Class 10

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Anekarthi Shabd अनेकार्थक शब्द Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

अनेकार्थक शब्द HBSE 10th Class

अनेकार्थक शब्द

प्रत्येक भाषा में अनेक शब्द ऐसे होते हैं जिनके एक से अधिक अर्थ हैं। वे शब्द प्रसंग बदलने पर अलग-अलग अर्थ देते हैं; जैसे –
‘काल’ शब्द के अर्थ हैं, पिछला दिन, अगला दिन, शोर, मशीन, सुंदर आदि।
हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कुछ अनेकार्थी शब्द निम्नलिखित हैं –

अज – ब्रह्मा, शिव, बकरा।
अदृष्ट – भाग्य, गुप्त, जो देखा न गया हो।
अंक – संख्या, गोद, अध्याय, चिह्न, नाटक का अंक।
अधर – अंतरिक्ष, निचला होंठ, धरती और आसमान के मध्य।
अक्षर – नष्ट न होने वाला, ईश्वर, वर्ण।
अपवाद – निंदा, कलंक, नियम के विरुद्ध।
अनंत – ईश्वर, आकाश, विष्णु, शेषनाग, असीम, अविनाशी।
अपेक्षा आवश्यकता, तुलना, आशा।
अब्ज – शंख, कमल, कपूर, चंद्रमा।
अब्धि – सरोवर, समुद्र।
अरुण – सूर्य का सारथि, प्रातःकालीन सूर्य, रक्तवर्ण, सिंदूर, लाल ।
अमर – शाश्वत, देवता।
अभिजात – कुलीन, मनोहर, पूज्य।
अंबर – आकाश, कपड़ा, कपास।
अर्थ – धन, व्याख्या, उद्देश्य।
अर्क – सूर्य, आक, रस।
आम – एक फल, सामान्य।
अलि – भँवरा, सखी, कोयल।

अनेकार्थक शब्द के 10 उदाहरण HBSE

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

अवधि – सीमा, निर्धारित समय।
आदि – प्रारंभ, वगैरह।
अवकाश – बीच का समय, अवसर, छुट्टी।
आराम – सुख-चैन, बगीचा।
आतुर – विकल, रोगी, उत्सुक।
आली – सखी, पंक्ति।
उत्सर्ग – त्याग, दान, समाप्ति।
उत्तर – जवाब, उत्तर दिशा।
उपचार – उपाय, सेवा, इलाज।
कर – हाथ, किरण, हाथी की सैंड, टैक्स, ‘करना’ क्रिया का आज्ञार्थक रूप।
कक्षा – परिधि, समूह, छात्रों का समूह।
कला – एक विषय, गुण, युक्ति, तरीका।
कल – चैन, बीता हुआ दिन, आने वाला दिन, मशीन, शोर, आराम।
कक्ष – बगल, कमरा।
कुंजर – हाथी, बाल।
कनक – सोना, धतूरा, गेहूँ।
काम – इच्छा, कामदेव, कार्य, वासना।
काल – समय, मृत्यु।
कुण्डल – कान का आभूषण, साँप की गेंडुरी।
कुटिल – टेढ़ा, धुंघराला, कपटी।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

कुशल – चतुर, सुखी, सुरक्षित।
कुल – सब, वंश, घर, गोत्र।
कोष – खज़ाना, फूल का भीतरी भाग।
खर – तेज, गधा।
खग – पक्षी, आकाश, खेचर – देवता, ग्रह, पक्षी।
ग्रहण लेना, सूर्य – चन्द्र ग्रहण, दोष।
गण – समूह, भूत-प्रेत, तीन वर्गों का समूह (छंद – शास्त्र)।
गौ – गाय, पृथ्वी, इंद्रियाँ।
गति – चाल, दिशा, मोक्ष।
गुरु श्रेष्ठ, अध्यापक, भारी, बड़ा, दो मात्राओं वाला वर्ण, मुश्किल से पचने वाला।
गुण – रस्सी, स्वभाव, कौशल, रज-सत तम गुण।
घर – मकान, कुल, कार्यालय।
घन – बादल, घटा, भारी, हथौड़ा।
घट – घड़ा, हृदय, कम, शरीर।
चीर – वस्त्र, रेखा, पट्टी, चीरना।
चपला – लक्ष्मी, बिजली।
जीवन – वायु, प्राण, जिंदगी, जल।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

जवान – सैनिक, योद्धा, वीर, युवक।
जड़ अचेतन, मूर्ख, वृक्ष का मूल।
ठाकुर – देवता, स्वामी, क्षत्रिय, ईश्वर।
तात – पिता, भाई, पूज्य।
तप – साधना, गर्मी, अग्नि, धूप।
तार – उद्धार, तारघर का तार, लोहे का तार, चासनी का तार।
तीर – किनारा, बाण।
तार – नक्षत्र, आँखों की पुतली।
दक्षिण – दाहिना, अनुकूल, दक्षिण दिशा।
दंड – डंडा, सज़ा, व्यायाम का एक प्रकार, डंठल ।
दल – समूह, सेना, पत्ता।
द्विज–दाँत, ब्राह्मण, पक्षी।
दर्शन – देखना, नेत्र, आकृति, दर्शनशास्त्र।
धारण – विचार, बुद्धि, समझ, विश्वास, मन की स्थिरता।
नव – नया, नौ।
नाक – नासिका, स्वर्ग।
नग – पर्वत, नगीना।
नायक – नेता, मार्गदर्शक, सेनापति, नाटक का मुख्य पात्र।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

निशान – चिह्न, ध्वजा, डंका।
नाग – साँप, हाथी।
पत्र – चिट्ठी, पत्ता, समाचार पत्र, पन्ना।
पतंग – सूर्य, एक कीड़ा, उड़ाई जाने वाली गुड़िया।
पट – द्वार, कपड़ा, पर्दा ।
पय – दूध, पानी, अमृत।
पद – चरण, शब्द, ओहदा, कविता का चरण।
पृष्ठ – पन्ना, पीठ पीछे का भाग, सतह।
पक्ष – पंख, तरफ, सहायक, दो सप्ताह ।
प्रकृति – कुदरत, स्वभाव, मूलावस्था।
पूर्व – पहले, एक दिशा का नाम ।
पानी – जल, मान, चमक।
प्रसाद – कृपा, अनुग्रह, हर्ष।
भोग – खाना, प्रारब्ध, सुख – दुःख का अनुभव।
भृति – नौकरी, मजदूरी, वेतन, मूल्य, वृत्ति।
भव – संसार, उत्पत्ति, शंकर।
भेद – प्रकार, रहस्य, फूट, भिन्नता, तात्पर्य।
भूत – बीता हुआ, प्राण, प्रेत।
मधु – शहद, मदिरा, वसंत, मीठा।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

मत – राय, सम्प्रदाय, निषेध (न)।
मुद्रा – मोहर, सिक्का, मुख का भाव, छाया।
मित्र – सूर्य, दोस्त।
रस – स्वाद, सार, आनन्द, प्रेम, फलों का निचोड़।
रंग – वर्ण, दशा, प्रेम, नृत्य – अभिनय का स्थान।
लक्ष्य – उद्देश्य, निशाना।
लाल – एक रंग, पुत्र।
लय – डूबना, मिलना, स्वरों का उठना-गिरना।
वार – दिन, आक्रमण, प्रहार।
वर – अच्छा, पति, दूल्हा।
विजया – दुर्गा, भाँग।
वर्ण – रंग, अक्षर, जाति।
विषय – भोग-विलास, जिसके बारे में कुछ कहा जाए, मज़मून।
वृत्ति – पेशा, छात्रवृत्ति, कार्य, स्वभाव, नीयत।
विधि – ब्रह्मा,, रीति, कानून।
शेष – बचा हुआ, शेषनाग।
श्यामा – राधा, यमुना, काले रंग की गाय, स्त्री, रात, कोयल।
शिखी – मोर, पर्वत, अग्नि। श्रुति – वेद, कान।
श्री लक्ष्मी, सरस्वती, सम्पत्ति, शोभा, कान्ति, धन।
सारंग – मोर, साँप, बादल, मृग, पपीहा, हंस, कोयल, कामदेव।
सार – बल, लोहा, तत्त्व, निष्कर्ष।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran अनेकार्थक शब्द

सूत – धागा, सारथी।
सोना – शयन, स्वर्ण।
संज्ञा – नाम, चेतना।
हरि – विष्णु, सूर्य, इन्द्र, सिंह, सर्प।
हर – शिव, हर लेना।
हार – पराजय, माला।
हल – समाधान, खेत जोतने का यन्त्र।

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Chhand छंद Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran छंद

Hindi Maatrayein HBSE 10th Class

छन्द

(क) छन्द की परिभाषा/लक्षण:
छन्द उस रचना का नाम है जिसमें मात्राओं, वर्णों एवं यति का विशेष नियम हो । आम बोलचाल में तथा गद्य रचना में हम जिस प्रकार के वाक्यों का प्रयोग करते हैं, उनमें वर्णों एवं मात्राओं का प्रयोग अपनी इच्छा से करते हैं। हम किसी भी वाक्य को छोटा-या बड़ा बनाकर कह सकते हैं। इसके विपरीत छन्दों में मात्राओं, वर्णों एवं यति के नियमों का पालन तथा वर्गों में लघु, गुरु एवं गणों के नियमों का पालन करना होता है।

अतः छन्दों की जानकारी हेतु मात्रा, वर्ण, लघु, गुरु, गण, यति, सम, विषम, चरण, पद, पाद, क्रम आदि अनेक तकनीकी शब्दों को जानना आवश्यक है। बिना तकनीकी जानकारी के शब्दों का रटना केवल समय की बरबादी है।

संक्षेप में:
छन्द उस रचना का नाम है जिसमें वर्ण या मात्राओं की संख्या निश्चित होती है तथा यति, गति आदि का विशेष ध्यान रखा जाता है।

(ख) छन्द के भेद-छन्द के मुख्य दो भेद होते हैं-
(i) मात्रिक छन्द
(ii) वर्णिक छन्द ।
(i) मात्रिक छन्द: जिन छन्दों में मात्राओं की गणना की जाए, उन्हें मात्रिक छन्द कहते हैं।
(ii) वर्णिक छन्द-जिन छन्दों में वर्णों की गणना की जाती है, उन्हें वर्णिक छन्द कहते हैं।

इन दोनों भेदों के आगे चलकर तीन-तीन उपभेद भी हो जाते हैं; जैसे-
(i) सम-वे छन्द जिनमें चार चरण हों और चारों में मात्राओं और वर्गों की संख्या बराबर हो।
(ii) अर्द्ध सम जिस छन्द में चार चरण हो तथा विषम अर्थात् पहले और तीसरे तथा सम अर्थात् दूसरे और चौथे चरणों की मात्राओं एवं वर्गों की संख्या समान होती है।
(iii) विषम वे छन्द जिसमें चरणों की संख्या अथवा मात्राओं व वर्गों की संख्या कम या अधिक हो।

Chhand In Hindi HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद

(ग) मात्रा एवं लघु-गुरु का ज्ञान
मात्रा-किसी वर्ण अथवा अक्षर के उच्चारण में जो समय लगे, उसे मात्रा कहते हैं। मात्राएँ केवल स्वरों की होती हैं। अतः छन्दों में स्वरों एवं उनकी मात्राओं का अत्यधिक महत्त्व होता है। छन्द शास्त्र के अनुसार मात्रा के दो भेद होते हैं-
(1) लघु
(2) गुरु।।

1. लघु:
जब कोई ह्रस्व स्वर की मात्रा का प्रयोग हो तो उसे ‘लघु’ कहा जाता है। लघु मात्रा का चिह्न खड़ी पाई (।) होता है। छन्दशास्त्र में मात्राओं की गिनती करते समय लघु मात्राओं की संख्या प्रति वर्ण एक मानी जाती है।

2. गुरु:
जब किसी व्यंजन में दीर्घ स्वर प्रयोग में आ रहा हो या किसी व्यंजन के साथ दीर्घ स्वर की मात्रा लगी हो तो छन्दशास्त्र में उसे ‘गुरु’ कहा जाता है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ-ऐसे ही स्वर हैं। इनका चिह्न (s) है। छन्दों में मात्राओं की गिनती करते समय गुरु मात्राओं की संख्या प्रतिवर्ण दो मानी जाती है।

उदाहरण-
अ, क, छ, ज, ऋ, पु, कृ, जि, लि, आदि लघु वर्ण हैं तथा इनमें से प्रत्येक की एक मात्रा मानी जाती है।
आ, ली, चू, बे, कै, तो, कौ आदि गुरु वर्ण हैं तथा इनमें से प्रत्येक की दो-दो मात्राएँ मानी जाती हैं।

लघु-गुरु सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण नियम:
(i) संयुक्त व्यंजन से पूर्व का लघु वर्ण भी गुरु माना जाता है तथा उसकी दो मात्राएँ मानी जाती हैं। जैसे ‘कक्षा’, ‘सत्य’ में ‘क’ तथा ‘स’ गुरु होंगे क्योंकि इनके सीधे बाद संयुक्त व्यंजन हैं।
(ii) यदि लघु के बाद अनुस्वार (‘) अथवा विसर्ग (:) हो तो लघु को भी गुरु माना जाएगा। जैसे ‘दुःख’ एवं ‘मंगल’ को ‘दु’ तथा ‘म’ दीर्घ माना जाएगा, लघु नहीं।
(iii) अनुनासिक अथवा चंद्रबिन्दुयुक्त वर्ण यदि वे ह्रस्व मात्रा से युक्त हैं तो लघु ही रहेंगे। जैसे ‘हँसना’ में ‘ह’ लघु ही रहेगा, गुरु नहीं।

(घ) वर्ण/अशुभ वर्ण
वर्ण:
छन्दशास्त्र का वर्ण व्याकरण के वर्ण से भिन्न अर्थ रखता है। यहाँ केवल स्वर अथवा स्वरयुक्त व्यंजन को ही वर्ण माना जाता है। उदाहरणार्थ ‘स्वाध्याय’ शब्द को ही ले। व्याकरण के अनुसार इसमें (स् + व् + आ + ध् + य + आ + य् + अ) आठ वर्ण होंगे किन्तु छन्दशास्त्र इसमें-
ऽ ऽ।
स्वाध्याय = केवल तीन वर्ण माने जाएंगे।

Chhand In Hindi Grammar HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद

अशुभ वर्ण:
छन्दशास्त्र में कुछ वर्षों का पद्य के आरम्भ में प्रयोग निषिद्ध माना गया है। इन वर्गों को अशुभ वर्ण या दग्धाक्षर कहा जाता है। ऐसे वर्गों की संख्या यद्यपि उन्नीस है लेकिन मुख्य रूप से निम्नलिखित पाँच वर्ण अशुभ हैं-ख, ह, र, भ, ष।

यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि यदि ये अशुभ वर्ण किसी देवता-वाचक अथवा मंगल सूचक शब्द के आरम्भ में आएँ या ये वर्ण दीर्घ मात्रा से युक्त हों तो इन्हें अशुभ नहीं माना जाता।

(ङ) चरण (पाद) :
पद्य के प्रत्येक भाग को चरण अथवा पाद कहते हैं। प्रायः प्रत्येक पद्य में चार चरण होते हैं, लेकिन कुण्डलिया, छप्पय, मिलिन्दपाद आदि छन्दों में छह भाग होते हैं। वहाँ भी प्रत्येक भाग को चरण अथवा पाद कहा जाएगा।

(च) यति छन्दों को पढ़ते हुए अर्थ एवं भावों की स्पष्टता के लिए अनेक स्थानों पर रुकना पड़ता है, इसी रुकने को यति कहते हैं।
छन्दों में गति एवं लय बनाए रखने के लिए यति के विशेष नियम होते हैं। किन्हीं विशिष्ट स्थलों अर्थात् कुछ गिनी हुई मात्राओं अथवा वर्णों पर ही छन्दों में यति का अविधान होता है। अतः छन्दों में यति सम्बन्धी नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

(छ) क्रम-छन्द में किस स्थान पर गुरु तथा किस स्थान पर लघु वर्ण आएगा, इसके लिए विशेष नियम निर्धारित होते हैं। स्थान सम्बन्धी इन्हीं नियमों को क्रम कहते हैं।

(ज) गण-विचार-पहले बताया जा चुका है कि वर्णिक छन्दों में वर्णों की गणना होती है। ये वर्ण विशेष क्रम में आते हैं। वर्गों के इसी क्रम-निर्धारण हेतु गणों का निर्माण किया जाता है।

गण से अभिप्राय है-समूह। छन्दों की परिभाषा समझने तथा याद रखने के लिए ही गणों का उपयोग किया जाता है।
तीन वर्गों के समूह का नाम गण होता है। उनकी संख्या आठ है। यथा-यगण, मगण, तगण, रगण, जगण, भगण, नगण एवं सगण। इसका विस्तृत वर्णन निम्नलिखित तालिका में देखा जा सकता है-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद 1

इन सभी गणों तथा उनके लक्षणों को स्मरण करने के लिए निम्नलिखित सूत्र कण्ठस्थ करें’
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद 2

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद

इस सूत्र के आधार पर किसी भी गण के लक्षण पहचानने के लिए इस गण के वर्ण से आरम्भ के तीन वर्गों को लें। लक्षण स्वयं समझ में आ जाएगा। उदाहरण के रूप में-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद 3
आगे छन्दों के लक्षण एवं उदाहरण दिए जा रहे हैं।

Hindi Vyakaran Chhand HBSE 10th Class

मात्रिक छन्द

1. दोहा

जान विषम तेरह कला, सम शिव दोहा मूल।
(विषम चरणों में 13 तथा सम चरणों में 11 मात्राएँ)

लक्षण/परिभाषा:
दोहा मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। इसमें कुल चार चरण होते हैं। इसके पहले एवं तीसरे चरण में तेरह-तेरह तथा दूसरे और चौथे चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं। इस प्रकार इस छन्द की प्रत्येक पंक्ति में 24 मात्राएँ होती हैं। प्रत्येक पंक्ति के अन्त में अर्थात् दूसरे और चौथे चरण के अन्त में लघु (|) होना अनिवार्य है; यथा-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद 4

समन्वय:
ऊपर के उदाहरण में कुल चार चरण हैं। प्रथम एवं तृतीय चरणों में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा दूसरे एवं चौथे चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ हैं। इस प्रकार प्रत्येक पंक्ति की 24 मात्राएँ हैं। प्रत्येक चरण के अन्त में यति है और प्रत्येक पंक्ति के अन्त में लघु स्वर है। अतः यह दोहा छन्द सिद्ध है। अन्य उदाहरण-
मेरी भवबाधा हरौ, राधा नागरि सोय
जा तन की झाँई परौ, स्याम हरित दुति होय ॥
मान होत है गुननि तें, गुन बिन मान न होई
सुक सारी राखै सबै, काग न राखै कोई ॥

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद

Chhand Hindi Vyakaran HBSE 10th Class

2. चौपाई

कल सोलह जहँ सदा सुहावै। जाके अन्त ज ता नहि भावें।
सम-सम विषम-विषम सुखदाई। कविगण ताहि कहें चौपाई ॥

लक्षण/परिभाषा:
चौपाई एक मात्रिक सम छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में सोलह-सोलह मात्राएँ होती हैं। चरण के अन्त में जगण तथा तगण नहीं आने चाहिएं। समकल के बाद समकल और विषमकल के बाद विषमकल आना चाहिए। (समकल से तात्पर्य
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran छंद 5

समन्वय:
ऊपर के प्रत्येक चरण में सोलह मात्राएँ हैं। चरण के अन्त में जगण अथवा तगण नहीं है तथा समकल के बाद समकल एवं विषमकल के बाद विषमकल आए हैं। अतः यह छन्द चौपाई छन्द है। अन्य उदाहरण-
कंकन किंकिन नूपुर धुनि सुनि
कहत लखन सन राम हृदय गुनि ॥
मानहु मदन दुंदभी दीन्ही
मनसा विस्व विजय कहँ कीन्ही ॥

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sarvanam सर्वनाम Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

सर्वनाम

Sarvanam Exercise HBSE 10th Class प्रश्न 1.
सर्वनाम की परिभाषा देते हुए उसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सर्वनाम का शाब्दिक अर्थ है-सब का नाम। व्याकरण में सर्वनाम ऐसे शब्दों को कहते हैं, जिनका प्रयोग सबके लिए (नामों) किया जाए। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं; जैसेमैं, हम, तू, तुम, वह, वे आदि।

सर्वनाम का भाषा में बहुत महत्त्व है। सर्वनाम के प्रयोग के द्वारा भाषा की सरलता एवं सुंदरता में वृद्धि होती है। भाषा में पुनरावृत्ति के दोष को सर्वनाम के प्रयोग द्वारा दूर किया जा सकता है; यथा
राम सुबह शीघ्र उठता है। राम स्कूल समय पर जाता है। राम कल रोहतक गया था।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘राम’ शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है जो उपयुक्त नहीं है। अतः ‘राम’ के स्थान पर उसके सर्वनाम का प्रयोग करने पर भाषा में सरलता एवं शुद्धता की अभिवृद्धि होगी; यथाराम सुबह शीघ्र उठता है। वह स्कूल समय पर जाता है। वह आज रोहतक गया है।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

सर्वनाम के भेद

Sarvanam Class 10 HBSE Vyakaran प्रश्न 2.
सर्वनाम के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
सर्वनाम के छह भेद माने जाते हैं। जो इस प्रकार हैं
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम,
(2) निश्चयवाचक सर्वनाम,
(3) अनिश्चयवाचक सर्वनाम,
(4) संबंधवाचक सर्वनाम,
(5) प्रश्नवाचक सर्वनाम,
(6) निजवाचक सर्वनाम।
1. पुरुषवाचक सर्वनाम:
बोलने वाले, सुनने वाले तथा जिनके विषय में कुछ कहा जाए, वे सर्वनाम पुरुषवाचक होते हैं; जैसे मैं, तुम, वह आदि। ये सर्वनाम (नर एवं नारी) पुरुष के लिए प्रयुक्त होते हैं। इसलिए इन्हें पुरुषवाचक सर्वमान कहा जाता है। पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन उपभेद होते हैं
(i) उत्तम पुरुषवाचक-लेखक या वक्ता अपने लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे मैं, हम, मुझको, मेरा, हमारा आदि।

(ii) मध्यम पुरुषवाचक-पाठक या श्रोता के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाए, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे तुम, तुम्हारा, आप, आपका, तू आदि।

(iii) अन्य पुरुषवाचक-अपने तथा श्रोता के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं; यथा वह, वे, यह, ये, उनको, आदि।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम:
जिन सर्वनामों से किसी समीप या दूर के प्राणी अथवा पदार्थ का निश्चयात्मक संकेत मिलता है, उन्हें निश्चयवाचक सर्वमान कहते हैं; यथा यह, ये, वह, वे, इस, इन, इन्हें, इन्होंने आदि।
(क) निकटवर्ती यह, ये, इस, इन।
(ख) दूरवर्ती वह, वे।
उदाहरणार्थ-
(क) यह यहाँ खेल रहा है।
(ख) वह वहाँ चला गया।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम:
जिन सर्वनामों से किसी निश्चित पदार्थ या व्यक्ति का बोध न हो, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वमान कहते हैं; यथा कोई, कुछ, किसी, किन्हीं, कुछ भी, सब कुछ, कुछ-न-कुछ, हर कोई, कोई-न-कोई आदि। जैसे
(क) कल कोई आया था।
(ख) खाने के लिए कुछ दीजिए।

4. संबंधवाचक सर्वनाम:
जिन सर्वनामों से संज्ञा के संबंधों का बोध हो, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे जो, सो, जिसे, उसे आदि। उदाहरणार्थ निम्नांकित वाक्य देखिए
(क) जो परिश्रम करेगा सो फल भी पाएगा।
(ख) आप जो कहें ठीक है।
(ग) जिसकी लाठी उसकी भैंस।
(घ) यह वही है जिसने तुम्हारा पैन चुराया था।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम-जिन सर्वनामों से प्रश्नों का बोध हो, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे कौन, क्या, किन, किनसे, किन्हें आदि। उदाहरणार्थ ये वाक्य देखिए
(क) दरवाजे पर कौन है?
(ख) आप ने क्या माँगा है?
(ग) आपको किससे मिलना है?
(घ) ये पुस्तकें किन्हें चाहिएँ?

6. निजवाचक सर्वनाम जो सर्वनाम कर्ता के स्वयं के लिए प्रयुक्त हो, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं, जैसे अपना, अपने, अपनी आदि। उदाहरणार्थ ये वाक्य देखिए
(क) अपनी पुस्तक ले जा रहा हूँ।
(ख) हमें अपने देश के लिए कुछ करना चाहिए।
(ग) हमें अपना कर्तव्य कभी नहीं भूलना चाहिए।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

सर्वनाम की रूप-रचना

Hindi Vyakaran Sarvanam HBSE 10th Class प्रश्न 3.
सर्वनाम की रूप-रचना कितने प्रकार से होती है?
उत्तर:
सर्वनाम की रूप-रचना को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है
(1) पुरुषवाचक-मैं, तुम।
(2) निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक एवं संबंधवाचक।
(3) अनिश्चयवाचक।
(4) निजवाचक।

रूपावली वर्ग-1

(क) मैं (उत्तम पुरुष)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तामैं, मैंनेहम, हमने
करणमुझे, मुझकोहमें, हमको
संप्रदानमुझसेहमसे
अपादानमुझे, मेरे लिएहमें, हमारे लिए।
संबंधमुझसेहमसे
अधिकरणमेरा, मेरे, मेरीहमारा, हमारे, हमारी

(ख) तू (मध्यम पुरुष)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तातू, तूनेतुम, तुमने
करणतुझको, तुझेतुमको, तुम्हें
संप्रदानतुझको, तेरे द्वारातुमसे, तुम्हारे द्वारा
अपादानतुझको, तेरे लिए, तुझेतुझको, तुम्हारे लिए
संबंधतुझसेतुमसे, तुम्हें
अधिकरणतेरा, तेरी, तेरेतुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे

(ग) वह (अन्य पुरुष)

कारकएकवचनबहुवचन
कर्तावह, उससेवे, उन्होंने
करणउसे, उसकोउन्हें, उनको
संप्रदानउससे, उसके द्वाराउनसे, उनके द्वारा
अपादानउसको, उसे, उसके लिएउनको, उन्हें, उनके लिए
संबंधउससेउनसे
अधिकरणउसका, उसकी, उसकेउनका, उनकी, उनके

रूपावली वर्ग-2

निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक तथा संबंधवाचक
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम 1

रूपावली वर्ग-3

अनिश्चयवाचक

विभक्तिएकवचनबहुवचन
मूलकोईकोई
तिर्यक/संबंधवाचीकिसीकिन्हीं

रूपावली वर्ग-4

निजवाचक

विभक्तिएकवचनबहुवचन
मूल/तिर्यक/संबंधवाची(अपने) आप(अपने) आप

(नोट-कुछ का रूप वही रहता है।)

टिप्पणी:
(1) सर्वनाम में लिंग के अनुसार रूप में परिवर्तन नहीं होते। उदाहरणार्थ निम्नलिखित वाक्य देखिए(क) गाय भीतर आ गई, वह पौधे तोड़ देगी। (ख) गधा भीतर आ गया, वह पौधे तोड़ देगा। यहाँ दोनों वाक्यों में ‘वह’ सर्वनाम का प्रयोग हुआ है। लिंग का बोध क्रिया से होता है न कि सर्वनाम से।

(2) रूपावली के अनुसार उत्तम पुरुष एकवचन ‘मैं’ है किंतु कुछ स्थितियों में उत्तम पुरुष एकवचन अपने लिए ‘हम’ सर्वनाम का भी प्रयोग करता है। जैसे
(क) हम कल विद्यालय जाएँगे।
(ख) मैं कल विद्यालय जाऊँगा।

(3) रूपावली के अनुसार मध्यम पुरुष एकवचन ‘तू’ है किंतु कभी-कभी इसका विशेष प्रयोग प्यार-दुलार, अति आत्मीयता तथा कभी-कभी हीनता दिखाने के लिए भी किया जाता है।

(4) एकवचन ‘कुछ’ परिमाणबोधक है किंतु बहुवचन ‘कुछ’ संख्याबोधक है।

(5) मुझ, हम, तुझ, तुम, इस, इन, उस, उन, किस, किन में निश्चयार्थी ‘ई’ (ही) के योग से निश्चयार्थक रूप बन जाते हैं।
जैसे-
(क) मुझ को चार रुपए चाहिएँ।
(ख) उसी से मैं यह पुस्तक लाया हूँ।
(ग) रमेश उन्हीं का बेटा है।
(घ) मुझे तुम्हीं से मिलना है।

सर्वनामों के पुनरुक्ति रूप

कुछ सर्वनाम पुनरुक्ति के साथ प्रयोग में आते हैं। ऐसी स्थिति में उनके अर्थ में कुछ विशिष्टता उत्पन्न हो जाती है। कुछ सर्वनाम संयुक्त रूप में भी प्रयुक्त होते हैं। जैसे-जो, कोई आदि। सर्वनामों की पुनरुक्ति प्रयोगों के कुछ उदाहरण निम्नांकित हैं-
जो-जो-जो-जो – आए, उसे खिलाओ।
कोई-कोई-कोई-कोई – तो बिना बात ही बहस करते हैं।
क्या-क्या-आपने – वहाँ क्या-क्या देखा ?
कौन-कौन-कौन-कौन – आ रहा है?
किस-किस-किस-किस – कमरे में छात्र बीमार हैं?
कुछ-कुछ-अब कुछ-कुछ – याद आ रहा है।
कोई-न-कोई-जाओ, वहाँ कोई-न-कोई तो मिल ही जाएगा।
कुछ-न-कुछ-कुछ-न-कुछ – करते ही रहना चाहिए।
जो कोई-जो कोई आए, उसे रोक लो।
जो कुछ जो कुछ – मिले, रख लो।
अपना-अपना-अपना-अपना – बस्ता उठाओ और घर जाओ।

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न

Sarvanam Class 10th HBSE प्रश्न 1.
सर्वनाम किसे कहते हैं? सोदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जो शब्द संज्ञा के स्थान पर बार-बार प्रयुक्त हो, उसे सर्वनाम कहते हैं; जैसे मैं, हम, तुम, तू, वह, वे, कुछ, कौन आदि।

प्रश्न 2.
सर्वनाम के कितने भेद हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
सर्वनाम के छह भेद हैं
1. पुरुषवाचक मैं (हम), तू (तुम), वह (वे) आदि।
2. निश्चयवाचक-यह, वह।
3. अनिश्चयवाचक-कोई, कुछ।
4. प्रश्नवाचक-कौन, क्या।
5. संबंधवाचक-जो, सो।
6. निजवाचक-आप, अपना।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

प्रश्न 3.
“मेरा बेटा अभी दिल्ली में है। उसका मकान बहुत बड़ा है। तुम दिल्ली जाना तो उससे ज़रूर मिलना। वह तुमसे मिलकर बहुत खुश होगा” मैं दिल्ली जाकर मोहन से मिला। उसने मुझे अपना घर दिखाया। उसकी पत्नी ने मुझसे कहा, “नमस्ते, आप कैसे हैं?” मोहन ने पूछा, “आप कौन-से कमरे में रहेंगे। घर में कुछ कमरे ही हवादार हैं।” मैंने कहा, “हमारा शहर छोटा है। हमारे घर में तो कोई भी कमरा हवादार नहीं है।”
इस गद्यांश से पुरुषवाचक सर्वनाम छाँटिए और उन्हें पुरुषवाचक के भेदों के अनुसार लिखिए।
उत्तर:

उत्तम पुरुषमध्यम पुरुषअन्य पुरुष
मैंतुमउससे
मुझेतुमसेवह
मुझसेआपउसने
मैंने

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों में क्रिया रूप को शुद्ध मानते हुए सही सर्वनामों का प्रयोग कीजिए
1. क्या तुम पत्र लिख चुके हैं?
2. तू आज मेरे साथ फिल्म देखने चलो।
3. आप सब कुछ भूल चुका हूँ।
4. तू परीक्षा दे चुके हैं।
5. क्या आप दूध लाए हो?
उत्तर:
1. क्या आप पत्र लिखे चुके हैं?
अथवा
क्या वे पत्र लिख चुके हैं?
2. तुम आज मेरे साथ फिल्म देखने चलो।
3. मैं सब कुछ भूल चुका हूँ।
4. वे परीक्षा दे चुके हैं।
5. क्या तुम दूध लाए हो?

प्रश्न 5.
‘आप’ शब्द का प्रयोग आदरार्थ मध्यम पुरुष, अन्य पुरुष और निजवाचक सर्वनाम में कीजिए।
उत्तर:
(1) आदरार्थ मध्यम पुरुष के रूप में
(क) भाई साहब, आप कुर्सी पर बैठिए।
(ख) आपने खाना नहीं खाया?
(2) मध्यम पुरुष के रूप में
श्री जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। आपका जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था।

(3) निजवाचक सर्वनाम के रूप में
(क) मैं अपना सामान अपने आप उठा सकता हूँ।
(ख) वह अपना काम अपने आप कर लेगा।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

प्रश्न 6.
नीचे के वाक्यों में तिरछे छपे सर्वनाम का नाम दीजिए और अपने वाक्य में उनका प्रयोग कीजिए

1. वह घर पर नहीं है।
2. यह मेरा घर है।
3. बाहर देखो, शायद कोई आ रहा है।
4. दूध में कुछ गिर गया है, निकाल दो।
5. मेरे पास एक घड़ी है जो मुझे शादी में मिली थी।
उत्तर:
1. वह- पुरुषवाचक (अन्य पुरुष) सर्वनाम
वाक्य- वह पुस्तक पढ़ रहा है।

2. यह- निश्चयवाचक सर्वनाम।।
वाक्य- यह मेरा विद्यालय नहीं है।

3. कोई- अनिश्चयवाचक सर्वनाम।
वाक्य- कोई गाना गा रहा है।

4. कुछ- अनिश्चयवाचक सर्वनाम।
वाक्य- मुझे खाने के लिए कुछ दे दो।

5. जो- संबंधवाचक सर्वनाम।
वाक्य- जो परिश्रम करेगा वह फल पाएगा।

प्रश्न 7.
‘तू’ और ‘आप’ का प्रयोग मध्यम पुरुष में आप कब करते हैं?
उत्तर:
‘तू’ का प्रयोग मध्यम पुरुष में उस समय करते हैं जब किसी के प्रति प्यार या दुलार तथा अति आत्मीयता दिखाई जाए; यथा
(क) मेरे पुत्र! तू क्यों नहीं पढ़ता? (प्यार)
(ख) हे भगवान! अब तू ही मेरा रक्षक है। (सम्मान)
(ग) हे दुष्ट! तू क्या चाहता है? (अपमान)
‘आप’ सर्वनाम को मध्यम पुरुष के रूप में हम तभी प्रयोग करते हैं, जब हम संबोधित व्यक्ति के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करते हैं; यथा
(क) श्रीमान जी, आप यहाँ बैठिए।
(ख) पिता जी, आप मुझे आज्ञा दीजिए।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए
1. कुछ बाहर आया है, उसे अंदर बैठाओ।
2. तुम तुम्हारी किताब लाओ।
3. तुम्हारे से कोई काम नहीं हो सकता।
4. हम हमारे घर जा रहे हैं।
5. मैं तुम्हारे घर गया था पर आप वहाँ नहीं थे; इसलिए हम लौट आए।
उत्तर:
1. कोई बाहर आया है, उसे अंदर बैठाओ।
2. तुम अपनी किताब लाओ।
3. तुमसे कोई काम नहीं हो सकता।
4. हम अपने घर जा रहे हैं।
5. मैं आपके घर गया था पर आप वहाँ नहीं थे, इसलिए मैं लौट आया।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए वाक्यों को शुद्ध कीजिए
1. मैं आपको मेरा पता दूंगा।
2. तुम मुझे तुम्हारा पता दो।
3. मैं मेरा किताब पढ़ रहा हूँ।
4. मुझे मेरे से प्यार था।
उत्तर:
1. मैं आपको अपना पता दूंगा।
2. तुम मुझे अपना पता दो।
3. मैं अपनी किताब पढ़ रहा हूँ।
4. मुझे अपने से प्यार था।
5. हम अपने देश के लिए जान दे देंगे।

प्रश्न 10.
नीचे दिए गए संयुक्त सर्वनामों का वाक्यों में प्रयोग कीजिएअपना-अपना, अपने आप, जो कुछ, कुछ और, कुछ-न-कुछ, कोई-न-कोई, कोई और।
उत्तर:
1. अपना-अपना- आजकल लोग अपना-अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं।
2. अपने आप- वे अपने आप कुछ नहीं कर सकते।
3. जो कुछ- जो कुछ मिल जाए उसी में संतुष्ट रहो।
4. कुछ और- तुम्हें कुछ और चाहिए।
5. कुछ-न-कुछ-कुछ-न-कुछ करते रहना चाहिए।
6. कोई-न-कोई-कोई-न-कोई वहाँ जाता ही रहता है।
7. कोई और कोई और काम हो तो बोलो।

प्रश्न 11.
सर्वनाम की उपयोगिता पर पच्चीस शब्दों में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
संज्ञा शब्द के बार-बार प्रयोग से वाक्य-रचना कुरूप हो जाती है। अतः पुनरुक्ति दोष को दूर करने के लिए सर्वनाम का प्रयोग होता है। इससे वाक्य-रचना सुंदर, सहज और संक्षिप्त बन जाती है। सर्वनाम संक्षिप्त भी होते हैं और उनमें परसर्ग लगाने की अधिक आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों में उचित सर्वनाम शब्दों का प्रयोग कीजिए
श्रीमान जी, …………. बड़ी दूर से ……….. पास पढ़ने आया हूँ। ………… भी …………. का शिष्य बनना चाहता हूँ। ………….. मेरे मित्र ने आपके पास भेजा है। ………….. दस वर्ष तक …………… से शिक्षा ग्रहण की है। …………… आपकी बहुत प्रशंसा करता है। कृपया …….. शरण में ले लें।
उत्तर:
श्रीमान जी, मैं बड़ी दूर से आपके पास पढ़ने आया हूँ। मैं भी आप का शिष्य बनना चाहता हूँ। मुझे मेरे मित्र ने आपके पास भेजा है। उसने दस वर्ष तक आप से शिक्षा ग्रहण की है। वह आपकी बहुत प्रशंसा करता है। कृपया मुझे शरण में ले लें।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त सर्वनामों को छाँटकर लिखिए-
1. बाज़ार से कुछ लाओ।
2. रास्ते में महात्मा जी मिल गए थे; उनसे बातचीत होती रही।
3. किताब खुली पड़ी है; इसे उठाओ।
4. जिसकी लाठी उसकी भैंस।
5. हमारे विद्यालय में पचास अध्यापक हैं।
6. जिसने बच्चे को डूबने से बचाया है उसे इनाम मिलेगा।
7. इस कमरे में किसका सामान पड़ा है।
8. आज राम की माता जी आई हैं, मैंने उन्हें प्रणाम किया।
9. पानी में क्या पड़ गया?
10. तुम्हारे पास कितनी पुस्तकें हैं?
उत्तर:
1. कुछ
2. उनसे
3. इसे
4. जिसकी, उसकी
5. हमारे
6. जिसने, उसे
7. किसका
8. मैंने
9. क्या
10. तुम्हारे, कितनी।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran सर्वनाम

प्रश्न 14.
आदरार्थक एवं निजार्थक के प्रयोग के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
आदरार्थक-आप, तू और तुम्हारे के स्थान पर प्रयोग होता है। यथा
(क) पिता जी! आप बाज़ार कब जाओगे?
(ख) माता जी! आप तो हर समय डरती रहती हैं।

निजार्थक:
निजार्थक सर्वनाम का प्रयोग बोलने वाला या लिखने वाला अपने लिए करता है। यह ‘मैं’ सर्वनाम के स्थान पर प्रयुक्त होता है; यथा
(क) मैं तो आप ही आ रहा था।
(ख) मैं अपने आप घर आ जाऊँगा।

प्रश्न 15.
पुरुषवाचक ‘वह’ और निश्चयवाचक ‘वह’ के दो-दो वाक्य बनाकर अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पुरुषवाचक ‘वह’
(क) वह मेरा मित्र है।
(ख) वह खेलने के लिए आज स्टेडियम नहीं गया।

निश्चयवाचक- ‘वह’-
(क) मेरा घर वह नहीं है।
(ख) मुझे वह पुस्तक नहीं चाहिए।

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran शब्द, पद, पदबंध

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Shabd Pad Padbandh शब्द, पद, पदबंध Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran शब्द, पद, पदबंध

(क) शब्द

Padbandh Class 10 HBSE प्रश्न 1.
शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक या एक से अधिक वर्षों से बना हुआ स्वतंत्र तथा सार्थक ध्वनि समूह ‘शब्द’ कहलाता है; जैसे कलम, सुंदर, दौड़ना आदि।

Padbandh Exercise Class 10 With Answers HBSE प्रश्न 2.
शब्द के कितने भेद हैं?
उत्तर:
शब्द के पाँच भेद हैं
(i) उद्गम के आधार पर
(ii) रचना के आधार पर
(iii) प्रयोग के आधार पर
(iv) अर्थ के आधार पर
(v) रूपांतरण के आधार पर

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran Shabd Pad Padbandh

Shabd Aur Pad HBSE 10th Class प्रश्न 3.
उद्गम के आधार पर शब्द के कितने भेद हैं?
उत्तर;
उद्गम के आधार पर शब्द के पाँच भेद हैं
(i) तत्सम-संस्कृत के ऐसे शब्द, जो हिंदी में भी अपने मूल रूप में ही प्रयुक्त होते हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं; जैसे पवन, नेत्र, सूर्य, कार्य, छात्र आदि।
(ii) तद्भव-जो शब्द संस्कृत के मूल रूप से बिगड़कर हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, तद्भव शब्द कहलाते हैं; जैसे सात (सप्त), काम (कार्य), घोड़ा (घोटक), दूध (दुग्ध), आम (आम्र) आदि।
(iii) देशी-जो शब्द लोकभाषाओं से आए होते हैं, देशी या देशज शब्द कहलाते हैं; जैसे पेड़, जूता, चीनी, लोटा, डिबिया आदि।
(iv) विदेशी-जो शब्द विदेशी भाषाओं से आए होते हैं, विदेशी या विदेशज शब्द कहलाते हैं। इन्हें ‘आगत’ शब्द भी कहते .. हैं; जैसे कॉलेज, औलाद, खर्च, तोप, डॉक्टर आदि।
(v) संकर-जो शब्द दो भाषाओं के शब्दों के मिश्रण से बनते हैं, संकर शब्द कहलाते हैं; जैसेवर्षगाँठ – वर्ष (संस्कृत), गाँठ (हिंदी) टिकटघर – टिकट (अंग्रेज़ी), घर (देशी) घड़ीसाज़ – घड़ी (हिंदी), साज़ (अरबी) सज़ाप्राप्त- सज़ा (फारसी), प्राप्त (संस्कृत) जेलखाना – जेल (अंग्रेज़ी), खाना (फारसी)

पदबंध Class 10 HBSE प्रश्न 4.
रचना के आधार पर शब्द के कितने भेद होते हैं?
उत्तर:
रचना के आधार पर शब्द के तीन भेद होते हैं
(i) रूद-जो शब्द अन्य शब्दों के मेल से न बने हों और किसी वस्तु-विशेष के अर्थ को प्रकट करते हों तथा जिनके टुकड़ों का अर्थ नहीं होता, रूढ़ शब्द कहलाते हैं; जैसे कल, मुँह, घोड़ा, आदमी, पुस्तक आदि।
(ii) यौगिक-जो शब्द दो शब्दों के मेल से बनते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। इन शब्दों में एक रूढ़ शब्द के अतिरिक्त प्रत्यय, उपसर्ग अथवा एक अन्य रूढ़ शब्द अवश्य होता है; जैसे विद्यालय (विद्या + आलय), देवदूत (देव + दूत), बैलगाड़ी (बैल + गाड़ी), देशभक्ति (देश + भक्ति), निर्मल (निर् + मल)।
(iii) योगरूढ़-जो शब्द सार्थक खंडों के योग से बने होते हैं तथा अपने मूल शब्दों के अर्थ का बोध न कराकर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं; जैसे
पंकज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला) – सामान्य
अर्थ पंकज (कमल) – विशेष अर्थ
दशानन (दस मुख) – सामान्य अर्थ
दशानन (रावण) – विशेष अर्थ
पीतांबर (पीला वस्त्र) – सामान्य अर्थ
पीतांबर (कृष्ण) – विशेष अर्थ
लंबोदर (लंबा उदर) – सामान्य अर्थ
लंबोदर (गणेश) – विशेष अर्थ
जलज (जल में उत्पन्न होने वाला) – सामान्य अर्थ

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran Shabd Pad Padbandh

Padbandh In Hindi HBSE 10th Class प्रश्न 5.
प्रयोग के आधार पर शब्द के कितने भेद हैं?
उत्तर:
प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद हैं
(i) सामान्य-जो शब्द सामान्य जीवन में प्रयुक्त होते हैं, सामान्य शब्द कहलाते हैं; जैसे सुबह, शाम, आम, मनुष्य, घर आदि।
(ii) पारिभाषिक-जो शब्द विभिन्न शास्त्रों में किसी विशेष अर्थ के लिए प्रयुक्त होते हैं, पारिभाषिक शब्द कहलाते हैं। इन्हें तकनीकी शब्द भी कहा जाता है; जैसे प्रधानमंत्री, रसायन, निदेशक, कर्मचारी, सर्वनाम आदि।

Padbandh Exercise Class 10 HBSE प्रश्न 6.
अर्थ के आधार पर शब्द के कितने भेद होते हैं?
उत्तर:
अर्थ के आधार पर शब्द के चार भेद होते हैं
(i) एकार्थी-जिन शब्दों का एक ही साधारण अर्थ होता है, एकार्थी शब्द कहलाते हैं, जैसे भारतवर्ष, हिमालय, गंगा, पुस्तक, घर आदि।
(ii) अनेकार्थी-एक से अधिक अर्थ प्रदान करने वाले शब्दों को अनेकार्थी शब्द कहते हैं। इन शब्दों का प्रसंग बदलने पर अलग-अलग अर्थ निकलता है; जैसे
(iii) पर्यायवाची या समानार्थी-जिन शब्दों के अर्थों में समानता हो, वे शब्द पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं;
जैसे-
पानी – जल, वारि, नीर, सलिल
अमृत – सोम, सुधा, अमी, अमिय
जंगल – विपिन, कानन, वन, अरण्य
दिन – दिवस, वार, वासर, दिव
पवन – वायु, हवा, समीर, अनिल
(iv) विलोम या विपरीतार्थक-जो शब्द विपरीत अर्थ का बोध कराते हैं, वे शब्द विलोम या विपरीतार्थक शब्द कहलाते हैं; जैसे
अपना-पराया – चतुर-मूर्ख
सज्जन-दुर्जन – महान्-तुच्छ
नीरस-सरस – निरर्थक-सार्थक

Class 10 Padbandh HBSE प्रश्न 7.
विकारी एवं अविकारी शब्दों में सोदाहरण अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकारी एवं अविकारी शब्दों में निम्नलिखित अंतर है
(i) विकारी:
जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल, वाच्य आदि के कारण परिवर्तन होता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि विकारी शब्द हैं क्योंकि इनके मूल रूप में लिंग, वचन और कारक के कारण परिवर्तन आ जाता है; जैसे लड़का-लड़के, मैं हम, अच्छा अच्छे, जाना-जाएँगे आदि।

(ii) अविकारी शब्द:
जिन शब्दों के स्वरूप में किसी भी कारण से परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है।
क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक तथा विस्मयादिबोधक-ये चार प्रकार के अविकारी शब्द हैं; जैसे तेज़, यहाँ, किंतु आगे, अरे! आदि।

Shabd Pad Aur Padbandh Class 10 HBSE प्रश्न 8.
जब शब्द स्वतन्त्र रूप में प्रयुक्त होता है तो उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
उसे शब्द अथवा सार्थक इकाई कहते हैं।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran Shabd Pad Padbandh

(ख) पद

Padbandh Class 10 Solutions HBSE प्रश्न 9.
पद किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी शब्द को व्याकरणिक नियमों के अनुसार वाक्य में प्रयुक्त किया जाता है, तब वह पद बन जाता है; जैसे लड़का, कुत्ता, डंडा, मारा शब्द हैं।
यदि इन शब्दों में विभक्ति, परसर्ग अथवा प्रत्यय जोड़ दिए जाएँ, तो ये पद बन जाते हैं; जैसे लड़के ने कुत्ते को डंडे से मारा।

Padbandh Exercise HBSE 10th Class प्रश्न 10.
शब्द और पद में क्या अंतर है?
उत्तर:
शब्द भाषा की स्वतंत्र तथा सार्थक इकाई है और यह वाक्य से बाहर रहता है, परंतु जब शब्द व्याकरणिक नियमों के अनुसार वाक्य का अंग बन जाता है, तो पद कहलाता है; जैसे-
लड़का, घर, बलाना शब्द हैं। यदि इन शब्दों से वाक्य बनाया जाए, तो ये शब्द पद बन जाते हैं; जैसे लड़के को घर से बुलाओ।

Padbandh Class 10th HBSE प्रश्न 11.
पद के कितने भेद हैं? उनके नाम भी बताएँ।
उत्तर:
पद के पाँच भेद हैं
(i) संज्ञा
(ii) सर्वनाम
(iii) विशेषण
(iv) क्रिया
(v) अव्यय

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(ग) पदबंध

पदबंध Class 10 Exercise HBSE प्रश्न 1.
पदबंध किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं?
उत्तर:
जब एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं, तब उस बंधी हुई इकाई को पदबंध कहते हैं; जैसे-सबसे तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा जीत गया।
पदबंध के पाँच भेद होते हैं
(i) संज्ञा पदबंध
(ii) सर्वनाम पदबंध
(iii) विशेषण पदबंध
(iv) क्रिया पदबंध
(v) क्रियाविशेषण पदबंध

प्रश्न 2.
पद और पदबंध में क्या अंतर है?
उत्तर:
वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाते हैं, जबकि वाक्य में एक से अधिक पद परस्पर मिलकर जब एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं, तब उस बंधी हुई इकाई को पदबंध कहते हैं; जैसे
हमारे घर के चारों ओर वृक्ष हैं।
इस वाक्य में ‘हमारे’, ‘घर’, ‘चारों’, ‘ओर’, ‘वृक्ष’ पद हैं और ‘हमारे घर के चारों ओर’ पदबंध है।

प्रश्न 3.
संज्ञा पदबंध किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब एक से अधिक पद मिलकर संज्ञा का काम करें, तो उस पदबंध को संज्ञा पदबंध कहते हैं। संज्ञा पदबंध के शीर्ष में संज्ञा पद होता है, अन्य सभी पद उस पर आश्रित होते हैं।
उदाहरण-
दीवार के पीछे खड़ा पेड़ गिर गया।।
लकड़ी की बड़ी पेटी में से कंबल निकालो।
यह कमीज़ मैंने बंगलौर से खरीदे कपड़े से बनवाई है।
मेहनत करने वाले विद्यार्थी अवश्य पास होंगे।
भारत की राजधानी दिल्ली बड़ी आबादी वाला शहर है।
इन वाक्यों में रेखांकित शब्द संज्ञा पदबंध हैं।

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प्रश्न 4.
सर्वनाम पदबंध किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब एक से अधिक पद एक साथ जुड़कर सर्वनाम का कार्य करें तो उसे सर्वनाम पदबंध कहते हैं। इसके शीर्ष में सर्वनाम पद होता है।
उदाहरण-
विदेश से आए लोगों में से कुछ हिंदी जानते हैं।
भाग्य की मारी तुम अब कहाँ जाओगी।
आपके मित्रों में से कोई भी नहीं आया।
दीन-दुःखियों की देखभाल करने वाले आप कौन हैं?
गरीबी का मारा हुआ मैं भला क्या कर पाऊँगा।

प्रश्न 5.
विशेषण पदबंध किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब एक से अधिक पद मिलकर किसी संज्ञा की विशेषता प्रकट करें, उन्हें विशेषण पदबंध कहते हैं। इसके शीर्ष में विशेषण होता है। अन्य पद उस विशेषण पर आश्रित होते हैं। इसमें प्रमुखतया प्रविशेषण लगता है।
उदाहरण-
मेरी माताजी ने मुझे हरे रंग की सुंदर कमीज़ दी।
मुझे चार किलो पिसी हुई लाल मिर्च ला दो।
उसने एक बड़े चित्रों वाली पुस्तक दिखाई।
तुम यह सुंदर विदेशी लाल रंग वाली घड़ी कहाँ से लाए?
बहुत अधिक पेड़ों वाला घर मेरा है।

प्रश्न 6.
क्रिया पदबंध किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब एक से अधिक क्रिया पद मिलकर एक इकाई के रूप में क्रिया का कार्य संपन्न करते हैं, वे क्रिया पदबंध कहलाते हैं। इस पदबंध के शीर्ष में क्रिया होती है।
उदाहरण-
वह पढ़कर सो गया है।
नाव पानी में डूबती चली गई।
अब तो हमसे चला नहीं जा रहा।
आज मुझे कक्षा से बाहर भेज दिया गया था।
मैं आज गिरते-गिरते बचा।

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प्रश्न 7.
क्रियाविशेषण पदबंध किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जो पदबंध क्रियाविशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण पदबंध कहते हैं। इसमें क्रियाविशेषण शीर्ष पर होता है और प्रायः प्रविशेषण आश्रित पद होते हैं।
उदाहरण-
बच्चा रोता हुआ धीरे-धीरे माँ के पास गया।
वह जोर-जोर से चिल्लाकर कहने लगी।
बड़ी चट्टान गेंद की तरह लुढ़ककर गिर गई।
मैं बहुत तेजी से दौड़कर गया।
मनीषा कोयल-सा मीठा गाती है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में से पदबंध छाँटिए तथा पदबंध का नाम लिखें।
उत्तर:
1. शीला जोर-जोर से रोती हुई जा रही थी। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
2. पुणे में रहने वाला मेरा भाई कल आएगा। – (विशेषण पदबंध)
3. आप बहुत अच्छे आदमी हैं। – (संज्ञा पदबंध)
4. उत्तर से दक्षिण तक वर्षा हुई। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
5. उन्हें सुयोग्य तथा सुशिक्षित अध्यापक की जरूरत है। – (विशेषण पदबंध)
6. सामने के मकान में रहने वाला व्यक्ति आज नहीं है। – (संज्ञा पदबंध)
7. वह लिख सकता है। – (क्रिया पदबंध)
8. शेर की तरह दहाड़ने वाले तुम आज डर क्यों रहे हो? – (सर्वनाम पदबंध)
9. वह बहुत धीरे-धीरे भागा। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
10. सस्ता खरीदा हुआ कपड़ा जल्दी फट जाता है। – (विशेषण पदबंध)
11. परिश्रम करने वाले छात्र ही सफलता पाते हैं। – (संज्ञा पदबंध)
12. हम नहाकर पढ़ा करते हैं। – (क्रिया पदबंध)
13. चोट खाए हुए तुम भला क्या खेलोगे? – (सर्वनाम पदबंध)
14. विदेशों में रहने वाले भारतीय बहुत अमीर हैं। – (विशेषण पदबंध)
15. राकेश दाँत पीसता हुआ चला गया। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
16. बच्चा चलते-चलते गिर पड़ा। – (क्रिया पदबंध)
17. घर के पीछे की दीवार गिर गई। – (संज्ञा पदबंध)
18. मौत से टकराने वाला वह वीर है। – (सर्वनाम पदबंध)
19. छात्र पढ़ते-पढ़ते सो गया। – (क्रिया पदबंध)
20. घर से भागा हुआ लड़का मिल गया। – (विशेषण पदबंध)

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21. मैंने वर्षा में भीगते हुए मित्र को अपने घर में आश्रय दिया। – (संज्ञा पदबंध)
22. वह सीढ़ियों से लुढ़ककर गिर गई। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
23. युधिष्ठिर-सा सत्यवादी वह हर जगह सम्मान पाता है। – (सर्वनाम पदबंध)
24. हम काम करना चाहते हैं। – (क्रिया पदबंध)
25. आलस्य में पड़ा व्यक्ति कामचोर होता है। – (विशेषण पदबंध)
26. लाहौर से आए हुए लोग दिल्ली भी गए। – (संज्ञा पदबंध)
27. आज गाड़ी बहुत देर से पहुंची। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
28. चोट खाया हुआ साँप जरूर काटता है। – (संज्ञा पदबंध)
29. मेरे दिल्ली वाले मित्र ने मुझे पत्र लिखा। – (विशेषण पदबंध)
30. मेरे अध्यापक ने मुझे एक कहानियों की पुस्तक दी। – (संज्ञा पदबंध)
31. वह हाथ मलता रह गया। – (क्रिया पदबंध)
32. हम फलों-फूलों से लदा बगीचा देखने गए। – (विशेषण पदबंध)
33. आपके रिश्तेदारों में से कोई नहीं आया। – (सर्वनाम पदबंध)
34. झूठ बोलने वाले लोगों पर कोई विश्वास नहीं करता। – (संज्ञा पदबंध)
35. मीना ने आज बहुत अच्छा गाया। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
36. अब हमसे खाया नहीं जा रहा। – (क्रिया पदबंध)
37. मेज पर रखी प्लेट मुझे दे दो। – (संज्ञा पदबंध)
38. भेड़िया-भेड़िया चिल्लाने वाले तुम पर अब कोई विश्वास नहीं करेगा। – (सर्वनाम पदबंध)
39. मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए थी। – (क्रिया पदबंध)
40. तकदीर का मारा मैं शाम को घर पहुंचा। – (विशेषण पदबंध)
41. हम लोग झूलों वाले उस पार्क में गए। – (संज्ञा पदबंध)
42. मैं जल्दी ही खाना खाकर सो गया। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
43. सदा मुस्कराने वाले तुम आज उदास क्यों हो? – (सर्वनाम पदबंध)
44. वह पहले से बहुत धीरे बोला। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
45. पवनपुत्र हनुमान ने लंका जलाई। – (संज्ञा पदबंध)
46. मेरे पड़ोस में रहने वाला आदमी बीमार है। – (विशेषण पदबंध)
47. बाहर से आए मेहमानों में से कुछ बीमार हो गए हैं। – (सर्वनाम पदबंध)
48. वह पढ़कर सो गया है। – (क्रिया पदबंध)
49. कक्षा में ध्यान लगाने वाले छात्र अच्छे अंक लेते हैं। – (विशेषण पदबंध)

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50. ईमानदारी से काम करने वाला व्यक्ति सदा सफल होता है। – (संज्ञा पदबंध)
51. वह छत के ऊपर सो रहा है। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
52. बादल तेजी से दौड़ रहा है। – (क्रिया पदबंध)
53. मेरे बंगलौर वाले मित्र ने मुझे एक उपहार भेजा। – (संज्ञा पदबंध)
54. आप आराम से बैठकर खाना खाएँ। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
55. मेहनत करने वाले वे सफल हो गए। – (सर्वनाम पदबंध)
56. लोहे की बड़ी अलमारी में मेरी पुस्तकें पड़ी हैं। – (विशेषण पदबंध)
57. नाव पानी में डूबती चली गई। – (क्रिया पदबंध)
58. उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ एक पुराना शहर है। – (संज्ञा पदबंध)
59. घर से भागे हुए तुम अवश्य पछताओगे। – (सर्वनाम पदबंध)
60. बारात शाम को सात बजे पहुंचेगी। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
61. मेरा भाई बहुत नेक, विनम्र और ईमानदार है। – (विशेषण पदबंध)
62. धनुष से निकला बाण कभी वापस नहीं जाता। – (संज्ञा पदबंध)
63. कार सवार दाईं ओर गलियों में कहीं खो गया। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
64. मैंने ठंड से ठिठुरते हुए वृद्ध को कंबल दिया। – (संज्ञा पदबंध)
65. मनुष्य को सदा हँसते रहना चाहिए। – (क्रिया पदबंध)
66. छात्रावास में रहने वाले छात्रों में से कुछ चले गए। – (सर्वनाम पदबंध)
67. घर के पीछे लगे पेड़ सूख गए। – (संज्ञा पदबंध)
68. मीठे सपने देखने वाले लोग यथार्थ में नहीं जीते। – (विशेषण पदबंध)
69. वह रोते हुए बोला। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
70. प्रतिदिन सुबह जागकर सैर करनी चाहिए। – (क्रिया पदबंध)
71. मैदान में खेल रहे बच्चे को दिखाई नहीं देता। – (संज्ञा पदबंध)
72. इतनी अधिक मेहनत करने वाले तुम असफल कैसे हो गए। – (सर्वनाम पदबंध)
73. लोग धीरे-धीरे बोलते जा रहे हैं। – (क्रिया पदबंध)
74. आजकल सेब और प्याज का भाव एक ही है। – (संज्ञा पदबंध)
75. सबसे तेज दौड़ने वाला धावक गिर गया। – (विशेषण पदबंध)

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran Shabd Pad Padbandh

76. आधी-आधी रात तक जागना हानिकारक है। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
77. रोज बाज़ार जाने वाले तुम आज घर कैसे हो? – (सर्वनाम पदबंध)
78. भूरी आँखों वाले बच्चे सुंदर होते हैं। – (विशेषण पदबंध)
79. हमारे घर के सब लोग फिल्म देखने गए। – (संज्ञा पदबंध)
80. चोर मौका पाते ही भाग गया। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
81. कोई कहानी या कविता सुनाओ। – (संज्ञा पदबंध)
82. उन्हें सुंदर और सुशिक्षित लड़की की आवश्यकता है। – (संज्ञा पदबंध)
83. बहुत खट्टी दही मत खाना। – (संज्ञा पदबंध)
84. पानी से भरा गिलास लाओ। – (विशेषण पदबंध)
85. बुरे समय में साथ देने वाले तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो। – (सर्वनाम पदबंध)
86. वह पढ़ने जा रहा था। – (क्रिया पदबंध)
87. शिकारी ने आकाश में उड़ते हुए पक्षी को मार डाला। – (विशेषण पदबंध)
88. आज वर्षा बहुत थोड़ी-सी हुई है। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
89. गली में खड़े लड़के सबको तंग कर रहे हैं। – (संज्ञा पदबंध)
90. बढ़-चढ़कर बोलने वाला वह आज चुप है। – (सर्वनाम पदबंध)

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran Shabd Pad Padbandh

91. मुझे फूलों वाला सबसे सुंदर कपड़ा चाहिए। – (विशेषण पदबंध)
92. जन्म देने वाले माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। – (संज्ञा पदबंध)
93. सदा खतरों से खेलने वाले तुम्हें किसी बात का डर नहीं। – (सर्वनाम पदबंध)
94. रात को दरवाज़ा जोर से बंद कर लेना। – (क्रिया पदबंध)
95. मेरा सबसे छोटा भाई बीमार है। – (विशेषण पदबंध)
96. माँ बिस्तर पर लेटे-लेटे कुछ बोल रही है। – (क्रियाविशेषण पदबंध)
97. पुरस्कार में मिली पुस्तक को मैंने संभालकर रखा है। – (संज्ञा पदबंध)
98. घर की छत पर रखा गमला नीचे गिर गया। – (विशेषण पदबंध)
99. बिना सोचे-समझे तुम यह क्या कर रहे हो? – (क्रियाविशेषण पदबंध)
100. मुझे मीठे और पके फल पसंद हैं। – (संज्ञा पदबंध)
101. मुझे सुनाई पड़ रहा है। – (क्रिया पदबंध)

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Lokoktiyan लोकोक्तियाँ Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

10 लोकोक्तियाँ HBSE Hindi Vyakaran

लोकोक्तियाँ

(अ, आ)

1. अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत – समय चूक जाने पर रोने से कुछ नहीं होता-जगदीश! तुम साल भर तो पढ़े नहीं, अब यदि फेल हो गए हो तो रो क्यों रहे हो? भाई, अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
2. अंत भले का भला – अच्छा काम करने वाला ही अंत में सुख पाता है-कई वर्ष कठिनाइयों का सामना करने के बाद अब व्यापार में सफलता पाई है। सच कहा गया है-अंत भले का भला।
3. अंधा क्या चाहे, दो आँखें – किसी को इच्छित वस्तु मिलना-मुझे अपने बेटे के लिए अध्यापक की आवश्यकता थी, मेरे घर में एक किराएदार आया, जो मेरे बेटे को पढ़ा भी देता था। अंधा क्या चाहे, दो आँखें।
4. अधजल गगरी छलकत जाए – ओछा आदमी बढ़ा-चढ़ाकर बोलता है-रमेश ने थोड़ी सी अंग्रेज़ी क्या सीख ली है, अपने
5. अक्ल बड़ी या भैंस – शरीर बड़ा होने की अपेक्षा बुद्धि बड़ी होनी चाहिए – गिरीश के लंबे – चौड़े शरीर का क्या फायदा? परीक्षा में पास होने के लिए तो बुद्धि की ज़रूरत होती है। आपने अक्ल बड़ी या भैंस की कहावत सुनी होगी।
6. अंधे के हाथ बटेर लगना – संयोग से सफलता पाना – रवीश सारा साल तो पढ़ा नहीं, पता नहीं पास कैसे हो गया। यह तो अंधे के हाथ बटेर लगने वाली बात है।
7. अंधा बाँटे रेवड़ियाँ फिर – फिर अपनों को दे अपनों को लाभ पहुँचाना – आजकल के कुछ नेता अपने भाई – भतीजों को ही मंत्री पद देते हैं। इसी को कहते हैं, अंधा बाँटे रेवड़ियाँ फिर – फिर अपनों को दे।
8. अंधा पीसे कुत्ता खाए सीधे – सादे व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति लाभ उठाते हैं – मुनीश की सारी कमाई उसके मित्र उड़ा जाते हैं। यह तो अंधा पीसे कुत्ता खाए वाली कहावत चरितार्थ होती है।
9. अपनी – अपनी डफली, अपना – अपना राग – भिन्न – भिन्न मत होना – सभा में अध्यक्ष महोदय किसी भी बात का निर्णय नहीं ले पाए क्योंकि वहाँ तो सबकी अपनी – अपनी डफली, अपना – अपना राग था।

10 Lokoktiyan HBSE Hindi Vyakaran

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

10. आम के आम गुठलियों के दाम – दोहरा लाभ – दो साल के बाद मैंने अपनी गाड़ी उसी दाम में बेच दी, जिसमें खरीदी थी। इसे कहते हैं – आम के आम गुठलियों के दाम।
11. आगे कुँआ पीछे खाई – दोनों तरफ खतरा – रमेश दिल का मरीज है। ऑपरेशन करवाने से भी डरता है और नहीं करवाने से मृत्यु से डरता है। यह तो वही बात हुई कि आगे कुँआ पीछे खाई।
12. आ बैल मुझे मार – जान – बूझकर विपत्ति मोल लेना अध्यक्ष के कमरे में बार – बार जाओगे तो डाँट अवश्य पड़ेगी। तुम तो आ बैल मुझे मार वाली बात करते हो।
13. आसमान से गिरा खजूर पर अटका – एक मुसीबत से छूटकर दूसरी में फँसना – पहले विनय की नौकरी छूट गई, अब उसके घर में चोरी हो गई। उसके लिए आसमान से गिरा खजूर पर अटका वाली बात हो गई।
14. आसमान का थूका मुँह पर आता है महान व्यक्ति की निंदा करने से स्वयं को हानि होती है – गाँधी जी की आलोचना – करके तुम बुद्धिमानी की बात नहीं कर रहे हो क्योंकि आसमान का थूका मुँह पर आता है।
15. आप.भला तो जग भला – अच्छे को सभी अच्छे लगते हैं मेरे पिताजी को कभी किसी में कोई बुराई नहीं दिखाई देती – क्योंकि आप भला तो जग भला लगता है।

(ई, उ, ऊ)

16. ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया – संसार में कोई गरीब, कोई धनवान – शहरों में कुछ महलों का सुख – भोगते हैं और कुछ को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती। इसी को कहते हैं ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया।

17. उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे दोषी निर्दोष पर दोष लगाए – एक तो सामने से मेरी गाड़ी में टक्कर मारी और इस पर मुझी पर दोष लगा रहे हो। यह तो वही बात हुई कि उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।

18. ऊँची दुकान फीका पकवान – अधिक दिखावा – आजकल बड़ी – बड़ी दुकानों में घटिया सामान बेचा जा रहा है। यह तो ऊँची दुकान फीका पकवान वाली बात है।

19. ऊँट के मुँह में जीरा आवश्यकता से कम देना – तुमने उस पहलवान के सामने केवल दो रोटी रख दी है। यह तो ऊँट के मुँह में जीरे के समान है।

(ए)
20. एक अनार सौ बीमार – एक वस्तु के अनेक ग्राहक – आजकल एक नौकरी के लिए हजारों प्रार्थना – पत्र आते हैं। यह तो एक अनार सौ बीमार वाली बात है।
21. एक हाथ से ताली नहीं बजती – झगड़े के लिए दोनों पक्ष उत्तरदायी – सास – बहू के झगड़े में दोनों का हाथ होता है क्योंकि एक हाथ से ताली नहीं बजती।
22. एक पंथ दो काज – दोहरा लाभ – मैं कंपनी की तरफ से मुंबई गया था, वहाँ मैंने समुद्र की लहरों का आनंद भी लिया। इस तरह एक पंथ दो काज हो गए।
23. एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा – एक तो पहले ही दोषी होना साथ ही एक और दोष लग जाना – सतीश तो पहले ही बिगड़ा हुआ था और अब तो गंदे लड़कों की संगति में शराब भी पीने लगा सत्य ही है एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा।
24. एक ही थैली के चट्टे – बट्टे – सब एक जैसे स्वभाव वाले – आजकल के नेताओं में से किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि सब एक ही थैली के चट्टे – बट्टे हैं।
25. एक तो चोरी, दूसरी सीना जोरी – अपराधी होकर भी रौब डालना – एक तो बिना पूछे मेरे पैसे ले लिए और अब मुझी पर दोष लगा रहे हो। यह एक तो चोरी, दूसरी सीना जोरी वाली बात हुई।

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(ओ)

26. ओस चाटे प्यास नहीं बुझती – आवश्यकता से कम मिलने पर तृप्ति का न होना – मैंने पिताजी से दस हज़ार रुपए माँगे पर मुझे केवल एक हज़ार रुपए मिले। भला ओस चाटे क्या प्यास बुझती है।
27. ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर – चुनौती स्वीकार करने पर कष्ट से क्या घबराना – यदि अध्यक्ष का पद स्वीकार किया है तो आलोचना ज़रूर सुननी पड़ेगी। ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर।

(क)

28. काला अक्षर भैंस बराबर – बिल्कुल अनपढ़ – मैं इस पुस्तक को लेकर क्या करूँगा क्योंकि मेरे लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
29. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा – असंगत वस्तुओं का मेल – भारतीय राजनीति में अनेक पार्टियों की मिली – जुली सरकार बनती है, इसलिए इनके विचार नहीं मिलते। यह तो कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा वाली बात है।
30. का वर्षा जब कृषि सुखाने काम बिगड़ने पर सहायता मिलना बेकार – जरूरत के समय तो तुमने मदद की नहीं, अब रुपए देने से क्या फायदा? का वर्षा जब कृषि सुखाने।
31. कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली – दो चीजों अथवा व्यक्तियों में अंतर – मिल के मालिक तथा उसके चपरासी का मुकाबला कैसे हो सकता है क्योंकि कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली।
32. काठ की हांडी बार – बार नहीं चढ़ती – धोखे का व्यवहार अधिक समय तक नहीं होता – दूध देने वाला रोज़ दूध में पानी मिलाता था। एक दिन पकड़े जाने पर जुर्माना भी देना पड़ा और कैद भी हो गई। सच ही कहा है कि काठ की हांडी बार – बार नहीं चढ़ती।
33. कोयले की दलाली में मुँह काला – बुरे के साथ रहने पर बुराई ही मिलती है – शराब की दुकान में काम करने के कारण लोग तुम्हें भी शराबी समझते हैं। सच है – कोयले की दलाली में मुँह काला।

(ख, ग)

34. खग ही जाने खग की भाषा – साथ रहने वाले ही एक – दूसरे का स्वभाव जानते हैं अपने दोस्त अनिल की बातें तुम ही समझ सकते हो क्योंकि कहते हैं खग ही जाने खग की भाषा।
35. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है – संगति का प्रभाव अवश्य होता है – शराबियों की संगति में रहोगे तो शराब अवश्य पीनी शुरु कर दोगे क्योंकि तुमने सुना होगा कि खरबूजे को देखकर खरबूज़ा रंग बदलता है।
36. खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे – लज्जित होने पर अनावश्यक क्रोध दिखाना – सभी कर्मचारियों के सामने कंपनी के मैनेजर द्वारा की गई चोरी की बात बताई गई तब तो वे कुछ न कर पाए, परंतु घर जाकर बच्चों व पत्नी पर गुस्सा निकाला। यह तो वही बात हुई खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।
37. गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है दोषी के साथ निर्दोष को भी नुकसान उठाना पड़ता है – रिश्वत लेते हुए बैंक अफसर के पकड़े जाने पर उसके कर्मचारियों को भी सज़ा भुगतनी पड़ी। ठीक ही कहा है – गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है।
38. गंगा गए गंगादास जमुना गए जमुनादास हालात के अनुसार बदल जाना – आजकल के नेताओं की हालत तो गंगा गए गंगादास तथा जमुना गए जमुनादास वाली है।
39. घर फूंक तमाशा देखना – शान के लिए बढ़ – चढ़कर खर्च करना – लड़की वालों को वर – पक्ष तथा बारात को प्रसन्न करने के लिए घर फूंक तमाशा देखना ही पड़ता है।
40. घर की मुर्गी दाल बराबर – अपने पास की वस्तु को कम महत्त्व होना तुम्हारी पत्नी इतनी पढ़ी – लिखी है, तुम्हें तो उस पर गर्व होना चाहिए, परंतु तुम्हें वह घर की मुर्गी दाल बराबर लगती है।
41. घर का भेदी लंका ढाए – आपस की फूट नुकसान पहुंचाती है मेरे एक मित्र ने अपने मित्रों के साथ मिलकर धन के लिए अपने ही भाई की दुकान पर चोरी कर ली। यह तो वही बात हुई – घर का भेदी लंका ढाए।

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(च, छ, ज)

42. चोर के पैर नहीं होते – पाप करने वाला डर जाता है – चोरी करने पर जब कालू को पुलिस ने पकड़ लिया तो उसका रंग उड़ गया। ठीक ही कहा गया है कि चोर के पैर नहीं होते।
43. चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात – सुख के दिन थोड़े ही होते हैं – पिता द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर कुछ दिन मज़े कर लो, पर याद रखना चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।
44. चोर की दाढ़ी में तिनका – अपराधी व्यक्ति खुद ही शंकित होता है – घर में चोरी होने पर नौकर की घबराहट देखकर मैं समझ गया कि चोर की दाढ़ी में तिनका है।
45. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए – बहुत कंजूस होना – मेरा मित्र बीमार होने पर भी डॉक्टर के पास नहीं जाता। उसका तो वही हाल है कि चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।
46. छडूंदर के सिर पर चमेली का तेल – अयोग्य व्यक्ति को मूल्यवान वस्तु मिलना – मैट्रिक पास अनिल कुमार को एम.ए. पास नौकरी करती बीवी मिली है। इसे कहते हैं – छछंदर के सिर पर चमेली का तेल।
47. जिसकी लाठी उसकी भैंस – शक्तिशाली की ही जीत होती है – आजकल तो नौकरी उसी को मिलती है, जिसके पास दौलत हो या सिफारिश हो। तभी कहा गया है जिसकी लाठी उसकी भैंस।
48. जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं अधिक बोलने वाले व्यक्ति कुछ नहीं कर पाते – रघु की लम्बी – चौड़ी बातें सुनकर ही मैं समझ गया था कि वह कुछ करेगा नहीं, क्योंकि जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं।
49. जंगल में मोर नाचा, किसने देखा – जहाँ गुणों की परख करने वाला कोई न हो, वहाँ योग्यता दिखाना व्यर्थ तुमने गाँव में शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया है, वहाँ उसे सुनने कौन आएगा। तुम्हें पता है जंगल में मोर नाचा किसने देखा।
50. जल में रहकर मगर से बैर – जिसके आश्रय में रहना, उसी से वैर करना – अपनी संस्था के अध्यक्ष का विरोध करके तुम वहाँ नौकरी नहीं कर सकते। क्या तुम नहीं जानते कि जल में रहकर मगर से वैर नहीं करना चाहिए।
51. जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय – जिसका भगवान रक्षक हो, उसे कोई मार नहीं सकता – भवन की सातवीं मंज़िल से गिरकर भी एक नन्हा बालक साफ बच गया। ठीक ही कहा है – जाको राखे साइयाँ, मार सके न कोय।
52. जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि – कवि की कल्पना दूर तक पहुँचती है – बिहारी ने अपने दोहों में थोड़े शब्दों में इतनी गहरी तथा सूक्ष्म कल्पना की है कि कहना पड़ता है जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि।
53. जैसी करनी वैसी भरनी – किए का फल भुगतना पड़ता है – विकास ने रिश्वत लेकर अथाह धन – दौलत इकट्ठी की। अब उसके बेटे उसे गलत कार्यों में उड़ा रहे हैं। ठीक ही कहा गया है जैसी करनी वैसी भरनी।।
54. जितने मुँह उतनी बातें – भिन्न – भिन्न विचार – हमारे पड़ोसी के बेटे को कल रात पुलिस पकड़ कर ले गई। इस विषय पर जितने मुँह उतनी बातें हो रही हैं।

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(ठ, ड, ढ)

55. ठंडा लोहा गर्म लोहे को काट देता है – शांत व्यक्ति क्रुद्ध व्यक्ति को हरा देता है – मेरा एक साथी हमेशा मेरी आलोचना करता रहता है, परंतु मैं शांत रहता हूँ। परिणामस्वरूप मेरी पदोन्नति हो गई, वह देखता रह गया। ठीक कहा गया है ठंडा लोहा गर्म लोहे को काटता है।
56. डूबते को तिनके का सहारा – मुसीबत के समय थोड़ी सहायता भी पर्याप्त होती है मेरी नौकरी चली गई है। इस समय तुम्हारे द्वारा की गई सहायता मेरे लिए डूबते को तिनके का सहारा बन जाएगी।
57. ढाक के तीन पात – एक ही हालत में रहना मेरे पिताजी चाहे कितना भी कमा लें पर ढाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ होती है।

(त, थ, द)

58. तेते पाँव पसारिए, जेती लंबी सौर – सामर्थ्य के अनुसार खर्च करना – केशव! तुम अपनी बेटी के विवाह पर सोच – समझकर खर्च करना, नहीं तो कर्ज में डूब जाओगे। ठीक ही कहा है तेते पाँव पसारिए, जेती लंबी सौर।
59. तू डार – डार, मैं पात – पात – एक – दूसरे से अधिक चालाक होना – तुम मुझे धोखा नहीं दे सकते क्योंकि मैंने दुनिया देखी है। तुमने सुना ही होगा कि तू डार – डार मैं पात – पात।
60. थोथा चना बाजे घना – गुण कम, अभिमान अधिक – तुम अपने आप को अंग्रेज़ी के विद्वान समझते हो, ठीक से बोल तो सकते नहीं। तुम पर तो थोथा चना बाजे घना वाली कहावत सही बैठती है।
61. दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया – धन ही सब कुछ – आज के युग में सब जगह धनवान का ही सम्मान होता है। किसी ने ठीक ही कहा है – दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपया।
62. दूध का दूध पानी का पानी – निष्पक्ष न्याय – कत्ल के केस में जज ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
63. दूर के ढोल सुहावने – दूर की वस्तुएँ अच्छी लगती हैं मुंबई की चहल – पहल के बारे में बहुत कुछ सुना था पर वहाँ जाने पर वह शोर – शराबा लगा। ठीक ही कहा गया है – दूर के ढोल सुहावने।
64. दूध का जला छाछ को फूंक – फूंक कर पीता है एक बार धोखा खाने पर व्यक्ति सावधान हो जाता है – एक बार रेलगाड़ी में ठगा जाने के कारण अब वह अपना सफर बड़ी सावधानी से करता है। सच ही है – दूध का जला छाछ को फूंक – फूंक कर पीता है।
65. देखें ऊँट किस करवट बैठता है भविष्य में क्या परिणाम निकलता है – इस बार मैंने पूरी तैयारी करके परीक्षा दी है, अब देखें ऊँट किस करवट बैठता है।

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(ध, न)

66. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का – दो तरफ टाँग फैलाने वाला व्यक्ति कहीं का नहीं रहता – मैंने बिना कोई और नौकरी तलाश किए पहली नौकरी गुस्से में आकर छोड़ी दी। अब मेरी हालत धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का’ जैसी हो गई है।
67. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी – झगड़े की जड़ को मिटा देना – यदि हमारे कुत्ते के कारण ही सारे मुहल्ले में झगड़ा है, तो हम इसे निकाल देते हैं, न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी।
68. नाच न जाने आँगन टेढ़ा – गुण न होने पर बहाने बनाना – लिखना तो तुम्हें आता नहीं, दोष पैन में निकाल रहे हो। यह तो वही हालत है कि नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
69. नया नौ दिन पुराना सौ दिन – नए की अपेक्षा पुराना स्थिर होता है – तुमने अपने बचपन के साथी मनदीप को छोड़कर कल के आए करीम से दोस्ती कर ली है। तुमने अवश्य सुना होगा कि नया नौ दिन पुराना सौ दिन।
70. नेकी कर दरिया में डाल – उपकार करके भूल जाना चाहिए – तुम अनाथालय में दिए दान की बात हर एक से क्यों करते हो, क्या तुम्हें पता नहीं कि नेकी कर दरिया में डाल।
71. नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली – जीवन भर बुरे काम करके अंत में संत बनने का ढोंग करना – लाला दीनदयाल उम्रभर कम तोल – तोलकर लोगों को ठगता रहा, अब सत्यवादी बन रहा है। इसी को कहते हैं कि नौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज को चली।

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(प, ब, भ, म)

72. पर उपदेश कुशल बहुतेरे दूसरों को उपदेश देना सरल है – दूसरों को ईमानदारी का उपदेश देने से पहले आज के नेता पहले खुद को सुधारें क्योंकि पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
73. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं दूसरों के अधीन रहने में सुख नहीं – लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अपने भाषणों द्वारा बार – बार भारतवासियों को समझाया कि पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद – मूर्ख व्यक्ति गुणों की परख नहीं कर सकता – मूर्ख विनय को कत्थक नृत्य की क्या समझ क्योंकि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
75. बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख माँगने से कुछ नहीं मिलता – एक भिखारी को माँगने पर भी भीख नहीं मिलती थी, फिर वह भगवान हनुमान की मूर्ति रखकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया, लोग अपने – आप धन देने लगे क्योंकि वह जानता था कि बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख।
76. बगल में छुरी मुँह में राम – राम – ऊपर से सज्जन अंदर से दुष्ट – कैलाश सबसे विनम्रता से बात करता है, परंतु सबको नुकसान पहुँचाने से भी चूकता नहीं। उस पर तो बगल में छुरी मुँह में राम – राम वाली कहावत चरितार्थ होती है।
77. बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी – संभावित दुःख आकर ही रहता है राजू भीड़ में किसी की भी जेब काटने से हटता नहीं। वह अवश्य एक – न – एक दिन पकड़ा जाएगा, आखिर बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी।
78. भागते चोर की लंगोटी ही सही – नुकसान के बाद जो मिल जाए, वही ठीक – मैंने अपने मित्र सुभाष से पाँच सौ रुपए लेने थे, परंतु बहुत कोशिशों के बाद केवल एक सौ रुपया ही निकलवा पाया हूँ। चलो, भागते चोर की लंगोटी ही सही।
79. मान न मान मैं तेरा मेहमान – जबरदस्ती गले पड़ना हमारा दूर का रिश्तेदार कई दिन से हमारे घर टिका हुआ है, जाने का नाम नहीं लेता। यह तो वही बात हुई, मान न मान मैं तेरा मेहमान।
80. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत – मन के अनुसार फल मिलता है – एक बार असफलता मिलने पर निराश क्यों होते हो, दृढ़ निश्चय से मेहनत करो, सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी। तुमने सुना नहीं मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
81. मन चंगा तो कठौती में गंगा – हृदय पवित्र हो तो घर में तीर्थयात्रा का फल मिल जाता है मेरे पिताजी धार्मिक स्थानों पर जाने की अपेक्षा मनुष्यता से प्यार करते हैं। उनका सिद्धांत है – मन चंगा तो कठौती में गंगा।
82. मुर्गा बांग न देगा तो क्या सुबह न होगी – किसी एक व्यक्ति के न रहने से काम नहीं रुकते – तुम वचन देकर भी समय पर मेरी सहायता को नहीं आए, पर मैंने सारा काम करवा लिया है। तुम क्या समझते हो कि मुर्गा बांग न देगा तो क्या सुबह न होगी।

(य, र, ल)

83. यह मुँह और मसूर की दाल – अयोग्य होने पर भी अधिक पाने की इच्छा करना – तुम सारा साल न पढ़कर प्रथम श्रेणी में पास होने की बात कर रहे हो, यह मुँह और मसूर की दाल।
84. रस्सी जल गई पर बल न गया शक्ति नष्ट होने पर भी अभिमानी बने रहना – महेश का सब कुछ लुट गया परंतु अभी भी किसी से सीधे मुँह बात नहीं करता। उस पर तो रस्सी जल गई पर बल न गया वाली कहावत चरितार्थ होती है।
85. लातों के भूत बातों से नहीं मानते दुष्ट व्यक्ति सज़ा से ही डरते हैं विकास को जब तक अध्यापक पीटते नहीं, वह काम नहीं करता। उस पर लातों के भूत बातों से नहीं मानते वाली कहावत सही बैठती है।
86. लकड़ी के बल बंदर नाचे मूर्ख डंडे के बल पर ही काम करता है मेरी कक्षा का एक लड़का राजन अध्यापकों द्वारा डाँटने – फटकारने से ही काम करता है, उस पर तो लकड़ी के बल बंदर नाचे वाली कहावत चरितार्थ होती है।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

(स, ह)

87. साँप मरे, लाठी भी न टूटे – हानि भी न हो और काम भी बन जाए – चोरी का पता लगने पर हमने अपने नौकर को – सही – सलामत घर से विदा किया। हमने सोचा कि साँप मरे, लाठी भी न टूटे।
88. सावन हरे न भादों सूखे – हमेशा एक – सी दशा में रहना यद्यपि विनय एक बड़ा अफसर बन गया है, परंतु फिर भी वह पहले की तरह विनम्र तथा सादगी से रहता है। ऐसे लोगों को ही तो कहते हैं – सावन हरे न भादों सूखे।
89. सस्ता रोए बार – बार, महँगा रोए एक बार – सस्ती चीज़ खरीदकर रोज़ परेशान होना पड़ता है – अब क्यों पछता रहे हो, मैंने पहले ही कहा था कि किसी अच्छी कंपनी की मशीन खरीदो। तुम्हें पता होना चाहिए, सस्ता रोए बार – बार, महँगा रोए एक बार।
90. सेवा करे सो मेवा पावे – सेवा का फल अवश्य मिलता है जो अपने दादा – दादी की सेवा करता है, वह जीवन में अवश्य सफल होता है क्योंकि सेवा करे सो मेवा पावे।
91. सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े काम आरंभ करते ही मुसीबत आना – मैं मुंबई जाने के लिए अभी रेलवे स्टेशन पर पहुँचा ही था कि किसी ने जेब काट ली। मैंने सोचा सिर मुंडाते ही ओले पड़े।
92. समरथ को नहीं दोष गुसाईं – शक्तिशाली पर दोष नहीं लगता – कंपनी का मालिक चाहे किसी नियम का पालन न करे, पर कोई उस पर उँगली नहीं उठा सकता क्योंकि समरथ को नहीं दोष गुसाईं।
93. सीधी उँगली से घी नहीं निकलता – सीधेपन से काम नहीं चलता – मैंने अपने पुत्र को प्यार से बहुत समझाया, परंतु न मानने पर मुझे कठोर बनना पड़ा। मुझे मालूम है कि सीधी उँगली से घी नहीं निकलता।
94. होनहार बिरवान के होत चीकने पात – योग्यता का बचपन में ही पता लग जाता है जब मैंने अपनी पाँच वर्ष की बेटी को कत्थक नृत्य की कठिन मुद्राएँ करते हुए देखा तो मुझे उसमें एक सफल नृत्यांगना की झलक दिखाई दी। सच ही है होनहार बिरवान के होत चीकने पात।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran लोकोक्तियाँ

95. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और – कहना कुछ और करना कुछ – ईमानदारी की बातें करने वाला वह नेता सबसे बड़ा रिश्वतखोर है। सच है हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।
96. हाथ कंगन को आरसी क्या – प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं तुम कहते हो कि लिफाफे में पड़े रुपए चार सौ हैं और मैं कहता हूँ कि पाँच सौ हैं। हाथ कंगन को आरसी क्या, गिनकर देख लेते हैं।
97. हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए – बिना खर्च किए अच्छा परिणाम आना – इस बार दीवाली पर बाज़ार से मिठाई मँगवाने की अपेक्षा घर में ही कुछ बनाएंगे, जिससे हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए।
98. हमारी बिल्ली हर्मी से म्याऊँ मदद करने वाले पर ही रौब जमाना – मुसीबत के समय मैंने ही तुम्हें अपने घर पर आश्रय दिया, अब तुम मुझे ही आँखें दिखाने लगे हो। हमारी बिल्ली हमीं से म्याऊँ।।
99. हीरे की कद्र जौहरी जाने – गुणवान व्यक्ति ही गुणों की परख कर सकता है – कालिदास के काव्य की सूक्ष्मता तुम नहीं समझ सकते, हीरे की कद्र जौहरी ही जान सकता है।
100. हाथी निकल गया दुम रह गई – थोड़ा – सा शेष रह जाना – तुमने छः महीनों में से पाँच महीने तो दवा खा ली है, अब क्यों घबराते हो। हाथी तो निकल गया अब केवल दुम ही रह गई।

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Upasarg उपसर्ग Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

उपसर्ग

Hindi Vyakaran उपसर्ग HBSE 10th Class प्रश्न 1.
उपसर्ग किसे कहते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर;
जो शब्दांश शब्दों के आरंभ में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं; जैसे ‘कर्म’ शब्द जिसका अर्थ है, काम करना। ‘कु’ उपसर्ग जोड़ने से ‘कुकर्म’ शब्द बन जाता है जिसका अर्थ है बुरा काम। उपसर्ग के प्रयोग से अर्थ विपरीत भी हो जाता है; जैसे ‘देखा’ शब्द ‘अन्’ उपसर्ग लगाने से ‘अनदेखा’ बन जाता है जिसका अर्थ है ‘न देखा।’

हिंदी भाषा में संस्कृत और उर्दू भाषा के शब्दों का भी प्रयोग होता है। इसलिए हिंदी में संस्कृत एवं उर्दू भाषा के उपसर्गों का भी प्रयोग होता है। इसलिए इनका अध्ययन भी हमारे लिए उपयोगी होगा।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

उपसर्ग 10th Class HBSE

(क) संस्कृत के उपसर्ग-संस्कृत के बाइस उपसर्ग हैं। इनसे बने हिंदी में बहु-प्रचलित शब्दों के उदाहरण यहाँ दिए जा रहे हैं-

उपसर्गअर्थउपसर्ग
अतिअधिक, उस पार, ऊपरअनुक्रम, अनुशीलन, अनुचार, अनुगामी, अनुसार, अनुकरण, अनुवाद, अनुरूप, अनुचित आदि।
अधिसमीपता, प्रधानता, ऊँचाई, श्रेष्ठअपवाद, अपव्यय, अपकर्ष, अपहरण, अपशब्द, अपयश, अपमान आदि।
अनुक्रम, पश्चात्, समानताअभियान, अभिभावक, अभिशाप, अभिप्राय, अभियोग, अभिनव, अभ्युदय (अभि + उदय), अभिमान, अभिलाषा आदि।
अपअभाव, अधूरा, हीनता, बुराआरक्त, आकाश, आजन्म, आरंभ, आकर्षण, आक्रमण, आदान, आचरण, आजीवन, आरोहण, आमुख, आमरण आदि।
अभिसमीपता, अधिकता और इच्छा प्रकट करनाउत्साह, उत्कर्ष, उत्तम, उत्पन्न, उत्पल, उत्पत्ति, उद्देश्य, उन्नति, उत्कंठा।
सीमा, समेत, कमी, विपरीतउदार, उद्रम, उद्धत, उद्यम, उद्घाटन, उद्गम आदि।
उत्उच्चता, उत्कर्ष, श्रेष्ठता आदिअवगत, अवनत, अवलोकन, अवतार, अवशेष, अवगुण, अवज्ञा, अवरोहण आदि।
उद्ऊपर, उत्कर्ष, श्रेष्ठउपदेश, उपकार, उपमंत्री, उपनिवेश, उपनाम, उपवन, उपस्थित, उपभेद आदि।
अवहीनता, अनादर, अवस्था, पतनदुरवस्था, दुर्दशा, दुर्लभ, दुर्जन, दुराचार (दु + आचार), दुष्कर्म, दुस्साध्य, दुस्साहस, आदि।
उप्सहाय, सुदृढ़, गौण, हीनताउपसर्ग
दुः, दुर्दुर्दुस् बुरा, कठिन, दृष्ट-हीनअनुक्रम, अनुशीलन, अनुचार, अनुगामी, अनुसार, अनुकरण, अनुवाद, अनुरूप, अनुचित आदि।
निभीतर, नीचे, बाहरनिकृष्ट, निपात, नियुक्त, निवास, निमग्न, निवारण, निषेध, निर्मल, निर्विकार आदि।
निस्बाहर, निषेधनिस्तेज, निःशंक, निस्सन्देह, निष्कलंक आदि।
परअनादर, नाश, विपरीत, पीछे, उलटापराजय, परिवर्तन, पराधीन, पराभव आदि।
परिअतिशय, चारों ओरपरिपूर्ण, परिच्छेद, परिवर्तन, परिक्रम आदि।
प्रयज्ञ, गति, उत्कर्ष, अतिशय, आगेप्रताप, प्रयत्न, प्रबल, प्रसिद्ध, प्रसन्न, प्रमाण, प्रयोग, प्रचार, प्रस्थान, प्रगति आदि।
प्रतिविरोध, हर एक, सामनेप्रतिपल, प्रत्येक, प्रतिदिन, प्रतिशोध, प्रतिकूल आदि।
विहीनता, भिन्नता, विशेषताविशेष, विज्ञ, वियोग, विमुख, विदेश, विभाग, विज्ञान आदि।
सम्पूर्णता, संयोग, अच्छासंकल्प, संग्रह, संयोग, संग्रह, सम्पत्ति, संहार आदि।
सुसुन्दर, सहन, अच्छा, सरलसुयश, सुकर्म, सुगम, सुकन्या, सुपुत्र आदि।

संस्कृत के कुछ अव्यय जो उपसर्ग की भाँति प्रयुक्त होते हैं; जैसे-

अव्ययअर्थउदाहरण
अधःनीचेअधःपतन, अधोगति, अधोलिखित।
अलम्बहुत, बसअलंकार, अलंकृत, अलंकरण।
अंतःभीतरअंतर्मन, अंतःकाल, अंतरात्मा, अंतर्धान।
चिर्बहुत देरचिरायु, चिरकाल, चिरपरिचित, चिरस्थायी।
तिरःनिषेधतिरोभाव, तिरोहित, तिरस्कार।
पुरापुराना, पहलेपुरातन, पुरातत्व।
पुनःफिरपुनरामगमन, पुनर्जन्म, पुनर्मिलन।
प्राक्पहलेप्रागैतिहासिक, प्राक्कथन।
बहिःबाहरबहिर्मुख, बहिर्गमन, बहिष्कार, बहिरंग।
सहसाथसहानुभूति, सहपाठी, सहकारी, सहयोग, सहोदर।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग

उपसर्ग HBSE 10th Class

(ख) हिंदी के उपसर्ग हिंदी के सामान्य उपसर्ग निम्नलिखित हैं-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग 1

उपसर्ग Class 10 HBSE

(ग) उर्दू (अरबी-फारसी) के उपसर्ग-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran उपसर्ग 2

(घ) अंग्रेज़ी के उपसर्ग-

उपसर्गअर्थउदाहरण
सबअधीन, नीचेसबजज, सब कमेटी।
डिप्टीसहायकडिप्टी मिनिस्टर, डिप्टी रजिस्ट्रार
चीफमुख्यचीफमिनिस्टर, चीफ ऑफ स्टाफ।
वाइसउपवाइस चांसलर, वाइस प्रिंसिपल।
जनरलमुख्यजनरल मैनेजर,जनरल सैक्रेटरी।

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Muhavare मुहावरे Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

मुहावरे

Muhavare Hindi Class 10 HBSE प्रश्न 1.
मुहावरा किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी वाक्यांश का सामान्य अर्थ न लेकर किसी विशेष अर्थ में उसका प्रयोग किया जाता है, तब हम उसे मुहावरा कहते हैं; जैसे-
अँगूठा दिखाना, अंगारे बरसाना।।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

(अ, आ)

1. अँगूठा दिखाना – साफ इंकार कर देना मैंने जब रमेश से अपनी पुस्तक वापस मांगी तो उसने अठा दिखा दिया।
2. अंत पाना – भेद जानना – ईश्वर की महिमा का अंत पाना कठिन है।
3. अंगारे उगलना – क्रोध में कठोर शब्द कहना – गरीब मजदूर को दोपहर के समय सुस्ताते देख मालिक अंगारे उगलने लगा।
4. अपना उल्लू सीधा करना स्वार्थ सिद्ध करना – आज के भौतिकवादी युग में सब अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।
5. अंधे की लाठी – एकमात्र सहारा – बुढ़ापे में संतान ही अंधे की लाठी होती है।
6. अंग – अंग ढीला होना बहुत थकावट महसूस करना – आज दिन – भर घूमते रहने के कारण मेरा अंग – अंग ढीला हो गया है।
7. अंगारों पर पैर रखना – जान – बूझकर हानिकारक काम करना – महेश को अंगारों पर पैर रखकर कुल के नाम को कलंक नहीं लगाना चाहिए।
8. अंगारे बरसना – बहुत गर्मी पड़ना – मई – जून के महीने में दोपहर के समय अंगारे बरसते हैं।
9. अक्ल का दुश्मन – मूर्ख – उस मूर्ख व्यक्ति को मैंने बहुत समझाया परंतु उस अक्ल के दुश्मन को कुछ समझ नहीं आया।
10. अगर – मगर करना – टालमटोल करना – पैसा उधार लेने वाले लोग वापस करते वक्त अकसर अगर – मगर करते हैं।
11. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग रहना – अशदवीर कक्षा में किसी से बात नहीं करता, वह सदा अपनी खिचड़ी अलग पकाता है।
12. अपना राग अलापना – अपनी ही कहना दूसरे की न सुनना – आजकल के मंत्री तो अपना ही राग अलापते रहते हैं जनता की तो सुनते नहीं।
13. अरण्य – रोदन – बेकार रोना – धोना – सरकार के सामने बेरोजगारों की माँगें अरण्य – रोदन बनकर रह जाती हैं।
14. अक्ल के घोड़े दौड़ाना–सोच – विचार करना – मैंने गणित के प्रश्नों को हल करने के लिए अक्ल के घोड़े दौड़ाए, पर असफल रहा।
15. आँखों का तारा – अत्यधिक प्यारा – रमेश अपने माँ – बाप की आँखों का तारा है।
16. आँखें दिखाना – क्रोध से देखना छात्रों को शोर करते देख अध्यापक आँखें दिखाने लगा।
17. आपे में न रहना – क्रोध में बेकाबू होना – आधी रात के समय अपने गधे की आवाज़ सुनकर धोबी आपे में न रहा और उसे पीटने लगा।
18. आग उगलना – क्रोध में बोलना–अध्यापक को आग उगलते देख सभी छात्र शांत हो गए।
19. आसमान सिर पर उठाना – बहुत शोर करना – गर्मियों की छुट्टियों में सभी बच्चे इकट्ठे होकर आसमान सिर पर उठा लेते हैं।
20. आकाश से बातें करना बहुत ऊँचा होना – हिमालय के शिखर आकाश से बातें करते हैं।
21. आकाश से तारे तोड़ना असंभव बात करना बातें करने से आकाश से तारे नहीं तोड़े जा सकते, सफलता तो परिश्रम करने से ही मिलती है।
22. आँख का काँटा – खटकने वाला व्यक्ति – मैंने अपने बॉस को घर का काम करने से मना क्या किया, मैं तो उसकी आँख का काँटा बन गया।
23. आँखें खुलना – होश आना – कपटी साधु की वास्तविकता जानकर मेरी आँखें खुल गईं।
24. आसमान टूट पड़ना – बड़ी मुसीबत आना – मोहन कभी झूठ नहीं बोल सकता, चाहे उस पर आसमान क्यों न टूट पड़े।
25. आस्तीन का साँप – कपटी मित्र – विशाल से सावधान रहना, वह तो आस्तीन का साँप है।
26. इधर – उधर की हाँकना – बेकार गप्पें मारना – गाँव के बेरोज़गार नवयुवक इधर – उधर की हाँककर समय बिता देते हैं।

HBSE 10th Class मुहावरे Hindi Vyakaran

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

27. ईश्वर को प्यारा होना – मर जाना – पाँच मंजिला इमारत के गिर जाने के कारण अनेक लोग ईश्वर को प्यारे हो गए।
28. ईद का चाँद होना बहुत दिनों बाद दिखाई देना – जब से श्याम की नौकरी लगी है, वह तो ईद का चाँद हो गया है।
29. ईंट से ईंट बजाना – नष्ट करना – नादिरशाह ने दिल्ली की ईंट से ईंट बजा दी थी।
30. ईंट का जवाब पत्थर से देना करारा जवाब देना – कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
31. उल्लू बनाना मूर्ख बनाना – उमेश बहुत होशियार है, उसे उल्लू बनाना इतना आसान नहीं है।
32. उन्नीस बीस होना थोड़ा – सा अंतर होना – तुम दोनों बहनों में तो उन्नीस – बीस का ही अंतर है।
33. उँगली पर नचाना – वश में करना – रमेश की पत्नी अपने पति को उँगली पर नचाती है।
34. उड़ती चिड़िया पहचानना – मन के भाव समझ लेना हमारी कक्षा के अध्यापक की नज़र से कोई नहीं बच सकता, वे तो उड़ती चिड़िया पहचानते हैं।
35. उल्टी गंगा बहाना – नियम के विरुद्ध काम करना – खाना खाने के बाद कसरत करना तो उल्टी गंगा बहाने के समान है, इससे नुकसान अवश्य होता है।
36. उँगली उठाना – नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना मेरे पिताजी ने कहा कि मेरे रहते तुम पर कोई उँगली नहीं उठा सकता।
37. एड़ी – चोटी का जोर लगाना – खूब परिश्रम करना – कक्षा में प्रथम स्थान पाने के लिए प्रणव एड़ी – चोटी का जोर लगा रहा है।
38. एक आँख से देखना – समान भाव से देखना – माता – पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।
39. एक और एक ग्यारह एकता में बल – मिलकर परिश्रम करने से सफलता मिलती है क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
40. एक ही थैली के चट्टे – बट्टे – सब एक जैसे – वोट किसको डालें क्योंकि आजकल हर पार्टी के नेता एक ही थैली के चट्टे – बट्टे हैं।
41. एक लकड़ी से हाँकना – अच्छे – बुरे सबके साथ एक – सा व्यवहार करना योग्य – अयोग्य में अंतर देखे बिना मेरे ऑफिस का अधिकारी सबको एक लकड़ी से हाँकता है।

(क, ख)

42. कमर कसना – पूरी तरह तैयार होना – परीक्षा पास आ रही है, अब तुम पूरी तरह कमर कस लो।
43. कुन सिर पर बाँधना – मरने को तैयार होना – वीर सैनिक युद्ध में कुन सिर पर बाँधकर जाते हैं।
44. कमर टूटना – हिम्मत टूट जाना – आजकल की महँगाई ने तो गरीबों की कमर ही तोड़ दी है।
45. कठपुतली होना – दूसरे के इशारे पर चलना – यूनियन का नेता कर्मचारियों के हित में कोई काम नहीं करता क्योंकि वह तो कंपनी की कठपुतली है।
46. कलेजा मुँह को आना – अत्यधिक दुःखी होना – अपने इकलौते बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर माँ का कलेजा मुँह को आ गया।
47. कटे पर नमक छिड़कना – दुःखी को और दुःखी करना – महेश पहले ही दुःखी है, उसे बीती बातें याद करा के तुम कटे पर नमक क्यों छिड़क रहे हो।
48. काम आना – वीरगति पाना – युद्ध के समय देश की रक्षा करते हुए कितने वीर सैनिक काम आते हैं।
49. कोल्हू का बैल – बहुत परिश्रम करने वाला – आजकल नौकरियों में कोल्हूं के बैल की तरह काम करना पड़ता है, परंतु वेतन बहुत कम मिलता है।

मुहावरे Hindi Vyakaran HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

50. कान में तेल डालना – बात न सुनना – पिता बेटे को दो घंटे तक समझाते रहे, परंतु वह कान में तेल डालकर बैठा रहा।
51. काम तमाम करना – मार डालना – शिकारी ने एक ही गोली से शेर का काम तमाम कर दिया।
52. कान भरना – चुगली करना – तुम रमन की बात पर विश्वास न करना, उसकी तो दूसरों के कान भरने की आदत है।
53. कागज़ी घोड़े दौड़ाना केवल कागजी कार्रवाई करना हमारी सरकार केवल कागज़ी घोड़े दौड़ाती है, कोई ठोस कार्य नहीं करती।
54. कान खड़े होना – चौकन्ना होना – शेर की दहाड़ सुनकर हिरणों के कान खड़े हो गए।
55. कान पर जूं न रेंगना – कुछ असर न होना – मेरा मित्र सबको मारता रहता है। मैं उसे बहुत समझाता हूँ पर उसके तो कान पर जूं नहीं रेंगती।
56. खाला जी का घर – आसान काम – आज के युग में नौकरी पाना खाला जी का घर नहीं है।
57. खाक छानना – भटकना – आज के युवक नौकरी की तलाश में खाक छानते फिरते हैं।
58. ख्याली पुलाव पकाना – कल्पनाओं में रहना – ख्याली पुलाव पकाने से कुछ हासिल नहीं होगा, कोई ठोस कार्य करो।
59. खून सूखना – डर जाना – पुलिस को घर में आते देख मेरा खून सूख गया।
60. खेल – खेल में आसानी से केशव ने एम.ए. की परीक्षा खेल – खेल में पास कर ली है।
61. खून खौलना – अत्यधिक क्रोध आना – द्रौपदी का चीरहरण होते देख भीम का खून खौलने लगा।
62. गागर में सागर भरना – संक्षेप में बड़ी बात कहना – बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भरा है।
63. गुदड़ी का लाल – छिपी हुई अमूल्य वस्तु – लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।
64. गड़े मुर्दे उखाड़ना – बेकार में पुरानी बातें दोहराना – घर में शांति तभी रह सकती है, जब सब लोग गड़े मुर्दे उखाड़ना बंद कर देंगे।
65. गुस्सा पीना – क्रोध को रोकना – आज राकेश ने सुरेश को कक्षा में अपमानित किया, परंतु सुरेश अपना गुस्सा पी गया।
66. गंगा नहाना – बड़ा कार्य पूर्ण होना – बेटी की शादी करके तो तुम गंगा नहा आए हो।
67. गाँठ बाँध लेना – हमेशा के लिए याद रखना – मेरी यह बात गाँठ बाँध लो कि बिना मेहनत किए तुम सफल नहीं हो सकते।
68. गुड़ – गोबर कर देना – मज़ा खराब होना – बेटी की शादी में बारिश हो जाने से सारा प्रबंध गुड़ गोबर हो गया।
69. गिरगिट की तरह रंग बदलना – सिद्धांतहीन होना – विशाल गिरगिट की तरह रंग बदलता है, इसलिए उस पर कोई विश्वास नहीं करता।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

(घ, च)

70. घाव पर नमक छिड़कना – दुःखी को और दुःखी करना – किसी के घावों पर नमक छिड़कने वाले व्यक्ति को ईश्वर कभी माफ नहीं करता।
71. घुटने टेकना – पराजय स्वीकार करना – पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए।
72. घी के दीए जलाना – खुशी मनाना – मोहन ने अपने बेटे के विदेश से लौटने पर घर में घी के दीए जलाए।
73. घोड़े बेचकर सोना – गहरी नींद सोना – परीक्षा इतनी निकट है और तुम घोड़े बेचकर सो रहे हो।
74. घाट – घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना – अध्यापक ने छात्रों से कहा कि मैंने तो घाट – घाट का पानी पिया है, तुम मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते।
75. घड़ों पानी पड़ना – लज्जित होना – अध्यापक ने जब मिलिंद को कक्षा में चोरी करते पकड़ा, तो उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
76. घास खोदना – व्यर्थ समय नष्ट करना – परीक्षा में तुम्हारे फेल होने का यही कारण है कि तुम पढ़ने की अपेक्षा सारा साल घास खोदते रहे।
77. चकमा देना – धोखा देना – जेबकतरा पुलिस को चकमा देकर भाग निकला।
78. चाँदी होना – लाभ – ही – लाभ होना – जब से बहादुर सिंह को पुलिस में नौकरी मिली है, उसकी तो चाँदी हो गई है।
79. चादर तानकर सोना – निश्चित होकर सोना – कमला तो अपनी बेटी की शादी के बाद चादर तानकर सोती है।
80. चोली – दामन का साथ – गहरा संबंध – परिश्रम तथा सफलता का चोली – दामन का साथ है।
81. चारपाई पकड़ना – बहुत बीमार पड़ना – मेरी माता जी ने एक साल से चारपाई पकड़ रखी है।
82. चैन की बंसी बजाना – चिंतामुक्त होना – अभी मेहनत कर लो, परीक्षा के बाद चैन की बंसी बजाना।
83. चिकना घड़ा – कुछ असर न होना – मेरा भाई तो चिकना घड़ा है, किसी की बात नहीं मानता।
84. चार चाँद लगाना – शोभा बढ़ाना – चाँदनी रात में ताजमहल के सौंदर्य को चार चाँद लग जाते हैं।
85. चंपत होना – भाग जाना – माली को आते देख अमरूद तोड़ते बच्चे चंपत हो गए।
86. चादर देखकर पाँव पसारना – अपनी समर्थता के अनुसार खर्च करना – चादर देखकर पाँव पसारने वाले लोगों को बाद में कभी पछताना नहीं पड़ता।
87. चाँद पर थूकना – बड़े व्यक्ति का अपमान करने का प्रयत्न करने पर स्वयं नुकसान होना – गाँधी जी पर आरोप लगाना तो चाँद पर थूकने के समान है।
88. छक्के छुड़ाना – हरा देना – भारतीय सेना ने अनेक बार पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाए हैं।
89. छाती पर साँप लोटना – ईर्ष्या करना – मेरी सफलता पर मेरे पड़ोसी की छाती पर साँप लोटने लगे।
90. छाती पर पत्थर रखना – दुःख सहने के लिए दिल कठोर कर लेना – पुत्र के जेल जाने के बाद पिता ने छाती पर पत्थर रख लिया।
91. छप्पर फाड़कर देना – बिना मेहनत किए धन प्राप्त होना – कर्ण पर ईश्वर की अपार कृपा है। ऐसा लगता है ईश्वर ने उसे छप्पर फाड़कर दिया है।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

92. छुपा रुस्तम – देखने में साधारण पर वास्तव में गुणी – महेश को कभी पढ़ते नहीं देखा परंतु कक्षा में प्रथम आने पर लगता है कि वह छुपा रुस्तम है।
93. छाती पर मूंग दलना – बहुत तंग करना हमारे किराएदार किराया भी नहीं देते और हमेशा हमारी छाती पर मूंग दलते हैं।
94. छोटा मुँह बड़ी बात – सीमा से अधिक बोलना – अमिता पर कोई विश्वास नहीं करता, वह तो छोटा मुँह बड़ी बात करती है।
95. जान पर खेलना – जोखिम उठाना – एक सैनिक ने डूबते हुए बालक को अपनी जान पर खेलकर बचाया।
96. जले पर नमक छिड़कना – दुःखी व्यक्ति को और दुःखी करना – गरीब के जले पर नमक छिड़कने से तुम्हें क्या हासिल होता है।
97. जूती चाटना – चापलूसी करना – आजकल अफसरों की जूतियाँ चाटे बिना कोई काम नहीं बनता।
98. जान – में – जान आना – चैन आना – पुत्र को देखकर चिंतित माँ की जान – में – जान आ गई।
99. जलती आग में घी डालना – क्रोध को और बढ़ाना – तुम माँ को भैया के विरुद्ध भड़काकर जलती आग में घी डाल – रहे हो।
100. झख मारना – बेकार समय नष्ट करना – सारा दिन झख मारते – फिरते हो, बिना मेहनत किए कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।

(ट, ठ, ड)

101. टका – सा जवाब देना – साफ इंकार करना – जब मैंने अपने मित्र से कुछ रुपयों की मदद माँगी तो उसने टका – सा जवाब दे दिया।
102. टेढ़ी खीर – कठिन काम – आजकल अच्छे विद्यालय में दाखिला लेना अत्यंत टेढ़ी खीर है।
103. टस से मस न होना – ज़रा न हिलना – चार लोगों ने अलमारी को उठाने का प्रयास किया, परंतु वह टस – से – मस न हुई।
104. टूट पड़ना – सहसा आक्रमण करना मार्ग में जाते हुए पीछे से अचानक एक व्यक्ति मुझ पर टूट पड़ा।
105. टाँग अड़ाना – दखल देना – बड़ों की बातों में टाँग अड़ाकर तुम अच्छा नहीं करते हो।
106. टोपी उछालना – अपमान करना – बारात के स्वागत के बाद दूल्हे ने कार माँगकर लड़की के पिता की टोपी उछाल दी।
107. ठन – ठन गोपाल – बिल्कुल कंगाल – महेश के पिता की मृत्यु के बाद से वह परिवार ठन – ठन गोपाल हो गया है।
108. ठिकाने आना – ठीक स्थान पर आना – जब तक मनीष को असफलता का मुँह नहीं देखना पड़ेगा, तब तक उसकी अक्ल ठिकाने नहीं आएगी।
109. ठोकर खाना – हानि उठाना – ठोकर खाने पर ही तुमने मेहनत की और जीवन में सफल हो गए।
110. ठंडा पड़ जाना – मंद होना – आजकल व्यापारियों का काम – धंधा ठंडा पड़ा हुआ है।
111. डींगें हाँकना – अपनी प्रशंसा करना – केवल डींगें हाँकने वाला व्यक्ति समाज में सम्मान नहीं पा सकता।
112. डंका बजाना – प्रभाव जमाना – अंग्रेजों ने भारतीयों पर अपना डंका बजाने का बहुत प्रयत्न किया, पर असफल रहे।
113. डंके की चोट पर कहना चुनौती देकर कहना हमारा पड़ोसी डंके की चोट पर चुनाव जीतने की बात कहता था, परंतु असफल रहा।

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(त, थ)

114. तारे गिनना – बेचैनी से इतंजार करना – पिताजी की प्रतीक्षा में मेरी माता जी रात – भर तारे गिनती रहीं।
115. तू – तू, मैं – मैं – आपसी लड़ाई – हमारे पड़ोस में सास और बहू में दिन – रात तू – तू, मैं – मैं होती है।
116. तितर – बितर होना – बिखर जाना – जैसे ही पुलिस ने भीड़ पर अश्रु – गैस छोड़ी, सभी लोग तितर – बितर हो गए।
117. तिल का ताड़ बनाना – छोटी – सी बात को बढ़ा – चढ़ाकर कहना – सही बात को बताने की तो तुममें हिम्मत नहीं है, वैसे ही तिल का ताड़ बना रहे हो।
118. तिल धरने की जगह न होना – बहुत भीड़ होना – जनसंख्या इतनी बढ़ गई है कि जहाँ भी जाओ, तिल धरने की जगह नहीं मिलती।
119. तेली का बैल होना – हमेशा काम में लगे रहना मेरे पिताजी कभी खाली नहीं बैठते, वे तेली के बैल की तरह काम करते
120. तारे तोड़ लाना – असंभव काम करना – चाँद पर जाने की बात करके तो तुम तारे तोड़ लाने वाली बात कर रहे हो।
121. तूती बोलना – प्रभाव होना – ज़िले में प्रथम आने के बाद से तो पूरे शहर में मीनल की तूती बोलने लगी है।
122. थाली का बैंगन हानि – लाभ देखकर बात बदल लेने वाला – विकास तो थाली का बैंगन है, जो अधिक धन देगा, उसी का पक्ष लेगा।
123. थूककर चाटना वचन से मुकर जाना – थूककर चाटने वाले व्यक्ति पर कोई विश्वास नहीं करता।

(द, ध)

124. दाँत खट्टे करना – बुरी तरह हराना हमारी सेना ने दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिए और जीत का सेहरा अपने सिर पर बाँधा।
125. दाँत पीसना – क्रोध करना – अपने गहरे मित्र द्वारा विश्वासघात करने पर मैं केवल दाँत पीसकर रह गया।
126. दाँतों तले उँगली दबाना – हैरान होना – आकाश में जहाज़ों की कलाबाज़ी देखकर मैंने दाँतों तले उँगली दबा ली।
127. दूध का दूध, पानी का पानी – पूरा न्याय करना – जज ने हत्या के मामले में अपराधी को सज़ा दिलवाकर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
128. दौड़ – धूप करना बहुत मेहनत करना – आजकल नौकरी पाने के लिए बहुत दौड़ – धूप करनी पड़ती है।।
129. दूर की हाँकना – गप्प मारना मेरा मित्र हमेशा दूर की हाँकता है, इसीलिए कोई उस पर विश्वास नहीं करता।
130. दुम दबाकर भागना – डरकर भाग जाना – माली को आते देख बच्चे अमरूद के बाग से दुम दबाकर भाग गए।
131. दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करना बहुत उन्नति करना – माँ – बाप हमेशा बच्चों को दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करने का आशीर्वाद देते हैं।
132. दाल में काला होना – कुछ गड़बड़ होना – अपने बेटे को चुप देखकर माँ को दाल में कुछ काला लगा।
133. दाहिना हाथ होना – सहायक होना – मोहन के विदेश जाने की बात सुनकर उसके पिता चिंतित हो गए क्योंकि वह तो उनका दाहिना हाथ है।
134. दाँत काटी रोटी होना – पक्की दोस्ती होना – राजेश और राकेश की दाँत काटी रोटी थी, परंतु अब वे एक – दूसरे के दुश्मन बन गए हैं।
135. दूज का चाँद होना बहुत कम दिखाई देना – जब से सोनिया की नौकरी लगी है, वह तो दूज का चाँद हो गई है।
136. धूप में बाल सफेद न होना – अनुभवी होना – हमें बड़ों की सलाह को अवश्य मान लेना चाहिए क्योंकि उन्होंने धूप में बाल सफेद नहीं किए होते।
137. धरती पर पाँव न पड़ना – अभिमान से भरा होना – तुम कक्षा में प्रथम क्या आ गए हो, तुम्हारे तो धरती पर पाँव नहीं पड़ रहे हैं।
138. नाक कटना इज़्ज़त जाना – बच्चों के फेल हो जाने पर माता – पिता की नाक कट जाती है।
139. नाक – भौं चढ़ाना – घृणा करना – आजकल के बच्चे दूध को देखते ही नाक – भौं चढ़ाने लगते हैं।
140. नौ – दो ग्यारह होना – भाग जाना – पुलिस को देखते ही चोर नौ – दो ग्यारह हो गया।

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141. नाक पर मक्खी न बैठने देना – ज़रा भी दोष न आने देना हमारे अध्यापक का सारा काम इतना व्यवस्थित ढंग से होता है कि वह अपने नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते।
142. नमक – मिर्च लगाना – बढ़ा – चढ़ाकर कहना – हमारी पड़ोसन हर बात को नमक – मिर्च लगाकर कहती है।
143. नाकों चने चबवाना – बहुत परेशान करना वज़ीर अली ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे।
144. नानी याद आना कष्ट का अनुभव होना – सारा साल न पढ़ने वाले छात्रों को परीक्षा के दिनों में नानी याद आ जाती है।
145. निन्यानवे के फेर में पड़ना – धन जमा करने की चिंता में रहना – तुम तो निन्यानवे के फेर में पड़ गए हो, कुछ धर्म – कर्म भी कर लिया करो।
146. नाक रख लेना – इज्ज़त बचा लेना – ज़रूरत के समय तुमने मेरी आर्थिक सहायता करके मेरी नाक रख ली।
147. नाम पर धब्बा लगना – बदनामी होना – बेटे की घटिया हरकतों के कारण सारे परिवार के नाम पर धब्बा लग गया है।
148. पगड़ी उछालना – इज्जत उतारना – दुष्ट व्यक्ति बड़े – बूढ़ों की पगड़ी उछालने में हिचकिचाते नहीं।
149. पत्थर की लकीर – पक्की बात – छोटे बच्चों के लिए अध्यापकों की बात पत्थर की लकीर होती है।
150. पानी का बुलबुला – क्षणिक जीवन – मनुष्य का जीवन पानी के बुलबुले के समान है।
151. पाँचों उँगलियाँ घी में होना बहुत लाभ होना – पाँच रुपए की टिकट पर एक करोड़ की लाटरी निकलने पर उसकी तो पाँचों उँगलियाँ घी में हैं।
152. पाँव उखड़ जाना – स्थिर न रहना – पुलिस द्वारा अश्रु गैस छोड़े जाने पर भीड़ के पाँव उखड़ गए।
153. पहाड़ टूटना – भारी कष्ट आना – माँ की आकस्मिक मृत्यु से परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा।
154. पानी – पानी होना – लज्जित होना – चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़े जाने पर मेरा मित्र पानी – पानी हो गया।
155. पेट काटना – बचत करना – माँ – बाप अपना पेट काटकर बच्चों को पढ़ाते – लिखाते हैं।
156. पापड़ बेलना कठोर मेहनत करना – उसने बहुत पापड़ बेले पर उसे कहीं भी नौकरी नहीं मिली।
157. पेट में दाढ़ी होना – बचपन में ही चतुर होना – महक को बड़ी – बड़ी बातें करते देख मुझे लगा कि उसके पेट में दाढ़ी है।
158. पाला पड़ना – वास्ता पड़ना – विश्वासघाती मित्रों से किसी का पाला न पड़े।

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(फ, ब)

159. फूला न समाना – बहुत प्रसन्न होना – अच्छा परिणाम आने पर मेधावी छात्र फूले नहीं समाते।
160. फूंक – फूंककर कदम रखना – सोच – समझकर काम करना – एक बार गलती होने पर मैं सावधान हो गया हूँ, अब मैं फूंक – फूंककर कदम रखता हूँ।
161. फूटी आँख न सुहाना – ज़रा भी अच्छा न लगना – सदा पीटने वाले अध्यापक मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते।
162. बाएँ हाथ का खेल – आसान काम – शास्त्रीय संगीत सीखना कोई बाएँ हाथ का खेल नहीं है।
163. बाल – बाल बचना – साफ बच जाना – आज तो मैं गाड़ी के नीचे आने से बाल – बाल बच गया।
164. बगुला भगत होना – ऊपर से अच्छा पर अंदर से धोखेबाज – आज के राजनीतिज्ञ बगुला भगत होते हैं।
165. बहती गंगा में हाथ धोना – अवसर का लाभ उठाना – आज के समाज में हर कोई बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है।
166. बाल की खाल निकालना – सूक्ष्म विवेचन करना – तुम तो हमेशा बाल की खाल निकालते हो, कभी सीधी बात भी किया करो।

(भ, म)

167. भौंए चढ़ाना – नाराज़ होना – अध्यापक की कड़वी सच्चाई सुनकर छात्र ने भौंए चढ़ा लीं।
168. भूत सवार होना हठ पकड़ लेना – तुम पर तो विदेश जाने का भूत सवार हो गया है।
169. मुट्ठी गरम करना – रिश्वत देना – आज के युग में बिना मुट्ठी गरम किए कोई काम करवाना संभव नहीं।
170. मुँह में पानी भर आना – जी ललचाना – गरम – गरम जलेबियाँ देखकर तुम्हारे मुँह में पानी भर गया है।
171. मुँह उतरना – उदास होना–परीक्षा में फेल होते ही कमल का मुँह उतर गया।
172. मति मारी जाना – बुद्धि भ्रष्ट होना लगता है तुम्हारी मति मारी गई है, जो तुमने पिता जी के सामने गालियाँ निकाली।
173. मारा – मारा फिरना इधर – उधर भटकना – आज के नवयुवकों को नौकरी पाने के लिए मारे – मारे फिरना पड़ता है।

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(र, ल, व)

174. रात – दिन एक करना बहुत मेहनत करना – परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए मैंने रात – दिन एक कर दिया।
175. रंग उड़ना – घबरा जाना – घर के पिछवाड़े में साँप देखकर मेरा रंग उड़ गया।
176. रंग में भंग पड़ना – खुशी में बाधा पड़ना मेरे भाई के विवाह के दिन घर में चोरी होने से रंग में भंग पड़ गया।
177. लाल – पीला होना – क्रोध करना – छोटी – सी बात पर लाल – पीला होने वाले व्यक्ति घर की शांति को भंग कर देते हैं।
178. राई का पहाड़ बनाना बहुत बढ़ा – चढ़ाकर कहना – राई का पहाड़ बनाने वाले सबको खटकते हैं।
179. लेने के देने पड़ना – लाभ के स्थान पर हानि होना – व्यापार में सावधानी से काम करना चाहिए, अन्यथा लेने के देने पड़ जाते हैं।
180. लंगोटिया यार – पक्का दोस्त – रमेश व केशव तो लंगोटिए यार हैं, उनमें झगड़ा करवाना नामुमकिन है।
181. लहू – पसीना एक करना बहुत मेहनत करना – मज़दूर दिन – भर लहू – पसीना एक कर देते हैं, पर उन्हें दो वक्त की रोटी नहीं मिल पाती।
182. लहू का यूंट पीकर रह जाना – क्रोध को मन में दबा लेना – भरी सभा में द्रौपदी का अपमान होते देख पांडव लहू का चूंट पीकर रह गए।
183. लोहा मानना – शक्ति मानना – विश्व के सभी राष्ट्र अमेरिका का लोहा मानते हैं।
184. विष घोलना – बुराई का प्रचार करना – शकुनि पांडवों के विरुद्ध विष घोलता रहता था।
185. विपत्ति मोल लेना – संकट में पड़ना – व्यापार में इतना अधिक धन लगाकर तुमने विपत्ति मोल ली है, अब घबराने से क्या फायदा?
186. विष उगलना – कठोर शब्द कहना – विष उगलने वाले व्यक्ति का कोई मित्र बनना नहीं चाहता।

(श, स, ह)

187. शहीद होना – देश के लिए संघर्ष करते हुए मृत्यु को प्राप्त होना – कारगिल युद्ध में अनेक वीर सैनिक शहीद हुए।
188. शेर के दाँत गिनना – साहसी होना – भरत बचपन में ही शेर के दाँत गिनता था।
189. शैतान के कान कतरना – बहुत चालाक होना – आजकल के बच्चों को धोखा नहीं दिया जा सकता क्योंकि वे शैतान के कान कतरते हैं।
190. शर्म से पानी – पानी होना – लज्जित होना – बेटे के दुर्व्यवहार के कारण माता – पिता शर्म से पानी – पानी हो गए।
191. सिर पर पाँव रखकर भागना – बहुत तेज़ भागना – पुलिस को देखकर चोर सिर पर पाँव रखकर भागा।

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192. सोने पर सुहागा – अच्छी वस्तु का और अधिक अच्छा होना – सचिन कक्षा में प्रथम आने के साथ एक अच्छा वक्ता भी है, यह तो सोने पर सुहागा हो गया।
193. साँप को दूध पिलाना – दुष्ट की रक्षा करना – साँप को दूध पिलाने से कोई फायदा नहीं, वह तो डसेगा ही।
194. सूरज को दीपक दिखाना – महान् व्यक्ति का परिचय देना महात्मा गाँधी का परिचय देना सूरज को दीपक दिखाने के समान है।
195. सिर पर सवार होना – पीछे पड़ना – मिल के कर्मचारी अपना वेतन बढ़वाने के लिए मालिक के सिर पर सवार हो जाते हैं।
196. हवा से बातें करना – तेज़ दौड़ना – आधुनिक युग की कारें हवा से बातें करती हैं।
197. हाथ साफ करना – चुरा लेना – भीड़ में जेबकतरों के लिए हाथ साफ़ करना मुश्किल काम नहीं होता।
198. हाथ तंग होना – पैसे का अभाव होना – नौकरी छूट जाने के बाद से विनय का हाथ तंग हो गया है।
199. हाथ – पाँव मारना – कोशिश करना – घर बैठे तुम्हें नौकरी नहीं मिलेगी, हाथ – पाँव तो मारने ही पड़ेंगे।
200. हवा लगना – असर होना – पाश्चात्य संस्कृति के कारण आज के युवा वर्ग को हवा लग गई है।
201. हाथ फैलाना – माँगना – किसी के आगे हाथ फैलाने से बेहतर मर जाना है।
202. हाथों – हाथ बिक जाना – जल्दी बिक जाना – बंगाली मिठाई स्वादिष्ट होने के कारण हाथों – हाथ बिक जाती है।

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran विलोम शब्द

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vilom Shabd विलोम शब्द Exercise Questions and Answers.

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विलोम शब्द

Vilom Shabd In Hindi For Class 10 HBSE प्रश्न 1.
विपरीतार्थक या विलोम शब्दों से क्या अभिप्राय है ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विपरीतार्थक शब्द ऐसे शब्दों के जोड़े होते हैं जिनके अर्थ एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। वे शब्द विपरीत अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो गए हैं। उनके स्थान पर कोई समानार्थक का प्रयोग भी नहीं किया जाता। विपरीतार्थक शब्दों के निम्नलिखित उदाहरण देखिए-
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Haryana Ka Vilom Shabd HBSE 10th Class

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10 Vilom Shabd In Hindi HBSE

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Prathyay प्रत्यय Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

प्रत्यय

Pratyay Hindi Vyakaran HBSE प्रश्न 1.
प्रत्यय किसे कहते हैं ? प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं ? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
अर्थवान शब्द के अंत में जोड़े जाने वाले वर्ण अथवा वर्ण-समूह को प्रत्यय कहते हैं अर्थात् प्रत्यय वह ध्वनि, अक्षर या शब्दांश है, जिसे धातु अथवा शब्द के अंत में लगाकर कोई रूप या शब्द बनाते हैं; जैसे मूर्ख + ता = मूर्खता; धीर + ता = धीरता; यहाँ ‘ता’ प्रत्यय है। घबरा + आहट = घबराहट; यहाँ आहट प्रत्यय है।
हिंदी भाषा में प्रयुक्त लगभग सभी प्रत्यय अपने हिंदी के ही हैं। प्रत्यय दो प्रकार के हैं-
(1) कृत प्रत्यय
(2) तद्धित प्रत्यय।

1. कृत प्रत्यय अथवा कृदंत प्रत्यय:
धातु (क्रिया के मूल रूप) के अंत में लगकर जो शब्दांश अनेक प्रकार के शब्द (क्रिया-रूप) बनाते हैं, उन्हें कृत अथवा कृदंत प्रत्यय कहा जाता है।
कृत प्रत्यय चार प्रकार के होते हैं-
(क) कर्तृवाचक कृत प्रत्यय,
(ख) कर्मवाचक कृत प्रत्यय,
(ग) भाववाचक कृत प्रत्यय तथा
(घ) क्रियावाचक (क्रियार्थक) कृत प्रत्यय।

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1. कृत प्रत्यय
(क) कर्तृवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय धातु कर्ता अर्थात् क्रिया के करने वाले की ओर संकेत करते हैं उन्हें कर्तवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। कुछ उदाहरण देखिए-
प्रत्यय – उदाहरण
दार – देनदार, लेनदार, धारदार।
हार – होनहार, पालनहार, उतारनहार, खेवनहार।
वाला – बचानेवाला, खानेवाला, रखवाला।
आलू – झगड़ालू, कृपालू, लज्जालू।
ऐया – बजैया, खवैया, बचैया।
आऊ – बिकाऊ, टिकाऊ, टकराऊ, कमाऊ।
अक्कड़ – भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़।
अक – धावक, चालक, पालक, धारक, मारक।
आक – तैराक, चालाक।

(ख) कर्मवाचक कृत प्रत्यय जो कृत प्रत्यय कर्मवाचक शब्दों की रचना में सहायक होते हैं, उन्हें कर्मवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
ना – पालना, ओढ़ना, नाना, पढ़ना, तैरना, बुलाना।
नी – ओढ़नी, बिछौनी, सुंघनी, कहानी।
औना – बिछौना, खिलौना।
न – झाड़न, बेलन, कतरन।

(ग) भाववाचक कृत प्रत्यय वे कृत प्रत्यय जो भाववाचक संज्ञाओं की रचना करते हैं, भाववाचक कृत प्रत्यय कहलाते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
आई – लिखाई, सिखलाई, सिलाई, कढ़ाई, पढ़ाई, लड़ाई आदि।
आहट – घबराहट, चिल्लाहट, जगमगाहट, गर्माहट आदि।
आव – चढ़ाव, उतराव, बनाव, बचाव आदि।
आवा – बुलावा, चढ़ावा, पहनावा आदि।
आन – थकान, उड़ान, उठान आदि।
आस – विश्वास, प्यास, हास आदि।

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(घ) क्रियावाचक कृत प्रत्यय-जो प्रत्यय क्रिया शब्द बनाते हैं, उन्हें क्रियावाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
ता, ते, ती – आता, जाता, जाते, आते, खाती।
आ, ए, या – उठा, चला, गया, आया, गए आदि।
ई – गायी, खाई, पी, गई आदि।

2. तद्धित प्रत्यय

प्रत्यय Class 10 HBSE Hindi प्रश्न 2.
तद्धित प्रत्यय की परिभाषा देते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जो क्रिया के अतिरिक्त शेष सभी प्रकार के शब्दों-संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया-विशेषण आदि के अंत में लगकर अनेक प्रकार के शब्द बनाते हैं, उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।
तद्धित प्रत्यय सात प्रकार के होते हैं-
(1) भाववाचक तद्धित प्रत्यय
(2) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
(3) स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय
(4) बहुवचनवाचक तद्धित प्रत्यय
(5) गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
(6) लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय
(7) क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय।

(1) भाववाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों से भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण होता है, उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
प्रत्यय – उदाहरण
ता – मनुष्यता, मूर्खता, सरलता, लघुता, प्रभुता आदि।
त्व – गुरुत्व, महत्व, पुरुषत्व, अपनत्व आदि।
पन – बचपन, लड़कपन, पतलापन, पीलापन, बड़प्पन आदि।
आहट – चिकनाहट, चिल्लाहट, गर्माहट आदि।

(2) कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के सहयोग से कर्ता की ओर संकेत करने वाले शब्द का निर्माण हो, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
दार – ईमानदार, कर्जदार, समझदार आदि।
आर – सुनार, लुहार, चमार आदि।
आरी – भिखारी, पुजारी, जुआरी, पंसारी आदि।
वाहा – चरवाहा, हलवाहा आदि।
ई – संयमी, ज्ञानी, तेली, कामी आदि।
कार – नाटककार, स्वर्णकार, साहित्यकार, पत्रकार, कहानीकार आदि।
अक – अध्यापक, शिक्षक, पाठक, लेखक।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

(3) स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से स्त्रीलिंग शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें स्त्रीलिंगवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-
आ – छात्रा, शिष्या, दुहिता, अध्यापिका, बाला आदि।
ई – देवी, नारी, चाची, नानी, बेटी।
आनी – देवरानी, नौकरानी, जेठानी, इन्द्राणी आदि।
नी – पत्नी, शेरनी, मोरनी, सिंहनी, राजपूतनी आदि।
षी – विदुषी, महिषी।
मती – श्रीमती, बुद्धिमती, धीमती आदि।
इन – धोबिन, लुहारिन, सुहागिन आदि ।

(4). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के योग से गुणवाचक विशेषण शब्दों की रचना की जाती है, उन्हें गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ई – धनी, मानी, ज्ञानी, सुखी, दुःखी, पंजाबी, हिमाचली, गुलाबी।
ईन – गमगीन, शौकीन, रंगीन, नमकीन।
मंद – अक्लमंद, फायदेमंद।
दार – दुकानदार, हवलदार, ज़मींदार, सरदार।
इया – अमृतसरिया, लाहौरिया, जालंधरिया।
ईला – रंगीला, सजीला, रसीला, ज़हरीला।
ऊ – पेटू, बाज़ारू, बाबू, गंवारू।
आना – ज़माना, मर्दाना, सालाना, फुसलाना, बहलाना।
ऐरा – सपेरा, बहुतेरा, ममेरा, चचेरा, फुफेरा, लुटेरा।
अवी – हरियाणवी, देहलवी, लखनवी।
आलु – दयालु, कृपालु।
इक – राजनीतिक, शारीरिक, साहित्यिक, वैदिक।
इय – राष्ट्रीय, स्थानीय, देशीय, पर्वतीय।
वान् – धनवान्, गुणवान्, विद्वान्।
मान् – बुद्धिमान्, शक्तिमान्।
आ – भूखा, प्यासा।
हला – रूपहला, सुनहला।
इमा – नीलिमा, हरितिमा।

(5) बहुवचनवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन प्रत्ययों के प्रयोग से एकवचन शब्द बहुवचन में बदल जाता है, उसे बहुवचन तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ए – लड़के, रुपए, कमरे, उठे, घोड़े, मोटे आदि।
एँ – कन्याएँ, बहुएँ, सड़कें, भाषाएँ आदि।

(6) लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्द में लघुता का बोध होने लगे, उन्हें लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

ई – पहाड़ी, बछड़ी, टुकड़ी आदि।
ड़ी – संदुकड़ी, टुकड़ी, गठड़ी, पंखुड़ी आदि।

(7) क्रमवाचक तद्धित प्रत्यय-जिन तद्धित प्रत्ययों के प्रयोग से शब्दों में क्रम का ज्ञान हो, उन्हें क्रम बोध तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

गुना – चारगुना, छहगुना, दुगुना आदि।
वाँ – बीसवाँ, पाँचवाँ, आठवाँ आदि।
सरा – दूसरा, तीसरा आदि।

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अभ्यासार्थ लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रत्यय HBSE 10th Class Hindi प्रश्न 1.
कोई पाँच ऐसे शब्द लिखो जिनमें दो-दो उपसर्गों का प्रयोग किया गया हो।
उत्तर:
(1) सु + प्रति = सुप्रतिष्ठित।
(2) सु + सम् = सुसंगठित।
(3) अन् + अव = अनवधान।
(4) अ + सु = असुरक्षित।
(5) अ + स = असफल।

प्रश्न 2.
दस ऐसे शब्द लिखिए जिनका निर्माण उपसर्ग और प्रत्यय दोनों की सहायता से किया गया हो।
उत्तर:
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय 1

प्रश्न 3.
भाववाचक कृत प्रत्यय और भाववाचक तद्धित प्रत्यय में क्या अंतर है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
जो कृत प्रत्यय क्रियाओं के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं, उन्हें भाववाचक कृत प्रत्यय कहते हैं; जैसे लिख से लिखाई, पढ़ से पढ़ाई जबकि भाववाचक तद्धित प्रत्यय संज्ञा विशेषण आदि शब्दों के साथ जुड़कर भाववाचक संज्ञा शब्दों का निर्माण करते हैं; जैसे मनुष्य से मनुष्यता, बच्चा से बचपन, पीला से पीलापन आदि।

प्रश्न 4.
तद्धित प्रत्यय और कृत प्रत्यय का अंतर स्पष्ट करते हुए दोनों के चार-चार उदाहरण लिखो।
उत्तर:
कृत प्रत्यय क्रियाओं के साथ जुड़कर शब्दों का निर्माण करते हैं, जबकि तद्धित प्रत्यय क्रियाओं के अतिरिक्त अन्य सभी शब्दों या शब्दांशों के साथ जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं। अग्रलिखित उदाहरणों से दोनों का अंतर और भी स्पष्ट हो जाएगा-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय 2
प्रश्न 5.
कर्मवाचक और कर्तवाचक प्रत्यय में क्या अंतर है ? उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो प्रत्यय धातुओं के अंत में जुड़कर कर्म के अर्थ को प्रकट करे; कर्मवाच्य प्रत्यय कहलाता है। जैसे ओना से बिछौना। किन्तु कर्तृवाचक प्रत्यय धातु के पहले जुड़कर क्रिया के कर्ता का अर्थ प्रकट करता है; जैसे अक से पाठक, ता से वक्ता आदि।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

प्रश्न 6.
‘कृदंत’ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
धातुओं के आगे कृत प्रत्यय लगने से जो शब्द बनते हैं, उन्हें कृदंत शब्द कहते हैं; जैसे भूत धातु में ‘अक्कड़’ प्रत्यय लगाकर भुलक्कड़ शब्द बनता है। ‘तैर’ से तैरना बनता है। ये शब्द कृदंत कहलाते हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय बताओपाठक, कलाकार, धनवान्, घरवाला, कामगार, रसोइया, ममेरा, धार्मिक, खटास, लघुता।
उत्तर:
पाठक = पाठ + अक
धनवान् = धन + वान
कलाकार = कला + कार
घरवाला = घर + वाला
कामगार = काम + गा
रसोइया = रसोइ + या
ममेरा = मम + एरा
धार्मिक = धर्म + इक
खटास = खटा + आस
लघुता = लघु + ता

प्रश्न 8.
कोई पाँच ऐसे शब्द लिखो जो उर्दू उपसर्गों के योग से बने हों।
उत्तर:
कम + जोर = कमजोर
दर + असल = दरअसल
बद + तमीज = बद्तमीज
ला + जवाब = लाजवाब
हम + शक्ल = हमशक्ल

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Paryayvachi Shabd पर्यायवाची शब्द Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

Paryayvachi Shabd 10th Class HBSE प्रश्न 1.
समानार्थक या पर्यायवाची शब्दों से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
ऐसे शब्द जिनके अर्थ एक – से अथवा मिलते – जुलते हों; जैसे असुर – राक्षस, दैत्य – दानव आदि। पर्यायवाची शब्दों के विषय में लोगों की धारणा है कि उनके अर्थ एक – जैसे होते हैं, किन्तु यह सत्य पूर्ण सत्य नहीं है। क्योंकि एक समान दिखाई देने वाले शब्दों के अर्थ में थोड़ा बहुत अंतर अवश्य होता है। अतः हर पयार्यवाची शब्द का अपना स्वतंत्र अर्थ होता है।

जहाँ समानार्थक शब्दों से विद्यार्थी के ज्ञान में वृद्धि होती है वहाँ उसका व्यक्तिगत शब्द – कोश भी समृद्ध होता है। हिंदी पर्यायवाची शब्द संस्कृत, उर्दू, देशी या स्थानीय बोलियों और अंग्रेज़ी से भी लिए जाते हैं। कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण निम्नलिखित हैं –

अंक – गोद, संख्या, चिह्न, अध्याय ।
अंग – भाग, उपाय, देह, अवयव।
अंधकार – अंधेरा, तम, तिमिर, तिमिस्त्र।
अमृत – पीयूष, सुधा, अमिय, सोम।
अरण्य – वन, जंगल, कानन, विपिन, अटवी।
अभिमान – घमंड, अहंकार, गर्व, दर्प।
अनुचर – दास, सेवक, भृत्य, नौकर, परिचारक।
अज – शिव, दशरथ के पिता, कामदेव, ब्रह्मा।
अजित – अजेय, अदम्य, अपराजिता, दुर्दात।
अग्नि – आग, पावक, अनल, वह्नि, कृशानु।
अतिथि – अभ्यागत, पाहुन, आगंतुक।
अधम – नीच, पतित, निकृष्ट।
अधर – होंठ, धरती, आसमान के बीच का भाग।
अनार – दाडिम, शुकप्रिय, रामबीज।
अनी – सेना, दल, कटक, नोक, चमू।

Paryayvachi Shabd Hindi Vyakaran HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

अनुपम – अपूर्व, अनोखा, अनूठा, अद्भुत।
अंतर – आकाश, अवधि, मध्य, अवकाश।
अंध – नेत्रहीन, सूरदास, अंधा।
अन्न – अनाज, शस्य, धान्य।
अन्य – अपर, दूसरा, पृथक्, भिन्न।
अपमान – तिरस्कार, अनादर, अवमान, बेइज्जती।
अपवाद – कलंक, निन्दा, नियम से बाहर।
अर्थ – हेतु, धन, कारण, प्रयोजन।
अंबर – आकाश, कपड़ा।
अंबुज – कमल, नीरज, जलज, पंकज।
अलि – पंक्ति, सखी।
असंगत – अनर्गल, अनुपयुक्त, असंबद्ध।
असुर – राक्षस, दानव, निशाचर, रजनीचर।
आकाश – नभ, गगन, व्योम, द्यौ, अंबर, शून्य।
आनंद – हर्ष, मोद, प्रसन्नता, उल्लास, आह्लाद ।
आभूषण – अलंकार, गहना, आभरण, मंडन।
आम – आम्र, सहकार, रसाल।
आज्ञा – आदेश, हुक्म।
आँख – नेत्र, नयन, लोचन, चक्षु, दृक्, अक्षि।
इच्छा – अभिलाषा, चाह, लालसा, कामना, आकांक्षा।
इंद्रदेवराज – शक्र, सुरपति, मघवा।
ईश्वर – प्रभु, परमात्मा, ईश, अनंत, भगवान्, जगदीश्वर।
उपवन – उद्यान, आराम वाटिका, फुलवारी।
कमल – पंकज, नीरज, सरसिज, सरोज, पद्म, इंदीवर।
कृषक – किसान, खेतीहर, हलवाहा, कृषिजीवी।
कल्पवृक्ष कल्पतरु, कल्पद्रुम, सुरतरु।
कर – हाथ, हस्त, किरण, प्राणी।
किरण – कर, रश्मि, अंशु, मयूख, मरीचि ।
कामदेव – अनंग, कंदर्प, मनोज, मनसिज, मदन, मन्मथ।
कारागार – जेल, बंदीगृह, कैदखाना।
किनारा – तट, कूल, तीर, कगार।
कान – श्रवण, कर्ण, क्षोत्र।
कपड़ा – वस्त्र, चीर।
कृष्ण केशव, माधव, गोपाल, गिरिधर, वासुदेव।
कोप – क्रोध, रोष, गुस्सा, अमर्ष ।
केश – कच, कुंतल, अलक, बाल।
कृपा – दया, अनुकम्पा, अनुग्रह।

Haryana Ka Paryayvachi HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

कोयल – पिक, कोकिल, श्यामा।
कोमल – मृदु, सुकुमार, नरम, मसृण, नाजुक।
खड्ग – असि, तलवार, कृपाण, चंद्रहास, करवाल।
खर – गधा, बगुला, कौआ, तिनका, तीक्षण, खट्टा।
खल – दृष्ट, धूर्त, शठ, दुर्जन, कुटिल।
गंगा – मंदाकिनी, जाह्नवी, देवनदी, सुरसरिता, भागीरथी।
गणेश – एकदंत, गजबदन, गजानन, गणपति, गौरी पुत्र।
गदहा/गधा – खर, गदर्भ, वैशाख नन्दन, लम्ब कर्ण।।
गृह – घर, आगार, आयतन, आवास, ओक, धाम, गेह।
गाय – गो, धेनु, सुरभि। घट – घड़ा, कुम्भ, कलश, कुट, निप।
घन – बादल, हथौड़ा, भारी, घना।
घर – मकान, आवास, कुल, बैठने का स्थान, कार्यालय।
घी – घृत, आज्य, सर्पि, हव्य।
घोड़ा – सैंधव, तुरंग, अश्व, घोटक, हय।
चाँद – शशि, चंद्रमा, सुधाकर, विध, सोम, शंशाक, इंदु, रजनीश, निशिपति, हिमांशु।
चाँदनी – ज्योत्स्ना, धुंद्रिका, कौमुदी।
छाता – छत्र, आतपत्र, छतरी।
जगत् – संसार, संसृति, जग, लोक, भव, दुनिया।
जल – पानी, पानीय, वारि, पय, उदक, नीर, सलिल, अंबु।
झूठ – असत्य, मिथ्या, मुधा, मृथा।
ठठोली – हास, परिहास, हँसी, मज़ाक।
तारा – उडु, नक्षत्र, तारक।
तालाब – सर, तड़ाग, सरोवर, ताल, जलाशय, पुष्कर, ह्रद।
तीर – शर, इषु, बाण, शिलीमुख, नाराच, विशिख।
दाँत – दंत, रद, दशन। थोड़ा – कम, अल्प।
दिन – दिवस, अहः, वासर, वार। दीन – गरीब, निर्धन, बेचारा, हीन।
दुःख – कष्ट, वेदना, क्लेश, व्यथा, विषाद, संताप।
दुर्गा – चंडी, चामुंडा, चर्ममुंडा, चण्डिका, भवानी, शाम्भवी।
देवता – देव, सुर, निर्जर, त्रिदश, विबुध, अमर।
देह – शरीर, काय, वपु, तनु, तन, घट, काया।
दूध – दुग्ध, पय, क्षीर।

Hindi Vyakaran Paryayvachi Shabd HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

धन – द्रव्य, संपत्ति, संपदा, संपत, वित्त, अर्थ, दौलत।
धनुष – चाप, शरासन, कार्मुक, कोदंड।
नौका – तरणी, तरी, जलयान, नाव, जलपात्र।
पुत्र – आत्मज, बेटा, सुत, पूत, नंदन, लड़का, तनय ।
पुत्री – तनया, तनुजा, दुहिता, लड़की, आत्मजा, सुता, बेटी, नंदिनी।
बिजली – तड़ित, विद्युत।
विष्णु – देवता, वसदेवता।
पत्ता – किसलय, पल्लव, पर्ण, पत्र।
पर्वत – नग, अचल, गिरि, धराधर, अद्रि, पहाड़, शैल, भूधर।
पक्षी – शकुन्त, अंडज, शकुनि, खग, विहग, विहंगम, पखेरू, खेचर, द्विज।
पति – स्वामी, नाथ, भर्ता, कांत, वर, वल्लभ।
पत्नी – वधू, भार्या, दारा, वल्लभा, गृहिणी, अर्धागिनी, बहू, तिय।
पर्वत – भूधर, शैल, अचल, गिरि, महाधर, नग, पहाड़।
पंडित – सुधी, कोविद्, विद्वान, बुध, मनीषी।
पत्थर – प्रस्तर, पाषाण, अश्म, पाहन, उपल।
पवन – हवा, वात, मारुत, अनिल, जगत्प्राण, प्रभंजन।
पार्वती – उमा, गौरी, शिव, भवानी, रूद्राणी, गिरिजा, शैलसुता, सर्वमंगला।
पृथ्वी – धरा, भू, भूमि, अचला, धरती, धरणी, वसुधा, अवनि, मेदिनी, क्षिति, धरित्री, जगती।
प्रकाश – प्रभा, ज्योति, चमक, छवि, विभा, आभा, आलोक, धुति।
पुष्प – फूल, प्रसून, कुसुम, पुहुप, सुमन।
परोक्ष – अदृश्य, अप्रत्यक्ष, अगोचर।
वाण – तौरी, सर, विशिख, शिलीमुख, नाराच, ईषु।
सिंह – पंचमुख, वनराज, केसरी, मृगराज, मृगेन्द्र, शेर, शार्दूल।
स्त्री – नारी, वनिता, अबला, ललना, कान्ता, अंगना, रमणी, कामिनी।
स्वर्ग – देवलोक, परलोक, नाक, दिव, वैकुण्ठ।
सिर – शीश, मुण्ड, शीर्ष।
सर्व – सब, सकल।
सुंदर – चारु, मनोहर, रमणीक, ललित, कलित, मंजुल ।
भौंरा – मधुकर, अलि, भ्रमर, मधुप, मिलिंद, द्विरेफ, षट्पद।
मछली – मीन, झख, झष, मकर, मत्स्य ।
मदिरा – मधु, हाला, सुरा, शराब, मद्य, वारुणी।
शिव – महादेव, हर, पशुपति, शंकर, चन्द्रशेखर, कैलाशनाथ, गिरिजापति, गिरीश, भूतेश, वामदेव।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran पर्यायवाची शब्द

माता – जननी, अंबा, अंबिका, प्रसविनी।
मित्र – सुहद, दोस्त, स्नेही, हितु।
मोर – केकी, शिखी, नीलकण्ठ, मयूर।
मृत्यु – मौत, निधन, देहावसान, काल, देहान्त, मरण।
मोक्ष – निर्वाण, मुक्ति, अपवर्ग, परमपद, कैवल्य, सद्गति।
युद्ध – रण, संग्राम, लड़ाई, समर।
रात्रि – यामिनी, विभावरी, निशि, रात, रजनी, निशा।
राक्षस – दनुज, निशाचर, दैत्य, दानव, असुर।
राजा – नरेश, भूपाल, नरेन्द्र, महीपाल, नृप, नृपति।
लहू – रक्त, खून, शोणित, रुधिर।
वायु – अनिल, वात, हवा, पवन, समीर, समीरण।
वृक्ष – रुख, विटप, द्रुम, पादप, तरु, पेड़।
शत्रु – अरि, रिपु, दुश्मन, आराति।
सेना – अनि, दल, चयू, कटक, फौज।
सोना – हेम, हिरण्य, कंचन, स्वर्ण।
सूरज – भानु, भास्कर, रवि, दिवाकर, दिनेश ।
समुद्र – सागर, सिंधु, रत्नाकर, जलधि, पारावार।
शोभा – सुन्दरता कांति
स्त्री – नारी, वनिता, कान्ता, कामिनी, रमणी।
सवेरा – सूर्योदय, अरुणोदय, प्रातः, उषा, भोर ।
साँप – नाग, फणि, व्याल, सर्प, अहि, भुजंग।
संसार – विश्व, जगत्, जग, दुनिया, भव।
सुगन्धि – सौरभ, महक, खुशबू।
हाथ – हस्त, कर, पाणि।
हिरण – कुरंग, सारंग, मृग।
हाथी – दंती, द्विरद, मतंग, हस्ती, गज, करी।
हनुमान – कपीश्वर, अंजनीनंदन, महावीर, बजरंगबली।

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HBSE 10th Class Hindi Vyakaran वाच्य

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Vachya वाच्या Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran वाच्या

वाच्य

Vachya Parivartan HBSE 10th Class Hindi प्रश्न 1.
वाच्य किसे कहते हैं ? वाच्य के भेदों का उदाहरण सहित विवेचन कीजिए।
उत्तर:
क्रिया के जिस रूपांतर से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया द्वारा किए गए विधान का प्रधान विषय कर्ता है, कर्म है अथवा भाव, उसे वाच्य कहते हैं।
वाच्य के दो भेद हैं(क) कर्तृवाच्य (ख) अकर्तृवाच्य
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय 1

(क) कर्तृवाच्य
इसमें क्रिया का सीधा संबंध कर्ता से होता है। अतः जिस प्रयोग में क्रिया द्वारा कही गई बात का मुख्य विषय कर्ता हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं; जैसे-
डाकिया डाक बाँट रहा है।
इस वाक्य में ‘बाँट रहा है’ क्रिया द्वारा डाकिया’ (कत्ता) के बारे में पता चलता है। क्रिया के लिंग, वचन व पुरुष कर्ता के अनुसार हैं। यह कर्तृवाच्य वाक्य है।
कर्तृवाच्य में क्रिया सकर्मक भी हो सकती है तथा अकर्मक भी। अकर्मक क्रिया होने से वाक्य में कर्म नहीं होगा तथा सकर्मक क्रिया होने पर कर्म हो भी सकता है, नहीं भी; जैसे-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय 2

(ख) अकर्तृवाच्य जिन वाक्यों में कर्ता गौण या लुप्त होता है, उसे अकर्तृवाच्य कहते हैं। इसके दो भेद हैं-
I. कर्मवाच्यः
II. भाववाच्य

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran वाच्य

I. कर्मवाच्य-
जिस वाक्य में क्रिया का संबंध कर्म से होता है, उसे कर्मवाच्य कहते हैं; जैसे-
आपका काम कर दिया गया है।
कमल से पत्र लिखा जाता है।
पतंग उड़ रही है।
इन वाक्यों में कर्म की प्रधानता है, अतः ये कर्मवाच्य हैं। कर्मवाच्य की क्रियाओं का पुरुष, लिंग व वचन कर्म के अनुरूप ही होता है। कर्ता के बाद ‘से’ अथवा ‘द्वारा’ का प्रयोग होता है।

(i) कर्मवाच्य के कुछ वाक्यों में कर्ता का लोप हो जाता है; जैसे-
जहाज उड़ रहा है।

(ii) कर्मवाच्य में कर्ता की असमर्थता सूचित करने वाले वाक्य भी होते हैं। इनमें कर्ता के साथ ‘से’ या ‘द्वारा’ लगता है तथा क्रिया के साथ निषेधात्मक ‘नहीं’ का प्रयोग होता है; जैसे-
(क) मुझसे पढ़ा नहीं जाता।
(ख) रामसिंह से भोजन नहीं खाया जाता।

(iii) सकर्मक क्रिया से उत्पन्न अकर्मक क्रियाओं वाले वाक्य भी सकर्मक बन जाते हैं; जैसे-
दरवाज़ा खुल गया। – (खोलना – खुलना)
भोजन पक गया। – (पकाना – पकना)

कर्मवाच्य के प्रयोग स्थल
(1) वैधानिक, कार्यालयी व कानूनी भाषा में-
(i) चार माह के लिए अवकाश स्वीकृत किया जाता है।
(ii) नौकरी के लिए आपका आवेदन स्वीकार किया जाता है।
(iii) दीपावली की छुट्टी होगी।

2. असमर्थता जताने के लिए
(i) गरीब का दुःख देखा नहीं जाता।
(ii) मुझसे चला नहीं जाता।
(iii) अब तो पत्र नहीं लिखा जाता।

3. सूचना, विज्ञप्ति, आज्ञा आदि के लिए-
(i) आपको सूचित किया जाता है।
(ii) अपराधी को दो दिन तक हवालात में रखा जाए।
(iii) आप चले जाइए।

4. वाक्य में कर्ता को प्रकट न किया जाए
(i) ट्रेन लूटी जा रही है।
(ii) सड़क बना दी गई है।
(iii) पत्र भेज दिया गया है।

5. अधिकार, गर्व या दर्प जताने के लिए
(i) कर्मचारियों से सफाई करवाई जाए।
(ii) मामले की जाँच की जाए।
(iii) यह खाना हमसे नहीं खाया जाता।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran वाच्य

Vachya Exercise In Hindi HBSE 10th Class

II. भाववाच्य
जिस वाक्य में कर्ता या कर्म की प्रधानता न होकर भाव ही प्रधान होता है तथा क्रिया का स्वरूप भाव के अनुरूप होता है, वहाँ भाववाच्य होता है। दूसरे शब्दों में,
जिस वाक्य में क्रिया का संबंध भाव से होता है, उसे भाववाच्य कहते हैं।
भाववाच्य में क्रिया सदा पुल्लिंग, एकवचन, अकर्मक तथा अन्य पुरुष में रहती है; जैसे-
रीमा से देखा नहीं जाता।
चलो, चला जाए।
इन वाक्यों में ‘देखा’ तथा ‘चला’ क्रियाएँ ही प्रमुख हैं।

भाववाच्य के प्रयोग स्थल
(1) अशक्तता प्रकट करने के लिए
(i) मुझसे चला नहीं जाता।
(ii) आज मुझसे खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा।

आज्ञा या अनुमति प्राप्त करने के लिए
(i) पहले खा लिया जाए।
(ii) अब प्रस्थान किया जाए।

(3) जब ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता, तो मूल कर्ता जनसामान्य होता है
(i) गर्मियों में छत पर सोया जाता है।

वाच्य परिवर्तन
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य निम्नलिखित तरीके से बनाए जाते हैं
(i) सबसे पहले कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल में बदलिए।
(ii) उस बदली हुई क्रिया के साथ ‘जाना’ क्रिया का काल, पुरुष, वचन और लिंग के अनुसार जो रूप हो, उसे जोड़कर साधारण क्रिया को संयुक्त क्रिया में बदला जाता है।
(iii) कर्तृवाच्य में कर्ता के साथ लगी विभक्ति को हटाकर ‘से’ अथवा ‘के द्वारा’ लगा दिया जाता है।
(iv) कर्ता को कर्म बना दिया जाता है।
(v) कर्म के साथ यदि कोई विभक्ति लगी हो तो उसे हटा दिया जाता है।
उदाहरण:

कर्तृवाच्यकर्मवाच्य
1. सीमा पत्र लिखती है।सीमा द्वारा पत्र लिखा जाता है।
2. महिलाएँ गीत गा रही हैं।महिलाओं द्वारा गीत गाया जा रहा है।
3. उसने बच्चों की रक्षा की।उसके द्वारा बच्चों की रक्षा की गई।
4. आज हमने कविता पढ़ी।हमारे द्वारा आज कविता पढ़ी गई।
5. विभा फूल चुनती है।विभा द्वारा फूल चुने जाते हैं।
6. वह गा चुका था।उसके द्वारा गाया जा चुका था।
7. उसने पैसे गिने।उससे पैसे गिने गए।
8. रमन साइकिल चलाता है।रमन द्वारा साइकिल चलाई जाती है।
9. अशोक ने पुस्तक लिखी।अशोक द्वारा पुस्तक लिखी गई।
10. क्या सोना दिल्ली जाएगी ?क्या सोना द्वारा दिल्ली जाया जाएगा ?
11. मैं कविता पढ़ सकता हूँ।मुझसे कविता पढ़ी जा सकती है।
12. वह दिन में फल खाता है।उसके द्वारा दिन में फल खाए जाते हैं।
13. अध्यापक ने विद्यार्थी को पढ़ाया।अध्यापक द्वारा विद्यार्थी पढ़ाए जाते हैं।
14. बच्चे फुटबॉल खेल रहे हैं।बच्चों द्वारा फुटबाल खेला जा रहा है।
15. रोगी पानी भी नहीं पी रहा।रोगी से पानी भी नहीं पिया जा रहा।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना
कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाने की प्रक्रिया निम्नलिखित है
(i) कर्ता के आगे ‘से’ या ‘के द्वारा’ का प्रयोग किया जाता है।
(ii) मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया के एकवचन में बदलकर उसके साथ ‘जाना’ धातु के एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष का वही काल लगाते हैं जो कर्तृवाच्य की क्रिया का है; जैसे
खेलेगी – खेला जाएगा। चलता है – चला जाता है। खेल रहा था – खेला जा रहा था।
(iii) वाक्य की क्रिया को ही वाक्य का कर्ता बना दिया जाता है।
(iv) भाववाच्य में प्रायः अशक्तता का भाव प्रकट होता है, अतः ‘नहीं’ का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण

कर्तृवाच्यभाववाच्य
1. बच्चे सजा रहे हैं।बच्चों द्वारा सजाया जा रहा है।
2. पक्षी उड़ते हैं।पक्षियों द्वारा उड़ा जाता है।
3. उसने झटके से खोला।उसके द्वारा झटके से खोला गया।
4. घोड़े तेज़ दौड़ते हैं।घोड़ों द्वारा तेज़ दौड़ा जाता है।
5. आओ, अब दौड़ें।आओ, अब दौड़ा जाए।
6. मैं पकाऊँगी।मेरे द्वारा पकाया जाएगा।
7. सिद्धार्थ नहीं पढ़ता।सिद्धार्थ से पढ़ा नहीं जाता।
8. रोगी नहीं चल सकता।रोगी द्वारा चला नहीं जाता।
9. मोर नहीं नाचते।मोरों से नाचा नहीं जाता।
10. सैनिक नहीं डरा।सैनिक से डरा नहीं गया।
11. अध्यापिका ज़ोर से नहीं बोलती।अध्यापिका से ज़ोर से नहीं बोला जाता।
12. बच्चा खूब रोया।बच्चे द्वारा खूब रोया गया।
13. लड़की रात भर सो न सकी।लड़की से रात भर सोया न जा सका।
14. रमेश नहाया।रमेश से नहाया गया।
15. मैं नहीं पढ़ता।मुझसे पढ़ा नहीं जाता।

Hindi Vachya Class 10 HBSE

भाववाच्य और कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाना
(i) भाववाच्य और कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य बनाने के लिए सबसे पहले कर्ता को पहचानिए।
(ii) के द्वारा’ या ‘से’ को हटाइए। वाक्य की क्रिया का कर्तृवाच्य में प्रयोग करें।
उदाहरण

भाववाच्य/कर्मवाच्यकर्तवाच्य
1. हमसे सहा नहीं जाता।हम सह नहीं सकते।
2. हमारे द्वारा प्रार्थना की गई।हमने प्रार्थना की।
3. माला द्वारा खाना खाया गया।माला ने खाना खाया।
4. लड़कों द्वारा हँसा नहीं जाता।लड़के नहीं हँसते।
5. आज घूमने चला जाए।आज घूमने चलें।
6. रोगी द्वारा दवाई खाई गई।रोगी ने दवा खाई।
7. चिड़िया से नहीं बैठा जाता।चिड़िया नहीं बैठी।
8. ड्राइवर द्वारा बस रोकी गई।ड्राइवर ने बस रोकी।
9. नीरज से पढ़ा नहीं जाता।नीरज पढ़ नहीं सकता।
10. विजय से अखबार बेचा जाएगा।विजय अखबार बेचेगा।

वाच्य Class 10 HBSE Hindi

वाच्यों की पहचान
1. कर्तृवाच्य की पहचान
(i) कर्ता के साथ विभक्ति नहीं होती।
कर्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति होती है।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran वाच्य

2. कर्मवाच्य की पहचान
(i) कर्ता के साथ ‘से’ या ‘के द्वारा विभक्ति होती है।
(ii) मुख्य क्रिया सकर्मक होती है और उसके साथ ‘जाना’ क्रिया का लिंग, वचन कालानुसार जुड़ा होता है।
(iii) ‘जाना’ के उपर्युक्त रूप से पहले क्रिया सामान्य भूतकाल में होती है।

3. भाववाच्य की पहचान
(i) कर्ता के साथ ‘से’ या ‘के द्वारा’ लगा होता है।
(ii) क्रिया अकर्मक, एकवचन तथा पुल्लिंग में होती है।

Vachya In Hindi HBSE Class 10 Hindi

अभ्यासार्थ महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का वाच्य-परिवर्तन कीजिए।
उत्तर:
(1) राम नहीं पढ़ता।
राम से नहीं पढ़ा जाता।

(2) राकेश सभा में गीत सुनाएगा।
राकेश द्वारा सभा में गीत सुनाया जाएगा।

(3) मोहन पत्र लिखता है।
मोहन से पत्र लिखा जाता है।

(4) कई कवियों ने सुंदर कविताएँ लिखीं।
कई कवियों द्वारा सुंदर कविताएँ लिखी गईं।

(5) मैं इस गरमी में नहीं सोऊँगा।
मुझसे इस गरमी में नहीं सोया जाएगा।

(6) सर्दी में गर्म कपड़े पहनते हैं।
सर्दी में गर्म कपड़े पहने जाते हैं।

(7) सिपाही ने चोर पकड़ा।
सिपाही द्वारा चोर पकड़ा गया।

(8) शाहजहाँ ने ताजमहल बनवाया।
शाहजहाँ द्वारा ताजमहल बनवाया गया।

(9) वह दौड़ा।
उससे दौड़ा गया।

(10) बालक क्यारियों में फूल उगाएँगे।
बालकों द्वारा क्यारियों में फूल उगाए जाएँगे।

(11) छात्रों द्वारा पत्र लिखे जाते हैं।
छात्र पत्र लिखते हैं।

(12) भगवान हमारी रक्षा करता है।
भगवान द्वारा हमारी रक्षा की जाती है।

(13) राजा द्वारा प्रजा को कष्ट दिए गए।
राजा ने प्रजा को कष्ट दिए।

(14) बच्चा खूब रोया।
बच्चे द्वारा खूब रोया गया।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran वाच्य

(15) भारतवासी महात्मा गाँधी को नहीं भूल सकते।
भारतवासियों द्वारा महात्मा गाँधी को भुलाया नहीं जा सकता।

(16) नेताजी सुभाषचंद्र बोस को नहीं भूल सकते।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस को नहीं भुलाया जा सकता।

(17) निशा द्वारा कल पत्र लिखा जाएगा।
निशा कल पत्र लिखेगी।

(18) गर्मियों में लोग खूब नहाते हैं।
गर्मियों में लोगों से खूब नहाया जाता है।

(19) हम आज रात को यहीं ठहरेंगे।
हमसे आज रात को यहीं ठहरा जाएगा।

(20) वे इस दुर्दशा को नहीं देख सकते।
उनसे यह दुर्दशा नहीं देखी जा सकती।

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