HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

HBSE 12th Class Political Science भारतीय राजनीति : नए बदलाव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
उन्नी-मुन्नी ने अखबार की कुछ कतरनों को बिखेर दिया है। आप इन्हें कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें
(क) मण्डल आयोग की सिफ़ारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा
(ख) जनता दल का गठन
(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस
(घ) इन्दिरा गांधी की हत्या
(ङ) राजग सरकार का गठन
(च) संप्रग सरकार का गठन
(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम।
उत्तर:
(क) इन्दिरा गांधी की हत्या (सन् 1984)
(ख) जनता दल का गठन (सन् 1988)
(ग) मण्डल आयोग की सिफ़ारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा (सन् 1990)
(घ) बाबरी मस्जिद का विध्वंस (सन् 1992)
(ङ) राजग सरकार का गठन (सन् 1999)
(च) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम (सन् 2002)
(छ) संप्रग सरकार का गठन (सन् 2004)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में मेल करें
(क) सर्वानुमति की राजनीति – (i) शाहबानो मामला
(ख) जाति आधारित दल – (ii) अन्य पिछड़ा वर्ग का उभार
(ग) पर्सनल लॉ और लैंगिक न्याय – (iii) गठबन्धन सरकार
(घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत – (iv) आर्थिक नीतियों पर सहमति
उत्तर:
(क) सर्वानुमति की राजनीति – (iv) आर्थिक नीतियों पर सहमति
(ख) जाति आधारित दल – (ii) अन्य पिछड़ा वर्ग का उभार
(ग) पर्सनल लॉ और लैंगिक न्याय – (i) शाहबानो मामला
(घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत – (iii) गठबन्धन सरकार

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 3.
1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे क्या रहे हैं ? इन मुद्दों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं ?
उत्तर:
1989 के बाद भारतीय राजनीति में जो मुद्दे उभरे, उनमें कांग्रेस का कमज़ोर होना, मण्डल आयोग की सिफारिशें एवं आन्दोलन, आर्थिक सुधारों को लागू करना, राजीव गांधी की हत्या तथा अयोध्या मामला प्रमुख हैं। इन सभी मुद्दों ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की तथा भारत में गठबन्धनवादी सरकारों का युग शुरू हुआ जो वर्तमान समय में भी जारी है।

1989 में वी०पी० सिंह की सरकार को आश्चर्यजनक ढंग से वाम मोर्चा एवं भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही समर्थन दिया, इसी तरह आगे चलकर अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कई ऐसे दलों ने आपस में समझौता किया, जोकि परस्पर कट्टर विरोधी थे, उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी का समझौता, भारतीय जनता पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी का समझौता तथा दक्षिण में कांग्रेस एवं डी० एम० के० पार्टी का समझौता इत्यादि। ये सभी समझौते 1989 के बाद बने गठबन्धन सरकारों के कारण ही हुए।

प्रश्न 4.
“गठबन्धन की राजनीति के इस नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते हैं।’ इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-से तर्क देंगे ?
उत्तर:
इसके लिए अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में (निबन्धात्मक प्रश्न) प्रश्न नं० 13 देखें।

प्रश्न 5.
आपात्काल के बाद के दौर में भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। इस दौर में इस पार्टी के विकास-क्रम का उल्लेख करें।
उत्तर:
आपात्काल के बाद निस्संदेह भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। सन् 1980 में अपनी स्थापना के बाद भाजपा भारतीय राजनीति में सदैव आगे ही बढ़ती रही। 1989 के नौवीं लोकसभा चुनाव में इसे 88 सीटें प्राप्त हुईं तथा इसके समर्थन से जनता दल की सरकार बनी। 1996 में हुए 11 वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई तथा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व के केन्द्र में पहली बार सरकार का निर्माण किया।

1998 में हुए 12वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने सर्वाधिक 181 सीटें जीतकर पुन: वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई। 1999 में हुआ 13वीं लोकसभा का चुनाव भाजपा ने राजग के घटक के रूप में लड़ा तथा इस गठबन्धन ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। अतः एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने गठबन्धन सरकार बनाई। इस पार्टी ने अप्रैल-मई, 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में 138 एवं अप्रैल-मई, 2009 में हुए 15वीं लोकसभा चुनाव में 116 सीटें जीतकर, दोनों बार लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

2014 एवं 2019 में हुए 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने क्रमश: 282 एवं 303 सीटें जीतकर लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया तथा श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का निर्माण किया। केन्द्र के अतिरिक्त भाजपा ने समय-समय पर उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अमस, त्रिपुरा, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, दिल्ली, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश तथा हरियाणा में अपने दम पर सरकारें बनाई तथा पंजाब, महाराष्ट्र उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, बिहार तथा गोवा जैसे राज्यों में गठबन्धन सरकार का निर्माण किया।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है। इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
देश की राजनीति पर से, यद्यपि कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त हो गया है, परन्तु अभी कांग्रेस का असर कायम है। क्योंकि अब भी भारतीय राजनीति कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घूम रही है तथा सभी राजनीतिक दल अपनी नीतियां एवं योजनाएं कांग्रेस को ध्यान में रखकर बनाते हैं। 2004 के 14वीं एवं 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनावों में इसने अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में सरकार बनाई।

इसके साथ-साथ जुलाई, 2007 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में भी इस दल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। अतः कहा जा सकता है कि कमज़ोर होने के बावजूद भी कांग्रेस का असर भारतीय राजनीति पर कायम है। यद्यपि 2014 एवं 2019 में 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को केवल 44 एवं 52 सीटें ही मिल पाई थीं।

प्रश्न 7.
अनेक लोग सोचते हैं कि सफल लोकतन्त्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था ज़रूरी है। पिछले बीस सालों के भारतीय अनुभवों को आधार बनाकर एक लेख लिखिए और इसमें बताइए कि भारत की मौजूदा बहुदलीय व्यवस्था के क्या फायदे हैं ?
उत्तर:
भारत में बहुदलीय प्रणाली है। कई विद्वानों का विचार है कि भारत में बहु-दलीय प्रणाली उचित ढंग से कार्य नहीं कर पा रही है तथा यह भारतीय लोकतन्त्र के लिए बाधाएं पैदा कर रही है। अत: भारत को द्वि-दलीय प्रणाली अपनानी चाहिए। परन्तु पिछले बीस सालों के अनुभव के आधार पर यहा कहा जा सकता है कि बहु-दलीय प्रणाली से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निम्नलिखित फायदे हुए हैं

1. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व-बहु-दलीय प्रणाली के कारण भारतीय राजनीति में सभी वर्गों तथा हितों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। इस प्रणाली से कच्चे लोकतन्त्र की स्थापना होती है।

2. मतदाताओं को अधिक स्वतन्त्रता-अधिक दलों के कारण मतदाताओं को अपने वोट का प्रयोग करने के लिए अधिक स्वतन्त्रताएं होती हैं। मतदाताओं के लिए अपने विचारों से मिलते-जुलते दल को वोट देना आसान हो जाता है।

3. राष्ट दो गुटों में नहीं बंटता-बहु दलीय प्रणाली होने के कारण भारत कभी भी दो विरोधी गुटों में विभाजित नहीं हुआ।

4. मन्त्रिमण्डल की तानाशाही स्थापित नहीं होती-बहु-दलीय प्रणाली के कारण भारत में मन्त्रिमण्डल तानाशाह नहीं बन सकता।

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प्रश्न 8.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें
उत्तर:
भारत की दलगत राजनीति ने कई चुनौतियों का सामना किया है। कांग्रेस-प्रणाली ने अपना खात्मा ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस के जमावड़े के बिखर जाने से आत्म-प्रतिनिधित्व की नयी प्रवृत्ति का भी ज़ोर बढ़ा। इससे दलगत व्यवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की इसकी क्षमता पर भी सवाल उठे। राजव्यवस्था के सामने एक महत्त्वपूर्ण काम एक ऐसी दलगल व्यवस्था खड़ी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढ़ने की है, जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें…
(क) इस अध्याय को पढ़ने के बाद क्या आप दलगत व्यवस्था की चुनौतियों की सूची बना सकते हैं ?
(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना क्यों ज़रूरी है ?
(ग) इस अध्याय में आपने अयोध्या विवाद के बारे में पढ़ा। इस विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की?
उत्तर:
(क) इस अध्याय में दलगत व्यवस्था की निम्नलिखित चुनौतियां उभर कर सामने आती हैं

  • गठबन्धन राजनीति को चलाना
  • कांग्रेस के कमजोर होने से खाली हुए स्थान को भरना
  • पिछड़े वर्गों की राजनीति का उभरना
  • अयोध्या विवाद का उभरना
  • गैर-सैद्धान्तिक राजनीतिक समझौतों का होना
  • गुजरात दंगों से साम्प्रदायिक दंगे होना।

(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना जरूरी है, क्योंकि तभी भारत अपनी एकता और अखण्डता को बनाए रखकर विकास कर सकता है।

(ग) अयोध्या विवाद भारत के राजनीतिक दलों के सामने साम्प्रदायिकता की चुनौती पेश की तथा भारत में साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक दलों की राजनीति बढ़ गई।

भारतीय राजनीति : नए बदलाव HBSE 12th Class Political Science Notes

→ भारत में 1990 के दशक से लोकतान्त्रिक उमड़ एवं गठबन्धन राजनीति में वृद्धि हुई है।
→ 1989 तक भारत में केवल दो ही राजनीतिक दलों (कांग्रेस एवं जनता पार्टी) के पास सत्ता रही।
→ 1989 से लेकर अब तक सत्ता कई दलों में विभाजित रही।
→ भारतीय जनता पार्टी ने गठबन्धन राजनीति को अलग स्वरूप प्रदान करते हुए राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का निर्माण किया।
→ 1989 के पश्चात् केन्द्र सरकार के निर्माण में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव अधिक रहा।
→ 1988 में जनता दल की स्थापना हुई तथा 1989 के चुनावों में जीत हासिल कर के इस दल ने सरकार बनाई।
→ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 में हुई।
→ 1989 के पश्चात् भारत में गठबन्धन या मिली-जुली सरकारों की अधिकता रही है।
→ गठबन्धनवादी सरकार के मुख्य उदाहरण राष्ट्रीय मोर्चा सरकार, संयुक्त मोर्चा सरकार, राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार है।
→ 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार बनी।
→ 2014 के 16वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार बनी।
→ 2019 के 17वीं लोकसभा के पश्चात् केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में पुनः राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार बनी।

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