Author name: Prasanna

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

Haryana State Board HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नागरिक किसे कहते हैं?
उत्तर:
नागरिक वह व्यक्ति है जो राज्य का सदस्य होता है, राज्य के प्रति श्रद्धा रखता है, उसे नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं तथा अधिकारों के बदले वह राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करता है।

प्रश्न 2.
नागरिक की कोई दो परिभाषाएँ लिखिए।
उत्तर:
नागरिक की दो परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
1. ए०के० सिऊ के अनुसार, “नागरिक वह व्यक्ति है जो राज्य के प्रति वफाद र हो, जिसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों तथा जो समाज-सेवा की भावना से प्रेरित हो।”

2. वैटल के अनुसार, “नागरिक किसी राज्य के वे सदस्य हैं जो उस राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों से बँधे हैं, उसकी सत्ता के नियन्त्रण में रहते हैं तथा उसके लाभ में सबके साथ बराबरी के साझीदार हैं।”

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 3.
नागरिक की कोई चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
नागरिक की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • राज्य की सदस्यता,
  • स्थायी निवास,
  • अधिकारों की प्राप्ति,
  • कर्तव्यों का पालन।

प्रश्न 4.
नागरिक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
नागरिक दो प्रकार के होते हैं
1. जन्मजात नागरिक वे नागरिक होते हैं जो जन्म के आधार पर नागरिकता प्राप्त करते हैं, उन्हें जन्मजात नागरिक कहते हैं। जन्म से तात्पर्य रक्त-सम्बन्ध तथा जन्म-स्थान से लिया जाता है।

2. राज्यकृत नागरिक वह नागरिक होते हैं जो पहले किसी अन्य देश के नागरिक होते हैं, परन्तु किसी दूसरे देश की कुछ शर्तों को पूरा करने पर यदि वहाँ की सरकार उचित समझे, तो उन्हें नागरिकता प्रदान कर देती है। इस प्रकार से नागरिकता प्राप्त नागरिक को राज्यकृत नागरिक कहा जाता है।

प्रश्न 5.
नागरिक तथा विदेशी में दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
नागरिक तथा विदेशी (Alien) में दो अन्तर निम्नलिखित हैं

(1) नागरिक उस राज्य के स्थायी सदस्य होते हैं जबकि विदेशी उस राज्य के स्थायी सदस्य नहीं होते। वह देश में घूमने-फिरने, शिक्षा-प्राप्त करने अथवा कोई व्यापार अथवा नौकरी करने के लिए देश में आते हैं और अपना काम समाप्त होने के पश्चात् वापस अपने देश लौट जाते हैं।

(2) नागरिक को राज्य के सभी अधिकार-सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं जबकि विदेशी को सामाजिक अधिकार तो प्राप्त होते हैं, परन्तु उसे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं होते।

प्रश्न 6.
नागरिकता किसे कहते हैं?
उत्तर:
नागरिकता एक व्यक्ति की वह स्थिति (स्तर) है जिसमें व्यक्ति को राज्य में विभिन्न प्रकार के सामाजिक व राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं और उनके बदले में वह राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करता है। गैटल के अनुसार, “नागरिकता व्यक्ति की वह स्थिति है जिसमें उसे राजनीतिक समाज के सभी राजनीतिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं तथा उस समाज में वह कर्तव्यों का पालन करता है।”

प्रश्न 7.
दोहरी नागरिकता का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
कई बार ऐसा होता है कि एक बच्चे को जन्म के आधार पर दोहरी नागरिकता प्राप्त हो जाती है। रक्त-सिद्धांत के आधार पर वह एक राज्य का नागरिक बन जाता है और भूमि सिद्धांत (जन्म स्थान) के आधार पर दूसरे राज्य का नागरिक। परन्तु यह भी सत्य है कि वह केवल किसी एक ही राज्य का नागरिक रह सकता है। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के वयस्क होने पर उसे स्वयं घोषणा करनी पड़ती है कि वह किस राज्य का नागरिक बने रहना चाहता है। उसके पश्चात् उसकी दूसरे राज्य की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 8.
राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने के कोई दो तरीके लिखें।
उत्तर:
राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने के दो तरीके निम्नलिखित हैं
1. लम्बा निवास-जब कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़कर एक लम्बे समय तक किसी दूसरे देश में रह लेता है तो प्रार्थना-पत्र देने पर वह उस राज्य का नागरिक बन सकता है। निवास की अवधि के बारे में भिन्न-भिन्न देशों के कानून अलग-अलग हैं।

2. विवाह-जब कोई लड़की किसी विदेशी लड़के से विवाह कर लेती है, तो वह स्त्री अपने पति के देश की नागरिक बन जाती है। इस सम्बन्ध में भी विभिन्न राज्यों के नियमों में कुछ अन्तर है।

प्रश्न 9.
एक अच्छे नागरिक के कोई तीन गुण लिखें।
उत्तर:
एक अच्छे नागरिक के तीन गुण निम्नलिखित हैं

  • नागरिक को शिक्षित होना चाहिए ताकि उसे अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों का ज्ञान हो सके।
  • अच्छे नागरिक में समाज-सेवा, परस्पर-प्रेम और मेल-जोल, सहनशीलता आदि गुण होने चाहिएँ।
  • एक अच्छे नागरिक को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना चाहिए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नागरिक की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
एक नागरिक की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. राज्य की सदस्यता नागरिक को किसी एक राज्य की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य है।

2. स्थायी निवासी-नागरिक अपने राज्य का स्थायी रूप से निवासी होता है। इसका अर्थ यह है कि नागरिक दूसरे राज्य में अस्थायी तौर पर रह सकता है। वह विदेश यात्रा अपने राज्य की आज्ञा से कर सकता है।

3. अधिकारों की प्राप्ति-नागरिक को राज्य की ओर से कुछ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार मिले होते हैं जिनका प्रयोग करके वह अपने जीवन का विकास और समाज का कल्याण कर सकता है।

4. कर्त्तव्यों का पालन-नागरिक को राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करना पड़ता है, यहाँ तक कि संकट आने पर अनिवार्य सैनिक सेवा भी करनी पड़ती है।

5. राज्य के प्रति वफादारी-नागरिक राज्य के प्रति वफादारी रखता है और आवश्यकता पड़ने पर राज्य के लिए अपना जीवन उत्सर्ग करने के लिए तत्पर रहता है।

6. समाज सेवा-प्रो० श्रीनिवास के अनुसार, नागरिक में समाज सेवा की भावना का होना आवश्यक है।

प्रश्न 2.
प्रजा (Subject) शब्द का क्या अर्थ है? नागरिकों तथा प्रजा में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रजा-जिन राज्यों में राजतन्त्रीय व्यवस्था होती है वहाँ के नागरिकों को प्रजा कहा जाता है, भले ही उन्हें प्रजातन्त्रीय राज्यों की तरह अधिकार प्राप्त हों; जैसे इंग्लैण्ड में नागरिकों को प्रजा कहा जाता है जबकि भारत और अमेरिका में नागरिक शब्द का प्रयोग किया जाता है। नागरिकों तथा प्रजा में अन्तर-साधारण शब्दों में, राज्य में रहने और उसकी सत्ता को स्वीकार करने वाले सभी नागरिक इसकी प्रजा होते हैं।

आजकल प्रजा शब्द को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है, क्योंकि यह भूतकाल का अवशेष है और इसका सम्बन्ध प्रायः स्वेच्छाचारी राजतन्त्र या सामन्तवाद (Feudalism) से जोड़ा जाता है। यूनान, ईरान, इंग्लैण्ड और अफगानिस्तान जैसे देशों में जहाँ पर अब भी राजतन्त्र विद्यमान है, नागरिकों को प्रजा कहा जाता है। यही कारण है कि अंग्रेजी कानून में नागरिक शब्द का प्रयोग नहीं होता।

किन्तु फ्रांस और अमेरिका जैसे गणतन्त्रीय देशों में नागरिक शब्द को प्रजा शब्द की अपेक्षा अधिक पसन्द किया जाता है। इसी कारण से अमेरिकी कानून में प्रजा शब्द का बिल्कुल ही प्रयोग नहीं किया जाता।

प्रश्न 3.
भारतीय नागरिकता प्राप्त अधिनियम, 1955 पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
विदेशियों को भारतीय नागरिकता की प्राप्ति के सम्बन्ध में भारतीय संसद द्वारा सन् 1955 में (भारतीय) नागरिकता प्राप्ति अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  • भारत की नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति किसी ऐसे देश का नागरिक नहीं होना चाहिए जो भारत के लोगों को नागरिकता प्रदान नहीं करता।
  • वह चरित्र सम्पन्न व्यक्ति हो।
  • संविधान की 8वीं अनुसूची में वर्णित भाषाओं में से किसी एक भाषा को जानने वाला हो।
  • नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति आवेदन की तिथि से कम-से-कम एक वर्ष पूर्व से भारत में रह रहा हो अथवा यहाँ सरकारी सेवा में हो।
  • उपरोक्त एक वर्ष से पहले के सात वर्षों में कुल मिलाकर वह चार वर्ष भारत में रहा हो या चार वर्ष तक यहाँ सरकारी सेवा में रहा हो।
  • यदि किसी विदेशी ने दर्शन, विज्ञान, कला, साहित्य, विश्व-शान्ति अथवा मानव विकास के क्षेत्र में कोई विशेष योग्यता प्राप्त कर ली हो तो उसे उपरोक्त शर्तों को पूरा किए बिना ही भारत का नागरिक बनाया जा सकता है।

यदि कोई विदेशी भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहता है तो उसे उपरोक्त अधिनियम में दी गई शर्तों को पूरा करना होगा तथा भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा व्यक्त करनी होगी।

प्रश्न 4.
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं
(1) नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए हिंदू, ईसाई, सिक्ख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

(2) ऐसे शरणार्थियों को जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।

(3) अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। नए अधिनियम में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पाँच साल भी भारत में रहे हों, तो उन्हें नागरिकता दी जा सकती है।

(4) यह भी व्यवस्था की गई है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।

प्रश्न 5.
अच्छी नागरिकता के मार्ग में आने वाली चार बाधाएँ बताएँ।
उत्तर:
अच्छी नागरिकता के मार्ग में आने वाली चार बाधाएँ निम्नलिखित हैं
1. स्वार्थ स्वार्थ अच्छी नागरिकता का शत्रु है। अधिकतर नागरिक सार्वजनिक हितों का त्याग कर अपने स्वार्थ की पूर्ति में लग जाते हैं, जिससे राष्ट्रीय हितों को हानि पहुंचती है।

2. अनपढ़ता-निरक्षरता मनुष्य को पशु के समान बना देती है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति को अपने अधिकारों और कर्तव्यों अनपढ़ व्यक्ति राज्य का प्रबंध सुचारू रूप से नहीं कर सकते और अन्य व्यक्तियों के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरा नहीं कर सकते।

3. गरीबी-गरीबी भी कई बार अच्छी नागरिकता के मार्ग में बाधा बनती है। एक गरीब व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है। उसके चोर-डाकू तथा लुटेरा बनने की सम्भावना अधिक होती है। एक गरीब व्यक्ति लोकहित के कार्यों में भागीदार नहीं बन सकता।

4. दलबन्दी दलबन्दी भी अच्छी नागरिकता के मार्ग में एक रुकावट है। व्यक्ति राष्ट्रीय हितों को त्याग कर दलीय अवस्थाओं का शिकार हो जाता है।

प्रश्न 6.
नागरिकता को प्राप्त करने के कोई चार तरीके लिखें।
उत्तर:
एक देश की नागरिकता को प्राप्त करने के चार तरीके निम्नलिखित हैं

1. विवाह-जब कोई स्त्री किसी विदेशी पुरुष से विवाह कर लेती है तो वह स्त्री अपने पति के देश की नागरिक बन जाती है। इस सम्बन्ध में भी विभिन्न राज्यों के नियमों में कुछ अन्तर है। जापान में यदि कोई विदेशी पुरुष जापानी स्त्री से विवाह करता है तो उस पुरुष को जापान की नागरिकता मिलने का नियम है। यदि कोई विदेशी रूस की स्त्री से विवाह करता है तो उसे रूस में ही रहना होता है क्योंकि रूस के नियमानुसार वहाँ की स्त्री किसी विदेशी पति के साथ दूसरे देश में नहीं जा सकती।

2. सम्पत्ति खरीदना कई देशों में यह भी नियम है कि यदि किसी दूसरे देश का नागरिक वहाँ जाकर सम्पत्ति खरीद लेता तो उसे वहाँ की नागरिकता प्राप्त हो जाती है क्योंकि वह व्यक्ति सम्पत्ति खरीदने से उस देश के हितों में रुचि लेने लगता है। ब्राजील, मैक्सिको, पीरू आदि देशों में यह नियम लागू है।

3. सरकारी नौकरी-कई देशों में (जैसे इंग्लैण्ड में) यह भी नियम है कि यदि किसी विदेशी को वहाँ कोई सरकारी नौकरी मिल जाती है तो प्रार्थना-पत्र देने पर उसे वहाँ की नागरिकता भी प्राप्त हो सकती है। इस आधार पर कई भारतीय इंग्लैण्ड के नागरिक हैं।

4. गोद लेना-ऐसा लगभग सभी देशों में नियम है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी बच्चे को गोद ले लेता है तो उस बच्चे को उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है, जहाँ के व्यक्ति ने गोद लिया हो।

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 7.
नागरिकता को खोने के कोई पाँच तरीके लिखें।
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से एक व्यक्ति की किसी देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है

1. लम्बी अनुपस्थिति से यदि एक व्यक्ति अपने देश से बहुत दिन तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी अपने देश की नागरिकता खोई जाती है। जिस प्रकार लम्बे निवास से नागरिकता मिलती है, उसी प्रकार लम्बी अनुपस्थिति से नागरिकता खोई जा सकती है।

2. विवाह विवाह के द्वारा जहाँ एक देश की नागरिकता प्राप्त होती है, वहाँ अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। जैसे यदि एक इंग्लैण्ड की लड़की किसी भारतीय लड़के से विवाह कर लेती है तो उसकी इंग्लैण्ड की नागरिकता खोई जाती है।

3. दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से भी एक व्यक्ति अपने देश की नागरिकता खो बैठता है, क्योंकि दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से उसकी वफ़ादारी उसी देश की तरफ हो जाती है।

4. विदेशों में अलंकरण प्राप्त करने से किसी दूसरे देश से अलंकरण प्राप्त कर लेने से भी कई बार अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। कई बार अलंकार की प्राप्ति को भी विदेश के प्रति वफ़ादारी माना जाता है।

5. देश-द्रोह के कारण-सेना से भागने के अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का देश-द्रोह करता है तो उसकी भी नागरिकता खोई जाती है। कारण साफ है कि देश-द्रोह, देश के प्रति वफादार न होने की मुख्य निशानी है।

प्रश्न 8.
वैश्विक नागरिकता पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
हम आज एक ऐसे विश्व में रहते हैं जो आपस में जुड़ा हुआ है, संचार के साधनों-इन्टरनेट, टेलीविजन और सैलफोन जैसे नए साधनों ने उन तरीकों में भारी बदलाव ला दिया है, जिनसे हम विश्व को देखते और समझते हैं। हम अपने टेलीविजन पर विनाश और युद्धों को होते देख सकते हैं, जिससे विभिन्न देशों के लोगों में सांझे सरोकार और सहानुभूति विकसित करने में मदद मिलती है।

विश्व नागरिकता समर्थक यह दलील पेश करते हैं कि चाहे विश्व-कुटुम्ब और विश्व-समाज अभी मौजूद नहीं है, परन्तु राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार लोग आज एक-दूसरे से जुड़ा महसूस करते हैं। उदाहरणस्वरूप सन् 2004 में दक्षिण एशिया के कई देशों पर कहर बरसाने वाली सुनामी (Tsunami) से पीड़ित लोगों के लिए सहानुभूति और सहायता के भावोद्गार फूट पड़े थे। उनका कहना है कि इससे राष्ट्रीय सीमाओं के दोनों ओर की उन समस्याओं का मुकाबला करना आसान हो जाता है जिसमें कई देशों की. सरकारों और लोगों की संयुक्त कार्रवाई आवश्यक होती है।

परन्तु अभी विश्व नागरिकता का विचार एक स्वप्न ही है। जब तक राष्ट्र-राज्य मौजूद हैं, एक विश्व-राष्ट्र का विचार बहुत दूर है। एक राष्ट्र के भीतर की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान केवल उस राष्ट्र की सरकार तथा जनता ही कर सकती है। प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्रवाद की भावना से भरा हुआ है। अतः लोगों के लिए आज एक राज्य की पूर्ण और समान सदस्यता महत्त्वपूर्ण है। जब तक लोगों के मन में इस प्रकार की भावनाएँ मौजूद हैं। विश्व नागरिकता की बात व्यावहारिक नहीं हो सकती।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नागरिक का क्या अर्थ है? एक नागरिक और विदेशी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
नागरिक का अर्थ (Meaning of Citizen)-साधारण बोलचाल की भाषा में नगर में रहने वाले व्यक्ति को नागरिक कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि ग्राम निवासियों को नागरिक नहीं कहा जा सकता। नागरिक का उपर्युक्त अर्थ संकुचित और अमान्य है। राजनीति शास्त्र की भाषा में नागरिक से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो किसी राज्य का निवासी है और राज्य द्वारा उसे विभिन्न प्रकार के सामाजिक और राजनीतिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। वह व्यक्ति राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों की पालना करता हो। अतः यह स्पष्ट है कि नागरिक के लिए नगर में रहने वाला होना आवश्यक नहीं है।

कोई भी व्यक्ति जो राज्य की सीमाओं के अन्दर रहता हो और राज्य द्वारा उसे अधिकार प्राप्त हों, उसे नागरिक कहा जाता है। यूनान के प्रसिद्ध विद्वान् अरस्तू (Aristotle) ने नागरिक का अर्थ बताते हुए लिखा था, “नागरिक राज्य का वह सदस्य है जो शासन व न्याय प्रबन्ध में भाग लेता हो।” परन्तु अरस्तु द्वारा दिया गया नागरिक का अर्थ बड़ा संकुचित है।

यह केवल उसी समय लागू होता था जब छोटे-छोटे नगर-राज्य अस्तित्व में थे। आधुनिक युग नगर राज्यों का न होकर राष्ट्र राज्यों का है। जहाँ राज्यों की संख्या करोड़ों में है। अतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए शासन और न्याय प्रबन्ध में भाग लेना कठिन ही नहीं असम्भव भी है। नागरिक की परिभाषाएँ यद्यपि नागरिक शब्द की परिभाषा पर विद्वानों में मतभेद है तथापि कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं

1. वैटल के अनुसार, “नागरिक किसी राज्य के वे सदस्य हैं जो उस राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों से बँधे हैं, उसकी सत्ता के नियन्त्रण में रहते हैं तथा उसके लाभ में सबके साथ बराबरी के साझीदार हैं।”

2. प्रो० लास्की का कथन है, “नागरिक उस व्यक्ति को कहते हैं जो न केवल समाज का ही सदस्य है, अपितु जो कुछ तकनीकी कर्तव्यों का पालन करता है।”

3. मिलर के अनुसार, “नागरिक एक राजनीतिक समाज के सदस्य होते हैं, उन्हीं लोगों से राज्य बनता है और वे व्यक्तिगत तथा सामूहिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक सरकार की स्थापना कर लेते हैं या उसकी सत्ता स्वीकार कर लेते हैं।”

4. ए०के० सिऊ के अनुसार, “नागरिक वह व्यक्ति है जो राज्य के प्रति वफादार हो, जिसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों तथा जो समाज-सेवा की भावना से प्रेरित हो।”

5. श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार, “नागरिक राज्य के उस सदस्य को कहते हैं जो राज्य में रहकर ही अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करने का प्रयत्न करता हो तथा उसे इस बात का बुद्धिमत्तापूर्ण ज्ञान हो कि समाज में सर्वोच्च नैतिक कल्याण के लिए क्या करना चाहिए।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति जो राज्य का सदस्य है, राज्य के प्रति श्रद्धा रखता है, अधिकार का प्रयोग करता है तथा अधिकारों के बदले वह राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों की पालना करता है, उसे नागरिक कहा जाता है। नागरिक तथा विदेशी में अन्तर नागरिक तथा विदेशी में निम्नलिखित अन्तर हैं

विदेशी का अर्थ:
नागरिक शब्द का अर्थ जान लेने के बाद विदेशी तथा प्रजा शब्द का अर्थ भी जान लेना आवश्यक हो जाता है। राज्य में रहने वाले सभी व्यक्ति राज्य के नागरिक नहीं होते। नागरिकों के अतिरिक्त प्रत्येक राज्य में कुछ विदेशी भी मिलते हैं। विदेशी किसी अन्य राज्य के नागरिक होते हैं और अस्थायी रूप से घूमने-फिरने, व्यापार करने, पढ़ने या

राजदूत के रूप में आए हुए होते हैं। अतः विदेशी वह व्यक्ति होता है जो अपना राज्य छोड़कर अस्थायी रूप में दूसरे राज्य में जाकर रहता है तथा जिसकी वफ़ादारी अपने राज्य के प्रति ही रहती है।
विदेशी तीन प्रकार के होते हैं-

  • स्थायी विदेशी,
  • अस्थायी विदेशी तथा
  • राजदूत।

1. स्थायी विदेशी-स्थायी विदेशी वे व्यक्ति होते हैं जो अपने राज्य को छोड़कर आए हुए हों तथा जिन्होंने इस राज्य में स्थायी रूप से व्यापार या नौकरी कर ली हो और जो अपने राज्य में वापस जाने के इच्छुक न हों, बल्कि नागरिकता मिलने पर इस राज्य के नागरिक बनने को तैयार हों।

2. अस्थायी विदेशी-अस्थायी विदेशी वे व्यक्ति होते हैं जो अपने देश से कुछ समय के लिए घूमने-फिरने या अध्ययन करने । के लिए आए हों और अपना काम समाप्त होते ही वापस अपने देश को चले जाते हैं।

3. राजदूत राजदूत वे व्यक्ति होते हैं जो किसी अन्य राज्य द्वारा अपने प्रतिनिधि के रूप में दूसरे राज्य में भेजे जाते हैं। आज के अन्तर्राष्ट्रवाद के युग में सभी राज्य अन्य राज्यों से राजदूतों का आदान-प्रदान करते हैं। इन पर अपने ही राज्य के कानून लागू होते हैं, उस राज्य के नहीं, जहाँ वे आए हुए होते हैं। नागरिक और विदेशी में अन्तर-एक नागरिक और एक विदेशी में काफी अन्तर हैं, जो निम्नलिखित हैं

1. सदस्यता के आधार पर अन्तर-नागरिक अपने राज्य का सदस्य होता है, परन्त विदेशी नहीं। विदेशी तो किसी अन्य राज्य का सदस्य होता है।

2. देश-भक्ति के आधार पर अन्तर–नागरिक अपने राज्य के प्रति स्वामी-भक्त होता है, परन्तु विदेशी उस राज्य के प्रति वफादार होता है जिसका कि वह सदस्य होता है।

3. निष्कासित करने के आधार पर अन्तर-नागरिक अपने राज्य में स्थायी तौर पर रह सकता है, उसे वहाँ से जाने के लिए नहीं कहा जा सकता, परन्तु सरकार विदेशी को कभी भी देश छोड़ने का आदेश दे सकती है।

4. अधिकारों के आधार पर अन्तर–नागरिक को राज्य की ओर से सभी प्रकार के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार मिलते हैं, परन्तु विदेशी को सभी अधिकार नहीं मिलते, विशेषकर राजनीतिक अधिकार तो विदेशी को नहीं दिए जाते।

5. सैनिक सेवा के आधार पर अन्तर-संकट के समय राज्य अपने नागरिकों से सैनिक सेवाएँ ले सकता है, परन्तु विदेशियों को सैनिक सेवाओं के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

6. सम्पत्ति के आधार पर अन्तर-कई देशों में विदेशियों को सम्पत्ति खरीदने का अधिकार नहीं होता, जबकि अपने नागरिकों को सम्पत्ति खरीदने-बेचने का अधिकार होता है।

प्रश्न 2.
एक आदर्श नागरिक के गुणों का वर्णन करें।
अथवा
आदर्श नागरिकता की आवश्यक विशेषताओं की व्याख्या करें।
उत्तर:
किसी भी समाज की उन्नति व विकास वहाँ के नागरिकों के स्तर पर निर्भर करता है। यदि नागरिकों में अच्छे गुण हैं तो समाज शीघ्र उन्नति और विकास करता है अन्यथा नहीं। अतः एक अच्छे नागरिक के गुण क्या हैं उनकी विवेचना यहाँ करना उचित है। आदर्श नागरिक के गुण निम्नलिखित हैं

1. अच्छा स्वास्थ्य-एक आदर्श नागरिक के लिए सबसे प्रथम आवश्यकता उसका अपना स्वास्थ्य है। स्वस्थ नागरिक ही अपने परिवार, राज्य तथा समाज के प्रति अपने दायित्वों को ठीक ढंग से निभा सकता है। एक स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर का होना आवश्यक है। निर्बल व्यक्ति तो अपना कार्य भी नहीं कर सकते, दूसरों की सेवा तो बहुत दूर की बात है।

2. अच्छी बुद्धि-एक बुद्धिमान व्यक्ति ही अच्छा नागरिक हो सकता है। लॉर्ड ब्राइस (Lord Bryce) ने आदर्श नागरिक के बुद्धिमत्ता, आत्म-संयम और विवेक आवश्यक गुण बताए हैं। इसी प्रकार हाइट (White) के अनुसार, नागरिक के लिए ‘साधारण बुद्धि, ज्ञान और निष्ठा आवश्यक गुण हैं।’ एक शिक्षित नागरिक देश की समस्याओं को भली-भाँति समझ सकता है तथा अपने जीवन को आदर्श जीवन बना सकता है। एक अशिक्षित नागरिक में आदर्श गुणों के अभाव की अधिक सम्भावना रहती है।

3. अच्छा चरित्र-अच्छा चरित्र आदर्श नागरिकता की नींव है। चरित्र के बिना नागरिक न तो अपने व्यक्तित्व का विकास कर अथवा राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। सत्य, अहिंसा, अनुशासन, ईमानदारी, आज्ञापालन आदि गुणों का होना चरित्रवान् नागरिक के लक्षण हैं। आदर्श नागरिक प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे चरित्र का प्रदर्शन करता है।

4. सामाजिक भावना-समाज के प्रति सहयोग, स्नेह, सेवा, त्याग आदि की भावना से आदर्श नागरिकता का विकास होता है। सामाजिक बुराइयों को दूर करना आदर्श नागरिक की विशेषता है। अपने स्वार्थ को त्याग कर सामाजिक भलाई करना ही आदर्श नागरिकता है।

5. कर्त्तव्य-पालन-गाँधी जी के अनुसार, आदर्श नागरिक वही है जो अपने अधिकारों की अपेक्षा कर्तव्यों का अधिक ध्यान रखता है। निःसन्देह नागरिक को सभी मुख्य अधिकार मिलने चाहिएँ, परन्तु जो नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्यों का नागरिकत पालन नहीं करता उसे एक आदर्श नागरिक नहीं कहा जा सकता। दूसरों के अधिकारों का ध्यान रखना ही कर्तव्यों का पालन है। अधिकारों और कर्त्तव्यों के उचित सम्बन्ध को ही हम आदर्श नागरिकता कहते हैं।

6. मताधिकार का उचित प्रयोग-नागरिक के राजनीतिक अधिकारों में एक महत्त्वपूर्ण अधिकार वोट देने का अधिकार है। आदर्श नागरिक वही है जो अपने वोट का ठीक प्रयोग करता है। योग्य व्यक्ति को वोट देने से अच्छी सरकार निर्वाचित होती है और का कल्याण होता है। कई नागरिक अपने स्वार्थ में आकर वोट बेचते हैं जोकि देश के लिए बहुत हानिकारक है। आदर्श नागरिकता के लिए वोट का उचित प्रयोग करना आवश्यक है।

7. नागरिक गुण-आदर्श नागरिक वह व्यक्ति हो सकता है, जिसमें स्नेह, सहयोग, त्याग, सहनशीलता, आत्म-संयम, आज्ञा-पालन आदि गुण होते हैं। नागरिक गुणों के बिना हम अपने समाज और राज्य को आदर्श नहीं बना सकते। स्नेह, सहयोग और त्याग से नागरिक अनेक सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को हल कर सकते हैं। सहनशीलता, आत्म-संयम और आज्ञा-पालन से नागरिक का दृष्टिकोण व्यापक बनता है और इससे राष्ट्र-हितों की रक्षा होती है।

8. परिश्रम-आलसी मनुष्य कभी भी एक आदर्श नागरिक नहीं बन सकता। कई बार स्वस्थ तथा शिक्षित व्यक्ति अपने कार्य को ठीक समय पर नहीं करता और न ही वह प्रगतिशील होता है। नागरिक में सदैव आगे बढ़ने की भावना होनी चाहिए जोकि परिश्रम द्वारा ही सम्भव हो सकती है।

9. जागरुकता आदर्श नागरिक का एक अन्य आवश्यक गुण जागरुकता है। नागरिक को अपने अधिकारों, कर्तव्यों, देश तथा विश्व की समस्याओं के प्रति जागरुक रहना चाहिए। नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरह से निभाए, लगनपूर्वक कार्य करे, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में रुचि ले। एक जागरुक अथवा सचेत नागरिक ही देश के लिए . उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

10. देश-भक्ति-आदर्श नागरिक वह होता है जो अपने देश के लिए किसी भी प्रकार का बलिदान देने के लिए तैयार रहता है। देश के हित को अपना हित समझना ही देश-भक्ति है। नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि जब भी कोई शत्रु देश पर आक्रमण करता है अथवा देश पर कोई और आपत्ति आ जाती है तो वह तन, मन और धन से देश की सहायता करे। देश-द्रोही नागरिक तो विदेशी शत्रु से भी बुरा होता है।

11. विश्व-प्रेम की भावना-आज का नागरिक विश्व का नागरिक है। इसलिए उसमें राष्ट्रीय भावना के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय भावना भी होनी चाहिए। वैज्ञानिक प्रगति ने समस्त संसार को एक इकाई अथवा एक समाज बना दिया है। विश्व के नागरिकों में पारस्परिक सम्बन्ध और सहयोग का होना आवश्यक है। आज के लोकतन्त्रीय संसार में अधिकांश राष्ट्रीय सरकारें नागरिकों द्वारा निर्वाचित होती हैं।

प्रश्न 3.
नागरिकता किसे कहते हैं? नागरिकता कैसे प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर:
नागरिकता का अर्थ  ‘नागरिक’ शब्द की परिभाषा का अध्ययन करने के पश्चात् नागरिकता का अर्थ बताना आसान हो जाता है। नागरिक शब्द की परिभाषा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि नागरिक के अधिकारों का प्रयोग तथा कर्तव्यों का पालन नागरिकता है। यह उल्लेखनीय है कि नागरिकता शब्द का अर्थ समयानुसार बदलता रहा है।

प्राचीन यूनान में नगर राज्य की संस्कृति प्रचलित थी तब राज्य के सभी नागरिकों को नागरिकता के अधिकार प्राप्त नहीं थे। नागरिकता के अधिकार कुछ ही लोगों तक सीमित थे। अरस्तु ने केवल कुछ ही लोगों को जो शासन और न्यायिक कार्यों में
रिक कहा है, परन्तु आधुनिक युग में नागरिकता का अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेद-भाव के प्रदान किया जाता है। विषय की स्पष्टता के लिए नागरिकता की कुछ परिभाषाएँ नीचे दी जा रही हैं

  • प्रो० लास्की (Prof. Laski) के शब्दों में, “अपनी सुलझी हुई बुद्धि को लोक हित के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है।”
  • बॉयड (Boyd) के अनुसार, “नागरिकता अपनी निष्ठाओं को ठीक से निभाना है।”
  • गैटेल (Gettel) के मतानुसार, “नागरिकता व्यक्ति की वह स्थिति है जिसमें उसे राजनीतिक समाज के सभी राजनीतिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त हों तथा उस समाज में वह कर्तव्यों का पालन करता हो।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि नागरिकता वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को राज्य में विभिन्न प्रकार के सामाजिक व राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं। उनके बदले में वह राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों का निर्वाह करता है।

नागरिकता प्राप्त करने के तरीके:
नागरिकता प्राप्त करने के निम्नलिखित तरीके हैं नागरिक दो प्रकार के होते हैं-जन्मजात नागरिक और राज्यकृत नागरिक जो व्यक्ति जन्म से ही अपने देश के नागरिक होते हैं, वे जन्मजात नागरिक कहलाते हैं। जो व्यक्ति किसी अन्य राज्य या देश के सदस्य होते हैं, परन्तु किसी दूसरे देश में जाकर बस जाते हैं और वहाँ की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं, वे राज्यकृत नागरिक कहलाते हैं।

उदाहरणतः जो लोग भारत में पैदा होते हैं, वे भारत के जन्मजात नागरिक कहलाते हैं। इसके विपरीत, यदि हमारे देश में रहने वाले कुछ विदेशी हमारे देश के नागरिक बनना चाहते हैं तो उन्हें कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ता है। इन शर्तों को पूरा करने से ही उन्हें इस देश की नागरिकता प्रदान की जाती है। ये शर्ते प्रत्येक देश में भिन्न-भिन्न होती हैं।

भारत जैसे कुछ देश विदेशियों को नागरिकता प्रदान करने में अत्यन्त उदार हैं। कुछ अन्य देश भी हैं; जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार, श्रीलंका, जहाँ पर नागरिक बनने के लिए अत्यन्त कठिन शर्ते रखी गई हैं, जिनके कारण विदेशियों के लिए इन देशों का नागरिक बनना बड़ा ही कठिन है।

कुछ देशों में जन्मजात एवं राज्यकृत नागरिकों में किसी प्रकार का भेद नहीं रखा जाता। वे दोनों एक-जैसे राजनीतिक और अन्य अधिकारों का उपयोग करते हैं, परन्तु कुछ देश ऐसे हैं जहाँ इन दोनों प्रकार के नागरिकों में काफी अन्तर किया जाता है; जैसे अमेरिका में केवल जन्मजात नागरिक ही राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के पद को पा सकते हैं। उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट हो जाता है कि नागरिकता दो प्रकार की होती है (क) जन्मजात नागरिकता, (ख) राज्यकृत नागरिकता। (क) जन्मजात नागरिकता (Natural Citizenship)-जन्मजात नागरिकता की प्राप्ति के निम्नलिखित आधार हैं

1. भूमि सिद्धांत इस सिद्धांत के अनुसार एक बच्चा उसी देश का नागरिक होता है, जिस देश की भूमि पर वह पैदा होता है, जैसे यदि एक भारतीय अपनी स्त्री के साथ इंग्लैण्ड गया हुआ हो और वहाँ उनसे कोई बच्चा पैदा हो जाए तो वह बच्चा इंग्लैण्ड का नागरिक होगा।

2. रक्त सिद्धांत-रक्त सिद्धांत के अनुसार एक बच्चा उस देश का नागरिक होगा, जिस देश के रहने वाले उसके माता-पिता हैं, चाहे वह किसी भी देश की भूमि पर पैदा हो। यदि एक भारतीय अपनी धर्म पत्नी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका गया हुआ हो और वहाँ उनका कोई बच्चा पैदा हो तो वह बच्चा रक्त सिद्धांत के अनुसार भारतीय नागरिक होगा।

3. दोहरी नागरिकता कई बार ऐसा होता है कि एक बच्चे को दोहरी जन्मजात नागरिकता मिल जाती है। रक्त सिद्धांत से वह एक राज्य का नागरिक बन जाता है और भूमि सिद्धांत के आधार पर किसी दूसरे राज्य का नागरिक, परन्तु यह भी सत्य है कि व्यक्ति एक ही राज्य का नागरिक रह सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बड़ा (वयस्क) होने पर स्वयं घोषणा करनी पड़ती है कि वह किस राज्य की नागरिकता अपनाता है। इस पर दूसरे राज्य की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

(ख) राज्यकृत नागरिकता (Naturalized Citizenship) राज्यकृत नागरिकता निम्नलिखित आधारों पर प्राप्त हो सकती है

1. लम्बा निवास-जब कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में काफी समय तक रह लेता है तो प्रार्थना-पत्र देने पर वह वहाँ का नागरिक बन सकता है। निवास की अवधि के बारे में विभिन्न देशों के नियमों में भिन्नता है; जैसे भारत में 4 वर्ष, अमेरिका और इंग्लैण्ड में 5 वर्ष का नियम है। कोई भी राज्य निर्धारित अवधि पूरी होने पर भी नागरिकता प्रदान करने से इन्कार कर सकता है और विशेष परिस्थितियों में अवधि से पूर्व भी नागरिकता प्रदान की जा सकती है।

2. विवाह-जब कोई स्त्री किसी विदेशी पुरुष से विवाह कर लेती है तो वह स्त्री अपने पति के देश की नागरिक बन जाती है। इस सम्बन्ध में भी विभिन्न राज्यों के नियमों में कुछ अन्तर है। जापान में यदि कोई विदेशी पुरुष जापानी स्त्री से विवाह करता है तो उस पुरुष को जापान की नागरिकता मिलने का नियम है। यदि कोई विदेशी रूस की स्त्री से विवाह करता है तो उसे रूस में ही रहना होता है, क्योंकि रूस के नियमानुसार वहाँ की स्त्री किसी विदेशी पति के साथ दूसरे देश में नहीं जा सकती।

3. सम्पत्ति खरीदना-कई देशों में यह भी नियम है कि यदि किसी दूसरे देश का नागरिक वहाँ जाकर सम्पत्ति खरीद लेता है तो उसे वहाँ की नागरिकता प्राप्त हो जाती है क्योंकि वह व्यक्ति सम्पत्ति खरीदने से उस देश के हितों में रुचि लेने लगता है। ब्राजील, मैक्सिको, पेरू आदि देशों में यह नियम लागू है।

4. सरकारी नौकरी-कई देशों में (जैसे इंग्लैण्ड में) यह भी नियम है कि यदि किसी विदेशी को वहाँ कोई सरकारी नौकरी मिल जाती है तो प्रार्थना-पत्र देने पर उसे वहाँ की नागरिकता भी प्राप्त हो सकती है। इस आधार पर कई भारतीय इंग्लैण्ड के नागरिक हैं। गोद लेना-ऐसा लगभग सभी देशों में नियम है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी बच्चे को गोद ले लेता है तो उस बच्चे को उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है, जहाँ के व्यक्ति ने गोद लिया हो।

6. माता-पिता को नागरिकता की प्राप्ति-ऐसा नियम भी सभी राज्यों में है कि जब माता-पिता को किसी देश की नागरिकता प्राप्त होती है तो उनके बच्चों को भी उस देश का नागरिक समझा जाता है।

7. विजय इस सामान्य नियम के अनुसार जब एक देश किसी दूसरे देश के किसी भाग को विजय द्वारा अपने राज्य में मिला लेता है तो उस भाग के निवासियों को जीतने वाले देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। जब कोई राज्य अपना कोई क्षेत्र दूसरे राज्य को देता है तब भी यही नियम लागू होता है।

8. सेना में भर्ती होने से कई बार किसी दूसरे देश में जाकर सेना में भर्ती हो जाने से उस देश की नागरिकता मिल जाती है। सरकारी नौकरी की तरह सेना में भर्ती होना भी वफादारी की निशानी मानी जाती है।

9. इच्छा द्वारा इच्छा द्वारा नागरिकता उस व्यक्ति को मिली हुई समझी जाती है जो मिश्रित सिद्धांतों के अनुसार दो देशों का नागरिक हो और वयस्क होने पर वह अपनी इच्छा से उनमें से किसी एक देश की नागरिकता ले ले।

10. भाषा सीख लेने पर कुछ देशों में यह भी नियम है कि यदि कोई विदेशी वहाँ की राष्ट्रभाषा सीख ले तो उसे वहाँ की नागरिकता मिल सकती है।

11. प्रार्थना-पत्र देने पर राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सरकार के पास प्रार्थना-पत्र भेजना पड़ता है, उसे अच्छे चाल-चलन का प्रमाण-पत्र भी पेश करना पड़ता है तथा अदालत में राज्य के प्रति वफादारी की शपथ लेनी पड़ती है। प्रार्थना-पत्र स्वीकृत हो जाने पर उसे नागरिकता मिल जाती है।

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 4.
नागरिकता खोई कैसे जा सकती है? अथवा किन कारणों से एक नागरिक की किसी राज्य की नागरिकता समाप्त हो सकती है?
उत्तर:
जिस प्रकार से नागरिकता कई तरीकों से मिल जाती है, उसी प्रकार कई तरीकों से खोई भी जा सकती है। उन तरीकों का वर्णन निम्नलिखित है
1. लम्बी अनुपस्थिति से यदि एक व्यक्ति अपने देश से बहुत दिन तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी अपने देश की नागरिकता खोई जाती है। जिस प्रकार लम्बे निवास से नागरिकता मिलती है, उसी प्रकार लम्बी अनुपस्थिति से नागरिकता खोई जा सकती है।

2. विवाह विवाह के द्वारा जहाँ एक देश की नागरिकता प्राप्त होती है, वहाँ अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। जैसे यदि एक इंग्लैण्ड की लड़की किसी भारतीय लड़के से विवाह कर लेती है तो उसकी इंग्लैण्ड की नागरिकता खो जाती है।

3. दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से भी एक व्यक्ति अपने देश की नागरिकता खो बैठता है, क्योंकि दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से उसकी वफादारी उसी देश की तरफ हो जाती है।

4. निवास स्थान न होने से-साधुओं, संन्यासियों, बेघरों और पागलों आदि की नागरिकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि उनका कोई निवास स्थान नहीं होता। आमतौर से मतदाताओं की सूची में नाम लिखवाने के लिए किसी एक निश्चित निवास स्थान का होना अनिवार्य है।

5.विदेशों में अलंकरण प्राप्त करने से किसी दूसरे देश से अलंकरण प्राप्त कर लेने से भी कई बार अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। कई वार अलंकार की प्राप्ति को भी विदेश के प्रति वफादारी माना जाता है।

6. देश-द्रोह के कारण–सेना से भागने के अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का देश-द्रोह करता है तो उसकी भी नागरिकता खो जाती है। कारण साफ है कि देश-द्रोह, देश के प्रति वफादार न होने की मुख्य निशानी है।

7. न्यायालय के फैसले द्वारा-यदि न्यायपालिका किसी मुकद्दमे में किसी व्यक्ति को दण्ड के तौर पर देश से निकाल दे तो उसकी नागरिकता समाप्त हो सकती है। आमतौर से ऐसा निर्णय तभी दिया जाता है जब किसी व्यक्ति की वफादारी पर शक हो।

8. देश-त्याग यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता ग्रहण करना चाहता है तो उसे अपने देश की नागरिकता को त्याग करने की घोषणा करनी पड़ती है। इससे उसकी मूल नागरिकता समाप्त हो जाती है।

9. पागल या दिवालिया हो जाने पर अदालत द्वारा पागल या दिवालिया घोषित कर दिए जाने पर व्यक्ति की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

10. गोद लेना यदि कोई बच्चा किसी विदेशी द्वारा गोद लिया जाए तो बच्चे की अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है और वह नए माता-पिता के देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है।

11. सम्पत्ति खरीदने पर यदि दूसरे देश का कोई व्यक्ति पेरू या मैक्सिको आदि देशों में सम्पत्ति खरीद लेता है तो उसे वहाँ की नागरिकता प्राप्त हो जाती है और उसके अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 5.
आदर्श नागरिकता के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं?
उत्तर:
आदर्श नागरिक किसी भी देश की अमूल्य सम्पत्ति है तथा राष्ट्र की प्रगति और विकास आदर्श नागरिकों पर ही निर्भर करता है, परन्तु समाज में कुछ ऐसी परिस्थतियाँ होती हैं या उत्पन्न हो जाती हैं जो नागरिक को उसके आदर्श मार्ग से विचलित कर देती हैं। उन्हीं परिस्थितियों को ही आदर्श नागरिकता के मार्ग की बाधाएँ कहा जाता है। इन्हीं बाधाओं का वर्णन निम्नलिखित है

1. आलस्य-आलस्य अच्छी नागरिकता का घोर शत्रु है। आलस्य से तात्पर्य राजनीतिक कार्यों के प्रति उदासीनता तथा लापरवाही है। यदि नागरिक को राजनीतिक विषयों का ज्ञान नहीं होगा तब वह राजनीतिक कार्यों में भाग नहीं ले सकेगा। अधिकतर व्यक्ति यह समझते हैं कि राजनीतिक विषयों का उनके जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, अतः उनको इनमें रुचि लेने की क्या आवश्यकता है? वे सार्वजनिक मामलों के प्रति उदासीन रहना ही पसन्द करते हैं। न वे सार्वजनिक समस्याओं का अध्ययन करते हैं और न ही इनके हल ढूंढने का प्रयत्न करते हैं।

परिणाम यह होता है कि राज्य का प्रबन्ध कुछ गिने-चुने व्यक्तियों के हाथों में चला जाता है जो राज्य की शक्ति को अपनी स्वार्थ-पर्ति के लिए प्रयोग करने लगते हैं। हम जानते हैं कि अनेक मतदाता केवल आलस्य के कारण अपना मत देने के लिए भी नहीं जाते। वे समझते हैं कि उनकी ओर से कोई भी दल शासन करे, उनको कोई चिन्ता नहीं। ऐसे विचार निःसन्देह अच्छी नागरिकता के मार्ग में बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।

यह ठीक है कि आधुनिक राज्य की विशालता के कारण एक अकेला नागरिक प्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय समस्याओं पर प्रभाव नहीं डाल सकता, परन्तु उसको यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य की शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ उसकी ज़िम्मेदारी बढ़ रही है, अतः उसको राजकीय कार्यों के प्रति उदासीनता का दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए।

2. स्वार्थ-स्वार्थ भी अच्छी नागरिकता का भारी शत्रु है। बहुधा नागरिक सार्वजनिक हितों का त्याग करके अपने स्वार्थों की पूर्ति में लग जाते हैं। जब एक मतदाता विधानमण्डल के लिए खड़े हुए उम्मीदवार से रिश्वत लेकर अपना मत दे देता है तो देश के हित का त्याग करके अपने स्वार्थ को पूरा करता है। उसके इस स्वार्थी हित से अनुचित उम्मीदवार का चुनाव हो सकता है, जो विधानमण्डल में जाकर अपने स्वार्थ को पूरा करेगा। इस प्रकार देश में स्वार्थ का साम्राज्य छा जाता है और चारों ओर बेईमानी, रिश्वतखोरी और धोखेबाजी का बोलबाला हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वार्थ को पूरा करने में लग जाता है, जिससे देश के हित को हानि पहुँचती है।

3. दलबन्दी-अच्छी नागरिकता के लिए दलबन्दी भी एक रुकावट है। वैसे तो राजनीतिक दलों को प्रजातन्त्र का प्राण कहा जाता है, परन्तु जब राजनीतिक दलों का निर्माण राष्ट्रीय हितों के आधार पर न होकर जातिगत हितों के आधार पर होता है तो दल राजनीतिक वातावरण को भ्रष्ट कर देते हैं। नागरिक जातिगत दलबन्दी में फंसकर राष्ट्रीय हितों का त्याग कर देते हैं और अपनी-अपनी जाति के हितों को पूरा करने में लग जाते हैं, जिससे समाज में परस्पर द्वेष, घृणा तथा कलह उत्पन्न हो जाता है। भारत के विभाजन का मूल कारण दलीय भावना थी।

4. निरक्षरता-निरक्षरता मनुष्य को पशु-तुल्य बना देती है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति को अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों का ज्ञान नहीं होता। उसमें बुद्धि तथा व्यक्तित्व जैसी वस्तुओं का अभाव हो जाता है। प्रो० लॉस्की (Prof. Laski) के मतानुसार, नागरिकता व्यक्ति के लोक हित कार्य के प्रति न्यायात्मक दृष्टि (Judicious Power) पर निर्भर करती है। एक निरक्षर व्यक्ति के पास यह दृष्टि नहीं होती। अनपढ़ व्यक्ति राज्य का प्रबन्ध सुचारू रूप से नहीं कर सकते। अज्ञानी तथा अशिक्षित मतदाताओं के कारण प्रजातन्त्र भीड़तन्त्र (Mobocracy) बन जाता है।

5. गरीबी-यदि नागरिक निर्धन हैं तो अच्छी नागरिकता का उत्पन्न होना कठिन है। गरीब व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है। वह डाकू, चोर, घातक और धोखेबाज बन जाता है। निर्धनता की मौजूदगी में नागरिकों का चरित्र अच्छा नहीं बन सकता। जैसा कि कहा गया है, निर्धनता सब बुराइयों की जननी है। इसके अतिरिक्त निर्धन व्यक्ति को लोक हित के कार्य में भी कोई रुचि नहीं होगी, क्योंकि इसको तो पहले उदर-पालन की चिन्ता होती है। जिस व्यक्ति को दो समय भरपेट भोजन नहीं मिलता, वह देश के कार्यों में क्या रुचि दिखलाएगा? जिस देश के लोग अत्यधिक गरीब हैं, वह कभी भी उन्नति नहीं कर सकता।

6. बुरे रीति-रिवाज-पुराने तथा बुरे रीति-रिवाज भी अच्छी नागरिकता को बढ़ने से रोकते हैं। उदाहरणतः भारत में जाति-पाति की प्रथा अच्छी नागरिकता के मार्ग में बड़ी बाधा है। इस प्रकार दहेज-प्रथा, पर्दा-प्रथा आदि बुराइयां भी अच्छी नागरिकता को विकसित होने से रोकती हैं।

7. साम्प्रदायिकता यदि नागरिकों का दृष्टिकोण साम्प्रदायिक होगा तो वे राष्ट्रीय हितों का त्याग करके अपने साम्प्रदायिक हितों की पूर्ति करेंगे। साम्प्रदायिकता व्यक्तियों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर देती है जिसका परिणाम परस्पर ईर्ष्या-द्वेष होता है। हिन्दू अपने-आपको मुसलमानों से अलग समझते हैं और सिक्ख अपने को हिंदुओं से। यह सांप्रदायिकता का ही परिणाम था कि भारत का विभाजन हुआ। सांप्रदायिकता के कारण नागरिक का दृष्टिकोण संकुचित हो जाता है। उनमें सद्भावना नहीं रहती तथा स्वार्थपरता बढ़ जाती है।

सांप्रदायिकता के साथ-साथ प्रान्तीयता भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है। प्रान्तीयता के कारण देश की एकता को हानि पहुंचती है और देश अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंट जाता है। अतः जिस देश में सांप्रदायिकता, जातीयता तथा धार्मिक भेदभाव होगा, उस देश के नागरिक कदापि आदर्श नागरिक नहीं बन सकेंगे।

8. संकुचित राष्ट्रीयता अनेक लेखकों का विचार है कि संकुचित राष्ट्रीयता भी अच्छी नागरिकता के मार्ग में बड़ी भारी रुकावट है। संकुचित राष्ट्रीयता के कारण कभी-कभी एक देश दूसरे देश पर आक्रमण कर देता है जिससे संसार की शान्ति भंग हो जाती है और मानव-जाति को हानि पहंचती है। राष्ट्रीयता तभी तक अच्छी है जब तक एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों के साथ पंचशील के सिद्धांत में विश्वास करे, परन्तु जब राष्ट्रीयता साम्राज्यवाद की ओर बढ़ जाती है तो संसार युद्ध में फंस जाता है। नागरिकता का आदर्श विश्व-नागरिकता का आदर्श है, परन्तु संकुचित राष्ट्रीयता विश्व-नागरिकता के मार्ग में बाधा डालती है।

9. क्षेत्रवाद सांप्रदायिकता की भाँति, क्षेत्रवाद भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बड़ी बाधा है। क्षेत्रवाद की भावना नागरिकता के दृष्टिकोण और सोच को संकुचित कर देती है। वह अपने क्षेत्र के अतिरिक्त कुछ भी नहीं सोचता। यही नहीं, इस भावना के कारण एक क्षेत्र के वासी दूसरे क्षेत्र के वासियों से घृणा करने लगते हैं। यहाँ तक कि क्षेत्रीय भावना के आधार पर लोग हिंसा पर भी उतर आते हैं। ये सभी बातें राष्ट्रीय हितों के लिए हानिकारक होती हैं। अतः स्पष्ट है कि क्षेत्रवाद की भावना आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधा है।

10. पूंजीवाद-पूंजीवाद भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में एक बाधा है। पूंजीवाद आदर्श नागरिकता के लिए घातक सिद्ध हुआ है। पूंजीवाद एक व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत पूंजीपतियों को अधिक महत्त्व दिया जाता है। पूंजीपति श्रमिकों का शोषक है। पूंजीवाद में श्रमिक अधिक गरीब और धनिक अधिक धनी होते चले जाते हैं। श्रमिकों और पूंजीपतियों में संघर्ष चलता है तो हिंसा का जन्म होता है। यही नहीं, पूंजीवाद में राष्ट्रीय हितों की भी अवहेलना होती है। पूंजीपति अपने ही हितों की पूर्ति के लिए उत्पादन करते हैं।

इसीलिए विचारकों ने पूंजीवादी व्यवस्था को समाप्त करने या फिर उस पर कठोर नियन्त्रण लगाने के सुझाव दिए हैं ताकि पूंजीपति मजदूरों का शोषण न कर सकें और न ही आर्थिक व्यवस्था खराब कर सकें। उपर्युक्त बाधाओं की चर्चा से यह स्पष्ट हो जाता है कि ये बाधाएँ नागरिक को एक आदर्श नागरिक बनने से रोकती हैं। यही नहीं, ये बाधाएँ अन्तिम रूप से राष्ट्र की प्रगति और विकास के मार्ग को भी अवरुद्ध करती हैं, क्योंकि आदर्श नागरिक ही समाज और राष्ट्र के कर्णधार बन सकते हैं।

प्रश्न 6.
आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
यह स्पष्ट है कि यदि देश में अच्छी नागरिकता का विकास करना है तो इसके मार्ग की बाधाओं को दूर किया जाए। लॉर्ड ब्राइस (Lord Bryce) ने इन बाधाओं को दूर करने के निम्नलिखित दो उपाय बतलाए हैं

(क) यान्त्रिक उपचार (Mechanical Remedies), (ख) नैतिक उपचार (Ethical Remedies)।
यान्त्रिक उपचार वे हैं जो सरकार की मशीनरी में कुछ परिवर्तन लाकर इन बाधाओं को दूर करने का प्रयत्न करते हैं। नैतिक उपचार वे हैं जो नागरिकों के चरित्र को उच्च बनाने का उद्देश्य रखते हैं।

(क) यान्त्रिक उपचार (Mechanical Remedies) यान्त्रिक उपचार में निम्नलिखित उपचार के ढंग सम्मिलित हैं

1. अनिवार्य मतदान कुछ लेखकों का विचार है कि अनिवार्य मतदान द्वारा नागरिकों की राजनीतिक कार्यों के प्रति उदासीनता को दूर किया जा सकता है। बैल्जियम (Belgium) तथा ऑस्ट्रेलिया (Australia) में मतदाताओं के लिए मतदान करना आवश्यक है, परन्तु यह उपचार अनेक देशों द्वारा नहीं अपनाया गया। यह ठीक है कि अनिवार्य मतदान से नागरिकों की उदासीनता को कुछ अंश तक दूर किया जा सकता है, परन्तु दबाव में मतदाता लापरवाही से वोट डाल सकते हैं, जिसका परिणाम अयोग्य उम्मीदवारों का चुनाव हो सकता है।

2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व यह विचार किया जाता है कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा अल्पसंख्यकों को अपनी वोट-शक्ति के अनुसार विधानमण्डल में स्थान प्राप्त हो सकते हैं। इस प्रणाली द्वारा प्रत्येक अल्पसंख्यक वर्ग अपने-आपकी बहुसंख्यक वर्ग के अत्याचारों से रक्षा कर सकता है। यह प्रणाली विधानमण्डल को जनता का वास्तविक प्रतिनिधि रूप प्रदान करती है।

3. प्रत्यक्ष विधि निर्माण-राजनीतिक कार्यों के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए लोकमत संग्रह (Refrendum) तथा अनुक्रम (Initiative) के उपायों को अपनाया जाता है। लोकमत संग्रह के अन्तर्गत नागरिक विधानमण्डल द्वारा पास किए गए किसी बिल पर अपने विचार प्रकट करते हैं। यदि जनता का बहुमत उस बिल के पक्ष में मतदान कर देता है तो वह बिल कार्यान्वित हो जाता है अन्यथा नहीं। अनुक्रम के अन्तर्गत नागरिक विधानमण्डल के विचार हेतु कोई बिल भेज सकते हैं । इस प्रकार इन उपायों द्वारा लोगों को सार्वजनिक महत्त्व के विषयों पर सोच-विचार करने तथा अपनी उदासीनता त्यागने के योग्य बनाया जाता है।

4. भ्रष्टाचार विरोधी उपायराज्य ऐसे कानूनों का निर्माण कर सकता है जिनके द्वारा चुनावों में भ्रष्टाचार तथा गैर-कानूनी विधियों के प्रयोग करने पर कठोर दण्ड दिया जा सके। ऐसा करने पर चुनाव ठीक प्रकार से हो सकेगा और मतों का क्रय-विक्रय आदि बन्द हो जाएगा।

(ख) नैतिक उपचार (Ethical Remedies)-यान्त्रिक उपचारों की अपेक्षा नैतिक उपचारों को अधिक कार्यसाधक अर्थात् प्रभावशाली सिद्ध माना गया है, जिसका वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है

1. अच्छी शिक्षा नागरिकों को नैतिक बनाने का सर्वश्रेष्ठ साधन उनको शिक्षित करना है। सच तो यह है कि बिना शिक्षा के किसी भी व्यक्ति का नागरिक जीवन श्रेष्ठ नहीं हो सकता। अच्छी नागरिकता अच्छे मन तथा अच्छे चरित्र पर निर्भर है। चरित्र-निर्माण का एकमात्र साधन उत्तम शिक्षा है। प्लेटो (Plato) ने ठीक ही कहा है कि उस राज्य में कानूनों की कोई आवश्यकता नहीं, जहाँ के सभी नागरिक
श के सारे राजनीतिक दल मिलकर यह प्रयत्न करें कि बच्चों में आदर्श नागरिकता के गुण उत्पन्न किए जाएँ। शिक्षा तथा प्रचार द्वारा सांप्रदायिकता, प्रान्तीयता, स्वार्थपरता तथा दलबन्दी का अन्त किया जाना चाहिए।

2. गरीबी का अन्त-गरीबी आदर्श नागरिक के लिए अभिशाप है। इसे दूर किया जाना चाहिए। गरीबी नागरिक को गलत कार्य करने के लिए विवश कर देती है। अतः राज्य को समाज से गरीबी को दूर करने के लिए उपाय करने चाहिएँ। राज्य की आर्थिक व्यवस्था का संचालन इस प्रकार होना चाहिए कि अमीर और गरीब में अन्तर कम हो जाए। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि राज्य को आर्थिक असमानता को दूर करना चाहिए। जब तक आर्थिक असमानता रहेगी तब तक आदर्श नागरिकता भी स्थापित नहीं हो पाएगी और राज्य या समाज का कल्याण भी नहीं हो पाएगा।

3. सामाजिक समानता-सामाजिक समानता की स्थापना भी बाधाओं को दूर करने का एक सशक्त माध्यम है। सामाजिक भेदभाव दूर करके सामाजिक समानता की स्थापना की जा सकती है। सामाजिक समानता का अर्थ है कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समाज में समान समझा जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति समाज का बराबर अंग है और सभी को समान सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिएँ। किसी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग, धन आदि के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति सामाजिक असमानता को बढ़ावा दे या देने का प्रयत्न करे, सरकार द्वारा उसे दण्डित किया जाना चाहिए।

4. सामाजिक बुराइयों का अन्त-समाज में प्राचीनकाल से कुछ सामाजिक बुराइयाँ चली आ रही हैं जो आदर्श नागरिकता के लिए कलंक हैं; जैसे छुआछूत, दहेज-प्रथा, सती-प्रथा आदि। इन सामाजिक बुराइयों को राज्य द्वारा दूर किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा सामाजिक बुराइयां विरोधी कानूनों का निर्माण किया जाना चाहिए तथा कठोर दण्ड की व्यवस्था की जानी चाहिए।

5. उच्च आदर्श नागरिकों के समक्ष उच्च आदर्श प्रस्तुत करना अपने-आप में बाधाओं को दूर करने का सर्वोच्च माध्यम है। यदि नागरिकों को नैतिकता के आधार पर उच्च आदर्शों का पाठ पढ़ाया जाए तो बहुत-सी बाधाएँ; जैसे सांप्रदायिकता, प्रान्तीयता, क्षेत्रवाद, संकीर्णता की भावनाएँ स्वतः समाप्त हो जाएँगी। उच्च आदर्शों की स्थापना के प्रचार-प्रसार के लिए रेडियो तथा टेलीविज़न का प्रयोग किया जा सकता है, परन्तु ध्यान रहे रेडियो तथा टेलीविज़न पर केवल आदर्शात्मक कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाना चाहिए।

6. निष्पक्ष और स्वतन्त्र प्रेस-रेडियो और टेलीविज़न की भाँति समाचार-पत्र भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधाओं को दूर करने में एक महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, परन्तु प्रेस स्वतन्त्र और निष्पक्ष होनी चाहिए तभी एक निष्पक्ष लोकमत तैयार किया जा सकेगा और समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में सहायता मिल सकेगी।।

7. राजनीतिक दल-राजनीतिक दल भी आदर्श नागरिकता की बाधाओं को दूर करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। वास्तविकता में आधुनिक लोकतान्त्रिक युग में राजनीतिक दल लोकतन्त्र व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं परन्तु राजनीतिक दल का निर्माण कुछ आदर्शों के आधार पर होना चाहिए। राजनीतिक दलों को राष्ट्र हित को समक्ष रखकर कार्य करना चाहिए। राजनीतिक दलों को चुनाव के समय निम्न स्तर के तरीकों को नहीं अपनाना चाहिए तथा राजनीतिक नेताओं को ईमानदारी, बुद्धिमत्ता एवं समझदारी का परिचय देना चाहिए, क्योंकि राजनेता जनता के आदर्श होते हैं। यदि वे आदर्श प्रस्तुत नहीं करते तो नागरिक उनसे आदर्श का पाठ कैसे पढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष-दी गई चर्चा से स्पष्ट हो जाता है कि आदर्श नागरिकता का निर्माण करना और आदर्श नागरिकता के मार्ग में व्याप्त बाधाओं को दूर करना समाज के एक पक्ष के वश की बात नहीं है। इस पवित्र कार्य में तो प्रत्येक पक्ष को अपना-अपना योगदान देना होगा। राज्य, सरकार, राजनीतिक दल, राजनेता, अभिनेता, रेडियो, समाचार-पत्र आदि सभी का यह संयुक्त दायित्व बनता है कि वे आदर्श नागरिकता की स्थापना में अपना सम्पूर्ण योगदान प्रदान करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प छाँटकर लिखें

1. निम्नलिखित में से कौन-सी नागरिक की विशेषता नहीं है?
(A) राज्य की सदस्यता
(B) अधिकारों की प्राप्ति
(C) राज्य के प्रति वफादारी
(D) अस्थायी निवासी
उत्तर:
(D) अस्थायी निवासी

2. निम्नलिखित में से कौन-सा आदर्श नागरिक का गुण है?
(A) अच्छा स्वास्थ्य
(B) अच्छा चरित्र
(C) सामाजिक भावना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

3. नागरिकता प्राप्त करने का आधार है
(A) उस देश में व्यापार करना
(B) उस देश के किसी विश्वविद्यालय में दाखिला लेना
(C) उस देश के किसी नागरिक से विवाह करना
(D) उस देश में सैर करने के लिए जाना
उत्तर:
(C) उस देश के किसी नागरिक से विवाह करना

4. नागरिक को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं
(A) सामाजिक अधिकार
(B) राजनीतिक अधिकार
(C) आर्थिक अधिकार
(D) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों

5. भारतीय नागरिकता के सम्बन्ध में कानून संसद द्वारा निम्नलिखित वर्ष में पास किया गया था
(A) 1948 में
(B) 1951 में
(C) 1957 में
(D) 1955 में
उत्तर:
(D) 1955 में

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

6. नागरिकता के उदारवादी सिद्धान्त का समर्थक कौन है?
(A) रॉबर्ट नाजिक
(B) लास्की
(C) एंथनी गिडेन्स
(D) टी०एच०मार्शल
उत्तर:
(D) टी०एच०मार्शल

7. निम्नलिखित में से किसे विदेशी के अन्तर्गत माना जाता है?
(A) स्थायी विदेशी
(B) अस्थायी विदेशी
(C) राजदूत
(D) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों

8. लॉर्ड ब्राइस ने आदर्श नागरिकता के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा गुण बताया है?
(A) बुद्धिमता
(B) आत्मसंयम
(C) विवेक
(D) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों

9. एक चरित्रवान नागरिक का गुण निम्नलिखित में से कौन-सा नहीं है?
(A) आज्ञापालन
(B) हिंसा
(C) सत्य
(D) ईमानदारी
उत्तर:
(B) हिंसा

10. नागरिकता प्राप्त करने का तरीका निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(A) जन्मजात नागरिक
(B) राज्यकृत नागरिक
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

11. जन्मजात नागरिकता प्राप्ति का आधार निम्नलिखित में से है
(A) भूमि सिद्धान्त
(B) रक्त सिद्धान्त
(C) (A) एवं (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) एवं (B) दोनों

12. राज्यकृत नागरिकता का निम्नलिखित में से कौन-सा आधार नहीं है?
(A) लम्बा निवास
(B) सेना में भर्ती होने पर
(C) प्रार्थना-पत्र देने पर
(D) स्वयं मनचाही इच्छा से
उत्तर:
(D) स्वयं मनचाही इच्छा से

13. निम्नलिखित में से कौन-सा तरीका एक नागरिक की नागरिकता के खोने का आधार हो सकता है?
(A) लम्बी अनुपस्थिति से
(B) दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से
(C) देश-द्रोह के कारण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

14. किसी विदेशी द्वारा भारतीय नागरिकता को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित में से किस शर्त को पूर्ण करना होगा?
(A) संविधान की 8वीं अनुसूची में वर्णित किसी एक
(B) आवेदन की तिथि से पूर्व कम-से-कम एक वर्ष भारत में भाषा को जानता हो रहा हो
(C) वह चरित्र सम्पन्न व्यक्ति हो
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

15. लॉर्ड ब्राइस द्वारा अच्छी नागरिकता के मार्ग में बाधाओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा उपाय सुझाया है?
(A) यांत्रिक उपचार
(B) नैतिक उपचार
(C) यांत्रिक एवं नैतिक उपचार
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) यांत्रिक एवं नैतिक उपचार

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक शब्द में दें

1. राजनीतिक कार्यों के प्रति उदासीनता को दूर करने का कोई एक उपाय बताएँ।
उत्तर:
अनिवार्य मतदान।

2. इंग्लैंड में एक विदेशी के लिए जन्मजात नागरिकता के कौन-से सिद्धान्त को अपनाया गया है?
उत्तर:
भूमि सिद्धान्त।

3. किस देश में नागरिकों को प्रजा कहा जाता है?
उत्तर:
इंग्लैंड में।

4. नागरिकता के सम्बन्ध में ‘रेखीय’ (Linear) सिद्धान्त किस विद्वान द्वारा पेश किया गया है?
उत्तर:
मार्शल द्वारा।

रिक्त स्थान भरें

1. …………….. नागरिकता के मार्क्सवादी सिद्धान्त का व्याख्याकर्ता है।
उत्तर:
एंथनी गिडिन्स

2. “किसी राज्य का नागरिक वह व्यक्ति है जिसको उस राज्य के विधान-कार्य तथा न्याय-प्रशासन में भाग लेने का पूर्ण अधिकार है।” यह शब्द ……………… के हैं।
उत्तर:
अरस्तू

3. “नागरिकता अपनी निष्ठाओं को ठीक से निभाना है।” यह कथन ………. ने कहा।
उत्तर:
बॉयड

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HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 10 विकास

Haryana State Board HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 10 विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Political Science Solutions Chapter 10 विकास

HBSE 11th Class Political Science विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आप ‘विकास’ से क्या समझते हैं? क्या ‘विकास’ की प्रचलित परिभाषा से समाज के सभी वर्गों को लाभ होता है?
उत्तर:
‘विकास’ से तात्पर्य लोगों की उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन से लिया जाता है । यद्यपि वर्तमान भौतिकवादी युग में ‘विकास’ शब्द का प्रयोग प्रायः आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज के आधुनिकीकरण के संबंध में होता है। लेकिन ‘विकास’ की यह प्रचलित परिभाषा काफी संकीर्ण है। विकास को पहले से निर्धारित लक्ष्यों; जैसे बाँध, उद्योग, अस्पताल जैसी परियोजनाओं को पूरा करने से जोड़कर देखा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

वास्तव में विकास का काम समाज के व्यापक नज़रिए से नहीं होता। इस प्रक्रिया में समाज के कुछ हिस्से लाभान्वित होते हैं जबकि शेष लोगों को भारी हानि उठानी पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि विकास के अधिकांश लाभों को ताकतवर लोग हथिया लेते हैं और उसकी कीमत अति गरीबों और आबादी के असुरक्षित हिस्से को चुकानी पड़ती है।

प्रश्न 2.
जिस तरह का विकास अधिकतर देशों में अपनाया जा रहा है उससे पड़ने वाले सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विकास का जो मॉडल अधिकतर देशों में अपनाया जा रहा है, उसके कारण समाज और पर्यावरण को भारी हानि होती है जो अग्रलिखित रूप में स्पष्ट कर सकते हैं
1.सामाजिक प्रभाव-विकास की प्रक्रिया में अन्य चीज़ों के अतिरिक्त बड़े बाँधों का निर्माण, औद्योगिक गतिविधियाँ और खनन कार्य शामिल हैं। जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ। विस्थापन के फलस्वरूप लोग अपनी आजीविका खो बैठे, जिससे उनका जीवन और भी दयनीय बन गया।

अगर ग्रामीण खेतिहर समुदाय अपने परंपरागत पेशे और क्षेत्र से विस्थापित होते हैं, तो वे समाज के हाशिए पर चले जाते हैं। बाद में वे शहरी और ग्रामीण गरीबों की विशाल आबादी में शामिल हो जाते हैं। लंबी अवधि में अर्जित परंपरागत कौशल नष्ट हो जाते हैं। संस्कृति का भी विनाश होता है, क्योंकि जब लोग नई जगह पर जाते हैं, तो वे अपनी पूरी सामुदायिक जीवन-पद्धति को भी समाप्त कर बैठते हैं।

2. पर्यावरणीय प्रभाव-विकास के कारण अनेक देशों में पर्यावरण को बहुत अधिक क्षति पहुँची है और इसके परिणामों को विस्थापित लोगों सहित पूरी आबादी महसूस करने लगी है। वनों को अंधाधुंध काटा जा रहा है जिसके कारण भूमंडलीय ताप बढ़ने लगा है। वायुमंडल में ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन की वजह से आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है जिससे बाढ़ का खतरा भी हमेशा बना रहता है।

वायु प्रदूषण एक अलग गंभीर समस्या है। इसके साथ-साथ संसाधनों के अविवेकशील उपयोग का वंचितों पर तात्कालिक और अधिक तीखा प्रभाव पड़ता है। जंगलों के नष्ट होने से उन्हें जलावन की लकड़ी, जड़ी-बूटी और आहार आदि मिलने में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। नदियों-तालाबों के सूखने और भूमिगत जलस्तर के गिरने के कारण पीने के पानी की समस्या भी दैनिक जीवन में उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 3.
विकास की प्रक्रिया ने किन नए अधिकारों के दावों को जन्म दिया है?
उत्तर:
विकास की प्रक्रिया ने जिन नए अधिकारों के दावों को जन्म दिया है, वे निम्नलिखित रूप में देखे जा सकते हैं

  • लोगों को यह अधिकार है कि उनके जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णयों में उनसे परामर्श लिया जाए।
  • लोगों को आजीविका का अधिकार दिया गया है जिसका दावा वे सरकार से अपनी आजीविका के स्रोत पर खतरा पैदा होने पर कर सकते हैं।
  • आदिवासी और आदिम समुदाय नैसर्गिक संसाधनों के उपयोग के परंपरागत अधिकारों का दावा कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
विकास के बारे में निर्णय सामान्य हित को बढ़ावा देने के लिए किए जाएँ, यह सुनिश्चित करने में अन्य प्रकार की सरकार की अपेक्षा लोकतांत्रिक व्यवस्था के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
यह सत्य है कि अन्य प्रकार की सरकारों की अपेक्षा लोकतांत्रिक सरकार विकास के बारे में जो भी निर्णय लेती है, वह निर्णय सामान्य हितों को अधिक बढावा देने वाला होता है। वास्तव में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का काम जनसमूह के विभिन्न वर्गों की प्रतिस्पर्धात्मक माँगों को पूरा करने के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य की दावेदारियों के बीच संतुलन कायम करना होता है।

लोकतांत्रिक सरकार और अन्य प्रकार की सरकारें; जैसे तानाशाही के बीच यही अंतर है कि लोकतंत्र में संसाधनों को लेकर विरोध या बेहतर जीवन के बारे में विभिन्न विचारों के द्वंद्व का हल विचार-विमर्श और सभी अधिकारों के प्रति सम्मान के माध्यम से होता है, जबकि तानाशाही में ऐसे निर्णय जबरदस्ती ऊपर से थोपे जाते हैं।

इस प्रकार लोकतंत्र में बेहतर जीवन को प्राप्त करने में समाज का हर व्यक्ति भागीदार है और विकास की योजनाएँ बनाने और उनके कार्यान्वयन के तरीके ढूँढने में भी प्रत्येक व्यक्ति शामिल होता है। लोकतांत्रिक देशों में निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लोगों के अधिकार को अधिक महत्त्व दिया जाता है।

भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय निकायों में निर्णय लेने के अधिकार और संसाधन बढ़ाने की वकालत इसलिए की जाती है, क्योंकि इससे लोगों को अत्यधिक प्रभावित करने वाले मसलों पर लोगों से परामर्श लिया जाता है जिससे समुदाय को नुकसान पहुँचा सकने वाली परियोजनाओं को रद्द करना संभव हो पाता है। इसके अतिरिक्त योजना बनाने और नीतियों के निर्धारण में संलग्नता से लोगों के लिए अपनी जरूरतों के अनुसार संसाधनों के उपयोग की भी सम्भावना बनती है जो कि अन्य किसी भी प्रकार की सरकार में इन सब बातों की संभावनाएँ नहीं रहती हैं।

HBSE 11th Class Political Science Solutions Chapter 10 विकास

प्रश्न 5.
विकास से होने वाली सामाजिक और पर्यावरणीय क्षति के प्रति सरकार को जवाबदेह बनवाने में लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन कितने सफल रहे हैं?
उत्तर:
सामाजिक एवं पर्यावरणीय क्षति के प्रति सरकार को जवाबदेही बनाने सम्बन्धी आंदोलन आंशिक रूप से ही सफल हो पाए हैं। इस संबंध में हम ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ का उदाहरण ले सकते हैं। यह आंदोलन नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर परियोजना के अंतर्गत बनने वाले बाँधों के निर्माण के खिलाफ विस्थापित लोगों द्वारा चलाया गया।

बड़े बाँधों के इन समर्थकों का दावा है कि इससे बिजली पैदा होगी, काफी बड़े इलाके में जमीन की सिंचाई में सहायता मिलेगी और सौराष्ट्र एवं कच्छ के रेगिस्तानी इलाके को पेयजल भी उपलब्ध होगा। ऐसे बाँधों के विरोधियों द्वारा इन दावों का खंडन किया गया। विरोधियों का तर्क है कि इस परियोजना के कारण लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है और उनकी आजीविका उनसे छिन गई है।

इन विरोधियों का यह भी कहना है कि विशाल जंगली भूभाग के बाँध में डूब जाने से पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ सकता है। विरोधियों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का सरकार पर जबरदस्त दबाव पड़ा। अंततः बाँध की ऊँचाई सीमित करने में आंदोलनकारियों को कुछ हद तक सफलता मिली और विस्थापित लोगों के पुनर्वास की भी व्यवस्था की गई।

इस संदर्भ में एक अन्य उदाहरण ‘चिपको आंदोलन’ है जो भारत में हिमाचल के वन क्षेत्र को बचाने के लिए सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में शुरू हुआ था। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप वहाँ वनों की कटाई पर काफी हद तक रोक में लगाने में सफलता प्राप्त हुई। इस प्रकार ऐसे आंदोलनों के विकास से होने वाली सामाजिक और पर्यावरणीय क्षति के प्रति सरकार को जवाबदेह बनाने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

विकास HBSE 11th Class Political Science Notes

→ परिवर्तन जीवन का आधार है। परिवर्तन व्यक्ति, स्थानीय, राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय आधार पर होता रहता है। परिवर्तन का दूसरा नाम विकास भी हो सकता है। अतः विकास राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होता रहता है। किस देश में विकास हो चुका है या हो रहा है, यह अन्तर करना कठिन है।

→ फिर भी जिन देशों में विकास पूर्ण रूप धारण कर चुका है, उन देशों को विकसित देश कहा जाता है और जिन देशों में अभी विकास की प्रक्रिया चल रही है या जो देश अभी भी विकास के मार्ग पर अग्रसर हैं, उन देशों को विकासशील देश या उभरते हुए राष्ट्र (Emerging Countries) कहा जाता है।

→ विकासशील देशों को तृतीय विश्व के राष्ट्र (Third World Countries) भी कहा जाता था। प्रथम विश्व में अमेरिका तथा उसके गुट में सम्मिलित देश आते थे, जबकि द्वितीय विश्व में सोवियत संघ व उसके गुट में सम्मिलित देश आते थे।

→ तृतीय विश्व में शेष देश आते थे जो साम्राज्यवादी शक्तियों की दासता से मुक्ति प्राप्त करके अपनी दरिद्रता को दूर करने में प्रयत्नशील थे। सोवियत संघ के एक देश के रूप में समाप्त होने पर उसका गुट बिखर गया और अब विश्व केवल एक ध्रुवीय ही रह गया है।

→ वास्तविकता में, साम्राज्यवादी शक्तियों ने एशिया, अफ्रीका व लेटिन-अमेरिका के धनी देशों को लम्बे समय तक अपना दास बनाए रखा और इन देशों का आर्थिक शोषण किया। साम्राज्यवादी देशों ने दास-राष्ट्रों के माध्यम से अपना विकास कर डाला।

→ इस तरह धनी देश दरिद्र बन गए और दरिद्र देश धनी बन गए। परिणामस्वरूप ये देश अविकसित रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् इन देशो में भारी जागृति उत्पन्न हुई। यहाँ के लोगों ने स्वतन्त्र होने के लिए आन्दोलन चलाए।

→ बहुत-से देशों में आन्दोलन सफल रहे और उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्त की। स्वतन्त्र राष्ट्रों में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्रों में विकास प्रारम्भ हुआ । इन क्षेत्रों में कहीं पर उन्हें सफलता मिली और कहीं पर उन्हें असफलता का मुँह देखना पड़ा।

→ इन स्वतन्त्र देशों ने अपने आर्थिक विकास की ओर विशेष ध्यान दिया। उनके सामने विकास की प्रमुख समस्या जीवन की नितान्त आवश्यकताओं-रोटी, कपड़ा और मकान की पूर्ति करना था। इस अध्याय में हम विकास एवं इससे सम्बन्धित विभिन्न मॉडलों का वर्णन करेंगे।

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Exercise 7.2

Question 1.
In an isosceles triangle ABC with AB = AC, the bisectors of ∠B and ∠C intersect each other at O. Join A to O Show that:
(i) OB = OC
(ii) AO bisects ∠A.
Solution:
(i) In ΔABC, we have
AB = AC (Given)
⇒ ∠B = ∠C …….(i)
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 1
[∵ Angles opposite to equal sides are equal]
Since BO is the bisector of ∠B.
∴ ∠ABO = ∠CBO …(ii)
and CO is the bisector of ∠C.
∴ ∠ACO = ∠BCO …(iii)
From (i), (ii) and (iii), we get
∠ABO = ∠ACO …(iv)
and ∠CBO = ∠BCO
⇒ BO = CO …. (v)
(∵ Sides opposite to equal angles are equal)

(ii) In ΔABO and ΔACO, we have
AB = AC, (Given)
∠ABO = ∠ACO, [From (iv)]
and BO = CO [From (v)]
∴ ΔABO ≅ ΔACO,
(By SAS congruence rule)
⇒ ∠OAB = ∠OAC (CPCT)
OR AO bisects ⇒ A.
Hence Proved

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2

Question 2.
In ΔABC, AD is the perpendicular bisector of BC (see figure 7.42). Show that ΔABC is an isosceles triangle in which AB = AC
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 2
Solution:
In ΔADB and ΔADC,
we have BD = CD,
(∵ AD is the bisecor of BC)
∠ADB = ∠ADC,
(∵ AD ⊥ BC, ∴ Each = 90°)
and AD = AD, (Common)
∴ ΔADB ≅ ΔADC,
(By SAS congruence rule)
⇒ AB = AC, (CPCT)
Or ABC is an isosceles triangle.
Hence Proved

Question 3.
ABC is an isosceles triangle in which altitudes BE and CF are drawn to equal sides AC and AB respectively (see figure 7.43). Show that these altitudes are equal.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 3
Solution:
In ΔABC, we have
AB = AC, (∵ ΔABC is an isosceles triangle)
⇒ ∠B = ∠C, (∵ Angles opposite to equal sides are equal)
Now, in ΔBFC and ΔCEB, we have
∠B = ∠C, (As proved above)
∠BFC = ∠CEB
(∵ CF ⊥ AB and BE ⊥ AC, ∴ Each = 90°)
and BC = BC, (Common)
∴ ΔBFC ≅ ΔCEB
(By AAS congruence rule)
⇒ CF = BE (CPCT)
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2

Question 4.
ABC is a triangle in which altitudes BE and CF to sides AC and AB are equal (see figure 7.44). Show that:
(i) ΔABE ≅ ΔACF
(ii) AB = AC, i.e., ABC is an isosceles triangle.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 4
Solution:
(i) In ΔABE and ΔACF, we have
∠AEB = ∠AFC
[∵ BE ⊥ AC and CF ⊥ AB
∴ Each = 90°]
∠BAE = ∠CAF (Common)
and BE = CF, (Given)
ΔABE ≅ ΔACF,
(By AAS congruence rule)

(ii) ΔABE ≅ ΔACF
(As proved above)
⇒ AB = AC, (CPCT)
Or ABC is an isosceles triangle.
Hence proved

Question 5.
ABC and DBC are two isosceles triangles on the same base BC (see figure 7.45). Show that ∠ABD = ∠ACD.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 5
Solution:
In ΔABC, we have
AB = AC (∵ ΔABC is an isosceles triangle)
⇒ ∠ABC = ∠ACB ……..(i)
(∵ Angles opposite to equal sides are equal) Again in ΔDBC, we have
DB = DC (∵ ΔDBC is an isosceles triangle)
⇒ ∠DBC = ∠DCB, ……..(ii)
(∵ Angles opposite to equal sides are equal)
Adding (i) and (ii), we get
∠ABC + ∠DBC = ∠ACB +∠DCB
⇒ ∠ABD = ∠ACD. Hence proved.

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2

Question 6.
ΔABC is an isosceles triangle in which AB = AC. Side BA is produced to such that AD = AB (see figure 7.46). Show that ∠BCD is a right angle.
[NCERT Exemplar Problems]
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 6
Solution:
Given: ΔABC in which AB = AC. Side BA is produced to D such that
AD = AB
To prove : ∠BCD = 90°.
Construction: Join C to D.
Proof: In ΔABC, we have
AB = AC (Given)
⇒ ∠ABC = ∠ACB …….(i)
(∵ Angles opposite to equal sides are equal)
AB = AD, (Given)
∴ AD = AC (∵ AB = AC)
⇒ ∠ADC = ∠ACD …(ii) (∵ Angles opposite to equal sides are equal)
Adding (i), (ii), we get
∠ABC + ∠ADC = ∠ACB + ∠ACD
∠ABC + ∠ADC = ∠BCD
∠DBC + ∠BDC = ∠BCD (from fig. ∠ABC = ∠DBC and ∠ADC = ∠BDC)
Now in ΔBCD, we have
∠DBC + ∠BDC + ∠BCD = 180°,
(∵ Sum of interior angles of a triangle = 180°)
⇒ ∠BCD + ∠BCD = 180°, [Using (iii)]
⇒ 2∠BCD = 180°
⇒ ∠BCD = \(\frac {180°}{2}\) = 90°
Or ∠BCD is a right angle. Hence Proved

Question 7.
ABC is a right-angled triangle in which ∠A = 90° and AB = AC. Find ∠B and ∠C.
Solution :
In ΔABC, we have
∠A = 90° and
AB = AC
⇒ ∠B = ∠C …(i) (∵ Angles opposite to equal sides are equal)
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 7
Now in ΔABC, we have
∠A + ∠B + ∠C = 180°, (∵ Sum of interior angles of a triangle = 180°)
⇒ 90° + ∠B + ∠B = 180°,
[∵ From (i), ∠C = ∠B]
⇒ 2∠B = 180° – 90°,
⇒ 2∠B = 90°
⇒ ∠B = \(\frac {90°}{2}\) = 45°
Hence, ∠B = ∠C = 45°

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2

Question 8.
Show that the angles of an equilateral triangle are 60° each. [NCERT Exemplar Problems]
Solution :
Let ΔABC be an equilateral triangle.
So, AB = BC = AC
Now, AB = AC
⇒ ∠B = ∠C ……..(i)
(Angles opposite to equal sides are equal)
Again, BC = AC
⇒ ∠B = ∠A ……..(ii)
[Angles opposite to equal sides are equal]
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 7 Triangles Ex 7.2 - 8
From (i) and (ii), we get
∠A = ∠B = ∠C …(iii)
Now ∠A + ∠B + ∠C = 180°
[∵ Sum of interior angles of a Δ = 180°]
⇒ ∠A + ∠A + ∠A = 180° [Using (iii)]
⇒ 3∠A = 180°
⇒ ∠A = \(\frac {180°}{3}\) = 60°
∴ ∠A = ∠B = ∠C = 60°
Hence, each angle of an equilateral triangle is 60°
Hence Proved

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 Civilising the Native, Educating the Nation

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 Civilising the Native, Educating the Nation Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 Civilising the Native, Educating the Nation

HBSE 8th Class History Civilising the Native, Educating the Nation Textbook Questions and Answers

LET’S IMAGINE

Civilising The Native”, Educating The Nation Question Answer HBSE 8th Class Question 1.
Imagine you were a witness to a debate between Mahatma Gandhi and Macaulay on English education. Write a page on the dialogues you heard.
Answer:
Macaulay emphasized India is an uncivilised country. No branch of Eastern knowledge could be compared to what England had produced. He stressed the need for English education.

Mahatma Gandhi, however, said that colonial education created a sense of inferiority in the minds of IndiAnswer: He said that there was poison in this education. Macaulay argued that the knowledge of English would allow Indians to read some of the finest literature the world had produced.

Mahatma Gandhi emphasized that Indian languages ought to be the medium of teaching. Mahatma Gandhi also felt that Education in English crippled Indians, distanced them from their own social surroundings.

Macaulay urged that the British government in India should stop wasting public money in promoting oriental learning for it was of no practical use.
Mahatma Gandhi focussed on practical knowledge and experience. People should know how to operate different things rather than studying only, from books.

LET’S RECALL

Civilising The Native Educating The Nation HBSE 8th Class Question 1.
Match the following:

(i) William Jones(a) promotion of English education
(ii) Rabindranath Tagore(b) respect for ancient cultures
(iii) Thomas Macaulay(c) gurus
(iv) Mahatma Gandhi(d) learning in natural environment
(v) Pathshalas(e) critical of English education

Answer:

(i) William Jones(b) respect for ancient cultures
(ii) Rabindranath Tagore(d) learning in natural environment
(iii) Thomas Macaulay(a) promotiono of English education
(iv) Mahatma Gandhi(e) critical of English education
(v) Pathshalas(c) gurus

Civilising The Native Educating The Nation Questions And Answers HBSE Question 2.
State whether True or False:
(a) James Mill was a severe critic of the Orientalists.
(b) The 1854 Despatch on education was in favour of English being introduced as a medium of higher education in India.
(c) Mahatma Gandhi thought that promotion of literacy was the most important aim of education.
(d) Rabindranath Tagore felt that children ought to be subjected to strict discipline.
Answer:
(a) True
(b) True
(c) False
(d) False

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 Civilising the Native, Educating the Nation

LET’S DISCUSS

Civilising The Native, Educating The Nation Class 8 Questions And Answers HBSE
Question 3.

Why did William Jones feel the need to study Indian history, philosophy and law?
Answer:
William Jones felt the need to study Indian history, philosophy and law due to the following reasons :

  • He had a deep respect for ancient cultures both of India and the West.
  • He felt that India had attained its glory in the ancient past but had subsequently declined.
  • He thought that in order to understand India, it was necessary to discover the sacred and legal texts that were produced in the ancient period.
  • William Jones went about discovering ancient texts, understanding their meaning, translating them, and making their finding known to other.

Civilising The Native Educating The Nation Solutions HBSE 8th Class Question 4.
Why did James Mill and Thomas Macaulay think that European education was essential in India?
Answer:
James Mill thought that European education was essential in India because :

  • The knowledge of the East was full of errors and unscientific thoughts.
  • The aim of education should not only be to teach the poetry and sacred literature of the Orient.
  • The education should provide useful and practical knowledge to the students.

Thomas Macaulay urged that:

  • Oriental learning was of no practical use.
  • The English Education was better because it would allow Indians to read some of the finest literature of the world. It would also make them aware about the development in Western Science and philosophy.

Civilising The Native”, Educating The Nation Notes Questions And Answers HBSE
Question 5.

Why did Mahatma Gandhi want to teach children handicrafts?
Answer:
Mahatma Gandhi wanted to teach children handicrafts because he thought:

  • Western education focused on reading and writing rather than oral knowledge.
  • Education ought to develop a person’s mind and soul. Simple learning to read and write by itself did not count as education.
  • If people are allowed to work with hands, learn a craft and know how different things operated, this would develop their mind and their capacity to understand.

Civilising The Native Educating The Nation Class 8 HBSE Question 6.
Wiry did Mahatma Gandhi think that English education had enslaved Indians?
Answer:
Mahatma Gandhi thought that English education had enslaved Indians because:

  • It made them see Western civilisation as superior, and destroyed the pride they had in their own culture.
  • Charmed by the West and after getting western education, they began admiring British rule.
  • It had poisoned their minds and soul.

LET’S DO

Class 8 Civilising The Native Educating The Nation HBSE  Question 7.
Find out from your grandparents about what they studied in school.
Answer:
For self study.

Civilising The Native Educating The Nation Class 8 Questions And Answers HBSE
Question 8.

Find nut about the history of your school or any other school in the area you live.
Answer:
Self study. Contact your school Principal/ Headmaster or record keeper of the school history.

HBSE 8th Class History Civilising the Native, Educating the Nation Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

History Class 8 Chapter 8 HBSE Question 1.
Why did William Jones arrive in Calcutta?
Answer:
William Jones arrived in Calcutta as he had an appointment as a junior judge of the Supreme Court that the Company had set-up.

Class 8 History Civilising The Native Educating The Nation HBSE Question 2.
Why was a madrasa set-up in Calcutta in 1781?
Answer:
A madrasa was set-up in Calcutta in 1781 to promote the study of Arabic, Persian and Islamic law.

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 Civilising the Native, Educating the Nation

Question 3.
When and by whom was Wood’s Despatch issued?
Answer:
Wood’s Despatch was issued in 1854 by Charles Wood, the president of the Board of Counil of Company.

Question 4.
Who started Shantiniketan and when?
Answer:
Rabindranath Tagore started Shantiniketan in 1901.

Question 5.
Why did Tagore decide to set-up his school 100 kilometers away from Calcutta?
Answer:
Tagore decided to set-up his school 100 kilometers away from Calcutta because he was of the view that creative learning could be encouraged only within a natural environment.

Question 6.
Why was the East India Company opposed to missionary activities in India until 1813?
Answer:
It feared that missionary activities would provoke reaction amongst the local population and make them suspicious of British presence in India.

Question 7.
Why did Mahatma Gandhi feel that English education made Indians strangers in their own lands?
Answer:
Mahatma Gandhi felt so because English education distanced from their social surroundings. Speaking a foreign tongue, despising local culture, the English Educated did not know as to how relate to the masses.

Question 8.
What were seen as “temples of darkness” after the English Education Act of 1835?
Answer:
Oriental institution like the Calcutta Madrasa and Benaras Sanskrit College.

Question 9.
What do you mean by “Wood’s Despatch”?
Answer:
In 1854, the Court of Directors of the East India Company in London sent an educational despatch to the Governor-General in India. Since the Despatch was issued by Charles Wood, it was called Wood’s Despatch.

Short Answer Type Questions

Question 1.
Write the features of education under Pathshalas.
Answer:
The main features of education under Pathshalas were:

  • The pathshalas followed a flexible system of education.
  • There were no formal schools.
  • Classes were held in open space.
  • There were no roll call registers, no annual examinations and no regular time-table.
  • Teaching was oral and the Guru decided what to teach.
  • The Guru taught according to the needs of his students.

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Question 2.
Write four drawbacks of modem education.
Answer:
Drawbacks:

  • The British succeeded in some extent to create Indians with European tastes.
  • The status of the English-educated persons differed from those who were taught in the Vernaculars.
  • It neglected the education of the girls.
  • The Indians who received modern education gradually began to blindly follow the European ideas, thought and literature.

Question 3.
What were differences between Tagore’s and Mahatma Gandhi’s idea about education?
Answer:
Gandhiji was highly critical of western civilisation and the worship of machines and technology. Tagore wanted to combine elements of modem western civilisation with what he saw as the best within Indian tradition. He emphasised the need to teach science and technology at Shantiniketan along with art, music and dance.

Question 4.
What was Tagore’s motive behind setting up of Shantiniketan?
Answer:

  • Tagore wanted to set-up a school where the child was happy, where he could be free and creative.
  • Tagore felt that childhood ought to be a time of self-learning, outside the rigid and restricting discipline of the schooling system set-up by the British.
  • He set-up his school 100 kilometres away from Calcutta as he thought that creative learning could be encouraged only within a natural environment.

Question 5.
Why did many British officials begin to criticise the Orientalist vision of learning?
Answer:

  • They said that knowledge of the East was full of errors and unscientific thought.
  • Eastern literature was non-serious and light-hearted.

So, they argued that it was wrong on the part of the British to spend so much effort in encouraging the study of Arabic and Sanskrit language and literature.

Question 6.
How, according to Macaulay, could teaching of English be a way of civilising people?
Answer:

  • He felt that knowledge of English would allow Indians to read some of the finest literature the world had produced.
  • It would make them aware of the developments in western science and philosophy.

Long Answer Type Questions

Question 1.
What were the differences between Orientalists and Anglicists?
Answer:
(a) The Orientalists had a sound knowledge of the language and culture of Asia They favoured the development of Sanskrit and Persian languages in India The Anglicists emphasised upon English language to be the medium of instruction in the educational institutions.

(b) The Orientalists wanted to set-up such educational institutions that encouraged the study of ancient Indian texts. They had respect for the ancientic culture of India. Anglicists wanted to acquaint the Indians with the advancements of science and technology blooming in the. West.

(c) William Jones and Thomas Colebrooke were Orientalists who together translated many Sanskrit and Persian texts into English, set-up the Asiatic Society of Bengal and started a journal Asiatic Researches. James Mill and Thomas Macaulay were the main supporters of English as well as scientific knowledge. Raja Ram Mohan Roy also favoured the western education through English medium.

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Question 2.
What were the main recommen-dations of the Wood’s Despatch?
Answer:

  • The main aim of governments education policy would be teaching of modem education.
  • English language would be the medium of instruction in higher classes.
  • An Education Department was to be established in every province.
  • At least one government school should be opened in every area.
  • Grant-in aid was to be provided to affiliated private schools.
  • The Indian natives should be given training in their mother-tongue also.

Question 3.
State the main features of Wood’s Despatch in 1854.
Answer:

  • It emphasised the practical benefits of a system of European learning as opposed to oriental knowledge.
  • It said that European learning would enable Indians to recognise the advantages that flow from the expansion of trade and commerce.
  • European ways of life would change their tastes and desires and create a demand for British goods for Indians.
  • European learning would improve the moral character of Indians.
  • The literature of the East was not only full of grave errors, it could not instill in people a sense of duty and a commitment to work.

Question 4.
What was the impact of Wood’s Despatch on education system of India?
Answer:

  • Education departments of the government were set up to extend control over all matters regarding education.
  • Steps were taken to establish a system of university education.
  • In 1857, in spite of Sepoys Revolt, universities were being established in Calcutta, Madras and Bombay.
  • Attempts were also made to bring about changes within the system of school education.

Civilising the Native, Educating the Nation Class 8 HBSE Notes

  • Linguist: Someone who knows and studies several languages.
  • Madrasa: An Arabic word for a place of learnings any type of school or college.
  • Orientalists: Those with a scholarly knowledge of the language and culture of Asia.
  • Munshi : A person who can read, write and teach Persian.
  • Vernacular: A term generally used to refer to a local language or dialect as distinct from what is seen as the standard language. In colonial countries like India, the British used the term to mark the difference between the local languages of everyday use and English the language of the imperial masters.

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HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 7 Weavers, Iron Smelters and Factory Owners

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 7 Weavers, Iron Smelters and Factory Owners Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 7 Weavers, Iron Smelters and Factory Owners

HBSE 8th Class History Weavers, Iron Smelters and Factory Owners Textbook Questions and Answers

LETS IMAGINE

Imagine you are a textile weaver in late- nineteenth-century India. Textiles produced in Indian factories are flooding the market. How would you have adjusted to the situation?
Answer:
I would have contacted the agents of different European companies and had bargained. I would have produced fine quality of textile and worked very hard in my working unit. I would have requested to my local merchants to increase the supply of the textiles.

LETS RECALL

Weavers Iron Smelters And Factory Owners HBSE 8th Class Question 1.
What kinds of cloth had a large market in Europe?
Answer:

  • European traders preferred fine cotton cloth from India carried by Arab merchants in Mosul in present-day Iraq.
  • The Portuguese took back cotton textiles called ‘calico’ to Europe.
  • Europeans also ordered printed cotton cloth called ‘chintz’.
  • From the 1680’s there started a craze for printed cotton textiles in England and Europe mainly for their exquisite floral designs, fine texture and relative cheapness.
  • Rich people of England including the Queen herself wore clothes of Indian fabric.

Weavers Iron Smelters And Factory Owners Question Answer HBSE 8th Class Question 2.
What is Jamdani?
Answer:
Jamdani is a fine muslin on which decorative motifs are woven on the loom, typically in grey and white.

Weavers Iron Smelters And Factory Owners Class 8 Question Answer HBSE Question 3.
What is bandanna?
Answer:
The word ‘bandanna’ refers to any brightly coloured and printed scarf for the neck or head.

Weavers Smelters And Factory Owners HBSE 8th Class Question 4.
Who are the Agarias?
Answer:
Agaria is a community of iron smelters who specialized in the field of craft.

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Question 5.
Fill in the blanks :
(a) The word chintz comes from the word
(b) Tipu’s sword was made of steel.
(c) India’s textile exports declined in the century.
Answer:
(a) Chhint
(b) Wootz
(c) eighteenth

LETS DISCUSS

Question 6.
How do the names of different textiles tell us about their histories?
Answer:
There are various examples of names of textiles derived from different languages. The English word Chintz is derived from Chhint, a Hindi word. Originally the term bandanna derived from the word ‘bandhna’ (Hindi for tying). The widespread use of such words shows how popular Indian textiles had become in different parts of the world.

Question 7.
Why did the wool and silk producers in England protest against import of Indian textiles in the early eighteenth century?
Answer:
Worried by the popularity of Indian textiles, wool and silk makers in England began protesting against the import of Indian cotton textiles. In 1720, the British government enacted a legislation banning the use of printed cotton textiles too.

Question 8.
How did the development of cotton industries in Britain affect textile producers in India?
Answer:
(a) Indian textiles now had to compete with British textiles in the European and American markets.
(b) Exporting textiles to England also became increasingly difficult since very high duties were imposed on Indian textiles imported to Britain.

Question 9.
Why did the Indian iron smelting decline in the nineteenth century?
Answer:

  • The new forest laws led to the decline of craft of iron smelting.
  • When the colonial government prevented people from entering the reserved forests, the iron smelters could not find wood for charcoal.
  • Even when they were granted access, the iron smelters had to pay a very high tax to the forest department for every furnace used. This reduced their income.
  • Moreover, iron and steel was being imported from Britain.

Question 10.
What problems did Indian textile industry face during its development?
Answer:

  • Indian textiles now had to compete with British textiles in European and American markets.
  • Exporting textiles to England also became increasingly difficult since very high duties were imposed on Indian textiles imported to Britain.
  • European companies had stopped buying Indian goods and their agents no longer gave out advances to weavers to secure supplies.
  • By 1830s, two-thirds of all the cotton clothes worn by Indians were made of clothes produced in Britain.

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Question 11.
What helped TISCO expand steel production during First World War?
Answer:

  • Steel produced in Britain now had to meet the demands of war in Europe. So imports of British steel into India declined.
  • The Indian Railways turned TISCO for supply of rails.
  • As the war dragged on for several years, TISCO had to produce shells and carriage wheels for the war.
  • By 1919, the colonial government was buying 90% of the steel manufactured by TISCO.

LETS DO

Question 12.
Find out about the history of any craft around the area you live. You may wish to know about the community of craftsmen, the changes in the techniques they use and the market they supply. How have these changed in the past 50 years?
Answer:
Not from examination point of view. Do it yourself,

Question 13.
On a map of India, locate the centres of different crafts today. Find out when they came up.
Answer:
HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 7 Weavers, Iron Smelters and Factory Owners 1

HBSE 8th Class History Weavers, Iron Smelters and Factory Owners Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Give the general name for all cotton textiles.
Answer:
Calico.

Question 2.
Which two industries were crucial for the industrial revolution in the modern world ?
Answer:

  • Textile industry
  • Iron and Steel industry.

Question 3.
Who invented the spinning jenny?
Answer:
John Kaye.

Question 4.
Who invented the steam engine?
Answer:
Richard Awkright.

Question 5.
Name the foremost textile centre in the 18th century.
Answer:
Dacca, Eastern Bengal, present day Bangladesh.

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Question 6.
When was India the world’s largest producer of cotton textile?
Answer:
Around 1750, before the British conquered Bengal.

Question 7.
What is the name given to a dyer?
Answer:
Rangrez.

Question 8.
What is Chintz?
Answer:
Chintz is a printed cotton cloth with small and colourful flowery designs.

Question 9.
When was the charkha adopted as the centre of flag of INC?
Answer:
In 1931.

Question 10.
Where and when was the first cotton mill set-up in India?
Answer:
Bombay, 1854.

Question 11.
Give the anglicised version of the word-Ukku.
Answer:
Wootz.

Short Answer Type Questions

Question 1.
Why is “muslin” named so?
Answer:
European traders first encountered fine cotton doth from India carried by Arab merchants in Masul in present-day Iraq. So they began referring to all finely woven textiles as “muslin” a word acquired wide currency.

Question 2.
Why was there a craze for chintz in England?
Answer:
From the 1680s there started a craze for printed Indian cotton textiles mainly for their exquisite floral designs, fine texture and relative cheapness.

Question 3.
Define Jamdani.
Answer:
Jamdani is a fine muslin on which decorative motifs are woven on the looms, typically in grey and white.

Question 4.
What is spinning jenny? How was its useful?
Answer:
A spinning jemmy is a machine by which a single worker could operate several spindles on to which thread was spun. When the wheel was turned all the spindles rotated. This increased productivity of traditional spindles.

Question 5.
Who were the weavers?
Answer:
Weavers often belonged to the community that specialized in weaving whose skills were passed «en from one generation to another.
Example : Tanti weavers, Bengali; Devangs of South Indiaetc.

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Question 6.
“Exporting textiles to England also became increasingly difficult.” Give reason.
Answer:
Exporting textiles to England also became increasingly difficult since very high duties were imposed on Indian textiles imported to Britain.

Question 7.
Mention the occupation of weavers and spinners who lost their livelihood.
Answer:
Many weavers became agricultural labourers. Some migrated to cities in search of work and yet others went out to work in African and South American plantations. Some of these handloom weavers started work in the new, cotton mills.

Question 8.
Define smelting.
Answer:
The process of obtaining a metal from rock (or soil) by heating it to a very high temperature.

Question 9.
What was the use of Bellows?
Answer:
Women worked with bellows, pumping air that kept Use charcoal burning.

Question 10.
What was the aim of Dorabji Tata and Charles Weld travelling in Chattisgarh?
Answer:
Charles Weld, an American geologist and Dorabji Tata, the eldest son of Jamshedji Tata, were travelling in Chattisgarh in search of non ore deposits spending months on a costly venture looking for sources of good iron ere.

Question 11.
“Despite being the finest ere, Rajhara hills was not the Tatas choice.” Why?
Answer:
Rajahara hills was a dry region and due to the necessity of water for running a factory, Tatas had to continue their search for a more suitable place to set-up their factory.

Question 12.
How dad ffiaropeaa companies make enormous profits out of Indian textiles during 18th century ?
Answer:
European trading companies – the Dutch, the French and the English pm-chased cotton and silk textiles in India by importing silver.

Question 13.
Why was the sword of Tipu Sultan so special ?
Answer:
This sword had an incredibly hard and sharp edge that could easily rip through the opponent’s armour. This quality of the sword came from a special type of high carbon Steel called Wootz.

Question 14.
How were the furnaces built in villages of lndia?
Answer:
(a) The fin-nances were most often built of day and sun-dried bricks.
(b) The smelting was dane by men while women worked the bellows, pumping air .that kept the charcoal burning.

Question 15.
When was steam engine invented and by whom? What was its impact?
Answer:
(a) Steam engine was invented in 1786 by Richard Arkwright.
(b) Cloth could now be woven in immense quantities and cheaply too.

Question 16.
Name some communities who were famous for weaving.
Answer:
(a) The tanti weavers of Bengal
(b) the julahas or momin weavers of north India
(c) sale and kaikollar and devanges of south India are some of the communities famous for weaving

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Long Answer Type Questions

Question 1.
How does word “bandanna” reveal history and present day textile world?
Answer:
The word bandanna now refers to any brightly coloured and printed scraf for the neck or head. Originally, the (term derived from the word “bandhna” (Hindi for tying) and referred to a variety of brightly coloured clothes produced through a method of tying and dyeing. It was a cloth that was produced as it was seamed together.

Question 2.
What technological innovations were made during eighteenth century? Why?
Answer:
Competition with Indian textiles also led to a search for technological innovations in England. In 1764, Spinning Jenny was invented by John Kaye which increased the productivity of traditional spindles. In 1786, the invention of the steam engine by Richard Awkright revolutionised cotton textile in many ways. These helped cloth get woven in immense quantities and cheaply too.

Question 3.
Explain in detail the process of production of handloom weaving.
Answer:
(а) Spinning : Using charkhas and taklis, fibres could be spun by women. The thread was spun on the charkha and rolled on the takli.

(b) Weaving: After spinning, weaving was done by men from a thread to a cloth/ fabric.

(c) Dyeing: For obtaining coloured textiles, the thread was dyed by the dyer known as rangrez.

(d) Printing : For obtaining printed cloth, the weavers needed the help of specialist block printers called Chhipigars. However, dyeing and printing were optional tasks.

Question 4.
“Even after extreme failures, handloom weaving did not completely die in India.” Why?
Answer:
Handloom weaving did not die in India because:
(a) Some types of clothes could not be supplied by the machine such as saris with intricate borders or fabrics with traditionally woven patterns.
(b) These had a wide demand by both the rich and middle class people.
(c) They also met the demands of poor as coarse cloth was not produced by textile manufacturers in Britain.

Question 5.
How did charkha become an important part of national movement?
Answer:
In the late nineteenth century, Mahatma Gandhi urged people to boycott imported textiles and use hand-spun and hand- woven clothes. These were, spun using a charkha. Khadi gradually became a symbol of nationalism during the National Movement. In this case, the charkha was the traditional spinning instrument that came to represent India and it was put at the centre of the tricolour flag of the Indian National Congress adopted in 1931.

Question 6.
Which were the major centres of weaving in the late 18th century India?
Answer:
The textile production was concentrated in the following four regions in the early 18th century :
(i) Bengal was one of the most important centrs. Located along the numerous rivers in the delta, the production centres in Bengal could easily transport goods to distant places.

(ii) Dacca in Eastern Bengal was the foremost textile centre in the 18th century. It was famous for its mulmul and jamdani weaving.

(iii) A cluster of cotton weaving centres was along the coromandel coast stretching from Madras to northern Andhra Pradesh.

(iv) On the western coast, there were important weaving centres in Gujarat.

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Question 7.
What were the various stages of textile production in India?
Answer:
(a) The first stage of production was spinning which was mostly done by women. The thread was spun on the charkha and rolled on the takli.

(b) Then thread was woven into cloth by the weaver which was generally done by men.

(c) For coloured textiles, the thread was dyed by the dyer.

(d) For printed cloth, the weavers needed the help of specialist block printers.

Question 8.
What were the effect of the decline of Indian textiles in the 19th century?
Answer:
(a) By the beginning of the 19th century, english-made cotton textiles successfully ousted Indian goods from their traditional markets in Africa, America and Europe.

(b) Thousands of weavers in India became jobless. Bengal weavers were the worst hit.

(c) English and European companies stopped buying Indian goods and giving advances to weavers to secure supplies.

(d) By the 1830s, British cotton cloth flooded Indian markets. Infact, by the 1880s two-thirds of all the cotton clothes worn by Indians were made of cloth produced in British.

Picture Based Questions

Question I.
Look at the given pictures and answer the questions that follow:
HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 7 Weavers, Iron Smelters and Factory Owners 2
Question 1.
What are the Tanti weavers doing?
Answer:
The tanti weavers here at work in the pit loom.

Question 2.
Where might they hail from?
Answer:
They might hail from Bengal.

Question II.
Look at the given pictures and answer the questions that follow:
HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 7 Weavers, Iron Smelters and Factory Owners 3

Question 1.
What pattern is shown?
Answer:
Bandanna.

Question 2.
Where is it mainly produced?
Answer:
Rajasthan, Gujarat.

Question 3.
Why does the line separate two patterns?
Answer:
This is because two tie and dye patterns are seamed together with gold thread embroidery.

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Weavers, Iron Smelters and Factory Owners Class 8 HBSE Notes

  • Spinning Jenny: A machine by which a single worker could operate several spindles on to which thread was spun. When the wheel was turned all the spindles rotated.
  • Aurang : A Persian term for a warehouse – a place where goods are collected before being sold, also refers to a workshop.
  • Smelting : The process of obtaining a metal from rock (or soil) by heating it to a very high temperature, or of melting objects made from metal in order to use the metal to make something new.
  • Bellows: A device or equipment that can pump air.
  • Slag heaps : The waste left when smelting a metal.
  • Warehouse: A place where goods are collected before being sold.

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