own language. Tell the class these legends.
Answer:
Self Attempt.

HBSE 9th Class English The Lake Isle of Innisfree Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Which country/countries do you think “the Northland” refers to?
Answer:
“The Northland” reFers to Northland country.

Question 2.
What is the feature of days and nights in the Northland In winter?
Answer:
In winter in Northland the days are smaller and the nights are longer.

Question 3.
How did the Northland children look in their furry clothes?
Answer:
They looked like bear’s cubs.

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Question 4.
What animal is found mainly in Northland?
Answer:
Reindeer is found mainly in Northland.

Question 5.
Why did Saint Peter walk about?
Answer:
Saint Peter walked about preaching.

Question 6.
Where did Saint Peter come one day?
Answer:
One day Saint Peter come to the door a Little woman’s cottage.

Question 7.
What was the little woman doing at the time when Saint Peter come to her cottage?
Answer:
She was baking cakes.

Question 8.
How was Saint Peter feeling?
Answer:
He was feeling hungry.

Question 9.
What did Saint Peter ask for?
Answer:
He asked for a piece of cake.

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Question 10.
How did the first piece of cake appear to the little woman?
Answer:
This piece of cake appeared her too big to give to Saint Peter.

Question 11.
Why did Saint Peter grow angry?
Answer:
Saint Peter grew angry because he was hungry and faint, and the little woman was not giving him any cake.

Question 12.
How did Saint Peter describe the little woman?
Answer:
He described her as a selfish woman.

Question 13.
How did Saint Peter punish the little woman?
Answer:
He punished her by changing her into a woodpecker.

Question 14.
What Is the name of the poet of the poem ‘A Legend of the Northland’?
Answer:
Phoebe Cary.

Short Answer Type Questions

Question 1.
What special features of the Northland is described in the poem ‘A Legend of the Northland’?
(इस कविता में Northland की किन खास विशेषताओं का वर्णन किया गया है?)
Answer:
In the Northland during the winter season the duration of the day is very short and that at the night is very long. People cannot sleep the nights through. Here the people harness the swift reindeer to the sledges when it snows.

(नॉर्थलैंड में शीतकालीन मौसम के दौरान दिन की अवधि बहुत ही छोटी और रात की अवधि बहुत अधिक लंबी होती है। लोग इन रातों को सोकर नहीं बिता सकते हैं। यहाँ पर लोग तेज भागने वाले रेडियरों को बर्फ पर चलने वाली गाड़ियों में जोतते हैं।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Question 2.
What is the moral of the poem ‘A Legend of the Northland’?
(इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?)
Answer:
This is a simple poem with a moral. It teaches us that we should not be greedy. We should help the poor and hungry people, Kindness is a divine quality and one should adopt this.

(यह एक साधारण और शिक्षाप्रद कविता है। यह हमें शिक्षा देती है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए। हमें गरीबों और भूखों की मदद करनी चाहिए। दया एक दैविक गुण है और हमें इसे धारण करना चाहिए।)

Essay Type Questions

Question 1.
Write the brief summary of the poem ‘A Legend of the Northland’ in your own words.
(A Legend of the Northland’ कविता का संक्षिप्त सारांश अपने शब्दों में लिखें।)
Answer:
In this poem, the poetess tells us a story. It is a story of the Northland. At that time, St. Peter lived on the earth. He used to go round the world and preach in his typical manner. One day, he came to a cottage. He saw a woman making cakes. St. Peter had fasted for the whole day. So he was hungry and tired. He asked the woman to give him a cake from her store of cakes.

The woman was very greedy. She made a very small cake for the saint. But when the cake was baking, she thought that it was too large to give away. So she made another one which was smaller even than the first. But when it was ready, she thought that it was also too big to be given. So she made a very small and very thin cake for him. But as she was greedy, she did not want to part with even this cake. She placed it on the shelf.

The Saint Peter saw this and grew angry. He told her, “You are very selfish. You do not deserve to live in the world in human form. You do not deserve food, shelter and fire to keep you warm.” He cursed her to be changed in a bird. She became a woodpecker and flew out of the chimney. In the end, the poetess says that every school going boy has seen her in the wood. She still lives there in the trees. She keeps boring trees for her food all the day.

इस कविता में, कवयित्री हमें एक कहानी सुनाती है। यह नार्थलैंड की कहानी है। उस समय संत पीटर धरती पर रहते थे। वे संसार में घूमा करते थे और अपने विशेष तरीके से उपदेश दिया करते थे। एक दिन, वे एक घर में आए। उन्होंने एक स्त्री को केक बनाते हुए देखा। संत पीटर ने सारा दिन उपवास रखा था। इसलिए वे भूखे एवं थके हुए थे। उन्होंने स्त्री से कहा कि वह उन्हें अपने केकों के भंडार में से एक केक दे दे। स

्त्री बहुत लालची थी। उसने संत के लिए बहुत छोटा-सा केक बनाया। मगर जब वह केक पका रही थी तो उसने सोचा कि यह देने के लिए बहुत बड़ा केक है। इसलिए उसने एक अन्य केक बनाया, जो पहले केक से छोटा था। मगर जब केक तैयार हो गया तो उसने सोचा कि यह केक भी देने के लिए बड़ा है। इसलिए उसने उसके लिए बहुत छोटा और बहुत पतला केक बनाया। मगर क्योंकि वह लालची थी, वह इस केक को भी नहीं देना चाहती थी। उसने इसे शैल्फ पर रख दिया।

संत पीटर ने यह सब देखा और उन्हें गुस्सा आ गया। उन्होंने उसे कहा, “तुम बहुत स्वार्थी हो। तुम इस संसार में मानवीय रूप में रहने के काबिल नहीं हो। तुम भोजन, आश्रय एवं स्वयं को गरम रखने के लिए आग की हकदार भी नहीं हो।” उन्होंने उसे पक्षी बन जाने का श्राप दिया। वह कठफोड़ा बन गई और चिमनी में से निकलकर उड़ गई। अंत में, कवयित्री कहती है कि हर स्कूली लड़के ने उसे जंगल में देखा है। वह अभी भी वृक्षों में रहती है। वह अपने भोजन के लिए सारा दिन वृक्षों में छेद करती रहती है।

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Question 2.
What is the central idea of the poem ‘A Legend of the Northland?’
(A Legend of the Northland’ कविता का केन्द्रीय विषय क्या है?)
Answer:
A Legend of the Northland is a simple poem with a moral. It teaches us that we should not be greedy. We must help the poor and hungry people. One day St. Peter was hungry after the day’s fasting. He saw a woman making cakes. He asked her for one. The woman was very greedy. She made a very small and thin cake for St. Peter. But she did not want to part with even this cake. St. Peter became angry. He cursed the woman to be changed into a bird. She became a woodpecker and flew out of the chimney. She still lives in the wood and keeps boring the trees for food.

(A Legend of the Northland’ एक सादी एवं शिक्षाप्रद कविता है। यह हमें सिखाती है कि हमें लालची नहीं होना चाहिए। हमें गरीब एवं भूखे लोगों की सहायता करनी चाहिए। एक बार संत पीटर पूरे दिन के उपवास के बाद भूखे थे। उन्होंने एक स्त्री को केक बनाते देखा। उन्होंने उससे एक केक मांगा। स्त्री बड़ी लालची थी। उसने संत पीटर के लिए बहुत छोटा और पतला केक बनाया। मगर वह इस केक को भी नहीं देना चाहती थी। संत पीटर को गुस्सा आ गया। उन्होंने स्त्री को श्राप दिया कि वह पक्षी बन जाए। वह कठफोड़ा बन गई और चिमनी से निकलकर उड़ गई। वह आज भी जंगल में रहती है और भोजन के लिए वृक्षों में छेद करती रहती है।)

Multiple Choice Questions

Question 1.
Which country does ‘A Legend of the Northland’ belong?
(A) England
(B) Scotland
(C) Northland
(D) Switzerland
Answer:
(C) Northland

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Question 2.
How are the days and nights in Northland in winter?
(A) the days are short and the nights are long
(B) the nights are short and the days are long
(C) both the days and the nights have equal duration
(D) all the options are correct
Answer:
(A) the. days are short and the nights are long

Question 3.
Which is the most useful animal of the people of Northland?
(A) dog
(B) horse
(C) reindeer
(D) rhino
Answer:
(C) reindeer

Question 4.
What are the sledges?
(A) fast speed cars
(B) snow carts
(C) pet animal Northland
(D) local inhabitants of the Northland
Answer:
(B) snow carts

Question 5.
How do children look in their furry clothes?
(A) like small kittens
(B) like bear cubs
(C) like small wolves
(D) none of these
Answer:
(B) like bear cubs

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

Question 6.
Where did Saint Peter live then?
(A) in the heaven
(B) on the clouds
(C) on the moon
(D) on the earth
Answer:
(D) on the earth

Comprehension of Stanzas

STANZA – 1 & 2

Away, away in the Northland,
Where the hours of the day are few,
And the nights are so long in winter
That they cannot sleep them through;

Where they harness the swift reindeer
To the sledges, when it snows;
And the children look like bear’s cubs
In their funny, furry clothes:

Word-Meanings :
Northland = New Zealand = न्यूजीलैंड; harness = fasten to the cart = गाड़ी से लगाना; swift = fast = तेज; reindeer = a kind of deer = रेडियर; sledge = a cart which moves on ice and snow = बर्फ पर फिसलने वाली गाड़ी; bear’s cubs = young ones of bear = रीछ के बच्चे; furry = made of fur = फर का बना हुआ।

हिंदी अनुवाद :
बहुत दूर, बहुत दूर नॉर्थलैंड में जहाँ दिन बड़े छोटे होते हैं और सर्द रातें इतनी बड़ी होती हैं कि सोकर नहीं बिता सकते।
जहाँ बर्फ पड़ने पर लोग बर्फ गाड़ियों के साथ रेडियर जोत लेते हैं, जो तेज चलते हैं तथा बच्चे अपने अजीब फर वाले कपड़ों में रीछ के बच्चों जैसे लगते हैं।

Questions :
(i) Which country does this legend belong to?
(ii) How were the days and nights there?
(iii) How did the people drive their sledges when it snowed?
(iv) How did the children look in their furry clothes?
(v) What is the name of the poet of these lines?
Answers :
(i) This legend belongs to Northland.
(ii) The days were short and nights were very long.
(iii) They drove them with the help of reindeer.
(iv) They looked like bear’s cubs.
(v) The name of the poet is‘Phoebe Cary’.

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STANZA – 3 & 4

They tell them a curious story-
don’t believe this true;
And yet you may learn a lesson
If I tell the tale to you.
Once, when the good Saint Peter
Lived in the world below,
And walked about it, preaching,
Just as he did, you know,

Word-Meanings : Curious = strange = अजीब; saint = holy person = संत; preaching = giving sermons = उपदेश देना।

हिंदी अनुवाद :
वहाँ लोग बच्चों को एक अजीब कहानी सुनाते हैं। मैं नहीं समझती कि यह एक सच्ची कहानी है, लेकिन अगर मैं तुम्हें यह कहानी सुनाऊँ तो तुम्हें एक शिक्षा मिलेगी।
एक बार जब अच्छे संत पीटर नीचे धरती पर रहा करते थे और उपदेश देने के लिए इधर-उधर घूमा करते थे, जैसे कि आप जानते हैं कि वे किया करते थे।

Questions :
(i) What does the poetess say about the story?
(ii) Is it a true story?
(iii) Why is the poetess telling this story?
(iv) Where did Saint Peter live then?
(v) What did he do while he walked about the earth?
Answers :
(i) She does not believe the story to be true.
(ii) No, it is not a true story.
(iii) She is telling it because it preaches a lesson.
(iv) He. lived on the earth below.
(v) He went preaching.

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STANZA – 5 & 6

He came to the door of a cottage,
In travelling round the earth,
Where a little woman was making cakes,
And baking them on the hearth;

And being faint with fasting,
For the day was almost done,
He asked her, from her store of cakes,
To give him a single one.

Word-Meanings : Cottage = small bungalow = कुटीर; hearth = fireplace = चूल्हा; faint = lacking strength = कमज़ोर; fasting = eating little or no food = व्रत रखना।

हिंदी अनुवाद :
धरती की यात्रा करते हुए वे एक घर के दरवाजे पर आए, जहाँ एक छोटे कद की स्त्री केक बना रही थी और उन्हें चूल्हे पर पका रही थी।
और व्रत रखने से कमजोर होने के कारण, क्योंकि दिन लगभग समाप्त होने वाला था, उन्होंने औरत से कहा कि वह उन्हें अपने केकों के स्टोर में से एक केक दे दे।

Questions:
(i) Where did St. Peter come?
(ii) What was the little woman doing?
(iii) Why was St. Peter faint?
(iv) What did he ask the woman for?
(v) Name the poem and the poet.
Answers :
(i) He came to the door of a cottage.
(ii) She was baking cakes.
(iii) He was faint with fasting.
(iv) He asked the woman to give him a cake. ,
(v) ‘A Legend of the Northland’ by Phoebe Cary.

STANZA – 7 & 8

So she made a very little cake,
But as it baking lay,
She looked at it, and thought it seemed
Too large to give away.

Therefore she kneaded another,
And still a smaller one;
But it looked, when she turned it over,
As large as the first had done.

Word-Meanings: Seemed = appeared = प्रतीत होता था; kneaded = pressed and stretched the dough = गूंथना; large = big = बड़ा।

हिंदी अनुवाद :
इसलिए उसने छोटा-सा केक बनाया, लेकिन जब यह पक रहा था तो उसने इसे देखा और सोचा कि देने के लिए यह बहुत बड़ा है। इसलिए उसने एक अन्य केक का आटा गूंथा जो पहले से छोटा था। मगर जब उसने इसे पलटा तो उसे प्रतीत हुआ कि यह भी पहले केक जितना बड़ा है।

Questions :
(i) What did the woman make?
(ii) What seemed to the woman?
(iii) What did she do then?
(iv) How did the second cake appear her to be?
(v) What quality of the woman is presented in this stanza?
Answers:
(i) She made a very little cake.
(ii) It seemed to the woman that the cake was too big to give.
(iii) She made cake smaller than the first one.
(iv) It seemed to her to be as big as the first one.
(v) She was a selfish lady.

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STANZA – 9 & 10

Then she took a tiny scrap of dough,
And rolled and rolled it flat;
And baked it thin as a wafer-
But she couldn’t part with that.

For she said, ‘My cakes that seem too small
When I eat of them myself
Are yet too large to give away.
So she put them on the shelf.

Word-Meanings:
Tiny = very small = बहुत छोटा; scrap = small piece = छोटा टुकड़ा; dough = flour = आटा; wafer = thin bread or biscuit = पतला ब्रैड या बिस्कुट; part with = give to someone else = किसी को देना।

हिंदी अनुवाद :
तब उसने बहुत थोड़ा-सा गूंथा हुआ आटा लिया और उसे बेल-बेलकर चपटा कर दिया और बिस्कुट की तरह पतला केक बनाया। मगर वह उसे भी न दे सकी। क्योंकि उसने कहा, “जब मैं अपने खाने के लिए लेती हूँ तो केक बड़े छोटे प्रतीत होते हैं, किंतु देने के लिए ये बहुत बड़े हैं।” इसलिए उसने इसे शैल्फ पर रख दिया।

(i) What did the woman do with the tiny scrap of dough?
(ii) Did she give this cake to Saint Peter?
(iii) What did she think of her cakes?
(iv) What did she do with her very little cake?
(v) Who was the woman to give the cake to?
Answers :
(i) She made a very small and thin cake.
(ii) No, she did not give it to Saint Peter.
(iii) She thought that when she ate her cakes, they appeared very small. But when she thought of giving one to someone, they appeared very big.
(iv) She put it on the shelf.
(v) She was to give the cake to Saint Peter.

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STANZA – 11 & 12

Then good Saint Peter grew angry,
For he was hungry and faint;
And surely such as woman
Was enough to provoke a saint.

And he said, ‘You are far too selfish
To dwell in a human form,
To have both food and shelter,
And fire to keep you warm.

Word-Meanings:
Grew = became = हो गया; faint = very weak = बहुत कमज़ोर; provoke = make someone angry = नाराज़ करना; selfish = thinking of one’s own self = स्वार्थी; dwell = live = रहना।

हिंदी अनुवाद :
तब अच्छे संत पीटर को गुस्सा आ गया, क्योंकि वह भूखा और कमज़ोर था और निश्चय ही ऐसी औरत एक संत को भी क्रोधित कर सकती थी। और उसने कहा, “तुम इतनी अधिक.स्वार्थी हो कि तुम मनुष्य के रूप में रहने के काबिल नहीं हो। तुम भोजन, आश्रय एवं स्वयं को गरम रखने के लिए आग प्राप्त करने की पात्र भी नहीं हो।”

Questions :
(i) Why did Saint Peter grow angry?
(ii) Who made Saint Peter angry?
(iii) Who was very selfish?
(iv) Did she deserve to live in a human form?
(v) Who is described good in this extract?
Answers :
(i) He grew angry because he was hungry and faint.
(ii) The selfish woman made him angry.
(iii) The woman was very selfish.
(iv) No, she did not deserve to live in a human form.
(v) Saint Peter is described good in this extract.

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STANZA – 13 & 14

Now, you shall build as the birds do,
And shall get your scanty food By boring, and boring, and boring,
All day in the hard, dry wood. ’
Then up she went through the chimney,
Never speaking a word,
And out of the top flew a woodpecker,
For she was changed to a bird.

Word-Meanings: Build = to make = बनाना; scanty = very little = बहुत कम; boring = making holes = छेद करना; woodpecker = a kind of bird = कठफोड़ा।

हिंदी अनुवाद अब तुम पक्षियों की तरह घर बनाओगी और उनकी तरह तुम्हें बहुत कम भोजन तब मिलेगा, जब तुम सारा दिन सूखी लकड़ी में छेद करती रहोगी। तब वह चिमनी में से निकलकर उड़ गई और कोई शब्द नहीं बोला और चिमनी में से एक कठफोड़ा निकला, क्योंकि अब वह एक पक्षी बन गई थी।

Questions :
(i) How did Saint Peter punish the selfish woman?
(ii) What will she do to get her food as a bird?
(iii) What was the woman changed into?
(iv) From where did she fly out?
(v) Name the poem and the poet.
Answers :
(i) He cursed her to be changed into a bird.
(ii) She will keep boring all the day.
(iii) She was changed into a woodpecker.
(iv) She flew out of the chimney.
(v) ‘A Legend of the Northland’ by Phoebe Cary.

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STANZA – 15 & 16

She had a scarlet cap on her head,
And that was left the same;
But all the rest of her clothes were burned Black as a coal in the flame.
And every country schoolboy Has seen her in the wood,
Where she lives in the trees till this very day,
Boring and boring for food.

Word-Meanings : Scarlet = bright red = तीखा लाल; flame = fire = लपट।

हिंदी अनुवाद :
उसके सिर पर तीखे लाल रंग की टोपी थी, जो पहले की ही तरह थी। मगर उसके बाकी सब वस्त्र आग में जलकर कोयले की तरह काले हो गए थे। और हर स्कूली ग्रामीण लड़का उसे जंगल में देखता है, जहाँ वह आज भी वृक्षों में रहती है और भोजन के लिए तने में छेद करती रहती है।

Questions :
(i) What was the colour of the cap on her head?
(ii) How were the rest of her clothes?
(iii) What has every schoolboy seen?
(iv) What does the woodpecker do all the day?
(v) Where does she live now?
Answers :
(i) It was a scarlet cap.
(ii) The rest of her clothes were burned black as a coal.
(iii) Every schoolboy has seen a woodpecker.
(iv) The woodpecker keeps boring the trees all the day for her food.
(v) Now she lives in the trees.

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A Legend of the Northland Summary

A Legend of the Northland Introduction in English

This is a simple poem with a moral. It teaches us that we should not be greedy. We must help the poor and hungry people. One day St. Peter was hungry after the day’s fasting. He saw a woman making cakes. He asked her for one. The woman was very greedy. She made a very small and thin cake for St. Peter. But she did not want to part with even this cake. St. Peter became angry. He cursed the woman to be changed into a bird. She became a woodpecker and flew out of the chimney. She still lives in the wood and keeps boring the trees for food. ‘

A Legend of the Northland Summary in English

n this poem, the poetess tells us a story. It is a story of the Northland. At that time, St. Peter lived on the earth. He used to go round the world and preach in his typical manner. One day, he came to a cottage. He saw a woman making cakes. St. Peter had fasted for the whole day. So he was hungry and tired. He asked the woman to give him a cake from her store of cakes.

The woman was very greedy. She made a very small cake for the saint. But when the cake was baking, she thought that it was too large to give away. So she made another one which was smaller even than the first. But when it was ready, she thought that it was also too big to be given. So she made a very small and very thin cake for him. But as she was greedy, she did not want to part with even this cake. She placed it on the shelf.

The Saint Peter saw this and grew angry. He told her, “You are very selfish. You do not deserve to live in the world in human form. You do not deserve food, shelter and fire to keep you warm.” He cursed her to be changed in a bird. She became a woodpecker and flew out of the chimney. In the end, the poetess says that every school going boy has seen her in the wood. She still lives there in the trees. She keeps boring trees for her food all the day.

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Poem 5 A Legend of the Northland

A Legend of the Northland Introduction in Hindi

यह एक सादी एवं शिक्षाप्रद कविता है। यह हमें सिखाती है कि हमें लालची नहीं होना चाहिए। हमें गरीब एवं भूखे लोगों की सहायता करनी चाहिए। एक बार संत पीटर पूरे दिन के उपवास के बाद भूखे थे। उन्होंने एक स्त्री को केक बनाते देखा। उन्होंने उससे एक केक मांगा। स्त्री बड़ी लालची थी। उसने संत पीटर के लिए बहुत छोटा और पतला केक बनाया। मगर वह इस केक को भी नहीं देना चाहती थी। संत पीटर को गुस्सा आ गया। उन्होंने स्त्री को श्राप दिया कि वह पक्षी बन जाए। वह कठफोड़ा बन गई और चिमनी से निकलकर उड़ गई। वह आज भी जंगल में रहती है और भोजन के लिए वृक्षों में छेद करती रहती है।

A Legend of the Northland Summary in Hindi

इस कविता में, कवयित्री हमें एक कहानी सुनाती है। यह नार्थलैंड की कहानी है। उस समय संत पीटर धरती पर रहते थे। वे संसार में घूमा करते थे और अपने विशेष तरीके से उपदेश दिया करते थे। एक दिन, वे एक घर में आए। उन्होंने एक स्त्री को केक बनाते हुए देखा। संत पीटर ने सारा दिन उपवास रखा था। इसलिए वे भूखे एवं धके हुए थे। उन्होंने स्त्री से कहा कि वह उन्हें अपने केकों के भंडार में से एक केक दे दे।

स्त्री बहुत लालची थी। उसने संत के लिए बहुत छोटा-सा केक बनाया। मगर जब वह केक पका रही थी तो उसने सोचा कि यह देने के लिए बहुत बड़ा केक है। इसलिए उसने एक अन्य केक बनाया, जो पहले केक से छोटा था। मगर जब केक तैयार हो गया तो उसने सोचा कि यह केक भी देने के लिए बड़ा है। इसलिए उसने उसके लिए बहुत छोटा और बहुत पतला केक बनाया। मगर क्योंकि वह लालची थी, वह इस केक को भी नहीं देना चाहती थी। उसने इसे शैल्फ पर रख दिया।

संत पीटर ने यह सब देखा और उन्हें गुस्सा आ गया। उन्होंने उसे कहा, “तुम बहुत स्वार्थी हो। तुम इस संसार में मानवीय रूप में रहने के काबिल नहीं हो। तुम भोजन, आश्रय एवं स्वयं को गरम रखने के लिए आग की हकदार भी नहीं हो।” उन्होंने उसे पक्षी बन जाने का श्राप दिया। वह कठफोड़ा बन गई और चिमनी में से निकलकर उड़ गई। अंत में, कवयित्री कहती है कि हर स्कूली लड़के ने उसे जंगल में देखा है। वह अभी भी वृक्षों में रहती है। वह अपने भोजन के लिए सारा दिन वृक्षों में छेद करती रहती है।

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HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रवाद से आप क्या समझते हैं ? क्षेत्रवाद के विकास के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
क्षेत्रवाद का अर्थ (Meaning of Regionalism):
भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् राजनीति में जो नए प्रश्न उभरे हैं, उनमें क्षेत्रवाद (Regionalism) का प्रश्न एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे-से क्षेत्र से है जो आर्थिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। प्रो० डी० सी० गुप्ता (D.C. Gupta) के अनुसार, “क्षेत्रवाद का अर्थ देश की अपेक्षा किसी विशेष क्षेत्र से प्यार है।” – फ्रॉसटर (Froster) के मतानुसार क्षेत्रवाद से अभिप्राय एक देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक आदि से अपने अस्तित्व के प्रति जागरूक है।”

प्रो० एस० आर० माहेश्वरी (S.R. Maheshwari) के अनुसार, “क्षेत्रवाद के किसी खास क्षेत्र के पारस्परिक समानता और एकरूपता के अलावा बाकी देश से अलग विभिन्नता की भावना का होना ज़रूरी है।” भारत की राजनीति को क्षेत्रवाद और क्षेत्रीय आन्दोलनों ने बहुत अधिक क्षेत्रीय आकांक्षाएँ प्रभावित किया है और यह भारत के लिए एक जटिल समस्या बन रही है और आज भी विद्यमान है।

आज यदि किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि वह कौन है तो वह भारतीय कहने के स्थान पर बंगाली, बिहारी, पंजाबी, हरियाणवी आदि कहना पसन्द करेगा। यद्यपि संविधान के अन्तर्गत प्रत्येक नागरिक को भारत की ही नागरिकता दी गई है तथापि लोगों में क्षेत्रीयता व प्रान्तीयता की भावनाएं इतनी पाई जाती हैं कि वे अपने क्षेत्र या प्रान्त के लिए राष्ट्रीय हित को बलिदान करने के लिए तत्पर रहते हैं। 1950 से लेकर आज तक क्षेत्रवाद की समस्या भारत सरकार को घेरे हए है और विभिन्न क्षेत्रों में आन्दोलन चलते रहते हैं।

क्षेत्रवाद के विकास के कारण (Reasons for development of Regionalism) क्षेत्रवाद भावना की उत्पत्ति एक कारण से न होकर अनेक कारणों से होती है, जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैं

1. भौगोलिक एवं सांस्कृतिक कारण:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् जब राज्यों का पुनर्गठन किया गया तब राज्य की पुरानी सीमाओं को भुलाकर नहीं किया गया बल्कि उनको पुनर्गठन का आधार बनाया गया है। इसी कारण एक राज्य के रहने वाले लोगों में एकता की भावना नहीं आ पाई। प्रायः भाषा और संस्कृति क्षेत्रवाद की भावनाओं को उत्पन्न करने में बहुत सहयोग देते हैं।

2. ऐतिहासिक कारण:
क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में इतिहास का दोहरा सहयोग रहा है-सकारात्मक सकारात्मक योगदान के अन्तर्गत शिव सेना का उदाहरण दिया जा सकता है और नकारात्मक के अन्तर्गत द्रविड़ मुनेत्र कड़गम का कहना है कि प्राचीनकाल से ही उत्तरी राज्य दक्षिणी राज्यों पर शासन करते आए हैं।

3. भाषा:”
भारत में सदैव ही अनेक भाषाएं बोलने वालों ने कई बार अलग राज्य के निर्माण के लिए व्यापक आन्दोलन किए हैं। भारत सरकार ने भाषा के आधार पर राज्यों का गठन करके ऐसी समस्या उत्पन्न कर दी है जिसका अन्तिम समाधान निकालना बड़ा कठिन होता है।

4. जाति:
जाति ने भी क्षेत्रवाद की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही, वहां पर क्षेत्रवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है। यही कारण है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में क्षेत्रवाद का उग्र स्वरूप देखने को मिलता है।

5. धार्मिक कारण:
धर्म भी कई बार क्षेत्रवाद की भावनाओं को बढ़ाने में सहायता करता है। पंजाब में अकालियों की पंजाबी सूबे की मांग कुछ हद तक धर्म के प्रभाव का परिणाम थी।

6. आर्थिक कारण:
क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में आर्थिक कारण महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। भारत में जो थोड़ा बहुत आर्थिक विकास हुआ है उसमें बहुत असमानता रही है। कुछ प्रदेशों का अधिक विकास हुआ है और कुछ क्षेत्रों का विकास बहुत कम हुआ है। इसका कारण यह रहा है कि जिन व्यक्तियों के हाथों में सत्ता रही है उन्होंने अपने क्षेत्रों के विकास की ओर ही अधिक ध्यान दिया। अत: पिछड़े क्षेत्रों में यह भावना उभरी कि यदि सत्ता उनके पास होती तो उनके क्षेत्र पिछड़े न रह जाते। इसलिए इन क्षेत्रों के लोगों में क्षेत्रवाद की भावना उभरी और इन्होंने अलग राज्यों की मांग की।

7. राजनीतिक कारण:
क्षेत्रवाद की भावनाओं को भड़काने में राजनीतिज्ञों का भी हाथ रहा है। कई राजनीतिज्ञ यह सोचते हैं कि यदि उनके क्षेत्र को अलग राज्य बना दिया जाएगा तो इससे उनको राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति हो जाएगी अर्थात् उनके हाथ भी सत्ता लग जाएगा।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 2.
पंजाब समस्या पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पंजाब उत्तर भारत का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। इस राज्य की अधिकांश जनसंख्या सिक्ख समुदाय से सम्बन्धित है। 1966 में पंजाब राज्य का विभाजन करके हरियाणा नाम का एक नया राज्य बना दिया गया। पंजाब में अकाली दल महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय राजनीतिक दल है। अकाली दल ने जनसंघ के साथ मिलकर 1967 एवं 1977 में पंजाब में अपनी सरकार बनाई। अकाली दल एवं कांग्रेस में सदैव मतभेद रहे हैं। 1980 में जब अकाली चुनाव हार गए तो उन्होंने केन्द्र में कांग्रेस के विरुद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया। उस समय अकाली दल की मांग थी कि

  • चण्डीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया जाए।
  • दूसरे राज्यों के पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब में मिलाया जाए।
  • पंजाब का औद्योगिक विकास किया जाए।
  • भाखड़ा नंगल योजना पंजाब के नियन्त्रणाधीन हो।
  • देश के सभी गुरुद्वारे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रबन्ध में हों।

पंजाब में धीरे-धीरे अशांति बढ़ने लगी थी। अतः केन्द्र की श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार ने ‘आपरेशन ब्लू स्टार’ के अन्तर्गत पंजाब में कार्यवाही की। इसके विरोध में 31 अक्तूबर, 1984 को श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या कर दी गई। जिससे दिल्ली में सिक्ख विरोधी दंगे शुरू हो गए। एक अनुमान के अनुसार इन दंगों में लगभग 2000 सिख पुरुष, स्त्री एवं बच्चे मारे गए। इस तरह पंजाब समस्या एवं सिक्ख विरोधी दंगों के कारण देश की एकता एवं अखण्डता के लिए खतरा पैदा हो गया।

इसीलिए प्रधानमन्त्री श्री राजीव ने पंजाब में शान्ति बनाये रखने के लिए अकाली नेताओं से समझौता किया। जिसे पंजाब समझौते के नाम से भी जाना जाता है। पंजाब समझौता-जन, 1985 में पंजाब के राज्यपाल अर्जन सिंह ने अकाली नेताओं से पंजाब समस्या पर प्रारम्भिक बातचीत शुरू कर दी। 24 जुलाई, 1985 की शाम भारतीय इतिहास की एक विशिष्ट शाम थी क्योंकि इस दिन बड़े लम्बे समय से चली आ रही पंजाब समस्या को हल किया गया।

प्रधानमन्त्री राजीव गांधी और अकाली नेताओं लौंगोवाल, सुरजीत सिंह बरनाला तथा बलवन्त सिंह) में समझौता हुआ। पंजाब समझौते का सभी राजनीतिक दलों और पंजाब की आम जनता ने स्वागत किया। 26 जुलाई, 1985 को अकाली दल ने आनन्दपुर में प्रधानमन्त्री राजीव गांधी और सन्त हरचन्द सिंह लौंगोवाल के बीच हुए समझौते को अपनी स्वीकृति दे दी।

20 अगस्त, 1985 को संगरूर से 4 किलोमीटर दूर शरंपुर गांव के एक गुरद्वारे में राजनीतिक भाषण के बाद सन्त लौंगोवाल हो रही अरदास में माथा टेकने के लिए नीचे झुके ही थे कि धड़ाधड़ गोलियां चलीं। सन्त लौंगोवाल को तीन गोलियां लगीं और संगरूर अस्पताल में उनका देहान्त हो गया। सन्त लौंगोवाल की हत्या का गहरा आघात न केवल अकाली दल को लगा बल्कि समस्त भारत शोक में डूब गया।

25 अगस्त को सुरजीत सिंह बरनाला को अकाली दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। – प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी और अकाली दल के अध्यक्ष श्री हरचन्द सिंह लौंगोवाल के बीच हुए समझौते का विवरण इस प्रकार है

1. मारे गए निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवज़ा:
एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही या आन्दोलन में मारे गए लोगों को अनुगृह राशि के भुगतान के साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवज़ा दिया जाएगा।

2. सेना में भर्ती:
देश के सभी नागरिकों को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार रहेगा।

3. नवम्बर दंगों की जांच:
दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जांच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढ़ाकर उसमें बोकारो और कानपुर में हुए उपद्रवों की जांच को भी शामिल किया जाएगा।

4. सेना से निकाले हुए व्यक्तियों का पुनर्वास:
सेना से निकाले हुए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोजगार दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।

5. अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून:
भारत सरकार अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून बनाने पर सहमत हो गई। इसके लिए शिरोमणि अकाली दल और अन्य सम्बन्धियों के साथ सलाह-मश्वरा और संवैधानिक ज़रूरतें पूरी करने के बाद विधेयक लागू किया जाएगा।

6. लम्बित मकद्दमों का फैसला:
सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानन को पंजाब में लाग करने वाली अधिसचना वापस ली जाएगी। वर्तमान विशेष न्यायालय केवल विमान अपहरण तथा शासन के खिलाफ युद्ध के मामले सुनेगी। शेष मामले सामान्य न्यायालयों को सौंप दिए जाएंगे और यदि आवश्यक हुआ तो इसके बारे में कानून बनाया जाएगा।

7. सीमा विवाद:
चण्डीगढ़ का राजधानी परियोजना क्षेत्र और सुखना ताल पंजाब को दिए जाएंगे। केन्द्र शासित प्रदेश के अन्य पंजाबी क्षेत्र पंजाब को तथा हिन्दी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिए जाएंगे।

प्रश्न 3.
भारतीय सरकार किस प्रकार लोकतान्त्रिक बातचीत का रास्ता अपनाते हुए कश्मीर समस्या के समाधान की दिशा में प्रयत्नशील रही है ? व्याख्या कीजिए।
अथवा
कश्मीर समस्या पर एक विस्तृत नोट लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता से पूर्व कश्मीर भारत के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित एक देशी रियासत थी। 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ और पाकिस्तान की भी स्थापना हुई। पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा प्रान्त के कबाइली लोगों को प्रेरणा और सहायता देकर 22 अक्तूबर, 1947 को कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और कश्मीर को भारत में शामिल करने की प्रार्थना की।

भारत में कश्मीर का विधिवत् विलय हो गया, परन्तु पाकिस्तान का आक्रमण जारी रहा और पाकिस्तान ने कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और अब भी उस क्षेत्र पर जिसे ‘आज़ाद कश्मीर’ कहा जाता है, पाकिस्तान का कब्जा है। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। भारत सरकार ने कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र को सौंप दिया और 1 जनवरी, 1949 को कश्मीर का युद्ध विराम हो गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कश्मीर की समस्या को हल करने का प्रयास किया पर यह समस्या अब भी है।

इसका कारण यह है कि भारत सरकार कश्मीर को भारत का अंग मानती है जबकि पाकिस्तान कश्मीर में जनमत संग्रह करवा कर यह निर्णय करना चाहता है कि कश्मीर भारत में मिलना चाहता है या पाकिस्तान के साथ। परन्तु पाकिस्तान की मांग गलत और अन्यायपूर्ण है, इसलिए इसे माना नहीं जा सकता। भारत ने सदैव ही कश्मीर समस्या को हल करने का प्रयास किया है, परन्तु पाकिस्तान के अड़ियल रवैये के कारण इसमें सफलता नहीं मिली।

शिमला समझौता:
1972 में हुए शिमला समझौते के अन्तर्गत कश्मीर समस्या को बातचीत द्वारा हल करने की बात कही गई है, भारत ने इस दिशा में लगातार प्रयास भी किया है, परन्तु पाकिस्तान की और से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले।

1. लाहौर घोषणा:
जनवरी, 1999 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी बस से लाहौर गए तथा जम्मू-कश्मीर समस्या को हल करने की पहल की।

2. आगरा शिखर वार्ता:
जम्मू-कश्मीर सहित अन्य समस्याओं पर बातचीत के लिए भारत ने पाकिस्तान के शासक जनरल परवेज मुशरफ को भारत आने का निमन्त्रण दिया तथा आगरा में दोनों देशों में शिखर वार्ता हुई। परन्तु पाकिस्तान के कारण यह बातचीत सफल न हो सकी।

महत्त्वपूर्ण नोट:
भारत सरकार ने 5-6 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर ने सम्बन्धित धारा 370 को समाप्त कर दिया तथा स्पष्ट किया, कि अब केवल पाकिस्तान के गैर-कानूनी कब्जे वाले (पी० ओ० के०-P.O.K.) पर ही बातचीत होगी।

प्रश्न 4.
उत्तर-पूर्वी राज्यों की चुनौतियों एवं उसकी अनुक्रियाओं पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, मिज़ोरम एवं त्रिपुरा) से मिलकर बनता है। इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर बुला लिया जाता है। ये सातों राज्य भारत के अन्य राज्यों की तरह अधिक उन्नति नहीं कर पाए हैं। इसी कारण यहां पर आर्थिक तथा सामाजिक पिछड़ापन पाया जाता है जिसके कारण यहां पर विदेशी ताकतों के समर्थन पर कुछ अलगाववादी तत्त्व अशान्ति फैलाते रहते हैं।

इन राज्यों की अधिकतर जातियां पिछड़ी हुई हैं। संचार साधनों की कमी है, भाषा की विभिन्नता, यातायात के साधनों की कमी तथा अधिकांशतः बेरोज़गारी पाई जाती है, जिसके कारण यहां के स्थानीय निवास अलगाववादी गुटों के बहकावे में आ जाते हैं। इन सभी राज्यों में अपने अलग-अलग राजनीतिक दल हैं, जो सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हैं, इन क्षेत्रीय दलों का वर्णन इस प्रकार है

1. नागालैण्ड (Nagaland):
नागालैण्ड उत्तर-पूर्व का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। इसकी जनसंख्या लगभग 20 लाख है। इसकी राजधानी कोहिमा है। नागालैण्ड में अनेक जातियां एवं कबीले पाए जाते हैं। इसमें यूनाइटिड डेमोक्रेटिक फ्रण्ट, नागा नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी तथा नागा नेशनल सोशलिस्ट काऊंसिल जैसे राजनीतिक दल पाए जाते हैं। अन्तिम दल अलगाववादियों से सम्बन्धित है।

2. मणिपुर (Manipur):
मणिपुर की जनसंख्या लगभग 27 लाख है। इसकी राजधानी इम्फाल है तथा यहां की मुख्य भाषा मणिपुरी है तथा इसमें कुल 9 ज़िले हैं। मणिपुर 1972 में राज्य बना। इसमें मणिपुर हिल यूनियन, कूकी नेशनल एसेम्बली तथा मणिपुर जनमुक्ति सेना जैसे क्षेत्रीय दल पाए हैं। अन्तिम दल अलगाववादी दल है।

3. मेघालय (Meghalaya):
मेघालय भी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। इस राज्य की राजधानी शिलांग है। यहां की जनसंख्या लगभग 29 लाख है तथा यहां की मुख्य भाषा खासी, गारो तथा अंग्रेज़ी है। मेघालय के कुछ क्षेत्रीय दल आल पार्टी हिल लीडर्स कान्फ्रेंस तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी हैं।

4. त्रिपुरा (Tripura):
त्रिपुरा राज्य की राजधानी अगरतला है। यहां की जनसंख्या लगभग 36 लाख है। यहां की मुख्य भाषाएं बंगला और काकबरक है। त्रिपुरा में चार ज़िले हैं। त्रिपुरा को 1972 में राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। यहां पर कई छोटे-छोटे क्षेत्रीय राजनीतिक दल हैं। इनमें त्रिपुरा उपजाति युवा समिति तथा त्रिपुरा जनमुक्ति संगठन सेवा प्रमुख हैं।

5. मिज़ोरम (Mizoram):
मिज़ोरम राज्य की राजधानी आइजोल है। इसकी जनसंख्या लगभग 10 लाख है तथा मिज़ो और अंग्रेज़ी यहां की मुख्य भाषाएं हैं। मिज़ोरम को 1987 में भारत का 23वां राज्य बनाया गया। मिज़ोरम के मुख्य क्षेत्रीय दल पीपुल्स कान्फ्रेंस तथा मिज़ो यूनियन पार्टी। मिज़ोरम में एक अलगाववादी संगठन मिजो नेशनल फ्रंट भी है, जो हिंसक कार्यवाहियों में संलग्न रहता है।

6. असम (Assam):
भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में सबसे बड़ा राज्य असम है। यहां की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है। यहां की मुख्य भाषा असमिया है तथा यहां की राजधानी दिसपुर है। असम में उल्फा नामक एक उग्रवादी एवं अलगाववादी संगठन पाया जाता है। असम का सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल असम गण परिषद् है।

प्रश्न 5.
‘असम आन्दोलन सांस्कृतिक गौरव और आर्थिक पिछड़ेपन की मिली-जुली अभिव्यक्ति था।’ इस कथन का औचित्य निर्धारित कीजिए।
उत्तर:
भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, मिज़ोरम एवं त्रिपुरा) से मिलकर बनता है। इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर बुला लिया जाता है। ये सातों राज्य भारत के अन्य राज्यों की तरह अधिक उन्नति नहीं कर पाए हैं। इसी कारण यहां पर आर्थिक तथा सामाजिक पिछड़ापन पाया जाता है जिसके कारण यहां पर विदेशी ताकतों के समर्थन पर कुछ अलगाववादी तत्त्व अशान्ति फैलाते रहते हैं। इन राज्यों की अधिकतर जातियां पिछड़ती हुई हैं।

संचार साधनों की कमी है, भाषा की विभिन्नता, यातायात के साधनों की कमी तथा अधिकांशतः बेरोज़गारी पाई जाती है, जिसके कारण यहां के स्थानीय निवासी अलगाववादी गुटों के बहकावे में आ जाते हैं। इन सभी राज्यों में अपने अलग-अलग राजनीतिक दल हैं, जो सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हैं। असम पूर्वोत्तर भारत का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। असम राज्य में शामिल अलग-अलग धर्मों एवं भाषायी समुदायों ने सांस्कृतिक अभियान और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण असम से अलग होने की मांग की।

इसे ही असम आन्दोलन कहा जाता है। आज़ादी के समय में मणिपुर एवं त्रिपुरा को छोड़कर शेष क्षेत्र असम कहलाता था। गैर-असमी लोगों को यह लगा कि असम सरकार हम पर असमिया भाषा थोपने का प्रयास कर रही है, तो इन लोगों ने असम सरकार के इस प्रयास का विरोध किया। इसके साथ-साथ गैर-असमी लोग यह सोचने को मजबूर हो गये कि आर्थिक तौर पर पिछड़ने का एक मुख्य कारण उनका गैर-असमी होना है।

अत: इन गैर-असमी लोगों ने असम से अलग होने की मांग उठाई। जिसके परिणामस्वरूप केन्द्र सरकार ने धीरे-धीरे असम को बांटकर मेघालय, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश नामक नये राज्य बनाये।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रवाद क्या है ?
उत्तर:
क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के छोटे-से क्षेत्र से है जो आर्थिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् राजनीति में जो नए प्रश्न उभरे हैं, उनमें क्षेत्रवाद का प्रश्न एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। भारत की राजनीति को क्षेत्रवाद ने बहुत प्रभावित किया है। यह भारत के लिए एक जटिल समस्या बन रही है और आज भी विद्यमान है। आज यदि किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि वह कौन है तो वह भारतीय कहने के स्थान पर बंगाली, बिहारी, पंजाबी, हरियाणवी आदि कहना पसन्द करेगा।

प्रश्न 2.
क्षेत्रीयवाद की प्रकृति के कोई चार दुष्परिणाम लिखें।
अथवा
भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद’ के कोई चार प्रभाव लिखो।
अथवा
क्षेत्रीय राजनीति के कोई चार दुष्परिणाम बताइये।
उत्तर:
(1) क्षेत्रवाद के आधार पर राज्य केन्द्रीय सरकार से सौदेबाज़ी करते हैं। यह सौदेबाज़ी न केवल आर्थिक विकास के लिए होती है, बल्कि कई बार कई महत्त्वपूर्ण समस्याओं के समाधान के लिए भी होती है।

(2) क्षेत्रवाद ने कुछ हद तक भारतीय राजनीति में हिंसक विधियों को उभारा है। कुछ राजनीतिक दल इसे अपनी लोकप्रियता का साधन बना लेते हैं। ..

(3) चुनावों के समय भी क्षेत्रवाद का सहारा लिया जाता है। क्षेत्रीयता के आधार पर राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं और क्षेत्रीय भावनाओं को भड़का कर वोट प्राप्त करने की चेष्टा की जाती है।

(4) मन्त्रिमण्डल का निर्माण करते समय क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। मन्त्रिमण्डल में प्रायः सभी मुख्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को लिया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में क्षेत्रवाद की उत्पत्ति के कोई चार कारण लिखिए।
अथवा
भारत में क्षेत्रवाद’ के कोई चार कारण लिखो।
अथवा
भारतीय क्षेत्रीयवाद के कोई चार कारण बताइये।
उत्तर:
(1) क्षेत्रवाद की उत्पत्ति का महत्त्वपूर्ण कारण भाषा का विवाद है। क्षेत्रीयवाद की समस्या स्पष्ट रूप से भाषा से सम्बन्धित है। भाषा के आधार पर अलग राज्य के निर्माण के लिए आन्दोलन होते रहते हैं।

(2) जाति ने क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही है, वहीं पर क्षेत्रीयवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है।

(3) क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में आर्थिक कारणों ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। अविकसित क्षेत्रों ने अलग राज्य की स्थापना के लिए आन्दोलन किए। पिछड़े क्षेत्रों में यह भावना उभरी कि यदि सत्ता उनके पास होती तो उनके क्षेत्र पिछड़े न रह जाते।

(4) धर्म भी कई क्षेत्रवाद की भावनाओं को बढ़ाने में सहायता करता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 4.
क्षेत्रीय असन्तुलन क्या है ?
उत्तर:
भारत में संघीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है। भारत में 28 राज्य और 8 संघीय क्षेत्र हैं। क्षेत्रीय असन्तुलन का अर्थ यह है कि भारत के विभिन्न राज्यों तथा क्षेत्रों का विकास एक जैसा नहीं है। कुछ राज्यों का आर्थिक विकास बहुत अधिक हुआ है और वहां के लोगों का जीवन स्तर भी ऊंचा है जबकि कुछ राज्यों का विकास बहुत कम हुआ है तथा वहां के लोगों का जीवन स्तर भी बहुत निम्न स्तर का है।

भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के विकास स्तर और लोगों के जीवन स्तर में पाए जाने वाले अन्तर को क्षेत्रीय असन्तुलन का नाम दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल आदि राज्य अत्यधिक विकसित हैं। जबकि बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश आदि अति पिछड़े हुए क्षेत्र हैं।

प्रश्न 5.
क्षेत्रीय असन्तुलन भारतीय लोकतन्त्र पर क्या प्रभाव डाल रहा है ?
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन भारतीय लोकतन्त्र पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रभाव डाल रहा है

(1) पिछड़े क्षेत्रों के लोगों में असन्तुष्टता की भावना बड़ी तेजी से बढ़ रही है और ऐसे क्षेत्रों के लोगों का यह सोचना है कि उनके पिछड़ेपन के लिए सरकार जिम्मेवार है काफ़ी हद तक उचित प्रतीत होता है।

(2) क्षेत्रीय असन्तुलन से लोगों में क्षेत्रवाद की भावना उत्पन्न हो रही है। क्षेत्रवाद ने पृथक्कतावाद की भावना को जन्म दिया है।

(3) क्षेत्रीय असन्तुलन ने अनेक क्षेत्रीय दलों को जन्म दिया है और ये दल राष्ट्र की अपेक्षा अपने क्षेत्र के हित को अधिक महत्त्व देते हैं।

(4) क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण कई क्षेत्रों में आतंकवाद का उदय हुआ है। आतंकवाद ने हमारे लोकतन्त्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

प्रश्न 6.
भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कोई चार कारण बताओ।
उत्तर:
(1) भौगोलिक विषमताओं ने क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा किया है। परिस्थितियों के कारण भारत में एक ओर राजस्थान जैसा मरुस्थल है जो कम उपजाऊ है, तो दूसरी ओर पंजाब जैसे उपजाऊ क्षेत्र हैं।

(2) भाषा की विभिन्नता ने क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा किया है।

(3) ब्रिटिश सरकार ने कुछ क्षेत्रों का विकास किया और कुछ का नहीं किया, जिससे क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा हुआ। अंग्रेज़ों ने कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई का अधिक विकास किया। इन क्षेत्रों के लोगों का जीवन स्तर अन्य क्षेत्रों से कहीं अधिक ऊंचा है।

(4) क्षेत्रीय असन्तुलन का एक महत्त्वपूर्ण कारण नेताओं की भूमिका है। जिस क्षेत्र का वह नेता है, अपने क्षेत्र के विकास की ओर अधिक ध्यान देता है जिससे अन्य क्षेत्र अविकसित रह जाते हैं।

प्रश्न 7.
क्षेत्रवाद को समाप्त करने के कोई चार सुझाव दीजिए।
अथवा
भारत में क्षेत्रीयवाद की बढ़ती प्रवृत्ति को समाप्त करने के कोई चार सुझाव दीजिए।
अथवा
भारत में क्षेत्रीयवाद को समाप्त करने के लिए कोई चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:
(1) पिछड़े हुए क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। पिछड़े क्षेत्रों में विशेषकर बिजली, यातायात व संचार के साधनों का विकास किया जाए।

(2) क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने वाले दलों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।

(3) जो प्रशासनिक अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में नियुक्त किए जाएं उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हीं को नियुक्त किया जाए जो इन क्षेत्रों के बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान भी रखते हों।

(4) केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में सभी क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।

प्रश्न 8.
‘क्षेत्रीय असन्तुलन भारत में क्षेत्रवाद के प्रमुख कारण हैं।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन से अभिप्राय विभिन्न क्षेत्रों के बीच प्रति व्यक्ति आय, साक्षरता दरों, स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता, औद्योगीकरण का स्तर आदि के आधार पर अन्तर पाया जाना है। भारत में विभिन्न राज्यों के बीच व्यापक पैमाने पर असन्तुलन पाया जाता है। क्षेत्रीय भिन्नताओं एवं असन्तुलन के कारण क्षेत्रीय भेदभाव को बढावा मिलता है।

भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण क्षेत्रवादी भावनाओं को बल मिला है। इसके कारण कई क्षेत्रों ने पृथक राज्य की मांग की है। बिहार और पश्चिमी बंगाल में झारखण्ड, उत्तर प्रदेश में उत्तराँचल (उत्तराखंड) और मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ राज्यों की मांग क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण ही की गई थी। क्षेत्रीय असन्तुलन ने क्षेत्रवादी हिंसा, आन्दोलनों व तोड़-फोड़ को बढ़ावा दिया है। अनेक क्षेत्रीय दल क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण ही बने हैं जो अब क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। क्षेत्रीय असन्तुलन ने अन्तर्राज्यीय विवादों को बढ़ावा दिया है जिससे क्षेत्रवादी भावनाएं और भी उग्र हो गई हैं।

प्रश्न 9.
क्षेत्रीय दल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
चुनाव आयोग उस राजनीतिक दल को राज्य अथवा क्षेत्रीय स्तर के दल के रूप में मान्यता देता है जिसने लोकसभा अथवा विधानसभा के चुनावों में कुल पड़े वैध मतों का 6 प्रतिशत मत प्राप्त किया हो और विधानसभा में कम-से-कम 2 सीटें जीती हों, अथवा राज्य विधानसभा में कुल सीटों की कम-से-कम तीन प्रतिशत सीटें या कम से-कम तीन सीटें (इनमें से जो भी अधिक हो) प्राप्त की हों। जिस राजनीतिक दल ने लोकसभा के किसी आम चुनाव में या लोकसभा की प्रत्येक 25 सीटों पर एक जीत या इससे किसी अन्य आबंटित हिस्से में इसी अनुपात में जीत हासिल की हो।

इसके विकल्प के तौर पर सम्बन्धित राज्य में पार्टी द्वारा खड़े किये गए उम्मीदवारों को सभी संसदीय क्षेत्रों में मतदान का कम से कम 6 प्रतिशत मत प्राप्त होना चाहिए। इसके अलावा इसी आम चुनाव में पार्टी को राज्य में कम-से-कम एक लोकसभा सीट पर जीत भी हासिल होनी चाहिए। राज्य स्तरीय दल को क्षेत्रीय दल भी कहा जाता है और क्षेत्रीय दल का अस्तित्व राज्य के बाहर भी हो सकता है। चुनाव आयोग ने 53 राज्य स्तरीय दलों को मान्यता प्रदान की हई है।

प्रश्न 10.
क्षेत्रीय पार्टियों की उत्पत्ति के भारत में कारण बताएं।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रीय दलों के साथ अनेक क्षेत्रीय दल भी पाए जाते हैं। चुनाव आयोग ने 53 दलों को राज्य स्तर के दलों के रूप में मान्यता दी हुई है। क्षेत्रीय दलों की उत्पत्ति के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

1. भौगोलिक कारण:
भारत एक विशाल देश है। इसकी भौगोलिक बनावट में विभिन्नताएं पाई जाती हैं। मिज़ो हिल्स पीपुल्स युनियन तथा सिक्किम संग्राम परिषद जैसे दलों के लिए भौगोलिक कारण ही उत्तरदायी हैं।

2. जातिवाद:
भारत में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। भारत में अनेक क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का निर्माण जाति के आधार पर हआ है। उदाहरण के लिए तमिलनाड़ में डी० एम० के० तथा अन्ना० डी० एम० के० ब्राह्मण विरोधी या गैर-ब्राह्मण के दल हैं।

3. धर्म:
धर्म भी क्षेत्रीय दलों के निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण कारण है।

4. आर्थिक पिछड़ापन:
भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में पाई जाने वाली आर्थिक असमानताओं ने असंतुष्ट लोगों को क्षेत्रीय दलों में संगठित होने के लिए प्रोत्साहित किया है।

प्रश्न 11.
शिरोमणि अकाली दल की कोई चार नीतियां लिखिए।
उत्तर:

  • शिरोमणि अकाली दल ने आनन्दपुर साहिब के प्रस्ताव को राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने वाला बताया है और इस प्रस्ताव में वर्णित सच्चे संघवाद को लागू करने की बात की है।
  • चण्डीगढ़ और हरियाणा की सीमा के साथ लगते पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब में मिलाने की मांग की गई है।
  • शिरोमणि अकाली दल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना को रद्द करने की बात कही है।
  • पंजाब में हर हालत में शान्ति बनाई रखी जाएगी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 12.
अखिल भारतीय अन्नाद्रमुक दल की कोई चार नीतियां लिखिए।
उत्तर:

  • अन्ना डी० एम० के० श्री सी० एन० अन्नादुराय के सिद्धान्तों में पूरा विश्वास रखती है।
  • पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में तमिलनाडु में ईमानदार और कुशल प्रशासन स्थापित करने का वायदा किया है।
  • यह दल लोकतन्त्र में विश्वास रखता है। इस दल का विश्वास है कि सरकार की शक्तियों का स्रोत जनता है और सरकार को अपनी नीतियों का निर्माण जनमत को ध्यान में रखकर करना चाहिए।
  • यह दल समाजवाद का समर्थन करता है। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य लोकतन्त्रीय समाजवाद की स्थापना करना है।

प्रश्न 13.
नेशनल कान्फ्रेंस पार्टी के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
नेशनल कान्फ्रैंस जम्मू-कश्मीर का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल के वर्तमान अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला हैं। नेशनल कान्फ्रैंस राज्य स्वायत्तता के पक्ष में है। नेशनल कान्फ्रैंस ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को स्थायी माना है, जिसे बदला नहीं जा सकता। परन्तु नेशनल कान्फ्रैंस अनुच्छेद 370 को रखने के पक्ष में है और इसमें किसी प्रकार का संशोधन करने के पक्ष में नहीं है।

पार्टी जम्मू-कश्मीर की एकता व अखण्डता को बनाए रखने के पक्ष में है। पार्टी धर्म-निरपेक्षता में विश्वास रखती है और राज्य में से कट्टरपंथियों को समाप्त करने के पक्ष में है। पार्टी राज्य में सभी समुदायों में साम्प्रदायिक सद्भावना बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। पार्टी देश की सुरक्षा, एकता व अखण्डता को बनाए रखने के लिए सभी तरह के प्रयास करने के लिए तैयार है।

पार्टी केन्द्र से टकराव की नीति अनुसरण करने के पक्ष में नहीं है और राज्य के विकास के लिए केन्द्र में हर तरह की सहायता चाहती है। आजकल जम्मू-कश्मीर की सरकार पृथक्कतावादी तत्त्वों को कुचलने में लगी हुई है।

प्रश्न 14.
1984 के सिक्ख विरोधी दंगों का संक्षिप्त रूप में विवेचन करें।
अथवा
इन्दिरा गांधी की हत्या तथा सिक्ख विरोधी दंगों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
सन् 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों का प्रमुख कारण प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या करना था। इस हत्या के विरोध में दिल्ली एवं इसके आस-पास के क्षेत्रों में सिक्ख विरोधी दंगे आरम्भ हो गए। सिक्खों पर जानलेवा हमले किये गये, कई सिक्खों के बाल काट दिये गए तथा कई सिक्खों पर तेजाब फेंके गए। सिक्ख विरोधी हिंसा का यह दौर कई दिनों तक जारी रहा। इस हिंसा में लगभग 2000 सिक्ख मारे गए।

प्रश्न 15.
राजीव लोंगोवाल समझौते की मुख्य बातों का वर्णन करें।
अथवा
‘पंजाब समझौते’ पर एक नोट लिखिए।
अथवा
1985 के पंजाब-समझौते के ‘मुख्य प्रावधान’ क्या थे ?
उत्तर:
राजीव-लोंगोवाल समझौता 24 जुलाई, 1985 को हुआ था, जिसके मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं

1. मारे गए निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवज़ा:
एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही का आन्दोलन में मारे गए लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवज़ा दिया जायेगा।

2. सेना में भर्ती:
देश के सभी नागरिकों को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार रहेगा।

3. नवम्बर दंगों की जांच:
दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जांच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढाकर उसमें बोकारो और कानपुर में हए उपद्रवों की जांच को भी शामिल किया जायेगा।

4. सेना से निकाले हए व्यक्तियों का पनर्वास:
सेना से निकाले हए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोज़गार दिलाने के प्रयास किये जायेंगे।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रीयवाद से क्या अभिप्राय है?
अथवा
क्षेत्रीयवाद के अर्थ को स्पष्ट करें।
उत्तर:
क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो औद्योगिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। क्षेत्रवाद केन्द्रीयकरण के विरुद्ध क्षेत्रीय इकाइयों को अधिक शक्ति व स्वायत्तता प्रदान करने के पक्ष में है।

प्रश्न 2.
‘क्षेत्रवाद’ के उदय के कोई दो कारण लिखें।
अथवा
क्षेत्रीयवाद के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
1. क्षेत्रवाद का एक महत्त्वपूर्ण कारण भाषावाद है। भारत में सदैव ही अनेक भाषाएं बोलने वालों ने कई बार अलग राज्य के निर्माण के लिए व्यापक आन्दोलन किए हैं।

2. जातिवाद-जातिवाद ने भी क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही है, वहां पर क्षेत्रवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है।

प्रश्न 3.
क्षेत्रीयवाद को समाप्त करने के कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  • पिछड़े हुए क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास किये जाएं।
  • क्षेत्रीयवाद को बढ़ावा देने वाले दलों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।

प्रश्न 4.
अलगाववाद के अर्थ की व्याख्या करें।
उत्तर:
अलगाववाद से अभिप्राय एक राज्य से कुछ क्षेत्र को अलग करके स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की मांग है। अर्थात् सम्पूर्ण इकाई से अलग अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रखने की मांग अलगाववाद है। अलगाववाद का उदय तब होता है जब क्षेत्रवाद की भावना उग्र रूप धारण कर लेती है। उदाहरण के लिए भारत में मिज़ो आन्दोलन, नागालैण्ड आन्दोलन इत्यादि आन्दोलन भारतीय संघ से अलग होने के लिए चलाए गए। यह पृथक्कतावाद के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
भारत में अलगाववाद आन्दोलन के दो उदाहरण लिखो।
उत्तर:
भारत में कई बार क्षेत्रीय आन्दोलन भारत से अलग होने के लिए किए जाते रहे हैं, जिनमें कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं

  • 1960 में डी०एम०के० तथा अन्य तमिल दलों ने तमिलनाडु को भारत से अलग करवाने का आन्दोलन किया।
  • असम के मिज़ो हिल के लिए जिले के लोगों ने भारत से अलग होने की मांग की और इस मांग को पूरा करवाने के लिए उन्होंने मिज़ो नेशनल फ्रंट की स्थापना की।

प्रश्न 6.
अलगाववाद के दो कारण लिखें।
उत्तर:
1. राजनीतिक कारण:
अलगाववाद की भावनाओं को भड़काने में राजनीतिज्ञों का भी हाथ रहा है। कई राजनीतिज्ञ यह सोचते हैं कि यदि उनके क्षेत्र को अलग राज्य बना दिया जाएगा तो इससे उनकी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति हो जाएगी।

2. आर्थिक पिछड़ापन:
अलगाववाद की उत्पत्ति में आर्थिक पिछड़ापन महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कुछ प्रदेशों का भारत में अधिक विकास हुआ है और कुछ क्षेत्रों का विकास बहुत कम हुआ है। अतः पिछड़े क्षेत्रों में यह भावना उभरती है कि यदि सत्ता उनके पास होती तो उनके क्षेत्र पिछड़े न रह जाते। इसलिए इन क्षेत्रों में अलग राज्य की मांग को लेकर अलगाववाद उत्पन्न होता है।

प्रश्न 7.
भारत में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के विकास के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय दलों की उत्पत्ति के मुख्य कारण अग्रलिखित हैं

1. भौगोलिक कारण-भारत एक विशाल देश है। इसकी भौगोलिक बनावट में विभिन्नताएं पाई जाती हैं। मिज़ो हिल्स पीपुल्स यूनियन तथा सिक्किम संग्राम परिषद् जैसे दलों के लिए भौगोलिक कारण ही उत्तरदायी हैं।

2. जातिवाद-भारत में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। भारत में अनेक क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का निर्माण जाति के आधार पर हुआ है। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में डी० एम० के० तथा अन्ना० डी० एम० के० ब्राह्मण विरोधी या गैर-ब्राह्मण के दल हैं।

3. धर्म-धर्म भी क्षेत्रीय दलों के निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण कारण है।

4. आर्थिक पिछड़ापन-भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में पाई जाने वाली आर्थिक असमानताओं ने असंतुष्ट लोगों को क्षेत्रीय दलों में संगठित होने के लिए प्रोत्साहित किया है।

प्रश्न 8.
भारत में दलगत व्यवस्था की कोई दो चनौतियां लिखिए।
उत्तर:

      • भारत में दलों के अन्दर संगठनात्मक चुनाव समय पर नहीं होते।
  • भारत में दलगत अनुशासनहीनता पाई जाती है।

प्रश्न 9.
प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या कब और किनके द्वारा की गई ?
उत्तर:
प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या 31 अक्तूबर, 1984 को उनके अंगरक्षकों द्वारा ही की गई।

प्रश्न 10.
भारत में उभरती क्षेत्रीय आकांक्षाओं से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:

  • क्षेत्रीय आकांक्षाएं लोकतान्त्रिक राजनीति का अभिन्न अंग है।
  • क्षेत्रीय आकांक्षाओं का हल लोकतान्त्रिक संवाद से निकालना चाहिए।

प्रश्न 11.
धारा 370 किससे सम्बन्धित थी ?
उत्तर:
धारा 370 जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित थी। इस धारा के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष दर्जा प्रदान किया गया था। जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान था तथा अपना झण्डा था। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान इस पर लागू नहीं होते। परन्तु 5-6 अगस्त, 2019 को धारा 370 को समाप्त कर दिया।

प्रश्न 12.
किन्हीं दो क्षेत्रीय दलों के नाम एवं उनके राज्य लिखिए।
अथवा
किन्हीं दो क्षेत्रीय दलों के नाम तथा उनसे सम्बन्धित राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • नेशनल कान्फ्रेंस-यह दल जम्मू-कश्मीर राज्य में सक्रिय है।
  • डी० एम० के०-यह दल तमिलनाडु में सक्रिय है।

प्रश्न 13.
आस (AASU) का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
आसू (AASU) का पूरा नाम ऑल असम स्टूडेंटस यूनियन (All Asam Student Union) है।

प्रश्न 14.
1980 में अकाली दल की क्या मांगें थीं ?
उत्तर:

  • चण्डीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया जाए।
  • दूसरे राज्यों के पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब में मिलाया जाए।
  • पंजाब का औद्योगिक विकास किया जाए।
  • भाखड़ा-नंगल योजना पंजाब के नियन्त्रणाधीन हो।
  • देश के सभी गुरुद्वारे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रबन्ध में हों।

प्रश्न 15.
राजीव-लौंगोवाल समझौता कब हुआ ? इसका मुख्य उद्देश्य क्या था ?
अथवा
पंजाब समझौता कब हुआ? इसका क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
राजीव-लौंगोवाल समझौता 24 जुलाई, 1985 को हुआ। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पंजाब में शान्ति स्थापित करना था।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 16.
‘नक्सलवादी आन्दोलन’ क्या है ?
उत्तर:
सन् 1964 में साम्यवादी दल में फूट पड़ गई। दोनों दलों के संसदीय राजनीति में व्यस्त होने के कारण इन दलों के सक्रिय व संघर्षशील कार्यकर्ता दलों से अलग होकर जन कार्य करने लगे। सन् 1967 में बंगाल में साम्यवादी दल की सरकार बनी। इसी समय दार्जिलिंग में नक्सलवादी नामक स्थान पर किसानों ने विद्रोह कर दिया। यद्यपि पश्चिमी बंगाल की सरकार ने इसे दबा दिया। परंतु इस आंदोलन की प्रतिक्रिया पंजाब, उत्तर प्रदेश और कश्मीर में भी हुई। इससे नक्सलवादी आन्दोलन का विरोध किया गया जिसके परिणामस्वरूप मई, 1967 में भारी हिंसक घटनाएं हुईं। यह आन्दोलन तेज़ी से राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया।

प्रश्न 17.
श्रीमती इन्दिरा गांधी की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी की मृत्यु 31 अक्तूबर, 1984 को हुई।

प्रश्न 18.
किस स्थान पर हिन्दी को राजभाषा बनाने के खिलाफ आन्दोलन चला?
उत्तर:
तमिलनाडु में हिन्दी को राजभाषा बनाने के खिलाफ आन्दोलन चला।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. क्षेत्रवाद के उदय के मुख्य कारण हैं
(A) भौगोलिक एवं सांस्कृतिक कारण
(B) ऐतिहासिक कारण
(C) भाषावाद
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. निम्न में से कौन-सा क्षेत्रीय दल है ?
(A) डी० एम० के०
(B) अकाली दल
(C) तेलुगू देशम
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

3. डी० एम० के० पार्टी की स्थापना कब हुई ?
(A) 1956
(B) 1949
(C) 1955
(D) 1947
उत्तर:
(B) 1949

4. अन्ना डी० एम० के० पार्टी की स्थापना हुई
(A) 1972
(B) 1975
(C) 1967
(D) 1952
उत्तर:
(A) 1972

5. तेलगू देशम पार्टी की स्थापना कब हुई ?
(A) 1956
(B) 1977
(C) 1982
(D) 1961
उत्तर:
(C) 1982

6. शिरोमणि अकाली दल निम्नलिखित में से किस राज्य का प्रमुख क्षेत्रीय दल है ?
(A) जम्मू-कश्मीर
(B) पंजाब
(C) दिल्ली
(D) हरियाणा
उत्तर:
(B) पंजाब।

7. मास्टर तारा सिंह एवं सन्त फतेह सिंह इत्यादि ने किस वर्ष ‘पंजाबी सूबा’ की मांग के लिए आन्दोलन शुरू किया ?
(A) 1960
(B) 1965
(C) 1971
(D) 1963
उत्तर:
(A) 1960

8. शिरोमणि अकाली दल तथा जनसंघ ने किस वर्ष पंजाब में गठबन्धन सरकार का निर्माण किया ?
(A) 1967
(B) 1975
(C) 1952
(D) 1957
उत्तर:
(A) 1967

9. पंजाब समझौता कब हुआ ?
(A) 1971
(B) 1985
(C) 1988
(D) 2002
उत्तर:
(B) 1985

10. नेशनल कान्फ्रेंस सक्रिय क्षेत्रीय दल है
(A) हरियाणा में
(B) महाराष्ट्र में
(C) जम्मू-कश्मीर में
(D) लद्दाख में।
उत्तर:
(C) जम्मू-कश्मीर में।

11. निम्न में से कौन-सा राज्य उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से सम्बन्धित है ?
(A) नागालैण्ड
(B) असम
(C) मणिपुर
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

12. असम गण परिषद् किस राज्य से सम्बन्धित है ?
(A) असम
(B) केरल
(C) त्रिपुरा
(D) मिजोराम।
उत्तर:
(A) असम।

13. श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या कब हुई ?
(A) 1 जनवरी, 1986
(B) 30 जून, 1984
(C) 31 अक्तूबर, 1984
(D) 1 अगस्त, 1984
उत्तर:
(C) 31 अक्तूबर, 1984

14. भारत में राज्यों का पुनर्गठन किया गया है
(A) राजनीतिक आधार पर
(B) भाषाई आधार पर
(C) आर्थिक आधार पर
(D) धार्मिक आधार पर।
उत्तर:
(B) भाषाई आधार पर।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

15. भारत में कौन-सा भाषाई फार्मूला लागू किया गया है ?
(A) तीन-भाषाई फार्मूला
(B) दो-भाषाई फार्मूला
(C) एक-भाषाई फार्मूला
(D) चार-भाषाई फार्मूला।
उत्तर:
(A) तीन-भाषाई फार्मूला।

16. जम्मू एवं कश्मीर’ को भारतीय संविधान की किस धारा के द्वारा विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया था ?
(A) धारा 360
(B) धारा 365
(C) धारा 370
(D) धारा 3721
उत्तर:
(C) धारा 370

17. धारा 370 को कब समाप्त किया गया ?
(A) 5-6 अगस्त, 2019
(B) 5-6 अगस्त, 2018
(C) 5-6 अगस्त, 2017
(D) 5-6 अगस्त, 2016
उत्तर:
(A) 5-6 अगस्त, 2019

18. “Caste in Indian Politics” पुस्तक लिखी
(A) रजनी कोठारी ने
(B) पं० जवाहर लाल नेहरू
(C) मोरिस जोंस ने
(D) एंड्रे पेटीली (Andre Peteille) ने।
उत्तर:
(A) रजनी कोठारी ने।

19. निम्नलिखित में से कौन-सी भाषा भारत की सरकारी भाषा है ?
(A) इंग्लिश
(B) हिन्दी
(C) उर्दू
(D) संस्कृत।
उत्तर:
(B) हिन्दी।

20. भारतीय संघ के राज्यों की सरकारी भाषा निश्चित की जाती है
(A) संसद् द्वारा
(B) मन्त्रिमण्डल द्वारा
(C) मुख्यमन्त्री द्वारा
(D) राज्य विधानमण्डल द्वारा।
उत्तर:
(D) राज्य विधानमण्डल द्वारा।

21. भारतीय संविधान द्वारा कितनी भाषाओं को मान्यता दी गई है ?
(A) 18
(B) 25
(C) 17
(D) 22
उत्तर:
(D) 22

22. कौन-सा राज्य हिन्दी से अंग्रेजी को अधिक अधिमान देता है ?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) मध्य प्रदेश
(C) तमिलनाडु
(D) बिहार।
उत्तर:
(C) तमिलनाडु।

23. डी० एम० के० एवं आल इंडिया अन्ना डी० एम० के० निम्नलिखित में से किस राज्य के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल हैं ?
(A) आन्ध्र प्रदेश
(B) बिहार
(C) मध्य प्रदेश
(D) तमिलनाडु।
उत्तर:
(D) तमिलनाडु।

24. “भारत में नए संविधान का निर्माण करते समय सबसे प्रमुख कठिनाइयों में से एक भाषायी प्रदेशों की मांग को संतुष्ट करना तथा इसी प्रकार की दूसरी मांग को संतुष्ट करना होगा।” यह किसका कथन
(A) मोरिस जोन्स
(B) रजनी कोठारी
(C) बी० एन० राव
(D) श्री निवासन।
उत्तर:
(C) बी० एन० राव।

25. ‘मिजो नेशनल फ्रंट’ नामक पार्टी के संस्थापक निम्नलिखित में से कौन थे ?
(A) लालडेंगा
(B) बेअन्त सिंह
(C) पी० के० महन्त
(D) ममता बनर्जी।
उत्तर:
(A) लालडेंगा।

26. 1984 में ‘आपरेशन ब्लू-स्टार’ किस राज्य में चलाया गया ?
(A) बिहार
(B) पंजाब
(C) हरियाणा
(D) उड़ीसा।
उत्तर:
(B) पंजाब।

27. “भारत तो एक है, किंतु वे लोग कहां हैं, जिन्हें भारतीय कहा जा सके।” यह किसका कथन है ?
(A) पं० जवाहर लाल नेहरू
(B) श्री लाल बहादुर शास्त्री
(C) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(D) जय प्रकाश नारायण।
उत्तर:
(A) पं० जवाहर लाल नेहरू।

28. भारत में किस दशक को स्वायतत्ता की मांग के दशक के रूप में देखा जाता है ?
(A) 2000
(B) 1970
(C) 1980
(D) 1990
उत्तर:
(C) 1980

29. द्रविड़ आन्दोलन की बागडोर किसके हाथ में थी ?
(A) रामाराव
(B) करुणानिधि
(C) जयललिता
(D) ई० वी० रामास्वामी नायकर ‘पेरियार’।
उत्तर:

30. डी० एम० के० ने किस भाषा का विरोध किया ?
(A) पंजाबी
(B) अंग्रेज़ी
(C) हिन्दी
(D) तमिल।
उत्तर:
(C) हिन्दी।

31. नेशनल कान्फ्रेंस के किस नेता ने सन् 1974 में प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के साथ समझौता किया ?
(A) शेख अब्दुल्ला
(B) फारुख अब्दुल्ला
(C) कर्ण सिंह
(D) उमर अब्दुल्ला।
उत्तर:
(A) शेख अब्दुल्ला।

निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) 1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक ……….. था।
उत्तर:
हरि सिंह

(2) नेशनल कांफ्रेंस ने ………….. के नेतृत्व में जन-आन्दोलन चलाया।
उत्तर:
शेख अब्दुल्ला

(3) ई० वी० रामास्वामी नायकर ………… के नाम से प्रसिद्ध थे।
उत्तर:
पेरियर

(4) ………… से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी राजनीति ने सर उठाया।
उत्तर:
1989

(5)……….. के दशक को स्वायत्तता की मांग के दशक के रूप में देखा जा सकता है।
उत्तर:
1980

(6) 1966 में पंजाब और …………. के नाम के राज्य बनाए गए।
उत्तर:
हरियाणा

(7) धारा 370…………. राज्य से सम्बन्धित थी।
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर

(8)…………. दक्षिण भारत का सबसे बड़ा आन्दोलन माना जाता है।
उत्तर:
द्रविड़ आन्दोलन

(9) 1984 में हरिमंदिर साहिब में हुई सैनिक कार्यवाही को ……….. के नाम से जाना जाता है।
उत्तर:
आप्रेशन बलू स्टार

(10) अक्तूबर, 1984 में प्रधानमन्त्री ………….. की हत्या की गई।
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारत में कौन-सा भाषाई फार्मूला लागू किया गया है ?
उत्तर:
भारत में त्रि-भाषाई फार्मूला लागू किया गया है।

प्रश्न 2.
नेशनल कांफ्रैंस कहां पर सक्रिय क्षेत्रीय दल है ?
उत्तर:
नेशनल कांफ्रैंस जम्मू-कश्मीर में सक्रिय क्षेत्रीय दल है।

प्रश्न 3.
बोडो आन्दोलन किस राज्य में चलाया गया ?
उत्तर:
बोडो आन्दोलन असम में चलाया गया।

प्रश्न 4.
5 जून, 1984 को ऑपरेशन ब्लूस्टार किस राज्य में चलाया गया था ?
उत्तर:
पंजाब में।

प्रश्न 5.
जम्मू कश्मीर को किस धारा के द्वारा विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया था ?
उत्तर:
संविधान की धारा 370 के द्वारा।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 6.
तेलुगू देशम पार्टी किस राज्य का क्षेत्रीय दल है?
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश का।

प्रश्न 7.
धारा 370 किससे सम्बन्धित थी?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर से।

प्रश्न 8.
राजीव-लोगोंवाल समझौता कब हुआ?
उत्तर:
24 जुलाई, 1985 को।

प्रश्न 9.
1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक कौन था?
उत्तर:
1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक हरि सिंह था।

प्रश्न 10.
5 जून, 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार किस राज्य में चलाया गया था?
उत्तर:
पंजाब में।

प्रश्न 11.
तमिलनाडु में कौन-से क्षेत्रीय दल की सरकार है ?
उत्तर:
तमिलनाडु में अन्नाद्रुमुक की सरकार है।

प्रश्न 12.
‘आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव’ कब पास किया गया ?
उत्तर:
सन् 1973 में।

प्रश्न 13.
‘मिजो नेशनल फ्रंट’ नामक पार्टी के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर:
‘मिजो नेशनल फ्रंट’ नामक पार्टी की स्थापना लाल डेंगा ने की थी।

प्रश्न 14.
डी० एम० के० तथा ए० आई० डी० एम० के० किस राज्य के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल हैं ?
उत्तर:
तमिलनाडु।

प्रश्न 15.
भाषा के आधार पर पंजाब राज्य का पुनर्गठन कब हुआ ?
उत्तर:
सन् 1966 में।

प्रश्न 16.
उत्तराखण्ड, झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन कब हुआ ?
उत्तर:
सन् 2000 में।

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HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. समाज की कुरीतियां दूर करने के लिए कौन-सा आंदोलन शुरू होता है?
(A) समाज सुधार आंदोलन
(B) अभिव्यक्ति आंदोलन
(C) क्रांतिकारी आंदोलन
(D) क्रांतिकारी आंदोलन।
उत्तर:
समाज सुधार आंदोलन।

2. समाज सुधार आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
(A) समाज की व्यवस्था को बदलना
(B) समाज से कुरीतियों को दूर करना
(C) वर्तमान व्यवस्था को उखाड़ फेंकना
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
समाज से कुरीतियों को दूर करना।

3. राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चलाए गए आंदोलन को क्या कहते हैं?
(A) सांस्कृतिक आंदोलन
(B) अभिव्यक्ति आंदोलन
(C) राजनीतिक आंदोलन
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
राजनीतिक आंदोलन।

4. इनमें से कौन-सी सामाजिक आंदोलन की विशेषता है?
(A) यह हमेशा समाज विरोधी होते हैं
(B) यह हमेशा नियोजित होते हैं
(C) इनका उद्देश्य समाज में सुधार लाना होता है
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

5. इनमें से कौन-सी सुधार आंदोलन की विशेषता है?
(A) प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में सुधार लाना
(B) इनकी गति काफी धीमी होती है
(C) इसमें शांतिपूर्ण ढंग प्रयोग होते हैं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

6. सामाजिक आंदोलनों से भारतीय समाज में क्या परिवर्तन आए?
(A) सती प्रथा का खात्मा
(B) पर्दा प्रथा का खात्मा
(C) विधवा विवाह शुरू होना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

7. जब आंदोलन करने वाला व्यक्ति अपने भीतर में अंसतोष को किसी दूसरे माध्यम से प्रकट करे तो उसे क्या कहते हैं?
(A) अभिव्यक्ति आंदोलन
(B) राजनीतिक आंदोलन
(C) सुधार आंदोलन
(D) अवरोधक आंदोलन।
उत्तर:
अभिव्यक्ति आंदोलन।

8. अमेरिका में 1950 तथा 1960 के दशकों में कौन-सा सामाजिक आंदोलन चला?
(A) समाजवादी आंदोलन
(B) नागरिक अधिकार आंदोलन
(C) महिला अधिकार आंदोलन
(D) सामाजिक आंदोलन।
उत्तर:
नागरिक अधिकार आंदोलन।

9. चिपको आंदोलन में किसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी?
(A) सुंदर लाल बहुगुणा
(B) लाल बहादुर शास्त्री
(C) मेधा पाटकर
(D) अरुंधति राय।
उत्तर:
सुंदर लाल बहुगुणा।

10. प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण के विरुद्ध कौन-से आंदोलन चले थे?
(A) कामगारों के आंदोलन
(B) दलितों के आंदोलन
(C) कृषक आंदोलन
(D) पारिस्थितिकीय आंदोलन।
उत्तर:
पारिस्थितिकीय आंदोलन।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
उत्तर:
जनजातीय आंदोलन अपनी संस्कृति को बचाने के लिए शुरू हुए थे ताकि वह औरों की संस्कृति में न मिल जाएं।

प्रश्न 2.
आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) किसे कहा जाता है?
उत्तर:
राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) कहा जाता है।

प्रश्न 3.
समाज सुधार क्या होता है?
उत्तर:
जब समाज में चल रही कुरीतियों के विरुद्ध समाज के समझदार व्यक्ति कोई आंदोलन करें तथा उन कुरीतियों को बदलने का प्रयास करें तो उसे समाज सुधार कहते हैं।

प्रश्न 4.
समाज सुधार में गतिशीलता क्यों होती है?
उत्तर:
समाज सुधार में गतिशीलता इसलिए होती है क्योंकि समाज सुधार सभी समाजों तथा सभी युगों में एक समान नहीं होता। इसलिए यह गतिशील है।

प्रश्न 5.
समाज कल्याण क्या होता है?
उत्तर:
समाज कल्याण में उन संगठित सामाजिक कोशिशों या प्रयासों को शामिल किया जाता है जिनकी मदद से समाज के सारे सदस्यों को अपने आप को ठीक तरीके से विकसित करने की सुविधाएं मिलती हैं। समाज कल्याण के कार्यों में निम्न था पिछड़े वर्गों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि समाज का हर तरफ से विकास तथा कल्याण हो सके।

प्रश्न 6.
समाज कल्याण के क्या उद्देश्य होते हैं?
उत्तर:

  1. पहला उद्देश्य यह है कि समाज के सदस्यों के हितों की पूर्ति उनकी ज़रूरतों के अनुसार होतो हैं।
  2. ऐसे सामाजिक संबंध स्थापित करना जिससे लोग अपनी शक्तियों का पूरी तरह विकास कर सके हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 7.
भारत के आज़ादी के आंदोलन से हमें क्या मिला?
उत्तर:
भारत के आज़ादी के आंदोलन से हमें आजादी मिली। इस आंदोलन में भारत की सारी जनता बगैर किसी भेदभाव के एक-दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी जिस वजह से उनमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। निम्न जातियों में भी चेतना आई तथा वह उच्च जातियों के समाज के समान खड़े हो गए।

प्रश्न 8.
किन्हीं तीन समाज सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर:

  1. राजा राममोहन राय
  2. सर सैयद अहमद खान
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. स्वामी विवेकानंद।

प्रश्न 9.
बेसिक शिक्षा की धारणा किसने दी थी?
उत्तर:
बेसिक शिक्षा की धारणा महात्मा गांधी ने 1937 में दी थी।

प्रश्न 10.
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में कोई मुख्य फर्क बताओ।
उत्तर:
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में मुख्य फर्क यह है कि समाज कल्याण में समाज की निम्न जातियों, पिछड़े वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य किए जाते हैं जबकि समाज सुधार में समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर कर उनमें बदलाव लाने के प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 11.
राजनीतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चलाए जाएं उन्हें राजनीतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे भारत की आजादी का आंदोलन।

प्रश्न 12.
सांस्कृतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए चलाया जाए उसे सांस्कृतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे जनजातीय आंदोलन।

प्रश्न 13.
आज़ादी से पहले जाति आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:

  1. आजादी से पहले जाति आंदोलन इसलिए चलाए गए थे ताकि ब्राह्मणों की और जातियों के ऊपर श्रेष्ठता का विरोध किया जा सके।
  2. जाति स्तरीकरण में अपनी जाति की स्थिति को ऊपर उठाया जा सके।

प्रश्न 14.
भगत आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
भारत में निम्न जातियां उच्च जातियों के विचारों, तौर-तरीकों, व्यवहारों का अनुसरण करती हैं। इस प्रकार की रुचि तथा अनुसरण की प्रक्रिया को भगत आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 15.
सुधार आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन क्यों कहते हैं?
उत्तर:
असल में सुधार आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य समाज में पाई जाने वाली धार्मिक तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था इसलिए इन आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 16.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हुए?
उत्तर:
अंग्रेजों के आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार हुआ। इस शिक्षा को ग्रहण करते-करते समाज के बहुत से सुलझे हुए लोगों को पता चला कि उनके समाज में जो रीतियां, जैसे सती प्रथा, बाल विवाह इत्यादि चल रही हैं। वह असल में रीतियां नहीं बल्कि कुरीतियां हैं। उन्हें पश्चिमी देशों में जाने तथा वहां के लोगों से बातें करने का मौका मिला जिससे उनकी आँखें खुल गईं तथा अपने समाज में फैली कुरीतियों, कुप्रथाओं, अंधविश्वासों को दूर करने के लिए सुधार आंदोलन चल पड़े।

प्रश्न 17.
गतिशीलकरण संसाधन (Resource Mobilisation) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गतिशीलकरण संसाधन एक विधि है जिसमें किसी सामाजिक आंदोलन को राजनीतिक प्रभाव, धन, मीडिया तक पहुंच तथा लोगों के सहयोग से शक्ति प्राप्त होती है।

प्रश्न 18.
प्रतिदानात्मक अथवा रूपांतरणकारी आंदोलन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिदानात्मक अथवा रूपांतरणकारी सामाजिक आंदोलन वह सामाजिक आंदोलन होते हैं जिनका मुख्य उद्देश्य अपने व्यक्तिगत सदस्यों की व्यक्तिगत चेतना तथा गतिविधियों में परिविर्तन लाना होता है। उदाहरण के लिए केरल के इजहावा समुदाय के लोगों ने नारायण गुरु के नेतृत्व में अपनी सामाजिक प्रथाओं को परिवर्तित किया।

प्रश्न 19.
सुधारवादी आंदोलन कौन-से होते हैं?
अथवा
सुधार आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
अथवा
सुधारवादी सामाजिक आंदोलन क्या है?
उत्तर:
उन आंदोलनों को सुधारवादी आंदोलन कहा जाता है जो वर्तमान सामाजिक तथा राजनीतिक विन्यास को धीमे प्रगतिशील चरणों द्वारा बदलने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए. 1960 के दशक में भारत के राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठित करने अथवा हाल के सूचना के अधिकार का अभियान।

प्रश्न 20.
क्रांतिकारी सामाजिक आंदोलन क्या हैं?
उत्तर:
क्रांतिकारी सामाजिक आंदोलन सामाजिक संबंधों के आमूल रूपांतरण का प्रयास करते हैं, आम तौर पर राजसत्ता पर अधिकार के द्वारा। उदाहरण के लिए 1789 की फ्रांसीसी क्रांति तथा 1919 की रूस की बोल्शेविक क्रांति।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 21.
सामाजिक आंदोलनों का सापेक्षिक वचन का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
सामाजिक आंदोलनों के सापेक्षिक वचन के सिद्धांत के अनुसार सामाजिक संघर्ष उस समय उत्पन्न होता है जब एक सामाजिक समूह यह अनुभव करे कि वह अपने इर्द-गिर्द के अन्य व्यक्तियों से खराब स्थिति में है। ऐसा संघर्ष सफल सामूहिक विरोध के रूप में सामने आ सकता है।

प्रश्न 22.
पारिस्थितिकीय आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:
आधुनिक काल में विकास पर अधिक बल दिया गया जिस कारण प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित उपयोग हुआ तथा प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक शोषण हुआ है। यह एक चिंता का विषय बन गया तथा पारिस्थितिकीय आंदोलन इस कारण ही चलाए गए थे।

प्रश्न 23.
स्वतंत्रता से पहले किसान आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:
वैसे तो स्वतंत्रता से पहले चले हरेक किसान आंदोलन की प्रकृति अलग-अलग थी परंतु मुख्यता इनकी मुख्य मांग थी कि किसानों, कामगारों तथा अन्य सभी वर्गों को आर्थिक शोषण से मुक्ति मिल सके।

प्रश्न 24.
औपनिवेशिक काल में कामगारों के आंदोलन क्यों चले थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक काल की प्रारंभिक अवस्थाओं में मजदूरी काफ़ी सस्ती थी क्योंकि औपनिवेशिक सरकार ने उनके वेतन तथा कार्य दशाओं के लिए कोई नियम नहीं बनाए थे। इस प्रकार मजदूरों को मालिकों के शोषण से बचाने के लिए कामगारों में आंदोलन चलाए गए थे।

प्रश्न 25.
मज़दूर आंदोलन की क्या हानियां हैं?
उत्तर:

  1. मज़दूर आंदोलन से उत्पादन बंद हो जाता है जिससे महँगाई बढ़ जाती है।
  2. अगर देश में मजदूर आंदोलन बार-बार होने लग जाए तो उससे विदेशी निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 26.
महिला आंदोलन से महिलाओं की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
महिला आंदोलन महिलाओं में चेतना जगाने तथा उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए चलाया जाता है। इससे उन्हें कई प्रकार के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं तथा समाज में उनकी स्थिति उच्च हो जाती है।

प्रश्न 27.
महिला आंदोलन से समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
महिला आंदोलन से समाज में परिर्वन आ जाता है। महिलाओं को आंदोलन के कारण अधिकार मिल जाते हैं जिससे उनकी स्थिति उच्च हो जाती है। इससे सामाजिक संस्थाओं विवाह, परिवार के स्वरूप में परिवर्तन आ जाता है तथा समाज में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ जाता है।

प्रश्न 28.
किसान आंदोलन क्या होते हैं?
उत्तर:
किसानों से संबंधित मुद्दे उठाने के लिए जो आंदोलन चलाए जाते हैं उन्हें किसान आंदोलन कहते हैं। उदाहरण के लिए गांधी जी द्वारा चलाया गया चंपारन सत्याग्रह।

प्रश्न 29.
स्वतंत्रता के पश्चात् हुए किसी महिला आंदोलन के बारे में बताएं।
उत्तर:
1970 के दशक के प्रारंभ में बिहार में छात्र अंसतोष उभरा जिसने जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के आह्वान का समर्थन किया जिनके अनेक मुद्दे महिलाओं से संबंधित थे जैसे परिवार, कार्य वितरण, पारिवारिक हिंसा, पुरुष तथा स्त्रियों द्वारा संसाधनों पर असमान पहुँच इत्यादि।

प्रश्न 30.
भारत में अपराध के कोई तीन कारण बताइये।
उत्तर:

  1. लोग निर्धनता के कारण अपराध करते हैं।
  2. जायदाद प्राप्ति के लिए भी अपराध किए जाते हैं।
  3. कई लोगों को अपराध करने में मज़ा आता है।

प्रश्न 31.
बाल न्याय अधिनियम के तहत बाल अपराधी की कितनी आयु निर्धारित की गई है?
उत्तर:
इस अधिनियम के तहत बाल अपराधी की आयु 16 वर्ष निर्धारित की गई है।

प्रश्न 32.
किन्हीं दो मुस्लिम आंदोलनों के नाम लिखें।
उत्तर:
खिलाफ़त आंदोलन तथा सर सैय्यद अहमद खान द्वारा चलाया गया सुधार आंदोलन।

प्रश्न 33.
किन्हीं दो सिक्ख आंदोलनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
गुरुद्वारा आंदोलन तथा पंजाबी सूबे के लिए आंदोलन।

प्रश्न 34.
बाल अपराध क्या है?
उत्तर:
एक निश्चित आयु से नीचे अपराध करने वाले अपराध को बाल अपराध कहा जाता है।

प्रश्न 35.
सामाजिक विचलन क्या है?
उत्तर:
जब सामाजिक व्यवस्था में अव्यवस्था फैल जाए, आदर्शहीनता की स्थिति फैल जाए, आदर्श, नियम तथा प्रतिमान खत्म हो जाए तो इस स्थिति को सामाजिक विचलन कहा जाता है।

प्रश्न 36.
कोई दो प्रकार के सामाजिक आंदोलन बताइए।
उत्तर:
अभिव्यक्ति आंदोलन, क्रांतिकारी आंदोलन, सुधारात्मक आंदोलन इत्यादि।

प्रश्न 37.
भू-दान आंदोलन किसने चलाया?
उत्तर:
भू-दान आंदोलन आचार्य विनोबा भावे ने चलाया था।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समाज सुधार आंदोलनों की मदद से हम क्या परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
भारत एक कल्याणकारी राज्य है जिसमें हर किसी को समान अवसर उपलब्ध होते हैं। पर कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य जनता के जीवन को सुखमय बनाना है। पर यह तभी संभव है अगर समाज में फैली हुई कुरीतियों तथा अंध-विश्वासों को दूर कर दिया जाए। इन को दूर सिर्फ समाज सुधारक आंदोलन ही कर सकते हैं। सिर्फ कानून बनाकर कुछ हासिल नहीं हो सकता। इसके लिए समाज में सुधार ज़रूरी हैं। कानून बना देने से सिर्फ कुछ नहीं होगा।

उदाहरण के तौर पर बाल विवाह, दहेज प्रथा, विधवा विवाह, बच्चों से काम न करवाना। इन सभी के लिए कानून हैं पर ये सब चीजें आम हैं। दहेज लिया दिया, यहां तक कि मांग कर लिया जाता है, बाल विवाह होते हैं, विधवा विवाह को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। हमारे समाज के विकास में ये चीजें सबसे बड़ी बाधाएं हैं। अगर हमें समाज का विकास करना है तो हमें समाज सुधार आंदोलनों की ज़रूरत है। इसलिए हम समाज सुधार आंदोलनों के महत्त्व को भूल नहीं सकते।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलन की कोई चार विशेषताएं बताओ।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के दो लक्षण बताएँ।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के लक्षण बताइए।
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन हमेशा समाज विरोधी होते हैं।
  2. सामाजिक आंदोलन हमेशा नियोजित तथा जानबूझ कर किया गया प्रयत्न है।
  3. इसका उद्देश्य समाज में सुधार करना होता है।
  4. इसमें सामूहिक प्रयत्नों की ज़रूरत होती है क्योंकि एक व्यक्ति समाज में परिवर्तन नहीं ला सकता।

प्रश्न 3.
सामाजिक आंदोलन की किस प्रकार की प्रकृति होती है?
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन संस्थाएं नहीं होते हैं क्योंकि संस्थाएं स्थिर तथा रूढ़िवादी होती हैं तथा संस्कृति का ज़रूरी पक्ष मानी जाती हैं। यह आंदोलन अपना उद्देश्य पूरा होने के बाद खत्म हो जाते हैं।
  2. सामाजिक आंदोलन समितियां भी नहीं हैं क्योंकि समितियों का एक विधान होता है। यह आंदोलन तो अनौपचारिक, असंगठित तथा परंपरा के विरुद्ध होता है।
  3. सामाजिक आंदोलन दबाव या स्वार्थ समूह भी नहीं होते बल्कि यह आंदोलन सामाजिक प्रतिमानों में बदलाव की मांग करते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 4.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
अथवा
जनजातीय आंदोलनों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
अथवा
जनजातीय आंदोलन के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सैंकड़ों जनजातियों के लोग रहते हैं। इनकी अपनी विशिष्ट जीवन शैली होती है। उनकी ज़रूरतें भी कम होती हैं। वह अपनी संस्कृति व अलग जनजातीय पहचान बनाए रखने के प्रति बहुत सचेत होते हैं। यदि जनजाति के सदस्यों को लगे कि उनकी संस्कृति से छेड़छाड़ की जा रही है, इसमें परिवर्तन करने की कोशिश की जा रही है या उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है या उनकी अपनी अलग पहचान बनाए रखने में कोई खतरा है तो वे आंदोलन का रास्ता अपना लेते हैं। इसके अलावा अन्य समुदायों, धर्मों तथा वर्गों के लोगों के प्रभाव के कारण निश्चित तरह के परिवर्तन की इच्छा से भी जनजातियों के लोग आंदोलन करने लगते हैं।

उदाहरण पर बिहार से झारखंड राज्य अलग करने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ। बिरसा मुंडा ने मुंडा जनजाति में ईसाइयत के विरुद्ध आंदोलन चलाया। बिरसा को मुंडा जनजाति के लोग बिरसा भगवान् कहते थे। उसके कहने के फलस्वरूप इस जनजाति के उन लोगों, जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था, ने हिंदू धर्म को पुनः अपना लिया तथा मूर्ति पूजा, हिंदू कर्म-कांडों तथा रीति-रिवाजों का
पालन करने लगे।

प्रश्न 5.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हए?
उत्तर:
भारत में समाज सुधार आंदोलन निम्नलिखित कारणों से शुरू हुए-

  • भारतीय समाज में फैली कुरीतियों को धर्म के साथ जोड़ा हुआ था।
  • समाज का जातीय आधार पर विभाजन था तथा जाति धर्म के आधार पर बनी हुई थी। जाति के नियमों को तोड़ना पाप माना जाता था।
  • भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा काफ़ी निम्न थी जिस वजह से उनका कोई महत्त्व नहीं रह गया था।
  • भारतीय समाज में अशिक्षा का बोलबाला था।
  • जाति प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह की मनाही इत्यादि बहुत-सी कुरीतियां समाज में फैली हुई थीं।

इन सब कारणों की वजह से शिक्षित समाज सुधारकों ने समाज सुधार करने की ठानी तथा समाज सुधार अंट लन शुरू हो गए।

प्रश्न 6.
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की विशेषताएं क्या थी?
उत्तर:
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की निम्नलिखित विशेषताएं थीं-

  • आजादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की पहली विशेषता यह थी कि हिंदू धर्म को तार्किक रूप से स्थापित करना क्योंकि इसने मुस्लिम शासकों तथा अंग्रेजों के कई थपेड़ों को झेला था।
  • महिलाओं, हरिजनों तथा शोषित वर्गों को ऊपर उठाना ताकि यह वर्ग भी और वर्गों की तरह सर उठाकर जी सकें।
  • ये आंदोलन परंपरागत रूढ़िवादी विचारधाराओं को समाप्त करके उनकी जगह नयी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन जाति व्यवस्था की असमानता की बेड़ियों को तोड़कर समानता तथा भाईचारे की भावना को स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन भारतीय जनता में प्यार, भाईचारे, सहनशीलता, त्याग आदि भावनाओं का विकास करना चाहते थे।

प्रश्न 7.
क्रांतिकारी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
क्रांतिकारी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • क्रांतिकारी आंदोलन प्रचलित पुरानी व्यवस्था को उखाड़ कर उसकी जगह नयी व्यवस्था को लागू करना चाहते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन में हिंसात्मक तथा दबाव वाले तरीके अपनाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा तभी चलाए जाते हैं जब सामाजिक बुराइयों को दूर करना हो।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा निरंकुश शासन में तथा उसे खत्म करने के लिए चलाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलनों में हमेशा उग्रता तथा तीव्रता पाई जाती है।

प्रश्न 8.
सुधारवादी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
सुधारवादी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • सुधारवादी आंदोलन प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में सुधार करना चाहता है।।
  • सुधारवादी आंदोलनों की गति हमेशा धीमी होती है।
  • सुधारवादी आंदोलनों में हमेशा शांतिपूर्ण तरीके अपनाए जाते हैं तथा यह समाज में शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए चलाए जाते हैं।
  • यह आम तौर पर प्रजातांत्रिक देशों में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
सामाजिक आंदोलन के लक्षण बताएँ।
उत्तर:

  • सामाजिक आंदोलन में एक लंबे समय तक लगातार सामूहिक गतिविधियों की ज़रूरत होती है। ऐसी गतिविधियां मुख्यतः राज्य के विरुद्ध होती हैं तथा राज्य की नीति तथा व्यवहार में परिवर्तन की मांग करती हैं।
  • सामाजिक आंदोलन आम तौर पर किसी जनहित के मामले में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से उत्पन्न होते हैं ताकि जनता को उनके अधिकार प्राप्त हो सकें।
  • जहां विरोध सामूहिक गतिविधि का सबसे अधिक मूर्त रूप है, वहीं सामाजिक आंदोलन समान रूप से अन्य महत्त्वपूर्ण ढंगों से भी कार्य करता है।
  • सामाजिक आंदोलनों से परिवर्तन अचानक नहीं आते बल्कि धीरे-धीरे लंबे समय के बाद आते हैं।

प्रश्न 10.
नए सामाजिक आंदोलनों तथा पुराने सामाजिक आंदोलनों में भिन्नता बताएं।
उत्तर:

  • पुराने सामाजिक आंदोलन किसी-न-किसी राजनीतिक दल के दायरे में काम करते थे परंतु नए सामाजिक आंदोलन समाज में सत्ता के विवरण के बारे में न होकर जीवन की गुणवत्ता जैसे स्वच्छ पर्यावरण के बारे में थे।
  • पुराने सामाजिक आंदोलन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर हटाना चाहते थे तथा शोषण से छुटकारा प्राप्त करना चाहते थे परंतु नए सामाजिक आंदोलन अच्छे जीवन स्तर की चाह में चलाए गए हैं।
  • पुराने सामाजिक आंदोलनों में सामाजिक दलों की केंद्रीय भूमिका थी परंतु आज के आंदोलन औपचारिक राजनीतिक व्यवस्था से छूट गए हैं तथा राज्य पर वे बाहर से दबाव डालते हैं।

प्रश्न 11.
चिपको आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
अथवा
चिपको आंदोलन क्या था?
उत्तर:
चिपको आंदोलन 1970 के दशक में उत्तराखंड (उस समय उत्तर प्रदेश) के पहाड़ी इलाकों में शुरू हुआ। यहाँ के जंगल वहाँ पर रहने वाले गाँववासियों की रोजी-रोटी का साधन थे। लोग जंगलों से चीजें इकट्ठी करके अपना जीवन यापन करते थे। सरकार ने इन जंगलों को राजस्व प्राप्त करने के लिए ठेके पर दे दिया। जब लोग जंगलों से चीजें, लकड़ी इकट्ठी करने गए तो ठेकेदारों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि ठेकेदार स्वयं जंगलों को काटकर पैसा कमाना चाहते थे।

कई गांवों के लोग इसके विरुद्ध हो गए तथा उन्होंने मिलकर संघर्ष करना शुरू कर दिया। जब ठेकेदार जंगलों के वृक्ष काटने आते तो लोग पेड़ों के इर्द-गिर्द लिपट जाते या चिपक जाते थे ताकि वह पेड़ों को न काट सकें। महिलाओं तथा बच्चों ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। प्रमुख पर्यावरणवादी सुंदर लाल बहुगुणा भी इस आंदोलन से जुड़ गए। लोगों के पेड़ों से चिपकने के कारण ही इस आंदोलन को चिपको आंदोलन कहा गया। अंत में आंदोलन को सफलता प्राप्त हुई तथा सरकार ने हिमालयी क्षेत्र के पेड़ों की कटाई पर 15 वर्ष की रोक लगा दी।

प्रश्न 12.
क्या लोग किसी सामाजिक आंदोलन में हानि अथवा लाभ के विषय में सोचकर भाग लेते हैं अथवा व्यक्तिगत लाभ के विषय में तर्क संगत गणना करके भाग लेते हैं?
उत्तर:
जब लोग किसी सामाजिक आंदोलन में भाग लेते है तो वह किसी हानि या लाभ या व्यक्तिगत विषय के बारे में नहीं सोचते हैं। कोई सामाजिक आंदोलन किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि सामूहिक हितों के लिए चलाया जाता हैं तथा लोग बिना किसी लाभ हानि की भावना के उसमें भाग लेते है। उदाहरण के लिए हमारी स्वतंत्रता का आंदोलन।

अगर हमने, महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत हितों के बारे में सोचा होता तो हमारा स्वतंत्रता संग्राम सफल न हो पाता। परंतु उन्होंने तथा अन्य लोगों ने देश के हितों तथा संपूर्ण जनता के विषय के बारे में सोचा तथा आंदोलन शुरू किया। उन्हें बहुत कठिनाइयां आयीं तथा उन्हें जेल भी जाना पड़ा। परंतु फिर भी वह अपने मार्ग पर जुटे रहे तथा देश को स्वतंत्र करवा कर ही दम लिया। इस प्रकार यह किसी व्यक्तिगत हित के लिए आंदोलन नहीं था
बल्कि समूह अथवा संपूर्ण जनता के हितों के लिए आंदोलन था।

प्रश्न 13.
अपने क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण के कुछ उदाहरणों का पता लगाइए
उत्तर:
आजकल पर्यावरण प्रदूषण काफी हो रहा है तथा यह बहुत से कारकों के कारण होता है। जब कोई अनचाही वस्तु पर्यावरण में मिल जाए तो उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। बहुत से ऐसे कारक हैं जो प्रदूषण फैलाते हैं। आजकल इतने अधिक वाहन हो गए हैं तथा वह इतना अधिक धआँ छोडते हैं कि पर्यावरण प्रदषण फैल ही जाता है। बड़े-बड़े कारखानों, उद्योगों की चिमनियों से निकलता धुआँ प्रदूषण फैलाता है। उद्योगों से निकला कचरा, गर्म पानी इत्यादि पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।

इनके साथ ही घरेलू प्रयोग किया हुआ पानी, साफ़ पानी में गंदा पानी फेंकना, उद्योगों का कचरा नदियों में फेंकना, भूक्षरण, खेतों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग, उवर्रक बनाने के कारखाने, चमड़ा बनाने के कारखाने, कीटनाशक दवाएं बनाने के कारखाने काफ़ी अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। दिल्ली जैसे शहर में 50 लाख से अधिक वाहन हैं तथा हम यह सोच सकते हैं कि वह कितना प्रदूषण फैलाते होंगे।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक आंदोलन क्या होता है? इसके प्रकारों का वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के अर्थ व प्रकारों की व्याख्या करें।
अथवा
सामाजिक आंदोलन किसे कहते हैं?
अथवा
सामाजिक आंदोलन क्या है?
अथवा
समाज सुधार आंदोलनों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
अथवा
सामाजिक आंदोलन क्या है? प्रमुख प्रकार के सामाजिक आंदोलनों का संक्षिप्त वर्णन करें।
अथवा
आंदोलन क्या है? सामाजिक आंदोलन कितने प्रकार के हैं?
उत्तर:
सामाजिक आंदोलन का अर्थ (Meaning of Social Movements)-किसी भी समाज में सामाजिक आंदोलन तब जन्म लेता है जब वहाँ के व्यक्ति समाज में पाई जाने वाली सामाजिक परिस्थितियों से असंतुष्ट होते हैं तथा उसमें परिवर्तन लाना चाहते हैं। किसी भी तरह का सामाजिक आंदोलन बिना किसी विचारधारा (Ideology के विकसित नहीं होता है।

कभी-कभी सामाजिक आंदोलन किसी परिवर्तन के विरोध के लिए भी विकसित होता है। प्रारंभिक समाज-शास्त्री सामाजिक आंदोलन को परिवर्तन लाने का एक प्रयास मानते थे, परंतु आधुनिक समाज शास्त्री, आंदोलनों को समाज में परिवर्तन करने या फिर उसे परिवर्तन को रोकने के रूप में लेते हैं। विभिन्न विचारकों ने अपने-अपने दृष्टिकोणों से सामाजिक आंदोलन को निम्नलिखित रूप से समझाने का प्रयास किया है

मैरिल एवं एल्ड्रिज (Meril and Eldridge) के अनुसार “सामाजिक आंदोलन रूढ़ियों में परिवर्तन के लिए अधिक या कम मात्रा में चेतन रूप से किये गये प्रयास हैं।” हर्टन व हंट (Hurton and Hunt) के शब्दों में ‘‘सामाजिक आंदोलन समाज अर्थात् उसके सदस्यों में परिवर्तन लाने या उसका विरोध करने का सामूहिक प्रयास है।”

रॉज (Rose) के शब्दानुसार, “सामाजिक आंदोलन सामाजिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लोगों की एक बड़ी संख्या के एक औपचारिक संगठन को कहते हैं, जो अनेक व्यक्तियों के सामूहिक प्रयास से प्रभुत्ता संपन्न, संस्कृत स्कूलों संस्थाओं या एक समाज के विशिष्ट वर्गों को संशोधित अथवा स्थानांतरित करता है।

हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) के अनुसार, “सामाजिक आंदोलन जीवन की एक नयी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास कहा जा सकता है।” उपर्यक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सामाजिक आंदोलन समाज में व्यक्तियों दवारा किया जाने वाला सामूहिक व्यवहार है, जिसका उद्देश्य प्रचलित संस्कृति एवं सामाजिक संरचना में परिवर्तन करना होता है या फिर हो रहे परिवर्तन को रोकना होता है। अतः सामाजिक आंदोलन को सामूहिक प्रयास और सामाजिक क्रिया के प्रयास के रूप में समझा जा सकता है।

सामाजिक आंदोलनों के प्रकार (Types of Social Movements)-हर्टन एवं हंट (Hurton and Hunt) के अनुसार, सामाजिक आंदोलन का वर्गीकरण सरल नहीं है। क्योंकि कभी-कभी कोई आंदोलन दो आंदोलनों के बीच की स्थिति का होता है अथवा अपने विकास के विभिन्न स्तरों पर एक ही आंदोलन विभिन्न प्रकृति का होता है। विभिन्न विचारकों ने सामाजिक आंदोलनों का वर्गीकरण अपने-अपने दृष्टिकोण से निम्नलिखित प्रकार से किया है-
1. विशेष सामाजिक आंदोलन (Special Social Movements)-विशेष या विशिष्ट सामाजिक आंदोलनों के उद्देश्य पहले से ही निर्धारित तथा संगठित होते हैं। इन आंदोलनों के संचालन में अनुभवी नेताओं का हाथ होता है। विशेष सामाजिक आंदोलन के अंतर्गत क्रांतिकारी व सुधारवादी आंदोलन मुख्य रूप से आते हैं।

2. सामान्य सामाजिक आंदोलन (General Social Movements)-सामान्य सामाजिक आंदोलनों का संबंध समाज में प्रचलित सांस्कृतिक मूल्यों से होता है। इस प्रकार के आंदोलन सांस्कृतिक मूल्यों में होने वाले धीरे-धीरे परिवर्तनों के कारण विकसित होते हैं क्योंकि इन्हीं आंदोलनों के कारण परिवर्तित मूल्य, विचार व विश्वास आरंभ में अस्पष्ट होते हैं। महिला आंदोलन, दलित आंदोलन इस श्रेणी के आंदोलनों में आते हैं।

3. अभिव्यक्ति आंदोलन (Expresive Movements)-अभिव्यक्तात्मक सामाजिक आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य किसी भी विषय में सामूहिक असहमति को प्रतीक रूप में प्रकट करना होता है, हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumers) ने इस प्रकार के आंदोलनों को दो भागों में बांटा है-धार्मिक आंदोलन या भाषा आंदोलन।

4. अवरोधक आंदोलन (Resistence Movements)-अवरोधक आंदोलन क्रांतिकारी आंदोलन के सर्वथा विपरीत है। यह उसका भिन्न रूप है। अवरोधक आंदोलन का उद्देश्य परिवर्तन को रोकना या समाप्त करना होता है जबकि क्रांतिकारी आंदोलन में परिवर्तन एकमात्र उद्देश्य माना गया है। भारतवर्ष में इस प्रकार के कई अवरोधक आंदोलन पाए हैं। भारत समाज में जब हिंदू कोड बिल विभिन्न अधिनियमों के रूप में पारित किया गया तो इस तरह के कई आंदोलन शुरू हो गये।

5. काल्पनिक आंदोलन (Utopian Movements) काल्पनिक आंदोलनों के अंतर्गत वह आंदोलन आते हैं, जो महान विचारकों या दार्शनिकों द्वारा अपने काल्पनिक और आदर्श समाज की रचना के लिए आरंभ किये जाते हैं। कार्ल मार्क्स का साम्यवादी आंदोलन, विनोबा भावे का ग्राम दान व भू-दान आंदोलन काल्पनिक आंदोलन के अंतर्गत ही आते हैं।

6. देशांतर आंदोलन (Migratory Movements)-देशांतर आंदोलन युद्ध, बाढ़, अकाल व महामारी के कारण पैदा होते हैं। इस प्रकार के आंदोलन के अंतर्गत जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तांतरण होता है। एक क्षेत्र या देश के लोग व्यापक असंतोष के कारण सामूहिक रूप से दूसरे देश में जाकर रहने का फैसला करते हैं। भारत-विभाजन और बांग्लादेश का निर्माण देशांतर आंदोलन का ही रूप है।

7. क्रांतिकारी आंदोलन (Revolutionery Movements)-क्रांतिकारी आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य प्रचलित सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ कर उसके स्थान पर नयी व्यवस्था की स्थापना करना होता है। क्रांतिकारी आंदोलन हिंसात्मक एवं अहिंसात्मक दो तरह के होते हैं। ये आंदोलन समाज में पाये जाने वाले असंतोष के परिणामस्वरूप जन्म लेते हैं। Hurton & Hunt क्रांतिकारी आंदोलन को इस प्रकार परिभाषित करते हैं-क्रांतिकारी आंदोलन वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ कर, उसके स्थान पर विभिन्न व्यवस्था को प्रतिस्थापित करना चाहता है। क्रांतिकारी आंदोलन की मुख्य विशेषताएं तीव्रता, उग्रता, अहिंसा व कभी-कभी हिंसा भी है।

8. सुधारात्मक आंदोलन (Reformative Movements)-सुधारात्मक आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था में पाई जाने वाली बुराइयों को दूर कर उनमें सुधार लाना होता है। भारतीय समाज में ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन और प्रार्थना समाजों की स्थापना इत्यादि सुधारवादी आंदोलनों के अंतर्गत ही आते हैं। सुधार आंदोलन प्रजातांत्रिक प्रणाली में ही विकसित हो सकते हैं क्योंकि इस प्रणाली में ही सरकार स्वयं नये परिवर्तन एवं सुधारों में रुचि रखती है तथा वहां की जनता को सत्ताधारी या सरकार की आलोचना का पूरा अधिकार होता है। बहुमत की इच्छा से सरकार परिवर्तन करती जाती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलनों से भारतीय समाज में क्या परिवर्तन आए? उनका वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक आंदोलनों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज में 19वीं सदी आते-आते बहुत-सी कुरीतियां फैली हुई थीं। इन कुरीतियों ने भारतीय समाज को बुरी तरह जकड़ा हुआ था। इसी समय भारत के ऊपर अंग्रेज़ कब्जा कर रहे थे। इसके साथ-साथ वह पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी कर रहे थे। बहुत से अमीर भारतीय पश्चिमी शिक्षा ले रहे थे।

शिक्षा लेने के बाद जब वह भारत पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भारतीय समाज बहुत-सी कुरीतियों में जकड़ा हुआ है। इसलिए उन्होंने सामाजिक आंदोलन चलाने का निर्णय लिया ताकि इन कुरीतियों को दूर किया जा सके। इन सामाजिक आंदोलनों की जगह जो परिवर्तन भारतीय समाज में आए उनका वर्णन निम्नलिखित है-

(i) सती–प्रथा का अंत (End of Sati System)-भारत में सती प्रथा सदियों से चली आ रही थी। अगर किसी औरत के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उसे जिंदा ही पति की चिता में जलना पड़ता था। इस अमानवीय प्रथा को ब्राह्मणों ने चलाया हुआ था। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार इस अमानवीय प्रथा के विरुद्ध हो गई तथा उसने 1829 में सती प्रथा विरोधी अधिनियम पास कर दिया तथा सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। इस तरह सदियों से चली आ रही यह प्रथा खत्म हो गई। यह सब सामाजिक आंदोलन के कारण ही हुआ।

(ii) बाल-विवाह का खात्मा (End of Child Marriage)-बहुत-से कारणों की वजह से भारतीय समाज में बाल विवाह हो रहे थे। पैदा होते ही या 4-5 साल की उम्र में ही बच्चों का विवाह कर दिया जाता था चाहे उन को विवाह का मतलब पता हो या न हो। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार ने विवाह की न्यूनतम आयु निश्चित कर दी। 1860 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बना कर विवाह की न्यूनतम आयु 10 वर्ष निश्चित कर दी।

(iii) विधवा-पुनर्विवाह (Widow Remarriage)-सदियों से हमारे समाज में विधवाओं को पुनर्विवाह की इजाजत नहीं थी। विधवाओं की स्थिति बहुत बदतर थी। उनको किसी पारिवारिक समारोह में भाग लेने की इजाजत नहीं थी। वह घुट-घुट कर मरती रहती थी। उनको अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार नहीं था।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कोशिशों की वजह से अंग्रेजों ने 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पास किया जिससे विधवाओं को दोबारा विवाह करने की इजाजत मिल गई। इस तरह विधवाओं को कानूनी रूप से विवाह करने तथा अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार मिल गया।

(iv) पर्दा-प्रथा की समाप्ति (End of Purdah System)-मुस्लिमों में बरसों से पर्दा प्रथा चली आ रही थी। औरतों को हमेशा पर्दे के पीछे रहना पड़ता था। वह कहीं आ जा भी नहीं सकती थीं। यह प्रथा धीरे-धीरे सारे भारत में फैल गई। बड़े-बड़े समाज सुधारकों ने पर्दा प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी। यहां तक कि सर सैय्यद अहमद खान ने भी इसके विरुद्ध आवाज़ उठायी। इस तरह धीरे-धीरे पर्दा प्रथा कम होने लग गई तथा समय आने के साथ यह भी खत्म हो गई।

(v) दहेज-प्रथा में परिवर्तन (Change in Dowry System)-दहेज वह होता है जो विवाह के समय लड़की का पिता अपनी खुशी से लड़के वालों को देता था। धीरे-धीरे इसमें भी बुराइयां आनी शुरू हो गईं। लड़के वाले दहेज मांगने लगे जिस वजह से लड़की वालों को बहुत तकलीफें उठानी पड़ती थीं। इसके विरुद्ध भी आंदोलन चले जिस वजह से ब्रिटिश सरकार ने तथा आजादी के बाद 1961 में सरकार ने दहेज लेने या देने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया।

(vi) भारतीय समाज में बहुत समय से अस्पृश्यता चली आ रही थी। इसमें छोटी जातियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता था। इन सामाजिक आंदोलनों में अस्पृश्यता के विरुद्ध आवाज़ उठी। जिस वजह से इसे गैर-कानूनी घोषित करने के लिए वातावरण तैयार हो गया तथा आज़ादी के बाद इसे गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया।

(vii) भारतीय समाज में अंतर्जातीय विवाह पर प्रतिबंध था। इन सामाजिक आंदोलनों की वजह से अंतर्जातीय विवाह को बल मिला जिस वजह से आजादी के बाद इसे भी कानूनी मंजूरी मिल गई।

(vii) इन आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज के आधार जाति व्यवस्था पर गहरी चोट लगी। सभी आंदोलनों ने जाति प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी जिस वजह से धीरे-धीरे जाति व्यवस्था खत्म होने लगी तथा आज भारत में जाति व्यवस्था अपनी आखिरी कगार पर खड़ी है।

(ix) सभी सामाजिक आंदोलन एक बात पर तो ज़रूर सहमत थे तथा वह थी स्त्री शिक्षा। हमारे समाज में स्त्रियों का स्तर काफ़ी निम्न था। उनको किसी भी चीज़ का अधिकार प्राप्त नहीं था। इन सभी आंदोलनों ने स्त्री शिक्षा के लिए कार्य किए जिस वजह से स्त्री शिक्षा को विशेष बल मिला। आज उसी वजह से स्त्री-पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है। इन सब चीज़ों को देखकर यह स्पष्ट है कि भारत में 19वीं सदी से शुरू हुए सामाजिक आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज में बहुत-से परिवर्तन आए।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 3.
भारत में समाज सुधारक आंदोलन चलाने के लिए क्या सहायक हालात थे?
उत्तर:
भारत में सदियों से बहुत-सी कुरीतियां चली आ रही थीं। भारतीयों को इन कुरीतियों में पिसते-पिसते सदियां हो चली थी पर भारतीय इनमें पिसते ही जा रहे थे तथा इनके खिलाफ कोई आवाज़ भी उठ नहीं रही थी। 18वीं सदी के आखिरी दशकों में अंग्रेजों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की। इसके साथ-साथ उन्होंने भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू किया।

भारतीयों ने पश्चिमी शिक्षा ग्रहण करनी शुरू की तथा धीरे-धीरे उन्हें समझ आनी शुरू हो गई कि भारतीय समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं वह सब बेफिजूल की हैं जो कि ब्राह्मणों ने अपना स्वामित्व स्थापित करने के लिए चलाई थीं। जब अंग्रेजों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की तो उस समय भारत में कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए जिनकी वजह से भारत में समाज सुधारक आंदोलनों की शुरुआत हुई। इन हालातों का वर्णन निम्नलिखित हैं-
(i) पश्चिमी शिक्षा (Western Education)-अंग्रेजों के भारत आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू हुआ। पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ उन्हें विज्ञान के बारे में यूरोप की प्रगति के बारे में भी पता चला। इस पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने का यह असर हुआ कि उनको पता चलने लग गया कि उनके समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं उनका कोई अर्थ नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने देश में सामाजिक आंदोलन चलाने शुरू किए और सामाजिक परिवर्तन आने शुरू हो गए।

(ii) यातायात के साधनों का विकास (Development of Means of Transport) अंग्रेज़ों ने भारत में चाहे अपने फायदे के लिए यातायात के साधनों का विकास किया पर उससे भारतीयों को भी बहुत फायदा हुआ। भारतीय इन यातायात के साधनों की वजह से एक-दूसरे के आगे आए तथा एक-दूसरे से मिलने लगे। पश्चिमी शिक्षा ग्रहण कर चुके भारतीय भी देश के कोने-कोने पहुँचे तथा उन्होंने लोगों को समझाया कि यह सब प्रथाएं उनके फायदे के लिए नहीं बल्कि नुकसान के लिए हैं जिससे लोगों को यह समझ आने लग गया। इस तरह यातायात के साधनों के विकास के साथ भी आंदोलनों के लिए हालात विकसित हुए।

(iii) भारतीय प्रेस की शुरुआत (Indian Press)-अंग्रेज़ों के आने के बाद भारत में प्रैस की शुरुआत हुई। दोलनों के संचालकों ने लोगों को समझाने के साथ छोटे-छोटे अखबार तथा पत्रिकाएं निकालनी भी शुरू की ताकि य इनको पढ़कर समझ सकें कि ये बुराइयां हमारे समाज में कितनी गहरी पैठ बना चुकी हैं तथा इनको यहां से निकालना बहुत ज़रूरी है। इस तरह प्रैस की शुरुआत ने भारतीयों को यह समझा दिया कि इन कुरीतियों को दूर करना कितना ज़रूरी है।

(iv) मिशनरियों का बढ़ता प्रभाव (Increasing Effect of Missionaries)-जब से अंग्रेज़ भारत में आए उन्होंने ईसाई मिशनरियों को भी सहायता देनी शुरू की। अंग्रेजों ने इनको आर्थिक सहायता के साथ राजनीतिक सहायता भी देनी शुरू की। इन मिशनरियों का कार्य ईसाई धर्म का प्रचार करना था पर इनका प्रचार करने का तरीका अलग था।

वह पहले समाज कल्याण का कार्य करते थे। लोगों की तकलीफ दूर करते थे फिर इनमें ईसाई धर्म का प्रचार करते थे। धीरे-धीरे लोग ईसाई धर्म को अपनाने लग गए। इससे समाज सुधारकों को बड़ी निराशा हुई क्योंकि भारतीय लोग अपना धर्म छोड़ कर विदेशी धर्म अपनाने लग गए थे। इन समाज सुधारकों ने भारतीयों को मिशनरियों के प्रभाव से बचाने के लिए समाज सुधारक आंदोलन चलाने शुरू कर दिए। इस तरह ईसाई मिशनरियों के प्रभाव की वजह से भी यह आंदोलन शुरू हो गए।

(v) बहुत ज्यादा कुप्रथाएं (So many ills in Indian Society)-जिस समय भारत में सुधार आंदोलन शुरू हुए उस समय भारतीय समाज में बहुत-सी कुप्रथाएं फैली हुई थीं। सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर प्रतिबंध, दहेज प्रथा, अस्पृश्यता इत्यादि कुप्रथाएं तथा इनके साथ जुड़े हुए बहुत से अंधविश्वास भी भारतीय समाज में फैले हुए थे। लोग भी इन सब से तंग आ चुके थे। जब यह आंदोलन शुरू हुए तो लोगों ने इन सुधारों को हाथों हाथ लिया जिस वजह से इन आंदोलनों को अच्छे हालात मिल गए तथा यह समाज सुधार के आंदोलन सफल हो गए।

प्रश्न 4.
भारत में महिलाओं में चले सुधार आंदोलन का वर्णन करो।
अथवा
महिला आंदोलनों की व्याख्या करें।
अथवा
स्वतः स्फूर्त महिला आंदोलन का उदय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
भारतीय समाज में समय-समय पर अनेक ऐसे आंदोलन शुरू हुए हैं जिनका मुख्य उद्देश्य स्त्रियों की दशा में सुधार करना रहा है। भारतीय समाज एक पुरुष-प्रधान समाज है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं ने अपने शोषण, उत्पीड़न इत्यादि के लिए अपनी स्थिति में सुधार के लिए आवाज़ उठाई है।

पारंपरिक समय से ही महिलाएं बाल-विवाह, सती-प्रथा, विधवा विवाह पर रोक, पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का शिकार होती आई हैं। महिलाओं को इन सब शोषणात्मक कुप्रथाओं से छुटकारा दिलवाने के देश के समाज सुधारकों ने समय-समय पर आंदोलन चलाये हैं।

इन आंदोलनों में समाज सुधारक तथा उनके द्वारा किये गए प्रयास सराहनीय रहे हैं। इन आंदोलनों की शुरुआत 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही हो गई थी। राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, केशवचंद्र सेन, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, ऐनी बेसेंट इत्यादि का नाम इन समाज सुधारकों में अग्रगण्य है।

सन् 1828 में राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना तथा 1829 में सती प्रथा अधिनियम का बनाया जाना उन्हीं का प्रयास रहा है। स्त्रियों के शोषण के रूप में पाये जाने वाले बाल-विवाह पर रोक तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रचलित कराने का जनमत भी उन्हीं का अथक प्रयास रहा है।

इसी तरह महात्मा गांधी, स्वामी दयानंद सरस्वती, ईश्वरचंद्र, विद्यासागर जी ने भी कई ऐसे ही प्रयास किये जिनका प्रभाव महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक महर्षि कर्वे स्त्री-शिक्षा एवं विधवा पुनर्विवाह के समर्थक रहे। इसी प्रकार केशवचंद्र सेन एवं ईश्वरचंद्र विद्यासागर के प्रयासों के अंतर्गत ही 1872 में ‘विशेष विवाह अधिनियम’ तथा 1856 में विधवा-पुनर्विवाह अधिनियम बना। इन अधिनियमों के आधार पर ही विधवा पुनर्विवाह एवं अंतर्जातीय विवाह को मान्यता दी गई। इनके साथ ही कई महिला संगठनों ने भी महिलाओं को शोषण से बचाने के लिए कई आंदोलन शुरू किये।

महिला आंदोलनकारियों में ऐनी बेसेंट, मैडम कामा, रामाबाई रानाडे, मारग्रेट नोबल आदि की भूमिका प्रमुख रही है। भारतीय समाज में महिलाओं को संगठित करने तथा उनमें अधिकारों के प्रति साहस दिखा सकने का कार्य अहिल्याबाई व लक्ष्मीबाई ने प्रारंभ से किया था। भारत में कर्नाटक में पंडिता रामाबाई ने 1878 में स्वतंत्रता से पूर्व पहला आंदोलन शुरू किया था तथा सरोज नलिनी की भी अहम् भूमिका रही है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व प्रचलित इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही अनेक ऐसे अधिनियम पास किये गए जिनका महिलाओं की स्थिति सुधार में योगदान रहा है। महत्त्वपूर्ण इसी प्रयास के आधार पर स्वतंत्रता पश्चात् अनेक अधिनियम जिनमें 1955 का हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 का हिंदू उत्तराधिकार का अधिनियम एवं 1961 का दहेज निरोधक अधिनियम प्रमुख रहे हैं।

इन्हीं अधिनियमों के तहत स्त्री-पुरुष को विवाह के संबंध में समान अधिकार दिये गए तथा स्त्रियों को पृथक्करण, विवाह-विच्छेद एवं विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति प्रदान की गई है। इसी प्रकार संपूर्ण भारतीय समाज में समय-समय पर और भी ऐसे कई आंदोलन चलाए गए हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य स्त्रियों को शोषण का शिकार होने से बचाना रहा है।

वर्तमान समय में स्त्री-पुरुष के समान स्थान व अधिकार पाने के लिए कई आंदोलनों के माध्यम से एक लंबा रास्ता तय करके ही पहुंच पाई है। समय-समय पर राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा महिला संगठनों के प्रयासों के आधार पर ही वर्तमान महिला जागृत हो पाई है।

इन सब प्रथाओं के परिणामस्वरूप ही 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया गया। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में महिला विकास निगम [Women Development Council (WDC)] का निर्माण किया गया है जिसका उद्देश्य महिलाओं को तकनीकी सलाह देना तथा बैंक या अन्य संस्थाओं से ऋण इत्यादि दिलवाना है।

वर्तमान समय में अनेक महिलाएं सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। आज स्त्री सभी वह कार्य कर रही है जो कि एक पुरुष करता है। महिलाओं के अध्ययन के आधार पर भी वह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान समय में महिला की परिस्थिति, परिवार में भूमिका, शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, राजनीतिक एवं कानूनी भागीदारी में काफ़ी परिवर्तन आया है।

आज महिला स्वतंत्र रूप से किसी भी आंदोलन, संस्था एवं संगठन से अपने आप को जोड़ सकती है। महिलाओं की विचारधारा में इस प्रकार के परिवर्तन अनेक महिला स्थिति सुधारक आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही संभव हो पाये हैं। आज महिला पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित की जाती हैं तथा इसके साथ ही महिला सभाओं एवं गोष्ठियों का भी संचालन किया जा रहा है जिसका प्रभाव महिला की स्थिति पर पूर्ण रूप से सकारात्मक पड़ रहा है।

विभिन्न महिला आंदोलनों ने न केवल महिलाओं की स्थिति सुधार में ही भूमिका निभाई है, बल्कि इन आंदोलनों के आधार पर समाज में अनेक परिवर्तन भी आये हैं, अतः महिला आंदोलन सामाजिक परिवर्तन का भी एक उपागम रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 5.
भारत में कृषक आंदोलन की भूमिका का वर्णन करो।
अथवा
कृषक आंदोलन पर एक नोट लिखिए।
अथवा
किसान आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
अथवा
किसान आंदोलन की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कृषक या किसान आंदोलनों का संबंध किसानों तथा कृषि कार्यों के बीच पाए जाने वाले संबंधों से है। जब कृषि कार्यों को करने वालों तथा भूमि के मालिकों के बीच तालमेल ठीक नहीं बैठता तो कृषि करने वाले आंदोलनों का रास्ता अपना लेते हैं तथा यहीं से किसान आंदोलन की शुरुआत होती है। असल में यह आंदोलन किसानों के शोषण के कारण होते हैं। इनका मूल आधार वर्ग संघर्ष है तथा यह श्रमिक आंदोलन से अलग हैं।

डॉ० तरुण मजूमदार ने इसकी परिभाषा देते हुए कहा है कि, “कृषि कार्यों से संबंधित हरेक वर्ग के उत्थान तथा शोषण मुक्ति के लिए किए गए साहसी प्रयत्नों को कृषक आंदोलन की श्रेणी में रखा गया है।” इन आंदोलनों का महत्त्वपूर्ण आधार कृषि व्यवस्था होती है। भूमि व्यवस्था की विविधता तथा कृषि संबंधों ने खेतीहार वर्गों के बीच एक विस्तृत संरचना का विकास किया है। यह संरचना अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रही है। भारत में खेतीहार वर्ग को तीन भागों में बांट सकते हैं-

  • मालिक (Owner)
  • किसान (Farmer)
  • मज़दूर (Labourer)

मालिक को भूमि का मालिक या भूपति भी कहते हैं। संपूर्ण भूमि का मालिक यही वर्ग होता है जिस पर खेती का ार्य होता है। किसान का स्थान भूपति के बाद आता है। किसान वर्ग में छोटे-छोटे भूमि के टुकड़ों के मालिक तथा ‘श्तकार होते हैं। यह अपनी भूमि पर स्वयं ही खेती करते हैं। तीसरा वर्ग मज़दूर का है जो खेतों में काम करके वेका कमाता है। इस वर्ग में भूमिहीन, कृषक, ग़रीब काश्तकार तथा बटईदार आते हैं। किसान आंदोलन अनेकों कारणों की वजह से अलग-अलग समय पर शुरू हुए।

औद्योगीकरण के कारण जब हार मज़दूरों की जीविका पर असर पड़ता है तो आंदोलनों की मदद से खेतीहार मज़दूर विरोध करते हैं। इसके थ ही खेती से संबंधित चीज़ों के दाम बढ़ने, मालिकों द्वारा ज्यादा लाभ प्राप्त करने के लिए विशेष प्रकार की खेती रवाना, अधिकारियों की नीतियां तथा शोषण की आदत का पाया जाना, खेतीहार मज़दूरों को बंधुआ मज़दूर रख र उनसे अपनी मर्जी का कार्य करवाना आदि ऐसे कारण रहे हैं जिनकी वजह से कृषक आंदोलन शुरू हुए।

किसान आंदोलनों की शुरुआत-19वीं शताब्दी से इन आंदोलनों की शुरुआत की गई थी जब अंग्रेज़ सरकार ने पने आपको कृषि व्यवस्था के साथ जोड़ा। 19वीं शताब्दी में ही अंग्रेजों के विरुद्ध संथाल विद्रोह हुआ। 1875 साहूकारों के दंगे, अवध विद्रोह तथा पंजाब में साहूकारों के विरोध में किसानों के संघर्ष ने किसान आंदोलन का प ले लिया। 1917-18 में गांधी जी ने किसानों तथा श्रमिकों के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया। 1923 किसान संगठनों तथा कृषक श्रम संघों का निर्माण हुआ।

उत्तर प्रदेश, बंगाल तथा पंजाब में किसान सभाओं का कास हुआ। गुजरात में 1928-29 में तथा 1930-31 में किसानों तथा श्रमिकों के बीच संघर्ष हुआ। पहला र्ष सरदार पटेल की मदद से किया गया जिस वजह से सरकार को उनकी मांगों को मानना पड़ा था। 1937 से लेकर 46 तक के समय में जागीरदार, ज़मींदार तथा बड़े भूपतियों के विरुद्ध अनेक आंदोलन शुरू किए गए। मैसूर तथा कसान आंदोलन, राजाओं, महाराजाओं तथा स्थानीय ठाकुरों के विरुद्ध हुए। उड़ीसा, उदयपुर, ग्वालियर जयपुर में हुए आंदोलन भारतीय कृषक आंदोलन के इतिहास में महत्त्वपूर्ण आंदोलन रहे हैं।

आजादी के बाद भी सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद भी कृषकों तथा कृषि श्रमिकों की समस्याएं कोई कम नहीं हो पाई हैं जिसके परिणामस्वरूप देश के अलग-अलग भागों में कृषक आंदोलनों की संख्या बढ़ी है। हैदराबाद तेलंगाना जिले में अखिल भारतवर्षीय किसान सभा ने आज़ादी की प्राप्ति के दौरान संघर्ष किया।

इसके साथ ही और अनेकों आंदोलन जैसे बिहार कृषक आंदोलन, उत्तर प्रदेश कृषक आंदोलन, दक्षिण भारत कृषक आंदोलन, बंगाल कृषक आंदोलन, महाराष्ट्र कृषक आंदोलन, राजस्थान कृषक आंदोलन मुख्य रहे हैं। इन सब आंदोलनों का उद्देश्य किसानों के हितों की रक्षा करना तथा शोषण का विरोध करना था। इन आंदोलनों का एकमात्र उद्देश्य किसानों को शोषण मुक्त करना तथा सामाजिक व आर्थिक न्याय दिलवाना रहा है।

प्रश्न 6.
कामगारों के आंदोलन का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
कामगारों का आंदोलन तथा कृषक आंदोलन वर्ग पर आधारित दो महत्त्वपूर्ण आंदोलन रहे हैं। भारतवर्ष में कारखानों के आधार पर उत्पादन सन् 1860 से प्रारंभ हुआ था। औपनिवेशिक शासन काल में यह व्यापार का एक सामान्य तरीका था जिसमें कच्चे माल का उत्पादन भारतवर्ष में किया जाता था।

कच्चे माल से वस्तुएं निर्मित की जाती थीं तथा उन्हें उपनिवेश में बेचा जाता था। प्रारंभिक काल में इन कारखानों को बंदरगाह वाले शहरों जैसे बंबई एवं कलकत्ता में स्थापित किया गया तथा उसके पश्चात धीरे-धीरे यह कारखाने मद्रास इत्यादि बड़े शहरों में भी स्थापित कर दिए गए।

औपनिवेशक काल के प्रारंभ में सरकार ने मजदूरों के कार्यों एवं वेतन को लेकर किसी भी प्रकार की कोई योजना नहीं बनाई थी जिसके फलस्वरूप उस काल में मज़दूरी बहुत सस्ती थी। लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ कामगारों ने अपने शोषण को देखते हुए सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया था अर्थात् मज़दूर संघ भी विकसित हुए लेकिन विरोध पहले से ही प्रारंभ हो चुका था। देश में कुछ एक राष्ट्रवादी नेताओं ने उपनिवेश विरोधी आंदोलनों में मज़दूरों को भी शामिल करना प्रारंभ कर दिया था।

देश में युद्ध के समय उद्योगों का बड़े स्तर पर विकास तो हुआ लेकिन इसके साथ ही साथ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो गई जिससे लोगों को खाने की भी कमी हो गई। परिणामस्वरूप हड़तालें होने लगी तथा बड़े-बड़े उद्योग एवं मिलें बंद हो गईं जैसे बंबई की कपड़ा मिल, कलकत्ता में पटसन कामगारों ने भी अपना काम बंद कर दिया। इसी तरह अहमदाबाद की कपड़ा मिल के कामगारों ने भी 50% वेतन वृद्धि की माँग को लेकर अपना काम बंद कर दिया।

कामगारों के इस विरोध को देखते हुए अनेक मज़दूर संघ स्थापित हुए। देश में पहला मजदूर संघ सन् 191 में बी० पी० वाडिया के प्रयास से स्थापित हुआ। उसी वर्ष महात्मा गांधी ने भी टेक्साइल लेबर एसोसिएशन (र्ट एल० ए०) की भी स्थापना की। इसी तर्ज पर सन् 1920 में बंबई में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (All Inc Trade Union Congress), (ए० आई० ई० टी० सी०, एटक) की स्थापना भी की गई। एटक संगठन के सा विभिन्न विचारधाराओं वाले लोग संबंधित हुए जिसमें साम्यवादी विचारधारा मुख्य थी और इन विचारधाराओं वे समर्थक राष्ट्रवादी नेता जैसे लाला लाजपत राय तथा पं० जवाहर लाल नेहरू जैसे लोग भी शामिल थे।

एटक एक ऐसा संगठन उभर कर सामने आया जिसने औपनिवेशिक सरकार को मज़दूरों के प्रति व्यवहार को लेकर जागरूक कर दिया तथा फलस्वरूप कुछ रियासतों के आधार पर मज़दूरों में पनपे असंतोष को कम करने क प्रयास किया। इसके साथ ही सरकार ने सन् 1922 में चौथा कारखाना अधिनियम पारित किया जिसके अंतर्गत मज़दूरों की कार्य अवधि को घटाकर दस घंटे तक निर्धारित कर दिया। सन् 1926 में मजदूर संघ अधिनियम के तहत मजदूर संघों के पंजीकरण का भी प्रावधान किया गया। ब्रिटिश शासन काल के अंत तक कई संघों की स्थापन हो चुकी थी तथा साम्यवादियों ने एटक पर काफी नियंत्रण भी पा लिया था।

राष्ट्रीय स्तर पर कामगार वर्ग के आंदोलन के फलस्वरूप स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् क्षेत्रीय दलों ने भी अपने स्व के कई संघों का निर्माण करना प्रारंभ कर दिया। सन् 1966-67 जो कि अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर था उत्पादन एवं रोजगार दोनों में कमी आई जिसके परिणामस्वरूप सभी ओर (असंतोष ही असंतोष था)।

इसके उदाहरण सामने थे जैसे 1974 में रेल कर्मचारियों की बहुत बड़ी हड़ताल, 1975-77 में आपात्काल के दौ सरकार ने मज़दूर संघों की गतिविधियों पर रोक लगा दी। धीरे-धीरे भूमंडलीकरण के प्रभाव के परिणामस्व कामगारों की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन हो रहे हैं जोकि कामगारों की स्थिति में सुधारात्मक परिवर्तन हैं। इन सुधारात्मक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप ही देश की अर्थव्यवस्था को एक मज़बूत आधार मिल सकता है।

प्रश्न 7.
पर्यावरण संबंधित आंदोलन का संक्षिप्त वर्णन दें।
अथवा
पर्यावरण आंदोलनों का वर्णन करें।
अथवा
पर्यावरण आंदोलनों के अर्थ की व्याख्या करें।
अथवा
किसी पर्यावरणीय आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय आंदोलनों के बारे में जानने से पहले हमें पारिस्थितिकी का अर्थ जान लेना आवश्यक है। पारिस्थितिकी विज्ञान की वह शाखा है जो जीवन की किस्मों की एक-दूसरे के साथ और अपने आस-पास के साथ संबंधों के बारे में संबंधित है। पारिस्थितिकी पर्यावरण क्षेत्र में किसी भी एक संतुलित व्यवस्था की स्थिति को दिखलाती है। किसी भी पर्यावरण में जितनी भी वस्तुएं सजीव या निर्जीव होती हैं वे एक-दूसरे से संयोग करती हैं जिससे एक संतुलित व्यवस्था बनी रहती है।

आधुनिक समय में विकास पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है। विकास की बढ़ती माँग के कारण प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण एवं अनियंत्रित उपयोग के कारणों के फलस्वरूप विकास के ऐसे प्रतिमान पर चिंता प्रकट की जा रही है। वर्तमान समय में यह माना जाता रहा है कि विकास से सभी वर्गों के लोगों को लाभ पहुंचेगा परंतु वास्तव में बड़े-बड़े उद्योग धंधे कृषकों को उनकी आजीविका तथा घरों दोनों से दूर कर रहे हैं। उद्योगों के उत्तरोत्तर विकास के बढ़ने के कारण औद्योगिक प्रदूषण जैसी भयंकर समस्या सामने आ रही है।

औद्योगिक प्रदूषण प्रभाव को देखते हुए इससे बचाव कैसे किया जा सकता है। इसके लिए अनेक पारिस्थितिकीय आंदोलन शुरू हुए। न आंदोलनों में चिपको आंदोलन मुख्य आंदोलन रहा है। चिपको आंदोलन हिमालय की तलछटी में पारि दोलन का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। यह आंदोलन लोगों की विचारधाराओं एवं मिश्रित हितों का एक ज्वलंत हरण है। सन् 1970 में अनपेक्षित भारी वर्षा के कारण बाढ़ आ गई जिससे अलकनंदा घाटी की 100 वर्ग लोमीटर भूमि पानी में डूब गई। इस बाढ़ के कारण सैंकड़ों घर, व्यक्ति तथा पशु पानी में बह गए।

जान-माल की यधिक तबाही के कारण पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया। इसी दौरान गाँववासी जिन्होंने बाढ़ की मार को झेला था वनों ‘ अंधाधुंध कटाई, भूस्खलन एवं बाढ़ के बीच संबंध को धीरे-धीरे समझने लगे। गाँववासियों ने देखा कि जो गाँव न जंगलों के अधिक समीप थे जिन वनों की कटाई कर दी गई थी वो भूस्खलन से अधिक प्रभावित हुए, उन गाँवों। अपेक्षा जो कटाई रहित वनों के समीप थे।

इस प्रकार बाढ़ के प्रभाव को देखते हुए गाँववासियों ने वनों की कटाई को रोकने के लिए आवाज़ उठानी शुरू र दी। प्रारंभिक विरोधों के बावजूद भी सरकार ने जंगलों की वार्षिक नीलामी कर दी। इस आंदोलन में गांववासियों एकता का सबूत दिया। जब ठेकेदार के आदमी अपने उपकरणों सहित जंगल की कटाई के लिए जा रहे थे तो गांव ‘महिलाओं ने इसका विरोध किया तथा मजदूरों से कटाई कार्य न शुरू करने की प्रार्थना की। शुरू में तो उन्हें काफ़ी ‘स्कार भी सहना पड़ा लेकिन अंततः मज़दूर लोगों को खाली हाथ ही वापिस जाना पड़ा। चिपको आंदोलन की तरह ही कई पारिस्थितिकीय आंदोलन विकसित हुए जिनका एकमात्र उद्देश्य पर्यावरण कोण रहित बनाना रहा है।

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions) 

प्रश्न 1.
क्या प्रकाश को आँखों से देखा जा सकता हैं ?
उत्तर-
नहीं, प्रकाश की उपस्थिति में अन्य वस्तुओं को देखा जा सकता है परन्तु प्रकाश स्वयं दिखाई नहीं देता।

प्रश्न 2.
प्रकाश किरण के तीक्ष्ण किनारों पर मुड़ने की घटना को क्या कहते हैं?
उत्तर-
विवर्तन।

प्रश्न 3.
विवर्तन की घटना को स्पष्ट करने के लिये प्रकाश किस रूप को प्रदर्शित करता है?
उत्तर-
तरंग (Wave)। .

प्रश्न 4.
प्रकाश के परावर्तन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
किसी चमकदार. सतह से प्रकाश किरणों के टकराकर वापस लौटने की घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

प्रश्न 5.
प्रकाश का परावर्तन कितने प्रकार का होता हैं ?
उत्तर-
प्रकाश का परावर्तन दो प्रकार का होता है-

  • नियमित परावर्तन,
  • विसरित परावर्तन।

प्रश्न 6.
गोलीय दर्पण किसे कहते हैं ? |RBSE 2015]
उत्तर-
गोलीय दर्पण किसी चमकीले गोले का कटा हुआ भाग होता है जो अन्दर या बाहर से प्रकाश का परावर्तन कर सकता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 7.
किसी गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या और फोकस दूरी में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर-
वक्रता त्रिज्या (R) = 2 x फोकस दूरी (f).

प्रश्न 8.
दर्पण सूत्र क्या है ?
उत्तर-
\(\frac{1}{f}= \frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)

प्रश्न 9.
किसी दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
किसी गोलीय दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब का आकार तथा वस्तु के आकार के अनुपात को आवर्धन कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रकाश के परावर्तन के नियम लिखिए।
उत्तर-

  • आपतन कोण
  • तथा परावर्तन कोण r बराबर होते हैं।
  • आपतित किरण, दर्पण’ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एवं परावर्तित किरण एक ही तल में होते हैं।

प्रश्न 11.
समतल दर्पण की फोकसदूरी कितनी होती है ?
उत्तर-
समतल दर्पण की फोकस दूरी अनन्त होती है।

प्रश्न 12.
एक अवतल दर्पण के ध्रुव तथा फोकस बिन्दु के बीच रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा ?
उत्तर-
प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनेगा। यह सीधा, वस्तु से बड़ा तथा आभासी होगा।

प्रश्न 13.
समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब का आवर्धन कितना होता है?
उत्तर-
m = + 1 (आवर्धन)

प्रश्न 14.
गाड़ी की हैडलाइट में कौन-सा दर्पण प्रयुक्त किया जाता है ?
उत्तर-
अवतल दर्पण।

प्रश्न 15.
किस दर्पण द्वारा आवर्धन धनात्मक परन्तु 1 से कम होता है?
उत्तर-
उत्तल दर्पण द्वारा।

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प्रश्न 16.
वाहनों के पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में प्रयुक्त गोलीय दर्पण का नाम लिखिए। (RBSE 2015)
उत्तर-
उत्तल दर्पण।

प्रश्न 17.
प्रकाश का अपवर्तन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो विचलित हो जाती है, इस क्रिया को अपवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 18.
जब प्रकाश की किरण वायु से पानी में प्रवेश करती है तब क्या होता है ?
उत्तर-
जब प्रकाश की किरण वायु (विरल माध्यम) से पानी (सघन माध्यम) में प्रवेश करती है तो यह अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है। इस कारण से अपवर्तन कोण, आपतित कोण से छोटा होता है।

प्रश्न 19.
अपवर्तन के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-

  • पानी में डूबे सिक्के का ऊपर उठा हुआ दिखाई देना।
  • पानी में डूबी लकड़ी टेढ़ी दिखाई देना।

प्रश्न 20.
प्रकाश के अपवर्तन में उसकी आवृत्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
आवृत्ति पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 21.
जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करता है, तो उसकी चाल तथा पथ किस प्रकार प्रभावित होते हैं?
उत्तर-
जब प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है तो वह अभिलम्ब की ओर झुक जायेगी। माध्यम का घनत्व अधिक होने के कारण उसकी चाल कम हो जायेगी।

प्रश्न 22.
जब प्रकाश दो माध्यमों के अन्तरापृष्ठ पर अभिलम्बवत् आपतित होता है तो क्या होता है?
उत्तर-
प्रकाश के पथ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 23.
अपवर्तनाँक का प्रकाश के वेग से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1

प्रश्न 24.
एक ऐसे पदार्थ का नाम लिखो जिसका अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है। .
उत्तर-
हीरा, जिसका अपवर्तनांक 2.42 होता है।

प्रश्न 25.
अपवर्तनांक का क्या मात्रक होता है?
उत्तर-
अपवर्तनांक का कोई भी मात्रक नहीं होता है क्योंकि यह समान राशियों का अनुपात है।

प्रश्न 26.
अपवर्तनांक सम्बन्धी स्नैल का नियम लिखिये।
या
अपवर्तन का नियम लिखिये जो आपतन कोण और अपवर्तन कोण के बीच सम्बन्ध बताता है।
उत्तर-
जब कोई प्रकाश किरण किसी पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती है तो उसके आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) में एक निश्चित अनुपात होता है जिसे अपवर्तनांक कहते हैं।

प्रश्न 27.
छोटे अक्षरों को पढ़ने हेतु कौन-सा लेंस उपयोग किया जाता है?
उत्तर-
उत्तल लेंस।

प्रश्न 28.
दूर स्थित किसी वस्तु का उत्तल लेंस द्वारा किस प्रकार का प्रतिबिम्ब बनता है ?
उत्तर-
वास्तविक, उल्टा तथा छोटा।

प्रश्न 29.
मुख्य फोकस व प्रकाशिक केन्द्र के बीच की दूरी को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
फोकस दूरी (f).

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प्रश्न 30.
किस स्थिति में प्रतिबिम्ब वस्तु के आकार के समान होता है ?
उत्तर-
जब वस्तु 2f पर हो।

प्रश्न 31.
जब वस्तु लेंस से अनन्त दूरी पर हो तो प्रतिबिम्ब कैसा बनता है ?
उत्तर-
वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु से छोटा होता है।

प्रश्न 32.
जब वस्तु F और प्रकाशिक केन्द्र के बीच में हो, तो उत्तल लेंस द्वारा बनाया गया प्रतिबिम्ब कहाँ और कैसा बनेगा ?
उत्तर-
उत्तल लेंस के F व प्रकाशिक केन्द्र के बीच रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर काल्पनिक और सीधा बनेगा।

प्रश्न 33.
लेंस किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
एक ऐसा पारदर्शक माध्यम जो दो वक्र तलों से घिरा हुआ हो लेंस कहलाता है।
ये दो प्रकार के होते हैं-

  1. उत्तल लेंस,
  2. अवतल लेंस।

प्रश्न 34.
लेंस से दूरियाँ किस बिन्दु पर मापी जाती हैं?
उत्तर-
प्रकाशिक केन्द्र से।

प्रश्न 35.
किसी लेंस की क्षमता का क्या अर्थ है ? तथा इसका S.I. मात्रक लिखिये। [CBSE 2015]
उत्तर-
मीटर में व्यक्त की गई लेंस की फोकस दूरी (f) के व्युत्क्रम को लेंस की क्षमता (P) कहते हैं।
P = \(\frac{1}{f(\mathrm{~m} \text { में })} \text { या } \frac{100}{f(\mathrm{~cm} \text { में })} \)
तथा S.I. मात्रक डायोप्टर (D) होता हैं।

प्रश्न 36.
लेंस को सूत्र लिखिए।
उत्तर-
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)

प्रश्न 37.
कौन सा लेंस अभिसारी लेंस कहलाता हैं?
उत्तर-
उत्तल लेंस।

प्रश्न 38.
किस लेंस को अपसारी लेंस कहते हैं ?
उत्तर-
अवतल लेंस को।

प्रश्न 39.
अभिसारी लेंस की क्षमता धनात्मक होती है या ऋणात्मक ?
उत्तर-
अभिसारी लेंस की क्षमता धनात्मक होती है क्योंकि इसकी फोकस दूरी धनात्मक होती है।

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प्रश्न 40.
किस लेंस का आवर्धन सदैव 1 से कम होता
उत्तर-
अवतल लेंस का।।

प्रश्न 41.
सम्पर्क में रखे दो लेंसों की क्षमताएँ P1 व P2 हैं। संयुक्त लेंस की क्षमता क्या होगी?
उत्तर-
क्षमता P = P1 + P2.

प्रश्न 42.
एक उत्तल लेंस वस्तु का सीधा तथा आभासी प्रतिबिम्ब बनाता है। वस्तु कहाँ स्थित होगी ? ।
उत्तर-
मुख्य फोकस व लेंस के प्रकाशिक केन्द्र के मध्य रखी है।

प्रश्न 43.
5 cm ऊँची वस्तु उत्तल लेंस से 2f दूरी पर रखी है। प्रतिबिम्ब की लम्बाई क्या होगी ?
उत्तर-
5 cm.

प्रश्न 44.
यदि किसी लेंस की क्षमता 0.25D है तो उस लेंस का नाम बताओ?
उत्तर-
अवतल लेंस।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ड्राइवर का रात्रि में किस प्रकार के प्रकाश पुंज का प्रयोग करना चाहिए एवं क्यों? स्पष्ट कीजिये। (RBSE 2016)
उत्तर-
ड्राइवर को रात्रि में कम तीव्रता वाले प्रकाश पुंज का प्रयोग करना चाहिये। कम तीव्रता वाले प्रकाश पुंज का प्रयोग करने से सामने से आने वाली वाहन के ड्राइवर की आँखों में रोशनी नहीं पड़ती, उसे सामने स्पष्ट दिखायी देता है। इस प्रकार से आपस में दुर्घटनाएँ होने से बच जाते हैं। कम तीव्रता वाले प्रकाश पुंज रात में वाहन चलाने के लिए बहुत मदद करता है।

प्रश्न 2.
समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

  • यह सीधा तथा आभासी होता है तथा वस्तु के आकार के बराबर होता है।
  • यह दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने होती है।
  • यह पार्श्व परिवर्तित होता है।

प्रश्न 3.
प्रतिबिम्ब से क्या तात्पर्य है ? आभासी तथा वास्तविक प्रतिबिम्ब में क्या अन्तर है ? [RBSE 2015]
उत्तर-
प्रतिबिम्ब-दर्पण के सामने रखी वस्तु की दर्पण में जो आकृति बन जाती है उस आकृति को वस्तु का प्रतिबिम्ब कहते हैं। अतः जब प्रकाश किरणें किसी बिन्दु से चलकर परावर्तन के पश्चात् (दर्पण में) अथवा लेंस में अपवर्तित होकर किसी दूसरे बिन्दु पर मिलती हैं अथवा किसी दूसरे बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं तो इस दूसरे बिन्दु को पहले बिन्दु का प्रतिबिम्ब कहते हैं।

प्रतिबिम्ब दो प्रकार के होते हैं-

  1. वास्तविक प्रतिबिम्ब-यदि किसी बिन्दु या वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरणें परावर्तन (अथवा अपवर्तन)के पश्चात् किसी बिन्दु पर वास्तव में मिलती हैं तो इस दूसरे बिन्दु पर बने प्रतिबिम्ब को वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब . कहते हैं। वास्तविक प्रतिबिम्ब को पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है।
  2. आभासी प्रतिबिम्ब-यदि किसी बिन्दु से चलने वाली प्रकाश किरणें परावर्तन (अथवा अपवर्तन) के पश्चात् किसी दूसरे बिन्दु पर वास्तव में नहीं मिलती हैं, बल्कि दूसरे बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं तो जहाँ से किरणें आती हुई प्रतीत होती हैं, बने प्रतिबिम्ब को वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं। इस प्रतिबिम्ब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
दर्पणों की पहचान किस प्रकार करते हैं?
उत्तर-
दर्पणों की पहचान दो प्रकार से करते हैं-
(i) स्पर्श करके-दर्पणों की पहचान के लिए समतल पैमाने का उपयोग करते हैं। पैमाने को दर्पण पर रखने से यदि पैमाना दर्पण को सभी जगह स्पर्श करे तो दर्पण समतल दर्पण होता है। यदि पैमाना दर्पण को किनारों पर स्पर्श करे तथा दर्पण के बीच का भाग कुछ दबा रह जाए तो दर्पण अवतल होता है। यदि पैमाना दर्पण के बीच के भाग का स्पर्श करे तथा किनारों पर उठा रहे तो दर्पण उत्तल है।
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(ii) प्रतिबिम्ब देखकर-किसी वस्तु को दर्पण से विभिन्न दूरियों पर रखने पर हर बार प्रतिबिम्ब वस्तु के बराबर ही बने तो दर्पण समतल है। यदि वस्तु को दर्पण के पास रखने पर प्रतिबिम्ब सीधा व बड़ा बने तो दर्पण अवतल है। यदि प्रतिबिम्ब प्रत्येक स्थिति में वस्तु से छोटा तथा सीधा बने तो दर्पण उत्तल है।

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प्रश्न 5.
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अन्तर लिखिए। [RBSE 2011]
उत्तर –

उत्तल दर्पणअवतल दर्पण
1. इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल बाहर की ओर उभरा होता है।1. इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल अन्दर की ओर फँसा होता है।
2. इसमें आभासी प्रति बिम्ब बनता है।2. इसमें वास्तविक एवं आभासी दोनों प्रकार के प्रतिबिम्ब बनते हैं।
3. इसमें सीधा प्रतिबिम्ब बनता है।3. इसमें प्रतिबिम्ब उल्टा तथा सीधा दोनों बनते है।
4. इसमें प्रतिबिम्ब छोटा बनता है।4. इसमें प्रतिबिम्ब बड़ा, छोटा तथा वस्तु के आकार का अर्थात् तीनों प्रकार का बनता है।

प्रश्न 6.
(i) किसी गोलीय दर्पण के लिए आवर्धन का सूत्र लिखिए।
(ii) उस दर्पणं का नाम लिखिए, जो बिम्ब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बना सके।
(iii) उत्तल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए। (RBSE 2016)
उत्तर-
(i) आवर्धन m = HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 3
(ii) अवतल दर्पण
(iii) मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली प्रकाश की किरणें, दर्पण से परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष पर मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उसे उत्तल दर्पण का मुख्य फोकस कहते है|

प्रश्न 7.
एक उत्तल दर्पण के सामने 30 cm दूरी पर एक वस्तु पड़ी है। यदि इस दर्पण की फोकस दूरी 15 cm है तो वस्तु का जो प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है उसकी चार विशेषताएँ लिखिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
प्रतिबिम्ब की चार विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं –

  • प्रतिबिम्ब सीधा व आभासी होगा।
  • प्रतिबिम्ब वस्तु से आकार में छोटा बनता है।
  • प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है।
  • प्रतिबिम्ब दर्पण के P व F बिन्दुओं के बीच बनता है।

प्रश्न 8.
ऐसी दोस्थितियों का वर्णन कीजिए जिन पर किसी बिम्ब को रखने पर, एक अवतल दर्पण दोनों बार बिम्ब का बड़ा प्रतिबिम्ब बनाता है। इन दोनों प्रतिबिम्बों के बीच दो अंतर लिखिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
यह दो स्थितियाँ हैं –

  1. जब बिम्ब को अवतल दर्पण के सामने P व F बिन्दुओं के बीच रखते हैं।
  2. जब बिम्ब को अवतल दर्पण के सामने F व C बिन्दुओं के बीच रखते हैं।

दोनों प्रतिबिम्बों में अंतर निम्न प्रकार हैं –

स्थिति (i) में, प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है।स्थिति (ii) में, प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केंद्र से दूर बनता है।
स्थिति (i) में, प्रतिबिम्ब सीधा व काल्पनिक होता है।स्थिति (ii) में, प्रतिबिम्ब उल्टा व वास्तविक बनता है।

प्रश्न 9.
अवतल दर्पण द्वारा विभिन्न स्थितियों में रखी वस्तुओं की स्थिति, आकार और प्रकृति के लिए सारणी बनाइए।
उत्तर-
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प्रश्न 10.
कोई बिम्ब 30 सेमी वक्रता त्रिज्या के अव तल दर्पण के सामने 12 सेमी दूरी पर स्थित है। दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब के चार अभिलक्षणों की सूची बनाइए। (CBSE 2017)
उत्तर-

  1. यह प्रतिबिम्ब आकार में बिम्ब से छोटा होगा।
  2. यह प्रतिबिम्ब आभासी भी होगा।
  3. यह प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनेगा।
  4. यह प्रतिबिम्ब सीधा बनेगा।

प्रश्न 11.
कोई बिम्ब 15 सेमी फोकस दूरी के उत्तल दर्पण के सामने 30 सेमी दूरी पर स्थित है। दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब के चार अभिलक्षणों का उल्लेख कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-

  • यह प्रतिबिम्ब आभासी होगा।
  • यह हमेशा सीधा होगा।
  • यह हमेशा बिम्ब से आकार में छोटा होगा।
  • यह दर्पण के पीछे बनेगा।

प्रश्न 12.
यदि किसी गोलीय दर्पण द्वारा उसके सामने रखे बिम्ब की किसी भी स्थिति के लिए सदैव ही बिम्ब का सीधा और आकार में छोटा प्रतिबिम्ब बनता है, तो यह दर्पण किस प्रकार का है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए नामांकित किरण आरेख खींचिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
यह दर्पण एक उत्तल दर्पण है।
उत्तल दर्पण द्वारा किरण आरेख :
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प्रश्न 13.
अपवर्तन के नियम लिखिए। (CBSE 2018,20)
उत्तर-
अपवर्तन के नियम निम्नलिखित हैं-
(i) किन्हीं दो माध्यमों के लिए एक ही रंग के प्रकाश के लिए आपतन कोण (i) की ज्या (sin) तथा अपवर्तन कोण (r) की ज्या (sin) का अनुपात सदैव स्थिरांक होता है।
\(\frac{\sin i}{\sin r}\) = स्थिरांक = 1n2
स्थिरांक 1n2 को पहले माध्यम का दूसरे के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।

(ii) आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब एवं अपवर्तित किरण तीनों एक ही तल पर होते हैं।

प्रश्न 14.
परावर्तन और अपवर्तन में क्या अन्तर हैं? बताइए।
उत्तर –

परावर्तनअपवर्तन
1. किसी चमकीली सतह से टकराकर प्रकाश की किरण का वापस लौट जाना प्रकाश का परावर्तन कहलाता है।1. पारदर्शक माध्यम से प्रकाश का एक-दूसरे पारदर्शक माध्यम में प्रवेश करने पर अपने पथ से विचलित हो जाना, प्रकाश का अपवर्तन कहलाता है।
2. इसमें आपतन कोण तथा परावर्तन कोण सदा समान होते हैं।2. इसमें आपतन कोण और अपवर्तित कोण छोटे-बड़े होते हैं।
3. परावर्तन के पश्चात् प्रकाश की किरणें पुन: उसी माध्यम में वापस लौट आती हैं।3. अपवर्तन के पश्चात् प्रकाश की किरणें दूसरे माध्यम में चली जाती हैं।

प्रश्न 15.
जल से भरे किसी बर्तन की आभासी गहराई, उसकी वास्तविक गहराई से कम क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर-
माना कि एक वस्तु O सघन माध्यम (जल) में रखी हुई है और देखने वाले की आँख विरल माध्यम (वायु) में वस्तु के ठीक ऊपर है। तब O से चलने वाली एक आपतित किरण OA जल तथा वायु के सीमा-पृष्ठ PQ पर अभिलम्बवत् गिरती है। इसके लिए आपतन कोण शून्य है। अतः अपवर्तन के नियमानुसार, अपवर्तन कोण भी शून्य होगा। अतः किरण सीधी AB दिशा में चली जाती है। दूसरी किरण OC, सीमा-पृष्ठ के बिन्दु C पर गिरती है। चूंकि किरण सघन माध्यम (जल) से विरल माध्यम (वायु) में जा रही है, अतः अपवर्तन के पश्चात् अभिलम्ब NCN’ से दूर हटती हुई दिशा CD में चली जाती है। अपवर्तित किरणें AB तथा CD पीछे बढ़ायी जाने पर बिन्दु I पर मिलती हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 6
इस प्रकार आँख को ये किरणें बिन्दु I से आती हुई प्रतीत होती हैं। अतः बिन्दु I, बिन्दु 0 का अपवर्तन द्वारा बना आभासी प्रतिबिम्ब है। चित्र में I, बिन्दु 0 की अपेक्षा ऊँचा है। अर्थात् जल से भरे बर्तन की आभासी गहराई, उसकी वास्तविक गहराई से कम प्रतीत होती है।

प्रश्न 16.
दिए गए किरण चित्र में आपतन कोण का मान एवं अपवर्तित किरण का नाम लिखिए। (RBSE 2015)
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उत्तर-
आपतन कोण = 30°
अपवर्तित किरण – P

प्रश्न 17.
(a) काँच के स्लैब द्वारा प्रकाश के अपवर्तन को दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए। इस आरेख पर अपवर्तन कोण तथा स्लैब से गुजरते समय प्रकाश किरण के पाश्विक विस्थापन को भी अंकित कीजिए।
(b) यदि वायु से कांच में गमन करते समय प्रकाश के लिए कांच का अपवर्तनांक 3/2 है, तो प्रकाश के कांच से वायु में गमन करने के लिए वायु का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
(a) .
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(b) जब वायु से कांच में गमन करते समय प्रकाश के लिए कांच का अपवर्तनांक 3/2 है तो प्रकाश के कांच से वायु में गमन करने के लिए वायु का अपवर्तनांक
ang=3/2
gna = \(\frac{1}{a^n g}=\frac{1}{(3 / 2)}=\frac{2}{3} \)

प्रश्न 18.
कोई छात्र किसी भली-भांति दूरस्थ बिम्ब के प्रतिबिम्ब को उत्तल लेंस द्वारा किसी पर्दे पर फोकसित करता है। तत्पश्चात् वह धीरे-धीरे बिम्ब को लेंस की ओर ले जाता है और हर बार वह लेंस को समायोजित करके बिम्ब के प्रतिबिम्ब को पर्दे पर फोकसित करता है।
(i) वह लेंस को किस दिशा में स्थानान्तरित करता है-पर्दे की ओर अथवा पर्दे से दूर?
(ii) प्रतिबिम्ब के आकार का क्या होता है-यह घटता है अथवा बढ़ता है?
(iii) जब वह बिम्ब को लेंस के अत्यधिक निकट ले जाता है तब पर्दे पर प्रतिबिम्ब कैसा होता है? (CBSE 2016)
उत्तर-
(i) वह लेंस को पर्दे से दूर स्थानान्तरित करता है।
(ii) प्रतिबिम्ब का आकार बढ़ता जाता है।
(iii) इस स्थिति में प्रतिबिम्ब अब पर्दे पर नहीं बनता क्योंकि अब प्रतिबिम्ब आभासी होता है।

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प्रश्न 19.
उत्तल लेंस द्वारा क्रमशः तथा 2f की दूरी पर रखी वस्तु के लेंस द्वारा बने प्रतिबिम्बों की स्थिति, आकार, प्रकृति बताइए।
उत्तर-
(i) जब वस्तु फोकस पर रखी हो-जब वस्तु फोकस F1 पर रखी हो तो वस्तु का प्रतिबिम्ब लेंस के दूसरी ओर अनन्त पर वास्तविक, वस्तु से बड़ा तथा उल्टा बनता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 9
(ii) जब वस्तु लेंस के फोकस तथा फोकस दूरी की दूरी के बीच स्थित हो-चित्र में AB वस्तु लेंस के फोकस F तथा उसकी फोकस दूरी की दो गुनी दूरी 2F के बीच स्थित है। प्रतिबिम्ब 2F और अनन्त के बीच लेंस के दूसरी ओर बनता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 10
यह प्रतिबिम्ब वास्तविक उल्टा तथा वस्तु से बड़ा बनता है।

प्रश्न 20.
उत्तल लेंस तथा अवतल लेंस की पहचान कैसे करोगे?
उत्तर –

उत्तल लेंसअवतल लेंस
1. यह लेंस बीच में मोटा तथा किनारों पर पतला होता है।1. यह लेंस बीच में से पतला तथा किनारों पर मोटा होता है।
2. यह प्रकाश किरणों को एक बिन्दु पर केन्द्रित करता है।2. यह प्रकाश पुंज को बिखेर देता है।
3. वस्तु का प्रतिबिम्ब वास्त- विक, आभासी तथा उल्टा बनता है।3. वस्तु का प्रतिबिम्ब आभासी तथा सीधा बनता है।
4. इसे बायीं ओर हिलाने पर प्रतिबिम्ब दायीं ओर गति करता है।4. इसे बायीं ओर हिलाने पर प्रतिबिम्ब भी बायीं ओर गति करता है।

प्रश्न 21.
लेंस पर आपतित होने के पश्चात् प्रकाश किरण का अपवर्तन किस प्रकार होता है? समझाइए।
उत्तर-
लेंस द्वारा बने प्रतिबिम्ब की स्थिति निम्नलिखित किरणों द्वारा ज्ञात की जाती है

  1. मुख्य अक्ष के समान्तर आ रही किरण अपवर्तन के पश्चात् लेंस के मुख्य फोकस से होकर जाती है।
  2. प्रकाशीय केन्द्र से गुजरने वाली किरण अपने मार्ग से हटे बिना सीधी चली जाती है।
  3. मुख्य फोकस से गुजरने वाली किरण अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर चली जाती है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 11

प्रश्न 22.
किसी लेंस की क्षमता से क्या तात्पर्य है? इसका SI मात्रक लिखिए। कोई छात्र 40 सेमी फोकस दूरी का लेंस उपयोग कर रहा है तथा कोई अन्य छात्र-20 सेमी फोकस दूरी का लेंस उपयोग कर रहा है। इन दोनों लेंसों की प्रकृति और क्षमता लिखिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
लेंस की क्षमता-किसी लेंस की फोकस दूरी के व्युत्क्रमानुपात को उस लेंस की क्षमता कहते हैं।
P (लेंस की क्षमता) =\(\frac{1}{f}\)
इसका S.I. मात्रक डाइऑप्टर (D) है।

(i) लेंस की फोकस दूरी (f) = 40 cm = 0.4 m
इस लेंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{0.4}=\frac{10}{4}\) = + 2.5 D
प्रकृति-यह एक उत्तल लेंस है क्योंकि उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक (Positive) होती है।

(ii) इस लेंस की फोकस दूरी (f) = – 20 cm = -0.2 m
इस लेंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{-0.2}=\frac{-10}{4}\) = – 5.0 D
प्रकृति-यह एक अवतल लेंस है क्योंकि अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक (Negative) होती है।

प्रश्न 23.
उत्तल लैंस द्वारा विभिन्न स्थितियों में रखी वस्तुओं के प्रतिबिम्ब की स्थिति, आकार और प्रकृति के लिए सारणी बनाइये।
उत्तर –
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प्रश्न 24.
4.0 सेमी ऊँचाई का कोई बिम्ब 20 सेमी फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के प्रकाशिक केन्द्र ‘O’ से 30 सेमी दूरी पर स्थित है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति और आकार ज्ञात करने के लिए किरण आरेख खींचिए। इस आरेख में प्रकाशिक केन्द्र ‘O’ तथा मुख्य फोकस ‘F’ अंकित कीजिए। प्रतिबिम्ब की ऊँचाई का लगभग अनुपात भी ज्ञात कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
u= – 30,f= 20 सेमी, h = 4 सेमी
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
⇒ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{(-30)}=\frac{1}{20}\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{60}\)
⇒ v = 60 सेमी
m= \(\frac{v}{u}=\frac{h_i}{h_0}\) =-2= \(\frac{h_i}{4} \)
⇒ h1 = – 8 सेमी
अतः m = \(\frac{\mathrm{H}_{\text {प्रतिबिम्ब }}}{{ }^{H_{\text {विम्ब }}}}=\frac{8}{4}\) = 2:1
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आपतित किरण, परावर्तित किरण, आपतन कोण, परावर्तन कोण तथा अभिलम्ब की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
(i) आपतित किरण-किसी दर्पण पर आकर आपतित होने वाली किरण. को आपतित किरण कहते हैं।
(ii) परावर्तित किरण-दर्पण पर टकराकर लौटने वाली प्रकाश किरण को परावर्तित किरण कहते हैं।
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(ii) अभिलम्ब-जिस बिन्दु पर आपतित एवं परावर्तित किरणें मिलती हैं, उस बिन्दु पर खींचा गया लम्ब अभिलम्ब कहलाता है।
(iv) आपतन कोण-आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच बने कोण को आपतन कोण कहते हैं।
(v) परावर्तन कोण-परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच बने कोण को परावर्तन कोण कहते हैं।

प्रश्न 2.
जब अनंत से अवतल दर्पण की ओर किसी वस्तु को बढ़ाया जाए तो बिम्बों की स्थिति और उनकी प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(i) वस्तु अनंत पर-जब कोई वस्तु अनंत पर होती है तो उसका वास्तविक बिम्ब F पर बनता है। किरण मख्य अक्ष के समान्तर चल कर दर्पण से टकराकर परावर्तित होती है तथा फोकस F पर मिलती है। इस स्थिति में बिम्ब अति छोटा, वास्तविक और उल्टा बनता है।
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(ii) वस्तु अनंत व C के मध्य होने पर-वस्तु के C व अनंत के मध्य होने पर इसका वस्तु से छोटा, उल्टा एवं वास्तविक प्रतिबिम्ब F व C के बीच बनता है।
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(iii) जब वस्तु C पर हो-वस्तु के C पर होने पर वस्तु का प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा एवं समान आकार का बनता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 17
(iv) वस्तु F वC के बीच स्थित हो-जब वस्तु F व C के बीच हो तब AD मुख्य अक्ष के समांतर चलकर फोकस से गुज़रेगी तथा द्वितीय किरण की सहायता से वह वास्तविक, आवर्धित तथा उल्टा प्रतिबिम्ब बनाती है।
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(v) वस्तु F पर स्थित हो-जब वस्तु फोकस पर स्थित हो तो मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरण AD फोकस से गुजरेगी। दूसरी प्रकाशीय किरण की सहायता से , वह बहुत बड़ा, उल्टा और अनंत पर प्रतिबिम्ब बनाएगी।
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(vi) जब वस्तु P व F के बीच हो-जब कोई वस्तु P और F के बीच में हो तो किरण AD मुख्य अक्ष के समान्तर चलकर F से गुजरेगी तथा एक अन्य किरण E से टकराकर आभासी, सीधा और बड़ा बिम्ब बनाएगी।
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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 3.
गोलीय दर्पण किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
गोलीय दर्पण (Spherical mirror)-गोलीय दर्पण किसी काँच के खोखले गोले के वे भाग होते हैं, जिनका एक तल पॉलिश किया हुआ होता है और दूसरा तल चमकदार होता है। चमकदार तल से प्रकाश का परावर्तन होता है।
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गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं-
(i) अवतल दर्पण (Concave mirror) तथा
(ii) उत्तल दर्पण (Convex mirror)।
(i) अवतल दर्पण (Concave mirror) इस दर्पण में उत्तल पृष्ठ (उभरे हुए पृष्ठ) पर चाँदी की पॉलिश की जाती है तथा प्रकाश का परावर्तन अवतल तल से होता है।
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(ii) उत्तल दर्पण (Convex mirror)-इस दर्पण से अवतल पृष्ठ (दबे हुए पृष्ठ) पर चाँदी की पॉलिश की जाती है तथा प्रकाश का परावर्तन उत्तल तल से होता है।

गोलीय दर्पण के उपयोग (Uses of Spherical Mirror)-
अवतल दर्पण के उपयोग (Uses of concave mirror) –

  • फोकस और ध्रुव के बीच रखी वस्तु का सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब बनने के कारण इस दर्पण को दाढ़ी बनाने के समय प्रयोग किया जाता है।
  • कान, नाक व गले की जाँच करने के लिए डॉक्टरों द्वारा प्रयोग किया जाता है।
  • परावर्तक के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है।
  • परावर्तक दूरदर्शी में इसका प्रयोग किया जाता है।

उत्तल दर्पण के उपयोग (Uses of convex mirror)
(i) इस दर्पण द्वारा अधिक विस्तृत क्षेत्र का प्रतिबिम्ब कम स्थान में बनने के कारण इसे ट्रक चालक के पार्श्व में लगा दिया जाता है, जिससे पीछे की ओर के काफी क्षेत्र का स्पष्ट व सीधा प्रतिबिम्ब दिखायी पड़ता है। इस दर्पण का दृष्टि क्षेत्र विस्तृत होता है।
(ii) सड़क पर लगे लैम्पों के परावर्तक तल के रूप में इस दर्पण का प्रयोग करने से प्रकाश अधिक बड़े क्षेत्र में फैल जाता. है।

प्रश्न 4.
12 सेमी फोकस दूरी के अवतल दर्पण द्वारा किसी बिम्ब का सीधा प्रतिबिम्ब बनाने के लिए कहा गया है।
(i) दर्पण के सामने बिम्ब की दूरी का क्या परिसर होना चाहिए?
(ii) बनने वाला प्रतिबिम्ब आकार में बिम्ब से छोटा होगा अथवा बड़ा? इस प्रकरण में प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए।
(ii) इस बिम्ब का प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा, यदि इसे दर्पण के सामने 24 सेमी दूरी पर रख दिया जाए? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए इस स्थिति के लिए भी किरण आरेख खींचिए।
उपरोद किरण आरेखों में ध्रुव, मुख्य फोकस और वक्रता केन्द्र की स्थितियों को भी दर्शाइए। (CBSE 2016)
उत्तर-
(i) अवतल दर्पण में किसी भी बिम्ब का सीधा प्रतिबिम्ब प्राप्त होगा यदि बिम्ब को दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के मध्य रखा जाए।
फोकस, f= 12 सेमी
बिम्ब की दूरी का परिसर ‘P’ बिन्दु व ‘F’ बिन्दु के बीच होना चाहिए अर्थात् बिम्ब की दूरी 0 सेमी < 12 सेमी के मध्य होनी चाहिए।
(ii) बनने वाला प्रतिबिम्ब आकार में बिम्ब से बड़ा तथा सीधा बनेगा।
किरण आरेख :
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(iii) इस अवस्था में प्रतिबिम्ब भी दर्पण के सामने 24 सेमी पर बनेगा। इस दूरी पर प्रतिबिम्ब, बिम्ब के ठीक नीचे उल्टा बनेगा। इस प्रतिबिम्ब का img
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प्रश्न 5.
(a) प्रकाश किरण आरेखों की रचना करते समय हम ऐसी दो किरणों को चुनते हैं, जिनकी दर्पण से परावर्तन के पश्चात् की दिशा ज्ञात करना सरल होता है। ऐसी दो किरणों की सूची बनाइए और अवतल दर्पण के प्रकरण में परावर्तन के पश्चात् इन किरणों के पथों का उल्लेख कीजिए। इन्हीं दो किरणों का उपयोग अवतल दर्पण के ध्रुव और फोकस के बीच स्थित किसी बिम्ब के प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकाश किरण आरेख खींचकर ज्ञात कीजिए।
(b) कोई अवतल दर्पण अपने सामने 20 सेमी दूरी पर स्थित किसी बिम्ब का तीन गुना आवर्धित प्रतिबिम्ब पर्दे पर बनता है। पर्दा बिम्ब से कितनी दूरी पर है? (CBSE 2017)
उत्तर-
(a)
(1) जब आपतित किरण मुख्य अक्ष के समानांतर होती है तो अपवर्तित किरण अवतल दर्पण के फोकस से होकर गुजरती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 25

(2) जब आपतित किरण अवतल दर्पण के फोकस से गुजरती है तो अपवर्तित किरण दर्पण के मुख्य अक्ष के समानान्तर होती है।
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(b) u=-20 cm, m = -3
m = –\(\left(\frac{v}{u}\right)\)
-3 = –\(\left(\frac{v}{-20}\right)\)
3x-20 = v
v= -60 सेमी
पर्दे की बिम्ब से दूरी = v-u = 60 – 20 =-40 सेमी

प्रश्न 6.
(a) यदि किसी दर्पण द्वारा उसके सामने स्थित बिम्ब का किसी भी स्थिति के लिए सदैव ही छोटा, सीधा और आभासी प्रतिबिम्ब बनता है, तो इस दर्पण की प्रकृति लिखिए और अपने उत्तर की पुष्टि के लिए किरण आरेख भी खींचिए। इस प्रकार के दर्पणों का एक उपयोग लिखिए तथा इनका उपयोग क्यों किया जाता है, उसका उल्लेख कीजिए।
(b) गोलीय दर्पणों की वक्रता त्रिज्या की परिभाषा लिखिए। किसी गोलीय दर्पण की प्रकृति और फोकस दूरी ज्ञात कीजिए, जिसकी वक्रता त्रिज्या + 24 सेमी है। (CBSE 2017)
उत्तर-
(a) यदि किसी दर्पण द्वारा उसके सामने स्थित बिम्ब का किसी भी स्थिति के लिए सदैव ही छोटा, सीधा और आभासी प्रतिबिम्ब बनता है तो वह दर्पण उत्तल है। इस तरह के दर्पणों का उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च-दृश्य दर्पणों के रूप में किया जाता है। इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकते हैं जिससे वे सुरक्षित रूप से वाहन चला सकें

रेखाचित्र
बिम्ब की स्थिति :- अनंत तथा दर्पण के ध्रुव P के बीच
प्रतिबिम्ब की स्थिति – P तथा F के बीच दर्पण के पीछे
प्रतिबिम्ब की प्रकृति = आभासी, सीधा तथा छोटा।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 27
(b) गोलीय दर्पण के ध्रुव से वक्रता केन्द्र तक की दूरी वक्रता त्रिज्या कहलाती है। गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग है, उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है। अगर किसी दर्पण की वक्रता त्रिज्या 24 सेमी है, तो उसकी फोकस दूरी R/2 होगी।
f= \(\frac{24}{2}\) = +12 cm, यह दर्पण एक उत्तल दर्पण है।

प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए कि वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक, काँच के सापेक्ष वायु के अपवर्तनांक का व्युत्क्रम होता है। अथवा प्रकाश-किरणों की उत्क्रमणीयता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
माना कि वायु में चलती एक प्रकाश-किरण OA एक काँच के गुटके PQRS पर गिरती है। यह किरण तल PQ पर अपवर्तित होकर काँच में AB दिशा में चली जाती है। इस प्रकार वायु में आपतित किरण OA है तथा काँच में अपवर्तित किरण AB है। यदि वायु में आपतन कोण i तथा काँच में अपवर्तन कोण । हो, तो वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
ang = \(\frac{\sin i}{\sin r}\) …………………… (i)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 28
इसके विपरीत, यदि काँच के भीतर प्रकाश-किरण BA दिशा में चले तब वह तल PQ पर अपवर्तित होकर वायु में AO दिशा में जाएगी। इस स्थिति में काँच में आपतन कोण r होगा तथा वायु में अपवर्तन कोण i होगा। अतः जब प्रकाश-किरण काँच से वायु में जाती है तो काँच के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक
gna = \(\frac{\sin r}{\sin i}\) ……………………….. (ii)
समीकरण (i) एवं (ii) की तुलना करने पर,
ang= \(\frac{1}{{ }_g n_a} \)
अर्थात् वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक, काँच के सापेक्ष वायु के अपवर्तनांक का व्युत्क्रम होता है। यदि वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक \(\frac{3}{2}\) है, तो काँच के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक \(\frac{2}{3}\) होगा।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 8.
पार्श्व विस्थापन से क्या तात्पर्य है? सिद्ध कीजिये कि दो समान्तर पृष्ठों वाले काँच के गुटके से निकलने वाली किरण आपतित किरण के समान्तर होती (CBSE 2020)
उत्तर-
पार्श्व विस्थापन (Lateral Displacement)जब कोई प्रकाश-किरण समान्तर पृष्ठों वाले काँच के गुटके पर गिरती है तो अपवर्तन के पश्चात् गुटके के दूसरे पृष्ट से बाहर निकलने पर उसकी दिशा में कोई अन्तर नहीं पड़ता, परन्तु उसके मार्ग में कुछ विस्थापन आ जाता है। इसे ‘पार्श्व विस्थापन’ कहते हैं।

माना कि कोई प्रकाश-किरण OA एक काँच के गुटके PQRS पर आपतन कोण i बनाती हुई गिरती है। गुटके के पहले पृष्ठ PQ पर अपवर्तन के पश्चात् यह किरण अभिलम्ब की ओर झुक जाती है तथा इसकी दिशा AB हो जाती है। माना कि अपवर्तन कोण r है। चूँकि गुटके के दोनों पृष्ठ समान्तर हैं, अतः किरण AB गुटके के दूसरे पृष्ठ SR पर आपतन कोण बनाती हुई गिरती है तथा अपवर्तन के पश्चात् अभिलम्ब से दूर हट जाती है। माना वायु में निकलने पर निर्गत किरण BC, अभिलम्ब से निर्गत कोण e बनाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 29
पृष्ठ PQ पर प्रकाश-किरण वायु से काँच में जा रही है। अत: वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
ang = \(\frac{\sin i}{\sin r}\) ………………….. (i)
पृष्ठ SR पर किरण काँच से वायु में जा रही है। अतः काँच के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 30
अतः स्पष्ट है कि दो समान्तर पृष्ठों वाले काँच के गुटके से निकलने वाली किरण आपतित किरण के समान्तर होती है।

प्रश्न 9.
(a) किसी अवतल लेंस द्वारा उसके सामने रखे किसी बिम्ब का प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए।
(b) उपर्युक्त आरेख में बिम्ब-दूरी, प्रतिबिम्ब दूरी को इनके उचित चिह्न (नई कार्तीय चिह्न परिपाटी के अनुसार धनात्मक (+) अथवा ऋणात्मक (-) सहित दर्शाइए और उल्लेख कीजिए कि इस प्रकरण में ये दूरियाँ अवतल लेंस की फोकस दूरी () से किस प्रकार संबंधित हैं।
(c) उस लेंस की प्रकृति और क्षमता ज्ञात कीजिए, जो अपने प्रकाशिक केन्द्र से 40 सेमी दूरी पर स्थित किसी बिम्ब का -1 आवर्धन का प्रतिबिम्ब बनाता है। (CBSE 2016)
उत्तर-
(a)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 31
(b) बिम्ब दूरी (u) = – u
प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = – v
फोकस दूरी (f) =-f
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)

(c) दिया गया है – m = – 1, u = – 40 सेमी
m = \(\frac{v}{u}\)
⇒ -1 = \(\frac{v}{-40}\)
v = 40 सेमी
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
= \(\frac{1}{40}-\frac{1}{-40} \)
f = 20 सेमी = 0.2 मी.
P= \(\frac{1}{f}=\frac{1}{0.20}\) =5D
यह लेंस एक उत्तल लेंस हैं, क्योंकि उत्तल लेंस वास्तविक और उल्टा प्रतिबिम्ब बनाता है।

प्रश्न 10.
उत्तल लेंस के प्रकरण में बिम्ब दरी (u) के साथ प्रतिबिम्ब दूरी (v) में विचरण को दर्शाने वाली नीचे दी गयी प्रेक्षण तालिका का विश्लेषण कीजिए और परिकलन किए बिना ही निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 32
(a) उत्तल लेंस की फोकस दूरी क्या है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण लिखिए।
(b) उस प्रेक्षण की क्रम संख्या लिखिए जो सही नहीं है। यह निष्कर्ष आपने किस आधार पर निकाला है?
(c) कोई भी उचित पैमाना लेकर प्रेक्षण संख्या 4 के लिए प्रकाश किरण आरेख खींचिए और आवर्धन का लगभग मान ज्ञात कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
(a) क्रम संख्या 3 से हमें यह ज्ञात होता है कि लेंस की त्रिज्या 30 cm है क्योंकि जब उत्तल लेंस में बिम्ब c पर रखा जाता है तो लैंस से बिम्ब और प्रतिबिम्ब की दूरी समान होती है। फोकस दूरी हमेशा त्रिज्या की आधी होती है तो इस लेंस की फोकस दूरी + 15 cm होगी।
(b) संख्या 6 सही नहीं है क्योंकि बिम्ब की दूरी F और P के बीच है। इस तरह की स्थिति के लिए प्रतिबिम्ब हमेशा आभासी होता है, लेकिन इस स्थिति में प्रतिबिम्ब वास्तविक है, क्योकि प्रतिबिम्ब की दूरी धनात्मक हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 33
m = \(\frac{v}{u} \)
v = +60 cm
u = -20 cm
m = \(\left(\frac{60}{-20}\right)\) =-3

प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रेक्षण सारणी का विश्लेषण कीजिए जिसमें उत्तल लेंस की स्थिति में बिम्ब दूरी (u) के साथ प्रतिबिम्ब दूरी (v) का विचरण दर्शाया गया है, और बिना कोई परिकलन किए ही निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 34
(a) उत्तल लेंस की फोकस दूरी क्या है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
(b) उस प्रेक्षण की क्रम संख्या लिखिए जो सही नहीं है। यह निष्कर्ष आपने किस आधार पर निकाला है।
(c) किसी उचित पैमाने को चुनकर क्रम संख्या 2 के प्रेक्षण के लिए किरण आरेख खींचिए। आवर्धन का लगभग मान भी ज्ञात कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
(a) इस उत्तल लेंस की फोकस दूरी + 20 cm होगी, क्योंकि इस सारणी में तीसरी क्रम संख्या में बिम्ब और प्रतिबिम्ब दूरी समान है, तो हमें यह ज्ञात होता है कि R = 40
फोकस दूरी हमेशा इसकी आधी होती है इसलिए फोकस दूरी + 20 cm होगी।
(b) क्रम संख्या 6 सही नहीं है क्योंकि u =- 15 cm और इस केस में प्रतिबिम्ब आभासी बनता है न कि वास्तविक।
(c) HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 35
आवर्धन का लगभग मान
m = \( \begin{aligned}&\frac{v}{u} \\= &\frac{30}{-60}=-\frac{1}{2}=\end{aligned}\) = -0.5

प्रश्न 12.
अवतल लैंस द्वारा किसी वस्तु का निम्न स्थितियों में बना प्रतिबिम्ब कैसा होगा ? किरण आरेख भी बनाइए।
(a) जब वस्तु अनन्त पर हो।
(b) जब वस्तु 2F तथा F1 के मध्य हो।
उत्तर-
(a) जब वस्तु अनन्त पर हो-अनन्त से आने वाली मुख्य अक्ष के समान्तर किरणे अपवर्तन के पश्चात् अपसारित हो (फैल) जाती हैं तथा फोकस F1 से निकलती प्रतीत होती हैं अतः प्रतिबिम्ब सीधा, आभासी व अत्यधिक छोटा फोकस F1 पर बनता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 36
(b) जब वस्तु 2F व F1 के मध्य हो-वस्तु का प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा, छोटा तथा फोकस F1 तथा प्रकाशिक केन्द्र के बीच बनता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 37

आकिक प्रश्न (Numerical Questions)
उत्तल दर्पण पर आधारित प्रश्न (Problems on Based Convex Mirror)

विशेष तथ्य-
1. उत्तल दर्पण के प्रश्नों को हल करने के लिये चि परिपाटी
f= + (धनात्मक) तथा 0 = + (वस्तु का आकार)
v=+ (धनात्मक) I = + (प्रतिबिम्ब का आकार)
u= – (ऋणात्मक)
m = + (धनात्मक) सदैव 1 से छोटा
2. अज्ञात राशि का चिन्ह प्रश्न के हल करने में नहीं लिया जाता है वह प्रश्न हल करने के पश्चात् स्वयं निकल कर आता है।

प्रश्न 1.
25 सेमी फोकस दूरी के उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या ज्ञात कीजिए।
हल : प्रश्नानुसार, फोकस दूरी f= 25 सेमी
वक्रता. त्रिज्या R = ?
∴ वक्रता त्रिज्या R=2f
= 2 x 25
R=50 सेमी

प्रश्न 2.
उत्तल दर्पण से 40 cm दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 10 cm दूर बनता है। उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए तथा सम्बन्धित किरण आरेख भी बनाइए।
हल : वस्तु से दर्पण की दूरी u = – 40 cm
प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी v = 10 cm
माना दर्पण की फोकस दूरी f है, अतः
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}+\frac{1}{v}\)
\( =\frac{1}{-40}+\frac{1}{10}\)
\(=\frac{-1+4}{40}=\frac{3}{40}\)
∴ फोकस दूरी f = \(\frac{40}{3}\) =13.3 cm
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 38

प्रश्न 3.
एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 20 cm है। इस दर्पण से 25 cm दूर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए।
हल :
प्रश्नानुसार, उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (f) = 20 cm
वस्तु की दर्पण से दूरी (u) = – 25 cm
दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = ?
∵ \(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}+\frac{1}{v}\)
∴ \(\frac{1}{-25}+\frac{1}{v}=\frac{1}{20}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{20}+\frac{1}{25}=\frac{5+4}{100}=\frac{9}{100}\)
अतःv = \(\frac{100}{9} \) =+11.1cm
अतः प्रतिबिम्ब उत्तल दर्पण के पीछे 11.1 cm दूरी पर बनता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 4.
एक उत्तल दर्पण से 25 cm दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु की लम्बाई का आधा बनता है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
हल : प्रश्नानुसार,
वस्तु की उत्तल दर्पण से दूरी u = – 25 cm
आवर्धन (m) = img
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 39

∴ फोकस दूरी f= 25 cm

प्रश्न 5.
6 cm लम्बाई की एक कील उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूर रखी है। यदि इस दर्पण की फोकस दूरी 10 cm हो तो कील के प्रतिबिम्ब की लम्बाई तथा स्थिति ज्ञात कीजिए।
हल :
प्रश्नानुसार,
वस्तु की लम्बाई h = 6 cm
कील की उत्तल दर्पण से दूरी = -20 cm
दर्पण की फोकस दूरी f= + 10cm
कील के प्रतिबिम्ब की लम्बाई v = ?
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 40
h’= 2 cm
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे 6.67 cm दूरी पर 2 cm लम्बाई का बनेगा।

अवतल दर्पण पर आधारित प्रश्न । (Problems Based on Concave Mirror)
विशेष तथ्य
1. अवतल दर्पण के लिये चि परिपाटी
f= – (ऋणात्मक)
u = – (ऋणात्मक)
v = – लेकिन जब u m = लेकिन जब u 2. अज्ञात राशि का चिन्ह नहीं लेते, वह स्वयं प्रश्न को हल करते समय निकलकर आता है।

प्रश्न 6.
एक अवतल दर्पण से 20 cm दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 30 cm दूर बनता है। दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
हल :
प्रश्नानुसार, दर्पण से वस्तु की दूरी u = -20 cm
प्रतिबिम्ब की दूरी v = -30 cm
फोकस दूरी (f) = ?
∴ \(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}+\frac{1}{v}\)
= \(-\frac{1}{20}-\frac{1}{30}=\frac{-3-2}{60}=\frac{-5}{60}\)
‘या \(\frac{1}{f}=-\frac{1}{12}\) या f=-12cm
अतः अवतल दर्पण की फोकस दूरी 12 cm होगी।

प्रश्न 7.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी 25 cm है। दर्पण से 20 cm की दूरी पर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं प्रकृति बताइए।
हल : प्रश्नानुसार,
अवतल दर्पण की फोकस दूरी f= – 25 cm
अवतल दर्पण से वस्तु की दूरी u = – 20 cm
प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी v = ?
∴ \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
∴ \(\frac{-1}{20}+\frac{1}{v}=-\frac{1}{25}\)
∴ \(\frac{1}{v}=-\frac{1}{25}+\frac{1}{20}=\frac{-4+5}{100}=\frac{1}{100}\)
∴ v= 100 cm

अतः प्रतिबिम्ब दर्पण से 100 cm की दूरी पर बनेगा।
आवर्धन (m) = \(-\frac{v}{u}=-\frac{100}{-(20)}\) = 5
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण से 100 cm दूर, सीधा तथा वस्तु से 5 गुना बनता है। चूँकि प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है। अतः प्रतिबिम्ब आभासी है।

प्रश्न 8.
एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 60 cm है। 4 cm लम्बी एक वस्तु दर्पण से 45 cm दूर रखी है। प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल : प्रश्नानुसार ,
अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = – 60 cm
वस्तु की लम्बाई (h) = 4 cm
वस्तु की दर्पण से दूरी u = – 45 cm
(i) अवतल दर्पण की फोकस दूरी f= – \(\frac{60}{2}\) =-30
∴ सूत्र \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\) से,
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 41
v=-90 cm
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण से 90 cm दूर बनेगा।

(ii) माना प्रतिबिम्ब की लम्बाई h है
\(\frac{h^{\prime}}{h}=-\frac{v}{u} \)
\(\frac{h^{\prime}}{u}=-\frac{90}{-45} \)
\(\frac{h^{\prime}}{u}=-\frac{2}{1} \)
या h= – 8 cm
अतः प्रतिबिम्ब की लम्बाई 8 cm होगी।

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प्रश्न 9.
12 cm फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 4 cm लम्बी वस्तु कहाँ रखी जाए कि उसका 1 cm लम्बा.प्रतिबिम्ब बने ?
हल :
प्रश्नानुसार, अवतल दर्पण की फोकस दूरी f= – 12 cm
वस्तु की लम्बाई h = 4 cm
प्रतिबिम्ब की लम्बाई h’ = 1 cm
माना वस्तु को u cm दूर रखा जाए।

अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब वस्तु से छोटा बन रहा है। इसलिए प्रतिबिम्ब उल्टा तथा वास्तविक होगा। अतः प्रतिबिम्ब की लम्बाई ऋणात्मक रखेंगे
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 42

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 43
अतः अवतल दर्पण से वस्तु को 60 cm दूर रखा जाए।

प्रश्न 10.
कोई 6 सेमी लम्बा बिम्ब 30 सेमी फोकस दूरी के अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष के लम्बवत् स्थित है। दर्पण से बिम्ब की दूरी 45 सेमी है। दर्पण सूत्र का उपयोग करके बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति और आकार निर्धारित कीजिए। इस प्रकरण में प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए नामांकित किरण आरेख भी खींचिए।
अथवा
6 सेमी आकार का कोई बिम्ब 30 सेमी फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के सामने 50 सेमी दूरी पर स्थित है। इस बिम्ब का तीक्ष्ण प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए पर्दै को लेंस से कितनी दूरी पर रखा जाना चाहिए? प्रतिबिम्ब की प्रकृति और आकार ज्ञात कीजिए। इस प्रकरण में प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए नामांकित किरण आरेख भी खींचिए।
हल :
दिया है, बिम्ब की ऊँचाई h = 6 सेमी, फोकस दूरी f=-30 सेमी
बिम्ब की दूरी (दर्पण से) v = – 45 सेमी
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 44
अवतल दर्पण से बिम्ब की दूरी = – 90 सेमी। \
वस्तु का आकार = 6 सेमी,
प्रतिबिम्ब का आकार = ?
सूत्र आवर्धन m = –\(\frac{v}{u} \)
\(-\frac{90}{45}\) =-2
nc=-2 x 6 सेमी
= – 12 सेमी
प्रतिबिम्ब = वास्तविक, उल्टा एवं बड़ा होगा।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 45
अथवा
दिया है, f= 30 सेमी, u = – 50 सेमी, h = 6.0 सेमी AM
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 46

प्रश्न 11.
किसी दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब, वास्तविक, उल्टा और -1 आवर्धन का है। यदि प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी 40 cm है, तो बिम्ब कहाँ स्थित है? यदि बिम्ब को दर्पण की ओर 20 cm स्थानांतरित कर दिया जाए, तो प्रतिबिम्ब कहाँ बनेगा? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए तथा बिम्ब की नई स्थिति के लिए किरण आरेख खींचिए। (CBSE 2016)
हल-
आवर्धन, m = – 1; प्रतिबिाय बास्तविक तथा उल्टा है; प्रतिबिम्ब की दूरी = – 40 cm
यह दर्पण अवतल है।
∵ प्रतिबिम्ब वास्तविक है।
\(\frac{-v}{u}=m \quad \Rightarrow \frac{-(-40)}{u}=-1\)
⇒ u = \(\frac{-(-40)}{-1}\)
⇒ u = -40 cm
∵ बिम्ब दर्पण के सामने 40 cm की दूरी पर स्थित है।
इस अवस्था में, बिम्ब और प्रतिबिम्ब दोनों दर्पण के सामने एक ही बिन्दु ‘C’ पर स्थिति है। जब बिम्ब को दर्पण की और 20 cm पर स्थानान्तरित किया जाता है तो वह दर्पण के ‘F’ बिन्दु पर स्थिति होगा। अब प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने अनंत दूरी (Infinity) पर बनेगा।
दर्पण सूत्र द्वारा,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}=\frac{1}{u} \Rightarrow \frac{1}{f}=\frac{1}{-40}+\frac{1}{-40} \)
⇒\(\frac{1}{f}=\frac{-1}{40}-\frac{1}{40} \Rightarrow \frac{1}{f}=\frac{-2}{40}=\frac{-1}{20} \)
⇒ f=-20 cm
दूसरी स्थिति :f=-20 cm; u = -20 cm; v= ?
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 47
∴ अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने अनंत पर बनेगा।

प्रश्न 12.
कोई 3 cm ऊँचाई का बिम्ब 12 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 18 cm दूरी पर स्थित है। इस दर्पण से किसी पर्दे को कितनी दूरी पर रखा जाना चाहिए ताकि इस पर्दे पर बिम्ब का स्पष्ट प्रतिबिम्ब दिखाई दे। प्रतिबिम्ब की ऊँचाई भी परिकलित कीजिए। (CBSE 2017)
हल: f = -12
u = -18
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{-12}=\frac{1}{v}+\frac{1}{-18}\)
\(\frac{1}{18}-\frac{1}{12}=\frac{1}{v} \)
\(\frac{2-3}{36}=\frac{1}{v} \)
v = -36 cm
m = \(\frac{-v}{u}=\frac{-(-36)}{-18}\)
m = -2
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 48
m = \(\frac{H_i}{3}\)
प्रतिबिम्ब की ऊँचाई = – 2 × 3
प्रतिबिम्ब की ऊँचाई = – 6 cm

प्रश्न 13.
किसी दर्पण से 30 cm दूरी पर स्थित मोमबत्ती की ज्वाला का प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने उसके ध्रुव से 60 cm दूरी पर स्थित पर्दे पर बनता है। दर्पण की प्रकृति क्या है? इसकी फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। यदि ज्वाला की ऊँचाई 2.4 cm है, तो इसके प्रतिबिम्ब की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। उल्लेख कीजिए कि यह प्रतिबिम्ब सीधा होगा अथवा उल्टा। (CBSE 2017)
हल :
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)
= \(\frac{1}{-60}+\frac{1}{-30}\)
\(\frac{1}{f}=\frac{-1-2}{60}\)
∴ f=-20
m = \(-\left(\frac{v}{u}\right)=-\left(\frac{-60}{-30}\right)\)
m =-2
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 49
प्रतिबिम्ब की ऊँचाई = 2 x (-2.4) =- 4.8 cm
यह एक अवतल दर्पण है। यह प्रतिबिम्ब उल्टा बनेगा।

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प्रश्न 14.
4 cm आकार का कोई बिम्ब 15.0 फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 25.0 cm दूरी पर स्थित है।
(i) इस दर्पण के सामने किसी पर्दे को कितनी दूरी पर रखा जाए ताकि उस पर बिम्ब का तीक्ष्ण प्रतिबिम्ब बने।
(ii) बनने वाले प्रतिबिम्ब का आकार ज्ञात कीजिए।
(ii) इस प्रकरण में प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख दीजिए। (CBSE 2020)
हल : दिया है, बिम्ब का आकार, h1 = 4 cm
u=-25 cm,f=- 15 cm,v= ?
(i) दर्पण सूत्र द्वारा,
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 50
इसलिए इस प्रतिबिम्ब को प्राप्त करने के लिए पर्दे को दर्पण के सामने 37.5 cm दूरी पर रखना चाहिए।
(ii) प्रतिबिम्ब आकार (h2) = ?
\(\frac{h_2}{h_1}=\frac{-v}{u} \Rightarrow \frac{h_2}{4}=\frac{-\left(\frac{-75}{2}\right)}{-25}\)
∴ h2 = \(\frac{-75}{2 \times 25} \times 4\) = – 6cm
प्रतिबिम्ब का आकार 6 cm होगा, (-) चिन्ह दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब उल्टा बनता है।

(iii)
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विशेष तथ्य
1. उत्तल लेंस के लिये चिन्ह परिपाटी
f(फोकस दूरी) =+
u (वस्तु की दूरी) =
v (प्रतिबिम्ब की दूरी) = + लेकिन जब u O (वस्तु का आकार) =+ धनात्मक
प्रतिबिम्ब का आकार = – ऋणात्मक लेकिन जब m = – (ऋणात्मक) लेकिन जब u <fसे तब m = +
2. प्रश्न को हल करते समय अज्ञात राशि का चि नहीं रखते वह प्रश्न को हल करते समय स्वयं निकल कर आता है।

प्रश्न 15.
0.12 मीटर फोकस दूरी के उत्तल लेंस से वस्तु का 3 गुना वास्तविक प्रतिबिम्ब पर्दे पर प्राप्त करने के लिए वस्तु को लेंस से कितनी दूर रखना पड़ेगा?
हल : प्रश्नानुसार, उत्तल लेंस की फोकस दूरी,f= 0.12
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 52
माना वस्तु को उत्तल लेंस से 4 मीटर दूर रखा जाए।
m=\(\frac{u}{v}\) =-3
वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए आवर्धन क्षमता ऋणात्मक लेते हैं जो विशेष तथ्य में स्पष्ट है।
या \(\frac{v}{u}=-\frac{3}{1}\)
या v=-3u
सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
या \(\frac{1}{0.12}=\frac{1}{-3 u}-\frac{1}{u}\)
या \(\frac{1}{0.12}=\frac{-1-3}{3 u} \)
या \(\frac{1}{0.12}=-\frac{4}{3 u} \text { या } u=\frac{-0.12 \times 4}{3}=-0.16 \)
अतः वस्तु को लेंस से 0.16 मीटर दूर रखा जायेगा।

प्रश्न 16.
एक उत्तल लेंस से 15 cm दूर रखी वस्तु का चार गुना बड़ा वास्तविक प्रतिबिम्ब बनता है। उत्तल लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
हल :
प्रश्नानुसार,
वस्तु की उत्तल लेंस से दूरी u = – 15 cm
आवर्धन (m)=-4
माना उत्तल लेंस की फोकस दूरी f cm है।
m = \(\frac{v}{u}\) = -4 ;
\(\frac{v}{-15}\) = -4
∴ v= 60 cm .
लेंस के सूत्र
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{60}-\frac{1}{-15}\)
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{60}+\frac{1}{15}=\frac{5}{60}=\frac{1}{12}\)
f= 12 cm
अतः लेंस की फोकस दूरी 12 cm होगी।

प्रश्न 17.
(a) 10 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के आधे भाग को काले काग़ज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस 30 cm दूरी पर स्थित बिम्ब का पूरा प्रतिबिम्ब बना सकता है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए एक किरण आरेख खींचिए।
(b) कोई 4 cm लम्बा बिम्ब 20 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के मुख्य अक्ष के लम्बवत् रखा है। बिम्ब की लेंस से दूरी 15 cm है। प्रतिबिम्ब की प्रकृति, स्थिति और आकार ज्ञात कीजिए। [CBSE 2015]
हल:
(a) हाँ, क्योंकि बिम्ब से जाने वाली प्रकाश किरणों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, केवल बनने वाले प्रतिबिम्ब की तीव्रता कम हो जाती है।
(b) बिम्ब की लम्बाई (O) = + 4 सेमी.
लैन्स की फोकस दूरी (f) = 20 सेमी.
बिम्ब की लैंस से दूरी = (u) = -15 सेमी.

लैन्स सूत्र से-
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आवर्धन के सूत्र m= \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}=\frac{v}{u}\) = “से.
\(\frac{I}{4}=\frac{-60}{-15}\)
∴ I =4×4= 16 सेमी
अतः प्रतिबिम्ब आभासी सीधा व वस्तु से बड़ा बनता है।

प्रश्न 18.
एक मोमबत्ती तथा पर्दे के बीच की दूरी 90 cm है। इसके मध्य 20 cm फोकस दूरी वाला उत्तल लेंस कहाँ रखा जाए कि मोमबत्ती का वास्तविक, उल्टा प्रतिबिम्ब पर्दे पर बने।
हल:
प्रश्नानुसार, u+y= 90 cm
माना वस्तु से लेंस की दूरी u = – x cm
अतः लेंस से प्रतिबिम्ब (पर्दै) की दूरी
v = (90-x) cm
अतः लेंस के सूत्र से –
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 54
(x-60) (x-30) = 0
अतःx-60 = 0
∴ x = 60
अत: वस्तु की लेंस से दूरी 60 cm होगी।
प्रतिबिम्ब पर्दे की लेंस से दूरी 90 – x = 90 – 60 = 30 cm होगी।

विशेष तथ्य –
1. अवतल लेंस के लिये चिन्ह परिपाटी
f(फोकस दूरी) = — (ऋणात्मक)
(वस्तु की दूरी) = – (ऋणात्मक) ।
(प्रतिबिम्ब की दूरी) = – (ऋणात्मक)
वस्तु का आकार (O) = + धनात्मक
प्रतिबिम्ब का आकर (h’) = धनात्मक (+ 1)
m (आवर्धन) = + धनात्मक
2. अज्ञात राशि का चिन्ह नहीं लेते, वह स्वयं प्रश्न को हल करते समय निकलकर आता है।

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प्रश्न 19.
एक अवतल लेंस की फोकस दूरी 15 cm है। इस लेंस से 10 cm दूर रखी वस्तु के प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा प्रकृति बताइए।
हल:
प्रश्नानुसार, अवतल लेंस की फोकस दूरी (f)= – 15 cm
वस्तु की अवतल लेंस से दूरी (u) = – 10 cm
लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी (v) = ?
लेंस के सूत्र
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 55
या v=-6 cm
ऋण चि से स्पष्ट है कि प्रतिबिम्ब वस्तु की ओर बनता है तथा लेंस से 6 cm दूर, आभासी, छोटा व सीधा बनता है।

प्रश्न 20.
कोई बिम्ब 30 सेमी फोकस दूरी के किसी अवतल लेंस से 60 सेमी दूरी पर स्थित है।
(i) लेंस सूत्र का उपयोग करके लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी ज्ञात कीजिए।
(ii) इस प्रकरण में बनने वाले प्रतिबिम्ब के चार अभिलक्षणों (प्रकृति, स्थिति, आकार, सीधा/उल्टा) की सूची बनाइए।
(iii) भाग (ii) में दिए गए अपने उत्तर की पुष्टि के लिए किरण आरेख खींचिए। (CBSE 2019)
हल:
(i) f=-30 सेमी, u =-60 सेमी लेंस सूत्र से,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
\(-\frac{1}{30}=\frac{1}{v}-\frac{1}{(-60)}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{-30}-\frac{1}{60}\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{-2-1}{60}\)
v = \(-\frac{60}{3}\) = -20 सेमी

(ii) हम जानते हैं- m= \(\frac{h^{\prime}}{h}=\frac{v}{u}\)
m = \(\frac{-20}{-60}=\frac{1}{3}\)
इससे तात्पर्य है कि प्रतिबिम्ब आभासी, वस्तु की ओर प्रकाशीय केन्द्र व फोकस के मध्य, वस्तु के आकार का 1e3 बनेगा। प्रतिबिम्ब सीधा बनेगा।
(iii)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 56

प्रश्न 21.
अनन्त से आने वाली किरणें जब अवतल लेंस पर पड़ती हैं तो लेंस से 30 सेमी. की दूरी पर प्रतिबिम्ब बनता हुआ प्रतीत होता है। जब इस लैंस के सामने 3 सेमी. ऊँचा बिम्ब, लेंस से 15 सेमी. की दूरी पर रखा जाता है तो बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति एवं आकार की गणना कीजिये।
हल:
सर्वप्रथम –
u= – ∞
v=- 30 सेमी
f=?
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{-30}+\frac{1}{\infty}\)
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{30}\)
f=-30 cm
अत: h = 3 सेमी., h’ = ?
u=- 15 सेमी.

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अतः प्रतिबिम्ब लेंस से 10 सेमी. की दूरी पर उसी तरफ बनता है जिस तरफ बिम्ब रखा है। प्रतिबिम्ब का आकार 2 सेमी बनता हुआ प्रतीत होता है।

प्रश्न 22.
2.5 cm ऊँचाई का कोई बिम्ब 10 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल लेंस के प्रकाशिक केन्द्र ‘0’ से 15 cm दूरी पर स्थित है। बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति और साइज़ ज्ञात करने के लिए किरण आरेख खींचिए। इस आरेख में प्रकाशिक केन्द्र ‘0’, मुख्य फोकस F तथा है. प्रतिबिम्ब की ऊँचाई अंकित कीजिए।
हल :
(i) h = 2.5 cm, u=-15 cm,
f= 10 cm, v=?, h = ?
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}, \frac{1}{v}=\frac{1}{f}+\frac{1}{u}\)
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{-15}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{3-2}{30} \Rightarrow \quad \frac{1}{v}=\frac{1}{30}\)
∴ v=30 cm
प्रतिबिम्ब की स्थिति में, लेंस के दूसरी तरफ 30 cm दूरी पर।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 58
प्रतिबिम्ब का आकार = 5 cm (उल्टा बनेगा)
(ii)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 59

प्रश्न 23.
यदि किसी लेंस की फोकस दूरी 0.2 मीटर हो तो उसकी क्षमता चिह्न सहित ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार, लेंस की फोकस दूरी (f) = 0.2
मीटर लेंस की क्षमता (P) = ?
∴ लेंगी :. लेंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{f(\text { मी) में }}=\frac{1}{0.2} \)
अतः P=+5 डायोप्टर

प्रश्न 24.
25 cm फोकस दूरी के अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल:
अवतल लेंस की क्षमता (P) = \(\frac{100}{f(\mathrm{~cm} \text { में) }}=\frac{100}{-25} \)
P=-4D

प्रश्न 25.
एक अभिसारी लैंस जिसकी क्षमता +2.5D है, जिसे एक अपसारी लैंस जिसकी क्षमता – 3.0 D है के सम्पर्क में रखा जाता है। इस संयोजन से बने लैंस की क्षमता तथा फोकस दूरी की गणना कीजिए।
हल : अभिसारी लैंस की क्षमता (P1) = + 2.5 D
अपसारी लैंस की क्षमता (P2) = – 3.0 D
संयोजन की क्षमता (P) = P1 + P2
=+2.5-3.0
=-0.5D
संयोजन की फोकस दूरी (F) = \(\frac{100}{P}\) सेमी.
= \(\frac{100}{-0.5}\) =-200 सेमी.

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. समतल दर्पण का आवर्धन होता है
(a) +1
(b)-1
(c) 0
(d).
उत्तर-
(a)
+1.

2. दूर स्थित किसी ऊँची इमारत के प्रतिबिम्ब को निश्चित रूप से किसके द्वारा देखा जा सकता है –
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) समतल दर्पण
(d) अवतल और समतल दर्पण।
उत्तर-
(b) उत्तल दर्पण।

3. टॉर्च, सर्चलाइट और वाहनों के अग्रदीपों में बल्ब लगाए जाते हैं –
(a) परावर्तक के ध्रुव एवं फोकस के बीच
(b) परावर्तक के फोकस के बहुत निकट
(c) परावर्तक के फोकस एवं वक्रता केन्द्र के बीच
(d) परावर्तक के वक्रता केन्द्र पर।
उत्तर-
(b) परावर्तक के फोकस के बहुत निकट।

4. अवतल दर्पण द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब आभासी सीधा तथा वस्तु से बड़ा बनता है तब वस्तु की स्थिति होगी –
(a) वक्रता केन्द्र पर
(b) वक्रता केन्द्र से परे
(c) फोकस तथा वक्रता के बीच में
(d) दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच में।
उत्तर-
(d) दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच में।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

5. किसी वस्तु को अवतल दर्पण और फोकस के बीच रखा जाता है, प्रतिबिम्ब बनेगा –
(a) अनन्त पर
(b) दर्पण के पीछे
(c)F पर
(d) वक्रता केन्द्र पर ।
उत्तर-
(b) दर्पण के पीछे।

6. किसी गोलीय दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब हमेशा सीधा बनता है जबकि आप कितनी भी दूर खड़े हों, दर्पण-
(a) समतल
(b) समतल या उत्तल
(c) उत्तल
(d) अवतल।
उत्तर-
(c) उत्तल।

7. साधारण दर्पण से परावर्तित होकर कौन-सा प्रतिबिम्ब बनता है –
(a) वास्तविक
(b) आभासी
(c) वास्तविक एवं आभासी दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) वास्तविक एवं आभासी दोनों।

8. यदि काँच का अपवर्तनांक 1.5 हो तो काँच में प्रकाश का वेग होगा –
(a) 2 x 108 m/s
(b) 3 x 108 m/s
(c) \(\frac{2}{3}\) x 108 m/s
(d) \(\frac{3}{2}[/latex x 108 m/s .
उत्तर-
(a) 2 x 108 m/s
∴ v=[latex]\frac{c}{\mu}=\frac{3 \times 10^8}{1.5}= \) = 1.5

9. कोई किरण पृष्ठ पर लम्बवत् आपतित होती है तब अपवर्तन कोण का मान है –
(a) 90°
(b)0°
(c) 45°
(d)60°.
उत्तर-
(b) 0°

10. एक काँच के गुटके (स्लैब) की क्षमता होगी-
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) शून्य से कम
(d) शून्य से अधिक।
उत्तर-
(a) शून्य।

11. प्रकाश का वेग, न्यूनतम होता है-
(a) निर्वात में
(b) जल में
(c) वायु में
उत्तर-
(d) काँच में।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

12. निर्वात में प्रकाश का वेग है
(a) 3 x 108 m/s
(b) 3 x 1010 m/s
(c) 3 x 1011 km/s
(d) 3 x 109 m/s
उत्तर-
(a) 3 x 108 m/s

13. किसी माध्यम में प्रकाश का वेग, वायु में प्रकाश के वेग से कम है तो इस माध्यम का अपवर्तनांक होगा –
(a) 1
(b) 1 से कम
(c) 1 से अधिक
(d) 1 से कम या अधिक कुछ भी हो सकता है।
उत्तर-
(c) 1 से अधिक।

14. \(\frac{\sin i}{\sin r}\) = n को किस नियम से जाना जाता है?
(a) जूल का नियम
(b) स्नैल का नियम
(c) न्यूटन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) स्नैल का नियम।

15. लेंस की क्षमता ज्ञात करने का सूत्र है –
(a) P=4f
(b) P = \(\frac{f}{2}\)
(c) P = \(\frac{1}{f}\)
(d) P= \(\frac{1}{2f}\)
उत्तर-
(c) P = \(\frac{1}{f}\)

16. किसी उत्तल लेंस की फोकस दूरी क्या होगी, जिसकी वक्रता त्रिज्या 40 cm है –
(a) 20 cm
(b) 10 cm
(c) 15 cm
(d) 3 cm.
उत्तर-
(c) 20 cm.

17. एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 20 cm है, उसकी क्षमता है –
(a) +20 D
(b)-20 D
(c) +5D
(d)-5 D.
उत्तर-
(c) +5 D.

18. उत्तल लेंस द्वारा सूर्य का प्रतिबिम्ब बनता है –
(a) F पर
(b) 2 F से दूर
(c) F व 2F के मध्य
(d) 2F पर।
उत्तर-
(a) F पर।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

19. एक लेंस बीच में से मोटा तथा किनारों पर से पतला है तब यह लेंस कौन-सा होगा?
(a) अवतल
(b) साधारण दर्पण
(c) उत्तल
(d) प्रिज्म।
उत्तर-
(c) उत्तल।

20. एक उत्तल लेंस की क्षमता का चिह्न
(a) धनात्मक होता है
(b) शून्य होता है
(c) ऋणात्मक होता है
(d) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) धनात्मक होता है।

21. यदि उत्तल लेंस के सामने वस्तु अनन्त व 2F के बीच रखी हो तो उसका प्रतिबिम्ब बनेगा –
(a) वास्तविक, उल्टा और बिन्दु आकार का
(b) आभासी, सीधा और वस्तु के आकार का
(c) वास्तविक, उल्टा और वस्तु से छोटा
(d) वास्तविक, उल्टा और वस्तु से बड़ा।
उत्तर-
(c) वास्तविक, उल्टा और वस्तु से छोटा।

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न (Matrix Type Questions)

निम्नलिखित को समेलित कीजिए-

कॉलम (X)कॉलम (Y)
(i) उत्तल लेंस(A) फोकस दूरी धनात्मक
(ii) अवतल लेंस(B) फोकस दूरी शृणात्मक
(iii) लेंस की शक्ति(C) \( \frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u} \)
(iv) दर्पण(D) डाइऑप्टर
(v) लेंस(E) \( \frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u} \)

उत्तर-

कॉलम (X)कॉलम (Y)
(i) उत्तल लेंस(A) फोकस दूरी धनात्मक
(ii) अवतल लेंस(B) फोकस दूरी शृणात्मक
(iii) लेंस की शक्ति(D) डाइऑप्टर
(iv) दर्पण(C) \( \frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u} \)
(v) लेंस(E) \( \frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u} \)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. दर्पण सूत्र ………………………… होता है।
उत्तर-
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)

2. निर्वात में प्रकाश की चाल ………………………… होती है।
उत्तर-
3 x 108 m/s,

3. लेंस की क्षमता का मात्रक ………………………… होता है।
उत्तर-
डाइऑप्टर (D)

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

4. गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी को दर्पण की ………………………… कहते हैं।
उत्तर-
फोकस दूरी,

5. वाहनों के अग्रदीपों में प्रकाश का शक्तिशाली समान्तर किरण पुंज प्राप्त करने में ………………………… का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर-
अवतल दर्पण।

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.1

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Exercise 2.1

Question 1.
Which of the following expressions are polynomials in one variable and which are not ? State reasons for your answer :
(i) 4x2 – 3x + 7
(ii) y2 + \(\sqrt{2}\)
(iii) 3\(\sqrt{t}\) + t\(\sqrt{2}\)
(iv) y + \(\frac {2}{y}\)
(v) x10 + y3 + t50
Solution:
(i) We have, 4x2 – 3x + 7
Since, the exponent of x in each term is a whole number.
Therefore, the given expression is a polynomial in one variable x.

(ii) We have, y2 + \(\sqrt{2}\)
Since, exponent of y is a whole number.
Therefore, the given expression is a polynomial in one variable y.

(iii) We have, 3\(\sqrt{t}\) + t\(\sqrt{2}\)
Since, the exponent oft in the Ist term is \(\frac {1}{2}\) which is not a whole number.
Therefore, the given expression is not a polynomial.

(iv) We have, y + \(\frac {2}{y}\)
Since, the exponent of y in the IInd term is – 1, which is not a whole number.
Therefore, the given expression is not a polynomial.

(v) We have, x10 + y3 + t50
Since, there are three variables x, y, t in the given expression
Therefore, it is a polynomial in three variables not in one variable.

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.1

Question 2.
Write the coefficients of x2 in each of the following:
(i) 2 + x2 + x
(ii) 2 – x2 + x3
(iii) \(\frac {π}{2}\)x2 + x
(iv) \(\sqrt{2}\)x – 1
Solution:
(i) The coefficient of x2 in 2 + x2 + x is 1.
(ii) The coefficient of x2 in 2 – x2 + x3 is \(\frac {π}{2}\).
(iii) The coefficient of x2 in \(\frac {π}{2}\)x2 + x is \(\frac {π}{2}\)
(iv) The coefficient of x2 in \(\sqrt{2}\)x – 1 is 0 because there is no term of x2 in the given expression.

Question 3.
Give one example each of a binomial of degree 35, and of a monomial of degree 100.
Solution:
Example of a binomial of degree 35 is 3x35 – 4 and example of monomial of degree 100 is \(\sqrt{2}\)y100 (you can write some more polynomials with different coefficients.)

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Question 4.
Write the degree of each of the following polynomials:
(i) 5x3 + 4x2 + 7x
(ii) 4 – y2
(iii) 5t – \(\sqrt{7}\)
(iv) 3.
Solution :
(i) We have, 5x3 + 4x2 + 7x
The highest power term is 5x3 and it’s exponent is 3. So, the degree of given polynomial is 3.

(ii) We have, 4 – y2
The highest power lerm is – y2 and it’s exponent is 2. So, the degree of given polynomial is 2.

(iii) We have, 5t – \(\sqrt{7}\)
The highest power term is 5t, and it’s exponent is 1. So, the degree of given polynomial is 1.

(iv) We have, 3 It is constant polynomial which degree is 0.

Question 5.
Classify the following as linear, quadratic and cubic polynomials:
(i) x2 + x
(ii) x – x3
(iii) y + y2 + 4
(iv) 1 + x
(v) 3t
(vi) r2
(vii) 7x3
Solution :
(i) The degree of the given polynomial is 2. So, it is the quadratic polynomial.
(ii) The degree of the given polynomial is 3. So, it is the cubic polynomial.
(iii) The degree of the given polynomial is 2. So, it is the quadratic polynomial.
(iv) The degree of the given polynomial is 1. So, it is a linear polynomial.
(v) The degree of the given polynomial is 1. So, it is a linear polynomial.
(vi) The degree of the given polynomial is 2. So, it is a quadratic polynomial.
(vii) The degree of the given polynomial is 3. So, it is a cubic polynomial.

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