Author name: Bhagya

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Kriya क्रिया Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया

क्रिया Class 9 HBSE प्रश्न 1.
‘क्रिया’ से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘क्रिया’ शब्द की उत्पत्ति ‘कृ’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है-कुछ करना या कुछ किया जाना। व्याकरण की दृष्टि से ‘क्रिया’ वह शब्द है जिससे किसी काम के करने या होने का ज्ञान होता है; जैसे हँसना, खेलना, लिखना, दौड़ना, सोना आदि।

किसी भी कार्य के दो रूप होते हैं कार्य या तो होता है या फिर किया जाता है; यथा ‘वृक्ष गिर गया।’ इस वाक्य में कार्य स्वयं हुआ है, किन्तु जब हम ऐसा कहते हैं कि ‘वृक्ष गिरा दिया गया है तो इसका अर्थ यह हुआ कि वृक्ष को गिराने का कार्य किसी के.द्वारा किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि, “कार्य के होने या किए जाने को क्रिया कहते हैं।”

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धातु

Hindi Vyakaran Kriya HBSE 9th Class प्रश्न 2.
‘धातु’ की परिभाषा एवं उसके भेदों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं, जैसे लिखना, पढ़ना, खेलना आदि क्रियाओं में लिख, पढ़, खेल आदि क्रिया के मूल रूप होने के कारण धातु हैं। धातु के पाँच भेद होते हैं
(1) सामान्य धातु-पढ़, लिख, सो, गा आदि।
(2) व्युत्पन्न धातु-मूल धातु में प्रत्यय लगाकर बनाई गई; जैसे करवाना, सुनवाना आदि।
(3) नाम धातु-बतियाना, हथियाना आदि।
(4) सम्मिश्रण धातु-दर्शन करना, प्यार करना आदि।
(5) अनुकरणात्मक धातु-खटखटाना, हिनहिनाना, झनझनाना आदि।

क्रिया के भेद

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया प्रश्न 3.
क्रिया के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हिन्दी में क्रिया के मुख्य दो भेद होते हैं-
(1) अकर्मक क्रिया-अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता। अतः क्रिया का व्यापार और फल कर्ता में ही पाए जाते हैं; जैसे(क) मोहन पढ़ता है। (ख) सोहन सोया है। उपर्युक्त दोनों वाक्यों में पढ़ता है’ और ‘सोया है’ अकर्मक क्रियाएँ हैं।
(2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रियाएँ कहते हैं; यथा-
(क) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ख) सीता पत्र लिखती है।
इन दोनों वाक्यों में पढ़ने का प्रभाव पुस्तक पर और लिखने का प्रभाव पत्र पर पड़ता है, अतः ये दोनों सकर्मक क्रियाएँ हैं।

प्रश्न 4.
अकर्मक एवं सकर्मक क्रिया की पहचान क्या है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
क्रिया एवं कर्ता वाक्य के अनिवार्य अंग हैं। इसलिए क्रिया शब्द से पूर्व क्या या किसको शब्द लगाकर प्रश्न पूछे। यदि इसका उत्तर मिल जाए तो वह उत्तर कर्म होगा और क्रिया सकर्मक होगी। यदि उत्तर न मिले तो क्रिया अकर्मक होगी; जैसे-
(1) सोहन पुस्तक पढ़ता है। इस प्रश्न से पहले क्या प्रश्न लगाएँ तो लिखा जाएगा, क्या पढ़ता है ?
उत्तर होगा-‘पुस्तक’। अतः ‘पढ़ता है’ सकर्मक क्रिया है।

इसी प्रकार ‘सोहन पढ़ रहा है। तो प्रश्न होगा क्या पढ़ रहा है। इसका कुछ उत्तर नहीं मिला तो क्रिया अकर्मक होगी।

प्रश्न 5.
सकर्मक क्रिया के कितने उपभेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
सकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है-
(1) एककर्मक क्रिया
(2) द्विकर्मक क्रिया, तथा
(3) अपूर्ण सकर्मक क्रिया।

1. एककर्मक क्रिया: जिस क्रिया में एक ही कर्म हो, उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-राम पुस्तक पढ़ता है। यहाँ ‘पुस्तक’ एक ही कर्म है।

2. द्विकर्मक क्रिया:
जिस क्रिया में दो कर्म हों, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं; यथा-राम श्याम को पत्र भेजता है। इस वाक्य में श्याम और पत्र दोनों कर्म हैं। अतः ‘भेजता है’ द्विकर्मक क्रिया है। द्विकर्मक क्रिया में जिस कर्म के साथ ‘को’ परसर्ग लगा होता है वह गौण कर्म होता है, लेकिन जिसके साथ ‘को’ परसर्ग नहीं होता वह मुख्य कर्म होता है। उपर्युक्त वाक्य में ‘श्याम’ गौण कर्म है और ‘पत्र’ मुख्य कर्म है।

3. अपूर्ण सकर्मक:
क्रिया ये वे क्रियाएँ हैं जिनमें कर्म रहते हुए भी कर्म को किसी पूरक शब्द की आवश्यकता होती है, वरना अर्थ अपूर्ण रहता है; जैसे-
(क) सोहन मोहन को समझता है।
सोहन मोहन को मूर्ख समझता है।

(ख) वह तुम्हें मानता है।
वह तुम्हें मित्र मानता है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों में ‘मूर्ख’ एवं ‘मित्र’ पूरक शब्द हैं।

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क्रिया के कुछ अन्य भेद

1. संयुक्त क्रिया

प्रश्न 1.
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
संयुक्त क्रिया-दो या दो से अधिक धातुओं के योग से मिलकर बनी क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं। इन धातुओं में मूल धातु को प्रधान क्रिया कहते हैं तथा दूसरी धातुओं को सहायक धातु या क्रिया कहते हैं। यह मूल क्रिया के अर्थ का विस्तार करती है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं-
(i) मोहन तुरंत बोल उठा। (‘बोल’ मूल धातु, उठा सहायक क्रिया)
(ii) बादल गर्जने लगा है। (‘गर्ज’ मूल धातु, लगना सहायक क्रिया)
(iii) मैं उसे समझा दूंगा। (‘समझा’ मूल धातु, देना सहायक क्रिया)
(iv) पानी बरस चुका था। (‘बरस’ मूल धातु, चुकना सहायक क्रिया)
(v) अब तो मैं हस्ताक्षर कर बैठा हूँ। (‘कर’ मूल धातु, बैठना सहायक क्रिया)
(vi) कृष्ण को जाने दो। (‘जा’ मूल धातु, देना सहायक क्रिया)
(vii) वे सैर करने जाया करते हैं। (‘जा’ मूल धातु, करना सहायक क्रिया)
(viii) क्या वे गाना चाहते हैं? । (‘गा’ मूल धातु, चाहना सहायक क्रिया)

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2. अपूर्ण क्रिया

प्रश्न 1.
अपूर्ण क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब क्रिया को सार्थक या पूर्ण बनाने के लिए उससे पहले कोई संज्ञा या सर्वनाम या विशेषण शब्द लगाया जाता है, तो उस क्रिया को अपूर्ण क्रिया कहते हैं; जैसे
(1) विद्यार्थी योग्य है।
(2) उसने राकेश को नेता चुना।
(3) यह बालिका तो बहुत चालाक है।
(4) क्षमा करना, मैंने आपको पराया समझा।
इन वाक्यों में रेखांकित शब्द-योग्य, नेता, चालाक, पराया आदि न हों तो ये क्रियाएँ अपूर्ण ही रह जाती हैं। इन्हें पूरा करने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है। इन क्रियाओं को पूरा करने वाले शब्दों को पूरक कहते हैं।

3. नामधातु क्रिया

प्रश्न 1.
किन क्रियाओं को नामधातु क्रियाएँ कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों से मूल धातुओं को जोड़कर जो क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें नामधातु क्रियाएँ कहते हैं। नामधातु क्रियाओं के अग्रलिखित उदाहरण देखिए
(क) संज्ञा शब्दों से-

संज्ञाधातुक्रिया
शर्मशर्माशर्माना
बातबतियाबतियाना
लातलतियालतियाना
झूठझुठलाझुठलाना

(ख) सर्वनाम से-

सर्वनामधातुक्रिया
अपनाअपनाअपनाना
मैंमिमियामिमियाना

(ग) विशेषण से-

विशेषणधातुक्रिया
मोटागर्मागर्माना
गर्ममोटामोटापा

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4. पूर्वकालिक क्रिया

प्रश्न 1.
पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब मूल क्रिया से पहले ऐसी क्रिया आ जाए जिससे काम के पहले हो चुकने का बोध हो, तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया के मूल धातु के साथ ‘कर’ या ‘करके’ शब्द आते हैं आदि; जैसे-
(1) वह तो लिखकर आया है।
(2) मैं उससे भोजन करके बात करूँगा।
(3) वह देख-देखकर लिखती है।
(4) मोहन ने स्कूल पहुँचकर अध्यापक को प्रणाम किया।
(5) कृष्ण दौड़कर स्टेशन पहुंचा।

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5. प्रेरणार्थक क्रिया

प्रश्न 1.
प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस क्रिया से किसी अन्य से काम करवाने का बोध हो, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं; जैसेलिखना से लिखवाना-मोहन ने राम से पत्र लिखवाया। भेजना से भिजवाना-मैंने विद्यार्थी द्वारा संदेश भिजवाया था। खोलना से खुलवाना-मालिक ने नौकर से दुकान खुलवाई। धोना से धुलवाना-शीला धोबी से कपड़े धुलवाती है।

6. समापिका अथवा प्रधान क्रिया

प्रश्न 1.
समापिका अथवा प्रधान क्रिया की सोदाहरण परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जो क्रिया वाक्य के अन्त में लगे उसे समापिका या प्रधान क्रिया कहते हैं; जैसे-
(1) नीता खाना खा रही है।
(2) चिड़िया आकाश में उड़ती है।
(3) घोड़ा सड़क पर दौड़ता है।
(4) मैंने उसे जाते हुए देखा था।

वृत्ति या क्रियार्थ (Mood)

प्रश्न 1.
वृत्ति या क्रियार्थ से क्या अभिप्राय है? उदाहरण देते हुए समझाइए। उसके भेदों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि क्रिया किस प्रयोजन के लिए की गई है, उसे वृत्ति या क्रियार्थ (Mood) कहते हैं। हिन्दी भाषा में मुख्य रूप से पाँच वृत्तियाँ हैं
1. निश्चयार्थ वृत्ति:
सूचना-प्रधान क्रिया को निश्चयार्थ वृत्ति कहते हैं; जैसे–
(क) खिलाड़ी नहीं खेल रहे हैं।
(ख) तुम अभी बाजार जाओ।

2. विध्यर्थ वृत्ति:
इच्छा-प्रधान क्रिया को विध्यर्थ वृत्ति कहते हैं; जैसे-
(क) कृपया मेरी मदद कीजिए।
(ख) भगवान आपका भला करे।
(ग) तेरा सर्वनाश हो।

3. सम्भावनार्थ:
क्रिया के जिस रूप से सम्भावना या अनुमान का बोध हो, उसे सम्भावनार्थ क्रिया कहते हैं; जैसे
(क) शायद आज वर्षा हो। (अनुमान)
(ख) सम्भव है आज प्राचार्य जी आएँ। (सम्भावना)

4. सन्देहार्थ:
जिस क्रिया से कार्य होने का लगभग पूरा निश्चय होता है, किन्तु थोड़ा-सा सन्देह भी रहता है, उसे सन्देहार्थ क्रिया कहते हैं; जैसे
(क) कृष्ण उपवन में आ गया होगा।
(ख) परीक्षा समाप्त हो गई होगी।

5. संकेतार्थ:
जिस वाक्य क्रिया में दो क्रियाएँ होती हैं और दोनों में कार्य-करण का सम्बन्ध हो, उन्हें संकेतार्थ क्रियाएं कहते हैं; जैसे
(क) पानी बरसता तो फसल अवश्य होती।
(ख) मेहनत करता तो सफल अवश्य हो जाता।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया के विकारी तत्त्व

प्रश्न 1.
क्रिया के प्रमुख विकारी तत्त्व कौन-कौन से हैं? अथवा क्रिया-परिवर्तन से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
क्रिया में भी विकार उत्पन्न होता है। इसलिए इसकी गिनती हिन्दी के विकारी शब्दों में की जाती है। क्रिया के विकार के प्रमुख कारण या तत्त्व लिंग, वचन, पुरुष, काल और वाच्य हैं। इन सबके कारण ही क्रिया के रूप में परिवर्तन होता है। क्रिया परिवर्तन के कुछ उदाहरण देखिए
1. वचन के आधार पर
(क) मैं पढ़ता हूँ। – हम पढ़ते हैं।
(ख) मैंने पुस्तक पढ़ी। – हमने पुस्तक पढ़ी।
(ग) वह पुस्तक पढ़ता है। – वे पुस्तक पढ़ते हैं।

2. लिंग के आधार पर-
(क) मैं पुस्तक पढ़ता हूँ। – मैं पुस्तक पढ़ती हूँ।
(ख) लड़का पुस्तक पढ़ता है। – लड़की पुस्तक पढ़ती है।
(ग) छात्र गीत गाता है। – छात्रा गीत गाती है।

3. वाच्य के अनुसार
(क) मैंने पुस्तक पढ़ी। – मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी गई।
(ख) रमेश ने पत्र लिखा। – रमेश द्वारा पत्र लिखा गया।
(ग) उसने गीत गाया। – उसके द्वारा गीता गाया गया।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

अभ्यासार्थ लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रिया की परिभाषा दीजिए। अकर्मक और सकर्मक क्रियाओं के दो-दो उदाहरण देते हुए इनका अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी काम के करने या होने का ज्ञान हो, उन्हें क्रिया कहते हैं; जैसे-
(क) राम पुस्तक पढ़ता है।
(ख) विद्यार्थी खेल रहे हैं।
इन वाक्यों में ‘पढ़ता’ और ‘खेल’ दोनों क्रिया पद हैं।

अकर्मक क्रिया:
जिन क्रियाओं में कर्म नहीं होता वे अकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-
(क) सुधीर रो रहा है।
(ख) सीता हँसती है।
इन दोनों वाक्यों से क्रियाओं का फल कर्म पर नहीं, बल्कि कर्ता पर पड़ रहा है।

सकर्मक क्रिया:
इन क्रियाओं में क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है; जैसे
(क) अनुराग ने पत्र लिखा।
(ख) शोभा ने खाना खाया।

प्रश्न 2.
स्थित्यर्थक/अवस्थाबोधक अकर्मक धातुओं का दो-दो वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. मोहन इस समय रो रहा है। (रोने की अवस्था)
2. रीटा इस समय सो रही है। (सोने की अवस्था)

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 3.
निम्नलिखित धातुओं से क्रिया शब्द निर्मित कीजिएपढ़, लिख, शर्म, गर्म, दोहरा, टक्कर, अपना, लाज।
उत्तर:
पढ़ – पढ़ना
दोहरा – दोहराना
लिख – लिखना
टक्कर – टकराना
शर्म – शर्माना
अपना – अपनापन
गर्म – गर्माना
लाज – लजाना

प्रश्न 4.
क्रिया अर्थ कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
क्रिया अर्थ या वृत्ति पाँच प्रकार का होता है
1. विध्यर्थ – राजेश! घर जल्दी जाओ।
2. निश्चयार्थ – शोभा पत्र पढ़ रही है।
3. सम्भावनार्थ – आज शायद वर्षा हो।
4. सदेहार्थ – इस समय तक कृष्ण कुमार आ चुका होगा।
5. संकेतार्थ – यदि वर्षा हो जाती तो फसल उग जाती।

प्रश्न 5.
संरचना की दृष्टि से निम्नलिखित क्रियाओं को वर्गीकृत कीजिएलजाना, मुटाना, हँसाना, चलवाना, लड़ाना, जागना, लिटाना, सुनना, कटाना, रखवाना।
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से क्रिया चार प्रकार की होती हैं-
1. प्रेरणार्थक क्रिया-हँसाना, चलवाना, लड़ाना, लिटाना, कटाना, रखवाना।
2. संयुक्त क्रिया-कोई नहीं है।
3. नाम धातु क्रिया-लजाना, मुटाना।
4. कृदन्त क्रिया-सुनना, जागना।।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 6.
धातु एवं नामधातु में क्या अन्तर है? एक-एक उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं; जैसे पढ़, लिख, हँस, गा आदि। परन्तु जो क्रिया संज्ञा, सर्वनाम में प्रत्यय लगाकर बनाई जाती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं; जैसे हाथ से हथियाना (संज्ञा से), अपना से अपनाना (सर्वनाम से), गर्म से गर्माना (विशेषण से)।

प्रश्न 7.
समापिका और असमापिका क्रिया में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समापिका उस क्रिया को कहते हैं जो वाक्य के अन्त में आती है; जैसे मोहन पुस्तक पढ़ता है। ‘पढ़ता है’ वाक्य के अन्त में प्रयुक्त हुई है, इसलिए यह समापिका क्रिया है जबकि असमापिका क्रिया वाक्य की समाप्ति पर नहीं, अपितु अन्यत्र प्रयुक्त होती है; जैसे मोहन ने खाना खाकर हाथ धोए।

प्रश्न 8.
संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेदों के नाम और उनके दो-दो उदाहरण भी लिखो।
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से क्रिया तीन प्रकार की होती है

1. प्रेरणार्थक क्रिया:
(1) मोहन ने मुझसे पत्र लिखवाया।
(2) अध्यापक ने मुझसे पाठ पढ़वाया।

2. संयुक्त क्रिया:
(1) राम रूठकर चला गया।
(2) मोहन पत्र पढ़ सकता है।

3. नामधातु क्रियाएँ:
(1) कृपाल बतिया रहा था।
(2) हमने इस नाटक को नहीं फिल्माया।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 9.
रंजक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो क्रिया मुख्य क्रियाओं में जुड़कर अपना अर्थ खोकर मुख्य क्रिया में नवीनता और विशेषता उत्पन्न कर देती है। संयुक्त क्रिया में पहली क्रिया को मुख्य तथा बाद में जुड़ने वाली क्रिया को रंजक क्रिया कहते हैं; जैसे
(1) किसान ने साँप को मार डाला।
(2) मोहन गीत गा सका।
(3) वह उठकर खड़ा हो गया आदि।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Upasarg Va Prathyay उपसर्ग व प्रत्यय Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

उपसर्ग

उपसर्ग व प्रत्यय HBSE 9th Class प्रश्न 1.
उपसर्ग किसे कहते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
जो शब्दांश शब्दों के आरंभ में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं; जैसे ‘कर्म’ शब्द जिसका अर्थ है, काम करना। ‘कु’ उपसर्ग जोड़ने से ‘कुकर्म’ शब्द बन जाता है जिसका अर्थ है बुरा काम। उपसर्ग के प्रयोग से अर्थ विपरीत भी हो जाता है; जैसे ‘देखा’ शब्द ‘अन्’ उपसर्ग लगाने से ‘अनदेखा’ बन जाता है जिसका अर्थ है ‘न देखा।’

हिंदी भाषा में संस्कृत और उर्दू भाषा के शब्दों का भी प्रयोग होता है। इसलिए हिंदी में संस्कृत एवं उर्दू भाषा के उपसर्गों का भी प्रयोग होता है। इसलिए इनका अध्ययन भी हमारे लिए उपयोगी होगा।

Upsarg Pratyay Class 9 HBSE

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

(क) संस्कृत के उपसर्ग-संस्कृत के बाइस उपसर्ग हैं। इनसे बने हिंदी में बहु-प्रचलित शब्दों के उदाहरण यहाँ दिए जा रहे हैं-

उपसर्गअर्थउपसर्ग
अतिअधिक, उस पार, ऊपरअनुक्रम, अनुशीलन, अनुचार, अनुगामी, अनुसार, अनुकरण, अनुवाद, अनुरूप, अनुचित आदि।
अधिसमीपता, प्रधानता, ऊँचाई, श्रेष्ठअपवाद, अपव्यय, अपकर्ष, अपहरण, अपशब्द, अपयश, अपमान आदि।
अनुक्रम, पश्चात्, समानताअभियान, अभिभावक, अभिशाप, अभिप्राय, अभियोग, अभिनव, अभ्युदय (अभि + उदय), अभिमान, अभिलाषा आदि।
अपअभाव, अधूरा, हीनता, बुराआरक्त, आकाश, आजन्म, आरंभ, आकर्षण, आक्रमण, आदान, आचरण, आजीवन, आरोहण, आमुख, आमरण आदि।
अभिसमीपता, अधिकता और इच्छा प्रकट करनाउत्साह, उत्कर्ष, उत्तम, उत्पन्न, उत्पल, उत्पत्ति, उद्देश्य, उन्नति, उत्कंठा।
सीमा, समेत, कमी, विपरीतउदार, उद्रम, उद्धत, उद्यम, उद्घाटन, उद्गम आदि।
उत्उच्चता, उत्कर्ष, श्रेष्ठता आदिअवगत, अवनत, अवलोकन, अवतार, अवशेष, अवगुण, अवज्ञा, अवरोहण आदि।
उद्ऊपर, उत्कर्ष, श्रेष्ठउपदेश, उपकार, उपमंत्री, उपनिवेश, उपनाम, उपवन, उपस्थित, उपभेद आदि।
अवहीनता, अनादर, अवस्था, पतनदुरवस्था, दुर्दशा, दुर्लभ, दुर्जन, दुराचार (दु + आचार), दुष्कर्म, दुस्साध्य, दुस्साहस, आदि।
उप्सहाय, सुदृढ़, गौण, हीनताउपसर्ग
दुः, दुर्दुर्दुस् बुरा, कठिन, दृष्ट-हीनअनुक्रम, अनुशीलन, अनुचार, अनुगामी, अनुसार, अनुकरण, अनुवाद, अनुरूप, अनुचित आदि।
निभीतर, नीचे, बाहरनिकृष्ट, निपात, नियुक्त, निवास, निमग्न, निवारण, निषेध, निर्मल, निर्विकार आदि।
निस्बाहर, निषेधनिस्तेज, निःशंक, निस्सन्देह, निष्कलंक आदि।
परअनादर, नाश, विपरीत, पीछे, उलटापराजय, परिवर्तन, पराधीन, पराभव आदि।
परिअतिशय, चारों ओरपरिपूर्ण, परिच्छेद, परिवर्तन, परिक्रम आदि।
प्रयज्ञ, गति, उत्कर्ष, अतिशय, आगेप्रताप, प्रयत्न, प्रबल, प्रसिद्ध, प्रसन्न, प्रमाण, प्रयोग, प्रचार, प्रस्थान, प्रगति आदि।
प्रतिविरोध, हर एक, सामनेप्रतिपल, प्रत्येक, प्रतिदिन, प्रतिशोध, प्रतिकूल आदि।
विहीनता, भिन्नता, विशेषताविशेष, विज्ञ, वियोग, विमुख, विदेश, विभाग, विज्ञान आदि।
सम्पूर्णता, संयोग, अच्छासंकल्प, संग्रह, संयोग, संग्रह, सम्पत्ति, संहार आदि।
सुसुन्दर, सहन, अच्छा, सरलसुयश, सुकर्म, सुगम, सुकन्या, सुपुत्र आदि।

संस्कृत के कुछ अव्यय जो उपसर्ग की भाँति प्रयुक्त होते हैं; जैसे-

अव्ययअर्थउदाहरण
अधःनीचेअधःपतन, अधोगति, अधोलिखित।
अलम्बहुत, बसअलंकार, अलंकृत, अलंकरण।
अंतःभीतरअंतर्मन, अंतःकाल, अंतरात्मा, अंतर्धान।
चिर्बहुत देरचिरायु, चिरकाल, चिरपरिचित, चिरस्थायी।
तिरःनिषेधतिरोभाव, तिरोहित, तिरस्कार।
पुरापुराना, पहलेपुरातन, पुरातत्व।
पुनःफिरपुनरामगमन, पुनर्जन्म, पुनर्मिलन।
प्राक्पहलेप्रागैतिहासिक, प्राक्कथन।
बहिःबाहरबहिर्मुख, बहिर्गमन, बहिष्कार, बहिरंग।
सहसाथसहानुभूति, सहपाठी, सहकारी, सहयोग, सहोदर।

Hindi Vyakaran Pratyay HBSE

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

(ख) हिंदी के उपसर्ग: हिंदी के सामान्य उपसर्ग निम्नलिखित हैं-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग 1

Upsarg Aur Pratyay HBSE 9th Class

(ग) उर्दू (अरबी-फारसी) के उपसर्ग-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग 2

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

Upsarg Aur Pratyay Class 9th HBSE

(घ) अंग्रेज़ी के उपसर्ग-

उपसर्गअर्थउदाहरण
सबअधीन, नीचेसबजज, सब कमेटी।
डिप्टीसहायकडिप्टी मिनिस्टर, डिप्टी रजिस्ट्रार
चीफमुख्यचीफमिनिस्टर, चीफ ऑफ स्टाफ।
वाइसउपवाइस चांसलर, वाइस प्रिंसिपल।
जनरलमुख्यजनरल मैनेजर,जनरल सैक्रेटरी।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

प्रत्यय

Upsarg Pratyay Class 9th HBSE प्रश्न 1.
प्रत्यय किसे कहते हैं ? प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं ? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
अर्थवान शब्द के अंत में जोड़े जाने वाले वर्ण अथवा वर्ण-समूह को प्रत्यय कहते हैं अर्थात् प्रत्यय वह ध्वनि, अक्षर या शब्दांश है, जिसे धातु अथवा शब्द के अंत में लगाकर कोई रूप या शब्द बनाते हैं; जैसे मूर्ख + ता = मूर्खता; धीर + ता = धीरता; यहाँ ‘ता’ प्रत्यय है। घबरा + आहट = घबराहट; यहाँ आहट प्रत्यय है।
हिंदी भाषा में प्रयुक्त लगभग सभी प्रत्यय अपने हिंदी के ही हैं। प्रत्यय दो प्रकार के हैं-
(1) कृत प्रत्यय
(2) तद्धित प्रत्यय।

1. कृत प्रत्यय अथवा कृदंत प्रत्यय:
धातु (क्रिया के मूल रूप) के अंत में लगकर जो शब्दांश अनेक प्रकार के शब्द (क्रिया-रूप) बनाते हैं, उन्हें कृत अथवा कृदंत प्रत्यय कहा जाता है।
कृत प्रत्यय चार प्रकार के होते हैं-
(क) कर्तृवाचक कृत प्रत्यय,
(ख) कर्मवाचक कृत प्रत्यय,
(ग) भाववाचक कृत प्रत्यय तथा
(घ) क्रियावाचक (क्रियार्थक) कृत प्रत्यय।

Hindi Upsarg Class 9 HBSE

1. कृत प्रत्यय

(क) कर्तृवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय धातु कर्ता अर्थात् क्रिया के करने वाले की ओर संकेत करते हैं उन्हें कर्तवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। कुछ उदाहरण देखिए-
प्रत्यय – उदाहरण
दार – देनदार, लेनदार, धारदार।
हार – होनहार, पालनहार, उतारनहार, खेवनहार।
वाला – बचानेवाला, खानेवाला, रखवाला।
आलू – झगड़ालू, कृपालू, लज्जालू।
ऐया – बजैया, खवैया, बचैया।
आऊ – बिकाऊ, टिकाऊ, टकराऊ, कमाऊ।
अक्कड़ – भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़।
अक – धावक, चालक, पालक, धारक, मारक।
आक – तैराक, चालाक।

(ख) कर्मवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय कर्मवाचक शब्दों की रचना में सहायक होते हैं, उन्हें कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
ना – पालना, ओढ़ना, नाना, पढ़ना, तैरना, बुलाना।
नी – ओढ़नी, बिछौनी, सुंघनी, कहानी।
औना – बिछौना, खिलौना।
न – झाड़न, बेलन, कतरन।

(ग) भाववाचक कृत प्रत्यय वे कृत प्रत्यय जो भाववाचक संज्ञाओं की रचना करते हैं, भाववाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
आई – लिखाई, सिखलाई, सिलाई, कढ़ाई, पढ़ाई, लड़ाई आदि।
आहट – घबराहट, चिल्लाहट, जगमगाहट, गर्माहट आदि।
आव – चढ़ाव, उतराव, बनाव, बचाव आदि।
आवा – बुलावा, चढ़ावा, पहनावा आदि।
आन – थकान, उड़ान, उठान आदि।
आस – विश्वास, प्यास, हास आदि।

(घ) क्रियावाचक कृत प्रत्यय-जो प्रत्यय क्रिया शब्द बनाते हैं, उन्हें क्रियावाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
ता, ते, ती – आता, जाता, जाते, आते, खाती।
आ, ए, या – उठा, चला, गया, आया, गए आदि।
ई – गायी, खाई, पी, गई आदि।

Class 9th Upsarg Pratyay HBSE

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

2. तद्धित प्रत्यय

प्रश्न 2.
तद्धित प्रत्यय की परिभाषा देते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जो क्रिया के अतिरिक्त शेष सभी प्रकार के शब्दों-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण आदि के अंत में लगकर अनेक प्रकार के शब्द बनाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
तद्धित प्रत्यय सात प्रकार के होते हैं-
(1) भाववाचक तद्धित प्रत्यय
(2) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
(3) स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय
(4) बहुवचनवाचक तद्धित प्रत्यय
(5) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
(6) लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय
(7) क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय।

(1) भाववाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों से भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण होता है, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
ता – मनुष्यता, मूर्खता, सरलता, लघुता, प्रभुता आदि।
त्व – गुरुत्व, महत्व, पुरुषत्व, अपनत्व आदि।
पन – बचपन, लड़कपन, पतलापन, पीलापन, बड़प्पन आदि।
आहट – चिकनाहट, चिल्लाहट, गर्माहट आदि।

(2) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के सहयोग से कर्ता की ओर संकेत करने वाले शब्द का निर्माण हो, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
दार – ईमानदार, कर्जदार, समझदार आदि।
आर – सुनार, लुहार, चमार आदि।
आरी – भिखारी, पुजारी, जुआरी, पंसारी आदि।
वाहा – चरवाहा, हलवाहा आदि।
ई – संयमी, ज्ञानी, तेली, कामी आदि।
कार – नाटककार, स्वर्णकार, साहित्यकार, पत्रकार, कहानीकार आदि।
अक – अध्यापक, शिक्षक, पाठक, लेखक।

(3) स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्त्रीलिंग शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
आ – छात्रा, शिष्या, दुहिता, अध्यापिका, बाला आदि।
ई – देवी, नारी, चाची, नानी, बेटी।
आनी – देवरानी, नौकरानी, जेठानी, इन्द्राणी आदि।
नी – पत्नी, शेरनी, मोरनी, सिंहनी, राजपूतनी आदि।
षी – विदुषी, महिषी।
मती – श्रीमती, बुद्धिमती, धीमती आदि।
इन – धोबिन, लुहारिन, सुहागिन आदि ।

(4). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के योग से गुणवाचक विशेषण शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ई – धनी, मानी, ज्ञानी, सुखी, दुःखी, पंजाबी, हिमाचली, गुलाबी।
ईन – गमगीन, शौकीन, रंगीन, नमकीन।
मंद – अक्लमंद, फायदेमंद।
दार – दुकानदार, हवलदार, ज़मींदार, सरदार।
इया – अमृतसरिया, लाहौरिया, जालंधरिया।
ईला – रंगीला, सजीला, रसीला, ज़हरीला।
ऊ – पेटू, बाज़ारू, बाबू, गंवारू।
आना – ज़माना, मर्दाना, सालाना, फुसलाना, बहलाना।
ऐरा – सपेरा, बहुतेरा, ममेरा, चचेरा, फुफेरा, लुटेरा।
अवी – हरियाणवी, देहलवी, लखनवी।
आलु – दयालु, कृपालु।
इक – राजनीतिक, शारीरिक, साहित्यिक, वैदिक।
इय – राष्ट्रीय, स्थानीय, देशीय, पर्वतीय।
वान् – धनवान्, गुणवान्, विद्वान्।
मान् – बुद्धिमान्, शक्तिमान्।
आ – भूखा, प्यासा।
हला – रूपहला, सुनहला।
इमा – नीलिमा, हरितिमा।

(5) बहुवचनवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से एकवचन शब्द बहुवचन में बदल जाता है, उसे बहुवचन तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ए – लड़के, रुपए, कमरे, उठे, घोड़े, मोटे आदि।
एँ – कन्याएँ, बहुएँ, सड़कें, भाषाएँ आदि।

(6) लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्द में लघुता का बोध होने लगे, उन्हें लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ई – पहाड़ी, बछड़ी, टुकड़ी आदि।
ड़ी – संदुकड़ी, टुकड़ी, गठड़ी, पंखुड़ी आदि।

(7) क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों में क्रम का ज्ञान हो, उन्हें क्रम बोध तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

गुना – चारगुना, छहगुना, दुगुना आदि।
वाँ – बीसवाँ, पाँचवाँ, आठवाँ आदि।
सरा – दूसरा, तीसरा आदि।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कोई पाँच ऐसे शब्द लिखो जिनमें दो-दो उपसर्गों का प्रयोग किया गया हो।
उत्तर:
(1) सु + प्रति = सुप्रतिष्ठित।
(2) सु + सम् = सुसंगठित।
(3) अन् + अव = अनवधान।
(4) अ + सु = असुरक्षित।
(5) अ + स = असफल।

प्रश्न 2.
दस ऐसे शब्द लिखिए जिनका निर्माण उपसर्ग और प्रत्यय दोनों की सहायता से किया गया हो।
उत्तर:
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय 3

प्रश्न 3.
भाववाचक कृत प्रत्यय और भाववाचक तद्धित प्रत्यय में क्या अंतर है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
जो कृत प्रत्यय क्रियाओं के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं, उन्हें भाववाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे लिख से लिखाई, पढ़ से पढ़ाई जबकि भाववाचक तद्धित प्रत्यय संज्ञा विशेषण आदि शब्दों के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण करते हैं; जैसे मनुष्य से मनुष्यता, बच्चा से बचपन, पीला से पीलापन आदि।

प्रश्न 4.
तद्धित प्रत्यय और कृत प्रत्यय का अंतर स्पष्ट करते हुए दोनों के चार-चार उदाहरण लिखो।
उत्तर:
कृत प्रत्यय क्रियाओं के साथ जुड़कर शब्दों का निर्माण करते हैं, जबकि तद्धित प्रत्यय क्रियाओं के अतिरिक्त अन्य सभी शब्दों या शब्दांशों के साथ जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं। अग्रलिखित उदाहरणों से दोनों का अंतर और भी स्पष्ट हो जाएगा-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय 4

प्रश्न 5.
कर्मवाचक और कर्तवाचक प्रत्यय में क्या अंतर है ? उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो प्रत्यय धातुओं के अंत में जुड़कर कर्म के अर्थ को प्रकट करे; कर्मवाच्य प्रत्यय कहलाता है। जैसे ओना से बिछौना। किन्तु कर्तृवाचक प्रत्यय धातु के पहले जुड़कर क्रिया के कर्ता का अर्थ प्रकट करता है; जैसे अक से पाठक, ता से वक्ता आदि।

प्रश्न 6.
‘कृदंत’ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
धातुओं के आगे कृत प्रत्यय लगने से जो शब्द बनते हैं, उन्हें कृदंत शब्द कहते हैं; जैसे भूत धातु में ‘अक्कड़’ प्रत्यय लगाकर भुलक्कड़ शब्द बनता है। ‘तैर’ से तैरना बनता है। ये शब्द कृदंत कहलाते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय बताओपाठक, कलाकार, धनवान्, घरवाला, कामगार, रसोइया, ममेरा, धार्मिक, खटास, लघुता।
उत्तर:
पाठक = पाठ + अक
धनवान् = धन + वान
कलाकार = कला + कार
घरवाला = घर + वाला
कामगार = काम + गा
रसोइया = रसोइ + या
ममेरा = मम + एरा
धार्मिक = धर्म + इक
खटास = खटा + आस
लघुता = लघु + ता

प्रश्न 8.
कोई पाँच ऐसे शब्द लिखो जो उर्दू उपसर्गों के योग से बने हों।
उत्तर:
कम + जोर = कमजोर
दर + असल = दरअसल
बद + तमीज = बद्तमीज
ला + जवाब = लाजवाब
हम + शक्ल = हमशक्ल

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Samas-Prakaran समास-प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

समास-प्रकरण

वर्गों के मेल से जहाँ संधि होती है, वहाँ शब्दों के मेल से समास बनता है। अन्य शब्दों में, दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से जो एक नया स्वतंत्र पद बनता है, उसे समास कहते हैं।

परिभाषा:
आपस में संबंध रखने वाले दो शब्दों के मेल को समास कहते हैं; जैसे राजा का महल = राजमहल । विधि के अनुसार = यथाविधि। समास करते समय परस्पर संबंध दिखाने वाले विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है; जैसे ‘गंगा का जल’ = गंगाजल में का विभक्ति का लोप हो गया।

Samas In Hindi Class 9 HBSE प्रश्न 1.
‘समास-विग्रह’, किसे कहते हैं?
उत्तर:
समस्त पद या सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है। यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार। तुलसीकृत = तुलसी के द्वारा कृत।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

समास Class 9 HBSE प्रश्न 2.
समास के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
समास के निम्नलिखित चार भेद होते हैं-
(1) अव्ययीभाव समास
(2) तत्पुरुष समास
(3) द्वंद्व समास
(4) बहुब्रीहि समास।

1. अव्ययीभाव समास

Samas Class 9 HBSE प्रश्न 1.
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में पहला पद अव्यय हो तथा दूसरे शब्द से मिलकर पूरे समस्त पद को ही अव्यय बना दे, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं; जैसे-
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
रातों-रात – रात ही रात में
यथाविधि – विधि के अनुसार
घर-घर – घर ही घर
यथामति – मति के अनुसार
द्वार-द्वार – द्वार ही द्वार
हरसाल – साल-साल
मन-मन – मन ही मन
हररोज – रोज-रोज
बीचों-बीच – बीच ही बीच
बेकाम – काम के बिना
दिनों-दिन – दिन ही दिन
बेशक – शक के बिना
धीरे-धीरे – धीरे ही धीरे
बेमतलब – मतलब के बिना
आजन्म – जन्म-पर्यन्त
निडर – बिना डर के
आजीवन – जीवन पर्यन्त

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

2. तत्पुरुष समास

Class 9 Hindi Vyakaran Samas HBSE प्रश्न 1.
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? इसके कितने भेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में कर्ता और संबोधन कारकों को छोड़कर शेष सभी कारकों के विभक्ति चिह्न लुप्त हो जाते हैं। जिस कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है, उसी के नाम पर तत्पुरुष समास का नामकरण होता है। विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष के छह उपभेद होते हैं; जैसे-
(i) कर्म तत्पुरुष
(ii) करण तत्पुरुष
(iii) संप्रदान तत्पुरुष
(iv) अपादान तत्पुरुष
(v) संबंध तत्पुरुष
(vi) अधिकरण तत्पुरुष।

(i) कर्म तत्पुरुष:
जिस समास में दो शब्दों के मध्य से कर्म-विभक्ति के चिह्नों का लोप होता है, उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे परलोकगमन-परलोक को गमन, ग्रामगत ग्राम को (गमन) गत, शरणागत-शरण को आगत (आया हुआ) आदि।

(ii) करण तत्पुरुष-जिस समास में करण कारक का लोप हो, उसे ‘करण तत्पुरुष’ समास कहते हैं; जैसे-
रेखांकित – रेखा से अंकित
दईमारा – देव से मारा
तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत
मुंहमांगा – मुँह से माँगा
हस्तलिखित – हाथ से लिखित
हृदयहीन – हृदय से हीन
रेलयात्रा – रेल द्वारा यात्रा
गुणयुक्त – गुणों से युक्त
मदांध – मद से अंध
मनमानी – मन से मानी

(iii) संप्रदान तत्पुरुष-जब समास करते समय संप्रदान कारक चिह्न ‘के लिए’ का लोप हो तो वह ‘संप्रदान तत्पुरुष’ कहलाता है; जैसे-
हथकड़ी – हाथों के लिए कड़ी
राज्यलिप्सा – राज्य के लिए लिप्सा
क्रीडाक्षेत्र – क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
पाठशाला – पाठ के लिए शाला
रसोईघर – रसोई के लिए घर
मालगोदाम – माल के लिए गोदाम
सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह
राहखर्च – राह के लिए खर्च
देशार्पण – देश के लिए अर्पण
युद्धभूमि – युद्ध के लिए भूमि

(iv) अपादान तत्पुरुष-जिस समास में अपादान कारक चिह्नों ‘से’ (जुदाई) का लोप हो तो उसे ‘अपादान तत्पुरुष समास’ कहते हैं; जैसे-
ऋणमुक्त – ऋण से मुक्त
देशनिकाला – देश से निकाला
भयभीत – भय से भीत
गुणहीन – गुण से हीन
पथभ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट
धनहीन – धन से हीन
धर्मविमुख – धर्म से विमुख
जन्मांध – जन्म से अंधा

(v) संबंध तत्पुरुष-समास करते समय जब संबंध कारक चिह्नों (का, के, की आदि) का लोप हो तो वहाँ ‘संबंध तत्पुरुष समास’ होता है; जैसे-
विश्वासपात्र – विश्वास का पात्र
राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति
घुड़दौड़ – घोड़ों की दौड़
जन्मभूमि – जन्म की भूमि
माखनचोर – माखन का चोर
राजपुत्र – राजा का पुत्र
रामकहानी – राम की कहानी
राजसभा – राजा की सभा
राजकन्या – राजा की कन्या
रामदरबार – राम का दरबार
बैलगाड़ी – बैलों की गाड़ी
शासनपद्धति – शासन की पद्धति
सेनापति – सेना का पति
पनचक्की – पानी की चक्की

(vi) अधिकरण तत्पुरुष-जिस समास में अधिकरण कारक के विभक्ति चिह्नों का लोप किया जाता है, उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-
आपबीती – अपने पर बीती
घुड़सवार – घोड़े पर सवार
सिरदर्द – सिर में दर्द
रसमग्न – रस में मग्न
शरणागत – शरण में आगत
धर्मवीर – धर्म में वीर
दानवीर – दान में वीर
व्यवहारकुशल – व्यवहार में कुशल

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद

Hindi Samas Class 9 HBSE प्रश्न 1.
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद निम्नलिखित हैं-
(1) नञ् तत्पुरुष
(2) अलुक् तत्पुरुष
(3) उपपद तत्पुरुष
(4) कर्मधारय तत्पुरुष
(5) द्विगु तत्पुरुष ।

(क) नञ् तत्पुरुष

Class 9 Vyakaran Samas HBSE प्रश्न 2.
नञ् तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब अभाव अथवा निषेध अर्थ को व्यक्त करने के लिए व्यंजन से पूर्व ‘अ’ तथा स्वर से पूर्व ‘अन्’ लगाकर समास बनाया जाता है तो उसे नञ् तत्पुरुष समास का नाम दिया जाता है; जैसे-
अहित – न हित
अस्थिर – न स्थिर
अपूर्ण – न पूर्ण
अनादि – न आदि
अनागत – न आगत
अज्ञान – न ज्ञान
अभाव – न भाव
अन्याय – न न्याय
असंभव – न संभव
अधर्म – न धर्म
अनंत – न अंत
अकर्मण्य – न कर्मण्य

(ख) अलुक् तत्पुरुष

Samas Prakaran HBSE प्रश्न 3.
अलुक् तत्पुरुष समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
अलुक् का अर्थ है लोप न होना। संस्कृत में कुछ विशेष नियमों के अनुसार कुछ ऐसे शब्द हैं जिनमें तत्पुरुष समास होते हुए भी दोनों शब्दों के मध्य की विभक्ति का लोप नहीं होता, ऐसे शब्दों को अलुक् समास माना जाता है। ये सभी शब्द संस्कृत के हैं और हिंदी भाषा में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
मनसिज (काम-भावना) – मन में उत्पन्न
मृत्युंजय (शिव) – मृत्यु को जीतने वाला
वाचस्पति (विद्वान) – वाच (वाणी) का पति
खेचर (पक्षी) – आकाश में विचरने वाला
युधिष्ठिर – युद्ध में स्थिर

(ग) उपपद तत्पुरुष

समास प्रकरण HBSE प्रश्न 4.
उपपद समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद के दोनों शब्दों अथवा पदों के मध्य में से कोई पद लुप्त हो, उसे उपपद समास कहते हैं; जैसे-
रेलगाड़ी – रेल पर चलने वाली गाड़ी
बैलगाड़ी – बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी
पनचक्की – पानी से चलने वाली चक्की
गोबर-गणेश – गोबर से बना गणेश
दही बड़ा – दही में डूबा हुआ बड़ा
पर्ण-कुटीर – पर्ण से बना कुटीर

(घ) कर्मधारय तत्पुरुष

Samas Class 9th HBSE प्रश्न 5.
कर्मधारय तत्पुरुष समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
कर्मधारय तत्पुरुष, तत्पुरुष समास का ही एक भेद है। जिस समास में उत्तर पद प्रधान हो किंतु पूर्व पद एवं उत्तर पद में उपमान-उपमेय या विशेषण-विशेष्य का संबंध हो, उसे कर्मधारय तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-
उपमान-उपमेय संबंध वाले उदाहरण-
चंद्रमुख – चंद्रमा के समान मुख
चरण कमल – कमल के समान चरण
मुखचंद्र – मुख रूपी चंद्र
कर कमल – कमल के समान कर
देहलता – देह रूपी लता
नरसिंह – सिंह के समान है जो नर
कनकलता – कनक की-सी लता
कमल नयन – कमल के समान नयन

विशेषण-विशेष्य संबंध के उदाहरण-
नीलगाय – नीली है जो गाय
पीतांबर – पीत (पीला) अंबर
नीलगगन – नीला है जो गगन
काली मिर्च – काली है जो मिर्च
नीलकमल – नीला है जो कमल
नरोत्तम – नर में (जो) उत्तम

(ङ) द्विगु

Class 9th Hindi Samas HBSE प्रश्न 6.
द्विगु समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
द्विगु समास वस्तुतः कर्मधारय समास का ही एक भेद है। इसमें पूर्व पद संख्यावाची होता है और दोनों में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है। यह समास समूहवाची भी होता है; जैसे-
त्रिलोकी – तीनों लोकों का स्वामी
चौराहा – चार राहों का समाहार
दोपहर – दो पहरों का समाहार
नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
चौमासा – चार मासों का समाहार
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
नवरात्र – नौ रात्रियों का समाहार
अठन्नी – आठ आनों का समूह
शताब्दी – शत् (सौ) अब्दों (वर्षों) का समाहार
त्रिभुवन – तीन भवनों का समूह
पंचवटी – पाँच वटों का समाहार
पंचमढ़ी – पाँच मढ़ियों का समूह

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

3. द्वंद्व समास

प्रश्न 7.
द्वंद्व समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। समास बनाते समय ‘तथा’ या ‘और’ समुच्चयबोधक शब्दों का लोप हो जाता है; जैसे
गंगा-यमुना – गंगा और यमुना
रात-दिन – रात और दिन
जल-थल – जल और थल
गुण-दोष – गुण और दोष
माता-पिता – माता और पिता
नर-नारी – नर और नारी
धनी-मानी – धनी और मानी
दाल-रोटी – दाल और रोटी
तीन-चार – तीन और चार
घी-शक्कर – घी और शक्कर
छात्र-छात्राएँ – छात्र और छात्राएँ
राजा-रंक – राजा और रंक
पृथ्वी-आकाश – पृथ्वी और आकाश
बच्चे-बूढ़े – बच्चे और बूढ़े

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

4. बहुब्रीहि समास

प्रश्न 8.
बहुब्रीहि समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जब समस्त पद के दोनों पदों में से कोई भी पद प्रधान न हो तथा कोई बाहर का पद प्रधान हो तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। बहुब्रीहि समास का समस्त पद अन्य पद के लिए विशेषण का कार्य करता है; जैसे-
बारहसिंगा – बारह सींगों वाला
चतुर्भुज – चार भुजाओं वाला
महात्मा – महान आत्मा वाला
पतझड़ – जिसमें पत्ते झड़ जाते हैं
गिरिधर – गिरि को धारण करने वाला
पतिव्रता – एक पति का व्रत लेने वाली
दशानन – दस हैं आनन जिसके (रावण)
विशाल हृदय – विशाल है हृदय जिसका
जितेंद्रिय – इंद्रियों को जीतने वाला
कनफटा – फटे कानों वाला
चंद्रमुखी – चंद्र जैसे मुख वाली
पीतांबर – पीले हैं अंबर जिसके (श्रीकृष्ण)
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका (शिव)
सुलोचना – सुंदर हैं लोचन जिसके (स्त्री विशेष)
चक्रपाणि – चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके (विष्णु)
लंबोदर – लंबे उदर वाला (गणेश जी)
दुरात्मा – दुष्ट (बुरी) आत्मा वाला
धर्मात्मा – धर्म में आत्मा लीन है जिसकी

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण

परीक्षोपयोगी कुछ महत्त्वपूर्ण समास

निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखें-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण 1
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण 2
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण 3

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sarvanam सर्वनाम Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

सर्वनाम

Pronoun Class 9 HBSE प्रश्न 1.
सर्वनाम की परिभाषा देते हुए उसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ है-सब का नाम। व्याकरण में सर्वनाम ऐसे शब्दों को कहते हैं, जिनका प्रयोग सबके लिए (नामों) किया जाए। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं; जैसेमैं, हम, तू, तुम, वह, वे आदि।

सर्वनाम का भाषा में बहुत महत्त्व है। सर्वनाम के प्रयोग के द्वारा भाषा की सरलता एवं सुंदरता में वृद्धि होती है। भाषा में पुनरावृत्ति के दोष को सर्वनाम के प्रयोग द्वारा दूर किया जा सकता है; यथा-
राम सुबह शीघ्र उठता है। राम स्कूल समय पर जाता है। राम कल रोहतक गया था।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘राम’ शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है जो उपयुक्त नहीं है। अतः ‘राम’ के स्थान पर उसके सर्वनाम का प्रयोग करने पर भाषा में सरलता एवं शुद्धता की अभिवृद्धि होगी; यथा-
राम सुबह शीघ्र उठता है। वह स्कूल समय पर जाता है। वह आज रोहतक गया है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

Types Of Pronoun Class 9 HBSE प्रश्न 2.
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
सर्वनाम के छह भेद माने जाते हैं। जो इस प्रकार हैं
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम,
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम,
(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम,
(4) संबंधवाचक सर्वनाम,
(5) प्रश्नवाचक सर्वनाम,
(6) निजवाचक सर्वनाम।
1. पुरुषवाचक सर्वनाम:
बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिनके विषय में कुछ कहा जाए, वे सर्वनाम पुरुषवाचक होते हैं; जैसे मैं, तुम, वह आदि। ये सर्वनाम (नर एवं नारी) पुरुष के लिए प्रयुक्त होते हैं। इसलिए इन्हें पुरुषवाचक सर्वमान कहा जाता है। पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन उपभेद होते हैं
(i) उत्तम पुरुषवाचक-लेखक या वक्ता अपने लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे मैं, हम, मुझको, मेरा, हमारा आदि।
(ii) मध्यम पुरुषवाचक-पाठक या श्रोता के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाए, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे तुम, तुम्हारा, आप, आपका, तू आदि।
(iii) अन्य पुरुषवाचक-अपने तथा श्रोता के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं; यथा वह, वे, यह, ये, उनको, आदि।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम:
जिन सर्वनामों से किसी समीप या दूर के प्राणी अथवा पदार्थ का निश्चयात्मक संकेत मिलता है, उन्हें निश्चयवाचक सर्वमान कहते हैं; यथा यह, ये, वह, वे, इस, इन, इन्हें, इन्होंने आदि।
(क) निकटवर्ती यह, ये, इस, इन।
(ख) दूरवर्ती वह, वे।
उदाहरणार्थ-
(क) यह यहाँ खेल रहा है।
(ख) वह वहाँ चला गया।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम:
जिन सर्वनामों से किसी निश्चित पदार्थ या व्यक्ति का बोध न हो, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वमान कहते हैं; यथा कोई, कुछ, किसी, किन्हीं, कुछ भी, सब कुछ, कुछ-न-कुछ, हर कोई, कोई-न-कोई आदि। जैसे
(क) कल कोई आया था।
(ख) खाने के लिए कुछ दीजिए।

4. संबंधवाचक सर्वनाम:
जिन सर्वनामों से संज्ञा के संबंधों का बोध हो, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे जो, सो, जिसे, उसे आदि। उदाहरणार्थ निम्नांकित वाक्य देखिए
(क) जो परिश्रम करेगा सो फल भी पाएगा।
(ख) आप जो कहें ठीक है।
(ग) जिसकी लाठी उसकी भैंस।
(घ) यह वही है जिसने तुम्हारा पैन चुराया था।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम-जिन सर्वनामों से प्रश्नों का बोध हो, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे कौन, क्या, किन, किनसे, किन्हें आदि। उदाहरणार्थ ये वाक्य देखिए
(क) दरवाजे पर कौन है?
(ख) आप ने क्या माँगा है?
(ग) आपको किससे मिलना है?
(घ) ये पुस्तकें किन्हें चाहिएँ?

6. निजवाचक सर्वनाम जो सर्वनाम कर्ता के स्वयं के लिए प्रयुक्त हो, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं, जैसे अपना, अपने, अपनी आदि। उदाहरणार्थ ये वाक्य देखिए
(क) अपनी पुस्तक ले जा रहा हूँ।
(ख) हमें अपने देश के लिए कुछ करना चाहिए।
(ग) हमें अपना कर्तव्य कभी नहीं भूलना चाहिए।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

सर्वनाम की रूप-रचना

Sarvanam Exercise HBSE HBSE 9th Class प्रश्न 3.
सर्वनाम की रूप-रचना कितने प्रकार से होती है?
उत्तर:
सर्वनाम की रूप-रचना को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है
(1) पुरुषवाचक-मैं, तुम।
(2) निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक एवं संबंधवाचक।
(3) अनिश्चयवाचक।
(4) निजवाचक।

रूपावली वर्ग-1

(क) मैं (उत्तम पुरुष)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तामैं, मैंनेहम, हमने
करणमुझे, मुझकोहमें, हमको
संप्रदानमुझसेहमसे
अपादानमुझे, मेरे लिएहमें, हमारे लिए।
संबंधमुझसेहमसे
अधिकरणमेरा, मेरे, मेरीहमारा, हमारे, हमारी

(ख) तू (मध्यम पुरुष)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तातू, तूनेतुम, तुमने
करणतुझको, तुझेतुमको, तुम्हें
संप्रदानतुझको, तेरे द्वारातुमसे, तुम्हारे द्वारा
अपादानतुझको, तेरे लिए, तुझेतुझको, तुम्हारे लिए
संबंधतुझसेतुमसे, तुम्हें
अधिकरणतेरा, तेरी, तेरेतुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे

(ग) वह (अन्य पुरुष)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तावह, उससेवे, उन्होंने
करणउसे, उसकोउन्हें, उनको
संप्रदानउससे, उसके द्वाराउनसे, उनके द्वारा
अपादानउसको, उसे, उसके लिएउनको, उन्हें, उनके लिए
संबंधउससेउनसे
अधिकरणउसका, उसकी, उसकेउनका, उनकी, उनके

रूपावली वर्ग-2

निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक तथा संबंधवाचक
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम 1

रूपावली वर्ग-3

अनिश्चयवाचक

विभक्तिएकवचनबहुवचन
मूलकोईकोई
तिर्यक/संबंधवाचीकिसीकिन्हीं

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

रूपावली वर्ग-4

निजवाचक

विभक्तिएकवचनबहुवचन
मूल/तिर्यक/संबंधवाची(अपने) आप(अपने) आप

(नोट-कुछ का रूप वही रहता है।)

टिप्पणी:
(1) सर्वनाम में लिंग के अनुसार रूप में परिवर्तन नहीं होते। उदाहरणार्थ निम्नलिखित वाक्य देखिए(क) गाय भीतर आ गई, वह पौधे तोड़ देगी। (ख) गधा भीतर आ गया, वह पौधे तोड़ देगा। यहाँ दोनों वाक्यों में ‘वह’ सर्वनाम का प्रयोग हुआ है। लिंग का बोध क्रिया से होता है न कि सर्वनाम से।

(2) रूपावली के अनुसार उत्तम पुरुष एकवचन ‘मैं’ है किंतु कुछ स्थितियों में उत्तम पुरुष एकवचन अपने लिए ‘हम’ सर्वनाम का भी प्रयोग करता है। जैसे
(क) हम कल विद्यालय जाएँगे।
(ख) मैं कल विद्यालय जाऊँगा।

(3) रूपावली के अनुसार मध्यम पुरुष एकवचन ‘तू’ है किंतु कभी-कभी इसका विशेष प्रयोग प्यार-दुलार, अति आत्मीयता तथा कभी-कभी हीनता दिखाने के लिए भी किया जाता है।

(4) एकवचन ‘कुछ’ परिमाणबोधक है किंतु बहुवचन ‘कुछ’ संख्याबोधक है।

(5) मुझ, हम, तुझ, तुम, इस, इन, उस, उन, किस, किन में निश्चयार्थी ‘ई’ (ही) के योग से निश्चयार्थक रूप बन जाते हैं।
जैसे-
(क) मुझ को चार रुपए चाहिएँ।
(ख) उसी से मैं यह पुस्तक लाया हूँ।
(ग) रमेश उन्हीं का बेटा है।
(घ) मुझे तुम्हीं से मिलना है।

Hindi Vyakaran Sarvanam HBSE 9th Class

सर्वनामों के पुनरुक्ति रूप

कुछ सर्वनाम पुनरुक्ति के साथ प्रयोग में आते हैं। ऐसी स्थिति में उनके अर्थ में कुछ विशिष्टता उत्पन्न हो जाती है। कुछ सर्वनाम संयुक्त रूप में भी प्रयुक्त होते हैं। जैसे-जो, कोई आदि। सर्वनामों की पुनरुक्ति प्रयोगों के कुछ उदाहरण निम्नांकित हैं-
जो-जो-जो-जो – आए, उसे खिलाओ।
कोई-कोई-कोई-कोई – तो बिना बात ही बहस करते हैं।
क्या-क्या-आपने – वहाँ क्या-क्या देखा ?
कौन-कौन-कौन-कौन – आ रहा है?
किस-किस-किस-किस – कमरे में छात्र बीमार हैं?
कुछ-कुछ-अब कुछ-कुछ – याद आ रहा है।
कोई-न-कोई-जाओ, वहाँ कोई-न-कोई तो मिल ही जाएगा।
कुछ-न-कुछ-कुछ-न-कुछ – करते ही रहना चाहिए।
जो कोई-जो कोई आए, उसे रोक लो।
जो कुछ जो कुछ – मिले, रख लो।
अपना-अपना-अपना-अपना – बस्ता उठाओ और घर जाओ।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

Sarvanam In Hindi For Class 9 HBSE

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सर्वनामों की रचना कितने प्रकार से होती है ?
उत्तर:
सर्वनामों की रचना चार प्रकार से होती है
(1) पुरुषवाचक,
(2) निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक एवं सम्बन्धवाचक।
(3) अनिश्चयवाचक,
(4) निजवाचक।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश में से पुरुषवाचक सर्वनाम छाँटिए और उन्हें पुरुषवाचक के भेदों के अनुसार लिखिए
“मेरा बेटा अभी दिल्ली में है। उसका मकान बहुत बड़ा है। तुम दिल्ली जाना तो उससे जरूर मिलना। वह तुमसे मिलकर बहुत खुश होगा। मैं दिल्ली जाकर मोहन से मिला। उसने मुझे अपना घर दिखाया। उसकी पत्नी ने मुझसे पूछा, “नमस्ते, आप कैसे हैं ?” मोहन ने पूछा, “आप कौन-से कमरे में रहेंगे। घर में कुछ कमरे ही हवादार हैं।” मैंने कहा, “हमारा शहर छोटा है। हमारे घर में तो कोई भी कमरा हवादार नहीं है।”
उत्तर:

उत्तम पुरुषमध्यम पुरुषअन्य पुरुष
मैंतुमउससे
मुझेतुमसेवह
मुझसेआपउसने
मैंने।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों में क्रिया रूप को शुद्ध मानते हुए सही सर्वनामों का प्रयोग कीजिए
1. क्या तुम पत्र लिख चुके हैं ?
2. तू आज मेरे साथ फिल्म देखने चलो।
3. आप सब कुछ भूल चुका हूँ।
4. तू परीक्षा दे चुके हैं।
5. क्या आप दूध लाए हो ?
उत्तर:
1. क्या आप पत्र लिख चुके हैं ? अथवा क्या वे पत्र लिख चुके हैं ?
2. तुम आज मेरे साथ फिल्म देखने चलो।
3. मैं सब कुछ भूल चुका हूँ।
4. वे परीक्षा दे चुके हैं।
5. क्या तुम दूध लाए हो ?

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

प्रश्न 4.
‘आप’ शब्द का प्रयोग आदरार्थ मध्यम पुरुष और निजवाचक सर्वनाम में कीजिए।
उत्तर:
(1) आदरार्थ मध्यम पुरुष के रूप में
(क) भाई साहब, आप कुर्सी पर बैठिए।
(ख) आपने खाना नहीं खाया ?

(2) निजवाचक सर्वनाम के रूप में
(क) मैं अपना सामान आप उठा सकता हूँ।
(ख) वह अपना काम आप कर लेगा।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों में उचित सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कीजिए
श्रीमान जी, …………. बड़ी दूर से ……….. पास पढ़ने आया हूँ। ………… भी …………. का शिष्य बनना चाहता हूँ। ………….. मेरे मित्र ने आपके पास भेजा है। ………….. दस वर्ष तक …………… से शिक्षा ग्रहण की है। …………… आपकी बहुत प्रशंसा करता है। कृपया …….. शरण में ले लें।
उत्तर:
श्रीमान जी, मैं बड़ी दूर से आपके पास पढ़ने आया हूँ। मैं भी आप का शिष्य बनना चाहता हूँ। मुझे मेरे मित्र ने आपके पास भेजा है। उसने दस वर्ष तक आप से शिक्षा ग्रहण की है। वह आपकी बहुत प्रशंसा करता है। कृपया मुझे शरण में ले लें।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त सर्वनामों को छाँटकर लिखिए-
1. बाज़ार से कुछ लाओ।
2. रास्ते में महात्मा जी मिल गए थे; उनसे बातचीत होती रही।
3. किताब खुली पड़ी है; इसे उठाओ।
4. जिसकी लाठी उसकी भैंस।
5. हमारे विद्यालय में पचास अध्यापक हैं।
6. जिसने बच्चे को डूबने से बचाया है उसे इनाम मिलेगा।
7. इस कमरे में किसका सामान पड़ा है।
8. आज राम की माता जी आई हैं, मैंने उन्हें प्रणाम किया।
9. पानी में क्या पड़ गया?
10. तुम्हारे पास कितनी पुस्तकें हैं?
उत्तर:
1. कुछ
2. उनसे
3. इसे
4. जिसकी, उसकी
5. हमारे
6. जिसने, उसे
7. किसका
8. मैंने
9. क्या
10. तुम्हारे, कितनी।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वाक्य प्रकरण

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vakya Prakaran वाक्य प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran वाक्य प्रकरण

वाक्य प्रकरण

Vakya Prakaran HBSE 9th Class प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर:
शब्दों के सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं अर्थात् एक विचार को पूर्ण रूप से प्रकट करने वाले शब्द-समूह को वाक्य कहते हैं; जैसे-दशरथ पुत्र राम ने रावण को मारा।

वाक्य प्रकरण HBSE 9th Class प्रश्न 2.
वाक्य के अंग अथवा घटक किन्हें कहा जाता है? ये कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जिन अवयवों को मिलाकर वाक्य की रचना होती है, उन्हें वाक्य के अंग. कहा जाता है। वाक्य के प्रमुख रूप से दो ही अंग होते हैं कर्ता तथा क्रिया। इन दोनों के बिना वाक्य की रचना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त वाक्य के अन्य अंग विशेषण, क्रियाविशेषण, कारक आदि होते हैं, परंतु इन्हें इच्छानुसार प्रयोग किया जाता है।

कर्ता और क्रिया के अनुसार वाक्य को दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(क) उद्देश्य (कता)
(ख) विधेय (क्रिया)।
(क) उद्देश्य: वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा या बताया जाए, उसे उद्देश्य कहते हैं; जैसे सुमन अध्यापिका है। इस वाक्य में ‘सुमन’ उद्देश्य है।

(ख) विधेय: वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए, उसे विधेय कहते हैं; जैसे-काले-काले बादल गरजते हैं। इस वाक्य में ‘गरजते हैं विधेय है। वाक्य में कर्ता को अलग करके जो कुछ शेष रह जाता है, वह विधेय कहलाता है।

Vakya Rachna Class 9 HBSE प्रश्न 3.
रचना की दृष्टि से वाक्य के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन प्रकार होते हैं-
(i) सरल वाक्य,
(ii) संयुक्त वाक्य,
(iii) मिश्र वाक्य।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वाक्य प्रकरण

प्रश्न 4.
सरल वाक्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जिस वाक्य में एक उद्देश्य तथा एक विधेय हो, उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं। इस प्रकार के वाक्य में एक मुख्य क्रिया होती है; जैसे-
पानी बरस रहा है।
मीरा पत्र लिख रही है।
मैं कल दिल्ली गया था।
परिश्रम करने वाले छात्र सदा सफल रहते हैं।
लड़के कक्षा में पढ़ रहे हैं।

प्रश्न 5.
संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य स्वतंत्र होते हुए भी किसी योजक के द्वारा जुड़े हों, उन्हें संयुक्त वाक्य कहा जाता है; जैसे-
मैं पढ़ रहा हूँ और तुम खेल रहे हो।
आप चाय लेंगे अथवा आपके लिए ठंडा मँगवाऊँ।
वर्षा हो रही है और धूप निकली हुई है।
मैं बीमार हूँ इसलिए स्कूल नहीं जा सकता।
सत्य बोलो परंतु कटु सत्य मत बोलो।

प्रश्न 6.
मिश्र वाक्य किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहा जाता है; जैसे-
मीनू ने कहा कि वह दिल्ली जा रही है।
जैसे ही मैं स्टेशन पहुँचा, गाड़ी आ गई।
जो मेहनत नहीं करता, वह असफल रहता है।
रुचि ने कहा कि वह जा रही है।
विकास फेल हो गया क्योंकि वह बीमार हो गया था।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर प्रकार का नाम लिखें।
1. जो व्यक्ति परिश्रम करता है, उसे सफलता मिलती है। (मिश्र वाक्य)
2. तुम बाज़ार गए और वह घर आ गया। (संयुक्त वाक्य)
3. जो जैसा करेगा, वह वैसा भरेगा। (मिश्र वाक्य)
4. जब वर्षा होती है, तो मोर नाचते हैं। (मिश्र वाक्य)
5. शिक्षक कक्षा में आए और उन्होंने छात्र को पीटा। (संयुक्त वाक्य)
6. जो जागता है, वह पाता है। (मिश्र वाक्य)
7. बुढ़िया चीख रही थी क्योंकि वह गिर गई थी। (संयुक्त वाक्य)
8. अनिल चिल्ला रहा था और रो रहा था। (संयुक्त वाक्य)
9. जो व्यक्ति पढ़ाई और खेलकूद में अच्छा होता है, वह जीवन में सफल रहता है। (मिश्र वाक्य)
10. मैं जानता हूँ कि तम क्या चाहते हो? (मिश्र वाक्य)
11. जैसा बोओगे, वैसा काटोगे। (मिश्र वाक्य)
12. मैं बीमार हूँ अतः स्कूल आने में असमर्थ हूँ। (संयुक्त वाक्य)
13. बादल आए और बरस कर चले गए। (संयुक्त वाक्य)
14. जहाँ कहीं पहले खेत थे, वहाँ अब भवन बन गए हैं। (मिश्र वाक्य)
15. वह मेरे सामने नहीं आता क्योंकि उसने मेरे पैसे वापस लौटाने हैं। (मिश्र वाक्य)
16. सोमवार को परीक्षा है अतः स्कूल जल्दी जाना होगा। (संयुक्त वाक्य)
17. मैंने उसे बहुत समझाया, पर वह फिर भी नहीं माना। (मिश्र वाक्य)
18. जो तोता पिंजरे में है, वह दाल खा रहा है। (मिश्र वाक्य)
19. वह बूढ़ा उठा और लाठी उठाकर चला गया। (संयुक्त वाक्य)
20. ज्यों ही घंटी बजी, छात्र कक्षाओं से बाहर आ गए। (मिश्र वाक्य)
21. आज नकद ले जाइए और कल उधार ले जाइए। (संयुक्त वाक्य)
22. जल्दी चलो अन्यथा गाड़ी निकल जाएगी। (संयुक्त वाक्य)
23. मैं स्कूल जाऊँगा परंतु पैदल नहीं जाऊँगा। (संयुक्त वाक्य)
24. जहाँ तक दृष्टि जाती है, वहाँ पेड़-ही-पेड़ दिखाई देते हैं। (मिश्र वाक्य)
25. अभी मैं स्कूल जाऊँगा और वहीं से बाज़ार चला जाऊँगा। (संयुक्त वाक्य)
26. जब मेरा गीत समाप्त हुआ, ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ बज उठीं। (मिश्र वाक्य)
27. दिन-भर मेहनत करने वालों को सोच-समझकर खर्च करना चाहिए। (मिश्र वाक्य)
28. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत गरीब था। (मिश्र वाक्य)
29. चोर कमरे में चोरी करता रहा और मालिक सोता रहा। (संयुक्त वाक्य)
30. वह घर आया था परंतु उसने कुछ नहीं कहा। (संयुक्त वाक्य)

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वाक्य प्रकरण

प्रश्न 8.
निर्देशानुसार वाक्यों में उचित परिवर्तन करें

1. वह स्कूल जाते ही पढ़ने लग गया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जैसे ही वह स्कूल गया, पढ़ने लग गया।

2. परिश्रमी छात्र सबको अच्छे लगते हैं। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जो छात्र परिश्रमी होते हैं, वे सबको अच्छे लगते हैं।

3. राष्ट्रगान के शुरू होते ही सब लोग खड़े हो गए। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
राष्ट्रगान शुरू हुआ और सब लोग खड़े हो गए।

4. सुषमा बीमार होने के कारण आज स्कूल नहीं आई। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
सुषमा बीमार है अतः वह आज स्कूल नहीं आई।

5. मेरे बोलने पर भी उसका व्यवहार पूर्ववत् रहा। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
यद्यपि मैं बोलता रहा परंतु उसका व्यवहार पूर्ववत् रहा।

6. रमेश के आते ही मोहन चल दिया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जैसे ही रमेश आया, मोहन चल दिया।

7. मैं तुम्हारे नए मित्र को जानता हूँ। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जो तुम्हारा नया मित्र है, उसे मैं जानता हूँ।

8. कंडक्टर के सीटी बजाते ही बस चल पड़ी। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
कंडक्टर ने सीटी बजाई और बस चल पड़ी।

9. सबह वाली बस पकड़कर शाम तक घर लौट आओ। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
सुबह वाली बस पकड़ो और शाम तक घर लौट आओ।

10. गाँव जाने पर वह बीमार हो गया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जब वह गाँव गया, तब वह बीमार हो गया।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वाक्य प्रकरण

11. सड़क पार कर रहा एक व्यक्ति बस से टकराकर मर गया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
एक व्यक्ति, जो सड़क पार कर रहा था, बस से टकराकर मर गया।

12. आप खाना खाकर आराम करें। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
आप खाना खाएँ और आराम करें।

13. अस्वस्थ होने के कारण वह आ नहीं सका। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
वह आ नहीं सका क्योंकि वह अस्वस्थ था।

14. अपराधी होने के कारण उसे सज़ा हुई। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
वह अपराधी है इसलिए उसे सज़ा हुई।

15. संन्यासी आशीर्वाद देकर लापता हो गया। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
संन्यासी ने आशीर्वाद दिया और लापता हो गया।

16. परिश्रम करने वाले सफल होंगे। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जो परिश्रम करेंगे, वे सफल होंगे।

17. घर जाने पर वह स्वस्थ हो गया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जैसे ही वह घर पहुँचा, स्वस्थ हो गया।

18. दिन-रात परिश्रम करने पर वह अपना स्वास्थ्य खो बैठा। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
उसने दिन-रात परिश्रम किया और अपना स्वास्थ्य खो बैठा।

19. अपने पिताजी के स्वास्थ्य के बारे में मुझे बताओ। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
मुझे बताओ कि तुम्हारे पिताजी का स्वास्थ्य कैसा है?

20. मुझे बस में एक दुबला-पतला व्यक्ति दिखाई दिया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
मैंने बस में एक व्यक्ति देखा, जो दुबला-पतला था।

21. वह नहाकर स्कूल चला गया। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
वह नहाया और स्कूल चला गया।

22. मैं अधिक पके फल नहीं खाता हूँ। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
मैं उन फलों को नहीं खाता, जो अधिक पके होते हैं।

23. वर्षा के बंद होते ही हम बाज़ार चले गए। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
वर्षा बंद हुई और हम बाज़ार चले गए।

24. मैं चाहते हुए भी न आ सका। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
मैं आना चाहता था, लेकिन न आ सका।

25. पुत्र को देखते ही माता गद्गद् हो गई। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
ज्यों ही माता ने पुत्र को देखा, वह गद्गद् हो गई।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वाक्य प्रकरण

26. मेरा काला घोड़ा तेज़ भागता है। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
मेरा जो घोड़ा काला है, वह तेज़ भागता है।

27. कठोर बनकर भी सहृदय रहो। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
कठोर बनो परंतु सहृदय रहो।

28. मोहित या सोहित में से कोई एक नौकरी करेगा। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
मोहित नौकरी करेगा अथवा सोहित नौकरी करेगा।

29. पिताजी ने माँ से मंदिर चलने के लिए कहा। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
पिताजी ने माँ से कहा कि वे मंदिर चलें।

30. मेरे स्टेशन पहुंचने से पहले ही गाड़ी निकल चुकी थी। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जब मैं स्टेशन पहुँचा, गाड़ी निकल चुकी थी।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sangya संज्ञा Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

विकारी

जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल, वाच्य आदि के कारण परिवर्तन होता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि विकारी शब्द हैं क्योंकि इनके मूल रूप में लिंग, वचन और कारक के कारण परिवर्तन आ जाता है।

संज्ञा

संज्ञा के विकार Class 9 HBSE Hindi प्रश्न 1.
संज्ञा की परिभाषा देते हुए उसके भेदों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है-नाम। यह नाम किसी भी वस्तु, व्यक्ति, प्राणी या भाव का हो सकता है। अतः संज्ञा की परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है-किसी वस्त, स्थान, प्राणी या भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों को ‘संज्ञा’ कहते हैं; जैसे राम, मोहन, हिमालय, गुलाब, लड़का, मनुष्य, गाय, प्रेम, ऊँचा आदि।

संज्ञा के तीन भेद हैं-
(1) जातिवाचक
(2) व्यक्तिवाचक
(3) भाववाचक।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

Sangya Exercise HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 2.
जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा देते हुए उसके कुछ उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी जाति के सभी पदार्थों या प्राणियों का बोध हो, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे पुस्तक, नदी, पर्वत, गाँव, प्रदेश, सेना आदि जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।
(i) घोड़ा, गाय, शेर, कोयल, मोर, बैल आदि पशु-पक्षियों के नाम हैं।
(ii) आम, केला, कमल, गुलाब आदि फल-फूलों के नाम हैं।
(iii) पर्वत, नदी, पुस्तक, पैन, घड़ी आदि वस्तुओं के नाम हैं।
(iv) शिक्षक, लेखक, चित्रकार, लोहार आदि व्यावसायिक नाम हैं।
(v) नगर, गाँव, चौराहा आदि स्थानवाचक नाम हैं।
(vi) लड़का, लड़की, नर, नारी आदि मनुष्य जाति के नाम हैं।

Sangya In Hindi HBSE 9th Class प्रश्न 3.
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि के नाम का ज्ञान हो, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे राम, मोहन, भारत, करनाल, हिमालय, यमुना आदि।
(i) रमेश, सीता, मोहन, सुमन आदि व्यक्तियों के नाम हैं।
(ii) भारत, श्रीलंका, करनाल आदि स्थानों के नाम हैं।
(iii) हिमालय, कैलाश आदि पर्वतों के नाम हैं।
(iv) गंगा, यमुना, सरस्वती, हिंद महासागर आदि नदियों और समुद्रों के नाम हैं।
(v) पद्मावत, रामचरितमानस, साकेत, कामायनी आदि पुस्तकों के नाम हैं।

प्रश्न 4.
भाववाचक संज्ञा की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से व्यक्ति, वस्तु आदि के धर्म, गुण, भाव, दशा आदि का बोध होता हो, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहा जाता है; जैसे मधुरता, वीरता, बचपन आदि।
(i) मित्रता, सज्जनता, शत्रुता आदि गुण-दोष हैं।
(ii) आनंद, क्रोध, श्रद्धा, भक्ति आदि भाव हैं।
(iii) बचपन, यौवन, बुढ़ापा आदि दशाएँ हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

संज्ञा के अन्य दो भेद

प्रश्न 5.
संज्ञा के द्रव्यवाचक एवं समूहवाचक अन्य दो भेदों की उदाहरण सहित परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
1. द्रव्यवाचक: जिन शब्दों से किसी धातु अथवा द्रव्य का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे सोना, चाँदी, लोहा, दूध, तेल पानी आदि।
2. समूहवाचक: जिन शब्दों से व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के समूह अथवा समुदाय का ज्ञान हो, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे कक्षा, संघ, गाँव आदि। लेकिन अगर हम गहराई के साथ विचार करें तो पता चलता है कि ये जातिवाचक संज्ञा में ही समाहित हो जाते हैं।

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग

प्रश्न 6.
व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के रूप में कब और कैसे प्रयुक्त होती है?
उसर-जब अपने विशेष गुणों या अवगुणों के कारण व्यक्तिवाचक संज्ञा अधिक का बोध कराने लगे तब वह जातिवाचक संज्ञा बन जाती है; जैसे-
देश में आज भी जयचंदों और विभीषणों की कमी नहीं है।
इस वाक्य में जयचंद और विभीषण शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ नहीं हैं। यहाँ जयचंद का अर्थ है ‘देशद्रोही लोग’ और ‘विभीषण’ का अर्थ है ‘घर के भेदी’। अतः ये शब्द जातिवाचक हो गए हैं। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
(क) उसकी बात विश्वास करने योग्य है, वह बिल्कुल भीष्म पितामह है।
(ख) कलियुग में हरिश्चंद्र कहाँ मिलते हैं?

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग

प्रश्न 7.
जातिवाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में कैसे प्रयोग होती है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जब कोई जातिवाचक संज्ञा व्यक्ति विशेष के लिए प्रयुक्त हो, तब वह जातिवाचक संज्ञा होती हुई भी व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है; जैसे
(i) भारत गांधी का देश है।
(ii) नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त जातिवाचक संज्ञाएँ ‘गांधी’ और ‘नेहरू’, व्यक्ति विशेष की ओर संकेत कर रही हैं। इसलिए ये जातिवाचक होती हुई भी व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं।

टिप्पणियाँ:
1. जब कभी द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द बहुवचन के रूप में द्रव्यों का बोध कराता है, तब वह जातिवाचक संज्ञा बन जाता है; जैसे यह फर्नीचर कई प्रकार की लकड़ियों से बना है।
इसी प्रकार, समूहवाचक संज्ञा जब बहुत-सी समूह इकाइयों का बोध कराती है, तब वे बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं; जैसे
(i) दोनों सेनाएँ आपस में बड़े जोरों से लड़ीं।
(ii) इस गाँव में हरिजनों के घर-परिवार रहते हैं।

2. जब कभी भाववाचक संज्ञा शब्द बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं, तब वे जातिवाचक संज्ञा बन जाते हैं; जैसे-
(i) बुराइयों से सदा बचो।
(ii) आपस में उनकी दूरियाँ बढ़ती गईं।

3. कुछ भाववाचक शब्द मूल शब्द होते हैं; जैसे प्रेम, घृणा आदि। अधिकांश भाववाचक शब्द यौगिक होते हैं; जैसे अच्छाई, बुढ़ापा आदि।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

भाववाचक संज्ञाओं की रचना

प्रश्न 8.
भाववाचक संज्ञाएँ किस प्रकार के शब्दों से और कैसे बनती हैं?
उत्तर:
भाववाचक संज्ञाएँ अमूर्त एवं मानसिक संकल्पनाएँ होती हैं। भाववाचक संज्ञाएँ नीचे दिए गए शब्दों से बनती हैं
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा 1

भाववाचक संज्ञाओं की रचना
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा 2
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा 3
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा 4
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा 5

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

संज्ञा के विकारी तत्त्व

प्रश्न 1.
‘विकारी तत्त्व’ से क्या अभिप्राय है? संज्ञा के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
अथवा
संज्ञा में विकार के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं? उनका सोदाहरण विस्तृत उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विकारी तत्त्व’ से अभिप्राय है-बदलने वाला अर्थात् जिसमें परिवर्तन के कारण विकार उत्पन्न हो, उसे विकारी कहते हैं; जैसे लड़का संज्ञा शब्द है। यह एकवचन एवं पुंल्लिंग है। विकार के कारण इसके अग्रलिखित रूप बनते हैं

लड़का से लड़की (लिंग के कारण)
लड़का से लड़के (वचन के कारण)
इसी प्रकार-
लड़की से लड़कियाँ (वचन के कारण)
लड़की से लड़का (लिंग के कारण)

वाक्य में स्थिति के अनुसार ही किसी शब्द में परिवर्तन होता है। यही परिवर्तन ही ‘रूपान्तर’ या ‘विकारी तत्त्व’ कहलाता है। अतः स्पष्ट है कि संज्ञा शब्दों में यह विकार लिंग, वचन तथा कारक के कारण होता है। यहाँ हम संज्ञा के विकारी तत्त्वों का अध्ययन करेंगे।

लिंग

प्रश्न 1.
लिंग किसे कहते हैं? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस संज्ञा शब्द से किसी पुरुष जाति या स्त्री जाति का पता चले, उसे लिंग कहते हैं अर्थात् जिन चिह्नों से शब्दों का स्त्रीवाचक या पुरुषवाचक होने का पता चले, उन्हें लिंग कहते हैं; जैसे ‘छात्र’ पुल्लिंग तथा ‘छात्रा’ स्त्रीलिंग है।

प्रश्न 2.
हिंदी में लिंग कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
हिंदी में मुख्यतः दो प्रकार के लिंग माने जाते हैं-
1. पुल्लिंग
2. स्त्रीलिंग।

1. पुल्लिंग: जिन संज्ञा शब्दों से पुरुष जाति का बोध हो, उन्हें पुल्लिंग कहते हैं; जैसे बेटा, हाथी, कुत्ता आदि।
2. स्त्रीलिंग: जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का बोध हो, उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे लड़की, रानी, कुतिया, बकरी आदि।

टिप्पणी:
हिंदी में जड़ वस्तुओं के लिंग के लिए समस्या है; जैसे पर्वत, नदी, हवा, दही, घी आदि में स्त्रीलिंग या स्त्री जाति तथा पुल्लिंग या पुरुष जाति जैसी कोई चीज़ नहीं होती किंतु व्याकरणिक दृष्टि से संज्ञा शब्द का स्त्रीलिंग या पुल्लिंग . होना ज़रूरी है। सजीव प्राणियों में नर या मादा लगाकर भी लिंग निर्धारित कर लिया जाता है; यथा नर भेड़िया या मादा भेड़िया आदि।

हिंदी में कुछ ऐसे भी शब्द हैं जिनमें लिंग-परिवर्तन नहीं होता; यथा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, डॉक्टर, प्रिंसिपल, मैनेजर आदि। इन पदों पर पुरुष भी हो सकते हैं तथा नारी भी। ऐसे पदवाची शब्द उभयलिंगी शब्द कहलाते हैं।

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लिंग की पहचान की महत्वपूर्ण बातें

(क) पुंल्लिंग की पहचान
(1) जिन शब्दों के अन्त में ‘अ’ हो वे प्रायः पुंल्लिंग होते हैं; जैसे खेल, संसार, मिलाप, नाच आदि।
(2) जिन शब्दों के अन्त में ‘आ’ हो वे शब्द पुंल्लिंग होते हैं; जैसे लड़का, मोटा, छोटा, कपड़ा आदि।
(3) जिन शब्दों के अंत में पा, पन, न आदि हो, वे शब्द पुंल्लिंग होते हैं; जैसे बुढ़ापा, बचपन, अध्ययन, दमन आदि।
(4) पहाड़ों, समुद्रों, देशों के नाम पुंल्लिंग होते हैं; जैसे भारतवर्ष, पाकिस्तान, अमेरिका, सतपुड़ा, हिमालय, हिन्द महासागर आदि।
(5) ग्रहों के नाम (पृथ्वी को छोड़कर) पुंल्लिंग होते हैं; जैसे सूर्य, शनि, मंगल, चन्द्र आदि।
(6) पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं; जैसे पीपल, वट, साल, आम आदि।
(7) शरीर के कुछ अंगों के नाम भी पुंल्लिंग होते हैं; जैसे सिर, गला, कान, नाक, हाथ, पैर आदि।
(8) कुछ भारी और मोटी वस्तुएँ पुंल्लिंग होती हैं; जैसे पत्थर, टीला, खेत, रस्सा, लक्कड़ आदि।
(9) दिनों और महीनों के नाम पुंल्लिंग होते हैं; जैसे रविवार, सोमवार, मंगलवार आदि । चैत्र, बैशाख, श्रावन, भादो, आश्विन, कार्तिक, माघ, फाल्गुन आदि।

(ख) स्त्रीलिंग की पहचान-
(1) हिन्दी की ईकारान्त सभी संज्ञाएँ स्त्रीलिंग होती हैं, जैसे नाली, खेती, रोटी, मोटी, टोपी, नदी, (अपवाद-पानी एवं घी) आदि।
(2) भाषाओं के नाम प्रायः स्त्रीलिंग में गिने जाते हैं; जैसे जापानी, हिन्दी, गुजराती, बांग्ला, अंग्रेज़ी आदि।
(3) तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या आदि।
(4) नक्षत्रों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे भरणी, कृतिका, रोहिणी आदि।
(5) शरीर के कुछ अंगों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे गर्दन, जिह्वा, आँख, छाती, अँगुली, टाँग, नाक आदि।
(6) आहारों के नाम अधिकतर स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे रोटी, दाल, कचौड़ी, खिचड़ी, खीर, कढ़ी, सब्जी, चटनी आदि।
(7) जिन शब्दों के अंत में ट, वट, हट, इया, ता आदि का प्रयोग हो वे सभी स्त्रीलिंग में गिने जाते हैं; जैसे लिखावट, आहट, सजावट, चिड़िया, डिबिया, बछिया, मिठास आदि।

(ग) उभयलिंगी शब्द-
जिन संज्ञा शब्दों का प्रयोग पुंल्लिंग और स्त्रीलिंग दोनों के लिए किया जाता है, उन्हें उभयलिंग कहते हैं। इनमें अधिकांश शब्द पदवाची हैं। इनमें लिंग परिवर्तन नहीं होता। जैसे डॉक्टर, प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति, मन्त्री, प्रिंसिपल, मैनेजर आदि।

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प्रश्न 2.
हिन्दी के प्रमुख स्त्रीलिंग प्रत्ययों के नाम उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
निम्नलिखित प्रत्ययों के प्रयोग से संज्ञा शब्द स्त्रीलिंग में परिवर्तित हो जाता है। यथा-
‘आ’ प्रत्यय के प्रयोग से-लता, विद्या, ममता, कृपा, दया आदि शब्द बनते हैं जो स्त्रीलिंग हैं।
‘इ’ प्रत्यय के प्रयोग से-रीति, तिथि, हानि, भक्ति, शक्ति आदि।
(रवि, कवि, व्यक्ति आदि अपवाद हैं।)
‘ई’ प्रत्यय के प्रयोग से ताई, नानी, नदी, टोपी आदि।
‘आई’ प्रत्यय के प्रयोग से लड़ाई, चढ़ाई, मिठाई आदि।
‘इया’ प्रत्यय के प्रयोग से-बुढ़िया, खटिया, बछिया आदि।
‘आवट’ प्रत्यय के प्रयोग से-लिखावट, सजावट, बनावट आदि।
‘आहट’ प्रत्यय के प्रयोग से-चिल्लाहट, घबराहट आदि।
‘ता’ प्रत्यय के प्रयोग से-सुन्दरता, मूर्खता, दुर्बलता आदि।

प्रश्न 3.
पुंल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने में प्रमुख नियमों का उदाहरण सहित उल्लेख करें।
(क) अकारान्त तत्सम शब्दों के ‘अ’ को ‘आ’ कर देने से-

पुल्लिंग – स्त्रीलिंग
सुत – सुता
प्रिय – प्रिया
छात्र – छात्रा
शिष्य – शिष्या
पूज्य – पूज्या
बाल – बाला
तनुज – तनुजा
कांत – कांता
आचार्य – आचार्या
मूर्ख – मूर्खा

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(ख) अकारांत शब्दों के अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ को ‘ई’ कर देने से-

देव – देवी
मृग – मृगी
पहाड़ – पहाड़ी
कबूतर – कबूतरी
दास – दासी
सुअर – सुअरी
पुत्र – पुत्री
चाचा – चाची
साला – साली
लड़का – लड़की
घोड़ा – घोड़ी
मामा – मामी
बेटा – बेटी
गधा – गधी
भतीजा – भतीजी
बंदर – बंदरी
बकरा – बकरी
भाँजा – भाँजी

(ग) परिवर्तन के बिना शब्दों के अंत में ‘नी’ प्रत्यय लगाकर

सिंह – सिंहनी
भील – भीलनी
ऊँट – ऊँटनी
मज़दूर – मज़दूरनी
जाट – जाटनी
सियार – सियारनी
शेर – शेरनी
मोर – मोरनी
राजपूत – राजपूतनी

(घ) परिवर्तन के बिना शब्दों के अंत में ‘आनी’ प्रत्यय जोड़ने से

देवर – देवरानी
भव – भवानी
नौकर – नौकरानी
सेठ – सेठानी
मेहतर – मेहतरानी
चौधरी – चौधरानी
रुद्र – रुद्राणी
क्षत्रिय – क्षत्राणी
इन्द्र – इन्द्राणी
जेठ – जेठानी

(ङ) अंतिम स्वर में कुछ परिवर्तन करके ‘इन’ प्रत्यय लगाने से

नाइ – नाइन
कुम्हार – कुम्हारिन
तेलि – तेलिन
पड़ोसी – पड़ोसिन
ठठेरा – ठठेरिन
धोबी – धोबिन
दर्जी – दर्जिन
माली – मालिन
भक्त – भक्तिन
जुलाहा – जुलाहिन
ग्वाला – ग्वालिन
कहार – कहारिन
चमार – चमारिन
भंगी – भंगिन
नाती – नातिन
दूल्हा – दूल्हिन
पापी – पापिन

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(च) अंतिम स्वर के स्थान पर ‘आइन’ प्रत्यय लगाकर तथा अन्य स्वरों में कुछ परिवर्तन करके-

लाला – ललाइन
ठाकुर – ठकुराइन
चौबे – चौबाइन
गुरु – गुरुआइन
मिसिर – मिसराइन
बाबू – बबुआइन
चौधरी – चौधराइन

(छ) अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ को ‘इया’ बनाकर-

बंदर – बंदरिया
बूढ़ा – बुढ़िया
कुत्ता – कुतिया
डिब्बा – डिबिया

(ज) शब्दों के अंतिम ‘अक’ को ‘इका’ बनाकर-

पाठक – पाठिका
लेखक – लेखिका
गायक – गायिका
बालक – बालिका
अध्यापक – अध्यापिका
उपदेशक – उपदेशिका
सेवक – सेविका
पाचक – पाचिका
निरीक्षक – निरीक्षिका
नायक – नायिका

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(झ) अंतिम ‘वान’ और ‘मान’ के स्थान पर ‘अती’ लगाकर-

गुणवान – गुणवती
श्रीमान – श्रीमती
बुद्धिमान – बुद्धिमती
भाग्यवान – भाग्यवती
भगवान – भगवती
पुत्रवान – पुत्रवती
बलवान – बलवती
ज्ञानवान – ज्ञानवती

(ञ) कुछ पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग में विशेष रूप बन जाते हैं

पुरुष – स्त्री
पति – माता
पिता – पत्नी
बैल – गाय
युवक – युवती
राजा – रानी
वर – वधू
विद्वान – विदुषी
सम्राट – साम्राज्ञी
भाई – बहिन
कवि – कवयित्री
अभिनेता – अभिनेत्री
ससुर – सास
साधु – साध्वी
कर्ता – कत्री
विधाता – विधात्री
वीर – वीरांगना
नर – मादा

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वचन

प्रश्न 11.
वचन किसे कहते हैं? हिंदी में वचन कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
संज्ञा अथवा अन्य विकारी शब्दों के जिस रूप से संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं, जैसे लड़का, पुस्तकें आदि। हिंदी में वचन दो प्रकार के माने गए हैं-
1. एकवचन
2. बहुवचन।
1. एकवचन: शब्द के जिस रूप से एक वस्तु या एक व्यक्ति का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं; जैसे लड़का, घोड़ा, नदी, वृक्ष, पक्षी आदि।
2. बहुवचन: शब्द के जिस रूप से एक से अधिक वस्तुओं या व्यक्तियों का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं; जैसे लड़के, घोड़े, नदियाँ, स्त्रियाँ आदि।

प्रश्न 2.
हिंदी भाषा में वचन-प्रयोग संबंधी सामान्य नियमों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिंदी भाषा में एक वस्तु या व्यक्ति के लिए एकवचन तथा एक से अधिक वस्तुओं और व्यक्तियों के लिए बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। हिंदी में इनके अतिरिक्त कुछ और भी नियम हैं जो वचन प्रयोग में प्रयुक्त होते हैं; यथा
(क) सम्मान व्यक्त करने के लिए एकवचन को बहुवचन में प्रयुक्त किया जाता है जैसे
(i) पिता जी दिल्ली गए हैं।
(ii) गुरु जी कक्षा में हैं।
(iii) मंत्री जी मंच पर पधार चुके हैं।
(iv) श्रीकृष्ण हिंदुओं के अवतार हैं। यहाँ एकवचन का प्रयोग बहुवचन में हुआ है। इसे आदरार्थक बहुवचन कहते हैं।

(ख) हिंदी में हस्ताक्षर, प्राण, दर्शन, होश आदि का बहुवचन में प्रयोग होता है; जैसे
(i) तुम्हारे हस्ताक्षर बहुत सुंदर हैं।
(ii) तुम्हारे प्राण बच गए, यही गनीमत है।
(iii) आपके तो दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं।
(iv) आज का समाचार सुनकर उसके होश उड़ गए।

(ग) कुछ एकवचन शब्द गण, लोग, जन, समूह, वृंद आदि हिंदी शब्दों के साथ जुड़कर बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं; यथा-
(i) आज मज़दूर लोग हड़ताल पर हैं।
(ii) अध्यापक-वृंद परीक्षाओं में व्यस्त हैं।
(iii) अपार जन-समूह दिखाई दे रहे हैं।
(iv) कृषक-वृंद हल चला रहे हैं।
(v) छात्रगण आजकल अनुशासनहीनता पर उतर आए हैं।

(घ) जाति, सेना, दल शब्दों के साथ प्रयुक्त होने से एकवचन का बहुवचन में प्रयोग-
(i) नारी जाति प्रगति-पथ पर अग्रसर है।
(ii) छात्र-सेना हड़ताल पर है।
(iii) सेवा-दल रोगियों की सेवा कर रहा है।

(ङ) व्यक्तिवाचक एवं भाववाचक संज्ञाएँ सदा एकवचन में रहती हैं; जैसे
(i) राम खेल रहा है।
(ii) सत्य की सदा जीत होती है।
(iii) उसने झूठ नहीं बोला।
(iv) प्रेम सदा अमर रहता है।

(च) कुछ शब्द सदा एकवचन में ही रहते हैं। जैसे-जनता, वर्षा, आग; जैसे
(i) आग कितनी तेज़ जल रही है।
(ii) जनता सदा पिसती रहती है।
(iii) कितनी अच्छी वर्षा हो रही है।

(छ) बहुवचन के स्थान पर एकवचन का प्रयोग-कभी-कभी जातिवाचक संज्ञा अपनी सारी जाति या समूह की बोधक होती हुई भी अधिक संख्या, परिमाण या गुण को सूचित करने के लिए एकवचन में प्रयुक्त होती है; जैसे
(i) आज का मानव स्वार्थी हो गया है।
(ii) कुत्ता स्वामिभक्त होता है।
(iii) मथुरा का पेड़ा विश्व भर में प्रसिद्ध है।
(iv) उसने जुए में बहुत रुपया लुटाया है।
(v) बाज़ार में अंगूर सस्ता बिक रहा है।

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वचन बदलने के नियम

1. अकारांत शब्दों के अंतिम ‘आ’ को ए कर देने से बहुवचन-
एकवचन – बहुवचन
कपड़ा – कपड़े
बेटा – बेटे
बच्चा – बच्चे
लोटा – लोटे
घोड़ा – घोड़े
पंखा – पंखे
लड़का – लड़के
घड़ा – घड़े

अपवाद: नेता, राजा, पिता, योद्धा, मामा, नाना, चाचा, सूरमा आदि शब्द इस नियम के अपवाद हैं।

2. आकारांत तथा अकारांत शब्दों के अंतिम ‘अ’, ‘आ’ को ‘एं’ कर देने से बहुवचन-
अकारांत शब्द-
पुस्तक – पुस्तकें
नहर – नहरें
बहिन – बहिनें
आँख – आँखें
रात – रातें
दीवार – दीवारें
गाय – गायें
कलम – कलमें
सड़क – सड़कें
बोतल – बोतलें
किताब – किताबें

आकारांत शब्द-
कथा – कथाएँ
माला – मालाएँ
अध्यापिका – अध्यापिकाएँ
गाथा – गाथाएँ
विद्या – विद्याएँ
भावना – भावनाएँ
माता – माताएँ
आत्मा – आत्माएँ
लता – लताएँ
कन्या – कन्याएँ
झील – झीलें

3. इकारांत तथा ईकारांत शब्दों के अंत में ‘याँ’ जोड़ने से बहुवचन। इस अवस्था में ई का इ भी हो जाता है।

घोड़ी – घोड़ियाँ
शक्ति – शक्तियाँ
समिति – समितियाँ
रोटी – रोटियाँ
निधि – निधियाँ
लड़की – लड़कियाँ
राशि – राशियाँ
बेटी – बेटियाँ
पंक्ति – पंक्तियाँ
नदी – नदियाँ
रात्रि – रात्रियाँ
लिपि – लिपियाँ
रीति – रीतियाँ
स्त्री – स्त्रियाँ

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4. उकारांत, ऊकारांत, एकारांत, ओकारांत शब्दों में एँ जोड़कर बहुवचन। ‘ऊ’ का ‘उ’ भी हो जाता है।

धेनु – धेनुएँ
गौ – गौएँ
धातु – धातुएँ
वधू – वधुएँ
बहु – बहुएँ
वस्तु – वस्तुएँ
ऋतु – ऋतुएँ

5. ‘या’ अथवा ‘इया’ से समाप्त होने वाले शब्दों में केवल अनुस्वार जोड़कर बहुवचन बनाना-

बिटिया – बिटियाँ
चिड़िया – चिड़ियाँ
चुहिया – चुहियाँ
बुढ़िया – बुढ़ियाँ
गुड़िया – गुड़ियाँ
कुतिया – कुतियाँ
बछिया – बछियाँ
डिबिया – डिबियाँ

6. ‘अ’ तथा ‘आ’ से समाप्त होने वाले शब्दों में अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ के स्थान पर ओं लगाकर बहुवचन बनाना-

घर से – घरों से
झील पर – झीलों पर
घोड़े पर – घोड़ों पर
माता की – माताओं की
बंदर का – बंदरों का
खरबूजा – खरबूजों

7. उकारांत या ऊकारांत शब्दों के अंत में ‘ओं’ प्रत्यय लगाकर बहुवचन बनाना। ऐसे शब्दों में अंतिम ‘ऊ’ को ‘उ’ हो जाता है।

ऋतु – ऋतुओं
बहू – बहुओं
धातु – धातुओं
वधू – वधुओं
वस्तु – वस्तुओं
चाकू – चाकुओं
धेनू – धेनुओं
डाकू – डाकुओं

8. इकारांत तथा ईकारांत शब्दों के संबोधन बहुवचन में ‘यो’ प्रत्यय लगाकर बहुवचन बनाना। प्रत्यय पूर्व स्वर दीर्घ का हस्व हो जाता है।

लड़की! – लड़कियो!
मुनि! – मुनियो!
भाई! – भाइयो!
सिपाही! – सिपाहियो!

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(ग) कारक

प्रश्न 1.
‘कारक’ का अर्थ बताते हुए उसकी सोदाहरण परिभाषा भी लिखिए।
उत्तर:
“कारक’ शब्द का अर्थ है-क्रिया को करने वाला अर्थात क्रिया को पूरी करने में किसी-न-किसी भूमिका को निभाने वाला।

परिभाषा:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसके संबंध का वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसको कारक कहते हैं। यह संबंध-ज्ञान कभी तो पृथक शब्द के रूप में या चिहनों के रूप में होता है तथा कभी यह मूल शब्द में घुला-मिला रहता है। कभी मूल शब्द में केवल कुछ विकार हो जाता है तथा परसर्ग के रूप में भी जुड़ा रहता है।

कारकों का रूप प्रकट करने के लिए उनके साथ जो शब्द-चिह्न लगे रहते हैं, उन्हें विभक्ति कहते हैं। इन कारक-चिह्नों को परसर्ग भी कहते हैं।
राम ने पत्र लिखा।
रमेश ने कलम से पत्र लिखा।
मोहन ने पुस्तक को पढ़ा।
इन सब वाक्यों में ‘ने’ कर्त्ता कारक चिह्न है, ‘से’ करण कारक है और ‘को’ कर्म कारक है।

प्रश्न 2.
हिंदी कारकों के कितने भेद होते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हिंदी में कारकों के आठ भेद माने जाते हैं
(i) कर्ता – क्रिया को करने वाला।
(ii) कर्म – जिस पर क्रिया का प्रभाव या फल पड़े।
(iii) करण – जिस साधन से क्रिया संपन्न हो।
(iv) संप्रदान – जिसके लिए क्रिया की जाए।
(v) अपादन – जिससे अलगाव हो।
(vi) अधिकरण – क्रिया के संचालन का आधार।
(vii) संबंध – क्रिया का अन्य पदों से संबंध सूचित करने वाला।
(viii) संबोधन – जिससे संज्ञा को पुकारा जाए।

प्रश्न 3.
हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कारकों के चिह्नों या विभक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हिंदी में आठ कारक हैं। इनके नाम और चिह्न निम्नलिखित प्रकार से हैं
कारक – विभक्ति चिहन या परसर्ग
1. कर्ता – ने अथवा कुछ नहीं
2. कर्म – को अथवा कुछ नहीं
3. करण – से, के द्वारा, के साथ (साधन)
4. संप्रदान – को, के लिए
5. अपादान – से पार्थक्य
6. संबंध – का, के, की (रा, रे, री या ना, ने, नी)
7. अधिकरण – में, पर
8. संबोधन – हे, रे, अरे, री, अरी, ओ (संबोधन शब्द से पूर्व जुड़ता है)

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प्रश्न 4.
हिंदी के सभी कारकों का सोदाहरण परिचय दीजिए।
उत्तर:
1. कर्ता कारक:
क्रिया करने वाले को कर्ता कारक कहते हैं। इसका परसर्ग ‘ने’ है। इसका विभक्ति चिह्न ‘ने’ होता है। इस विभक्ति चिह्न का प्रयोग केषल सकर्मक क्रिया में भूतकाल में होता है; जैसे-
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2. कर्म कारक:
क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ होती है। कभी-कभी विभक्ति का प्रयोग नहीं होता।
इन पुस्तकों को उठा लो।
राम को कहो।
रवि पुस्तक पढ़ता है।
इन वाक्यों में ‘पुस्तकों को’ ‘राम को’ तथा ‘पुस्तक’ कर्म कारक के प्रयोग हैं। द्विकर्मक वाक्यों में मुख्य और गौण दो कर्म होते हैं। मुख्य कर्म क्रिया के समीप रहता है। उसमें विभक्ति नहीं लगती; यथा-शिक्षक ने विद्यार्थी को पाठ पढ़ाया।
यहाँ पाठ मुख्य कर्म है और विद्यार्थी गौण कर्म।

3. करण कारक:
जिस शब्द रूप की सहायता से क्रिया का व्यापार होता है, उसे करण कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न हैं-‘से’, ‘द्वारा’, ‘के द्वारा’, ‘के साथ’; यथा-
राम ने रावण को बाण से मारा।
मुझे पत्र द्वारा सूचित करना।
मज़दूर ने गुड़ के साथ रोटी खाई।
बच्चों ने पैंसिल से चित्र बनाया।
शिकारी ने बंदूक से शेर को मारा।

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4. संप्रदान कारक:
जिसके लिए क्रिया की जाती है, संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को संप्रदान कारक कहा जाता है; जैसे राजा भिखारी को दान देता है। यहाँ भिखारी के लिए दान दिया जाता है, इसलिए यहाँ ‘भिखारी’ संप्रदान कारक है। इसके विभक्ति चिह्न हैं-‘के लिए’, ‘को’ या ‘के वास्ते’ आदि। अन्य उदाहरण-
मैंने आप के लिए भोजन छोड़ा।
पिता ने पुत्र को पुस्तक दी।
वह अपने भाई के लिए दवाई साया।
सैनिक देश की रक्षा के वास्ते सीमा पर डटे हुए हैं।

5. अपादान कारक:
संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु तथा व्यक्ति के दूसरी वस्तु तथा व्यक्ति से पृथक होने, डरने, सीखने, लजाने अथवा तलना करने का भाव हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसमें ‘से’ विभक्ति चिहन का प्रयोग होता है, यथा
वृक्षों से पत्ते गिरते हैं।
में घर से आया हूँ।
गंगा हिमालय से निकलती है।

6. संबंध कारक:
शब्द के जिस रूप से किसी व्यक्ति या पदार्थ का दूसरे व्यक्ति या पदार्थ से संबंध प्रकट होता है, उसे संबंध कारक कहते हैं। ‘का’, ‘के’, ‘की’ इसके विभक्ति चिहून हैं। संज्ञा सर्वनाम पुल्लिंग के साथ ‘का’, स्त्रीलिंग के साथ ‘की’ तथा बहुवचन के साथ ‘के’ परसर्ग का प्रयोग होता है; यथा
शीला सीता की बहिन है।
राम के दो भाई हैं।
आपकी पुस्तक मेरे पास है।

7. अधिकरण कारक:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है। जैसे रुपया मेरे हाथ में है। बच्चा छत पर है। यहाँ हाथ में और छत पर’ अधिकरण कारक हैं। अतः ‘में’, ‘पर’ तथा ‘के ऊपर’ इसकी विभक्तियों हैं; यथा
पानी में मगरमच्छ रहता है।
पुस्तक मेज़ पर रखी है।
छत के ऊपर गेंद पड़ी है।
अनेक बार ‘के मध्य’, ‘के बीच’, ‘के भीतर’ आदि का भी प्रयोग होता है; जैसे-
घर के भीतर चलो।।
इस डिबिया के अंदर कितनी गोलियों हैं?

कभी-कभी विभक्ति रहित अधिकरण का भी प्रयोग होता है; जैसे-
तुम्हारे घर क्या होगा?
इस जगह पूर्ण शांति है।

8. संबोधन कारक: संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारा जाए, उसे संबोधन कारक कहते हैं। इसमें शब्द से पूर्व है, अरे, ओ, अजी आदि का प्रयोग होता है; जैसे-
हे राम! अब क्या करूँ।
अरे पुत्र! यह तुमने क्या कर दिया?
अजी! सुनते हो।

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प्रश्न 5.
कौन-कौन-से कारक बिना चिह्न के प्रयुक्त होते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
हिन्दी में कर्ता, कर्म और अधिकरण ऐसे कारक हैं जो विभक्ति चिह्नों के बिना भी प्रयुक्त हो सकते हैं; जैसेकृष्ण खेलता है। कर्ता कारक मोहन पत्र लिखता है। कर्म कारक इस जगह महात्मा जी रहते थे।

उपर्युक्त वाक्यों में कारक चिह्नों (ने, को तथा पर) का प्रयोग नहीं हुआ है और ये वाक्य व्याकरण की दृष्टि से ठीक हैं।

प्रश्न 6.
अपादान कारक का प्रयोग किन-किन स्थितियों में होता है ?
उत्तर:
अपादान कारक का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है
1. अलग होने के अर्थ में – गंगा हिमालय से निकलती है।
2. डरने के अर्थ में – बकरी शेर से डरती है।
3. सीखने के अर्थ में – छात्र अध्यापक से पढ़ते हैं।
4. लजाने के अर्थ में – विद्यार्थी अध्यापक से शरमा रहा था।
5. तुलना के अर्थ में – राम श्याम से चालाक है।
6. दूरी के अर्थ में – मेरा स्कूल नगर से दूर है।
7. आरम्भ करने के अर्थ में – मैं पिछले मास से काम पर आ रहा हूँ।
8. बचाने के अर्थ में – रोहित ने बालक को डूबने से बचाया।
9. मांगने के अर्थ में – भिखारी ने राजा से भिक्षा माँगी।

प्रश्न 7.
कर्म और सम्प्रदान कारक में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
जिस वाक्य में क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं, इसका विभक्ति चिहन ‘को’ होता है; जैसे राम ने रावण को मारा था, किन्तु कभी-कभी कारक चिह्न नहीं भी लगता; जैसे मोहन पुस्तक पढ़ता है, जबकि सम्प्रदान कारक में भी ‘को’ विभक्ति चिह्न होता है; जैसे राजा ने भिखारी को दान दिया। सम्प्रदान में ‘को’ विभक्ति का प्रयोग केवल दान देने की क्रिया में होता है, अन्यथा वह कर्म कारक ही होगा; जैसे
(1) भिखारी को भोजन दे दो।
(2) भिखारी को हटा दो। पहले वाक्य में दान देने का भाव है, जबकि दूसरे वाक्य में दान देने का भाव नहीं है। इसलिए कर्म कारक है।

प्रश्न 8.
करण और अपादान कारक में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
करण और अपादान दोनों कारकों में ‘से’ परसर्ग का प्रयोग होता है। इसीलिए दोनों के अन्तर का प्रश्न उत्पन्न होता है। जहाँ ‘से’ परसर्ग अलग होने का भाव प्रकट करे वहाँ अपादान कारक होगा और जहाँ ‘से’ परसर्ग साधन के अर्थ में आता है, वहाँ करण कारक होगा; जैसे-
अपादान-
वृक्षों से पत्ते गिरते हैं।
लड़के स्कूल से आए हैं।

करण कारक-
मोहन रिक्शा से आया है।
पेड़ों से हमें लकड़ी मिलती है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

प्रश्न 9.
अधिकरण कारक का लक्षण बताते हुए इसमें प्रयुक्त होने वाली विभक्तियों का प्रयोग उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार (स्थान, समय) का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं; जैसे रुपया मेरे हाथ में है। बच्चा छत पर है। यहाँ ‘हाथ में’ और ‘छत पर’ अधिकरण कारक हैं। अतः ‘में’, ‘पर’, तथा ‘के ऊपर’ इसकी विभक्तियाँ हैं; जैसे-
पानी में मगरमच्छ रहता है।
पुस्तक मेज पर रखी है।
छत के ऊपर गेंद पड़ी है।

अनेक बार ‘के मध्य’, ‘के बीच’, ‘के भीतर’ आदि का भी प्रयोग होता है; जैसे-
घर के भीतर चलो।
इस डिबिया के अन्दर कितनी गोलियाँ हैं।

कभी-कभी विभक्ति रहित अधिकरण का भी प्रयोग होता है; जैसे-
तुम्हारे घर क्या होगा ?
इस जगह पूर्ण शान्ति है।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित वाक्यों में से कारक की पहचान करके उनका नाम लिखें-
(क) कपड़े अलमारी के अन्दर रखे हैं।
(ख) मोहन! यार बात तो सुन।
(ग) राम ने बाण से रावण को मारा।
(घ) राम ने रोटी खाई।
(ङ) आज उसे घर जाने दो
(च) हाँ, पिता जी घर पर ही हैं।
(छ) मैं उसे अपने हाथों से सजा दूंगा।
(ज) भिखारी को आटा दे दो।
(झ) बच्चे को भगा दो।
(ञ) मैंने आप से कल ही कह दिया था।
उत्तर:
(क) के अन्दर अधिकरण कारक है।
(ख) मोहन! सम्बोधन कारक है।
(ग) बाण से करण कारक है।
(घ) राम ने कर्ता कारक है।
(ङ) घर (को) कर्म कारक है।
(च) घर पर अधिकरण कारक है।
(छ) हाथों से करण कारक है।
(ज) भिखारी को सम्प्रदान कारक है।
(झ) बच्चे को कर्म कारक है।
(ञ) आप से अपादान कारक है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran संज्ञा

प्रश्न 11.
निम्नलिखित वाक्यों में से कारकों को छाँटकर उनके नाम लिखिए-
(क) मोहन चाकू से फल काट कर खा रहा है।
(ख) मोहन ने सोहन को अपनी पुस्तक दे दी है।
(ग) रमेश को स्कूल जाना है।
(घ) वह इलाज के लिए दिल्ली आ रहा है।
(ङ) गंगा हिमालय से निकलती है।
(च) मैं कलम से पत्र लिखूगा।
(छ) वह दुकान पर नहीं है।
(ज) वह कल घर पर था।
(झ) परीक्षा मार्च में होगी।
(ञ) मैं शाम को आऊँगा।
उत्तर:
(क) मोहन (कर्ता), फल (कम) चाकू से (करण)।
(ख) मोहन ने (कर्ता) सोहन को (कर्म) पुस्तक (कर्म)।
(ग) रमेश को (कर्ता) स्कूल (अधिकरण)।
(घ) वह (कत्ता) इलाज के लिए (सम्प्रदान) दिल्ली (अधिकरण)।
(ङ) गंगा (कर्ता) हिमालय से (अपादान)।
(च) मैं (कत्ता) कलम से (करण) पत्र (कम)।
(छ) वह (कर्ता) दुकान पर (अधिकरण)।
(ज) वह (कर्ता) घर पर (अधिकरण)
(झ) परीक्षा (कम) मार्च में (अधिकरण)।
(ञ) मैं (कत्ता) शाम को (अधिकरण)।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Alankar अलंकार Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

अलंकार

अलंकार Class 9 HBSE  प्रश्न 1.
अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अलंकार शब्द का अर्थ है-आभूषण या गहना। जिस प्रकार स्त्री की सौंदर्य-वृद्धि में आभूषण सहायक होते हैं, उसी प्रकार काव्य में प्रयुक्त होने वाले अलंकार शब्दों एवं अर्थों में चमत्कार उत्पन्न करके काव्य-सौंदर्य में वृद्धि करते हैं; जैसे
“खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा।
किसलय का आँचल डोल रहा।”
साहित्य में अलंकारों का विशेष महत्त्व है। अलंकार प्रयोग से कविता सज-धजकर सुंदर लगती है। अलंकारों का प्रयोग गद्य और पद्य दोनों में होता है। अलंकारों का प्रयोग सहज एवं स्वाभाविक रूप में होना चाहिए। अलंकारों को जान-बूझकर लादना नहीं चाहिए।

Alankar Class 9 HBSE प्रश्न 2.
अलंकार के कितने भेद होते हैं ? सबका एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
साहित्य में शब्द और अर्थ दोनों का महत्त्व होता है। कहीं शब्द-प्रयोग से तो कहीं अर्थ-प्रयोग के चमत्कार से और कहीं-कहीं दोनों के एक साथ प्रयोग से काव्य-सौंदर्य में वृद्धि होती है। इस आधार पर अलंकार के तीन भेद माने जाते हैं
1. शब्दालंकार।
2. अर्थालंकार।
3. उभयालंकार।

1. शब्दालंकार:
जहाँ शब्दों के प्रयोग से काव्य-सौंदर्य में वृद्धि होती है, वहाँ शब्दालंकार होता है; जैसे
“चारु चंद्र की चंचल किरणें,
खेल रही हैं जल-थल में।”

2. अर्थालंकार:
जहाँ शब्दों के अर्थों के कारण काव्य में चमत्कार एवं सौंदर्य उत्पन्न हो, वहाँ अर्थालंकार होता है; जैसे-
“चरण-कमल बंदौं हरि राई।”

3. उभयालंकार:
जिन अलंकारों का चमत्कार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित होता है, उन्हें उभयालंकार कहते हैं; जैसे-
“नर की अरु नल-नीर की, गति एकै कर जोइ।
जेतौ नीचौ है चले, तेतौ ऊँचौ होइ ॥”

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

प्रमुख अलंकार

1. अनुप्रास

Class 9th Alankar HBSE प्रश्न 3.
अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँ व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है; यथा-
(1) मुदित महीपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
यहाँ ‘मुदित’, ‘महीपति’ तथा ‘मंदिर’ शब्दों में ‘म’ व्यंजन की और ‘सेवक’, ‘सचिव’ तथा ‘सुमंत’ शब्दों में ‘स’ व्यंजन की आवृत्ति है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

(2) भगवान भक्तों की भूरि भीति भगाइए।
यहाँ ‘भगवान’, ‘भक्तों’, ‘भूरि’, ‘भीति’ तथा ‘भगाइए’ में ‘भ’ व्यंजन की आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हुआ है।

(3) कल कानन कुंडल मोरपखा उर पै बिराजति है।

(4) जौं खग हौं तो बसेरो करौं मिलिकालिंदी कूल कदंब की डारनि।
यहाँ दोनों उदाहरणों में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने के कारण शब्द-सौंदर्य में वृद्धि हुई, अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

(5) “कंकन किंकन नूपुर धुनि सुनि।
कहत लखन सन राम हृदय गुनि ॥” यहाँ ‘क’ तथा ‘न’ वर्गों की आवृत्ति के कारण शब्द-सौंदर्य में वृद्धि हुई है, अतः अनुप्रास अलंकार है।

(6) तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
इसमें ‘त’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

(7) बंदऊँ गुरुपद पदुम परागा।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा ॥
(‘प’ तथा ‘स’ की आवृत्ति है।)

(8) मैया मैं नहिं माखन खायो।
(‘म’ की आवृत्ति है।)

(9) सत्य सनेह सील सागर।
(‘स’ की आवृत्ति)। ”

(10) रघुपति राघव राजा राम।”
(‘र’ की आवृत्ति)।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

2. यमक

Alankar In Hindi Class 9 HBSE  प्रश्न 4.
यमक अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जहाँ किसी शब्द या शब्दांश का एक से अधिक बार भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ यमक अलंकार होता है; जैसे-
(1) कनक कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।
उहिं खायें बौरातु है, इहिं पाएँ बौराई ॥
इस दोहे में ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। एक ‘कनक’ का अर्थ है-सोना और दूसरे ‘कनक’ का अर्थ है-धतूरा। एक ही शब्द का भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग होने के कारण यहाँ यमक अलंकार है।

(2) माला फेरत युग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर ॥
इस दोहे में ‘फेर’ और ‘मनका’ शब्दों का भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग हुआ है। ‘फेर’ का पहला अर्थ है-माला फेरना और दूसरा अर्थ है-भ्रम। इसी प्रकार से ‘मनका’ का अर्थ है-हृदय और माला का दाना। अतः यमक अलंकार का सुंदर प्रयोग है।

(3) काली घटा का घमंड घटा।
यहाँ ‘घटा’ शब्द की आवृत्ति भिन्न-भिन्न अर्थ में हुई है।
घटा = वर्षा काल में आकाश में उमड़ने वाली मेघमाला
घटा = कम हुआ।

(4) कहैं कवि बेनी बेनी व्याल की चुराई लीनी।
इस पंक्ति में ‘बेनी’ शब्द का भिन्न-भिन्न अर्थों में आवृत्तिपूर्वक प्रयोग हुआ है। प्रथम ‘बेनी’ शब्द कवि का नाम है और दूसरा ‘बेनी’ (बेणी) चोटी के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।

(5) गुनी गुनी सबके कहे, निगुनी गुनी न होतु।
सुन्यो कहुँ तरु अरक तें, अरक समानु उदोतु ॥ ‘अरक’ शब्द यहाँ भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक बार अरक के पौधे के रूप में तथा दूसरी बार सूर्य के अर्थ के रूप में प्रयुक्त हुआ है, अतः यहाँ यमक अलंकार सिद्ध होता है।

(6) ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी,
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।
यहाँ ‘मंदर’ शब्द के दो अर्थ हैं। पहला अर्थ है- भवन तथा दूसरा अर्थ है पर्वत, इसलिए यहाँ यमक अलंकार है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

3. श्लेष

Class 9 Alankar HBSE प्रश्न 5.
श्लेष अलंकार का लक्षण लिखकर उसके उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
जहाँ एक शब्द के एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो अर्थ निकलें, उसे श्लेष अलंकार कहते हैं; जैसे-
(1) नर की अरु नल-नीर की, गति एकै कर जोय।
जेते नीचो है चले, तेतो ऊँचो होय ॥

मनुष्य और नल के पानी की समान ही स्थिति है, जितने नीचे होकर चलेंगे, उतने ही ऊँचे होंगे। अंतिम पंक्ति में बताया गया सिद्धांत नर और नल-नीर दोनों पर समान रूप से लागू होता है, अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

(2) मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ।
यहाँ ‘कलियाँ’ शब्द का प्रयोग एक बार हुआ है किंतु इसमें अर्थ की भिन्नता है।

(क) खिलने से पूर्व फूल की दशा।
(ख) यौवन पूर्व की अवस्था।

(3) रहिमन जो गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढे अँधेरो होय ॥ इस दोहे में ‘बारे’ और ‘बढ़े’ शब्दों में श्लेष अलंकार है।

(4) गाधिसूनु कह हृदय हँसि, मुनिहिं हरेरिय सूझ।
अयमय खाँड न ऊखमय, अजहुँ न बूझ अबूझ ॥

(5) मेरी भव-बाधा हरो, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ ॥

(6) बड़े न हूजे गुननु बिनु, बिरद बड़ाई पाइ।।
कहत धतूरे सौं कनकु, गहनौ, गढ्यौ न जाइ ॥
कनकु शब्द के यहाँ दो अर्थ हैं सोना और धतूरा।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

4. उपमा

Alankar Class 9th HBSE प्रश्न 6.
उपमा अलंकार की परिभाषा देते हुए उसके उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
जहाँ किसी वस्तु, पदार्थ या व्यक्ति के गुण, रूप, दशा आदि का उत्कर्ष बताने के लिए किसी. लोक-प्रचलित या लोक-प्रसिद्ध व्यक्ति से तुलना की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
(1) ‘उसका हृदय नवनीत सा कोमल है।’
इस वाक्य में ‘हृदय’ उपमेय ‘नवनीत’ उपमान, ‘कोमल’ साधारण धर्म तथा ‘सा’ उपमावाचक शब्द है।

(2) लघु तरण हंसिनी-सी सुंदर,
तिर रही खोल पालों के पर ॥
यहाँ छोटी नौका की तुलना हंसिनी के साथ की गई है। अतः ‘तरण’ उपमेय, ‘हंसिनी’ उपमान, ‘सुंदर’ गुण और ‘सी’ उपमावाचक शब्द चारों अंग हैं।

(3) हाय फूल-सी कोमल बच्ची।
हुई राख की थी ढेरी ॥
यहाँ ‘फूल’ उपमान, ‘बच्ची’ उपमेय और ‘कोमल’ साधारण धर्म है। ‘सी’ उपमावाचक शब्द है, अतः यहाँ पूर्णोपमा अलंकार है।

(4) यह देखिए, अरविंद से शिशुवृंद कैसे सो रहे।
इस पंक्ति में ‘अरविंद से शिशुवृंद’ में साधारण धर्म नहीं है, इसलिए यहाँ लुप्तोपमा अलंकार है।

(5) नदियाँ जिनकी यशधारा-सी
बहती हैं अब भी निशि-वासर ॥
यहाँ ‘नदियाँ’ उपमेय, ‘यशधारा’ उपमान, ‘बहना’ साधारण धर्म और ‘सी’ उपमावाचक शब्द है, अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(6) मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला।
यहाँ हाथी और टीला में उपमान, उपमेय का संबंध है, दोनों में ऊँचाई सामान्य धर्म है। ‘सा’ उपमावाचक शब्द है, अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(7) वेदना बोझ वाली-सी

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5.रूपक

9th Class Alankar HBSE प्रश्न 7.
रूपक अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँ अत्यंत समानता दिखाने के लिए उपमेय और उपमान में अभेद बताया जाता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है; जैसे-
(1) चरण कमल बंदौं हरि राई। उपर्युक्त पंक्ति में ‘चरण’ और ‘कमल’ में अभेद बताया गया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार का प्रयोग है।

(2) मैया मैं तो चंद-खिलौना लैहों।
यहाँ भी ‘चंद’ और ‘खिलौना’ में अभेद की स्थापना की गई है।

(3) बीती विभावरी जाग री।
अंबर पनघट में डुबो रही।
तारा-घट ऊषा नागरी।
इन पंक्तियों में नागरी में ऊषा का, अंबर में पनघट का और तारों में घट का आरोप हुआ है, अतः रूपक अलंकार है।

(4) मेखलाकार पर्वत अपार;
अपने सहस्र दृग सुमन फाड़,
अवलोक रहा था बार-बार,
नीचे जल में निज महाकार।
यहाँ दृग (आँखों) उपमेय पर फूल उपमान का आरोप है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(5) बढ़त बढ़त संपति-सलिलु, मन-सरोजु बढ़ि जाइ।
घटत घटत सु न फिरि घटै, बरु समूल कुम्हिलाइ ॥
इस दोहे में संपत्ति में सलिल का एवं मन में सरोज का आरोप किया गया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

Alankar 9th Class HBSE प्रश्न 8.
उपमा और रूपक अलंकार का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपमा अलंकार में उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है, जबकि ‘रूपक’ में उपमेय में उपमान का आरोप करके दोनों में अभेद स्थापित किया जाता है।
उदाहरण-
पीपर पात सरिस मन डोला (उपमा)
यहाँ ‘मन’ उपमेय तथा ‘पीपर पात’ उपमान में समानता बताई गई है। अतः उपमा अलंकार है।
उदाहरण-
‘चरण कमल बंदी हरि राई।” (रूपक)
यहाँ उपमेय ‘चरण’ में उपमान ‘कमल’ का आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

6. अतिशयोक्ति

Hindi Vyakaran Alankar HBSE 9th Class प्रश्न 9.
अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब किसी वस्तु अथवा घटना का इतना अधिक बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया जाता है कि वह लोक-सीमा को लांघ जाए, तो उसे अतिशयोक्ति अलंकार कहते हैं; अतिशय + उक्ति अर्थात् बढ़ा-चढ़ा कर कहना (कथन)। अर्थात् किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना। जैसे-
राघव की चतुरंग-चमू चय को गने केसव राज समाजनि।
सूर-तुरंगनि के उलझे पग तुंग पताकनि की पटसाजनि।।
यहाँ रामचन्द्र जी की सेना के झण्डों को इतना अधिक ऊँचा बताया गया है कि वे सूर्य के रथ के घोड़ों से उलझ गए हैं। इस प्रकार लोक सीमा को लांघ जाने के कारण यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

अतिशयोक्ति अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण-
(1) यह शर इधर गांडीव गुण से भिन्न जैसे ही हुआ।
धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।।

(2) प्राण छूटे प्रथम रिपु के रघुनायक सायक छूटि न पाये।

(3) केकई के कहत ही राम-गमन की बात।
नृप दशरथ के ताहि छिन सूखि गये सब गात।

(4) हनुमान की पूंछ को लगन न पाई आग।
लंका सिगरी जल गई, गये निशाचर भाग।।।

(5) बांधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से,
मणि वाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से।

(6) तब सिव तीसरे नैन उघारा ।
चितवत काम भयेहु जरि छारा ।।

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7. अन्योक्ति

प्रश्न 10.
अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
जहाँ अप्रस्तुत वर्णन (उपमान) के माध्यम से प्रस्तुत (उपमेय) अर्थ की प्रतीति कराई जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार की विशेषता यह है कि इसमें किसी के नाम पर बाण चलाकर किसी दूसरे को घायल किया जाता है। इस अलंकार में अप्रस्तुत का वर्णन किया जाता है अतः इसे अप्रस्तुत प्रशंसा अलंकार भी कहते हैं; जैसे
“स्वारथ सुकृत न श्रम वृथा, देखि विहंग विचारि।
बाज पराये पानि पर, तू पच्छीनु न मारि।”

ऊपर के दोहे में प्रस्तुत में बाज का वर्णन किया जा रहा है लेकिन अप्रस्तुत में यह उक्ति राजा जयसिंह के प्रति है जो औरंगजेब की तरफ से शिवाजी को पकड़ने के लिए जा रहे थे। इस प्रकार यहाँ बाज के बहाने से राजा जयसिंह पर निशाना किया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।

अन्योक्ति अलंकार के अन्य उदाहरण-
(1) नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल।
अली कली ही सों विंध्यौ, आनें कौन हवाल।।

(2) जिन दिन देखे वे सुमन गई सुबीति बहार।
अब तो अली गुलाब में, अपत कंटीली डार ।।

(3) अरे हंस ! या नगर में जइयो आप विचारि।
कागन सों जिन प्रीति करो, कोयल दीन्हीं विडारि ।।

(4) को छूट्यो यह जाल पड़ी, कत कुरंग अकुलाय।।
ज्यों-ज्यों सुरझि भज्यौ चहै, त्यों-त्यों उरझत जाय।।

8. उत्प्रेक्षा

प्रश्न 11.
उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँ समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाती है; जैसे
(1) सोहत ओ पीतु पटु, स्याम सलौनै गात।
मनौ नीलमणि सैल पर, आतपु पर्यो प्रभात ॥
यहाँ श्रीकृष्ण के साँवले रूप तथा उनके पीले वस्त्रों में प्रातःकालीन सूर्य की धूप से सुशोभित नीलमणि पर्वत की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

(2) उस काल मारे क्रोध के, तनु काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा ॥
यहाँ क्रोध से काँपता हुआ अर्जुन का शरीर उपमेय है तथा इसमें सोए हुए सागर को जगाने की संभावना की गई है।

(3) लंबा होता ताड़ का वृक्ष जाता।
मानो नभ छूना चाहता वह तुरंत ही ॥
यहाँ ताड़ का वृक्ष उपमेय है जिसमें आकाश को छूने की संभावना की गई है।

(4) कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गए पंकज नए ॥
यहाँ आँसुओं से पूर्ण उत्तरा के नेत्र उपमेय है जिनमें कमल की पंखड़ियों पर पड़े हुए ओस के कणों की कल्पना की गई है, अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

9. मानवीकरण

प्रश्न 12.
मानवीकरण अलंकार की सोदाहरण परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जहाँ जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं तथा क्रियाओं का आरोप हो, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है; जैसे-
लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी।

यहाँ लतिका में मानवीय क्रियाओं का आरोप है, अतः लतिका में मानवीय अलंकार सिद्ध है। मानवीकरण अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण हैं
(1) दिवावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही
संध्या सुंदरी परी-सी धीरे-धीरे,

(2) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

(3) आए महंत बसंत

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Varthini वर्तनी Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

वर्तनी

वर्तनी हिंदी व्याकरण Class 9 Solutions HBSE प्रश्न 1.
हिन्दी वर्तनी का अर्थ बताते हुए उसकी परिभाषा और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘वर्तनी’ लिपि का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। वर्तनी का शाब्दिक अर्थ है-अक्षर-विन्यास, अक्षरन्यास, अक्षरी, वर्णन्यास आदि। “भाषिक ध्वनियों के लिए निर्धारित प्रतीक चिह्नों (लिपि वर्णो) के सार्थक, व्यवस्थित और व्यावहारिक अनुपयोग का आधारतत्त्व वर्तनी ही है।” वस्तुतः भाषा-लिपि-वर्तनी परस्पर पूर्णतः सम्बद्ध हैं। लिपि भाषा को दृश्य रूप देती है। भाषा के शब्दों, पदों, वाक्यों, वाक्यांशों का सही, शुद्ध उच्चरित और लिखित रूप उपयुक्त एवं संगत वर्तनी पर निर्भर करता है। सार में का जा सकता है, “शब्द के शुद्ध लेखन को वर्तनी कहते हैं।” डॉ० नरेश मिश्र ने वर्तनी की वैज्ञानिक परिभाषा देते हुए लिखा है, “शब्द के विभिन्न वर्गों की क्रमशः शुद्ध रूप में की जाने वाली प्रयोगव्यवस्था को वर्तनी कहते हैं।”

यहाँ कुछ शब्दों के उदाहरण से वर्तनी के स्वरूप को समझा जा सकता है-‘पाट’ और ‘पाठ’, ‘काल’ और ‘खाल’, ‘जरा’ और ‘ज़रा’, ‘अवधि’ और ‘अवधी’, ‘सुत’ और ‘सूत’ शब्द कुछ विशेष पदार्थों-प्रयोजनों के संवाहक शब्द हैं जिनका समावेश हिन्दी भाषा के अन्तर्गत है। प्, आ, ट, ठ, क्, ल, ज्, जू, इ (ि), ई (ी), उ ु(), ऊ (ू) आदि प्रतीक चिह्नों अर्थात् विशेष लिपि (देवनागरी) के माध्यम से ये साकार रूप में प्रत्यक्ष हो पाए हैं। किन्तु भाषिक रूपों के लिखित स्वरूप की सार्थकता अथवा संगति या उपयुक्तता सही वर्तनी के माध्यम से ही सम्भव है। यदि इस संगति या व्यवस्था में छोटी-सी भी भूल हो जाए या तनिक-सा उल्ट-फेर हो जाए तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है; जैसे ‘अध्यापक पाट पढ़ाता है। वाक्य के ‘पाट’ शब्द में ‘ठ’ के स्थान पर ‘ट’ के आने से प्रयोजनीय अर्थ स्पष्ट नहीं होता। इसका कारण देवनागरी लिपि को सही वर्तनी में प्रयुक्त न किया जाना है। इस प्रकार लिपि और वर्तनी में अन्तःसम्बन्ध है।

प्रयोजनमूलक हिन्दी भाषा में पारिभाषिक शब्दों में तो एकरूपता का होना और भी आवश्यक है। आज ज्ञान-विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे शब्दों की वर्तनी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

स्वरूप: प्रयोजनमूलक हिन्दी के शब्दों की वर्तनी की शुद्धता के लिए निम्नांकित बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है-
1. हलन्त:
हिन्दी के परम्परागत तत्सम शब्दों में से अनेक शब्द व्यंजनान्त हो गए हैं अर्थात् उन शब्दों का अन्तिम अक्षर व्यंजन हो गया है; जैसे महान्, विद्वान्, भगवान् आदि। हिन्दी में अनेक व्यंजनान्त शब्द हैं, किन्तु उनमें हलन्त का प्रयोग नहीं किया जाता जैसे काम, नाम, राम, घनश्याम, मन, तन, धन आदि। इसी प्रकार पारिभाषिक शब्दों के व्यंजन होने पर भी उनमें हलन्त का प्रयोग नहीं किया जाता। उसी प्रकार परिभाषिक शब्दों के व्यंजनान्त होने पर उनमें हलन्त का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए; उदाहरणार्थ-
कमान – (Command)
प्रसार – (Expansion)
निगम – (Corporation)
जोखिम – (Risk)
अवमूल्यन – (Devaluation)
ग्राहक – (Client)
किन्तु संस्कृत शब्दों में आज भी हलन्त का प्रयोग किया जाता है; यथा-अभिवाक्, श्रीमन्, अभिषद् आदि।

2. अनुस्वार बिन्दु (ं):
हिन्दी में अनुस्वार का प्रयोग प्रायः पाँच वर्गों के अन्तिम वर्णों (ङ्, ञ, ण, न, म्) के अर्ध रूप के लिए किया जाता है। ऐसा करने से लेखन एवं मुद्रण में सरलता एवं एकरूपता का समावेश होता है। आज मानक हिन्दी में अनुस्वार के इसी रूप का प्रयोग किया जा रहा है-
ङ्- अंग, काव्यांग, रंगशाला, पतंग आदि।
ञ्- मंजन, मंचन, कुंजी आदि।
ण- टंडन, कंगन, बंटन आदि।
न्- हिंदी, बिंदी, चिंदी, पंत आदि।
म्- पंप, संभावना, संबंध आदि।
पारिभाषिक शब्दावली में भी यही मानक पद्धति अपनानी चाहिए-
ङ् – अङक पत्र (कवर्ग-ङ्) – अंक पत्र (Mark sheet)
रङ्गशाला (कवर्ग-ङ्) – रंगशाला (Theatre)

३ – बञ्जर (चवर्ग-ज्) – बंजर (Barren)
सर्व कुञ्जी (चवर्ग-ञ्) – सर्वकुंजी (Master Key)

ण् – बण्टन (टवर्ग-ण) – बंटन (Distribution)
भण्डारण (टवर्ग-ण) – भंडारण (Storage)

न्- अन्तरिम (तवर्ग-न) – अंतरिम (Interim)
(टवर्ग-न्) संदर्भ – (Context)

म्- आलम्ब (पवर्ग-म) – आलंब (Support)
प्रकाश स्तम्भ (पवर्ग-म्) – प्रकाश स्तम्भ (Light house)
कम्प्यूटर (पवर्ग-म्) – कम्प्यूटर (Computer)

किंतु जब कोई अर्ध नासिक्य व्यंजन उसी नासिक्य व्यंजन के पूर्ण रूप से पहले लगाया जाता है तो उसे अनुस्वार (-) में न लिखकर उसके मूल नासिक्य के अर्ध रूप में ही लिखा जाना चाहिए; यथा-सम्मेलन, सम्मति, अन्न आदि।

3. अनुनासिकता/अर्धचन्द्राकार (ँ):
जिस ध्वनि के उच्चारण में निश्वास मुख और नासिका से एक साथ निकले, उसे अनुनासिक ध्वनि (ँ) कहते हैं; जैसे चाँद, साँप, आँख आदि। आज सर्वत्र सरलीकरण की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। भाषा के क्षेत्र में भी इसके प्रयोग किए जा रहे हैं। अनुनासिक (ँ) के लिए अनुस्वार (-) का प्रयोग किया जाने लगा है, किन्तु इससे अर्थ की अभिव्यक्ति में रुकावट पड़ती है; जैसे हंस (पक्षी), हँस (हँसना), यदि दोनों को हंस-हंस लिख दिया जाए तो अर्थबोध अस्पष्ट हो जाएगा। मैं हंस रहा हूँ। इस वाक्य में हंस शब्द का अर्थ स्पष्ट नहीं होता।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

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4. संयुक्त वर्ण-रचना:
हिन्दी एक ऐसी भाषा है जिसमें पूर्ण एवं अर्ध दोनों प्रकार के वर्गों का प्रयोग समान रूप से होता है। वर्णों की अर्ध-रूप रचना के लिए निम्नांकित आधार अपनाए जाने चाहिएं-
(i) जिन वर्णों के दाहिनी ओर खड़ी पाई होती है उसे हटा देना चाहिए। इससे वह अर्ध व्यंजन बन जाता है। इससे ही संयुक्त अक्षरों का निर्माण भी होता है; जैसे-
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(ii) जिन व्यंजनों के दाहिनी ओर अर्ध पाई हो तो उसे हटा देने से वह अर्धवर्ण बन जाता है; यथा-
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(iii) जिन व्यंजनों में पाई का प्रयोग नहीं किया जाता; जैसे ट, ड, ढ आदि। इन व्यंजनों के अर्धरूप बनाने के लिए हलन्त का प्रयोग किया जाता है; यथा-
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5. रकार के प्रमुख चार रूप-हिन्दी में रकार के चार रूप मिलते हैं-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी 4
इस संबंध में भाषा-वैज्ञानिकों का मत है कि ‘र’ के इन सभी रूपों के स्थान पर स्वतन्त्र वर्ण ‘र’ का ही प्रयोग होना चाहिए। भाषा-वैज्ञानिक अध्ययन के लिए यह सुझाव उपयोगी है, किन्तु प्रयोजनमूलक हिन्दी में इन चारों रूपों को पूर्ववत् अपनाना चाहिए।

उदाहरणार्थ ये शब्द देखिए-ट्रक, परस्पर, पार्ट, क्रय, अनिवार्य आदि। अर्ध ‘र’ वर्ण (.) को शब्द में जहाँ उच्चारण किया जाए, उसके आगे वाले पूर्ण वर्ण या अक्षर पर लगाना चाहिए; जैसे स्वीकार्य, अनिवार्य, पार्ट, वर्क्स आदि।

यहाँ ‘अनिवार्य’ में र् का उच्चारण ‘वा’ के बाद होता है, इसलिए ‘य’ में लगी ‘आ’ की मात्रा-‘I’ पर लगाया गया है। ‘वर्क्स’ में र् का उच्चारण ‘क’ के पूर्व होता है किन्तु ‘क’ र के आगे होने पर भी आधा अर्थात् स्वरविहीन है, इसलिए ‘स’ पर लगाया गया है।

6. य-श्रुति:
हिन्दी स्वर प्रधान भाषा है। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निर्देशानुसार जिन शब्दों में ‘य’ ध्वनि क्षीण हो और उनमें ‘ई’ अथवा ‘ए’ सुनाई दे, तो उनमें स्वर रूप अपनाना चाहिए; यथा
अशुद्ध – शुद्ध
नयी – नई
मिठायी – मिठाई
लिये – लिए
आयिये – आइए
शब्द के मूल रूप होने पर स्वरात्मक परिवर्तन नहीं किया जाए; यथा-स्थायी, अव्ययीभाव, दायित्व आदि।

7. क्रिया पद:
हिन्दी में क्रिया पदों तथा सहायक क्रियाओं को अलग-अलग करके लिखा जाता है ‘मैं महाविद्यालय जा रहा था।’ इस वाक्य में ‘जा रहा था’ क्रिया पद है। इसमें ‘जा’ मूल क्रिया है और ‘रहा था’ सहायक क्रिया है। यहाँ इनको अलग-अलग करके लिखा गया है। ‘मैं पत्र लिखता हूँ।’ इस वाक्य में ‘लिखता हूँ क्रिया पद है। ‘लिखता’ मूल क्रिया तथा ‘हूँ’ सहायक क्रिया है जिन्हें अलग-अलग लिखा गया है।

8. विभक्ति चिह्न:
हिन्दी भाषा में विभक्ति चिह्न अर्थ तत्त्व से अलग लिखे जाते हैं; यथा-
राम ने पत्र लिखा।
आपने एक पुस्तक पढ़ी।
विद्यार्थी ने पुस्तक देखी।
इन वाक्यों में कर्ता राम, आप, विद्यार्थी आदि से अलग ‘ने’ विभक्ति चिह्न का प्रयोग किया गया है।

9. अंग्रेजी की ‘ऑ’ ध्वनि का प्रयोग:
आज हिन्दी में अंग्रेजी के अनेक शब्द अपनाए जा रहे हैं। उनके शुद्ध रूप को अपनाने के लिए हमें ॉ (ऑ) ध्वनि चिह्न को भी हिन्दी के ध्वनि चिह्नों में स्थान दे देना चाहिए। ऐसा करने से इन शब्दों का शुद्ध उच्चारण एवं लेखन सम्भव हो सकेगा। उदाहरणार्थ ये शब्द देखिए
डॉक्टर – Doctor
कॉलेज – College
ऑपरेशन – Operation
बॉक्स – Box
उपर्युक्त शब्दों में उच्चारित ऑ (आ और ओ) से भिन्न, किन्तु उनके मध्यवर्ती स्वर हैं।

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10. पुनरुक्ति:
जब भाव विशेष पर बल देने के लिए एक शब्द को दो या अधिक बार प्रयुक्त किया जाता है, उसे पुनरुक्ति कहते हैं। ऐसी स्थिति में कभी-कभी योजक (-) के साथ अंक-2 (दो) लिखा जाता है; जैसे चलते-चलते, रोते-रोते, बार-बार। ऐसा लिखना वैज्ञानिक पद्धति के अनुकूल नहीं है। इसे चलते-दो, रोते-दो तथा बार-दो पढ़ा जा सकता है। अतः पुनरुक्ति में सर्वत्र एक शब्द को दो बार लिखना चाहिए; जैसे मुझे बार-बार प्यास लग रही है।
वह चलते-चलते गिर पड़ा।
गीता रोते-रोते गा रही थी।

11. योजक चिहून:
योजक अंग्रेजी के ‘हाइफन’ का हिन्दी पर्यायवाची है। द्वन्द्व समास के दोनों पदों के बीच में योजक (-) चिह्न का प्रयोग करना नितान्त आवश्यक है; जैसे माता-पिता, दाल-रोटी, अमीरी-गरीबी, पढ़ना-लिखना आदि।

क्योंकि हिन्दी भाषा अत्यधिक लोगों द्वारा बोली जाती है और उसका क्षेत्र भी बहुत विस्तृत है। इसलिए हिन्दी भाषा के उच्चारण व कहीं-कहीं रूप में भी विविधता दिखाई देती है। वातावरण व मानसिक भिन्नता के कारण ऐसा होना स्वाभाविक है, किन्तु प्रयोजनमूलक हिन्दी में ऐसी भिन्नता उचित नहीं है। उसमें सर्वत्र वर्तनी के मानक रूप को ही अपनाना चाहिए। कम्प्यूटर में प्रयुक्त होने वाली प्रयोजनमूलक हिन्दी के लिए तो यह और भी जरूरी हो जाता है। अतः प्रयोजनमूलक हिन्दी में उसके मानक रूप को अपनाने से उसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिलेगा और उसे समझना भी सरल हो जाएगा।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Varn Prakaran वर्ण प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

वर्ण प्रकरण

Varn Prakaran HBSE 9th Class प्रश्न 1.
वर्ण किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
भाषा की सबसे छोटी ध्वनि को वर्ण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, उस छोटी-से-छोटी ध्वनि को वर्ण कहते हैं, जिसके आगे टुकड़े न किए जा सकें; जैसे अ, इ, ऋ, क, ख, ड्र आदि। वर्गों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 46 वर्ण हैं। हिन्दी की वर्णमाला को मुख्यतः स्वर एवं व्यंजन दो भागों में बाँट सकते हैं। हिन्दी की वर्णमाला निम्नलिखित है
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण 1
हिन्दी वर्णमाला के 46 अक्षर संस्कृत भाषा से आए हैं, जिनमें 13 स्वर हैं और शेष व्यंजन हैं। प्रश्न 2. संयुक्त व्यंजनों से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए। उत्तर-जो व्यंजन एक से अधिक व्यंजनों के योग से बने हों, उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं; जैसे
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण 2

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

वर्ण के भेद

Varn Prakaran Class 9 HBSE प्रश्न 3.
वर्ण के कितने भेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वर्ण के दो भेद होते हैं- स्वर एवं व्यंजन।
स्वर- अ, इ, उ, ऋ आदि।
व्यंजन- क, ख, प, फ आदि।

वर्ण प्रकरण Class 9 HBSE प्रश्न 4.
स्वर किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वह वर्ण जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोला जाए, उसे स्वर कहते हैं। मात्रा के अनुसार स्वरों के तीन भेद होते हैं-हस्व स्वर, दीर्घ स्वर और प्लुत स्वर।

वर्ण प्रकरण Class 9 Vyakaran HBSE प्रश्न 5.
उच्चारण की दृष्टि से स्वरों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
उच्चारण के अनुसार स्वरों के निम्नलिखित दो भेद हैं
(1) सानुनासिक तथा
(2) निरनुनासिक।
1. सानुनासिक: जिनका उच्चारण मुख और नासिका से होता है, वे सानुनासिक स्वर कहलाते हैं; जैसे बाँटना, हँसना, दाँत आदि।
2. निरनुनासिक: जिनका उच्चारण केवल मुख से होता है, वे निरनुनासिक स्वर होते हैं; जैसे कौन, दीन आदि।

Hindi Varna HBSE 9th Class प्रश्न 6.
अनुस्वार एवं अनुनासिक किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
अनुनासिक के उच्चारण में हवा नाक और मुख दोनों से निकलती है और अनुस्वार के उच्चारण में हवा केवल नाक से निकलती है। इसके उच्चारण में बल भी अधिक लगता है। अनुनासिक व्यंजन ध्वनि मानी जाती है, जबकि अनुस्वार स्वर माना जाता है। अनुस्वार का चिह्न ऊपर बिन्दु ( . ) है और अनुनासिक का चिह्न चन्द्रबिन्दु (ं) है।
अनुस्वार: गंगा, बंगाल, संधि, संभावना आदि।
अनुनासिक: मुँह, हँसी, बाँटना, दाँत आदि।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

In 9th Standard HBSE प्रश्न 7.
मात्रा से क्या अभिप्राय है? सभी स्वरों के मात्रा रूप बताइए।
उत्तर:
जब किसी स्वर को व्यंजन के साथ जोड़ा जाता है तो स्वर के स्थान पर उसका जो चिह्न लगाया जाता है, उसे मात्रा कहते हैं। स्वरों की मात्राएँ निम्नलिखित हैं
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण 3
वर्ण प्रकरण कक्षा 9 HBSE प्रश्न 8.
व्यंजन किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर:
जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये स्वरों की सहायता के बिना नहीं बोले जा सकते। इनके उच्चारण में वायु रुकावट के साथ बाहर आती है; जैसे क् + अ = क । यही नियम सभी व्यंजनों पर लागू होता है। बिना स्वर के योग के सभी वर्गों के नीचे हलन्त लगता है; जैसे क्, ख, ग, ट्, त्, ड्, न आदि।

उच्चारण के अनुसार व्यंजनों के तीन भेद किए जा सकते हैं
(1) स्पर्श,
(2) अन्तःस्थ
(3) ऊष्म।

प्रश्न 9.
‘र’ और ‘ऋ’ में क्या अन्तर है? व्यंजनों के साथ ‘र’ लगाने के कौन-से नियम हैं ?
उत्तर:
र व्यंजन है और ऋ स्वर है। हिन्दी में रि और ऋ के उच्चारण में काफी समानता प्रतीत होती है। व्यंजनों के साथ ‘र’ लगाने के नियम निम्नलिखित हैं-
(1) यदि ‘र’ से पूर्व कोई स्वर रहित व्यंजन अर्थात् हलन्त वाला व्यंजन हो तो ‘र’ व्यंजन के नीचे आकर जुड़ जाता है; जैसे-
क् + र = क्र (क्रम),
म् + र = म्र (ताम्र),
द् + र = द्र (द्रव्य),
प् + र = प्र (प्रकाश)।

किन्तु ‘र’ से पूर्व यदि कोई टवर्ग का व्यंजन स्वर रहित (हलन्त) हो, तो इसका प्रयोग इस तरह किया जाएगा-
ट् + र = ट्र (ट्रक),
ड् + र = ड्र (ड्रामा)।

(2) यदि स्वर रहित ‘र’ अन्य वर्गों से पहले आए तो अपने से अगले व्यंजन के ऊपर (शिरोरेख के ऊपर) लगाया जाता है; जैसे
ध + र् + म = धर्म,
पू + र् + व = पूर्व,
सू + र् + य = सूर्य ।

(3) यदि ‘र’ के साथ ‘इ’ या ‘ई’ की मात्रा लगी हो, तो इसे मात्रा के बाद जोड़कर लिखा जाता है; जैसे कर्मी, फुर्ती, दर्शी, महर्षि, गर्वित।

(4) यदि ‘र’ संयुक्त अक्षर के साथ आए तो ‘र’ को संयुक्ताक्षर के अन्तिम वर्ण पर लगाया जाता है; जैसे मर्त्य, दुर्घर्ष।

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परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्ण किसे कहते हैं? हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण हैं? इनको हम कितने भागों में बाँट सकते हैं?
उत्तर:
भाषा की लघुतम इकाई को वर्ण कहते हैं या वह लघु ध्वनि जिसके आगे टुकड़े न हो सकें, उसे वर्ण कहते हैं; जैसे आ, इ, क, खु आदि। हिन्दी भाषा में 46 वर्ण होते हैं। वर्ण को हम दो भागों में बाँट सकते हैं-
(1) स्वर,
(2) व्यंजन।

प्रश्न 2.
स्वर किसे कहते हैं? मात्रा के अनुसार ये कितने प्रकार के हैं?
उत्तर:
वह वर्ण जो अन्य वर्ण की सहायता से बोला जा सके, स्वर कहलाता है। मात्रा के आधार पर इन्हें तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) ह्रस्व स्वर,
(2) दीर्घ स्वर,
(3) प्लुत स्वर।

प्रश्न 3.
ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस स्वर के उच्चारण में थोड़ा अथवा एक मात्रा का समय लगे, उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये चार हैं-अ, इ, उ, ऋ। इन्हें एक मात्रिक स्वर भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
दीर्घ स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व से दुगुना समय लगे, उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। ये सात हैं आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। इन्हें द्वि-मात्रिक स्वर भी कहते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

प्रश्न 5.
प्लुत स्वरों की परिभाषा देते हुए उदाहरण भी लिखें।
उत्तर:
चिल्लाते या पुकारते समय जब किसी स्वर के उच्चारण में तीन गुणा समय लगे, तो वह स्वर प्लुत कहलाता है। जैसे- ओ३म्, हे राम आदि।

प्रश्न 6.
हिन्दी में दीर्घ स्वरों का क्या महत्व होता है? सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तर:
हिन्दी में दीर्घ स्वरों का बहुत महत्व होता है। ये शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं; जैसे-

ह्रस्व स्वर – दीर्घ स्वर
कल – काल
कम – काम
जाति – जाती
दिन – दीन
सुत – सूत
कुल – कूल
खल – खाल
पुत्र – पूत
नग – नाग
खिल – खील

नोट-
अंग्रेज़ी के डॉक्टर, कॉलेज, बॉल आदि शब्दों में आ और ओ ध्वनियों के मध्यवर्ती दीर्घ स्वर ‘ऑ’ का उच्चारण होता है। हिन्दी के इन दीर्घ स्वरों से इसको भिन्न लिखने और बोलने के कारण इसका प्रचलन हो गया है।

प्रश्न 7.
अनुस्वार एवं अनुनासिक में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अनुस्वार के उच्चारण में वायु केवल नाक से निकलती है तथा अनुनासिक के उच्चारण में वायु नाक एवं मुख दोनों से निकलती है; यथा
अनुस्वार – कंगन, गंगा।
अनुनासिक – दाँत, चाँद ।

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प्रश्न 8.
व्यंजन किसे कहते हैं? उच्चारण के विचार से इनके कितने भेद हैं?
उत्तर:
स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण को व्यंजन कहते हैं; जैसे क, ख, ग आदि। उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन के तीन भेद होते हैं-
(1) स्पर्श व्यंजन,
(2) अन्तःस्थ व्यंजन,
(3) ऊष्म व्यंजन।

प्रश्न 9.
अंतःस्थ व्यंजन की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा पूरी तरह से मुख के किसी भाग का स्पर्श नहीं करती, उन्हें अंतःस्थ व्यंजन कहते हैं; जैसे य, र, ल, व। ये चार व्यंजन ही अंतःस्थ हैं।

प्रश्न 10.
स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के विभिन्न भागों से पूरी तरह स्पर्श करती हो, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन संख्या में 25 होते हैं; जैसे-
कवर्ग – क ख ग घ ङ
चवर्ग – च छ ज झ ञ
टवर्ग – ट ठ ड ढ ण
तवर्ग – त थ द ध न
पवर्ग – प फ ब भ म

प्रश्न 11.
ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं? इनकी कितनी संख्या होती है?
उत्तर:
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु रगड़ खाकर निकलती है अर्थात् वायु एक प्रकार से ऊष्म-सी हो जाती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं; जैसे श, ष, स, ह। ये चार वर्ण ऊष्म कहलाते हैं।

प्रश्न 12.
इन शब्दों के पृथक्-पृथक् वर्ण लिखिएयूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब, मद्रास, कश्मीर।
उत्तर:
यूनिवर्सिटी – य् + ऊ + न् + इ + व् + अ + र् + स् + इ + ट् + ई।
अमृतसर – अ + म् + ऋ + त् + अ + स् + अ + र् + अ
पंजाब – प् + अं + ज् + आ + ब् + अ
मद्रास – म् + अ + द् + र् + आ + स् + अ
कश्मीर – क् + अ + श् + म् + ई + र् + अ

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प्रश्न 13.
नीचे लिखे वर्गों के योग से बनने वाले शब्द लिखिए
(1) र् + आ + त् + अ
(2) स् + अ + त् + अ + ल् + उ + ज् + अ
(3) व् + ऐ + ज् + ञ् + आ + न् + इ + क् + अ
(4) क् + ऋ + प् + आ + ण् + अ
(5) त् + उ + ल् + अ + स् + ई।
उत्तर:
(1) रात
(2) सतलुज
(3) वैज्ञानिक
(4) कृपाण
(5) तुलसी।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित वर्गों को जोड़कर शब्द बनाओ
(1) ल् + अ + त् + आ
(2) अ +ध् + य् + आ + य् + अ
(3) म् + इ + त् + र् + अ
(4) क् + ष् + अ + म् + आ
(5) आ + ज् + ञ् + आ
उत्तर:
(1) लता
(2) अध्याय
(3) मित्र
(4) क्षमा
(5) आज्ञा।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित शब्दों को वर्गों में विभक्त करोश्लोक, ज्ञान, छात्र, विद्यालय, भारतवर्ष, भक्ति, कृष्ण, परिश्रम।
उत्तर:
श्लोक = श् + ल् + ओ + क् + अ।
ज्ञान = ज् + ञ् + आ + न् + अ।
छात्र = छ + आ + त् + र् + अ।
विद्यालय = व् + इ + द् + य् + आ + ल् + अ + य् + अ।
भारतवर्ष = भ् + आ + र् + अ + त् + अ + व् + र् + ष् + अ।
भक्ति = भु + अ + क + तु + इ।
कृष्ण = क् + ऋ + ष् + ण + अ।
परिश्रम = प् + अ + र् + इ + श् + र् + अ + म् + अ।

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प्रश्न 16.
स्वर और व्यंजन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्वर:
स्वतन्त्र अर्थात् दूसरे वर्ण की सहायता के बिना बोले जाने वाले वर्ण को स्वर कहते हैं। स्वर ऐसी ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में सांस की हवा कंठ, जीभ और होंठों की सहायता के बिना बाहर निकल जाती है; जैसे अ, इ, उ।

व्यंजन:
जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाएं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। इनके उच्चारण में सांस की हवा कंठ, जीभ और होंठ आदि मुख के अंगों में रुकावट पैदा करके निकलती है। ये क से लेकर ह तक तैंतीस व्यंजन हैं।

प्रश्न 17.
अनुस्वार और अनुनासिक में क्या अन्तर है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुस्वार:
जिस ध्वनि के उच्चारण में सांस केवल नाक से निकले, उसे अनुस्वार ध्वनि कहते हैं। अनुस्वार का चिह्न बिन्दु (ं) है; जैसे संत, गंगा, व्यंजन आदि। हिन्दी वर्णमाला में ङ्, ञ्, ण, न और म् अनुस्वार ध्वनियाँ हैं।

अनुनासिक:
जब सांस की हवा कुछ तो नाक से निकल जाए और कुछ मुँह से निकले तो अनुनासिक स्वरों को बोला जाता है और उसका चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) होता है; जैसे आँख, चाँद, माताएँ आदि। हिन्दी में अनुनासिकता अधिकतर दीर्घ स्वरों में ही मिलती है।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित वर्गों के उच्चारण स्थान उनके सामने दिए कोष्ठकों में लिखो
प् ( )
न ( )
ठ ( )
ज् ( )
घ् ( )
व ( )
औ ( )
ए ( )
उत्तर:
प् (ओष्ठ),
न् (नासिका),
ठ् (मूर्धा),
ज् (तालु),
घ् (कण्ठ),
व् (दन्तोष्ठ),
औ (कंठौष्ठ),
ए (कंठ तालु)।

प्रश्न 19.
टवर्ग, पवर्ग, कवर्ग, तवर्ग की नासिक्य ध्वनियाँ लिखो।
उत्तर:
टवर्ग – ण।
पवर्ग – म्।
कवर्ग – ङ्।
तवर्ग – न्।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

प्रश्न 20.
(क) कंठ-स्थान से बोला जाने वाला ऊष्म व्यंजन लिखो।
(ख) तालु-स्थान से बोला जाने वाला एक अंतस्थ व्यंजन लिखो।
उत्तर:
(क) ह
(ख) य।

प्रश्न 21.
अयोगवाह किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वरों एवं व्यंजनों के अतिरिक्त हिन्दी वर्णमाला में दो वर्ण और भी हैं, ये हैं अं और अः । अनुस्वार और विसर्ग ये दोनों स्वरों के बाद लिखे जाते हैं। स्वतंत्र गति न होने के कारण ये स्वरों की संख्या में नहीं आ सकते। इसलिए इन्हें अयोगवाह कहते हैं। न स्वरों के योग, न व्यंजनों से, फिर भी ध्वनि वहन करते हैं। अतः ये अयोगवाह हैं।

प्रश्न 22.
‘अक्षर’ की परिभाषा देते हुए हिन्दी भाषा के प्रमुख अक्षरों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी एक ध्वनि या ध्वनि समूह की उच्चरित न्यूनतम इकाई को अक्षर कहते हैं। अक्षर केवल स्वर, स्वर तथा व्यंजन या अनुनासिकता सहित स्वर हो सकता है। दूसरे शब्दों में, वह छोटी-से-छोटी इकाई अक्षर है, जिसका उच्चारण वायु के एक झटके से होता है; जैसे आ, जी, क्या आदि। हिन्दी अक्षरों के कुछ प्रमुख उदाहरण देखिए
(1) केवल स्वर, औ, आ, ओ।
(2) स्वर व्यंजन, अब, आज्, आँख् ।
(3) व्यंजन स्वर, न, खा, हाँ।
(4) व्यंजन स्वर व्यंजन, घर, देर्, साँप् ।
(5) व्यंजन-व्यंजन स्वर, क्या, क्यों।
(6) व्यंजन-व्यंजन-व्यंजन स्वर, स्त्री।

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HBSE 9th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

Haryana State Board HBSE 9th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Shabd Roop शब्द-रूप Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

Class 9 Sanskrit शब्द-रूप HBSE

1. राम (राम)

विभक्ति प्रथमाएकवचनद्विवच्नबहुवचन
द्वितीयारामःरामौरामाः
तृतीयारामम्रामौरामान्
चतुर्थीरामेणरामाभ्याम्रामैः
पंचमीरामायरामाभ्याम्रामेभ्यः
षष्ठीरामात्रामाभ्याम्रामेभ्यः
सप्तमीरामस्यरामयो:रामाणाम्
सम्बोधन,रामेरामयो:रामेषु

शब्द-रूप In Sanskrit Class 9 HBSE

2. बालक (बच्चा)

प्रथमाबालक:बालकौबालका:
द्वितीयाबालकम्बालकौबालकान्
तृतीयाबालकेनबालकाभ्याम्बालकः:
चतुर्थीबालकायबालकाभ्याम्बालकेभ्य:
पंचमीबालकात्बालकाभ्याम्बालकेभ्य:
षष्ठीबालकस्यबालकयो:बालकानाम्
सप्तमीबालकेबालक्यो:बालकेषु
सम्बोधन,हे बालक!हे बालकौ!हे बालका:!

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

3. छात्र

प्रथमाछात्र:छात्रौछात्रा:
द्वितीयाछानम्छात्रौछात्रान्
तृतीयाछात्रेणछात्राभ्याम्छात्रै:
चतुर्थीछात्रायछात्राभ्याम्छात्रेभ्य:
पंचमीछात्रात्छात्राभ्याम्छात्रेभ्य:
षष्ठीछात्रस्यछात्रयोछात्राणाम्
सप्तमीछात्रेछात्रयो:छात्रेषु
सम्बोधन,हे छात्र!हे छात्रौ!हे छात्रा:!

4. रमा

प्रथमारमारमेरमाः
द्वितीयारमाम्रमेरमाः
तृतीयारमयारमाभ्याम्रमाभि:
चतुर्थीरमायैरमाभ्याम्रमाभ्य:
पंचमीरमायाःरमाभ्याम्रमाभ्य:
षष्ठीरमायाःरमयो:रमाणाम्
सप्तमीरमायाम्रमयो:रमासु
सम्बोधन,हे रमे!हे रमे!हे रमाः !

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

5. लता (बेल)

प्रथमालतालतेलता:
द्वितीयालताम्लतेलता:
तृतीयालतयालताभ्याम्लताभि:
चतुर्थीलतायैलताभ्याम्लताभ्य:
पंचमीलताया:लताभ्याम्लताभ्य:
षष्ठीलताया:लतयो:लतानाम्
सप्तमीलतायाम्लतयो:लतासु
सम्बोधन,हे लते!है लते!हे लता:!

6. विद्या

प्रथमाविद्याविद्येविद्या:
द्वितीयाविद्याम्विद्येविद्या:
तृतीयाविद्ययाविद्याभ्याम्विद्याभि::
चतुर्थीविद्यायैविद्याभ्याम्विद्याभ्य:
पंचमीविद्याया:विद्याभ्याम्विद्याभ्य:
षष्ठीविद्याया:विद्ययो:विद्यानाम्
सप्तमीविद्यायाम्विद्ययो:विद्यासु
सम्बोधन,हे विद्ये!हे विद्ये!है विद्या:

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

7. कवि

प्रथमाकविःकवीकवयः
द्वितीयाकविम्कवीकवीन
तृतीयाकविनाकविभ्याम्कविभिः
चतुर्थीकवयेकविभ्याम्कविभ्य:
पंचमीकवे:कविभ्याम्कविभ्य:
षष्ठीकवे:कव्योःकवीनाम्
सप्तमीकवौकव्यो:कविषु
सम्बोधन,हे कवे!है कवी!हे कवयः!

8. हरि

प्रथमाहरिःहरीहरयः
द्वितीयाहरिमूहरीहरीन्
तृतीयाहरिणाहरिभ्याम्हरिभिः
चतुर्थीहरयेहरिभ्याम्हरिभि:
पंचमीहरे:हरिभ्याम्हरिभि:
षष्ठीहरे:हर्यो:हरिणाम्
सप्तमीहरौहर्योःहरिष
सम्बोधन,हे हरे!हे हरी!हे हरय: !

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

9. भानु

विभक्तिएकवचनद्विवचन भानूबहुवचन
प्रथमाभानु:भानूभानवः
द्वितीयाभानुम्भानूभानू :
तृतीयाभान्वाभानुभ्यामुभानुभि:
चतुर्थीभान्वै, भानवेभानुभ्याम्भानुभ्य:
पंचमीभान्वा: भानवो:भानुभ्याम्भानुभ्य:
षष्ठीभान्वाः, भानो:भान्वो:भानुनाम्
सप्तमीभान्वाम्, भानौभान्दो:भानुष्
सम्बोधन,हे भानो!हे भानू !हे भानवः!

10. साधु (भला)

प्रथमासाधु:साधूसाधव:
द्वितीयासाधुम्साधूसाधून्
तृतीयासाधुनासाधुभ्याम्साधुभि:
चतुर्थीसाधवेसाधुभ्याम्साधुभ्यः
पंचमीसाधो:साधुभ्याम्साधुभ्य:
षष्ठीसाधो:साध्वो:साधूनाम्
सप्तमीसाधौसाध्वोःसाधुषु
सम्बोधन,हे साधो!हे साधू!है साधवः!

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

11. मनस् (मन )

प्रथमामन:मनसीमनांसि
द्वितीयामनःमनसीमनांसि
तृतीयामनसामनोभ्याम्मनोभि:
चतुर्थीमनसेमनोभ्याम्मनोभ्य:
पंचमीमनसःमनोभ्याम्मनोभ्य:
षष्ठीमनस:मनसो:मनसाम्
सप्तमीमनसिमनसो:मनस्सु
सम्बोधन,हे मन !हे मनसी!हे मनांसि!

सर्वनाम शब्द
1. अस्मद् (में)

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाअहमूआवाम्वयम्
द्वितीयामाम्, माआवाम्, नौअस्मान्, नः
तृतीयामयाआवाभ्याम्अस्माभिः
चतुर्थीमह्यम्, मेआवाभ्यामू, नौअस्मभ्यम्, नः
पंचमीमत्आवाभ्याम्अस्मतू
षष्ठीमम, मेआवयोः, नौअस्माकमू, नः
सप्तमीमयिआवयोःअस्मासु

नोट-‘अस्मद्’ शब्द के तीनों लिड्गें में एक जैसे रूप होते हैं।

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

2. युष्मद् (तू)

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमात्वम्युवाम्यूयम्
द्वितीयात्वाम्, त्वायुवाम्, वाम्युष्मान्, वः
तृतीयात्वयायुवाभ्याम्युष्माभि:
चतुर्थीतुभ्यम्, तेयुवाभ्याम्, वाम्युष्मभ्यम्, वः
पंचमीत्वत्युवाभ्याम्युष्मत्
षष्ठीतव, तेयुवयो:, वाम्युष्माकम्, वः
सप्तमीत्वयियुवयो:युष्मासु

नोट-‘युष्मद्” शब्द के तीनों लिड़ों में एक जैसे रूप होते हैं।
3. (i) किम् (कौन), पुंल्लिडूग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाकःकौके
द्वितीयाकमकोकान
तृतीयाकेनकाभ्याम्कै:
चतुर्थीकस्मैका्यामूकेभ्यः
पंचमीकस्मात्काभ्यामकेभ्य:
षष्ठीकस्यक्यो:केषाम्
सप्तमीकस्मिन्कयो:केषु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(ii) किम् (कौन), स्त्रीलिडूग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाकाकेकाः
द्वितीयाकाम्केका:
तृतीयाकयाकाभ्यामकाभि:
चतुर्थीकस्थकाभ्यामकाम्य:
पंचमीकस्या:काभ्याम्काभ्य:
षष्ठीकस्या:क्यो:कासाम
सप्तमीकस्याम्कयो:कासु

(iii) किम् (कौन), नपुंसकलिड़्ग

प्रथमाकाकेकाः
द्वितीयाकाम्केका:

नोट-‘किम्’ नपुंसकलिड्ग के शेष रूप ‘किम्’ पुंल्लिड्ग के समान होते हैं।
4. (i) एतद् (यह), पुंल्लिडून

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाएषःएतौएते
द्वितीयाएतम्एतौएतान्
तृतीयाएतेनएताभ्याम्एतै:
चतुर्थीएतस्मैएताभ्याम्एतेभ्यः
पंचमीएतस्मात्एताभ्याम्एतेभ्यः
षष्ठीएतस्यएतयो:एतेषाम्
सप्तमीएतस्मिन्एतयो:एतेषु

(ii) एतद् (यह), स्त्रीलिडून

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाएषाएतेएता:
द्वितीयाएताम्एतेएताः
तृतीयाएतयाएताभ्याम्एताभि:
चतुर्थीएतस्यैएताभ्याम्एताभ्यः
पंचमीएतस्था:एताभ्याम्एताभ्य:
षष्ठीएतस्था:एतयो:एतासाम्
सप्तमीएतस्याम्एतयो:एतासु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(iii) एतदू (यह), नपुंसकलिडून्ग

प्रथमाएतत्एतेएतानि
द्वितीयाएतत्एतेएतानि

नोट-‘एतत्’ नपुंसकलिड्ग के शेष रूप ‘एतद्’ पुंल्लिड्न के समान होते हैं।
5. (i) तत् (वह), पुंद्रिज्ञाग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमासःतौते
द्वितीयातम्तौतान्
तृतीयातेनताभ्याम्तै:
चतुर्थीतस्मैताभ्याम्तेभ्यः
पंचमीतस्मात्ताभ्याम्तेभ्यः
षष्ठीतस्यतयो:तेषाम्
सप्तमीतस्मिन्तयो:तेषु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(ii) तत् (वह), स्त्रीलिडून्ग

प्रथमासातेता:
द्वितीयाताम्तेताः
तृतीयातयाताभ्याम्ताभि:
चतुर्थीतस्यैताभ्याम्ताभ्य:
पंचमीतस्या:ताभ्याम्ताभ्यः
षष्ठीतस्या:तयो:तासाम्
सप्तमीतस्याम्तयोःतासु

(iii) तत् (वह), नपुंसकलिडूग

प्रथमातत्तेतानि
द्वितीयातत्तेतानि

नोट ‘तत्’ नपुंसकलिड्ग के शेष रूप ‘तत्’ पुंल्लिड्ग के समान होते हैं।
6. (i) यत् (जो), पुंल्लिड़ग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाय:यौये
द्वितीयायम्यौयान्
तृतीयायेनयाभ्याम्यैः
चतुर्थीयस्मैयाभ्याम्येथ्य
पंचमीयस्मात्याभ्याम्येभ्य:
षष्ठीयस्यययो:येषाम्
सप्तमीयस्मिन्ययो:येषु

(ii) यत् (जो), स्त्रीलिडूग

प्रथमायायेया:
द्वितीयायाम्येयाः
तृतीयाययायाभ्याम्याभिः
चतुर्थीयस्थैयाभ्याम्याभ्य:
पंचमीयस्याःयाभ्याम्याभ्य:
षष्ठीयस्याःययोःयासाम्
सप्तमीयस्याम्ययोःयासु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(iii) यत् (जो), नपुंसकलिडून्ग

प्रथमायत्येयानि
द्वितीयायत्येयानि

 

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HBSE 9th Class Sanskrit व्याकरणम् कारक एवं उपपद विभक्ति

Haryana State Board HBSE 9th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Karak Evam Uppad Vibhakti कारक एवं उपपद विभक्ति Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Sanskrit व्याकरणम् कारक एवं उपपद विभक्ति

Uppad Vibhakti Sanskrit Class 9 HBSE

(क) कारक एवं उपपद विभक्ति
किसी दूसरे के पद के समीप आ जाने के कारण जिस विभक्ति का प्रयोग किया जाता है, उसे उपपद विभक्ति कहते हैं; जैसेरामः देवेन सह विद्यालयं गच्छति। इस वाक्य में ‘सह’ के प्रयोग के कारण तृतीया विभक्ति आई है। अतः यह उपपद विभक्ति है। उपपद विभक्ति के लिए कारकों का ज्ञान अनिवार्य है। अतः उनका परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है।

1. प्रथमा विभक्ति-सामान्यतया कर्तृवाच्य के कर्त्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-रामः गृहं गच्छति (राम घर जाता है)। यहाँ ‘राम’ कर्ता है। इसलिए उसमें प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर प्रथमा विभक्ति होती है
(क) सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे हे बालकाः! यूयं कुत्र गच्छथ? (हे बालको! तुम कहाँ जाते हो?)
(ख) कर्मवाच्य के कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है; जैसे मया पाठः पठ्यते। (मेरे द्वारा पाठ पढ़ा जाता है।) यहाँ ‘पाठ’ में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया गया है।

2. द्वितीया विभक्ति-सामान्यतया कर्तृवाच्य में कर्ता में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-रामः वनं गच्छति (राम वन को जाता है)। यहाँ ‘वन’ कर्म है। इसलिए उसमें द्वितीया विभक्ति का प्रयोग हुआ है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है
(क) अधि + शी (सोना), अधि + स्था (बैठना या रहना), अधि + आस् (बैठना) धातुओं के योग में द्वितीया विभक्ति होती है; जैसे
(i) सः पर्यङ्कमधिशेते। (वह पलंग पर सोता है।)
(i) राजा सिंहासनमधितिष्ठति। (राजा सिंहासन पर बैठता है।)
(iii) पुरोहितः आसनमध्यास्ते। (पुरोहित आसन पर बैठता है।)

(ख) प्रति, अनु, विना, परितः, सर्वतः, उभयतः, अभितः, धिक् इत्यादि के योग में अर्थात् इन शब्दों का प्रयोग हो तो द्वितीया विभक्ति होती है।
(i) प्रति (की ओर) कृष्णः पाठशाला प्रति गच्छति। (कृष्ण पाठशाला की ओर जाता है।)
(ii) अनु (पीछे) मातरमनुगछति पुत्रः। (पुत्र माता के पीछे जाता है।)
(iii) विना (बिना) दानं विना मुक्तिः नास्ति। (दान के बिना मुक्ति नहीं होती।)
(iv) परितः (चारों ओर)-नगरं परितः उपवनानि सन्ति । (नगर के चारों ओर बाग है।)
(v) सर्वतः (सब ओर)-ग्रामं सर्वतः जलं वर्तते। (गाँव में सब ओर जल है।)
(vi) उभयतः (दोनों ओर) – गृहमुभयतः वृक्षाः सन्ति। (घर के दोनों ओर वृक्ष हैं।)
(vii) अभितः (दोनों ओर)-ग्रामम् अभितः नदी वहति । (गाँव के दोनों ओर नदी बहती है।)
(viii) धिक् (धिक्कार)-धिक तम् दुर्जनम्। (दुर्जन को धिक्कार है।)

उपपद विभक्ति संस्कृत Class 9 HBSE

HBSE 9th Class Sanskrit व्याकरणम् कारक एवं उपपद विभक्ति

3. तृतीया विभक्ति-जिस साधन के द्वारा कर्ता क्रिया को सिद्ध करता है, उस साधन में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। इसे करण कारक भी कहते हैं; जैसे-रामः हस्तेन लिखति (राम हाथ से लिखता है)। यहाँ पर राम द्वारा लिखने की क्रिया हाथ से बताई गई है। इसलिए लिखने के साधन ‘हाथ’ में तृतीया विभक्ति का प्रयोग किया गया है।
व्याकरण (कारक, उपपद विभक्ति, संख्या एवं अव्यय) इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर भी तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है
(क) कर्मवाच्य तथा भाववाच्य के कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे कर्मवाच्य में-रामेण रावणः हन्यते। (राम के द्वारा रावण को मारा जाता है।) भाववाच्य में रामेण हस्यते। (राम के द्वारा हँसा जाता है।)
(ख) ‘प्रकृति’ इत्यादि शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे रामः प्रकृत्या विनीतः। (राम स्वभाव से नम्र है।) मोहनः स्वभावेन क्रूरः। (मोहन स्वभाव से क्रूर है।)
(ग) किसी शरीर के अंग-विकार में तृतीया विभक्ति होती है; जैसे सुरेशः नेत्रेण काणः अस्ति। (सुरेश आँख से काना है।)
(घ) सह, साकम्, सार्धम्, अलम्, हीनः शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
(i) सह (साथ) देवेन सह कृष्णः गच्छति। (देव के साथ कृष्ण जाता है।)
(ii) साकम् (साथ) त्वया साकम् अन्यः कः आगमिष्यति? (तुम्हारे साथ अन्य कौन आएगा?)
(iii) सार्धम् (साथ)-मया सार्धम् कविता पठ। (मेरे साथ कविता पढ़ो।)
(iv) अलम् (बस)-अलम् प्रलापेन! (प्रलाप मत करो!)
(v) हीनः (रहित)-नरः विद्याहीनः न शोभते। (विद्या से रहित मनुष्य शोभा नहीं पाता।)

4. चतुर्थी विभक्ति-सामान्यतया सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है अर्थात् जिसको कुछ दिया जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-रामः कृष्णाय धनं यच्छति (राम कृष्ण को धन देता है)। यहाँ कृष्ण को धन देने की बात कही गई है। इसलिए ‘कृष्ण’ में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग किया गया है इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है।
(क) नमः, स्वस्ति, स्वाहा के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है
(i) नमः (नमस्कार) देवाय नमः । (देवता को नमस्कार हो।)
(ii) स्वस्ति (कल्याण)-सर्वेभ्यः स्वस्ति अस्तु। (सबका कल्याण हो।)
(iii) स्वाहा (आहुति डालना)-रुद्राय स्वाहा। (रुद्र के लिए स्वाहा।)

(ख) रुच्, द्रुह् धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति आती है।
(i) मह्यं क्षीरं रोचते। (मुझे दूध अच्छा लगता है।)
(ii) रामः मह्यं द्रुह्यति। (राम मुझसे द्रोह करता है।)

5. पञ्चमी विभक्ति-सामान्यतया (अपादान) अलग होने के अर्थ में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-अहं गृहात् आगच्छामि (मैं घर से आता हूँ)। यहाँ ‘घर’ (जहाँ से मैं आता हूँ) में अपादान है। इसलिए उसमें पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है
(क) पूर्व, ऋते, प्रभृति, बहिर्, ऊर्ध्वम् के योग में पञ्चमी विभक्ति आती है।
(i) पूर्व (पहले) मोहनः दश वादनात् पूर्व पाठशालां गच्छति। (मोहन दस बजे से पहले पाठशाला जाता है।)
(ii) ऋते (बिना)-ऋते धनात् न सुखम्। (धन के बिना सुख नहीं।)
(iii) प्रभृति (से लेकर)-जन्मनः प्रभृति स्वामी दयानन्दः ब्रह्मचारी आसीत् । (जन्म से लेकर स्वामी दयानन्द ब्रह्मचारी थे।)
(iv) बहिर् (बाहर)-ग्रामात् बहिर् उद्यानम् अस्ति। (गाँव से बाहर बगीचा है।)
(v) ऊर्ध्वम् (ऊपर)-भूमे ऊर्ध्वम् स्वर्गं वर्तते। (भूमि के ऊपर स्वर्ग है।)

Uppad Vibhakti Class 9 HBSE

HBSE 9th Class Sanskrit व्याकरणम् कारक एवं उपपद विभक्ति

(ख) जुगुप्सा, विराम तथा प्रमादसूचक शब्दों के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है।
(i) जुगुप्सा (घृणा)-सत्पुरुषः पापात् जुगुप्सते। (सज्जन पाप से घृणा करते हैं।)
(ii) विरम (अनिच्छा)-रामः अध्ययनात् विरमति। (राम अध्ययन से अनिच्छा करता है।)
(iii) प्रमाद (विमुखता)-स धर्मात् प्रमादयति। (वह धर्म से विमुखता करता है।)

(ग) जिससे भय होता है तथा जिससे रक्षा की जाए, उसमें पञ्चमी विभक्ति होती है।
(i) बालकः कुक्कुरात् बिभेति। (बालक कुत्ते से डरता है।)
(i) ईश्वरः मां पापात् रक्षति। (ईश्वर मुझे पाप से बचाता है।)

(घ) निवारण करना (रोकना) अर्थ वाली धातुओं के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है।
(i) मोहनः स्वमित्रं पापात् निवारयति। (मोहन अपने मित्र को पाप से रोकता है।)
(ii) कृषकः यवेभ्यः गां निवारयति। (किसान गाय को यवों से रोकता है।)

6. षष्ठी विभक्ति-सामान्यतया जिसका किसी से सम्बन्ध बताया जाए, उसमें षष्ठी विभक्ति होती है; जैसे-राज्ञः पुरुषः (राजा का पुरुष)। यहाँ पर ‘राजा’ का ‘पुरुष’ के साथ सम्बन्ध बताया गया है। इसलिए यहाँ षष्ठी विभक्ति का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है
(क) ‘हेतु’ शब्द का प्रयोग होने पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे पठनस्य हेतोः सोऽत्र वसति। (पढ़ने के लिए यह यहाँ रहता है।)

(ख) अधि + इ (पढ़ना), स्मृ (स्मरण करना) के योग में षष्ठी विभक्ति होती है।
(i) शिष्यः गुरोरधीते। (शिष्य गुरु से पढ़ता है।)
(ii) बालकः मातुः स्मरति। (बालक माता को स्मरण करता है।)

(ग) ‘तुल्य’ अर्थ वाले सम, सदृश इत्यादि शब्दों के योग में षष्ठी तथा तृतीया विभक्तियाँ होती हैं।
(i) तुल्य (समान)-देवः जनकस्य (जनकेन) तुल्यः । (देव पिता के समान है।)
(ii) सदृश (समान)-सा मातुः (मात्रा) सदृशी अस्ति। (वह माता के समान है।)

उपपद विभक्ति संस्कृत HBSE 9th Class

HBSE 9th Class Sanskrit व्याकरणम् कारक एवं उपपद विभक्ति

7. सप्तमी विभक्ति-अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है। आधार को अधिकरण कहते हैं अर्थात् जो जिसका आधार होता है, उसमें सप्तमी विभक्ति होती है; जैसे-वृक्षे काकः तिष्ठति (पेड़ पर कौआ बैठा है)। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित स्थानों पर सप्तमी विभक्ति होती है
(क) जिस वस्तु में इच्छा होती है, उसमें सप्तमी विभक्ति होती है। तस्य मोक्षे इच्छा अस्ति। (उसकी मोक्ष में इच्छा है।)
(ख) स्निह (स्नेह करना) धातु के योग में सप्तमी विभक्ति होती है। माता पुत्रे स्निह्यति। (माता पुत्र पर स्नेह करती है।)
(ग) युक्तः, व्यापृतः, तत्परः, निपुणः, कुशलः इत्यादि शब्दों के योग में सप्तमी विभक्ति होती है।
(i) युक्तः (नियुक्त)-सः अस्मिन् कार्ये नियुक्तोऽस्ति। (वह इस काम में नियुक्त है।)
(ii) व्यापृतः (संलग्न)-मोहनः निजकार्ये व्यापृतः अस्ति। (मोहन अपने काम में संलग्न है।)
(iii) तत्परः (प्रवृत्त)-सः पठने तत्परः अस्ति। (वह पढ़ने में प्रवृत्त है।)
(iv) निपुणः (निपुण)-रामः शिक्षणे निपुणः अस्ति। (राम शिक्षण में निपुण है।)
(v) कुशलः (दक्ष)-देवः अध्ययने कुशलः अस्ति। (देव अपने अध्ययन में दक्ष है।)

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