Class 12

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का कौन-सा स्थान है?
(A) तीसरा
(B) दूसरा
(C) चौथा
(D) सातवाँ
उत्तर:
(B) दूसरा

2. विश्व में घनत्व की दृष्टि से भारत का कौन-सा स्थान है?
(A) तीसरा
(B) दूसरा
(C) चौथा
(D) सातवाँ
उत्तर:
(A) तीसरा

3. विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का कौन-सा स्थान है?
(A) दूसरा
(B) तीसरा
(C) चौथा
(D) सातवाँ
उत्तर:
(D) सातवाँ

4. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कितने प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है?
(A) 25.50%
(B) 68.84%
(C) 9.42%
(D) 64.41%
उत्तर:
(B) 68.84%

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5. 2001-2011 में जनसंख्या की औसत वार्षिक वृद्धि कितनी रही?
(A) 9.42%
(B) 3.5%
(C) 13.7%
(D) 17.64%
उत्तर:
(D) 17.64%

6. स्वतंत्र भारत में अब तक कितनी बार जनगणनाएँ हो चुकी हैं?
(A) 4
(B) 7
(C) 12
(D) 14
उत्तर:
(B) 7

7. 1951 में भारत का जनसंख्या घनत्व कितना था?
(A) 117 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०
(B) 200 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०
(C) 208 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०
(D) 185 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०
उत्तर:
(B) 200 व्यक्ति/वर्ग कि०मी०

8. भारत में सर्वाधिक दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर निम्नलिखित में से किस दशक में रही?
(A) 1961-71
(B) 1971-81
(C) 1981-91
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) 1961-71

9. भारत का निम्नतम जनसंख्या वाला राज्य है-
(A) सिक्किम
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) केरल
(D) गोवा
उत्तर:
(A) सिक्किम

10. भारत का न्यूनतम जनसंख्या वृद्धि-दर वाला राज्य है-
(A) केरल
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) नगालैण्ड
(D) गोवा
उत्तर:
(C) नगालैण्ड

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11. भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल भौगोलिक क्षेत्र का कितने प्रतिशत है?
(A) 16.7%
(B) 5.8%
(C) 2.4%
(D) 15.2%
उत्तर:
(C) 2.4%

12. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या का औसत घनत्व कितना है?
(A) 849 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(B) 334 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(C) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(D) 129 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
उत्तर:
(C) 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०

13. भारत में कुल कितने राज्य हैं?
(A) 25
(B) 28
(C) 27
(D) 29
उत्तर:
(B) 28

14. वर्तमान में भारत में कितने केंद्र-शासित प्रदेश हैं?
(A) 5
(B) 6
(C) 7
(D) 8
उत्तर:
(D) 8

15. भारत में सबसे अधिक जनसंख्या किस प्रदेश में पाई जाती है?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) मध्य प्रदेश
(C) अरुणाचल प्रदेश
(D) पश्चिमी बंगाल
उत्तर:
(A) उत्तर प्रदेश

16. सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या कितनी थी?
(A) 100.2 करोड़
(B) 121 करोड़
(C) 102.8 करोड़
(D) 103.8 करोड़
उत्तर:
(C) 102.8 करोड़

17. निम्नलिखित में से जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करने वाला भौगोलिक कारक नहीं है
(A) धरातल
(B) खनिज
(C) जलवायु
(D) मृदा
उत्तर:
(B) खनिज

18. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात कितना है?
(A) 931 प्रति हजार
(B) 932 प्रति हजार
(C) 943 प्रति हजार
(D) 934 प्रति हजार
उत्तर:
(C) 943 प्रति हजार

19. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जन्म-दर कितनी थी?
(A) 23 प्रति हजार व्यक्ति
(B) 24 प्रति हजार व्यक्ति
(C) 25 प्रति हजार व्यक्ति
(D) 26 प्रति हजार व्यक्ति
उत्तर:
(D) 26 प्रति हजार व्यक्ति

20. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में मृत्यु-दर कितनी थी?
(A) 7 प्रति हजार व्यक्ति
(B) 8 प्रति हजार व्यक्ति
(C) 9 प्रति हजार व्यक्ति
(D) 10 प्रति हजार व्यक्ति
उत्तर:
(C) 9 प्रति हजार व्यक्ति

21. सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की ग्रामीण जनसंख्या कितने प्रतिशत थी?
(A) 72.22%
(B) 58.42%
(C) 67.75%
(D) 27.78%
उत्तर:
(A) 72.22%

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22. सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की नगरीय जनसंख्या कितने प्रतिशत थी?
(A) 72.22%
(B) 58.42%
(C) 67.75%
(D) 27.78%
उत्तर:
(D) 27.78%

23. निम्नलिखित में से भारत के किस राज्य में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत सबसे अधिक है?
(A) हिमाचल प्रदेश
(B) हरियाणा
(C) केरल
(D) अरुणाचल प्रदेश
उत्तर:
(A) हिमाचल प्रदेश

24. भारत में संपूर्ण जनगणना कब संपन्न हुई थी?
(A) 1880 में
(B) 1980 में
(C) 1881 में
(D) 1981 में
उत्तर:
(C) 1881 में

25. कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या का प्रतिशत अनुपात कहलाता है
(A) आश्रित जनसंख्या
(B) श्रमजीवी जनसंख्या
(C) सहभागिता दर
(D) व्यावसायिक संरचना
उत्तर:
(C) सहभागिता दर

26. भारत में प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या क्या दर्शाती है?
(A) ग्रामीण जनसंख्या
(B) नगरीय जनसंख्या
(C) लिंगानुपात
(D) उत्पादक जनसंख्या
उत्तर:
(C) लिंगानुपात

27. भारत में सर्वाधिक लिंगानुपात वाला राज्य कौन-सा है?
(A) केरल
(B) हरियाणा
(C) महाराष्ट्र
(D) मध्य प्रदेश
उत्तर:
(A) केरल

28. भारत में न्यूनतम लिंगानुपात वाला राज्य कौन-सा है?
(A) केरल
(B) हरियाणा
(C) महाराष्ट्र
(D) मध्य प्रदेश
उत्तर:
(B) हरियाणा

29. श्रमजीवी आयु-वर्ग कहा जाता है-
(A) 0-14 वर्ष
(B) 15-59 वर्ष
(C) 60 वर्ष से ऊपर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) 15-59 वर्ष

30. मुख्य कामगार वर्ष में कितने दिन काम करता है?
(A) 177 दिन
(B) 180 दिन
(C) 183 दिन
(D) 186 दिन
उत्तर:
(C) 183 दिन

31. आयु-संरचना को किस आरेख द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?
(A) सरल आरेख
(B) दण्ड आरेख
(C) बहुदण्ड आरेख
(D) आयु एवं लिंग पिरामिड
उत्तर:
(D) आयु एवं लिंग पिरामिड

32. 2011 की जनगणना के अनुसार हरियाणा में लिंगानुपात कितना है?
(A) 933 प्रति हजार
(B) 1058 प्रति हजार
(C) 877 प्रति हजार
(D) 709 प्रति हजार
उत्तर:
(C) 877 प्रति हजार

33. भारतीय भाषाओं से सम्बन्धित भाषा परिवार कितने हैं?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(C) 4

34. भारत में राजभाषा हिन्दी के अलावा कितनी प्रादेशिक भाषाओं को मान्यता दी गई है?
(A) 15
(B) 16
(C) 17
(D) 21
उत्तर:
(D) 21

35. जनसंख्या की दृष्टि से अनुसूचित जनजातीय किस राज्य में कम हैं?
(A) मध्य प्रदेश
(B) गोवा
(C) उत्तर प्रदेश
(D) हरियाणा
उत्तर:
(B) गोवा

36. भारत के किस राज्य में मुस्लिम सबसे अधिक हैं?
(A) हिमाचल प्रदेश
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मिज़ोरम
(D) केरल
उत्तर:
(B) उत्तर प्रदेश

37. भारत के किस राज्य में हिन्दू सबसे कम हैं?
(A) हिमाचल प्रदेश
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मिज़ोरम
(D) केरल
उत्तर:
(C) मिज़ोरम

38. भारत के किस राज्य में ईसाइयों का संकेंद्रण सबसे अधिक है?
(A) हिमाचल प्रदेश
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मिज़ोरम
(D) केरल
उत्तर:
(D) केरल

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39. भारत के किस राज्य में सिक्ख धर्म के अनुयायी सबसे अधिक हैं?
(A) हिमाचल प्रदेश
(B) पंजाब
(C) मिज़ोरम
(D) केरल
उत्तर:
(B) पंजाब

40. सन् 2011 के अनुसार भारत में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य कौन-सा है?
(A) पश्चिमी बंगाल
(B) उत्तर प्रदेश
(C) बिहार
(D) केरल
उत्तर:
(C) बिहार

41. सन् 2011 के अनुसार भारत में सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य का नाम बताइए।
(A) नगालैंड
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) केरल
(D) गोवा
उत्तर:
(B) अरुणाचल प्रदेश

42. भारत में जनगणना कितने वर्षों के बाद की जाती है?
(A) 5
(B) 10
(C) 15
(D) 20
उत्तर:
(B) 10

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत में पहली जनगणना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1872 में।

प्रश्न 2.
भारत में पहली पूर्ण जनगणना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1881 में।

प्रश्न 3.
जनगणना 1951 के अनुसार भारत की साक्षरता दर कितनी थी?
उत्तर:
18.33%

प्रश्न 4.
जनगणना 1951 के अनुसार भारत में स्त्री प्रत्याशा कितनी थी?
उत्तर:
36.2 वर्ष।

प्रश्न 5.
जनगणना 1951 के अनुसार भारत में पुरुष प्रत्याशा कितनी थी?
उत्तर:
37.1 वर्ष।

प्रश्न 6.
जनगणना 2001 के अनुसार भारत की साक्षरता-दर कितनी थी?
उत्तर:
64.84%।

प्रश्न 7.
जनगणना 2001 के अनुसार भारत की पुरुष साक्षरता-दर कितनी थी?
उत्तर:
75.26%।

प्रश्न 8.
जनगणना 2001 के अनुसार भारत की स्त्री साक्षरता-दर कितनी थी?
उत्तर:
53.67%।

प्रश्न 9.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल कितनी जनसंख्या थी?
उत्तर:
102.8 करोड़ (लगभग)।

प्रश्न 10.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व कितना था?
उत्तर:
325 प्रति व्यक्ति।

प्रश्न 11.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
दूसरा, पहला स्थान चीन का है।

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प्रश्न 12.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत के किस राज्य में जनसंख्या घनत्व सर्वाधिक है?
उत्तर:
बिहार (1102)।

प्रश्न 13.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की साक्षरता दर कितनी है?
उत्तर:
74.04 प्रतिशत।

प्रश्न 14.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की पुरुष साक्षरता दर कितनी है?
उत्तर:
82.14 प्रतिशत।

प्रश्न 15.
भारत के मैदानी भागों में देश की कितनी जनसंख्या बसी हुई है?
उत्तर:
लगभग 52 प्रतिशत जनसंख्या।

प्रश्न 16.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की स्त्री साक्षरता दर कितनी है?
उत्तर:
65.46 प्रतिशत।

प्रश्न 17.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या कितनी है?
उत्तर:
लगभग 121.02 करोड़।

प्रश्न 18.
सन् 2001-2011 में भारत की औसत जनसंख्या वृद्धि-दर कितनी रही?
अथवा
भारत की औसत जनसंख्या वृद्धि दर 2001-2011 के दशक में कितनी रही?
उत्तर:
17.64%।

प्रश्न 19.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व कितना है?
उत्तर:
382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 20.
सर्वाधिक लिंगानुपात वाले राज्य का नाम बताइए।
उत्तर:
केरल। जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 21.
न्यूनतम लिंगानुपात वाले राज्य का नाम बताइए।
उत्तर:
हरियाणा।

प्रश्न 22.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत का लिंगानुपात कितना है?
उत्तर:
9431

प्रश्न 23.
बौद्ध धर्म के लोग अधिकांशतः भारत के किस राज्य में केन्द्रित है?
उत्तर:

  1. सिक्किम
  2. अरुणाचल प्रदेश
  3. हिमाचल प्रदेश
  4. महाराष्ट्र।

प्रश्न 24.
भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अनुपात किस सेक्टर में संलग्न है?
उत्तर:
प्राथमिक सेक्टर में।

प्रश्न 25.
भारत में विशालतम भाषाई समूह का नाम लिखिए।
उत्तर:
भारतीय यूरोपीय भाषा परिवार (आय)।

प्रश्न 26.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा एवं सबसे छोटा राज्य कौन-सा है?
उत्तर:

  1. सबसे बड़ा उत्तर प्रदेश।
  2. सबसे छोटा-सिक्किम।

प्रश्न 27.
भारतीय संविधान में कितनी भाषाएँ अधिसूचित हैं?
उत्तर:
22 भाषाएँ।

प्रश्न 28.
भारत में न्यूनतम बाल आयु वर्ग का प्रतिशत रखने वाले दो राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. गोवा
  2. केरल।

प्रश्न 29.
भारत के आयु पिरामिड का आकार किसका घोतक है?
उत्तर:
जनसंख्या की गतिशीलता का।

प्रश्न 30.
भारत जनांकिकीय संक्रमण की किस अवस्था में आता है?
उत्तर:
तीसरी अवस्था में।

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प्रश्न 31.
देश में सबसे कम ग्रामीण जनसंख्या किन दो राज्यों अथवा केंद्र-शासित प्रदेशों में पाई जाती है?
उत्तर:
दिल्ली तथा चण्डीगढ़।

प्रश्न 32.
राज्य की जनसंख्या में तीन-चौथाई जन-जातीय जनसंख्या वाले दो राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
मेघालय व मिज़ोरम।

प्रश्न 33.
अनुसूचित जातियों के सर्वाधिक अनुपात वाले दो राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
पंजाब व हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 34.
उत्तर-पूर्वी राज्यों की भाषाएँ किस भाषा परिवार से संबंधित हैं?
उत्तर:
चीनी-तिब्बती भाषा परिवार से।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘लिंगानुपात’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जनसंख्या का लिंग-संयोजन अक्सर एक अनुपात के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, जिसे लिंगानुपात कहते हैं। इसे ‘भारत में प्रति हजार पुरुषों के पीछे कितनी स्त्रियाँ हैं’ के द्वारा दर्शाया जाता है। प्रति हजार पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या का अनुपात लिंगानुपात कहलाता है। भारत में लिंगानुपात लगातार कम हो रहा है। उदाहरण के लिए सन् 1901 में यह लिंगानुपात 972 था जो सन् 2011 में घटकर 943 हो गया।

प्रश्न 2.
भारत में सर्वाधिक तथा न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य बिहार (1102) तथा न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश (17) है।

प्रश्न 3.
भारत के उच्चतम तथा न्यूनतम जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार उच्चतम जनसंख्या वृद्धि दर मेघालय (27.82%) तथा न्यूनतम जनसंख्या वृद्धि दर नगालैंड (-0.47%) की है।

प्रश्न 4.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत के चार बड़े राज्यों की जनसंख्या प्रतिशत में लिखें।
उत्तर:

क्र०सं०राज्यजनसंख्या (प्रतिशत में)
1उत्तर प्रदेश16.49 %
2महाराष्ट्र9.29 %
3बिहार8.58 %
4पश्चमी बंगाल7.55 %

प्रश्न 5.
भारत में बच्चों के घटते लिंग अनुपात के दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  1. देश में कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं से लिंग अनुपात घटता है।
  2. गर्भवती स्त्री के स्वास्थ्य की ओर ध्यान न देने से बच्चे व माँ के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 6.
जनसंख्या की वृद्धि दर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दो समय बिंदुओं के बीच हुए जनसंख्या के परिवर्तन को यदि प्रतिशत में व्यक्त किया जाए तो उसे जनसंख्या की वृद्धि दर कहते हैं। इसे सदैव प्रतिशतता में ही व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 7.
भारत को गाँवों का देश क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण है इसलिए भारत को गाँवों का देश कहा जाता है।

प्रश्न 8.
अब तक भारत में कितनी जनगणनाएँ हो चुकी हैं?
उत्तर:
सन् 2011 तक भारत में 15 व स्वतंत्र भारत में 7 जनगणनाएँ हो चुकी हैं।

प्रश्न 9.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में ग्रामीण तथा नगरीय जनसंख्या कितने-कितने प्रतिशत थी?
उत्तर:
ग्रामीण जनसंख्या 72.22 प्रतिशत तथा नगरीय जनसंख्या 27.78 प्रतिशत थी।

प्रश्न 10.
जनसंख्या वृद्धि क्या है?
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष में किसी दिए गए समय में जनसंख्या आकार में होने वाले परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहते हैं। यह धनात्मक व ऋणात्मक दोनों हो सकती है।

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प्रश्न 11.
जनसंख्या वितरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जनसंख्या वितरण उस तरीके को प्रदर्शित करता है जिसके अंतर्गत मानव किसी दिए गए क्षेत्र या स्थल में वितरित होता है। इसका संबंध स्थल से होता है।

प्रश्न 12.
भारत में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के कोई तीन उपाय बताइए।
उत्तर:

  1. कृषि एवं उद्योगों के क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि करना।
  2. शिक्षा का प्रसार करना।
  3. परिवार नियोजन संबंधी कार्यक्रमों का विस्तार करना।

प्रश्न 13.
2001 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक तथा न्यूनतम लिंगानुपात वाले राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
सर्वाधिक : केरल (1058); न्यूनतम : हरियाणा (861)।

प्रश्न 14.
2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक तथा न्यूनतम लिंगानुपात वाले केंद्र-शासित प्रदेशों के नाम बताइए।
उत्तर:
सर्वाधिक : पुडुचेरी (1038); न्यूनतम : दमन और दीव (618)।

प्रश्न 15.
आश्रित अनुपात क्या होता है?
उत्तर:
प्रौढ़ों तथा किशोरों और वृद्धों के बीच जनसंख्या के अनुपात को आश्रित अनुपात कहते हैं।

प्रश्न 16.
भारतीय भाषाओं से संबंधित चार भाषा परिवारों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. आग्नेय (आस्ट्रिक) परिवार
  2. चीनी-तिब्बती परिवार
  3. द्रविड़ भाषा परिवार तथा
  4. भारतीय-यूरोपीय (आर्य) परिवार।

प्रश्न 17.
भारत में ईसाई धर्म सबसे पहले कब और कहाँ आया?
उत्तर:
प्रथम शताब्दी में भारत के पश्चिमी तट पर केरल की कोच्चि बंदरगाह पर सीरियाई ईसाइयों ने पहुँचकर ईसाई धर्म का भारत में आरंभ किया।

प्रश्न 18.
सांस्कृतिक विलयन क्या होता है?
उत्तर:
विभिन्न प्रदेशों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक गुणों के आपसी संपर्क को सांस्कृतिक विलयन कहा जाता है।

प्रश्न 19.
भारत के सात शास्त्रीय नृत्यों के नाम बताइए।
उत्तर:
कत्थक, ओडिसी, मणिपुरी, कुचिपुड़ी, कथकली, भरतनाट्यम और मोहिनी अट्टम।

प्रश्न 20.
जनगणना 2011 में भारत की जनसंख्या कितनी थी? विश्व में जनसंख्या एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
वर्ष 2011 में भारतवर्ष की जनसंख्या 121.02 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा और क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवाँ स्थान है।

प्रश्न 21.
प्रत्येक उत्तरोत्तर जनगणना में जनसंख्या का घनत्व क्यों बढ़ रहा है?
उत्तर:
भारत की जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है, जबकि क्षेत्रफल सदैव निश्चित रहता है। इसलिए प्रत्येक उत्तरोत्तर जनगणना में जनसंख्या का घनत्व बढ़ जाता है।

प्रश्न 22.
जनसंख्या घनत्व क्या है?
उत्तर:
किसी भी प्रदेश की जनसंख्या और उस प्रदेश की भूमि के क्षेत्र फल के पारस्परिक अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

प्रश्न 23.
साक्षरता क्या है?
उत्तर:
यद्यपि साक्षरता (Literacy) जनसंख्या का एक सामाजिक पक्ष है तथापि यह जनसंख्या की गुणवत्ता का बोध कराती है। व्यापक रूप से साक्षरता वह ज्ञान है जो लोगों में जागृति लाए। साधारणतया साक्षरता लोगों को किसी भाषा में समझ के साथ लिखने या पढ़ने की योग्यता को कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ जनसंख्या आयोग के अनुसार, “साक्षर वह व्यक्ति है जो किसी भाषा में साधारण संदेश को पढ़, लिख और समझ सकता है।”

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प्रश्न 24.
भारत किन चार प्रमुख धर्मों का जन्म-स्थान है?
उत्तर:

  1. हिंदू धर्म
  2. बौद्ध धर्म
  3. जैन धर्म
  4. सिक्ख धर्म।

प्रश्न 25.
जन-जातियों में सहभागिता दर सबसे अधिक क्यों पाई जाती है?
उत्तर:
जन-जातीय समुदाय एक खुला समाज होता है। इनमें पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों की प्रतिष्ठा समान होती है और वे सभी अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार कार्य करते हैं। इसलिए उनमें सहभागिता दर सबसे अधिक होती है।

प्रश्न 26.
देश के किस भाग में ग्रामीण जनसंख्या का अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है?
उत्तर:
पंजाब और हरियाणा को छोड़कर उत्तरी भारत के सभी राज्यों, पश्चिमी बंगाल को छोड़कर सभी उत्तर:पूर्वी भागों और मध्य भारत के राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

प्रश्न 27.
किशोरों, प्रौढ़ों और वृद्धों की आयु सीमाएँ दीजिए।
उत्तर:

  1. किशोर – 15 वर्ष से नीचे।
  2. प्रौढ़ – 15-59 वर्ष।
  3. वृद्ध – 60 वर्ष व इससे ऊपर।

प्रश्न 28.
भारत में आयु पिरामिड की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. भारत के आयु पिरामिड का आधार बहुत चौड़ा है जो प्रारंभिक आयु वर्गों तक बना रहता है।
  2. आयु पिरामिड ऊपर की ओर संकरा होता जाता है।

प्रश्न 29.
जनसंख्या संरचना क्या है? अथवा जनसंख्या संघटन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जनसंख्या की भौतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विशेषताओं को जनसंख्या की संरचना या संघटन या संयोजन कहा जाता है। जनसंख्या का संयोजन लिंग, आयु, श्रम-शक्ति, आवास, इकाइयों, धर्म, भाषा, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता शिक्षा और व्यावसायिक संरचना से होता है।

प्रश्न 30.
सतलुज गंगा के मैदान में जनसंख्या के अधिक गहन होने के कारण बताइए।
उत्तर:
सतलुज गंगा के मैदान में जनसंख्या के अधिक गहन होने के कारण निम्नलिखित हैं-

  1. सर्वाधिक उपजाऊ क्षेत्र
  2. औद्योगिक और नगरीय विकास
  3. सुविधाओं का संकेंद्रण।

प्रश्न 31.
कुल जनसंख्या और जनसंख्या घनत्व में क्या अंतर है?
अथवा
कुल जनसंख्या और जनसंख्या घनत्व क्या है?
उत्तर:
कल जनसंख्या दो समय बिंदुओं के बीच एक क्षेत्र विशेष में रहने वाली जनसंख्या को कुल जनसंख्या कहते हैं। जनसंख्या घनत्व-किसी देश की कुल जनसंख्या और उसके कुल क्षेत्रफल के अनुपात को वहाँ का जनसंख्या घनत्व कहते हैं।

प्रश्न 32.
जनसंख्या की प्रमुख जनांकिकीय विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
जनसंख्या संयोजन की विशेषताओं को जनांकिकीय विशेषताएँ कहते हैं। जनांकिकीय विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. नगरीय तथा ग्रामीण जनसंख्या
  2. लिंग संरचना
  3. श्रमिक तथा आश्रित जनसंख्या।

प्रश्न 33.
‘सहभागिता दर’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सहभागिता दर श्रम का अनुपात है। इसे कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या के प्रतिशत द्वारा व्यक्त किया जाता है। सहभागिता अनुपात पुरुषों तथा स्त्रियों के लिए अलग-अलग होता है।

प्रश्न 34.
भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में कितनी भाषाओं को राज्य-भाषा का दर्जा प्राप्त है?
उत्तर:
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को राज्य-भाषा का दर्जा प्राप्त है-

  1. हिन्दी
  2. तेलुगू
  3. बांग्ला
  4. मराठी
  5. तमिल
  6. उर्दू
  7. गुजराती
  8. मलयालम
  9. कन्नड़
  10. ओड़िया
  11. असमिया
  12. पंजाबी
  13. कश्मीरी
  14. सिंधी
  15. संस्कृत
  16. कोंकणी
  17. मणिपुरी
  18. नेपाली
  19. डोगरी
  20. मैथिली
  21. बोडो
  22. संथाली।

प्रश्न 35.
द्रविड़ भाषा परिवार का विवरण दीजिए। अथवा . द्रविड़ भाषा परिवार की कौन-सी चार मुख्य भाषाएँ हैं?
उत्तर:
द्रविड़ भाषा परिवार में दक्षिणी द्रविड़, मध्य द्रविड़ तथा उत्तरी द्रविड़ भाषाएँ सम्मिलित हैं। दक्षिणी द्रविड़ में मुख्य भाषाएँ तमिल, मलयालम, कन्नड़ तथा गौण भाषाओं में तुल, कुरगी तथा येरुकला सम्मिलित हैं। मध्य द्रविड़ की मुख्य भाषाएँ तेलुगू तथा गोंडी तथा उत्तरी द्रविड़ वर्ग में कुरुख तथा मालती हैं। वास्तव में 96% द्रविड़-भाषी जनसंख्या चार भाषाएँ-(1) तमिल, (2) तेलुगू, (3) कन्नड़, (4) मलयालम बोलती है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 36.
अनुसूचित जातियों का संकेंद्रण देश के जलोढ़ तथा तटीय मैदानों में अधिक है, कारण बताइए।
उत्तर:
भारत की अनुसूचित जाति का अधिकतम संकेंद्रणं सिंधु-गंगा के मैदान तथा भारत के पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में पाया जाता है। इसका कारण यह है कि यहाँ समतल उपजाऊ मैदान हैं, पर्याप्त जल-सुविधा है। मिट्टी कोमल तथा उपजाऊ है तथा अनेक प्रकार की फसलों के लिए उपयुक्त जलवायु है। भारत में अधिकतर अनुसूचित जाति के लोग कृषि-श्रमिक हैं और कृषि पर ही उनकी जीविका निर्भर है। अतः जलोढ़ तथा तटीय मैदान में इस जाति का संकेंद्रण अधिक पाया जाता है।

प्रश्न 37.
भारत के लोगों की भाषाओं तथा बोलियों में अत्यधिक विविधता पाई जाती है, कारण बताइए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहाँ लगभग हर क्षेत्र में विविधता पाई जाती है। भाषाएँ तथा बोलियाँ भी इस संदर्भ में अछूती नहीं हैं। यहाँ विभिन्न युगों में बाहर से मानव प्रजाति का आगमन होता रहा है। वे अपने साथ विभिन्न क्षेत्रों की भाषाएँ तथा बोलियाँ भी साथ लाए थे। अतः यही कारण है कि आज भी भारत के लोगों की भाषाओं और बोलियों में अत्यधिक विविधताएँ पाई जाती हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत के केंद्र-शासित प्रदेशों की जनसंख्या (प्रतिशत में) और घनत्व (व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०) का विवरण दें।
उत्तर:

केंद्र-शासित प्रदेशजनसंख्या (प्रतिशत में)घनत्व (व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०)
1. दिल्ली1.3811,297
2. चण्डीगद0.099,252
3. पुद्धचेरी0.102,598
4. दमन व दीव0.022169
5. लक्षद्वीप0.012,013
6. दादर व नगर हवेली0.03698
7. अंडमान व निकोबार द्वीप-समूह0.0346

प्रश्न 2.
जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले सामाजिक, आर्थिक कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य ने अपने क्रियाकलापों, प्रौद्योगिकी ज्ञान और सामाजिक संगठनों द्वारा भौतिक कारकों को अपने हित मे बदलने का प्रयत्न किया है। विभिन्न प्रकार की अर्थव्यवस्थाओं की पोषण क्षमता में अंतर पाया जाता है। प्राथमिक क्रियाकलापों की पोषण क्षमता कम होती है जबकि द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों की पोषण क्षमता अधिक होती है। इसलिए नगरीय और औद्योगिक क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। इसी प्रकार आधुनिक कृषि संपन्न क्षेत्रों में भी जनसंख्या का घनत्व अधिक पाया जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब ऐसे ही कुछ क्षेत्र हैं जहाँ जनसंख्या का उच्च घनत्व पाया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत के उत्तरी मैदान में जनसंख्या का घनत्व समवृष्टि का अनुसरण करता है, कारण दीजिए।
उत्तर:
भारत का उत्तरी विशाल मैदान, कृषि की दृष्टि से बहुत संपन्न क्षेत्र है। यह समतल उपजाऊ मैदान है जो नदियों द्वारा लाए गए पदार्थ के जमाव से बना है। कृषि के लिए जल की उपलब्धि एक महत्त्वपूर्ण कारक है।

भारत के उत्तरी मैदान में ज्यों-ज्यों हम पूर्व से पश्चिम की ओर जाएँ, वर्षा की मात्रा कम होती जाती है। भारत के सुदूर उत्तर:पूर्वी राज्यों में 400 से०मी० से अधिक वार्षिक वर्षा होती है तथा यहाँ से पश्चिम की ओर जाने से वर्षा की मात्रा में कमी आती रहती है। पश्चिमी बंगाल, बिहार तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्षा की मात्रा 100 से 200 सें०मी० वार्षिक है। मध्य उत्तर प्रदेश, पश्चिम उत्तर प्रदेश में 60 से 100 सें०मी० तक वर्षा का औसत पाया जाता है।

फिर हरियाणा और दक्षिणी पंजाब में 40 सें०मी० से 60 सें०मी० तथा पूर्वी राजस्थान में 20 से 40 और पश्चिमी राजस्थान में 20 सें०मी० से कम वर्षा का औसत वितरण पाया जाता है। इस प्रकार पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा कम होती जाती है। इसी प्रकार उत्तरी मैदान में जनसंख्या का घनत्व भी इसी क्रम से पश्चिम की ओर कम होता जाता है। अतः कृषि के लिए जल का महत्त्व ही इस प्रकार के उत्तरी मैदान में जनसंख्या के वितरण का कारण है।

प्रश्न 4.
आदर्श जनसंख्या किसी देश के विकास के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
आदर्श जनसंख्या वह कहलाती है जब कोई देश पूरी तरह सम्पन्न हो तथा लोगों की प्रति व्यक्ति आय अधिक हो । यदि देश में उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग संतुलित रूप से हो तो वहाँ के लोग सुखी और सुविधा सम्पन्न होंगे। इसलिए देश में न तो बहुत अधिक जनसंख्या होनी चाहिए न ही बहुत कम। किसी भी देश में आदर्श जनसंख्या, संसाधनों के उपयोग की विधियों और विकास की स्थिति बदलने के साथ-साथ बदलती रहती है। अतः आदर्श जनसंख्या वही है जिसके द्वारा अधिक-से-अधिक मानव कल्याण हो सके।

प्रश्न 5.
“भारत में जनसंख्या का विषम स्थानिक वितरण उसे प्रभावित करने वाले कारकों में घनिष्ठ संबंध कैसे है?” स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का विषम स्थानिक वितरण देश की जनसंख्या और भौतिक, सामाजिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारकों के बीच घनिष्ठ संबंध प्रकट करता है। जहाँ तक भौतिक कारकों का संबंध है भू-विन्यास, जल की उपलब्धता, जलवायु जनसंख्या के वितरण को निर्धारित करते हैं। परिणामतः उत्तर भारत के मैदानों, डेल्टा प्रदेशों और तटीय मैदानों में जनसंख्या का अनुपात दक्षिण और मध्य भारत के राज्यों के कुछ भागों हिमालय क्षेत्र, उत्तर:पूर्व की अपेक्षा उच्चतरं है फिर भी सिंचाई के विकास, खनिज एवं ऊर्जा संसाधनों की उपलब्धता और परिवहन जाल के विकास के कारण विरल जनसंख्या के कुछ क्षेत्र अब मध्यम से उच्च संकेंद्रण के क्षेत्र हो गए हैं। जनसंख्या वितरण के सामाजिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारकों से महत्त्वपूर्ण कारक स्थायी कृषि का उद्भव, विकास, मानव बस्ती के प्रतिरूप, परिवहन के साधन, औद्योगीकरण और नगरीकरण हैं।

प्रश्न 6.
मुख्य, सीमान्त एवं अकर्मक कामगार (श्रमिक) क्या हैं?
उत्तर:
मुख्य कामगार-सन् 1991 की जनगणना के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो एक वर्ष में 183 दिन तक आर्थिक दृष्टि से लाभकारी कार्य में संलग्न रहा हो, मुख्य कामगार (श्रमिक) कहलाता है।

सीमान्त कामगार-जो श्रमिक वर्ष में 183 दिन से कम रोजगार पाता है, वह सीमान्त कामगार अकर्मक कामगार-जो श्रमिक गैर-कामगार होते हैं वे अकर्मक कामगार कहलाते हैं।

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प्रश्न 7.
ग्रामीण जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या की तुलना करें।
उत्तर:
ग्रामीण जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या की तुलना निम्नलिखित प्रकार से है-

ग्रामीण जनसंख्यानगरीय जनसंख्या
1. ग्रामीण लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि तथा पशुपालन है।1. नगरीय लोगों का प्रमुख व्यवसाय निर्माण उद्योग, व्यापार तथा तृतीयक व्यवसाय है।
2. यहाँ के लोगों को आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती हैं।2. इन्हें लगभग नई आधुनिक सुविधाएँ; जैसे परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा तथा मनोरंजन के साधन आदि उपलब्ध होते हैं।
3. ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अधिक नहीं होता।3. नगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है।

प्रश्न 8.
उत्पादक और आश्रित जनसंख्या में क्या अंतर है?
अथवा
कार्यशील आयुवर्ग व प्रजनक आयुवर्ग में क्या अंतर है?
उत्तर:
उत्पादक और आश्रित जनसंख्या में निम्नलिखित अंतर हैं-

उत्पादक जनसंख्याअभ्रित जनसंख्या
1. उत्पादक जनसंख्या लाभदायक आर्थिक क्रियाओं में काम करती है।1. आश्रित जनसंख्या, आर्थिक क्रियाओं में विशेष योगदान नहीं देती ।
2. ऐसे लोगों के समुदाय को श्रमिक बल कहा जाता है।2. ऐसे लोगों के समुदाय को अश्रमिक बल कहा जाता है।
3. इस वर्ग में 15 से 59 वर्ष की आयु के लोग आते हैं।3. इस वर्ग में 15 वर्ष से कम तथा 60 वर्ष से ऊपर की आयु के लोग आते हैं।
4. ये लोग स्वयं परिश्रम करके अपना जीवन-निर्वाह करते हैं।4. ये लोग बेरोज़गार होते हैं तथा श्रमिक लोगों पर आश्रित रहते हैं।

प्रश्न 9.
भारत में लिंगानुपात बहुत कम है, कारण बताएँ।
उत्तर:
भारत में लिंगानुपात बहुत कम है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  1. भारत में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर कम ध्यान दिया जाता है, जिसके कारण स्त्रियों की प्रायः मृत्यु हो जाती है।
  2. भारत के कई भागों में बाल-विवाह की प्रथा प्रचलित है, जिसके कारण छोटी आयु में, प्रायः प्रसूति काल में ही लड़कियों की मृत्यु हो जाती है।
  3. दहेज जैसी कुप्रथा के कारण कई स्त्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
  4. आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति से लोग पहले ही लिंग का पता लगा लेते हैं तथा पुत्र की लालसा में स्त्री-लिंग होने पर गर्भ गिरा देते हैं।

प्रश्न 10.
चंडीगढ़ में लिंगानुपात कम पाया जाता है। कारण बताइए।
उत्तर:
चंडीगढ़ का लिंग अनुपात 773 है अर्थात् हर 1,000 पुरुषों के पीछे 773 स्त्रियाँ हैं। यह अनुपात देश के सभी केंद्र-शासित प्रदेशों में सबसे कम है। इसका मुख्य कारण नगर की प्रकृति है। यह पंजाब तथा हरियाणा की राजधानी भी है। यहाँ बड़ी संख्या जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन में वेतनभोगी लोग सरकारी तथा दूसरे कार्यालयों में काम करते हैं। इनमें कुछ दैनिक यात्री तथा कुछ अस्थायी तौर पर चंडीगढ़ में रहते हैं तथा चंडीगढ़ की जनसंख्या में शामिल कर लिए जाते हैं। ऐसे लोगों में पुरुषों की संख्या अधिक होती है। इस कारण चंडीगढ़ में लिंगानुपात बहुत कम हो गया है। ये लोग अपने परिवारों को गाँवों में ही छोड़कर आते हैं।

प्रश्न 11.
भारतीय जनसंख्या के घनत्व का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का घनत्व 1901 में 77 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से बढ़कर 2001 में 334 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० . हो गया। इस प्रकार विगत एक शताब्दी में 257 व्यक्ति वर्ग कि०मी० की उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में वर्तमान में जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। भारत में जनसंख्या घनत्व को निम्न तालिका में दर्शाया गया है
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प्रश्न 12.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना के मुख्य लक्षणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
2001 की जनगणना के अनुसार भारत की व्यावसायिक संरचना के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

  1. सन् 1991 की तुलना में देश में किसानों की जनसंख्या घटी है। 1991 में भारत में किसानों की जनसंख्या 38.41 प्रतिशत थी जबकि 2001 में वो घटकर 31.71 प्रतिशत रह गई।
  2. किसान (31.71%) तथा कृषि मजदूर (26.69%) संयुक्त रूप से (58.4%) साबित करते हैं।
  3. कृषि सेक्टर में श्रमिकों के अनुपात में उतार आने से द्वितीयक और तृतीयक सेक्टर में सहभागिता दर बढ़ी है।
  4. इससे श्रमिकों की खेत आधारित रोजगारों पर निर्भरता से गैर-खेत आधारित रोजगारों पर निर्भरता बढ़ गई है।
  5. इससे द्वितीयक क्षेत्र की खेती में न खप सकने वाली श्रम शक्ति को अधिक रोजगार न दे पाने की असमर्थता भी उजागर होती है।
  6. यदि लिंग के अनुसार देखा जाए तो 72% स्त्रियाँ कृषि कार्यों में लगी हैं, जबकि पुरुष केवल 53% ही हैं।
  7. गैर कृषि कार्यों में 28% स्त्रियाँ तथा 52.16% पुरुष कामगार हैं।
  8. घरेलू उद्योगों का महत्त्व भी बढ़ने लगा है, 2001 के अनुसार इनकी संख्या 5% हो गई है।
  9. विनिर्माण, व्यापार, उद्योग, परिवहन, संचार, भंडारण तथा अन्य गैर-कृषिक कार्यों में देश के लगभग 42% कामगार लगे हुए हैं।
  10. तृतीयक कार्यों का अधिक अनुपात मुख्यतः नगरीकृत जिलों तक सीमित है।

प्रश्न 13.
भारत के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं को कितने भाषा परिवारों में बांटा गया है? उल्लेख करें।
उत्तर:
भारत में बोली जाने वाली भाषाओं को निम्नलिखित भाषाई-परिवारों में बांटा गया है-

  • आस्ट्रिक भाषा परिवार
  • द्रविड़ भाषा परिवार
  • चीन-तिब्बती परिवार
  • भारतीय यूरोपीय परिवार (आय)।

भारत में अधिकतर आर्य परिवार की बोली पाई जाती है। इनमें हिंदी बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है। हिंदी भाषा बोलने वाले निम्नलिखित हैं

  • हरियाणा
  • हिमाचल प्रदेश
  • राजस्थान
  • बिहार
  • मध्य प्रदेश
  • उत्तर प्रदेश
  • दिल्ली।

भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिंदी है जो देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।

प्रश्न 14.
भारत की धार्मिक विविधता में भी एकता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत प्राचीन समय से एक महान् देश रहा है। यहाँ विभिन्न प्रकार के धर्मों ने जन्म लिया। इस समय देश में सात धर्म पाए जाते हैं। हिंदू, सिक्ख, जैन तथा बौद्ध धर्मों ने इसी देश में जन्म लिया। मुस्लिम तथा ईसाई धर्म के अनुयायी भी भारत में काफी समय से रह रहे हैं। पारसी धर्म के लोग विदेशी हैं। इन सब धर्मों ने भारतीय संस्कृति, कला, रीति-रिवाज तथा बस्तियों आदि को बहुत प्रभावित किया। इस प्रकार धर्मों ने भारत में विविधता प्रदान की है, परंतु भारत एक धर्म-निरपेक्ष देश है, जिसने विभिन्न धर्मों के अनयायियों को एकता के सूत्र में बांध रखा है। सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। एक ही स्थान पर मंदिर, गुरुद्वारा तथा मस्जिद पास-पास पाए जाते हैं तथा उसी जगह के रहने वाले लोग अपने-अपने इष्ट देवता की आराधना करते हैं। ईद, क्रिसमिस आदि के दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं। यह सब एकता का प्रतीक है।

प्रश्न 15.
भारत में जन-जातियों का वितरण असमान है, क्या कारण है?
उत्तर:
भारतीय जन-जाति प्रायः अनुसूचित जातियों में पाई जाती है। सन् 1991 की जनगणना के अनुसार भारत में जन-जातियों की जनसंख्या 6 करोड़, 77 लाख थी जो कुल भारतीय जनसंख्या का 8% थी, परंतु भारत में इनका वितरण बहुत ही असमान है। इनका अधिकतर संकेंद्रण मिजोरम, नगालैंड, मेघालय के पहाड़ी तथा जंगली क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त ये मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा आदि राज्यों के ऊबड़-खाबड़ तथा जंगली इलाकों में अधिकतर पाए जाते हैं।

इसका कारण यह है कि पहाड़ी तथा जंगली भाग इन जातियों की सांस्कृतिक मान्यताएँ रहे हैं। दूसरे, ये लोग अधिकतर वहाँ रहते हैं जो क्षेत्र कृषि के लिए अनुकूल नहीं हैं। अतः इनका व्यवसाय तथा जीवन-पद्धति का संबंध इनके निकट के प्राकृतिक वातावरण के काफी निकट होता है। ये जन-जातियाँ कृषि-कार्य करना पसंद करती हैं, इसलिए ये लोग कृषि के उन्नत क्षेत्रों से दूर-दराज के पहाड़ी तथा जंगली क्षेत्रों को स्थानांतरण कर गए हैं। इन्हीं कारणों से इन लोगों का वितरण बहुत ही असमान है।

प्रश्न 16.
उत्तर के जलोढ़ मैदानों में अनुसूचित जातियों के संकेंद्रण की प्रवृत्ति प्रबल क्यों है?
उत्तर:
भारत में अनुसूचित जातियों का संकेंद्रण उत्तर के जलोढ़ मैदानों तथा तटीय मैदानों में है। उत्तरी मैदान में पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब तथा राजस्थान में इनकी संख्या लगभग चार करोड़ है। पूर्वी तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र तथा केरल में अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या लगभग दो करोड़ है। इसके निम्नलिखित कारण हैं
(i) इन प्रदेशों में गहन कृषि की जाती है। इसलिए अधिक मजदूरों की आवश्यकता होती है।

(ii) अनुसूचित जाति के अधिकतर लोग खेतीहर मजदूर हैं। यहाँ की उपयुक्त जलवायु, उपजाऊ मिट्टी तथा पर्याप्त मात्रा में जल के कारण इन क्षेत्रों में कृषि का विकास अधिक हआ है। इन श्रमिकों को यहाँ रोजगार मिल जाता है।

(iii) यहाँ आर्थिक विकास अधिक है। इसलिए अनुसूचित जाति के लोग चमड़ा शोधन उद्योग तथा जूता निर्माण उद्योग आदि में कार्यरत हैं।

प्रश्न 17.
“भारत का जन-जातीय समुदाय देश की नृ-जातीय विविधताओं का एक रोचक चित्र प्रस्तुत करता है।” इस कथन पर अपने विचार दीजिए।
उत्तर:
जन-जातीय जनसंख्या भारत की जनसंख्या का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। प्राचीन समय में बाहर से आने वाले प्रजाति समूह द्वारा जो लोग बाहर दूर-दराज जंगली क्षेत्र में खदेड़ दिए गए थे, वे ही आज जन-जातीय जनसंख्या कहलाती हैं। इनको आदिवासी कहते हैं। भारत की वर्तमान जनसंख्या में सांस्कृतिक तथा जातीय विविधता पूर्ण रूप से दिखाई देती है। इसका मुख्य कारण भारतीय महाद्वीप में लंबे समय से मनुष्यों के आबाद होने की प्रक्रिया है। अलग-अलग समयों में अलग-अलग मानव समूह भारत में आए तथा विभिन्न क्षेत्रों में स्थानांतरित होते रहे तथा आपसी तथा स्थानीय जातियों के आपस में मिश्रण के कारण अलग से संस्कृति का जन्म हुआ। विभिन्न जातियों में सामाजिक तथा सांस्कृतिक मिलन होता रहा। प्रत्येक जाति-समूह ने अपनी अलग विशेषता प्राप्त की। इसलिए भारतीय जातियों में विविधताएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 18.
आयु संरचना क्या है? आयु वर्ग की दृष्टि से भारत की जनसंख्या को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
आयु संरचना-किसी दी गई जनसंख्या में विभिन्न आयु वर्ग की जनसंख्या के मिलने वाले अनुपात को आयु संरचना कहते हैं। आयु वर्ग की दृष्टि से जनसंख्या का वर्गीकरण-आयु वर्ग की दृष्टि से भारत की जनसंख्या को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया गया है
1. बाल आयु वर्ग इसमें 0 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को सम्मिलित किया जाता है। सन् 2011 में भारत की कुल जनसंख्या में बाल आय वर्ग का प्रतिशत 29.5 रहा। यह आय वर्ग आश्रित आय वर्ग होता है।

2. युवा आयु वर्ग इसमें 15-59 वर्ष के आयु समूह को सम्मिलित किया गया है। सन् 2011 में भारत की कुल जनसंख्या में युवा वर्ग का प्रतिशत 62.5 रहा। यह वर्ग देश को विकास की ओर अग्रसर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. वृद्ध आयु वर्ग इसमें 60 वर्ष से अधिक के आयु समूह को सम्मिलित किया गया है। सन् 2011 में भारत की कुल जनसंख्या में वृद्ध वर्ग का प्रतिशत 8 रहा। किसी भी देश के इस वर्ग की अधिक जनसंख्या अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं होती।

प्रश्न 19.
भारत में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के काल को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में जनसंख्या वृद्धि के इतिहास को स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या वृद्धि के इतिहास/काल को हम निम्नलिखित तीन युगों में बांट सकते हैं
1. जनसंख्या वृद्धि की धीमी गति का युग-यह समय सन् 1921 से पहले का समय है। सन् 1911 से 1921 के दशक में जनसंख्या में कमी देखने को मिली है। अनुमान है कि सन् 1891 से 1921 के बीच के 30 वर्षों में केवल 6% जनसंख्या ही बढ़ी है।

2. जनसंख्या वृद्धि का मध्यम गतिकाल यह सन् 1921 से 1951 के बीच का काल है। इस काल में सन् 1921 से पहले के दशकों की अपेक्षा थोड़ी तेज गति से वृद्धि हुई, परंतु यह मध्यम गति से बढ़ी।

3. जनसंख्या का तीव्र गति से बढ़ने का युग-सन् 1951 से 1991 के बीच का काल तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि का काल कहलाता है। सन् 1951 से 1981 के बीच भारत की जनसंख्या लगभग दुगुनी और 1991 में यह ढाई गुना हो गई। हालांकि मामूली-सी कमी 1991 में वृद्धि-दर का 24.75% से घटकर 23.50% हो जाना था। सन् 2001 में वृद्धि दर 21.34% एवं सन् 2011 में वृद्धिं-दर 17.64% आंकी गई।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
विगत वर्षों में भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
वृद्धि प्राकृतिक है तथा प्रवासी वृद्धि बहुत कम है। अखिल भारतीय स्तर पर सर्वप्रथम सन् 1872 में जनगणना हुई थी, जो देश के अनेक भागों में की गई अलग-अलग जनसंख्या का जोड़ था। सन् 1881 में नियमित जनगणना का आरंभ हुआ, जो प्रत्येक 10 वर्ष के पश्चात् होती है। सन् 1981 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 68.5 करोड़ थी। वर्तमान समय में लगभग 1.3 मिलियन व्यक्ति प्रति वर्ष मर जाते हैं। इस प्रकार भारत की वृद्धि दर 15 मिलियन व्यक्ति प्रति वर्ष है जो ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या के बराबर है अर्थात् जनसंख्या की दृष्टि से भारत में एक ऑस्ट्रेलिया प्रतिवर्ष जुड़ जाता है। जनसंख्या वृद्धि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है (1) प्राकृतिक वृद्धि-दर, (2) वास्तविक वृद्धि-दर।

भारत की जनसंख्या वृद्धि के इतिहास पर नज़र डालने पर बहुत ही आश्चर्यजनक बातें हमारे सामने आती हैं। अनुमानतः सन् 1600 में भारत की कुल जनसंख्या 10 करोड़ थी। सन् 1800 में यह लगभग 12 करोड़ थी। इसका मतलब यह हुआ कि 200 वर्षों में भारत की जनसंख्या केवल 2 करोड़ बढ़ी, लेकिन सन् 1871 में यह जनसंख्या दोगुनी अर्थात् 25.5 करोड़ हो गई। सन् 1800 से 1871 अर्थात् 71 वर्ष का समय तीव्र जनसंख्या वृद्धि का समय था।

नीचे दी गई तालिका से भारत में जनसंख्या वृद्धि को दशकों में बांटकर रखा गया है-

दशकीय वृद्धि
जनगणना वर्षजनसंख्यानिरपेक्षप्रतिशत
1901238,396,327
1911252,093,39013,697,0635.75
1921251,321,213-772,177(-) 0.31
1931278,977,23827,656,02511.00
1941318,660,58039,683,34214.22
1951361,088,09042,427,51013.31
1961439,234,77178,146,68121.51
1971548,159,625108,924,88124.80
1981683,329,097135,169,44524.66
1991846,302,688162,973,59123.87
20011,028,737,436182,307,64021.54
20111,210,726,932181,583,09417.64

स्लोत : भारत – 2016

20वीं शताब्दी में भारत की जनसंख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। सन् 1901 में भारत की कुल जनसंख्या 23,83,96,327 व्यक्ति थी, जो 1911 में बढ़कर 25,20,93,390 व्यक्ति हो गई। इस तरह से 1901-11 के दशक में 1,36,97,063 व्यक्तियों की वृद्धि भारत में हुई, जो 5.75% थी। सन् 1921 में, देश की जनसंख्या 25,13,21,213 व्यक्ति रह गई। 1911-21 के दशक को अपवाद माना जाए, जिसमें 7,72,177 व्यक्ति अर्थात् संख्या में 0.31% की कमी हुई। 1921-31 के दशक में 11.00% की वृद्धि हई। 1931-41 में 14.22% वृद्धि देखने को मिली। 1941-51 के दशक में 13.31% वृद्धि हुई। 1951-61 में 21.64% वृद्धि तथा सन् 1971 में 24.80% वृद्धि हुई, जो 20वीं शताब्दी की सर्वाधिक वृद्धि मानी जाती है। सन् 1981 में 24.66 तथा सन् 1991 में 23.8% है, जो सन् 1981 की तुलना में 0.81% कम है। सन् 2011 में जनसंख्या वृद्धि दर 17.64 है, जो सन् 2001 की तुलना में 3.9% कम है।

प्रश्न 2.
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के कारणों का उल्लेख कीजिए। अथवा भारत में जनसंख्या के वितरण की असमानता के कारणों का वर्णन करें।
अथवा
“भारत में जनसंख्या का वितरण बहुत असमान है।” उचित उदाहरण देते हुए इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या का प्रादेशिक वितरण बहत-ही असमान पाया जाता है। सन 2011 की जनगणन 121,01,93,422 व्यक्ति देश के सभी भागों में समान रूप से निवास नहीं करते अर्थात् वे समान रूप से वितरित नहीं हैं। एक ओर तो केरल व पश्चिम बंगाल में जनसंख्या का घनत्व 1029 व्यक्ति वर्ग कि०मी० है या उससे अधिक है, जबकि कश्मीर में यह 124, अरुणाचल प्रदेश में मात्र 17 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। गंगा के मैदानी भाग, बंगाल का डेल्टा व मालाबार तट में जनसंख्या अधिक है, जबकि थार के मरुस्थल, कश्मीर की ऊंची घाटियों व रण के दलदल में यह विरल है। भारत में जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। दिल्ली में जनसंख्या का घनत्व 11,297, चंडीगढ़ में 9252, लक्षद्वीप में 2013 तथा पुडुचेरी में 2598 है, जबकि 100 से कम घनत्व वाले प्रदेशों की संख्या भी 4 है।

भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के कारण भौतिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक कारण हैं। भारत में औद्योगिक विकास अभी अपनी यवावस्था में है। औद्योगिक विकास के साथ-साथ जनसंख्या में है। नए औद्योगिक स्थानों की ओर लगातार जनसंख्या का स्थानांतरण हो रहा है क्योंकि जनसंख्या का घनत्व आर्थिक उत्पादन से ही सबसे अधिक प्रभावित होता है।

जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन भारत में जनसंख्या की अधिकता मैदानी भागों में होने का कारण समतल धरातल, अनुकूल जलवायु, उर्वरा मिट्टियाँ, वर्षा अथवा सिंचाई के साधन तथा सघन कृषि, यातायात सुविधाएँ, एक ही वर्ष में कई फसलों का होना, सूती-ऊनी वस्त्र, चीनी, कागज आदि उद्योगों का पाया जाना है। देश की 60% जनसंख्या विस्तृत उपजाऊ मैदान में जहाँ कृषि की सुविधाएँ अधिक हैं तथा समुद्र तल से ऊंचाई 200 कि०मी० कम हो जाती है। इन प्रदेशों में घनत्व 300 से 800 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० है। उत्तरी मैदान में जनसंख्या का वितरण अधिक होने के कारण-

  • वर्षा, उपजाऊ मिट्टी जो कि नदियों द्वारा बहाकर लाई जाती है
  • वर्षा की मात्रा पर्याप्त व सिंचाई की सुविधा का होना
  • जलवायु का अच्छी होना
  • याताया के साधनों की उपलब्धता
  • उद्योगों का विकास होना
  • व्यापार के लिए समुचित सुविधाएँ होना है।

दक्षिण के पठार में जनसंख्या का घनत्व मध्यम है। इन पठारी प्रदेशों में जनसंख्या का विक्षेपण विषम धरातल पर कम तथा नदी-घाटियों व उच्च समतल मैदानी भागों पर अधिक है। गुजरात व काठियावाड़, नर्मदा घाटी, आंध्र में कर्नाटक, मालवा का पठार, छत्तीसगढ़ का मैदान, छोटा नागपुर का पठार, थार, आंध्र में जनसंख्या का घनत्व सामान्य है। दक्षिण के पठार में जनसंख्या का कम घनत्व, असमान धरातल, सीमित कृषि क्षेत्र, साधारण वर्षा, सिंचाई के साधनों की कमी, यातायात के साधनों का अभाव होने के कारण है। यहाँ जनसंख्या वितरण व घनत्व दोनों मध्यम हैं।

  • भारत के पूर्वी व पश्चिमी तट घने बसे होने का कारण पठारों की नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी (कांप मिट्टी) से बना होना है
  • शीतकाल व ग्रीष्मकाल में पर्याप्त वर्षा की मात्रा
  • समुद्र के निकट होने के कारण कम जलवायु
  • चावल का अधिक उत्पादन, जो अन्य फसलों की तुलना में सघन घनत्व समेटे रहता है
  • यातायात व उद्योगों का विकास होना है।

भारत के सीमा प्रांतीय भागों में विरल जनसंख्या पाई जाती है। इसका कारण पाकिस्तान सीमा के साथ कच्छ का दलदल, थार का मरुस्थल व कश्मीर के पर्वतीय भागों में उबड़-खाबड़ धरातल तथा जलवायु के कारण ही जनसंख्या न्यून व दूर-दूर तक बिखरी हुई है। उत्तर में हिमालय के कारण पूर्व में अरुणाचल, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम के पहाड़ी वनों से युक्त जंगलों में जनसंख्या कम है। यहाँ पर कृषि भूमि की कमी, यातायात के साधनों में कठिनाई तथा औद्योगिक विकास के न होने से , यहाँ की जनसंख्या का वितरण कम है।

प्रश्न 3.
भारत में लिंग अनुपात के वितरण प्रतिरूपों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में लिंग अनुपात की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
लिंगानुपात को प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या के रूप में परिभाषित किया जाता है। भारत में लिंगानुपात महिलाओं के लिए हमेशा ही प्रतिकूल रहा है। बीसवीं सदी के शुरू में यह अनुपात 972 था और 1941 के बाद इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई। 1901 से 2011 तक 2001 के मुकाबले 2011 में लिंगानुपात में 10 अंकों की बढ़त दर्ज की गई है। हमारे देश का लिंगानुपात विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया तथा ब्रिटेन आदि देशों में प्रति हजार पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या अधिक है।

भारत में लिंग अनुपात की महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यहाँ सन् 1901 के बाद लगातार लिंग अनुपात घटता जा रहा है जो निम्न तालिका से सिद्ध हो जाता है। केवल 1951 तथा 1981 के वर्ष अपवाद हैं।
तालिका : भारत में लिंगानुपात
(1,000 पुरुषों के पीछे स्त्रियों की संख्या)

जनगणना वर्षलिंगानुपातजनगणना वर्षलिंगानुपात
19019721961941
19119641971930
19219551981934
19319501991927
19419452001933
19519462011943

भारत में केवल केरल राज्य का अनुपात स्त्रियों के पक्ष में है। केंद्र-प्रशासित प्रदेशों दादरा तथा नगर हवेली, दमन तथा दीव, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में लिंग अनुपात भारत के औसत अनुपात से अधिक है। केरल में 1,000 पुरुषों के पीछे 1,084 स्त्रियाँ हैं। शेष देश के हर राज्य में स्त्रियों की संख्या पुरुषों से कम है। सबसे कम लिंगानुपात हरियाणा का है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ 1000 पुरुषों के पीछे 877 महिलाएं हैं।

भारत में नगरीय जनसंख्या का लिंगानुपात बहुत ही कम है। भारत के अधिकांश उत्तरी राज्यों में लिंगानुपात में पुरुषों की प्रमुखता पाई जाती है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश के लगभग आधे राज्यों में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। ये सभी या तो भारत के तटीय राज्य हैं या पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हैं।

भारत में लिंगानुपात की महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि जिला स्तर पर, दिल्ली तथा इसके आस-पास के क्षेत्रों; जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, उत्तर:पश्चिमी मध्य प्रदेश में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। उत्तर प्रदेश के पहाड़ी जिलों, हिमाचल प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश के अधिकतर जिलों में स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 4.
भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रावस्थाओं का वर्णन करें।
अथवा
सन् 1901 से 2011 तक भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रावस्थाओं व कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या के दोनों दशकीय और वार्षिक वृद्धि-दर बहुत ऊँचे हैं और समय के साथ निरन्तर बढ़ रहे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या की दशकीय वृद्धि-दर 17.64 प्रतिशत व वार्षिक वृद्धि-दर 2.4 प्रतिशत है। वृद्धि की इस वर्तमान दर से अनुमान लगाया गया है कि अगले लगभग 30-50 वर्षों में देश की जनसंख्या दुगुनी हो जाएगी और यहाँ तक कि चीन की जनसंख्या को भी पार कर जाएगी।

भारत में दशकीय वृद्धि-दर
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन 2
भारत में जनसंख्या की वृद्धि वार्षिक जन्म-दर, मृत्यु-दर तथा प्रवास की दर के कारण हुई है और यह वृद्धि विभिन्न प्रवृत्तियों और प्रावस्थाओं को दर्शाती है। भारत के जनांकिकीय इतिहास को चार सुस्पष्ट प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता है

प्रावस्था ‘क’ – 1901 से 1921 की अवधि को भारत की जनसंख्या की वृद्धि की रूद्ध अथवा स्थिर प्रावस्था (Stagnant phase) कहा जाता है, क्योंकि इस अवधि में वृद्धि-दर अत्यन्त निम्न थी। 1911-21 के दौरान जनसंख्या बढ़ने के स्थान पर 0.31 प्रतिशत कम हो गई।

कारण – इस दौरान जनसंख्या घटने का प्रमुख कारण बीमारियाँ और महामारियाँ थीं। सन् 1918 में अकेले इंफ्लूएंजा से ही देश में सवा करोड़ लोग मर गए।

  • स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएँ निम्न स्तरीय थीं।
  • प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में हजारों भारतीय काम आए।
  • लगातार हो रही फसल की खराबी से भी अनेक लोग भुखमरी का शिकार हो गए। भोजन और अन्य आधारभूत जरूरतों की वितरण प्रणाली अदक्ष (Inefficient) थी।
  • इन सभी कारणों के साथ अधिकतर लोगों की निरक्षरता भी मोटे तौर पर उच्च जन्म और मृत्यु-दरों के लिए उत्तरदायी थी।

प्रावस्था ‘ख’ – 1921-1951 के दशकों को जनसंख्या की स्थिर वृद्धि (Steady growth of population) की अवधि के रूप में जाना जाता है, क्योंकि 1921 के बाद भारत की जनसंख्या में सामान्य वृद्धि होने लगी।

कारण-
(i) इस अवधि में चिकित्सा विज्ञान में हुई उन्नति के फलस्वरूप चेचक, हैज़ा, प्लेग, निमोनिया तथा इंफ्लूएंजा जैसी महामारियों पर काफी हद तक काबू पा लिया गया। इससे मृत्यु-दर में उल्लेखनीय कमी आई।

(ii) परिवहन के साधनों के विकास ने – सामग्री पहुंचाने का काम आसान कर दिया। इससे भी मृत्यु-दर को घटाने में सफलता मिली।

(iii) कृषीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ। परिणामस्वरूप अशोधित जन्म-दर ऊँची बनी रही। इससे पिछली प्रावस्था की तुलना में वृद्धि-दर . उच्चतर हुई। 1920 के दशक की महान आर्थिक मन्दी और द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में यह वृद्धि-दर प्रभावशाली थी।

(iv) जनसंख्या की वृद्धि-दर सन् 1941 में 1.42 प्रतिशत से घटकर सन् 1951 में 1.33 प्रतिशत रह गई। इसका कारण देश के विभाजन के फलस्वरूप लाखों लोगों का प्रवास (Migration) और अनेक लोगों का मारा जाना था इसे मृत्यु-प्रेरित वृद्धि कहा गया है।
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प्रावस्था ‘ग’-1951-1981 के दशकों को भारत में जनसंख्या-विस्फोट (Population Explosion) की अवधि के रूप में जाना जाता है। यह देश में मृत्यु-दर में तीव्र ह्रास और जनसंख्या की उच्च प्रजनन-दर के कारण हुआ। इस दौरान जनसंख्या की औसत वार्षिक वृद्धि-दर 2.2 प्रतिशत तक ऊँची रही और जनसंख्या दुगुनी हो गई।

कारण-
(i) स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यही वह अवधि थी जिसमें केन्द्रीकृत नियोजन प्रक्रिया (Centralised Planning Process) के माध्यम से विकासात्मक कार्यों को आरंभ किया गया। कृषि और उद्योग खण्डों के विकास, रोज़गार में वृद्धि, चिकित्सा सुविधाओं की प्रगति और विस्तार तथा जन्म और मृत्यु-दरों पर नियन्त्रण; जैसी उपलब्धियों के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ने लगी।

(ii) साठ के दशक में देश में आई हरित-क्रान्ति से उपजी खाद्यान्नों में आत्म-निर्भरता से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ। सुनिश्चित भोजन ने जीवन की दशाओं को बेहतर किया जिससे जनसंख्या की बेतहाशा वृद्धि हुई।

(iii) इसी दौरान तिब्बतियों, नेपालियों, बांग्लादेशियों और पाकिस्तान से आने वाले लागों के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण भी भारत की जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई।

(iv) सन् 1971 के पश्चात्, शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रभाव तथा चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार से जनसंख्या की वृद्धि-दर में कुछ-कुछ कमी आने लगी। सन् 1981 में जनसंख्या की वृद्धि-दर हल्की-सी घटकर 24.66 प्रतिशत रह गई, इसे प्रजनन प्रेरित वृद्धि कहा गया है।
भारत : दशकीय जन्म-दर, मृत्यु-दर और प्राकृतिक वृद्धि-दर, 1901-2011

दशकअशोधित जन्म-दर(प्रति 1000)अशोधित मृत्यु-दर(प्रति 1000)प्राकृतिक वृद्धि-दर(प्रति 1000)
1901-191149.242.66.6
1911-192148.147.20.9
1921-193146.436.210.1
1931-194145.937.214.0
1941-195139.927.412.5
1951-196141.722.818.9
1961-197141.219.022.3
1971-198137.21521.0
1981-199129.59.820.1
1991-200126.29.017.0
2001-201125.08.116.9

[Source : Census of India, Sample Registration System (SRS) Bulletin, April, 2011]
प्रावस्था ‘घ’-1981 के बाद वर्तमान तक देश की जनसंख्या वृद्धि-दर यद्यपि ऊँची बनी रही, परन्तु धीरे-धीरे मन्द-गति से घटने लगी। इसका तात्पर्य यह नहीं कि देश की कुल अथवा निरपेक्ष जनसंख्या घट गई। इसका अभिप्राय केवल यह है कि जनसंख्या बढ़ने की गति पर थोड़े ब्रेक लग गए। लोग तो बढ़े लेकिन कम गति से।

कारण-

  • जनसंख्या की ऐसी वृद्धि के लिए अशोधित जन्म-दर की अधोमुखी प्रवृत्ति (Downward Trend) को उत्तरदायी माना जाता है।
  • देश में विवाह के समय औसत आयु में वृद्धि, जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी तथा स्त्री-शिक्षा में सुधार से भी जनसंख्या की वृद्धि-दर में कमी के निश्चित संकेत मिले हैं।

प्रश्न 5.
भारत में ग्रामीण और नगरीय जनसंख्या के वितरण का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में ग्रामीण जनसंख्या के वितरण का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में नगरीय जनसंख्या का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आवास के आधार पर भारतीय जनसंख्या को दो वर्गों में बांटा गया है-

  1. ग्रामीण जनसंख्या तथा
  2. नगरीय जनसंख्या।

ग्रामीण तथा नगरीय जनसंख्या की अपनी अलग-अलग विशेषताएँ होती हैं तथा इनको अलग-अलग व्यवसाय संरचना, जीवन-पद्धति आदि के आधार पर पहचाना जा सकता है। गांव के सभी लोग साधारण, सामाजिक संबंधों से ओत-प्रोत तथा अधिकतर कृषि-कार्यों में संलग्न रहते हैं। उनके आचार-विचार तथा सांस्कृतिक दृष्टिकोण नगर में रहने वाले लोगों से भिन्न होते हैं। इसके विपरीत, नगरों में रहने वाले लोग उद्योग तथा व्यापार में संलग्न रहते हैं। इनके आपसी सामाजिक संबंध हैं तथा इनका दृष्टिकोण अपेक्षतया भिन्न होता है।

भारत की अधिकांश जनसंख्या गांवों में रहती है। यहाँ आवासीय इकाइयाँ छोटी-छोटी झोंपड़ियाँ, छोटे-छोटे कच्चे या पक्के मकानों के समूह तथा छोटी बस्तियाँ हैं, जहाँ 30 से 50 लोगों का समुदाय रहता है। कुछ बड़े गांव भी होते हैं, जहाँ कई सौ से कई हज़ार तक लोग निवास करते हैं। चाहे गांव छोटा हो या बड़ा, सभी लोगों का मुख्य धंधा कृषि या इससे संबंधित कार्य करना होता है।

सन् 1981 की जनगणना के अनुसार, भारत में 76.66% जनसंख्या गांवों में तथा 33.34% जनसंख्या शहरों में रहती थी। लेकिन सन 2011 में थोड़ा परिवर्तन आया। गांवों में रहने वाली जनसंख्या का अनुपात घटकर 68.84% रह गया तथा शहरी जनसंख्या का अनुपात बढ़कर 31.16% हो गया। फिर भी ग्रामीण जनसंख्या का आकार तो भारत में बड़ा ही है।

ग्रामीण जनसंख्या का वितरण भारत में कुल जनसंख्या के अनुपात में तथा ग्रामीण जनसंख्या के प्रतिशत अनुपात में अत्यधिक क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं। भारतीय संघ के कुछ राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या की बहुलता है; सन् 2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश, असम, बिहार व ओडिशा में 80% से अधिक जनसंख्या गाँवों में रहती है। लगभग यही प्रतिरूप ओडिशा (83.32%), त्रिपुरा (73.82%), नगालैंड (71.03%) और मेघालय (79.92%) में पाया जाता है।

अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखण्ड, राजस्थान, सिक्किम में 75% से 80% जनसंख्या ग्रामीण है। जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तराखंड में ग्रामीण जनसंख्या का अनुपात राष्ट्रीय औसत अनुपात (60%) से अधिक है। राष्ट्रीय औसत से कम ग्रामीण जनसंख्या आध्र प्रदेश, गोआ, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल तथा दादर व नगर हवेली को छोड़कर सभी केंद्र-शासित प्रदेशों में पाई जाती है। देश में सबसे कम ग्रामीण जनसंख्या दिल्ली में 2.5% व चंडीगढ़ में 2.72% पाई जाती है।

दिए गए विवेचन से पता चलता है कि उच्चतम ग्रामीण अनुपात के कारण हमारी अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर करती है। दूसरी बात, जो सामने आई है, वह यह है कि भारत के अधिकांश तटीय राज्यों में नगरीकरण अधिक हुआ है। भारत के कई राज्य ऐसे हैं, जहाँ नगरीकरण बहुत कम हुआ है तथा जिनमें कुछ जिले ऐसे हैं जहाँ 90% से भी अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है; जैसे जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में, बिहार के गोपालगंज जिले में, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में तथा राजस्थान के जलौर। जनसंख्या ग्रामीण है।

अनेक राज्यों में ग्रामीण जनसंख्या का उच्च अनुपात प्रदर्शित करता है कि अर्थव्यवस्था में विविधता न होने के कारण यहाँ कृषि पर निर्भरता अत्यधिक है। परंपरागत सामाजिक ढांचे में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है। भारत के चार राज्यों बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश व राजस्थान में वास्तव में यही स्थिति है। आर्थिक दृष्टिकोण से अविकसित इन राज्यों में नगरीकरण और औद्योगीकरण दोनों की गति धीमी है। भारत के कम नगरीकरण वाले राज्यों में बहुत-से जिले ऐसे हैं जो लगभग ग्रामीण हैं और जहाँ 90% से अधिक लोग गाँवों में रहते हैं।

ऊपर दिए गए विवरण से पता चलता है कि भारत में ग्रामीण जनसंख्या का अधिक अनुपात होने के कारण हमारी अर्थव्यवस्था अधिकतर कृषि पर निर्भर है तथा यहाँ रूढ़िवादी अर्थव्यवस्था प्रचलित है। नगरीय जनसंख्या का वितरण नगरीकरण यद्यपि भारत में, नगरों में रहने वाले लोगों की संख्या का आकार बहुत बड़ा है तथा संभवतः विश्व में कुल नगरीय जनसंख्या में इसका चौथा स्थान है, परंतु कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत बहुत कम है। चीन तथा पाकिस्तान की नगरीय जनसंख्या का भी प्रतिशत भारत से अधिक है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 31.16% ही नगरीय जनसंख्या है, जबकि 1990 के आंकड़ों के अनुसार विश्व की कुल जनसंख्या का 45% नगरीय है।

विश्व के कई देशों में नगरीकरण इतना अधिक हुआ है कि भारत की तुलना इन देशों से किसी भी दिशा में नहीं की जा सकती; जैसे यू०एस०ए० में 75%, जापान में 77%, ऑस्ट्रेलिया में 85%, न्यूजीलैंड में 84% नगरीय जनसंख्या का अनुपात है। भारत की तुलना तो इस संदर्भ में कुछ विकासशील देशों से ही की जा सकती है। मिस्र तथा पाकिस्तान की भी नगरीय जनसंख्या का अनुपात भारत से अधिक है।

सन् 1911 की जनगणना के अनुसार भारत में जिन राज्यों में राष्ट्रीय औसत से अधिक नगरीकरण है, उनमें महाराष्ट्र (45.23%), गुजरात (42.58%), कर्नाटक (38.57%), पश्चिम बंगाल (31.89%), आंध्र प्रदेश (33.49%) तथा उत्तराखंड (22.28%), गोआ (62.19%), तमिलनाडु (48.45%), पंजाब (37.49%), मध्य प्रदेश (27.63%), मिजोरम (51.51%), हरियाणा (34.79%) अंकित किए गए हैं।

भारत में पिछले 100 वर्षों में नगरीय जनसंख्या में हर दशक में वृद्धि होती रही है, इससे नगरीकरण की प्रवृत्ति का अनुमान लग सकता है। यह बात दी गई तालिका से भी स्पष्ट हो जाती है।।
तालिका : नगरीय जनसंख्या का अनुपात (1901-2011)

वर्षनगरीय जनसंख्या (प्रतिशत में)वर्षनगरीय जनसंख्या (प्रतिशत में)
190110.84196117.97
191110.29197119.90
192111.17198123.31
193111.99199125.72
194113.85200128.2
195117.29201131.16

दी गई तालिका से पता चलता है कि भारत में नगरीकरण में बृद्धि तो हुई है, लेकिन बड़ी मंद गति से। भारत में नगरीकरण की वृद्धि को अगर राज्यों के आधार पर देखा जाए तो भारत की कुल नगरीय जनसंख्या का 54.16% भारत के केवल पांच राज्यों; महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल तथा आंध्र प्रदेश में निवास करता है। भारत के अन्य पांच राज्यों; कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार तथा राजस्थान में देश के नगरीय जनसंख्या के सामान्य अनुपात से कुछ अधिक जनसंख्या (26.03%) नगरों में निवास करती है। केंद्र-शासित प्रदेशों में से दिल्ली तथा चंडीगढ़ में सबसे अधिक नगरीकरण हुआ है। इन दो प्रदेशों का वास्तव में शुरू से ही नगरों के रूप में विकास हुआ है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 6.
भारत में श्रमजीवी जनसंख्या के संघटनों या लक्षणों की व्याख्या करें।
उत्तर:
किसी जनसंख्या में श्रम का अनुपात सहभागिता दर द्वारा व्यक्त किया जाता है जो कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या के प्रतिशत द्वारा व्यक्त किया जाता है। सहभागिता अनुपात पुरुषों तथा स्त्रियों के लिए अलग-अलग होता है। किसी भी अर्थव्यवस्था में ‘कामगार’ की परिभाषा आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। सन् 1981 की जनगणना के अनुसार जो व्यक्ति वर्ष में 183 दिन लाभकारी कार्य में लगा रहता हो, उसे कामगार व्यक्ति कहेंगे। इससे कम समय का रोज़गार पाने वाले व्यक्ति को ‘सीमांत कामगार’ कहते हैं। 15 से 59 वर्ष की आयु-वर्ग के लोग सामान्यतः श्रमजीवी कहलाते हैं। श्रमजीवी जनसंख्या का अनुपात जितना अधिक होगा, उतनी ही अधिक सामाजिक तथा आर्थिक खुशहाली होगी।

सन् 1991 में भारत में कुल सहभागिता दर 37.46% थी। इसमें पुरुषों की दर 51.55% तथा स्त्रियों की दर 22.25% थी। अतः सहभागिता दर में पुरुषों का महत्त्व अधिक है। प्रति कामगार के पीछे औसतन दो आर्थिक व्यक्ति पाए गए हैं। इसी प्रकार ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों की सहभागिता दर में बहुत अंतर पाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों की सहभागिता दर 53% तथा स्त्रियों की 16% है जो कि नगरीय क्षेत्रों में काफी अधिक है। भारत में नगरीय महिलाओं की औसत सहभागिता दर 7.3% है, अतः अधिकतर महिलाएँ आश्रित हैं।

ग्रामीण श्रमजीवियों का 81% भाग कृषि में कार्यरत है तथा 3% हस्तकलाओं में और 16% अन्य कार्यों में लगा हुआ है। राज्य स्तर पर सहभागिता दर में विषमताएँ पाई जाती हैं। 1991 के जनगणना आंकड़ों के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों में पुरुष सहभागिता दर सिक्किम में 51.26%, मेघालय में 50.07% तथा नगालैंड में 46.86% है। यह दर ओडिशा में 53.79%, कर्नाटक में 54.09% तथा हरियाणा में 48.51% है। यह काफी ऊंची सहभागिता दर है।

महिलाओं की सहभागिता दर पंजाब तथा हरियाणा में भारत के सभी राज्यों से कम है जो क्रमशः 4.40% तथा 10.76% है। उत्तर:पूर्व के जन-जातीय क्षेत्रों में महिला तथा पुरुष सहभागिता दर में विशेष अंतर नहीं पाया जाता। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान तथा ओडिशा में महिलाओं की सहभागिता दर केवल 11% से 28% तक ही है।

प्रश्न 7.
भारत में विभिन्न धार्मिक समुदायों के वितरण प्रतिरूप (2011) का वर्णन कीजिए। अथवा भारत की जनसंख्या के धार्मिक संघटन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है जिसमें हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सिक्ख आदि अनेक महत्त्वपूर्ण धर्म पाए जाते हैं। ईसाई धर्म के लोग भी भारत में बहुत आते रहे हैं तथा यहाँ बसे हुए भी हैं। पारसी भी विदेशों से आकर यहाँ बस गए हैं।
1. हिन्दू-हिन्दू भारत की कुल जनसंख्या का 79.8 प्रतिशत तथा विश्व की कुल जनसंख्या का 1 प्रतिशत है। हिन्दुओं की जनसंख्या विश्व में ईसाइयों की जनसंख्या से कुछ कम व मुस्लिम जनसंख्या के लगभग बराबर है।

देश के अधिकांश भागों में हिंदुओं का बाहल्य है। ओडिशा में केवल 3 जिलों को छोड़कर शेष जिलों में हिंदुओं का अनुपात 95% से 100% तक है। इन तीन जिलों में हिंदुओं का प्रतिशत अनुपात इतना ऊँचा नहीं है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश के 17 जिलों में, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश के उपहिमालयी 6 जिलों में, हरियाणा व तमिलनाडु के कुछ जिलों में हिंदुओं की संख्या 95% से ऊपर है। सतलुज-गंगा के मैदान के लगभग 30 जिलों में व मध्य भारत तथा प्रायद्वीपीय भारत के कुछ जिलों में हिंदू जनसंख्या का अनुपात 90% से अधिक है।

पंजाब में सिक्खों, उत्तर-पूर्व में ईसाइयों, जम्मू-कश्मीर, केरल के मालापुरम व पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिलों में मुस्लिम जनसंख्या के अधिक होने के कारण हिंदुओं का अनुपात कम है। मेघालय, मिज़ोरम तथा नगालैंड में हिंदुओं की संख्या 3 से 12% तक है।

2. मुस्लिम-मुसलमान भारत में दूसरे सबसे बड़े धार्मिक समुदाय का निर्माण करते हैं। यह देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग है। मुस्लिम जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का 14.2% है। मुस्लिम जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व में चौथा बड़ा राष्ट्र है। यहाँ की मुस्लिम जनसंख्या पाकिस्तान की कुल जनसंख्या के बराबर है।

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मुसलमान हैं और इस प्रदेश में लगभग 19.26% जनसंख्या मुसलमानों की है। ऊपरी गंगा के मैदान के कुछ जिलों में मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 16% से 48% तक है। केरल के मालापुरम् जिले में मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 70% से अधिक है। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में 50% से 60% तथा लक्षद्वीप में सर्वाधिक 96.58% तक जनसंख्या मुसलमानों की है। महाराष्ट्र में 11.54%, आंध्र प्रदेश में 9.56%, कर्नाटक में 12.92%, गुजरात में 9.67% तथा तमिलनाडु में 5.86% मुस्लिम जनसंख्या है। दिल्ली व निकटवर्ती मेवात क्षेत्र में मुसलमानों का संकेंद्रण पाया जाता है। दिल्ली की कुल जनसंख्या में मुसलमानों का अनुपात 12.86% है।

3. ईसाई-ईसाई जनसंख्या अधिकांशत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित हैं। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 2.78 करोड़ ईसाई हैं। केरल में भारत के 18.38% ईसाई रहते हैं। केरल के कोट्टायम में 45% व इडुक्की में 42% जनसंख्या ईसाई है। ईसाइयों के संकेंद्रण के अन्य क्षेत्र गोआ और तमिलनाडु हैं। गोआ में 25.10% जनसंख्या ईसाई है। ओडिशा एवं बिहार के कई जन-जातीय जिलों में ईसाई जनसंख्या का अनुपात काफी अधिक है। ईसाईयों का अधिक संकेंद्रण उत्तर:पूर्वी राज्यों में है। उदाहरणतः मिज़ोरम की 87.16%, नगालैंड की 87.93%, मेघालय की 74.59% तथा मणिपुर की 41.29% जनसंख्या ईसाई है। ईसाइयों की कुल जनसंख्या के आधार पर महत्त्वपूर्ण राज्य केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, मिज़ोरम व गोआ आदि है।

4. सिक्ख–भारत में 2.08 करोड़ सिक्ख हैं जो देश की जनसंख्या का कुल 1.7% हैं। क्योंकि सिक्ख धर्म का उद्भव पंजाब में हुआ इसलिए इनका सर्वाधिक सांद्रण पंजाब में है। पंजाब में 57.69% जनसंख्या सिक्खों की है। पंजाब के अधिकांश जिलों में कुल जनसंख्या का 60-65% भाग सिक्खों का है। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र, राजस्थान के गंगा नगर, अलवर, भरतपुर व दिल्ली में सिक्ख पर्याप्त संख्या में बसे हुए हैं।

5. बौद्धभारत में 84 लाख से अधिक बौद्ध हैं, जो मुख्यतः महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा जम्मू-कश्मीर में केंद्रित हैं। कुछ बौद्ध हिमाचल प्रदेश, मिज़ोरम व त्रिपुरा में भी हैं। भारत के 5.81% बौद्ध महाराष्ट्र में हैं। महाराष्ट्र के 50 लाख बौद्ध वास्तव में डॉ० बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के प्रभाव से धर्म परिवर्तन करके नव-बौद्ध बने हैं। सिक्किम में एक लाख से ऊपर बौद्ध हैं जो राज्य की कुल जनसंख्या का 27.39% हैं। अरुणाचल प्रदेश में भी एक लाख से ऊपर बौद्ध हैं जो राज्य की 11.77% जनसंख्या है।

6. जैन भारत में 45 लाख जैन धर्मावलंबी हैं। भारत में जैन महाराष्ट्र, राजस्थान तथा गुजरात में अधिक है। इन तीनों के लगभग 60% जैन रहते हैं। जैनियों की प्रमुख विशेषता यह है कि ये मुख्यतः व्यापार और सेवाओं में लगे हैं और नगरों में रहते हैं।

7. अन्य धर्म-भारत में अन्य धर्मों को मानने वालों की जनसंख्या 0.7% है। इनकी कुल जनसंख्या 79 लाख से अधिक है।

8. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 0.2% जनसंख्या के धर्म की कोई जानकारी नहीं है।
भारत में सांस्कृतिक संश्लेषण एक विचित्र विशेषता है। यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग आपसी भाईचारे.नथा संस्कृति से घनिष्ठता से जुड़े हुए हैं। वे तो प्रादेशिक पहचान ही बनाए हुए हैं, न कि धार्मिक; जैसे पंजाब के लोग सिक्ख न होकर पहले पंजाबी हैं तथा बाद में कछ और हैं। धार्मिक विविधता तो केवल ऊपर से दिखाई देती है।

प्रश्न 8.
भारतीय भाषाओं का वर्गीकरण कीजिए तथा विभिन्न भाषा परिवारों का विस्तृत वर्णन दीजिए। अथवा भारत के भाषाई संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भाषाई संघटन-भारत जैसे विशाल देश में विभिन्न प्रकार की भाषाओं तथा बोलियों का होना स्वाभाविक है। यहाँ नृ-जातीय वर्ग भी अपने साथ बाहर के विभिन्न भागों से भाषाएँ लाए हैं। भाषा की अपनी लिपि होती है, जबकि बोलियों की कोई लिपि नहीं होती। सन् 1961 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 187 भाषाएँ बोली जाती थीं, इनमें से 94 भाषाएँ 10,000 से भी कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं, जिनमें से अंग्रेज़ी के अतिरिक्त 22 भाषाएँ हमारे संविधान की 8वीं अनुसूची में रखी गई हैं। ये 22 भाषाएँ इस प्रकार हैं-

  • हिन्दी
  • तेलुगू
  • बांग्ला
  • मराठी
  • तमिल
  • उर्दू
  • गुजराती
  • मलयालम
  • कन्नड़
  • ओड़िया
  • असमिया
  • पंजाबी
  • कश्मीरी
  • सिंधी
  • संस्कृत
  • कोंकणी
  • मणिपुरी
  • नेपाली
  • डोगरी
  • मैथिली
  • बोडो
  • संथाली।

भारतीय भाषाओं का वर्गीकरण-भारत में भाषाओं को निम्नलिखित चार मुख्य परिवारों में बांटा गया है-

  • आस्ट्रिक परिवार
  • चीनी-तिब्बती परिवार
  • द्रविड़ परिवार
  • भारतीय-यूरोपीय परिवार।

भारत की कुल जनसंख्या का 73% भाग भारतीय-यूरोपीय परिवार (आय) भाषाओं को बोलने वाले हैं।
1. आस्ट्रिक परिवार की भाषाएँ-इन भाषाओं के बोलने वाले लोगों की संख्या भारत में अधिक नहीं हैं। इनका प्रतिशत कुल वल 0.73 है। भारत में 62 लाख से अधिक लोगों के द्वारा यह भाषा बोली जाती है। इनमें सबसे बड़ा वर्ग संथाली भाषा को बोलने वालों का है। इस भाषा के बोलने वाले लोग आस्ट्रो-एशियाई उप-परिवार के हैं जिसे अन्य शाखाओं में बांटा गया है; जैसे (क) मुंडा, (ख) मान ख्मेर, जिसमें दो वर्ग मिलते हैं-खासी और निकोबारी।

2. चीनी-तिब्बती परिवार की भाषाएँ इस भाषा को तीन शाखाओं में बांटा गया है; जैसे-

  • तिब्बती-हिमालयी
  • उत्तर असमी
  • असमी-बर्मी।

तिब्बती-हिमालयी भाषा के आगे दो वर्ग पाए जाते हैं-

  • भोटिया वर्ग
  • हिमालयी वर्ग।

भोटिया वर्ग की मुख्य भाषाएँ तिब्बती, लद्दाखी, लाहुली तथा शेरपा हैं। इसी प्रकार हिमालयी वर्ग में चम्बा, किन्नौरी तथा लेपचा भाषाएँ आती हैं। उत्तर:असमी भाषा में छह बोलियाँ बोली जाती हैं जिनमें सबसे अधिक प्रचलित बो शाखा के भी आगे पांच वर्ग पाए गए हैं; जैसे-

  • बोडो
  • नागा
  • कांचिन
  • कुकीचन तथा।
  • बर्मी वर्ग।

इनमें नागा वर्ग की संख्या सबसे अधिक है। इन बोलियों के बोलने वाले लोगों की संख्या में भिन्नता पाई जाती है। जिनके बोलने वालों की संख्या 1 से 7 लाख है। मणिपुरी बोली बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है। इस वर्ग की अन्य बोलियाँ गारो, बोरो, त्रिपुरी, मिकिर तथा मिजो हैं।

3. द्रविड़ परिवार की भाषाएँ-द्रविड़ भाषा के आगे पाए जाने वाले वर्ग हैं-(क) दक्षिणी द्रविड़, (ख) मध्य द्रविड़ तथा (ग) उत्तरी द्रविड़। दक्षिणी द्रविड़ वर्ग में तमिल, मलयालम, कन्नड़ जैसी भाषाएँ तथा तुजु, कुरगी एवं येरुकला जैसी गौण भाषाएँ तथा बोलियाँ पाई जाती हैं। इसी प्रकार मध्य द्रविड़ वर्ग में तेलुगू और येरुकला जैसी गौण भाषाएँ तथा बोलियाँ पाई जाती हैं। इसी प्रकार मध्य द्रविड़ वर्ग में तेलुगू और गोंडी मुख्य भाषा के रूप में तथा कुई, पारसी एवं खोड, बोलियों के रूप में पाई जाती हैं। उत्तरी द्रविड़ भाषाओं में अधिकतर यानि 95% जनसंख्या तमिल, मलयालम, कन्नड़ तथा तेलुगू भाषाओं के बोलने वालों की है।

4. भारतीय-यूरोपीय परिवार की भाषाएँ इन्हें आर्य भाषाएँ भी कहा जाता है। देश की लगभग 73% जनसंख्या इसी भाषा का प्रयोग करती है। इस परिवार की भाषा को मुख्य दो वर्गों में बाँटा गया है-

  • भारतीय आर्य भाषाएँ तथा
  • दरदी आर्य भाषाएँ।

(1) भारतीय आर्य भाषाओं को आगे कई उपवर्गों में बांटा गया है; जैसे-

  • उत्तर-पश्चिमी
  • दक्षिणी
  • पूर्वी
  • मध्य-पूर्वी
  • मध्य तथा
  • उत्तरी वर्ग।

उत्तर-पश्चिमी उपवर्ग के अंतर्गत सिंधी, लहंदा तथा कच्छी भाषाएँ; दक्षिणी वर्ग में मराठी तथा कोंकणी भाषाएँ आती हैं। पूर्वी वर्ग बहुत बड़ा है, इसमें बांग्ला, बिहारी, ओडिया तथा असमिया भाषाएँ पाई जाती हैं। इसी वर्ग में अवधी, मैथिली तथा भोजपुरी बोलियाँ बोली जाती हैं। मध्य-पूर्वी वर्ग में तीन उपवर्ग हैं जिनकी भाषा क्रमशः अवधी, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी है। मध्य वर्ग में हिंदी, पंजाबी, राजस्थानी तथा गुजराती भाषाएँ शामिल हैं। विभिन्न पहाड़ी बोलियाँ पाई जाती हैं; जैसे नेपाली, मध्य पहाड़ी तथा पश्चिमी पहाड़ी।

(2) दरदी आर्य भाषाओं में कश्मीरी, शिना, कोहिस्तानी तथा दरदी भाषाएँ शामिल हैं। इनमें कश्मीरी बोलने वालों की संख्या लगभग 20 लाख है जो सबसे अधिक है। बाकी भाषाओं के बोलने वालों की संख्या सात-सात हजार से अधिक नहीं है।

प्रश्न 9.
भारत में भाषा परिवारों के भौगोलिक वितरण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, अपने परिवर्तित रूपों के साथ हिंदी भारत के लगभग 42.20 करोड़ (41.03) प्रतिशत लोगों की मातृभाषा है। हिंदी के बाद बांग्ला, तेलुगू, मराठी और तमिल भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक है।
भारतीय भाषाओं का वर्गीकरण-
(i) आग्नेय (ऑस्ट्रिक) परिवार-(निषाद)
(ii) चीनी-तिब्बत परिवार (किरात)
(iii) द्रविड़ भाषा परिवार (द्रविड़)
(iv) भारतीय यूरोपीय भाषा परिवार (आर्य)
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन 4
विवरण-भारतीय भाषाओं का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं
I. आग्नेय (ऑस्ट्रिक) परिवार-(निषाद)-भारत में बोली जाने वाली आग्नेय भाषा ऑस्ट्रो-ऐशियाई उप-परिवार की है। यह उप-परिवार दो शाखाओं में बाँटा जाता है

  • मुंडा- (i) मुंडा आग्नेय भाषाओं की सबसे बड़ी शाखा है। (ii) यह भाषा 14 जन-जातियों में बोली जाती है।
  • खासी-मान ख्मेर-खासी भाषा मेघालय की खासी और जयंतिया पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासियों द्वारा बोली जाती है।
  • निकोबारी-निकोबारी भाषा निकोबार द्वीप समूह के आदिवासियों द्वारा बोली जाती है। आस्ट्रो-एशियाई भाषाएँ भारत में 60 लाख से अधिक लोग बोलते हैं।

II. चीनी-तिब्बत परिवार (किरात)-भारत में चीनी-तिब्बती परिवार की भाषाएँ बोलने वाले मुख्यतः तीन शाखाओं में विभाजित हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन 5
(i) तिब्बती हिमालयी-इस शाखा में दो वर्ग हैं – (a) भोटिया वर्ग, (b) हिमालयी वर्ग।
भोटिया वर्ग – इस वर्ग में तिब्बती, बाल्ती, लद्दाखी, लाहुली, शेरपा तथा सिक्किमी-भोटिया इत्यादि भाषाएँ सम्मिलित हैं।
हिमालय वर्ग – इस वर्ग में चंबा, किन्नौरी और लेह भाषाएँ सम्मिलित हैं।

(ii) उत्तर-असमी-उत्तर:असमी या अरुणाचल वर्ग में निम्नलिखित 6 भाषाएँ हैं-(a) अका, (b) डफला, (c) अंबोर, (a) मिरी, (e) मिशमी, ) मिशिंग।

(iii) असम-बर्मी-इस वर्ग में निम्नलिखित पाँच भाषाएँ बोली जाती हैं-(a) बोरो, (b) नागा, (c) काचिन, (d) कुकिचिन, (e) मयनमारी। .

III. द्रविड़ भाषा परिवार (द्रविड़)

  • दक्षिण-द्रविड़-इस वर्ग में तमिल, मलयालम, तुजु, कुरगी तथा कन्नड़ जैसी मुख्य भाषाएँ सम्मिलित हैं।
  • मध्य-द्रविड़-इस वर्ग में मुख्य भाषाएँ तेलुगू एवं गोंडी, कुई, पारजी एवं खोंड भाषाएँ सम्मिलित हैं।
  • उत्तर-द्रविड़-इस वर्ग में कुरूख एवं मालतो भाषाएँ सम्मिलित हैं।

IV. भारतीय यूरोपीय भाषा परिवार (आर्य)-भारत की अधिकांश जनसंख्या आर्य भाषाओं का एक या कोई दूसरा रूप बताती है। इन भाषाओं को मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा जाता है।

  • दरदी आर्य भाषाएँ।
  • इंडो-आर्य भाषाएँ।

(1) दरदी-आर्य भाषाएँ-इस वर्ग में दरदी, शिना, कोहिस्तानी तथा कश्मीरी भाषाएँ सम्मिलित हैं। इनमें से कश्मीरी बोलने वालों की संख्या सर्वाधिक अर्थात् 20 लाख है।

(2) इंडो-आर्य भाषाएँ-इन भाषाओं को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा जाता है

  • उत्तरी-आर्य भाषाएँ-इस वर्ग में विभिन्न पहाड़ी भाषाएँ सम्मिलित हैं, जिसमें नेपाली, मध्य-पहाड़ी एवं पश्चिमी-पहाड़ी प्रमुख है।
  • उत्तर-पश्चिमी आर्य भाषाएँ-इस वर्ग में लहंदा, कच्छी एवं सिंधी भाषाएँ आती हैं।
  • दक्षिणी आर्य भाषाएँ-इस वर्ग में मराठी और कोंकणी भाषाएँ सम्मिलित की जाती हैं।
  • पूर्वी आर्य भाषाएँ-इस वर्ग में ओडिया, बिहारी, बंगला तथा असमिया भाषाएँ सम्मिलित हैं। इनमें बिहारी भाषा की बोलियों में मैथिली, भोजपुरी तथा मगधी सम्मिलित हैं।।
  • पूर्व-मध्य आर्य भाषाएँ-इस वर्ग में अवधी, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी भाषाएँ सम्मिलित की जाती हैं।
  • मध्य आर्य भाषाएँ-इस वर्ग में हिंदी, पंजाबी, राजस्थानी तथा गुजराती भाषाएँ आती हैं। आर्य भाषाओं में हिंदी का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

निष्कर्ष – भारत के लोग यहाँ के मूल निवासी नहीं हैं। यहाँ बसने वाले विभिन्न नृ-जातीय वर्ग अपने साथ विभिन्न देशों की भाषाएँ व बोलियाँ भी लेकर आए।

प्रश्न 10.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या राज्य स्तरीय विवरण दें।
अथवा
भारत में जनसंख्या वृद्धि के स्थानिक प्रतिरूपों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में जनसंख्या के राज्यवार वितरण में भी अनेक विषमताएँ देखने को मिलती हैं। सामान्यतः अधिक क्षेत्रफल वाले बड़े आकार के राज्यों में जनसंख्या अधिक पाई जाती है, परन्तु यह नियम सर्वत्र लागू नहीं होता, क्योंकि जनसंख्या का संकेन्द्रण प्राकृतिक संसाधनों, विशेषतः भूमि की प्रकृति पर निर्भर करता है।

निम्नलिखित तालिका के अध्ययन से भारत की जनसंख्या के वितरण के बारे में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण लक्षण उभरते हैं-
तालिका : भारत में जनसंख्या का राज्यवार वितरण (2011)
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन 6
(i) देश की सबसे ज्यादा (19.9 करोड़) जनसंख्या उत्तर प्रदेश में बसी हुई है। यहाँ भारत की 17.64 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है। इसके बाद क्रमशः महाराष्ट्र (11.23 करोड़), बिहार (10.38 करोड़), पश्चिम बंगाल (9.13 करोड़) तथा आन्ध्र प्रदेश का स्थान आता है। इन पाँच राज्यों में देश की आधी जनसंख्या रहती है।

(ii) भारत की एक-चौथाई जनसंख्या दो राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में रहती है।

(iii) क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के दो सबसे बड़े राज्य राजस्थान और मध्य प्रदेश हैं जिनका क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का क्रमशः 10.4 प्रतिशत और 9.37 प्रतिशत है, परन्तु इन राज्यों में भारत की केवल 5.6 प्रतिशत और 6.00 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(iv) इसके विपरीत उत्तर प्रदेश 7.26 प्रतिशत क्षेत्र पर स्थित है जबकि इस राज्य में देश की 16.49 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(v) देश के 2.86 प्रतिशत क्षेत्रफल वाले राज्य बिहार में 8.58 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है।

(vi) देश के 11 राज्यों और 6 केन्द्र-शासित प्रदेशों में जनसंख्या उनके क्षेत्रफल की तुलना में अधिक है। परिणामस्वरूप इन राज्यों में प्रति इकाई क्षेत्रफल पर जनसंख्या का दबाव राष्ट्रीय औसत से अधिक है।

(vii) दूसरी ओर, जम्मू और कश्मीर (1.04%), अरुणाचल प्रदेश (0.11%) और उत्तराखंड (0.84%); जैसे राज्यों की जनसंख्या का आकार इनके विशाल भौगोलिक क्षेत्र के बावजूद अत्यन्त छोटा है।

(viii) हिमालयी लघु राज्य सिक्किम की जनसंख्या (6.07 लाख) भारत के सभी राज्यों की जनसंख्या से कम है जबकि दिल्ली . की जनसंख्या 1.67 करोड़, जम्मू-कश्मीर की जनसंख्या अथवा सभी केन्द्र-शासित प्रदेशों की संयुक्त जनसंख्या से भी अधिक है।

जनसंख्या वृद्धि के आँकड़ों का विश्लेषण करने पर भारत में निम्नलिखित तीन प्रकार के क्षेत्र मिलते हैं
1. तीव्र जनसंख्या वृद्धि वाले राज्य एवं केंद्र-शासित प्रदेश इस वर्ग में 2001-2011 के दशक के दौरान 30% से अधिक वृद्धि रखने वाले क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है। इस वर्ग में भारत के केवल दो केंद्र-शासित प्रदेश सम्मिलित हैं

  • दादर एवं नगर हवेली (55.5%)
  • दमन व दीव (53.5%)

2. मध्यम जनसंख्या वृद्धि वाले राज्य एवं केंद्र-शासित प्रदेश इस वर्ग में 2001-2011 के दशक के दौरान 20 से 30% तक वृद्धि रखने वाले क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है। इस वर्ग में सम्मिलित क्षेत्र हैं

  • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (20.96%)
  • पुडुचेरी (27.72%)
  • मेघालय (27.82%)
  • बिहार (25.07%)
  • जम्मू-कश्मीर (23.7%)
  • मिजोरम (22.34%)
  • छत्तीसगढ़ (22.59%)
  • झारखण्ड (22.34%)
  • राजस्थान (21.44%)
  • मध्य प्रदेश (20.3%)
  • उत्तर प्रदेश (20.09%) आदि।

3. कम जनसंख्या वृद्धि वाले राज्य एवं केंद्र-शासित प्रदेश इस वर्ग में 2001 से 2011 के दशक के दौरान 20% से कम जनसंख्या वृद्धि रखने वाले क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है। इसमें अन्य सभी राज्यों व केन्द्र-शासित प्रदेशों को सम्मिलित किया गया है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 1 जनसंख्या : वितरण, घनत्व, वृद्धि और संघटन

प्रश्न 11.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व तालिका की सहायता से दर्शाएँ।
उत्तर:
2001 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व निम्न तालिका में दर्शाया गया है-

राज्य/केंद्य-शासित प्रदेशघनत्वकोटि क्रम्म
दिली9,2441
चंडीगढ़7,9032
पांडिचेरी2,0293
लक्षद्वीप1,8944
दमन तथा दीव1,4115
पश्चिमी बंगाल9046
बिह्नर8807
केरल8198
उत्तर प्रदेश6899
पंजाब48210
तमिलनाहु47811
हरियाणा47712
दादरा ब नगर हबेली44913
गोवा36314
असम34015
झारखंड33816
महाराष्ट्र31417
त्रिपुरा30418
आंध्र प्रदेश27519
कर्नाटक27520
गुजरात25821
उड़ीसा23622
मध्य प्रदेश19623
राजस्थान16524
उत्तराखंड15925
छत्तीसगढ़15426
नगालैंड12027
हिमाचल प्रदेश10928
मणिपुर10729
मेघालय10330
जम्मू कश्मीर9931
सिक्किम7632
अंडमान व निकोबार4933
द्वीप समूह4234
मिजोरम1335

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है?
(A) अजैव संसाधन
(B) जैव संसाधन
(C) अनवीकरणीय संसाधन
(D) चक्रीय संसाधन
उत्तर:
(D) चक्रीय संसाधन

2. निम्नलिखित नदियों में से, देश में किस नदी में सबसे ज़्यादा पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन हैं?
(A) सिंधु
(B) गंगा
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) गोदावरी
उत्तर:
(B) गंगा

3. घन कि०मी० में दी गई निम्नलिखित संख्याओं में से कौन-सी संख्या भारत में कुल वार्षिक वर्षा दर्शाती है?
(A) 2,000
(B) 4,000
(C) 3,000
(D) 5,000
उत्तर:
(B) 4,000
HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन

4. निम्नलिखित दक्षिण भारतीय राज्यों में से किस राज्य में भौम जल उपयोग (% में) इसके कुल भौम जल संभाव्य से ज्यादा है?
(A) तमिलनाडु
(B) आंध्र प्रदेश
(C) कर्नाटक
(D) केरल
उत्तर:
(A) तमिलनाडु

5. देश में प्रयुक्त कुल जल का सबसे अधिक समानुपात निम्नलिखित सेक्टरों में से किस सेक्टर में है?
(A) सिंचाई
(B) घरेलू उपयोग
(C) उद्योग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) सिंचाई

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
यह कहा जाता है कि भारत में जल संसाधनों में तेजी से कमी आ रही है। जल संसाधनों की कमी के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जल एक आधारभूत प्राकृतिक व चक्रीय संसाधन है। जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन शुद्ध जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। जल संसाधनों की कमी में इसका अत्यधिक उपयोग, अधिक जनसंख्या, प्रदूषण और कुप्रबंधन आदि अधिक उत्तरदायी कारक हैं। जल का कोई अन्य विकल्प भी नहीं है। अतः जल एक अनिवार्य किंतु सीमित संसाधन है। इसलिए कहा जा सकता है कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत में जल संसाधनों में कमी आ रही है।

प्रश्न 2.
पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु राज्यों में सबसे अधिक भौम जल विकास के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
भौम जल वितरण पर अनेक कारकों का प्रभाव पड़ता है; जैसे चट्टानों की संरचना, धरातल तथा जलापूर्ति की मात्रा आदि। पंजाब तथा हरियाणा में भौम जल की अधिकता के कारण यहाँ कोमल एवं प्रवेश्य चट्टानें पाई जाती हैं जिनसे वर्षा एवं बाढ़ का जल रिस-रिसकर भौम जल का रूप लेता रहता है। तमिलनाडु में चावल की खेती के लिए जल की आवश्यकता होती है। इसी कारण भौम जल का अधिक प्रयोग किया जाता है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन

प्रश्न 3.
देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की संभावना क्यों है?
उत्तर:
देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की बड़ी संभावना है क्योंकि वर्तमान में औद्योगिक व घरेल क्षेत्रों में जल का उपयोग कृषि की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ रहा है तथा भविष्य में और अधिक जल उपयोग होने की संभावना है।

प्रश्न 4.
लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपभोग के क्या संभव प्रभाव हो सकते हैं?
उत्तर:
प्रदूषित जल के उपभोग से पेट की बीमारियाँ बढ़ती हैं। इससे न केवल मनुष्यों को खतरा है, बल्कि जलीय जीव-जंतुओं का जीवन भी संकट में है। प्रदूषित जल के कारण कई संक्रामक रोग; जैसे हैजा, पीलिया, अतिसार आदि हो जाते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
देश में जल संसाधनों की उपलब्धता की विवेचना कीजिए और इसके स्थानिक वितरण के लिए उत्तरदायी निर्धारित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
जल हमारे लिए एक मूल्यवान संपदा है। इसे हम पीने के लिए, कृषि के लिए, विद्युत उत्पादन के लिए तथा उद्योगों और परिवहन के लिए प्रयोग करते हैं। जल हमारे देश में अल्प मात्रा में तथा असमान रूप में मिलता है। अतः इसका प्रयोग बड़ी सूझ-बूझ से करना चाहिए। यह वर्षा ऋतु में तो खूब मिलता है, परंतु शुष्क ऋतु में इसका अभाव रहता है। जल-संसाधन से अधिकतम लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय जल-संसाधन परिषद् ने सन् 2002 में राष्ट्रीय जल-नीति बनाई है।

जल का सबसे बड़ा स्रोत वर्षा है। अंतर्भोम जल भी वर्षा से प्रभावित होता है। बहुत कम वर्षा वाले प्रदेश में अंतर्भीम जल खारा होता है। धरातल पर जल हमें नहरों, तालाबों, नदियों तथा झीलों के रूप में मिलता है। यह जल वर्षा से या ऊँचे पहाड़ों पर बर्फ के पिघलने से प्राप्त होता है। इस जल के सिंचाई में उचित प्रबंध से हमारे कृषि क्षेत्र को बहुत लाभ हुआ है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों से नदियों पर

बाँध बनाकर इसका सदुपयोग किया जाता है। भारत में क्योंकि वर्षा अनिश्चित है, इसलिए पृष्ठीय जल का उचित दिशा में प्रयोग बहुत जरूरी है। फसलों को उचित समय पर जल प्रदान करने के लिए जल का उचित प्रबंध जरूरी है। एक अनुमान के अनुसार देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4000 घन कि०मी० है। धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग भौम जल से लगभग 1869 घन कि०मी० जल उपलब्ध होता है। इसमें से केवल 60% जल का ही लाभदायक उपयोग किया जा सकता है।

नदियाँ, झीलें, तालाब आदि धरातलीय जल के मुख्य स्रोत हैं। धरातलीय जल का लगभग 690 घन कि०मी० अर्थात् लगभग 32% जल का ही लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। भारत की प्रमुख नदियों-गंगा, सिन्धु और ब्रह्मपुत्र में लगभग 60% धरातलीय जल बहता है।

देश में भौम जल या भूगर्भिक जल का वितरण असमान है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तमिलन इ आदि राज्यों में भौम जल का उपयोग बहुत अधिक हैं और छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल आदि में इसका उपयोग बहुत कम है। भारत के उत्तरी मैदान में भौम जल के विशाल भंडार हैं। यहाँ पर लगभग 40% भौम जल उपलब्ध है। इसके विपरीत प्रायद्वीपीय भाग में भौम जल का अभाव है। इसलिए हमें जल संरक्षण की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

हमें पीने के पानी का उपयोग भी बडी किफायत से करना चाहिए। जल-संसाधन का संरक्षण बहत जरूरी है। इसके दरुपयोग के हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

प्रश्न 2.
जल संसाधनों का हास सामाजिक द्वंदों और विवादों को जन्म देते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरणों सहित समझाइए।
उत्तर:
जल हमारे लिए एक मूल्यवान संपदा है। इसे हम पीने के लिए, कृषि के लिए, विद्युत् उत्पादन के लिए, उद्योगों और परिवहन के लिए प्रयोग करते हैं। हमारे देश में जल अल्प मात्रा में तथा असमान रूप.से मिलता है। अतः इसका प्रयोग बड़ी सूझ-बूझ से करना चाहिए। आज अधिक-से-अधिक पानी व्यर्थ गंवाया जा रहा है जितना इतिहास में पृथ्वी पर पहले कभी नहीं था। इसी वजह से 6 में से 1 व्यक्ति को साफ पीने का पानी उपलब्ध नहीं है।

निरंतर जनसंख्या वृद्धि के कारण जल की माँग निरंतर बढ़ती जा रही है और उपलब्ध जल की मात्रा कम है। उपलब्ध जल को अनेक सामाजिक एवं औद्योगिक कारण दूषित कर रहे हैं। अप्रबंधन के कारण भी यह दूषित हो रहा है। अनेक सामाजिक द्वंदों और विवादों के कारण जल संसाधनों का ह्रास हुआ है। इनमें से कुछ द्वंद्व व विवाद इस प्रकार हैं

  • हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व हिमाचल में बहने वाली नदियों के जल बंटवारे को लेकर विवाद।
  • महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में नर्मदा नदी के पानी को लेकर विवाद।
  • कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी को लेकर विवाद।
  • घरेलू कूड़े और औद्योगिक इकाई से जल का प्रदूषित होना।
  • शुद्ध जल संसाधनों की उपलब्धता सीमित होना और अधिक जनसंख्या की निर्भरता आदि।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 6 जल संसाधन

प्रश्न 3.
जल-संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत् पोषणीय विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है?
उत्तर:
जल-संभर प्रबंधन से तात्पर्य मुख्य रूप से धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों द्वारा भौम-जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल है। जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत सभी संसाधन जैसे प्राकृतिक और जल संभर सहित मानवीय संसाधनों के संरक्षण, पुनः उत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग को शामिल किया जाता है। जल संभर प्रबंधन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है।

भारत में जल संभर विकास कार्यक्रम, कृषि ग्रामीण विकास तथा पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाता है। जल संभर विधि जल संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण उपाय है। भारत में अनेक जल संभर विकास कार्यक्रमों के उदाहरण हैं जिनमें प्रमुख है हरियाणा में अंबाला का सुखोमाजरी गाँव। इस गाँव ने वन और जल संसाधनों का विकास कर पूरे देश में प्रसिद्धि प्राप्त की है। गाँव की सामुदायिक सहभागिता से सुखना झील की गाद को निकाला गया।

झील के संग्रहण क्षेत्र में चार रोक बाँध बनाए गए तथा अनेक पेड़-पौधे लगाए गए। इन कार्यों से गाँव का जल-स्तर ऊपर हो गया तथा जीवन-स्तर भी ऊँचा हो गया। अन्य कुछ क्षेत्रों में भी जल संभर विकास योजनाएँ पर्यावरण और अर्थव्यवस्था की काया पलटने में सफल हुई है। आवश्यकता इस योजना के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने की है और इस एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन उपागम द्वारा जल उपलब्धता सतत् पोषणीय आधार पर की जा सकती है।

जल संसाधन HBSE 12th Class Geography Notes

→ जल संसाधन (Water Resource) : भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 4% जल संसाधनों का भाग पाया जाता है। हमें जल की प्राप्ति वर्षा, नदियों, झीलों, तालाबों, नहरों आदि से होती है।

→ सिंचाई (Irrigation) : वर्षा के अभाव में शुष्क खेतों तक मानव द्वारा जल पहुँचाने की व्यवस्था।

→ जलभृत (Aquifer) : पारगम्य शैल की परत, जिसमें जल भरा रहता हो; जैसे चाक और बलुआ पत्थर।

→ जल संभर या जल विभाजक (Watershed) : वह उत्थित सीमा, जो विभिन्न अपवाह-तन्त्रों में बहने वाली सरिताओं के शीर्ष भागों को पृथक करती है।

→ प्रवेश्य चट्टान (Pervious Rock) : वे चट्टानें जिनकी दरारों, संधियों और संस्तरण तल से होकर जल भूपृष्ठ से नीचे जा सकता हो। चाक और चूना पत्थर की शैलें इसके उदाहरण हैं।

→ पश्च जल (Back Water) : किसी नदी से संलग्न वह स्थिर जल क्षेत्र जो नदी की धारा से प्रभावित नहीं होता या उसमें प्रवाह गति अत्यन्त कम होती है। यह क्षेत्र उस स्थान पर तेजी से विकसित होता है जहाँ सरिता दो भागों में बँट जाती है अथवा जहाँ नदी विसर्प बनाती है या गुम्फित (Braided) होती है।

→ लैगून (Lagoon): हिन्दी भाषा में इसे अनूप कहते हैं। यह खारे जल का वह क्षेत्र होता है जो सागर तट पर निम्न रेत के किनारे द्वारा सागर से अलग किया हुआ होता है। इसके अतिरिक्त अटॉल से घिरा झील के समान जल का क्षेत्र भी लैगून कहलाता है।

→ वाष्पोत्सर्जन (Evapotranspiration) : भूमि तथा वनस्पति से होने वाला वाष्पन। इसमें जलाशयों, मृदाओं, शैलों के पृष्ठों और वर्धमान पौधों से वाष्प के रूप में नमी की क्षति भी शामिल है। चक्रीय संसाधन (Cyclical Resources) : ऐसे संसाधन जिन्हें प्रयोग के बाद शुद्ध करके बार-बार उपयोग में लाया जाता है।

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. मानव विकास सूचकांक (2011) के संदर्भ में विश्व के देशों में भारत की निम्नलिखित में से कौन-सी कोटि थी?
(A) 126
(B) 128
(C) 134
(D) 129
उत्तर:
(C) 134

2. मानव विकास सूचकांक में भारत के निम्नलिखित राज्यों से किस एक की कोटि उच्चतम है?
(A) तमिलनाडु
(B) केरल
(C) पंजाब
(D) हरियाणा
उत्तर:
(B) केरल

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

3. भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में स्त्री साक्षरता निम्नतम है?
(A) जम्मू और कश्मीर
(B) झारखंड
(C) अरुणाचल प्रदेश
(D) बिहार
उत्तर:
(D) बिहार

4. भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में 0-6 आयु-वर्ग में बच्चों में लिंग अनुपात निम्नतम है?
(A) गुजरात
(B) पंजाब
(C) हरियाणा
(D) हिमाचल प्रदेश
उत्तर:
(C) हरियाणा

5. भारत के निम्नलिखित केंद्र-शासित प्रदेशों में से किस एक की साक्षरता दर उच्चतम है?
(A) लक्षद्वीप
(B) दमन और दीव
(C) चंडीगढ़
(D) अंडमान और निकोबार द्वीप
उत्तर:
(A) लक्षद्वीप

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
मानव विकास को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने 1990 ई० में मानव विकास को इस प्रकार परिभाषित किया-“लोगों के विकल्पों के परिवर्द्धन की प्रक्रिया और जन-कल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है।” अतः मानव विकास स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को शामिल करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार तथा उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 2.
उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तरों के दो कारण बताइए।
उत्तर:
उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों; जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार आदि में मानव विकास निम्न स्तर का है। इसके मुख्य कारण गरीबी, बेरोज़गारी व अपूर्ण रोज़गार जैसी समस्याओं का होना है। इनके अतिरिक्त सामाजिक एवं राजनीतिक कारण भी इसके लिए उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 3.
भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. लड़कों को प्राथमिकता देने के कारण कुछ क्षेत्रों में कन्या भ्रूण हत्या की जाती है, जिससे लिंगानुपात घटता है।
  2. इन वैज्ञानिक विधियों के कारण कन्या जन्म में गिरावट आई है। इन विधियों का प्रयोग अवैध है। वर्तमान में सरकार इन गैर-कानूनी तरीकों को रोकने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूपों की विवेचना कीजिए और इसके लिए उत्तरदायी कारणों को समझाइए।
उत्तर:
भारत में साक्षरता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। सन् 2001 में भारत की स्त्री साक्षरता दर 53.67% थी। सन् 1951-2001 की अवधि में कुल जनसंख्या की साक्षरता दर में तीन गुना वृद्धि हुई है, जबकि स्त्री साक्षरता में छः गुना से भी साक्षरता दर सन् 1951 में मात्र 8.86% थी जो सन् 2001 में बढ़कर 53.67% हो गई। भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूपों को निम्नलिखित तालिका में दर्शाया गया है –
HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 3 मानव विकास 1
भारत के राज्यों में साक्षरता दर में व्यापक प्रादेशिक असमानता पाई जाती है। जहाँ केरल, मिजोरम में साक्षरता दर क्रमशः 90.86% व 88.80% पाई जाती है, वहीं बिहार जैसे राज्य में साक्षरता दर केवल 47.00% है। गोवा, दिल्ली, पुडुचेरी (पांडिचेरी), चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह व दमन दीव में भी स्त्री साक्षरता का ऊँचा अनुपात पाया जाता है। दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में महिला साक्षरता राष्ट्रीय औसत से ऊँची है।

इन राज्यों में साक्षरता दर ऊँची होने में इन राज्यों का अत्यधिक नगरीकरण होना व अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं का शिक्षा के प्रसार में योगदान देना है। इसके अतिरिक्त कुछ ईसाई मिशनरियों ने भी इन राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में शिक्षा के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है व निम्न साक्षरता दर का प्रमुख कारण पराधीन भारत में ब्रिटिश शासन का साक्षरता की ओर कम ध्यान था व स्त्रियों को शिक्षित करने की प्रथा भी नहीं थी। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल साक्षरता दर 74.04% है। पुरुष साक्षरता दर 82.14% और महिला साक्षरता दर 65.46% है।

प्रश्न 2.
भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है?
उत्तर:
भारत, माध्यम विकास दर्शाने वाले देशों की श्रेणी में आता है। मानव विकास रिपोर्ट-2018 के अनुसार विश्व के 189 देशों में इसका 130वाँ स्थान है। भारत के प्रमुख 15 राज्यों में केरल 0.790 सूचकांक मूल्य के साथ कोटि-क्रम में सर्वोच्च है।
भारत : मानव विकास सूचकांक-2011

राज्यमानव विकास सूचकांक मूल्यराज्यमानव विकास सूचकांक मूल्य
केरल0.790पश्चिम बंगाल0.492
हिमाचल प्रदेश0.652उत्तराखंड0.490
गोवा0.617आंध्र प्रदेश0.473
पंजाब0.605असम0.444
महाराष्ट्र0.572राजस्थान0.434
तमिलनाडु0.570उत्तर प्रदेश0.380
हरियाणा0.552झारखण्ड0.376
गुजरात0.527

मानव विकास के विभिन्न स्तरों के लिए अनेक सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, ऐतिहासिक कारण उत्तरदायी हैं। केरल के कोटि-क्रम में सर्वोच्च मूल्य इसकी सर्वोच्च साक्षरता दर प्राप्त करने के लिए की गई प्रभावी कार्यशीलता के कारण है। धयों के अतिरिक्त आर्थिक विकास भी मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालता है। जो राज्य आर्थिक दृष्टि से ऊँचे हैं; जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा आदि में मानव सूचकांक असम, बिहार, मध्य प्रदेश की तुलना में ऊँचा है।

ऐतिहासिक कारण भी मानव-विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उपनिवेश काल में विकसित प्रादेशिक विकृतियाँ और सामाजिक विषमताएँ अब भी भारत की अर्थव्यवस्था, राजतंत्र व समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सामाजिक वितरण न्याय के अपने मुख्य उद्देश्य को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने नियोजित विकास के माध्यम से संतुलित विकास के लिए अनेक प्रयास किए हैं।

मानव विकास HBSE 12th Class Geography Notes

→ मानव विकास (Human Development) : मानव के समग्र विकास के लिए अवसरों की प्राप्ति तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार मानव विकास कहलाता है।

→ जीवन प्रत्याशा (Longevity) : जन्म के समय संभावित आयु जीवन प्रत्याशा कहलाती है।

→ आर्थिक विकास (Economic Development) : आर्थिक विकास को प्रति व्यक्ति आय तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद जैसे संकेतकों से मापा जाता है।

→ आर्थिक विकास एक साधन है। आर्थिक उपलब्धियों के सूचक (Indicators of Economic Achievements):

  • सकल राष्ट्रीय उत्पाद
  • प्रति व्यक्ति आय
  • गरीबी उन्मूलन
  • रोजगार।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. आंतरिक प्रवास की कितनी धाराएँ हैं?
(A) 3
(B) 4
(C) 5
(D) 6
उत्तर:
(B) 4

2. गाँव से पहले छोटे नगर और वहाँ से बाद में बड़े नगर की ओर प्रवास क्या कहलाता है?
(A) आप्रवास
(B) उत्प्रवास
(C) सोपानी प्रवास
(D) अंतर्राष्ट्रीय प्रवास
उत्तर:
(C) सोपानी प्रवास

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

3. राज्य के एक भाग से उसी राज्य के दूसरे भाग में प्रवास कहलाता है-
(A) अंतःराज्यीय प्रवास
(B) अंतर्राज्यीय प्रवास
(C) सोपानी प्रवास
(D) बाह्य प्रवास
उत्तर:
(A) अंतःराज्यीय प्रवास

4. एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास कहलाता है-
(A) अंतःराज्यीय प्रवास
(B) अंतर्राज्यीय प्रवास
(C) सोपानी प्रवास
(D) बाह्य प्रवास
उत्तर:
(B) अंतर्राज्यीय प्रवास

5. निम्नलिखित में से कौन-सा एक विरल जनसंख्या वाला क्षेत्र नहीं है?
(A) अटाकामा
(B) भूमध्यरेखीय प्रदेश
(C) दक्षिण-पूर्वी एशिया
(D) ध्रुवीय प्रदेश
उत्तर:
(D) ध्रुवीय प्रदेश

6. निम्नलिखित में से किस राज्य में विवाह स्त्रियों के प्रवास का मुख्य कारण नहीं है?
(A) हरियाणा
(B) पंजाब
(C) बिहार
(D) मेघालय
उत्तर:
(D) मेघालय

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

7. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में स्त्रियों के प्रवास का मुख्य कारण है?
(A) व्यवसाय
(B) विवाह
(C) शिक्षा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) विवाह

8. निम्नलिखित में से कौन-सा कारक प्रतिकर्ष कारक नहीं है?
(A) गरीबी
(B) अमीरी
(C) जनसंख्या दबाव
(D) आपदा
उत्तर:
(C) जनसंख्या दबाव

9. कौन-सा/से राज्य अपने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों से महत्त्वपूर्ण राशि प्राप्त करता करते है/हैं?
(A) पंजाब
(B) केरल
(C) तमिलनाडु
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

10. प्रवास होता है
(A) गाँव से गाँव की ओर
(B) गाँव से नगर की ओर
(C) नगर से नगर की ओर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

11. स्थानिक स्तर पर होने वाले प्रवास …………… कहलाते हैं।
(A) स्थानिक प्रवास
(B) अंतर्राष्ट्रीय प्रवास
(C) अंतःराज्यीय प्रवास
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) स्थानिक प्रवास

12. यदि प्रवास राज्य की सीमा के बाहर हो तो उसे …………… प्रवास कहते हैं।
(A) अंतःराज्यीय
(B) अंतर्राष्ट्रीय
(C) अंत राज्यीय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अंत राज्यीय

13. स्त्रियों के प्रवास की संख्या किस धारा में अधिक है?
(A) ग्रामीण से नगरीय
(B) ग्रामीण से ग्रामीण
(C) नगरीय से नगरीय
(D) नगरीय से ग्रामीण
उत्तर:
(B) ग्रामीण से ग्रामीण

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

14. परिणामों को किन संदर्भो में देखा जा सकता है?
(A) आर्थिक व सामाजिक
(B) सामाजिक व राजनीतिक
(C) सांस्कृतिक व जनांकिकीय
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

15. निम्नलिखित में से कौन प्रवास को प्रभावित करने वाला कारण है?
(A) विवाह
(B) शिक्षा
(C) रोजगार
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

16. प्रवास का पर्यावरणीय परिणाम नहीं है-
(A) विभिन्न प्रकार के प्रदूषण
(B) अपशिष्ट निपटान की संख्या
(C) काम व रोजगार
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) काम व रोजगार

17. देश के बाहर और अन्य देशों से देश के अंदर प्रवास क्या कहलाता है?
(A) उत्प्रवास
(B) आंतरिक प्रवास
(C) अंतर्राष्ट्रीय प्रवास
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अंतर्राष्ट्रीय प्रवास

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं?
उत्तर:
महाराष्ट्र में।

प्रश्न 2.
वह मनुष्य जो जनगणना के समय अपने जन्म-स्थान के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर गिना जाए, क्या कहलाता है?
उत्तर:
प्रवासी।

प्रश्न 3.
भारत में किस राज्य में सर्वाधिक उत्प्रवासी हैं?
उत्तर:
भारत के उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक उत्प्रवासी हैं।

प्रश्न 4.
गाँव से पहले छोटे नगर और वहाँ से बाद में बड़े नगर की ओर प्रवास क्या कहलाता है?
उत्तर:
सोपानी प्रवास।

प्रश्न 5.
प्रवास के दो मुख्य कारक लिखें।
उत्तर:

  1. सामाजिक कारक
  2. आर्थिक कारक।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 6.
एक देश से दूसरे देश में प्रवास क्या कहलाता है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय प्रवास।

प्रश्न 7.
भारत में सबसे अधिक प्रवास किस देश से हुआ है?
उत्तर:
बांग्लादेश।

प्रश्न 8.
राज्य के एक भाग से उसी राज्य के दूसरे भाग में प्रवास क्या कहलाता है?
उत्तर:
अंतर्राज्यीय प्रवास।

प्रश्न 9.
ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों में पुरुष प्रवास अधिक क्यों है?
उत्तर:
काम एवं रोजगार के कारण।

प्रश्न 10.
जनगणना 2001 के अनुसार भारत में अन्य देशों से कितने व्यक्तियों का प्रवास हुआ?
उत्तर:
लगभग 50 लाख व्यक्तियों का।

प्रश्न 11.
भारत की जनगणना में प्रवास की गणना कितने आधारों पर की जाती है?
उत्तर:
दो आधारों पर।

प्रश्न 12.
विशिष्ट स्थान पर नगरीय बस्तियों का जमाव क्या कहलाता है?
उत्तर:
नगर-समूहन।

प्रश्न 13.
प्रवास को प्रभावित करने वाले कोई दो कारक बताएँ।
उत्तर:

  1. सुरक्षा
  2. रोजगार।

प्रश्न 14.
किस भूगोलवेत्ता ने सर्वप्रथम प्रवास की प्रवृत्तियों का अध्ययन किया था?
उत्तर:
रैटजेल ने।

प्रश्न 15.
गंतव्य स्थान पर सकारातमक तत्त्वों का अधिक होना किन कारकों के अंतर्गत आता है?
उत्तर:
अपकर्ष कारक या आकर्षित करने वाले कारक (Full Factor)।.

प्रश्न 16.
बड़े नगरों की ओर अधिक प्रवास क्यों होता है?
उत्तर:
रोजगार मिलने की संभावना अधिक होने के कारण।

प्रश्न 17.
प्रतिभा पलायन (Brain Drain) किस प्रकार का प्रवास है?
उत्तर:
स्वैच्छिक प्रवास।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 18.
भारत के उन राज्यों के नाम बताइए जहाँ सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं?
उत्तर:
महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब।

प्रश्न 19.
भारत के उन राज्यों के नाम बताइए जहाँ से सर्वाधिक संख्या में उत्प्रवासी आते हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश और बिहार।

प्रश्न 20.
डायस्पोस का हिंदी भाषा में क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
प्रवासी या प्रसार।

प्रश्न 21.
प्रवासी भारतीय दिवस भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
9 जनवरी को।

प्रश्न 22.
पहला प्रवासी भारतीय दिवस कब मनाया गया?
उत्तर:
सन् 2003 में।

प्रश्न 23.
उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्रभावशाली व्यक्तियों का अन्य देशों के लिए पलायन कर जाना क्या कहलाता है?
उत्तर:
ब्रेन ड्रेन या प्रतिभा पलायन।

प्रश्न 24.
जीवन पर्यंत प्रवास क्या है?
उत्तर:
जीवन पर्यंत वह प्रवास है जो जन्म के स्थान, यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है।

प्रश्न 25.
पिछले स्थान प्रवास क्या है?
उत्तर:
पिछले स्थान प्रवास वह प्रवास है जिसमें निवास का स्थान पिछले स्थान से भिन्न होता है।

प्रश्न 26.
सोपानी प्रवास किसे कहते हैं?
उत्तर:
गाँव से पहले छोटे नगर और वहाँ से बाद में बड़े नगर की ओर प्रवास सोपानी प्रवास कहलाता है।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रवास किसे कहते है?
उत्तर:
जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना प्रवास कहलाता है अर्थात् किसी एक स्थान से जनसंख्या के दूसरे स्थान पर जाकर बसने को प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 2.
उत्प्रवास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी गाँव या नगर में आबादी के अधिक बढ़ने या रोज़गार की कमी के कारण जब लोग उस स्थान को छोड़कर रोज़गार की तलाश में दूसरे स्थान पर चले जाते हैं, तो यह उत्प्रवास प्रक्रिया कहलाती है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 3.
आप्रवास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यदि व्यक्ति अन्य स्थानों से आकर एक विशिष्ट स्थान पर बस जाता है तो वह आप्रवास कहलाता है। बड़े-बड़े नगरों, व्यापारिक केंद्रों, औद्योगिक नगरों, बंदरगाहों, मंडियों और खनिज क्षेत्रों में रोज़गार की तलाश में लोग आकर बस जाते हैं, यह प्रक्रिया आप्रवास कहलाती है।

प्रश्न 4.
स्थानिक प्रवास क्या है?
उत्तर:
एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर प्रवास स्थानिक प्रवास कहलाता है। यह प्रवास गाँव-से-गाँव, एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश, नगर-से-नगर, एक देश से दूसरे देश में हो सकता है।

प्रश्न 5.
प्रवास के जनांकिकीय परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
नगरों की जनसंख्या वृद्धि में ग्रामीण नगरीय प्रवास महत्त्वपूर्ण कारक है। ग्रामीण युवा-वर्ग रोज़गार व सुख-सुविधा के लिए नगरों में प्रवास करता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

प्रश्न 6.
प्रवास के सामाजिक परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
प्रवास के सामाजिक परिणाम निम्नलिखित हैं-

  1. नवीन प्रौद्योगिकी, परिवार नियोजन तथा शिक्षा से संबंधित नई विचारधारा का उत्पन्न होना।
  2. विविध संस्कृतियों का मिलन होना।
  3. उद्गम प्रदेश से दूर आकर बसना।
  4. रहन-सहन का उच्चस्तर पर निर्वाह करना।

प्रश्न 7.
भारत में किन-किन देशों से व्यक्तियों का प्रवास हुआ है?
उत्तर:

  1. बांग्लादेश
  2. पाकिस्तान
  3. नेपाल
  4. श्रीलंका
  5. ईरान
  6. म्यांमार आदि।

प्रश्न 8.
प्रवास की धाराएँ बताएँ अथवा आंतरिक प्रवास की चार धाराएँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर:

  1. गाँव से गाँव की ओर प्रवास
  2. गाँव से नगर की ओर प्रवास
  3. नगर से नगर की ओर प्रवास
  4. नगर से गाँव की ओर प्रवास।

प्रश्न 9.
अंतर्राष्ट्रीय प्रवास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब लोग अपना देश छोड़कर अन्य देशों में पलायन कर जाते हैं, तो उसे अंतर्राष्ट्रीय प्रवास कहते हैं। उदाहरण के लिए हरियाणा के लोगों का कनाडा, ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका में प्रवास।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 10.
आंतरिक प्रवास से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जब लोगों का पलायन मुख्य रूप से देश की राजनीतिक सीमाओं के अंदर होता है, तो उसे आंतरिक प्रवास कहते हैं। उदाहरण के लिए हरियाणा के लोगों का दिल्ली व पंजाब में प्रवास ।

प्रश्न 11.
निवल प्रवास से आप क्या समझते हैं? अथवा प्रवास का संतुलन क्या है?
उत्तर:
प्रवासियों और आप्रवासियों की कुल संख्या में से बाहर जाने वाले प्रवासियों और उत्प्रवासियों की संख्या निकालकर जो शेष संख्या प्राप्त होती हैं, वह निवल प्रवास कहलाता है। इसको प्रवास का संतुलन भी कहते हैं।

प्रश्न 12.
शरणार्थी किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो लोग अपने देश में असुरक्षा, युद्ध या मानव अधिकारों के अतिक्रमण के कारण अन्य देशों में शरण लेने के लिए बाध्य हो जाते हैं, वे शरणार्थी कहलाते हैं।

प्रश्न 13.
गाँव से गाँव में प्रवास का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
गाँव से गाँव में प्रवास महिलाओं में अधिक होता है। इसका मुख्य कारण विवाह है। भारतीय समाज के अनुसार विवाहोपरांत महिलाओं को पति के घर जाना पड़ता है।

प्रश्न 14.
गाँव से नगर की ओर प्रवास का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
गाँव से नगर की ओर प्रवास पुरुषों में अधिक होता है। इसका मुख्य कारण काम और रोजगार है। पुरुष परिवार के जीवन स्तर को सुधारने के लिए नगरों की ओर प्रवास करते हैं ताकि यहाँ नौकरी करके पैसा कमाया जा सके।

प्रश्न 15.
दिक् परिवर्तन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जनसंख्या के दैनिक स्थानांतरण अर्थात् दो नगरों के बीच दैनिक आवागमन या गाँव से शहर को दैनिक आवागमन या छोटे नगर से बड़े नगर को प्रत्येक दिन जो आवागमन होता है, उसे दिक्-परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 16.
भारत में लोग ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास क्यों करते हैं?
उत्तर:
भारत में लोग ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों में गरीबी, कृषि भूमि पर जनसंख्या के अधिक दबाव, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा जैसी आधारभूत अवसंरचनात्मक सुविधाओं के अभाव के कारण प्रवास करते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अंतःराज्यीय और अंतर्राज्यीय प्रवास से आप क्या समझते हैं?
अथवा
अंतःराज्यीय और अंतर्राज्यीय प्रवास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अंतःराज्यीय और अंतर्राज्यीय प्रवास में निम्नलिखित अंतर हैं-

अंतःराज्यीय प्रवासअंतर्राज्यीय प्रवास
1. यदि जनसंख्या या लोगों का प्रवास एक ही राज्य की सीमाओं के भीतर होता हो तो उसे अंतःराज्यीय प्रवास कहा जाता है; जैसे करनाल से अम्बाला।1. यदि जनसंख्या या लोगों का प्रवास एक राज्य से दूसरे राज्य में हो तो उसे अंतर्राज्यीय प्रवास कहा जाता है; जैसे हरियाणा (करनाल) से पंजाब (जांलधर)।
2. यह प्रवास अधिक होता है।2. यह अपेक्षाकृत कम होता है।

प्रश्न 2.
प्रवास या स्थानांतरण का अर्थ एवं परिभाषा लिखें। अथवा प्रवास किसे कहते हैं? प्रवास के कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर रहना प्रवास कहलाता है अर्थात् प्रवास का अर्थ मानव समुदाय के एक भौगोलिक इकाई से दूसरी भौगोलिक इकाई में प्राकृतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आदि कारकों के कारण स्थानांतरण से है। UNO के अनुसार “जनसंख्या स्थानांतरण या प्रवास एक भौगोलिक क्रिया है जो दो भौगोलिक इकाइयों के बीच देखने को मिलती है। इसमें मानव अधिवास में स्थायी बंदलाव हो जाते हैं।”

प्रकार – प्रवास मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

  • आंतरिक प्रवास
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रवास।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 3.
भारतीय डायस्पोरा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारतीय डायस्पोरा का अर्थ उन भारतीयों से है जिनका जन्म तो भारत में होता है लेकिन वे किन्हीं कारणों से विदेशों में बस जाते हैं और वहीं की नागरिकता ले लेते हैं। इन्हें ही भारतीय प्रसार या प्रवासी भी कहते हैं।

भारत के प्रवासी लगभग 166 देशों से हैं जिनकी संख्या 1 करोड़ से भी अधिक हैं। ये अपने कौशल से विदेशों में अपनी पहचान बनाने में सफल हुए हैं। उदारीकरण के बाद 90 के दशक में शिक्षा और ज्ञान आधारित भारतीय उत्प्रवासियों ने भारतीय डायस्पोरा को विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली डायस्पोरा में से एक बना दिया। इन सभी देशों में भारतीय डायस्पोरा अपने-अपने नागरिक प्राप्त देशों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय प्रवासी दिवस के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर:
भारतीय प्रवासी दिवस के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  1. प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को मंच प्रदान करना।
  2. प्रवासियों को भारत में रहने के लिए आकर्षित करना।
  3. भारत में निवेश के अवसरों को बढ़ाना।
  4. सभी भारतीय प्रवासियों को एकत्रित कर आपस में बंधुभाव और राष्ट्रीयता की भावना जागृत करना।
  5. उनकी काम संबंधी समस्याओं को समझना और वहाँ की सरकार द्वारा हल करवाना।

प्रश्न 5.
प्रवास के आर्थिक परिणाम क्या हैं?
अथवा
आर्थिक परिणाम पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
उद्गम क्षेत्र के लिए मुख्य लाभ अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई हुंडी हैं जो विदेशी विनिमय के प्रमुख स्रोतों में से एक हैं। ये आर्थिक विकास एवं वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

हुंडियों का प्रयोग मुख्यतः भोजन, ऋणों की अदायगी, बच्चों की शिक्षा, विवाह समारोहों, बचत निवेश, गृह-निर्माण, कृषीय निवेश आदि के लिए किया जाता है। कई राज्यों; जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश आदि के हजारों गरीब गाँव की अर्थव्यवस्था के लिए ये हुंडियाँ जीवनदायक होती हैं अर्थात् शरीर में धमनियों की तरह कार्य करती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवास कृषि विकास के लिए, उसकी हरित क्रांति कार्य-योजना की सफलता के लिए उत्तरादायी है।

प्रश्न 6.
उत्प्रवास के लिए उत्तरदायी प्रतिकर्ष कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
उत्प्रवास के लिए उत्तरदायी प्रतिकर्ष कारक निम्नलिखित हैं-

  1. गरीबी या निर्धनता-निर्धनता के कारण लोग उन स्थानों की ओर प्रवास करते हैं जहाँ उनको रोजगार प्राप्त होता है।
  2. शिक्षा-शिक्षा सुविधाओं में कमी के कारण युग वर्ग उन स्थानों की ओर प्रस्थान करते हैं जहाँ अच्छी शिक्षा और सुविधाओं की व्यवस्था होती है।
  3. जनसंख्या का अधिक दबाव-जनसंख्या का अधिक दबाव भी प्रवास को बढ़ावा देता है।
  4. सुरक्षा-असुरक्षित स्थानों को छोड़कर लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करते हैं।

प्रश्न 7.
उत्प्रवास और आप्रवास में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
उत्प्रवास और आप्रवास में निम्नलिखित अंतर हैं-

उत्प्रवास (Out Migration)आप्रवास (In-Migration)
1. किसी गाँव या नगर में आबादी के अधिक बढ़ने या रोज़गार की कमी के कारण जब लोग उस स्थान को छोड़कर रोज़गार की तलाश में दूसरे स्थान पर चले जाते हैं, तो यह उत्प्रवास प्रक्रिया कहलाती है।1. बड़े-बड़े नगरों, व्यापारिक केंद्रों, औद्योगिक नगरों, बंदरगाहों, मंडियों और खनिज क्षेत्रों में रोज़गार की तलाश में लोग आकर बस जाते हैं, यह प्रक्रिया आप्रवास कहलाती है।
2. जब एक व्यक्ति एक स्थान को छोड़कर अन्य स्थान पर जाता है, तो उत्प्रवास कहलाता है।2. यदि व्यक्ति अन्य स्थानों से आकर एक विशिष्ट स्थान पर बस जाता है, तो यह आप्रवास कहलाता है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रवास के प्रकारों के आधारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
आंतरिक या स्थानिक प्रवास के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या का एक निवास स्थान से दूसरे स्थान तक आर्थिक, सामाजिक अथवा राजनीतिक दृष्टि अथवा अन्य कारणों से किए गए स्थानांतरण को प्रवास कहा जाता है। औद्योगिक क्रांति से पूर्व मनुष्य की गतिशीलता सीमित थी। शिकार, पशुओं के लिए चारा, पानी, उपजाऊ कृषि भूमि का आकर्षण, प्राकृतिक प्रकोप, सुरक्षा आदि कारण मनुष्य को स्थानांतरण के लिए बाध्य करते थे। औद्योगिक क्रांति के पश्चात् आवागमन के साधनों में वृद्धि ने मनुष्य की गतिशीलता में वृद्धि की है। स्थानांतरण या प्रवास अस्थायी, या स्थायी रूप से किया गया आवास परिवर्तन है। प्रवास के लिए आवास स्थान में परिवर्तन पर्याप्त अवधि के लिए होना चाहिए अर्थात् उसमें कुछ स्थायित्व होना चाहिए। प्रवास एक भौतिक तथा सामाजिक संक्रमण है।

प्रवास के प्रकार (Types of Migration) – प्रवास की समयावधि, दूरी, स्थायित्व, उद्देश्य, क्षेत्र आदि आधारों पर स्थानांतरण अथवा प्रवास अनेक प्रकार के हो सकते हैं-
1. समय के आधार पर समय के आधार पर प्रवास दैनिक, मौसमी अथवा अल्पकालिक या दीर्घकालिक होते हैं।
(i) दैनिक प्रवास-नौकरी करने, औद्योगिक केंद्रों में काम करने, व्यवसाय हेतु अथवा शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाओं के लाभ हेतु प्रतिदिन कस्बों अथवा नगरों व महानगरों की ओर जनसंख्या का जाना तथा शाम को पुनः लौटना आदि दैनिक प्रवास है।

(ii) मौसमी प्रवास-श्रम की मौसमी मांग के कारण फसल काटने के समय भारत में सुंदरवन, उत्तरी भारत में गेहूँ काटने के लिए बिहार तथा उत्तर प्रदेश से जनसंख्या का प्रवास। इसी प्रकार धान कटने के पश्चात् श्रमिकों का उत्तर भारत की ओर, सड़क, गृह-निर्माण तथा ईंट-भट्ठों में कार्य के लिए प्रवास, पर्वतीय भागों में जाड़े में तलहटियों की ओर तथा ग्रीष्मकाल में पुनः . लौटना आदि मौसमी प्रवास हैं।

2. दूरी के आधार पर-गांवों से नगरों तथा नगरों से महानगरों की ओर प्रवास अल्प दूरी के होने वाले प्रवास हैं। इसी तरह में, असम के चाय बागानों में, उत्तरी भारत में कृषि के लिए छत्तीसगढ़ के मजदूरों का स्थाई प्रवास मध्यम दूरी के प्रवास हैं। राजस्थान व हरियाणा से असम, बंगाल तथा ओडिशा की ओर मारवाड़ी व्यापारी का प्रवास भी मध्य दूरी में आता है। भारत में मलाया, मॉरीशस, ग्वायना, फीजी, अफ्रीका आदि देशों में जनसंख्या प्रवास लंबी दूरी के प्रवास हैं।

3. उद्देश्य के आधार पर विभिन्न उद्देश्यों के आधार पर; जैसे आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सैनिक आदि पर किए गए प्रवास इस श्रेणी में आते हैं। इनमें आर्थिक उद्देश्य से किए गए प्रवास सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं । आर्थिक समस्या, बेरोजगारी, कम मजदूरी आदि आर्थिक विकर्षण; दूसरी ओर अच्छे आर्थिक अवसरों के आकर्षण के कारण होने वाले प्रवास इस श्रेणी के हैं। इसके अलावा इन प्रकारों में विवाह पश्चात् स्त्री प्रवास, राजनीतिक नियोजित प्रवास आदि भी सम्मिलित हैं।

4. क्षेत्र के आधार पर भौगोलिक दृष्टि से क्षेत्र के आधार पर होने वाले प्रवास सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। यदि यह आवास-प्रवास एक देश से दूसरे देश के मध्य सीमा पार होता है तो अंतर्राष्ट्रीय प्रवास (International Migration) कहलाता है। जब यह स्थानांतरण अथवा प्रवास किसी एक ही देश के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है तो उसे आंतरिक अथवा अंतर्देशीय अथवा देशांतरिक (Internal) प्रवास कहते हैं। एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप के मध्य अंतःमहाद्वीपीय प्रवास होते हैं। ये भी अंतर्राष्ट्रीय प्रकार के होते हैं। स्थानिक स्तर पर होने वाले प्रवास स्थानिक प्रवास कहलाते हैं। आंतरिक अथवा स्थानिक प्रवास के चार प्रमुख प्रकार हैं-
(i) गाँव से नगर की ओर प्रवास एक सामान्य तथा सतत् प्रक्रिया है। आर्थिक विपन्नता, बेरोज़गारी, कम पारिश्रमिक, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन आदि सेवाओं की कमी के कारण अच्छे रोजगार अथवा अन्य आर्थिक अवसरों की तलाश में जनसंख्या गांव से शहर की ओर प्रवास करती है। दूसरे शब्दों में, शहरों में रोजगार के अधिक अवसर, नियमित पारिश्रमिक, अच्छी शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाएं गांव से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस प्रकार के प्रवास से नगरीय जनसंख्या में वृद्धि होती है।

(ii) एक नगर से दूसरे नगर में प्रवास को अंतर्नगरीय प्रवास कहते हैं। इस प्रकार का प्रवास अधिकतर छोटे नगरों से बड़े नगरों की ओर होता है क्योंकि बड़े नगर व्यापार, उद्योग तथा अन्य धंधों तथा रोजगार के केंद्र होते हैं। बड़े नगरों से महानगरों की ओर प्रवास भी इसी प्रवास के अंतर्गत आता है। इससे बड़े नगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती है, परंतु छोटे नगरों का विकास रुकने लगता है।

(iii) एक ग्रामीण क्षेत्र से दूसरे ग्रामीण क्षेत्र में प्रवास के अनेकों कारण हैं; जैसे नवीन रोपण कृषि क्षेत्रों तथा ग्रामीण फार्मों में कार्य करने हेतु तथा कम कीमत पर अधिक उपजाऊ भूमि की उपलब्धि आदि के कारण यह प्रवास होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में वैवाहिक प्रवास भी इसी प्रवास में आते हैं। भारत में कुछ इस प्रकार के मुख्य प्रवास-असम, केरल तथा तमिलनाडु के चाय, कॉफी बगीचों में कार्य हेतु पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा गुजरात में नवीन विकसित भूमि पर कृषि हेतु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात आदि प्रदेशों के खनिज क्षेत्रों में कार्य हेतु श्रमिकों का प्रवास आदि मुख्य हैं।

(iv) नगर से गांव की ओर प्रवास लगभग स्थानीय प्रकार का होता है। सेवानिवृत्त शासक, सैनिक अथवा अशासकीय कर्मचारी, वृद्धि तथा अकार्यशील व्यापारी आदि लोग शांत जीवन जीने की आशा में ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास करते हैं। कुछ संख्या विवाह उपरांत भी यह प्रवास करती है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 2.
प्रवास किसे कहते हैं? भारत में प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
प्रवास का अर्थ जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना प्रवास कहलाता है अर्थात् किसी एक स्थान से जनसंख्या के दूसरे स्थान पर जाकर बसने को प्रवास कहते हैं। कुछ प्रवास स्थायी तथा कुछ अस्थायी होते हैं। स्थायी प्रवास में व्यक्ति मूल-स्थान से दूसरे स्थान पर स्थायी रूप से रहने लगता है जबकि अस्थायी प्रवास में मौसमी, वार्षिक तथा दैनिक प्रवास भी हो सकते हैं।

भारत में प्रवास को प्रभावित करने वाले कारक – भारत में जनसंख्या प्रवास के कुछ कारण निम्नलिखित हैं-
1. आजीविका-आजीविका कमाने या अन्य आर्थिक उद्देश्यों से व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर जाता है। इसमें मुख्य रूप से युवा वर्ग है, क्योंकि यह वर्ग नगरीय क्षेत्रों में उद्योग-धंधे, परिवहन, व्यापार एवं प्रशासनिक प्रतिष्ठानों में धन कमाने के उद्देश्य से प्रवास करता है। नगर इन सुविधाओं के कारण युवा वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करता है।

2. सामाजिक कारण-विवाह या शिक्षा ग्रहण करने के उद्देश्य से मनुष्य एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करता है; जैसे प्रत्येक लड़की शादी के बाद अपना पैतृक स्थान छोड़कर दूसरे स्थान पर जाकर रहने लगती है। इसमें दूरी कम भी हो सकती है या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हजारों मील भी हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्र आज भी शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े हुए हैं अतः व्यक्ति उच्च शिक्षा (High Education) प्राप्त करने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में स्थानांतरित होता है।

3. सरक्षा कारण सामाजिक सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण कारक है जो व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे सुरक्षित स्थान पर प्रवास के लिए मजबूर कर देता है। 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के कारण पंजाब की जनसंख्या हरियाणा, दिल्ली तथा सीमावर्ती राज्यों में आकर बसने लगी थी।

प्रश्न 3.
प्रवास के कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रवास के प्राकृतिक तथा मानवीय कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या के स्थानांतरण के पीछे विकर्षण तथा आकर्षण के कारक एक साथ क्रियाशील होते हैं। प्रवास एक जटिल क्रेया है तथा कई कारकों से जड़ी होती है। हर प्रवास में अनेक कारक सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं। विकर्षण तथा आकर्षण के अतिरिक्त अनेकों अन्य कारक; जैसे सामूहिक सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता, आवागमन के साधन, जलवायु की अनुकूलता आदि भी प्रवास के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। प्रवास के कारणों को निम्नलिखित मुख्य वर्गों में बांटा जा सकता है-
1. प्राकृतिक कारण-प्राकृतिक कारणों में जलवायु का प्रभाव सबसे अधिक रहा है। प्रवास अनुकूल जलवायु के क्षेत्रों की ओर होता है। अतिवृष्टि, अनावृष्टि तथा अकाल आदि प्रवास के कारण जलवायु की ही देन है। कठोर शीतकाल में टुन्ड्रा से जनसंख्या दक्षिण की ओर तथा ग्रीष्म में उत्तर की ओर प्रवास करती हैं। इसी तरह नदियों में बाढ़ों के कारण प्रभावित लोग अन्य भागों में प्रवास करते हैं। दूसरी ओर निर्मित उपजाऊ मैदान तथा जल-सुविधा अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसी प्रकार बार-बार विनाशकारी भूकम्प तथा ज्वालामुखी के कारण जीवन असुरक्षित हो जाता है तथा जनसंख्या सुरक्षित स्थानों की ओर प्रवास करती है।

2. मानवीय कारण स्थानांतरण अथवा प्रवास प्रक्रिया में प्राकृतिक कारणों की अपेक्षा मानवीय कारण अधिक महत्त्वपूर्ण तथा प्रभावी होते हैं। इन कारणों में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, पारिवारिक तथा व्यक्तिगत कारण मुख्य होते हैं, जो प्रवास को प्रभावित करते हैं।
(i) सामाजिक कारण मानवीय प्रवास को सामाजिक दशाएं सबसे अधिक प्रभावित करती हैं। इनके अंतर्गत सामाजिक रीति-रिवाज, खानपान, शिक्षा-दीक्षा, मेल-मिलाप, सामाजिक क्रियाशीलता व व्यवहार, त्योहार आदि अंतक्रियाएं होती हैं। ये अंतक्रियाएं ही सामाजिक प्रवास के कारण हैं। विवाह से स्त्री प्रवास, भारत-पाक विभाजन के दौरान हिंदु तथा मुसलमानों का स्थानांतरण आदि।

(ii) आर्थिक कारण-आर्थिक कारण अधिकांश प्रवासों के प्रेरक कारण रहे हैं। पूंजी निवेश, व्यापार उतार-चढ़ाव, लाभ की आशा, रोजगार के अवसर, अधिक वेतन का लोभ, कृषि घाटा, बेरोजगारी, कार्यदक्षता आदि असंख्य कारण प्रवास की मात्रा व दर का निर्णय करते हैं। कृषि क्षेत्रों में उपलब्ध अतिरिक्त श्रमिक उद्योगों में काम करने के लिए नगरों की ओर प्रवास करते हैं। हिमालय के तराई क्षेत्र, राजस्थान के उत्तरी भाग, मध्य प्रदेश का बस्तर तथा सरगुजा क्षेत्रों में उत्तम कृषि भूमि की उपलब्धि के कारण प्रवास हुए हैं। भारत के औद्योगिक नगरों; जैसे कोलकाता, मुम्बई, अहमदाबाद, टाटा नगर, भिलाई आदि नगरों में भारी प्रवास हुआ है।

(iii) राजनीतिक कारण-युद्ध के पश्चात् विजेता का भूमि पर कब्जा करके वहां बस जाना; भारत में आर्यों, मुगलों, अंग्रेजों का आगमन तथा यहाँ आकर बस जाना राजनीतिक प्रवास है। अंग्रेजों ने भारत से मॉरीशस, फीजी, पूर्वी अफ्रीका के गन्ने की खेती के लिए बलपूर्वक जनसंख्या का प्रवास किया। आज चकमा शरणार्थियों, कश्मीरी पंडितों का शरणार्थियों के रूप में प्रवास राजनीतिक कारणों से है।

(iv) सांस्कृतिक कारण-सांस्कृतिक आदान-प्रदान, शिक्षा प्राप्ति के लिए विद्यार्थी, डॉक्टर, शिक्षकों का दूसरे देशों में प्रवास, पर्यटक, कलाकार, राजनीतिज्ञ आदि का अल्पकालीन अथवा स्थाई प्रवास सांस्कृतिक कारणों से है।

(v) धार्मिक कारण-धार्मिक यात्राओं; जैसे हज, कुम्भ आदि के कारण वर्ष भर प्रवास होता है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

प्रश्न 4.
प्रवास के परिणामों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्रवास के कौन-कौन से परिणाम हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
अवसरों के असमान वितरण के परिणामस्वरूप प्रवास होता है। प्रवास के आर्थिक, जनांकिकीय, सामाजिक, पर्यावरणीय परिणाम होते हैं जो निम्नलिखित हैं
I. आर्थिक परिणाम (Economic Consequence)-अन्तर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा भेजी गई हुंडियाँ विदेशी विनिमय का प्रमुख स्रोत हैं। इन इंडियों का प्रयोग उद्गम प्रदेश के लोग भोजन, ऋणों की अदायगी, गृह-निर्माण, विवाह, बच्चों की शिक्षा इत्यादि के लिए किया करते हैं जो प्रदेशों की अर्थव्यवस्था के लिए जीवनदायक है।

2. जनांकिकीय परिणाम (Democratic Consequence)-नगरों की जनसंख्या वृद्धि में ग्रामीण नगरीय प्रवास महत्त्वपूर्ण कारक है। ग्रामीण युवा-वर्ग रोज़गार व सुख-सुविधा के लिए नगरों में प्रवास करता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

3. सामाजिक परिणाम (Social Consequence) सामाजिक परिवर्तन में प्रवास महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नई प्रौद्योगिकी, तकनीक, परिवार नियोजन, बालिका शिक्षा आदि से संबंधित नए विचार नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर प्रवास के माध्यम से जाते हैं। प्रवास से ही विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का मेल-जोल भी होता है।

4. पर्यावरणीय परिणाम (Environmental Consequence)-ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों की ओर प्रवास से वर्तमान नगरों की भौतिक व सामाजिक संरचना भी प्रभावित होती है। इसके कारण नगरीय बस्तियों की अनियोजित रूप से वृद्धि होती है। परिणामस्वरूप अवैध व मलिन बस्तियाँ बसने लगती हैं। इन बस्तियों में वायु प्रदूषण, पेय जल की समस्या, वाहित मल का निपटान और ठोस कचरे के प्रबंधन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 5.
भारत में गाँवों से शहरों की ओर जनसंख्या के पलायन के मुख्य कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में जनसंख्या प्रवास के मुख्य कारण क्या हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में गाँवों से शहरों की ओर जनसंख्या के पलायन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
1. कृषि योग्य भूमि पर दबाव बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि योग्य भूमि पर निरंतर दबाव बढ़ता जा रहा है। इसी दशा में जब कृषि-भूमि ग्रामीण जनसंख्या को जीविका प्रदान करने में असमर्थ रहती है तो लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं।

2. औद्योगीकरण-नगरीकरण तथा औद्योगीकरण में परस्पर धनात्मक सहसंबंध पाया जाता है। औद्योगीकरण के साथ नगरों का भी विकास होता है। औद्योगिक इकाइयों में रोजगार प्राप्त होने पर लोग उद्योगों के आसपास निवास करते हैं। इस तरह से गांवों से शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवास होता है।

3. ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार की कमी-जनसंख्या तो तीव्र गति से बढती रही परंत उसी अनपात में वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाई। ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार की कमी होने के कारण नगरीय क्षेत्रों की ओर जनसंख्या का प्रवास तेजी से हुआ।

4. नगरों में रोजगार के अवसर-नगरों में नियमित रूप से आर्थिक क्रियाएं वर्ष भर संचालित होती हैं। सरकारी क्षेत्रों, सेवाओं, उद्योग, व्यापार आदि में रोजगार के पर्याप्त अवसर होते हैं। इस प्रकार रोजगार के अवसरों के कारण लोग नगरों की ओर प्रस्थान करते हैं।

5. यातायात के साधन-तेजी से विकसित होते यातायात के साधन तथा परिवहन मार्गों से गांवों तथा नगरों के मध्य सहजता से पहुंचा जा सकता है। यातायात के साधनों के कारण नगर व्यापार तथा वाणिज्यिक गतिविधियों के केंद्र बने। अतः ग्रामीण तथा नगरीय क्षेत्रों के मध्य व्यापार को बढ़ावा मिला।

6. नगरीय जीवन आकर्षण-शहरों में उपलब्ध शिक्षा, स्वास्थ्य तथा आधुनिक जीवन की सुविधाएं ग्रामीण जनसंख्या को आकर्षित करती हैं। अतः मनोरंजन, आधुनिक सुविधाओं तथा सुरक्षा व्यवस्था से आकर्षित होकर. लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 10 मानव बस्ती

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 10 मानव बस्ती Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 10 मानव बस्ती

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. आर्थिक कार्यों की प्रकृति के आधार पर बस्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 6
उत्तर:
(A) 2

2. नदी घाटियों तथा उपजाऊ मैदानों में पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियां किस प्रारूप की होती हैं?
(A) प्रकीर्ण
(B) संहत
(C) रैखिक
(D) गोलाकार
उत्तर:
(B) संहत

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 10 मानव बस्तीी

3. पर्वतीय, पठारी तथा उच्च भूमि के क्षेत्रों में पाई जाने वाली बस्तियां किस प्रारूप की होती हैं?
(A) संहत
(B) गोलाकार
(C) प्रकीर्ण
(D) रैखिक
उत्तर:
(C) प्रकीर्ण

4. 250 से अधिक जनसंख्या वाली बस्ती को किस देश में नगरीय बस्ती कहा जाता है?
(A) डेनमार्क
(B) स्वीडन
(C) फिनलैंड
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

5. निम्नलिखित में कौन-सा नगर सुनियोजित है?
(A) पटना
(B) चंडीगढ़
(C) जम्मू
(D) कानपुर
उत्तर:
(B) चंडीगढ़

6. ‘कैंब्रिज नगर’ प्रसिद्ध है-
(A) उद्योग के लिए
(B) शिक्षण संस्थानों के लिए
(C) आमोद-प्रमोद के लिए
(D) धार्मिक स्थानों के लिए
उत्तर:
(B) शिक्षण संस्थानों के लिए

7. निम्नलिखित में से प्रशासनिक नगर कौन-सा है?
(A) जोधपुर
(B) कोच्चि
(C) वाराणसी
(D) नई दिल्ली
उत्तर:
(D) नई दिल्ली

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 10 मानव बस्तीी

8. मुगलसराय और इटारसी किस प्रकार के नगरों के उदाहरण हैं?
(A) औद्योगिक नगर
(B) परिवहन नगर
(C) सांस्कृतिक नगर
(D) रक्षा नगर
उत्तर:
(B) परिवहन नगर

9. विकासशील देशों में अप्रत्याशित नगरीय वृद्धि का मुख्य कारण है-
(A) औद्योगिक विकास
(B) ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कमी
(C) अनाधिकृत बस्तियों की उत्पत्ति
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

10. मनुष्यों की इमारतों सहित व्यवस्थित कालोनी को कहते हैं-
(A) कारखाना
(B) मकबरा
(C) बस्ती
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(C) बस्ती

11. निकृष्ट आवासीय व्यवस्था’ किस प्रकार की बस्ती की विशेषता है?
(A) ग्रामीण बस्ती
(B) नगरीय बस्ती
(C) मलिन बस्ती
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) मलिन बस्ती

12. एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती कहाँ स्थित है?
(A) दिल्ली
(B) मुंबई
(C) कोलकाता
(D) रंगून
उत्तर:
(B) मुंबई

13. ‘धारावी’ एक सबसे मलिन बस्ती है-
(A) इंग्लैंड की
(B) यू०एस०ए० की
(C) ब्राजील की
(D) भारत की
उत्तर:
(D) भारत की

14. ‘मेगासिटी’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया था?
(A) पैट्रिक गिडिज ने
(B) एडम्सन ने
(C) जीन गोटमेन ने
(D) लेविस मम्फोर्ड ने
उत्तर:
(C) जीन गोटमेन ने

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15. निम्नलिखित में से मेगासिटी नहीं है-
(A) दिल्ली
(B) टोक्यो
(C) करनाल
(D) ढाका
उत्तर:
(C) करनाल

16. काहिरा, मनीला व इस्तांबुल आदि नगर किस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं?
(A) शहर
(B) सन्नगर
(C) मेगासिटी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) मेगासिटी

17. जब किसी नगर की जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो जाती है, तो वह क्या कहलाता है?
(A) शहर
(B) विश्वनगरी
(C) कस्बा
(D) मिलियन सिटी
उत्तर:
(D) मिलियन सिटी

18. सन् 1912 में किसने ऑस्ट्रेलिया की राजधानी के लिए ‘केनबेरा’ की योजना बनाई थी?
(A) पैट्रिक गिडिज ने
(B) लेविस मम्फोर्ड ने
(C) वाल्टर बी० ग्रिफिन ने
(D) जीन गोटमेन ने
उत्तर:
(C) वाल्टर बी० ग्रिफिन ने

19. किस शताब्दी में विकसित देशों में नगरीकरण तेजी से हुआ?
(A) 18वीं शताब्दी में
(B) 19वीं शताब्दी में
(C) 20वीं शताब्दी में
(D) 17वीं शताब्दी में
उत्तर:
(B) 19वीं शताब्दी में

20. सांस्कृतिक नगर का उदाहरण है-
(A) मक्का
(B) बनारस
(C) जैरूसलम
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

21. अलबैनी, लंदन व चेन्नई किस प्रकार के नगरों के उदाहरण हैं?
(A) व्यावसायिक नगर के
(B) सांस्कृतिक नगर के
(C) प्रशासनिक नगर के
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) प्रशासनिक नगर के

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22. प्रतिरक्षा नगर का उदाहरण है-
(A) मेरठ छावनी
(B) अम्बाला छावनी
(C) हिसार छावनी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

23. किस प्रकार की बस्तियों में मकान एक-दूसरे के समीप बनाए जाते हैं?
(A) अवैध बस्तियों में
(B) प्रकीर्ण बस्तियों में
(C) संहत बस्तियों में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) संहत बस्तियों में

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
आर्थिक कार्यों की प्रकृति के आधार पर बस्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
2।

प्रश्न 2.
नदी घाटियों तथा उपजाऊ मैदानों में पाई जाने वाली ग्रामीण बस्तियाँ किस प्रारूप की होती हैं?
उत्तर:
संहत।

प्रश्न 3.
सुनियोजित नगर का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
चंडीगढ़।

प्रश्न 4.
प्रशासनिक नगर का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
नई दिल्ली।

प्रश्न 5.
‘निकृष्ट आवासीय व्यवस्था’ किस प्रकार की बस्ती की विशेषता है?
उत्तर:
मलिन बस्ती।

प्रश्न 6.
प्रतिरक्षा नगर का कोई एक उदाहरण दें।
उत्तर:
देहरादून।

प्रश्न 7.
किस प्रकार की बस्तियाँ सड़क, नदी या नहर के किनारे होती हैं?
उत्तर:
रेखीय बस्तियाँ।

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प्रश्न 8.
औद्योगिक नगर का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
जमशेदपुर।

प्रश्न 9.
किसी एक खनन नगर का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
डिगबोई।

प्रश्न 10.
ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यतः किस प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ होती हैं?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाएँ।

प्रश्न 11.
अत्यधिक नगरीकरण की सबसे बड़ी समस्या क्या है?
उत्तर:
मलिन बस्ती।

प्रश्न 12.
शुष्क बिन्दु बस्तियाँ कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
नदी वेदिकाओं के साथ।

प्रश्न 13.
नगरीय जनसंख्या किस वर्ग के देशों में तेजी से बढ़ रही है?
उत्तर:
विकासशील वर्ग के।

प्रश्न 14.
किसी एक आमोद-प्रमोद या मनोरंजन नगर का नाम बताएँ।
उत्तर:
मुम्बई।

प्रश्न 15.
एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती कहाँ स्थित है?
उत्तर:
मुम्बई (भारत) में।

प्रश्न 16.
सांस्कृतिक नगर का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
हरिद्वार।

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प्रश्न 17.
विश्वनगरी का सबसे अच्छा उदाहरण कौन-सा देश है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 18.
सन् 1950 तक विश्व में कितने शहर मिलियन सिटी थे?
उत्तर:
80 शहर।

प्रश्न 19.
विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर कौन-सा है?
उत्तर:
टोक्यो।

प्रश्न 20.
कौन-सा नगर सबसे पहले मेगासिटी बना?
उत्तर:
न्यूयॉर्क।

प्रश्न 21.
एशिया पेसिफिक देशों में नगरीय जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग अनाधिकृत बस्तियों में रहता है?
उत्तर:
60 प्रतिशत।

प्रश्न 22.
अदीस अबाबा किस देश की राजधानी है?
उत्तर:
इथोपिया की।

प्रश्न 23.
बड़े नगरों के समीप छोटे-छोटे से नगर बस जाते हैं, उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर:
उपनगर।

प्रश्न 24.
घरों के समूह को क्या कहते हैं?
उत्तर:
बस्ती।

प्रश्न 25.
मैगालोपोलिस का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विशाल नगर।

प्रश्न 26.
अदीस अबाबा का क्या अर्थ है?
उत्तर:
नवीन पुष्प।

प्रश्न 27.
केनबेरा किस देश की राजधानी है?
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया की।

प्रश्न 28.
कौन-सा नगर सबसे पहले मिलियन नगर बना?
उत्तर:
लंदन।

प्रश्न 29.
सन्नगरों का समूह क्या कहलाता है?
उत्तर:
विश्वनगरी।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रामीण बस्तियाँ क्या हैं?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियाँ वे बस्तियाँ होती हैं जिनके निवासी अपने जीवनयापन के लिए भूमि के विदोहन पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 2.
नगरीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
कुल जनसंख्या में नगरीय जनसंख्या के अनुपात में वृद्धि को नगरीकरण कहते हैं।

प्रश्न 3.
ग्रामीण बस्तियों के प्रमुख प्रतिरूप कौन-से होते हैं?
उत्तर:
रैखिक बस्तियाँ, क्रॉस की आकृति वाली बस्तियाँ, तारक बस्तियाँ, T-आकार की बस्तियाँ, वर्गाकार एवं गोलाकार बस्तियाँ, युग्म आकृति की बस्तियाँ इत्यादि।

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प्रश्न 4.
ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप किन कारकों पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप यह दर्शाता है कि मकानों की स्थिति किस प्रकार एक-दूसरे से संबंधित है। गाँव की आकृति (Shape) और आकार (Size) को प्रभावित करने वाले कारकों में गाँव की स्थिति (Site), समीपवर्ती स्थलाकृति एवं क्षेत्र का भूभाग प्रमुख स्थान रखते हैं।

प्रश्न 5.
उपनगरीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह एक नवीन प्रवृत्ति है, जिसमें मनुष्य शहर के घने बसे क्षेत्रों से हटकर रहन-सहन की अच्छी गुणवत्ता की खोज में शहर के बाहर स्वच्छ एवं खुले क्षेत्रों में जा रहे हैं। बड़े शहरों के आसपास ऐसे महत्त्वपूर्ण उपनगर विकसित हो जाते हैं, जहाँ से रोजाना हजारों व्यक्ति अपने घरों से कार्य-स्थलों पर आते-जाते हैं।

प्रश्न 6.
भारतीय जनगणना, 1991 के अनुसार नगर किसे कहते हैं?
उत्तर:
नगर ऐसे सघन व स्थायी बसे मानवीय अधिवास होते हैं जिनमें और कृषिगत क्रियाकलापों; जैसे उद्योग, व्यापार, परिवहन, प्रशासनीय तथा सामुदायिक सेवाओं सम्बन्धी कार्यों की प्रधानता मिलती है।

प्रश्न 7.
पल्ली बस्तियाँ क्या हैं?
उत्तर:
कई बार बस्ती भौतिक रूप से एक-दूसरे से अलग इकाइयों में बँट जाती है। इस प्रकार की बस्ती एक-दूसरे से निश्चित दूरी पर होती है।

प्रश्न 8.
प्रशासनिक नगर क्या है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रशासनिक नगर प्रशासन के केन्द्र होते हैं; जैसे राष्ट्र की राजधानियाँ-नई दिल्ली, मास्को, बीजिंग आदि; राज्य-स्तर पर राजधानियाँ-जयपुर, गांधीनगर, लखनऊ आदि प्रशासनिक नगरों के उदाहरण हैं। ऐसे नगरों में बड़ी संख्या में सरकारी कार्यालय तथा सरकारी आवास होते हैं।

प्रश्न 9.
संहत बस्तियाँ क्या हैं? ये कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
संहत बस्तियों में कई परिवार समुदाय के रूप में अपने घर बनाकर इकट्ठे निवास करते हैं। ये बस्तियाँ मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों व नदी घाटियों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 10.
शहर की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
शहर आकार तथा जनसंख्या में नगरों (Towns) से बड़े होते हैं। किसी क्षेत्र के अग्रणी नगर को शहर का दर्जा प्राप्त होता है। ममफोर्ड के अनुसार, शहर उच्च एवं अत्यधिक जटिल कार्यों से युक्त जीवन का भौतिक स्वरूप है। शहरों में प्रादेशिक प्रशासनिक कार्यालय, प्रमुख शिक्षण संस्थान, उच्च व्यापारिक तथा वित्तीय संस्थाएँ इत्यादि पाए जाते हैं।

प्रश्न 11.
मलिन बस्तियों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मलिन बस्तियाँ वे आवासीय क्षेत्र होते हैं जहाँ भौतिक और सामाजिक परिस्थितियाँ बहुत दयनीय होती हैं। यहाँ के मकान तंग गलियों में, सीलन वाले होते हैं जिनमें पानी, शौचालय और स्नानागार की व्यवस्था नहीं होती। भारत में धारावी (मुंबई) एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती है।

प्रश्न 12.
अनाधिकृत या अवैध बस्तियों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ये आमतौर पर किसी बड़े शहर के वे रिहायशी इलाके होते हैं जिनमें बहुत गरीब लोग रहते हैं। गरीबी के कारण ये लोग अपनी निजी भूमि खरीदने में असमर्थ होते हैं। ये लोग किसी और की खाली पड़ी ज़मीन पर बस जाते हैं। इन अवैध बस्तियों का जन्म शहरों में गरीबों के आवास की भारी कमी के फलस्वरूप होता है।

प्रश्न 13.
ग्रामीण बस्ती की कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  1. ग्रामीण बस्तियों का आकार छोटा होता है
  2. यहाँ के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है।

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प्रश्न 14.
नगरीय अधिवास अथवा बस्तियाँ क्या हैं?
उत्तर:
वान रिक्टोफन के अनुसार, नगर एक संगठित समूह होता है जिससे कृषि कार्यों के विपरीत प्रमुख व्यवसाय वाणिज्य तथा उद्योग से सम्बन्धित होते हैं। अन्य शब्दों में, नगरीय बस्ती मानव का सामूहिक स्थाई अधिवास है जो सघन बसा हुआ होता है तथा वहाँ के अधिकांश निवासी गैर-प्राथमिक कार्यों; जैसे उद्योग, व्यापार तथा परिवहन में संलग्न रहते हुए एक विशिष्ट संस्कृति का विकास करते हैं।

प्रश्न 15.
मानव बस्ती से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानव बस्ती का अध्ययन मानव भूगोल का मूल बिंदु है, क्योंकि किसी भी क्षेत्र में बस्तियों का रूप उस क्षेत्र के वातावरण से मानव का संबंध दर्शाता है। एक स्थान जो सामान्यतः स्थायी रूप में बसा हुआ हो, उसे मानव बस्ती कहते हैं।

प्रश्न 16.
प्रतिरक्षा नगर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इन नगरों में सैनिकों के प्रशिक्षण तथा अभ्यास की व्यवस्था होती है। नगर में जिस स्थान पर सैनिक रहते हैं, उसे कैंटोनमेंट कहते हैं; जैसे जोधपुर, देहरादून, अम्बाला तथा हिसार आदि।।

प्रश्न 17.
आर्थिक कार्यों की प्रकृति के आधार पर बस्तियाँ कितनी प्रकार की होती हैं?
उत्तर:
आर्थिक कार्यों की प्रकृति के आधार पर बस्तियाँ दो प्रकार की होती हैं-

  1. ग्रामीण बस्तियाँ
  2. नगरीय बस्तियाँ।

प्रश्न 18.
सन्नगर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सन्नगर विशाल तथा सतत् नगरीय क्षेत्र होता है जो अलग-अलग नगरों या शहरों के आपस में मिलने से बनता है। जनसंख्या प्रसार तथा आर्थिक विकास के कारण किसी नगर के निकटवर्ती नगरों का आपस में सम्मिलन सन्नगर कहलाता है। कलकत्ता, नई दिल्ली आदि सन्नगरों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 19.
विश्व के किन्हीं दस मेगासिटी के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. टोक्यो
  2. मुंबई
  3. न्यूयॉर्क
  4. शंघाई
  5. जकार्ता
  6. मनीला
  7. लंदन
  8. सियोल
  9. मेक्सिको सिटी
  10. बीजिंग।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अनाधिकृत या अवैध बस्तियों की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
अनाधिकृत बस्तियों की विशेषताओं को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है

  1. भौतिक विशेषताएँ इन बस्तियों में जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की कमी रहती है; जैसे जलापूर्ति, स्वच्छता, बिजली, सड़कें, नालियाँ, स्कूल व स्वास्थ्य केंद्र आदि।
  2. सामाजिक विशेषताएँ इन बस्तियों में अधिकतर निम्न आयु वर्ग के लोग रहते हैं। इनमें अधिकतर निवासी प्रवासी होते हैं।
  3. वैधानिक विशेषताएँ इन बस्तियों के लोगों के पास भू-स्वामित्व का अभाव होता है। यदि किसी एक जगह से इन्हें हटाया जाता है तो वे दूसरे स्थान पर जाकर डेरा जमा लेते हैं।

प्रश्न 2..
नगरीय बस्तियों की पर्यावरणीय समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नगरों में औद्योगिक बस्तियों के फैलाव, जनसंख्या के बढ़ते घनत्व तथा वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण जल, वायु तथा भूमि तीनों का बड़े पैमाने पर प्रदूषण हुआ है। मिलों और वाहनों से निकलने वाला धुआँ महानगरों के 50 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। आज दिल्ली का हर तीसरा व्यक्ति साँस की बीमारी से ग्रस्त है। महानगरों के मोटर वाहन वायुमंडल को गैस चैंबर बना रहे हैं। जिस वायु के बिना मनुष्य दो पल नहीं जी सकता अब उसमें दो पल गुज़ारना मुश्किल हो रहा है।

यह महानगरीय जीवन की त्रासदी (Tragedy) नहीं तो क्या है? अधिकांश नगरों में कूड़ा-कर्कट तथा फैक्ट्रियों व घरों का जल-मल नदियों में उड़ेल दिया जाता है। इससे पेय जल के स्रोत प्रदूषित होते हैं। नगरों में वाहनों और उत्सवों का शोर एक और समस्या है। नगरों में जनसंख्या एवं आर्थिक क्रियाओं के लिए बनाए गए कंक्रीट के विशाल ढाँचे ‘उष्म द्वीप’ (Heat Islands) बनाने में मदद करते हैं।

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प्रश्न 3.
विकासशील देशों में ग्रामीण बस्तियों से संबंधित समस्याओं का उल्लेख करें। अथवा ग्रामीण बस्तियों की किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
विकासशील देशों में ग्रामीण बस्तियों की संख्या अधिक है एवं इनका आधारभूत ढाँचा भी अविकसित है। इसलिए यहाँ अनेक समस्याएँ होती हैं-

  1.  जल की आपूर्ति-विकासशील देशों में ग्रामीण बस्तियों में जल की आपूर्ति भी पर्याप्त नहीं है। पर्वतीय एवं शुष्क क्षेत्रों में निवासियों को पेयजल के लिए लंबी दूरियाँ तय करनी पड़ती हैं।
  2. जल जनित समस्या-इन क्षेत्रों में जल जनित बीमारियाँ; जैसे हैजा, पीलिया आदि सामान्य समस्याएँ हैं।
  3. परिवहन के साधनों की कमी कच्ची सड़कें एवं आधुनिक संचार के साधनों की कमी भी यहाँ की प्रमुख समस्या है। वर्षा ऋतु में इन क्षेत्रों का संपर्क आसपास के क्षेत्रों और नगरों से कट जाता है जिससे उन्हें गंभीर कठिनाइयाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  4. गृह-निर्माण सामग्री मकानों के लिए प्रयुक्त होने वाली सामग्री हर पारिस्थितिक प्रदेश में भिन्न होती है जो मकान, मिट्टी, लकड़ी एवं छप्पर के बनाए जाते हैं, उन्हें भारी वर्षा और बाढ़ के समय काफी नुकसान पहुँचता है।

प्रश्न 4.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक स्वस्थ शहर क्या है?
अथवा
WHO के अनुसार एक स्वस्थ शहर कैसा होता है?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक स्वस्थ शहर में निम्नलिखित सुविधाएँ अवश्य होनी चाहिएँ-

  1. स्वच्छ एवं सुरक्षित वातावरण
  2. आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति
  3. स्थानीय सरकार में समुदाय की भागीदारी
  4. सभी के लिए

आसानी से उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएँ।

प्रश्न 5.
नगरों की सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
विकासशील देशों के शहर विभिन्न प्रकार की सामाजिक-सांस्कृतिक बुराइयों से ग्रस्त हैं। अपर्याप्त वित्तीय संसाधनों के कारण लोगों की आधारभूत आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं हो पाती हैं। उपलब्ध स्वास्थ्य एवं शिक्षा संबंधी सुविधाएँ गरीब नगरवासियों की पहुँच से बाहर रहती हैं। विकासशील देशों में बेरोजगारी एवं शिक्षा की कमी के कारण अपराध अधिक होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से पुरुषों के अधिक प्रवास के कारण नगरों में जनसंख्या का लिंग अनुपात असंतुलित हो जाता है।

प्रश्न 6.
संहत बस्तियों तथा प्रकीर्ण बस्तियों में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
संहत बस्तियों तथा प्रकीर्ण बस्तियों में निम्नलिखित अंतर हैं-

संहत बस्तियाँप्रकीर्ण बस्तियाँ
1. संहत बस्तियों में कई परिवार समुदाय के रूप में अपने घर बनाकर इकट्टे निवास करते हैं।1. प्रकीर्ण बस्तियों में मकान अलग-अलग तथा बिखरे हुए होते हैं।
2. इन बस्तियों में निवास स्थान के लिए कम स्थान होता है।2. इन बस्तियों में कृषि तथा निवास के लिए स्थान होता है।
3. ये बस्तियाँ मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों में तथा नदी घाटियों में स्थित हैं।3. ये बस्तियाँ मुख्य रूप से पर्वतीय, पठारी तथा उच्च भूमियों के क्षेत्र में स्थित हैं।
4. संहत बस्तियाँ भारत के उत्तरी मैदान में पाई जाती हैं।4. ये बस्तियाँ हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित हैं।

प्रश्न 7.
अवैध बस्तियों तथा मलिन बस्तियों में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
अवैध बस्तियों तथा मलिन बस्तियों में निम्नलिखित अंतर हैं-

अवैध बस्तियाँमलिन बस्तियाँ
1. ये बस्तियाँ किसी खाली पड़ी सार्वजनिक भूमि पर बसी हुई होती है।1. ये ऐसी बस्तियाँ हैं जहाँ न्यूनतम आवश्यक स्तर की सुविधाएँ भी नहीं पाई जातीं।
2. इन बस्तियों में भू-स्वामित्व का अभाव होता है।2. इनमें भू-स्वामित्व कानूनी भी हो सकता है और गैर-कानूनी भी।

प्रश्न 8.
ग्रामीण बस्तियों के आधारों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण अधिवासों अथवा बस्तियों का वर्गीकरण करने के लिए अनेक विधियाँ प्रस्तुत की गई हैं। इन्हें कई आधारों पर वर्गीकृत किया गया है; जैसे

  • आकार के आधार पर बृहद, मध्यम तथा लघु बस्तियाँ।
  • स्थिति के आधार पर घाटी समीप्र, नदी समीप तथा सड़क समीप बस्तियाँ।
  • समय के आधार पर-पूर्व ऐतिहासिक, प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक बस्तियाँ।
  • प्रकार्य के आधार पर-कृषीय, मत्स्य तथा बाजार बस्तियाँ।
  • घरों की सापेक्षिक दूरी के आधार पर-संहत तथा प्रकीर्ण बस्तियाँ।

बस्तियों के वर्गीकरण का सबसे महत्त्वपूर्ण आधार घरों की सापेक्षिक दूरी है। ग्रामीण घरों के मध्य दूरियाँ, ग्रामीण बस्ती को एक विशिष्ट आकृति प्रदान करती है जिसके आधार पर बस्तियाँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं

  • संहत अथवा नाभिक बस्तियाँ
  • प्रकीर्ण बस्तियाँ।

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प्रश्न 9.
ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों में निम्नलिखित अंतर हैं-

ग्रामीण बस्तियाँनगरीय बस्तियाँ
1. ग्रामीण बस्तियों का आकार छोटा होता है तथा यहाँ कम जनसंख्या निवास करती है।1. नगरीय बस्तियों का आकार,बड़ा होता है तथा यहाँ जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है।
2. यहाँ के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है।2. यहाँ के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय व्यापार एवं विभिन्न उद्योग-धंधे हैं।
3. ये क्षेत्र कृषि प्रधान होने के कारण नगरों को कृषि तथा पशु उत्पाद भेजते हैं।3. ये क्षेत्र उद्योग प्रधान होते हैं इसलिए गाँवों को उत्पादित वस्तुएँ भेजते हैं।
4. यहाँ आधुनिक सुविधाओं का अभाव होता है।4. यहाँ सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं।
5. इनकी जनसंख्या 5000 से कम होती है।5. इनकी जनसंख्या 5000 से अधिक होती है।

प्रश्न 10.
नगरीय बस्ती की कोई चार विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
नगरीय बस्ती की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. जनसंख्या का आकार-नगरीय बस्तियों में अपेक्षाकृत अधिक जनसंख्या होती है।

2. जनसंख्या घनत्व-नगरों में अपेक्षाकृत जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है। कारण यह है कि नगर में छोटे क्षेत्र पर बने बड़े व्यापारिक क्षेत्र में अधिक जनसंख्या कार्यरत होती है। अतः जनसंख्या घनत्व अधिक हो जाता है।

3. प्रकार्यात्मक विशेषता नगरीय बस्तियों के निवासी प्रायः गैर-प्राथमिक कार्यों; जैसे व्यापार, उद्योग, परिवहन, प्रशासन आदि कार्यों में संलग्न रहते हैं। नगरीय बस्तियाँ इन कार्यों का केन्द्र होती हैं। यहाँ किसी एक या दो कार्यों की प्रधानता पाई जाती है।

4. विभिन्न समुदायों का समूह-नगरीय बस्तियों में अनेक धार्मिक, व्यावसायिक तथा सांस्कृतिक समुदायों के लोग रहते हैं। यहाँ सामुदायिक भावना का अभाव मिलता है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रामीण बस्तियों की स्थिति को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों की स्थिति को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
1. जल आपूर्ति – साधारणतया ग्रामीण बस्ती जल स्रोतों; जैसे नदियाँ, झीलों एवं झरनों आदि के पास स्थित होती है, जहाँ से जल आसानी से उपलब्ध हो सके। अधिकांश जल आधारित नम बिंदु बस्तियों में पीने, खाना बनाने, वस्त्र धोने आदि के लिए जल की प्राप्ति जैसे अनेक लाभ उपलब्ध होते हैं। फार्म भूमि की सिंचाई के लिए नदियों और झीलों का उपयोग किया जा सकता है। इन्हीं स्रोतों से वहाँ के निवासी भोजन के लिए मछली पकड़ते हैं और यह जल यातायात के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।

2. भूमि मनुष्य बसने के लिए उस जगह का चुनाव करता है जहाँ की भूमि कृषि कार्य के लिए उपयुक्त व उपजाऊ हो। जैसे दक्षिणी-पूर्वी एशिया में रहने वाले लोग नदी घाटियों के निम्न भागों एवं तटवर्ती मैदानों के निकट बस्ती बसाते हैं।

3. उच्च भूमि के क्षेत्र – मानव ने अपने अधिवास के लिए उच्च भूमि के क्षेत्रों को इसलिए चुना ताकि वहाँ पर बाढ के समय होने वाली क्षति से बचा जा सके और मकान व जीवन सुरक्षित रह सके। नदी बेसिन के निम्न भाग में बस्तियाँ नदी वेदिकाओं एवं तटबंधों पर बसाई जाती हैं, क्योंकि ये भाग शुष्क बिंदु होते हैं। उष्ण कटिबंधीय देशों के दलदली क्षेत्रों के निकट रहने वाले लोग अपने मकान स्तंभों पर बनाते हैं जिससे कि बाढ़ एवं कीड़े-मकौड़ों से बचा जा सके।

4. सुरक्षा-राजनीतिक अस्थिरता, युद्ध या पड़ोसी समूहों के उपद्रवी होने की स्थिति में गाँवों को सुरक्षात्मक पहाड़ियों एवं द्वीपों पर बसाया जाता था। भारत में अधिकतर दुर्ग ऊँचे स्थानों अथवा पहाड़ियों पर स्थित हैं।

5. गृह-निर्माण सामग्री-मानव बस्ती के विकसित होने में गृह-निर्माण सामग्री की उपलब्धता भी एक बड़ा कारक होती है जहाँ आसानी से लकड़ी, पत्थर आदि प्राप्त होते हैं। मनुष्य वहीं अपनी बस्तियाँ बसाता है। वनों को काटकर प्राचीन गाँवों को बनाया गया था जहाँ लकड़ी बहुतायत में थी।

6. नियोजित बस्तियाँ इस प्रकार की बस्तियाँ सरकार द्वारा बसाई जाती हैं। सरकार द्वारा अधिगृहित की गई ऐसी भूमि पर निवासियों को सभी प्रकार की सुविधाएँ; जैसे आवास, पानी और अन्य अवसंरचना आदि उपलब्ध कराकर बस्तियों को विकसित किया जाता है। भारत में इंदिरा गाँधी नहर क्षेत्र में नहरी बस्तियों का विकास इसका एक अच्छा उदाहरण है।

प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों की आकृति के आधार पर बस्तियों का वर्गीकरण करें।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप विभिन्न भौतिक तथा सांस्कृतिक लक्षणों द्वारा निर्धारित होते हैं। विभिन्न आधार पर ये प्रतिरूप कई प्रकार के होते हैं जिसमें से मुख्य निम्नलिखित प्रकार से हैं
1. आयताकार प्रतिरूप ग्रामीण बस्तियों का यह प्रतिरूप समतल क्षेत्रों तथा चौड़ी पर्वतीय घाटियों में पाया जाता है। अधिकांश सघन बस्तियों (Compact Settlements) का आकार आयताकार होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि-मापन बीघा एवं एकड़ के आधार पर किया जाता है जिससे कृषि भूमि की सीमा का निर्धारण भी आयताकार रूप ले लेता है। कृषकों का प्रयास रहता है कि उपजाऊ भूमि कम-से-कम नष्ट हो। इस बात को ध्यान में रखते हुए घरों तथा गलियों का निर्माण खेत की आकृति के अनुरूप होता है। गंगा के मैदान में यह प्रतिरूप विशेष रूप से पाया जाता है।

2. वर्गाकार प्रतिरूप-विशेष परिस्थितियों में आयताकार प्रतिरूप वर्गाकार आकृति धारण कर लेते हैं। इस प्रकार के प्रतिरूप वाली बस्तियाँ स्थल मार्गों के चौराहों पर भी विकसित हो सकती हैं। आयताकार बस्तियों के सामान्य विकास की परिस्थिति में एक तरफ अवरोध उत्पन्न हो जाने पर भी बस्ती की आकृति वर्गाकार हो जाती है। बस्तियों के चारों ओर स्थित बगीचों, तालाबों अथवा मार्गों के कारण भी ग्राम-विस्तार में रुकावट आती है। चौराहे की तरफ आवास निर्माण की प्रकृति से भी बस्ती वर्गाकार हो जाती है।

3. रेखीय प्रतिरूप-ये बस्तियाँ एक सीधी रेखा के रूप में होती हैं। ऐसी बस्तियाँ ज्यादातर किसी सड़क के दोनों किनारों पर, रेलमार्गों, नदी के किनारों पर अथवा किसी संकरी घाटी के समानान्तर विकसित होती हैं। यह प्रतिरूप आयताकार बस्ती का ही विशेष रूप है। यदि बस्ती का विस्तार एक दिशा की ओर अधिक हो जाए तो सड़क या नहर के साथ-साथ उसका प्रतिरूप रेखीय आकृति का हो जाता है।

4. गोलाकार प्रतिरूप-किसी झील या तालाब के चारों ओर घरों के निर्माण के फलस्वरूप इस प्रकार के गोलाकार प्रतिरूप का निर्माण होता है।

5. त्रिभुजाकार प्रतिरूप-इनका आकार त्रिभुजाकार बस्तियों की भाँति होता है। इस प्रकार की बस्तियों का विकास प्रायः दो नदियों अथवा दो सड़कों पर होता है। इस अवस्था में बस्ती का प्रसार मिलना प्रतिबन्धित हो जाता है। इस आकार के अधिवास उन स्थानों पर भी विकसित हो जाते हैं जहाँ कोई सड़क दूसरी सड़क से जाकर मिले, परन्तु चौराहा न बनाए। सड़कों के द्वारा त्रिभुज की दो भुजाएँ बन जाती हैं और त्रिभुज के आधार की ओर खुली भूमि पर बस्ती फैलती रहती है।

6. खोखला आयताकार अथवा वर्गाकार प्रतिरूप-इस प्रतिरूप की बस्ती आकृति में आयताकार या वर्गाकार होते हुए अपने मध्य क्षेत्र में खाली स्थान रखे हुए होती है। ऐसे प्रतिरूप का विकास मुख्य रूप से उन प्रदेशों में हुआ है जहाँ बस्ती की स्थापना हवेलीनुमा आवास के चारों तरफ की गई थी। बाद में यह आवास नष्ट हो जाने पर बस्ती के मध्य में खण्डहर के रूप में रह जाते हैं। कभी-कभी बस्ती के मध्य में तालाब या छायादार वृक्षों से युक्त स्थल होते हैं।

7. नाभिक वृत्ताकार प्रतिरूप-नाभिक ग्रामीण बस्तियाँ अत्यन्त ही संगठित रूप से स्थित आवासों द्वारा निर्मित पाई जाती हैं। बस्ती के बाह्य भागों में मकानों की दीवारें इस प्रकार एक-दूसरे से जुड़ी रहती हैं कि बस्ती बाहर से दीवारों द्वारा घिरी नजर आती है। बस्ती में प्रवेश करने वाले मार्गों की संख्या कम होती है। इनका बाहरी आकार लगभग वृत्ताकार होता है।

8. नीहारकीय वृत्ताकार प्रतिरूप-वृत्ताकार बस्ती के मध्यवर्ती भाग जब खाली रह जाते हैं तो इस प्रकार के वृत्ताकार गाँव का प्रतिरूप नीहारकीय माना जाता है।

9. चापाकार प्रतिरूप दक्षिणी भारत के पहाड़ी प्रदेशों में ढलानों पर बसे हुए बस्तियों की आकृति अपने-आप चापाकार हो जाती है। सरिताओं के मार्गों को रोककर कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया जाता है, उनके समीप स्थित बस्तियों का प्रतिरूप भी चापाकार हो जाता है।

10. प्रतिरूप इस प्रकार की बस्तियाँ किसी अन्तरीप के सिरे पर या नदी के नोकीले मोड़ पर बसी होती हैं। इनके अग्र भाग में मकानों की संख्या कम और पृष्ठ भाग में अधिक होती है।।

11. तारा प्रतिरूप-इस प्रतिरूप की बस्ती शुरू में त्रिज्या के आकार की होती है और बाद में मार्गों के किनारे-किनारे विस्तार होने के कारण बस्ती तारा आकार ग्रहण कर लेती है।

12. हार्स-शू प्रतिरूप-इस प्रकार की बस्ती छोटी-सी पहाड़ी या गोल टीले के एक भाग के चारों और इस प्रकार से फैली होती है कि उसका आकार अंग्रेजी के अक्षर ‘U’ जैसा हो जाता है।

13. पंख प्रतिरूप-पंख आकार की बस्तियाँ नदियों के डेल्टाओं पर बसी हुई होती हैं। भारत में महानदी, गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टाओं पर इस प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं। हिमालय के पाद-प्रदेशों (Piedmont Areas) में भी काँप-पंखों (Alluvial fans) पर भी ऐसे प्रतिरूप विकसित हुए हैं।

14. बहुकोणीय प्रतिरूप यह बड़ी तथा वर्गाकार प्रतिरूपों के मध्य की अवस्था है। इन बस्तियों का प्रतिरूप वर्गाकार से बदलकर बहुकोणीय हो जाता है।

प्रश्न 3.
नगरीय बस्तियों के विभिन्न प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
नगरीय बस्तियों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
नगरीय बस्तियों को अपने आकार, उनमें उपलब्ध विभिन्न सुविधाओं तथा इनमें किए जा रहे कार्यों के आधार पर अनेक प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है। नगरीय बस्तियों के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. नगर-नगर ग्रामीण बस्ती से बड़ी एक ऐसी संहत बस्ती है जिसमें जन-समुदाय नगरीय जीवन-यापन करता है। ग्रामीण बस्ती से नगर को अलग करने के लिए जनसंख्या के आकार के साथ-साथ नगरों तथा ग्रामीण बस्तियों के कार्यों की विषमता पर भी ध्यान दिया जाता है। अपने विशिष्ट कार्यों के आधार पर नगरों को अनेक प्रकार से बाँटा जा सकता है खनन नगर तथा पत्तन नगर आदि नगरों में निर्माण, उद्योग, थोक तथा खुदरा व्यापार तथा विभिन्न व्यावसायिक सेवाएँ उपलब्ध होती हैं।

2. शहर-शहर आकार तथा जनसंख्या में नगरों से बड़े होते हैं। उनके आर्थिक कार्य भी अधिक तथा जटिल होते हैं। अतः किसी क्षेत्र में अनेक नगरों में से सबसे अग्रणी नगर को शहर का दर्जा प्राप्त होता है। यह प्रादेशिक तथा स्थानीय स्तर पर अनेक नगरों को पीछे छोड़ देता है। मम्फोर्ड के अनुसार, शहर उच्च एवं अत्यधिक जटिल प्रकार के जीवन का भौतिक स्वरूप है। शहरों में प्रादेशिक, प्रशासनिक कार्यालय, प्रमुख शिक्षण संस्थान, उच्च व्यापारिक कार्यालय, वित्तीय संस्थाएँ एवं मनोरंजन स्थल इत्यादि होते हैं।

3. महानगर-दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर महानगर कहलाते हैं। यह प्रादेशिक राजधानी अथवा बड़ी व्यापारिक तथा औद्योगिक क्षेत्र होता है। सन् 1810 में इस श्रेणी में आने वाला पहला शहर लंदन था। सन् 1850 में पेरिस तथा सन् 1860 में न्यूयॉर्क शहर ने इस श्रेणी में प्रवेश किया।

4. सन्नगर-सबसे पहले इस शब्द का प्रयोग सन् 1915 में पैट्रिक गिडिज़ ने किया था। सन्नगर में कई फैलते हुए कस्बे, परस्पर मिलकर एक इकाई बनाते हैं। इनके केन्द्र में भी कई नगरीय बस्ती होती है। सन्नगर विशाल तथा सतत् नगरीय क्षेत्र होता है जो अलग-अलग नगरों या शहरों के आपस में मिलने से बनता है। जनसंख्या प्रसार तथा आर्थिक विकास के कारण किसी नगर के निकटवर्ती नगरों का आपस में सम्मिलन सन्नगर कहलाता है। कोलकाता, नई दिल्ली आदि सन्नगरों के उदाहरण हैं।

5. विश्व नगरी-मैगालोपोलिस का शाब्दिक अर्थ होता है विशाल नगर (Great City)। ये अत्यन्त बड़े नगर होते हैं जिनकी जनसंख्या प्रायः 50 लाख से अधिक होती है। मेगा सिटी शब्द का प्रयोग दक्षिणी हैंपशायर से उत्तरी वर्जीनिया तक फैले हुए क्षेत्र के लिए सर्वप्रथम जीन गोटमेन ने किया था। यह एक फैलता हुआ बड़ा महानगरीय क्षेत्र होता है जिसमें सन्नगरों का समूह तथा जनसंख्या का सतत् विस्तार पाया जाता है। टोकियो, न्यूयॉर्क, मास्को, शंघाई आदि विशाल नगरों को मम्फोर्ड ने मैगालोपोलिस की संज्ञा दी है। मैगालोपोलिस की कुल जनसंख्या मुख्य नगर व उपनगरों को मिलाकर एक करोड़ से अधिक होती है। न्यूयॉर्क को विश्व का पहला मैगालोपोलिस होने का श्रेय प्राप्त है।

प्रश्न 4.
नगरों के प्रकार्यात्मक वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
अथवा
कार्य के आधार पर नगरों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
विशेष व्यवसाय एवं कार्य की प्रधानता के आधार पर नगरों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है-
1. औद्योगिक नगर इन नगरों में निर्माण उद्योग से सम्बन्धित कार्यों की प्रधानता होती है। औद्योगिक नगरों में कच्चे मालों से सामान तैयार किया जाता है। उदाहरणार्थ कच्चे लोहे से इस्पात (Steel) तैयार करना, रूई से वस्त्र तैयार करना, रबड़ के टायर, बिजली के तार तथा सीमेन्ट तैयार करना आदि निर्माण उद्योग हैं। शुरू में ये औद्योगिक नगर कोयले की खानों के नजदीक स्थापित किए जाते थे परन्त अब बिजली पर निर्भरता के कारण औद्योगिक नगर कोयले की खानों से दर भी विकसित हो रहे हैं। औद्योगिक नगर के उदाहरण-टाटा नगर, हावड़ा, भिलाई, बर्मिंघम, कानपुर आदि।

2. व्यापारिक नगर अथवा व्यापारिक केन्द्र-विश्व के अधिकतर नगर व्यापार के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण रहे हैं। व्यापारिक नगर के विकास का मुख्य आधार परिवहन (Transport) की सुविधा होती है। व्यापारिक नगर का मुख्य कार्य किसी क्षेत्र के उत्पादन को एकत्रित करके दूसरे क्षेत्रों की माँग की पूर्ति करना है। इन्हें बाजार तथा मंडियाँ भी कहा जाता है। इन बाजारों में व्यापारी बैंक, बीमा कम्पनियाँ, स्टॉक एक्सचेंज तथा अन्य वित्तीय संस्थान भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। ऐसे नगरों में छोटी मात्रा में उद्योग भी होते हैं। स्थानीय कच्चे मालों को निर्मित रूप देने के लिए उद्योग भी स्थापित हो सकते हैं। व्यापारिक नगरों का विकास निम्न स्थितियों में होता है

  • किसी सड़क या रेलमार्ग के समीप
  • दो विपरीत प्रकार के क्षेत्र जैसे पर्वत व मैदान की सीमा पर
  • सड़क या मार्गों के मिलने के स्थान पर
  • समुद्र पत्तनों पर।

कनाडा का विनिपेग, भारत का आगरा, इराक का बगदाद, पाकिस्तान का लाहौर आदि व्यापारिक नगर के उदाहरण हैं। इसी प्रकार दिल्ली में आजादपुर मण्डी, हापुड़, मुजफ्फरनगर तथा मेरठ आदि प्रमुख वितरण केन्द्र के रूप में प्रसिद्ध हैं।

3. परिवहन नगर परिवहन नगर परिवहन की विशेष सुविधाओं के कारण विकसित होते हैं। परिवहन नगर का विकास दो प्रकार की स्थितियों (Locations) में होता है-

  • मार्ग में बाधा के कारण
  • दो या दो से अधिक व्यापारिक मार्गों के मिलने के स्थान पर। कोई ऐसी बाधा जहाँ परिवहन को रोका जाए तथा वहाँ से सामान अन्य साधन द्वारा आगे ले जाया जाए, ऐसे स्थानों पर नगर बस जाता है।

उदाहरण-

  • रेलमार्ग समाप्त होकर आगे सड़क मार्ग से जाना
  • समुद्री मार्ग समाप्त होकर आगे सड़क अथवा रेलमार्ग से जाना।

दो या अधिक व्यापारिक मार्गों के मिलने के स्थान पर परिवहन नगरों का विकास प्रत्येक देश में हुआ है। उदाहरण-भटिण्डा, आगरा, नागपुर, पेरिस, बर्लिन, मास्को आदि यूरोप के बड़े परिवहन नगर इसी प्रकार के हैं। परिवहन नगरों में निर्माण उद्योग की अत्यधिक उन्नति के कारण ये औद्योगिक नगरों में भी परिवर्तित हो जाते हैं।

4. प्रशासनिक नगर-ये नगर प्रशासन के केन्द्र होते हैं; जैसे राष्ट्र की राजधानियाँ-नई दिल्ली, मास्को, बीजिंग आदि; राज्य-स्तर पर राजधानियाँ-जयपुर, गांधीनगर, लखनऊ आदि प्रशासनिक नगरों के उदाहरण हैं। ऐसे नगरों में बड़ी संख्या में सरकारी कार्यालय तथा सरकारी आवास होते हैं।

5. सांस्कृतिक नगर-इन नगरों में सांस्कृतिक गतिविधियों; जैसे शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, मनोरंजन तथा धर्म के विकास एवं प्रसार को महत्त्व दिया जाता है। ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं

  • शिक्षा नगर-इनमें महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, छात्रावास, खेलकूद तथा प्रशिक्षण केन्द्रों की अधिकता होती है; जैसे इलाहाबाद, पंतनगर, पिलानी, ऑक्सफोर्ड, हारवर्ड, कुरुक्षेत्र, रुड़की, सोनीपत आदि शिक्षा नगरों के उदाहरण हैं।
  • धार्मिक नगर-विश्व के कई नगर धार्मिक क्रियाकलापों के कारण विख्यात हो जाते हैं; जैसे वेटिकन सिटी, धर्मशाला, हरिद्वार, अमृतसर, मथुरा, वाराणसी, बालाजी, अजमेर आदि।

6. प्रतिरक्षा नगर-इन नगरों में सैनिकों के प्रशिक्षण तथा अभ्यास की व्यवस्था होती है। नगर में जिस स्थान पर सैनिक रहते हैं, उसे कैंटोनमेंट कहते हैं; जैसे जोधपुर, देहरादून, अम्बाला तथा हिसार आदि।

7. संग्रह नगर-इन नगरों में प्राकृतिक वस्तुओं के संग्रह करने की सुविधा होती है। इनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं

  • खनन केन्द्र-ये नगर खानों के आसपास विकसित हो जाते हैं। ये छोटी-छोटी बस्तियों के समूह होते हैं जिनका विकास वहाँ मिलने वाले खनिजों के कारण होता है; जैसे खेतड़ी, रानीगंज, जोहांसबर्ग, झरिया आदि।
  • मत्स्य पत्तन-ये नगर मछली संग्रह के केन्द्र होते हैं। ये केन्द्र मछली के संग्रह से वितरण तक के सभी कार्य करते हैं; जैसे कालीकट, कोचीन, पुद्दचेरी आदि।
  • काष्ठ बर्तन नगर-ये नगर वनों के निकट विकसित होते हैं। इन नगरों में आरा मिलें, कागज के कारखाने तथा फर्नीचर बनाने के कारखाने स्थापित हो जाते हैं; जैसे नेपानगर, हलद्वानी, काठगोदाम आदि।

8. मनोरंजन नगर (Recreation Towns)-ये नगर अपने पर्यावरण अथवा किसी विशेष कार्य के कारण आमोद-प्रमोद की सभी सुविधाओं से सम्पन्न होते हैं। ये नगर अपनी इन सुविधाओं के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते हैं; जैसे जयपुर, आगरा, शिमला, मंसूरी, गोवा, मुम्बई आदि।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 10 मानव बस्तीी

प्रश्न 5.
बस्ती किसे कहते हैं? ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों को कैसे अलग किया जा सकता है?
अथवा
बस्तियों के वर्गीकरण के आधारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बस्ती (Settlement) – बस्ती अंग्रेजी के शब्द ‘Settlement’ का रूपांतरण है और इस शब्द की उत्पत्ति ‘Settle’ से हुई है। Settle का तात्पर्य है ठहरना या स्थायी, जिसका अर्थ कुछ समय का घूमना-फिरना, ठहर जाना या स्थायी जीवन से है। इस प्रकार मानव के स्थायी आश्रय या निवास बस्ती कहलाते हैं। जोन्स बूंश (Brunches) ने बस्ती को भूगोल में इस प्रकार से परिभाषित किया है-“अधिवास स्थायी हो या अस्थायी, वह एकल हो या संकुल, उसका महत्त्वपूर्ण उपयोग मानव-आवास है।” समस्त प्रदेश में आवास-क्षेत्र दूर से ही पहचाने जाते हैं।” उनकी सज्जा, निर्माण सामग्री, रचना तथा निर्माण में उस विशेष क्षेत्र की छाप होती है।

वहाँ की सांस्कृतिक एवं भौतिक लक्षणों का एक सामूहिक प्रतिबिंब होता है। भौतिक एवं सांस्कृतिक विशेषताएँ उसके हर लक्षण में परिलक्षित होती हैं। बस्ती में सभी प्रकार के आश्रय (Shelter) सम्मिलित होते हैं, चाहे वह झोंपड़ी हो या मिट्टी का बना मकान और चाहे वह सीमेंट और लोहे की बनी भव्य इमारत हो या महल । बस्ती में व्यापारिक, औद्योगिक, सार्वजनिक, सामाजिक एवं व्यक्तिगत सभी को शामिल किया जाता है। आकार की दृष्टि से बस्ती एकाकी मकान भी हो सकता है दो चार घर भी हो सकते हैं, कुछ परिवारों का समूह या पुरवा (Hamlet) भी हो सकता है, एक बड़ा गाँव या शहर अथवा महानगर (Metropolitan) भी हो सकता है।

बस्तियों के वर्गीकरण के आधार-ग्रामीण बस्तियों तथा नगरीय बस्तियों को निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर अलग-अलग किया गया है-
1. जनसंख्या का आधार (Population’s Base) नगरीय तथा ग्रामीण बस्तियों को उनकी जनसंख्या के आधार पर अलग-अलग भागों में बाँटा गया है, लेकिन विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में जनसंख्या का आधार अलग-अलग है। डेनमार्क तथा स्वीडन जैसे छोटे देशों में 250 तक की जनसंख्या वाली बस्ती को ग्रामीण तथा 250 से अधिक जनसंख्या वाली बस्ती को, नगरीय बस्ती माना है। कनाडा तथा वेनेजुएला में 1000 से अधिक की जनसंख्या वाली बस्ती को नगरीय बस्ती माना है। संयुक्त राज्य अमेरिका तथा थाइलैंड में 2500 से अधिक जनसंख्या वाली बस्ती को नगरीय बस्ती माना गया है तथा 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० से अधिक जनसंख्या का घनत्व जिस बस्ती में हो, उसे नगरीय बस्ती की संज्ञा दी गई है।

2. आर्थिक आधार-कुछ देशों ने ग्रामीण तथा नगरीय बस्ती का आधार विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को माना है। आर्थिक व्यवसायों के आधार पर दोनों को अलग-अलग भागों में बाँटा जाता है। भारत में बस्तियों के वर्गीकरण के लिए दूसरा आधार व्यावसायिक है। जो बस्ती प्राथमिक व्यवसायों जैसे कृषि, पशपालन, आखेट, मत्स्य, लकड़ी काटना तथा खनन व्यवसायों में लगी है, उसे ग्रामीण तथा जिस बस्ती में अधिकांश लोग द्वितीयक तथा तृतीयक कार्यों; जैसे उद्योग, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन आदि कार्यों में लगे हैं, उन्हें नगरीय बस्ती कहा जाता है।

3. प्रशासनिक आधार-कुछ देशों में नगरीय तथा ग्रामीण बस्तियों के विभाजन का आधार प्रशासनिक भी है; जैसे भारत में जहाँ पंचायत तथा ग्राम सभाएँ हैं, उन्हें गाँव तथा जिन बस्तियों में नोटीफाईड टाउन एरिया, कंटोनमेंट बोर्ड, नगरपालिकाएँ, नगर परिषद्, महानगरपालिकाएँ आदि हैं, उन्हें नगर की संज्ञा दी है। अमेरिकी देशों; जैसे ब्राजील तथा बोलविया में छोटे-छोटे प्रशासनिक केंद्रों को भी नगर माना गया है।

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्न में से कौन-सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं है?
(A) परती भूमि
(B) निवल बोया क्षेत्र
(C) सीमांत भूमि
(D) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि
उत्तर:
(C) सीमांत भूमि

2. पिछले 40 वर्षों में वनों का अनुपात बढ़ने का निम्नलिखित में से कौन-सा कारण है?
(A) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास
(B) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि
(C) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि
(D) वन क्षेत्र प्रंबधन में लोगों की बेहतर भागीदारी
उत्तर:
(C) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि

3. निम्नलिखित में से कौन-सा सिंचित क्षेत्रों में भू-निम्नीकरण का मुख्य प्रकार है?
(A) अवनालिका अपरदन
(B) मृदा लवणता
(C) वायु अपरदन
(D) भूमि पर सिल्ट का जमाव
उत्तर:
(B) मृदा लवणता

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4. शुष्क कृषि में निम्नलिखित में से कौन-सी फसल नहीं बोई जाती?
(A) रागी
(B) मूंगफली
(C) ज्वार
(D) गन्ना
उत्तर:
(D) गन्ना

5. निम्नलिखित में से कौन-से देशों में गेहूँ व चावल की अधिक उत्पादकता की किस्में विकसित की गई थीं?
(A) जापान तथा आस्ट्रेलिया
(B) मैक्सिको तथा फिलीपींस
(C) संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान
(D) मैक्सिको तथा सिंगापुर
उत्तर:
(B) मैक्सिको तथा फिलीपींस

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
बंजर भूमि-वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की सहायता से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती; जैसे मरुस्थल, बंजर पहाड़ी भू-भाग आदि। कृषि योग्य व्यर्थ भूमि वह भूमि जो पिछले पाँच वर्षों तक या अधिक समय तक परती या कृषि-रहित है। भूमि उद्धार तकनीक द्वारा सुधार कर इसे कृषि योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न 2.
निवल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अंतर बताएँ।
उत्तर:
निवल बोया गया क्षेत्र-वह भूमि जिस पर फसलें उगाई व काटी जाती हैं वह निवल अथवा शुद्ध बोया गया क्षेत्र कहलाता है। सकल बोया गया क्षेत्र इसमें बोया गया शुद्ध क्षेत्र तथा बोए गए शुद्ध क्षेत्र का वह भाग जिसका उपयोग वर्ष में एक से अधिक बार किया गया है दोनों शामिल होते हैं।

प्रश्न 3.
भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
भारत एक कृषि-प्रधान देश है। भारत की घनी आबादी व निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण खाद्यान्नों की आपूर्ति करना एक गंभीर समस्या बनी हुई है। इसके लिए गहन कृषि कार्यक्रम को अपनाने की आवश्यकता है ताकि किसानों को कृषि की उन्नत तकनीकों की सुविधा प्राप्त हो व बढ़ती जनसंख्या के लिए उत्पादन में वृद्धि हो सके।

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प्रश्न 4.
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अंतर है?
उत्तर:
शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में निम्नलिखित अंतर है-

शुष्क कृषिआर्द्र कृषि
1. यह भारत के पश्चिमी भागों-राजस्थान, गुजरात तथा दक्षिणी हरियाणा में होती है।1. यह भारत के पूर्वी भागों तथा पश्चिमी तटीय भागों में पाई जाती है ।
2. सामान्यतः 75 से०मी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में शुष्क कृषि की जाती है।2. सामान्यतः 75 से०मी० से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में आर्द्र कृषि की जाती है।
3. इसमें जल संसाधनों का अधिक प्रयोग किया जाता है।2. इसमें जल संसाधनों का कम या न्यूनतम प्रयोग किया जाता है।
4. इस कृषि की मुख्य फसलें-गेह्टू, जौ, बाजरा, चना आदि हैं।3. इस कृषि की मुख्य फसलें-चावल, चाय, रबड़ आदि हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए.

प्रश्न 1.
भारत में भूसंसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ कौन-सी हैं? उनका निदान कैसे किया जाए?
उत्तर:
भारत का कुल क्षेत्रफल लगभग 32.8 लाख वर्ग कि०मी० है। यहाँ प्राकृतिक संसाधनों में बहुत ही विविधता पाई जाती है। भू-क्षेत्र के लगभग 43% मैदानी क्षेत्र पर फसलें उगाई जाती हैं। 30% क्षेत्र पर्वतों से घिरा है। 279 पर्वतों और पठारों के बीच नदी घाटियों का विकास हुआ है, जहाँ पर अधिवास की अनुकूल परिसि भारत उष्ण कटिबंधीय जलवायु का देश है। यह कृषि-प्रधान देश है और यहाँ की जलवायु मानसूनी है। भारतीय कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। भारतीय मानसूनी वर्षा अनियमित व अनिश्चित है, जिससे वर्षा के प्रारंभ का समय निश्चित नहीं है। कहीं पर वर्षा बहुत अधिक व कहीं पर बहुत कम होती है, जिससे बाढ़ व सूखे की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

उष्ण जलवायु के कारण उत्पन्न खरपतवार व कीड़े कृषि को हानि पहुँचाते हैं। भूमि के लिए उत्पन्न खतरे; जैसे अधिक सिंचाई के कारण जलाक्रांति की समस्या, उष्ण और शुष्क भागों में लवणता अधिक होने की समस्या बन जाती है। भूमि की बचत करना एवं प्रौद्योगिकी विकसित करना बहुत आवश्यक है। इससे एक तो प्रति इकाई भूमि में फसल विशेष की उत्पादकता बढ़ेगी तथा दूसरा फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। इस प्रौद्योगिकी का लाभ यह होगा कि इसमें सीमित भूमि से भी कुल उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ श्रमिकों की मांग भी बढ़ेगी। भू-उपयोग के लिए फसलों की सघनता भी आवश्यक है। भू-संसधानों के संरक्षण के लिए भूमि की गुणवत्ता को नष्ट होने से बचाया जाए।

प्रश्न 2.
भारत में स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् कृषि विकास की महत्त्वपूर्ण नीतियों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् कृषि विकास की महत्त्वपूर्ण नीतियाँ निम्नलिखित हैं
1. उन्नत बीजों का प्रयोग (Use of High Yielding Varieties) अधिक उपज देने वाली तथा शीघ्र पकने वाली फसलों के बीज तैयार किए गए। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई और कई स्थानों पर वर्ष में दो या दो से अधिक फसलें तैयार होने लगीं। गेहूँ की नई किस्में; जैसे कल्याण, सोना आदि तथा चावल की नई किस्में; जैसे विजय, रत्ना, पद्मा आदि के प्रयोग से कृषि के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

2. उर्वरकों का प्रयोग (Use of Fertilizers) नई कृषि नीति के अंतर्गत रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया गया जिससे कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। भारत अपनी आवश्यकता के लगभग 55% उर्वरक पैदा करता है तथा शेष का आयात करता है।

3. सिंचाई क्षेत्र का विस्तार (Extent of Irrigation Area)-सिंचाई क्षेत्र के विस्तार से हरित-क्रांति को बहुत सफलता मिली है। भारत जैसे मानसून प्रदेश में सिंचाई का बड़ा महत्त्व है। भारत में नहरें, कुएँ, नलकूप तथा तालाब सिंचाई के महत्त्वपूर्ण कारक हैं।

4. कीटनाशक औषधियों का प्रयोग (Use of Pesticides) अधिक उत्पादन लेने के लिए फसलों को कीड़ों तथा बीमारियों से बचाना अति आवश्यक है। इसके लिए कीटनाशक औषधियों का प्रयोग किया जाता है। हरित-क्रांति के अंतर्गत इन औषधियों के प्रयोग को बढ़ाया गया है।

5. आधुनिक कृषि-यंत्रों का प्रयोग (Use of Modern Agricultural Machinery) भारतीय कृषि में पुराने, साधारण तथा परंपरागत हाथ के बने औजारों के स्थान पर आधुनिक मशीनों का प्रयोग अधिक बढ़ गया जिससे हरित-क्रांति को सफलता मिली। आधुनिक कृषि-यंत्रों में ट्रैक्टर, कंबाइन, हारवेस्टर, थ्रेशर, पिकर, ड्रिल, बिजली की मोटरें तथा पंपिंग सेट आदि प्रमुख हैं।

6. भूमि सुधार (Land Reforms) हरित-क्रांति में नवीन विधियों के प्रयोग के साथ-साथ कृषि में भूमि-सुधारों की ओर पर्याप्त ध्यान दिया गया है। मूलभूत सुधारों के बिना नवीन कृषि टेक्नालॉजी व्यर्थ सिद्ध होगी।

7. भू-संरक्षण कार्यक्रम (Soil Conservation Programme)-भूमि कटाव को रोकने तथा भूमि की उर्वरता शक्ति को बनाए रखने की दृष्टि से विभिन्न उपाय किए गए हैं। मरुस्थलों के विस्तार को रोकने के लिए शुष्क-कृषि प्रणाली के विस्तार से कार्य अपनाए जा रहे हैं। ‘कल्लर’ (क्षारीन) भूमि तथा कंदरायुक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा रहा है। इस प्रकार जल प्लावन (Water Logging), क्षारीयता (Salination) तथा भू-क्षरण (Soil Erosion) के कार्यक्रम अपनाए गए हैं।

8. गहन कृषि (Intensive Farming) कई राज्यों में भू-खंडों के स्तर पर गहन कृषि तथा पैकेज प्रोग्राम आरंभ किए गए। कालांतर में इसे गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम में बदल दिया गया। इससे किसानों को कृषि में प्रयोग होने वाले सभी साधनों की सुविधा प्रदान की गई ताकि उत्पादन में वृद्धि हो सके।

भूसंसाधन तथा कृषि HBSE 12th Class Geography Notes

→ संसाधन (Resources) : कोई भी वस्तु अथवा पदार्थ जिसका उपयोग संभव हो और उसके रूपांतरण से उसकी उपयोगिता और मूल्य बढ़ जाए, संसाधन कहलाता है।

→ भू-संरक्षण कार्यक्रम (Soil Conservation Programme) : भूमि कटाव को रोकने तथा भूमि की उर्वरता शक्ति को बनाए रखने की दृष्टि से विभिन्न उपाय किए गए हैं। मरुस्थलों के विस्तार को रोकने के लिए शुष्क-कृषि प्रणाली के विस्तार से कार्य अपनाए जा रहे हैं। ‘कल्लर’ (क्षारीन) भूमि तथा कंदरायुक्त भूमि को कृषि योग्य बनाया जा रहा है। इस प्रकार जल प्लावन (Water Logging), क्षारीयता (Salination) तथा भू-क्षरण (Soil Erosion) के कार्यक्रम अपनाए गए हैं।

→ गहन कृषि (Intensive Farming) : कई राज्यों में भू-खंडों के स्तर पर गहन कृषि तथा पैकेज प्रोग्राम आरंभ किए गए। कालांतर में इसे गहन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम में बदल दिया गया। इससे किसानों को कृषि में प्रयोग होने वाले सभी साधनों की सुविधा प्रदान की गई ताकि उत्पादन में वृद्धि हो सके।

→ बंजर भूमि (Barren Land) : वह भूमि जो प्रचलित प्रौद्योगिकी की सहायता से कृषि योग्य नहीं बनाई जा सकती; जैसे मरुस्थल, बंजर पहाड़ी भू-भाग आदि। बोया गया निवल क्षेत्र (New Area Sown) : वह भूमि जिस पर फसलें उगाई व काटी जाती हैं वह निवल अथवा शुद्ध बोया गया क्षेत्र कहलाता है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 5 भूसंसाधन तथा कृषि

→ सिंचित कृषि (Irrigated Farming) : कृषि में सिंचाई के उद्देश्य के आधार पर अंतर पाया जाता है; जैसे-रक्षित व उत्पादक सिंचाई कृषि। रक्षित सिंचाई का मुख्य उद्देश्य आर्द्रता की कमी के कारण फसलों को नष्ट होने से बचाना है अर्थात् वर्षा के अतिरिक्त जल की कमी को सिंचाई के साधनों द्वारा पूरा किया जाता है। उत्पादक सिंचाई का उद्देश्य फसलों का पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध कराकर अधिकतम उत्पादकता प्राप्त करना है।

→ परती भूमि (Fallow Land) : यह वह भूमि है जिस पर पहले कृषि की जाती थी, परंतु अब इस भाग पर कृषि नहीं की जाती। इस जमीन पर यदि लगातार खेती की जाए तो भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है और ऐसी जमीन पर कृषि करना आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं रहता। अतः इसे कुछ समय के लिए खाली छोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया से जमीन में फिर से उपजाऊ शक्ति आ जाती है और यह कृषि के लिए उपयुक्त हो जाती है।

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्ती

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्ती Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्ती

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से किस प्रकार की बस्तियाँ सड़क, नदी या नहर के किनारे होती हैं?
(A) वृत्ताकार
(B) चौक पट्टी
(C) रेखीय
(D) वर्गाकार
उत्तर:
(C) रेखीय

2. निम्नलिखित में से कौन-सी एक आर्थिक क्रिया ग्रामीण बस्तियों की मुख्य आर्थिक क्रिया है?
(A) प्राथमिक
(B) तृतीयक
(C) द्वितीयक
(D) चतुर्थ
उत्तर:
(A) प्राथमिक

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्ती

3. निम्नलिखित में से किस प्रदेश में प्रलेखित प्राचीनतम नगरीय बस्ती रही है?
(A) हांगही की घाटी
(B) सिंधु घाटी
(C) नील घाटी
(D) मेसोपोटामिया
उत्तर:
(B) सिंधु घाटी

4. 2006 के प्रारंभ में भारत में कितने मिलियन सिटी थे?
(A) 40
(B) 41
(C) 42
(D) 43
उत्तर:
(A) 40

5. विकासशील देशों की जनसंख्या के सामाजिक ढाँचे के विकास एवं आवश्यकताओं की पूर्ति में कौन-से प्रकार के संसाधन सहायक हैं?
(A) वित्तीय
(B) मानवीय
(C) प्राकृतिक
(D) सामाजिक
उत्तर:
(A) वित्तीय

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए.

प्रश्न 1.
आप बस्ती को कैसे परिभाषित करेंगे?
उत्तर:
बस्ती से अभिप्राय उस मानव अधिवास से है जिसमें एक से अधिक मकान होते हैं। यह मनुष्य के उस संगठित निवास स्थान से संबंधित है, जिसमें उनके रहने तथा प्रयोग करने वाले भवनों तथा उनके आने-जाने के लिए बनाए गए रास्तों एवं गलियों को शामिल किया जाता है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्ती

प्रश्न 2.
स्थान (साइट) एवं स्थिति (सिचुएसन) के मध्य अंतर बताएँ।
उत्तर:
बस्तियों के स्थान एवं स्थिति में निम्नलिखित अंतर हैं-

बस्तियों के स्थानबस्तियों की स्थिति
बस्ती के स्थान से अभिप्राय उस भूमि से होता है जिस पर कोई बस्ती बसी हुई है।बस्तियों की स्थिति से तात्पर्य उसके आस-पास के गाँवों के संदर्भ में उसकी अवस्थिति से हैं।

प्रश्न 3.
बस्तियों के वर्गीकरण के क्या आधार हैं?
उत्तर:
बस्तियों के वर्गीकरण के दो आधार हैं-
1. बस्तियों का आकार-बस्तियों में भेद नगरीय व ग्रामीण आधार पर होता है, लेकिन विश्व के विभिन्न देशों में जनसंख्या के आधार पर बस्ती का वर्गीकरण भिन्न-भिन्न है।

2. बस्तियों के लिए किए जाने वाले आर्थिक कार्य-विश्व के विकसित और विकासशील देशों में बस्तियों के लिए किए जाने वाले आर्थिक कार्य भी भिन्न-भिन्न हैं। विकासशील देशों का द्वितीयक व्यवसाय विकसित देशों का प्राथमिक व्यवसाय हो सकता है।

प्रश्न 4.
मानव भूगोल में मानव बस्तियों के अध्ययन का औचित्य बताएँ।
उत्तर:
मानव भूगोल में बस्तियों का अध्ययन बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि बस्तियों की स्थिति, प्रतिरूप तथा विन्यास के अध्ययन द्वारा हम यह जान सकते हैं कि मनुष्य ने प्रारंभ से अब तक आस-पास की भूमि का उपयोग कैसे किया। इसके अतिरिक्त बस्तियाँ मानव समाज के सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक रीति-रिवाजों पर भी प्रकाश डालती हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।

प्रश्न 1.
ग्रामीण एवं नगरीय बस्ती किसे कहते हैं? उनकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियाँ-एफ०एस० हडसन के अनुसार, “ग्रामीण बस्ती से आशय उस बस्ती से है जिसके निवासी अपने जीवनयापन के लिए भूमि विदोहन पर निर्भर करते हैं। अधिकांश ग्रामीण बस्तियों के अधिकांश निवासी कृषि कार्यों में संलग्न रहते हैं।” कृषि कार्यों के अतिरिक्त ग्रामीण बस्तियों में पशुपालन, मुर्गीपालन, मछली पकड़ना, लकड़ी काटना जैसे प्राथमिक कार्यों पर निर्भर जनसंख्या भी हो सकती है।

विशेषताएँ-

  • ग्रामीण बस्तियों का आकार छोटा होता है।
  • इनकी जनसंख्या 5000 से कम होती है।
  • यहाँ के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि है।
  • कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण नगरों को कृषि तथा पशु उत्पाद भेजते हैं।
  • यहाँ आधुनिक सुविधाओं का अभाव होता है।

नगरीय बस्तियाँ वान रिक्टोफन के अनुसार, “नगर एक संगठित समूह होता है जिसमें सामान्यतः कृषि कार्यों के विपरीत प्रमुख व्यवसाय वाणिज्य तथा उद्योग से संबंधित होते हैं।”

विशेषताएँ-

  • नगरीय बस्तियों का आकार बड़ा होता है।
  • उनकी जनसंख्या 5000 से अधिक होती है।
  • यहाँ के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय व्यापार एवं विभिन्न उद्योग-धंधे हैं।
  • ये उद्योग प्रधान क्षेत्र होने के कारण गाँवों को उत्पादित वस्तुएँ भेजते हैं।
  • यहाँ सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 10 मानव बस्ती

प्रश्न 2.
विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
विकासशील देशों में नगरीय बस्तियों से संबंधित समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
1. अवैध व मलिन बस्तियों की वृद्धि विकासशील देशों के महानगरों में द्रुत गति से बढ़ती जनसंख्या के फलस्वरूप गंदी बस्तियों और झोंपड़ पट्टियों का उदय हो जाता है। जहाँ मानव का जीवन-स्तर निम्नतम होता है। मुंबई स्थित धारावी बस्ती एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी मलिन बस्ती है।

2. सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव-विकासशील देशों की नगरीय बस्तियां आवास, परिवहन, स्वास्थ्य, पेयजल तथा रोजगार जैसी सार्वजनिक सुविधाओं की कमियों से जूझ रही हैं। आर्थिक विषमताएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं तथा गुणवत्ता युक्त जीवन का ह्रास हो रहा है।

3. प्रदूषण की समस्या-नगरीकरण के परिणामस्वरूप औद्योगिक बस्तियों का विकास हुआ जिससे भूमि, जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण की समस्या उभरकर आई। महानगरों में वाहनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि से वायु प्रदूषण एक प्रमुख समस्या बन गई है। महानगरों में प्रदूषण के दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर घातक सिद्ध हो रहे हैं।

4. सामाजिक समस्याएँ महानगरों में आकर बसे लोगों पर किसी तरह का सामाजिक दबाव नहीं होता इसलिए वहाँ अपराधिक प्रवृत्तियों का विकास होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं। इसके अतिरिक्त गरीबी और बेरोज़गारी अपराधिक प्रवृत्तियों को बढ़ाने में सहायक होती हैं इसलिए नगरीकरण से सामाजिक असुरक्षा की भावना पनपती है।

5. बेरोज़गारी व गरीबी-विकासशील देशों के बड़े राजधानी नगरों में आर्थिक निवेश की तीव्र प्रवृत्ति छोटे नगरों को पंगु बना रही है। मशीनीकरण व औद्योगीकरण के कारण गाँवों में रोजगार समाप्त हो गए हैं, जिससे गाँव के अधिकतम लोग शहरों में रोज़गार की तलाश में भटक रहे हैं।

मानव बस्ती HBSE 12th Class Geography Notes

→ नगरीकरण (Urbanization) : वे प्रक्रियाएँ जिनसे नगर की जनसंख्या बढ़ती है; जैसे प्राकृतिक वृद्धि, प्रवास तथा निकटवर्ती गाँवों के शहर में सम्मिलित होने पर।

→ नगर की संरचना (Structure of the Town) : नगर के विभिन्न भागों में दिखाई पड़ने वाले विविध प्रकार के भूमि उपयोग।

→ ग्रामीण बस्ती (Rural Settlement) : ग्रामीण बस्तियाँ वे बस्तियाँ होती हैं जिनके निवासी अपने जीवनयापन के लिए भूमि के विदोहन पर निर्भर करते हैं।

→ प्रतिरक्षा नगर (Defence Cities) : जिन नगरों का विकास प्रतिरक्षा सामग्री तथा छावनी के कारण होता है। इनका सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थान होता है जहाँ सैनिकों को प्रशिक्षण तथा अभ्यास की सुविधा होती है; जैसे भारत में अंबाला, पुणे, देहरादून आदि प्रतिरक्षा नगरों के रूप में जाने जाते हैं। औद्योगिक नगर (Industrial Cities) : जिन नगरों का अस्तित्व तथा विकास

→ औद्योगिक विकास के साथ हुआ हो तथा जो उद्योगों के लिए जाने जाते हैं, उन्हें औद्योगिक नगर कहते हैं; जैसे बर्मिंघम, पिट्सबर्ग, मानचेस्टर, जमशेदपुर, भिलाई, राउरकेला, सूरत आदि।

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HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

Haryana State Board HBSE 12th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Anuprayuktvyakaranam Bahuvikalpeey Prashn अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

1. अधस्तनप्रश्नानां लिखितोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘अनेजदेकम्’ इति पदे कः सन्धिविच्छेदः ?
(i) अनेजत् + एकम्
(ii) अन + जते + कम्
(iii) अनेजद् + कम्
(iv) अने + जेतकम्।
उत्तर :
(i) अनेजत् + एकम्

(ख) ‘ईश + आवास्यम्’ इति पदे किं सन्धिपदम् ?
(i) ईशासम्
(ii) ईशास्यम्
(iii) ईशावासम्
(iv) ईशावास्यम्।
उत्तर :
(iv) ईशावास्यम्।

(ग) ‘शान्तः’ इति पदे कः सन्धि ?
(i) विसर्गसन्धिः
(ii) पूर्वरूपसन्धिः
(iii) परसवर्णसन्धिः
(iv) व्यञ्जनसन्धिः
उत्तर :
(iii) परसवर्णसन्धिः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(घ) ‘उपकूलम्’ इति पदे विग्रहोऽस्ति –
(i) कूलाय इति
(ii) कूलेन समीपे
(iii) कूले इति
(iv) कूलस्य समीपं।
उत्तर :
(iv) कूलस्य समीपं।

(ङ) ‘सभापण्डितः’ इति पदे कः समासः?
(i) द्वितीयातत्पुरुषः
(ii) सप्तमीतत्पुरुषः
(ii) षष्ठीतत्पुरुषः
(iv) पञ्चमीतत्पुरुषः।
उत्तर :
(ii) षष्ठीतत्पुरुषः

(च) ‘जगतः एकनाथः’ इति विग्रहे किं समस्तपदम्?
(i) जगदेकनाथः
(ii) जगेकनाथः
(iii) जगतानाथ:
(iv) जगतोनाथः।
उत्तर :
(i) जगदेकनाथः

(छ) ‘राजन्’, षष्ठी एकवचने रूपम्
(i) राजनस्य
(ii) राज्ञः
(iii) राज्ञा
(iv) राज्ञाम्।
उत्तर :
(ii) राज्ञः

(ज) ‘अश्वात्’ इति पदे का विभक्तिः?
(i) तृतीया
(ii) षष्ठी
(ii) सप्तमी
(iv) पञ्चमी।
उत्तर :
(iv) पञ्चमी।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(झ) ‘कुरु’ इति पदे कः धातुः?
(i) क्री
(ii) कर्
(iii) कृ
(iv) कार।
उत्तर :
(iii) कृ

(ब) ‘प्रवर्तन्ते’ इति पदे कः पुरुषः?
(i) प्रथमपुरुषः
(ii) उत्तमपुरुषः
(iii) अन्यपुरुषः
(iv) मध्यमपुरुषः
उत्तर :
(i) प्रथमपुरुषः

(ट) “दातुम्’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) क्तवतु
(ii) शतृ
(iii) क्त्वा
(iv) तुमुन्।
उत्तर :
(iv) तुमुन्।

(ठ) ‘आ + वृ + क्त’ एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) आवृतः
(ii) आवुत्तः
(iii) आवृत्यः
(iv) आवरत्य।
उत्तर :
(i) आवृतः

(ड) ‘नमः’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ?
(i) चतुर्थी
(ii) पञ्चमी
(iii) प्रथमा
(iv) सप्तमी।
उत्तर :
(i) चतुर्थी

(ढ) ‘जगत्’ इति पदस्य समानार्थक पदमस्तिा।
(i) तनः
(ii) संसार:
(iii) गात्रम्
(iv) शिवः।
उत्तर :
(ii) संसार:

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ण) ‘समतिक्रामत्सु’ इति पदस्य विशेष्यम् –
(i) पत्रम्
(ii) महान्
(iii) दिवसेषु
(iv) मूर्खः।
उत्तर :
(ii) महान्

(त) ‘तमसा’ इति पदस्य विलोमपदमस्ति –
(i) प्रकाशेन
(ii) मध्यः
(iii) भयः
(iv) अङ्गः।
उत्तर :
(i) प्रकाशेन।

2. अधस्तनप्रश्नानां लिखितोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘कुर्वन्नेवेह’ इति पदे कः सन्धिविच्छेदः ?
(i) कुर्व + नेवह
(ii) कुर्वन् + एव + इह
(iii) कुर्वन् + इव + एव
(iv) कुर्व + न + इव।
उत्तर :
(ii) कुर्वन् + एव + इह

(ख) ‘पुरुषः + अश्नुते’ इति पदे किं सन्धिपदम् ?
(i) पुरुषोश्नुते
(ii) पुरुषोऽश्नुते
(ii) पुरुषस्शनुते
(iv) पुरुषोशनुते।
उत्तर :
(ii) पुरुषोऽश्नुते

(ग) ‘कोऽयम्’ इति पदे कः सन्धिः ?
(i) दीर्घसन्धिः
(ii) यणसन्धिः
(iii) अयादिसन्धिः
(iv) विसर्गसन्धिः।
उत्तर :
(iv) विसर्गसन्धिः।

(घ) ‘उपकृष्णम्’ इति पदे विग्रहोऽस्ति –
(i) कृष्णस्य समीपम्
(ii) कृष्णम् इति
(iii) कृष्णाय समीपम्
(iv) कृष्णः परम।
उत्तर :
(i) कृष्णस्य समीपम्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ङ) ‘नखभिन्नः’ इति पदे कः समासः ?
(i) चतुर्थीतत्पुरुषः
(ii) सप्तमीतत्पुरुषः
(iii) पञ्चमीतत्पुरुषः
(iv) तृतीयातत्पुरुषः।
उत्तर :
(iv) तृतीयातत्पुरुषः।

(च) ‘दीर्घा ग्रीवा यस्य सः’ इति विग्रहे किं समस्तपदम् ?
(i) दीर्घग्रीवः
(ii) दीर्घाग्रीवा
(iii) दीर्घो ग्रीव: यस्या सा
(iv) दीर्घस्य ग्रीवा।
उत्तर :
(i) दीर्घग्रीवः

(छ) ‘राम’ प्रथमा द्विवचने रूपम्
(i) रामयोः
(ii) रामौ
(iii) रामान्
(iv) रामम्।
उत्तर :
(ii) रामौ

(ज) ‘अग्नये’ इति पदे का विभक्तिः ?
(i) प्रथमा
(ii) चतुर्थी
(iii) सप्तमी
(iv) द्वितीया।
उत्तर :
(ii) चतुर्थी

(झ) ‘आस्ताम्’ इति पदे कः धातुः ?
(i) भु
(ii) आस्
(ii) भाव
(iv) अस्।
उत्तर :
(iv) अस्।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ञ) ‘बिभ्यति’ इति पदे कः पुरुषः ?
(i) प्रथमपुरुषः
(ii) उत्तमपुरुषः
(iii) अन्यपुरुषः
(iv) मध्यपुरुषः।
उत्तर :
(i) प्रथमपुरुषः

(ट) ‘लब्ध्वा’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) क्तः
(ii) क्त्वा
(iii) यत्
(iv) ल्यप्।
उत्तर :
(ii) क्त्वा

(ठ) ‘परि + त्यज् + ल्यप् एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) परित्यजय
(ii) परित्यज्य
(iii) परित्याग
(iv) परित्यजाय।
उत्तर :
(ii) परित्यज्य

(ड) ‘साकम्’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ?
(i) द्वितीया
(ii) चतुर्थी
(iii) तृतीया
(iv) पञ्चमी।
उत्तर :
(iii) तृतीया

(ढ) ‘नरे’ इति पदस्य समानार्थकपदमस्ति
(i) मनुष्ये
(ii) जीवने
(iii) भारे
(iv) नारे।
उत्तर :
(i) मनुष्ये

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ण) ‘अधीतशास्त्रस्य’ इति पदस्य विशेष्यम्
(i) त्वम्
(ii) भवति
(iii) ते
(iv) अस्माकम्।
उत्तर :
(iii) ते

(त) ‘उभयम्’ इति पदस्य विलोमपदमस्ति
(i) एकम्
(ii) अनेकम्
(iii) द्वित्व
(iv) सभयम्।
उत्तर :
(i) एकम्

3. अधस्तनप्रश्नानां लिखितोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘आहुरविद्यया’ इति पदे किं सन्धिविच्छेदः ?
(i) आहुर + अविद्यया
(ii) आहुरा + विद्यया
(iii) आहुः + अविद्यया
(iv) आहुः + रविद्यया।
उत्तर :
(ii) आहुरा + विद्यया

(ख) ‘जनयेत + अज्ञानाम्’ इति पदे किं सन्धिपदम् ?
(i) जनयेज्ञानाम्
(ii) जनयेतज्ञानम्
(iii) जनयेदज्ञानाम्
(iv) जनयैज्ञानाम्।
उत्तर :
(iii) जनयेदज्ञानाम्

(ग) ‘मुनिर्याति’ इति पदे कः सन्धिः ?
(i) अयादिसन्धिः
(ii) यणसन्धिः
(iii) विसर्गसन्धिः
(iv) प्रकृतिभावसन्धिः।
उत्तर :
(ii) यणसन्धिः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(घ) ‘ग्रामगतः’ इति पदे विग्रहोऽस्ति –
(i) ग्रामः गतः
(ii) ग्रामं गतः
(iii) ग्रामाय गतः
(iv) ग्रामाः गतः।
उत्तर :
(ii) ग्रामं गतः

(ङ) ‘सप्तदिनम्’ इति पदे कः समास:?
(i) अव्ययीभावः
(ii) बहुव्रीहिः
(iii) कर्मधारयः
(iv) द्विगुः।
उत्तर :
(iv) द्विगुः।

(च) ‘पुण्यः च असौ अनुभावः’ इति विग्रहे किं समस्तपदम् ?
(i) पुण्यानुभावः
(ii) पुण्यश्चपुण्यः
(iii) पुण्यश्चभावः
(iv) पुण्यभावः।
उत्तर :
(i) पुण्यानुभावः

(छ) ‘छात्र’ तृतीया विभक्तौ एकवचने रूपम्
(i) छात्रम्
(ii) छात्रान्
(iii) छात्रैः
(iv) छात्रेण।
उत्तर :
(iv) छात्रेण।

(ज) “विद्वांसः’ इति पदे का विभक्तिः ?
(i) तृतीया
(ii) चतुर्थी
(iii) प्रथमा
(iv) सप्तमी।
उत्तर :
(iii) प्रथमा

(झ) ‘योजते’ इति पदे कः धातुः ?
(i) योज्
(ii) युज्
(ii) यौज
(iv) यू।
उत्तर :
(ii) युज्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ञ) “विलोक्यसे’ इति पदे कः पुरुषः ?
(i) प्रथमपुरुषः
(ii) अन्यपुरुषः
(iii) उत्तमपुरुषः
(iv) मध्यमपुरुषः।
उत्तर :
(iv) मध्यमपुरुषः।

(ट) ‘अत्तुम्’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) तुमुन्
(ii) क्त्वा
(iii) मतुप्
(iv) अनीयर्।
उत्तर :
(i) तुमुन्

(ठ) ‘आ + हृ + तुमुन्’ एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) आहृत
(ii) आहरत्य
(iii) आहर्तुम्
(iv) आहरितुम्।
उत्तर :
(iii) आहर्तुम्

(ड) ‘परितः’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ? .
(i) प्रथमा
(ii) द्वितीया
(iii) तृतीया
(iv) चतुर्थी।
उत्तर :
(ii) द्वितीया

(ढ) “विद्वान्’ इति पदस्य समानार्थकपदमस्ति –
(i) विश्वस्तः
(ii) मूर्खः
(iii) मार्जारः
(iv) मनीषी।
उत्तर :
(iv) मनीषी।

(ण) ‘अतिगहनम्’ इति पदस्य विशेष्यम् –
(i) अन्धकारः
(ii) यौवनप्रभवम्
(iii) दिवसः
(iv) प्रकाशः
उत्तर :
(ii) यौवनप्रभवम्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(त) ‘मृत्युम्’ इति पदस्य विलोमपदमस्ति –
(i) मरणम्
(ii) प्रकाशम्
(iii) अमृतम्
(iv) वर्षणम्।
उत्तर :
(i) मरणम्

4. अधस्तनप्रश्नानां लिखितोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘तद्धावतः’ इति पदे कः सन्धिविच्छेदः ?
(i) तद्धा + अत
(ii) तद् + वतः
(iii) तद् + धातः
(iv) तत् + धावतः।
उत्तर :
(iv) तत् + धावतः।

(ख) “हि + एवम्’ इति पदे किं सन्धिपदम् ?
(i) हिवम्
(ii) हेवम्
(iii) ह्येवम्
(iv) हावयम्।
उत्तर :
(iii) ह्येवम्

(ग) ‘पुनरपि’ इति पदे कः सन्धिः ?
(i) दीर्घसन्धिः
(ii) विसर्गसन्धिः
(iii) गुनसन्धिः
(iv) वृद्धिसन्धिः
उत्तर :
(ii) विसर्गसन्धिः

(घ) ‘रत्नाकरः’ इति पदे विग्रहोऽस्ति
(i) रत्नं आकरः
(ii) रत्ने आकरः
(iii) रत्नाय इदं
(iv) रत्नानाम् आकरः।
उत्तर :
(iv) रत्नानाम् आकरः।

(ङ) ‘अनेजत्’ इति पदे कः समासः ?
(i) बहुव्रीहिः
(ii) नञ् तत्पुरुषः
(iii) सप्तमी तत्पुरुषः
(iv) तृतीया तत्पुरुषः।
उत्तर :
(ii) नञ् तत्पुरुषः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(च) ‘दुर्बला आशा यस्य सः’ इति विग्रहे किं समस्तपदम् ?
(i) दुर्बलाश:
(ii) दुर्बलाशा
(iii) दुर्बल: आशः
(iv) दुर्बला च आशा च।
उत्तर :
(i) दुर्बलाश:

(छ) ‘नाम’ द्वितीया विभक्तिः बहुवचने रूपम्
(i) नामनि
(ii) नामानि
(iii) नामे
(iv) नामभ्यः।
उत्तर :
(ii) नामानि

(ज) ‘कर्मणा’ इति पदे का विभक्तिः ?
(i) सप्तमी
(ii) द्वितीया
(iii) तृतीया
(iv) प्रथमा।
उत्तर :
(ii) द्वितीया

(झ) ‘रोचन्ते’ इति पदे कः धातुः ?
(i) रोच्
(ii) रुच्
(iii) रौच
(iv) रच्।
उत्तर :
(ii) रुच्

(ञ) ‘प्राप्नोमि’ इति पदे कः पुरुष ?
(i) अन्यपुरुषः
(ii) मध्यमपुरुषः
(ii) उत्तमपुरुषः
(iv) प्रथमपुरुषः।
उत्तर :
(ii) मध्यमपुरुषः

(ट) ‘जेतव्यः’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) तव्यत्
(ii) तुमुन्
(iii) क्त्वा
(iv) क्तवतु।
उत्तर :
(i) तव्यत्

(ठ) ‘नि + शम् + ल्यप्’ एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) निशमयः
(ii) निशम्य
(iii) निशामय
(iv) निशमयप।
उत्तर :
(ii) निशम्य

(ड) ‘सर्वतः’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ?
(i) सप्तमी
(ii) प्रथमा
(iii) द्वितीया
(iv) तृतीया।
उत्तर :
(iii) द्वितीया

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ढ) ‘दुष्कृतम्’ इति पदस्य समानार्थकपदमस्ति
(i) मानुषम्
(ii) अग्रजम्
(iii) पातकम्
(iv) जीवनम्।
उत्तर :
(iii) पातकम्

(ण) ‘सचेतसम्’ इति पदस्य विशेष्यम्
(i) विद्वांसम्
(ii) भारत
(iii) शास्त्रम्
(iv) वार्तालापम्।
उत्तर :
(i) विद्वांसम्

(त) ‘तिष्ठत्’ इति पदस्य विलोमपदमस्ति
(i) धावत्
(ii) सूचना
(iii) निशम्य
(iv) सकृत।
उत्तर :
(i) धावत्

5. अधस्तनप्रश्नानां लिखित्तोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘अन्यथेतः’ इति पदे कः सन्धिविच्छेदः?
(i) अन्य + थेत:
(ii) अन्यथा + इतः
(iii) अन्यथ + इतः
(iv) अन्यथा + एतः।
उत्तर :
(iv) अन्यथा + एतः।

(ख) ‘तत् + श्रुत्वा’ इति पदे किं सन्धिपदम्?
(i) तश्रुत्वा
(ii) तत्श्रुत्वा
(iii) तच्छ्रुत्वा
(iv) तत्छ्रुत्वा।
उत्तर :
(i) तश्रुत्वा

(ग) ‘सर्वापि’ इति पदे का सन्धिः ?
(i) दीर्घसन्धिः
(ii) वृद्धिसन्धिः
(iii) गुणसन्धिः
(iv) यण्सन्धिः।
उत्तर :
(i) दीर्घसन्धिः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(घ) ‘पुष्पाञ्जलिः’ इति पदे विग्रहोऽस्ति –
(i) पुष्पाणां अञ्जलिः
(ii) पुष्पेषु अञ्जलिः
(iii) पुष्पेभ्यः अञ्जलिः
(iv) पुष्पाय अञ्जलिः।
उत्तर :
(i) पुष्पाणां अञ्जलिः

(ङ) ‘महान्धकारः’ इति पदे कः समासः?
(i) कर्मधारयः
(ii) द्विगु:
(iii) तत्पुरुषः
(iv) बहुव्रीहिः।
उत्तर :
(i) कर्मधारयः

(च) ‘महान् उत्साहः’ इति विग्रहे किं समस्तपदम् ?
(i) महानुत्साहः
(ii) महोत्साहः
(iii) माहोत्साहः
(iv) महानोत्साहः।
उत्तर :
(ii) महोत्साहः

(छ) ‘किम्, पुल्लिंग, द्वितीया, द्विवचने रूपम्’
(i) के
(ii) काम्
(iii) कौ
(iv) कान्।
उत्तर :
(i) के

(ज) “वनानि’ इति पदे का विभक्तिः ?
(i) प्रथमा
(ii) तृतीया
(iii) चतुर्थी
(iv) पंचमी।
उत्तर :
(i) प्रथमा

(झ) ‘याचते’ इति पदे कः धातुः?
(i) यच्छ
(ii) यच्
(iii) यत्
(iv) याच्।
उत्तर :
(iv) याच्।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ज) ‘परिभ्रमसि’ इति पदे कः पुरुषः?
(i) प्रथमपुरुषः
(ii) उत्तमपुरुषः
(iii) मध्यमपुरुषः
(iv) अन्यपुरुषः।
उत्तर :
(iii) मध्यमपुरुषः

(ट) ‘कृतवान्’ इति पदे कः प्रत्ययः?
(i) क्त
(ii) तल्
(iii) क्त्वा
(iv) क्तवतु।
उत्तर :
(iv) क्तवतु।

(ठ) ‘उत् + स्था + क्तः’ एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) उत्तिष्ठ
(ii) उत्तिष्ठत्
(iii) उत्थितः
(iv) स्थितः।
उत्तर :
(iii) उत्थितः

(ङ) ‘सह’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ?
(i) प्रथम
(ii) तृतीया
(iii) चतुर्थी
(iv) पंचमी।
उत्तर :
(ii) तृतीया

(ढ) ‘शरीरम्’ इति पदस्य समानार्थकपदमस्ति
(i) कलुषम्
(ii) पातकम्
(iii) अङ्गम्
(iv) गात्रम्।
उत्तर :
(iv) गात्रम्।

(ण) “पूर्वतनम्’ इति पदस्य विशेष्यम्
(i) त्वम्
(ii) पत्रम्
(iii) प्राप्तम्
(iv) आशाम्।
उत्तर :
(ii) पत्रम्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(त) ‘विद्वान्’ इति पदस्य विलोमपदस्ति
(i) युवा
(ii) वृद्धः
(iii) मूर्खः
(iv) बालकः।
उत्तर :
(iii) मूर्खः

6. अधस्तनप्रश्नानां लिखित्तोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘जहातीह’ इति पदे कः सन्धिविच्छेदः ?
(i) जहाती + ह
(ii) जहाति + इह
(iii) जहाति + ईह
(iv) जहाती + ईह।
उत्तर :
(ii) जहाति + इह

(ख) ‘तेन + एव’ इति पदे किं सन्धिपदम् ?
(i) तेनेव
(ii) तेनिव
(iii) तेनैव
(iv) तेनव।
उत्तर :
(iii) तेनैव

(ग) ‘यथेच्छम्’ इति पदे का सन्धिः ?
(i) गुणसन्धिः
(ii) दीर्घसन्धिः
(iii) यण्सन्धिः
(iv) अयादिसन्धिः।
उत्तर :
(i) गुणसन्धिः

(घ) ‘अश्रुधारा’ इति पदे विग्रहोऽस्ति
(i) अश्रुः धारा
(ii) अश्रूणां धारा
(iii) अश्रवः धारा
(iv) अश्रूः धाराः।
उत्तर :
(ii) अश्रूणां धारा

(ङ) ‘प्रकृत्या सिद्धम्’ इति विग्रहे किं समस्तपदम् ?
(i) प्रकृतीसिद्धम्
(ii) प्रकृत्यासिद्धम्
(iii) प्रकृतिसिद्धम्
(iv) प्रकृत्सिद्धम्।
उत्तर :
(iii) प्रकृतिसिद्धम्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(च) ‘कुलव्रतम्’ अत्र कः समास: ?
(i) कर्मधारयः
(ii) तत्पुरुषः
(iii) अव्ययीभावः
(iv) बहुव्रीहिः।
उत्तर :
(ii) तत्पुरुषः

(छ) सर्व, पुल्लिंग, द्वितीया, बहुवचने रूपम् –
(i) सर्वान्
(ii) सर्वेभ्यः
(iii) सर्वे
(iv) सर्वेण।
उत्तर :
(i) सर्वान्

(ज) ‘राज्ञे’ इति पदे का विभक्तिः ?
(i) पञ्चमी
(ii) तृतीया
(iii) प्रथमा
(iv) चतुर्थी।
उत्तर :
(iv) चतुर्थी।

(झ) ‘गृह्यताम्’ इति पदे कः धातुः ?
(i) ग्रह
(ii) गृह्य
(iii) गृह
(iv) ग्रह्य।
उत्तर :
(i) ग्रह

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ञ) ‘आध्नन्ति’ इति पदे कः पुरुषः ?
(i) प्रथमपुरुषः
(ii) उत्तमपुरुषः
(iii) अन्यपुरुषः
(iv) मध्यमपुरुषः।
उत्तर :
(i) प्रथमपुरुषः

(ट) ‘दोधूयमानाः’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) मान्
(ii) आन्
(iii) शानच्
(iv) शतृ।
उत्तर :
(iii) शानच्

(ठ) ‘आ + गम् + ल्यप्’ एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) आगमय
(ii) आगत्य
(iii) आगतः
(iv) आगमः।
उत्तर :
(iii) आगतः

(ड) ‘दा’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ?
(i) प्रथमा
(ii) द्वितीया
(iii) चतुर्थी
(iv) तृतीया।
उत्तर :
(iii) चतुर्थी

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ढ) ‘स्वर्गः’ इति पदस्य समानार्थपदमस्ति –
(i) नरकः
(ii) नाकः
(iii) कलुषम्
(iv) पातकम्।
उत्तर :
(ii) नाकः

(ण) ‘सन्तुलितः’ इति पदस्य विशेष्यम् –
(i) व्यवहारः
(ii) पत्रम्
(iii) जन्तवः
(iv) शिशवः।
उत्तर :
(i) व्यवहारः

(त) ‘भयम्’ इति पदस्य विलोमपदस्ति –
(i) सभयम्
(ii) निर्भयम्
(iii) भयभीत:
(iv) आभयम्।
उत्तर :
(ii) निर्भयम्

7. अधस्तनप्रश्नानां लिखित्तोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) तांस्ते’ इति पदे कः सन्धिविच्छेदः ?
(i) तान् + ते
(ii) तांस् + ते
(iii) तांन् + ते
(iv) ताम् + ते।
उत्तर :
(i) तान् + ते

(ख) ‘प्राप्तैव’ इति पदे का सन्धिः ?
(i) वृद्धिसन्धिः
(ii) गुणसन्धिः
(iii) यण्सन्धिः
(iv) अयादिसन्धिः
उत्तर :
(i) वृद्धिसन्धिः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ग) ‘त्वयि + एवम्’ इति पदे किं सन्धिपदम् ?
(i) त्वयिवम्
(ii) त्वयैवम्
(iii) तवैवम्
(iv) त्वय्येवम्।
उत्तर :
(iv) त्वय्येवम्।

(घ) ‘अर्थकार्यम्’ इति पदे विग्रहोऽस्ति
(i) अर्थस्य कार्यम्
(ii) अर्थात् कार्यम्
(ii) अर्थे कार्यम्
(iv) अर्थम् कार्यम्।
उत्तर :
(i) अर्थस्य कार्यम्

(ङ) ‘महान् ऋषिः’ इति विग्रहे किं समस्तपदम् ?
(i) महार्षिः
(ii) मर्हषिः
(iii) महर्षिः
(iv) माहर्षिः।
उत्तर :
(iii) महर्षिः

(च) ‘गुरूपदेशः’ अत्र कः समासः ?
(i) कर्मधारयः
(ii) अव्ययीभावः
(iii) बहुव्रीहिः
(iv) तत्पुरुषः।
उत्तर :
(iv) तत्पुरुषः।

(छ) ‘तत्, पुल्लिंग, तृतीया’ एकवचने रूपम्’
(i) तस्य
(ii) तव
(iii) तेन
(iv) तस्मात्।
उत्तर :
(i) तस्य

(ज) “वित्तानाम्’ इति पदे का विभक्तिः ?
(i) तृतीया
(ii) षष्ठी
(iii) सप्तमी
(iv) चतुर्थी।
उत्तर :
(ii) षष्ठी

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(झ) ‘दास्यति’ इति पदे कः धातुः ?
(i) यछ्
(ii) यच्छ्
(iii) दा
(iv) दाप्।
उत्तर :
(iii) दा

(ञ) ‘अपह्रियसे’ इति पदे कः लकार: ?
(i) लट्लकारः
(ii) लोटलकारः
(iii) लङ्लकारः
(iv) लृट्लकारः।
उत्तर :
(i) लट्लकारः

(ट) ‘अध्यासितव्यम्’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) तव्यत्
(ii) यत्
(iii) शतृ
(iv) शानच्।
उत्तर :
(i) तव्यत्

(ठ) ‘स्वी + कृ + ल्यप् एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) स्वीकारः
(ii) स्वीकृतः
(iii) स्वीकृत्य
(iv) स्वीकृत्यः
उत्तर :
(iii) स्वीकृत्य

(ड) ‘परितः’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ?
(i) प्रथमा
(ii) द्वितीया
(iii) तृतीया
(iv) पञ्चमी।
उत्तर :
(ii) द्वितीया

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ढ) “विस्मृतः’ इति पदस्य विलोमपदमस्ति
(i) आस्मृतः
(ii) स्मृतः
(iii) संस्मृतः
(iv) निस्स्मृतः
उत्तर :
(ii) स्मृतः

(ण) ‘सञ्चितम्’ इति पदस्य विशेष्यम्
(i) धनम्
(ii) बुद्धिः
(iii) दिवसम्
(iv) रक्षणम्।
उत्तर :
(i) धनम्

(त) असारः’ इति पदस्य समानार्थपदमस्ति –
(i) सारवान्
(ii) सारभूतः
(iii) निस्सारः
(iv) सारः।
उत्तर :
(iii) निस्सारः

8. अधस्तनप्रश्नानां लिखितोत्तर-विकल्पेषु शुद्धविकल्पं चित्वा उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘पित्रोक्तम्’ इति पदे कः सन्धिविच्छेदः?
(i) पित्रा + उक्तम्
(ii) पितृ + उक्तम्
(iii) पितृ + क्त
(iv) पितृ + उक्त।
उत्तर :
(i) पित्रा + उक्तम्

(ख) ‘तत्’ + धावतः’ इति पदे किं सन्धिपदम्?
(i) तत्धावतः
(ii) तद्धावतः
(iii) तदधावतः
(iv) तद्धावत।
उत्तर :
(ii) तद्धावतः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ग) ‘प्रत्युत्तरम्’ इति पदे का सन्धि ?
(i) यण्सन्धिः
(ii) अयादिसन्धिः
(iii) दीर्घसन्धिः
(iv) गुणसन्धिः।
उत्तर :
(i) यण्सन्धिः

(घ) ‘महान्धकारः’ इति पदे विग्रहोऽस्ति
(i) महान् एवं अन्धकारः
(ii) महा अन्धकारः
(iii) महान् अन्धकारः
(iv) महत् अन्धकारः।
उत्तर :
(ii) महा अन्धकारः

(ङ) ‘कालस्य खण्डः तस्मिन्’ इति विग्रहे किं समस्तपदम् ?
(i) कालखण्डः
(ii) कालखण्डात्
(iii) कालखण्डे
(iv) कालखण्डम्।
उत्तर :
(iii) कालखण्डे

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(च) ‘अहर्निशम्’ अत्र कः समासः?
(i) कर्मधारयः
(ii) द्विगुः
(iii) तत्पुरुषः
(iv) द्वन्द्वः
उत्तर :
(iv) द्वन्द्वः

(छ) ‘अस्मद्’ प्रथमा, एकवचने रूपम्
(i) अहम्
(ii) मया
(iii) वयम्
(iv) आवाम्।
उत्तर :
(i) अहम्

(ज) ‘शिशवः’ इति पदे का विभक्तिः ?
(i) द्वितीया
(ii) चतुर्थी
(iii) प्रथमा
(iv) तृतीया।
उत्तर :
(iii) प्रथमा

(झ) ‘अनुवर्तते’ इति पदे कः धातुः?
(i) वृत्
(ii) अनुवृत
(iii) अनु
(iv) वत्।
उत्तर :
(i) वृत्

(ञ) ‘पश्यन्ति’ इति पदे कः लकार: ?
(i) लृट्लकारः
(ii) लङ्लकारः
(iii) लोट्लकारः
(iv) लट्लकारः।
उत्तर :
(iv) लट्लकारः।

(ट) “सिद्धम्’ इति पदे कः प्रत्ययः?
(i) क्त
(ii) तल्
(iii) क्तवतु
(iv) ल्यप्।
उत्तर :
(i) क्त

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ठ) ‘कृ + शानच्’ एषां संयोगे किं रूपम् ?
(i) कुर्वाणः
(ii) कुर्वन्
(iii) कुर्वत्
(iv) कृतवान्।
उत्तर :
(i) कुर्वाणः

(ड) ‘परितः’ इति उपपदयोगे का विभक्तिः ?
(i) प्रथमा
(ii) द्वितीया
(iii) तृतीया
(iv) चतुर्थी।
उत्तर :
(ii) द्वितीया

(ढ) ‘गात्रम्’ इति पदस्य समानार्थपदमस्ति
(i) सततम्
(ii) पातकम्
(iii) शरीरम्
(iv) कलुषम्।
उत्तर :
(iii) शरीरम्

(ण) “रूक्षः’ इति पदस्य विशेष्यम्
(i) दिवसः
(ii) रात्रिः
(iii) व्यवहारः
(iv) वृक्षः।
उत्तर :
(iii) व्यवहारः

(त) ‘शत्रुता’ इति पदस्य विलोमपदमस्ति
(i) आर्जवम्
(ii) समता
(iii) पटुता
(iv) मित्रता।
उत्तर :
(iv) मित्रता।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

9. अधोलिखितदशप्रश्नानां प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु एकम् शुद्धविकल्पं विचित्य उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘प्रत्युज्जगाम’ इति पदे का सन्धिः वर्तते ?
(i) गुणसन्धिः
(ii) अयादिसन्धिः
(iii) दीर्घसन्धिः
(iv) यण्सन्धिः
उत्तर :
(iv) यण्सन्धिः

(ख) ‘उपनयतैनम्’ पदस्य सन्धिविच्छेदोऽस्ति –
(i) उपनयत + एनम्
(ii) उपनयत + ऐनम्
(iii) उपनय + तैनम्
(iv) उप + नयत + एनम्
उत्तर :
(i) उपनयत + एनम्

(ग) ‘अशेषम्’ अत्र कः समासः ?
(i) अव्ययीभावः
(ii) नञ्तत्पुरुषः
(iii) द्वन्द्वः
(iv) बहुव्रीहिः
उत्तर :
(ii) नञ्तत्पुरुषः

(घ) ‘दीर्घायुषम्’ इति पदस्य विग्रहः अस्ति –
(i) दीर्घा आयुः यस्य सः
(ii) दीर्घम् आयुः यस्य सः
(iii) दीर्घः आयुः यस्य सः
(iv) दीर्घम् आयुम् यस्य सः
उत्तर :
(ii) दीर्घम् आयुः यस्य सः

(ङ) ‘कृ + सन् + उ’ अत्र निष्पन्न रूपम् अस्ति –
(i) करिष्णुः
(ii) चरिष्णुः
(iii) चिकीर्षः
(iv) कीर्षुः
उत्तर :
(iii) चिकीर्षः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(च) ‘परिगृहीतः’ इति पदे कः प्रत्ययः –
(i) क्त
(ii) क्तवतु
(iii) शतृ
(iv) शानच्
उत्तर :
(i) क्त

(छ) ‘धुनोति’ इति पदस्य प्रकृति-प्रत्यय-विभागः –
(i) धूञ् + लट् + प्रथमपुरुष: + एकवचनम्
(ii) धूञ् + लट् + प्रथमपुरुष: + द्विवचनम्
(iii) धूञ् + लट् + प्रथमपुरुषः + बहुवचनम्
(iv) धूञ् + लट् + उत्तमपुरुषः + एकवचनम्
उत्तर :
(i) धूञ् + लट् + प्रथमपुरुष: + एकवचनम्

(ज) ‘स्था + शत’ अत्र निष्पन्नम् पदम् अस्ति –
(i) स्थितः
(ii) स्थितवान्
(iii) तिष्ठन्
(iv) स्थित्वा।
उत्तर :
(iii) तिष्ठन्

(झ) ‘सूर्ये’ इत्यस्य पदपरिचयः अस्ति –
(i) सूर्य + तृतीयाविभक्तिः + एकवचनम्
(ii) सूर्य + चतुर्थीविभक्तिः + एकवचनम्
(iii) सूर्य + षष्ठीविभक्तिः + एकवचनम्
(iv) सप्तमीविभक्तिः + एकवचनम्
उत्तर :
(iv) सप्तमीविभक्तिः + एकवचनम्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ञ) ‘विप्रत्ययः’ इति पदस्य विलोमपदम् अस्ति –
(i) सुप्रत्ययः
(ii) संप्रत्ययः
(iii) आप्रत्ययः
(iv) अनुप्रत्ययः
उत्तर :
(ii) संप्रत्ययः

10. अधोलिखितदशप्रश्नानां प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु एकम् शुद्धविकल्पं विचित्य उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘इत्युवाच’ इति पदे का सन्धिः वर्तते ?
(i) गुणसन्धिः
(ii) यण्सन्धिः
(iii) पररूपसन्धिः
(iv) दीर्घसन्धिः
उत्तर :
(ii) यण्सन्धिः

(ख) ‘सत्कविरिव’ पदस्य सन्धिविच्छेदोऽस्ति –
(i) सत्कविः + इव ….
(ii) सत्कवि + रिव…
(iii) सत्कविः + ईव
(iv) सत् + कवि + रिव
उत्तर :
(i) सत्कविः + इव ….

(ग) ‘प्रतारणकुशलाः’ इति पदे कः समासोऽस्ति ?
(i) कर्मधारयः
(ii) तत्पुरुषः
(iii) द्वन्द्वः
(iv) बहुव्रीहिः
उत्तर :
(ii) तत्पुरुषः

(घ) ‘गुणलुब्धाः’ इति पदस्य समास-विग्रहः –
(i) गुणाः लुब्धाः
(ii) गुणेषु लुब्धाः
(iii) गुणानां लुब्धाः
(iv) गुणान् लुब्धाः
उत्तर :
(ii) गुणेषु लुब्धाः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ङ) अनु + सु + लट्लकारः + प्रथमः पुरुषः + एकवचनम् अत्र निष्पन्नं रूपमस्ति –
(i) अनुसरति
(ii) अनुसार्यति
(ii) अनुसारयति
(iv) अनुसरन्ति।
उत्तर :
(i) अनुसरति

(च) ‘रताः’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) तव्यत्
(ii) तुमुन्
(iii) क्त्वा
(iv) क्त
उत्तर :
(iv) क्त

(छ) “समाचरन्’ इति पदस्य प्रकृति-प्रत्यय-विभागः –
(i) सम् + आ + चर् + शतृ
(ii) समा + चरन्
(iii) सम् + आ + चर् + शानच्
(iv) सम् + आ + चर् + यत्
उत्तर :
(i) सम् + आ + चर् + शतृ

(ज) ‘तृ + क्त्वा’ अत्र निष्पन्नम् पदमस्ति –
(i) ती|
(ii) तीर्त्य
(iii) तरित्वा
(iv) तृत्वा
उत्तर :
(i) ती|

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(झ) ‘त्वयि’ इत्यस्य पदपरिचयः अस्ति –
(i) युष्मद् शब्द + षष्ठी विभक्ति + एकवचन
(ii) युष्मद् शब्द + सप्तमी विभक्ति + एकवचन
(iii) युष्मद् शब्द + सप्तमी विभक्ति + द्विवचन
(iv) युष्मद् शब्द + षष्ठी विभक्ति + द्विवचन
उत्तर :
(ii) युष्मद् शब्द + सप्तमी विभक्ति + एकवचन

(ञ) ‘स्वगतम्’ इति पदस्य समानपदम् अस्ति –
(i) आगतम्
(ii) अनुगतम्
(iii) आत्मगतम्
(iv) सुगतम्
उत्तर :
(iii) आत्मगतम्

11. अधोलिखितदशप्रश्नानां प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु एकम् शुद्धविकल्पं विचित्य उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘एोहि’ इति पदे का सन्धिः वर्तते ?
(i) गुणसन्धिः
(ii) यण्सन्धिः
(iii) वृद्धिसन्धिः
(iv) अयादिसन्धिः
उत्तर :
(ii) यण्सन्धिः

(ख) ‘पुरुषोऽश्नुते’ पदस्य सन्धिविच्छेदोऽस्ति –
(i) पुरुषः + अश्नुते
(ii) पुरुषो + अश्नुते।
(iii) पुरुषो + श्नुते
(iv) पुरुषः + श्नुते
उत्तर :
(i) पुरुषः + अश्नुते

(ग) ‘अपगतमले’ इति पदे कः समासोऽस्ति ?
(i) बहुव्रीहिः
(ii) तत्पुरुषः
(iii) कर्मधारयः
(iv) अव्ययीभावः
उत्तर :
(i) बहुव्रीहिः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(घ) ‘चन्द्रोज्ज्वलाः’ इति पदस्य विग्रहः अस्ति –
(i) चन्द्र इव उज्ज्वलाः
(ii) चन्द्र उज्ज्वलाः
(iii) चन्द्रो ज्वलाः
(iv) चन्द्र इव ज्वलाः
उत्तर :
(i) चन्द्र इव उज्ज्वलाः

(ङ) ‘अभि + जन् + क्त’ अत्र निष्पन्न रूपम् अस्ति –
(i) अभिजनम्
(ii) अभिजन्यम्
(iii) अभिजातम्
(iv) अभिज्ञातम्
उत्तर :
(iii) अभिजातम्

(च) “निधाय’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) यत्
(ii) ल्यप्
(iii) क्त
(iv) शतृ
उत्तर :
(ii) ल्यप्

(छ) ‘अवगतम्’ इति पदस्य प्रकृति-प्रत्यय-विभाग: –
(i) अव + गम् + क्त
(ii) अव + गच्छ् + क्त
(iii) अव + गतम्
(iv) अवगत + अम्
उत्तर :
(i) अव + गम् + क्त

(ज) ‘बल + मतुप’ अत्र निष्पन्नं पदम् अस्ति –
(i) बलमान्
(ii) बलवान्
(iii) बलमतुप्
(iv) बलवतुप
उत्तर :
(ii) बलवान्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(झ) ‘लोचने’ इत्यस्य पदपरिचयः अस्ति –
(i) लोचन + प्रथमाविभक्तिः + एकवचनम्
(ii) लोचन + प्रथमाविभक्तिः + द्विवचनम्
(iii) लोचन + प्रथमाविभक्तिः + बहुवचनम्
(iv) लोचन + द्वितीयाविभक्तिः + एकवचनम्
उत्तर :
(ii) लोचन + प्रथमाविभक्तिः + द्विवचनम्

(ञ) ‘विधात्रा’ इति पदस्य समानपदम् अस्ति –
(i) विधिना
(ii) आत्मना
(iii) विधुना
(iv) निधात्रा
उत्तर :
(i) विधिना

12. अधोलिखितदशप्रश्नानाम् प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु एकम् शुद्धविकल्पं विचित्य उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘परमेश्वरः’ इति पदे का सन्धिः वर्तते ?
(i) यण्सन्धिः
(ii) गुणसन्धिः
(iii) पूर्वरूपसन्धिः
(iv) अयादिसन्धिः
उत्तर :
(ii) गुणसन्धिः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ख) ‘मातृणम्’ पदस्य सन्धिविच्छेदोऽस्ति
(i) मातृ + णम्
(ii) मा + तृणम्
(iii) मातृ + ऋणम्
(iv) मातृ + नम्
उत्तर :
(iii) मातृ + ऋणम्

(ग) ‘निर्जनम्’ अत्र कः समासः ?
(i) बहुव्रीहिः
(ii) नञ्तत्पुरुषः
(iii) अव्ययीभावः
(iv) द्वन्द्वः
उत्तर :
(ii) नञ्तत्पुरुषः

(घ) ‘कुम्भकारः’ इति पदस्य विग्रहः अस्ति
(i) कुम्भं कारः
(ii) कुम्भस्य कारः
(iii) कुम्भं करोति इति
(iv) कुम्भे कारः
उत्तर :
(iii) कुम्भं करोति इति

(ङ) ‘ईक्ष् + अनीयर’ अत्र निष्पन्नं रूपम् अस्ति –
(i) ईक्षणीयः
(ii) ईक्षनीयः
(iii) ईक्षानीयः
(iv) ईक्षाणीयः
उत्तर :
(i) ईक्षणीयः

(च) ‘क्रीणानः’ इति पदे कः प्रत्यय ?
(i) शानच्
(ii) क्त
(iii) क्तवतु
(iv) शतृ
उत्तर :
(i) शानच्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(छ) ‘दीव्यत्’ इति पदस्य प्रकृति-प्रत्यय-विभागः –
(i) दीव् + शतृ
(i) दीव्य + शतृ
(iii) दिव् + शतृ
(iv) दिव्य + शतृ
उत्तर :
(iii) दिव् + शतृ

(ज) ‘कृ + क्तवतु’ अत्र निष्पन्नम् पदम् अस्ति –
(i) क्रतव्यः
(ii) करितव्यः
(iii) कृतत्व्यः
(iv) कृतवत्
उत्तर :
(iv) कृतवत्

(झ) ‘हृदि’ इत्यस्य पदपरिचयः अस्ति –
(i) हृत् + तृतीयाविभक्तिः एकवचनम्
(ii) हृत् + सप्तमीविभक्तिः एकवचनम्
(iii) हृत् + द्वितीयाविभक्तिः एकवचनम्
(iv) हृत् + चतुर्थीविभक्तिः एकवचनम्
उत्तर :
(ii) हृत् + सप्तमीविभक्तिः एकवचनम्

(ञ) ‘तत्र’ इति पदस्य विलोमपदम् अस्ति –
(i) यत्र
(ii) अत्र
(iii) सर्वत्र
(iv) परत्र
उत्तर :
(ii) अत्र

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

13. अधोलिखितदशप्रश्नानाम् प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु एकम् शुद्धविकल्पं विचित्य उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘पर्याकुलाः’ इति पदे का सन्धिः वर्तते ?
(i) गुणसन्धिः
(ii) यण्सन्धिः
(iii) पररूपसन्धिः
(iv) दीर्घसन्धिः
उत्तर :
(ii) यण्सन्धिः

(ख) ‘कर्मणैव’ पदस्य सन्धिविच्छेदोऽस्ति –
(i) कर्मणा एवं
(ii) कर्म णैव
(iii) कर्मणा इव
(iv) कर्मना एव
उत्तर :
(i) कर्मणा एवं

(ग) ‘सृष्टिधारास’ इति पदे कः समासोऽस्ति ?
(i) कर्मधारयः
(ii) तत्पुरुषः
(iii) द्वन्द्वः
(iv) बहुव्रीहिः
उत्तर :
(ii) तत्पुरुषः

(घ) ‘धनादेशः’ इति पदस्य समास-विग्रहः
(i) धनाय आदेशः
(ii) धनस्य आदेश:
(iii) धनेन आदेश:
(iv) धनम् आदेशः
उत्तर :
(i) धनाय आदेशः

(ङ) ‘अव + धा + ल्युट्’ अत्र निष्पन्न रूपम् अस्ति –
(i) अवधाय
(ii) अवधातुम्
(iii) अवधानम्
(iv) अवधातः
उत्तर :
(i) अवधाय

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(च) ‘न्यूनीभूतम्’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) तव्यत्
(ii) क्त
(iii) शतृ
(iv) तुमुन्
उत्तर :
(ii) क्त

(छ) ‘अभियोगः’ इति पदस्य प्रकृति-प्रत्यय-विभागः —
(i) अभि + युज् + घञ्
(ii) अभि + युज् + क्त
(iii) अभि + युज् + शतृ
(iv) अभि + युज् + क्त्वा
उत्तर :
(i) अभि + युज् + घञ्

(ज) “सम् + चिन्त् + अनीयर’ अत्र निष्पन्नम् पद्म अस्ति –
(i) समचिन्तनीयम्
(i) समचिन्तनीयर
(iii) संचिन्तनीयम्
(iv) सञचिन्त्यनीयम्
उत्तर :
(iii) संचिन्तनीयम्

(झ) ‘गुरवे’ इत्यस्य पदपरिचयः अस्ति –
(i) गुरु + तृतीयाविभक्तिः एकवचनम्
(ii) गुरु + चतुर्थीविभक्तिः एकवचनम्
(iii) गुरु + द्वितीयाविभक्तिः एकवचनम्
(iv) गुरु + सप्तमीविभक्तिः एकवचनम्
उत्तर :
(ii) गुरु + चतुर्थीविभक्तिः एकवचनम्

(ब) ‘जीवनम्’ इति पदस्य विलोमपदम् अस्ति –
(i) मरणम्
(ii) मुक्तः
(iii) अविद्या
(iv) युक्तम्
उत्तर :
(i) मरणम्

14. अधोलिखितदशप्रश्नानाम् प्रदत्तोत्तरविकल्पेषु एकम् शुद्धविकल्पं विचित्य उत्तरपुस्तिकायां लिखत –
(क) ‘अप्यसारः’ इति पदे का सन्धिः वर्तते ?
(i) पूर्वरूपसन्धिः
(ii) गुणसन्धिः
(iii) यण्सन्धिः
(iv) वृद्धिसन्धिः
उत्तर :
(iii) यण्सन्धिः

(ख) ‘श्रेयश्च’ पदस्य सन्धिविच्छेदोऽस्ति –
(i) श्रेय + च
(ii) श्रेयः + च
(iii) श्रेयस् + च
(iv) श्रेयस + च
उत्तर :
(ii) श्रेयः + च

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ग) ‘परप्रतारकाः’ इति पदे कः समासोऽस्ति ?
(i) बहुव्रीहिः
(ii) तत्पुरुषः
(iii) अव्ययीभावः
(iv) कर्मधारयः
उत्तर :
(ii) तत्पुरुषः

(घ) ‘मनोनिवेशः’ इति पदस्य विग्रहः अस्ति –
(i) मनसि निवेशः
(ii) मनः निवेशः
(iii) मनसः निवेशः
(iv) मनसा निवेशः
उत्तर :
(iv) मनसा निवेशः

(ङ) ‘अति + क्रम + क्त’ अत्र निष्पन्न रूपम् अस्ति –
(i) अतिक्रमतः
(ii) अतिक्रम्य
(ii) अतिक्रतः
(iv) अतिक्रान्तम्
उत्तर :
(iv) अतिक्रान्तम्

(च) ‘उपगम्य’ इति पदे कः प्रत्ययः ?
(i) क्त
(ii) ल्यप्
(iii) क्त्वा
(iv) शतृ
उत्तर :
(ii) ल्यप्

(छ) ‘अन्वेषणीयम्’ इति पदस्य प्रकृति-प्रत्यय-विभागः –
(i) अनु + इष् + अनीयर्
(ii) अनु + इष + क्त
(ii) अनु + इष् + क्त्वा
(iv) अनु + इष् + ल्यप्
उत्तर :
(i) अनु + इष् + अनीयर्

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ज) ‘श्रु + क्त्वा’ अत्र निष्पन्नम् पदम् अस्ति –
(i) श्रुत्वः
(ii) श्रुत्वा
(iii) श्रुक्त्वा
(iv) श्रुत्य
उत्तर :
(ii) श्रुत्वा

(झ) ‘वचसि’ इत्यस्य पदपरिचयः अस्ति –
(i) वचस् + चतुर्थीविभक्तिः, एकवचनम्
(ii) वचस् + सप्तमीविभक्तिः, एकवचनम्
(iii) वचस् + तृतीयाविभक्तिः, एकवचनम्
(iv) वचस् + द्वितीयाविभक्तिः, एकवचनम्
उत्तर :
(i) वचस् + चतुर्थीविभक्तिः, एकवचनम्

(ञ) ‘राग’: इति पदस्य विलोमपदम् अस्ति –
(i) आसक्तिः
(ii) त्यागः
(iii) ग्राही
(iv) प्रेमः
उत्तर :
(ii) त्यागः

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

15. (क) निर्देशानुसारं रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत
(i) ‘वज्रः भिन्नम्’ – अत्र समस्तपदम् ……….. अस्ति।
(ii) ‘अति + आसङ्गः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ……….. अस्ति।
(iii) ‘खन् + ल्युट्’ अत्र निष्पन्नं पदम् ……….. अस्ति।
उत्तर :
(i) ‘वक्रैः भिन्नम्’ – अत्र समस्तपदम् ‘वज्रभिन्नम्’ अस्ति।
(ii) ‘अति + आसङ्गः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ‘अत्यासङ्गः’ अस्ति।
(iii) ‘खन् + ल्युट्’ अत्र निष्पन्नं पदम् ‘खननम्’ अस्ति।

(ख) अधोलिखितपदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोग: करणीयः –
(i) अधिगच्छति,
(ii) इतः,
(iii) अर्घ्यम्।
उत्तर :
(i) अधिगच्छति- विद्यया अमृतम् अधिगच्छति। (विद्या से अमरता को प्राप्त करता है।)
(ii) इतः- इतः कः आयाति? (इधर से कौन आ रहा है ?)
(iii) अर्घ्यम्- भक्तः सूर्याय अर्घ्यम् अर्पयति। (भक्त सूर्य को अर्घ्य दे रहा है।)

16. (क) निर्देशानुसारं रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत
(i) ‘दुर्बला आशा यस्य सः’ अत्र समस्तपदम् ……… अस्ति।
(ii) ‘तत् + तसिल्’ अत्र निष्पन्नं पदम् ……….. अस्ति।
(iii) ‘प्रति + अग्रहीत्’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ………. अस्ति।
उत्तर :
(i) ‘दुर्बला आशा यस्य सः’ अत्र समस्तपदम् ‘दुर्बलाशः’ अस्ति।
(ii) ‘तत् + तसिल्’ अत्र निष्पन्नं पदम् ‘ततः’ अस्ति।
(iii) ‘प्रति + अग्रहीत्’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ‘प्रत्यग्रहीत्’ अस्ति।

(ख) अधोलिखितपदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोगः करणीयः –
(i) सुखेन,
(ii) अमृतम्,
(iii) उवाच।
उत्तर :
(i) सुखेन- बालिका सुखेन शेते। (बालिका सुखपूर्वक सो रही है।)
(ii) अमृतम्- विद्यया अमृतम् अश्नुते। (विद्या से अमरता को प्राप्त करता है।)
(iii) उवाच- श्रीकृष्णः उवाच। (श्रीकृष्ण ने कहा।)

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

17. (क) निर्देशानुसारं रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत
(i) ‘उष्णाः रश्मयः यस्य सः’ अत्र समस्तपदम् ……. अस्ति।
(ii) ‘कर्मणा + एव’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ……….. अस्ति।
(iii) ‘सम् + दृश् + शतृ’ अत्र निष्पन्नं पदम् ………. अस्ति।
उत्तर :
(i) ‘उष्णाः रश्मयः यस्य सः’ अत्र समस्तपदम् ‘उष्णरश्मिः’ अस्ति।
(ii) ‘कर्मणा + एव’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ‘कर्मणैव’ अस्ति।
(iii) ‘सम् + दृश् + शतृ’ अत्र निष्पन्नं पदम् ‘संपश्यन्’ अस्ति।

(ख) अधोलिखितपदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोगः करणीयः –
(i) अनुश्रूयते,
(ii) चिराय,
(iii) यौवनम्।
उत्तर :
(i) अनुश्रूयते- राजा रघुः सर्वस्वदानम् अकरोत् इति अनुश्रूयते।
(राजा रघु ने सर्वस्वदान कर दिया था ऐसा सुना जाता है।)
(ii) चिराय – राजा चिराय प्रजाः अपालयत्।
(राजा ने लम्बे समय तक प्रजा की पालना की।)
(iii) यौवनम् – यत्नेन यौवनं रक्षणीयम्।
(प्रयत्न पूर्वक यौवन की रक्षा करनी चाहिए।)

18. (क) निर्देशानुसारं रिक्तस्थानपूर्ति कुरुत –
(i) ‘मदेन अन्धः’ अत्र समस्तपदम् ………….. अस्ति।
(ii) ‘पुरः + कारः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ……………. अस्ति।
(iii) ‘वच् क्त्वा’ अत्र निष्पन्नं पदम् …………… अस्ति।
उत्तर :
(i) ‘मदेन + अन्धः’ अत्र समस्तपदम् ‘मदान्धः’ अस्ति।
(ii) ‘पुरः + कारः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ‘पुरस्कारः’ अस्ति।

(ख) अधोलिखितपदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोगः करणीयः –
(i) समुपस्थितम्
(ii) विनयम्
(iii) स्पृशति।
उत्तर :
(वाक्यप्रयोगः)
(i) समुपस्थितम् – गुरुः समुपस्थितं शिष्यम् उवाच।
(ii) विनयम् – विद्या विनयं ददाति।
(iii) स्पृशति – बालकः पुष्पं स्पृशति।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

19. (क) निर्देशानुसारं रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत –
(i) ‘विनयेन शिशिरः’ अत्र समस्तपदम् ………….. अस्ति।
(ii) ‘नमः + कारः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ……………. अस्ति।
(iii) ‘परि + क्लिश् + क्तः अत्र निष्पन्नं पदम् ………….. अस्ति।
उत्तर :
(i) ‘विनयेन शिशिरः’ अत्र समस्तपदम् ‘विनयशिशिरः’ अस्ति।
(ii) ‘नमः + कारः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ‘नमस्कारः’ अस्ति।
(iii) परि + क्लिश् + क्त, अत्र निष्पन्नं पदम् ‘परिक्लिष्टः’ अस्ति।

(ख) अधोलिखितपदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोग: करणीयः –
(i) नीरजम्
(ii) वित्तानाम्
(iii) रोचते।
उत्तर :
(i) नीरजम् – सरोवरे नीरजं विकसति।
(ii) वित्तानाम् – आपत्कालाय वित्तानां संचयः कर्तव्यः।
(iii) रोचते – मह्यं दधि न रोचते।

20. (क) निर्देशानुसारं रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत –
(i) ‘मदेन अन्धः’ अत्र समस्तपदम् ………….. अस्ति।
(ii) ‘तिरः + कारः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् …………… अस्ति।
(iii) ‘वि + अस् + क्त’ अत्र निष्पन्नम् पदम् ………… अस्ति।
उत्तर :
(i) ‘मदेन अन्धः’ अत्र समस्तपदम् ‘मदान्धः’ अस्ति।
(ii) ‘तिरः + कारः’ अत्र सन्धियुक्तपदम् ‘तिरस्कारः’ अस्ति।
(iii) “वि + अस् + क्त’ अत्र निष्पन्नं पदम् ‘व्यस्तम्’ अस्ति।

HBSE 12th Class Sanskrit व्याकरणम् अनुप्रयुक्तव्याकरणम् बहुविकल्पीय प्रश्न

(ख) अधोलिखितपदानां संस्कृतवाक्येषु प्रयोग: करणीयः
(i) धीराः,
(ii) नीरजम्
(iii) जरा।
उत्तर :
(i) धीराः – धीराः जनाः सन्मार्गान् न विचलन्ति।
(ii) नीरजम् – सरोवरे नीरजं शोभते।
(ii) जरा – जरा अवस्था कष्टप्रदा भवति।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात को क्या कहते हैं?
(A) स्थानीय व्यापार
(B) अनुकूल व्यापार
(C) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(D) क्षेत्रीय व्यापार
उत्तर:
(C) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कितने प्रकार का होता है?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(A) 2

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार हैं-
(A) समुद्री बंदरगाह
(B) हवाई पत्तन
(C) जहाजों की रक्षा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) हवाई पत्तन

4. जब एक ही क्षेत्र के निवासी वस्तु विनिमय करते हैं, तो यह कौन-सा व्यापार है?
(A) स्थानीय व्यापार
(B) क्षेत्रीय व्यापार
(C) राष्ट्रीय व्यापार
(D) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
उत्तर:
(A) स्थानीय व्यापार

5. क्षेत्रीय व्यापार को कहते हैं-
(A) स्थानीय व्यापार
(B) देशी व्यापार
(C) बहुपक्षीय व्यापार
(D) द्विपक्षीय व्यापार
उत्तर:
(B) देशी व्यापार

6. दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय क्या कहलाता है?
(A) व्यापार
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(C) क्षेत्रीय व्यापार
(D) द्विपक्षीय व्यापार
उत्तर:
(D) द्विपक्षीय व्यापार

7. आयात और निर्यात के बीच मूल्य के अंतर को क्या कहा जाता है?
(A) व्यापार संतुलन
(B) अनुकूल व्यापार संतुलन
(C) विलोम व्यापार संतुलन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यापार संतुलन

8. जब निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो व्यापार कहलाता है-
(A) व्यापार संतुलन
(B) अनुकूल व्यापार संतुलन
(C) ऋणात्मक व्यापार संतुलन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) ऋणात्मक व्यापार संतुलन

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

9. ओपेक में सम्मिलित देश नहीं है-
(A) ईरान
(B) कुवैत
(C) भारत
(D) इराक
उत्तर:
(C) भारत

10. एक देश द्वारा दूसरे देश से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद कहलाती है-
(A) व्यापार
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(C) आयात
(D) निर्यात
उत्तर:
(C) आयात

11. एक देश द्वारा दूसरे देश को वस्तुओं का भेजना, क्या कहलाता है?
(A) व्यापार
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(C) निर्यात
(D) आयात
उत्तर:
(C) निर्यात

12. निम्नलिखित में से कौन-सा देश सार्क (SAARC) का सदस्य नहीं है?
(A) भारत
(B) चीन
(C) पाकिस्तान
(D) भूटान
उत्तर:
(B) चीन

13. गैट व्यापारिक समझौता लागू हुआ था
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1959 में
(C) सन् 1994 में
(D) सन् 2005 में
उत्तर:
(A) सन् 1948 में

14. निम्नलिखित देशों में से कौन-सा सार्क का नया सदस्य बना है?
(A) भूटान
(B) नेपाल
(C) श्रीलंका
(D) अफगानिस्तान
उत्तर:
(D) अफगानिस्तान

15. विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है?
(A) न्यूयार्क
(B) जेनेवा
(C) पेरिस
(D) शंघाई
उत्तर:
(B) जेनेवा

16. सार्क (SAARC) के सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
(A) 6
(B) 7
(C) 8
(D) 9
उत्तर:
(C) 8

17. अंतर्राष्ट्रीय तेल उत्पादक राष्ट्रों का समूह है-
(A) सार्क (SAARC)
(B) आसियान (ASEAN)
(C) 311406 (OPEC)
(D) इ०यू० (यूरोपीय संघ)
उत्तर:
(C) 311406 (OPEC)

18. आसियान का मुख्यालय है-
(A) जकार्ता में
(B) पेरिस में
(C) जेनेवा में
(D) लंदन में
उत्तर:
(A) जकार्ता में

19. जो पत्तन समुद्री मार्गों के मध्य विकसित होते हैं, उन्हें कहा जाता है-
(A) पोर्ट ऑफ कॉल पत्तन
(B) बाह्य पत्तन
(C) आंतरिक पत्तन
(D) सवारी पत्तन
उत्तर:
(A) पोर्ट ऑफ कॉल पत्तन

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

20. गहरे समुद्र में बनाए गए पत्तन को कहा जाता है-
(A) आंतरिक पत्तन
(B) बाह्य पत्तन
(C) तैल पत्तन
(D) सवारी पत्तन
उत्तर:
(B) बाह्य पत्तन

21. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष में सम्मिलित है-
(A) व्यापार का परिमाण
(B) व्यापार की दिशा
(C) व्यापार का संयोजन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

22. हगली नदी पर बना कोलकाता पत्तन निम्नलिखित में से किस प्रकार का है?
(A) बाह्य पत्तन
(B) आंत्रेपो पत्तन
(C) आंतरिक पत्तन
(D) सवारी पत्तन
उत्तर:
(C) आंतरिक पत्तन

23. जिन पत्तनों पर तेल का आयात-निर्यात और परिष्करण होता है, उन्हें कहा जाता है-
(A) वाणिज्यिक पत्तन
(B) बाह्य पत्तन
(C) आंतरिक पत्तन
(D) तैल पत्तन
उत्तर:
(D) तैल पत्तन

24. फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान निम्नलिखित में किस प्रकार का पत्तन है?
(A) वाणिज्यिक पत्तन
(B) नौ सैनिक पत्तन
(C) तैल पत्तन
(D) आंत्रेपो पत्तन
उत्तर:
(C) तैल पत्तन

25. कौन-से देश ने इलैक्ट्रॉनिक के सामान के व्यापार में विशिष्ट दक्षता प्राप्त की है तथा जिसकी मांग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है?
(A) भारत
(B) चीन
(C) अमेरिका
(D) जापान
उत्तर:
(D) जापान

26. छोटे-छोटे कल पुों के विशिष्टीकरण के व्यापार को कहा जाता है-
(A) क्षैतिज व्यापार
(B) उर्ध्वाधर व्यापार
(C) द्विपक्षीय व्यापार
(D) बहुपक्षीय व्यापार
उत्तर:
(B) उर्ध्वाधर व्यापार

27. व्यापारिक अनुबंधों में सामान्यीकृत प्रणाली से कार्य करने वाले देशों के समूह को कहा जाता है-
(A) व्यापार संघ
(B) प्रादेशिक व्यापार संघ
(C) यूरोपीय संघ
(D) दक्षिण एशिया प्रादेशिक सहयोग संघ
उत्तर:
(A) व्यापार संघ

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

28. बंदरगाह जो जंगी जहाजों के लिए काम करता है, उसे कहते हैं-
(A) तेल बंदरगाह
(B) आंतरिक पत्तन
(C) पोर्ट ऑफ काल
(D) नौ सैनिक पत्तन
उत्तर:
(D) नौ सैनिक पत्तन

29. जब आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है, तो व्यापार कहलाता है-
(A) व्यापार संतुलन
(B) ऋणात्मक व्यापार संतुलन
(C) धनात्मक व्यापार संतुलन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) धनात्मक व्यापार संतुलन

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात को क्या कहते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार।

प्रश्न 2.
विश्व व्यापार संगठन (W.T.0.) की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1995 में।

प्रश्न 3.
जब एक ही क्षेत्र के निवासी वस्तु-विनिमय करते हैं, तो यह कौन-सा व्यापार है?
उत्तर:
स्थानीय व्यापार।

प्रश्न 4.
दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय क्या कहलाता है?
उत्तर:
द्विपक्षीय व्यापार।

प्रश्न 5.
एक देश द्वारा दूसरे देश को वस्तुओं का भेजना, क्या कहलाता है?
उत्तर:
निर्यात।

प्रश्न 6.
विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
जेनेवा में।

प्रश्न 7.
किस महाद्वीप में विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका में।

प्रश्न 8.
सार्क (SAARC) के सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
आठ।

प्रश्न 9.
आसियान के कोई दो सदस्य देशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. मलेशिया
  2. इण्डोनेशिया।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 10.
जो पत्तन समुद्री मार्गों के मध्य विकसित होते हैं, उन्हें क्या कहा जाता है?
उत्तर:
पोर्ट ऑफ कॉल पत्तन।

प्रश्न 11.
हुगली नदी पर बना कोलकाता पत्तन किस प्रकार का पत्तन है?
उत्तर:
आंतरिक प्रकार का।

प्रश्न 12.
जिन पत्तनों पर तेल का आयात-निर्यात और परिष्करण होता है, उन्हें क्या कहा जाता है?
उत्तर:
तैल पत्तन।

प्रश्न 13.
कौन-से देश ने इलेक्ट्रॉनिक के सामान के व्यापार में विशिष्ट दक्षता प्राप्त की है?
उत्तर:
जापान ने।

प्रश्न 14.
जो पत्तन जंगी जहाजों के लिए काम करता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
नौ सैनिक पत्तन।

प्रश्न 15.
सार्क देशों का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
काठमाण्डू (नेपाल) में।

प्रश्न 16.
व्यापार के दो प्रकार बताइए।
उत्तर:

  1. घरेलू व्यापार
  2. विदेशी व्यापार।

प्रश्न 17.
यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
ब्रूसेल्स में।

प्रश्न 18.
भारत किस प्रादेशिक व्यापार समूह का सदस्य है?
उत्तर:
साफ्टा (SAFTA)।

प्रश्न 19.
उस देश का नाम लिखें जहाँ व्यापारिक रूप से हर किसान सहकारी संस्था का सदस्य है?
उत्तर:
डेनमार्क।

प्रश्न 20.
आसियान का गठन कब हुआ और इसका मुख्यालय कहाँ है?
अथवा
आसियान समूह का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
गठन-वर्ष 1967 में; मुख्यालय-जकार्ता में।

प्रश्न 21.
विश्व व्यापार संगठन (W.T.0.) की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
15 अप्रैल, 1997 को।

प्रश्न 22.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय (E.E.C.) का गठन कब हुआ?
उत्तर:
मार्च, 1957 में।

प्रश्न 23.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय को कब ‘यूरोपीय संघ’ नाम दिया गया?
अथवा
यूरोपीय संघ का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1992 में।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 24.
नाफ्टा का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1988 में।

प्रश्न 25.
साफ्टा का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 2006 में।

प्रश्न 26.
ओपेक का गठन कब हुआ और इसका मुख्यालाय कहाँ है?
अथवा
ओपेक देशों के समूह का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
गठन-सन् 1949 में; मुख्यालय-वियना में।

प्रश्न 27.
किन्हीं दो प्रादेशिक व्यापार समूहों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. आसियान
  2. साफ्टा।

प्रश्न 28.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का तोरण या अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वारा किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पत्तन (Port) को।

प्रश्न 29.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसका परिणाम है?
उत्तर:
उत्पादन में विशिष्टीकरण का।

प्रश्न 30.
रेशम मार्ग किन दो देशों को आपस में जोड़ता है?
उत्तर:
चीन तथा दक्षिणी-पश्चिमी एशिया को।

प्रश्न 31.
अनुकूल व्यापार संतुलन से क्या तात्पर्य है?
अथवा
किसी देश का व्यापार संतुलन धनात्मक कब होता है?
उत्तर:
जब निर्यात का मूल्य आयात के मूल्य से अधिक हो तो उसे धनात्मक या अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

प्रश्न 32.
गैट (GATT) को कब विश्व व्यापार संगठन (WTO) में रूपांतरित किया गया?
उत्तर:
सन् 1995 में।

प्रश्न 33.
निम्नलिखित का पूर्ण रूप लिखें-

  1. WTO
  2. GATT
  3. OPEC
  4. EEC
  5. SAARC
  6. CIS
  7. COMECON
  8. EFTA
  9. ASEAN
  10. NAFTA
  11. SAFTA
  12. LAIA

उत्तर:

  1. WTO : World Trade Organisation
  2. GATT : General Agreement on Trade and Tariffs
  3. OPEC : Organisation of Petroleum Exporting Countries
  4. EEC : European Economics Community
  5. SAARC : South Asian Association of Regional Co-operation
  6. CIS : Common Wealth of Independent States
  7. COMECON : Council for Mutual Economic Assistance
  8. EFTA : European Free Trade Association
  9. ASEAN : Association of South East Asian Nations
  10. NAFTA : North American Free Trade Agreement
  11. SAFTA: South Asian Free Trade Area
  12. LAIA : Latin American Integration Association

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है?
उत्तर:
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

प्रश्न 2.
तटीय व्यापार क्या है?
उत्तर:
एक ही देश की बंदरगाहों के बीच होने वाला व्यापार तटीय व्यापार कहलाता है।

प्रश्न 3.
आयात क्या है?
उत्तर:
किसी दूसरे देश से किसी वस्तु या सेवा का अपने देश के लिए खरीदना आयात कहलाता है।

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प्रश्न 4.
निर्यात क्या है?
उत्तर:
किसी वस्तु या सेवा का दूसरे देश में बेचना निर्यात कहलाता है।

प्रश्न 5.
उर्ध्वाधर व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई देश एक वस्तु का दूसरे देश से आयात कर अपने यहाँ उपभोग कर किसी अन्य वस्तु का निर्माण कर उसे किसी दूसरे देश को निर्यात करे तो उसे उर्ध्वाधर व्यापार कहते हैं।

प्रश्न 6.
क्षैतिज व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी उत्पाद का संपूर्ण कार्य एक ही देश में हो और उसे दूसरे देश में निर्यात किया जाए तो उसे क्षैतिज व्यापार कहते हैं।

प्रश्न 7.
संसार के पाँच सबसे बड़े व्यापारिक देशों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. युनाइटेड किंगडम
  3. फ्रांस
  4. जर्मनी
  5. जापान।

प्रश्न 8.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के चार महत्त्वपूर्ण पक्ष कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. व्यापार की मात्रा
  2. व्यापार की संरचना या संगठन
  3. व्यापार की दिशा
  4. व्यापार संतुलन।

प्रश्न 9.
व्यापार संघ क्या है?
उत्तर:
व्यापार संघ ऐसे देशों का समूह होता है जिनके बीच व्यापारिक शर्तों की सामान्यीकृन प्रणाली काम करती है।

प्रश्न 10.
ओपेक देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
ओपेक देश 13 हैं इरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, वेनेजुएला, अल्जीरिया, इक्वेडोर, इंडोनेशिया, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, गैबन व संयुक्त अरब अमीरात (UAE)।

प्रश्न 11.
सार्क (SAARC) देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
सार्क देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान हैं। ये आठ दक्षिण एशियाई देश हैं।

प्रश्न 12.
प्रतिकूल व्यापार संतुलन से क्या तात्पर्य है?
अथवा
किसी देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक कब होता है?
उत्तर:
जब निर्यात का मूल्य आयात के मूल्य से कम हो तो ऋणात्मक या प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

प्रश्न 13.
‘सैलेरी’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘सैलेरी’ शब्द लैटिन भाषा के शब्द “सैलेरिअम’ से बना है, जिसका अर्थ है-नमक के द्वारा भुगतान। क्योंकि उस समय समुद्र के जल से नमक बनाने का पता नहीं था : यही वजह है कि यह भुगतान का एक माध्यम बना।

प्रश्न 14.
विदेशी मुद्रा विनिमय क्या है?
उत्तर:
यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा का दूसर देश की मुद्रा से अदल-बदल किया जाता है।

प्रश्न 15.
अंतर्देशीय पत्तन किसे कहते हैं? दो उदाहरण दें।
उत्तर:
ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज़ द्वारा ही गम्य होते हैं; जैसे मानचेस्टर, कोलकाता।

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प्रश्न 16.
बाह्य पत्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में असमर्थ हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएँ प्रदान करते हैं।

प्रश्न 17.
धनात्मक व्यापार संतुलन क्या होता है?
उत्तर:
किसी समयावधि में आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। यदि किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो ऐसे देशों के व्यापार संतुलन को धनात्मक कहा जाता है। इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

प्रश्न 18.
रेशम मार्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
रेशम मार्ग एक स्थलीय मार्ग है जो प्राचीनकाल में चीन तथा दक्षिणी पश्चिमी एशिया को व्यापारिक दृष्टि से जोड़ता था। इस मार्ग द्वारा कारवां रेशम, दाल चीनी, लोहे का सामान आदि अपने साथ व्यापार के लिए लेकर चलते थे। इस मार्ग पर प्राचीन नगरों के अवशिष्ट क्षेत्र अब भी दिखाई पड़ते हैं।

प्रश्न 19.
पारस्परिक आर्थिक सहयोग परिषद् (COMECON) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
इस परिषद् का गठन पूर्वी यूरोप के सात देशों रूस, बुल्गेरिया, चेको-स्लोवाकिया, हंगरी, जर्मनी, पोलैंड तथा रोमानिया ने किया। इन देशों की परिषद् ने आर्थिक नियोजन के अंतर्गत ही व्यापार की नीतियों का निर्धारण किया है।

प्रश्न 20.
प्रादेशिक व्यापार समूह क्या होता है?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूहों का जन्म भौगोलिक सामीप्य एवं समरूपता वाले देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने तथा विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबन्धों को हटाने के लिए हुआ है। वर्तमान में 120 व्यापार समूह विश्व के लगभग 52 प्रतिशत व्यापार का जनन कर रहे हैं। इन व्या समूहों का विकास प्रादेशिक व्यापार को गति देने में वैश्विक संगठनों के असफल होने के प्रत्युत्तर में हुआ है।

प्रश्न 21.
मुक्त व्यापार अथवा व्यापारिक उदारीकरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
व्यापार के लिए बिना किसी शर्त के अर्थव्यवस्थाओं को खोलने की प्रक्रिया को मुक्त व्यापार कहते हैं। इसको व्यापारिक उदारीकरण भी कहा जाता है।

प्रश्न 22.
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:

  1. व्यापार की मदों में भौगोलिक समीपता, समरूपता व पूरकता प्राप्त होना।
  2. विभिन्न राष्ट्रों के बीच व्यापार बढ़ने व व्यापार पर प्रतिबंध हटाने में सहायता मिलना।

प्रश्न 23.
प्रादेशिक व्यापार समूहों का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:

  1. व्यापार शुल्क को समाप्त करना या हटाना।
  2. मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
  3. व्यापार की मदों में भौगोलिक समीपता, समरूपता व पूरकता लाना।
  4. व्यापार को बढ़ावा देना और विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध हटाना आदि।

प्रश्न 24.
यूरोपीय संघ व्यापार समूह में कौन-से पाँच देश शामिल हैं?
उत्तर:

  1. ऑस्ट्रिया
  2. बेल्जियम
  3. डेनमार्क
  4. फ्रांस
  5. फिनलैंड आदि।

प्रश्न 25.
साफ्टा व्यापार समूह में शामिल किन्हीं पाँच देशों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. बांग्लादेश
  2. मालदीव
  3. भूटान
  4. नेपाल
  5. भारत

प्रश्न 26.
आसियान व्यापार समूह में शामिल किन्हीं पाँच देशों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. ब्रुनेई
  2. इंडोनेशिया
  3. मलेशिया
  4. सिंगापुर
  5. थाइलैंड।

प्रश्न 27.
प्रादेशिक व्यापार समूह के कोई चार संगठन बताएँ।
उत्तर:

  1. ओपेक
  2. आसियान
  3. साफ्टा
  4. नाफ्टा।

प्रश्न 28.
विनिमय व्यवस्था (Barter System) क्या होती है?
अथवा
वस्तु विनिमय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आदिम समाज में व्यापार का आरम्भिक रूप विनिमय व्यवस्था (Barter System) थी जिसमें बिना मुद्रा के वस्तुओं के विनिमय द्वारा ही व्यापार होता था अर्थात् वस्तु के बदले वस्तु ही दी जाती थी। यह व्यवस्था आज भी विश्व की आदिवासी जातियों में प्रचलित है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
व्यापार कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
व्यापार निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-

  1. स्थानीय व्यापार-इसमें एक ही क्षेत्र के निवासी वस्तुओं का आदान-प्रदान करते हैं।
  2. क्षेत्रीय व्यापार-इसमें एक से दूसरे क्षेत्र में वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है। इसे देशी व्यापार भी कहते हैं।
  3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार-इसमें विभिन्न देश आपस में व्यापार करते हैं।

प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दो प्रकार का हो सकता है-

  1. द्विपक्षीय व्यापार-इसमें दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय होता है। ऐसा तभी संभव होता है जब एक देश औद्योगिक उत्पादों के बदले कच्चे माल या ऊर्जा का विनिमय करे।
  2. बहुपक्षीय व्यापार-इसमें वस्तुओं और सेवाओं का कई देशों के बीच विनिमय होता है।

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प्रश्न 3.
व्यापार संतुलन क्या है? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
व्यापार संतुलन-किसी समयावधि में आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। प्रकार-व्यापार संतुलन दो प्रकार का होता है-

  1. धनात्मक व्यापार संतुलन-यदि किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो ऐसे देशों के व्यापार संतुलन को धनात्मक कहा जाता है। इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
  2. ऋणात्मक व्यापार संतुलन यदि किसी देश में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो उस देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक कहा जाता है। इसे विलोम व्यापार संतुलन या प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

प्रश्न 4.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास का मापदंड क्यों होता है?
उत्तर:
वर्तमान युग व्यापार का युग है। किसी भी देश का आर्थिक विकास उस देश द्वारा किए गए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर करता है। प्रौद्योगिकी तथा यातायात के साधनों में विकास के कारण व्यापार में काफी वृद्धि हुई है। जब कोई राष्ट्र अपनी उत्पादक वस्तुओं का निर्यात करता है तो विदेशी मुद्रा अर्जित करता है तथा संपन्नता को प्राप्त करता है। इसलिए अब विश्व में बड़े-बड़े व्यापारिक देश उन्नति के शिखर पर पहुँचकर विकसित देश बन गए हैं। औद्योगिक विकास होने के कारण कई देश दूसरे देशों का कच्चा माल निर्यात करते हैं तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त करते हैं जिससे उस देश के लोगों के रहन-सहन तथा जीवन-स्तर में प्रगति होती है। कच्चा माल आयात करने वाले देश निर्मित वस्तुओं का निर्यात कर मुद्रा अर्जित करते हैं। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसी भी देश की आर्थिक संपन्नता का मापदंड है।

प्रश्न 5.
पत्तन को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार कहते हैं। क्यों?
उत्तर:
पत्तन आयात तथा निर्यात करने के क्षेत्र हैं। ये अपने पृष्ठ क्षेत्र से यातायात के साधनों द्वारा जुड़े होते हैं। यहाँ स्थल मार्गों द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ आती हैं जिन्हें सागरीय मार्ग द्वारा दूसरे देशों में भेजा जाता है तथा अन्य देशों से आयात किया गया माल इन पत्तनों द्वारा ही पृष्ठ देश में भेजा जाता हैं। इसलिए पत्तन अन्य देशों से आए माल के लिए प्रवे: देश के माल को अन्य देशों में भेजने के लिए निकास द्वार का कार्य करता है। इस प्रकार पत्तन के द्वारा ही आयात-निर्यात का कार्य होता है। इसलिए पत्तन को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार कहते हैं। .

प्रश्न 6.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का जन-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का जन-जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है-

  1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से कुछ देशों का शोषण होने लगता है और वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा कई बार राष्ट्रों को युद्धों की ओर धकेल देती है।
  2. वैश्विक व्यापार पर्यावरण, लोगों के स्वास्थ्य व कल्याण के साथ-साथ जीवन के अन्य अनेक पक्षों को प्रभावित करता है। आज ज्यादातर देश विश्व व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बरकरार रखने अथवा उसे बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धी बनते जा
  3. उपभोगवादी जीवन-शैली के चलते समुद्री जीवन तेजी से नष्ट हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और नदी बेसिन पेयजल कंपनियों को बेचते जा रहे हैं।
  4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को बढ़ावा मिलता है। प्रदूषण से जन-जीवन बहुत प्रभावित होता है।

प्रश्न 7.
दक्षिण-एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
दक्षिण एशियाई देशों में आपसी सहयोग, सहभागिता तथा समन्वय बढ़ाने के उद्देश्य से जिस प्रकार आठ देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका व भूटान) का ‘सार्क’ (SAARC) संगठन वर्ष 1985 में अस्तित्व में आया था। उसी तर्ज पर इस क्षेत्र में परस्पर आर्थिक तथा व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए मई, 1995 में नई दिल्ली में सार्क देशों की बैठक के दौरान ‘दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार समझौता’ (South Asian Preferential Trading Agreement-SAPTA) अस्तित्व में आया। इसके तहत सार्क देशों के बीच प्रारम्भ में 226 वस्तुओं के व्यापार पर 10 फीसदी से 100 फीसदी तक की रियायत प्रशुल्क दरें लगाने की व्यवस्था की गई है, जबकि सर्वाधिक 106 वस्तुओं पर रियायत भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई।

सार्क बैठक के दौरान सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों द्वारा 5-7 जनवरी, 2004 को इस्लामाबाद में हस्ताक्षरित एक संधि के द्वारा ‘दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार संधि’ (SAFTA) अस्तित्व में आया, जबकि 1 जनवरी, 2006 से SAFTA’ को प्रभावी माना गया। इसके अन्तर्गत प्रशुल्कों को न्यूनतम दर पर लाकर गैर-प्रशुल्कीय बाधाओं को दूर किया जाना शामिल है। प्रतिवर्ष तकरीबन 20 बिलियन डॉलर व्यापार वाले क्षेत्र सार्क में तमाम ऐसी सम्भावनाएँ तथा विशेषताएँ मौजूद हैं जिनका दोहन कर आपसी सामाजिक-आर्थिक विषमताओं तथा समस्याओं को दूर किया जा सकता है। मगर क्षेत्र में लम्बे समय से चल रहे राजनीतिक गतिरोध के कारण इस समझौते के अधिकतम लाभ नहीं मिल पाए हैं।

दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार संधि के तहत समस्त सदस्य देशों को संवेदनशील सूची में क्रमबद्ध तरीके से कमी लाने पर सहमति बनी है। मालदीव अपनी संवेदनशील सूची में 681 प्रशुल्क लाइनों (Tariff Lines) को 78 प्रतिशत कम करके 152 प्रशुल्क लाइनों पर ले आया है। भारत द्वारा क्षेत्र के अल्पविकसित देशों के लिए संवेदनशील सूची की 480 प्रशुल्क लाइनों को 95 प्रतिशत कम करके 25 प्रशुल्क लाइनों के स्तर पर लाया गया है।

प्रश्न 8.
विश्व व्यापार संगठन (WTO) का वर्णन कीजिए।
अथवा
विश्व व्यापार संगठन क्या है? इसके आधारभूत कार्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सन् 1994 में सदस्य देशों द्वारा राष्ट्रों के बीच मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिए स्थायी संस्था के गठन का निर्णय लिया गया तथा 1 जनवरी, 1995 से गैट (GATT) को विश्व व्यापार संगठन में रूपान्तरित कर दिया गया। इस प्रकार विश्व व्यापार संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र के अधीन है। सन् 1995 में इसके सदस्य देशों की संख्या 124 थी जो वर्तमान में बढ़कर 164 हो गई है।

विश्व व्यापार संगठन के कार्य-विश्व व्यापार संगठन के कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. यह एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों को लागू करता है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को निबोध रूप से विकसित करना है।
  2. यह विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं को दूर करने के लिए नियम बनाता है।
  3. विश्व व्यापार संगठन वस्तु व्यापार, सेवा व्यापार; जैसे दूरसंचार व बैंकिंग, आदि विषयों को अपने कार्यों में सम्मिलित करता है।
  4. यदि कोई सदस्य देश समझौतों और नियमों का पालन नहीं करता तो उसकी शिकायत विवाद निपटारा समिति को की जाती है।
  5. यह संगठन विश्व व्यापार नीति निर्माण में समन्वय लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक को सहयोग करता है।

प्रश्न 9.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयातक एवं निर्यातक दोनों देशों के लिए लाभदायक होता है। व्याख्या करें।
उत्तर:
दो या दो से अधिक देशों का आपस में वस्तुओं तथा सेवाओं का आदान-प्रदान करना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। एक देश दूसरे देश को उसकी आवश्यकता की वस्तुएँ भेजता है तथा बदले में उससे अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ मंगवा लेता है। कोई भी देश जो किसी विशिष्ट वस्तु का उत्पादन अधिक करता है, वह उन्हें अन्य देशों को निर्यात करता है, जिससे उसे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। कुछ देशों में वस्तुओं की खपत की तुलना में उत्पादन कम होता है। वे अन्य देशों से उन वस्तुओं का आयात कर लेते हैं। उन देशों की अर्थव्यवस्था आयात किए गए कच्चे माल पर आधारित होती है। इस कच्चे माल से वे निर्मित वस्तुएँ बनाकर निर्यात कर देते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयातक एवं निर्यातक देशों के लिए लाभदायक होता है।

प्रश्न 10.
पत्तनों का नौभार के आधार पर वर्गीकरण करें।
उत्तर:
नौभार के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण निम्नलिखित है-

  1. सवारी पत्तन-ये सवारी लाइनर के ठहरने के पत्तन होते हैं जो आन्तरिक भाग से रेल व सड़क मार्गों से जुड़े होते हैं। मुम्बई, लंदन व न्यूयॉर्क ऐसे ही सवारी पत्तन हैं।
  2. वाणिज्यिक पत्तन-इन पत्तनों से आयात-निर्यात किया जाता है। इनमें से कुछ पत्तनों पर सवारियाँ भी उतारी-चढ़ाई जाती हैं। कई वाणिज्य पत्तन मत्स्यन जलपोतों को भी आश्रय देते हैं।
  3. विस्तृत पत्तन-ये वे पत्तन हैं जो बड़े परिमाण वाले तथा सामान्य नौभार को थोक में हैण्डल करते हैं। विश्व के अधिकांश महान् पत्तन विस्तृत पत्तनों के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।
  4. औद्योगिक पत्तन-ये पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 11.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण होने वाली किन्हीं चार हानियों का उल्लेख करें।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन बढ़ जाता है। इससे इनका इतनी तेजी से दोहन होता है कि इनकी पुनः पूर्ति नहीं हो पाती।
  2. इससे विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को बढ़ावा मिलता है।
  3. शोषण और व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता से विश्व में युद्ध की आशंका रहती है।
  4. इससे विकास के वितरण में असमानता हो जाती है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(क) उर्ध्वाधर व्यापार और क्षैतिज व्यापार
(ख) बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन
(ग) अनुकूल व्यापार संतुलन और प्रतिकूल व्यापार संतुलन
(घ) द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार।।
उत्तर:
(क) उर्ध्वाधर व्यापार और क्षैतिज व्यापार में अन्तर-

उर्ध्वाधर व्यापारक्षैतिज व्यापार
जब कोई देश एक वस्तु का दूसरे देश से आयात कर अपने यहाँ उपभोग कर किसी अन्य वस्तु का निर्माण कर उसे किसी दूसरे देश को निर्यात करे उसे उर्ध्वाधर व्यापार कहते हैं।जब किसी उत्पाद का संपूर्ण कार्य एक ही देश में हो और उसे दूसरे देश में निर्यात किया जाए तो उसे क्षैतिज व्यापार कहते हैं।

(ख) बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन में अन्तर-

बाह्य पत्तनआंतरिक पत्तन
1. ये गहरे समुद्र में बनाए जाते हैं।1. ये पत्तन समुद्र तट से दूर होते हैं। परंतु किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं।
2. इनका आकार बड़ा होता है। ऐसे जहाज जो वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुंच पाते, उन्हें बाह्य पत्तन लंगर डालने की सुविधा प्रदान कर वास्तविक पत्तन तक पहुंचाने में सहायता करता है।2. इनका आकार छोटा होता है। ये पत्तन चपटे तलों वाले जहाजों के लिए बनाए जाते हैं।

(ग) अनुकूल व्यापार संतुलन और प्रतिकूल व्यापार संतुलन में अन्तर-

अनुकूल व्यापार संतुलनप्रतिकूल व्यापार संतुलन
जब किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक हो तो इसे उस देश का अनुकूल व्यापार संतुलन कहा जाएगा।जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो तो इसे उस देश का प्रतिकूल संतुलन व्यापार कहा जाएगा।

(घ) द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार में अन्तर-

द्विपक्षीय व्यापारबहुपक्षीय व्यापार
1. इसमें दो देशों के बीच व्यापार होता है।1. ये पत्तन समुद्र तट से दूर होते हैं। परंतु किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं।
2. इसमें एक देश अपने दूसरे मित्र व्यापारिक देश से ही व्यापार करता है।2. इसमें एक देश अनेक देशों से व्यापार कर सकता है।
3. द्विपक्षीय व्यापार में लगभग व्यापार दो देशों के अन्तर्गत ही सीमित है।3. विकासशील देश अनेक देशों में अपना व्यापार बढ़ाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।

प्रश्न 13.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के इतिहास पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन समय में व्यापार स्थानीय बाज़ार तक ही सीमित था। लोग तब अपने संसाधनों का अधिकांश भाग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं-रोटी, कपड़ा और मकान पर खर्च करते थे। केवल धनी लोग ही आभूषण और महंगे वस्त्र खरीदते थे। रोमन साम्राज्य के विखंडन के बाद 12वीं व 13वीं शताब्दी के दौरान यूरोपीय वाणिज्य को बढ़ावा मिला। 15वीं शताब्दी से यूरोपीय उपनिवेशवाद शुरू हुआ और विदेशी वस्तुओं के साथ जो व्यापार आरंभ हुआ उसे दास व्यापार कहा गया।

औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् कच्चे माल; जैसे अनाज, मांस, ऊन की माँग बढ़ने लगी, लेकिन विनिर्माण की वस्तुओं की तुलना में उनका मौद्रिक मूल्य कम हो गया। औद्योगिक राष्ट्रों ने कच्चे माल के रूप में प्राथमिक उत्पादों का आयात किया व तैयार माल को अनौद्योगीकृत राष्ट्र को निर्यात कर दिया।

19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले प्रदेश अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रहे और औद्योगिक राष्ट्र एक-दूसरे के मुख्य ग्राहक बन गए। प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार राष्ट्रों ने व्यापार कर और प्रतिबंध लगाए। विश्वयुद्ध के बाद के समय के दौरान विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने शुल्क घटाने में सहायता की।

प्रश्न 14.
व्यापार का परिमाण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष क्यों है? वर्णन करें।
उत्तर:
व्यापार की गई वस्तुओं के वास्तविक तौल को व्यापार का परिमाण कहा जाता है। हालांकि तौल से मूल्य का सही-सही ज्ञान कभी नहीं हो पाता और न ही व्यापारिक सेवाओं को तौल में मापा जा सकता है। इसलिए व्यापार की गई कुल वस्तुओं तथा सेवाओं के कल मूल्य को व्यापार के परिमाण के रूप में जाना जाता है। इस परिमाण प्रक्रिया से ही व्यापार की स्थिति का पता चलता है। इसी कारण यह पक्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष है।

प्रश्न 15.
पत्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समुद्र तट पर स्थित वह स्थलीय भाग जहाँ जहाजों को ठहरने, उनमें सामान लादने तथा उतारने, यात्रियों को ठहरने तथा सामान को सुरक्षित रखने के लिए माल गोदाम आदि सुविधाएँ होती हैं, उन्हें पत्तन कहते हैं। इन स्थानों पर जहाजों को खड़ा करने की सुरक्षित जगह होती है। वास्तव में ये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार होते हैं, जहाँ से जहाजों की यात्रा आरंभ होती है तथा पुनः इसी जगह पर समाप्त होती है। ये स्थल तथा समुद्र के संगम पर द्वार की भांति होते हैं। किसी भी पत्तन का विकास उसके पृष्ठ प्रदेश (Winter Land) पर आधारित होता है। उसका पृष्ठ प्रदेश जितना अधिक समृद्धशाली होगा, वह पत्तन उतना ही अधिक वस्तुओं का व्यापार करेगा तथा उसका आकार भी विस्तृत होगा। पत्तन देश के आंतरिक भागों से सड़कों, रेलमार्गों तथा वायुमार्गों द्वारा भी जुड़े हैं। उदाहरणार्थ, न्यूयार्क, मुंबई (बंबई), कोलकाता, शंघाई, सिडनी आदि। विश्व में व्यापार की बढ़ती हुई प्रवृत्ति तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण पत्तनों की भी विशिष्टता है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या होता है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के क्या आधार हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
1. प्राकृतिक संसाधनों की विविधता-विश्व में धरातलीय एवं भूगर्भिक संरचना, जलवायु तथा मिट्टी आदि की विभिन्नताओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों में भी विभिन्नताएँ मिलती हैं। इस कारण कुछ देशों में आवश्यकता से अधिक संसाधन मिलते हैं और कुछ देशों में बहुत कम संसाधन मिलते हैं, इस प्रकार संसाधनों की विभिन्न मात्रा में उपलब्धि व्यापार का महत्त्वपूर्ण आधार है।

2. वस्तुओं का अतिरेक उत्पादन-किसी देश में यदि वस्तु का उत्पादन अधिक होता है तो उसे दूसरे देशों को निर्यात किया जाता है तथा बदले में अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ आयात की जाती हैं; जैसे भारत में चाय, ब्राजील में कहवा, बांग्लादेश में पटसन, मलाया में रबड़, ऑस्ट्रेलिया में ऊन तथा नार्वे और स्वीडन में कागज आदि। इसलिए ये देश इन वस्तुओं का निर्यात करते हैं तथा निर्मित वस्तुएँ यूरोपीय देशों तथा अमेरिका से आयात करते हैं।

3. वस्तुओं तथा सेवाओं का अभाव आज विश्व का कोई भी देश आत्म-निर्भर नहीं है। उसको किसी-न-किसी वस्तु या सेवा के लिए दूसरे देश पर निर्भर रहना पड़ता है। जापान तथा ब्रिटेन जैसे विकसित देशों को भी कच्चे माल के लिए विदेशों का मंह ताकना पड़ता है। जापान तथा ब्रिटेन को उद्योगों के लिए कोयला, खनिज तेल, लोहा, चाय तथा चीनी के लिए विकासशील देशों पर आश्रित रहना पड़ता है। 12 मई तथा 13 मई 1998 को भारत ने पोखरण में 5 परमाणु परीक्षण किए तो संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी। इससे साफ जाहिर है कि भारत को प्रौद्योगिकी तथा अन्य वस्तुओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका पर निर्भर रहना पड़ता है। हमारे पास पर्याप्त संसाधन होते हुए भी हमारी कुछ-न-कुछ निर्भरता विदेशों पर है।

4. परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास वस्तुओं तथा सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए विकसित यातायात तथा संचार के साधनों का होना आवश्यक है। देश के आंतरिक भागों से बंदरगाहों तक पहुंचने के लिए सड़क तथा रेल यातायात तथा विदेशों में भेजने के लिए समुद्री परिवहन तथा वायु परिवहन का विकास आवश्यक है। भारी वस्तुएँ; जैसे खनिज पदार्थ (कोयला, लोहा आदि) को जलपोतों द्वारा तथा हल्की एवं बहुमूल्य वस्तुओं को वायु यातायात द्वारा भेजा जाता है; जैसे दूध, घी, मक्खन, फल, सब्जी इनके लिए वायु यातायात के साधनों का विकास करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है।

5. आर्थिक विकास तथा जीवन-स्तर-विश्व के औद्योगिक रूप से संपन्न देशों में कच्चे माल की कमी है लेकिन वे विदेशों से मंगवाकर इसकी पूर्ति करते हैं क्योंकि उनकी क्रय-शक्ति अधिक है। जापान तथा जर्मनी विदेशों से कच्चा माल आयात कर उद्योग संचालित करते हैं तथा ऊंचे दामों पर मशीनें तथा अन्य निर्मित सामान विकासशील देशों को बेचते हैं जिससे अधिक लाभ कमाते हैं और जीवन-स्तर ऊंचा रखते हैं।

6. सांस्कृतिक विशेषताएँ दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं जो अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के आधार पर कुछ विशिष्ट वस्तुओं का उत्पादन करते हैं तथा निर्यात भी करते हैं तथा उन वस्तुओं की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग अधिक है; जैसे भारत का हथकरघा तथा हौजरी का सामान, चीन का रेशम, जापान के खिलौने, ईरान के कालीन आदि। इन वस्तुओं की विदेशों में अधिक मांग है और यदि ये देश इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाएँ तो बहुत बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकते हैं।

7. युद्ध और शांति युद्ध और शांति का भी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। युद्ध के दौरान कोई भी देश उस देश से व्यापार संबंध तथा वस्तुएँ नहीं भेजता क्योंकि उसे सामान के लूटे जाने तथा क्षतिग्रस्त होने का भय रहता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को शांति से ही प्रोत्साहन मिलता है। खाड़ी युद्ध के दौरान कोई भी देश इराक से व्यापारिक संबंध बनाने तथा अपनी वस्तुओं को आसानी से निर्यात करने को सहमत नहीं था।

8. व्यापारिक नीति-व्यापार पर प्रतिबंध लगाने से व्यापार पर प्रतिकल प्रभाव पड़ता है। जो देश स्वतंत्र व्यापार की नीति अपनाते हैं, उनका व्यापार बहुत बढ़ जाता है। भारत ने तिलहनों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसी प्रकार अनेक उद्योगों को प्रोत्साहन तथा संरक्षण देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने कई वस्तुओं के आयात पर भारी कर लगाए हैं जिससे उनका आयात बंद या बहुत कम मात्रा में होता है।

9. राजनीतिक संपर्क-राजनीतिक संपर्क एवं मित्रता का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव पड़ता है। विश्व के साम्यवादी देश, चीन, हंगरी, यूगोस्लाविया तथा पूर्व सोवियत संघ आपस में ही व्यापारिक संबंध रखना चाहते थे। इन देशों का आपसी लेन-देन होता था। इसी प्रकार मध्य पूर्व के देशों में पहले ब्रिटेन का प्रभाव अधिक था। उसके साथ व्यापारिक संबंध थे लेकिन अब ये देश संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव में अधिक हैं। उससे ही अधिकांश व्यापार करना चाहते हैं। इसलिए अमेरिका बार-बार खाड़ी के देशों को आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी देता है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 2.
पत्तनों (Port) का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
विभिन्न आधारों में पत्तनों का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
पत्तन कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पत्तनों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जाता है-
I. अवस्थिति के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण/प्रकार – अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के प्रकार निम्नलिखित हैं

  • अंतर्देशीय पत्तन-ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज़ द्वारा ही गम्य होते हैं। उदाहरणतया मानचेस्टर, कोलकाता।
  • बाह्य पत्तन-ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में असमर्थ हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएँ प्रदान करते हैं।

II. निपटाए गए नौभार के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण/प्रकार-निपटाए गए नौभार के आधार पर पत्तनों के प्रकार निम्नलिखित हैं

  • सवारी पत्तन-ये सवारी लाइनर के ठहरने के पत्तन होते हैं जो आन्तरिक भाग से रेल व सड़क मार्गों से जुड़े होते हैं। मुम्बई, लंदन व न्यूयॉर्क ऐसे ही सवारी पत्तन हैं।
  • वाणिज्यिक पत्तन-इन पत्तनों से आयात-निर्यात किया जाता है। इनमें से कुछ पत्तनों पर सवारियाँ भी उतारी-चढ़ाई जाती हैं। कई वाणिज्य पत्तन मत्स्यन जलपोतों को भी आश्रय देते हैं।
  • विस्तृत पत्तन-ये वे पत्तन हैं जो बड़े परिमाण वाले तथा सामान्य नौभार को थोक में हैण्डल करते हैं। विश्व के । अधिकांश महान् पत्तन विस्तृत पत्तनों के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।
  • औद्योगिक पत्तन-ये पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं।

III. विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण/प्रकार-विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों के प्रकार निम्नलिखित हैं
1. आंत्रपो पत्तन ये पत्तन एक देश के माल को दूसरे देश में भेजने का कार्य करते हैं। इन पत्तनों पर जो माल आता है, उसका गंतव्य अन्य देश होते हैं।

2. मार्ग या विश्राम पत्तन ये ऐसे पत्तन होते हैं जो मूल रूप से मुख्य समुद्री मार्गों पर विश्राम केंद्र के रूप में विकसित हुए।

3. पैकेट स्टेशन इन पत्तनों का प्रयोग छोटे समुद्री मार्ग वाले यात्रियों को उतारने तथा चढ़ाने के लिए किया जाता है। इनमें डाक लाने तथा ले जाने की भी सुविधा होती है। इन्हें नौका पत्तन (Ferry Port) भी कहा जाता है। इनका नामकरण छोटे जहाजों के आधार पर पैकेट स्टेशन रखा गया : ब्रिटिश चैनल के एक ओर डोबर (इंग्लैंड) तथा दूसरी ओर कैलेस (फ्रांस) इस प्रकार के पैकेट स्टेशन पोर्ट हैं।

4. नौ सेना पत्तन-सामरिक दृष्टि से इनका अत्यधिक महत्त्व होता है। इनमें नौसेना के लड़ाकू विमानों के ठहरने तथा उनके प्रशिक्षण और मुरम्मत की व्यवस्था होती है।

5. तैल पत्तन-20वीं शताब्दी में तेल का ऊर्जा के रूप में अधिक महत्त्व होने के कारण ऐसे पत्तन विकसित किए गए जहाँ तेल वाहक टैंकर ठहर सकें। इन्हें टैंकर पोर्ट भी कहते हैं। इन पत्तनों से तेल का आयात-निर्यात किया जाता है। कुछ तैल पत्तनों पर परिष्करण शालाएँ (तल शोधन शालाएँ) भी स्थापित की गई हैं। ये पत्तन तेल की पाइप लाइनों द्वारा तेल क्षेत्र से जुड़े होते हैं। वेनेजुएला में माराकायबो, लेबनॉन में ट्रिपोली तथा फारस की खाड़ी पर परिष्करणशाला या तैल पत्तन हैं।

प्रश्न 3.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की नूतन प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए। अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की नूतन प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं-
(1) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के स्वरूप में अत्यधिक परिवर्तन आए हैं। पहले जनसंख्या कम थी तथा लोगों की आवश्यकताएँ भी सीमित थीं। देश या क्षेत्र उत्पादित वस्तुओं से ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेते थे, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ आत्म-निर्भरता कम होती गई। पहले व्यापार बहुत कम या सीमित वस्तुओं का होता था जिनमें अधिकांश बहुमूल्य वस्तुएँ: जैसे हीरा, सोना, चांदी. जवाहरात आदि का ही या विलासिता की वस्तुएँ; जैसे कहवा, चाय तथा चीनी का व्यापार होता था।

17वीं और 18वीं शताब्दी में उपनिवेशवाद के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का स्वरूप भी परिवर्तित हुआ। शासकों ने उपनिवेशों से प्राकृतिक संसाधनों का (कच्चे माल के रूप में) शोषण कर अपने देश ले जाना आरंभ किया तथा अपना औद्योगिक विकास मजबूत किया और निर्मित वस्तुओं को ऊँची कीमत पर उपनिवेशों को बेचना आरंभ किया।

(2) 18वीं शताब्दी की औद्योगिक क्रांति ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की संरचना में मूलभूत परिवर्तन किए। विलासिता एवं बहुमूल्य वस्तुओं के स्थान पर खनिज पदार्थो तथा ऊजा के संसाधनों (कोयला, पेट्रोल) आदि का व्यापार होने लगा। औद्योगिक देशों से निर्मित माल कम विकसित और विकासशील देशों को भेजा जाने लगा। विकासशील देश इन औद्योगिक देशों से मशीनें, इंजीनियरिंग का सामान तथा इलेक्ट्रॉनिक्स सामान आयात करने लगे। विकासशील देश विभिन्न कृषि उपजें; जैसे रबड़, कहवा, चाय, चीनी, मसाले, रेशम आदि का निर्यात कर अपनी राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने लगे। व्यापार संतुलन बनाने के प्रयास जारी किए गए। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिला।

(3) 20वीं शताब्दी में उपनिवेश देशों को स्वतंत्रता मिल गई। इन देशों में आर्थिक विकास के स्तर को ऊँचा करने, लोगों के जीवन-स्तर में सुधार के अनेक प्रयास किए गए। प्राथमिक व्यवसायों के अतिरिक्त उद्योगों को भी प्रोत्साहित करने के प्रयास किए गए। ताकि अधिकतर कच्चा माल निर्यात करने की बजाय उद्योगों में वस्तुओं का निर्माण किया जाए। औद्योगिक विकास के लिए अनेक प्रोत्साहन तथा संरक्षण दिए गए जिससे औद्योगिक विकास की गति भी तीव्र हुई और अब विकासशील देश अपना सारा कच्चा माल विदेशों में भेजने की बजाय स्वयं उसका अधिकतर उपयोग करने लगे तथा वस्तुओं का निर्माण शुरू किया जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का स्वरूप परिवर्तित हो गया।

(4) परिणामस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का एक ऐसा स्वरूप सामने आया जिसमें उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों से शीतोष्ण कटिबन्धीय औद्योगिक देशों की और कम मूल्य वाले प्राथमिक उत्पादों; जैसे कपास, वनस्पति, खाद्यान्न, ऊन, रबड़, चाय, तेल, खनिज व कहवा आदि का निर्यात तथा शीतोष्ण कटिबन्धीय देशों से उष्ण कटिबन्धीय देशों को अधिक मूल्य वाले पदार्थो; जैस रासायनिक उत्पाद, मशीनरी, वस्त्र, मोटर, दवाइयों आदि का निर्यात होने लगा।

(5) कच्चा तेल, मशीनें तथा खनिज पदार्थ एवं परिवहन उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण बनते जा रहे हैं।

(6) विकसित गष्ट्रों का आयात-निर्यात बढ़ रहा है तथा अधिकांश देशों में व्यापार-सन्तुलन धनात्मक है जबकि विकासशील देशों का व्यापार-सन्तुलन निरन्तर बिगड़ रहा है। किंतु विश्व के पेट्रोल निर्यातक देश इसके अपवाद हैं।

(7) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संवर्धन (Promotion) के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं; जैसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) एवं राष्ट्र व्यापार संघ व्यापार एवं विकास संस्था (UNCTAD) के होने के बाद भी विभिन्न राष्ट्रों द्वारा अपने हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघों तथा क्लबों में लामबन्द होना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की एक नई प्रवृत्ति सामने आई है।

प्रश्न 4.
विश्व के विभिन्न प्रादेशिक व्यापार समूहों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विश्व के किन्हीं चार प्रादेशिक व्यापार समूहों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व के विभिन्न प्रादेशिक व्यापार समूह संघ/समूह निम्नलिखित हैं-
1. गैट-गैट (General Agreement on Trade and Tariffs-GATT) की स्थापना सन् 1948 में जेनेवा में हुई थी जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापार के प्रतिबंधों को कम करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करना था। दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् गैट ने भूमंडलीय
आर्थिक क्रान्ति को बढ़ावा दिया।

2. विश्व व्यापार संगठन-सन् 1995 में GATT का नाम बदलकर WTO (World Trade Organisation-WTO) हो गया। यह व्यापारिक झगड़ों का निपटारा करता है। सेवाओं के व्यापार को भी नियंत्रित करता है।

3. ओपेक-विश्व में 13 ऐसे देश हैं जो संपूर्ण निर्यात का लगभग 85 प्रतिशत तेल निर्यात करते हैं। इन्होंने सन् 1949 में एक संगठन गठित किया जिसे ओपेक (Organisation of Petroleum Exporting Countries-OPEC) के नाम से जाना जाता है। ये देश विश्व में तेल के सम्बन्ध में अपने संगठन की नीति बनाते हैं, उनका कार्यान्वयन करते हैं। इसमें जो 13 सदस्य देश हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं-अल्जीरिया, सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, इंडोनेशिया, इक्वेडोर, गैबन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, लीबिया, नाइजीरिया तथा वेनेजुएला। इस संगठन का उद्देश्य अपने सदस्य देशों के मध्य समन्वय, एकीकरण तथा तेल सम्बन्धी नीतियों का निर्धारण करना है।

4. यूरोपीय आर्थिक समुदाय-यूरोप के देशों का समुदाय ‘European Economic Community’ का गठन सन् 1957 में किया गया। प्रारंभ में इसमें फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, लैग्जमबर्ग, नीदरलैंड तथा इटली 6 देश थे, लेकिन सन् 1973 में 3 देश डेनमार्क, ब्रिटेन तथा आयरिश गणराज्य भी सम्मिलित किए गए। इस समुदाय का उद्देश्य अपने सदस्य देशों के साथ स्वतंत्र व्यापार स्थापित करना तथा व्यापार प्रतिबंधों को समाप्त करना है। अब इन 9 देशों के बीच कोई व्यापारिक प्रतिबंध नहीं है।

स्वतंत्र व्यापार की नीति के अंतर्गत एक देश-दूसरे देश से व्यापार करता है। सन् 1995 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय यूरोपीय संघ में परिवर्तित हो गया। इसने कई उत्पादन एवं व्यापार नीतियों का सामंजस्यीकरण किया। सन् 1999 के प्रारंभ में सभी सदस्य देशों में समान रूप से चलने वाली मुद्रा-‘यूरो’ को भी प्रचलन में लाया गया, ताकि सभी देशों को एक आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत प्रभावशाली ढंग से एक सूत्र में बाँधा जा सके। यह संघ विश्व का अकेला सबसे बड़ा बाजार है।

5. यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ-इस संघ का निर्माण सन् 1994 में हुआ। प्रारंभ में इसके 7 सदस्य देश-ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नार्वे, पुर्तगाल, स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन व स्विटज़रलैंड थे, लेकिन ग्रेट ब्रिटेन, डेनमार्क व पुर्तगाल इस संघ को छोड़ गए व फिनलैंड व आइसलैंड इसमें शामिल हो गए।

6. उत्तरी अमेरिकन स्वतन्त्र व्यापार संघ-इसका संगठन सन 1988 में विश्व के दो बड़े व्यापारिक सहयोगियों-संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा के बीच व्यापारिक प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए किया गया था। सन् 1994 में इसका व्यापक विस्तार किया गया और मैक्सिको को भी इसका सदस्य बनाया गया। यह ऐसा पहला अवसर था, जब किसी विकासशील देश को विकसित देशों के व्यापारिक संघ में सदस्यता मिली थी। अब इस संघ में लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इससे एक ऐसे स्वतन्त्र व्यापार क्षेत्र का निर्माण हुआ है, जो अलास्का से टिएरा डेल फ्यूगो तक फैला हुआ है। कृषि उत्पाद, मोटरगाड़ियाँ, स्वचालित पुजे, कम्प्यूटर, वस्त्र आदि इन देशों के मध्य प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ हैं।

7. दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों का संगठन-आसियान देशों का गठन सन् 1967 में हुआ। इसके सदस्य देश हैं इंडोनेशिया, थाइलैंड, मलेशिया, कंबोडिया, फिलीपींस और सिंगापुर। भारत भी आसियान देशों का सह-सदस्य है। जापान, यूरोपीय संघ तथा ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान देश एक संयुक्त वार्ता करके उनकी मदद करता है।

8. दक्षिण एशिया प्रादेशिक सहयोग संगठन-सात दक्षिण एशियाई देशों-भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव ने मिलकर सार्क का गठन किया है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार विकसित करना है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या आठ है।

9. स्वतंत्र राष्ट्रों का संघ इस व्यापार समूह का गठन तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के बाद मिस्क (बेलारूस) में किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था, प्रतिरक्षण तथा विदेश नीति के मामलों पर समन्वय एवं सहयोग स्थापित करना है। बेलारूस, जॉर्जिया, आरमीनिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन, खिरगिस्तान, मॉल्डोवा तथा उज्बेकिस्तान इस संगठन के सदस्य हैं। इन देशों के मध्य अशोधित तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, कपास, रेशे, एल्यूमिनियम आदि मुख्य व्यापारिक वस्तुओं का व्यापार होता है।

10. लैटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसिएशन इस व्यापारिक समूह का गठन सन् 1960 में किया गया था। इसका मुख्यालय मॉण्टोविडियो (उरुग्वे) में है। इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण अमेरिका के देशों के बीच आपसी व्यापार को बढ़ाना है। ब्राजील, कोलंबिया, अर्जेंटाइना, बोलीविया, इक्वाडोर, मैक्सिको, पराग्वे, पेरू, उरुग्वे तथा वेनेजुएला इसके सदस्य देश हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

प्रश्न 5.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के परिमाण, व्यापार संयोजन व व्यापार की दिशा का वर्णन करें।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रतिरूप को निर्धारित करने वाले महत्त्वपूर्ण पक्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रतिरूप को निर्धारित करने वाले महत्त्वपूर्ण चार पक्ष होते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं
1. व्यापार का परिमाण-व्यापार की गई वस्तुओं के वास्तविक तौल को व्यापार का परिमाण कहा जाता है। हालांकि तौल से मूल्य का सही-सही ज्ञान कभी नहीं हो पाता और न ही व्यापारिक सेवाओं को तौल में मापा जा सकता है। इसलिए व्यापार की गई कुल वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मूल्य को व्यापार के परिमाण के रूप में जाना जाता है। इस परिमाण प्रक्रिया से ही व्यापार की स्थिति का पता चलता है। इसी कारण यह पक्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। विभिन्न देशों के बीच व्यापार के परिमाण की भिन्नता उत्पादित पदार्थों, सेवाओं की प्रकृति, द्विपक्षीय सन्धियों व व्यापार निषेधों पर निर्भर करती है।

2. व्यापार का संयोजन-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जगह पाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार भी बदलते रहते हैं। 20वीं शताब्दी के आरम्भ में आयात और निर्यात की वस्तुओं में प्राथमिक उत्पादों की प्रधानता थी। बाद में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विनिर्मित वस्तुओं ने प्रमुखता प्राप्त कर ली। वर्तमान समय में यद्यपि विश्व व्यापार के अधिकांश भाग पर विनिर्माण क्षेत्र का आधिपत्य है, सेवा क्षेत्र जिसमें परिवहन तथा अन्य व्यावसायिक सेवाएँ शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि की प्रवृत्ति दिखा रहा है। इस प्रकार वस्तुओं के उत्पादन की अपेक्षा सेवाओं का उत्पादन ज्यादा लाभदायक होता है।

3. व्यापार की दिशा-18वीं सदी तक विकासशील देश यूरोप को विनिर्मित वस्तुएँ निर्यात किया करते थे। 19वीं सदी में व्यापार की दिशा बदली और यूरोप से विनिर्मित माल तीन दक्षिणी महाद्वीपों-दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका व ऑस्ट्रेलिया की ओर आने लगा। बदले में ये महाद्वीप कच्चे माल व खाद्य पदार्थों को यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच होने लगा। अब भारत, चीन व अन्य विकासशील देश भी विनिर्मित वस्तुओं के व्यापार में विकासशील देशों से प्रतिस्पर्धा करने लगे हैं।

4. व्यापार संतुलन-किसी समयावधि में आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं।
(i) धनात्मक व्यापार संतुलन यदि किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो ऐसे देशों के व्यापार संतुलन को धनात्मक कहा जाता है। इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

(ii) ऋणात्मक व्यापार संतुलन यदि किसी देश में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो उस देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक कहा जाता है। इसे विलोम व्यापार संतुलन या प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. वस्तुओं और यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना, क्या कहलाता है?
(A) संचार
(B) व्यापार
(C) परिवहन
(D) परिवहन और संचार
उत्तर:
(C) परिवहन

2. विश्व में सड़कों की लंबाई रेलमार्गों की लंबाई से कितने गुना अधिक है?
(A) लगभग 12
(B) लगभग 14
(C) लगभग 24
(D) लगभग 34
उत्तर:
(B) लगभग 14

3. विश्व में सड़कों की सबसे कम लंबाई यूरोप के कौन-से देश में है?
(A) ब्रिटेन
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) मनाको
उत्तर:
(D) मनाको

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

4. कैनेडियन-पैसिफिक रेलमार्ग है-
(A) उत्तरी अमेरिका में
(B) दक्षिणी अमेरिका में
(C) यूरोप में
(D) अफ्रीका में
उत्तर:
(A) उत्तरी अमेरिका में

5. विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग कौन-सा है?
(A) ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग
(B) कैनेडियन-पैसिफिक रेलमार्ग
(C) ऑस्ट्रेलियाई अंतर्महाद्वीपीय रेलमार्ग
(D) अफ्रीकी अंतर्महाद्वीपीय रेलमार्ग
उत्तर:
(A) ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग

6. सूचनाओं को उनके उद्गम स्थल से लक्ष्य तक किसी चैनल के माध्यम से पहुंचाने का अर्थ है-
(A) परिवहन
(B) संचार
(C) व्यापार
(D) व्यापार और संचार
उत्तर:
(D) व्यापार और संचार

7. स्थूल और भरकम सामानों के परिवहन के लिए कौन-सा मार्ग अधिक उपयुक्त रहता है?
(A) जलमार्ग
(B) वायु मार्ग
(C) सड़क मार्ग
(D) रेलमार्ग
उत्तर:
(A) जलमार्ग

8. खनिज तेल और तरल पदार्थों के लिए परिवहन का उपयुक्त साधन कौन-सा है?
(A) रेलमार्ग
(B) सड़क मार्ग
(C) पाइपलाइन परिवहन
(D) जलमार्ग
उत्तर:
(C) पाइपलाइन परिवहन

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

9. अमेरिका में महामार्गों को किस नाम से जाना जाता है?
(A) आटोवान
(B) मोटरवेज
(C) हाइवेज
(D) ट्रांस मार्ग
उत्तर:
(B) मोटरवेज

10. निम्नलिखित में से भारत का सबसे लंबा महामार्ग कौन-सा है?
(A) राष्ट्रीय महामार्ग संख्या 1
(B) राष्ट्रीय महामार्ग संख्या 2
(C) राष्ट्रीय महामार्ग संख्या 7
(D) राष्ट्रीय महामार्ग संख्या 10
उत्तर:
(C) राष्ट्रीय महामार्ग संख्या 7

11. स्वर्णिम चतुष्कोण नामक महामार्ग निम्नलिखित में कौन-से चार महानगरों को जोड़ता है-
(A) दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बंगलौर
(B) दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और कन्याकुमारी
(C) दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई
(D) श्रीनगर, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई
उत्तर:
(D) श्रीनगर, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई

12. भारी मात्रा में सामान को अधिक दूरी तक ले जाने के लिए कौन-सा परिवहन मार्ग अधिक सुविधाजनक है?
(A) सड़क मार्ग
(B) जलमार्ग
(C) वायु मार्ग
(D) रेलमार्ग
उत्तर:
(D) रेलमार्ग

13. एशिया महाद्वीप में रेलों का सघनतम जाल किस देश में पाया जाता है?
(A) जापान
(B) चीन
(C) भारत
(D) कोरिया
उत्तर:
(C) भारत

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14. पाइपलाइन ‘बिग इंच’ का संबंध किस देश से है?
(A) जर्मनी से
(B) फ्रांस से
(C) रूस से
(D) संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से
उत्तर:
(D) संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से

15. राइन जलमार्ग का संबंध किस देश से है?
(A) जर्मनी से
(B) फ्रांस से
(C) रूस से
(D) संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से
उत्तर:
(A) जर्मनी से

16. ऊबड़-खाबड़ और दुर्गम प्रदेशों के लिए कौन-से मार्ग विकसित किए गए हैं?
(A) महामार्ग
(B) राष्ट्रीय मार्ग
(C) रज्जू मार्ग
(D) स्वर्णिम मार्ग
उत्तर:
(C) रज्जू मार्ग

17. दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका और संयुक्त राज्य अमेरिका को जोड़ने वाली सड़क का नाम है-
(A) ट्रांस कैनेडियन महामार्ग
(B) अलास्का महामार्ग
(C) अंतर्राष्ट्रीय महामार्ग
(D) पैन-अमेरिका महामार्ग
उत्तर:
(D) पैन-अमेरिका महामार्ग

18. कनाडा के एडमाटन और अलास्का के एंकरेज नगर को जोड़ने वाले महामार्ग का क्या नाम है?
(A) कनाडा पारीय महामार्ग
(B) पैन-अमेरिका महामार्ग
(C) अलास्का महामार्ग
(D) महाद्वीपीय पारीय महामार्ग
उत्तर:
(C) अलास्का महामार्ग

19. जर्मनी के महामार्गों को किस नाम से जाना जाता है?
(A) मोटरवेज
(B) ऑटोवान
(C) हाइवेज
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) ऑटोवान

20. भारत का राष्ट्रीय महामार्ग नं0 7 किन दो शहरों को जोड़ता है?
(A) जम्मू-कन्याकुमारी
(B) श्रीनगर-कन्याकुमारी
(C) दिल्ली-कन्याकुमारी
(D) वाराणसी-कन्याकुमारी
उत्तर:
(D) वाराणसी-कन्याकुमारी

21. विश्व की पहली रेलगाड़ी कब चली थी?
(A) सन् 1830 में
(B) सन् 1825 में
(C) सन् 1853 में
(D) सन् 1835 में
उत्तर:
(B) सन् 1825 में

22. विश्व में रेलों का सबसे बड़ा जाल कहाँ है?
(A) यूरोप
(B) एशिया
(C) उत्तर अमेरिका
(D) दक्षिण अमेरिका
उत्तर:
(C) उत्तर अमेरिका

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23. संसार का सबसे अधिक व्यस्त जलमार्ग कौन-सा है?
(A) वोल्गा जलमार्ग
(B) मिसीसिपी जलमार्ग
(C) राइन जलमार्ग
(D) सीन जलमार्ग
उत्तर:
(C) राइन जलमार्ग

24. संसार की सबसे लंबी नदी कौन-सी है?
(A) राइन नदी
(B) वोल्गा नदी
(C) गंगा नदी
(D) अमेजन नदी
उत्तर:
(D) अमेजन नदी

25. स्वेज नहर जोड़ती है-
(A) अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को
(B) भूमध्य सागर और लाल सागर को
(C) भूमध्य सागर और कैस्पियन सागर को
(D) काला सागर और लाल सागर को
उत्तर:
(B) भूमध्य सागर और लाल सागर को

26. पनामा नहर जोड़ती है-
(A) भूमध्य सागर और लाल सागर को
(B) भूमध्य सागर और कैस्पियन सागर को
(C) अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को
(D) हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को
उत्तर:
(C) अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को

27. उत्तरी अटलांटिक समुद्री मार्ग द्वारा विश्व के कुल माल का कितने प्रतिशत भाग ढोया जाता है?
(A) 20 प्रतिशत
(B) 25 प्रतिशत
(C) 30 प्रतिशत
(D) 40 प्रतिशत
उत्तर:
(B) 25 प्रतिशत

28. उत्तरी अटलांटिक महासागर मार्ग मिलाता है-
(A) दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी भाग तथा अफ्रीका के पश्चिमी भाग को
(B) अफ्रीका के पूर्वी भाग तथा भारत के पश्चिमी भाग को
(C) कनाडा, यू०एस०ए० के पूर्वी भाग तथा यूरोप के पश्चिमी भाग को
(D) आस्ट्रेलिया के पश्चिमी भाग तथा अफ्रीका के पूर्वी भाग को
उत्तर:
(C) कनाडा, यू०एस०ए० के पूर्वी भाग तथा यूरोप के पश्चिमी भाग को

29. भारत का अंतरिक्ष में स्थापित होने वाला प्रथम संचार उपग्रह कौन-सा है?
(A) भास्कर
(B) इनसैट
(C) आर्य भट्ट
(D) एप्पल
उत्तर:
(C) आर्य भट्ट

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए।

प्रश्न 1.
वस्तुओं और यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना क्या कहलाता है?
उत्तर:
परिवहन।

प्रश्न 2.
संचार के कोई दो साधन बताएँ।
उत्तर:

  1. टेलीफोन
  2. इंटरनेट

प्रश्न 3.
जो पत्तन जंगी जहाजों के लिए काम करता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
नौसैनिक पत्तन।

प्रश्न 4.
‘ओरिएंट एक्सप्रेस रेलमार्ग’ किन स्थानों को जोड़ता है?
उत्तर:
ओरिएंट एक्सप्रेस रेलमार्ग पेरिस और इस्तांबुल को जोड़ता है।

प्रश्न 5.
विश्व का सबसे व्यस्त समुद्री मार्ग कौन-सा है?
उत्तर:
अटलाण्टिक महासागरीय मार्ग।

प्रश्न 6.
बिग इंच पाइपलाइन के द्वारा क्या प्रवाहित होता है?
उत्तर:
पेट्रोलियम।

प्रश्न 7.
पार कैनेडियन रेलमार्ग के अन्तिम स्टेशनों के नाम लिखें।
उत्तर:
बैंकूवर और हैलीफैक्स।

प्रश्न 8.
पार-महाद्वीपीय स्टुआर्ट महामार्ग किनके मध्य से गुजरता है?
उत्तर:
डार्विन और मेलबोर्न के।

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प्रश्न 9.
किस देश में रेलमार्गों के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 10.
वृहद ट्रंक मार्ग किन दो क्षेत्रों को मिलाता है?
उत्तर:
उत्तर पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी यूरोप को मिलाता है।

प्रश्न 11.
स्वेज नहर की लम्बाई व गहराई कितनी है?
उत्तर:
लम्बाई लगभग 160 कि०मी०, गहराई 11 से 15 मीटर।

प्रश्न 12.
पनामा नहर की लम्बाई कितनी है?
उत्तर:
लगभग 72 कि०मी०

प्रश्न 13.
विश्व की पहली रेलगाड़ी कब चली थी?
उत्तर:
1825 ई० में।

प्रश्न 14.
चैनल टनल किन दो देशों को जोड़ती है?
उत्तर:
फ्रांस और इंग्लैण्ड।

प्रश्न 15.
स्वेज नहर का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
अप्रैल, 1859 में।

प्रश्न 16.
कैनेडियन-पैसेफिक रेलमार्ग कहाँ है?
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका में।

प्रश्न 17.
दक्षिणी अमेरिका, मध्य अमेरिका और संयुक्त राज्य अमेरिका को जोड़ने वाला महामार्ग बताएँ।
उत्तर:
पैन-अमेरिका महामार्ग।

प्रश्न 18.
‘ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग’ के पूर्वी छोर पर स्थित स्टेशन का नाम लिखें।
उत्तर:
‘ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग’ के पूर्वी छोर पर स्थित स्टेशन मॉस्को है।

प्रश्न 19.
पनामा नहर किन दो महासागरों को मिलाती है?
उत्तर:
अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को।

प्रश्न 20.
अमेरिका में महामार्गों को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
मोटरवेज के।

प्रश्न 21.
विश्व में रेलों का सबसे बड़ा जाल कहाँ है?
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका में।

प्रश्न 22.
वैश्विक संचार तंत्र ने किस तंत्र में क्रांति ला दी है?
उत्तर:
विद्युतीय प्रौद्योगिकी तंत्र में।

प्रश्न 23.
आंतरिक जलमार्ग के दो उदाहरण दें।
उत्तर:
गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियाँ, फ्रांस में सीन व राइन नदियाँ।

प्रश्न 24.
स्वेज नहर किस देश में अवस्थित है?
उत्तर:
मिस्र में।

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प्रश्न 25.
पनामा नहर का निर्माण कब पूर्ण हुआ?
उत्तर:
सन् 1914 में।

प्रश्न 26.
स्वेज नहर के दो छोरों पर स्थित पत्तनों के नाम लिखें।
उत्तर:
पोर्ट सईद और पोर्ट स्वेज।

प्रश्न 27.
पनामा नहर के दो छोरों पर स्थित नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:
कोलोन और पनामा सिटी।

प्रश्न 28.
सर्वप्रथम सार्वजनिक रेलमार्ग किन क्षेत्रों के बीच आरंभ हुआ?
उत्तर:
उत्तरी इंग्लैंड के स्टॉकटन और डर्लिंटन के बीच।

प्रश्न 29.
अलास्का राजमार्ग किन स्थानों को जोड़ता है?
उत्तर:
कनाडा के एडमंटन को अलास्का के एंकॉरेज से।

प्रश्न 30.
उत्तरी अमेरिका में विश्व का कितने प्रतिशत रेलमार्ग तंत्र है?
उत्तर:
40%

प्रश्न 31.
एशिया एवं यूरोप दोनों महाद्वीपों के लिए वाणिज्य द्वार के रूप में सेवा करने वाली नहर का क्या नाम है?
उत्तर:
स्वेज नहर।

प्रश्न 32.
पाइपलाइनों के माध्यम से किसका परिवहन व्यापक रूप से किया जाता है?
उत्तर:
जल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस आदि का।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महामार्ग क्या होते हैं?
उत्तर:
महामार्ग वे पक्की सड़कें होती हैं जो किसी देश के दूरस्थ स्थानों को मिलाती हैं। अत्यंत चौड़ी इन सड़कों पर दोनों तरफ बाधा-रहित यातायात चलता है। वाहनों की तेज गति के लिए इन सड़कों पर कई लेन, पुल, फ्लाईओवर तथा किनारों पर पुश्ते बनाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
परिवहन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
परिवहन वह साधन है जिसके माध्यम से उपयोगी वस्तुओं तथा यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।

प्रश्न 3.
संचार सेवा क्या है?
उत्तर:
संचार सेवा वह सेवा है जिसके माध्यम से संचार के विभिन्न साधनों द्वारा संदेश तथा विचार को अन्य स्थानों पर भेजा जाता है।

प्रश्न 4.
बिग इंच क्या है?
उत्तर:
बिग इंच अमेरिका की सबसे प्रसिद्ध पाइपलाइन है जो खाड़ी के तटीय कुँओं से प्राप्त तेल को उत्तरी-पूर्वी भाग में पहुँचाती है।

प्रश्न 5.
पाइपलाइन परिवहन से क्या लाभ है?
उत्तर:
पाइपलाइन परिवहन का प्रयोग जल, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे तरल पदार्थों एवं गैसीय पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 6.
पाइपलाइन परिवहन के कोई दो दोष बताएँ।
उत्तर:

  1. पाइपलाइनों को बिछाने के बाद इसकी क्षमता को घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता।
  2. लोचशीलता के अभाव के कारण पाइपलाइन परिवहन को निश्चित स्थानों के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
तटीय नौपरिवहन से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
तटीय नौपरिवहन लंबी तटरेखा वाले देशों के लिए एक सुगम विधि है जो विभिन्न देशों को समुद्रीय मार्गों से जोड़ने का कार्य करती है।

प्रश्न 8.
पाइपलाइनों का विस्तृत उपयोग खनिज तेल और प्राकृतिक गैस जैसी सामग्रियों का परिवहन करने के लिए क्यों होता है?
उत्तर:
क्योंकि पाइपलाइनों में इन तरल पदार्थों का प्रवाह सतत् बना रहता है। सामान चढ़ाने-उतारने का भी झंझट नहीं रहता और वस्तु का अपव्यय भी नहीं होता।

प्रश्न 9.
उत्तर प्रशांत मार्ग किन प्रमुख पत्तनों को जोड़ता है?
उत्तर:
यह मार्ग उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित पत्तनों बैंकुवर, सियाटिल, पोर्टलैंड, सान फ्रांसिस्को आदि को सुदूरपूर्व एशिया के याकोहामा, कोबे, शंघाई, हाँगकांग, मनीला तथा सिंगापुर आदि से मिलाता है।

प्रश्न 10.
ट्रांस कैनेडियन महामार्ग किन दो नगरों के बीच फैला हुआ है?
उत्तर:
ट्रांस कैनेडियन महामार्ग कनाडा के पूर्व में अटलांटिक महासागर के तट पर स्थित सेंट जॉन नगर तथा पश्चिम में प्रशांत महासागर के तट पर स्थित बैंकूवर नगर के बीच फैला हुआ है।

प्रश्न 11.
अंतःस्थलीय जलमार्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
परिवहन के उपयोग में आने वाली नदियों, झीलों और नहरों को अंतःस्थलीय जलमार्ग कहते हैं।

प्रश्न 12.
विश्व की सबसे पहली रेलगाड़ी कब और कहाँ-से-कहाँ तक चली थी?
उत्तर:
विश्व की सबसे पहली रेलगाडी सन 1825 में उत्तरी इंग्लैंड के स्टॉकटन और डार्लिंगटन के बीच चली थी।

प्रश्न 13.
अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्ग क्या होते हैं?
उत्तर:
अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्ग वे रेलमार्ग होते हैं जो किसी महाद्वीप के एक छोर को उसके दूसरे छोर से जोड़ते हैं।

प्रश्न 14.
कैनेडियन-पैसेफिक रेलवे कहाँ-से-कहाँ तक विस्तृत है?
उत्तर:
यह रेलमार्ग कनाडा के पूर्व में अटलांटिक महासागर के तट पर स्थित सेंट जॉन व हेलिफैक्स बंदरगाहों को पश्चिम में प्रशांत तट पर स्थित बैंकूवर बंदरगाह से मिलाता है।

प्रश्न 15.
परिवहन जाल क्या होता है?
उत्तर:
अनेक स्थान जिन्हें परस्पर मार्गों की श्रेणियों द्वारा जोड़ दिए जाने पर जिस प्रारूप का निर्माण होता है, उसे परिवहन जाल कहते हैं।

प्रश्न 16.
साइबर स्पेस क्या है?
उत्तर:
साइबर स्पेस विद्युत द्वारा कम्प्यूटरीकृत स्पेस का संसार है। यह वर्ल्ड वाइड वेब (www) जैसे इंटरनेट द्वारा आवृत है।

प्रश्न 17.
साइबर स्पेस के दो उपयोग बताइए।
उत्तर:

  1. इसका उपयोग उड़ते जहाजों में हो सकता है।
  2. यह विद्युत द्वारा कम्प्यूटरीकृत किया गया स्पेस का संसार है।

प्रश्न 18.
विश्व के वायुमार्गों के अति सघन जाल वाले तीन मुख्य प्रदेश कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. पश्चिमी यूरोप
  2. संयुक्त राज्य अमेरिका
  3. दक्षिणी-पूर्वी एशिया।

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प्रश्न 19.
सीमावर्ती सड़क से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के सहारे बनाई गई सड़कों को सीमावर्ती सड़कें कहा जाता है। ये सड़कें सुदुर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रमुख नगरों से जोड़ने और प्रतिरक्षा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। प्रायः सभी देशों में गाँवों और सैन्य शिविरों तक वस्तुओं को पहुँचाने के लिए ऐसी सड़कें बनाई जाती हैं।

प्रश्न 20.
आंतरिक जलमार्ग के दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. स्वेज़ नहर मार्ग
  2. पनामा नहर मार्ग।

प्रश्न 21.
‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ किन चार महानगरों को जोड़ता है?
उत्तर:
स्वर्णिम चतुर्भुज’ दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई तथा कोलकाता को जोडता है।

प्रश्न 22.
इंटरनेट क्या है?
उत्तर:
इंटरनेट एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है जिसके द्वारा कोई भी प्रयोगकर्ता माइक्रो कंप्यूटर और मोडम के माध्यम से साइबर स्पेस (सूचना संसार) से जुड़ सकता है और विविध प्रकार की नवीनतम जानकारी हासिल कर सकता है।

प्रश्न 23.
पार-साइबेरियन रेलमार्ग किस देश से गुजरता है?
उत्तर:
रूस का यह प्रमुख रेलमार्ग पश्चिम में सेंट पीट्सबर्ग से पूर्व में प्रशान्त महासागर तट पर स्थित ब्लाडीवॉस्टक तक मॉस्को, टुला, नोवोस्प्रिंस्क, चीता और खबरोस्क से होते हुए जाता है।

प्रश्न 24.
उपग्रहण संचार का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
उपग्रह संचार (इंटरनेट) पृथ्वी पर सबसे बड़ा विद्युतीय जाल है। इसने मानव-जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित किया है। दूरदर्शन के माध्यम से मौसम की जानकारी एक वरदान बन गई है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
परिवहन तथा संचार में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन तथा संचार में निम्नलिखित अंतर हैं

परिवहनसंचार
1. परिवहन के विभिन्न साधनों द्वारा उपयोगी वस्तुओं तथा यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।1. संचार के विभिन्न साधनों द्वारा संदेश तथा विचार को अन्य स्थानों पर भेजा जाता है।
2. परिवहन के उदाहरण-जल मार्ग, स्थल मार्ग व वायु मार्ग हैं।2. संचार के उदाहरण-टेलीविजन, रेडियो, तार, टेलीफोन आदि हैं।
3. ये साधन पेट्रोल, डीजल व विद्युत शक्ति से चलते हैं।3. ये साधन विद्युत तरंगों से चलते हैं।

प्रश्न 2.
सड़क परिवहन सुविधाजनक क्यों होता है?
उत्तर:
सड़क परिवहन निम्नलिखित कारणों से सुविधाजनक होता है-

  1. सड़कें यातायात का सस्ता साधन हैं।
  2. सड़कों द्वारा पदार्थों या चीजों को उत्पादित क्षेत्रों से उपभोक्ता क्षेत्र तक आसानी से पहुँचाया जाता है।
  3. सड़कों द्वारा माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने एवं ले जाने में अधिक सुरक्षा है।
  4. इनका निर्माण दुर्गम, पहाड़ी एवं हिमाच्छादित क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
वायु परिवहन की कोई चार हानियाँ बताएँ।
उत्तर:
वायु परिवहन की चार हानियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. वायुयान केवल निश्चित मार्गों पर ही चल सकते हैं।
  2. हवाई अड्डों के निर्माण पर अधिक धन खर्च करना पड़ता है।
  3. परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में वायु परिवहन पर मौसम का प्रभाव अधिक पड़ता है।
  4. हवाई मार्गों पर धूल-भरी आंधियों का प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 4.
सड़क परिवहन की कोई चार विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
सड़क परिवहन की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. सड़कों के द्वारा मनुष्य अपनी आवश्यकता की विभिन्न वस्तुओं को मँगवा सकता है तथा दूसरे स्थान तक पहुँचा सकता है।
  2. सड़कें यातायात का सस्ता साधन हैं।
  3. सड़कों का निर्माण दुर्गम, पहाड़ी तथा हिमाच्छादित प्रदेशों में भी किया जा सकता है।
  4. सड़कों द्वारा पदार्थों का परिवहन उत्पादक क्षेत्रों से उपभोक्ता के घर तक किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
उत्तरी तथा दक्षिणी अटलांटिक जलमार्गों की तुलना करें।
उत्तर:
उत्तरी तथा दक्षिणी अटलांटिक जलमार्गों में निम्नलिखित अंतर हैं-

उत्तरी अटलांटिक जलमार्गदक्षिणी अटलांटिक जलमार्ग
1. यह जलमार्ग पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा उत्तरी अमेरिका के देशों को मिल्याता है।1. यह जलमार्ग पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा दक्षिणी अमेरिका के देशों को मिलाता है।
2. इस जलमार्ग के दोनों अंतिम भागों में विकसित देश स्थित हैं।2. इस जलमार्ग के एक तरफ यूरोप के विकसित देश तथा दूसरी तरफ दक्षिणी अमेरिका के कम विकसित देश स्थित है।
3. इस जलमार्ग द्वारा विश्व का सबसे अधिक व्यापार होता है।3. इस जलमार्ग द्वारा कम व्यापार होता है।
4. इस मार्ग से औद्योगिक निर्मित वस्तुएँ निर्यात की जाती हैं।4. इस जलमार्ग द्वारा मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ तथा कच्चा माल दक्षिणी अमेरिका के देशों में निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 6.
पत्तन तथा पोताश्रय में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पत्तन तथा पोताश्रय में निम्नलिखित अंतर हैं-

पत्तनपोताश्रय
1. ये सागरीय तट पर जलयानों के ठहरने के स्थान हैं।1. ये जलयानों के सागर में प्रवेश करने के प्राकृतिक स्थान शोते है।
2. यहाँ जलयानों से सामान को उतारने तथा लादने की सुविधाएँ रपलब्ध हैं।2. यहाँ जलयानों की समुद्री तुफानों तथा लहरों से रक्षा होती है।
3. यहाँ कर्ई बस्तियां तथा गोदाम होते हैं।3. यहाँ बस्तियां तथा गोदाम नहीं होते। ज्वारनदमुख तथा कडे-फटे तट पोताश्रय का निर्माण करते हैं; जैसे मुंबई।
4. ये व्यापार के द्वार हैं। यहाँ स्थलीय क्षेत्र तथा सागरीय तट आपस में मिलते हैं।4. कृत्रिम पोताश्रय का निर्माण जलतोड़ दीवार बनाकर किया जाता है।
5. ये रेलमार्गों तथा सड़कों द्वारा अपनी पृष्ठभूमि से मिले ग्हते हैं।5. यहाँ केवल जलयानों के आवागमन की सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं।

प्रश्न 7.
पाइपलाइन परिवहन का वर्णन करें।
उत्तर:
खनिज तेल, पेट्रोलियम उत्पादों तथा बड़ी मात्रा में गैस इत्यादि के परिवहन के लिए पाइपलाइन, परिवहन की एक नई व सुगम तकनीक है। पाइपलाइनों को ऊबड़-खाबड़ भू-भागों तथा पानी के नीचे भी बिछाया जा सकता है। एक बार बिछ जाने के बाद इसके रख-रखाव व संचालन पर खर्च भी कम आता है। इससे ऊर्जा का उपयोग भी कम मात्रा में होता है। लेकिन इसमें कुछ खामियाँ भी हैं। एक बार पाइपलाइन बिछा देने के बाद उसकी क्षमता में वृद्धि नहीं की जा सकती। भूमिगत पाइपलाइन की मुरम्मत करना भी कठिन होता है। रिसाव होने पर रिसाव के स्थान का पता लगाना भी कठिन होता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादक क्षेत्रों और उपभोग क्षेत्रों के बीच तेल पाइपलाइनों का सघन जाल पाया जाता है। बिग इंच ऐसी ही एक प्रसिद्ध पाइपलाइन है जो मैक्सिको की खाड़ी में स्थित तेल के कुँओं से उत्तर:पूर्वी राज्यों में तेल ले जाती है। यूरोप, रूस, पश्चिम एशिया और भारत में पाइपलाइनों का प्रयोग तेल के कुँओं को तेल परिष्करणशालाओं और पत्तनों या घरेलू बाज़ारों से जोड़ने के लिए किया जाता है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय महामार्ग तथा राज्य महामार्ग में क्या अंतर है?
उत्तर:
राष्ट्रीय महामार्ग तथा राज्य महामार्ग में निम्नलिखित अंतर हैं-

राष्ट्रीय महामार्गराज्य महामार्ग
1. ये महामार्ग किसी भी देश के राज्यों की राजधानियों तथा मुख्य नारों को आपस में मिलाते हैं।1. ये महामार्ग किसी भी रंज्य के प्रमुख नगरों को आपस में मिलाते हैं।
2. इन महामार्गों की देख-रेख केंद्रीय सरकार कग्ती है।2. इन महामागों की देख-रेख राज्य सरकारें करती हैं।
3. अमृतसर से मुंबई को मिलाने वाला महामार्ग गष्ट्रीय महामार्ग है।3. चंडीगढ़ तथा हिसार महामार्ग ग़ज़्य महामार्ग है।

प्रश्न 9.
स्वेज़ नहर तथा पनामा नहर के मार्गों के आर्थिक महत्त्व की तुलना करें।
अथवा
स्वेज तथा पनामा नहरों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
स्वेज़ नहर तथा पनामा नहर के मार्गों के आर्थिक महत्त्व निम्नलिखित प्रकार से हैं-

स्वेज़ नहरपनामा नहर
1. यह नहर लाल सागर और भूमध्य सागर को मिलाती है।1. यह नहर अटलांटिक महासागर तथा प्रशात महासागर को मिलाती है।
2. इस नहर पर मिस्र का अधिकार है।2. इस नहर पर संयुक्त राज्य अभोरंका का आधकार है।
3. इस नहर के एक तरफ व्यापार होता है।3. इस नहर के दोनों ओर व्यापार होता है।
4. इस नहर की लंबाई 160 कि०मी० है।4. इस नहर की लंबाई 72 कि०मी० है।
5. इस नहर का भू-तल समतल है।5. इस नहर का भू-तल पर्वर्ताय है।
6. इस नहर से गुजरने वाले जलयानों को अधिक कर देने पड़ते हैं।6. इस नहर से गुजरने वाले जलयानों को कम कः देने पड़ते हैं।
7. इस नहर में यातायात अधिक होता है।7. इस नहर में यातायात कम होता है।
8. इस मार्ग पर कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।8. इस मार्ग पर कोयला कम मात्रः में उपल्बब्ध है।
9. इस मार्ग पर बंदरगाहों की संख्या अधिक है।9. इस मार्ग पर बंदरगाहां की संख्या कम है।
10. स्वेज़ नहर द्वारा फारस की खाड़ी के देशों से पेट्रोलियम एशियाई देशों में आयात होता है तथा गेहुं, चावल. रबड़, जूट, सूती वस्त्र आदि का नियांत खाड़ी के टेशों को किया जाता है।10. इस मार्ग द्वारा उत्तरी अमेरिका से खाद्य पदार्थ तथा कोयला, ब्राजील से कॉफी, वेनेगुएला से पेट्रोलियम. जमैका से एल्युर्मानियम यूरोपीय तया एंशियाई देशों को निर्यात की जातो है तथा रबड़, खाद्य सभग्री, कोयला, रेशम, चाय आदि अमेरिकी देशों कों भेर्जा जार्ता है।

प्रश्न 10.
जल परिवहन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जल परिवहन का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. जलमार्गों को बनाना नहीं पड़ता और न ही इनके रख-रखाव में कोई खर्चा आता है।
  2. महासागर आपस में जुड़े हैं। इनमें विभिन्न आकार के जहाज चल सकते हैं। समुद्री मागों का उपयोग कोई भी देश कर सकता है।
  3. जल का वर्षण स्थल की अपेक्षा कम होता है। परिणामस्वरूप जल परिवहन की ऊर्जा लागत अपेक्षा त कम होती है।
  4. कम मूल्य वाली, भारी व अधिक स्थान घेरने वाली स्थूल वस्तुओं; जैसे कोयला, अयस्क, लकड़ा इत्यादि के लम्बी दूरी तक परिवहन के लिए समुद्री मार्ग सर्वाधिक उपयुक्त और सस्ते पड़ते हैं।
  5. महासागरों का जहाजों द्वारा मार्गों के रूप में प्रयोग करना मनुष्य के मौतिक पर्यावरण के साथ अनुकूलन का एक श्रेष्ठ उदाहरण है।

प्रश्न 11.
रेल परिवहन के लाभ एवं दोषों का उल्लेख करें।
अथवा
रेल परिवहन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
रेल परिवहन के लाभ/महत्त्व-

  • यह लम्बी दूरियों के यात्रियों और सामान ढोने का सबसे सस्ता साधन है।
  • रेल कृषि उत्पादों को उपभोक्ताओं तक और कच्चे माल को कारखानों तक पहुँचाने में सुविधाजनक साधन है।
  • रेल परिवहन का देश के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

रेल परिवहन के दोष-

  • रेल परिवहन के रख-रखाव के लिए भारी पूँजी और कर्मचारियों की आवश्यकता होती है।
  • पर्वतीय और मरुस्थलीय क्षेत्रों में रेलमार्गों का निर्माण करना कठिन होता है और यहाँ निर्माण कार्य में अधिक लागत आती है।

प्रश्न 12.
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग का भौगोलिक महत्त्व क्या है?
उत्तर:
ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग बनने से कभी पिछड़ा हुआ पूर्वी-साइबेरिया, जिसे ‘काला पानी’ भी कहा जाता था, आज प्राकृतिक संपदाओं का खजाना माना जा रहा है। इसी के कारण ही साइबेरिया और मध्य एशिया की प्राकृतिक एवं कृषि सम्पत्तियों का दोहन संभव हो सका है। इसी के माध्यम से पश्चिम की ओर धातु, चमड़ा, लकड़ी आदि मँगवाए जा रहे हैं और पूर्व की ओर मशीनरी एवं औद्योगिक उत्पाद भेजे जा रहे हैं।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सड़क परिवहन के महत्त्व का वर्णन करें।
अथवा
स्थल या सड़क परिवहन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राचीनकाल में मनुष्य पगडंडियों तथा कच्ची सड़कों के रास्ते आवागमन करते थे। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर पैदल या बैलगाड़ियों में जाते थे लेकिन प्रौद्योगिकी विकास के साथ-साथ आवागमन के लिए पक्की सड़कों तथा महामार्गों का विकास किया गया जिन पर मोटरगाड़ियाँ, बसें, ट्रक, स्कूटर, ट्रैक्टर आदि के द्वारा परिवहन होने लगा। मनुष्य अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को विभिन्न स्थानों से मंगवाने लगा। अपने अतिरेक कृषि उत्पादनों को उनकी माँग के अनुसार बाजार तक भेजने लगा। सड़क मार्ग की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. सड़कों के द्वारा मनुष्य अपनी आवश्यकता की विभिन्न वस्तुओं को मंगवा सकता है तथा दूसरे स्थान तक पहुँचा सकता है।
  2. सड़कें यातायात का सस्ता साधन हैं।
  3. सड़कों का निर्माण दुर्गम, पहाड़ी तथा हिमाच्छादित प्रदेशों में भी किया जा सकता है।
  4. कम दूरी के लिए सड़कें यातायात के सस्ते साधन हैं।
  5. सड़कों द्वारा पदार्थों का परिवहन उत्पादक क्षेत्रों से उपभोक्ता के घर तक किया जा सकता है।
  6. सड़कों द्वारा माल को लाने-ले जाने में अधिक सुरक्षा रहती है।
  7. शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं; जैसे सब्जी, फल, मछली, दूध, घी आदि को सड़कों द्वारा माँग वाले क्षेत्रों में शीघ्र पहुँचाया जा सकता है।
  8. छोटी दूरियों के लिए सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा आर्थिक दृष्टि से लाभदायक होता है
  9. सडक परिवहन रेल. जहाज तथा वाय परिवहन का पुरक है क्योंकि रेल, जहाज और विमान केवल सीमित स्थानों पर ही जाते हैं जबकि सड़कें सभी गाँवों, नगरों और बाज़ारों को इन साधनों से जोड़ती है।
  10. इससे सम्पूर्ण परिवहन तन्त्र की क्षमता बढ़ती है।
  11. दुर्गम क्षेत्रों में जहाँ परिवहन के अन्य साधन नहीं पहुँच सकते। वहाँ केवल सड़कें ही यातायात को सुविधा प्रदान करती हैं।
  12. सड़कों द्वारा उद्योगों के लिए कच्चे तथा निर्मित माल का परिवहन आसान हो गया है।
  13. गाँवों को नगरों से जोड़कर सड़कें वंचित ग्रामीण समुदाय को शिक्षा व अन्य सुविधाओं तक पहुँचाने का अवसर प्रदान करती हैं।

निष्कर्ष – सड़कें कच्ची भी होती हैं और पक्की भी। कच्ची सड़कों को बनाना आसान व सस्ता पड़ता है। लेकिन इनका प्रयोग सभी ऋतुओं में नहीं किया जा सकता। अत्यधिक भारी वर्षा और बाढ़ के दौरान पक्की सड़कें भी टूट जाती हैं। सड़कें किसी भी देश के व्यापार और वाणिज्य को विकसित करने एवं पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

विश्व में परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में सड़कों का विकास एवं प्रसार अधिक हुआ है तथा इन्होंने आर्थिक विकास मे महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

प्रश्न 2.
विश्व के विभिन्न भागों में सड़कों के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व में सड़कों का विकास अन्य साधनों की तुलना में अधिक हुआ है। सड़कें उन देशों में अधिक विकसित तथा संख्या में अधिक हैं जो आर्थिक रूप से समृद्ध हैं। सड़कों की लंबाई रेलमार्गों की तुलना में लगभग तेरह गुनी अधिक है। विश्व में उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया तथा एशिया में भारत, चीन एवं जापान में सड़कें अधिक विकसित अवस्था में हैं। विश्व के विभिन्न देशों में सड़कों के वितरण की स्थिति निम्नलिखित प्रकार से है
1. संयुक्त राज्य अमेरिका-सड़कों के विकास एवं लंबाई की दृष्टि से संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का महत्त्वपूर्ण राष्ट्र है। यहाँ कुल सड़कों की लंबाई लगभग 60 लाख किलोमीटर है जो विश्व का लगभग एक-तिहाई सड़क मार्ग है। संयुक्त राज्य अमेरिका का पूर्वी भाग सड़कों के विकास की दृष्टि से देश का प्रमुख क्षेत्र है। देश के पूर्वी भाग में औद्योगिक तथा आर्थिक विकास अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक हुआ है। मोटरगाड़ियों की दृष्टि से संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का प्रथम देश ही नहीं, बल्कि विश्व की आधी मोटरगाड़ियाँ भी उसी देश में हैं। देश के उत्तरी भाग में कनाडा की सीमा के साथ-साथ सड़कों का विकास अपेक्षाकृत कम हुआ है। संयुक्त राज्य अमेरिका में सड़कों का जाल बिछा हुआ है।

2. यूरोप-यूरोप में औद्योगिक एवं नगरीय विकास 19वीं शताब्दी से ही शुरू हो गया था। यूरोप की लगभग 70% जनसंख्या नगरों में रहती है। ब्रिटेन, फ्रांस तथा जर्मनी तीनों देश सड़क परिवहन के क्षेत्र में यूरोप के अग्रणी देश हैं। यूरोप का प्रत्येक नगर वहाँ के बंदरगाहों से सड़कों द्वारा जुड़ा हुआ है जिससे वस्तुओं के आदान-प्रदान की सुविधा तथा आयातित माल को आंतरिक भागों तक आसानी से भेजा जा सकता है।

3. रूसरूस में यूरोपीय भाग सड़कों की दृष्टि से अधिक विकसित हैं। यूरोपीय रूस का प्रत्येक नगर सड़कों द्वारा आपस में जुड़ा हुआ है। मास्को सड़क-जाल का केंद्र-बिंदु है। एशियाई रूस में सड़कें अपेक्षाकृत कम हैं। साइबेरिया की कठोर शीतल जलवायु के कारण यहाँ सड़कों का विकास नहीं हो पाया है।

4. चीन-एशिया महाद्वीप में चीन में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। चीन का भौगोलिक क्षेत्र अधिक होने के कारण सारे देश में सड़कों का संतुलित विकास नहीं हो पाया है। अधिकांश सड़कें देश के पूर्वी तथा दक्षिणी भाग में हैं। बीजिंग प्रमुख सड़कों का केंद्र है, जहाँ से सभी प्रमुख नगरों को सड़कों से जोड़ दिया गया है।

5. भारत-भारत में सड़कों का अधिकतर विस्तार एवं विकास स्वतंत्रता के बाद हुआ। दक्षिणी भारत में अधिकांशतः सड़कें पक्की हैं, जबकि उत्तरी भारत में सतलुज-गंगा के मैदान में कच्ची तथा पक्की दोनों प्रकार की सड़कें हैं। भारत में सड़कों की कुल लंबाई लगभग 15 लाख किलोमीटर है जिनमें कुछ राष्ट्रीय राजमार्ग हैं जिनका निर्माण तथा देख-रेख केंद्रीय सरकार करती है तथा कुछ राज्य मार्ग हैं जिनका नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है। भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग शेरशाह सूरी महामार्ग (जी०टी० रोड) है जिसको राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-1 कहते हैं।

इसका निर्माण शेरशाह सूरी ने करवाया था जो कोलकाता से अमृतसर तक देश के महत्त्वपूर्ण नगरों को जोड़ता है। स्वतंत्रता से पूर्व यह कोलकाता से पेशावर तक था। इस राष्ट्रीय राजमार्ग को अब दो भागों में बांट दिया गया है। दिल्ली से अमृतसर तक राष्ट्रीय राजमार्ग नं० 1 तथा दिल्ली से कोलकाता के बीच के मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग नं० 2 बना दिया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग नं0 3 आगरा से मुंबई (बंबई) को जोड़ता है। भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरु, लखनऊ, कानपुर, पटना, अमृतसर, जयपुर, अहमदाबाद आदि को आपस में जोड़ते हैं।

6. ऑस्ट्रेलिया ऑस्ट्रेलिया में सड़कों का जाल पूर्वी तटीय क्षेत्र में फैला है। देश का यह भाग नगरीकरण एवं औद्योगिक रूप से भी संपन्न है। यहाँ के मुख्य मार्ग बंदरगाहों को आपस में जोड़ते हैं। ऑस्ट्रेलिया का स्टुआर्ट महामार्ग उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में स्थित बिरदुम को एलिस स्प्रिंग तथा टेनेंट क्रीक से होता हुआ दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में स्थित ऊनादत्ता को मिलाता है।

7. अफ्रीका-अफ्रीका महाद्वीप में सड़कों का अपेक्षाकृत कम विकास हुआ है। यहाँ मिस्र तथा दक्षिणी अफ्रीका में अधिकतर सड़कों का जाल बिछा है।

8. दक्षिणी अमेरिका दक्षिणी अमेरिका में ब्राज़ील, अर्जेंटाइना तथा पेरू में सड़कों का विकास हुआ है। दक्षिणी अमेरिका का सबसे महत्त्वपूर्ण महामार्ग पैन-अमेरिकन महामार्ग है जो 24,000 कि०मी० लंबा है। दक्षिणी अमेरिका में बंदरगाहों को आंतरिक भाग के नगरों से जोड़ा गया है। दक्षिणी अमेरिका की लगभग सभी प्रमुख बंदरगाहों को उनके पृष्ठ प्रदेश से सड़कों द्वारा मिलाया गया है।

प्रश्न 3.
विश्व के प्रमुख अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्गों/पार महाद्वीपीय रेलमार्गों का संक्षिप्त वर्णन करें।
अथवा
रेलमार्ग कितने प्रकार के होते हैं? रेलमार्गों के विश्व वितरण का वर्णन करें।
अथवा
किन्हीं दो प्रायद्वीपीय रेलमार्ग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्गों का निर्माण किसी महाद्वीप के दो किनारों को जोड़ने के उद्देश्य से किया जाता है। इन मार्गों के निर्माण के पीछे वहाँ के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तथा पिछड़े क्षेत्रों को राष्ट्र की मुख्य धारा में जोड़ना है। इससे राष्ट्रीय या महाद्वीपीय एकता के विकास को प्रोत्साहन मिलता है। विश्व के प्रमुख अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्ग निम्नलिखित हैं
1. ऑस्ट्रेलियन अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्ग-ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में रेलमार्गों का विकास अभी शैशव अवस्था में है। पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में एक महत्त्वपूर्ण रेलमार्ग है जो उत्तर से दक्षिणी तट को जोड़ता है। यहाँ एक ही अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्ग है जो पूर्व में सिडनी से आरंभ होकर पश्चिम में पर्थ को जोड़ता है। यह रेलमार्ग देश के महत्त्वपूर्ण नगरों को आपस में जोड़ता है।

2. अफ्रीकन अंतःमहाद्वीपीय रेलमार्ग-अफ्रीका महाद्वीप में भी रेलमार्गों का विकास प्रारंभिक अवस्था में है। एक बड़ा रेलमार्ग निर्माणाधीन है जो उत्तर से दक्षिणी छोर को आपस में जोडेगा। यह रेलमार्ग उत्तर में मिस्र की राजधानी काहिरा से दक्षिणी अफ्रीका के बंदरगाह केपटाउन को आपस में मिलाएगा। इस रेलमार्ग द्वारा अफ्रीका के महत्त्वपूर्ण नगरों को आपस में मिलाने की योजना है।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार 1

3. ट्रांस-साइबेरियन रेलमार्ग यह विश्व का सबसे लंबा रेलमार्ग है जो पश्चिम में यूरोपीय रूस के लेनिनग्राड से पूर्व में प्रशांत महासागर के तट पर स्थित ब्लाडीवॉस्टक तक है। इस मार्ग की लंबाई 9,332 किलोमीटर है। यह रेलमार्ग सन् 1905 में बनकर तैयार हुआ और इसके निर्माण में 14 वर्ष लगे।

यह रेलमार्ग पश्चिम में बाल्टिक सागर में स्थित फिनलैंड की खाड़ी के नगर एवं बंदरगाह लेनिनग्राड से दक्षिण में देश की राजधानी मास्को से होता हुआ ओमस्क, इरकूटस्क, खांबरोस्कं को जोड़ते हुए प्रशांत महासागर के तट ब्लाडीवॉस्टक तक लंबी दूरी तय करता है। यह इकहरी रेलवे लाइन है। चीता नगर से इस रेलमार्ग की दो शाखाएँ हो जाती हैं। यहाँ से इसकी एक शाखा दक्षिण में मंचूरिया होती हुई ब्लाडीवॉस्टक तक पहुंचती है।

ट्रांस साइबेरियन रेलमार्ग के निर्माण का उद्देश्य सैनिक तथा प्रशासनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना था लेकिन इस रेलमार्ग ने रूस के आर्थिक, सामाजिक एवं व्यापारिक क्षेत्र के विकास में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। रूस का साइबेरिया क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से धनी है। यहाँ संसाधनों की विविधता है। इन संसाधनों के दोहन और देश के आर्थिक विकास में इस रेलमार्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यहाँ से उद्योगों के लिए कच्चा माल रेलमार्ग द्वारा यूरोपीय रूस के उद्योगों को भेजा जाता है तथा निर्मित वस्तुएँ साइबेरिया क्षेत्र में आती हैं। साइबेरिया के खनिजों, वनों एवं कृषि क्षेत्र के उपयोग में रेलमार्ग वरदान सिद्ध हुआ है। इस रेलमार्ग से विशाल क्षेत्र वाला साइबेरिया राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़कर राष्ट्रीय एकता को सबल बनाने में सक्षम रहा है।

4. कैनेडियन पैसेफिक रेलमार्ग यह रेलमार्ग पूर्व में कनाडा की सीमा पर स्थित सेंट जॉन (St. John) बंदरगाह से आरंभ होकर संयुक्त राज्य अमेरिका को पार करके कनाडा के प्रमुख व्यापारिक नगर मांट्रियल तथा पोर्ट विलियम से होता हुआ पश्चिम में प्रशांत महासागर तट पर वेंकूवर तक जाता है। यह प्रशांत महासागर तथा अटलांटिक महासागर को जोड़ने वाला विश्व का प्रमुख रेलमार्ग है जिसका निर्माण सन् 1886 में किया गया। इस रेलमार्ग की लंबाई 7,050 किलोमीटर है।

इस रेलमार्ग का आरंभ कनाडा की सीमा से होता है तथा कुछ दूर संयुक्त राज्य अमेरिका में पहुंचने पर फिर यह मार्ग सेंट लारेंस नदी को पार करने के बाद कनाडा की राजधानी ओटावा पहुंचता है। इस रेलमार्ग के द्वारा देश के प्रमुख नगर सेंट जॉन, मांट्रियल, सडबरी, विनिपेग, रेगिना, मेडिसनहैट तथा वेंकवर आदि देश की राजधानी (ओटावा) से जुड़ गए हैं, जिससे प्रशासनिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में विशेष सहायता मिली है।

इस रेलमार्ग का प्रशासनिक एवं राजनीतिक महत्त्व होने के क्यबैक मि साथ-साथ इसने कनाडा के प्रेयरीज़ वेंकूवर कालाग्री मेडिसनहैट प्रदेश में गेहूँ के उत्पादन तथा खनिजों के दोहन तथा उन्हें पूर्व में अटलांटिक सडबरी तक पहुंचाने में सहायता की है। विनिपेग कनाडा के बंदरगाह शीतकाल में जम जाते हैं जिसके कारण समुद्री यातायात ट्रियल हा एंटलांटिक कुछ महीनों के लिए बंद हो जाता है
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार 2
महासागर और इस रेलमार्ग द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं को अटलांटिक तट तक पहुँचाया जाता है, जहाँ से पश्चिमी यूरोप के देशों को इनका निर्यात किया जाता है। कनाडा में पश्चिमी भाग के आर्थिक विकास में इस रेलमार्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

प्रश्न 4.
आंतरिक जल परिवहन अथवा अंतःस्थलीय जल मार्ग किसे कहते हैं? आंतरिक जलमार्गों के विश्व-वितरण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
परिवहन के क्षेत्र में आंतरिक या अंतःस्थलीय जलमार्गों का प्राचीनकाल से ही महत्त्व रहा है। मनुष्य लकड़ी के लट्ठों … को बांधकर जल में तैरते हुए यात्रा करते तथा सामान ढोते थे, तत्पश्चात् नावें बनाई गईं और अब स्टीमरों से परिवहन होता है। जब नदियों, झीलों तथा नहरों का प्रयोग परिवहन के रूप में किया जाता है, तो उसे आंतरिक जल परिवहन कहते हैं।

आंतरिक जलमार्गों का विश्व-वितरण-आंतरिक जलमार्गों का विश्व-वितरण निम्नलिखित है-
1. यूरोप के आंतरिक जलमार्ग-यूरोप में आंतरिक जलमार्गों का जाल बिछा हुआ है। यूरोप के उत्तरी मैदान की महत्त्वपूर्ण नदियों; जैसे सीन, राइन, वेजर, एल्ब, ऑडर आदि नदियों को नहरों के द्वारा बीच-बीच में जोड़ दिया गया है। कच्चे तथा निर्मित माल को लाने-ले . जाने तथा व्यापारिक माल को बंदरगाहों तक पहुंचाने में इंन भागों का बड़ा महत्त्व है।

यूरोप में राइन नदी व्यापार की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। इसमें बड़े-बड़े जलपोत जर्मनी के आंतरिक भागों तक प्रवेश कर जाते हैं। इस नदी द्वारा जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, स्विट्ज़रलैंड और बेल्जियम के आयात-निर्यात में सहायता मिलती है। इस नदी द्वारा आयातित वस्तुओं को आंतरिक भागों तक आसानी से पहुँचाया जाता है तथा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं को वापसी में जहाजों द्वारा विदेशों को भेजा जाता है। राइन, वेजर तथा ऑडर नदियों को पूर्व-पश्चिम दिशा में नहरों के द्वारा जोड़ दिया गया है, स्टीमर तथा जलपोत चलते हैं। डेन्यूब नदी द्वारा ऑस्ट्रिया, हंगरी, रोमानिया और यूगोस्लाविया का परिवहन होता है। डेन्यूब नदी जर्मनी में ब्लैक फोरेस्ट पर्वत से निकलकर पूर्व में आस्ट्रिया की राजधानी वियना तथौं हंगरी होती हुई उत्तर:पूर्वी भाग में रोमानिया तथा बुल्गारिया से होती हुई पूर्व में काला सागर में गिरती है।

2. मानसूनी एशिया-मानसूनी एशिया में भारत तथा चीन की नदियाँ ही अधिकांशतः जल परिवहन में प्रयोग की जाती हैं। चीन की यांगसी-क्यांग तथा भारत की गंगा, ब्रह्मपुत्र, हुगली, बर्मा की इरावती आदि नदियों में प्रमुख रूप से जल परिवहन होता है। यांगसी-क्यांग की गिनती विश्व की लंबी नदियों में की जाती है। यह चीन की सबसे लंबी नदी है जो पश्चिम से पूर्व की ओर प्रवाहित होती है। इसके अतिरिक्त इसमें अनेक छोटी-बड़ी नावें भी चलती हैं। भारी सामान देश के आंतरिक भागों में कम लागत पर इस नदी द्वारा पहुँचाया जाता है। इन नदियों के अतिरिक्त ह्वांगहो, मीमांग, सालविन आदि नदियों में भी जल परिवहन होता है। उत्तरी भारत में गंगा, यमुना तथा ब्रह्मपुत्र नदियों को परिवहन के उद्देश्य से अधिक विकसित किया जा सकता है जिससे कोलकाता बंदरगाह से माल आंतरिक भागों में कम लागत पर पहुंच सके।

3. उत्तरी अमेरिका-उत्तरी अमेरिका का महान् झील क्षेत्र साल भर परिवहन के लिए खुला रहता है। सुपीरियर, मिशिगन, हयूरन, ईरी तथा ओष्टारियों ने यहाँ के औद्योगिक विकास एवं नगरीकरण में प्रमुख भागीदारी निभाई है। इन झीलों के तटवर्ती भागों न मात्रा में लोहा पाया जाता है। बड़े-बड़े जहाज़ों द्वारा लोहा देश के कोयला क्षेत्रों एवं औद्योगिक नगरों तक पहुंचाया जाता है। इन झीलों के अतिरिक्त मिसीसिपी आंतरिक जलमार्ग भी महत्त्वपूर्ण है। मिस्सौरी, ओहापो, इलिनाए और उमोहियो नाव्य-नदियाँ हैं जो कच्चे माल आदि का परिवहन करती हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार

प्रश्न 5.
विश्व के किन्हीं चार समुद्री जलमार्गों या महासागरीय मार्ग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सबसे अधिक महासागरीय भागों द्वारा होता है। द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व भाप से चलने वाले जलयानों की संख्या अधिक थी, लेकिन अब डीज़ल से चलने वाले जलपोतों द्वारा एक देश का दूसरे देश से व्यापार होता है। महासागरीय भागों के द्वारा ही विश्व बाजार में विभिन्न देशों की वस्तुएँ सुलभ हो जाती हैं। भारी वजन वाले सामान को जलपोतों द्वारा ही एक देश से दूसरे देश में पहुंचाया जाता है। महासागरीय जलमार्ग परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में सस्ता साधन है। इसमें सड़कें तथा रेल पटरी आदि बिछाने का खर्चा नहीं है। केवल पोताश्रयों के लिए टर्मिनल बनाने पड़ते हैं। विश्व के प्रमुख महासागरीय मार्ग निम्नलिखित हैं-
1. उत्तरी अटलांटिक मार्ग-यह मार्ग संसार का सबसे व्यस्त मार्ग है। यह मार्ग उत्तरी अमेरिका तथा यूरोपीय देशों के मध्य स्थित है। यह मार्ग विश्व के औद्योगिक देशों को आपस में जोड़ता है। विश्व का लगभग एक-चौथाई व्यापार इसी मार्ग द्वारा होता है। इस मार्ग पर पहला स्टीमर सन् 1938 में प्रारंभ हुआ। आज इस मार्ग पर लगभग 300 कंपनियों के जलपोत चलते हैं। इस मार्ग पर विश्व के लगभग 28 बड़े बंदरगाह स्थित हैं। यूरोप के प्रमुख पोताश्रय लंदन, लीवरपूल, बर्ग, रोटरडम, एम्सटर्डम, दी हेग, बेस्ट नान्टीज़, रोम, नेपिल्स आदि और संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क, बोस्टन, फिलाडेलफिया, बाल्टीमोर, चार्ल्सटन, न्यू आयलिस तथा हॉस्टन प्रमुख हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका से गेहूँ, कपास, कोयला, पेट्रोलियम, तेल, मशीनरी, कृषि यंत्र, वैज्ञानिक उपकरण, वस्त्र तथा मोटरगाड़ियाँ
आदि का निर्यात होता है, जबकि यूरोप से वैज्ञानिक उपकरण, मशीनों तथा वस्त्रों का निर्यात होता है।

2. आशा अंतरीप मार्ग-यह एक महत्त्वपूर्ण महासागरीय मार्ग है जो विश्व के सभी महाद्वीपों को आपस में जोड़ता है। यह उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप के देशों को आपस में जोड़ता है। यूरोप से आने वाले जहाज केपवर्ड द्वीपों के समीप से अफ्रीका के दक्षिण में केपटाउन पहुंचते हैं तथा इंडोनेशिया जाने वाले जहाज वृहत् वृत्त के मार्ग से जाते हैं तथा ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जाने वाले जहाज वृहत् वृत्त के उत्तर की ओर से जाते हैं और केपटाउन ईंधन लेने के लिए रुकते हैं। स्वेज़ नहर के निर्माण के बाद से इस मार्ग का महत्त्व कम हो गया है। दक्षिण-पूर्वी एशिया से रबड़, ऊन, तेल, चीनी, नारियल, मसाले, ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूज़ीलैंड से दुग्ध तथा ऊन का सामान निर्यात किया जाता है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका तथा यूरोप से मशीनरी, तेल, वैज्ञानिक उपकरण, मोटरगाड़ियाँ आदि का निर्यात इस मार्ग से होता है।

3. प्रशांत महासागरीय मार्ग यह समुद्री मार्ग सबसे बड़ा है लेकिन अधिक विकसित नहीं हुआ है। इस मार्ग द्वारा उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका का एशियाई देशों तथा ऑस्ट्रेलिया से व्यापार होता है। एशियाई देशों से कच्चा माल तथा संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्मित माल यहाँ से निर्यात होता है। अमेरिका से मशीनरी, वैज्ञानिक उपकरण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान निर्यात होता है। दक्षिणी-पूर्वी एशिया से चाय, रबड़, चीनी तथा अन्य कृषिगत उपजें निर्यात की जाती हैं। इस मार्ग के प्रसिद्ध एशियाई बंदरगाह कोबे, टोकियो, याकोहामा, हांगकांग, शंघाई, सिंगापुर, मनीला, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी, अमेरिका के वेंकूवर, सान फ्रांसिस्को तथा लॉस एंजिल्स हैं।

4. दक्षिणी अटलांटिक मार्ग यह महासागरीय मार्ग पश्चिमी यूरोप तथा दक्षिणी अमेरिका के देशों के मध्य है। इस व्यापारिक मार्ग से दक्षिणी अमेरिका की बंदरगाहों तथा यूरोप की बंदरगाहों के मध्य व्यापार होता है। अर्जेंटाइना, ब्राज़ील तथा उरुग्वे विशाल मात्रा में कहवा, गेहूं, मक्का, मांस, ऊन, चमड़ा तथा खालें यूरोपीय देशों को निर्यात करते हैं। लौह अयस्क, मैंगनीज़, टंगस्टन, बॉक्साइट, अभ्रक आदि खनिजों का भी दक्षिणी अमेरिका के देशों से इस मार्ग द्वारा निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 6.
वायु परिवहन की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु परिवहन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) स्थल तथा जल परिवहन की तुलना में वायु परिवहन, परिवहन का तीव्रतम साधन है, परन्तु यह अत्यन्त महँगा भी है।

(2) विश्व की दूरियों को जितनी जल्दी वायु परिवहन ने घटाया है उतनी जल्दी किसी और साधन ने नहीं। वर्षों और महीनों के स्थान पर वायुमार्ग द्वारा की गई यात्रा को अब घण्टों और मिनटों में मापा जा सकता है। आज विश्व में कोई भी स्थान 35 घण्टे से अधिक दूरी पर नहीं है। चौंकाने वाली यह बात वायुयान बनाने और उड़ाने वालों की वजह से संभव हुई है।

(3) कम वजन की कीमती वस्तुओं; जैसे हीरे-जवाहरात, पत्र एवं दस्तावेज तथा शीघ्र खराब होने वाली खाद्य वस्तुओं; जैसे भारत का आम, इज़रायल का टमाटर, स्विट्ज़रलैंड के चॉकलेट व न्यूज़ीलैंड के दूध को वायु परिवहन द्वारा यूरोप और अमेरिका के बाज़ारों में शीघ्र पहुँचाया जा सकता है।

(4) वायु परिवहन ने सम्पर्क क्रान्ति ला दी है, जिन अगम्य क्षेत्रों तक स्थल मार्ग विकसित नहीं किए जा सकते; जैसे सघन वन, पर्वत, दलदल, हिमक्षेत्र व मरुभूमि इत्यादि, वहाँ वायु परिवहन ही एकमात्र विकल्प बच जाता है। ऐसे स्थानों पर केवल हवाई अड्डे अथवा हवाई पट्टियाँ बनानी पड़ती हैं। उदाहरणतः वायुयान जमी हुई भूमि (Frozen Ground) के अवरोध से प्रभावित हुए बिना कनाडा के एस्किमो के लिए अनेक प्रकार की वस्तुएँ लाते हैं।

(5) ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में भू-स्खलन, ऐवेलांश अथवा भारी हिमपात और मैदानी भागों में बाढ़ के कारण प्रायः मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। ऐसी प्राकृतिक विपदाओं या संकट में फंसे लोगों की सहायता वायु परिवहन के द्वारा ही की जा सकती है। ऐसे समय में लोगों को शीघ्रातिशीघ्र दवाइयाँ, कपड़े, भोजन इत्यादि वायु सेवा द्वारा मुहैया कराए जा सकते हैं।

(6) विश्व में राजनीतिक व सामरिक संतुलन को बनाए रखने में वायु परिवहन अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है। आधुनिक युद्ध कला में वायु सेना निर्णायक भूमिका निभाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका एवं ब्रिटिश सेनाओं द्वारा ईरान में किए गए हवाई हमले इस बात के साक्षी हैं।

(7) वायु परिवहन के संचालन के लिए भारी पूँजी व ऊँची तकनीक की ज़रूरत होती है। अतः इसका विकास उन देशों में अधिक हो पाता है जहाँ प्रति-व्यक्ति आय और आर्थिक स्तर ऊँचा है।

(8) जिन लोगों के लिए समय ही सब कुछ है, उनके लिए वायु परिवहन वरदान है।

(9) आजकल धनाढ्य लोग सैर-सपाटे व पर्यटन के उद्देश्य से भी वायु परिवहन का उपयोग करते हैं।

प्रश्न 7.
विश्व के दो महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों का वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वेज़ एवं पनामा नहर मार्गों का वर्णन कीजिए। इनका भौगोलिक महत्त्व क्या है?
अथवा
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखें
(क) स्वेज़ नहर मार्ग,
(ख) पनामा नहर मार्ग।
उत्तर:
विश्व के दो महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग हैं-
(क) स्वेज़ नहर मार्ग-स्वेज़ नहर लाल सागर और भूमध्य सागर को मिलाती है। इस नहर का निर्माण सन् 1859 में फ्रांसीसी इंजीनियर फर्डिनेंड-डी-लेसेप्स के निर्देशन में प्रारंभ किया गया। इसका निर्माण कार्य 10 साल में पूरा हुआ और सन् 1869 में स्वेज़ नहर का शुभारंभ हुआ। लाल सागर और भूमध्य सागर के मध्य नहर की लंबाई 160 कि०मी० है। सन् 1956 में मिस्र सरकार ने इसका राष्ट्रीयकरण किया और सन् 1967 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस राष्ट्रीयकरण को मान्यता दी गई।

स्वेज नहर का महत्त्व – स्वेज नहर का निर्माण समतल मरुस्थली क्षेत्र पर किया गया है। स्वेज़ मार्ग के बनने से दक्षिणी-पूर्वी एशिया और यूरोपीय देशों के बीच की दूरी कम हुई है और व्यापार को प्रोत्साहन मिला है। इस नहर से मुंबइ (बंबई) तथा लीवरपूल के बीच की दूरी 200 कि०मी० कम हुई है। । ऑस्ट्रेलिया एवं एशिया के व्यापारिक संबंध यूरोपीय देशों से विशेषकर ब्रिटेन
स्वेज नहर तथा फ्रांस के साथ प्रगाढ़ हुए हैं।
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स्वेज नहर द्वारा फारस की खाड़ी के देशों से पेट्रोलियम पदार्थों का जजकन्तरा आयात एशियाई देशों को होता है तथा विभिन्न कृषिगत पदार्थ गेहूँ, चावल, इस्लामिय रबड़, जूट, सूती वस्त्र आदि का निर्यात खाड़ी के देशों को किया जाता है। ब्रिटेन को इस नहर से एशियाई देशों से कच्चा माल मंगाने में विशेष सुविधा हुई है।

(ख) पनामा नहर मार्ग-स्वेज़ नहर की आशातीत सफलता के बाद पनामा नहर का निर्माण किया गया। यह नहर अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को मिलाती है। इस नहर का उद्घाटन 15 अगस्त, 1914 को हुआ। नहर बनाने की योजना 16वीं शताब्दी में हुई थी लेकिन कार्यान्वित नहीं की जा सकी क्योंकि लाल पनामा जल संयोजक की भूमि पथरीली एवं पर्वतीय थी इसलिए सरकार को कई स्वेज की बाड़ी सागर स्थानों पर लॉक बनाने पड़े।

इस नहर के अटलांटिक तट पर कोलोन बंदरगाह तथा प्रशांत तट पर पनामा बंदरगाह स्थित है। इस नहर की लंबाई 72 कि०मी० है। पनामा जल संयोजक समुद्र की सतह से लगभग 25 मीटर ऊंचा है इसलिए पानी को चढ़ाने के लिए लॉक प्रणाली बनानी पड़ी। इसमें प्रतिदिन 30 जलपोतों के आने-जाने की सुविधा है। जहाजों को इस नहर से गुजरने में 7 से 8 घंटे लगते हैं।

पनामा नहर का महत्त्व पनामा नहर के निर्माण से पूर्व उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप के जहाजों को दक्षिणी पजामा नहर अमेरिका के केपहार्न का चक्कर लगाना पड़ता था। इसके बनने के बाद न्यूयॉर्क तथा सान फ्रांसिस्को के बीच की दूरी में 13,000 कि०मी० की कमी आई है। इस मार्ग से लीवरपूल और सान फ्रांसिस्को के बीच की 9,100 किलोमीटर की दूरी कम हुई है। यह मार्ग तूफानों और हिमशैलों से भी सुरक्षित है। इस मार्ग के निर्माण से समय पनामा पोर्ट तथा धन की काफी बचत हुई है। इसके निर्माण से प्रशांत महासागर तटीय देशो तथा अटलांटिक तटीय देशों के बीच व्यापारिक संबंध बढ़े हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 परिवहन एवं संचार 3
पनामा मार्ग के निमाण से उत्तरी अमेरिका के खाद्य पदार्थ और कोयला, ब्राज़ील से कॉफी, वेनेजुएला से पेट्रोलियन यूरोपीय तथा एशियाई देशों को निर्यात किए जाते हैं। एशियाई देशों से रबड, खाद्य-सामग्री कोयला, रेशम, चाय आदि अमेरिकी देशों को निर्यात की जाती है।

प्रश्न 8.
जनसंचार में रेडियो, टेलीविजन, उपग्रह, कम्प्यूटर के महत्त्व की विवेचना कीजिए। अथवा जनसंचार के साधनों की उपयोगिता महत्त्व) पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
हमारे जीवन में जनसंचार के साधनों का विशेष महत्त्व है। आधुनिक युग में निम्नलिखित जनभचार के सशक्त माध्यम हैं-
1. रेडियो का महत्त्व भारत में सन् 1927 में रेडियो प्रसारण आरंभ हुआ था। सन् 1936 में इसे ‘आल इंडिया रेडियो’ का नाम दिया गया। अब इसे आकाशवाणी भी कहा जाता है। आकाशवाणी सूचना, शिक्षा और मनोरंजन से संबंधित विविध प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित करता है। आकाशवाणी की समाचार सेवा भारतीय और विदेशी श्रोताओं के लिए समाचार और समीक्षाएँ प्रसारित करती है। राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय महत्त्व के विशिष्ट अवसरों पर विशेष समाचार बुलेटिन भी प्रसारित किए जाते हैं। आकाशवाणी से व्यावसायिक कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं। विविध भारती के चैनल व्यावसायिक प्रसारण के लिए देश-भर में प्रसिद्ध हैं। ग्रामीण श्रोताओं के लिए स्वास्थ्य परिवार कल्याण और कृषि संबंधित कायक्रम प्रातदिन प्रसारित किए जाते हैं।

2. टेलीविजन का महत्त्व दूरदर्शन भारत का राष्ट्रीय चैनल है। भारत में दूरदर्शन का पहला कार्यक्रम 15 दिसंबर, 1959 को प्रसारित किया गया जिसे केवल दिल्ली में ही देखा जा सकता था। इसके बाद दूरदर्शन की सेवाओं में बड़ी तेजी से विस्तार हुआ।

दूरदर्शन तीन स्तर के कार्यक्रम प्रसारित करता है-राष्ट्रीय, प्रादेशिक और स्थानीय । दूरदर्शन के प्रसारित कार्यक्रमों में समाचार, समसामयिक विषय, विज्ञान, सांस्कृतिक पत्रिकाएँ, संगीत, नृत्य, नाटक, धारावाहिक और फीचर फिल्में शामिल हैं। सरकारी नीतियों, समाचारों, विकास कार्यक्रमों और सामयिक विषयों का नियमित प्रसारण किया जाता है। दूरदर्शन राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय महत्त्व के अनेक कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण भी करता है। यह स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए शैक्षिक कार्यक्रम भी प्रसारित करता है। आजकल विभिन्न चैनलों के उपयोग से दूरदर्शन ने गाँव और नगर दोनों में ही लोगों के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को बदल दिया है।

3. उपग्रह संचार का महत्त्व भारत के अंतरिक्ष उपग्रह प्रणालो से संबंधित गतिविधियाँ सन् 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इसरो) के गठन से प्रारंभ होकर वर्तमान समय तक अनवरत जारी हैं। उपग्रह प्रणाली के विकास से मसार और भारत के संचार तंत्र में एक क्रांति आ गई है। भारत की उपग्रह प्रणालियाँ दो प्रकार की हैं

  • भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाला (इंडियन नेशनल सेटेलाइट सिस्टम)।
  • भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली (इंडियन रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट सिस्टम)।

इन्सेट दूरसंचार, मौसम की जानकारी और पूर्वानुमान विविध प्रकार के आंकड़ों और कार्यक्रमों के लिए एक बहुउद्देशीय उपग्रह प्रणाली है।

भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह (आई०आर०एस०) प्रणाली द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रह अनेक वर्णक्रमीय (स्पेक्ट्रल) बैंडों के आँकड़े एकत्र करते हैं तथा विभिन्न उपयोगों के लिए स्थलीय स्टेशनों से इनका प्रसारण करते हैं ये उपग्रह प्रकात के संसाधनों क प्रबंधन में बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। भारतीय सुदूर संवेदी एजेसी हैदराबाद में स्थित है।

4. कंप्यूटर का महत्त्व आधुनिक युग में कंप्यूटर की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गई है। कंप्यूटर के माध्यम से इंटरनेट और ई-मेल किया जा सकता है। कंप्यूटर सारे संसार में कम लागत पर सूचनाएँ और ज्ञान प्रसारित कर सकता है। कंप्यूटर द्वारा दस्तावेजों को तीव्र गति और कम लागत पर भेजा और प्राप्त किया जा सकता है। अपनी विशिष्ट सेवाओं और क्षमताओं के कारण कंप्यूटर का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग बढ़ता जा रहा है। कंप्यूटर की विशिष्ट क्षमताएँ हैं-गति, शुद्धता, भंडारण क्षमता और स्वचालन। शिक्षा और ज्ञान के प्रसार में कंप्यूटर की भूमिका उल्लेखनीय है।

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Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 8 परिवहन एवं संचार Textbook Exercise Questions and Answers.

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अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. पारमहाद्वीपीय स्टुवर्ट महामार्ग किनके मध्य से गुज़रता है?
(A) डार्विन और मेलबोर्न
(B) एडमंटन और एंकॉरेज
(C) बैंकूवर और सेंट जॉन नगर
(D) चेगडू और ल्हासा
उत्तर:
(A) डार्विन और मेलबोर्न

2. किस देश में रेलमार्गों के जाल का सघनतम घनत्व पाया जाता है?
(A) ब्राजील
(B) कनाडा
(C) संयुक्त राज्य अमेरिका
(D) रूस
उत्तर:
(C) संयुक्त राज्य अमेरिका

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3. बृहद ट्रंक मार्ग होकर जाता है
(A) भूमध्य सागर हिंद महासागर से होकर
(B) उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर
(C) दक्षिण अटलांटिक महासागर से होकर
(D) उत्तर प्रशांत महासागर से होकर
उत्तर:
(B) उत्तर अटलांटिक महासागर से होकर

4. ‘बिग इंच’ पाइप लाइन के द्वारा परिवहित किया है-
(A) दूध
(B) जल
(C) तरल पेट्रोलियम गैस (L.P.G.)
(D) पेट्रोलियम
उत्तर:
(D) पेट्रोलियम

5. चैनल टनल जोड़ता है
(A) लंदन – बर्लिन
(B) बर्लिन – पेरिस
(C) पेरिस – लंदन
(D) बार्सीलोना- बर्लिन
उत्तर:
(B) बर्लिन – पेरिस

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
पर्वतों, मरुस्थलों तथा बाढ़ संभावित प्रदेशों में स्थल परिवहन की क्या-क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
पर्वतों, मरुस्थलों और बाढ़ संभावित प्रदेशों में केवल सड़कें ही यातायात की सुविधा प्रदान करती हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में रेलमार्ग नहीं बिछाए जा सकते क्योंकि इन्हें बनाने में भारी खर्च आता है और ऐसे क्षेत्रों में रेल-दुर्घटना का जोखिम भी बना रहता है।

प्रश्न 2.
पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग क्या होता है?
उत्तर:
महाद्वीप के आर-पार बनाए गए और इसके दो सिरों को जोड़ने वाले मार्गों को पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग कहते हैं। इनका निर्माण आर्थिक और राजनीतिक कारणों से विभिन्न दशाओं से लंबी यात्राओं की सुविधा प्रदान करने के लिए किया गया था।

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प्रश्न 3.
जल परिवहन के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
जल परिवहन के निम्नलिखित लाभ हैं-

  1. जल परिवहन में मार्गों का निर्माण नहीं करना पड़ता।
  2. यह परिवहन बहुत सस्ता होता है क्योंकि जल का घर्षण स्थल की अपेक्षा बहुत कम होता है।
  3. जल परिवहन की ऊर्जा लागत की अपेक्षा कम होती है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
“एक सुप्रबंधित परिवहन प्रणाली में विभिन्न विधाएँ एक-दूसरे की संपूरक होती है” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन एक ऐसी सुविधा या सेवा है जो व्यक्तियों और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने का कार्य करती है। इसमें मनुष्यों, पशुओं तथा विभिन्न प्रकार की गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। यह सुविधा स्थल, जल तथा वायु से दी जाती है। सड़कें व रेलमार्ग स्थल परिवहन का भाग हैं जबकि नौ परिवहन तथा जलमार्ग एवं वायुमार्ग परिवहन के अन्य दो प्रकार हैं। पाइपलाइनें, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का परिवहन करती हैं। प्रत्येक देश ने प्रतिरक्षा के उद्देश्यों के लिए विभिन्न प्रकार से परिवहन का विकास किया है। अनेक स्थान जिन्हें परस्पर मार्गों की श्रेणियों द्वारा जोड़ दिए जाने पर जिस प्रारूप का निर्माण होता है उसे परिवहन जाल कहते हैं। विश्व परिवहन की प्रमुख विधाओं का प्रयोग अंतप्रदिशिक तथा अंतरा-प्रादेशिक परिवहन के लिए किया जाता है।

किसी विधा की सार्थकता परिवाहित की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार, परिवहन की लागतों और उपलब्ध विधा पर निर्भर करती है। वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय संचलन का निपटान भारवाही जलयानों द्वारा किया जाता है। कम दूरी की सेवाएँ प्रदान करने में सड़क परिवहन सस्ता एवं तीव्रगामी है। किसी देश के भीतर लंबी दूरियों तक परिवहन करने के लिए रेल सर्वाधिक अनुकूल साधन है। उच्च मूल्य वाली, हल्की तथा नाशवान वस्तुओं का वायुमार्गों द्वारा परिवहन सर्वश्रेष्ठ होता है। अतः स्पष्ट है कि एक सुप्रबंधित परिवहन तंत्र में ये विभिन्न विधाएँ एक-दूसरे की पूरक होती हैं।

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प्रश्न 2.
विश्व के वे कौन-से प्रमुख प्रदेश हैं जहाँ वायुमार्ग का सघन तंत्र पाया जाता है?
उत्तर:
वायु परिवहन, परिवहन का तीव्रतम साधन होने के साथ-साथ बहुत महँगा भी है। तेज गति का साधन होने के कारण लंबी दूरी की यात्रा के लिए यात्री इसे वरीयता देते हैं। इसके द्वारा मूल्यवान जहाजी भार को तेजी से पूरे विश्व में भेजा जा सकता है। पर्वतीय हिमक्षेत्रों तथा मरुस्थलीय भू-भागों में भी इस परिवहन ने सफलता प्राप्त कर ली है। वायुयानों के निर्माण तथा उनकी कार्य प्रणाली के लिए अत्यंत विकसित सुविधाओं; जैसे विमानशाला, भूमि पर उतारने, ईंधन तथा रख-रखाव की सुविधाओं की आवश्यकता होती है। हवाई पत्तनों का निर्माण भी अत्यधिक खर्चीला है और यह उन्हीं देशों में जहाँ अत्यधिक औद्योगीकरण एवं अधिक संख्या में यातायात उपलब्ध है, विकसित हुआ है।

पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और दक्षिणी-पूर्वी एशिया में वायुमार्गों का सघन जाल पाया जाता है। विश्व के कुल वायुमार्गों के 60% भाग का प्रयोग अकेला संयुक्त राज्य अमेरिका करता है। न्यूयॉर्क, लंदन, पेरिस, एम्सटर्डम और शिकागो नोडीय बिंदु हैं। वर्तमान समय में विश्व में कोई भी स्थान 35 घंटे से अधिक की दूरी पर नहीं है। वर्षों और महीनों के स्थान पर वायुमार्ग द्वारा की गई यात्रा को अब घंटों और मिनटों में मापा जा सकता है। विश्व के अनेक भागों में नित्य वायु सेवाएँ उपलब्ध हैं।

प्रश्न 3.
वे कौन-सी विधाएँ हैं जिनके द्वारा साइबर स्पेस मनुष्यों के समकालीन आर्थिकी और सामाजिक स्पेस की वृद्धि करेगा?
उत्तर:
साइबर स्पेस विद्युत द्वारा कंप्यूटरीकृत स्पेस का संसार है, जिसे इंटरनेट के नाम से भी जाना जाता है। यह बिना गतिशील हुए भेजने वाले और प्राप्त करने वालों को कंप्यूटर पर सूचनाओं के भेजने व प्राप्त करने की प्रक्रिया है। माइबर सोम हर जगह विद्यमान है। यह किसी कार्यालय में, जल में चलती नौका में, उड़ते जहाजों में और अन्य किसी स्थान पर भी हो सकता है। इलैक्ट्रॉनिक नेटवर्क का विस्तार बहुत तीव्र गति से हो रहा है। इंटरनेट का प्रयोग करने वाले सन् 1995 में 5 करोड़, सन् 2000 में 40 करोड़ एवं सन् 2005 में 100 करोड़ थे। वर्तमान में इंटरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है।

अब विश्व के अधिकांश प्रयोक्ता संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, चीन और भारत में हैं, साइबर स्पेस लोगों के समकालीन आर्थिक और सामाजिक स्पेस को ई० मेल, ई० वाणिज्य, ई० शिक्षा और ई० प्रशासन के माध्यम से विस्तृत करेगा। फैक्स, टेलीविजन और रेडियो के साथ इंटरनेट समय और स्थान की सीमाओं को लांघते हए अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुँचगा। ये आधुनिक संचार प्रणालियाँ हैं जिन्होंने परिवहन से कहीं ज्यादा वैश्विक ग्राम की संकल्पना को साकार किया है। जैसे-जैसे तकनीकी का विकास हो रहा है वैसे-वैसे सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इस पर लगाए गए प्रतिबंध समाप्त हो रहे हैं, निजी व्यावसायिक कंपनियाँ, शैक्षणिक संस्थान तथा संस्कार द्वारा इन सूचनाओं तथा उपग्रह चित्रों का उपयोग असैनिक क्षेत्रों; जैसे नगरीय नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण, वन विनाश (वनोन्मूलन) से प्रभावित क्षेत्रों को ढूँढ़ना आदि के लिए किया जाएगा।

परिवहन एवं संचार HBSE 12th Class Geography Notes

→ बंदरगाह (Harbour) : यह समुद्र का अंशतः परिबद्ध (Partially Encircled) क्षेत्र होता है; जैसे निवेशिका (Creek), नदमुख (Estuary) अथवा समुद्र-अंतर्गम (Inlet) आदि, जो आने वाले जहाजों को आश्रय देता है।

→ पत्तन (Port) : यह गोदी (Dock), घाट एवं सामान उतारने और चढ़ाने की सुविधाओं से युक्त ऐसा स्थान होता है जो स्थल मार्गों से जुड़ा होता है। पत्तन वास्तव में बंदरगाह की Operational Site होती है।

→ पश्च प्रदेश (Hinter Land) : किसी महानगर या बंदरगाह से जुड़ा वह विस्तृत क्षेत्र जो उस महानगर और बंदरगाह की सेवा करता है और उनसे सेवाएँ भी प्राप्त करता है।

→ संचार (Communication) : सूचनाओं। उनके उद्गम स्थल से गंतव्य तक किसी चैनल के माध्यम से पहुँचाना।

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