Class 9

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Rachana Patra-Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Rachana पत्र-लेखन

पत्र-लेखन

पत्र-लेखन पद्धति

जीवन का एक आवश्यक और महत्त्वपूर्ण अंग है। पत्र के द्वारा मनुष्य अपने मनोभावों को दूसरों तक लिखित रूप में पहुंचाता है। अतः पत्र लिखना एक कला है। मानव-समाज में अनेक तरह के पत्र लिखे जाते हैं। उन्हें हम मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँट सकते हैं
(1) सामाजिक अथवा घरेलू पत्र।
(2) व्यावसायिक या व्यापारिक पत्र।
(3) कार्यालयी पत्र।

1. सामाजिक अथवा घरेलू पत्र:
पारिवारिक सगे-संबंधियों, मित्रों आदि को लिखे जाने वाले पत्र सामाजिक या घरेलू पत्र कहलाते हैं। इन पत्रों में औपचारिकता नहीं होती। लेखक इन पत्रों में अपनी निजी बात कहता या पूछता है। अतः ये पत्र व्यक्तिगत होने के कारण लंबे भी हो जाते हैं। निमंत्रण-पत्रों को भी सामाजिक पत्रों में सम्मिलित किया जाता है।

2. व्यावसायिक या व्यापारिक पत्र:
व्यवसाय या व्यापार से संबंधित सभी प्रकार के पत्र इस कोटि में आते हैं। ये पत्र सरल, संक्षिप्त और स्पष्ट होते हैं। इन पत्रों में नपे-तुले शब्दों में ही काम की बात लिखी जाती है। इनकी भाषा भी व्यावसायिक होती है।

3. कार्यालयी पत्र:
कार्यालयी पत्र वह पत्र जो विभिन्न कार्यालयों तथा उनके विभागों के अधिकारियों को लिखे जाते हैं। नौकरी, प्रशिक्षण, शिकायत, प्रशासन से संबंधित अथवा सूचना प्राप्त करने या देने से जुड़े हुए पत्र इसी वर्ग में आते हैं। इन पत्रों में औपचारिकता का पूर्ण निर्वाह होता है तथा विनम्रतापूर्वक अपनी बात कही जाती है।

तत्सम तद्भव शब्द HBSE 9th Class Hindi

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

पत्र के मुख्य रूप से निम्नलिखित पाँच भाग होते हैं-
(क) लिखने का स्थान, लेखक का पता और तिथि आदि:
पत्र में सबसे ऊपर बाईं ओर कोने में पत्र का लेखक अपना पूरा पता और तिथि लिखे; जैसे
1521, रेलवे रोड,
करनाल-132001
15 फरवरी,..

(ख) संबोधन:
दिनांक से अगली पंक्ति में बाईं ओर संबोधन लिखा जाता है। यह संबोधन व्यक्ति-भेद के आधार पर होना चाहिए। बड़ों के लिए ‘आदरणीय’ या ‘मान्यवर’ छोटों के लिए ‘प्रिय’ और बराबर की आयु वालों के लिए ‘प्रियवर’ आदि का संबोधन होना चाहिए।

व्यावसायिक एवं कार्यालयी पत्रों में यहाँ पर व्यक्ति का पद सहित पूरा पता और आदरपूर्वक उचित ढंग से संबोधन करना चाहिए। विभिन्न प्रकार के पत्रों में यह संबोधन निम्नोक्त प्रकार से होना चाहिए-
HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन 1

HBSE 9th Class Hindi तत्सम तद्भव शब्द

(ग) मुख्य विषय:
उपर्युक्त पद्धति के अनुसार पत्र का आरंभ करके मुख्य विषय पर आना चाहिए। विषय का आरंभ पत्र के अनुसार होना चाहिए। आपका पत्र मिला’ विनम्र निवेदन है कि ….. मैं आपका ध्यान … दिलाना चाहता हूँ’ आदि लिखने के बाद पत्र का विषय क्रमबद्ध तथा स्पष्ट रूप में लिखना चाहिए।

(घ) समाप्ति:
मुख्य विषय के समाप्त हो जाने के बाद बाईं ओर संबोधन के अनुसार विनीत/शुभचिंतक, भवदीय, कृपाभाजन, आपका आदि लिखकर अपना पूरा नाम लिखें; यथा-

व्यावसायिक, कार्यालयी एवं सामजिक पत्रों
के अंतर्गत अपरिचित व्यक्तियों को – भवदीय/आपका/विनम्र।
सामाजिक पत्रों में छोटों को – तुम्हारा शुभचिंतक आदि।
सामाजिक पत्रों में बड़ों को – आपका स्नेहभाजन/कृपाकांक्षी आदि।
सामाजिक पत्रों में मित्रों को – तुम्हारा अभिन्न मित्र आदि।

(ङ) पता:
पत्र के अंतिम भाग में पता लिखना चाहिए। पत्र या लिफाफे पर पत्र पाने वाले का नाम और पत्र लिखकर नीचे उसका पूरा पता होना चाहिए। गाँव, नगर, तहसील, प्रदेश का नाम लिखकर पिन कोड का नंबर अवश्य लिखना चाहिए। विदेश भेजे गए पत्र में उस देश का नाम लिखा जाना चाहिए। उदाहरण-
स्थान अथवा पता
तिथि
संबोधन….
मुख्य विषय (पत्र या कलेवर)…………
समाप्ति (स्वनिर्देश)
पत्र प्राप्त करने वाले का पता

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

1. भाई के विवाह के लिए अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,..
मुख्याध्यापक महोदय,
आर्य उच्च विद्यालय,
पानीपत।
श्रीमान् जी,
सविनय प्रार्थना है कि मेरे बड़े भाई का शुभ विवाह 6 अप्रैल 20……को होना निश्चित हुआ है। इसमें मेरा सम्मिलित होना नितांत अनिवार्य है। इसलिए इन तिथियों को मैं विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकूँगा। कृपया मुझे 5 अप्रैल से 8 अप्रैल, 20……. तक चार दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राजेश कुमार
कक्षा-नौवीं (ख)
तिथि : 03-03-20………

2. जुर्माना माफी के लिए अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
अम्बाला।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन यह है कि कल हमारे नए आए कक्षा अध्यापक ने हिंदी का मासिक टेस्ट लेना निश्चित किया था, किंतु प्रातः स्कूल आते समय रास्ते में मेरी साइकिल खराब हो गई। इस कारण मैं स्कूल देर से पहुँचा और टेस्ट में भाग न ले सका। अध्यापक महोदय ने मेरी इस बात का विश्वास नहीं किया और मुझ पर दस रुपए जुर्माना कर दिया। मैं गरीब परिवार से संबंधित हूँ। मेरे पिताजी एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क हैं। वे इस आकस्मिक पड़े आर्थिक बोझ को सहन नहीं कर सकते। मैं सदा परीक्षा में प्रथम आता रहा हूँ। कृपया मेरी आर्थिक स्थिति को सामने रखते हुए मेरा जुर्माना माफ करने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका अति धन्यवादी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
विनोद कुमार
कक्षा-नौवीं (क)
तिथि : 05-03-20……..

3. बीमारी की छुट्टी के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखें।
अथवा
अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण 15 दिन का अवकाश स्वीकृत करवाने हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
विवेकानन्द उच्च विद्यालय,
अम्बाला।
श्रीमान् जी,
विनम्र निवेदन यह है कि मुझे कल से अचानक बुखार हो गया है तथा अभी तक बुखार उतरा नहीं है। डॉक्टर ने मुझे पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। इसलिए मैं 15 दिन तक विद्यालय में नहीं आ सकता। अतः कृपा करके मुझे 15 दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रामलाल
कक्षा-नौवीं (क)
अनुक्रमांक-5
तिथि : 07-03-20……..

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4. पड़ोसी विद्यालय की फुटबॉल टीम के साथ मैच खेलने की स्वीकृति के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० उच्च विद्यालय,
नरवाना।
श्रीमान् जी,
विनम्र निवेदन है कि हमारे विद्यालय की फुटबॉल टीम के सदस्य स्थानीय राजकीय उच्च विद्यालय की फुटबॉल टीम के साथ एक मैत्रीपूर्ण मैच खेलना चाहते हैं। राजकीय उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने वहाँ की टीम को यह मैच खेलने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही वे उक्त मैच हमारे ही विद्यालय के खेल के मैदान में करवाने के लिए सहमत हैं। इस विषय में आपकी स्वीकृति प्राप्त होना आवश्यक है। कृपया आप हमें अपने विद्यालय के खेल के मैदान में कल शाम को तीन बजे यह मैच खेलने की अनुमति प्रदान कर अनुगृहीत करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अमन गुप्ता
कप्तान फुटबाल टीम
तिथि : 10-03-20…..
एस०डी०उच्च विद्यालय, करनाल।

5. अपनी आर्थिक कठिनाइयों का वर्णन करते हुए मुख्याध्यापक को फीस माफी के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय, राजकीय उच्च विद्यालय, भिवानी। मान्यवर, – विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखता हूँ। मेरे पिताजी एक निजी कार्यालय में चपरासी के पद पर नौकरी करते हैं। उनकी मासिक आय बहुत कम है। हम परिवार के पाँच सदस्य हैं। महँगाई के इस युग में कम वेतन में गुजारा करना कठिन है। ऐसी परिस्थितियों में मेरे पिताजी मेरी स्कूल की फीस देने में असमर्थ हैं।

मेरी पढ़ाई में अत्यधिक रुचि है तथा मैं आगे पढ़ना चाहता हूँ। मैं कक्षा में सदा प्रथम स्थान प्राप्त करता रहा हूँ। मैं स्कूल की अन्य गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता हूँ। मैं पिछले वर्ष जिले भर में प्रथम रहने वाली फुटबॉल टीम का सदस्य भी रहा हूँ। अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि मेरी फीस माफ करके मुझे आगे पढ़ाई जारी रखने का अवसर प्रदान करें।
मैं आपका आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अशोक कुमार
कक्षा-नौवीं (क)
अनुक्रमांक-6
तिथि : 12-03-20..

6. मुख्याध्यापक को स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने हेतु आवेदन-पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
रोहतक।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मेरे पिताजी का स्थानांतरण रोहतक से भिवानी हो गया है। परिवार के सभी सदस्य भिवानी जा रहे हैं। अतः मुझे भी वहाँ जाना पड़ेगा। आपसे प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय त्यागने का प्रमाण-पत्र प्रदान करें ताकि मैं भिवानी जाकर विद्यालय में प्रवेश प्राप्त कर सकूँ। आपकी इस कृपा के लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
जसबीर सिंह
कक्षा-नौवीं
तिथि : 14-03-20….

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

7. अपनी मुख्याध्यापिका को क्षमा याचना के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमती मुख्याध्यापिका जी,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
करनाल।
आदरणीय महोदया,
विनम्र निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मैंने अपनी कक्षा की दो छात्राओं के साथ मिलकर शरारत की तथा कमरे के फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। अब मैं बहुत पछता रही हूँ। गणित की अध्यापिका जी ने मुझ पर 20 रुपए का जुर्माना किया है। मेरे पिताजी एक गरीब आदमी हैं। वे यह दंड की राशि नहीं दे सकते। मैं आपसे प्रार्थना करती हूँ कि इस बार मुझे क्षमा कर दिया जाए। मैं भविष्य में कोई ऐसा काम नहीं करूँगी जिससे किसी प्रकार की क्षति हो। मुझे एक बार क्षमा प्रदान करने का कष्ट करें। आपकी अति कृपा होगी।

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
रजनी बाला
कक्षा नौवीं (ख)
तिथि : 15-03-20………

8. स्कूल की सफाई हेतु सुझाव देते हुए मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
तरावड़ी।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान विद्यालय की सफाई-व्यवस्था की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले दो मास से विद्यालय के लगने के समय कक्षा के कमरों के बाहर कूड़े के ढेर लगे हुए होते हैं। नल के निकट हमेशा कीचड़ जमा रहता है। अतः मेरा विनम्र सुझाव है कि सफाई कर्मचारी को चेतावनी दी जाए कि वह कक्षा के कमरों के सामने कूड़े के ढेर न लगाए। वह सारा कूड़ा उठाकर स्कूल से दूर कहीं गड्ढे में डाला करे। विद्यालय में सफाई विद्यालय लगने से आधा घण्टा पूर्व हो जानी चाहिए।

विद्यार्थियों को भी सूचित कर देना चाहिए कि वे फालतू कागज कूड़ेदान में ही डालें। प्रत्येक श्रेणी के सामने एक ढक्कन सहित कूड़ादान रखा होना चाहिए। पीने के जल की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। नल के आस-पास पक्का फर्श बनवाना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को कोई कठिनाई न हो।

आशा है कि आप मेरे इन सुझावों पर ध्यान देकर विद्यालय में सफाई की उचित व्यवस्था कर देंगे।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
महावीर शर्मा
कक्षा नौवीं (ग)
तिथि : 17-03-20………

9. अपने मुख्याध्यापक को अपनी आर्थिक कठिनाइयों का वर्णन करते हुए छात्रवृत्ति के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
जैन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
हिसार।
मान्यवर,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं (ग) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिताजी पुस्तक-विक्रेता की दुकान पर नौकरी करते हैं। उनकी मासिक आय चार हजार रुपए प्रतिमास है। हम घर में पाँच सदस्य हैं। इस महँगाई के युग में इतनी कम आय में गुजारा करना बड़ा कठिन है। ऐसी स्थिति में मेरे पिताजी मुझे पढ़ाने में असमर्थ हैं। वे मुझे स्कूल से हटाने पर विचार कर रहे हैं, किंतु मैं पढ़ना चाहता हूँ। मैं हर वर्ष अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहता हूँ। मेरे सभी अध्यापक भी मेरी पढ़ाई से खुश हैं।

अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे विद्यालय के आरक्षित कोष (फंड) से छात्रवृत्ति दिलवाने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ।
सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अशोक कुमार
कक्षा-नौवीं (ग)
तिथि : 22-03-20………

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

10. मुख्याध्यापक को पाठ्य-पुस्तकों की सहायता के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
विवेकानन्द उच्च विद्यालय,
करनाल।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं (ग) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिताजी सेवानिवृत्त हो चुके हैं जिनकी पेंशन दो हजार रुपए प्रतिमास है। परिवार में आय का अन्य कोई साधन नहीं है। मेरे अतिरिक्त मेरा एक छोटा भाई छठी कक्षा में पढ़ता है। अक्तूबर का महीना बीत रहा है और अभी तक मेरे पास पाठ्य-पुस्तकें नहीं हैं। अब तक मैं अपने साथियों से पुस्तकें माँगकर काम चला रहा था, किंतु परीक्षा के दिनों में मेरे साथी चाहकर भी मुझे अपनी पुस्तकें नहीं दे पाएंगे।

अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय के पुस्तक बैंक से सभी पाठ्य-पुस्तकें दिलवाकर अनुगृहीत करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मोहन शर्मा
कक्षा-नौवीं (ख)
तिथि : 24-03-20……..

11. मुख्याध्यापक को बोर्ड का परीक्षा-शुल्क माफ करने के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० उच्च विद्यालय,
यमुनानगर।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मेरे पिता एक गरीब मज़दूर हैं। वे प्रतिदिन मजदूरी करके हमारे परिवार का लालन-पालन करते हैं। पहले ही आपने कृपा करके मेरी फीस माफ की हुई है। मेरे पिता बोर्ड के परीक्षा-शुल्क को देने में समर्थ नहीं हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरा बोर्ड का परीक्षा-शुल्क माफ किया जाए। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रमेश कुमार
कक्षा-नौवीं (ग)

12. मुख्याध्यापक को शहर में लगी सर्कस देखने जाने की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
गुरु नानक उच्च विद्यालय,
कुरुक्षेत्र।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि हमारे नगर में ‘अमर सर्कस’ का प्रदर्शन चल रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों लोग इसे देखने के लिए जाते हैं। इसमें तरह-तरह के पशु-पक्षी तथा खेल-तमाशे दिखाए जा रहे हैं। ये सर्कस ज्ञान-वृद्धि के साथ-साथ मनोरंजन की दृष्टि से भी उपयोगी है। अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप हमें सर्कस देखने की अनुमति प्रदान करें।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नवीन कुमार
कक्षा-नौवीं (ख)

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

13. सफाई न करने के कारण सफाई कर्मचारी के विरुद्ध स्वास्थ्य निरीक्षक को शिकायत पत्र लिखें।
अथवा
अपनी नगरपालिका/पंचायत को गली की सफाई हेतु प्रार्थना-पत्र लिखें।

422, चक्रवर्ती मोहल्ला,
करनाल।
तिथि : 22.03.20…….

सेवा में,
स्वास्थ्य निरीक्षक महोदय,
नगरपालिका,
करनाल।
आदरणीय महोदय,
हम आपका ध्यान मुहल्ले की सफाई व्यवस्था की ओर आकृष्ट करना अपना कर्तव्य समझते हैं। मेन रोड के दाहिने मोड़ के साथ लगे हुए चक्रवर्ती मुहल्ले का सफाई कर्मचारी दर्शन लाल अपने कर्त्तव्य की अवहेलना कर रहा है। बार-बार रोकने पर भी वह बाहर से लाई हुई गंदगी को मकान नं० 80 के नुक्कड़ पर डाल जाता है। वह सारे मुहल्ले का कूड़ा-कर्कट वहीं फेंकता है। कई-कई दिनों तक कूड़ा-कर्कट वहीं पड़ा रहता है जिससे दुर्गंध उत्पन्न हो जाती है। आने-जाने वालों को नाक बंद करके जाना पड़ता है। वहाँ के निवासियों को कितना कष्ट सहना पड़ता है, यह अनुमान आप स्वयं लगा सकते हैं।

दुर्गंध के अतिरिक्त 24 घंटे मक्खी-मच्छरों के झुंड वहाँ मँडराते रहते हैं। नालियों का पानी रुक जाता है और आने-जाने में बाधा पड़ती है। रात के समय अँधेरे में तो यह स्थान नरक बन जाता है। गंदी वायु के कारण रोग फैलने का भय बना रहता है। हमने उसे कई बार समझाया, किंतु उसके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती, उल्टे गाली-गलौच पर उतर आता है। कृपा करके उसके विरुद्ध कोई कड़ा कदम उठाएँ।

निवेदक,
रामकुमार,
राजेश वर्मा,
धीरज कुमार,
रामनिवास शर्मा।

14. काम ठीक न करने वाले डाकिए की शिकायत करते हुए डाकपाल को शिकायत पत्र लिखिए।

सेवा में,
डाकपाल महोदय,
मुख्य डाकघर,
करनाल।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि आपने हमारी गली के लिए जो डाकिया नियुक्त किया है, वह ठीक प्रकार से डाक नहीं बाँटता। इतना ही नहीं, वह ठीक पते पर पत्र न देकर गलत पते पर पत्रों को फेंक देता है। दरवाजों पर लगे लेटर बॉक्स में वह कभी पत्र नहीं डालता।

डाकिए की इस आदत से जहाँ हमें अपने मित्रों व संबंधियों के दुःख-सुख के समाचार मिलने में देर हो जाती है, वहाँ हमारे व्यापार को भी बहुत हानि होती है। हमारे अनेक बार समझाने पर भी उस पर कोई असर नहीं हुआ। अतः आपकी सेवा में नम्र पत्र-लेखन निवेदन है कि आप उसको ठीक प्रकार से कार्य करने का आदेश देने का कष्ट करें, जिससे भविष्य में वह सावधानी से कार्य करे।

भवदीय,
ऋषि कपूर।
इब्राहिम मंडी,
करनाल।
दिनांक : 01.04. 20………

15. रोडवेज महाप्रबंधक को समय पर बस न मिलने की समस्या के समाधान हेतु पत्र लिखें।

सेवा में,
महाप्रबंधक महोदय,
हरियाणा रोडवेज,
करनाल।
मान्यवर,
मैं एस०डी० वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, करनाल का नौवीं कक्षा का छात्र हूँ और रमाना-रमानी गाँव का रहने वाला हूँ। प्रातःकाल हमारे गाँव से जो बस करनाल जाती है वह कभी समय पर नहीं आती। इसलिए इस रूट (मार्ग) से आने वाले सभी छात्र विद्यालय समय पर नहीं पहुँच सकते। इससे हमारी पढ़ाई में बाधा पड़ती है। अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप बस को समय पर भेजने की व्यवस्था करने की कृपा करें ताकि हम विद्यालय में ठीक समय पर पहुँच सके।

भवदीय
कृष्ण लाल
गाँव रमाना-रमानी
दिनांक …………….

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

16. दूषित पेय जल की समस्या के समाधान हेतु स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखें।

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
करनाल।
श्रीमान जी,
निवेदन है कि मैं शिव कॉलोनी (करनाल) का निवासी हूँ। हमारे मोहल्ले में पिछले सप्ताह से दूषित पेय जल आ रहा है। इससे लोगों के बीमार होने की संभावना बढ़ गई है। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप शीघ्र शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करें ताकि लोग स्वस्थ रह सकें। इसके साथ-साथ पानी को समय पर छोड़ने की भी व्यवस्था करें ताकि लोग समय पर अपने खाने-पीने संबंधी व अन्य काम कर सकें।
सधन्यवाद।

भवदीय
राम निवास
म.नं. 181/2
शिव कॉलोनी,
करनाल।

17. अपने क्षेत्र में बिजली संकट की समस्या के समाधान हेतु विद्युत अधिकारी को पत्र लिखें।

सेवा में,
विद्युत अधिकारी,
दिल्ली विद्युत बोर्ड, टाउन हाल,
नई दिल्ली।
विषय : बिजली आपूर्ति की समस्या हेतु।
महोदय,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान बिजली आपूर्ति की समस्याओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। पिछले कई दिनों से हमारी कॉलोनी में बिजली की आपूर्ति अनियमित हो गई है। दिन में आठ-दस बार बिजली बिना पूर्व सूचना के चली जाती है।

कई बार बिजली इतनी कम होती है कि बिजली के उपकरणों के जलने का भय बना रहता है। इन दिनों विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षा चल रही है और रात को देर तक पढ़ना होता है परंतु बिजली के बार-बार जाने से पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है। अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि हमारी कॉलोनी की बिजली आपूर्ति को सुचारु और नियमित बनाने की ओर ध्यान दिया जाए।
धन्यवाद सहित।

प्रार्थी,
अभिनव
102, मॉडल टाउन,
नई दिल्ली।
दिनांक : 10 मार्च, 20…..

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

18. अपने मित्र या सहेली को परीक्षा में प्रथम आने पर बधाई-पत्र लिखें।

422, अर्बन एस्टेट,
कुरुक्षेत्र।
तिथि : 22.03.20…….
प्रिय राजेश,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही समाचार-पत्र में आठवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम देखने पर जब मैंने तुम्हारा नाम प्रथम स्थान पर पाया तो मुझे अपार हर्ष हुआ। तुम्हारे अंकों को देखकर, मुझे तुम्हारी इस शानदार सफलता पर अत्यंत प्रसन्नता हुई। मैं तुम्हें हृदय से बधाई देता हूँ। प्रिय मित्र, तुम वास्तव में इसके योग्य हो। यह तुम्हारे कठोर परिश्रम का ही परिणाम है कि तुम्हें यह सफलता का मुकुट पहनने का अवसर प्राप्त हुआ है। तुमने न केवल अपने परिवार का ही नाम ऊँचा किया है बल्कि विद्यालय का नाम भी उज्ज्वल किया है। कृपया अपने माता-पिता को भी मेरी ओर से हार्दिक बधाई देना। कृपया पत्रोत्तर देते समय यह अवश्य लिखना कि अब किस विद्यालय में प्रवेश लेने का विचार है। शेष मिलने पर।

तुम्हारा मित्र,
वीरेन्द्र कुमार

पता
राजेश कुमार
762, दाना मंडी, अम्बाला छावनी।

19. कुसंगति से बचने के लिए अपने छोटे भाई को शिक्षा भरा पत्र लिखें।

436-बी, विश्वकर्मा मार्ग,
रोहतक।
तिथि : 15.06.20…….

प्रिय मुकेश,
सदा खुश रहो!

आज ही तुम्हारे विद्यालय के मुख्याध्यापक का पत्र मिला। यह जानकर अत्यंत दुःख हुआ कि तुम अब पढ़ाई में मन न लगाकर कक्षा से गायब रहने लगे हो, जिसके परिणामस्वरूप तुम विद्यालय की मासिक परीक्षा में फेल रहे।

प्रिय भाई, तुम तो जानते ही हो कितनी कठिनाई से हम तुम्हें पढ़ा रहे हैं। यदि तुम कुसंगति में पड़कर अपना जीवन नष्ट करोगे तो हमारे साथ-साथ माता-पिता को भी ठेस पहुँचेगी। अब तुम समय के महत्त्व को पहचानो। जीवन के अमूल्य क्षणों को व्यर्थ न गवाँकर अपनी पढ़ाई में मन लगाओ। कुसंगति से दूर रहकर तुम माता-पिता के स्वप्न को साकार कर सकते हो।

आशा करता हूँ कि तुम कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित होकर पढ़ाई में मन लगाओगे।

मुझे तुम्हारे चरित्र की पवित्रता का पता है। तुम अपने लक्ष्य को कभी भी नहीं भूलोगे, परंतु मुझे यह भी ज्ञात है कि बुरी संगति बुद्धि हर लेती है, इसलिए मैं तुम्हें बुरी संगति से सावधान करता हूँ। शेष मिलने पर।

तुम्हारा भाई,
राम कुमार

पता-
मुकेश कुमार
826-सी, मॉडल टाउन, गुरुग्राम।

20. परीक्षा में असफल रहने वाले भाई को सांत्वना पत्र लिखिए।

15-ए, मॉडल टाउन,
करनाल।
तिथि : 19.04.20…….

प्रिय रमेश,
सदा खुश रहो!
आज ही आदरणीय पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ है। परीक्षा में तुम्हारे असफल रहने का समाचार पढ़कर बहुत दुःख हुआ। मुझे तो तुम्हारे पास होने की पहले ही आशा नहीं थी, क्योंकि जिन परिस्थितियों में तुमने परीक्षा दी थी, उनमें असफल होना स्वाभाविक ही था। पहले माता जी अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गईं, फिर तुम कई दिनों तक बीमार रहे। जिस कष्ट को सहन करके तुमने परीक्षा दी वह मुझसे छिपा नहीं है। इस पर तुम्हें खेद नहीं करना चाहिए। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। तुम अपने मन से यह बात निकाल दो कि परिवार का कोई सदस्य तुम्हारे असफल होने पर नाराज है। आगामी वर्ष की परीक्षा के लिए अभी से लगन के साथ परिश्रम करो ताकि अधिक अंक प्राप्त कर सको। किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो लिखो। माताजी व पिताजी को प्रणाम।

तुम्हारा भाई,
भारत भूषण वर्मा

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

21. अपने छोटे भाई को खेलों का महत्त्व बताते हुए पत्र लिखिए।

238, गाँधी नगर,
हाँसी।
तिथि : 25.03.20……

प्रिय रमन,
खुश रहो!
तुम्हारा पत्र कुछ दिन पूर्व प्राप्त हुआ था, किंतु परीक्षा के कार्य में व्यस्त होने के कारण तुम्हें पत्र लिखने में देर हो गई है। आज छुट्टियों के बाद तुम्हारा स्कूल खुल गया होगा। इसलिए मैं तुम्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का महत्त्व भी बताना चाहता हूँ।

प्रिय रमन, यह आयु जिसमें तुम इस समय हो, बड़ी चंचल और बेफिक्री की होती है। इस अवस्था में यह जानकारी नहीं होती कि थोड़ी-सी सावधानी से भविष्य कितना उज्ज्वल हो सकता है तथा थोड़ी-सी असावधानी से कितनी हानि हो सकती है।

तुम पढ़ने में बहुत लायक हो, इसमें संदेह नहीं है। किंतु पढ़ने के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य होना भी जरूरी है। अच्छे स्वास्थ्य के बिना पढ़ाई का कोई लाभ नहीं। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी नियमित रूप से भाग लेना आवश्यक है। किसी ने ठीक ही कहा है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।
मेरी ओर से पूज्य माता-पिताजी को सादर प्रणाम कहना। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।

तुम्हारा भाई,
मुनीश

पता-
रमन कुमार
36, अर्बन अस्टेट, भिवानी।

22. अपने मित्र/सखी को उसके जन्म-दिवस पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

575, सुभाष नगर,
करनाल।
तिथि : 09.04.20…….

प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्ते!

आज ही तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम 15 अप्रैल को अपना जन्म-दिवस मना रहे हो। इस शुभ अवसर पर तुमने मुझे भी आमंत्रित किया है, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रिय मित्र, मैं इस शुभ अवसर पर अवश्य पहुँचता, लेकिन कुछ कारणों से मेरा उपस्थित होना सम्भव नहीं। मैं अपनी शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह तुम्हें चिरायु प्रदान करे। तुम्हारा भावी जीवन स्वर्णिम आभा से मंडित हो। समय मिलते ही मैं अवश्य आऊँगा। मैं अपनी ओर से एक छोटी-सी भेंट भेज रहा हूँ। आशा है कि तुम्हें पसंद आएगी। इस शुभ अवसर पर अपने माता-पिता जी को मेरी ओर से हार्दिक बधाई अवश्य देना।

तुम्हारा मित्र,
महावीर प्रसाद

पता-
मनोज कुमार
305, नई अनाज मंडी,
फरीदाबाद।

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23. अपने मित्र को नववर्ष की बधाई हेतु पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन,
यमुनानगर।
तिथि : 31.12.20…….

प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्कार!
कल नववर्ष आरंभ होगा। इस शुभ अवसर पर मैं तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आशा करता हूँ कि यह नया वर्ष तुम्हारे लिए खुशियाँ और सफलताएँ देने वाला हो। तुम्हारे परिवार में भी सुख और शांति हो। यह नया वर्ष तुम्हें शारीरिक सुख के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी पहुँचाने वाला हो।
एक बार फिर आप सभी के लिए मंगल कामना।

तुम्हारा मित्र,
राधेश्याम

पता-
कृष्ण कुमार,
सुपुत्र श्री दीना नाथ,
82, संत नगर, करनाल।

24. उपहार भेजने पर चाचा जी को धन्यवाद पत्र लिखिए।

52, सदर बाज़ार,
कुरुक्षेत्र।
तिथि : 23.05.20…….

परम आदरणीय चाचा जी,
सादर प्रणाम।
कल मेरा जन्म-दिन था। इस अवसर पर मुझे आपके आने की बहुत प्रतीक्षा रही, परंतु आप किसी कारणवश नहीं आ सके। कार्य-व्यस्तता मनुष्य को कभी-कभी विवश कर देती है, पर मुझे ठीक समय पर आपके द्वारा भेजा गया पार्सल मिल गया था। जब मैंने उसे खोला तो उसमें एक बढ़िया पैन और एक सुंदर घड़ी थी। पार्सल खोलते ही मेरे नेत्र प्यार और श्रद्धा के आसुओं से भर गए। मैंने सोचा, मेरे चाचा जी मुझे इस उपहार के माध्यम से उपदेश दे रहे हैं-‘समय पर उठो, खूब लिखो-पढ़ो।’ वस्तुतः मुझे इन दोनों चीज़ों की बड़ी आवश्यकता थी। पूज्य चाचा जी, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपके इन सांकेतिक उपदेशों
पर चलने का प्रयत्न करूँगा। आपके इस स्नेह के लिए धन्यवाद। मेरी ओर से पूज्य चाची जी को चरण वंदना। टिंकु और मनु को प्यार।

आपका स्नेहपात्र,
तरुण कुमार।

25. अपने मित्र को एक पत्र लिखें, जिसमें उसकी माता की मृत्यु पर शोक प्रकट किया गया हो।

836, नहर कॉलोनी,
हिसार।
तिथि : 04.11.20…….

प्रिय मित्र,
कल के समाचार-पत्र में तुम्हारी माता जी के अचानक स्वर्गवास होने की सूचना पढ़कर अत्यंत दुःख हुआ। तुम पर इतनी छोटी अवस्था में विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। इस संसार में माँ का स्नेह ही सबसे बड़ा स्नेह है।।

प्रिय मित्र, मृत्यु पर किसी का वश नहीं है, यह तो प्रभु की इच्छा पर निर्भर करती है। इसके आगे सब विवश हैं। मृत्यु रूपी इस कड़वे घूट को पीने के अलावा कोई दूसरा मार्ग नहीं है। इसमें संदेह नहीं कि माता का प्यार विश्व में अन्यत्र नहीं मिल सकता, किंतु यह सब विधि का विधान है। इसे कोई मिटा नहीं सकता। ईश्वर की यही इच्छा थी।
जब तुम्हारी माता जी की आकृति आँखों के सामने आती है तो कलेजा मुँह को आ जाता है; किंतु धैर्य के सिवाय दूसरा कोई उपाय नहीं है।
परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करे तथा तुम सबको शक्ति दे कि तुम सब इस आघात को सहन कर सको।

तुम्हारा मित्र,
मोहन कुमार।

पता
विवेक,
236, प्रताप नगर, करनाल।

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26. चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
भिवानी।
विषय-चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र देने हेतु प्रार्थना-पत्र ।
आदरणीय महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैंने आपके विद्यालय से नौवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। मैं कक्षा में प्रथम रहा था। मेरे पिता जी का स्थानांतरण कैथल में हो गया है। मुझे वहाँ नए स्कूल में दाखिला लेना है। उस स्कूल के नियम के अनुसार पिछले स्कूल द्वारा जारी किया गया चरित्र प्रमाण-पत्र भी आवेदन-पत्र के साथ संलग्न करना होगा, तभी मुझे नए स्कूल में दाखिला मिलेगा।

आदरणीय महोदय मैं विद्यालय की हॉकी टीम का कप्तान रहा हूँ तथा विद्यालय में होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता रहा हूँ। मैं स्कूल साहित्य परिषद् का उप-प्रधान भी रहा हूँ। मेरी आपसे प्रार्थना है कि इन गतिविधियों का उल्लेख करते हुए आप मुझे चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें।
सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुरेश कुमार,
कक्षा-नौवीं,
अनुक्रमांक-29
दिनांक : 5 अप्रैल, 20….

27. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को अपना कक्षा अनुभाग (सैक्शन) बदलने के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
भगत सिंह उ०मा० विद्यालय,
यमुनानगर।
विषय-कक्षा अनुभाग बदलने हेतु प्रार्थना-पत्र ।
श्रीमान जी,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके स्कूल की नौवीं कक्षा के अनुभाग (ख) का विद्यार्थी हूँ। मेरा गाँव मुबारकबाद है। मेरे गाँव के अन्य विद्यार्थी नौवीं कक्षा के (क) अनुभाग में पढ़ते हैं। मैं अपने गाँव का अकेला विद्यार्थी इस अनुभाग में हूँ। जब कभी मुझे विद्यालय से छुट्टी लेनी पड़ती है तो अध्यापकों द्वारा दिए गए गृहकार्य का मुझे पता नहीं चलता। फलस्वरूप, मेरे कई अध्याय बिना पढ़े ही रह जाते हैं और लिखित गृहकार्य भी पूरा नहीं हो पाता। अतः मेरी पढ़ाई में यह अड़चन बन गई है। कई बार तो मेरा प्रार्थना-पत्र कक्षा अध्यापक के पास सही समय पर नहीं पहुंच पाता। इसलिए अध्यापक महोदय मेरी अनुपस्थिति लगा देते हैं, जिसके लिए मुझे दंड भुगतना पड़ता है।
अतः मान्यवर, मेरी इन कठिनाइयों को देखते हुए मुझे अनुभाग (क) में बैठने की अनुमति प्रदान की जाए। मैं आपका अति धन्यवादी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मोहन लाल शर्मा,
कक्षा-नौवीं,
अनुक्रमांक-52
दिनांक : 4 जुलाई, 20….

28. दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण परीक्षा देने में असमर्थता प्रकट करते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय कन्या उ०मा० विद्यालय,
रतिया।
विषय-परीक्षा देने में असमर्थता के विषय में।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा नौवीं (ग) की छात्रा हूँ। कल विद्यालय से छुट्टी होने पर घर जाते समय सड़क पार करते हुए स्कूटर से टकरा जाने के कारण मैं गंभीर रूप से घायल हो गई हूँ। मेरी दाईं टाँग की हड्डी भी टूट गई है। डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार मैं लगभग दो मास तक चल-फिर नहीं सकती। इसलिए मैं दिसंबर मास में होने वाली परीक्षा देने में असमर्थ हूँ।
अतः आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे दो मास का अवकाश देने की कृपा करें। इस प्रार्थना-पत्र के साथ मैं अपना डॉक्टरी प्रमाण-पत्र भी भेज रही हूँ।
सधन्यवाद।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
कमलेश,
कक्षा नौवीं,
अनुक्रमांक-25
दिनांक : 10 अगस्त, 20….

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29. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखकर खेल संबंधी कठिनाइयों की सूचना दीजिए तथा उन्हें दूर करने की प्रार्थना कीजिए।

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च विद्यालय,
सोनीपत।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि पिछले साल हमारे विद्यालय ने जिला खेल प्रतियोगिता में बहुत नाम कमाया था। इस सफलता से उत्साहित होकर विद्यालय के अनेक छात्र विभिन्न खेलों में भाग लेने के इच्छुक हैं।

अब नया सत्र शुरू हो गया है परंतु अब खेलों में कई कठिनाइयाँ आ रही हैं। अतः आपसे निवेदन है कि आप हमारी निम्नलिखित कठिनाइयों की ओर ध्यान देते हुए उन्हें दूर करने का प्रयत्न करें।

खेल के मैदान की सफाई का प्रबंध करवाया जाए। मैदान में जगह-जगह गहरे गड्ढे हैं। इन गड्ढों को भरवाया जाए तथा मैदान को समतल करवाया जाए। विभिन्न खेलों के लिए मैदान में निशानदेही करवाई जाए तथा यथास्थान पोल गड़वाने की भी व्यवस्था की जाए। इसके अतिरिक्त, खेल के लिए नया सामान खरीदना भी आवश्यक है। खेल के मैदान के पास पीने के पानी तथा रोशनी का पूरा प्रबंध होना चाहिए। प्रत्येक रविवार को विभिन्न कक्षाओं के बीच खेल प्रतियोगिता का आयोजन होना चाहिए ताकि अच्छे खिलाड़ियों का चुनाव हो सके।
आशा है कि आप हमारी प्रार्थना की ओर ध्यान देते हुए शीघ्र ही उचित कदम उठाएँगे।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
दीपक कपूर (खेल सचिव),
कक्षा-नौवीं,
अनुक्रमांक-29
दिनांक : 7 मई, 20……….

30. विद्यालय को हरा-भरा बनाने के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
आर्य मॉडल स्कूल,
करनाल।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की नौवीं ‘ख’ कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं आपका ध्यान विद्यालय प्रांगण को हरा-भरा करने की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। पिछले वर्ष विद्यालय प्रबन्धक कमेटी ने विद्यालय में खड़े बड़े-बड़े वृक्षों को यह कहकर कटवा दिया था कि आँधी, तूफान या वर्षा में इनके गिरने का सदा भय बना रहता है। किंतु एक वर्ष बीत जाने पर पुराने वृक्षों के स्थान पर छायादार वृक्षों के पौधों का रोपण नहीं करवाया गया। पुराने वृक्षों के स्थान पर वृक्षों के नए पौधे लगवाए जाएँ। इसी प्रकार कुछ सौंदर्यवर्द्धक पौधे (Ornamental Plants) भी लगवाए जाएँ। इसके साथ-साथ सीजनल फूल भी लगवाए जाने चाहिएँ। इस कार्य के लिए विद्यार्थीवृंद से सहायता ली जा सकती है। पेड़-पौधे हमें छाया ही नहीं, अपितु शुद्ध स्वच्छ वायु, स्वच्छ वातावरण और सुन्दर दृश्य भी प्रदान करते हैं। पेड़ मानव के निःस्वार्थी एवं त्यागशील मित्र हैं। अतः इस कार्य को शीघ्र ही आरम्भ करवाने की कृपा करें। सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
कमलकांते
कक्षा : नौवीं ‘ख’
दिनांक : 5 अप्रैल, 20….

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31. मोबाइल फोन चोरी होने की रिपोर्ट लिखवाते हुए पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
थानाध्यक्ष,
इब्राहिम मंडी,
करनाल।
महोदय,
निवेदन यह है कि मेरा मोबाइल बस में चढ़ने के दौरान चोरी हो गया है। मैं पानीपत से करनाल आ रहा था। बस में अत्यधिक भीड़ थी। जिसका लाभ उठाकर किसी शरारती ने धोखे से मेरा मोबाइल चुरा लिया है। मेरा मोबाइल Nokia ASHA0021 Company का है जिसका नं. …………….. है। मेरे मोबाइल में 500/- रु० की राशि भी शेष थी। मैंने मोबाइल को दीपक इलैक्ट्रॉनिक करनाल से खरीदा था। इसका बिल नं. 00121, दिनांक 15.4……. है। खरीदने की रसीद पत्र के साथ संलग्न है। श्रीमान जी आपसे निवेदन है कि इस सूचना के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करें तथा शीघ्रातिशीघ्र मोबाइल ढूँढवाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।

प्रार्थी,
अनिल कुमार
572/13, इब्राहिम मण्डी करनाल।
दिनांक : 16 अगस्त, 20….

32. हरियाणा स्वास्थ्य निदेशालय में कार्यालय सहायक लिपिक के रिक्त स्थान के लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।

सेवा में,
निदेशक,
स्वास्थ्य निदेशालय,
चंडीगढ़ (हरियाणा)।
विषय : कार्यालय सहायक लिपिक के पद हेतु आवेदन-पत्र ।
आदरणीय महोदय,
25 अप्रैल, 20…. के साप्ताहिक रोज़गार समाचार-पत्र में प्रकाशित विज्ञापन क्रमांक-206 के उत्तर में अपनी सेवाएँ उपरोक्त पद के लिए अर्पित करता हूँ। मेरा परिचय और शैक्षणिक योग्यताएँ निम्नलिखित हैं-
नाम : राजकुमार चौहान
पिता का नाम : श्री महेंद्र सिंह चौहान
जन्म-तिथि : 5 नवंबर, 1983
पत्र-व्यवहार का पता : गाँव व डाकखाना उम्मीदपुर, ज़िला करनाल।
शैक्षणिक योग्यता : मैंने दसवीं कक्षा में 80.1% अंक प्राप्त किए हैं तथा 10+2 वाणिज्य में 75% अंक प्राप्त किए हैं। मैंने दो वर्ष का टंकण एवं आशुलिपि का डिप्लोमा किया हुआ है। साथ ही कंप्यूटर चलाने का ज्ञान भी अर्जित किया है।
कार्य अनुभव : मैं गत छह मास से जे०बी०डी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कार्यालय सहायक का कार्य कर रहा हूँ।
आशा है कि आप मुझे अपने कुशल निर्देशन में काम करने का अवसर प्रदान करके अनुगृहीत करेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मैं पूरी ईमानदारी और परिश्रम से काम करूँगा तथा अपनी क्षमताओं का और अधिक परिचय दे सकूँगा।
सधन्यवाद।

भवदीय,
राजकुमार चौहान,
गाँव व डाकखाना,
उम्मीदपुर,
करनाल।
दिनांक : 6 मई, 20….

33. अपनी सखी को छात्रवृत्ति प्राप्त होने पर बधाई-पत्र लिखिए। 28-ए, मॉडल टाउन, करनाल।

26 जून, 20….
प्रिय सखी रेणु,
सस्नेह नमस्कार!
हरियाणा बोर्ड की दसवीं कक्षा के परिणाम की सूची में तुम्हारा नाम छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की सूची में देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। मेरे परिवार के सभी सदस्य भी इस सुखद समाचार को पढ़कर बहुत प्रसन्न हैं। प्रिय सखी, हमें तुमसे यही आशा थी। यह तुम्हारे अथक परिश्रम का ही फल है। तुमने सिद्ध कर दिया है कि सच्चे मन से किया गया परिश्रम कभी असफल नहीं रहता। 88% अंक प्राप्त करना कोई मज़ाक नहीं है।

आशा है कि तुम भविष्य में भी अधिकाधिक परिश्रम और पूरी लगन से अध्ययन करोगी तथा सफलता की ऊँचाइयों को इसी प्रकार छूती रहोगी। इस शानदार सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करो। अपने माता-पिता को मेरी ओर से हार्दिक बधाई देना न भूलना।
तुम्हारी सखी,
सरबजीत कौर।

पता
……………….
……………….

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34. अपने मित्र को ग्रीष्मावकाश साथ बिताने के लिए निमंत्रण-पत्र लिखिए।

मीनार रोड,
करनाल।
12 मई, 20….

प्रिय मित्र मनोज,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही तुम्हारा पत्र मिला। तुमने उसमें ग्रीष्मावकाश के बारे में पूछा है। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने इस बार गर्मी की छुट्टियाँ शिमला में बिताने का निर्णय किया है। हमारे अवकाश 6 जून से आरंभ होने जा रहे हैं। अतः 8 जून को मैं और मेरा भाई राजेश शिमला के लिए रवाना हो जाएँगे। मेरा एक और मित्र भी हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो गया है।

तुम्हें तो पता ही है कि शिमला में मेरे चाचा जी का अच्छा व्यापार है। वे मुझे वहाँ आने के लिए अनेक बार लिख चुके हैं। मैं चाहता हूँ कि तुम भी हमारे साथ शिमला चलो। शिमला एक पर्वतीय स्थल है। वहाँ की प्रकृति बहुत सुंदर और आकर्षक है। वहाँ चारों ओर चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष हैं। वहाँ की पहाड़ियाँ तो मानो आकाश को स्पर्श करती हैं। वहाँ रहकर हम आस-पास के क्षेत्रों को भी देख सकते हैं। अगर अवसर मिला तो हम ट्रैकिंग करने के लिए जाखू की पहाड़ियों से आगे भी जाएँगे। आशा है कि तुम्हें ग्रीष्मावकाश का यह कार्यक्रम पसंद आएगा। अपनी स्वीकृति शीघ्र भेजें ताकि समुचित व्यवस्था की जा सके।
छोटे भाई को प्यार और माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
कमल।

पता
……………….
……………….

35. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर विषय विशेष की पढ़ाई न होने की शिकायत कीजिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
ए०एस० जैन उच्च विद्यालय,
कैथल।
विषय : अंग्रेज़ी की पढ़ाई न होने के विषय में।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की नौवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं आपका ध्यान अपनी कक्षा के अंग्रेजी विषय की पढ़ाई की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले एक मास से हमारे यहाँ अंग्रेज़ी का पीरियड खाली जा रहा है। जब से श्री रामलाल जी दोबारा पाठ्यक्रम (रिफ्रेशर कोस) के लिए गए हैं, तब से उनके स्थान पर कोई अध्यापक नहीं आया है। इस कारण, हमारा अंग्रेज़ी विषय का पाठ्यक्रम अन्य अनुभागों से काफी पीछे रह गया है। उधर छःमाही परीक्षा भी समीप आ गई है। अतः आपसे प्रार्थना है कि शीघ्रातिशीघ्र अंग्रेज़ी की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था करवाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मुकेश,
कक्षा नौवीं,
अनुक्रमांक-34
दिनांक : 8 मई, 20….

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36. सहायक स्टेशन मास्टर द्वारा किए गए अशिष्ट व्यवहार के विरुद्ध भारत सरकार के रेलमंत्री के नाम पत्र लिखिए।

सेवा में,
रेलमंत्री महोदय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली।
श्रीमान जी,
विनम्र निवेदन है कि मैं कल मुंबई जाने वाली गाड़ी में स्थान आरक्षित करवाने के लिए रेलवे स्टेशन गया। वहाँ श्री रामभज शर्मा सहायक स्टेशन मास्टर यह काम करते हैं। पहले तो वे बीस मिनट तक अपनी सीट पर नहीं आए। जब मैंने उनसे मुंबई जाने वाली गाड़ी में स्थान आरक्षित करवाने के लिए निवेदन किया तो उन्होंने टालमटोल करना चाहा किंतु मैंने उन्हें पुनः प्रार्थना की तो वे मुझसे गुस्से से पेश आए और झगड़ा करने पर उतारू हो गए। उन्होंने मुझे इतने लोगों के सामने अपशब्द भी कहे।

मान्यवर, मेरा आपसे अनुरोध है कि रामभज शर्मा द्वारा मेरे साथ किए गए अशिष्ट व्यवहार के लिए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि वे भविष्य में किसी के साथ अभद्र एवं अशिष्ट व्यवहार न करें।
सधन्यवाद।

भवदीय,
मनोहर लाल,
108-अंबाला छावनी,
हरियाणा।
दिनांक : 10 अक्तूबर, 20….

37. अपने क्षेत्र में मच्छरों के प्रकोप का वर्णन करते हुए उचित कार्रवाई करने के लिए अपने जिले के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।

सेवा में,
ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी,
सिरसा।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं हनुमान बस्ती का निवासी हूँ। यह बस्ती नगर की सबसे पिछड़ी बस्ती है। नगरपालिका के कर्मचारी भी इस क्षेत्र की सफाई की ओर कोई ध्यान नहीं देते। यद्यपि नगरपालिका की ओर से इस क्षेत्र की सफाई के लिए कर्मचारी नियुक्त किया गया है परंतु वह बहुत कम ही दिखाई पड़ता है। फलस्वरूप, यह क्षेत्र गंदगी का ढेर बनकर रह गया है। नगरपालिका की गाड़ी भी यहाँ गंदगी उठाने कभी नहीं आती। कूड़ा पड़ा रहने के कारण यहाँ मच्छरों का प्रकोप बहुत बढ़ गया है। मच्छरों ने तो यहाँ अपना स्थाई घर बना लिया है। यही कारण है कि नगर में सबसे अधिक मलेरिया यहीं फैलता है। न तो इस क्षेत्र से मच्छर खत्म करने का कोई उपाय किया गया है और न ही मलेरिया के उपचार का। मच्छरों का मूल कारण गंदगी है।

आपसे सविनय निवेदन है कि आप स्वयं कभी इस क्षेत्र में निरीक्षण का कार्यक्रम बनाएँ। आपके निरीक्षण का समाचार सुनते ही. नगरपालिका के सफाई कर्मचारी इस क्षेत्र को साफ करने में लग जाएँगे। आशा है आप इस क्षेत्र की सफाई की ओर ध्यान देंगे तथा हमें इस गंदगी से मुक्ति दिलाएँगे।
सधन्यवाद।

भवदीय,
रामप्रसाद सक्सेना,
572/13, हनुमान बस्ती,
सिरसा।
दिनांक : 16 अगस्त, 20….

पता
……………….
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38. गलत माल की शिकायत करते हुए खेल सामग्री बेचने वाले प्रतिष्ठान ‘लक्ष्मी स्पोर्ट्स’ को मुख्याध्यापक की ओर से एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
व्यवस्थापक महोदय,
लक्ष्मी स्पोर्ट्स,
अंबाला।
महोदय,
हमने दिनांक 15 अगस्त, 20…. को खेल संबंधी कुछ सामान का आदेश भेजा था। उस आदेश का क्रमांक 526 है। हमने दो दर्जन क्रिकेट की गेंदें, 6 बल्ले, 6 टेबल टेनिस के बल्ले तथा 12 रैकेट मँगवाए थे परंतु आपने सारा सामान गलत भेजा है। शायद यह आदेश किसी और ने भेजा था। आपके कर्मचारी ने भूल से यह सामान हमारे पास भेज दिया है।

कृपया आप अपना माल वापिस मँगवा लें और हमें आदेशानुसार हमारा माल शीघ्र भिजवा दें। अतिरिक्त व्यय भार आपको वहन करना होगा।

भवदीय,
राजकुमार चोपड़ा,
मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्च विद्यालय,
काछवा (करनाल)।
दिनांक : 25 अगस्त, 20….

39. समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें सामान्य नागरिकों की कठिनाइयों का वर्णन हो।

सेवा में,
प्रधान संपादक, दैनिक ट्रिब्यून,
चंडीगढ़।
प्रिय महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र द्वारा करनाल नगर के नागरिकों की कठिनाइयों की ओर संबंधित अधिकारियों का ध्यान दिलाना चाहता हूँ। आशा है आप इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में स्थान देंगे।
(1) करनाल की सभी मुख्य सड़कें टूटी-फूटी पड़ी हैं। पिछले एक वर्ष से इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। स्थान-स्थान पर गड्ढे पड़ गए हैं। वर्षा के समय तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।
(2) नगर के मुख्य बाजारों में स्थान-स्थान पर कारें और मोटरें खड़ी रहती हैं। इससे आम लोगों का आना-जाना कठिन हो जाता है। अनेक बार दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं। ट्रैफिक पुलिस का कहीं पता नहीं होता।
(3) कहने को तो नगर में अर्बन एस्टेट है। इसके विकास के लिए लोगों से लाखों रुपए वसूल किए जा रहे हैं परंतु इस क्षेत्र में सफाई नाम की कोई चीज़ नहीं। स्थान-स्थान पर सूअर, कुत्ते, गधे और खच्चर घूमते रहते हैं। लोगों ने घरों में भैंसे और गायें पाल रखी हैं जिससे मच्छर और मक्खियाँ बढ़ती जा रही हैं। स्थान-स्थान पर गोबर के ढेर लगे रहते हैं। अधिकारी वर्ग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। लिखित शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। वर्षा के दिनों में वर्षा का पानी अनेक घरों में घुस जाता है।

करनाल नगर को सुंदर बनाने के लिए तथा जनता की सुविधा के लिए क्या अधिकारी वर्ग उपर्युक्त बातों की ओर ध्यान देगा ?

भवदीय,
महेंद्र सिंह,
521, अर्बन एस्टेट,
करनाल।
दिनांक : 20 फ़रवरी, 20…

पता-
प्रधान संपादक,
दैनिक ट्रिब्यून,
चंडीगढ़।

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40. समाचार-पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए जिसमें बढ़ती हुई बेरोज़गारी का वर्णन हो।

सेवा में,
प्रधान संपादक,
दैनिक हिंदुस्तान,
नई दिल्ली-110001
प्रिय महोदय,
इस पत्र द्वारा मैं वर्तमान सरकार तथा उसके अधिकारियों का ध्यान देश की बढ़ती हुई बेरोज़गारी की ओर दिलाना चाहता हूँ। आशा है कि आप इस पत्र को छापकर मेरी बातें पाठकों और सरकार तक पहुँचाएँगे।

बेरोज़गारी हमारे देश की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस समस्या से ही अनेक समस्याएँ जुड़ी हुई हैं। गरीबी की समस्या प्रत्यक्ष रूप से इसी से जुड़ी हुई है। एक बेरोज़गार व्यक्ति चोरी कर सकता है, डकैती डाल सकता है अथवा अपना धीरज खोकर कुछ भी कुकर्म कर सकता है। उग्रवाद की समस्या के पीछे भी बेरोज़गारी का ही हाथ है। बेरोज़गारी के कारणों में जनसंख्या की वृद्धि, दूषित शिक्षा-प्रणाली, पूँजीवादी अर्थव्यवस्था, भौतिक दृष्टिकोण आदि उल्लेखनीय हैं। इस विकट समस्या से छुटकारा पाने के लिए निम्नोक्त उपाय हैं
(1) सरकार की ओर से अधिकाधिक लघु उद्योग प्रारंभ किए जाने चाहिएँ।
(2) जब तक बेकारी दूर नहीं हो जाती, तब तक एक परिवार के एक ही व्यक्ति को रोज़गार दिया जाना चाहिए।
(3) परिवार कल्याण कार्यक्रम की ओर अधिकाधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
(4) वर्तमान शिक्षा-पद्धति में परिवर्तन करके उसे रोज़गारोन्मुखी बनाया जाना चाहिए।
(5) कृषि विकास के कार्यक्रमों से जुड़े उद्योग-धंधों को बढ़ावा मिलना चाहिए।
(6) प्रत्येक व्यक्ति की वार्षिक आय का सीमा निर्धारण होना चाहिए ताकि आर्थिक विषमता को अधिक बढ़ावा न मिले।

भवदीय,
सुशील कुमार,
112, न्यू हाऊसिंग बोर्ड,
रोहतक।
दिनांक : 15 जुलाई, 20….

पता-
प्रधान संपादक,
दैनिक हिंदुस्तान,
नई दिल्ली-110001

41. अपने नगर की सफाई-व्यवस्था की दुर्दशा के संबंध में समाचार-पत्र के संपादक के नाम एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक ट्रिब्यून,
चंडीगढ़।

आदरणीय महोदय,
मैं आपके सुप्रसिद्ध दैनिक पत्र में अपने नगर की सफाई की अव्यवस्था को प्रकाशित करवाकर इस सूचना को सरकार तक पहुँचाना चाहता हूँ।

मान्यवर, पूरे नगर में सफाई का प्रबंध ठीक नहीं है। सफाई कर्मचारी ठीक समय पर नहीं आते। नालियाँ गंदे पानी से भरी पड़ी हैं। कहीं-कहीं गंदा पानी सड़कों पर भी भर गया है। उन सड़कों पर लोगों का आना-जाना कठिन हो गया है। जगह-जगह पर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। कूड़ा उठाने वाली गाड़ी कई दिन नहीं आती। कूड़े के ढेरों व गंदगी पर मक्खियाँ और मच्छर भिनभिनाते रहते हैं जिससे नगर में बीमारी फैलने का भय बना रहता है। नगर में कई स्थानों पर सीवरेज रुक जाने के कारण तो नगर की दशा और भी बुरी हो गई है। नगरपालिका के अध्यक्ष को भी इस विषय में कई बार लिख चुके हैं किंतु उन पर कोई असर नहीं हुआ। हर बार कोई-न-कोई बहाना बना दिया जाता है।

इसलिए आप अपने समाचार-पत्र में इसे प्रकाशित करने की कृपा करें ताकि नगरवासियों के जीवन की इस कठिनाई की सूचना हरियाणा सरकार तक पहुँच सके।
सधन्यवाद।

भवदीय,
रामपाल,
करनाल।
दिनांक : 10 अप्रैल, 20…..

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42. समाचार-पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखिए जिसमें विज्ञापन छापने की प्रार्थना की गई हो।

मुख्याध्यापिका,
शहीद भगत सिंह कन्या माध्यमिक विद्यालय,
झज्जर (रोहतक)।
15 जुलाई, 20….

सेवा में,
प्रधान संपादक,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली-110002

प्रिय महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से एक विज्ञापन देना चाहती हूँ। आशा है आप यह विज्ञापन प्रकाशित करके मुझे अनुगृहीत करेंगे। विज्ञापन समाचार-पत्र के दूसरे पृष्ठ पर वर्गीकृत कॉलम में हो और यह आगामी रविवार को प्रकाशित किया जाए। विज्ञापन की सामग्री नीचे दी जा रही है।

शहीद भगत सिंह कन्या माध्यमिक विद्यालय (मान्यता प्राप्त) झज्जर के लिए बी०एस-सी०, बी०ए०, बी०एड०, प्रभाकर, ज्ञानी, ओ०टी०, पी०टी०आई०, जे०बी०टी० अध्यापकों की आवश्यकता है। साक्षात्कार के लिए तत्काल मिलें। महिला शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी। वेतन योग्यतानुसार होगा।
(ह०) मुख्याध्यापिका
विज्ञापन छापने के बाद समाचार-पत्र की एक प्रति और भुगतान के लिए बिल हमारे कार्यालय में भेज दें।

भवदीय,
(ह०) कुमुद जोशी,
मुख्याध्यापिका।

43. हरियाणा रोडवेज के जींद डिपो के महाप्रबंधक को अनियमित बस सेवा में सुधार के लिए पत्र लिखिए।

सेवा में,
महाप्रबंधक,
हरियाणा राज्य परिवहन,
जींद डिपो।

महोदय,
निवेदन यह है कि इस पत्र के द्वारा मैं आपका ध्यान जींद डिपो की अनियमित बस सेवा की ओर दिलाना चाहता हूँ। जींद डिपो की बसें आमतौर पर समय पर नहीं आतीं। इससे सामान्य नागरिकों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विद्यार्थियों को कक्षा में पहुँचने में देरी हो जाती है तथा कर्मचारी भी बस सेवा के नियमित न होने के कारण समय पर कार्यालय नहीं पहुँच पाते। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप अपना ध्यान इस ओर दें ताकि अनियमित बस सेवा में सुधार किया जा सके। मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद।

भवदीय,
रमेश कुमार गुप्ता,
672, न्यू हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी,
जींद।
दिनांक : 15 मार्च, 20….

पता-
महाप्रबंधक,
हरियाणा राज्य परिवहन,
जींद डिपो।

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44. अपने नगर की टूटी-फूटी सड़कों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए अपने नगर-परिषद् के अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
नगर-परिषद्,
भिवानी।

महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि इस पत्र द्वारा हम आपका ध्यान नगर की सड़कों की दयनीय दशा की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं। नगर की अधिकांश सड़कें टूट चुकी हैं। हम संबंधित अधिकारी को पहले भी कई बार सड़कों के विषय में लिख चुके हैं किंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई हैं। कई स्थानों पर गहरे गड्ढे पड़ चुके हैं। वर्षा के दिनों में इनमें पानी भर जाता है और कई बार दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं। टूटी हुई सड़कों पर पानी जमा हो जाने से मच्छर मक्खियों का प्रकोप भी बढ़ गया है जिससे बीमारी फैलने का भय बना रहता है। नगर की कई सड़कों पर तो इतना पानी जमा हो जाता है कि वहाँ से आना-जाना बड़ा कठिन हो जाता है। आस-पास की बस्तियों में बदबू फैल गई है। अतः आपसे पुनः प्रार्थना है कि नगर की सड़कों की यथाशीघ्र मरम्मत करवाएँ ताकि नगर के लोग सुविधापूर्वक उन पर से आ-जा सकें तथा मच्छर-मक्खियों के प्रकोप से बच सकें।
सधन्यवाद।

भवदीय,
मोहन सिंह,
मंत्री, नगर सुधार सभा,
भिवानी।
दिनांक : 15 मई, 20….

45. अपनी भूल के लिए क्षमा याचना करते हुए पिता जी को एक पत्र लिखिए।

22, कमला छात्रावास,
हिंदू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
………. नगर।
15 जनवरी, 20….

पूज्य पिता जी,
सादर चरण वंदना। आशा है कि आपको मेरा पत्र मिला होगा। उसमें मैंने लिखा था कि मुझे 300 रुपए पुस्तकों और कापियों के लिए चाहिएँ। वस्तुतः एक मित्र के बहकावे में आकर मैंने ऐसा लिख दिया था। वास्तव में, हमारे विद्यालय की ओर से जयपुर के लिए शैक्षणिक यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया था। मैं भी इसमें भाग लेना चाहता था। मैंने सोचा आप शायद मुझे जयपुर जाने की अनुमति नहीं देंगे। अतः मित्र के कहने पर मैंने यह लिख भेजा था कि मुझे पुस्तकों और कापियों के लिए पैसों की आवश्यकता है। बाद में आपको झूठ लिखने के अपराध के कारण मुझे आत्मग्लानि हुई। दो दिनों तक तो मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगा। आज आपको पत्र लिखने के बाद मैं इस बोझ से मुक्त हुआ हूँ। आशा है कि आप मेरी पहली भूल को क्षमा करेंगे। मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में मैं ऐसी गलती नहीं करूँगा।

यदि आप अनुमति देंगे, तभी मैं शैक्षणिक यात्रा पर जाऊँगा, अन्यथा नहीं। एक बार पुनः क्षमा-याचना।

आपका सुपुत्र,
दिनेश।

पता-
श्रीमान सोहनलाल
गाँव तथा डाकखाना-फतेहपुर,
जिला-कुरुक्षेत्र

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46. चुनाव के दृश्य का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

गुरु नानक खालसा व०मा० विद्यालय,
करनाल।
15 दिसंबर, 20….

प्रिय राकेश,
सप्रेम नमस्कार।
आशा है कि तुम्हारी परीक्षा समाप्त हो गई होगी और तुम अपने माता-पिता के काम में हाथ बँटा रहे होगे। प्रिय इस पत्र में मैं अपने गाँव में हुए चुनाव के दृश्य के विषय में लिख रहा हूँ। आशा है तुम्हें यह दृश्य अच्छा लगेगा।

पिछले सप्ताह हमारे गाँव की पंचायत का चुनाव हुआ था। चुनाव की घोषणा होते ही सारे गाँव में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। चुनाव से लगभग पंद्रह दिन पूर्व चुनाव प्रचार आरंभ हो गया था। चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों ने अपने-अपने चुनाव निशान के रंग-बिरंगे पत्रक छपवाकर गली-गली में बाँट दिए थे। प्रतिदिन सुबह-शाम लोगों के घरों में जाकर उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने पक्ष में मत देने का आग्रह करते थे। पक्ष और विपक्ष के उम्मीदवार अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताते थे और लोगों को अधिक-से-अधिक सुविधाएँ प्रदान करने के वायदे करते थे।

गाँव की गलियों की दीवारों पर, पंचायत-घर के सामने आदि सभी स्थानों पर पोस्टर भी चिपका दिए गए थे। विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी चुनाव में मदद के लिए पहुंच गए थे। कुछ उम्मीदवारों ने गरीब लोगों को लालच देकर फुसलाने का भी प्रयास किया था। चुनाव के दिन गाँव में चहल-पहल थी। पंचायत भवन और गाँव के विद्यालय में दो चुनाव केंद्र बनाए गए थे। जिला मुख्यालय से उप-चुनाव अधिकारी और अन्य कर्मचारी रात को ही गाँव में पहुंच गए थे। उनके साथ कुछ पुलिस कर्मचारी भी थे। लोग प्रातः आठ बजे से ही वोट डालने के लिए पंक्तियों में आकर खड़े हो गए थे।

पुरुषों के साथ-साथ महिलाएँ भी अलग पंक्तियों में खड़ी हुई थीं। मतदान सुबह नौ बजे से सायं पाँच बजे तक चलता रहा। सरपंच के पद के लिए काँटे का मुकाबला था। शांति बनाए रखने के लिए पुलिस को सतर्क कर दिया गया था। सायं छह बजे परिणाम घोषित हुआ। चौधरी फतेह सिंह दो सौ मतों से चुनाव जीत गए। विजयी पक्ष ने ढोल बजाकर खुशियाँ मनाईं।
अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना। परीक्षा का परिणाम आने पर पत्र लिखना न भूलना।

तुम्हारा मित्र,
प्रवीण शर्मा।

47. पुस्तकें मँगवाने हेतु प्रकाशक को एक पत्र लिखिए।

राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
जींद।
15 मई, 20….

सेवा में,
प्रबंधक महोदय (विक्रय विभाग),
ज्योति बुक डिपो प्रा०लि०,
आर-119, इब्राहिम मंडी, करनाल।
मान्यवर,
हमें अपने विद्यालय के लिए निम्नलिखित पुस्तकों की आवश्यकता है। ये पुस्तकें वी०पी०पी० द्वारा शीघ्रातिशीघ्र भिजवाने की कृपा करें। पुस्तकें भेजते समय यह अवश्य देख लें कि वे नए संस्करण की हों तथा कटी-फटी न हों। मैं पुस्तकों के लिए पाँच सौ रुपए अग्रिम राशि के रूप में भेज रहा हूँ। पुस्तकों की सूची इस प्रकार है-
(1) दीपक हिंदी गाइड (आठवीं कक्षा) 10 प्रतियाँ
(2) दीपक सफलता का सागर (पाँचवीं कक्षा) 5 प्रतियाँ
(3) दीपक अंग्रेज़ी गाइड (दशम कक्षा) 5 प्रतियाँ
(4) दीपक सामाजिक विज्ञान (दशम कक्षा) 5 प्रतियाँ
(5) दीपक थ्री-इन-वन हिंदी (नवम कक्षा) 5 प्रतियाँ

भवदीय,
विकास दीवान,
मॉनीटर,
कक्षा-नौवीं।

पता-
प्रबंधक महोदय (विक्रय विभाग),
ज्योति बुक डिपो प्रा०लि०,
आर-119, इब्राहिम मंडी, करनाल।

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48. अपनी पढ़ाई की प्रगति के संबंध में अपने पिता जी को एक पत्र लिखिए।

डी०ए०वी० हाई स्कूल,
सिरसा।
5 मई, 20….

आदरणीय पिता जी,
सादर प्रणाम। कल ही आपका पत्र मिला। पढ़कर हाल मालूम हुआ। पत्र से यह पता चला कि आप मेरी पढ़ाई के विषय में बहुत चिंतित हैं। मैं यहाँ छात्रावास में बहुत प्रसन्न हूँ और अपनी पढ़ाई का पूरा ध्यान रखता हूँ। यहाँ के सभी अध्यापक बहुत मेहनती हैं। अर्द्धवार्षिक । परीक्षा में मेरा परिणाम बहुत ही अच्छा रहा। मैंने 65% अंक प्राप्त किए हैं। केवल गणित में अंक मेरी आशा से कुछ कम रहे हैं। मुझे आशा है कि भविष्य में मैं इस विषय में भी अच्छे अंक प्राप्त कर लूँगा। आप मेरी पढ़ाई के विषय में निश्चित रहें।
माता जी को सादर चरण वंदना और रुचिका को बहुत-सा प्यार।

आपका बेटा,
रामकुमार।

49. मित्र को पत्र लिखिए जिसमें किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वर्णन किया गया हो।

232/13, अर्बन एस्टेट
करनाल।
11 जुलाई, 20….

प्रिय मित्र अरविंद,
नमस्ते।
कल तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुम अपना ग्रीष्मावकाश बिताने के लिए उदयपुर गए थे। मैं भी अपने बड़े भाई के साथ इस बार धर्मशाला पर्वतीय क्षेत्र में गर्मी की छुट्टियाँ व्यतीत करने गया था। इस यात्रा का वर्णन मैं तुम्हें पत्र में लिखकर भेज रहा हूँ।

15 जून को हम करनाल से चंडीगढ़ पहुँचे। वहाँ से 11 बजे हमने धर्मशाला की बस पकड़ी और सायं 7 बजे हम पालमपुर पहुँच गए। पालमपुर के छात्रावास में हमें रहने के लिए स्थान मिल गया। छात्रावास का भवन सड़क के किनारे बना हुआ है। पास में ही हिमाचल प्रदेश का कृषि विश्वविद्यालय है। लगभग सभी पहाड़ियाँ घने वृक्षों से ढकी हुई हैं। धौलाधार की ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ यहाँ से साफ़ नज़र आती हैं। जून के महीने में भी रात को काफी सरदी थी जिसके कारण हमें कंबल किराए पर लेने पड़े। अगले दिन हम धर्मशाला के लिए रवाना हुए। लगभग 12.00 बजे हम धर्मशाला पहुँचे। हम धर्मशाला से आगे मतलोडगंज भी गए। यह इस क्षेत्र की सबसे ऊँची पहाड़ी है। यहीं पर धार्मिक नेता दलाईलामा का निवास स्थान तथा प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर है। इस क्षेत्र के चारों ओर चीनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष हैं। सामने की पहाड़ियाँ बर्फ से ढकी रहती हैं। लगभग दो बजे जोरदार वर्षा हुई जिससे सरदी काफी बढ़ गई। हमने वहाँ रात एक होटल में काटी। अगले दिन हम पहाड़ियों से उतरते हुए नीचे धर्मशाला में आए। यह काफी बड़ा नगर है। पहाड़ियों पर बने हुए घर काफी सुंदर लगते हैं। यहाँ का पार्क तो बहुत ही सुंदर है जो कि शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया है। यहाँ पर भी आस-पास पहाड़ी झरने, सुंदर वृक्ष और छोटी पहाड़ियाँ हैं। दो दिन यहाँ पर रहने के बाद हम लौट पड़े। धर्मशाला से लेकर नंगल तक सारा रास्ता पहाड़ी है। मार्ग में हमने काँगड़ा, ज्वालाजी तथा चिंतपूर्णी के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन किए। इस प्रकार से हमारी पर्वतीय यात्रा काफी रोचक रही।
माता जी और पिता जी को मेरी ओर से प्रणाम कहना।

आपका अभिन्न मित्र,
पंकज।

पता-
श्री अरविंद कुमार,
426/7, अर्बन एस्टेट, गुड़गाँव।

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50. अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर उसे सादगी और सदाचार की प्रेरणा दीजिए।

215, तिलक नगर,
नई दिल्ली-110018
3 मार्च, 20….

प्रिय रोहित,
प्रसन्न रहो।
कल ही मुझे पिता जी का पत्र मिला। यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि तुम आजकल पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दे रहे हो बल्कि फैशन की होड़ करने और फिल्में देखने में अपना समय नष्ट कर रहे हो। मैं जानता हूँ कि यह तुम्हारे खाने-पीने और खेलने के दिन हैं। इस आयु में अच्छे कपड़े पहनने और श्रृंगार करने का मन करता है। मैं यह भी नहीं कहता कि तुम सुंदर कपड़े न पहनो और फिल्में न देखो लेकिन प्रत्येक बात की सीमा भी होती है। संस्कृत में कहा गया है-‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ अर्थात हर चीज़ की अति बुरी होती है। बनाव-सिंगार करने तथा अच्छा खाने-पहनने के साथ परिवार की आर्थिक स्थिति का भी तो ध्यान रखना चाहिए।

तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे परिवार में अकेले पिता जी कमाने वाले हैं। हमारे घर की आर्थिक स्थिति कोई अधिक अच्छी नहीं है। मुझे भी छात्रावास को छोड़कर प्राइवेट कमरे में रहना पड़ रहा है। मैं तो खाना भी अपने हाथों से बनाता हूँ। घर पर माता जी भी अस्वस्थ रहती हैं। हमारी दो बहनें भी कॉलेज में पढ़ रही हैं। ऐसी स्थिति में घर की सारी व्यवस्था पिता जी को ही करनी पड़ती है। पिता जी के खून-पसीने की कमाई को फैशन और बनाव-सिंगार में खर्च करना तुम्हें शोभा नहीं देता।

हमारी संस्कृति का प्रमुख गुण है-सादा जीवन उच्च विचार। इस आदर्श पर चलकर आत्मा उज्ज्वल, मन शुद्ध और बुद्धि निर्मल होती है। संसार में जिन महापुरुषों ने नाम कमाया है, उन्होंने सादगी को ही अपनाया था। गांधी जी ने एक लँगोटी पहनकर देश को स्वतंत्र कराया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गांधी जी का अनुसरण करते हुए सभी सुख और आराम छोड़ दिए। श्री लालबहादुर शास्त्री का उदाहरण हमारे सामने है। मदर टेरेसा की मिसाल भी भुलाई नहीं जा सकती। ऐसे न जाने और कितने उदाहरण हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि सादगी से मनुष्य अपने जीवन का समुचित विकास कर सकता है।

मुझे पूरा विश्वास है कि जिस प्रकार पहले तुम मेरी बातों को मानते रहे हो, इस बार भी मेरी सलाह की ओर ध्यान दोगे। सदाचार और सादगी का आदर्श अपनाने से तुम्हारा अपना जीवन तो सुखी होगा ही, माता-पिता को भी प्रसन्नता मिलेगी।

तुम्हारा अग्रज,
कृष्ण कुमार।

पता
……………..
……………..

51. विद्यालय में हुए वार्षिकोत्सव का वर्णन करते हुए अपने पिता जी को एक पत्र लिखिए।

1920, नेहरू छात्रावास,
हिसार।
21 जनवरी, 20….

पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम। पिछले सप्ताह ही आपका पत्र मिला लेकिन मैं उत्तर नहीं दे सका। इसके लिए मैं क्षमा याचना करता हूँ। वस्तुतः पिछले पूरे सप्ताह मैं विद्यालय के वार्षिकोत्सव में व्यस्त रहा। इसलिए पत्र लिखने में देरी हुई।

18 जनवरी, 20…. को हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव था। इससे एक सप्ताह पहले से ही विद्यालय में सजावट और सफाई का काम प्रारंभ हो गया था। आप तो जानते ही हैं कि मैं विद्यालय की छात्र परिषद् का अध्यक्ष हूँ। अतः अध्यापकों, विशेषकर, मुख्याध्यापक ने इस उत्सव का अधिकांश कार्यभार मुझे सौंप दिया था। मैं अपने कुछ मित्रों के साथ इस उत्सव की तैयारी में लगा रहा।

18 जनवरी को हमारा विद्यालय नई-नवेली दुल्हन के समान सजा हुआ था। मुख्य द्वार से लेकर विद्यालय के हॉल तक रंग-बिरंगी झंडियाँ लगी हुई थीं। विद्यालय का सारा भवन चमक रहा था। स्काउट, एन०सी०सी० तथा एन०एस०एस० के विद्यार्थी अपनी-अपनी वर्दियाँ पहने हुए मार्ग के दोनों ओर खड़े थे। विद्यालय के मुख्य हॉल को अच्छी तरह सजाया गया था। मुख्य अतिथि के आते ही बैंड वाले छात्रों ने स्वागत की ध्वनि बजाई। मुख्याध्यापक तथा नगर के अधिकारियों ने मुख्य अतिथि को फूल-मालाएँ पहनाईं। उनके स्थान ग्रहण करते ही सरस्वती वंदना के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। तत्पश्चात, मुख्याध्यापक ने स्कूल की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी। स्कूल के योग्य छात्रों को पुरस्कार बाँटे गए। मुझे भी इस अवसर पर पुरस्कार मिला। मुख्य अतिथि ने अपने भाषण में छात्रों को अनुशासन का पालन करने का संदेश दिया। उन्होंने विद्यालय के नए भवन के लिए पचास हज़ार रुपए के अनुदान की भी घोषणा की। इस प्रकार से हमारे विद्यालय का वार्षिक उत्सव मनाया गया। मुख्य अतिथि के जाने के बाद सभा की समाप्ति हुई।

पूज्य पिता जी, मैं अगले महीने घर आऊँगा क्योंकि मुझे आपकी और माता जी की बहुत याद आती है।

आपका पुत्र,
विक्रमजीत।

पता
……………..
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52. अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें महाकुंभ के मेले का वर्णन किया गया हो।

315, ट्रिब्यून कॉलोनी,
अंबाला कैंट।
15 फरवरी, 20….

प्रिय मित्र राकेश,
सप्रेम नमस्कार।
दो दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि तुम पिछले सप्ताह ‘वैष्णो देवी’ गए थे। मैं भी आज ही महाकुंभ के मेले से लौटकर आया हूँ। इस पत्र में मैं इस महा मेले का वर्णन कर रहा हूँ।

यह तो तुम्हें ज्ञात ही है कि महाकुंभ के अवसर पर हिंदुओं के लिए प्रयाग स्थान का विशेष महत्त्व है। अतः लाखों की संख्या में हिंदू इलाहाबाद पहुँचते हैं। यद्यपि यात्रियों को असंख्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तथापि उनके उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं आती। इस वर्ष फरवरी महीने में कुंभ का पावन पर्व था। लाखों की संख्या में लोग इलाहाबाद पहुँचने लगे। रेल मंत्रालय की ओर से पूरे भारतवर्ष से विशेष रेलगाड़ियाँ चलाई गई थीं। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विशेष प्रबंध किया गया था। पुलिस के दस्ते पूरी चौकसी रखे हुए थे। स्थान-स्थान पर सरकार की ओर से सस्ते राशन की दुकानें खोली गई थीं। लाखों साधु-संत इस अवसर पर उपस्थित थे। स्थान-स्थान पर धार्मिक प्रवचनों का प्रबंध था।

मैं अपने माता-पिता के साथ महाकुंभ के दूसरे दिन ही पहुंच गया था। बड़ी मुश्किल से हमें धर्मशाला में रहने का स्थान मिला। अगले दिन प्रातः नौ बजे हम त्रिवेणी में पवित्र स्नान करने गए। स्त्रियों के स्नान के लिए अलग व्यवस्था थी। उस दिन हमारे प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी प्रयाग में स्नान किया। स्नान करने में हमें कोई विशेष असुविधा नहीं हुई। लगभग एक बजे हम पूजा-पाठ समाप्त करके धर्मशाला में लौट आए।

महाकुंभ के मेले का दृश्य देखने योग्य था। श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही थी। स्त्रियाँ और पुरुष भजन-कीर्तन करते हुए त्रिवेणी की ओर बढ़ रहे थे। विभिन्न घाटों पर पुरोहित दान-दक्षिणा ले रहे थे। अगले दिन प्रातः पुनः स्नान करने के पश्चात हम लोगों ने वापिस आने का निर्णय लिया।

महाकुंभ का मेला भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यही नहीं, यह राष्ट्रीय एकता का भी परिचायक है। मेले में सभी जातियों के लोग भाग लेते हैं। यद्यपि लोगों को अनेक कष्ट सहन करने पड़ते हैं तथापि उनकी आध्यात्मिक रुचि कम नहीं होती।
परिवार के सभी लोगों को मेरी ओर से यथायोग्य अभिवादन कहें।

आपका अभिन्न मित्र,
राजीव कुमार।

पता-
श्री राकेश कुमार शर्मा,
27, हाँसी चौक, भिवानी।

53. धूम्रपान की हानियाँ बताते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।

215, तिलक नगर,
नई दिल्ली-110008
10 अगस्त, 20….

प्रिय मनोज,
प्रसन्न रहो।
कल ही मुझे पिता जी का पत्र मिला। यह जानकर अत्यंत दुःख हुआ कि आजकल तुम कुछ ऐसे लड़कों के साथ रहते हो जो धूम्रपान करते हैं और तुम भी उनके साथ धूमपान करने लगे हो। प्रिय मनोज, तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। धूम्रपान से मानव के फेफड़ों तथा गले में कैंसर हो जाता है। श्वास नली नष्ट हो जाती है। धूम्रपान से हमारे सारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जो व्यक्ति धूम्रपान का आदी हो जाता है, वह बाद में उसके बिना नहीं रह सकता। इसलिए मैं बड़ा होने के नाते तुम्हें परामर्श देता हूँ कि तुम धूम्रपान करना छोड़ दो और अपने स्वास्थ्य एवं पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाओ। स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन में सफल हो सकता है। मुझे आशा है कि तुम मेरी इन बातों पर ध्यान दोगे।
माता-पिता को सादर चरण वंदना और रुचिका को प्यार।

तुम्हारा भाई,
अश्विनी कुमार।

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

54. किसी अपरिचित को खोई वस्तु लौटाने के लिए आभार प्रदर्शन करते हुए पत्र लिखिए।

236, इब्राहिम मंडी,
करनाल।
18 सितंबर, 20….

आदरणीय शर्मा जी,
सादर वंदना।
कल मुझे अपने खोए हुए ड्राइविंग लाइसेंस के डाक द्वारा प्राप्त होने पर बहुत प्रसन्नता हुई। यह लाइसेंस रोहतक बस अड्डे पर खड़ी बस की सीट पर रह गया था। आपने यह लौटाकर मुझ पर अपार कृपा की है। यदि यह आप जैसे देवतुल्य व्यक्ति के हाथ न पड़ता तो मेरे लिए इसे प्राप्त करना असंभव हो जाता। ड्राइविंग लाइसेंस का साथ रखना अति अनिवार्य है।

आपने इसे डाक द्वारा भेजने का जो कष्ट किया है उसके लिए मैं आपका अति आभारी हूँ। आपने जो डाक-व्यय किया है उससे मैं और भी उपकृत हो गया हूँ। आज के युग में आप जैसे निःस्वार्थ और निष्काम भाव से परहित के कार्य करने वाले बहुत कम लोग समाज में हैं।
मेरे योग्य कोई सेवा हो तो अवश्य लिखना।

भवदीय,
प्रतीक गुप्ता।

सेवा में,
श्री द्वारिका प्रसाद शर्मा,
15, नेहरू कॉलोनी, रोहतक।

55. अपनी माता जी को पत्र लिखिए जिसमें उनके स्वास्थ्य की कुशलता के बारे में पूछा गया हो।

कमला कॉलोनी
करनाल।
15 अप्रैल, 20….

पूज्य माता जी,
सादर चरण वंदना।
कल ही रंजना दीदी का पत्र मिला। पढ़कर घर की स्थिति का पता चला कि पिता जी का स्थानांतरण जींद हो गया है। उनके जींद जाने के बाद आप पर घर के कामों का बोझ बढ़ गया है। आपका स्वास्थ्य तो पहले ही ठीक नहीं था। मुझे चिंता लगी रहती है कि काम की अधिकता के कारण कहीं आप फिर बीमार न पड़ जाएँ। इसलिए मैं तो यही कहूँगा कि घर के काम के लिए आप सारे समय के लिए एक नौकर रख लें जिससे आपकी काम में सहायता हो जाएगी।

आदरणीय माता जी, अगले महीने मेरी वार्षिक परीक्षा होगी इसलिए मैं घर नहीं आ सकता। मैं परीक्षा समाप्त होने पर ही घर आऊँगा। इसलिए आप ठीक समय पर दवाई लेती रहना और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह भी लेती रहना। आप पत्र द्वारा अपने स्वास्थ्य की सूचना अवश्य देना।
दीदी को सादर नमस्ते एवं मोंटू को प्यार कहना।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
आपका बेटा,
राजेश शर्मा।

पता-
श्रीमती विद्या देवी शर्मा
श्याम नगर,
कुरुक्षेत्र।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विलोम शब्द

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vilom Shabd विलोम शब्द Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran विलोम शब्द

विलोम शब्द

Vilom Shabd For Class 9 HBSE प्रश्न 1.
विपरीतार्थक या विलोम शब्दों से क्या अभिप्राय है ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विपरीतार्थक शब्द ऐसे शब्दों के जोड़े होते हैं जिनके अर्थ एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। वे शब्द विपरीत अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो गए हैं। उनके स्थान पर कोई समानार्थक का प्रयोग भी नहीं किया जाता। विपरीतार्थक शब्दों के निम्नलिखित उदाहरण देखिए
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विलोम शब्द 1
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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विलोम शब्द 3
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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Anekarthi Shabd अनेकार्थी शब्द Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

Anekarthi Shabd Class 9 HBSE

अनेकार्थी शब्द

प्रत्येक भाषा में अनेक शब्द ऐसे होते हैं जिनके एक से अधिक अर्थ हैं। वे शब्द प्रसंग बदलने पर अलग – अलग अर्थ देते हैं; जैसे –
‘काल’ शब्द के अर्थ हैं, पिछला दिन, अगला दिन, शोर, मशीन, सुंदर आदि। ह

हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कुछ अनेकार्थी शब्द निम्नलिखित हैं –
अज – ब्रह्मा, शिव, बकरा।
अदृष्ट – भाग्य, गुप्त, जो देखा न गया हो।
अंक – संख्या, गोद, अध्याय, चिह्न, नाटक का अंक।
अधर – अंतरिक्ष, निचला होंठ, धरती और आसमान के मध्य।
अक्षर – नष्ट न होने वाला, ईश्वर, वर्ण।
अपवाद – निंदा, कलंक, नियम के विरुद्ध।
अपेक्षा – आवश्यकता, तुलना, आशा।
अब्ज – शंख, कमल, कपूर, चंद्रमा।
अब्धि – सरोवर, समुद्र।
अरुण – सूर्य का सारथि, प्रातःकालीन सूर्य, रक्तवर्ण, सिंदूर, लाल।
अमर – शाश्वत, देवता।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

अभिजात – कुलीन, मनोहर, पूज्य।
अंबर – आकाश, कपड़ा, कपास।
अर्थ – धन, व्याख्या, उद्देश्य।
अर्क – सूर्य, आक, रस।
आम – एक फल, सामान्य।
अलि – भँवरा, सखी, कोयल।
अवधि – सीमा, निर्धारित समय।
आदि – प्रारंभ, वगैरह।
अवकाश – बीच का समय, अवसर, छुट्टी।
आराम – सुख – चैन, बगीचा।
आतुर – विकल, रोगी, उत्सुक।
आली – सखी, पंक्ति।
उत्सर्ग – त्याग, दान, समाप्ति।
उत्तर – जवाब, उत्तर दिशा।
उपचार – उपाय, सेवा, इलाज।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

कर – हाथ, किरण, हाथी की सैंड, टैक्स, ‘करना’ क्रिया का आज्ञार्थक रूप।
कक्षा – परिधि, समूह, छात्रों का समूह।
कला एक विषय, गुण, युक्ति, तरीका।
कल – चैन, बीता हुआ दिन, आने वाला दिन, मशीन, शोर, आराम।
कक्ष – बगल, कमरा।
कुंजर – हाथी, बाल।
कनक – सोना, धतूरा, गेहूँ।
काम – इच्छा, कामदेव, कार्य, वासना।
काल – समय, मृत्यु।
कुण्डल – कान का आभूषण, साँप की गेंडुरी।
कुटिल – टेढ़ा, घुघराला, कपटी।
कुशल – चतुर, सुखी, सुरक्षित।
कुल – सब, वंश, घर, गोत्र।
कोष – खज़ाना, फूल का भीतरी भाग।
खर – तेज, गधा।
खग – पक्षी, आकाश, खेचर-देवता, ग्रह, पक्षी।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

ग्रहण – लेना, सूर्य-चन्द्र ग्रहण, दोष।
गण – समूह, भूत – प्रेत, तीन वर्गों का समूह (छंद-शास्त्र)।
गौ – गाय, पृथ्वी, इंद्रियाँ।
गति – चाल, दिशा, मोक्ष।
गुरु – श्रेष्ठ, अध्यापक, भारी, बड़ा, दो मात्राओं वाला वर्ण, मुश्किल से पचने वाला।
गुण – रस्सी, स्वभाव, कौशल, रज-सत-तम गुण।
घर – मकान, कुल, कार्यालय।
घन – बादल, घटा, भारी, हथौड़ा।
घट – घड़ा, हृदय, कम, शरीर।
चीर – वस्त्र, रेखा, पट्टी, चीरना।
चपला – लक्ष्मी, बिजली।
जीवन – वायु, प्राण, जिंदगी, जल।
जवान – सैनिक, योद्धा, वीर, युवक।
जड़ – अचेतन, मूर्ख, वृक्ष का मूल।
ठाकुर – देवता, स्वामी, क्षत्रिय, ईश्वर।
तात – पिता, भाई, पूज्य।
तप – साधना, गर्मी, अग्नि, धूप।
तार – उद्धार, तारघर का तार, लोहे का तार, चासनी का तार।
तीर – किनारा, बाण।
तारा – नक्षत्र, आँखों की पुतली।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

दक्षिण – दाहिना, अनुकूल, दक्षिण दिशा।
दंड – डंडा, सज़ा, व्यायाम का एक प्रकार, डंठल ।
दल – समूह, सेना, पत्ता।
द्विज – दाँत, ब्राह्मण, पक्षी।
दर्शन – देखना, नेत्र, आकृति, दर्शनशास्त्र।
धारणा – विचार, बुद्धि, समझ, विश्वास, मन की स्थिरता।
नव – नया, नौ।
नाक – नासिका, स्वर्ग।
नग – पर्वत, नगीना।
नायक – नेता, मार्गदर्शक, सेनापति, नाटक का मुख्य पात्र।
निशान – चिह्न, ध्वजा, डंका।
नाग – साँप, हाथी।
पत्र – चिट्ठी, पत्ता, समाचार पत्र, पन्ना।
पतंग – सूर्य, एक कीड़ा, उड़ाई जाने वाली गुड़िया।
पट – द्वार, कपड़ा, पर्दा।
पय – दूध, पानी, अमृत।
पद – चरण, शब्द, ओहदा, कविता का चरण।
पृष्ठ – पन्ना, पीठ पीछे का भाग, सतह।
पक्ष – पंख, तरफ, सहायक, दो सप्ताह।
प्रकृति – कुदरत, स्वभाव, मूलावस्था।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

पूर्व – पहले, एक दिशा का नाम।
पानी – जल, मान, चमक।
प्रसाद – कृपा, अनुग्रह, हर्ष।
भोग खाना, प्रारब्ध, सुख-दुःख का अनुभव।
भृति – नौकरी, मज़दूरी, वेतन, मूल्य, वृत्ति।
भव – संसार, उत्पत्ति, शंकर।
भेद – प्रकार, रहस्य, फूट, भिन्नता, तात्पर्य।
भूत – बीता हुआ, प्राण, प्रेत।
मधु – शहद, मदिरा, वसंत, मीठा।
मत – राय, सम्प्रदाय, निषेध (न)।
मुद्रा – मोहर, सिक्का, मुख का भाव, छाया।
मित्र – सूर्य, दोस्त।
रस – स्वाद, सार, आनन्द, प्रेम, फलों का निचोड़।
रंग – वर्ण, दशा, प्रेम, नृत्य-अभिनय का स्थान।
लक्ष्य – उद्देश्य, निशाना।
लाल – एक रंग, पुत्र।
लय – डूबना, मिलना, स्वरों का उठना-गिरना।
वार – दिन, आक्रमण, प्रहार।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थी शब्द

वर – अच्छा, पति, दूल्हा।
विजया – दुर्गा, भाँग।
वर्ण – रंग, अक्षर, जाति।
विषय – भोग-विलास, जिसके बारे में कुछ कहा जाए, मज़मून।
वृत्ति – पेशा, छात्रवृत्ति, कार्य, स्वभाव, नीयत।
विधि – ब्रह्मा, रीति, कानून।
शेष – बचा हुआ, शेषनाग।
श्यामा – राधा, यमुना, काले रंग की गाय, स्त्री, रात, कोयल।
शिखी – मोर, पर्वत, अग्नि।
श्रुति – वेद, कान।
श्री लक्ष्मी, सरस्वती, सम्पत्ति, शोभा, कान्ति, धन।
सारंग – मोर, साँप, बादल, मृग, पपीहा, हंस, कोयल, कामदेव।
सार – बल, लोहा, तत्त्व, निष्कर्ष ।
सूत – धागा, सारथी।
सोना – शयन, स्वर्ण।
संज्ञा – नाम, चेतना।
हरि – विष्णु, सूर्य, इन्द्र, सिंह, सर्प।
हर – शिव, हर लेना।
हार – पराजय, माला।
हल – समाधान, खेत जोतने का यन्त्र।

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HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

Haryana State Board HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

HBSE 9th Class English The Fun They Had Textbook Questions and Answers

Thinking about the text

Activity :
Calculate how many years and months ahead from now Maije’s diary entry is:
(गणना कीजिए कि अब से कितने वर्ष बाद मार्गी ने अपनी डायरी में यह विवरण दर्ज किया है)
Answer:
About 141 years and 3 months ahead.
(लगभग 141 वर्ष तथा 3 माह बाद।)

I. Answer these questions in a few words or a couple of sentences each.

The Fun They Had Question Answer HBSE 9th Class Question 1.
How old are Margie and Tommy?
(मार्गी और टॉमी की आयु कितनी है?)
Answer:
Margie is eleven and Tommy is thirteen years old.
(मार्गी ग्यारह और टॉमी तेरह वर्ष का है।)

The Fun They Had Meaning In Hindi HBSE 9th Class Question 2.
What did Margie write in her diary?
(मार्गी ने अपनी डायरी में क्या लिखा?)
Answer:
Margie wrote in her diary, “Today Tommy found a real book!”
(मार्गी ने अपनी डायरी में लिखा, “आज टॉमी को एक वास्तविक पुस्तक मिली!”)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

Beehive Chapter 1 HBSE 9th Class Question 3.
Had Margie ever seen a book before?
(क्या पहले कभी मार्गी ने पुस्तक देखी थी?)
Answer:
No, Margie had never seen a book before.
(नहीं, मार्गी ने पहले कभी कोई पुस्तक नहीं देखी थी।)

The Fun They Had Important Questions HBSE 9th Class Question 4.
What things about the book did she find strange?
(पुस्तक के बारे में उसे कौन-सी बातें विचित्र ली?)
Answer:
She found that the words in the book stand still. They did not move like the words on the television screen. It had the same words on it that they had read earlier.
(उसने पाया कि पुस्तक में शब्द एक ही स्थान पर स्थिर हैं। वे टेलीविजन के पर्दे पर शब्दों की तरह हिल नहीं रहे थे। पुस्तक में अभी भी वे शब्द वहीं पर थे जो उन्होंने पहले पढ़ लिए थे।)

Class 9th Beehive Chapter 1 Question Answer HBSE  Question 5.
What do you think a telebook is?
(आप दूरदर्शन पुस्तक के बारे में क्या समझते हैं?)
Answer:
It is not like a real book that is printed on pages. It is a book that is telecast on the T.V. screen.
(यह एक असली पुस्तक की तरह नहीं थी जो कि पन्नों पर छपी होती थी। यह एक ऐसी पुस्तक है जिसका प्रसारण टेलीविजन के पर्दे पर किया जाता है।)

The Fun They Had Chapter Question Answer HBSE 9th Class Question 6.
Where was Margie’s school? Did she have any classmates?
(मार्गी का स्कूल कहाँ पर था? क्या उसका कोई सहपाठी भी था?)
Ans.
Margie’s school was in her house. Her schoolroom was in the room next to her bedroom. She had no classmate.
(मार्गी का स्कूल उसके घर में था। उसका स्कूल कक्ष उसके शयनकक्ष से अगले कमरे में स्थित था। उसका कोई सहपाठी नहीं था।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

Class 9 Beehive Chapter 1 HBSE Question 7.
What subjects did Margie and Tommy learn?
(मार्गी और टॉमी कौन-से विषयों का अध्ययन करते थे?)
Answer:
Margie learnt geography and mathematics while Tommy learnt history subject.
(मार्गी भूगोल और गणित तथा टॉमी इतिहास विषय का अध्ययन करते थे।)

II. Answer the following with reference to the story.

Questions And Answers Of The Fun They Had HBSE 9th Class Question 1.
‘I wouldn’t throw it away.’
(‘मैं इसे फेंकूगा नहीं।’)

(i) Who says these words?
(ये शब्द कौन कहता है?)
Answer:
Tommy says these words.
(ये शब्द टॉमी कहता है।)

(ii) What does ‘It’ refer to?
(“It’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?)
Answer:
‘It’ refers to the old book that was printed on paper.
(it’ शब्द उस प्राचीन पुस्तक के लिए प्रयोग किया गया है जो कागज पर छपी हुई थी।)

(iii) What is it being compared with by the speaker?
(वक्ता के द्वारा इसकी किस चीज से तुलना की गई है?)
Answer:
The speaker compares it with his television screen.
(वक्ता इसकी तुलना अपने टेलीविजन की स्क्रीन से करता है।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

2. Sure they had a teacher, but it wasn’t a regular teacher. It was a man.”
(‘अवश्य ही उनके पास एक शिक्षक होता था, लेकिन वह एक स्थाई शिक्षक नहीं होता था। वह एक इंसान था।’)

(i) Who does they refer to?
(‘They’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?)
Answer:
The word ‘they’refers to the students of the time when there were real books and man teachers in the schools.
(‘They’ शब्द उस समय के विद्यार्थियों के लिए प्रयोग किया गया है जब स्कूलों में वास्तविक पुस्तकें और मनुष्य अध्यापक हुआ करते थे।

(ii) What is it contrasted with?

(i) What does fregular’ mean here?
(यहाँ पर ‘नियमित’ का क्या अर्थ है?)
Answer:
Here ‘regular’ means a mechanical teacher that appeared on the T.V. screen daily.
(यहाँ पर ‘नियमित’ का अर्थ एक तकनीकी अध्यापक से है जो प्रतिदिन टेलीविजन की स्क्रीन पर उपस्थित होता था।)

(i) What is it contrasted with?
(इसकी किस बात के साथ तुलना की गई है?)
Answer:
It is contrasted with a human teacher who taught in the schools of the old days.
(इसकी एक मानव अध्यापक के साथ तुलना की गई है जो पुराने जमाने के स्कूलों में पढ़ाया करता था।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

III. Answer each of these questions in a short paragraph (in about 30 words).

The Fun They Had Questions Answers HBSE 9th Class Question 1.
What kind of teachers did Margie and Tommy have?
(मार्गी और टॉमी के किस प्रकार के शिक्षक वे?)
Answer:
Margie and Tommy had mechanical teachers. They appeared daily on their television screen at fixed time and gave their lessons. They gave them homework, checked their homework and judged their progress in study.
(मार्गी और टॉमी के तकनीकी शिक्षक थे। वे निर्धारित समय पर प्रतिदिन उनके टेलीविजन के पर्दे पर उपस्थित होते थे और अपना पाठ पढ़ाते थे। वे उन्हें गृहकार्य देते थे, उनके गृहकार्य को चैक करते थे और पढ़ाई में उनकी प्रगति का मूल्यांकन करते थे।)

Question 2.
Why did Margie’s mother send for the County Inspector?
(मार्गी की मां ने काऊंटी इंस्पेक्टर को क्यों बुलावा भेजा था?)
Answer:
The mechanical teacher had been giving test after test to Margie in geography. Margie had been doing worse and worse. Her mother was very upset with it. So she sent for the County Inspector to check her mechanical teacher.
(मार्गी का तकनीकी शिक्षक उसे भूगोल में एक के बाद एक टैस्ट देता जा रहा था। मार्गी का प्रदर्शन अधिक से अधिक खराब होता जा रहा था। उसकी माँ बहुत परेशान थी। इसलिए उसकी माँ ने तकनीकी शिक्षक का निरीक्षण करने के लिए काऊंटी इंस्पेक्टर को बुलावा भेजा।)

Question 3.
What did he do?
(उसने क्या किया?)
Answer:
He took the mechanical teacher apart. He checked every part of it. He found that the geography sector of the mechanical teacher was working at fast speed. He slowed it up to an average ten-year level student He reassembled it and now it was working smoothly.
(उसने तकनीकी शिक्षक को खोल दिया। उसने इसके प्रत्येक हिस्से का निरीक्षण किया। उसने पाया कि तकनीकी शिक्षक का भूगोल वाला भाग तीव्र गति से कार्य कर रहा था। उसने इसकी गति को एक दस वर्ष के सामान्य विद्यार्थी के स्तर पर निर्धारित कर दिया। उसने उसे पुनः जोड़ दिया और अब वह सही ढंग से कार्य कर रहा था।)

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Question 4.
Why was Margie doing badly in geography? What did the County Inspector do to help her?
(मार्गी भूगोल विषय में खराब प्रदर्शन क्यों कर रही थी? काऊंटी इंस्पेक्टर ने उसकी मदद करने के लिए क्या किया?)
Answer:
The geography sector of Margie’s mechanical teacher was geared a little too quick. She could not respond to it properly. So she was doing badly in geography. The County Inspector slowed it up to an average ten-year student level.
(मार्गी के तकनीकी शिक्षक के भूगोल वाले भाग की गति थोड़ी अधिक हो गई थी। वह उसके द्वारा पूछी गई बातों का सही उत्तर नहीं दे सकती थी। इसलिए भूगोल में उसका प्रदर्शन खराब हो रहा था। काऊंटी इंस्पेक्टर ने उसकी गति को एक दस वर्ष के सामान्य बच्चे के स्तर का कर दिया।)

Question 5.
What had once happened to Tommy’s teacher?
(एक बार टॉमी के शिक्षक को क्या हुआ था?)
Answer:
Once the history sector of Tommy’s teacher had blanked out completely. The County Inspector came and took the teacher away for nearly a month.
(एक बार टॉमी के अध्यापक का इतिहास वाला भाग बिल्कुल साफ हो गया था। काऊंटी इंस्पेक्टर आया और अध्यापक को लगभग एक मास के लिए अपने साथ ले गया।)

Question 6.
Did Margle have regular days and hours for school? If so, why?
(क्या मार्गी के स्कूल के दिन और घंटे निर्धारित थे? यदि ऐसा था तो क्यों ?)
Answer:
Yes, Margie had regular days and hours for school. Her school was in her home. It was in the room next to her bedroom. The mechanical teacher was waiting for her on fixed time. It was always on the same time everyday except Saturday and Sunday.
(हाँ,मार्गी के स्कूल के निर्धारित दिन और घंटे थे। उसका स्कूल उसके घर में था। यह उसके शयनकक्ष से अगले कमरे में था। तकनीकी शिक्षक निर्धारित समय पर उसकी प्रतीक्षा करता था। वह शनिवार और रविवार को छोड़कर शेष दिनों में उसी समय पर आता था।)

Question 7.
How does Tommy describe the old kind of school?
(टॉमी पुराने किस्म के स्कूल का वर्णन कैसे करता है?)
Answer:
Tommy says that hundreds and hundreds of years ago there were old kind of schools. Those schools also had teachers. But they were not regular teachers. They were men. The school had a special building and all the kids went there and learnt the same thing.
(टॉमी ने कहा कि सैकड़ों वर्षों पहले पुराने किस्म के स्कूल हुआ करते थे। उन स्कूलों में भी अध्यापक होते थे। परंतु वे नियमित अध्यापक नहीं होते थे। वे इंसान होते थे। स्कूल का एक विशेष भवन होता था और सभी बच्चे वहाँ जाते थे तथा एक जैसा सबक सीखते थे।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

Question 8.
How does he describe the old kind of teachers?
(वह पुराने किस्म के अध्यापकों का वर्णन कैसे करता है?)
Answer:
He says that in old kind of schools there were teachers too. They were not regular teachers. They were men. They taught the same things to the kids.
(वह कहता है कि पुराने किस्म के स्कूलों में भी अध्यापक होते थे। वे नियमित अध्यापक नहीं होते थे। वे इंसान होते थे। वे बच्चों को एक-सा सबक सिखाते थे।)

IV. Answer each of these questions in two or three paragraphs (100-150 words).

Question 1.
What are the main features of the mechanical teachers and the schoolrooms that Margie and Tommy have in the story?
(कहानी में मार्गी और टॉमी के समय में पाए जाने वाले तकनीकी शिक्षकों और स्कूलों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?)
Answer:
Margie and Tommy have their individual schools. These schools are in their respective homes. Margie’s schoolroom is in the room next to her bedroom. She enters in this room at fixed time to attend the teacher. Tommy too have the same kind of school at his home.

Margie and Tommy have mechanical teachers. They appear on their television screen on fixed time. They deliver their lecture, ask the questions, give homework and check the homework and assignment papers. Sometimes these mechanical teachers get some fault. Mechanics are needed to set them right. These mechanical teachers are adjusted to the mental level of the student otherwise the student will show poor results.
(मार्गी और टॉमी के अपने निजी स्कूल हैं। ये स्कूल उनके अपने-अपने घरों में स्थित हैं। मार्गी का स्कूल कक्ष उसके शयनकक्ष से अगले वाले कमरे में स्थित है। वह शिक्षक के सामने उपस्थित होने के लिए एक निश्चित समय पर कमरे में प्रवेश करती है। टॉमी का भी अपने घर पर इसी तरह का एक स्कूल हैं।

मार्गी और टॉमी के शिक्षक तकनीकी शिक्षक हैं। वे उनके टेलीविजन के पर्दे पर निश्चित समय पर उपस्थित होते हैं। वे अपना भाषण देते हैं, प्रश्न पूछते हैं, गृहकार्य देते हैं तथा गृहकार्य और टैस्ट पत्रों का मूल्यांकन करते हैं। कई बार इन तकनीकी शिक्षकों में कोई खराबी आ जाती है। इन्हें सही करने के लिए मिस्त्री की आवश्यकता होती है। इन तकनीकी शिक्षकों को विद्यार्थी के मानसिक स्तर पर निर्धारित करना पड़ता है वरना विद्यार्थी घटिया परिणाम का प्रदर्शन करता है।)

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Question 2.
Why did Margie hate school? Why did she think the old kind of school must have been fun?
(मार्गी स्कूल से घृणा क्यों करती थी? वह यह क्यों सोचती थी कि पुराने किस्म के स्कूल आनंददायक थे?)
Answer:
Margie always hated school. Her school was in her home. It was in the room next to her bedroom She was the only one student of that school. Her teacher was not any man but it was a mechanical teacher. It flashed on her television screen,

These days she hated the school more than ever. The mechanical teacher had been giving her test after test in geography. She had been doing worse and worse. Her mother sent for the County Inspector. He came and set it slower upto the mental level of Margie.

When Margie came to know that the schools in old days were in a special building, she was surprised. All the kids from far and near went there and learnt the saine thing. They had a man teacher to teach them. They played together. So the old kind of schools must have been fun.

(मार्गी हमेशा से ही स्कूलों से घृणा करती थी। उसका स्कूल उसके घर में था। वह उसके शयनकक्ष से अगले कमरे में स्थित था। वह उस स्कूल की केवल मात्र एक ही विद्यार्थी थी। उसका अध्यापक कोई मनुष्य नहीं था बल्कि वह एक तकनीकी शिक्षक था। वह प्रतिदिन उसके टेलीविजन के पर्दे पर चमकता था।

आजकल उसे स्कूल से पहले से भी अधिक घृणा हो रही थी। तकनीकी शिक्षक उसे भूगोल में बार-बार टैस्ट दे रहा था। उसका प्रदर्शन बद से बदतर होता जा रहा था। उसकी माँ ने काऊंटी इंस्पैक्टर को बुला भेजा। वह आया और उसने इसे मार्गी के मानसिक स्तर तक धीरे कर दिया।

जब मार्गी को पता चला कि पुराने जमाने में स्कूल एक विशेष भवन में होते थे तो उसे बहुत हैरानी हुई। निकट और दूर के स्थानों से सभी बच्चे वहाँ जाते थे और एक-सा सबक सीखते थे। उन्हें पढ़ाने के लिए मनुष्य अध्यापक होता था। वे इकट्ठे खेलते थे। अतः पुराने किस्म के स्कूल आनंददायक होते थे।)

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

Question 3.
Do you agree with Margie that schools today are more fun than the school in the story? Give reasons for your answer.
(क्या आप मार्गी की इस बात से सहमत हैं कि आज के स्कूल कहानी में वर्णित स्कूलों से अधिक रोचक हैं? अपने उत्तर के पक्ष में उत्तर दीजिए।)
Answer:
Yes, I fully agree with Margie that schools today are more fun than the school in the story. Today the schools are situated in special buildings. All the kids go there to learn the same thing. The syllabus for each student is the same. In the morning assembly the children of all classes get together at one place and say their prayer to God. It is very interesting.

In modern schools the main stress is put on all round development of a child’s personality. Sports, N.C.C., N.S.S. Scouts and Guides are the main activities which help in the process of personality development a lot. There are men teachers available in modern schools. These teachers influence the young one’s through their loving behaviour and fascinating personality.

The schools in the story are individual schools. They are situated in each house in a room. Only one student gets instructions from the mechanical teacher. One feels quite dull and boring with this type of schools.

(हाँ, मैं मार्गी की इस बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि आज के स्कूल कहानी में वर्णित स्कूलों से अधिक रोचक हैं। वर्तमान में स्कूल विशेष इमारतों में स्थित होते हैं। सभी बच्चे एक जैसा सबक सीखने के लिए वहाँ जाते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी के लिए पाठ्यक्रम एक समान होता है। प्रातःकालीन सभा में सभी कक्षाओं के बच्चे एक स्थान पर एकत्र होते हैं और प्रभु से प्रार्थना करते हैं। यह बहुत रोचक होता है।

आधुनिक स्कूलों में बच्चे के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास पर बल दिया जाता है। खेल, एन.सी.सी., एन.एस.एस. स्काउट्स और गाइडस जैसी मुख्य क्रियाएँ हैं जो इस प्रक्रिया में अच्छा योगदान देती हैं। आधुनिक स्कूलों में मानव शिक्षक होते हैं। ये शिक्षक अपने स्नेहमयी व्यवहार और आकर्षक व्यक्तित्व से विद्यार्थियों पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं।

कहानी में वर्णित स्कूल व्यक्तिगत स्कूल हैं। वे प्रत्येक घर में एक कमरे में स्थित हैं। केवल एक विद्यार्थी ही तकनीकी शिक्षक से निर्देश प्राप्त करता है। विद्यार्थी इस प्रकार के स्कूलों से बिल्कल ही उकता जाता है और नीरसता का अनुभव करता है।)

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Thinking about language

I. Adverbs:

Read this sentence taken from the story :
They had once taken Tommy’s teacher away for nearly a month because the history sector had blanked out completely.
The word complete is an adjective. When you add -ly to it, it becomes an adverb.

1. Find the sentences in the lesson which have the adverbs in the box below.

1. awfully
2. sorrowfully
3. completely
4. loftily
5. carefully
6. differently
7. quickly
8. nonchalantly
Answer:
Do yourself.

2. Now use these adverbs to fill in the blanks in the sentences below.

(i) The report must be read ……………….. so that performance can be improved.
Answer:
carefully

(ii) At the interview, Sameer answered our questions ……………….. shrugging his shoulders.
Answer:
loftily

(in) We all behave ……………….. when we are tired or hungry.
Answer:
differently

(iv) The teacher shook her head ……………….. when Ravi lied to her.
Answer:
sorrowfully

(v) I ……………….. forgot about it.
Answer:
quickly

(vi) When I complimented Revathi on her success, she just smiled ……………….. and turned away.
Answer:
nonchalantly

(vii) The President of the Company is ……………….. busy and will not be able to meet you.
Answer:
awfully

(viii)l finished my work ……………….. so that I could go out to play.
Answer:
completely.

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

Remember :
An adverb describes action. You can form adverbs by adding -ly to adjectives.

Spelling note :
When an adjective ends in -y, the y changes to i when you add -ly to form an adverb.
For example : angr-y → angr-i-ly .

3. Make adverbs from these adjectives.
(i) angry
(ii) happy
(iii) merry
(iv) sleepy
(v) easy
(vi) noisy
(vii) tidy
(viii) gloomy
Answer:
(i) angrily
(H) happily
(iii) merrily
(iv) sleepily
(v) easily
(vi) noisily
(vii) tidily
(viii) gloomily

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

II. If not and unless

Imagine that Margie’s mother told her, “You’ll feel awful if you don’t finish your History lesson.”

She could also say : “You’ll feel awful unless you finish your History lesson.”

Unless means if not. Sentences with unless or if not are negative conditional sentences.
Notice that these sentences have two parts. The part that begins with if not or unless tells us the condition. This part has a verb in the present tense (look at the verbs don’t finish, finish in the sentences above).

The other part of the sentence tells us about a possible result. It tells us what will happen (if something else doesn’t happen). The verb in this part of the sentence is in the future tense (you’ll feel/you will feel).

HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had

Notice these two tenses again in the following examples :
(Future Tense) (Present Tense)
1. There won’t be any books left unless we preserve them.
2. You won’t learn your lessons if you don’t study regularly.
3. Tommy will have an accident unless he drives more slowly.

Complete the following conditional sentences. Use the correct form of the verb.

I. 1f I don’t go to Mu’s party tonight, __________
2. If you don’t telephone the hotel to order food, __________
3. Unless you promise to write back, I __________
4. If she doesn’t play any games, __________
5. Unless that little bird flies away quickly, the cat __________
Answer:
1. If I don’t go to Anu’s party tonight, she will be angry with me.
2. If you don’t telephone the hotel to order food, you won’t get any food there.
3. Unless you promise to write back, I shall not let you go.
4. If she doesn’t play any games, she won’t be given the membership of sports club.
5. Unless that little bird flies away quickly, the cat will catch it.

Writing

A new revised volume of Isaac Asimov’s short stories has just been released. Order one set. Write a letter to the publisher, Mindfame Private Limited, 1632 Asaf Ali Road, New Delhi, requesting that a set be sent to you by Value Payable Post (VPP), and giving your address. Your letter will have the following parts:

  • Addresses of the sender and receiver
  • The salutation
  • The body of the letter
  • The closing phrases and signature

Your letter might look like this :
Your address
__________
Date__________ (DD/MM/YY)

The addressee’s address
__________
__________

Dear Sir/Madam,
________________________________________________________________________________
________________________________________________________________________________
________________________________________________________________________________
________________________________________________________________________________

Yours sincerely,
Your signature

Remember that the language of a formal letter is different from the colloquial style of personal letters. For example, contracted forms such as I’ve or can’t are not used.
Ans.
16A, Rohini Colony,
New Delhi 05-04-20…
Mindfame Private Limited,
1632, Asaf Ali Road,
New Delhi

Sir/Madam,
Please send me a complete set of newly revised volume of Isaac Asimov’s short stories as per VPP at my above mentioned address. I request you to send these books urgently.

Thanking you,
Yours sincerely,
Rohit Bhagat

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Speaking

In groups of four discuss the following topic.
‘The Schools of the Future will have no Books and no Teachers!’
Your group can decide to speak for or against the motion. After this, each group will select a speaker to present its views to the entire class.
You may find the following phrases useful to present your argument in the debate.

In my opinion ………………………..
I/we fail to understand why ………………………..
I wholeheartedly support/oppose the view that ………………………..
At the outset let me say ………………………..
I’d/we’d like to raise the issue of/argue against ………………………..
I should like to draw attention to ………………………..
My/our worthy opponent has submitted that ………………………..
On the contrary ………………………..
I firmly reject ………………………..
Answer:
In my opinion the schools of the present days are the best form of schools. Schools are not meant only to provide education but they are a workshop of moulding the young children into the best citizens of a nation. I fail to understand why the schools with mechanical teachers are needed. I wholeheartedly oppose the motion of the schools with mechanical teachers. At the outset let me say that this type of schools will produce only calculator type students but no Abraham Lincoln.

I would like to raise the issue of mechanical teachers in media and create an atmosphere against it. I should like to draw attention to the adverse effects of these mechanical teachers school. The product of these schools will be purely self-centered. They will have no faith in cooperation and toleration. My worthy opponent have said that they will produce the best quality of students but I can say with a guarantee that their product will be of the worst quality in terms of human relation. I firmly reject the motion of the schools with mechanical teachers.

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HBSE 9th Class English The Fun They Had Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
On what date did Margie make an entry in her diary about the real book?
Answer:
She did so on 17 May, 2157.

Question 2.
What did Tommy find?
Answer:
He found a real book.

Question 3.
How old was Margie?
Answer:
She was eleven years old.

Question 4.
How old was Tommy?
Answer:
He was thirteen years old.

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Question 5.
What was the real book, that Tommy found, about?
Answer:
It was about ‘School’.

Question 6.
What did Margie hate?
Answer:
She hated school.

Question 7.
What had the mechanical teacher been giving to Margie?
Answer:
The mechanical teacher had been giving test after test to Margie in geography.

Question 8.
Why did Margie’s mother send for the County Inspector?
Answer:
She sent for the County Inspector because Margie had been doing worse and worse in her geography tests.

Question 9.
Why did Margie hate slot most?
Answer:
Margie hated slot most because she had to put homework and test papers in it.

Question 10.
What was wrong with the geography sector of Margie’s mechanical teacher?
Answer:
The geography sector of Margie’s mechanical teacher was geared a little too quick.

Question 11.
What do you mean by a regular teacher?
Answer:
It means the mechanical teacher that appears on the television screen at fixed time.

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Question 12.
What is the name of Margie’s mother?
Answer:
Her name is Mrs Jones.

Question 13.
On which two days there came no mechanical teacher on the T.V. screen?
Answer:
On Saturday and Sunday.

Question 14.
What subject did Tommy learn?
Answer:
He learnt history.

Question 15.
Name the writer of the lesson ‘The Fun They Had’.
Answer:
Isaac Asimov.

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Short Answer Type Questions

Question 1.
What did Tommy find? Why was he surprised?
(टॉमी को क्या मिला? वह हैरान क्यों था?)
Answer:
Tommy found a real book. It was a very old book. Tommy found it in the attic of his house. It was a book about school. Tommy was surprised to see this book because he was not known to a printed book.
(टॉमी को एक वास्तविक पुस्तक मिली। वह एक बहुत ही पुरानी पुस्तक थी। टॉमी ने उस पुस्तक को अपने घर की अटारी में पाया था। वह स्कूल के बारे में एक पुस्तक थी। टॉमी इस पुस्तक को देखकर हैरान था क्योंकि उसे छपी पुस्तकों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी)

Question 2.
What did Margie’s grandfather tell her?
(मार्गी के दादा ने उसे क्या बताया था?)
Answer:
Margie’s grandfather once told her that when he was a little boy his grandfather told him that there was a time when all stories were printed on paper.
(मार्गी के दादा ने एक बार उसे बताया था कि जब वह एक छोटा लड़का था तो उसके दादा ने उसे बताया था कि कभी ऐसा समय हुआ करता था जब सारी कहानियाँ कागज पर लिखी जाती थीं।)

Question 3.
Why did now Margie hate the school more than ever?
(अब मार्गी स्कूल को पहले की अपेक्षा कहीं अधिक घृणा करती थी, क्यों?)
Answer:
Now Margie hated the school more than ever. The reason behind it was that the mechanical teacher had been giving her test after test in geography and she had been doing worse and worse.
(अब मार्गी स्कूल को पहले की अपेक्षा कहीं अधिक घृणा कर रही थी। इसके पीछे यह कारण था कि मार्गी का यांत्रिक अध्यापक भूगोल विषय में एक के बाद एक परीक्षा लेता जा रहा था और उसका प्रदर्शन बुरे से और बुरा होता जा रहा था।)

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Question 4.
Why was Margie disappointed when her mechanical teacher was set right?
(जब मार्गी के यांत्रिक अध्यापक को सही कर दिया गया तो वह उदास क्यों हो गई?)
Answer:
When the County Inspector set Margie’s mechanical teacher right, she got disappointed. She had been hoping that the County Inspector would take the teacher all together and it would take nearly a month to set it right.
(जब काऊंटी इंस्पेक्टर ने मार्गी के यांत्रिक अध्यापक को ठीक कर दिया तो वह निराश हो गई। उसे आशा थी कि काऊंटी इंस्पेक्टर उसके यांत्रिक संस्थापक को उठाकर अपने साथ ले जाएगा और उसे ठीक करने में लगभग एक महीना लग जाएगा।)

Essay Type Question

Question 1.
What were the features of the schools and the teachers mentioned in the book that Tommy found?
(जो पुस्तक टॉमी को मिली थी उसमें वर्णित स्कूलों और अध्यापकों की क्या विशेषताएँ थी?)
Answer:
The book mentioned that in those days the schools were situated in a special building. They were not situated in homes like theirs. Those schools had teachers. But the teachers in those schools were not mechanical but they had humans as teachers. The teachers did not live in the house.

They had a special building and all the kids went there to get education. All the kids of particular age learnt the same things. The man teacher taught them. It was a strange information for Margie. She was surprised how a human could be a teacher. She was not prepared to dispute that but she concluded that she would not want a strange man in her house to teach her.
(पुस्तक में इस बात का वर्णन किया गया था कि पुराने समय में स्कूल एक विशेष भवन में स्थित होते थे। वे उनके स्कूलों की तरह घरों में स्थित नहीं होते थे। उन स्कूलों में अध्यापक होते थे। लेकिन उन स्कूलों के अध्यापक यांत्रिक नहीं होते थे। बल्कि उनके अध्यापक मानव होते थे। उन स्कूलों के अध्यापक घर में नहीं रहते थे।

उनके पास एक विशेष भवन होता था और सभी बच्चे शिक्षा हासिल करने के लिए वहाँ जाते थे। एक विशेष आयु के सभी बच्चे एक-जैसी विषय-वस्तु सीखते थे। मानव अध्यापक उन्हें पढ़ाता था। यह मार्गी के लिए एक विचित्र जानकारी थी। वह हैरान थी कि एक मानव कैसे अध्यापक हो सकता है। वह इस बात के ऊपर एक विवाद पैदा नहीं करना चाहती थी। लेकिन उसने अपना निष्कर्ष दे दिया कि वह अपने घर में एक अजनबी व्यक्ति को उसे पढ़ाने के लिए नहीं आने देगी।)

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Multiple Choice Questions

Question 1.
On which date did Margie make an entry in her diary about schools?
(A) 17 May, 2156
(B) 17 May, 2157
(C) 17 May, 2158
(D) 17 May, 2159
Answer:
(B) 17 May, 2157

Question 2.
Who found a real book?
(A) Tommy
(B) Margie
(C) Tommy’s teacher
(D) The mechanical teacher
Answer:
(A) Tommy

Question 3.
What did Margie write about in her diary?
(A) a real school
(B) a real teacher
(C) a real book
(D) a mechanical teacher
Answer:
(C) a real book

Question 4.
Who told Margie once about real books?
(A) her father
(B) Tommy
(C) the mechanical teacher
(D)) her grandfather
Answer:
(D) her grandfather

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Question 5.
Why were the pagea of the book were yellow and crinkly?
(A) it was a very old book
(B) its colour was yellow
(C) they were yellow because written in yellow ink
(D) none of these
Answer:
(A) it was a very old book

Question 6.
How were the words in the book?
(A) moving
(B) steady
(C) getting imprinted after reading
(D) none of these
Answer:
(B) steady

Question 7.
How old was Margie?
(A) ten years
(B) eleven years
(C) twelve years
(D) thirteen years
Answer:
(B) eleven years

Question 8.
How old was Tommy?
(A) ten years
(B) eleven years
(C) twelve years
(D) thirteen years
Answer:
(D) thirteen years

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Question 9.
Where did Tommy find the real book?
(A) in the attic
(B) in the school
(C) in a shop
(D) in a library
Answer:
(A) in the attic

Question 10.
What was Margie scornful about?
(A) the printed book
(B) the school
(C) Tommy
(D) email books
Answer:
(B) the school

Question 11.
What do you mean by a mechanical teacher?
(A) television
(B) a teacher who teaches with imitniments
(C) a real teacher
(D) ail of the above
Answer:
(A) television

Question 12.
What was Margie’s mechanical teacher giving her?
(A) tcst.s in mathematics
(B) tests in geography
(C) a sound beating
(D) good marks
Answer:
(B) tests in geography

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Question 13.
Margie’s mother called the County Inspector to _____ .
(A) teach Margie
(B) give her good marks
(C) take her Lo other school
(D) set the mechanical teacher right
Answer:
(D) set the mechanical teacher nght

Question 14.
Margie’s mother shaken her head sorrowfully:
(A) at Margie’s poor performance in tests
(B) at the schools of old times
(C) at the printed books
(D) at the mechanical teacher
Answer:
(A) at Margie’s poor performance in tests

Question 15.
Who was a round little man?
(A) the County Inspector
(B) the mechanical teacher
(C) the real teacher
(D) Tommy
Answer:
(A) the County Inspector

Question 16.
Why had the inspector tools and wires with him?
(A) he was to set Margie right
(B) he was to set the mechanical teacher right
(C) he was to check Margie’s mother
(D) none of these
Answer:
(B) he was to set the mechanical teacher right

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Question 17.
How long did it take the inspector to set the mechanical teacher right?
(A) one hour
(B) thirty minutes
(C) two hours
(D) one month
Answer:
(A) one hour

Question 18.
Which part of the mechanical teacher did Margie hate most?
(A) screen
(B) whole box
(C) slot
(D) none of these
Answer:
(C) slot

Question 19.
How did Margie feed her homework in the mechanical teacher?
(A) in a punch code
(B) in written papers
(C) by speaking
(D) none of these
Answer:
(A) in a punch code

Question 20.
Margie was doing worse and worse in
(A) Geography
(B) Maths
(C) Physics
(D) English
Answer:
(A) Geography

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Question 21.
What did Tommy and Margie mean by a regular teacher?
(A) a male teacher
(B) a female teacher
(C) a good teacher
(D) a mechanical teacher
Answer:
(D) a mechanical teacher

Question 22.
Select the title of the story of Tommy and Margie.
(A) A Real Book
(B) The Fun They Had
(C) The Fun with Printed Books
(D) A Printed Book
Answer:
(B) The Fun They Had

The Fun They Had Important Passages for Comprehension

Read the following passages and answer the questions given at the end of each :

Passage – 1

Margie even wrote about it that night in her-diary. On the page headed 17 May 2157, she wrote, ‘Today Tommy found a real book!’

It was a very old book. Margie’s grandfather once said that when he was a little boy his grandfather told him that there was a time when all stories were printed on paper.

They turned the pages, which were yellow and crinkly, and it was awfully funny to read words that stood still instead of moving the way they were supposed to – on a screen, you know. And then when they turned back to the page before, it had the same words on it that it had had when they read it the first time. [H.B.S.E. March, 2016]

Questions :
(i) What did Margie write in her diary?
(ii) Name the writer of the lesson.
(HI) What book has been refferred to here?
(iv) Who turned the pages of the book?
(v) What seemed awfully funny?
Answers :
(i) On page headed 17 May 2157, Margie wrote, ‘Today Tommy found a real book!’
(ii) The name of the writer is ‘Isaac Asimov’.
(iii) The old book that was printed on paper have been refferred to here.
(iv) Margie and Tommy turned the pages of the book.
(v) The words in the book stand still instead of moving.

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Passage – 2

‘Gee,’ said Tommy, ‘What a waste. When you’re through with the book, you just throw it away, I guess. Our television screen must have had a million books on it and it’s good for plenty more. I wouldn’t throw it away.’
‘Same with mine,’ said Margie. She was eleven and hadn’t seen as many telebooks as Tommy had. He was thirteen.
She said, ‘Where did you find it?.’
‘In my house.’ He pointed without looking, because he was busy reading. ‘In the attic.’
‘What’s it about?’
‘School.’
Questions :
(i) What is a waste for Tommy?
(ii) What sort of books did Margie and Tommy have in their schools?
(iii) HOW old were Margie and Tommy?
(iv) Where did Tommy find the book?
(v) What was that book about?
Answers :
(i) Printing books on paper is a waste for Tommy.
(ii) They had moving books on their television screen.
(iii) Margie was eleven and Tommy was thirteen years old.
(iv) Tommy found the book in his house in the attic.
(v) It was about‘School’.

Passage – 3

Margie was scornful. ‘School? What’s there to write about school? I hate school.’
Margie always hated school, but now she hated it more than ever. The mechanical teacher had been giving her test after test in geography and she had been doing worse and worse until her mother had shaken her head sorrowfully and sent for the County Inspector.
Questions :
(i) Name the writer of the story ‘The Fun They Had’.
(ii) What was Margie’s opinion about school?
(iii) What had been doing her mechanical teacher?
(iv) How were Margie’s responses?
(v) Why was the County Inspector sent for?
Answers :
(i) Isaac Asimov.
(ii) Margie hated school.
(iii) Her mechanical teacher had been giving her test after test in geography.
(iv) Margie’s responses were very poor.
(v) The County Inspector was sent for to check the mechanical teacher.

Passage – 4

He was a round little man with a red face and a whole box of tools with dials and wires. He smiled at Margie and gave her an apple, then took the teacher apart. Margie had hoped he wouldn’t know how to put it together again, but he knew how all right, and, after an hour or so, there it was again, large and black and ugly, with a big screen on which all the lessons were shown and the questions were asked. That wasn’t so bad. The part Margie hated most was the slot where she had to put homework and test papers. She always had to write them out in a punch code they made her learn when she was six years old, and the mechanical teacher calculated the mark in no time.

Questions :
(i) Name the chapter and its writer. .
(ii) Who is ‘he’ in the first line ?
(iii) Why did Margie’s mother send for him ?
(iv) What did the inspector repair ?
(v) Explain Margie’s teacher.
Answers :
(i) Chapter : The Fun They Had, Writer : Isaac Asimov.
(ii) ‘He’ is the county Inspector.
(iii) Margie’s mother sent for him to repair Margie’s mechanical teacher.
(iv) He repaired Margie’s mechanical teacher.
(v) Margie had a mechanical teacher.

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PASSAGE – 5

The Inspector had smiled after he was finished and patted Margie’s head. He said to her mother, ‘It’s not the little girl’s fault, Mrs Jones. I think the geography sector was geared a little too quick. Those things happen sometimes. I’ve slowed it up to an average ten year level. Actually, the overall pattern of her progress is quite satisfactory.’ And he patted Margie’s head again.
Questions: .
(i) Which Inspector has been referred to in these lines ?
(ii) What had the Inspector done ?
(tii) Who was Mrs. Jones ?
(iv) The Inspector did a thing twice. What was it ?
(v) Which word in the passage means ‘the way in which something happens’ ?
Answers :
(i) The County Inspector, who came to repair Margie’s mechanical teacher is referred to in these lines.
(ii) He had repaired Margie’s mechanical teacher.
(iii) Mrs. Jones was Margie’s mother.
(iv) The Inspector patted Margie’s head twice.
(v) pattern.

Passage – 6

‘May be’ he said nonchalantly. He walked away whistling, the dusty old book tucked beneath his arm.

Margie went into the schoolroom. It was right next to her bedroom, and the mechanical teacher was on and waiting for her. It was always on at the same time every day except Saturday and Sunday, because her mother said little girls learned better if they learned at regular hours.
The screen was lit up, and it said: ‘Today’s arithmetic lesson is on the addition of proper fractions. Please insert yesterday’s homework in the proper slot.’
Questions;
(i) ‘May be’, he said nonchalantly. Who does ‘he’ refer to?
(ii) Where was Margie’s school situated?
(iii) What was the routine of Margie’s mechanical teacher?
(iv) What topic was Margie going to learn that day?,
(v) Find a word from the passage which have the meaning same as ‘showing not any interest’.
Answers :
(i) ‘He’ refers to Tommy.
(ii) In her house in the room next to her bedroom.
(iii) It flashed at the right time daily except on Saturday and Sunday.
(iv) She was going to learn the topic about the addition of proper fractions.
(v) Nonchalantly.

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The Fun They Had Summary in English

The Fun They Had Introduction in English

This story is set in future when books and schools as we have now perhaps will not exist. Two students of that period about 150 years advance from today find a printed book. They are surprised very much. They talk about the schools and books of the old period. They compare those schools with those of their own which are situated in their homes and have mechanical teachers to teach them. They find their own schools dull and boring. They think that it was a great fun to study in the schools of old times when all the kids of the area went there to learn the same thing by a man teacher.

The Fun They Had Summary in English

On the day of 17 May 2157, Tommy found a real book. He showed it to Margie. Margie was eleven years old. She had never seen a real book before. She had once heard from her grandfather about the printed books. It was a very old book. Its pages has turned yellow and crinkly. They turned its pages and read them.

Tommy found it just a waste. They had no printed books. Their books flashed on the television screen. Tommy who was of thirteen had read more books on the television screen than Margie.

Tommy told Margie that it was a book about school. Margie always hated school. Her school was situated in a room in her home. It was in the room next to her bedroom.

Her mechanical teacher flashed on her television screen at fixed time daily except on Saturday and Sunday. She had to attend it alone. This mechanical teacher asked her questions, gave her homework and checked it. It also checked the assignment test papers and awarded them.

Margie’s mechanical teacher had been giving her test after test. Margie’s performance had been going from worse to worst. Her mother called for the County Inspector. He set the speed of the mechanical teacher right upto the level of an average ten-year child.

Tommy told Margie that hundreds and hundreds years ago there were old kind of schools. Those schools were situated in special building. Men teachers taught in them. All the kids of the area went there and learnt the same thing. Margie thought that it would be great fun to study in those schools. She wanted to read about those funny school.

Just then Margie’s mother called Margie to attend her school. Margie was reluctant but she had to go inside her school room nonchalantly. It was right next to her bedroom.

Her mechanical teacher was on and waiting for her. It asked Margie to put her homework in the proper slot. Margie did so with a sigh. The mechanical teacher was teaching her the mathematics topic of fractions but she was thinking about the schools of the old days and the fun they had.

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The Fun They Had Summary in Hindi

The Fun They Had Introduction in Hindi

इस कहानी की रचना भविष्य काल में की गई है जब शायद आज की तरह के स्कूल और पुस्तकें उपलब्ध नहीं होंगे। आज से लगभग 150 वर्ष बाद के काल में दो विद्यार्थी एक छपी हुई पुस्तक को देखते हैं। वे बहुत हैरान हो जाते हैं। वे पुराने जमाने के स्कूलों और पुस्तकों के बारे में बात करते हैं। वे उस जमाने के स्कूलों की अपने जमाने के स्कूलों के साथ तुलना करते हैं, जोकि उनके घरों में स्थित हैं और उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक तकनीकी शिक्षक हैं। उन्हें अपने स्कूल भद्दे और नीरस लगते हैं। वे सोचते हैं कि पुराने जमाने के स्कूलों में अध्ययन करना बहुत ही रोचक होता था, जब क्षेत्र के सभी बच्चे एक मनुष्य अध्यापक से एक जैसा सबक सीखने के लिए जाते थे।

The Fun They Had Summary in Hindi

17 मई 2157 के दिन टॉमी को एक वास्तविक पुस्तक मिली। उसने इसे मार्गी को दिखाया। मार्गी ग्यारह वर्ष की थी। इससे पहले उसने कभी भी वास्तविक पुस्तक नहीं देखी थी। एक बार उसने अपने दादा जी से वास्तविक मुद्रित (छपी) पुस्तकों के बारे में सुना था। यह एक बहुत पुरानी पुस्तक थी। इसके पन्ने पीले और सलवटों वाले हो गए थे। उन्होंने इसके पन्नों को पलटा और उन्हें पढ़ा।

टॉमी को यह बिल्कुल व्यर्थ की बात लगी। उनके पास छपी हुई पुस्तकें नहीं थीं। उनकी पुस्तकें टेलीविजन के पर्दे पर चमकती थीं। टॉमी जोकि तेरह वर्ष का था मार्गी की तुलना में टेलीविज़न के पर्दे पर अधिक पुस्तकें पढ़ चुका था।

टॉमी ने मार्गी को बताया कि यह पुस्तक स्कूल के बारे में है। मागी हमेशा से ही स्कूल से घृणा करती थी। उसका स्कूल उसके घर पर एक कमरे में स्थित था। यह उसके शयनकक्ष से अगले कमरे में स्थित था।

शनिवार और रविवार के दिनों को छोड़कर उसका तकनीकी शिक्षक प्रतिदिन टेलीविजन के पर्दे पर एक निर्धारित समय पर चमकता था। उसे अकेले ही उसके सामने उपस्थित होना पड़ता था। यह तकनीकी शिक्षक उससे प्रश्न पूछता था, उसे गृहकार्य देता था और उसे चैक करता था। वह परीक्षा पत्रों को भी चैक करता था और उनके अंक देता था।

मार्गी का तकनीकी शिक्षक उसे एक के बाद एक टैस्ट देता रहता था। मार्गी का प्रदर्शन बद से बदतर होता जा रहा था। उसकी माँ ने काऊंटी इंस्पेक्टर को बुला भेजा। उसने तकनीकी शिक्षक की गति को एक औसत दस वर्ष के बच्चे के स्तर पर कर दिया।

टॉमी ने मार्गी को बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व यहाँ पुरानी किस्म के स्कूल हुआ करते थे। वे स्कूल विशेष किस्म के भवनों में स्थित होते थे। उन स्कूलों में पुरुष अध्यापक पढ़ाते थे। क्षेत्र के सभी बच्चे वहाँ जाते थे और एक जैसा सबक सीखते थे। मार्गी ने सोचा कि उन स्कूलों में अध्ययन करना बहुत रोचक होता होगा। वह उन रोचक स्कूलों के बारे में पढ़ना चाहती थी।

तभी मार्गी की माँ ने उसे स्कूल में उपस्थित होने के लिए बुला लिया। मार्गी स्कूल में उपस्थित नहीं होना चाहती थी परन्तु वह अनिच्छापूर्वक स्कूल कक्ष के अंदर चली गई। यह उसके शयनकक्ष से आगे कमरे में स्थित था।

उसका तकनीकी शिक्षक कार्यरत अवस्था में था और उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। उसने मार्गी से कहा कि वह उचित दराज में अपना गृहकार्य डाल दे। मार्गी ने एक भारी सांस के साथ ऐसा किया। तकनीकी शिक्षक उसे गणित विषय का भिन्न याला पाठ पढ़ा रहा था लेकिन मार्गी पुराने जमाने के स्कूलों और उनमें होने वाली रोचकता के विषय में सोच रही थी।

The Fun They Had Translation in Hindi

[Page 5]
पढ़ने से पहले-
जो कहानी हम पढ़ेंगे वह भविष्य के उस समय में लिखी गई है, जब आज की तरह की पुस्तकें और स्कूल अस्तित्व में नहीं होंगे। तब बच्चे पढ़ाई कैसे करेंगे? नीचे दिया गया चित्र आपको कुछ जानकारी प्रदान कर सकता है।
HBSE 9th Class English Solutions Beehive Chapter 1 The Fun They Had-1

समूह बनाकर अपने विद्यालय से संबंधित तीन ऐसी चीजों के बारे में विचार-विमर्श कीजिए जो आपको बहुत अच्छी लगती हैं और तीन ऐसी चीजें जिन्हें आप बदलना चाहते हो। उन्हें लिख लीजिए।

क्या आपने टेलीविजन या कंप्यूटर की स्क्रीन (पद) पर शब्दों को पढ़ा है? क्या आप ऐसे समय की कल्पना कर सकते हो जब सभी पुस्तकें कंप्यूटर पर उपलब्ध होंगी, और कागज पर छपी हुई पुस्तकें नहीं होंगी? क्या आपको ऐसी पुस्तकें अच्छी लगेगी?

1. मार्गी ने आज रात ही इसके बारे में अपनी डायरी में लिखा था। पृष्ठ शीर्षक 17 मई, 2157 पर उसने लिखा ‘आज टॉमी को एक वास्तविक पुस्तक मिली!’

वह एक बहुत पुरानी पुस्तक थी। एक बार मार्गी के दादा जी ने कहा था कि जब वह एक छोटा बालक था तो उसके दादा जी उसे बताया करते थे कि एक समय ऐसा था जब सभी कहानियों की छपाई कागज पर होती थी।

[Page 6]
वे पीले पड़ चुके और सलवटों वाले पन्नों को बदल रहे थे, और उन्हें यह बहुत अधिक हास्यास्पद लग रहा है कि ये शब्द उसकी टेलीविजन की स्क्रीन से भिन्न केवल एक ही स्थान पर खड़े हुए थे। और जब वे पहले पढ़ चुके पृष्ठ को निकालते थे तो उन्हें वे शब्द बिल्कुल उसी स्थान पर मिलते थे जहाँ पर उस समय थे जब उन्होंने पुस्तक को पहले पढ़ा था।

2. ‘ठगी’, टॉमी ने कहा, ‘यह कितनी व्यर्थ बात है। जब आपने पुस्तक पढ़ ली है तो इसे फेंक दीजिए, मेरा तो यही मानना है।
हमारे टेलीविजन की स्क्रीन (पद) पर लाखों पुस्तकें हैं और इस पर और बहुत-सी पुस्तकें हो सकती हैं। मैं उसे नहीं फेंकूगा।
‘मेरे टेलीविजन पर भी ऐसा ही है,’ मार्गी ने कहा । वह ग्यारह वर्ष की थी और उसने अभी उतनी पुस्तकें नहीं देखी थीं जितनी की टॉमी ने देखी थीं। वह तेरह वर्ष का था।
उसने कहा, ‘तुम्हें यह पुस्तक कहाँ से मिली? ‘मेरे घर से।’ उसने बिना ऊपर देखे इशारा किया, क्योंकि वह पढ़ने में व्यस्त था। ‘अटारी में ‘यह किसके बारे में है? ‘स्कूल के बारे में।

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3. मार्गी ने तिरस्कारपूर्वक ढंग से कहा। ‘स्कूल ? स्कूल के बारे में लिखने की क्या बात है? मुझे स्कूल से घृणा है।
मार्गी हमेशा से ही स्कूल से घृणा करती थी, लेकिन अब वह इसे पहले से भी अधिक नफरत करने लगी। तकनीकी शिक्षक उसे भूगोल में टैस्ट के बाद टैस्ट (परीक्षा) दे रहा था और वह बार-बार बुरा प्रदर्शन करती रही थी और उसकी माँ ने दुःख से अपना सिर हिलाया और काऊंटी इंस्पेक्टर को बुला भेजा।

4. वह एक लाल चेहरे वाला छोटे कद का गोल-मटोल-सा व्यक्ति था और वह अपने साथ औजारों और तारों का बक्सा लेकर आया था। वह मार्गी पर मुस्कराया और उसे एक सेब दिया, तब उसने शिक्षक को खोल दिया। मार्गी को आशा थी कि उसे इसे दोबारा से जोड़ने के बारे में नहीं पता होगा, लेकिन वह इसके बारे में सब कुछ ठीक तरह से जानता या और लगभग आधे घंटे के पश्चात और एक बार फिर काफी बड़ा और काले तथा भद्दे रूप का एक बड़ी स्क्रीन वाला जिस पर सभी प्रकार के पाठ दिखाए जाते थे और प्रश्न पूछे जाते थे। वह इतना बुरा नहीं था।

[Page 7]
जिस भाग को मार्गी सबसे अधिक घृणा करती थी वह था ‘दराज’ जिसमें उसे अपना गृहकार्य और परीक्षा पुस्तिकाएँ डालनी पड़ती थीं। वह उन्हें हमेशा ही एक छिद्र कोड के रूप में छः वर्ष की आयु से ही सीखती रही थी, और तकनीकी शिक्षक थोड़ी-सी देर में ही अंकों की गणना कर देता था।

5. काम समाप्त करने के पश्चात इंस्पेक्टर मुस्कराया और मार्गी के सिर को थपथपाया। उसने उसकी (मागी) माँ को कहा, “इसमें छोटी लड़की की गलती नहीं है, श्रीमती जोन्स । मुझे ऐसा लगता है कि भूगोल वाले हिस्से की गति थोड़ी अधिक हो गई थी। ऐसी चीजें कई बार हो जाती हैं। अब मैंने इसकी गति को एक औसत दस वर्ष की लड़की के स्तर पर कर दिया है। वास्तविकता यह है कि उसकी प्रगति का संपूर्ण प्रदर्शन बिल्कुल संतोषजनक था’ और उसने मार्गी के सिर को दोबारा थपथपाया।

मार्गी निराश थी। उसे आशा थी कि वह अध्यापक को अपने साथ ले जाएगा। एक बार वे टॉमी के शिक्षक को लगभग एक माह के लिए अपने साथ ले गए थे क्योंकि इतिहास वाला भाग एकदम से बिल्कुल साफ हो गया था।

इसलिए उसने टॉमी से कहा, ‘कोई स्कूलों के बारे में क्यों लिखेगा? 6. टॉमी ने बहुत ही विशिष्ट नजरों से उसकी ओर देखा।

‘क्योंकि यह हमारी तरह का स्कूल नहीं है, मूर्ख। यह पुरानी किस्म का स्कूल था जोकि सैकड़ों वर्ष पहले हुआ करते थे,’ उसने विशिष्ट अंदाज में शब्दों का सावधानीपूर्वक उच्चारण करते हुए कहा, ‘शताब्दियों पहले।

मार्गी आहत थी। ‘ठीक है, मुझे नहीं मालूम कि उस समय उनके किस प्रकार के स्कूल हुआ करते थे। उसने उसके कंधे के ऊपर से झुककर थोड़ी देर के लिए पुस्तक को पढ़ा, तब बोली, ‘चाहे कुछ भी हो, उनका भी तो शिक्षक होता था।’

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[Page 8]
‘अवश्य ही उनका शिक्षक होता था, लेकिन वह एक नियमित शिक्षक नहीं होता था। वह एक इंसान होता था।’ ‘इंसान? इंसान शिक्षक कैसे हो सकता है?’ ‘अच्छा, वह लड़कों और लड़कियों को चीजों के बारे में बताता होगा और उन्हें गृहकार्य देता होगा और उनसे प्रश्न पूछता होगा।’ 7. ‘एक इंसान शिक्षक इतना तीक्ष्ण बुद्धि वाला नहीं हो सकता।’ ‘वह अवश्य ही हो सकता है। मेरे पिता जी मेरे शिक्षक जितना ज्ञान रखते थे। ‘वह उस जितना जानता है, मैं शर्त लगाता हूँ।

मार्गी इस विषय पर विवाद पैदा नहीं करना चाहती थी। उसने कहा, ‘मैं नहीं चाहूँगी कि एक अजनबी व्यक्ति मेरे घर में मुझे पढ़ाने आए।’

टॉमी हंसी से चिल्लाया। ‘मार्गी तुम अधिक नहीं जानती हो। अध्यापक घरों में नहीं रहते थे। उनके पास एक विशेष इमारत होती थी और सभी बच्चे वहाँ जाते थे।
‘और सभी बच्चे एक ही बात सीखते थे?’ ‘अवश्य ही, यदि वे एक ही आयु के होते।’

8. ‘लेकिन मेरी माता जी कहती हैं कि एक शिक्षक को तो प्रत्येक लड़के या लड़की, जिसको वह पढ़ाता है, के मानसिक स्तर के अनुसार समायोजित किया जाता है और प्रत्येक बच्चे को अलग-अलग प्रकार से पढ़ाना पड़ता है।

‘इस प्रकार का कार्य वे (विद्यार्थी) उस समय नहीं करते थे। यदि तुम इसे पसंद नहीं करती हो तो तुम्हें पुस्तक को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।’

‘मैंने यह तो नहीं कहा कि मैं इसे पसंद नहीं करती हूँ, मार्गी ने एकदम से कहा।
वह उन मजाकिया स्कूलों के बारे में पढ़ना चाहती थी।
उन्होंने अभी आधी पुस्तक भी नहीं पढ़ी थी कि तभी मार्गी की माँ ने आवाज लगा दी, ‘मार्गी।, स्कूल!’
मार्गी ने ऊपर की ओर देखा, ‘मम्मी, अभी नहीं।’
‘अभी!’ श्रीमती जोन्स ने कहा। और शायद टॉमी का भी समय हो गया होगा।
मार्गी ने टॉमी से कहा, ‘क्या स्कूल के पश्चात मैं पुस्तक को तुम्हारे साथ कुछ और समय के लिए पढ़ सकती हूँ?’

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9. ‘शायद,’ उसने लापरवाहीपूर्ण ढंग से कहा। वह सीटी बजाता हुआ चला गया, धूलभरी पुरानी पुस्तक उसकी बाजू के नीचे दबी हुई थी।

मार्गी स्कूल के कमरे में चली गई। यह कमरा उसके शयनकक्ष से अगले वाला था और तकनीकी शिक्षक कार्यरत अवस्था, में था और उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। वह शनिवार और रविवार को छोड़कर प्रत्येक दिन उस समय चालू (कार्यरत) अवस्था में होता था, क्योंकि उसकी माँ कहती थी कि यदि छोटी लड़कियाँ नियमित समय पर सीखती हैं तो वे अच्छे से सीख जाती हैं।

[Page 9]
स्क्रीन प्रकाशित हुई, और उसने कहा, ‘आज का अंकगणित का सबक सही भिन्नों का योग करने के बारे में है। कृपया कल का गृहकार्य उचित दराज में डाल दो।’

10. मार्गी ने एक आह के साथ ऐसा किया। वह पुराने जमाने के उन स्कूलों के बारे में सोच रही थी जब उसके दादा के दादा एक छोटे बच्चे थे। पूरे पड़ोस के सारे बच्चे आते थे, स्कूल के प्रांगण में हंसते और चिल्लाते रहते थे, कक्षा के कमरे में इकट्ठे बैठते थे और (छुट्टी के पश्चात सभी) शाम के समय इकडे ही घर जाया करते थे। वे एक-जैसा सबक सीखते थे, इसलिए वे गृहकार्य के बारे में एक-दूसरे की मदद कर सकते थे और आपस में गृहकार्य के बारे में बात कर सकते थे।

और शिक्षक इंसान होते थे………….. तकनीकी शिक्षक स्क्रीन पर चमक रहा था : ‘जब हम भिन्नों और 4 को जोड़ते हैं तो………’

मार्गी इस विषय में सोच रही थी कि पुराने दिनों में बच्चे उस स्कूल को कितना पसंद करते थे। वह उस मजाक के बारे में सोच रही थी जो वे किया करते थे।

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The Fun They Had Word-Meanings in Hindi

(PAGE 5)
Exist – to be in being = अस्तित्व में होना; virtual = real = वास्तविक; Imagine = suppose/think : कल्पना करना।

(PAGE 6)
Crinkly = with many folds = सलवटों वाला; awfully a terribly = भयानक ढंग से; waste = useless – व्यय; guess-assume – अनुमान; million = ten lakh = दस लाख; telebooks = books on television screen – टेलीविजन के पर्दे पर आने वाली पुस्तकें; attic = a space just below the roof used as a store = अटारी; scornful = contemptuous = घृणा का भाव होना; geography – study about earth and its objects – भूगोल; worse – not better = खराब।

(PAGE 7)
Slot = a given space = दराज: punch code = a number with some hole = छिद्र संख्या; fault = problem = दोष; geared = adjusted the speed = स्पीड सही करना; pattern = design/system = ढांचा; disappointed – unhappy = निराश; sector – part = भाग: blanked out = got plain without any writing = साफ हो गया; stupid – fool = मूर्ख, loftily = in a superior way = विशिष्ट अंदाज में।

(PAGE 8)
Regular = (here) normal = सामान्य; betcha = to make a bet = शर्त लगाना; dispute = disagree with = असहमति, screamed – cried loudly = जोर से चिल्लाया; kids = small children – छोटे बच्चे; adjusted = to make set – समायोजित करना; funny = (here) interesting = रोचक; probably = possibly = संभवतया; nonchalantly = not showing much interest = अनिच्छापूर्वक; tucked = to fold/put = दबाना; beneath = under के नीचे; except = excluding = के सिवाय।

(PAGE 9)
LItup = lighted = प्रकाशित होना; arithmetic = a subject which provides the study of numbers = अंकगणित; insert put = डालना; flashing = shining = चमकना।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Muhavare मुहावरे Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

मुहावरे HBSE 9th Class Hindi

मुहावरे

जब कोई वाक्यांश अपने प्रचलित अर्थ को त्यागकर किसी विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो जाता है, तो उसे मुहावरा कहते हैं; जैसे – ‘आँख दिखाना’ । जब कोई व्यक्ति डॉक्टर को आँख दिखाने के लिए जाता है तब इसका साधारण अर्थ लिया जाता है अर्थात डॉक्टर से आँख की जाँच करवाना चाहता है कि उसे नेत्र रोग है या नहीं। किंतु जब यह कहा जाता है कि उसने मुझे ‘आँख दिखाई’ तो इसका अर्थ होगा कि उसने मेरे प्रति क्रोध व्यक्त किया। अतः ‘आँख दिखाना’ मुहावरा कहा जाएगा। अतः मुहावरा एक विशेष अर्थ को व्यक्त करने वाला वाक्यांश है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

मुहावरे

(अ – आ)

1. अंगारे बरसना – बहुत अधिक गर्मी पड़ना।
हरियाणा में जून के मास में तो अंगारे बरसते हैं।

2. अक्ल पर पत्थर पड़ना – बुद्धि नष्ट होना।
मेरी अक्ल पर तो पत्थर पड़ गए थे कि मैं मोहन जैसे धोखेबाज की बातों में आ गया।

3. अंगूठा दिखाना – साफ इंकार करना।
सरला ने अपनी सहेली समझकर मोहिनी से सहायता माँगी थी, किंतु उसने तो अंगूठा दिखा दिया।

4. अंधे की लाठी – एकमात्र सहारा।
बेचारे रामलाल का इकलौता पुत्र क्या मरा, अंधे की लाठी ही छिन गई।

5. अक्ल के घोड़े दौड़ाना – बहुत सोच – विचार करना।
कश्मीर की समस्या पर सभी नेता अक्ल के घोड़े दौड़ा चुके हैं, किंतु कोई समाधान नहीं निकला।

6. अपना – सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना।
मोहन बड़ी – बड़ी बातें करता था, परीक्षा में असफल होने पर वह अपना – सा मुँह लेकर रह गया।

7. अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – अपनी हानि स्वयं करना।
तुम अपने अध्यापक की बात न मानकर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहे हो।

8. अपने मुँह मियाँ मिटू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
अपने मुँह मियाँ मिटू तो कोई भी बन सकता है, असली प्रशंसा तो वह है जो दूसरे करें।

9. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना ।
कृष्णचन्द्र तुम दूसरों के साथ मिलकर काम किया करो, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होगा।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

10. अरण्य – रोदन – निष्फल प्रयत्न।
आज के भ्रष्ट नेताओं के पास शिकायत लेकर जाना तो अरण्य – रोदन के समान है।

11. अंधे के आगे रोना – निर्दय को अपना दुःख सुनाना।
आज के भ्रष्ट अधिकारियों के आगे गिड़गिड़ाना तो अंधे के आगे रोने के समान है।

12.अंग – अंग ढीला होना – बहुत थक जाना।
दिवाली की सफाई करते करते मेरा अंग – अंग ढीला हो गया है।

13. अंत पाना – रहस्य जानना।
ईश्वर का अंत पाना आसान काम नहीं है।

14. आँखों का तारा – बहुत प्यारा।
राम दशरथ की आँखों का तारा था।

15. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना।
चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया।

16. आँख का काँटा – खटकने वाला व्यक्ति।
मजदूरों का नेता मिल मालिक की आँख का काँटा बन गया।

17. आँखें खुलना – सावधान होना।
मुरारीदीन के हाथों धोखा खाकर सुधीर की आँखें खुल गईं।

18. आँखें दिखाना – इशारे से धमकाना।
पिता जी के आँखें दिखाने पर राजेश पुस्तकें लेकर पढ़ने चला गया।

19. आँख रखना – ध्यान रखना।
नौकर पर जरा आँख रखना, नहीं तो घर का सामान साफ कर जाएगा।

20. आँखें फेरना – साथ न देना।
विपत्ति में आँख न फेरना ही सच्चे मित्र की पहचान है।

HBSE 9th Class Hindi मुहावरे

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

21. आँखों पर परदा पड़ना – भले – बुरे की पहचान न होना।
तुम्हारी आँखों पर तो परदा पड़ा हुआ है कि तुम्हें अपने बच्चों के भले की बात भी बुरी लगती है।

22. आँखें चुराना – सामने आने से कतराना।
बुरा समय आने पर मित्र भी आँख चुरा कर जाने लगे।

23. आँखें बिछाना – प्रेम सहित स्वागत करना।
हमारे प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, लोग उनके स्वागत में आँखें बिछाते हैं।

24. आँखों में खून उतरना – बहुत गुस्सा आना।
शत्रु को सामने देखते उसकी आँखों में खून उतर आया।

25. आँच न आने देना – जरा भी कष्ट न होने देना।
तुम निर्भय होकर काम करो मैं तुम पर कभी आँच न आने दूंगा।

26. आँचल पसारना – भीख माँगना।
स्वाभिमानी व्यक्ति कभी किसी के सामने भीख नहीं माँगते।

27. आँसू पोंछना – धीरज बँधाना।
आज के युग में दीन – दुखियों के आँसू पोंछने वाला कोई बिरला ही होता है।

28. आकाश – पाताल एक करना बहुत अधिक प्रयत्न करना।
बलवीर ने अपने खोए हुए पुत्र को ढूँढने के लिए आकाश – पाताल एक कर दिया।

29. आकाश से बातें करना – बहुत ऊँचा होना।
हिमालय की चोटियाँ आकाश से बातें करती हैं।

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30. आस्तीन का साँप – विश्वासघाती।
तुम राजेश को अपना मित्र मत समझो वह तो आस्तीन का साँप है कभी – न – कभी धोखा अवश्य देगा।

31. आग बबूला होना – अत्यंत क्रोधित होना।
भरी सभा में अपमानजनक शब्द सुनते ही सेठ कृपाराम आग – बबूला हो उठा।

32. आकाश – पाताल का अंतर – बहुत अधिक अंतर।
मोहन और सोहन यद्यपि सगे भाई हैं, किंतु उनके स्वभाव में आकाश – पाताल का अंतर है।

33. आकाश कुसुम – असंभव कल्पना।
महात्मा गाँधी ने जिस राम राज्य की कल्पना की थी, आज वह आकाश कुसुम – सा प्रतीत होता है।

34. आग में कूदना – जान – बूझकर विपत्ति में पड़ना।
अपने घर में बैठे रहने में ही भला है दूसरों की आग में कूदने से क्या लाभ ?

35. आटे में नमक – बहुत कम संख्या या मात्रा में होना।
पाकिस्तान में सिक्खों की संख्या आटे में नमक के समान है।

36. आटे दाल का भाव मालूम होना – कष्ट और वास्तविकता का अनुभव होना।
तुम अभी अविवाहित हो, जब तुम्हारा परिवार बढ़ेगा तभी तुम्हें आटे दाल का भाव मालूम पड़ेगा।

37. आपे से बाहर होना – क्रोध में आना।
भीम की खरी – खरी बातें सुनकर दुर्योधन आपे से बाहर हो गया था।

(इ – ई)

38. इतिश्री करना – समाप्त करना।
परीक्षा की इतिश्री होने पर विद्यार्थी सुख की नींद सोते हैं।

39. ईद का चाँद होना बहुत कम दिखाई देना।
मित्र क्या बात है आजकल तुम ईद के चाँद बने हुए हो।

40. ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्टता का जवाब दुगुनी दुष्टता से देना।
अगर फिर पाकिस्तान ने हमारे देश पर आक्रमण किया तो हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे।

41. ईंट से ईंट बजाना – नष्ट – भ्रष्ट करना।
वानरों की सेना ने लंका की ईंट से ईंट बजा दी थी।

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(उ – ऊ)

42. उँगली उठाना – दोष निकालना।
मनुष्य को अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए ताकि उस पर कोई उँगली न उठा सके।

43. उँगली उठना – निंदित होना।
दुराचारी लोगों पर शीघ्र ही उँगली उठने लगती है।

44. उगल देना – भेद प्रकट कर देना।
पुलिस की मार पड़ने पर चोर ने सब कुछ उगल दिया।

45. उड़ती चिड़िया पहचानना – दूसरे की वास्तविकता को जान लेना।
तुम उसे धोखा नहीं दे सकते। वह तो शीघ्र ही उड़ती चिड़िया पहचान लेता है।

46. उठ जाना – मर जाना।
इस संसार से एक न एक दिन सबको उठ जाना है।

47. उलटी गंगा बहाना – उलटा कार्य करना।
गीता के प्रकाण्ड पंडित को कर्म – योग का पाठ पढ़ाना उलटी गंगा बहाना है।

48. उन्नीस – बीस का अन्तर – बहुत कम अंतर।
दोनों भाइयों के स्वभाव में बस उन्नीस – बीस का अंतर है।

49. उधेड़बुन में पड़ना – सोच – विचार करना।
अरे! व्यर्थ की उधेड़बुन छोड़कर परिश्रम करो और परीक्षा में बैठ जाओ।

50. ऊँट के मुँह में जीरा – आवश्यकता से बहुत कम वस्तु।
उस पहलवान के लिए तो आधा किलो दूध ऊँट के मुँह में जीरे के समान है।

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(ए – ऐ)

51. एक आँख से देखना – एक समान समझना।
कानून सबको एक आँख से देखता है।

52. एक ही लकड़ी से हाँकना – एक – सा कठोर व्यवहार करना।
इस जिले का जिलाधीश सबको एक ही लकड़ी से हाँकता है।

53. एड़ी – चोटी का जोर लगा देना – बहुत प्रयत्न करना।
भारतीय हॉकी टीम ने मैच जीतने के लिये एड़ी – चोटी का जोर लगा दिया।

(क)

54. कमर कसना – दृढ़ता से तैयार होना।
हमारे जवानों ने शत्रु का मुकाबला करने के लिए कमर कस ली।

55. कमर टूटना – हिम्मत हार जाना।
व्यापार में बहुत बड़ा घाटा आने पर कर्मचंद की तो मानो कमर टूट गई।

56. कलम तोड़ना – बहुत सुंदर लिखना।।
‘गीतांजलि’ लिखने में महाकवि रवींद्र नाथ टैगोर ने कलम तोड़ दी है।

57. कन्नी काटना – पास न आना।
विनोद का स्वार्थ पूरा हो गया तो वह मुझसे कन्नी काटने लगा।

58. कदम चूमना – खुशामद करना।
मेरा काम बने या न बने मुझसे किसी के कंदम नहीं चूमे जाते।

59. कलेजा मुँह को आना – अत्यधिक दुखी होना
स्वर्गवासी पति की याद आते ही सरला का कलेजा मुँह को आ जाता है।

60. कलेजा निकालकर रख देना सब कुछ अर्पित कर देना।
सच्चे देश – भक्त अपने देश के लिए कलेजा निकालकर रख देने में देर नहीं लगाते।

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61. कलेजा छलनी होना बहुत दुखी होना।
सास की जली – कटी बातें सुनकर बहू का कलेजा छलनी हो गया।

62. कलेजे पर साँप लोटना – ईर्ष्या से जलना।
रवि को प्रथम आया देखकर मोहन के कलेजे पर साँप लोट गया।

63. कलेजा ठंडा होना बहुत खुश होना।
अपने पुत्र के पूरे स्कूल में प्रथम आने पर माँ का कलेजा ठंडा हो गया।

64. काँटे बिछाना – रुकावट पैदा करना।
भले लोगों के रास्ते में काँटे बिछाने के अतिरिक्त तुमने अपने जीवन में और किया ही क्या है?

65. किस खेत की मूली होना – प्रभावहीन होना।
अरे! सुशील ने तो बड़े – बड़े पहलवानों को हरा दिया; फिर तुम किस खेत की मूली हो।

66. कुआँ खोदना – हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
जो दूसरों के लिए कुआँ खोदते हैं, वे एक दिन स्वयं उसमें गिरते हैं।

67. कान खोलना – सावधान करना।
माता जी ने नरेश का दोष बतलाकर सब बहन – भाइयों के कान खोल दिए।

68. कान खड़े होना – सावधान होना।।
मालिक के घर में आहट होते ही कुत्ते के कान खड़े हो गए।

69. कान का कच्चा – जो हर एक के कहने में आ जाए।
घनश्याम तो कानों का कच्चा है।

70. कान कतरना – बहुत चालाक होना।
वाह ! अनिल तो बड़े – बड़ों के कान कतरता है।

71. कागज़ी घोड़े दौड़ाना – बेकार की लिखा – पढ़ी करना।
देश की उन्नति के लिए अधिकारियों को कागजी घोड़े न दौड़ाकर कुछ ठोस कदम उठाने चाहिएँ।

72. कुछ पल का मेहमान – मृत्यु के समीप होना।
श्याम के पिता जी अब कुछ ही पलों के मेहमान हैं।

73. कोल्हू का बैल – बहुत अधिक परिश्रम करने वाला।
कोल्हू के बैल की तरह रात – दिन कठोर परिश्रम करने के बाद भी गरीब किसान अपना पेट नहीं भर पाता।

74. कौड़ी को न पूछना – कुछ भी कद्र न होना।
दुराचारी एवं अयोग्य व्यक्ति को कोई कौड़ी भी नहीं पूछता।

75. कान पर जूं तक न रेंगना – कुछ असर न होना।
बिजली बोर्ड के रिश्वतखोर अधिकारियों के आगे बिजली की नियमितता हेतु लाख प्रार्थनाएँ करने पर भी उनके कान पर जूं तक न रेंगी।

76. काम आना – युद्ध में मारा जाना, लाभदायक सिद्ध होना।
(क) सुरेंद्र युद्ध में वीरों की तरह लड़ते – लड़ते अपने देश के लिए काम आया।
(ख) पैसों को बचाकर रखना चाहिए ताकि दुःख के समय में वे काम आ सकें।

77. काफूर होना – दूर होना।
दवाई खाते ही उसका सारा दर्द काफूर हो गया।

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(ख)

78. खतरा मोल लेना – संकट में पड़ना।
प्रशांत से तू – तू मैं – मैं कर तुमने व्यर्थ ही खतरा मोल लिया है।

79. खटाई में पड़ना – किसी काम का बीच में रुक जाना या अधूरा रह जाना।
घरेलू नौकरानी रखने का ममता का इरादा उसके पति के स्थानांतरण के कारण एक बार फिर से खटाई में पड़ गया है।

80. खाक छानना – बेकार फिरना।
बेकारी के इस युग में अनेक योग्य युवक खाक छानते फिरते हैं।

81. खाला जी का घर – आसान काम।
दसवीं की परीक्षा में जिले में प्रथम आना कोई खाला जी का घर नहीं है।

82. खेत रहना – युद्ध में मारा जाना।
भारत – चीन युद्ध में अनेक सैनिक खेत रहे।

83. खून का प्यासा – जानी दुश्मन।
कंस भगवान् श्रीकृष्ण के खून का प्यासा था।

84. खून – पसीना एक करना अत्यंत परिश्रम करना।
जब तक तुम खून – पसीना एक नहीं करोगे तब तक परीक्षा में प्रथम नहीं आ सकते।

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(ग)

85. गर्दन पर सवार होना – अपनी बात मनवाने के लिए बुरी तरह पीछे पड़ना।
यदि विभा से काम करवाना है तो तुम्हें उसकी गर्दन पर सवार होना पड़ेगा।

86. गर्दन उठाना – विरोध में उठना।।
राष्ट्र के खिलाफ गर्दन उठाने वाले को मृत्यु दण्ड देना चाहिए।

87. गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें फिर से दोहराना।
व्यर्थ ही गड़े मुर्दे उखाड़ने से कोई लाभ नहीं।

88. गले में ढोल होना – पीछा न छोड़ने वाली बात होना।
इस संस्था का प्रबंध करना मेरे लिए गले का ढोल बन गया है।

89. गले का हार होना – प्रिय होना।
कुसुम तो अपनी सभी बहनों के गले का हार है।

90. गाँठ का पूरा होना – मालदार।
व्यापारी तो ऐसे ग्राहकों की आव – भगत करने में लगे रहते हैं जो गाँठ के पूरे हों।

91. गाँठ बाँधना – अच्छी तरह याद रखना।
सत्य और ईमानदारी के उपदेशों को तो गाँठ बाँध लेना चाहिए।

92. गाँठ का पक्का – धन संभालकर रखने वाला।
धनी बनने हेतु गाँठ का पक्का होना आवश्यक है।

93.गागर में सागर भरना – थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना।
कविवर रहीम के दोहों में गागर में सागर भरा होता है।

94. गाल बजाना – डींग मारना, घमंड से बोलना।
सविता को गाल बजाने की आदत है।

95. गिरगिट की तरह रंग बदलना – किसी बात पर स्थिर न रहना।
अगर कोमल तुम्हारी यह बात मान जाए तो कहना, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलती है।

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96. गुड़ गोबर कर देना – बना बनाया काम बिगाड़ देना।
उससे काम करवाओगे तो सब गड गोबर कर देगा।

97. गुदड़ी का लाल – छिपा हुआ गुणवान् व्यक्ति।
श्री लाल बहादुर शास्त्री तो गरीबी में पल रहे गुदड़ी के लाल थे।

98. गूलर का फूल – अप्राप्य वस्तु।
गरीबों के लिए दो वक्त की रोटी भी गूलर का फूल बन गई है।

99. गोबर गणेश – सीधा – साधा होना।
सुनीता का भाई तो बिल्कुल गोबर गणेश है जो सबका काम मुफ्त में करता फिरता है।

(घ)

100. घोड़े बेचकर सोना – निश्चित होकर सोना।
परीक्षा के बाद विद्यार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं।

101. घाव पर नमक छिड़कना – दुखी को और अधिक दुखी करना।
क्यों बेचारे के घावों पर नमक छिड़कते हो, वह तो पहले से ही दुखों में डूबा हुआ है।

102. घात में रहना – किसी को हानि पहुँचाने की ताक में रहना।
पाकिस्तान हमेशा भारत की शांति को भंग करने के लिए घात में रहता है।

103. घाट – घाट का पानी पीना – अनुभवी होना।
हमारे प्राचार्य जी घाट – घाट का पानी पीने के पश्चात ही जीवन में इतने सफल हुए हैं।

104. घर में गंगा बहना – घर में अथवा सहज में ही योग्य व्यक्ति का मिल जाना।
ऋजु के भाई हिन्दी के विद्वान हैं, अतः उसके तो घर में ही गंगा बहती है।

105. घड़ियाँ गिनना – उत्सुकता से प्रतीक्षा करना।
मथुरावासी कंस के अत्याचार से तंग होकर अपने भगवान श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा में घड़ियाँ गिनते थे।

106. घाव हरा होना – भूला हुआ दुःख ताजा होना।
मृत पति की स्मृति ने उर्मिला के घाव को हरा कर दिया।

107. घास खोदना – व्यर्थ में समय नष्ट करना।
व्यर्थ ही घास खोदने से अच्छा है थोड़ा पढ़ – लिख लो अन्यथा फेल हो जाओगे।

108. घी के दीये जलाना – बहुत प्रसन्न होना।
भारत के स्वतंत्र होने पर भारतवासियों ने घी के दीये जलाए।

109. घुन लगना – चिंता के कारण मनुष्य का दुबला हो जाना।
जोधा सिंह पहले बहुत स्वस्थ था, किंतु बच्चे की आकस्मिक मृत्यु के कारण उसे भीतर ही भीतर घुन लग गया है।

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(च)

110. चकमा देना – धोखा देना।
मोहन ने व्यापार में अपने मित्र को चकमा देकर उसे बरबाद कर दिया है।

111. चाँदी का जूता – रिश्वत देना।
आजकल चाँदी के जूते के बिना कोई काम नहीं करवाया जा सकता।

112. चंपत हो जाना – भाग जाना।
रामेश्वर का नौकर उसके घर का काफी सामान लेकर चंपत हो गया।

113. चाँदी होना – बहुत लाभ होना।
जब से प्रीतम सिंह ने व्यापार आरम्भ किया तब से उसकी तो चाँदी हो गई है।

114. चार चाँद लगाना – शोभा और प्रतिष्ठा बढ़ाना।
आपने हमारे स्कूल में पधार कर उत्सव को चार चाँद लगा दिए।

115. चाँद पर थूकना – बड़े व्यक्तियों की व्यर्थ निंदा करना।
महात्मा गाँधी और पंडित नेहरू जैसे महान नेताओं की निंदा करना तो चाँद पर थूकना है।

116. चादर तानकर सोना – निश्चिंत हो जाना।
परीक्षा के दिनों में जो विद्यार्थी चादर तानकर सोते हैं, वे प्रायः असफल रहते हैं।

117. चादर से बाहर पाँव पसारना – आमदनी से अधिक खर्च करना।
झूठी शान दिखाने के लिए मनुष्य को कभी चादर से बाहर पाँव नहीं पसारने चाहिएँ।

118. चार सौ बीस होना – धोखेबाज होना।
राजेश की बातों में मत आना वह तो पूरा चार सौ बीस है।

119. चिकना घड़ा – जिस पर कोई प्रभाव न पड़ना।
पवन तो चिकना घड़ा है उस पर तुम्हारे उपदेशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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120. चारों खाने चित्त होना – पराजित होना।
जग्गा पहलवान बड़ी – बड़ी डींगें हाँकता रहता था, किंतु गामा पहलवान ने उसे अखाड़े में पहली बारी में ही चारों खाने चित्त कर दिया।

121. चिराग लेकर ढूँढना – कठिनाई से मिलना।
शीला जैसी बहू तो चिराग लेकर ढूँढने से भी नहीं मिलेगी।

122. च्यूटी के पर निकलना – छोटे व्यक्ति का घमंड करना।
देखो तो सही, कल के छोकरे हमें धमकी दे रहे हैं। वाह! च्यूटी के भी पर निकल आए हैं।

123. चिकनी – चुपड़ी बातें करना – खुशामद करना।।
धोखेबाज व्यक्ति चिकनी – चुपड़ी बातें करके अपना काम निकलवा लेते हैं।

124. चूड़ियाँ पहनना – कायरता दिखाना।
आक्रमण के समय तुम्हें रणभूमि में जाना चाहिए। घर में चूड़ियाँ पहनकर बैठना तुम्हें शोभा नहीं देता।

125. चुल्लू भर पानी में डूब मरना – अत्यंत लज्जा की बात।
तुम्हारे जीते – जी तुम्हारी माँ – बहनों का कोई अपमान करे ? तुम्हें चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।

126. चौकड़ी भूल जाना – अहंकार दूर होना।
कल तक बाबू सोहनलाल किसी की बात न सुनते थे। अब नौकरी से छुट्टी होते ही वह सारी चौकड़ी भूल गए।

127. चोली दामन का साथ – घनिष्ठ संबंध।
विद्या और परिश्रम में तो चोली दामन का साथ है।

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(छ)

128. छक्के छुड़ाना – बुरी तरह हराना।
भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान की हॉकी टीम के छक्के छुड़ा दिए।

129. छठी का दूध याद आना – भारी संकट का सामना करना।
शिवाजी से टक्कर लेते ही औरंगजेब को छठी का दूध याद आ गया था।

130. छिपा रुस्तम – छिपा हुआ गुणी व्यक्ति।
हम रोशन लाल को साधारण आदमी समझ रहे थे। उसने आई० ए० एस० की परीक्षा में प्रथम स्थान ग्रहण करके सिद्ध कर दिया कि वह छिपा रुस्तम है।

131. छीछा लेदर करना – दुर्दशा करना।
हमारे अध्यापक ने पाखंडी साधुओं को खरी – खरी सुनाकर उनकी छीछा लेदर कर दिया।

132. छप्पर फाड़कर देना – बिना प्रयत्न के धन की प्राप्ति।
ईश्वर जब देने पर आता है तो छप्पर फाड़कर देता है।

133. छाती पर मूंग दलना – सामने रहकर बुरी तरह सताना।
देखो तो सही, मेरा पुराना मित्र मेरे विरोधियों की सहायता करके आज मेरी छाती पर मूंग दल रहा है।

134. छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या से जलना।
भारत की प्रगति देखकर चीन और पाकिस्तान की छाती पर साँप लोटने लगते हैं।

135. छीटें कसना – निंदा करना।
मित्रता टूटने पर विकास हमेशा राजेश पर छींटे कसता रहता है।

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(ज)

136. जले पर नमक छिड़कना – दुखी दिल को और दुखाना।
वह बेचारा परीक्षा में फेल होने के कारण पहले से ही दुखी है, तुम उसे डाँट कर क्यों जले पर नमक छिड़क रहे हो।

137. जंगल में मंगल – निर्जन स्थान में भी आनंद।
साधुओं की संगति तो जंगल में भी मंगल कर देती है।

138. जहर का यूंट पीना – अपमान को चुपचाप सहना।।
पिताजी ने सबके सामने जब हरीश को फटकारा तो वह बेचारा जहर का यूंट पीकर रह गया।

139. जली कटी सुनाना – सच्ची, किंतु कड़वी बातें कहना।
जब मोहन ने अपने घरेलू झगड़े का नाम लिया तो मैंने भी उसे खूब जली – कटी सुनाई।

140. जान हथेली पर रखना – बलिदान के लिए तैयार रहना।
सरदार भगत सिंह ने जान हथेली पर रखकर ही अंग्रेज़ों से टक्कर ली थी।

141. जमीन पर पाँव न रखना – फूला न समाना।
राजेश जब से परीक्षा में प्रथम आया है तब से जमीन पर पाँव नहीं रखता।

142. जहर उगलना – ईया के कारण निंदा करना।
प्रवीण मेरी उन्नति सहन नहीं कर सकता इसलिए जब देखो वह मेरे विरुद्ध जहर उगलता रहता है।

143. जान के लाले पड़ना – जान खतरे में पड़ना।।
पाकिस्तानी आतंकवादियों के कारण कश्मीर के लोगों को जान के लाले पड़े हुए हैं।

144. जूतियाँ चटकाना – मारा – मारा फिरना।
आजकल लाखों शिक्षित युवक नौकरी के लिए जूतियाँ चटकाते फिरते हैं।

145. जी भर आना – दया से द्रवित होना।
भूकंप से पीड़ित व्यक्तियों की दुर्दशा देखकर मेरा जी भर आया।

146. जी चुराना – बचने का यत्न करना।
यदि तुम पढ़ाई से जी चुराओगे तो बड़े आदमी कैसे बनोगे ?

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(झ)

147. झंडा गाड़ना – अधिकार जमा लेना।
इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सफल होकर शासन पर झंडे गाड़ दिए।

148. झख मारना – व्यर्थ समय नष्ट करना।
छुट्टियों में घर बैठकर झख मारने से तो अच्छा है कि हम किसी ऐतिहासिक स्थान की सैर कर लें।

149. झांसा देना – धोखा देना।
चोर पुलिस को झांसा देकर भाग गया।

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(ट – ठ)

150. टस – से – मस न होना – अपने निश्चय पर अडिग रहना।
मैंने उसे लाख समझाया कि बुरे लड़कों की संगत न करो, किन्तु वह टस – से – मस न हुआ।

151. टट्टी की ओट में शिकार खेलना – गुप्त रूप से षड्यंत्र रचना।
कायर लोग ही सदा टट्टी की ओट में शिकार खेला करते हैं।

152. टाँग अड़ाना – हस्तक्षेप करना।
तुम्हें मुझसे क्या दुश्मनी है जो मेरे हर काम में टाँग अड़ा देते हो।

153. टीका – टिप्पणी करना – आलोचना करना।
राम अपने अध्यापकों पर भी टीका – टिप्पणी करता रहता है।

154. टॉय – टॉय फिस होना – सारी शान बिखर जाना।
अमृत की शादी बड़े धूम – धाम से हो रही थी, किंतु अधिक दहेज माँगने पर जब लड़की वालों ने इंकार किया तो उनकी सारी शानो – शौकत टाँय – टाँय फिस हो गई।

155. टेढ़ी खीर – अति कठिन।
आजकल हर बेकार शिक्षित के लिए सरकारी नौकरी पाना टेढ़ी खीर है।

156. टेढ़ी उँगली से घी निकालना – चालाकी से काम निकालना।
लाला घनश्यामंदास बड़ा कंजूस है, उससे पैसे लेना आसान काम नहीं है, बिना टेढ़ी उँगली किए घी नहीं निकलेगा।

157. ठिकाने लगाना – मार डालना।
करम सिंह के दुश्मनों ने उसे निर्जन स्थान पर ले जाकर ठिकाने लगा दिया।

158. ठन – ठन गोपाल – निर्धन व्यक्ति।
कन्हैया लाल से पैसों की आशा मत करो वह तो ठन – ठन गोपाल है।

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(ड – ढ)

159. डंके की चोट – घोषणा के साथ।
मैं डंके की चोट पर कहता हूँ कि चुनाव में मेरी जीत निश्चित है।

160. डूबते को तिनके का सहारा – थोड़ी – सी सहायता।
मुझे यदि आप छोटी – सी नौकरी भी दे दें तो डूबते को तिनके का सहारा मिल जाएगा।

161. डेढ़ ईंट की मस्जिद बनाना – अलग रहना।
तुम डेढ़ ईंट की मस्जिद अलग क्यों बनाते हो, आओ मिलकर हरियाणा राज्य के विकास में जुट जाएँ।

162. ढोल पीटना – प्रचार करना।
बाबू धर्मचंद जन – सेवा का ढोल तो बहुत पीटते हैं, किन्तु जब कोई काम कराना हो तो सीधे मुँह बात भी नहीं करते।

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(त)

163. तलवे चाटना – खुशामद करना।
मेरी नौकरी जाए या रहे मुझे परवाह नहीं है, किन्तु मैं किसी के तलवे नहीं चादूँगा।

164. तारे गिनना – प्रतीक्षा करना।
कमल शर्मा अपनी प्रेमिका की याद में तारे गिनता रहता है।

165. तिल का ताड़ करना – छोटी बात को बड़ा करके बताना।
कुछ लोगों की आदत है कि अपनी बात को तिल का ताड़ बनाकर बताते हैं।

166. तीन – तेरह करना – बिखेर देना।
कल मेरे कमरे में घुसकर मुन्नू ने मेरी सारी पुस्तकों को तीन – तेरह कर दिया।

167. तीन – पाँच करना – बहाना करना, टालमटोल करना।
पहले तो राजू ने सहायता का वचन दिया, लेकिन जब समय आया तो वह तीन – पाँच करने लगा।

168. तिलांजलि देना – छोड़ देना।
गीता ने अपनी बुरी आदतों को तिलांजलि दे दी है।

169. तूती बोलना – प्रभाव बढ़ना।
आजकल तो कॉलेज में शीला की तूती बोलती है, क्योंकि उसके चाचा जी प्रिंसिपल बनकर आ गए हैं।

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(थ)

170. थाली का बैंगन – अस्थिर विचारों का व्यक्ति।
उमेश तो थाली का बैंगन है जिधर लाभ देखेगा उधर ही दौड़ा चला जाएगा।

171. थूक कर चाटना – वचन से फिर जाना।
कुसुम ने पुष्पा को.अपनी परिचित संगीत अध्यापिका से पढ़वाने का वचन दिया था, परंतु अपनी चचेरी बहन के आग्रह पर उसने पुष्पा को साफ मना कर दिया। इसे कहते हैं थूक कर चाटना।

172. थूक से सत्तू सानना – छोटे साधन से बड़ा कार्य करने की आशा करना।
केवल एक कमरा लेकर तुम अपना व्यापार कैसे चलाओगे थूक से भी कभी सत्तू सना है।

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(द)

173. दाँत कटी रोटी होना – गहरी मित्रता होना।
उन दोनों सहेलियों में दाँत कटी रोटी है।

174. दाँत खट्टे करना – हराना।
भारतीय सेना ने युद्ध में पाकिस्तान की सेना के दाँत खट्टे कर दिए थे।

175. दाँत दिखाना – दीन बनना।
अमीर आदमी को देखकर भिखारी भिक्षा लेने के लिए दाँत दिखाने लगा।

176. दिन फिरना – स्थिति में अच्छा परिवर्तन आना।
दुखी से दुखी मनुष्य के दिन फिरते भी देर नहीं लगती।

177. दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्यचकित होना।
उस नन्हें बालक का साहस देखकर सभी ने दाँतों तले उँगली दबा ली।

178. दाहिना हाथ होना बहुत बड़ा सहायक होना।
शंकर तो अपने स्वामी का दाहिना हाथ है।

179. दाल – भात में मूसलचंद – व्यर्थ में दखल देने वाला।
राम की तो बेकार में दूसरों की समस्याओं में दखल देने की आदत है। इसे कहते हैं दाल – भात में मूसलचंद।

180. दिन – दूनी रात – चौगुनी उन्नति करना – अधिकाधिक उन्नति करना।
माँ ने अपने पुत्र को दिन – दूनी रात – चौगुनी उन्नति करने की आशीष दी।

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181. दुम दबाकर भागना – डरकर भाग जाना।
बिल्ली को देखते ही चूहा दुम दबाकर भाग गया।

182. दूध का दूध, पानी का पानी – ठीक – ठीक न्याय होना।
जज साहब ने अपना न्यायोचित फैसला सुनाकर दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।

183. दम भरना – दावा करना।
सोमेश दिन – रात मेरी मित्रता का दम तो भरता है, मगर समय पर काम नहीं आता।

184. दम लेना – विश्राम करना।
मुझे जरा दम तो ले लेने दो, फिर मैं तुम्हारा भी काम कर देता हूँ।

185. दम सूखना – भयभीत होना।
जंगल में शेर की दहाड़ सुनकर, मेरा तो दम ही सूख गया।

186. दंग रह जाना – आश्चर्यचकित होना।
छोटी – सी बालिका का शौर्य देखकर हमारी माता जी दंग रह गईं।

187. दाल न गलना – सफल न होना।
तुम चाहे कितनी भी कोशिश कर लो, यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलेगी।

188. दूर की हाँकना – गप्प मारना।
अरे! कमला की तो दूर की हाँकने की आदत है, तुम उसकी बातों पर मत जाना।

189. दूध की मक्खी – खटकने वाला।
श्याम ने अपना काम निकल जाने पर सुनील को दूध की मक्खी की तरह निकाल बाहर फेंक दिया।

190. दो टूक बात करना – साफ – साफ बात करना।
हमारे पिताजी दो टूक बात करने में विश्वास करते हैं।

191. दूज का चाँद – कभी – कभी दिखाई देना।।
अरे मोहित! तुम तो आजकल दिखाई ही नहीं देते। वाह यार ! बिल्कुल दूज का चाँद हो गए हो।

192. दूध के दाँत न टूटना – अनुभवहीन होना।
लाल सिंह मेरा क्या मुकाबला करेगा, अभी तो उसके दूध के दाँत भी नहीं टूटे।

193. दो नावों पर पाँव रखना – अस्थिर विचार वाला।
जो व्यक्ति दो नावों पर पैर रखता है, उसे अपने काम में सफलता नहीं मिलती।

194. द्रौपदी का चीर – जिसका अन्त न हो।
आजकल भारत की जनसंख्या की समस्या द्रौपदी के चीर की तरह बढ़ती जा रही है।

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(ध)

195. धता बताना – चालाकी से टाल देना।
अरे! मोहन की क्या बात करते हो, उसने तो अपने भाई की सम्पत्ति का भाग लेकर उसे धता बता दिया है।

196. धज्जियाँ उड़ाना – टुकड़े – टुकड़े करना।
पाकिस्तान के साथ युद्ध में हमारे जवानों ने पैटन टैंकों की धज्जियाँ उड़ा दी थीं।

197. धाक जमाना – प्रभाव डालना।
नेहरू जी ने जोरदार भाषण देकर संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी धाक जमा दी।

198. धूप में बाल सफेद करना – अधिक उम्र में अनुभवहीन होना।
मैं इस दुनिया की रग – रग से परिचित हूँ। मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं कर रखे हैं।

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(न)

199. नमक – मिर्च लगाना – बात को बढ़ा – चढ़ा कर कहना।
शीला की बात पर विश्वास न करना वह हर बात को नमक – मिर्च लगाकर बताती है।

200. नाक काटना – मान नष्ट करना।
बेटे ने बुरे काम करके पिता की नाक काट दी।

201. नाक में दम करना – बहुत तंग करना।
छात्रों ने नए अध्यापक के नाक में दम कर दिया।

202. नाक का बाल – बहुत समीप रहने वाला व्यक्ति।
आजकल रामचंद्र से बड़ा डर लगता है, क्योंकि वह अफसर की नाक का बाल बना हुआ है।

203. नाक रगड़ना – गिड़गिड़ाना।
अरे! रामनाथ ने नाक रगड़कर जब क्षमा माँगी, तभी वह वहाँ से छूटा।

204. नाक पर मक्खी न बैठने देना – अपने को बहुत बड़ा समझना।
जब से पुरुषोतम ने आई०ए०एस० की परीक्षा पास की है, वह नाक पर मक्खी भी नहीं बैठने देता।

205. नाक भौंह चढ़ाना – असंतोष प्रकट करना।
मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, जो तुम मेरी हर बात पर नाक – भौंह चढ़ाते हो।

206. नाकों चने चबवाना – बुरी तरह हराना।
सन् 1965 की लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को नाकों चने चबवा दिए थे।

207. नानी याद आना – कष्ट का अनुभव होना।
जब जेल पहुँचकर चक्की पीसनी पड़ेगी तब तुम्हें नानी याद आएगी।

208. नौ – दो ग्यारह होना – भाग जाना।
डाकू पुलिस को देखते ही नौ – दो ग्यारह हो गए।

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(प)

209. पगड़ी उछालना – अपमान करना।
बिना बात के किसी की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं है।

210. पगड़ी सम्भालना – मान – मर्यादा की रक्षा के लिए तैयार होना।
वीर पुरुष सदा अपनी पगड़ी संभालने के लिए तैयार रहते हैं।

211. पाँचों उँगलियाँ घी में होना – बहुत लाभ होना।
जब से गेहूँ के भाव बढ़े हैं तबसे आटे के व्यापारियों की तो पाँचों उँगलियाँ घी में हो गई हैं।

212. पानी – पानी होना – बहुत लज्जित होना।
अपनी चोरी का रहस्य खुलते ही रमेश पानी – पानी हो गया।

213. पापड़ बेलना – कष्ठ उठाना।
राम ने अनेक पापड़ बेले, किन्तु कहीं सफलता नहीं मिली।

214. पत्थर का कलेजा होना – कठोर हृदय होना।।
तुम्हारा तो पत्थर का कलेजा है, जो इतनी बड़ी हानि उठाने पर भी तुमने आह तक नहीं भरी।

215. पत्थर की लकीर – अटल बात।
मेरा सिद्धांत पत्थर की लकीर है। उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो सकता।

216. पट्टी पढ़ाना – बहकाना।
कैकेयी ने दशरथ को ऐसी पट्टी पढ़ाई है कि वह भगवान् रामचन्द्र को 14 वर्ष का वनवास देने पर मजबूर हो गए।

217. पते की बात कहना – महत्त्वपूर्ण बात कहना।
मैं एक पते की बात कहता हूँ कि यदि तुम वर्ष के आरंभ से परिश्रम करो तो परीक्षा में तुम्हारी सफलता निश्चित है।

218. पर्दा – फाश करना – भेद खोलना।
गवाह ने सच्ची बात बताकर सारे षड्यंत्र का पर्दाफाश कर दिया।

219. पलकों पर बिठाना – बहुत आदर करना।
जनता ने पंडित नेहरू के आने पर उन्हें अपनी पलकों पर बिठा लिया।

220. पहाड़ टूट पड़ना – भारी विपत्ति आना।
विभाजन के समय देश के लाखों निर्दोष लोगों पर मानो पहाड़ – सा टूट पड़ा।

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(फ – ब)

221. फूला न समाना – बहुत आनंदित होना।
अपनी पोती को दुलहिन बना देखकर दादा – दादी फूले न समाए।

222. फूंक – फूंक कर पाँव रखना – सावधान होकर कार्य करना।
वह एक बार व्यापार में घाटा उठा चुका है, इसलिए अब हर काम में फूंक – फूंक कर पाँव रखता है।

223. बंगुला भगत – कपटी व्यक्ति।
बगुला भगत अध्यापक देश के भविष्य को नष्ट कर देते हैं।

224. बगलें झाँकना – बेबसी में लज्जित होना।
देखो, तुम बिल्कुल नहीं पढ़ते। कल जब परीक्षा होगी तो बगलें झाँकोंगे।

225. बड़े घर की हवा खाना – जेल जाना।
राजेंद्र तो कई बार बड़े घर की हवा खा चुका है।

226. बरस पड़ना – क्रोधित होना।
दफ्तर में देर से पहुंचने पर शीला के बॉस उस पर बरस पड़े।

227. बट्टा लगाना – कलंकित करना।
आखिर उसने अपने घरवालों के माथे पर बट्टा लगा ही दिया।

228. बछिया का ताऊ – सीधा – सादा या मूर्ख व्यक्ति।
हमारे गाँव का बुधिया तो बछिया का ताऊ है, उसे शहरी जीवन के बारे में क्या पता ?

229. बल्लियों उछलना – अत्यंत प्रसन्न होना।
परीक्षा में प्रथम आने पर कमला का मन बल्लियों उछलने लगा।

230. बंदर घुड़की – बनावटी धमकी।
पाकिस्तान की बंदर घुड़की से कुछ न बनेगा, हम कश्मीर लेकर रहेंगे।

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(भ)

231. भनक पड़ना – उड़ती खबर मिलना।
उनके कानों में ज्यों ही चुनाव परिणाम की भनक पड़ी, वह फिर बेहोश हो गया।

232. भगीरथ प्रयत्न कठिन, किंतु प्रशंसनीय प्रयत्न।
भारत को स्वतंत्र कराने के लिए गाँधी जी ने भगीरथ प्रयत्न किया।

233. भंडा फोड़ना – भेद खोल देना।
मन – मुटाव होने पर अपने मित्रों का भंडा फोड़ना मूों का काम है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

(म)

234. मीठी छुरी – ऊपर से मीठा बोलकर हानि पहुँचाना।
अरे! मोहित की बातों में मत आना वह तो मीठी छुरी है।

235. माथे पर बल न पड़ना – जरा – सा भी क्रोध न आना।
बड़ी – से – बड़ी विपत्ति में भी मैंने आज तक स्वामी जी के माथे पर बल नहीं देखे।

236. मिट्टी का माधो – मूर्ख।
विमला का पति तो बिल्कुल मिट्टी का माधो है।

237. मुँह की खाना – बुरी तरह पराजित होना।
भाग्य से लड़ोगे तो मुँह की खाओगे।

238. मुँह ताकना – सहायता की आशा करना।
उसके पास अपनी कठिनाइयों के लिए दूसरों का मुँह ताकने के सिवाय और काम ही क्या है ?

239. मुँह पर हवाइयाँ उड़ना – डर जाना।।
पुलिस को देखकर चोर के मुँह पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।

240. मुँह लगाना – छूट या ढील दे देना।
नौकरों को अधिक मुँह लगाने से वे बिगड़ जाते हैं।

241. मुँह में पानी भर आना – खाने को मन ललचाना।
लोमड़ी ने जब बाग में पके अँगूर देखे तो उसके मुँह में पानी भर आया।

242. मुट्ठी गरम करना – रिश्वत देना।
सुना है, कमल ने अफसरों की मुट्ठी गर्म करके नौकरी ली है।

243. मुट्ठी में करना – काबू में करना।
देवदत्त ने अपनी सेवा से सभी को अपनी मुट्ठी में कर रखा है।

244. मैदान मारना – विजय प्राप्त करना।
तुम आज कौन – सा मैदान मार लाए हो, जो इतने खुश हो रहे हो।

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(र)

245. रंग में भंग – आनंद में बाधा पड़ना।
मोहन और उसके मित्रों के गाने के कार्यक्रम के समय उसके पिता जी के आने से उनके रंग में भंग पड़ गया।

246. रंगा सियार होना – धोखेबाज या कपटी होना।
मोहन की संगति से बचकर रहना वह तो रंगा सियार है।

247. रोंगटे खड़े होना – भयभीत होना।
अपने सामने अचानक काले नाग को देखकर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए थे।

(ल)

248. लंगोटिया यार – बचपन का साथी।
राकेश तो मेरा लंगोटिया यार है उस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।

249. लहू के चूंट पीकर रह जाना – क्रोध को मन में दबा लेना।।
द्रौपदी का अपने सामने अपमान होते देखकर पांडव लहू का यूंट पीकर रह गए।

250. लोहा लेना – टक्कर लेना।
पाकिस्तान में अब इतना दम नहीं कि वह भारत से लोहा ले सके।

251. लोहे के चने चबाना – बहुत कठिन काम करना।
आई०ए०एस० की परीक्षा पास करना लोहे के चने चबाना है।

252. लट्ट होना – मोहित होना।
वह तो सुनीता की योग्यता देखकर उस पर लट्टू हो गया।

253. लाल – पीला होना – बहुत क्रोधित होना।
छात्रों की शरारत देखकर अध्यापक लाल – पीला हो गया।

254. लाले पड़ जाना – तरस जाना।
बाढ़ के आ जाने से सारी फसल नष्ट हो गई है और किसान को जीने के लाले पड़ गए हैं।

255. लुटिया डुबोना – काम बिगाड़ना।
हमारी योजना बड़ी सफलता के साथ पूरी हो रही थी कि साहूकार ने सहायता बंद करके लुटिया डुबो दी।

256. लेने के देने पड़ जाना – लाभ की जगह हानि होना।
इसी तरह यदि व्यापार में घाटा होता रहा तो तुम्हें लेने के देने पड़ जाएँगे।

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(श – स)

257. श्रीगणेश करना आरम्भ करना।
मैंने आज ही अपनी नौंवीं कक्षा की पढ़ाई का श्रीगणेश किया है।

258. शैतान की आँत – बहुत लंबा होना।
यह पहाड़ी रास्ता तो शैतान की आँत की भाँति कहीं समाप्त होता नजर नहीं आता।

259. सब्जबाग दिखाना – लोभ देना।
पहले तो उसने मुझे सब्जबाग दिखाए, किंतु जब मुझ पर कोई असर न हुआ तो अफसर को मेरी झूठी शिकायत लगा दी।

260. सिर उठाना – विरोध करना।
डाकू गब्बर सिंह ने अपने साथियों को चेतावनी दे दी कि यदि किसी ने मेरे विरुद्ध सिर उठाया तो उसे कुचल दिया जाएगा।

261. स्वाहा करना नष्ट करना।
भीमसेन ने जुआ खेल – खेलकर अपने पिता की सारी सम्पत्ति स्वाहा कर दी।

262. सात घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना।
आप सब मिलकर भी विश्वनाथ का मुकाबला नहीं कर सकते, क्योंकि उसने सात घाट का पानी पी रखा है।

263. सिर धुनना – पछताना।
समय निकलने के बाद सिर धुनने से कोई लाभ नहीं है।

264. सोने में सुगंध – एक गुण के साथ दूसरा गुण भी होना।
दिवांश पढ़ाई में तो सबसे आगे है ही, पर उसकी भाषण – कला तो सोने में सुगंध के समान है।

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(ह)

265. हथेली पर सरसों उगाना – असंभव काम कर दिखाना।
हथेली पर सरसों उगाना तो वीर पुरुषों का ही काम है।

266. हाथ तंग होना – धन की कमी होना।
इस मँहगाई के युग में सबका हाथ तंग रहता है।

267. हाथ – पाँव मारना – पूरा प्रयत्न करना।
आजकल के शिक्षित बेकार युवक नौकरी पाने के लिए दिन – रात हाथ – पाँव मारते रहते हैं।

268. हाथ पीले करना – विवाह करना।
मोहन सिंह को अपनी बेटी के हाथ पीले करने के लिए बहुत अधिक कर्जा लेना पड़ा।

269. हाथों के तोते उड़ जाना – घबरा जाना।
परीक्षा में असफल होने की सूचना सुनकर बिमला के हाथों के तोते उड़ गए।

270. हाथ धोकर पीछे पड़ना – बुरी तरह पीछे लग जाना।
बस, इसी तरह हाथ धोकर पीछे पड़े रहने से ही उससे कुछ पा सकोगे।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran तत्सम तद्भव शब्द

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Tatsam Tadbhav Shabd तत्सम तद्भव शब्द Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran तत्सम तद्भव शब्द

तत्सम तद्भव शब्द

तत्सम तद्भव शब्द HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
तत्सम शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
तत्सम शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-तत् + सम। इसका अर्थ है-उसके समान। हिंदी भाषा के शब्द-भंडार का मूल स्रोत संस्कृत भाषा है। संस्कृत के काफी शब्द हिंदी में ज्यों-के-त्यों ले लिए गए हैं। अतः संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में बिना किसी परिवर्तन के ले लिए गए हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं।

उदाहरण-
शिक्षा, पुत्र, प्रकाश, पुस्तक, दंत, मुख, दुग्ध, रात्रि, पुत्र, कर्पूर, कृषक, अग्नि आदि।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran तत्सम तद्भव शब्द

HBSE 9th Class Hindi तत्सम तद्भव शब्द प्रश्न 2.
तद्भव शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
‘तद्भव’ का अर्थ है-उससे उत्पन्न। हिंदी भाषा में अनेक शब्द ऐसे हैं जो संस्कृत से परिवर्तित रूप में आए हैं। अतः संस्कृत के ऐसे शब्द जो रूप परिवर्तन के साथ हिंदी में प्रचलित हुए, तद्भव शब्द कहलाते हैं।
उदाहरण-
अग्नि – आग
दधि – दही
रात्रि – रात

यहाँ कुछ तत्सम और उनके तद्भव रूप दिए जा रहे हैं-
तत्सम – तद्भव
अग्नि – आग
अग्र – आगे
अश्रु – आँसू
अद्य – आज
अक्षि – आँख
उष्ट्र – ऊँट
उज्जवल – उजला
उष्ण – गर्म
उलूक – उल्लू
कर्ण – कान
कुंभकार – कुम्हार
काष्ठ – काठ
कर्म – काम

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran तत्सम तद्भव शब्द

क्षीर – खीर
कोकिल – कोयल
घृत – घी
ग्राम – गाँव
जिह्वा – जीभ
ज्येष्ठ – जेठ
दश – दस
छन – क्षण
दधि -दही
दग्ध – दूध
दंड – डंडा
निद्रा – नींद
नग्न – नंगा
नव – नया
पंच – पाँच
नृत्य – नाच
पाद – पाँव
पत्र – पत्ता
पुष्प – फूल
पक्षी – पंछी
भक्त – भगत
पर्यंक – पलंग
भ्राता – भाई
पुरस्कार – इनाम
भूमि – पृथ्वी

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

पर्यायवाची

पर्यायवाची शब्द Class 9 HBSE प्रश्न 1.
समानार्थक या पर्यायवाची शब्दों से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
ऐसे शब्द जिनके अर्थ एक-से अथवा मिलते-जुलते हों; जैसे असुर-राक्षस, दैत्य-दानव आदि। पर्यायवाची शब्दों के विषय में लोगों की धारणा है कि उनके अर्थ एक-जैसे होते हैं, किन्तु यह सत्य पूर्ण सत्य नहीं है। क्योंकि एक समान दिखाई देने वाले शब्दों के अर्थ में थोड़ा बहुत अंतर अवश्य होता है। अतः हर पयार्यवाची शब्द का अपना स्वतंत्र अर्थ होता है।

जहाँ समानार्थक शब्दों से विद्यार्थी के ज्ञान में वृद्धि होती है वहाँ उसका व्यक्तिगत शब्द-कोश भी समृद्ध होता है। हिंदी पर्यायवाची शब्द संस्कृत, उर्दू, देशी या स्थानीय बोलियों और अंग्रेज़ी से भी लिए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं
अंक – गोद, संख्या, चिहन, अध्याय।
अंग – भाग, उपाय, देह, अवयव।
अंधकार – अंधेरा, तम, तिमिर, तिमिस्त्र।
अमृत – पीयूष, सुधा, अमिय, सोम।
अरण्य – वन, जंगल, कानन, विपिन, अटवी।
अभिमान – घमंड, अहंकार, गर्व, दर्प।
अनुचर – दास, सेवक, भृत्य, नौकर, परिचारक।
अज – शिव, दशरथ के पिता, कामदेव, ब्रह्मा।
अजित – अजेय, अदम्य, अपराजिता, दुर्दात।
अग्नि – आग, पावक, अनल, वह्नि, कृशानु।
अतिथि – अभ्यागत, पाहुन, आगंतुक।
अधम – नीच, पतित, निकृष्ट।
अधर – होंठ, धरती, आसमान के बीच का भाग।
अनार – दाडिम, शुकप्रिय, रामबीज।
अनी – सेना, दल, कटक, नोक, चमू।
अनुपम – अपूर्व, अनोखा, अनूठा, अद्भुत।
अंतर – आकाश, अवधि, मध्य, अवकाश।
अंध – नेत्रहीन, सूरदास, अंधा।

Paryayvachi Shabd Class 9th HBSE

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

अन्न – अनाज, शस्य, धान्य।
अन्य – अपर, दूसरा, पृथक्, भिन्न।
अपमान – तिरस्कार, अनादर, अवमान, बेइज्जती।
अपवाद – कलंक, निन्दा, नियम से बाहर।
अर्थ – हेतु, धन, कारण, प्रयोजन।
अंबर – आकाश, कपड़ा।
अंबुज – कमल, नीरज, जलज, पंकज।
अलि – पंक्ति, सखी।
असंगत – अनर्गल, अनुपयुक्त, असंबद्ध।
असुर – राक्षस, दानव, निशाचर, रजनीचर।
आकाश – नभ, गगन, व्योम, द्यौ, अंबर, शून्य।
आनंद – हर्ष, मोद, प्रसन्नता, उल्लास, आह्लाद।
आभूषण – अलंकार, गहना, आभरण, मंडन।
आम – आम्र, सहकार, रसाल।
आज्ञा – आदेश, हुक्म।
आँख नेत्र, नयन, लोचन, चक्षु, दृक्, अक्षि।
इच्छा – अभिलाषा, चाह, लालसा, कामना, आकांक्षा।
इंद्र – देवराज, शक्र, सुरपति, मघवा।
इश्वर – प्रभु, परमात्मा, ईश, अनंत, भगवान्, जगदीश्वर ।
उपवन – उद्यान, आराम वाटिका, फुलवारी।
कमल – पंकज, नीरज, सरसिज, सरोज, पद्म, इंदीवर।
कृषक – किसान, खेतीहर, हलवाहा, कृषिजीवी।
कल्पवृक्ष – कल्पतरु, कल्पद्रुम, सुरतरु।
कर – हाथ, हस्त, किरण, प्राणी।
किरण – कर, रश्मि, अंशु, मयूख, मरीचि।

Paryayvachi Shabd Class 9 HBSE

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

कामदेव – अनंग, कंदर्प, मनोज, मनसिज, मदन, मन्मथ।
कारागार – जेल, बंदीगृह, कैदखाना।
किनारा – तट, कूल, तीर, कगार।
कान – श्रवण, कर्ण, क्षोत्र।
कपड़ा – वस्त्र, चीर।
कृष्ण – केशव, माधव, गोपाल, गिरिधर, वासुदेव।
कोप – क्रोध, रोष, गुस्सा, अमर्ष ।
केश – कच, कुंतल, अलक, बाल।
कृपा – दया, अनुकम्पा, अनुग्रह।
कोयल – पिक, कोकिल, श्यामा।
कोमल – मृदु, सुकुमार, नरम, मसृण, नाजुक ।
खड्ग – असि, तलवार, कृपाण, चंद्रहास, करवाल।
खर – गधा, बगुला, कौआ, तिनका, तीक्षण, खट्टा।
खल – दृष्ट, धूर्त, शठ, दुर्जन, कुटिल।
गंगा – मंदाकिनी, जाह्नवी, देवनदी, सुरसरिता, भागीरथी।
गणेश – एकदंत, गजबदन, गजानन, गणपति, गौरी पुत्र।
गदहा/गधा – खर, गदर्भ, वैशाख नन्दन, लम्ब कर्ण।
गृह – घर, आगार, आयतन, आवास, ओक, धाम, गेह।
गाय – गो, धेनु, सुरभि।
घट – घड़ा, कुम्भ, कलश, कुट, निप।
घन – बादल, हथौड़ा, भारी, घना।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

घर – मकान, आवास, कुल, बैठने का स्थान, कार्यालय।
घी – घृत, आज्य, सर्पिस्, हव्य।।
घोड़ा – सैंधव, तुरंग, अश्व, घोटक, हय।
चाँद – शशि, चंद्रमा, सुधाकर, विधु, सोम, शशांक, इंदु, रजनीश, निशिपति, हिमांशु।
चाँदनी – ज्योत्स्ना, चँद्रिका, कौमुदी।
छाता – छत्र, आतपत्र, छतरी।
जगत् – संसार, संसृति, जग, लोक, भव, दुनिया।
जल – पानी, पानीय, वारि, पय, उदक, नीर, सलिल, अंबु।
झूठ – असत्य, मिथ्या, मुधा, मृथा।
ठठोली – हास, परिहास, हँसी, मज़ाक।
तलवार – असि, खड़ग, कृपाण, करवाल, चंद्रहास।
तारा – उडु, नक्षत्र, तारक।
तालाब – सर, तड़ाग, सरोवर, ताल, जलाशय, पुष्कर, ह्रद।
तीर – शर, इषु, वाण, शिलीमुख, नाराच, विशिख।
दाँत – दंत, रद, दशन।
दास – किंकर, भृत्य, अनुचर, सेवक, परिचारक, नौकर।
दिन – दिवस, अहः, वासर, वार।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

दीन – गरीब, निर्धन, बेचारा, हीन।
दुःख – कष्ट, वेदना, क्लेश, व्यथा, विषाद, संताप।
दुर्गा – चंडी, चामुंडा, चर्ममुंडा, चण्डिका, भवानी, शाम्भवी।
देवता – देव, सुर, निर्जर, त्रिदश, विबुध, अमर।
देह – शरीर, काय, वपु, तनु, तन, घट, काया।
दूध – दुग्ध, पय, क्षीर।
धन – द्रव्य, संपत्ति, संपदा, संपत, वित्त, अर्थ, दौलत।
धनुष – चाप, शरासन, कार्मुक, कोदंड।
नौका – तरणी, तरी, जलयान, नाव, जलपात्र।
पुत्र – आत्मज, बेटा, सुत, पूत, नंदन, लड़का, तनय ।
पुत्री – तनया, तनुजा, दुहिता, लड़की, आत्मजा, सुता, बेटी, नंदिनी।
पत्ता – किसलय, पल्लव, पर्ण, पत्र।
पर्वत – नग, अचल, गिरि, धराधर, अद्रि, पहाड़, शैल, भूधर।
पक्षी – शकुन्त, अंडज, शकुनि, खग, विहग, विहंगम, पखेरू, खेचर, द्विज।
पति – स्वामी, नाथ, भर्ता, कांत, वर, वल्लभ।
पत्नी – वधू, भार्या, दारा, वल्लभा, गृहिणी, अर्धांगिनी, बहू, तिय।
पर्वत – भूधर, शैल, अचल, गिरि, महाधर, नग, पहाड़।
पंडित – सुधी, कोविद्, विद्वान्, बुध, मनीषी।
पत्थर – प्रस्तर, पाषाण, अश्म, पाहन, उपल।
पवन – हवा, वात, मारुत, अनिल, जगत्प्राण, प्रभंजन।
पार्वती – उमा, गौरी, शिव, भवानी, रुद्राणी, गिरिजा, शैलसुता, सर्वमंगला।
पृथ्वी – धरा, भू, भूमि, अचला, धरती, धरणी, वसुधा, अवनि, मेदिनी, क्षिति, धरित्री, जगती।
प्रकाश – प्रभा, ज्योति, चमक, छवि, विभा, आभा, आलोक, धुति।
पुष्प – फूल, प्रसून, कुसुम, पुहुप, सुमन।
परोक्ष – अदृश्य, अप्रत्यक्ष, अगोचर।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

वाण – तौरी, सर, विशिख, शिलीमुख, नाराच, ईषु।
सिंह – पंचमुख, वनराज, केसरी, मृगराज, मृगेन्द्र, शेर, शार्दूल।
स्त्री – नारी, वनिता, अबला, ललना, कान्ता, अंगना, रमणी, कामिनी।
स्व – देवलोक, परलोक, नाक, दिव, बैकुण्ठ।
सिर – शीश, मुण्ड, शीर्ष ।
सर्व – सब, सकल।
सुंदर – चारु, मनोहर, रमणीक, ललित, कलित, मंजुल।
भौंरा – मधुकर, अलि, भ्रमर, मधुप, मिलिंद, द्विरेफ, षट्पद।
मछली – मीन, झख, झष, मकर, मत्स्य।
मदिरा – मधु, हाला, सुरा, शराब, मद्य, वारुणी।
महादेव – शिव, हर, पशुपति, शंकर, चन्द्रशेखर, कैलाशनाथ, गिरिजापति, गिरीश, भूतेश, वामदेव।
माता – जननी, अंबा, अंबिका, प्रसविनी।
मित्र – सुहृद, दोस्त, स्नेही, हितु।
मोर – केकी, शिखी, नीलकण्ठ, मयूर।
मृत्यु – मौत, निधन, देहावसान, काल, देहान्त, मरण।
मोक्ष – निर्वाण, मुक्ति, अपवर्ग, परमपद, कैवल्य, सद्गति।
युद्ध – रण, संग्राम, लड़ाई, समर।
रात्रि – यामिनी, विभावरी, निशि, रात, रजनी, निशा।
राक्षस – दनुज, निशाचर, दैत्य, दानव, असुर ।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

राजा – नरेश, भूपाल, नरेन्द्र, महीपाल, नृप, नृपति।
लहू – रक्त, खून, शोणित, रुधिर।।
वायु – अनिल, वात, हवा, पवन, समीर, समीरण।
वृक्ष – रुख, विटप, द्रुम, पादप, तरु, पेड़।
शत्रु – अरि, रिपु, दुश्मन, आराति।
सेना – अनि, दल, चयू, कटक, फौज।
सोना – हेम, हिरण्य, कंचन, स्वर्ण ।
सूरज – भानु, भास्कर, रवि, दिवाकर, दिनेश।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Visheshan विशेषण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

विशेषण

Visheshan Class 9 HBSE प्रश्न 1.
विशेषण किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
विशेषण वह शब्द है जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है; जैसे काली गाय, मोटा लड़का, ऊँचा मकान, लाल किताब आदि। इन वाक्यों में प्रयुक्त काली, मोटा, ऊँचा एवं लाल शब्द गाय, लड़का, मकान एवं किताब की विशेषता बताते हैं।

विशेषण Class 9 HBSE प्रश्न 2.
विशेष्य किसे कहते हैं? सोदाहरण समझाइए।
उत्तर:
विशेषण जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता प्रकट करते हैं, उसे विशेष्य कहते हैं; जैसे
(क) मेरे पास एक नीला पैन है।
(ख) राम के पास लाल कुत्ता है।
(ग) बालक चंचल है। उपर्युक्त वाक्यों में पैन, कुत्ता एवं बालक विशेष्य हैं क्योंकि विशेषण इनकी विशेषता प्रकट कर रहे हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

विशेषण के भेद

Visheshan Class 9 HBSE  प्रश्न 3.
विशेषण के कितने भेद हैं? प्रत्येक का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिंदी में विशेषण के सामान्यतः चार भेद हैं-
(1) गुणवाचक विशेषण,
(2) संख्यावाचक विशेषण,
(3) परिमाणवाचक विशेषण तथा
(4) सार्वनामिक विशेषण।

1. गुणवाचक विशेषण: जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण-दोष, रूप-रंग, आकार, स्थान, काल, दशा, स्थिति, शील-स्वभाव आदि की विशेषता प्रकट करे, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं; यथा-
गुण – सरल, योग्य, उदार, ईमानदार, बुद्धिमान, परिश्रमी, वीर।
दोष – अयोग्य, कुटिल, दुष्ट, क्रोधी, पापी, कपटी, नीच।
आकार-प्रकार – गोल, चौरस, चौड़ा, खुरदरा, लंबा, मुलायम।
रंग-रूप – गीरा, काला, गेहुँआ, गुलाबी, सुंदर, आकर्षक, लाल।
अवस्था – बलवान, कमज़ोर, रोगी, दरिद्र, अमीर, गरीब, छोटा।
स्वाद – खट्टा, कड़वा, मीठा, फीका।
गंध – सुगंधित, गंधहीन, दुर्गंधपूर्ण।
स्थिति – अगला, पिछला, बाहरी, ऊपरी, निचला।
देश-काल – पंजाबी, बनारसी, प्राचीन, नवीन, भारी।

2. संख्यावाचक विशेषण:
जिन विशेषण शब्दों से संख्या का बोध हो, उन्हे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं; जैसे एक, चार, दूसरा, चौथा, सातवाँ आदि।
संख्यावाचक विशेषण के भेद-संख्यावाचक विशेषण के भेद निम्नलिखित हैं-

(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(i) गणनासूचकं: जो वस्तुओं या प्राणियों की गणना का ज्ञान कराएँ; जैसे दो पुस्तकें, चार केले, दस लड़कियाँ, चार कुर्सियाँ आदि।
(ii) क्रमसूचक: जो क्रम का ज्ञान कराएँ; जैसे पहला लड़का, दूसरा आदमी, पहली मंजिल, प्रथम पंक्ति आदि।
(i) आवृत्तिसूचक: जो गुना का बोध कराते हैं; जैसे दुगुना, चौगुना, तिगुना आदि।
(iv) समुदायसूचक: जो समूह का ज्ञान कराएँ; जैसे एक दर्जन केले, चारों लड़के, सैकड़ों लोग आदि।
(v) प्रत्येकसूचक: जो शब्दों में से प्रत्येक का बोध कराएँ; जैसे हर घड़ी, प्रतिवर्ष, प्रत्येक लड़का आदि।

नोट- निश्चित संख्यावाचक विशेषणों में ‘ओं’ लगाकर उन्हें अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण भी बनाया जा सकता है; यथा दर्जनों, सैकड़ों आदि।

(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण:
जिन विशेषणों से वस्तु, प्राणी या पदार्थ की संख्या का निश्चित बोध नहीं होता, उन्हें अनिश्चित संख्यावाची विशेषण कहते हैं; जैसे कुछ विद्यार्थी, कुछ पशु, थोड़े घर, बहुत आम आदि।

3. परिमाणवाचक विशेषण:
संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की माप-तोल की विशेषता को प्रकट करने वाले विशेषणों को परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। इसके भी दो भेद हैं
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-जो परिमाणवाचक विशेषण संज्ञा या सर्वनाम का निश्चित परिमाण बताएँ जैसे एक लीटर पानी, दो किलो चीनी, दो मीटर कपड़ा आदि।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण-जो परिमाणवाचक विशेषण संज्ञा या सर्वनाम का निश्चित परिमाण न बताएँ; जैसे कुछ पानी, कुछ चीनी, कम अनाज, बहुत-सा कपड़ा आदि।

नोट- कभी-कभी परिमाणवाचक विशेषण शब्दों में ‘ओं’ प्रत्यय लगाकर भी अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण बन जाते हैं; यथा मनों गेहूँ, सेरों दूध।

4. सार्वनामिक विशेषण: जो सर्वनाम अपने सार्वनामिक रूप में ही संज्ञा की विशेषता प्रकट करें या संज्ञा के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहा जाता है; जैसे यह घर हमारा है। यह बालक अच्छा है। उस श्रेणी में अध्यापक नहीं है। तुम किस गली में रहते हो। इन वाक्यों में प्रयुक्त शब्द यह, उस, किस आदि सर्वनाम संज्ञा के विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण हैं।

विशेषण अभ्यास प्रश्न उत्तर Class 9 HBSE

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

सार्वनामिक विशेषण के भेद-

सार्वनामिक विशेषण चार प्रकार के होते हैं-
(i) निश्चयवाचक/सकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये विशेषण संज्ञा की ओर निश्चयार्थ में संकेत करने वाले होते हैं; जैसे-
यह पुस्तक वहाँ से नहीं मिली।

(ii) अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण: जिन विशेषणों से संज्ञा की ओर निश्चित संकेत नहीं मिलता, उन्हें अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं; जैसे-
कोई सज्जन आए हैं।

(iii) प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये विशेषण संज्ञा की प्रश्नात्मक विशेषता की ओर संकेत करते हैं; यथा-
(क) कौन व्यक्ति आया है?
(ख) किस लड़के ने तुम्हें यहाँ भेजा है?
(ग) इनमें से क्या चीज तुम लोगे?
(घ) कौन-सी गेंद चाहिए तुम्हें?

(iv) संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण
(क) जो आदमी कल आया था वह बाहर खड़ा है।
(ख) वह विद्यार्थी सामने आ रहा है जिसको आपने पुरस्कार दिया था।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

विशेषण का रूप परिवर्तन

Hindi Vyakaran Visheshan HBSE 9th Class प्रश्न 4.
विशेषण के रूप परिवर्तन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विशेषण शब्दों के लिंग और वचन उनके साथ जुड़े हुए संज्ञा के लिंग और वचन के अनुसार बदलते रहते हैं। हिन्दी में यह परिवर्तन ‘आ’ अकारान्त पुंल्लिंग शब्दों (विशेषणों) में होता है; जैसे
(1) अच्छा लड़का-अच्छे लड़के। (वचन)
(2) अच्छा पुरुष-अच्छी नारी। (लिंग)
(3) लम्बा घोड़ा-लम्बे घोड़े। (वचन)

विशेषण के उद्देश्य और विधेय स्थिति

प्रश्न 5.
उद्देश्य-विशेषण और विधेय-विशेषण की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
उद्देश्य-विशेषण-जो विशेषण विशेष्य से पूर्व लगकर उसकी विशेषता व्यक्त करते हैं, उन्हें उद्देश्य-विशेषण कहते हैं; यथा-
(क) गोरा लड़का गीत गा रहा है।
(ख) काली बिल्ली दूध पी गई।
इन दोनों वाक्यों में प्रयुक्त ‘गोरा’ एवं ‘काली’ उद्देश्य-विशेषण हैं।

विधेय-विशेषण: जब विशेषण विशेष्य के पश्चात आता है तो उसे विधेय-विशेषण कहते हैं; जैसे
(क) वह गाय सफेद है।
(ख) घोड़ा लाल है।
(ग) राम की कार नीली है।
यहाँ सफेद’, ‘लाल’ एवं ‘नीली’ विधेय-विशेषण हैं।

विशेषणों का तुलना में प्रयोग

प्रश्न 6.
विशेषणों की तुलना से क्या अभिप्राय है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
विशेषण विशेष्य की विशेषता बताते हैं तथा यह विशेषता गुण, परिमाण अथवा संख्या की दृष्टि से होती है। दो या दो से अधिक प्राणियों, वस्तुओं या पदार्थों में प्रायः एक जैसे गुण नहीं होते। तुलना के द्वारा ही इस अंतर को स्पष्ट किया जा सकता है।
तुलना व्यक्तियों, वस्तुओं आदि के गुणों के मिलान को तुलना कहते हैं।

प्रश्न 7.
तुलना के आधार पर विशेषणों की कितनी अवस्थाएँ होती हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तुलना के आधार पर विशेषणों की तीन अवस्थाएँ होती हैं
(1) मूलावस्था,
(2) उत्तरावस्था तथा
(3) उत्तमावस्था।
1. मूलावस्था: इस अवस्था में किसी प्रकार की तुलना नहीं होती, विशेषतः सामान्य रूप होता है; जैसे वह बालिका चंचल है। आम मीठां है।

2. उत्तरावस्था: इसमें दो व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना द्वारा एक को दूसरे से अधिक या न्यून दिखाया जाता है; जैसे
(क) राम श्याम से अधिक मोटा है।
(ख) मेरी पुस्तक आपकी पुस्तक से अच्छी है।

3. उत्तमावस्था-इसमें दो या अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना की जाती है तथा उनमें से किसी एक को सबसे अधिक या सबसे कम श्रेष्ठ दिखाया जाता है; यथा
(क) मेरी कलम सबसे सुंदर है।।
(ख) मोहन कक्षा के सभी विद्यार्थियों से बहादुर है।

विशेषण की तुलना के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण 1

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रविशेषण

प्रश्न 8.
प्रविशेषण किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जो शब्द विशेषण की विशेषता व्यक्त करें, उन्हें प्रविशेषण कहते हैं। उदाहरणार्थ निम्नलिखित वाक्य देखिए
(क) मोहन बहुत चतुर है।
(ख) राम बहुत अधिक चालाक है।
(ग) सुरेश अत्यधिक चतुर है।
(घ) कृपाराम बहुत परिश्रमी व्यक्ति है।
(ङ) वहाँ लगभग बीस आदमी थे।
हिंदी के प्रमुख प्रविशेषण निम्नांकित हैं-
बहुत, बहुत अधिक, अधिक, अत्यधिक, अत्यंत, बड़ा, कम, खूब, थोड़ा, ठीक, पूर्ण, लगभग आदि।

विशेषण की रचना

प्रश्न 11.
विशेषणों की रचना किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
कुछ शब्द मूलतः विशेषण होते हैं; जैसे अच्छा, बुरा, मीठा आदि किंतु कुछ विशेषणों की रचना प्रत्यय या उपसर्ग आदि के योग से होती है; जैसे-
प्रत्यय से- चाय वाला, सुखद, बलशाली, ईमानदार, नश्वर आदि।
उपसर्ग से- दुर्बल, लापता, बेहोशी, निडर आदि।
उपसर्ग एवं प्रत्यय दोनों से- दोनाली, निकम्मा आदि। विशेषण कई प्रकार के शब्दों से भी बनते हैं, जैसे-
संज्ञा से-
नागपुर – नागपुरी
आदर – आदरणीय
धन – धनी

सर्वनाम से-
मैं – मुझसा
वह – वैसा
आप – आपसी
यह – ऐसा

क्रिया से-
चलना – चालू
भूलना – भुलक्कड़
भागना – भगोड़ा
हँसना – हँसोड़

अव्यय से-
नीचे – निचला
बाहर – बाहरी
ऊपर – ऊपरी

विद्यार्थियों के अभ्यासार्थ कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषण दिए जा रहे हैं-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण 2
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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण 4
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण 5
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण 6
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण 7
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विशेषण संबंधी महत्त्वपूर्ण बातें
(1) हिंदी में विशेषण का लिंग एवं वचन विशेष्य के अनुसार ही होता है; जैसे काला कुत्ता, काली गाय, काले बैल।
(2) कारक-चिह्नों का प्रयोग केवल विशेष्य के साथ होता है; जैसे बुरे आदमी के साथ मत जा। नए कमरे का द्वार खुला नहीं था।
(3) कभी-कभी विशेषण का प्रयोग संज्ञा की भाँति होता है; जैसे
(क) वीरों ने देश की सुरक्षा की।
(ख) विद्वानों का आदर करो।

यहाँ वीर एवं विद्वान विशेषण होते हुए भी संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हुए हैं।

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परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
विशेषण क्या है? विशेषण के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जो शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम की विशेषता बताएँ, उन्हें विशेषण कहते हैं; जैसे
(क) सफेद गाय (सफेद विशेषण)
(ख) मीठा आम (मीठा विशेषण)
(ग) छह विद्यार्थी (छह विशेषण)
(घ) विद्वान व्यक्ति (विद्वान विशेषण)

प्रश्न 2.
विशेषण के कौन-कौन से चार भेद हैं? प्रत्येक भेद का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(क) गुणवाचक विशेषण-नीली कमीज।
(ख) परिमाणवाचक विशेषण-दो मीटर कपड़ा।
(ग) संख्यावाचक विशेषण-चार कलमें।
(घ) सार्वनामिक विशेषण-यह मकान।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों में से निश्चित और अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषणों को अलग-अलग पहचानिए-
(क) वह कक्षा में प्रथम आया।
(ख) कुछ फल लाओ।
(ग) मेरी कमीज में दो मीटर कपड़ा लगेगा।
(घ) थोड़ी मिठाई ले आओ।
(ङ) एक लीटर दूध पचास रुपए का मिलता है।
उत्तर:
निश्चित परिमाणवाचक
(क) वह कक्षा में प्रथम आया।
(ख) मेरी कमीज में दो मीटर कपड़ा लगेगा।
(ग) एक लीटर दूध पचास रुपए का मिलता है।

अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण
(क) कुछ फल लाओ।
(ख) थोड़ी मिठाई ले आओ।

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प्रश्न 4.
सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषणों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब सर्वनाम (यह, वह, मैं, तुम आदि) संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, तब वे सर्वनाम कहलाते हैं लेकिन जब वही सर्वनाम संज्ञा शब्द के साथ अर्थात् संज्ञा से पहले प्रयुक्त होता है तो वह सार्वनामिक विशेषण बन जाता है; जैसे-
यह पुस्तक मेरी है। (यह – विशेषण)
यह मेरे साथ है। (यह – सर्वनाम)
यह आम कच्चा है और यह पक्का – इस वाक्य में पहला ‘यह’ आम संज्ञा के साथ आया है। अतः यह विशेषण है। दूसरा ‘यह’ बिना संज्ञा के अकेले संज्ञा के स्थान पर आया है। अतः सर्वनाम है।

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों में से सर्वनाम के प्रयोग और सार्वनामिक विशेषण के प्रयोग को पहचानिए-
(1) घर में कोई है।
(2) कोई सज्जन आए हुए हैं।
(3) वह घोड़ा दौड़ रहा है।
(4) वह विद्यालय गया।
(5) यह मेरा घर है।
(6) क्या यह किताब तुम्हारी है?
उत्तर:
(1) घर में कोई है। (सर्वनाम प्रयोग)
(2) कोई सज्जन आए हैं। (सार्वनामिक प्रयोग)
(3) वह घोड़ा दौड़ रहा है। (सार्वनामिक प्रयोग)
(4) वह विद्यालय गया। (सर्वनाम प्रयोग)
(5) यह मेरा घर है। (सार्वनामिक प्रयोग)
(6) क्या यह किताब तुम्हारी है? (सार्वनामिक प्रयोग)

प्रश्न 6.
विशेषण की तुलना के तीनों प्रकारों के नाम लिखिए और दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(1) मूलावस्था-
(क) मोहन अच्छा बालक है।
(ख) राजेश सुंदर बालक है।

(2) उत्तरावस्था-
(क) मोहन राम से भला लड़का है।
(ख) महेश राजकुमार से सुंदर है।

(3) उत्तमावस्था-
(क) सोहन कक्षा में सबसे बहादुर विद्यार्थी है।
(ख) मुनीश अपने परिवार में सबसे परिश्रमी बालक है।

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प्रश्न 7.
नीचे दिए गए विशेषणों को उनके सामने दी गई अवस्थाओं से मिलाकर उचित स्थान पर लिखिए-
उच्चतर, गुरुतम, कठोर, लघु, तीव्रतर, अधिकतर, कुटिलतर, उत्कृष्ट, न्यूनतम, निकटतम
मूलावस्था – …………….
उत्तरावस्था – …………….
उत्तमावस्था – …………….
उत्तर:
मूलावस्था – कठोर, लघु, उत्कृष्ट।
उत्तरावस्था – उच्चतर, तीव्रतर, अधिकतर, कुटिलतर।
उत्तमावस्था – गुरुतम, न्यूनतम, निकटतम।

प्रश्न 8.
प्रविशेषण किसे कहते हैं? कुछ उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जो शब्द विशेषणों की विशेषता बताएँ, उन्हें प्रविशेषण कहते हैं; जैसे
(i) राम बहुत सुंदर बालक है।
(ii) वह बहुत अच्छा गीत गाती है।
(iii) वह महा कंजूस व्यक्ति है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित वाक्यों से विशेषण छाँटकर उनके भेद का निर्देश कीजिए
(क) साधारण इक्के के घोड़े भारतीय दरिद्रता के अलबम हैं।
(ख) यह पैसा मेरी खून-पसीने की कमाई का फल है।
(ग) थोड़ी मिठाई और कुछ फल ले आओ, आज त्योहार का दिन है।
(घ) यह मेरी पुस्तक है, आपकी नहीं।
(ङ) पचास रुपए ले लो और बाज़ार से एक किलो दही ले आओ।
उत्तर:
(क) साधारण इक्के के – गुणवाचक विशेषण।
भारतीय – गुणवाचक विशेषण।

(ख) यह – सर्वनाम विशेषण।
खून-पसीने की – गुणवाचक विशेषण।
मेरी – प्रविशेषण (खून-पसीने का विशेषण)।

(ग) थोड़ी – अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण।
कुछ – अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण ।

(घ) यह – सार्वनामिक विशेषण।

(ङ) पचास – निश्चित संख्यात्मक विशेषण।
एक किलो – निश्चित परिमाणवाचक विशेषण।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 10.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त सार्वनामिक विशेषणों और सर्वनामों को छाँटकर लिखिए
(1) वह विद्यालय जाएगा।
(2) वह विद्यार्थी विद्यालय जाएगा।
(3) इस घर में कौन रहता है?
(4) बच्चा रो रहा है, इसे गोद में उठा लो।
(5) वे तुम्हारी पुस्तकें हैं और ये मेरी।
उत्तर:
(1) वह – सर्वनाम
(2) वह विद्यार्थी – सार्वनामिक विशेषण
(3) इस घर – सार्वनामिक विशेषण
(4) इसे – सर्वनाम
(5) वे पुस्तकें – सार्वनामिक विशेषण
(6) ये – सर्वनाम।

प्रश्न 11.
प्रविशेषण एवं विधेय-विशेषण का सोदाहरण अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रविशेषण शब्द विशेषण की विशेषता बताते हैं किंतु विधेय-विशेषण वह विशेषण है जो संज्ञा के बाद में प्रयुक्त होते हैं; जैसे
(क) मोहन अत्यंत सुंदर है इस वाक्य में अत्यंत सुंदर विशेषण की विशेषता बता रहा है। अतः यह प्रविशेषण है।
(ख) मोहन सुंदर है। वाक्य में सुंदर मोहन के बाद प्रयुक्त हुआ है। अतः यह विधेय-विशेषण है।

प्रश्न 12.
चार ऐसे वाक्य लिखिए जिनमें विशेषण संज्ञा के रूप में प्रयोग किए गए हों।
उत्तर:
(1) वीरों ने देश की रक्षा की।
(2) बहादुरों का सदा सम्मान होता है।
(3) गुणी की सर्वत्र पूजा होती है।
(4) बड़ों का आदर करो।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran विशेषण

प्रश्न 13.
निम्नलिखित वाक्यों में से संज्ञा शब्दों एवं विशेषणों को चुनिए-
(1) अकबर महान सम्राट था।
(2) विद्वान जन सदा पूजे जाते हैं।
(3) कहानी सुनते-सुनते रात बीत गई।
उत्तर:
संज्ञा – अकबर, सम्राट, जन, कहानी, रात।
विशेषण – महान, विद्वान, सुनते-सुनते।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Avikari Shabd अविकारी शब्द Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

अविकारी शब्द

जिन शब्दों जैसे क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक तथा विस्मयादिबोधक आदि के स्वरूप में किसी भी कारण से परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है।

अव्यय

अविकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 1.
अव्यय किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अव्यय वे शब्द हैं जिनमें लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि की दृष्टि से कोई परिवर्तन नहीं होता; जैसे यहाँ, कब और आदि। अव्यय शब्द पाँच प्रकार के होते हैं
(1) क्रियाविशेषण – धीरे-धीरे, बहुत।
(2) संबंधबोधक – के साथ, तक।
(3) समुच्चयबोधक – तथा, एवं, और।।
(4) विस्मयादिबोधक – अरे, हे।
(5) निपात – ही, भी।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

(1) क्रियाविशेषण

Avikari Shabd HBSE 9th Class प्रश्न 2.
क्रियाविशेषण अव्यय की परिभाषा देते हुए उसके भेदों का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जो अविकारी या अव्यय शब्द क्रिया के साथ जुड़कर उसकी विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-
(क) राम धीरे-धीरे चलता है।
(ख) मैं बहुत थक गया हूँ।

इन दोनों में धीरे-धीरे’ तथा ‘बहुत’ दोनों अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता बताने के कारण क्रियाविशेषण हैं। क्रियाविशेषण चार प्रकार के होते हैं (1) कालवाचक, (2) स्थानवाचक, (3) परिमाणवाचक तथा (4) रीतिवाचक।
1. कालवाचक क्रियाविशेषण:
जिस क्रियाविशेषण के द्वारा क्रिया के होने या करने के समय का ज्ञान हो, उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; यथा कल, आज, परसों, जब, तब, सायं आदि। जैसे
उदाहरण-
(क) कृष्ण कल जाएगा।
(ख) मैं अभी-अभी आया हूँ।
(ग) वह प्रतिदिन नृत्य करती है।
(घ) वह कभी देर से नहीं आता।

2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण:
जो क्रियाविशेषण क्रिया के होने या न होने के स्थान का बोध कराएँ, स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं; जैसे
(क) राम कहाँ गया?
(ख) ऊषा ऊपर खड़ी है।
(ग) मोहन और सोहन एक-दूसरे के समीप खड़े हैं।
(घ) उधर मत जाओ।
इसी प्रकार, यहाँ, इधर, उधर, बाहर, भीतर, आगे, पीछे, किधर, आमने, सामने, दाएँ, बाएँ, निकट आदि शब्द स्थानवाची क्रियाविशेषण हैं।

3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण :
जो क्रियाविशेषण क्रिया की मात्रा या उसके परिमाण का बोध कराए, उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे
(क) कम खाओ।
(ख) बहुत मत हँसो।
(ग) राम दूध खूब पीता है।
(घ) उतना पढ़ो जितना ज़रूरी है।
इनके अतिरिक्त, थोड़ा, सर्वथा, कुछ, लगभग, अधिक, कितना, केवल आदि शब्द परिमाणवाचक क्रियाविशेषण हैं।

4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण:
जिन शब्दों से क्रिया के होने की रीति अथवा प्रकार का ज्ञान होता है, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे
(क) वह वहाँ भली-भाँति रह रहा है।
(ख) आप कहते जाइए मैं ध्यानपूर्वक सुन रहा हूँ।
(ग) वह पैदल चलता है।
इनके अतिरिक्त, कैसे, ऐसे, वैसे, ज्यों, त्यों, सहसा, सुखपूर्वक, सच, झूठ, तेज़, अवश्य, नहीं, अतएव, वृक्ष, शीघ्र इत्यादि शब्द – रीतिवाचक क्रियाविशेषण हैं।

नोट – जो क्रियाविशेषण काल, स्थान अथवा परिमाणवाचक नहीं हैं, उन सबकी गणना रीतिवाचक में कर ली जाती है। अतः रीतिवाचक क्रियाविशेषण के भी अनेक भेद हैं

1. निश्चयात्मक – अवश्य, सचमुच, वस्तुतः आदि।
2. अनिश्चयात्मक – शायद, प्रायः, अक्सर, कदाचित आदि।
3. कारणात्मक क्योंकि, अतएव आदि।
4. स्वीकारात्मक – सच, हाँ, ठीक आदि।
5. आकस्मिकतात्मक – अचानक, सहसा, एकाएक आदि।
6. निषेधात्मक – न, नहीं, मत, बिल्कुल नहीं आदि।
7. आवृत्त्यात्मक – धड़ाधड़, फटाफट, गटागट, खुल्लमखुल्ला आदि।
8. अवधारक – ही, तो, भर, तक आदि।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

क्रियाविशेषण की रचना

आविकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 3.
क्रियाविशेषण की रचना-विधि का उल्लेख उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
रचना की दृष्टि से क्रियाविशेषण दो प्रकार के होते हैं
(1) मूल क्रियाविशेषण तथा
(2) यौगिक क्रियाविशेषण।

1. मूल क्रियाविशेषण: जो शब्द अपने मूल रूप में अर्थात प्रत्यय के योग के बिना क्रियाविशेषण हैं, उन्हें मूल क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे आज, ठीक, निकट, सच आदि।
2. यौगिक क्रियाविशेषण: जो शब्द दूसरे शब्दों में प्रत्यय लगाने से या समास के कारण क्रियाविशेषण बनते हैं, उन्हें यौगिक क्रियाविशेषण कहते हैं, जैसे एकाएक, धीरे-धीरे, गटागट आदि।

क्रिया-प्रविशेषण

विकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 4.
क्रिया-प्रविशेषण किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो शब्द क्रियाविशेषण की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रिया-प्रविशेषण कहते हैं। ये शब्द क्रियाविशेषण से पूर्व प्रयुक्त होते हैं; जैसे
(क) पी०टी० ऊषा बहुत तेज़ दौड़ती है।
(ख) आपने बहुत ही मधुर गीत गाया।
(ग) वे बहुत बीमार हैं, इसलिए आप इससे भी धीरे चलिए।
अतः स्पष्ट है कि इन वाक्यों में बहुत, बहुत ही, इससे भी आदि क्रियाविशेषण-तेज़, मधुर एवं धीरे की विशेषता प्रकट कर रहे हैं। इसलिए इन्हें क्रिया-प्रविशेषण कहा गया है।

(2) संबंधबोधक

Avikari Shabd In Hindi HBSE 9th Class प्रश्न 5.
संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जो अविकारी शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर दूसरे शब्दों से उनका संबंध बताते हैं, वे संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं; जैसे धन के बिना मनुष्य का जीवन नरक है। इस वाक्य में ‘के बिना’ संबंधबोधक है। इसी प्रकार से ओर, पास, सिवाय, की खातिर, के बाहर आदि भी संबंधबोधक हैं; यथा
(क) दोनों कक्षाएँ आमने-सामने हैं।
(ख) चलते हुए दाएं-बाएँ मत देखो।
(ग) विद्या के बिना मनुष्य पशु है।
(घ) राजमहल के ऊपर तोपें लगी हुई हैं।

अन्य संबंधबोधक अव्यय हैं-
1. के कारण, की वजह से, के द्वारा द्वारा, के मारे, के हाथ (से-)।
2. के लिए, के वास्ते, की खातिर, के हेतु, के निमित्त।
3. से लेकर/तक, पर्यंत।
4. के साथ, के संग।
5. के बिना, के बगैर, के अतिरिक्त, के अलावा।
6. की अपेक्षा, की तुलना में, के समान/सदृश, के जैसे।
7. के बदले, की जगह में पर।
8. के विपरीत, के विरुद्ध, के प्रतिकूल, के अनुसार, के अनुकूल।
9. के बाबत, के विषय में।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

(3) समुच्चयबोधक

Avikari HBSE 9th Class प्रश्न 6.
समुच्चयबोधक की सोदाहरण परिभाषा दीजिए तथा उसके भेदों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय या अविकारी कहते हैं; जैसे मोहन पढ़ता है और सोहन लिखता है। इस वाक्य में ‘और’ शब्द समुच्चबोधक अव्यय है। इसे योजक अव्यय भी कहते हैं।

समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद हैं-
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक,
(2) व्यधिकरण समुच्चयबोधक।
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय:
जो अव्यय दो समान स्तर के वाक्यों, वाक्यांशों या दो स्वतंत्र शब्दों को मिलाते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं; जैसे मोहन पढ़ता है और सोहन लिखता है। इस वाक्य में ‘और’ समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय है। इसके भी आगे चार भेद हैं
(i) संयोजक; यथा-और, तथा, एवं आदि।
(ii) विभाजक; यथा-या, वा, चाहे, नहीं, तो आदि।
(iii) विरोधदर्शक; यथा-लेकिन, परंतु, किंतु आदि।
(iv) परिणामदर्शक; यथा-अतएव, अतः, सो, इस कारण आदि।

2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय:
जो अव्यय शब्द एक या एक से अधिक वाक्यों को प्रधान वाक्यों से जोड़ते हैं, वे व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं; यथा-
राम बुद्धिमान तो है परंतु अनुभवी नहीं है।
उपर्युक्त वाक्य में ‘परंतु’ व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय है। इसके भी आगे चार प्रकार हैं
(i) कारणवाचक; जैसे वह दुखी है क्योंकि वह गरीब है। क्योंकि, जो कि, इसलिए, कि, चूँकि इत्यादि कारणवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
(ii) स्वरूपवाचक; जैसे राम ने कहा कि वह घर नहीं जाएगा। मानो, अर्थात, कि, माने, जो कि आदि स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
(iii) उद्देश्यवाचक; जैसे वह परिश्रम करता है ताकि अच्छे अंक प्राप्त कर सकें। कि, जो, ताकि, जिससे, जिसमें आदि उद्देश्यवाचक समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
(iv) संकेतवाचक; जैसे अगर तुम आओगे तो मैं अवश्य चलूँगा। जो….… तो, यदि……तो, अगर……. तो, यद्यपि……. तथापि, चाहे…..परंतु आदि संकेतवाचक समुच्चयबोधक अव्यय हैं।

(4) विस्मयादिबोधक

प्रश्न 7.
विस्मयादिबोधक अविकारी किसे कहते हैं? सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जो अविकारी शब्द हमारे मन के हर्ष, शोक, घृणा, प्रशंसा, विस्मय आदि भावों को व्यक्त करते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक अविकारी शब्द कहते हैं; जैसे अरे, ओह, हाय, ओफ, हे आदि। इसके अन्य भेद अग्रलिखित हैं-
1. विस्मय – ओह! ओहो! हैं! क्या! ऐं!
2. शोक – आह!, उफ!, हाय!, अह!, त्राहि!, हे राम!
3. हर्ष – वाह!, अहा!, धन्य!, शाबाश!
4. प्रशंसा – शाबाश!, खूब!, बहुत खूब!
5. भय – बाप रे!, हाय!
6. क्रोध – धत!, चुप!, अबे!
7. घृणा और तिरस्कार – छिः, धत!
8. अनुमोदन – ठीक-ठीक, हाँ-हाँ!
9. आशीर्वाद – जय हो!, जियो!
नोट – कभी-कभी संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि शब्द भी विस्मयादिबोधक अव्यय के रूप में प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
संज्ञा- हे राम! मैं तो उजड़ गई।
हाय राम! यह क्या हो गया।

विशेषण- अच्छा! तो यह बात है।

सर्वनाम- क्या! वह फेल हो गया।
कौन! तुम्हारा भाई आया है।

क्रिया- हट! पागल कहीं का।
जा-जा! तेरे जैसे बहुत देखे हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

(5) निपात

प्रश्न 8.
‘निपात’ किसे कहते हैं? हिंदी के प्रमुख निपातों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जो अविकारी शब्द किसी शब्द या पद के बाद जुड़कर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल भर देते हैं, उन्हें निपात कहते हैं। हिंदी में प्रचलित ‘निपात’ निम्नलिखित हैं
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द 1

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
अव्यय शब्द की क्या विशेषता है? पाँच अव्यय शब्द लिखिए।
उत्तर:
अव्यय शब्द की विशेषता यह है कि लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि की दृष्टि से उसके रूप में परिवर्तन नहीं होता। पाँच अव्यय, शब्द-
(1) बहुत
(2) धीरे
(3) कल
(4) तेज़
(5) और।

प्रश्न 2.
अव्यय के पाँच भेदों का नाम लिखिए और उनके दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अव्यय के पाँच भेद उदाहरण सहित अग्रलिखित हैं

1. क्रियाविशेषण-धीरे-धीरे चलो। – श्याम कल आएगा।
2. संबंधबोधक-वह घर के बाहर है। – झंडा भवन के ऊपर लगा है।
3. समुच्चयबोधक-राम और श्याम आ रहे हैं। – उसने पाठ पढ़ा या नहीं।
4. विस्मयादिबोधक-शाबाश! कमाल कर दिया। – हाय! वह मर गया।
5. निपात-मोहन ही जा रहा है। – राम भी जा रहा है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

प्रश्न 3.
कालवाचक, स्थानवाचक, रीतिवाचक और परिमाणवाचक क्रियाविशेषणों का प्रयोग करते हुए दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर:
कालवाचक क्रियाविशेषण-
(क) वह कल नहीं आया।
(ख) वह अभी चला गया।

स्थानवाचक क्रियाविशेषण-
(क) मोहन नीचे आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।
(ख) दोनों सेनाएँ आमने-सामने खड़ी हैं।

रीतिवाचक क्रियाविशेषण-
(क) मेरी बात को ध्यानपूर्वक सुनो।
(ख) धीरे-धीरे मत चलो।

परिमाणवाचक-क्रियाविशेषण-
(क) थोड़ा बोलो।
(ख) कम खाओ।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के रिक्त स्थान में उचित अव्यय शब्दों का प्रयोग कीजिए और यह भी बताइए कि ये अव्यय किस भेद में आते हैं
(1) मैं …………. आगरा जाऊँगा।
(2) हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति …………… गर्व है।
(3) मुझे रेडियो ………… घड़ी चाहिए।
(4) यदि तुम परीक्षा में सफल होना चाहते हो …………. श्रम करो।
(5) बाहर जाने …………. पहले मुझसे मिलना।
(6) ……….. आप मिल गए।
(7) वह जल्दी चला गया …………… ट्रेन पकड़ सके।
(8) ………… तो यह तुम्हारी शरारत है।
(9) तुम बकवास बंद करो …………… मुझे कुछ करना पड़ेगा।
(10) ………… तुमने यह क्या कर डाला?
उत्तर:
(1) मैं कल आगरा जाऊँगा। – (कालवाचक)
(2) हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व है। – (समानाधिकरण समुच्चयबोधक)
(3) मुझे रेडियो और घड़ी चाहिए। – (समानाधिकरण समुच्चयबोधक)
(4) यदि तुम परीक्षा में सफल होना चाहते हो तो श्रम करो। – (व्यधिकरण समुच्चयबोधक)
(5) बाहर जाने से पहले मुझसे मिलना। – (संबंधबोधक)
(6) बहुत अच्छा! आप मिल गए। – (हर्षबोधक)
(7) वह जल्दी चला गया ताकि ट्रेन पकड़ सके। – (व्यधिकरण समुच्चयबोधक)
(8) वाह! तो यह तुम्हारी शरारत है। – (प्रशंसाबोधक)
(9) तुम बकवास बंद करो अन्यथा मुझे कुछ करना पड़ेगा। – (समानाधिकरण समुच्चयबोधक)
(10) हाय! तुमने यह क्या कर डाला। – (शोकबोधक)

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

प्रश्न 5.
नीचे दिए वाक्यों से कौन-सा भाव प्रकट होता है? वाक्यों के सामने लिखिए।
(1) शाबाश! तुमने बहुत अच्छा काम किया।
(2) बाप रे! मैं तो बर्बाद हो गया।
(3) छिः छिः! तुम तो बड़े नीच आदमी हो।
(4) हाय! अब मैं क्या करूँ?
(5) अजी! ले भी लो।
(6) अबे हट! नहीं तो मारूँगा।
(7) बचो! सामने से ट्रक आ रहा है।
(8) वाह! फिल्म देखकर मज़ा आ गया।
उत्तर:
(1) प्रशंसा
(2) शोक
(3) घृणा
(4) शोक/पीड़ा
(5) संबोधन/आग्रह
(6) क्रोध
(7) चेतावनी तथा
(8) हर्ष।

प्रश्न 6.
निपात किसे कहते हैं? ही, भी, तो, तक, मात्र, भर का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
उत्तर:
जो अव्यय शब्द वाक्य के शब्दों व पदों के बाद लगकर उनके अर्थ में एक विशेष प्रकार का बल उत्पन्न कर देते हैं, उन्हें ‘निपात’ कहते हैं।
निपातों का वाक्यों में प्रयोग-
ही – मोहन ही जा रहा है।
तक – उसने तो देखा तक नहीं।
भी – राम भी लिख रहा है।
मात्र – कहने मात्र से काम नहीं चलेगा।
तो – वह तो कब का चला गया।
भर – वह दिनभर आपकी प्रतीक्षा करती रही।

प्रश्न 7.
चार ऐसे शब्द लिखिए जो विशेषण और क्रियाविशेषण दोनों रूपों में प्रयुक्त हो सकते हैं। इनमें वाक्य-प्रयोग द्वारा विशेषण और क्रियाविशेषण का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. अच्छा :
मोहन एक अच्छा विद्यार्थी है। (विशेषण)
मोहन अच्छा लिखता है। (क्रियाविशेषण)

2. मधुर :
तुम्हारी मधुर बातें बहुत प्रिय हैं। (विशेषण)
वह बहुत मधुर गाता है। (क्रियाविशेषण)

3. गंदा :
मोहन गंदा लड़का है। (विशेषण)
मोहन गंदा रहता है। (क्रियाविशेषण)

4. तेज़ :
उसकी चाल बहुत तेज़ है। (विशेषण)
वह तेज़ लिखता है। (क्रियाविशेषण)

उपर्युक्त वाक्यों से यह स्पष्ट है कि विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को प्रकट करते हैं लेकिन क्रियाविशेषण क्रिया की विशेषता बताते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त समुच्चयबोधक अव्ययों को छाँटिए और बताइए कि वे समानाधिकरण हैं या व्यधिकरण?
(क) बाग में बालक और बालिकाएँ खेल रही हैं।
(ख) राम गरीब है किंतु ईमानदार है।
(ग) मैंने उससे कुछ लिया नहीं बल्कि कुछ दिया है।
(घ) मैं परीक्षा में नहीं बैठी क्योंकि बीमार थी।
(ङ) जीवन में तुम सुख चाहते हो तो परिश्रम करो।
उत्तर:
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द 2

प्रश्न 9.
क्रियाविशेषण और संबंधबोधक में क्या अंतर है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुछ कालवाचक एवं स्थानवाचक क्रियाविशेषणों का भी संबंधबोधक के रूप में प्रयोग होता है। यदि उनका प्रयोग क्रिया के साथ शुरु हुआ हो तो उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं तथा यदि वे संज्ञा या सर्वनाम के साथ विभक्ति रूप में प्रयुक्त हों तो उन्हें संबंधबोधक स्वीकार करना चाहिए; यथा-
(क) तुम पहले उठो। (क्रियाविशेषण)
परीक्षा से पहले खूब पढ़ो। (संबंधबोधक)

(ख) पुजारी जी यहाँ आए थे। (क्रियाविशेषण)
मोहन तुम्हारे यहाँ गया था। (संबंधबोधक)

(ग) उसके सामने बैठो।। (क्रियाविशेषण)
उसका घर तुम्हारे स्कूल के सामने है। (संबंधबोधक)

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Kriya क्रिया Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया

क्रिया Class 9 HBSE प्रश्न 1.
‘क्रिया’ से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘क्रिया’ शब्द की उत्पत्ति ‘कृ’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है-कुछ करना या कुछ किया जाना। व्याकरण की दृष्टि से ‘क्रिया’ वह शब्द है जिससे किसी काम के करने या होने का ज्ञान होता है; जैसे हँसना, खेलना, लिखना, दौड़ना, सोना आदि।

किसी भी कार्य के दो रूप होते हैं कार्य या तो होता है या फिर किया जाता है; यथा ‘वृक्ष गिर गया।’ इस वाक्य में कार्य स्वयं हुआ है, किन्तु जब हम ऐसा कहते हैं कि ‘वृक्ष गिरा दिया गया है तो इसका अर्थ यह हुआ कि वृक्ष को गिराने का कार्य किसी के.द्वारा किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि, “कार्य के होने या किए जाने को क्रिया कहते हैं।”

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

धातु

Hindi Vyakaran Kriya HBSE 9th Class प्रश्न 2.
‘धातु’ की परिभाषा एवं उसके भेदों के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं, जैसे लिखना, पढ़ना, खेलना आदि क्रियाओं में लिख, पढ़, खेल आदि क्रिया के मूल रूप होने के कारण धातु हैं। धातु के पाँच भेद होते हैं
(1) सामान्य धातु-पढ़, लिख, सो, गा आदि।
(2) व्युत्पन्न धातु-मूल धातु में प्रत्यय लगाकर बनाई गई; जैसे करवाना, सुनवाना आदि।
(3) नाम धातु-बतियाना, हथियाना आदि।
(4) सम्मिश्रण धातु-दर्शन करना, प्यार करना आदि।
(5) अनुकरणात्मक धातु-खटखटाना, हिनहिनाना, झनझनाना आदि।

क्रिया के भेद

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया प्रश्न 3.
क्रिया के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हिन्दी में क्रिया के मुख्य दो भेद होते हैं-
(1) अकर्मक क्रिया-अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता। अतः क्रिया का व्यापार और फल कर्ता में ही पाए जाते हैं; जैसे(क) मोहन पढ़ता है। (ख) सोहन सोया है। उपर्युक्त दोनों वाक्यों में पढ़ता है’ और ‘सोया है’ अकर्मक क्रियाएँ हैं।
(2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रियाएँ कहते हैं; यथा-
(क) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ख) सीता पत्र लिखती है।
इन दोनों वाक्यों में पढ़ने का प्रभाव पुस्तक पर और लिखने का प्रभाव पत्र पर पड़ता है, अतः ये दोनों सकर्मक क्रियाएँ हैं।

प्रश्न 4.
अकर्मक एवं सकर्मक क्रिया की पहचान क्या है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
क्रिया एवं कर्ता वाक्य के अनिवार्य अंग हैं। इसलिए क्रिया शब्द से पूर्व क्या या किसको शब्द लगाकर प्रश्न पूछे। यदि इसका उत्तर मिल जाए तो वह उत्तर कर्म होगा और क्रिया सकर्मक होगी। यदि उत्तर न मिले तो क्रिया अकर्मक होगी; जैसे-
(1) सोहन पुस्तक पढ़ता है। इस प्रश्न से पहले क्या प्रश्न लगाएँ तो लिखा जाएगा, क्या पढ़ता है ?
उत्तर होगा-‘पुस्तक’। अतः ‘पढ़ता है’ सकर्मक क्रिया है।

इसी प्रकार ‘सोहन पढ़ रहा है। तो प्रश्न होगा क्या पढ़ रहा है। इसका कुछ उत्तर नहीं मिला तो क्रिया अकर्मक होगी।

प्रश्न 5.
सकर्मक क्रिया के कितने उपभेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
सकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है-
(1) एककर्मक क्रिया
(2) द्विकर्मक क्रिया, तथा
(3) अपूर्ण सकर्मक क्रिया।

1. एककर्मक क्रिया: जिस क्रिया में एक ही कर्म हो, उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-राम पुस्तक पढ़ता है। यहाँ ‘पुस्तक’ एक ही कर्म है।

2. द्विकर्मक क्रिया:
जिस क्रिया में दो कर्म हों, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं; यथा-राम श्याम को पत्र भेजता है। इस वाक्य में श्याम और पत्र दोनों कर्म हैं। अतः ‘भेजता है’ द्विकर्मक क्रिया है। द्विकर्मक क्रिया में जिस कर्म के साथ ‘को’ परसर्ग लगा होता है वह गौण कर्म होता है, लेकिन जिसके साथ ‘को’ परसर्ग नहीं होता वह मुख्य कर्म होता है। उपर्युक्त वाक्य में ‘श्याम’ गौण कर्म है और ‘पत्र’ मुख्य कर्म है।

3. अपूर्ण सकर्मक:
क्रिया ये वे क्रियाएँ हैं जिनमें कर्म रहते हुए भी कर्म को किसी पूरक शब्द की आवश्यकता होती है, वरना अर्थ अपूर्ण रहता है; जैसे-
(क) सोहन मोहन को समझता है।
सोहन मोहन को मूर्ख समझता है।

(ख) वह तुम्हें मानता है।
वह तुम्हें मित्र मानता है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों में ‘मूर्ख’ एवं ‘मित्र’ पूरक शब्द हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया के कुछ अन्य भेद

1. संयुक्त क्रिया

प्रश्न 1.
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
संयुक्त क्रिया-दो या दो से अधिक धातुओं के योग से मिलकर बनी क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं। इन धातुओं में मूल धातु को प्रधान क्रिया कहते हैं तथा दूसरी धातुओं को सहायक धातु या क्रिया कहते हैं। यह मूल क्रिया के अर्थ का विस्तार करती है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार से हैं-
(i) मोहन तुरंत बोल उठा। (‘बोल’ मूल धातु, उठा सहायक क्रिया)
(ii) बादल गर्जने लगा है। (‘गर्ज’ मूल धातु, लगना सहायक क्रिया)
(iii) मैं उसे समझा दूंगा। (‘समझा’ मूल धातु, देना सहायक क्रिया)
(iv) पानी बरस चुका था। (‘बरस’ मूल धातु, चुकना सहायक क्रिया)
(v) अब तो मैं हस्ताक्षर कर बैठा हूँ। (‘कर’ मूल धातु, बैठना सहायक क्रिया)
(vi) कृष्ण को जाने दो। (‘जा’ मूल धातु, देना सहायक क्रिया)
(vii) वे सैर करने जाया करते हैं। (‘जा’ मूल धातु, करना सहायक क्रिया)
(viii) क्या वे गाना चाहते हैं? । (‘गा’ मूल धातु, चाहना सहायक क्रिया)

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

2. अपूर्ण क्रिया

प्रश्न 1.
अपूर्ण क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब क्रिया को सार्थक या पूर्ण बनाने के लिए उससे पहले कोई संज्ञा या सर्वनाम या विशेषण शब्द लगाया जाता है, तो उस क्रिया को अपूर्ण क्रिया कहते हैं; जैसे
(1) विद्यार्थी योग्य है।
(2) उसने राकेश को नेता चुना।
(3) यह बालिका तो बहुत चालाक है।
(4) क्षमा करना, मैंने आपको पराया समझा।
इन वाक्यों में रेखांकित शब्द-योग्य, नेता, चालाक, पराया आदि न हों तो ये क्रियाएँ अपूर्ण ही रह जाती हैं। इन्हें पूरा करने के लिए इन शब्दों का प्रयोग किया गया है। इन क्रियाओं को पूरा करने वाले शब्दों को पूरक कहते हैं।

3. नामधातु क्रिया

प्रश्न 1.
किन क्रियाओं को नामधातु क्रियाएँ कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों से मूल धातुओं को जोड़कर जो क्रियाएँ बनती हैं, उन्हें नामधातु क्रियाएँ कहते हैं। नामधातु क्रियाओं के अग्रलिखित उदाहरण देखिए
(क) संज्ञा शब्दों से-

संज्ञाधातुक्रिया
शर्मशर्माशर्माना
बातबतियाबतियाना
लातलतियालतियाना
झूठझुठलाझुठलाना

(ख) सर्वनाम से-

सर्वनामधातुक्रिया
अपनाअपनाअपनाना
मैंमिमियामिमियाना

(ग) विशेषण से-

विशेषणधातुक्रिया
मोटागर्मागर्माना
गर्ममोटामोटापा

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

4. पूर्वकालिक क्रिया

प्रश्न 1.
पूर्वकालिक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब मूल क्रिया से पहले ऐसी क्रिया आ जाए जिससे काम के पहले हो चुकने का बोध हो, तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया के मूल धातु के साथ ‘कर’ या ‘करके’ शब्द आते हैं आदि; जैसे-
(1) वह तो लिखकर आया है।
(2) मैं उससे भोजन करके बात करूँगा।
(3) वह देख-देखकर लिखती है।
(4) मोहन ने स्कूल पहुँचकर अध्यापक को प्रणाम किया।
(5) कृष्ण दौड़कर स्टेशन पहुंचा।

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5. प्रेरणार्थक क्रिया

प्रश्न 1.
प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस क्रिया से किसी अन्य से काम करवाने का बोध हो, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं; जैसेलिखना से लिखवाना-मोहन ने राम से पत्र लिखवाया। भेजना से भिजवाना-मैंने विद्यार्थी द्वारा संदेश भिजवाया था। खोलना से खुलवाना-मालिक ने नौकर से दुकान खुलवाई। धोना से धुलवाना-शीला धोबी से कपड़े धुलवाती है।

6. समापिका अथवा प्रधान क्रिया

प्रश्न 1.
समापिका अथवा प्रधान क्रिया की सोदाहरण परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जो क्रिया वाक्य के अन्त में लगे उसे समापिका या प्रधान क्रिया कहते हैं; जैसे-
(1) नीता खाना खा रही है।
(2) चिड़िया आकाश में उड़ती है।
(3) घोड़ा सड़क पर दौड़ता है।
(4) मैंने उसे जाते हुए देखा था।

वृत्ति या क्रियार्थ (Mood)

प्रश्न 1.
वृत्ति या क्रियार्थ से क्या अभिप्राय है? उदाहरण देते हुए समझाइए। उसके भेदों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि क्रिया किस प्रयोजन के लिए की गई है, उसे वृत्ति या क्रियार्थ (Mood) कहते हैं। हिन्दी भाषा में मुख्य रूप से पाँच वृत्तियाँ हैं
1. निश्चयार्थ वृत्ति:
सूचना-प्रधान क्रिया को निश्चयार्थ वृत्ति कहते हैं; जैसे–
(क) खिलाड़ी नहीं खेल रहे हैं।
(ख) तुम अभी बाजार जाओ।

2. विध्यर्थ वृत्ति:
इच्छा-प्रधान क्रिया को विध्यर्थ वृत्ति कहते हैं; जैसे-
(क) कृपया मेरी मदद कीजिए।
(ख) भगवान आपका भला करे।
(ग) तेरा सर्वनाश हो।

3. सम्भावनार्थ:
क्रिया के जिस रूप से सम्भावना या अनुमान का बोध हो, उसे सम्भावनार्थ क्रिया कहते हैं; जैसे
(क) शायद आज वर्षा हो। (अनुमान)
(ख) सम्भव है आज प्राचार्य जी आएँ। (सम्भावना)

4. सन्देहार्थ:
जिस क्रिया से कार्य होने का लगभग पूरा निश्चय होता है, किन्तु थोड़ा-सा सन्देह भी रहता है, उसे सन्देहार्थ क्रिया कहते हैं; जैसे
(क) कृष्ण उपवन में आ गया होगा।
(ख) परीक्षा समाप्त हो गई होगी।

5. संकेतार्थ:
जिस वाक्य क्रिया में दो क्रियाएँ होती हैं और दोनों में कार्य-करण का सम्बन्ध हो, उन्हें संकेतार्थ क्रियाएं कहते हैं; जैसे
(क) पानी बरसता तो फसल अवश्य होती।
(ख) मेहनत करता तो सफल अवश्य हो जाता।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया के विकारी तत्त्व

प्रश्न 1.
क्रिया के प्रमुख विकारी तत्त्व कौन-कौन से हैं? अथवा क्रिया-परिवर्तन से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
क्रिया में भी विकार उत्पन्न होता है। इसलिए इसकी गिनती हिन्दी के विकारी शब्दों में की जाती है। क्रिया के विकार के प्रमुख कारण या तत्त्व लिंग, वचन, पुरुष, काल और वाच्य हैं। इन सबके कारण ही क्रिया के रूप में परिवर्तन होता है। क्रिया परिवर्तन के कुछ उदाहरण देखिए
1. वचन के आधार पर
(क) मैं पढ़ता हूँ। – हम पढ़ते हैं।
(ख) मैंने पुस्तक पढ़ी। – हमने पुस्तक पढ़ी।
(ग) वह पुस्तक पढ़ता है। – वे पुस्तक पढ़ते हैं।

2. लिंग के आधार पर-
(क) मैं पुस्तक पढ़ता हूँ। – मैं पुस्तक पढ़ती हूँ।
(ख) लड़का पुस्तक पढ़ता है। – लड़की पुस्तक पढ़ती है।
(ग) छात्र गीत गाता है। – छात्रा गीत गाती है।

3. वाच्य के अनुसार
(क) मैंने पुस्तक पढ़ी। – मेरे द्वारा पुस्तक पढ़ी गई।
(ख) रमेश ने पत्र लिखा। – रमेश द्वारा पत्र लिखा गया।
(ग) उसने गीत गाया। – उसके द्वारा गीता गाया गया।

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अभ्यासार्थ लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रिया की परिभाषा दीजिए। अकर्मक और सकर्मक क्रियाओं के दो-दो उदाहरण देते हुए इनका अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी काम के करने या होने का ज्ञान हो, उन्हें क्रिया कहते हैं; जैसे-
(क) राम पुस्तक पढ़ता है।
(ख) विद्यार्थी खेल रहे हैं।
इन वाक्यों में ‘पढ़ता’ और ‘खेल’ दोनों क्रिया पद हैं।

अकर्मक क्रिया:
जिन क्रियाओं में कर्म नहीं होता वे अकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं; जैसे-
(क) सुधीर रो रहा है।
(ख) सीता हँसती है।
इन दोनों वाक्यों से क्रियाओं का फल कर्म पर नहीं, बल्कि कर्ता पर पड़ रहा है।

सकर्मक क्रिया:
इन क्रियाओं में क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है; जैसे
(क) अनुराग ने पत्र लिखा।
(ख) शोभा ने खाना खाया।

प्रश्न 2.
स्थित्यर्थक/अवस्थाबोधक अकर्मक धातुओं का दो-दो वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. मोहन इस समय रो रहा है। (रोने की अवस्था)
2. रीटा इस समय सो रही है। (सोने की अवस्था)

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 3.
निम्नलिखित धातुओं से क्रिया शब्द निर्मित कीजिएपढ़, लिख, शर्म, गर्म, दोहरा, टक्कर, अपना, लाज।
उत्तर:
पढ़ – पढ़ना
दोहरा – दोहराना
लिख – लिखना
टक्कर – टकराना
शर्म – शर्माना
अपना – अपनापन
गर्म – गर्माना
लाज – लजाना

प्रश्न 4.
क्रिया अर्थ कितने प्रकार का होता है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
क्रिया अर्थ या वृत्ति पाँच प्रकार का होता है
1. विध्यर्थ – राजेश! घर जल्दी जाओ।
2. निश्चयार्थ – शोभा पत्र पढ़ रही है।
3. सम्भावनार्थ – आज शायद वर्षा हो।
4. सदेहार्थ – इस समय तक कृष्ण कुमार आ चुका होगा।
5. संकेतार्थ – यदि वर्षा हो जाती तो फसल उग जाती।

प्रश्न 5.
संरचना की दृष्टि से निम्नलिखित क्रियाओं को वर्गीकृत कीजिएलजाना, मुटाना, हँसाना, चलवाना, लड़ाना, जागना, लिटाना, सुनना, कटाना, रखवाना।
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से क्रिया चार प्रकार की होती हैं-
1. प्रेरणार्थक क्रिया-हँसाना, चलवाना, लड़ाना, लिटाना, कटाना, रखवाना।
2. संयुक्त क्रिया-कोई नहीं है।
3. नाम धातु क्रिया-लजाना, मुटाना।
4. कृदन्त क्रिया-सुनना, जागना।।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 6.
धातु एवं नामधातु में क्या अन्तर है? एक-एक उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं; जैसे पढ़, लिख, हँस, गा आदि। परन्तु जो क्रिया संज्ञा, सर्वनाम में प्रत्यय लगाकर बनाई जाती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं; जैसे हाथ से हथियाना (संज्ञा से), अपना से अपनाना (सर्वनाम से), गर्म से गर्माना (विशेषण से)।

प्रश्न 7.
समापिका और असमापिका क्रिया में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समापिका उस क्रिया को कहते हैं जो वाक्य के अन्त में आती है; जैसे मोहन पुस्तक पढ़ता है। ‘पढ़ता है’ वाक्य के अन्त में प्रयुक्त हुई है, इसलिए यह समापिका क्रिया है जबकि असमापिका क्रिया वाक्य की समाप्ति पर नहीं, अपितु अन्यत्र प्रयुक्त होती है; जैसे मोहन ने खाना खाकर हाथ धोए।

प्रश्न 8.
संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेदों के नाम और उनके दो-दो उदाहरण भी लिखो।
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से क्रिया तीन प्रकार की होती है

1. प्रेरणार्थक क्रिया:
(1) मोहन ने मुझसे पत्र लिखवाया।
(2) अध्यापक ने मुझसे पाठ पढ़वाया।

2. संयुक्त क्रिया:
(1) राम रूठकर चला गया।
(2) मोहन पत्र पढ़ सकता है।

3. नामधातु क्रियाएँ:
(1) कृपाल बतिया रहा था।
(2) हमने इस नाटक को नहीं फिल्माया।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 9.
रंजक क्रिया किसे कहते हैं? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो क्रिया मुख्य क्रियाओं में जुड़कर अपना अर्थ खोकर मुख्य क्रिया में नवीनता और विशेषता उत्पन्न कर देती है। संयुक्त क्रिया में पहली क्रिया को मुख्य तथा बाद में जुड़ने वाली क्रिया को रंजक क्रिया कहते हैं; जैसे
(1) किसान ने साँप को मार डाला।
(2) मोहन गीत गा सका।
(3) वह उठकर खड़ा हो गया आदि।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Upasarg Va Prathyay उपसर्ग व प्रत्यय Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

उपसर्ग

उपसर्ग व प्रत्यय HBSE 9th Class प्रश्न 1.
उपसर्ग किसे कहते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
जो शब्दांश शब्दों के आरंभ में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं; जैसे ‘कर्म’ शब्द जिसका अर्थ है, काम करना। ‘कु’ उपसर्ग जोड़ने से ‘कुकर्म’ शब्द बन जाता है जिसका अर्थ है बुरा काम। उपसर्ग के प्रयोग से अर्थ विपरीत भी हो जाता है; जैसे ‘देखा’ शब्द ‘अन्’ उपसर्ग लगाने से ‘अनदेखा’ बन जाता है जिसका अर्थ है ‘न देखा।’

हिंदी भाषा में संस्कृत और उर्दू भाषा के शब्दों का भी प्रयोग होता है। इसलिए हिंदी में संस्कृत एवं उर्दू भाषा के उपसर्गों का भी प्रयोग होता है। इसलिए इनका अध्ययन भी हमारे लिए उपयोगी होगा।

Upsarg Pratyay Class 9 HBSE

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

(क) संस्कृत के उपसर्ग-संस्कृत के बाइस उपसर्ग हैं। इनसे बने हिंदी में बहु-प्रचलित शब्दों के उदाहरण यहाँ दिए जा रहे हैं-

उपसर्गअर्थउपसर्ग
अतिअधिक, उस पार, ऊपरअनुक्रम, अनुशीलन, अनुचार, अनुगामी, अनुसार, अनुकरण, अनुवाद, अनुरूप, अनुचित आदि।
अधिसमीपता, प्रधानता, ऊँचाई, श्रेष्ठअपवाद, अपव्यय, अपकर्ष, अपहरण, अपशब्द, अपयश, अपमान आदि।
अनुक्रम, पश्चात्, समानताअभियान, अभिभावक, अभिशाप, अभिप्राय, अभियोग, अभिनव, अभ्युदय (अभि + उदय), अभिमान, अभिलाषा आदि।
अपअभाव, अधूरा, हीनता, बुराआरक्त, आकाश, आजन्म, आरंभ, आकर्षण, आक्रमण, आदान, आचरण, आजीवन, आरोहण, आमुख, आमरण आदि।
अभिसमीपता, अधिकता और इच्छा प्रकट करनाउत्साह, उत्कर्ष, उत्तम, उत्पन्न, उत्पल, उत्पत्ति, उद्देश्य, उन्नति, उत्कंठा।
सीमा, समेत, कमी, विपरीतउदार, उद्रम, उद्धत, उद्यम, उद्घाटन, उद्गम आदि।
उत्उच्चता, उत्कर्ष, श्रेष्ठता आदिअवगत, अवनत, अवलोकन, अवतार, अवशेष, अवगुण, अवज्ञा, अवरोहण आदि।
उद्ऊपर, उत्कर्ष, श्रेष्ठउपदेश, उपकार, उपमंत्री, उपनिवेश, उपनाम, उपवन, उपस्थित, उपभेद आदि।
अवहीनता, अनादर, अवस्था, पतनदुरवस्था, दुर्दशा, दुर्लभ, दुर्जन, दुराचार (दु + आचार), दुष्कर्म, दुस्साध्य, दुस्साहस, आदि।
उप्सहाय, सुदृढ़, गौण, हीनताउपसर्ग
दुः, दुर्दुर्दुस् बुरा, कठिन, दृष्ट-हीनअनुक्रम, अनुशीलन, अनुचार, अनुगामी, अनुसार, अनुकरण, अनुवाद, अनुरूप, अनुचित आदि।
निभीतर, नीचे, बाहरनिकृष्ट, निपात, नियुक्त, निवास, निमग्न, निवारण, निषेध, निर्मल, निर्विकार आदि।
निस्बाहर, निषेधनिस्तेज, निःशंक, निस्सन्देह, निष्कलंक आदि।
परअनादर, नाश, विपरीत, पीछे, उलटापराजय, परिवर्तन, पराधीन, पराभव आदि।
परिअतिशय, चारों ओरपरिपूर्ण, परिच्छेद, परिवर्तन, परिक्रम आदि।
प्रयज्ञ, गति, उत्कर्ष, अतिशय, आगेप्रताप, प्रयत्न, प्रबल, प्रसिद्ध, प्रसन्न, प्रमाण, प्रयोग, प्रचार, प्रस्थान, प्रगति आदि।
प्रतिविरोध, हर एक, सामनेप्रतिपल, प्रत्येक, प्रतिदिन, प्रतिशोध, प्रतिकूल आदि।
विहीनता, भिन्नता, विशेषताविशेष, विज्ञ, वियोग, विमुख, विदेश, विभाग, विज्ञान आदि।
सम्पूर्णता, संयोग, अच्छासंकल्प, संग्रह, संयोग, संग्रह, सम्पत्ति, संहार आदि।
सुसुन्दर, सहन, अच्छा, सरलसुयश, सुकर्म, सुगम, सुकन्या, सुपुत्र आदि।

संस्कृत के कुछ अव्यय जो उपसर्ग की भाँति प्रयुक्त होते हैं; जैसे-

अव्ययअर्थउदाहरण
अधःनीचेअधःपतन, अधोगति, अधोलिखित।
अलम्बहुत, बसअलंकार, अलंकृत, अलंकरण।
अंतःभीतरअंतर्मन, अंतःकाल, अंतरात्मा, अंतर्धान।
चिर्बहुत देरचिरायु, चिरकाल, चिरपरिचित, चिरस्थायी।
तिरःनिषेधतिरोभाव, तिरोहित, तिरस्कार।
पुरापुराना, पहलेपुरातन, पुरातत्व।
पुनःफिरपुनरामगमन, पुनर्जन्म, पुनर्मिलन।
प्राक्पहलेप्रागैतिहासिक, प्राक्कथन।
बहिःबाहरबहिर्मुख, बहिर्गमन, बहिष्कार, बहिरंग।
सहसाथसहानुभूति, सहपाठी, सहकारी, सहयोग, सहोदर।

Hindi Vyakaran Pratyay HBSE

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

(ख) हिंदी के उपसर्ग: हिंदी के सामान्य उपसर्ग निम्नलिखित हैं-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग 1

Upsarg Aur Pratyay HBSE 9th Class

(ग) उर्दू (अरबी-फारसी) के उपसर्ग-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग 2

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

Upsarg Aur Pratyay Class 9th HBSE

(घ) अंग्रेज़ी के उपसर्ग-

उपसर्गअर्थउदाहरण
सबअधीन, नीचेसबजज, सब कमेटी।
डिप्टीसहायकडिप्टी मिनिस्टर, डिप्टी रजिस्ट्रार
चीफमुख्यचीफमिनिस्टर, चीफ ऑफ स्टाफ।
वाइसउपवाइस चांसलर, वाइस प्रिंसिपल।
जनरलमुख्यजनरल मैनेजर,जनरल सैक्रेटरी।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

प्रत्यय

Upsarg Pratyay Class 9th HBSE प्रश्न 1.
प्रत्यय किसे कहते हैं ? प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं ? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
अर्थवान शब्द के अंत में जोड़े जाने वाले वर्ण अथवा वर्ण-समूह को प्रत्यय कहते हैं अर्थात् प्रत्यय वह ध्वनि, अक्षर या शब्दांश है, जिसे धातु अथवा शब्द के अंत में लगाकर कोई रूप या शब्द बनाते हैं; जैसे मूर्ख + ता = मूर्खता; धीर + ता = धीरता; यहाँ ‘ता’ प्रत्यय है। घबरा + आहट = घबराहट; यहाँ आहट प्रत्यय है।
हिंदी भाषा में प्रयुक्त लगभग सभी प्रत्यय अपने हिंदी के ही हैं। प्रत्यय दो प्रकार के हैं-
(1) कृत प्रत्यय
(2) तद्धित प्रत्यय।

1. कृत प्रत्यय अथवा कृदंत प्रत्यय:
धातु (क्रिया के मूल रूप) के अंत में लगकर जो शब्दांश अनेक प्रकार के शब्द (क्रिया-रूप) बनाते हैं, उन्हें कृत अथवा कृदंत प्रत्यय कहा जाता है।
कृत प्रत्यय चार प्रकार के होते हैं-
(क) कर्तृवाचक कृत प्रत्यय,
(ख) कर्मवाचक कृत प्रत्यय,
(ग) भाववाचक कृत प्रत्यय तथा
(घ) क्रियावाचक (क्रियार्थक) कृत प्रत्यय।

Hindi Upsarg Class 9 HBSE

1. कृत प्रत्यय

(क) कर्तृवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय धातु कर्ता अर्थात् क्रिया के करने वाले की ओर संकेत करते हैं उन्हें कर्तवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। कुछ उदाहरण देखिए-
प्रत्यय – उदाहरण
दार – देनदार, लेनदार, धारदार।
हार – होनहार, पालनहार, उतारनहार, खेवनहार।
वाला – बचानेवाला, खानेवाला, रखवाला।
आलू – झगड़ालू, कृपालू, लज्जालू।
ऐया – बजैया, खवैया, बचैया।
आऊ – बिकाऊ, टिकाऊ, टकराऊ, कमाऊ।
अक्कड़ – भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़।
अक – धावक, चालक, पालक, धारक, मारक।
आक – तैराक, चालाक।

(ख) कर्मवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय कर्मवाचक शब्दों की रचना में सहायक होते हैं, उन्हें कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
ना – पालना, ओढ़ना, नाना, पढ़ना, तैरना, बुलाना।
नी – ओढ़नी, बिछौनी, सुंघनी, कहानी।
औना – बिछौना, खिलौना।
न – झाड़न, बेलन, कतरन।

(ग) भाववाचक कृत प्रत्यय वे कृत प्रत्यय जो भाववाचक संज्ञाओं की रचना करते हैं, भाववाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
आई – लिखाई, सिखलाई, सिलाई, कढ़ाई, पढ़ाई, लड़ाई आदि।
आहट – घबराहट, चिल्लाहट, जगमगाहट, गर्माहट आदि।
आव – चढ़ाव, उतराव, बनाव, बचाव आदि।
आवा – बुलावा, चढ़ावा, पहनावा आदि।
आन – थकान, उड़ान, उठान आदि।
आस – विश्वास, प्यास, हास आदि।

(घ) क्रियावाचक कृत प्रत्यय-जो प्रत्यय क्रिया शब्द बनाते हैं, उन्हें क्रियावाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
ता, ते, ती – आता, जाता, जाते, आते, खाती।
आ, ए, या – उठा, चला, गया, आया, गए आदि।
ई – गायी, खाई, पी, गई आदि।

Class 9th Upsarg Pratyay HBSE

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

2. तद्धित प्रत्यय

प्रश्न 2.
तद्धित प्रत्यय की परिभाषा देते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जो क्रिया के अतिरिक्त शेष सभी प्रकार के शब्दों-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण आदि के अंत में लगकर अनेक प्रकार के शब्द बनाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
तद्धित प्रत्यय सात प्रकार के होते हैं-
(1) भाववाचक तद्धित प्रत्यय
(2) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
(3) स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय
(4) बहुवचनवाचक तद्धित प्रत्यय
(5) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
(6) लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय
(7) क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय।

(1) भाववाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों से भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण होता है, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
ता – मनुष्यता, मूर्खता, सरलता, लघुता, प्रभुता आदि।
त्व – गुरुत्व, महत्व, पुरुषत्व, अपनत्व आदि।
पन – बचपन, लड़कपन, पतलापन, पीलापन, बड़प्पन आदि।
आहट – चिकनाहट, चिल्लाहट, गर्माहट आदि।

(2) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के सहयोग से कर्ता की ओर संकेत करने वाले शब्द का निर्माण हो, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
दार – ईमानदार, कर्जदार, समझदार आदि।
आर – सुनार, लुहार, चमार आदि।
आरी – भिखारी, पुजारी, जुआरी, पंसारी आदि।
वाहा – चरवाहा, हलवाहा आदि।
ई – संयमी, ज्ञानी, तेली, कामी आदि।
कार – नाटककार, स्वर्णकार, साहित्यकार, पत्रकार, कहानीकार आदि।
अक – अध्यापक, शिक्षक, पाठक, लेखक।

(3) स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्त्रीलिंग शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
आ – छात्रा, शिष्या, दुहिता, अध्यापिका, बाला आदि।
ई – देवी, नारी, चाची, नानी, बेटी।
आनी – देवरानी, नौकरानी, जेठानी, इन्द्राणी आदि।
नी – पत्नी, शेरनी, मोरनी, सिंहनी, राजपूतनी आदि।
षी – विदुषी, महिषी।
मती – श्रीमती, बुद्धिमती, धीमती आदि।
इन – धोबिन, लुहारिन, सुहागिन आदि ।

(4). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के योग से गुणवाचक विशेषण शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ई – धनी, मानी, ज्ञानी, सुखी, दुःखी, पंजाबी, हिमाचली, गुलाबी।
ईन – गमगीन, शौकीन, रंगीन, नमकीन।
मंद – अक्लमंद, फायदेमंद।
दार – दुकानदार, हवलदार, ज़मींदार, सरदार।
इया – अमृतसरिया, लाहौरिया, जालंधरिया।
ईला – रंगीला, सजीला, रसीला, ज़हरीला।
ऊ – पेटू, बाज़ारू, बाबू, गंवारू।
आना – ज़माना, मर्दाना, सालाना, फुसलाना, बहलाना।
ऐरा – सपेरा, बहुतेरा, ममेरा, चचेरा, फुफेरा, लुटेरा।
अवी – हरियाणवी, देहलवी, लखनवी।
आलु – दयालु, कृपालु।
इक – राजनीतिक, शारीरिक, साहित्यिक, वैदिक।
इय – राष्ट्रीय, स्थानीय, देशीय, पर्वतीय।
वान् – धनवान्, गुणवान्, विद्वान्।
मान् – बुद्धिमान्, शक्तिमान्।
आ – भूखा, प्यासा।
हला – रूपहला, सुनहला।
इमा – नीलिमा, हरितिमा।

(5) बहुवचनवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से एकवचन शब्द बहुवचन में बदल जाता है, उसे बहुवचन तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ए – लड़के, रुपए, कमरे, उठे, घोड़े, मोटे आदि।
एँ – कन्याएँ, बहुएँ, सड़कें, भाषाएँ आदि।

(6) लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्द में लघुता का बोध होने लगे, उन्हें लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ई – पहाड़ी, बछड़ी, टुकड़ी आदि।
ड़ी – संदुकड़ी, टुकड़ी, गठड़ी, पंखुड़ी आदि।

(7) क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों में क्रम का ज्ञान हो, उन्हें क्रम बोध तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

गुना – चारगुना, छहगुना, दुगुना आदि।
वाँ – बीसवाँ, पाँचवाँ, आठवाँ आदि।
सरा – दूसरा, तीसरा आदि।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कोई पाँच ऐसे शब्द लिखो जिनमें दो-दो उपसर्गों का प्रयोग किया गया हो।
उत्तर:
(1) सु + प्रति = सुप्रतिष्ठित।
(2) सु + सम् = सुसंगठित।
(3) अन् + अव = अनवधान।
(4) अ + सु = असुरक्षित।
(5) अ + स = असफल।

प्रश्न 2.
दस ऐसे शब्द लिखिए जिनका निर्माण उपसर्ग और प्रत्यय दोनों की सहायता से किया गया हो।
उत्तर:
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय 3

प्रश्न 3.
भाववाचक कृत प्रत्यय और भाववाचक तद्धित प्रत्यय में क्या अंतर है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
जो कृत प्रत्यय क्रियाओं के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं, उन्हें भाववाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे लिख से लिखाई, पढ़ से पढ़ाई जबकि भाववाचक तद्धित प्रत्यय संज्ञा विशेषण आदि शब्दों के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण करते हैं; जैसे मनुष्य से मनुष्यता, बच्चा से बचपन, पीला से पीलापन आदि।

प्रश्न 4.
तद्धित प्रत्यय और कृत प्रत्यय का अंतर स्पष्ट करते हुए दोनों के चार-चार उदाहरण लिखो।
उत्तर:
कृत प्रत्यय क्रियाओं के साथ जुड़कर शब्दों का निर्माण करते हैं, जबकि तद्धित प्रत्यय क्रियाओं के अतिरिक्त अन्य सभी शब्दों या शब्दांशों के साथ जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं। अग्रलिखित उदाहरणों से दोनों का अंतर और भी स्पष्ट हो जाएगा-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय 4

प्रश्न 5.
कर्मवाचक और कर्तवाचक प्रत्यय में क्या अंतर है ? उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो प्रत्यय धातुओं के अंत में जुड़कर कर्म के अर्थ को प्रकट करे; कर्मवाच्य प्रत्यय कहलाता है। जैसे ओना से बिछौना। किन्तु कर्तृवाचक प्रत्यय धातु के पहले जुड़कर क्रिया के कर्ता का अर्थ प्रकट करता है; जैसे अक से पाठक, ता से वक्ता आदि।

प्रश्न 6.
‘कृदंत’ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
धातुओं के आगे कृत प्रत्यय लगने से जो शब्द बनते हैं, उन्हें कृदंत शब्द कहते हैं; जैसे भूत धातु में ‘अक्कड़’ प्रत्यय लगाकर भुलक्कड़ शब्द बनता है। ‘तैर’ से तैरना बनता है। ये शब्द कृदंत कहलाते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग व प्रत्यय

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय बताओपाठक, कलाकार, धनवान्, घरवाला, कामगार, रसोइया, ममेरा, धार्मिक, खटास, लघुता।
उत्तर:
पाठक = पाठ + अक
धनवान् = धन + वान
कलाकार = कला + कार
घरवाला = घर + वाला
कामगार = काम + गा
रसोइया = रसोइ + या
ममेरा = मम + एरा
धार्मिक = धर्म + इक
खटास = खटा + आस
लघुता = लघु + ता

प्रश्न 8.
कोई पाँच ऐसे शब्द लिखो जो उर्दू उपसर्गों के योग से बने हों।
उत्तर:
कम + जोर = कमजोर
दर + असल = दरअसल
बद + तमीज = बद्तमीज
ला + जवाब = लाजवाब
हम + शक्ल = हमशक्ल

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