HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

Haryana State Board HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नागरिक किसे कहते हैं?
उत्तर:
नागरिक वह व्यक्ति है जो राज्य का सदस्य होता है, राज्य के प्रति श्रद्धा रखता है, उसे नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं तथा अधिकारों के बदले वह राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करता है।

प्रश्न 2.
नागरिक की कोई दो परिभाषाएँ लिखिए।
उत्तर:
नागरिक की दो परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं
1. ए०के० सिऊ के अनुसार, “नागरिक वह व्यक्ति है जो राज्य के प्रति वफाद र हो, जिसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों तथा जो समाज-सेवा की भावना से प्रेरित हो।”

2. वैटल के अनुसार, “नागरिक किसी राज्य के वे सदस्य हैं जो उस राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों से बँधे हैं, उसकी सत्ता के नियन्त्रण में रहते हैं तथा उसके लाभ में सबके साथ बराबरी के साझीदार हैं।”

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 3.
नागरिक की कोई चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
नागरिक की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • राज्य की सदस्यता,
  • स्थायी निवास,
  • अधिकारों की प्राप्ति,
  • कर्तव्यों का पालन।

प्रश्न 4.
नागरिक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
नागरिक दो प्रकार के होते हैं
1. जन्मजात नागरिक वे नागरिक होते हैं जो जन्म के आधार पर नागरिकता प्राप्त करते हैं, उन्हें जन्मजात नागरिक कहते हैं। जन्म से तात्पर्य रक्त-सम्बन्ध तथा जन्म-स्थान से लिया जाता है।

2. राज्यकृत नागरिक वह नागरिक होते हैं जो पहले किसी अन्य देश के नागरिक होते हैं, परन्तु किसी दूसरे देश की कुछ शर्तों को पूरा करने पर यदि वहाँ की सरकार उचित समझे, तो उन्हें नागरिकता प्रदान कर देती है। इस प्रकार से नागरिकता प्राप्त नागरिक को राज्यकृत नागरिक कहा जाता है।

प्रश्न 5.
नागरिक तथा विदेशी में दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
नागरिक तथा विदेशी (Alien) में दो अन्तर निम्नलिखित हैं

(1) नागरिक उस राज्य के स्थायी सदस्य होते हैं जबकि विदेशी उस राज्य के स्थायी सदस्य नहीं होते। वह देश में घूमने-फिरने, शिक्षा-प्राप्त करने अथवा कोई व्यापार अथवा नौकरी करने के लिए देश में आते हैं और अपना काम समाप्त होने के पश्चात् वापस अपने देश लौट जाते हैं।

(2) नागरिक को राज्य के सभी अधिकार-सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं जबकि विदेशी को सामाजिक अधिकार तो प्राप्त होते हैं, परन्तु उसे राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं होते।

प्रश्न 6.
नागरिकता किसे कहते हैं?
उत्तर:
नागरिकता एक व्यक्ति की वह स्थिति (स्तर) है जिसमें व्यक्ति को राज्य में विभिन्न प्रकार के सामाजिक व राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं और उनके बदले में वह राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करता है। गैटल के अनुसार, “नागरिकता व्यक्ति की वह स्थिति है जिसमें उसे राजनीतिक समाज के सभी राजनीतिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं तथा उस समाज में वह कर्तव्यों का पालन करता है।”

प्रश्न 7.
दोहरी नागरिकता का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
कई बार ऐसा होता है कि एक बच्चे को जन्म के आधार पर दोहरी नागरिकता प्राप्त हो जाती है। रक्त-सिद्धांत के आधार पर वह एक राज्य का नागरिक बन जाता है और भूमि सिद्धांत (जन्म स्थान) के आधार पर दूसरे राज्य का नागरिक। परन्तु यह भी सत्य है कि वह केवल किसी एक ही राज्य का नागरिक रह सकता है। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के वयस्क होने पर उसे स्वयं घोषणा करनी पड़ती है कि वह किस राज्य का नागरिक बने रहना चाहता है। उसके पश्चात् उसकी दूसरे राज्य की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 8.
राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने के कोई दो तरीके लिखें।
उत्तर:
राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने के दो तरीके निम्नलिखित हैं
1. लम्बा निवास-जब कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़कर एक लम्बे समय तक किसी दूसरे देश में रह लेता है तो प्रार्थना-पत्र देने पर वह उस राज्य का नागरिक बन सकता है। निवास की अवधि के बारे में भिन्न-भिन्न देशों के कानून अलग-अलग हैं।

2. विवाह-जब कोई लड़की किसी विदेशी लड़के से विवाह कर लेती है, तो वह स्त्री अपने पति के देश की नागरिक बन जाती है। इस सम्बन्ध में भी विभिन्न राज्यों के नियमों में कुछ अन्तर है।

प्रश्न 9.
एक अच्छे नागरिक के कोई तीन गुण लिखें।
उत्तर:
एक अच्छे नागरिक के तीन गुण निम्नलिखित हैं

  • नागरिक को शिक्षित होना चाहिए ताकि उसे अपने अधिकारों तथा कर्त्तव्यों का ज्ञान हो सके।
  • अच्छे नागरिक में समाज-सेवा, परस्पर-प्रेम और मेल-जोल, सहनशीलता आदि गुण होने चाहिएँ।
  • एक अच्छे नागरिक को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना चाहिए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नागरिक की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
एक नागरिक की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. राज्य की सदस्यता नागरिक को किसी एक राज्य की सदस्यता प्राप्त करना अनिवार्य है।

2. स्थायी निवासी-नागरिक अपने राज्य का स्थायी रूप से निवासी होता है। इसका अर्थ यह है कि नागरिक दूसरे राज्य में अस्थायी तौर पर रह सकता है। वह विदेश यात्रा अपने राज्य की आज्ञा से कर सकता है।

3. अधिकारों की प्राप्ति-नागरिक को राज्य की ओर से कुछ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार मिले होते हैं जिनका प्रयोग करके वह अपने जीवन का विकास और समाज का कल्याण कर सकता है।

4. कर्त्तव्यों का पालन-नागरिक को राज्य के प्रति कुछ कर्त्तव्यों का पालन करना पड़ता है, यहाँ तक कि संकट आने पर अनिवार्य सैनिक सेवा भी करनी पड़ती है।

5. राज्य के प्रति वफादारी-नागरिक राज्य के प्रति वफादारी रखता है और आवश्यकता पड़ने पर राज्य के लिए अपना जीवन उत्सर्ग करने के लिए तत्पर रहता है।

6. समाज सेवा-प्रो० श्रीनिवास के अनुसार, नागरिक में समाज सेवा की भावना का होना आवश्यक है।

प्रश्न 2.
प्रजा (Subject) शब्द का क्या अर्थ है? नागरिकों तथा प्रजा में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रजा-जिन राज्यों में राजतन्त्रीय व्यवस्था होती है वहाँ के नागरिकों को प्रजा कहा जाता है, भले ही उन्हें प्रजातन्त्रीय राज्यों की तरह अधिकार प्राप्त हों; जैसे इंग्लैण्ड में नागरिकों को प्रजा कहा जाता है जबकि भारत और अमेरिका में नागरिक शब्द का प्रयोग किया जाता है। नागरिकों तथा प्रजा में अन्तर-साधारण शब्दों में, राज्य में रहने और उसकी सत्ता को स्वीकार करने वाले सभी नागरिक इसकी प्रजा होते हैं।

आजकल प्रजा शब्द को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है, क्योंकि यह भूतकाल का अवशेष है और इसका सम्बन्ध प्रायः स्वेच्छाचारी राजतन्त्र या सामन्तवाद (Feudalism) से जोड़ा जाता है। यूनान, ईरान, इंग्लैण्ड और अफगानिस्तान जैसे देशों में जहाँ पर अब भी राजतन्त्र विद्यमान है, नागरिकों को प्रजा कहा जाता है। यही कारण है कि अंग्रेजी कानून में नागरिक शब्द का प्रयोग नहीं होता।

किन्तु फ्रांस और अमेरिका जैसे गणतन्त्रीय देशों में नागरिक शब्द को प्रजा शब्द की अपेक्षा अधिक पसन्द किया जाता है। इसी कारण से अमेरिकी कानून में प्रजा शब्द का बिल्कुल ही प्रयोग नहीं किया जाता।

प्रश्न 3.
भारतीय नागरिकता प्राप्त अधिनियम, 1955 पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
विदेशियों को भारतीय नागरिकता की प्राप्ति के सम्बन्ध में भारतीय संसद द्वारा सन् 1955 में (भारतीय) नागरिकता प्राप्ति अधिनियम पारित किया गया। इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  • भारत की नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति किसी ऐसे देश का नागरिक नहीं होना चाहिए जो भारत के लोगों को नागरिकता प्रदान नहीं करता।
  • वह चरित्र सम्पन्न व्यक्ति हो।
  • संविधान की 8वीं अनुसूची में वर्णित भाषाओं में से किसी एक भाषा को जानने वाला हो।
  • नागरिकता प्राप्त करने का इच्छुक व्यक्ति आवेदन की तिथि से कम-से-कम एक वर्ष पूर्व से भारत में रह रहा हो अथवा यहाँ सरकारी सेवा में हो।
  • उपरोक्त एक वर्ष से पहले के सात वर्षों में कुल मिलाकर वह चार वर्ष भारत में रहा हो या चार वर्ष तक यहाँ सरकारी सेवा में रहा हो।
  • यदि किसी विदेशी ने दर्शन, विज्ञान, कला, साहित्य, विश्व-शान्ति अथवा मानव विकास के क्षेत्र में कोई विशेष योग्यता प्राप्त कर ली हो तो उसे उपरोक्त शर्तों को पूरा किए बिना ही भारत का नागरिक बनाया जा सकता है।

यदि कोई विदेशी भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहता है तो उसे उपरोक्त अधिनियम में दी गई शर्तों को पूरा करना होगा तथा भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा व्यक्त करनी होगी।

प्रश्न 4.
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं
(1) नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए हिंदू, ईसाई, सिक्ख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

(2) ऐसे शरणार्थियों को जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे।

(3) अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था। नए अधिनियम में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर पाँच साल भी भारत में रहे हों, तो उन्हें नागरिकता दी जा सकती है।

(4) यह भी व्यवस्था की गई है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।

प्रश्न 5.
अच्छी नागरिकता के मार्ग में आने वाली चार बाधाएँ बताएँ।
उत्तर:
अच्छी नागरिकता के मार्ग में आने वाली चार बाधाएँ निम्नलिखित हैं
1. स्वार्थ स्वार्थ अच्छी नागरिकता का शत्रु है। अधिकतर नागरिक सार्वजनिक हितों का त्याग कर अपने स्वार्थ की पूर्ति में लग जाते हैं, जिससे राष्ट्रीय हितों को हानि पहुंचती है।

2. अनपढ़ता-निरक्षरता मनुष्य को पशु के समान बना देती है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति को अपने अधिकारों और कर्तव्यों अनपढ़ व्यक्ति राज्य का प्रबंध सुचारू रूप से नहीं कर सकते और अन्य व्यक्तियों के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरा नहीं कर सकते।

3. गरीबी-गरीबी भी कई बार अच्छी नागरिकता के मार्ग में बाधा बनती है। एक गरीब व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है। उसके चोर-डाकू तथा लुटेरा बनने की सम्भावना अधिक होती है। एक गरीब व्यक्ति लोकहित के कार्यों में भागीदार नहीं बन सकता।

4. दलबन्दी दलबन्दी भी अच्छी नागरिकता के मार्ग में एक रुकावट है। व्यक्ति राष्ट्रीय हितों को त्याग कर दलीय अवस्थाओं का शिकार हो जाता है।

प्रश्न 6.
नागरिकता को प्राप्त करने के कोई चार तरीके लिखें।
उत्तर:
एक देश की नागरिकता को प्राप्त करने के चार तरीके निम्नलिखित हैं

1. विवाह-जब कोई स्त्री किसी विदेशी पुरुष से विवाह कर लेती है तो वह स्त्री अपने पति के देश की नागरिक बन जाती है। इस सम्बन्ध में भी विभिन्न राज्यों के नियमों में कुछ अन्तर है। जापान में यदि कोई विदेशी पुरुष जापानी स्त्री से विवाह करता है तो उस पुरुष को जापान की नागरिकता मिलने का नियम है। यदि कोई विदेशी रूस की स्त्री से विवाह करता है तो उसे रूस में ही रहना होता है क्योंकि रूस के नियमानुसार वहाँ की स्त्री किसी विदेशी पति के साथ दूसरे देश में नहीं जा सकती।

2. सम्पत्ति खरीदना कई देशों में यह भी नियम है कि यदि किसी दूसरे देश का नागरिक वहाँ जाकर सम्पत्ति खरीद लेता तो उसे वहाँ की नागरिकता प्राप्त हो जाती है क्योंकि वह व्यक्ति सम्पत्ति खरीदने से उस देश के हितों में रुचि लेने लगता है। ब्राजील, मैक्सिको, पीरू आदि देशों में यह नियम लागू है।

3. सरकारी नौकरी-कई देशों में (जैसे इंग्लैण्ड में) यह भी नियम है कि यदि किसी विदेशी को वहाँ कोई सरकारी नौकरी मिल जाती है तो प्रार्थना-पत्र देने पर उसे वहाँ की नागरिकता भी प्राप्त हो सकती है। इस आधार पर कई भारतीय इंग्लैण्ड के नागरिक हैं।

4. गोद लेना-ऐसा लगभग सभी देशों में नियम है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी बच्चे को गोद ले लेता है तो उस बच्चे को उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है, जहाँ के व्यक्ति ने गोद लिया हो।

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 7.
नागरिकता को खोने के कोई पाँच तरीके लिखें।
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से एक व्यक्ति की किसी देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है

1. लम्बी अनुपस्थिति से यदि एक व्यक्ति अपने देश से बहुत दिन तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी अपने देश की नागरिकता खोई जाती है। जिस प्रकार लम्बे निवास से नागरिकता मिलती है, उसी प्रकार लम्बी अनुपस्थिति से नागरिकता खोई जा सकती है।

2. विवाह विवाह के द्वारा जहाँ एक देश की नागरिकता प्राप्त होती है, वहाँ अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। जैसे यदि एक इंग्लैण्ड की लड़की किसी भारतीय लड़के से विवाह कर लेती है तो उसकी इंग्लैण्ड की नागरिकता खोई जाती है।

3. दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से भी एक व्यक्ति अपने देश की नागरिकता खो बैठता है, क्योंकि दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से उसकी वफ़ादारी उसी देश की तरफ हो जाती है।

4. विदेशों में अलंकरण प्राप्त करने से किसी दूसरे देश से अलंकरण प्राप्त कर लेने से भी कई बार अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। कई बार अलंकार की प्राप्ति को भी विदेश के प्रति वफ़ादारी माना जाता है।

5. देश-द्रोह के कारण-सेना से भागने के अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का देश-द्रोह करता है तो उसकी भी नागरिकता खोई जाती है। कारण साफ है कि देश-द्रोह, देश के प्रति वफादार न होने की मुख्य निशानी है।

प्रश्न 8.
वैश्विक नागरिकता पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
हम आज एक ऐसे विश्व में रहते हैं जो आपस में जुड़ा हुआ है, संचार के साधनों-इन्टरनेट, टेलीविजन और सैलफोन जैसे नए साधनों ने उन तरीकों में भारी बदलाव ला दिया है, जिनसे हम विश्व को देखते और समझते हैं। हम अपने टेलीविजन पर विनाश और युद्धों को होते देख सकते हैं, जिससे विभिन्न देशों के लोगों में सांझे सरोकार और सहानुभूति विकसित करने में मदद मिलती है।

विश्व नागरिकता समर्थक यह दलील पेश करते हैं कि चाहे विश्व-कुटुम्ब और विश्व-समाज अभी मौजूद नहीं है, परन्तु राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार लोग आज एक-दूसरे से जुड़ा महसूस करते हैं। उदाहरणस्वरूप सन् 2004 में दक्षिण एशिया के कई देशों पर कहर बरसाने वाली सुनामी (Tsunami) से पीड़ित लोगों के लिए सहानुभूति और सहायता के भावोद्गार फूट पड़े थे। उनका कहना है कि इससे राष्ट्रीय सीमाओं के दोनों ओर की उन समस्याओं का मुकाबला करना आसान हो जाता है जिसमें कई देशों की. सरकारों और लोगों की संयुक्त कार्रवाई आवश्यक होती है।

परन्तु अभी विश्व नागरिकता का विचार एक स्वप्न ही है। जब तक राष्ट्र-राज्य मौजूद हैं, एक विश्व-राष्ट्र का विचार बहुत दूर है। एक राष्ट्र के भीतर की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान केवल उस राष्ट्र की सरकार तथा जनता ही कर सकती है। प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्रवाद की भावना से भरा हुआ है। अतः लोगों के लिए आज एक राज्य की पूर्ण और समान सदस्यता महत्त्वपूर्ण है। जब तक लोगों के मन में इस प्रकार की भावनाएँ मौजूद हैं। विश्व नागरिकता की बात व्यावहारिक नहीं हो सकती।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
नागरिक का क्या अर्थ है? एक नागरिक और विदेशी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
नागरिक का अर्थ (Meaning of Citizen)-साधारण बोलचाल की भाषा में नगर में रहने वाले व्यक्ति को नागरिक कहा जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि ग्राम निवासियों को नागरिक नहीं कहा जा सकता। नागरिक का उपर्युक्त अर्थ संकुचित और अमान्य है। राजनीति शास्त्र की भाषा में नागरिक से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो किसी राज्य का निवासी है और राज्य द्वारा उसे विभिन्न प्रकार के सामाजिक और राजनीतिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। वह व्यक्ति राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों की पालना करता हो। अतः यह स्पष्ट है कि नागरिक के लिए नगर में रहने वाला होना आवश्यक नहीं है।

कोई भी व्यक्ति जो राज्य की सीमाओं के अन्दर रहता हो और राज्य द्वारा उसे अधिकार प्राप्त हों, उसे नागरिक कहा जाता है। यूनान के प्रसिद्ध विद्वान् अरस्तू (Aristotle) ने नागरिक का अर्थ बताते हुए लिखा था, “नागरिक राज्य का वह सदस्य है जो शासन व न्याय प्रबन्ध में भाग लेता हो।” परन्तु अरस्तु द्वारा दिया गया नागरिक का अर्थ बड़ा संकुचित है।

यह केवल उसी समय लागू होता था जब छोटे-छोटे नगर-राज्य अस्तित्व में थे। आधुनिक युग नगर राज्यों का न होकर राष्ट्र राज्यों का है। जहाँ राज्यों की संख्या करोड़ों में है। अतः प्रत्येक व्यक्ति के लिए शासन और न्याय प्रबन्ध में भाग लेना कठिन ही नहीं असम्भव भी है। नागरिक की परिभाषाएँ यद्यपि नागरिक शब्द की परिभाषा पर विद्वानों में मतभेद है तथापि कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं

1. वैटल के अनुसार, “नागरिक किसी राज्य के वे सदस्य हैं जो उस राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों से बँधे हैं, उसकी सत्ता के नियन्त्रण में रहते हैं तथा उसके लाभ में सबके साथ बराबरी के साझीदार हैं।”

2. प्रो० लास्की का कथन है, “नागरिक उस व्यक्ति को कहते हैं जो न केवल समाज का ही सदस्य है, अपितु जो कुछ तकनीकी कर्तव्यों का पालन करता है।”

3. मिलर के अनुसार, “नागरिक एक राजनीतिक समाज के सदस्य होते हैं, उन्हीं लोगों से राज्य बनता है और वे व्यक्तिगत तथा सामूहिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक सरकार की स्थापना कर लेते हैं या उसकी सत्ता स्वीकार कर लेते हैं।”

4. ए०के० सिऊ के अनुसार, “नागरिक वह व्यक्ति है जो राज्य के प्रति वफादार हो, जिसे सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों तथा जो समाज-सेवा की भावना से प्रेरित हो।”

5. श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार, “नागरिक राज्य के उस सदस्य को कहते हैं जो राज्य में रहकर ही अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास करने का प्रयत्न करता हो तथा उसे इस बात का बुद्धिमत्तापूर्ण ज्ञान हो कि समाज में सर्वोच्च नैतिक कल्याण के लिए क्या करना चाहिए।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति जो राज्य का सदस्य है, राज्य के प्रति श्रद्धा रखता है, अधिकार का प्रयोग करता है तथा अधिकारों के बदले वह राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों की पालना करता है, उसे नागरिक कहा जाता है। नागरिक तथा विदेशी में अन्तर नागरिक तथा विदेशी में निम्नलिखित अन्तर हैं

विदेशी का अर्थ:
नागरिक शब्द का अर्थ जान लेने के बाद विदेशी तथा प्रजा शब्द का अर्थ भी जान लेना आवश्यक हो जाता है। राज्य में रहने वाले सभी व्यक्ति राज्य के नागरिक नहीं होते। नागरिकों के अतिरिक्त प्रत्येक राज्य में कुछ विदेशी भी मिलते हैं। विदेशी किसी अन्य राज्य के नागरिक होते हैं और अस्थायी रूप से घूमने-फिरने, व्यापार करने, पढ़ने या

राजदूत के रूप में आए हुए होते हैं। अतः विदेशी वह व्यक्ति होता है जो अपना राज्य छोड़कर अस्थायी रूप में दूसरे राज्य में जाकर रहता है तथा जिसकी वफ़ादारी अपने राज्य के प्रति ही रहती है।
विदेशी तीन प्रकार के होते हैं-

  • स्थायी विदेशी,
  • अस्थायी विदेशी तथा
  • राजदूत।

1. स्थायी विदेशी-स्थायी विदेशी वे व्यक्ति होते हैं जो अपने राज्य को छोड़कर आए हुए हों तथा जिन्होंने इस राज्य में स्थायी रूप से व्यापार या नौकरी कर ली हो और जो अपने राज्य में वापस जाने के इच्छुक न हों, बल्कि नागरिकता मिलने पर इस राज्य के नागरिक बनने को तैयार हों।

2. अस्थायी विदेशी-अस्थायी विदेशी वे व्यक्ति होते हैं जो अपने देश से कुछ समय के लिए घूमने-फिरने या अध्ययन करने । के लिए आए हों और अपना काम समाप्त होते ही वापस अपने देश को चले जाते हैं।

3. राजदूत राजदूत वे व्यक्ति होते हैं जो किसी अन्य राज्य द्वारा अपने प्रतिनिधि के रूप में दूसरे राज्य में भेजे जाते हैं। आज के अन्तर्राष्ट्रवाद के युग में सभी राज्य अन्य राज्यों से राजदूतों का आदान-प्रदान करते हैं। इन पर अपने ही राज्य के कानून लागू होते हैं, उस राज्य के नहीं, जहाँ वे आए हुए होते हैं। नागरिक और विदेशी में अन्तर-एक नागरिक और एक विदेशी में काफी अन्तर हैं, जो निम्नलिखित हैं

1. सदस्यता के आधार पर अन्तर-नागरिक अपने राज्य का सदस्य होता है, परन्त विदेशी नहीं। विदेशी तो किसी अन्य राज्य का सदस्य होता है।

2. देश-भक्ति के आधार पर अन्तर–नागरिक अपने राज्य के प्रति स्वामी-भक्त होता है, परन्तु विदेशी उस राज्य के प्रति वफादार होता है जिसका कि वह सदस्य होता है।

3. निष्कासित करने के आधार पर अन्तर-नागरिक अपने राज्य में स्थायी तौर पर रह सकता है, उसे वहाँ से जाने के लिए नहीं कहा जा सकता, परन्तु सरकार विदेशी को कभी भी देश छोड़ने का आदेश दे सकती है।

4. अधिकारों के आधार पर अन्तर–नागरिक को राज्य की ओर से सभी प्रकार के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकार मिलते हैं, परन्तु विदेशी को सभी अधिकार नहीं मिलते, विशेषकर राजनीतिक अधिकार तो विदेशी को नहीं दिए जाते।

5. सैनिक सेवा के आधार पर अन्तर-संकट के समय राज्य अपने नागरिकों से सैनिक सेवाएँ ले सकता है, परन्तु विदेशियों को सैनिक सेवाओं के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

6. सम्पत्ति के आधार पर अन्तर-कई देशों में विदेशियों को सम्पत्ति खरीदने का अधिकार नहीं होता, जबकि अपने नागरिकों को सम्पत्ति खरीदने-बेचने का अधिकार होता है।

प्रश्न 2.
एक आदर्श नागरिक के गुणों का वर्णन करें।
अथवा
आदर्श नागरिकता की आवश्यक विशेषताओं की व्याख्या करें।
उत्तर:
किसी भी समाज की उन्नति व विकास वहाँ के नागरिकों के स्तर पर निर्भर करता है। यदि नागरिकों में अच्छे गुण हैं तो समाज शीघ्र उन्नति और विकास करता है अन्यथा नहीं। अतः एक अच्छे नागरिक के गुण क्या हैं उनकी विवेचना यहाँ करना उचित है। आदर्श नागरिक के गुण निम्नलिखित हैं

1. अच्छा स्वास्थ्य-एक आदर्श नागरिक के लिए सबसे प्रथम आवश्यकता उसका अपना स्वास्थ्य है। स्वस्थ नागरिक ही अपने परिवार, राज्य तथा समाज के प्रति अपने दायित्वों को ठीक ढंग से निभा सकता है। एक स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर का होना आवश्यक है। निर्बल व्यक्ति तो अपना कार्य भी नहीं कर सकते, दूसरों की सेवा तो बहुत दूर की बात है।

2. अच्छी बुद्धि-एक बुद्धिमान व्यक्ति ही अच्छा नागरिक हो सकता है। लॉर्ड ब्राइस (Lord Bryce) ने आदर्श नागरिक के बुद्धिमत्ता, आत्म-संयम और विवेक आवश्यक गुण बताए हैं। इसी प्रकार हाइट (White) के अनुसार, नागरिक के लिए ‘साधारण बुद्धि, ज्ञान और निष्ठा आवश्यक गुण हैं।’ एक शिक्षित नागरिक देश की समस्याओं को भली-भाँति समझ सकता है तथा अपने जीवन को आदर्श जीवन बना सकता है। एक अशिक्षित नागरिक में आदर्श गुणों के अभाव की अधिक सम्भावना रहती है।

3. अच्छा चरित्र-अच्छा चरित्र आदर्श नागरिकता की नींव है। चरित्र के बिना नागरिक न तो अपने व्यक्तित्व का विकास कर अथवा राष्ट्र के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। सत्य, अहिंसा, अनुशासन, ईमानदारी, आज्ञापालन आदि गुणों का होना चरित्रवान् नागरिक के लक्षण हैं। आदर्श नागरिक प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे चरित्र का प्रदर्शन करता है।

4. सामाजिक भावना-समाज के प्रति सहयोग, स्नेह, सेवा, त्याग आदि की भावना से आदर्श नागरिकता का विकास होता है। सामाजिक बुराइयों को दूर करना आदर्श नागरिक की विशेषता है। अपने स्वार्थ को त्याग कर सामाजिक भलाई करना ही आदर्श नागरिकता है।

5. कर्त्तव्य-पालन-गाँधी जी के अनुसार, आदर्श नागरिक वही है जो अपने अधिकारों की अपेक्षा कर्तव्यों का अधिक ध्यान रखता है। निःसन्देह नागरिक को सभी मुख्य अधिकार मिलने चाहिएँ, परन्तु जो नागरिक अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्यों का नागरिकत पालन नहीं करता उसे एक आदर्श नागरिक नहीं कहा जा सकता। दूसरों के अधिकारों का ध्यान रखना ही कर्तव्यों का पालन है। अधिकारों और कर्त्तव्यों के उचित सम्बन्ध को ही हम आदर्श नागरिकता कहते हैं।

6. मताधिकार का उचित प्रयोग-नागरिक के राजनीतिक अधिकारों में एक महत्त्वपूर्ण अधिकार वोट देने का अधिकार है। आदर्श नागरिक वही है जो अपने वोट का ठीक प्रयोग करता है। योग्य व्यक्ति को वोट देने से अच्छी सरकार निर्वाचित होती है और का कल्याण होता है। कई नागरिक अपने स्वार्थ में आकर वोट बेचते हैं जोकि देश के लिए बहुत हानिकारक है। आदर्श नागरिकता के लिए वोट का उचित प्रयोग करना आवश्यक है।

7. नागरिक गुण-आदर्श नागरिक वह व्यक्ति हो सकता है, जिसमें स्नेह, सहयोग, त्याग, सहनशीलता, आत्म-संयम, आज्ञा-पालन आदि गुण होते हैं। नागरिक गुणों के बिना हम अपने समाज और राज्य को आदर्श नहीं बना सकते। स्नेह, सहयोग और त्याग से नागरिक अनेक सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं को हल कर सकते हैं। सहनशीलता, आत्म-संयम और आज्ञा-पालन से नागरिक का दृष्टिकोण व्यापक बनता है और इससे राष्ट्र-हितों की रक्षा होती है।

8. परिश्रम-आलसी मनुष्य कभी भी एक आदर्श नागरिक नहीं बन सकता। कई बार स्वस्थ तथा शिक्षित व्यक्ति अपने कार्य को ठीक समय पर नहीं करता और न ही वह प्रगतिशील होता है। नागरिक में सदैव आगे बढ़ने की भावना होनी चाहिए जोकि परिश्रम द्वारा ही सम्भव हो सकती है।

9. जागरुकता आदर्श नागरिक का एक अन्य आवश्यक गुण जागरुकता है। नागरिक को अपने अधिकारों, कर्तव्यों, देश तथा विश्व की समस्याओं के प्रति जागरुक रहना चाहिए। नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि वह अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरह से निभाए, लगनपूर्वक कार्य करे, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में रुचि ले। एक जागरुक अथवा सचेत नागरिक ही देश के लिए . उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

10. देश-भक्ति-आदर्श नागरिक वह होता है जो अपने देश के लिए किसी भी प्रकार का बलिदान देने के लिए तैयार रहता है। देश के हित को अपना हित समझना ही देश-भक्ति है। नागरिक का यह कर्त्तव्य है कि जब भी कोई शत्रु देश पर आक्रमण करता है अथवा देश पर कोई और आपत्ति आ जाती है तो वह तन, मन और धन से देश की सहायता करे। देश-द्रोही नागरिक तो विदेशी शत्रु से भी बुरा होता है।

11. विश्व-प्रेम की भावना-आज का नागरिक विश्व का नागरिक है। इसलिए उसमें राष्ट्रीय भावना के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय भावना भी होनी चाहिए। वैज्ञानिक प्रगति ने समस्त संसार को एक इकाई अथवा एक समाज बना दिया है। विश्व के नागरिकों में पारस्परिक सम्बन्ध और सहयोग का होना आवश्यक है। आज के लोकतन्त्रीय संसार में अधिकांश राष्ट्रीय सरकारें नागरिकों द्वारा निर्वाचित होती हैं।

प्रश्न 3.
नागरिकता किसे कहते हैं? नागरिकता कैसे प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर:
नागरिकता का अर्थ  ‘नागरिक’ शब्द की परिभाषा का अध्ययन करने के पश्चात् नागरिकता का अर्थ बताना आसान हो जाता है। नागरिक शब्द की परिभाषा के आधार पर यह कहा जा सकता है कि नागरिक के अधिकारों का प्रयोग तथा कर्तव्यों का पालन नागरिकता है। यह उल्लेखनीय है कि नागरिकता शब्द का अर्थ समयानुसार बदलता रहा है।

प्राचीन यूनान में नगर राज्य की संस्कृति प्रचलित थी तब राज्य के सभी नागरिकों को नागरिकता के अधिकार प्राप्त नहीं थे। नागरिकता के अधिकार कुछ ही लोगों तक सीमित थे। अरस्तु ने केवल कुछ ही लोगों को जो शासन और न्यायिक कार्यों में
रिक कहा है, परन्तु आधुनिक युग में नागरिकता का अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेद-भाव के प्रदान किया जाता है। विषय की स्पष्टता के लिए नागरिकता की कुछ परिभाषाएँ नीचे दी जा रही हैं

  • प्रो० लास्की (Prof. Laski) के शब्दों में, “अपनी सुलझी हुई बुद्धि को लोक हित के लिए प्रयोग करना ही नागरिकता है।”
  • बॉयड (Boyd) के अनुसार, “नागरिकता अपनी निष्ठाओं को ठीक से निभाना है।”
  • गैटेल (Gettel) के मतानुसार, “नागरिकता व्यक्ति की वह स्थिति है जिसमें उसे राजनीतिक समाज के सभी राजनीतिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त हों तथा उस समाज में वह कर्तव्यों का पालन करता हो।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि नागरिकता वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को राज्य में विभिन्न प्रकार के सामाजिक व राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं। उनके बदले में वह राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों का निर्वाह करता है।

नागरिकता प्राप्त करने के तरीके:
नागरिकता प्राप्त करने के निम्नलिखित तरीके हैं नागरिक दो प्रकार के होते हैं-जन्मजात नागरिक और राज्यकृत नागरिक जो व्यक्ति जन्म से ही अपने देश के नागरिक होते हैं, वे जन्मजात नागरिक कहलाते हैं। जो व्यक्ति किसी अन्य राज्य या देश के सदस्य होते हैं, परन्तु किसी दूसरे देश में जाकर बस जाते हैं और वहाँ की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं, वे राज्यकृत नागरिक कहलाते हैं।

उदाहरणतः जो लोग भारत में पैदा होते हैं, वे भारत के जन्मजात नागरिक कहलाते हैं। इसके विपरीत, यदि हमारे देश में रहने वाले कुछ विदेशी हमारे देश के नागरिक बनना चाहते हैं तो उन्हें कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ता है। इन शर्तों को पूरा करने से ही उन्हें इस देश की नागरिकता प्रदान की जाती है। ये शर्ते प्रत्येक देश में भिन्न-भिन्न होती हैं।

भारत जैसे कुछ देश विदेशियों को नागरिकता प्रदान करने में अत्यन्त उदार हैं। कुछ अन्य देश भी हैं; जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार, श्रीलंका, जहाँ पर नागरिक बनने के लिए अत्यन्त कठिन शर्ते रखी गई हैं, जिनके कारण विदेशियों के लिए इन देशों का नागरिक बनना बड़ा ही कठिन है।

कुछ देशों में जन्मजात एवं राज्यकृत नागरिकों में किसी प्रकार का भेद नहीं रखा जाता। वे दोनों एक-जैसे राजनीतिक और अन्य अधिकारों का उपयोग करते हैं, परन्तु कुछ देश ऐसे हैं जहाँ इन दोनों प्रकार के नागरिकों में काफी अन्तर किया जाता है; जैसे अमेरिका में केवल जन्मजात नागरिक ही राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के पद को पा सकते हैं। उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट हो जाता है कि नागरिकता दो प्रकार की होती है (क) जन्मजात नागरिकता, (ख) राज्यकृत नागरिकता। (क) जन्मजात नागरिकता (Natural Citizenship)-जन्मजात नागरिकता की प्राप्ति के निम्नलिखित आधार हैं

1. भूमि सिद्धांत इस सिद्धांत के अनुसार एक बच्चा उसी देश का नागरिक होता है, जिस देश की भूमि पर वह पैदा होता है, जैसे यदि एक भारतीय अपनी स्त्री के साथ इंग्लैण्ड गया हुआ हो और वहाँ उनसे कोई बच्चा पैदा हो जाए तो वह बच्चा इंग्लैण्ड का नागरिक होगा।

2. रक्त सिद्धांत-रक्त सिद्धांत के अनुसार एक बच्चा उस देश का नागरिक होगा, जिस देश के रहने वाले उसके माता-पिता हैं, चाहे वह किसी भी देश की भूमि पर पैदा हो। यदि एक भारतीय अपनी धर्म पत्नी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका गया हुआ हो और वहाँ उनका कोई बच्चा पैदा हो तो वह बच्चा रक्त सिद्धांत के अनुसार भारतीय नागरिक होगा।

3. दोहरी नागरिकता कई बार ऐसा होता है कि एक बच्चे को दोहरी जन्मजात नागरिकता मिल जाती है। रक्त सिद्धांत से वह एक राज्य का नागरिक बन जाता है और भूमि सिद्धांत के आधार पर किसी दूसरे राज्य का नागरिक, परन्तु यह भी सत्य है कि व्यक्ति एक ही राज्य का नागरिक रह सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को बड़ा (वयस्क) होने पर स्वयं घोषणा करनी पड़ती है कि वह किस राज्य की नागरिकता अपनाता है। इस पर दूसरे राज्य की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

(ख) राज्यकृत नागरिकता (Naturalized Citizenship) राज्यकृत नागरिकता निम्नलिखित आधारों पर प्राप्त हो सकती है

1. लम्बा निवास-जब कोई व्यक्ति अपने देश को छोड़कर दूसरे देश में काफी समय तक रह लेता है तो प्रार्थना-पत्र देने पर वह वहाँ का नागरिक बन सकता है। निवास की अवधि के बारे में विभिन्न देशों के नियमों में भिन्नता है; जैसे भारत में 4 वर्ष, अमेरिका और इंग्लैण्ड में 5 वर्ष का नियम है। कोई भी राज्य निर्धारित अवधि पूरी होने पर भी नागरिकता प्रदान करने से इन्कार कर सकता है और विशेष परिस्थितियों में अवधि से पूर्व भी नागरिकता प्रदान की जा सकती है।

2. विवाह-जब कोई स्त्री किसी विदेशी पुरुष से विवाह कर लेती है तो वह स्त्री अपने पति के देश की नागरिक बन जाती है। इस सम्बन्ध में भी विभिन्न राज्यों के नियमों में कुछ अन्तर है। जापान में यदि कोई विदेशी पुरुष जापानी स्त्री से विवाह करता है तो उस पुरुष को जापान की नागरिकता मिलने का नियम है। यदि कोई विदेशी रूस की स्त्री से विवाह करता है तो उसे रूस में ही रहना होता है, क्योंकि रूस के नियमानुसार वहाँ की स्त्री किसी विदेशी पति के साथ दूसरे देश में नहीं जा सकती।

3. सम्पत्ति खरीदना-कई देशों में यह भी नियम है कि यदि किसी दूसरे देश का नागरिक वहाँ जाकर सम्पत्ति खरीद लेता है तो उसे वहाँ की नागरिकता प्राप्त हो जाती है क्योंकि वह व्यक्ति सम्पत्ति खरीदने से उस देश के हितों में रुचि लेने लगता है। ब्राजील, मैक्सिको, पेरू आदि देशों में यह नियम लागू है।

4. सरकारी नौकरी-कई देशों में (जैसे इंग्लैण्ड में) यह भी नियम है कि यदि किसी विदेशी को वहाँ कोई सरकारी नौकरी मिल जाती है तो प्रार्थना-पत्र देने पर उसे वहाँ की नागरिकता भी प्राप्त हो सकती है। इस आधार पर कई भारतीय इंग्लैण्ड के नागरिक हैं। गोद लेना-ऐसा लगभग सभी देशों में नियम है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी बच्चे को गोद ले लेता है तो उस बच्चे को उस देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है, जहाँ के व्यक्ति ने गोद लिया हो।

6. माता-पिता को नागरिकता की प्राप्ति-ऐसा नियम भी सभी राज्यों में है कि जब माता-पिता को किसी देश की नागरिकता प्राप्त होती है तो उनके बच्चों को भी उस देश का नागरिक समझा जाता है।

7. विजय इस सामान्य नियम के अनुसार जब एक देश किसी दूसरे देश के किसी भाग को विजय द्वारा अपने राज्य में मिला लेता है तो उस भाग के निवासियों को जीतने वाले देश की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। जब कोई राज्य अपना कोई क्षेत्र दूसरे राज्य को देता है तब भी यही नियम लागू होता है।

8. सेना में भर्ती होने से कई बार किसी दूसरे देश में जाकर सेना में भर्ती हो जाने से उस देश की नागरिकता मिल जाती है। सरकारी नौकरी की तरह सेना में भर्ती होना भी वफादारी की निशानी मानी जाती है।

9. इच्छा द्वारा इच्छा द्वारा नागरिकता उस व्यक्ति को मिली हुई समझी जाती है जो मिश्रित सिद्धांतों के अनुसार दो देशों का नागरिक हो और वयस्क होने पर वह अपनी इच्छा से उनमें से किसी एक देश की नागरिकता ले ले।

10. भाषा सीख लेने पर कुछ देशों में यह भी नियम है कि यदि कोई विदेशी वहाँ की राष्ट्रभाषा सीख ले तो उसे वहाँ की नागरिकता मिल सकती है।

11. प्रार्थना-पत्र देने पर राज्यकृत नागरिकता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सरकार के पास प्रार्थना-पत्र भेजना पड़ता है, उसे अच्छे चाल-चलन का प्रमाण-पत्र भी पेश करना पड़ता है तथा अदालत में राज्य के प्रति वफादारी की शपथ लेनी पड़ती है। प्रार्थना-पत्र स्वीकृत हो जाने पर उसे नागरिकता मिल जाती है।

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

प्रश्न 4.
नागरिकता खोई कैसे जा सकती है? अथवा किन कारणों से एक नागरिक की किसी राज्य की नागरिकता समाप्त हो सकती है?
उत्तर:
जिस प्रकार से नागरिकता कई तरीकों से मिल जाती है, उसी प्रकार कई तरीकों से खोई भी जा सकती है। उन तरीकों का वर्णन निम्नलिखित है
1. लम्बी अनुपस्थिति से यदि एक व्यक्ति अपने देश से बहुत दिन तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी अपने देश की नागरिकता खोई जाती है। जिस प्रकार लम्बे निवास से नागरिकता मिलती है, उसी प्रकार लम्बी अनुपस्थिति से नागरिकता खोई जा सकती है।

2. विवाह विवाह के द्वारा जहाँ एक देश की नागरिकता प्राप्त होती है, वहाँ अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। जैसे यदि एक इंग्लैण्ड की लड़की किसी भारतीय लड़के से विवाह कर लेती है तो उसकी इंग्लैण्ड की नागरिकता खो जाती है।

3. दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से भी एक व्यक्ति अपने देश की नागरिकता खो बैठता है, क्योंकि दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से उसकी वफादारी उसी देश की तरफ हो जाती है।

4. निवास स्थान न होने से-साधुओं, संन्यासियों, बेघरों और पागलों आदि की नागरिकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि उनका कोई निवास स्थान नहीं होता। आमतौर से मतदाताओं की सूची में नाम लिखवाने के लिए किसी एक निश्चित निवास स्थान का होना अनिवार्य है।

5.विदेशों में अलंकरण प्राप्त करने से किसी दूसरे देश से अलंकरण प्राप्त कर लेने से भी कई बार अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है। कई वार अलंकार की प्राप्ति को भी विदेश के प्रति वफादारी माना जाता है।

6. देश-द्रोह के कारण–सेना से भागने के अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति किसी प्रकार का देश-द्रोह करता है तो उसकी भी नागरिकता खो जाती है। कारण साफ है कि देश-द्रोह, देश के प्रति वफादार न होने की मुख्य निशानी है।

7. न्यायालय के फैसले द्वारा-यदि न्यायपालिका किसी मुकद्दमे में किसी व्यक्ति को दण्ड के तौर पर देश से निकाल दे तो उसकी नागरिकता समाप्त हो सकती है। आमतौर से ऐसा निर्णय तभी दिया जाता है जब किसी व्यक्ति की वफादारी पर शक हो।

8. देश-त्याग यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता ग्रहण करना चाहता है तो उसे अपने देश की नागरिकता को त्याग करने की घोषणा करनी पड़ती है। इससे उसकी मूल नागरिकता समाप्त हो जाती है।

9. पागल या दिवालिया हो जाने पर अदालत द्वारा पागल या दिवालिया घोषित कर दिए जाने पर व्यक्ति की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

10. गोद लेना यदि कोई बच्चा किसी विदेशी द्वारा गोद लिया जाए तो बच्चे की अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है और वह नए माता-पिता के देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है।

11. सम्पत्ति खरीदने पर यदि दूसरे देश का कोई व्यक्ति पेरू या मैक्सिको आदि देशों में सम्पत्ति खरीद लेता है तो उसे वहाँ की नागरिकता प्राप्त हो जाती है और उसके अपने देश की नागरिकता समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 5.
आदर्श नागरिकता के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं?
उत्तर:
आदर्श नागरिक किसी भी देश की अमूल्य सम्पत्ति है तथा राष्ट्र की प्रगति और विकास आदर्श नागरिकों पर ही निर्भर करता है, परन्तु समाज में कुछ ऐसी परिस्थतियाँ होती हैं या उत्पन्न हो जाती हैं जो नागरिक को उसके आदर्श मार्ग से विचलित कर देती हैं। उन्हीं परिस्थितियों को ही आदर्श नागरिकता के मार्ग की बाधाएँ कहा जाता है। इन्हीं बाधाओं का वर्णन निम्नलिखित है

1. आलस्य-आलस्य अच्छी नागरिकता का घोर शत्रु है। आलस्य से तात्पर्य राजनीतिक कार्यों के प्रति उदासीनता तथा लापरवाही है। यदि नागरिक को राजनीतिक विषयों का ज्ञान नहीं होगा तब वह राजनीतिक कार्यों में भाग नहीं ले सकेगा। अधिकतर व्यक्ति यह समझते हैं कि राजनीतिक विषयों का उनके जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, अतः उनको इनमें रुचि लेने की क्या आवश्यकता है? वे सार्वजनिक मामलों के प्रति उदासीन रहना ही पसन्द करते हैं। न वे सार्वजनिक समस्याओं का अध्ययन करते हैं और न ही इनके हल ढूंढने का प्रयत्न करते हैं।

परिणाम यह होता है कि राज्य का प्रबन्ध कुछ गिने-चुने व्यक्तियों के हाथों में चला जाता है जो राज्य की शक्ति को अपनी स्वार्थ-पर्ति के लिए प्रयोग करने लगते हैं। हम जानते हैं कि अनेक मतदाता केवल आलस्य के कारण अपना मत देने के लिए भी नहीं जाते। वे समझते हैं कि उनकी ओर से कोई भी दल शासन करे, उनको कोई चिन्ता नहीं। ऐसे विचार निःसन्देह अच्छी नागरिकता के मार्ग में बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।

यह ठीक है कि आधुनिक राज्य की विशालता के कारण एक अकेला नागरिक प्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय समस्याओं पर प्रभाव नहीं डाल सकता, परन्तु उसको यह नहीं भूलना चाहिए कि राज्य की शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ उसकी ज़िम्मेदारी बढ़ रही है, अतः उसको राजकीय कार्यों के प्रति उदासीनता का दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए।

2. स्वार्थ-स्वार्थ भी अच्छी नागरिकता का भारी शत्रु है। बहुधा नागरिक सार्वजनिक हितों का त्याग करके अपने स्वार्थों की पूर्ति में लग जाते हैं। जब एक मतदाता विधानमण्डल के लिए खड़े हुए उम्मीदवार से रिश्वत लेकर अपना मत दे देता है तो देश के हित का त्याग करके अपने स्वार्थ को पूरा करता है। उसके इस स्वार्थी हित से अनुचित उम्मीदवार का चुनाव हो सकता है, जो विधानमण्डल में जाकर अपने स्वार्थ को पूरा करेगा। इस प्रकार देश में स्वार्थ का साम्राज्य छा जाता है और चारों ओर बेईमानी, रिश्वतखोरी और धोखेबाजी का बोलबाला हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वार्थ को पूरा करने में लग जाता है, जिससे देश के हित को हानि पहुँचती है।

3. दलबन्दी-अच्छी नागरिकता के लिए दलबन्दी भी एक रुकावट है। वैसे तो राजनीतिक दलों को प्रजातन्त्र का प्राण कहा जाता है, परन्तु जब राजनीतिक दलों का निर्माण राष्ट्रीय हितों के आधार पर न होकर जातिगत हितों के आधार पर होता है तो दल राजनीतिक वातावरण को भ्रष्ट कर देते हैं। नागरिक जातिगत दलबन्दी में फंसकर राष्ट्रीय हितों का त्याग कर देते हैं और अपनी-अपनी जाति के हितों को पूरा करने में लग जाते हैं, जिससे समाज में परस्पर द्वेष, घृणा तथा कलह उत्पन्न हो जाता है। भारत के विभाजन का मूल कारण दलीय भावना थी।

4. निरक्षरता-निरक्षरता मनुष्य को पशु-तुल्य बना देती है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति को अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों का ज्ञान नहीं होता। उसमें बुद्धि तथा व्यक्तित्व जैसी वस्तुओं का अभाव हो जाता है। प्रो० लॉस्की (Prof. Laski) के मतानुसार, नागरिकता व्यक्ति के लोक हित कार्य के प्रति न्यायात्मक दृष्टि (Judicious Power) पर निर्भर करती है। एक निरक्षर व्यक्ति के पास यह दृष्टि नहीं होती। अनपढ़ व्यक्ति राज्य का प्रबन्ध सुचारू रूप से नहीं कर सकते। अज्ञानी तथा अशिक्षित मतदाताओं के कारण प्रजातन्त्र भीड़तन्त्र (Mobocracy) बन जाता है।

5. गरीबी-यदि नागरिक निर्धन हैं तो अच्छी नागरिकता का उत्पन्न होना कठिन है। गरीब व्यक्ति अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है। वह डाकू, चोर, घातक और धोखेबाज बन जाता है। निर्धनता की मौजूदगी में नागरिकों का चरित्र अच्छा नहीं बन सकता। जैसा कि कहा गया है, निर्धनता सब बुराइयों की जननी है। इसके अतिरिक्त निर्धन व्यक्ति को लोक हित के कार्य में भी कोई रुचि नहीं होगी, क्योंकि इसको तो पहले उदर-पालन की चिन्ता होती है। जिस व्यक्ति को दो समय भरपेट भोजन नहीं मिलता, वह देश के कार्यों में क्या रुचि दिखलाएगा? जिस देश के लोग अत्यधिक गरीब हैं, वह कभी भी उन्नति नहीं कर सकता।

6. बुरे रीति-रिवाज-पुराने तथा बुरे रीति-रिवाज भी अच्छी नागरिकता को बढ़ने से रोकते हैं। उदाहरणतः भारत में जाति-पाति की प्रथा अच्छी नागरिकता के मार्ग में बड़ी बाधा है। इस प्रकार दहेज-प्रथा, पर्दा-प्रथा आदि बुराइयां भी अच्छी नागरिकता को विकसित होने से रोकती हैं।

7. साम्प्रदायिकता यदि नागरिकों का दृष्टिकोण साम्प्रदायिक होगा तो वे राष्ट्रीय हितों का त्याग करके अपने साम्प्रदायिक हितों की पूर्ति करेंगे। साम्प्रदायिकता व्यक्तियों को अलग-अलग वर्गों में विभाजित कर देती है जिसका परिणाम परस्पर ईर्ष्या-द्वेष होता है। हिन्दू अपने-आपको मुसलमानों से अलग समझते हैं और सिक्ख अपने को हिंदुओं से। यह सांप्रदायिकता का ही परिणाम था कि भारत का विभाजन हुआ। सांप्रदायिकता के कारण नागरिक का दृष्टिकोण संकुचित हो जाता है। उनमें सद्भावना नहीं रहती तथा स्वार्थपरता बढ़ जाती है।

सांप्रदायिकता के साथ-साथ प्रान्तीयता भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है। प्रान्तीयता के कारण देश की एकता को हानि पहुंचती है और देश अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंट जाता है। अतः जिस देश में सांप्रदायिकता, जातीयता तथा धार्मिक भेदभाव होगा, उस देश के नागरिक कदापि आदर्श नागरिक नहीं बन सकेंगे।

8. संकुचित राष्ट्रीयता अनेक लेखकों का विचार है कि संकुचित राष्ट्रीयता भी अच्छी नागरिकता के मार्ग में बड़ी भारी रुकावट है। संकुचित राष्ट्रीयता के कारण कभी-कभी एक देश दूसरे देश पर आक्रमण कर देता है जिससे संसार की शान्ति भंग हो जाती है और मानव-जाति को हानि पहंचती है। राष्ट्रीयता तभी तक अच्छी है जब तक एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों के साथ पंचशील के सिद्धांत में विश्वास करे, परन्तु जब राष्ट्रीयता साम्राज्यवाद की ओर बढ़ जाती है तो संसार युद्ध में फंस जाता है। नागरिकता का आदर्श विश्व-नागरिकता का आदर्श है, परन्तु संकुचित राष्ट्रीयता विश्व-नागरिकता के मार्ग में बाधा डालती है।

9. क्षेत्रवाद सांप्रदायिकता की भाँति, क्षेत्रवाद भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बड़ी बाधा है। क्षेत्रवाद की भावना नागरिकता के दृष्टिकोण और सोच को संकुचित कर देती है। वह अपने क्षेत्र के अतिरिक्त कुछ भी नहीं सोचता। यही नहीं, इस भावना के कारण एक क्षेत्र के वासी दूसरे क्षेत्र के वासियों से घृणा करने लगते हैं। यहाँ तक कि क्षेत्रीय भावना के आधार पर लोग हिंसा पर भी उतर आते हैं। ये सभी बातें राष्ट्रीय हितों के लिए हानिकारक होती हैं। अतः स्पष्ट है कि क्षेत्रवाद की भावना आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधा है।

10. पूंजीवाद-पूंजीवाद भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में एक बाधा है। पूंजीवाद आदर्श नागरिकता के लिए घातक सिद्ध हुआ है। पूंजीवाद एक व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत पूंजीपतियों को अधिक महत्त्व दिया जाता है। पूंजीपति श्रमिकों का शोषक है। पूंजीवाद में श्रमिक अधिक गरीब और धनिक अधिक धनी होते चले जाते हैं। श्रमिकों और पूंजीपतियों में संघर्ष चलता है तो हिंसा का जन्म होता है। यही नहीं, पूंजीवाद में राष्ट्रीय हितों की भी अवहेलना होती है। पूंजीपति अपने ही हितों की पूर्ति के लिए उत्पादन करते हैं।

इसीलिए विचारकों ने पूंजीवादी व्यवस्था को समाप्त करने या फिर उस पर कठोर नियन्त्रण लगाने के सुझाव दिए हैं ताकि पूंजीपति मजदूरों का शोषण न कर सकें और न ही आर्थिक व्यवस्था खराब कर सकें। उपर्युक्त बाधाओं की चर्चा से यह स्पष्ट हो जाता है कि ये बाधाएँ नागरिक को एक आदर्श नागरिक बनने से रोकती हैं। यही नहीं, ये बाधाएँ अन्तिम रूप से राष्ट्र की प्रगति और विकास के मार्ग को भी अवरुद्ध करती हैं, क्योंकि आदर्श नागरिक ही समाज और राष्ट्र के कर्णधार बन सकते हैं।

प्रश्न 6.
आदर्श नागरिकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
यह स्पष्ट है कि यदि देश में अच्छी नागरिकता का विकास करना है तो इसके मार्ग की बाधाओं को दूर किया जाए। लॉर्ड ब्राइस (Lord Bryce) ने इन बाधाओं को दूर करने के निम्नलिखित दो उपाय बतलाए हैं

(क) यान्त्रिक उपचार (Mechanical Remedies), (ख) नैतिक उपचार (Ethical Remedies)।
यान्त्रिक उपचार वे हैं जो सरकार की मशीनरी में कुछ परिवर्तन लाकर इन बाधाओं को दूर करने का प्रयत्न करते हैं। नैतिक उपचार वे हैं जो नागरिकों के चरित्र को उच्च बनाने का उद्देश्य रखते हैं।

(क) यान्त्रिक उपचार (Mechanical Remedies) यान्त्रिक उपचार में निम्नलिखित उपचार के ढंग सम्मिलित हैं

1. अनिवार्य मतदान कुछ लेखकों का विचार है कि अनिवार्य मतदान द्वारा नागरिकों की राजनीतिक कार्यों के प्रति उदासीनता को दूर किया जा सकता है। बैल्जियम (Belgium) तथा ऑस्ट्रेलिया (Australia) में मतदाताओं के लिए मतदान करना आवश्यक है, परन्तु यह उपचार अनेक देशों द्वारा नहीं अपनाया गया। यह ठीक है कि अनिवार्य मतदान से नागरिकों की उदासीनता को कुछ अंश तक दूर किया जा सकता है, परन्तु दबाव में मतदाता लापरवाही से वोट डाल सकते हैं, जिसका परिणाम अयोग्य उम्मीदवारों का चुनाव हो सकता है।

2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व यह विचार किया जाता है कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा अल्पसंख्यकों को अपनी वोट-शक्ति के अनुसार विधानमण्डल में स्थान प्राप्त हो सकते हैं। इस प्रणाली द्वारा प्रत्येक अल्पसंख्यक वर्ग अपने-आपकी बहुसंख्यक वर्ग के अत्याचारों से रक्षा कर सकता है। यह प्रणाली विधानमण्डल को जनता का वास्तविक प्रतिनिधि रूप प्रदान करती है।

3. प्रत्यक्ष विधि निर्माण-राजनीतिक कार्यों के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए लोकमत संग्रह (Refrendum) तथा अनुक्रम (Initiative) के उपायों को अपनाया जाता है। लोकमत संग्रह के अन्तर्गत नागरिक विधानमण्डल द्वारा पास किए गए किसी बिल पर अपने विचार प्रकट करते हैं। यदि जनता का बहुमत उस बिल के पक्ष में मतदान कर देता है तो वह बिल कार्यान्वित हो जाता है अन्यथा नहीं। अनुक्रम के अन्तर्गत नागरिक विधानमण्डल के विचार हेतु कोई बिल भेज सकते हैं । इस प्रकार इन उपायों द्वारा लोगों को सार्वजनिक महत्त्व के विषयों पर सोच-विचार करने तथा अपनी उदासीनता त्यागने के योग्य बनाया जाता है।

4. भ्रष्टाचार विरोधी उपायराज्य ऐसे कानूनों का निर्माण कर सकता है जिनके द्वारा चुनावों में भ्रष्टाचार तथा गैर-कानूनी विधियों के प्रयोग करने पर कठोर दण्ड दिया जा सके। ऐसा करने पर चुनाव ठीक प्रकार से हो सकेगा और मतों का क्रय-विक्रय आदि बन्द हो जाएगा।

(ख) नैतिक उपचार (Ethical Remedies)-यान्त्रिक उपचारों की अपेक्षा नैतिक उपचारों को अधिक कार्यसाधक अर्थात् प्रभावशाली सिद्ध माना गया है, जिसका वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है

1. अच्छी शिक्षा नागरिकों को नैतिक बनाने का सर्वश्रेष्ठ साधन उनको शिक्षित करना है। सच तो यह है कि बिना शिक्षा के किसी भी व्यक्ति का नागरिक जीवन श्रेष्ठ नहीं हो सकता। अच्छी नागरिकता अच्छे मन तथा अच्छे चरित्र पर निर्भर है। चरित्र-निर्माण का एकमात्र साधन उत्तम शिक्षा है। प्लेटो (Plato) ने ठीक ही कहा है कि उस राज्य में कानूनों की कोई आवश्यकता नहीं, जहाँ के सभी नागरिक
श के सारे राजनीतिक दल मिलकर यह प्रयत्न करें कि बच्चों में आदर्श नागरिकता के गुण उत्पन्न किए जाएँ। शिक्षा तथा प्रचार द्वारा सांप्रदायिकता, प्रान्तीयता, स्वार्थपरता तथा दलबन्दी का अन्त किया जाना चाहिए।

2. गरीबी का अन्त-गरीबी आदर्श नागरिक के लिए अभिशाप है। इसे दूर किया जाना चाहिए। गरीबी नागरिक को गलत कार्य करने के लिए विवश कर देती है। अतः राज्य को समाज से गरीबी को दूर करने के लिए उपाय करने चाहिएँ। राज्य की आर्थिक व्यवस्था का संचालन इस प्रकार होना चाहिए कि अमीर और गरीब में अन्तर कम हो जाए। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि राज्य को आर्थिक असमानता को दूर करना चाहिए। जब तक आर्थिक असमानता रहेगी तब तक आदर्श नागरिकता भी स्थापित नहीं हो पाएगी और राज्य या समाज का कल्याण भी नहीं हो पाएगा।

3. सामाजिक समानता-सामाजिक समानता की स्थापना भी बाधाओं को दूर करने का एक सशक्त माध्यम है। सामाजिक भेदभाव दूर करके सामाजिक समानता की स्थापना की जा सकती है। सामाजिक समानता का अर्थ है कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को समाज में समान समझा जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति समाज का बराबर अंग है और सभी को समान सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिएँ। किसी व्यक्ति से धर्म, जाति, लिंग, धन आदि के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति सामाजिक असमानता को बढ़ावा दे या देने का प्रयत्न करे, सरकार द्वारा उसे दण्डित किया जाना चाहिए।

4. सामाजिक बुराइयों का अन्त-समाज में प्राचीनकाल से कुछ सामाजिक बुराइयाँ चली आ रही हैं जो आदर्श नागरिकता के लिए कलंक हैं; जैसे छुआछूत, दहेज-प्रथा, सती-प्रथा आदि। इन सामाजिक बुराइयों को राज्य द्वारा दूर किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा सामाजिक बुराइयां विरोधी कानूनों का निर्माण किया जाना चाहिए तथा कठोर दण्ड की व्यवस्था की जानी चाहिए।

5. उच्च आदर्श नागरिकों के समक्ष उच्च आदर्श प्रस्तुत करना अपने-आप में बाधाओं को दूर करने का सर्वोच्च माध्यम है। यदि नागरिकों को नैतिकता के आधार पर उच्च आदर्शों का पाठ पढ़ाया जाए तो बहुत-सी बाधाएँ; जैसे सांप्रदायिकता, प्रान्तीयता, क्षेत्रवाद, संकीर्णता की भावनाएँ स्वतः समाप्त हो जाएँगी। उच्च आदर्शों की स्थापना के प्रचार-प्रसार के लिए रेडियो तथा टेलीविज़न का प्रयोग किया जा सकता है, परन्तु ध्यान रहे रेडियो तथा टेलीविज़न पर केवल आदर्शात्मक कार्यक्रमों का ही प्रसारण किया जाना चाहिए।

6. निष्पक्ष और स्वतन्त्र प्रेस-रेडियो और टेलीविज़न की भाँति समाचार-पत्र भी आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधाओं को दूर करने में एक महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, परन्तु प्रेस स्वतन्त्र और निष्पक्ष होनी चाहिए तभी एक निष्पक्ष लोकमत तैयार किया जा सकेगा और समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने में सहायता मिल सकेगी।।

7. राजनीतिक दल-राजनीतिक दल भी आदर्श नागरिकता की बाधाओं को दूर करने में अहम् भूमिका निभाते हैं। वास्तविकता में आधुनिक लोकतान्त्रिक युग में राजनीतिक दल लोकतन्त्र व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं परन्तु राजनीतिक दल का निर्माण कुछ आदर्शों के आधार पर होना चाहिए। राजनीतिक दलों को राष्ट्र हित को समक्ष रखकर कार्य करना चाहिए। राजनीतिक दलों को चुनाव के समय निम्न स्तर के तरीकों को नहीं अपनाना चाहिए तथा राजनीतिक नेताओं को ईमानदारी, बुद्धिमत्ता एवं समझदारी का परिचय देना चाहिए, क्योंकि राजनेता जनता के आदर्श होते हैं। यदि वे आदर्श प्रस्तुत नहीं करते तो नागरिक उनसे आदर्श का पाठ कैसे पढ़ सकते हैं।

निष्कर्ष-दी गई चर्चा से स्पष्ट हो जाता है कि आदर्श नागरिकता का निर्माण करना और आदर्श नागरिकता के मार्ग में व्याप्त बाधाओं को दूर करना समाज के एक पक्ष के वश की बात नहीं है। इस पवित्र कार्य में तो प्रत्येक पक्ष को अपना-अपना योगदान देना होगा। राज्य, सरकार, राजनीतिक दल, राजनेता, अभिनेता, रेडियो, समाचार-पत्र आदि सभी का यह संयुक्त दायित्व बनता है कि वे आदर्श नागरिकता की स्थापना में अपना सम्पूर्ण योगदान प्रदान करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दिए गए विकल्पों में से उचित विकल्प छाँटकर लिखें

1. निम्नलिखित में से कौन-सी नागरिक की विशेषता नहीं है?
(A) राज्य की सदस्यता
(B) अधिकारों की प्राप्ति
(C) राज्य के प्रति वफादारी
(D) अस्थायी निवासी
उत्तर:
(D) अस्थायी निवासी

2. निम्नलिखित में से कौन-सा आदर्श नागरिक का गुण है?
(A) अच्छा स्वास्थ्य
(B) अच्छा चरित्र
(C) सामाजिक भावना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

3. नागरिकता प्राप्त करने का आधार है
(A) उस देश में व्यापार करना
(B) उस देश के किसी विश्वविद्यालय में दाखिला लेना
(C) उस देश के किसी नागरिक से विवाह करना
(D) उस देश में सैर करने के लिए जाना
उत्तर:
(C) उस देश के किसी नागरिक से विवाह करना

4. नागरिक को निम्नलिखित अधिकार प्राप्त होते हैं
(A) सामाजिक अधिकार
(B) राजनीतिक अधिकार
(C) आर्थिक अधिकार
(D) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों

5. भारतीय नागरिकता के सम्बन्ध में कानून संसद द्वारा निम्नलिखित वर्ष में पास किया गया था
(A) 1948 में
(B) 1951 में
(C) 1957 में
(D) 1955 में
उत्तर:
(D) 1955 में

HBSE 11th Class Political Science Important Questions Chapter 6 नागरिकता

6. नागरिकता के उदारवादी सिद्धान्त का समर्थक कौन है?
(A) रॉबर्ट नाजिक
(B) लास्की
(C) एंथनी गिडेन्स
(D) टी०एच०मार्शल
उत्तर:
(D) टी०एच०मार्शल

7. निम्नलिखित में से किसे विदेशी के अन्तर्गत माना जाता है?
(A) स्थायी विदेशी
(B) अस्थायी विदेशी
(C) राजदूत
(D) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों

8. लॉर्ड ब्राइस ने आदर्श नागरिकता के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा गुण बताया है?
(A) बुद्धिमता
(B) आत्मसंयम
(C) विवेक
(D) उपर्युक्त तीनों
उत्तर:
(D) उपर्युक्त तीनों

9. एक चरित्रवान नागरिक का गुण निम्नलिखित में से कौन-सा नहीं है?
(A) आज्ञापालन
(B) हिंसा
(C) सत्य
(D) ईमानदारी
उत्तर:
(B) हिंसा

10. नागरिकता प्राप्त करने का तरीका निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(A) जन्मजात नागरिक
(B) राज्यकृत नागरिक
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

11. जन्मजात नागरिकता प्राप्ति का आधार निम्नलिखित में से है
(A) भूमि सिद्धान्त
(B) रक्त सिद्धान्त
(C) (A) एवं (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) एवं (B) दोनों

12. राज्यकृत नागरिकता का निम्नलिखित में से कौन-सा आधार नहीं है?
(A) लम्बा निवास
(B) सेना में भर्ती होने पर
(C) प्रार्थना-पत्र देने पर
(D) स्वयं मनचाही इच्छा से
उत्तर:
(D) स्वयं मनचाही इच्छा से

13. निम्नलिखित में से कौन-सा तरीका एक नागरिक की नागरिकता के खोने का आधार हो सकता है?
(A) लम्बी अनुपस्थिति से
(B) दूसरे देश की सेना में भर्ती होने से
(C) देश-द्रोह के कारण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

14. किसी विदेशी द्वारा भारतीय नागरिकता को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित में से किस शर्त को पूर्ण करना होगा?
(A) संविधान की 8वीं अनुसूची में वर्णित किसी एक
(B) आवेदन की तिथि से पूर्व कम-से-कम एक वर्ष भारत में भाषा को जानता हो रहा हो
(C) वह चरित्र सम्पन्न व्यक्ति हो
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

15. लॉर्ड ब्राइस द्वारा अच्छी नागरिकता के मार्ग में बाधाओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा उपाय सुझाया है?
(A) यांत्रिक उपचार
(B) नैतिक उपचार
(C) यांत्रिक एवं नैतिक उपचार
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) यांत्रिक एवं नैतिक उपचार

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक शब्द में दें

1. राजनीतिक कार्यों के प्रति उदासीनता को दूर करने का कोई एक उपाय बताएँ।
उत्तर:
अनिवार्य मतदान।

2. इंग्लैंड में एक विदेशी के लिए जन्मजात नागरिकता के कौन-से सिद्धान्त को अपनाया गया है?
उत्तर:
भूमि सिद्धान्त।

3. किस देश में नागरिकों को प्रजा कहा जाता है?
उत्तर:
इंग्लैंड में।

4. नागरिकता के सम्बन्ध में ‘रेखीय’ (Linear) सिद्धान्त किस विद्वान द्वारा पेश किया गया है?
उत्तर:
मार्शल द्वारा।

रिक्त स्थान भरें

1. …………….. नागरिकता के मार्क्सवादी सिद्धान्त का व्याख्याकर्ता है।
उत्तर:
एंथनी गिडिन्स

2. “किसी राज्य का नागरिक वह व्यक्ति है जिसको उस राज्य के विधान-कार्य तथा न्याय-प्रशासन में भाग लेने का पूर्ण अधिकार है।” यह शब्द ……………… के हैं।
उत्तर:
अरस्तू

3. “नागरिकता अपनी निष्ठाओं को ठीक से निभाना है।” यह कथन ………. ने कहा।
उत्तर:
बॉयड

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