Class 10

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 5 जैव प्रक्रम

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very ShortAnswer Type Questions)

प्रश्न 1.
किन्हीं दो एककोशिक जीवों के नाम लिखिए। (मा.शि.बोर्ड 2012)
उत्तर-अमीबा, पैरामीशियम।

प्रश्न 2. पोषण क्या है ?
उत्तर-
ऊर्जा के स्रोत को भोजन के रूप में शरीर के अन्दर लेना पोषण, कहलाता है।

प्रश्न 3.
पृथ्वी पर ऊर्जा का अन्तिम स्रोत क्या है ?
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 4.
कवक अपना भोजन कहाँ से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर-
सड़े-गले मृत कार्बनिक पदार्थों से।

प्रश्न 5.
श्वसन क्रिया में उत्पन्न ऊर्जा किस रूप में संचित होती है ?
उत्तर-
ATP के रूप में।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 6.
अमीबा में किस प्रकार का पाचन होता है ?
उत्तर-
अमीबा में अन्त:कोशिकीय पाचन होता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य के पाचन का प्रकार क्या है ?
उत्तर-
मनुष्य में पाचन बाह्य कोशिकीयं प्रकार का होता है।

प्रश्न 8.
प्रकाश-संश्लेषी जीवाणु में किस प्रकार का पोषण पाया जाता है?
उत्तर-
स्वपोषी।

प्रश्न 9.
परजीवी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐसे जीव जो भोजन दूसरे जीवों से प्राप्त करते हैं किन्तु उन्हें मारते नहीं है।

प्रश्न 10.
हमारे शरीर में CO2, का परिवहन किसके द्वारा होता है?
उत्तर-
रुधिर द्वारा बाइकार्बोनेट के रूप में।

प्रश्न 11.
मनुष्य के दो अन्तःपरजीवियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
फीताकृमि तथा प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी)।

प्रश्न 12.
पित्त रस का निर्माण कहाँ होता है तथा यह कहाँ एकत्र होता है ?
उत्तर-
पित्त रस का निर्माण यकृत में होता है तथा यह पित्ताशय में एकत्र होता है।

प्रश्न 13.
माँ के रुधिर से भ्रूण को पोषण प्रदान करने वाली संरचना का नाम लिखिए। राज. 2015]
उत्तर-
अपरा (Placenta)।

प्रश्न 14.
रुधिर प्लाज्मा किसका वहन करता है?
उत्तर-
प्लाज्मा, भोजन, CO2, तथा नाइट्रोजनी वर्ण्य पदार्थों का विलीन रूप में वहन करता है।

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प्रश्न 15.
रसारोहण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पौधों में जड़ों द्वारा अवशोषित जल व खनिजों का ऊपर की ओर चढ़ना रसारोहण कहलाता है।

प्रश्न 16.
वृक्क के अतिरिक्त मनुष्य में अन्य उत्सर्जी अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • यकृत,
  • त्वचा,
  • फेफड़े।

प्रश्न 17.
मछली, मच्छर, केंचुआ तथा कुत्ते के श्वसनांगों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मछली-क्लोम, मच्छर-श्वास नलिका, केंचुआ-त्वचा, कुत्ता-फेफड़े।

प्रश्न 18.
वाष्पोत्सर्जन क्या है ?
उत्तर-
पौधे के वायवीय भागों से जल का जलवाष्प के रूप में उड़ना वाष्पोत्सर्जन कहलाता है।

प्रश्न 19.
रन्धों के दो कार्य लिखिए।
उत्तर-

  1. रन्ध्रों के द्वारा गैसों का विनिमय होता है।
  2. रन्ध्रों द्वारा वाष्पोत्सर्जन होता है।

प्रश्न 20.
मनुष्य का रुधिर लाल क्यों दिखाई देता
उत्तर-
मनुष्य का रुधिर हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण लाल दिखाई देता है।

प्रश्न 21.
पौधों की पत्तियाँ हरी क्यों दिखाई देती हैं ?
उत्तर-
पर्णहरित की उपस्थिति के कारण।

प्रश्न 22.
जठर ग्रन्थियाँ कहाँ पायी जाती हैं ?
उत्तर-
आमाशय में।

प्रश्न 23.
पेसमेकर यन्त्र का कार्य लिखिए।
उत्तर-
हृदय गति के असामान्य हो जाने पर पेसमेकर हृदय स्पंदन को नियमित करता है।

प्रश्न 24.
उत्सर्जन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उपापचय के फलस्वरूप बने नाइट्रोजनी वर्म्य पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाना उत्सर्जन कहलाता है।

प्रश्न 25.
केशिका गुच्छ कहाँ स्थित होता है ?
उत्तर-
बोमैन सम्पुट (Bowman’s capsule) में।

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प्रश्न 26.
रन्ध्र कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर-
कोमल तनों एवं पत्तियों पर।

प्रश्न 27.
पौधे के संवहन बण्डल में कौन-से ऊतक पाए जाते हैं ?
उत्तर-
जाइलम तथा फ्लोएम।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सजीवों के चार लक्षण लिखिए।
उत्तर-

  1. सजीव गति करते हैं।
  2. इनमें श्वसन होता है।
  3. ये पोषण एवं पाचन करते हैं।
  4. इनमें वृद्धि होती है।

प्रश्न 2.
पोषण, गैस-विनिमय तथा उत्सर्जन के सन्दर्भ में एक कोशिकीय जीविता क्यों उत्तम है ? ..
उत्तर-
किसी भी एक कोशिकीय जीव की पूरी सतह पर्यावरण के सम्पर्क में रहती है अतः इन्हें भोजन ग्रहण करने के लिए, गैसों का आदान-प्रदान करने के लिए या वयं पदार्थों के निष्कासन के लिए किसी विशेष अंग की आवश्यकता नहीं होती है। अतः इनमें ऊर्जा का व्यय भी कम होता है।

प्रश्न 3.
पोषण किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकार की पोषण विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
पोषण-जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा के स्रोत को भोजन के रूप में शरीर के अन्दर लेना पोषण कहलाता है।
पोषण के प्रकार –
I. स्वपोषी पोषण
II. विषमपोषी पोषण
1. मृतोपजीवी पोषण
2. प्राणी समभोजी पोषण
3. परजीवी पोषण
4. सहजीवी पोषण
5. परभक्षी पोषण।

प्रश्न 4.
परपोषी जीव किस प्रकार स्वपोषी जीवों पर निर्भर करते हैं?
उत्तर-
स्वपोषी (Autotrophic) जीव अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। इसका कुछ भाग तो पौधों द्वारा स्वयं उपयोग कर लिया जाता है और शेष भाग संचित कर लिया जाता है। विषमपोषी अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं करते हैं और स्वपोषियों द्वारा संचित भोजन को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ग्रहण करते हैं।

प्रश्न 5.
पोषण सभी जीवों के लिए आवश्यक है। क्यों?
अथवा
जीव को भोजन की क्यों आवश्यकता होती हैं?
उत्तर-
सभी जीवों को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो भोजन में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट्स तथा वसा के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है। प्रोटीन शरीर की टूट-फूट की मरम्मत के लिए आवश्यक होती है। यह उचित वृद्धि और परिवर्धन के लिए भी आवश्यक है। इसीलिए सभी जीवों के लिए भोजन आवश्यक है।

प्रश्न 6.
भोजन के पाचन में पित्त रस की क्या भूमिका
अथवा
पित्त रस भोजन को पचाने में किस प्रकार सहायता करता है?
उत्तर-
पित्त रस का स्रावण यकृत से होता है। यह निम्न प्रकार भोजन को पचाने में सहायक है-

  • यह आंत्र में भोजन की अम्लीयता को समाप्त करके माध्यम को क्षारीय बनाता है जिससे कि आंत्र में एन्जाइम भोजन का पाचन कर सके।
  • यह वसा अणुओं को छोटी-छोटी ग्लोब्यूल, में तोड़ देता है जिससे वसाओं का पाचन सुगम हो जाता है।

प्रश्न 7.
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में होने वाली मुख्य तीन घटनाओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (मा. शि. बोर्ड. राज. 2012)
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम के दौरान निम्नलिखित घटनाएँ होती हैं-
1. क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करना-यह प्रक्रिया क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना भाग में होती है। ग्रेना में उपस्थित क्लोरोफिल अणु प्रकाश ऊर्जा अवशोषित करके इलेक्ट्रॉन निष्कासित करते हैं।

2. प्रकाश द्वारा जल के अणुओं का प्रकाशीय अपघटन होता है जिससे ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन आयन बनते हैं। ऑक्सीजन वायुमण्डल में चली जाती है।

3. उपरोक्त दोनों क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न इलेक्ट्रॉन तथा हाइड्रोजन आयनों से परिपाचन पदार्थ का निर्माण होता है जो क्लोरोप्लास्ट के स्ट्रोमा भाग में कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन कर देता है।

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प्रश्न 8.
पत्ती की अनुप्रस्थ काट के आरेख में उन कोशिकाओं को प्रदर्शित कीजिए जिनमें क्लोरोफिल पाया जाता है ?
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1

प्रश्न 9.
अमीबा में पोषण की विधि लिखिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
एक कोशिकीय जीव होने के कारण अमीबा में भोजन कोशिका की सम्पूर्ण सतह से ग्रहण किया जाता है। यह सूक्ष्म कीटों तथा डायटम्स को खाता है। जल में तैरते हुए भोज्य कण जब अमीबा के सम्पर्क में आते हैं तो अमीबा में पादाभ उत्पन्न हो जाते हैं। ये पादाभ भोजन कण को चारों ओर से घेर लेते हैं और एक रिक्तिका बना लेते हैं जिसे खाद्यधानी कहते हैं। खाद्यधानी में भोजन कणों का पाचन कर लिया जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2

प्रश्न 10.
यकृत के कार्य लिखिए।
उत्तर-
यकृत के निम्नलिखित कार्य हैं-

  1. यकृत पित्त रस का स्रावण करता है, जो आमाशय से आये भोजन को क्षारीय बनाता है, वसा के इमल्सीकरण में सहायक होता है, भोजन को सड़ने से रोकता है एवं आहार नाल में क्रमाकुंचन गति को उद्दीपित करता है।
  2. यकृत ग्लाइकोजन के रूप में भोजन का संचय करता है।
  3. यकृत में ग्लूकोजिनोलाइसिस की क्रिया होती है जिसमें आवश्यकता पड़ने पर ग्लाइकोजन से ग्लूकोज बनता है।
  4. यकृत में ग्लाइकोनियोजेनेसिस की क्रिया होती है जिसमें आवश्यकता पड़ने पर अमीनो एवं वसीय अम्लों से ग्लूकोज का निर्माण होता है।
  5. यकृत वसा एवं विटामिन्स का संचय करता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित को किस रूप में संग्रहित किया जाता है?
(i) पौधों में अनुपयोगी कार्बोहाइड्रेट
(ii) मनुष्यों में भोजन से उत्पन्न ऊर्जा। (CBSE 2016)
उत्तर-
(i) पौधों में अनुपयोगी कार्बोहाइड्रेट मंड के रूप में संग्रहित रहता है।
(ii) मनुष्यों में भोजन से प्राप्त ऊर्जा ATP या ADP के रूप में संग्रहित रहती है।

प्रश्न 12.
तालिका के रूप में स्वपोषी पोषण और विषमपोषी पोषण के बीच तीन विभेदनकारी अभिलक्षणों की सूची बनाइए। (CBSE 2019)
उत्तर-

स्वपोषी पोषणविषमपोषी पोषण
(i) भोजन प्रकाश संश्लेषण द्वारा स्वयं बनाया जाता है।भोजन स्वयं न बनाकर दूसरे जीवों से प्राप्त किया जाता है।
(ii) प्रायः क्लोरोफिल वाले हिस्से में होता है-हरे पौधे एवं शैवाल।क्लोरोफिल का अभाव प्रायः कवक, जन्तुओं एवं कुछ जीवाणुओं में।
(iii) सौर ऊर्जा को रासा यनिक ऊर्जा (भोजन) में बदलते हैं।रासायनिक ऊजां का भोजन के रूप में उपभोग करते हैं।
(iv) भोजन स्टार्च के रूप में संचित होता है।भोजन ग्लाइकोजन के रूप में संचित होता है।

प्रश्न 13.
“जैव-विकास तथा जीवों का वर्गीकरण परस्पर सम्बन्धित है।” इस कथन की कारण सहित पुष्टि कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
जैव विकास से अभिप्राय, क्रमिक परिवर्तनों द्वारा प्रारम्भिक निम्न कोटि के सरल जीवों से जटिल जीवों की उत्पत्ति है। वर्गीकरण में इन्हीं जीवों को समानता तथा विभिन्नता के आधार पर समूहों और उपसमूहों में रखा जाता है। दो जीवों (प्रजातियों) में जितनी अधिक समानतायें पायी जाती हैं, वह उतनी ही एक-दूसरे से सम्बन्धित होती हैं। अतः वर्गीकरण की सहायता से दो जीवों के बीच में सम्बन्ध पता किया जा सकता है। अतः जैव विकास और वर्गीकरण परस्पर सम्बन्धित है।

प्रश्न 14.
जैव-विकास क्या है? इसे प्रगति के समान नहीं माना जा सकता। एक उपयुक्त उदाहरण की सहायता से व्याख्या कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
प्रारम्भिक निम्न कोटि के सरल जीवों से क्रमिक परिवर्तनों द्वारा उच्च कोटि एवं जटिल जीवों की उत्पत्ति को जैव-विकास कहते हैं। जैव-विकास को प्रगति के समान नहीं माना जा सकता, क्योंकि जैव-विकास से सरल जीवों से जटिल जीवों की उत्पत्ति/उद्भव होती है परन्तु सरलतम जीव भी जटिल जीवों के साथ अस्तित्व में रहते हैं। उदाहरण के लिए, मानव का विकास चिंपैंजी से नहीं हुआ है, परन्तु दोनों के ही पूर्वज समान थे।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 15.
निश्वसन तथा उच्छवसन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
निश्वसन-वह प्रक्रिया जिसमें वातावरण से वायु अन्दर खींची जाती है, निश्वसन कहलाती है। उच्छवसन-वह प्रक्रिया जिसमें फेफड़ों से वायु बाहर निकाली जाती है, उच्छवसन कहलाती है।

प्रश्न 16.
किसी कीट की प्रत्येक कोशिका में वायु कैसे प्रवेश करती है?
अथवा
कीट किस प्रकार श्वसन करते हैं?
उत्तर-
कीटों में श्वसन वायु नलिकाओं द्वारा होता है जिन्हें देकिया (Trachea) कहते हैं। ट्रेकिया वायु को सीधे ही कोशिकाओं तक पहुँचाती है। वातावरण से वायु ट्रेकिओल्स में प्रवेश करती है जहाँ से यह कोशिकाओं और ऊतकों में पहुँचती है।

प्रश्न 17.
पौधों में श्वसन क्रिया किस प्रकार होती है ?
उत्तर-
पौधों में ऑक्सी तथा अनॉक्सी दोनों प्रकार का श्वसन पायो जाता है। ऑक्सी श्वसन वायु की उपस्थिति में होता है। इसमें रन्ध्रों द्वारा ऑक्सीजनयुक्त वायु उपरन्ध्रीय गुहा में प्रवेश करती है तथा CO2, युक्त वायु बाहर निकलती है। यह प्रक्रिया पौधों में लगातार होती रहती है जिसमें गैसीय विनिमय दो चरणों में होता है-

  • श्वसनी कोशिकाओं तथा अन्त:कोशिकीय वायु के बीच गैसों का विनिमय।
  • वातावरणीय वायु तथा अन्त:कोशिकीय वायु में विनिमय।

प्रश्न 18.
वातरन्ध्र क्या हैं ? चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर-
वातरन्ध्र (Lenticels)-वातरन्ध्र पौधों के तनों में पाये जाने वाले सूक्ष्म छिद्र हैं जो बाह्य त्वचा के फटने पर बनते हैं और गैसों का विनिमय करते हैं। वातरन्ध्रों के निर्माण के समय कॉर्क कैम्बियम बाहर की ओर कॉर्क न बनाकर पतली भित्ति वाली मृदुतकीय कोशिकाओं को बनाता है जिन्हें पूरक कोशिकाएँ कहते हैं। इन पूरक कोशिकाओं के निर्माण के कारण बाह्य त्वचा टूट जाती है, और वातरन्ध्र बन जाते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3

प्रश्न 19.
मनुष्य में श्वास लेने की क्रियाविधि के दो आधारों को समझाइए।
उत्तर-
मनुष्य में श्वासोच्छ्वास की क्रिया दो चरणों में पूर्ण होती है-
1. निश्वसन (Inspiration)-वायुमण्डलीय वायु को खींचकर पंकड़ों में भरने की क्रिया निश्वसन कहलाती है। इस क्रिया के लिए मस्तिष्क के श्वसन केन्द्र से उद्दीपन प्राप्त होता है। इसके कारण बाह्य इंटरकास्टल पेशियाँ संकुचित होती हैं जिससे पसलियाँ बाहर की ओर झुक जाती हैं। इसी समय डायफ्राम की अरीय पेशियाँ संकुचित तथा उदर पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं, जिससे वक्षीय गुहा का आयतन बढ़ जाता है। इसके साथ ही फेफड़े का आयतन भी बढ़ जाता है, फलस्वरूप श्वास मार्ग से होती हुई वायु फेफड़ों में भर जाती है।

2.निःश्वसन (Expiration)-फेफड़ों की वायु का बाहर निकाला जाना नि:श्वसनं कहलाता है। मस्तिष्क के श्वसन केन्द्र से उद्दीपन प्राप्त होने पर अन्तः इंटरकास्टल पेशियाँ, संकुचित डायफ्राम की पेशियाँ शिथिल तथा उदर गुहा की पेशियाँ संकुचित होती हैं, फलस्वरूप वक्षीय गुहा के साथ फेफड़ों का आयतन कम हो जाता है। अतः फेफड़ों की वायु श्वसन मार्ग से होती हुई बाहर निकल जाती है।

प्रश्न 20.
निश्वसन तथा निःश्वसन में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
निश्वसन एवं निःश्वसन में अन्तर-

निश्वसन (Inspiration)निःश्वसन (Expiration)
1. इसमें ऑक्सीजन युक्त वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।1. इसमें CO2 युक्त वायु फेफड़ों से बाहर निकलती है।
2. इसमें बाह्य अन्तरापर्युक पेशियों तथा डायफ्राम की अरीय पेशियों में संकुचन होता है।2. इसमें अन्तः अन्तरापर्शक पेशियों तथा अरीय पेशियों में संकुचन होता है।
3. इसमें डायफ्राम चपटा तथा स्टर्नम नीचे की ओर झुक जाता है।3. इसमें डायफ्राम गुम्बद नुमा तथा स्टर्नम ऊपर खिसक जाता है।
4. इसमें पसलियाँ बाहर और आगे की ओर खिसकती है।4. इसमें पसलियाँ भीतर और पीछे की ओर खिसकती है।
5. इसमें प्लूरल गुहाओं का आयतन बढ़ जाता है।5. इसमें प्लूरल गुहाओं का आयतन कम हो जाता है।

प्रश्न 21.
कठिन व्यायाम का श्वसन दर पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों ?
उत्तर-
सामान्य अवस्था में मनुष्य की श्वास दर (Breathing rate) 15-18 प्रति मिनट होती है। कठिन परिश्रम या व्यायाम के बाद यह दर बढ़कर 20-25 प्रति मिनट हो जाती है। इसका कारण है कि व्यायाम के समय अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अत्यधिक ऊर्जा प्राप्ति के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। इसीलिए कठोर व्यायाम के बाद श्वास दर बढ़ जाती है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 22.
प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण तथा श्वसन में अन्तर-

प्रकाश संश्लेषण(Photosynthesis)श्वसन  (Respiration)
1. यह एक सृजनात्मक क्रिया है।1. यह एक विघटनात्मक क्रिया है।
2. यह क्लोरोफिल युक्त पादप कोशिकाओं में होती है।2. यह सभी जीवित भागों में होती है।
3. यह क्रिया सूर्य के प्रकाश पर निर्भर है।3. इसमें प्रकाश की उपस्थिति एवं अनुपस्थिति का कोई प्रभाव नहीं होता।
4. इसमें CO2 ग्रहण की जाती है तथा O2 निकलती4. इसमें O2 ग्रहण की जाती है तथा CO2 निकलती
5. इसमें ऊर्जा अवशोषित की होती है।5. इसमें ऊर्जा उत्सर्जित जाती है।
6. इस क्रिया में शुष्क भार में वद्धि होती है।6. इस क्रिया में शुष्क भार में कमी होती है।

प्रश्न 23.
पौधों में परिसंचरण के सम्बन्ध में वहन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
पत्तियों द्वारा बनाए गए भोजन को पौधे के विभिन्न भागों में पहुँचाने की प्रक्रिया को वहन कहते हैं। यह परिसंचरण की भाँति ही आवश्यक है क्योंकि पौधे के प्रत्येक भाग को कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसे पौधे इस भोजन से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 24.
मनुष्य के फेफड़ों का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4

प्रश्न 25.
धमनी एवं शिरा में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
धमनी एवं शिरा में अन्तर-

धमनी (Arteries)शिरा (Veins)
1. ये मोटी और लचीली दीवार वाली नलिकाएँ हैं।1. ये पतली और दृढ़ दीवार वाली संकरी नलिकाएँ हैं।
2. ये शुद्ध रुधिर को हृदय से शरीर में विभिन्न अंगों में पहुँचाती हैं (पल्मोनरी धमनी को छोड़कर)।2. ये अशुद्ध रुधिर को शरीर के अंगों से हृदय में लाती हैं (पल्मोनरी शिरा को छोड़कर)।
3. इनमें वाल्व अनुपस्थित होते हैं।3. वाल्व उपस्थित होते हैं।
4. इनमें रुधिर का बहाव तीव्र व झटके के साथ होता है।4. इनमें रुधिर का बहाव सामान्य व धीरे-धीरे होता है।
5. ये अधिक गहराई में उपस्थित होती हैं।5. ये माँस में कम गहराई पर स्थित होती हैं।

प्रश्न 26.
खुला परिसंचरण तथा बन्द परिसंचरण तन्त्र में अन्तर कीजिए। .
उत्तर-
खला परिसंचरण तथा बन्द परिसंचरण तन्त्र में अन्तर

खुला परिसंचरणबन्द परिसंचरण
1. इसमें रुधिर किसी प्रकार की वाहनियों में नहीं बहता है।1. इसमें रुधिर महीन, लचीली धमनियों एवं शिराओं में बहता है।
2. इसमें रुधिर आंतरांगों के आस-पास पाया जाता है।2. इसमें रुधिर हृदय से विभिन्न अंगों को पम्प किया जाता है।
3. इसमें किसी प्रकार का दाब उत्पन्न नहीं होता है।3. इसमें रुधिर दाब उत्पन्न होता है।

प्रश्न 27.
शरीर में O2 तथा CO2 के परिवहन व्यवस्था का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य का हृदय अपने एक चक्र में रुधिर को दो बार पम्प करता है जिसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। फेफड़ों में उपस्थित वायु कूपिकाओं से ऑक्सीजन लेकर फुफ्फुस महाशिरा हृदय में खुलती है। ऑक्सीजनयुक्त रुधिर हृदय से अब महाधमनी द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों को भेजा जाता है। शरीर के ऊतकों से CO2 युक्त रुधिर शिराओं से महाशिरा में आता है जो CO2 युक्त रुधिर को पुनः हृदय में लाती है। CO2 युक्त रुधिर अब हृदय फुफ्फुस धमनी द्वारा फेफड़ों में भेज देता है। फेफड़ों में जाकर CO2 वायु कूपिकाओं में चली जाती है जहाँ से CO2 वायु के साथ बाहर निकाल दी जाती है।
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प्रश्न 28.
रुधिर एवं लसीका में भेद कीजिए।
उत्तर-
रुधिर एवं लसीका में अन्तर-

रुधिर (Blood)लसीका (Lymph)
1. यह लाल रंग का होता है।1. यह रंगहीन या हल्के पीले रंग का होता है।
2. इसमें रुधिर कणिकाएँ RBCs, WBCs तथा बिम्बाणु उपस्थित होती हैं।2. इसमें कणिकाएँ अनुप स्थित होती हैं।
3. इसमें हीमोग्लोबिन होता है।3. इसमें हीमोग्लोबिन नहीं होता है।
4. यह हृदय से अंगों तक तथा अंगों से हृदय तक बहता है।4. यह केवल एक ही दिशा में बहता है अर्थात् ऊतकों से हृदय की ओर।
5. इसमें श्वसन वर्णक, ऑक्सीजन, CO2 एवं  वर्ण्य पदार्थ होते हैं।5. इसमें अल्प मात्रा में प्रोटीन होते हैं।

प्रश्न 29.
फ्लोएम में भोजन का संवहन किस प्रकार होता है? फ्लोएम ऊतक का चित्र खींचिए। (RBSE 2015)
उत्तर-
फ्लोएम द्वारा पत्तियों में निर्मित खाद्य पदार्थों का पौधे के विभिन्न भागों को स्थानान्तरण होता है। फ्लोएम द्वारा खाद्य पदार्थों का स्थानान्तरण ATP की ऊर्जा का उपयोग करके होता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6
ऊर्जा द्वारा फ्लोएम का परासरण दाब बढ़ जाता है जिससे जल इसमें प्रवेश कर जाता है। यह दाब पदार्थों को फ्लोएम से उस ऊतक तक ले जाता है जहाँ दाब कम होता है। यह फ्लोएम को पादप की आवश्यकतानुसार पदार्थों का स्थानान्तरण करता है।

प्रश्न 30.
मानवों में वहन तंत्र के दो प्रकारों की सूची बनाइए तथा इनमें से किसी एक के कार्य लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
मानवों में वहन तंत्र के दो प्रकार –

  • रक्त परिवहन,
  • लसीका परिवहन तंत्र।

मनुष्य में दो वहन तंत्र के कार्य हैं-

  1. यह ऑक्सीजन, प्रोटीन्स, खनिज आदि को शरीर के – एक भाग से दूसरे भाग में पहुँचाता है।
  2. यह विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों को विभिन्न अंगों से मुख्य उत्सर्जी अंगों तक पहुँचाता है।

प्रश्न 31.
डायलिसिस क्या है ? नेफ्रॉन को डायलिसिस का थैला क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
अपोहन या डायलिसिस (Dialysis)- यदि किसी लवण एवं मंड के विलयन को सैलोफेन की थैली में भरकर उसे आसवित जल में लटका दिया जाए तो लवण के आयन सैलोफेन से होते हुए आसवित जल में प्रवेश कर जाते हैं और स्टार्च थैली के अन्दर ही रह जाता है। यह प्रक्रिया डायलिसिस कहलाती है।

नेफ्रॉन को डायलिसिस का थैला इसीलिए कहा जाता है क्योंकि नेफ्रॉन की प्यालेकार संरचना बोमैन सम्पुट में उपस्थित केशिका गुच्छ की दीवारों से रुधिर छनता है।  रुधिर में उपस्थित प्रोटीन के अणु बड़े होने के कारण नहीं ) छन पाते जबकि ग्लूकोज एवं लवण अणु छोटे होने के कारण छन जाते हैं। इस प्रकार नेफ्रॉन डायलिसिस की थैली की 7 तरह कार्य करता है। वृक्कों के अनियमित कार्य करने पर डायलिसिस विधि द्वारा रोगी में वृक्क का कार्य कराया जाता है।

प्रश्न 32.
पौधों और जन्तुओं में वर्त्य पदार्थ क्या हैं?
अथवा
पौधों और जन्तुओं के उत्सर्जी पदार्थ बताइए।
उत्तर-
जन्तुओं में उत्सर्जी पदार्थ-CO2 पित्तवर्णक, नत्रजनी पदार्थ, अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल, लवण व जल। पौधों के उत्सर्जी पदार्थ-अमोनिया जो पत्तियों में एकत्र होती है, गोंद, रेजिन, घुलनशील वर्ण्य पदार्थ।

प्रश्न 33.
वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं? इसके दो कार्य लिखिए।
अथवा
(a) स्थानान्तरण किसे कहते हैं? पादपों के लिए यह क्यों आवश्यक है?
(b) स्थानान्तरण के फलस्वरूप पादपों में पदार्थ कहाँ पहुँचते हैं? (CBSE 2019)
उत्तर-
वाष्पोत्सर्जन एक जैव प्रक्रम है इसमें पानी की अत्यधिक मात्रा पौधों के वायवीय भाग (प्रायः पत्तियों की सतह पर अवस्थित रन्ध्र) द्वारा जल वाष्प में परिवर्तित होती है। इसके निम्नलिखित कार्य हैं-

  • जड़ों से पानी एवं खनिज को पत्तियों तक पहुँचाना (परिवहन में सहायक)।
  • पौधों को गर्मियों में ठंडा रखना, वातावरण को ठंडा करना।
  • पत्तियों द्वारा निर्मित कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज को पौधों के अन्य भागों में स्थानान्तरित करना।

अथवा
(a) स्थानान्तरण से अभिप्राय है, पौधे के सभी भागों में आवश्यक पदार्थों; जैसे-जल, खनिज, भोज्य पदार्थ, पादप हॉर्मोन की पूर्ति करना एवं वर्ण्य पदार्थों को इकट्ठा कर उन्हें पौधे से अलग करने में सहायता करना ताकि पौधे स्वस्थ एवं व्यवस्थित जीवन प्राप्त कर सकें।
(b) स्थानान्तरण के फलस्वरूप जल एवं खनिज जाइलम के रास्ते पौधों के ऊपरी भाग में एवं भोज्य पदार्थ फ्लोइम के द्वारा पौधों के विशिष्ट भाग, जड़/तना/पत्ती/बीज/फल में एकत्र होते हैं।

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प्रश्न 34.
मानव में परिसंचरण तंत्र के निम्नलिखित घटकों में से प्रत्येक का एक कार्य लिखिए-(CBSE 2016)
(a) रुधिर वाहिनियाँ,
(b) लिम्फ,
(c) हृदय
उत्तर-
(a) रुधिर वाहिनियाँ-ये पूरे शरीर में रक्त को लेकर जाती हैं।
(b) लिम्फ-इसकी लिम्फोसाइड कोशिकाएँ रोगोत्पादक पदार्थों, जीवाणुओं आदि को नष्ट करती हैं।
(c) हृदय-यह पूरे शरीर में रुधिर को पम्प करता है अर्थात् रुधिर का परिसंचरण करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रकाश-संश्लेषण क्या है? प्रकाश-संश्लेषण की क्रियाविधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
(नमूना प्रश्न-पत्र 2012) पौधे अपना भोजन कैसे बनाते हैं ? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis)प्रकाश-संश्लेषण वह प्रक्रिया है, जिसमें हरे पौधे क्लोरोफिल की सहायता से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल एवं CO2, द्वारा भोजन (ग्लूकोज) का निर्माण करते हैं।
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प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया दो प्रावस्थाओं में पूर्ण होती हैं-
प्रकाशिक अभिक्रिया (Light Dependent Reaction)-यह प्रकाश की उपस्थिति में तथा क्लोरोप्लास्ट के ग्रेना में होती है। इस अभिक्रिया में-
(i) सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त करके क्लोरोफिल अणु उत्तेजित होकर इलेक्ट्रॉन मुक्त करते हैं। ये इलेक्ट्रॉन विभिन्न पथों से होकर इलेक्ट्रॉनग्राही NADP तक पहुँचते हैं। इन पथों में कई स्थानों पर ATP का भी निर्माण होता है।
(ii) प्रकाश के द्वारा ही जल का प्रकाशिक अपघटन होता है जिससे यह हाइड्रोजन तथा हाइड्रॉक्सिल आयनों में टूट जाता है।
4H2O → H+ + 4OH

(iii) 4H+ तथा 4 इलेक्ट्रॉनों को NADP ग्रहण करके NADPH, बनाता है।
4H++ 4e + 2NADP → 2NADPH2

(iv) 4OH संघनित होकर पानी तथा ऑक्सीजन बनाते हैं।
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उपर्युक्त क्रिया में ऑक्सीजन वायु में मुक्त हो जाती है तथा इलेक्ट्रॉन क्लोरोफिल को पुनः उत्तेजित करने में काम आते हैं। इस प्रकार प्रकाशिक अभिक्रिया से ATP, NADPH2 तथा O2 बनते हैं।

B. अप्रकाशिक अभिक्रिया (Light Independent Reactions)-इस क्रिया में प्रकाश की उपस्थिति या अनुपस्थिति का कोई प्रभाव नहीं होता है। यह क्रिया हरितलवक के ग्रेना में होती है। इसमें CO,, ATP तथा . NADPH, के संयोग से ग्लूकोज का निर्माण होता है।
6CO2 + 12ATP + 12NADPH2 → C6H12O6 + 12 ADP+ 12 NADP

प्रश्न 2.
(a) मानव उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करने वाले अंगों के नाम लिखिए।
(b) मानव शरीर में मूत्र किस प्रकार बनता है, का संक्षेप में वर्णन कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) मानव उत्सर्जन तंत्र का निर्माण करने वाले अंग हैं-एक जोड़ा वृक्क, एक मूत्रवाहिनी, एक मूत्राशय तथा एक मूत्रमार्ग।

(b) कार्यविधि (मूत्र बनने की क्रियाविधि)-वृक्काणु में स्थित कोशिक गुच्छ इस क्रिया का प्रारंभ करते हैं जो निम्नलिखित चरणों में होते हैं –

  • निस्यंदन या छानना-रक्त में उपस्थित नाइट्रोजनी वर्ण्य; जैसे-यूरिया और यूरिक अम्ल। कोशिका गुच्छ द्वारा छाना जाता है जो नलिका के आकार में छनकर जमा हो जातेहै।
  • चयनित पुनः अवशोषण-प्रारंभिक निस्यंदन के पश्चात् कुछ पदार्थ; जैसे-ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण तथा प्रचुर मात्रा में जल, शेष रह जाते हैं। जैसे-जैसे ये पदार्थ मूत्र के साथ इस नलिका में प्रवाहित होते हैं, इन पदार्थों का चयनित पुनः अवशोषण होता है। जल की मात्रा आवश्यकतानुसार ही अवशोषित होती है। प्रत्येक वृक्क में बनने वाला मूत्र एक लंबी नलिका, मूत्रवाहिनी (Ureter) में प्रवेश करता है। जो वृक्क को मूत्राशय से जोड़ती है। मूत्राशय (Urinary Bladder) में मूत्र मूत्रवाहिनी द्वारा एकत्र होता है।

प्रश्न 3.
कारण दीजिए
(a) अलिंद की तुलना में निलय की पेशीय भित्तियाँ मोटी होती हैं।
(b) पौधों में परिवहन निकाय धीमा होता है।
(c) जलीय कशेरुकियों में रुधिर परिसंचरण स्थलीय कशेरुकियों में रुधिर परिसंचरण से भिन्न होता है।
(d) दिन में जाइलम में जल और खनिजों की गति रात्रि की तुलना में अधिक होती है।
(e) शिराओं में वाल्व होते हैं जबकि धमनियों में नहीं होते। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) अलिंद की तुलना में निलय की पेशीय भित्तियाँ मोटी होती हैं क्योंकि निलय संपूर्ण शरीर में रुधिर भेजता है, जबकि अलिंद विभिन्न अंगों से आए रक्त को ग्रहण करता है। के कारण अलिंद में रक्त दाब कम होता है।

(b) पौधों में परिवहन वाष्पोत्सर्जन पर निर्भर करता है और वाष्पोत्सर्जन क्रिया दिन में तेजी से होती है क्योंकि जब रंध्र खुले होते हैं तब वाष्पोत्सर्जन कर्षण, जाइलम में जल की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल होता है।

(c) स्थलीय कशेरुकियों में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है इसलिए इनमें दोहरा परिसंचरण होता है जबकि जलीय कशेरुकियों के हृदय में केवल दो चेंबर होते हैं और एक चक्र में एक बार ही रक्त हृदय में जाता है अर्थात् इकहरा परिसंचरण होता है क्योंकि इनमें उच्च ऊर्जा की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

(d) दिन में जाइलम में जल और खनिजों की गति रात्रि की तुलना में अधिक होती है क्योंकि दिन में रंध्र खुले होते हैं और वाष्पोत्सर्जन कर्षण, जाइलम में जल की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल होता है।

(e) शिराओं में वाल्व होते हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि, अलिंद में संकुचन के समय रक्त उल्टी दिशा में न प्रवाहित हो जाए।

प्रश्न 4.
(a) जलीय जीवों और स्थलीय जीवों की साँस लेने की दरों में अंतर क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
(b) मानव श्वसन-तंत्र का आरेख खींचिए और उस पर ग्रसनी, श्वासनली, फुफ्फुस, डायाफ्राम तथा कूपिका कोश का नामांकन कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) जलीय जीवों में श्वास दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रत गति से होती है। जलीय जीव श्वसन हेतु जल में विलेय ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा सीमित होती है। स्थलीय जीव वायु से लेते हैं, जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा काफी अधिक होती है। ऑक्सीजन प्राप्त करने हेतु जलीय जीव की तुलना में स्थलीय को लाभ होता है क्योंकि वह ऑक्सीजन वायु द्वारा घिरा होता है जिससे वह किसी भी मात्रा में ऑक्सीजन ग्रहण कर सकता है।

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प्रश्न 5.
रन्ध्र क्या हैं ? इनके खुलने तथा बन्द होने की क्रियाविधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रन्ध्र (Stomata)-रन्ध्र विशेष प्रकार के छिद्र हैं जो दो वृक्काकार रक्षक कोशिकाओं (guard cells) से घिरे होते हैं। रन्ध्र मुख्यतः पत्तियों पर तथा कुछ कोमल तनों पर भी उपस्थित होते हैं। रन्ध्रों से होकर जल वाष्प के रूप में उड़ता है। इस क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहते हैं। रन्ध्रों का खुलना तथा बन्द होना रक्षक कोशिकाओं की क्रियाशीलता पर निर्भर करता है। प्रत्येक रक्षी कोशिका की बाह्य भित्ति पतली तथा भीतरी भित्ति मोटी होती है।

रक्षक कोशिका में हरितलवक उपस्थित होते हैं। दिन के समय सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में रक्षक कोशिकाओं में ग्लूकोज का निर्माण होता है तथा CO2 की कमी से कोशिकाओं का pH बढ़ता है, फलस्वरूप कोशिका का परासरण दाब बढ़ जाता है। रक्षक कोशिकाओं में समीपवर्ती कोशिकाओं से जल प्रवेश करता है जिससे वे फूल जाती हैं। ऐसा होने से रक्षक कोशिका की भीतरी भित्ति में खिंचाव उत्पन्न होता है जिससे रन्ध्र खुल जाते हैं। रात्रि के समय रक्षक कोशिकाओं में ग्लूकोज का निर्माण बन्द हो जाता है तथा CO2, का स्तर बढ़ जाता है जिससे कोशिका की अम्लीयता बढ़ जाती है।
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‘कोशिका से जल समीपवर्ती कोशिकाओं में जाने लगता है जिससे वे पिचक जाती हैं और भीतरी भित्ति शिथिल हो जाती है और रन्ध्र बन्द हो जाते हैं। चूँकि रन्ध्र दिन में खुलते हैं अतः दिन के समय वाष्पोत्सर्जन क्रिया होती है।

प्रश्न 6.
मनुष्य की आहारनाल का सचित्र वर्णन कीजिए। (मा. शि. बोर्ड. राज. 2012)
उत्तर-
मनुष्य की आहारनाल (Elementary Canal in Human)-मनुष्य की आहार नाल 8 से 10 मीटर लम्बी होती है जो मुख से लेकर गुदा तक फैली होती है।
आहार नाल को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
1. मुख एवं मुखगुहा (Mouth and Buccal cavity)-मुख एक अनुप्रस्थ दरार के रूप में होता है जो दो माँसल होठों द्वारा घिरा होता है। यह अन्दर की ओर मुखगुहा में खुलता है। मुखगुहा के फर्श पर एक जिह्वा तथा दाएँबाएँ एवं सामने जबड़े उपस्थित होते हैं। जबड़ों में गर्तदन्ती, विषमंदन्ती तथा द्विवारदन्ती दाँत लगे होते हैं। मुखगुहा में लार ग्रन्थियों की नलिकाएँ खुलती हैं।

2. ग्रसनी (Pharynx)-मुखगुहा पीछे की ओर ग्रसनी में खुलती है। ग्रसनी मुखगुहा तथा ग्रासनली के बीच का छोटा-सा भाग होता है। यह घाटीद्वार (glottis) द्वारा श्वासनली में और ग्रसिका (gullet) द्वारा ग्रासनली में खुलता है।

3. ग्रासनली (Oesophagus)-यह पतली तथा लम्बी नलिका है। इसमें अनुलम्ब पेशीय वलय पाये जाते हैं। इसका पश्च भाग डायफ्राम को भेदकर उदर गुहा में प्रवेश करता है।

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4. आमाशय (Stomach)-इसे तीन भागों-कार्डियक, फण्डिक तथा पाइलोरिक आमाशय में बाँटा जाता है। ग्रासनली तथा आमाशय के जुड़ने के स्थान पर कार्डियक अवरोधनी वाल्व उपस्थित होता है।
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5. छोटी आँत (Small intestine)-यह आहार नाल का संकरा तथा लम्बा भाग होता है। इसकी लम्बाई लगभग 6.5 मीटर होती है। आहार नाल का U-आकार का भाग जो आमाशय तथा छोटी आंत के बीच स्थित होता है, ग्रहणी (duodenum) कहलाता है। जिस स्थान पर आमाशय ग्रहणी में खुलता है वहाँ पायलोरिक अवरोधनी वाल्व होता है।

6. बड़ी आँत (Large intestine)- यह आहार नाल का अन्तिम भाग है। वह स्थान जहाँ छोटी आँत, बड़ी आँत से जुड़ती है, वहाँ इलियोसीकल वाल्व पाया जाता है। बड़ी आँत के चार भाग होते हैं-आरोही कोलन, अनुप्रस्थ कोलन अवरोही कोलन तथा पेल्विक कोलन। बड़ी आँत का पश्च छोर मलाशय में खुलता है।

7. मलाशय (Rectum)-यह एक थैले के आकार की रचना है। इसका अन्तिम भाग गुदानाल कहलाता है जो गुदा (anus) द्वारा बाहर खुलता है। गुदानाल के अन्त में गुदा अवरोधनी पायी जाती है।

प्रश्न 7.
(a) रुधिर के किन्हीं अवयवों का उल्लेख कीजिए।
(b) शरीर में ऑक्सीजन-प्रचुर रुधिर के गमन का पथ लिखिए।
(c) अलिंद और निलय के बीच वाल्वों का कार्य लिखिए।
(d) धमनी और शिरा के संघटनों के बीच कोई एक संरचनात्मक अन्तर लिखिए।
अथवा
(a) उत्सर्जन की परिभाषा लिखिए।
(b) वृक्क में उपस्थित आधारी निस्यंदन एकक का नाम लिखिए।
(c) मानव के उत्सर्जन तंत्र का आरेख खींचिए और उस पर उत्सर्जन तंत्र के उस भाग का नामांकन कीजिए
(i) जो मूत्र तैयार करता है।
(ii) जो लम्बी नलिका है और वृक्क से मूत्र संचित करती है।
(iii) जिसमें मूत्र त्यागने तक मूत्र भण्डारित रहता है। (CBSE 2018)
उत्तर-
(a) रुधिर के दो अवयव लाल रक्त कोशिका और सफेद रक्त कोशिका है।
(b) शरीर में ऑक्सीजन प्रचुर रुधिर सबसे पहले बायें अलिंद में एकत्र होता है। फिर रक्त बायें अलिंद से बायें निलय में प्रवेश करता है। इस दौरान बायाँ अलिंद संकुचित हो जाता है तथा बायाँ निलय शिथिल हो जाता है। बायें निलय की भित्ति मोटी होती है। जब यह संकुचित होता है तो ऑक्सीजनित रुधिर धमनियों द्वारा शरीर के सम्पूर्ण अंग तंत्रों तक पहुँच जाता है।
“बायाँ अलिंद → बायाँ निलय → महाधमनी → धमनियाँ अंग तंत्र।

(c) अलिंद और निलय के बीच वाल्व रक्त के वापस प्रवाह को रोकता है।
(d) धमनियों की भित्ति मोटी, मजबूत व लचीली होती है, क्योंकि हृदय रुधिर को अधिक दाब से प्रवाहित करता है जिससे धमनियों पर दबाव पड़ता है। शिराओं की भित्ति पतली होती है।
अथवा
(a) शरीर से हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों के निष्कासन के प्रक्रम को उत्सर्जन कहते हैं।
(b) वृक्क में आधारी निस्यंदन एकक का नाम नेफ्रॉन
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 12
(i) वृक्क
(ii) मूत्रवाहिनी
(iii) मूत्राशय।

प्रश्न 8.
मनुष्य के आमाशय में भोजन का पाचन किस प्रकार होता है ? (मा. शि. बो. राज., 2015)
उत्तर-
आमाशय में भोजन का पाचन-आमाशय में भोजन पहुँचने पर इसकी क्रमाकुंचन गति से भोजन की लुग्दी (chyme) बन जाती है। आमाशय की दीवारों में उपस्थित जठर ग्रन्थियाँ जठर रस (gastric juice) का स्रावण करती हैं। जठर रस में 97-99% जल, 0.2% श्लेष्म, 0.5% HCl तथा पेप्सिन, जठर लाइपेज एवं रेनिन एन्जाइम होते हैं। वयस्क मनुष्य में रेनिन का अभाव होता है। HCl की उपस्थिति के कारण जठर रस अम्लीय प्रकृति (ph लगभग 2-3.5) का होता है।

हाइड्रोक्लोरिक अम्ल निष्क्रिय पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है तथा भोजन के साथ आये जीवाणु एवं सूक्ष्म जीवों को मारता है। यह भोजन को सड़ने से रोकता है तथा भोजन के कड़े भागों को घोलता है।
1. पेप्सिन एन्जाइम प्रोटीन को प्रोटिओजेज तथा पेप्टोन्स में बदल देता है।
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2. जठर लाइपेज वसाओं का आंशिक पाचन करता है।
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3. रेनिन एन्जाइम प्रोरेनिन के रूप में स्रावित होता है। यह HCl के प्रभाव से सक्रिय रेनिन में बदल जाता है। रेनिन दूध की कैसीन प्रोटीन को अघुलनशील कैल्सियम पैरा-कैसीनेट में बदलता है। आमाशय में भोजन 3-4 घण्टे तक रुकता है। जठर निर्गमी अवरोधनी द्वारा अधपचा भोजन धीरे-धीरे ग्रहणी में धकेला जाता है।

प्रश्न 9.
मनुष्य की छोटी आँत्र में भोजन का पाचन किस प्रकार होता है? (मा. शि. बोर्ड. राज., 2012)
अथवा
मनुष्य की आहार नाल में प्रोटीन, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट का पाचन किस प्रकार होता है?
उत्तर-
छोटी आँत्र में भोजन का पाचन- भोजन का पाचन मुख्यतः छोटी आँत्र के ग्रहणी भाग में होता है। ग्रहणी में पित्त रस तथा अग्न्याशयी रस भोजन में मिल जाते हैं। छोटी आँत्र में स्थित लिबरकुहन की दरारों से आन्त्रीय रस का स्रावण होता है।

पित्त रस वसा का इमल्सीकरण करता है। यह (लुग्दी) काइम की अम्लता को समाप्त करके इसे क्षारीय बनाता है तथा आँत्र की क्रमाकुंचन गति को बढ़ाता है। पित्त लवण कोलेस्ट्रॉल को घुलनशील बनाए रखता है। अग्न्याशयी रस का pH 7.5-8.3 होता है, जिसमें 96% जल तथा शेष पाचक एन्जाइम तथा लवण होते हैं।

इसमें निम्नलिखित एन्जाइम होते हैं-

I. प्रोटीन पाचक एन्जाइम निम्न हैं-

1. ट्रिप्सिन-इसका स्रावण निष्क्रिय ट्रिप्सिनोजन के – रूप में होता है। यह आन्त्रीय एन्टेरोकाइनेज की उपस्थिति में सक्रिय ट्रिप्सिन में बदल जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 16
2. काइमोट्रिप्सिन-यह निष्क्रिय काइमोट्रिप्सिन के रूप में स्रावित होता है और पेप्सिन के प्रभाव से सक्रिय काइमोट्रिप्सिन में बदल जाता है।
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II. कार्बोहाइड्रेट पाचक एन्जाइम-अग्न्याशयी रस में अग्न्याशयी एमिलेस एन्जाइम पॉली सैकेराइड को डाइ सैकेराइड में बदलता है।
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III. वसा पाचक एन्जाइम-अग्न्याशयी लाइपेज या स्टिऐप्सिन इमल्सीकृत वसा का पाचन करता है।
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IV. न्यूक्लिएजेज-ये न्यूक्लिक अम्लों का पाचन करते-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 20
आन्त्रीय रस का pH 7.5-8.3 तक होता है और यह क्षुद्रान्त्र की ग्रन्थियों से स्रावित होता है। इसमें निम्न एन्जाइम होते हैं
(I) प्रोटीन पाचक एन्जाइम-इन्हें सामूहिक रूप से इरैप्सिन कहते हैं। ये पॉली-पेप्टाइड्स को अमीनो अम्लों में तोड़ते हैं।
(II) कार्बोहाइड्रेट पाचक एन्जाइम निम्न हैं1. माल्टेज-यह माल्टोज शर्करा को ग्लूकोज में तोड़ता है।
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2. लैक्टेज-यह लैक्टोज शर्करा को ग्लूकोज तथा गैलेक्टोज. में तोड़ता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 22
3. सुक्रेज-यह सुक्रोज को ग्लूकोज तथा फ्रक्टोज में तोड़ता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 23
III. वसा पाचक एन्जाइम-अवशेष वसा का पाचन आन्त्रीय लाइपेज करता है।
IV. न्यूक्लिओटाइड्स का पाचन-न्यूक्लिओटाइडेज न्यूक्लिओटाइड्स को न्यूक्लिओसाइड्स तथा फॉस्फेट में तोड़ता है तथा न्यूक्लिओसाइडेज न्यूक्लिओसाइड्स को नाइट्रोजनी क्षारकों तथा शर्करा में तोड़ते हैं।

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प्रश्न 10.
मनुष्य में पायी जाने वाली पाचक ग्रन्थियों तथा उससे प्रभावित हॉर्मोन्स के नाम तथा प्रत्येक का कार्य लिखिए।
उत्तर-
मनुष्य के पाचन तन्त्र में निम्नलिखित पाचक ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं –

  1. लार ग्रन्थि-इसका स्राव मुख गुहा में खुलता है। इसमें टायलिन एन्जाइम पाया जाता है। टायलिन भोजन में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज शर्करा में परिवर्तित करता है।
  2. यकृत एवं पित्ताशय-यकृत में स्थित पित्ताशय से पित्त रस स्रावित होता है। यद्यपि इसमें कोई एन्जाइम नहीं होता है परन्तु फिर भी यह पाचन क्रिया को सुगम बनाता है।
  3. जठर ग्रन्थि-ये आमाशय की दीवार में स्थित होती है और जठर रस का स्रावण करती है। इसमें पेप्सिन, जठर लाइपेज तथा रेनिन एन्जाइम होते हैं। पेप्सिन प्रोटीन का, जठर लाइपेज वसा का तथा रेनिन, कैसीन प्रोटीन का पाचन करते हैं।
  4. अग्न्याशय-इससे ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन, एमिलेस, लाइपेज तथा न्यूक्लिएज एन्जाइम स्रावित होते हैं।
  • ट्रिप्सिन प्रोटीन का पाचन करता है।
  • काइमोट्रिप्सिन प्रोटीन्स को पेप्टोन्स तथा पॉली पेप्टाइड में तोड़ता है।
  • एमिलेस स्टार्च को माल्टोज में परिवर्तित करता
  • लाइपेज इमल्सीकृत वसा को वसीय अम्लों तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित करता है।
  • न्यूक्लिएज RNA तथा DNA को इनके घटक अणुओं में तोड़ते हैं।

प्रश्न 11.
मनुष्य के श्वसन तन्त्र का सचित्र वर्णन कीजिए। (RBSE 2016)
उत्तर-
मनुष्य का श्वसन तन्त्र-मनुष्य में श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। मनुष्य के श्वसन को फुफ्फुसीय श्वसन (pulmonary respiration) कहते हैं। मनुष्य के श्वसन तन्त्र को दो भागों में बाँटा जा सकता है
1. श्वसन मार्ग
2. फेफड़े।

1. श्वसन मार्ग-श्वसन मार्ग से होकर वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है तथा बाहर जाती है। साँस लेने तथा निकालने की क्रिया श्वासोच्छ्वास (breathing) कहलाती है। वायु मार्ग के निम्नलिखित भाग हैं-

  • नासा मार्ग-एक जोड़ी बाह्य नासाद्वार नासिका के अग्र छोर पर स्थित होते हैं। नासाद्वार से ग्रसनी तक के पथ को नासा मार्ग कहते हैं। यह नासा पट द्वारा दो भागों में बँटा होता है।
  • ग्रसनी-इस भाग में नासा मार्ग तथा मुख ग्रहिका दोनों खुलते हैं। ग्रसनी का नासाग्रसनी कण्ठ द्वार द्वारा वायुनाल में खुलता है।
  • स्वर यन्त्र-यह श्वासनाल का सबसे ऊपरी भाग है। स्वर यन्त्र में वाक् रज्जु उपस्थित होते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 24

 

  • ट्रेकिया-वायुनाल ग्रीवा से होकर वक्ष गुहा में प्रवेश करती है। वायुनाल की भित्ति में उपास्थि के बने C आकार के छल्ले होते हैं जो इसे पिचकने से रोकते हैं।
  • श्वसनी-वक्षगुहा में प्रवेश करने के पश्चात् वायुनाल दो श्वसनियों में विभाजित हो जाती है। प्रत्येक श्वसनी अपनी ओर के फेफड़ों में प्रवेश करती है।

2. फेफड़े (Lungs)-वक्षगुहा में दो फेफड़े हृदय के पार्यों में स्थित होते हैं। प्रत्येक फेफड़ा गुलाबी, कोमल एवं स्पंजी रचना है। प्रत्येक फेफड़ा प्लूरल कला से घिरा होता है। – फेफड़ों में महीन नलिकाओं का जाल फैला रहता है। इस जाल को श्वसनी वृक्ष कहते हैं। श्वसनी की छोटी शाखाओं को श्वसनिका कहते हैं। ये श्वसनिकाएँ पुनः विभाजित होकर द्वितीयक एवं तृतीयक श्वसनिकाएँ बनाती हैं। अन्ततः ये वायु कूपिकाओं में खुलती हैं। वायु कूपिकाएँ गैस-विनिमय के लिए सतह धरातल उपलब्ध कराती हैं।

प्रश्न 12.
मनुष्य के हृदय की संरचना तथा इसकी क्रिया-विधि का वर्णन कीजिए। (नमूना प्रश्न-पत्र 2012) (RBSE 2015, 17)
उत्तर-
मनुष्य का हृदय वक्ष गुहा में बाईं ओर स्थित होता है। इसका आकार बन्द मुटठी के बराबर होता है। मनुष्य के हृदय के चार भाग होते हैं-दो अलिंद तथा दो निलय। इन्हें दायाँ अलिंद, बायाँ अलिंद, दायाँ निलय तथा बायाँ निलय में विभेदित कर सकते हैं। अलिंद ऊपर की ओर तथा निलय नीचे की ओर होता है। दायाँ अलिंद दाएँ निलय में तथा बायाँ अलिंद बाएँ निलय में खुलता है। बाएँ अलिंद तथा बाएँ निलय के बीच द्विवलनी कपाट तथा दाएँ अलिंद तथा दाएँ निलय के बीच त्रिवलनी कपाट होता है। बाएँ निलय का सम्बन्ध अर्द्धचन्द्राकार वाल्व द्वारा महाधमनी से तथा दाएँ निलय का सम्बन्ध अर्द्धचन्द्राकार वाल्व द्वारा फुफ्फुसीय महाधमनी से होता है। दाएँ अलिंद से महाशिरा आकर मिलती है तथा बाएँ अलिंद से फुफ्फुस शिरा आकर मिलती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 25
हृदय की क्रियाविधि-हृदय के अलिंद तथा निलय में संकुचन (systole) एवं शिथिलन (diastole) क्रियाएँ होती हैं। ये क्रियाएँ एक लयबद्ध तरीके से होती हैं। हृदय की एक धड़कन के साथ एक हृदय चक्र (Cardiac cycle) पूर्ण होता है।

एक चक्र पूर्ण होने में निम्न अवस्थाएँ होती-

  1. शिथिलन-इस अवस्था में दोनों अलिंद शिथिल अवस्था में रहते हैं जिससे दोनों अलिंदों में रुधिर एकत्र होता है।
  2. अलिंद संकुचन-इस अवस्था में अलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं और रुधिर निलयों में चला जाता है। दायाँ अलिंद सदैव बाएँ अलिंद से कुछ पहले संकुचित होता है।
  3. निलय संकुचन-निलयों के संकुचन के समय अलिंद-निलय कपाट बन्द हो जाते हैं एवं महाधमनियों के अर्द्धचन्द्राकार कपाट खुल जाते हैं जिससे रुधिर महाधमनियों में चला जाता है।
  4. निलय शिथिलन-संकुचन के पश्चात् निलयों में शिथिलन होता है। और अर्द्ध चन्द्राकार कपाट बन्द हो जाते हैं तथा अलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं। इससे रुधिर पुनः अलिंद से निलयों में आ जाता है

प्रश्न 13.
रक्त दाब (Blood Pressure) किसे कहते हैं ? इसे मापने के लिए किस यन्त्र का उपयोग किया जाता है तथा इसे किस प्रकार मापते हैं?
उत्तर-
रक्त दाब (Blood Pressure)-रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब उत्पन्न होता है उसे रक्त दाब कहते हैं। यह दाब शिराओं की अपेक्षा धमनियों में बहुत. अधिक होता है। धमनी के अन्दर रुधिर का दाब निलयप्रकंचन (Systole) के दौरान प्रकंचन दाब तथा निलय अनुशिथिलन (diastole) के दौरान धमनी के अन्दर का दाब अनुशिथिलन दाब कहलाता है। सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120 mm (पारे के) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 mm (पारे के) होता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 26
जाती है रुधिर दाब का मापन रुधिर दाबमापी (Sphygmomanometes) – द्वारा किया जाता है। उच्च रुधिर दाब को अति तनाव भी कहते हैं और इसका कारण धमनिकाओं का सिकुड़ना है। इससे रुधिर प्रवाह में प्रतिरोध बढ़ जाता है। इससे धमनी फट सकती है तथा आन्तरिक रक्तस्त्रवण हो सकता है।

प्रश्न 14.
मनुष्य के उत्सर्जी तन्त्र का सचित्र वर्णन कीजिए। (Rbse 2017)
उत्तर-
मनुष्य के नुख्या उत्सर्जी अंग वृक्क (Kidney)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 27
हैं। वृक्क संख्या में दो होते हैं जो रीढ़ की हड्डी के इधर-उधर देहगुहा में स्थित होते हैं। प्रत्येक वृक्क सेम के बीज के आकार का तथा भूरे रंग की संरचना है। प्रत्येक वृक्क लगभग 10 सेमी लम्बा, 6 सेमी चौड़ा तथा 2.5 सेमी मोटा होता है। दायाँ वृक्क बाएँ की अपेक्षा कुछ नीचे स्थित होता है। सामान्यतः एक वयस्क पुरुष के वृक्क का भार 125-170 ग्राम होता है, परन्तु स्त्री के वृक्क का भार 115-155 ग्राम होता है। वृक्क का बाहरी किनारा उभरा हुआ होता है किन्तु भीतरी किनारा फँसा हुआ होता है जिससे मूत्र नलिका निकली होती है। इस स्थान को हाइलस कहते हैं। मूत्र नलिका एक पेशीय थैलेनुमा मूत्राशय में खुलती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
(i) ATP
(ii) परासरण नियमन
(iii) होमियोस्टैसिस।
उत्तर-
(i) ATP- अधिकांश कोशिकीय प्रक्रमों के लिए ए.टी.पी. (Adenosine Triphosphate) ऊर्जा मुद्रा है। श्वसन क्रिया में विमोचित ऊर्जा का उपयोग ADP तथा अकार्बनिक फॉस्फेट से ATP अणु बनाने में किया जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 28
इन ATP का प्रयोग शरीर की विभिन्न क्रियाओं के संचालन में किया जाता है। ATP के एक उच्च ऊर्जा बन्ध के खण्डित होने से 30.5 kJ/mol के तुल्य ऊर्जा मुक्त होती है।

(ii) परासरण नियमन (Osmoregulation)- प्रत्येक प्राणी का उसके पयावरण के साथ जल एवं लवणों का एक निकट का सम्बन्ध रहता है। शरीर के अन्दर जल एवं लवणों का एक अनुकुलतम सान्द्रण बनाए रखना अत्यन्त आवश्यक है। इसे परासरण नियमन कहते हैं। मानव शरीर में वृक्क परासरण नियमन का कार्य करता है। अमीबा में कुंचनशील रिक्तिका यह कार्य करती है।

(iii) होमियोस्टैसिस (Homeostasis)-वृक्क शरीर में उत्सर्जी पदार्थों के उत्सर्जन के अतिरिक्त शरीर में जल, अम्ल, क्षार तथा लवणों का सन्तुलन बनाये रखने में भी सहायक होते हैं। वृक्क शरीर में जल की अतिरिक्त मात्रा को मूत्र द्वारा बाहर निकालते हैं। अमोनिया रुधिर में H की अधिकता को कम करके रुधिर में अम्ल-क्षार सन्तुलन बनाने में सहायक है। अतः शरीर में जल, ताप, लवणों एवं अन्य क्रियाओं की समानता बने रहने को होमियोस्टैसिस कहते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. पौधों में प्रकाश-संश्लेषण क्रिया सम्पन्न होती है-
(a) माइटोकॉण्ड्रिया में
(b) हरितलवक में
(c) केन्द्रक में
(d) जड़ में।
उत्तर-
(b) हरितलवक में।

2. निम्नलिखित में से स्वपोषी है –
(a) मनुष्य
(b) फफूंद
(c) हरा शैवाल
(d) अमरबेल।
उत्तर-
(c) हरा शैवाल।

3. लार में उपस्थित एन्जाइम है-.
(a) लाइपेज
(b) टायलिन
(c) पेप्सिन
(d) रेनिन।
उत्तर-
(b) टायलिन।

4. वायवीय श्वसन में ग्लूकोज के विखण्डन से उत्पन्न ATP की संख्या होती है –
(a) 2
(b) 8
(c) 16
(d) 38.
उत्तर-
(d) 38.

5. कोशिका की ऊर्जा मुद्रा है
(a) ATP
(b) RNA
(c) DNA
(d) ADP.
उत्तर-
(a) ATP.

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

6. मनुष्य में सामान्य प्रकुचन रुधिर दाब तथा अनुशिथिलन रुधिर दाब क्रमशः होता है –
(a) 100 एवं 60
(b) 120 एवं 80
(c) 140 एवं 100
(d) 160 एवं 120.
उत्तर-
(b) 120 एवं 80.

7. मनुष्य द्वारा निश्वसन में फेफड़ों द्वारा खींची गयी वायु में ऑक्सीजन का प्रतिशत होता है –
(a) 16%
(b) 21%
(c) 0.03%
(d) 78%
उत्तर-
(b)21%.

8. मनुष्य के रुधिर में पाया जाने वाला श्वसन वर्णक है-
(a) हीमोसायनिन
(b) क्लोरोफिल
(c) हीमोग्लोबिन
(d) जैन्थोफिल।
उत्तर-
(c) हीमोग्लोबिन।

9. उत्सर्जन की क्रिया में भाग लेने वाली वृक्क की इकाई
(a) केशिका
(b) रुधिराणु
(c) कूपिका
(d) वृक्काणु।
उत्तर-
(d) वृक्काणु।

10. प्रकाश-संश्लेषण में पौधे द्वारा निकाली गयी O2 आती
(a) CO2 से
(b) जल से
(c) ग्लूकोज से
(d) ATP से।
उत्तर-
(b) जल से।

11. रुधिर से मूत्र का पृथक्करण होता है
(a) यकृत में
(b) वृक्क में
(c) आमाशय में
(d) मूत्राशय में।
उत्तर-
(b) वृक्क में।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. सप्राण या जीवित वस्तुओं को ……………………………… कहते हैं।
उत्तर-
सजीव,

2. मनुष्य के शरीर में परिवहनं मुख्यतः ……………………………… द्वारा होता है।
उत्तर-
रूधिर,

3. शरीर में विभिन्न पदार्थों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचरण ……………………………… कहलाता है।
उत्तर-
परिवहन,

4. पौधों के हरे भागों से जल का जलवाष्प के रूप में उड़ना ……………………………… कहलाता है।
उत्तर-
वाष्पोत्सर्जन,

5. मानव पाचन तंत्र ……………………………… तथा उससे सम्बन्ध ……………………………… का बना होता है।
उत्तर-
आहारनाल, ग्रंथियाँ।

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समेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)

निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए
(a)

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. घास(i) मृतोपजीवी
2. हिरण(ii) उत्पादक (स्वपोषी)
3. अमर बेल(iii) मांसाहारी
4. बाघ(iv) शाकाहारी
5. कवक(v) परजीवी
6. मनुष्य(vi) सर्वाहारी

उत्तर-

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. घास(ii) उत्पादक (स्वपोषी)
2. हिरण(iv) शाकाहारी
3. अमर बेल(v) परजीवी
4. बाघ(iv) शाकाहारी (iii) मांसाहारी
5. कवक(i) मृतोपजीवी
6. मनुष्य(vi) सर्वाहारी

(b)

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. पर्णहरित(i) ऊर्जा ग्रह
2. हीमोग्लोबिन(ii) ऊर्जा मृदा
3. एन्जाइम(iii) जैविक उत्प्रेरक
4. ए.टी.पी(iv) श्वसन वर्णक
5. माइटोकॉन्ड्रिया(v) प्रकाश संश्लेषी वर्णक
6. रुधिर(vi) तरल ऊतक

उत्तर-

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. पर्णहरित(v) प्रकाश संश्लेषी वर्णक
2. हीमोग्लोबिन(iv) श्वसन वर्णक
3. एन्जाइम(iii) जैविक उत्प्रेरक
4. ए.टी.पी(ii) ऊर्जा मृदा
5. माइटोकॉन्ड्रिया(i) ऊर्जा ग्रह
6. रुधिर(vi) तरल ऊतक

(c)

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. जाइलम(i) मनुष्य
2. फ्लोएम(ii) ऊतक द्रव्य
3. दोहरा परिसचरण(iii) खाद्य पदार्थ
4. एकल परिसंचरण(iv) जल व लवण
5. लसीका तंत्र(v) मछली
6. कूपिका(vi) श्व सन सतह

उत्तर-

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. जाइलम(iv) जल व लवण
2. फ्लोएम(iii) खाद्य पदार्थ
3. दोहरा परिसचरण(i) मनुष्य
4. एकल परिसंचरण(v) मछली
5. लसीका तंत्र(ii) ऊतक द्रव्य
6. कूपिका(vi) श्व सन सतह

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तत्वों का वर्गीकरण किस आधार पर किया गया है?
उत्तर-
तत्वों के गुणों के आधार पर।

प्रश्न 2.
डॉबेराइनर ने तत्वों का वर्गीकरण कब किया था?
उत्तर-
सन् 1817 में।

प्रश्न 3.
डॉबेराइनर के त्रिक की क्या विशेषता है?
उत्तर-
इसकी विशेषता यह है कि त्रिक के मध्य तत्व का परमाणु भार अन्य दो तत्वों के परमाणु भार का लगभग माध्य है।

प्रश्न 4.
अष्टक नियम की परिभाषा क्या है? (RBSE 2016)
उत्तर-
जब तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भार के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं।

प्रश्न 5.
न्यूलैंड्स कितने द्रव्यमान तक के तत्वों का वर्गीकरण कर पाया? .
उत्तर-
परमाणु द्रव्यमान 40 तक।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 6.
मेन्डेलीफ का आवर्त नियम लिखिए।
उत्तर-
तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं।

प्रश्न 7.
लघु एवं दीर्घ आवर्त किसे कहते हैं? .
उत्तर-
पहले तीन आवर्तों को तत्वों की संख्या कम होने के कारण लघ आवर्त कहते हैं तथा तत्वों की अधिकता के कारण चौथे से सातवें तक के आवर्तों को दीर्घ आवर्त कहते हैं।

प्रश्न 8.
निष्क्रिय तत्व क्या हैं?
उत्तर-
निष्क्रिय तत्व वे होते हैं जो अन्य तत्वों से संयोजित होने के लिए सक्रिय नहीं होते। ऐसे तत्व के सबसे बाहरी कोश में 8 इलेक्ट्रॉन विद्यमान होते हैं।

प्रश्न 9.
समूहों के गुण लिखिए।
उत्तर-

  • परमाणु का निश्चित संख्या अन्तराल,
  • इलेक्ट्रॉनों की संरचना,
  • संयोजकता,
  • परमाणु भार,
  • धात्वीय प्रकृति,
  • रासायनिक गुण।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी का आधुनिक रूप क्या है?
उत्तर-
बोहर ने ज्ञात तत्वों को परमाणु क्रमांक के बढ़ते — क्रम में रखकर एक सारणी बनाई जिसे आवर्त सारणी का दीर्घ रूप या आधुनिक रूप कहते हैं।

प्रश्न 11.
दीर्घ आवर्त सारणी का आधार क्या है?
उत्तर-
परमाणु संख्या और इलेक्ट्रॉन का वितरण।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 12.
निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के किस समूह में हैं?
उत्तर-
सभी निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के शून्य समूह में हैं।

प्रश्न 13.
दीर्घ आवर्त सारणी में क्या दोष हैं?
उत्तर-
इसमें हाइड्रोजन की स्थिति निश्चित नहीं है तथा यह परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों का वितरण नियमित नहीं दिखाती।

प्रश्न 14.
परमाणु का आकार कम कब होता है?
उत्तर-
जब नाभिक में बढ़ा धन आवेश इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर आकृष्ट करता है तब परमाणु के आकार में कमी आती है।

प्रश्न 15.
वैद्युत ऋणात्मकता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
किसी परमाणु के द्वारा इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति उसकी वैद्युत ऋणात्मकता कहलाती है।

प्रश्न 16.
Ei, Be, B, Na को बढ़ती आयनन ऊर्जा के क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर-
Na <Li<B

प्रश्न 17.
(i) समस्थानिक किसे कहते हैं?
(ii) आधुनिक आवर्त नियम लिखिए।
(iii) दो उत्कृष्ट गैसों के नाम लिखिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
(i) वो तत्व जिनमें प्रोटॉन की संख्या समान परन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं।
(ii) तत्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्त फलन होते हैं।
(iii) आर्गन व क्रिप्टॉन।

प्रश्न 18.
Lit, Nat, K+ में किसकी आयनिक त्रिज्या सबसे कम है?.
उत्तर-
Lit.

प्रश्न 19.
वैद्युत ऋणात्मकता किस अवस्था में सारणी में घटती है?
उत्तर-
समूह में ऊपर से नीचे जाने पर।

प्रश्न 20.
आयनन ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
किसी तत्व के उदासीन गैसीय परमाणु की तटस्थ अवस्था से उसकी बाह्यतम कक्षा से इलेक्ट्रॉन अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को उस तत्व की आयनन ऊर्जा कहते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 21.
आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्त एवं समूहों की संख्या लिखिए। [राज. 2015]
उत्तर-
आवर्त – सात ।
समूह – अठारह

प्रश्न 22.
मेन्ड्रेलीफ की आवर्त सारणी में समूहों तथा आवतों की संख्या लिखिए।
उत्तर-
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में नौ समूह तथा सात आवर्त हैं।

प्रश्न 23.
उन तत्वों को बताइए जिनकी खोज मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी बनने के बाद हुई।
उत्तर-
स्कैण्डियम (Sc), गैलियम (Ga) तथा जर्मेनियम (Ge) आदि ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें आवर्त सारणी बनने के बाद खोजा गया था।

प्रश्न 24.
उपधातु.क्या होती है?
उत्तर-
वे तत्व जो धातुओं तथा अधातुओं दोनों के अभिलाक्षणिक गुण प्रदर्शित करते हैं, उपधातु कहलाते हैं।

प्रश्न 25.
किसी आवर्त में बाईं से दाईं ओर चलने पर परमाणु आकार किस प्रकार बदलता है?
उत्तर-
किसी आवर्त में बाईं ओर से दाईं ओर चलने पर परमाणु आकार घटता जाता है परन्तु आवर्त के अन्तिम तत्व का परमाणु आकार अपने से पहले तत्व से अधिक होता है।

प्रश्न 26.
शून्य समूह के तत्वों के नाम लिखिए।
उत्तर-
उक्ता हीलियम (He), नीऑन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टॉन (Kr), जीनॉन (Xe), रेडॉन (Rn)।

प्रश्न 27.
न्यूलैंड्स अष्टक नियम के क्या दोष थे?
उत्तर-
यह नियम केवल Ca जिसका परमाणु द्रव्यमान 40 है तक ही सीमित रहा। इसके बाद के भारी तत्व इस नियम से वर्गीकृत नहीं किये जा सके।

प्रश्न 28.
किसी आवर्त और समूह में तत्वों के धात्विक गुण किस प्रकार बदलते हैं?
उत्तर-
आवर्त में बाएं से दाएँ जाने पर धात्विक गुण घटता है तथा वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक गुण बढ़ता है।

प्रश्न 29.
किसी समूह में सबसे नीचे पाये जाने वाले तत्व में कौन-सा गुण अधिक होता है?
उतर-
धात्विकता का गुण।

प्रश्न 30.
संशोधित आवर्त सारणी में किन-किन आवों में उपसमूह नहीं हैं?
उतर-
तेर संशोधित आवर्त सारणी के प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा सप्तम आवर्तों में उपसमूह नहीं होते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 31.
निम्नलिखित के नाम बताइए-
(i) आवर्त सारणी के तीसरे वर्ग में स्थित कोई धातु,
(ii) हैलोजेन परिवार में स्थित कोई दो अधातु,
(ii) सर्वाधिक सक्रिय हैलोजेन।
उत्तर-
(i) ऐलुमिनियम,
(ii) क्लोरीन तथा ब्रोमीन,
(iii) फ्लु ओरीन।

प्रश्न 32.
आवर्त सारणी में किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर निम्नलिखित में क्या परिवर्तन होता है?
(1) परमाणु आकार,
(ii) धात्विक गुण,
(iii) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या। [राज. 2015]
उत्तर-
(i) परमाणु आकार – घटता है।
(ii) धात्विक गुण – घटता है।
(iii) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या – बढ़ती है।

प्रश्न 33.
आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में कौन-कौन से तत्वों को रखा गया है?
उत्तर-
आवर्त सारणी के तल में परमाणु संख्या 58 से 71 तक लैन्थेनॉइड तथा 90 से 103 तक ऐक्टिनॉइड के तत्वों को दो श्रेणियों में रखा गया है।

प्रश्न 34.
तीन तत्वों A,B,C में से A और C के परमाणु भार 35.5 तथा 127 हैं। डॉबेराइनर के त्रिक के आधार पर B का परमाणु भार ज्ञात करो।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 1

प्रश्न 35.
निम्नलिखित को बढ़ती आयमिक त्रिज्या के क्रम में व्यवस्थित कीजिए-. ..’,
Al3+,Mg2+,Na+,O2-,F
उत्तर-
Al3+ < Mg2+<Na+,F <O2-

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तत्वों के आवर्त वर्गीकरण के लिए परमाणु द्रव्यमान संख्या की अपेक्षा परमाणु सँख्यो को अच्छा आधार क्यों माना गया है?
उत्तर-
किसी तत्व का परमाणु द्रव्यमान नाभिक के कारण है। नाभिक तत्व के केन्द्र में स्थित है तथा इसमें प्रोटॉन व न्यूट्रॉन स्थित होते हैं। वास्तव में तत्वों के गुण इलेक्ट्रॉनिक वितरण से सम्बन्धित हैं, जैसे-जैसे परमाणु संख्या बदलती है वैसे-वैसे इलेक्ट्रॉनिक वितरण भी परिवर्तित होता जाता है। इस कारण से परमाणु संख्या तत्वों के वर्गीकरण का अच्छा आधार है।

प्रश्न 2.
आवर्तिता से क्या तात्पर्य है? क्या किसी एक समूह के तत्वों के गुणधर्म समान होते हैं? इस कथन की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
आवर्तिता -किसी निश्चित समय के बाद तत्वों के गुणों की पुनरावृत्ति, आवर्तिता कहलाती है। आवर्त सारणी में तत्वों के गुणों में प्रदर्शित समता-विषमता का अध्ययनं करना आवर्ती गुण के नाम से जाना जाता है। गुण इलेक्ट्रॉन पर निर्भर करते हैं जो नाभिक के चारों ओर लगातार गति करते हैं। बाह्यतम कक्ष में समान इलेक्ट्रॉन संख्या वाले तत्व समान गुण प्रकट करते हैं। किसी भी वर्ग के सभी तत्वों के गुण समान होते हैं, जैसे-लीथियम और सोडियम के सबसे बाहरी कक्ष में एक-एक इलेक्ट्रॉन है, इसलिए इनके गुण समान हैं।

प्रश्न 3.
संक्रमण तत्व किन्हें कहते हैं? इनकी विभिन्न. श्रेणियाँ बताइए।
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी के s ब्लॉक तथा p-ब्लॉक के मध्य के तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं। इन तत्वों में परमाणु क्रमांक वृद्धि के साथ-साथ इलेक्ट्रॉन भरे जाने का क्रम, बाह्यतम कक्ष से पहली कक्ष के d-उपक्ष से सम्बन्धित होता है। इसलिए इन्हें d- ब्लॉक तत्व कहते हैं। इसमें III-B, IV-B (4), V-B (5),VI-B (6), VII-B (7), VIII (8, 9, 10) तथा II-B आदि दस ऊर्ध्वाधर श्रेणियाँ हैं।

प्रश्न 4.
मेन्डेलीफका आवर्त नियम क्या है? मेन्डेलीफ आवर्त सारणी की दो विशेषताएँ लिखिए। .
उत्तर-
मेन्डेलीफ का आवर्त नियम-इस नियम के अनुसार, “तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते हैं।”
मेन्डेलीफ आवर्त सारणी की दो विशेषताएँ-

  • प्रत्येक आवर्त में तत्व अपने बढ़ते परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित हैं।
  • एक ही समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान होते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 5.
निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए
(i) लैन्थेनॉइड्स
(ii) ऐक्टिनॉइड्स।
उत्तर-
(i) लैन्थेनॉइड्स-परमाणु क्रमांक 58 से 71 वाले तत्वों (Ce से Lu) के गुण समान होते हैं। परमाणु क्रमांक 57 वाले तत्व लैन्थेनम (La) के बाद आते हैं, अतः इन्हें लैन्थेनॉइड्स कहा जाता है।
(ii) ऐक्टिनॉइड्स-परमाणु क्रमांक 90 से 103 वाले तत्वों (Th से Lr) के गुण समान होते हैं। ये परमाणु क्रमांक 89 वाले तत्व ऐक्टिनियम (Ac) के बाद आते हैं, अतः इन्हें ऐक्टिनॉइड्स कहा जाता है।

प्रश्न 6.
नये तत्वों की खोज में मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी की क्या उपयोगिता है?
उत्तर-
मेन्डेलीफ ने अपनी मूल आवर्त सारणी में नये तत्वों के लिये कई खाली स्थान छोड़ दिये थे तथा इन तत्वों के गुणों के बारे में जानकारी भी दी थी। इस सारणी के ज्ञान से ही नये तत्वों को खोजने में काफी सहायता मिली। इन तत्वों की खोज के बाद पाये गये इन तत्वों के गुण मेन्डेलीफ के द्वारा बताये गये गुणों के समान ही थे। उदाहरण- स्कैण्डियम (Sc), गैलियम (Ga), जर्मेनियम (Ge), आदि की खोज काफी समय बाद हुई थी।

प्रश्न 7.
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण लिखिए।
उत्तर-
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

  1. प्रत्येक आवर्त में तत्व अपने परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित हैं।
  2. एक ही समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान होते
  3. प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर तत्वों की ऋण विद्युत संयोजकता कम होती है जबकि धन विद्युत संयोजकता बढ़ती जाती है।
  4. तत्वों का परमाणु भार उसका मौलिक गुण होता है।
  5. आवर्त सारणी में रिक्त स्थानों के तत्वों के गुणधर्मों को पहले ही बताया जा सकता है।

प्रश्न 8.
आवर्त सारणी के चतुर्थ समूह में आयनिक त्रिज्या का क्रम स्पष्ट कीजिए तथा आयनन विभव पर इसके प्रभाव का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आवर्त सारणी के चतुर्थ समूह में परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ समान आवेश धनायनों की आयनिक त्रिज्याओं में वृद्धि होती हैं क्योंकि तत्वों के बाह्य कोश की मुख्य क्वाण्टम संख्या में वृद्धि होती है, जैसे –

आयनC4+Si4+Sn4+
आयनिक त्रिज्या (Å में)0.160.400.69

आयनन विभव का मान जितना कम होता हैं परमाणु त्रिज्या उतनी ही बड़ी होती है अर्थात् आयनन विभव के घटने पर आयनिक त्रिज्या बढ़ती है।

प्रश्न 9.
आवर्त सारणी के एक ही आवर्त में परमाणु आकार किस प्रकार परिवर्तित होता है?
उत्तर-
आवर्त सारणी में किसी आवर्त में बाईं ओर से दाईं ओर चलने पर तत्वों के परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ-साथ तत्वों के परमाणुओं के आकार घटते हैं।

LiBeBCNOF
1.230.890.800.770.750.730.72 (Å में)

प्रश्न 10.
लघु आवर्त तथा दीर्घ आवर्त से क्या तात्पर्य है? आवर्त सारणी में कितने लघु आवर्त तथा कितने दीर्घ आवर्त होते हैं।
उत्तर-
लघ आवर्त जिन आवों में तत्वों की संख्या 8 होती है। उन्हें लघु आवर्त कहते हैं। दीर्घ आवर्त जिन आवर्तों में तत्वों की संख्या 8 से अधिक होती है, उन्हें दीर्घ आवर्त कहते हैं। आवर्त सारणी में प्रथम तीन आवर्त (प्रथम, द्वितीय व तृतीय) लघु आवर्त कहलाते हैं। इनमें प्रथम आवर्त में दो तत्व हैं, जबकि द्वितीय व तृतीय आवर्त में आठ-आठ तत्व हैं। आवर्त सारणी में बाद के चार आवर्त (चतुर्थ, पंचम, षष्ठम तथा सप्तम) दीर्घ आवर्त कहलाते हैं। इनमें चतुर्थ व पंचम आवों में 18-18 तत्व हैं, जबकि षष्ठम आवर्त में 32 तत्व हैं और सप्तम आवर्त अपूर्ण है।

प्रश्न 11.
बेरियम (परमाणु क्रमांक 56) की आवर्त सारणी में स्थिति की विवेचना कीजिए तथा निम्नलिखित के उत्तर दीजिए
(i) यह धातु है या अधातु।
(ii) यह सीजियम से बड़ा है या छोटा।
(iii) इसकी संयोजकता क्या है?
(iv) बेरियम क्लोराइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
Ba (परमाणु क्रमांक 56)= 2, 8, 18, 18, 8, 2। यह छठे आवर्त तथा II A समूह में स्थित है। (∵ कोशों की – संख्या 6 है तथा संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या 2 है।)

  • यह धातु है क्योंकि यह आवर्त सारणी में बाईं ओर – तथा समूह में नीचे की ओर स्थित है।
  • यह सीजियम (Cs) से छोटा होता है क्योंकि आवर्त में बाईं से दाईं ओर चलने पर परमाणु आकार घटता है। Ba तथा Cs एक ही आवर्त में स्थित हैं तथा Ba, Cs के दाईं ओर स्थित है।
  • इसमें 2 संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं। यह दो इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर द्विसंयोजक धनायन बना सकता है।
  • बेरियम क्लोराइड का सूत्र BaCl2 है।

प्रश्न 12.
आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त में निम्नलिखित गुणों में किस प्रकार परिवर्तन होता है? समझाइए-(i) धात्विक गुण, (ii) हाइड्रोजन से सम्बन्धित संयोजकता।
उत्तर-
(i) धात्विक गुण-एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु का आकार कम होता है जबकि आयनन विभव में वृद्धि होती है अतः धनविद्युती गुण या धात्विक गुणों में कमी आती है, जैसे-द्वितीय आवर्त में Li एवं Be कार्बन से अधिक धनविद्युती हैं तथा कार्बन फ्लुओरीन की तुलना में अधिक धनविद्युती है। सामान्यतः आवर्त सारणी के निचले भाग के तत्व अधिक धात्विक तथा ऊपरी दाएँ भाग के तत्व अधिक अधात्विक होते हैं।

(ii) हाइड्रोजन से सम्बन्धित संयोजकता-हाइड्रोजन के अनुसार संयोजकता प्रथम वर्ग 1 से 4 तक बढ़ती है तथा उसके उपरान्त 4 से 1 तक घटती है।
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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 13.
निम्नलिखित गुण एक आवर्त तथा वर्ग में किस प्रकार परिवर्तित होते हैं
(i) धात्वीयता,
(ii) परमाणु आकार या परमाणु त्रिज्या,
(iii) विद्युत ऋणात्मकता,
(iv) इलेक्ट्रॉन बन्धुता।
उत्तर-
(i) धात्वीयता-किसी आवर्त में आगे की ओर जाने पर धात्विक लक्षण क्रमशः घटता जाता है और अधात्विक लक्षण क्रमशः बढ़ता है। किसी वर्ग में नीचे की ओर जाने पर धात्विक गुण बढ़ता है तथा अधात्विक गुण घटता है।
(ii) परमाणु आकार-आवर्त में आगे की ओर जाने से परमाणु आकार (परमाणु त्रिज्या) घटता है (शून्य वर्ग को छोड़कर) तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने से परमाणु आकार बढ़ता है।
(iii) विद्युत ऋणात्मकता-आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है। शून्य वर्ग को छोड़कर तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने पर इसका मान घटता है।
(iv) इलेक्ट्रॉन बन्धुता-आवर्त में आगे की ओर जाने से इलेक्ट्रॉन बन्धुता बढ़ती है तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने पर यह घटती है।

प्रश्न 14.
किसी आवर्त के तत्वों की ऋणविद्युती प्रकृति तथा हाइड्रोजन के प्रति संयोजकता में किस प्रकार परिवर्तन होता है?
उत्तर-
ऋणविद्युती प्रकृति में परिवर्तन-किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्वों की ऋणविद्युती प्रकृति या विद्युत-ऋणात्मकता परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ क्रमशः बढ़ती है।

तत्वLiBeBCNOF
विद्युत् ऋणात्मकता1.01.52.02.53.03.54.0

संयोजकता में परिवर्तन-किसी आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर हाइड्रोजन के सापेक्ष तत्वों की संयोजकताएँ क्रमशः 1 से 4 तक बढ़ती हैं। पुनः 4 से 1 तक क्रमशः घटती हैं।
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प्रश्न 15.
निम्नलिखित गुण एक आवर्त तथा वर्ग में किस प्रकार परिवर्तित होते हैं
(a) परमाणु आकार
(b) विद्युत ऋणात्मकता।
उत्तर-
(a) परमाणु आकार-आवर्त में आगे की ओर जाने से परमाणु आकार (परमाणु त्रिज्या) घटता है (शून्य वर्ग को छोड़कर) तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने से परमाणु आकार बढ़ता है।
(b) विद्युत ऋणात्मकता-आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है।(शून्य वर्ग को छोड़कर) तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने पर इसका मान घटता है।

प्रश्न 16.
यह कैसे सत्यापित किया जा सकता है कि आधुनिक आवर्त सारणी विभिन्न तत्वों के परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर आधारित है?
अथवा
किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8,4 है :
(a) आधुनिक आवर्त सारणी में इस तत्व की समूह संख्या और आवर्त संख्या लिखिए।
(b) इस तत्व का नाम और इसका एक भौतिक गुणधर्म लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के आधार पर रखा है जिसमें विभिन्न तत्वों के परमाणु जिनके बाहरी कोष की संख्या समान है, उन्हें एक ही आवर्त में रखा गया है तथा जिनके अंतिम कोष में इलेक्ट्रॉन संख्या समान है, उन्हें एक ही समूह में रखा गया हैं अतः आधुनिक आवर्त सारणी विभिन्न तत्वों के परमाणु के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर आधारित है।
अथवा
(a) आधुनिक आवर्त सारणी में इस तत्व को समूह (ग्रुप) 14 तथा 3 आवर्त में रखा गया है।
(b) यह तत्व सिलिकॉन है। यह एक उपधातु है।

प्रश्न 17.
तत्वों के समूह की संयोजकता के आधार पर, प्रत्येक के लिए कारण सहित पुष्टि करते हुए, नीचे दिए गए यौगिकों के आण्विक-सूत्र लिखिए।
(i) समूह (ग्रुप) 1 के तत्वों का ऑक्साइड
(ii) समूह 13 के तत्वों का हैलाइड
(iii) समूह 2 के तत्व A और समूह 17 के तत्व B के संयोजन से बने यौगिक।
उत्तर-
(i) समूह 1 के तत्वों के अंतिम कोष में एक इलेक्ट्रॉन है। अत: इनकी संयोजकता एक है। इसलिए M2O ऑक्साइड बनायेंगे।
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(ii) समूह 13 के तत्वों की संयोजकता 3 है क्योंकि अंतिम कोष में 3 इलेक्ट्रॉन है। अतः ये M2O3, प्रकार के हैलाइड बनायेंगे।
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(iii) समूह 2 के तत्व A की संयोजकता 2 है तथा समूह 17 के तत्व B की संयोजकता 1 है। अतः इनके संयोग से बना तत्व AB2, होगा।
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प्रश्न 18.
उस तत्व X का नाम, प्रतीक और इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए जिसकी परमाणु संख्या 11 है।
अथवा
क्या नीचे दिए गए तत्वों के समूह डॉबेराइनर के प्रिक के रूप में वर्गीकृत किए जा सकते हैं?
(a) Na, Si, CI
(b) Be, Mg, Ca : इन तत्वों के परमाणु द्रव्यमान इस प्रकार हैं –
Be-9,Na-23, Mg-24, Si-28, CI-35, Ca-40 प्रत्येक प्रकरण में अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
यह सोडियम तत्व है जिसका प्रतीक Na है तथा इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है।।
अथवा
(a) नहीं, क्योंकि इन तत्वों के गुण अलग-अलग हैं। हालांकि S1, का परमाणु द्रव्यमान Be और Ca के औसत द्रव्यमान के बराबर है।
(b) हाँ, क्योंकि इनके गुण समान है तथा Mg (मैग्नीशियम) का द्रव्यमान Be तथा Ca का औसत द्रव्यमान है।

प्रश्न 19.
आधुनिक आवर्त सारणी में आवर्तों और समूहों की संख्या लिखिए।
(i) किसी आवर्त में बायीं ओर से दायीं ओर जाने पर, तथा
(ii) किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के धात्विक अभिलक्षणों में किस प्रकार परिवर्तन होता है? अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी में 7 आवर्त और 18 समूह होते हैं।
(i) आवर्त में बाईं से दाईं ओर जाने पर संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर कार्य करने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है जिससे तत्वों की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति घटती जाती है।

MgAlSiPSCl
2,8,22,8,32,8,42,8,52, 8,62,8,7

(ii) समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर संयोजी इलेक्ट्रॉनों पर कार्य करने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश घटता जाता है, क्योंकि सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होते हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन सुगमतापूर्वक निकल जाते हैं। अतः धात्विक अभिलक्षण आवर्त में बायीं से दायीं ओर घटता जाता है और समूह में ऊपर से नीचे जाने पर बढ़ता जाता है।
Li(2,1)
Na (2,8, 1)

प्रश्न 20.
Na, Mg और AI आधुनिक आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त के तत्व हैं जिनकी समूह संख्या क्रमशः 1, 2 और 13 है। इनमें से किस तत्व की
(a) संयोजकता अधिकतम,
(b) परमाणु त्रिज्या अधिकतम, तथा
(c) रासायनिक अभिक्रियाशीलता अधिकतम है? प्रत्येक के लिए अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
Na-2,8,1
Mg – 2, 8,2
Al-2, 8,3
(a) अधिकतम संयोजकता Al की होगी, क्योंकि इसके बाहरी कोश में 3 इलेक्ट्रॉन होते हैं। अत: यह तीन इलेक्ट्रॉन त्याग सकता है।
(b) Na की परमाणु त्रिज्या अधिकतम होगी, क्योंकि आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती हैं क्योंकि संयोजी इलेक्ट्रॉनों का नाभिकीय आवेश बढ़ जाता है, जिससे तत्वों का आकार घटता जाता है।
(c) रासायनिक अभिक्रियाशीलता Na की अधिकतम होती है, क्योंकि इसके बाहरी कोश में एक इलेक्ट्रॉन होता है
और वह इसका आसानी से त्याग कर सकता है। आवर्त में बायें से दाईं ओर जाने पर तत्वों की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है।

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प्रश्न 21.
दीर्घाकार आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
दीर्घाकार आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • इस आवर्त सारणी में 7 आवर्त तथा 18 वर्ग हैं।
  • इसमें धातु तथा अधातु तत्वों को अलग-अलग स्थान पर रखा गया है।
  • अक्रिय गैस तत्वों को आंवर्त सारणी के दाईं ओर शून्य वर्ग में रखा गया है।
  • A तथा B उपवर्गों को अलग-अलग कर दिया गया है।
  • लैन्थेनॉइड तथा ऐक्टिनॉइड तत्वों को आवर्त सारणी के बाहर स्थान दिया गया है।

प्रश्न 22.
आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त में तत्वों के निम्नलिखित गुणों में किस प्रकार परिवर्तन होता है
(i) धात्विक गुण
(ii) आयनन विभव।
उत्तर-
(i) धात्विक गुण-एक आवर्त में बाएँ से दाएँ जाने पर परमाणु का आकार कम होता है जबकि आयनन विभव में वृद्धि होती है। अतः धनविद्युती या धात्विक गुणों में कमी आती है, जैसे-द्वितीय आवर्त में Li तथा Be कार्बन से अधिक धनविद्युती हैं तथा कार्बन फ्लुओरीन की तुलना में अधिक धनविद्युती है।
(ii) आयनन विभव-द्वितीय आवर्त के तत्वों का आयनन विभव कम होता है, परन्तु वर्ग IA के तत्वों के आयनन विभव से अधिक होता है। द्वितीय आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर आयनन विभव बढ़ता जाता है।

प्रश्न 23.
तत्व X का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है-

KLM
286.

(i) आवर्त सारणी में तत्व X की वर्ग संख्या क्या है?
(ii) आवर्त सारणी में तत्व की आवर्त संख्या क्या है?
(iii) X के परमाणु में संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्या है?
(iv) X की संयोजकता क्या है?
(v) क्या यह धातु है या अधातु?
उत्तर-
(i) तत्व X में 6 संयोजकता इलेक्ट्रॉन हैं इसलिए आवर्त सारणी में तत्व X की वर्ग संख्या 6 + 10 = 16 है।
(ii) तत्व X में उनके परमाणु में 3 इलेक्ट्रॉन कोश (K, L और M) हैं। इसलिए तत्व X की आवर्त संख्या 3 है अर्थात् यह आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त का तत्व है।
(iii) तत्व X में 6 संयोजकता इलेक्ट्रॉन हैं।
(iv) तत्व X में 6 संयोजकता इलेक्ट्रॉन हैं इसलिए इसे अपना अष्टक पूरा करने तथा स्थायी होने के लिए 2 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता है। अतः तत्व की संयोजकता 2 हैं।
(v) वर्ग 16 के तत्व अधातु हैं इसलिए X अधातु है।

प्रश्न 24.
दो तत्व A तथा B आधुनिक आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में क्रमशः समूह 2 और 13 में स्थित है। तालिका के रूप में, इन दोनों तत्वों की नीचे दी गई विशेषताओं की तुलना कीजिए। (CBSE 2016)
(a) इनके परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(b) इनके परमाणुओं के आकार
(c) इलेक्ट्रॉनों को त्यागने की प्रवृत्ति
(d) इनके ऑक्साइडों के सूत्र
(e) इनके धात्विक लक्षण
(f) इनके क्लोराइडों के सूत्र
उत्तर-
(a) इनमें से A है Mg B = AI इलेक्ट्रॉनों की व्या A में 12 है। इलेक्ट्रॉनों की या B में 13 है।
(b) Mg के परमाणु का आकार AI के परमाणु से बड़ा होगा।
(c) Mg= 2, 8,2 यह दो इलेक्ट्रॉनों का त्याग करेगा।
(d) Al= 2, 8,3 यह 3 इलेक्ट्रॉनों का त्याग करता है।
Mg की इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति अधिक होती है। इनके ऑक्साइड सूत्र हैं –
Mgo – मैग्नीशियम ऑक्साइड
Al2O3 – ऐल्युमीनियम ऑक्साइड
(e) Mg का धात्विक लक्षण AI से ज्यादा होता है, क्योंकि यह 2 इलेक्ट्रॉनों का त्याग आसानी से करता है। .
(f) इनके क्लोराइडों के सूत्र MgCl2, AlCl2.

प्रश्न 25.
दो तत्त्व ‘P’ और ‘Q’ आधुनिक आवर्त सारणी के एक ही आवर्त के क्रमश: समूह-1 और समूह-2 के सदस्य हैं। इनके निम्नलिखित लक्षणों/गुणधर्मों की तालिका के रूप में तुलना कीजिए : [CBSE.2015]
(a) इनके परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(b) इनके परमाणुओं का साइज़
(c) इनकी धात्विक प्रवृत्ति
(d) इनकी इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति
(e) इनके ऑक्साइडों के सूत्र ए
(f) इनके क्लोराइडों के सूत्र।
उत्तर-
(a)

समूह-1समूह-2
समूह-1 के तत्वों में सह संयोजी कोश में एक इलेक्ट्रॉन उपस्थित होता है।समूह – 2 के तत्वों के सह संयोजी कोश में 2 इलेक्ट्रॉन उपस्थित होता है।

(b) परमाणु का साइज-समूह एक के तत्वों के परमाणु गों का आकार समूह दो के तत्वों की तुलना में बड़ा होता है।
(c) धात्विक प्रकृति-दोनों समूह के तत्व धातु होते हैं। समूह एक के तत्वों का धात्विक गुण समूह 2 के तत्वों की तुलना में अधिक होता है। ..
(d) इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रकृति-समूह एक के तत्वों की इलैक्ट्रॉन त्यागने की प्रकृति समूह दो की तुलना में अधिक होती है।

(e) ऑक्साइडों के सूत्र-समूह-1- P2O
समूह-2-QO
(f) समूह-1 -PCl
समूह-2-QCl

प्रश्न 26.
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी का सिद्धान्त लिखिए। इसकी एक उपलब्धि व दो कमियाँ लिखें।
उत्तर-
मेन्डेलीफ़ की आवर्त सारणी का सिद्धान्ततत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमान के आवर्ती फलन होते हैं। उपलब्धि-मेन्डेलीफ के आवर्त नियम में उस समय तक न खोजे गये तत्वों, जैसे-गैलियम (Ga), स्कैण्डियम (Sc), और जर्मेनियम (Ge), के लिये आवर्त सारणी में रिक्त स्थान छोड़ दिये व उनके गुणों के बारे में भी बताया था, जो बाद में सही सिद्ध हुये।

कमियाँ-

  1. मेन्डेलीफ ने हाइड्रोजन की सही स्थिति के बारे में नहीं बताया।
  2. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में अक्रिय गैसों की स्थिति स्पष्ट नहीं थी।

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प्रश्न 27.
आवर्त सारणी के द्वितीय आवर्त में निम्नलिखित गुणों में क्या परिवर्तन होता है.
(i) धनविद्युती गुण
(ii) ऑक्साइडों की प्रकृति।
उत्तर-
(i) धनविद्युती गुण-द्वितीय आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर क्षार धातु (Li) से हैलोजेन फ्लु ओरीन (F) तक तत्वों का धनविद्युती लक्षण या विद्युत्-धनात्मक गुण क्रमशः घटता है। .
(ii) ऑक्साइडों की प्रकृति-द्वितीय आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्वों के ऑक्साइडों का क्षारीय गुण क्रमशः घटता है।
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प्रश्न 28.
पहले समूह के किन्हीं दो तत्वों के नाम और उनके इलेक्ट्रॉन-विन्यास लिखिए। इन इलेक्ट्रॉन-विन्यासों में आपको क्या समानता दिखाई देती है? इन तत्वों में से किसी एक तत्व के ऑक्साइड का सूत्र लिखिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
वह दो तत्व जो पहले समूह में आते हैं, वह हैं, Li और Na
Li लीथियम 2,1 Na
सोडियम 2,8,1
इन दोनों के संयोजी कोश में सिर्फ एक ही इलेक्ट्रॉन है। सोडियम के ऑक्साइड का सूत्र है
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प्रश्न 29.
आधुनिक आवर्त सारणी में आठ तत्वों की स्थितियाँ नीचे दिए अनुसार हैं। यहाँ तत्वों की परमाणु संख्या कोष्ठक में दर्शायी गयी है। (CBSE 2016)
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(i) Ca का इलेक्ट्रॉन विन्यास लिखें।
(ii) Rb में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या का अनुमान लगाइए।
(iii) Sr में कोशों की संख्या क्या है?
(iv) अनुमान लगाइए कि K धातु है अथवा अधातु।
(v) इन तत्वों में किसका आकार सबसे बड़ा है?
(vi) Be,Ca,Mg और Rb को इनके परमाणु के साइज के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर-
(i) Ca का इलेक्ट्रॉन विन्यास है. K L M N 28.8 2
(ii) Rb में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या = 1
(iii) Sr में कोशों की संख्या = 5
(iv) K धातु है, क्योंकि यह अपने बाहरी कोश में से एक इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है।
(v) इन तत्वों में से Rb का आकार सबसे बड़ा है।
(vi) Be

प्रश्न 30.
कोई तत्व ‘X’ आधुनिक आवर्त सारणी के आवर्त 3 तथा समूह 13 में स्थित है।
(a) ‘X’ में संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा इसकी संयोजकता निर्धारित कीजिए।
(b) ‘x’ की तत्व ‘Y’ (परमाणु संख्या = 8) से अभिक्रिया द्वारा बने यौगिक का अणुसूत्र लिखिए।
(c) ‘X’ की क्लोरीन (CI) से अभिक्रिया द्वारा बने यौगिक का नाम और सूत्र लिखिए। (Cbse 2016)
उत्तर-
(a) X= 13, 2, 8,3
संयोजकता इलेक्ट्रॉन तथा संयोजकता = 3
(b)Y=8, 2, 6 संयोजकता = 2.
X2Y3
(c) XCl3

प्रश्न 31.
कोई तत्व P (परमाणु संख्या 20) किसी अन्य तत्व Q (परमाणु संख्या 17) से अभिक्रिया करके कोई यौगिक बनाता है। नीचे दिए गए प्रश्नों का कारण सहित उत्तर दीजिए : आधुनिक आवर्त सारणी में P और की स्थितियाँ, तथा P और Q की अभिक्रिया द्वारा बने यौगिक का अणु सूत्र लिखिए। (Cbse 2017)
उत्तर-
P परमाणु संख्या 20
P=2,8,8,2
P की स्थिति : समूह ऊर्ध्व स्तंभ-2
क्षैतिज पंक्ति -4
Q की स्थिति-परमाणु संख्या 17
Q=2,8,7
ऊर्ध्व स्तंभ-7
क्षैतिज पंक्ति-3
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प्रश्न 32.
आधुनिक आवर्त सारणी के ऊर्ध्व स्तम्भों और क्षैतिज पंक्तियों के नाम लिखिए। किसी ऊर्ध्व स्तम्भ में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के धात्विक अभिलक्षण में क्या परिवर्तन होता है? किसी क्षैतिज पंक्ति में बायीं ओर से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या के साइज में क्या परिवर्तन होता है? उपर्युक्त दोनों प्रकरणों के उत्तरों के पक्ष में कारण दीजिए। (Cbse 2017)
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्व स्तंभ हैं, जिन्हें समूह कहा जाता है तथा 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं, जिन्हें आवर्त कहते हैं। किसी ऊर्ध्व स्तम्भ में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक अभिलक्षण में वृद्धि होती हैं क्योंकि तत्वों में कोशों की सख्या बढ़ती है जिससे नाभिक और संयोजी इलेक्ट्रॉन के बीच आकर्षण कम हो जाता है जिससे तत्व आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग कर देते हैं।

आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है क्योंकि आवर्त में बायीं ओर से दायीं ओर जाने पर कोशों की संख्या समान रहती है। जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता जाता है। नाभिकीय आवेश बढ़ने से तत्व का नाभिक इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर अधिक आकर्षण बल से खींचता है। अतः तत्वों का आकार घटता जाता है।

प्रश्न 33.
आधुनिक आवर्त सारणी के संदर्भ में तत्वों के गुणधर्म में आवर्तिता क्या है? समान समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान क्यों होते हैं? किसी आवर्त में बायीं ओर से दायीं ओर जाने पर तत्वों की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति में क्या परिवर्तन होता है? इस परिवर्तन का कारण लिखिए। (Cbse 2017)
उत्तर-
आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार, तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के बढ़ते हुए क्रम में क्षैतिज पंक्तियों में व्यवस्थित करने पर नियमित अन्तर में गुणों की पुनरावृत्ति होती है, इसे गुणों में आवर्तिता कहते हैं। समान समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान होते हैं, क्योंकि इनके बाहरी कोश में समान इलेक्ट्रॉन होते हैं।
किसी आवर्त में बार्थी ओर से दायीं ओर जाने पर तत्वों के इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। क्योंकि आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर संयोजकता कोश के इलेक्ट्रॉनों पर कार्य करने वाला प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मेन्डेलीफ आवर्त सारणी के प्रमुख दोष लिखिए।
उत्तर-
मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी के दोषमेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में अनेक दोष पाए गए। मुख्य दोष निम्न थे-
1. हाइड्रोजन का स्थान (Position of hydrogen)मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान अनिश्चित है। हाइड्रोजन प्रथम समूह के क्षारीय धातु तथा सप्तम समूह के हैलोजनों तत्वों से गुणों में समानता प्रदर्शित करता है। अतः यह निश्चित नहीं हो पाया कि हाइड्रोजन को प्रथम समूह में रखा जाए अथवा सप्तम समूह में।

2. समस्थानिकों का स्थान (Position of isotopes)आवर्त सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया है। परमाणु क्रमांक के आधार पर वर्गीकरण करने पर यह दोष दूर हो गया।

3. दुर्लभ मृदा तत्वों का स्थान (Position of rare earth elements) आवर्त सारणी में समूह के एक आवर्त में एक ही तत्व को स्थान दिया गया है लेकिन तृतीय समूह के छठवें आवर्त में 14 दुर्लभ मृदा तत्वों (Ce-,,Lu) को एक साथ रखा गया है। इन तत्वों के गुण आपस में अत्यधिक समान होते हैं।

4. ऐक्टिनॉइड्स का स्थान (Position of actinides) दुर्लभ मृदा तत्वों के समान तृतीय समूह के सप्तम आवर्त में 14 ऐक्टिनॉइड्स ( Th-Lu) को एक साथ रखा गया है।

5. आठवें समूह के तत्वों का स्थान (Position of eighth group elements)-आठवें समूह में एक खाने में तीन तत्वों को एक साथ रखा गया है जबकि अन्य समूहों में एक खाने में एक ही तत्व को रखा गया है।
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6. कुछ समान गुणों वाले तत्वों को पृथक् समूहों में स्थान (Some elements similar in properties placed in different groups)-कुछ समान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह के बजाए अलग-अलग समूहों में रखा गया है। उदाहरणार्थ, कॉपर तथा मरकरी, सिल्वर तथा थैलियम, बेरियम तथा लैड।

7. कुछ असमान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में स्थान (Some elements dissimilar in propertiés placed in same group)-कुछ असमान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में स्थान दिया गया है। उदाहरणार्थ, सिक्का धातुओं (Coinage metals) तथा क्षारीय धातु, मैंगनीज तथा हैलोजन।

8. कुछ अधिक परमाणु भार वाले तत्वों को कम परमाणु भार वाले तत्वों से पहले रखना (Some elements with more atomic weight placed before to lighter elements)-कुछ अधिक परमाणु भार वाले तत्वों को कम परमाणुओं वाले तत्वों से पहले स्थान दिया गया है।

उदाहरणार्थ-

  • आर्गन (39.9) को पोटैशियम (39.1) से पहले।
  • कोबाल्ट (58.9) को निकल (58.7) से पहले।
  • टेलुरियम (127.6) को आयोडीन (126.9) से पहले।
  • थोरियम (232.1) को प्रोटेक्टीनियम (231) से पहले रखा गया है।

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प्रश्न 2.
मेन्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी के दोष बताइए। दीर्घाकार अथवा प्रवर्तित आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
मेन्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी के दोष-परमाणु भार के बजाए परमाणु क्रमांक को आधार मानकर बनाई गई आवर्त सारणी में अनेक दोष स्वयं दूर हो गए।

उदाहरणार्थ-

  • समस्थानिकों को स्थान
  • अधिक परमाणु भार वाले तत्व की कम परमाणु भार वाले तत्व से पहले स्थिति।

लेकिन निम्न दोष अभी भी शेष हैं-

  1. हाइड्रोजन की स्थिति-हाइड्रोजन की स्थिति अनिश्चित है क्योंकि यह IA क्षारीय धातुओं तथा VIIA (हैलोजनों) दोनों उप-समूहों के तत्वों से गुणों में समानता प्रदर्शित करती है।
  2. असमान तत्वों को एक ही समूह में तथा समान तत्वों को विभिन्न समूहों में रखना-उदाहरणार्थ, IA तथा IB के तत्वों को एक ही समूह में तथा Cu, Hg तथा Pt को अलग-अलग समूहों में रखा गया है।
  3. आठवें समूहके साथ तीन तत्वों को रखना-आठवें समूह में एक ही आवर्त में एक साथ तीन तत्वों को रखा गया है। उदाहरणार्थ, Fe Co Ni, Ru Rh Pd, Os Ir Pt
  4. दुर्लभ मृदा तत्वों तथा ऐक्टिनॉइड्स की स्थिति-दुर्लभ मृदा तत्वों तथा ऐक्टिनॉइड्स को सारणी से पृथक् नीचे स्थान, दिया गया है।
  5. धातु तथा अधातुओं की स्थिति-एक ही समूह में धातु तथा अधातु दोनों को एक साथ रखा गया है।

दीर्घाकार अथवा प्रवर्धित आवर्त सारणी (Oblong Form or Extended Formof Periodic Table)-यह आवर्त सारणी बोर (Bohr) सारणी भी कहलाती है, क्योंकि यह बोर के द्वारा दिए गए परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों के विन्यास पर आधारित है। रॉग (Raug), वर्नर (Werner), तथा बरी (Bury) ने इलेक्ट्रॉनों के विन्यास के आधार पर इस सारणी को प्रस्तुत किया जिसे दीर्घाकार अथवा प्रवर्धित आवर्त सारणी कहते हैं।

इस आवर्त सारणी में प्रथम दो आवतों को विभाजित कर दिया गया है तथा उप-समूहों को अलग करके 18 ऊवधिर (Vertical) खानों में विभाजित किया गया है जिन्हें समूह (Groups) कहते हैं। IA तथा IIA समूह के तत्वों को बाई तरफ रखा गया है। यह तत्व अत्यधिक धनात्मक प्रकृति के होते हैं। सारणी के दाई ओर IIHA, IVA, VA, VIA, VIIA तथा शून्य समूह के तत्वों को रखा गया है। VIIA समूह के हैलोजन तत्व अत्यधिक ऋणात्मक प्रकृति के होते हैं। आवर्त सारणी के मध्य भाग में संक्रमण तत्वों (IIIB से VIIB, VII, IB, IIB) को रखा गया है। लैन्थेनॉइड्स तथा ऐक्टिनॉइड्स को सारणी से नीचे अलग स्थान दिया गया है।

दीर्घाकार आवर्त सारणी की विशेषताएँ-

  1. यह सारणी सरल है तथा याद रखने में आसान है।
  2. इस आवर्त सारणी में तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा स्थिति में एक समन्वय है।
  3. इसमें उप-समूहों को अलग कर देने से भिन्न-भिन्न गुणों वाले तत्व एक ही समूह में नहीं हैं।
  4. इसमें धातु तथा अधातु सारणी में पृथक् हो गए हैं। धातु (धनात्मक) बाईं तरफ, अधातु (ऋणात्मक) दाईं तरफ तथा संक्रमण तत्व सारणी के मध्य भाग में स्थित हैं।
  5. परमाणु क्रमांक के बढ़ने पर तत्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है।

प्रश्न 3.
मेन्डेलीफ के आवर्त नियम का उल्लेख कीजिए। (Rbse 2017)
उत्तर-
रूसी रसायनशास्त्री डिमित्री एनवानोवीच मेन्डेलीफ (Dimitri Invanovich Mendeleev) – ने सन् 1869 में माना कि “तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं।” इसके अनुसार यदि विभिन्न तत्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते हुये क्रमानुसार रखा जाए तो निश्चित अन्तर के बाद समान गुणों वाले तत्व प्रकट होते हैं।

मेन्डेलीफ ने 63 कार्ड लेकर उस समय उपलब्ध 63 तत्वों के नाम एवं गुण लिखकर समान गुणों वाले तत्वों के काड़ों को पृथक् करके उनको दीवार पर एक पिन से लगा दिया। तत्वों के परमाणु भार के क्रम में व्यवस्थित करने पर प्रत्येक वर्ग के सभी तत्व अनेक गुणों में समान थे। प्रत्येक सातवें तत्व के बाद आने वाले तत्व के गुण पहले वाले तत्व के समान पाए गए। इस आधार पर तत्वों की व्यवस्था धात्वीय गुण, घनत्व अथवा किसी अन्य गुण पर आधारित व्यवस्था से अच्छी पाई गई। इस प्रकार उन्होंने नियम दिया कि “तत्वों के गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं।”
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 12

प्रश्न 4.
(a) मेन्डेलीफ के आवर्त नियम को चुनौती देने वाले किन्हीं तीन प्रेक्षणों की सूची बनाइए।
(b) आधुनिक आवर्त सारणी में,
(i) किसी आवर्त में बाएं से दाएँ जाने पर,
(ii) किसी समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे जाने पर, तत्वों के धात्विक लक्षणों में किसी प्रकार विचरण होता है?
अथवा
चार तत्वों A, BC और D के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों का तीन कोशों में वितरण इस प्रकार है कि इन तत्वों के बाह्यतम कोशों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या क्रमशः 1, 3, 5 और 7 है। आधुनिक आवर्त सारणी में इन तत्वों की समूह (गुप) संख्या लिखिए। B और D परमाणुओं का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा B और D के संयोग से बने योगिक का आण्विक सूत्र लिखिए। (Cbse 2019)
उत्तर-
(a) मैण्डलीव के नियम को चुनौती देने वाले तीन बिन्दु निम्नवत् हैं-

  • आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान विवादास्पद है, इसे एल्कली समूह के साथ एवं हेलोजन समूह के साथ रखा गया है।
  • समस्थानिकों को स्थान देना सम्भव नहीं है। .
  • कहीं-कहीं तत्वों के परमाणु भार का क्रम टूट गया है। अधिक परमाणु भार वाले तत्वों को कम परमाणु भार वाले तत्वों से पहले रखा गया है। जैसे-सिलिकॉन (28Si) से पहले एल्युमिनियम (29Al) CO के बाद Ni को।
  • अंतिम समूह चौथे, पाँचवें एवं छठवें आवर्त में एक साथ तीन-तीन तत्वों को रखा गया है-Fe, Co, Ni.

(b) आधुनिक आवर्त सारणी में धात्विक लक्षणों में परिवर्तन

  • बायें से दायें जाने पर तत्वों के धात्विक गुण में कमी होती है क्योंकि तत्वों द्वारा इलेक्ट्रॉन को छोड़ने की प्रवृत्ति कम होती है। तत्वों के परमाणु के नाभिक में नाभिकीय बल बढ़ता है।
  • ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के धात्विक गुण बढ़ते हैं क्योंकि नाभिकीय बल घटता है तथा इलेक्ट्रॉन के छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ती है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 13
∴ B, D.के संयोग से बने यौगिक का अणुसूत्र BD3 है।

प्रश्न 5.
(a) आधुनिक आवर्त सारणी का विकास डॉबेराइनर, न्यूलैण्ड तथा मेण्डलीफ के प्रारम्भिक प्रयासों के कारण हो पाया है। इन तीनों प्रयासों की एक-एक उपलब्धि और एक-एक सीमा की सूची बनाइए।
(b) उस वैज्ञानिक का नाम लिखिए जिसने सर्वप्रथम यहदर्शाया कि किसी तत्व की परमाणु संख्या उसके परमाणु द्रव्यमान की तुलना में अधिक आधारभूत गुणधर्म है।
(c) आधुनिक आवर्त नियम लिखिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
(a)
(1) डॉबेराइनर की उपलब्धि और सीमाइन्होंने तीन-तीन तत्वों के समूह बनाए। इन समूहों को डॉबेराइनर का त्रिक/त्रय कहा गया। डॉबेराइनर ने बताया कि इन तत्वों को इनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान अन्य दो परमाणुओं के द्रव्यमान का लगभग औसत होता है।
Li 6.9
Na 23
K 39
सीमा-डॉबेराइनर का सिद्धान्त प्रत्येक त्रिक पर लागू नहीं हो सका।
उदाहरण : यह सिद्धान्त N, P As पर लागू नहीं हो पाया।
वह उस समय उपस्थित तत्वों के तीन ही त्रय को पहचान पाया था।

(2) न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धान्त-न्यूलैंड्स ने तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया तथा यह बताया कि प्रत्येक आठवाँ तत्व पहले तत्व से गुणों में समानता दिखाता है।

सीमाएँ-
(i) यह सिद्धान्त केवल कैल्शियम तत्व तक ही लागू हो सका।
(ii) न्यूलैंड्स का अष्टक नियम केवल हल्के तत्वों के लिए ही लागू हो सका। यह नियम भारी परमाणु के भारी तत्वों का स्थान निर्धारित करने में असफल रहा।

(3) मेण्डलीफ की उपलब्धियाँ-

  • मेण्डलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में भविष्य में ज्ञात होने वाले तत्वों के लिए अनुमानित रिक्त स्थान दिए हैं।
  • मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के ज्ञान से ही नए तत्वों को खोजने में काफी सहायता मिली।

सीमाएँ-

  • मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को नियत स्थान नहीं दिया जा सका।
  • समस्थानिक मैण्डलीफ के आवर्त नियम के लिए एक चुनौती थी।

(b) हेनरी मोज्ले ने सर्वप्रथम दर्शाया कि किसी तत्व की परमाणु संख्या उसके परमाणु द्रव्यमान की तुलना में अधिक आधारभूत गुणधर्महै।
(c) आधुनिक आवर्त सारणी-इस नियम के अनुसार तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के अनुसार व्यवस्थित किया गया है।

आधुनिक आवर्त नियम-

  • तत्वों के रासायनिक और भौतिक गुण उनके परमाणु संख्या के आवर्ती फलन होते हैं।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया गया है।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में 18 समूह तथा 7 आवर्त हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. न्यूलैंड्स अष्टक सिद्धान्त कैसे तत्वों के लिए ठीक से लागू हो पाया
(a) भारी
(b) कठोर
(c) हल्के
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) हल्के।

2. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियों को क्या कहा गया –
(a) ग्रुप
(b) आवर्त
(c) रेखीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) आवर्त।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

3. समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु आकार कैसे प्रभावित होता है –
(a) घटता है
(b) बढ़ता है
(c) समान रहता है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) बढ़ता है।

4. मेन्डेलीफ के वर्गीकरण का आधार है
(a) परमाणु संख्या
(b) परमाणु द्रव्यमान
(c) भौतिक अवस्था
(d) धातु एवं अधातु।
उत्तर-
(b) परमाणु द्रव्यमान।

5. आधुनिक आवर्त सारणी में समूहों की संख्या है –
(a) 8
(b) 18
(c) 7
(d) 17.
उत्तर-
(b) 18.

6. AI(परमाणुसंख्या 13) को किस समूह में रखा गया है –
(a) तीसरे
(b) 13वें
(c) दूसरे
(d) आठवें।
उत्तर-
(b) 13वें।

7. A, B और C डॉबेराइनर के त्रिक तत्व हैं। यदि A का परमाणु द्रव्यमान 7 तथा C का 39 है तो B का परमाणु द्रव्यमान होगा –
(a) 32
(b) 11
(c) 23
(d) 46.
उत्तर-
(c) 23.

8. मेन्डेलीफ की आवर्त सारणी में किस तत्व को सही स्थान नहीं मिला?
(a) सोडियम
(b) पौटेशियम
(c) नीऑन
(d) हाइड्रोजन।
उत्तर-
(d) हाइड्रोजन।

9. L-कोश द्वितीय आवर्त में कितने तत्व हैं?
(a) 4
(b) 8
(c) 12
(d) 16.
उत्तर-
(b) 8.

10. F, CI, Br, I तथा A कौन-से समूह के तत्व हैं? .
(a) 2
(b) 7
(c) 12
(d) 17.
उत्तर-
(d) 17.

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

11. निम्न में से किसमें अधिकतम अधात्विक गुण हैं ?
(a) Cl
(b) F
(c) Br
(d) I.
उत्तर-
(b) E

12. एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,8,1 है। इसके लिए कौन-सा तथ्य सही नहीं है?
(a) इसकी संयोजकता – 1 है
(b) इसकी संयोजकता + 1 है
(c) यह I A समूह में उपस्थित है
(d) यह चौथे (IV) आवर्त में आता है।
उत्तर-
(c) यह IA समूह में उपस्थित है।

13. किसी कोश में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या हो सकती है –
(a) n2
(b) 2n2
(c) 5n2
(d) 4n2.
उत्तर-
(b) 2n2

14.
तत्वों का प्रथम आवर्ती वर्गीकरण किसने प्रस्तुत किया. था?
(a) डॉबेराइनर
(b) जे. ए. आर. न्यूलैंड्स
(c) मेन्डेलीफ
(d) लोथर मेयर।
उत्तर-
(c) मेन्डेलीफ।

15. आधुनिक आवर्त सारणी तत्वों के किस लक्षण पर आधारित है?
(a) संयोजकता
(b) परमाणु द्रव्यमान
(c) परमाणु आकार
(d) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास।
उत्तर-
(d) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास।

16. आवर्त सारणी का दीर्घाकार रूप आधारित है
(a) परमाणु भार परं
(b) परमाणु द्रव्यमान पर
(c) परमाणु क्रमांक पर
(d) परमाणु त्रिज्या पर।
उत्तर-
(c) परमाणु क्रमांक पर।

17. आधुनिक आवर्त सारणी को किसने विकसित किया था –
(a) लोथर मेयर
(b) नील बोर
(c) मेन्डेलीफ
(d) मोजले।
उत्तर-
(d) मोजले।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

18. मेन्डेलीफ का आवर्त नियम आधारित है
(a) संयोजकता पर
(b) परमाणु भार पर
(c) परमाणु क्रमांक पर
(d) परमाणु आयतन पर।
उत्तर-
(b) परमाणु भार पर।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी को ……………………. तथा ……………………. में बाँटा गया है।
उत्तर-
आवर्तों, वर्गों,

2. तीसरे आवर्त में Na; Mg व AI ……………………. है तथा P, S, Clव Ar ……………………. ।
उत्तर-
धातुएँ, अधातुएँ,

3. सारणी में तिरछी रेखा के दाईं ओर ……………………. स्थित हैं।
उत्तर-
अधातुएँ,

4. धातुओं के ऑक्साइड ……………………. तथा अधातुओं के ऑक्साइड सामान्यतः ……………………. होते हैं।
उत्तर-
क्षारकीय, अम्लीय,

5. आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्व स्तंभ हैं जिन्हें ……………………. कहते हैं।
उत्तर-
समूह।

सुमेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)

निम्न को सुमेलित कीजिए –

कॉलम Aकॉलम Bकॉलम C
1. यूरेनियमसमूह 17सिक्का धातु
2. चाँदीऑक्सीजन समूहगैस
3. एल्युमीनियमसंक्रमण तत्वपीला ठोस
4. फ्लु ओरीनबोरॉन समूहरेडियोएक्टिव
5. सल्फरएक्टिनॉइडउभयधर्मी

उत्तर-
1. यूरेनियम – एक्टिनाइड – रेडियोएक्टिव
2. चाँदी – संक्रमण तत्व – सिक्का धातु
3. ऐल्युमीनियम – बोरॉन समूह – उभयधर्मी
4. फ्लु ओरीन – समूह 17 – गैस
5. सल्फर – ऑक्सीजन समूह – पीला ठोस।

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्थानीय हॉर्मोन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐसे हॉर्मोन्स जो स्रावित होने वाले स्थान. पर ही प्रयुक्त हो जाते हैं, स्थानीय हॉर्मोन कहलाते हैं।

प्रश्न 2.
विशिष्ट रासायनिक संदेश वाहक किसे माना. जाता है?
उत्तर-
हॉर्मोन्स को।

प्रश्न 3.
युग्मानुबन्धन (Synaps) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
तत्रिका कोशिकाओं के आपसी सम्बन्ध को युग्मानुबन्धन कहते हैं।

प्रश्न 4.
जड़ों का भूमि के अन्दर प्रवेश करना किस प्रकार की गति है?
उत्तर-
अनुवर्तनी।

प्रश्न 5.
तीन प्रकार के न्यूरॉन्स के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. मोटर न्यूरॉन,
  2. संवेदी न्यूरॉन,
  3. बहुध्रुवी न्यूरॉन।

प्रश्न 6.
पत्तियों का पौधों से गिरना किस हॉर्मोन के प्रभाव के कारण होता है ?
उत्तर-
एब्सीसिक अम्ल ।

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प्रश्न 7.
कौन-सा रसायन सूचनाओं को एक तंत्रिका से दूसरी तंत्रिका पर स्थानान्तरित करता है ?
उत्तर-
ऐसीटिल कोलीन।

प्रश्न 8.
प्रतिवर्ती चाप कहाँ बनते हैं ?
उत्तर-
मेरुरज्जु में।

प्रश्न 9.
फेरोमोन्स क्या होते हैं?
उत्तर-
ऐसे रासायनिक पदार्थ जो एक जीव द्वारा स्रावित होते हैं तथा दूसरे जीव पर प्रभाव डालते हैं, फेरोमोन्स कहलाते हैं।

प्रश्न 10.
एड्रीनलीन हॉर्मोन का एक कार्य बताइए।
उत्तर-
यह आपातकालीन स्थिति में शरीर को संकट से बचने के लिए तैयार करता है।

प्रश्न 11.
प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन का कार्य बताइए।
उत्तर-
प्रोजेस्ट्रॉन गर्भाशय में भ्रूण के सही विकास के लिए आवश्यक होता है।

प्रश्न 12.
गुरुत्वानुवर्तन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism)- जड़ों द्वारा गुरुव के प्रभाव से भूमि में नीचे की ओर वृद्धि करना, गुरुत्वानुवर्तन कहलाता है।

प्रश्न 13.
फाइटोक्रोप तथा फाइटोहॉर्मोन्स में क्या अन्तर है?
उत्तर-
फाइटोक्रोम प्रकाश अवशोषक वर्णक हैं तथा ये पुष्पन व अंकुरण में सहायता करते हैं। फाइटो हॉर्मोन पौधों के वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 14.
प्रकाश किस प्रकार वृद्धि को प्रभावित करता
उत्तर-
हरितलवक प्रकाश का अवशोषण करके पौधों के लिए भोजन तैयार करने में सहायक होते हैं जो प्रकाश संश्लेषण विधि से पूर्ण होता है।

प्रश्न 15.
दीर्घ प्रदीप्तिकाली पौधे क्या होते हैं?
उत्तर-
ऐसे पौधे जिन्हें पुष्पन के लिए लम्बे प्रकाश काल की आवश्यकता होती है, दीर्घ प्रदीप्तिकाली गधे कहलाते हैं; जैसे-तम्बाकू।

प्रश्न 16.
अल्प प्रदीप्तिकाली पौधे क्या होते हैं?
उत्तर-
ऐसे पौधे जिन्हें पुष्पन के लिए आल्य प्रकाश काल की आवश्यकता होती है, अल्प प्रदीप्तिकाली पौधे कहलाते हैं; जैसे-गेहूँ।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 17.
दिवस निरपेक्ष पौधे क्या होते हैं?
उत्तर-
ऐसे पौधे जिनके पुष्पन पर प्रकाश की अवधि . का कोई प्रभाव नहीं होता है, दिवस निरपेक्ष पादप कहलाते हैं; जैसे-मिर्च।

प्रश्न 18.
पादप गतियाँ कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर-
पादप गतियाँ मुख्यत: दो प्रकार की होती हैं

  1. अनुवर्तनी गतियाँ,
  2. अनुकुंचनी गतियाँ।

प्रश्न 19.
मस्तिष्क के किस भाग में बुद्धिमत्ता, वेतनता एवं इच्छा शक्ति का केन्द्र होता है ?
उत्तर-
मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क भाग में।

प्रश्न 20.
हाइपोथैलेमस का क्या कार्य है ?
उत्तर-
यह समस्थापन तथा पीयूष ग्रन्थि का नियमन करता है तथा यह संवेदी अंगों के लिए नियंत्रण केन्द्र होता है।

प्रश्न 21.
रसायनानुवर्तन क्या है? इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
किसी रसायन के प्रति पादप गति को रसायनानुवर्तनी गति कहते हैं। उदाहरण-परागनली का वर्तिका में प्रवेश।

प्रश्न 22.
क्रेनियम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मस्तिष्क को सुरक्षित रखने वाला कंकाल जो तीन परतों का बना होता है, क्रेनियम (Cranium) कहलाता

प्रश्न 23.
तंत्रिका कोशिका (Neuron) के तीन भागों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. तंत्रिका काय (Cyton),
  2. तंत्रिकाक्ष (Axon),
  3. वृक्षाभ (Dendrite)।

प्रश्न 24.
मेडुला ओब्लोंगेटा का क्या कार्य है ?
उत्तर-
अनैच्छिक क्रियाओं पर नियन्त्रण रखना।

प्रश्न 25.
मस्तिष्क का कौन-सा भाग बुद्धि तथा स्मरण का केन्द्र है ?
उत्तर-
प्रमस्तिष्क (cerebrum)। .

प्रश्न 26.
मस्तिष्क के तीन प्रमुख भागों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. अग्र मस्तिष्क (Fore brain)।
  2. मध्य मस्तिष्क (Mid brain)।
  3. पश्च मस्तिष्क (Hind brain) ।

प्रश्न 27.
पौधे का प्रकाश की ओर वृद्धि करना किस हॉर्मोन के कारण होता है?
उत्तर-
ऑक्सिन।

प्रश्न 28.
आयोडीन की कमी से होने वाले रोग का नाम लिखिए।
उत्तर-
घेघा।

प्रश्न 29.
मादा हॉर्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर-
एस्ट्रोजन।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अभिग्राहक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अभिग्राहक प्राणियों में विशेष प्रकार की संरचना वाले तंत्रिका अंग हैं, जो प्रकाश, ध्वनि एवं गन्ध द्वारा बाह्य सूचनाओं का ज्ञान कराते हैं। इन्हें क्रमशः प्रकाशग्राही (photoreceptor), ध्वनिग्राही (Audio receptor) एवं गंधग्राही (olfactory receptor) कहते हैं। अभिग्राही सम्बन्धित क्रियाओं से उद्दीपन प्राप्त करके मस्तिष्क को प्रेषित करते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का एक-एक कार्य लिखिए(a) डेन्ड्राइट (b) एक्सॉन (c) सिनेप्स।
उत्तर-
(a) डेन्ड्राइट शरीर की ग्राहियों में स्थित होते हैं। और संवेदनाओं को ग्रहण करते हैं।
(b) एक्सॉन डेन्ड्राइट द्वारा ग्रहण की गई सूचनाओं को न्यूरॉन के अन्तिम छोरों तक पहुँचाते हैं।
(c) सिनेप्स एक न्यूरॉन से सूचनाओं को दूसरे न्यूरॉन पर स्थानान्तरित करते हैं।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए आरेख के (a) से (e) तक के भागों के नाम लिखिए।
(b) 11-(e)
आरेख में दर्शायी गयी घटनाओं के क्रम का नाम लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a) ग्राही,
(b) संवेदी तंत्रिका कोशिका,
(c) मेरुरज्जु,
(d) प्रतिसारण तंत्रिका कोशिका,
(e) प्रेरक तंत्रिका कोशिका।

आरेख में दर्शायी गयी घटनाओं का क्रम :

  • ग्राही अंग द्वारा ऊष्मीय उद्दीपन को प्राप्त करना।
  • संवेदी तंत्रिका द्वारा उस उद्दीपन को विद्युत लहर के रूप में मेरुरज्जु तक ले जाना।
  • मेरुरज्जु की प्रतिसारण तंत्रिका द्वारा उसका विश्लेषण।
  • भुजा की पेशियों द्वारा उद्दीपन के प्रति कार्य करना।

प्रश्न 4.
अन्तर्मुखी क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर-
अन्तर्मुखी क्रिया सामान्यतः स्वतः होने वाली अनुक्रिया है। यह तंत्रिका प्रणाली युक्त जन्तुओं में पाया जाने वाला सामान्य व्यवहार का रूप है। उदाहरणार्थ, किसी व्यक्ति का हाथ गर्म वस्तु पर पड़ने पर वह तुरन्त हाथ हटा लेता है। वास्तव में इस प्रक्रिया का संदेश तंत्रिकाओं के माध्यम से रीढ़ की हड्डी से हाथ की माँसपेशियाँ तक पहुँचने वाली तंत्रिकाओं को सचेत कर देना है, जिसका – तात्कालिक परिणाम यह होता है कि माँसपेशियों में सिकुड़न होती है तथा हाथ खींच लिया जाता है।

प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती चाप को रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 1

प्रश्न 6.
मानव मस्तिष्क का नामांकित चित्र बनाइए। (मा. शि. बोर्ड 2012)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 2

प्रश्न 7.
मानव प्रमस्तिष्क के विभिन्न भागों को चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 3

प्रश्न 8.
मस्तिष्क के विभिन्न भाग विशिष्ट कार्यों से संबद्ध हैं। मानव मस्तिष्क के उस भाग का नाम लिंखिए जो निम्नलिखित कार्य करता है: .
(a) पेट पूरा भरा होने की संवेदना
(b) वमन (उल्टी आना)
(c) किसी पेंसिल को उठाना
(d) साइकिल चलाना
उत्तर-
(a) पेट पूरा भरा होने की संवेदना-अग्र-मस्तिष्क।
(b) वमन (उल्टी आना)-पश्चमस्तिष्क का मेडुला भाग।
(c) किसी पेंसिल को उठाना-अनुमस्तिष्क ।
(d) साइकिल चलाना-अनुमस्तिष्क।

प्रश्न 9.
कानों को सन्तुलन अंग क्यों कहते हैं ? .
उत्तर-
कान सुनने के अलावा सन्तुलन का कार्य भी करते हैं। अंतः कर्ण की अर्द्धचन्द्राकार नलिकाओं की तुम्बिका नलियाँ, सैक्युलस तथा यूट्रिकुलस शरीर का सन्तुलन बनाने का कार्य करती हैं। यूट्रिकुलस तथा सैक्युलस के मैकुला तथा अर्द्धचन्द्राकार नलिकाओं के तुम्बिका (ampulla) में स्थित संवेदी कूटों द्वारा गतिक सन्तुलन नियन्त्रित होता है। जब शरीर एक ओर झुक जाता है तो तुम्बिकाओं में स्थित ऑटोकोनिया उसी ओर जाकर संवेदी कूटों को उद्दीपन प्रदान करते हैं। इससे तंत्रिका आवेग उत्पन्न होता है और मस्तिष्क में शरीर के झुकने की सूचना पहुँच जाती है। मस्तिष्क प्रेरक तंत्रिकाओं द्वारा सम्बन्धित पेशियों को सूचना भेजकर शरीर का सन्तुलन बनाता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 10.
निम्नलिखित अंगों पर अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र का क्या प्रभाव पड़ता है-
(i) हृदय,
(ii) रक्त वाहिनियाँ,
(iii) नेत्र
(iv) ट्रेकिया,
(v) लार ग्रन्थियाँ,
(vi) अधिवृक्क ग्रन्थि,
(vii) मूत्राशय,
(viii) स्वेद ग्रन्थियाँ।
उत्तर
(i) हृदय-स्पंदन दर बढ़ जाती है।
(ii) रक्त वाहिनियाँ-संकुचित होने से, रुधिर दाब बढ़ जाता है।
(iii) नेत्र-उपतारा फैल जाता है।
(iv) ट्रेकिया-ट्रेकिया फैलने से, अधिक वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है।
(v) लार ग्रन्थियाँ-लार का स्रावण कम होता है।
(vi) अधिवृक्क ग्रन्थि-एड्रीनलीन हॉर्मोन का स्रावण प्रेरित करता है।
(vii) मूत्राशय-संकुचन कर, मूत्र त्याग को प्रेरित करता है।
(viii) स्वेद ग्रन्थियाँ-पसीना स्रावण को प्रेरित करता है।

प्रश्न 11.
शरीर में मस्तिष्क किस प्रकार सुरक्षित रहता
उत्तर-
मस्तिष्क शरीर का अत्यन्त कोमल अंग है। इसमें अरबों की संख्या में तंत्रिकाएँ (Neurons) उपस्थित होती हैं। इसको सुरक्षित रखने के लिए इसके ऊपर तीन आवरण या तंत्रिकाएँ (Menings) होती हैं।

ये निम्न हैं-

  • सबसे बाहर की ओर दृढ़तानिका या ड्यूरामेटर,
  • बीच वाली परतं जाल तानिका या एरेकोइड, तथा
  • सबसे अन्दर की ओर मृदुतानिका या पियामेटर होती है।

इन आवरणों के बीच-बीच में एक तरल भरा होता है जो मस्तिष्क की आघातों से सुरक्षा करता है।

प्रश्न 12.
तंत्रिका तंत्र कैसे कार्य करता है? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तंत्रिका कोशिकाओं के दूमिका सिरे ग्राही अंगों से सूचनाएँ ग्रहण करके इन्हें मेरुरज्जु में पहुँचाते हैं। यहाँ पर ये सूचनाएँ संसाधित होती हैं। इसके पश्चात् इनका स्थानान्तरण आवेग के रूप में कार्यकारी पेशियों को कर दिया जाता है जिससे वांछित क्रिया सम्पन्न होती है।

प्रश्न 13.
वृद्धि गति तथा स्फीति गति के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वृद्धि गति तथा स्फीति गति में अन्तर-

वद्धि गतिस्फीति गति
1. यह एक दिशा से हो रहे उद्दीपन के प्रति अनु- क्रिया करती है।इसमें उद्दीपन की दिशा का कोई प्रभाव नहीं होता है।
2. यह कोशिकाओं की असमान वृद्धि के कारण होती है।स्फीति गति कोशिकाओं की स्फीति गति में परि वर्तन आने के कारण होती है।
3. वृद्धि गति अनुत्क्रमणीय होती है।स्फीति गति उत्क्रमणीय होती है।

प्रश्न 14.
अनुवर्तनी गति तथा अनुचलन गति में अन्तर कीजिए।
उत्तर-
अनुवर्तनी गति तथा अनुचलन गति में अन्तर

अनुवर्तनी गति(Tropic Movement)अनुचलन गति (Tactic Movement)
1. इसमें उद्दीपन गति की दिशा का निर्धारण करता है।इसमें उद्दीपन गति की दिशा का निर्धारण नहीं करता है।
2. यह स्थिर पौधों द्वारा प्रदर्शित वक्रता गति होती है। अतः यह अनुवर्तन गति होती है।इसमें सम्पूर्ण पादप या उसके किसी भाग में स्थान परिवर्तन होता है, अत: यह अनुचलन गति है।
3. उद्दीपन के आधार पर अनुवर्तनी गति अनेक प्रकार की हो सकती है। जैसे-प्रकाशानुवर्तन, गुरुत्वानुवर्तन, रसायना नुवर्तन आदि।उद्दीपन के आधार पर अनुचलन गति भी अनेक प्रकार की होती है। जैसे-प्रकाशानुचलन, ताप अनुचलन आदि।

प्रश्न 15.
बीजांकुरण में जड़ें सदैव भूमि की ओर तथा प्ररोह ऊपर की ओर वृद्धि करते हैं। क्यों ? प्रयोग द्वारा समझाइए। (मा. शि. बो. 2012)
उत्तर-
बीजांकुरण में जड़ों का भूमि की ओर जाना धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन तथा प्ररोह का ऊपर की ओर वृद्धि करना धनात्मक प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। प्रयोग-बुरादे या रेत में कुछ बीजों को अंकुरित कराते हैं। इनमें प्ररोह ऊपर की ओर तथा जड़ें नीचे की ओर वृद्धि करती हैं। यदि गमले को क्षैतिज लिटा दिया जाए तो भी जड़ें नीचे की ओर तथा प्ररोह ऊपर की ओर मुड़ जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 4

प्रश्न 16.
शीर्ष प्रमुखता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
शीर्ष प्रमुखता (Apical Dominance)-यह ऑक्सिन नामक पादप हॉर्मोन्स का एक प्रमुख गुण है। ऑक्सिन प्ररोह शीर्ष में स्रावित होता है। इसके प्रभाव से प्ररोह पर स्थित कक्षस्थ कलिकाओं की वृद्धि रुक जाती है और पौधों में शीर्ष वृद्धि अधिक होती है। यदि पौधे के शीर्ष भाग को काट दिया जाए तो इनमें उपस्थित ऑक्सिन हट जाता है और पार्श्व कलिकाएँ वृद्धि करने लगती हैं। इसे शीर्ष प्रमुखता कहते हैं। इसीलिए माली हेज लगाने के लिए शीर्ष कलिकाओं को काट देते हैं।

प्रश्न 17.
अनिषेक फलन क्या है ? इसमें ऑक्सिन का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
अनिषेक फलन (Parynenocarpy)-बीज रहित फलों का निर्माण होना अनिषेक फलन कहलाता है। अनिषेक फलन ऑक्सिन द्वारा कृत्रिम रूप से प्रेरित किया जा सकता है। यदि अनिषेचित वर्तिकान पर निश्चित सान्द्रता वाले ऑक्सिन घोल का लेपन करके इसे परागण होने से रोक दिया जाता है तो ऐसा करने से फल का निर्माण तो होता है लेकिन इनमें बीजों का निर्माण नहीं होता है।

प्रश्न 18.
अपृतनाशन में ऑक्सिन की भूमिका लिखिए।
उत्तर-
फसल से अवांछनीय पौधों का उन्मूलन करना अपृतनाशन कहलाता है। कुछ ऑक्सिन्स जैसे-2-4-D, 2-4, 5T आदि का छिड़काव करने से कुछ द्विबीजपत्री पौधे (चौड़ी पत्ती । वाले) नष्ट हो जाते हैं। इनके छिड़कने से एकबीजपत्री पौधे,जैसे-गेहूँ, जौ, आदि पर कोई खास प्रभाव नहीं होता है।

प्रश्न 19.
हमारे शरीर में हॉर्मोन्स का महत्त्व बताइए।
उत्तर-
हॉर्मोन्स हमारे शरीर में वृद्धि, परिवर्धन, परिपक्वन एवं जनन की बहुत-सी क्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं। ये विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं की दर तथा उनकी लयात्मक विविधताओं का एवं ऊर्जा व्यय का नियमन भी करते हैं। हॉर्मोन्स तंत्रिका तंत्र की क्रियाविधि का भी नियमन करते हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व और उसका आचरण मुख्यतः अन्तःस्रावी ग्रन्थियों पर ही निर्भर होता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 20.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
(i) सरल गलगंड,
(ii) अवटुवामनता,
(iii) मिक्सिडिया।
उत्तर-
(i) सरल गलगंड-यह आहार में आयोडीन की कमी के कारण होता है। इसकी कमी से थायरॉक्सिन के निर्माण में कमी हो जाती है, जिससे थायरॉइड ग्रन्थि फूल जाती है और गर्दन सूजी हुई दिखाई देती है।
(ii) अवटुवामनता-इसमें बालकों में वृद्धि कम होती है। बालक बौना तथा मन्द बुद्धि रह जाता है। यह थायरॉक्सिन के अल्प स्त्रावण से होता है।
(iii) मिक्सिडिया-थायरॉक्सिन के अल्प स्रावण से यह रोग वयस्कों में होता है। इससे हाथ-पैरों में सूजन हो जाती है।

प्रश्न 21.
पीयूष ग्रन्थि से स्रावित होने वाले चार हॉर्मोन्स के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • वृद्धि हॉर्मोन (Growth hormone),
  • थायरॉइड उद्दीपक हॉर्मोन (Thyroid stimulating hormone),
  • एड्रीनो कोर्टिकोट्रोपिक हॉर्मोन (Adreno cortico tropic hormone),
  • गोनेडो उद्दीपक हॉर्मोन (Gonado stimulating hormone)।

प्रश्न 22.
कोई गिलहरी आतंक की परिस्थिति में है। वह अपने शरीर को लड़ने के लिए अथवा वहाँ से भागने के लिए तैयार करती है। उसके शरीर में तत्काल होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए जिससे कि वह गिलहरी लड़ अथवा भाग सके। (CBSE 2020)
उत्तर-
ऐसे समय में गिलहरी की अधिवृक्क ग्रन्थि द्वारा एड्रीनलीन हॉर्मोन सीधा रुधिर में स्रावित हो जाता है और फिर शरीर के सभी भागों में पहुँच जाता है। इसके परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन और श्वसन दर बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर, गिलहरी के शरीर को इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।
अथवा
बहुकोशिकीय जीवों की कोशिकाओं के बीच संचार के साधन के रूप में विद्युत आवेग की तुलना में रासायनिक संचरण बेहतर क्यों होता है? (CBSE 2020)
उत्तर-
विद्युत आवेग तंत्रिकाओं द्वारा अंगों तक जाता है इसलिए जीव के किसी अंग की सभी कोशिकाओं तक जल्दी से इसका संचार नहीं हो पाता, जबकि रासायनिक संचरण में हॉर्मोन का प्रवाह, रक्त परिवहन द्वारा होता है। ये हॉर्मोन किसी अंग की कोशिकाओं को कार्य करने के लिए जल्दी से प्रेरित करते हैं तथा रक्त परिसंचरण द्वारा उस अंग तक पहुँच भी जल्दी जाते हैं। इसलिए विद्युत आवेग की तुलना में रासायनिक संचरण बेहतर माना जाता है।

प्रश्न 23.
पादप हॉर्मोन क्या होते हैं? निम्नलिखित के लिए उत्तरदायी हॉर्मोन के नाम लिखिए।
(i) तने की वृद्धि में सहायक
(ii) कोशिका विभाजन को प्रेरित करना
(iii) वृद्धि का संदमन
(iv) कोशिका की लम्बाई में वृद्धि में सहायक (CBSE 2019)
उत्तर-
पादप हॉर्मोन-यह एक प्रकार के रसायन होते हैं जो पौधे के विकास एवं वृद्धि की क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
(i) तने की वृद्धि में सहायक-जिबरेलिन हॉर्मोन।
(ii) कोशिका विभाजन को प्रेरित करनासाइटोकाइनिन हॉर्मोन।
(iii) वृद्धि का संदमन-एब्सिसिक अम्ल (ABA) हॉर्मोन।
(iv) कोशिका की लम्बाई में वृद्धि में सहायक- ऑक्सि हॉर्मोन।

प्रश्न 24.
अग्नाशय ग्रन्थि से स्रावित होने वाले हॉर्मोन का नाम तथा कार्य लिखिए। इसकी कमी से होने वाले रोग का नाम लिखिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
अग्नाशय ग्रंथि से स्रावित होने वाले हॉर्मोनइन्सुलिन का कार्य रक्त में शर्करा का स्तर कम रखना होता है। इसकी कमी से मधुमेह नाम की बीमारी होती है।

प्रश्न 25.
अण्डाशय तथा वृषण से स्रावित हॉर्मोन्स के नाम तथा कार्य लिखिए।
उत्तर-

  1. अण्डाशय से स्रावित हार्मोन-एस्ट्रोजन्स (Estrogens)। कार्य-ये जननांगों (गर्भाशय, योनि, स्तन आदि) के विकास को प्रेरित करते हैं। इनके कारण द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है। यह रजोधर्म को प्रारम्भ करता है।
  2. वृषण से स्रावित हॉर्मोन-एण्ड्रोजन्स (Androgens)। कार्य-ये लैंगिक परिपक्वता, जननांगों के विकास, द्वितीयक लैंगिक लक्षण आदि के विकास में सहायक हैं। पुरुषों की भारी आवाज, अधिक मजबूत शरीर, दाढ़ी, मूंछ आदि इसी के प्रभाव से विकसित होते हैं।

प्रश्न 26.
एड्रीनलीन तथा नॉर-एड्रीनलीन का स्त्रावण किस ग्रन्थि से होता है ? इसके कार्य लिखिए।
उत्तर-
एड्रीनलीन तथा नॉर-एड्रीनलीन हॉर्मोन्स अधिवृक्क ग्रन्थि के मैडुला भाग से स्रावित होते हैं।

  • एडीनलीन या एपीनेफ्रीन प्रमुख हॉर्मोन है। यह ग्लाइकोजेनोलाइसिस तथा वसा के विघटन को प्रेरित करता है। यह हृदय स्पंदन दर, श्वास दर, ग्लूकोज की खपत एवं उपापचय दर को बढ़ाता है। यह संकट की अवस्था में शरीर को उग्र प्रतिक्रिया के लिए तैयार करता है।
  • नॉर-एड्रीनलीन या नॉर-एपीनेफ्रीन अल्प मात्रा में स्रावित होता है। यह रुधिर दाब बढ़ाता है तथा हृदय की संकुचनशीलता को नियन्त्रित करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए।(RBSE 2010, CBSE 2017)
उत्तर-
“बहुत सी क्रियाएँ बाह्य उद्दीपनों के कारण अनुक्रिया (response) के रूप में घटित होती हैं, इन्हें प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहते हैं।” काँटा चुभते ही पैर को झटके से ऊपर खींचना, गर्म वस्तु छू जाने पर हाथ खींचना, तीव्र प्रकाश में आँख की पुतली का सिकुड़ना, खाँसना, छींकना, पलक झपकना आदि प्रतिवर्ती क्रिया के उदाहरण हैं।

प्रतिवर्ती क्रियाएँ रीढ़ रज्जु से नियन्त्रित होती हैं। मस्तिष्क को निकाल देने पर ये कुछ समय के लिए चलती रहती हैं। अतः प्रतिवर्ती क्रिया किसी उद्दीपन के प्रति अंग या अंगों के तंत्र द्वारा तीव्र गति से की जाने वाली स्वचालित अनुक्रिया है। __रीढ़ रज्जु से रीढ़ तंत्रिकाएँ निकलती हैं। प्रत्येक रीढ़ तंत्रिका पृष्ठ मूल तथा अधर मूल से मिलकर बनती है। पृष्ठ मूल में संवेदी तन्तु तथा अधर मूल में चालक तन्तु होते हैं। संवेदी अंग उद्दीपन को ग्रहण कर संवेदी तन्तुओं द्वारा रीढ़ रज्जु तक पहँचाते हैं, इसके फलस्वरूप रीढ़ रज्ज से अनक्रिया के लिए आवेश चालक तन्तओं द्वारा सम्बन्धित माँसपेशियों को मिलता है और अंग अनुक्रिया करता है।

इस प्रकार संवेदी अंगों से, संवेदनाओं को संवेदी तन्तुओं द्वारा रीढ़ रज्जु तक आने या रीढ़ रज्जु से प्रेरणा के रूप में अनुक्रिया करने वाले अंगों की माँसपेशियों तक संदेश पहुँचाने के मार्ग को प्रतिवर्ती चाप (Reflex arc) तथा होने वाली क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex action) कहते हैं। महत्त्व-बाह्य तथा आन्तरिक उद्दीपनों के फलस्वरूप होने वाली ये क्रियाएँ सुषुम्ना द्वारा नियन्त्रित होती हैं। इससे मस्तिष्क पर कार्य दबाव कम हो जाता है। क्रिया होने के पश्चात् मस्तिष्क को सूचना प्रेषित कर दी जाती है।
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प्रश्न 2.
मानव के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) – इसके अन्तर्गत मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु आते हैं। मस्तिष्क शरीर का मुख्य नियन्त्रक एवं समन्वयन केन्द्र होता है।

मस्तिष्क (Brain)-मस्तिष्क अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अंग है। यह अत्यधिक कोमल होता है जो कपाल (Cranium) में सुरक्षित रहता है। यह चारों ओर से त्रिस्तरीय झिल्ली से घिरा होता है। बाहरी दृढ़ झिल्ली दृढ़ तानिका (Duramater), मध्य वाली झिल्ली मृदुतानिका (Piamater) तथा आन्तरिक झिल्ली जालतानिका (Arachoid) कहलाती है।

मस्तिष्क के प्रमुख तीन भाग होते हैं –
1. अग्र मस्तिष्क-इसके अन्तर्गत घ्राण पिण्ड, प्रमस्तिष्क तथा डाएनसिफलॉन आते हैं। घ्राण पिण्ड गंध -ज्ञान के, प्रमस्तिष्क स्मृति, सोचने-विचारने, तर्क शक्ति आदि के तथा डाएनसिफलॉन भूख, प्यास, नींद, ताप नियन्त्रण, उपापचय आदि के केन्द्र होते हैं।

2. मध्य मस्तिष्क-मध्य मस्तिष्क का अधिकांश भाग अनुमस्तिष्क से ढका होता है। यह दृष्टि ज्ञान कराता है।
3. पश्च मस्तिष्क-इसके अन्तर्गत अनुमस्तिष्क, पोन्स तथा मस्तिष्क पुच्छ आता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 6

  • पोन्स-अनुमस्तिष्क के सामने तथा मस्तिष्क पुच्छ के ऊपर स्थित होता है। यह हृदय स्पंदन तथा श्वसन आदि क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।
  • अनुमस्तिष्क-प्रमस्तिष्क के पश्च भाग के नीचे स्थित गोलाकार भाग होता है। यह शरीर का सन्तुलन बनाने का कार्य करता है।
  • मस्तिष्क पुच्छ (Medulla oblongata)-मस्तिष्क का पश्च बेलनाकार भाग है, यह शरीर की अनैच्छिक क्रियाओं पर नियन्त्रण रखता है।

मेरुरज्जु या सुषुम्ना (Spinal Cord)-मस्तिष्क का पश्च भाग लम्बा होकर कपाल के पश्च छोर पर उपस्थित महारन्ध्र से निकलकर रीढ़ की हड्डी में फैला रहता है। यही मेरुरज्जु कहलाता है। रीढ़ की हड्डी कशेरुकाओं की बनी होती है तथा इसके मध्य में एक तंत्रिका नाल होती है। इसी तंत्रिका नाल में मेरुरज्जु स्थित होती है। मेरुरज्जु मस्तिष्क से प्राप्त तथा मस्तिष्क को जाने वाले आवेगों के लिए पथ प्रदान करता है। यह प्रतिवर्ती क्रियाओं के संचालन एवं नियमन के कार्य भी करता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के कार्यों का वर्णन कीजिए –
1. ऑक्सिन्स
2. जिबरेलिन्स,
3. एसीसिक अम्ल
4. सायटोकाइनिन,
5. इथाइलीन।
उत्तर-
1. ऑक्सिन (Auxins)-ऑक्सिन्स के अन्तर्गत अनेक हॉर्मोन्स आते हैं, जैसे-इंडोल ऐसीटिक एसिड (IAA), इंडोल ब्यूटाइरिक एसिड (IBA), नैफ्थलीन ऐसीटिक एसिड (NAA), 2-4 डाइफिनोल ऐसीटिक एसिड (2-4, D) आदि ।

इनके कार्य निम्नलिखित हैं

  • कोशिकाओं में विवर्धन करना।
  • कोशिका विभाजन में सहायता करना।
  • फलों व पत्तियों को असमय गिरने से रोकना।
  • कायिक प्रजनन में सहायता करना।
  • खरपतवार नियन्त्रण।

2. जिबरेलिन्स (Gibberellins)-ये भी विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे GA1, GA2, GA3, आदि।

इनके कार्य निम्नलिखित हैं-

  • तनों की लम्बाई में वृद्धि करना।
  • बीजों के अंकुरण को बढ़ानां
  • कलिका प्रसुप्ति को कम करना।
  • पुष्पों के खिलने में सहायता करना।
  • कुछ पौधों में अनिषेक फलन उत्पन्न करना।

3. एब्सीसिक अम्ल (Abscissic Acid)-इसे वृद्धि रोधक हॉर्मोन कहते हैं।

इसके निम्नलिखित कार्य हैं ।

  • पौधों की वृद्धि को नियन्त्रित करता है।
  • सूखे की स्थिति में रन्ध्रों को बन्द करता है।
  • बीजों एवं कलियों में अंकुरण का संदमन करता
  • प्रोटीन के संश्लेषण को प्रोत्साहित करता है।

4. सायटोकाइनिन्स (Cytokinins)-

इसके कार्य निम्नलिखित हैं-

  • कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
  • जीर्णता को नष्ट करता है।
  • सुप्तावस्था को नष्ट करता है।
  • पोषक पदार्थों के स्थानान्तरण में सहायक होता है।

5. इथाइलीन (Ethylene)-यह एक गैसीय हॉर्मोन है।

इसके निम्नलिखित कार्य हैं-

  • फलों के पकने में सहायक होता है।
  • मादा पुष्पों की संख्या बढ़ाता है।
  • विलगन को प्रेरित करता है।
  • तनों के फूलने में सहायक होता है।

प्रश्न 4.
मानव शरीर में पायी जाने वाली प्रमुख अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियों के नाम, उनसे स्त्रावित हॉर्मोन्स तथा कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
मानव शरीर में पायी जाने वाली प्रमुख अन्तः स्रावी ग्रन्थियाँ निम्नलिखित हैं-

1.पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland)-इससे निम्नलिखित हॉर्मोन्स स्रावित होते हैं-

  • वृद्धि हॉर्मोन (GH)-यह अस्थियों तथा ऊतकों की वृद्धि को नियन्त्रित करता है।
  • एन्टीडाइयूरेटिक हॉर्मोन (ADH)-यह वृक्क द्वारा जल के पुनः अवशोषण को नियमित करता है।
  • ACTH-यह कार्टिसोन निर्माण के लिए अधिवृक्क कॉर्टेक्स को उत्तेजित करता है।
  • FSH-यह एस्ट्रोजन सावण के लिए अण्डाशय को उत्तेजित करता है।
  • TSH- यह थायरॉक्सिन के स्रावण के लिए थायरॉइड ग्रन्थि को उत्तेजित करता है।

2. थायरॉइड (Thyroid)- इससे थायरॉक्सिन हॉर्मोन स्रावित होता है। थायरॉक्सिन उपापचय तथा वृद्धि की दर नियमित करता है। इसकी कमी से पेंघा रोग हो जाता है तथा शरीर में शिथिलता आ जाती है। इसकी अधिकता से भीमकायिकता रोग उत्पन्न हो जाता है।

3. अग्न्याशय (Pancreas)-इसकी. लैंगरहैंस की द्वीपिकाओं की बीटा कोशिकाओं से इन्सुलिन का स्रावण होता है। इन्सुलिन शर्करा के उपापचय का नियमन करता है। इसकी कमी से रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और शरीर में कमजोरी आती है, ऐसी स्थिति को मधुमेह (Diabetes) कहते हैं।

4. अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal gland)- इससे कार्टिसोन का स्रावण होता है। कार्टिसोन (Cortison) प्रोटीन को शर्करा में बदलने का कार्य करता है।

5. अण्डाशय (Ovary)-इससे एस्ट्रोजन का स्रावण होता है। एस्ट्रोजन (Estrogen) मादा लक्षणों का विकास करता है।

6. वृषण (Testes)- इनसे टेस्टोस्टेरॉन का स्रावण होता है।

7. टेस्टोस्टेरॉन (Testosteron)-यह नर लक्षणों का विकास करता है।

प्रश्न 5.
हॉर्मोन नियमन की पुनर्भरण क्रियाविधि क्या है? इस परिघटना की व्याख्या इन्सुलिन का उदाहरण लेकर कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
वह क्रियाविधि जिसके माध्यम से हमारे शरीर में ग्रंथियों द्वारा स्रावित होने वाले हॉर्मोनों के समय व मात्रा को नियंत्रित किया जाता है, हॉर्मोन की पुनर्भरण क्रियाविधि कहलाती है।

उदाहरण-जब रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, तो अग्नाश्य की कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाएँ, प्रतिक्रिया स्वरूप, अधिक मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन करती हैं। इसके विपरीत जब रक्त में शर्करा का स्तर कम हो जाता है तो अपने आप ही इन्सुलिन की मात्रा कम स्रावित होने लगती है।

प्रश्न 6.
“हमारे शरीर में नियन्त्रण और समन्वय का कार्य तंत्रिका तंत्र और हॉर्मोनी तंत्र द्वारा मिलकर किया जाता है।” किसी उदाहरण की सहायता से इस कथन की पुष्टि कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
तंत्रिका तंत्र, बाहर के उद्दीपनों को, शरीर की ग्राही कोशिकाओं से प्राप्त करके, मस्तिष्क अथवा मेरुरज्जु तक संदेश भेजता है, फिर प्रेरक तंत्रिकाओं द्वारा कार्य कर अंगों को उस पर क्रिया करने के लिए प्रेरक संदेश भेजता जाता है। तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित क्रियाएँ एच्छिक अथवा अनैच्छिक दोनों प्रकार की हो सकती हैं। हॉर्मोन तंत्र में अन्तःस्रावी ग्रंथियों द्वारा रासायनिक हॉर्मोन स्रावित होते हैं। यह हॉर्मोन रक्त द्वारा उस अंग तक पहुँचते हैं, जिस अंग की क्रिया पर उन्हें नियंत्रण करना होता है। उदाहरण के लिए, अग्नाश्य ग्रंथि द्वारा इन्सुलिन हॉर्मोन स्रावित होता है और यह हॉर्मोन रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 7.
जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय के लिए तंत्रिका तथा हार्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
तंत्रिका कार्यविधि तथा हार्मोन कार्यविधि में अंतर :

तंत्रिका कार्यविधिहार्मोन कार्यविधि
1. इसमें बाहरी उद्दीपन तथा उसकी प्रतिक्रिया रासा- यनिक तथा विद्युत तरंग के रूप में तंत्रिका कोशि- काओं में से प्रवाहित होती है।1. हार्मोन, अन्त:स्रावी ग्रंथियों द्वारा उत्पन्न होकर रक्त द्वारा उस अंग तक पहुँचते हैं, जिसके कार्य को उस हार्मोन ने नियंत्रित करना होता है।
2. तंत्रिका वेग अपने कार्यों को शीघ्रता से पूरा करती हैं।2. हार्मोन अपने कार्यों को धीरे-धीरे पूरा करते हैं।
3. तंत्रिकाओं द्वारा पेशियों से कार्य करवा कर उद्दीपन के प्रति प्रतिक्रिया काफी तीव्रता से होती है।3. हार्मोनों द्वारा प्रतिक्रिया तंत्रिकाओं की अपेक्षा इतनी तीव्रता से नहीं हो पाती है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में अन्तर लिखिए
(i) अन्तःस्रावी तथा बहिस्स्रावी ग्रन्थियाँ
(ii) अनुकंपी तथा परानुकंपी तंत्रिका तंत्र
(iii) हॉर्मोन तथा एन्जाइम। [RBSE 2015]
उत्तर-
(i) अन्तःस्रावी तथा बहि स्रावी ग्रन्थियों में अन्तर

अन्तःस्त्रावी ग्रन्थिबहिःस्रावी ग्रन्थि
1. ये नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ हैं।1. ये नलिकायुक्त ग्रन्थियाँ हैं।
2. इनके स्राव को रुधिर द्वारा गंतव्य तक पहुँचाया जाता है।2. इनका स्राव नलिकाओं द्वारा शरीर के भीतर तक पहुँचता है।
3. ये विशेष अंगों की उचित वृद्धि और कार्यों के लिए उत्तरदायी हैं।3. ये भोजन एवं बाह्य पदार्थों पर कार्य करने में निपुण होती हैं।

(ii) अनुकंपी तथा परानुकंपी तंत्रिका तंत्र में अन्तर

अनुकंपी तंत्रिका तंत्रपरानुकंपी तंत्रिका तंत्र
1. यह मेरुरज्जु के दोनों तरफ गुच्छकों की एक दोहरी कड़ी होती है। प्रत्येक में 18 गुच्छक (ganglion) होते हैं।1. ये भी जोड़ीदार होते हैं लेकिन ये आंतरिक अंगों के समीप नहीं होते हैं।
2. तंत्रिका तन्तु इन गुच्छकों को केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तथा आंतरिक अंगों से जोड़ते हैं।2. यह तंत्र मस्तिष्क से निकलता है तथा मेरुरज्जु के पश्च भाग तक स्थित होता है।

(iii) हॉर्मोन्स तथा एन्जाइम में अन्तर-

हॉर्मोन्सएन्जाइम
1. ये कार्बनिक पदार्थ हैं जो अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होते हैं।1. ये भी कार्बनिक पदार्थ हैं जो बहिस्रावी ग्रन्थियों के पाचक रस में पाए जाते हैं।
2. इनका बहन रुधिर द्वारा होता है।2. इनका वहन नलिकाओं द्वारा होता है।
3. ये उपापचयी क्रिया में प्रयुक्त हो जाते हैं।3. ये उपापचयी क्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
4. ये ग्लाइकोप्रोटीन, स्टी- रॉइड या पॉलीपेप्टाइड होते हैं।4. ये प्रोटीन होते हैं।

प्रश्न 9.
मानव में पायी जाने वाली विभिन्न अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियों का वर्णन कीजिए। [RBSE 2015]
उत्तर-
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine glands) –
अन्तःस्रावी अथवा एण्डोक्राइन (endocrine) ग्रन्थियों से अभिप्राय ऐसी ग्रन्थियों से है, जो आन्तरिक रूप से स्रावण करती हैं। इनमें नलिकायें न पायी जाने के कारण इन्हें नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ (ductless glands) भी कहते हैं। ग्रन्थियों से स्रावित होने वाले विशिष्ट पदार्थों को हॉर्मोन्स (hormones) कहते हैं। हॉर्मोन्स का शरीर के विभिन्न अंगों तक संचरण रुधिर प्रवाह के माध्यम से होता है।

मनुष्य में निम्नलिखित अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं-
1. पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland)-यह मस्तिष्क में स्थित होती है।
2. थाइरॉइड ग्रन्थि (Thyroid gland)-यह गले में स्थिति होती है।
3. पैराथाइरॉइड ग्रन्थि (Parathyroid gland)-यह भी गले में स्थित होती है।
4. एड्रीनल ग्रन्थि (Adrenal gland)-यह उदर में वृक्क के पास स्थित होती है।
5. थाइमस ग्रन्थि (Thymus gland)-यह वक्ष में स्थित होती है।
6. पीनियल काय (Pineal body)-यह मस्तिष्क में स्थित होते है।

उपर्युक्त अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के अतिरिक्त वृक्क (kidneys), वृषण (testes), अण्डाशय (ovary), प्लैसेन्टा, आहारनाल (alimentary canal), त्वचा आदि ऐसे अंग हैं जिनमें हॉर्मोन्स का स्रावण होता है। अग्न्याशय से भी हॉर्मोन्स का स्त्रवण होता है तथा यह एक मिश्रित ग्रन्थि (अन्तःस्रावी व बहिःस्रावी दोनों प्रकार की) होती है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 10.
निम्नलिखित के कार्य लिखिए
(i) ऑक्सीटोसिन
(ii) वेसोप्रेसिन
(iii) प्रोलैक्टिन
(iv) प्रेरक तंत्रिका
(v) मिश्रित तंत्रिका
(vi) साहचर्य तंत्रिका
(vii) संवेदी तंत्रिका
(viii) फीरोमोन्स
(ix) एसीटिलकोलीन
(x) फ्लोरीजेन
उत्तर-
(i) ऑक्सीटोसिन (Oxytosin)-यह हॉर्मोन गर्भवती स्त्री के गर्भाशय के प्रबल संकुचनों को प्रेरित करता है, जिससे बच्चे का जन्म होता है।
(ii) वेसोप्रेसिन (Vasopresin)-यह हॉर्मोन रक्त चाप के बढ़ने पर रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है। यह वृक्क नलिकाओं में से जल के पुनः अवशोषण को भी बढ़ाता है।
(iii) प्रोलैक्टिन (Prolactin)-यह हॉर्मोन दुग्ध ग्रन्थियों में दुग्ध उत्पादन की प्रेरणा देता है।
(iv) प्रेरक तंत्रिका (Motor Neuron)-ये आवेग को मुख्य तंत्रिका तंत्र से प्रेरक (पेशी या ग्रन्थि) में ले जाता है।
(v) मिश्रित तंत्रिका (Mixed Neuron)-इनके अन्दर संवेदना एवं प्रेरण दोनों के गुण होते हैं।
(vi) साहचर्य तंत्रिका (Associate Neuron)-ये संवेदी एवं प्रेरक तंत्रिकाओं के बीच साहचर्य बनाए रखते हैं।
(vii) संवेदी तंत्रिका (Sensory Neuron)-आवेग को सूचना ग्राही से मुख्य तंत्रिका तंत्र में ले जाना।
(viii) फीरोमोन्स (Feromones)-ये विशेष रासायनिक पदार्थ हैं जिन्हें जन्तु द्वारा दूसरे जन्तुओं को भगाने, स्वयं की रक्षा करने या जोड़ा बनाने के लिए शरीर से बाहर छोड़ा जाता है।
(ix) ऐसीटिलकोलीन (Acetylcholine)-यह एक्सॉन के अन्तिम सिरों से निकलकर अगले न्यूरॉन में एक नया आवेग प्रारम्भ करता है।
(x) फ्लोरीजेन (Florigen)-ये उद्दीपन को पत्तियों से पुष्पों तक ले जाता है तथा पुष्पों के खिलने में सहायक है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective type Qusetions)

1. निम्न में से कौन-सी ग्रन्थि मास्टर ग्रन्थि कहलाती है-
(a) थायरॉइड ग्रन्थि
(b) पीयूष ग्रन्थि
(c) अग्न्याशय
(d) एड्रीनल ग्रन्थि।
उत्तर-
(b) पीयूष ग्रन्थि।

2. अग्न्याशय से स्त्रावित हॉर्मोन है
(a) वृद्धि हॉर्मोन
(b) थायरॉक्सिन
(c) प्रोलैक्टिन
(d) इन्सुलिन।
उत्तर-
(d) इन्सुलिन।

3. इन्सुलिन हॉर्मोन के अल्प सावण से किस रोग के होने की सम्भावना होती है –
(a) पीलिया
(b) घेंघा
(c) मधुमेह
(d) तपेदिक।
उत्तर-
(c) मधुमेह।

4. किस हॉर्मोन की कमी से घेघा (goiter) रोग होता है-
(a) ऑक्सीटोसिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) पिट्यूसिन
(d) प्रोलैक्टिन।
उत्तर-
(b) थायरॉक्सिन।

5. थायरॉक्सिन के निर्माण के लिए किस तत्व की आवश्यकता होती है-
(a) आयोडीन
(b) आयरन
(c) कैल्सियम
(d) सल्फर।
उत्तर-
(a) आयोडीन।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

6. तंत्रिका तंत्र की क्रियात्मक एवं संरचनात्मक इकाई है
(a) मस्तिष्क
(b) मेरुरज्जु
(c) केशिका
(d) तंत्रिका।
उत्तर-
(d) तंत्रिका।

7. मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग कौन-सा होता है
(a) प्रमस्तिष्क
(b) अनुमस्तिष्क
(c) मेडुला ओब्लोंगेटा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) प्रमस्तिष्क। .

8. निम्न में से कौन-सी अनैच्छिक क्रिया है
(a) लिखना
(b) कूदना
(c) थूकना,
(d) पलक झपकना।
उत्तर-
(d) पलक झपकना। .

9. दो तंत्रिकाओं के बीच खाली स्थान कहलाता है –
(a) एक्सॉन
(b) न्यूरॉन
(c) सिनेप्स
(d) दुमिका।
उत्तर-
(c) सिनेप्स।

10. निम्न में से नर हॉर्मोन है-
(a) एड्रीनलीन
(b) इन्सुलिन
(c) टेस्टोस्टेरॉन
(d) एस्ट्रोजन।
उत्तर-
(c) टेस्टोस्टेरॉन।

11. निम्न में से कौन-सा आपातकालीन हॉर्मोन है-
(a) एड्रीनलीन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) प्रोजेस्ट्रॉन।
उत्तर-

(a) एड्रीनलीन।

सुमेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए –
(a)

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. ऑक्सिन(i) समन्वयन
2. जिब्रेलिन(ii) कोशिका विभाजन
3. एब्सीसिक अम्ल(iii) फल परिपक्वन
4. इथाइलीन(iv) रन्ध्र बन्द होना
5. साइटोकाइनिन(v) तना दीर्धीकरण
6. हार्मोन(vi) कोशिका विवर्धन

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

(b)

स्तम्भ ।स्तम्भ ॥
1. मधुमेह(i) आयोडीन
2. घेघा(ii) इन्सुलिन
3. नर हॉर्मोन(iii) एस्ट्रोजन
4. मादा हॉर्मोन(iv) टेस्टोस्टेरॉन
5. मस्तिष्कावरण(v) न्यूरॉन
6. साइटॉन(vi) सुरक्षा

(c)

स्तम्भ Iस्तम्भ ॥
1. इन्सुलिन(i) वृषण
2. थाइरॉक्सिन(ii) अण्डाशय
3. एड्रीनलीन(iii) पीयूष
4. वृद्धि हॉर्मोन(iv) अधिवृक्क
5. एस्ट्रोजन(v) थाइरॉइड
6. टेस्टोस्टेरॉन(vi) अग्न्याशय

उत्तर-
(a)

स्तम्भ Iस्तम्भ II
1. ऑक्सिन  (vi) कोशिका विवर्धन
2. जिब्रेलिन(v) तना दीर्धीकरण
3. एब्सीसिक अम्ल(iv) रन्ध्र बन्द होना
4. इथाइलीन(iii) फल परिपक्वन
5. साइटोकाइनिन(ii) कोशिका विभाजन
6. हार्मोन(i) समन्वयन

(b)

स्तम्भ ।स्तम्भ ॥
1. मधुमेह(i) आयोडीन
2. घेघा(ii) इन्सुलिन
3. नर हॉर्मोन(iii) एस्ट्रोजन
4. मादा हॉर्मोन(iv) टेस्टोस्टेरॉन
5. मस्तिष्कावरण(v) न्यूरॉन
6. साइटॉन(vi) सुरक्षा

(c)

स्तम्भ Iस्तम्भ ॥
1. इन्सुलिन (vi) अग्न्याशय
2. थाइरॉक्सिन(v) थाइरॉइड
3. एड्रीनलीन(iv) अधिवृक्क
4. वृद्धि हॉर्मोन(iii) पीयूष
5. एस्ट्रोजन(ii) अण्डाशय
6. टेस्टोस्टेरॉन(i) वृषण

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. मस्तिष्क का सबसे बड़ा हिस्सा ………………………………. है।
उत्तर-
सेरेब्रम,

2. …………………………. शरीर का मुख्य समन्वय केंद्र है।
उत्तर-
मस्तिष्क,

3. पीयूष ग्रन्थि को ………………………………. कहते हैं।
उत्तर-
मास्टर ग्रंथि,

4. ……………………………… फलों को पकाने में सहायक गैसीय हॉर्मोन
उत्तर-
इथाइलीन,

5. मस्तिष्क ………………………………….. में बन्द होता है।
उत्तर-
कपाल गुहा।

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions) .

प्रश्न 1.
अम्लों का लिटमस पर प्रभाव क्या होता है?
उत्तर-
अम्ल नीले लिटमस को लाल कर देता है।

प्रश्न 2.
लिटमस किस रंग का रंजक है?
उत्तर-
बैंगनी रंग का।

प्रश्न 3.
लिटमस किससे प्राप्त किया जाता है?
उत्तर-
थैलोफाइटा समूह के लाइकेन (Lichen) पौधे से।

प्रश्न 4.
गंधीय सूचक क्या हैं ?
उत्तर-
जिन पदार्थों की गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जाती है, उन्हें गंधीय सूचक कहते हैं।

प्रश्न 5.
गंधीय सूचकों के तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
बारीक कटी प्याज, लौंग का तेल, तनु वैनीला एसेंस।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 6.
हाइड्रोजन गैस किस प्रकार की ध्वनि से जलती
उत्तर-
फट-फट (Pop sound) की ध्वनि से।

प्रश्न 7.
चूने के पानी में CO2 गैस को प्रवाहित करने से क्या होता है ?
उत्तर-
चूने का पानी दूधिया हो जाता है।

प्रश्न 8.
चूने के पानी से अधिक CO2 गुजारने से चूने के पानी का दूधियापन किस कारण समाप्त हो जाता है ?
उत्तर-
जल में विलयशील Ca(HCO3)2 के कारण।

प्रश्न 9.
अधात्विक ऑक्साइड किस प्रकृति के होते हैं ?
उत्तर-
अम्लीय प्रकृति के।

प्रश्न 10.
ताँबे के बर्तन में दूध-दही क्यों नहीं रखने चाहिए?
उत्तर-
ताँबे के बर्तन में दूध-दही रखने पर वे बर्तनों के साथ अम्ल अभिक्रिया करके विषैले यौगिक (लवण) बनाते हैं।

प्रश्न 11.
अम्लों में विद्युत प्रवाह किस कारण होता है?
उत्तर-
आयनों के कारण।

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प्रश्न 12.
अधिक आर्द्र गैस को किसकी सहायता से शुष्क किया जाता है ?
उत्तर-
कैल्सियम क्लोराइड की सहायता से।

प्रश्न 13.
हाइड्रोजन आयन को किस रूप में दर्शाया जाता है ?
उत्तर-
H+ (aq) या हाइड्रोनियम आयन (H3O+)।

प्रश्न 14.
अम्लों को तनु करने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
जल में सान्द्र अम्ल को धीरे-धीरे मिलाना चाहिए।

प्रश्न 15.
जल में अम्ल या क्षार घुलने की प्रक्रिया ऊष्माशोषी है या ऊष्माक्षेपी ?
उत्तर-
ऊष्माक्षेपी।

प्रश्न 16.
तनुकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जल में अम्ल या क्षारक मिलाने पर आयन की सान्द्रता (H3O+/OH ) में इकाई आयतन की कमी हो जाती है जिसे तनुकरण कहते हैं।

प्रश्न 17.
अनेक सूचकों के मिश्रण को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
सार्वत्रिक सूचक।

प्रश्न 18.
हमारा उदर कौन-सा अम्ल उत्पन्न करता है ?
उत्तर-
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) ।

प्रश्न 19.
हमारे शरीर में सबसे कठोर पदार्थ कौन-सा
उत्तर-
दाँतों का इनैमल (कैल्सियम फॉस्फेट)।

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प्रश्न 20.
अम्लीय ऑक्साइड के नाम लिखिये जिनके द्वारा अम्लीय वर्षा होती है। (RBSE 2016)
उत्तर-
सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2)।

प्रश्न 21.
अम्ल की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
अम्ल वे यौगिक हैं जो पानी में घुलकर हाइड्रोनियम (H3O+) को उत्पन्न करते हैं।
HCI+H2O → H3O+ + Cl

प्रश्न 22.
क्षार की आधुनिक परिभाषा क्या है?
उत्तर-
वे यौगिक जो पानी में घुलकर OH आयन प्रदान करते हैं, उन्हें क्षार कहते हैं, जैसे
K2O+ H2O → 2K+ + 2OH

प्रश्न 23.
उदासीनीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी अम्ल का H+ और क्षार का OH परस्पर मिलकर अनायनित जल अणु तैयार करे, उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण के लिए- .
HNO3 +KOH → KNO3 + H2O

प्रश्न 24.
किसी क्षार को जल में मिलाने पर क्या होता
उत्तर-
OH जलीय आयनों की वृद्धि।
pH स्केल (pH-Scale)

प्रश्न 25.
दो संश्लेषित सूचकों के नाम लिखिये। [राज. 2015]
उत्तर-
मेथिल ऑरेंज, फीनॉल्फ्थेलिन।

प्रश्न 26.
जठर रस pH स्केल पर क्या मान दिखाता है ?
उत्तर-
लगभग 1.2.

प्रश्न 27.
सोडियम हाइड्रॉक्साइड pH स्केल पर क्या मान दिखाता है ?
उत्तर-
लगभग 14.

प्रश्न 28.
हमारा शरीर कितने pH परास के बीच कार्य करता है?
उत्तर-
हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच काम करता है।

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प्रश्न 29.
किसकी pH अधिक होगी
(i) रक्त अथवा आसुत जल?
(ii) जठर रस अथवा नींबू का रस? [राज. 2015]
उत्तर-
(i) आसुत जल (pH = 7)
(ii) जठर रस (pH = 1.2)

प्रश्न 30.
मुँह में दाँतों का क्षय कब आरम्भ होता है ?
उत्तर-
pH का मान 5.5 से कम हो जाने पर दाँतों का क्षय आरम्भ हो जाता है।

प्रश्न 31.
कोई विलयन ‘X’ pH पत्र पर उसकी कोई बूंद गिराने पर नारंगी रंग देता है, जबकि कोई अन्य विलयन ‘Y’ pH पत्र पर उसकी बूंद गिराने पर हल्का नीला रंग देता है। इन दोनों विलयनों की प्रकृति क्या है? ‘X’ और ‘Y’ विलयनों के pH निर्धारित कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
‘X’ विलयन की प्रकृति अम्लीय है क्योंकि इसकी बूंदें pH पत्र पर गिराने पर वह नारंगी रंग देता है। ‘X’ विलयन का pH मान 3 से 5 के बीच हो सकता है, तथा यह हल्का अम्लीय है। Y’ विलयन की प्रकृति क्षारीय है क्योंकि इसकी बूंदें pH पत्र पर गिराने पर यह हल्का नीला रंग देता है। Y’ विलयन का pH मान 8 से 11 के बीच हो सकता है तथा यह हल्का क्षारीय है।

प्रश्न 32.
बेकिंग पॉउडर किसे कहते हैं ?(CBSE 2020)
उत्तर-
मीठा सोडा व टारटेरिक अम्ल के मिश्रण को बेकिंग पाउडर कहते हैं।

प्रश्न 33.
अग्निशमन यन्त्रों में किन रसायनों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
हाइड्रोजन, सोडियम कार्बोनेट व सल्फ्यूरिक अम्ल का ।

प्रश्न 34.
विरंजक चूर्ण किस प्रकार के चूने से तैयार किया जाता है ? _
उत्तर-
विरंजक चूर्ण, बूझे हुए चूने [Ca(OH)2] से तैयार किया जाता है।

प्रश्न 35.
विरंजक चूर्ण को यदि वायु में खुला छोड़ दिया जाए तो क्या होगा?
उत्तर-
वायु के सम्पर्क में आने पर विरंजक चूर्ण अपघटित हो जाता है तथा क्लोरीन मुक्त होती है।

प्रश्न 36.
बिना बुझे हुए चूने का रासायनिक नाम क्या है ?
उत्तर-
कैल्सियम ऑक्साइड (CaO).

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प्रश्न 37.
विरंजक चूर्ण को पानी में क्यों मिलाया जाता है ?
उत्तर–
पानी को जीवाणुरहित बनाने के लिए।

प्रश्न 38.
प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने के लिए किसे और कितना गर्म करना पड़ता है ?
उत्तर-
प्लास्टर ऑफ पेरिस को बनाने के लिए जिप्सम को 373 K तक गर्म किया जाता है।

प्रश्न 39.
धावन सोडा किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
धावन सोडा पारदर्शी क्रिस्टलीय ठोस आकार का होता है।

प्रश्न 40.
साधारण नमक किससे बनता है ?
उत्तर-
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) की अभिक्रिया से।

लघु उत्तरीय प्रश्न (ShortAnswer Type Questions)

प्रश्न 1.
अम्लों के सामान्य गुण लिखिए।
उत्तर-
अम्लों के सामान्य गुण-

  • इनका स्वाद खट्टा होता है।
  • ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
  • ये धातुओं के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
  • ये कार्बोनेट के साथ क्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न करते हैं।
  • ये क्षारकों के साथ क्रिया करके लवण एवं पानी बनाते हैं।

प्रश्न 2.
क्षारों के सामान्य गुण लिखिए।
उत्तर-
क्षारों के सामान्य गुण-

  • इनका स्वाद कड़वा होता है।
  • ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं।
  • ये अम्लों के साथ क्रिया करके लवण व पानी बनाते हैं।
  • ये फीनॉल्पथेलीन के घोल को गुलाबी कर देते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों को दुर्बल एवं प्रबल अम्ल एवं क्षारक में वर्गीकृत कीजिए
(i) CH3COOH
(ii) NH4OH
(iii) NaOH
(iv) Ca(OH)2
(v) HCN
(vi) HClO4
(vii) H3PO4
(viii) H2SO4
(ix) HCl.
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 1

प्रश्न 4.
आपको तीन परखनलियाँ A, B तथा C दी गई हैं। उनमें क्रमशः आसुत जल, एक अम्लीय विलयन तथा एक क्षारीय विलयन डाले गए हैं। आपको केवल नीले लिटमस पत्र की कतरनें दी गई हैं, इससे आप तीनों की पहचान किस प्रकार करेंगे? (CBSE 2016)
उत्तर-

  • सबसे पहले तीनों लिटमस पत्र की कतरनों को प्रत्येक परखनली में डाला।
  • परखनली A में रखा विलयन नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है जो यह दर्शाता है कि इस परखनली में रखा विलयन अम्लीय है।
  • यदि शेष दो विलयनों के रंगों में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं होता तो इससे स्पष्ट होता है कि किसी एक विलयन में आसुत जल है तथा अन्य में क्षारीय विलयन है।
  • अब परखनली A का लिटमस पत्र जो नीले रंग से लाल में परिवर्तित हो गया था को शेष दो विलयन में बारी-बारी से डाला।
  • यदि परखनली B में रखा विलयन लाल लिटमस पत्र को पुनः नीले रंग में परिवर्तित कर देता है तो इससे स्पष्ट होता हे कि इस परखनली में क्षारीय विलयन है।
  • परखनली C में लाल लिटमस पत्र के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होगा अतः इस परखनली में आसुत जल है।

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प्रश्न 5.
नेटल पौधे के डंकनुमा बालों के स्पर्श होने के कारण उत्पन्न पीड़ा को इसी के समीप पाये जाने वाले डॉक पौधे की पत्तियों का रस रगड़कर दूर करते हैं। इसका क्या कारण है?
उत्तर-
नेटल के पौधे में मेथेनॉइक अम्ल होता है जो शरीर में पीड़ा पहुँचाता है। चूंकि डॉक की पत्ती के रस की प्रकृति क्षारीय होती है, यह अम्ल के प्रभाव को समाप्त कर देता है और पीड़ा दूर हो जाती है।
pH- स्केल

प्रश्न 6.
लवण विलयनों के pH मान पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षारक के लवण का pH मान 7 होता है एवं ये उदासीन होते हैं। प्रबल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण के pH का मान 7 से कम होता है एवं ये अम्लीय होते हैं तथा प्रबल क्षारक एवं दुर्बल अम्ल के लवण के pH का मान 7 से अधिक होता है एवं ये क्षारकीय होते हैं।
(a) प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षारक के लवण NaCl, NaSO4, KCl व KNO3, आदि हैं। इन्हें जल में घोलने पर प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षारक बनाते हैं तथा ये पूरी तरह एक-दूसरे को उदासीन कर देते हैं।
∴ pH=7 .

(b) प्रबल अम्ल एवं दुर्बल क्षारक के लवण NH4Cl, BaCl2, ZnSO4 व CuSO4 हैं। प्रबल अम्ल दुर्बल क्षारक को प्रभावित करता है। अतः pH<7.

(c) दुर्बल अम्ल और प्रबल क्षारक के लवण Na2CO3, CH3COONa आदि हैं। प्रबल क्षारक दुर्बल अम्ल को प्रभावित करता है। अतः pH>7
(d) दुर्बल अम्ल और दुर्बल क्षारक के लवण COONH4 का विलयन लगभग उदासीन होता है।
∴ pH = 7 (लगभग)

प्रश्न 7.
उन अम्लों एवं क्षारकों की पहचान कीजिए जिनसे सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट बनता है। अपने उत्तर के समर्थन में रासायनिक समीकरण लिखिए। उल्लेख कीजिए कि क्या यह यौगिक अम्लीय अथवा बारीय अथवा उदासीन है। इसका pH मान भी लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट; दुर्बल कार्बोनिक अम्ल (H2CO3) तथा प्रबल सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) के क्षार से बनता है।
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यह यौगिक एक क्षारीय यौगिक है क्योंकि यह प्रबल क्षार NaOH से बनता है। इसका pH मान 7 से थोड़ा सा अधिक है।

प्रश्न 8.
pH स्केल किसे कहते हैं? स्पष्ट करो कि मुँह का pH परिवर्तन दन्तक्षय का कारण है। (RBSE 2016)
उत्तर-
किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात करने हेतु एक स्केल विकसित किया गया है जिसे pH स्केल कहते हैं। . मुँह के pH का मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का इनैमल (दन्तवल्क) संक्षारित होने लगता है। दाँतों का इनमल कैल्सियम फॉस्फेट से बना होता है जोकि शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। मुँह में उपस्थित बैक्टीरिया, भोजन के पश्चात् मुँह में अवशिष्ट शर्करा एवं खाद्य पदार्थों का निम्नीकरण करके अम्ल उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 9.
अम्ल एवं क्षारक की शक्ति किस पर निर्भर करती है? प्रबल एवं दुर्बल अम्ल क्या हैं?
उत्तर-
अम्ल एवं क्षारक की शक्ति विलयन में क्रमश: (H+) आयन तथा (OH) आयन की संख्या पर निर्भर करती है। अधिक संख्या में + आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलाते हैं। कम संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुर्बल अम्ल कहलाते हैं।

प्रश्न 10.
धावन सोडा, जलीय विलयन में अम्लीय अथवा क्षारीय कैसे होता है ?
उत्तर-
धावन सोडा आसानी से पानी में घुल जाता है, इससे क्षारीय घोल बनता है। इसकी जाँच के लिए यदि लाल लिटमस के घोल में इसे डाला जाए तो वह नीले रंग का हो जाता है अतः धावन सोडा का घोल क्षारीय होता है।

प्रश्न 11.
खाने के सोडा के दो महत्त्वपूर्ण गुणधर्म दीजिए।
उत्तर-
खाने का सोडा सफेद रंग का क्रिस्टलीय ठोस है जो पानी के साथ क्षारीय घोल बनाता है तथा गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट में बदल जाता है एवं CO2, गैस उत्पन्न होती है।
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प्रश्न 12.
प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र एवं इसकी जल के साथ रासायनिक अभिक्रिया को लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
प्लास्टर ऑफ पेरिस का रासायनिक सूत्र CaSO4.\(1 / 2\)H2O है। प्लास्टर ऑफ पेरिस एक सफेद चूर्ण है . जो जल में मिलाने पर यह पुनः जिप्सम बनकर कठोर ठोस पदार्थ प्रदान करता है।
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प्रश्न 13.
उत्फुल्लन (Eflorescence) की प्रक्रिया क्या है? एक ऐसे यौगिक का नाम लिखिए जो उत्फुल्लन की क्रिया दर्शाता हो, अभिक्रिया भी लिखें।
उत्तर-
सोडियम कार्बोनेट को जब वायु में खुला छोड़ देने हैं तो सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3, 10H2O) से जल के 9 अणु निकल जाते हैं, यह एकल हाइड्रेट (Na2CO3, H2O) के रूप में शेष रहता है। गर्म करने पर यह अपने सारे क्रिस्टलीय जल को खो देता है तथा Na2CO3, के रूप में शेष रहता है। अतः हवा में खुला रखने पर यौगिक में से जल के अणु की स्वतः मुक्त हो जाने की प्रक्रिया उत्फुल्लन (Efflorescence) कहलाती है।

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प्रश्न 14.
नीचे दिए गए रासायनिक समीकरणों को पूरा और सन्तुलित कीजिये
(i) NaOH (aq) +Zn (s) →
(ii) CaCO3(s)+H20(l) +CO2(g) →
(iii) HCl(aq) + H2O(l)
अथवा
लवण जल (ब्राइन) के विद्युत अपघटन के समय एनोड पर कोई गैस ‘G’ मुक्त होती है। जब इस गैस ‘G’ को बुझे हुए चूने से प्रवाहित किया जाता है, तो कोई यौगिक ‘C’ बनता है जिसका उपयोग पीने के जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए किया जाता है।
(i) ‘G’ और ‘C’ के सूत्र लिखिए।
(ii) होने वाली अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
(iii). यौगिक ‘C’ का सामान्य नाम क्या है? इसका रासायनिक नाम लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण 5
अथवा
(i) G का सूत्र = Cl2(क्लोरीन गैस) \
C का सूत्र = CaoCl2
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(iii) यौगिक ‘C’ का सामान्य नाम विरंजक चूर्ण है।
यौगिक ‘C’ का रासायनिक नाम कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड है।

प्रश्न 15.
क्लोर-क्षार प्रक्रिया के महत्त्वपूर्ण उत्पादों की सूची बनाइए। इनमें से प्रत्येक उत्पाद का एक महत्त्वपूर्ण उपयोग लिखिए।
अथवा
सोडियम कार्बोनेट से धोने का सोडा किस प्रकार बनाया जाता है? इसका रासायनिक समीकरण लिखिए। इस लवण के प्रकार का उल्लेख कीजिए। यह जल की जिस प्रकार की कठोरता को दूर करता है, उसका नाम लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
क्लोर-क्षार प्रक्रिया के महत्त्वपूर्ण उत्पाद –
(i) सोडियम हाइड्रॉक्साइड (कास्टिक सोडा) NaOH उपयोग-इसका उपयोग साबुन तथा अपमार्जक बनाने में किया जाता है।
(ii) क्लोरीन गैस (Cl2) उपयोग-इसका उपयोग पी.वी.सी. यौगिक (एक प्रकार का प्लास्टिक) बनाने में किया जाता है।
(iii) हाइड्रोजन गैस (H2) उपयोग-इसका उपयोग राकेट ईंधन के रूप में किया जाता है।
अथवा
निर्जल सोडियम कार्बोनेटं को पानी के साथ गर्म करके क्रिस्टलन विधि द्वारा, धोने का सोडा बनाया जाता है।
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धावन सोडा एक क्षारीय लवण है। यह जल की स्थायी कठोरता दूर करता है।

प्रश्न 16.
सामान्यतः बेकरी उत्पादों में प्रयुक्त होने वाला कोईलवण ‘P’ गर्म किए जाने पर किसी अन्य लवण ‘0’ में परिवर्तित हो जाता है जिसका उपयोग जल की
कठोरता को दूर करने में किया जाता है तथा कोई गैस ‘R’ – उत्सर्जित होती है। इस गैस ‘R’ को ताजा बने चूने के पानी में से प्रवाहित करने पर वह दूधिया हो जाता है। ‘P’, ‘Q’ और ‘R’ को पहचानिए और अपने उत्तर की पुष्टि के लिए रासायनिक समीकरण दीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
जब बेकिंग सोडा (NaHCO) को जल के साथ गर्म किया जाता है या मिलाया जाता है तो निम्नलिखित अभिक्रिया प्राप्त होती है।
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सोडियम कार्बोनेट को जल की कठोरता दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। उत्सर्जित गैस कार्बन डाइऑक्साइड चूने के पानी को दूधिया कर देती है।
अतः लवण ‘P’ बेकिंग सोडा (NaHCO3) है।
लवण ‘Q’ सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) है जिसका प्रयोग जल की कठोरता को दूर करने के लिए किया जाता गैस ‘R’ कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है।

प्रश्न 17.
टूटी हड्डियों को सहारा देने के लिए डॉक्टर किसी श्वेत पाउडर का उपयोग करते हैं।
(a) इस पाउडर का नाम और रासायनिक सूत्र लिखिए।
(b) इस पाउडर को किस प्रकार बनाया जाता है।
(c) जब इस श्वेत पाउडर को पानी के साथ गूंथा जाता है, तो एक कठोर ठोस पिण्ड प्राप्त होता है। इस परिवर्तन के लिए सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
(d) इस श्वेत पाउडर का कोई एक और उपयोग ‘लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
(a) पाउडर का नाम-कैल्सियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट, रासायनिक सूत्र- CaSO4\(\frac{1}{2} \) H2O
(b) जिप्सम को 100° (373 K) पर गर्म करके इस पाउडर को तैयार किया जाता है।
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(d) इसका उपयोग घर के अन्दर की दीवारों तथा छत की सतह को समतल व सुंदर बनाने के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 18.
दो परखनलियों A और B जिनमें क्रमशः तनु HCIऔर NaOH विलयन भरे हैं, में नीले लिटमस का विलयन मिलाया गया है। इनमें से किस परखनली के रंग में परिवर्तन दिखाई देगा? इस रंग परिवर्तन का उल्लेख कीजिए और इसका कारण दीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
परखनली A में नीले लिटमस के विलयन का रंग लाल हो जाएगा क्योंकि इस परखनली में तनु HCl अम्ल है। अम्ल नीले लिटमस को लाल रंग में परिवर्तित कर देते हैं | HCl एक प्रबल अम्ल है। इसी कारण इसे किसी विलयन में मिलाने पर H+ आयन की सांद्रता बढ़ जाती है जिससे pH मान कम हो जाता है।

प्रश्न 19.
पकौड़ों को स्वादिष्ट और खस्ता बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी लवण का pH मान 9 है। इस लवण को पहचानिए तथा इसके निर्माण के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए। इसके दो उपयोगों की सूची बनाइए। (CBSE 2018)
उत्तर-
पकौड़ों को स्वादिष्ट तथा खस्ता बनाने के लिए बेकिंग सोडा या सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट लवण (NaHCO3) का उपयोग किया जाता है। लवण के निर्माण का रासायनिक समीकरण- .
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इस लवण के दो उपयोग

  • इसका उपयोग, धावन सोडा के निर्माण में किया जाता है।
  • इसका उपयोग आग बुझाने के संयंत्र में किया जाता है।

प्रश्न 20.
एसीटिक अम्ल को जब एक परखनली में लिखे गये सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के पाउडर पर डालते हैं तो तेज बुलबुलों के साथ एक गैस निकलती है। इस गैस का नाम लिखिए, तथा इस गैस को पहचानने के लिए एक प्रयोग लिखिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
उत्पन्न होने वाली गैस CO2 है। जब CO2 गैस को चूने के पानी में से गुजारते हैं तो यह दूधिया हो जाता है।
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प्रश्न 21.
उस समय आप क्या प्रेक्षण करते हैं जब आप एसीटिक अम्ल की कुछ बूंदें उस परखनली में मिलाते हैं जिसमें भरा है
(i) फिनॉल्पथैलिन
(ii) आसुत जल
(iii) सार्वत्रिक सूचक
(iv) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट चूर्ण। (CBSE 2016)
उत्तर-
(i) फिनॉल्फ्थैलिन रंगहीन रहता है, क्योंकि फिनॉल्पथैलिन अम्ल क्षारीय पदार्थों के साथ रंग में परिवर्तन • दर्शाता है।
(ii) आसुत जल में ऐसीटिक अम्ल घुल जाता है।
(iii) सार्वत्रिक सूचक नारंगी रूप में बदल जाता है।
(iv) सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट चूर्ण रंगहीन हो जाता
CH3COOH + NaHCO3 → CH3COONa + H2O + CO2

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी अम्ल और किसी क्षार के बीच प्रमुख अन्तर लिखिए।
उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से पद उदासीनीकरण की व्याख्या कीजिए तथा-
(i) अम्लीय
(ii) क्षारीय और
(iii) उदासीन लवणों का बनना स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। इनका pH मान 7 से कम होता है। क्षार स्वाद में कड़वे होते हैं। ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। इनका pH मान 7 से अधिक होता है। जब अम्ल क्षार के साथ क्रिया करके लवण तथा जल बनाता है तो इन दोनों के बीच होने वाली इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण क्रिया कहते हैं। सामान्यतः उदासीनीकरण अभिक्रिया को इस प्रकार लिखा जा सकता है- .
क्षार + अम्ल → लवण + जल
उदाहरण –
NaOH (aq) + HCI (aq) →NaCl (aq) + H2O (l)

(i) जब एक प्रबल अम्ल एक दुर्बल क्षार से अभिक्रिया करता है, तो बनने वाला लवण अम्लीय लवण होता है।
उदाहरण:
H2SO4+Cuo → CuSO4+ H2O

(ii) जब एक दुर्बल अम्ल एक अधिक प्रबल. क्षार से अभिक्रिया करता है तो बनने वाला लवण क्षारीय लवण होता है।
उदाहरण:
NaOH+CH3COOH → CH3COONa + H2O

(iii) जब एक प्रबल अम्ल एक प्रबल क्षार से अभिक्रिया करता है तो बनने वाला लवण उदासीन लवण होता है। उदाहरण ::… .
NaOH + HCl → NaCl+ H2O

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित लवणों के रासायनिक सूत्र लिखिए
(i) सोडियम सल्फेट ।
(ii) कैल्सियम सल्फेट
(iii) कॉपर सल्फेट
(iv) सोडियम क्लोराइड
(v) सोडियम नाइट्रेट
(vi) सोडियम कार्बोनेट
(vii) अमोनियम क्लोराइड
(viii) पोटैशियम सल्फेट।
उत्तर-

लवण कारासायनिक सूत्र
(i)  सोडियमा सल्फेटNa2SO4
(ii) कैल्सियम सल्फेटCaSO4
(iii) कॉपर सल्फेटCuSO4
(iv) सोडियम क्लोराइडNacl
(v) सोडियम नाइट्रेट ,NaNO3,
(vi) सोडियम कार्बोनेटNaNO3
(vii) अमोनियम क्लोराइडNa2CO3
(vii) पोटैशियम सल्फेटK2SO4

प्रश्न 3.
केवल रासायनिक समीकरण लिखिए –
(i) बुझे हुए चूने के साथ क्लोरीन क्रिया करती है।
(ii) विरंजक चूर्ण की तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से अभिक्रिया करायी जाती है।
(iii) जिप्सम को 373 K ताप पर गर्म किया जाता है।
(iv) चूने में पानी डाला जाता है।
(v) धावन सोडा को वायु में रखा जाता है।
उत्तर –
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प्रश्न 4.
क्षारक क्या हैं? क्षारकों के गुण तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जल में विलेय होने पर जो यौगिक हाइड्रॉक्साइड आयन उत्पन्न करते हैं, क्षार कहलाते हैं; जैसे-सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH), पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH), कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड [Ca(OH)]2 आदि। सभी क्षारकों को क्षार नहीं कहा जा सकता परन्तु सभी क्षार, क्षारक होते हैं। क्षारकों का एक उदाहरण ऐन्टैसिड है जोकि ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड तथा मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड से बनता है।

मसालेदार तला भुना हुआ भोजन अधिक मात्रा में ग्रहण कर लेने पर आमाशय में अम्लता बढ़ जाती है जिसे ऐन्टैसिड के द्वारा दूर किया जाता है। क्षारकों के सामान्य गुण-क्षारकों का स्वाद तीखा एवं कड़वा होता है, स्पर्श चिकना होता है तथा प्रबल क्षार त्वचा पर संक्षारक प्रभाव डालता है। सूचकों पर इनकी क्रिया निम्न प्रकार होती है-

  • लाल लिटमस को नीला कर देता है तथा नीले लिटमस पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • फिनॉल्पथेलीन तथा हल्दी के विलयन में क्षार मिलाने पर वह लाल रंग के हो जाते हैं एवं मेथिल ऑरेंज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • क्षारक गर्म करने पर जल उत्पन्न करते हैं तथा ऑक्साइड बनाते हैं।

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अम्लों के साथ क्षारक अभिक्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं। अम्ल तथा क्षारकों के बीच यह अभिक्रिया उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती है।

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क्षारकों के जलीय विलयन हाइड्रॉक्साइड (OH) देते हैं, प्रबल क्षारक जल में पूर्णतया विघटित हो जाते हैं, जबकि तनु क्षारक कम मात्रा में विघटित होते हैं।

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उपयोग-क्षारकों को विभिन्न प्रकार से उपयोग में लाया जाता है, जैसे-ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग वस्त्र उद्योग तथा ऐन्टैसिड बनाने में, अमोनियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग क्लीनिंग एजेण्ट तथा अमोनियम लवण बनाने में, कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड का प्रयोग सफेदी, ब्लीचिंग पाउडर, चमड़ा उद्योग, खारे जल के शोधन आदि में तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड का उपयोग, साबुन, रेयान, कागज आदि उद्योगों में किया जाता है।

प्रश्न 5.
(i) हाइड्रोजन आयन [H+] की सान्द्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(ii) अम्ल को तनुकृत करते समय अम्ल को जल में मिलाया जाता है न कि जल को अम्ल में। कारण दीजिये।
(iii) संतरा और इमली में पाये जाने वाले अम्लों के नाम लिखिए।
(iv) क्लोर-क्षार प्रक्रिया किसे कहते हैं। (CBSE, RBSE 2017)
उत्तर-
(i) H+(aq) आयन की सान्द्रता का विलयन की प्रकृति पर प्रभाव पड़ता है। H+(aq) की जितनी सान्द्रता होगी, उतना ही विलयन अधिक अम्लीय होगा। जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता।

(ii) जल में घुलने की प्रक्रिया अत्यंत ऊष्माक्षेपी होती है। इसलिए जल में किसी सांद्र अम्ल को सावधानीपूर्वक मिलाना चाहिए। अम्ल और जल को धीरे-धीरे हिलाते रहना चाहिए। ऐसा न करने पर अम्ल में जल मिलाने पर उत्पन्न ऊष्मा के कारण मिश्रण आसफलित होकर बाहर आ सकता है। इससे स्थानीय ताप बढ़ जाता है, जिसके कारण उपयोग किया जाने वाला काँच का पात्र भी टूट सकता है।

(iii) संतरा-सिट्रिक अम्ल
इमली-टार्टरिक अम्ल

(iv) सोडियम नोराइड के जलीय विलयन (लवण जल) में विद्युत प्रवाहित करने पर यह वियोजित होकर सोडियम हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करता है, इसे क्लोर-क्षार प्रक्रिया कहते हैं।
2NaCl(aq) + 2H2O (l) → 2NaOH (aq) + Cl2 (g) + H2 (g)

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प्रश्न 6.
हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात करने में प्रयुक्त स्केल का नाम लिखिये। अम्लीय वर्षा का कारण व इसके दो कुप्रभावों को लिखिए।
उत्तर-
हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता ज्ञात करने में pH-स्केल प्रयुक्त किया जाता है। वर्षा के जल की pH मान 5.6 से कम हो जाती है तो वह अम्लीय वर्षा (Acid Rain) कहलाती है।

अम्लीय वर्षा के कुप्रभाव-

  1. अम्लीय वर्षा का जल जब नदी में प्रवाहित होता है तो नदी के जल के pH का मान कम हो जाता है। ऐसी नदी में जलीय जीवधारियों की उत्तरजीविता कठिन हो जाती है।
  2. अम्लीय वर्षा के कारण संगमरमर से बना ताजमहल काला पड़ने लगा है क्योंकि कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) वर्षा में उपस्थित अम्ल से क्रिया कर लेता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. विलयन में किस आयन के निर्माण के कारण पदार्थ की प्रकृति अम्लीय होती है-
(a) H+
(b) Cl
(c) OH
(d) SO4-2
उत्तर-
(a) H+.

2. हमारा उदर कौन-सा अम्ल उत्पन्न करता है –
(a) H2SO4
(b) HNO3
(c) HCl
(d)NaOH.
उत्तर-
(c) HCl.

3. अम्ल –
(a) का स्वाद कड़वा होता है
(b) लाल लिटमस को नीला करता है
(c) कार्बोनेट को विघटित करता है
(d) का स्पर्श फिसलने वाला होता है।
उत्तर-
(c) कार्बोनेट को विघटित्त करता है।

4. तनु अम्ल से अभिक्रिया कर कौन-सा पदार्थ CO2 उत्पन्न नहीं करेगा –
(a) संगमरमर
(b) चूना
(c) चूना पत्थर
(d) मीठा सोडा।
उत्तर-
(b) चूना।

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5. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के जलीय विलयन में उपस्थित है –
(a) H3O+ + Cl
(b) Cl+OH
(c) अनायनित HCl
(d) H3O+ + OH
उत्तर-
(b) Cl+OH.

6. निम्न में से कौन-सा क्षार नहीं है-
(a)NaOH
(b) KOH
(c)NH4OH
(d) C2H5OH.
उत्तर-
(d) C2H5OH.

7. जब पानी में थोड़ी मात्रा में किसी अम्ल को मिलाते हैं तो होने वाली परिघटनाएँ हैं –
(A) तनुकरण
(B) उदासीनीकरण
(C) H3O+ आयन बनना
(D) लवण निर्मित होना
इनमें से सही कथन है-
(a)A और C
(b)B और D
(c) A और B
(d) C और D
उत्तर-
(a) A और C

8. वे पदार्थ जिनकी गंध अम्लीय या क्षारीय माध्यम में बदल जाती है, कहलाते हैं –
(a) गंधीय सूचक
(b) संश्लेषित सूचक
(c) लिटमस
(d) ये सभी सूचक।
उत्तर-
(a) गंधीय सूचक।

9. अम्ल तथा क्षारक की परस्पर क्रिया से लवण तथा पानी बनता है, यह क्रिया है-
(a) जल-अपघटन
(b) संयोजन
(c) उदासीनीकरण
(d) वैद्युत अपघटन।
उत्तर-
(c) उदासीनीकरण।

10. किसी विलयन की pH किसकी माप है
(a) हाइड्रोजन आयन सान्द्रता
(b) हाइड्रोनियम आयन सान्द्रता
(c) दोनों (a) व (b)
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) दोनों (a) व (b).

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11. रक्त का pH मान है-
(a) 0
(b) 2
(c) 4
(d) 7.4.
उत्तर-
(d) 7.4.

12. pH चार्ट के अन्तिम सिरों पर दिखने वाले दो रंग हैं
(a) लाल और नीला
(b) लाल तथा हरा
(c) हरा और लाल
(d) नारंगी तथा हरा (CBSE 2016)
उत्तर-
(a) लाल और नीला।

13. चार छात्र A,B,C,D जल,नींबू पानी तथा तनुसोडियम बाइकार्बोनेट के विलयनों का pH निकालते हैं। उन्होंने प्रेक्षणों द्वारा प्राप्त pH के नामों को अवरोही क्रम में इस प्रकार व्यवस्थित किया विलयन
A . जल, नींबू पानी, सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन जल, सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन, नींबू पानी – नींबू पानी, जल, सोडियम बाइकार्बोनेट
विलयन D
सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन, जल,
नींबू पानी छात्र द्वारा सही क्रम है
(CBSE 2016)
(a) A
(b) B
(c) C
(d) D
उत्तर-
(d) D

14. आपके विद्यालय के आस-पड़ोस में प्रयोग के लिए आवश्यक कठोर जल उपलब्ध नहीं है। आपके विद्यालय में उपलब्ध लवणों के नीचे दिए गए समूहों में से वह एक समूह चुनिए जिसके प्रत्येक सदस्य को आसुत जल में घोलने पर, वह उसे कठोर जल बना देगा –
(a) सोडियम क्लोराइड, कैल्सियम क्लोराइड
(b) पौटेशियम क्लोराइड, सोडियम क्लोराइड
(c) सोडियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड
(d) कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड (CBSE 2016)
उत्तर-
(d) कैल्सियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड

15. कोई छात्र 25 mL धारिता की चार परखनलियों P, Q, R और S लेकर प्रत्येक परखनली में 10 mL आसुत जल भरता है। वह इन परखनलियों में चार भिन्न लवणों का एक-एक चम्मच इस प्रकार मिलाता है-P में KCl; Q में NaCl; Rमें CaCl, तथा S में MgCl, I तत्पश्चात वह प्रत्येक परखनली में साबुन के विलयन के नमूने का लगभग 2 ml डालता है। प्रत्येक परखनली के पदार्थों की भली-भाँति हिलाने पर उसे जिन परखनलियों में भरपूर झाग मिलने की सम्भावना है, वे परखनलियाँ हैं-
(a) P और Q
(b) R और S
(c) P, Q और R
(d) P, Q और S (CBSE 2016)
उत्तर-
(a) P और Q

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. चूना-पत्थर, खड़िया और संगमरमर ………………….. के विभिन्न रूप हैं।
उत्तर-
कैल्सियम कार्बोनेट,

2. जलीय कॉपर सल्फेट का सूत्र ………………….. है।
उत्तर-
CuSO4.5H2O,

3. जिप्सम का सूत्र ………………….. है।
उत्तर-
CaSO4 . 2H2O,

4. क्षार वे पदार्थ होते हैं जो जलीय विलयन में ………………….. उत्सर्जित करते हैं।
उत्तर-
हाइड्रॉक्साइड आयन (OH),

5. वर्षा के जल की pH मान 5.6 से कम हो जाता है तो वह ………………….. कहलाती है।
उत्तर-
अम्लीय वर्षा।

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सुमेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्न को सुमेलित करें

AB
(1) जिप्सम(a) CaoCl2
(2) बेकिंग सोडा(b) MgSO4.7H2O
(3) ब्लीचिंग पाउडर(c) CasO4. \(\frac{1}{2}\)H2O
(4) एप्सम लवण(d) CaO
(5) बिना बुझा हुआ चूना(e) CaSO4.2H2O
(6) प्लास्टर ऑफ पेरिस(f) NaHCO3,

उत्तर-

AB
(1) जिप्सम(e) CaSO4.2H2O
(2) बेकिंग सोडा(f) NaHCO3,
(3) ब्लीचिंग पाउडर(a) CaoCl2
(4) एप्सम लवण(b) MgSO4.7H2O
(5) बिना बुझा हुआ चूना(c) CasO4. \(\frac{1}{2}\)H2O
(6) प्लास्टर ऑफ पेरिस(d) CaO

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

HBSE 10th Class Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं ?
उत्तर-
अपने आवास को पर्यानुकूलित या पर्यावरण मित्र बनाने के लिए हम निम्न परिवर्तन कर सकते हैं-

  • हम अपने घर के आस-पास कूड़ा करकट, गंदगी, जल एकत्रण आदि न होने दें।
  • बिजली से चलने वाले उपकणों का प्रयोग न करने की स्थिति में उनके स्विच ऑफ कर दें जिससे विद्युत अपव्यय रोका जा सके।
  • हम अपने घर में नलों से टपकते पानी को बन्द करना चाहिए। व्यर्थ ही पानी को खर्च न करें।
  • प्रयोग किये गए प्लास्टिक के डिब्बे, बोतलों एवं अन्य सामान को पुनः प्रयोग करें या उन्हें पुनः चक्रण के लिए भेज दें।
  • आवासीय कूड़े एवं व्यर्थ पदार्थों को कूड़ादान में ही डालें।
  • लकड़ी, कोयला के स्थान पर LPG का प्रयोग भोजन बनाने के लिए करें।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके।
उत्तर-
हम अपने विद्यालय में निम्नलिखित परिवर्तन करके इसे पर्यानुकूलित बना सकते हैं-

  • अपने विद्यालय भवन को साफ-सुथरा रखें तथा इसके आस-पास कूड़ा-करकट व गन्दगी एकत्र न होने दें।
  • इससे निकलने वाले कूड़े को कहीं दूर खाली भूमि में गड्ढा खोदकर उसमें दबा दें, जिससे इसका विघटन हो जाए।
  • विद्यालय में बगीचे की स्थापना करें और इसमें उत्पन्न पत्तियाँ एवं कूड़े-करकट की खाद बनाकर पौधों के पोषण के लिए प्रयोग करें।
  • हम अपने साथियों को पेड़-पौधों की रक्षा के लिए जाग्रत करें।
  • शौचालय तथा मूत्रालय की नियमित सफाई कराएँ।
  • अनावश्यक विद्युत खर्च न होने दें।
  • पानी का अपव्यय न होने दें।
  • विद्यालय भवन हवादार एवं प्रकाश आने योग्य हो जिससे पंखे एवं बल्बों की कम से कम आवश्यकता हो।
  • विद्यालय प्रांगण में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएँ।
  • पॉलीथीन का प्रयोग न करें।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं ?
उत्तर-
वन एक प्राकृतिक संसाधन हैं जो हमारे जीवन के लिए प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अनिवार्य हैं। वन के प्रमुख चार दावेदार हैं-
1. वन के अन्दर तथा इनके आस-पास रहने वाले लोग जो वन तथा वन्य उत्पादों पर निर्भर रहते हैं। कुछ उत्पादों को वे प्रत्यक्ष रूप से जीवन यापन हेतु प्रयोग कर लेते हैं तथा कुछ उत्पादों को बेचकर अपनी जीवन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं |

2. उद्योगपति जो वन में उत्पन्न एक प्रकार के उत्पाद पर अपना प्रभुत्व एवं नियंत्रण रखते हैं वे इन उत्पादों को अपने नियंत्रण में चल रहे उद्योगों में कच्चे पदार्थों के रूप में प्रयोग करते हैं।

3. सरकारी वन विभाग वन की भूमि पर अपना अधिकार रखते हैं तथा वन तथा उसके उत्पादों पर अपना नियंत्रण रखते हैं। वनों में सभी उत्पाद उन्हीं के माध्यम से विक्रय किए जाते हैं जिनसे प्राप्त धनराशि सरकार के पास चली जाती है।

4. ऐसे व्यक्ति जो प्रकृति एवं वन्य प्राणियों से स्नेह रखते हैं, उसे उसी प्राकृतिक रूप में बनाए रखना चाहते हैं। उपर्युक्त सभी चारों प्रकार के दावेदारों (Stake holder) में से चौथे प्रकार के दावेदार जो प्रकृति के प्रेमी हैं और वे वन्य प्राणियों एवं प्राकृतिक वनस्पति को अपनी प्राकृतिक अवस्था में ही बनाए रखना चाहते हैं को ही प्रबन्धन एवं वन एवं उसके उत्पादों के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार देना चाहिए। दूसरे शब्दों में वे ही वास्तव में पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखने के अधिकारी हैं।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबन्धन में क्या योगदान दे सकते हैं (a) वन एवं वन्य जन्तु, (b) जल संसाधन, (c) कोयला एवं पेट्रोलियम। राज. 2015]
उत्तर-
(a) वन एवं वन्य जन्तु-मैं व्यक्तिगत रूप से वन एवं वन्य जन्तु प्रबंधन में स्थानीय नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहूँगा। उन्हें वन एवं वन्य जीवन के महत्व के बारे में अवगत कराना चाहूँगा। इसके साथ यह प्रबन्ध भी करूँगा कि वन सम्पदा को अनावश्यक क्षति न हो एवं इन संसाधनों का दरुपयोग न हो। स्थानीय नागरिकों की सहमति एवं सक्रिय भागीदारी से वन सम्पदा को समृद्ध करने का मेरा उद्देश्य है।

(b) जल संसाधन-हम अपनी दैनिक आवश्यकता से कहीं अधिक जल व्यय करते हैं। नलों से पानी का रिसाव होता रहता है, नलों को खुला छोड़ देते हैं। पाइप लाइनों के फट जाने से जल की बहुत बर्बादी होती है इस अपव्यय को बचाने के लिए मैं प्रयास करूंगा। मैं अपने घर में इस अपव्यय को रोकने का प्रयास करूँगा तथा लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करूँगा।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम-ऊर्जा की बचत के लिए मैं निम्न प्रयास करूंगा-

  • मैं अपनी मोटर बाइक के स्थान पर बस से यात्रा करूँगा।
  • मैं यह चाहूँगा कि हम कई साथी पैदल विद्यालय तक जाएँ।
  • घर में ऊर्जा की बचत के लिए बल्ब के स्थान पर ट्यूबलाइटें एवं CFL का प्रयोग करूँगा।
  • मैं दिन के समय अधिकतर कार्य करूँगा जिससे रात में अधिक समय तक प्रकाश की आवश्यकता न हो।
  • मैं लोगों को यह समझाऊँगा कि वे अपने वाहनों के इंजनों को लाल बत्ती होने पर चालू न रखें।
  • मै अपने घर के जनरेटर को अनावश्यक रूप से नहीं चलाने दूँगा।
  • ठंड के दिनों में सिगड़ी का प्रयोग न करके गर्म कपड़े पहनूँगा जिससे कोयले की खपत कम होगी।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर-
विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत को कम करने के लिए हम निम्नलिखित युक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं-

  • हम अनावश्यक ऊर्जा खपत को रोकने के लिए बल्ब के स्थान पर CFL का प्रयोग कर सकते हैं, ठंड से बचने के लिए हीटर या कोयले की सिगड़ी के स्थान पर ऊनी कपड़ों का प्रयोग कर सकते हैं।
  • जल की खपत कम करने के लिए इसके अपव्यय को रोक सकते हैं, हम पाइपों का रिसना बन्द कर सकते हैं।
  • छोटी-छोटी दूरियाँ तय करने के लिए पैदल या साइकिल से जा सकते हैं।
  • स्वचालित वाहनों का इंजन लाल बत्ती होने पर बन्द कर सकते हैं।
  • लिफ्ट के स्थान पर सीढ़ियों द्वारा जा सकते हैं।
  • सोलर उपकरणों का प्रयोग खाना पकाने, पानी गर्म करने आदि कार्यों के लिये सकते हैं।
  • खाद्य पदार्थों के अपव्यय को रोक सकते हैं। .
  • घरों में लकड़ी जलाने के स्थान पर LPG का प्रयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
निम्न से सम्बन्धित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण,
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है
उत्तर-
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

  • पानी के संरक्षण के लिए टपकने वाली नल की टोटियों को बदलवाया है तथा पाइपों की मरम्मत कराई है।
  • अनावश्यक बल्ब एवं लाइटें बन्द करा दी हैं।
  • अनेक कार्यों के लिए सोलर ऊर्जा का प्रयोग किया है।
  • कई स्थानों तक पैदल गए हैं।
  • हर लाल बत्ती पर बाइक का इंजन बन्द किया है।

(b) प्राकृतिक संसाधनों का अपव्यय

  • कई रातों में बिजली जलाकर सो गया।
  • सुबह-सुबह मार्निंग वाक पर न जाकर टी.वी. देखता रहा।
  • टी.वी. चलाकर बाहर काफी देर तक बातें करता रहा।
  • बस से जाने के बजाय दूसरे शहर अपनी बाइक से गया।
  • मैंने कई जगह लाल बत्ती होने पर अपनी बाइक का इंजन बंद नही किया।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर-
संसाधनों के संपोषण के लिए हम तीन आर (3’R’) की संकल्पना का पालन करेंगे। 3 ‘R’ संकल्पना के पालन का अर्थ है

  • कम उपयोग (Reduce)-किसी संसाधन का कम-से कम प्रयोग करेंगे।
  • पुनः चक्रण (Recycle)-प्लास्टिक, कागज, धातु, काँच आदि को पुनः चक्रण के लिए भेजेंगे।
  • पुनः उपयोग (Reuse)-कुछ वस्तुओं को कई बार कई कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है। जैसे-प्रयोग की गई बोतलें, डिब्बे आदि।

HBSE 10th Class Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Questions and Answers

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 303)

प्रश्न 1.
पर्यावरण मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन से परिवर्तन ला सकते हैं ?
उत्तर-
पर्यावरण मित्र बनने के लिए हमें तीन प्रकार के ‘R’ को अपनाना होगा। ये हैं-
(i) कम उपयोग (Reduce)
(ii) पुनः चक्रण (Recycle)
(iii) पुनः प्रयोग (Reuse)।

(i) कम उपयोग (Reduce)-इसका अर्थ है हमें कम से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। हम बिजली के पंखे बंद करके बिजली बचा सकते हैं। व्यर्थ बहते हुए पानी की बचत कर सकते हैं। हमें भोजन भी नष्ट नहीं होने देना चाहिए।

(ii) पुनः चक्रण (Recycle)- इसका अर्थ है कि हमें प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुएँ तथा ऐसे ही पदार्थो का पुनः चक्रण करके उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिए।

(iii) पुनः प्रयोग (Reuse)-पुनः उपयोग के तरीके में हम किसी वस्तु का बार-बार प्रयोग कर सकते हैं। लिफाफों को फेंकने की अपेक्षा हम इनको फिर से उपयोग में ला सकते हैं। प्लास्टिक की बोतलों तथा डिब्बों का उपयोग रसोईघर में वस्तुओं को रखने के लिए कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं ?
उत्तर-
प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेट्रोलियम, जल, वन आदि के अत्यधिक उपयोग से केवल कुछ ही लोग लाभान्वित होंगे और संपूर्ण पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा जिसके परिणाम लंबे समय तक रहेंगे। संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य की परियोजनाओं से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है लेकिन पर्यावरण की दृष्टि से ये योजनाएँ सफल नहीं होती हैं।

प्रश्न 3.
कम अवधि की परियोजनाओं के लाभ, लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर-
1. कम अवधि के उद्देश्य से लाभ केवल व्यक्तिगत होता है परन्तु लम्बी अवधि के उद्देश्य का लाभ संपूर्ण समुदाय को होता है। उदाहरण के लिए अल्पावधि के लाभ में वृक्षों को काट दिया जाता है परन्तु दीर्घ अवधि में लाभ हेतु वहाँ वृक्षों की पुनः स्थापना की जाती है।

2. अल्पावधि के लाभ में वृक्षों को काटकर समतल भूमि प्राप्त की जा सकती है परन्तु दीर्घावधि में वन अपने अस्तित्व में बने रहकर और पर्यावरण में गैसीय संतुलन एवं वर्षा के स्रोत का कारण बनते हैं।

3. अल्पावधि के लाभ में वन की भूमि को आवासीय एवं औद्योगिक अथवा कृषि के रूप में प्रयोग किया जा सकता है परंतु दीर्घावधि में वन भूमि की उर्वरा शक्ति नियमित रहती है तथा मृदा अपरदन नहीं होता।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए ? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर-
हमारा देश एक विकासशील देश है, इसमें संसाधनों का समान वितरण बहुत आवश्यक है। समान वितरण से हमारा अभिप्राय है कि प्राकृतिक संसाधनों का सभी के लिए समान लाभ हेतु वितरण, चाहे व्यक्ति गरीब हों या अमीर। सरकारी एजेंट तथा कुछ स्वार्थी तत्व संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कार्य करते हैं वे अपने अधिकतम लाभ के लिए ही प्रयास करते हैं। स्थानीय निवासियों की आवश्यकताओं को नजरंदाज किया जाता है।

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(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 308)

प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर-
हमें वनों का संरक्षण निम्न कारणों से करना चाहिए-

  • हमें वनों से इमारती लकड़ी एवं जलाने की लकड़ी प्राप्त होती है।
  • वनों से हमें फल, मेवे, सब्जियाँ, औषधियाँ आदि प्राप्त होती हैं।
  • अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति होती है, जैसे-कागज उद्योग।
  • वन पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने में सहायता करते हैं।
  • वृक्षों के वायवीय भागों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो बादलों का निर्माण एवं आकर्षण करते हैं।
  • ये मृदा अपरदन एवं बाढ़ नियंत्रण में सहायता करते

हमें वन्य जीवन का संरक्षण निम्न कारणों से करना चाहिए-

  • वन्य प्राणी स्थलीय खाद्य श्रृंखला की निरंतरता के लिए उत्तरदायी हैं।
  • वन्य प्राणियों से हमें अनेक बहुमूल्य पदार्थ जैसे-कस्तूरी, खाल, ऊन, सींग, फर, मधु, दाँत, वसा आदि प्राप्त होते हैं।
  • वन्य प्राणी पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 2.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर-
वनों एवं वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं

  1. वनों में अन्दर तथा वनों के समीप रहने वाले लोगों को वनों एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा के कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए और उन्हें, इनसे होने वाले लाभों एवं इनकी कमी से होने वाली हानियों के बारे में जाग्रत करना चाहिए।
  2. जहाँ से वनों को काटा जा चुका है वहाँ नये वनों का विकास करना चाहिए तथा उसमें विभिन्न वन्य जीवों को छोड़ना चाहिए।
  3. हमें वनों एवं वन्य उत्पादों के विकल्पों की खोज करनी चाहिए जिससे वनों पर कम से कम निर्भर रहना पड़े।
  4. वनों के काटे जाने तथा वन्य प्राणियों के शिकार पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 311)

प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर-
वर्षा के जल को एकत्रित करना “जल संग्रहण” कहलाता है, इसे जल प्रबन्धन के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश में विभिन्न राज्यों में जल संग्रहण के लिए अलग-अलग प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं। इसमें से कुछ तो बहुत प्राचीन हैं। भूमि के अन्दर गड्ढे खोदकर वर्षा का जल एकत्र करना. कुएँ बनाकर. छत पर गिरे वर्षा जल को बड़े टैकों में एकत्र करके, तालाब बनाकर, चैकडैम बनाकर जल का संग्रहण किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर-
पर्वतीय क्षेत्रों में जल व्यवस्था मैदानी क्षेत्रों से भिन्न होती है। जैसे-हिमाचल प्रदेश की जल वितरण प्रणाली को कुल्ह कहते हैं। पहाड़ी नदियों में बहने वाले जल को मानव निर्मित छोटी-छोटी नालियों से पहाड़ी पर निचले इलाकों तक ले जाया जाता है। कुल्हों में बहने वाले पानी का प्रबन्धन गाँवों के निवासियों की आपसी सहमति से किया जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कृषि के मौसम में जल सबसे दूरस्थ गाँवों को दिया जाता है फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित इलाके उस जल का प्रयोग करते हैं। मैदानी इलाकों में बड़ी-बड़ी नदियों से नहरें निकाल कर या तालाबों में संचित जल द्वारा या फिर नलकूपों द्वारा जल की व्यवस्था की जाती है।

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प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्त्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्त्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है ?
उत्तर-
हमारा क्षेत्र एक बड़ा नगर है, अतः यहाँ की जल प्रणाली के अनुसार जल का स्थानीय स्रोत बड़ी टंकी है जिसमें नदी से पंपिंग स्टेशन द्वारा पानी पाइप लाइन द्वारा संग्रहित किया जाता है। इस जल का वितरण पाइप लाइनों द्वारा सम्पूर्ण क्षेत्र को किया जाता है। इसी से सभी लोगों की आवश्यकताएँ पूरी होती हैं।

HBSE 10th Class Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Activity Questions and Answers

क्रियाकलाप 16.1. (पा. पु.पृ. सं. 298)

प्रश्न 1.
कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन के नियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर-
क्योटो प्रोटोकॉल (Kyoto Protocol दिसम्बर 1997) जिस पर भारत ने अगस्त 2002 में हस्ताक्षर किए। भारतवर्ष को 1990 के स्तर पर पहुँचने के लिए 2008-12 की अवधि में CO2, तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 5.2% की कमी लाकर इन मानकों को प्राप्त करना है।

प्रश्न 2.
इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए कि हम इन मानकों को प्राप्त करने हेतु क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
CO2, उत्पन्न करने वाले उद्योगों को सीमित करके, उद्योगों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करके जिससे CO2, तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसें उत्पन्न न हों। कार्बनिक अपशिष्टों को जलाना बन्द करके तथा अधिक से अधिक वन रोपण द्वारा इन मानकों को प्राप्त किया जा सकता है।

क्रियाकलाप 16.2. (पा. पु. पृ. सं. 299)

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र शहर/गाँव में कार्य करने वाले संगठनों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
अनेक गैर सरकारी संगठनों में (NGOs), ऐसी एक अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरणविदों की संस्था ग्रीन पीस मूवमेण्ट (Green Peace Movement) है। भारत का ‘चिपको आन्दोलन’ पर्यावरण संघ आदि भी ऐसी ही गैर सरकारी संस्थायें हैं। प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, नगर महापालिका, क्षेत्रीय पालिका आदि पर्यावरण के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार हेतु सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
पता लगाइए कि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आप क्या योगदान कर सकते हैं ?
उत्तर-
हम इसमें अपनी सहभागिता बनाकर, पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। वृक्षारोपण अभियान चलाकर अनेक स्थानों पर पौधे लगा सकते हैं। हम 3R तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं। विद्यालयों, कॉलेजों में ईको क्लब (Eco Clubs) बन हैं जो इस प्रकार के कार्यों में सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

क्रियाकलाप 16.3. (पा. पु. पृ. सं. 300)

प्रश्न 1.
सार्वसूचक (universal indicator) लिटमस कागज की सहायता से अपने घर में आपूर्ति किये जा रहे पानी का pH ज्ञात करना।
उत्तर-
यूनिवर्सल इण्डीकेटर अथवा लिटमस कागज की सहायता से ज्ञात होता है कि हमारे घर के पानी का pH लगभग 7 है।

प्रश्न 2.
अपने अड़ोस-पड़ोस के जलाशय (तालाब, झील, नदी, झरने) का pH भी ज्ञात करना। ताकि यह बताया जा सके कि जल प्रदषित है अथवा नहीं।
उत्तर-
नगरों में वितरित किये जाने वाले जल में विरंजक चूर्ण या क्लोरीन मिलाई जाती है जिससे जल का pH 7 के लगभग हो जाता है। तालाबों के पानी का pH 7 से कम 5-6 है।

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प्रश्न 3.
क्या अपने प्रेक्षणों के आधार पर आप बता सकते हैं कि जल प्रदूषित है अगवा नहीं।
उत्तर-
pH 7 से कम से कम जल अम्लीय होता है तथा इसे प्रदूषित माना जाता है।

क्रियाकलाप 16.4. (पा. पु. पृ. सं. 301)

प्रश्न 1.
क्या कई वर्षों के अंतराल पर आप किसी गाँव अथवा शहर में गए हैं ? यदि हाँ, क्या पिछले बार की अपेक्षा नए घर एवं सड़कें बन गई हैं ? आपके विचार में इनके निर्माण के लिए आवश्यक वस्तुएँ कहाँ से प्राप्त हुई होंगी?
उत्तर-
हाँ। पिछली बार की अपेक्षा कुछ नए घर एवं सड़कों का निर्माण हुआ है। इनके निर्माण में ईंट, पत्थर, लोहा, सीमेण्ट, लकड़ी, कोलतार, काँच आदि का प्रयोग किया गया है, जो विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त किए गए हैं।

प्रश्न 2.
उन पदार्थों की सूची बनाइए तथा उनके स्रोत का भी पता लगाइए।
उत्तर-
ईंट – मृदा से
पत्थर – खानों से
लोहा – खानों से संशोधित करके
सीमेण्ट – चट्टानों, रेत, कंकड़ों से उद्योगों द्वारा निर्मित
काँच – खानों में
जल – मृदा से
लकड़ी – वनों से
प्लास्टिक – उद्योगों से

प्रश्न 3.
अपने द्वारा बनाई गई सूची की चर्चा अपने सहपाठियों के साथ कीजिए। क्या आप ऐसे उपाय सुझा सकते हैं जिनसे इन वस्तुओं के उपयोग में कमी लाई जा सके।
उत्तर-
इन वस्तुओं के उपयोग में कमी लाई जा सकती है। ईंटों की दीवारों पर प्लास्टर न किया जाए। संगमरमर के स्थान पर सीमेंट फर्श डाला जाए, बड़ी खिड़कियों के स्थान पर ईंटों की जाली बनवायी जाए इत्यादि।

क्रियाकलाप 16.5. (पा. पु. पृ. सं. 302)

प्रश्न 1.
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में उपयोगी व प्रकृति संरक्षण के लिए परंपरागत तरीकों का अवलोकन करें।
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें।

क्रियाकलाप 16.6. (पा. पु. पृ. सं. 304)

प्रश्न 1.
जिन वन उत्पादों का आप प्रयोग करते हैं उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर-
फल, पुष्प, शुष्क फल, लकड़ी, मधु, पशुओं का चारा तथा औषधियाँ।

प्रश्न 2.
आपके विचार में वन के निकट रहने वाला कोई व्यक्ति किन वस्तुओं का उपयोग करता होगा?
उत्तर-
वन के निकट रहने वाला व्यक्ति पशुओं के लिए चारा, फल, पुष्प, शुष्क फल, लकड़ी, औषधियाँ आदि का प्रयोग करता होगा।

प्रश्न 3.
वन के अन्दर रहने वाला व्यक्ति किन वस्तुओं का उपयोग करता होगा?
उत्तर-
वन के अन्दर रहने वाला व्यक्ति वनों से आवास, पत्तों के वस्त्र, ईंधन, झोंपड़ी बनाने के लिए घास-पात, भोजन के लिए फल, शिकार आदि वस्तुओं को प्राप्त करता होगा।

क्रियाकलाप 16.7. (पा. पु. पृ. सं. 305)

प्रश्न 1.
किन्हीं दो वन उत्पादों का पता लगाना जो किसी उद्योग के आधार हैं।
उत्तर-
वृक्ष, इमारती लकड़ी एवं प्लाईवुड उद्योग तथा कागज उद्योग के आधार हैं।

प्रश्न 2.
चर्चा करना कि यह उद्योग लंबे समय तक संपोषित हो सकता है। अथवा क्या हमें इन उत्पादों की खपत को नियंत्रित करने की आवश्यकता है?
उत्तर-
ये उद्योग लंबे समय तक संपोषित हो सकते हैं यदि कच्चे माल को उचित रूप से प्रयोग किया जाए। प्लाइवुड के लिए कच्चा माल एवं इमारती लकड़ी को हम जिन वनों से प्राप्त करते है यदि उन्हें काटा गया है तो इनके स्थान पर नये पौधों को लगाया जाए। इसके साथ ही हमें इन उत्पादों की खपत को भी कम करना चाहिए जिससे इन उद्योगों से हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव उत्पन्न न हो।

क्रियाकलाप 16.8. (पा. प. प.सं. 307)

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटकों के लिए ‘आराम गृह’ (Rest house) का निर्माण करना।
उत्तर-
राष्ट्रीय उद्यानों में आराम गृह बनवाने से पर्यावरण की क्षति होगी। पर्यटकों के आने-जाने से जंगली जीवों के प्राकृतिक जीवन में हस्तक्षेप होगा। पर्यटकों द्वारा फैलाया गया प्रदूषण जीवों के लिए घातक होगा।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय उद्यानों में पालतू पशुओं को चराना।
उत्तर-
राष्ट्रीय उद्यान में पशुओं के चराने से एक ओर उद्यान की वनस्पति नष्ट होगी और वन्य शाकाहारी प्राणियों के लिए भोजन में कमी होगी वहीं दूसरी ओर पालतू पशु वन्य माँसाहारी जन्तुओं के शिकार हो जाएँगे।

प्रश्न 3.
पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक बोतल, थैलियाँ तथा अन्य कचरा राष्ट्रीय उद्यान में फेंकना।
उत्तर-
पर्यटक प्लास्टिक बोतल, थैलियाँ, कूड़ा-कचरा फेंकेंगे जिससे उद्यान गंदा हो जाएगा और प्रदूषण फैलेगा।

क्रियाकलाप 16.9. (पा. पु. पृ. सं. 308)

प्रश्न 1.
महाराष्ट्र के एक गाँव में जल की कमी की दीर्घकालीन समस्या से जूझ रहे ग्रामीण एक जल मनोरंजन पार्क का घेराव कर लेते हैं। इस पर चर्चा करना कि क्या यह उपलब्ध जल का समुचित उपयोग है।
उत्तर-
यह जल का समुचित उपयोग नहीं हैं। ग्रामीणों की जल समस्या का निराकरण पहले होना चाहिए इसके बाद मनोरंजन की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए।

क्रियाकलाप 16.10. (पा. पु. पृ. सं. 308)

प्रश्न 1.
एटलस की सहायता से भारत में वर्षा के पैटर्न का अध्ययन करना।
उत्तर-
वर्षा का पैटर्न-
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प्रश्न 2.
ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना जहाँ पर जल की प्रचुरता है तथा ऐसे क्षेत्रों की जहाँ जल की बहुत कमी है।
उत्तर-
लद्दाख, राजस्थान और गुजरात के पश्चिमी क्षेत्र में वर्षा की कमी है। उत्तर-पूर्व क्षेत्रों में तथा पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में वर्षा की अधिकता है। पशु

क्रियाकलाप 16.11. (पा. पु. प्र. सं. 312)

प्रश्न 1.
कोयले का उपयोग ताप-बिजलीघरों में एवं पेट्रोलियम उत्पाद जैसे कि डीजल एवं पेट्रोल का यातायात के विभिन्न साधन जैसे मोटर वाहन, जलयान एवं वायुयान में प्रयोग किया जाता है। आज के युग में विद्युत् साधित्रों एवं यातायात में विद्युत के प्रयोग के कारण वास्तव में हम इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। अतः क्या हम कुछ ऐसी युक्ति सोच सकते हैं जिससे कोयला एवं पेट्रोलियम के उपयोग को कम किया जा सके ?
उत्तर-

  • विद्युत चलित वाहनों के अधिक प्रयोग से।
  • सौर ऊर्जा चलित वाहनों से।
  • मेट्रो गाड़ियाँ चला कर ।
  • प्राइवेट वाहनों की संख्या कम करके।
  • सरकारी यातायात को बढ़ावा देकर।

क्रियाकलाप 16.12. (पा. पु. पृ. सं. 313)

प्रश्न 1.
आपने वाहनों से निकलने वाली गैसों के यूरोI(Euro-I), एवं यूरो-II एवं यूरो-III मानक के विषय में तो अवश्य ही सुना होगा। यह पता लगाना कि यह मानक वायु प्रदूषण कम करने में किस प्रकार सहायक हैं ?
उत्तर-
ये मानक सभी वाहन उद्योगों को वायु प्रदूषण कम करने हेतु ऐसे वाहन निर्मित करने हेतु विवश करते हैं जो कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, NOX.आदि पर नियंत्रण रखने हेतु प्रबंध करते हैं। इससे वाहन प्रदूषण कम फैलाते हैं।

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Veryshort Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
द्रव्यमान के संरक्षण नियम को लिखिए।
उत्तर-
किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में द्रव्यमान का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश, यही द्रव्यमान के संरक्षण का नियम है।

प्रश्न 2.
सन्तुलित रासायनिक समीकरण क्या है ?
उत्तर-
रासायनिक अभिक्रिया के पहले और उसके पश्चात् प्रत्येक तत्व के परमाणुओं की संख्या यदि समान रहती है तो उसे सन्तुलित समीकरण कहते हैं।

प्रश्न 3.
जल के निर्माण के लिए संयोजन अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर-
2H2 (g) + O2 (g) → 2H2O (l)

प्रश्न 4.
2Mg + O2 →? उपरोक्त अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
2Mg +O2 → 2MgO

प्रश्न 5.
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 1
उपर्युक्त अभिक्रिया का प्रयोग कहाँ होता है ?
उत्तर-
श्वेत-श्याम फोटोग्राफी में।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 6.
संक्षारण के कारण चाँदी व ताँबे पर कैसे रंग की परत चढ़ जाती है?
उत्तर-
चाँदी पर-काली तथा ताँबे पर-हरी।

प्रश्न 7.
क्यूप्रिक सल्फेट विलयन में लोहे का टुकड़ा डालने पर किस प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया होती है ?
उत्तर-
प्रतिस्थापन अभिक्रिया
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 2

प्रश्न 8.
दी गई अभिक्रिया किस प्रकार की है
Na2SO4 + BaCl2 → BaSO4 + 2NaCl
उत्तर-
यह एक द्विविस्थापन अभिक्रिया है।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 9.
जंग लगने के लिए आवश्यक कारक कौन-कौन से होते हैं ?
उत्तर-

  • धातु की खुली सतह,
  • ऑक्सीजन की उपस्थिति,
  • नमी की उपस्थिति।

प्रश्न 10.
भोजन के पाचन में किस प्रकार की अभिक्रिया होती है ?
उत्तर-
भोजन के पाचन में वियोजन अभिक्रिया होती है।

‘प्रश्न 11.
रेडॉक्स अभिक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
MnO2 +4HCl → MnCl2 + 2H2O+Cl2

प्रश्न 12.
फेरस सल्फेट के क्रिस्टलों को गर्म करने पर होने वाली अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 3

प्रश्न 13.
प्राकृतिक गैस का दहन करने पर क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
CO2, H2O और ऊर्जा।

प्रश्न 14.
जंग क्या है ? इसका सूत्र लिखिए।
उत्तर-
जंग मुख्यतः हाइड्रेटेड आयरन (HI) ऑक्साइड (Fe2O3,xH2O) है।

प्रश्न 15.
उस अभिक्रिया का नाम बताइए जिसमें अविलेय लवण प्राप्त होता है?
उत्तर-
अवक्षेपण अभिक्रिया।

प्रश्न 16.
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 4
उत्तर-
आयनिक वियोजन (क्योंकि यौगिक आयनों में अपघटित हो रहा है)

प्रश्न 17.
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 5
उत्तर-
योगात्मक अभिक्रिया (क्योंकि दो यौगिकों का संयोजन हो रहा है)।

प्रश्न 18.
CH4 + Cl2 →CH3Cl + HCI
उत्तर-
प्रतिस्थापन अभिक्रिया (क्योंकि इसमें एक परमाणु दूसरे के द्वारा विस्थापित हो रहा है)।

प्रश्न 19.
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 6
उत्तर-
ऊष्मीय वियोजन (क्योंकि इसमें NH4Cl गर्म करने पर विघटित हो रहा है)।

प्रश्न 20.
NH4Cl ⇌ NH4+ + Cl
उत्तर-
आयनिक वियोजन अभिक्रिया (क्योंकि NH4Cl का आयनों में वियोजन हो रहा है)।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
रासायनिक अभिक्रियाओं के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
रासायनिक अभिक्रियाओं के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • भोजन पकाना,
  • अंगूर का किण्वन,
  • श्वसन क्रिया,
  • शरीर द्वारा भोजन को पचाना,
  • गर्मियों में कमरे के ताप पर दूध का फट जाना।

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए रासायनिक समीकरणों को पूरा और संतुलित कीजिए
(i) NaOH(aq) +Zn(s)
(ii) CaCO3(s) +H2O(l) +CO2(g) →
(iii) HCl(aq) +H2O → (CBSE 2020)
उत्तर –
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 7

प्रश्न 3.
निम्नलिखित समीकरणों को सन्तुलित कीजिए
(i) H2SO4 (aq) + NaOH (ag) →NaSO4 (aq) +H2O(l)
(ii) Ba(OH)2 (aq) + HBr (aq) → BaBr2 (aq) +H2O(l)
(iii) BaCl2 (aq) +Al2(SO4)3 (aq) → AlCl3 (aq) + BaSO4(↓)
(iv) Pb(NO3)2 (aq) + Fe2(SO4)3 (aq) → Fe(NO3)3 (aq) + PbSO4,(↓)
(v) CH4 (g) + O2 (g) →CO2 (g) + H2O(l)
उत्तर-
(i) H2SO4 (aq) + 2NaOH (ag) →Na2SO4 (aq) +2H2O(l)
(ii) Ba(OH)2 (aq) + 2HBr (aq) → BaBr2 (aq) + 2H2O(l)
(iii) 3BaCl2 (aq) +Al2(SO4)3 (aq) → 2AlCl3 (aq) + 3BaSO4(↓)
(iv) 3Pb(NO3)2 (aq) + Fe2(SO4)3 (aq) → 2Fe(NO3)3 (aq) + 3PbSO4(↓)
(v) CH4 (g) + 2O2 (g) → CO2 (g) + 2H2O(l)

प्रश्न 4.
जिंक की सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया पर गैस X बनती है|
(i) गैस X का नाम दीजिए।
(ii) अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
(iii) गैस X की पहचान कैसे करेंगे ? [राज. 2015]
उत्तर-
(i) गैस X = H2, गैस
(ii) Zn + H2SO4 →ZnSO4 +H2
(iii) जब जलती हुई मोमबत्ती को हाइड्रोजन गैस के पास ले जाते हैं, तो यह फट-फट की ध्वनि के साथ जलती गर्म करने पर है|

प्रश्न 5.
किसी चायना डिश में 1 ग्राम कॉपर चूर्ण को लेकर गर्म किया गया। इसे गर्म करने पर क्या परिवर्तन होते हैं? क्या गर्म पदार्थ पर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने पर इसमें कोई दिखाई देने योग्य परिवर्तन होता है? प्रत्येक प्रकरण में बनने वाले पदार्थों के नाम और रंग तथा होने वाली अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
कॉपर चूर्ण गर्म करने पर ठोस काले रंग के कॉपर ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। ” कॉपर ऑक्साइड में H2 गैस प्रवाहित करने पर पुन: भूरे रंग की कॉपर धातु प्राप्त होती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 8

प्रश्न 6.
किसी चायना डिश में 2g सिल्वर क्लोराइड लेकर उसे कुछ समय के लिए सूर्य के प्रकाश में रखा जाता है। इस प्रकरण में आप क्या प्रेक्षण करेंगे? होने वाली रासायनिक अभिक्रिया का सन्तुलित रासायनिक समीकरण दीजिये। इस रासायनिक अभिक्रिया के प्रकार को पहचानकर लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
चायना डिश में रखे सिल्वर क्लोराइड का विघटन हो जायेगा तथा चमकदार सिल्वर प्राप्त होगी।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 9

प्रश्न 7.
प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए। ‘
उत्तर-
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें प्रकाश का अवशोषण होता है, प्रकाश-रासायनिक अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। ये अभिक्रियाएँ प्रकाश की उपस्थिति में ही होती हैं।
उदाहरण के लिए-
(i) प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में हरे पौधे जल व CO2 की सहायता से कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 10
(ii) H2 तथा Cl2 की क्रिया द्वारा HCl का बनना।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 11

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 8.
दिखाई देने वाले रंग में होने वाले परिवर्तन का उल्लेख कारण सहित कीजिए जबकि-
(i) सिल्वर क्लोराइड को सूर्य के प्रकाश में खुला रखा जाता है।
(ii) ऑक्सीजन की उपस्थिति में कॉपर के चूर्ण को अत्यधिक गर्म किया जाता है।
(iii) कॉपर सल्फेट विलयन में जिंक का टुकड़ा गिराया जाता है। (CBSE 2020)
उत्तर-
(i) जब सिल्वर क्लोराइड को सूर्य के प्रकाश में खुला रखा जाता है तो चमकदार सफेद चाँदी प्राप्त होती है। यह एक विघटन अभिक्रिया है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 12
(ii) कॉपर चूर्ण का भूरा रंग काले रंग वाले कॉपर ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। यह एक संयोजन अभिक्रिया है।
2Cu(s)+O2(g) →2CuO(s) कॉपर (II) ऑक्साइड (काला)

(iii) नीले रंग का कॉपर सल्फेट विलयन, रंगहीन जिंक सल्फेट में बदल जाता है तथा जिंक के टुकड़े पर कुछ मात्रा में भूरे रंग का कॉपर धातु जमा हो जाता है। यह एक प्रतिस्थापन अभिक्रिया है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 13

प्रश्न 9.
नीचे दी गई प्रत्येक अभिक्रिया के प्रकार को पहचानिए तथा प्रत्येक अभिक्रिया के लिए सन्तुलित रासायनिक समीकरण भी लिखिए-
(i) वह अभिक्रिया जिसमें मिश्रण गरम हो जाता है।
(ii) वह अभिक्रिया जिसमें कोई अविलेय पदार्थ बनता है। [CBSE 2020]
उत्तर-
(i) ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया _
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 14
(ii) अवक्षेपण अभिक्रिया
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 15

प्रश्न 10.
CuO+H2O →Cu+H2O अभिक्रिया में कारण सहित बताइए [राज. 2015]
(i) उपचयित पदार्थ
(ii) अपचयित पदार्थ
(iii) उपचायक पदार्थ
(iv) अपचायक पदार्थ।
उत्तर-
(i) H2, उपचयित पदार्थ है क्योंकि हाइड्रोजन में ऑक्सीजन का संयोग हो रहा है।
(ii) अपचयित पदार्थ Cuo है क्योंकि ऑक्सीजन, कॉपर ऑक्साइड में से निष्कासित हो रही है।
(iii) Cuo उपचायक पदार्थ है क्योंकि Cuo हाइड्रोजन के उपचयन हेतु आवश्यक ऑक्सीजन दे रहा है।
(iv) H3 अपचायक पदार्थ है क्योंकि हाइड्रोजन, कॉपर . ऑक्साइड के निष्कासन के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 11.
(a) निम्नलिखित अभिक्रियाओं का विभिन्न प्रकारों में वर्गीकरण कीजिए
(i) AgNO3(aq) + NaCl(aq) →AgCI(s) +NaNO3(aq)
(ii) Cao(s) + H2O → Ca(OH)2(aq)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 16
(iv) Zn + CuSO4 → ZnSO4 +Cu
(b) निम्नलिखित कथन को सन्तुलित रासायनिक समीकरण के रूप में रूपान्तरित कीजिए – “बेरियम क्लोराइड, ऐल्युमिनियम सल्फेट से अभिक्रिया करके ऐलुमिनियम क्लोराइड और बेरियम सल्फेट बनाता है।” (CBSE 2019)
उत्तर-
(a)
(i) द्विविस्थापन अभिक्रिया,
(ii) संयोजन अभिक्रिया,
(iii) अपघटन अभिक्रिया,
(iv) विस्थापन अभिक्रिया।

(b)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 17

प्रश्न 12.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को संयोजन, वियोजन, विस्थापन तथा द्विविस्थापन के रूप में वर्गीकृत कीजिए
(i)2KClO3 (s) →2KCl(s) +3O2,(g)
(ii) 2KNO3 (s) → 2KNO2 (s) +O2(g)
(iii) MgO (s)+C(s) →CO (g)+Mg(s)
(iv) Zn (s) + 2HCl(aq) →ZnCl2 (aq) + H2(g)
(v) Zn (s) + 2AgNO3 (aq) → Zn(NO3)2 (aq) +2Ag(s)
उत्तर-
(i) वियोजन अभिक्रिया,
(ii) वियोजन अभिक्रिया,
(iii) प्रतिस्थापन अभिक्रिया,
(iv) प्रतिस्थापन अभिक्रिया,
(v) प्रतिस्थापन अभिक्रिया।

प्रश्न 13.
जब किसी परखनली में लेड (II) नाइट्रेट का विलयन लेकर उसमें पौटेशियम आयोडाइड का विलयन मिलाते हैं, तो कोई अवक्षेप बनता है-
(a) इस अवक्षेप का क्या रंग होता है? अवक्षेपित यौगिक का नाम लिखिए।
(b) इस अभिक्रिया का सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
(c) अभिक्रिया के इन दो प्रकारों की सूची बनाइए जिनमें इस अभिक्रिया को रखा जा सकता है। [CBSE 2019]
उत्तर-
(a) पीले रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है। अवक्षेपित यौगिक का नाम लैड आयोडाइड (PbI2) है।
(b) Pb(NO3)2(aq) + 2KI(aq) → PbI2↓ + 2KNO3(aq)
(c) अभिक्रिया के दो प्रकार जिनमें इस अभिक्रिया को रखा जा सकता है।
(i) द्विविस्थापन अभिक्रिया
(ii) अवक्षेपण अभिक्रिया

प्रश्न 14.
नीचे दिए गए प्रत्येक प्रकरण में होने वाली अभिक्रिया के प्रकार को पहचानिए और उसके लिए सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए-
(a) जिंक सिल्वर नाइट्रेट से अभिक्रिया करके जिंक नाइट्रेट और सिल्वर बनाता है।
(b) पोटैशियम आयोडाइड लैड नाइट्रेट से अभिक्रिया करके पौटेशियम नाइट्रेट और लैड आयोडाइड बनाता है। [CBSE 2019]
उत्तर-
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प्रश्न 15.
दी गई अभिक्रिया
MnO2,+4HCl → MnCl2 + 2H2O+Cl2
(a) उपरोक्त के उस यौगिक का नाम लिखिए जिसका
(i) उपचयन,
(ii) अपचयन हुआ है।
(b) उपरोक्त के आधार पर उपचयन और अपचयन की परिभाषा लिखिए। [CBSE 2018]
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 19
(a)
(i) HCl यौगिक का उपचयन .
(ii) MnO2 यौगिक का अपचयन
(b) उपचयन-जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में किसी पदार्थ में ऑक्सीजन का योग अथवा हाइड्रोजन की हानि हो तो ऐसी अभिक्रिया को उपचयन कहते हैं। अपचयन-जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में किसी पदार्थ में हाइड्रोजन का योग अथवा ऑक्सीजन की हानि होती है तो ऐसी अभिक्रिया को अपचयन कहते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

प्रश्न 16.
क्या होता है, जब सोडियम सल्फेट का विलयन बेरियम क्लोराइड के विलयन में मिलाया जाता है। इसका सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए। यह अभिक्रिया किस प्रकार की है? [CBSE 2017]
उत्तर-
इस अभिक्रिया में BaSO4, (बेरियम सल्फेट) के सफेद अवक्षेप बनते हैं।
Na2So (aq) + BaCl2(aq) → BaSO4(s) + 2NaCl(aq)
यह एक द्विविस्थापन अभिक्रिया है।

प्रश्न 17.
संयोजन अभिक्रिया किसे कहते हैं? बिन बुझे चूने व जल की संयोजन अभिक्रिया लिखिए। [RBSE 2016]
उत्तर-
वह अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक प्रकार के पदार्थों के अणु परस्पर जुड़कर केवल एक ही प्रकार के अणु बनाते हैं, संयोजन या योगात्मक अभिक्रिया कहलाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 20

प्रश्न 18.
संयोजन अभिक्रिया किसे कहते हैं? कोयले के दहन की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। राज.2015]
उत्तर-
संयोजन अभिक्रिया- जब किसी अभिक्रिया में दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं, तो ऐसी अभिक्रिया को संयोजन अभिक्रिया कहते हैं। उदाहरणार्थ- कोयले का दहन
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 21

प्रश्न 19.
वियोजन अभिक्रिया किसे कहते हैं? कैल्सियम कार्बोनेट के ऊष्मीय वियोजन की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए। [राज. 2015]
उत्तर-
वियोजन अभिक्रियाएँ-ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें कोई पदार्थ छोटे-छोटे पदार्थों या यौगिकों में विघटित हो जाता है, वियोजन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। उदाहरणार्थ- कैल्सियम कार्बोनेट ऊष्मा के द्वारा विघटित होकर कैल्सियम ऑक्साइड तथा कार्बन डाइ
ऑक्साइड बनाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 22

प्रश्न 20.
(a) वसायुक्त खाद्य पदार्थों को विकृतगंधिता से बचाने के लिए क्या किया जाता है?
(b) CuO+H2 → Cu+H2O
उपरोक्त अभिक्रिया में किस पदार्थ का उपचयन हो रहा है व किसका अपचयन? [RBSE 2017]
उत्तर-
(a) वसायुक्त खाद्य पदार्थ को विकृतगंधिता से बचाने के लिए नाइट्रोजन गैस का इस्तेमाल किया जाता है।
(b) इस अभिक्रिया में हाइड्रोजन का ऑक्सीकरण व कॉपर का अपचयन हो रहा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रस्तुत अभिक्रियाओं के प्रकार लिखिए-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 23
उत्तर-
(i) आयनिक वियोजन अभिक्रिया,
(ii) योगात्मक अभिक्रिया,
(iii) प्रतिस्थापन अभिक्रिया,
(iv) ऊष्मीय वियोजन अभिक्रिया,
(v) आयनिक वियोजन अभिक्रिया,
(vi) उभय अपघटन अभिक्रिया,
(vii) ऊष्मीय अपघटन अभिक्रिया,
(viii) ऊष्मीय वियोजन अभिक्रिया,
(ix) योगात्मक अभिक्रिया,
(x) प्रतिस्थापन अभिक्रिया।

प्रश्न 2.
संयोजन तथा वियोजन अभिक्रियाओं में क्या अन्तर है ? प्रत्येक अभिक्रिया का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
संयोजन तथा वियोजन अभिक्रियाओं में अन्तर-

संयोजन अभिक्रियावियोजन अभिक्रिया
1. इन अभिक्रियाओं में दो या दो से अधिक पदार्थ परस्पर संयोग करके एक पदार्थ बनाते हैं।1. इन अभिक्रियाओं में एक यौगिक वियोजित होकर दो या दो से अधिक सरल पदार्थ बनाता है।
2. ये अभिक्रियाएँ एक या अनेक तत्वों के आपसी संयोजन से विभिन्न ऊर्जाओं की उपस्थिति में पूर्ण होती हैं।
उदाहरण- (i) NH3 + HCl →NH4Cl
2. ये अभिक्रियाएँ प्रायः ऊष्मा, प्रकाश, विद्युत् या उत्प्रेरकों के कारण ही सम्भव हो पाती हैं; परन्तु ये संयोजन अभिक्रियाओं के विपरीत होती हैं। उदाहरण-
(i) CaCO3 → CaO + CO2

प्रश्न 3.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए सन्तुलित समीकरण लिखिए तथा अभिक्रिया के प्रकार को पहचानिए-
(i) पोटैशियम ब्रोमाइड (aq) + बेरियम आयोडाइड (aq) → पोटैशियम आयोडाइड (aq) + बेरियम ब्रोमाइड (aq)
(ii) जिंक का नेट (s) → जिंक ऑक्साइड (s) + कार्बन डाइऑक्साइड (g)
(iii) हाइड्रोजन (g) + क्लोरीन (g) → हाइड्रोजन क्लोराइड (g)
उत्तर-
(i) 2KBr (aq) + Bal2, (aq) → 2KI (aq) + BaBr2, (aq) (द्विविस्थापन अभिक्रिया)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण 24
(iii) H2(g) + Cl2(g) → 2HCl(g) (संयोजन अभिक्रिया)

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को सन्तुलित करके प्रत्येक अभिक्रिया के प्रकार बताइए
(i) CH4Cl+ Cl2 → CH3Cl + HCl
(ii) Na + Cl2 → NaCl
(iii) H2SO4 + NaOH →Na2SO4 + H2O
(iv) Ba(OH)2, + HBr → BaBr2 + H2O
(v) BaCl2 + Al2 (SO4)3 → AlCl3 + BaSO4
उत्तर-
(i) 2CH4Cl+ Cl2 → 2CH3Cl + HCl (प्रतिस्थापन अभिक्रिया)
(ii) 2Na + Cl2 → 2NaCl (योगात्मक अभिक्रिया)
(iii) H2SO4 + 2NaOH → Na2SO4 + 2H2O (उदासीनीकरण अभिक्रिया)
(iv)Ba(OH)2 + 2HBr → BaBr2 + 2H2O (उदासीनीकरण अभिक्रिया)
(v) 3BaCl2 + Al2(SO4)3 →2AlCl2 + 2BaSO4 (द्विविस्थापन अभिक्रिया)

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. किस गैस के उपस्थित होने पर मैग्नीशियम रिबन का दहन होता है –
(a) CO2
(b) CO
(c) H2
(d) O2.
उत्तर-
(d) O2

2. अभिक्रिया के तीर का सिरा किस ओर होता है –
(a) अभिकारक
(b) अवक्षेप
(c) गैस
(d) उत्पाद।
उत्तर-
(a) अभिकारक।

3. दानेदार जिंक पर तनु HCl डालने पर कौन-सी गैस उत्पन्न होती है –
(a) H2
(b) SO2
(c) Cl2
(d) O2
उत्तर-
(a) H2.

4. कौन-सा चिह्न उत्पाद के अवक्षेप के रूप में प्राप्त होने पर लगाया जाता है –
(a) ↑
(b) →
(c) ←
(d)↓.
उत्तर-
(d) ↓

5. दाब, उत्प्रेरक, ताप आदि को अभिक्रिया में तीर के निशान के साथ कैसे दिखाया जाता है –
(a) ऊपर
(b) नीचे
(c) आगे
(d) ऊपर या नीचे।
उत्तर-
(d) ऊपर या नीचे।

6. आयरन की भाप के साथ अभिक्रिया करने पर प्राप्त यौगिक है/हैं –
(a) Fe2O3
(b) Fe3O4.
(c) Feo
(d) Fe2O3 और Fe3SO4
उत्तर-
(b) Fe3O4.

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

7. कैल्सियम ऑक्साइड जल के साथ तीव्र अभिक्रिया करके बुझा हुआ चूना बनाता है।
CaO(s) + H2 O(I)→ Ca(OH)2 (aq)
इस अभिक्रिया का वर्गीकरण अभिक्रियाओं के किस प्रकार में किया जा सकता है? (A) संयोजन अभिक्रिया (B) ऊष्मा उन्मोची अभिक्रिया (C) ऊष्माशोषी अभिक्रिया (D) उपचयन अभिक्रिया। निम्न में से सही विकल्प कौन-सा है?
(a) A और C
(b) C और D
(c) A, C और D
(d)A और B
उत्तर-
(d) A और B.

8. जब हाइड्रोजन सल्फाइड गैस को कॉपर सल्फेट के नीले विलयन से प्रवाहित किया जाता है तो कॉपर सल्फाइड का काला अवक्षेप प्राप्त होता है तथा इस प्रकार बना सल्फ्यूरिक अम्ल विलयन में रह जाता है यह अभिक्रिया निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?
(a) संयोजन अभिक्रिया
(b) विस्थापन अभिक्रिया
(c) वियोजन अभिक्रिया
(d) द्विविस्थापन अभिक्रिया
उत्तर-
(d) द्विविस्थापन अभिक्रिया।

9. CaO+H2O → Ca(OH)2 उपर्युक्त अभिक्रिया है-
(a) अपघटन अभिक्रिया
(b) वियोजन अभिक्रिया
(c) संयोजन अभिक्रिया
(d) विस्थापन अभिक्रिया।
उत्तर-
(c) संयोजन अभिक्रिया।

10. CuSO4 (aq) +Zn(s) → ZnSO4 (aq) + Cu (s) उपर्युक्त अभिक्रिया है –
(a) संयोजन अभिक्रिया
(b) विस्थापन अभिक्रिया
(c) अपघटन अभिक्रिया
(d) द्विविस्थापन अभिक्रिया।
उत्तर-
(b) विस्थापन अभिक्रिया।

11. शाक-सब्जियों का विघटित होकर कम्पोस्ट बनाना कैसी अभिक्रिया है ?
(a) ऊष्माशोषी
(b) ऊष्मासंवेदी
(c) ऊष्माक्षेपी
(d) ऊष्मारोधी।
उत्तर-
(c) ऊष्माक्षेपी।

12. नम वायु में ताँबे की बाहरी सतह पर किस रंग की परत चढ़ जाती है –
(a) भूरी
(b) काली
(c) लाल
(d) हरी।
उत्तर-
(d) हरी।

13. निम्न अभिक्रिया Fe2O3, +3CO → 2 Fe + 3CO2, में अपचयित पदार्थ है-
(a) CO
(b) Fe
(c) CO2
(d) Fe2O3.
उत्तर-
(d) Fe2O3.

14. C2H12O6 (aq) + 6O6 (aq) + 6H2O(l) → 6CO2(aq) +12H2O (l) + ऊर्जा, इस रासायनिक अभिक्रिया का विशेष नाम है –
(a) उत्सर्जन
(b) पाचन
(c) श्वसन
(d) प्रजनन
उत्तर-
(c) श्वसन।

15. अपघटन अभिक्रिया का उदाहरण है
(a) 2SO2+O2 → 2SO3
(b) 2KClO3 → 2KCl+3O2
(c) Mg + 2HCl → MgCl2+H2
(d) HCl + NaOH→ NaCl+H2O.
उत्तर-
(b) 2KCIO3, → 2KCl+3O2.

16. Cl2 +2KI → 2KCI+I2 एक-
(a) संयोजन अभिक्रिया है
(b) अपघटन अभिक्रिया है
(c) विस्थापन अभिक्रिया है
(d) द्विविस्थापन अभिक्रिया है।
उत्तर-
(c) विस्थापन अभिक्रिया है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 1 रासायनिक अभिक्रियाएँ एवं समीकरण

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. सफेदी करने के दो-तीन दिन बाद ………………………. की परत का निर्माण होता है।
उत्तर-
कैल्सियम कार्बोनेट,

2. श्वसन एक ……………………. रासायनिक अभिक्रिया है।
उत्तर-
ऊष्माक्षेपी,

3. लोहे की वस्तुओं पर जंग उनकी खुली सतह पर …………………. एवं ……………….. के कारण लगती है।
उत्तर-
ऑक्सीजन, नमी,

4. तेल एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों के उपचयन से बचाव हेतु हम इनमें………..प्रवाहित कर देते हैं।
उत्तर-
नाइट्रोजन,

5. मैग्नीशियम को वायु की उपस्थिति में जलाने पर ………….. प्राप्त होगा।
उत्तर-
मैग्नीशियम ऑक्साइड।

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न (Matrix Type Questions)

निम्न को सुमेलित कीजिए-
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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
सहसंयोजक यौगिक विद्युत् के दुर्बल चालक क्यों होते हैं ?
उत्तर-
इन यौगिकों में आयन अथवा मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते जो विद्युत् चालन के लिए आवश्यक हैं अतः सहसंयोजक यौगिक विद्युत के दुर्बल चालक होते हैं।

प्रश्न 2.
यौगिकों में कितने प्रकार के सहसंयोजी आबन्ध उपस्थित रहते हैं ?
उत्तर-
यौगिकों में सहसंयोजी आबन्ध तीन प्रकार के होते हैं-

  • एकल सहसंयोजी आबन्ध,
  • द्वि-सहसंयोजी आबन्ध,
  • त्रि-सहसंयोजी आबन्ध।

प्रश्न 3.
शृंखलन क्या है ? .
उत्तर-
कार्बन तत्व का वह गुण जिसके कारण इसके परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर एक दीर्घ श्रृंखला बना सकते हैं, श्रृंखलन कहलाता है।

प्रश्न 4.
किसी चक्रीय असंतृप्त कार्बन यौगिक का नाम लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
बेन्जीन (C6H6)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 1

प्रश्न 5.
एथीन का आण्विक सूत्र लिखिए और उसकी इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना खींचिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 2

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 6.
उस समजातीय श्रेणी के द्वितीय और तृतीय सदस्य का आण्विक सूत्र लिखिए जिसका प्रथम सदस्य मेथेन है। (CBSE 2017)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 3

प्रश्न 7.
कार्बन डाइऑक्साइड के लिए एक परीक्षण दीजिए।
उत्तर-
कार्बन डाइऑक्साइड चूने के पानी को दूधिया कर देती है।

प्रश्न 8.
सहसंयोजी आबन्ध किस प्रकार बनते हैं? (CBSE 2020)
उत्तर-
दो परमाणुओं के बीच सबसे बाहरी कक्ष के इलेक्ट्रॉन साझा करने से सहसंयोजी आबन्ध बनते हैं।

प्रश्न 9.
जन्तुओं तथा वनस्पतियों की वसाओं तथा तेलों में उपस्थित एस्टरों को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
ग्लिसरॉइड्स।

प्रश्न 10.
उस समजातीय श्रेणी के द्वितीय और तृतीय सदस्य का आण्विक सूत्र लिखिए जिसका प्रथम सदस्य एथीन है। (CBSE 2017)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 4

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 5

प्रश्न 11.
उस समजातीय श्रेणी के द्वितीय और तृतीय सदस्य का आण्विक सूत्र लिखिए जिसका प्रथम सदस्य एथाइन है। (CBSE 2017)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 6

प्रश्न 12.
उस समजातीय श्रेणी के पहले दो सदस्यों के अणुसूत्र लिखिए जिसका प्रकार्यात्मक समूह-CI है। (CBSE 2017)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 7

प्रश्न 13.
एथेन के अणु में सहसंयोजी आबन्धों की संख्या लिखिए। [CBSE 2015]
उत्तर-
07

प्रश्न 14.
संतृप्त हाइड्रोकार्बन को जलाने पर उत्पन्न ज्वाला की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर-
संतृप्त हाइड्रोकार्बन एक स्वच्छ नीली ज्वाला के साथ जलता है।

प्रश्न 15.
हीरे व ग्रेफाइट की संरचना कैसी होती है ?
उत्तर-
हीरा – प्रबल त्रिआयामी संरचना,
ग्रेफाइट – षट्कोणीय संरचना।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 16.
एथेन का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर-
सूत्र : C2H6
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 8

प्रश्न 17.
प्रोपेन का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर-
सूत्र : C3H8
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 9

प्रश्न 18.
ब्यूटेन का सूत्र लिखिए व संरचनाएँ बनाइए।
उत्तर-
सूत्र: C4H10
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 10

प्रश्न 19.
साइक्लोहेक्सेन का आण्विक और संरचना सूत्र लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
सूत्र : C6H12
संरचनाम
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 11

प्रश्न 20.
प्रोपेनोन में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह का नाम लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
प्रोपेनोन में एल्कोहॉल समूह उपस्थित है।

प्रश्न 21.
ऐल्कोहॉल को वायु में जलाने पर क्या होता
उत्तर-
ऐल्कोहॉल वायु में जलकर कार्बन डाइऑक्साइड, जल वाष्प, ऊष्मा तथा प्रकाश देता है।

प्रश्न 22.
उस एल्कोहॉल का नाम और संरचना लिखिए जिसके अणु में तीन कार्बन परमाणु हैं। (CBSE 2016)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 12

प्रश्न 23.
उस एल्कोहॉल का नाम और अणुसूत्र लिखिए जिसके एक अणु में 4 कार्बन परमाणु होते हैं। (CBSE 2016)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 13

प्रश्न 24.
कार्बोक्सिलिक अम्ल की प्रकृति दुर्बल है अथवा प्रबल ?
उत्तर-
दुर्बल अम्ल।

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प्रश्न 25.
एथेनॉल की ऑक्सीजन से अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर-
C2H5OH+O2 →CH3COOH+H2O.

प्रश्न 26.
ऑक्सीकरण कारक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जिन पदार्थों में ऑक्सीजन देने की क्षमता होती है, उन्हें ऑक्सीकरण कारक कहते हैं।

प्रश्न 27.
क्षारीय पोटैशियम परमैंगनेट या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट अम्ल क्या हैं ?
उत्तर-
ऑक्सीकरण कारक।

प्रश्न 28.
फॉर्मिक एसिड का IUPAC नाम तथा संरचनात्मक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
फॉर्मिक एसिड का IUPAC नाम मेथेनॉइक अम्ल है। इसका संरचनात्मक सूत्र :HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 14 है।

प्रश्न 29.
संकलन अभिक्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संकलन अभिक्रिया ऐसी अभिक्रिया है जिसमें एक असन्तुष्ट हाइड्रोकार्बन किसी अन्य पदार्थ से मिलकर केवल एक यौगिक उत्पन्न करता है।

प्रश्न 30.
संकलन अभिक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 15

प्रश्न 31.
किण्वन क्या है?
उत्तर-
किण्वन वह क्रिया है जिसमें शक्कर तथा स्टार्च के अणु छोटे अणुओं में टूट जाते हैं और साथ में कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है।

प्रश्न 32.
प्रतिहिम किसे कहते हैं ? इसका उपयोग कहाँ होता है ?
उत्तर-
ऐल्कोहॉल तथा जल के मिश्रण को प्रतिहिम कहते हैं। इसका उपयोग ठण्डे देशों में वाहनों के रेडिएटरों में होता है।

प्रश्न 33. साबुन कैसे बनता है ?
उत्तर-
साबुन, तेल अथवा वसा से बनता है जो वसा अम्ल या ग्लिसरॉल के एस्टर होते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 34.
साबुनीकरण किसे कहते हैं ? .
उत्तर-
वसा को विघटित करने की क्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।

प्रश्न 35.
ग्लिसरॉल का उपयोग कहाँ किया जाता
उत्तर-
ग्लिसरॉल का उपयोग औषधियों, विस्फोटक पदार्थ, रंग रोगन आदि में किया जाता है।

प्रश्न 36.
अपमार्जक किससे बनते हैं ?
उत्तर-
अपमार्जक पेट्रोलियम से प्राप्त हाइड्रोकार्बनों से बनते हैं।

प्रश्न 37.
साबुन पानी में घुलकर क्या बनाता है ?
उत्तर-
साबुन पानी में घुलकर मिसेल बनाता है।

प्रश्न 38.
किण्वन क्रिया किस तापमान पर होती है ?
उत्तर-
किण्वन क्रिया 20-30°C पर होती है।

प्रश्न 39.
ऐल्डिहाइड वर्ग का सामान्य सूत्र क्या है ?
उत्तर-
CnH2n+1 CHO.

प्रश्न 40.
प्रतिस्थायी अभिक्रिया किसे कहते हैं ?
उत्तर-
क्लोरीन का हाइड्रोजन के परमाणुओं से विस्थापन को प्रतिस्थायी अभिक्रिया कहते हैं।

प्रश्न 41.
भोजन पकाने के लिए किन तेलों का उपयोग करना चाहिए?
उत्तर-
असंतृप्त वसा अम्लों से युक्त तेलों का।

प्रश्न 42.
जल किस कारण कठोर बनता है ?
उत्तर-
कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवणों के कार्बो नेट, सल्फेट तथा क्लोराइड के कारण।

प्रश्न 43.
कार्बोनायल यौगिक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐल्डिहाइड और कीटोन वर्ग को कार्बोनायल यौगिक कहते हैं, क्योंकि इनमें कार्बोनायल वर्ग (-CO या -C=0) विद्यमान होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना खींचिए और इसके अणु में कार्बन और ऑक्सीजन के बीच आबन्ध की प्रकृति लिखिए। अथवा
प्रत्येक के लिए कारण देते हुए कार्बन के इन दो गुणधर्मों की सूची बनाइए जिनके कारण हमारे चारों ओर विशाल संख्या में कार्बन के यौगिक दिखाई देते हैं। (CBSE 2019)
उत्तर-
CO2
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 16
कार्बन तथा ऑक्सीजन के मध्य द्विआबंध (संयोजी) होते हैं।
अथवा

  • कैटीनेशन-यह वह गुण है जिससे कार्बन अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ बन्ध बनाते हैं।
  • चर्तुसंयोजक-कार्बन की चार संयोजकता होने के कारण यह अन्य परमाणुओं के साथ बन्ध बनाता है।

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प्रश्न 2.
किम यौगिकों को (i) ऐल्केन, (ii) ऐल्कीन और (iii) ऐल्काइन कहते हैं? C4H10 इनमें से किससे संबंधित है? इस यौगिक के दो संरचनात्मक समस्थानिक खींचिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
(i) जिन यौगिकों का यौगिक सूत्र CnH2n+2 होता है, उन्हें एल्केन कहते हैं।
(ii) जिनका यौगिक सूत्र CnH2n होता है, उन्हें एल्कीन कहते हैं।
(iii) जिन यौगिकों का यौगिक सूत्र CnH2n-2 होता है, उन्हें ऐल्काइन कहते
C4H10 एल्केन है, जिसे ब्यूटेन कहते हैं।
C4H10 के संरचनात्मक सपस्थानिक हैं।
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प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से ऐल्कीन एवं एल्काइन की पहचान कीजिए :
(i) C2H6
(ii) C3H4
(iii) C3H6
(iv) C3H8
उत्तर-
(iii) ऐल्कीन है और (ii) एल्काइन है।

प्रश्न 4.
(a) कार्बन के दो विशिष्ट लक्षण लिखिए जिनके कारण वह बड़ी संख्या में यौगिक बनाता है। कार्बनिक यौगिकों में आबन्ध की प्रकृति लिखिए।
(b) एथेन के दो उत्तरोत्तर सदस्यों के सूत्र लिखिए। (RBSE 2015)
उत्तर-
(a)
(i) चतुःसंकलन.
(ii) श्रृंखलन . .
सहःसंयोजक बन्ध

(b) C3H8 और C4H10 प्रोपेन और ब्यूटेन

प्रश्न 5.
एथाइन की इलेक्ट्रॉन-बिन्दु संरचना का चित्रण कीजिए। एथाइन और ऑक्सीजन के मिश्रण का दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। आपके विचार से इस कार्य के लिए एथाइन और वायु के मिश्रण का उपयोग क्यों नहीं किया जा सकता है? [CBSE 2015]
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 18
एथाइन और आक्सीजन का मिश्रण दहन वेल्डिंग के लिए किया जाता है। एथाइन और वायु के मिश्रण का उपयोग अवांछनीय पदार्थ बनने के कारण किया जाता है।

प्रश्न 6.
(i) क्या होता है जब मेथेन ओजोन के साथ अभिक्रिया करती है?
(ii) क्या होता है जब मेथेन की क्रिया नाइट्रिक अम्ल से करते हैं?
उत्तर-
(i) मेथेन ओजोन के द्वारा ऑक्सीकृत होकर फॉर्मेल्डिहाइड बनाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 19
(ii) मेथेन नाइट्रिक अम्ल से क्रिया कर नाइट्रोमिथेन बनाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 20

प्रश्न 7.
संतृप्त व असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में अन्तर लिखें।
उत्तर-

संतृप्त हाइड्रोकार्बनअसंतृप्त हाइड्रोकार्बन
1. ये कम क्रियाशील होते हैं।1. ये अधिक क्रियाशील होते हैं।
2. ये ब्रोमीन जल का रंग नहीं उड़ाते है।2. ये ब्रोमीन जल का भूरा रंग उड़ा देते हैं।
3. ये ओजोन के साथ ओजोनाइट नहीं बनाते हैं।3. ये ओजोन के साथ क्रिया करके ओजोनाइट बनाते हैं।
4. ये प्रतिस्थापित क्रियायें प्रदर्शित करते हैं।4. ये मुख्यतः योगात्मक अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 8.
किसी परखनली में 3mL एथेनॉल लेकर उसे जल-ऊष्मक में धीरे-धीरे गर्म किया गया। इस विलयन में 5% क्षारीय पौटेशियम परमैंगनेट विलयन को पहले बूंद-बूंद करके और फिर आधिक्य में मिलाया गया।
(i) KMnO4 का 5% विलयन किस प्रकार बनाया जाता है?
(ii) इस अभिक्रिया में क्षारीय पौटेशियम परमैंगनेट की भूमिका का उल्लेख कीजिए। इसे आधिक्य में मिलाने पर क्या होता है?
(iii) इस अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(i) 5 ग्राम (KMnO4) को 95 mL गर्म पानी में घोल कर मिलाने से, 5% (KMnO4) का विलयन प्राप्त होगा।
(ii) इस अभिक्रिया में क्षारीय पौटेशियम परमैंगनेट (KMnO4) एक ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करता है। अधिक मात्रा में KMnO4 डालने पर विलयन का रंग बैंगनी हो जायेगा। इसका कारण यह है कि KMnO4 की अधिक मात्रा क्रिया में भाग नहीं लेती क्योंकि क्रिया के लिए एथेनॉल शेष नहीं बचती।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 21

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 9.
(a)
(i) एथेनॉल,
(ii) एथेनॉइक अम्ल की संरचनाएँ खींचिए।
(b) एथेनॉल के एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन की उपचयन (ऑक्सीकरण) अभिक्रिया क्यों माना जाता है? इस अभिक्रिया में उपयोग होने वाले ऑक्सीकरण का नाम लिखिए।
उत्तर-
(a)
(i) एथेनॉल (C2H5OH) की संरचना
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 22
(ii) एथेनॉइक अम्ल (CH3COOH) की संरचना
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 23

(b) एथेनॉल के एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को उपचयन (ऑक्सीकरण) अभिक्रिया माना जाता है क्योंकि इस परिवर्तन में एथेनॉल के अणु में एक ऑक्सीजन के परमाणु का योग होता है तथा 2 हाइड्रोजन के परमाणुओं की हानि होती है। क्षारीय KMnO4 का विलयन इस अभिक्रिया में ऑक्सीकारक है।

प्रश्न 10.
उन दो रासायनिक गुणधर्मों की सूची बनाइए जिनके आधार पर एथेनॉल और एथेनॉइक अम्ल के बीच विभेदन किया जा सकता है और व्याख्या कीजिए यह विभेदन किस प्रकार किया जा सकता है?
अथवा
असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों में दो कार्बन परमाणुओं के बीच बहुआबंध होते हैं तथा यहयौगिक संकलन अभिक्रिया दर्शाते हैं। संतृप्त और असंतृप्त कार्बन यौगिकों में से कौन से यौगिक अधिक अभिक्रियाशील होते हैं? एथेन और में एथीन के बीच विभेदन करने के लिए एक परीक्षण लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
रासायनिक गुणधर्मों के अनुसार एथेनॉल एवं एथेनाइँक अम्ल निम्न प्रकार से हैं-
(i) सोडियम के साथ एथेनॉल रासायनिक क्रिया करके सोडियम एथॉक्साइड एवं हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है जबकि एथेनॉइक अम्ल सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ सोडियम एसीटेट एवं जल बनाता है।
2Na + 2C2H5 OH → 2C2H5ONa + H2
NaOH + CH3COOH → CH3COONa +H2O

(ii) सोडियम कार्बोनेट के साथ एथेनॉइक अम्ल क्रिया करके सोडियम ऐसीटेट, पानी एवं CO2, बनाता है जबकि एथेनॉल यह अभिक्रिया नहीं देता।
CH3COOH + Na2CO3 →CHCOONa + H2O + CO2,
अथवा
संतृप्त एवं असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन अधिक अभिक्रियाशील होते हैं क्योंकि कार्बन युगल में बहु आबन्ध होते हैं। जैसे-एथेन ब्रोमीन जल के साथ क्रिया नहीं करता जबकि एथीन के साथ करता है। एथेन स्वच्छ एवं नीली ज्वाला के साथ जलता है जबकि एथीन पीली ज्वाला के साथ काला धुआँ उत्पन्न करता है।

प्रश्न 11.
कोई यौगिक ‘X’ आधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443 K पर गर्म करने पर कोई असंतृप्त यौगिक ‘Y’ बनाता है। यौगिक ‘X’ सोडियम धातु से भी अभिक्रिया करता है जिसमें कोई रंगहीन गैस ‘Z’ निकलती है। ‘X’ ‘Y’ तथा ‘Z’ को पहचानिए। ‘Y’ उत्पन्न होने की रासायनिक अभिक्रिया का समीकरण भी लिखिए तथा न इसमें सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की भूमिका का उल्लेख भी कीजिए। (CBSE 2018)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 24
सोडियम ऐथोक्साइड Z = H2, (हाइड्रोजन गैस) इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है, जो एथेनॉल से जल को अलग करता हैं।

प्रश्न 12.
(a) कार्बन के अधिकांश यौगिक विद्युत के कुचालक क्यों होते हैं?
(b) किसी ऐसे संतृप्त यौगिक का नाम और उसकी संरचना दीजिए जिसमें कार्बन परमाणु वलय के रूप में व्यवस्थित होते हैं। इस यौगिक में उपस्थित एकल आबन्धों की संख्या लिखिए।
उत्तर-
(a) कार्बन इलेक्ट्रॉन की साझेदारी करके सहसंयोजी आबंध बनाता है। चूंकि इलेक्ट्रॉन बंधित अवस्था में होते हैं, इसलिए कार्बन के अधिकांश यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं।
(b) वह श्रृंखला जिसमें कार्बन-कार्बन के मध्य एकल बंध उपस्थित होता है, उसे हम संतृप्त यौगिक कहते हैं। उदाहरण-साइक्लोहेक्सेन (C6H12)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 25
इस यौगिक में एकल आबंधों की संख्या = 18

प्रश्न 13.
क्या होता है जब (प्रत्येक प्रकरण में रासायनिक समीकरण भी लिखिए।)-
(a) एथेनॉल वायु में जलता है?
(b) एथेनॉल को सांद्र H2SO4 के आधिक्य में 443k पर गर्म किया जाता है?
(c) एथेनॉल में सोडियम का टुकड़ा डाला जाता है? (CBSE 2017)
उत्तर-
(a) C2H5OH+ 3O2 → 2CO2+3H2O+ ऊर्जा
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 26

प्रश्न 14.
नीचे दिये गये रासायनिक समीकरणों को पूरा कीजिए (CBSE 2017)
(i) CH3COOC2H5+NaOH →
(ii) CH3COOH+NaOH →
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 31
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 27

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 15.
नीचे दिये गये रासायनिक समीकरणों को पूरा कीजिए
(i) C2H5OH+O2
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 32
(iii) CH3COOH + NaHCO3 → (CBSE 2017)
उत्तर –
(i) C2H5 OH+3O2 → 2CO2 +3H2O+ ऊर्जा
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 28
(iii) CH3COOH+NaHCO3 → CH3COONa +H2O+CO2

प्रश्न 16.
दो कार्बन यौगिकों के अणुसूत्र C4H8 और C3H8 है। इनमें से किस यौगिक की संकलन अभिक्रिया दर्शाने की अधिक संभावना हो सकती है? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए। इस प्रकरण में संकलन अभिक्रिया की प्रक्रिया की व्याख्या के लिए रास क समीकरण भी दीजिए। (CBSE 2017)
उत्तर-
C4H8, यह एक असंतृप्त पौगिक है और CHA एक संतृप्त यौगिक है। असंतृप्त यौगिक हमेशा संकलन अभिक्रिया देते हैं, क्योंकि इनमें द्विआबन्ध होता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 29

प्रशन 17.
एथेनॉइक अम्ल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया के रासायनिक समीकरण दीजिए
(a) सोडियम
(b) सोडियम हाइड्रॉक्साइड
(c) एथेनॉल
प्रत्येक अभिक्रिया में बने प्रमुख उत्पाद का नाम भी लिखिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 30

प्रश्न 18.
किसी एल्डिहाइड और किसी कीटोन दोनों को समान अणु सूत्र, जैसे C3H6O द्वारा निरूपित किया जा सकता है। इनकी संरचनाएँ और नाम लिखिए। विज्ञान की भाषा में इन दोनों के बीच के संबंध का उल्लेख कीजिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
क्योंकि दोनों अवयवों का समान अणुसूत्र है इसलिए हम इनको संरचनात्मक समावयव कहेंगे। इस एल्डिहाइड का नाम = प्रोपेनल
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 33

प्रश्न 19.
किसी परखनली, जिसमें अणुसूत्र C2H6O का कोई कार्बन यौगिक ‘X’ भरा है, में सोडियम धातु का टुकड़ा गिराए जाने पर तीव्र बुदबुदाहट के साथ कोई गैस, ‘Y’ बाहर निकलती है। परखनली के मुख पर जलती तीली लाने पर यह गैस पॉप ध्वनि से जलती है। ‘x’ और ‘Y’ को पहचानिए। होने वाली अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए। जब आप ‘x’ को आधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करते हैं, तो जो उत्पाद बनता है, उसका नाम और संरचना लिखिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
X= एथेनॉल, C2H5OH
Y=H2 गैस
2C2H5OH + 2Na→2C2H5ONa + H2
एथेनॉल को सांद्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर एथीन बनता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 34

प्रश्न 20.
एथेनॉइक अम्ल के सोडियम एथेनॉएट में परिवर्तन को दर्शाने के लिए तीन विभिन्न अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए तथा प्रत्येक प्रकरण में इन समीकरणों को संतुलित भी कीजिए। एथेनॉइक अम्ल तथा सोडियम एथेनॉएट के अतिरिक्त अन्य सभी अभिकर्मकों और उत्पादों के नाम भी लिखिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 35

प्रश्न 21.
CNG का पूरा नाम लिखिये एवं इसके प्रमुख . घटक की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए।
उत्तर-
CNG-Compressed Natural Gas – CNG का मुख्य घटक मेथेन CH4, है। इसकी इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना निम्न है
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 36

प्रश्न 22.
ऐस्टरीकरण किसे कहते हैं? इसके निर्माण की विधि व सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रिया लिखिये।
उत्तर-
ऐस्टरीकरण अभिक्रिया (Estrification Reaction)-ऐथेनॉइक अम्ल किसी अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में परिशुद्ध एथेनॉल से अभिक्रिया करके ऐस्टर बनाते हैं। यह अभिक्रिया ऐस्टरीकरण अभिक्रिया कहलाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 37

प्रश्न 23.
एथेनॉइक अम्ल के कोई दो गुणधर्म बताइये तथा इसकी निम्न के साथ अभिक्रिया समझाइये।
(a) एस्टरीकरण
(b) क्षार के साथ अभिक्रिया
(c) सोडियम कार्बोनेट से क्रिया।
उत्तर-
एथेनॉइक अम्ल के गुणधर्म-
1. एथेनॉइक अम्ल को ऐसीटिक अम्ल कहा जाता है तथा यह कार्बोक्सिलिक अम्ल के समूह से सम्बन्ध रखता है।
2. शुद्ध एथेनॉइक अम्ल का गलनांक 290K होता है।
(a) एस्टरीकरण अभिक्रिया-एथेनॉइक अम्ल किसी · अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में परिशुद्ध एथेनॉल से अभिक्रिया करके एस्टर बनाते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 38
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 39
(b) क्षारक के साथ अभिक्रिया-खनिज अम्ल की भाँति एथेनॉइक अम्ल सोडियम हाइड्रॉक्साड (NaOH) से अभिक्रिया करके सोडियम एथेनोएट बनाता है।
NaOH+CH3COOH→ CH3COONa+H2O
(c) सोडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके सोडियम ऐसीटेट, जल एवं कार्बन डाईऑक्साइड का निर्माण करता है।
2CH3COOH+Na2CO3 → 2CH3COONa +H2O + CO2

प्रश्न 24.
साबुनीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
एस्टर अम्ल या क्षारक की उपस्थिति में अभिक्रिया करके पुनः ऐल्कोहॉल एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहा जाता है क्योंकि इससे साबुन तैयार किया जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 40

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
संतृप्त हाइड्रोकार्बन किसे कहते हैं? इस श्रेणी का सूत्र बताइये तथा इस श्रेणी के प्रथम छः सदस्यों की संरचना लिखें। (RBSE 2017)
उत्तर-
संतृप्त हाइड्रोकार्बन-हाइड्रोजन व कार्बन से बने वे यौगिक जिनमें एकल बन्ध पाया जाता है, संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। इस श्रेणी का सूत्र CnH2n+2 होता है। इस श्रेणी के प्रथम छः सदस्यों की संरचना निम्नवत् है –
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 41

प्रश्न 2.
कार्बन के अपररूपों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
कार्बन के अनेक अपररूप हैं। कार्बन के परमाणुओं के परस्पर आबन्धन के तरीकों के आधार पर ही इनमें अन्तर होता है।
1. हीरे में कार्बन का प्रत्येक परमाणु कार्बन के चार अन्य परमाणुओं के साथ आबन्धित होता है जिससे एक दृढ़ त्रिआयामी संरचना बनती है।
2. ग्रेफाइट में कार्बन के प्रत्येक परमाणु का आबन्धन कार्बन के तीन अन्य परमाणुओं के साथ एक ही तल पर होता है जिससे षट्कोणीय व्यूह मिलता है। इनमें से एक आबन्ध द्विबन्धी होता है जिसके कारण कार्बन की संयोजकता पूर्ण होती है। ग्रेफाइट की रचना में षट्कोणीय तल एक-दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं।
3. शुद्ध कार्बन को अत्यधिक उच्च दाब एवं ताप पर उपचारित करके हीरे को संश्लेषित किया जाता है। ये संश्लिष्ट हीरे आकार में छोटे होते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 43
4. फुलेरीन कार्बन अपररूप का अन्य वर्ग है। सबसे पहले C-60 की पहचान की गई जिसमें कार्बन के परमाणु फुटबाल के रूप में व्यवस्थित होते हैं। इस अणु को अमेरिकी आर्किटेक्ट बकमिसटर फुलर के नाम पर फुलेरीन नाम दिया गया है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 3.
मेथेन, एथेन और एथीन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना बनाइए। (RBSE 2015)
उत्तर-
(1) मेथेन-सूत्र : CH4
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(2) एथेन-सूत्र : C2H6
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(3) एथीन-सूत्र : C2H4.
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प्रश्न 4.
विवृत श्रृंखला, शाखित श्रृंखला तथा वलय संरचना में प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
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उदाहरण-
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प्रश्न 5.
समजातीय सीरीज की परिभाषा दीजिये। इसके प्रमुख गुण बताइये। ऐसी समजातीय श्रेणी का नाम बतायें जो निम्नलिखित सामान्य सूत्रों द्वारा प्रदर्शित होती है [RBSE 2015; CBSE 2019]
CnH2n -2, CnH2n +2
CnH2n, तथा CnH2n +1OH
प्रत्येक श्रेणी के प्रथम सदस्य का संरचनात्मक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
समजातीय श्रेणी-कार्बनिक यौगिकों को एक ही क्रियात्मक समूह वाले, रासायनिक दृष्टि के समान एवं एक ही सामान्य सूत्र से निरूपति किए जा सकने वाले यौगिकों के समूहों में बाँटा जा सकता है। ऐसे प्रत्येक समूह को समजातीय श्रेणी कहते हैं। इस श्रेणी में रखे गए निकटतम दो सदस्यों के आण्विक सूत्रों में (-CH2) ग्रुप का अन्तर होता है। एक समजातीय श्रेणी के प्रत्येक स को समजातीय कहते हैं।

समजातीय श्रेणी के प्रमुख गुण-
1. समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
2. दो संलग्न सदस्यों में एक कार्बन परमाणु तथा 2 हाइड्रोजन परमाणुओं का अन्तर होता है।
3. समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों के रासायनिक गुण एक समान होते हैं।
4. समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों के भौतिक गुणों में थोड़ा सा अन्तर होता है।
5. दो संलग्न सदस्यों के आण्विक द्रव्यमान में अन्तर 14 amu होता है।
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प्रश्न 6.
(a) बेन्जीन का अणुसूत्र लिखिए।
(b) बेन्जीन का संरचना सूत्र बनाइए तथा इसमें उपस्थित त्रिबंधों की संख्या लिखिए।
(c) निम्नलिखित में से एधन कौनसी है? इसमें उपस्थित सहसंयोजक बंधों की संख्या लिखिए।
(i) C2H2
(ii) C2H4
(iii) C2H6 (RBSE 2016)
उत्तर-
(i) C2H2
(b) वेन्जीन के संग्चना पत्र में तीन ‘दबंध और एक एकल बंध होता है। इसमें कोई त्रिबंध नहीं होता है।
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(c) C2H6.7 एकल बंध

प्रश्न 7.
(a) साइक्लोहेक्सेन का अणुसूत्र लिखिए।
(b) साइक्लोहेक्सेन का संरचना सूत्र बनाइए तथा इसमें उपस्थित सहसंयोजक बंधों की संख्या लिखिए।
(c) निम्नलिखित में से ऐथीन कौन सी है। उसमें उपस्थित द्विबंध की संख्या लिखिए।
(i) C2H2,
(ii) C2H4
(iii) C2H6(RBSE 2016)
उत्तर-
(a) C6H12 :
(b) साइक्लोहेक्सेन के संरचना सूत्र में 16 एकल बंध होते हैं।
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(c) C2H4 इसमें एक द्वि-आबन्ध होता है।

प्रश्न 8.
(a) नीचे दिए गए परिवर्तनों को कार्यान्वित कीजिए-
(i) एथेनॉल को एथीन में,
(ii) एथेनॉल को एथेनॉइक अम्ल में।
(b) संकलन अभिक्रिया और प्रतिस्थापन अभिक्रिया के बीच विभेदन कीजिए। प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
(a)
(i) एथेनॉल को एथीन में –
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इस अभिक्रिया में सांद्र H2SO4 अम्ल निर्जलीकारक के रूप में कार्य करता है।

(ii) एथेनॉल को एथेनॉइक अम्ल में –
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इस अभिक्रिया में क्षारीय KMnO4, का विलयन ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करता है।
(b)

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प्रश्न 9.
उस यौगिक का नाम और रासायनिक सूत्र लिखिए जो सभी एल्कोहॉली पेय पदार्थों का महत्त्वपूर्ण अवयव है। इसके दो उपयोगों की सूची बनाइए। होने वाली अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण तथा उत्पाद का नाम लिखिए, जल यह यौगिक
(i) सोडियम धातु से अभिक्रिया करता है।
(ii) गर्म सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करता
अथवा
मेथेन क्या है? इसकी इलेक्ट्रॉन-बिन्दु संरचना खींचिए। इस यौगिक में बनने वाले आबन्धों का प्रकार लिखिए। इस प्रकार के यौगिक
(i) विद्युत के कुचालक तथा
(ii) कम गलनांक और कम क्वथनांक वाले क्यों होते हैं? क्या होता है जब इस यौगिक का ऑक्सीजन में दहन होता है? (CBSE 2019)
उत्तर-
सभी एल्कोहाल का महत्त्वपूर्ण अवयव C2H5OH है।
उपयोग-इसका उपयोग विभिन्न दवाओं जैसे-टिंचर आयोडीन, कफ सीरप आदि बनाने में किया जाता है।
(i)
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अथवा
मीथेन एक संतप्त हाइड्रोकार्बन है जिसमें एक कार्बन परमाणु से चार हाइड्रोजन परमाणु जुड़े होते हैं और कार्बन का अष्टक पूर्ण करते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 58
इस यौगिक में सभी बन्ध संयोजी बन्ध हैं।
(i) ये विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि इनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं।
(ii) इनके गलनांक व क्वथनांक कम होते हैं क्योंकि इनमें संयोजी बंध होते हैं। जब इसका ऑक्सीजन में दहन होता है तो CO2, जल व ऊष्मा उत्पन्न होती है।
CH4 + 2O2,→ CO2, +2H2O+ ऊष्मा

प्रश्न 10.
ऐल्डिहाइड तथा कीटोन क्या होते हैं? इनका नामकरण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर-
ऐल्डिहाइड तथा कीटोन कार्बन के वे यौगिक हैं जिनमें कार्बोनिल (>C = 0) समूह उपस्थित होता है। ऐल्डिहाइड में ऑक्सीजन के अलावा कार्बोनिल समूह एक ओर ऐल्किल समूह से तथा दूसरी ओर हाइड्रोजन समूह से जुड़ा रहता है। कीटोन में कार्बोनिल समूह दो एल्किल समूहों से जुड़ा रहता है। दोनों एल्किल समूह समान या भिन्न हो सकते हैं, जैसे-
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यहाँ R तथा R’ ऐल्किल समूह को व्यक्त करते हैं।

ऐल्डिहाइड तथा कीटोन का नामकरण-ऐल्केन (alkane) के नाम के सिरे पर स्थित -e (ई) के स्थान पर al (अल) अनुलग्न लगाने पर ऐल्डिहाइड का नाम प्राप्त होता है, जैसे- फॉर्मेल्डिहाइड, मेथेन से व्युत्पन्न होता है अतः इसको मेथेनल (Methanal) कहते हैं। ऐल्केन नाम के सिरे पर स्थित -e (ई) के स्थान पर -one (ओन) अनुलग्न लगाकर संगत कीटोन का नाम प्राप्त होता है। ऐसीटोन एक सरलतम कीटोन है जो प्रोपेन से व्युत्पन्न होता है। अतः इसको प्रोपेनोन (Propanone) कहते हैं।

प्रश्न 11.
कुछ यौगिकों को हाइड्रोकार्बन क्यों कहा जाता है? ऐल्केन, ऐल्कीन और ऐल्काइन की समजातीय श्रेणियों का सामान्य सूत्र लिखिए तथा प्रत्येक श्रेणी के प्रथम सदस्य की संरचना भी खींचिए। ऐल्कीन को ऐल्केन में परिवर्तित करने की अभिक्रिया का नाम लिखिए और रासायनिक समीकरण द्वारा इस अभिक्रिया के होने के लिए आवश्यक परिस्थितियों को भी दर्शाइए। (CBSE 2017)
उत्तर-
जो यौगिक हाइड्रोजन और कार्बन से मिलकर बनते हैं उनको हम हाइड्रोकार्बन कहते हैं।
ऐल्केन सूत्र = CnH2n + 2
ऐल्कीन सूत्र = CnH2n
ऐल्काइन सूत्र = CnH2n – 2
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प्रश्न 12.
कुछ प्रमुख क्रियात्मक समूहों को उदाहरण सहित सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर –
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प्रश्न 13.
कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म लिखिए। प्रतिस्थापन अभिक्रिया क्या है। (RBSE 2017)
उत्तर-
कार्बन यौगिकों के प्रमुख रासायनिक गुणधर्म निम्नवत् हैं-
(1) दहन-कार्बन अपने सभी अपररूपों में ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन करता है और ऊष्मा तथा प्रकाश के साथ CO, उत्पन्न करता है। उदाहरण के लिए,
C+ O2 → CO2 + ऊष्मा एवं प्रकाश
C2H5OH+ 3O2 → 2CO2+ 3H2O + ऊष्मा एवं प्रकाश
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन स्वच्छ ज्वाला के साथ जलते हैं और असंतृप्त कार्बन काले धुएँ वाली पीली ज्वाला उत्पन्न करते हैं।

(2) ऑक्सीकरण-कार्बन यौगिकों को दहन के द्वारा सरलता से ऑक्सीकृत किया जा सकता है। पोटैशियम परमैंगनेट या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट ऐल्कोहॉलों को अम्लों में ऑक्सीकृत कर देते हैं-
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प्रतिस्थापन अभिक्रिया-संतृप्त हाइड्रोकार्बन अधिकतर अभिकर्मकों की उपस्थिति में क्रिया नहीं करते परन्तु सूर्य के प्रकाश के उपस्थित होने पर क्लोरीन का हाइड्रोकार्बन में संकलन होता है। क्लोरीन अति तीव्र अभिक्रिया में एक-एक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं का प्रतिस्थापन करती है जिस कारण उच्च समजातीय एल्केन के साथ अनेक उत्पादों का निर्माण होता है जो निम्न प्रकार है- .
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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 14.
कोई कार्बन यौगिक ‘P’ आधिक्य सांद्र H2SO4, के साथ गर्म किए जाने पर कोई अन्य यौगिक ” बनाता है जो निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में हाइड्रोजन से संकलन करके कोई संतृप्त यौगिक ‘R’ बनाता ‘R’ के एक अणु दहन होने पर, कार्बन डाइऑक्साइड के दो अणु तथा जल के तीन अणु बनाता है। P, Q और R को पहचानिए और सम्मिलित अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। (CBSE 2016)
उत्तर-
यौगिक P C2H5OH एथेनॉल है।
यौगिक Q CH2 = CH2 एथीन है।
यौगिक R CH3 – CH3 एथेन है।

रासायनिक समीकरण-
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प्रश्न 15.
निम्नलिखित पदों की व्याख्या कीजिए –
(i) एस्टरीकरण
(ii) साबुनीकरण ।
(iii) विकार्बोक्सिलीकरण (CBSE 2017)
उत्तर-
(i) एस्टरीकरण-ऐल्कोहॉल तथा कार्बोक्सि लिक अम्ल की परस्पर अभिक्रिया के फलस्वरूप जल के अतिरिक्त जो यौगिक बनता है, उसे एस्टर कहते हैं तथा इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं।
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(ii) साबुनीकरण-जब किसी तेल या वसा को सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन के साथ गर्म करते हैं तो तेल या वसा संगत अम्ल के सोडियम लवण (साबुन) तथा ग्लिसरॉल में बदल जाते हैं। इस अभिक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं-
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(iii) विकार्बोक्सिलीकरण-एथेनोइक अम्ल के सोडियम लवण (सोडियम एथेनोएट) को सोडालाइम (3 भाग NaOH + 1 भाग Cao) के साथ गर्म करने पर मेथेन गैस बनती है। चूँकि इस अभिक्रिया में कार्बोक्सिलिक समूह (-COOH) से एक CO2 अणु निकल जाता है, अतः इस . अभिक्रिया को विकार्बोक्सिलीकरण कहते हैं
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प्रश्न 16.
एथेनॉइक अम्ल की रासायनिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
एथेनॉइक अम्ल कुछ धातुओं तथा धातु कार्बोनेट तथा हाइड्रॉक्साइड बाईकार्बोनेट से क्रिया करता है।
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(ii) सोडियम हाइड्रॉक्साइड और पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड से क्रिया
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प्रश्न 17.
जब आप एक परखनली में ऐसीटिक अम्ल लेकर उसमें सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट मिलाते हैं, तब तुरन्त ही तीव्र बुदबुदाहट के साथ कोई गैस निकलती है। इस गैस का नाम लिखिए। इस गैस के परीक्षण की विधि का वर्णन कीजिए। [CBSE 2015]
उत्तर-
CH3COOH + NaHCO3 → CH3COONa + H2O + CO2
बुदबुदाहट के साथ CO2 , गैस निकलती है।
जब CO2, गैस को Ca(OH)2 के विलयन से गुजारा जाता है तो चूने का पानी दूधिया हो जाता है।
Ca(OH)2 + CO2 →CaCO3, + H2O .

प्रश्न 18.
कार्बनिकं व अकार्बनिक यौगिकों के गुणों में अन्तर लिखो।
उत्तर-
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प्रश्न 19.
साबुन और अपमार्जकों में अन्तर लिखिए। (CBSE 2017,20)
उत्तर-
साबुन तथा अपमार्जक में अन्तर-

साबुन (Soap)अपमार्जक (Detergent)
1. साबुन लम्बी श्रृंखला वाले वसा अम्लों का सोडियम लवण होता है।1. संश्लिष्ट अपमार्जक, लम्बी शृंखला वाले’बेंजीन, सल्फोनिक अम्ल का सोडियम लवण’ या लम्बी श्रेणी वाले ऐल्काइल हाइड्रोजन सल्फेट का सोडियम लवण’ होता है।
2 साबुन कठोर जल के साथ झाग नहीं बनाता।।2. अपमार्जक कठोर जल के साथ भी झाग उत्पन्न करता है।
3. साबुन को वनस्पति तेल या जन्तु वसा से बनाया जाता है।3. संश्लिष्ट अपमार्जक कोयले तथा पेट्रोलियम के हाइड्रोकार्बन से बनते है।
4. साबुन जल प्रदूषण नहीं फैलाता।4. अपमार्जक जल प्रदूषण  फैलाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. कार्बन चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर क्या बनाता है –
(a) ऋणायन
(b) धनायन
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) ऋणायन।

2. सिरके में उपस्थित कार्बनिक अम्ल है
(a) प्रोपेनॉइक अम्ल
(b) मेथेनॉइक अम्ल
(c) एथेनॉइक अम्ल
(d) ब्यूटेनॉइक अम्ल।
उत्तर-
(c) एथेनॉइक अम्ल।।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

3. दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के एक युग्म की साझेदारी के द्वारा बनने वाला आबन्ध कहलाता है –
(a) सहसंयोजी
(b) सर्वतोन्मुखी
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) सहसंयोजी।

4. ऐसीटिक अम्ल के कितने प्रतिशत विलयन को सिरका कहा जाता है-
(a)2-3%
(b) 3- 4%
(c) 7-9%
(d) 10-12%.
उत्तर-
(b) 3-4%.

5. श्रृंखलन से कौन-सा तत्व बन्ध बनाने की क्षमता रखता-
(a) हीलियम
(b) हाइड्रोजन
(c) ऑक्सीजन
(d) कार्बन।
उत्तर-
(d) कार्बन।

6. तिहरे बन्ध वाले असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को कहते हैं –
(a) ऐल्केन
(b) ऐल्कीन
(c) ऐल्काइन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ऐल्काइन।

7. ऐल्डिहाइड के प्रकार्यात्मक समूह का सूत्र है-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 71
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 72

8. आयनिक यौगिकों के गलनांक एवं क्वथनांक होते
(a) निम्न
(b) उच्च
(c) मध्यम
(d) अति निम्न।
उत्तर-
(b) उच्च।

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9. समजातीय श्रेणी के उत्तरोत्तर यौगिकों में अन्तर होता-
(a)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 73
(b) -CH2
(c)-CH3
(d) =C=
उत्तर-
(b) –CH2

10. ऐल्काइन का सामान्य सूत्र है –
(a) Cn H2n-2
(b) CnH2n+2
(c) CnH2n
(d) Cn+2HH2n,
उत्तर-
(c) CnH2n

11. ऐल्कीन का सामान्य सूत्र है –
(a) Cn H2n-2
(b) CnH2n+2
(c) CnH2n
(d) Cn+2HH2n.
उत्तर-
(a) Cn H2n-2.

12. ऐल्कोहॉल किसके साथ हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता
(a) Zn के साथ
(b) Fe के साथ
(c) AI के साथ
(d) Na के साथ।
उत्तर-
(d) Na के साथ।

13. निम्न में से कौन-सा यौगिक ब्रोमीन जल को रंगहीन करता है –
(a) C3H8
(b) C3H4
(c) C4H10
(d) CCl4.
उत्तर-
(b) C3H4 .

14. साबुनीकरण अभिक्रिया का अध्ययन करते समय आप बीकर में जब समान मात्रा में किसी रंगहीन वनस्पति तेल में NaOH का 20% जलीय विलयन मिलाते हैं, तो क्या प्रेक्षण करते हैं?
(a) मिश्रण का रंग गहरा भूरा हो गया है।
(b) बीकर में तीव्र बुदबुदाहट हो रही है।
(c) बीकर का बाहरी पृष्ठ गर्म हो गया है।
(d) बीकर का बाहरी पृष्ठ ठंडा हो गया है। (CBSE 2020)
उत्तर-
(c) बीकर का बाहरी पृष्ठ गर्म हो गया है।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. ऐल्कीनो का सामान्य रासायनिक सूत्र ………………………………. है।
उत्तर-
CnH2n.

2. ऐल्कोहॉलो का सामान्य रासायनिक सूत्र ………………………………. है।
उत्तर-
CnH2n+1 OH.

3. यदि हाइड्रोकार्बनों में त्रिआबन्ध उपस्थित होता है तो ऐसे हाइड्रोकार्बनों को ………………………………. कहते हैं।
उत्तर-
ऐल्काइन,

4. एथेनॉल वायु में नीली लौ के साथ जलकर ………………………………. तथा ……………………………….. बनाता है।
उत्तर-
कार्बन डाइऑक्साइड, जल

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

5. साइक्लोहेक्सेन के संरचना सूत्र में ………………………………. एकल बंध होते हैं।
उत्तर-
161

सुमेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्न को सुमेलित करें –
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 74
उत्तर-
1. (d), 2. (e,i) 3. (f), 4. (a,g) 5. (b, c).

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

HBSE 10th Class Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा पदार्थ लेंस बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता ?
(a) जल
(b) काँच
(c) प्लास्टिक
(d) मिट्टी।
उत्तर-
(d) मिट्टी।

प्रश्न 2.
किसी बिम्ब का अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा बिम्ब से बड़ा पाया गया। वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए ?
(a) मुख्य फोकस तथा वक्रता केन्द्र के बीच
(b) वक्रता केन्द्र पर
(c) वक्रता केन्द्र से परे
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।
उत्तर-
(d) दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच।

प्रश्न 3.
किसी बिम्ब का वास्तविक तथा समान आकार का प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए बिम्ब को उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखें ?
(a) लेंस के मुख्य फोकस पर
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर
(c) अनन्त पर
(d) लेंस के प्रकाशिक केन्द्र तथा मुख्य फोकस के बीच।
उत्तर-
(b) फोकस दूरी की दोगुनी दूरी पर।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 4.
किसी गोलीय दर्पण तथा किसी पतले गोलीय लेंस दोनों की फोकस दूरियाँ – 15 cm हैं। दर्पण तथा लेंस सम्भवतः हैं- .
(a) दोनों अवतल
(b) दोनों उत्तल
(c) दर्पण अवतल तथा लेंस उत्तल
(d) दर्पण उत्तल तथा लेंस अवतल।
उत्तर-
(a) दोनों अवतल।

प्रश्न 5.
किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर स खड़े हों, आपका प्रतिबिम्ब सदैव सीधा प्रतीत होता है। है। सम्भवतः दर्पण है
(a) केवल समतल
(b) केवल अवतल
(c) केवल उत्तल
(d) या तो समतल अथवा उत्तल।
उत्तर-
(d) या तो समतल अथवा उत्तल।

प्रश्न 6.
किसी शब्दकोष (dictionary) में पाए गए छोटे अक्षरों को पढ़ते समय आप निम्न में से कौन-सा लेंस पसन्द करेंगे?
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(b) 50 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
(c) 5 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस
(d) 5 cm फोकस दूरी का एक अवतल लेंस
उत्तर-
(a) 50 cm फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस।

प्रश्न 7.
15 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण का उपयोग करके हम किसी बिम्ब का सीधा प्रतिबिम्ब बनाना चाहते हैं। बिम्ब का दर्पण से दूरी का परिसर (range) क्या होना चाहिए ? प्रतिबिम्ब की प्रकृति कैसी है ? प्रतिबिम्ब बिम्ब से बड़ा है अथवा छोटा ? इस स्थिति में प्रतिबिम्ब बनने का एक किरण आरेख बनाइए।
उत्तर-
अवतल दर्पण द्वारा वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 1
प्राप्त करने के लिए वस्तु को दर्पण के मुख्य फोकस एवं ध्रुव के बीच रखना होगा। अतः वस्तु की दर्पण के ध्रुव से दूरी 15 cm से कुछ कम हो सकती है। वस्तु का प्रतिबिम्ब सीधा तथा आभासी है तथा आकार में वस्तु से बड़ा है।

प्रश्न 8.
निम्न स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए
(a) किसी कार का अग्र-दीप (हैड-लाइट)
(b) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण
(c) सौर भट्टी अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
(a) कार की हैडलाइटों में अवतल दर्पण प्रयुक्त होता है। बल्ब दर्पण के मुख्य फोकस पर स्थित होता है तथा परावर्तन के पश्चात् दर्पण से किरणें समान्तर होकर सड़क पर पड़ती हैं।
(b) उत्तल दर्पण ; क्योंकि उत्तल दर्पण सदैव वस्तु का सीधा तथा छोटा प्रतिबिम्ब बनाता है। इसका दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है जिससे चालक को सड़क के पृष्ठ भाग का सम्पूर्ण प्रतिबिम्ब प्राप्त होता रहता है।
(c) सौर भट्टी में अवतल दर्पण का प्रयोग होता है, गर्म किए जाने वाले बर्तन को दर्पण के फोकस पर रखते हैं। अवतल दर्पण सूर्य की समान्तर किरणों के रूप में आती ऊर्जा को दर्पण से परावर्तन के उपरान्त फोकस पर रखे बर्तन पर केन्द्रित कर देता है।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 9.
किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिम्ब का पूरा प्रतिबिम्ब बना पाएगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
लेंस द्वारा वस्तु का पूर्ण प्रतिबिम्ब बनेगा परन्तु इसकी तीव्रता पहले की तुलना में कम हो जाती है। प्रायोगिक सत्यापन-सर्वप्रथम एक प्रकाशिक बैंच के – स्टैण्ड पर उत्तल लेंस लगाते हैं, लेंस की फोकस दूरी से | कुछ अधिक दूरी पर, स्टैण्ड में एक जलती मोमबत्ती लगाकर व दूसरी ओर से मोमबत्ती को देखते हैं। व . अब लेंस के आधे भाग को काले कागज से ढक देते हैं तथा लेंस के दूसरी ओर से मोमबत्ती को देखते हैं। .
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 2
व्याख्या-आधा लेंस काला कर देने पर भी उस बिन्दु पर किरणें आएँगी तथा मोमबत्ती का पूरा प्रतिबिम्ब प्राप्त होगा परन्तु किरणों की संख्या कम होने के कारण प्रतिबिम्ब की तीव्रता घट जाती है।

प्रश्न 10.
5 cm लम्बा कोई बिम्ब 10 cm फोकस – दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखा जाता है। प्रकाश किरण-आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिम्ब की स्थिति, आकार तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है- u = – 25 cm, f=+ 10 cm
∴ लेंस के सूत्र से
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}+\frac{1}{u}=\frac{1}{10}+\frac{1}{-25}=\frac{5-2}{50}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{3}{50}\)
∴ υ = + \(\frac{50}{3}\) cm
अर्थात् प्रतिबिम्ब लेंस के दूसरी ओर bp cm दूरी पर बनेगा।
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पुनः वस्तु की लम्बाई h = 5 cm
यदि प्रतिबिम्ब की लम्बाई h है, तो
आवर्धन m = \(\frac{v}{u}=\frac{h}{h}\) ‘से
प्रतिबिम्ब की लम्बाई h’ = \(h\left(\frac{v}{u}\right)\) = 5 \(\left(\frac{+50 / 3}{-25}\right)\)
= \(\frac{-5 \times 50}{3 \times 25}=\frac{-10}{3}\)cm
प्रतिबिम्ब की लम्बाई \(\frac{10}{3}\) cm होगी तथा यह एक वास्तविक प्रतिबिम्ब होगा।

प्रश्न 11.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी बिम्ब का प्रतिबिम्ब लेंस से 10 cm दूरी पर बनाता है। बिम्ब लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है ? किरण आरेख खींचिए।
हल : दिया है-f =- 15 cm
प्रतिबिम्ब की लेंस से दूरी v = – 10 cm
बिम्ब की लेंस से दूरी u = ?
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लेंस सूत्र
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}+\frac{1}{v}\)
∴ \(\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{f}=\frac{1}{-10}+\frac{1}{15}\)
= \(\frac{-3+2}{30}=\frac{-1}{30}\)
∴ u = -30 cm अर्थात् वस्तु लेंस से 30 cm की दूरी पर स्थित है।

प्रश्न 12.
15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से कोई बिम्ब 10 cm दूरी पर रखा है। प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है-उत्तल दर्पण की फोकस दूरी
f=+15 cm
वस्तु से दर्पण की दूरी u = – 10 cm
दर्पण सूत्र से, \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}=\frac{1}{15}-\frac{1}{-10}=\frac{1}{15}+\frac{1}{10}\)
= \(\frac{2+3}{30}=\frac{5}{30}\)
∴ v= =+6 cm
अत: दर्पण से पीछे की ओर 6 cm की दूरी पर प्रतिबिम्ब बनेगा तथा यह सीधा और आभासी होगा।

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प्रश्न 13.
एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन +1 है, इसका क्या अर्थ है ?
उत्तर-
m = \(\frac{h_2}{h_1}\) = +1 या h2 = h1
चूँकि प्रतिबिम्ब एवं बिम्ब का आकार बराबर है। धनात्मक चिह्न प्रदर्शित करता है कि समतल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिम्ब आभासी होता है तथा वस्तु के विपरीत (दर्पण के पीछे) बनता है।

प्रश्न 14.
5.0 cm लम्बाई का कोई बिम्ब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिम्ब की स्थिति, प्रकृति तथा आकार ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है- वस्तु की दर्पण से दूरी
u = – 20 cm
दर्पण की वक्रता त्रिज्या R = + 30 cm
वस्तु की लम्बाई h = 5.0 cm
दर्पण की फोकस दूरी
f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}=\frac{30}{2}\) = +15 cm
∵ \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}=\frac{1}{15}-\frac{1}{-20}\)
= \(\frac{1}{15}+\frac{1}{20}=\frac{4+3}{60}=\frac{7}{60}\)
= \( \frac{-3+2}{30}=\frac{-1}{30}\)
∴ प्रतिबिम्ब दर्पण से \(\frac{60}{7}\) cm दर्पण के दूसरी ओर बनेगा। यदि प्रतिबिम्ब की ऊँचाई ‘ हो, तब
m = – \(\frac{v}{u}=\frac{h^{\prime}}{h}\) से
h ‘ = – h \(\left(\frac{v}{u}\right)\) = -5 × \(\frac{(60 / 7)}{-20}=\frac{15}{7}\) cm
अतः वस्तु का प्रतिबिम्ब \( \frac{15}{7}\) cm ऊँचा, सीधा तथा आभासी होगा तथा दर्पण के पीछे-cm की दूरी पर बनेगा।

प्रश्न 15.
7.0 cm आकार का कोई बिम्ब 18 cm फोकस दूरी के किसी अवतल दर्पण के सामने 27 cm दूरी पर रखा गया है। दर्पण से कितनी दूरी पर किसी परदे को रखें कि उस पर वस्तु का स्पष्ट फोकसित प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जा सके। प्रतिबिम्ब का आकार तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
बिम्ब का आकार h’ = 7.0 cm
दर्पण की बिम्ब से दूरी u = – 27 cm
फोकस दूरी f= – 18 cm
प्रतिबिम्ब की दर्पण से दूरी v = ?
दर्पण सत्र से, \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}=\frac{1}{-18}+\frac{1}{27}\)
= \(\frac{-3+2}{54}=\frac{-1}{54}\) या v=- 54 cm
अतः परदे को दर्पण के आगे 54 cm दूरी पर रखना चाहिए। परदे पर बना प्रतिबिम्ब वास्तविक होगा।
आवर्धन m = \( -\frac{v}{u}=-\frac{h^{\prime}}{h}\)
∴ h’ = \( h \times \frac{v}{u}=-7 \times\left(\frac{-54}{-24}\right)\) = -14 cm
अर्थात् प्रतिबिम्ब की ऊँचाई 14 cm होगी तथा यह उल्टा तथा वास्तविक होगा।

प्रश्न 16.
उस लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी क्षमता- 2.0 D है। यह किस प्रकार का लेंस है ?
हल : सूत्र : लेंस की क्षमता
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f = \(\frac{1}{p}\) m = \(\frac{1}{-2.0} \) = -0.5 cm
f= – 50 cm
∵ फोकस दूरी ऋणात्मक है अत: यह अवतल लेंस है।

प्रश्न 17.
कोई डॉक्टर +1.5D क्षमता का संशोधक लेंस निर्धारित करता है। लेंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए। क्या निर्धारित लेंस अभिसारी है अथवा अपसारी ?
हल : दिया हैलेंस की क्षमता P=+ 1.5 D
∴ P= \(\frac{1}{f}\)
अतः फोकस दूरी f= \(\frac{1}{P}=\frac{1}{1.5}=\frac{2}{3}\) m
∴ f=+ 0.67m
∴ फोकस दूरी धनात्मक है, अतः यह एक अभिसारी लेंस है।

HBSE 10th Class Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन InText Questions and Answers

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 185)

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
मुख्य अक्ष पर स्थित ऐसा बिन्दु जहाँ पर दर्पण के मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश किरणें, परावर्तन के पश्चात् मिलती हैं, अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है। इसे F से प्रदर्शित करते हैं।
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प्रश्न 2.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर-
दिया है-R = 20 सेमी. f= ?
f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}=\frac{20}{2}\) = 10 सेमी.

प्रश्न 3.
उस दर्पण का नाम बताइए जो बिम्ब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिम्ब बना सके। .
उत्तर-
अवतल दर्पण।

प्रश्न 4.
हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं ?
उत्तर-
वाहनों में उत्तल दर्पण को वरीयता देने के कारण निम्नलिखित हैं-

  • उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का सीधा प्रतिबिम्ब बनता है।
  • इनका दृष्टि क्षेत्र अधिक होता है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं तथा चालक छोटे से दर्पण में सड़क का सम्पूर्ण क्षेत्र आसानी से देख पाता है।

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(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 188)

प्रश्न 1.
उस उत्तल दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता त्रिज्या 32 cm है।
उत्तर-
दिया है-उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या .
R= + 32 cm_
∴ इसकी फोकस दूरी f = \(\frac{R}{2}=\frac{+32}{2}\)
f= + 16 cm

प्रश्न 2.
कोई अवतल दर्पण अपने सामने 10 cm दूरी पर रखे किसी बिम्ब का तीन गुना आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाता है। प्रतिबिम्ब दर्पण से कितनी दूरी पर है ?
उत्तर-
दिया है-
m = – 3
(वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए ऋणात्मक चि )
बिम्ब की दूरी u = – 10 cm
प्रतिबिम्ब की दूरी v = ?
∴ m= \(\frac{-v}{u}\)
∴ -3 = \(\frac{-v}{-10}\)
अत: v = – 30 cm
अर्थात् प्रतिबिम्ब दर्पण से 30 cm की दूरी पर उसके सामने बनेगा।

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 194)

प्रश्न 1.
वायु में गमन करती हुयी प्रकाश की एक किरण जल में तिरछी प्रवेश करती है। क्या प्रकाश किरण अभिलम्ब की ओर झुकेगी अथवा अभिलम्ब से दूर हटेगी ? बताइए क्यों ?
उत्तर-
जल, वायु की तुलना में सघन है अतः प्रकाश किरण वायु से जल में प्रवेश करते समय अभिलम्ब की ओर झुक जाएगी।

प्रश्न 2.
प्रकाश वायु से 1.50 अपवर्तनांक की काँच की प्लेट में प्रवेश करता है। काँच में प्रकाश की चाल कितनी है ? निर्वात में प्रकाश की चाल 3 x 108 m/s है। CBSE
उत्तर-
दिया है-काँच का अपवर्तनांक n = 1.50
निर्वात या वायु में प्रकाश की चाल c = 3 x108 m/s
n = \(\frac{c}{v}\) अतः v = \(\frac{c}{n}\)
अतः काँच में प्रकाश की चाल v = \(\frac{3 \times 10^8}{1.5}\)
v = 2 x 108 ms-1

प्रश्न 3.
सारणी 10.3 से अधिकतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को ज्ञात कीजिए। न्यूनतम प्रकाशिक घनत्व के माध्यम को भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
सारणी 10.3 से हीरे का अपवर्तनांक सबसे अधिक (2.42) तथा वायु का अपवर्तनांक सबसे कम (1.0003) है। अतः हीरे का प्रकाशिक घनत्व सबसे अधिक तथा वायु का प्रकाशिक घनत्व सबसे कम है।

प्रश्न 4.
आपको केरोसिन, तारपीन का तेल तथा जल दिए गए हैं। इनमें से किसमें प्रकाश सबसे अधिक तीव्र गति से चलता है ? सारणी 10.3 में दिए गए आँकड़ों का उपयोग कीजिए।
उत्तर-
सारणी 10.3 से,
केरोसीन का अपवर्तनांक = 1.44
जल का अपवर्तनांक =1.33
तारपीन के तेल का अपवर्तनांक = 1.47
जल का अपवर्तनांक उपर्युक्त तीनों में सबसे कम है, अतः जल में प्रकाश की चाल सबसे अधिक होगी।

प्रश्न 5.
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
इस कथन से यह अभिप्राय है कि हीरे में प्रकाश की चाल निर्वात् में प्रकाश की चाल की , गुनी होगी।

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 203)

प्रश्न 1.
किसी लेन्स की 1 डाइऑप्टर क्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
डाइऑप्टर-1 डाइऑप्टर उस लेंस की क्षमता के बराबर है जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर हो।

प्रश्न 2.
कोई उत्तल लेंस किसी सुई का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिम्ब उस लेंस से 50 cm दूर बनाता है। यह सुई, उत्तल लेंस के सामने कहाँ रखी है, यदि इसका प्रतिबिम्ब उसी आकार का बन रहा है जिस आकार का बिम्ब है। लेंस की क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है- v = + 50 cm
तथा प्रतिबिम्ब की लम्बाई (h’) = वस्तु की लम्बाई (h)
∴ आवर्धन , m = \(\frac{h^{\prime}}{h}\) = -1
परन्तु लेंस की लिए m = \(\frac{v}{u} ; \frac{v}{u}\) = -1
अतः u=- v = – 50 cm
अतः सुई उत्तल लेंस के सामने उससे 50 cm दूरी पर रखी है।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

लेंस के सूत्र से
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
अतः \(\frac{1}{f}=\frac{1}{50}-\frac{1}{-50}=\frac{2}{50}\)
∴ f = \(\frac{50}{2}\) = 25cm = 0.25m

लेंस की क्षमता
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प्रश्न 3.
2 m फोकस दूरी वाले किसी अवतल लेंस की क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है-अवतल लेंस की फोकस दूरी f= -2m
∴ क्षमता P = \(\frac{1}{f}=\frac{1}{-2 m}\) =-0.5 D

HBSE 10th Class Science प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन InText Activity Questions and Answers

क्रियाकलाप 10.1 (पा. पु. पृ.सं. 177)

प्रश्न 1.
क्या आप प्रतिबिम्ब देख पाते हैं? यह छोटा है या बड़ा है?
उत्तर-
हाँ, प्रतिबिम्ब छोटा है।

प्रश्न 2.
चम्मच को धीरे-धीरे चेहरे से दूर ले जाने पर प्रतिबिम्ब में क्या परिवर्तन होता है ?
उत्तर-
प्रतिबिम्ब का आकार छोटा होता जा रहा है।

प्रश्न 3.
चम्मच को पलटकर दूसरे पृष्ठसे क्रियाकलाप को दोहराकर प्रेक्षण लें तथा दोनों पृष्ठों पर प्रतिबिम्ब के अभिलक्षणों की तुलना करें।
उत्तर-
चम्मच को पलटने से यह उत्तल दर्पण की भाँति व्यवहार करता है, इससे छोटा और सीधा आकार दिखाई देता है।

आंतरिक पृष्ठबाहरी पृष्ठ
(i) कभी-कभी प्रतिबिम्ब उल्टा तथा कभी सीधा दिखाई देता है।(i) प्रतिबिम्ब हमेशा सीधा होता है।
(ii) प्रतिबिम्ब का आकार कभी छोटा तो कभी बड़ा दिखाई देता है।(ii) प्रतिबिम्ब हमेशा छोटा होता है।

क्रियाकलाप 10.2  (पा. पु. पृ.सं. 178)

प्रश्न 1.
आप क्या देखते हैं? ऐसा क्यों होता है?
उत्तर-
कागज जलना शुरू हो जाता है। सूर्य से आने वाला प्रकाश दर्पण के द्वारा एक तीक्ष्ण, चमकदार बिन्दु के रूप में अभिकेन्द्रित होता है जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है और कागज जलने लगता है।

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क्रियाकलाप 10.3 (पा. पु. पृ.सं. 180)

प्रश्न 1.
अपने प्रेक्षणों को नोट कीजिये तथा सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर-
किसी अवतल दर्पण से बिम्ब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिम्ब।
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क्रियाकलाप 10.4 (पा. पु. पृ. सं. 182)
प्रश्न- अवतल दर्पण को विभिन्न स्थितियों में रखकर किसी वस्तु की विभिन्न स्थितियों में बने प्रतिबिम्बों का अध्ययन करना।
उत्तर-
(a) अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना (Image Formation by Concave Mirror)
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वस्तु की स्थिति – अनंत पर
प्रतिबिम्ब की स्थिति – फोकस F पर
प्रतिबिम्ब का आकार-अत्यधिक छोटा (बिन्दुनुमा)
प्रतिबिम्ब की प्रकृति – वास्तविक एवं उल्टा

(ii)
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वस्तु की स्थिति – C से परे
प्रतिबिम्ब की स्थिति – F तथा C के बीच
प्रतिबिम्ब का आकार – छोटा
प्रतिबिम्ब की प्रकृति- वास्तविक एवं उल्टा

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 9
वस्तु की स्थिति-C पर,
प्रतिबिम्ब की स्थिति – वस्तु के बराबर
प्रतिबिम्ब का आकार – C पर
प्रतिबिम्ब की प्रकृति – वास्तविक एवं उल्टा

(iv)
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 10
वस्तु की स्थिति – C व F के बीच,
प्रतिबिम्ब की स्थिति – C से परे
प्रतिबिम्ब का आकार – वस्तु से बड़ा
प्रतिबिम्ब की प्रकृति – वास्तविक एवं उल्टा

(v)
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 11
वस्तु की स्थिति – F पर,
प्रतिबिम्ब की स्थिति – अनंत पर
प्रतिबिम्ब का आकार – वस्तु से अत्यधिक बड़ा
प्रतिबिम्ब की प्रकृति – वास्तविक एवं उल्टा

(vi)
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 12
वस्तु की स्थिति – P व F के बीच
प्रतिबिम्ब की स्थिति – दर्पण के पीछे
प्रतिबिम्ब का आकार – वस्तु से बड़ा
प्रतिबिम्ब की प्रकृति- आभासी एवं सीधा ॥

क्रियाकलाप 10.5 (पा. पु. पृ. सं. 183)

प्रश्न 1.
दर्पण में पेंसिल का प्रतिबिम्ब देखिये प्रतिबिंब सीधा है या उल्टा? क्या यह छोटा है अथवा विवर्धित (बड़ा) है?
उत्तर-
सीधा एवं छोटा।

प्रश्न 2.
पेंसिल को धीरे-धीरे दर्पण से दूर ले जाइए। क्या प्रतिबिंब छोटा होता जाता है या बड़ा होता जाता है?
उत्तर-
प्रतिबिम्ब छोटा होता जाता है।

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प्रश्न 3.
क्रियाकलाप को सावधानीपूर्वक दोहराइये। बताइये कि जब बिम्ब को दर्पण से दूर ले जाते हैं तो प्रतिबिम्ब फोकस के निकट आता है अथवा उससे और दूर चला जाता है?
उत्तर-
प्रतिबिम्ब फोकस के निकट आता है। प्रतिबिम्ब फोकस के निकट बनता है।

क्रियाकलाप 10.6 (पा. पु. पृ. सं. 184)

प्रश्न 1.
क्या आप पूर्ण लम्बाई का प्रतिबिम्ब देख पाते हैं?
उत्तर-
पूर्ण लम्बाई का प्रतिबिम्ब नहीं देख पाते हैं।

प्रश्न 2.
विभिन्न साइज के समतल दर्पण लेकर प्रयोग दोहराइये। क्या आप दर्पण में बिम्ब का संपूर्ण प्रतिबिम्ब देख पाते हैं?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 3.
इस क्रियाकलाप को अवतल दर्पण लेकर दोहराइये। क्या यह दर्पण बिम्ब की पूरी लम्बाई का प्रतिबिम्ब बना पाता है?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 4.
अब एक उत्तल दर्पण लेकर इस प्रयोग को दोहराइए, क्या पूर्ण प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है?
उत्तर-
किसी छोटे उत्तल दर्पण द्वारा किसी ऊँचे भवन/पेड़ आदि का पूर्ण लम्बाई का प्रतिबिम्ब देख सकते

क्रियाकलाप 10.7 (पा. पु. पृ. सं. 189)

प्रश्न 1.
पानी से भरी एक बाल्टी की तली पर एक सिक्का रखकर अपनी आँख को पानी के ऊपर पार्श्व (side) में रखकर सिक्के को एक बार में उठाने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप सिक्का उठाने में सफल हो पाते हैं?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 2:
इस क्रियाकलाप को दोहराइए, आप इसे एक बार में करने में सफल क्यों नहीं हो पाये थे ?
उत्तर-
प्रकाश के अपवर्तन के कारण सिक्का थोड़ा सा ऊँचा उठा हुआ प्रतीत होता है इसलिए इसे उठाने में थोड़ी कठिनाई होती है। थोड़ा अभ्यास करने से सिक्का उठाने में सफलता प्राप्त हो जाती है।

क्रियाकलाप 10.8 (पा. पु. पृ. सं. 189)

प्रश्न-अपने किसी साथी से सिक्के को बिना विचलित किए उस कटोरे में पानी डालवाइए। अपनी स्थिति से पुनः यह सिक्का आपको दिखाई देने लगता है। यह कैसे सम्भव हो पाता है?
उत्तर-
प्रकाश के अपवर्तन के कारण सिक्का अपनी वास्तविक स्थिति से थोड़ा सा ऊपर उठा हुआ प्रतीत होता है तथा वह पानी डालने से पुनः दिखाई देने लगता है।

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क्रियाकलाप 10.9 (पा. पु. प्र. सं. 190)

प्रश्न 1.
स्लैब के नीचे आए रेखा के भाग को पार्श्व से देखिये। आप क्या देखते हैं? क्या काँच के स्लैब के नीचे की रेखा कोरों के पास मुड़ी हुई प्रतीत होती है? ।
उत्तर-
हाँ, ऐसा रोशनी के अपवर्तन के कारण हो रहा है।

प्रश्न 2.
अब काँच के स्लैब को इस प्रकार रखिए कि यह रेखा के अभिलम्बवत हो। अब आप क्या देखते हैं? क्या काँच के स्लैब के नीचे रेखा का भाग मुड़ा हुआ प्रतीत होता है?
उत्तर-
अब, रेखा सीधी है और मुड़ी हुई प्रतीत नहीं हो ब रही क्योंकि रोशनी की सीधी किरण में अपवर्तन नहीं होता है।

प्रश्न 3.
रेखा को काँच के स्लैब के ऊपर से देखिये। क्या स्लैब के नीचे रेखा का भाग उठा हुआ प्रतीत होता है? ऐसा क्यों होता है?
उत्तर-
हाँ, ऐसा अपवर्तन के कारण होता है। इसके कारण बिम्ब की स्थिति वास्तविक स्थिति से उठी हुई दिखाई देती है।

क्रियाकलाप 10.10 (पा. पु. पृ. सं. 190)

प्रश्न 1.
क्या होता है जब प्रकाश की किरणें काँच की – स्लैब में प्रवेश करती हैं?
उत्तर-
प्रकाश का अपवर्तन होता है और यह अभिलम्ब की तरफ मुड़ जाती है। ऐसा प्रकाश की चाल काँच के स्लैब में अपेक्षाकृत कम होने के कारण होता है।

प्रश्न 2.
क्या होता है जब प्रकाश की किरणें स्लैब से बाहर निकलती हैं?
उत्तर-
वायु में प्रकाश की चाल अधिक होती है अतः प्रकाश अभिलम्ब से दूर मुड़ जाता है।

प्रश्न 3.
निर्गत किरण तथा आपतित किरण के बीच की लम्बवत् दूरी को क्या कहते हैं?
उत्तर-
पाश्विक विस्थापन।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 4.
आपतित कोण तथा निर्गत कोण के बीच क्या संबंध होता है यदि आपतित किरण तथा निर्गत किरण का माध्यम समान हो?
उत्तर-
आपतित कोण = निर्गत कोण।

क्रियाकलाप 10.11 (पा. पु. पृ. सं. 195)

प्रश्न 1.
कागज तथा लेंस को कुछ समय के लिए उसी स्थिति में पकड़े रखने पर कागज का क्या होता है, प्रेक्षण कीजिए।
उत्तर-
कागज सुलगता है तथा उससे धुआँ उत्पन्न होता है व कुछ समय बाद यह आग भी पकड़ लेता है, इसका कारण यह है कि सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणें एक तीक्ष्ण चमकदार बिन्दु के रूप में कागज पर अभिकेन्द्रित कर ली जाती हैं जिसके फलस्वरूप कागज जलने लगता है।

क्रियाकलाप 10.12 (पा. पु. पृ. सं. 196)

प्रश्न 1.
उत्तल लेन्स द्वारा बने बिम्बों की विभिन्न स्थितियों का अध्ययन कीजिये।
उत्तर-

  • एक उत्तल लेंस लेकर क्रियाकलाप 10.11 में दी गई विधि से इसकी फोकस दूरी का मान (लगभग) ज्ञात करते हैं।
  • एक लम्बी मेज पर चॉक द्वारा पाँच समान्तर रेखाएँ इस प्रकार खींचते हैं कि किन्हीं दो उत्तरोत्तर रेखाओं के बीच की दूरी लेंस की फोकस दूरी के बराबर हो। लेंस को एक स्टैण्ड पर लगाकर इसे मध्य रेखा पर इस प्रकार रखते हैं कि लेंस का प्रकाशिक केन्द्र इस रेखा पर स्थित हो।
  • लेंस के दोनों ओर दो रेखाएँ क्रमशः लेंस के F तथा 2 F के तदनुरूपी होंगी। इन्हें 2F1 , F1, F2, तथा 2F2, से प्रदर्शित किया जाता है।
  • एक जलती हुई मोमबत्ती को बायीं ओर 2F1, से काफी दूर रखकर लेंस की विपरीत दिशा में रखे एक परदे पर इसका स्पष्ट एवं तीक्ष्ण प्रतिबिम्ब बनाकर प्रतिबिम्ब की प्रकृति, स्थिति तथा आकार नोट करते हैं।
  • इस क्रियाकलाप में बिम्ब को 2F1, से थोड़ा दूर, F1, तथा 2F1, के बीच, F1, पर तथा F1, व O के बीच रखकर प्रेक्षणों को नोट करके सारणीबद्ध करने पर निम्न निष्कर्ष प्राप्त होते हैं।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 13

क्रियाकलाप 10.13 (पा. पु. पृ. सं. 197)

प्रश्न-अवतल लेन्स द्वारा बने बिम्बों की विभिन्न स्थितियों का अध्ययन कीजिये।
उत्तर-

  • एक अवतल लेंस लेकर इसे एक स्टैण्ड में लगाकर लेंस के एक ओर एक जलती मोमबत्ती रखकर लेंस के दूसरी ओर से प्रतिबिम्ब का प्रेक्षण करते हैं।
  • इस स्थिति में प्रतिबिम्ब की प्रकृति, आपेक्षिक आकार तथा स्थिति नोट करते हैं।
  • अब मोमबत्ती को लेंस से दूर ले जाकर प्रतिबिम्ब के आकार में परिवर्तन नोट कर लेते हैं। जब मोमबत्ती को लेंस से बहुत दूर रखा जाता है तो प्रतिबिम्ब के आकार पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन करने पर निष्कर्ष इस प्रकार प्राप्त होते हैं।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 14
अतः अवतल लेंस से सदैव एक आभासी, सीधा तथा छोटा प्रतिबिम्ब बनेगा चाहे बिम्ब कहीं भी स्थित हो।

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HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 उपभोक्ता अधिकारों का ज्ञान

Haryana State Board HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 उपभोक्ता अधिकारों का ज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 उपभोक्ता अधिकारों का ज्ञान

अति लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1. (A)
वस्तुओं पर आई० एस० आई० (ISI) मार्क होने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
आई० एस० आई० मार्क भारतीय मानक संस्थान (Indian Standard Institute) द्वारा किसी वस्तु की उत्तमता के लिए दिया गया प्रमाण-पत्र है।

प्रश्न 1. (B)
खाद्य-पदार्थों के अतिरिक्त दस (चार) ऐसी वस्तुओं के नाम लिखिए जिन पर आई० एस० आई० मार्क लगा हो।
अथवा
उन चार वस्तुओं के नाम लिखो जिन पर आई० एस० आई० चिह्न लगाया जाता
उत्तर :
खाद्य-पदार्थों के अतिरिक्त दस वस्तुओं के नाम जिन पर आई० एस० आई० का मार्क होता है, निम्नलिखित हैं –

  1. गैस स्टोव
  2. गैस सिलेण्डर
  3. कुकिंग रेन्ज
  4. हेलमेट
  5. ब्लेड
  6. तराजू
  7. बाट
  8. विद्युत् प्रेस
  9. गीजर
  10. विद्युत् हीटर।

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प्रश्न 2.
कोई भी चार मानकीकरण चिह्न बताएं।
उत्तर :
I.S.I., एगमार्क, हालमार्क, F.P.O., वूलमार्क।

प्रश्न 3.
औषधि तथा मादक पदार्थ अधिनियम क्या है ?
उत्तर :
औषधि तथा मादक पदार्थ अधिनियम 1940 में बनाये गये। इस अधिनियम के अन्तर्गत देश में तैयार की गई अथवा आयात की गई औषधियों तथा मादक पदार्थों के गुणों की जाँच की जाती है। इस नियम में समय-समय पर आवश्यकतानुरूप संशोधन किया जाता है।

प्रश्न 4.
औषधि तथा मादक पदार्थ अधिनियम में क्या-क्या संशोधन किये गये ?
उत्तर :
सन् 1955, 1961, 1969 में इस अधिनियम में अनेक महत्त्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं तथा उपनियम बनाए गए हैं। इस अधिनियम के अनुसार यदि किसी औषधि अथवा मादक पदार्थ में प्रमाणित स्तर से नीचे के गुण पाए जाते हैं, तो उसे उसके निर्माता से उसके निर्माण का अधिकार छीन लेने के साथ-साथ उसके मालिक को एक वर्ष के कारावास का दण्ड भी दिया जाता है। इस अधिनियम में यह भी व्यवस्था है कि जो औषधियाँ एवं मादक पदार्थ बाजार में बिकने के लिए आएं उन पर लेबल लगा होना चाहिए और इस लेबल पर उपयुक्त सूचनाएं होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
एगमार्क क्या है ?
उत्तर :
एगमार्क, भारत सरकार के बिक्री एवं निरीक्षण निदेशालय द्वारा खाद्य-पदार्थों की उत्तमता के लिए दिया गया प्रमाण है।

प्रश्न 6.
I.S.I. मार्क क्या है ? इसकी स्थापना कब हुई ?
उत्तर :
I.S.I. मार्क प्रयोग में लाये जाने वाले उपकरणों की उत्तमता का प्रमाण है। इसकी स्थापना 1947 में हुई।

प्रश्न 7.
पैकिंग के क्या लाभ हैं ?
उत्तर :

  1. पैकिंग करने से वस्तुएं खराब नहीं होती।
  2. वस्तुएँ टूटने से बचती हैं।
  3. उसमें मिलावट नहीं होती।
  4. उनकी मात्रा कम नहीं होती।

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प्रश्न 8.
P.F.A. और F.P.O. का पूरा नाम बताएं।
उत्तर :
P.F.A. Prevention of Food Adulteration act. F.P.O. Food Product Order.

प्रश्न 9.
(A) एगमार्क का चिह्न किन पदार्थों पर लगाया जाता है ?
(B) चार वस्तुओं के नाम लिखें जिन पर एगमार्क चिह्न लगाया जाता है।
उत्तर :
एगमार्क का चिह्न निम्नलिखित पदार्थों पर लगाया जाता है-खाने के तेल, मक्खन, घी, अण्डों, मसालों आदि पर।

प्रश्न 10.
स्वेटर पर लगा वुलमार्क का लेबल हमें क्या सूचना देता है ?
उत्तर :
इससे पता चलता है कि स्वेटर की क्वालटी अच्छी है।

प्रश्न 11.
विज्ञापन उपभोक्ता की किस प्रकार मदद करते हैं ?
उत्तर :
विज्ञापन द्वारा उपभोक्ता को पदार्थ की सूचना, उपयोगिता का पता चलता है तथा उपभोक्ता की गलतफहमी दूर होती है।

प्रश्न 12.
उपभोक्ता शिक्षण का अर्थ समझाएं।
अथवा
उपभोक्ता शिक्षा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
उपभोक्ता शिक्षा का अर्थ है उपभोक्ता को अपने अधिकारों, हितों, अनहितों तथा सरकार द्वारा उसके हितों की रक्षा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में शिक्षित करना है।

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प्रश्न 13.
ईको लेबल किन वस्तुओं पर लगाया जाता है ?
उत्तर :
जो वस्तुएं वातावरण के अनुकूल हैं उन पर यह लेबल लगाया जाता है।

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प्रश्न 14.
उपभोक्ता की किन्हीं दो समस्याओं का उदाहरण सहित उल्लेख करें।
उत्तर :
उपभोक्ता को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे विभिन्न वस्तुओं में मिलावट तथा दुकानदार द्वारा मानक बाटों के स्थान पर पत्थर आदि से बनाए बाटों का प्रयोग करना। खाद्य पदार्थों तथा और पदार्थों पर लेबल न लगे होना जैसे सरसों के तेल में आरगीमोन के तेल का मिला होना। जैसे गैस स्टोव पर आई० एस० आई० का चिहन न लगा होना।

प्रश्न 15.
समझदार उपभोक्ता के किन्हीं दो उत्तरदायित्वों का उल्लेख करें।
उत्तर :
देखें लघु उत्तरीय प्रश्न 2 का उत्तर।

प्रश्न 16.
स्तरता के चिहन क्या होते हैं ? किन्हीं दो चिहनों के नाम लिखें व बताएं कि ये किन उत्पादकों पर पाए जाते हैं ?
उत्तर :
स्तरता चिह्नों का प्रयोग वस्तुओं के उचित स्तर को बताने के लिए किया जाता है जैसे आई० एस० आई० तथा एगमार्क, एफ० पी० ओ० आदि।
1. एगमार्क कृषि से सम्बन्धित खाद्य पदार्थों के लिए।
2. आई० एस० आई० चिह्न कारखानों में बने पदार्थ उपकरणों के लिए।

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प्रश्न 17.
मिलावट से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
किस स्थिति में भोज्य पदार्थ को मिलावटी कहा जाता है ?
उत्तर :
मिलावट से अर्थ है कि किसी खाद्य पदार्थ में कुछ ऐसा मिला देना जो सस्ता हो तथा उसी पदार्थ जैसा दिखे जैसे असली घी में वनस्पति घी की मिलावट। कई बार खाद्य पदार्थ में से कुछ पदार्थ निकाल दिया जाता है यह भी एक प्रकार की मिलावट है जैसे दूध में से क्रीम निकालकर दूध को पूरे मूल्य पर बेचना। कई बार कुछ दुकानदार अधिक पैसे कमाने के लालच में सेहत के लिए हानिकारक पदार्थ भी मिला देते हैं जैसे सरसों में आरगीमोन के बीज।

प्रश्न 18.
उपभोक्ता की उपलब्ध कोई चार सहायक सामग्री बतायें।
उत्तर :
विज्ञापन, मानकीकरण चिह्न, पर्चे, लेबल, पैकिंग आदि।

प्रश्न 19.
उपभोक्ता किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जो भी व्यक्ति बाज़ार से या कहीं से वस्तुओं अथवा सेवाओं को खरीदता है तथा इनके बदले पैसे देता है तथा उपभोग करता है वह उपभोक्ता कहलाता है।

प्रश्न 20.
मानकीकरण चिहन उपभोक्ता की किस प्रकार मदद करते हैं ?
उत्तर :
उपभोग की विभिन्न वस्तुओं पर मानकीकरण चिह्न लगे रहते हैं जैसे F.P.O., एगमार्क, आई० एस० आई०, पी० एफ० ए०, वूल मार्क आदि। ये चिन सरकार द्वारा विभिन्न निर्माताओं को उचित जांच परख के बाद ही दिए जाते हैं। कोई भी निर्माता इन चिह्नों का गलत प्रयोग नहीं कर सकता। इस प्रकार यदि वस्तु पर मानकीकरण चिह्न लगा है तो उपभोक्ता बिना किसी हिचकिचाहट के वस्तु को खरीद सकता है। एगमार्क कृषि सम्बन्धी पदार्थों पर लगाया जाता है। ISI का मार्क प्रोसेस तथा पैक किए खाद्य पदार्थ जैसे बिस्कुट, सेवियां, पाऊडर दूध, बेकिंग पाऊडर आदि तथा उपकरणों जैसे प्रेशर कुक्कर, बिजली की प्रेस, गीजर, केतली, गैस चूल्हा आदि पर लगता है। यदि मानकीकरण चिहन लगा हो तो उपभोक्ता के मन को तसल्ली रहती है कि उसके पैसे का ठीक प्रयोग हुआ है। उपभोक्ता को इतनी वस्तुओं में से गुणवत्ता के आधार पर चयन की सुविधा हो जाती है।

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प्रश्न 21.
ISI मार्क क्या है ? यह किन चीज़ों पर लगाया जाता है ?
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
दुकानदार किन विधियों से सामान कम तोलकर उपभोक्ताओं को ठगते हैं ?
अथवा
चार ऐसे तरीके बताएं जिनसे दुकानदार नापने व तौलने में गड़बड़ करते हैं ?
उत्तर :
सामान्यत: दुकानदार निम्नलिखित तरीकों से सामग्री कम तोलकर उपभोक्ताओं को ठगते हैं –
1. मिठाइयों को डिब्बे सहित, मांस को वेष्टित किए गए कागज़ के साथ तथा फलों एवं सब्जियों को पत्तों सहित तोलकर मुख्य वस्तु की कम मात्रा देते हैं। कुछ दुकानदार डिब्बे के एक ढक्कन को वज़न के साथ एक-दूसरे हिस्से में मिठाई आदि रखकर तोलते हैं और इस प्रकार से तोल के सही होने का भ्रम पैदा करते हैं जबकि वस्तुस्थिति यह होती है कि माल के साथ तोले जाने वाले डिब्बे का हिस्सा वज़न में भारी होता है तथा बाट के साथ रखा गया हिस्सा वज़न में कम होता है।

2. मानक बाटों के स्थान पर देशी बाटों या पत्थर आदि से बनाए गए घरेलू बाटों का प्रयोग करके।
3. घिसे हुए पुराने बाटों का प्रयोग करके।
4. तरल पदार्थों को लीटर के माप द्वारा मापने के स्थान पर तोल द्वारा बेचकर।
5. हाथ वाले तराजू का प्रयोग करते समय डंडी मारकर।
6. पैमाने वाले तराजू को दोषपूर्ण रखकर।
7. कुछ दुकानदार तराजू के जिस पलड़े में तोलने के लिए सामग्री रखी जाती है इसके नीचे चुम्बक रख देते हैं और इस प्रकार यह पलड़ा चुम्बक द्वारा नीचे की ओर खींच लिया जाता है। इस प्रकार उपभोक्ता को कम सामग्री प्राप्त होती है।

1. (क) दुकानदार नाप-तोल में गड़बड़ी कैसे करते हैं ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 1 का उत्तर।

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प्रश्न 2.
एक उपभोक्ता के रूप में आप अपने हक को सुरक्षित रखने के लिए किन-किन ज़िम्मेदारियों व कर्तव्यों को निभाने का प्रयास करेंगे ?
उत्तर :
एक उपभोक्ता के रूप में अपने हक को सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित कर्तव्यों को निभाने का प्रयास करना चाहिए –
1. यदि यह भ्रम हो कि वस्तु में जान-बूझकर मिलावट की गई है, तो इस बात को नजरअन्दाज न कर उस मिलावट की रोकथाम की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। इसकी जानकारी सम्बन्धित अधिकारियों को स्वयं जाकर, टेलीफोन द्वारा या पत्रों द्वारा देनी चाहिए।
2. उपभोक्ताओं को खाद्य-पदार्थ के निरीक्षकों की मिलावटी पदार्थों के नमूने लेने में सहायता करनी चाहिए तथा ऐसे प्रकरणों में गवाही देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
3. उपभोक्ताओं को अपूर्ण लेबल वाली वस्तुएं नहीं खरीदनी चाहिएं तथा अन्य परिचित लोगों को भी इन वस्तुओं को खरीदने की मनाही करनी चाहिए।
4. नकली वस्तुओं की खरीद से बचने के लिए वस्तुएं विश्वसनीय दुकानों से ही खरीदनी चाहिए।
5. नकली वस्तुओं की बिक्री कम करने के लिए असली वस्तुओं के बारे में स्वयं जानकारी प्राप्त करने के साथ-साथ अपने परिचितों को भी इसकी जानकारी देनी चाहिए।
6. असत्य विज्ञापनों पर रोक लगवानी चाहिए। यदि विज्ञापन वस्तु विशेष से ताल मेल नहीं खाता तो इसकी सूचना सम्बन्धित विभाग को देनी चाहिए।
7. दोष-युक्त माप-तोल के साधनों के प्रयोग पर रोक लगानी चाहिए।

प्रश्न 2.
(A) उपभोक्ताओं के कोई तीन उत्तरदायित्व लिखें।
(B) उपभोक्ता के किसी एक मुख्य अधिकार के बारे में लिखिए।
(C) उपभोक्ता के चार कर्त्तव्य बताएं।
(D) उपभोक्ता के चार कर्तव्य लिखिए।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 3.
नाम-पत्र या लेबल क्या होते हैं ? एक अच्छे नाम-पत्र में कौन-कौन से गुण होने चाहिएं ?
अथवा
एक अच्छे लेबल में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?
उत्तर :
किसी भी वस्तु को खरीदते समय उस वस्तु को तैयार करने में प्रयुक्त हुए पदार्थों की मात्रा, वस्तु का परिमाण एवं गिनती, तैयार पदार्थ की उत्तमता प्रयोग-विधि, गुणवत्ता मूल्य आदि को जानने का साधन उसकी पैकिंग पर चिपका हुआ नाम-पत्र या लेबल (Label) होता है। यही कारण है कि प्रत्येक उत्पादनकर्ता के लिए निर्मित पदार्थ की पैकिंग पर एक ऐसा लेबल चिपका होना जरूरी होता है जिससे उपभोक्ता को ये सारी सूचनाएं मिल सकें। इसके साथ ही यह भी आवश्यक है कि निर्माता अथवा उत्पादक द्वारा किसी वस्तु पर चिपकाए गए लेबल में दी गई सारी सूचनाएं सही हों। यदि इस प्रकार का कोई बन्धन न हो तो बेईमान वस्तु निर्माता लेबल पर गलत सूचना देकर उपभोक्ता को गुमराह कर सकता है। भारतीय मानक संस्थान ने तैयार खाद्य-पदार्थों पर चिपकाए गए लेबलों में निम्नलिखित गुणों का होना ज़रूरी बताया है –

1. खाद्य-पदार्थों पर चिपकाया गया लेबल स्पष्ट होना चाहिए जिसे पढ़कर उपभोक्ता को वस्तु की गुणवत्ता आदि के बारे में कोई धोखा न हो।
2. दूसरे पदार्थों से मिलते-जुलते नामों, चित्रों, संकेतों आदि का नाम प्रयोग नहीं होना चाहिए अन्यथा उपभोक्ता को धोखा हो सकता है।
3. लेबल पर किसी ऐसे अधिनियम, नियम अथवा निर्देश का उल्लेख नहीं होना चाहिए जिसके फलस्वरूप लेबल पर दिए गए विवरणों एवं गुणवत्ता में बदलाव आ जाए।
4. चिपकाए गए लेबल पर अग्रलिखित सूचनाएं होनी चाहिए –

  • खाद्य-पदार्थ का नाम।
  • खाद्य-पदार्थ तैयार करने के लिए प्रयुक्त किए गए पदार्थों के नाम और उनकी मात्रा।
  • सामग्री की मात्रा।
  • उत्पादक, निर्माता का नाम एवं पता।
  • उस देश का नाम जहाँ पर वह पदार्थ तैयार किया गया है।
  • बैच नम्बर अथवा कोड नम्बर।
  • निर्माण की तिथि।
  • प्रयोग-अवधि अर्थात् सामग्री का उपयोग किस तिथि तक किया जा सकता है (Expiry date)।
  • भण्डार (Storage) के लिए निर्देश।
  • उपभोक्ता द्वारा दिए जाने वाला अधिकतम मूल्य (स्थानीय करों को छोड़कर)।

प्रश्न 4.
एगमार्क (Agmark) कौन-कौन सी वस्तुओं पर लगाया जाता है ? किसी वस्तु पर एगमार्क लगे होने से उपभोक्ता को क्या लाभ होता है ?
उत्तर :
एगमार्क मानक भारत सरकार के बिक्री एवं निरीक्षण निदेशालय द्वारा कृषि के माध्यम से उत्पादित खाद्य-पदार्थों की विभिन्न किस्मों के निमित्त निर्धारित किए गए हैं। अनाज, मसाले, तिलहन, तेल, मक्खन, घी, अण्डे आदि की विभिन्न किस्मों को कृषि उपज के श्रेणीकरण अधिनियम, 1937 (Grading and Marketing of Agricultural Products Act 1937) में परिभाषित किया गया है। विभिन्न खाद्य-पदार्थों के रंग-रूप, भार संरचना आदि के आधार पर उन्हें चार विभिन्न वर्गों क्रमश: 1-2-3-4 में वर्गीकृत किया गया है। यह वर्ग क्रमशः अतिउत्तम, उत्तम, अच्छा व सामान्य के सूचक हैं। एगमार्क सम्बन्धी मानक निर्धारित करते समय इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि विभिन्न खाद्य-पदार्थों को वेष्टित (Wrapped) करते समय किस प्रकार के वेष्टन (Wrapper) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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किसी भी खाद्य-पदार्थ पर एगमार्क का होना उस वस्तु के उपभोक्ताओं के लिए बहुत लाभप्रद होता है। इससे उसे निम्नलिखित सूचनाएं सहज ही प्राप्त हो जाती हैं –

  1. खाद्य-पदार्थ लाइसेंस प्राप्त निर्माता द्वारा निर्मित है।
  2. खाद्य-पदार्थ तैयार करते समय स्वच्छता सम्बन्धी पूरी सावधानी रखी गई है।
  3. नाप-तोल सम्बन्धी विवरण प्रमाण पुष्ट है।
  4. खाद्य-पदार्थ का मानक मूल्य क्या है।
  5. खाद्य-पदार्थ किस्म की दृष्टि से वर्गीकृत श्रेणियों में से किस श्रेणी का है।

इस जानकारी के उपलब्ध होने से उपभोक्ता के लिए किसी वस्तु की सही किस्म का चुनाव करने में सरलता हो जाती है और उसके पैसे का सदुपयोग हो पाता है।

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प्रश्न 5.
आई० एस० आई० मार्क क्या है ? यह प्रमाण-पत्र कौन-कौन सी शर्ते पूरी होने पर दिया जाता है ?
उत्तर :
आई० एस० आई० (ISI) मार्क भारतीय मानक संस्थान (Indian Standard Institute) द्वारा किसी वस्तु की उत्तमता के लिए दिया गया प्रमाण-पत्र है। भारतीय मानक संस्थान राष्ट्रीय स्तर का संगठन है। इसकी स्थापना सन् 1947 में हुई थी। इसका मुख्य कार्य विभिन्न खाद्य-पदार्थों यथा फल तथा सब्जियों से तैयार किए गए संरक्षित खाद्य-पदार्थों, संघनित दूध (Condensed Milk), पाश्विक खाद्य-पदार्थ, मसाले, शिशु-आहार (Baby food) आदि की किस्म को उत्तम बनाए रखना है। इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए यह संस्थान विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के परामर्श एवं सक्रिय सहयोग के विभिन्न खाद्य-पदार्थों के मानक तैयार करता रहता है।

ये मानक तैयार करते समय खाद्य-पदार्थों की संरचना, बाह्य रूप-रंग आदि विभिन्न बातों का ध्यान रखा जाता है। सन् 1952 में लागू किए गए तथा सन् 1961 में संशोधित किए आई० एस० आई० सर्टिफिकेशन मार्क अधिनियम (ISI) (Certification Mark Act) के अन्तर्गत इस संस्थान द्वारा विभिन्न खाद्य-पदार्थों के उत्पादकों को आई० एस० आई० मार्क के इस्तेमाल की सुविधा उपलब्ध है। लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए खाद्य-पदार्थों के निर्माताओं की संस्थान से सम्पर्क स्थापित करके लाइसेंस (Licence) लेना पड़ता है। यह लाइसेंस निम्नलिखित शर्ते पूरी करने पर ही दिया जाता है

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1. खाद्य – पदार्थ भारतीय मानक संस्थान द्वारा निर्धारित मानकों (Standards) के अनुरूप हो।
2. खाद्य – पदार्थ के संरक्षण, डिब्बाबन्दी आदि की विभिन्न प्रक्रियाओं के दौरान संस्थान द्वारा प्रस्तावित प्रविधियों का प्रयोग हुआ हो।।
3. खाद्य – पदार्थों को भारतीय मानक संस्थान से उत्तमता का प्रमाण-पत्र हासिल करने के लिए भेजे जाने से पूर्व निर्माता द्वारा उन खाद्य-पदार्थों के स्तर निर्धारण की जाँच आई० एस० आई० के निरीक्षकों द्वारा प्रस्तावित विधि के अनुसार की गई हो।
4. खाद्य – पदार्थ तैयार करने की विधि, स्थान, तैयार सामग्री का निरीक्षण भी आई० एस० आई० के निरीक्षकों द्वारा किया जा सकता है।

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प्रश्न 6.
भार और माप अधिनियम सबसे पहले कब पास हुआ ? इसमें कब-कब संशोधन किए गए ?
उत्तर :
स्वतन्त्रता से पूर्व हमारे देश में नाप-तोल के लिए कहीं मन, सेर, छटांक का चलन था, कहीं कच्चा सेर तथा पक्का सेर चलता था, कहीं रत्ती, तोला काम में लाए जाते थे, कहीं कुड़ों और पायली चलते थे। सभी उपभोक्ताओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले बाटों की समुचित जानकारी नहीं होती थी। व्यापारी कम तोल कर उपभोक्ता का भरपूर फायदा उठाता था। यदि कोई उपभोक्ता पूछता था तो उसे कोई मनगढंत उत्तर देकर चुप करा दिया जाता था। बाजारों में सुधार लाने तथा उनका नियमन करने के लिए सरकार ने 28 मार्च, 1939 को स्टैंडर्ड ऑफ़ वेट एक्ट (Standard of Weight Act) पास किया।

लेकिन इस बीच द्वितीय विश्व महायुद्ध प्रारम्भ हो गया जिसके परिणामस्वरूप इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा सका। यह अधिनियम पहली जुलाई, 1942 से ही लागू हो पाया। इसके बाद टकसाल अधिकारी द्वारा प्रमाणित वज़न या बाट तैयार किए गए और पूरे देश में इन्हें वितरित किया गया। पहले दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई आदि बड़े-बड़े शहरों में इनका चलन हुआ। स्वतन्त्रता के बाद तोल एवं माप के साधनों के एकीकरण की दिशा में गम्भीरतापूर्वक विचार किया गया।

अप्रैल सन् 1955 में भारतीय संसद् ने मानक नाप-तोल के लिए देश में मीट्रिक पद्धति तथा दशमलव प्रणाली अपनाए जाने का प्रस्ताव रखा। सन् 1956 में मानकमाप एवं तोल अधिनियम पास हुआ तथा पहली अक्तूबर, 1960 में यह पूरे देश में लागू हो गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत विक्रेता द्वारा मीट्रिक बाटों का प्रयोग न करना एक कानूनी अपराध है। समय-समय पर माप व तोल ब्यूरो (Weight and Measure Bureau) के निरीक्षक इस बात की जाँच करते हैं कि विक्रेता इस अधिनियम का पालन कर रहा है अथवा नहीं।

किसी पदार्थ को उसके वैष्टन (Wrapper) अथवा उनके डिब्बों (Containers) सहित तोलना भी एक कानूनी अपराध है। यदि कोई व्यापारी ऐसा करता है तो उपभोक्ता इसकी सूचना माप व तोल ब्यूरो (Weights and Measures Bureau) को दे सकता है।

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प्रश्न 7.
खाद्य कानून के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर :
खाद्य कानून उपभोक्ताओं तक सुरक्षित तथा पौष्टिक खाद्य-पदार्थ पहुँचाने का कार्य करता है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. मिलावटी खाद्य-पदार्थ के हानिकारक प्रभाव से उपभोक्ता की रक्षा करना।
  2. उचित व्यापार-आचरण को बढ़ावा देना तथा लागू करना।
  3. उपभोक्ता की रक्षा के लिए निम्नलिखित कानून पारित किए गए हैं
    • Prevention of Food Adulteration Act (P.F.A.)
    • Food Product Order (F.P.O.)
    • मांस उत्पाद नियन्त्रण आदेश।

प्रश्न 8.
औषधि तथा मादक पदार्थ अधिनियम का मूल उद्देश्य क्या है ? इस अधिनियम में क्या-क्या संशोधन किए गए ?
उत्तर :
औषधि तथा मादक पदार्थ अधिनियम 1940 में बनाया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत देश में तैयार की गई अथवा आयात की गई औषधियों तथा मादक पदार्थों के गुणों की जांच की जाती है। इस अधिनियम में समय-समय पर आवश्यकतानुरूप अनेक संशोधन किए जाते हैं। सन् 1955, 60, 61, 69 में इस अधिनियम में अनेक महत्त्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं तथा उपनियम बनाए गए हैं। इस अधिनियम के अनुसार यदि किसी औषधि अथवा मादक पदार्थ में प्रमाणित स्तर से नीचे के गुण पाए जाते हैं तो उसके निर्माता से उसके निर्माण का अधिकार छीन लेने के साथ-साथ उसके मालिक को एक वर्ष के कारावास का दण्ड भी दिया जाता है। इस अधिनियम में यह भी व्यवस्था है कि जो औषधियाँ एवं मादक पदार्थ बाज़ार में बिकने के लिए आएं उन पर लेबल लगा होना चाहिए और इस लेबल पर निम्नलिखित सूचनाएँ होनी चाहिएं –

  1. निर्माता का नाम, पता तथा निर्माण के अधिकार।
  2. बैच नम्बर।
  3. निर्माण की तिथि और अवसान तिथि (Expiry date) अर्थात् उसे कब तक इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
  4. औषधि-निर्माण के समय प्रयुक्त किए गए मिश्रणों के नाम ।
  5. उपभोग की विधि।

प्रश्न 9.
एक अच्छे लेबल में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?
अथवा
लेबल पर दी जाने वाली अपेक्षित जानकारी की कोई चार बातें बताएं।
उत्तर :
एक अच्छे लेबल में निम्नलिखित गुण होने चाहिए –

  1. लेबल सही ढंग से खाद्य-पदार्थों पर चिपका हुआ होना चाहिए।
  2. पात्र ऐसा बनाया गया हो जो खाद्य-पदार्थ की मात्रा के बारे में धोखा नहीं दे या भ्रम नहीं उत्पन्न करे।
  3. लेबल पर लिखा हुआ विवरण आसानी से पढ़ा और समझा जा सके।
  4. लेबल पर खाद्य-पदार्थ में प्रयोग किए गए कृत्रिम रोगों अथवा रासायनिक परिरक्षकों का उल्लेख हो।
  5. वह खाद्य-पदार्थ जिसके स्तर की परिभाषा दी गई है, स्टॉक के अनुसार हो।

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प्रश्न 10.
उपभोक्ता सहायक सामग्री क्या होती है ? उपभोक्ताओं को उपलब्ध किन्हीं तीन प्रकार की सहायक सामग्री का उल्लेख करें।
उत्तर :
उपभोक्ता सहायक सामग्री उपभोक्ता को वस्तुओं के चयन में सहायता प्रदान करती हैं। विभिन्न उपभोक्ता सहायक सामग्री हैं-मानकीकरण चिह्न, लेबल, पैकिंग, विज्ञापन, पर्चे, पुस्तकें, उपभोक्ता फोरम आदि।

1. लेबल-लेबल द्वारा उपभोक्ताओं को वस्तु की गुणवत्ता, कीमत आदि का पता चलता है। लेबल पर निम्न जानकारी होती है –

  • वस्तु का नाम
  • वस्तु में प्रयुक्त सामग्री
  • बनने की तारीख
  • ट्रेड मार्क
  • मानकीकरण चिह्न
  • बैच लाईसेंस नम्बर
  • गारण्टी
  • प्रयोग तथा सम्भाल के दिशानिर्देश आदि।।

2. विज्ञापन – निर्माता द्वारा वस्तु को बेचने के लिए विभिन्न प्रकार के विज्ञापनों द्वारा उपभोक्ता को जानकारी दी जाती है। विज्ञापन, समाचार-पत्र, टी०वी०, रेडियो आदि पर सुन देख कर उपभोक्ता को वस्तु के बारे में जानकारी मिलती है तथा आवश्यकता होने पर उसे खरीदना आसान रहता है।

3. पर्चे – उपभोक्ता को वस्तु की जानकारी देने के लिए निर्माता पर्चे छपवाकर समाचार-पत्रों में डलवा देते हैं या अपने नौकरों द्वारा लोगों के घरों में फेंकवा दिए जाते हैं। इन पर वस्तु के बारे में पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की जाती है। इस पर तकनीकी जानकारी या अन्य कोई भी आवश्यक जानकारी विस्तार से होती है।

प्रश्न 12.
उपभोक्ता को खरीददारी करते समय किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? इनमें से किसी एक के बारे में लिखिए।
अथवा
उपभोक्ता को खरीददारी करते समय किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ? कोई चार कठिनाइयों को बताइए।
उत्तर :
उपभोक्ता की खरीददारी करते समय कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जैसे –

  1. मूल्यों में परिवर्तन
  2. वस्तुओं का न मिलना
  3. धोखाधड़ी
  4. मिलावट
  5. गलत विज्ञापन
  6. गलत लेबल
  7. अपूर्ण तथा गलत जानकारी
  8. घटिया वस्तुएं
  9. मानकीकरण चिहन का गलत प्रयोग आदि।

मूल्यों में परिवर्तन-कई दुकानदार वस्तु पर लिखे अधिकतम मूल्य से अधिक पैसे मांगते हैं, कई बार फ्री होम डिलवरी के नाम पर वस्तु का मूल्य बढ़ा दिया जाता है। कई छोटे दुकानदार अधिकतम मल्य से कुछ कम पैसे लेकर भी वस्तु बेच देते हैं इससे उपभोक्ता क्नफयूज़ हो जाता है कि एक ही वस्तु के भिन्न-भिन्न मूल्य क्यों है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 उपभोक्ता अधिकारों का ज्ञान

प्रश्न 13.
कोई भी चार खाद्य पदार्थों के नाम इनमें पाई जाने वाली मिलावट के साथ लिखें।
उत्तर :

क्रमांकखाद्य पदार्थमिलावट
1.हल्दीलेड क्रोमेट
2.देसी घीवनस्पति घी
3.बादाम की गिरीखुमानी की गिरी
4.शहदचीनी
5.गेहूँ का आटावासी पीसी हुई रोटी

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
परिवार के लिए आवश्यक वस्तुओं का चुनाव करते समय गृहिणी को किस-किस प्रकार के निर्णय लेने पड़ते हैं ? उदाहरण सहित चर्चा कीजिए।
अथवा
विभिन्न वस्तुओं के चयन के समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
उत्तर :
अपने परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार उचित प्रकार की विभिन्न वस्तुओं का चुनाव करने के लिए गृहिणी को कई निर्णय लेने पड़ते हैं जिनमें से मुख्य निम्नलिखित प्रकार हैं –
1. क्या खरीदें – उचित स्तर की वस्तुओं को खरीदने के लिए सबसे पहले यह निर्णय लेना पड़ता है कि क्या खरीदा जाए। उपभोक्ता को सर्वप्रथम यह देखना चाहिए कि, क्या खरीदी जाने वाली वस्तु की वास्तविक रूप से ज़रूरत है अथवा नहीं। अपने पारिवारिक बजट तथा पारिवारिक मापदण्ड, मूल्यों तथा लक्ष्यों के आधार पर गृहिणी तथा अन्य सदस्यों को भी यह देखना चाहिए कि आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए क्या खरीदना है।

2. कहाँ से खरीदें – “क्या खरीदा जाए” इस बात का निश्चय कर लेने के बाद उपभोक्ता को यह निश्चित करना पड़ता है कि वस्तुएँ कहाँ से खरीदी जाएँ। इसके लिए यह समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, टेलीविज़न आदि पर आने वाले विज्ञापनों से भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। वस्तुओं की खरीददारी करने से पहले उसे विभिन्न बाजारों तथा दुकानों का ज्ञान होना आवश्यक है, क्योंकि प्रायः किसी एक विशेष प्रकार की अच्छी किस्म की वस्तु कम मूल्यों पर किसी विशेष बाज़ार में ही मिलती है, जैसे फर्नीचर की कोई भी वस्तु हमें लकड़ी या फर्नीचर के थोक-बाज़ार में ही बढ़िया व सस्ती मिल सकती है।

किस बाजार से खरीदनी है इस बात को निश्चित कर लेने के बाद उपभोक्ता को इस बात का निर्णय करना चाहिए कि किस दुकान से सामान खरीदा जाए। कई बार यह देखा गया है कि एक ही बाज़ार में विभिन्न दुकानों में एक ही प्रकार की वस्तु के लिए अलग-अलग दाम होते हैं। कई बार दुकानदार उपभोक्ताओं को कई एक अतिरिक्त सुविधाएँ या उपहार भी देते हैं। जैसे-खरीदी गई वस्तुओं को घर पर मुफ्त पहुंचाने की ज़िम्मेदारी या फिर दुकान से मुफ्त टेलीफोन करने की सुविधा या छोटे-मोटे उपहार आदि।

कई बार दुकानों को इस आकर्षक ढंग से सजाया जाता है ताकि उपभोक्ता खुद इसकी सजावट को देखकर दुकान की ओर खिंचा चला आए। परन्तु ऐसी दुकानों के भाव अन्य दुकानों के भाव से अधिक होंगे। क्योंकि इन सब सुविधाओं आदि का खर्चा निकालने के लिए वस्तुओं आदि का भाव बढ़ा दिया जाता है अथवा वस्तु का स्तर कुछ गिरा दिया जाता है। अत: वस्तुएँ खरीदने से पहले दो या तीन दुकानों से वस्तुएँ तथा उनके भाव देखकर ही निश्चय करना चाहिए।

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3. कब खरीदें – वस्तुओं को कब खरीदा जाए, यह निर्भर करता है उसकी प्रकृति पर। कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जो केवल किसी मौसम में ही उपलब्ध होती हैं। उदाहरणार्थ विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ तथा फल इत्यादि। ये वस्तुएँ मौसम में न केवल उपलब्ध ही होती हैं, अपितु सस्ती तथा उत्तम किस्म की भी होती हैं। इन वस्तुओं को मौसम में ही खरीदना चाहिए। इसके विपरीत कुछ अन्य वस्तुओं, जैसे कि पंखे, कूलर, रेफ्रीजरेटर, हीटर, गीजर इत्यादि की आवश्यकता विशेष मौसम में होने के कारण ये अपने मौसम में महँगी होती हैं। अतः जहाँ तक इस प्रकार की वस्तुओं को मौसम से पहले या मौसम के बाद अर्थात् ऑफ़ सीजन (Off Season) में ही खरीदना चाहिए जिससे उचित डिस्काउन्ट (Discount) मिल सके तथा वस्तु की कीमत कम देनी पड़े।

4. कितना खरीदें – गृहिणी को परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं के आधार पर यह निश्चय कर लेना चाहिए कि वस्तु कितनी मात्रा में खरीदी जानी है। चूंकि प्रत्येक परिवार में साधन सीमित होते हैं अतः साधनों को ध्यान में रखकर ही वस्तु खरीदनी चाहिए, अन्यथा वस्तु उत्तम स्तर की नहीं खरीदी जा सकती तथा आवश्यकता की कोई एक-दो वस्तु अवश्य ही छूट जाती है। इसके अतिरिक्त अगर वस्तुएं इकट्ठी अधिक मात्रा में खरीदी जाती हैं तो सस्ती पड़ती हैं। ऐसा विशेषकर संयुक्त परिवार या ऐसे परिवार जिसमें सदस्यों की संख्या अधिक होते ही किया जाता है। इकट्ठी वस्तुएँ खरीदना बहुत लाभकारी रहता है, परन्तु ऐसा करते समय ध्यान रखें कि परिवार की आवश्यकता से अधिक मात्रा में वस्तुएँ न खरीदी जाएँ क्योंकि ऐसे में व्यर्थ ही धन की हानि होगी और वस्तु भी व्यर्थ जाएगी।

5. कितना व्यय करें – वस्तुओं की कीमत उसकी किस्मत, स्तर, मौसम तथा दुकान पर बहुत निर्भर करती है। उपभोक्ता को वस्तुओं की कीमत का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। व्यय सदा बजट के अनुसार ही किया जाना चाहिए। यह उपभोक्ता की सामर्थ्य तथा आवश्यकता पर निर्भर करता है कि वह किस वस्तु के लिए कितना व्यय करना चाहता है। यह कुछ हद तक उसकी रहन-सहन के स्तर पर ही निर्भर करता है।

इस प्रकार उपभोक्ता, विशेषकर गृहिणी को खरीददारी करने से पहले इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि उसे कौन-सी किस्म की वस्तुएँ कब और कहाँ से खरीदनी हैं। उसे उस दुकानदार से ही वस्तु खरीदनी चाहिए जिस पर उसे पूर्ण विश्वास हो तथा जो वस्तु की अच्छी किस्म की पूरी ज़िम्मेदारी ले। गृहिणी को चाहिए कि वह इस बात की ओर पूर्णतः सावधान रहे कि दुकानदार उसे किसी भी प्रकार का धोखा न दें। एक अच्छे उपभोक्ता को बाजार में बिकने वाली वस्तुओं का पूरी तरह से ज्ञान होना चाहिए।

अक्सर कई बार यह देखा गया है कि विक्रेता, उपभोक्ता को धोखा देने की कोशिश करते हैं, विशेषकर जब उपभोक्ता को सही ज्ञान न हो। उचित खरीद के लिए उपभोक्ता को विभिन्न वस्तुओं की किस्मों तथा उनके दामों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। विक्रेता की धोखाधड़ी से बचने के लिए तथा विक्रेता को किसी भी प्रकार का गलत काम करने से रोकने में उपभोक्ताओं का बहुत बड़ा योगदान है। जिसे हर उपभोक्ता को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए पूर्ण रूप से निभाना चाहिए।

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प्रश्न 2.
उत्पादनकर्ता या विक्रेता उपभोक्ताओं को किस प्रकार धोखा देने की कोशिश करते हैं ? उनसे बचने के लिए उपभोक्ताओं को क्या-क्या कदम उठाने चाहिएं ?
उत्तर :
प्राय: यह देखने में आता है कि अधिकतर उपभोक्ता बाजार से पूरी तरह वाकिफ नहीं होता। उसे विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की किस्म के अनुसार दाम का सही ज्ञान नहीं होता। उपभोक्ता की इस कमज़ोरी का फायदा दुकानदार या विक्रेता उठा लेते हैं और वे कई तरीकों से उपभोक्ता को धोखा देने की कोशिश करते हैं। अधिक मुनाफा कमाने के लिए विक्रेता अक्सर कई गलत चालों का सहारा लेते हैं। जैसे ही उनको पता चलता है कि उनकी किसी भी वस्तु की माँग बहुत अधिक बढ़ गई है और वस्तु बाज़ार में अधिक उपलब्ध नहीं है तो वह अपनी वस्तु का दाम बढ़ा देते हैं। ऐसा भी देखने में आता है कि विक्रेता अपनी वस्तुओं के महत्त्व को बढ़ाने के लिए उसकी कृत्रिम कमी भी उत्पन्न कर देते हैं और इस प्रकार विक्रेताओं को अधिक-से-अधिक लाभ कमाने का मौका मिल जाता है। इसके अतिरिक्त विक्रेता उपभोक्ता को धोखा देने के लिए कई नए-नए ढंग भी अपनाने लगे हैं जिनकी चर्चा नीचे की जा रही है।

1. वस्तुओं में मिलावट करके – बाज़ार में बेचे जाने वाले कई खाद्य पदार्थों में अक्सर मिलावट की जाती है। अक्सर यह मिलावट जान-बूझकर की जाती है। कई खाद्य-पदार्थों के रंग-रूप को बढ़ाने के लिए कई घटिया किस्म के कृत्रिम रंग मिला दिये जाते हैं जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होते हैं। खाद्य-पदार्थों में मिलावट दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण है-वस्तुओं की कम उपलब्धि और दिन-प्रतिदिन होने वाली कीमतों में बढ़ोतरी ।

इस प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने के लिए भारत सरकार ने 1954 में खाद्य-पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए एक कानून-पी० एफ० ए० (Prevention of Food Adulteration Act, PFA) बनाया जिसे 1955 में लागू किया गया। इस कानून के अन्तर्गत बाज़ार में बिकने वाले प्रायः सभी खाद्य-पदार्थों के लिए न्यूनतम मान्य मापदण्ड दिए गए हैं जिन्हें अपनाना आवश्यक है। यदि कोई खाद्य-पदार्थ इन मापदण्डों को पूरा नहीं कर पाता तो उसे मिलावटी खाद्य-पदार्थ कहा जाता है।

इस मिलावट को रोकने के लिए उपभोक्ता महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं। उन्हें चाहिए कि जैसे ही उन्हें मालूम हो कि किसी खाद्य-पदार्थ में मिलावट है तो तुरन्त इसकी सूचना सम्बन्धित अधिकारियों को दी जाए। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता को चाहिए कि वे खुली वस्तुएँ नहीं खरीदें क्योंकि इनमें मिलावट की ज्यादा सम्भावना होती है। मान्यता प्राप्त खाद्य-पदार्थ ही खरीदने चाहिए जैसा कि आई० एस० आई० (ISI), एगमार्क (Agmark) या एफ० पी० ओ० (F. P. O.) मार्क वाले पदार्थ।

सामान्यतः उपभोक्ताओं द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं में खाद्य-पदार्थ ही अक्सर मिलावट के शिकार होते हैं। फिर भी कुछ दूसरी वस्तुएँ इससे वंचित नहीं रह पातीं, जैसे टेरीकाट या टैरीवूल कपड़े। यदि इन पर अच्छी ‘मिल’ का पूरी जानकारी देने वाला मार्क न हो, तो विक्रेता कपडे में टेरीलीन तथा ‘काटन’ या ‘वल’ की % मात्रा गलत बताकर उपभोक्ता को आसानी से धोखा दे सकता है। इसी प्रकार मकान बनाते समय प्रयोग में लाए जाने वाले सीमेंट में विक्रेता अक्सर रेत मिलाकर उपभोक्ता को धोखा देने की कोशिश करता है।

अतः प्रयोग में लाई जाने वाली सभी प्रकार की वस्तुओं में की जाने वाली मिलावटों से बचने के लिए उपभोक्ताओं को चाहिए कि वस्तुएँ सदा विश्वसनीय से ही खरीदें। साथ ही यह देख लें कि उन पर सही मार्का हो और जहाँ तक हो सके मान्यता प्राप्त वस्तुएँ जैसे आई० एस० आई० मार्क वाली ही खरीदें। आई० एस० आई० मार्क न केवल खाद्य-पदार्थों पर ही लगाए जाते हैं अपितु आजकल प्रयोग में लाई जाने वाली लगभग हर वस्तुओं पर लगाए जाते हैं।

आई० एस० आई० मार्क लगे होने पर, यह न केवल वस्तु की उत्तम किस्म को ही प्रदर्शित करता है परन्तु साथ ही उपभोक्ताओं को वस्तुओं के चयन में सहायता करता है और उन्हें इस बात की भी सन्तुष्टि देता है कि उन्होंने अपने पैसे का सही उपयोग किया है। आई० एस० आई० मार्क लगी वस्तुओं के कुछ उदाहरण हैं-बिजली के उपकरणों, जैसे – मिक्सी, फ्रिज, गीजर, पंखा, प्रैस, बल्ब, ट्यूब तथा बिजली की तारें आदि। इसी प्रकार रसोई घर के कुछ उपकरणों; जैसे-तेल, स्टोव, गैस का चूल्हा, कुकिंग-रेंज, गैस का सिलेण्डर, प्रेशर कुकर आदि पर आई० एस० आई० मार्क होता है जो इनकी उत्तम किस्म को तो दर्शाता ही है साथ ही इन्हें प्रयोग करते समय गृहिणी अपने आपको सुरक्षित भी महसूस करती है। इनके अतिरिक्त प्रयोग में लाई जाने वाली अन्य बहुत-सी वस्तुएँ, जैसे-रंग-रोगन, स्याही, गोंद, ब्लेड, हैलमेट इत्यादि पर भी आई० एस० आई० का मार्क होता है।

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2. अपर्याप्त लेबल-लेबल एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा उपभोक्ता को उस पदार्थ के बारे में जानकारी दी जाती है। लेबल से हमें निम्नलिखित बातें पता चलती हैं – (i) पदार्थ क्या हैं, (ii) पदार्थ बनने की तारीख, (iii) पदार्थ का भार, (iv) उत्पादनकर्ता का पता तथा (v) पदार्थ का मूल्य। लेबल पर दी गई जानकारी के द्वारा उपभोक्ता अपनी आवश्यकतानुसार वस्तु को खरीद सकता है। परन्तु ऐसा भी देखा गया है कि व्यापारी अपूर्ण लेबल लगाकर उपभोक्ताओं को धोखा देने की कोशिश करते हैं। इस प्रकार उपभोक्ताओं को भारतीय मानक संस्थान द्वारा निर्धारित अच्छे लेबल के गुणों का ज्ञान होना आवश्यक है जिसमें पूर्ण जानकारी वाला लेबल न होने पर किसी पदार्थ को झूठे मार्का वाला समझा जाएगा। उपभोक्ता को अपूर्ण लेबल बाली वस्तुओं को नहीं खरीदना चाहिए। उसको चाहिए कि वह मान्यता प्राप्त पदार्थ की खरीदे जो कि अच्छी किस्म के होते हैं।

3. त्रुटिपूर्ण माप और तोल के साधन – सन् 1956 ई० में मानक माप व तोल अधिनियम पास किया गया था। इस अधिनियम के अन्तर्गत मानक माप व तोल के साधनों की आवश्यकता और इनके बारे में पूर्ण जानकारी दी गई है। इसके साथ ही उनके डिज़ाइन और आधारित पदार्थ के बारे में आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। कई बार ऐसा देखने में आता है कि विक्रेता अक्सर पदार्थों को तोलने के लिए मानक बाटों (Weights) का प्रयोग नहीं करते अपितु कोई ईंट-पत्थर आदि को बाटों के स्थान पर इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसके फलस्वरूप वे आसानी से तोल में हेरा-फेरी कर लेते हैं। विक्रेता कई बार खाद्य-पदार्थों को उनके डिब्बे सहित तोल देते हैं तथा तराजू के पलड़ों को बराबर किए बिना ही पदार्थों को तोल कर उपभोक्ता को कम वस्तु दे देते हैं। कुछ विक्रेता मान्यता प्राप्त तराजू का प्रयोग न करके भी उपभोक्ताओं को छलने की कोशिश करते हैं। विशेषकर हाथ से पकड़कर तोलने वाले तराजू से तो वे तोल में हेरा-फेरी करते हैं।

इन दोषयुक्त तोल व माप के साधनों के प्रयोग को रोकने के लिए उपभोक्ताओं को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए –

(i) उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे हाथ वाले तराजू के प्रयोग को बढ़ावा न दें।
(ii) वस्तुओं को तोलने से पहले तराजू की जाँच कर लेनी चाहिए। हाथ की तराजू में डण्डी देख लेना चाहिए। पैमाने वाले तराजू में भी यह देख लेना चाहिए कि उसकी सूई शून्य पर है या नहीं। इस प्रकार अगर तराजू में कोई त्रुटि हो तो उसे विक्रेता से सूचित करते हुए उस त्रुटि को दूर करवा लेना चाहिए।
(iii) बाटों तथा मापक का भली प्रकार निरीक्षण कर लेना चाहिए जिससे इस बात का पता लग जाता है कि प्रयोग में लाए जा रहे माप व तोल के साधन मानक अधिनियम के अनुसार हैं या नहीं।
(iv) डिब्बों या शीशियों में पैक किए गए पदार्थ खरीदने से पहले उनके लेबल पर दिए गए भार या मात्रा का भली-भाँति निरीक्षण कर लेना चाहिए।
(v) उपभोक्ता को गलियों में घूमने वाले या फेरी वालों से सामान खरीदते समय अत्यधिक सावधान रहना चाहिए क्योंकि उनके वाट अक्सर मानक अधिनियम के अनुसार नहीं होते।
(vi) किसी भी विक्रेता द्वारा यदि कम तोलने या मापने का भ्रम हो, तो शीघ्र ही माप व तोल कार्यालय को सूचित करना चाहिए।
अगर उपभोक्ता ऊपर दी गई इन बातों का ध्यान रखेंगे तो वह हर प्रकार की धोखा धड़ी को रोकने में महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं। उन्हें ऐसा करने में अपने ऊपर किसी प्रकार का बोझ न समझकर इसे अपना कर्त्तव्य समझना चाहिए।

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4. असत्य विज्ञापनों द्वारा – आज के युग में एक ही प्रकार की वस्तु विभिन्न उत्पादकों द्वारा बनाई जाने लगी है और बाज़ार में कई नई-नई वस्तुएँ आने लगी हैं। अत: उत्पादनकर्ता अपने पदार्थों की बिक्री बढ़ाने के लिए कई प्रकार के विज्ञापनों का सहारा लेते हैं। इन विज्ञापनों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके पदार्थों की सूचना देना, उन पदार्थों की विशेषताएँ बताना तथा उन पदार्थों की बिक्री बढ़ाना है।

इस प्रकार के विज्ञापन देने के लिए उत्पादनकर्ता या विक्रेता कई माध्यमों का प्रयोग करते हैं। जैसे-अखबार, पत्रिकाएँ, पोस्टर, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा रील, सिनेमा स्लाइड्स आदि। विज्ञापनों पर उत्पादनकर्ता को काफ़ी खर्च करना पड़ता है। अतः इन विज्ञापनों पर किए गए खर्चों को निकालने के लिए उत्पादनकर्ता को अपनी वस्तुओं के दाम बढ़ाने पड़ते हैं। इस प्रकार यह कहना उचित नहीं होगा कि विज्ञापनों पर हुए खर्च का भार भी उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है।

अक्सर देखा गया है कि विज्ञापनों में उत्पादनकर्ता अपनी वस्तुओं की विशेषताओं को काफ़ी बढ़ा-चढ़ाकर देते हैं जिससे अधिक उपभोक्ता उनकी वस्तुओं की ओर आकर्षित होकर उनका प्रयोग करना शुरू कर दें। इस प्रकार के असत्य विज्ञापन उपभोक्ताओं को पदार्थ के बारे में सही जानकारी न देकर उन्हें धोखे में रखते हैं और ऐसे में एक सामान्य उपभोक्ता के लिए पदार्थों की खरीद के बारे में निर्णय लेना काफ़ी कठिन हो जाता है। उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे वस्तुओं को खरीदते समय विज्ञापनों की सहायता तो अवश्य लें परन्तु केवल विज्ञापन के आधार पर ही वस्तुओं के खरीद का निर्णय कर लें। यदि उपभोक्ता केवल विज्ञापनों से आकर्षित होकर कोई भी ऐसी वस्तु खरीदता है जोकि उसके प्रयोग में न आ सके तो ऐसे में वह अपने धन को बेकार ही गँवाता है।

5. घटिया किस्म की वस्तुओं की बिक्री – विक्रेता कई बार बिना बताए ही उपभोक्ताओं को अच्छी वस्तुओं के स्थान पर घटिया किस्म की वस्तुएँ बेचकर उन्हें धोखा देने की कोशिश करते हैं। जैसे – मिलों द्वारा घोषित घटिया किस्म के कपड़े को अच्छी किस्म के कपड़े के स्थान पर बेचना, फर्नीचर की भीतरी सतहों पर घटिया किस्म की लकड़ी लगाना, लोहे की अलमारी या दूसरे फर्नीचर बनाने में घटिया किस्म की चादर का प्रयोग करके ऊपर से अच्छा रंग-रोगन आदि करके उन्हें महँगे दामों पर बेचना आदि। इस प्रकार की धोखाधड़ी से बचने के लिए उपभोक्ताओं को चाहिए कि वह सदा विश्वसनीय दुकानों से ही वस्तुएँ खरीदें।

6. नकली वस्तुओं की बिक्री – सौन्दर्य प्रसाधनों के असली पैकिंग में नकली चीजें भरकर बेचना तो इस प्रकार एक आम उदाहरण है जैसे-पाउडर, शैम्पू, क्रीम, लिपिस्टिक, सैंट इत्यादि। ऐसी नकली वस्तुओं की बिक्री को रोकने के लिए उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे नकली वस्तुओं के उत्पादन को प्रोत्साहित न करें। अक्सर नकली और असली वस्तुओं के बीच जाँच करना भी काफ़ी कठिन हो जाता है। अत: उपभोक्ताओं को सदा विश्वसनीय दुकानों से ही वस्तुएँ खरीदनी चाहिए। इस प्रकार विक्रेताओं द्वारा की जाने वाली सब प्रकार की धोखाधड़ी को अगर उपभोक्ता चाहें तो रोकने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

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प्रश्न 2.
(A) विक्रेता उपभोक्ता को किस प्रकार धोखा देने की कोशिश करते –
(B) दोषयुक्त तोल व माप के साधनों के प्रयोग को रोकने के लिए उपभोक्ता को चाहिए कि वह किन चीज़ों के प्रयोग को बढ़ावा दें ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 2 का उत्तर।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता को सूचना देने वाले नाम-पत्र या लेबल कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक प्रकार के बारे में महत्त्वपूर्ण बातें बताइए।
उत्तर :
उपभोक्ता को सूचना देने के लिए पदार्थों पर चिपकाए गए लेबल (Labels) को मोटे तौर पर चार वर्गों में बाँटा जा सकता है। ये निम्नलिखित हैं
1. पदार्थों की विशेषताओं का परिचय देने वाले लेबल (Informative Labelling)-इस प्रकार के लेबल का उद्देश्य उपभोक्ताओं को यह सूचना देना है कि निर्मित पदार्थ को तैयार करने में कौन-कौन सी वस्तुएँ इस्तेमाल में लाई गई हैं। कच्चे पदार्थ (Raw Material), संरक्षणीय पदार्थ (Preservatives), रंग (Colours), पदार्थ के स्वाद को बढ़ाने वाले एसेंस (Essence), एकस्ट्रेक्ट (Extract), भण्डारण की विधि, प्रयोग विधि आदि सूचनाएँ देकर निर्माता अपनी ईमानदारी जतलाता हुआ उपभोक्ता का पूरा विश्वास अर्जित कर लेना चाहता है। वह जानता है कि यदि वह उपभोक्ता का विश्वास अर्जित कर लेगा तो उपभोक्ता उसके माल को हमेशा खरीदता रहेगा। वह दूसरों से भी उसके माल की तारीफ करेगा और वही माल खरीदने के लिए प्रेरित करेगा। ऐसा करने से उसके माल की बिक्री बढ़ेगी और बिक्री बढ़ने से साख बढ़ेगी एवं अधिक लाभ होगा।

2. ब्रांड की सूचना देने वाले लेबल (Brand Labelling) – प्रत्येक निर्माता एवं उत्पादक अपने पदार्थों को एक खास नाम से प्रचारित करता है। जैसे-ब्रुक ब्राण्ड चाय (Brook Bond Tea), डालडा घी, पोस्टमैन तेल, लिज्जत पापड़, विमल सूटिंग, हाकिंस प्रेशर कुकर, केलवीनेटर फ्रिज, ई० सी०, टेलीविज़न, फिलिप्स रेडियो, एवन साइकिल आदि। उत्पादक या निर्माता द्वारा अपने यहाँ उत्पादित या निर्मित होने वाले पदार्थों को कोई नाम दे देने से विज्ञापन में सुविधा रहती है। उपभोक्ता भी दुकानदार से उत्पादक, निर्माता द्वारा प्रचारित नाम की वस्तु माँग करके किसी वस्तु की गुणवत्ता सम्बन्धी अपनी पसन्द को व्यक्त करता है।

3. ट्रेड मार्क की सूचना देने वाले लेबल (Trade Mark Labelling) – वस्तु उत्पादक अथवा निर्माता अपने माल को दूसरे उत्पादकों अथवा कम्पनियों से पृथक् करने के लिए जहाँ एक ओर ब्राण्ड का सहारा लेता है वहीं दूसरी ओर वह ट्रेड-मार्क का भी आश्रय लेता है। ट्रेड-मार्क के रूप में किसी शब्द का इस्तेमाल भी किया जा सकता है और किसी चित्र, प्रतीक आदि का भी। उदाहरण के लिए दिल्ली क्लाथ मिल ने वानस्पतिक घी के लिए जहाँ ब्राण्ड के रूप में ‘रथ’ नाम का इस्तेमाल किया है वहाँ रथ का चित्र एक ट्रेड मार्क के रूप में प्रयुक्त हुआ है।

4. गुणवत्ता की श्रेणी की सूचना देने वाले लेबल (Grade Labelling) – इस वर्ग के अन्तर्गत वे लेबल आते हैं जिन पर यह सूचना छपी होती है कि वह पदार्थ गुणवत्ता की दृष्टि से किस स्तर का है। इसका उद्देश्य यह बताना होता है कि उपभोग की दृष्टि से किस पदार्थ की गुणवत्ता को सर्वोत्तम, उत्तम, अच्छा, सामान्य आदि कई वर्गों में बाँटा जा सकता है। हमारे देश में इस प्रकार के लेबल का कोई विशेष चलन नहीं है। केवल एगमार्क मानक ही खाद्य-पदार्थों को उनके रंग, रूप, भार, संरचना आदि के आधार पर पर चार वर्गों यथा अति उत्तम, अच्छा एवं सामान्य में बाँटकर 1,2,3,4 अंकों से स्थिति को सूचित करता है।

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प्रश्न 4.
एक अच्छे उपभोक्ता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?
अथवा
विभिन्न वस्तुओं के चयन के समय क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?
अथवा
एक अच्छे उपभोक्ता के कोई भी तीन गुण बताएँ।
उत्तर :
विभिन्न वस्तुओं के चयन के समय उपभोक्ता को निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए –
1. विज्ञापनों के प्रभाव में न आना – आज का युग विज्ञापन का युग है। विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के निर्माता पत्र-पत्रिकाओं, दूरदर्शन (T.V.) रेडियो, पोस्टर आदि के माध्यम से अपनी वस्तु का भरपूर प्रचार करते हैं और अपनी वस्तु को सर्वश्रेष्ठ होने का दावा करते हैं। लेकिन बुद्धिमान उपभोक्ता को विज्ञापनों में दिए गए इस प्रकार के दावों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। उसे अपनी सूझ-बूझ से काम लेना चाहिए और अच्छी कम्पनी की अच्छी वस्तु ही खरीदनी चाहिए।

2. खरीदी गई वस्त के लेबल को ध्यान से पढना बहत – से वस्त निर्माता किसी लोकप्रिय ब्रांड के नाम से मिलता-जुलता नाम रखकर ग्राहकों को गुमराह करने का प्रयत्न करते हैं। उदाहरण के लिए बॉम्बे डाइंग की चादरें कम्पनी से बनी बनाई आती हैं, जबकि बहुत-से दुकानदार उस पर बॉम्बे डाइंग के कपड़े से निर्मित (Made from Bombay Dyeing Cloth) की मोहर लगाकर बॉम्बे डाइंग के नाम से ही बेच देते हैं। विम, सर्फ, फिनायल, साबुन आदि बहुत-सी ऐसी घरेलू वस्तुएँ हैं जिनके लोकप्रिय ब्रांडों के नामों से मिलते-जुलते नाम रख देने से उपभोक्ता को धोखा हो जाता है। अतएव यह ज़रूरी है कि जो भी वस्तु खरीदी जाए उसके लेबल को ध्यान से पढ़ लिया जाये। जब दुकानदार को यह पता चल जाता है कि आप हर वस्तु देखभाल कर खरीदती हैं तब वह मिलते-जुलते नामों वाली वस्तुएं देकर ठगने का प्रयत्न नहीं करता।

3. जल्दबाजी में न खरीदना – जब दुकानदार को यह पता होता है कि आप जल्दी में हैं तो वह उसका अनुचित लाभ उठाने की कोशिश करने से नहीं चूकता। ऐसी स्थिति में वह उपभोक्ता को घटिया माल दे देता है। कभी-कभी तोल में हेरा-फेरी कर देता है या पैसों के हिसाब में गड़बड़ी कर देता है।

4. दिन में खरीदना – बहुत सी वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनके दोष रात को ठीक तरह से दिखाई नहीं देते। उदाहरण के लिए कपड़ों के रंग आदि की जाँच रात को ठीक तरह से नहीं हो पाती। अतएव ऐसी वस्तुएँ हमेशा दिन में ही खरीदनी चाहिए।

5. खरीदी जाने वाली वस्तुओं की सूची बनाना – खरीददारी के लिए बाजार में जाने से पहले उन सब वस्तुओं की सूची बना लेनी चाहिए जो आप खरीदना चाहती हैं। सूची बनाते समय यह भी लिख लेना चाहिए कि उसकी कितनी मात्रा चाहिए। इससे यह लाभ होता है कि कोई ज़रूरी चीज़ खरीदने से छूटती नहीं है तथा कोई भी वस्तु अधिक नहीं खरीदी जाती।

6. आई० एस० आई० अथवा एगमार्क वाली वस्तुएँ खरीदना – भारतीय मानक संस्थान (ISI) बहुत-से वस्तुओं के गुण, स्तर आदि की जाँच अपनी मोहर लगाती है। इसी प्रकार खाद्य सामग्रियों पर एगमार्ग की मोहर उनकी उत्तमता की प्रतीक होती है। अतएव जहाँ तक सम्भव हो सके वहाँ तक आई० एस० आई० अथवा एगमार्क की मोहर वाले खाद्य-पदार्थ खरीदने चाहिए।

7. दुकानदार से सामान तौलवाते समय सावधान रहना – बहुत-से दुकानदार तोल में हेरा-फेरी करके भी उपभोक्ताओं को ठगते हैं। इसके लिए वे विभिन्न प्रकार के तरीके काम में लाते हैं। घिसे हुए बाटों को प्रयोग, लिफाफे अथवा डिब्बे समेत वस्तुएँ तोलता आदि कुछ बहुप्रचलित विधियाँ हैं। अतएव प्रबुद्ध उपभोक्ता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि दुकानदार कोई वस्तु तौलते समय इस प्रकार की कोई बेईमानी न करने पाए।

प्रत्येक नागरिक का यह महत्त्वपूर्ण कर्त्तव्य है कि वह दुकानदारों द्वारा की जाने वाली बेइमानी से उपभोक्ताओं की रक्षा करने में सरकार की सहायता करे। खाद्य-पदार्थ में मिलावट का पता लगाने पर खाद्य एवं स्वास्थ्य निरीक्षक को इसकी शिकायत करनी चाहिए। PFA 1954 ऐसा ही कानून है जिसके अन्तर्गत मिलावट करना अपराध माना गया है।

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प्रश्न 5.
PFA क्या है ? इसका संशोधन किन-किन वर्षों में किया गया ? अन्तिम संशोधन में कौन-कौन सी नई व्यवस्थाएँ जोड़ी गई हैं ?
उत्तर :
PFA का पूरा नाम है Prevention of Food Adulteration Act अर्थात् खाद्य अपमिश्रण (मिलावट) निवारण अधिनियम। भारत सरकार ने सन् 1954 में कोडेक्स ऐलिमेण्टेरियस कमीशन (Codex Alimentarius Commission) द्वारा विभिन्न खाद्य-पदार्थों के लिए निर्धारित गुण सम्बन्धी मानकों तथा नियमों को अपने देश की जलवायु एवं परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तित करते हुए खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम (Prevention of Food Adulteration Act-PFA) बनाया। यह अधिनियम पहली जून, 1955 से जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर सारे देश में लागू किया गया। सन् 1968, 1973 तथा 1979 में इस अधिनियम में संशोधन किए गए।

इस अधिनियम के अन्तर्गत वैज्ञानिकों, रसायन-विश्लेषकों, चिकित्सकों, पोषण-विशेषज्ञों तथा व्यावसायिकों के प्रतिनिधियों की समिति ने बाजार में बिकने वाले सभी खाद्य-पदार्थों के गुण सम्बन्धी न्यूनतम मानक निर्धारित किए हैं। आहारीय मानकों की केन्द्रीय समिति (Central Committee for Food Standards-CCFS) द्वारा इन मानकों में समय-समय पर आवश्यकतानुसार सुधार लाया जाता है। बाजार में बिकने वाले सभी खाद्य-पदार्थों को इन मानकों के अनुरूप होना आवश्यक है। इस अधिनियम के अनुसार किसी एक ब्रांड के खाद्य-पदार्थों से मिलते-जुलते ब्रांड वाले खाद्य-पतार्थों को आयात करना, रखना एवं बेचना प्रतिबन्धित है।

कतिपय रंगों, रासायनिक संरक्षणीय पदार्थों, कृत्रिम मिठासयुक्त पदार्थों यथा सेकीन का प्रयोग प्रतिबन्धित है तथा जिन रंगों एवं संरक्षणीय पदार्थों के प्रयोग की अनुज्ञा प्राप्त है, वे भी केवल निर्धारित मात्रा के अनुसार ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसी प्रकार से केसरी दाल (Keshri Dal) तथा अपने आप मर जाने वाले पशुओं एवं पक्षियों के मांस की बिक्री भी प्रतिबन्धित है। यदि कोई विक्रेता निर्धारित मानकों एवं नियमों के अनुसार खाद्य-पदार्थ नहीं बेचता है तो उसे सजा दी जाती है। सन् 1979 में संशोधित हुए इस अधिनियम के अनुसार इस अधिनियम का पालन न करने वाले विक्रेता को 3 मास से 6 वर्ष तक का कारावास और ₹ 500 से ₹ 2000 तक जुर्माना किया जा सकता है।

किसी विक्रेता को कितना दण्ड दिया जाए यह उस विक्रेता द्वारा किए गए अपराध की गम्भीरता पर निर्भर करता है। यदि कोई विक्रेता ऐसा अपराध करता हुआ पकड़ा जाता है तो उसे पहले से भी कड़ी सजा दी जाती है। उसका लाइसेंस जब्त किया जा सकता है। उसके अपराध का विवरण देते हुए उसका नाम एवं पता स्थानीय अखबारों में मुद्रित कराया जा सकता है और इस कार्य पर हुआ व्यय विक्रेता को ही उठाना पड़ता है। यदि किसी विक्रेता द्वारा बेचे गए खाद्य-पदार्थ मानक स्तर एवं नियमों के अनुकूल न होने के कारण किसी उपभोक्ता का जीवन संकट में पड़ जाता है अथवा उसकी मृत्यु हो जाती है तो विक्रेता को आजीवन कारावास की सज़ा भी दी जा सकती है।

बाज़ार में बेचे जाने वाले खाद्य – पदार्थ के गुण निर्धारित मानक के अनुरूप हों इसकी व्यवस्था के लिए पी० एफ० ए० (PFA) के अतिरिक्त फूड प्रोडक्ट आर्डर (FPO) के माध्यम से एक अन्य व्यवस्था भी की गई है।

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प्रश्न 6.
खाद्य अपमिश्रण निवारण नियम क्या है ? यह कब बना ? इस नियम के अनुसार किन स्थितियों में भोज्य-पदार्थों को मिलावटी या अपमिश्रित कहा जाता है ?
अथवा
उपभोक्ता मिलावट निवारण नियम कब बना ? इस नियम के अनुसार भोज्य पदार्थों को किन स्थितियों में मिलावटी कहा जाता है ?
उत्तर :
उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की दशा के लिए भारत सरकार ने खाद्य मिलावट निवारण नियम (Prevention of Food Adulteration Act-PFA) 1954 ई० में बनाया।
इस अधिनियम के अन्तर्गत दण्ड का प्रावधान है। अधिनियम 1976 के संशोधन के अनुसार दोषी पाए जाने पर कम-से-कम 6 माह का सश्रम कारावास तथा एक हजार रुपए का जुर्माना है, यदि मिलावट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हो। मिलावट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रमाणित हो तो 6 वर्ष सश्रम कारावास के अलावा ₹ 2000 (दो हज़ार रुपए) तक जुर्माना हो सकता है। यदि किसी खाद्य-पदार्थ के उपयोग से किसी की मृत्यु हो जाने की सम्भावना हो या शरीर में ऐसी हानि हो जाए जिससे खतरनाक आघात लग जाए तो दण्ड आजन्म कारावास और कम-से-कम ₹ 5000 (पाँच हजार रुपए) का जुर्माना होगा।
इस नियम के अनुसार निम्नलिखित स्थितियों में भोज्य पदार्थों को मिलावटी कहा जाता है –

  1. जब भोज्य-पदार्थ अपने वास्तविक रंग-रूप वाले नहीं रहते हैं।
  2. जब भोज्य-पदार्थ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तत्त्वों से युक्त हों।
  3. जब भोज्य-पदार्थ से उसके कुछ भोज्य तत्त्व निकाल दिए जाते हों, जैसे-दूध में से क्रीम।
  4. जब भोज्य-पदार्थों में घटिया या कम दाम वाले पदार्थ मिला दिए जाते हों, जैसे-देसी घी में वनस्पति घी।
  5. जब भोज्य-पदार्थों में हानिकारक विषैले तत्त्व मिला दिए जाते हों, जैसे-पीसी हुई हल्दी में लेड क्रोमेट।
  6. जब भोज्य-पदार्थों को ऐसे धातु के बर्तन में रखा जाता है जिसके सम्पर्क से भोज्य-पदार्थ दूषित हो जाते हों।
  7. जब भोज्य-पदार्थ रोगी पशु या पक्षी द्वारा प्राप्त होते हैं।
  8. जब भोज्य-पदार्थों में न खाने योग्य रासायनिक पदार्थ या वर्जित रंग मिला दिए गए हों।
  9. जब भोज्य-पदार्थ दूषित स्थान पर दूषित हाथ से बनाए जाते हों, डिब्बे में बन्द किए जाते हों या बिक्री के लिए रखे जाते हों।
  10. जब भोज्य पदार्थो में संरक्षण के लिए निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में रंग या संरक्षक पदार्थ मिलाए गए हों।
  11. जब भोज्य पदार्थों के गुणों एवं शुद्धता का गलत विवरण उनके डिब्बों पर दिया गया हो।

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प्रश्न 7.
F.P.O. (एफ० पी० ओ०) क्या है ? यह कब लागू हुआ ? इसके अन्तर्गत क्या व्यवस्था की गई ?
उत्तर :
फल व सब्जियों से तैयार किए गए खाद्य-पदार्थों तथा जैम, जैली, स्क्वैश, डिब्बाबन्द खाद्य-पदार्थ आदि की स्वच्छता, न्यूनतम मान्य मानक, खाद्य-पदार्थों के वेष्टन (Wrapper) तथा उन पर लगाये जाने वाले लेबल (Label) आदि के सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश देने के लिए भारत सरकार ने सन् 1946 में फूड प्रोडक्ट आर्डर (Food Product Order) F.P.O की घोषणा की। सन् 1955 में अनिवार्य पदार्थों के अधिनियम की धारा तीन के अन्तर्गत इसमें संशोधन किया गया है। इस नियम के अनुसार बाज़ार में बिक्री के लिए फल व सब्जी से खाद्य-पदार्थ तैयार करने से पहले प्रत्येक निर्माता के लिए एफ० पी० ओ० (E.P.O.) लाइसेंस लेना ज़रूरी है। इसके साथ ही उसे खाद्य-पदार्थ तैयार करते समय इस कानून में दिए गए नियमों का पालन करना भी अनिवार्य है। यदि कोई निर्माता इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके द्वारा तैयार किये गये माल को घटिया (Substandard) घोषित कर दिया जाता है। यदि वह दुबारा इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे कानून में दिए गए प्रावधान के अनुसार दण्डित किया जाता है।

F.P.O. के अन्तर्गत –
(i) फल तथा सब्जियों से बने खाद्य-पदार्थों की किस्म के निम्न स्तर निर्धारित किए गए हैं।
(ii) कारखानों में काम करने के स्वच्छता तथा स्वास्थ्य के न्यूनतम स्तर निर्धारित किए गए हैं।
(iii) खाद्य-पदार्थों को पैक करने तथा उसके पात्रों पर लेबल लगाने के निर्देश दिए गए हैं। खाद्य-पदार्थ निर्माताओं (FPO) के लिए एफ० पी० ओ० (F.P.0.) सम्बन्धी नियमों का पालन करने के अतिरिक्त संग्रहण के लिए प्रयोग में लाये गये डिब्बों, बोतलों आदि पर चिपकाये गये लेबल (Label) पर एफ० पी० ओ० का निम्नलिखित सूचनाएँ देना आवश्यक होता है –

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  1. संरक्षित खाद्य-पदार्थ का नाम।
  2. खाद्य-पदार्थ तैयार करने के लिए प्रयुक्त सामग्री की सूची मात्रा सहित।
  3. प्रयुक्त किए गए रंगों, सुगंधियों तथा संरक्षकों के नाम।
  4. संरक्षित खाद्य-सामग्री की पैकिंग के समय मात्रा।
  5. संरक्षित खाद्य-पदार्थ का मूल्य।
  6. डिब्बा बन्दी की तिथि।
  7. वस्तु के इस्तेमाल की अवधि यदि कोई हो तो।
  8. मानक नियन्त्रण संस्थान का नाम जैसे F.P.O., I.S.I., Agmark आदि।
  9. बैच नम्बर अथवा कोड नम्बर।
  10. खाद्य-पदार्थ खराब होने की अंदेशित तिथि अथवा प्रयोग की विधि।
  11. खाद्य-पदार्थ को संगृहीत करने के लिए आवश्यक निर्देश।
  12. निर्माता का नाम एवं पता।
  13. उस प्रदेश का नाम जहाँ वह खाद्य-पदार्थ तैयार किया गया है।
  14. तैयार करने की विधि।

इस प्रकार स्पष्ट है कि एफ० पी० ओ० (F.P.O.) के अनुसार बाजार में बेचे जाने वाले विभिन्न खाद्य-पदार्थों में गुणों की न्यूनतम निर्धारित मात्रा का होना ज़रूरी है।

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प्रश्न 8.
उपभोक्ता के किन्हीं तीन मुख्य अधिकारों के बारे में लिखिए।
उत्तर :
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता के अधिकार इस प्रकार हैं –
1. मूलभूत आवश्यकताएं – सभ्य जीवन के लिए आवश्यकताओं की पूर्ति जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, जल, चिकित्सा आदि उपभोक्ता का अधिकार हैं।
2. चयन अथवा चुनाव का अधिकार – उपभोक्ता का अधिकार है कि वह बेचने वाले से उचित गुणवत्ता तथा उचित कीमत वाली वस्तुओं का चयन करे।
3. सुनवाई – उपभोक्ता को अधिकार है कि वह वस्तुओं को निर्माताओं को अपने विचार प्रकट करे तथा निर्माता उनके विचारों को प्राप्त करें तथा उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान करें।
4. जागरुक होना – उपभोक्ता का अधिकार है कि वह वस्तु की जानकारी मांग सकता है तथा निर्माता को उचित जानकारी प्रदान करनी पड़ेगी।
5. क्षतिपूर्ति – यदि वस्तु में किसी प्रकार से उचित नहीं है तो उपभोक्ता को उसका उचित परिशोधन या मुआवजा मिलना अधिकार क्षेत्र में आता है। उपभोक्ता उस वस्तु के निर्माता से मुआवज़ा लेने का अधिकारी है।

एक शब्द/एक वाक्य वाले प्रश्न –

(क) एक शब्द में उत्तर दें –

प्रश्न 1.
फूड प्रोडक्ट आर्डर की घोषणा कब की गई ?
उत्तर :
1946 में।

प्रश्न 2.
हैलमेट पर कौन-सा मार्क लगेगा ?
उत्तर :
ISI.

प्रश्न 3.
P.F.A. कब लागू किया गया ?
उत्तर :
1954.

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प्रश्न 4.
ISI की स्थापना कब हुई ?
उत्तर :
1947.

प्रश्न 5.
वातावरण के अनुसार अनुकूल वस्तुओं पर कौन-सा मार्क लगेगा ?
उत्तर :
ईको लेबल।

प्रश्न 6.
शुद्ध सोने के गहनों पर कौन-सा मार्क लगेगा?
उत्तर :
हॉल मार्क।

प्रश्न 7.
गैस स्टोव पर कौन-सा मार्क लगेगा ?
उत्तर :
ISI.

प्रश्न 8.
खाने के तेलों पर कौन-सा चिन्ह लगाया जाता है ?
उत्तर :
एगमार्क।

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प्रश्न 9.
स्वेटर पर कौन-सा मार्क लगेगा ?
उत्तर :
वूलमार्क।

प्रश्न 10.
औषधि तथा मादक पदार्थ अधिनियम कब बनाया गया ?
उत्तर :
1940.

प्रश्न 11.
विद्युत् प्रेस पर कौन-सा मार्क लगा होता है ?
उत्तर :
ISI.

(ख) रिक्त स्थान भरो –
1. विद्युत् प्रेस पर ………… मार्क लगेगा।
2. FPO का पूरा नाम …………. है।
3. सप्रेटा दूध सस्ता बेचना ………… नहीं है।
4. कूलर व हीटर आदि मौसम के ………… खरीदने चाहिए।
5. भारतीय मानक संस्थान द्वारा ………… मार्क दिया गया है।
उत्तर :
1. ISI
2. Fruit Product Order
3. मिलावट
4. पहले या बाद
5. ISI.

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(ग) निम्न में गलत या ठीक बताएं –
1. जलेबी में रंग डालना मिलावट है।
2. एगमार्क कृषि सम्बन्धी पदार्थों के लिए है।
3. पैकिंग करने से वस्तुएं टूटती नहीं।
4. ISI मार्क कारखानों में बने पदार्थ उपकरण के लिए है।
5. FPO का मतलब Food Product Order.
6. PFA का मतलब Production of Food Adulteration Act.
7. एगमार्क प्रेस पर लगेगा।
उत्तर :
1. ठीक
2. ठीक
3. ठीक
4. ठीक
5. ठीक
6. ठीक
7. गलत।

बहु-विकल्पीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
निम्न में से ISI मार्क नहीं लगेगा ?
(A) बिजली की तारें
(B) बिजली के पंखे
(C) ब्लेड
(D) मसाले।
उत्तर :
मसाले।

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प्रश्न 2.
उपकरणों की उत्तमता के लिए लगने वाला मार्क है –
(A) ISI
(B) AGMARK
(C) FPO
(D) PFA.
उत्तर :
ISI.

प्रश्न 3.
FPO का पूरा नाम है –
(A) फ्रूट प्रोडक्ट आर्डर
(B) फ्रूट प्रोडक्ट आफिस
(C) फूड प्रोडक्ट आर्डर
(D) फूड प्रोडक्ट आफिस।
उत्तर :
फ्रूट प्रोडक्ट आर्डर।

प्रश्न 4.
एगमार्क लगाते हैं –
(A) सील बंद मसाले
(B) अनाज व दालें
(C) आटा
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर : उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 5.
एक जैम के पैक पर चिन्ह होता है –
(A) I.S.I.
(B) F.P.O.
(C) AGMARK
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
F.P.O.

प्रश्न 6.
एगमार्क लगाया जाता है –
(A) संसाधित भोजन पर
(B) अनाज और दालों पर
(C) पैक भोजन पर
(D) फल पदार्थों पर।
उत्तर :
अनाज और दालों पर।

प्रश्न 7.
एगमार्क ……… द्वारा दिया जाता है –
(A) भारतीय संसद् द्वारा
(B) भारत सरकार के बिक्री एवं निरीक्षण निदेशालय द्वारा
(C) भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा
(D) भारतीय मानकीकरण संस्थान द्वारा।
उत्तर :
भारत सरकार के बिक्री एवं निरीक्षण निदेशालय द्वारा।

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प्रश्न 8.
मानक माप एवं तोल अधिनियम पूरे देश में कब लागू हुआ ?
(A) 1950
(B) 1960
(C) 1965
(D) 1970
उत्तर :
1960.

प्रश्न 9.
Standard of Weight Act कब लागू हुआ –
(A) 1 अगस्त, 1940
(B) 1 जुलाई, 1942
(C) 1 मार्च, 1944
(D) 1 नवम्बर, 1946.
उत्तर :
1 जुलाई, 1942.

प्रश्न 10.
कूलर और हीटर आदि कब खरीदने चाहिएं ?
(A) मौसम के पहले
(B) मौसम में
(C) मौसम के पहले या बाद
(D) उपरिलिखित सभी।
उत्तर :
मौसम के पहले या बाद।

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प्रश्न 11.
किस स्थिति में भोज्य पदार्थ को मिलावटी कहा जाता है ?
(A) वास्तविक रंग-रूप वाले न हों
(B) हानिकारक तत्त्वों से युक्त हों
(C) घटिया या कम दाम वाले पदार्थ मिला दिए जाएं
(D) उपरिलिखित सभी।
उत्तर :
उपरिलिखित सभी।

प्रश्न 12.
दोषयुक्त तोल व माप के साधनों के प्रयोग को रोकने के लिए उपभोक्ता को चाहिए कि वह ……………. के प्रयोग को बढ़ावा दें।
(A) डिजिटल तोलने वाली मशीन
(B) हाथ वाले तराजू
(C) तराजू
(D) उपरिलिखित सभी।
उत्तर :
डिजिटल तोलने वाली मशीन।

प्रश्न 13.
विद्युत् प्रेस पर कौन-सा मार्क लगा होता है-
(A) ISI
(B) FPO
(C) Agmark
(D) Woolmark.
उत्तर :
ISI.

प्रश्न 14.
ISI मार्क किस संस्था द्वारा दिया जाता है –
(A) भारतीय मानक संस्थान
(B) भारतीय माप संस्थान
(C) अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्थान
(D) कोई भी नहीं।
उत्तर :
भारतीय मानक संस्थान।

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प्रश्न 15.
ISI मार्क किन चीज़ों पर लगाया जाता है –
(A) विद्युत् उपकरणों पर
(B) खाद्य पदार्थों पर
(C) कपड़ों पर
(D) अण्डों पर।
उत्तर :
विद्युत् उपकरणों पर।

प्रश्न 16.
वूलमार्क का लेबल हमें क्या सूचना देता है –
(A) क्वालिटी खराब है
(B) क्वालिटी नकली है
(C) क्वालिटी अच्छी है
(D) क्वालिटी सामान्य है।
उत्तर :
क्वालिटी अच्छी है।

प्रश्न 17.
P.F.A. का पूरा नाम बताएं –
(A) Prevention of Food Act
(B) Prevention of Food Adulteration Act
(C) Product Food Act
(D) Product of Food Adulteration Act.
उत्तर :
Prevention of Food Adulteration Act

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प्रश्न 18.
Agmark का चिन्ह किन पदार्थों पर लगाया जाता है ?
(A) खाने के तेलों पर
(B) सब्जियों पर
(C) दालों पर
(D) कपड़ों पर।
उत्तर :
खाने के तेलों पर।

प्रश्न 19.
ISI मार्क की स्थापना कब हुई ?
(A) 1940
(B) 1947
(C) 1942
(D) 1950.
उत्तर :
1947.

प्रश्न 20.
एगमार्क का चिह्न……… की उत्तमता के लिए दिया गया प्रमाण है।
(A) खाद्य पदार्थों
(B) उपकरणों
(C) ऊन
(D) घी।
उत्तर :
घी।

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प्रश्न 21.
P.F.A. का पूरा नाम ……………… है।
(A) प्रिवेंशन ऑफ फूड अडल्टरेशन एक्ट
(B) प्रिवेंशन ऑफ फ्रूट अडल्टरेशन एक्ट
(C) प्रिवेंशन ऑफ फूड अडल्टरेटड एक्ट
(D) प्रिवेंशन ऑफ फूड अडल्टरेटड एक्ट।
उत्तर :
प्रिवेंशन ऑफ फूड अडल्टरेशन एक्ट।

प्रश्न 22.
खाने के तेलों पर कौन-सा चिन्ह लगाया जाता है ?
(A) एगमार्क
(B) एफ०पी०ओ०
(C) आई०एस०आई०
(D) वूल मार्क।
उत्तर :
एगमार्क।

प्रश्न 23.
बिजली की तारों पर कौन-सा चिह्न लगाया जाता है ?
(A) एगमार्क
(B) एफ० पी० ओ०
(C) आई०एस०आई०
(D) वूल मार्क।
उत्तर :
आई०एस०आई०।

उपभोक्ता अधिकारों का ज्ञान HBSE 10th Class Home Science Notes

ध्यानार्थ तथ्य :

→ ISI मार्क भारतीय मानक संस्थान द्वारा किसी वस्तु की उत्तमता के लिए दिया गया प्रमाण पत्र है।

→ I.S.I. प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरणों की उत्तमता का प्रमाण है इसकी स्थापना 1947 में हुई।

→ एगमार्क, भारत सरकार के बिक्री एवं निरीक्षण निदेशालय द्वारा खाद्य-पदार्थों की उत्तमता के लिए दिया गया प्रमाण है।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 6 उपभोक्ता अधिकारों का ज्ञान

→ एगमार्क का चिन्ह निम्नलिखित पदार्थों पर लगाया जाता है-खाने के तेल, घी, मक्खन, मसाले आदि।

→ दुकानदार कई तरह से उपभोक्ताओं को ठगते हैं – जैसे-घिसे बाट का प्रयोग करके, तराजू के पलड़े पर चुम्बक लगाकर आदि।।

→ उपभोक्ताओं के रूप में हमें अपने हक को सुरक्षित रखने के लिए कुछ कर्तव्यों को निभाने का प्रयास करना चाहिए। जैसे-दोष युक्त माप तोल के साधनों के प्रयोग पर रोक लगाएं, अपूर्ण लेबल वाली वस्तुएं न लें, नकली वस्तुओं की खरीद से बचें, यदि मिलावट वाली वस्तुओं का अनुमान हो तो सम्बन्धित अधिकारियों को सूचित करें।

→ 1940 में औषधि तथा मादक पदार्थ अधिनियम बनाया गया। इसके अनुसार यदि किसी औषधि अथवा मादक पदार्थ में प्रमाणित स्तर से नीचे के गुण पाए जाते हैं तो उसके निर्माता से उसके निर्माण का अधिकार छीन कर उसके मालिक को एक वर्ष के कारावास का दण्ड भी दिया जाता है।

→ परिवार के लिए आवश्यक वस्तुओं का चुनाव करते समय गृहिणी को कई निर्णय लेने पड़ते हैं; जैसे क्या खरीदें, कहां से खरीदें, कब खरीदें, कितना खरीदें आदि।

→ विक्रेता उपभोक्ताओं को धोखा देने की कोशिश करते हैं; जैसे – वस्तुओं में मिलावट करके, अपर्याप्त लेबल लगाकर त्रुटिपूर्ण माप और तोल द्वारा, असत्य विज्ञापनों द्वारा नकली वस्तुओं की बिक्री द्वारा।

→ उपभोक्ताओं को सूचना देने वाले लेबल चार प्रकार के होते हैं; जैसे – पदार्थों की विशेषताओं का परिचय देने वाले, ब्रांड की सूचना देने वाले, ट्रेड मार्क की सूचना वाले, गुणवत्ता की श्रेणी की सूचना वाले।

→ एक अच्छे उपभोक्ता के निम्नलिखित गुण होने चाहिएं –
विज्ञापनों के प्रभाव में न आना, जल्दबाजी में न खरीदना, खरीदी जाने वाली वस्तुओं की सूची बनाना, आई० एस० आई० अथवा एगमार्क वाली वस्तुएं खरीदना।

→ PFA – Prevention of Food Adulteration Act
CCFS – Central Committee for Food Standards
FPO – Food Product Order.

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धातुओं के कुछ भौतिक गुण लिखिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
धातुएँ भारी, चमकदार, तन्य तथा आघातवर्ध्य होती हैं। ये ऊष्मा और विद्युत की सुचालक होती हैं।

प्रश्न 2.
आघातवर्ध्यता से क्या तात्पर्य है? –
उत्तर-
किसी पदार्थ को हथौड़े से पीटने पर पतली चादर में परिवर्तित हो जाने के गुण को आघातवर्ध्यता कहते हैं।

प्रश्न 3.
कौन-सी धातु सामान्य ताप पर तरल होती है? (RBSE 2016)
उत्तर-
पारा (Hg)।

प्रश्न 4.
एक्वा-रेजिया क्या है?
उत्तर-
एक्वा रेजिया सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सान्द्र नाइट्रिक अम्ल को 3 : 1 के अनुपात में मिलाकर बना ताजा मिश्रण है जो सोने व प्लैटिनम को गला सकता है।

प्रश्न 5.
तरल अधातु का नाम बताइए।
उत्तर-
ब्रोमीन।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में सबसे कम क्रियाशील धातुओं को छाँटिए-K, Zn, Ag,Au
उत्तर-
Au.

प्रश्न 7.
आयनिक यौगिकों के कठोर होने का क्या कारण है?
उत्तर-
धनात्मक एवं ऋणात्मक आयनों के बीच मजबूत आकर्षण बल के कारण आयनिक यौगिक ठोस एवं थोड़े कठोर होते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 8.
किसी शुद्ध धातु की अपेक्षा उसके मिश्रातु की विद्युत चालकता एवं गलनांक कैसा होता है?
उत्तर-
विद्युत चालकता एवं गलनांक कम होता है।

प्रश्न 9.
किन्हीं दो धातुओं के नाम लिखिए जो हाइड्रोजन से संयुक्त होकर हाइड्राइड बना सकती हैं।
उत्तर-
सोडियम (Na) तथा कैल्सियम (Ca)।

प्रश्न 10.
दो ऑक्साइडों के नाम लिखिए जो न तो अम्लीय हैं और न ही क्षारीय।
उत्तर-
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)।

प्रश्न 11.
किस अधातु का गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होता है तथा वह अत्यन्त कठोर भी होती है ?
उत्तर-
हीरा (कार्बन)।

प्रश्न 12.
नाइट्रोजन व क्लोरीन परमाणुओं का इलैक्ट्रोनिक विन्यास लिखिए। (RBSE 2016)
उत्तर-
नाइट्रोजन — परमाणु क्रमांक 7 (2, 5)
क्लोरीन – परमाणु क्रमांक 17 (2, 8, 7)

प्रश्न 13.
नाइट्रोजन व क्लोरीन परमाणुओं के मध्य इलैक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण से सोडियम क्लोराइड का बनना दर्शाइए। (RBSE 2017)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 1

प्रश्न 14.
मिश्रातु क्या होती है?
उत्तर-
किसी धातु का अन्य धातु या अधातु से बना समांगी मिश्रण मिश्रातु कहलाता है।

प्रश्न 15.
अधातुएँ विद्युत का चालन क्यों नहीं करती हैं?
उत्तर-
अधातुओं के पास मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते, इस कारण से ये विद्युत का चालन नहीं करती हैं। ये इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती हैं तथा ऋणायन बनाती हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 16.
गोल्ड तथा सिल्वर प्रकृति में स्वतन्त्र अवस्था में क्यों पाए जाते हैं?
उत्तर-
गोल्ड तथा सिल्वर बहुत ही कम अभिक्रियाशील हैं, इसलिए ये स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते हैं।

प्रश्न 17.
अभी तक कितने तत्व ज्ञात हैं? किन दो वर्गों में इन सभी तत्वों को बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
अभी तक कुल 114 तत्व ज्ञात हैं। इन तत्वों को इनके गुणों के आधार पर धातुओं और अधातुओं में बाँटा जा सकता है।

प्रश्न 18.
वायु में रहने पर ऐलुमिनियम की सतह पर कौन-सी परत बन जाती है? इस परत का क्या उपयोग है?
उत्तर-
वायु में रहने पर ऐलुमिनियम की सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत बन जाती है। यह परत धातु को संक्षारित होने से बचाती है।

प्रश्न 19.
धातु तथा अधातु किस प्रकार अभिक्रिया करते हैं?
उत्तर-
धातु तथा अधातु एक धातु से दूसरी अधातु पर इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण द्वारा अभिक्रिया करते हैं। .धातुओं का निष्कर्षण (Extraction of Metals)

प्रश्न 20.
अयस्क के संवर्धन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
खनिजों से अवांछित अशुद्धियों को दूर करना अयस्कों का संवर्धन कहलाता है।

प्रश्न 21.
उन धातुओं के नाम बताइए जो अपचायक की भाँति प्रयोग पाई जाती हैं।
उत्तर-
उच्च याशील धातुएँ, जैसे-सोडियम, कैल्सियम अपचायक की भाँति प्रयोग में लाई जाती हैं।

प्रश्न 22.
धातु ऑक्साइड का ऐलुमिनियम चूर्ण द्वारा अपचयित होना कौन-सा प्रक्रम कहलाता है?
उत्तर-
ऐलुमिनियम चूर्ण द्वारा धातु ऑक्साइड का अपचयन ऐलुमिनो थर्मिट प्रक्रम अथवा थर्मिट प्रक्रम कहलाता है।

प्रश्न 23.
पृथ्वी की सतह पर सबसे अधिक पायी जाने वाली धातु का नाम बताइए। इस धातु के महत्त्वपूर्ण अयस्क का नाम लिखिए।
उत्तर-
ऐलुमिनियम। इसका महत्त्वपूर्ण अयस्क बॉक्साइट है।

प्रश्न 24.
अशुद्ध धातुओं के शोधन में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाली विधि कौन-सी है?
उत्तर-
विद्युत-अपघटनी शोधन।

प्रश्न 25.
विद्युत-अपघटनी शोधन द्वारा शुद्ध की जाने वाली प्रमुख धातुएँ कौन-सी हैं?
उत्तर-
कॉपर, जिंक, टिन, निकिल, सिल्वर तथा सोना।

प्रश्न 26.
कॉपर के एक अयस्क का नाम लिखिए।
उत्तर-
क्यूप्रस सल्फाइड (Cu2S)।

प्रश्न 27.
विद्युत-अपघटनी परिष्करण द्वारा परिष्कृत की जाने वाले तीन धातुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
ताँबा (Cu), चाँदी (Ag), टिन (Sn).

प्रश्न 28.
उन धातु ऑक्साइडों के नाम बताइए जो कार्बन के साथ गर्म किए जाने पर धात्विक अवस्था में अपचयित नहीं होते हैं।
उत्तर-
Cr2O3, Mn3O4 अपचायक Al है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 29.
गालक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
गालक वे पदार्थ हैं जो अयस्क में उपस्थित अम्लीय अशुद्धियों को गलनीय पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं।

प्रश्न 30.
निस्तापन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
निस्तापन वह प्रक्रम है जिसमें कार्बोनेट अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है।

प्रश्न 31.
सोने के आभूषणों में ताँबा क्यों मिलाया जाता है?
उत्तर-
शुद्ध सोना मुलायम होता है जिससे आभूषण नहीं बनाये जा सकते, इस कारण सोने को कठोरता प्रदान करने के लिए सोने में थोड़ा ताँबा मिलाया जाता है।

प्रश्न 32.
पीतल के अवयव घटक लिखिए।
उत्तर-
ताँबा तथा जस्ता।

प्रश्न 33. नाइट्रोजन के ऑक्साइड के नाम लिखिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन के तीन ऑक्साइड N2O, NO एवं NO2, हैं।

प्रश्न 34.
पीतल किन धातुओं से मिलकर बनती है?
उत्तर-
पीतल कॉपर व जिंक धातु से मिलकर बनती है।

प्रश्न 35.
किस प्रकार के अयस्कों का भर्जन करते है?
उत्तर-
सल्फाइड अयस्कों का भर्जन करते हैं जिससे ये ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं।

प्रश्न 36.
धातुकर्म के विभिन्न पदों को लिखें।
उत्तर-
धातुकर्म के विभिन्न पद निम्न हैं –

  1. अयस्क का पीसना (Pulverisation)
  2. सान्द्रण (Concentration)
  3. अपचयन (Reduction)
  4. शोधन (Purification)।

प्रश्न 37.
किसी एक अम्लीय व क्षारीय गालक का उदाहरण दें।
उत्तर-
अम्लीय गालक – SiO2
क्षारीय गालक – CaO.

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तत्वों को धातुओं अथवा अधातुओं में वर्गीकृत करते समय विचारणीय गुण बताइए।
उत्तर-
तत्वों को धातुओं एवं अधातुओं में वर्गीकृत करते समय निम्नलिखित गुण आवश्यक रूप से विचारणीय होते-

  • चमक,
  • चालकता,
  • कठोरता,
  • वायु में जलना,
  • तन्यता,
  • ध्वनि,
  • अम्लों व जल के साथ अभिक्रिया।

प्रश्न 2.
उपधातुएँ क्या हैं? किन्हीं पाँच उपधातुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
कुछ पदार्थ धातु और अधातु दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं, ऐसे पदार्थों को उपधातु कहते हैं। निम्नलिखित पाँच धातुएँ उपधातुएँ हैं आर्सेनिक (As), पोलोनियम (Po), सिलिकॉन (Si), एंटीमनी (Sb), टेलुरियम (Te)।

प्रश्न 3.
जल में विलेय धातु ऑक्साइडों के उदाहरण दीजिए। जल में घोलने पर धातु ऑक्साइड क्या बनाते हैं?
उत्तर-
सोडियम ऑक्साइड तथा पोटैशियम ऑक्साइड जल में विलेय धातु ऑक्साइड हैं।
Na2O(s)+H2O(l) → 2NaOH
K2O (s) + H2O (l) → 2KOH
धातु ऑक्साइड जल में विलेय होकर क्षार बनाते हैं।

प्रश्न 4.
टाइटेनियम धातु की विशेषता क्या है जिसके कारण इसे सामरिक महत्त्व की धातु कहा जाता है?
उत्तर-
टाइटेनियम धातु अल्प अभिक्रियाशील धातु है इसकी तनाव सहने की क्षमता अत्यधिक होती है, यही कारण है कि इसका प्रयोग नाभिकीय संयन्त्रों, सैन्य उपकरणों, गैस टरबाइनों व जेट इंजनों आदि में होता है। यह धातु शीघ्रता से क्षरित नहीं होती है।

प्रश्न 5.
निम्न अभिक्रियाओं का समीकरण लिखिए
(i) भाप के साथ आयरन की क्रिया
(ii) जल के साथ कैल्सियम तथा पोटैशियम।
उत्तर-
(i) आयरन धातु भाप के साथ क्रिया करके आयरन ऑक्साइड व हाइड्रोजन बनाती है।
3Fe (s) +4H2O (g) → Fe3O4(s) +4H2 (g)
(ii) जल के साथ कैल्सियम व पोटैशियम की क्रिया होने पर सम्बन्धित हाइड्रॉक्साइड बनते हैं तथा हाइड्रोजन गैस निकलती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 2

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 6.
सक्रियता श्रेणी किसे कहते हैं? इसकी एक उपयोगिता लिखें।
उत्तर-
सक्रियता श्रेणी (Activity series) धातुओं की क्रियाशीलता को अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर जो सूची (श्रेणी) प्राप्त होती है, उसे सक्रियता श्रेणी कहते हैं। सक्रियता श्रेणी निम्नवत् है-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 3
उपयोगिता-इसकी सहायता से हमें तत्वों की क्रियाशीलता की जानकारी होती है।

प्रश्न 7.
विभिन्न धातुओं की जल के साथ अभिक्रियाओं का वर्णन करो। ..
उत्तर-
विभिन्न धातुओं की जल साथ अभिक्रियाएँ निम्नवत् हैं
(i) सोडियम धातु जल के साथ ताव अभिक्रिया करके सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाती है।
2Na (s) +2H2O(l) → 2NaOH (aq)+H2 (g)
(ii) मैग्नीशियम धातु ठण्डे जल की बजाय गर्म जल से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
ऐलुमिनियम ठण्डे व गर्म जल से अभिक्रिया नहीं करता है परन्तु यह भाप के साथ अभिक्रिया करके ऐलुमिनियम ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाता है।
2Al (s) +3H2O (g) → Al2O3 (s) +3H2 (g)
रक्त तप्त आयरन भाप से अभिक्रिया करके आयरन (II, III) ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाता है।
3Fe (s) +4H2O (g) → Fe3O4(s) +4H2 (g)
धातुएँ, जैसे-लैड, कॉपर, गोल्ड, चाँदी, जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 8.
(a) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए
(i) कैल्सियम धातु जल से अभिक्रिया करती है।
(ii) सिनाबार को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है।
(iii) मैंगनीज डाइऑक्साइड को ऐलुमिनियम पाउडर के साथ गर्म किया जाता है।
(b) मिश्रधातु क्या हैं? मिश्रधातुओं के दो गुणधर्मों की सूची बनाइए। (CBSE 2019)
उत्तर-
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(b) दो या दो से अधिक धातुओं अथवा एक धातु व एक अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं।

मिश्रधातु के दो गुणधर्म-
(i) मिश्रधातु धातुओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली होती है।
(ii) मिश्रधातु वायु में रखने पर संक्षारित नहीं होती है।

प्रश्न 9.
अधातु क्या हैं ? इनका दैनिक जीवन में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
वे तत्व जो धातुओं की तरह व्यवहार नहीं करते हैं, अधातु कहलाते हैं। कमरे के ताप पर अधातुएँ या तो ठोस होती हैं या गैस। इनमें केवल ब्रोमीन ही द्रव रूप में होती है। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन आदि अधातुओं के उदाहरण हैं।

दैनिक जीवन में अधातुओं का महत्त्व-

  • वायु में ऑक्सीजन की उपस्थिति से ही हम सभी साँस लेते हैं तथा यह गैस ज्वलन में सहायक होती है।
  • हाइड्रोजन का उपयोग वनस्पति घी एवं अमोनिया के निर्माण में किया जाता है।
  • नाइट्रोजन का उपयोग अमोनिया, उर्वरकों तथा नाइट्रिक अम्ल के उत्पादन में किया जाता है।
  • सल्फर का उपयोग बारूद बनाने में तथा कवकनाशी दवाइयाँ बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 10.
मिश्रधातु किसे कहते हैं? इसके बनाने के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। अथवा मिश्रधातु किसे कहते हैं? दो उदाहरण दीजिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
मिश्रधातु या मिश्रातु-किसी धातु का अन्य धातु या अधातु के साथ मिलकर बनाया गया समांगी मिश्रण, मिश्रातु कहलाता है। उदाहरण के लिए; पीतल, कांसा, सोल्डर, स्टील आदि सभी मिश्रातु हैं।

मिश्रातुओं के उपयोग-

  1. मिश्रातु बनाने से कठोरता बढ़ जाती है, जैसे-लोहे में कार्बन की मात्रा मिलाकर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में ताँबा मिलाने से उसकी कठोरता बढ़ जाती है।
  2. संक्षारण रोकने के लिए मिश्रातु उपयोगी है, जैसे-लोहे तथा जिंक से बनी मिश्रातु पर जंग नहीं लगता।
  3. घरों में मिश्रातुओं का उपयोग बहुत अधिक होता है। घरों के बर्तन, पंखे, अलमारी आदि में मिश्रातुओं का प्रयोग होता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए
(a) सोडियम क्लोराइड एक आयनी यौगिक है जो ठोस अवस्था में विद्युत का चालन नहीं करता है जबकि यह पिघली अवस्था के साथ-साथ जलीय विलयन में विद्युत का चालन करता है।
(b) नाइट्रिक अम्ल में डुबोने पर ऐलुमिनियम की सक्रियता कम हो जाती है।
(c) कैल्सियम और मैग्नीशियम जैसी धातुएँ प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती हैं। (CBSE 2019)
उत्तर-
(a) सोडियम क्लोराइड ठोस अवस्था में विद्युत का चालन नहीं करता परन्तु पिघली अवस्था के साथ-साथ जलीय विलयन में विद्युत का चालन करता है क्योंकि सोडियम क्लोराइड के आयन उसकी कठोर संरचना के कारण गतिशील नहीं होते। विद्युत चालन के लिए आयनों का गतिशील होना आवश्यक है। पिघली और जलीय अवस्था में आयन गति के लिए मुक्त होते हैं अतः वे विद्युत संचालित करते हैं।

(b) नाइट्रिक अम्ल एक शक्तिशाली ऑक्सीकारक है इसलिए ऐलुमिनियम को इसमें डुबाने पर, ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत जम जाती है, जिसके कारण इसकी सक्रियता कम हो जाती है।

(c) कैल्सियम और मैग्नीशियम धातुएँ प्रकृति में मुक्तावस्था में नहीं पाई जाती हैं क्योंकि अधिक क्रियाशील होने के कारण ये अन्य तत्वों के साथ अभिक्रिया करके यौगिकों का निर्माण करती हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 12.
सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर स्थित धातुओं के निष्कर्षण की विधि, सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित धातुओं के निष्कर्षण की विधि से किस प्रकार भिन्न है? उनके लिए भी समान प्रक्रिया क्यों नहीं अपनायी जाती है? इन धातुओं के निष्कर्षण की प्रक्रिया का नाम लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर –

सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर स्थित धातुओं का निष्कर्षण (K, Na, Ca, Mg तथा AI)सक्रियता श्रेणी में मध्य में स्थित धातुओं का निष्कर्षण (Zn, Fe, Pb)
1. इस प्रकार की धातुएँ बहुत अधिक क्रिया- शील होती हैं।1. इस प्रकार की वस्तुएँ मध्यम क्रियाशील होती हैं।
2. इन धातुओं को वैद्युत अपघटन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है।2. इन धातुओं के यौगिकों(कार्बोनेट तथा सल्फा- इड) के पहले ऑक्साइड में बदला जाता है फिर उनका अपघटन करके धातु को प्राप्त किया जाता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन या भर्जन कहा जाता है।

इन धातुओं के लिए समान प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती क्योंकि सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर स्थित धातुओं के ऑक्साइडों को कार्बन के साथ अपघटित नहीं किया जा सकता। कार्बन के साथ अपघटित होने की अवस्था में ये धातुएँ कार्बन से क्रिया करके कार्बाइड यौगिक बना देंगी जिससे हम धातु प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

प्रश्न 13.
वात्या भट्टी में हेमेटाइट अयस्क से आयरन के निष्कर्षण में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लोहे के अयस्क, कोक, चूने के पत्थर को भट्टी में एक साथ रखकर उच्च ताप दिया जाता है। इस उच्च ताप के कारण चूने का पत्थर निम्न रासायनिक अभिक्रिया के रूप में विघटित हो जाता है-
CaCO3 → CaO+CO2,
कैल्सियम ऑक्साइड, सिलिकन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है तथा कैल्सियम सिलिकेट द्रवित रूप में बनाता है।
CaO + SiO2 → CaSiO3
इस प्रकार प्राप्त सिलिकन ऑक्साइड से मुक्त लोहे के ऑक्साइड का अपचयन हो जाता है।

प्रश्न 14.
धातु शोधन की गलनिक पृथक्करण विधि क्या है?
उत्तर-
धातु शोधन की इस विधि में एक ढलावदार भट्टी का प्रयोग किया जाता है, अशुद्ध धातु को भट्टी के ऊपरी भाग में एक जाली के ऊपर रखा जाता है। भट्टी के ताप को इस प्रकार बढ़ाया जाता है कि वह गलनांक के ऊपर स्थिर रहे। ताप के कारण धातु पिघलकर नीचे आ जाती है तथा अशुद्धियाँ जाली पर शेष रह जाती हैं। टिन, लेड बिस्मथ आदि धातुएँ इसी प्रकार शोधित की जाती हैं।

प्रश्न 15.
खनिज तथा अयस्क में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

खनिजअयस्क
1. उन प्राकृतिक पदार्थों को जिनमें धातुओं के यौगिक पाए जाते हैं, खनिज कहलाते हैं।1. जिन खनिजों से धातुएँ सुविधापूर्वक प्राप्त की जा सकती हैं, उन्हें अयस्क कहते हैं।
2. कुछ खनिजों में आपत्तिजनक अशुद्धियाँ होती हैं जो धातु के निष्कर्षण को बाधित करती हैं।2. इनमें किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक अशुद्धि नहीं होती है।
3. सभी खनिजों को धातु निष्कर्षण के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।3. सभी अयस्कों को धातु निष्कर्षण के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
कुछ आयनिक यौगिकों के नामों को उनके सूत्र तथा उनमें उपस्थित आयनों के साथ लिखिए। .
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 6

प्रश्न 17.
Ca, Pb,AI,Na,Mg एवं Cuमें से किन-किन धातुओं को विद्युत अपघटनी विधि द्वारा निष्कर्षित किया जाता है और क्यों?
उत्तर-
ऐसी धातुएँ जो अत्यधिक क्रियाशील एवं अत्यधिक धनविद्युती प्रकृति की होती हैं वह अच्छी अपचायक होती हैं। अतः ऐसी धातुओं का निष्कर्षण रासायनिक अपचयन द्वारा नहीं किया जा सकता है। इनका निष्कर्षण केवल विद्युत अपघटनी विधि से ही करते हैं। इस कारण Ca, AI, Na तथा Mg का निष्कर्षण विद्युत अपघटनी विधि से करते हैं।

प्रश्न 18.
प्रमुख मिश्रातुओं के नाम, उनके घटक तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 7

प्रश्न 19.
जंग लगाना किसे कहते हैं? लोहे पर जंग लगने की परिस्थितियों की जाँच के लिए किसी क्रियाकलाप का नामांकित आरेख सहित वर्णन कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
किसी लोहे की वस्तु को काफी समय तक नम वायु में रखने पर, इसके ऊपर भूरे रंग की आयरन ऑक्साइड की परत बनने के प्रक्रम को जंग लगना कहते हैं। (पाठ्य पुस्तक में क्रियाकलाप 3.14 देखिए)।

प्रश्न 20.
जंग लगने से बचाने के कुछ उपायों को बताइए।
उत्तर-
जंग लगने से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं-

  1. तेल या ग्रीस की तह आदि लोहे पर जमा पीतल दी जाए तो नम वायु लोहे के सम्पर्क में नहीं आ पाती जिससे जंग नहीं लगती है।
  2. लोहे की सतह पर रंग-रोगन करके जंग लगने से बचाया जा सकता है। बसों, कारों, स्कूटर आदि पर एनमल की तह जमाई जाती है।
  3. लोहे पर जस्ते की परत जमा कर (यशदलेपन) इसे जंग लगने से बचाया जाता है, जैसे-लोहे की बाल्टियाँ, चादरों आदि पर यह प्रक्रिया अपनायी जाती है।
  4. निकिल, क्रोमियम आदि धातुओं की तह विद्युत् लेपन के द्वारा लोहे की सतह पर चढ़ाने से जंग नहीं लगती है, जैसे-वाहनों के रिम, हैंडिल आदि।

प्रश्न 21.
निस्तापन और भर्जन में अंतर बताइए।
उत्तर-
हवा की सीमित सप्लाई में अयस्क को गलन के ताप तक गर्म करके उसमें से नमी एवं वाष्पशील पदार्थों को अलग करने की क्रिया को निस्तापन कहते हैं जबकि हवा की मुक्त सप्लाई में अयस्क को गलन से कम ताप पर गर्म करके ऑक्सीकृत करना भर्जन कहलाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धातुओं के महत्त्वपूर्ण गुणधर्म लिखिए।
उत्तर-
धातुओं के महत्त्वपूर्ण गुणधर्म निम्नलिखित हैं-

  • धातुएँ ऊष्मा व विद्युत की सुचालक होती हैं तथा लैड व पारा ऊष्मा के कुचालक होते हैं।
  • धातुओं में चमक होती है, इन पर पॉलिश की जा सकती है।
  • इनमें आघातवर्धनीयता होती है अर्थात् इन्हें पीटकर चादरों में बदला जा सकता है।
  • इनमें तन्यता होती है अर्थात् इन्हें खींचकर इनके तार बनाए जा सकते हैं।
  • इनमें कठोरता होती है परन्तु सोडियम (Na) व पोटैशियम (K) धातुएँ होकर भी नरम हैं।
  • धातुएँ सामान्य ताप पर ठोस अवस्था में रहती हैं। केवल पारा द्रव अवस्था में रहता है।
  • धातुओं का घनत्व उच्च होता है परन्तु सोडियम (Na) व पोटैशियम (K) धातुएँ हल्की हैं।
  • धातुएँ प्रबल होती हैं तथा इनके गलनांक व क्वथनांक उच्च होते हैं। परन्तु सोडियम (Na) व पोटैशियम (K) के गलनांक व क्वथनांक निम्न होते हैं।
  • धातुएँ कठोर सतह से टकराकर ध्वनि उत्पन्न करती हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
धातुओं एवं अधातुओं के बीच कैसे विभेद करेंगे? (CBSE 2017)
उत्तर-
धातुओं एवं अधातुओं के गुणों में विभेद भौतिक गुणों में विभेद –
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रासायनिक गुणों में विभेद

धातुएँअधातुएँ
1. धातुओं द्वारा क्षारीय ऑक्साइड का निर्माण होता है जिसमें से कुछ क्षार बनाती हैं।1. अधातुएँ अम्लीय एवं उदासीन ऑक्साइड बनाती हैं।
2. धातुएँ धनात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं।2. अधातुएँ ऋणात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं।
3. धातुएँ अपचायक हैं।3. अधातुएँ ऑक्सीकारक हैं।
4. धातुएँ जलीय विलयन में धनायन बनाती हैं।4. अधातुएँ जलीय विलयन में ऋणायन बनाती हैं।

प्रश्न 3.
धातु एवं अधातु किस प्रकार अभिक्रिया करते हैं? समझाइए।
उत्तर-
धातु एवं अधातु अपने संयोजक कक्ष में पाए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर अभिक्रिया करते हैं, उदाहरण के लिए-सोडियम का परमाणु क्रमांक 11 है अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8 1 है। इसके सबसे बाहरी कक्ष में केवल 1 इलेक्ट्रॉन है। यदि यह अपना एक इलेक्ट्रॉन सबसे बाहरी कक्ष से त्याग देता है तब यह Na’ (सोडियम धनायन) प्रदान करता है। दूसरी ओर क्लोरीन का परमाणु क्रमांक 17 है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8 7 है। इस प्रकार क्लोरीन के सबसे बाहरी कोश में 7 इलेक्ट्रॉन हैं अतः यह 1 इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपना अष्टक पूर्ण कर सकता है। इससे क्लोराइड ऋणायन Cl प्राप्त होता है।
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प्रश्न 4.
अधातु क्या हैं? इनके रासायनिक गुणधर्मों को बताइए।
उत्तर-
जो तत्व धातुओं की तरह व्यवहार नहीं करते हैं, अधातु कहलाते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन, सल्फर, क्लोरीन आदि अधातुओं के उदाहरण हैं अधातुओं के रासायनिक गुणधर्म-अधातुएँ इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करके, ऋण आवेशित आयन (ऋणायन) बनाती हैं। अतः इनको ऋण विद्युत तत्व कहते हैं।
Cl+e → Cl
0+2e → O2-

(i) ऑक्सीजन से अभिक्रिया-अधातुएँ ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्साइड बनाती हैं।
C(s) + O2(g) → CO2(g)
अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय या उदासीन होते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड अम्लीय ऑक्साइड है जोकि जल में घुलकर अम्ल बनाती है तथा इसका जलीय विलयन नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है।
CO2(g)+ H2O(l) → H2CO3(aq) (कार्बोनिक अम्ल)

(ii) अम्लों से क्रिया-अधातुएँ तनु अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करती हैं। तनु अम्लों से अधातुओं द्वारा हाइड्रोजन का विस्थापन तभी सम्भव है जबकि अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न प्रोटॉनों (H+) को इलेक्ट्रॉनों की पूर्ति की जाए।
H2SO4(aq) → 2H+ (aq) + SO42-(aq)
2H+ (aq) + 2e →H2(g)
धातुएँ इलेक्ट्रान को ग्रहण करने वाली होती हैं।

(iii) क्लोरीन से अभिक्रिया-अधातुएँ क्लोरीन से अभिक्रिया करके क्लोराइड बनाती हैं। ये सह संयोजी यौगिक के रूप में होती हैं जो सामान्यतया वाष्पशील द्रव या गैस होती हैं।
P4(s) + 6Cl2(g) → 4PCl3(g) (फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड)

(iv) हाइड्रोजन से अभिक्रिया-अधातुएँ हाइड्रोजन से क्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं।
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प्रश्न 5.
सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखकर व्याख्या कीजिए कि क्या होता है जब-
(i) मरक्यूरिक ऑक्साइड को गरम किया जाता है।
(ii) क्यूप्रस ऑक्साइड और क्यूप्रस सल्फाइड के मिश्रण को गरम किया जाता है।
(iii) ऐलुमिनियम की मैंगनीज डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करायी जाती है।
(iv) फेरिक ऑक्साइड को ऐलुमिनियम के साथ अपचयित किया जाता है।
(v) जिंक कार्बोनेट का निस्तापन होता है। (CBSE 2020)
उत्तर-
(i) जब मरक्यूरिक ऑक्साइड को 300 °C पर गरम किया जाता है तो यह विघटित हो जाती है तथा पारा धातु (Hg) प्राप्त होती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 11

(ii) क्यूप्रस ऑक्साइड और क्यूप्रस सल्फाइड के मिश्रण को जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में गरम किया जाता है तो ताँबा धातु और सल्फर डाइऑक्साइड गैस प्राप्त होते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 12

(iii) जब ऐलुमिनियम की मैंगनीज डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करायी जाती है तो MnO, का अपचयन होता है तथा Mn धातु प्राप्त होती है। A1 धातु एक अपचायक का कार्य करता है।
3MnO2(s) + 4AI(s) →3Mn(1) + 2Al2O3 (s)

(iv) फेरिक ऑक्साइड को जब ऐलुमिनियम के साथ अपचयित किया जाता है तो Fe2O3, का अपचयन होता है तथा पिघला हुआ तरल Fe (लोहा) धातु प्राप्त होती है।
Fe2O3 (s) + 2Al(s) → 2Fe(l) + Al2O3 (s)

(v) जिंक कार्बोनेट की विस्थापन अभिक्रिया से कार्बोनेट अयस्क, जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 13

प्रश्न 6.
(i) इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण द्वारा मैग्नीशियम क्लोराइड में आबन्ध बनना दर्शाइए तथा इस यौगिक में उपस्थित आयनों की पहचान कीजिए।
(ii) आयनी यौगिक ठोस होते हैं। इसका कारण दीजिए।
(iii) किसी धातु पर भाप की क्रिया को दर्शाने के लिए प्रायोगिक व्यवस्था का नामांकित आरेख खींचिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 14
(ii) आयनी यौगिकों के विपरीत आवेशित आयन परस्पर – अधिक मात्रा के वैद्युत बल के कारण काफी पास पाए जाते हैं, इसलिए आयनिक यौगिक ठोस होते हैं।
(iii)
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 15

प्रश्न 7.
कारण बताइए-
(a) प्लेटिनम, सोना तथा चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
(b) सोडियम पोटैशियम को केरोसिन तेल के अन्दर . संग्रहित किया जाता है।
उत्तर-
(a) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है, क्योंकि ये धातुएँ सक्रियता श्रेणी में निम्नतम स्थान पर होती हैं तथा जल, ऑक्सीजन अथवा अम्लों से अभिक्रिया नहीं करतीं। ये संक्षारित भी नहीं होती। ये धातएँ आघातवर्ध्यनीय तथा तन्य होती हैं; इसलिए आभूषणों के विभिन्न डिजाइन सरलतापूर्वक बनाए जा सकते हैं।
(b) सोडियम एवं पोटैशियम धातु का ज्वलन ताप (Ignition Temperature) अत्यन्त ही कम होता है, वायु के सम्पर्क में आते ही यह आग पकड़ लेता है। सोडियम, पोटैशियम का वायु से सम्पर्क रोकने के लिए सोडियम एवं पोटैशियम को केरोसिन में डुबोकर रखा जाता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 8.
अयस्क किसे कहते हैं? ताँबे के परिष्करण की विद्युत अपघटनी विधि का सचित्र वर्णन करें। (CBSE 2018)
उत्तर-
अयस्क (Ores)-जिन खनिजों में किसी विशेष धातुं की मात्रा अधिक रूप से होती है, जिसे निकालना लाभकारी होता है, उन्हें अयस्क कहते हैं।
तांबे के परिष्करण की विद्युत् अपघटनी विधि-इस विधि में अशुद्ध धातु को ऐनोड बनाते हैं तथा उसी धातु की शुद्ध धातु की पट्टी को कैथोड की तरह प्रयुक्त करते हैं। इन दोनों इलेक्ट्रोडों को एक उपयुक्त वैद्युत अपघटनी विश्लेषित्र में रखते हैं जिसमें उसी धातु का लवण घुला रहता है। अधिक क्षारकीय धातुएँ विलयन में रहती हैं तथा कम क्षारकीय धातुएँ ऐनोड पंक में चली जाती हैं।

उदाहरण-ताँबे का शोधन इस विधि से करते हैं। अशुद्ध कॉपर ऐनोड के रूप में तथा शुद्ध कॉपर पत्ती कैथोड के रूप में लेते हैं। कॉपर सल्फेट का अम्लीय विलयन वैद्युत अपघटनी होता है तथा वैद्युत अपघटन के परिणामस्वरूप शुद्ध कॉपर ऐनोड से कैथोड की तरफ स्थानान्तरित हो जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 16
फफोलेदार कॉपर से अशुद्धियाँ ऐनोड पंक के रूप में जमा होती हैं। इनमें ऐण्टिमनी, सिलीनियम, टेल्यूरियम, चाँदी, सोना तथा प्लैटिनम मुख्य धातुएँ होती हैं। इस विधि से प्राप्त धातु में 99.98% शुद्धता होती है।

प्रश्न 9.
(a) थर्मिट प्रक्रिया किसे कहते हैं? इस प्रक्रिया का उपयोग कहाँ किया जाता है? इसमें होने वाली रासायनिक अभिक्रिया का सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
(b) इस प्रक्रिया में उपयोग होने वाली धातु ऐलुमिनियम का, धातु की सक्रियता श्रेणी में स्थान कहाँ पर है?
(c) इस प्रक्रिया में उपचयित तथा अपचयित होने वाले पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(a) जब ऐलुमिनियम धातु को आयरन ऑक्साइड के साथ गर्म करके अभिक्रिया करवाई जाती है तो इसे थर्मिट प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में गर्म तरल लोहा धातु प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया का उपयोग रेलवे लाइनों की वैल्डिंग करके मरम्मत करने में किया जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 17
(b) ऐलुमिनियम धातु, धातुओं की सक्रियता श्रेणी में अधिक क्रियाशील श्रेणी में आती है।
(c) इस प्रक्रिया में आयरन ऑक्साइड का अपचयन होता है तथा आयरन (लोहा) धातु प्राप्त होती है। ऐलुमिनियम धातु का उपचयन होता है और उससे Al2O3 प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
कार्बन, सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम के ऑक्साइडों से इनकी निजी धातुओं को अपचयित नहीं कर सकती हैं, क्यों? धातुओं की सक्रियता श्रेणी में इन धातुओं को कहाँ रखा गया है? इन धातुओं को इनके अयस्कों से किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है? कोई एक उदाहरण लेकर रासायनिक समीकरणों सहित धातु को निष्कर्षित करने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम धातुएँ, कार्बन से अधिक क्रियाशील हैं, इसलिए इनके ऑक्साइड कार्बन से अपचयित नहीं हो पाते जिसके कारण ये धातुएँ प्राप्त नहीं हो पाती हैं। इन धातुओं को सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर रखा गया है क्योंकि ये अधिक क्रियाशील धातुएँ हैं। इन धातुओं को इनके अयस्कों से वैद्युत अपचयन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है।

ऐलुमिनियम धातु का उसके ऑक्साइड अयस्क से निष्कर्षण करना-एक विशेष प्रकार के विद्युत सैल में तरल ऐलुमिनियम ऑक्साइड में से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो इसके अपचयन से हमें ऐलुमिनियम धातु तरल रूप में ऋण टर्मिनल (कैथोड) पर प्राप्त होती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 18

प्रश्न 11.
कोई धातु X जिसका उपयोग थर्मिट प्रक्रिया में होता है, ऑक्सीजन में गर्म किए जाने पर कोई ऑक्साइड Y बनाती है जो प्रकृति में उभयधर्मी है। X और Y को पहचानिए। ऑक्साइड Y की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रियाओं के सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
जब ऐलुमिनियम को ऑक्सीजन में गर्म किया जाता है तो ऐलुमिनियम ऑक्साइड बनता है जो प्रकृति में उभयधर्मी है।
4Al2 + 3O2 → 2Al2O3
‘X’ ऐलुमिनियम धातु है।
‘Y’ ऐलुमिनियम ऑक्साइड (Al2O3) है।
ऐलुमिनियम ऑक्साइड की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया
Al2O3 + 6HCl → 2Alcl3 + 3H2O ऐलुमिनियम ऑक्साइड की सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया-
Al2O3 + 2NaOH → 2NaAlO2 + H2O

प्रश्न 12.
(a) आयनिक यौगिकों के कोई दो भौतिक गुण कारण सहित लिखिए।
(b) दो ऐसी धातुओं के नाम लिखिए जो पृथ्वी की ऊपरी परत में स्वतंत्र रूप में पाई जाती हैं। वह धातुओं की क्रियामाला में किस स्थान पर स्थित हैं? (c) जो धातु, धातुओं की क्रियामाला में सबसे ऊपर पायी जाती है उन्हें उनके ऑक्साइडों से कार्बन के साथ क्रिया अपचयित करके प्राप्त क्यों नहीं किया जा सकता?
उत्तर-
(a) आयनिक यौगिकों के कोई दो भौतिक गुण-
(i) इनका गलनांक व क्वथनांक उच्च होता हैं क्योंकि उनके विपरीत आवेशित आयन परस्पर अधिक वैद्युत आकर्षण बल के कारण जुड़े रहते हैं।
(ii) अपने जल के विलयन के रूप में यह विद्युत धारा के सुचालक होते हैं क्योंकि विलयनों के रूप में इनके आयन स्वतन्त्र होकर विद्युत धारा को प्रवाहित कर पाते हैं।
(b) सोना तथा प्लेटिनम धातु पृथ्वी की ऊपरी परत में स्वतंत्र रूप में पाई जाती हैं। ये धातुएँ, धातुओं की क्रियामाला में नीचे की ओर स्थित होती हैं।
(c) इन धातुओं के ऑक्साइड कार्बन के साथ क्रिया करके अपने कार्बाइड यौगिक बनाते हैं, इसलिए इनके ऑक्साइडों का अपचयन कार्बन द्वारा नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 13.
एक धातु M प्रकृति में अपने कार्बोनेट अयस्क के रूप में पाया जाता है। इसका उपयोग लोहे के जस्तीकरण के लिए भी किया जाता है। इस धातु M को पहचानिए तथा इसके इस अयस्क का नाम लिखिए। इस अयस्क से इस धातु को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? (CBSE 2018)
उत्तर-
धातु M जस्ता (जिंक) है। इसका संकेत Zn है। इसका कार्बोनेट अयस्क (ZnCO3) है जिसे कैलेमाइन अयस्क कहते हैं।
इस अयस्क से Zn धातु प्राप्त करना-
(i) पहले जिंक कार्बोनेट अयस्क को निस्तापन क्रिया द्वारा जिंक ऑक्साइड यौगिक में बदला जाता है। जब जिंक कार्बोनेट को उच्च ताप पर वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है तो यह विघटित होकर जिंक ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
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(ii) अब जिंक ऑक्साइड को कार्बन (कोक) के साथ गर्म करने पर ऑक्साइड का अपचयन हो जाता है, तथा जिंक धातु प्राप्त हो जाती है।
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बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. इनमें से सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन-सी है-
(a) सीसा
(b) पारा
(c) सोडियम
(d) लोहा।
उत्तर-
(c) सोडियम।

2. निम्न धातुओं में से कौन-सी धातु प्रकृति में मुक्त अवस्था में पायी जाती है –
(a) सोडियम
(b) गोल्ड
(c) पोटैशियम
(d) ऐलुमिनियम।
उत्तर-
(b) गोल्ड।

3. जब धातुएँ किसी कठोर सतह से टकराती हैं तो एक आवाज उत्पन्न होती है। इन धातुओं को कहते हैं –
(a) ध्वनिक
(b) सोनोरस
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) उपर्युक्त दोनों।

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4. कौन-सी धातु ठण्डे या गर्म जल से क्रिया नहीं करती
(a) Na
(b) Ca
(c) Mg
(d) Fe.
उत्तर-
(d) Fe.

5. निम्न में से कौन-सी धातुएँ मुक्त अवस्था में प्रकृति में पायी जाती हैं –
(i) Cu
(ii) Au
(iii) Zn
(iv) Ag
(a) (i), (ii)
(b)(i), (iii)
(c) (ii), (iv)
(d) (iii), (iv).
उत्तर-
(c) (ii), (iv).

6. सोने और प्लैटिनम को गलाने वाले अम्ल का नाम है
(a) सान्द्र HCL
(b) एक्वा-रेजिया
(c) सान्द्र नाइट्रिक अम्ल
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) एक्वा-रेजिया।

7. पृथ्वी की भूपर्पटी में सर्वाधिक मात्रा में मिलने वाली धातु है –
(a) आयरन
(b) कॉपर
(c) ऐलुमिनियम
(d) मर्करी।
उत्तर-
(c) ऐलुमिनियम।

8. कौन-सी अधातु चमकयुक्त होती है ?
(a) सल्फर
(b) ऑक्सीजन
(c) नाइट्रोजन
(d) आयोडीन।
उत्तर-
(d) आयोडीन।

9. कौन-सी अधातु द्रव अवस्था में होती है –
(a) कार्बन
(b) ब्रोमीन
(c) फॉस्फोरस
(d) सल्फर। .
उत्तर-
(b) ब्रोमीन।

10. ऐलुमिनियम पर मोटी ऑक्साइड की परत बनने की प्रक्रिया को कहते हैं –
(a) ऐनोडीकरण
(b) कैथोडीकरण
(c) तन्यता
(d) कठोरता।
उत्तर-
(a) ऐनोडीकरण।

11. Fe2O3 + 2Al → 2Fe + Al2O3 + ऊष्मा, इस अभिक्रिया का क्या नाम है-
(a) ऐनोडीकरण
(b) थर्मिट
(c) यशदलेपन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) थर्मिट।

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12.कॉपर को खुला छोड़ देने पर उस पर हरे रंग की परत जम जाती है। इसका कारण है –
(a) CuSO4
(b) CuCO3
(c) Cu(NO3)2
(d)CuO.
उत्तर-
(a) CuSO4

13. यशदलेपन में किस धातु की परत चढ़ाई जाती है –
(a) ताँबा
(b) ऐलुमिनियम
(c) जस्ता.
(d) चाँदी।
उत्तर-
(c) जस्ता।

14. सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करने को कहते हैं –
(a) निस्तापन
(b) संयोजन
(c) भर्जन
(d) दहन।
उत्तर-
(c) भर्जन।

15. कार्बोनेट अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करने को कहते हैं –
(a) निस्तापन
(b) संयोजन
(c) भर्जन
(d) दहन।
उत्तर-
(a) निस्तापन।

16. अमलगम एक मिश्रातु है जो एक या एक से अधिक धातुओं का –
(a) मर्करी के साथ मिश्रण होता है |
(b) सोडियम के साथ मिश्रण होता है |
(c) कैल्सियम के साथ मिश्रण होता है |
(d) पोटैशियम के साथ मिश्रण होता है।
उत्तर-
(a) मर्करी के साथ मिश्रण होता है।

17. निम्न में से उदासीन ऑक्साइड है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड
(c) सल्फर डाइऑक्साइड
(d) सल्फर ट्राइऑक्साइड।
उत्तर-
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड।

18. जंग लगने के लिए
(a) केवल वायु की आवश्यकता होती है
(b) केवल जल की आवश्यकता होती है
(c) वायु एवं जल दोनों की आवश्यकता होती है
(d) वायु एवं जल दोनों की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्तर-
(c) वायु एवं जल दोनों की आवश्यकता होती है।

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19. अयस्क से गैंग को दूर करने को कहते हैं –
(a) निस्तापन
(b) भर्जन
(c) समृद्धीकरण
(d) अपचयन।
उत्तर-
(c) समृद्धीकरण।

20. सीसा एवं टिन की मिश्रातु को कहते हैं
(a) अमलगम
(b) सोल्डर
(c) काँसा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) सोल्डर।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर धातुएँ ……………………………… बनाती हैं।
उत्तर-
क्षारकीय ऑक्साइड,

2. भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले तत्वों या यौगिकों को …………………………….. कहते हैं।
उत्तर-
खनिज,

3. रेल की पटरी और मशीन के पुों की दरारों को …………………………….. द्वारा जोड़ा जाता है।
उत्तर-
थर्मिट अभिक्रिया,

4. सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम धातुएँ, …………………………….. से अधिक क्रियाशील हैं।
उत्तर-
कार्बन,

5. अधातुएँ ऊष्मा की …………………………….. होती हैं, केवल ग्रेफाइट अधातु ऊष्मा की …………………………….. है।
उत्तर-
कुचालक, सुचालक।

सुमेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्न को सुमेलित कीजिये।

कॉलम (1) (धातु)कॉलम (ii) (धातु के अयस्क)
1. ऐलुमिनियम(a) कैलेमाइन (Calamine)
2. आयरन(b) डोलोमाइट (Dolomite)
3. लेड(c) सिनेबार (Cinnabar)
4. मरकरी(d) हीमेटाइट (Haematite)
5. जिंक(e) गैलेना (Galena)
6. कैल्सियम(f) बॉक्साइट (Bauxite)

उत्तर-

कॉलम (1) (धातु)कॉलम (ii) (धातु के अयस्क)
1. ऐलुमिनियम(f) बॉक्साइट (Bauxite)
2. आयरन (d) हीमेटाइट (Haematite)
3. लेड (e) गैलेना (Galena)
4. मरकरी(c) सिनेबार (Cinnabar)
5. जिंक(a) कैलेमाइन (Calamine)
6. कैल्सियम(b) डोलोमाइट (Dolomite)

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
निम्न को समेलित करें –

कॉलम-Iकॉलम-II
1. विद्युत अपघटनी अपचयन(a) एल्युमीनियम
2. कार्बन से अपचयन(b) जिंक
3. एल्युमीनियम से अपचयन(c) सोडियम
(d) आयरन
(e) मैग्नीशियम
(f) क्रोमियम

उत्तर-
1. विद्युत अपघटनी अपचयन → (a) एल्युमीनियम, (c) सोडियम
2. कार्बन से अपचयन → (b) जिंक, (d) आयरन
3. एल्युमीनियम से अपचयन → (e) मैग्नीशियम, (f) क्रोमियम

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HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 परिवार के संसाधन

Haryana State Board HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 परिवार के संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 परिवार के संसाधन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
लक्ष्य क्या हैं ?
उत्तर :
लक्ष्य वे उद्देश्य हैं जिन्हें हम प्राप्त करना चाहते हैं जैसे एक विद्यार्थी का लक्ष्य होता है कि वह अच्छे अंक प्राप्त करे तथा शिक्षा पूर्ति के बाद अच्छा व्यापार या अच्छी नौकरी प्राप्त करे।

प्रश्न 2.
संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर :
लक्ष्य प्राप्ति के लिए हम जिन चीजों तथा साधनों का प्रयोग करते हैं उन्हें संसाधन कहते हैं।

प्रश्न 3.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
ये दो प्रकार के होते हैं-मानवीय एवं मानवेतर।

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प्रश्न 4.
मानवीय व मानवेतर संसाधनों के कुछ उदाहरण दीजिए।
अथवा
निम्नलिखित साधनों का मानवीय व मानवेतर संसाधनों के अन्तर्गत सूचीकरण करें।समय, धन, ऊर्जा, भूमि, ज्ञान, भौतिक वस्तुएँ, कौशन व योग्यताएँ, सामुदायिक सुविधाएँ।
उत्तर :
HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 परिवार के संसाधन 1

प्रश्न 5.
मानवीय संसाधनों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
मानवीय संसाधन व्यक्ति विशेष का अंश होते हैं। इन संसाधनों का प्रयोग केवल वही व्यक्ति विशेष कर सकता है। जैसे-समय, ऊर्जा आदि।

प्रश्न 6.
मानवेतर संसाधन क्या हैं ?
उत्तर :
ये इस तरह के संसाधन हैं जिनका प्रयोग कोई भी व्यक्ति कर सकता है। जैसे-धन, भूमि आदि।

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प्रश्न 7.
संसाधनों की विशेषताएँ संक्षेप में समझाएँ।
उत्तर :
संसाधनों की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. सभी संसाधन उपयोगी हैं क्योंकि इनके प्रयोग द्वारा ही मानव अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।
  2. सभी संसाधन सीमित हैं अतः हमें इन्हें बर्बाद नहीं करना चाहिए। जैसे यदि आप धन या ऊर्जा को बर्बाद करते हैं तो आपको यह दुबारा अजित करने पड़ेंगे।
  3. सभी संसाधन एक-दूसरे से परस्पर जुडे हैं जैसे कि सब्जियाँ खरीदने के लिए न सिर्फ धन चाहिए बल्कि समय, ऊर्जा व कौशल भी चाहिए।

प्रश्न 8.
योजना बनाने के अतिरिक्त गहिणी को कौन-सी अन्य बातों का ज्ञान होना चाहिए जिससे समय तथा शक्ति बच सकती हो ?
अथवा
समय का प्रभावपूर्ण ढंग से प्रयोग करने के लिए आप गृहिणी को कोई दो सुझाव दें।
अथवा
समय का सदुपयोग करने के लिए एक गृहिणी को तीन सुझाव दें।
उत्तर :

  1. सभी चीज़ों को अपने स्थान पर रखो ताकि ज़रूरत पड़ने पर वस्तु को ढूंढ़ने में समय नष्ट न हो।
  2. काम करने के लिए सामान अच्छा तथा ठीक हालत में होना चाहिए।
  3. काम करने वाली जगह पर रोशनी का ठीक प्रबन्ध होना चाहिए।
  4. काम करने के सुधरे तरीकों का प्रयोग करना चाहिए।
  5. घर के सभी सदस्यों की मदद लेनी चाहिए। यदि फिर भी कार्य तथा आय के साधन ठीक हों तो कार्य बाहर से भी करवाया जा सकता है।
  6. काम करने वाली जगह की ऊंचाई अथवा वस्तुओं के हैण्डल ऐसे हों कि कन्धों पर अधिक भार न पड़े।

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प्रश्न 9.
मूल्यांकन से क्या अभिप्राय है ? बच्चों के लिए यह क्यों ज़रूरी है?
उत्तर :
कुछ देर किसी योजना के अनुसार कार्य करते रहने के पश्चात् देखा जाता है कि नियत लक्ष्य प्राप्त हो रहे हैं, अथवा नहीं। यदि लक्ष्य प्राप्त न हो रहे हों तो योजना में फेर-बदल किया जाता है तथा इस तरह अपनी योजना का मूल्यांकन किया जाता है ताकि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो सके।
बच्चों के विकास तथा वृद्धि में किसी प्रकार की कमी न आए इसलिए उनका मूल्यांकन करना आवश्यक है।

प्रश्न 10.
पारिवारिक साधनों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
पारिवारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए परिवार में उपलब्ध साधनों का प्रयोग किया जाता है। इन साधनों को दो भागों में बांटा गया है –
(i) मानवीय साधन
(ii) भौतिक साधन।
दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है।

प्रश्न 11.
पारिवारिक साधनों का वर्गीकरण कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर :
साधनों का वर्गीकरण दो भागों में किया जा सकता है –
1. मानवीय साधन
2. गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन।

(i) मानवीय साधन हैं – कुशलता, ज्ञान, शक्ति, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि।
(ii) भौतिक साधन हैं – समय, धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि।

प्रश्न 12.
पारिवारिक साधनों की क्या विशेषताएं होती हैं ?
उत्तर :

  1. यह साधन सीमित होते हैं।
  2. साधन उपयोगी होते हैं तथा इनका प्रयोग कई रूपों में किया जा सकता है।
  3. साधनों का प्रभावशाली प्रयोग किसी भी व्यक्ति के जीवन स्तर को प्रभावित करता है।
  4. सभी साधनों का उचित प्रयोग परस्पर सम्बन्धित होता है तथा इस तरह उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
  5. इन साधनों के उचित प्रयोग से हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

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प्रश्न 13.
मानवीय साधन कौन-से हैं और उनकी गृह-व्यवस्था में क्या महत्ता है ?
उत्तर :
ये वे साधन हैं जो मानव के अन्दर होते हैं। ये हैं – योग्यताएं, कुशलता, रुचियां, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति आदि।
इन साधनों का उचित प्रयोग करके गृह प्रबन्ध बढ़िया ढंग से किया जा सकता है। किसी कार्य को करने की योग्यता तथा कुशलता हो तो कार्य में रुचि तथा दिलचस्पी स्वयं पैदा हो जाती है। नए उपकरणों तथा मशीन आदि के बारे ज्ञान हो तो समय तथा शक्ति की बचत हो जाती है। घर के सदस्यों की शक्ति भी एक मानवीय साधन है।

प्रश्न 14.
भौतिक साधन कौन-से हैं और गृह-व्यवस्था के लिए कैसे लाभदायक हैं ?
अथवा
(A) भौतिक साधन क्या है? दो उदाहरण दें।
(B) कोई भी दो भौतिक साधन बताइये।
उत्तर :
गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं-धन, समय, जायदाद, सुविधाएं आदि। इन सभी के उचित प्रयोग से गृह-व्यवस्था ठीक ढंग से की जा सकती है तथा परिवार के उद्देश्यों तथा ज़रूरतों की पूर्ति की जा सकती है।

प्रश्न 14. (A)
कोई भी दो भौतिक साधन बताइये।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्न।

प्रश्न 15.
समय तथा शक्ति की व्यवस्था से आप क्या समझते हो ?
उत्तर :
समय ऐसा साधन है जो कि सभी के लिए समान होता है। जब किसी कार्य को करने की शक्ति तथा समय का प्रयोग किया जाता है तो थकावट महसूस होती है। इसलिए समय तथा शक्ति दोनों साधनों को सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए ताकि कार्य भी हो जाये तथा थकावट भी ज़रूरत से ज्यादा न हो तथा दोनों की बचत भी हो जाये।

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प्रश्न 16.
संसाधनों का प्रयोग समझदारी से करना चाहिए। इस कथन का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर :
इस कथन का अर्थ है कि सभी संसाधनों का प्रयोग समझदारी से करना चाहिए। संसाधन सीमित हैं यदि हम समझदारी से काम लेंगे तो हम संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग कर सकेंगे।

प्रश्न 17.
नीचे कुछ क्रियाएँ दी गई हैं। प्रत्येक क्रिया को करने के लिए आवश्यक संसाधन जो चाहिएं उनके नाम लिखें।
उत्तर :

  1. बाज़ार से सब्ज़ियाँ खरीदना – धन, कौशल, समय व ऊर्जा।
  2. कपड़े धोना – समय, ऊर्जा, कौशल।।
  3. भोजन पकाना – समय, ऊर्जा, कौशल व सब्जियाँ खरीदने के लिए धन।
  4. रेडियो सुनना – समय।
  5. गैस का चूल्हा चुनना – कौशल, ऊर्जा, समय, धन।
  6. चादर पर कढ़ाई करना – कौशल, समय, ऊर्जा ।

प्रश्न 18.
पार्क व डाक तार सेवा परिवार के किन संसाधनों के अन्तर्गत आते हैं ?
उत्तर :
भौतिक साधन।

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प्रश्न 19.
निम्नलिखित संसाधनों का मानवीय व मानवेतर संसाधनों के अन्तर्गत सूचीकरण करें –
(i) समय
(ii) कम्प्यू टर
(iii) पुस्तकें
(iv) ज्ञान।
उत्तर :
मानवीय संसाधन – ज्ञान।
मानवेतर संसाधन – समय, कम्प्यूटर, पुस्तकें।

प्रश्न 20.
एक गृहिणी की किन्हीं दो ऐसी निपुणताओं का उल्लेख करें, जो उसके परिवार के लिए संसाधन का कार्य कर सकती है। इन निपुणताओं की उपयोगिता बताएं।
उत्तर :
1. सिलाई-कढ़ाई
2. पाक कला।
गहिणी इन निपुणताओं का प्रयोग करके घर के माहौल को खुशगवार बना सकती है तथा इन्हीं निपुणताओं के प्रयोग से घर की आय में वृद्धि भी कर सकती है।

प्रश्न 21.
साधन कितनी प्रकार के हैं ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 22.
कार्य सरलीकरण से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
कार्य सरलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर :
आज के इस नवीन युग में जबकि अधिकतर गृहिणियां घर की कार्य विधियों के साथ-साथ बाहर भी काम पर जाती हैं, कार्य-सरलीकरण (Work Simplification) बहुत ही आवश्यक है। ‘निर्धारित समय और शक्ति की मात्रा के उपयोग से अधिक कार्य सम्पादित करना’ अर्थात् ‘कार्य की निश्चित मात्रा को कम करने की प्रक्रिया’ को ही कार्य सरलीकरण कहा जाता है। कार्य के सरलीकरण में समय और शक्ति दोनों के प्रबन्ध को मिला दिया जाता है।

प्रश्न 23.
ज्ञान प्राप्ति के कोई चार साधन बताइये ?
उत्तर :
पुस्तकें, रेडियो, समाचार-पत्र, अनुभव।

लघु उत्तदीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
अथवा
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले छः तत्त्व बताएँ।
उत्तर :
पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं –
परिवार का आकार तथा रचना, जीवन-स्तर, घर की स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यता, ऋतु आर्थिक स्थिति आदि।

प्रश्न 2.
योजना बनाकर समय और शक्ति के व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर :
योजना बनाकर कार्य किया जाये तो समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है। योजना बनाने से पहले सारे कार्यों की सूची बनाई जाती है। इस तरह यह पता लगाया जाता है कि कौन-सा कार्य किस समय और कौन-से सदस्य द्वारा किया जाना है। योजना में अपने व्यक्तिगत कार्यों तथा मनोरंजन के लिए भी समय रखा जाता है। योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने से रोज़ एक जैसी शक्ति का प्रयोग होता है। इस तरह अधिक थकावट भी नहीं होती। योजनाएं दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों के लिए भी तैयार की जाती हैं। इस तरह समय तथा शक्ति के खर्च को घटाया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
निर्णय लेने की प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
निर्णय अथवा फैसला लेने की प्रक्रिया को गृह-सम्बन्ध का अभिन्न अंग माना गया है। निर्णय लेने की क्रिया से अभिप्राय है किसी समस्या के हल के लिए विभिन्न विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव करना। किसी भी तरह का निर्णय लेने के लिए अग्रलिखित चरणों में से गुजरना पड़ता है –

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प्रश्न 4.
निर्णय लेने से पूर्व सोच-विचार करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
जब परिवार में कोई समस्या आ जाये तो उसके हल के लिए सोच-विचार करके ही निर्णय लेना चाहिए। प्रत्येक समस्या के हल के लिए कई विकल्प होते हैं। विभिन्न विकल्पों की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए तथा प्रत्येक विकल्प कई तत्त्वों का समूह होता है। इनमें से कई तत्त्व समस्या के हल के लिए सहायक होते हैं तथा कई नहीं, कई कम सहायक होते हैं तथा कई अधिक सहायक होते हैं।

इसलिए इन तत्त्वों की जानकारी प्राप्त करनी तथा कई स्थितियों में आपको किसी अन्य अनुभवी व्यक्ति की सलाह भी लेनी पड़ती है ताकि ठीक विकल्प का चुनाव हो सके जैसे मनोरंजन की समस्या के लिए कई विकल्प हैं जैसे सिनेमा जाना, कोई खेल खरीदना अथवा टेलीविज़न खरीदना। इन सभी विकल्पों के बारे जानकारी लेना तथा फिर एक उपयुक्त विकल्प जैसे कि टेलीविज़न का चुनाव किया जाता है क्योंकि एक लम्बे समय तक चलने वाला मनोरंजन का साधन है। इसके साथ परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए मनोरंजन के कार्यक्रम मिल सकते हैं। इसलिए इन सभी तत्त्वों को ध्यान में रखकर सभी विकल्पों के बारे में सोच समझकर ही निर्णय लेना चाहिए।

प्रश्न 5.
सही निर्णय गृह व्यवस्था में कैसे उपयोगी होता है ?
उत्तर :
सही निर्णय लिए जाएं तो समय, शक्ति, धन आदि की बचत हो सकती है। यदि घर की व्यवस्था सोच-समझकर तथा सही निर्णय न लेकर की जाए, तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है। घर के सदस्यों में मेल-मिलाप नहीं रहता। कोई भी कार्य समय पर नहीं होता तथा मानसिक तथा शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस तरह सभी निर्णय घर की व्यवस्था में बड़ा लाभदायक होता है।

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प्रश्न 6.
साधन क्या हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
अथवा
साधन कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
प्रबन्ध में विभिन्न साधनों का प्रयोग करके ही पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति की जाती है। व्यवस्था से सम्बन्धित निर्णय लेते समय यह भी ध्यान रखा जाता है कि विभिन्न पारिवारिक साधनों का प्रयोग किस प्रकार से किया जाए जिससे कि अधिक-से-अधिक लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके।

ये साधन दो प्रकार के होते हैं –
(i) मनुष्य गत या मानवीय साधन (Human Resources)
(ii) अमानवीय या बिना मनुष्य के या भौतिक साधन (Non Human or Material Resources)

मानवीय साधनों के अन्तर्गत समय, शक्ति तथा ऊर्जा, अभिरुचि, ज्ञान, निपुणता तथा परिस्थिति के अनुरूप अपने आप को ढालने की क्षमता आती है, जबकि भौतिक साधन हैं-धन-सम्पत्ति, मकान-कपड़ा आदि। सामुदायिक सुविधाएं जैसे-अस्पताल, स्कूल, पार्क आदि भी बिना मनुष्य के साधनों के ही उदाहरण हैं।

प्रश्न 7.
मानवीय साधन कार्य निपुणता एवं कुशलता द्वारा लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर :
घर को ठीक प्रकार से चलाने के लिए गृहिणी का विभिन्न कार्यों जैसे भोजन बनाना, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि में कुशल होना बहुत ही आवश्यक है। यदि गृहिणी वस्त्रों की सिलाई में निपुण है तो वह घर के सदस्यों के वस्त्र बाहर से न सिलवाकर, घर पर ही सिल सकती है जिससे एक प्रकार से अपने परिवार की आय की सम्पूर्ति कर सकती है। न केवल गृहिणी ही, वरन् घर के अन्य सदस्य भी अपनी कुशलता तथा निपुणता के बल से घर को उत्तम ढंग से व्यवस्थित करने में मदद कर सकते हैं। परिवार के सभी सदस्यों की अलग-अलग रुचि होती है। गृहिणी का यह कर्त्तव्य है कि वह घर को सुचारू रूप से चलाने के लिए सदस्यों की विभिन्न रुचियों की पुष्टि करने में मदद करे। इस प्रकार सदस्यों की रुचियों तथा कुशलता के आधार पर ही वह घर के विभिन्न कार्यों को उन पर सौंप सकती है।

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प्रश्न 8.
अमानवीय या भौतिक या पदार्थीय साधनों को परिभाषित करते हुए उन्हें उदाहरण सहित वर्णित कीजिए।
अथवा
पारिवारिक मानवेतर संसाधनों का वर्णन करो।
अथवा
अमानवीय साधनों के अन्तर्गत कौन-कौन से साधन सम्मिलित किए जा सकते हैं ?
उत्तर :
अमानवीय या भौतिक या पदार्थीय साधन वे होते हैं जोकि भौतिक रूप से व्यक्ति को प्राप्त होते हैं। ये साधन व्यक्ति द्वारा धारण, उपयोग तथा नियन्त्रित किए जाते हैं, उदाहरणार्थ-स्थिर सम्पत्ति, जैसे मकान, दुकान तथा ज़मीन आदि, तथा अस्थिर साधन वास्तव में हर प्रकार की भौतिक वस्तु जो कि परिवार को उपलब्ध हों-भौतिक या पदार्थीय साधन कहलाती है। ‘धन’ सबसे मुख्य भौतिक साधन है, क्योंकि इसी के द्वारा मनुष्य अन्य वस्तुओं को किसी भी आवश्यकतानुसार खरीद सकता है।

इसके साथ ही समाज द्वारा दी गई विभिन्न सुविधाएं, जैसे कि-अस्पताल, पार्क, खेल के मैदान, बाजार, समाज सदन तथा मन्दिर आदि, जिनका उपयोग परिवार के सभी सदस्य करते हैं-सभी भौतिक साधन हैं। वास्तव में मानवीय और भौतिक साधनों को पृथक् करना बहुत कठिन है। उपरोक्त सभी पारिवारिक साधनों में से कुछ साधन ऐसे हैं, जोकि मानवीय तथा भौतिक साधन दोनों कहलाते हैं।

उदाहरणार्थ-यदि एक गृहिणी सभी कार्य स्वयं अकेले नहीं कर सकती, तो वह हाथ बंटाने के लिए घरेलू नौकर को रख सकती है। इस स्थिति में वह अपने ‘धन’ को, ‘मनुष्य श्रम’ के बदले में परिवर्तित करती है। इसी प्रकार आज के वैज्ञानिक युग में हम देखते हैं, कि मानवीय शक्ति का स्थान विद्युत् तथा गैस द्वारा प्राप्त ऊर्जा ले रही है। इसी प्रकार समय भी मानवीय तथा भौतिक दोनों ही साधनों के अन्तर्गत आता है, क्योंकि यह सभी मनुष्यों के लिए स्थिर होता है। परन्तु इसका उपयोग किसी प्रकार किया जाए यह व्यक्ति पर निर्भर करता है।

प्रश्न 9.
‘समय-व्यवस्थापन’ से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
समय का व्यवस्थापन करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
समय एक बहुत महत्त्वपूर्ण साधन है। यही एक ऐसा साधन है जिसकी मात्रा प्रत्येक व्यक्ति के पास समान होती है, चाहे वह गरीब हो या अमीर, वह किसी भी जाति का हो, किसी भी लिंग का अथवा किसी भी आयु का। सभी के लिए एक दिन में होने वाले चौबीस घण्टे ही होते हैं जिनका उपयोग व्यक्ति किसी भी तरीके से कर सकता है। समय का उपयुक्त उपयोग बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि बीता हुआ समय फिर वापिस नहीं मिल सकता।

समय का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है इसीलिए हम सबको यह प्रयत्न करना चाहिए कि समय का इस प्रकार प्रयोग किया जाये जिससे कि कम से कम समय में अधिक से अधिक कार्य हो सके तथा इसके साथ यह भी ज़रूरी है कि कार्य भली प्रकार से किया जाए। इस कम-से-कम समय में अधिक-से-अधिक व अच्छा कार्य करना ही “समय व्यवस्थापन” (Time Management) कहलाता है।

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प्रश्न 10.
गृहिणी के लिए ‘समय योजना’ करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
परिवार में आरम्भ से ही बच्चों को उनकी विभिन्न क्रियाओं को सीमित समय में ही पूरा करना सिखाया जाता है, उसी प्रकार माता-पिता भी विभिन्न कार्यविधियों, जैसे कि सुबह उठना, भोजन करना तथा बिस्तर पर जाने आदि के लिए एक निश्चित समय निर्धारित कर लेते हैं। इस प्रकार हर व्यक्ति समय का प्रयोग करने के लिए एक विशेष ‘समय अनुबन्ध’ (Time Pattern) की पुष्टि कर लेता है, चाहे वह कार्यसाधक हो या नहीं। परिवार में गृहिणी को सीमित समय में अनेक कार्य-विधियों को पूरा करना काफ़ी कठिन होता है क्योंकि उसे घर के विभिन्न उत्तरदायित्वों को निभाना पड़ता है। पारिवारिक जीवनचक्र के प्रथम सोपान में जबकि बच्चे बहुत छोटे होते हैं, यह कार्य और भी अधिक जटिल हो जाता है।

परिवार के विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समय की ठीक व्यवस्था करना गृहिणी के लिए अत्यन्त आवश्यक है। उसे समय को विभिन्न कार्यों को करने, सोने आराम करने तथा मनोरंजन के लिए सही प्रकार से विभाजित करना चाहिए। परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं के अनुसार ही एक गृहिणी को कई कार्यों को सम्पन्न करने के लिए समय लगाना पड़ता है, जैसे घर की देख-रेख करना, खाना पकाना, बच्चों को खिलाना, शिक्षा तथा धन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों को निभाना तथा अन्य कई सामाजिक तथा धार्मिक कार्य-विधियों में भाग लेना आदि।

गृहिणी को चाहिए कि वह अपने समय का आयोजन इस प्रकार करे कि वह उपलब्ध सीमित समय का अधिक-से-अधिक प्रयोग करके सभी कार्यों को सम्पन्न करने में सफल हो सके। इसके लिए गृहिणी को विभिन्न कार्यविधियों को करने के लिए “समय योजना” (Time Plan) बना लेनी चाहिए। एक अच्छी सोच विचार से बनाई गई योजना एक साधन का कार्य करती है जोकि समय तथा शक्ति की बचत करने में सहायक होती है।

प्रश्न 11.
(क) मानवीय साधन क्या हैं ? दो उदाहरण दें।
(ख) कोई दो मानवीय साधन बताइये।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

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प्रश्न 12.
शक्ति प्रबन्ध को परिभाषित करें।
उत्तर :
दैनिक कार्यों को ऐसी कुशलता, चतुराई और योजनाबद्ध तरीके से करना, जिससे कम से कम मात्रा में शक्ति के उपयोग से अधिक लाभप्रद कार्यों को सम्पन्न कर सके-‘शक्ति-प्रबन्ध’ कहलाता है। इस प्रकार शक्ति प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य है-किसी भी कार्य के लिए कम-से-कम शक्ति का व्यय करना जिससे कि गृहिणी काम को बिना थकान के ही कर सके।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
पारिवारिक साधन मानवीय उद्देश्यों को प्राप्त करने में कैसे सहायक होते हैं ? इन्हें प्रभावित करने वाले तत्त्व कौन-से हैं ?
उत्तर :
परिवार के लिए उपलब्ध साधन, पारिवारिक लक्ष्यों अथवा उद्देश्यों की पूति करने में सहायक होते हैं। दैनिक कार्यों में मौजूद साधनों का प्रयोग किया जाता है अथवा साधनों के प्रयोग से भी कार्य किया जाता है। साधनों के सफल प्रयोग को कई तत्त्व प्रभावित करते हैं
1. परिवार का आकार तथा रचना – जिन परिवारों में छोटे बच्चे अथवा बुजुर्ग होते हैं वहां गृहिणी को अधिक कार्य करना पड़ता है। परन्तु बच्चे बड़े होकर गृहिणी की मदद करने लग जाते हैं, तथा कई बुजुर्ग भी घर के काम-काज में मदद कर देते हैं।
2. जीवन-स्तर – सादा जीवन व्यतीत करने वालों के लक्ष्य आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं।
3. घर की स्थिति – यदि घर, स्कूल तथा कॉलेज, मार्कीट आदि के निकट हो, तो आने-जाने का काफ़ी समय तथा शक्ति बच जाती है। यदि घर बड़ी सड़क के नज़दीक हो तो धूल-मिट्टी काफ़ी आती है तथा सफ़ाई पर काफ़ी समय नष्ट हो जाता है।
4. आर्थिक स्थिति – यदि अधिक आय हो तो घर में नौकर रखे जा सकते हैं तथा कई कार्य बाहर से भी करवाये जा सकते हैं। यदि आय कम हो तो गृहिणी को सभी कार्य स्वयं ही करने पड़ते हैं।
5. परिवार के सदस्यों की शिक्षा – पढ़े-लिखे लोग आधुनिक साधनों का प्रयोग करके अपनी शक्ति तथा समय की काफ़ी बचत कर लेते हैं, जैसे एक पढ़ी-लिखी गृहिणी वाशिंग मशीन तथा मिक्सी आदि का प्रयोग करेगी जबकि अनपढ लोग पुराने परम्परागत साधनों तथा रिवाजों पर ही निर्भर रहते हैं।
6. ऋतु बदलना – गांवों में बिजाई-कटाई के समय कार्य अधिक करना पड़ता है और समय कम। शहरों में ऋतु बदलने पर गर्म-ठण्डे कपड़ों आदि को निकालना तथा रखना आदि कार्य बढ़ जाते हैं।
7. गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यताएं – एक कुशल गृहिणी अपनी योग्यता से समय तथा शक्ति की बचत कर सकती है।

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प्रश्न 2.
समय और शक्ति पारिवारिक साधन कैसे हैं ? योजना बनाकर उनके व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
अथवा
समय और शक्ति के व्यय को कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर :
समय सभी के लिए ही बराबर होता है। एक दिन में 24 घण्टे होते हैं। परन्तु शक्ति सभी के पास एक जैसी नहीं होती तथा आयु के साथ-साथ इनमें अन्तर पड़ता रहता है। जब कोई कार्य किया जाता है तो समय तथा शक्ति दोनों खर्च होते हैं। योजना बनाकर कार्य किया जाये तो इन दोनों की बचत की जा सकती है। एक समझदार गृहिणी को समय तथा शक्ति के खर्च को घटाने के लिए योजना बनाने में कोई मुश्किल नहीं आती।

योजना को लिखकर बनाना चाहिए तथा योजना में लचीलापन होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसको बदला जा सके। सभी कार्यों की सूची बनाने के पश्चात् योजना बनानी चाहिए। यह भी तय कर लेना चाहिए कि इनमें से कौन-से कार्य किस सदस्य ने तथा कब करने हैं। दैनिक कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बना लेनी चाहिए।

अधिक भारी कार्य के पश्चात् हल्के कार्य को स्थान देना चाहिए ताकि अधिक थकावट न हो। योजना में अपने व्यक्तिगत तथा मनोरंजन के कार्यों के लिए भी समय रखना चाहिए। योजना इस तरह बनाएं कि प्रतिदिन ज़रूरी कार्यों तथा मनोरंजन के कार्यों में लगभग एक जैसी शक्ति व्यय हो। इस तरह योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके शक्ति तथा समय दोनों की बचत हो जाती है।

प्रश्न 3.
रसोई में श्रम व समय की बचत के लिए क्या सामान्य उपाय हो सकते हैं ?
उत्तर :
रसोई में गहिणी को अपेक्षाकृत कम शारीरिक श्रम तथा समय लगे इसके लिए निम्नलिखित उपाय उपयोग में लाये जा सकते हैं –

  1. रसोईघर में या इसके समीप ही जल प्राप्ति के साधन हों, ताकि गृहिणी को पानी के लिए बार-बार रसोईघर के बाहर न जाना पड़े।
  2. प्रत्येक दिन मसाला पीसने में काफ़ी समय और श्रम लगता है। उस बचाव के लिए पिसे हुए मसालों का प्रयोग करना चाहिए।
  3. खाना पकाने में कई मामलों तथा नमक आदि का प्रयोग होता है। रसोई पकाते समय ये सभी चीजें यथासम्भव हाथ के निकट रखी हों, ताकि गृहिणी को बार-बार उठकर उन्हें लाने के लिए भण्डार-घर में न जाना पड़े।
  4. रसोईघर के बेकार पदार्थ, जैसे सब्जी के छिलके, डण्ठल आदि को रखने के लिए खास बर्तन निकट में रखा हो, ताकि उन्हें फेंकने के लिए गृहिणी को बार-बार बाहर न जाना पड़े।
  5. रसोई पकाने में यथासम्भव ऐसे साधनों का प्रयोग करना चाहिए जिनसे कम धुआं निकलता हो। ईंधनों में यथासम्भव उपलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। साधारण आय के परिवारों के लिए कोयले का उपयोग करना अधिक उपयुक्त होता है।
  6. मैले कपड़ों को साफ करने के लिए गृहिणी को काफी श्रम करना पड़ता है। यदि साफ करने वाले कपड़ों को पहले ही सादे या सोडा मिले गर्म जल में भिगो दिया जाये तो कपड़े आसानी से साफ हो जाते हैं।
  7. गृहिणी को घर की सफाई करने में काफी समय लग जाता है। अतः ध्यान रखना चाहिए कि घर कम-से-कम गन्दा हो जिसके लिए जूतों को कमरे के भीतर नहीं लाना चाहिए तथा घर में प्रवेश करने के पहले पांवदान पर जूते या पैरों को साफ करने के बाद ही कमरे में प्रवेश करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
अवकाश काल के लिए विभिन्न प्रकार की क्रियाएं क्या हो सकती हैं ?
उत्तर :
अवकाश-काल में विभिन्न प्रकार की कलात्मक-क्रियाएं क्रियात्मक-क्रिया तथा संग्रहात्मक क्रियाएं की जा सकती हैं। इन क्रियाओं के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं –
1. कलात्मक क्रियाएं – दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने के पश्चात् अवकाश काल में विभिन्न प्रकार की कलात्मक क्रियाएं गृहिणी के जीवन की नीरसता को दूर कर उसे आनन्द का अनुभव कराती है। इन क्रियाओं से मनोरंजन के साथ-साथ थकान भी दूर हो जाती है। इन क्रियाओं के अन्तर्गत विभिन्न कलाएं, जैसे चित्रकला जिससे कि घर को सजाया जा सकता है, संगीत तथा नृत्यकला–जिससे मनोरंजन हो सकता है, तथा मूर्तिकला आदि आती हैं।

2. क्रियात्मक क्रियाएं – ये क्रियाएं परिवार के सभी सदस्यों के लिए आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से उपयोगी होती हैं उदाहरणार्थ एक गृहिणी, गृह प्रबन्ध सम्बन्धी क्रियाएं अपने अवकाश-काल में कर सकती हैं, जैसे मसाले तथा अनाज साफ करना, अचार-मुरब्बे बनाना, सिलाई-कढ़ाई आदि। इसके अतिरिक्त परिवार के अन्य सदस्य सामुदायिक तथा धार्मिक क्रियाओं, बागबानी, पशुपालन व भ्रमण आदि में अपना समय व्यय कर सकते हैं।

3. संग्रहात्मक क्रियाएं – गृहिणी अपनी रुचि के आधार पर अपने अवकाश-काल में विभिन्न वस्तुओं का संग्रह कर अपना मनोरंजन कर सकती है उदाहरणार्थ विभिन्न देशों के टिकटों का संग्रह, मुद्रा का संग्रह, फूल-पत्तियों तथा पक्षियों के पंखों को एकत्रित करना आदि इसी के अन्तर्गत आते हैं। न केवल गृहिणी वरन् परिवार में बच्चे तथा अन्य सदस्य भी अपनी रुचि के आधार पर इन वस्तुओं को एकत्रित करने का चयन कर सकते हैं।

अन्त में यह कहा जा सकता है कि गृहिणी को अपनी समय-योजना बनाते समय अवकाश-काल के उपयुक्त उपयोग पर भी अवश्य ध्यान देना चाहिए। उसे अवकाश-काल की योजना बनाते समय यह देखना चाहिए कि उसमें ऐसी क्रियाएं हों जिससे कि उसका मनोरंजन हो तथा इसके साथ ही उसे नई कलाओं में रुचि क्षमता तथा निपुणता बढ़ाने का प्रोत्साहन मिले।

प्रश्न 5.
व्यर्थ में समय नष्ट न होने पाए, इसके लिए गृहिणी को आप क्या संकेत देंगी ?
उत्तर :
एक कुशल गृहिणी के लिए यह भी आवश्यक है कि वह अपने घर के काम काज को इस तरह से संभाले कि व्यर्थ में समय नष्ट न होने पाये। समय के अपव्यय को रोकने के लिए निम्नलिखित संकेत प्रत्येक गृहिणी के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं –
1. समय के अपव्यय को रोकने के लिए सर्वोत्तम विधि यह है कि घर के कार्यों को एक सुनिश्चित योजना के माध्यम से पूरा किया जाये।

2. समय के बचाव के लिए यह आवश्यक है कि काम-काज में आने वाली वस्तुओं को चालू हालत में रखा जाये। यदि सब्जी काटने के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले चाकू या छुरी की मूठ टूट गई तो सब्जी काटने में निश्चय ही देर लगेगी। इसी प्रकार यदि स्टोव के लिए प्रतिदिन बाजार से मिट्टी का तेल लाया जायेगा तो समय व्यर्थ में नष्ट होगा। इसी प्रकार से दिन-प्रतिदिन प्रयोग में आने वाली ऐसी बहुत-सी वस्तुएं हैं जिन्हें एक साथ क्रय न करने पर समय और श्रम का व्यर्थ में ही अपव्यय होता है।

3. समय के बचाव के लिए यह भी आवश्यक है कि जिस कार्य को करना हो. उसे करने की विधि भी ज्ञात हो। यदि ऐसा नहीं है तो काम करने में देर ही नहीं लगेगी अपितु वह ठीक प्रकार से सम्पन्न भी न हो पाएगा।

4. प्रत्येक काम मन लगा कर करने से भी समय की बचत होती है। मन लगाकर किया गया कार्य जहां एक ओर समय की बचत कराने में सहायक होता है वहीं दूसरी ओर वह ठीक समय पर पूरा भी हो जाता है।

5. समय की बचत के लिए उन यन्त्रों से भी सहायता लेनी चाहिए जिनके द्वारा कार्य शीघ्रता से सम्पन्न हो जाता है।

6. समय बचाने का सर्वोत्तम साधन तो यह है कि किसी भी कार्य को करते समय अपनी सूझबूझ का पूरा-पूरा लाभ उठाया जाए। उदाहरण के लिये, यदि किसी व्यक्ति को भोजन कराते या चाय पिलाते समय चार-पांच वस्तुएं परोसनी हों तो उन्हें एक-एक करके ले जाने के स्थान पर किसी ट्रे में रखकर एक साथ ले जाना चाहिए।

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प्रश्न 6.
एक गृहिणी को अपने अवकाश काल के सदुपयोग के बारे में आप क्या सलाह देंगे ?
उत्तर :
गृहिणी को प्रतिदिन कई प्रकार के गृह-कार्यों को सम्पन्न करना होता है जिसमें उसका अधिकांश समय लग जाता है। सबह के समय वह काफी व्यस्त होती है, क्योंकि उस समय उसे घर के अधिकांश कार्य करने होते हैं। अगर गृहिणी अपने कार्यों की योजना ठीक प्रकार से बनाये तो वह दोपहर में अवकाश का समय निकाल सकती है, जिसमें वह कुछ आराम कर सकती है तथा साथ ही अपने अवकाश काल में कुछ ऐसी क्रियाएं कर सकती हैं जिससे उसमें नवस्फूर्ति जागृत हो सके और वह पुनः अपने दैनिक कार्यों को सुचारु रूप से चला सके।

‘अवकाश-काल’ वह समय होता है जबकि गृहिणी घर के विभिन्न कार्यों में खाली होती है, तथा ‘अवकाश काल की क्रियाएं’ वे होती हैं जो कि सिर्फ उसके अपने लिए ही ज़रूरी होती हैं। एक गृहिणी अपने लिए कितना-अवकाश काल रखती है यह बहुत सी बातों पर निर्भर करता है उदाहरणार्थ-अगर वह परिवार के विभिन्न सदस्यों या नौकरों आदि से घर के कुछ कार्य करने में मदद ले लेती है तो उसके पास अधिक अवकाश-काल होता है जबकि इसके विपरीत कुछ गृहिणियां जो बाहर भी काम पर आती हैं, या कोई व्यवसाय चलाती हैं तो उन्हें ज्यादा अवकाश-काल नहीं मिल पाता। इसके साथ ही शहर व गांव के जीवन में काफ़ी अन्तर होने के कारण ग्रामीण व शहरी गृहिणियों के अवकाश काल में भी काफी अन्तर पाया जाता है।

अवकाश-काल चाहे कम हो या अधिक गृहिणी इसका उपयोग किसी प्रकार करे। प्रायः देखा जाता है कि अधिकांश गृहिणियां अवकाश-काल को सोने, आराम करने, बात-चीत करने में फिर उपन्यास आदि पढ़ने में ही व्यतीत करती हैं। आजकल की महँगाई के बढ़ते हुए इस युग में, विशेषकर उन गृहिणियों को चाहिए, जिनका कि कार्यक्षेत्र घर की चार-दीवारी तक ही सीमित रहता है कि वह अपने अवकाश काल को कुछ ऐसे उपयोगी कार्यों में लगाएं, जिससे कि वे अपनी पारिवारिक आय को बढ़ाने में भी मदद कर सकें।

गृहिणियां अपनी रुचि व कुशलता के अनुसार अपने अवकाश-काल में कढ़ाई-सिलाई, बागवानी, चित्रकारी, गुड़ियां बनाना आदि कार्य कर सकती हैं। ऐसा करने से वे न केवल अपने परिवार की आय ही बढ़ा सकती हैं, बल्कि जीवन की नीरसता को भी किसी हद तक कम कर सकती हैं। इस प्रकार परिस्थितियों के अनुसार, गृहिणी को चाहिए कि वह अपने अवकाश-काल को इस प्रकार आयोजित करे कि वह आराम के साथ-साथ इस समय को उपयोगी कार्यों में भी लगा सके।

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प्रश्न 7.
ज्ञान को मानवीय साधन के रूप में क्यों देखा जाता है ?
उत्तर :
वैसे तो जो भी व्यक्ति घर की व्यवस्था या प्रबन्ध को चलाए वही गृहप्रबन्धक कहलाता है, परन्तु इसका मुख्य उत्तरदायित्व गृहस्वामिनी अथवा गृहिणी पर ही होता है। घर को उचित ढंग से चलाने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि गृहिणी को घर के सभी कार्यों को सही रीति से करने तथा परिवार के साधनों का उचित उपयोग करने का पूरा ज्ञान हो। गृहिणी को निम्नलिखित कार्यों का ज्ञान तो आवश्यक ही होना चाहिए –

  1. घर को कैसे सजाया जाये।
  2. बच्चों की देख-रेख किस प्रकार की जाए।
  3. सन्तुलित भोजन किस प्रकार का होना चाहिए जिससे परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहे।
  4. खाना बनाने में इस प्रकार की दक्षता होनी चाहिए जिससे खाना बनाने में समय कम लगे और भोज्य पदार्थों की पौष्टिकता बनी रही। साथ ही खाना रुचिकर व स्वादिष्ट भी हो।
  5. खाना पकाने से पहले परिवार के सभी सदस्यों की रुचियों को ध्यान में रखकर योजना बना सके।
  6. बाजार से वस्तुएं खरीदने की कला का ज्ञान होना चाहिए।
  7. उसे ज्ञान होना चाहिए कि क्या खरीदना है, कहां से खरीदना है, कब खरीदना है और कितनी मात्रा में खरीदना है। इस सब के पीछे अर्थ यह है कि खरीददारी में धन का अपव्यय न होकर बचत हो।
  8. गृहिणी को बजट बनाने का ज्ञान भी होना चाहिए जिससे बचत भी हो सके।
  9. बचत किए गए पैसे का सही उपयोग भी अति आवश्यक है, इसके लिए गृहिणी को बैंक आदि में पैसे जमा करवाना तथा आवश्यकता के समय पैसे निकलवाने का ज्ञान भी होना चाहिए।

अत: ज्ञान ऐसा मानवीय साधन है जिसकी सहायता से इसके मानवीय तथा पदार्थाय या भौतिक साधनों में वृद्धि करके पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।

प्रश्न 8.
सब प्रकार के साधनों की समान विशेषतायें क्या हैं ? वर्णन कीजिए।
अथवा
परिवारिक संसाधनों की विशेषताएं बताएं।
अथवा
साधनों में क्या समानताएँ पायी जाती हैं ?
उत्तर :
विभिन्न प्रकार के साधनों में निम्नलिखित विशेषतायें समान रूप से विद्यमान रहती हैं –
1. सभी साधन सीमित होते हैं सब प्रकार के साधनों की एक मुख्य विशेषता यह है कि ये सभी सीमित होते हैं। यदि उपलब्ध साधन सीमित न हों, तो उनकी व्यवस्था करने की कोई आवश्यकता ही नहीं होती। वस्तुत: व्यवस्था की आवश्यकता तभी अनुभव होती है जब हमें सीमित साधनों में ही निर्धारित लक्ष्यों तक पहुंचना होता है।

जिस परिवार में जो साधन अधिक सीमित होगा, उस परिवार के लिए वही सबसे महत्त्वपूर्ण होगा जिस परिवार के पास पर्याप्त धन तो उपलब्ध हों परन्तु उसके सदस्यों के पास पर्याप्त समय न हो तो उस परिवार के लिए समय ही महत्त्वपूर्ण साधन होगा। इसके विपरीत ऐसा परिवार जिसके पास धन कम हो, उसके लिए समय की अपेक्षा धन ही महत्त्वपूर्ण साधन होगा। साधनों की सीमितता दो प्रकार की हो सकती है – (क) संख्यात्मक (Quantitative), (ख) गुणात्मक (Qualitative)।

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(क) संख्यात्मक (Quantitative) – वैसे तो सभी साधन सीमित होते हैं, किन्तु इनमें कुछ ऐसे होते हैं जिनकी सीमाएं स्पष्ट दिखाई देती हैं। उदाहरणार्थ समय एक ऐसा साधन है जिसे पूर्णतः सीमित कहा जा सकता है। संसार के प्रत्येक मनुष्य के लिये एक दिन में चौबीस घंटे होते हैं, न कम और न अधिक। यह बात दूसरी है कि अपनी आवश्यकताओं तथा उपलब्ध सुविधाओं के फलस्वरूप किसी व्यक्ति के पास एक मिनट बात करने के लिए भी समय न हो और किसी व्यक्ति के पास घंटों तक व्यर्थ की बातें करने के लिये समय निकल आये। इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के पास धन भी सामान्यतः एक सीमित मात्रा में ही होता है।

(ख) गुणात्मक (Qualitative) – यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि विभिन्न कार्यों को करने के लिये संसार के सभी व्यक्तियों में एक जैसी कार्य-क्षमता एवं प्रतिभा नहीं होती। यह कार्यक्षमता उसकी आयु, लिंग, अवस्था व स्थितियों पर निर्भर करती है। कुछ लोगों में जन्मजात प्रतिभा भी होती है जिसके फलस्वरूप वे प्रत्येक कार्य को अत्यन्त कलात्मक ढंग से अति शीघ्र पूर्ण कर लेते हैं। कई व्यक्तियों में यह प्रतिभा जन्मजात तो नहीं होती किन्तु वे पर्याप्त परिश्रम करके विभिन्न कलाओं में निपुणता प्राप्त कर लेते हैं।

लेकिन जिन व्यक्तियों में कलात्मक अभिरुचि का सर्वथा अभाव होता है, वे चाहे कितना भी प्रशिक्षण क्यों न ले लें किन्तु उनके द्वारा किए गए कार्यों में कलात्मकता आने ही नहीं पाती। यही कारण है कि कुछ परिवार जहां बहुत मामूली फर्नीचर, पर्दे आदि को ऐसे कलात्मक ढंग से सजाते हैं कि वे प्रत्येक व्यक्ति को तुरन्त प्रभावित कर डालते हैं, वहां दूसरी ओर बहुत से लोग कलात्मक अभिरुचि न होने के कारण बहुमूल्य वस्तुओं को भी अत्यन्त फूहड़ ढंग से प्रयोग में लाते हैं।

2. सभी साधनों का परस्पर सम्बन्धित होना – गृह प्रबन्ध एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सभी साधन चाहे वह भौतिक हों अथवा मानवीय का आपसी गहरा सम्बन्ध होता है। जब कोई गृहिणी अपनी ऊर्जा की उचित व्यवस्था करती है, तो उसके समय की स्वयं ही व्यवस्था हो जाती है। उदाहरणार्थ यदि कोई व्यक्ति कार खरीदना चाहता है, तो उसे या तो मौद्रिक आय में वृद्धि करनी होगी या परिवार की अन्य आवश्यकताओं पर होने वाले व्यय में कटौती करनी होगी।

यदि ऐसा न किया गया तो फिर कार खरीदने के लिए धन कहां से आयेगा ? यदि यह कहा जाये कि परिवार ने कार खरीदने के लिये पहले से ही पैसा एकत्रित कर लिया है तो ऐसा तभी हुआ होगा जब पहले इस कार्य के लिये पैसा इकट्ठा करने के लिये योजना बनाई गई होगी तथा परिवार के अन्य खर्चों में कटौती की गई होगी। मौद्रिक आय में वृद्धि के लिए कई बार गृहिणी या परिवार के अन्य सदस्य अपने मानवीय साधनों का प्रयोग करते हैं तथा मानवीय साधनों के प्रयोग से उन्हें भौतिक साधन प्राप्त होते हैं जिनका उपयोग वह अन्य भौतिक अथवा मानवीय साधनों को क्रय करने के लिए प्रयोग कर सकते हैं।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 परिवार के संसाधन

3. सभी साधन उपयोगी होते हैं-सभी साधनों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि वे हमारे जीवन के लिए उपयोगी होते हैं। वास्तव में वस्तु विशेष की उपयोगिता सिद्ध हो जाने के बाद ही उसकी गणना साधन के रूप में की जाती है। उदाहरणार्थ यदि बागवानी का ज्ञान साग सब्जी आदि उगाने में उपयोगी होता है, तो कलात्मक अभिरुचि विभिन्न कार्यों को कलात्मक ढंग से सम्पन्न करने में उपयोगी होती है। इसी प्रकार किसी गृहिणी की नाचने या गाने की कला की गणना तभी साधन के रूप में की जाएगी जब वह अपनी इस कला का उपयोग करेगी अन्यथा यह केवल कला मात्र ही है। इस कला का उपयोग बच्चों के लिए या फिर धन कमाने के लिए किया जा सकता है तथा यह साधन के रूप में प्रयोग की जा सकती है।

4. सभी साधनों की व्यवस्था करना – सभी साधनों की (चाहे वह भौतिक हो या मानवीय) व्यवस्था की जा सकती है। इनकी उचित व्यवस्था करके ही हम उत्तम गृह प्रबन्ध की कल्पना कर सकते हैं। इन साधनों के प्रयोग के लिए सर्वप्रथम उन्हें आयोजित करने की आवश्यकता होती है, जैसे कौन-सा साधन किस आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रयोग किया जाए। भौतिक आय की व्यवस्था करके ही हम ज्ञात कर सकते हैं कि कोई परिवार कितना भोजन पर, कितना कपड़ों पर तथा कितना अन्य आवश्यकताओं पर व्यय करे।

आयोजन के पश्चात् साधनों का प्रयोग करते समय नियन्त्रण रखना भी अति आवश्यक है जिससे साधनों का दुरुपयोग न हो। सभी साधनों का प्रयोग करने के पश्चात् हमें मूल्यांकन करना चाहिए जिससे हमें ज्ञान हो जाए कि साधनों के प्रयोग से हमारी आवश्यकता की पूर्ति हुई है या नहीं। जैसे धन की व्यवस्था करके जब हम आहार पर व्यय करते हैं और इस व्यय को नियन्त्रित भी रखते हैं तो अन्त में हमें देखना होगा कि मुद्रा के उपयोग से हमारी सन्तुलित आहार पाने की आवश्यकता पूर्ण हुई है अथवा नहीं ! यदि हमारी आवश्यकता पूर्ण नहीं हुई है, तो उसका क्या कारण है जिससे आगामी मास की व्यवस्था करते समय उन कारणों को दूर किया जा सके।

5. सभी साधनों के प्रयोग से लक्ष्य की प्राप्ति-सभी साधनों का प्रयोग, लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि साधन लक्ष्यों की प्राप्ति न करे, तो वह अर्थहीन एवं निरर्थक हो जाते हैं। विभिन्न साधनों का व्यवस्थित उपयोग करके ही हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं। यदि किसी भौतिक वस्तु या मानवीय गुणता के कारण लक्ष्य प्राप्ति न हो, तो हम उन्हें साधन की संज्ञा नहीं दे सकते हैं।

प्रश्न 8. (A)
सभी साधन सीमित होते हैं ? इस कथन का विश्लेषण करें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 8 का उत्तर।

प्रश्न 8 (B)
संसाधनों की तीन विशेषताएं बताएं।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 8. (C)
साधनों की सीमितता कितने प्रकार की हो सकती है ? उदाहरण से समझाएँ।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 9.
ज्ञान प्राप्ति किन-किन साधनों द्वारा हो सकती है ?
उत्तर :
कोई भी व्यक्ति निम्न साधनों द्वारा ज्ञान प्राप्त करता है –

  1. शिक्षा (Education)
  2. अनुभव (Experience)
  3. किताबों, पत्रिकाओं, समाचार-पत्रों, टेलीविज़न आदि द्वारा (From Books, Magazines, Newspapers, T.V. etc.)

1. शिक्षा (Education) – परिवार के सदस्यों की उचित शिक्षा द्वारा (चाहे वह विद्यालय में दी जाए या घर पर दी जाए) मानवीय साधन ज्ञान का विकास किया जाता है। यह व्यक्ति की मानसिक क्षमता एवं बुद्धिमत्ता पर निर्भर करता है कि शिक्षा द्वारा वह कितना ज्ञान प्राप्त करेगा। एक बुद्धिमान् व्यक्ति शिक्षा के माध्यम से अपनी बुद्धि का विकास बहुत तीव्र गति से करता है। इसके विपरीत एक मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति सिखाने पर भी बहुत कम सीखता है। स्कूल में दी गई नियमानुसार शिक्षा तथा घर पर दी गई शिक्षा दोनों का ही महत्त्व एक-दूसरे से कम नहीं है।

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2. अनुभव (Experience) – परिवार का प्रत्येक सदस्य समय-समय पर अनुभवों को ग्रहण करता है तथा इन्हीं अनुभवों की सहायता से वह ज्ञान प्राप्त करता है। जैसे-जैसे आयु की वृद्धि होती है अनुभव बढ़ते रहने से ज्ञान भी बढ़ता रहता है। अनुभवों की कोई चरम सीमा नहीं होती है। अत: जीवन भर प्रत्येक व्यक्ति नाना प्रकार के अनुभवों द्वारा ज्ञान प्राप्त करता रहता है।

3. किताबों, पत्रिकाओं, समाचार – पत्रों, टेलीविज़न आदि द्वारा (From Books Magazines, Newspapers, T.V. etc.) – जिन परिवार के सदस्यों की पढ़ाई में रुचि होती है वह किसी-न-किसी प्रकार की किताब, पत्रिका, समाचार-पत्र आदि पढ़ते रहते हैं और अपने ज्ञान में वृद्धि करते रहते हैं। बच्चों में ज्ञान वृद्धि के लिए यह सामग्री देते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि सामग्री उचित हो और वह उनके द्वारा उत्तम ज्ञान को ग्रहण करे। कई बार अनुचित किताबों, पत्रिकाओं आदि का चयन करने के कारण बच्चों को अच्छी आदतों के स्थान पर बुरी आदतें घेर लेती हैं और वह अनुचित ज्ञान प्राप्त करते हैं। आज के युग में टेलीविज़न भी ज्ञान का एक बहुत उपयोगी माध्यम है। टेलीविज़न से बच्चों के ज्ञान में बहुत वृद्धि हुई है।

प्रश्न 9 (A)
मानवीय संसाधन कौन-कौन से हैं ? किसी एक मानवीय संसाधन के बारे में लिखिए।
उत्तर :
मानवीय साधन हैं-कुशलता, ज्ञान, शक्ति, दिलचस्पी, रुचि आदि। देखें प्रश्न 9 का उत्तर (ज्ञान एक मानवीय साधन हैं)।

प्रश्न 10.
‘समय-योजना निर्माण के विभिन्न चरणों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर :
एक कार्यसाधक समय योजना के बनाने के लिए यह आवश्यक है कि एक गृहिणी अपने सभी परिवार के सदस्यों की सहायता से यह निर्णय कर ले कि कौन-कौन से कार्य प्रतिपादन करने आवश्यक हैं, कौन-कौन से साप्ताहिक कार्य हैं तथा कौन-से ऐसे कार्य हैं जोकि इतने आवश्यक नहीं हैं और आवश्यकता पड़ने पर जिन्हें छोड़ा जा सके। यद्यपि घर के सभी कार्यों को करने के लिए सामान्य रूप के समय स्थिर ही होता है, परन्तु योजना ऐसी होनी चाहिए कि आवश्यकतानुसार उनमें परिवर्तन लाया जा सके।

परिवार के सामूहिक कार्यों के अलावा कुछ अन्य व्यक्तिगत कार्य भी सदस्यों को पूर्ण करने होते हैं, अतः इनके लिए भी निश्चित समय होना चाहिए। इसीलिए समय-योजना बनाते समय इन कार्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि ये भी गृहिणी के समय के उपयोग पर प्रभाव डालती हैं। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि समय-योजना इस प्रकार की होनी चाहिए कि व्यक्तिगत रुचियों और सामूहिक परिवारिक कार्यों के लिए भी समय निकल सके।

समय-योजना निर्माण के चरण (Steps in making a Time Plan) समय योजना का निर्माण पारिवारिक आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। सभी परिवारों की परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं। इसलिए कभी भी किन्हीं दो परिवारों की समय योजना समान नहीं हो सकती। उदाहरणार्थ एक परिवार, जिसमें कि छोटे बच्चे हों, उसकी समय-योजना निश्चित रूप से ही उस दूसरे परिवार से भिन्न होगी, जिसमें कि वयस्क सदस्य अधिक होंगे, परन्तु योजना बनाने में विभिन्न चरण सदैव समान रहे हैं। परिस्थितियां चाहे कैसे भी हों, समय-योजना सदा परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार ही होनी चाहिए। योजना निर्माण के विभिन्न चरणों का विवरण निम्नलिखित है –

1. इसमें परिवार के विभिन्न दैनिक, साप्ताहिक, वार्षिक या मौसम के अनुसार नियत समय पर किए जाने वाले कार्यों की एक तालिका तैयार कर ली जाती है। उदाहरणार्थ दैनिक कार्यों के अन्तर्गत खाना पकाना, परोसना, बर्तन धोना, बिस्तर लगाना, आराम करना तथा बच्चों की देख-रेख इत्यादि आते हैं, जबकि दूसरी ओर कुछ कार्य जैसे-इस्त्री करना, कपड़ों की मरम्मत करना, घर की भली प्रकार सफाई करना, कोई विशेष खाना पकाना तथा खरीददारी आदि करना, साप्ताहिक कार्यों के अन्तर्गत आते हैं। इसी प्रकार घर के रंग-रोगन करवाना एक वार्षिक, तथा सर्दी के मौसम में गर्म कपड़ों को निकालना व उसके पश्चात् उन्हें सम्भालकर रखना मौसम के अनुसार नियत समय पर किए जाने वाले कार्य के उदाहरण हैं।

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2. इसके अन्तर्गत परिवार में दैनिक कार्य, जोकि नियमित रूप से निश्चित समय पर किए जाते हैं, उनकी योजना बना ली जाती है। इन नियमित रूप से किए जाने वाले कार्यों का प्रारूप तैयार करने के बाद ही बाकी योजना बनाई जाती है। प्रतिदिन किए जाने वाले हर कार्य के लिए समय निर्धारित कर दिया जाता है। दैनिक कार्यों के आयोजन के बाद ही साप्ताहिक कार्यों के लिए खाली समय छोड़ दिया जाता है।

3. इस चरण में साप्ताहिक योजना पूरी कर ली जाती है। दैनिक योजना बनाते वक्त जो समय साप्ताहिक कार्यों के लिए छोड़ा जाता है, उसी समय में साप्ताहिक तथा कुछ विशिष्ट कार्यों को स्थान दिया जाता है। कार्यों के लिए समय निर्धारित करते समय गृहिणी को चाहिए कि वह ध्यान रखे कि परिवार की महत्त्वपूर्ण साप्ताहिक आवश्यकताओं को किस दिन व किस समय पूरा किया जा सकता है और साथ ही उसे यह भी देखना चाहिए कि परिवार के सदस्य उस समय उस कार्य को करने के लिए खाली हों।

4. इस अन्तिम चरण में परिवार में सामूहिक चर्चा करके यह निर्णय किया जाता है कि कौन-सा सदस्य क्या कार्य करेगा ? ऐसा करने के लिए परिवार के हर सदस्य के उत्तरदायित्व को स्पष्ट कर दिया जाता है।

समय – आयोजन के क्रियान्वय का नियन्त्रण (Control of Time Activities) समय-योजन के निर्माण के बाद इसको बहुत ध्यानपूर्वक क्रियान्वित करना चाहिए। योजना चाहे मौखिक हो या लिखित, एक अच्छी योजना सदा पथ-प्रदर्शक का काम करती है। एक सफल योजना वही है जोकि अवरोधों के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों में भी कार्य को भली प्रकार सम्पन्न होने में मदद करे।

उदाहरणार्थ अगर कोई आपात्कालीन स्थिति आ पड़े, जैसे कि घर में कोई बीमार हो जाए तो गृहिणी को चाहिए कि कुछ अनावश्यक कार्यों को स्थगित कर दे या फिर अपनी कार्य करने की गति में तीव्रता लाकर सभी कार्यविधियों को योजना के अनुसार ही पूरा करे। गृहिणी अपनी योजना पर नियंत्रण रखने में तभी सफल हो सकती है, अगर वह आपत्-स्थिति में भी न घबराए, अपितु मानसिक स्थिरता के बल पर उनका सामना करे।

समय-योजना का मूल्यांकन (Evaluating Time-Plans) समय-योजनाओं को क्रियान्वित करने के बाद, अन्त मे उसका मूल्यांकन किया जाता है। इससे यह पता लग जाता है कि हमारा कार्य योजना के अनुसार है या नहीं। दिन में सभी कार्य करने के बाद अन्त में गृहिणी को अवश्य ही समय-योजना का मूल्यांकन करना चाहिए जिससे कि वह जान सके कि क्या वह सभी कार्यों को सम्पन्न करने में सफल हुई है या नहीं।

सारे दिन या सप्ताह का कार्य समाप्त करके गृहिणी को योजना का विश्लेषण करते समय यह देखना चाहिए कि क्या योजना व्यवहार युक्त थी ? क्या पारिवारिक आवश्यकताएं इससे पूर्ण हुई हैं ? अगर नहीं, तो असफलता के क्या कारण थे ? इस प्रकार इन सब कारणों को जानकर गृहिणी फिर भविष्य में अधिक सफलता के साथ समय-योजना बना सकती है। एक योजना तभी सफल कहलाई जा सकती है अगर व्यक्तिगत या पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति संतोषजनक विधि से हो सके।

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प्रश्न 11.
शक्ति प्रबन्ध (Energy Management) के बारे में चर्चा कीजिए।
अथवा
अपनी ऊर्जा का आप बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग कैसे करेंगे ?
उत्तर :
समय के साथ-साथ शक्ति भी एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण मानवीय साधन है। ‘समय’ तथा ‘शक्ति’ आपस में घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं। एक का प्रबन्ध दूसरे पर बहुत प्रभाव डालता है, परन्तु ‘शक्ति प्रबन्ध’ समय के प्रबन्ध की अपेक्षा अधिक कठिन एवं जटिल कार्य है। शक्ति प्रबन्ध में लक्ष्यों का निश्चित होना आवश्यक है तथा इसके साथ ही लक्ष्य उसकी उपलब्ध शक्ति के अनुसार निर्धारित किए जा सकते हैं।

प्रत्येक घरेलू कार्य के लिए विभिन्न प्रकार की शक्ति खर्च होती है-जैसा कि अधिकतर कार्यों के लिए आंखों की शक्ति (Visual effort) खर्च होती है। कोई अन्य कार्य, जैसे सफाई करने, भोजन पकाने, बर्तन साफ करने, टेबल लगाने, कपड़े धोने आदि में ‘शारीरिक शक्ति’, (Manual Effort) खर्च होती है। इसके अतिरिक्त कुछ कार्य, जैसे कि चलने, दौड़ने व खड़े होने के लिए ‘पैरों की शक्ति’ (Pedal Effort), तथा अन्य कई कार्यों जैसे कि पढ़ना-लिखना आदि में ‘मानसिक-शक्ति’ (Mental Effort) खर्च होती है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग मात्रा में शक्ति खर्च होती है। यह कहा जा सकता है कि शक्ति का खर्च होना कार्य की प्रकृति पर निर्भर करता है। उदाहरणार्थ-कुछ हल्के कार्य, जैसा गाना सुनना, कढ़ाई करना, स्वेटर बुनना, कपड़ों की हाथ की सिलाई द्वारा मरम्मत करना, फर्नीचर झाड़ना आदि में कम शक्ति का व्यय होता है। कुछ अन्य कार्य, जैसे फर्नीचर पोंछने, इस्त्री करने, चित्रकारी आदि करने में हल्के कार्यों की अपेक्षा अधिक शक्ति खर्च होती है, जबकि तेज़ चलने, नाचने, कपड़े-धोने व सुखाने, आटा पीसने, कुएं से पानी खींचने जैसे भारी कामों में सबसे अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती है।

कार्य की प्रकृति के अलावा, शक्ति का व्यय इस बात पर भी निर्भर करता है कि गृहिणी अपने पारिवारिक जीवन-चक्र के किस सोपान से गुजर रही है। एकाकी परिवार के प्रारम्भिक सोपान में स्त्री को केवल पति-पत्नी, यानी कि दो व्यक्तियों की देखभाल पर ही शक्ति व्यय करनी होती है। दूसरे सोपान में बच्चों के पालन-पोषण का कार्य-भार, गृहिणी की शारीरिक एवं मानसिक शक्तियों पर दबाव डालते हैं।

तीसरे सोपान में, जब बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे होते हैं, गृहिणी अपनी कुछ शक्ति मनोरंजन के कार्यों में व्यय करती है। पारिवारिक जीवन-चक्र के अंतिम सोपान में तो वैसे ही आयु के अनुसार शक्ति क्षीण होने लगती है। इस प्रकार गृहिणी की कार्यक्षमता उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य तथा शारीरिक रचना पर भी निर्भर करती है और किन्हीं दो व्यक्तियों की कार्य क्षमता एक जैसी नहीं होती।

दैनिक कार्यों को ऐसी कुशलता, चतुराई और योजना बद्ध तरीके से करना, जिससे कम से-कम मात्रा में शक्ति के उपयोग से अधिक लाभप्रद कार्यों को सम्पन्न कर सके ‘शक्ति-प्रबन्ध’ कहलाता है। इस प्रकार शक्ति प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य है-किसी भी कार्य के लिए कम-से-कम शक्ति का व्यय करना जिससे कि गृहिणी काम को बिना थकान के ही कर सके। ‘थकान’ या ‘थकावट’-गृहिणी के कार्य करने की विधि से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है। गृहिणी को चाहिए कि वह अपनी क्रियाओं को इस प्रकार से आयोजित करे जिससे कि वह कुछ समय तथा शक्ति बचत करके परिवार तथा समाज की कई अन्य गतिविधियों में भी भाग ले सके।

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प्रश्न 12.
‘थकान’ क्या है ? यह कितने प्रकार की होती है ? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर :
जब कोई व्यक्ति अपनी शारीरिक व मानसिक क्षमता से अधिक भारी कार्य करता है तो उसकी शारीरिक व मानसिक शक्ति कम हो जाती है, जिसके फलस्वरूप एक ऐसी स्थिति आ जाती है कि व्यक्ति बिल्कुल भी कार्य नहीं कर पाता, यही स्थिति ‘थकान’ (Fatique) कहलाती है। अत्यन्त सरल परिभाषा के रूप में यह कहा जा सकता है कि अपनी कार्य-क्षमता से अधिक शक्ति का व्यय करने से ‘थकान’ उत्पन्न हो जाती है। थकावट के कारण व्यक्ति कार्य में रुचि नहीं रख पाता।
यदि कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करे जिसमें कि उसकी रुचि न हो और वह उसे करने में आनन्द का अनुभव न करे तो भी उसे थकान हो जाती है।
कार्य का ठीक प्रकार से आयोजन न करने से भी थकान की उत्पत्ति होती है। थकान के प्रकार (Type of Fatigue)-थकान दो प्रकार की होती है –
1. शारीरिक थकान (Physiological Fatigue)
2. मानसिक या मनोवैज्ञानिक थकान (Psychological Fatigue)

1. शारीरिक थकान लगातार कार्य करने से शारीरिक शक्ति का ह्रास हो जाता है, और एक स्थिति आती है जिसमें व्यक्ति और कार्य करने के योग्य नहीं रहता। कार्य करते समय शारीरिक मांसपेशियों में ‘ग्लूकोज’ के ऑक्सीकरण से ‘कार्बनडाइ-ऑक्साइड’, ‘जल’ तथा ‘लैक्टिक अम्ल’ उत्पन्न होते हैं। यह ऑक्सीकरण की क्रिया तभी पूर्ण होती है अगर शरीर को ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा मिलती रहे।

ग्लूकोज + ऑक्सीजन → कार्बन-डाइ-ऑक्साइड + जल + लैक्टिक अम्ल।
प्रत्येक कार्य के पश्चात् कार्बन-डाइ-ऑक्साइड का शरीर से निष्कासन तथा लैक्टिक अम्ल का ऑक्सीकरण होना बहुत ही आवश्यक होता है। साधारण

स्थिति में तो कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) मांसपेशियों से रक्त द्वारा फेफड़ों में पहुंचाई जाती है तथा वहां से श्वास क्रिया द्वारा शरीर के बाहर निकाल दी जाती है और इसी प्रकार रक्त फेफड़ों से ऑक्सीजन को मांसपेशियों में पहुँचाता है जिससे कि लैक्टिक अम्ल का दोबारा से ऑक्सीकरण हो जाता है। अगर किन्हीं कारणों से ऑक्सीजन की कमी हो तो यह क्रिया लैक्टिक अम्ल स्थिति पर ही समाप्त हो जाती है और यह लैक्टिक अम्ल रुधिर में एकत्रित हो जाता है, जिससे थकान महसूस होती है। जब व्यक्ति निरंतर कार्य करता है तो ऑक्सीजन की कमी हो जाने से थकान उत्पन्न होती है। इसीलिए इस थकान को कम करने के लिए व्यक्ति को निरंतर कार्य न करते रहकर बीच-बीच में आराम भी करते रहना चाहिए ताकि शरीर को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिलती रहे और उसे थकान भी महसूस न हो। गृहिणी को भी अपने कार्यों का विभाजन इस प्रकार करना चाहिए कि उसे किसी भी प्रकार का कार्य करते हुए थकान का अनुभव न हो।

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2. मानसिक थकान – जीवन में दैनिक कार्यों से उत्पन्न होने वाली थकान में अधिक मात्रा मानसिक थकान की ही होती है। मानसिक थकान से व्यक्ति की कार्यक्षमता कम हो जाती है तथा वह उस कार्य को करने में रुचि नहीं दिखाता। यह दो प्रकार की होती है।

  1. बोरियत से होने वाली थकान (Boredom Fatique)
  2. निराशा से होने वाली थकान (Frustration Fatique)।

1. बोरियत से होने वाली थकान – इस थकान में काम करने की वास्तविक क्षमता में तो कोई परिवर्तन नहीं आता, परन्तु कुछ ऐसे अन्य लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं जो बोरियत पैदा करते हैं, जैसे –

  1. मन का ऊब जाना
  2. बेचैनी का अनुभव होना
  3. मस्तिष्क में भारीपन
  4. काम में रुचि न दिखाना
  5. सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाना।

उपरोक्त सभी लक्षणों के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कार्य को लम्बी अवधि के लिए करना, काम करने का प्रबन्ध ठीक न होना, काम को उचित समय पर न करना, तथा कई बार प्रतिकूल परिस्थितियों का होना।

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2. निराशा से होने वाली थकान-इस प्रकार की मनोवैज्ञानिक थकान सामान्यतः व्यक्तिगत कारणों से होती है। उदाहरणार्थ-कार्य करते समय व्यक्ति का सन्तुष्ट न होना कार्य में सफलता प्राप्त करने में कोई संदेह होना, काम पूरा करने में सफल न होना और परिवार के विभिन्न सदस्यों द्वारा सराहना का अभाव होना आदि।

थकान चाहे शारीरिक हो या मानसिक-इसको दूर करना बहुत ही आवश्यक होता है जिससे कि व्यक्ति की कार्यक्षमता पुनः बढ़ सके। थकान दूर रखने के सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं –

  1. कार्य के अनुसार व्यक्ति की क्षमता के आधार पर कार्य के बीच में आराम काल का होना आवश्यक है।
  2. व्यक्ति को उत्साहित करना चाहिए। इसके लिए उसके काम की सराहना की जानी चाहिए।
  3. कार्य की प्रकृति में परिवर्तन होना चाहिए, जैसे कि, किसी भारी कार्य के बाद साधारण हल्का कार्य करना। ऐसा करने से व्यक्ति समय तथा शक्ति की बचत कर सकता है।
  4. समय और श्रम बचत के उपकरणों का उपयोग करना चाहिए, जिससे समय तथा श्रम की बचत हो सके और कार्य सरल हो जाए।

प्रश्न 13.
थकान कम करने के कौन-कौन से उपाय हैं ? संक्षेप में बताइये।
उत्तर :
थकान कम करने का सर्वोत्तम उपाय विश्राम है। कोई भी कार्य करते समय यदि बीच-बीच में थोड़ा सा विश्राम कर लिया जाये तो कार्य-क्षमता बढ़ जाती है और काम में भी मन लगता है। किस व्यक्ति के लिए कितने विश्राम की आवश्यकता है यह उस व्यक्ति की शारीरिक रचना तथा कार्य की प्रकृति पर निर्भर करता है। कुछ कार्य तो ऐसे होते हैं जिनमें अन्य कार्यों की अपेक्षा थकान कम होती है। इसी प्रकार कुछ लोगों की प्रकृति क्षमता ऐसी होती है कि वे थोड़े ही विश्राम से अपनी थकान दूर कर लेते हैं, जबकि अन्य व्यक्तियों को अधिक विश्राम की आवश्यकता होती है। इसके अलावा कार्य के सरलीकरण तथा श्रम बचत के साधनों का उपयोग करने से भी थकान कम होती है। इसके अलावा थकान से बचने के लिए निम्नलिखित साधन व संकेत भी लाभकारी हो सकते हैं –

1. थकान से बचने के लिए कम – से-कम चलना फिरना चाहिए। चलना-फिरना कम करने के लिए घर में सभी आवश्यक तथा समय-समय पर उपयोग में आने वाली वस्तुएं इस प्रकार रखनी चाहिए कि वे समय पर आसानी से मिल सकें तथा उन्हें खोजने के लिए आवश्यक भाग दौड़ न करनी पड़े। ऐसा करने के लिए यह उपयुक्त होता है कि एक प्रकार का सामान एक ही स्थान पर रखा जाए। उदाहरणार्थ सिलाई का सब सामान सिलाई मशीन के साथ ही एक डिब्बे में रखना चाहिए, खाने-पीने का सब सामान किसी एक निश्चित स्थान पर रखना चाहिए, खाना बनाने का सभी सामान रसोई घर में एक ही स्थान पर पास-पास रखना चाहिए। ऐसा करने से न तो ढूंढ़ने में समय ही नष्ट होता है और न इधर-उधर व्यर्थ में भाग दौड़ करनी पड़ती है। भाग-दौड़ न करने पर अनावश्यक थकान बहुत कम होती है।

2. थकान से बचने के लिए यह भी आवश्यक है कि किसी भी कार्य को करते समय अनावश्यक क्रियाओं को हटा देना चाहिए। उदाहरणार्थ यदि किसी अतिथि के आने पर भोजन अथवा चाय परोसनी हो तो सामान लाने के लिए रसोईघर में बार-बार आने-जाने के स्थान पर एक ट्रे में सब वस्तुओं को रख कर ले जाया जा सकता है।

3. थकान से बचने के लिए यह भी आवश्यक है कि एक साथ प्रयोग में आने वाली वस्तुओं को एक स्थान पर रखा जाए, यथा-चाय के डिब्बे में चम्मच, चीनी का डिब्बा चाय के पास ही, सभी मसाले एक साथ ही मसालेदानी में, धुलाई का सभी सामान धुलाई कक्ष में एक अलमारी में रखना चाहिए।

4. थकान से बचने के लिए सही मुद्रा अपनाना भी जरूरी है। गलत मुद्रा में काम करने से थकान जल्दी होती है। उदाहरणार्थ बैठकर भोजन पकाने से अधिक थकान होती है जबकि खड़े होकर भोजन पकाने से थकान कम होती है।

5. थकान से बचाव के लिए ठीक यन्त्रों का उपयोग भी आवश्यक है। श्रम बचत के साधनों के उपयोग से भी थकान बहुत कम होती है।

6. थकान से बचने के लिए खड़े या बैठते समय इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि शरीर ऐसी स्थिति में रहे जिससे मांसपेशियों पर अधिक जोर न पड़े।

7. बहुत अधिक चिन्ता करने पर भी थकान हो जाती है। अतः प्रत्येक कार्य प्रसन्नचित्त रह कर करना चाहिए।

8. लगातार एक जैसा कार्य करने के कारण भी कभी-कभी थकान का अनुभव होने लगता है। अत: यह आवश्यक है कि गृहिणी अपने कार्यों का विभाजन इस प्रकार से करे कि कार्य करने से वह थकान का अनुभव न करे।

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प्रश्न 14.
कार्य सरलीकरण को परिभाषित कीजिए तथा मण्डल द्वारा दिये गए सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर :
आज के इस नवीन युग में जबकि अधिकतर गृहिणियां घर की कार्य विधियों के साथ-साथ बाहर भी काम पर जाती हैं, कार्य-सरलीकरण (Work Simplification) बहुत ही आवश्यक है। ‘निर्धारित समय और शक्ति की मात्रा के उपयोग से अधिक कार्य सम्पादित करना’ अर्थात् ‘कार्य की निश्चित मात्रा को कम करने की प्रक्रिया’ को ही कार्य सरलीकरण कहा जाता है। कार्य के सरलीकरण में समय और शक्ति दोनों के प्रबन्ध को मिला दिया जाता है।

कार्य के सरलीकरण के विभिन्न तरीकों को एम० एच० मण्डल (M.H. Mandel) ने पांच वर्गों में विभाजित किया है।

1. हाथ और देह की गतियों में परिवर्तन – कार्य-सरलीकरण का सबसे आसान तरीका हाथ और देह की गतियां कम करना है। कार्य करते समय बैकार की गतियों को हटा देना चाहिए। ऐसा करने से समय तथा श्रम की बचत की जा सकती है। उदाहरणार्थ बर्तनों को रसोईघर में उसी क्रम से लगाना, जिस क्रम में उनका प्रयोग किया जाना हो, बर्तन धोने के बाद खुली हवा में रखकर सुखा लेना, जिससे उन्हें पोंछने की आवश्यकता न पड़े, खाना परोसते समय सभी पात्रों को ट्रे में रखकर ले जाना आदि।

इसी प्रकार रसोईघर में काम करते समय सभी उपकरण तथा खाना पकाते समय प्रयोग में लाया जाने वाला सामान, कार्य-स्थल के पास ही होना चाहिए, जैसे सब्जी बनाते समय मसालों का डिब्बा आदि। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि प्रबन्ध ऐसा होना चाहिए जिससे कि किसी भी काम को करने के लिए शारीरिक गतियां कम हों जिससे कार्य का भी सरलीकरण हो सके।

2. कार्य-स्थल एवं उपकरण में परिवर्तन – समय तथा श्रम की बचत तभी हो सकती है अगर संग्रह तथा कार्य-स्थल भी भली प्रकार से आयोजित किए जाएं, जैसे कि बर्तन धोने के स्थान का आयोजन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि साफ बर्तनों को बेसिन (Sink) के बाईं तरफ रखा जाए। इससे गृहिणी सरलता से कार्य कर सकती है तथा श्रम भी कम व्यय होता है। इसके साथ ही कार्य-स्थल की ठीक ऊंचाई होना भी बहुत आवश्यक है।

उपकरणों को इस तरह से क्रम में रखना चाहिए कि उनको उठाते समय कम समय व श्रम व्यय हो। हल्की वस्तुओं को अलमारी में ऊपर के खानों तथा भारी वस्तुओं को नीचे रखना चाहिए। जिससे उन्हें प्रयोग करते समय अधिक कठिनाई न हो। सही प्रकार के उपकरण प्रयोग में लाए जाएं तो इससे कार्य सीमित समय में पूर्ण हो जाता है। उदाहरणार्थ पतीले के स्थान पर प्रैशर-कुकर का प्रयोग करना, सब्जियां छीलने के लिए ‘पीलर’ (Peelers) का प्रयोग करना आदि। इसी प्रकार समय व श्रम बचत उपकरणों, जैसे मिक्सी, ग्राइंडर, कपड़े धोने की मशीन आदि के प्रयोग से भी गृहिणी समय व श्रम की बचत कर सकती है।

3. कार्य के क्रम में परिवर्तन – विभिन्न घरेलू क्रियाओं की योजना इस प्रकार से करनी चाहिए कि कार्य काफी सुगमता से हो सके। किसी भी कार्य को करने के लिए सबसे सरल तथा छोटा तरीका अपनाना चाहिए, जिससे समय व श्रम की बचत की जा सके। एक प्रकार का कार्य करते हुए अचानक ही दूसरा कार्य शुरू कर देने से कार्य करने की वह गति नहीं रहती तथा अधिक थकान होती है।

उदाहरणार्थ – सफाई करते समय अगर सर्वप्रथम एक कमरे में की सभी वस्तुओं को झाड़ा जाए, फिर उसके फर्श को झाड़ दी जाए तथा अन्त में उसी कमरे में पोंछा लगाया जाए, तथा फिर दूसरे कमरे में भी इन सभी क्रियाओं को इसी क्रम से दोहराया जाए तो कार्य इतनी सरलता से नहीं हो पाता। इसके विपरीत अगर सभी कमरों की सभी वस्तुओं को पहले झाड़-पोंछ की जाए फिर सब कमरों में झाड़ दी जाए तथा अन्त में पोंछा लगाया जाए, तो कम समय लगता है, क्योंकि ऐसा करने से काम की एक ही गति बनी रहती है जिससे कम थकान का अनुभव होता है। इस प्रकार कार्य को सरल बनाने के लिए कार्य करने की विधि में भी परिवर्तन लाना बहुत आवश्यक होता है।

4. कच्ची सामग्री के प्रयोग में परिवर्तन – वैज्ञानिक आविष्कारों के फलस्वरूप आजकल बाज़ार में अनेकों वस्तुएं उपलब्ध हैं जिनके प्रयोग से कार्य सरल बनाया जा सकता है। अपने परिवार के रहन-सहन के स्तर के आधार पर एक गृहिणी इन वस्तुओं का प्रयोग कर सकती है। पुराने समय में गृहिणी को स्वयं घर में आटा, दाल, बेसन व मसाले आदि पीसने में काफी समय लगता था, परन्तु आजकल बाजार में ये चीजें पीसी पिसाई ही मिलती हैं।

यह नहीं आजकल बाजार में कई व्यंजन बनाने के लिए कुछ हद तक तैयार सामग्री (Readymade Mixtures) भी उपलब्ध हैं-जिनके प्रयोग से समय व श्रम की बचत हो सकती है। उदाहरणार्थ-इडली, डोसा, गुलाबजामुन आदि बनाने के लिए बाजार में कई प्रकार के तैयार सूखे मिश्रण उपलब्ध हैं जिनके प्रयोग से गृहिणी समय की बचत कर कार्य को सरलता से करने में सफल होती है।

5. तैयार सामग्री में परिवर्तन – कच्ची सामग्री में परिवर्तन के साथ तैयार सामग्री की प्रकृति बदलकर भी समय व श्रम की बचत की जा सकती है। उदाहरण के लिए एक गृहिणी घर में अधिक मेहमान आ जाने पर चपाती के स्थान पर पूरी या चावल परोस सकती है जिन्हें बनाने में चपाती की अपेक्षा कम समय लगता है। यहां पर और भी कई उदाहरण दिए जा सकते हैं-अगर परिवार में ज्यादा छोटे बच्चे नहीं हों, तो गृहिणी के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह हर कमरे की प्रतिदिन सफाई करे। जो कमरे प्रतिदिन प्रयोग में लाये जाते हैं-उनको रोज़ साफ किया जा सकता है और बाकी कमरों को हफ्ते में दो या तीन बार।

सूती या अन्य कपड़े के बने टेबल मैट के स्थान पर प्लास्टिक या चटाई के मैट का प्रयोग करना, ताकि प्रयोग तथा सफाई आदि करने में आसानी रहे। हालांकि ‘मण्डल’ के कार्य सरलीकरण के ये पांच वर्ग काफी प्रचलित हैं, परन्तु “ग्रास वक्रैन्डल” ने इन ‘पांच वर्गों’ का संक्षिप्तीकरण करके उन्हें ‘तीन वर्गों में विभाजित किया है, जो इस प्रकार हैं –

  1. देह की गतिविधियों परिवर्तन (Changes in the activities of the body)
  2. घर के वातावरण में परिवर्तन जैसे कि कार्य स्थल एवं उपकरण में परिवर्तन
  3. उत्पादन में परिवर्तन-यानी ‘कच्ची’ तथा ‘तैयार’ सामग्री में परिवर्तन (Changes in the product)

इस प्रकार विभिन्न विधियों का उपयोग करके गृहिणी कार्य का सरलीकरण कर सकती है। इसके अतिरिक्त गृहिणी कार्य को अधिक रुचिकर बनाकर तथा उसमें निपुण होने से भी कार्य को सरल बना सकती है। कार्य करने के साथ-साथ पर्याप्त अवधि के आराम काल की योजना से भी गृहिणी थकान से बच जाती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि ‘कार्य-सरलीकरण’.-समय तथा श्रम की बचत के साथ-साथ अच्छा कार्य करने में भी सहायक है।

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प्रश्न 15.
कार्य-सरलीकरण क्या है ? रसोईघर के कार्यों का आप किस प्रकार सरलीकरण करेंगी ?
उत्तर :
कार्य-सरलीकरण क्या है ? देखें उपरोक्त प्रश्न के उत्तर का सम्बन्धित अंश।
रसोईघर में कार्य-सरलीकरण-पाकक्रिया से संबद्ध कार्यों के सम्पादन में गति, समय एवं पाक-प्रणाली का अध्ययन म्यूज, आर्मस्ट्रॉग, हेनरी, लिंडमैन, ग्रॉस आदि व्यक्तियों ने किया। इन लोगों ने तीन बुनियादी प्रकार के रसोईघरों की व्यवस्था तथा उपकरणों में परिवर्तन कर रसोईघर की व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन किया।

रसोईघर की स्थिति तथा रसोईघर में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों के आधार पर निष्कर्ष निकाले गये तथा निष्कर्ष के आधार पर निम्नलिखित सुझाव हैं –

  1. सब्जियां छीलते समय पीलर (Peelar) तथा काटते समय नोंक वाली छुरी या चाकू का व्यवहार करें।
  2. सब्जियों को मथने के लिए मैशी (Mashee) को प्रयुक्त करें।
  3. सब्जियों को धोने के लिए बड़े पात्र का प्रयोग करें तथा अधिक जल लें।
  4. काम शुरू करने के पूर्व सभी सामानों को गैस, स्टोव या चूल्हे के पास रख लें। इससे चलने की कम आवश्यकता होती है।
  5. हाथ से चलाने वाले तथा मिश्रण करने वाले उपकरणों के स्थान पर विद्युत् द्वारा चालित उपकरणों के प्रयोग से समय की बचत होती है।
  6. रसोईघर में पहियों वाली ट्रे का उपयोग करने के गृहिणी को चलने फिरने में सुविधा रहती है।
  7. रसोईघर तथा भंडार में वस्तुओं को संग्रह करने के लिए अधिक संख्या में अलग अलग खाने (Shelves) तथा अलमारियां बनानी चाहिए।
  8. अलमारियां तथा खाने (Shelves) पास-पास हों ताकि सामानों को निकालने एवं रखने में अधिक न चलना पड़े
  9. उपकरणों की कार्य-केन्द्र के आधार पर व्यवस्था करने से अधिक चलना नहीं पड़ता है और इस तरह समय एवं शक्ति की बचत होती है।
  10. काम करते समय दोनों हाथों का व्यवहार करना चाहिए।
  11. भोजन तालिका में परिवर्तन लाकर पाकक्रिया सहज बनाई जा सकती है।

रसोईघर की व्यवस्था उपयुक्त ढंग से रहने पर कम भाग-दौड़ करनी पड़ती है। अतः पाक-कक्ष में परिवर्तन लाकर कार्यों का सरलीकरण किया जा सकता है। इसके लिए कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं –

  1. रसोईघर को आई-आकारगत (I-shaped), एल-आकारगत (L-shaped), यू आकारगत (U-shaped) अथवा समानान्तर दीवार वाले (Parallel wall) रसोईघर के रूप में व्यवस्थित करें।
  2. रसोईघर में सबसे अधिक चूल्हा और सिंक, सिंक और बर्तन रखने के स्थान और खाने की मेज के बीच चलना पड़ता है। अतः चूल्हे और सिंक के बीच की दूरी अधिक नहीं होनी चाहिए। सिंक और बर्तन रखने का स्थान पास-पास होना चाहिए।
  3. सब्जियों-फलों को काटने, चावल, दाल बीनने तथा आटा गूंथने के निमित कार्य क्षेत्र चूल्हे तथा सिंक के पास होना चाहिए।
  4. भण्डार व्यवस्था रसोईघर में ही होनी चाहिए।
  5. पाकक्रिया में प्रयुक्त होने वाली सामग्री को चूल्हे के पास रखें तथा बनाने वाले पात्रों एवं उपकरणों को भी पास ही रखें।
  6. पका हुआ भोजन खाने की मेज तक पहुंचाने में बड़ी ट्रे या ट्राली (Trolly) का व्यवहार करें।
  7. पाकक्रिया में प्रयुक्त होने वाले उपकरणों को अच्छी व्यवस्था में गैस स्टोव या चूल्हे के पास सजाकर रखें।
  8. बर्तन धोने का सिंक ऊंचाई पर रखें। गहरे सिंक में पानी निकलने का छिद्र ढक्कन से बन्द कर देने पर एक साथ अधिक बर्तन धोए जा सकते हैं।

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प्रश्न 16.
परिवार के मानवीय संसाधनों का वर्णन करें।
उत्तर :
मानवीय संसाधन इस प्रकार से हैं-ज्ञान, कौशल, योग्यता, ऊर्जा, अभिरुचि आदि।
1. ज्ञान – ज्ञान अथवा शिक्षा व्यक्ति के दिमाग में होता है जिसे आवश्यकता पड़ने पर प्रयोग किया जा सकता है। यह किसी व्यक्ति विशेष के पास मरते दम तक रहता है। ज्ञान के प्रयोग से धन भी कमाया जा सकता है जैसे अध्यापक, वकील, सी० ए० आदि अपने ज्ञान के बल पर धन अर्जित करते हैं।

2. ऊर्जा – ऊर्जा को शक्ति भी कहते हैं। यह प्रत्येक व्यक्ति के पास उसकी डील डौल शरीर तथा सोच पर निर्भर है। यह व्यक्ति विशेष का अंश होती है। जिनका मानसिक ऊर्जा का स्तर ऊँचा होता है वे कमज़ोर शरीर के रहते भी अधिक कार्य कर लेते हैं। यदि ऊर्जा का उपयोग योजनाबद्ध ढंग से किया जाए तो अधिक कार्य किया जा सकता है। एकदम से बहुत कार्य करने से ऊर्जा की क्षति होती है तथा थकावट हो जाती है।

3. योग्यता – किसी भी कार्य को कशलता से करने के सामर्थ्य को योग्यता कहते हैं। जैसे कुशल गृहिणी रोटी को पूरी तरह गोल बना लेती है। यह योग्यता अभ्यास द्वारा प्राप्त की जाती है। योग्यता भी मानवीय संसाधन है।

4. अभिरुचि – यह मनः स्थिति है जो हमें किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है या रोकती है। कई बार कई कार्य करने से हमें आनन्द मिलता है तथा जोश पूर्ण होता है। इसी प्रकार कई बार कार्य करते हुए हम बोरियत महसूस करते हैं।

प्रश्न 17.
कार्य सरलीकरण के तीन सिद्धान्त बताएं।
उत्तर :
देखें प्रश्न 14 का उत्तर।

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प्रश्न 18.
शक्ति प्रबन्ध से आप क्या समझते हैं ? शक्ति प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

उत्तर :
देखें प्रश्न 11 का उत्तर।

प्रश्न 19.
शारीरिक थकान क्या होती है ? यह कैसे दूर की जा सकती है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 12, 13 का उत्तर।

एक शब्द/एक वाक्य वाले प्रश्न –

(क) एक शब्द में उत्तर दें –

प्रश्न 1.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
दो।

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प्रश्न 2.
भूमि कैसा संसाधन है ?
उत्तर :
मानवेतर।

प्रश्न 3.
ज्ञान कैसा संसाधन है ?
उत्तर :
मानवीय।

प्रश्न 4.
कौन-सा संसाधन सभी के पास एक जैसा होता है ?
उत्तर :
समय।

प्रश्न 5.
कपड़े धोने के लिए ऊर्जा, कौशल के इलावा कौन-सा संसाधन चाहिए ?
उत्तर :
समय।

प्रश्न 6.
एक भौतिक साधन का उदाहरण दें।
उत्तर :
धन।

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प्रश्न 7.
निपुणता कैसा संसाधन है ?
उत्तर :
मानवीय।

प्रश्न 8.
थकान कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर :
दो।

प्रश्न 9.
सभी के पास कितना समय है ?
उत्तर :
24 घण्टे प्रतिदिन।

प्रश्न 10.
अस्पताल, स्कूल कैसी सुविधा है ?
उत्तर :
सामुदायिक सुविधाएं।

(ख) रिक्त स्थान भरो –

1. ज्ञान ………… संसाधन है।
2. ………… भौतिक वस्तु है।
3. कार्य किसी ………….. की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
4. कार्य सरलीकरण द्वारा हम ………… और ………….. की बचत कर सकते हैं।
5. अनुभव से …………… प्राप्त होता है।
उत्तर :
1. मानवीय
2. धन
3. उद्देश्य
4. समय, शक्ति
5. ज्ञान।

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(ग) निम्न में ठीक अथवा गलत बताएं –

1. थकान मानसिक तथा शारीरिक होती हैं।
2. रसोईघर के समीप ही पानी होना चाहिए।
3. आराम करके हम ऊर्जा का पुन: संचार करते हैं।
4. सभी संसाधन सीमित हैं।
उत्तर :
1. ठीक
2. ठीक
3. ठीक
4. ठीक

बहु-विकल्पीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार।
उत्तर :
दो।

प्रश्न 2.
हर व्यक्ति के जीवन में कोई-न-कोई ………. होता है
(A) संसाधन
(B) लक्ष्य
(C) ऊर्जा
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
लक्ष्य।

प्रश्न 3.
हमारे पास दिन में कितने घण्टे होते हैं ?
(A) 8
(B) 12
(C) 24
(D) 16.
उत्तर :
24.

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प्रश्न 4.
निम्न में मानवीय संसाधन है –
(A) समय
(B) कम्प्यू टर
(C) पुस्तकें
(D) ज्ञान।
उत्तर :
ज्ञान।

प्रश्न 5.
घर पर रेडियो सुनने के लिए निम्न संसाधन चाहिए
(A) समय
(B) धन
(C) भूमि
(D) कौशल।
उत्तर :
समय।

प्रश्न 6.
सामुदायिक सुविधाएं हैं –
(A) अस्पताल
(B) स्कूल
(C) पार्क
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 7.
थकान के प्रकार हैं –
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार।
उत्तर :
दो।

प्रश्न 8.
कार्य के सरलीकरण के विभिन्न तरीकों को एम० एच० मण्डल ने कितने वर्गों में बांटा है ?
(A) एक
(B) तीन
(C) पांच
(D) छः।
उत्तर :
पांच।

प्रश्न 9.
किस साधन के प्रयोग से हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं ?
(A) ऊर्जा
(B) कौशल एवं योजना
(C) ज्ञान
(D) ऊपरलिखित सभी।
उत्तर :
ऊपरलिखित सभी।

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प्रश्न 10.
कार्य किसी ………… की पूर्ति के लिए किया जाता है –
(A) उद्देश्य
(B) मूल्य
(C) ऊर्जा
(D) समय।
उत्तर :
उद्देश्य।

प्रश्न 11.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
(A) चार
(B) तीन
(C) दो
(D) पांच।
उत्तर :
दो।

प्रश्न 12.
कौन-सा मानवीय साधन का उदाहरण नहीं है ?
(A) ऊर्जा
(B) समय
(C) ज्ञान
(D) भौतिक वस्तुएँ।
उत्तर :
भौतिक वस्तुएँ।

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प्रश्न 13.
कार्य सरलीकरण के द्वारा हम ………. की बचत कर सकते हैं –
(A) समय
(B) शक्ति
(C) समय और शक्ति
(D) धन।
उत्तर :
समय और शक्ति।

प्रश्न 14.
आराम करके हम ………. का पुनः संचार कर सकते हैं –
(A) ऊर्जा
(B) समय
(C) बुद्धि
(D) धन।
उत्तर :
ऊर्जा।

प्रश्न 15.
एक ऐसे साधन का नाम बताओ जो हर एक व्यक्ति के पास समान मात्रा में उपलब्ध है –
(A) धन
(B) समय
(C) ऊर्जा
(D) ज्ञान।
उत्तर :
समय।

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प्रश्न 16.
किस साधन के प्रयोग से हम धन कमा सकते हैं ?
(A) ज्ञान
(B) कौशल एवं योग्यता
(C) ऊर्जा
(D) ऊपरलिखित सभी।
उत्तर :
ऊपरलिखित सभी।

प्रश्न 17.
समय और शक्ति के खर्च को कैसे कम किया जा सकता है।
(A) योजनाबद्ध ढंग से
(B) धीरे-धीरे काम करके
(C) आराम करके
(D) सो कर।
उत्तर :
योजनाबद्ध ढंग से।

प्रश्न 18.
ऐसा कौन-सा साधन है जिसका प्रयोग कोई अन्य व्यक्ति नहीं कर सकता ?
(A) ज्ञान
(B) धन
(C) जायदाद
(D) सार्वजनिक सुविधाएं।
उत्तर :
ज्ञान।

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प्रश्न 19.
कपड़े धोने में किस साधन का प्रयोग होता है ?
(A) समय
(B) ऊर्जा
(C) कौशल
(D) ऊपरलिखित सभी।
उत्तर :
ऊपरलिखित सभी।

प्रश्न 20.
पार्क व डाक-तार सेवा परिवार के किन संसाधनों के अन्तर्गत आते हैं ?
(A) भौतिक साधन
(B) मानवीय साधन
(C) मानवीय और भौतिक साधन
(D) कोई भी नहीं।
उत्तर :
भौतिक साधन।

प्रश्न 21.
ज्ञान प्राप्ति किन साधनों द्वारा की जा सकती है ?
(A) शिक्षा
(B) अनुभव
(C) किताबें और पत्रिकाएँ
(D) ऊपरलिखित सभी।
उत्तर :
ऊपरलिखित सभी।

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प्रश्न 22.
संसाधनों के दो प्रकार निम्न में से कौन-कौन-से हैं ?
(A) मानवीय व समय
(B) मानवीय व अमानवीय ।
(C) भौतिक व धन
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
मानवीय व अमानवीय।

प्रश्न 23.
कौन-सा मानवीय संसाधन का उदाहरण नहीं है ?
(A) समय
(B) ज्ञान
(C) ऊर्जा
(D) घरेलू उपाय।
उत्तर :
घरेलू उपाय।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(A) सभी साधन उपयोगी होते हैं
(B) सभी साधनों के प्रयोग से लक्ष्यों की प्राप्ति होती है
(C) सभी साधन सीमित होते हैं
(D) संसाधन परस्पर सम्बन्धित नहीं होते।
उत्तर :
संसाधन परस्पर सम्बन्धित नहीं होते।

प्रश्न 25.
निम्नलिखित में से कौन-सा मानवीय संसाधन का उदाहरण नहीं है ?
(A) समय
(B) ऊर्जा
(C) ज्ञान
(D) धन।
उत्तर :
धन।

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प्रश्न 26.
कपड़े धोने में किस संसाधन की आवश्यकता नहीं होती ?
(A) समय
(B) ऊर्जा
(C) कौशल
(D) सार्वजनिक सुविधाएँ।
उत्तर :
सार्वजनिक सुविधाएँ।

प्रश्न 27.
निम्नलिखित में से कौन-सा मानवीय संसाधन का उदाहरण है ?
(A) धन
(B) भूमि (जायदाद)
(C) सामुदायिक सुविधाएँ
(D) ज्ञान।
उत्तर :
ज्ञान।

प्रश्न 28.
मानवीय संसाधन व्यक्तियों की……..क्षमताएं तथा विशेषताएँ होती हैं।
(A) व्यक्तिगत
(B) सामूहिक
(C) मानसिक
(D) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर :
व्यक्तिगत।

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प्रश्न 29.
………………….. भौतिक संसाधन नहीं है।
(A) ऊर्जा
(B) भूमि
(C) धन
(D) सामुदायिक वस्तुएं।
उत्तर :
ऊर्जा।

प्रश्न 30.
ज्ञान की प्राप्ति किन साधनों द्वारा की जा सकती है ?
(A) शिक्षा
(B) अनुभव
(C) किताब व पत्रिकाएं
(D) उपरिलिखित सभी।
उत्तर :
उपरिलिखित सभी।

परिवार के संसाधन HBSE 10th Class Home Science Notes

ध्यानार्थ तथ्य :

→ हर किसी के जीवन का कोई न कोई लक्ष्य (aim) होता है।

→ व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का निरन्तर प्रयास करता है।

→ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई चीजों की आवश्यकता होती है।

→ लक्ष्य प्राप्ति में प्रयुक्त सभी चीज़ों को संसाधन कहते हैं।

→ संसाधन दो प्रकार के होते हैं-मानवीय व मानवेतर।

→ मानवीय संसाधन व्यक्तियों की व्यक्तिगत क्षमताएँ तथा विशेषताएँ होती हैं। अर्थात् वह व्यक्ति विशेष का अपना अंश होते हैं तथा उनका प्रयोग केवल वही व्यक्ति कर सकता है।

→ मानवीय संसाधनों के उदाहरण हैं-ऊर्जा (Energy), समय (Time), ज्ञान (Knowledge) तथा कौशल व योग्यताएँ (Skills and abilities)।

→ मानवेतर संसाधन वे होते हैं जो हर किसी के प्रयोग के लिए उपलब्ध होते हैं जैसे-धन।

HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 4 परिवार के संसाधन

→ मानवेतर संसाधनों के उदाहरण हैं –

  • भूमि (land)
  • धन (money)
  • भौतिक वस्तुएँ
  • सामुदायिक सुविधाएँ (Community Facilities)

→ ऊर्जा-हर काम को करने के लिए हमें ऊर्जा चाहिए। बिना ऊर्जा के कार्य करना असम्भव है।

→ जब हम कार्य करने के पश्चात् थक जाते हैं तो इसका अर्थ है कि हमारी ऊर्जा खत्म हो गई है।

→ आराम करके हम ऊर्जा का पुनः संचार करते हैं। ऊर्जा बचा कर नहीं रखी जा सकती है।

→ समय-हमारे पास दिन के केवल 24 घण्टे ही हैं। अतः समय का सदुपयोग करना आवश्यक है।

→ हम एक दिन में कितना काम करते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम समय का सदुपयोग कितना करते हैं।

→ ऊर्जा की तरह समय को भी बचाकर नहीं रखा जा सकता।

→ ज्ञान-जीवन में अनेक चीजों का ज्ञान प्राप्त करना अति आवश्यक है।

→ ज्ञान द्वारा ही हम अपने सभी कामों को कर सकते हैं। यह एक ऐसा संसाधन है जिसे आप बांट तो सकते हैं परन्तु अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए केवल आप ही इसका उपयोग कर सकते हैं।

→ कौशल व योग्यताएँ – यह भी व्यक्ति विशेष का अपना अंश है और व्यक्ति स्वयं ही उनका प्रयोग कर सकता है।

→ कोई व्यक्ति कौशल सीख सकता है और निरन्तर अभ्यास द्वारा उसे सुधार भी सकता है।

→ कोई भी कौशल सीखने के पश्चात् व्यक्ति ही उसका इस्तेमाल कर सकता है।

→ कौशल द्वारा हम धन की बचत कर सकते हैं।

→ धन-यह एक ऐसा संसाधन है जिसे हम तब इस्तेमाल करते हैं जब हमारा लक्ष्य है कुछ खरीदना। इसके अलावा हम इस संसाधन को दूसरे को भी प्रयोग करने के लिए दे सकते हैं।

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→ संसाधन के रूप में धन सीमित है। अतः असीमित आवश्यकताओं को सीमित धन से पूरा करना पड़ता है।

→ भूमि-भूमि का प्रयोग अनेक प्रकार से कर सकते हैं जैसे मकान बनाना, सब्जियाँ उगाना आदि। यदि आवश्यकता हो तो उसे बेचकर धन कमाया जा सकता है।

→ भौतिक वस्तुएँ-इसका अर्थ है वे चीजें जिनका हम दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं। जैसे-मेज, चारपाई आदि। इन चीज़ों के इस्तेमाल से हमारा काम आसान हो जाता है।

→ सामुदायिक सुविधाएँ-ये सुविधाएँ समुदाय या सरकार द्वारा दी जाती हैं। इन्हें सार्वजनिक प्रयोग में लाया जाता है। जैसे-~~पार्क, स्कूल, अस्पताल, खेल का मैदान आदि।

→ सभी संसाधन उपयोगी हैं-चूंकि सभी संसाधन हमें अपना लक्ष्य प्राप्त कराने में मदद करते हैं अत: यह सभी उपयोगी हैं। ये हमारी लक्ष्य प्राप्ति के सहायक हैं और हमें इन्हें बर्बाद नहीं करना चाहिए।

→ सभी संसाधन सीमित हैं-हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जो संसाधन उपलब्ध हैं वे सभी सीमित हैं। सीमित संसाधनों को असीमित आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है अतः इनका प्रयोग बड़े ध्यान से करना चाहिए।

→ सभी संसाधनों का परस्पर अर्थात् आपस में सम्बन्ध होता है- इसका अर्थ है कि संसाधन एक-दूसरे से जुड़े हैं। जैसे यदि गृहिणी के पास धन, समय और ऊर्जा तो है खाना पकाने के लिए, पर कौशल नहीं है तो वह खाना नहीं पका सकती। अतः संसाधन इस तरह आपस में जुड़े हैं कि एक के बिना दूसरे का कोई आस्तित्व नहीं है।

→ जैसा कि हम जानते हैं कि संसाधन सीमित होते हैं अत: आपको यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कोई संसाधन बेकार न जाए चाहे फिर व मानवीय है या मानवेतर। आप संसाधनों का तभी अधिक-से-अधिक प्रयोग कर सकते हैं जब आप उन्हें बर्बादी से बचाएंगे।

→ परिवार के उद्देश्यों तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध साधनों की सहायता ली जाती है।

→ पारिवारिक साधनों को दो भागों में बांटा गया है –

  • मानवीय साधन
  • भौतिक साधन।

→ कार्य करने की कुशलता, ज्ञान, शक्ति, समय, दिलचस्पी, मनोवृत्ति तथा रुचियां आदि मानवीय साधन हैं।

→ धन, सामान, जायदाद, सुविधाएं आदि गैर-मानवीय अथवा भौतिक साधन हैं।

→ समय ऐसा साधन है जो सभी के लिए बराबर होता है।

→ समय को तीन भागों में बांटा जा सकता है-कार्य, विश्राम, नींद आदि।

→ विभिन्न व्यक्तियों में शक्ति भी अलग-अलग होती है तथा एक ही व्यक्ति में सारी उम्र एक जैसी शक्ति नहीं रहती।

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→ जब किसी कार्य को करने के लिए समय तथा शक्ति का प्रयोग किया जाता है तो थकावट अनुभव होती है।

→ परिवार का आकार तथा रचना, जीवन स्तर, घर की स्थिति, आर्थिक स्थिति, परिवार के सदस्यों की शिक्षा, गृह निर्माता की कुशलता तथा योग्यताएं, ऋतु बदलने से कार्य आदि पारिवारिक साधनों को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं।

→ योजनाबद्ध तरीके से कार्य करके समय तथा शक्ति के खर्च को कम किया जा सकता है।

→ रोज़ाना कार्यों के अतिरिक्त साप्ताहिक तथा वार्षिक कार्यों की भी योजना बनानी चाहिए।

→ यदि घर की आय के साधन ठीक हों तो घर के कार्य बाहर से करवाकर भी समय तथा शक्ति का बचाव किया जा सकता है।

→ जब किसी योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाता है तो कुछ देर पश्चात् पता लग जाता है कि नियत लक्ष्यों की पूर्ति हो रही है अथवा नहीं।

→ यदि उद्देश्यों की पूर्ति न हो रही हो तो अपनी योजना में परिवर्तन कर लेना चाहिए ताकि आगे के लिए उद्देश्यों की पूर्ति हो सके।

→ ठीक निर्णय लिए जाएं तो कार्य अच्छी तरह तथा आसानी से हो जाते हैं।

→ घर का प्रबन्धक अथवा गृहिणी सोच-समझकर निर्णय न करे तो घर अस्त-व्यस्त हो जाता है।

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