Class 12

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. प्रदूषकों के परिवहित एवं विसरित होने के माध्यम के आधार पर प्रदूषण को निम्नलिखित प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है-
(A) वायु प्रदूषण
(B) जल प्रदूषण
(C) भूमि प्रदूषण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

2. भारत में जल का कितने प्रतिशत (%) भाग प्रदूषित हो चुका है?
(A) लगभग 20%
(B) लगभग 40%
(C) लगभग 70%
(D) लगभग 90%
उत्तर:
(C) लगभग 70%

3. गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रतिदिन कितने लीटर मल-जल डाला जाता है?
(A) 4 अरब लीटर
(B) 6 अरब लीटर
(C) 8 अरब लीटर
(D) 10 अरब लीटर
उत्तर:
(B) 6 अरब लीटर

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

4. किस नगर में वाहनों से कार्बन मोनोक्साइड अधिक पैदा होती है?
(A) शिमला में
(B) दिल्ली में
(C) कुल्लू में
(D) अमृतसर में
उत्तर:
(B) दिल्ली में

5. निम्नलिखित में से मानव-जनित प्रदूषक का उदाहरण है-
(A) बैक्टीरिया
(B) ज्वालामुखी राख
(C) खनन
(D) उल्कापात
उत्तर:
(C) खनन

6. निम्नलिखित में से नैसर्गिक प्रदूषक का उदाहरण है
(A) ज्वालामुखी राख
(B) खनन
(C) परमाणु विस्फोट
(D) रासायनिक प्रक्रियाएँ
उत्तर:
(A) ज्वालामुखी राख

7. अम्लीय वर्षा जल का pH मान होता है
(A) 5 से 2.5
(B) 5 से 7.5 के बीच
(C) 7.5 से अधिक
(D) 7.5 से कम
उत्तर:
(A) 5 से 2.5

8. विश्व जैव-विविधता दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है? ।
(A) 22 अप्रैल
(B) 25 जून
(C) 22 मई
(D) 1 दिसम्बर
उत्तर:
(C) 22 मई

9. ओजोन परत के क्षरण के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी गैस है-
(A) कार्बन-डाइऑक्साइड
(B) ऑक्सीजन
(C) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन
(D) सल्फर-डाइऑक्साइड
उत्तर:
(C) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

10. डेसीबल इकाई है-
(A) वायुताप की
(B) वायुदाब की
(C) शोर के स्तर की
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) शोर के स्तर की

11. हमारे वायुमंडल में कितने प्रतिशत कार्बन-डाइऑक्साइड गैस विद्यमान है?
(A) 21 प्रतिशत
(B) 78 प्रतिशत
(C) 0.01 प्रतिशत
(D) 0.03 प्रतिशत
उत्तर:
(D) 0.03 प्रतिशत

12. वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं-
(A) उद्योग व कारखाने
(B) खनन
(C) जीवाश्म ईंधन का दहन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

13. किस प्रकार के प्रदूषण के कारण श्वसन व तंत्रिका प्रणाली संबंधी अनेक बीमारियाँ होती हैं?
(A) भू-प्रदूषण
(B) शोर-प्रदूषण
(C) वायु-प्रदूषण
(D) जल-प्रदूषण
उत्तर:
(C) वायु-प्रदूषण

14. कोहरा मानव स्वास्थ्य के लिए ……………… सिद्ध होता है
(A) लाभकारी
(B) अत्यंत घातक
(C) हानिकारक एवं लाभकारी दोनों
(D) न हानिकारक, न लाभकारी
उत्तर:
(B) अत्यंत घातक

15. ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले स्रोत हैं
(A) सायरन
(B) लाउडस्पीकर
(C) तीव्र चालित मोटर-वाहन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

16. भारत के कई बड़े शहरों एवं महानगरों में कौन-सा प्रदूषण अधिक खतरनाक हैं?
(A) जल प्रदूषण
(B) भू-प्रदूषण
(C) ध्वनि प्रदूषण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) ध्वनि प्रदूषण

17. धूम्र कुहरा संबंधित होता है-
(A) जल प्रदूषण से
(B) भू प्रदूषण से
(C) वायु प्रदूषण से
(D) शोर प्रदूषण से
उत्तर:
(C) वायु प्रदूषण से

18. वायु प्रदूषण से वायुमंडल में किस गैस की मात्रा बढ़ती है?
(A) ऑक्सीजन की
(B) नाइट्रोजन की
(C) कार्बन-डाइऑक्साइड की
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) कार्बन-डाइऑक्साइड की

19. कृषि/खेती में रासायनिक पदार्थों को डालने से किस प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है?
(A) भू-प्रदूषण को
(B) शोर-प्रदूषण को
(C) वायु प्रदूषण को
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) भू-प्रदूषण को

20. किस नगर में वाहनों से कार्बन मोनोक्साइड अधिक पैदा होती है?
(A) शिमला में
(B) दिल्ली में
(C) कुल्लू में
(D) अमृतसर में
उत्तर:
(B) दिल्ली में

21. निम्नलिखित में से मानव-जनित प्रदूषक का उदाहरण है-
(A) बैक्टीरिया
(B) ज्वालामुखी राख
(C) खनन
(D) उल्कापात
उत्तर:
(C) खनन

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22. निम्नलिखित में से नैसर्गिक प्रदूषक का उदाहरण है-
(A) ज्वालामुखी राख
(B) खनन
(C) परमाणु विस्फोट
(D) रासायनिक प्रक्रियाएँ
उत्तर:
(A) ज्वालामुखी राख

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दें

प्रश्न 1.
ओजोन परत को पतला करने वाली गैस कौन-सी है?
उत्तर:
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन।

प्रश्न 2.
शोर का स्तर मापने की इकाई क्या है?
अथवा
ध्वनि की उच्चता मापने की इकाई का क्या नाम है?
उत्तर:
डेसीबल।

प्रश्न 3.
अम्लीय वर्षा किस प्रदूषण से होती है?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से।

प्रश्न 4.
मदा लवणता का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
नहरी सिंचाई का अत्यधिक उपयोग।

प्रश्न 5.
पर्यावरण दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
5 जून को।

प्रश्न 6.
ओज़ोन गैस के कारण कौन-सी झिल्ली नष्ट हो जाती है?
उत्तर:
श्लेष्मिक झिल्ली।

प्रश्न 7.
वायुमंडल में ऑक्सीजन कितने प्रतिशत होती है?
उत्तर:
लगभग 21 प्रतिशत।

प्रश्न 8.
वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा कितने प्रतिशत होती है?
उत्तर:
लगभग 78 प्रतिशत।

प्रश्न 9.
वायु में सबसे अधिक प्रतिशत में कौन-सी गैस होती है?
उत्तर:
नाइट्रोजन।

प्रश्न 10.
हम श्वसन क्रिया में कौन-सी गैस छोड़ते हैं?
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड।

प्रश्न 11.
पृथ्वी का सुरक्षा कवच किसे कहा जाता है?
उत्तर:
ओजोन परत को।

प्रश्न 12.
विश्व की किसी एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संस्था का नाम बताएँ।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)।

प्रश्न 13.
विश्व ओजोन दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
16 दिसम्बर को।

प्रश्न 14.
भोपाल गैस त्रासदी दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
2 दिसम्बर को।

प्रश्न 15.
वायु प्रदूषण के स्रोतों को कितने भागों में बाँटा जाता है?
उत्तर:
दो भागों में।

प्रश्न 16.
हमारे चारों ओर जो प्राकृतिक, भौतिक व सामाजिक आवरण है, क्या कहलाता है?
उत्तर:
पर्यावरण।

प्रश्न 17.
कौन-सी गैस अम्लीय वर्षा का प्रमुख कारण है?
उत्तर:
सल्फर डाइऑक्साइड।

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प्रश्न 18.
रेफ्रिजरेटर एवं एयर कंडीशनर्स के प्रयोग से वायुमण्डल में किस गैस की मात्रा बढ़ती है?
उत्तर:
क्लोरो-फ्लोरो कार्बन की।

प्रश्न 19.
भूमि के गुणों का हास होना क्या कहलाता है?
उत्तर:
भू-निम्नीकरण।

प्रश्न 20.
वायु प्रदूषण के दो स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. कोयला, पेट्रोल व डीजल का जलना
  2. घरेलू कूड़ा-कर्कट।

प्रश्न 21.
विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
26 नवम्बर को।

प्रश्न 22.
एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस का नाम लिखें।
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड (CO)।

प्रश्न 23.
हमारे आसपास का वातावरण कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ व शांतिमय होना चाहिए।

प्रश्न 24.
वायु-प्रदूषण का कोई एक प्राकृतिक स्रोत बताएँ।
उत्तर:
ज्वालामुखी।

प्रश्न 25.
ध्वनि प्रदूषण का कोई एक प्राकृतिक स्रोत बताएँ।
उत्तर:
आसमान में बिजली का कड़कना।

प्रश्न 26.
झबआ जिला किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायु का संघटन लिखिए।
अथवा
हमारे वायुमंडल में कौन-कौन-सी मुख्य गैसें उपस्थित हैं?
उत्तर:
भौतिक दृष्टि से वायु विभिन्न गैसों का सम्मिश्रण है। वायु के संघटन में निम्नलिखित प्रमुख गैसें होती हैं-

गैसेंआयतन (% में)गैसेंआयतन (% में)
नाइट्रोजन78.03नियोन0.0018
ऑक्सीजन20.99हीलियम0.0005
ऑर्गन0.93क्रिप्टॉन0.0001
कार्बन-डाइऑक्साइड0.03जेनॉन0.000005
हाइड्रोजन0.01ओजोन0.0000001

प्रश्न 2.
पर्यावरण कितने प्रकार के होते हैं? नाम बताएँ।
उत्तर:
पर्यावरण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

  1. प्राकृतिक या भौतिक पर्यावरण इसमें हमारे चारों ओर की वस्तुएँ; जैसे भूमि, नदियाँ, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मौसम, जलवायु आदि शामिल होते हैं।
  2. सामाजिक पर्यावरण-इसमें घर, गलियाँ, स्कूल, रीति-रिवाज, परंपराएँ, कानून, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि शामिल होते हैं।

प्रश्न 3.
वायु-प्रदूषण (Air Pollution) क्या है?
उत्तर:
जब वायु में निश्चित मात्रा में अधिक विषैली और हानिकारक गैसें तथा धूलकण मिल जाते हैं, तो उसे वायु-प्रदूषण (Air Pollution) कहते हैं।

प्रश्न 4.
ध्वनि-प्रदूषण क्या है?
उत्तर:
जब ध्वनि अवांछनीय हो या कानों और मस्तिष्क में हलचल करे, तो उसे ध्वनि-प्रदूषण कहते हैं। यह एक ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है जो मानव के जीवन पर हानिकारक प्रभाव डालता है।

प्रश्न 5.
जल-प्रदूषण कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
जल-प्रदूषण मुख्यतः पाँच प्रकार का होता है-

  1. पृथ्वी तल पर जल-प्रदूषण
  2. पृथ्वी के अन्दर जल-प्रदूषण
  3. नदी जल-प्रदूषण
  4. झीलों, झरनों व तालाबों का जल-प्रदूषण
  5. समुद्रीय जल-प्रदूषण।

प्रश्न 6.
मृदा-प्रदूषण के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
मृदा-प्रदूषण के दो कारण निम्नलिखित हैं-

  1. भूमि में रासायनिक पदार्थों; जैसे जस्ता, कीटनाशक, रासायनिक खाद को डालने से मृदा प्रदूषित हो जाती है।
  2. उद्योगों के कूड़े-कर्कट में बहुत-से हानिकारक रासायनिक तत्त्व होते हैं, जो वायु के द्वारा मिट्टी में पहुँचकर उसे प्रदूषित कर देते हैं।

प्रश्न 7.
भू-निम्नीकरण के क्या कारण हैं?
उत्तर:

  1. अति-पशुचारण
  2. अत्यधिक खनन क्रिया
  3. अत्यधिक सिंचाई क्रिया।

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प्रश्न 8.
ध्वनि प्रदूषण से क्या-क्या हानियाँ होती हैं?
उत्तर:

  1. मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  2. चिड़चिड़ापन, बहरापन, तनाव व सिर दर्द के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
  3. श्रवण क्षमता स्थायी रूप से समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
जल-प्रदूषण के स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. औद्योगिक अपशिष्ट
  2. घरेलू वाहित जल
  3. कृषि अपशिष्ट
  4. तापीय दूषित जल
  5. रेडियोधर्मी अपशिष्ट
  6. खनिज तेल का रिसाव
  7. वायुमण्डलीय कण आदि।।

प्रश्न 10.
पर्यावरण संरक्षण से संबंधित भारत की किन्हीं तीन संस्थाओं (संस्थानों) के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून-1986
  2. राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्थान (NEERI), नागपुर 1958
  3. वन शोध संस्थान, देहरादून-1906।

प्रश्न 11.
ग्रीन हाउस प्रभाव से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी के वातावरण में उपस्थित कार्बन-डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन .. ऑक्साइड तथा मीथेन जैसी ग्रीन हाउस गैसें पृथ्वी के तापमान को बढ़ाती हैं।

प्रश्न 12.
अम्लीय वर्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
औद्योगिक इकाइयों की विभिन्न उत्पादन क्रियाओं से निकली गैसों; जैसे कार्बन-डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि का जलवाष्प के साथ मिलकर वर्षा के रूप में गिरना अम्लीय वर्षा कहलाती है।

प्रश्न 13.
धूम्र कुहरा क्या है?
उत्तर:
नगरीय एवं औद्योगिक क्षेत्रों में वायुमण्डल की निचली परत में भारी मात्रा में विद्यमान प्रदूषित गैसें और प्रदूषक तत्त्व जब सामान्य रूप से पड़ने वाले कोहरे से मिल जाते हैं तो धूम्र कुहरा पैदा हो जाता है जोकि मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक सिद्ध होता है।

प्रश्न 14.
वायु-प्रदूषण के अप्राकृतिक स्रोत कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:

  1. जीवाश्म ईंधन का दहन
  2. खनन
  3. औद्योगिक प्रक्रम
  4. परिवहन या यातायात के साधन
  5. धूम्रपान
  6. रेडियोधर्मिता आदि।

प्रश्न 15.
ग्रीन हाउस प्रभाव को कम करने के उपाय बताएँ।
उत्तर:

  1. जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग करना
  2. अधिक से अधिक पौधे रोपण करना
  3. क्लोरो-फ्लोरो कार्बन के प्रयोग को प्रतिबंधित करना
  4. पर्यावरण संतुलन बनाए रखने हेतु सहयोग करना या पर्यावरण के प्रति जागरूक रहना।

प्रश्न 16.
भौतिक वातावरण (Physical Environment) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भौतिक वातावरण को प्राकृतिक वातावरण भी कहते हैं, क्योंकि इसमें हमारे चारों ओर उपस्थित घटकों या वस्तुओं को शामिल किया जाता है। जैसे-हवा, पानी, भूमि, पेड़-पौधे, मौसम, जलवायु, आकाश, अशु-पक्षी, जीव-जन्तु आदि।

प्रश्न 17.
प्रदूषक (Pollutants) किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब पर्यावरणीय तत्त्वों; जैसे पानी, हवा, भूमि आदि में कुछ अवांछनीय पदार्थ मिल जाते हैं तो इन अवांछनीय पदार्थों से पर्यावरणीय तत्त्व प्रदूषित हो जाते हैं। इन पर्यावरणीय तत्त्वों को दूषित करने वाले अवांछनीय पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है। उदाहरण के लिए, कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, घरेलू कूड़ा-कर्कट और वाहनों से निकलने वाला धुआँ आदि।

प्रश्न 18.
जल प्रदूषण क्या है?
उत्तर:
सारे जीव-जंतुओं के जीवित रहने के लिए जल का लगातार मिलते रहना बहुत आवश्यक है। जल में घुलनशील व अघुलनशील अशुद्धियों या पदार्थों के मिल जाने से जल का दूषित होना जल-प्रदूषण कहलाता है।

प्रश्न 19.
प्रदूषण की कोई दो परिभाषाएँ लिखें।
उत्तर:
1. ई०पी० ओडम के अनुसार, “प्रदूषण से अभिप्राय हमारे जल, हवा और जमीन में भौतिक, रासायनिक और जीव-विज्ञान में आने वाले परिवर्तन हैं जो कि जीवन और आवश्यक नस्लों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं।”

2. टी० जी० मैक्लालिन के अनुसार, “मनुष्य ने व्यर्थ पदार्थ और अतिरिक्त ऊर्जा का जो सिलसिला वातावरण में । आरम्भ किया है, वह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य और वातावरण को हानि पहुँचाने वाला है।”

प्रश्न 20.
पर्यावरण प्रदूषण को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण मुख्यतः दो वर्गों में बाँटा गया है-

  1. प्रत्यक्ष पर्यावरण प्रदूषण-यह वह प्रदूषण है जिसका प्रभाव पेड़-पौधों, प्राणी और जीव-जन्तुओं (जैवमंडल) पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है।
  2. अप्रत्यक्ष पर्यावरण प्रदूषण-यह वह प्रदूषण है जिसका प्रभाव जैवमंडल पर अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है।

प्रश्न 21.
मृदा-प्रदूषण क्या है?
उत्तर:
मनुष्य के हस्तक्षेप एवं दुरुपयोग द्वारा जब मृदा में ऐसे भौतिक, जैविक एवं रासायनिक परिवर्तन हो जाएँ जिनसे उसकी वास्तविक गुणवत्ता एवं उत्पादकता का ह्रास हो जाए, तो उसे भूमि या मृदा-प्रदूषण कहते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के साधनों या उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के साधन या उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. फैक्ट्रियों की चिमनियाँ काफी ऊँची होनी चाहिएँ ताकि धुआँ और कई अन्य गैसें वातावरण को प्रदूषित न कर सकें।
  2. कारों, बसों, ट्रकों आदि से निकलने वाले धुएँ को रोकने के लिए इनमें नए यन्त्र लगाकर वातावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
  3. गंदगी के ढेरों को इकट्ठे नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि इनमें से निकलती हुई बदबू वातावरण को प्रदूषित करती है।
  4. औद्योगिक स्थान आबादी से दूर होने चाहिएँ ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने से रोका जा सके।
  5. घनी जनसंख्या में सफाई का ध्यान रखना चाहिए ताकि वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सके।
  6. पेड़-पौधे अधिक-से-अधिक लगाए जाने चाहिएँ।
  7. मनुष्य और जीव-जंतुओं के मृतक शरीरों को जलाने का ठीक प्रबंध करना चाहिए।

प्रश्न 2.
अम्लीय वर्षा के क्या कारण हैं?
उत्तर:
कोयला तथा खनिज तेल जैसे जीवाश्म ईंधनों के जलने से उत्पन्न धुएँ में 3 से 4 प्रतिशत तक गंधक की मात्रा होती है। चिमनियों से धुएँ के रूप में जब यह गंधक वायुमंडल में मिलती है तो सल्फ्यूरिक एसिड बनकर वायु को प्रदूषित करती है। ये ईंधन पूरी तरह से नहीं जलते उनसे कार्बन मोनोऑक्साइड निकलती है जो जल को प्रदूषित करती है। कारखानों से निकलकर सल्फ्यूरिक एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड वायु में उपस्थित जलवाष्प से मिलकर क्रमशः सल्फ्यूरिक एवं नाइट्रिक एसिड में बदल जाते हैं। फिर यही एसिड अम्ल वर्षा (Acid Rain) के रूप में पुनः धरातल पर पहुँच जाते हैं।

प्रश्न 3.
गरीबी का भूख से क्या रिश्ता है? वर्णन करें।
उत्तर:
गरीबी-यह वह मजबूरी है जिसमें व्यक्ति अपने या अपने परिवार के लिए दो वक्त का खाना नहीं जुटा पाता। योजना आयोग राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गरीबी के विस्तार का आकलन करता रहा है। गरीबी का स्वरूप गाँव या शहर में एक जैसा होता है। गरीबी एक अभिशाप है जिसमें जीवन जीना भी एक अभिशाप जैसा होता है। यह एक ऐसा चक्रव्यूह है जिसके दलदल में फँसने पर बाहर निकलने के लिए व्यक्ति हाथ-पैर मारता रहता है।

भूख-स्वस्थ रहने के लिए दो वक्त की रोटी न मिल पाना भूख कहलाती है। गरीबी और भूख एक सिक्के के दो पहलू हैं, क्योंकि गरीबी के अनुपात और भूखे लोगों के प्रतिशत में विशेष अंतर नहीं होता, क्योंकि जिस आय से गरीबी रेखा का निर्धारण किया जाता है वह न्यूनतम जरूरतें पूरी करती हो। ऐसा आवश्यक था परन्तु अब खाद्यान्न के प्रति व्यक्ति की बढ़ती हुई उपलब्धता से भी गरीबी और भूख के कम होने का पता चलता है।

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प्रश्न 4.
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के कोई चार उपाय बताएँ।
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के कोई चार उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. रिहायशी बस्तियों की तरफ मोटरों, कारों और ट्रकों का यातायात बन्द कर देना चाहिए।
  2. जहाँ शोर-प्रदूष। हो वहाँ रिहायशी बस्तियाँ नहीं बनने देनी चाहिएँ। बस्तियों में और सड़कों के साथ-साथ नीम और अशोक वृक्ष लगाने चाहिएँ।
  3. ध्वनि-प्रदूषण को कम करने के लिए कानून बनाना चाहिए ताकि इस तरह से प्रदूषण पैदा करने वाले को कानून के दायरे में सजा दी जा सके।
  4. बड़े-बड़े उद्योग, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे आवासीय क्षेत्रों से संतुलित दूरी पर होने चाहिएँ।

प्रश्न 5.
मृदा अपरदन के प्रमुख कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
मृदा अपरदन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  1. वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़ आने से उनका जल-स्तर बढ़ जाता है तथा नदियों का जल, कृषि और पशुचारण के क्षेत्र में प्रवेश कर मिट्टी का अपरदन करता है।
  2. ढालू भूमि में पानी का बहाव तीव्र होने के कारण मिट्टी की ऊपरी सतह बह जाती है।
  3. वनस्पति-विहीन क्षेत्रों में हवा के कारण मिट्टी का उत्तरी आवरण बह जाता है या हवा द्वारा उड़ा लिया जाता है।
  4. अधिक पशुचारण के कारण पशुओं द्वारा वनस्पति या घास की जड़ें कमजोर होकर उन्हें हानि पहुँचाती हैं, जिससे मिट्टी खोखली होकर बह जाती है।
  5. एक खेत में बार-बार एक ही फसल बोने से मिट्टी के आवश्यक खनिज तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी असन्तुलित हो जाती है।
  6. स्थानान्तरी कृषि में जंगलों को साफ करके कृषि करने से भी मिट्टी के कटाव को बढ़ावा मिलता है।

प्रश्न 6.
ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक व मानवीय स्रोत बताएँ।
अथवा
ध्वनि प्रदूषण के अप्राकृतिक स्रोत कौन-कौन से हैं?
अथवा
शोर प्रदूषण के कौन-कौन से स्रोत हैं?
उत्तर:
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत दो प्रकार के हैं-

  1. प्राकृतिक स्त्रोत-ध्वनि के प्राकृतिक स्रोतों से अभिप्राय ज्वालामुखी फटना, बिजली कड़कना, बादलों का गरजना, आंधी-तूफान, लहरों की आवाज, तेज गति की पवनें इत्यादि शामिल हैं।
  2. मानवीय स्रोत-औद्योगिक मशीनें, स्वचालित वाहन, डाइनामाइट विस्फोट, युद्धाभ्यास, पुलिस द्वारा चलाई गोलियाँ, लाउडस्पीकर्स, रेडियो, बैंड-बाजे, आतिशबाजी, भवन निर्माण इत्यादि मानवीय स्रोत को दर्शाता है।

प्रश्न 7.
अम्लीय वर्षा के क्या दुष्प्रभाव हैं?
उत्तर:
अम्तीय वर्षा के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  1. मिट्टी में अम्लीयता बढ़ जाती है।
  2. मिट्टी के खनिज व पोषक तत्त्व समाप्त हो जाते हैं।
  3. मिट्टी की उत्पादकता कम हो जाती है।
  4. पेय जल भण्डार दूषित हो जाते हैं।
  5. आँखों में जलन, श्वसन एवं त्वचा संबंधी अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
  6. इसका वनों पर भी बुरा असर पड़ता है।

प्रश्न 8.
जल-प्रदूषण के प्रमुख दुष्प्रभाव या दुष्परिणाम बताएँ।
अथवा
जल-प्रदूषण से क्या-क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
जल-प्रदूषण के दुष्प्रभाव या दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

  1. दूषित जल पीने से हमें पीलिया, हैजा, मियादी बुखार आदि अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं।
  2. दूषित जल में जल-जीवों के लिए खुराक की कमी होने के कारण इनकी संख्या में कमी आ जाती है।
  3. वनस्पति एवं कृषि पर भी जल-प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दूषित जल पेड़-पौधों की जड़ों को नष्ट कर देता है और उनका विकास रुक जाता है।
  4. जल-प्रदूषण से जैव-विविधता का संकट व पारिस्थितिकीय असंतुलन उत्पन्न होता है। इससे विभिन्न जीवों की भोज्य श्रृंखला प्रभावित होती है।

प्रश्न 9.
हमारा वातावरण किन-किन कारणों से प्रदूषित हो रहा है?
अथवा
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  1. आवश्यकता से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का दोहन।
  2. बढ़ती जनसंख्या।
  3. शहरीकरण एवं औद्योगीकरण।
  4. रासायनिक खादों व कीटनाशक दवाइयों का अधिक मात्रा में प्रयोग।
  5. वनों की निरंतर कटाई।
  6. बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ।
  7. पर्यावरण संतुलन के प्रति लोगों में जागरुकता का अभाव आदि।

प्रश्न 10.
वायु-प्रदूषण के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
वायु को अशुद्ध करने वाले कारण लिखें।
उत्तर:
वायु-प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  1. तंबाकू का उपयोग विभिन्न प्रकार से धूम्रपान करने के लिए किया जाता है। धूम्रपान से वायुमंडल में धुआँ लगातार फैलता रहता है जो वायु को प्रदूषित करता है।
  2. कारखानों एवं वाहनों द्वारा छोड़े गए धुएँ के कारण वायु प्रदूषित होती है।
  3. कीटनाशक तथा उर्वरक पदार्थ वायु में मिल जाते हैं और लटकते कणों के रूप में वहीं मौजूद रहते हैं। ये भी वायु को प्रदूषित करते हैं।
  4. खुले में घरेलू कूड़ा फेंकने से भी वायु प्रदूषित होती है।
  5. ‘लकड़ी, ईंधन, कूड़ा, पटाखे और अन्य पदार्थों को जलाने से वायु-प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।
  6. तेलशोधक, धातुशोधक तथा रासायनिक उद्योगों आदि से निकलने वाली जहरीली गैसें वायु को दूषित करती हैं।

प्रश्न 11.
प्रदूषित जल की रोकथाम के किन्हीं चार उपायों का वर्णन कीजिए। अथवा जल को प्रदूषित होने से कैसे रोका जा सकता है?
उत्तर:
प्रदूषित जल की रोकथाम के उपाय निम्नलिखित हैं-
(i) प्रकृति प्रदूषित जल को धूप, हवा और गर्म मौसम द्वारा साफ करती है। घरेलू और औद्योगिक जल एक तालाब में इकट्ठा कर लिया जाता है। इसमें काई और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो जहरीले पदार्थों को खा जाते हैं। यह जल प्रयोग करने के योग्य हो जाता है। इस जल को बिना किसी खतरे के कृषि में प्रयोग किया जा सकता है। जल में रहने वाली मछलियाँ भी जल को शुद्ध करने में सहायता करती हैं।

(ii) रासायनिक पदार्थ; जैसे फिटकरी, चूना और पोटैशियम परमैंगनेट, क्लोरीन आदि का प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है। फिटकरी अशुद्ध जल को नीचे बिठा देती है। चूना जल के भारीपन को दूर करता है। पोटैशियम परमैंगनेट, क्लोरीन जल के सूक्ष्म जीवाणुओं को समाप्त कर देती हैं।

(iii) कीटनाशक दवाइयों और खादों को समय के अनुसार प्रयोग में लाकर और कम-से-कम मात्रा में प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।

(iv) जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए सख्त कानून का होना बहुत जरूरी है। इसके साथ-साथ सामाजिक और औद्योगिक इकाइयाँ बहते हुए जल में व्यर्थ पदार्थ न फेंकें, जिससे जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।

प्रश्न 12.
पर्यावरण के बचाव (संरक्षण) हेतु हमारी क्या भूमिका होनी चाहिए?
अथवा
पर्यावरण संरक्षण के मुख्य उपाय बताएँ।
अथवा
वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरण का बचाव करना किसी एक व्यक्ति का दायित्व न होकर संपूर्ण मानव जाति का दायित्व है। इसके बचाव या संरक्षण हेतु हमें निम्नलिखित उपाय करने चाहिएँ-

  1. हमें घरेलू कूड़े-कर्कट को कूड़ेदान या उचित स्थान पर ही डालना चाहिए।
  2. हमें पॉलिथीन के लिफाफों का उपयोग कम-से-कम करना चाहिए।
  3. जंगलों और वन्य-जीवों के संरक्षण हेतु हमें वृक्षों को नहीं काटना चाहिए।
  4. हमें पानी को व्यर्थ में बहने नहीं देना चाहिए।
  5. वातावरण से मेल रखने वाले उत्पादों को ही उपयोग में लाना चाहिए।
  6. अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण कर पर्यावरण के संरक्षण हेतु योगदान देना चाहिए।
  7. जीव-जन्तुओं के मृतक शरीरों को दबाने के लिए उचित स्थान का प्रबंध करना चाहिए।
  8. फैक्ट्रियों की चिमनियाँ काफी ऊँची होनी चाहिएँ, ताकि धुआँ और अन्य विषैली गैसें वातावरण को प्रदूषित न कर सकें।
  9. पर्यावरण के संरक्षण हेतु लोगों को जागरूक करना चाहिए।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जल-प्रदूषण (Water Pollution) की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में जल-प्रदूषण पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा
जल-प्रदूषण क्या है? इसके कारण तथा रोकथाम के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल-प्रदूषण (Water Pollution)-सारे जीव-जंतुओं के जीवित रहने के लिए जल का साफ-सुथरा और लगातार मिलते रहना बहुत आवश्यक है। जल में घुलनशील व अघुलनशील अशुद्धियों या चीजों के मिल जाने से जल का दूषित होना जल-प्रदूषण कहलाता है।

जल-प्रदूषण के कारण (Causes of Water Pollution)-जल-प्रदूषण के कारण निम्नलिखित हैं-
(i) मल प्रवाह और घर के कूड़ा-कर्कट से लगभग 75% जल प्रदूषित होता है। बहते हुए जल की अपेक्षा खड़ा जल जल्दी प्रदूषित होता है। इसमें से बदबू आनी शुरू हो जाती है।

(ii) उद्योगों के फालतू रासायनिक पदार्थों को बहते हुए जल में बहा दिया जाता है ताकि इनसे छुटकारा पाया जा सके। ये रासायनिक पदार्थ जल को जहरीला बनाते हैं और जल में रह रहे जानवरों के लिए खतरा पैदा करते हैं।

(iii) कीटनाशक दवाइयाँ तेज रसायन पदार्थ होती हैं, जो कीड़े मारने के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं। साधारणतया किसानों द्वारा इनका प्रयोग आवश्यकता से अधिक किया जाता है। खेतों का जल जिसमें कीटनाशक दवाइयाँ मिली होती हैं, बहकर झीलों, तालाबों, नहरों और नदियों में चला जाता है और उनके जल को प्रदूषित कर देता है।

(iv) मैल निवारक से अभिप्राय उस चीज से है, जो सफाई का कार्य करती है, जिसमें साधारण साबुन भी आ जाता है। मैल निवारक में फॉस्फोरस होने के कारण जल प्रदूषित होता है।

(v) आज के युग में खेती की पैदावार को बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा प्रायः रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाता है। इन खादों में नाइट्रेट और फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है। खेतों में सिंचाई और वर्षा के कारण ये खादें बहकर। नदियों और तालाबों में मिल जाती हैं और उनके जल को दूषित कर देती हैं।

प्रदूषित जल की रोकथाम के उपाय (Control Measures of Water Pollution)-जल को दूषित होने से रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
(i) प्रकृति प्रदूषित जल को धूप, हवा और गर्म मौसम द्वारा साफ करती है। कर का जल और औद्योगिक जल एक तालाब में इकट्ठा कर लिया जाता है। इसमें काई और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो जहरीले पदार्थों को खा जाते हैं। यह जल प्रयोग करने के योग्य हो जाता है। इस जल को बिना किसी खतरे के कृषि में प्रयोग किया जा सकता है। जल में रहने वाली मछलियाँ भी जल को शुद्ध करने में सहायता करती हैं।

(ii) रसायन पदार्थ; जैसे फिटकरी, चूना और पोटैशियम परमैंगनेट, क्लोरीन आदि का प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। फिटकरी अशुद्ध जल को नीचे बिठा देती है। चूना जल के भारीपन को दूर करता है। – पोटैशियम रोगों के रोगाणओं को नष्ट करती है। क्लोरीन द्वारा भी जल को साफ किया जा सकता है।

(iii) कीटनाशक दवाइयों और खादों को समय के अनुसार प्रयोग में लाकर और कम-से-कम मात्रा में प्रयोग करके जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।

(iv) जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए सख्त कानून का होना जरूरी है। इसके साथ-साथ नगरपालिकाएँ और औद्योगिक इकाइयाँ बहते हुए जल में कम-से-कम व्यर्थ पदार्थ फेंकें, जिससे जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

प्रश्न 2.
ध्वनि या शोर प्रदूषण (Noise Pollution) पर विस्तृत नोट लिखें।
अथवा
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) क्या है? इसके प्रभावों तथा रोकथाम के उपायों का वर्णन कीजिए।
अथवा
शोर प्रदूषण के कारण, प्रभाव और उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ध्वनि या शोर प्रदूषण (Noise Pollution)-शोर शब्द लेटिन भाषा में से लिया गया है जिसको “Nausea” कहते हैं जिसका अर्थ पेट की परेशानी के कारण उल्टी का आना है। परन्तु आजकल न चाहने वाली आवाज, जिसका कोई मूल्य न हो और असीमित आवाज जैसे नामों के साथ इसकी व्याख्या की जाती है। शोर चाहे थोड़ा हो या ज्यादा, यह मनुष्य के संवेग और व्यवहार पर प्रभाव डालता है। जब ध्वनि अवांछनीय हो या कानों और मस्तिष्क में हलचल करे, तो उसे ध्वनि-प्रदूषण कहते हैं। यह एक ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है, जो मानव के जीवन पर हानिकारक प्रभाव डालता है।

ध्वनि-प्रदूषण के कारण (Causes of Noise Pollution)-ध्वनि-प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  • कारखानों में मशीनें बहुत अधिक ध्वनि पैदा करती हैं जिससे शोर-प्रदूषण फैलता है।
  • यातायात वाहनों (मोटरगाड़ियों, रेलों, जहाजों) के द्वारा शोर प्रदूषण होता है।
  • शादियों, पर्यों में उपयोग किए जाने वाले लाउडस्पीकर एवं पटाखे आदि शोर प्रदूषण के कारण हैं।

ध्वनि-प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Noise Pollution)-ध्वनि-प्रदूषण के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं
1. सुनने की शक्ति पर प्रभाव-ध्वनि-प्रदूषण के कारण मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो जाती है। विशेषतौर पर बुनाई वाले कर्मियों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

2. स्वास्थ्य पर प्रभाव-ध्वनि-प्रदूषण के कारण केवल सुनने पर ही प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि कई प्रकार की मानसिक बीमारियाँ . भी लग जाती हैं; जैसे कि परेशानी, तनाव, नींद का न आना, मानसिक थकावट, दिमाग आदि पर प्रभाव पड़ता है।

ध्वनि-प्रदूषण की रोकथाम के उपाय (Control Measures of Noise Pollution)-आज के युग में ध्वनि-प्रदूषण एक समस्या बन गई है। इसकी आम रोकथाम तभी हो सकती है यदि साधारण लोगों को इससे होने वाले शारीरिक और मानसिक नुकसान की जानकारी दी जाए। ध्वनि-प्रदूषण को निम्नलिखित तरीकों से रोका जा सकता है

  • रिहायशी बस्तियों की तरफ मोटरों, कारों और ट्रकों का यातायात बन्द कर देना चाहिए।
  • जहाँ शोर-प्रदूषण हो वहाँ रिहायशी बस्तियाँ नहीं बनने देनी चाहिएँ। बस्तियों में और सड़कों के साथ-साथ नीम और
  • ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए कानून बनाना चाहिए ताकि इस तरह से प्रदूषण पैदा करने वाले को कानून के दायरे में सजा दी जा सके।
  • बड़े-बड़े उद्योग, रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे आवासीय क्षेत्रों से संतुलित दूरी पर होने चाहिएँ।
  • समाचार-पत्रों, रेडियो, टी.वी. आदि के माध्यम से लोगों को ध्वनि-प्रदूषण के दुष्परिणामों से अवगत करवाना चाहिए।

प्रश्न 3.
वायु-प्रदूषण (Air Pollution) पर विस्तृत नोट लिखें। अथवा वायु-प्रदूषण (Air Pollution) क्या है? वायु-प्रदूषण के कारणों एवं रोकथाम के उपायों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
वायु-प्रदूषण के कारणों एवं प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
वायु-प्रदूषण (Air Pollution)-जब वायु में निश्चित मात्रा में अधिक विषैली और हानिकारक गैसें तथा धूलकण मिल जाते हैं, तो उसे वायु-प्रदूषण कहते हैं।

वाय-प्रदूषण के कारण (Causes of Air Pollution) वायु निम्नलिखित कारणों से प्रदूषित होती है-

  • तेज हवाओं से ऊपर उठी धूल, गलियों और सड़कों को साफ करने से उठे धूलकण हवा में लटकते रहते हैं।
  • कारखानों एवं मोटरगाड़ियों द्वारा छोड़े गए धुएँ के कारण वायु प्रदूषित होती है।
  • कीटनाशक तथा उर्वरक पदार्थ वायु में मिल जाते हैं और लटकते कणों के रूप में वहीं मौजूद रहते हैं। ये भी वायु को प्रदूषित करते हैं।
  • खुले में घरेलू कूड़ा फेंकने से वायु प्रदूषित होती है।
  • लकड़ी, ईंधन, कूड़ा, पटाखे और अन्य चीज़ों को जलाने से वायु-प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।

वायु-प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Air Pollution)-वायु-प्रदूषण के प्रभाव निम्नलिखित हैं
1. स्वास्थ्य पर प्रभाव-वायु के बिना मनुष्य का जीवित रहना असंभव है। वायु द्वारा ऑक्सीजन हमारे शरीर में पहुँचती है और शरीर की क्रियाएँ जारी रहती हैं, इसलिए शुद्ध वायु स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। परन्तु जब कई प्रकार की गैसें और धूल-कण वायु में मिलते हैं तो वायु प्रदूषित हो जाती है, जो मनुष्य के लिए हानिकारक होती है। इसका मनुष्य के सभी तंत्रों पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण मनुष्य का स्वास्थ्य खराब हो जाता है।

2. भीषण रोग-प्रदूषित वायु के कारण मनुष्य दमा और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार हो जाता है। भिन्न-भिन्न स्रोतों से निकला हुआ रासायनिक पदार्थ कई प्रकार की अन्य बीमारियाँ पैदा करता है; जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड मनुष्य के दिल को प्रभावित करती है। सल्फर डाइऑक्साइड साँस लेने में कठिनाई पैदा करती है। नाइट्रिक एसिड और सल्फर एसिड साँस की बीमारियाँ पैदा करते हैं।

3. पौधों पर प्रभाव प्रदूषित वायु फसलों तथा पौधों पर भी बहुत प्रभाव करती है। ओज़ोन (Ozone) विशेषतौर पर पत्तों वाली सब्जियों, चारे की फसलों और जंगली पौधों के लिए हानिकारक है।

4. जलवायु पर प्रभाव-शहरों में फैक्ट्रियाँ ज्यादा होने के कारण ठोस कण बादलों की आकृति बनाए रखते हैं, जिसके कारण धुंध और कोहरा उन स्थानों से ज्यादा पड़ता है जहाँ फैक्ट्रियाँ कम होती हैं। कणों के कारण तापमान और वायु के बहाव में परिवर्तन आता रहता है।

वायु-प्रदूषण की रोकथाम के उपाय (Control Measures of Air Pollution) वायु-प्रदूषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-

  • शहर या गाँव के आस-पास प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारखानों को लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए कारखानों की चिमनियाँ ऊँची होनी चाहिएँ, क्योंकि ये अधिक प्रदूषण फैलाती हैं।
  • कारखानों और मोटरगाड़ियों द्वारा छोड़े जाने वाले धुएँ को नियंत्रित करना चाहिए।
  • कीटनाशक एवं उर्वरकों से वायु प्रदूषित होती है। इसलिए इनका उपयोग कम-से-कम करना चाहिए।
  • घरेलू कूड़े-कर्कट को खुले में न फेंककर किसी गड्ढे आदि में फेंकना चाहिए।

प्रश्न 4.
मृदा अपरदन (Soil Erosion) पर संक्षिप्त नोट लिखें।
अथवा
मृदा अपरदन (Soil Erosion) क्या है? इसको नियंत्रित करने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
मृदा अपरदन (Soil Erosion)-मृदा के कटाव के कारण उसमें निहित आवश्यक उपजाऊ तत्त्व जो ऊपरी परत में विद्यमान होते हैं, वे समाप्त हो जाते हैं। उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती है, जिससे वह फसलों तथा वनस्पति के उगाने योग्य नहीं। रहती। आर्द्र जलवायु वाले प्रदेशों (जहाँ वर्षा अधिक होती है) में अपक्षालन की प्रक्रिया से मिट्टी के आवश्यक तत्त्व घुलकर निचली परतों में चले जाते हैं, जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। मरुस्थलीय तथा अर्द्ध-मरुस्थलीय प्रदेशों में मृदा की ऊपरी परत हवा द्वारा एक स्थान से उड़ाकर दूसरे स्थान पर ले जाई जाती है, जिससे भूमि कटाव होता है और मिट्टी की पैदावार करने की क्षमता का ह्रास होता है।

मृदा अपरदन को रोकने के उपाय (Measures to Prevent Soil Erosion) मृदा के संरक्षण एवं प्रबन्धन में मृदा संसाधनों के दीर्घकालीन उपयोग हेतु मृदा के कटाव को नियन्त्रित करना, उसकी उर्वरता को बनाए रखना तथा उसमें सुधार कर उर्वरता में वृद्धि करना सम्मिलित हैं। मृदा के संरक्षण या मृदा अपरदन को रोकने के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनानी चाहिएँ-
1. सम्मोच रेखीय जुताई (Contour Ploughing)-इसमें पहाड़ी ढालों के अनुरूप जुताई की जाती है। ढलानों को कई भागों में बाँटा जाता है, जिससे मिट्टी के कटाव की दर कम हो सके। इस प्रकार की जुताई में कतारों में फसलों को बोकर वर्षा के जल का अवशोषण अधिकतम किया जाता है।

2. फसलों का हेर-फेर (Shifting of Cultivation)-किसी भी खेत या क्षेत्र में एक ही फसल को दो साल से अधिक नहीं बोना चाहिए, क्योंकि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है तथा आवश्यक खनिज तत्त्व समाप्त हो जाते हैं। यदि किसी खेत में दो साल तक गेहूँ की फसल बोई जाती है तो उसके बाद चना या सरसो बोनी चाहिए।

3. नियन्त्रित पशुचारण (Controlling Animal Grazing)-पशुचारण पर प्रतिबन्ध या नियन्त्रण लगाना चाहिए। कुछ चुने हुए स्थानों या क्षेत्रों में पशुचारण होना चाहिए, जिससे मिट्टी का कटाव सीमित रहे।

4. वृक्षारोपण (Tree Plantation)-जिन क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव की समस्या है, वहाँ अधिक-से-अधिक वृक्ष लगाने चाहिए। वृक्षों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए। जिन क्षेत्रों में मरुस्थल है, वहाँ लम्बी-लम्बी कतारों में वृक्षारोपण करना चाहिए।

5. मेंडबन्दी (Plugging)-जो क्षेत्र प्रतिवर्ष बाढ़ग्रस्त हो जाते हैं, वहाँ अवनालिका अपरदन द्वारा बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। इसलिए खेतों के चारों ओर मेंडबन्दी कर देनी चाहिए तथा अवनालिका अपरदन वाले क्षेत्रों में लम्बी-लम्बी दीवारें बना देनी चाहिए।

इनके अतिरिक्त मृदा अपरदन को रोकने के उद्देश्य से सिंचाई के साधनों का विकास किया जाना चाहिए। वर्षा ऋतु में अतिरिक्त जल के संचयन की व्यवस्था जिसको शुष्क ऋतु में प्रयोग में लाया जा सके, की जानी चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों में मेंड्युक्त खेतों से भी मृदा अपरदन को नियन्त्रित किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
भू-निम्नीकरण पर एक नोट लिखिए।
अथवा
भू-निम्नीकरण से आपका क्या तात्पर्य है? इसके कारणों और इसको नियंत्रित करने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण-भू-निम्नीकरण से तात्पर्य स्थायी अथवा अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता में कमी है। मृदा अपरदन, लवणता एवं भू-क्षरता के कारण भू-निम्नीकरण होता है।

भू-निम्नीकरण के कारण-भू-निम्नीकरण मुख्यतः दो कारणों से संभव होता है-
1. प्राकृतिक कारण वैसे तो सभी निम्न कोटी भूमि क्षेत्र व्यर्थ नहीं होता, लेकिन भूमि पर होने वाली अनियंत्रित प्रक्रियाएँ इसको व्यर्थ भूमि क्षेत्र में बदल देती है। इन प्रक्रियाओं के आधार पर इनको वर्गीकृत किया जा सकता है प्राकृतिक खड्डे, मरुस्थलीय व रेतीली भूमि, तटीय भूमि, बंजर व चट्टानी भूमि, तीव्र ढाल वाली भूमि एवं हिमानी क्षेत्र आदि।

2. मानवीय या अप्राकृतिक कारण-मानवजनित प्रक्रियाओं ने भूमि की उत्पादकता एवं उर्वरता को बहुत अधिक प्रभावित किया है। जैसे मृदा (भूमि) का कुप्रबंधन, भूमि का अविरल उपयोग, भूमि अपरदन को प्रोत्साहन देने वाली क्रियाएँ, जलाक्रांतता, सारीयता में वृद्धि आदि। इन क्रियाओं से भू-निम्नीकरण को बहत अधिक बढ़ावा मिला है। खनन और अति सिंचाई भी इसका कारण है।

भू-निम्नीकरण को नियंत्रित करने के उपाय भू-निम्नीकरण को नियंत्रित करने के उपाय निम्नलिखित हैं-

  • जो भूमि मानवीय क्रियाओं के कारण बंजर या व्यर्थ हुई है उसको कृषि योग्य बनाने के लिए नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना चाहिए।
  • रेतीली, मरुस्थलीय व तटीय भूमि को उर्वरकों, कम्पोस्ट एवं सिंचाई की सुविधाओं के माध्यम से उपयोगी एवं कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
  • जनाकांत भूमि व दलदली भूमि को कुशल प्रबंधन के द्वारा उपजाऊ बनाया जा सकता है।
  • भू-निम्नीकरण की समस्या को सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से सुलझाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
मृदा-प्रदूषण (Soil Pollution) पर विस्तारपूर्वक नोट लिखें।
अथवा
मृदा-प्रदूषण किसे कहते हैं? इसके मुख्य कारण क्या हैं? इसे नियंत्रित करने के उपाय बताइए।
अथवा
मृदा-प्रदूषण किसे कहते हैं? कौन-कौन से प्राकृतिक व भौतिक कारक मृदा को प्रदूषित करते हैं? इसे नियन्त्रित करने के उपाय समझाइए।
अथवा
भूमि-प्रदूषण से क्या अभिप्राय है? भूमि-प्रदूषण के प्रभावों व रोकथाम के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भूमि/मृदा-प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Land or Soil Pollution)-मनुष्य के हस्तक्षेप एवं दुरुपयोग द्वारा जब मृदा में ऐसे भौतिक, जैविक एवं रासायनिक परिवर्तन हो जाएँ जिनसे उसकी वास्तविक गुणवत्ता एवं उत्पादकता का ह्रास हो, तो उसे भूमि या मृदा-प्रदूषण कहते हैं।

मृदा-प्रदूषण के कारण (Causes of Soil Pollution)-मृदा-प्रदूषण के निम्नलिखित कारण हैं-

  • भूमि में रासायनिक पदार्थों; जैसे जस्ता, कीटनाशक, दवाइयाँ, रासायनिक खाद आदि अधिक मात्रा में डालने से मृदा-प्रदूषण होता है।
  • उद्योगों से निकलने वाले कूड़े-कर्कट में बहुत से हानिकारक रासायनिक तत्त्व होते हैं जो वायु व पानी के माध्यम से मिट्टी में पहुँचकर उसे प्रदूषित कर देते हैं।
  • बढ़ती जनसंख्या की प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वनों की कटाई लगातार बढ़ती जा रही है जिसका दुष्परिणाम यह है
  • कि भूक्षरण की समस्याएँ निरंतर बढ़ रही हैं।
  • भूमि का जल-स्तर कम होने से भूमि प्रदूषित होती है।
  • दूषित जल को जब सिंचाई के काम में उपयोग किया जाता है तो इससे भूमि की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • घरेलू कूड़ा-कर्कट भूमि को निरंतर प्रदूषित कर रहा है, क्योंकि घरेलू कूड़े में काँच, प्लास्टिक व पॉलिथीन आदि पदार्थ भूमि के लिए हानिकारक होते हैं।
  • अम्लीय वर्षा के कारण भी मृदा का अपक्षय होता है।
  • कृषि में रासायनिक पदार्थों व खनन गतिविधियों से भी भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है।

मृदा-प्रदूषण के प्रभाव (Effects of Soil Pollution)-मृदा-प्रदूषण के प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  • दूषित भूमि के बैक्टीरिया मानव शरीर में पहुँचकर अनेक बीमारियाँ; जैसे पेचिश, हैजा, टायफाइड आदि फैलाते हैं।
  • भूमि में कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से फसलों या अनाजों में भी अनेक विषैले तत्त्व पैदा हो जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
  • मृदा-प्रदूषण से भूमि की गुणवत्ता एवं उपजाऊ शक्ति लगातार कम होती जाती है।
  • मृदा-प्रदूषण से भूक्षरण की समस्याएँ निरंतर बढ़ती जाती हैं।

मृदा-प्रदूषण की रोकथाम/नियंत्रण के उपाय (Measures of Prevention/Control of Soil Pollution)-मृदा प्रदूषण की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिएँ-

  • मृदा-प्रदूषण को रोकने के लिए वायु-प्रदूषण एवं जल-प्रदूषण को रोकना चाहिए।
  • भूमि में रासायनिक पदार्थों (उर्वरकों व कीटनाशकों) का कम-से-कम उपयोग करना चाहिए। इनके स्थान पर जैव नियंत्रण विधि अपनानी चाहिए।
  • ठोस पदार्थों; जैसे टिन, ताँबा, लोहा, काँच आदि को मृदा में नहीं दबाना चाहिए।
  • ठोस पदार्थों को गलाकर या चक्रीकरण द्वारा नवीन उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिएँ।
  • खेती वाली भूमि में गोबर से बनी खाद का प्रयोग करना चाहिए।
  • वनों (जंगलों) के संरक्षण हेतु सख्त कानून बनाए जाने चाहिएँ, ताकि वनों की अवैध कटाई पर रोक लगाई जा सके।
  • वृक्षारोपण को अधिक-से-अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है?
(A) ब्रह्मपुत्र
(B) यमुना
(C) सतलुज
(D) गोदावरी
उत्तर:
(B) यमुना

2. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जल जन्य है?
(A) नेत्रश्लेष्मला शोथ
(B) श्वसन संक्रमण
(C) अतिसार
(D) श्वासनली शोथ
उत्तर:
(C) अतिसार

3. निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?
(A) जल प्रदूषण
(B) शोर प्रदूषण
(C) भूमि प्रदूषण
(D) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(B) शोर प्रदूषण

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

4. प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी है-
(A) प्रवास के लिए
(B) गंदी बस्तियाँ
(C) भू-निम्नीकरण के लिए
(D) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(A) प्रवास के लिए

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है?
उत्तर:
प्रदूषण और प्रदूषक में भेद निम्नलिखित है-

प्रदूषण (Pollution)प्रदूषक (Pollutant)
मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से कुछ पदार्थ और ऊर्जा निकलती है जिससे प्राकृतिक पर्यावरण में कुछ हानिकारक परिवर्तन होते हैं जिसे प्रदूषण कहा जाता है।पारितंत्र में विद्यमान प्राकृतिक संतुलन में ह्नास और प्रदूषण उत्पन्न करने वाली ऊर्जा या पदार्थ के किसी रूप को प्रदूषक कहा जाता है।

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु-प्रदूषण के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं-

  1. प्राकृतिक स्रोत-ज्वालामुखी जन्य पदार्थ, धूलभरी आँधियाँ व तूफान, दावानल आदि।
  2. मानवीय स्रोत-औद्योगिक प्रक्रम, ठोस कचरा निपटान, वाहित जल निपटान, परिवहन के साधन, रेडियोधर्मी पदार्थ, पेट्रोल व डीजल का दहन, रसायनों का उपयोग आदि।

प्रश्न 3.
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में नगरीय अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  1. नगरीय वातावरण का दूषित होना
  2. कूड़ा-कचरा संग्रहण सेवाओं की अपर्याप्त व्यवस्था
  3. औद्योगिक अपशिष्टों का जल स्रोतों में प्रवाहित करना
  4. मानव मल के सुरक्षित निपटान का अभाव।

प्रश्न 4.
मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
प्रदूषित वायु का सेवन करने से हमारे फेफड़े नष्ट हो जाते हैं। यही गैस तथा प्रदूषित कण रक्त में मिलकर हमारे शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचकर उन अंगों को नष्ट करने लगते हैं। वायु प्रदूषण के कारण हमें श्वसन तंत्रीय, तंत्रिका तंत्रीय और रक्त संचारतंत्र संबंधी अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं। औद्योगिक भट्टियों में जलने वाले कोयले के धुएँ से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु की तरह जल भी प्राकृतिक रूप से तथा मनुष्यों के क्रियाकलापों से प्रदूषित होता है। जल प्रदूषण जल की गुणवत्ता में हास लाता है। जल प्रदूषण के प्राकतिक कारण हैं अपरदन, भस्खलन, पेड-पौधों और मत जीव-जंतओं जबकि मनुष्य द्वारा जल को घरेलू बहिस्राव, नगरीय बहिस्राव, औद्योगिक तथा कृषि एवं सिंचाई के कार्यों आदि के माध्यम से प्रदूषित किया जाता है। प्रदूषित जल में बैक्टीरिया तथा कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है।

औद्योगिक बहिस्रावों में अपशिष्ट पदार्थ, विषैली गैसें, रासायनिक अपशिष्ट तथा अनेक विपत्तिजनक पदार्थ प्रवाहित जल में बहा दिए जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप विषैले तत्त्व जलाशयों, नदियों तथा अन्य जल भंडारों में पहुँचकर जल की गुणवत्ता का ह्रास करते हैं और इसके जैव तंत्र को नष्ट कर देते हैं। जल को प्रदूषित करने वाले प्रमुख उद्योग हैं-चमड़ा उद्योग, लुगदी और कागज उद्योग, वस्त्र तथा रसायन उद्योग। गंगा और यमुना नदी के किनारों पर स्थित प्रमुख नगरों में औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप भारी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ नदियों में बहाया जा रहा है। एक अध्ययन के अनुसार इन नदियों का 75 प्रतिशत जल प्रदूषित हो चुका है।

उदाहरण के लिए, भारत में गंगा और यमुना नदियों में प्रदूषण के स्रोत का निम्नलिखित तालिका द्वारा वर्णन किया गया है-

नदी और राज्यप्रदूषित भागप्रदूषण का स्वरूप या प्रकृतिअतिशोषण द्वारा प्रमुख प्रदूषक
गंगा (उत्तर प्रदेश,(i) कानपुर के नीचे का भाग(i) कानपुर जैसे नगरों से औद्योगिक प्रदूषणकानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना और कोलकाता जैसे नगरों से घरेलू अपशिष्ट नदी में बहा दिए जाते हैं।
बिहार और पश्चिमी बंगाल)(ii) वाराणसी के नीचे(ii) नगरीय केंद्रों से घरेलू अपशिष्ट और नदी में मृत जीव-जंतुओं का विसर्जन।
यमुना (उत्तर प्रदेश, और दिल्ली)(iii) फरक्का बाँध से इलाहाबाद तक
(a) दिल्ली से चंबल के संगम तक
(b) मथुरा और आगरा
(iii) नदी में लाशों का प्रवाह
(a) हरियाणा और उत्तर प्रदेश द्वारा सिंचाई के लिए जल की निकासी
(b) कृषीय अपवाह के परिणामस्वरूप यमुना में सूक्ष्म प्रदूषकों का उच्च स्तर
(c) दिल्ली के घरेलू और औद्योगिक अपशिष्टों का नदी में प्रवाह करना।
दिल्ली नगर अपना घरेलू अपशिष्ट यमुना में प्रवाहित करता है।

इनके अतिरिक्त वर्तमान में उच्च नस्ल के अन्न की पैदावार के लिए खाद एवं कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। अधिक उर्वरक और कीटनाशकों के प्रयोग से इनके रसायन रिसकर भूतल में या सिंचाई जल वर्षा या बाढ़ द्वारा बहकर भूमिगत जल में ही मिल जाते हैं, इससे जल प्रदूषित हो जाता है। भारत में पृष्ठीय जल के लगभग सभी स्रोत संदूषित तथा मानव के उपयोग के अयोग्य हैं।

संदूषित जल से अनेक भयानक बीमारियाँ फैलती हैं। भारत में एक-चौथाई संक्रामक रोग प्रदूषित जल से ही पैदा होते हैं। दूषित जल से उत्पन्न होने वाली प्रमुख बीमारियाँ हैं-अतिसार, रोहा तथा पीलिया आदि।

प्रश्न 2.
भारत में गंदी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि के कारण भारत जैसे विकासशील देश में रोजगार व औद्योगीकरण के कारण लोग गाँव से नगरों में प्रवास करते हैं, जिससे वहाँ कई प्रकार की सामाजिक व आर्थिक समस्याएँ पैदा होती हैं। नगरीकरण और औद्योगीकरण से नगरों में मलिन या गंदी बस्तियों व झोंपड़-पट्टी का विस्तार होता है। भारत के महानगरों में एक तरफ तो अच्छी सुविधाओं से युक्त बस्तियाँ हैं तो वहीं दूसरी ओर झुग्गी-झोंपड़ी और मलिन बस्तियाँ हैं। इनमें वे लोग रहते हैं जिन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में आजीविका की खोज में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है, क्योंकि वे ऊँचे किराए और जमीन की महँगी कीमत होने के कारण अच्छे घरों में नहीं रह पाते।

इसलिए वे लोग पर्यावरण की दृष्टि से बेमेल और निम्नीकृत क्षेत्रों पर कब्जा करते रहते हैं। मलिन बस्तियाँ न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं, जहाँ जीर्ण-शीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा का अभाव, पेयजल, प्रकाश तथा शौच जैसी आवश्यक सुविधाओं का अभाव पाया जाता है। संक्षेप में, मलिन बस्तियों की समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(i) मलिन बस्तियों में अधिक जनसंख्या रहती है और यहाँ निम्न आय वाले लोग रहते हैं, जो रोजगार की तलाश में गाँवों से नगरों में आते हैं। यहाँ इन्हें अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इन बस्तियों के आस-पास गंदगी का विशाल ढेर फैला होता है।

(ii) ये बस्तियाँ निम्नीकृत क्षेत्रों पर बसी हुई हैं। ये क्षेत्र बहुत-ही भीड़-भाड़, पतली-संकरी गलियों तथा आग जैसे गंभीर खतरों के जोखिम से युक्त होते हैं।

(iii) इन बस्तियों में मकान जीर्ण-शीर्ण, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, पीने के पानी की कमी, प्रकाश और शौच जैसी सुविधाओं का अभाव पाया जाता है।

(iv) ये लोग अल्प-पोषित होते हैं। इनमें विभिन्न रोग होने की संभावना बनी रहती है।

(v) गरीबी, बेरोज़गारी व अभावग्रस्त वातावरण में रहने के कारण ये लोग नशीली दवाओं, शराब, अपराध, गुडांगर्दी आदि की ओर उन्मुख हो जाते हैं। नगरों के अधिकांश अपराध यहीं पनपते हैं।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 12 भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ

प्रश्न 3.
भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
भू-निम्नीकरण से अभिप्राय स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी है। भू-निम्नीकरण को कम करने के उपाय निम्नलिखित हैं

  1. मृदा को क्षरण, लवणीकरण और अन्य प्रकार के क्षरण से बचाने के लिए भूमि व जल प्रबंधन को एकीकृत करना।
  2. ठोस कचरे के उत्पादन में कमी लाना और उसको पुनः प्रयोग में लाना। ठोस कचरे का उचित प्रबंध करना।
  3. उद्योगों से निकलने वाले व्यर्थ पदार्थों को खाली भूमि पर न फेंकना।
  4. बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण या वनीकरण व चराई का उचित प्रबंधन।।
  5. बंजर भूमि का उचित प्रबंधन।
  6. औद्योगिक अपशिष्ट का पूर्ण निरावेशन व नष्ट करना।
  7. खनन प्रक्रिया और अति सिंचाई नियंत्रित करना।
  8. चरागाहों पर बढ़ते दबाव का प्रबंधन।
  9. कृषि में नई प्रौद्योगिकी एवं तकनीक का प्रयोग करना।
  10. रेतीली, मरुस्थलीय, तटीय भूमि को उर्वरकों एवं कम्पोस्ट और सिंचाई की सुविधाओं से योग्य बनाना आदि।

भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएँ HBSE 12th Class Geography Notes

→ प्रदूषण (Pollution) : मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से कुछ पदार्थ और ऊर्जा निकलती है जिससे प्राकृतिक पर्यावरण में कुछ हानिकारक परिवर्तन होते हैं जिसे प्रदूषण कहा जाता है।

→ प्रदूषक (Pollutant) : पारितंत्र में विद्यमान प्राकृतिक संतुलन में ह्रास और प्रदूषण उत्पन्न करने वाली ऊर्जा या पदार्थ के किसी रूप को प्रदूषक कहा जाता है।

→ पर्यावरण प्रदूषण (Environmental Pollution) : पर्यावरण का ह्रास होना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।

→ जल प्रदूषण (Water Pollution) : सारे जीव-जंतुओं के जीवित रहने के लिए जल का साफ-सुथरा और लगातार मिलते रहना बहुत आवश्यक है। जल में घुलनशील व अघुलनशील अशुद्धियों या चीजों के मिल जाने से जल का दूषित होना जल-प्रदूषण (Water Pollution) कहलाता है।

→ वाय प्रदूषण (Air Pollution): जब वायु में निश्चित मात्रा में अधिक विषैली और हानिकारक गैसें तथा धूलकण मिल जाते हैं, तो उसे वायु-प्रदूषण (Air Pollution) कहते हैं।

→ ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) : जब ध्वनि अवांछनीय हो या कानों और मस्तिष्क में हलचल करे, तो उसे . ध्वनि-प्रदूषण कहते हैं। यह एक ऐसा अवांछनीय परिवर्तन है जो मानव के जीवन पर हानिकारक प्रभाव डालता है।

→ भू निम्नीकरण (Land Degradation): भू-निम्नीकरण का अभिप्राय स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी है। कृषि योग्य भूमि पर दबाव का कारण केवल सीमित उपलब्धता ही नहीं, बल्कि इसकी गुणवत्ता में कमी भी इसका कारण है। मृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता से भू-निम्नीकरण होता है।

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं?
(A) असम
(B) राजस्थान
(C) बिहार
(D) तमिलनाडु
उत्तर:
(A) असम

2. निम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था?
(A) कलपक्कम
(B) राणाप्रताप सागर
(C) नरोरा
(D) तारापुर
उत्तर:
(D) तारापुर

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

3. निम्नलिखित में कौन-सा खनिज ‘भूरा हीरा’ के नाम से जाना जाता है?
(A) लौह
(B) मैंगनीज़
(C) लिग्नाइट
(D) अभ्रक
उत्तर:
(C) लिग्नाइट

4. निम्नलिखित में कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है?
(A) जल
(B) ताप
(C) सौर
(D) पवन
उत्तर:
(B) ताप

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर:
अभ्रक (Mica) का मुख्य अयस्क पिग्माटाइट है जो आग्नेय एवं कायांतरित चट्टानों में पाया जाता है। अभ्रक उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। यहाँ विश्व का लगभग 80% अभ्रक उत्पन्न किया जाता है। इसका उपयोग विद्युतीय उपकरण, वायुयान मोटर और राडार बनाने में किया जाता है। भारत में अभ्रक उत्पादक राज्यों का विवरण इस प्रकार है

  1. आंध्र प्रदेश आंध्र प्रदेश के नैल्लोर व खम्भात क्षेत्र से अभ्रक प्राप्त किया जाता है। नैल्लोर से उत्तम किस्म के अभ्रक का उत्पादन किया जाता है।
  2. राजस्थान-राजस्थान में अभ्रक पेटी जयपुर से उदयपुर तक फैली हुई है। यहाँ अभ्रक के खनन का भविष्य उज्ज्वल है।
  3. झारखंड यहाँ के अभ्रक उत्पादक क्षेत्र हैं-हजारीबाग और सिंहभूम।
  4. बिहार-यहाँ अभ्रक की लंबी पेटी पाई जाती है। इस पेटी को ‘विश्व का अभ्रक भंडार’ कहा जता है। गया, मुंगेर यहाँ के प्रमुख अभ्रक उत्पादक क्षेत्र हैं।
  5. अन्य उत्पादक राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र आदि हैं।

प्रश्न 2.
नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
नियंत्रित परिस्थितियों में अणुओं के टूटने से पैदा होने वाली ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है। यह ऊर्जा के अणु टूटने से बनती है, इसलिए इसे परमाणु ऊर्जा भी कहते हैं।

भारत के प्रमुख नाभिकीय या परमाणु ऊर्जा केंद्र-

  1. तारापुर – महाराष्ट्र
  2. काकरापाड़ा – गुजरात
  3. रावतभाटा – राजस्थान
  4. कैगा – कर्नाटक
  5. कल्पक्कम – तमिलनाडु
  6. नरोरा – उत्तर प्रदेश

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 3.
अलौह धातुओं के नाम बताएँ। उनके स्थानिक वितरण की विवेचना करें।
उत्तर:
बॉक्साइट और ताँबा प्रमुख अलौह धातुएँ हैं।
1. बॉक्साइट-बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य ओडिशा (उड़ीसा) है। यहाँ के प्रमुख बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र हैं कालाहांडी और संभलपुर। अन्य महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य हैं-गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि। बॉक्साइट के गौण . उत्पादक राज्य कर्नाटक, तमिलनाडु व गोवा आदि हैं।

2. ताँबा-ताँबे की प्राप्ति धारवाड़ क्रम की शिष्ट एवं फाइलाइट शैलों की शिराओं से होती है। भारत में ताँबे के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं-राजस्थान (खेतड़ी, सिंघाना, झुंझुनु, अलवर), मध्यप्रदेश (बालाघाट), झारखंड (सिंहभूम) आंध्र प्रदेश (गुंटूर, अन्निगुण्डल), कर्नाटक (हासन, चित्रदुर्ग) आदि हैं।

प्रश्न 4.
ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के वे स्रोत जिनके प्रयोग की पहले से परंपरा न रही हो, वे ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कहलाते हैं। इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय तरंगों की ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा तथा बायोगैस सम्मिलित हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
ऊर्जा एवं शक्ति के साधन के रूप में खनिज तेल का प्रचार एवं प्रसार बढ़ रहा है। पेट्रोलियम या खनिज तेल का उपयोग मुख्य रूप से नए प्रकार के इंजनों, जलयानों या वायुयानों में किया जाता है। यह कच्चे रूप में प्राप्त किया जाता है तथा उत्पादक क्षेत्र से तेल शोधन-शालाओं तक पहुंचाया जाता है, जहाँ इसके शोधन से गैसोलिन, पेट्रोल, मिट्टी का तेल, डीज़ल, मोम तथा मशीनों को चिकना करने का स्नेहक (Lubricant) प्राप्त होता है।

खनिज तेल अवसादी या तलछटी चट्टानों में पाया जाता है, जो भारत में 17 लाख वर्ग कि०मी० क्षेत्र में फैला है। भारत में ये क्षेत्र या तो समुद्र तटवर्ती भागों में हैं या सतलुज-गंगा के मैदान में, जहाँ पर परतदार चट्टानें अधिक हैं। भारत में वर्तमान समय में तेल क्षेत्र उत्तरी-पूर्वी भारत तथा राजस्थान, कावेरी, कृष्णा तथा गोदावरी के बेसिन में या बॉम्बे हाई में स्थित है। खनिज तेल उत्पादन की दृष्टि से हमारी स्थिति संतोषजनक नहीं है क्योंकि हमारे तेल-स्रोत अधिकांशतः उत्तरी-पूर्वी राज्यों तक ही सीमित हैं। हमें अपनी घरेलू माँग की पूर्ति के लिए तेल का आयात करना पड़ता है। हम केवल अपनी 40% आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम हैं। उत्तरी-पूर्वी राज्यों में डिगबोई, नहारकटिया, मसीपुर तथा बदरपुर प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्र हैं।

उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र के अलावा पश्चिमी क्षेत्र जिसमें गुजरात तथा मुंबई (बॉम्बे) हाई से तेल का उत्पादन शुरू हो गया है, जिसका तेल उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। खंभात की खाड़ी में अंकलेश्वर प्रमुख तेल क्षेत्र है। मुंबई (बॉम्बे) हाई तथा गुजरात में बड़ी मात्रा में तेल प्राप्ति के कारण काफी हद तक घरेलू माँग की पूर्ति हो रही है। उत्तरी-पूर्वी तेल क्षेत्रों का कच्चा तेल शोधन के लिए गुवाहटी के निकट नूनमती तथा बिहार में बरौनी की तेल शोधन-शालाओं में साफ किया जाता है, जबकि गुजरात के कोयली (बड़ौदा) तथा मुंबई (बॉम्बे) हाई का तेल ट्रॉम्बे की शोधन-शालाओं में परिष्करण हेतु लाया जाता है। भारत में लगभग 22 परिष्करणशालाएँ कार्यरत हैं, जिनकी क्षमता 534 लाख टन प्रतिवर्ष से अधिक तेल शोधन की है।

प्रश्न 2.
भारत में जल विद्युत पर एक निबंध लिखें।
उत्तर:
भारत में जल-शक्ति के विशाल भण्डार हैं। इसकी प्रमुख विशेषता यह है कि यह कोयले से उत्पन्न धुएं तथा उसके हानिकारक प्रभावों से मुक्त रहती है। इसे श्वेत कोयला भी कहा जाता है। कोयला तथा पेट्रोलियम के समाप्त हो जाने पर हमें जल-विधुत पर निर्भर रहना पड़ेगा। हम जल भण्डार का उचित प्रयोग करके जल विद्युत के उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।

जल-विद्युत उत्पादन के लिए दशाएँ (Conditions for Production of Water Power)-जल विद्युत उत्पादन के लिए अनुकूल दशाएँ निम्नलिखित हैं
1. लगातार जल प्रवाह (Constant Water Flow)-भारत के जिन क्षेत्रों में स्थाई जल-प्रवाह है, वहां जल-विद्युत का अच्छा विकास देखा गया है। दक्षिणी भारत में दोनों तरफ समुद्र तट होने के कारण तथा उपयुक्त वर्षा के कारण उत्तरी भारत की अपेक्षा ज्यादा जल-विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई हैं।

2. उच्चावच (Relief)-जल-विद्युत का उत्पादन ऊंचाई पर निर्भर करता है क्योंकि इसमें पानी को ऊंचाई से गिराकर बिजली पैदा की जाती है। जल-प्रपात पहाड़ी तथा पठारी भागों में अधिक पाए जाते हैं। नदियों पर कृत्रिम बांध बनाकर भी बिजली तैयार की जाती है। दक्षिणी भारत में अरब सागर के तट के समानांतर सहयाद्रि पर्वत फैले हैं।

3. तापमान (Temperature)-जल-विद्युत के लिए तापमान हिमांक के ऊपर रहना चाहिए। इसके लिए समशीतोष्ण जलवायु कि इसमें न तो जल का अधिक सुखा पड़ता है और न ही जल जमता है। उत्तरी भाग की नदियों का पानी जम जाने के कारण यहां बिजली संयंत्र कई-कई दिनों तक बंद हो जाते हैं।

4. मांग (Demand)-उत्तरी भारत की अपेक्षा दक्षिणी भारत में औद्योगिक विकास अधिक हुआ जिस कारण इस क्षेत्र में बिजली की मांग अधिक रहती है। भाखड़ा नांगल बांध से मुंबई को बिजली सप्लाई नहीं की जा सकती है।

5. ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)-दक्षिणी भारत में कोयला कम पाया जाता है। यहां विद्युत, जल द्वारा निर्मित की जाती है। इस क्षेत्र में बहुत तीव्र ढाल और दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से काफी वर्षा होती है। उत्तर:पश्चिमी भारत में जल-विद्युत में कोयले का इस्तेमाल किया जाता है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

वितरण-भारत में जल विद्युत उत्पादन के प्रमुख केंद्र निम्नलिखित हैं
1. महाराष्ट्र (Maharashtra)-इस राज्य के जल-विद्युत केंद्र निम्नलिखित हैं-
(i) टाटा जल-विद्युत योजना (Tata Water Power Project)-पुणे के समीप लोनावला क्षेत्र में नीलामूला, बलट्रान, लोनावला झीलों में जल भण्डारों के आधार पर टाटा कम्पनी ने सन् 1915 में इस शक्ति गृह को स्थापित किया। यहां से पुणे तथा मुम्बई के औद्योगिक क्षेत्र को विद्युत की आपूर्ति की जाती है।

(ii) कोयना परियोजना (Koena Project) यह कृष्णा नदी की सहायक नदी पर मुंबई से 240 किलोमीटर दूर स्थित है। कोयना शक्ति गृह, ट्राम्बे वाष्प शक्ति गृह तथा चोला वाष्प शक्ति गृह को आपस में जोड़कर जल एवं ताप-विद्युत संघटन क्रम (Hydrothermal Grid) बनाया गया है। इन शक्ति गृहों से मुम्बई तथा निकटवर्ती ढाणे, कल्याण तथा पुणे क्षेत्रों को बिजली उपलब्ध करवाई जाती है।

2. कर्नाटक (Karnatka) इस राज्य के जल-विद्युत केंद्र निम्नलिखित हैं
(i) महात्मा गांधी जलविद्युत केंद्र (Mahatama Gandhi Water Power Centre) इसे सन् 1949 में कृष्णा नदी पर जोग जल-प्रपात पर स्थापित किया गया।

(ii) शिवसमुद्रम परियोजना (Shivsamudaram Project) यह बिजली संयंत्र कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम नामक स्थान पर स्थित है। यहां से कोलार सोने की खानों तथा बंगलुरू, मैसूर और इसके निकटवर्ती क्षेत्रों को बिजली की आपूर्ति की जाती है।

(iii) शिम्सा परियोजना (Shimsa Project)-इस परियोजना को सन् 1920 में कावेरी नदी की सहायक शिम्सा नदी के जल-प्रपात पर स्थापित किया गया है। इससे कर्नाटक राज्य को बिजली दी जाती है।

3. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)-उत्तर प्रदेश में निम्नलिखित जल विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई हैं
(i) गंगा विद्युत संगठन क्रम प्रणाली (Ganga Electric Organisation Serial)- हरिद्वार से मेरठ तक इस क्रम प्रणाली का विकास है। इसमें सलावा पलेरा, सुमेरानी गजनी, मुहम्मदपुर विद्युत केंद्र हैं।

(ii) माताटीला बांध (Matatila Dam) इसे बेतवा नदी पर झांसी के निकट स्थापित किया गया है।

(iii) रिहन्द परियोजना (Rihand Project)-मिर्जापुर जिले में पिपरी नामक स्थान पर रिहन्द नदी पर यह विद्युत-गृह स्थापित है।

4. उत्तराखण्ड (Uttarakhand)-उत्तराखण्ड के जल-विद्युत केंद्र निम्नलिखित हैं
(i) शारदा विद्युत संगठन क्रम प्रणाली (Sharda Electricity Organisation Serial System)-यह शारदा नहर पर तीन जल विद्युत केंद्र के साथ स्थापित है। इसे गंगा विद्युत संगठन क्रम से मिलाया गया है। इससे नैनीताल, अल्मोड़ा तथा उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों को बिजली दी जाती है।

(ii) राम गंगा परियोजना (Ram Ganga Project) यह उत्तराखण्ड के गढ़वाल में कालागढ़ स्थान पर रामगंगा नदी पर स्थापित है। यहाँ से कुमाऊं तथा गढ़वाल क्षेत्रों को बिजली दी जाती है।

5. पंजाब (Punjab)-पंजाब की जल-विद्युत परियोजनाएं निम्नलिखित हैं-

  • भाखड़ा नंगल परियोजना यह परियोजना रोपड़ के नजदीक भाखड़ा नामक स्थान पर सतलुज नदी पर बनाई गई है।
  • पोंग बांध परियोजना यह होशियारपुर में तलवाड़ा के निकट पोंग नामक स्थान पर व्यास नदी पर स्थित है।

6. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)-इस राज्य की जल-विद्युत परियोजनाएं इस प्रकार हैं

  • मण्डी परियोजना यहाँ से मण्डी, कांगड़ा घाटी तथा उत्तरी पंजाब को बिजली दी जाती है।
  • पंडोह परियोजना यह व्यास नदी पर पंडोह नामक स्थान पर स्थित है।

7. तमिलनाडु (Tamilnadu) इस राज्य में निम्नलिखित जल-विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई हैं-

  • मैटर परियोजना
  • पापाकारा परियोजना
  • पापनाशम परियोजना
  • कुण्डा परियोजना आदि।

8. केरल (Kerela) केरल राज्य की जल-विद्युत परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं

  • पल्लीवासन परियोजना
  • सेगुलम परियोजना
  • पेरीगल कोथू परियोजना
  • नेरीयामगलम परियोजना
  • पेरियार परियोजना आदि।

खनिज तथा ऊर्जा संसाधन HBSE 12th Class Geography Notes

→ खनिज (Minerals) : धरातल अथवा भू-गर्भ से खोदकर प्राप्त की जाने वाली वस्तुओं को खनिज कहा जाता है।

→ धात्विक खनिज (Metallic Minerals) : ऐसे खनिज पदार्थों को, जिनके गलाने से विभिन्न प्रकार की धातुएँ प्राप्त होती हैं, धात्विक खनिज कहते हैं।

→ अधात्विक खनिज (Non-metallic Minerals) : ऐसे खनिज, जिनको गलाने से किसी प्रकार की कोई धात प्राप्त नहीं होती, उसे अधात्विक खनिज कहते हैं।

→ जैव ऊर्जा (Bio Energy) : जैविक उत्पादों से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहते हैं।

→ खनिज अयस्क (Mineral Ore) : भूमि से प्राप्त वह कच्ची धातु जिसमें मिट्टी और अन्य अशुद्धियाँ मिश्रित होती हैं।

→ खनन (Mining) : खनन वह आर्थिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा भूमि से खनिजों का निष्कासन किया जाता है। खनन को घातक उद्योग कहा जाता है।

→ ऊर्जा (Energy) : किसी भी कार्य को करने के लिए बल या शक्ति की जरूरत होती है जिसे ऊर्जा कहते हैं।

→ ऊर्जा संसाधन (Energy Resources) : वे संसाधन जिन्हें ऊर्जा प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है, ऊर्जा संसाधन कहलाते हैं।

→ लौह खनिज (Ferrous Minerals) : वे खनिज जिनमें लौह-अयस्क होते हैं, लौह खनिज कहलाते हैं।

→ अलौह खनिज (Non-Ferrous Minerals) : वे खनिज जिनमें लौह-अयस्क नहीं होते, अलौह खनिज कहलाते हैं।

→ नाभिकीय या परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) : नियंत्रित परिस्थितियों में अणुओं के टूटने से पैदा होने वाली ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है। यह ऊर्जा परमाणु के अणु टूटने से बनती है, इसलिए इसे परमाणु ऊर्जा भी कहते हैं।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

→ सौर ऊर्जा (Solar Energy)-सूर्य की गर्मी से प्राप्त ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। गुजरात के भुज क्षेत्र में सौर ऊर्जा का एक बड़ा संयंत्र लगा हुआ है।

→ भ-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) भमि के गर्भ के ताप से प्राप्त ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा भी कहते हैं।

→ पवन ऊर्जा (Air/Wind Energy)-भारत को विश्व में अब पवन महाशक्ति का दर्जा प्राप्त है। भारत में पवन ऊर्जा फार्म की विशालतम पेटी तमिलनाडु नागरकोइल से मदुरई तक अवस्थित है।

→ पन विद्युत (Hydroelectricity) : पानी से बनाई जाने वाली/ऊर्जा पन विद्युत कहलाती है।

→ जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) : भूमि या समुद्र तल में विभिन्न जीवों के संपीड़न से बना हुआ ईंधन, जीवाश्म ईंधन कहलाता है।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. बस्तियाँ कितने प्रकार की होती हैं-
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(A) 2

2. ग्रामीण बस्तियों के लोग किस प्रकार के क्रियाकलाप करते हैं?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक
उत्तर:
(A) प्राथमिक

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

3. ग्रामीण बस्तियों में लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या है?
(A) आखेट
(B) मत्स्य न
(C) कृषि
(D) संग्रहण
उत्तर:
(C) कृषि

4. पास-पास बने घरों वाली ग्रामीण बस्तियाँ कहलाती हैं-
(A) संहत बस्तियाँ
(B) प्रकीर्ण बस्तियाँ
(C) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(A) संहत बस्तियाँ

5. बड़े तथा एक-दूसरे से दूर बने मकानों वाली बस्तियाँ कहलाती हैं-
(A) संहत बस्तियाँ
(B) प्रकीर्ण बस्तियाँ
(C) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(B) प्रकीर्ण बस्तियाँ

6. भारत के उत्तरी मैदान में किस प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ पाई जाती हैं?
(A) गुच्छित बस्तियाँ
(B) परिक्षिप्त बस्तियाँ
(C) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(A) गुच्छित बस्तियाँ

7. नगरीय बस्तियाँ किस प्रकार के क्रियाकलाप में संलग्न नहीं होती?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक
उत्तर:
(A) प्राथमिक

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

8. उच्च भूमियों, पर्वतीय क्षेत्रों और मरुस्थलीय भागों में किस प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं?
(A) गुच्छित बस्तियाँ
(B) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ
(C) परिक्षिप्त बस्तियाँ
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) परिक्षिप्त बस्तियाँ

9. उत्तरी भारत के किस राज्य में गाँवों के मध्य दूरी सबसे अधिक है?
(A) हरियाणा
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) पंजाब
(D) महाराष्ट्र
उत्तर:
(B) हिमाचल प्रदेश

10. दक्षिणी भारत के किस राज्य में गाँवों के मध्य दूरी सबसे अधिक है?
(A) कर्नाटक
(B) केरल
(C) आंध्र प्रदेश
(D) तमिलनाडु
उत्तर:
(B) केरल

11. गुजरात राज्य में बस्तियाँ पाई जाती हैं-
(A) गुच्छित बस्तियाँ
(B) परिक्षिप्त बस्तियाँ
(C) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ

12. किसी तालाब के किनारे बसी बस्ती की आकृति होती है-
(A) रैखिक
(B) गोलाकार
(C) क्रॉस
(D) तारक
उत्तर:
(B) गोलाकार

13. किसी नदी या रेलवे लाइन के किनारे बसी बस्ती की आकृति होती है-
(A) रैखिक
(B) गोलाकार
(C) क्रॉस
(D) तारक
उत्तर:
(A) रैखिक

14. एक लाख से कम जनसंख्या वाला केंद्र कहलाता है-
(A) महानगर
(B) नगर
(C) कस्बा
(D) विराट नगर
उत्तर:
(B) नगर

15. जिन नगरों की जनसंख्या 10 से 50 लाख तक हो, कहलाते हैं-
(A) महानगर
(B) संवैधानिक नगर
(C) जनगणना नगर
(D) विराट नगर
उत्तर:
(A) महानगर

16. 50 लाख से अधिक जनंसख्या वाले नगर कहलाते हैं-
(A) महानगर
(B) नगर
(C) वृहत् नगर
(D) जनगणना नगर
उत्तर:
(C) वृहत् नगर

17. भारत के जनगणना विभाग के अनुसार किसी नगर की न्यूनतम जनसंख्या कितनी होनी चाहिए?
(A) कम-से-कम 2500
(B) कम-से-कम 3500
(C) कम-से-कम 4000
(D) कम-से-कम 5000
उत्तर:
(D) कम-से-कम 5000

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18. भारत के जनगणना विभाग के अनुसार किसी नगर में जनसंख्या का न्यूनतम घनत्व कितना होना चाहिए?
(A) 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(B) 450 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(C) 475 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(D) 500 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
उत्तर:
(A) 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०

19. प्रथम वर्ग के नगर में कितनी जनसंख्या होनी चाहिए?
(A) 10,000-19,999
(B) 20,000-49,999
(C) 50,000-99,999
(D) 1,00,000 से अधिक
उत्तर:
(D) 1,00,000 से अधिक

20. कौन-सा नगर मध्यकालीन नगर है?
(A) दिल्ली
(B) मुंबई
(C) चण्डीगढ़
(D) पाटलिपुत्र
उत्तर:
(A) दिल्ली

21. इलाहाबाद किस प्रकार के युग का नगर है?
(A) प्रागैतिहासिक युग
(B) प्राचीन युग
(C) मध्य युग
(D) आधुनिक युग
उत्तर:
(C) मध्य युग

22. पाटलिपुत्र किस प्रकार के युग का नगर है?
(A) प्रागैतिहासिक युग
(B) प्राचीन युग
(C) मध्य युग
(D) आधुनिक युग
उत्तर:
(B) प्राचीन युग

23. दार्जिलिंग किस प्रकार का नगर है?
(A) खनन नगर
(B) धार्मिक नगर
(C) पर्यटन नगर
(D) छावनी नगर
उत्तर:
(C) पर्यटन नगर

24. निम्नलिखित में से कौन-सा औद्योगिक नगर का उदाहरण है?
(A) जमशेदपुर
(B) शिमला
(C) अम्बाला
(D) दिल्ली
उत्तर:
(A) जमशेदपुर

25. विशाखापत्तनम किस प्रकार के नगरों का उदाहरण है?
(A) पर्यटन नगर
(B) धार्मिक नगर
(C) परिवहन नगर
(D) छावनी नगर
उत्तर:
(C) परिवहन नगर

26. भारत में मलिन बस्तियों की जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक कहाँ है?
(A) पटना में
(B) जमशेदपुर में
(C) वृहत्तर मुंबई में
(D) गुड़गाँव में
उत्तर:
(C) वृहत्तर मुंबई में

27. भारत में मलिन बस्तियों की जनसंख्या का अनुपात सबसे कम कहाँ है?
(A) पटना में
(B) जमशेदपुर में
(C) वृहत्तर मुंबई में
(D) करनाल में
उत्तर:
(A) पटना में

28. देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला महानगर जो भारत की सबसे बड़ी बंदरगाह भी है-
(A) कोलकाता
(B) गोवा
(C) महाराष्ट्र
(D) कालीकट
उत्तर:
(C) महाराष्ट्र

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29. नगरीय संकुल का उदाहरण है-
(A) कोलकाता
(B) हैदराबाद
(C) पूणे
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

30. सोनीपत व रूड़की किस प्रकार के नगर हैं?
(A) प्रशासनिक नगर
(B) पर्यटन नगर
(C) शैक्षिक नगर
(D) छावनी नगर
उत्तर:
(C) शैक्षिक नगर

31. रानीगंज व अंकलेश्वर किस प्रकार के नगर हैं?
(A) प्रशासनिक नगर
(B) खनन नगर
(C) शैक्षिक नगर
(D) परिवहन नगर
उत्तर:
(B) खनन नगर

32. कांडला व कोच्चि किस प्रकार के नगर हैं?
(A) औद्योगिक नगर
(B) परिवहन नगर
(C) खनन नगर
(D) धार्मिक नगर
उत्तर:
(B) परिवहन नगर

33. निम्नलिखित में से प्रशासनिक नगर का उदाहरण नहीं है।
(A) इम्फाल
(B) गाँधीनगर
(C) पटियाला
(D) जयपुर
उत्तर:
(C) पटियाला

34. निम्नलिखित में से औद्योगिक नगर का उदाहरण है-
(A) हुगली
(B) भिलाई
(C) मुंबई
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

35. किस प्रकार के नगर आयात एवं निर्यात कार्यों में संलग्न रहते हैं?
(A) परिवहन नगर
(B) खनन नगर
(C) गैरिसन नगर
(D) धार्मिक नगर
उत्तर:
(A) परिवहन नगर

36. गैरिसन या छावनी नगर का उदाहरण नहीं है-
(A) अम्बाला
(B) करनाल
(C) जालंधर
(D) महू
उत्तर:
(B) करनाल

37. धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरों के उदाहरण हैं-
(A) पूरी, अजमेर, पुष्कर, तिरुपति, कुरुक्षेत्र
(B) दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता
(C) चण्डीगढ़, देहरादून, करनाल, शिमला
(D) अम्बाला, हिसार, महू, जालंधर
उत्तर:
(A) पूरी, अजमेर, पुष्कर, तिरुपति, कुरुक्षेत्र

38. कौन-सा नगर प्राचीन कालीन नगर है?
(A) वाराणसी
(B) प्रयागराज/इलाहाबाद
(C) जयपुर
(D) (A) व (B) दोनों
उत्तर:
(D) (A) व (B) दोनों

39. कौन-सा नगर आधुनिक नगर है?
(A) चेन्नई
(B) मुंबई
(C) कोलकाता
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत के उत्तरी विशाल मैदान में किस प्रकार की ग्रामीण बस्तियों की बहुलता है?
उत्तर:
गुच्छित या समूहित बस्तियों की।

प्रश्न 2.
सामान्यतया दक्षिणी पठारों पर गाँवों के मध्य कितनी दूरी होती है?
उत्तर:
सामान्यतया दक्षिणी पठारों पर गाँवों के मध्य दूरी 3 कि०मी० होती है।

प्रश्न 3.
परिक्षिप्त बस्तियाँ प्रायः किस प्रकार के पर्यावरण में पाई जाती हैं?
उत्तर:
परिक्षिप्त बस्तियाँ प्रायः उच्च भूमियों, पर्वतीय क्षेत्रों और मरुस्थली भागों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 4.
बृहत् नगरों को अन्य किन नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
विश्वनगरी, मेगा सिटी, मेगालोपोलिस आदि।

प्रश्न 5.
भारत के किसी एक नियोजित नगर का नाम लिखिए।
उत्तर:
चण्डीगढ़।

प्रश्न 6.
मध्य युग के किन्हीं दो नगरों का नाम बताइए।
उत्तर:
इलाहाबाद, आगरा।

प्रश्न 7.
2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कितने महानगर थे?
उत्तर:
2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 35 महानगर थे।

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प्रश्न 8.
स्वतन्त्रता के बाद ऐसे पुराने किन्हीं दो नगरों के नाम बताइए जो उपनगरों के रूप में विकसित हुए हैं।
उत्तर:
नोएडा, गुरुग्राम।

प्रश्न 9.
भारत के दो मध्यकालीन नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. जयपुर
  2. आगरा।

प्रश्न 10.
किस वर्ग के नगरों में भारत की जनसंख्या का सबसे अधिक प्रतिशत निवास करता है?
उत्तर:
प्रथम वर्ग के नगरों में।

प्रश्न 11.
भारत के दो आधुनिक नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. मुंबई
  2. कोलकाता।

प्रश्न 12.
ग्रामीण बस्तियाँ जीवन-यापन के लिए किन व्यवसायों पर निर्भर करती हैं?
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियाँ मुख्यतः आजीविका के लिए कृषि अथवा संबंधित प्राथमिक व्यवसायों पर निर्भर करती हैं।

प्रश्न 13.
उत्तर भारतीय मैदान में किस प्रकार की बस्तियाँ बहुतायत में पाई जाती हैं?
उत्तर:
उत्तर भारतीय मैदान में पंजाब से पश्चिमी बंगाल तक बहुतायत केंद्रीकृत ग्रामीण बस्तियाँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 14.
बृहत् तौर पर भारत की ग्रामीण बस्तियों को कितने प्रकारों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
चार प्रकारों में।

प्रश्न 15.
गुच्छित बस्तियों को अन्य कौन-कौन से नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
संकुलित, समूहित, केंद्रीकृत या आकेंद्रित, सघन/संहत बस्तियाँ आदि।

प्रश्न 16.
पल्लीकृत बस्तियों को अन्य कौन-कौन से नामों से जाना जाता है?
उत्तर:
पाली, पुरवा, पान्ना, पाड़ा, नंगला, ढाणी आदि।

प्रश्न 17.
उपजाऊ जलोढ़ मैदानों और उत्तर-पूर्वी राज्यों में सामान्यतः किस प्रकार की बस्तियाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
गुच्छित या संहत बस्तियाँ।

प्रश्न 18.
किस राज्य में जल के अभाव में उपलब्ध जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग ने संहत बस्तियों को अनिवार्य बना दिया है?
उत्तर:
राजस्थान में।

प्रश्न 19.
किस प्रकार की बस्ती किसी सीमित क्षेत्र में गुच्छित होने की प्रवृत्ति का परिणाम है?
उत्तर:
विखंडित या अर्द्ध-गुच्छित बस्ती।

प्रश्न 20.
मध्य व निम्न गंगा के मैदानों और हिमालय की निचली घाटियों में किस प्रकार की बस्तियाँ अधिक पाई जाती हैं?
उत्तर:
पल्लीकृत बस्तियाँ।

प्रश्न 21.
किस प्रकार की बस्तियाँ अकृषि, आर्थिक एवं प्रशासकीय प्रकार्यों में संलग्न होती हैं?
उत्तर:
नगरीय बस्तियाँ।

प्रश्न 22.
भारत के दो प्राचीन नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. प्रयाग (प्रयागराज/इलाहाबाद)
  2. पाटलिपुत्र (पटना)।

प्रश्न 23.
भारत के 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले दो महानगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. दिल्ली
  2. मुंबई।

प्रश्न 24.
भारत में प्रथम श्रेणी के नगरों की जनसंख्या का आकार क्या है?
उत्तर:
1 लाख से अधिक।

प्रश्न 25.
10 से 50 लाख की जनसंख्या वाले नगरों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
महानगर।

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प्रश्न 26.
एकाकी या प्रविकीर्ण बस्तियों को किस प्रकार की बस्तियाँ कहा जाता है?
उत्तर:
परिक्षिप्त बस्तियाँ।।

प्रश्न 27.
50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों को क्या कहते हैं?
उत्तर:
मेगा नगर।

प्रश्न 28.
भारत के धार्मिक व सांस्कृतिक नगरों के कोई दो उदाहरण लिखें।
उत्तर:

  1. वाराणसी
  2. पूरी।

प्रश्न 29.
भारत के दो गैरिसन या छावनी नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. अम्बाला
  2. बबीना।

प्रश्न 30.
भारत के दो शैक्षिक नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. रुड़की
  2. अलीगढ़।

प्रश्न 31.
भारत में प्रथम श्रेणी के नगरों की जनसंख्या का आकार क्या है?
उत्तर:
1,00,000 से अधिक।

प्रश्न 32.
भारत में छठी श्रेणी के नगरों की जनसंख्या का आकार क्या है?
उत्तर:
50,000 से कम।

प्रश्न 33.
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े महानगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. लखनऊ
  2. कानपुर
  3. आगरा
  4. मेरठ
  5. वाराणसी आदि।

प्रश्न 34.
पंजाब के सबसे बड़े महानगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. अमृतसर
  2. लुधियाना।

प्रश्न 35.
गुजरात के सबसे बड़े महानगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. राजकोट
  2. अहमदाबाद
  3. वडोदरा
  4. सूरत।

प्रश्न 36.
महाराष्ट्र के सबसे बड़े महानगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. बृहत मुंबई
  2. नासिक
  3. पुणे।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की ग्रामीण बस्तियों के चार मुख्य प्रकार लिखिए।
उत्तर:
भारत की ग्रामीण बस्तियों के कोई चार प्रकार इस प्रकार हैं-

  1. गुच्छित अथवा केंद्रीकृत बस्ती
  2. अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखंडित बस्ती
  3. पल्लीकृत बस्ती
  4. परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्ती।

प्रश्न 2.
गुच्छित बस्ती किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह बस्ती जिसमें घर एक-दूसरे से सटे हुए होते हैं तथा घरों के संहत खंड बनाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
भारत के किन भागों में पुरवे अधिवास पाए जाते हैं?
उत्तर:
पुरवे अधिवास भारत में गंगा के मध्यवर्ती और निचले मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 4.
संवैधानिक नगरों से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वे नगर जहाँ नगरपालिका या नगर निगम या कैंटोनमेंट बोर्ड या नोटीफाइड टाऊन एरिया कमेटी हो, सवैधानिक नगर कहलाते हैं।

प्रश्न 5.
भारत के औद्योगिक नगरों के छः उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
हुगली, भिलाई, जमशेदपुर, मोदीनगर, सेलम तथा फरीदाबाद।

प्रश्न 6.
कस्बा किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगर को कस्बा कहते हैं।

प्रश्न 7.
विराट नगर क्या होते हैं? वर्तमान में भारत में कितने विराट नगर हैं?
उत्तर:
50 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर विराट नगर कहलाते हैं। वर्तमान में भारत में छः विराट नगर हैं।

प्रश्न 8.
महानगर या मेगासिटी (Megacity) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक मेगासिटी आमतौर पर एक महानगरीय क्षेत्र के रूप में परिभाषित की जाती है जिसमें दस लाख की आबादी होती है। एक मेगासिटी एक महानगरीय क्षेत्र या दो या दो से अधिक महानगरीय क्षेत्रों में हो सकती है जो एकजुट होती है।

प्रश्न 9.
बस्ती किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव निवास की मूलभूत इकाई को घर कहते हैं। एक क्षेत्र के घरों के समूह को बस्ती कहते हैं।

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प्रश्न 10.
नम बिन्दु बस्तियाँ क्या हैं? इनके दो लाभ लिखिए।
उत्तर:
नम बिन्दु बस्तियाँ-निचले क्षेत्रों में स्थित नदी किनारों या दलदल से घिरे द्वीपों में बसी बस्तियाँ नम बिन्दु बस्तियाँ (Point Settlements) कहलाती हैं।

लाभ-

  • पीने, खाना बनाने, वस्त्र धोने आदि के लिए जल की उपलब्धता होती है।
  • कषि भमि की सिंचाई के लिए नदियों और झीलों के पानी का उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 11.
भारत के दस बड़े महानगरों/शहरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. अमृतसर
  2. गुरुग्राम
  3. फरीदाबाद
  4. लखनऊ
  5. भोपाल
  6. मुंबई
  7. पटना
  8. हैदराबाद
  9. बंगलुरु
  10. चेन्नई।

प्रश्न 12.
भारत में सघन बस्तियाँ कहाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
भारत में सघन बस्तियाँ गंगा सतलुज के मैदान, मालवा के पठार, नर्मदा घाटी और राजस्थान के मैदानी भागों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 13.
बस्ती प्रतिरूप किसे कहते हैं?
उत्तर:
बस्तियों के बसाव की आकृति के आधार पर बस्तियों का जो स्वरूप सामने आता है उसे बस्ती प्रतिरूप कहते हैं।

प्रश्न 14.
नगरीय बस्तियों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानव निर्मित ऐसे निवास स्थान जिनमें अधिकांश लोग द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक आर्थिक क्रियाओं में संलग्न होते हैं और वहाँ अनेक सुख-सुविधाएँ देखने को मिलती हैं, उन्हें नगरीय बस्तियाँ कहते हैं।

प्रश्न 15.
निवास की मूलभूत इकाई क्या है?
उत्तर:
मानव समस्त पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के गांवों या नगरों में निवास करता है। मानव निवास की मूलभूत इकाई को ‘घर’ कहते हैं। घर एक झोंपड़ी से लेकर भव्य बंगला, कोठी या महल हो सकता है। मानव के रहने के स्थान को अधिवास या घर कहते हैं।

प्रश्न 16.
प्रशासनिक नगर किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
इस प्रकार के नगर प्रशासनिक कार्यों के लिए विकसित होते हैं। देश की राजधानी तथा राज्यों की राजधानियाँ इन नगरों के अंतर्गत आती हैं। चंडीगढ़, दिल्ली, शिमला, भोपाल तथा शिलांग आदि ऐसे नगरों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 17.
औद्योगिक नगर किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
अनेक प्रकार के उद्योगों की अवस्थिति ही ऐसे नगरों की प्रेरक-शक्ति होती है; जैसे मुंबई, कोयंबटूर, भिलाई, हुगली, जमशेदपुर, सेलम तथा फरीदाबाद इत्यादि।

प्रश्न 18.
धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरों के कोई पाँच उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. अमृतसर
  2. कुरुक्षेत्र
  3. हरिद्वार
  4. पुरी
  5. उज्जैन।

प्रश्न 19.
परिवहन नगर किसे कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
वे नगर जो मुख्यतः आयात एवं निर्यात कार्यों में संलग्न रहते हैं, परिवहन नगर कहलाते हैं; उदाहरण-जैसे कांडला, कोच्चि, विशाखापट्टनम आदि।

प्रश्न 20.
भारत के औद्योगिक एवं खनन नगरों के चार-चार उदाहरण दें।
उत्तर:
औद्योगिक नगर-

  • मुंबई
  • कोयंबटूर
  • जमशेदपुर
  • हुगली।

खनन नगर-

  • रानीगंज
  • डिगबोई
  • सिंगरौली
  • अंकलेश्वर

प्रश्न 21.
भारत के वाणिज्यिक एवं पर्यटन नगरों के चार-चार उदाहरण दें।
उत्तर:
वाणिज्यिक नगर-

  • कोलकाता
  • मुंबई
  • सहारनपुर
  • सतना।

पर्यटन नगर-

  • नैनीताल
  • शिमला
  • माउंट आबू
  • जोधपुर।

प्रश्न 22.
भारत के किन्हीं आठ प्रशासकीय नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. नई दिल्ली
  2. चण्डीगढ़
  3. जयपुर
  4. भोपाल
  5. चेन्नई
  6. कोलकाता
  7. श्रीनगर
  8. देहरादून।

प्रश्न 23.
मिलियन सिटी और मेगा सिटी में क्या अंतर है?
अथवा
महानगर और बृहत नगर में अंतर बताएँ।
उत्तर:
महानगर की जनसंख्या 10 से 50 लाख तक होती है, जबकि बृहत नगर की जनसंख्या 50 लाख से अधिक होती है।

प्रश्न 24.
भारतीय गाँवों के आकार और उनके बीच की दूरियों को निर्धारित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. भूमि की उत्पादकता
  2. उस क्षेत्र की गैर-कृषि क्रियाएँ
  3. परिवहन तंत्र
  4. सामाजिक कारक
  5. तकनीकी आर्थिक संगठन
  6. ऐतिहासिक और राजनीतिक प्रक्रियाएँ।।

प्रश्न 25.
गाँव और नगर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्र नगरीय क्षेत्रों को कच्चा माल व खाद्य-पदार्थ उपलब्ध कराते हैं। इसके विपरीत नगरीय क्षेत्र वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन न केवल अपने लिए वरन् ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रदान करते हैं। यह क्रिया परिवहन और संचार के साधनों के माध्यम से पूरी होती है।

प्रश्न 26.
अर्द्ध-गुच्छित बस्तियाँ क्या होती हैं?
उत्तर:
ऐसी बस्तियों में सामान्यतया एक छोटा, परंतु सुसंहत केंद्रक होता है, जिसके चारों ओर छोटे आवास मुद्रिका (Ring) के रूप में बिखरे होते हैं। यदि मकान किसी सड़क के दोनों ओर स्थित होते हैं तो इसे रैखिक कहते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ग्रामीण आबादी की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण आबादी की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  1. ग्रामीण क्षेत्र के लोग आजीविका के लिए कृषि व अन्य प्राथमिक कार्यों पर निर्भर होते हैं।
  2. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के घर प्रायः मिट्टी, लकड़ी व घास-फूस या एक-मंजिले होते हैं।
  3. इनके सामाजिक सम्बन्ध प्रगाढ़ होते हैं।
  4. ये लोग कम गतिशील होते हैं।

प्रश्न 2.
गुच्छित एवं परिक्षिप्त बस्तियों में अंतर स्पष्ट करें।
अथवा
संहत बस्तियों तथा प्रकीर्ण बस्तियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गुच्छित एवं परिक्षिप्त बस्तियों में निम्नलिखित अंतर हैं-

गुच्छित (संहत) बस्तियाँपरिक्षिप्त बस्तियाँ
1. संहत बस्तियाँ उपजाऊ समतल मैदानों तथा नदी-घाटियों में पाई जाती हैं।1. परिक्षिप्त बस्तियाँ पहाड़ी प्रदेशों, जंगलों तथा पठारी प्रदेशों में पाई जाती हैं।
2. यहाँ लोगों का मुख्य धंधा कृषि होता है।2. यहाँ लोगों का मुख्य धंधा पशु पालना तथा लकड़ी काटना होता है।
3. यहाँ खेत छोटे होते हैं।3. यहाँ खेत बड़े होते हैं।
4. ये बस्तियाँ किसी केंद्रीय स्थल के चारों तरफ बाहर की ओर बढ़ी हुई होती हैं।4. ये बस्तियाँ दूर-दूर होती हैं जिनमें दो-दो या तीन-तीन मकान बिखरे हुए पाए जाते हैं।
5. पानी के निकास की उचित व्यवस्था न होने के कारण ये बस्तियाँ गंदी रहती हैं।5. यहाँ पानी के निकास की उचित व्यवस्था होती है अतः ये साफ-सुथरी बस्तियाँ होती हैं।
6. यहाँ मकान एक-दूसरे से सटे हुए होते हैं।6. यहाँ मकान एक-दूसरे से दूर-दूर होते हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 3.
पल्ली बस्तियाँ अथवा पुरवा बस्तियाँ क्या होती हैं?
उत्तर:
कई बार बस्ती भौतिक रूप से एक-दूसरे से अलग इकाइयों में बँट जाती है। इस प्रकार की बस्ती एक-दूसरे से स्पष्ट दूरी पर होती है। इन इकाइयों को देश के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नंगला या ढाँणी इत्यादि कहा जाता है। किसी विशाल गाँव का ऐसा खंडी भवन प्रायः सामाजिक और मानव जातीय कारकों द्वारा अभिप्रेरित होता है। ऐसे गाँव मध्य और निम्न गंगा के मैदान, छत्तीसगढ़ और हिमालय की निचली घाटियों में अधिकतर पाए जाते हैं।

प्रश्न 4.
भारत में नगरों का विकास किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
भारत में नगरों का अभ्युदय प्रागैतिहासिक काल से हुआ है। सिंधु घाटी की सभ्यता के युग में भी हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे नगरों का अस्तित्व था। अंग्रेजों और अन्य यूरोपियों के भारत आने तक की अवधि में अनेक उतार-चढ़ाव आए। विभिन्न युगों में भारतीय नगरों का विकास भिन्न रहा। भारतीय नगरों को विकास के आधार पर निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है-
1. प्राचीन नगर – भारत में 2 हजार से अधिक वर्षों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले अनेक नगर हैं; जैसे वाराणसी, प्रयागराज (इलाहाबाद), पटना (पाटलिपुत्र) आदि।

2. मध्यकालीन नगर-भारत के लगभग 100 नगरों का विकास मध्यकाल में हुआ; जैसे हैदराबाद, जयपुर, आगरा, नागपुर आदि।

3. आधुनिक नगर-भारत में आधुनिक नगरों का विकास अंग्रेजों ने किया। इन्होंने सूरत, गोवा, दमन आदि नगर विकसित किए।

प्रश्न 5.
जनगणना नगर क्या हैं?
उत्तर:
जो नगर जनसंख्या संबंधी निम्नलिखित शर्ते पूरी करते हों, उनको जनगणना नगर कहते हैं-

  1. न्यूनतम जनसंख्या 5,000 हो
  2. कम-से-कम 75% पुरुषों का श्रमिक बल कृषि से संबंधित कार्यों में न लगा हुआ हो
  3. जनसंख्या का घनत्व कम-से-कम 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी० हो।

प्रश्न 6.
भारतीय जनगणना के अनुसार नगरों या शहरों को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
अथवा
जनसंख्या के आधार पर भारत के नगरों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
भारतीय जनगणना के अनुसार नगरों या शहरों को छः वर्गों में बाँटा गया है-

वर्ग/श्रेणीजनसंख्या आकार2011 की जनगणना के अनुसार शहरों/नगरों की जनसंख्या
प्रथम1 लाख से अधिक2,27,899
द्वितीय50,000 से 99,999 तक41,328
तृतीय20,000 से 49,999 तक58,174
चतुर्थक10,000 से 19,999 तक31,866
पंचम5,000 से 9,999 तक15,883
षष्टम5,000 से कम1956

प्रश्न 7.
भारतीय ग्रामीण घर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लक्षण क्या है?
उत्तर:
भारतीय घर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लक्षण आँगन है। यह सार्वभौमिक होता है। आँगन में ही अधिकतर कार्य संपन्न किए जाते हैं। कमरे का प्रयोग सर्दियों में सोने के लिए या धन आदि रखने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 8.
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में अंतर स्पष्ट करें।
अथवा
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
ग्रामीण और नगरीय बस्तियों में निम्नलिखित अंतर हैं-

ग्रामीण बस्तियाँनगरीय बस्तियाँ
1. ग्रामीण बस्तियों में लोगों का व्यवसाय मुख्यतः खेती होता है।1. नगरीय बस्तियों में लोगों का व्यवसाय निर्माण-उद्योग, व्यापार तथा प्रशासन होता है।
2. इन बस्तियों का आकार छोटा होता है।2. इन बस्तियों का आकार बड़ा होता है।
3. इनमें जनसंख्या कम होती है, इनमें 10-20 से लेकर 1,000 तक व्यक्ति रहते हैं।3. इनमें कम-से-कम 5,000 की जनसंख्या होती है।
4. यहाँ जनसंख्या का घनत्व कम होता है।4. यहाँ जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है।
5. यहाँ आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होतीं।5. यहाँ आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं।

प्रश्न 9.
भारत के नगरों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय नगरों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. भारत के अधिकांश नगरों में गाँवों की झलक स्पष्ट दिखाई पड़ती है। वास्तव में नगर विस्तृत गाँव ही हैं।
  2. अधिकांश नगरीय जनसंख्या अपनी आदतों और व्यवहार से ग्रामीण ही प्रतीत होती है।
  3. अधिकतर नगरों में मलिन बस्तियों का विकास भारतीय नगरों की प्रमुख विशेषता है। ये प्रवास के प्रतिकर्ष कारकों का . परिणाम है।
  4. अनेक नगरों में पूर्व शासकों और प्राचीन कलाकृतियों के चिहन स्पष्ट देखने को मिलते हैं।
  5. भारतीय नगरों का प्रकार्यात्मक पृथक्करण स्पष्ट तथा प्रारंभिक अवस्था में है।

प्रश्न 10.
गुच्छित ग्रामीण बस्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गुच्छित अथवा केंद्रीकृत बस्तियाँ सिंधु-गंगा के मैदान में पंजाब से लेकर पश्चिमी बंगाल तक खूब पाई जाती हैं। इस प्रकार असम, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश की महानदी घाटी, ओडिशा, कर्नाटक का मैदानी भाग, आंध्र-प्रदेश के रायल सीमा, कावेरी बेसिन आदि में गुच्छित ग्रामीण बस्तियाँ पाई जाती हैं। इन बस्तियों में सड़कें एक-दूसरे को विभिन्न कोणों पर काटती हैं तथा गलियों का निर्माण करती हैं। इस प्रकार की बस्तियाँ उपजाऊ तथा सिंचित क्षेत्रों की विशेषताएँ हैं। इन बस्तियों की आकृति प्रायः आयताकार होती है। जाति-व्यवस्था के कारण उत्पन्न सामाजिक बिखराव कभी-कभी गुच्छित बस्तियों को विखंडित कर देता है। बस्तियों की इन गौण इकाइयों को डाणी, पल्ली, नगला तथा पाढा आदि कहते हैं। कई राज्यों में निम्न जातियों की बस्तियाँ गांव से हटकर बनाई जाती हैं।

प्रश्न 11.
ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियों को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
1. भौतिक कारक-बस्तियों के आकार तथा विस्तार पर अनेक भौतिक कारक; जैसे धरातल की बनावट, मिट्टी, जल-स्तर, जलवायु, ढलान, अपवाह तंत्र आदि गहरा प्रभाव डालते हैं। पहाड़ी भागों में विरल तथा मरुस्थलीय भागों में किसी तालाब के चारों ओर बस्तियों का विकास होता है।

2. सांस्कृतिक कारक-एक ही जाति या जनजाति या धर्म के लोग एक ही गांव में रहते हैं। बस्ती के मध्य में गांव के मुखिया या ज़मींदारों के मकान होते हैं तथा बाहर की ओर सेवा करने वाले समुदायों के मकान या झोंपड़े होते हैं।

3. ऐतिहासिक कारक-मध्य युग में बाहर से होने वाले आक्रमणों तथा सेना के आतंक से बचने के लिए संहत बस्तियाँ बनाई जाती थीं। इनमें सुरक्षा और इकट्ठा रहने की स्थिति बनती थी।

प्रश्न 12.
बस्ती किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार की होती हैं? ग्रामीण और नगरीय बस्तियों से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानव निवास की मूलभूत इकाई को घर कहते हैं। किसी क्षेत्र में घरों के समूह को बस्ती कहते हैं। बस्ती नगरों या शहरों की तरह घरों के छोटे-बड़े दोनों तरह के समूह में हो सकती हैं। बस्ती के प्रकार-बस्ती मुख्यतः दो प्रकार की होती है
1. ग्रामीण बस्ती-ग्रामीण बस्ती उसे कहते हैं जिसमें लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती करना होता है। ये बस्तियाँ अपने जीवन का पोषण या आधारभूत आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति भूमि या कृषि आधारित प्राथमिक आर्थिक क्रियाकलापों से करती हैं। अपने आकार-प्रकार के अनुसार ये बस्तियाँ विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं।

2. नगरीय बस्ती-नगरीय बस्तियाँ ग्रामीण बस्तियों की अपेक्षा सामान्यतः संहत एवं विशाल आकार की होती हैं। ये अनेक प्रकार के आकृषि, आर्थिक व प्रशासकीय प्रकार्यों में संलग्न होती हैं। इनमें अनेक प्रकार की सुख-सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं।

प्रश्न 13.
गुच्छित या संहत बस्तियों की कोई चार विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
गुच्छित या संहत बस्तियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. गुच्छित बस्तियों में मकान छोटे और एक-दूसरे से सटे हुए होते हैं।
  2. ये बस्तियाँ नदी, घाटियों और जलोढ़, उपजाऊ मैदानों में पाई जाती हैं।
  3. इन बस्तियों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होती।
  4. इन बस्तियों में रहने वालों को सुख-दुःख में एक-दूसरे से मदद मिलती है।

प्रश्न 14.
अर्ध-गुच्छित या विखंडित बस्तियों की कोई चार विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  1. अर्घ-गुच्छित बस्तियों में मकान एक-दूसरे से दूर होते हैं परंतु एक ही बस्ती में होते हैं।
  2. इनमें बस्तियाँ अनेक पुरवों में बंटी होती हैं।
  3. निम्न कार्यों में संलग्न लोग इन बस्तियों में रहते हैं।
  4. इनमें अलग-अलग पुरवों में अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं।

प्रश्न 15.
पल्लीकृत बस्तियों की कोई चार विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  1. पल्लीकृत बस्तियों में मकान अधिक सटे होते हैं।
  2. इन बस्तियों को देशों के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी आदि कहा जाता है।
  3. इन बस्तियों का विस्तार अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में होता है।
  4. ये बस्तियाँ अधिकतर मध्य व निम्न गंगा के मैदान और हिमालय की निचली घाटियों में पाई जाती हैं।

प्रश्न 16.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार किन्हीं आठ दस लाखी नगरों या नगरीय संकुलों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
दस लाखी नगरों या नगरीय संकुलों को निम्नलिखित ढंग से सूचीबद्ध किया गया है-

भारत – दस लाखी नगरों/नगरीय संकुलों की जनसंख्या, 2011
क्र०सं०नगर संकुल/नगरों का नामजनसंख्या
1.श्रीनगर1273312
2.लुधियाना1613878
3.अमृतसर1183705
4.चण्डीगढ़1025682
5.फरीदाबाद1404653
6.दिल्ली16814838
7.जयपुर3073350
8.जोधपुर1137815

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प्रश्न 17.
‘घर अपने डिज़ाइन अथवा आंतरिक नियोजन में लोगों के सामाजिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को परिलक्षित करता है।’ उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव का मूलभूत निवास स्थान घर होता है। इसका मनुष्य के सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारकों के साथ निकट का संबंध है तथा भारतीय सभ्यता के मूलभूत तत्त्वों को परिलक्षित करता है। घर अपने डिजाइन अथवा आंतरिक नियोजन में लोगों के सामाजिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को परिलक्षित करता है। किसी क्षेत्र के सामाजिक जीवन की छाप वहाँ के घरों के प्रकार पर पड़ती है। हमारे घर, परिवार की संकल्पना, मित्रों तथा बंधओं से संबंध तथा हमारे धार्मिक विश्वास के प्रतीक हैं। आंगन भारतीय घर का एक विशिष्ट लक्षण है।

इस आंगन में कृषि पर आधारित कार्य तथा अन्य कार्य किए जाते हैं। दक्षिणी भारत के घरों में कई आंगन होते हैं। इनके डिजाइन पर मंदिरों का विशेष प्रभाव दिखाई पड़ता है। केरल के मछुआरे अपने आंगन का एक छोर खुला रखते हैं। उत्तरी भारत में संपन्न परिवार दो या दो से अधिक मंजिल के घर बनाते हैं। शीत तथा आर्द्र प्रदेशों में घर के आगे एक बरसाती बनाई जाती है। इस तरह घर के डिजाइन, दीवारों तथा छतों की बनावट, मुख्य दरवाजे की दिशा तथा आंगन का आकार व विस्तार लोगों के सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित हैं।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए (क) महानगर (ख) मध्यवर्ती व्यापार क्षेत्र (सी.बी.डी.) (ग) प्रकार्यात्मक क्षेत्र।
उत्तर:
(क) महानगर-जिन नगरों की जनसंख्या 10 से 50 लाख तक होती है, उन्हें महानगर कहा जाता है। 1991-2001 के दशक में दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 23 से बढ़कर 35 हो गई है। दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बंगलौर, अहमदाबाद, हैदराबाद, पुणे, सूरत, जयपुर, कानपुर, लखनऊ और नागपुर आदि ऐसे महानगर हैं जिनकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक है। सन् 1991 में इन नगरों की जनसंख्या कुल नगरीय जनसंख्या का 32.5 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 40 प्रतिशत से अधिक हो गई।

(ख) मध्यवर्ती व्यापार क्षेत्र (सी०बी०डी०) मध्यवर्ती व्यापार क्षेत्र या सी०बी०डी० किसी भी नगर का अत्यंत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र होता है। यह नगर की विविध गतिविधियों का केंद्र-बिंदु होता है। इसलिए इसे नगर का हृदय-स्थल भी कहते हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • यहाँ भूमि का मूल्य अधिक पाया जाता है।
  • यह क्षेत्र घना बसा, भीड़-भाड़ वाला और तंग गलियों वाला बना होता है।
  • यह नगर की प्रमुख व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र होता है।
  • यह क्षेत्र यातायात के द्वारा नगर के सभी भागों से जुड़ा होता है।
  • औद्योगिक क्षेत्र कुछ दूरी पर स्थित होते हैं।
  • इस क्षेत्र में प्रकार्यात्मक पृथक्करण स्पष्ट दिखाई देता है।

(ग) प्रकार्यात्मक क्षेत्र अधिकांश कस्बों और नगरों में अनेक प्रकार के भूमि उपयोग क्षेत्र विकसित हो जाते हैं, जिन्हें प्रकार्यात्मक क्षेत्र कहा जाता है। ये विशिष्ट क्षेत्र व्यापार, उद्योग, प्रशासन, संस्थागत परिवहन तथा आवास जैसी गतिविधियों के केंद्र बन जाते हैं। नगर में विशिष्ट कार्यों के लिए अलग-अलग केंद्र विकसित हो जाते हैं; जैसे व्यापारिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, थोक व्यापार तथा हल्का विनिर्माण क्षेत्र तथा आवासीय क्षेत्र इत्यादि । इस प्रकार प्रकार्यात्मक पृथक्करण अथवा भूमि उपयोग की विविधता नगरों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता होती है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
ग्रामीण अधिवास क्या है? इसके प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
ग्रामीण बस्तियों को कितने प्रकारों में बाँटा गया है? वर्णन करें।
उत्तर:
ग्रामीण बस्ती/अधिवास (Rural Settlements)-ग्रामीण बस्तियों में लोग मुख्यतः प्राथमिक कार्यों में लगे होते हैं। इनमें कृषक, चरवाहे, मछुआरे, लकड़हारे आदि वर्गों का वर्चस्व रहता है। यहाँ के निवासी कृषि अथवा कृषि से संबंधित कार्यों से जुड़े रहते हैं। भारत की लगभग 70% जनसंख्या ग्रामीण अधिवासों (बस्तियों) में निवास करती है।

बस्तियों के प्रकार-बसाव की सघनता तथा प्रकीर्णन के आधार पर ग्रामीण अधिवासों (बस्तियों) को मुख्यतः चार प्रकारों में विभाजित किया जाता है-
1. सघन ग्रामीण बस्तियाँ-इन्हें गुच्छित, सकेंद्रित तथा सामूहित आदि कई नामों से जाना जाता है। सघन बस्ती एकल केंद्रीय होती है जिसमें मकान या झोपड़ियाँ पास-पास सटे होते हैं। घरों के सघन खण्ड पाए जाते हैं। इनके चारों ओर खेत, खलिहान या बगीचे स्थित होते हैं। घरों की दो कतारों को संकरी, तंग तथा टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ अलग करती हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी राजस्थान के नहरी क्षेत्रों में सघन बस्तियाँ मिलती हैं। ये बस्तियाँ प्रायः उपजाऊ जलोढ़ मैदानों तथा शिवालिक की घाटियों में पाई जाती हैं।

2. अर्द्ध-गुच्छित या अति सघन ग्रामीण बस्तियाँ-ये बस्तियाँ प्रविकीर्ण तथा सघन अधिवासों के बीच की अवस्था को प्रदर्शित करती हैं। ऐसा प्रकार किसी बड़े, सघन गाँव के विखंडन अथवा पृथकन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। इसमें गाँव के मूल अधिवास के अतिरिक्त उसकी सीमा पर कुछ दूरी पर एक या अनेक बस्तियाँ होती हैं। समाज का एक वर्ग अपनी मर्जी या मजबूरी से मुख्य बस्ती से दूर रहता है। इसमें प्रायः प्रभावशाली लोग गाँव में तथा निम्न वर्ग के या सेवक जातियों के लोग बाहरी भागों में रहते हैं। भारत के गंगा के मैदान, गुजरात के मैदान में ऐसी बस्तियाँ व्यापक रूप से देखने को मिलती हैं।

3. पल्लीकृत/पुरवा ग्रामीण बस्तियाँ-इस प्रकार के अधिवास में समूचा गाँव का क्षेत्र छोटे-छोटे कई नगलों/पुरवों में बंटा होता है। इस बिखराव के बावजूद भी गाँव के सामुदायिक जीवन में परस्पर सहयोग रहता है। इन इकाइयों में एक से अधिक जातियों के लोग रहते हैं। ऐसे अधिवास सघन तथा प्रविकीर्ण अधिवासों के संक्रमण क्षेत्र में विशेष रूप से देखे जाते हैं। भारत में ऐसे अधिवास गंगा-घाघरा दोआब के पूर्वी भाग, मध्य तथा निम्न गंगा के मैदान, छत्तीसगढ़, हिमालय की निचली घाटियां तथा विंध्य उच्च भू-भाग में देखे जा सकते हैं।

4. प्रविकीर्ण ग्रामीण बस्तियाँ इस प्रकार के अधिवासों में आठ-दस लघु आकार के आवास गृह एक-दूसरे से दूर-दूर समूचे क्षेत्र में बिखरे होते हैं। इनके बीच-बीच में खेत, बाग-बगीचा अथवा गैर-आवासीय क्षेत्र होता है। भारत में ऐसे अधिवास सुदूर वनों अथवा छोटी पहाड़ियों पर एकांकी झोंपड़ी अथवा झोंपड़ियों के समूह के रूप में मिलते हैं। अधिवासों का यह प्रकार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केरल तथा मेघालय के अनेक क्षेत्रों में पाया जाता है।

प्रश्न 2.
ग्रामीण बस्तियों के प्रमख प्रतिरूपों का विस्तत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गांव में मकानों की स्थानिक व्यवस्था ही इसका प्रतिरूप निर्धारित करती है। बस्ती के प्रतिरूप निर्धारण में सड़कों तथा गली-तंत्र का महत्त्व बहुत अधिक है। इनके अतिरिक्त गांव के कुएँ, मंदिर, मस्जिद आदि भी किसी बस्ती के प्रतिरूप को प्रभावित करते हैं।

सामान्यतया भारत में बस्तियों के प्रमुख प्रतिरूप निम्नलिखित हैं-
1. रैखिक प्रतिरूप (Linear Pattern)-इस प्रकार की बस्तियों का विकास प्रायः सड़कों, रेलमार्गों तथा नदियों के किनारों के साथ-साथ पाया जाता है। इस प्रकार इन बस्तियों में मकान सड़कों और रेलवे लाइनों के दोनों ओर तथा सागर तटीय किनारों पर पाए जाते हैं। मणिपुर, मध्य प्रदेश के बालाघाट, मांडला तथा रायगढ़ जिलों में ऐसी बस्तियाँ नदी किनारों के साथ-साथ पाई जाती हैं। नागालैंड तथा छोटा नागपुर के पठार में भी ऐसी बस्तियाँ पाई जाती हैं।
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2. गोलाकार प्रतिरूप (Circular Pattern)-ऐसी बस्तियों का विकास झीलों तथा तालाबों के चारों ओर होता है। लोग झील तथा तालाब के रास्ते से एक-दूसरे के पास पहुंचते हैं। इस प्रकार के गांव गंगा-यमुना दोआब के ऊपरी भाग, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात आदि राज्यों में पाए जाते हैं।
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3. त्रिज्या अथवा अरीय प्रतिरूप (Radial Pattern) इन गांवों में कई दिशाओं से आकर मार्ग मिलते हैं या फिर इन गांवों से मार्ग चारों ओर बाहर जाते हैं। इन गांवों की गलियाँ भी गांव के केंद्रीय भाग पर आकर मिलती हैं। ऊपरी गंगा के मैदान तथा तमिलनाडु में इस प्रकार के गांव पाए जाते हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ 3

4. पंखा प्रतिरूप (Fan Pattern) यदि गांव के एक सिरे पर कोई आकर्षण बिंदु; जैसे कोई पूजा-स्थल, नदी या सड़क स्थित हो तो उसी दिशा में मकान बनने शुरू हो जाते हैं और बस्ती का आकार पंखानुमा हो जाता है। ऐसे गांव महानदी, गोदावरी, कृष्णा नदी आदि के डेल्टों में पाए जाते हैं।

5. सीढ़ीनुमा प्रतिरूप (Terrace Pattern)-ऐसे गांव पर्वतीय ढलानों पर पाए जाते हैं। इनमें मकानों की पंक्तियाँ सीढ़ीनुमा प्रतीत होती हैं। पर्वतीय भागों में खेत भी सीढ़ीनुमा होते हैं जो समोच्च रेखाओं का अनुसरण करते हैं। इस प्रकार के गांव हिमालय क्षेत्र की ढलानों पर पाए जाते हैं। पश्चिमी घाट की ढलानों पर | रेलवे भी इसी प्रकार के गांव हैं।

6. चौक-पट्टी प्रतिरूप (Checker Board Pattern) इस प्रकार के गांव दो सड़क – मार्गों के मिलन-स्थल पर विकसित होते हैं। इन गांवों की गलियाँ परस्पर लंबवत् व समानांतर होती हैं और आयताकार प्रतिरूप बनाती हैं। गंगा-यमुना के दोआब में ये बहुतायत में पाए जाते हैं। दक्षिणी भारत में तमिलनाडु, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश में भी ऐसे गाँव मिलते हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ 4

7. अनाकार प्रतिरूप (Amorphous Pattern) इन गांवों का कोई नियमित प्रतिरूप नहीं होता। भारत के अधिकांश गांव इसी श्रेणी में आते हैं। अधिकतर छोटा नागपुर के पठार तथा बिहार के चंपारन जिले तथा मध्य प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, उज्जैन तथा बीना और तमिलनाडु में इस प्रकार के गांव पाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
भारत के ग्रामीण घरों की आकृति तथा आकारिकी का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण घर एक कमरे की छोटी-सी झोपड़ी से लेकर कई कमरों का मकान हो सकता है। बड़े मकानों की आकारिकी में बड़ा-सा एक बढ़िया आंगन होता है तथा मुख्य द्वार आकर्षक होता है, जो दहलीज पर होता है। अतः किसी ग्रामीण घर के मुख्य स्थान आंगन, दहलीज तथा एक सुंदर मुख्य द्वार होता है। मकानों का वर्गीकरण विभिन्न आधारों पर किया गया है

  • भारत की जलवायु को ध्यान में रखते हुए भारत के हर क्षेत्र में मकानों में आंगन जरूर होते हैं।
  • एक ग्रामीण घर में कृषि उपज के भंडारण तथा पशुओं के रखने के स्थानों का विशेष प्रबंध होता है।
  • मकान की दीवारें तथा छत स्थानीय तौर पर उपलब्ध पदार्थों से बनाई जाती हैं।

लगभग सभी जगह भारत में ग्रामीण घर का महत्त्वपूर्ण लक्षण घर में आंगन का होना है। इस आंगन में अधिकांश काम किए जाते हैं। कमरे का प्रयोग या तो सर्दियों में सोने के लिए या धन आदि रखने के लिए किया जाता है। भारत के उत्तरी पहाड़ी प्रदेशों में मकान में आंगन के स्थान पर मुख्य मकान के विस्तार के रूप में आगे निकली हुई एक बरसाती बना दी जाती है। एकत्रण, संग्रहण तथा स्थानांतरी कृषि के क्षेत्रों में लोग एक कमरे की झोपड़ी में रहते हैं। इनकी छतें गोलाकार या शंक्वाकार होती हैं। इन्हीं झोपड़ियों में पशुओं को रखने, अनाज रखने तथा रसोई की व्यवस्था होती है।

भारत में उत्तरी मैदान में घरों की आकारिकी में बहुत अंतर पाया जाता है। इन घरों के चारों ओर से एक लंबा-चौड़ा आंगन मिट्टी की दीवारों या मकानों से घिरा होता है। कई जगह कई झोपड़ियों से घिरा हुआ एक सामान्य आंगन होता है। कई बार झोपड़ियाँ एक-दूसरे के आमने-सामने बनाई हुई होती हैं तथा उनके बीच में एक गली या सड़क होती है। केरल में मछुआरों के गांव के आंगन प्रायः एक छोर पर खुलते हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा में दो या तीन मंजिली मकान होते हैं। मकानों की छत से आंगन साफ दिखाई देते हैं।

कुछ परिवारों की झोपड़ियाँ एक-दूसरे के समकोण पर बनाई जाती हैं तथा एक घेरा बनाकर एक आयताकार आंगन बना लिया जाता है। ऐसे घर प्रायद्वीप के आंतरिक भागों में मिलते हैं। केरल, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, असम, त्रिपुरा तथा मणिपुर में दो झोपड़ियाँ आमने-सामने बनाकर तथा दोनों भुजाओं में घेरा डालकर आंगन बना लिया जाता है। दक्षिणी भारत के घरों की आकारिकी तथा उनके नियोजन में मंदिरों का प्रभाव पड़ा है तथा वहाँ मकानों में कई आंगन होते हैं।

प्रश्न 4.
विकास के आधार पर भारत के नगरों के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में नगरों के विकास को निम्नलिखित तीन प्रकारों में बाँटा गया है-
1. प्राचीन नगर-इस युग का अस्तित्व 2000 वर्षों से भी अधिक समय से है। इसमें लगभग 45 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले नगर पाए जाते थे। अधिकांश नगरों का विकास धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में हुआ था। वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज (इलाहाबाद), पाटलिपुत्र (पटना), मथुरा और मदुरै इस युग के कुछ प्राचीन महत्त्वपूर्ण नगर हैं।

2. मध्यकालीन नगर-मध्य युगीन भारत में अधिकांश नगरों का विकास राज्यों या रियासतों की राजधानियों के रूप में हुआ। लगभग 101 वर्तमान नगरों का विकास इस युग में हुआ। ये अधिकतर दुर्ग नगर हैं। दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, आगरा, लखनऊ और नागपुर इस युग के कुछ प्रसिद्ध नगर हैं।

3. आधुनिक नगर-अंग्रेज़ों और अन्य यूरोपवासियों ने भारत के नगरीय परिदृश्य को पूर्णतया बदल दिया। ये व्यापारिक इरादे से भारत आए और इन्होंने अनेक तटीय नगरों का विकास किया; जैसे सूरत, गोआ, दमन और पुदुचेरी इत्यादि । तत्पश्चात् अंग्रेजों ने देश के तीन महत्त्वपूर्ण नगरों मुंबई, चेन्नई और कोलकाता पर अपना प्रशासनिक अधिकार जमाया। उन्होंने इन नगरों का निर्माण अंग्रेजी वास्तुकला के अनुसार किया। इस दौरान उन्होंने अनेक प्रशासनिक नगरों, पर्यटन केंद्रों और पर्वतीय नगरों का विकास किया तथा पहले से विद्यमान नगरों के क्षेत्रों को और विस्तृत किया। सन् 1850 के बाद इन्होंने उद्योगों पर आधारित अनेक नगरों का विकास किया जिसमें जमशेदपुर उल्लेखनीय है।

स्वतंत्रता के पश्चात् अनेक प्रशासनिक नगरों और औद्योगिक केंद्रों का विकास हुआ। चंडीगढ़, भुवनेश्वर, गांधीनगर आदि प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में तथा दर्गापुर, भिलाई, सिंदरी, बरौनी आदि औद्योगिक नगरों के रूप में विकसित हुए।

प्रश्न 5.
भारत में कस्बों और नगरों के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऐतिहासिक दृष्टि से भारत के उत्तरी मैदान में सबसे अधिक कस्बे और नगर थे। पश्चिमी और पूर्वी तट के समुद्री पत्तनों की पृष्ठभूमि में भी अनेक कस्बे और नगर स्थित थे। मध्य भारत और दक्षिणी पठार की विस्तृत भूमि पर अपेक्षाकृत कम नगर थे जो दूर-दूर स्थित थे। प्राचीन भारत के ये कस्बे और नगर देश के आंतरिक भागों में मुख्यतः प्रशासनिक मुख्यालय व्यापारिक केंद्र या धार्मिक महत्त्व के स्थान थे।
1. पंजाब-हरियाणा-गंगा का ऊपरी मैदान-उत्तरी भारत के उपजाऊ मैदान के पश्चिमी भाग में विभिन्न आकार के कस्बों और नगरों की संख्या अधिक है। इस क्षेत्र में दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले महानगरों की एक श्रृंखला अमृतसर से वाराणसी तक फैली है।

2. कोलकाता-रांची पट्टी-दक्षिण-पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के उत्तरी भाग में खनिजों के विपुल भंडार हैं। इसलिए इस क्षेत्र को भारत का सार कहा जाता है। इस खनिज बाहुल क्षेत्र का प्रमुख केंद्र कोलकाता तथा इसकी पत्तन सेवाएँ हैं। आसनसोल, धनबाद और जमशेदपुर इस पट्टी के अन्य महत्त्वपूर्ण और प्रमुख नगर हैं।

3. मुंबई-गुजरात प्रदेश-इस क्षेत्र के चार प्रमुख महानगर; राजकोट, अहमदाबाद, बड़ोदरा और सूरत हैं। इस क्षेत्र के अधिकतर नगरों का विकास पेट्रोलियम पर आधारित उद्योगों के विकास से हुआ। एक अन्य नगरीय पेटी है जो मुंबई से पुणे तक फैली है तथा मुंबई-दिल्ली रेल मार्ग के साथ-साथ विस्तृत है।

4. केरल तट केरल के तट पर माहे से कन्याकुमारी तक नगरों की एक निरंतर पट्टी है जिसमें कोच्चि तथा तिरूवनंतपुरम महत्त्वपूर्ण नगर हैं।

5. तमिलनाडु-दक्षिण कर्नाटक पट्टी-इस पेटी में चेन्नई और बंगलौर दो औद्योगिक महानगर हैं। इनके अतिरिक्त कोयंबटूर, तिरूचिरापल्ली, मदुरई, सेलम और पांडिचेरी अन्य प्रमुख औद्योगिक नगर हैं।

6. ऊपरी कृष्णा द्रोणी-महाराष्ट्र में सतारा से लेकर कर्नाटक के शिमोगा तथा पश्चिमी घाट के समानांतर कस्बों और नगरों की एक अविछिन्न पेटी है। जल विद्युत विकास और खनिज भंडारों ने यहाँ औद्योगीकरण और नगरीकरण में बहुत सहायता की है।

7. कष्णानगोदावरी डेल्टा पर्वी तट पर कष्णा-गोदावरी देल्टा तशा नमकी निम्न तट पर कृष्णा-गोदावरी डेल्टा तथा उसकी निम्न भूमियों में कस्बों और नगरों की एक विस्तृत पेटी है। यह विजयवाड़ा, वारंगल और हैदराबाद तक विस्तृत है। इसका विस्तार आंध्र प्रदेश के तटीय मैदान में विशाखापत्तनम तक है।

प्रश्न 6.
प्रकार्यों के आधार पर नगरों का वर्गीकरण कीजिए। अथवा नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण का वर्णन करें।
उत्तर:
नगरों का वर्गीकरण उनके आकार के अतिरिक्त उनके कार्यों के आधार पर भी किया जाता है। कुछ कस्बों और नगरों ने कुछ निश्चित प्रकार्यों में विशिष्टता ग्रहण कर ली है और ये नगर अपनी विशिष्ट सेवाओं के लिए अलग से जाने जाते हैं। यद्यपि प्रत्येक नगर अनेक प्रकार के कार्य करता है परंतु प्रमुख या विशिष्ट कार्यों के आधार पर नगरों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है
1. प्रशासनिक नगर-इस प्रकार के नगर प्रशासनिक कार्यों के लिए विकसित होते हैं। देश की राजधानी तथा राज्यों की राजधानियाँ इन नगरों के अन्तर्गत आती हैं। चंडीगढ़, दिल्ली, शिमला, भोपाल तथा शिलांग आदि ऐसे नगरों के उदाहरण हैं।

2. औद्योगिक नगर-अनेक प्रकार के उद्योगों की अवस्थिति ही ऐसे नगरों की प्रेरक शक्ति होती है; जैसे मुंबई, कोयंबटूर, भिलाई, हुगली, जमशेदपुर, सेलम तथा फरीदाबाद इत्यादि।

3. परिवहन नगर-ये नगर मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों के कार्यों में सक्रिय रहते हैं; जैसे, कोच्चि, विशाखापत्तनम तथा कालीकट इत्यादि। कुछ नगर आंतरिक परिवहन के केंद्र भी होते हैं; जैसे आगरा, इटारसी तथा कटनी आदि।

4. व्यापारिक नगर-व्यापार में विशिष्टता प्राप्त करने वाले नगरों और कस्बों को इस वर्ग में सम्मिलित किया जाता है, जैसे कोलकाता, मुंबई, सहारनपुर, सतना इत्यादि।

5. खनन नगर-खनन कार्यों में विशिष्टता प्राप्त नगर हैं रानीगंज, झरिया, अंकलेश्वर, डिगबोई तथा सिंगरौली आदि।

6. छावनी नगर-सुरक्षा की दृष्टि से विकसित नगर छावनी नगर कहलाते हैं; जैसे अंबाला, जालंधर, मेरठ आदि।

7. शैक्षिक नगर इस वर्ग के नगरों में शैक्षिक कार्यों की विशिष्टता होती है; जैसे रुड़की, पिलानी, कुरुक्षेत्र, अलीगढ़ तथा वाराणसी आदि।

8. धार्मिक और सांस्कृतिक नगर-ऐसे नगरों में धार्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियों की प्रधानता रहती है; जैसे वाराणसी, मथुरा, अमृतसर, हरिद्वार तथा तिरूपति आदि।

9. पर्यटन नगर-ये नगर अपने मनोरम दृश्यों, प्राकृतिक सौंदर्य और स्वास्थ्यवर्धक जलवायु के लिए जाने जाते हैं; जैसे शिमला, नैनीताल, मसूरी, ऊटी, मांउट आबू इत्यादि।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 7.
‘नगर’ की परिभाषा दीजिए। पिछले चार दशकों में बड़े शहरों की जनसंख्या में वृद्धि की समीक्षा कीजिए।
अथवा
वर्तमान सदी में भारत में नगरीकरण की प्रवृत्तियों की विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिए।
अथवा
नगर क्या है? भारत में नगरीकरण की प्रवृत्तियों का उल्लेख करें।
उत्तर:
रेटजल ने नगर को एक लगातार घना, लोगों एवं मकानों का ऐसा जमघट कहा है, जिसके अंदर वृहद् व्यापारिक मार्गों का संगम हो, लोगों का जीवन वाणिज्य एवं उद्योग पर आधारित होता है। वॉन रिचथोपेफन के अनुसार, “नगर के अंदर एक ऐसा सुव्यवस्थित वर्ग निहित है, जहां का मुख्य धंधा वाणिज्य और उद्योग से संबंधित होता है और ये धंधे कृषि कार्यों से सर्वथा भिन्न होते हैं।”

भारत के जनगणना विभाग ने नगर की निम्नलिखित विशेषताएं बताई हैं-

  • वे सभी स्थान जहां नगरपालिका, महापालिका, छावनी या नोटीफाइड क्षेत्रीय समिति स्थापित हो।
  • जनसंख्या कम-से-कम 5000 हो।
  • कार्यशील जनसंख्या का कम से कम 75% भाग अकृषि कार्यों में संलग्न हो।
  • जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम न हो।

नगरीकरण की प्रवृत्तियाँ (Trends of Urbanisation) – बढ़ता हुआ नगरीकरण आर्थिक स्थिति का द्योतक माना जाता है। स्वतंत्रता से पूर्व भारत में नगरीकरण की गति बहुत धीमी थी। जैसे-जैसे देश में आर्थिक विकास हुआ वैसे-वैसे देश में नगरों की संख्या तथा नगरीयं जनसंख्या में बढ़ोत्तरी होती गई। विश्व के अन्य देशों की तरह भारत में भी नगरीकरण तेजी से हो रहा है। जनसंख्या में भारी वृद्धि के साथ-साथ भारत में नगरीय जनसंख्या में भी वृद्धि हुई। नगरीय जनसंख्या का कुल जनसंख्या में प्रतिशत उतनी तेजी से नहीं बढ़ा, जितना कि उसकी कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है।

सन् 1901 में भारत के कुल नगरों की संख्या 1827 तथा नगरीय जनसंख्या 2.59 करोड़ थी जो कुल जनसंख्या का 10.84% थी जो बढ़कर 2011 में क्रमशः 7935 तथा 37.71 करोड़ हो गई जो कुल जनसंख्या का 31.2% है अर्थात् पिछले 110 वर्षों में नगरों की संख्या में चार से साढे चार गुणा तथा नगरीय जनसंख्या में लगभग 14 से 15 गुणा वृद्धि हुई। भारत में नगरीकरण का यह स्तर विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है क्योंकि विश्व की कुल 45% जनसंख्या नगरों में रहती है। नगरीय जनसंख्या की प्रवृत्ति को अग्रलिखित तालिका में दर्शाया गया है
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 4 मानव बस्तियाँ 5
इस तालिका के अनुसार, हम नगरीकरण के विकास को निम्नलिखित तीन युगों में बाँट सकते हैं-
1. नगरीकरण की मंद वृद्धि का युग (Era of Low Growth of Urbanisation)- सन् 1901 से 1921 के बीच भारत की कुल जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या में कोई खास परिवर्तन नहीं आया। नगरीकरण के विकास की दर काफी धीमी थी। इस दौरान भयंकर बीमारी; जैसे प्लेग, इन्फ्लूएंजा आदि के फैलने से नगरीकरण में काफी कमी आई। नगरीय जनसंख्या 2.5 करोड़ से बढ़कर 2.7 करोड़ ही हो पाई। नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत भी बहुत कम बढ़ा। अतः भारत की कुल जनसंख्या तथा नगरीय जनसंख्या दोनों ही इस काल में मंद गति से बढ़ी।

2. नगरीकरण की मध्यम वृद्धि का युग (Era of Medium Growth of Urbanisation)- सन् 1921 के बाद यद्यपि प्राकृतिक विपदाओं के प्रभाव से देश मुक्त रहा, लेकिन फिर भी नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 17.62 ही रहा। इसमें केवल 2/2 गुना वृद्धि हुई। इस समय मध्यम वृद्धि का कारण राजनीतिक अस्थिरता तथा धीमा आर्थिक विकास रहा है। सन् 1921 में नगरीय जनसंख्या 3.2 करोड़ थी जो सन् 1951 में 6.1 करोड़ हो गई।

3. नगरीकरण की तीव्र वृद्धि का युग (Era of Speed Growth of Urbanisation)- इस युग में नगरीय जनसंख्या में काफी वृद्धि हुई। इन बीस वर्षों में वृद्धि पिछले 60 वर्षों से भी अधिक थी। भारत की कुल जनसंख्या सन् 1991 में सन् 1951 की तुलना में ढाई गुना हो गई, जबकि नगरीय जनसंख्या तीन गुना हुई। सन् 1961 में नगरों की जनसंख्या 7.89 करोड़ से बढ़कर सन् 2011 में 37 करोड़ 71 लाख हो गई। भारत के नगरों की जनसंख्या विश्व के नगरों की जनसंख्या से अभी कम है। भारत में नगरीकरण प्रारंभिक अवस्था में है। इस युग में नगरीकरण वृद्धि के कारण हैं-

  • देश में भारी मात्रा में औद्योगिक विकास हुआ।
  • नए-नए व्यवस्थित नगरों का निर्माण हो गया।
  • नगरों में सुख-सुविधाएं गांवों की तुलना में अधिक हैं।
  • नगरों के आकार में भारी वृद्धि हो गई है।
  • अनेक ग्रामीण क्षेत्र नगरों में परिवर्तित हो गए हैं।
  • नगरों में रोजगार के अधिक अवसर हैं।
  • सुरक्षा की दृष्टि से नगर उपयुक्त हैं, क्योंकि यहां पुलिस की विशेष व्यवस्था रहती है।

भारत की आधी से अधिक नगरीय जनसंख्या महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल तथा आंध्र प्रदेश में निवास करती है। सबसे अधिक नगरीकरण चण्डीगढ़ (97.25%), दिल्ली (97.50%), पुडुचेरी (68.31%), लक्षद्वीप (78.08%) में हुआ। केरल में नगरीकरण की प्रवृत्ति अन्य राज्यों की तुलना में अधिक पाई गई है। बिहार, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम व राजस्थान में नगरीकरण की प्रवृत्ति कम देखी गई है। सिक्किम में पांच राज्यों के पुनर्गठन के कारण नगरीय जनसंख्या 1,51,726 हो गई है। सन् 1981-91 की अवधि में सिक्किम की नगरीय जनसंख्या में 27.67% ह्रास हुआ। बड़े राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि में अधिक नगरीकरण हुआ।

भारत के विभिन्न राज्यों में नगरीय जनसंख्या का वितरण बहुत ही असमान है। पंजाब, हरियाणा, मिजोरम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गोआ, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु राज्यों में नगरीकरण का स्तर भारतीय औसत से अधिक है। इसके विपरीत अन्य उत्तर पूर्वी राज्य, बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश आदि में यह स्तर भारतीय औसत से कम है। दादर एवं नगर हवेली को छोड़कर शेष सभी केंद्रशासित प्रदेशों में नगरीय जनसंख्या भारतीय औसत से अधिक है।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. भारत में सबसे अधिक वर्षा होती है?
(A) अम्बाला में
(B) मॉसिनराम में
(C) कोलकाता में
(D) इलाहाबाद में
उत्तर:
(B) मॉसिनराम में

2. भारत में सिंचाई का सबसे बड़ा स्रोत है-
(A) तालाब
(B) नहरें
(C) भूमिगत जल
(D) जलाशय
उत्तर:
(B) नहरें

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

3. प्रायद्वीपीय पठारी भाग में सिंचाई का महत्त्वपूर्ण स्रोत है-
(A) नहरें
(B) तालाब
(C) कुएँ
(D) नलकूप
उत्तर:
(B) तालाब

4. नीरू-मीरू (जल और आप) कार्यक्रम का संबंध किस राज्य से है?
(A) आंध्र प्रदेश से
(B) पंजाब से
(C) उत्तर प्रदेश से
(D) पश्चिमी बंगाल से
उत्तर:
(A) आंध्र प्रदेश से

5. भारत में भौम जल संसाधनों की कुल संभावित क्षमता कौन-से राज्य में सबसे अधिक है?’
(A) हिमाचल प्रदेश में
(B) पंजाब में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) पश्चिमी बंगाल में
उत्तर:
(B) पंजाब में

6. सुखोमाजरी जल संभर विकास मॉडल किस राज्य में स्थित है?
(A) हरियाणा में
(B) पंजाब में
(C) हिमाचल प्रदेश में
(D) उत्तर प्रदेश में
उत्तर:
(A) हरियाणा में

7. देश में सबसे कम शुद्ध सिंचित क्षेत्र किस राज्य में है?
(A) उत्तर प्रदेश में
(B) हरियाणा में
(C) पंजाब में
(D) मिज़ोरम में
उत्तर:
(D) मिज़ोरम में

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

8. भारत में सबसे अधिक शुद्ध सिंचित क्षेत्र किस राज्य में है?
(A) पंजाब में
(B) हरियाणा में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) मिज़ोरम में
उत्तर:
(A) पंजाब में

9. निम्नलिखित में से किस राज्य में भौम जल का उपयोग बहुत अधिक होता है?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) तमिलनाडु
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

10. भारत में कौन-सी नदी के जल की उपयोग योग्य क्षमता अधिक है?
(A) गंगा
(B) कावेरी
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) कृष्णा
उत्तर:
(A) गंगा

11. आधुनिक जल संभर योजना कब प्रारंभ हुई?
(A) 1985-86 में
(B) 1988-89 में
(C) 1990-91 में
(D) 1995-96 में
उत्तर:
(A) 1985-86 में

12. राष्ट्रीय जल नीति कब लागू की गई?
(A) सन् 1999 में
(B) सन् 2000 में
(C) सन् 2001 में
(D) सन् 2002 में
उत्तर:
(D) सन् 2002 में

13. पृथ्वी का कितना प्रतिशत भाग धरातलीय पानी से आच्छादित है?
(A) लगभग 60%
(B) लगभग 65%
(C) लगभग 71%
(D) लगभग 90%
उत्तर:
(C) लगभग 71%

14. धरातलीय जल संसाधन के स्रोत हैं-
(A) नदियाँ
(B) झीलें
(C) तालाब
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

15. भारत में जल अधिनियम कब बना था?
(A) सन् 1972 में
(B) सन् 1974 में
(C) सन् 1976 में
(D) सन् 1980 में
उत्तर:
(B) सन् 1974 में

16. भारत में किन नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े हैं?
(A) गंगा-सिन्धु-ब्रह्मपुत्र
(B) नर्मदा-ताप्ती-कृष्णा
(C) व्यास-चिनाब-यमुना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) गंगा-सिन्धु-ब्रह्मपुत्र

17. भारत में विश्व जल संसाधन का कितने प्रतिशत भाग पाया जाता है?
(A) 10%
(B) 5%
(C) 8%
(D) 4%
उत्तर:
(D) 4%

18. घरेलू क्षेत्र में किस प्रकार का जल अधिक उपयोग किया जाता है?
(A) भौम जल
(B) खारा जल
(C) धरातलीय जल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) धरातलीय जल

19. जल प्रदूषण के निवारण का उपाय है
(A) जन जागरुकता
(B) प्रदूषण निवारण के नियमों का पालन
(C) औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषकों पर नियंत्रण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

20. केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है-
(A) हरियाली
(B) विवेक
(C) बागवानी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) हरियाली

21. निम्नलिखित में से कौन-सा सुमेल सही नहीं है?
(A) अहमदाबाद-साबरमती
(B) यमुनानगर-गंगा
(C) लखनऊ-गोमती
(D) हैदराबाद-मूसी
उत्तर:
(B) यमुनानगर-गंगा

22. निम्नलिखित में से किस स्थान पर गंगा नदी नहीं बहती?
(A) कानपुर
(B) दिल्ली
(C) वाराणसी
(D) पटना
उत्तर:
(B) दिल्ली

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23. किन राज्यों में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्लुओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया है?
(A) केरल व कर्नाटक में
(B) हिमाचल व पंजाब में
(C) राजस्थान व महाराष्ट्र में
(D) असम व मणिपुर में
उत्तर:
(C) राजस्थान व महाराष्ट्र में

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत के किस भाग में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्रफल अधिकतम है?
उत्तर:
उत्तरी भारत में।

प्रश्न 2.
भारत के किस भाग में तालाबों द्वारा सिंचित क्षेत्रफल अधिकतम है?
उत्तर:
दक्षिणी भारत में।

प्रश्न 3.
किन नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है?
उत्तर:
गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियों के।

प्रश्न 4.
उत्तर भारत की किन्हीं दो नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. गंगा
  2. यमुना।

प्रश्न 5.
दक्षिण भारत की किन्हीं दो नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. नर्मदा
  2. कावेरी।

प्रश्न 6.
दक्षिण भारत की किन नदियों में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है?
उत्तर:
कावेरी, कृष्णा और गोदावरी नदियों में।

प्रश्न 7.
किस राज्य में भौम जल का उपयोग सबसे अधिक है? तीन उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. हरियाणा
  2. पंजाब
  3. तमिलनाडु

प्रश्न 8.
किस राज्य में भौम जल का उपयोग सबसे कम है? तीन उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. छत्तीसगढ़
  2. ओडिशा
  3. केरल।

प्रश्न 9.
लैगूनों और झीलों में सामान्यतः किस प्रकार का जल है?
उत्तर:
खारा जल।

प्रश्न 10.
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निवल (शुद्ध) बोए गए क्षेत्र का कितना प्रतिशत भाग सिंचाई के अंतर्गत है?
उत्तर:
लगभग 85 प्रतिशत।

प्रश्न 11.
हरियाणा में कुओं और नलकूपों द्वारा कुल शुद्ध सिंचित क्षेत्र कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
लगभग 51.3 प्रतिशत।

प्रश्न 12.
भारत के किस राज्य में कुओं और नलकूपों द्वारा कुल शुद्ध सिंचित क्षेत्र सबसे अधिक है?
उत्तर:
गुजरात में।

प्रश्न 13.
भारत में जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में कमी का कोई एक कारण बताइए।
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 14.
नीरू-मीरू (जल व आप) कार्यक्रम का संबंध किस राज्य से है?
उत्तर:
आंध्र प्रदेश से।

प्रश्न 15.
‘अखारी पानी संसद’ का संबंध किस राज्य से है?
उत्तर:
राजस्थान (अलवर) से।

प्रश्न 16.
भौम जल का सर्वाधिक उपयोग किसमें किया जाता है?
उत्तर:
सिंचाई कार्य में।

प्रश्न 17.
वर्षा का जल बहकर नदियों, झीलों और तालाबों में चला जाता है, तो उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
पृष्ठीय जल।

प्रश्न 18.
पृष्ठीय जल का मूल स्रोत क्या है?
उत्तर:
वर्षा।

प्रश्न 19.
वर्षा से प्राप्त जल कैसा होता है?
उत्तर:
अलवणीय जल।

प्रश्न 20.
गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में कितना प्रतिशत कुल पुनः पूर्ति योग्य भौम जल संसाधन पाया जाता है?
उत्तर:
लगभग 46 प्रतिशत।

प्रश्न 21.
C.P.C.B. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
Central Pollution Control Board (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड)।

प्रश्न 22.
भारत की कोई दो सबसे अधिक प्रदूषित नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. यमुना
  2. साबरमती।

प्रश्न 23.
अहमदाबाद का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
साबरमती नदी में।

प्रश्न 24.
दिल्ली का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
यमुना नदी में।

प्रश्न 25.
हीराकुड बाँध किस नदी पर स्थित है?
उत्तर:
महानदी।

प्रश्न 26.
कानपुर औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
गंगा नदी में।

प्रश्न 27.
लखनऊ का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
गोमती नदी में।

प्रश्न 28.
राष्ट्रीय जल नीति कब लागू की गई?
उत्तर:
सन् 2002 में।

प्रश्न 29.
भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का कितने प्रतिशत जल पाया जाता है?
उत्तर:
लगभग 2.45%

प्रश्न 30.
भारत में विश्व के जल संसाधनों का कितने प्रतिशत जल पाया जाता है?
उत्तर:
लगभग 4%

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 31.
ओडिशा में किस बाँध और डेल्टा से नहरें निकालकर सिंचाई का काम लिया जाता है?
उत्तर:
ओडिशा में हीराकुड बाँध और महानदी डेल्टा से नहरें निकालकर सिंचाई का काम लिया जाता है।

प्रश्न 32.
भारत की प्रमुख किन्हीं चार नदियों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. गंगा
  2. यमुना
  3. गोदावरी
  4. कृष्णा।

प्रश्न 33.
भारत में कौन-सी नदी के जल की उपयोग योग्य क्षमता सबसे अधिक है?
उत्तर:
गंगा।

प्रश्न 34.
सुखोमाजरी जल-संभर विकास मॉडल किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
हरियाणा में।

प्रश्न 35.
देश में सबसे कम शुद्ध सिंचित क्षेत्र वाला राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
मिज़ोरम।

प्रश्न 36.
भारत में सबसे अधिक शुद्ध सिंचित क्षेत्र वाला राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
पंजाब।

प्रश्न 37.
जल किस प्रकार का संसाधन है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधन।

प्रश्न 38.
आधुनिक सिंचाई का आरंभ कब से माना जाता है?
उत्तर:
सन् 1831 से।

प्रश्न 39.
‘हरियाली’ क्या है?
उत्तर:
‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है।

प्रश्न 40.
धरातलीय एवं भौम जल का सबसे अधिक उपयोग किस में होता है?
उत्तर:
कृषि में।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
धरातलीय जल के प्रमुख स्रोत कौन-से हैं?
अथवा
धरातलीय जल कहाँ-कहाँ से प्राप्त होता है?
उत्तर:
धरातलीय जल के प्रमुख स्रोत हैं-

  1. झीलें
  2. तालाब
  3. नदियाँ
  4. अन्य जलाशय आदि।

प्रश्न 2.
भारत में सिंचाई की अनिवार्यता के कोई तीन कारण बताइए।
उत्तर:

  1. वर्षा की अनिश्चित मात्रा
  2. वर्षा का अनियमित आगमन
  3. वर्षा ऋतु की अल्प अवधि

प्रश्न 3.
उत्तरी भारत में नहरों से सिंचाई अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
उत्तरी भारत की नरम व मुलायम मिट्टी, समतल मैदान के कारण उत्तरी भारत में नदियों से सिंचाई अधिक होती है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय जल नीति के दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:

  1. जल के अपव्यय को कम करना।
  2. जल संसाधन प्रबंधन व संरक्षण सुनिश्चित करना।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 5.
जल संभर प्रबंधन के अधीन चलाए गए कोई तीन कार्यक्रम बताइए।
उत्तर:

  1. हरियाली
  2. नीरू-मीरू
  3. अरकरी पानी संसद।

प्रश्न 6.
मृदा की गुणवत्ता के घटने के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:

  1. अत्यधिक फसलों को उगाना अर्थात् एक ही वर्ष में एक ही खेत में बार-बार फसलें उगाना।
  2. पशु चराई।

प्रश्न 7.
जल गुणवत्ता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता या अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल इन बाहरी पदार्थों से प्रदूषित होता है और मानव के उपयोग योग्य नहीं रहता। जब विषैले पदार्थ झीलों, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं तो जल प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तंत्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुँचकर भौम-जल को प्रदूषित करते हैं।

प्रश्न 8.
सिंचाई (Irrigation) किसे कहते हैं?
उत्तर:
वर्षा के अभाव में शुष्क खेतों या क्षेत्रों तक कृत्रिम रूप से पानी पहुँचाने को सिंचाई कहते हैं।

प्रश्न 9.
जल संभर या जल विभाजक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह उत्थित सीमा जो विभिन्न अपवाह तंत्रों में बहने वाली सरिताओं के शीर्ष भागों को अलग करती है, जल विभाजक कहलाती है।

प्रश्न 10.
भूमिगत जल किसे कहते हैं? अथवा भौम जल क्या है?
उत्तर:
जब वर्षा का जल भूमि द्वारा सोख लिया जाता है अर्थात् मिट्टी में प्रवेश कर भूमिगत से जाता है उसे भूमिगत या भौम जल कहते हैं।

प्रश्न 11.
पृष्ठीय जल के कोई दो उपयोग बताएँ।
उत्तर:

  1. पृष्ठीय जल पीने और खाना बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  2. कृषि एवं उद्योगों के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 12.
जल संभर प्रबंधन का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
जल संभर प्रबंधन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है।

प्रश्न 13.
वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. यह पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है
  2. यह भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है व भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है
  3. यह मृदा अपरदन को रोकता है।

प्रश्न 14.
जल संभर प्रबंधन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जल संभर प्रबंधन से अभिप्राय धरातलीय और भौम-जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। विस्तृत अर्थ में जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधन और जल संभर सहित मानवीय संसाधनों के संरक्षण, पुनःउत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग को शामिल किया जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जल संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जल संसाधनों का संरक्षण निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है-

  1. जल की कमी, विशेष रूप से प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घट रही है।
  2. स्थानिक और ऋतुवत असमानता, कुछ प्रदेशों में जल का बाहुल्य है तथा कुछ में कमी है। इसलिए कमी वाले क्षेत्रों में जल संरक्षण नितांत आवश्यक हो जाता है।
  3. जल की बढ़ती मांग और तेजी से फैलते प्रदूषण के कारण जल संसाधन का संरक्षण आवश्यक हो गया है।

प्रश्न 2.
वर्षा जल संग्रहण की विधियों या तकनीकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण वास्तव में जल भंडारों के पुनर्भरण को पर्यावरण अनुकूल (Eco-friendly) बनाने की तकनीक है। इस तकनीक में वर्षा जल को एकत्र करके भूमि जल भण्डारों में संग्रहित करना शामिल है, जिससे स्थानीय घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। इसकी मुख्य तकनीकें अग्रलिखित हैं

  • छत के वर्षा जल का संग्रहण।
  • बंद व बेकार पड़े कुओं का पुनर्भरण।
  • खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण।
  • रिसाव गड्ढों का निर्माण।
  • खेतों के चारों ओर खाइयाँ बनाना।
  • पुनर्भरण शाफ्ट द्वारा जल संग्रहण।
  • बोर कुएँ सहित क्षैतिज शाफ्ट द्वारा जल संग्रहण।

प्रश्न 3.
उत्तर भारत और दक्षिण भारत की नदियों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत की नदियों में निम्नलिखित अंतर हैं-

उत्तर भारत की नदियाँदक्षिण भारत की नदियाँ
1. ये नदियाँ अधिक लंबी व बड़े बेसिन वाली हैं।1. ये नदियाँ कम लंबी व छोटे बेसिन वाली हैं।
2. ये नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं।2. ये नदियाँ वर्षा पर निर्भर करती हैं। –
3. इन नदियों में सारा वर्ष जल बहता है।3. ये नदियाँ ग्रीष्म ऋतु में सूख जाती हैं।
4. ये नदियाँ गहरे गॉर्ज बनाती हैं।4. ये नदियाँ चौड़ी व उथली घाटियों का निर्माण करती हैं।
5. ये नदियाँ विसर्प बनाती हैं।5. ये नदियाँ सीधा मार्ग अपनाती हैं।
6. ये नदियाँ जहाजरानी तथा सिंचाई के लिए उचित हैं।6. ये नदियाँ जहाजरानी तथा सिंचाई के लिए उचित नहीं हैं।
7. ये नदियाँ अपने विकास की बाल्यावस्था में हैं।7. ये नदियाँ प्रौढ़ अवस्था में हैं।
8. ये नदियाँ पूर्ववर्ती हैं।8. ये नदियाँ अनुवर्ती हैं।

प्रश्न 4.
जल संरक्षण के प्रमुख उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
जल संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-

  1. नदियों पर बाँध निर्माण द्वारा-नदियों पर बाँधों का निर्माण करके जल संरक्षण की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
  2. प्रदूषित जल का पुनःचक्रण-प्रदूषित जल को आधुनिक तकनीकों द्वारा साफ करके पीने योग्य बनाया जा सकता है। पुनःचक्र और पुनःउपयोग के द्वारा अलवणीय जल की उपलब्धता को सुधारा जा सकता है।
  3. सिंचाई की आधुनिक पद्धतियाँ-सिंचाई की नई पद्धतियाँ; जैसे फव्वारा विधि को अपनाकर मृदा के उपजाऊपन को बचाया जा सकता है और खरपतवार पैदा नहीं होते।

प्रश्न 5.
प्रायद्वीपीय भारत की अपेक्षा विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि भारत के विशाल मैदानों का धरातल समतल है तथा यहाँ की अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं जिसके कारण इनमें पानी की कमी नहीं रहती। यहाँ की मिट्टी कोमल तथा मुलायम है जिस पर नहरें आसानी से खोदी जा सकती हैं। मंद ढाल होने के कारण पानी दूर तक पहुँचाया जा सकता है। इन्हीं कारणों से विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित पाई जाती है, जबकि धरातलीय बाधाओं के कारण प्रायद्वीपीय भारत में सिंचाई अधिक विकसित नहीं हो सकी।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 6.
उत्तर भारत के मैदान में नहरों का विस्तृत जाल है। वर्णन करें।
उत्तर:
उत्तरी भारत में अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं, जिनमें सारा साल जल प्रवाहित होता रहता है। भारत की कुल सिंचित भूमि का लगभग 39 प्रतिशत क्षेत्र नहरों द्वारा सिंचित किया जाता है। ज्यादातर नहरें उत्तर:पश्चिमी भारत जल संसाधन के मैदानी भागों में हैं। शीतकाल में हिमीकरण के कारण जल की मात्रा कुछ कम अवश्य हो जाती है, परंतु बांध से एकत्रित जल के द्वारा इस कमी को पूरा किया जाता है।

अतः उत्तर:पश्चिमी भारत के मैदानी भागों में जल के वितरण को नहरों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। यहाँ की मिट्टी कोमल एवं मुलायम होने के कारण नहरें आसानी से खोदी जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर, निचली गंगा नहर, शारदा नहर, पूर्वी यमुना नहर तथा आगरा नहर के द्वारा सिंचाई की जाती है। पंजाब में सरहिंद नहर, भाखड़ा नहर, बीकानेर नहर, ब्यास नहर तथा हरियाणा में यमुना नहर, जुई नहर, गुड़गांव नहर प्रमुख हैं। बिहार, पश्चिमी बंगाल तथा राजस्थान में भी नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। इनमें सोन नहर, कोसी बांध, त्रिवेणी नहर, राजस्थान नहर, चंबल नहर, दामोदर नहर आदि प्रमुख सिंचाई के साधन हैं।

प्रश्न 7.
जल के मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर:
जल के मख्य उपयोग निम्नलिखित हैं-

  1. जल सिंचाई के लिए आवश्यक है।
  2. जल विद्युत उत्पादन में काम आता है।
  3. औद्योगिक इकाइयों में पर्याप्त जल की आपूर्ति पहली आवश्यकता है।
  4. परिवहन, सफाई तथा मनोरंजन के लिए भी जल का उपयोग होता है।
  5. जल जीवन का आधार है। यह जीव-जंतु तथा पेड़-पौधों के लिए अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 8.
कुओं व नलकूपों द्वारा होने वाली सिंचाई के लाभ बताएँ।
उत्तर:
कुओं तथा नलकूपों द्वारा होने वाली सिंचाई के लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. कुओं तथा नलकूपों के निर्माण में व्यय बहुत कम आता है।
  2. इनके पानी से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।
  3. पानी का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है।
  4. कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है।
  5. वर्ष में दो या इससे अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं।
  6. इनको खोदने से भूमि बहुत कम बेकार होती है।
  7. क्षार फूटने की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

प्रश्न 9.
तालाबों द्वारा सिंचाई करने के लाभ बताएँ। अथवा प्रायद्वीपीय भारत में तालाबी सिंचाई क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
तालाबों द्वारा सिंचाई करने के लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. प्राकृतिक तालाब सिंचाई के सस्ते और सरल साधन हैं।
  2. कठोर चट्टानी इलाकों के होने के कारण तालाब शीघ्र नष्ट नहीं होते।
  3. रुके हुए पानी में गंदगी का सम्मिश्रण होता है, जिसकी सिंचाई से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ती है।
  4. तालाबों में मछलियाँ होती हैं जो खाद्य समस्या को कम करती हैं।
  5. इनमें पानी का उपयुक्त उपयोग होता है।

प्रश्न 10.
पृष्ठीय जल और भौम जल में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
पृष्ठीय जल और भौम जल में निम्नलिखित अंतर हैं-

पृष्ठीय जलभौम जल
1. ताल-तलैयों, नदियों, झीलों, सरिताओं और जलाशयों में पाए जाने वाले जल को पृष्ठीय जल कहा जाता है।1. वर्षा से प्राप्त जल का जो भाग रिसकर भूमि द्वारा सोख लिया जाता है, उसे भौम जल कहते हैं।
2. भारत में पृष्ठीय जल की अनुमानित मात्रा 1869 अरब घन मीटर है।2. भारत में भौम जल की अनुमानित मात्रा 433.8 अरब घन मीटर है।
3. देश के संपूर्ण पृष्ठीय जल का 60 प्रतिशत भाग सिंधु-गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों से होकर बहता है।3. देश का अधिकांश भौम जल उत्तरी विशाल मैदान में पाया जाता है।

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय जल नीति-2002 की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय जल नीति-2002 की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. सिंचाई तथा बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने का जल घटक में शामिल करना चाहिए जहाँ पेय-जल के स्रोत का कोई भी विकल्प नहीं है।
  2. सभी मनुष्य जाति और प्राणियों को पेय-जल प्रदान करना प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।
  3. भौम जल के शोषण को नियमित और सीमित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
  4. जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक चरणाबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
  5. जल के विविध प्रयोगों की कार्यक्षमता में सुधार करना चाहिए।
  6. उपक्रमणों, प्रेरकों तथा अनुक्रमणों, शिक्षा विनिमय द्वारा सरंक्षण चेतना बढ़ानी चाहिए।

प्रश्न 12.
जल संभर प्रबंधन के कोई चार उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
जल संभर प्रबंधन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. वर्षा निर्भर और संसाधनों की कमी वाले क्षेत्रों में कृषि की उत्पादकता में वृद्धि करना।
  2. भू-जल के स्तर को ऊँचा उठाकर जल की लवणता को नियंत्रित करना।
  3. पर्यावरण और जल संसाधन के ह्रास को नियंत्रित करना।
  4. मृदा अपरदन और प्रकृति प्रकोप; जैसे बाढ़ को कम करना।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में सिंचाई क्यों आवश्यक है?
अथवा
भारत में कृषि के लिए सिंचाई की आवश्यकता क्यों है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में कृषि के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ सभी जगहों पर एक-समान नहीं हैं। इसलिए कृषि को विकसित करने के लिए सिंचाई का विकास बहुत जरूरी है। भारत में सिंचाई के निम्नलिखित कारण हैं
1. मानसून वर्षा की अनिश्चितता-भारत में वर्षा अनिश्चित होती है। भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है। मानसून वर्षा यदि ठीक समय पर हो जाती है तो कृषि अच्छी होती है और यदि मानसून ठीक समय पर नहीं आता तो कृषि व्यवस्था बिगड़ जाती है। मानसून की अनिश्चितता का ज्यादा प्रभाव पड़ता है। हरियाणा और राजस्थान में 70 प्रतिशत कृषि मानसून पर आधारित है। इन राज्यों में मानसून की अनिश्चितता से सूखे की स्थिति आ जाती है।

2. वर्षा की अनियमितता भारत में वर्षा निश्चित मात्रा में कभी नहीं होती। कभी-कभी तो बहुत ज्यादा वर्षा हो जाती है और कभी-कभी बहत कम। इससे कृषि का संतुलन बिगड़ जाता है। कम वर्षा होने की वजह से हमें सिंचाई की आवश्यकता होती है।

3. वर्षा का असमान वितरण-भारत में वर्षा का वितरण हर जगह समान नहीं है। एक तरफ तो मॉसिनराम (चेरापूंजी के निकट) में वर्षा 1140 सेंटीमीटर से भी अधिक होती है, जबकि दूसरी ओर राजस्थान के जैसलमेर में 10 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है। किसी भी दो जगहों पर समान वर्षा नहीं होती।

4. विशेष फसलें-चावल तथा गन्ने की फसलों के लिए नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है, जबकि बाजरे की खेती के लिए सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती।

5. शीतकाल की फसलें-भारत में शीतकाल में वर्षा नहीं होती, इसलिए रबी की फसलों के लिए सिंचाई बहुत आवश्यक है।

6. खाद्यान्नों में आत्म-निर्भरता-देश में खाद्यान्न संकट को समाप्त करने के लिए खाद्यान्नों के अतिरिक्त उत्पादन की आवश्यकता है। इसलिए सिंचाई की आवश्यकता होती है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन

प्रश्न 2.
देश में सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में सिंचाई के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिंचाई के साधन-भारत के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ हैं जिनके परिणामस्वरूप सिंचाई के साधनों के भी अनेक रूप हैं। उत्तरी भारत में नहरों तथा कुओं से ज्यादा सिंचाई होती है। इसके विपरीत दक्षिणी भारत में ज्यादातर सिंचाई तालाबों द्वारा की जाती है। भारत में सिंचाई के साधन इस प्रकार हैं-
1. नहरें-उत्तरी भारत में अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं, जिनमें सारा साल जल प्रवाहित होता रहता है। इसलिए उत्तरी भारत में नहरें सिंचाई का प्रमुख साधन हैं। भारत की कुल सिंचित भूमि का लगभग 39 प्रतिशत क्षेत्र नहरों द्वारा सिंचित किया जाता है। ज्यादातर नहरें उत्तर:पश्चिमी भारत के मैदानी भागों में हैं।

शीतकाल में हिमीकरण के कारण जल की मात्रा कुछ कम अवश्य हो जाती है, परंतु बांध से एकत्रित जल के द्वारा इस कमी को पूरा किया जाता है। अतः उत्तर:पश्चिमी भारत के मैदानी भागों में जल के वितरण को नहरों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। यहाँ की मिट्टी कोमल एवं मुलायम होने के कारण नहरें आसानी से खोदी जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर, निचली गंगा नहर, शारदा नहर, पूर्वी यमुना नहर तथा आगरा नहर के द्वारा सिंचाई की जाती है। पंजाब में सरहिंद नहर, भाखड़ा नहर, बीकानेर नहर, ब्यास नहर तथा हरियाणा में यमुना नहर, जुई नहर, गुड़गांव नहर प्रमुख हैं। बिहार, पश्चिमी बंगाल तथा राजस्थान में भी नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। इनमें सोन नहर, कोसी बांध, त्रिवेणी नहर, राजस्थान नहर, चंबल नहर, दामोदर नहर आदि प्रमुख सिंचाई के साधन हैं। दक्षिणी भारत में तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तथा ओडिशा के ‘डेल्टाई’ भागों में नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है।

नहरों के क्षेत्रीय वितरण की विशेषताएँ-नहरों के क्षेत्रीय वितरण की विशेषताएँ हैं-

  • नहरों का निर्माण केवल समतल भूमि तथा मुलायम मिट्टी में हो सकता है
  • मंद ढाल वाले भागों में नहरों का विकास अधिक होता है
  • उत्तरी भारत की अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं जिस कारण उनमें वर्ष भर जल प्रवाहित होता रहता है।
  • उत्तरी भारत में नहरों के विकास का यह प्रमुख कारण है
  • भारत में सरिता प्रवाह जल सभी भागों में भिन्न-भिन्न मिलता है। अतः नहरों का प्रतिरूप भी भिन्न-भिन्न रूप से मिलता है।

नहरों का सिंचाई के लिए महत्त्व-

  • नहरों के कारण सिंचित भूमि के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई, जिस कारण खेती ऐसे स्थानों पर भी होने लगी, जो पहले पानी के अभाव में बेकार पड़े थे। अब वर्ष में कई फसलें उगाई जाने लगी हैं। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होनी शुरू हो गई है
  • बहु-उद्देश्यीय परियोजना के अंतर्गत नहरों से सिंचाई के साथ-साथ जल विद्युत् का उत्पादन किया जाता है
  • नहरी पानी में अनेक रासायनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करते हैं
  • यह एक सस्ता और सरल साधन है
  • नहरों द्वारा बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सकता है
  • नहरों के विकास से किसानों की आर्थिक व्यवस्था में सुधार हुआ है
  • इससे सरकार की आय में भी वृद्धि हुई है।

2. कुएँ तथा नलकूप-प्राचीनकाल से हमारे देश में सिंचाई तथा पेय जल प्राप्त करने के लिए कुओं का प्रयोग हो रहा है। रचना के आधार पर कुएँ तीन प्रकार के होते हैं-

  • कच्चा कुआँ
  • पक्का कुआँ तथा
  • नलकूप।

कुओं द्वारा सिंचाई उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा तथा आंध्र प्रदेश में की जाती है। भारत में नलकूप तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा पंजाब में अधिक पाए जाते हैं।

कुओं तथा नलकूपों का सिंचाई के लिए महत्त्व-

  • कुओं तथा नलकूपों के निर्माण में व्यय बहुत कम आता है।
  • इनके पानी से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।
  • पानी का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है।
  • कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है।
  • वर्ष में दो या इससे अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं।
  • इनको खोदने से भूमि बहुत कम बेकार होती है।
  • क्षार फूटने की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

3. तालाबों द्वारा सिंचाई-दक्षिणी भारत में झीलों एवं तालाबों में एकत्रित जल के द्वारा सिंचाई की व्यवस्था आसानी से की जा सकती है। पर्याप्त जलापूर्ति की दशाओं में तालाबों में संचित जल-राशि का प्रयोग प्राचीनकाल से चला आ रहा है। तालाब दो प्रकार के होते हैं-

  • प्राकृतिक तथा
  • कृत्रिम।

दक्षिणी भारत के ऊबड़-खाबड़ भाग जहाँ नहरें अथवा कुएँ खोदना असंभव है, वहाँ तालाबों द्वारा सिंचाई की जाती है। नदियों ने तंग घाटियों का निर्माण किया है, जिनको बांधकर तालाब आसानी से बनाए जा सकते हैं। दक्षिणी भारत में प्राकृतिक गर्मों की संख्या अधिक है जो जलापूर्ति के कारण तालाब बन जाते हैं। आंध्र प्रदेश में तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई की जाती है। भारत में निजाम सागर (आंध्र प्रदेश), कृष्णराज सागर (कर्नाटक), जप समुद्र, उदय सागर एवं फतेह सागर (राजस्थान) प्रमुख तालाब हैं।

तालाबों का सिंचाई के लिए महत्त्व-

  • प्राकृतिक तालाब सिंचाई के सस्ते और सरल साधन हैं
  • कठोर चट्टानी इलाकों के होने के कारण तालाब शीघ्र नष्ट नहीं होते
  • रुके हुए पानी में गंदगी का सम्मिश्रण होता है, जिसकी सिंचाई से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ती है
  • तालाबों में मछलियाँ होती हैं जो खाद्य समस्या को कम करती हैं
  • इनमें पानी का उपयुक्त उपयोग होता है।

प्रश्न 3.
वर्षा जल संग्रहण से आपका क्या अभिप्राय है? इसके उद्देश्य एवं तकनीकों या विधियों का वर्णन करें।
अथवा
वर्षा जल संग्रहण की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की प्रक्रिया है अर्थात् वर्षा के जल को भविष्य के उपयोग के लिए इक्ट्ठा करना ही वर्षा जल संग्रहण कहलाता है। इसका उपयोग भूमिगत जलमृतों के पुनर्भरण के लिए भी किया जाता है।

वर्षा जल संग्रहण एक पारिस्थितिकी अनुकूल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पानी की प्रत्येक बिंदु को संरक्षित करने के लिए वर्षा के जल को कुओं, तालाबों और नलकूपों में इक्ट्ठा किया जाता है। वास्तव में यह जल भंडारों के पुनर्भरण को पर्यावरण अनुकूल (Eco-friendly) बनाने की तकनीक है।

वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य-वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • यह पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है।
  • यह भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है व भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
  • यह मृदा अपरदन को रोकता है।
  • यह तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल के प्रवेश को रोकता है।
  • यह एकत्रित वर्षा जल को भूमि जल भंडारों में संग्रहित करता है।
  • यह बाढ़ को रोकता है और वर्षा के पानी को सड़कों पर फैलने से रोकता है।
  • यह जल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करता है जिससे सूखे या अनावृष्टि के हालातों में सामना किया जा सके।
  • यह भौम जल के भंडारों में वृद्धि करता है।

वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियाँ या तकनीकें देश में विभिन्न समुदायों द्वारा अनेक विधियों की सहायता से वर्षा जल संग्रहण किया जा रहा है। इनमें से कुछ विधियाँ या तकनीकें निम्नलिखित हैं

  • छत के वर्षा जल का संग्रहण
  • बंद व बेकार पड़े कुओं का पुनर्भरण
  • खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
  • रिसाव गड्ढों का निर्माण
  • खेतों के चारों ओर खाइयाँ बनाना
  • पुनर्भरण शाफ्ट द्वारा जल संग्रहण
  • बोर कुएँ सहित क्षैतिज कूप द्वारा जल संग्रहण
  • सर्विस कूप द्वारा जल संरक्षण।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. भारत का पहला सूती वस्त्र उद्योग कब और कहाँ स्थापित किया गया?
(A) दुर्गापुर में, सन् 1845 में
(B) कोलकाता में, सन् 1852 में
(C) मुम्बई में, सन् 1854 में
(D) अहमदाबाद में, सन् 1875 में
उत्तर:
(C) मुम्बई में, सन् 1854 में

2. निम्नलिखित में से उद्योगों का भौगोलिक कारक है
(A) कच्चे माल की प्राप्ति
(B) पूँजी व बैंकिंग
(C) सरकार की नीति
(D) प्रारम्भिक संवेग
उत्तर:
(A) कच्चे माल की प्राप्ति

3. जब उद्योगों का स्वामित्व कुछ व्यक्तियों के हाथ में हो तो वह कहलाता है
(A) सार्वजनिक उद्योग
(B) निजी उद्योग
(C) सहकारी उद्योग
(D) बहुराष्ट्रीय उद्योग
उत्तर:
(B) निजी उद्योग

4. निम्नलिखित में से वन आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) चीनी
(B) सीमेंट
(C) चमड़ा रंगने का उद्योग
(D) एल्यूमीनियम
उत्तर:
(C) चमड़ा रंगने का उद्योग

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

5. निम्नलिखित में से किसे आधारभूत उद्योग कहा जाता है-
(A) चीनी उद्योग को
(B) वस्त्र उद्योग को
(C) लौह-इस्पात उद्योग को
(D) खाद्य उद्योग को
उत्तर:
(C) लौह-इस्पात उद्योग को

6. चीनी उद्योग का प्रमुख उत्पादक राज्य है-
(A) अहमदाबाद
(B) महाराष्ट्र
(C) उत्तर प्रदेश
(D) मिज़ोरम
उत्तर:
(B) महाराष्ट्र

7. गुजरात का प्रमुख सही वस्त्र उत्पादन केन्द्र कौन-सा है?
(A) सूरत
(B) कोटा
(C) अहमदाबाद
(D) वडोदरा
उत्तर:
(C) अहमदाबाद

8. TISCO की स्थापना कब की गई?
(A) सन् 1875 में
(B) सन् 1907 में
(C) सन् 1912 में
(D) सन् 1919 में
उत्तर:
(B) सन् 1907 में

9. जर्मनी के सहयोग से किस लौह-इस्पात कारखाने की स्थापना की गई?
(A) SAIL
(B) VISL
(C) TISCO
(D) IISCO
उत्तर:
(A) SAIL

10. वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित लौह इस्पात उद्योग के विकास की देख-रेख करती है-
(A) TISCO
(B) IISCO
(C) VISL
(D) SAIL
उत्तर:
(D) SAIL

11. सोवियत संघ (वर्तमान रूस) की आर्थिक व तकनीकी सहायता से किस कारखाने की स्थापना हुई?
(A) बोकारो
(B) दुर्गापुर
(C) भिलाई
(D) राउरकेला
उत्तर:
(B) दुर्गापुर

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

12. ब्रिटिश पूँजी व तकनीक से किस स्टील प्लांट का विकास हुआ?
(A) बोकारो
(B) दुर्गापुर
(C) भिलाई
(D) राउरकेला
उत्तर:
(B) दुर्गापुर

13. भारत का पहला समुद्र तटीय लौह-इस्पात कारखाना कहाँ लगाया गया था?
(A) रांची में
(B) बंगलौर में
(C) विशाखापट्टनम में
(D) तमिलनाडु में
उत्तर:
(C) विशाखापट्टनम में

14. हीरापुर में लौह-इस्पात संयंत्र की स्थापना कब हुई?
(A) सन् 1908 में
(B) सन् 1913 में
(C) सन् 1923 में
(D) सन् 1927 में
उत्तर:
(A) सन् 1908 में

15. हुगली औद्योगिक प्रदेश में मुख्य उद्योग स्थापित है-
(A) पेट्रो-रसायन उद्योग
(B) चीनी उद्योग
(C) पटसन उद्योग
(D) लौह-इस्पात उद्योग
उत्तर:
(C) पटसन उद्योग

16. भारत में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का सबसे बड़ा केंद्र है-
(A) मुंबई
(B) बंगलौर
(C) अहमदाबाद
(D) चेन्नई
उत्तर:
(B) बंगलौर

17. भारत का पहला नैप्था आधारित रसायन उद्योग कब और कहाँ स्थापित किया गया?
(A) सन् 1855 में, रिशरा में
(B) सन् 1961 में, मुंबई में
(C) सन् 1875 में, कुल्टी में
(D) सन् 1972 में, बोकारो में
उत्तर:
(B) सन् 1961 में, मुंबई में

18. उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कितने भागों में किया जाता है-
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(C) 4

19. एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक का कारखाना है-
(A) बोकारो
(B) सिंद्री
(C) मुंबई
(D) बर्नपुर
उत्तर:
(B) सिंद्री

20. अनुकूल दशाओं के कारण जब एक ही स्थान पर अनेक प्रकार के उद्योग स्थापित हो जाएँ तो वह कहलाता है-
(A) औद्योगिक गुच्छ
(B) बहुसंयंत्र कंपनी
(C) बहुराष्ट्रीय कंपनी
(D) मिश्रित अर्थव्यवस्था
उत्तर:
(A) औद्योगिक गुच्छ

21. नई औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई?
(A) सन् 1951 में
(B) सन् 1975 में
(C) सन् 1985 में
(D) सन् 1991 में
उत्तर:
(D) सन् 1991 में

22. भारत का सबसे पुराना औद्योगिक प्रदेश है-
(A) गुजरात प्रदेश
(B) दिल्ली गुड़गाँव मेरठ प्रदेश
(C) बंगलौर तमिलनाडु प्रदेश
(D) हुगली औद्योगिक प्रदेश
उत्तर:
(D) हुगली औद्योगिक प्रदेश

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23. ऑयल इंडिया लिमिटेड एक है-
(A) निजी उद्योग
(B) सार्वजनिक उद्योग
(C) सहकारी उद्योग
(D) संयुक्त उद्योग
उत्तर:
(B) सार्वजनिक उद्योग

24. लोहा और इस्पात उद्योग है-
(A) सार्वजनिक क्षेत्र उद्योग
(B) भारी उद्योग
(C) सहकारी क्षेत्र उद्योग
(D) निजी क्षेत्र उद्योग
उत्तर:
(B) भारी उद्योग

25. विजाग इस्पात संयंत्र में उत्पादन कब शुरू हुआ?
(A) सन् 1990 में
(B) सन् 1991 में
(C) सन् 1992 में
(D) सन् 1993 में
उत्तर:
(C) सन् 1992 में

26. कौन-सा स्टील संयंत्र भारत में सन् 1965 में जर्मनी के सहयोग से शुरू हुआ था?
(A) बोकारो स्टील संयंत्र
(B) दुर्गापुर स्टील संयंत्र
(C) राउरकेला स्टील संयंत्र
(D) जमशेदपुर टाटा स्टील संयंत्र
उत्तर:
(C) राउरकेला स्टील संयंत्र

27. भिलाई इस्पात संयंत्र किसकी मदद से स्थापित किया गया?
(A) रूस के
(B) जर्मनी के
(C) फ्रांस के
(D) इंग्लैंड के
उत्तर:
(A) रूस के

28. दुर्गापुर लौह-इस्पात संयंत्र किस देश के सहयोग से स्थापित किया गया?
(A) ब्रिटेन
(B) फ्रांस
(C) रूस
(D) जर्मनी
उत्तर:
(A) ब्रिटेन

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29. भारत में चीनी का प्रमुख उत्पादक राज्य कौन-सा है?
(A) महाराष्ट्र
(B) पंजाब
(C) राजस्थान
(D) गोवा
उत्तर:
(A) महाराष्ट्र

30. विनिर्माण उद्योग का उदाहरण है
(A) कागज उद्योग
(B) चीनी उद्योग
(C) कपड़ा उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

31. कृषि आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) सूती वस्त्र उद्योग
(B) पटसन उद्योग
(C) चीनी उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

32. निम्नलिखित में से कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाज़ार में उपलब्ध कराती है?
(A) हेल (HAIL)
(B) सेल (SAIL)
(C) टाटा स्टील
(D) एम० एन० सी० सी० (MNCC)
उत्तर:
(B) सेल (SAIL)

33. निम्नलिखित में से कौन-सा उद्योग दूरभाष, कंप्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करता है?
(A) स्टील
(B) एल्यूमिनियम
(C) इलेक्ट्रोनिक
(D) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर:
(C) इलेक्ट्रोनिक

34. खनिज आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) लोहा
(B) इस्पात
(C) सीमेंट
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
कच्चे माल की उपलब्धि पर आधारित एक उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर:
कच्चे माल की उपलब्धि पर आधारित उद्योग चीनी उद्योग है।

प्रश्न 2.
शक्ति के उत्पादन पर आधारित एक उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर:
विद्युत धातुकर्मी तथा विद्युत रसायन उद्योग।

प्रश्न 3.
बाजार की निकटता पर आधारित एक उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर:
बाजार की निकटता पर आधारित उद्योग भारी मशीन उद्योग व पेट्रोलियम परिशोधन शालाएँ हैं।

प्रश्न 4.
तमिलनाडु राज्य का प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादन केन्द्र कौन-सा है?
उत्तर:
तमिलनाडु राज्य का प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादन केन्द्र कोयंबटूर है।

प्रश्न 5.
भारत में चीनी बनाने का आधुनिक कारखाना कब लगाया गया?
उत्तर:
सन् 1903 में।

प्रश्न 6.
टाटा लौह-इस्पात कंपनी (TISCO) की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1907 में।

प्रश्न 7.
भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (SAIL) की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1973 में।

प्रश्न 8.
वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित लौह-इस्पात उद्योग के विकास की देख-रेख कौन-सी संस्था करती है?
उत्तर:
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL)।

प्रश्न 9.
भारत के कोई दो औद्योगिक प्रदेश बताएँ।
उत्तर:
तमिलनाडु और गुजरात।

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प्रश्न 10.
ब्रिटिश पूँजी व तकनीक से किस स्टील प्लांट (इस्पात संयंत्र) का विकास हुआ?
उत्तर:
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र।

प्रश्न 11.
भारत में किस उद्योग में सबसे अधिक लोग कार्यरत हैं?
उत्तर:
कपड़ा उद्योग में।

प्रश्न 12.
भारत का पहला समुद्र तटीय लौह-इस्पात कारखाना कहाँ लगाया गया था?
उत्तर:
विशाखापट्टनम में।

प्रश्न 13.
हीरापुर में लौह-इस्पात संयंत्र की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1908 में।

प्रश्न 14.
भिलाई स्टील कारखाना किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
भिलाई स्टील कारखाना छत्तीसगढ़ में स्थित है।

प्रश्न 15.
ज्ञान आधारित उद्योग का कोई एक उदाहरण दें।
उत्तर:
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर।

प्रश्न 16.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहते हैं?
उत्तर:
लौह-इस्पात को आधारभूत उद्योग कहते हैं।

प्रश्न 17.
नई औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई?
उत्तर:
सन् 1991 में।

प्रश्न 18.
हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT) किस औद्योगिक प्रदेश के अंतर्गत आता है?
उत्तर:
बंगलौर-तमिलनाडु।

प्रश्न 19.
भारत का सबसे पहला बड़ा गैर-सरकारी लौह-इस्पात उद्योग कौन-सा था?
उत्तर:
टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (सांकची), जमशेदपुर।

प्रश्न 20.
छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश के अंतर्गत आने वाले किन्हीं दो औद्योगिक केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. रांची
  2. हजारीबाग।

प्रश्न 21.
हुगली औद्योगिक प्रदेश के अंतर्गत आने वाले किन्हीं दो औद्योगिक केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. हल्दिया
  2. कोलकाता।

प्रश्न 22.
भारत का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना कहाँ स्थित है?
उत्तर:
जामनगर (गुजरात) में।

प्रश्न 23.
विजयनगर इस्पात संयंत्र कहाँ विकसित किया गया?
उत्तर:
हॉस्पेट (कर्नाटक) में।

प्रश्न 24.
भारत के कोई दो मुख्य औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. हगली औद्योगिक प्रदेश
  2. मंबई-पणे औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 25.
भारत के कोई दो लघु औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. दुर्ग-रायपुर औद्योगिक प्रदेश
  2. अंबाला-अमृतसर औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 26.
भारत की पहली जूट मिल की स्थापना कब और कहाँ की गई?
उत्तर:
सन् 1855 में रिशरा में।

प्रश्न 27.
सेलम इस्पात संयंत्र कहाँ स्थित है?
उत्तर:
तमिलनाडु में।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 28.
भारत का सबसे बड़ा उद्योग कौन-सा है?
उत्तर:
कपड़ा उद्योग।

प्रश्न 29.
हरियाणा में चीनी मिलों के कोई दो केंद्र बताएँ।
उत्तर:

  1. यमुनानगर
  2. +रोहतक।

प्रश्न 30.
भारत की पहली आधुनिक सूती मिल कब और कहाँ स्थापित की गई?
उत्तर:
सन् 1854 में मुंबई में।

प्रश्न 31.
झारखण्ड राज्य के एक लौह-इस्पात उत्पादन केंद्र का नाम लिखें।
उत्तर:
बोकारो।

प्रश्न 32.
आंध्र प्रदेश राज्य के एक लौह-इस्पात उत्पादन केंद्र का नाम लिखें।
उत्तर:
विशाखापट्टनम।

प्रश्न 33.
कर्नाटक राज्य का प्रमुख लौह-इस्पात केंद्र कहाँ है?
उत्तर:
भद्रावती में।

प्रश्न 34.
छत्तीसगढ़ राज्य के एक लौह-इस्पात उत्पादन केंद्र का नाम लिखें।
उत्तर:
भिलाई।

प्रश्न 35.
चीनी उद्योग में प्रयुक्त कच्चे पदार्थ का नाम लिखें।
उत्तर:
गन्ना।

प्रश्न 36.
भारत की इलेक्ट्रोनिक राजधानी के रूप में किस शहर को जाना जाता है?
उत्तर:
बंगलुरु को।

प्रश्न 37.
भारत में सूती वस्त्र बनाने का पहला कारखाना कब और कहाँ लगा था?
उत्तर:
सन् 1854 में मुंबई में।

प्रश्न 38.
भारतीय लोहा और इस्पात कंपनी ने अपना पहला कारखाना कहाँ स्थापित किया?
उत्तर:
हीरापुर में।

प्रश्न 39.
विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स प्रारंभ में किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर:
मैसूर लोहा और इस्पात वर्क्स के नाम से।

प्रश्न 40.
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र किस देश की सरकार के सहयोग से स्थापित किया गया था?
उत्तर:
यूनाइटेड किंगडम की सरकार के सहयोग से।

प्रश्न 41.
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र (पश्चिमी बंगाल) में उत्पादन कब आरंभ हुआ?
उत्तर:
सन् 1962 में।

प्रश्न 42.
भारत का पहला पत्तन आधारित इस्पात संयंत्र कौन-सा है?
उत्तर:
विजाग इस्पात संयंत्र (विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश)।

प्रश्न 43.
विजाग इस्पात संयंत्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश में।

प्रश्न 44.
विजयनगर इस्पात संयंत्र की स्थापना किस पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत की गई?
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना के।

प्रश्न 45.
राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना किस पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत की गई?
उत्तर:
दूसरी पंचवर्षीय योजना के।

प्रश्न 46.
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, दुर्गापुर की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1956 में।

प्रश्न 47.
भारत के किस राज्य में सर्वाधिक चीनी मिलें स्थापित हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में।

प्रश्न 48.
निम्नलिखित का पूरा नाम लिखें SAIL, TISCO, HSL, FDI, IISCO, VISW, NOCIL, CIPET, BHEL
उत्तर:

  1. SAIL : Steel Authority of India Limited
  2. TISCO : Tata Iron and Steel Company
  3. HSL : Hindustan Steel Limited
  4. FDI : Foreign Direct Investment
  5. IISCO : Indian Iron Steel Company
  6. VISW : Visvesvaraya Iron and Steel Works
  7. NOCIL : National Organic Chemical Industries Limited
  8. CIPET : Central Institute of Plastics Engineering & Technology
  9. BHEL : Bharat Heavy Electricals Limited

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कच्चे माल के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. कृषि आधारित उद्योग
  2. वन आधारित उद्योग
  3. खनिज आधारित उद्योग एवं
  4. चरागाह आधारित उद्योग।

प्रश्न 2.
उद्यमशीलता अथवा स्वामित्व के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. सार्वजनिक उद्योग
  2. निजी उद्योग
  3. सहकारी उद्योग एवं
  4. बहुराष्ट्रीय उद्योग।

प्रश्न 3.
वन आधारित उद्योगों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कागज़, गत्ता, चमड़ा रंगने का उद्योग, लाख, बीड़ी, रेजिन व टोकरी उद्योग।

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद अपनाई गई पहली औद्योगिक नीति में किन उद्देश्यों पर बल दिया गया था?
उत्तर:
सन 1948 में अपनाई गई इस औद्योगिक नीति में रोजगार जनन, उच्चतर उत्पादकता तथा आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना जैसे उद्देश्यों पर बल दिया गया था।

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प्रश्न 5.
वर्तमान में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) के अंतर्गत कौन-कौन से इस्पात संयंत्र सम्मिलित हैं?
उत्तर:

  1. भिलाई
  2. दुर्गापुर
  3. राउरकेला
  4. बोकारो
  5. सेलम
  6. TISCO
  7. विश्वेश्वरैया तथा
  8. महाराष्ट्र इलेक्ट्रोस्मेल्ट आदि इस्पात संयंत्र SAIL के अंतर्गत सम्मिलित हैं।

प्रश्न 6.
पेट्रो-रसायन उद्योग कौन-सा कच्चा माल उपयोग में लाते हैं?
उत्तर:
पेट्रो-रसायन उद्योग खनिज तेल और प्राकृतिक गैस को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 7.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति के कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति के कारण निम्नलिखित हैं-

  1. कच्चे माल की प्राप्ति
  2. यांत्रिक उपकरण या मशीनें
  3. ऊर्जा या शक्ति
  4. बाजार स्थिति
  5. श्रमिक
  6. परिवहन आदि।

प्रश्न 8.
आधारभूत उद्योग क्या है? उदाहरण दें।
उत्तर:
वे उद्योग जिनसे निर्मित माल दूसरे सभी उद्योगों का आधार होता है, उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं।
उदाहरण – लोहा तथा इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है, क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर हैं। विविध प्रकार के इंजीनियरिंग सामान, निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलिफोन, वैज्ञानिक उपकरण और विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण के लिए इस्पात की जरूरत होती है।

प्रश्न 9.
बड़े पैमाने के उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जिन उद्योगों में बहुत बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार मिला होता है उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग कहते हैं; जैसे सूती वस्त्र उद्योग।

प्रश्न 10.
छोटे पैमाने के उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
वे उद्योग जो व्यक्ति विशेष के स्वामित्व एवं संचालन में छोटी संख्या में श्रमिकों की सहायता से चलाए जाते हैं, उन्हें छोटे पैमाने के उद्योग कहते हैं; जैसे गुड़ और खांडसारी उद्योग।

प्रश्न 11.
भारी उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिनका कच्चा और तैयार माल भारी और अधिक परिमाणु वाला होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं।

प्रश्न 12.
कृषि आधारित उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो उद्योग अपने उत्पादन के लिए पूर्ण रूप से कृषि उत्पादों से प्राप्त कच्चे माल पर निर्भर होते हैं, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं; जैसे वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग और वनस्पति तेल उद्योग।

प्रश्न 13.
भारत में रूस के सहयोग से स्थापित दो लोहा इस्पात कारखानों के नाम बताइए।
उत्तर:
भिलाई स्टील प्लांट, छत्तीसगढ़, बोकारो स्टील प्लांट, झारखंड।

प्रश्न 14.
भारत में जर्मनी तथा ब्रिटेन के सहयोग से स्थापित एक-एक लोहा इस्पात उद्योग का नाम बताइए।
उत्तर:

  1. जर्मनी के सहयोग से राउरकेला स्टील प्लांट, ओडिशा।
  2. ब्रिटेन के सहयोग से दुर्गापुर स्टील प्लांट, पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 15.
उद्योग किन चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण।

प्रश्न 16.
खनिज आधारित उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
वे उद्योग जो खनिज पदार्थों को अपने कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, उन्हें खनिज आधारित उद्योग कहते है . जैसे लोहा एवं इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम उद्योग इत्यादि।

प्रश्न 17.
महाराष्ट्र के चार महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुम्बई, पूणे, सतारा व कोल्हापुर।

प्रश्न 18.
सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL)
  2. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)।

प्रश्न 19.
भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामान के तीन उत्पादक केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुम्बई, बंगलुरु व हैदराबाद।

प्रश्न 20.
उद्योगों का वर्गीकरण, निर्मित उत्पादकों की प्रकृति के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों के इस वर्गीकरण में 8 प्रकार के उद्योग हैं-

  1. धातुकर्म उद्योग
  2. यांत्रिक इंजीनियरी उद्योग
  3. रासायनिक और संबंद्ध उद्योग
  4. वस्त्र उद्योग
  5. खाद्य संसाधन उद्योग
  6. विद्युत उत्पादन उद्योग
  7. इलेक्ट्रॉनिक
  8. संचार उद्योग।

प्रश्न 21.
ज्ञान आधारित उद्योग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिनके लिए उच्च-स्तरीय विशिष्ट ज्ञान, उच्च प्रौद्योगिकी तथा निरंतर शोध अनुसंधान और सुधार की आवश्यकता रहती है, ज्ञान आधारित उद्योग कहलाते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी ज्ञान आधारित उद्योग का एक उदाहरण है। भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग भी ज्ञान आधारित उद्योग है, जो अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 22.
औद्योगिक जड़त्व क्या है?
उत्तर:
किसी उद्योग की उस स्थान पर अपनी क्रिया बनाए रखने की प्रवृत्ति, जहाँ पर उसके स्थापित होने के कारण महत्त्वहीन हैं या समाप्त हो चुके हैं, औद्योगिक जड़त्व कहलाता है।

प्रश्न 23.
वैश्वीकरण की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है; जैसे विदेशी कम्पनियों को ऐसी सुविधाएँ देना कि वे भारत के विभिन्न आर्थिक क्रियाकलापों में निवेश कर सकें। उदार आयात कार्यक्रम को लागू करना निर्माण उद्योग

तथा भारतीय कम्पनियों का विदेशी कम्पनियों को सहयोग देने की अनुमति देना तथा बाहर के मुल्कों में संयुक्त उद्यम लगाने के लिए प्रोत्साहित करना।

प्रश्न 24.
आजादी से पहले भारत के औद्योगिक विकास के दो लक्षण बताइए।
उत्तर:

  1. आजादी से पूर्व भारत का औद्योगिक विकास बहुत धीमा था।
  2. भारतीय उद्योग केवल ब्रिटिश उद्योगों के उत्पादों की कमी को पूरा करने वाले थे।

प्रश्न 25.
आजादी के बाद भारत के औद्योगिक विकास के दो लक्षण बताइए।
उत्तर:

  1. औद्योगिक आधार का व्यापक विविधिकरण किया गया।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र का विकास किया गया।

प्रश्न 26.
औद्योगिक समूहन की पहचान के लिए उपयोग में लाए गए चार सूचकों के नाम बताइए।
उत्तर:
उद्योगों के समूहन की पहचान के लिए प्रमुख चार सूचक निम्नलिखित हैं-

  1. औद्योगिक इकाइयों की संख्या
  2. औद्योगिक कामगारों की संख्या
  3. औद्योगिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त ऊर्जा की मात्रा
  4. कुल औद्योगिक उत्पादन।

प्रश्न 27.
राउरकेला इस्पात संयंत्र कब, कहाँ और किस देश के सहयोग से स्थापित किया गया था?
उत्तर:
राउरकेला इस्पात संयंत्र (स्टील प्लांट) सन् 1959 में ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में जर्मनी के सहयोग से स्थापित किया गया था।

प्रश्न 28.
द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-57) के अंतर्गत कौन-से तीन इस्पात संयंत्र विदेशी सहयोग से स्थापित किए गए थे?
उत्तर:

  1. राउरकेला इस्पात संयंत्र-ओडिशा
  2. भिलाई इस्पात संयंत्र-छत्तीसगढ़
  3. दुर्गापुर इस्पात संयंत्र-पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 29.
भिलाई इस्पात संयंत्र कब, कहाँ और किस देश के सहयोग से स्थापित किया गया था?
उत्तर:
भिलाई इस्पात संयंत्र सन् 1959 में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रूस के सहयोग से स्थापित किया गया था।

प्रश्न 30.
भारत के कोई चार सूती वस्त्र केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. मैसूर सूती वस्त्र केंद्र-कर्नाटक
  2. मुंबई सूती वस्त्र केंद्र महाराष्ट्र
  3. अहमदाबाद सूती वस्त्र केंद्र-गुजरात
  4. हुगली सूती वस्त्र केंद्र-पश्चिम बंगाल

प्रश्न 31.
भारत के किन्हीं छः औद्योगिक जिलों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. आगरा – उत्तर प्रदेश
  2. भोपाल – मध्य प्रदेश
  3. कानपुर – उत्तर प्रदेश
  4. नागपुर – महाराष्ट्र
  5. कोटा – राजस्थान
  6. ग्वालियर – मध्य प्रदेश

प्रश्न 32.
औद्योगिक गुच्छ क्या है?
उत्तर:
अनुकूल दशाओं के कारण जब एक ही स्थान पर अनेक प्रकार के उद्योग स्थापित हो जाएँ तो उसे ‘औद्योगिक गुच्छ’ कहा जाता है।

प्रश्न 33.
सूती वस्त्र उद्योग मुम्बई से अहमदाबाद की ओर क्यों बढ़ रहा है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मुम्बई की अपेक्षा अहमदाबाद में जमीन सस्ती है। इसके अतिरिक्त सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए आवश्यक सभी कारक मुम्बई की तरह अहमदाबाद में भी उपलब्ध हैं। अहमदाबाद में मुम्बई की तरह औद्योगिक झगड़े व तालाबन्दी जैसी समस्याएँ भी नहीं हैं। गुजरात का औद्योगिक माहौल भी श्रेष्ठ है। इन कारणों से सूती वस्त्र उद्योग मुम्बई से अहमदाबाद की ओर बढ़ रहा है।

प्रश्न 34.
औद्योगिक क्रांति क्या है?
उत्तर:
यूरोपीय इतिहास में सन् 1750 से आधुनिक समय तक का काल जिसमें महत्त्वपूर्ण आविष्कारों के परिणामस्वरूप अधिकाधिक औद्योगिक विकास हुआ है।

प्रश्न 35.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर:
भारत में चीनी की मिलें गन्ने की कटाई के बाद केवल 4-5 महीने अर्थात् नवंबर से अप्रैल तक चलती हैं। वर्ष के बाकी 7-8 महीने से मिलें बंद रहती हैं। इसलिए चीनी उद्योग को मौसमी उद्योग कहा जाता है।

प्रश्न 36.
भारत का चीनी उद्योग उत्तर से दक्षिण की ओर क्यों स्थानान्तरित हो रहा है?
उत्तर:
प्रायद्वीपीय भारत का गन्ना मोटा और उसमें रस अधिक होता है। उपजाऊ काली मिट्टी के कारण वहाँ गन्ने की प्रति हैक्टेयर उपज भी अधिक है। आर्द्र जलवायु के कारण वहाँ गन्ने की पिराई की अवधि भी लम्बी है। इन्हीं बेहतर दशाओं का लाभ उठाने के लिए चीनी उद्योग दक्षिण की ओर स्थानान्तरित हो रहा है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 37.
किस नगर को “तमिलनाडु का मानचेस्टर” कहते हैं?
उत्तर:
भारत में सबसे अधिक सूती कपड़े की मीलें तमिलनाडु में है, परंतु ये मीलें छोटी हैं। अतः यहाँ कुल उत्पादन भी कम है। कोयंबटूर में सबसे बड़ा सूती वस्त्र उद्योग का केंद्र है। यहाँ तमिलनाडु की आधे से ज्यादा मीलें लगी हुई हैं। इसी कारण कोयंबटूर को तमिलनाडु का मानचेस्टर कहा जाता है।

प्रश्न 38.
औद्योगिक क्षेत्र या प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस प्रदेश में आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक तथा राजनैतिक कारणों से एक से अधिक श्रृंखलाबद्ध उद्योग स्थापित हो जाते हैं, उसे औद्योगिक प्रदेश कहते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हुगली औद्योगिक प्रदेश की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हगली औद्योगिक प्रदेश की तीन विशेषताएँ हैं-

  1. यह देश का सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा औद्योगिक प्रदेश है। कोलकाता और हावड़ा इस प्रदेश के हृदय स्थल हैं और हुगली नदी इसकी रीढ़ की हड्डी है
  2. सघन जनसंख्या के कारण देश के इस भाग में निर्मित वस्तुओं की माँग अधिक रहती है
  3. इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिए आरंभिक लाभ प्राप्त हैं। इससे एक पर्यावरण बन जाता है जो उद्योगों की स्थापना को आकर्षित करता है।

प्रश्न 2.
स्वामित्व के आधार पर भारत में कितने प्रकार के उद्योग हैं?
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर भारत में तीन प्रकार के उद्योग पाए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं-

  1. सार्वजनिक उद्योग-इन उद्योगों का संचालन सरकार करती है; जैसे भिलाई लौह-इस्पात केंद्र, नंगल उर्वरक कारखाना, टेलीफोन उद्योग आदि।
  2. निजी उद्योग-ये उद्योग व्यक्ति-विशेष चलाते हैं; जैसे टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी।
  3. सहकारी उद्योग-इन उद्योगों का संचालन कुछ व्यक्ति किसी सहकारी समिति के सहयोग से करते हैं; जैसे भारतीय चीनी उद्योग।

प्रश्न 3.
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में अंतर बताइए।
उत्तर:
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

भारी उद्योगहल्के उद्योग
1. ये प्रायः खनिज संसाधनों पर आधारित हैं।1. ये उद्योग खनिज़ संसाधनों तथा कृषि पर आधारित होते हैं।
2. इनमें बड़े पैमाने पर मशीनें तथा यंत्र बनाए जाते हैं।2. इनमें प्रायः दैनिक प्रयोग की वस्तुओं का निर्माण होता है।
3. इन उद्योगों में अधिक पूँजी की आवश्यकता पड़ती है।3. इन उद्योगों में कम पूँजी से कार्य आरंभ किया जा सकता है।
4. ये उद्योग प्रायः विकसित देशों में स्थापित किए जाते हैं।4. ये उद्योग विकासशील देशों में स्थापित होते हैं।
5. ये बड़े वर्ग के उद्योग हैं।5. ये मध्यम तथा छोटे वर्ग के उद्योग हैं।

प्रश्न 4.
निजी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

निज़ी उद्योगसार्वजनिक उद्योग
1. इस वर्ग में उपभोग्य वस्तुओं तथा छोटे यंत्रों के उद्योग आते हैं।1. इनमें भारी तथा आधारभूत उद्योग शामिल हैं।
2. ऐसे उद्योग में सारी पूँजी, लाभ तथा हानि एक ही व्यक्ति की होती है।2. इन उद्योगों में सारी पूँजी, लाभ तथा हानि सरकार की होती है।
3. ऐसे उद्योग अधिकतर संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान में प्रचलित हैं।3. ये उद्योग समाजवादी देशों; जैसे रूस तथा भारत में प्रचलित हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता तथा उत्पादक वस्तुओं के उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता तथा उत्पादक वस्तुओं के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

उपभोक्ता वस्तु उदोगउत्पादक वस्तु उधोग
1. ये उद्योग मुख्य रूप से कृषि पर आधारित हैं।1. ये उद्योग खनिज पदार्थों पर आधारित हैं।
2. इनमें उन वस्तुओं का निर्माण किया जाता है जिनका. प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता करते हैं।2. इनमें मुख्य रूप से मशीनों का निर्माण किया जाता है।
3. इन उद्योगों में कम पूँजी की आवश्यकता पड़ती है।3. इन उद्योगों में अधिक पूँजी आवश्यक है।
4. इन उद्योगों में अधिक श्रमिकों की आवश्यकता है।4. इन उद्योगों में आधुनिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
5. ये छोटे पैमाने के उद्योग हैं।5. ये बड़े पैमाने के उद्योग हैं।

प्रश्न 6.
भारी तथा कृषि उद्योगों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारी तथा कृषि उद्योगों में निम्नलिखित अंतर हैं-

भारी उद्योगकृषि उद्योग
1. ये गौण उद्योग होते हैं।1. ये प्राथमिक उद्योग होते हैं।
2. ये प्रायः खनिज संसाधनों पर आधारित हैं तथा इनमें बड़े पैमाने पर मशीनें एवं यंत्र बनाए जाते हैं।2. ये उद्योग कृषि पदार्थों पर आधारित हैं जिनमें कृषि की उपजों का रूप तथा रंग बदलकर उपयोगिता लाई जाती है।
3. इन उद्योगों में अधिक पूँजी की जरूरत पड़ती है।3. इन उद्योगों में अधिक श्रम की जरूरत पड़ती है।
4. ये उद्योग अधिकतर विकसित देशों में पाए जाते हैं।4. ये उद्योग अधिकतर विकासशील देशों में पाए जाते हैं।
5. ये बड़े वर्ग के उद्योग होते हैं।5. ये छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योग होते हैं।

प्रश्न 7.
मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की उन्नति के क्या कारण हैं?
अथवा
मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के मुख्य भौगोलिक कारण क्या हैं?
उत्तर:
मुंबई शहर में सूती वस्त्र उद्योग की उन्नति के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. यहाँ की जलवायु आर्द्र है जिस कारण धागा बार-बार नहीं टूटता।
  2. यह एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह है तथा बाहर से मशीनें आदि आसानी से मंगवाई जा सकती हैं।
  3. पश्चिमी घाट पर तैयार पनबिजली से सस्ती शक्ति इन उद्योगों को मिल जाती है।
  4. मुंबई की पृष्ठ-भूमि काली मिट्टी की बनी हुई है, अतः यहाँ बहुत कपास उगती है।
  5. मुंबई के आस-पास के क्षेत्रों में सस्ते तथा कुशल मज़दूर मिल जाते हैं। यहाँ कपड़ों की धुलाई तथा रंगाई की सुविधाएँ प्राप्त हैं।

अतः उपर्युक्त कारणों से यहाँ सूती वस्त्र उद्योग बहुत उन्नत है।

प्रश्न 8.
क्या कारण है कि चीनी उद्योग की दक्षिणी भारत की ओर स्थानांतरण की प्रवृत्ति पाई जाती है?
उत्तर:
पहले, उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्यों में देश की 90% चीनी तैयार की जाती थी, किंतु अब ये प्रदेश 60% से 65 % ही चीनी पैदा करते हैं। पिछले 30 वर्षों से चीनी उद्योगों की दक्षिण की ओर स्थानांतरण की प्रवृत्ति पाई गई है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  • गर्म जलवायु के कारण दक्षिण भारत के गन्ने में चीनी का अंश अधिक मिलता है, जिससे चीनी निर्माण में कम लागत आती है।
  • दक्षिण भारत में गन्ना पेरने का मौसम उत्तर भारत से अधिक लंबा होता है, यहाँ यह 8 मास तक पेरा जा सकता है, जबकि उत्तर भारत में यह अवधि केवल 4 मास तक है।
  • दक्षिण भारत में अधिकांश मिलें नई हैं, जिसके कारण उत्पादकता अधिक है। ये मिलें सहकारी क्षेत्र में हैं, इसलिए इनका संचालन ठीक ढंग से किया जाता है।

प्रश्न 9.
छोटा नागपुर पठार के एक औद्योगिक संकुल के रूप में उभरने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
छोटा नागपुर का पठार भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है। इस क्षेत्र को ‘भारत का रूर’ कहा जाता है। इस प्रदेश की औद्योगिक उन्नति के निम्नलिखित कारण हैं

  • झरिया, रानीगंज, बोकारो तथा गिरडीह आदि क्षेत्रों से कोयला प्राप्त होता है जोकि यहाँ औद्योगिक शक्ति का मुख्य आधार है
    बिहार और उड़ीसा की खदानों से उत्तम कोटि का लोहा प्राप्त होता है
  • छोटा नागपुर के पठार से भारी मात्रा में बांस प्राप्त होता है, जोकि यहाँ कागज के उद्योग के लिए कच्चा माल है
  • इस क्षेत्र में रेल-मार्गों की सुविधाएँ प्राप्त हैं जो कि इसे कोलकाता बंदरगाह से जोड़ती हैं
  • इस क्षेत्र को सरकारी प्रोत्साहन की भी सुविधा प्राप्त है। इस कारण यह क्षेत्र बहुत उन्नत है।

प्रश्न 10.
सूती वस्त्र उत्पादन उद्योग मुंबई प्रदेश से अहमदाबाद की ओर बढ़ रहे हैं, क्यों?
अथवा
वस्त्रोत्पादन उद्योग मंबई प्रदेश से अहमदाबाद की ओर क्यों बढ़ रहा है? उपयुक्त उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग सबसे पहले बंबई (मुंबई) में स्थापित हुआ, क्योंकि यहाँ पर्याप्त मात्रा में पूँजी तथा विदेशों से आधुनिक मशीनरी मंगवाने की सुविधाएँ उपलब्ध थीं, परंतु कपास पंजाब, मध्य प्रदेश तथा गुजरात राज्यों से मंगवाई जाती थी। श्रमिकों की मज़दूरी बढ़ने तथा हड़तालों के कारण सूती वस्त्र उद्योग मुंबई से अहमदाबाद की ओर बढ़ा। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  • अहमदाबाद में कपास की पर्याप्त उपलब्धता
  • पर्याप्त मात्रा में पूँजी का होना
  • कारखानों के लिए खुले स्थानों की उपलब्धता।

प्रश्न 11.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है-

  1. कृषि पर आधारित उद्योग-सूती वस्त्र, चीनी उद्योग
  2. खनिज पर आधारित उद्योग-लौह-अयस्क, सीमेंट उद्योग
  3. वन पर आधारित उद्योग-कागज, लाख उद्योग
  4. चरागाह पर आधारित उद्योग-खाल, हड्डी, सींग उद्योग।

प्रश्न 12.
भारत के औद्योगिक विकास पर उदारीकरण के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में नई औद्योगिक नीति की घोषणा सन् 1991 में की गई थी। इस नीति की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • उदारीकरण
  • निजीकरण
  • वैश्वीकरण।

उदारीकरण की नीति से भारत के औद्योगिक विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ा। इस प्रक्रिया से औद्योगिक विकास में तेजी आई। सुरक्षा, सामरिक और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील केवल छः उद्योगों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुओं के लिए लाइसेंस निर्माण उद्योग की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी शेयरों में से कुछ भाग वित्तीय संस्थाओं तथा

आम लोगों को देने के फैसले से सरकार का नियंत्रण और निष्क्रियता कम हुई है। इसके साथ काम की क्षमता और निष्पादन बढ़े हैं। लाइसेंस मुक्त किसी भी उद्योग में निवेश के लिए सरकार से पूर्व अनुमति न लेने से उद्योगों के विकेंद्रीकरण को बढ़ावा मिला है। इससे दुर्गम और अविकसित क्षेत्रों में भी उद्योग लगने लगे हैं।

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प्रश्न 13.
शुद्ध कच्चे पदार्थ तथा कुल कच्चे पदार्थ में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शुद्ध कच्चे पदार्थ तथा कुल कच्चे पदार्थ में निम्नलिखित अंतर हैं-

शुद्ध कच्चे पदार्थकुल कच्चे पदार्थ
1. पृथ्वी से वास्तविक रूप से उपलब्ध तथा खनन किए गए पदार्थों को शुद्ध कच्चे पदार्थ कहते हैं।1. पृथ्वी में कुल उपस्थित प्राकृतिक संसाधनों को कुल कच्चे पदार्थ कहते हैं।
2. इनकी मात्रा निश्चित होती है।2. इनकी मात्रा अनिश्चित होती है।
3. इनका प्रयोग वर्तमान काल में विभिन्न उद्योगों में होता है।3. इनका उपयोग भविष्य में संभव है।
4. इनमें अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है।4. इनमें वैज्ञानिक अनुसंधानों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 14.
नई औद्योगिक नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
नई औद्योगिक नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. उद्योगों की कमियों और विकृतियों को सुधारना।
  2. उत्पादन वृद्धि की निरंतरता को बनाए रखना।
  3. रोजगार के ज्यादा-से-ज्यादा अवसर पैदा करना।
  4. उत्पादन को विश्व बाजार की प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना।
  5. उद्योगों से मिलने वाले लाभों को बनाए रखना।

प्रश्न 15.
चीनी उद्योग की मुख्य समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चीनी उद्योग की मुख्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  1. यह एक मौसम उद्योग है जो वर्ष में 4 या 5 महीने ही चीनी का उत्पादन करता है।
  2. भारत में गन्ने का प्रति हैक्टेयर उत्पादन कम है।
  3. चीनी में गंधक का प्रयोग किया जाता है जो कि भारत में बहत कम मिलती है।
  4. भारत में इन मिलों का उचित स्थानीयकरण नहीं है।
  5. इसके परिवहन पर अधिक व्यय आता है क्योंकि गन्ना ह्रासमान पदार्थ है।
  6. भारत में इस उद्योग को स्थापित करने के लिए तकनीकी ज्ञान की कमी है।
  7. इस उद्योग पर सरकार ने ऊँचे कर लगा रखे हैं।

प्रश्न 16.
स्पष्ट कीजिए कि कृषि और उद्योग किस प्रकार साथ-साथ बढ़ रहे हैं?
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और उद्योग का घनिष्ठ संबंध है। ये दोनों एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। दोनों का विकास साथ-साथ हो रहा है।

कृषि ने उद्योगों को सुदृढ़ आधारशिला प्रदान की है। कृषि अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल की पूर्ति का स्रोत है। गन्ना, तिलहन, कच्चा पटसन और कच्चा कपास ऐसे प्रमुख कृषि उत्पाद हैं जो खाद्य तेल उद्योग, चीनी उद्योग, पटसन उद्योग और कपड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल का काम करते हैं।

उद्योगों के विकास के कारण ही कृषि का विकास भी संभव हो पाया है। कृषि के लिए ट्रैक्टर, कम्बाइन, हार्वेस्ट जलपम्प और स्प्रिंग कलर इत्यादि उद्योगों से ही प्राप्त होते हैं। उर्वरक, कीटनाशक दवाइयाँ, पेट्रोल, डीजल और बिजली आदि का कृषि में उपयोग उद्योगों पर आधारित है।

स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग दोनों का विकास एक-दूसरे के विकास पर निर्भर करता है।

प्रश्न 17.
उद्योगों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है?
उत्तर:
पिछले दो दशकों से सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण उद्योग का योगदान 27 प्रतिशत में से 17 प्रतिशत ही रह गया है क्योंकि 10 प्रतिशत भाग खनिज खनन, गैस तथा विद्युत ऊर्जा का योगदान है।

भारत की तुलना में अन्य पूर्वी एशियाई देशों में विनिर्माण का योगदान सकल घरेलू उत्पाद का 25 से 35 प्रतिशत है। पिछले एक दशक से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि हुई है। वृद्धि की यह दर अगले दशक में 12 प्रतिशत अपेक्षित है। वर्ष 2003 से विनिर्माण क्षेत्र का विकास 9 से 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से हुआ है। उपयुक्त सरकारी नीतियों तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की नई कोशिशों से अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि विनिर्माण उद्योग अगले एक दशक में अपना लक्ष्य पूरा कर सकता है।

प्रश्न 18.
लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योग माना जाता है। इसे समस्त उद्योगों की कुंजी कहा जाता है क्योंकि इस पर अन्य सभी उद्योग आधारित हैं। इसलिए लोहा-इस्पात उद्योग भारत के तीव्र औद्योगिकीकरण की आधारशिला है।

कारण-लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहने के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. लगभग सभी उद्योगों के लिए मशीनें और उपकरण लोहा-इस्पात से ही बनाए जाते हैं।
  2. सभी प्रकार के हल्के, मध्यम, कुटीर एवं भारी उद्योग लोहा-इस्पात पर आधारित हैं।
  3. संचार एवं परिवहन भी लोहा-इस्पात पर आधारित हैं।
  4. भवन-निर्माण में भी लोहा-इस्पात का प्रयोग किया जाता है।
  5. कृषि के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्र एवं उपकरण; जैसे ट्रैक्टर, पम्प-सेट, हल, खुरपा और दराँती आदि सभी लोहा-इस्पात से ही बनाए जाते हैं।

प्रश्न 19.
महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
महाराष्ट्र और गुजरात में सती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. इन राज्यों की काली मिट्टी कपास की उपज के लिए अति उत्तम है। इसीलिए यहाँ अधिक कपास पैदा होती है।
  2. अधिक जनसंख्या के कारण यहाँ मजदूर और कारीगर सस्ते व आसानी से मिल जाते हैं।
  3. इन राज्यों में बैंकिंग प्रणाली विकसित है। यहाँ बहुत-से पूंजीपति रहते हैं। इसलिए इस उद्योग के विकास के लिए पूँजी प्राप्त हो जाती है।
  4. यहाँ यातायात एवं संचार के साधन विकसित हैं।
  5. यहाँ श्रम और बिजली दोनों ही आसानी से तथा सस्ती दर पर मिल जाती हैं।
  6. मुम्बई इस क्षेत्र का एक बहुत बड़ा प्राकृतिक पत्तन है। यहाँ मिश्र और संयुक्त राष्ट्र से लंबे रेशे की कपास मँगवाई जाती है। देश की मिलों में तैयार सूती कपड़ा विदेशों में भेजा जाता है।

प्रश्न 20.
विनिर्माण उद्योग का क्या महत्त्व है?
अथवा
“किसी भी देश की आर्थिक शक्ति को वहाँ के विनिर्माण उद्योग के विकास से मापा जाता है।” इस कथन की पुष्टि करें।
अथवा
“विनिर्माण उद्योग आर्थिक विकास की रीढ़ है।” उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग आर्थिक विकास की रीढ़ है। यह बात इसके महत्त्वों से स्पष्ट होती है; जैसे

  1. रोजगार-विनिर्माण उद्योग भारी मात्रा में प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाता है। इससे देश की गरीबी और बेरोजगारी कम हो रही है।
  2. विदेशी मुद्रा विनिर्मित उत्पादों के निर्यात से वाणिज्य और व्यापार बढ़ता है और आवश्यक विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
  3. प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग-प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से देश का विनिर्माण उद्योग विकसित हो गया है। इससे देश का आर्थिक विकास होता है।
  4. रोजमर्रा की जरूरतें विनिर्माण उद्योग रोजमर्रा की जरूरत की चीजें उत्पादित करता है, जिससे सामान्य व्यक्ति अपनी मूल जरूरतें पूरी कर सकता है।

प्रश्न 21.
राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड देश के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में बिजली के वितरण की अवसंरचना अथवा साधन है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विद्युत उत्पादन की दशाएँ एक-जैसी नहीं हैं और न ही विद्युत के स्रोत एक-जैसे हैं। परिणामस्वरूप कहीं तो विद्युत अधिशेष है और कहीं भारी माँग के कारण विद्युत की कमी है।

बिजली की कमी के कारण-बिजली की कमी के कारण निम्नलिखित हैं-

  • देश में विद्युत के उत्पादन की क्षमता बहुत ही कम है।
  • हमारे पास विद्युत के लिए एक भी राष्ट्रीय ग्रिड नहीं है।

राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड के लाभ-जब एक राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड बन जाएगा तो उसके निम्नलिखित लाभ होंगे

  • आपातकाल और अत्यधिक माँग के समय बिजली के अधिशेष क्षेत्रों से बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानान्तरण किया जा सकेगा।
  • क्षेत्रों के भीतर और विभिन्न क्षेत्रों के बीच बिजली की आपूर्ति नियमित हो जाएगी।
  • विद्युत उत्पादन केन्द्रों का इष्टतम उपयोग होगा।

राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पावर ग्रिड देश में बिजली की समस्या का स्थाई समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार ने सन 1980 में सिद्धान्त के रूप में अपने स्वामित्व और नियन्त्रण में राष्ट्रीय पावर ग्रिड की स्थापना को मंजूरी दी थी, जिसके विकास का दायित्व पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया को सौंपा गया। देश में पाँच क्षेत्रीय विद्युत ग्रिड हैं। इनका संचालन अलग-अलग होता है, एकीकृत ढंग से नहीं। ये ग्रिड हैं-

  • उत्तरी ग्रिड
  • पश्चिमी ग्रिड
  • दक्षिणी ग्रिड
  • पूर्वी ग्रिड
  • उत्तर-पूर्वी ग्रिड।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक तथा आर्थिक कारकों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इतिहास साक्षी है कि भारत की औद्योगिक प्रगति पश्चिमी देशों से अधिक थी। भारत में बनी वस्तुएँ विशेषकर वस्त्र और दस्तकारी, विश्व विख्यात थीं। विश्व के अनेक राष्ट्र भारत की वस्तुएँ लेने के लिए लालायित रहते थे। भारत धन-धान्य से परिपूर्ण तथा संपन्न था, इसी कारण भारत ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था।

अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना तथा उनकी गलत औद्योगिक नीति के फलस्वरूप भारतीय कुटीर उद्योगों को बहुत हानि यूरोप की औद्योगिक क्रांति के कारण मशीनी युग का श्रीगणेश हुआ और हमारे देश के परंपरागत उद्योग धीरे-धीरे लुप्त होते गए। भारत का कच्चा माल ब्रिटेन को भेजा जाने लगा और भारत मात्र कच्चे माल का उत्पादक क्षेत्र बनकर रह गया। ब्रिटेन में जो माल तैयार होकर आता था, उसको ऊँची कीमतों पर बेचा जाता था।

भारत में आधुनिक उद्योग सन् 1854 में प्रारंभ हुआ जब मुंबई में सूती वस्त्र की मिल स्थापित की गई। उसके बाद चीनी, सीमेंट, रसायन तथा अन्य उद्योग भी संचालित किए गए, लेकिन 1947 तक औद्योगिक विकास की दर धीमी रही।

एक उद्योग किसी स्थान पर उसी समय स्थापित होता है, जब वहाँ अधिक-से-अधिक भौगोलिक परिस्थितियाँ उपलब्ध हो जाती हैं। उद्योगों को स्थापित करने के लिए भौगोलिक, आर्थिक तथा राजनीतिक कारक महत्त्वपूर्ण होते हैं।

1. भौगोलिक कारक (Geographical Factors) उद्योगों को प्रभावित करने वाले प्रमुख भौगोलिक कारक निम्नलिखित हैं
(क) कच्चे माल की प्राप्ति (Availability of Raw Material) कच्चा माल उद्योगों के लिए एक आधारभूत कारक है। कच्चे माल की प्राप्ति उद्योगों के केंद्रीयकरण को आकर्षित करती है; जैसे उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग, महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग तथा छोटा नागपुर के पठार में लौह-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के लिए कच्चा माल उपलब्ध है।

(ख) शक्ति (Force)-उद्योगों को संचालित करने के लिए ऊर्जा या शक्ति के साधनों; जैसे कोयला, जल-विद्युत्, पेट्रोलियम तथा परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है; जैसे जमशेदपुर में लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना का कारण रानीगंज और झरिया से प्राप्त कोयले की शक्ति पर निर्भर है। पंजाब में औद्योगिक विकास में भाखड़ा नंगल जल-विद्युत् परियोजना का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

(ग) परिवहन एवं संचार (Transportation and Communication) कच्चे माल को उद्योगों तक पहुँचाने तथा निर्मित माल को बाजार तक उपलब्ध कराने के लिए परिवहन के साधनों का विकास आवश्यक है। सड़कों, रेलों तथा समुद्री यातायात के द्वारा औद्योगिक विकास प्रभावित होता है। कोलकाता, मुंबई, चेन्नई तथा दिल्ली जैसे महानगरों का औद्योगिक विकास वहाँ के यातायात के साधनों के कारण ही हुआ है। संचार के साधनों; जैसे डाक, टेलीफोन आदि का भी औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण स्थान है।

(घ) श्रम (Labour)-उद्योग-धंधों में कुशल एवं सस्ते श्रमिकों के कारण औद्योगिक विकास को बल मिलता है। कानपुर, फरीदाबाद, लुधियाना, जालंधर एवं मेरठ के औद्योगिक विकास में वहाँ के सस्ते एवं कुशल कारीगरों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

(ङ) जलवायु (Climate)-उद्योग-धंधों के कुशल संचालन के लिए वहाँ काम करने वाले कारीगरों के लिए जलवायु का स्वास्थ्यवर्धक होना आवश्यक है। कई उद्योग ऐसे हैं, जिनमें जलवायु का महत्त्वपूर्ण हाथ होता है, जैसे कपड़ा उद्योग के लिए नम जलवायु आवश्यक है, क्योंकि आर्द्र जलवायु में धागा कम टूटता है।

(च) सस्ती भूमि एवं बाजार (Easy availability of Land and Market)-उद्योगों की स्थापना के लिए सस्ती तथा पर्याप्त भूमि आवश्यक है। यही कारण है कि बड़े-बड़े नगरों से दूर उद्योग केंद्रित किए जाते हैं। दिल्ली, मुंबई तथा कोलकाता में भूमि की कीमतें अधिक होने से आस-पास के क्षेत्रों में औद्योगिक केंद्र विकसित हो गए हैं। उद्योगों में निर्मित माल की पूर्ति के लिए बाजार की निकटता भी आवश्यक है, जिससे कम परिवहन लागत पर उपभोक्ताओं को वस्तुएँ प्राप्त हो सकें।

2. आर्थिक कारक (Economic Factors)-प्रौद्योगिक विकास एवं विश्व-व्यापी उदारीकरण की नीति के कारण भौगोलिक कारकों से अधिक आर्थिक कारक महत्त्वपूर्ण हो चुके हैं।
(क) पूंजी (Capital) किसी भी उद्योग या कारखाने को स्थापित करने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है। दिल्ली, मुंबई एवं कोलकाता के समीपवर्ती क्षेत्रों में उद्योगों के केंद्रीयकरण का कारण इन महानगरों में बड़े-बड़े पूंजीपति तथा उद्योगपतियों का होना है।

(ख) बैंकिंग सुविधा (Banking Facility)-उद्योगों के केंद्रीयकरण में बैंकिंग सुविधा होना आवश्यक है, क्योंकि उद्योगपतियों को पैसा जमा करने तथा निकालने की सुविधा होनी चाहिए। आजकल अधिकांश लेन-देन बैंकों के माध्यम से ही होता है। छोटे उद्योगपतियों को पूंजी उचित ब्याज की दर पर बैंकों से प्राप्त हो जाती है।

(ग) बीमे की सुविधा (Facility of Insurance)-उद्योगपति जब करोड़ों रुपए का निवेश करते हैं, तो वे किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहते। कई बार भारी मशीनों या कारखानों में आग लग जाए या अन्य क्षति हो जाए या अन्य कोई दुर्घटना हो जाए तो इसके लिए वे बीमे की भी व्यवस्था करते हैं।

3. राजनीतिक कारक (Political Factors)-राजनीतिक कारक उद्योगों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
(क) सरकारी नीति (Government Policy)-भारत में 1991 के बाद जो उदारीकरण आया वह सरकार की नीति का परिणाम ही था। इससे अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भारत में प्रवेश हुआ तथा उससे भारत के अनेक भागों में उद्योग-धंधों की स्थापना हुई, जिससे स्थानीय जनता को रोजगार मिला तथा हमारा आर्थिक विकास अधिक हुआ। इसी प्रकार सरकार ने महानगरों में बढ़ते हुए प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कई उद्योगों को वहाँ से हटाकर समीपवर्ती क्षेत्रों में उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रोत्साहित किया जिससे प्रादेशिक असंतुलन भी कम होगा और महानगरों में बढ़ते हुए प्रदूषण पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।

(ख) राजनीतिक स्थिरता (Political Stability) उद्योगपति हमेशा यही प्रयास करते हैं कि उन क्षेत्रों या देशों में उद्योग स्थापित किए जाएँ जहाँ राजनीतिक रूप से स्थिरता हो, सरकारें स्थिर हों, जिससे उन्हें उनके उत्पादनों का अधिकतम लाभ मिल सके।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 2.
भारत में पेट्रो-रसायन उद्योग का वर्णन करें।
उत्तर:
पेट्रो-रसायन उद्योग-कच्चे खनिज तेल और प्राकृतिक गैस से अनेक प्रकार के रसायन और चिकने पदार्थ प्राप्त . होते हैं जिनका प्रयोग अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। इन सभी उद्योगों को सम्मिलित रूप से पेट्रो-रसायन उद्योग कहा जाता है। इन उद्योगों को निम्नलिखित चार उपवर्गों में बाँटा जाता है

  • बहुलक (पालिमस)
  • कृत्रिम रेशे
  • प्रत्याथस्लक
  • पृष्ठ सक्रियक मध्यवर्ती।

विकास (Development)-भारत में यह एक अपेक्षाकृत नया उद्योग है। सन् 1960 में देश में कार्बनिक रसायनों की माँग इतनी ज्यादा बढ़ गई कि कोयला, एल्कोहल और कैल्शियम कार्बाइड द्वारा तैयार किए गए रसायनों से उसे पूरा करना मुश्किल हो गया। इसी समय पेट्रोलियम परिष्करण उद्योग का तेजी से विस्तार हुआ। देश में व्याप्त इसी अनुकूल वातावरण के चलते सन् 1966 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड ने मुंबई के निकट ट्रांबे नामक स्थान पर पेट्रो-रसायन का पहला कारखाना लगाया।

सन् 1969 में कोयली तेल परिष्करणशाला पर एक ऐसा ही दूसरा कारखाना लगाया गया। वडोदरा में इंडियन पेट्रोकैमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (-IPCL) नामक सार्वजनिक क्षेत्र का पहला पेट्रो-रसायन संयंत्र लगाया गया। सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा पेट्रो-रसायन कारखाना बोंगई गाँव में स्थापित किया गया है। हल्दिया और बरौनी में भी पेट्रो-रसायन के दो संयंत्र लगाए गए हैं।

उद्योग का संकेंद्रण-तेल शोधन खनिज तेल आधारित सबसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है। सभी पेट्रो-रसायन उद्योग तेल शोधन-शालाओं के निकट अवस्थित मिलते हैं। भारत में मुंबई पेट्रो-रसायने उद्योग का केंद्र माना जाता है।

प्रशासनिक नियंत्रण-भारत में पेट्रो-रसायन उद्योग के विकास, दिशा-निर्देश और नियंत्रण के लिए निम्नलिखित संगठन कार्यरत हैं
1. इंडियन पेट्रोकैमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (IPCL) सार्वजनिक क्षेत्र का यह प्रतिष्ठान पालिमर्स, रसायन रेशों और रेशों के मध्यवर्ती जैसी वस्तुओं का उत्पादन और वितरण करता है। लगातार घाटे में चलने के कारण मार्च, 2001 में इसका विनिवेश करके इसे बंद कर दिया गया है। 4 जून, 2002 के बाद IPCL सरकारी कंपनी नहीं रही।

2. पेट्रोफिल्स को-ऑपरेटिव लिमिटेड (PCL)-यह देश की बुनकर सहकारी समितियों और भारत सरकार का संयुक्त उद्यम है। यह संगठन गुजरात के वडोदरा और नलधारी में स्थित कारखानों में पोलिएस्टर, फिलामैंट धागा व नायलान चिप्स का उत्पादन करता है।

3. सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (CIPET) यह संगठन प्लास्टिक के ज्ञान-विज्ञान के विकास हेतु विद्यार्थियों को प्रशिक्षण सेवाएँ प्रदा

प्रश्न 3.
भारत की नई औद्योगिक नीति की तीन प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
नई औद्योगिक नीति की घोषणा सन् 1991 में की गई थी। इस नीति की तीन प्रमुख विशेषताएँ हैं जो निम्नलिखित हैं-

  • उदारीकरण (Liberalisation)
  • निजीकरण (Privatisation)
  • वैश्वीकरण (Globalisation)।

1. उदारीकरण-नियंत्रित अर्थव्यवस्था के स्थान पर केंद्र सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनाई है। इससे अभिप्राय नियमों व प्रतिबंधों में ढील देने से है, जो उद्योगों के विकास में सहायक हो। उदारीकरण के लिए निम्नलिखित उपाय बताए गए हैं

  • उद्योगों की स्थापना के लिए लाइसेंस प्रणाली खत्म करना
  • बिना सरकार की अनुमति के औद्योगिक क्षमता का विस्तार करना
  • सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित उद्योगों की संख्या कम कर देना
  • विदेशी कंपनियों को भारत में उद्योग स्थापित करने की अनुमति देना
  • मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना तथा विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देना।

2. निजीकरण-सार्वजनिक क्षेत्र सक्षम और कुशल नहीं होता, यह सारे संसार में अनुभव किया जाने लगा था। सार्वजनिक क्षेत्र के प्रति मोह भंग की प्रक्रिया तब तेज हुई जब सन् 1980 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं का तिलिस्म बिखरने लगा। दूसरी ओर, विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में निजी क्षेत्र के कारण हो रही आर्थिक वृद्धि के कारण लोगों का निजीकरण में स बढ़ने लगा। निजीकरण वह सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा निजी लोग किसी सरकारी उद्यम के मालिक बन जाते हैं या उसका प्रबंध करते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में उद्यमों में सुधार की प्रक्रिया के उपाय निम्नलिखित हैं-

  • बीमार उद्योगों को बंद करना
  • भविष्य में सफल हो सकने वाले उद्योगों की पुनर्संरचना तथा पुनर्जीवन
  • कामगारों के हितों की पूरी रक्षा करना।

3. वैश्वीकरण-वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं

  • विदेशी कंपनियों को ऐसी सुविधाएँ देना कि वे भारत के विभिन्न आर्थिक क्रियाकलापों में निवेश कर सकें
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत में प्रवेश करते समय आने वाली दिक्कतों और प्रतिबंधों को हटाना
  • भारतीय कंपनियों का विदेशी कंपनियों को सहयोग देने की अनुमति देना तथा विदेशियों को संयुक्त उद्यम लगाने के लिए प्रोत्साहित करना
  • उदार आयात कार्यक्रम को लागू करना
  • पूँजी, वस्तुओं, सेवाओं, श्रमिक और संसाधनों को एक देश से दूसरे देश में स्वतंत्रतापूर्वक आ-जा सकने की अनुमति देना।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित औद्योगिक प्रदेशों का संक्षेप में वर्णन करें
(क) गुजरात औद्योगिक प्रदेश
(ख) बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश
(ग) छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश
(घ) गुड़गांव-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश
उत्तर:
(क) गुजरात औद्योगिक प्रदेश-यह औद्योगिक प्रदेश उत्तर में साबरमती के किनारे से दक्षिण में वडोदरा तक फैला हुआ है अर्थात् खंभात की खाड़ी के इर्द-गिर्द फैला यह क्षेत्र सूती वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रदेश में देश की लगभग 120 सूती मिलें हैं। अहमदाबाद स्वयं सूती वस्त्र का एक बहुत बड़ा केंद्र है। अहमदाबाद के अलावा वडोदरा तथा सूरत भी सूती वस्त्र का उत्पादन करते हैं।

सूती वस्त्र उद्योग के अतिरिक्त रेशमी वस्त्र, कागज, रसायन तथा दियासलाई उद्योग इस प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक इकाइयाँ हैं। वडोदरा सूती वस्त्र के साथ-साथ रसायन तथा दवाइयों के लिए भी विख्यात है। खंभात की खाड़ी में खनिज तेल के अपार भंडार हैं, जिससे यहाँ पेट्रो-रसायन उद्योगों का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। कच्छ की खाड़ी के सिरे पर स्थित कांडला बंदरगाह का इस क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है। इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में निम्नलिखित सुविधाओं का योगदान है

  • इस क्षेत्र में कच्चे माल के रूप में कपास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
  • यहाँ मुम्बई की तुलना में भूमि सस्ती है, जिससे उद्योगों को स्थापित करने एवं उसके विकास की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
    पूर्वी गुजरात एवं राजस्थान में सस्ता श्रम उपलब्ध है।
  • कांडला तथा मुम्बई बंदरगाहों से आयात एवं निर्यात की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • यहाँ रेल तथा सड़क यातायात की सुविधाएँ सुलभ हैं, जिससे कच्चे माल एवं निर्मित माल को लाने तथा ले जाने में सुविधा रहती है।
  • खंभात की खाड़ी में पेट्रोलियम की उपलब्धता से अनेक पेट्रो-रसायन उद्योगों की स्थापना में मदद मिली है।
  • इस प्रदेश में अनेक देशी तथा विदेशी कंपनियों के कारण अनेक बैंकों तथा बीमा कंपनियों की स्थापना हुई है।

(ख) बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश-इस औद्योगिक प्रदेश का विस्तार तमिलनाडु तथा कर्नाटक राज्यों में है। यह दक्षिण में मदुरई से लेकर उत्तर में बंगलुरु (बंगलौर) तक विस्तृत है। तीन महत्त्वपूर्ण केंद्रों मदुरई, कोयंबटूर तथा बंगलुरु में अधिक उद्योग-धंधे स्थापित हैं।

मदुरई वस्त्र उद्योग का बड़ा केंद्र है जो भारत के महत्त्वपूर्ण कपास क्षेत्र में स्थित है। कोयंबटूर तमिलनाडु का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इसे ‘तमिलनाडु का मानचेस्टर’ भी कहते हैं। यहाँ का दूसरा प्रमुख उद्योग चीनी उद्योग है, क्योंकि समीपवर्ती क्षेत्रों में गन्ना पर्याप्त मात्रा में उगाया जाता है। यहाँ केंद्रीय गन्ना अनुसंधान केंद्र स्थापित है जो गन्ने की गुणवत्ता और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। इस औद्योगिक प्रदेश में इन दो उद्योगों के अतिरिक्त इंजीनियरिंग, सीमेंट, चमड़ा, सिगरेट तथा फिल्म उद्योग भी विकसित हैं। पाइकारा जल-विद्युत केंद्र उद्योगों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।

लौर इस औद्योगिक प्रदेश का तीसरा महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ पर भारत के कुछ विशिष्ट उद्योग; जैसे हिंदुस्तान वायुयान निर्माण (HAL), हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT), दूरभाष उद्योग और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ कांच का सामान, चीनी-मिट्टी के बर्तन तथा ऊनी एवं रेशमी वस्त्र उद्योग भी विकसित हैं।

(ग) छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश-इसे बिहार और पश्चिमी बंगाल का औद्योगिक प्रदेश भी कहते हैं। इस औद्योगिक प्रदेश में भारत के विविध तथा विशाल खनिजों के भंडार हैं, इसलिए इस प्रदेश को भारत का रूर (Ruhr) भी कहा जाता है। इस प्रदेश में दामोदर घाटी के कोयले और बिहार तथा ओडिशा के लौह-अयस्क का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यहाँ भारी इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग आदि स्थापित हैं। इस क्षेत्र के विकसित होने के निम्नलिखित कारण हैं

  • उत्तम किस्म का लौह-अयस्क छोटा नागपुर के पठार में उपलब्ध है।
  • रानीगंज, झरिया और बोकारो के विशाल कोयला भंडार शक्ति के साधन के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं।
  • यह क्षेत्र परिवहन के साधनों के रूप में दक्षिणी एवं पूर्वी रेलवे से जुड़ा है।
  • बिहार के संथाल परगना का सस्ता श्रम उद्योगों के लिए उपलब्ध है।
  • दामोदर और उसकी सहायक नदियों से स्वच्छ जल की सुविधा प्राप्त है।
  • दामोदर घाटी परियोजना के विकास के फलस्वरूप सस्ती जल-विद्युत शक्ति उद्योगों के विकास में सहायक है।

(घ) गड़गांव-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश-इस औद्योगिक प्रदेश का विस्तार दिल्ली तथा उसके समीपवर्ती राज्यों; जैसे हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में हुआ है। इस औद्योगिक प्रदेश का विस्तार 1947 में हुआ। यह औद्योगिक प्रदेश आगरा, मथुरा, मेरठ, सहारनपुर के मध्य विकसित है और इस क्षेत्र की दूसरी पेटी हरियाणा में फरीदाबाद, गुड़गांव, सोनीपत तथा पानीपत तक फैली है। इस औद्योगिक पेटी के विकास में भाखड़ा-नंगल बांध की जल-विद्युत् तथा फरीदाबाद, नरेला और पानीपत की ताप-विद्युत् योजनाओं का विशेष योगदान है।

दिल्ली तथा समीपवर्ती औद्योगिक प्रदेश में चीनी, वस्त्र, रसायन, इंजीनियरिंग, कागज, इलेक्ट्रॉनिक्स और साइकिल उद्योग प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त फरीदाबाद में ट्रैक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, गुड़गांव (गुरुग्राम) में कार उद्योग, अंबाला में वैज्ञानिक मेरठ में खेल के सामान से संबंधित उद्योग तथा मथुरा में तेल परिष्करण-शाला इस प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक इकाइयाँ हैं। गाजियाबाद, सहारनपुर और यमुनानगर कृषि पर आधारित उद्योगों के केंद्र हैं। सोनीपतं साइकिल तथा रेवाड़ी पीतल के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 5.
हुगली औद्योगिक प्रदेश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हुगली औद्योगिक प्रदेश भारत का सबसे बड़ा तथा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है जो हुगली नदी के किनारे 100 कि०मी० की लंबाई तथा 3 कि०मी० की चौड़ाई में पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है। इसे कोलकाता औद्योगिक प्रदेश भी कहते हैं। इस औद्योगिक प्रदेश का विकास अंग्रेजों द्वारा किया गया। 17वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में बंगाल से आई और इन्होंने कोलकाता को अपनी सुविधानुसार विकसित किया। हुगली नदी के दोनों किनारों पर उद्योगों का केंद्रीयकरण हुआ है। नदी के दाएँ किनारे पर सिरामपुर, रिशरा, बांसबरिया, चांपदानी, वैद्यवारी, वेली, बैलूर, हावड़ा, शिवपुर, सौकरैल और बाएँ किनारे पर नेहाटी, काकीनाड़ा, टीटागढ़, अगरपाढ़ा, बेलगुरिया, आलम बाजार, कोलकाता, बजबज तथा बिलासपुर आदि स्थित हैं।

हुगली औद्योगिक प्रदेश में पटसन उद्योग सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग है। भारत की 90% पटसन मिलें इसी क्षेत्र में स्थापित हैं, दूसरा प्रमुख उद्योग कागज उद्योग है, जो नेहाटी, काकीनाड़ा और टीटागढ़ में है। सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र हावड़ा, मुर्शीदाबाद, हुगली, श्यामनगर, श्रीरामपुर आदि हैं। इस प्रदेश में इंजीनियरिंग उद्योग भी विकसित हैं। यहाँ डीजल इंजन, कपड़ा बुनने की मशीनें, सिलाई मशीनें तथा साइकिल आदि के कारखाने भी हैं। इसके अतिरिक्त बिजली का सामान बनाने और रसायन उद्योग भी उन्नत अवस्था में हैं।

उपरोक्त उद्योगों के अतिरिक्त इस प्रदेश में फिल्म उद्योग, जिनमें बांग्ला तथा हिंदी फिल्में बनाई जाती हैं, भी प्रसिद्ध हैं। इस औद्योगिक प्रदेश के विकास के निम्नलिखित कारण हैं –

  • इस औद्योगिक प्रदेश में कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। पटसन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है। साथ-ही-साथ लोहा, कोयला और अन्य खनिज पदार्थ भी इस प्रदेश की पृष्ठभूमि में उपलब्ध हैं।
  • इस औद्योगिक प्रदेश में शक्ति के साधन के रूप में कोयला तथा दामोदर घाटी परियोजना से जल-विद्युत् की सुविधा प्राप्त है।
    कोलकाता स्वयं एक विकसित बंदरगाह है, जिसमें सामान के आयात-निर्यात की सुविधा उपलब्ध है।
  • इस क्षेत्र में रेल तथा सड़कों का जाल बिछा है। यातायात की कोई समस्या नहीं है।
  • बिहार तथा पश्चिम बंगाल के पिछड़े हुए क्षेत्रों से सस्ते तथा कुशल श्रमिक मिल जाते हैं।
  • हुगली नदी के जल द्वारा पटसन उद्योग, कागज उद्योग तथा अन्य उद्योगों के लिए स्वच्छ एवं पर्याप्त जल की सुविधा उपलब्ध हो जाती है।
  • कोलकाता इस प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का दूसरा बड़ा नगर है, जहाँ पूंजी, बीमा तथा बैंकिंग की सुविधाएँ हैं।
    यह संपूर्ण क्षेत्र सघन जनसंख्या वाला है, जिससे निर्मित माल की बड़ी मांग है।

हुगली औद्योगिक प्रदेश की समस्याएँ एवं समाधान-
(1) सन् 1947 में देश के विभाजन के समय पटसन उत्पादक क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में चला गया, जिससे यहाँ के पटसन उद्योग को बहुत बड़ा धक्का लगा, लेकिन धीरे-धीरे पटसन के उत्पादन में वृद्धि से इस समस्या का कुछ समाधान निकाल लिया गया है।

(2) हुगली नदी में मिट्टी के निक्षेप के कारण पानी की गहराई निरंतर कम हो रही है। अतः खाड़ी के शीर्ष से कोलकाता पोताश्रय तक 97 कि०मी० लंबे मार्ग में बड़े जहाजों को आने-जाने के लिए कम-से-कम 9 मीटर गहरे पानी की आवश्यकता होती है। अतः पानी की गहराई बनाए रखने के लिए निक्षेपित मिट्टी को लगातार निकालते रहना चाहिए, इस समस्या के समाधान के लिए गंगा नदी पर फरक्का बांध का निर्माण किया गया।

(3) पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के कारण कोलकाता और असम के बीच जल संबंध टूट गए हैं, जिसके कारण परिवहन की लागत अधिक आती है।

(4) कोलकाता बंदरगाह पर पोताश्रय छोटा होने के कारण जहाजों को माल उतारने तथा लादने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इस समस्या के समाधान के लिए कोलकाता के दक्षिण में हल्दिया पोताश्रय का निर्माण किया गया है।

प्रश्न 6.
भारत में पाए जाने वाले उद्योगों का वर्गीकरण किन-किन आधारों पर किया जाता है?
उत्तर:
उद्योगों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार इस प्रकार से हैं-
1. प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर

  • कृषि आधारित-इन उद्योगों को चलाने के लिए कच्चा माल कृषि क्षेत्र से प्राप्त होता है। इनमें सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशमी वस्त्र, रबर, चीनी, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग आदि शामिल हैं।
  • खनिज आधारित-इन उद्योगों को चलाने के लिए कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है। लोहा तथा इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम, मशीन, औजार तथा पेट्रो-रसायन उद्योग इसके उदाहरण हैं।

2. प्रमुख भूमिका के आधार पर

  • भूत उद्योग-ये वे उद्योग होते हैं जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर हैं; जैसे लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन व एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग।
  • उपभोक्ता उद्योग-ये वे उद्योग होते हैं जो अपना उत्पादन उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु करते हैं; जैसे चीनी, दंतमंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि।

3. श्रम एवं पूँजी निवेश के आधार पर
(क) श्रम-प्रधान उद्योग-

  • जिन उद्योगों में मजदूरों की एक बहुत बड़ी संख्या काम करती है और पूँजी का कम महत्त्व होता है, उन्हें श्रम-प्रधान उद्योग कहते हैं।
  • इन उद्योगों में अधिक मजदूर काम करते हैं और मशीनों का कम प्रयोग होता है।
  • पटसन उद्योग, रेल, डाक और वस्त्र उद्योग श्रम-प्रधान उद्योग हैं।

(ख) पूँजी-प्रधान उद्योग-

  • जिन उद्योगों की स्थापना और विकास में बड़े पैमाने पर पूँजी की जरूरत होती है और श्रम का इतना अधिक महत्त्व नहीं होता, उन्हें पूँजी-प्रधान उद्योग कहते हैं।
  • इन उद्योगों में अधिकतर काम मशीनों द्वारा किया जाता है।
  • लोहा-इस्पात उद्योग, जलयान-निर्माण उद्योग, तेल परिष्करणशाला उद्योग पूँजी-प्रधान उद्योग हैं।

4. स्वामित्व के आधार पर
(क) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार के किसी संगठन के पास होता है, उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे भारतीय रेल उद्योग, भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला के इस्पात उद्योग।

(ख) निजी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व किसी एक या कुछ व्यक्तियों या कंपनियों के पास होता है, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे-जमशेदपुर में टाटा लौह-इस्पात उद्योग।

(ग) सम्मिलित क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य एवं कुछ लोगों या निजी फर्मों के पास सम्मिलित रूप से होता है, उन्हें सम्मिलित क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे इंडियन ऑयल कम्पनी लिमिटेड।

(घ) सहकारी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व और प्रबंध एक वर्ग के लोगों के हाथ में होता है और यह वर्ग उस उद्योग के लिए कच्चे माल का उत्पादक भी होता है, उन्हें सहकारी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे महाराष्ट्र के चीनी उद्योग।

5. कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर
(क) भारी उद्योग-

  • ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही भारी होते हैं तथा अधिकांश कार्य मशीनों की सहायता से किया जाता है।
  • लोहा-इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि भारी उद्योगों के उदाहरण हैं।
  • इनमें तैयार माल और कच्चे माल का परिवहन खर्च अधिक होता है।

(ख) हल्के उद्योग-

  • ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही हल्के होते हैं तथा इनमें महिला श्रमिक भी काम करती हैं।
  • बिजली के पंखे, सिलाई मशीनें, रेडियो आदि बनाने वाले उद्योग हल्के उद्योगों की श्रेणी में आते हैं।
  • इनमें परिवहन खर्च कम आता है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 7.
भारत में लोहा-इस्पात उद्योग की प्रगति की समीक्षा कीजिए तथा उन तत्त्वों की विवेचना कीजिए जिन्होंने इसके स्थानीयकरण को प्रभावित किया है।
अथवा
भारत में लौह एवं इस्पात के प्रमुख कारखानों का संक्षिप्त विवरण दीजिए तथा प्रत्येक कारखाने के स्थानीयकरण की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारत में लौह-इस्पात उद्योग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry) प्रगतिशील राष्ट्र में प्रत्येक उद्योग के लिए लोहा एवं इस्पात की आवश्यकता होती है। भारी मशीनों से लेकर छोटे-छोटे पुों तक में इसका उपयोग होता है, इसलिए इसे आधारभूत उद्योग (Key Industry) कहते हैं।

भारत का यह उद्योग अत्यंत प्राचीन है। इतिहास में इस बात के प्रमाण हैं कि दमिश्क की तलवारों के लिए लोहा भारत से जाता था। दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार के निकट लौह-स्तम्भ इस बात का प्रमाण है कि भारत में इस्पात बनाने की कला कितनी उन्नत थी, क्योंकि अभी तक भी इस पर जंग नहीं लगा। अंग्रेजी साम्राज्य के दौरान न तो अंग्रेजों ने चाहा कि भारत में कोई आधारभूत उद्योग पनपे और न ही उन्होंने इस दिशा में कारीगरों को प्रोत्साहित किया, जिसके कारण उद्योगों का विकास 19वीं और 20वीं शताब्दी के मध्य तक बहुत मंद रहा।

देश में आधुनिक लौह-इस्पात का कारखाना पश्चिमी-बंगाल में कुल्टी नामक स्थान पर सन् 1870 में ‘बंगाल आयरन वर्क्स’ के नाम से खोला गया, लेकिन 40 वर्षों तक उत्पादन में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। सन् 1907 में बिहार में सांची नामक स्थान पर जमशेद जी टाटा के प्रयासों से टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना से इस उद्योग को काफी बल मिला। इस कंपनी का उत्पादन निरंतर बढ़ता गया और अब जमशेदपुर (TISCO) देश के इस्पात उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कंपनी (IISCO) ने सन् 1919 में बर्नपुर में तथा सन् 1923 में कर्नाटक में भद्रावती में इस्पात कारखाने स्थापित किए। भद्रावती का कारखाना पहले निजी क्षेत्र में था, लेकिन अब संयुक्त रूप से केंद्र सरकार तथा कर्नाटक सरकार के स्वामित्व में प्रसिद्ध इंजीनियर डॉ० विश्वेश्वरैया के नाम पर ‘विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील वर्क्स लिमिटेड’ के नाम से कार्यरत है।

प्रमुख इस्पात इकाइयाँ (Main Steel Plants) सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए सन् 1973 में एक नई कंपनी ‘भारतीय इस्पात प्राधिकरण’ (SAIL) की स्थापना की गई। वर्तमान में SAIL पाँच इस्पात कारखानों भिलाई, बोकारो, दुर्गापुर, राउरकेला तथा बर्नपुर का प्रबंधन तथा संचालन कर रहा है। निजी क्षेत्र में टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी, जमशेदपुर देश का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना है। इसके अलावा जिंदल विजयनगर इस्पात लिमिटेड, बेल्लारी, इस्पात इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, रायगढ़, एस्सार इस्पात लिमिटेड, हजीरा आदि मुख्य हैं।
1. टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी (TISCO)-जमशेद जी टाटा द्वारा सन् 1907 में जमशेदपुर में आधुनिक किस्म का कारखाना स्थापित किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध तक इस कारखाने ने विशेष उन्नति नहीं की। इस कारखाने में लौह-इस्पात का उत्पादन सन् 1911 से शुरू हुआ। इस उद्योग के स्थानीयकरण में अनेक भौगोलिक सुविधाओं की उपलब्धता है।

  • कच्चा लोहा झारखंड में सिंहभूम जिले की नोआमुण्डी और ओडिशा की गुरुमहिसानी से प्राप्त होता है। ये दोनों खाने 100 वर्ग कि०मी० के क्षेत्र में स्थित हैं, इनमें उत्तम कोटि का हैमेटाइट लोहा उपलब्ध है।
  • कोयला 270 कि०मी० की दूरी पर रानीगंज तथा झरिया से प्राप्त होता है।
  • चना एवं डोलोमाइट ओडिशा के गंगपर से तथा मैंगनीज बिहार व कछ मध्य प्रदेश से मंगवाया जाता है।
  • जमशेदपुर नगर स्वर्ण रेखा तथा खोरकाई नदियों के निकट स्थित होने से लोहे को ठण्डा करने तथा कारखाने के अन्य उपयोग के लिए यहाँ जल की उचित सुविधा उपलब्ध है।

2. इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कंपनी (IISCO) इस कंपनी के कारखाने पश्चिमी बंगाल में कुल्टी, बर्नपुर तथा हीरापुर में हैं। कुल्टी बाराकर नदी के तट पर कोलकाता से 215 कि०मी० की दूरी पर उत्तर पश्चिम में तथा हीरापुर आसनसोल से दक्षिण में 6 कि०मी० की दूरी पर स्थित है। दूसरी इकाई कुल्टी में हीरापुर से 16 कि०मी० पश्चिम में तथा तीसरी इकाई बर्नपुर में आसनसोल से 5 कि०मी० दक्षिण पश्चिम में है। कुल्टी के कारखाने में इस्पात-पिण्ड तथा हीरापुर में लौह-पिण्ड और बर्नपुर में तैयार इस्पात बनाया जाता है। ये तीनों कारखाने संगठित रूप से कार्य करते हैं। सन 1976 से इनका प्रबंधन भारतीय इस्पात प्राधिकरण कर रहा है।

इन केंद्रों में निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं-

  • लोहा झारखण्ड की सिंहभूम तथा ओडिशा की म्यूरभंज की बादाम पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
  • कोयला निकटवर्ती झरिया एवं रानीगंज की खानों से मंगवाया जाता है।
  • चूने का पत्थर पाराघाट तथा गंगपुर से उपलब्ध हो जाता है।
  • इस कारखाने को दामोदर नदी से जल की सुविधा प्राप्त है।
  • बिहार एवं पश्चिमी बंगाल से सस्ता श्रम उपलब्ध है।
  • यातायात की सुविधा आसनसोल जंक्शन से प्राप्त है।

कोलकाता तथा हुगली के औद्योगिक क्षेत्र यहाँ से 200 कि०मी० दूर हैं। इसकी उत्पादन क्षमता एक लाख टन की है। बर्नपुर संयंत्र की इस्पात उत्पादन क्षमता लगभग 3.5 लाख टन प्रतिवर्ष है।।

3. विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील वर्क्स लिमिटेड (VISWL)-कर्नाटक राज्य में भद्रावती के किनारे सन् 1923 में मैसूर आयरन एण्ड स्टील कंपनी के नाम से कारखाने की स्थापना हुई, लेकिन अब यह संयुक्त उपक्रम है, जिसका संचालन केंद्र सरकार तथा कर्नाटक सरकार करती है। इस उद्योग के लिए निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं

  • लोहा (अयस्क) कादूर जिले के बाबाबूदान की पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
  • यहाँ कोयले की सविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन समीपवर्ती क्षेत्रों से लकडी के ईंधन का प्रयोग किया जाता है, लेकिन अब शिमसा विद्युत केंद्र से शक्ति के रूप में विद्युत भी प्राप्त है।
  • चूने का पत्थर भद्रावती से केवल 10 कि०मी० की दूरी पर भण्डीगुड्डा से प्राप्त होता है।
  • माल लाने तथा ले जाने के लिए यातायात, के साधन, विशेषकर रेल यातायात उपलब्ध है। यहाँ उत्तम किस्म का मिश्रित इस्पात बनाया जाता है। वर्तमान में यह कंपनी कर्नाटक सरकार तथा SAIL के स्वामित्व में है।

4. हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड (Hindustan Steel Limited) स्वतंत्रता के पश्चात् देश में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्य से भारत सरकार ने तीन कारखानों की स्थापना, राउरकेला, भिलाई एवं दुर्गापुर में की। ये सभी कारखाने विदेशी सहायता से चलाए जाते हैं। प्रारंभ में इन सभी कारखानों की उत्पादकता का लक्ष्य 10 लाख टन प्रति कारखाना निर्धारित किया गया था।
(क) राउरकेला – राउरकेला स्टील प्लांट ओडिशा राज्य में सारन तथा कोयना नदियों के संगम पर स्थित है। इस केंद्र को जर्मनी के सहयोग से स्थापित किया गया है। प्रारंभ में इसकी उत्पादन क्षमता 10 लाख टन इस्पात तैयार करने की थी, लेकिन अब यह 18 लाख टन से अधिक लोहा तथा इस्पात तैयार करता है।

इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं-

  • लौह-अयस्क 80 कि०मी० की दूरी पर बरसुआ की खानों से प्राप्त होता है।
  • कोयला झरिया, बोकारो तथा करगली की खानों से मंगवाया जाता है।
  • 150 कि०मी० की दूरी पर हीराकुण्ड बांध से जल-विद्युत प्राप्त की जाती है।
  • डोलोमाइट मध्य प्रदेश की हीरा खानों से उपलब्ध है।
  • चूना पत्थर 25 कि०मी० दूर हाथीबाड़ी से प्राप्त किया जाता है।
  • दक्षिणी-पूर्वी रेल मार्ग पर स्थित होने के कारण यातायात की पूर्ण सुविधा है।

(ख) भिलाई-इस लौह-इस्पात केंद्र की स्थापना सन् 1957 में तत्कालीन सोवियत रूस की सहायता से की गई। यह कारखाना छत्तीसगढ़ में भिलाई नामक स्थान पर रायपुर से पश्चिम में 22 कि०मी० दूर दुर्ग-रायपुर रेलमार्ग पर बनाया गया है। यह भारत का सबसे आदर्श संयंत्र माना जाता है। यह देश का सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र भी है। इस कारखाने में लगभग 40 लाख टन इस्पात तथा लगभग 31.53 लाख टन तैयार इस्पात का निर्माण होता है। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं

  • लौह-अयस्क 80 कि०मी० दक्षिण में डाली-राझरा लौह-क्षेत्र से प्राप्त होता है।
  • कोयला झरिया तथा कोरवा की खानों से आता है।
  • चूने का पत्थर 25 कि०मी० की दूरी पर नंदनी क्षेत्र से प्राप्त होता है।
  • तेंदुला नहर से जल की सुविधाएँ प्राप्त हैं।
  • मैंगनीज़ वारसियोनी की खानों से प्राप्त होता है।
  • निकटवर्ती क्षेत्रों में सस्ता तथा कुशल श्रम उपलब्ध है।

(ग) दुर्गापुर-यह केंद्र पश्चिमी बंगाल में आसनसोल के निकट सन् 1959 में स्थापित किया गया है। यह ब्रिटिश सरकार की आर्थिक एवं तकनीकी सहायता से संचालित है। सन् 1987-88 में इस कारखाने की उत्पादन क्षमता 9.36 लाख टन इस्पात पिण्ड तथा 8.3 लाख टन तैयार इस्पात उत्पादन करने की थी, लेकिन इस समय में यह केंद्र लगभग 16 लाख टन इस्पात पिण्ड तथा लगभग 12.5 लाख टन तैयार इस्पात का उत्पादन करता है। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएं प्राप्त हैं

  • लौह-अयस्क बिहार की खानों से प्राप्त होता है।
  • कोयला झरिया की खानों से मंगवाया जाता है।
  • चूना-पत्थर हाथीबाड़ी की खानों से प्राप्त किया जाता है, लेकिन सुंदरगढ़ से भी भविष्य में चूना पत्थर प्राप्त होने की संभावना है।
  • मैंगनीज़ ओडिशा के बराविल क्षेत्र से प्राप्त होता है।
  • जल की सुविधा दामोदर नदी पर बने दुर्गापुर बैराज से प्राप्त है।
  • कोलकाता आसनसोल रेलमार्ग पर स्थित होने के कारण यातायात की अच्छी सुविधा प्राप्त है।

(घ) बोकारो-हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड का यह चौथा कारखाना है। यह केंद्र सन् 1964 में बिहार राज्य के हजारीबाग जिले में बोकारो तथा दामोदर नदी के संगम पर स्थापित किया गया है। इस कारखाने को भी आर्थिक एवं तकनीकी सहायता तत्कालीन सोवियत रूस से प्राप्त थी। प्रारंभ में इसकी उत्पादन क्षमता 10 लाख टन निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में चार गुना बढ़ा दी गई। वर्तमान में इस केंद्र में 7.80 लाख टन कच्ची इस्पात तथा लगभग 30 लाख टन बिक्री योग्य इस्पात तैयार की गई। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • लौह-अयस्क ओडिशा के क्योंझर जिले में 250 कि०मी० की दूरी से मंगवाया जाता है।
  • बोकारो स्वयं कोयले का क्षेत्र है तथा कुछ कोयला झरिया से भी मंगवाया जाता है।
  • दामोदर घाटी परियोजना (DVC) से सस्ती जल-विद्युत भी उपलब्ध है।
  • बिहार के पलामू जिले से चूने का पत्थर मंगवाया जाता है।
  • यह केंद्र कोलकाता बंदरगाह से 300 कि०मी० की दूरी पर स्थित होने के कारण व्यापार के लिए भी सुविधाजनक है।
  • रेल यातायात एवं श्रमिकों की सुविधाएँ भी इस केंद्र को प्राप्त हैं।

उपर्युक्त कारखानों के अतिरिक्त हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड ने 3 इस्पात केंद्रों की योजना पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में तैयार की, जिनमें तमिलनाडु में सेलम, आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम तथा कर्नाटक में विजयनगर क्षेत्र मुख्य हैं। तमिलनाडु के सेलम केंद्र ने सन् 1982 से उत्पादन शुरू कर दिया है। विशाखापट्टनम् का केंद्र अति आधुनिक मशीनों एवं सुविधाओं के साथ स्थापित है।

प्रश्न 8.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास तथा वितरण का विस्तृत वर्णन करें।
अथवा
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण व उत्पादन का वर्णन करें।
उत्तर:
जिन उद्योगों को कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, उन्हें कृषि पर आधारित उद्योग कहते हैं। इनमें वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, चमड़ा उद्योग तथा तेल उद्योग प्रमुख हैं। वस्त्र उद्योग के अंतर्गत सूती वस्त्र, रेशमी वस्त्र, ऊनी कृत्रिम रेशम के वस्त्र सम्मिलित हैं।

सूती वस्त्र उद्योग (Cotton Textile Industry) भारतीय सूती वस्त्र उद्योग अत्यंत प्राचीन है। ईसा से 4,000 वर्ष पूर्व यहाँ के वस्त्रों की विश्व में ख्याति थी। ‘ढाका की मलमल’ संपूर्ण विश्व में विख्यात थी, किंतु उस समय यह उद्योग घरेलू उद्योग के रूप में विकसित था। साधारण उपकरणों की सहायता से वस्त्र बनाए जाते थे। श्रम तथा समय अधिक लगने के कारण कपड़े की उत्पादन लागत अधिक थी। यूरोप में मशीनी क्रांति के कारण विद्युत संचालित यंत्रों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय कपड़े की कीमतें अधिक होने के कारण भारतीय कपड़ा विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा से हट गया। भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान इस उद्योग की अत्यंत क्षति हुई। भारतीय कपास मानचेस्टर (ब्रिटेन) सूती वस्त्र उद्योग के लिए भेजी जाने लगी और भारतीय वस्त्र का गौरवशाली इतिहास लुप्त हो गया।

सन् 1851 में भारत में मुंबई में पहली आधुनिक मिल की स्थापना हुई। मुंबई की अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों (कपास तथा अनुकूल जलवायु) ने इस उद्योग के विकास को प्रोत्साहित किया। सन् 1861 में अहमदनगर में शाहपुर मिल तथा सन् 1863 में कैलिकों मिल की स्थापना की गई। स्वतंत्रता के बाद भारत में इस उद्योग को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए गए। भारत पुनः कपडे के उत्पादन में विश्व में अपना प्रमुख स्थान बनाने के प्रयास में है। आज भारत में अनेक किस्मों का कपड़ा तैयार किया जाता है, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग है।

उत्पादन एवं वितरण (Production and Distribution) देश की अर्थव्यवस्था में सूती वस्त्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वर्ष 2012 में 2708 सूती वस्त्र निर्माण मिलें थीं। इनमें से 192 मिलें सार्वजनिक क्षेत्र में, 153 मिलें निगम अथवा सहकारी क्षेत्र .. में तथा अन्य 2,363 मिलें निजी क्षेत्र में थीं। 1951 में संगठित सेक्टर का उत्पादन 81% था। देश में उत्पादित सूती वस्त्र का 83.1% विकेन्द्रित सेक्टर में पावरलूम द्वारा व 12.2% हैंडलूम द्वारा व 1.4% अन्य द्वारा उत्पादित किया जाता है। हमारे देश में असंगठित क्षेत्र में सूती वस्त्र बनाने के 3,500 से अधिक छोटे-छोटे कारखाने हैं जहाँ लगभग एक करोड़ श्रमिक काम करते हैं। 2016-17 में देश में सूती वस्त्र का उत्पादन लगभग 33.09 मिलियन टन हुआ। 2017-18 में यह उत्पादन घटकर लगभग 32.27 मिलियन टन हो गया।

राष्ट्र महाराष्ट्र राज्य सूती वस्त्र के उत्पादन में भारत का प्रथम राज्य है, जो भारत का 38% कपड़ा तैयार करता है। इस राज्य में सूती वस्त्र की लगभग 125 मिलें हैं, जिनमें से 65 मिलें अकेले मुंबई महानगर में हैं, इसलिए मुंबई को ‘भारत का मानचेस्टर’ कहते हैं। मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित अनुकूल भौगोलिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • मुंबई के पृष्ठ प्रदेश में काली मिट्टी का क्षेत्र है जो कपास के उत्पादन के लिए सर्वोत्तम क्षेत्र है अर्थात् कच्चे माल की पूर्ति आसानी से पर्याप्त रूप से हो जाती है
  • समुद्र तट पर स्थित होने के कारण मुंबई की जलवायु नम तथा आर्द्र है, जिसमें धागा आसानी से टूटता नहीं है तथा वस्त्र बनाने में आसानी रहती है
  • मुंबई के निकट पश्चिमी घाट में कई जल विद्युत् केंद्र स्थापित हैं, जिससे ऊर्जा का संकट नहीं है
  • मुंबई स्वयं भारत की एक प्रमुख बंदरगाह है जिससे भारी मशीनों के आयात एवं निर्मित माल को भेजने में सुविधा रहती है
  • मुंबई महानगर देश के विभिन्न भागों से रेल लाइनों तथा सड़कों से जुड़ा हुआ है, जिससे यातायात की पूर्ण सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

2. गुजरात-सूती वस्त्र के उत्पादन में गुजरात का दूसरा स्थान है। अहमदाबाद सूती वस्त्र का सबसे बड़ा केंद्र है। यहाँ सूती कपड़े की लगभग 73 मिलें हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण केंद्र भावनगर, पोरबंदर, राजकोट आदि हैं। संपूर्ण गुजरात में सूती कपड़े की 120 से अधिक मिलें हैं। अहमदाबाद में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित अनुकूल सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • अहमदाबाद कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
  • आर्द्र एवं नम जलवायु है
  • मुंबई तथा अन्य महानगरों की तुलना में यहाँ भूमि सस्ती है जिससे उद्योगों के स्थानीयकरण को बढ़ावा मिलता है
  • सस्ती जल-विद्युत् उपलब्ध है
  • सस्ते एवं कुशल श्रमिक उपलब्ध हैं
  • अहमदाबाद यातायात एवं संचार के साधनों द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण महानगरों से जुड़ा हुआ है।

3. मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश में कपास बहुतायत में उत्पन्न होती है। शक्ति के साधन के रूप में कोयले की खाने हैं तथा सस्ते श्रमिक भी उपलब्ध हैं। मध्य प्रदेश राज्य में इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, जबलपुर एवं भोपाल प्रमुख सूती वस्त्र के उत्पादक केंद्र हैं।

4. उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश में कच्चा माल (कपास) उत्पन्न नहीं होता फिर भी यहाँ सती वस्त्र के कारखाने हैं। कच्चे माल के आ राज्य में अन्य सभी भौगोलिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। कानपुर राज्य सूती वस्त्र का सबसे बड़ा उत्पादक केंद्र है। यहाँ सूती वस्त्र की 17 मिलें हैं। इसे उत्तर प्रदेश का ‘मानचेस्टर’ कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या सघन होने के कारण श्रमिक पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। कानपुर के अतिरिक्त आगरा, वाराणसी, मुरादाबाद, बरेली, मोदीनगर, रामपुर और मिर्जापुर में भी सूती वस्त्र की मिलें हैं।

5. पश्चिमी बंगाल-मुंबई की तरह कोलकाता भी भारत की प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ की जलवायु सूती वस्त्र उद्योग के लिए आदर्श है। कोलकाता स्वतंत्रता के पूर्व से ही विकसित महानगर रहा है। अनेक पूंजीपतियों एवं उद्योगपतियों का केंद्र कोलकाता, निवेश के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध करवाता है तथा सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना में भी इनका मुख्य हाथ रहा है। कोलकाता बंदरगाह से दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों से आयात-निर्यात की सुविधा है। कोलकाता हुगली, हावड़ा, मुर्शीदाबाद, सेरमपुर, पानीहर आदि वस्त्र उद्योग के केंद्र हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग 1

6. तमिलनाडु-तमिलनाडु दक्षिणी भारत का प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक राज्य है। यहाँ देश की सबसे अधिक 208 सूती वस्त्र की मिलें हैं, लेकिन ये छोटी-छोटी मिलें हैं, जिसके कारण उत्पादन अधिक नहीं है। तमिलनाडु में कोयंबटूर सबसे बड़ा केंद्र है। इसके अतिरिक्त चेन्नई, मदुरै, त्रिनेवली, सेलम, पैरांबूर, कोकनाडा आदि प्रमुख केंद्र हैं।

7. अन्य राज्य-

  • आंध्र प्रदेश व तेलंगाना हैदराबाद, सिकंदराबाद, गुंटूर, वारंगल तथा देवगिरी।
  • कर्नाटक मैसूर, बंगलौर, बिलारी, मंगलौर, चित्तल दुर्ग।
  • बिहार-पटना, गया, भागलपुर, भदानी।
  • केरल-त्रिवेंद्रम, अलगप्पा, चलापुरम, पापनीसेरी।
  • पंजाब-फगवाड़ा, अमृतसर, लुधियाना।
  • हरियाणा-भिवानी, रोहतक, हिसार।

प्रश्न 9.
मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश का वर्णन कीजिए।
औद्योगिक क्षेत्र से आप क्या समझते हैं? भारत में मुंबई-पुणे औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र या प्रदेश का अर्थ (Meaning of Industrial Region)-भारत में उद्योगों का केंद्रीकरण कुछ विशिष्ट स्थानों या प्रदेशों में हुआ है। उसके कई कारण हैं, जहाँ पर उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिल जाती हैं, वहीं उद्योगों का जमघट या समूह मिलता है, जिन्हें औद्योगिक क्षेत्र, समूह अथवा औद्योगिक प्रदेश कहते हैं। भारत औद्योगिक दृष्टि से विकासोन्मुख राष्ट्र है, लेकिन औद्योगिक विकास कुछ विशिष्ट क्षेत्रों या प्रदेशों तक सीमित रह गया है। देश में समान रूप से इनका वितरण नहीं है। औद्योगिक प्रदेश या गुच्छ को पहचानने के अग्रलिखित आधार हैं

  • उद्योग पास-पास तथा अधिक संख्या में हों।
  • विशाल जनसंख्या तथा श्रमिकों को रोजगार की सुविधाएँ उपलब्ध हों।
  • किसी प्रमुख उद्योग के साथ-साथ उस पर निर्भर कुछ अन्य छोटे उद्योग भी हों।

मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश यह देश का दूसरा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है। इस प्रदेश का प्रमुख उद्योग सूती वस्त्र उद्योग है। यहाँ देश का लगभग 40% सूती वस्त्र तैयार किया जाता है। इस औद्योगिक प्रदेश की पृष्ठभूमि में कपास पर्याप्त मात्रा में मिलती है। मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग के अतिरिक्त रेशमी तथा ऊनी वस्त्र उद्योग भी विकसित हैं। औषधि-निर्माण उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग, वनस्पति तेल और बिजली का सामान तैयार करने के उद्योग भी इस प्रदेश में विकसित हैं। फिल्म उद्योग के लिए मुंबई विश्व भर में प्रसिद्ध है, इसलिए इसे भारत का हॉलीवुड भी कहते हैं। इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में निम्नलिखित कारकों का योगदान है-

  • इस औद्योगिक प्रदेश में अंग्रेजी शासन-काल से ही उद्योग स्थापित थे।
  • इस प्रदेश की पृष्ठभूमि में काली मिट्टी का क्षेत्र, जो कपास के लिए वरदान है, सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चे माल की पूर्ति करने में सक्षम है।
  • पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में जल-विद्युत् से उद्योगों के लिए ऊर्जा की पूर्ण व्यवस्था है।
  • मुंबई भारत की व्यापारिक एवं व्यावसायिक राजधानी है, जहाँ बैंकिंग, बीमा तथा बड़े-बड़े पूंजीपति और विदेशी कंपनियाँ भी रहती हैं, जिससे औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन मिला है। इस औद्योगिक प्रदेश में यातायात की सभी सुविधाएँ, सड़क, रेल, जल और वायु मौजूद हैं। मुंबई देश के सभी प्रमुख नगरों में परिवहन इन सुविधाओं द्वारा जुड़ा है।

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प्रश्न 10.
भारत में चीनी उद्योग के वितरण व उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चीनी उद्योग का वितरण-भारत में विश्व का सबसे अधिक गन्ना उत्पन्न होने के बावजूद भी चीनी के उत्पादन में हमारा क्यूबा के बाद दूसरा स्थान है। हमारे देश में चीनी के अतिरिक्त गन्ने से खांड तथा गुड़ भी बनाए जाते हैं। कारखाने पुराने तथा उनकी क्षमता कम है। गन्ने की प्रजाति उन्नत किस्म की नहीं है। चीनी उद्योग मौसमी उद्योग होने के कारण इसमें श्रमिकों को स्थायी रूप से रोजगार नहीं दिया जा सकता तथा पिराई के समय श्रमिकों का अभाव बहुत बड़ी समस्या है। चीनी उद्योग के स्थानीयकरण में गन्ने की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए चीनी मिलें गन्ने के उत्पादन क्षेत्रों में लगाई जाती हैं। गन्ना भारी होने के कारण इसका परिवहन व्यय अधिक आता है। भारत की लगभग 90% चीनी देश के 6 राज्यों में उत्पन्न होती हैं। ये राज्य हैं महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र
प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक।
1. महाराष्ट्र-चीनी के उत्पादन की दृष्टि से महाराष्ट्र का स्थान देश में प्रथम है। देश की लगभग 37% चीनी महाराष्ट्र राज्य में उत्पन्न होती है। महाराष्ट्र में अहमदनगर, कोल्हापुर, पुणे, सतारा, शोलापुर, औरंगाबाद और सांगली राज्य में चीनी की मिलें हैं।

2. उत्तर प्रदेश-चीनी मिलों की संख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का दूसरा स्थान है। इस राज्य में चीनी मिलें दो क्षेत्रों में फैली हैं-

  • गंगा-यमुना के दोआब (सहारनपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद),
  • तराई क्षेत्र-गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद आदि।

3. आंध्र प्रदेश-यहाँ गन्ने के उत्पादन के लिए उत्तम जलवायु है, लेकिन वाणिज्यिक फसलों में रुचि लेने के कारण पिछले कुछ वर्षों में यहाँ गन्ने का उत्पादन घटा है। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम, पूर्वी तथा पश्चिमी गोदावरी, कृष्णा, हैदराबाद, चित्तूर आदि जिलों में चीनी मिलें हैं।।

4. कर्नाटक-यहाँ बेलगांव, हापेरट, पांडवपुरा, गंगावती, कोलार आदि जिलों में लगभग 11 चीनी मिलें हैं। 5. बिहार-बिहार में चीनी की मिलें चम्पारन, सारन, पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया, शाहबाद तथा भागलपुर जिलों में हैं।

अन्य राज्य-उपर्युक्त राज्यों के अलावा तमिलनाडु में कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली, अर्काट, रामनाथपुरम, पंजाब में गुरदासपुर, अमृतसर, पटियाला। हरियाणा में यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, अंबाला तथा जींद में चीनी मिलें हैं।

उत्पादन (Production)-भारत में गन्ना चीनी तैयार करने का मुख्य स्रोत है। चीनी के अतिरिक्त गन्ने से गुड़ और खांड भी तैयार की जाती है। सन् 1931 तक भारत में चीनी उद्योग विकसित नहीं था। हमें विदेशों से चीनी का आयात करना पड़ता था। सन् 1932 में सरकार ने स्वदेशी चीनी को प्रोत्साहन देकर आयात शुल्क में वृद्धि की, जिससे चीनी उद्योग का विकास हुआ। सन् 1931 में भारत में कुल 21 चीनी मिलें थीं। वर्ष 1950-51 देश में जहाँ 139 चीनी मिलें थीं, वहाँ 2011-12 में चीनी मिलों की संख्या बढ़कर 506 हो गई और चीनी का उत्पादन बढ़कर 177 लाख टन से अधिक हो गया।

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Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग Textbook Exercise Questions and Answers.

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अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. कौन-सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारण नहीं है?
(A) बाज़ार
(B) जनसंख्या घनत्व
(C) पूँजी
(D) ऊर्जा
उत्तर:
(B) भारत

2. में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कंपनी निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(A) भारतीय लौह एवं इस्पात कंपनी (आई.आई.एस.सी.ओ.)
(B) टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.)
(C) विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(D) मैसूर लोहा तथा इस्पात कारखाना
उत्तर:
(B) टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.)

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3. मुंबई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकि-
(A) मुंबई एक पत्तन है
(B) मुंबई एक वित्तीय केंद्र था
(C) यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

4. हुगली औद्योगिक प्रदेश का केंद्र है-
(A) कोलकाता-हावड़ा
(B) कोलकाता मेदनीपुर
(C) कोलकाता-रिशरा
(D) कोलकाता-कोन नगर
उत्तर:
(A) कोलकाता-हावड़ा

5. निम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है?
(A) महाराष्ट्र
(B) पंजाब
(C) उत्तर प्रदेश
(D) तमिलनाडु
उत्तर:
(C) उत्तर प्रदेश

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

प्रश्न 1.
लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है, ऐसा क्यों?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग आधुनिक औद्योगिक और आर्थिक विकास की धुरी बन गया है। यह देश के औद्योगिक विकास की बुनियाद की रचना करता है। इसके उत्पाद से ही अन्य उद्योगों की मशीनों व जन-संरचना का निर्माण होता है। इसी कारण यह उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है। इसलिए इसे अन्य उद्योगों की जननी भी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टर निम्नलिखित हैं-

  1. संगठित सेक्टर
  2. असंगठित सेक्टर

संगठित सेक्टर में मिल क्षेत्र से प्राप्त होने वाले सूती कपड़े के उत्पादन में कमी आई है, जबकि असंगठित सेक्टर के अंतर्गत हैंडलूम व पॉवरलूम क्षेत्र में बनने वाले सूती वस्त्र उत्पादन में वृद्धि हुई है।

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प्रश्न 3.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर:
भारत में चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है। चीनी की मिलें गन्ने की कटाई के बाद केवल 4-5 महीने अर्थात् नवंबर से अप्रैल तक चलती हैं। वर्ष के बाकी 7-8 महीने ये मिलें बंद रहती हैं। इससे श्रमिकों को रोजगार की समस्या रहती है और चीनी की उत्पादन लागत भी बढ़ती है।

प्रश्न 4.
पेट्रो-रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
पेट्रो-रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल, कच्चा खनिज तेल व प्राकृतिक गैस होता है। इस उद्योग से प्लास्टिक, संश्लेषित रेशा, संश्लेषित रबड़ व संश्लेषित अपमार्जक (Detergent) आदि उत्पाद बनाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
उत्तर:
सूचना प्रौद्योगिकी एक ज्ञान आधारित उद्योग है। इसके विकास ने न केवल लोगों की जीवन-शैली को बदला है, बल्कि इससे उत्पादन, वितरण और निर्यात की संपूर्ण प्रक्रिया में तेजी और विश्वसनीयता आई है। आज भारत का सॉफ्टवेयर उद्योग अर्थव्यवस्था को तेजी से उभारता हुआ क्षेत्र बन गया है। इसने आर्थिक एवं सामाजिक रूपांतरण के लिए अनेक नई संभावनाएँ उत्पन्न की हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘स्वदेशी’ आंदोलन ने सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन दिया?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे बड़ा प्राचीन उद्योग है। 18वीं शताब्दी तक भारत में सूती वस्त्र निर्माण हथकरघों की सहायता से कुटीर स्तर पर प्रचलित था। यूरोप की औद्योगिक क्रांति से इस उद्योग को बहुत बड़ा धक्का पहुँचा। मशीनी युग ने इस उद्योग को और भी जर्जर बना दिया। भारत में आधुनिक ढंग से सूती वस्त्र बनाने की पहली मिल सन् 1818 में कोलकाता के निकट फोर्ट ग्लॉस्टर नामक स्थान पर लगाई गई, किंतु यह प्रयास असफल रहा। पहली सफल मिल मुंबई में सन् 1854 में लगाई। इस मिल की स्थापना से भारत में आधुनिक सूती वस्त्र उद्योग का सूत्रपात हुआ। अनुकुल भौगोलिक दशाओं के कारण मुंबई व निकटवर्ती क्षेत्रों में कई मिलें स्थापित होने लगीं। अहमदाबाद में सन् 1861 में शाहपुर मिल लगाई गई। स्वदेशी आंदोलन ने भारतीय सूती वस्त्र उद्योग को बहुत प्रोत्साहन दिया।

इस आंदोलन से विदेशी कपड़ों का बहिष्कार जन-जन द्वारा किया गया व सूती वस्त्रों के प्रयोग पर बल दिया गया। ब्रिटेन में बने वस्त्रों को आम जनता के सामने जलाया गया, ताकि लोग ब्रिटिश वस्त्रों को त्यागकर भारतीय सूती वस्त्रों को अपनाएँ। परिणामस्वरूप सूती वस्त्रों की माँग बढ़ी। दो विश्व युद्धों के कारण भी इस उद्योग को प्रोत्साहन मिला। ब्रिटेन के बने वस्त्रों का बहिष्कार करके भारतीय वस्त्रों को उपयोग में लाने का आह्वान किया गया। सन् 1921 के बाद रेलमार्गों के विकास के साथ सूती वस्त्र केंद्रों का तेजी से विस्तार हुआ। भारत के अनेक भागों में सूती वस्त्रों की मिलें स्थापित की गई। अतः स्पष्ट है कि स्वदेशी आंदोलन ने सूती वस्त्र उद्योग को विशेष रूप से स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 2.
आप उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से क्या समझते हैं? इन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार से सहायता की है?
उत्तर:
1. उदारीकरण-उदारीकरण से अभिप्राय नियमों व प्रतिबंधों में ढील देने या उनमें उदारता बरतने से है ताकि उद्योगों के विकास में बाधा डाल रहे गैर-जरूरी नियंत्रणों से मुक्ति मिल सके।

औद्योगिक विकास पर प्रभाव-

  • उदारीकरण की नीति से औद्योगिक विकास में तेजी आई है।
  • देश की सुरक्षा तथा पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील छः उद्योगों को छोड़कर अन्य सभी उद्योगों के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।
  • उद्योगों के विकेंद्रीकरण की सुविधा से दुर्गम और अविकसित क्षेत्रों में उद्योग लगने लगे।

2. निजीकरण-निजीकरण वह सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा निजी लोग किसी सरकारी उद्यम का मालिक बन जाता है या उसका प्रबंध करता है।

औद्योगिक विकास पर प्रभाव-

  • सन् 1956 की औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए 17 उद्योगों की सूची बनाई गई थी, लेकिन अब उसमें केवल चार उद्योग रह गए हैं। अन्य उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है।
  • भारतीय सेना के लिए सुरक्षा सामग्री बनाने वाले उद्योगों को भी निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है।
  • निजीकरण से न केवल सरकार का आर्थिक भार घटता है, बल्कि कार्यकुशलता में भी वृद्धि होती है।
  • नए आविष्कारों के प्रोत्साहन एवं वस्तु की गुणवत्ता बढ़ने से औद्योगिक विकास के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार भी विकसित होता है।

3. वैश्वीकरण वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है।

औद्योगिक विकास पर प्रभाव-

  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों को प्रतिरक्षा सहित सभी क्षेत्रों में निवेश की अनुमति मिल गई है।
  • लाइसेंस पद्धति को समाप्त करके आयात को बहुत ही उदार बना दिया गया है।
  • भारतीय रुपए को चालू खाते पर पूरी तरह परिवर्तनीय बना दिया गया है।
  • निवेश का मुख्य भाग प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ही लगाया गया है।
  • घरेलू व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का ज्यादातर हिस्सा विकसित राज्यों को मिला है।

निर्माण उद्योग HBSE 12th Class Geography Notes

→ विनिर्माण/निर्माण उद्योग (Manufacturing Industries) : संसाधनों को अति महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया जिन उद्योगों में की जाती है, उन्हें विनिर्माण उद्योग कहते हैं। इनके संचालन में चालक-शक्ति का प्रयोग किया जाता है। ये किसी देश की अर्थव्यवस्था के स्तर का मापदंड होते हैं।

→ उदारीकरण (Liberalisation) : उदारीकरण से अभिप्राय नियमों व प्रतिबंधों में ढील देने या उनमें उदारता बरतने से है ताकि उद्योगों के विकास में बाधा डाल रहे गैर-जरूरी नियंत्रणों से मुक्ति मिल सके।

→ निजीकरण (Privatisation) : निजीकरण वह सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा निजी लोग किसी सरकारी उद्यम का मालिक बन जाता है या उसका प्रबंध करता है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

→ वैश्वीकरण (Globalisation) : वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है।

→ उद्योगों का वर्गीकरण-

  • श्रमिकों की संख्या के आधार पर बड़े पैमाने के उद्योग, छोटे पैमाने के उद्योग।
  • स्वामित्व के आधार पर-निजी क्षेत्र के उद्योग, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग, संयुक्त क्षेत्र के उद्योग तथा सहकारी क्षेत्र के उद्योग। प्रमुख भूमिका के आधार पर-आधारभूत उद्योग और उपभोक्ता उद्योग।
  • कच्चे माल के स्रोत के आधार पर-कृषि आधारित उद्योग और खनिज आधारित उद्योग।
  • कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर-हल्के उद्योग और भारी उद्योग।

प्रमुख औद्योगिक प्रदेश (Major Industrial Regions):

  • हुगली औद्योगिक प्रदेश
  • मुम्बई-पुणे औद्योगिक प्रदेश
  • गुजरात औद्योगिक प्रदेश
  • बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश
  • छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश
  • गुडगाँव-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश

सार्वजनिक उद्योग (Public Industries): इन उद्योगों का संचालन सरकार करती है; जैसे भिलाई लौह-इस्पात केंद्र, नंगल उर्वरक कारखाना, टेलीफोन उद्योग आदि।

निजी उद्योग (Private Industries) : ये उद्योग व्यक्ति-विशेष चलाते हैं; जैसे टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी।

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से कौन-सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है?
(A) आगरा
(B) पटना
(C) भोपाल
(D) कोलकाता
उत्तर:
(C) भोपाल

2. भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नगर की परिभाषा का अंग नहीं है?
(A) जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग कि०मी०
(B) नगरपालिका, निगम का होना
(C) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना
(D) जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक
उत्तर:
(C) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

3. निम्नलिखित में से किस पर्यावरण में परिक्षिप्त ग्रामीण बस्तियों की अपेक्षा नहीं की जा सकती?
(A) गंगा का जलोढ़ मैदान
(B) हिमालय की निचली घाटियाँ
(C) राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क प्रदेश
(D) उत्तर-पूर्व के वन और पहाड़ियाँ
उत्तर:
(A) गंगा का जलोढ़ मैदान

4. निम्नलिखित में से नगरों का कौन-सा वर्ग अपने पदानुक्रम के अनुसार क्रमबद्ध है?
(A) बृहन मुंबई, बंगलौर, कोलकाता, चेन्नई
(B) कोलकाता, बृहन मुंबई, चेन्नई, कोलकाता
(C) दिल्ली, बृहन मुंबई, चेन्नई, कोलकाता
(D) बृहन मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई
उत्तर:
(D) बृहन मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
गैरिसन नगर क्या होते हैं? उनका क्या प्रकार्य होता है?
उत्तर:
सुरक्षा की दृष्टि से विकसित छावनी नगर गैरिसन नगर कहलाते हैं; जैसे अम्बाला, जालंधर, महू, बबीना, उधमपुर, मेरठ आदि। इन नगरों का विकास ब्रिटिशकाल में सुरक्षा सेवाओं की छावनी के रूप में हुआ था। इनका प्रमुख कार्य सुरक्षा प्रदान करना है।

प्रश्न 2.
किसी नगरीय संकुल की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?
उत्तर:
नगरीय संकुल निम्नलिखित तीन में से कोई एक हो सकता है-

  1. नगर तथा उससे जुड़ा विस्तार।
  2. विस्तार सहित या विस्तार रहित दो या दो से अधिक सटे नगर।
  3. एक नगर या एक-से-अधिक संटे नगर और उनके क्रमिक विस्तार।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 3.
मरुस्थली प्रदेशों में गाँवों की अवस्थिति के कौन से मुख्य कारक होते हैं?
उत्तर:
गाँवों की अवस्थिति में अनेक भौतिक कारक प्रभाव डालते हैं; जैसे धरातल, जल की सुविधा, जलवायु, मिट्टी आदि। मरुस्थलीय प्रदेशों में जहाँ पानी मिलता है, वहाँ बस्तियाँ शीघ्रता से बढ़ने व बसने लगती हैं। इसके अतिरिक्त सुरक्षा कारक भी गाँवों की अवस्थिति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रश्न 4.
महानगर क्या होते हैं? ये नगरीय संकुलों से किस प्रकार भिन्न होते हैं?
उत्तर:
जिन नगरों की जनसंख्या 10 से 50 लाख तक होती है, उन्हें महानगर कहा जाता है। महानगरों की अपेक्षा नगरीय संकुल अधिक बड़े होते हैं, क्योंकि इनमें आस-पास के नगरीय विस्तार को भी जोड़ा जाता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियाँ हैं गुच्छित, अर्ध-गुच्छित, पल्लीकृत एवं परिक्षिप्त बस्तियाँ। इन बस्तियों के मुख्य लक्षण या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

गुच्छित या संकुलित बस्तियों के लक्षण-

  • गुच्छित बस्तियों में मकान छोटे और एक-दूसरे से सटे हुए होते हैं।
  • ये बस्तियाँ नदी, घाटियों और जलोढ़ उपजाऊ मैदानों में पाई जाती हैं।
  • इन बस्तियों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होती।

अर्ध-गुच्छित या विखंडित बस्तियों के लक्षण-

  • अर्ध-गुच्छित बस्तियों में मकान एक-दूसरे से दूर होते हैं परंतु एक ही बस्ती में होते हैं।
  • इनमें बस्तियाँ अनेक पुरवों में बँटी होती हैं।
  • निम्न कार्यों में संलग्न लोग इन बस्तियों में रहते हैं।

पल्लीकृत बस्तियों के लक्षण-

  • पल्लीकृत बस्तियों में मकान अधिक सटे होते हैं।
  • इन बस्तियों को देशों के विभिन्न भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी आदि कहा जाता है।
  • इन बस्तियों का विस्तार अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्र में होता है।

परिक्षिप्त बस्तियों के लक्षण-

  • परिक्षिप्त बस्तियों में मकान बड़े और एक-दूसरे से दूर-दूर होते हैं।
  • ये बस्तियाँ उच्च भूमि, पर्वतीय क्षेत्रों और मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
  • इन बस्तियों में पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था होती है।

प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक-ग्रामीण बस्तियों के प्रारूपों को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
1. भौतिक कारक बस्तियों के आकार तथा विस्तार पर अनेक भौतिक कारक; जैसे धरातल की बनावट, मिट्टी, जल-स्तर, जलवायु, ढलान, अपवाह तंत्र आदि गहरा प्रभाव डालते हैं। पहाड़ी भागों में विरल तथा मरुस्थलीय भागों में किसी तालाब के चारों ओर बस्तियों का विकास होता है।

2. सांस्कृतिक कारक-एक ही जाति या जनजाति या धर्म के लोग एक ही गाँव में रहते हैं। बस्ती के मध्य में गाँव के मुखिया या ज़मींदारों के मकान होते हैं तथा बाहर की ओर सेवा करने वाले समुदायों के मकान या झोंपड़े होते हैं। हरिजनों के घर बस्ती से दूर बसाए जाते हैं।

3. ऐतिहासिक कारक-मध्य युग में बाहर से होने वाले आक्रमणों तथा सेना के आतंक से बचने के लिए संहत बस्तियाँ बनाई जाती थीं। इनमें सुरक्षा और इकट्ठा रहने की स्थिति बनती थी।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

प्रश्न 2.
क्या एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहप्रकार्यात्मक क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना नहीं की जा सकती। कोई भी नगर कोई एक काम नहीं करता। सभी नगरों में थोड़ा या बहुत प्रशासनिक, औद्योगिक, व्यापारिक, शैक्षणिक तथा परिवहन से संबंधित काम होता है। अतः उसके प्रधान व्यवसाय के आधार पर ही नगर का वर्गीकरण किया जा सकता है; जैसे कुरुक्षेत्र एक धार्मिक नगर है और रोहतक एक शैक्षणिक नगर है, लेकिन यह वर्गीकरण एक सामान्य अवलोकन है। वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित तथ्य-परक अवलोकन नहीं है।

अपने केंद्रीय स्थान की भूमिका के अतिरिक्त अनेक शहर और नगर विशेषीकृत सेवाओं का निष्पादन करते हैं। कुछ शहरों और नगरों को कुछ निश्चित प्रकार्यों में विशिष्टता प्राप्त होती है और उन्हें कुछ विशिष्ट क्रियाओं, उत्पादनों अथवा सेवाओं के लिए जाना जाता है। फिर भी प्रत्येक नगर अनेक प्रकार्य करता है। उनके प्रमुख या विशेषीकृत कार्य के आधार पर उसका वर्गीकरण किया जाता है; जैसे जो नगर उच्चतर क्रम में प्रशासनिक मुख्यालय होते हैं उन्हें प्रशासनिक नगर कहते है; जैसे चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर आदि। मुम्बई, सेलम, मोदीनगर, हुगली आदि औद्योगिक नगरों के रूप में प्रसिद्ध हैं। नैनीताल, मसूरी, शिमला, जोधपुर, माऊंट आबू, पर्यटन नगरों के रूप में विकसित हैं।

विशेषीकृत नगर भी महानगर बनने पर बहुप्रकार्यात्मक नगर बन जाते हैं, जिनमें उद्योग, व्यवसाय, प्रशासन, परिवहन आदि महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। ये प्रकार्य इतने अंतर्ग्रथित हो जाते हैं कि नगर को किसी विशेष प्रकार्य वर्ग में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।

मानव बस्तियाँ HBSE 12th Class Geography Notes

→ बस्ती या अधिवास (Settlements) : मानव निवास की मूलभूत इकाई को घर कहते हैं। एक क्षेत्र के घरों के समूह को बस्ती कहते हैं। इसमें 6 से 12 झोंपड़ियाँ हो सकती हैं या सैकड़ों घरों का एक बड़ा गांव हो सकता है। ये नगरों तथा शहरों की तरह घरों के बड़े समूह हो सकते हैं। इनका एक अभिन्यास प्लान होता है। बस्ती में आवासीय भवन तथा विभिन्न आवश्यक वस्तुओं के भंडार-गृह होते हैं।

→ ग्रामीण बस्ती (Rural Settlement) : इन बस्तियों में मकानों तथा गलियों का योग पाया जाता है तथा इनके चारों ओर खेत होते हैं। ये विभिन्न ढंग की होती हैं।

→ ग्रामीण बस्तियों के प्रकार (Types of Rural Settlements):

  • गुच्छित अथवा केंद्रीकृत बस्ती
  • अर्द्ध-गुच्छित अथवा विखंडित बस्ती
  • पल्लीकृत बस्ती
  • परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्ती।

→ शहरी/नगरीय बस्ती (Urban Settlement) : ग्रामीण बस्तियों के विपरीत नगरीय बस्तियाँ सामान्यतया संहत एवं विशाल आकार की होती हैं। नगरीय क्षेत्रों में जीवन का ढंग जटिल और तीव्र होता है और सामाजिक संबंध भी औपचारिक व व्यक्तिगत होते हैं। ये बस्तियाँ द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाओं में विशेषीकृत होती हैं।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 4 मानव बस्तियाँ

→ प्रशासनिक नगर (Administration Towns) : इस प्रकार के नगर प्रशासनिक कार्यों के लिए विकसित होते हैं। देश की राजधानी तथा राज्यों की राजधानियाँ इन नगरों के अंतर्गत आती हैं। चंडीगढ़, दिल्ली, शिमला, भोपाल तथा शिलांग आदि ऐसे नगरों के उदाहरण हैं।

→ औद्योगिक नगर (Industrial Towns) : अनेक प्रकार के उद्योगों की अवस्थिति ही ऐसे नगरों की प्रेरक-शक्ति होती है; जैसे मुंबई, कोयंबटूर, भिलाई, हुगली, जमशेदपुर, सेलम तथा फरीदाबाद इत्यादि।

→ परिवहन नगर (Transport Towns) : ये नगर मुख्य रूप से आयात और निर्यात की गतिविधियों के कार्यों में सक्रिय रहते हैं; जैसे कांडला, कोच्चि, विशाखापट्टनम तथा कालीकट इत्यादि। कुछ नगर आंतरिक परिवहन के केंद्र भी होते हैं; जैसे आगरा, मुगलसराय, इटारसी तथा कटनी आदि।

→ छावनी/गैरिसन नगर (Cantt/Garrison Towns) : सुरक्षा की दृष्टि से विकसित छावनी नगर गैरिसन नगर कहलाते हैं; जैसे अम्बाला, जालंधर, महू, बबीना, उधमपुर, मेरठ आदि। इन नगरों का विकास ब्रिटिशकाल में सुरक्षा सेवाओं की छावनी के रूप में हुआ था। इनका मुख्य कार्य सुरक्षा प्रदान करना है।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. भारत में खनिज मुख्यतः कितनी विस्तृत पट्टियों में सांद्रित हैं? ।
(A) तीन
(B) पाँच
(C) चार
(D) आठ
उत्तर:
(A) तीन

2. राजस्थान भवन निर्माण के किस प्रकार के पत्थरों में समृद्ध है?
(A) संगमरमर
(B) ग्रेनाइट
(C) बलुआ पत्थर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

3. धात्विक खनिज का उदाहरण नहीं है-
(A) ताँबा
(B) अभ्रक
(C) बॉक्साइट
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) अभ्रक

4. अधात्विक खनिज का उदाहरण नहीं है-
(A) जिप्सम
(B) नमक
(C) बॉक्साइट
(D) कोयला
उत्तर:
(C) बॉक्साइट

5. एल्यूमिनियम का मुख्य स्रोत है-
(A) ताँबा
(B) सोना
(C) बॉक्साइट
(D) अभ्रक
उत्तर:
(C) बॉक्साइट

6. भारत का कौन-सा राज्य बॉक्साइट उत्पादन में अग्रणी है?
(A) हरियाणा
(B) झारखंड
(C) ओडिशा
(D) महाराष्ट्र
उत्तर:
(C) ओडिशा

7. बाबाबदून की पहाड़ियों में किस खनिज पदार्थ का उत्पादन होता है-
(A) ताँबा
(B) सोना
(C) अभ्रक
(D) बॉक्साइट
उत्तर:
(C) अभ्रक

8. भारत में वर्तमान में कितने तेल शोधन कारखाने कार्यरत हैं?
(A) 13
(B) 17
(C) 22
(D) 28
उत्तर:
(C) 22

9. झारखंड में स्थित कोडरमा निम्नलिखित में से किस खनिज का अग्रणी उत्पादक है?
(A) बॉक्साइट
(B) अभ्रक
(C) लौह अयस्क
(D) ताँबा
उत्तर:
(B) अभ्रक

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

10. निम्नलिखित चट्टानों में से किस चट्टान के स्तरों में खनिजों का निक्षेपण और संचयन होता है?
(A) तलछटी चट्टानें
(B) कायांतरित चट्टानें
(C) आग्नेय चट्टानें
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) कायांतरित चट्टानें

11. मोनाजाइट रेत में निम्नलिखित में से कौन-सा खनिज पाया जाता है?
(A) खनिज तेल
(B) यूरेनियम
(C) थोरियम
(D) कोयला
उत्तर:
(C) थोरियम

12. भारत में तेल उत्पादक क्षेत्र है-
(A) गुजरात तट
(B) पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र
(C) पूर्वी अपतटीय क्षेत्र
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

13. मुंबई हाई और बेसीन तेल क्षेत्र किस क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं?
(A) पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र
(B) पूर्वी अपतटीय क्षेत्र
(C) गुजरात तट
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) पश्चिमी अपतटीय क्षेत्र

14. नामचिक-नामफुक कोयला क्षेत्र अवस्थित हैं-
(A) महाराष्ट्र में
(B) झारखण्ड में
(C) छत्तीसगढ़ में
(D) अरुणाचल प्रदेश में
उत्तर:
(D) अरुणाचल प्रदेश में

15. भारत में किस राज्य में कोयले के सर्वाधिक भंडार पाए जाते हैं?
(A) पंजाब में
(B) ओडिशा में
(C) झारखण्ड में
(D) केरल में
उत्तर:
(C) झारखण्ड में

16. इंदिरा गाँधी परमाणु ऊर्जा संयंत्र नाम से जाना जाता है?
(A) तारापुर परमाणु केंद्र
(B) नरोरा परमाणु केंद्र
(C) कलपक्कम परमाणु केंद्र
(D) कैगा परमाणु केंद्र
उत्तर:
(C) कलपक्कम परमाणु केंद्र

17. भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर कहाँ हैं
(A) केरल में
(B) कर्नाटक में
(C) झारखण्ड में
(D) महाराष्ट्र में
उत्तर:
(D) महाराष्ट्र में

18. अमरकंटक किस खनिज के लिए प्रसिद्ध है?
(A) सोना
(B) लोहा
(C) बॉक्साइट
(D) ताँबा
उत्तर:
(C) बॉक्साइट

19. सूर्य की गर्मी से प्राप्त ऊर्जा को कहा जाता है
(A) सौर ऊर्जा
(B) पवन ऊर्जा
(C) ज्वारीय ऊर्जा
(D) नाभिकीय ऊर्जा
उत्तर:
(A) सौर ऊर्जा

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

20. छत्तीसगढ़ की बेलाडिला पहाड़ियाँ किस अयस्क के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं?
(A) लौह अयस्क
(B) बॉक्साइट
(C) लौह-इस्पात
(D) अभ्रक
उत्तर:
(A) लौह अयस्क

21. ऊर्जा का परम्परागत स्रोत नहीं है
(A) कोयला
(B) बायोगैस
(C) पेट्रोलियम
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) बायोगैस

22. हजीरा-विजयपुर जगदीशपुर गैस पाइप लाइन की लंबाई है?
(A) 1750 कि०मी०
(B) 1500 कि०मी०
(C) 1220 कि०मी०
(D) 900 कि०मी०
उत्तर:
(A) 1750 कि०मी०

23. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा खनिज है?
(A) कोयला
(B) पेट्रोलियम
(C) प्राकृतिक गैस
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

24. सबसे उत्तम किस्म का लोहा कौन-सा होता है?
(A) मैग्नेटाइट
(B) हेमेटाइट
(C) लिमोनाइट
(D) सिडेराइट
उत्तर:
(A) मैग्नेटाइट

25. उद्योगों में सबसे अधिक किस प्रकार के लोहे का उपयोग किया जाता है?
(A) मैग्नेटाइट का
(B) हेमेटाइट का
(C) लिमोनाइट का
(D) सिडेराइट का
उत्तर:
(B) हेमेटाइट का

26. मैंगनीज़ का उपयोग किस धातु का विनिर्माण करने में किया जाता है?
(A) इस्पात
(B) सोना
(C) चाँदी
(D) एल्यूमिनियम
उत्तर:
(A) इस्पात

27. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा का गैर-परंपरागत स्रोत है?
(A) सौर ऊर्जा
(B) परमाणु ऊर्जा
(C) भू-तापीय ऊर्जा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

28. ‘रैट होल’ उत्खनन किस राज्य में किया जाता है?
(A) गुजरात में
(B) राजस्थान में
(C) झारखण्ड में
(D) मेघालय में
उत्तर:
(D) मेघालय में

29. कृष्णा-गोदावरी बेसिन किस खनिज के भण्डारों के लिए प्रसिद्ध है?
(A) लौह-अयस्क के
(B) अभ्रक के
(C) प्राकृतिक गैस के
(D) कोयले के
उत्तर:
(C) प्राकृतिक गैस के

30. पृथ्वी से खनिज किस अवस्था में पाए जाते हैं?
(A) ठोस
(B) द्रव
(C) गैसीय
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

31. कोयला किन चट्टानों में बनता है?
(A) कायांतरित
(B) अवसादी
(C) आग्नेय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अवसादी

32. डिगबोई, नहारकटिया भारत के किस राज्य के महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र हैं?
(A) महाराष्ट्र के
(B) गुजरात के
(C) मध्य प्रदेश के
(D) असम के
उत्तर:
(D) असम के

33. धात्विक खनिज का उदाहरण है
(A) नमक
(B) गंधक
(C) जिप्सम
(D) सोना
उत्तर:
(D) सोना

34. अधात्विक खनिज का उदाहरण है-
(A) टिन
(B) ऐल्यूमीनियम
(C) गंधक
(D) बॉक्साइट
उत्तर:
(C) गंधक

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

35. भारत के किस राज्य में सर्वाधिक थोरियम निकाला जाता है?
(A) कर्नाटक
(B) केरल
(C) तमिलनाडु
(D) आंध्र प्रदेश
उत्तर:
(B) केरल

36. भारत में उत्तम किस्म का लोहा कहाँ से प्राप्त होता है?
(A) जादूगुड़ा से
(B) बैलाडिला से
(C) किरीबुरु से
(D) क्योंझर से
उत्तर:
(B) बैलाडिला से

37. सबसे उत्तम किस्म का लौह-अयस्क होता है-
(A) सिडेराइट
(B) हैमेटाइट
(C) मैग्नेटाइट
(D) लिमोनाइट
उत्तर:
(C) मैग्नेटाइट

38. सबसे उत्तम किस्म का कोयला होता है
(A) लिग्नाइट
(B) एंथ्रासाइट
(C) बिटुमिनस
(D) पीट
उत्तर:
(B) एंथ्रासाइट

39. टरशरी किस्म का कोयला कितने वर्ष पुराना है?
(A) लगभग 2.5 करोड़ वर्ष
(B) लगभग 3.5 करोड़ वर्ष
(C) लगभग 4.5 करोड़ वर्ष
(D) लगभग 5.5 करोड़ वर्ष
उत्तर:
(D) लगभग 5.5 करोड़ वर्ष

40. गोंडवाना समूह का कोयला कितने वर्ष पुराना है?
(A) लगभग 10 करोड़ वर्ष
(B) लगभग 20 करोड़ वर्ष
(C) लगभग 25 करोड़ वर्ष
(D) लगभग 30 करोड़ वर्ष
उत्तर:
(B) लगभग 20 करोड़ वर्ष

41. एक ऐसा खनिज, जिसका भारत को सबसे अधिक आयात करना पड़ता है-
(A) कोयला
(B) पेट्रोलियम
(C) मैगनीज़
(D) लोहा
उत्तर:
(B) पेट्रोलियम

42. भारत में लौह-अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है-
(A) गुजरात
(B) ओडिशा
(C) कर्नाटक
(D) राजस्थान
उत्तर:
(B) ओडिशा

43. मुंबई (बॉम्बे) हाई किसलिए प्रसिद्ध है?
(A) परमाणु रिएक्टर के लिए
(B) पेट्रोलियम भंडार के लिए
(C) पनडुब्बी निर्माण के लिए
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) पेट्रोलियम भंडार के लिए

44. बिजली के उपकरण बनाने में सबसे अधिक कौन-सी धातु का प्रयोग किया जाता है?
(A) लोहा
(B) ताँबा
(C) सीसा
(D) जस्ता
उत्तर:
(B) ताँबा

45. राष्ट्रीय ताप बिजली निगम की स्थापना कब की गई?
(A) सन् 1952 में
(B) सन् 1954 में
(C) सन् 1975 में
(D) सन् 1988 में
उत्तर:
(C) सन् 1975 में

46. मैंगनीज़ उत्पादन में कौन-सा राज्य अग्रणी है?
(A) राजस्थान
(B) ओडिशा
(C) गुजरात
(D) छत्तीसगढ़
उत्तर:
(B) ओडिशा

47. नरोरा परमाणु ऊर्जा केंद्र स्थित है
(A) तमिलनाडु
(B) कर्नाटक
(C) उत्तर प्रदेश
(D) पंजाब
उत्तर:
(C) उत्तर प्रदेश

48. नेवेली तापीय शक्ति केंद्र स्थित है-
(A) आंध्र प्रदेश
(B) महाराष्ट्र
(C) मध्य प्रदेश
(D) तमिलनाडु
उत्तर:
(D) तमिलनाडु

49. पेरियार जल विद्युत् उत्पादन केंद्र कहाँ स्थित है?
(A) आंध्र प्रदेश
(B) केरल
(C) कर्नाटक
(D) तमिलनाडु
उत्तर:
(B) केरल

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
महाराष्ट्र राज्य में पेट्रोकैमिकल का मुख्य उत्पादन केंद्र कहाँ है?
उत्तर:
पुणे में।

प्रश्न 2.
सर्वप्रथम अपतटीय क्षेत्र में कहाँ तेल खोजा गया?
उत्तर:
गुजरात के अलियाबेट नामक द्वीप पर।

प्रश्न 3.
सर्वोत्तम किस्म का लौह अयस्क कौन-सा होता है?
उत्तर:
मैग्नेटाइट अयस्क।

प्रश्न 4.
किस प्रकार के लौह अयस्क का खनन अनार्थिक माना जाता है?
उत्तर:
सिडेराइट अयस्क का।

प्रश्न 5.
राजस्थान राज्य में परमाणु शक्ति केंद्र कहाँ है?
उत्तर:
रावतभाटा परमाणु शक्ति केंद्र (कोटा)।

प्रश्न 6.
ऊर्जा खनिज संसाधनों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. कोयला
  2. पेट्रोलियम

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 7.
बॉक्साइट किस काम आता है?
उत्तर:
बॉक्साइट से एल्यूमिनियम धातु बनाई जाती है।

प्रश्न 8.
केरल के कोई दो अभ्रक उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. पुन्नालूर
  2. नय्यूर।

प्रश्न 9.
भारत के किस राज्य का अभ्रक उत्पादन में प्रथम स्थान है?
उत्तर:
आंध्र प्रदेश का।

प्रश्न 10.
भारत में विश्व का कितने प्रतिशत अभ्रक निकाला जाता है?
उत्तर:
लगभग 80%

प्रश्न 11.
पुरुलिया व बांकुरा में किस धातु का उत्पादन होता है?
उत्तर:
अभ्रक का।

प्रश्न 12.
भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना परमाणु ऊर्जा केंद्र कौन-सा है?
उत्तर:
तारापुर परमाणु ऊर्जा केंद्र (महाराष्ट्र)।

प्रश्न 13.
धात्विक खनिजों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. लोहा
  2. ताँबा।

प्रश्न 14.
अधात्विक खनिजों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. अभ्रक
  2. पोटाश।

प्रश्न 15.
भारत में एक प्रकार के लौह-अयस्क का नाम लिखें।
उत्तर:
मेग्नेटाइट।

प्रश्न 16.
भारत के दो परमाणु शक्ति गृहों केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. तारापुर
  2. कैगा।

प्रश्न 17.
भारत में डोलोमाइट के दो उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. राजस्थान
  2. गुजरात।

प्रश्न 18.
भारत में कल्पक्कम और हीराकुड किसलिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
अणु शक्ति और जल विद्युत के कारण।

प्रश्न 19.
भारत की पहली पाइपलाइन कहाँ बिछाई गई?
उत्तर:
भारत की पहली पाइपलाइन असम में नाहरकटिया से बरोनी तक बिछाई गई जिसकी लम्बाई लगभग 152 कि०मी० है।

प्रश्न 20.
भारत में पवन ऊर्जा के उत्पादन में किस राज्य का प्रथम स्थान है?
उत्तर:
तमिलनाडु का।

प्रश्न 21.
भारत में परमाणु कार्यक्रम के शुभारंभकर्ता कौन थे?
उत्तर:
डॉ० होमी जहाँगीर भाभा।

प्रश्न 22.
ओडिशा के कोरापुट जिले में पंचपतमाली निक्षेप किस धातु के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
बॉक्साइट के।

प्रश्न 23.
कौन-सा कोयला सबसे उत्तम किस्म का होता है?
उत्तर:
एंथेसाइट।

प्रश्न 24.
कौन-सा कोयला निम्न किस्म का होता है?
उत्तर:
लिग्माइट।

प्रश्न 25.
परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1948 में।

प्रश्न 26.
भारतीय परमाणु विद्युत निगम की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1987 में।

प्रश्न 27.
भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र कहाँ स्थित है?
उत्तर:
गुजरात में भुज के निकट माधापुर में।

प्रश्न 28.
भारत के किस राज्य में एशिया का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा संयंत्र स्थित है?
उत्तर:
गुजरात में।

प्रश्न 29.
तमिलनाडु में पवन ऊर्जा संयंत्र कहाँ है?
उत्तर:
तूतीकोरिन में।

प्रश्न 30.
भारत में ज्वारीय ऊर्जा संयंत्र कहाँ स्थित है?
उत्तर:
गुजरात के कच्छ क्षेत्र में।

प्रश्न 31.
भारत में प्राकृतिक गैस के भंडार कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर:
कृष्णा-गोदावरी नदी बेसिन में।

प्रश्न 32.
राजस्थान में खेतड़ी की खानें किस खनिज के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
ताँबा के लिए।

प्रश्न 33.
भारत के दो पेट्रोलियम उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. महाराष्ट्र
  2. गुजरात।

प्रश्न 34.
ओडिशा के कोई दो लौह अयस्क क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. मयूरभंज
  2. सुंदरगढ़।

प्रश्न 35.
कर्नाटक के कोई दो लौह अयस्क क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. बेलारी
  2. शिमोगा।

प्रश्न 36.
ओडिशा के दो मुख्य कोयला उत्पादन क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. तलचर
  2. रामपुर।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 37.
कोयला किस काम आता है?
उत्तर:
इसका उपयोग विद्युत उत्पादन और लौह अयस्क के प्रगलन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 38.
महाराष्ट्र के एक अपतटीय पेट्रोलियम उत्पादन केंद्र का नाम लिखें।
उत्तर:
मुंबई हाई।

प्रश्न 39.
तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC) की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1956 में।

प्रश्न 40.
खनिजों की आत्मनिर्भरता में भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
दूसरा।

प्रश्न 41.
भारत में ताँबा उत्पादन में किस राज्य का प्रथम स्थान है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश का।

प्रश्न 42.
गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (GAIL) की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1984 में।

प्रश्न 43.
राणा प्रताप सागर ज उत्पादन केंद्र किस नदी पर स्थित है?
उत्तर:
चम्बल नदी पर।

प्रश्न 44.
भारत की किस नदी घाटी में गोंडवाना कोयला क्षेत्र है?
उत्तर:
दामोदर नदी घाटी में।

प्रश्न 45.
भारत में पहला परमाणु शक्ति केन्द्र कहाँ लगाया गया?
उत्तर:
मुम्बई में।

प्रश्न 46.
भारत में कोयला क्षेत्रों के दो समूहों के नाम लिखिए।
अथवा
कोयला मुख्यतः किन दो भूगर्मिक कालों की शैल क्रमों में पाया जाता है?
उत्तर:

  1. गोंडवाना निक्षेप समूह
  2. टर्शियरी निक्षेप समूह।

प्रश्न 47.
कलपक्कम परमाणु ऊर्जा केंद्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
तमिलनाडु में।

प्रश्न 48.
किस खनिज को ‘भूरा हीरा’ के नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर:
लिग्नाइट।

प्रश्न 49.
भारत में लौह-अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
ओडिशा।

प्रश्न 50.
मैंगनीज उत्पादन करने वाले दो राज्य बताएँ।
उत्तर:

  1. ओडिशा
  2. मध्यप्रदेश।

प्रश्न 51.
नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन में प्रयुक्त दो खनिजों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. यूरेनियम
  2. थोरियम।

प्रश्न 52.
झरिया किस खनिज उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
कोयला उत्पादन।

प्रश्न 53.
झारखण्ड का कोई एक अभ्रक उत्पादक क्षेत्र का नाम बताएँ।
उत्तर:
हजारीबाग।

प्रश्न 54.
काकरापाड़ा परमाणु ऊर्जा केंद्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
गुजरात में।

प्रश्न 55.
नरोरा परमाणु ऊर्जा केंद्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में।

प्रश्न 56.
पेरियार जल विद्युत उत्पादन केंद्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
केरल में।

प्रश्न 57.
अंकलेश्वर में किस खनिज पदार्थ का उत्पादन होता है?
उत्तर:
खनिज तेल (पेट्रोलियम)।

प्रश्न 58.
रानीगंज में किस खनिज पदार्थ का उत्पादन होता है?
उत्तर:
कोयले का।

प्रश्न 59.
कोलार क्षेत्र में किस धातु का उत्पादन होता है?
उत्तर:
सोने (Gold) का।

प्रश्न 60.
हरियाणा में तेल परिष्करणशाला कहाँ है?
उत्तर:
पानीपत में।

प्रश्न 61.
असम राज्य के दो पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. डिगबोई
  2. नहारकटिया।

प्रश्न 62.
मुम्बई हाई कहाँ स्थित है?
उत्तर:
मुम्बई हाई मुम्बई के उत्तर:पश्चिम में लगभग 160 कि०मी० दूर अरब सागर में स्थित है।

प्रश्न 63.
निम्नलिखित का पूरा नाम लिखें GAIL, GSI, NMDC, BGML, NPCIL, NALCO, ONGC, MECL, HVJ, IBM, NTPC, IOCL
उत्तर:

  1. GAIL : Gas Authority of India Limited
  2. GSI : Geological Survey of India
  3. NMDC : National Mineral Development Corporation
  4. BGML : Bharat Gold Mines Limited
  5. NPCIL : Nuclear Power Corporation of India Limited
  6. NALCO : National Aluminium Company Limited
  7. ONGC : Oil and Natural Gas Corporation
  8. MECL : Mineral Exploration Corporation Limited
  9. HVJ : Hazira-Vijapur-Jagdishpur
  10. IBM : Indian Bureau of Mines
  11. NTPC : National Thermal Power Corporation Limited
  12. IOCL : Indian Oil Corporation Limited

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
कर्नाटक में कैगा नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र। उत्तर प्रदेश में नरोरा नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र।

प्रश्न 2.
भारत के चार मुख्य कोयला उत्पादक राज्यों के नाम लिखें। अथवा झारखण्ड के चार कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. झारखण्ड-रानीगंज, झरिया, बोकारो, गिरीडीह।
  2. महाराष्ट्र-वर्धा, काम्पटी, बांदेर।
  3. ओडिशा-तलचर, रामपुर।
  4. छत्तीसगढ़-कोरबा।

प्रश्न 3.
लौह में किन तत्त्वों का मिश्रण कर विभिन्न प्रकार का इस्पात बनाया जाता है?
उत्तर:
लौह में मैंगनीज, टंगस्टन और निकिल आदि तत्त्वों का मिश्रण कर विभिन्न प्रकार का इस्पात बनाया जाता है।

प्रश्न 4.
भारत के प्रमुख मैंगनीज उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
अथवा
ओडिशा व कर्नाटक के प्रमुख मैंगनीज उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
अथवा
महाराष्ट्र के कोई दो मैंगनीज उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. ओडिशा-कालाहंडी, केंदुझर, सुंदरगढ़, बोनाई।
  2. मध्य प्रदेश-बालाघाट, झाबुआ।
  3. कर्नाटक-बेल्लारी, बेलगाम, चित्रदुर्ग, तुमकुर।
  4. महाराष्ट्र-नागपुर, रत्नागिरी, भंडारा।

प्रश्न 5.
भारत के कोई चार ताँबा उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
अथवा
राजस्थान के कोई चार ताँबा उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
अथवा
मध्य प्रदेश एवं झारखंड के दो-दो ताँबा उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. मध्य प्रदेश-बालाघाट, बेतूल।
  2. राजस्थान-खेतड़ी, सिंघाना, झुंझुनु।
  3. झारखण्ड-सिंहभूम, हजारीबाग, परगना।
  4. कर्नाटक-चित्रदुर्ग, हासन।

प्रश्न 6.
भारत के कोई चार बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्रों या राज्यों के नाम लिखें।
अथवा
ओडिशा (उड़ीसा) के कोई तीन बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
अथवा
महाराष्ट्र के कोई चार बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें। अथवा गुजरात के कोई चार बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. ओडिशा-कालाहांडी, संभलपुर, कोरापुर।
  2. महाराष्ट्र-कोल्हापुर, सतारा, पुणे, रत्नागिरी।
  3. गुजरात-जामनगर, भावनगर, पोरबंदर, सूरत।
  4. मध्य प्रदेश-बालाघाट, कटनी, जबलपुर।

प्रश्न 7.
एल्यूमिनियम के कोई दो उपयोग लिखें।
उत्तर:

  1. इसका उपयोग कलपुर्जे बनाने में किया जाता है।
  2. इसका उपयोग दरवाजे, खिड़कियाँ और शटर आदि बनाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 8.
खनिज ईंधन या शक्ति संसाधनों के मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:

  1. कोयला
  2. खनिज तेल
  3. अणु शक्ति वाले खनिज; जैसे यूरेनियम, थोरियम आदि।

प्रश्न 9.
खनिज कितने प्रकार के होते हैं? नाम बताएँ।
अथवा
धात्विक खनिजों के कोई चार उदाहरण दें।
अथवा
अधात्विक खनिजों के कोई चार उदाहरण दें।
उत्तर:
खनिज मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-

  1. धात्विक खनिज लौह अयस्क, मैंगनीज, सोना, ताँबा, बॉक्साइट आदि।
  2. अधात्विक खनिज-अभ्रक, पोटाश, जिप्सम, कोयला, पेट्रोलियम आदि।

प्रश्न 10.
भारत में कोई चार कोयला उत्पादक या भंडारक राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. झारखण्ड
  2. ओडिशा
  3. छत्तीसगढ़
  4. पश्चिम बंगाल।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 11.
जैव ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह ऊर्जा जो जैविक उत्पादों से प्राप्त होती है, जैव ऊर्जा कहलाती है। इसमें कृषि अवशेष, औद्योगिक व अन्य अपशिष्ट शामिल होते हैं।

प्रश्न 12.
पवन ऊर्जा के लिए भारत के किन राज्यों में अनुकूल परिस्थितियाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु व कर्नाटक आदि में अनुकूल परिस्थितियाँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 13.
मैंगनीज के प्रमुख उपयोग क्या हैं?
उत्तर:

  1. मैंगनीज का उपयोग इस्पात बनाने में किया जाता है।
  2. इससे चीनी मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं।
  3. इसका उपयोग रासायनिक उद्योग में भी किया जाता है।

प्रश्न 14.
ऊर्जा के परंपरागत या अनवीकरणीय स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के परंपरागत स्रोत कोयला, लकड़ी, उपले, पेट्रोलियम/पेट्रोल आदि हैं। ये ऊर्जा के ऐसे अनवीकरणीय स्रोत हैं जो वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण फैलते हैं।

प्रश्न 15.
खनिज क्या है?
अथवा
खनिज की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार खनिज एक प्राकृतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है जिसकी एक निश्चित आंतरिक संरचना होती है। खनिज प्रकृति में अनेक रूपों में पाए जाते हैं, जिनमें कठोर हीरा व नरम चूना तक सम्मिलित हैं।

प्रश्न 16.
ऑयल इण्डिया लिमिटेड क्या कार्य करता है?
उत्तर:
ऑयल इण्डिया लिमिटेड खनिज तेल व प्राकृतिक गैस की खोज व उत्पादन करके उन्हें तेल शोधक कम्पनियों और उपभोक्ताओं तक पहुँचाने का कार्य करता है।

प्रश्न 17.
भारत के शीर्ष चार जल विद्युत एवं पवन ऊर्जा उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
अथवा
भारत के कोई चार जल विद्युत उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
अथवा
भारत के कोई चार पवन ऊर्जा उत्पादक राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:
जल विद्युत उत्पादक राज्य-

  • कर्नाटक
  • पंजाब
  • आंध्र प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • केरल।

पवन ऊर्जा उत्पादक राज्य-

  • तमिलनाडु
  • महाराष्ट्र
  • कर्नाटक
  • गुजरात
  • राजस्थान।

प्रश्न 18.
मुंबई (बॉम्बे) हाई और सागर सम्राट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मुंबई हाई, जो मुंबई नगर से 160 कि०मी० दूर अपतटीय क्षेत्र में पड़ता है, को सन् 1973 में खोजा गया था। इस तेल क्षेत्र में 19 फरवरी, 1974 को ‘सागर सम्राट’ नामक जहाज द्वारा खुदाई की गई। यह तेल क्षेत्र भारत में सबसे अधिक तेल का उत्पादन करता है।

प्रश्न 19.
भारत के किन्हीं तीन तेल शोधन कारखानों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. पानीपत इण्डियन ऑयल रिफाइनरी।
  2. डिगबोई इण्डियन ऑयल रिफाइनरी।
  3. चेन्नई पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड।

प्रश्न 20.
खनिजों की दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  1. खनिजों की निश्चित आंतरिक संरचना होती है।
  2. खनिजों का मूल्य होता है।

प्रश्न 21.
खनिजों के दो उपयोग लिखें।
उत्तर:

  1. खनिज मशीनों के निर्माण में प्रयोग किए जाते हैं।
  2. खनिज हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

प्रश्न 22.
प्लेसर निक्षेप किसे कहते हैं?
उत्तर:
पहाड़ियों के आधार तथा घाटी तल की रेत में जलोढ़ जमाव के रूप में पाए जाने वाले खनिजों को प्लेसर निक्षेप कहते हैं।

प्रश्न 23.
वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा जल विद्युत वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत हैं।

प्रश्न 24.
मुंबई हाई क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत भाग मुंबई हाई में पाया जाता है जिसके कारण मुंबई हाई प्रसिद्ध है।

प्रश्न 25.
कोयले को काला सोना क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
कोयला एक अति महत्त्वपूर्ण ऊर्जा संसाधन है। यह कई उद्योगों का आधार है। इसके काले रंग और अत्यधिक उपयोगिता के कारण इसे काला सोना कहा जाता है।

प्रश्न 26.
गैर-परंपरागत ऊर्जा संसाधनों के दो लाभ बताइए।
उत्तर:

  1. इनके प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता
  2. इनकी उत्पादन लागत अपेक्षाकृत कम होती है।

प्रश्न 27.
बायोगैस कैसे बनाई जाती है?
उत्तर:
झाड़ियों, कृषि से पैदा कचरा, पशुओं और मानव द्वारा जनित अपशिष्ट पदार्थों को एक वैज्ञानिक विधि द्वारा गलाने, सड़ाने से बायोगैस बनाई जाती है।

प्रश्न 28.
गोबर गैस प्लांट के दो लाभ लिखिए।
उत्तर:

  1. इससे घरेलू कार्यों में ईंधन के रूप में ऊर्जा मिलती है
  2. इससे उन्नत प्रकार का उर्वरक मिलता है।

प्रश्न 29.
मैंगनीज़ को ‘Jack Mineral’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
अपने बहु-आयामी गुणों के कारण मैंगनीज़ को ‘Jack Mineral’ कहा जाता है। मैंगनीज़ का उपयोग इस्पात उद्योग, ब्लीचिंग पाउडर, कीटाणुनाशक दवाइयाँ, रंग-रोगन व शुष्क बैटरियाँ आदि बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 30.
मैंगनीज के कोई दो लाभ लिखिए।
उत्तर:

  1. इसका प्रयोग लौह-अयस्क को गलाने व लौह-मिश्रधातुओं को बनाने में किया जाता है।
  2. शक दवाइयाँ, रंग-रोगन, शष्क बैटरियाँ तथा चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 31.
उन चार नदी घाटियों के नाम बताइए जिनमें गोंडवाना कोयला पाया जाता है?
उत्तर:

  1. दामोदर घाटी
  2. सोन घाटी
  3. महानदी घाटी
  4. गोदावरी घाटी।

प्रश्न 32.
भारत की प्रमुख खनिज पट्टियों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के पठारी भाग में पाई जाने वाली तीन प्रमुख खनिज पट्टियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. उत्तर-पूर्वी पठार
  2. दक्षिण-पश्चिमी पठार
  3. उत्तर-पश्चिमी प्रदेश।

प्रश्न 33.
भारत में लौह अयस्क उत्पादन करने वाले चार राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. झारखंड
  2. ओडिशा
  3. मध्यप्रदेश
  4. कर्नाटक।

प्रश्न 34.
अपरंपरागत ऊर्जा स्रोत से आप क्या समझते हैं?
अथवा
गैर-परंपरागत या नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊर्जा के वे स्रोत जिनके प्रयोग की पहले से परंपरा न रही हो वे अपरंपरागत ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। इसमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय तरंगों की ऊर्जा, बायोगैस आदि सम्मिलित हैं।

प्रश्न 35.
भारत की चार तेल परिष्करणशालाओं के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. पानीपत
  2. मथुरा
  3. मुम्बई
  4. बरौनी।

प्रश्न 36.
लौह अयस्क की मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  1. उद्योगों के विकास को आधार प्रदान करना।
  2. इस्पात बनाने के उत्तम गुण उपस्थित होना।
  3. विद्युत उद्योग के लिए आवश्यक चुम्बकीय गुण होना।

प्रश्न 37.
बहुमूल्य खनिज तथा ऊर्जा खनिज से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  1. बहुमूल्य खनिज – वे खनिज जिनका आर्थिक महत्त्व बहुत अधिक होता है, उन्हें बहुमूल्य खनिज कहते हैं। उदाहरण सोना, चाँदी, प्लेटिनम आदि।
  2. ऊर्जा खनिज – वे खनिज जो हमें ऊर्जा एवं शक्ति प्रदान करते हैं, उन्हें ऊर्जा खनिज कहते हैं। उदाहरण-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।

प्रश्न 38.
भारत में अपारंपरिक ऊर्जा के स्रोतों के विकास की आवश्यकता अधिक क्यों है?
उत्तर:
कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस और परमाणु आदि परंपरागत ऊर्जा के स्रोतों पर हम सदैव निर्भर नहीं रह सकते, क्योंकि ये संसाधन प्रकृति में अनंत नहीं हैं, बल्कि समाप्य हैं। इसलिए गैर-परंपरागत ऊर्जा के साधनों को विकास आवश्यक है। सौर-ऊर्जा, ज्वारीय तरंगें, भू-तापीय ऊर्जा तथा जैव भार (Biomass) आदि अपारंपरिक ऊर्जा के महत्त्वपूर्ण उदाहरण हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
धात्विक खनिज तथा अधात्विक खनिज में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

धात्विक खनिजअधात्विक खनिज
1. ऐसे खनिज पदार्थों को, जिनके गलाने से विभिन्न प्रकार की धातुएँ प्राप्त होती हैं, धात्विक खनिज कहते हैं।1. ऐसे खनिज, जिनको गलाने से किसी प्रकार की कोई धातु प्राप्त नहीं होती, उसे अधात्विक खनिज कहते हैं।
2. लोहा, तांबा, मैगनीज़ तथा बॉक्साइट धात्विक खनिज हैं।2. कोयला, नमक, पोटाश तथा संगमरमर आदि अधात्विक खनिज हैं।
3. धात्विक खनिज प्राय: आग्नेय चट्टानों में पाए जाते हैं।3. अधात्विक खनिज परतदार चट्टानों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
लौह और लौह खनिज में क्या अंतर है?
उत्तर:
लौह तथा लौह खनिज में निम्नलिखित अंतर हैं-

लौह खनिजलौह खनिज
1. इन खनिज पदार्थों में लौह-अंश पाए जाते हैं।1. इनमें लौह-अंश का अभाव होता है।
2. इन खनिजों का प्रयोग लोहा-इस्पात उद्योग में होता है। लोहे को मजबूत बनाने के लिए विभिन्न धातुओं को मिलाया जाता है।2. इन खनिजों की अपनी-अपनी उपयोगिता होती है।
3. इनके मुख्यं उदाहरण लोहा, मैंगनीज़, क्रोमाइट तथा कोबाल्ट आदि हैं।3. इनके मुख्य उदाहरण सोना, तांबा, सीसा तथा निकिल आदि हैं।

प्रश्न 3.
ताप विद्युत और जल विद्युत में क्या अंतर है?
उत्तर:
ताप विद्युत और जल विद्युत में निम्नलिखित अंतर हैं-

ताप विद्युतजल विद्युत
1. इसमें बिजली बनाने के लिए कोयले, डीज़ल और प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है।1. इसमें बिजली बनाने के लिए प्रवाहित जल की उपलब्धता आवश्यक है।
2. ताप विद्युत उत्पादन में पर्यावरण दूषित होता है।2. जल विद्युत उत्पादन पर्यावरण हितैषी परियोजना है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 4.
गोंडवाना और टरशरी कोयले में क्या अंतर है?
उत्तर:
गोंडवाना और टरशरी कोयले में निम्नलिखित अंतर हैं-

गोडवाना कोयलाटरशरी कोयला
1. यह कोयला गोंडवाना काल की चट्टानों में पाया जाता है।1. यह कोयला टरशरी युग की चट्टानों में मिलता है।
2. यह चट्टानें 20 करोड़ वर्ष पुरानी हैं।2. ये चट्टानें 5.5 करोड़ वर्ष पुरानी हैं।
3. भारत का 98.5% कोयला गोंडवाना काल की चट्टानों में पाया जाता है।3. इनमें भारत का 1.5% कोयला पाया जाता है।

प्रश्न 5.
हमें खनिजों के संरक्षण की क्यों आवश्यकता है?
उत्तर:
खनिज हमारे उद्योगों और कृषि का एक आधार हैं। खनिजों के भंडार सीमित हैं। यदि हम लापरवाहीपूर्वक और बिना नियोजन के खनिजों का प्रयोग करते रहे तो इनके वास्तविक भंडार अतिशीघ्र समाप्त हो जाएँगे और खनिजों का अकाल पड़ जाएगा। इससे हमारा औद्योगिक विकास रुक जाएगा और अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो जाएगी। अतः आर्थिक गतिविधियों के समुचित संचालन के लिए हमें खनिजों के संरक्षण की आवश्यकता है।

प्रश्न 6.
ऊर्जा के किन्हीं चार स्रोतों/साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा के चार स्रोत निम्नलिखित हैं-
1. कोयला-यह शक्ति का प्रारंभिक साधन है। यह औद्योगिक कच्चे माल के रूप में भी प्रयोग होता है। विद्युत उत्पादन और अन्य उद्योगों में कोयले का प्रयोग किया जाता है।

2. जल-विद्युत-इसे पैदा करने के लिए गिरते हुए पानी की शक्ति प्राप्त करके टरबाइन को गतिमान किया जाता है। अभी तक शक्ति के साधनों में यह सबसे सस्ता साधन है। जल-विद्युत का सबसे बड़ा लाभ यह है कि निरंतर प्रयोगों के बावजूद भी इसके स्रोत समाप्त नहीं होते क्योंकि जल-संसाधन नवीकरण योग्य हैं।

3. खनिज तेल-यह अति दहनशील पदार्थ है। इसका प्रयोग अंतर्दहन इंजन में किया जाता है। खनिज तेल का परिष्करण करके डीज़ल, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, उड्डयन स्पिरिट आदि प्राप्त किए जाते हैं। इससे सड़क परिवहन, जहाजों, वायुयानों आदि को चालक शक्ति प्राप्त होती है।

4. परमाणु ऊर्जा-इसे प्राप्त करने के लिए अणु पदार्थों को नियंत्रित परिस्थितियों में विखंडित करते हैं। इससे असीम ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसका उपयोग विविध उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

प्रश्न 7.
ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस तथा कूड़े-कचरे से प्राप्त ऊर्जा सम्मिलित हैं। इनका महत्त्व निम्नलिखित है

  1. ये स्रोत नवीकरण योग्य हैं, इनका पुनः उपयोग किया जा सकता है।
  2. ये स्रोत प्रदूषण मुक्त और पारिस्थितिक अनुकूल हैं।
  3. ये साधन अपेक्षाकृत कम खर्चीले हैं।
  4. ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोत; जैसे सौर ऊर्जा का प्रयोग घरों में पानी गरम करने, खाना पकाने, बिजली का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।
  5. इसी तरह पवन ऊर्जा का उपयोग खेतों में सिंचाई करने, बिजली पैदा करने तथा पानी खींचने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 8.
भारत में सौर ऊर्जा का भविष्य उज्ज्वल है। कारण स्पष्ट करें।
उत्तर:
भारत एक उष्ण-कटिबंधीय देश है। यहाँ की जलवायु गर्म होने के कारण यहाँ पर सौर ऊर्जा के दोहन की अत्यन्त संभावनाएँ हैं। फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में बदला जाता है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र भज के निकट माधापर में स्थित है. ज के बड़े बर्तनों को कीटाणुमुक्त किया जाता है। ऐसी अपेक्षा है कि सौर ऊर्जा के प्रयोग से ग्रामीण घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। फलस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी। अतः हम कह सकते हैं कि भविष्य में सौर ऊर्जा भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।

प्रश्न 9.
खनिज पदार्थ हमारे उद्योगों के लिए रीढ़ की हड्डी हैं स्पष्ट करें।
उत्तर:
किसी भी राष्ट्र के लिए खनिज पदार्थ अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। खनिज उद्योग-धंधों का जीवन-आधार हैं। इनकी उपयोगिता को देखते हुए ही तो किसी ने कहा है, “खनिज पदार्थ हमारे उद्योगों के लिए रीढ़ की हड्डी हैं।” किसी भी देश के आर्थिक विकास में खनिजों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसके बिना राष्ट्र विकास नहीं कर सकता; जैसे मध्य-पूर्व के आज पेट्रोलियम उत्पादन में धनी होकर औद्योगिक विकास की ओर बढ़ रहे हैं और उनके निवासियों का जीवन-स्तर ऊपर उठ रहा है।

खनिजों का शोषण बड़ी सावधानी से किया जाता है क्योंकि ये अनापूर्ति साधन हैं। एक बार प्रयोग कर लेने के पश्चात् इनका कोई मूल्य नहीं। हमारे देश में इनकी उपयोगिता और आवश्यकता को देखते हुए देश में ‘राष्ट्रीय खनिज विकास समिति’ की स्थापना की गई है। यह समिति देश में उपयोगी खनिजों की खोज के लिए प्रयत्नशील है।

प्रश्न 10.
मुंबई हाई का देश की अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है?
उत्तर:
मुंबई हाई भारत का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है। इस स्थान से तेल निकालने के लिए बहुत ही विकसित एवं उच्च स्तर की प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था में ‘मुंबई हाई’ का बहुत बड़ा योगदान है। यह हमारे पेट्रोलियम उत्पादों की आवश्यकताओं की बहुत बड़े भाग की पूर्ति करता है। इससे हमें बहुत बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की बचत होती है।

प्रश्न 11.
खनिजों के वर्गीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक एवं भौतिक गुणधर्मों के आधार पर खनिजों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है
1. धात्विक खनिज-वे खनिज जिनसे हमें धातुएँ प्राप्त होती हैं, उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं। लौह-अयस्क, ताँबा, सोना, चाँदी आदि इसके उदाहरण हैं।

लौह-खनिज-वे धात्विक खनिज जिनमें लोहे का अंश पाया जाता है, उन्हें लौह खनिज कहते हैं; जैसे लौह-अयस्क, निकिल, कोबाल्ट आदि।
अलौह खनिज-वे धात्विक खनिज जिनमें लौह का अंश नहीं पाया जाता, उन्हें अलौह खनिज कहते हैं; जैसे तांबा, जस्ता, बॉक्साइट आदि।

2. अधात्विक खनिज-वे खनिज जिनसे हमें धातुएँ नहीं प्राप्त होती, उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं। खनिज तेल, नमक, अभ्रक, पोटाश, चूना पत्थर आदि इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 12.
“कोयला ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।”-व्याख्या करें।
उत्तर:
कोयला महत्त्वपूर्ण खनिजों में से एक है। भारत अपनी व्यापारिक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कोयले पर निर्भर है। इसका मुख्य उपयोग ताप विद्युत उत्पादन और लौह अयस्क के प्रगलन के लिए किया जाता है। रेलवे और उद्योगों में भाप का इंजन चलाने के लिए इसे ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। खाना बनाने वाले कोयले का प्रयोग लोहे की प्रगलन भट्टी में किया जाता है।

प्रश्न 13.
ऊर्जा के संरक्षण हेतु आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
ऊर्जा के संरक्षण हेतु निम्नलिखित सुझावों पर अमल करना चाहिए-

  1. सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का अधिक-से-अधिक और निजी वाहनों का कम-से-कम उपयोग करना चाहिए।
  2. आवश्यकता न होने पर बिजली के स्विच बंद कर देने चाहिएँ।
  3. शक्ति बचाने की युक्तियाँ अपनानी चाहिएँ।
  4. अपने बिजली के उपकरणों को नियमित रूप से जाँचते रहना चाहिए।
  5. ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों के उपयोग पर अधिक-से-अधिक बल देना चाहिए।

प्रश्न 14.
सौर संयंत्र पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
सौर संयंत्र, सौर ऊर्जा के सीधे अवशोषण से चलते हैं। इसमें परावर्तन करने वाली दर्पण प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। कई गतिशील दर्पण, सूर्य की किरणों को केंद्रीय ऊंची मीनार के शीर्ष पर परावर्तित करते हैं, जहां भाप बायलर तथा विद्युत उत्पन्न करने वाले संयंत्र स्थापित होते हैं। सौर सैलों का उपयोग करके सौर विकिरण से सीधे विद्युत बनाई जा सकती है। यह सूर्य से विद्युत उत्पन्न करने का दूसरा तरीका है। इन सैलों में रवेदार सिलीकॉन जैसे पदार्थों का उपयोग होता है, जो सौर विकिरण को अवशोषित करके उसे सीधे विद्युत में बदल देते हैं।

प्रश्न 15.
प्राकृतिक गैस और बायोगैस में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्राकृतिक गैस और बायोगैस में निम्नलिखित अंतर हैं-

प्राकृतिक गैसबायोगैस
1. प्राकृतिक गैस एक खनिज है और यह धरातल के नीचे से निकाली जाती है।1. बायोगैस पशुओं के गोबर, मल-मूत्र और गली-सड़ी वस्तुओं से प्राप्त की जाती है।
2. यह प्रायः पेट्रोलियम के कुओं में पेट्रोलियम के ऊपर पाई जाती है।2. इस गैस का संयंत्र किसान अपने घर के पास आसानी से लगा सकता है।
3. यह गैस बायोगैस की तुलना में अधिक महंगी है।3. यह एक सस्ता ईंधन है।
4. यह स्वतन्त्र रूप से मिलती है।4. इसे बनाना पड़ता है।

प्रश्न 16.
परम्परागत और गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
परम्परागत और गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों में निम्नलिखित अंतर हैं-

परम्परागत/अनवीकरणीय ऊर्जा संसाधनगैर-परम्परागत/नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन
1. परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का विकास लम्बे समय पहले हुआ।1. गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधनों का विकास अभी किया गया है।
2. ये ऊर्जा के अनवीकरणीय संसाधन हैं।2. ये ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधन हैं।
3. ये वायु एवं जल प्रदूषण फैलाते हैं।3. ये किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाते।
4. उदाहरण-कोयला, पेट्रोलियम, लकड़ी, उपले आदि।4. उदाहरण-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा आदि।

प्रश्न 17.
भारत में खनिज के अन्वेषण में संलग्न अधिकरण कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में खनिजों का व्यवस्थित सर्वेक्षण, पूर्वेक्षण तथा अन्वेषण के कार्य भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI), तेल व प्राकृतिक गैस कार्पोरेशन लिमिटेड (ONGC), खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड (MECL), राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC), इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंज (IBM), भारत गोल्डमाइंस लिमिटेड (BGML), राष्ट्रीय ऐल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO) और विभिन्न राज्यों के खदान एवं भू-विज्ञान विभाग करते हैं।

प्रश्न 18.
भारत में जल विद्युत् शक्ति के विकास के लिए पाई जाने वाली अनुकूल दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में जल विद्युत शक्ति के विकास के लिए निम्नलिखित अनुकूल परिस्थितियाँ पाई जाती हैं-
1. भूमि का स्वभाव-भारत में पर्वतीय तथा पठारी क्षेत्र उपलब्ध हैं। जल विद्युत के उत्पादन के लिए तीव्र ढालू भूमि की आवश्यकता है। इसलिए भारत के पर्वत तथा पठार जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए उचित क्षेत्र हैं। अधिक ऊंचाई से गिरने वाले जल से अधिक जल विद्युत उत्पन्न की जा सकती है।

2. जल की उपलब्धता-भारत अधिकतर नदियों का उद्गम पर्वतीय क्षेत्र है। यहाँ मानसून पवनों से काफी वर्षा होती है। इसलिए सारा वर्ष नदियों में जल उपलब्ध रहता है।

3. जल-प्रपातों की उपस्थिति-दक्षिणी भारत की अधिकतर नदियाँ जल-प्रपात बनाती हैं इसलिए वहाँ जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ हैं। उदाहरण के लिए उत्तरी अमेरिका में नियाग्रा जल-प्रपात से विद्युत उत्पन्न के

4. खपत क्षेत्रों की निकटता-जल विद्युत को प्रयोग में लाने वाले क्षेत्र जल विद्युत उत्पादित क्षेत्रों के निकट होने चाहिएँ, इससे जल विद्युत का ह्रास कम होता है।

5. विद्युत की मांग-जल विद्युत के विकास के लिए अधिक मांग का होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए अफ्रीका महाद्वीप में विद्यत की मांग कम है। इसीलिए वहाँ उत्पादन भी कम होता है।

6. पूंजी-नदियों पर बांध बनाने तथा विद्युत निर्माण करने के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। जल विद्यत विकास के लिए तकनीकी ज्ञान तथा विकसित यातायात के साधनों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 19.
भारत में मैंगनीज़ के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मैंगनीज़ एक महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है, जिसका उपयोग अधिकतर लोहा गलाने के लिए किया जाता है। एक टन इस्पात बनाने के लिए लगभग 6 किलोग्राम मैंगनीज़ की जरूरत पड़ती है। इसके अतिरिक्त इस पदार्थ का उपयोग रासायनिक उद्योगों में ब्लीचिंग पाउडर, रंग-रोगन, कीटनाशक दवाइयों, चीनी-मिट्टी के बर्तन तथा शुष्क बैटरियों के बनाने में किया जाता है। इसमें अनेक अशुद्धियाँ होती हैं। उनको दूर करके ही इसका प्रयोग किया जाता है। भारत में मैंगनीज का वितरण अग्रलिखित हैं

  1. ओडिशा यहाँ के मुख्य उत्पादक क्षेत्र सुंदरगढ़, संबलपुर, क्योंझर, कालाहांडी, कोरापुट तथा धेनकनाल जिले हैं।
  2. कर्नाटक यहाँ के महत्त्वपूर्ण उत्पादक जिले उत्तरी कनारा, चित्रदुर्ग, शिमोगा, बेल्लारी हैं। यहाँ की प्रमुख खानें उसकोंडा, लोंडा, सदरहली, शंकरगुधा, शीदरहली, कुसमी, रामदुर्ग तथा बीजापुर हैं।
  3. मध्य प्रदेश-इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र छिंदवाड़ा तथा बालाघाट हैं। अन्य उत्पादक जिले बस्तर, नीमाड, धार मांडला तथा जबलपुर हैं।
  4. महाराष्ट्र-यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले नागपुर तथा भंडारा हैं। यहाँ उच्चकोटि का मैंगनीज मिलता है।
  5. आंध्र प्रदेश यहाँ के मुख्य उत्पादक जिले श्रीकाकुलम, विशाखापट्टनम, कुडप्पा, विजयनगर तथा गंटूर हैं।
  6. अन्य राज्य झारखंड (चाईबासा), गुजरात, गोवा व राजस्थान में भी मैंगनीज प्राप्त होता है।

प्रश्न 20.
भारत में बॉक्साइट के उत्पादन व वितरण पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर:
बॉक्साइट का प्रयोग एल्यूमीनियम बनाने के लिए किया जाता है। वर्ष 2011-12 में भारत ने 116.97 लाख टन बॉक्साइट उत्पन्न किया। पहले भारत अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए बॉक्साइट आयात करता था, परंतु अब भारत बॉक्साइट को आयात करने के स्थान पर निर्यात करता है। भारत में बॉक्साइट के प्रमुख उत्पादक राज्य इस प्रकार हैं

  1. ओडिशा-ओडिशा भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य है। यहाँ के कालाहांडी व संभलपुर ज़िले बॉक्साइट उत्पादन में अग्रणी हैं। सुंदरगढ़ और कोरापुट अन्य महत्त्वपूर्ण उत्पादक जिले हैं।
  2. झारखंड इस राज्य के लोहारड़ागा जिले की पैटलैंडस में बॉक्साइंट के समृद्ध भंडार हैं। राँची और पलामु यहाँ के प्रमुख उत्पादक जिले हैं।
  3. गुजरात-यह राज्य भारत देश का 20.1% बॉक्साइट पैदा करता है। इसके मुख्य क्षेत्र जामनगर, साबरकंठा, कच्छ तथा सूरत आदि हैं।
  4. महाराष्ट्र-यह राज्य भारत का लगभग 12% बॉक्साइट पैदा करता है। यहाँ कोलाबा, रत्नागिरि तथा कोल्हापुर जिले इसके मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं।
  5. अन्य उत्पादक क्षेत्र अन्य उत्पादक क्षेत्रों में कर्नाटक का बेलगांव जिला, तमिलनाडु में नीलगिरि, सेलम तथा मदुरै, उत्तर प्रदेश में चांदा तथा जम्मू कश्मीर में पुंछ तथा उद्धमपुर में बॉक्साइट के उत्पादक क्षेत्र हैं।

प्रश्न 21.
भारत में तांबा के उत्पादन तथा वितरण का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
तांबे का उपयोग हमारे देश में प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है। तांबे के सिक्के तथा बर्तन काफी समय पहले से प्रचलन में रहे हैं लेकिन वर्तमान समय में विद्युत की बढ़ती हुई माँग के कारण इसका उपयोग अधिक बढ़ गया है।

भारत में तांबे का खनन तथा परिष्करण कार्य हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड करता है। जब से इस प्रतिष्ठान की स्थापना हुई है, देश में तांबे के उत्पादन में वृद्धि हुई है लेकिन अब भी हमें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है।

उत्पादन एवं वितरण-देश में तांबे का उत्पादन झारखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक आदि राज्यों में होता है। झारखंड में सिंहभूम प्रमुख उत्पादक ज़िला है। इसके अतिरिक्त हजारीबाग में भी थोड़ा तांबा निकाला जाता है। राजस्थान तांबे की खानें झुंझुनु ज़िले में सिंघाणा से खेतड़ी तक विस्तृत हैं। खेतड़ी नगर में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड का कारखाना तांबे का परिष्करण करके तांबे का उत्पादन करता है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 22.
भारत में खनिजों के संरक्षण पर नोट लिखिए।
उत्तर:
खनिज पृथ्वी पर पाए जाने वाले अनवीकरणीय संसाधन हैं। इनको एक बार प्रयोग कर लिए जाने के बाद लंबे समय तक इनकी पूर्ति नहीं हो सकती। जिन खनिजों के निर्माण में लाखों वर्ष लग गए हैं हम उनका शीघ्रता से और लापरवाही के साथ प्रयोग कर रहे हैं। निम्नलिखित बातों से खनिजों का संरक्षण अनिवार्य है

  1. खनिज संसाधनों के भण्डार सीमित हैं और ये अनवीकरणीय हैं।
  2. खनिज हमारे उद्योगों और कृषि का आधार हैं। इनकी अनुपस्थिति में देश का आर्थिक विकास रुक जाएगा।
  3. हमारे देश में खनिजों के भण्डारों की कमी है।
  4. खनिज अयस्कों के लगातार खनन से इनकी उपलब्धता की गहराई बढ़ती जाती है जिससे उत्खनन की लागत बढ़ जाती है।
  5. ज्यों-ज्यों हम गहराई में उत्खनन करते जाते हैं तो खनिजों की गुणवत्ता कम होती जाती है।
  6. खनिज संसाधनों की कमी के कारण मानवता के विकास की गति रुक जाएगी।

दिए गए तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि खनिज पदार्थों का संरक्षण आज हमारी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में कोयले के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन कीजिए।
अथवा
कोयले की विभिन्न किस्मों का वर्णन कीजिए तथा भारत में कोयले के उत्पादन व वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोयला ऊर्जा शक्ति का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। पहले-पहल कोयला घरेलू कामों के प्रयोग में लाया जाता था। 18वीं शताब्दी में इंजन के आविष्कार से यह एक महत्त्वपूर्ण ईंधन बन गया। यह एक ज्वलनशील ईंधन है जिसका निर्माण वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं के नीचे दबने, आंतरिक दबाव तथा ताप के कारण रूप परिवर्तन से होता है। कोयले का प्रयोग अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। भारत में कोयला मुख्यतः गोंडवानालैण्ड तथा टरश्यरी प्रकार की चट्टानों से प्राप्त किया जाता है। कोयले को काला सोना भी कहा जाता है। अमोनिया सल्फेट कोयले का महत्त्वपूर्ण गौण पदार्थ है जिसको रेफ्रिजरेशन, विस्फोटक पदार्थ तथा रासायनिक उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है।

कोयले के प्रकार (किस्में) (Types of Coal) कार्बन और आर्द्रता के आधार पर कोयले को निम्नलिखित वर्गों में बांटा गया है
1. एन्थ्रासाइट कोयला–एन्थ्रासाइट लकड़ी से कोयला बनने की अन्तिम अवस्था को दर्शाता है। यह काला, कठोर, चमकीला, रवेदार तथा सर्वोत्तम श्रेणी का कोयला होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 90 से 96 प्रतिशत होती है तथा आर्द्रता न्यूनतम होती है। यह अत्यन्त सख्त कोयला है तथा इसके खनन पर भी बहुत खर्च आता है। एन्थ्रासाइट कोयला शुरू में धीरे आग पकड़ता है लेकिन जलने पर यह अत्यधिक ऊष्मा देता है। जलते समय यह नीली लौ देता है तथा कम धुआँ छोड़ता है। जलने के बाद इसकी राख भी बहुत कम होती है। इससे उत्तम किस्म का कोक बनाया जाता है। विश्व में इस कोयले के भण्डार सीमित हैं।

2. बिटुमिनस कोयला-एन्थ्रासाइट के बाद यह एक उच्चकोटि का कोयला है जिसमें कार्बन का अंश 70 से 90 प्रतिशत तक होता है। इसमें थोड़ा-सा अंश नमी का भी पाया जाता है। काले रंग का यह कठोर कोयला जल्दी आग पकड़ता है। यह पीली लौ के साथ जलता है तथा धुआँ और राख छोड़ता है। कारखानों व रेलों में इसी कोयले का प्रयोग होता है। इससे कोक बनाकर लौह-भट्ठियों में जलाया जाता है। बिटुमिनस कृत्रिम रबड़ बनाने का कच्चा माल है। विश्व में इस कोयले के भण्डार अधिक हैं। प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश भागों में बिटुमिनस कोयला पाया जाता है।

3. लिग्नाइट कोयला-इसे भूरा कोयला (Brown Coal) कहते हैं क्योंकि इसमें मूल वनस्पति के रेशे विद्यमान होते हैं। इस कोयले में कार्बन का अंश 45 से 70 प्रतिशत तक होता है। इसमें आर्द्रता अधिक होती है। इसकी दहन क्षमता कम है तथा यह जलने पर धुआँ व राख दोनों अधिक छोड़ता है। इस कोयले का प्रयोग तारकोल, कृत्रिम पेट्रोल व कृत्रिम रबड़ बनाने तथा ताप-विद्युत् भट्ठियों में किया जाता है।

4. पीट कोयला-पीट लकड़ी से कोयला बनने की पहली अवस्था है। कहने को तो यह कोयला है लेकिन यह लकड़ी से अधिक मिलता-जुलता है। इसमें नमी व गैसों की मात्रा अधिक होती है। इसे सुखाकर जलाया जाता है और यह लकड़ी की तरह काबेन का अंश 40 से 60 प्रतिशत तक होता है। यह अधिक धुआं छोड़ता है और इसकी राख भी बहुत ज्यादा होती है। निम्न जलन क्षमता के कारण पीट कोयले का कम प्रयोग किया जाता है।

वितरण तथा उत्पादन (Production and Distribution)-भारत में कोयले की पहली खान सन् 1774 में पश्चिम बंगाल के रानीगंज में खोदी गई थी। सन् 1900 तक कोयले के उत्पादन में कोई खास वृद्धि नहीं हुई। सन् 1900 तक देश में कोयले का कुल उत्पादन मात्र 60 लाख टन था। इसका कारण था उद्योगों की कमी और माँग का अभाव। दो विश्व युद्धों में कोयला खनन के दिन फिरे। प्रथम विश्व युद्ध (1914) के आरम्भ होते ही कोयले का उत्पादन बढ़कर 160 लाख टन हो गया।

दूसरे विश्व युद्ध में कोयले की माँग और बढ़ी और सन् 1945 में भारत में 290 लाख टन कोयले का उत्पादन हुआ। स्वतन्त्रता-प्राप्ति तक कोयले का उत्पादन 300 लाख टन हो गया। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद उद्योग-धन्धों में प्रगति के कारण कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई जो सन् 2014-2015 में लगभग 3821.37 लाख टन तथा सन् 2017-18 में लगभग 56.74 करोड़ टन हो गई। इस प्रकार पिछले कुछ वर्षों में कोयला उत्पादन में ग्यारह गुना से अधिक वृद्धि हुई है। विश्व में कोयला उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान है। यह विश्व उत्पादन का लगभग 7.2% भाग पैदा करता है।

भारत में कोयले के दो क्षेत्र हैं-

  • प्रायद्वीपीय गोंडवाना क्षेत्र
  • उत्तरी भारत का टर्शियरी क्षेत्र।

भारत का अधिकांश कोयला गोंडवाना क्षेत्र में तथा शेष टरश्यरी क्षेत्र में मिलता है। गोंडवाना क्षेत्र के अंतर्गत भारत में निम्नलिखित राज्यों में कोयले का उत्पादन होता है
1. मध्यप्रदेश मध्य प्रदेश में सिंगरौली, झबुआ, विजयपुर प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं।

2. झारखण्ड-कोयला उत्पादन में झारखण्ड का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस प्रदेश के महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र रानीगंज, झरिया, बोकारो, गिरीडीह एवं करनपुरा हैं।

3. पश्चिम बंगाल-उत्पादन तथा संचित राशि की दृष्टि से पश्चिम बंगाल भारत का तीसरा राज्य है, जहां देश का लगभग 8% कोयला उत्पन्न किया जाता है। बर्दमान, पुरुलिया तथा बांकुरा यहाँ के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं।

4. ओडिशा-ओडिशा राज्य में भारत का लगभग 23% कोयला संचित है। यह भारत का लगभग 18% कोयला उत्पन्न करता है। तलचर की खाने कोयला उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। यह क्षेत्र ब्राह्मणी नदी की घाटी में 520 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।

5. आंध्र प्रदेश-यह क्षेत्र गोदावरी की घाटी में फैला है। यहां पर पाण्डूर तथा कोटागुंडम प्रमुख खानें हैं। यह क्षेत्र ऊपरी गोंडवाना क्रम की चट्टानों में स्थित है। यहां पर कोयले की सतह की मोटाई 1 मीटर से 2 मीटर तक है।

उपर्युक्त कोयला क्षेत्र के अतिरिक्त तृतीय कल्प (Tertiary Era) में कोयला क्षेत्रों में देश का 3% कोयला उत्पन्न किया जाता है। इस प्रकार का कोयला असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में मिलता है।

प्रश्न 2.
भारत में लौह-अयस्क की किस्मों/प्रकारों, उत्पादन तथा वितरण का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में लौहा-अयस्क के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन करें।
उत्तर:
लोहे को उद्योगों की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है तथा किसी देश का औद्योगिक विकास का स्तर वहाँ लोहे के उपयोग की मात्रा पर आंका जाता है। यह अयस्क के रूप में पाया जाता है।

लौह-अयस्क के प्रकार (Types of Iron-ore)-लौह-अयस्क में लोहे की मात्रा के आधार पर इसको निम्नलिखित वर्गों में बांटा जाता है

  • मैग्नेटाइट-यह सबसे बढ़िया किस्म का लोहा होता है। इसमें 72 प्रतिशत शुद्ध लोहा होता है। इसमें चुंबकीय लक्षण होते हैं तथा यह तमिलनाडु तथा कर्नाटक में मिलता है।
  • हैमेटाइट-इस अयस्क में 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक शुद्ध लोहा होता है। भारत में अधिकतर यह लोहा पाया जाता है।
  • लिमोनाइट-इस लोहे में 40 से 60 प्रतिशत तक शुद्ध लोहा होता है तथा यह अधिकतर पश्चिमी बंगाल में मिलता है।
  • सिडेराइट-इस अयस्क में 40 से 50 प्रतिशत लोहांश होता है। इसका उपयोग कम होता है, क्योंकि इसमें अशुद्धियाँ अधिक पाई जाती हैं। यह चाकू, छुरियाँ आदि बनाने के काम आता है।

उत्पादन तथा वितरण (Production and Distribution) अनुमान है कि भारत में लगभग 2,017 करोड़ टन लोहे के भंडार दबे पड़े हैं, जो विश्व का लगभग 20 प्रतिशत भाग है। इसमें 68.2 प्रतिशत हैमेटाइट किस्म का लोहा है। सन् 1990 में इसका उत्पादन 4.9 करोड़ टन हुआ। सन् 2014-15 में लौह अयस्क का उत्पादन 1544 लाख टन हुआ और 2017-18 में यह उत्पादन बढ़कर लगभग 200 मिलियन टन हो गया। लोहे-उत्पादन में भारत वर्तमान में विश्व में चौथे स्थान पर है और विश्व उत्पादन का लगभग 10% पैदा करता है। लोहे के मुख्य उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं
1. झारखण्ड-ओडिशा की ही लौहयुक्त पहाड़ियों का विस्तार झारखण्ड में है जहाँ देश की सबसे प्राचीन लौह खदानें स्थित हैं। भारत के अधिकतर स्टील प्लांट भी इन्हीं खदानों के आसपास अवस्थित हैं। यहाँ पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम जिलों में अवस्थित कोल्हन श्रृंखला में नोटूबुरु, नोआमुंडी, पंसारीबुरू, गुआ और सासगंडा खानों से हैमेटाइट लोहा निकाला जाता है। पलामु ज़िले के डाल्टनगंज, धनबाद, हज़ारीबाग, रांची तथा संथाल परगना ज़िलों से भी मैग्नेटाइट लोहा प्राप्त होता है। कुल्टी व बर्नपुर के इस्पात कारखानों को लोहा झारखंड की गुआ खान से ही प्राप्त होता है। यहाँ का थोड़ा-सा लोहा निर्यात भी होता है।

2. ओडिशा-यह राज्य देश का लगभग लगभग 25 प्रतिशत लोहा पैदा करता है तथा उत्तम किस्म का लोहा उत्पन्न करता है। मुख्य उत्पादक जिले क्योंझर, मयूरभंज, संबलपुर, कटक तथा सुंदरगढ़ हैं।
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

3. मध्य प्रदेश यहाँ के महत्त्वपूर्ण जिले हैं रायगढ़, जबलपुर, बिलासपुर, मांडला, बालाघाट तथा सरगुजा। इस राज्य की महत्त्वपूर्ण खाने बोलाडिला, डाली तथा रंपारा हैं।

4. गोवा-लोहे के उत्पादन में गोवा का महत्त्व बढ़ा है। सन् 1988-89 में यहाँ 130 लाख टन लोहा पैदा किया गया। यहाँ का लोहा घटिया किस्म का है, जिसके अयस्क में 40 से 60 प्रतिशत लोहांश होता है। यह लिमोनाइट तथा सिडेराइट किस्म का लोहा है। इस राज्य में 300 से अधिक लोहे की खानें हैं, जिनमें पीरना-अदोल, पाले-ओनडा तथा कुंदनेमसरूला आदि महत्त्वपूर्ण हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन 1
5. कर्नाटक यहाँ लोहे के विस्तृत भंडार हैं। यहाँ के प्रमुख उत्पादक जिले बेलारी तथा चिकमंगलूर हैं। इनके अतिरिक्त चित्रदुर्ग, धारवाड़ तथा शिमोगा में भी लोहा प्राप्त होता है ।

6. महाराष्ट्र-यह राज्य भारत का कुछ प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है। मुख्य उत्पादक जिले चंद्रपुर, भंडारा तथा रत्नागिरि हैं।

7. अन्य उत्पादक क्षेत्र अन्य उत्पादक राज्यों में तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, गुजरात तथा केरल हैं। यह सब मिलकर भारत का 2 प्रतिशत लोहा पैदा करते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में ऊर्जा के नवीकरणीय एवं अनवीकरणीय साधनों/स्रोतों का वर्णन करें।
अथवा
भारत में ऊर्जा के परम्परागत ऊर्जा साधनों या स्रोतों का वर्णन कीजिए। अथवा भारत में अपरम्परागत ऊर्जा के साधनों पर एक नोट लिखें।
अथवा
परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके साधनों/स्रोतों का वर्णन करें। अथवा अपरम्परागत या गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके साधनों/स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत ऊर्जा स्रोत-ऊर्जा के वे स्रोत जिनके प्रयोग की पहले से परंपरा चल रही हो वे परंपरागत ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। इनको अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता है।
परम्परागत ऊर्जा के साधन-ऊर्जा के परंपरागत साधन/स्रोत इस प्रकार हैं-
1. कोयला, लकड़ी व उपले-कोयला शक्ति का एक प्राचीन तथा प्रमुख साधन है। इसका प्रयोग उद्योगों, यातायात तथा विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। इसे औद्योगिक क्रांति का आधार कहा जाता है। रेलों, जलयानों आदि के चलाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। लकड़ी व उपले भी परम्परागत ऊर्जा के स्रोत हैं।

2. खनिज तेल यह शक्ति का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण साधन है। इसका उपयोग यातायात सड़क, रेल और वायु परिवहन तथा उद्योग-धंधों को चलाने के लिए किया जाता है।

3. जल-विद्यत-यह नदियों के जल से प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग यातायात उद्योग, घरेल खपत आदि में होता है।

4. परमाणु शक्ति-परमाणु ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए अणु पदार्थों को नियंत्रित परिस्थितियों में विखंडित किया जाता है और परमाणु विद्युत प्राप्त की जाती है। इसका उपयोग उद्योगों तथा अन्य कार्यों में किया जाता है।

अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत-अपरम्परागत ऊर्जा स्रोत वे स्रोत हैं जिनका प्रयोग करना हमने हाल ही के वर्षों या कुछ वर्षों पहले शुरू किया है। इनको नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता है।
अपरम्परागत ऊर्जा के साधन-अपरम्परागत ऊर्जा के साधन निम्नलिखित हैं-
1. पवन ऊर्जा-यह स्रोत असमाप्य और प्रदूषण मुक्त स्रोत है। इसमें बहती पवनों से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है । बहती पवन की गतिज ऊर्जा को टरबाइन के जरिए विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। इसमें सभी प्रकार की पवनों; जैसे सन्मार्गी पवनें, पछुवा पवनें, मानसून पक्नें, स्थलीय पवनें तथा जलीय पवनों को विद्युत उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है।

2. सौर ऊर्जा-सौर तापीय ऊर्जा अन्य सभी ऊर्जा स्रोतों से अधिक लाभदायक है। इस ऊर्जा को पैदा करना बहुत आसान है। इसमें लागत भी कम आती है और पर्यावरण के अनुकूल है। सूर्य किरणों को फोटोवोल्टाइक सैलों में इकट्ठा करके ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इस ऊर्जा का प्रयोग फसलों को सुखाने, पानी गर्म करने, विद्युत उत्पादन जैसी कई प्रक्रियाओं में उपयोग किया जा
सकता है।

3. ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा-ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा का उत्पादन समुद्रों पर बाँध बनाकर किया जाता है। ज्वार के समय उठे जल को ऊर्जा बनाने के काम में लाया जाता है। इन तरंगों के पानी को टरबाइन द्वारा विद्युत उत्पादन के काम में लाया जाता है।

4. भू-तापीय ऊर्जा-धरती के निचले भाग में स्थित गर्मी से जो ऊर्जा प्राप्त होती है उसे भू-तापीय ऊर्जा कहा जाता है। पृथ्वी में स्थित लावा तथा मैगमा जब बाहर आता है तो उसमें से ऊष्मा निकलती है। उस ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। भू-तापीय ऊर्जा का उत्पादन तपोवन और छोटा नागपुर में किया जाता है।

5. जैव ऊर्जा-जैविक उत्पादनों से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा को जैव ऊर्जा कहा जाता है। कृषि अवशेष, एकत्रित अवशेष, औद्योगिक व अन्य किसी प्रकार के अपशिष्ट। इन अपशिष्टों को बिजली, ताप ऊर्जा, खाना पकाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जाता है।

प्रश्न 4.
भारत में खनिज तेल या पेट्रोलियम के वितरण तथा उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पेट्रोलियम लेटिन भाषा के दो शब्दों-पेट्रो तथा ओलियम से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमशः चट्टान व तेल है, अर्थात चट्टानों से प्राप्त तेल को ही खनिज तेल या पेट्रोलियम कहते हैं। खनिज तेल की उत्पत्ति टरश्यरी यग की चट्टानों के बीच करोड़ों वर्षों तक दबी हुई वनस्पति अंश तथा सागरीय जीवों से हुई है। इसलिए खनिज तेल अधिकतर डेल्टाई प्रदेशों, झीलों तथा सागरीय भागों में अवसादी शैलों के बीच मिलता है।

आज के युग में पेट्रोलियम का अत्यधिक महत्त्व है। युद्ध और शांति दोनों काल में पेट्रोलियम हमारे लिए प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक अमूल्य संसाधन है जो आधुनिक जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक तथा परिहार्य है। कृषि, उद्योग तथा परिवहन में काम आने वाली आधुनिक मशीनों की क्षमता का श्रेय उच्चकोटि के तेलों की उपलब्धि को जाता है। नए प्रकार के इंजनों के आविष्कार से
खनिज तथा ऊर्जा संसाधन चालक शक्ति के रूप में खनिज तेल की उपयोगिता अत्यधिक बढ़ गई है। तरल ईंधन ठोस ईंधन की अपेक्षा सदैव श्रेष्ठ होता है। खनिज तेल का परिवहन भी कोयले की अपेक्षा सरल व सस्ता होता है।

पेट्रोलियम स्थान भी कम घेरता है तथा प्रति इकाई अधिक ताप प्रदान करता है। कच्चे माल के लिए अनेक रसायनिक उद्योग पेट्रोलियम पर निर्भर करते हैं। दुनिया के सभी शक्तिशाली राष्ट्रों के मध्य पैट्रोलियम क्षेत्रों पर अधिकार के लिए होड़ मची है। संसार के लगभग 60% खनिज तेल के सुरक्षित भण्डार एशिया के दक्षिणी पश्चिमी भाग में स्थित हैं।

वितरण तथा उत्पादन देश में सबसे पहली बार सन् 1967 में असम के माकुम क्षेत्र में 36 मीटर गहराई पर तेल मिला। सन् 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के पश्चात् तेल की खोज का अभियान तेज हुआ।

खनिज तेल के ज्ञात स्रोतों की दृष्टि से भारत की स्थिति अब संतोषजनक कही जा सकती है क्योंकि असम के अतिरिक्त खम्भात की खाड़ी तथा अरब सागर के क्षेत्रों में भी पर्याप्त मात्रा में खनिज तेल का उत्पादन हो रहा है। अब पश्चिमी राजस्थान एवं गोदावरी बेसिन में भी नवीन क्षेत्रों का पता लगा है। भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र अपतटीय मुंबई हाई एवं बसीन क्षेत्र है।

भारत के विभिन्न राज्यों में खनिज तेल का वितरण तथा उत्पादन निम्न प्रकार से है-
1. असम तथा पूर्वी भारत-यह ब्रह्मपुत्र घाटी में लगभग 60000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। प्रमुख तेल क्षेत्र उत्तरी पूर्वी असम से सुरमा घाटी तक फैला है। इनमें नगालैंड, मेघालय के उत्तरी पठार, दक्षिणी मेघालय पठार, सिल्चर तथा कछार जिले, .. मणिपुर, मिजोरम तथा त्रिपुरा आते हैं। असम भारत का अग्रणी तेल उत्पादक राज्य है। यहां तेल सामान्यतया 500 से 300 मीटर की गहराई से प्राप्त किया जाता है। इस समय भारतीय खनिज तेल में असम का स्थान गुजरात तथा मुंबई हाई के पश्चात आता है। असम व पूर्वी भारत के मुख्य तेल क्षेत्र निम्नलिखित हैं

(i) डिगबोई क्षेत्र-वर्ष 1890 में पहली बार इस स्थान पर तेल मिला। लगभग 13 किलोमीटर लंबा तथा 1 किलोमीटर चौड़ा यह क्षेत्र नागा पहाड़ियों में लखीमपुर जिले की टीपम पहाड़ियों के पूर्व में फैला है। यहां तेल विभिन्न स्तरों में लगभग 1200 मीटर की गहराई तक पाया जाता है। यहां प्रमुख तेल केंद्र हस्सांपांग, बप्पापांग, डिगबोई और पानीटोला हैं। इस तेल को डिगबोई तेल शोधनशाला में साफ किया जाता है। यह शोधनशाला असम ऑयल कंपनी के अधिकार में है।

(ii) नहारकटिया क्षेत्र-डिगबोई के दक्षिण-पश्चिम में 40 किलोमीटर दूर दिहिंग नदी के किनारे नहारकटिया में 4000 से 5000 मीटर गहरे कुएं खोदे गए। इनकी उत्पादन क्षमता लगभग 25 लाख टन है। यहां से खनिज तेल को पाइप लाईन द्वारा बरौनी तथा नूनमती भेजा जाता है।

(iii) शिवसागर क्षेत्र-यह क्षेत्र नहारकटिया से 40 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहाँ के मोरान तथा हुगरीजन मुख्य क्षेत्र हैं। यहां से तेल बरौनी भेजा जाता है।

(iv) सुरमा नदी घाटी क्षेत्र इस क्षेत्र में तेल बदरपुर तथा पथरिया में निकाला जाता है। यह तेल हल्की श्रेणी का है।

2. गुजरात के तेल क्षेत्र-यह भारत का दूसरा महत्त्वपूर्ण राज्य है जहां से तेल प्राप्त किया जाता है। यहां खम्भात की खाड़ी का तटीय क्षेत्र तथा अंकलेश्वर क्षेत्र प्रधान है। खम्भात या लुनेज तेल क्षेत्र बड़ोदा से 50 किलोमीटर पश्चिम में बाड़सर में स्थित है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र में कम से कम 3 करोड़ टन तेल के सुरक्षित भण्डार हैं। यहां से लगभग 15 लाख टन तेल प्रतिवर्ष सरलता से निकाला जा सकता है। तेल के अतिरिक्त यहां से प्राकृतिक गैस भी प्राप्त की जाती है।

अंकलेश्वर क्षेत्र बड़ोदा के दक्षिण-पश्चिम में 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां तेल तथा प्राकृतिक गैस समुद्री धरातल से : लगभग 1200 मीटर की गहराई से प्राप्त होती है। यहां की तेल उत्पादन क्षमता लगभग 25 लाख टन वार्षिक है। यहां से कच्चा तेल कोयला शोधनशाला में भेजा जाता है। गुजरात में ही अहमदाबाद तथा उसके निकट कोसम्बा, सनन्द, कदी, ओल्पाद, महसाना आदि स्थानों पर भी तेल के नए स्रोतों का पता लगा है।

3. मुम्बई अपतटीय क्षेत्र भारत के पश्चिमी तट पर मुम्बई के निकट 160 किलोमीटर दूर समुद्र में मुंबई (बॉम्बे) हाई क्षेत्र तथा बसीन अपतटीय क्षेत्र विकसित हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 1976 से तेल प्राप्त किया जा रहा है। यह भारत का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है। वर्तमान में मुंबई (बॉम्बे) हाई से 2 करोड़ टन कच्चा खनिज तेल प्राप्त किया जा रहा है जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 60% है।

4. राजस्थान-जैसलमेर जिले में खोदे गए आठ कुओं में 1100 मीटर की गहराई पर खनिज तेल पाया गया है। ये कूप बाघेवाला, तावरीवाला तथा कालरेवाला में स्थित हैं। बाडमेर जिले के गुढामलानी तथा मग्गा की ढाणी में दोहन योग्य पैट्रोलियम के विशाल भण्डारों का पता लगा है। यह तेल 1800 मीटर गहराई पर 2000 मीटर मोटी परत के रूप में विद्यमान है।

5. अन्य क्षेत्र-पंजाब के लुधियाना, होशियारपुर तथा दासूजा क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश के ज्वालामुखी, धर्मशाला, नूरपुर तथा बिलासपुर सम्भावित क्षेत्र हैं। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग के अनुसार देश के अन्य सम्भावित क्षेत्रों में कावेरी नदी घाटी, तमिलनाडु की पाक की खाड़ी, ओडिशा के अठगड़, पुरी, बालासोर, महानदी के डेल्टा, गोदावरी नदी बेसिन, पश्चिमी तट पर केरल राज्य, अण्डमान निकोबार द्वीपों के तटीय क्षेत्र, कोरोमण्डल तटीय भाग आदि प्रमुख हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन

प्रश्न 5.
भारत में खनिज पेटियों के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर:
खनिज हमेशा कुछ निश्चित भूगर्भिक संरचनाओं में ही मिलते हैं और ऐसी संरचनाएँ कुछ निश्चित क्षेत्रों में ही पाई जाती हैं। भारत में ज्यादातर खनिज प्राचीन चट्टानों वाले इलाकों में पाए जाते हैं।

उदाहरणतया-

  • पेट्रोलियम टर्शियरी शैलों में पाया जाता है।
  • चूने का पत्थर, जिप्सम और डोलोमाइट ऊपरी शैल समूहों में पाए जाते हैं।
  • देश का लगभग 97 प्रतिशत कोयला, दामोदर, सोन, महानदी और गोदावरी बेसिन में संचित है।

वितरण-औद्योगिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कुछ खनिज भारत में बहत कम मात्रा में पाए जाते हैं। भारत में खनिजों की तीन विस्तृत पेटियाँ हैं तथा एक का हाल ही में पता चला है।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 7 खनिज तथा ऊर्जा संसाधन 2
1. उत्तर-पूर्वी पठार-

  • इस पट्टी में तीन क्षेत्र आते हैं-(i) छोटा नागपुर का पठार, (ii) ओडिशा का पठार तथा, (iii) पूर्वी आंध्र प्रदेश पठार।
  • यहाँ धातु उद्योग में काम आने वाले अनेक प्रकार के खनिज व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
  • यहाँ उच्चतम कोटि का लोहा, मैंगनीज़, चूना पत्थर, अभ्रक पाए जाते हैं।
  • इसी क्षेत्र में स्थित दामोदर घाटी और छत्तीसगढ़ के कोयला भंडार ने देश के विकास में योगदान दिया।
  • भारत में अधिकतर लौह-इस्पात इसी पेटी में स्थित है।

2. दक्षिण-पश्चिमी पठार-

  • यह पेटी मुख्यतः लौह-अयस्क, मैंगनीज़ और बॉक्साइट के भंडार से भरपूर है।
  • इस खनिज पेटी का विस्तार कर्नाटक और निकटवर्ती तमिलनाडु के पठार पर है।
  • केरल में मोनाजाइट, थोरियम और बॉक्साइट क्ले के संचय पाए जाते हैं।
  • उत्तर पूर्वी पठारी प्रदेश की भाँति इस प्रदेश में अधिक विविधता नहीं पाई जाती है।
  • इसी पेटी में ही सोने की तीन खाने हैं।

3. उत्तर-पश्चिमी प्रदेश-

  • इस खनिज पेटी का विस्तार गुजरात में खंभात की खाड़ी से राजस्थान की अरावली श्रेणी तक है।
  • इस पेटी की चट्टानों में ताँबा और जस्ता प्रमुख रूप से पाए जाते हैं।
  • इमारती पत्थर, बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, मार्बल, जिप्सम, मुल्तानी मिट्टी पाई जाती है।
  • गुजरात में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार पाए जाते हैं।
  • यह पेटी अलौह धातुओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ अन्य खनिजों के भंडार कम और बिखरे हुए मिलते हैं।

4. प्रायद्वीपीय पठारी क्षेत्र-

  • इस पेटी में कहीं-कहीं खनिज पाए जाते हैं।
  • ऊपरी ब्रह्मपुत्र घाटी पेट्रोलियम उत्पादन के लिए विख्यात है।
  • हिमाचल के पूर्वी और पश्चिमी भागों में ताँबा, शीशा, जस्ता, कोबाल्ट और टंगस्टन पाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
भारत में नाभिकीय ऊर्जा तथा उसके विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जीवाश्म ईंधनों के विभिन्न भण्डारों में तेजी से होती हुई कमी के कारण देश में ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति हेतु नाभिकीय ऊर्जा का महत्त्व तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में देश की कुल विद्युत क्षमता का केवल 2.4% भाग नाभिकीय अथवा परमाणु ऊर्जा से प्राप्त होता है। नाभिकीय ऊर्जा अथवा अणुशक्ति परमाणु खनिजों के विखण्डन से उत्पन्न होती है। एक अनुमान के अनुसार एक औंस यूरेनियम से उत्पन्न ऊर्जा सौ मीट्रीक टन कोयले की क्षमता के बराबर होती है। नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन तथा विकास के लिए अनेकों खनिजों की आवश्यकता होती है। इनमें प्रमुख रूप से यूरेनियम, थोरियम, मोनाजाइट आदि आते हैं।
1. यूरेनियम-यूरेनियम एक कठोर तथा भारी रेडियोधर्मी धातु है जो मुख्यतः पिचब्लैण्ड तथा यूरेनाइट खनिज अयस्कों से प्राप्त होती है। पिचब्लैण्ड (Pitchblende) में यूरेनियम की मात्रा 50 से 80% तक होती है जबकि यूरेनाइट में यह मात्रा 65 से 80% तक होती है। यूरेनियम गोल आकार के पिण्डों के रूप में मिलता है जो गहरे काले रंग का होता है।

यूरेनियम भारत में बहुत पहले से उपलब्ध था, परंतु द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व समाप्त हो गया था। 1950 में इसके दो नए क्षेत्रों का पता लगा। पहला क्षेत्र झारखण्ड के सिंहभूम में तांबा खनिज क्षेत्र से सम्बद्ध है जो 97 किलोमीटर लंबी पट्टी के रूप में है। दूसरा क्षेत्र राजस्थान के उदयपुर के निकट अमरा में स्थित है। भारत में ये खनिज मुख्यतः चार स्रोतों से मिलते हैं
(i) निम्न श्रेणी की धातु झारखण्ड के सिंहभूम तथा मध्य राजस्थान की धारवाड़ तथा आर्कियन चट्टानों से प्राप्त की जाती है। इनमें यूरेनियम की मात्रा 0.03 से 0.1% तक होती है। सामान्यतया यह धातु 1 टन चट्टानों में 300 ग्राम तक पाई जाती है।

(ii) पैग्मेटाइट्स शैलों से मिश्रित यूरेनियम प्राप्त किया जाता है। इन शैलों में यरेनियम 10% से 30% तक मिलता है। ये शैलें उत्तरी बिहार तथा मध्य राजस्थान के अभ्रक क्षेत्रों तथा आंध्र प्रदेश के नैलोर में मिलती हैं। झारखण्ड के सिंहभूम जिले में कुल अनुमानित भण्डार 40 लाख टन हैं। कर्नाटक तथा केरल राज्यों में भी ये चट्टानें मिलती हैं। राजस्थान के उदयपुर के निकट अमरा नामक स्थान पर उत्तम किस्म के निक्षेप पाए गए हैं। राजस्थान में दूसरा क्षेत्र भीलवाड़ा में भूनास के निकट है।

(iii) केरल तथा तमिलनाडु के तटीय भागों में मिलने वाली मोनाजाइट बालू मिट्टी से भी यूरेनियम प्राप्त किया जाता है। कुमारी अंतरीप तट के दोनों ओर लगभग 160 किलोमीटर की लंबाई में इस प्रकार की बालू मिट्टी पाई जाती है। केरल राज्य के तटीय भागों में मोनाजाइट के लगभग 25 लाख टन भण्डार का अनुमान है। भारतीय मोनाजाइट उत्तम श्रेणी का मोनाजाइट माना जाता है।

(iv) चैरालाइट भी यूरेनियम मिलने का स्रोत है जो केरल प्रदेश की बालू में पाया जाता है। इसमें यूरेनियम 2-4% तथा थोरियम 19 से 33% तक पाया जाता है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले तथा उत्तराखण्ड के चमोली जिले में भी यूरेनियम के नए भण्डारों का पता चला है।

2. थोरियम-थोरियम प्राप्ति के मुख्य रूप से तीन खनिज हैं-
(i) थोरियेनाइट जो भारत में बिल्कुल नहीं मिलता।

(ii) एलैनाइट कई स्थानों पर मिलता है परंतु इसमें थोरियम की मात्रा बहुत कम लगभग 3% तक ही होती है। इसके प्रमुख क्षेत्रों में तमिलनाडु के मदुरै जिले का मलूर तालुका, आंध्र प्रदेश के मेंढक, करीमनगर, वारंगल तथा हैदराबाद जिलों में बालागुड़बा, तोरनाल, तीमापुर तथा बसावापुरम क्षेत्र, झारखण्ड के हजारीबाग जिले के पैटो, परसाबाद, बंसोधारवा क्षेत्र तथा राजस्थान के पाली जिले के भद्रावन तथा भीतवाड़ा और भीलवाड़ा जिले का सरदारपुर क्षेत्र सम्मिलित हैं।

(iii) थोरियम के लिए मोनाजाइट तमिलनाडु के कन्याकुमारी, थंजावूर तथा तिरुनलवैली जिलों में, आंध्रप्रदेश के वाल्टेयर, नरसीपट्टनम तथा विशाखापट्टनम जिलों में, ओडिशा में महानदी तथा चिल्का झील के मध्य तथा गंजाम जिले तथा झारखण्ड के रांची तथा पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिलों में पाया जाता है।

परमाणु ऊर्जा केंद्र (परमाणु विद्युत गृह)-भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास के लिए 1948 में भारतीय नाभिकीय ऊर्जा आयोग की स्थापना की गई। भारत में अणुशक्ति के विकास का श्रेय डॉ० होमी जहाँगीर भाभा को जाता है। भारत का पहला आणविक अभिक्रियक मुम्बई के नजदीक ट्राम्बे द्वीप पर 1955 में स्थापित किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य विद्युत शक्ति उत्पन्न करना तथा कृषि और उद्योग के लिए अणुशक्ति का उपयोग करना था। वर्तमान में भारत में परमाणु ऊर्जा से प्राप्त होता है। भारत में अभी तक परमाणु शक्ति पर आधारित पांच विद्युत गृह स्थापित किए गए हैं
1. तारापुर विद्युत गृह भारत के पहले तथा एशिया के सबसे बड़े परमाणु विद्युत गृह की स्थापना सन् 1969 में अमेरिका के सहयोग से की गई थी। यह केंद्र महाराष्ट्र तथा गुजरात की सीमा पर तारापुर नामक स्थान पर स्थित है। इस विद्युत गृह में दो परमाणु भट्टियां हैं जिसमें प्रत्येक की विद्युत उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट से अधिक है। शुरू में अमेरिका से आयातित यूरेनियम के द्वारा विद्युत उत्पादन होता था, परंतु अब प्लूटोनियम का उपयोग किया जा रहा है।

2. राजस्थान अणुशक्ति गृह भारत का दूसरा परमाणु विद्युत गृह राजस्थान राज्य के कोटा शहर के दक्षिण पश्चिम में 42 किलोमीटर दूर तथा राणा प्रताप सागर बांध के उत्तर पूर्व में 22 मील दूर पहाड़ियों के मध्य रावतभाटा नामक स्थान पर बनाया गया है। पास में बहने वाली चम्बल नदी से इस विद्युत गृह को जल प्राप्त होता है। इस विद्युत गृह में 220 मेगावाट क्षमता की दो परमाणु भट्टियां हैं। इस शक्ति केंद्र में राजस्थान में उपलब्ध यूरेनियम का उपयोग करने की योजना है। इस विद्युत गृह की तीसरी तथा चौथी इकाइयों की उत्पादन क्षमता 225 मेगावाट है।

3. कलपक्कम अणुशक्ति गृह-यह भारत का तीसरा परमाणु विद्युत गृह है जिसे तमिलनाडु में चेन्नई के निकट कलपक्कम में बनाया गया है। इसे 1983 में पूरा किया गया। यह भारत की पहली स्वदेशी परियोजना है जिसमें पूर्णतया स्वदेशी सामान तथा तकनीक का उपयोग हुआ है। इसमें दो परमाणु भट्टियां हैं तथा प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 235 मेगावाट है।

4. नरौरा अणुशक्ति गृह-यह भारत का चौथा परमाणु विद्युत गृह है जो उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर के निकट नरौरा नामक स्थान पर स्थापित किया गया। इसमें भी दो परमाणु भट्टियां हैं जिसमें प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 235 मेगावाट है। इसे 1986 में शुरू किया गया।

5. काकरापारा अणुशक्ति गृह-भारत का पांचवां परमाणु विद्युत गृह गुजरात राज्य के काकरापारा नामक स्थान पर बनाया गया। इस शक्ति गृह में भी दो परमाणु भट्टियां हैं जिनकी कुल क्षमता 470 मेगावाट होगी। यह शक्ति गृह भी पूर्णतया स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं।

6. कैगा अणुशक्ति गृह-कर्नाटक राज्य में स्थापित इस परमाणु शक्ति पर आधारित विद्युत गृह की भी कुल उत्पादन क्षमता 470 मेगावाट होगी।

इसके अलावा भी भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम द्वारा अन्य स्थानों पर भी नाभिकीय ऊर्जा केंद्र स्थापित करने की योजनाएं हैं। इनमें से तमिलनाडु के कुडनकुलम तथा महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के जैतपुर में संयत्र स्थापित करना प्रस्तावित है। एक अनुमान के अनुसार भारत में परमाणु शक्ति पर आधारित विद्युत शक्ति का उत्पादन वर्तमान में लगभग 25 लाख किलोवाट हैं।

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HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. मानव के समग्र विकास के लिए अवसरों की प्राप्ति तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार कहलाता है
(A) जनगणना
(B) साक्षरता
(C) सकल घरेलू उत्पाद
(D) मानव विकास
उत्तर:
(D) मानव विकास

2. मानव विकास सूचकांक के कितने मापदंड हैं?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(B) 3

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3. मानव विकास के पहले प्रतिवेदन में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम कब प्रस्तुत किया गया?
(A) वर्ष 1970 में
(B) वर्ष 1975 में
(C) वर्ष 1985 में
(D) वर्ष 1990 में
उत्तर:
(D) वर्ष 1990 में

4. सन् 2018 में भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य कितना था?
(A) 0.533
(B) 0.790
(C) 0.582
(D) 0.568
उत्तर:
(B) 0.790

5. सन् 2011 की जनगणना के अनुसार सबसे अधिक साक्षरता दर किस राज्य में थी?
(A) बिहार में
(B) केरल में
(C) हरियाणा में
(D) जम्मू-कश्मीर में
उत्तर:
(B) केरल में

6. सन् 2011 की जनगणना के अनुसार सबसे कम साक्षरता दर किस राज्य में है?
(A) बिहार में
(B) केरल में
(C) हरियाणा में
(D) जम्मू-कश्मीर में
उत्तर:
(A) बिहार में

7. कौन-सा केंद्र-शासित प्रदेश साक्षरता दर के साथ प्रथम स्थान पर है?
(A) चण्डीगढ़
(B) लक्षद्वीप
(C) दमन और दीव
(D) दादरा और नगर हवेली
उत्तर:
(B) लक्षद्वीप

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8. सन् 2011 के अनुसार, भारत के किस राज्य में सबसे अधिक मानव विकास सूचकांक (0.600 से अधिक) था?
(A) बिहार में
(B) केरल में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) सिक्किम में
उत्तर:
(B) केरल में

9. सन् 2011 के अनुसार, भारत के किस राज्य में सबसे कम मानव विकास सूचकांक (0.300 से 0.400) था?
(A) बिहार में
(B) केरल में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) सिक्किम में
उत्तर:
(A) बिहार में

10. सन् 2011 के अनुसार, भारत में कितने प्रतिशत लोग साक्षर हैं?
(A) 74.04%
(B) 65.38%
(C) 59.4%
(D) 80.30%
उत्तर:
(A) 74.04%

11. भारत में औसत जीवन प्रत्याशा कितनी है?
(A) 62 वर्ष
(B) 63 वर्ष
(C) 65 वर्ष
(D) 68 वर्ष
उत्तर:
(C) 65 वर्ष

12. 1999-2000 के आँकड़ों के अनुसार भारत में निर्धनता का प्रतिशत कितना था?
(A) 25.3%
(B) 26.1%
(C) 27.2%
(D) 28.5%
उत्तर:
(B) 26.1%

13. मानव विकास का प्रमुख तत्त्व नहीं है?
(A) शिक्षा
(B) दीर्घ व स्वस्थ जीवन
(C) उच्च जीवन स्तर
(D) बेरोज़गारी
उत्तर:
(D) बेरोज़गारी

14. सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जन्म-दर कितनी थी?
(A) लगभग 22 प्रति हजार
(B) लगभग 24 प्रति हजार
(C) लगभग 26 प्रति हजार
(D) लगभग 28 प्रति हजार
उत्तर:
(C) लगभग 26 प्रति हजार

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15. प्रजनन दर, मानव विकास के कौन-से संकेतक से संबंधित है?
(A) सामाजिक संकेतक
(B) स्वास्थ्य संकेतक
(C) आर्थिक संकेतक
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(B) स्वास्थ्य संकेतक

16. जन्म के समय संभावित आयु क्या कहलाती है?
(A) जन्म-दर
(B) जनगणना
(C) जीवन प्रत्याशा
(D) साक्षरता
उत्तर:
(C) जीवन प्रत्याशा

17. निम्न जीवन स्तर का प्रतीक है-
(A) गरीबी
(B) कुपोषण
(C) निरक्षरता
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

18. उच्च जीवन स्तर का प्रतीक है
(A) शिक्षा
(B) रोजगार
(C) आय
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

19. निम्नलिखित में से मानव विकास सूचकांक मापना का आर्थिक संकेतक नहीं है-
(A) आय
(B) वेतन
(C) शिक्षा
(D) रोजगार
उत्तर:
(C) शिक्षा

20. निम्नलिखित में से मानव विकास सूचकांक मापना का स्वास्थ्य संकेतक है-
(A) अशोधित जन्म-दर
(B) अशोधित मृत्यु-दर
(C) शिशु मृत्यु-दर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

21. स्वस्थ जीवन का सूचक है-
(A) जीवन प्रत्याशा
(B) कुल प्रजनन दर
(C) अशोधित मृत्यु-दर व जन्म-दर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

22. किसके विचार में व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता और अहिंसा एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है?
(A) महात्मा गाँधी
(B) विवेकानंद
(C) यू०एन०डी०पी०
(D) शूमाकर
उत्तर:
(A) महात्मा गाँधी

23. भारत को ……………… मानव विकास दर्शाने वाले देशों में रखा गया है।
(A) निम्न
(B) मध्यम
(C) उच्च
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) मध्यम

24. विकास का प्रतीक समझा जाता है-
(A) औद्योगीकरण व कंप्यूटरीकरण
(B) उन्नत व आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ
(C) वैयक्तिक सुरक्षा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
मानव विकास सूचकांक (2001) के अनुसार अधिकतम सूचकांक (0.600 से अधिक) वाले भारत के एक राज्य का नाम लिखें।
उत्तर:
केरल।

प्रश्न 2.
सन् 2001 के मानव विकास सूचकांक के औसत सूचकांक वाले भारत के एक राज्य का नाम लिखें।
उत्तर:
तमिलनाडु।

प्रश्न 3.
कौन-सा केंद्र-शासित प्रदेश साक्षरता-दर के साथ प्रथम स्थान पर है?
उत्तर:
लक्षद्वीप।

प्रश्न 4.
मानव विकास सूचकांक के कितने मापदंड हैं?
उत्तर:
तीन।

प्रश्न 5.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार सबसे कम साक्षरता दर किस राज्य में है?
उत्तर:
बिहार में।

प्रश्न 6.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत के किस राज्य में सबसे अधिक मानव विकास सूचकांक है?
उत्तर:
केरल में।

प्रश्न 7.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार सबसे अधिक साक्षरता दर किस राज्य में है?
उत्तर:
केरल में।

प्रश्न 8.
भारत के किस राज्य में सबसे कम मानव विकास सूचकांक है?
उत्तर:
बिहार में।

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प्रश्न 9.
सन् 2011 के अनुसार भारत में कितने प्रतिशत (%) लोग साक्षर हैं?
उत्तर:
74.04 प्रतिशत।

प्रश्न 10.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता दर कितनी थी?
उत्तर:
64.84% या 65.38%।

प्रश्न 11.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में पुरुषों की साक्षरता दर कितनी थी?
उत्तर:
75.26%।

प्रश्न 12.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में महिलाओं की साक्षरता दर कितनी थी?
उत्तर:
53.67% या 54.16%।

प्रश्न 13.
सन 2001 की जनगणना के अनुसार भारत का कौन-सा राज्य सर्वाधिक साक्षर है?
उत्तर:
केरल (90.92%)।

प्रश्न 14.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत का कौन-सा राज्य न्यूनतम साक्षर है?
उत्तर:
बिहार (47.53%)।

प्रश्न 15.
सन् 1993 की मानव विकास रिपोर्ट का प्रमुख मुद्दा क्या था?
उत्तर:
लोगों की प्रतिभागिता एवं उनकी सुरक्षा।

प्रश्न 16.
‘स्माल इज़ ब्यूटीफुल’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
शूमाकर।

प्रश्न 17.
‘मानव विकास सूचकांक’ के लिए एक सामाजिक संकेतक का नाम लिखें।
उत्तर:
साक्षरता।

प्रश्न 18.
मानव विकास सूचकांक’ मापने के लिए एक स्वास्थ्य संकेतक का नाम लिखें।
उत्तर:
अशोधित जन्म-दर।

प्रश्न 19.
मानव विकास सूचकांक मापने के लिए एक आर्थिक संकेतक का नाम लिखें।
उत्तर:
वेतन।

प्रश्न 20.
भारत में औसत जीवन प्रत्याशा कितनी है?
उत्तर:
लगभग 65 वर्ष।

प्रश्न 21.
यू०एन०डी०पी० मानव विकास रिपोर्ट (2018) के अनुसार भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य कितना है?
उत्तर:
भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.790 है।

प्रश्न 22.
मानव विकास रिपोर्ट (2018) के अनुसार भारत के किस राज्य में मानव सूचकांक अधिकतम है?
उत्तर:
केरल में।

प्रश्न 23.
मानव विकास का क्या लक्ष्य है?
उत्तर:
मानव का कल्याण करना।

प्रश्न 24.
एक स्वस्थ जीवन के सूचक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. रोग व पीड़ा से मुक्त जीवन
  2. यथोचित दीर्घायु।

प्रश्न 25.
भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट (2011) के अनुसार भारत में कितने प्रतिशत व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे हैं?
उत्तर:
लगभग 21.92%।

प्रश्न 26.
भारत का विश्व में मानव विकास सूचकांक-2011 में कौन-सा स्थान था?
उत्तर:
134वाँ।

प्रश्न 27.
भारत का विश्व में मानव विकास सूचकांक-2001 में कौन-सा स्थान था?
उत्तर:
126वाँ।

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प्रश्न 28.
किसी एक राज्य का नाम लिखें जहाँ गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या (5% से कम) न्यूनतम है।
उत्तर:
गोवा।

प्रश्न 29.
किसी एक राज्य का नाम लिखें जहाँ गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या (10% से कम) न्यूनतम है।
उत्तर:
हरियाणा।

प्रश्न 30.
किसी एक राज्य का नाम लिखें जिसमें 40% से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है?
उत्तर:
बिहार।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव विकास से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानव के समग्र विकास के लिए अवसरों की प्राप्ति तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार मानव विकास कहलाता है।

प्रश्न 2.
मानव विकास को ‘साध्य’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि हर प्रकार का विकास मनुष्य के लिए किया जाता है। इसलिए मानव विकास साध्य है।

प्रश्न 3.
मानव विकास सूचकांक में कौन-से तीन मापदंड हैं?
उत्तर:

  1. दीर्घायु
  2. ज्ञान तथा
  3. उच्च जीवन-स्तर।

प्रश्न 4.
मानवीय विकास को मापने के लिए प्रयोग किए जाने वाले सूचकांक बताएँ।
उत्तर:

  1. स्वास्थ्य संबंधी सूचकांक
  2. आर्थिक सूचकांक
  3. सामाजिक सूचकांक।

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प्रश्न 5.
भारत में गरीबी के कोई चार कारण बताएँ।
उत्तर:

  1. अज्ञानता
  2. गरीबी
  3. निरक्षरता
  4. बीमारी व कुपोषण।

प्रश्न 6.
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जन्म-दर और मृत्यु-दर कितनी थी?
उत्तर:
सन् 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में जन्म-दर 26 प्रति हजार तथा मृत्यु-दर 8 प्रति हजार।

प्रश्न 7.
प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय कैसे निकाली जाती है?
उत्तर:
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प्रश्न 8.
जनसंख्या कारक का पर्यावरण पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या का संसाधनों पर दबाव पड़ता है जिससे या तो वे समाप्त हो जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है या उनका अतिशोषण होता है। इससे पर्यावरण का ह्रास होता है।

प्रश्न 9.
भारत में ग्रामीण गरीबी क्यों घट रही है?
उत्तर:
शिक्षा के प्रसार के कारण ग्रामीण गरीबी घट रही है। पढ़े-लिखे ग्रामीण आजीविका या रोजगार के लिए नगरों की ओर जा रहे हैं। रोजगार मिलने पर वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं। अब पढ़े-लिखे ग्रामीण सरकारी नौकरी हेतु अच्छी तैयारी कर स्थायी रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। इस कारण भारत में ग्रामीण गरीबी घट रही है।

प्रश्न 10.
मानव संसाधन विकास और मानव विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव संसाधन विकास और मानव विकास में निम्नलिखित अंतर हैं-

मानव संसाधन विकासमानव विकास
1. मानव संसाधन विकास का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के उचित दोहन से है।1. मानव विकास का उद्देश्य मानव के समग्र विकास से है।
2. इसमें केवल आर्थिक विकास ही सम्मिलित है।2. इसमें सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 11.
मानव विकास और आर्थिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास और आर्थिक विकास में निम्नलिखित अंतर हैं-

मानव विकासआर्थिक विकास
1. मानव विकास का उद्देश्य मानव के समग्र विकास से है।1. आर्थिक विकास को प्रति व्यक्ति आय तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद जैसे संकेतकों के द्वारा मापा जाता है।
2. इसमें सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास को सम्मिलित किया जाता है।2. आर्थिक विकास एक साधन है।

प्रश्न 12.
शिशु मृत्यु-दर क्या है?
उत्तर:
प्रति हजार जीवित जन्में बच्चों में से वर्ष में एक वर्ष से कम आयु वाले मृत बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु-दर कहते हैं।

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प्रश्न 13.
मानव विकास रिपोर्ट-2011 के अनुसार भारत के उच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य वाले किन्हीं आठ राज्यों को सूचीबद्ध करें।
उत्तर:

  1. केरल (0.790)
  2. हिमाचल प्रदेश (0.652)
  3. गोवा (0.617)
  4. पंजाब (0.605)
  5. महाराष्ट्र (0.572)
  6. तमिलनाडु (0.570)
  7. हरियाणा (0.552)
  8. गुजरात (0.527)।

प्रश्न 14.
दक्षिणी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के उच्च स्तरों के दो कारण बताइए।
उत्तर:
दक्षिणी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के उच्च स्तरों के कारण निम्नलिखित हैं-
1. साक्षरता अधिकांश दक्षिणी भारत के राज्यों की साक्षरता दर उत्तरी भारत के राज्यों से अधिक है। यहाँ शिक्षा का प्रसार व्यापक रूप से है जिस कारण इनका जीवन स्तर अच्छा है।

2. धनी एवं सीमांत वर्ग-यहाँ धनी एवं सीमांत वर्गों की जनसंख्या अधिक है। कम ही राज्य ऐसे हैं जहाँ की अर्थव्यवस्था पिछड़ी हुई है। अधिकांश राज्यों की अर्थव्यवस्था अच्छी है। इसी कारण यहाँ मानव विकास के उच्च स्तर हैं।

प्रश्न 15.
मानव विकास सूचकांक मापने के कौन-कौन-से संकेतक हैं?
अथवा
मानव विकास सूचकांक को मापने वाले संकेतकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक मापने वाले संकेतक निम्नलिखित हैं-

  1. स्वास्थ्य संकेतक-अशोधित जन्म-दर, अशोधित मृत्यु-दर, कुल प्रजनन दर, जीवन प्रत्याशा आदि।
  2. सामाजिक संकेतक-साक्षरता, शिक्षा, स्त्री साक्षरता आदि।
  3. आर्थिक संकेतक आय, वेतन, रोजगार, सकल घरेलू उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय आदि।
  4. मानव संकेतक-ज्ञान, कौशल, योग्यता आदि।

प्रश्न 16.
मानव विकास की कुंजी क्या है?
उत्तर:
मानव विकास की कुंजी भूख, गरीबी, अज्ञानता, निरक्षरता और अन्य प्रकार के विकारों से मुक्ति है।

प्रश्न 17.
वर्तमान में विकास का प्रतीक किसे समझा जाता है?
उत्तर:

  1. औद्योगीकरण
  2. कम्प्यूटरीकरण
  3. बृहत् शिक्षा प्रणाली
  4. उन्नत व वैज्ञानिक चिकित्सा सुविधाएँ
  5. वैयक्तिक सुरक्षा आदि।

प्रश्न 18.
भारत में आर्थिक दृष्टि से निम्न मानव विकास के तीन प्रतीक क्या हैं?
उत्तर:
भारत में आर्थिक दृष्टि से निम्न मानव विकास के प्रतीक निम्नलिखित हैं-

  1. बेरोजगारी
  2. प्रति व्यक्ति आय कम होना
  3. गरीबी।

प्रश्न 19.
भारत के किस राज्य में गरीबों की संख्या सबसे कम तथा किसमें सबसे अधिक है?
उत्तर:
भारत के गोवा में गरीबों की संख्या सबसे कम है तथा ओडिशा व बिहार में सबसे अधिक है।

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प्रश्न 20.
केरल और लक्षद्वीप में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक क्यों है?
उत्तर:
केरल और लक्षद्वीप में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक होने का मुख्य कारण अधिक नगरीकरण होना है और यहाँ की अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक संस्थाओं का शिक्षा प्रसार में अधिक योगदान देना है। इनके अतिरिक्त कुछ ईसाई मिशनरियों ने भी शिक्षा-प्रसार में योगदान दिया है।

प्रश्न 21.
भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट 2001 एवं 2011 के अनुसार भारत के कोई तीन सर्वोच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य वाले राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:
भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट-2001 के अनुसार-

  • केरल (0.638)
  • पंजाब (0.537)
  • तमिलनाडु (0.531)।

भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट-2011 के अनुसार-

  • केरल (0.790)
  • हिमाचल प्रदेश (0.652)
  • गोवा (0.617)।

प्रश्न 22.
भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट 2001 एवं 2011 के अनुसार भारत के कोई तीन न्यूनतम मानव विकास सूचकांक मूल्य वाले राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:
भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट-2001 के अनुसार-

  • बिहार (0.367)
  • असम (0.386)
  • उत्तर प्रदेश (0.388)।

भारत राष्ट्रीय मानव विकास रिपोर्ट-2011 के अनुसार-

  • छत्तीसगढ़ (0.358)
  • ओडिशा (0.362)
  • बिहार (0.367)।

प्रश्न 23.
भारत में जीवन प्रत्याशा बढ़ने के कोई दो कारण बताएँ।
उत्तर:

  1. बढ़ती खाद्य सुरक्षा
  2. चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं का फैलाव।

प्रश्न 24.
भारत में मानव विकास में पाई जाने वाली कोई दो असमानताएँ बताएँ।
उत्तर:

  1. जिन राज्यों का मानव विकास सूचकांक उच्च है उनकी साक्षरता दर अधिक है तथा जिन राज्यों का मानव विकास सूचकांक निम्न है उनकी साक्षरता दर कम है।
  2. उच्च मानव सूचकांक वाले राज्यों का आर्थिक विकास अच्छा है और निम्न मानव सूचकांक वाले राज्यों का आर्थिक विकास कम है।

प्रश्न 25.
स्वच्छ भारत मिशन के कोई दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर:

  1. अपरम्परागत ईंधन के साधनों; जैसे पवन व सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना।
  2. जल से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए प्रत्येक घर में पीने लायक पानी की उचित व्यवस्था करना।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव विकास के अंतर्गत जनसंख्या संसाधनों और विकास के बीच संघर्ष और अंतर्विरोधों का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर:
सर रॉबर्ट माल्थस पहले ऐसे विद्वान् थे जिन्होंने मानव जनसंख्या की तुलना में संसाधनों के अभाव के विषय में चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार संसाधनों की उपलब्धता का होना इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना कि उनका सामाजिक वितरण, क्योंकि संसाधनों का वितरण असमान है। विकसित और समृद्ध देश और लोग संसाधनों के विशाल भंडारों तक पहुँच सकते हैं और उनका अधिकाधिक संसाधनों पर नियंत्रण करने के लिए किए गए प्रयत्नों और विशेषता को प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग करना ही जनसंख्या संसाधनों और विकास के बीच संघर्ष और अंतर्विरोधों का प्रमुख कारण है।

भारतीय संस्कृति लंबे समय से ही जनसंख्या संसाधनों और विकास के प्रति संवेदनशील रही है तभी तो यहाँ के प्राचीन ग्रंथ भी प्रकृति के तत्त्वों के बीच संतुलन के प्रति चिंतित थे।

प्रश्न 2.
जीवन प्रत्याशा पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
जन्म के समय संभावित आयु लोगों की आयु में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
(1) 1951 में पुरुष जीवन प्रत्याशा 37.1 वर्ष थी जो बढ़कर 2011 में 62.6 वर्ष हो गई है।

(2) इसी प्रकार स्त्री जीवन प्रत्याशा 1951 में 36.2 वर्ष से बढ़कर 2011 में 64.6 वर्ष हो गई है। स्त्रियों में जीवन प्रत्याशा की वृद्धि एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। जीवन प्रत्याशा का बढ़ना जहां एक ओर बढ़ती खाद्य सुरक्षा की ओर इशारा करता है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रसार का भी सूचक है।

(3) 1951 में भारत में अनाजों व दालों की प्रति व्यक्ति व प्रतिदिन उपलब्धि 394.9 ग्राम थी, वह 2011 में बढ़कर 444.5 ग्राम हो गई।

प्रश्न 3.
मानव विकास क्यों आवश्यक है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास निम्नलिखित कारणों से आवश्यक माना जाता है

  1. मानव विकास से संबंधित सभी प्रक्रियाओं का अंतिम उद्देश्य मानवीय दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
  2. मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। स्वस्थ, शिक्षित और कुशल श्रमिक अधिक उत्पादन करने में सक्षम होते हैं।
  3. इसलिए मानव विकास में विनिवेश न्याय-संगत माना जाता है।
  4. मानव विकास परिवार के आकार को छोटा करने में सहायक है।
  5. मानव विकास भौतिक पर्यावरण के संरक्षण में सहायक है, क्योंकि गरीबी के घटने से वनों की कटाई, मरुस्थलीकरण तथा मृदा-अपरदन को रोका जा सकता है।
  6. मानव विकास स्वस्थ, सुदृढ़ और सभ्य समाज के निर्माण में सहायक होता है जिससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं और सामाजिक स्थिरता बढ़ती है।
  7. मानव विकास सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ाता है तथा सामाजिक अशांति को कम करने में सहायक है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 4.
भारत में संपूर्ण साक्षरता में प्रादेशिक भिन्नताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सन 2001 में भारत की साक्षरता-दर 64.84% थी। इसमें पुरुष साक्षरता 75.3% तथा स्त्रियों की साक्षरता 53.7% थी। भारत की साक्षरता-दर में प्रादेशिक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। सन् 2011 के आँकड़ों के अनुसार भारत की साक्षरता में प्रादेशिक विभिन्नताओं के लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. केरल की साक्षरता दर 93.9% है जो भारत में सर्वाधिक साक्षरता दर वाला राज्य है, जबकि बिहार में साक्षरता दर 63.8% है जो भारत के सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों का तुलना में सबसे कम है।
  2. लक्षद्वीप (92.3%) तथा मिजोरम (91.6%) का साक्षरता दर में क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान है।
  3. कुल 22 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
  4. कुल 13 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम है।
  5. ऊँची साक्षरता दर वाले (72% से अधिक) राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश हैं केरल, मिजोरम, लक्षद्वीप, गोवा, दिल्ली, चंडीगढ़, पुद्दुचेरी, अण्डेमान और निकोबार द्वीप समूह तथा दमन व दीव।

प्रश्न 5.
भारत में 1951 से 2001 की अवधि में साक्षरता दर में प्रगति हुई है। वर्णन करें।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में साक्षरता दर तेजी से बढ़ी है। इसका वर्णन इस प्रकार है-
(1) साक्षरता दर 1951 में 18.33 प्रतिशत थी जो बढ़कर 2001 में 64.84 प्रतिशत हो गई। भारत के इतिहास में पहली बार 2001 की जनगणना में साक्षर लोगों की संख्या निरक्षर लोगों से अधिक है। पिछले दशक में 3.20 करोड़ निरक्षरों की संख्या कम हुई है।

(2) भारत में 80.30 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या तथा केवल 59.4 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या साक्षर है।

(3) 82.14 प्रतिशत पुरुष तथा 65.46 प्रतिशत स्त्रियाँ साक्षर हैं। स्पष्ट है कि देश में स्त्रियों और पुरुषों की साक्षरता दर में काफी अंतर है।

(4) ग्रामीण और शहरी स्त्रियों की साक्षरता दर में तो और भी अधिक अंतर है। उदाहरणतः ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री साक्षरता दर केवल 46.70 प्रतिशत है जबकि नगरीय स्त्री साक्षरता दर 73.20 प्रतिशत है।

(5) 1991-2001 के दौरान भारत में 7 वर्षों से अधिक आयु की जनसंख्या में 17.16 करोड़ की वृद्धि हुई है। जबकि इसी दशक में 20.36 करोड़ अतिरिक्त व्यक्ति साक्षर हुए हैं (20.36–17.16 =
3.20 करोड़ निरक्षर पिछले दशक में कम हुए हैं)

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में मानव विकास के सामाजिक संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
मानव विकास के सामाजिक सशक्तीकरण के सूचकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास तभी संभव है जब लोगों को भूख, गरीबी, अज्ञानता व निरक्षरता से छुटकारा मिले। सामाजिक संकेतकों के अंतर्गत साक्षरता, विशेष रूप से महिला साक्षरता, छात्र-अध्यापक अनुपात और स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन बिम्ब आदि को शामिल किया जाता है। शिक्षा से प्राप्त विवेक मनुष्य को गरीबी के दुष्चक्र से निकालने की राह दिखाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में साक्षरता दर तेजी से बढ़ी है। साक्षरता दर 1951 में 18.33 प्रतिशत थी जो बढ़कर 2011 में लगभग 74 प्रतिशत हो गई।

प्रादेशिक भिन्नताओं के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों और स्त्रियों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, कृषि मज़दूर इत्यादि जैसे हमारे समाज के सीमांत या कमज़ोर तबकों में साक्षरता का प्रतिशत कम है। यद्यपि सीमांत वर्गों में साक्षरों का प्रतिशत सुधरा है तथापि धनी और सीमांत वर्गों की जनसंख्या के बीच साक्षरता के अनुपात का अन्तर समय के साथ बढ़ा है।

भारत में प्रारम्भिक शिक्षा को सर्वशिक्षा अभियान बनाकर राष्ट्रीय लक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया है। भारत में प्रारम्भिक शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया है। सशक्तीकरण का अर्थ है कि लोगों में अपने विकल्प चुनने की ताकत पैदा की जाए। यह ताकत बढ़ती हुई स्वतंत्रता, क्षमता और उत्पादकता से आती है। सुशासन और लोकोन्मुखी नीतियों से लोगों को सशक्त किया जा सकता है। मानव विकास के लिए जरूरी है कि सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए वर्गों और विशेष रूप से महिलाओं का सशक्तीकरण हो।

प्रश्न 2.
“विकास और पर्यावरण हास एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
जनसंख्या पर्यावरण और विकास में संबंध का वर्णन करें।
उत्तर:
विकास बीसवीं सदी की अनुपम देन माना जाता है। उपभोगवाद की संस्कृति ने अधिक उत्पादन का दौर आरंभ किया। अधिक उत्पादन के लिए हमने प्राकृतिक संसाधनों का तीव्र गति से शोषण किया। आज संसाधनों के अति दोहन और अधिक उत्पादन के फलस्वरूप पृथ्वी की उष्णता बढ़ रही है, ओजोन परत में छिद्र हो रहा है, वनों का विनाश हो रहा है, मृदा अपरदन हो रहा है तथा मरुस्थलीकरण बढ़ रहा है। अधिकतम विकास के नाम पर हमने प्रकृति की सीमाओं को खंडित कर दिया है।

विकास का परिणाम असहनीय बनता जा रहा है। औद्योगिक क्रांति के दौरान अनेक उद्योगों की स्थापना हुई जिससे वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि हुई। औद्योगिक क्रांति के बाद विज्ञान एवं तकनीकी विकास ने पर्यावरण को अत्यधिक प्रभावित किया जिसके परिणामस्वरूप आज ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन छिद्रीकरण, जलवायु परिवर्तन तथा पारिस्थितिकीय असंतुलन जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

जनसंख्या, पर्यावरण और विकास के बीच अटूट संबंध है। पर्यावरण के निम्नीकरण से तथा संसाधनों के लगातार कम होने की स्थिति में विकास जारी नहीं रह सकता। जनसंख्या का पर्यावरण संसाधनों पर दबाव पड़ता है जिससे या तो वे समाप्त हो जाते हैं या उनका अभाव हो जाता है या उनका अतिशोषण होता है। इससे पर्यावरण का ह्रास होता है जबकि मानव विकास में पर्यावरण का अहम् योगदान है। उचित अवसरों की प्राप्ति तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार के बिना मानव विकास संभव नहीं है। दूसरे शब्दों में, विकास और पर्यावरण ह्रास एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

प्रश्न 3.
भारत के गरीबी अनुपात में प्रादेशिक विषमताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत के गरीबी अनुपात में प्रादेशिक विषमताओं का वर्णन निम्नलिखित है
(1) 1973-74 में लगभग 55 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुज़ार रहे थे जो घटकर 1999-2000 में 26.1 प्रतिशत रह गए अर्थात् आज भी भारत के लगभग 26 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुज़ार रहे हैं।

(2) ग्रामीण तथा नगरीय गरीबी में व्यापक असमानताएँ पाई जाती हैं। उदाहरणतः निर्धनता का अनुपात गाँवों में 27.09 प्रतिशत तथा नगरों में 23.62 प्रतिशत और संपूर्ण भारत में (औसत) 26.10% है।

(3) सामान्यतः गरीब वर्ग में बेरोजगार, भूमिहीन, कृषि मजदूर, अनियमित मजदूर, आदिवासी और शारीरिक रूप से चुनौती झेल रहे व्यक्ति आते हैं। देश में गरीबी के स्थानिक अथवा प्रादेशिक विवरण में भारी विषमताएँ हैं जिन्हें अभी कम करना बाकी है। देश के लगभग 75% गरीब ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। राज्य स्तर पर गरीबी के अनुपात तथा इसके कम होने की दर में अत्यधिक विषमताएँ पाई जाती हैं। बड़े राज्यों में ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु महत्त्वपूर्ण हैं जहाँ 1983 में आधी से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे रह रही थी, लेकिन सन् 2019 के आते-आते तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों का अनुपात बहुत कम रह गया जबकि ओडिशा व बिहार में इतना सुधार नहीं हुआ। मध्य प्रदेश, सिक्किम, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैण्ड इत्यादि राज्यों की 20 प्रतिशत से ज़्यादा जनसंख्या गरीबी की रेखा से नीचे बसर कर रही है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा गोवा में गरीबी कम है।

प्रश्न 4.
पर्यावरण पर मानव के प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण पर मानव का प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से पड़ता है। संसाधनों के दोहन और उपयोग से वायु, जल तथा मिट्टी प्रदूषित होती है जिससे पर्यावरण के विभिन्न संघटकों पर असर पड़ता है। प्राकृतिक संसाधनों के ग्रहण और उपयोग दोनों से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण की गुणवत्ता पर निम्नलिखित तीन कारकों का प्रभाव है

उपयोग किए गए संसाधनों की मात्रा तथा उत्पादन की प्रति इकाई के अनुसार प्रदूषण की उत्पत्ति
प्रति व्यक्ति उत्पादन और उपभोग तथा जनसंख्या।

उपरोक्त कारकों के पर्यावरण पर प्रभाव के विश्लेषण को निम्नलिखित सूत्र द्वारा दर्शाया गया है
I = PAT
यहाँ पर, I = पर्यावरणीय प्रभाव, P = जनसंख्या (वृद्धि और घनत्व), A = प्रचुरता (प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति उपभोग), T = उत्पादन में प्रयुक्त हानिकारक प्रौद्योगिकी।
इसमें जनसंख्या की वृद्धि और घनत्व को पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारक माना जाता है।

जनसंख्या के तेजी से बढ़ने की स्थिति में संसाधनों का दोहन और उपयोग बढ़ जाता है जिससे पर्यावरण दुष्प्रभावित होता है। इसी प्रकार प्रौद्योगिकी के कारण भी पृथ्वी के संसाधनों का अंधा-धुंध दोहन हुआ है जिसने पर्यावरण को अत्यधिक प्रभावित किया – है। मानवीय गतिविधियों का पर्यावरण पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है। जीवाश्म ईंधनों के उपयोग से वायु, जल और भूमि प्रभावित होते हैं। इसी प्रकार ताप बिजली-घरों में कोयला जलाने से वायु प्रदूषण तीव्र गति से होता है। अतः आज उन्नत प्रौद्योगिकी वाले मानव समाज से पृथ्वी के अस्तित्व को ही खतरा हो गया है।

प्रश्न 5.
देश में मानव विकास के आर्थिक संकेतकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक संकेतक मानव विकास का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। यह वेतन, आय और रोजगार से संबंधित है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार तथा रोजगार के अवसर इसके महत्त्वपूर्ण भाग हैं। इनका वर्णन अग्रलिखित प्रकार से है
1. सकल राष्ट्रीय उत्पाद-अर्थव्यवस्था और उत्पादकता में विकास का मूल्यांकन सकल राष्ट्रीय उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय के द्वारा किया जाता है। सन् 1950-51 में सकल घरेलू उत्पाद स्थिर कीमत (1993-94) पर 1404.66 अरब रुपए था। वर्तमान में . इसमें काफी वृद्धि हो गई है।

2. प्रति व्यक्ति आय–सन् 1950-51 में प्रति व्यक्ति आय स्थिर कीमत पर 3,687 रुपए थी जो बढ़कर 2003 में 10,254 रुपए हो गई। यह वृद्धि 3.4% प्रति वर्ष थी फिर भी निर्धारित दरों में बहुत कम थी।

3. गरीबी उन्मूलन-जीवन की निम्न गुणवत्ता, अभावग्रस्तता, कुपोषण और निरक्षरता आदि गरीबी के प्रमुख लक्षण हैं। गरीबी निम्न मानव जीवन के विकास का प्रतीक है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार भारत में 26% से लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। इसमें प्रादेशिक असमानताएँ भी पाई जाती हैं।

4. रोजगार मानव विकास का महत्त्वपूर्ण आयाम कार्य के अवसर की उपलब्धता है। भारत में संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों की कुछ रोजगार की औसत वार्षिक वृद्धि-दर में निरंतर कमी आ रही है। सन् 1999-2000 में कुल 39.7 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ था। इसमें से 5% सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत थे।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 6.
स्वस्थ जीवन के सूचकों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में मानव विकास सूचकांक मापने के स्वास्थ्य संकेतकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य मानव विकास का मुख्य आधार हैं। रोग और पीड़ा से मुक्त जीवन और यथोचित दीर्घायु एक स्वस्थ जीवन के सूचक हैं। शिशु मर्त्यता, प्रजनन दर, जन्म-दर, स्वास्थ्य सेवाएँ व पर्याप्त पोषण आदि मानव विकास सूचकांक मापने के मुख्य स्वास्थ्य संकेतक हैं। जिन स्वास्थ्य संकेतकों में भारत ने सराहनीय कार्य किया है, वे निम्नलिखित हैं
1. अशोधित मृत्यु-दर-किसी देश में एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों/बच्चों पर मरने वाले बच्चों की संख्या अशोधित मृत्यु-दर कहलाती है। सन् 1951 में मृत्यु-दर 25.1 प्रति हजार थी जो सन् 2011 में घटकर 6.5 रह गई। भारत में मृत्यु-दर तेजी से कम हुई है।

2. अशोधित जन्म-दर-किसी देश में एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों/बच्चों पर जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या अशोधित जन्म-दर कहलाती है। सन् 1951 में जन्म-दर 40.8 प्रति हजार थी जो सन् 2011 में घटकर 20.8 रह गई अर्थात् इसमें 19 अंकों की कमी आई है।

3. जीवन प्रत्याशा-जन्म के समय से लेकर संभावित आयु काल को जीवन प्रत्याशा कहते हैं। सन् 1951 में पुरुष जीवन प्रत्याशा 37.1 वर्ष थी जो सन् 2011 में बढ़कर 62.6 वर्ष हो गई। इसी प्रकार सन् 1951 में स्त्री जीवन प्रत्याशा 36.2 वर्ष थी जो सन् 2011 में बढ़कर 64.6 वर्ष हो गई है। इसके बढ़ने का मुख्य कारण निरंतर बढ़ती खाद्य-सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ हैं।

4. कुल प्रजनन दर-भारत ने कुल प्रजनन दर में भी काफी सुधार किया है। सन् 1951 में बच्चा पैदा करने की आयु छः बच्चे प्रति स्त्री थी जो सन् 2011 में घटकर 2.9 रह गई।

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HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम Textbook Exercise Questions and Answers.

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अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है?
(A) शिक्षा
(B) काम और रोज़गार
(C) व्यवसाय
(D) विवाह
उत्तर:
(B) काम और रोज़गार

2. निम्नलिखित में से किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं?
(A) उत्तर प्रदेश में
(B) महाराष्ट्र में
(C) दिल्ली में
(D) बिहार में
उत्तर:
(B) महाराष्ट्र में

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

3. भारत में प्रवास की निम्नलिखित धाराओं में से कौन-सी एक धारा पुरुष प्रधान है?
(A) ग्रामीण से ग्रामीण
(B) ग्रामीण से नगरीय
(C) नगरीय से ग्रामीण
(D) नगरीय से नगरीय
उत्तर:
(B) ग्रामीण से नगरीय

4. निम्नलिखित में से किस नगरीय समूहन में प्रवासी जनसंख्या का अंश सर्वाधिक है?
(A) मुंबई नगरीय समूहन
(B) बँगलुरु नगरीय समूहन
(C) दिल्ली नगरीय समूहन
(D) चेन्नई नगरीय समूहन
उत्तर:
(A) मुंबई नगरीय समूहन

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जीवन पर्यंत प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जीवन पर्यन्त प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में निम्नलिखित अन्तर है-

जीवन पर्यन्त प्रवासीपिछले निवास के अनुसार प्रवासी
(1) ये वे प्रवासी होते हैं जिनका जन्म किसी अन्य स्थान पर होता है, परन्तु जनगणना के समय ये नहीं होते।(1) ये वे प्रवासी होते हैं जो जनगणना के समय एक विशेष क्षेत्र से गिने जाते हैं, परन्तु वे उस क्षेत्र के स्थायी निवासी किसी ओर स्थान से गिने जाते हैं।
(2) ये प्रवासी प्रायः अपने रोजगार के लिए स्थान परिवर्तन करते हैं।(2) ये प्रवासी प्रायः अपने रोजगार के लिए स्थान परिवर्तन नहीं करते।

प्रश्न 2.
पुरुष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।
उत्तर:
शहरी क्षेत्रों में जीविका व रोजगार के लिए पुरुष वरणात्मक प्रवास अधिक होता है, जबकि महिलाएँ विवाह के कारण प्रवास करती हैं। देश में प्रत्येक लड़की को विवाह के बाद अपने पिता के घर को छोड़कर ससुराल के घर तक प्रवास करना होता है।

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प्रश्न 3.
उद्गम और गंतव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
गम और गंतव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना से असंतुलन पैदा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों के युवा, कुशल एवं दक्ष लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं। फलस्वरूप नगरों में जनसंख्या बढ़ती है और ग्रामीण क्षेत्रों में कम हो जाती है। अतः ग्रामीण एवं नगरीय प्रवास से उद्गम और गंतव्य दोनों ही स्थानों की आय एवं लिंग संरचना पर प्रभाव पड़ता है।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए.

प्रश्न 1.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जब किसी देश का निवासी, अन्य किसी देश में प्रवासित हो जाता है, तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास कहते हैं। यह प्रवास तभी सम्भव है जब वहाँ का समाज व सरकार आने वाले लोगों को स्वीकार करे। भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं
1. आर्थिक कारण सभी प्रकार के प्रवासों का महत्त्वपूर्ण आधार/पक्ष आर्थिक होता है। भारत में प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रवास में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान में अनेक विदेशी कम्पनियाँ इसी आकर्षण के कारण आई हैं, क्योंकि यहाँ कच्चा माल व श्रम सस्ता प्राप्त होता है और तैयार माल के लिए व्यापक बाजार उपलब्ध है।

2. आजीविका-आजीविका के लिए भी भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास को बढ़ावा मिलता है।

3. राजनीतिक कारण-भारत में रोजनीतिक कारणों और विदेश नीतियों के लचीलेपन के कारण भी विदेशी प्रवास करते हैं। सीमावर्ती देशों से होने वाले प्रवास का कारण भी ये ही है।

4. धार्मिक कारण भारत में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। सभी लोगों को धार्मिक स्वतन्त्रता प्राप्त है।

5. सामाजिक कारण-भारत सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् सिद्धांत वाला देश है। यहाँ मेहमान को भगवान का दर्जा दिया जाता है। यहाँ की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक सम्पन्नता से प्रभावित होकर विदेशी यहाँ आते हैं।

प्रश्न 2.
प्रवास के सामाजिक एवं जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?
उत्तर:
प्रवास के सामाजिक एवं जनांकिकीय परिणाम निम्नलिखित हैं-
1. सामाजिक परिणाम-प्रवासी, सामाजिक परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नई प्रौद्योगिकी, परिणाम नियोजन, बालिका शिक्षा इत्यादि से संबंधित नए विचारों का नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर पहुँचना भी इन्हीं के माध्यम से होता है। प्रवास से विविध संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है। इसके द्वारा संकीर्ण विचारों को दूर करने में योगदान मिलता है और नए विचारों के विकास में सकारात्मक योगदान मिलता है। इसी के द्वारा लोगों का मानसिक विकास होता है। सकारात्मक पक्ष के साथ-साथ सामाजिक परिणाम के नकारात्मक पक्ष भी होते हैं जो लोगों में सामाजिक द्वेष एवं खिन्नता की भावना भर देते हैं।

2. जनांकिकीय परिणाम-प्रवास से देश की जनसंख्या का पुनर्वितरण होता है। नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण ग्रामीण-नगरीय प्रवास है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाला कुशल एवं दक्ष लोगों का बाल प्रवास ग्रामीण जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यद्यपि उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पूर्वी महाराष्ट्र से होने वाले बाह्य प्रवास ने इन राज्यों की आयु एवं लिंग संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है। ऐसे ही असंतुलन उन राज्यों में भी उत्पन्न हो गए हैं जिनमें ये प्रवासी जाते हैं।

प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम HBSE 12th Class Geography Notes

→ प्रवास (Migration) : जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना प्रवास कहलाता है अर्थात् किसी एक स्थान से जनसंख्या के दूसरे स्थान पर जाकर बसने को प्रवास कहते हैं। कुछ प्रवास स्थायी होते हैं तथा कुछ अस्थायी। स्थायी प्रवास में व्यक्ति मूल-स्थान से दूसरे स्थान पर स्थायी रूप से रहने लगता है, जबकि अस्थायी प्रवास में मौसमी, वार्षिक तथा दैनिक प्रवास भी हो सकते हैं।

→ प्रवास के प्रकारों के आधार (Basic of the types of Migration):

  • समय के आधार पर
  • दूरी के आधार पर
  • उद्देश्य के आधार पर
  • क्षेत्र के आधार पर।

→ प्रवास की धाराएँ (Streams of Migration):

  • ग्रामीण से ग्रामीण
  • ग्रामीण से नगरीय
  • नगरीय से नगरीय
  • नगरीय से ग्रामीण।

प्रवास के परिणाम (Results of Migration):

  • आर्थिक परिणाम
  • सामाजिक परिणाम
  • सांस्कृतिक परिणाम
  • राजनीतिक परिणाम
  • जनांकिकीय परिणाम।

→ उत्प्रवास (Out Migration) : किसी गाँव या नगर में आबादी के अधिक बढ़ने या रोज़गार की कमी के कारण जब लोग उस स्थान को छोड़कर रोज़गार की तलाश में दूसरे स्थान पर चले जाते हैं तो यह उत्प्रवास प्रक्रिया कहलाती है।

→ आप्रवास (In Migration) : यदि व्यक्ति अन्य स्थानों से आकर एक विशिष्ट स्थान पर बस जाता है तो वह आप्रवास कहलाता है। बड़े-बड़े नगरों, व्यापारिक केंद्रों, औद्योगिक नगरों, बंदरगाहों, मंडियों और खनिज क्षेत्रों में रोजगार की तलाश में लोग आकर बस जाते हैं, यह प्रक्रिया आप्रवास कहलाती है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 2 प्रवास : प्रकार, कारण और परिणाम

→ अंतःराज्यीय प्रवास (Intra-State Migration) : यह वह प्रवास होता है जिसमें राज्य के एक भाग से उसी राज्य के दूसरे भाग में प्रवास किया जाता है; जैसे रोहतक से गुरुग्राम या भिवानी से अंबाला या नारनौल से फरीदाबाद इत्यादि। इसमें प्रवास का आरंभ और गंतव्य दोनों एक ही राज्य अर्थात् हरियाणा में है।

→ अन्तर-राज्यीय प्रवास (Inter-State Migration) यदि लोग एक राज्य से दूसरे राज्य या केंद्र-शासित प्रदेश में प्रवास करें तो यह अन्तर-राज्यीय प्रवास कहलाएगा; जैसे शिमला से हिसार या दिल्ली से बंगलुरु या आगरा से भरतपुर । इनमें प्रवास का आरंभ अलग राज्य में तथा गंतव्य अलग राज्य में है।

→ अपकर्ष कारक (Pull Factors) : नगरीय सुविधाओं तथा आर्थिक परिस्थितियों के कारण जब लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं, तो इसे अपकर्ष कारक कहा जाता है। प्रतिकर्ष कारक (Push Factors) : जब लोग जीविका के साधन उपलब्ध न होने के कारण गरीबी तथा बेरोजगारी के कारण नगरों की ओर प्रवास करते हैं तो इसे प्रतिकर्ष कारक कहा जाता है।

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