Class 7

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

Class 7 Sanskrit Chapter 14 Question Answer अनारिकायाः जिज्ञासा प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत –
मन्त्री – कर्मकरा: – निर्माणम्
जिज्ञासा – भ्रात्रा – पित्रे .
भ्रातृणाम् – उद्घाटनार्थम् – पितृभ्याम्
नेतरि – अपृच्छत् – चिन्तयन्ती
उत्तरम्:
स्वयं उच्चारण कीजिए।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

Class 7 Sanskrit Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा HBSE प्रश्न 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत –
(क) कस्याः महती जिज्ञासा वर्तते ?
(ख) मन्त्री किमर्थम् आगच्छति ?
(ग) सेतोः निर्माण के अकुर्वन् ?
(घ) सेतोः निर्माणाय कर्मकराः प्रस्तराणि कुतः आनयन्ति ?
(ङ) के सर्वकाराय धनं प्रयच्छन्ति ?
उत्तरम्:
(क) अनारिकायाः
(ख) सेतोः उद्घाटनार्थम्
(ग) कर्मकराः
(घ) पर्वतेभ्यः
(छ) प्रजाः ।

अनारिकायाः जिज्ञासा Class 7 Sanskrit Chapter 14 HBSE प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(क) अनारिकायाः प्रश्नः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति।
(ख) मन्त्री सेतो: उद्घाटनार्थम् आगच्छति।
(ग) कर्मकराः सेतोः निर्माणम् कुर्वन्ति।
(घ) पर्वतेभ्यः प्रस्तराणि आनीय सेतोः निर्माणं भवति।
(ङ) जनाः सर्वकाराय देशस्य विकासार्थं धनं ददति।
उत्तरम्:
(क) कस्याः प्रश्नः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति?
(ख) मन्त्री किमर्थम् आगच्छति ?
(ग) के सेतो: निर्माणम् कुर्वन्ति ?
(घ) केभ्यः प्रस्तराणि आनीय सेतो: निर्माण भवति?
(ङ) जनाः कस्मै देशस्य विकासार्थं धनं ददति ?

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

प्रश्न 4.
उदाहरणानुसारं रूपाणि लिखत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा -1
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा -2

प्रश्न 5.
कोष्ठ के भ्यः समुचितपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) अहं प्रातः ………. सह भ्रमणाय गच्छामि। (पित्रा/पितुः)
(ख) बाला आपणात् ………… फलानि आनयति। (भ्रातुः भ्रात्रे)
(ग) कर्मकराः सेतोः निर्माणस्य ………… भवन्ति। (कर्तारम्/कर्तारः)
(घ) मम …… तु एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि अददात्। (पिता/पितरः)
(ङ) तव …….. कुत्र जीविकोपार्जनं कुरुतः ? (भ्रातरः/भ्रातरौ)
उत्तरम्:
(क) अहं प्रातः पित्रा सह भ्रमणाय गच्छामि।
(ख) बाला आपणात् भ्रात्रे फलानि आनयति ।
(ग) कर्मकरा: सेतोः निर्माणस्य कर्तारः भवन्ति।
(घ) मम पिता तु एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि अददात् ।
(ङ) तव भ्रातरौ कुत्र जीविकोपार्जनं कुरुतः ?

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प्रश्न 6.
चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषात: पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा -3
मञ्जूषा
धारयन्ति, बाला:, बसयानम्, छत्रम्, ते, आरोहन्ति, वर्षायाम्।
…………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………
उत्तरम्:
बाला: बसयानम् आरोहन्ति। ते वर्षायाम् छत्रम् धारयन्ति।
बाला: छत्रम् धारयन्ति। ते बसयानम् छत्रम् आरोहन्ति।

प्रश्न 7.
अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत
प्रश्नाः = ……………..
नवीनः = …………….
प्रातः = ……………….
आगच्छति = …………..
ङ्केप्रसन्ना = ………….
उत्तरम्-(वाक्यनिर्माणम्)
प्रश्नाः = मम मनसि बहवः प्रश्नाः सन्ति।
नवीनः = एषः नवीनः सेतुः अस्ति।
प्रातः = प्रात: उत्थाय अहं भ्रमणाय उद्यानं गच्छामि।
आगच्छति= मम मित्रम् आगच्छति।
प्रसन्नः = अहं प्रसन्नः अस्मि।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

मूलपाठः

1. बालिकायाः अनारिकायाः मनसि सर्वदा महती जिज्ञासा भवति। अतः सा बहून् प्रश्नान् पृच्छति। तस्याः प्रश्न सर्वेषां बुद्धिः चक्रवात् भ्रमति।
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा -4
प्रातः उत्थाय सा अन्वभवत् यत् तस्याः मनः प्रसन्नं नास्ति। मनोविनोदाय सा भ्रमित गृहात् बहिः अगच्छत् चिरं च अभ्रमत्। भ्रमणकाले सा अपश्यत् यत् मार्गाः सुसज्जिताः सन्ति। किं कारणम् अत्र इति चिन्तयन्ती सा अस्मरत् यत् अद्य तु मन्त्री आगमिष्यति।

सः किमर्थम् आगमिष्याति इति विषये तस्याः जिज्ञासाः प्रारब्धाः। ताः जिज्ञासाः शमयितुम् सा गृहं प्रत्यागच्छत् पितरं च अपृच्छत्-“पितः। मन्त्री किमर्थम् आगच्छति ?” पिता अवदत्-“पुत्रि! नद्याः उपरि यः नवीनः सेतुः निर्मितः तस्य उद्घाटनार्थ मन्त्री आगच्छति।” अनारिका पुनः अपृच्छत्-“पितः।

किं मन्त्री सेतोः निर्माणम् अकरोत् ?” पिता अकथयत्-“न हि पुत्रि, सेतोः निर्माण कर्मकाराः अकुर्वन्।” पुनः अनारिकायाः प्रश्नः आसीत्-“यदि कर्मकरा: सेतोः निर्माणम् अकुर्वन, तदा मन्त्री किमर्थम आगच्छति ?” पिता अवदत्-“यतोहि सः अस्माकं देशस्य मन्त्री।” “पितः, सेतोः निर्माणाय प्रस्तराणि कुतः आयान्ति ? कि तानि मन्त्री ददाति ?”

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा -5
हिन्दी-अनुवाद :
बालिका अनारिका के मन में हर समय अत्यधिक जानने की इच्छा होती थी। अतएव वह बहुत से प्रश्न पूछती थी। उसके प्रश्नों से बुद्धि चक्र की तरह घूमती थी।

सुबह उठकर उसने अनुभव किया कि उसका मन प्रसन्न नहीं है। मन को प्रसन्न करने के लिए वह घूमने के लिए घर से बाहर गई और काफी देर तक घूमी। घूमते समय उसने देखा कि रास्ते सजे हुए हैं। क्या कारण है यहाँ ऐसा सोचते हुए उसे याद आया कि आज तो मन्त्री जी आएँगे। वह किसलिए आयेंगे. इस विषय पर उसकी जानने की इच्छा शुरू हो गई। उन जिज्ञासाओं को शान्त करने के लिए वह घर लौट आई और पिता से पूछने लगी-“पिताजी! मन्त्री जी किसलिए आ रहे हैं ?” पिता ने कहा-“बेटी! नदी के ऊपर जो पुल बना है उसका उद्घाटन करने के लिए मन्त्री महोदय आ रहे हैं।”

अनारिका ने फिर पूछा-“पिताजी! क्या मन्त्री जी ने पुल बनाया था ?” पिता ने कहा-“नहीं बेटी! पुल का निर्माण तो श्रमिकों ने किया था।” फिर अनारिका का प्रश्न था-“यदि मजदूरों ने पुल बनाया था तो मन्त्री जी किसलिए आ रहे हैं।” पिता ने कहा-“क्योंकि वह हमारे देश के मन्त्री हैं।” “पिताजी पुल बनाने के लिए पत्थर कहाँ से आते हैं ? क्या उन्हें मन्त्री जी देते हैं ?”

सन्धिच्छेदाः
अन्वतभत् = अनु + अभवत्। नास्ति = न + अस्ति। प्रत्यागच्छत् = प्रति + आगच्छत्। उद्घाटनार्थम् = उद्घाटन + अर्थम्। यतोहि = यतः + हि। मनोविनोदाय – मन + विनोदाय।

संयोगः – किमर्थम् = किम् + अर्थम्।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

2. विरक्तभावेन पिता उदतरत्-“अनारिके! प्रस्तारणि जनाः पर्वतेभ्यः आनयन्ति।” “पितः! तर्हि किम् ? एतदर्थ मन्त्री धनं ददाति ? तस्य पार्वे धनानि कुतः आगच्छन्ति ?” एतान् प्रश्नान् श्रुत्वा पिताऽवदत्-“अरे! प्रजाः सर्वकाराय धनं प्रयच्छति।” विस्मिता अनारिका पुनरपृच्छत्-“पितः! यदि कर्मकाराः पर्वतेभ्यः प्रस्तराणि आनीय सेतुं निर्मान्ति, प्रजाः सर्वकाराय धनं ददति, तर्हि मन्त्री सेतोः उद्घाटनार्थ किमर्थम् आगच्छति ?”

बहून् प्रश्नान् उत्तरन् पिता अवदत्-“प्रथममेव अहम् अकथयम् यत् सः एव देशस्य मन्त्री अस्ति। बहुप्रश्नान् करोषि। चल, सुसज्जिता भूत्वा विद्यालयं गच्छ।” इदानीम् अपि -अनारिकायाः मनसि बहवः प्रश्नाः सन्ति।

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा -6

हिन्दी-अनुवाद :
विरक्तभाव से पिता ने उत्तर दिया-“हे अनारिका! पत्थरों को मनुष्य पहाड़ों से लाते हैं।” “पिताजी! तो क्या? इसलिए मन्त्रीजी धन देते हैं ? उनके पास धन (पैसे) कहाँ से आते हैं ?” इन प्रश्नों को सुनकर पिता ने कहा-“अरे! प्रजा सरकार को धन देती है।” हैरान होकर अनारिका ने फिर पूछा”पिताजी! यदि मजदूर पहाड़ों से पत्थर लाकर पुल बनाते हैं, प्रजा सरकार को धन देती है, तो मन्त्री जी पुल के उद्घाटन के लिए क्यों आ रहे हैं ?”

बहुत से प्रश्नों के उत्तर देते हुए पिता ने कहा-“मैंने पहले ही कहा था कि वे देश के मन्त्री हैं। बहुत प्रश्न करती हो। चलो. तैयार होकर विद्यालय जाओ।” अब भी अनारिका के मन में बहुत से प्रश्न हैं।

सन्धिच्छेदाः – उदतरत् उत् + अतरत्। एतदर्शम् = एतत् + अर्थम्। पिताऽवदत् = पिता + अवदत्। पुनरपृच्छत् – पुनः + अपृच्छत्। निर्मान्ति – निः + मान्ति।

संयोगाः – किमर्थम् = किम् + अर्थम्। प्रथममेव – प्रथमम् + एव।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

HBSE 7th Class Hindi दादी माँ Textbook Questions and Answers

कहानी से

दादी माँ प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों की याद आ जाती है?
उत्तर :
लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की अन्य निम्नलिखित बातों की याद आ जाती है:

  • अपने उन शुभचिंतक मित्रों की जो उसे प्रसन्न करने के लिए छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे उसका मजाक उड़ाते हैं।
  • क्वार के महीने की जब रास्ते का कीचड़ विचित्र गंध के साथ सूख जाता है।
  • बचपन में ज्वर का चढ़ना और उसमें दादी माँ की सेवा।
  • किशन भैया की शादी का मौका और उस समय औरतों का चार-पाँच दिन तक गीत और अभिनय का कार्यक्रम।
  • रामी चाची की घटना।

दादी माँ पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी ?
उत्तर :
दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति इसलिए खराब हो गई थी क्योंकि उनके श्राद्ध पर पिताजी ने काफी धन खर्च कर दिया था। धोखेबाज और दिखावी मित्रों ने स्थिति को और भी खराब कर दिया था।

पाठ 2 दादी मां के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3.
दादी के स्वाभाव कौन-सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों ?
उत्तर :
दादी के स्वाभाव का वह पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है जिसमें वे दूसरों के प्रति अपनी चिंता रखती है। वे बीमार के पास बैठकर उसकी पूरी देखभाल करती थी, उसकी दवा का प्रबंध अपने ढंग से करती थी। मुँह से भले ही कडवी लगती थीं, पर दूसरों की आर्थिक मदद भी करती थीं। रामी चाची का कर्ज माफ कर नकद रुपए भी दिए ताकि उसकी बेटी का विवाह निर्विघ्न हो जाए। पिताजी को भी अपना स्वर्ण-कंगन देकर आर्थिक चिंता से उबारा था।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

कहानी से आगे

Dadi Maa Class 7 HBSE प्रश्न 1.
आपने इस कहानी में महीनों के नाम पढ़े, जैसे-क्वार, आषाढ़, माघ। इन महीनों में मौसम कैसा रहता है?
उत्तर :

  1. क्वार : गरमी का अंत हो रहा होता है। हल्की-हल्की ठंड शुरू हो जाती है। दशहरा इस मास का प्रमुख त्योहार है।
  2. आषाढ़ : यह भास वर्षा का है। इस महीने खूब वर्षा होती है। वर्षा न होने पर गरमी रहती है।
  3. माघ : यह महीना सर्दी का है। माघ के पहले पंद्रह दिन भयंकर सर्दी पड़ती है। फिद सर्दी का जोर घटता चला जाता है।

दादी माँ पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
‘अपने-अपने मौसम की अपनी-अपनी बातें होती हैं’-लेखक के इस कथन के अनुसार यह बताइए कि किस मौसम में कौन-कौन सी चीजें विशेष रूप से मिलती हैं?
उत्तर :
गरमी के मौसम में तेज गरमी पड़ती है। इस मौसम में तरबूज-खरबूज खूब होते हैं। इनके खाने से गरमी का प्रभाव शरीर पर कम पड़ता है। वर्षा के मौसम बारिश होती है। दिन धूप से तपता है। ज्यादा गरमी वर्षा ले आती है। खाने को आम मिलते हैं।

सर्दी : इस मौसम के आते ही गर्मी-वर्षा से छुटकारा मिल जाता है। यह मौसम स्वास्थ्यवर्धक होता है। खाने को सेब, अमरूद, केले. अंगूर आदि फल मिलते हैं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

HBSE 7th Class Hindi दादी माँ Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

Class 7 Vasant Chapter 2 HBSE प्रश्न 1.
लेखक की क्या कमजोरी है?
उत्तर :
लेखक की यह कमजोरी है कि वह थोड़ी सी भी मुश्किल पड़ने पर घबरा उठता है।

Dadi Maa Prashn Uttar HBSE प्रश्न 2.
लेखक को हल्की-सी बीमारी क्यों अच्छी लगती है?
उत्तर :
लेखक को हल्का ज्वर या सिर पर हल्का सिरदर्द इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि इसमें खाने के लिए दिन भर नींबू और साबू मिलता है।

दादी माँ Class 7 HBSE प्रश्न 3.
दादी माँ को किनके पचासों नाम याद थे?
उत्तर :
दादी माँ को मुंबई-गाँव की पचासों किस्म की दवाओं के नाम याद थे।

पाठ 2 दादी मां के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 4.
तब बुखार किसके डर से भाग जाता था?
उत्तर :
तब कुनैन मिक्सचर की शीशी की तिताई के डर से बुखार भाग जाता था।

7th Class Hindi Dadi Maa Question Answer प्रश्न 5.
दादी माँ का उत्साह और आनंद कब देखते बनता था?
उत्तर :
किशन भैया की शादी के अवसर पर दादी माँ का उत्साह और आनंद देखते बनता था।

Dadi Maa 7th Class HBSE प्रश्न 6.
दादी माँ किशन के विवाह पर औरतों की किस बात पर बिगड़ी
उत्तर :
जय रात के समय औरतें अभिनय कर रहीं थी तब औरतों ने लेखक व राघव के वहाँ होने पर ऐतराज किया था। इस पर दादी उन पर बिगड पडी।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

प्रश्न 7.
देबू की माँ ने चादर खींचकर क्या कहा?
उत्तर :
देबू की माँ ने कहा-“कहो दादी, यह कौन बच्चा सोया है? बेचारा रोता है शायद, दूध तो पिला दूं।”

प्रश्न 8.
धन किसमें खर्च हो गया था? वह कहाँ का था?
उत्तर :
दादा के श्राद्ध में पिताजी ने काफी धन खर्च कर दिया था। वह घर का नहीं, कर्ज का था।

प्रश्न 9.
दादी नेसंदूकखोलकर क्या वस्तु निकाल कर दी?
उत्तर :
दादी ने संदूक खोलकर सोने का कंगन निकाल कर दिया।

प्रश्न 10.
लेखक को किस सूचना पर सहज विश्वास नहीं हुआ?
उत्तर :
लेखक को दादी माँ की मृत्यु की सूचना पर सहज विश्वास नहीं हुआ।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्वार के महीने में गाँव के वातावरण में क्या परिवर्तन आ जाता है?
उत्तर :
क्वार के आते ही रास्तों का कीचड़ सूख जाता है। मोथा और साई की अधगली घासें, बनप्याज की जड़ें तथा अन्य प्रकार की घासों के बीच सूरज की गर्मी में सड़कर विचित्र गंध देने लगते हैं। गाँव के लड़के झाग भरे जलाशयों में कूदते रहते हैं।

प्रश्न 2.
दादी माँ को बीमारियों का ज्ञान कैसा था तथा वे दवा करने के क्या उपाय करती थीं?
उत्तर :
दादी माँ हाथ, माथा, पेट छूकर भूत, मलेरिया सरसाम, निमोनिया तक का अनुमान लगा लेती थीं। वे लौंग, गुड़-मिश्रित जलधार, गुग्गल और धूप से इलाज करती थीं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

प्रश्न 3.
दादी माँ के दो रूप इस कहानी में विखाई देते हैं? वे कौन-कौन से हैं?
उत्तर :
दादी माँ का एक रूप तो वह है जब वे रामी की चाची से मय सूद के अपनी रकम वसूलने की धमकी देती हैं। दूसरा रूप वह है जब वे रामी की चाची की बिटिया की शादी के लिए सारा कर्ज माफ कर देती हैं तथा उसे दस रुपये भी दे देती हैं।

प्रश्न 4.
पिताजी और किशन भैया मन मारे क्यों बैठे थे?
उत्तर :
पिताजी और किशन भैया मन मारे कुछ सोच रहे थे। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जिन पर रुपये थे, वे लौटाते नहीं थे। लोगों पर काफी बकाया था। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था।

दादी माँ गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. कमजोरी ही है ……….. उठती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
2 लेखक की कमजोरी क्या है?
3. मित्र किस प्रकार का दोमुंहा व्यवहार करते हैं?
4. लेखक के सामने क्या नाच उठती है?
उत्तर:
1. यह गद्यांश ‘दादी माँ’ पाठ से लिया गया है।
2. लेखक की कमजोरी यह है कि जरा-सी मुश्किल के आने पर उसका मन प्राय: अनमना हो जाता है। अर्थात वह घबरा जाता है।
3. लेखक के मित्र उसे प्रसन्न करने के लिए मुंह पर तो आने वाली छुट्टियों की सूचना देते हैं और पीठ पीछे उसे कमजोर और घबराने वाला कहकर उसका मजाक उड़ाते हैं। इस प्रकार वे दोमुँहा व्यवहार करते हैं।
4. लेखक की आँखों के सामने शरद ऋतु की शीतल किरणों के समान स्वच्छ, शीतल किसी की धुंधली छाया नाच उठती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कौन-सा नाम ऋतु का नाम नहीं है?
(क) गरमी
(ख) बरसात
(ग) विकलता
(घ) मेघ
उत्तर :
(घ) मेघ

2. शुभचिंतक कौन होते हैं?
(क) शोभाकारक
(ख) भला सोचने वाले
(ग) चिंतन करने वाले
(घ) अशुभ
उत्तर :
(ख) भला सोचने वाले

3. ‘प्रतिकूलता’ का विलोम शब्द है
(क) अनुकूलता
(ख) विकलता
(ग) व्याकुलता
(घ) विकूलता
उत्तर :
(क) अनुकूलता

4. ‘धुंधली छाया’ में रेखांकित शब्द है
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

2. दिन में …………… अनुमान करती।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कौन, क्यों चादर लपेटे सोया था?
2. दादी माँ किस रूप में आई थीं?
3. दादी ने आते ही क्या किया?
4. वे चारपाई के पास बैठकर क्या करती?
उत्तर:
1. लेखक को बुखार चढ़ा था। दिन में कम था अतः वह चादर लपेटे हुए सोया हुआ था।
2. दादी माँ झागवाले जल में नहाकर आई थी। उसने अपने दुबले-पतले शरीर पर बिना किनारी की धोती पहन रखी थी। उसके सफेद बालों के सिरों से पानी की बूंदें टपक रहीं थीं।
3. दादी ने आते ही लेखक का सिर और पेट छुआ। आँचल की गाँठ खोलकर किसी शक्तिधारी चबूतरे की कुछ मिट्टी मुँह में डाली और कुछ माथे पर लगाई।
4. दादी माँ दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं। कभी पंखा से हवा करती, कभी हाथ-पैर को कपड़े से सहलाती, कभी सिर पर दालचीनी का लेप करती और कभी हाथ से छूकर बुखार का अंदाजा लगातीं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. दादी माँ कैसे जल में नहा कर आईं थी?
(क) ठंडे
(ख) गरम
(ग) झागवाले
(घ) सफेद
उत्तर :
(ग) झागवाले

2. दादी माँ की धोती कैसी थी?
(क) सफेद
(ख) बिना किनारी की
(ग) दोनों तरह की
(घ) लाल
उत्तर :
(ग) दोनों तरह की

3. दादी माँ के बाल किसके समान सफेद थे?
(क) सन के
(ख) कपड़े के
(ग) धूप के
(घ) साबुन के
उत्तर :
(क) सन के

4. दादी माँ की क्रियाओं से उसका क्या झलकता था?
(क) डर
(ख) स्नेह
(ग) चिंता
(घ) दिखावा
उत्तर :
(ख) गरम मसाले का

5. दालचीनी किसका नाम है?
(क) चीनी का
(ख) गरम मसाले का
(ग) मिठाई का
(घ) दवा का
उत्तर :
(ख) गरम मसाले का

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

3. किशन के ……………. जा सका था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसको शादी की बात का उल्लेख है?
2 विवाह के चार-पाँच रोज पहले क्या किया जाता है?
3. इसमें क्या दृश्य दिखाए जाते हैं?
4. लेखक बारात में क्यों नहीं जा सका?
उत्तर:
1. लेखक के बड़े भैया किशन की शादी का उल्लेख है।
2 विवाह के चार-पाँच रोज़ पहले से ही औरतें रात-रातभर जागकर गीत गाती हैं। विवाह की रात को अभिनय भी किया जाता है।
3. उसमें विवाह से लेकर पुत्रोत्पत्ति तक के सभी दृश्य दिखाए जाते हैं। इनमें सभी पार्ट औरतें करती हैं।
4. लेखक बीमार था अतः वह बारात में नहीं जा सका था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. किसके विवाह के दिनों की बात है?
(क) लेखक के
(ख) किशन के
(ग) राघव के
(घ) ममेरे भाई के
उत्तर :
(ख) किशन के

2. विवाह से चार-पाँच रोज पहले औरतें क्या करती है?
(क) रातभर गीत गाती हैं
(ख) अभिनय करती हैं
(ग) खाना पकाती हैं
(घ) तैयारियां करती हैं
उत्तर :
(क) रातभर गीत गाती हैं

3. ‘पुत्रोत्पत्ति’ का सही संधि-विच्छेद है
(क) पुत्र + उत्पत्ति
(ख) पुत्रो + उत्तपत्ति
(ग) पुत्रो + त्पति
(घ) पुत्र + उत्तपत्ति
उत्तर :
(क) पुत्र + उत्पत्ति

4. विवाह की रात को क्या होता है?
(क) गायन
(ख) अभिनय
(ग) वादन
(घ) खाना
उत्तर :
(ख) अभिनय

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

4. स्नेह और …………………………… करते थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न:
1. दादी माँ कैसी थी?
2. दादी माँ क्या बात खूब जानतीं थीं?
3. वे क्यों उदास रहती थीं?
4. दादी माँ को यह संसार कैसा प्रतीत होता था? क्यों?
उत्तर:
1. दादी माँ स्नेह और ममता की मूर्ति थीं।
2 दादी माँ यह बात भली प्रकार जानती थी कि परिस्थितियों का घटनाचक्र जीवन को सूखे पत्ते के समान नचाता है अर्थात् मनुष्य का जीवन परिस्थितियों और घटनाओं के वशीभूत होकर चलता है।
3. दादाजी की मृत्यु के बाद दादी माँ बहुत उदास रहती थीं।
4. दादी माँ को यह संसार धोखे की टट्टी मालूम होता था क्योंकि यहाँ कदम-कदम पर धोखा था। दादाजी भी उनको धोखा देकर इस संसार से चले गए थे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. दादी माँ किसकी मूर्ति प्रतीत होती थीं?
(क) स्नेह की
(ख) ममता की
(ग) स्नेह-ममता की
(घ) दया की
उत्तर :
(ग) स्नेह-ममता की

2. ‘वात्याचक्र’ कैसा शब्द है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(ग) देशज

3. दादी माँ की उदासी का कारण था
(क) दादा की मृत्यु
(ख) धन की कमी
(ग) लेखक की बीमारी
(घ) संसार का रवैया
उत्तर :
(क) दादा की मृत्यु

4. संसार दादी माँ को कैसा प्रतीत होता था?
(क) अच्छा
(ख) बुरा
(ग) धोखे की टट्टी
(घ) मिला-जुला
उत्तर :
(ग) धोखे की टट्टी

5. सचमुच मुझे ………………………….. नहीं रहीं?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
प्रश्न:
1. लेखक को दादी माँ कैसी लगों? क्यों?
2 लेखक ने क्या देखा?
3. हाथ में क्या काँप रहा है?
4. पत्र में क्या सूचना दी गई होगी?
उत्तर:
1. लेखक को दादी माँ शापभ्रष्ट देवी-सी लगी। वैसे तो दादी माँ त्याग और ममता की देवी थीं, पर किसी शाप के कारण धरती पर कष्टपूर्ण जीवन जीने आ गई थीं।
2 लेखक ने देखा कि दिन काफी चढ़ आया है, खजूर के पेड़ से उड़कर एक कौआ काले पंख फैलाकर उसकी खिड़की पर बैठ गया था। (अपशकुन की सूचना)
3. लेखक के हाथ में किशन भैया का पत्र काँप रहा है।
4. पत्र में दादी माँ की मृत्यु की सूचना दी गई होगी।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. लेखक को दादी माँ कैसी लगी?
(क) देवी
(ख) शापध्रष्ट देवी-सी
(ग) सामान्य
(घ) विशिष्ट
उत्तर :
(ख) शापध्रष्ट देवी-सी

2. कौआ पहले कहाँ बैठा था?
(क) खजूर के पेड़ पर
(ख) खिड़की पर
(ग) नीम के पेड़ पर
(घ) दरवाजे पर
उत्तर :
(ख) खिड़की पर

3. ‘पाँख’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) दशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(ख) तद्भव

4. लेखक को किस पर विश्वास नहीं होता?
(क) आँखों पर
(ख) दादी की मृत्यु की सूचना पर
(ग) पत्र पर
(घ) किसी पर नहीं
उत्तर :
(ख) दादी की मृत्यु की सूचना पर

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 2 दादी माँ

दादी माँ Summary in Hindi

दादी माँ पाठ का सार

लेखक की एक कमजोरी है कि जरा सी कठिनाई पड़ते ही प्रायः उसका मन अनमना-सा हो जाता है। लेखक के मित्र और शुभचिंतक उसे आने वाली छुट्टियों की सूचना देकर प्रसन्न करने
का प्रयास करते हैं, पर पीछे से उसका मजाक उड़ाते हैं। लेखक ‘को लगता है कि क्वार के दिन आ गए हैं। चारों ओर पान हिलोरें ले रहा है। मोथा और साई की अधगली घासें, बनप्याज की जड़ें तथा तरह-तरह की बरसाती घासे विचित्र गंध छोड़ती जान पड़ती हैं। रास्तों का कीचड़ सूख गया है।

क्वार के दिनों में गंधपूर्ण झाग भरे जल में कूदकर नहाने के कारण वह बीमार हो गया। वैसे हलकी बीमारी लेखक को अच्छी लगती है। पर इस बार बुखार चढ़ा तो चढ़ता ही चला गया। रजाई पर रजाई ओढ़ी तब रात बारह बजे के बाद उतरा। दिन में चादर लपेटकर सोया था। दादी माँ नहाकर आई थीं। उनके दुबले-पतले शरीर पर सफेद विना किनारी की धोती थी। बाल सफेद सन जैसे थे तथा उनसे पानी की बूंदें टपक रही थीं। उन्होंने आते ही लेखक का सिर और पेट को छुआ।

आँचल की गाँठ खोलकर और चबूतरे की मिद्री मँह में डाली और माथे से लगाई। वह रात-दिन चारपाई के पास बैठी रहती और कभी पंखा झलती, कभी सिर पर दाल-चीनी का लेप करतीं और बार-बार छूकर बुखार का अनुमान लगातीं। वे अनेक प्रकार की जानकारियाँ लेती-जैसे हाँडी में पानी आया कि नहीं? उसे पीपल की छाल से छौंका या नहीं? खिचड़ी में मूंग की दाल एकदम मिल तो नहीं गई? कोई बीमार घर में सीधे तो नहीं चला आया ? आदि।

दादी माँ को गाँव में प्रयुक्त होने वाली पचासों किस्म की दवाओं के नाम याद थे। जब भी गाँव में कोई बीमार होता, वे वहाँ पहुँच जाती और यही सब बातें करती और दोहरातीं। सफाई की सीख उनसे ली जा सकती थी, दवा में देरी उनसे सहन नहीं होती थी। लेखक को बुखार तो अब भी आता है पर अब वह बात कहाँ ? मेस-महाराज अपने मन से पकाकर खिचड़ी या साबू दे जाता है, डॉक्टर नाड़ी देखकर कुनैन मिक्सर दे जाता है। पर अब बुखार बुलाने का मन नहीं करता।।

किशन भैया की शादी के मौके पर दादी माँ का उत्साह देखते – ही बनता था। उन्होंने घर को सिर पर उठा लिया था। वे सारा काम अपने हाथ से करना चाहती थीं। एक दिन दोपहर को दादी माँ किसी पर बिगड़ रही थी। वे धन्नों से अपने रुपए ब्याज सहित माँग रही थी। रामी की चाची दया की भीख माँग रही थी। बाद में उसी दादी ने पिछला सारा रुपया छोड़ दिया और दस रुपए को नोट देकर कहा-“धन्नो, जैसी तेरी बेटी, वैसी मेरी। दस-पाँच रुपए के लिए हँसाई न हो। देवता है बेटा, देवता।”

किशन के विवाह की बात है। चार-दिन पहले से ही गीत गाने लगे थे। लेखक बीमार होने के कारण बारात में न जा सका था। लेखक को एक चारपाई पर चादर उढ़ाकर सुला दिया। देबू की माँ ने चादर खींच ली। स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की एक-एक बात बड़ी अनोखी लगती है। दादा की मृत्यु के बाद से ही वे उदास रहती थी। दादा के श्राद्ध में दादी माँ के मना करने पर भी पिताजी ने जो अतुल संपत्ति व्यय की थी, वह घर की तो नहीं। एक माघ मास के कड़कती ठंड में दादी माँ गीली धोती पहने एक संदूक पदउ दिया जलाए हाथ जोड़कर बैठी थी। लेखक ने उनसे गीली धोती बदलने को कहा तो वे बोली-मुझे सरदी-गरमी नहीं लगती। लेखक ने एक सुबह पिताजी को किशन भैया के साथ उदास बैठे देखा। दादी ने पिताजी की आर्थिक समस्या को सुलझाने के लिए अपना कंगन निकालकर दे दिया।

दादी माँ शब्दार्थ

कठिनाई = मुश्किल (dificulty), शुभचिंतक = भला सोचने वाले (well-wisher),शीत = ठंड (cold), स्वच्छ = साफ (clear), विचित्र = अनोखी (strange), जलाशय = तालाब (pond), शीतलता = ठंडक (coleiness), ज्वर = बुखार (fever), किस्म = प्रकार (type), विश्रचिका = संक्रामक रोग (epedemic), उत्साह = जोश (zeal), निकसार = निकास, निकलने का दरवाजा (exit), निस्तार – छुटकारा (to get rid off), विह्वल – बैचेन (restless), पत्रोत्पत्ति = पत्र + उत्पत्ति बेटा पैदा होना (birth of son),आपत्ति – ऐतराज (objection), अप्रिय जो अच्छा न लगे (not good), सन्नाटा = चुप्पी (silence), विलीन = गायब (disappear).

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम् Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

विश्वबंधुत्वम् Class 7 Question Answer HBSE प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत
दुर्भिक्षे – राष्ट्रविप्लवे – विश्वबन्धुत्वम्
विश्वसन्ति – उपेक्षाभावम् – विद्वेषस्य
ध्यातव्यम् – दुःखभाक् – प्रदर्शयन्ति
उत्तरम्:
विद्यार्थी स्वयं करें।

HBSE 7th Class Sanskrit विश्वबंधुत्वम् प्रश्न 2.
मञ्जूषातः समानार्थकपदानि चित्वा लिखत-
परस्य दुःखम् आत्मानम् बाधितः परिवारः सम्पन्नम् त्यक्त्वा सम्पूर्णे
स्वकीयम् ……………..
अवरुद्धः ……………..
कुटुम्बकम् ……………..
अन्यस्य ……………..
अपहाय ……………..
समृद्धम् ……………..
कष्टम् ……………..
निखिले ……………..
उत्तरम्:
आत्मानम्
बाधितः
परिवारः
परस्य
त्यक्त्वा
सम्पन्नम्
दुःखम्
सम्पूर्णे।

HBSE 7th Class Sanskrit Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम् प्रश्न 3.
रेखाड्कितानि पदानि संशोध्य लिखत
(क) छात्राः क्रीडाक्षेत्रे कन्दुकात् क्रीडन्ति
(ख) ते बालिकाः मधुरं गायन्ति।
(ग) अहं पुस्तकालयेन पुस्तकानि आनयामि।
(घ) त्वं किं नाम ?
(ङ) गुरुं नमः।
उत्तरम्:
(क) छात्राः क्रीडाक्षेत्रे कन्दुकेन क्रीडन्ति।
(ख) ताः बालिकाः मधुरं गायन्ति।
(ग) अहं पुस्तकालयात् पुस्तकानि आनयामि।
(घ) तव किं नाम ?
(ङ) गुरवे नमः।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

प्रश्न 4.
मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत
अधुना मित्रतायाः लघुचेतसाम् गृहीत्वा दुःखिनः दानवाः
शत्रुतायाः …………
मानवाः ……….
उदारचरितानाम् ………..
सुखिनः …………
अपहाय ……….
उत्तरम्:
शत्रुतायाः – मित्रतायाः
पुरा – अधुना
मानवाः – दानवः
उदारचरितानाम् – लघुचेतसाम्
सुखिनः – दुःखिनः
अपहाय – गृहीत्वा

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

प्रश्न 5.
अधोलिखितपदानां लिड्गं विभक्तिं वचनञ्च लिखत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 - 1
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 - 2

प्रश्न 6.
कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत

(क) विद्यालयम् उभयतः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालय)
…………….. उभयतः गोपालिकाः। (कृष्ण)

(ख) ग्रामं परितः गोचारणभूमिः। (ग्राम)
……………… परितः भक्ताः । (मन्दिर)

(ग) सूर्याय नमः। (सूर्य)
…………….. नमः। (गुरु)

(घ) वृक्षस्य उपरि खगाः। (वृक्ष)
……………… उपरि सैनिकः। (अश्व)
उत्तरम्:
(क) कृष्णम् उभयतः गोपालिकाः। (कृष्ण)
(ख) मन्दिरम् परितः भक्ताः । (मन्दिर)
(ग) गुरवे नमः। (गुरु)
(घ) अश्वस्य उपरि सैनिकः। (अश्व)

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

प्रश्न 7.
कोष्ठकात् समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) …………….. नमः। (हरि/हरये)
(ख) ……………….. परितः कृषिक्षेत्राणि सन्ति। (ग्रामस्य/ग्रामम्)
(ग) …………. नमः। (अम्बायाः/अम्बायै)
(घ) ……………. उपरि अभिनेता अभिनयं करोति । (मञ्चस्य/मञ्चम्)
(ङ) ……… उभयतः पुत्रौ स्तः। (पितरम्/पितुः)
उत्तरम्:
(क) हरये नमः। (हरि/हरये)
(ख) ग्रामम् परितः कृषिक्षेत्राणि सन्ति। (ग्रामस्य/ग्रामम्)
(ग) अम्बायै नमः। (अम्बायाः/अम्बायै)’
(घ) मञ्चस्य उपरि अभिनेता अभिनयं करोति। (मञ्चस्य/मञ्चम्)
(ङ) पितरम् उभयतः पुत्रौ स्तः। (पितरम्/पितुः)

ध्यातव्यम्

⇒ क्रियामादाय यत्र द्वितीयातृतीयाद्याः विभक्तयः भवन्ति, ताः ‘कारकविभक्तियः’ इत्युच्यन्ते।
यथा-रामः ग्रामं गच्छति। बालकाः यानेन यान्ति इत्यादयः।

⇒ पदमाश्रित्य प्रयुक्ता विभक्तिः ‘उपपदविभक्तिः इत्युच्यते।
यथा- ग्रामं परितः वनम्। रामेण सह लक्ष्मण: गच्छति। अत्र ‘परितः’ इति योगे ग्रामपदात् द्वितीया तथा च ‘सह’ इति योगे रामपदात् प्रयुक्ता तृतीया उपपदविभक्तिः अस्ति ।

ध्यातव्य

⇒ क्रिया को लेकर जहाँ द्वितीया. तृतीया आदि विभक्तियाँ होती हैं. उन्हें कारक-विभक्तियाँ कहते हैं।
जैसे- “राम: ग्रामं गच्छति। बालकाः यानेन यान्ति।”
इत्यादि। है पद के आधार पर प्रयुक्त विभक्ति ‘उपपद-विभक्ति’ कही जाती है। जैसे-ग्राम परितः वनम्। रामेण सह लक्ष्मणः गच्छति। यहाँ ‘परितः’ के योग में ‘ग्राम’ पद से द्वितीया तथा सह’ (पद) के योगे में ‘राम’ पद से प्रयुक्त तृतीया उपपदविभक्ति है।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

मूलपाठः

1. उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, शत्रुसंकटे च यः सहायतां करोति सः बन्धुः भवति। यदि विश्वे सर्वत्र एतादृशः भावः भवेत् तदा विश्वबन्धुत्वं सम्भवति।

परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्तेः च वातावरणम् अस्ति। येन मानवाः परस्परं न विश्वसन्ति। ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति। अपि च समर्थाः देशाः असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं च स्थापयन्ति। तस्मात् कारणात् संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य, शत्रुतायाः, हिंसायाः च भावना दृश्यते। देशानां विकासः अपि अवरुद्धः भवति।

एतेषां सर्वेषां कारणं विश्वबन्धुत्वस्य अभाव एव। इयम् महती आवश्यकता वर्तते यत् एकः देश अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्। यदि इयं भावना विश्वस्य जनेषु बलवती स्यात् तदा विकसिताविकसितदेशयोः मध्ये स्वस्था भविष्यति। येप सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति।

अस्माभिः अवश्यं ध्यातव्यं यत् विश्वस्य सर्वेषु प्राणिषु समान रुधिर प्रसरति। सूर्यस्त चन्द्रस्य च प्रकाशः सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति। अनेन ज्ञायते यत् प्रकृतिः अपि सर्वेषु समत्वेन व्यवहरति, तस्मात् अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।
अत: विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्-
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥

अन्वयः – अयं निजः, परः वा इति गणना लघुचेतसां (जनानां भवति)। उदारचरितानां तु वसुधा एव कुटुम्बकम् (भवति)।

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 - 3
हिन्दी-अनुवाद :
उत्सव में, संकट के समय, अकाल के समय, राष्ट्र पर संकट आने पर और शत्र संकट आने पर जो सहायता करता है वह बन्ध (भाई) होता है। यदि विश्व में सब जगह ऐसा ही भाव हो जाए तब विश्व-बन्धुता सम्भव है।

परन्तु आज सारे विश्व में कलह और अशान्ति का वातावरण है जिससे मानव परस्पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं मान रहे हैं और भी समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर (उपेक्षा) का भाव प्रकट कर रहे हैं और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर रहे हैं। इस कारण से सारे संसार में वैमनस्य, शत्रुता और हिंसा की भावना दिखाई दे रही है। देशों का विकास भी बाधित हो गया है।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम्

इन सबका कारण है-विश्व-बन्धुता का अभाव। यह महान् आवश्यकता है कि एक देश दूसरे के साथ स्वच्छ हदय से भाई-चारे का आचरण करे। यदि यह भावना विश्व के लोगों में सबल हो जाए, तो विकसित और अविकसित देशों में स्वस्थ स्पर्धा (होड़) होगी। जिससे सारे देश ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मित्रता और सहयोग की भावना से समृद्धि पाने में समर्थ होंगे।

हमें अवश्व ध्यान देना चाहिए कि विश्व में सभी प्राणियों में समान (एक ही रंग का) खून प्रसृत (संचरित) है। सूर्य और चन्द्र का प्रकाश समान रूप से सब जगह फैलता है। इससे पता चलता है कि प्रकृति भी सभी में समानता का आचरण करती है, इसलिए हम सबको भी परस्पर वैर-भाव छोड़कर विश्व बन्धुता स्थापित करनी चाहिए।

इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना हो- “यह मेरा है या यह पराया है ऐसी गिनती तुच्छ हृदय वालों की होती है। विशाल हृदय वालों के लिए तो सारी पृथ्वी एक ही परिवार है।”

सन्धिच्छेदा:
उपपदविभक्तिश्च = उपपदविभक्तिः + च। विकसिताविकसितदेशयोः = विकसित + अविकसित-देशयोः। व्यवहरति = वि + अवहरति। परोवेति = पर : + वा इति। वसुधैव = वसुधा+एव।

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम्

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम् Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम्

Sanskrit Class 7 Chapter 15 लालनगीतम् HBSE प्रश्न 1.
गीतम् सस्वरं गायत।
उत्तर:
स्वयं गायन करें।

लालनगीतम् Sanskrit Class 7 Chapter 15 HBSE प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत-
(क) का विहसति ?
(ख) किम् विकसति ?
(ग) व्याघ्रः कुत्र गर्जति ?
(घ) हरिणः किं खादति ?
(ङ) मन्दं कः गच्छति ?
उत्तर:
(क) धरणी
(ख) कमलम्
(ग) गहने विपिने
(घ) नवधासम्
(ङ) तुङ्गः उष्ट्रः।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम्

लालनगीतम् Question Answer Sanskrit Class 7 Chapter 15 प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) सलिले नौका सेलति।
(ख) पुष्पेषु चित्रपतङ्गाः डयन्ते।
(ग) उष्ट्रः पृष्ठे भार वहति।
(घ) धावनसमये अश्वः किमपि न खादति।
(ङ) उदिते सूयें धरणी विहसति।
उत्तर
(प्रश्ननिर्माणम्)
(क) सलिले का सेलति ?
(ख) कुत्र चित्रपतङ्गा: डयन्ते ?
(ग) कः पृष्ठे भारं वहति ?
(घ) कदा अश्वः किमपि न खादति ?
(ङ) उदिते कस्मिन् धरणी विहसति ?

प्रश्न 4.
मञ्जूषातः समानार्थकपदानि चित्वा लिखत-
मञ्जूषा
पृथिवी, देवालये, जले, वने, मृग:, भयद्करम्

धरणी – ……………..
करालम् – ……………..
सलिले – ……………..
विपिने – ……………..
हरिणः – ……………..
मन्दिरे – ……………..
उत्तर
धरणी – पृथिवी
करालम् – ‘भयद्करम्
सलिले – जले
विपिने – वने
हरिणः – मृग:
मन्दिरे – देवालये

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम्

प्रश्न 5.
उचितकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुचितकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत

(क) धावनसमये अश्वः खादति।
(ख) उष्ट्रः पृष्ठे भारं न वहति।
(ग) सिंहः नीचैः क्रोशति।
(घ) पुष्पेषु चित्रपतङ्गाः डयन्ते।
(ङ) वने व्याघ्रः गर्जति।
(च) हरिण: नवधासम् न खादति।
उत्तर:
(क) न
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम्
(च) न।

प्रश्न 6.
अधोलिखितानि पदानि निर्देशानुसारं परिवर्तयत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम् -1
उत्तर:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम् -2

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम्

प्रश्न 8.
चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषात: पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत –
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम् -3
खगा: विकसन्ति कमलानि उदेति क्रीडन्ति
डगन्ते सूर्य: चित्रपतड्नः कूर्जन्ति बालाः
उत्तर:
खगा: कूर्जन्ति।
सूर्य: उदेति।
कमलानि विकसन्ति।
बालाः क्रीडन्ति।
चित्रपतड्नः डगन्ते।

मूलपाठः

उदिते सूर्ये धरणी विहसति ।
पक्षी कूजती कमलं विकसति ॥ 1 ॥

नदति मन्दिरे उच्चैढक्का ।
सरितः सलिले सेलति नौका ॥ 2 ॥

पुष्पे पुष्ये नानारङ्गाः ।
तेषु डयन्ते चित्रपतङ्गाः ॥ 3 ॥

वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रम् ।
विविधैर्वर्णैर्विभाति चित्रम् ॥ 4 ॥

धेनुः प्रातर्यच्छति दुग्धम् ।
शुद्ध स्वच्छं मधुरं स्निग्धम् ॥ 5 ॥

गहने विपिने व्याघ्रो गर्जति ।
उच्चस्तत्र च सिंहः नर्वति ॥ 6 ॥

हरिणोऽयं खादति नवधासम् ।
सर्वत्र च पश्यति सविलासम् ॥ 7 ॥

उष्ट्रः तुङ्गः मन्दं गच्छति ।
पृष्ठे प्रचुरं भारं निवहति ॥ 8 ॥

घोटकराजः क्षिप्रं धावति ।
धावनसमये किमपि न खादति ॥ 9 ॥

पश्यत भल्लुकमिम, करालम् ।
नृत्यति थथथै कुरु करतालम् ॥ 10 ॥

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम्

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 15 लालनगीतम् -4

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

HBSE 7th Class Hindi हम पंछी उन्मुक्त गगन के Textbook Questions and Answers

कविता से

हम पंछी उन्मुक्त गगन के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते?
उत्तर:
यद्यपि पिंजरे में खाने-पीने तथा सुरक्षा की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, फिर भी पक्षी पिंजरे में बंद नहीं रहना चाहते। इसका कारण यह है कि उन्हें स्वतंत्रता प्रिय है। वे खुले आकाश में उड़ान भरकर अधिक प्रसन्न रहते हैं। उन्हें अपनी उड़ान में कोई बाधा पसंद नहीं है। उन्हें बंधन प्रिय नहीं लगता।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के भावार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं?
उत्तर:
पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी इन इच्छओं को पूरा करना चाहते हैं:

  • वे नदी-झरनों का बहता जल पीना चाहते हैं।
  • वे अपनी गति से उड़ान भरना चाहते हैं।
  • वे अपनी इच्छा से प्रकृति से वस्तुएँ लेकर खाना चाहते हैं।

हम पक्षी उन्मुक्त गगन के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3.
भाव स्पष्ट कीजिएया तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।
उत्तर:
पक्षी क्षितिज में लंबी उड़ान भरने को इच्छुक रहते हैं। वे दोनों स्थितियों को सहने को तैयार रहते हैं-या तो वे अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते अर्थात् क्षितिज तक जा पहुँचते अथवा उड़ते-उड़ते उनकी साँस फूल जाती।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

कविता से आगे

Hum Panchi Unmukt Gagan Ke Summary HBSE 7th Class प्रश्न 1.
बहुत से लोग पक्षी पालते हैं
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपने विचार लिखिए।
(ख) क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है?
उसकी देखरेख किस प्रकार की जाती होगी, लिखिए।
उत्तर:
(क) हमारी दृष्टि से पक्षियों को पालना उचित नहीं है क्योंकि इससे हम उनकी स्वतंत्रता पर पाबंदी लगा देते हैं। पक्षियों को प्रकृति में स्वच्छंद विचरण करने देना चाहिए। उन्हें वहीं प्रसन्नता मिलती है।

(ख) हमारे एक पड़ोसी ने तोता पाला था। उसे उसने एक पिंजरे में रखा हुआ था। उसके पिंजरे में ही एक कटोरी रखी हुई थी। वह उसी में उसका खाना रख देता था। हम देखते कि तोता बाहर निकलकर उड़ने के लिए बेचैन रहता था।

Hum Panchi Unmukt Gagan Ke Class 7 HBSE प्रश्न 2.
पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
पक्षियों को पिंजरे में बंद करके रखना सभी दृष्टियों से गलत है। यह हम केवल अपने मनोरंजन हेतु करते हैं। इससे पक्षियों का कुछ भी भला नहीं होता।

पिंजरे में बंद करके रखने से पक्षियों की आजादी छिनती है। वे तो खले आकाश में उड़ान भरना चाहते हैं। पिंजरे में रखने से उनकी आजादी छिनती है। । इसके साथ-साथ पर्यावरण भी प्रभावित है। पर्यावरण को शुद्ध और प्राकृतिक बनाए रखने के लिए पक्षियों को प्रकृति के मध्य रहना आवश्यक है। वे इस प्रकार पर्यावरण को शुद्ध एवं संतुलित बनाते हैं। पर्यावरण में पक्षियों का अपना विशेष महत्त्व होता है।

HBSE 7th Class Hindi हम पंछी उन्मुक्त गगन के Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

हम पंछी उन्मुक्त गगन के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 1.
पक्षी किस प्रकार का जीवन जीना चाहते हैं?
उत्तर:
पक्षी उन्मुक्त अर्थात् स्वतंत्र बंधनरहित जीवन जीना चाहते हैं।

Hum Panchi Unmukt Gagan Ke Answers HBSE 7th Class प्रश्न 2.
कहाँ रहकर पक्षी ठीक प्रकार से गा नहीं पाते?
उत्तर:
पिंजरे में बंद रहकर पक्षी ठीक प्रकार से गा नहीं पाते।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के HBSE 7th Class प्रश्न 3.
पक्षी कहाँ का पानी पीकर खुश रहते हैं?
उत्तर:
पक्षी नदी-झरने का बहता पानी पीकर खुश रहते हैं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

हम पक्षी उन्मुक्त गगन के HBSE 7th Class प्रश्न 4.
पक्षियों का क्या अरमान होता है?
उत्तर:
पक्षियों का अरमान होता है कि वे नीले आसमान में दूर-दूर तक उड़ान भरें।

Class 7 Vasant Chapter 1 HBSE प्रश्न 5.
यह क्षितिज कैसा है?
उत्तर:
यह क्षितिज सीमाहीन अर्थात् असीम है।

Hum Panchi Unmukt Gagan Ke Solution HBSE 7th Class प्रश्न 6.
पक्षियों को क्या पसंद नहीं है?
उत्तर:
पक्षियों को अपनी उड़ान में बाधा डालना पसंद नहीं है।

Hum Panchi Unmukt Gagan Ke Solutions HBSE 7th Class प्रश्न 7.
“लाल किरण-सी चोंच खोल चुगते तारक-अनार के दाने।” इस पंक्ति में किरण और तारक शब्दों का प्रयोग किसलिए हुआ है?
उत्तर:
‘किरण’ शब्द का प्रयोग ‘तोते की चोंच’ के लिए किया गया है क्योंकि दोनों का रंग लाल होता है। तारों का प्रयोग कवि ने ‘अनार के दानों’ के लिए किया है।

प्रश्न 8.
पिंजरे में बंद पक्षी किस प्रकार के स्वप्न देखते हैं?
उत्तर:
पिंजरे में बंद पक्षी यह स्वप्न देखते हैं कि वे पेड़ की चोटी पर झूला झूलते या आकाश में ऊँचे उड़ते रहते।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पक्षी सोने की कटोरी की मैदा से कड़वी निबौरी को क्यों अच्छा बताता है?
उत्तर:
गुलामी का जीवन अच्छा नहीं होता। ऐसे समय में मन की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है। स्वतंत्र जीवन में कठिनाइयाँ भी क्यों न हों, वह बंधन के जीवन से अच्छा होता है। अत: पक्षी भी खुले रहकर सोने की कटोरों की मैदा की अपेक्षा नौम के कड़वे फल खाना अधिक पसंद करते हैं।

प्रश्न 2.
पक्षी हम मनुष्यों से क्या प्रार्थना करते हैं?
उत्तर:
पक्षी हम लोगों से यह प्रार्थना करते हैं कि उन्हें चाहे सलों में न रहने दिया जाए, उनकी टहनियों के सहारे को छीन लिया ॥ए. परंतु भगवान ने जब उन्हें उड़ने के लिए पंख दिए हैं तो उनकी वतंत्र उड़ान में किसी भी प्रकार की रुकावट न डाली जाए।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

प्रश्न 3.
इस कविता की उन पंक्तियों को चुनो जिनमें पक्षी की स्वच्छंद रहने की भावना का वर्णन है।
उत्तर:
पक्षी को स्वच्छंद रहने की भावना का वर्णन कवि की इन पंक्तियों में है:
हम पंछी उन्मुक्त गगन के, पिंजरबद्ध न गा पाएंगे। कनक-तीलियों से टकरा कर, पुलकित पंख टूट जाएंगे।

प्रश्न 4.
इस कविता से तुम्हें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
इस कविता से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं। अर्थात् स्वतंत्रता सबसे अच्छी है। दूसरों के अधीन रहकर सुख का जीवन बिताने में स्वतंत्र रहकर रूखी-सूखी रोटी खाना अधिक अच्छा है

प्रश्न 5.
इस कविता से पक्षियों की किस विशेषता का परिचय मिलता है?
उत्तर:
इस कविता से पता चलता है कि पक्षियों को स्वतंत्रता प्रिय है। वे बंधन के वातावरण में रहना पसंद नहीं करते। वे सोने के पिंजरों में बंद रहकर पकवान आदि खाना नहीं चाहते। वे खुले आकाश में रहना पसंद करते हैं, चाहे उन्हें कड़वे फल ही क्यों न खाने पड़ें।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखो
(क) या तो क्षितिज मिलन बन जाता
या तनती साँसों की डोरी।

(ख) लाल किरण सी चोंच खोल
चुगते तारक-अनार के दान।।
उत्तर:
(क) पक्षी उड़कर या तो क्षितिज के पार तक पहुँच जाते अथवा उड़ते-उड़ते उनकी साँस ही फूल जाती अर्थात् उड़ते ही चले जाते और जब तक क्षितिज के पार न पहुँच पाते तब तक उड़ते चले जाते।

(ख) पक्षियों की लाल-लाल चोंच सूर्य की किरण के समान प्रतीत होती है और तारे अनार के दाने के समान लगते हैं। पक्षी तारों को अनार के दाने समझ कर चुगने का प्रयास करते हैं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

प्रश्न 7.
तोते की आत्मकथा लिखो।
उत्तर:
पिंजरे में बंद तोते की आत्मकथा:
मैं एक तोता हूँ। तुम मेरे रंग-रूप पर मोहित हो रहे हो। मैं राम-राम पुकारता भी हूँ, पर तुम मेरे मन की व्यथा को नहीं समझते। मैं इस पिंजरे में कैद होकर बड़ा दुःखी रहता हूँ। यह ठीक है कि मुझे खाने की कोई कमी नहीं है, पर बंदी जीवन की यातना तो मुझे झेलनी ही पड़ती है। मेरा मन खुले आकाश में उड़ने को ललचाता रहता है. पर मन मसोस कर रह जाता हूँ। मुझे स्वतंत्र जीवन ही प्रिय है।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. हम पंछी ……………………. पंख टूट जाएँगे।

शब्दार्थ: पंछी = पक्षी (Birds)। उन्मुक्त – स्वतंत्र (Free)। पिंजरबद्ध – पिंजरे में बँधकर (In the cage)। कनक – सोना (Gold)। पुलकित – प्रसन्नचित्त (Happy)।

सप्रसंग व्याख्या :
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता प्रसिद्ध कवि श्री शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हैं। इस कविता में कवि ने पक्षियों के जीवन के माध्यम से स्वतंत्रता का महत्त्व दर्शाया है। पक्षी स्वतंत्र उड़ान भरने की इच्छा रखते हैं।

व्याख्या:
पक्षी कहते हैं कि हम तो खुले आकाश में उड़ने वाले पक्षी हैं। हम पिंजरे में बंद रहकर नहीं गा सकते। हमें तो स्वतंत्र जीवन पसंद है। हमें पिंजरे में रहना अच्छा नहीं लगता। यह पिंजरा चाहे सोने का ही क्यों न हो। सोने के पिंजरे की तीलियों से हमारे कोमल पंख टकरा कर टूट जाएंगे। हमें पिंजरा कोई सुख नहीं दे सकता। हमारे लिए स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. इस कविता का नाम तथा कवि का नाम लिखो।
2 इस काव्यांश में पक्षी अपनी क्या इच्छा प्रकट करते हैं?
3. पक्षी कहाँ रहकर गा नहीं पाएंगे?
4. पक्षियों के पंख कब टूट जाते हैं?
उत्तर:
1. कविता का नाम-‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कवि का नाम-शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
2 इस काव्यांश में पक्षी अपनी यह इच्छा प्रकट करते हैं कि हमें खुले आसमान में उड़ान भरने दी जाए।
3. पक्षी पिंजरे में बंद होकर गा नहीं पाएंगे अर्थात् अपनी स्वाभाविक भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाएंगे।
4. जब पक्षियों को पिंजरे में कैद कर दिया जाता है, तब उनके पुलकित पंख उस पिंजरे की तीलियों से टकरा-टकरा कर टूट जाते हैं, भले ही यह पिंजरा कितना भी कीमती क्यों न हो।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए :

1. कौन सा शब्द ‘गगन’ का पर्यायवाची नहीं है
(क) आसमान
(ख) नभ
(ग) रवि
(घ) व्योम
उत्तर:
(ग) रवि

2. पक्षी किस रूप में रहना चाहते हैं?
(क) उन्मुक्त
(ख) पिंजरबद्ध
(ग) व्याकुल
(घ) पुलकित
उत्तर:
(क) उन्मुक्त

3. ‘पुलकित’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) पुल
(ख) कित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर:
(ग) इत

4. ‘कनक’ शब्द का अर्थ है
(क) सोना
(ख) चाँदी
(ग) मिट्टी
(घ) तांबा
उत्तर:
(क) सोना

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

2. हम बहता ……………………….. की मैदा से।

शब्दार्थ: कटुक – कड़वी (Bitter)। निबौरी = नीम का फल (Fruit of margase or neem)। कनक – सोना (Gold).

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग: प्रस्तुत पोक्तयाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ की कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ से अवतरित हैं। इनके लेखक श्री शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हैं। इन पंक्तियों में पक्षियों की स्वतंत्रता की इच्छा प्रकट की गई है।

व्याख्या:
हम स्वतंत्रता से बहने वाले जल को पीने वाले हैं। पिंजरे में बंद रहकर भूखे-प्यासे मर जाएंगे। हमें पिंजरे में भले ही सोने की कटोरी में मैदे का पकवान मिले परंतु स्वतंत्र रहकर कड़वी निबौरी खाना हमारे लिए उससे कहीं अच्छा है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. पक्षी केसा जल पीना पसंद करते हैं?
2. किस स्थिति में पक्षी भूखे-प्यासे मर जाएँगै?
3. पक्षी कनक कटोरी की मैदा की जगह क्या खाना पसंद करते हैं और क्यों?
उत्तर:
1. पक्षी बहता हुआ जल अर्थात् नदियों–झरनों का जल पीना पसंद करते हैं।
2. जब पक्षियों को पिंजरे में बंद कर दिया जाएगा तब वे भूखे-प्यासे मर जाएंगे। उन्हें बंधन का जीवन पसंद नहीं होता।
3. पिंजरे में रखी सोने की कटोरी से मैदा (अच्छा खाना) पक्षियों को पसंद नहीं होता। वे तो पेड़ की डाली की कड़वी निबौरी खाकर संतुष्ट रह लेते हैं। इसका कारण यह है निबौरी खाने में उनकी स्वतंत्रता बनी रहती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए:

1. पक्षियों को पीने के लिए कैसा पानी चाहिए?
(क) कटोरी में रखा
(ख) बहता पानी
(ग) ठंडा पानी
(घ) कैसा भी
उत्तर:
(ख) बहता पानी

2. निबौरी का स्वाद कैसा होता है?
(क) कड़वा
(ख) मीठा
(ग) तीखा
(घ) पता नहीं
उत्तर:
(क) कड़वा

3. ‘कनक कटोरी’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) यमक
(ख) अनुप्रास
(ग) उपमा
(घ) रूपक
उत्तर:
(ख) अनुप्रास

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3. स्वर्ण-शृंखला ……………………. पर के झूले।

शब्दार्थ: स्वर्ण-शृंखला – सोने की जंजीर (Chain of gold): गति – चाल (Speec)। तरु – वृक्ष (Tree)। फुनगी . वृक्ष का ऊपरी सिरा (Top of tree or branch)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग: प्रस्तुत पक्तियाँ श्री शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन से ली गई हैं। बंधनों में पड़कर पक्षी अपनी स्वतंत्र उड़ान तक भूल बैठते हैं।

व्याख्या:
पक्षी कहते हैं कि सोने की जंजीरों में बंधकर हम अपनी चाल और खुले आकाश में उड़ने की सारी बातें ही भूल गए हैं। अब तो केवल स्वप्न में ही पेड़ की डालियों पर बैठना और उन पर झूला झूलना दिखाई देता है अर्थात् बंदी जीवन में व्यक्ति अपनी स्वाभाविक क्रीड़ाएँ भूल जाता है। स्वतंत्र जीवन की बातें मात्र स्वप्न बनकर रह जाती हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. पक्षी कब अपनी स्वाभाविक उड़ान भूल जाते हैं?
2. पक्षी किस झूले की बात कर रहे हैं?
3. पक्षी सपने में क्या देखते हैं और क्यों?
उत्तर:
1. पक्षी तब अपनी स्वाभाविक उड़ान भूल जाते हैं जब उन्हें पिंजरे में कैद कर दिया जाता है।
2 पक्षी पेड़ की डालियों की फुनगी के झूले की बात कर रहे हैं। उस पर बैठकर उन्हें झूले में झूलने का-सा आनंद आता है।
3. जब पक्षियों को पिंजरे में कैद कर दिया जाता है तब वे पेड़ की डाली की फुनगी के झूले को केवल सपने में ही देख पाते हैं। यह आनंद उनसे छिन जाता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. बंधन किसका है?
(क) स्वर्ण का
(ख) श्रृंखला का
(ग) स्वर्ण श्रृंखला का
(घ) मनुष्य का
उत्तर:
(ग) स्वर्ण श्रृंखला का

2. पिंजरे में पक्षी क्या-क्या भूल जाते हैं?
(क) अपनी गति
(ख) अपनी उड़ान
(ग) गति-उड़ान दोनों
(घ) कुछ नहीं
उत्तर:
(ग) गति-उड़ान दोनों

3. कौन-सा शब्द ‘तरु’ का पर्यायवाची नहीं है?
(क) वृक्ष
(ख) पेड़
(ग) पुष्प
(घ) पादप
उत्तर:
(ग) पुष्प

4. ‘स्वर्ण’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर:
(क) तत्सम

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4. ऐसे थे …………. के दाने

शब्दार्थ: अरमान – दिल की इच्छा (Ambition)। नभ = आकाश (Sky).तारक = तारे (Stars)। अनार = एक फल का नाम (Pomegranate)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ की कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के से लिया गया है। इसमें पक्षियों द्वारा इच्छा प्रकट की गई है।

व्याख्या:
पक्षी कहते हैं कि हमारी यह बड़ी इच्छा थी कि हम नीले आकाश की सीमाओं तक जाकर उन्हें छुएं। हम चाहते थे कि हम सूर्य की लाल किरण के समान अपनी चोंच खोलकर तारों रूपी अनार के लाल-लाल दोनों को चुनें। हमारी यह इच्छा तभी पुरी हो सकती है जब हमें उड़ने की पूरी आजादी मिले।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसके, क्या अरमान थे?
2 चोंच को किसके समान बताया गया है?
3. पक्षी क्या चुगना चाहते हैं?
उत्तर:
1, पक्षियों के ये अरमान थे कि वे नीले आसमान में दूर-दूर तक उड़ते। वे आकाश की सीमा तक जाना चाहते थे।
2. पक्षी की चोंच को सूर्य की लाल किरण के समान बताया गया है।
3. पक्षी तारों को अनार के दाने के समान समझकर चुगना चाहते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. पक्षी किसकी सीमा पाना चाहते हैं?
(क) नीले नभ की
(ख) उड़ान की
(ग) अनार की
(घ) तारों की
उत्तर:
(क) नीले नभ की

2. ‘लाल किरण-सी चोंच’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) उपमा
(ग) रूपक
(घ) यमक
उत्तर:
(ख) उपमा

3. अनार के दाने किन्हें बताया गया है?
(क) तारों को
(ख) चोंच को
(ग) नभ को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर:
(क) तारों को

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5. होती सीमाहीन ……………………… की डोरी।

शब्दार्थ: सीमाहीन सीमा न होना (Boundless)। क्षितिज – जहाँ धरती-आकाश मिलते प्रतीत हों (Horizon)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग: प्रस्तुत पक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता प्रसिद्ध कवि श्री शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ हैं।

व्याख्या:
पक्षी चाहते हैं कि उनके पंखों का मुकाबला आकाश की सीमा से पार क्षितिज से होता। पक्षी उस स्थल तक पहुँचना चाहते हैं जहाँ धरती और आकाश मिलते प्रतीत होते हैं। इस प्रकार या तो क्षितिज से हमारा मिलन हो जाता अर्थात् उड़ते-उड़ते हम क्षितिज तक जा पहुँचते अथवा हम थककर चूर हो जाते अर्थात् साँस फूलकर दम ही निकल जाता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. पक्षी किससे होड़ा-होड़ी करना चाहते हैं?
2 ‘क्षितिज मिलन बन जाता’ का क्या अर्थ है?
3. ‘सांसों की डोरी तनने’ का क्या आशय है?
उत्तर:
1. पक्षी इस असीम क्षितिज (आसमान) से होड़ा-होड़ी करना चाहते हैं अर्थात् लंबी उड़ान भरना चाहते हैं।
2. क्षितिज मिलन तब बन जाता जब पक्षी उड़कर वहाँ पहुँचने में सफल हो जाते।
3. ‘साँसों की डोरी तनने’ से आशय है इतना साँस फूल जाता कि दम ही निकल जाता अर्थात् पक्षी उड़ते-उड़ते बेदम हो जाते।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘क्षितिज’ को कैसा बताया गया है?
(क) सीमित
(ख) सीमाहीन
(ग) बंद
(घ) बड़ा
उत्तर:
(ख) सीमाहीन

2. लंबी उड़ान में क्या-क्या संभावनाएं हो सकती थी?
(क) क्षितिज की सीमा मिल जाती
(ख) साँसों की डोरी तन जाती
(ग) ये दोनों बातें हो सकती थीं
(घ) कुछ नहीं होता
उत्तर:
(ग) ये दोनों बातें हो सकती थीं

3. ‘होड़ा-होड़ी’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) पुनरुक्ति
(ग) यमक
(घ) रूपक
उत्तर:
(क) अनुप्रास

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6. नीड़ नदो …….. न डालो ।

शब्दार्थ: नीड़ – घोंसला (Nest)। आश्रय = सहारा (Shelter)। छिन्न-भिन्न – तोड़-फोड़ (Destroy)। आकुल = बेचैन (Restless)। विघ्न = रुकावट (Hurdle)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग: प्रस्तुत पक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ की कविता ‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ से ली गई हैं।

व्याख्या: हे मनुष्यो! हमें भले ही नीड़ (घोंसले) मत दो और बेशक पेड़ की डाली का सहारा तोड़ डालो; परंतु जब ईश्वर ने हमें उड़ने को पर (पंख) दिए हैं तो हमें पिंजरे का कैदी बनाकर हमारी स्वतंत्र उड़ानों में बाधा मत डालो। हमें पिंजरे में रहना पसंद नहीं, स्वतंत्र उड़ानें भरना ही प्रिय है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. पक्षी क्या नहीं चाहते?
2 पंख किसने दिए हैं?
3. पक्षियों को क्या बात पसंद नहीं है?
उत्तर:
1. पक्षी न तो घोंसला चाहते हैं और न टहनी का आश्रय। इन्हें भले ही छीन लिया जाए।
2. पक्षियों को पंख ईश्वर ने दिए हैं।
3. पक्षियों को यह बात कतई पसंद नहीं है कि कोई उनकी उड़ान में बाधा डाले। वे उन्मुक्त उड़ान भरना चाहते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. इस कविता के रचयिता हैं
(क) गणेश शंकर
(ख) शिवमंगल सिंह सुमन
(ग) रवि मंगल
(घ) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर:
(ख) शिवमंगल सिंह सुमन

2. किसे छिन्न-भिन्न कर डालो?
(क) टहनी को
(ख) नीड़ को
(ग) आश्रय को
(घ) फुनगी को
उत्तर:
(ग) आश्रय को

3. ‘उड़ान’ व्याकरण में क्या है?
(क) क्रिया
(ख) भाववाचक संज्ञा
(ग) विशेषण
(घ) जातिवाचक संज्ञा
उत्तर:
(ख) भाववाचक संज्ञा

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के

हम पंछी उन्मुक्त गगन के Summary in Hindi

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कवि-परिचय

प्रश्न: शिवमंगलसिंह ‘सुमन’ के जीवन और कवित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
जीवन-परिचय:
डॉ. शिवमंगलसिंह ‘सुमन’ का जन्म 1916 ई. में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर नामक गाँव में हुआ था। ग्वालियर से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् कुछ समय तक शिक्षण कार्य किया। 1940 ई. में काशी विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसी विश्वविद्यालय से 1950 ई. में डी.लिट् की उपाधि प्राप्त की। इंदौर और उज्जैन के महाविद्यालयों में प्राध्यापक रहने के पश्चात ये नेपाल में भारतीय दुतावास में सांस्कृतिक सचिव बने। बाद में ये विक्रम विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए।

रचनाएँ: इनके कई काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। जैसे-हिल्लोल, जीवन का गान, प्रलय सजन, विंध्य हिमालय, पर आँखें नहीं भरी, विश्वास बढ़ता ही गया, मिट्टी की बारात।

साहित्यिक विशेषताएँ: प्रारंभ इन्होंने प्रेम की रचनाओं से किया, पर आगे चलकर ये क्रांति का आह्वान करने वाले कवि बन गए। क्रांति के इस ओजस्वी स्वर में राष्ट्रीयता भी सम्मिलित है। राष्ट्रीय चेतना आगे चलकर मानवतावाद में परिवर्तित हो जाती है। कवि को जनता के व्यापाक दुःख का मूल सामाजिक विषमता में दिखाई देता है।

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का सार

‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ शीर्षक कविता प्रसिद्ध कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने पक्षियों के माध्यम से मनुष्य के जीवन में स्वतंत्रता का महत्त्व दर्शाया है। पक्षियों को खुले आसमान में विचरण करना पसंद होता है। वे पिंजरे में बंद हो कर गा नहीं पाते अर्थात् अपनी प्रसन्नता प्रकट नहीं पाते, भले ही यह पिंजरा सोने का क्यों न हो और इसमें सोने की कटोरी में मैदा क्यों न रखी हो। पक्षी तो नदी-झरनों का बहता जल पीने वाले होते हैं।

पिंजरे में तो वे भूखे-प्यासे मर जाएँगे। वे कड़वी निबौरी खाकर जी लेते हैं, पर बंधन में रहकर सुख-सुविधाएँ पसंद नहीं करते। सोने का पिंजरा तो बंधन है और इसमें रह कर वे अपनी स्वाभाविक गति और उडान तक को भल जाते हैं। ऐसी स्थिति में तो पेड़ की डालियों के झूले केवल स्वप्न में ही रह जाते हैं। पक्षियों के अरमान तो उड़ कर आकाश की सीमा को छूने के होते हैं। वे तो अपनी लाल चोंच से तारों रूपी अनार के दानों को चुगना चाहते हैं। वे तो सीमाहीन क्षितिज में लंबी उड़ान भरने को उत्सुक रहते हैं। इसमें उन्हें चाहे जितना परिश्रम क्यों न करना पड़े।

पक्षी मनुष्यों से विनती करते हैं कि वे उन्हें भले ही उनका घोंसला नष्ट कर दें. टहनी का आश्रय भी न दें. पर उनकी आकुल उड़ान में बाधा उपस्थित न करें क्योंकि ईश्वर ने उन्हें उड़ने के लिए पंख दिए है। यह उड़ान ही उनका जीवन है, इसे छीनने का प्रयास न करें। पक्षी उड़ान की स्वतंत्रता चाहते हैं।

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

समवायो हि दुर्जयः Class 7 Question Answers HBSE प्रश्न 1.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत
(क) वृक्षे का प्रतिवसति स्म?
(ग) गज: केन शाखाम् अत्रोटयत्?
(ङ) मक्षिकायाः मित्रं कः आसीत्?
(ख) वृक्षस्य अधः कः आगतः?
(घ) काष्ठकूट: चटकां कस्याः समीपम् अनयत्?
उत्तरम्:
(क) चटका
(ख) प्रमत्तः गजः
(ग) शुण्डेन
(घ) वीणारवा-नाम्न्याः मक्षिकायाः समीपम्
(ङ) मण्डूकः।

समवायो हि दुर्जयः Question Answer HBSE Class 7 Civics प्रश्न 2.
रेखाड्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) कालेन चटकायाः सन्ततिः जाता।
(ख) चटकायाः नीडं भुवि अपतत्।
(ग) गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत्।
(घ) काष्ठकूटः चञ्वा गजस्य नयने स्फोटयिष्यति।
उत्तरम्:
(प्रश्ननिर्माणम्)
(क) कालेन कस्याः सन्ततिः जाता ?
(ख) चटकायाः किं भुवि अपतत् ?
(ग) कस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत् ?
(घ) काष्ठकूट: केन गजस्य नयने स्फोटयिष्यति ?

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

Class 7 Civics Chapter 11 HBSE समवायो हि दुर्जयः प्रश्न 3.
मञ्जूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
करिष्यामि गमिष्यति अनयत् पतिष्यति स्फोटयिष्यति त्रोटयति
(क) काष्ठकूटः चञ्च्वा गजस्य नयने …………………………….।
(ख) मार्गे स्थितः अहमपि शब्द …………………………….।
(ग) तृषार्तः गजः जलाशयं …………………………….।
(घ) गजः गर्ते …………………………….।
(ङ) काष्ठकूटः तां मक्षिकायाः समीपं …………………………….।
(च) गजः शुण्डेन वृक्षशाखाः …………………………….।
उत्तरम्:
(क) काष्ठकूट: चञ्च्वा गजस्य नयने स्फोटयिष्यति ।
(ख) मार्गे स्थितः अहमपि शब्दं करिष्यामि ।
(ग) तृषार्तः गजः जलाशयं गमिष्यति ।
(घ) गजः गर्ते पतिष्यति ।
(ङ) काष्ठकूटः तां मक्षिकायाः समीपम् अनयत् ।
(च) गजः शुण्डेन वृक्षशाखाः त्रोटयति ।

Class 7 समवायो हि दुर्जयः HBSE Civics प्रश्न 4.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत
(क) चटकायाः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः तां किम् अपृच्छत्?
(ख) चटकायाः काष्ठकूटस्य च वार्ता श्रुत्वा मक्षिका किम् अवदत्?
(ग) मेघनादः मक्षिकां किम् अवदत्?
(घ) चटका काष्ठकूटं किम् अवदत्?
उत्तरम्:
(क) चटकायाः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः ताम् अपृच्छत्-“भद्रे, किमर्थं विलपसि?”
(ख) चटकायाः काष्ठकूटस्य च वार्ता श्रुत्वा मक्षिका अवदत्-“ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनादः अस्ति।
(ग) मेघनादः मक्षिकाम् अवदत्-“यथाहं कथयामि तथा कुरुतम्।”
(घ) चटका काष्ठकूटम् अवदत्-“एकेन दुष्टेन गजेन मम सन्ततिः नाशिताः। तस्य गजस्य वधेन एव मम दुःखम् अपसरेत्।”

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

प्रश्न 5.
उदाहरणमनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत –
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः - 1
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः - 2

प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं ‘स्म’ शब्दं योजयित्वा भूतकालिकक्रियां रचयत
यथा अवसत् – वसति स्म।
अपठत् – ………….।
अत्रोटयत् – ………….।
अपतत् – ………….।
अपृच्छत् – ………….।
अवदत् – ………….।
अनयत् – ………….।
उत्तर
अपठत् – पठति स्म।
अत्रोटयत् – त्रोटयति स्म।
अपतत् – पतति स्म।
अपृच्छत् – पृच्छति स्म।
अवदत् – वदति स्म।
अनयत् – नयति स्म।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

प्रश्न 7.
(क) ………… बालिका मधुरं गायति। (एकम्, एका, एक:)
(ख) ………… कृषकाः कृषिकर्माणि कुर्वन्ति। (चत्वारः, चतस्रः, चत्वारि)
(ग) ………………… पत्राणि सुन्दराणि सन्ति। (ते, ताः, तानि)
(घ) धेनवः दुग्धं …………… । (ददाति, ददति, ददन्ति)
(ङ) वयं संस्कृतम् …………. (अपठत्, अपठन्, अपठाम)
उत्तर
(क) एका बालिका मधुरं गायति। (एकम्, एका, एकः)
(ख) चत्वारः कृषकाः कृषिकर्माणि कुर्वन्ति । (चत्वारः, चतस्रः, चत्वारि)
(ग) तानि पत्राणि सुन्दराणि सन्ति। (ते, ताः, तानि)
(घ) धेनवः दुग्धं ददति। (ददाति, ददति, ददन्ति)
(ङ) वयं संस्कृतम् अपठाम। (अपठत्, अपठन्, अपठाम)

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

मूलपाठः

1. पुरा एकस्मिन् वृक्षे एका चटका प्रतिवसति स्म। कालेन तस्याः सन्ततिः जाता। एकदा कश्चित् प्रमत्तः गजःतस्य वृक्षस्य अधः आगत्य तस्य शाखां शुण्डेन अत्रोटयत्। चटकायाः नीडं भुवि अपतत्। तेन अण्डानि विशीर्णानि।अथ सा चटका व्यलपत्। तस्याः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः नाम खगः दुःखेन ताम् अपृच्छत्-“भद्रे, किमर्थं विलपसि ?” इति।

चटकावदत्-“दुष्टेनैकेन गजेन मम सन्ततिः नाशिता। तस्य गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत्।” ततः काष्ठकूटः तां वीणारवा-नाम्न्याः मक्षिकायाः समीपम् अनयत् । तयोः वार्ता श्रुत्वा मक्षिकावदत्-“ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनादः अस्ति। शीघं तमुपेत्य यथोचितं करिष्यामः।” तदानीं तौ मक्षिकया सह गत्वा मेघनादस्य पुरः सर्वं वृत्तान्तं न्यवेदयताम्।

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः - 3
हिन्दी-अनुवाद :
पहले (पुराने समय में) एक पेड़ पर एक चिड़िया रहती थी। समयानुसार उसकी सन्तान पैदा हुई। एक बार मदमस्त हाथी ने उस पेड़ के नीचे आकर उसकी टहनी को अपनी सूंड से तोड़ दिया। चिड़िया का घोंसला जमीन पर गिर गया। इस कारण अण्डे नष्ट हो गए। वह चिड़िया विलाप करके (रोने) लगी। उसके रोने को सुनकर काष्ठकूट’ नाम का पक्षी दुःख से उससे पूछने लगे-“आप क्यों रो रही हैं ?”

चिड़िया बोली- “एक दुष्ट हाथी ने मेरी सन्तान को नष्ट कर दिया है। उस हाथी के वध से ही मेरा दुःख दूर होगा। तब काष्ठकूट उस चिड़िया को वीणारवा नाम की मक्खी के पास ले गया।” उनकी बात सुनकर मक्खी बोली-” मेरा भी मित्र (दोस्त) मेघनाद नामक मेढक है। उसके पास जल्दी जाकर जैसा ठीक होगा हम वैसा करेंगे।” तब उन दोनों ने मक्खी के साथ जाकर मेघनाद के सामने सारा समाचार निवेदन किया (कहा, सुनाया)।

सन्धिच्छेदा:
कश्चित् – क : + चित्। व्यलपत् – वि + अलपत्। चटकावदत् – चटका + अवदत्। दुष्टेनैकेन – दुष्टेन + एकेन। वधेनैव = वधेन + पंव। ममापि = मम + अपि। यथोचितम् – यथा + उचितम्। न्यवेदताम् – नि + अवेदताम्।

संयोगः – किमर्थम्-किम् अर्थम्। तमुपेत्य-तम् + उपेत्य।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

2. मेघनादः अवदत्-“यथाहं कथयामि तथा कुरुतम्। मक्षिके! प्रथमं त्वं मध्याह्ने तस्य गजस्य कर्णे शब्दं कुरु, येन सः नयने निमील्य स्थास्यति। तदा काष्ठकूटः चञ्च्चा तस्य नयने स्फोटयिष्यति। एवं सः गजः अन्धः भविष्यति। तृषार्तः सः जलाशयं गमिष्यमित। मार्गे महान् गर्त्तः अस्ति। तस्य अन्तिके अहं स्थास्यामि शब्दं च करिष्यामि। मम शब्देन तं गर्त्त जलाशयं मत्वा स तस्मिन्नेव गर्ते पतिष्यति मरिष्यति च।” अथ तथाकृते सः गजः मध्याह्ने मण्डूकस्य शब्दम् अनुसत्य महतः गर्तस्य अन्तः पतितः मृतः च। तथा चोक्तम्’बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः।”

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः - 4
हिन्दी-अनुवाद : मेघनाद बोला-“जैसा मैं कहूँ तुम दोनों वैसे ही करना। हे मक्खी ! पहले तुम दोपहर के समय उस हाथी के कान में आवाज करना, जिससे वह (हाथी) आँखें बन्द करके रुक जाएगा। तब काष्ठकूट !च से उसकी आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार वह हाथी अन्धा हो जाएगा। प्यास से पीड़ित होकर वह तालाब पर जाएगा। रास्ते में बड़ा भारी गड्ढा है। उस (गड्ढे) के पास मैं रुका रहूँगा और आवाज पैदा करूँगा। मेरे आवाज करने पर उस गड्ढे को तालाब समझकर वह (हाथी) उसी गड्ढे में गिर जाएगा और मर जाएगा।” वैसा करने पर वह हाथी दोपहर में मेढक की आवाज का पीछा करता हुआ बड़े भारी गड्ढे के भीतर गिरा और मर गया। इसलिए कहा भी गया है
“बहुत सी कमजोर वस्तुओं अथवा प्राणियों का समूह (समुदाय) कठिनता से जीतने योग्य होता है।”

सन्धिच्छेदाः
यथाहम् – यथा + अहम्। तृषार्तः – तृषा + आर्तः। जलाशयम् = जल + आशयम्। तस्मिन्नेव = तस्मिन् + एव। चोक्तम्-च + उक्तम्। अप्यसाराणाम् = अपि + असराणाम्।

संयोगः – बहूनामपि = बहूनाम् + अपि।

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम् Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

विद्याधनम् Class 7 Question Answer HBSE प्रश्न 1.
उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’, अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत –

(क) विद्या राजसु पूज्यते।
(ख) वाग्भूषणं भूषणं न।
(ग) विद्याधनं सर्वधनेषु प्रधानम्।
(घ) विदेशगमने विद्या बन्धुजनः न भवति।
(ङ) विद्या सर्वत्र कीर्तिं तनोति।
उत्तरम्:
(क) विद्या राजसु पूज्यते। (आम्)
(ख) वाग्भूषणं भूषणं न। (न)
(ग) विद्याधनं सर्वधनेषु प्रधानम्। (आम्)
(घ) विदेशगमने विद्या बन्धुजनः न भवति। (न)
(ङ) विद्या सर्वत्र कीर्तिं तनोति। (आम्।)

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

HBSE 7th Class Sanskrit विद्याधनम्प्र श्न 2.
अधोलिखितानां पदानां लिङ्गं, विभक्तिं वचनञ्च लिखत –
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम् -1
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम् -2

HBSE 7th Class Sanskrit Ruchira Chapter 12 विद्याधनम् प्रश्न 3.
श्लोकांशान् योजयत –

(क)(ख)
(क) विद्या राजसु पूज्यते नहि धनम्हारा न चन्द्रोज्ज्वलाः
(ख) केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषम्न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि
(ग) नचौरहार्य न च राजहार्यम्या संस्कृता धार्यते
(घ) मातेव रक्षति पितेव हिते नियुङ्क्तेविद्या-विहीनः पशुः
(ङ) वाण्येका समलङ्करोति पुरुषम्कान्तेव चाभिरमयत्यपनीय खेदम्

उत्तरम्:

(क)(ख)
(क) विद्या राजसु पूज्यते नहि धनम्विद्या-विहीनः पशुः
(ख) केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषम्हारा न चन्द्रोज्ज्वला:
(ग) नचौरहार्य न च राजहार्यम्न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि
(घ) मातेव रक्षति पितेव हिते नियुङ्क्तेचाभिरमयत्यपनीय खेदम्
(ङ) वाण्येका समलङ्करोति पुरुषम्या संस्कृता धार्यते

प्रश्न: 4.
एकपदेन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-
(क) कः पशुः?
(ख) का भोगकरी ?
(ग) के पुरुष न विभूषयन्ति ?
(घ) का एका पुरुषं समलङ्करोति ?
(ङ) कानिक्षीयन्ते ?
उत्तरम्:
(क) विद्याविहीन:।
(ख) विद्या।
(ग) केयूराः।
(घ) वाणी।
(छ) भूषणानि।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

प्रश्न 5.
रेखातिपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) विद्याविहीनः नरः पशुः अस्ति।
(ख) विद्या राजसु पूज्यते।
(ग) चन्द्रोज्ज्वला: हाराः पुरुषं न अलङ्कुर्वन्ति।
(घ) पिता हिते नियुक्ते।
(ङ) विद्याधनं सर्वप्रधानं धनमस्ति।
(च) विद्या दिक्षु कीर्ति तनोति।
उत्तरम्:
(क) विद्याविहीनः कः पशुः अस्ति ?
(ख) का राजसु पूज्यते ?
(ग) चन्द्रोज्ज्वला: के पुरुषं न अलङ्कर्वन्ति ?
(घ) कः हिते नियुक्ते ?
(ङ) विद्याधनं कीदृशम् धनमस्ति ?
(च) विद्या कसु कीर्ति तनोति ?

प्रश्न 6.
पूर्णवाक्येन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत –
(क) गुरूणां गुरुः का अस्ति?
(ख) कीदृशी वाणी पुरुष समलङ्करोति ?
(ग) व्यये कृते किं वर्धते ?
(घ) विद्या कुत्र कीर्ति वितनोति ?
उत्तरम्:
(क) गुरूणां गुरु: विद्या अस्ति।
(ख) संस्कृता वाणी पुरुष समलङ्करोति।
(ग) व्यये कृते विद्याधनं वर्धते।
(घ) विद्या दिक्षु कीर्तिम् वितनोति।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

प्रश्न 7.
मञ्जूषातः पुल्लिङ्ग-स्त्रीलिङ्ग-नपुंसकलिङ्गपदानि चित्वा लिखत –
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम् -3
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम् -4

मूलपाठः

1. न चौरहार्यं न च राजहार्य
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धत एव नित्यं
विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥1॥

शब्दार्था:-

पदानिहिन्दी-अर्धा:संस्कृत-पर्यायवाधिनः
चौरहार्यम्चोरों के द्वारा चुराने के योग्यचौरापहार्यम्
राजहार्यम्राजा के द्वारा छीनने के योग्य,सर्वकारापहरणीयम्
भ्रातृभ्राज्यभाइयों के द्वारा बाँटने योग्यभ्राताविभाज्यम्
भारकारिबोझिलभारप्रदात
व्ययेखर्चने परव्ययने कृते सति

अन्वयः
विद्याधनम् चौहार्यम् न (अस्ति), न च राजहार्यम् (अस्ति), न भ्रातृभाज्यम् न च भारकारि (अस्ति)। व्यये कृते नित्यम् एव वर्धते। (विद्याधनम्) सर्वधनप्रधानम् (अस्ति)।

हिन्दी-अनुवाद
विद्यारूपी धन चोरों द्वारा चुराने लायक नहीं है, राजा के द्वारा छीनने लायक नहीं है, भाइयों के द्वारा बाँटने लायक नहीं है और न बोझ बढ़ाने वाला है। खर्च करने पर यह बढ़ता ही जाता है इसलिए यह सभी धनों में श्रेष्ठ धन है।

2. विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्।
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परा देवता
विद्या राजसुपूज्यतेन हि धनं विद्या-विहीनः पशुः॥2॥

शब्दार्थाः

पदानिहिन्दी-अर्धाःसंस्कृत-पर्यायवाचिनः
नरस्यमनुष्य कामानवस्य
प्रच्छन्नगुप्तम्छुपा हुआअत्यन्तं गुप्तम्
भोगकरीभोग की सामग्री देने वालीभोगदायिनी
सुखकरीसुख प्रदान करने वालीसुखदा, सुखदायिनी
गुरूणां गुरुःगुरूओं की गुरु हैश्रेष्ठाध्यापिका
बन्धजनःमित्र, दोस्तमित्रम्

अन्वयः – विद्या नाम नरस्य अधिकम् रूपम् (अस्ति), प्रच्छन्नगुप्त धनम् (अस्ति), विद्या भोगकरी यश: सुखकरी (च), विद्या गुरूणाम् (अपि) गुरुः (विद्यते)। विद्या विदेशगमने बन्धुजनः (इव वर्तते). विद्या परा देवता (वर्तते), राजसु विद्या (एव) पूज्यते न हि धनम्, विद्याविहीनः (नर:) पशुः (इव भवति)।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

सन्धिच्छेदा:
गुप्तं धनम् – गुप्तम् धनम्। गुरूणा गुरुः गुरूणाम् +गुरु। बन्धुजनो विदेशगमने-बन्धुजन: विदेशगमने। धनं विद्याधनम्-विद्या।

संयोगः रूपमधिकम् – रूपम् + आधिकम्।

हिन्दी-अनुवाद :
विद्या निश्चिय ही रूप से (नाम) मानव का अधिक रूप है। छपा हुआ खजाना है। विद्या भोग प्रदान करने वाली, यश बढ़ाने वाली और सुख देने वाली हैं। विद्या गुरुओं की भी गुरु है। विदेश जाने पर विद्या ही मित्र समान है। विद्या सर्वश्रेष्ठ देवता (ईश्वर) है। राजाओं में विद्या की ही पूजा की जाती है, धन की नहीं। विद्याहीन मानव पशु-समान ही है।

3. केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वला
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालङ्कृता मूर्धजाः।
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते
क्षीयन्तेऽखिलभूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम्।।

शब्दार्थाः

पदानिहिन्दी-अर्थाःसंस्कृत-पर्यायवाचिनः
केयूराःबाजूबन्दभुजबन्धाः
चन्द्रोज्ज्वला:चन्द्रमा के समान चमकदार
विलेपनम्शरीर पर लेप करने योग्य सुगन्धित द्रव्य (चन्दन, केसर आदि)अभ्यंगम्, उत्सादनम्
नालंकृताःबिना सजाए हुएअनलकृताः
मूर्धजाःसिर के बालशिरोरुहाः
वाण्येकाएकमात्र वाणीवागेव
समलङ्करोतिअच्छी तरह सुशोभित करती हैसुशोभयति

अन्ययः
पुरुषं केयूराः न विभूषयन्ति, चन्द्रोज्ज्वला हारा न (विभूषयन्ति). न स्नानं न विलेपनं अलङ्कृता मूर्धजा (अपि) न (विभूषयन्ति)। या संस्कृता धार्यते (सा) एका वाणी पुरुषं समलङ्करोति। अखिलभूषणानि क्षीयन्ते, वाग्भूषणं सततं भूषणम्।

सन्धिच्छेदा:
चन्द्रोज्ज्वला : चन्द्र + उज्ज्वलाः। नालङ्कृता – न + अलङ्कृताः। वाण्येका – वाणी + एका। क्षीयन्तेऽखिलभूषणानि – क्षीयन्ते अखिलभूषणानि। वाग्भूषणम् – वाक् + भूषणम्।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 12 विद्याधनम्

संयोग:
समलइरोति – सम् + अलम् + करोति।

हिन्दी-अनुवादः
मनुष्य को बाजूबन्द, चन्द्रमा के समान चमकने वाले हार, स्नान, चन्दन आदि का लेप, फूल तथा सुशोभित बाल सुन्दर नहीं बनाते (जैसी) शुद्ध वाणी सुशोभित करती है। समस्त आभूषण (अलंकार) तो नष्ट हो जाते हैं (किन्तु) वाणी का आभूषण सदा रहने वाला आभूषण (गहना) है।

4. विद्या नाम नरस्य कीर्तिरतुला भाग्यक्षये चाश्रयः
धेनुः कामदुधा रतिश्च विरहे नेत्रं तृतीयं च सा
सत्कारायतनं कलस्य महिमा रत्नैर्विना भषणम
तस्मादन्यमुपेक्ष्य सर्वविषयं विद्याधिकारं कुरु।।

शब्दार्थाः

पदानिहिन्दी-अर्थाःसंस्कृत-पर्यायवाचिनः
हितेकल्याण मेंकल्याणे
कीर्तिःप्रसिद्धि, यशख्याति, यशः
अतुलाअतुलनीयअद्वितीय
भाग्यक्षयेसौभाग्य के नाश होने पर दुर्भाग्य मेंभाग्यनाशे, दुर्भाग्ये
आश्रयःसहारासहायः
धेनुःकामधेनु गायगौः
कामदुधाकामना पूर्ण करने वालाकामनापूर्णकी
रतिःप्रेम, प्यारस्नेहः
विरहेबिछोह मेंभिन्ने सति
सत्कारायतनम्मान-सम्मान का घर (केन्द्र)सम्मानगृहम्
रलविनारत्नों से रहित बिना आभूषणआभूषणैः विना
तस्मादन्यमुपेक्ष्यअतः दूसरे सबको छोड़करसर्वमन्य त्यक्त्वा
विद्याधिकारम्विद्या पर अधिकारविद्यायाम, अधिकारम्

अन्वयः
विद्या नाम नरस्य अतुला कीर्तिः भाग्यक्षये च आश्रयः (अस्ति), (विद्या) कामदुधा धेनुः (अस्ति), विरहे च रतिः (वर्तते), सा (विद्या) च (मानवस्य) तृतीयम् नेत्रम् (विद्यते)। (विद्या) सत्कारायतनम् (विद्यते). कुलस्य महिमा रलैः विना भूषणम् (अस्ति), तस्मात् अन्यम् सर्वविषयम् उपेक्ष्य विद्याधिकारम् कुरु।

सन्धिच्छेवा:
कीर्तिरतुला-कीर्तिः अतुला। घाश्रयः-च आश्रयः। रतिश्च-रवि: चानेत्रं तृतीयं च-नेत्रम् तृतीयम् च। सत्कारायतनम्सत् कार+आयतनम्। रत्लेविना-रलैः-विना। तस्मादन्यमुपेक्ष्य-तस्मात् +अन्यम् उपेक्ष्य। विषयविद्याधिकारं कुरु-विषयम् विद्या अधिकारम् कुरु।

हिन्दी-अनुवाद :
विद्या रूपी धन (नाम) मानव को अतुलनीय ख्याति है और बुरे दिन आने पर सहारा है, विद्या मानवाछित फल देने वाली है। विरहाकुलों के लिए रतिः (प्रेम) है। वह विद्या मानव की तीसरी आँख है। विद्या मान-सम्मान को केन्द्र बिन्दु है, कुल खानदान की महिमा है, बिना आभूषण के ही सौंदर्यपूर्ण है, अत: अन्य सब विषयों को छोड़कर विद्या पर अधिकार पाओ, खूब पढ़ो, आगे बढ़ो।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली

HBSE 7th Class Hindi कठपुतली Textbook Questions and Answers

कविता से

कठपुतली के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर:
कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसे चारों ओर से धागों के बंधन में बांध रखा गया था। वह इस बंधन से तंग आ गई थी। वह स्वतंत्र होना चाहती थी।

कठपुतली कविता के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
कठपुतली को अपने पाँबों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन क्यों नहीं खड़ी होती ?
उत्तर:
कठपुतली अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा तो रखती है लेकिन वह खड़ी नहीं होती। इसका कारण है उसके पैरों में स्वतंत्र रूप से खड़े होने की शक्ति नहीं है। इच्छा के साथ अपनी शक्ति और प्रयास की भी आवश्यकता होती है।

कक्षा 7 पाठ 4 कठपुतली के प्रश्न उत्तर HBSE  प्रश्न 3.
पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को कैसी लगी और क्यों?
उत्तर:
पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को बहुत अच्छी लगी। वे भी स्वतंत्र होना चाहती थीं और अपने मन के अनुसार चलना चाहती थीं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली

Kathputli Path Ke Prashn Uttar HBSE 7th Class प्रश्न 4.
पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि- ‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे आगे ? इन्हें तोड़ दो/ मुझे मेरे पैरों पर छोड़ दो’-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि…’यह कैसी इच्छा/ मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपना विचार व्यक्त कीजिए

  • उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
  • उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
  • वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपायों को सोचने लगी।
  • वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।

उत्तर:
कहने और करने में बहुत अंतर होता है। पहली ‘कठपुतली ने स्वतंत्र होने की इच्छा तो प्रकट कर दी, पर फ़िर उसे स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी कि वह किस प्रकार स्वतंत्र हो पाएगी। अभी उसकी उम्र कम थी अत: उसे अभी दूसरे के सहारे की जरूरत थी। स्वतंत्रता पाकर उसे बनाए रखने के लिए विशेष उपाय करने पड़ते हैं। अब उसके ऊपर अन्य कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी भी आ गई थी। दूसरों की आजादी के लिए काम करना बहुत सरल नहीं होता।

कविता से आगे

1. ‘बहुत दिन हुए/हमें अपने मन के छंद छुए।’ इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? अगले पृष्ठ पर दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए. मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए. मन के भीतर कविता-सी कोईबात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए. गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर:
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोईबात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।

2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए
(क) सन् 1857 ……………..
(ख) सन् 1947 ……………..
उत्तर:
(क) सन् 1857 1. महारानी लक्ष्मीबाई 2. तात्या टोपे।
(ख) सन् 1947, 1. भगतसिंह 2. नेताजी सुभाषचंद्र बोस।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली

HBSE 7th Class Hindi कठपुतली Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

Kathputli Chapter HBSE 7th Class प्रश्न 1.
कठपुतलियाँ किसका प्रतीक है?
उत्तर:
कठपुतलियाँ सामान्य जनों की प्रतीक हैं। वे अपनी मर्जी का जीवन नहीं जी पा रहीं।

कठपुतली कविता के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
एक कठपुतली क्या हो सकती है?
उत्तर:
एक कठपुतली नेता हो सकती है। प्रश्न 3, धागे किसके प्रतीक है? उत्तर: धागे गुलामी के बधन के प्रतीक हैं

लघुत्तरात्मक प्रश्न

कठपुतली पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
‘कठपुतली’ कविता के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
उत्तर:
कठपुतली’ कविता के माध्यम से कवि स्वतंत्रता का महत्त्व बताना चाहता है। परतंत्रता के बंधन व्यक्ति को बहुत दुःखी करते हैं। वह इनसे मुक्ति चाहता है। वह बंधनों को तोड़ना चाहता है। बंधनों में जकड़कर व्यक्ति मन की इच्छा को प्रकट नहीं कर पाता है। स्वतंत्र होना और उसे बनाए रखना बहुत जरूरी है, भले ही यह कठिन क्यों न हो।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली

कठपुतली गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. कठपुतली ………………….. छोड़ दो।

शब्दार्थ: बली: खाली, जोश में आई (Excited)। पाँव: पैर (Feer)|

प्रसंग: प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘कठपुतली’ से लिया गया है। इस कविता के रचयिता भवानीप्रसाद मिश्र हैं।

व्याख्या:
इस काव्यांश में एक कठपुतली अपनी हालत को देखकर गुस्से में उबल पड़ी। वह गुस्से में आकर बोल पड़ी–मेरे आगे-पीछे ये धागे क्यों बाँध रखे हैं अर्थात् तुम लोगों ने मुझे धागों में बाँधकर गुलाम बना रखा है। मुझे आजादी चाहिए अत: इन धागों (बंधनों) को तोड़ दिया जाना चाहिए। मुझे अपने पैरों पर खड़ा होने दिया जाए। मैं अपने पैरों से ही चलना चाहती हूँ. धागों के सहारे नहीं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कठपुतली क्यों गुस्से से उबल पड़ी?
2 कठपुतली ने क्या कहा?
3. ‘मुझे मेरे पाँव पर छोड़ दो’-से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
1. कठपुतली स्वयं को धागों से बंधे देखकर तथा दूसरे के इशारे पर नाचते देखकर गुस्से से उबल पड़ी।
2. कठपुतली ने कहा कि मेरे आगे-पीछे धागे क्यों है? इन्हें तोड़ दिया जाए।
3. कठपुतली आत्मनिर्भर होना चाहती है। वह अपनी इच्छानुसार नाचना या कार्य करना चाहती है। वह स्वयं चलना चाहती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चनकर लिखिए

1. इस कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) मैथिलीशरण गुप्त
(ख) भवानीप्रसाद मिश्र
(ग) सुमित्रानंदन पंत
(घ) अन्य
उत्तर:
(ख) भवानीप्रसाद मिश्र

2. कठपुतली को किनसे परेशानी थी?
(क) धागों से
(ख) गुस्से से
(घ) किसी से नहीं
उत्तर:
(क) धागों से

3. इस काव्यांश में कठपुतली के मन का कौन-सा भाव प्रकट होता है-
(क) स्वतंत्रता का
(ख) गुस्से का
(ग) खड़े होने का
(घ) तोड़ने का
उत्तर:
(ख) गुस्से का

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली

कठपुतली पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class

2. सुनकर बोली.. ………………….. में जगी?

शब्दार्थ: छंद = कविता, मन की इच्छा (Desire)|

प्रसंग: प्रस्तुत पक्तियाँ भवानीप्रसाद मिश्र की कविता ‘कठपुतली’ से अवतरित हैं। एक कठपुतली की बात का प्रभाव अन्य कठपुतलियों पर भी पड़ता है।

व्याख्या:
जब एक कठपुतली विद्रोह कर आजाद होने की बात कहती है तो अन्य कठपुतलियों को भी उसकी बात अच्छी लगती है। वे भी बंधन तोड़कर स्वतंत्र होना चाहती हैं। अन्य कठपुतलियाँ भी कहने लगती हैं-हमें भी अपने मन की इच्छा को प्रकट किए हुए बहुत दिन हो गए अर्थात् हम भी काफी समय से पराधीनता का जीवन जी रही हैं। हम भी स्वतंत्र होना चाहती हैं।

जब पहली कठपुतली पर अन्य सभी कठपुतलियों की स्वतंत्रता की ज़िम्मेदारी आती है तो वह सोचने लगती है कि यह मेरे मन में कैसी इच्छा जाग गई? अब वह सोच-समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. किसकी बात सुनकर कौन बोली?
2 उन्होंने क्या कहा?
3. पहली कठपुतली मन में क्या सोचने लगी?
उत्तर:
1. पहली कठपुतली की बात सुनकर अन्य कठपुतलियाँ बोली।
2 अन्य कठपुतलियों ने भी अपनी आजादी की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि हम बहुत दिनों से अपने मन की बात नहीं कर पाई हैं। हम भी स्वतंत्रता चाहती हैं।
3. पहली कठपुतली सोचने लगी कि उसके मन में यह स्वतंत्रता की कैसी इच्छा जग गई है? इसका क्या परिणाम होगा?

Kathputli Class 7 HBSE

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. अन्य कठपुतलियाँ क्या बोलीं?
(क) हमें आजादी नहीं चाहिए
(ख) बहुत दिनों से हमने अपने मन के छंद नहीं छुए
(ग) हमारे मन की बात मन में ही है
(घ) तुम ठीक कहती हो
उत्तर:
(ख) बहुत दिनों से हमने अपने मन के छंद नहीं छुए

2. ‘पहली कठपुतली’-रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) क्रिया
(घ) विशेषण
उत्तर:
(घ) विशेषण

3. ‘कठपुतलियाँ’ किसकी प्रतीक हैं?
(क) खिलौनों की
(ख) आम लोगों की
(ग) स्वतंत्रता की
(घ) पता नहीं
उत्तर:
(ख) आम लोगों की

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 4 कठपुतली

कठपुतली Summary in Hindi

कठपुतली पाठ का सार

प्रश्न: भवानी प्रसाद मिश्र के जीवन और कवित्व के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 1914 में होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ। इनकी रचनाओं में ऐसी नवीनता, अम्लानता और सरलता पाई जाती है, जो आज के किसी दूसरे कवि में दृष्टिगोचर नहीं होती। विषय का चयन और वर्णन करने का ढंग इनका अपना है। इनके काव्य की शक्ति किसी असाधारण तत्त्व पर निर्भर न रहकर साधारण को ही असाधारण बनाने में है। इनकी रचनाएँ हृदय प्रेरित हैं।

प्रारंभ में इनकी ख्याति ‘गीत-फरोश’ शीर्षक कविता के कारण अचानक हुई। यह कविता एकालाप नाटकीय कथोपकथन का विलक्षण आकर्षण और माधुर्य लिए हुए है। यह रचना आज के पाठक की गिरी हुई रुचि और काव्य के मूल्यों की डांवाडोल स्थिति की सूचक है। एक प्रकार से आज के युग में यह एक तीखा व्यंग्य है, जब कविता का उचित मूल्य और महत्त्व नहीं आँका जाता।

श्री मिश्र की रचनाओं को पढ़कर पहला प्रभाव जो पाठक के मन पर पड़ता है, वह यह कि ये प्रकृति के बड़े प्रेमी थे। प्रकृति के साथ इन्होंने कुछ ऐसी गहरी आत्मीयता स्थापित कर ली थी कि ये उसे स्थान-स्थान पर संबोधित करते पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश तो जैसे इनकी रचनाओं में सोते से जाग उठा। विंध्याचल, नर्मदा और रेवा इनकी साँसों में बसते थे। दुःख है कि मार्च, 1985 में इनका देहांत हो गया।

इनकी कविताएँ जीवन के प्रेम की कविताएँ हैं, जीवन के दुःख संघर्ष की कविताएँ, जीवन के आनंद की कविताएँ, सुख-ढूँढ़ने से ही सुख मिलता है और दुख ढूँढने से दुख, यह बात इन्होंने अपनी रचनाओं में हजार तरह से समझाई है। अत: इनकी कविताएँ मूल रूप से आस्तिक भाव की, जीवन के आनंद की और कर्म-प्रेरणा की रचनाएँ हैं। वे जीवन की आलोकमयी दृष्टि की परिचायिका हैं।

भवानीप्रसाद मिश्र के विचारों पर भारतीय विचारधारा का गंभीर प्रभाव पाया जाता है-विशेष रूप से गाँधीवाद का। बीसवीं शताब्दी में प्रचलित अन्य लोक-कल्याणकारी विचारधाराओं से भी ये किसी सीमा तक प्रभावित रहे। विशेष बल इन्होंने इस बात पर दिया कि हमारा जीवन सहज और सरल होना चाहिए। इस प्रकार भवानीप्रसाद मिश्र की रचनाओं में प्राणों की पूरी ऊष्मा, जीवन की पूरी गंभीरता, सहज प्रसन्नता तथा सहजता पाई जाती है।

रचनाएँ: गीतफरोश, चकित है दु:ख, अँधेरी कविताएँ, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, अनाम तुम आते हो, इदं न मम।

कठपुतली कविता का सार

इस कविता में कठपुतलियाँ अपनी स्वतंत्रता की इच्छा प्रकट करती हैं। एक कठपुतली गुस्से में आकर बोली कि मेरे आगे-पीछे धागे क्यों बंधे हैं ? इन धागों को तोड़कर मुझे आजाद कर दो ताकि मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकूँ और चल सकूँ। उसकी बात सुनकर अन्य कठपुतलियों ने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई। वे भी आजाद होना चाहती थीं। फिर पहली कठपुतली यह सोचने लगी कि यह मेरे मन में कैसी इच्छा उत्पन्न हो गई। अब उस पर नई जिम्मेदारी आ गई थी। वह सोचने लगती है कि मेरी इस इच्छा का क्या परिणाम होगा? क्या वह अपनी स्वतंत्रता को सँभाल पाएगी? क्या वह पूरी तरह से अपने पैरों पर खड़ी हो पाएगी? क्या वह आजादी का सही उपयोग कर पाएगी? पहली कठपुतली सोच-समझ कर ज़रूरी कदम उठाना चाहती है।

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

अमृतं संस्कृतम् Class 7 Question Answers HBSE प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत
बहवीनाम – सङ्गणकस्य
चिकित्साशास्त्रम् – वैशिष्ट्यम्
भूगोलशास्त्रम् – वाङ्मये
विद्यमानाः – अर्थशास्त्रम्
उत्तरम्:
छात्रा: एतेषां शब्दानाम् उच्चारणं स्वयमेव कुर्वन्तु

अमृतं संस्कृतम् Question Answer HBSE Class 7 Civics प्रश्न 2.
प्रश्नानाम् एकपदेन उत्तराणि लिखत –
(क) का भाषा प्राचीनतमा ?
(ख) भारतीयसंस्कृतेः रक्षणं केन सम्भवति ?
(ग) चाणक्येन रचितं शास्त्रं किम् ?
(घ) कस्याः भाषायाः काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम् ?
(ङ) शून्यस्य प्रतिपादनं कः अकरोत् ?
उत्तरम्:
(क) संस्कृतभाषा
(ख) संस्कृतेन
(ग) अर्थशास्त्रम्
(घ) संस्कृतभाषायाः
(ङ) भास्कराचार्यः।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

Class 7 Civics Chapter 13 HBSE अमृतं संस्कृतम् प्रश्न 3.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत –
(क) भारतसर्वकारस्य राजचिह्ने किं लिखितम् अस्ति ?
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं कैः समृद्धमस्ति ?
(ग) संस्कृतस्य सूक्तयः केन रूपेण स्वीकृताः सन्ति ?
(घ) अस्माभिः संस्कृतं किमर्थ पठनीयम् ?
उत्तरम्:
(क), ‘सत्यमेव जयते’ इति भारतसर्वकारस्य राजचिह्न लिखितम् अस्ति।
(ख) संस्कृतस्य वाङ्मयं वेदैः, पुराणैः, नीतिशास्त्रैः, चिकित्साशास्त्रादिभिः समृद्धमस्ति।
(ग) संस्कृतस्य सूक्तयः ध्येयवाक्यरूपेण स्वीकृताः सन्ति।
(घ) अस्माभिः संस्कृतं पठनीयम् येन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कारः भवेत्।

Class 7 अमृतं संस्कृतम् HBSE Civics प्रश्न 4.
इकारान्त-स्त्रीलिङ्गशब्दरूपम् अधिकृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् -1
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् -2

प्रश्न 5.
रेखाङ्कितानि पदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुतः
(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयोः निधिः सुरक्षितोऽस्ति।
(ख) संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा।
(ग) शल्यक्रियायाः वर्णनं संस्कृतसाहित्ये अस्ति।
(घ) वरिष्ठान् प्रति अस्माभिः प्रियं व्यवहर्तव्यम्।
उत्तरम्:
(क) संस्कृते ज्ञानविज्ञानयोः कः सुरक्षितोऽस्ति?
(ख) संस्कृतमेव कस्य कृते सर्वोत्तमा भाषा ?
(ग) शल्यक्रियायाः वर्णनं कस्मिन् अस्ति ?
(घ) कान् प्रति अस्माभिः प्रियं व्यवहर्तव्यम् ?

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं पदानां विभक्तिं वचनञ्च लिखत
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् -3
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् -4

प्रश्न 7.
यथायोग्य संयोज्य लिखत-

दूरदर्शनस्य आदर्शवाक्यम्नभः स्पृशं दीप्तम्।
चाणक्येनयोगक्षेमं वहाम्यहम्।
जीवनबीमानिगमस्य आदर्शवाक्यम्भास्कराचार्यः।
शून्यस्य आविष्कर्तासत्यं शिवं सुन्दरम्।
वायुसेनायाः आदर्शवाक्यम्अर्थशास्त्रं रचितम्।

उत्तरम्:

दूरदर्शनस्य आदर्शवाक्यम्सत्यं शिवं सुन्दरम्।
चाणक्येनअर्थशास्त्रं रचितम्।
जीवनबीमानिगमस्य आदर्शवाक्यम्योगक्षेमं वहाम्यहम्।
शून्यस्य आविष्कर्ताभास्कराचार्यः।
वायुसेनायाः आदर्शवाक्यम्नभः स्पृशं दीप्तम्।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

ध्यातव्यम्

अस्मिन् पाठे संस्कृति-स्मृति-नीति-सूक्ति-परिस्थिति-दृष्टि-धृति-शान्ति-प्रीति-इत्यादयः शब्दाः प्रयुक्ताः सन्ति। एते शब्दाः गति-मति शब्दवत् स्त्रीलिङ्गे प्रयुक्ताः भवन्ति।
एतेषां शब्दानां चतुर्थी-पञ्चमी-षष्ठी-सप्तमीविभक्तिीनामेकवचने द्वे द्वे रूपे भवतः।
यथा- गतये, गत्याः-गतेः, गत्याम्-गतौ।

ध्यातव्य

इस पाठ में संस्कृति, स्मृति, नीति, सूक्ति, परिस्थिति, पद्धति, दृष्टि, धृति, शान्ति, प्रीति इत्यादि शब्द प्रयुक्त हैं। ये शब्द गति, मति इत्यादि शब्द के समान स्त्रीलिङ्ग में प्रयुक्त होते हैं।
इन शब्दों की चतुर्थी पञ्चमी, षष्ठी तथा सप्तमी विभक्तियों के एकवचन में दो-दो रूप होते हैं। जैसे- गत्यै-गतये, गत्या:-गतेः, गत्याम्-गतौ।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

मूलपाठः

1. विश्वस्य सर्वासु भाषासु संस्कृतभाषा प्राचीनतमा भाषास्ति। भाषेयं बहीनां भाषाणां जननी मता। अस्यामेव भाणाया ज्ञानविज्ञानयोः निधिः सुरक्षितोऽस्ति। यथोक्तम्-“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा।”

अस्याः भाषायाः वैज्ञानिकता विचार्य एव सङ्गणकविशेषज्ञाः कथयन्ति यत् संस्कृतमेव सङ्गणकस्य कृते सर्वोत्तम भाषा विद्यते। अस्याः वाङ्मयं वेदैः, पुराणः, नीतिशास्त्रैः चिकित्साशास्त्रादिभिश्च समृद्धमस्ति। कालिदाससदृशानां विश्वकवीनां काव्यसौन्दर्यम् अनुपमम्। चाणक्यरचितम् अर्थशास्वं जगति प्रसिद्धमस्ति। गणितशास्त्रे शून्यस्य प्रतिपादनं सर्वप्रथमं भास्कराचार्यः सिद्धान्तशिरोमणी अकरोत्। चिकित्साशास्त्रे चरकसु श्रुतयोः योगदान विश्वप्रसिद्धम्। संस्कृते यानि अन्यानि शास्वाणि विद्यन्ते तेषु खगोलविज्ञानं, वास्तुशास्त्र, रसायनशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र, विमानशास्त्रं च उल्लेखनीयम्।

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् -5
हिन्दी-अनुवाद :
विश्व की सभी भाषाओं में संस्कृत भाषा सबसे पुरानी है। यह अनेक भाषाओं की जननी मानी गई है। इसी भाषा में ज्ञान तथा विज्ञान का खजाना सुरक्षित है। जैसा कि कहा भी गया है-“भारत की प्रतिष्ठा ‘दो’ हैं-संस्कृत (भाषा) तथा संस्कृति।”

इस भाषा की वैज्ञानिकता का विचार करके ही कम्प्यूटर के विशेषज्ञ कहते हैं कि कंप्यूटर के लिए संस्कृत भाषा ही सबसे अधिक श्रेष्ठ है। इसका साहित्य वेदों, पुराणों, नीतिशास्त्रों तथा चिकित्साशास्त्र इत्यादि से भरा-पूरा (समृद्ध) है। कालिदास के समान संसारप्रसिद्ध कवियों का काव्य-सौन्दर्य अतुलनीय है। चाणक्य द्वारा बनाया हुआ अर्थशास्त्र संसार में प्रसिद्ध है। गणितशास्त्र में शून्य (जीरो) का प्रतिपादन सबसे पहले भास्कराचार्य ने ‘सिद्धान्त-शिरोमणि’ नामक ग्रंथ में किया था। चिकित्साशास्त्र में चरक तथा सुश्रुत का योगदान संसार में प्रसिद्ध है। संस्कृत में जो दूसरे शास्त्र हैं, उनमें खगोलविज्ञान, वास्तुशास्त्र, रसायनशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र तथा विमानशास्त्र उल्लेख के योग्य हैं।

सन्धिच्छेदः
भाषास्ति = भाषा + अस्ति। भाषेयम् – भाषा+ इयम्। सुरक्षितोऽस्ति – सुरक्षितः + अस्ति। यथोक्तम् = यथा+ उक्तम्। संस्कृतिस्तथा – संस्कृतिः + तथा। सर्वोत्तमा – सर्व उत्तमा। चिकित्साशास्त्रादिभिश्च-चिकित्साशास्त्र आदिभिः +चा अनुपमम्-अन् उपमम्। भास्कराचार्यः = भास्कर + आचार्यः।

संयोग:
अस्यामेव-अस्याम्-एव। संस्कृतमेव-संस्कृतम् । एव। समृद्धमस्ति-समृद्धम् अस्ति। प्रसिद्धमस्ति-प्रसिद्धम् + अस्ति।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्

2. संस्कृतस्य इदं वैशिष्ट्यं वर्तते यत् अस्याः वाङ्मये विद्यमानाः सूक्तयः अभ्युदयाय प्रेरयन्ति। वरिष्ठान् कनिष्ठान् च प्रति अस्माभिः कथं व्यवहर्तव्यम् इत्यस्य व्यावहारिक ज्ञान संस्कृतमेव ददाति। भारतसर्वकारस्य विभिन्नेषु विभागेषु संस्कृतस्य सूक्तयः ध्येयवाक्यरूपेण स्वीकृताः सन्ति। भारतसर्वकारस्य राजचिह्ने प्रयुक्तां सूक्तिं ‘सत्यमेव जयते’ सर्वे जानन्ति। एवमेव राष्ट्रियशैक्षिकानुसन्धानप्रशिक्षणपरिषदः ध्येयवाक्यं ‘विद्ययाऽमृतमश्नुते’ वर्तते।

केचन कथयन्ति यत् संस्कृतभाषायां केवलं धार्मिक साहित्यम् वर्तते-एषा धारणा समीचीना नास्ति। संस्कृतग्रन्थेषु मानवजीवनाय विविधाः विषयाः समाविष्टाः सन्ति। महापुरुषाणां मतिः, उत्तमजनानां धृति सामान्यजनाना जीवनपद्धतिः च वर्णिताः सन्ति। अतः अस्माभिः संस्कृतम् अवश्यमेव पठनीय येन मनुष्यस्य समाजस्य च परिष्कार: भवेत्। उक्तञ्च-
अमृतं संस्कृतं मित्र!
सरसं सरलं वचः।
एकतामूलकं राष्ट्र
ज्ञानविज्ञानपोषकम्॥

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम् -6

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 13 अमृतं संस्कृतम्
हिन्दी-अनुवाद :
संस्कृत की यह विशेषता है कि इसके साहित्य में विद्यमान सूक्तियाँ (मनुष्यों को) उन्नति के लिए प्रेरणा देती हैं। अपने से बड़ों तथा अपने से छोटों के प्रति हमें कैसा व्यवहार करना चाहिए इस विषय का व्यावहारिक ज्ञान हमें संस्कृत (भाषा) ही देती है। भारत सरकार के अनेक विभागों में संस्कृत की सूक्तियाँ आदर्शवाक्य (महत्त्वपूर्ण वाक्य) के रूप में स्वीकार की गई हैं। भारत सरकार के राजचिह्न में प्रयुक्त सूक्ति “सत्यमेव जयते” को सभी जानते हैं। इसी प्रकार “राष्ट्रीय-शैक्षिक-अनुसन्धानप्रशिक्षण-परिषद् ” का ध्येयवाक्य (आर्दश वाक्य) “विद्ययाऽमृतमश्नुते” (विद्या से व्यक्ति अमृत पीता है) यह है।

कुछ लोग कहते हैं कि संस्कृत भाषा में केवल धार्मिक साहित्य है-यह विचारधारा ठीक नहीं है। संस्कृत के ग्रन्थों में मानवजीवन के अनेक विषय समाए हुए हैं। महान् व्यक्तियों की बुद्धि, उत्तम मनुष्यों का धैर्य तथा सामान्य मानवों की जीवनशैली का वर्णन किया गया है। अतः हमें संस्कृत भाषा अवश्य पढ़नी चाहिए जिससे मनुष्य और समाज का सुधार हो सके। कहा भी गया है कि हे मित्र! संस्कृत अमृत है यह रसपूर्ण तथा सरल है देश में एकता का मूल है तथा ज्ञान और विज्ञान की पोषक है।

सन्धिच्छेदाः
इत्यस्य = इति + अस्य। सूक्तयः = सु + उक्तयः। विद्ययाऽमृतम् – विद्यया अमृतम्। नास्ति – न . अस्ति। उक्तञ्च = उक्तम् + च।

संयोगा: – संस्कृतमेव – संस्कृतम् + एव। सत्यमेव = सत्यम् + एव। एवमेव – एवम् + एव। अवश्यमेव – अवश्यम् + एव।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

HBSE 7th Class Hindi हिमालय की बेटियाँ Textbook Questions and Answers

लेख से

हिमालय की बेटियाँ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 1.
नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफी पुरानी है लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर:
नदियों को माँ मानने की परंपरा भारतीय संस्कृति में अत्यंत पुरानी है। प्रायः ‘गंगा मैया, यमुना मैया’ कहा जाता है। इसके बावजूद लेखक नदियों को और भी कई रूपों में देखता है। वे रूप हैं-

  • बेटी के रूप में: नागार्जुन नदियों को हिमालय पर्वत की बेटियों के रूप में देखता है।
  • प्रेयसी के रूप में: कालिदास के मेघदूत का प्रसंग बताकर नागार्जुन इन्हें प्रेयसी का रूप देता है। वैसे नदियाँ समुद्र की प्रेयसियाँ हैं क्योंकि नदियाँ उसी की बाँहों में समाने को बेचैन रहती हैं।
  • बहन के रूप में: अनेक कवियों ने भी नदियों का वर्णन बहन के रूप में किया है।

हिमालय की बेटियाँ पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 2.
सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई
उत्तर:
सिंधु और ब्रह्मपुत्र स्वयं में कुछ नहीं है। दयालु हिमालय के पिघले दिल की एक-एक बूंद इकट्ठा होकर ये महानद बनी है। ये नदियाँ लुभावनी है।

हिमालय की बेटियां शब्दार्थ HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 3.
काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर:
काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता इसलिए कहा है क्योंकि ये नदियाँ लोगों के लिए माता के समान पवित्र एवं कल्याणकारी है। इनमें ममता की भावना होती है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

हिमालय की बेटियाँ’ पाठ का सारांश HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 4.
हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर:
हिमालय की यात्रा में लेखक ने इनकी प्रशंसा की है:

  • गंगा-यमुना
  • पौधों से भरी घाटियाँ
  • उपत्यकाएँ
  • विभिन्न प्रकार के पेड़।

लेख से आगे

हिमालय की बेटियाँ HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 1.
नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर:
नदी पर कविता

नदी: कामधेनु

-त्रिलोचन

नदी ने कहा था: मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
तैरकर धारा को पार किया।
नदी ने कहा था: मुझे बाँधो
मनुष्य ने सुना और
सपरिवार धारा को
नाव से पार किया।
नदी ने कहा था: मुझे बांधो
मनुष्य ने सुना और
आखिर उसे बाँध लिया
बाँध कर नदी को
मनुष्य दुह रहा है
अब वह कामधेनु है।

हिमालय की बेटियां के शब्दार्थ HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 2.
गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’ पढ़िए। हिमालय को कवि किस रूप में प्रस्तुत करता है, उसकी तुलना प्रस्तुत पाठ के हिमालय वर्णन से कीजिए।
उत्तर:
हिमालय और हम-गोपाल सिंह नेपाली
[1] गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।
इतनी ऊंची इसकी चोटी कि सकल धरती का ताज यही,
पर्वत-पहाड़ से भरी धरा पर केवल पर्वत राज यही,
अंबर में सिर, पाताल चरन
मन इसका गंगा का बचपन
तन वरन-वरन, मुख निरावरन
इसकी छाया में जो भी है, वह मस्तक नहीं झुकाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।।

[2] अरुणोदय की पहली लाली, इसको ही चूम निखर जाती,
फिर संध्या की आँतम लाली, इस पर ही झूम बिखर जाती।
इन शिखरों की माया ऐसी,
जैसा प्रभात संध्या वैसी,
अमरों को फिर चिंता कैसी,
इस धरती का हर लाल खशी से उदय-अस्त अपनाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का कुछ ऐसा ही नाता है।।

[3] हर संध्या को इसकी छाया, सागर सो लंबी होती है,
हर सुबह वही फिर गंगा की, चादर सी लंबी होती है।
इसकी छाया में रंग गहरा,
है दंश हरा, परदेश हरा,
हर मौसम है, संदेश भरा।
इसका पद-तल छूने वाला, वेदों की गाथा गाता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का, कुछ ऐसा ही नाता है।।

[4] जैसा वह अटल, अविचल, वैसे ही हैं भारतवासी,
हैं अमर हिमालय धरती पर, तो भारतवासी अविनाशी।
कोई क्या हमको ललकारे
हम कभी न हिंसा से हारे
दु:ख देकर तुमको क्या मारे
गंगा का जल जो भी पी ले, वह दुःख में भी मुसकांता है।
गिरिराज हिमालय से भारत का, कुछ ऐसा ही नाता है।।

इस कविता में कवि बताता है कि हिमालय पर्वत पर्वतों का राजा है और उसका भारत के साथ विशेष संबंध है। इस पर्वत की चोटी विश्व भर में सबसे ऊँची है। यही कारण है कि यह इस पृथ्वी का ताज है। पहाड़ों से भरी हुई इस पृथ्वी पर हिमालय ही पर्वतों का राजा है। इस पर्वत का सिर आकाश में है तो इसके चरण समुद्र में हैं। सागर इसके चरण धोता है। इसी से गंगा नदी निकलती है जो इसके मन के समान है। इसका शरीर तो ढका हुआ है पर इसका मुख उपड़ा हुआ है। शरीर पर हरियाली ही इसका आवरण है। इस पर्वत की छाया में भारत देश है जो कभी किसी के सामने सिर नहीं झुकाता है। भारत का इस पर्वत के साथ विशेष नाता है।

हिमालय पर्वत इतना बड़ा है कि शाम के समय इसकी छाया समुद्र के समान बड़ी होती है। प्रात:काल होते ही गंगा नदी चादर के समान बहती दिखाई देती है। इसकी छाया गहरी होती है। देश-परदेश सभी जगह हरियाली छाई रहती है। प्रत्येक मौसम संदेश देता सा जान पड़ता है। इसके पैरों में बसा भारत वेदों की गाथा गाता रहता है अर्थात् वेदों की कहानी कहता है। पर्वतराज हिमालय से भारत का विशेष नाता है।

प्रात:काल जब सूर्य निकलता है तो उसकी पहली लालिमा इस हिमालय की चोटी को चूमकर ही निखरती है अर्थात् पहली किरण इसी पर पड़ती है। शाम के समय भी छिपते सूर्य की लाली इसी चोटी पर बिखर कर अपनी छटा दिखाती है। इन चोटियों की विशेषता ही कुछ ऐसी है कि यहाँ सवेरे और शाम का वातावरण एक समान प्रतीत होता है। यहाँ किसी प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है। इस पृथ्वी पर रहने वाला हर व्यक्ति इस सूर्य के उगने और छिपने अर्थात् सुख-दुःख को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करता है। भारत का इस हिमालय के साथ विशेष प्रकार का रिश्ता है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

हिमालय की बेटियां सारांश HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 3.
यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर:
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ अब प्रदूषण का शिकार हो गई। गंगा और यमुना नदियाँ अब अपनी पवित्रता खो बैठी हैं।

हिमालय की बेटियां प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class Hindi प्रश्न 4.
अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
उत्तर:
हिमालय में देवताओं का वास है अतः कालिदास हिमालय को देवात्मा कहा है।

HBSE 7th Class Hindi हिमालय की बेटियाँ Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

Himalaya Ki Betiyan Class 7 Solutions HBSE प्रश्न 1.
लेखक ने इस पाठ में किनका वर्णन किया है?
उत्तर:
लेखक ने इस पाठ में हिमालय से निकलने वाली नदियों का वर्णन किया है।

Himalaya Ki Betiyan Class 7 HBSE प्रश्न 2.
हिमालय पर्वत पर नदियों का रूप कैसा दिखाई देता है?
उत्तर:
हिमालय पर्वत पर नदियों का रूप दुबला-पतला दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
नदियाँ कहाँ भागी जाती है?
उत्तर:
नदियाँ समुद्र की ओर भागी जाती हैं।

प्रश्न 4.
कौन-सी दो नदियाँ महानदों के रूप में समुद्र की ओर प्रवाहित होती रही हैं?
उत्तर:
सिंधु और ब्रह्मपुत्र।

प्रश्न 5.
हिमालय और समुद्र में क्या रिश्ता है?
उत्तर:
हिमालय और समुद्र में ससुर और दामाद का रिश्ता है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

प्रश्न 6.
काका कालेलकर ने नदियों को क्या कहा है?
उत्तर:
काका कालेलकर ने नदियों को ‘लोकमाता’ कहा है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ने किन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है और क्यों?
उत्तर:
लेखक ने हिमालय से निकलने वाली नदियों को हिमालय की बेटियाँ कहा है। ये नदियाँ हिमालय से निकली है तथा इनका बचपन हिमालय की गोद में ही बीता है। अत: ये उसी की बेटियाँ हैं।

प्रश्न 2.
हिमालय पर चढ़कर लेखक ने नदियों का क्या रूप देखा?
उत्तर:
जब लेखक हिमालय के कंधे पर चढ़ा तब उसने देखा कि वहाँ ये नदियाँ दुबले-पतले रूप में थीं। वहाँ ये नदियाँ उछलती-कूदती, हँसती थीं। मैदान में उतरकर ये विशाल रूप धारण कर लेती हैं।

प्रश्न 3.
नदियाँ कहाँ भागी जाती हैं?
उत्तर:
नदियाँ पर्वत की गोद से निकल कर मैदानों (समतल) की ओर भागी जाती हैं, पर यहीं इनकी भाग-दौड़ समाप्त नहीं हो जाती। ये समुद्र से मिलने के लिए उसी की ओर भागी चली जाती हैं।

प्रश्न 4.
सिंधु और ब्रह्मपुत्र क्या हैं?
उत्तर:
सिंधु और ब्रह्मपुत्र दो महानद हैं। इन्हें नदी कहा जाता है। ये स्वयं में कुछ नहीं हैं। दयालु हिमालय के पिघले हुए दिल की एक-एक बूंद को इकट्ठा करके इन दोनों नदियों में जल-दान किया है। ये दोनों समुद्र की ओर प्रवाहित होती हैं।

प्रश्न 5.
कालिदास के विरही यक्ष ने क्या कहा था?
उत्तर:
विरही यक्ष ने मेघदूत से कहा था कि वेत्रवती (बेतवा) नदी को प्रेम का प्रतिदान देते जाना। तुम्हारी प्रेयसी तुम्हें पाकर बहुत प्रसन्न होगी।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 3 हिमालय की बेटियाँ

हिमालय की बेटियाँ गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. अभी तक ……………….. हो जाती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. लेखक ने अभी तक किन्हें दूर से देखा था?
2 दूर से वे कैसी लगती थी?
3. लेखक के मन में नदियों के प्रति कैसे भाव थे?
4. हिमालय के कंधे पर चढ़कर लेखक को क्या अनुभव हुआ?
उत्तर:
1. लेखक ने अभी तक हिमालय की बेटियों अर्थात् नदियों को दूर से देखा था।
2. दूर से ये नदियाँ एक संभ्रांत महिला के समान शांत प्रतीत होती थीं।
3. लेखक के मन में इन नदियों के प्रति आदर और श्रद्धा के भाव थे। वह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता था।
4. हिमालय के कंधे पर चढ़कर लेखक को पता चला कि वहाँ तो गंगा-यमुना, सतलुज आदि नदियाँ दुबली-पतली हैं, पर समतल मैदान में पहुंचकर इनका आकाश विशाल हो जाता है। उनके रूप में यह एक बड़ा परिवर्तन है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. अभी तक लेखक ने नदियों को कैसे देखा था?
(क) पास से
(ख) दूर से
(ग) पहाड़ से
(घ) मैदान से
उत्तर:
(ख) दूर से

2. लेखक को नदियाँ कैसी लगती थीं?
(क) शांत
(ख) गंभीर
(ग) संभ्रांत महिला के समान
(घ) ये सभी रूप
उत्तर:
(घ) ये सभी रूप

3. लेखक नदियों की धारा में क्या करता था?
(क) डुबकियाँ लगाता था
(ख) नाव चलाता था
(ग) खेलता था
(घ) कुछ नहीं करता था
उत्तर:
(क) डुबकियाँ लगाता था

4. समतल मैदान में पहुँचकर नदियाँ कैसी हो जाती हैं?
(क) दुबली
(ख) पतली
(ग) विशाल
(घ) टेडी
उत्तर:
(ग) विशाल

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2. कहाँ ये …………… क्या है?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1, नदियों का हृदय कैसा प्रतीत होता है और यह कैसे पता चलता है?
2 नदियों का लीला निकेतन क्या है?
3. इन्हें कब बीती बातें याद करने का मौका मिलता होगा?
4. हिमालय का चित्रण किस रूप में किया गया है? वह क्या करता होगा?
उत्तर:
1. नदियों का हृदय अतृप्त प्रतीत होता है। इसका पता इससे चलता है कि अपने पिता (हिमालय) का प्यार पाकर भी ये बेचैन हैं और निरंतर आगे भागी जा रही हैं।
2. नदियों के लीला निकेतन हैं-बरफ जली नंगी पहाड़ियाँ, पौधों से भरी घाटियाँ, टेबललैंड हरी-भरी घाटियाँ।
3. ये नदियाँ जब खेलते-खेलते दूर निकल जाती हैं तब देवदार, चीड़, सरो, चिनार, सफेदा, कैल के जंगलों में पहुँच कर इन्हें बीती बातों को याद करने का मौका मिल जाता होगा।
4. हिमालय का चित्रण एक बूढ़े पिता के रूप में किया गया है। वह अपनी इन शैतान बेटियों (नदियों) के लिए अपना सिर धुनता होगा।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कौन भाग रहा है?
(क) हिमालय
(ख) नदियाँ
(ग) मैदान
(घ) लेखक
उत्तर:
(ख) नदियाँ

2. ‘अतृप्त’ शब्द का अर्थ है
(क) असंतुष्ट
(ख) प्यासा
(ग) भरना
(घ) भूखा
उत्तर:
(क) असंतुष्ट

3. ‘बुड्ढा हिमालय’ में रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) सर्वनाम
(घ) क्रिया
उत्तर:
(ख) विशेषण

4. हिमालय की बेटियाँ कैसी हैं?
(क) शांत
(ख) नटखट
(ग) तेज
(घ) गंभीर
उत्तर:
(ख) नटखट

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3. जिन्होंने मैदानों …………………………… होती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1, मैदान में इन नदियों के किस रूप की कल्पना करना कठिन है?
2 माँ-बाप की गोद में खेलने वाली बालिकाएं कौन हैं?
3. पहाड़ी आदमियों को क्या आकर्षक प्रतीत नहीं होता और क्यों?
4. गद्यांश में किसे ससुर और किसे दामाद कहा गया है और क्यों?
उत्तर:
1. मैदान में नदियों के उस रूप की कल्पना करना कठिन है कि ये बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर कैसे खेला करती थीं।
2 माँ-बाप की गोद में खेलने वाली बालिकाएँ हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियाँ ही हैं।
3. पहाड़ों से निकलने वाली नदियों (बालिकाओं के समान) का रूप पहाड़ी आदमियों को आकर्षक प्रतीत नहीं होता।
4. गद्यांश में हिमालय को ससुर और समुद्र को दामाद कहा गया है। नदी हिमालय की पुत्री है और समुद्र में जा मिलती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. ‘बूढ़े हिमालय’ में रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया।
उत्तर:
(क) संज्ञा

2. इस पाठ के लेखक हैं
(क) नागार्जुन
(ख) मुकार्जन
(ग) नीलकंठ
(घ) अर्जुन
उत्तर:
(क) नागार्जुन

3. हिमालय की बेटियाँ कौन हैं?
(क) हिमालय से निकलने वाली नदियाँ
(ख) हिमालय की चोटियाँ
(ग) बालिकाएँ
(घ) समुद्र
उत्तर:
(क) हिमालय से निकलने वाली नदियाँ

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4. काका कालेलकर ……………. हो गया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. काका कालेलकर ने नदियों को क्या कहा है?
2 लेखक नदियों को और किन-किन रूपों में देखने को कहता है?
3. एक दिन लेखक की कैसी भावना हुई?
4. किस काम से लेखक का मन ताजा हो गया?
उत्तर:
1. काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
2. लेखक नदियों को बेटी, प्रेयसी, बहन के रूपों में भी देखने को कहता है।
3, एक दिन थो-लिङ् (तिब्बत) में लेखक का मन उचट गया, तबीयत ढीली थी।
4. लेखक सतलुज के किनारे बैठ गया। पैर लटका दिए। इससे तन-मन ताज़ा हो गया और वह गुनगुनाने लगा।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. नदी को लोकमाता किसने कहा?
(क) काका
(ख) कालेलकर
(ग) काका कालेलकर
(घ) नागार्जुन
उत्तर:
(ख) कालेलकर

2. कवियों ने नदियों को किसका स्थान दिया है?
(क) प्रेयसी का
(ख) बेटी का
(ग) बहन का
(घ) अन्य का
उत्तर:
(ग) बहन का

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हिमालय की बेटियाँ Summary in Hindi

हिमालय की बेटियाँ पाठ का सार

इस पाठ में लेखक हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियों को उसकी बेटियाँ बताता है। अभी तक उसने इन्हें दूर से ही देखा था। उनके प्रति लेखक के मन में आदर-सम्मान का भाव था। एक बार जब वह हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो उसे उनका भिन्न रूप सामने आया। हिमालय पर्वत पर गंगा-यमुना-सतलुज दुबली-पतली दिखाई देती है और मैदानों में पहुँचकर विशाल रूप धारण कर लेती हैं। इन नदियों की बाल लीला देखकर उसे आश्चर्य होता है। उसे ये नदियाँ भागती प्रतीत होती हैं।

पिता (हिमालय) का भरपूर प्यार पाकर भी ये अतृप्त बनी रहती हैं। लगता है ये अपने प्रियतम (समुद्र) से मिलने को बेचैन रहती हैं। ये घाटियों, उपजाऊ भूमि, तरह-तरह के वृक्षों के जंगलों में से गुजर जाती हैं। हो सकता है बूढ़ा हिमालय इन अपनी नटखट लड़कियों (नदियों) के सिर धुनता होगा। सिंधु और ब्रह्मपुत्र नदियों के ऐसे नाम हैं जिनके सुनते ही रावी, सतलुज, व्यास, चिनाव, झेलम, काबुल, कपिशा, गंगा, यमुना, सरय, गंडक, कोसी आदि नदियाँ बेटियों के रूप में सामने नाचने लगती हैं। वह समुद्र बड़ा भाग्यशाली है जिसे सिंधु और ब्रह्मपुत्र-दोनों बेटियों का हाथ पकड़ने का श्रेय मिला है। लेखक हिमालय को समुद्र (दामाद) का ससुर बताता है।

कालिदास के विरही यक्ष ने मेघदूत से कहा था-वेत्रवती (वेतवा) नदी को प्रेम का फल देते जाना. इससे तुम्हारी प्रेयसी खुश हो जाएगी। महाकवि को भी नदियों का सचेतक रूप पसंद था। काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है। लेखक का कहना है कि उन्हें बेटियों के रूप में देखने में कोई हर्ज नहीं है। इनमें प्रेयसी की भावना उत्पन्न करनी चाहिए। अनेक कवियों ने इन्हें बहन का स्थान दिया है। एक बार की बात है कि लेखक धो-लिङ् (तिब्बत) गया था। तब उसका मन उचाट था, तबीयत भी ढीली थी अत: वह सतलज नदी के पानी में पैर लटका कर बैठ गया। थोड़ी ही देर में उसका मन ताजा हो गया। वह गुनगुनाने लगा..

जय हो सतलज बहन तुम्हारी
लीला अचरज बहन तुम्हारी
हुआ मुदित मन हटा खुमारी
जाऊँ मैं तुम पर बलिहारी
तुम बेटी यह बाप हिमालय
चिंतित पर, चुपचाप हिमालय
प्रकृति नटी के चित्रित पट पर
अनुपम अद्भुत छाप हिमालय
जय हो सतलज बहन तुम्हारी!

हिमालय की बेटियाँ शब्दार्थ

अधित्यकाएँ (स्वी.) = पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि, ‘टेबुललैंड’ (Table land)। उपत्यकाएँ (स्वी.) = पहाड़ के पास की जमीन, तराई, घाटी (Valley)। खुमारी = आलस (Lociness)। चित्रित = बना हुआ चित्र (Picuteri)। नटी = नृत्य करने वाली (Dancer lach)। प्रगतिशील = आगे की ओर बढ़ने वाला (Progressive)। प्रतिदान = बदले में (Inexchange)। प्रेयसी (स्त्री.)- प्रेमिका, पत्नी, प्रियतमा (Beloved)। बंधुर (पु.) – भाई (Brother)। बलिहारी (स्त्री) = निछावर होना (Offering) भाव-भंगी – हाव-भाव (Pasture)। मुदित – प्रसन्न (Happy)। विराट – बड़ा (Big)। विस्मय – आश्चर्य (Surprise)। संभ्रांत = अच्छे कुल का (Ofgood family)। सरसब्ज (वि.) = हराभरा, लहलहाता (Green)। प्रतीत = मालूम (Looks)। कौतूहल – जानने की इच्छा (Curiosity)। मौन = चुप (Silent)। श्रेय – यश (Credit)। जुदा-जुदा = अलग-अलग (Seperate)। सचेतन = जानदार, जागरुक (Conscious)। लुभावना = मनमोहन (Attracting)। अतृप्त = संतुष्ट न होना (Unsatisfier).

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि

अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Class 7 Question Answers HBSE प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुत
अग्रिमदिने, षड्वादने, अष्टवर्षदेशीया, अनुगृह्णातु, भवत्सदृशानाम्, गृहसञ्चालनाय, व्यवस्थायै, महार्धताकाले, अद्यैवास्याः, करतलवादसहितम्!
उत्तरम्:
स्वयं प्रयास करें।

अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि Question Answer HBSE Class 7 प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तराणि लिखत
(क) गिरिज़ायाः गृहसेविकायाः नाम किमासीत्?
(ख) दर्शनायाः पुत्री कति वर्षीया आसीत्?
(ग) अद्यत्वे शिक्षा अस्माकं कीदृशः अधिकारः?
(घ) दर्शनायाः पुत्री कथं नृत्यति?
उत्तर
(क) दर्शना
(ख) अष्टवर्षीया
(ग) मौलिकः
(घ) करतलवादनसहितम्

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि

Class 7 Civics Chapter 9 HBSE अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) अष्टवर्षदेशीया दर्शनायाः पुत्री किं समर्थाऽसीत्?
(ख) दर्शना कति गृहाणां कार्यं करोति स्म?
(ग) मालिनी स्वप्रतिवेशिनीं प्रति किं कथयति?
(घ) अद्यत्वे छात्राः विद्यालये किं किं निःशुल्क प्राप्नुवन्ति?
उत्तर
(क) अष्टवर्षदेशीया दर्शनायाः पुत्री एकस्य सम्पूर्णस्य ङ्के गृहस्थ कार्य का समर्थासीत्
(ख) दर्शना पंचानां षण्णां वा गृहाणानां कार्यं करोति स्म।
(ग) मालिनी स्वप्रतिवेशिनी प्रति कार्यार्थं कस्याश्चित् महिलासहायिकाया वार्ता कथयति।
(घ) अद्यत्वे छात्रा विद्यालये निशुल्कं गणवेषम्,पुस्तकानि, पुस्तकस्यूतम्, पादत्राणाम्,मध्याह्नभोजनम्, छात्रवृत्तिं च प्राप्नुवन्ति।

Class 7 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि HBSE प्रश्न 4.
रेखांकितपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) मालिनी द्वारमुद्घाटयति?
(ख) शिक्षा सर्वेषां बालानां मौलिकः अधिकारः।
(ग) दर्शना आश्चर्येण मालिनीं पश्यति।
(घ) दर्शना तस्याः पुत्री च मिलित्वा परिवारस्य भरणपोषणं कुरुतः स्मा
उत्तर
(क) का द्वारमुद्घाटयति?
(ख) शिक्षा केषां मौलिकः अधिकारः?
(ग) दर्शना आश्चर्येण कां पश्यति?
(घ) दर्शना तस्याः पुत्री च मिलित्वा कस्य भरणपोषणं – कुरुतः स्म?

प्रश्न: 5.
सन्धि विच्छेदं पूरयत
(क) ग्राम प्रति – ग्रामम् + ……………….
(ख) कार्यार्थम् – ……………… + अर्थम्
(ग) करिष्यत्येषा – करिष्यति + ……………….
(घ) स्वोवरपूर्ति – ……………….+ उदरपूर्तिः
(छ) अप्येवम् – अपि + ……………….
उत्तरम्:
(क) ग्राम प्रति – ग्रामम् + प्रति
(ख) कार्यार्थम् – कार्य + अर्थम्
(ग) करिष्यत्येषा – करिष्यति + एषा
(घ) स्वोवरपूर्ति – स्व + उदरपूर्तिः
(छ) अप्येवम् – अपि + एवम्

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि

प्रश्न: 6.
(अ) समानार्थकपदानि मेलयत-
आश्चर्येण – पठनस्य
परिवारस्य – प्रसन्नतया
काल: – कुटुम्बस्य
उल्लासेन – समयः
अध्ययनस्य – विस्मयेन
उत्तरम्:
आश्चर्येण – विस्मयेन
परिवारस्य – कुटुम्बस्य
काल: – समय:
उल्लासेन – प्रसन्नतया
अध्ययनस्य – पठनस्य

(आ) विलोमपदानि मेलयत-
क्रेतुम् – दूरस्थम्
ग्रामम् – विक्रेतुम्
पच्छति – नगरम्
श्व: – कथयति
समीपस्थम् – हा:
उत्तरम्:
क्रेतुम् – विक्रेतुम्
ग्रामम् – नगरम्
पच्छति – कथयति
श्व: – हा:
समीपस्थम् – दूरस्थम्

प्रश्न: 7.
विशेषणपवैः सह विशेष्यपदानि योजयत-
सर्वेषाम् – बालिकानाम्
एषा – बालकानाम्
समीपस्थे – गणवेषम्
निःशुल्कम् – विद्यालये
मौलिक: – विद्यालयम्
सर्वकारीयम् – अधिकारः
सर्वासाम् – अल्पवयस्का
उत्तरम्:
सर्वेषाम् – बालकानाम्
एषा – अल्पवयस्का
समीपस्थे – विद्यालये
निःशुल्कम् – गणवेषम्
मौलिकः – अधिकारः
सर्वकारीयम् – विद्यालयम्
सर्वासाम् – बालिकानाम्

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि

ध्यातव्यम्

(ध्यान दें) ‘सर्व पठन्तु आने सरन्तु’ च इति भावनामङ्गीकृत्य विकसितोऽयं एक: संवादात्मकः पाठः। प्रायेण आर्थिकदृष्ट्या दरिद्रपरिवारेषु लघु लघु बालकाः चायादिविपणिसु अन्येषु च गृहेषु कार्य नियोजिताः क्रियन्ते येन धनस्य अर्जनं भवेत् तेषां गृहस्य कार्य चलेत्। एवं कृते ते जनाः स्वसंततीः शिक्षायाः मौलिकाधिकारात् वज्वयन्ति। प्रारम्भे शिक्षा य: केवलं संवैधानिकोऽधिकार आसीत् स इदानीं मौलिकाधिकारः जातः। इमामेव भावना बोधयितुं पाठेऽस्मिन् प्रयत्नो विहितः।।

हिन्दी अनुवाद-‘सब पड़े, सब बड़े’ इस भावना को स्वीकार करके विकसित यह एक संवादात्मक पाठ है। प्राय: आर्थिक दृष्टि से गरीब परिवारों में छोटे-छोटे लड़के चाय आदि की दुकानों में या दूसरे घरों में काम पर लगाए जाते हैं जिससे पैसा कमाया जा सके और उनके घर का कार्य चले। इसके लिए वे लोग अपनी औलाद को शिक्षा के मूल अधिकार से वंचित करते हैं। शुरू में जो सिर्फ संवैधानिक अधिकार था, अब वह मौलिक अधिकार हो गया है। इस पाठ में इसी भावना को बताने के लिए प्रयास किया गया है।

मूलपाठ:

मालिनी -(प्रतिवेशिनी प्रति) गिरिजे! मम पुत्रः मातुतलगृह प्रति प्रस्थितः काचिद् अन्या कामपि महिला जानासि तर्हि प्रेषय।
गिरिजा – आम् सखि! अद्य प्रातः एव मम सहायिका स्वसुताया: कृते कर्मार्थ पृच्छति स्म। श्वः प्रातः एव तया सह वार्ता करिष्यामि।
(अग्रिमदिने प्रात:काले षट्वादने एव मालिन्याः गृहघण्टिका आगन्तार कमपि सूचयति मालिनी द्वारमुदघाटयति पश्यति यत् गिरिजायाः सेविकया दर्शनया सह एका अष्टवर्षदेशीय, बालिका तिष्ठति।)

दर्शना – महोदये। भवती कार्यार्थ गिरिजामहोदयां पृच्छति स्म कृपया मम सुतायै अवसरं प्रदाय अनुगृहातु भवती।
मालिनी – परमेषा तु अल्पवयस्का प्रतीयते। किं कार्य करिष्यत्येवा? अयं तु अस्याः अध्ययनस्य क्रीडनस्य च कालः।
वर्शना – एषा एकस्य गृहस्य संपूर्ण कार्य करोति स्म। सः परिवारः अधुना विदेशं प्रति प्रस्थितः। कार्याभावे अहमेतस्यै कार्यमेवान्वेषयामि स्म येन भवत्सदृशानां काय प्रचलत् अस्मसदृशाना गृहसञ्चालनाय च
धनस्य व्यवस्था भवेत्।
मालिनी – परमेतत्तु सर्वथाऽनुचितम्। किं न जानासि यत् शिक्षा तु सर्वेषां बालकाना सर्वासां बालिकानां च मौलिक: अधिकारः।
वर्शना – महोदये! अस्मद् सदृशानां तु मौलिकाः अधिकाराः केवलं स्वोदरपूर्ति-रेवास्ति। एतस्य व्यवस्थायै एव अहं सर्वस्मिन् दिने पञ्च-षड्गृहाणां कार्य करोमि। मम रुग्णः पतिः तु किञ्चिदपि कार्य न करोति। अतः अहं मम पुत्री च मिलित्वा परिवारस्य भरण-पोषणं कुर्वः। अस्मिन् महार्घताकाले मूलभूतावश्यकतानां कृते एव धनं पर्याप्त न भवति तर्हि कथं विद्यालयशुल्क, गणवेषं पुस्तकान्यादीनि क्रेतुं धनमानेष्यामि।
मालिनी – अहो! अज्ञानं भवत्याः। किं न जानासि यत् नवोत्तर-द्वि-सहन (2009) तमे वर्षे सर्वकारेण सर्वेषां बालकानां, सर्वासां बालानां कृते शिक्षायाः मौलिकाधिकारस्य घोषणा कृता। यदनुसारं षड्वर्षेभ्यः आरभ्य चतुर्दशवर्षपर्यन्तं सर्वे बालाः समीपस्थं सर्वकारीय विद्यालयं प्राप्य न केवलं नि:शुल्क शिक्षामेव प्राप्यन्ति अपितु निःशुल्क गणवेषं पुस्तकानि, पुस्तकस्यूतम्, पादत्राणम्, माध्याह्नभोजनम्, छात्रवृत्तिम्
इत्यादिकं सर्वमेव प्राप्स्यन्ति।
वर्शना – अप्येवम् (आश्चर्येण मालिनी पश्यति)
मालिनी – आम्। वस्तुतः एवमेव।
दर्शना – (कृतार्थतां प्रकटयन्ती) अनुगृहीताऽस्मि महोदये! एतद् बोधनाय।
अहम् अद्यैवास्याः प्रवेशं समीपस्थे विद्यालये कारयिष्यामि।
दर्शनाया:-पुत्री-(उल्लासेन सह) अहं विद्यालयं गमिष्यामि! अहमपि पठिष्यामि! (इत्युक्त्वा करतलवादनसहितं नृत्यति मालिनी प्रति च कृतज्ञता ज्ञापयति)

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 9 अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि-1
सन्धिच्छेदाः
कार्यार्थम् – कार्य + अर्थम्। करिष्यत्येषा – करिष्यति + एषा। अयं तु – अयम् + तु। कार्याभावे – काम की कमी में। एवान्वेषयामि – एव + अन्वेषयामि। सर्वथाऽनुचितम् – सर्वथा अनुचितम्। स्वोदरपूर्ति-रेवास्ति = स्व + उदरपूर्ति + एव + अस्ति। महार्धता = महा + अर्घता। मूलभूतावश्यकतानाम् – मूलभूत + आवश्यकतानाम्। पुस्तकान्यादीनि – पुस्तकानि + आदीनि। नवोत्तर – नव + उत्तर। मौलिकाधिकारस्य – मौलिक + अधिकारस्य। इत्यादिकम् = इति + आदिकम्। कृतार्थताम् – कृत + अर्थताम्।

अनुगृहीताऽस्मि = अनुगृहीता + अस्मि। अद्यैवास्याः – अद्य + एव + अस्या। विद्यालये- विद्या + आलये। उल्लासेन = उत् + लासेन। इत्युक्त्वा = इति + उक्त्वा।

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