Author name: Prasanna

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

HBSE 9th Class Hindi एक कुत्ता और एक मैना Textbook Questions and Answers

एक कुत्ता और मैना प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं और रहने का मन क्यों बनाया?
उत्तर-
वस्तुतः गुरुदेव का स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। शांतिनिकेतन में उन्हें मिलने वाले बहुत-से लोग आते थे। वे पूर्णतः आराम नहीं कर पाते थे। इसलिए उन्होंने ऐसे स्थान को चुना या कहीं ओर रहने का निर्णय लिया कि जहाँ उन्हें कोई तंग न कर सके। यही कारण है कि उन्होंने शांतिनिकेतन को त्यागने और श्रीनिकेतन के पुराने तिमंज़िले मकान में कुछ दिन रहने का मन बनाया।

एक कुत्ता और एक मैना प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। [H.B.S.E. 2018]
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने कई उदाहरण देकर यह सिद्ध किया है कि मूक प्राणी भी मनुष्य की भाँति ही संवेदनशील होते हैं। जब गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर श्रीनिकेतन में रहते थे तो वहाँ उनका शांतिनिकेतन में रहने वाला कुत्ता बिना किसी की सहायता के उनको मिलने चला आया था। गुरुदेव के हाथ का स्पर्श पाकर वह आधी आँखें बंद करके आनंद की अनुभूति करने लगा था। इसी प्रकार वही कुत्ता गुरुदेव की चिताभस्म के कलश के पास आकर कुछ क्षणों के लिए चुपचाप बैठ गया। इसी प्रकार लँगड़ी मैना भी अन्य मैनाओं की भाँति चहकती नहीं थी। बहुत ही करुण दृष्टि से शांतिनिकेतन में रहती थी, क्योंकि उसका साथी इस दुनिया में नहीं रहा था। अतः इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि मूक प्राणी भी मनुष्य की भाँति ही संवेदनशील होते हैं।

पाठ 8 एक कुत्ता और एक मैना के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 3.
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी गई कविता के मर्म को लेखक कब समझ पाया?
उत्तर-
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी गई कविता के मर्म को कवि उस समय समझ पाया जब मैना वहाँ उड़कर अन्यत्र चली गई थी। तब लेखक समझ सका था कि कवि की दृष्टि कितनी मर्मभेदी होती है।

Ek Kutta Aur Ek Maina Question Answer Class 9 HBSE प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट विधा है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ कहाँ झलकती हैं ? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी की रचना ‘एक कुत्ता और एक मैना’ एक उत्कृष्ट ललित निबंध है। इसमें लेखक के भावों व विचारों की अभिव्यक्ति कलात्मकतापूर्ण हुई है। संपूर्ण निबंध ही कलात्मक एवं लालित्यपूर्ण शैली में रचित है। उदाहरणार्थ इस निबंध की निम्नलिखित पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं
(1) उन दिनों छुट्टियाँ थीं। आश्रम के अधिकांश लोग बाहर चले गए थे। एक दिन हमने सपरिवार उनके ‘दर्शन’ की ठानी। ‘दर्शन’ को मैं जो यहाँ विशेष रूप से दर्शनीय बनाकर लिख रहा हूँ, उसका कारण यह है कि गुरुदेव के पास जब कभी मैं जाता था तो प्रायः वे यह कहकर मुसकरा देते थे कि ‘दर्शनार्थी’ हैं क्या? इन पंक्तियों में लेखक का भाव अत्यंत लालित्यपूर्ण शैली में व्यक्त हुआ है।
(2) इसी प्रकार लेखक ने भारतीय दर्शकों के स्वभाव का उल्लेख भी अत्यंत मार्मिकतापूर्ण एवं कलात्मक शैली में किया है“यहाँ यह दुख के साथ कह देना चाहता हूँ कि अपने देश के दर्शनार्थियों में इतने प्रगल्भ होते थे कि समय-असमय, स्थान-अस्थान, अवस्था-अनवस्था की एकदम परवा नहीं करते थे और रोकने पर भी आ ही जाते थे। ऐसे ‘दर्शनार्थियों’ से गुरुदेव भीत-भीत से रहते थे।”
(3) कुत्ते के संबंध में लेखक के विचार अत्यंत आत्मीयतापूर्ण एवं कलात्मकता से युक्त हैं-“ठीक उसी समय उनका कुत्ता धीरे-धीरे ऊपर आया और उनके पैरों के पास खड़ा होकर पूँछ हिलाने लगा। गुरुदेव ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा। वह आँखें मूंदकर अपने रोम-रोम से उस स्नेह-रस का अनुभव करने लगा। गुरुदेव ने हम लोगों की ओर देखकर कहा, “देखा तुमने, यह आ गए। कैसे इन्हें मालूम हुआ कि मैं यहाँ हूँ, आश्चर्य है! और देखो, कितनी परितृप्ति इनके चेहरे पर दिखाई दे रही है।”
(4) मैना का प्रसंग भी अत्यंत कलात्मक एवं लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त किया गया है-“पति-पत्नी जब कोई एक तिनका लेकर सूराख में रखते हैं तो उनके भाव देखने लायक होते हैं। पत्नी देवी का तो क्या कहना! एक तिनका ले आई तो फिर एक पैर पर खड़ी होकर जरा पंखों को फटकार दिया, चोंच को अपने ही परों से साफ कर लिया और नाना प्रकार की मधुर और विजयोद्घोषी वाणी में गान शुरू कर दिया। हम लोगों की तो उन्हें कोई परवाह ही नहीं रहती।”

एक कुत्ता और एक मैना HBSE 9th Class प्रश्न 5.
आशय स्पष्ट कीजिए
इस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य, मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता।
उत्तर-
निबंधकार ने इन पंक्तियों में बताया है कि कवि की दृष्टि अत्यंत गहन, संवेदनशील एवं सूक्ष्मदर्शी होती है। निबंधकार एक मैना को देखकर उसे अन्य मैनाओं जैसा समझता है, जबकि कविवर रवींद्रनाथ टैगोर उसकी आँखों में करुणा के भाव को अनुभव करते हैं जो मनुष्य-मनुष्य के भीतर अनुभव नहीं कर सकता। कहने का भाव है कि भाषाहीन प्राणियों के भीतर भी विशाल मानव-सत्य के भाव होते हैं, किंतु उसे कवि की मर्मभेदी दृष्टि ही देख सकती है।

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रचना और अभिव्यक्ति

Ek Kutta Aur Ek Maina HBSE 9th Class प्रश्न 6.
पशु-पक्षियों से प्रेम इस पाठ की मूल संवेदना है। अपने अनुभव के आधार पर ऐसे किसी प्रसंग से जुड़ी रोचक घटना को कलात्मक शैली में लिखिए।
उत्तर-
निश्चय ही पशु-पक्षियों में बहुत प्रेमभाव होता है तथा करुणामय दृष्टि भी। बात पिछले वर्ष की गर्मियों की छुट्टियों की है। जून का महीना था। मुझसे गलती से मेरा जर्मन शेफर्ड कुत्ता छत पर रह गया। उसे लू लगने के कारण खून के दस्त लग गए। जब मुझे पता चला तो बहुत देर हो चुकी थी। मैं उसे देखकर घबरा गया कि अब क्या होगा ? वह गिरता-पड़ता किसी प्रकार नीचे आया ओर मेरी ओर टकटकी लगाकर देखने लगा। मुझे लगा कि वह मुझे कह रहा हो कि मेरी यह दशा तुम्हारी गलती के कारण हुई है। वह मेरे पास आकर बैठ गया। मैंने उसके सिर पर हाथ फेरा तो उसने आँख बंद कर ली और उसे लगा कि अब वह ठीक हो जाएगा। मैं उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले गया। डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाया और पीने के लिए दवा दी। मैं रात-भर उसे बर्फ वाला पानी पिलाता रहा। सुबह होते-होते वह कुछ ठीक हो गया। जब मैं सोकर उठा तो सात बज चुके थे। उठकर क्या देखता हूँ कि वह मेरी चारपाई के पास पहले से खड़ा था। मेरे उठते ही उसने अपना मुख मेरे घुटनों पर रख दिया और पूँछ हिलाता रहा। उसके मन में मेरे लिए कितना स्नेह था उसका वर्णन नहीं किया जा सकता, केवल अनुभव किया जा सकता है। लेखक ने ठीक ही कहा है कि भाषाहीन प्राणियों में भी प्रेम व करुणा की भावना होती है।

भाषा-अध्ययन

एक कुत्ता और एक मैना प्रश्न उत्तर Class 9 HBSE प्रश्न 7.
गुरुदेव जरा मुसकरा दिए।
मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ।
ऊपर दिए गए वाक्यों में एक वाक्य में अकर्मक क्रिया है और दूसरे में सकर्मक। इस पाठ को ध्यान से पढ़कर सकर्मक और अकर्मक क्रिया वाले चार-चार वाक्य छाँटिए।
उत्तर-
सकर्मक क्रिया वाले वाक्य
(1) अस्तगामी सूर्य की ओर ध्यान-स्तिमित नयनों से देख रहे थे।
(2) जब मैं इस मूक हृदय का प्राणपण आत्मनिवेदन देखता हूँ।
(3) मैंने उसे देखकर भी नहीं देखा।
(4) हमने कई दिन से आश्रम में कौए नहीं देखे।

अकर्मक क्रिया वाले वाक्य

(1) अधिकांश लोग बाहर चले गए।
(2) वे अकेले रहते थे।
(3) वह थोड़ी देर चुपचाप बैठा रहा।
(4) मैं उनके साथ हो गया।

Ek Kutta Aur Ek Maina Question Answer HBSE 9th Class प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में कर्म के आधार पर क्रिया-भेद बताइए
(क) मीना कहानी सुनाती है।
(ख) अभिनव सो रहा है।
(ग) गाय घास खाती है।
(घ) मोहन ने भाई को गेंद दी।
(ङ) लड़कियाँ रोने लगीं।
उत्तर-
(क) सकर्मक क्रिया।
(ख) अकर्मक क्रिया।
(ग) सकर्मक क्रिया।
(घ) सकर्मक क्रिया।
(ङ) अकर्मक क्रिया।

Ek Kutta Aur Ek Maina Class 9 HBSE प्रश्न 9.
नीचे पाठ में से शब्द-युग्मों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। जैसे-
समय-असमय, अवस्था अनवस्था
इन शब्दों में ‘अ’ उपसर्ग लगाकर नया शब्द बनाया गया है।
पाठ में से कुछ शब्द चुनिए और उनमें ‘अ’ एवं ‘अन्’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर-
संभव-असंभव, भद्र-अभद्र, भाव-अभाव, बोध-अबोध, सत्य-असत्य, करुण-अकरुण, उपस्थित-अनुपस्थित।

पाठेतर सक्रियता

पशु-पक्षियों पर लिखी कविताओं का संग्रह करें और उनके चित्रों के साथ उन्हें प्रदर्शित करें।
हज़ारीप्रसाद द्विवेदी के कुछ अन्य मर्मस्पर्शी निबंध जैसे-‘अशोक के फूल’ और ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पढ़िए।
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें स्वयं करेंगे।

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HBSE 9th Class Hindi एक कुत्ता और एक मैना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ में लेखक ने क्या संदेश दिया है ? सार रूप में उत्तर दीजिए।
उत्तर-
इस निबंध में द्विवेदी जी ने स्पष्ट किया है कि कवि की दृष्टि मर्मभेदी होती है। वह मानव के अंदर की ही नहीं, अपितु मूक पशु-पक्षियों के हृदय की बात भी समझने में सक्षम होती है। गुरुदेव ने इसे अहैतुक स्नेह माना। जहाँ एक विवेकशील तथा ज्ञानी मनुष्य भी दूसरे मनुष्य के भीतर का हाल ठीक से नहीं जान सकता, वहाँ ये मूक प्राणी अपने सहज ज्ञान से मनुष्य को महान सत्य का बोध करा देते हैं। लेखक का कहना है कि सूक्ष्म दृष्टि तथा सहानुभूति के सहारे किसी के भी हृदय में उतरा जा सकता है।

प्रश्न 2.
पठित पाठ के आधार पर बताइए कि आपको कुत्ता और मैना में से कौन अधिक पसंद है और क्यों?
उत्तर-
पठित निबंध में लेखक ने कुत्ता और मैना, दो मूक प्राणियों का उल्लेख किया है। पठित पाठ के आधार पर कहा जा सकता है कि हमें कुत्ता अधिक पसंद है। कुत्ता बिना किसी की सहायता के दो मील दूर मार्ग ढूँढता हुआ अपने स्वामी के पास आता है और उनका स्नेह पाकर आनंदविभोर हो उठता है। इतना ही नहीं, गुरुदेव की मृत्यु के पश्चात उनकी चिताभस्म के साथ-साथ चलता है और कुछ पल चुपचाप उसके पास बैठकर लौट जाता है। मैना एक चंचल स्वभाव का पक्षी होता है, किंतु पाठ में जिस मैना का उल्लेख किया गया है वह लँगड़ी थी और समूह से अलग रहती थी। उसकी आँखों में करुणा का भाव था। वह एकाएक शांतिनिकेतन को छोड़कर अन्यत्र चली गई। इन दोनों घटनाओं से सिद्ध होता है कि कुत्ता स्वामिभक्त एवं स्नेहशील मूक प्राणी है। इसलिए वह हमें पसंद है।

प्रश्न 3.
कुत्ते को तिमंज़िले मकान पर देखने की घटना को स्मरण करके लेखक के मन में कैसे विचार उठे ? सार रूप में लिखिए।
उत्तर-
लेखक जब गुरुदेव को मिलने के लिए श्रीनिकेतन के तिमंज़िले मकान पर पहुँचा तभी वहाँ एक कुत्ता आ गया जो शांतिनिकेतन में गुरुदेव के पास रहता था। गुरुदेव ने जब उसके सिर पर हाथ रखा तो वह आनंदविभोर हो उठा। इस घटना को स्मरण करके लेखक के मन में निम्नलिखित विचार उठे थे
“तब मेरे सामने श्रीनिकेतन के तितल्ले पर की वह घटना प्रत्यक्ष-सी हो जाती है। वह आँख मूंदकर अपरिसीम आनंद, वह ‘मूक हृदय का प्राणपण आत्मनिवेदन’ मूर्तिमान हो जाता है। उस दिन मेरे लिए वह एक छोटी-सी घटना थी, आज वह विश्व की अनेक महिमाशाली घटनाओं की श्रेणी में बैठ गई है। एक आश्चर्य की बात इस प्रसंग में उल्लेख की जा सकती है। जब गुरुदेव का चिताभस्म कलकत्ते से आश्रम में लाया गया, उस समय भी न जाने किस सहज बोध के बल पर वह कुत्ता आश्रम के द्वार आया और चिताभस्म के साथ अन्यान्य आश्रमवासियों के साथ शांत-गंभीर भाव से उत्तरायण तक गया। आचार्य क्षितिमोहन सेन सबके आगे थे। उन्होंने मुझे बताया है कि वह चिताभस्म के कलश के पास थोड़ी देर चुपचाप बैठा भी रहा।” ।

प्रश्न 4.
‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ की भाषागत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी हिंदी एवं संस्कृत के महान विद्वान थे। उन्होंने इस निबंध में तत्सम-प्रधान भाषा का प्रयोग किया है। भाषा शुद्ध साहित्यक हिंदी है। द्विवेदी जी ने प्रसंगानुकूल अन्य भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी इस निबंध की भाषा में किया है। इस निबंध की भाषा-शैली विषय के अनुकूल बंधकर चलती है। भाषा में सरलता, सहजता और सुबोधता जैसे गुण भी हैं। कहीं-कहीं संवादों का प्रयोग भी किया गया है। वाक्य छोटे एवं सरल हैं। कहीं-कहीं बड़े-बड़े व लंबे वाक्य हैं, किंतु वे जटिल नहीं हैं। लोकप्रचलित मुहावरों का प्रयोग भी किया गया है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ के लेखक का क्या नाम है?
(A) प्रेमचंद
(B) महादेवी वर्मा
(C) हरिशंकर परसाई
(D) हजारीप्रसाद द्विवेदी
उत्तर-
(D) हजारीप्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 2.
गुरुदेव (रवींद्र नाथ ठाकुर) शांति निकेतन को छोड़कर कहाँ रहने गए थे?
(A) कुछ निकेतन
(B) श्रीनिकेतन
(C) दुर्गा निकेतन
(D) शिव कुटीर
उत्तर-
(B) श्रीनिकेतन

प्रश्न 3.
गुरुदेव क्या कहकर मुस्करा देते थे?
(A) विद्यार्थी है क्या
(B) गृहस्थ है क्या
(C) दर्शनार्थी है क्या
(D) ब्रह्मचारी है क्या
उत्तर-
(C) दर्शनार्थी है क्या

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प्रश्न 4.
‘प्रगल्भ’ का अर्थ है
(A) विचारवान
(B) विद्वान
(C) विद्यार्थी
(D) वाचाल
उत्तर-
(D) वाचाल

प्रश्न 5.
गुरुदेव कैसे दर्शनार्थियों से भयभीत हो जाते थे?
(A) जो समय-असमय का ध्यान नहीं रखते थे।
(B) जो समय-असमय का ध्यान रखते थे
(C) जो गुरुदेव को दूर से ही देखकर चले जाते हैं ।
(D) जो चरणवंदना किये बिना ही चले जाते हैं
उत्तर-
(A) जो समय-असमय का ध्यान नहीं रखते थे

प्रश्न 6.
‘अस्तगामी’ का अर्थ है-
(A) चलने वाला
(B) डूबता हुआ
(C) उगता हुआ
(D) ठहरा हुआ
उत्तर-
(B) डूबता हुआ

प्रश्न 7.
किसके मूक हृदय का प्राणपण आत्म-निवेदन होता है?
(A) दर्शनाभिलाषी के
(B) गुरुदेव के किसी विद्यार्थी के
(C) गुरुदेव के कुत्ते के
(D) स्वयं अपने हृदय का
उत्तर-
(C) गुरुदेव के कुत्ते के

प्रश्न 8.
गुरुदेव के हाथ का स्पर्श पाकर किसके अंग-अंग में आनंद का प्रवाह बह उठता है?
(A) गुरुदेव के भक्त के
(B) गुरुदेव के कुत्ते के
(C) हजारी प्रसाद द्विवेदी के
(D) मैना के
उत्तर-
(B) गुरुदेव के कुत्ते के

प्रश्न 9.
कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर क्या देखा है?
(A) व्याकुलता
(B) दुष्टता
(C) विशाल मानव सत्य
(D) उदारता
उत्तर-
(C) विशाल मानव सत्य

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प्रश्न 10.
आरंभ में लेखक ने कौओं को कैसा पक्षी समझा था?
(A) सर्वव्यापक
(B) शाकाहारी
(C) एकांतवासी
(D) घुमक्कड़
उत्तर-
(A) सर्वव्यापक

प्रश्न 11.
लेखक ने मैना को कैसा पक्षी समझ रखा था?
(A) करुणायुक्त
(B) करुणभावहीन
(C) चतुर एवं चालाक
(D) मंदबुद्धि
उत्तर-
(B) करुणभावहीन

प्रश्न 12.
किसने मैना के हृदय के दुःख को देख लिया था?
(A) लेखक ने
(B) पाठक ने
(C) कवि (रवीन्द्रनाथ टैगोर) ने
(D) दर्शनाभिलाषी ने
उत्तर-
(C) कवि (रवीन्द्रनाथ टैगोर) ने

प्रश्न 13.
लेखक को किसकी दृष्टि में मनुष्य का सच्चा परिचय मिलता है?
(A) गरीब व्यक्ति की
(B) भिखारी की
(C) गुरुदेव के कुत्ते की
(D) अमीर व्यक्ति की
उत्तर-
(C) गुरुदेव के कुत्ते की

प्रश्न 14.
मैना के चले जाने के बाद वहाँ का वातावरण कैसा हो गया?
(A) प्रसन्नतायुक्त
(B) उत्साहमय
(C) निराशाजनक
(D) हर्षवर्द्धक
उत्तर-
(C) निराशाजनक

प्रश्न 15.
कुत्ता अपने किस गुण के कारण गुरुदेव के मन को भाता है?
(A) लालची होने के कारण
(B) स्वामीभक्त होने के कारण
(C) संवेदनशील होने के कारण
(D) मूक प्राणी होने के कारण
उत्तर-
(C) संवेदनशील होने के कारण

प्रश्न 16.
आज मनुष्य दूसरे मनुष्य के अंदर क्या नहीं देख पाता?
(A) मानव सत्य
(B) दया का भाव
(C) संवेदनशीलता
(D) उदारता
उत्तर-
(A) मानव सत्य

एक कुत्ता और एक मैना प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

1. यहाँ यह दुख के साथ कह देना चाहता हूँ कि अपने देश के दर्शनार्थियों में कितने ही इतने प्रगल्भ होते थे कि समय-असमय, स्थान-अस्थान, अवस्था अनवस्था की एकदम परवा नहीं करते थे और रोकते रहने पर भी आ ही जाते थे। ऐसे ‘दर्शनार्थियों से गुरुदेव कुछ भीत-भीत से रहते थे। अस्त, मैं मय बाल-बच्चों के एक दिन श्रीनिकेतन जा पहुँचा। कई दिनों से उन्हें देखा नहीं था। [पृष्ठ 79-80]

शब्दार्थ-दर्शनार्थी = दर्शन करने वाले। प्रगल्भ = वाचाल, बोलने में संकोच न करने वाला। अवस्था-अनवस्था = परिस्थिति-अपरिस्थिति। भीत-भीत = डरे-डरे।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘एक कुत्ता और एक मैना’ शीर्षक संस्मरणात्मक निबंध से उद्धृत है। इसके लेखक आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी हैं। इसमें लेखक ने न केवल पशु-पक्षियों के प्रति मानवीय प्रेम को दिखाया है, अपितु पशु-पक्षियों से मिलने वाले प्रेम, भक्ति, विनोद और करुणा जैसे मानवीय भावों का विस्तार भी किया है। इन पंक्तियों में लेखक के गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से सपरिवार मिलने जाने का वर्णन है, साथ ही भारतीय दर्शकों के स्वभाव का भी उल्लेख है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने गुरुदेव रवींद्रनाथ के दर्शन करने वालों के संदर्भ में कहा है कि यह बात मुझे अत्यंत खेद के साथ कहनी पड़ रही है कि अपने देश में दर्शन करने वाले लोगों में कुछ लोग बहुत धूर्त होते हैं। वे समय या असमय, स्थान या अस्थान, अवस्था या अनवस्था आदि का जरा भी ध्यान नहीं रखते और उन्हें इसकी परवाह ही नहीं होती है। उन्हें यदि रोकने का प्रयास भी किया जाए तो वे रुकते ही नहीं हैं। वे दर्शन करने आ ही जाते हैं। दूसरों की सुविधा का उन्हें तनिक भी ध्यान नहीं होता। ऐसे दर्शन करने वाले लोगों से गुरुदेव रवींद्रनाथ जी डरे-डरे से रहते थे। लेखक भी गुरुदेव रवींद्रनाथ से एक बार अपने परिवार सहित मिलने जाता है। इसलिए वह सीधा श्रीनिकेतन पहुँचा, जहाँ गुरुदेव बड़े आनंद में थे।

विशेष-

(1) लेखक ने दर्शनार्थियों की उद्धतता पर व्यंग्य किया है।
(2) गुरुदेव रवींद्रनाथ जी कवि हृदय व्यक्ति थे। वे शांत वातावरण में रहना पसंद करते थे इसलिए दर्शनार्थियों की भीड़ से वे भयभीत हो उठते थे।
(3) भाषा-शैली सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) लेखक को किस बात का दुःख होता है?
(2) कैसे दर्शनार्थियों से गुरुदेव भयभीत से रहते थे?
(3) लेखक श्रीनिकेतन में कैसे पहुँचा?
उत्तर-
(1) लेखक को इस बात का दुःख होता है कि कुछ लोग समय-असमय का ध्यान न रखते हुए गुरुदेव के दर्शन करने पहुँच जाते थे।
(2) जो दर्शनार्थी अवस्था अनवस्था, स्थान-अस्थान, समय-असमय का ध्यान नहीं रखते थे, गुरुदेव उनसे भयभीत रहते थे।
(3) लेखक अपने बाल-बच्चों सहित श्रीनिकेतन में पहुँचता है।

2. जब मैं इस मूक हृदय का प्राणपण आत्मनिवेदन देखता हूँ, जिसमें वह अपनी दीनता बताता रहता है, तब मैं यह सोच ही नहीं पाता कि उसने अपने सहज बोध से मानव स्वरूप में कौन सा अमूल्य आविष्कार किया है, इसकी भाषाहीन दृष्टि की करुण व्याकुलता जो कुछ समझती है, उसे समझा नहीं पाती और मुझे इस सृष्टि में मनुष्य का सच्चा परिचय समझा देती है। [पृष्ठ 80-81]

शब्दार्थ-मूक हृदय = मौन रहने वाला (कुत्ता)। आत्मनिवेदन = प्रार्थना। दीनता = बेचारापन। बोध = ज्ञान। अमूल्य = जिसका कोई मूल्य न आँका जा सके। आविष्कार = खोज। व्याकुलता = बेचैनी।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित एवं आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी-कृत ‘एक कुत्ता और एक मैना’ नामक संस्मरणात्मक निबंध से अवतरित है। ये पंक्तियाँ गुरुदेव रवींद्रनाथ जी की एक कविता का अनुवाद हैं, जो उन्होंने स्वामिभक्त कुत्ते को लक्ष्य करके लिखी थीं। उन्होंने उस मूक हृदय वाले प्राणी की दृष्टि में मानव का सच्चा स्वरूप देखा था।

व्याख्या/भाव ग्रहण-कविवर रवींद्रनाथ जी जब अपने पुराने तीन मंज़िले मकान में आकर रहने लगे तो एक दिन उनके शांतिनिकेतन में रहने वाला कुत्ता दो मील का सफर तय करके अपनी घ्राण शक्ति के बल पर गुरुदेव के पास आ पहुँचा। गुरु जी ने उसके सिर पर अपना अमृतमय हाथ रख दिया, जिससे उस कुत्ते ने अधमुंदी आँखों से आनंदानुभूति को व्यक्त किया था। बाद में गुरुदेव ने उसे लक्ष्य करके एक कविता लिखी थी। उसी कविता का यह एक अंश है। गुरुदेव ने लिखा है कि जब मैं उसके हृदय का प्राणपण आत्मनिवेदन अर्थात हृदय से की गई प्रार्थना को देखता हूँ, जिसमें वह अपनी दीनता बताता रहता है तब कविवर यह सोच नहीं सकता कि उसने अपने सहज बोध अर्थात साधारण ज्ञान से मानव स्वरूप में कौन-सा अमूल्य आविष्कार किया है भाव मानव के हृदय में उसने क्या खोजा है। उसकी भाषाविहीन दृष्टि की करुण व्याकुलता जो कुछ समझती है, उसे समझा नहीं पाती। कहने का भाव है कि उसके हृदय में जो करुणा भाव है, वह उसे कुछ समझा नहीं सकती, किंतु कवि को उसकी यह दृष्टि मनुष्य का सच्चा परिचय समझा देती है। कहने का भाव है कि कवि की मर्मभेदी दृष्टि कुत्ते की करुणा से युक्त दृष्टि में विशाल मानव-सत्य को देख सकती है।

विशेष-

(1) लेखक ने गुरुदेव की कविता के माध्यम से मानवेत्तर प्राणियों के हृदय की भावना को व्यक्त करने का प्रयास किया है।
(2) कुत्ते की करुण भावना में कवि को विशाल मानव-सत्य के दर्शन हुए हैं।
(3) भाषा काव्यात्मक एवं प्रवाहयुक्त है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) लेखक किस मूक हृदय के प्राणपण के आत्मनिवेदन को देखते हैं?
(2) उसने (कुत्ता) मानव स्वरूप में कौन-सा अमूल्य आविष्कार किया था?
(3) लेखक को किसकी दृष्टि में मनुष्य का सच्चा परिचय मिला?
उत्तर-
(1) लेखक कुत्ते के मूक हृदय का प्राणपण आत्मनिवेदन देखता है।
(2) उसने (कुत्ता) सहज बोध से मानव स्वरूप में मानवता का अमूल्य आविष्कार किया था।
(3) लेखक को कुत्ते की दृष्टि में मनुष्य का सच्चा परिचय मिला।

3. जब मैं इस कविता को पढ़ता हूँ तो उस मैना की करुण मूर्ति अत्यंत साफ होकर सामने आ जाती है। कैसे मैंने उसे देखकर भी नहीं देखा और किस प्रकार कवि की आँखें उस बिचारी के मर्मस्थल तक पहुँच गईं, सोचता हूँ तो हैरान हो रहता हूँ। एक दिन वह मैना उड़ गई। सायंकाल कवि ने उसे नहीं देखा। जब वह अकेले जाया करती है उस डाल के कोने में, जब झींगुर अंधकार में झनकारता रहता है, जब हवा में बाँस के पत्ते झरझराते रहते हैं, पेड़ों की फाँक से पुकारा करता है नींद तोड़ने वाला संध्यातारा! कितना करुण है उसका गायब हो जाना! [पृष्ठ 84]

शब्दार्थ मर्मस्थल = हृदय के भाव। फाँक = टहनियाँ। गायब होना = लुप्त हो जाना।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित एवं हज़ारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित सुप्रसिद्ध संस्मरणात्मक निबंध ‘एक कुत्ता और एक मैना’ से उद्धृत है। इस निबंध में लेखक ने दो अलग-अलग संस्मरणों का उल्लेख किया है। इन पंक्तियों में मैना के एक संस्मरण का उल्लेख किया गया है। गुरुदेव रवींद्रनाथ ने मैना के भावों को समझकर उस पर एक कविता लिखी थी। उस कविता को पढ़कर लेखक कवि की मर्मभेदी दृष्टि से बड़ा प्रभावित हुआ था। उसकी प्रतिक्रियास्वरूप ही ये शब्द कहे गए हैं।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक रवींद्रनाथ द्वारा रचित कविता को पढ़ने पर कहते हैं कि जब मैं मैना-संबंधी कविता को पढ़ता हूँ तो मैना की करुण मूर्ति स्पष्ट रूप में मेरी दृष्टि के सामने उभर आती है। किस प्रकार मैं उसे देखकर भी देख न सका अर्थात उसके हाव-भाव व करुण दृष्टि को न समझ सका, किंतु कवि की आँखें उस बेचारी मैना के मर्मस्थल तक पहुँच गईं अर्थात कवि ने मैना के जीवन की वास्तविकता को सहज ही समझ लिया था। लेखक जब मैना के विषय में सोचता है तो हैरान हो उठता है कि वह मैना के भाव को क्यों नहीं पहचान सका। एक दिन मैना वहाँ से उड़ गई। सायंकाल को कवि ने भी उसे वहाँ नहीं देखा। जब वह अकेले जाया करती है तो उस डाल के कोने में झींगुर अंधकार में झनकारता रहता है। हवा में बाँस के पत्तों की झरझराने की ध्वनि सुनाई पड़ती रहती थी। पेड़ों की शाखाओं से नींद तोड़ने वाला संध्या का तारा पुकारता रहता था। लेखक को यह सब मैना के चले जाने के बाद अनुभव हुआ। इसलिए उसका ऐसे लुप्त हो जाना कितना करुणाजनक था।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

विशेष-

(1) लेखक ने मैना के संस्मरण के माध्यम से उस घटना को अपनी भावना एवं अनुभूति से समन्वित करके प्रस्तुत किया है, जो पाठक-हृदय को स्पर्श करती है।
(2) कवि की मर्मभेदी दृष्टि की ओर संकेत किया गया है।
(3) भाषा-शैली सरल, सहज एवं भावाभिव्यक्ति में सक्षम है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) कवि किस कविता की बात कर रहा है? यह कविता किसने और क्यों लिखी थी?
(2) कवि हैरान क्यों होता है?
(3) मैना के चले जाने के बाद की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि मैना पर लिखी हुई कविता की बात कर रहा है। यह कविता महाकवि रवींद्रनाथ ने लँगड़ी मैना को देखकर उसकी दयनीय दशा को प्रकट करने के लिए लिखी थी।
(2) कवि इस बात को अनुभव करके हैरान है कि मैना को देखकर उसके मन में कुछ नहीं हुआ था। जबकि रवींद्रनाथ ने उस मैना के हृदय के दुःख को समझ लिया था।
(3) मैना के चले जाने के बाद भी झींगुर बोलता रहता है। बाँस के पत्ते झरते रहते हैं, पेड़ों के बीच से संध्या का तारा भी दिखाई देता है, पर मैना नहीं। उसके जाने के बाद सारा वातावरण निराश सा दिखाई देता है।

एक कुत्ता और एक मैना Summary in Hindi

एक कुत्ता और एक मैना लेखक-परिचय

 

एक कुत्ता और एक मैना पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न 1.
‘एक कुत्ता और एक मैना’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत निबंध हज़ारीप्रसाद द्विवेदी की सुप्रसिद्ध रचना है। लेखक ने भावात्मक शैली का सफल प्रयोग करके साधारण घटनाओं को श्रेष्ठ रचना का रूप दिया है। विषय-विस्तार न होते हुए भी यह रचना भावों का गुंफित रूप है। संपूर्ण निबंध में गुरुदेव रवींद्रनाथ का व्यक्तित्व झलकता है। लेखक ने गुरुदेव से भेंट की एक घटना का स्वानुभूति के आधार पर भावात्मक शैली में उल्लेख किया है। एक दिन गुरुदेव ने निश्चय किया कि वे आश्रम को त्यागकर अन्यत्र रहना चाहते हैं। वे श्रीनिकेतन के पुराने तीन-मंजिले मकान में आकर रहने लगे। उन दिनों ऊपर जाने के लिए लोहे की चक्करदार सीढ़ियों का प्रयोग करना पड़ता था। वृद्धावस्था में वहाँ पहुँचना बड़ा कठिन कार्य था। फिर भी बड़ी कठिनाई से उन्हें वहाँ ले जाया जा सका। लेखक ने छुट्टियों में गुरुदेव के दर्शन करने की ठान ली। यहाँ लेखक ने ‘दर्शन’ शब्द का प्रयोग साभिप्राय किया है। जब भी लेखक किसी बाहर के व्यक्ति को लेकर उनके पास जाता था तो कहा करता था, “एक भद्र लोक आपनार दर्शनेर जन्य ऐसे छेन।” इस पर गुरुदेव मुसकरा देते थे कि दर्शनार्थी हैं क्या ? के तो लेखक को भी दर्शनार्थी ही कहा करते थे।

उस पुराने भवन में गुरुदेव अकेले ही रहते थे। इसलिए वहाँ आश्रम जैसी भीड़-भाड़ नहीं थी। जब लेखक वहाँ गुरुदेव से भेंट करने हेतु पहुँचा तो वे छिपते हुए सूर्य को बड़ी तल्लीनता के साथ देख रहे थे। यह एक संयोग ही था कि उसी समय एक कुत्ता, जिसने शांतिनिकेतन में गुरुदेव का साहचर्य प्राप्त किया था, अपनी घ्राण शक्ति के बल पर उनका अनुपम एवं स्वर्गीय सान्निध्य प्राप्त करने हेतु वहाँ आ पहुँचा। गुरुदेव ने उस पर अपना अमृतस्पर्शी हाथ फेरा। उस अपूर्व सुख की अनुभूति कुत्ते की अर्द्धखुली आँखें और उसके रोम-रोम से उमड़ रहा स्नेह बता रही थीं। कैसी अजीब बात है कि उस कुत्ते को किसी ने न मार्ग दिखाया, न बताया था, पर वह अपने स्नेहदाता के पास दो मील चलकर पहुँच गया। बाद में गुरुदेव ने इस कुत्ते को लक्ष्य करके ‘आरोग्य’ में इस भाव की एक कविता लिखी थी। कुत्ते की करुण दृष्टि के भीतर उन्होंने स्नेह-भाव के महान सत्य को देखा था, जबकि मानव मानव में स्नेहभाव को नहीं देख सकता। उन्होंने यह भी बताया है कि कैसे यह भक्त कुत्ता उनकी उपासना के समय उनके आसन के पास चुपचाप बैठा रहता है और जब पूजा के बाद वे अपना स्नेहपूर्ण हाथ उस पर फेरते हैं तो वह आनंद से पुलकित हो उठता है। कुत्ता वास्तव में चैतन्यशील प्राणी है। वह अहैतुक प्रेम की भावना को भली-भाँति समझता था तथा अपनी करुण दृष्टि से आत्मसमर्पण के भाव को प्रकट करता है। गुरुदेव ने वाणी विहीन कुत्ते की करुण दृष्टि में एक महान सत्य के दर्शन किए हैं। इसलिए द्विवेदी जी ने कहा है, “कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता।”

इसके साथ ही लेखक ने एक और आश्चर्यजनक घटना का उल्लेख भी किया है। जब गुरुदेव की चिताभस्म को कलकत्ते के आश्रम में लाया गया तो वह कुत्ता बड़े सहज भाव से वहाँ आश्रमवासियों के साथ बड़े उदास भाव से उत्तरायण तक गया। हो सकता है कि उसे भी गुरुदेव के न रहने का दुःख हो।

इसी प्रकार लेखक एक अन्य प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताता है कि वे नए-नए शांतिनिकेतन में आए थे और एक पुराने अध्यापक के साथ गुरुदेव के साथ घूमने लगे तो गुरुदेव ने लक्ष्य किया कि आश्रम के कौए क्या हो गए ? उनकी आवाज़ सुनाई ही नहीं देती। लेखक ने महसूस किया कि सचमुच कई दिनों से आश्रम में कौए नहीं दिख रहे हैं। बाद में द्विवेदी जी ने लक्ष्य किया कि कौए कभी-कभी प्रवास को चले जाते हैं। इसी प्रकार की दूसरी घटना है-लँगड़ी मैना के संबंध में। गुरुदेव ने उसे देखकर कहा”देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज फुदकती है, ठीक यहीं आकर। मुझे इसकी चाल में एक करुण-भाव दिखाई देता है।” ।

गुरुदेव के कहने पर लेखक उस मैना में निहित करुण-भाव को अनुभव कर सका था। बाद में लेखक ने अपने अनुभव के आधार पर पाया कि मैना करुण-भाव दिखाने वाली पक्षी नहीं है। वह दूसरों पर अपनी अनुकंपा दिखाने वाली है। जिस मकान में लेखक महोदय रहते थे, उसकी दीवारों में चारों ओर सुराख थे। उन सुराखों में मैना का एक जोड़ा हर वर्ष अपनी गृहस्थी जमाता था। लेखक द्वारा दीवार में ईंट लगा देने पर वे खाली स्थान का उपयोग करने में कोई कसर न छोड़ते थे। अपना सारा काम बड़े उत्साह व परिश्रम से करते थे। इतना परिश्रम करने पर भी वे सदैव प्रसन्नचित्त रहते थे और उनके गान परिपूर्ण होते थे, पति-पत्नी में अगाध प्रेम था। पर उस मैना में गुरुदेव ने करुण भाव की अनुभूति की थी। इस भाव से परिपूर्ण गुरुदेव ने एक कविता लिखी थी। गुरुदेव ने अपने हृदय-साम्राज्य में विचरण करके उस मैना की करुण दशा का अनुमान किया था। वह बेचारी किसी परिस्थिति विशेष में पड़कर अपने प्रिय से विमुक्त हो चुकी थी। एक दिन वह मैना उड़ गई।

उपर्युक्त विवेचन को देखते हुए कहा जा सकता है कि कवि की दृष्टि में जो मर्मभेदी शक्ति होती है, उसके दर्शन अन्यत्र नहीं हो सकते। कवि केवल मानव के हृदय की ही बात नहीं समझते, अपितु मानवेतर पशु-पक्षियों की स्नेह भावना को भी सहज भाव से अनुभव कर सकते हैं। वे अपनी इस मर्मभेदी दृष्टि से यह बता देते हैं कि मूक प्राणी भी अपने सहज ज्ञान से मानव को महान सत्य के दर्शन करा सकते हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ –

[पृष्ठ-79] : तिमंजिला = तीन मंजिल वाला। मौज = खुशी। तल्ला = मंजिल। वृद्ध = बूढ़ा। क्षीणवपु = कमज़ोर शरीर। अधिकांश = अधिकतर । ठानी = निश्चय किया। दर्शनार्थी = दर्शन करने वाले। अतिथि = मेहमान। भद्र लोक = सज्जन पुरुष। आपनार = आपके। दर्शनेर = दर्शन के लिए। प्रगल्भ = वाचाल, बोलने में संकोच न करने वाला।

[पृष्ठ-80] : असमय = बिना समय, गलत समय। अनवस्था = जहाँ व्यवस्था न हो। भीत = डरना। अस्तगामी = डूबता हुआ। ध्यान-स्तिमित = ध्यान लगाए। स्नेह = प्रेम। आश्चर्य = हैरानी। परितृप्ति = पूरी तरह से संतोष प्राप्त करना। आरोग्य = बाँग्ला भाषा की एक पत्रिका। स्तब्ध = हैरान होकर । वाक्यहीन = भाषाहीन। प्राणीलोक = जीवों का समूह । अहेतुक = अकारण, बिना किसी कारण के। असीम = सीमाहीन। चैतन्य लोक = जिस लोक में चेतना हो (मनुष्यों का समाज)। प्राणपण = जान की बाजी। आत्मनिवेदन = प्रार्थना।

[पृष्ठ-81] : आविष्कार = खोज। करुण = दयायुक्त । व्याकुलता = बेचैनी। मर्मभेदी = अति दुःखद, दिल को लगने वाली। मानव-सत्य = मानव-जीवन की सच्चाई। तितल्ला = तीसरी मंजिल। महिमाशाली = महत्त्वपूर्ण। चिताभस्म = चिता की राख। उत्तरायण = शांति निकेतन में उत्तर दिशा की ओर बना रवींद्रनाथ टैगोर का एक निवास-स्थान। धृष्ट = घनिष्ठ, गहरा।

[पृष्ठ-82] : खबर = समाचार। सर्वव्यापक = सब जगह रहने वाले। प्रवास = बाहर चले जाना। फुदकना = कूदना। यूथ भ्रष्ट = समूह से निकाला हुआ। अनुकंपा = दया-भाव। समाधान = उपाय । दंपति = पति-पत्नी। नियमित = नियमपूर्वक। अंबार = ढेर। विजयोद्घोषी = विजय की घोषणा करने वाली। वाणी = भाषा। .

[पृष्ठ-83] : उपस्थित होना = हाज़िर होना, आ जाना। नृत्य = नाच। मुखरित होना = गूंज उठना। मुखातिब होकर = संबोधित होकर। अदा = ढंग। रिमार्क करना = कुछ ताना कसना। आहत = घायल। परास्त होना = हार जाना। बिडाल = बिलाव। ईषत् = थोड़ी, कुछ-कुछ। संगीहीन = बिना साथी के। निर्वासन = देश-निकाला।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

[पृष्ठ-84] : गाँठ पड़ना = विक्षिप्त होना। आहार = दाना, भोजन। अभियोग = आरोप। वैराग्य = जिसने संसार के मोह-माया को त्याग दिया हो।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

HBSE 9th Class Hindi साखियाँ एवं सबद Textbook Questions and Answers

साखियाँ

Class 9 Hindi Chapter 9 Question Answer HBSE प्रश्न 1.
‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर-
‘मानसरोवर’ से कवि का आशय मन रूपी तालाब से है, जिसमें ज्ञान-प्राप्ति के पश्चात जीवात्मा रूपी हंस क्रीड़ा करता है अर्थात जीवात्मा मोक्ष रूपी मोती चुगती है।

साखियाँ एवं सबद प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है ?
उत्तर-
कवि ने सच्चे प्रेमी की कसौटी पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि ईश्वर का एक प्रेमी जब दूसरे प्रेमी से मिलता है तो विषय-वासनाओं रूपी विष भी प्रभु-भक्ति रूपी अमृत में बदल जाता है। एक सच्चा प्रेमी प्रभु की चर्चा करता है, जिससे सबके हृदय में आनंद एवं सुख की अनुभूति होती है।

साखियाँ एवं सबद कक्षा 9 भावार्थ HBSE प्रश्न 3.
तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है ?
उत्तर-
तीसरे दोहे में कवि ने हस्ती रूपी ज्ञान को महत्त्व दिया है, जो सहज एवं स्वाभाविक रूप में प्राप्त हो सकता है। ऐसे ज्ञान से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है।

साखियाँ एवं सबद Summary HBSE 9th Class प्रश्न 4.
इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है ?
उत्तर-
संत कवि कबीरदास ने बताया है कि सारा संसार पक्ष-विपक्ष के विवाद में फँसा हुआ है, किंतु सच्चा संत वह कहलाता है, जो निष्पक्ष या समभाव से ईश्वर का भजन करता है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

साखियाँ एवं सबद भावार्थ Class 9 HBSE प्रश्न 5.
अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है ?
उत्तर-
अंतिम दो दोहों में कबीरदास ने हिंदुओं और मुसलमानों की सांप्रदायिकता अर्थात हमारा राम श्रेष्ठ है तथा हमारा खुदा श्रेष्ठ है, की संकीर्णता पर प्रकाश डाला है। अंतिम दोहे में कबीरदास ने ऊँचे कुल में जन्म लेने पर गुणहीन होने पर भी अपने-आपको समाज में ऊँचा या श्रेष्ठ समझने की संकीर्णता को अभिव्यक्त किया है। व्यक्ति ऊंचे कुल में उत्पन्न होने से नहीं, अपितु अच्छे कर्म करने से ही बड़ा होता है।

Class 9 Hindi Chapter 9 HBSE प्रश्न 6.
किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
कबीरदास ने अपनी साखी में बताया है कि किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से नहीं होती, अपितु उसके कर्मों से होती है। यदि एक व्यक्ति उच्च कुल में पैदा होकर नीच कर्म करता है तो उसे नीच ही समझा जाता है और उसकी पहचान बुरे या नीच व्यक्ति के रूप में ही होती है। इसके विपरीत, छोटे कुल में उत्पन्न व्यक्ति यदि सत्कर्म या महान् कर्म करता है तो उसे उच्च समझा जाता है अर्थात उसकी पहचान उसके कुल से नहीं, अपितु उसके कर्मों से ही होती है। संत कवि रैदास इसके उदाहरण हैं।

Class 9 Chapter 9 Hindi HBSE प्रश्न 7.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिएहस्ती चढ़िए ज्ञान को, सहज दुलीचा डारि। स्वान रूप संसार है, मूंकन दे झख मारि॥
उत्तर-
(क) प्रस्तुत दोहे में कवि ने ज्ञान के महत्त्व को स्पष्ट किया है।
(ख) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ग) दोहा छंद है।
(घ) स्वर-मैत्री के कारण भाषा में लय का समावेश है।
(ङ) संपूर्ण दोहे में रूपक अलंकार है।

सबद

साखियाँ एवं सबद कक्षा 9 प्रश्न उत्तर HBSE प्रश्न 8.
मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है ?
उत्तर-
कवि के अनुसार मनुष्य ईश्वर को देवालय (मंदिर), मस्जिद, काबा, कैलाश पर्वत, क्रिया-कर्म, योग और वैराग्य में ढूँढ़ता फिरता है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

साखियाँ एवं सबद भावार्थ Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 9.
कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है ?
उत्तर-
कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के अनेक प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर मंदिरों, मस्जिदों में प्राप्त नहीं हो सकता। वह काबा और कैलाश जैसे तीर्थ-स्थलों पर भी नहीं है। यहाँ तक कि योग-साधना, संन्यास या वैराग्य से भी उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता है। वह कर्मकांडों के द्वारा भी प्राप्त नहीं हो सकता। ये सब दिखावे हैं। इनमें ईश्वर को ढूँढना व्यर्थ है।

9th Hindi Chapter 9 Question Answer HBSE प्रश्न 10.
कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में क्यों कहा है ?
उत्तर-
कबीर का मत है कि ईश्वर घट-घट में समाया हुआ है। इसलिए वह प्रत्येक प्राणी की साँस-साँस में समाया हुआ है। वह प्रत्येक प्राणी के हृदय में विद्यमान है।

साखियाँ एवं सबद Class 9 HBSE प्रश्न 11.
कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की ?
उत्तर-
कबीर की दृष्टि में ज्ञान के आगमन और आँधी की प्रवृत्ति एक समान है। इसलिए उन्होंने ज्ञान के आगमन की तुलना आँधी से की है। जिस प्रकार आँधी के आने से पृथ्वी पर पड़ी व्यर्थ वस्तुएँ उड़ जाती हैं और पृथ्वी स्वच्छ हो जाती है; उसी प्रकार ज्ञान के आगमन से मनुष्य के मन में व्याप्त भ्रम और दुविधाएँ नष्ट हो जाती हैं और उनके स्थान पर ईश्वर की भक्ति उत्पन्न हो जाती है। इसलिए कबीरदास ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा की अपेक्षा आँधी से की है।

प्रश्न 12.
ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
कबीरदास के अनुसार ज्ञान की आँधी आने से भक्त के मन में सभी प्रकार की भ्रम एवं दुविधा की स्थिति समाप्त हो जाती है और उसके मन में ईश्वरीय प्रेम उत्पन्न हो जाता है। अज्ञान या अविवेक नष्ट हो जाता है और वह ईश्वर की भक्ति में लीन होकर अनुपम आनंद की अनुभूति करने लगता है।

प्रश्न 13.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) हिति चित्त की द्वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
(ख) आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
उत्तर-
(क) इस पंक्ति में स्पष्ट किया गया है कि ज्ञान के आगमन से साधक या भक्त के मन के सभी प्रकार के भ्रम और मन की दुविधा रूपी दो थूनी गिरकर टूट जाती है अर्थात मन की दुविधा की स्थिति समाप्त हो जाती है और सांसारिक मोह रूपी बल्ली भी टूट जाती है। कहने का भाव है कि मानव को ईश्वरीय ज्ञान होने पर उसके मन के भ्रम, दुविधा एवं मोह के बंधन टूट जाते हैं।
(ख) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने यह समझाने का सफल प्रयास किया है कि ज्ञान की आँधी आने पर अर्थात मानव को ज्ञान प्राप्त हो जाने पर ईश्वरीय भक्ति की जो वर्षा होती है, उसमें ईश्वर का भक्त पूर्णतः भीग जाता है अर्थात ईश्वरीय भक्ति में मगन हो जाता है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 14:
संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
संकलित साखियों में कबीरदास ने धार्मिक विचारों को उदार बनाने पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि हमें अपने धर्म को ही श्रेष्ठ नहीं समझना चाहिए, अपितु सभी धर्मों का आदर करना चाहिए। कबीर की दृष्टि में सभी धर्मों के प्रति समभाव रखने वाला व्यक्ति सही अर्थों में जीवन जीता है। इसी प्रकार कबीरदास ने एक अन्य साखी में कहा है कि जब मनुष्य मध्यम मार्ग अपना लेता है तो उसे काबा व काशी तथा राम और रहीम में परम तत्त्व के दर्शन होते हैं। इसी प्रकार संकलित पदों में कबीरदास ने ईश्वर को बाह्य साधनों में ढूँढने की अपेक्षा मन में ढूँढने की प्रेरणा दी है, क्योंकि ईश्वर तो प्रत्येक प्राणी के हृदय में बसता है। मानव को ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति होने पर उसके मन के सभी भ्रम एवं दुविधाएँ नष्ट हो जाती हैं और उनके स्थान पर प्रभु-भक्ति का संचार हो जाता है, जिससे वह सुख एवं आनंद का अनुभव करता है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 15.
निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-
पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख
उत्तर-
शब्द –तत्सम
पखापखी = पक्ष-विपक्ष
अनत = अन्य
जोग – योग
जुगति = युक्ति
बैराग = वैराग्य
निरपख = निष्पक्ष

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न-
कबीर की साखियों को याद कर कक्षा में अंत्याक्षरी का आयोजन कीजिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी इसे अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

HBSE 9th Class Hindi साखियाँ एवं सबद Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
पठित दोहों के आधार पर कबीर की प्रेम संबंधी धारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर-
कबीर जी का प्रेम सांसारिक प्रेम नहीं, अपितु उनका प्रेम परमात्मा के प्रति था। वे प्रेम को पवित्र जल के समान उज्ज्वल एवं पावन मानते हैं। इस प्रेम की प्राप्ति के पश्चात् कोई प्राणी इससे अलग नहीं रह सकता। ईश्वरीय प्रेम की प्राप्ति से मनुष्य को हर प्रकार का सुख प्राप्त हो जाता है। उसके पापों का नाश हो जाता है तथा वह मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।

प्रश्न 2.
कबीरदास मानव की श्रेष्ठता किसमें मानते हैं ?
उत्तर-
कबीरदास के मतानुसार वही व्यक्ति श्रेष्ठ है जिसमें किसी प्रकार का घमंड नहीं होता। वह सदैव सद्कर्मों में लगा रहता है। सद्कर्म और प्रभु स्मरण करने वाला व्यक्ति ही कबीर की दृष्टि में श्रेष्ठ है।

प्रश्न 3.
कबीरदास के मतानुसार ईश्वर की प्राप्ति का सही उपाय क्या है ? .
उत्तर-
कबीरदास के मतानुसार ईश्वर कहीं बाह्य स्थानों अर्थात् देवालय, पर्वत, मंदिर, मस्जिद आदि में नहीं मिलता, अपितु वह मनुष्य के हृदय में बसा हुआ है। मानव की हर साँस में उसका निवास है। इसलिए हमें ईश्वर को अपने हृदय में ही ढूँढना चाहिए। हमें अपनी हर साँस में ईश्वर की अनुभूति करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
कबीरदास ने मेरे और तेरे मन के एक न होने की बात क्यों कही है ?
उत्तर-
कबीरदास ने ‘मेरे’ शब्द का प्रयोग अपने लिए या प्रभु भक्त के लिए किया है। ‘तेरे’ शब्द का प्रयोग सांसारिक मोह में फँसे हुए व्यक्ति के लिए किया है। इन दोनों की विचारधाराएँ अलग-अलग हैं। दोनों के लक्ष्य भिन्न-भिन्न हैं। एक अपने अनुभव पर विश्वास करता है, जबकि दूसरा वेद शास्त्रों में कही गई बात अथवा अंधविश्वासों को मानता है। यह सोच का अंतर ही मेरे-तेरे मन के एक होने में बाधक है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संत कबीर किस भक्ति काव्यधारा के कवि हैं ?
(A) राम भक्ति काव्यधारा के
(B) कृष्ण भक्ति काव्यधारा के
(C) सूफी भक्ति काव्यधारा के
(D) निर्गुण भक्ति काव्यधारा के
उत्तर-
(D) निर्गुण भक्ति काव्यधारा के

प्रश्न 2.
संत कबीर का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1398 में
(B) सन् 1405 में
(C) सन् 1415 में
(D) सन् 1425 में
उत्तर-
(A) सन् 1398 में

प्रश्न 3.
कबीरदास कहाँ के रहने वाले थे ?
(A) लखनऊ के
(B) काशी के
(C) मेरठ के
(D) प्रयागराज के
उत्तर-
(B) काशी के

प्रश्न 4.
विद्वानों ने कबीरदास की कितनी लंबी आयु मानी है ?
(A) लगभग सौ वर्ष
(B) लगभग एक सौ दस वर्ष
(C) लगभग एक सौ बीस वर्ष
(D) लगभग एक सौ तीस वर्ष
उत्तर-
(C) लगभग एक सौ बीस वर्ष

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

प्रश्न 5.
विद्वानों ने कबीरदास का जन्म किसके गर्भ से माना है ?
(A) विधवा ब्राह्मणी के
(B) शूद्र के
(C) जुलाहिन के
(D) क्षत्राणी के
उत्तर-
(A) विधवा ब्राह्मणी के

प्रश्न 6.
विद्वानों ने कबीरदास का निधन कब माना है ?
(A) सन् 1538 में
(B) सन् 1528 में
(C) सन् 1518 में
(D) सन् 1508 में
उत्तर-
(C) सन् 1518 में

प्रश्न 7.
कबीरदास का पालन-पोषण किसने किया ?
(A) विधवा ब्राह्मणी ने
(B) नीरू नामक जुलाहा ने
(C) दादू दयाल ने
(D) एक मौलवी ने
उत्तर-
(B) नीरू नामक जुलाहा ने

प्रश्न 8.
कबीरदास की सामाजिक चेतना कैसी थी ?
(A) गहन
(B) उथली
(C) उदार
(D) संकीर्ण
उत्तर-
(A) गहन

प्रश्न 9.
कबीरदास की कुछ प्रमुख रचनाएँ किस धार्मिक ग्रंथ में संकलित हैं ?
(A) गीता में
(B) महाभारत में
(C) रामायण में
(D) श्री गुरु ग्रंथ साहिब में
उत्तर-
(D) श्री गुरु ग्रंथ साहिब में

प्रश्न 10.
किस विद्वान ने कबीरदास के काव्य की भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ भाषा बताया है ?
(A) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने
(B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने
(C) महावीर प्रसाद द्विवेदी ने
(D) रामकुमार वर्मा ने
उत्तर-
(B) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने

प्रश्न 11.
कबीरदास को ‘मस्तमौला’ किस विद्वान ने कहा है ?
(A) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने
(B) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने
(C) रामकुमार वर्मा ने
(D) जयशंकर प्रसाद ने
उत्तर-
(B) हजारी प्रसाद द्विवेदी ने

प्रश्न 12.
कबीरदास के अनुसार हंस कहाँ केलि करते हैं ?
(A) सागर में
(B) नदी में
(C) मानसरोवर में
(D) लघु सरोवर में
उत्तर-
(C) मानसरोवर में

प्रश्न 13.
कबीरदास के अनुसार प्रेमी को प्रेमी मिलने पर क्या हो जाता है ?
(A) शक्ति में वृद्धि
(B) दोनों में मेलजोल
(C) विष का अमृत में परिवर्तन हो जाना
(D) गिले-शिकवे दूर होना
उत्तर-
(C) विष का अमृत में परिवर्तन हो जाना

प्रश्न 14.
कबीरदास किस ‘प्रेमी’ की बात कहते हैं ?
(A) परमात्मा
(B) साधारण मनुष्य
(C) गहरे मित्र
(D) धोखेबाज प्रेमी
उत्तर-
(A) परमात्मा

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

प्रश्न 15.
‘सहज दुलीचा’ किसका प्रतीक है ?
(A) सहज भक्ति-भावना का
(B) सहज विचार का
(C) सहज जीवन का
(D) सहज भोजन का
उत्तर-
(A) सहज भक्ति-भावना का

प्रश्न 16.
कवि ने किसे संत सुजान कहा है ?
(A) जो पक्षपात करता हो
(B) जो पक्ष-विपक्ष के चक्कर में पड़ा हो
(C) जो निष्पक्ष भाव से परमात्मा की भक्ति करता हो
(D) जो किसी विशेष मत को अपनाता हो
उत्तर-
(C) जो निष्पक्ष भाव से परमात्मा की भक्ति करता हो

प्रश्न 17.
कबीरदास के अनुसार कौन व्यक्ति श्रेष्ठ जीवन व्यतीत करता है ?
(A) जो राम या खुदा में भेदभाव करता है
(B) जो राम या खुदा के भेदभाव के निकट नहीं जाता
(C) जो राम को खुदा से बड़ा मानता है
(D) जो खुदा से राम को छोटा मानता है
उत्तर-
(B) जो राम या खुदा के भेदभाव के निकट नहीं जाता

प्रश्न 18.
किस साधक के लिए काबा काशी और राम रहीम बन जाता है ?
(A) सच्चे साधक के लिए
(B) पाखंडी साधक के लिए
(C) भीख माँगने वाले के लिए
(D) निर्गुण साधक के लिए
उत्तर-
(A) सच्चे साधक के लिए

प्रश्न 19.
साधु किस व्यक्ति की निंदा करते हैं ?
(A) जो ऊँचे कुल में जन्म लेकर बुरे काम करता है
(B) जो नीच कुल में जन्म लेकर अच्छे काम करता है
(C) जो परिश्रमी होता है
(D) जो पंडित होकर भी भजन नहीं करता
उत्तर-
(A) जो ऊँचे कुल में जन्म लेकर बुरे काम करता है

प्रश्न 20.
किस वस्तु से भरे हुए स्वर्ण कलश की साधु निंदा करते हैं ?
(A) अमृत से
(B) शराब से
(C) दूध से
(D) जल से
उत्तर-
(B) शराब से

प्रश्न 21.
‘मोकों कहाँ ढूँढे बदे’ पद में कवि ने ईश्वर को कहाँ ढूँढ़ने के लिए कहा है ?
(A) मन्दिर में
(B) मस्जिद में
(C) अपने घर में
(D) अपने अंदर
उत्तर-
(D) अपने अंदर

प्रश्न 22.
‘मोकों कहाँ ढूँढे बदे’ पद में किसकी सर्वव्यापकता का वर्णन किया गया है ?
(A) वायु की
(B) जल की
(C) प्रकाश की
(D) ईश्वर की
उत्तर-
(D) ईश्वर की

प्रश्न 23.
कबीरदास के अनुसार किसकी आँधी आई है ?
(A) धूल की
(B) सुगंधित पवन की
(C) रेत की
(D) ज्ञान की
उत्तर-
(D) ज्ञान की

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प्रश्न 24.
कौन-सी टाटी उड़ गई है ?
(A) फूंस की
(B) बाँस की
(C) तिनकों की
(D) भ्रम की
उत्तर-
(D) भ्रम की

प्रश्न 25.
ज्ञान की आँधी आने से किसका भांडा फूट जाता है ?
(A) पाप का
(B) मोह का
(C) कुबुद्धि का
(D) लालच का
उत्तर-
(C) कुबुद्धि का

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दो बैलों की कथा अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

साखियाँ

1. मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं।
मुकताफल मुकता चुनें, अब उड़ि अनत न जाहिं ॥ [पृष्ठ 91]

शब्दार्थ-मानसरोवर = एक झील (यहाँ हृदय)। सुभर = भरा हुआ। केलि = क्रीड़ाएँ। मुकता = मोती। अनत = अन्यत्र, कहीं ओर।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत साखी की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत साखी का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत साखी के काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) मानसरोवर में कौन क्रीड़ाएँ करता है ?
(6) कौन मुकता चुगता है ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-साखियाँ।

(2) व्याख्या कवि कहता है कि मेरा हृदय रूपी मानसरोवर भक्ति रूपी जल से परिपूर्ण है अर्थात भरा हुआ है। उसमें जीवात्मा रूपी हंस क्रीड़ाएँ कर रहा है। वह क्रीड़ाएँ करता हुआ मुक्ति रूपी मोती चुग रहा है। वह उसमें इतना लीन है कि अब उसे छोड़कर कहीं ओर नहीं जाएगा।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि ईश्वरीय ज्ञान होने पर आत्मा ईश्वर भक्ति में लीन रहती है।

(3) साधक साधना करते हुए भगवद्-प्रेम में लीन है। परमात्मा से साक्षात्कार होने पर अब वह अनूठे आनंद में मग्न है। इस आनंद को छोड़कर वह किसी अन्य देवी-देवता की शरण में नहीं जाएगा।

(4) (क) भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहमयी है।
(ख) दोहा छंद का प्रयोग है।
(ग) रूपक अलंकार है।
(घ) ‘मुकताफल मुकता’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ङ) प्रस्तुत साखी संक्षिप्त होते हुए भी गहन अर्थ को व्यक्त करने में सफल सिद्ध हुई है।

(5) मानसरोवर (हृदय) में जीवात्मा रूपी हंस क्रीड़ाएँ करता है।

(6) जीवात्मा रूपी हंस मुकता चुगता है।

2. प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरौं, प्रेमी मिले न कोइ।
प्रेमी कौं प्रेमी मिलै, सब विष अमृत होइ॥ [पृष्ठ 91]

शब्दार्थ-प्रेमी = प्रेम करने वाला। कौं = को। विष = जहर।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत साखी की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत साखी का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत साखी के काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) यह दोहा किसने किसको कहा है ?
(6) सब विष अमृत कब हो जाता है ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-साखियाँ।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत साखी में कवि ने ईश्वर-प्रेमी के गुणों एवं संगति के प्रभाव को अभिव्यक्त किया है। कवि कहता है कि मैं भगवान के प्रेमी को ढूँढता फिरता हूँ, किंतु मुझे कोई सच्चा प्रेमी नहीं मिला। जब भगवान के एक प्रेमी से दूसरा प्रेमी मिलता है, तब विषय-वासनाओं का सारा विष अमृत रूप में बदल जाता है, क्योंकि तब ईश्वर के प्रेम की धारा बहने लगती है। भक्ति वासना को भी अमृत रूप में परिवर्तित कर देती है।
भावार्थ-कवि ने भक्ति के महत्त्व को स्पष्ट किया है।

(3) प्रस्तुत साखी में कवि ने स्पष्ट किया है कि ईश्वर-प्रेमी की संगति करने से मानव मन के बुरे भाव समाप्त हो जाते हैं और वह ईश्वर से प्रेम करने लगता है। इसलिए हमें ईश्वर-प्रेमी की संगति करनी चाहिए।

(4) (क) प्रस्तुत साखी में सरल एवं सहज भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) दोहा छंद है।
(ग) ‘प्रेमी कौं प्रेमी’ में अनुप्रास अलंकार है।
(घ) प्रस्तुत साखी गायी जाने योग्य है।

(5) प्रस्तुत दोहा कबीरदास ने जन-साधारण को समझाने के लिए कहा है।
(6) जब एक ईश्वर-प्रेमी दूसरे ईश्वर-प्रेमी मिलता है, तब विष (वासनाएँ) भी अमृत (भक्ति) हो जाता है।

3. हस्ती चढ़िए ज्ञान को, सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है, मूंकन दे झख मारि॥ [पृष्ठ 91]

शब्दार्थ-हस्ती = हाथी। सहज = साधारण, सहज-साधना। दुलीचा = हाथी की कमर पर डाला जाने वाला वस्त्र। डारि = डालना। स्वान = कुत्ता। मूंकन = भौंकना। झख मारि = झख मारना, व्यर्थ बोलना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत साखी की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत साखी का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत साखी के काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) कवि ने साधक को किस पर चढ़ने के लिए कहा है ?
(6) कवि ने संसार को क्या कहा है और क्यों ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-साखियाँ।

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(2) व्याख्या-प्रस्तुत साखी में कबीरदास जी ने ज्ञान-प्राप्ति की पद्धति और संसार के विषय में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि हमें ज्ञान रूपी हाथी पर सहज पद्धति रूपी दुलीचा डालकर चढ़ना चाहिए अर्थात हमें प्रभु-भक्ति सहज ढंग से करनी चाहिए। संसार में भक्ति के अनेक ढंग बताए गए हैं, हमें उनकी ओर ध्यान नहीं देना चाहिए। यह संसार तो कुत्ते की भाँति है, जो भौंकता रहता है। हमें इसकी ओर ध्यान न देकर ईश्वर भक्ति में अपने मन को लगाए रखना चाहिए।
भावार्थ-कवि ने साधक को अपनी ज्ञान-साधना में लीन रहने का उपदेश दिया है। उसे संसार की चिंता नहीं करनी चाहिए कि वह उसे क्या कहता है ?

(3) कवि के कहने का भाव है कि हमें ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सहज रूप से भक्ति करनी चाहिए। हठ योग आदि पद्धति के द्वारा शरीर को कष्ट नहीं देना चाहिए। इससे ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है। हमें सांसारिक आकर्षणों व वाद-विवादों की ओर ध्यान न देकर अपना मन प्रभु-भक्ति में लगाए रखना चाहिए।

(4) (क) प्रस्तुत साखी में कवि ने सरल एवं भावानुकूल भाषा का प्रयोग किया है।
(ख) दोहा छंद है।
(ग) प्रथम पंक्ति में रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(घ) ‘झख मारि’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग किया गया है।
(ङ) कथन की सादगी एवं सच्चाई देखते ही बनती है।

(5) कवि ने साधक को ज्ञान रूपी हाथी पर चढ़ने के लिए कहा है।

(6) संसार को कवि ने स्वान कहा है, क्योंकि वह स्वान की भाँति व्यर्थ बोलता रहता है।

4. पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान।
निरपख होइ के हरि भजै, सोई संत सुजान ॥ [पृष्ठ 91]

शब्दार्थ-पखापखी = पक्ष तथा विपक्ष । कारनै = कारण। जग = संसार । निरपख = निष्पक्ष, सच्चे मन से। हरि = ईश्वर । सुजान = बुद्धिमान।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत साखी की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत साखी का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत साखी के काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) कबीर की दृष्टि में सारा संसार किसको और क्यों भूला हुआ है ?
(6) सुजान संत किसे कहा गया है ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-साखियाँ।

(2) व्याख्या प्रस्तुत साखी में कबीरदास ने निष्पक्ष भाव या समभाव से ईश्वर की भक्ति करने का उपदेश दिया है। कबीरदास का कथन है कि यह संपूर्ण संसार ईश्वर के अस्तित्व या निर्गुण-सगुण के पक्ष-विपक्ष की उलझन में फँसा हुआ है। इसलिए वह ईश्वर के सत्य स्वरूप को ही भूल गया है। जो लोग निष्पक्ष होकर ईश्वर का भजन करते हैं, वे ही सुजान संत कहलाते हैं अर्थात सच्चे संत शांत एवं समभाव से ईश्वर में ध्यान लगाकर भक्ति करते हैं।
भावार्थ-कबीरदास के मतानुसार वाद-विवाद, मत-मतान्तर आदि को त्यागकर ही ईश्वर की सच्ची भक्ति संभव है।

(3) प्रस्तुत साखी का प्रमुख विषय ईश्वर-भक्ति की पद्धति और सच्चे संत की पहचान बताना है। प्रस्तुत साखी में कवि ने ईश्वर की भक्ति समभाव से करने का उपदेश दिया है। ईश्वर के स्वरूप के पक्ष-विपक्ष में बहस करने वाले लोग उसके सच्चे रूप या सार तत्त्व को भूल जाते हैं। इसलिए किसी विवाद में न फँसकर पूर्ण लगन से ईश्वर के नाम का स्मरण करना चाहिए।

(4) (क) प्रस्तुत साखी सच्चे संत की पहचान करवाती है।
(ख) कवि के कथन की सच्चाई पाठक के मन को प्रभावित करती है।
(ग) भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहयुक्त है।
(घ) संपूर्ण साखी में अन्त्यानुप्रास अलंकार है।
(ङ) “सोई संत सुजान’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।

(5) कबीर की दृष्टि में सारा संसार वाद-विवाद एवं पक्ष-विपक्ष के कारण ईश्वर को भूल गया है।

(6) जो व्यक्ति निष्पक्ष भाव से ईश्वर की भक्ति करता है, वही सुजान संत है।

5. हिंदू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाइ।
कहै कबीर सो जीवता, जो दुहुँ के निकटि न जाइ ॥ [पृष्ठ 91]

शब्दार्थ-मूआ = मरना। जीवता = जीवित। दुहुँ = दोनों।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत साखी की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत साखी के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तत साखी में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) कबीर ने किसे जीवित कहा है ?
(6) हिंदू और मुसलमान ईश्वर को किन-किन नामों से पुकारते हैं ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-साखियाँ।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत साखी में कबीरदास ने बताया है कि हिंदू राम नाम रटकर अपने संप्रदाय (धर्म) की श्रेष्ठता के प्रतिपादन में मर मिटे तो मुसलमान खुदा को श्रेष्ठ बताने के प्रयास में नष्ट हो गए। कबीरदास के अनुसार जीवित व्यक्ति तो वे ही हैं, जो दोनों नामों को एक ब्रह्म मानकर इस विवाद में नहीं पड़ते कि कौन श्रेष्ठ है।
भावार्थ-कवि ने हिंदू-मुसलमान के राम और रहीम के विवाद को असत्य बताते हुए निष्पक्ष भाव से भक्ति करने पर बल दिया है।

(3) प्रस्तुत साखी में कबीरदास जी ने स्पष्ट किया है कि राम तथा खुदा, दोनों भिन्न नहीं हैं। दोनों एक ही हैं। इस विवाद को खड़ा करना उचित नहीं है। उनकी दृष्टि में दोनों में एक ही ब्रह्म को मानकर जो उसकी भक्ति करता है, वही सच्चा साधक या भक्त होता है।

(4) (क) भाषा सरल एवं भावानुकूल है।
(ख) भावों की गहनता देखते ही बनती है।
(ग) अन्त्यानुप्रास अलंकार है।
(घ) ‘कहै कबीर’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ङ) शब्द-चयन सार्थक एवं विषयानुकूल है।

(5) कबीर ने उसे जीवित कहा है, जो राम व खुदा की श्रेष्ठता के विवाद में न उलझकर, दोनों में एक ही ब्रह्म को स्वीकार करके उसकी सच्चे मन से भक्ति करता है।

(6) हिंदू ‘राम’ और मुसलमान ‘खुदा’ कहकर ईश्वर को पुकारते हैं।

6. काबा फिरि कासी भया, रामहिं भया रहीम।
मोट चून मैदा भया, बैठि कबीरा जीम ॥ [पृष्ठ 91]

शब्दार्थ-काबा = मुसलमानों का तीर्थ-स्थल । कासी = हिंदुओं का तीर्थ-स्थान। भया = हो गया। मोट = मोटा। जीम = खाना।

प्रश्न
(1) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तत साखी की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तत साखी के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत साखी के काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) कबीर के अनुसार किस दृष्टि से काबा व काशी में अंतर नहीं रह जाता ?
(6) ‘मोट चून’ किसे कहा गया है ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-साखियाँ।

(2) व्याख्या-कबीरदास का कथन है कि मध्यमार्गी प्रवृत्ति से मुसलमानों के तीर्थ-स्थल काबा और हिंदुओं के तीर्थ-स्थान काशी में कोई अंतर नहीं रह जाता। दोनों के आराध्य राम और रहीम भी एक ही हो जाते हैं। इस प्रकार विभिन्न विरोधी विचारधाराएँ या मत, जो पहले मोटे आटे के समान भद्दे लगते थे, मध्यम-मार्ग के अनुसरण से सुंदर मैदे जैसे लगने लगे। इससे उत्पन्न आनंद का कबीर उपभोग कर रहा है।
भावार्थ-कबीरदास मध्यम मार्ग को अपनाने का उपदेश देते हैं। उनके अनुसार राम और रहीम, काबा और काशी में कोई अंतर नहीं है।

(3) प्रस्तुत साखी में कबीरदास जी ने स्पष्ट किया है कि समन्वयवादी भावना या मध्यम-मार्ग को अपनाने में ही जीवन का सच्चा सुख तथा आनंद है।

(4) (क) भाषा सरल एवं भावानुकूल है।
(ख) ‘काबा फिरि कासी…’ में अनुप्रास अलंकार है।
(ग) दोहा छंद का प्रयोग है।
(घ) प्रस्तुत साखी में कवि की गहन एवं सच्ची अनुभूति व्यक्त हुई है।

(5) कबीर के अनुसार मध्यम प्रवृत्ति से काबा व काशी में कोई अंतर नहीं रह जाता। (6) कबीरदास ने विभिन्न विरोधी विचारधाराओं को मोट चून कहा है, क्योंकि वे भद्दी प्रतीत होती हैं।

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7. ऊँचे कुल का जनमिया, जे करनी ऊँच न होइ।
सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोइ॥ [पृष्ठ 91]

शब्दार्थ-करनी = कर्म। सुबरन = सुंदर रंग या स्वर्ण। कलस = घड़ा। सुरा = शराब। सोइ = उसकी।

प्रश्न
(1) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत साखी का संदर्भ लिखिए।
(3) प्रस्तुत साखी की व्याख्या एवं भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(4) प्रस्तुत साखी में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(5) ऊँचे कुल में पैदा होने का महत्त्व कैसे नहीं होता ?
(6) साधुजन किसकी निंदा करेंगे ?
(7) प्रस्तुत साखी के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-साखियाँ।

(2) कबीरदास द्वारा रचित प्रस्तुत साखी में बुरी संगति के दुष्प्रभाव को स्वर्ण कलश और मदिरा का उदाहरण देकर अभिव्यक्त किया गया है।

(3) व्याख्या प्रस्तुत साखी में कबीरदास जी ने बताया है कि यदि मानव के कर्म अच्छे नहीं हैं तो ऊँचे कुल में पैदा होने से क्या होता है अर्थात आदमी अच्छे कार्यों से ही बड़ा होता है। सोने का घड़ा यदि शराब से भरा हुआ है तो भी साधु-जन उसकी निंदा करेंगे। उसे बुरा बताएँगे।।
भावार्थ-कहने का भाव है कि व्यक्ति जन्म से नहीं, अपितु गुणों से ऊँचा या महान होता है। अतः हमें सत्कर्म करने चाहिएँ।

(4) (क) प्रस्तुत साखी की भाषा सरल एवं भावानुकूल है।
(ख) दोहा छंद है।
(ग) ‘सुरा भरा’ में अनुप्रास अलंकार है।
(घ) शब्दों का चयन भाव के अनुकूल किया गया है।
(ङ) भावों की गंभीरता द्रष्टव्य है।

(5) कोई व्यक्ति ब्राह्मण-कुल में पैदा होकर भी यदि नीच कर्म करे तो उसे ऊँचे कुल में पैदा होने का महत्त्व नहीं मिल सकता है।

(6) साधुजन ऊँचे कुल में जन्मे नीच कर्म करने वाले की निंदा ही करते हैं।

(7) कवि ने अत्यंत सरल शब्दों में महान् भाव को उद्घाटित किया है कि ऊँचे कुल में जन्म लेने से कोई बड़ा नहीं हो सकता। व्यक्ति अपने कर्मों से बड़ा होता है। अतः हमें अच्छे कर्म करने चाहिएँ तथा बुरे कर्मों या बुरी संगत से दूर रहना चाहिए। यही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

सबद (पद)

सबदों का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित कबीरदास के ‘सबदों’ का सार/काव्य-परिचय लिखिए।
उत्तर-
कबीरदास ने प्रथम पद में बताया है कि परमात्मा कहीं बाहर नहीं, अपितु प्राणियों के हृदय में तथा कण-कण में रमा हुआ है। उसे मंदिर, मस्जिद, देवालय आदि में नहीं ढूँढा जा सकता। उसे किसी क्रिया-कर्म से भी प्राप्त नहीं किया जा सकता और न ही ईश्वर योग तथा वैराग्य धारण करने से प्राप्त होता है, अपितु यदि कोई भक्त उसे सच्चे मन से खोजने का प्रयास करे तो ईश्वर एक पल में ही मिल सकता है। कबीरदास का विश्वास है कि परमात्मा तो हर साँस तथा हर प्राण में निवास करता है। उसे बाहर नहीं, अपितु अपने हृदय में ही ढूँढा जा सकता है।
दूसरे पद में कबीरदास ने बताया है कि अज्ञान ही सांसारिक मोह-माया के बंधन का मूल कारण है। ज्ञान-प्राप्ति के पश्चात साधक माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आँधी और टाटी या छान के रूपक के माध्यम से कवि ने बताया है कि जिस प्रकार आँधी आने पर छान (झोंपड़ी) की फूस से बनी टाटियाँ उड़ जाती हैं, वैसे ही ज्ञान की आँधी आने से भ्रम की टाटी बँधी नहीं रह सकती। ज्ञान उत्पन्न होने से साधक के मन के सभी भ्रम स्वतः नष्ट हो जाते हैं। इस ज्ञान की आँधी के पश्चात प्रभु-भक्ति की वर्षा होती है, जिसमें साधक लीन होकर आनंदानुभूति प्राप्त करने लगता है। साधक के मन में ईश्वर का सच्चा स्वरूप भी स्पष्ट हो जाता है और वह फिर कभी भ्रम में नहीं फँसता।

अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मोकों कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में।
ना मैं देवल ना मैं मसजिद, ना काबे कैलास में।
ना तो कौने क्रिया-कर्म में, नहीं योग बैराग में।
खोजी होय तो तुरतै मिलिहौं, पल भर की तालास में।
कहैं कबीर सनो भई साधो, सब स्वाँसों की स्वाँस में ॥ [पृष्ठ 92]

शब्दार्थ-मोकों = मुझे। बदे = व्यक्ति। देवल = देवालय, मंदिर। काबा = मुसलमानों का तीर्थ-स्थान। कैलास = पर्वत का नाम। कौने ,= किसी। क्रिया-कर्म = सांसारिक आडंबर। योग = योग-साधना। बैराग = वैराग्य। खोजी = खोजने वाला। तुरतै = तुरंत ही। तालास = खोज। स्वाँस = साँस।

प्रश्न
(1) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(4) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) भगवान कहाँ-कहाँ नहीं है ?
(6) कबीरदास ने ईश्वर को कहाँ खोजने का उपदेश दिया है ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-सबद (पद)।

(2) व्याख्या-निराकार ब्रह्म मनुष्य को कहता है, हे बंदे! तू मुझे अपने से बाहर कहाँ ढूँढता फिरता है। मैं तो तेरे अत्यंत समीप हूँ। न तो मैं किसी मंदिर या मस्जिद में रहता हूँ, न ही मुसलमानों के पवित्र तीर्थ-स्थान काबा में निवास करता हूँ और न ही हिंदुओं के कैलाश पर्वत पर। इसलिए इन स्थानों पर मुझे ढूँढना व्यर्थ है। मैं न सांसारिक क्रिया-कर्म अर्थात कर्मकांड करने से प्राप्त होता हूँ, न मैं योग-साधना से मिल सकता हूँ और न ही संसार को त्यागकर वैराग्य धारण करने से या संन्यासी बनने से। ये सब तो बाहरी दिखावे हैं। हे मनुष्य! मैं तो हर स्थान एवं कण-कण में समाया हुआ हूँ। यदि कोई सच्चा भक्त खोजने वाला हो तो मैं एक पल-भर की अर्थात बहुत थोड़े समय की तलाश में मिल सकता हूँ। कहने का भाव है कि जिसके मन में मुझे प्राप्त करने की सच्ची लगन होती है, उसे मैं तुरंत ही मिल सकता हूँ। कबीरदास संतों और भक्तों को कहते हैं, हे संतो! सुनो, वह परमात्मा सब प्राणियों में विद्यमान है। जैसे साँस का निवास हमारे भीतर है, वैसे ही परमात्मा का निवास भी हमारे हृदय में है। इसलिए परमात्मा को हमें बाहर नहीं, अपितु अपने भीतर हृदय में ही खोजने या अनुभव करने की कोशिश करनी चाहिए।
भावार्थ-कवि ने ईश्वर प्राप्ति के लिए बाह्य दिखावे, तीर्थ, व्रत, उपवास आदि साधनों की अपेक्षा सच्चे मन से भक्ति करने की प्रेरणा दी है क्योंकि ईश्वर तो हर प्राणी की हर साँस में विद्यमान है।

(3) ईश्वर मंदिर, मस्जिद, काबा व कैलाश आदि तीर्थों की अपेक्षा मनुष्य के हृदय में रहता है। इसलिए उसे बाहरी दिखावा करके प्राप्त नहीं किया जा सकता, अपितु सच्चे मन और लगन से अपने हृदय में ही देखा व प्राप्त किया जा सकता है।

(4) (क) ईश्वर की सर्वव्यापकता का उल्लेख किया गया है।
(ख) संपूर्ण पद में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
(ग) स्वर-मैत्री के कारण भाषा लययुक्त हो गई है।
(घ) भाषा अत्यंत सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ङ) शब्द-चयन विषयानुकूल है।

(5) कबीरदास के अनुसार भगवान केवल मस्जिद, मंदिर, क्रियाकर्म, योग या विराग आदि बाह्य स्थलों पर नहीं मिलता।

(6) कबीरदास ने बताया है कि ईश्वर प्रत्येक प्राणी के हृदय में समाया हुआ है, इसलिए ईश्वर को हमें अपने हृदय में ही खोजना चाहिए।

2. संतों भाई आई ग्याँन की आँधी रे।
भ्रम की टाटी सबै उड़ॉनी, माया रहै न बाँधी ॥
हिति चित्त की द्वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।
त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा ॥
जोग जुगति करि संतौं बाँधी, निरचू चुवै न पाँणी।
कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी।
आँधी पीछै जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भींनाँ।
कहै कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तम खीनां ॥ [पृष्ठ 92]

शब्दार्थ-टाटी = छान के चारों ओर फूस की लगाई गई ओट या परदा। उड़ॉनी = उड़ गई। चित्त = मन। द्वै = दो (दो विचारों में फँसा व्यक्ति)। यूँनी = दो खंभे (स्तंभ)। बलिंडा = बँडेर, बीच की बल्ली जिस पर छान टिकी रहती है। तूटा = टूट गया। त्रिस्ना = इच्छा, कामना । कुबधि = बुरी बुद्धि । भाँडाँ फूटा = भेद खुलना। जोग = योग। जुगति = युक्ति। निरचू = थोड़ा भी। कुड़ कपट = कपट का कूड़ा । काया = शरीर। निकस्या = निकला। जल बूठा = जल बरसना । भाँन = सूर्य। तम= अंधकार (अज्ञान)। खीना = नष्ट हो गया।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
(3) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(6) भ्रम की टाटी कब और क्यों टूटती है ?
(7) ज्ञान प्राप्त होने पर कौन-से भाव नष्ट हो जाते हैं ?
उत्तर-
(1) कवि-कबीरदास। कविता-सबद (पद)।

(2) प्रस्तुत पद में कवि ने स्पष्ट किया है कि अज्ञान ही सांसारिक मोह-माया के बंधनों का मुख्य कारण है। ज्ञान-प्राप्ति के पश्चात साधक माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है।

(3) व्याख्या-कबीरदास ने कहा है कि हे संतो! ज्ञान रूपी आँधी आ गई है। ज्ञान की आँधी से भ्रम रूपी छप्पर से बनी छत उड़कर नष्ट हो गई है। अब माया भी इस भ्रम को बाँध नहीं सकती। कहने का भाव है कि ज्ञान प्राप्त हो जाने पर साधक के मन के सभी भ्रम नष्ट हो जाते हैं। ज्ञान की आँधी से दुविधा (दुविधाग्रस्त स्थिति) की दोनों थूनियाँ गिर गई हैं। मोह रूपी बल्ली भी टूटकर गिर गई है। ज्ञान की स्थिति उत्पन्न होने पर मोह और दुविधा के भाव नष्ट हो जाते हैं। ज्ञान प्राप्त हो जाने पर मानव-मन में रहने वाली इच्छाएँ और कुबुद्धि (अविवेक) भी नष्ट हो जाते हैं। किन्तु संतों ने योग की युक्ति के द्वारा ऐसी झोंपड़ी बाँधी जिसमें से पानी नहीं टपक सकता अर्थात मानव सांसारिक कामनाओं की ओर नहीं भटक सकता। इस ज्ञान रूपी आँधी के पश्चात वर्षा होती है। उसमें साधक पूर्णतः भीग जाता है अर्थात व्यक्ति प्रभु-भक्ति में पूर्णतः लीन हो जाता है। उसी से साधक को आनंद की अनुभूति होती है। कबीरदास जी कहते हैं कि ज्ञान की आँधी के पश्चात प्रभु रूपी सूर्य उदय होता है तथा सभी प्रकार का अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। कहने का भाव यह है कि ईश्वरीय ज्ञान की प्राप्ति के पश्चात अज्ञान नष्ट हो जाता है और साधक के मन में आनंद उत्पन्न हो जाता है।
भावार्थ-कबीरदास ने ज्ञान व आँधी के रूपक के माध्यम से यह समझाने का सफल प्रयास किया है कि जब व्यक्ति को ईश्वरीय ज्ञान हो जाता है तब उसको माया अपने बंधन व भ्रम में नहीं जकड़ सकती। उसके सांसारिक बंधन व भ्रम स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं।

(4) (क) कवि ने आँधी के रूपक के माध्यम से ज्ञान के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।
(ख) समूचे पद में रूपक एवं अनुप्रास अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
(ग) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(घ) शब्द-चयन विषय के अनुरूप है।

(5) प्रस्तुत पद में कवि ने ज्ञान के महत्त्व को उजागर किया है। ज्ञान की प्राप्ति पर ही मानव-मन से सभी दुविधाएँ और भ्रम समाप्त हो जाते हैं। मोह-माया की वास्तविकता स्पष्ट हो जाने पर साधक उसको त्यागकर प्रभु-भक्ति में लीन हो जाता है। उस स्थिति में उसे सुख एवं आनंद की अनुभूति होती है।

(6) ज्ञान की आँधी आने पर मानव-मन में व्याप्त भ्रम की टाटी टूट जाती है।

(7) ज्ञान प्राप्त होने पर मोह और दुविधा के भाव नष्ट हो जाते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 9 साखियाँ एवं सबद

दो बैलों की कथा Summary in Hindi

दो बैलों की कथा कवि-परिचय

प्रश्न-
कबीरदास का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा कबीरदास का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-कबीरदास का संत कवियों में प्रमुख स्थान है। उनके जन्म एवं मृत्यु के विषय में विद्वान एकमत नहीं हैं। अधिकांश विद्वानों ने कबीरदास का जन्म 1398 ई० में माना है। जनश्रुति के अनुसार, कबीरदास एक विधवा ब्राह्मणी के घर पैदा हुए थे और वह लोक-लाज के डर से इन्हें काशी के लहरतारा नामक तालाब के किनारे छोड़ गई थी। नीरू और नीमा नामक जुलाहा दंपति ने इनका पालन-पोषण किया था। रामानंद जी इनके गुरु माने जाते हैं। उन्हीं से इन्होंने ‘राम-नाम’ का मंत्र लिया था। . कबीर अनपढ़ थे, किंतु उन्होंने साधु-संतों की संगति से ज्ञान प्राप्त किया था। वे गृहस्थी थे। उन्होंने अपना जीवन सत्संग करने और उपदेश देने में ही व्यतीत किया था। कबीरदास का देहांत 1518 ई० में माना जाता है।

2. प्रमुख रचनाएँ-कबीर की वाणी ‘बीजक’ नामक ग्रंथ में संकलित है। इसके तीन भाग हैं-‘साखी’, ‘सबद’ एवं ‘रमैनी’।

3. काव्यगत विशेषताएँ-कबीरदास जी ने अपने साहित्य में निर्गुण ईश्वर का वर्णन किया है। उनकी मान्यता है कि ईश्वर घट-घट में बसा हुआ है। उनका कथन है
“कहै कबीर सुनो भाई साधो सब स्वाँसों की स्वाँस में।” कबीरदास जी ने गुरु को सबसे अधिक महत्त्व दिया है। उनकी दृष्टि में गुरु तो ईश्वर से भी बढ़कर है। गुरु की महिमा अनंत है। उन्होंने धर्म के नाम पर किए गए पाखंडों का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने हिंदुओं की मूर्ति-पूजा और मुसलमानों की नमाज और बाँग का भी खंडन किया है। वे जाति-पाँति में विश्वास नहीं रखते थे। वे सच्चे अर्थों में समाज-सुधारक थे।

4. भाषा-शैली-कबीरदास जनता के कवि थे, इसलिए उनकी भाषा जनता की भाषा थी। उनकी काव्य-भाषा में विभिन्न भाषाओं और बोलियों के शब्दों का सार्थक प्रयोग हुआ है, इसलिए उनकी भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ भाषा कहा गया है। उनकी काव्य-भाषा में अरबी, फारसी, अवधी, ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी आदि के शब्दों का प्रयोग हुआ है। उनकी काव्य-भाषा में अलंकारों का भी सुंदर प्रयोग हुआ है।

दो बैलों की कथा साखियों का सार/काव्य-परिचय

साखियाँ

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित कबीरदास की ‘साखियाँ’ का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
कबीरदास के दोहों को ‘साखी’ कहा जाता है। उन्होंने अपनी इन साखियों में बताया है कि ईश्वर के साक्षात्कार के बाद मन रूपी मानसरोवर प्रेम और आनंद से परिपूर्ण हो गया है। इसमें जीव रूपी हंस मुक्ति रूपी मोती चुग रहा है। कबीरदास ने कहा है कि जब एक ईश्वर-प्रेमी दूसरे ईश्वर-प्रेमी से मिलता है, तब विषय-वासनाओं रूपी विष अमृत में बदल जाता है। वहाँ ईश्वरीय प्रेम की धारा प्रवाहित होने लगती है। कबीरदास ने यह भी बताया है कि ईश्वर की भक्ति सहज रूप में करनी चाहिए तथा संसार की चिंता नहीं करनी चाहिए। इस संसार में सभी लोग पक्ष और विपक्ष के विवाद में पड़कर ब्रह्म को भूल गए हैं। जो व्यक्ति निरपेक्ष होकर ईश्वर का भजन करता है, वह सच्चा संत कहलाता है। इसी प्रकार हिंदू और मुसलमान अथवा राम और खुदा के विवाद में न पड़कर जो सच्चे मन से ईश्वर के नाम का स्मरण करता है, वही वास्तव में मनुष्य का जीवन जीता है। जब मनुष्य सांप्रदायिक भावों को त्यागकर समन्वय की भावना को ग्रहण करता है तो उसके लिए काबा काशी और राम रहीम बन जाता है। इसलिए समन्वय अथवा समभाव अपनाकर ही ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है। मनुष्य उच्च कुल में जन्म लेने से नहीं, अपितु उच्च या सत्कर्म करने से ही ऊँचा या महान् बनता है। बुरे कर्म करने वाला व्यक्ति कभी महान् नहीं बन सकता।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

HBSE 9th Class Hindi साँवले सपनों की याद Textbook Questions and Answers

साँवले सपनों की याद HBSE 9th Class प्रश्न 1.
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया ?
उत्तर-
सालिम अली के बचपन के दिनों में उनकी एयरगन से एक नीले कंठ वाली गोरैया घायल होकर नीचे गिर पड़ी थी। इस घटना से बालक सालिम अली का मन अत्यंत व्याकुल हो उठा था। इस घटना के कारण ही वे आजीवन प्रकृति के विविध रूपों को खोजते रहे। वे प्रकृति के महान् प्रेमी बन गए थे। उनकी इस महान् प्रवृत्ति के पीछे गोरैया के घायल होने की घटना ही काम करती रही।

Sawle Sapno Ki Yaad Summary HBSE 9th Class प्रश्न 2.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थी ?
उत्तर-
श्री सालिम अली केरल की ‘साइलेंट वैली’ को रेगिस्तानी हवाओं के झोंकों से बचाने का अनुरोध लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे। उन्होंने बताया होगा कि रेगिस्तानी हवाओं के कारण केरल की हरी-भरी एकांत घाटी नष्ट हो जाएगी। वहाँ का वातावरण शुष्क हो जाएगा। रेगिस्तानी हवाएँ अपने साथ रेत के कण लेकर आएँगी और वहाँ शुद्ध पर्यावरण को दूषित कर देंगी, जिसका प्रभाव वहाँ की वनस्पति व जंगली पशु-पक्षियों पर भी अवश्य पड़ेगा वहाँ की धरती बंजर होने का खतरा बढ़ जाएगा। इन सब संभावित खतरों को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह की आँखें नम हो गई थीं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

Chapter 4 Sawle Sapno Ki Yaad HBSE 9th Class प्रश्न 3.
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि “मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है”?
उत्तर-
लॉरेंस एक महान् प्रकृति-प्रेमी थे। उनकी मृत्यु के पश्चात् लोगों ने उनकी पत्नी फ्रीडा लॉरेंस से अनुरोध किया कि वह अपने पति के विषय में कुछ लिखे। वह चाहती तो अपने पति के बारे में बहुत कुछ लिख सकती थी, किन्तु उसने कहा “मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ लिखना असंभव-सा है। हाँ, मेरी छत पर बैठने वाली गोरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। मुझसे भी ज्यादा जानती है।” उसने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि श्री लॉरेंस प्रतिदिन बहुत-सा समय गोरैया के साथ बिताते होंगे या गोरैया उन्हें काम करते देखती रहती होगी। कहने का भाव है कि श्री लारेंस पक्षियों की संगति में रहते होंगे।

Class 9 Hindi Jabir Hussain Question Answer HBSE प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे। [H.B.S.E. 2017]
उत्तर-
(क) इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने श्री सालिम अली के सहज एवं स्वाभाविक जीवन पर प्रकाश डालने का सफल प्रयास किया है। श्री लॉरेंस एक अंग्रेज विद्वान थे जो प्रकृति के साहचर्य में रहते हुए अपना स्वाभाविक जीवन व्यतीत करते थे। श्री सालिम अली भी प्रकृति के समीप रहते हुए अपना स्वाभाविक जीवन जीने वाले महान् व्यक्ति थे।

(ख) लेखक ने यह पंक्ति श्री सालिम अली की मृत्यु के विषय में लिखी है। उसका कहना है कि एक बार यदि कोई व्यक्ति मर जाए तो उसका पुनः जीवित होना असंभव है। भले ही कोई अपने शरीर की गरमी तथा अपने दिल की धड़कन देकर भी उसे करना चाहे, वह कभी पुनर्जीवित नहीं हो सकता। जैसे कि मरा हुआ पक्षी सभी प्रयास करने पर भी अपने सपनों के गीत पुनः नहीं गा सकता। वैसे ही सालिम अली साहब भी मृत्यु के पश्चात् हमारे लाख प्रयासों के बावजूद भी इस दुनिया में पुनः नहीं लौट सकते।

(ग) इस पंक्ति में लेखक ने श्री सालिम अली के प्रकृति संबंधी विशाल एवं अथाह ज्ञान पर प्रकाश डाला है। उनका प्रकृति संबंधी ज्ञान किसी टापू की भाँति छोटा या थोड़ा नहीं था, अपितु यह सागर की तरह अथाह विशाल था। इसलिए लेखक का यह कहना अत्यंत सार्थक प्रतीत होता है कि “सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।”

साँवले सपनों की याद प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 5.
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
श्री जाबिर हुसैन भाषा के मर्मज्ञ थे। हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी की तीनों भाषाओं पर उनका समान अधिकार था। प्रस्तुत पाठ के आधार पर उनकी भाषा-शैली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(1) भाषा सरल, सहज एवं व्यावहारिक है।
(2) तत्सम, तद्भव, उर्दू व अंग्रेजी शब्दों के सफल एवं सार्थक प्रयोग के कारण भाषा व्यावहारिक एवं रोचक बन पड़ी है।
(3) श्री जाबिर हुसैन की भाषा-शैली चित्रात्मक है। वे शब्दों के माध्यम से सजीव व्यक्ति-चित्र अंकित करने की कला में बेजोड़ हैं।
(4) भाषा में भावात्मकता एवं हृदय को स्पष्ट करने की पूर्ण क्षमता है।

प्रश्न 6.
इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि सालिम अली का जीवन अत्यंत सरल, सहज एवं स्वाभाविक था। वे प्रकृति और उसके विभिन्न अवयवों को उनकी मूल प्रकृति के रूप में देखते थे। उपयोगितावाद के वे बिल्कुल पक्ष में नहीं थे। वे सदा पक्षियों की मधुर ध्वनि सुनकर प्रसन्नता का अनुभव करते थे। उनका जीवन अत्यंत संघर्षों में से गुजरा था। उनका शरीर अत्यंत दुबला-पतला एवं कमजोर हो गया था और अंत में वे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का शिकार हो गए थे। वे अपने जीवन की अंतिम सांसों तक पक्षियों की नई-नई जातियों की खोज और उनकी देखभाल के कर्तव्य को निभाते रहे। प्रकृति उनके लिए एक हँसती-खेलती, फैली हुई रहस्यमय दुनिया है।
सालिम अली अनुभवशील व्यक्ति थे। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर केरल की एकांत घाटी को रेगिस्तानी हवाओं के दुष्परिणाम से बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह के सामने एक प्रस्ताव रखा था, जिसे सुनकर वे बहुत ही प्रभावित हुए थे। उनका जीवन लॉरेंस की भाँति ही प्राकृतिक एवं नैसर्गिक था। उनको प्रकृति की दुनिया के विषय में अथाह ज्ञान था। वे घुमक्कड़ स्वभाव के इंसान थे।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

प्रश्न 7.
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
“साँवले सपनों की याद’ शीर्षक उचित प्रतीत होता है क्योंकि लेखक ने यह संस्मरण सालिम अली साहब की मृत्यु के तुरंत बाद लिखा था। लेखक ने उनकी मृत्यु से उत्पन्न दुःख व अवसाद को साँवले सपनों की याद के रूप में अभिव्यक्त किया है। दुःख कभी सुनहरा नहीं हो सकता, इसलिए उसे ‘साँवला सपना’ कहना ही उचित है। संपूर्ण पाठ में लेखक ने सालिम अली साहब की मृत्यु से उत्पन्न दुःख में उनके विभिन्न कार्यों व उनके जीवन की विभिन्न विशेषताओं को याद किया है। इसलिए कहा जा सकता है कि इस पाठ का शीर्षक ‘साँवले सपनों की याद’ सार्थक है। लेखक पाठ के मूल लक्षित भाव को अभिव्यक्त करने में सफल रहा है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं ?
उत्तर-
निश्चय ही प्रस्तुत पाठ में श्री सालिम अली साहब की पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त हुई है। वे चाहते थे कि पर्यावरण की सुरक्षा हर हाल में होनी चाहिए। हम भी अपने आस-पास वृक्ष उगाकर या उगे हुए वृक्षों की देखभाल करके पर्यावरण की सुरक्षा में अपना योगदान दे सकते हैं। अपने छोटे-छोटे कामों के लिए मोटरसाइकिल या स्कूटर का प्रयोग न करके साइकिल का प्रयोग करके हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। अपने घर के आसपास सफाई रखकर भी पर्यावरण को बचाने में हम सहयोग दे सकते हैं। इसी प्रकार अपने साथ-साथ दूसरे लोगों को भी पर्यावरण को बचाने के लिए प्रेरित करके हम इस शुभ कार्य में अपना योगदान दे सकते हैं।

पाठेतर सक्रियता

• अपने घर या विद्यालय के नज़दीक आपको अकसर किसी पक्षी को देखने का मौका मिलता होगा। उस पक्षी का नाम, भोजन, खाने का तरीका, रहने की जगह और अन्य पक्षियों से संबंध आदि के आधार पर एक चित्रात्मक विवरण तैयार करें।
आपकी और आपके सहपाठियों की मातृभाषा में पक्षियों से संबंधित बहुत से लोकगीत होंगे। उन भाषाओं के लोकगीतों का एक संकलन तैयार करें। आपकी मदद के लिए एक लोकगीत दिया जा रहा है
अरे अरे श्यामा चिरइया झरोखवै मति बोलहु।
मोरी चिरई! अरी मोरी चिरई! सिरकी भितर बनिजरवा।
जगाई लइ आवउ, मनाइ लइ आवउ॥1॥
कबने बरन उनकी सिरकी कवने रँग बरदी।
बहिनी! कवने बरन बनिजरवा जगाइ लै आई मनाइ लै आई॥2॥
जरद बरन उनकी सिरकी उजले रंग बरदी।
सँवर बरन बनिजरवा जगाइ लै आवउ मनाइ लै आवउ ॥3॥
विभिन्न भाषाओं में प्राप्त पक्षियों से संबंधित लोकगीतों का चयन करके एक संगीतात्मक प्रस्तुति दें।
• टीवी के विभिन्न चैनलों जैसे-एनिमल किंगडम, डिस्कवरी चैनल, एनिमल प्लेनेट आदि पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों को देखकर किसी एक कार्यक्रम के बारे में अपनी प्रतिक्रिया लिखित रूप में व्यक्त करें।
• एन०सी०ई०आर०टी० का श्रव्य कार्यक्रम सुनें-‘डॉ० सालिम अली’ ।

नोट-पाठेतर सक्रियता के अंतर्गत दिए गए सुझाव परीक्षोपयोगी नहीं हैं। इसलिए विद्यार्थी इन्हें स्वयं अथवा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi साँवले सपनों की याद Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
“साँवले सपनों की याद’ पाठ का उद्देश्य क्या है ? अथवा ‘साँवले सपनों की याद’ नामक पाठ के माध्यम से क्या संदेश दिया गया है ?
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। इसमें लेखक का उद्देश्य सालिम अली साहब के जीवन की प्रमुख घटनाओं का वर्णन करके उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालना है। सालिम अली अनन्य प्रकृति प्रेमी थे। उन्हें पक्षियों से भी विशेष लगाव था। पक्षियों की खोज और सुरक्षा के लिए उन्होंने अपना जीवन लगा दिया था। सालिम अली के जीवन के उल्लेख के माध्यम से आम व्यक्ति को प्रकृति के प्रति प्रेम तथा पक्षियों के प्रति सहानुभूति रखने की प्रेरणा देना भी लेखक का उद्देश्य है। आज पक्षियों की विभिन्न किस्में समाप्त होती जा रही हैं। आने वाली पीढ़ियों के लोग इन सुंदर-सुंदर पक्षियों के चित्र ही देख पाएंगे। वे शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण में सांस लेने के लिए तरस जाएंगे।

प्रश्न 2.
सालिम अली को पक्षियों की खोज की प्रेरणा कहाँ से और कैसे मिली थी ?
उत्तर-
बचपन में गलती से सालिम अली के हाथों एक गोरैया घायल हो गई थी। उस घायल गोरैया को देखकर उनका मन बेचैन हो उठा था। उसी दिन से वे पक्षियों की खोज में रुचि लेने लगे थे। वे पक्षियों की खोज में जंगल में जाते। वहाँ वे प्रकृति के अन्य रहस्यों को जानने व समझने लगे। इस प्रकार वे पक्षियों और प्रकृति के रहस्यों के विषय में जानने के लिए एक-से-एक ऊँचाइयाँ छूते चले गए। मानो वे प्रकृति के प्रतिरूप ही बन गए।

प्रश्न 3.
वृंदावन में यमुना का साँवला पानी यात्री को किन घटनाक्रमों की याद दिलाता है ?
उत्तर-
वृंदावन में यमुना का साँवला पानी हर यात्री को श्रीकृष्ण की नटखट क्रीड़ाओं की याद दिलाता है। जब वह यमुना का पानी देखता है तो उसे याद आ जाता है कि कभी श्रीकृष्ण ने इसके किनारे शरारतें करके लोगों का मन मोह लिया था। श्रीकृष्ण ने यहाँ अल्हड़ गोपियों के साथ रासलीलाएँ की थीं। ग्वालों के साथ मिलकर माखनचोरी की थी। यमुना के किनारे खड़े कदंब के वृक्षों के नीचे विश्राम किया था और बाँसुरी बजाई थी।

प्रश्न 4.
सालिम अली ने पर्यावरण-संरक्षण के लिए किस रूप में भूमिका अदा की है ? .
उत्तर-
सालिम अली ने जहाँ एक ओर पक्षियों की खोज का लंबा सफर तय किया है, वहीं उन्होंने पक्षियों की सुरक्षा के बारे में भी अध्ययन किया है। उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से केरल की साइलेंट-वैली के पर्यावरण को उजड़ने से रोकने की प्रार्थना की। सालिम अली ने हिमालय और लद्दाख की बर्फीली जमीनों पर रहने वाले पक्षियों के कल्याण के लिए कार्य किया। उन्होंने पक्षियों के लिए शांत वातावरण बनाए रखने के लिए जंगलों की सुरक्षा की भी सिफारिश की है।

प्रश्न 5.
वृंदावन में श्रीकृष्ण की मुरली का जादू सदा क्यों बना रहता है ?
उत्तर-
वृंदावन में श्रीकृष्ण की मुरली का प्रभाव सदा से लोगों के दिलों में बसा हुआ है। कृष्ण-भक्त जब भी वृंदावन आते हैं तो उनकी कल्पना में श्रीकृष्ण की मुरली का प्रभाव साकार हो उठता है। उनके कानों में मुरली की मधुर ध्वनि बजती-सी अनुभव होती है। उन्हें ऐसा महसूस होता है कि कहीं से ‘वो’ आ जाएँगे और वहाँ का वातावरण बाँसुरी के संगीत से गूंज उठेगा।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं ?
(A) प्रेमचंद
(B) जाबिर हुसैन
(C) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(D) चपला देवी
उत्तर-
(B) जाबिर हुसैन

प्रश्न 2.
जाबिर हुसैन का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1945 में
(B) सन् 1955 में
(C) सन् 1965 में
(D) सन् 1975 में
उत्तर-
(A) सन् 1945 में

प्रश्न 3.
श्री जाबिर हुसैन का जन्म किस जिले में हुआ था ?
(A) मुंगेर
(B) आजमगढ़
(C) नालंदा
(D) पूर्णिया
उत्तर-
(C) नालंदा

प्रश्न 4.
जाबिर हुसैन किस जिले से विधानसभा के सदस्य चुने गए थे ?
(A) मुंगेर
(B) पूर्णिया
(C) पटना
(D) नालंदा
उत्तर-
(A) मुंगेर

प्रश्न 5.
श्री जाबिर हुसैन कब बिहार विधान परिषद के सभापति चुने गए थे ?
(A) सन् 1963 में
(B) सन् 1975 में
(C) सन् 1985 में
(D) सन् 1995 में
उत्तर-
(D) सन् 1995 में

प्रश्न 6.
श्री हुसैन की कौन-सी रचनाएँ सबसे चर्चित हुई हैं ?
(A) निबंध .
(B) डायरियाँ
(C) कहानियाँ
(D) संस्मरण
उत्तर-
(B) डायरियाँ

प्रश्न 7.
साँवले सपनों की याद है, एक-
(A) निबंध
(B) संस्मरण
(C) रेखाचित्र
(D) जीवनी
उत्तर-
(B) संस्मरण

प्रश्न 8.
सालिम अली कौन थे ?
(A) प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक
(B) राजनीतिज्ञ
(C) पक्षी-विज्ञानी
(D) पशु चिकित्सक
उत्तर-
(C) पक्षी-विज्ञानी

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

प्रश्न 9.
लेखक ने सालिम अली के इस सफर को तमाम सफरों से भिन्न क्यों बताया है ?
(A) क्योंकि यह तनावहीन था
(B) क्योंकि यह तीव्र गति वाला था
(C) क्योंकि यह एक रंगीन सफर
(D) क्योंकि यह बहुत सरल सफर था वाला था
उत्तर-
(A) क्योंकि यह तनावहीन था

प्रश्न 10.
श्रीकृष्ण ने रासलीला कहाँ रचाई थी ?
(A) अयोध्या में
(B) मथुरा में
(C) कुरुक्षेत्र में
(D) वृंदावन में
उत्तर-
(D) वृंदावन में

प्रश्न 11.
श्रीकृष्ण ने अपनी शरारतों का निशाना किसे बनाया था ?
(A) राधिका को
(B) कुब्जा को
(C) गोपियों को
(D) सुदामा को
उत्तर-
(C) गोपियों को

प्रश्न 12.
श्रीकृष्ण ने किस अंदाज में बाँसुरी बजाई थी ?
(A) दिल की धड़कनों को तेज करने वाले
(B) सुला देने वाले
(C) अपनी ओर आकृष्ट करने वाले
(D) दूसरों को तंग करने वाले
उत्तर-
(A) दिल की धड़कनों को तेज करने वाले

प्रश्न 13.
आज वृंदावन की कौन-सी वस्तु श्रीकृष्ण से संबंधित घटनाओं का स्मरण दिला देती है ?
(A) नदी का साँवला पानी
(B) वृंदावन के वृक्ष
(C) वृंदावन के पक्षी
(D) वृंदावन के लोग
उत्तर-
(A) नदी का साँवला पानी ।

प्रश्न 14.
लेखक ने सालिम अली के शरीर की कमजोरी का क्या कारण बताया है ?
(A) उनकी लंबी-लंबी यात्राएँ
(B) जानलेवा बीमारी
(C) अधिक देर तक काम करना
(D) पक्षियों की देखभाल करना
उत्तर-
(A) उनकी लंबी-लंबी यात्राएँ

प्रश्न 15.
लेखक ने सालिम अली की मौत का कारण किस बीमारी को बताया है ?
(A) हैजा
(B) मलेरिया
(C) तपेदिक
(D) कैंसर
उत्तर-
(D) कैंसर

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

प्रश्न 16.
मौत अंतिम समय तक सालिम अली की क्या चीज छीनने में सफल नहीं हो सकी थी ?
(A) आँखों की रोशनी
(B) कैमरा
(C) जुबान
(D) पक्षियों के प्रति प्रेम
उत्तर-
(A) आँखों की रोशनी

प्रश्न 17.
सालिम अली का जीवन किसके प्रति समर्पित था ? ।
(A) मनुष्यों के प्रति
(B) देवी-देवताओं के प्रति
(C) पक्षियों की हिफाजत के प्रति
(D) धन-दौलत के प्रति
उत्तर-
(C) पक्षियों की हिफाजत के प्रति

प्रश्न 18.
लेखक ने सालिम अली को क्या कहा है ?
(A) चित्रकार
(B) बर्ड वाचर
(C) कलाकार
(D) वैज्ञानिक
उत्तर-
(B) बर्ड वाचर

प्रश्न 19.
लेखक के अनुसार सालिम अली किन लोगों में से थे ?
(A) प्रकृति को अपने प्रभाव से प्रभावित करने वाले
(B) प्रकृति के प्रभाव में अपने-आपको खो देने वाले
(C) प्रकृति के चित्र अंकित करने में लीन रहने वाले
(D) प्रकृति की दुनिया में रमे रहने वाले
उत्तर-
(A) प्रकृति को अपने प्रभाव से प्रभावित करने वाले

प्रश्न 20.
सालिम अली के लिए प्रकृति क्या थी ?
(A) एक नटखट युवती
(B) रहस्यभरी दुनिया
(C) आय का साधन
(D) जी का जंजाल
उत्तर-
(B) रहस्यभरी दुनिया

प्रश्न 21.
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ में लेखक ने किसके व्यक्तित्व का चित्र अंकित किया है ?
(A) प्रेमचंद
(B) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
(C) महात्मा गाँधी
(D) पक्षी विज्ञानी सालिम अली
उत्तर-
(D) पक्षी विज्ञानी सालिम अली

प्रश्न 22.
सालिम अली साहब की जीवन-साथी कौन थी ?
(A) तहमीना
(B) सकीना
(C) हुसना
(D) मीना
उत्तर-
(A) तहमीना

प्रश्न 23.
मिट्टी पर पड़ने वाली पहली बूंद का असर जानने वाले नेता कौन थे ?
(A) महात्मा गाँधी
(B) जवाहरलाल नेहरू
(C) चौधरी चरण सिंह .
(D) लालबहादुर शास्त्री
उत्तर-
(C) चौधरी चरण सिंह

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

प्रश्न 24.
सालिम अली की आत्मकथा का क्या नाम है ?
(A) फॉल ऑफ ए स्पैरो
(B) मेरे जीवन की झाँकी
(C) मेरी यात्राएँ .
(D) मैं और पक्षी जगत
उत्तर-
(A) फॉल ऑफ ए स्पैरो

प्रश्न 25.
डी० एच० लॉरेंस की पत्नी का क्या नाम था ?
(A) टीना लॉरेंस
(B) फ्रीडा लॉरेंस
(C) लिंडा लॉरेंस
(D) लवली लॉरेंस
उत्तर-
(B) फ्रीडा लॉरेंस

प्रश्न 26.
सालिम अली ने बचपन में गौरैया को किससे घायल किया था?
(A) एयरगन से
(B) तलवार से
(C) गुलेल से
(D) पत्थर से
उत्तर-
(A) एयरगन से

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

साँवले सपनों की याद प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

1. इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली। अपने कंधों पर, सैलानियों की तरह अपने अंतहीन सफर का बोझ उठाए। लेकिन यह सफर पिछले तमाम सफरों से भिन्न है। भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है। अब तो वो उस वन-पक्षी की तरह प्रकृति में विलीन हो रहे हैं, जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। [पृष्ठ 43]

शब्दार्थ-हुजूम = समूह। सैलानियों = यात्रियों। अंतहीन = जिसका कोई अंत न हो। सफर = यात्रा। माहौल = वातावरण। पलायन = चले जाना, कूच करना। क्लिीन होना = लुप्त होना, मिल जाना।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इस पाठ के लेखक श्री जाबिर हुसैन हैं। इस पाठ में महान् पक्षी-वैज्ञानिक सालिम अली के जीवन से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है। यहाँ सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुःख और निराशा को व्यक्त किया गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने सालिम अली की मृत्यु के विषय में लिखा है कि उनकी अंतिम यात्रा (मृत्यु) के समय उनके जनाजे के साथ एक बहुत बड़ा समूह चला जा रहा था और समूह में सबसे आगे सालिम अली केशव को ले जाया जा रहा था। ऐसा लगता है यात्रियों की ही भाँति वे स्वयं अपनी शवयात्रा का बोझ उठाए हुए हों। कहने का तात्पर्य है कि श्री सालिम अली ने एक लंबा जीवन जिया था। उनके अनेकानेक अनुभव मानो उनके साथ हैं। किन्तु जिस यात्रा पर वे आज जा रहे हैं, . यह यात्रा उनके द्वारा की गई अन्य यात्राओं से भिन्न है। ऐसी यात्रा जिससे कोई लौटकर नहीं आता। यह यात्रा नहीं, अपितु इस भीड़ भरी जिंदगी और तनावपूर्ण वातावरण से सालिम अली का अंतिम बार भाग खड़े होना है। अब वे वन के उस पक्षी की भाँति प्रकृति में मिल रहे हैं, जो अपने जीवन का अंतिम गीत गाने के पश्चात् मृत्यु की गोद में जा बसा हो। कहने का तात्पर्य है कि सालिम अली का शरीर भी मृत्यु के पश्चात् प्रकृति में विलीन हो गया था। जहाँ से फिर वह कभी लौटकर नहीं आ सकेगा।

विशेष-

  1. लेखक ने सालिम अली की मृत्यु पर गहरा शोक प्रकट किया है।
  2. लेखक की सालिम अली के प्रति श्रद्धा-भावना का बोध होता है।
  3. भाषा अत्यंत सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
  4. ‘अंतिम गीत गाकर प्रकृति की गोद में बस जाना’ अत्यंत सुंदर प्रयोग है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) श्री सालिम अली का यह सफर अन्य सफरों से भिन्न कैसे है ?
(2) सालिम अली की वन-पक्षी से तुलना क्यों की गई है ?
(3) सालिम अली अपने कंधों पर किसका बोझ उठाए हुए हैं ?
(4) प्रस्तुत गद्यांश के आधार पर सालिम अली के जीवन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
(1) श्री सालिम अली के जिस सफर की बात की जा रही है यह उनका अंतिम सफर था। वे अपनी पहली यात्राओं के बाद अपने घर लौट आते थे। किन्तु इस यात्रा के बाद अर्थात् मौत के बाद इस संसार से पलायन कर गए थे और फिर कभी नहीं लौटे थे।

(2) श्री सालिम अली की तुलना वन के पक्षी से इसलिए की गई है क्योंकि वे भी अपना जीवन गीत गाने वाले वन-पक्षी की भाँति प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत करके मौत की गोद में समा रहे हैं। वन-पक्षी भी अपना गीत गाने के पश्चात् प्रकृति की गोद में समा जाते हैं। लेखक द्वारा उनकी तुलना वन-पक्षी से करना उचित प्रतीत होती है।

(3) सालिम अली अपने कंधों पर सैलानियों की भाँति अपने अंतहीन सफर का बोझ उठाए हुए हैं।

(4) प्रस्तुत गद्यांश से पता चलता है कि सालिम अली महान् घुमक्कड़ थे। उनके कंधों पर सैलानियों की भाँति सफर का सामान लदा रहता था। उनकी आँखों पर दूरबीन चढ़ी रहती थी। जैसे वन का पक्षी अपना गीत गाकर प्रकृति की गोद में समा जाता है वे भी अपने जीवन को प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत करके और अपने लक्ष्य को प्राप्त करके मौत की गोद में जाकर सो गए थे।

2. लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखना चाहते हैं। यह उनकी भूल है, ठीक उसी तरह, जैसे जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वो प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नजर से देखने को उत्सुक रहते हैं। भला कोई आदमी अपने कानों से पक्षियों की आवाज़ का मधुर संगीत सुनकर अपने भीतर रोमांच का सोता फूटता महसूस कर सकता है? [पृष्ठ 43]

शब्दार्थ-आदमी की नज़र = स्वार्थ की भावना, उपयोगितावादी दृष्टिकोण। आवशार = झरनों। उत्सुक = इच्छुक। अपने भीतर = अपने हृदय में। रोमांच = प्रसन्नता। सोता = झरना।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्य-पंक्तियाँ हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक नामक पाठ से ली गई हैं। इस पाठ में लेखक जाबिर हुसैन ने महान् पक्षी-विज्ञानी श्री सालिम अली के जीवन की प्रमुख घटनाओं का वर्णन किया है। यह पाठ लेखक ने सालिम अली की मृत्यु के पश्चात् दुःखद संस्मरण के रूप में लिखा है। इन पंक्तियों में लेखक ने पक्षियों व प्रकृति के प्रति अपनाए जा रहे आज के मानव के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला है।

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व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने बताया है कि सालिम अली का मत है कि लोग पक्षियों को मनुष्य के दृष्टिकोण से देखना चाहते हैं अर्थात् पक्षियों को अपने लाभ की दृष्टि से देखते हैं उनके सहज-स्वाभाविक रूप में नहीं देखते। उसी प्रकार; जैसे जंगलों, पहाड़ों, झरनों, पानी के प्रवाह को वे प्रकृति की दृष्टि नहीं, अपितु मानव की दृष्टि से देखने के लिए इच्छुक रहते हैं। कहने का भाव है कि मनुष्य जिस प्रकार प्रकृति को उपयोगिता की दृष्टि से देखता है कि प्रकृति के विभिन्न अवयव उसके लिए किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं; ठीक इसी प्रकार वह पक्षियों को भी अपने उपयोग की दृष्टि से देखता है। लेखक की दृष्टि में मानव का यह दृष्टिकोण उचित नहीं है। लेखक ने पुनः कहा है कि भला कोई आदमी अपने कानों से पक्षियों की मधुर आवाज रूपी संगीत सुनकर अपने हृदय में प्रसन्नता का फुहारा फूटता हुआ अनुभव कर सकता है ? लेखक के कहने का तात्पर्य है कि सालिम अली ही ऐसे व्यक्ति थे जो पक्षियों की मधुर ध्वनि रूपी संगीत को सुनकर प्रसन्नता अनुभव करते थे।

विशेष-

  1. लेखक ने आज के मानव के उपयोगितावादी दृष्टिकोण पर व्यंग्य किया है।
  2. प्रकृति के विभिन्न अवयवों को हमें उनके सहज, स्वाभाविक रूप में देखना चाहिए, तभी वे हमें अधिक सुंदर लगेंगे।
  3. भाषा सरल, सहज एवं विषयानुकूल है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) सालिम अली पक्षियों को किस नज़र से देखने के पक्ष में थे ?
(2) ‘लोग पक्षियों को आदमी की नजर से देखना चाहते हैं’-इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(3) लोग प्रकृति के विभिन्न उपादानों को किस दृष्टि से देखना चाहते हैं और क्यों ?
(4) मनुष्य पक्षियों की आवाज सुनकर अपने भीतर रोमांच क्यों नहीं अनुभव करता है ?
उत्तर-
(1) सालिम अली एक महान् पक्षी वैज्ञानिक थे। वे पक्षियों को प्रकृति के स्वाभाविक अंग के रूप में देखना चाहते थे। वे उन्हें अपने या समाज के आनंद के लिए नहीं, अपितु उनके आनंद की दृष्टि से देखना चाहते थे। कहने का भाव है कि वे पक्षियों को मानव की दृष्टि से नहीं अपितु पक्षियों की दृष्टि से देखना चाहते थे।
(2) लोग पक्षियों को आदमी की दृष्टि से देखना चाहते हैं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने बताया है कि लोग पक्षियों को अपने आनंद व खुशी की दृष्टि से देखना चाहते हैं। वे पक्षियों को देखकर अपना मनोरंजन करना चाहते हैं। वे कभी भी पक्षियों की प्रसन्नता या खुशी की ओर ध्यान नहीं देते। यह लोगों का स्वार्थपरक एवं संकीर्ण दृष्टिकोण है।
(3) लोग प्रकृति के विभिन्न उपादानों-नदियों, पहाड़ों, झरनों, जंगलों, पक्षियों आदि को अपनी नजर से अर्थात् अपने लाभ-हानि की दृष्टि से देखते हैं। वे इनके होने में अपना लाभ या हानि अथवा सुख-दुःख देखते हैं।
(4) मनुष्य पक्षियों की भाषा समझ नहीं सकता। वे जिस मधुर ध्वनि में अपनी प्रतिक्रियाएँ या अनुभूति व्यक्त करते हैं, मनुष्य उसे समझने में अक्षम है। इसके अतिरिक्त मनुष्य का दृष्टिकोण स्वार्थमय है। वे पक्षियों की ध्वनियों को व्यर्थ समझकर उसकी ओर ध्यान नहीं देता। इसलिए मनुष्य पक्षियों की मधुर ध्वनि सुनकर अपने भीतर रोमांच अनुभव नहीं करता।

3. हर शाम सूरज ढलने से पहले, जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा तो लगता है जैसे बस कुछ ही क्षणों में वो कहीं से आ टपकेगा और संगीत का जादू वाटिका के भरे-पूरे माहौल पर छा जाएगा। वृंदावन कभी कृष्णा की बाँसुरी के जादू से खाली हुआ है क्या! [पृष्ठ 44]

शब्दार्थ-वाटिका = बगीचा। सैलानी = घूमने आए व्यक्ति पर्यटक। हिदायत = निर्देश। आ टपकना = अचानक आना। माहौल = वातावरण| बाँसुरी का जादू = बाँसुरी का प्रभाव।

प्रसंग-यह गद्यावतरण हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘साँवले सपनों की याद’ से अवतरित है। इसके रचयिता श्री जाबिर हुसैन हैं। इस पाठ में उन्होंने सालिम अली के जीवन की घटनाओं का संस्मरणात्मक शैली में अत्यंत सुंदर वर्णन किया है। इन पंक्तियों में श्रीकृष्ण की बाँसुरी के अद्भुत प्रभाव के माध्यम से सालिम अली के जीवन अथवा उनके अस्तित्व को अनुभव करने का सफल प्रयास किया गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने वृंदावन की पावन भूमि में आज भी श्रीकृष्ण की लीलाओं व उनकी बाँसुरी की मधुर तान की अनुभूति का वर्णन किया है। हर शाम को सूरज छिपने से पहले वाटिका का माली वहाँ घूमने आए हुए व्यक्ति को निर्देश देगा तो ऐसा लगता है कि कुछ ही क्षणों में वह (श्रीकृष्ण) कहीं से अचानक आ जाएगा तथा उसकी बाँसुरी के मधुर संगीत का प्रभाव आस-पास के संपूर्ण वातावरण में छा जाएगा। लेखक प्रश्न करता है कि भला वृंदावन भी कभी श्रीकृष्ण की बाँसुरी के प्रभाव से खाली हुआ है अर्थात् वृंदावन में सदैव श्रीकृष्ण की बाँसुरी का प्रभाव बना रहता है। ठीक उसी प्रकार यह जानते हुए भी कि श्री सालिम अली इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन फिर भी उनके अचानक कहीं से आ जाने में भ्रम-सा बना हुआ है। इसके साथ ही उनके सद्कार्यों का प्रभाव आज भी आस-पास के वातावरण में निरंतर बना हुआ है।

विशेष-

  1. लेखक ने श्री सालिम अली के जीवन एवं उनके महान कार्यों के प्रभाव को उद्घाटित किया है।
  2. भाषा-शैली सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।
  3. उर्दू शब्दावली का भावानुकूल प्रयोग द्रष्टव्य है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) वृंदावन में संध्या के समय क्या अनुभूति होती है और क्यों ?
(2) वृंदावन कृष्ण की बाँसुरी के जादू से रिक्त क्यों नहीं होता ?
(3) इस गद्यांश में लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
(4) वृंदावन कहाँ स्थित है और क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
(1) वृंदावन में संध्या के समय ऐसी अनुभूति है कि यहाँ इसी समय कहीं से श्रीकृष्ण आ जाएंगे तथा अपनी मुरली की मधुर तान से सभी को सम्मोहित कर लेंगे। ऐसी अनुभूति इसलिए होती है, क्योंकि सभी भारतीय जानते हैं कि श्रीकृष्ण संध्या के समय गाएँ चराकर लौटते थे और फिर अपनी बाँसुरी की तान से सबको सम्मोहित कर देते थे।

(2) वृंदावन वह तीर्थस्थल है जहाँ वर्ष भर कृष्णभक्त आते रहते हैं। वे यहाँ आकर श्रीकृष्ण की भक्ति भावना में लीन हो जाते हैं। अतः सुबह-शाम उन्हें अपने मन में श्रीकृष्ण की बाँसुरी के स्वर की अनुभूति होती है। यह क्रम सदियों से चला आ रहा है और चलता रहेगा। इसलिए वृंदावन कभी भी श्रीकृष्ण की बाँसुरी के स्वर के जादू से खाली नहीं होगा।

(3) इस गद्यांश में लेखक ने संदेश दिया है जिस प्रकार श्रीकृष्ण की बाँसुरी का जादू वृंदावन से कभी समाप्त नहीं हो सकता। उसका प्रभाव लोगों के मनों पर सदियों से छाया हुआ है। उसी प्रकार जो लोग सालिम अली साहब को निकटता से जानते थे, उनके मनों से भी उनकी याद कभी नहीं जा सकती। उनकी यादों का जादू उन्हें सदा घेरे रहेगा।

(4) वृंदावन उत्तर-प्रदेश में स्थित है। यह वह स्थान है जहाँ श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं को रचा था। उनका बचपन इसी क्षेत्र में बीता है। श्रीकृष्ण के जीवन के साथ जुड़ा होने के कारण ही वृंदावन प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।

4. लेकिन अंतिम समय तक मौत उनकी आँखों से वह रोशनी छीनने में सफल नहीं हुई जो पक्षियों की तलाश और उनकी हिफाजत के प्रति समर्पित थी। सालिम अली की आँखों पर चढ़ी दूरबीन उनकी मौत के बाद ही तो उतरी थी। [पृष्ठ 44]

शब्दार्थ-तलाश = खोज। हिफाजत = देख-रेख। समर्पित = पूर्ण रूप से अपने-आपको किसी काम में लगा देना।

प्रसंग-ये गद्य-पंक्तियाँ हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित एवं श्री जाबिर हुसैन द्वारा रचित संस्मरण ‘साँवले सपनों की याद’ से उद्धत हैं। इस पाठ में उन्होंने श्री सालिम अली की मृत्यु के पश्चात् उनके जीवन की प्रमुख घटनाओं
और विशेषताओं को संस्मरण के रूप में व्यक्त किया है। इन पंक्तियों में लेखक ने सालिम अली की पक्षियों की खोज और उनकी देखभाल करने की भावना को उजागर किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक का कथन है कि श्री सालिम अली ने लंबी आयु पाई थी। इस लंबी आयु में उन्होंने लंबी-लंबी यात्राएँ की, जिनके फलस्वरूप उनका शरीर कमजोर पड़ गया था। उन्होंने आजीवन तरह-तरह के पक्षियों को देखने और उनके जीवन के विषय में जानने का प्रयास किया। अंतिम समय तक मृत्यु भी उनकी आँखों की वह रोशनी छीनने में सफल नहीं हुई जो पक्षियों की खोज और उनकी देखभाल के लिए पूर्णतः समर्पित थी। कहने का तात्पर्य है कि श्री सालिम अली अपनी अंतिम सांस तक पक्षियों की खोज और देखभाल के कर्त्तव्य को भली-भाँति निभाते रहे। उनकी आँखों पर चढ़ी हुई दूरबीन उनकी मौत के बाद ही उतारी गई थी। कहने का भाव है कि सालिम अली ने जीवन भर पक्षियों के प्रति अपने कर्तव्य का पालन किया है।

विशेष-

  1. सालिम अली की कर्त्तव्यनिष्ठता पर प्रकाश डाला गया है।
  2. किसी भी कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना ही सफलता का रहस्य है।
  3. भाषा-शैली सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) अंतिम समय तक मौत सालिम अली की क्या चीज छीनने में असफल रही ?
(2) श्री सालिम अली का जीवन किसके प्रति समर्पित रहा ?
(3) सालिम अली की दूरबीन उनकी आँखों से कब उतरी थी ?
(4) प्रस्तुत पंक्तियों में सालिम के जीवन की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर-
(1) अंतिम समय तक मौत सालिम अली की आँखों से उनकी रोशनी छीनने में असफल रही अर्थात् सालिम अली की दृष्टि अंतिम समय तक कमजोर नहीं हुई।
(2) श्री सालिम अली महान् पक्षी वैज्ञानिक थे। उनका सारा जीवन पक्षियों की खोज और उनकी देखभाल के शुभ कार्य के प्रति समर्पित रहा।
(3) सालिम अली की दूरबीन उनकी आँखों से उनकी मौत के बाद ही उतरी थी। कहने का भाव है कि वे पक्षियों की तलाश में अंतिम दम तक भी अपनी दूरबीन का प्रयोग करते रहे।
(4) प्रस्तुत पंक्तियों से पता चलता है कि श्री सालिम अली की दृष्टि अंतिम समय तक सही रही। वे पक्षियों के महान संरक्षक थे। वे सदा उनकी खोज में रहते और उनकी देखभाल करते। वे सदा अपने साथ दूरबीन रखते थे जिसकी सहायता से दूर बैठे हुए पक्षियों को देख सकें।

5. सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके भ्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित हैं, उन्हें महसूस होता है कि वो आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले हैं, और बस अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे। [पृष्ठ 46]

शब्दार्थ-टापू = समुद्र के बीच धरती का टुकड़ा। अथाह = जिसकी गहराई का कोई अनुमान न हो। भ्रमणशील = घूमने वाला। यायावरी = घुमक्कड़पन। परिचित = जानकार। सुराग = खोज। नतीजा = परिणाम।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘साँवले सपनों की याद’ नामक संस्मरण से उद्धृत है। इसके रचयिता श्री जाबिर हुसैन हैं। इस पाठ में लेखक ने सुप्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी श्री सालिम अली के जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला है। इन पंक्तियों में प्रकृति के प्रति सालिम अली के महान् प्रेम को उजागर किया गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण लेखक ने बताया है कि श्री सालिम अली प्रकृति की दुनिया में टापू के समान छोटे व्यक्तित्व के रूप में नहीं, अपितु अथाह सागर के रूप में उभरे थे। कहने का भाव है कि प्रकृति के क्षेत्र में उनका ज्ञान अत्यंत विशाल था। जो लोग श्री सालिम अली साहब की घुमक्कड़ी प्रवृत्ति या भ्रमणशील स्वभाव को जानते हैं, वे उनके मरने के पश्चात् भी यह अनुभव करते हैं या उन्हें ऐसा लगता है कि वे आज भी नए-नए पक्षियों की खोज में निकले हुए हैं और बस अभी गले में लंबी-सी दूरबीन लटकाए हुए पक्षियों से संबंधित नए-नए खोजपूर्ण परिणाम के साथ लौट आएँगे। किन्तु अब ऐसा कभी नहीं होगा क्योंकि वे अब इस दुनिया में ही नहीं रहे।

विशेष-

  1. लेखक ने सालिम अली के प्राकृतिक ज्ञान का सुंदर उल्लेख किया है।
  2. लेखक ने गहन अनुभूति को भावात्मक स्तर पर उद्घाटित किया है।
  3. लेखक का सालिम अली के प्रति गहन लगन का बोध होता है।
  4. भाषा में मर्म को छूने की अपूर्व क्षमता है।

उपर्युक्त गद्यांशं पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) श्री सालिम अली की तुलना सागर से क्यों की गई है ?
(2) ‘टापू’ से क्या तात्पर्य है ?
(3) लोगों को सालिम अली के विषय में क्या महसूस होता है ?
(4) सालिम अली आजीवन किस महान कार्य में लगे रहे ?
उत्तर-
(1) सालिम अली का ज्ञान किसी विशेष पक्षी के विषय तक सीमित नहीं था। उनका ज्ञान अनेकानेक पक्षियों के संबंध में सागर की भांति अथाह और विस्तृत था। इसलिए उन्हें सागर होने की संज्ञा दी गई है।
(2) ‘टापू’ का अर्थ है-सीमा बाँधना। सालिम. के संबंध में इसका अर्थ है कि उनका ज्ञान सीमित नहीं था।
(3) लोगों को सालिम अली साहब की मृत्यु के पश्चात् भी ऐसा अनुभव होता है कि वे पक्षियों की तलाश में गए हैं और वे अपनी खोज के नए नतीजों के साथ लौट आएंगे।
(4) सालिम अली साहब आजीवन पक्षियों के विषय में नई-नई खोज करने और उनकी सुरक्षा के उपाय जैसे महान कार्य में लगे रहे।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

साँवले सपनों की याद Summary in Hindi

साँवले सपनों की याद लेखक-परिचय

प्रश्न-
श्री जाबिर हुसैन का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री जाबिर हसैन का साहित्यिक परिचय लिखिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-श्री जाबिर हुसैन हिंदी के प्रमुख गद्यकारों में गिने जाते हैं। हिंदी के अतिरिक्त उर्दू और अंग्रेजी भाषाओं पर भी उनका पूर्ण अधिकार है। उनका जन्म बिहार राज्य के जिला नालंदा के नौनहीं राजगीर नामक गाँव में सन् 1945 में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में हुई। जाबिर हुसैन मेधावी छात्र थे। उन्होंने एम०ए० अंग्रेजी विषय में की। तत्पश्चात् ये अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य के प्राध्यापक रहे। इनकी रुचि अध्यापन कार्य के साथ-साथ साहित्य एवं राजनीति में भी रही। यही कारण है कि एक ओर ये लेखनी के धनी बने रहे और दूसरी ओर राजनीति में भी ख्याति प्राप्त की। सन 1977 में मुंगेर से बिहार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा मंत्री बने। सन् 1995 में बिहार विधान परिषद् के सभापति बने।

2. प्रमुख रचनाएँ-श्री जाबिर हुसैन राजनीति के कार्य करते हुए निरंतर साहित्य रचना करते रहते हैं। उन्होंने हिंदी में अनेक महत्त्वपूर्ण रचनाएँ लिखकर हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में अपना योगदान दिया है। जाबिर हुसैन की प्रमुख रचनाएँ निम्नाकित हैं_ ‘जो आगे हैं’, ‘डोला बीबी का मजार’, ‘अतीत का चेहरा’, ‘लोगां’, ‘एक नदी रेत भरी’।

3. साहित्यिक विशेषताएँ-जाबिर हुसैन जी ने अपने युग के समाज का गहन अध्ययन किया है। उन्हें समाज के जीवन में जो विषमताएँ दिखाई दीं, उनका ही वर्णन नहीं किया, अपितु जो कुछ अच्छा लगा उसका भावात्मकता के स्तर पर चित्रण किया है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से अपने राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन के अनुभवों को सजीव रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी रचनाओं में समाज के आम आदमी के जीवन के संघर्षों का उल्लेख भी हुआ है। संघर्षरत आम आदमी और विशिष्ट व्यक्तियों पर लिखी गई उनकी डायरियाँ बहुत चर्चित एवं प्रशंसित हुई हैं। आम आदमी के संघर्षों के प्रति उनकी सहानुभूतिपूर्ण भावनाएँ द्रष्टव्य हैं।
हुसैन जी की रचनाओं से पता चलता है कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने विविध साहित्यिक विधाओं पर सफलतापूर्वक लेखनी चलाई है, किन्तु उन्होंने डायरी विधा में अनेक नवीन प्रयोग किए हैं जो वे प्रस्तुति, शैली और शिल्प की दृष्टि से नवीन हैं।

4. भाषा-शैली-श्री जाबिर हुसैन का तीन भाषाओं (हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी) पर समान अधिकार है। उनकी हिंदी भाषा में तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू भाषा के शब्दों का प्रयोग हुआ है। इसी प्रकार अंग्रेजी भाषा के शब्दों का प्रयोग भी प्रसंगानुकूल हुआ है। उन्होंने अपने संस्मरणों में अत्यंत सरल, सहज एवं व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया है। व्यक्ति-चित्र को सजीव रूप में प्रस्तुत करना इनकी भाषा की प्रमुख विशेषता है। भाषा का प्रवाह और अभिव्यक्ति की शैली हृदयस्पर्शी है। प्रवाहमयी भाषा का उदाहरण देखिए :

“मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए हुए पक्षी को जगाना चाहेगा। वर्षों पूर्व, खुद सालिम अली ने कहा था कि लोग पक्षियों को आदमी की नज़र से देखना चाहते हैं। यह उनकी भूल है, ठीक उसी तरह, जैसे जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वो प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नज़र से देखने को उत्सुक रहते हैं।”

साँवले सपनों की याद पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ जून 1987 में प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली की मृत्यु के तुरंत पश्चात् डायरी शैली में लिखा गया एक संस्मरण है। लेखक को सालिम अली की मृत्यु के समाचार से बहुत दुःख हुआ था। अपनी उसी मनोस्थिति में ही उन्होंने यह संस्मरण लिखा था, जिसमें सालिम अली के महान् व्यक्तित्व के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला गया है।

लेखक का कथन है कि सालिम अली एक महान पक्षी-विज्ञानी थे। मौत एक निश्चित एवं कटु सत्य है। यह सुंदर दिखाई देने वाला संसार साँवले सपने का एक समूह लिए हुए सदैव मृत्यु की मौन वादी की ओर बढ़ता रहता है। उसको कोई रोक-टोक सके, यह असंभव है अर्थात् सांसारिक जीवन नश्वर है। यह एक कटु सत्य है। सालिम अली इस समूह में सबसे आगे थे। वे सैलानियों की भाँति अपने लंबे जीवन सफ़र के अनेकानेक अनुभवों का बोझ उठाए हुए थे। उनकी यह अंतिम यात्रा अन्य यात्राओं से अनोखी थी, क्योंकि वे इस यात्रा से कभी वापस नहीं लौटे। वे वन-पक्षी की भाँति अपना अंतिम गीत गाकर मानो प्रकृति की गोद में जा बसे हों। उन्हें कोई अपने दिल की धड़कन देकर भी वापस नहीं बुला सकता था।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 4 साँवले सपनों की याद

लेखक का कथन है कि सोए हुए पक्षी अर्थात् मृतक व्यक्ति को कोई पुनः जीवित नहीं करना चाहता। स्वयं सालिम अली ने वर्षों पूर्व लेखक को बताया था कि सभी लोग पक्षियों को आदमी की दृष्टि से देखते हैं, यह उनकी भूल है। हमें पक्षियों को उनकी दृष्टि से ही देखना चाहिए। इतना ही नहीं, आदमी तो सदा प्रकृति को भी अपनी ही दृष्टि (उपयोगितावादी) से देखना चाहता है। किन्तु सालिम अली ऐसा नहीं सोचते थे। वे अपने कानों से पक्षियों की मधुर ध्वनि रूपी संगीत सुनकर हृदय में एक रोमांच अनुभव करते थे। वस्तुतः ऐसे ही व्यक्ति का नाम सालिम अली है।

लेखक श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी लीलाओं को स्मरण करता है कि न जाने कब श्रीकृष्ण ने वृंदावन में अपनी शरारतों से वहाँ के लोगों का मन मोह लिया था। माखन चुराकर तथा अपनी बाँसुरी की मधुर ध्वनि से सबके मन को बाँध लिया था। कब वे पेड़ों की गहन छाँह में विश्राम करते थे। कब संपूर्ण वृंदावन उनकी बाँसुरी की ध्वनि से संगीतमय हो गया था। आज भी वृंदावन में यमुना का साँवला पानी उन सब घटनाओं की याद दिला देता है। ऐसा लगता है कि कोई मधुर ध्वनि कानों में सुनाई देगी और कदम एकाएक रुक जाएँगे। वाटिका का माली जब सूरज ढलने पर सैलानियों को निर्देश देता है तो लगता है कि कहीं से ‘वो’ आ जाएगा और वाटिका का संपूर्ण वातावरण बाँसुरी के संगीत से गूंज उठेगा।

लेखक पुनः बताता है कि सालिम अली एक दबले-पतले व्यक्ति थे। उनकी आय सौ वर्ष होने में थोड़ी-सी कम रह गई थी। संभव है कि लंबी-लंबी यात्राओं ने ही उनके शरीर को दुर्बल बना दिया हो तथा कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी उनकी मृत्यु का कारण बनी हो। किन्तु मृत्यु भी अंतिम समय तक उनकी आँखों की रोशनी नहीं छीन सकी, जो सदा पक्षियों की सेवा में समर्पित रहती थी। उनके समान पक्षियों को देखने वाला संसार-भर में दूसरा कोई नहीं हुआ। एकांत के क्षणों में वे बिना दूरबीन के ही पक्षियों को निहारा करते थे। क्षितिज को भी छूने वाली उनकी तीव्र दृष्टि में प्रकृति को भी अपने घेरे में बाँध लेने का जादू था। वे प्रकृति से प्रभावित होने की अपेक्षा प्रकृति को ही प्रभावित करने वाले प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। उनके लिए प्रकृति एक रहस्यमयी, दूर तक फैली हुई दुनिया थी। उन्होंने बड़े प्रयास से यह दुनिया अपने लिए बनाई थी। इस दुनिया के निर्माण में उनकी पत्नी तहमीना का बहुत बड़ा सहयोग था।

सालिम अली ने अपने अनुभवों के आधार पर तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सामने केरल की ‘साइलेंट वैली’ के पर्यावरण को बचाने का सुझाव रखा था। उसे सुनकर प्रधानमंत्री की आँखें भी नम हो गई थीं। सालिम अली की मृत्यु के पश्चात् ऐसा कोई नहीं है जो सोंधी माटी पर फसलों की रक्षा कर एक नए भारत का निर्माण करे और हिमालय व लद्दाख जैसी बर्फीली जमीन में रहने वाले पक्षियों की सुरक्षा की वकालत करे।

सालिम ने अपनी आत्मकथा का नाम भी ‘फॉल ऑफ ए स्पैरो’ रखा है। उन्होंने डी० एच० लॉरेंस के जीवन का उदाहरण देते हुए बताया है कि आदमी को आदमी की अपेक्षा प्राकृतिक उपादान पक्षी, पशु आदि भली-भाँति पहचान लेते हैं। लारेंस की पत्नी ने कहा कि मेरे पति को मुझसे कहीं अधिक हमारी छत पर बैठने वाली गोरैया जानती है। सालिम ने पक्षियों के प्रति प्रेम रखने और पक्षी-वैज्ञानिक बनने के रहस्य को खोलते हुए बताया है कि बचपन में उनकी एयरगन से नीलकंठ की गोरैया की मृत्यु ही इसका कारण है। वह गोरैया ही उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की ओर ले जाती रही है। वे जीवन की ऊँचाइयों को सदा ही छूने का प्रयत्न करते रहे। उन्होंने सदा ही साधारण और निष्पक्ष भाव से जीवन जिया है। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में सागर के समान विशाल और अथाह व्यक्तित्व वाले इंसान थे। जो उन्हें भली-भाँति जानता और समझता है, वह उनके मरने पर भी यही अनुभव करेगा कि वे अपनी दूरबीन को लटकाए और पक्षियों की नई खोज के साथ बस आते ही होंगे। किन्तु मरा हुआ व्यक्ति कभी नहीं लौटता।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-43) : परिंदों = पक्षियों। खूबसूरत = सुंदर। हुजूम = भीड़, जनसमूह। खामोश = मौन, एकांत। वादी = घाटी। अग्रसर = बढ़ना। सैलानी = यात्री। अंतहीन = जिसका कोई अंत न हो। सफर = यात्रा। तमाम = सभी। माहौल = वातावरण। पलायन करना = चले जाना, कूच करना। जिस्म = शरीर। हरारत = उष्णता, गर्मी। आबशार = झरना। उत्सुक = इच्छुक। रोमांच = प्रसन्नता। सोता = झरना, प्रवाह। महसूस = अनुभव। एहसास = अनुभव। मिथक = पुराकथाओं का तत्त्व, जो नवीन स्थितियों में नए अर्थ वहन करता है। भाँडे = बर्तन। शोख = चंचल।

(पृष्ठ-44) : वाटिका = बाग। विश्राम = आराम। अंदाज = ढंग। संगीतमय = संगीत से परिपूर्ण। उत्साह = साहस। कदम थमना = रुक जाना। हिदायत = निर्देश। तलाश = खोज। उम्र = आयु। शती = सौ वर्ष । हिफाजत = देख-रेख । समर्पित = अर्पित । बर्ड वाचर = पक्षी-वैज्ञानिक । क्षितिज = जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते हुए दिखाई देते हैं। कायल = प्रभावित। रहस्यभरी = भेदयुक्त, गोपनीय। पसरी = फैली।

(पृष्ठ-45) : साइलेंट वैली = एकांत घाटी। असर = प्रभाव। खतरा = डर । संकल्प = निश्चय। सोंधी = सुगंधित, मिट्टी पर वर्षा का पहल पानी पड़ने से उठने वाली गंध । वकालत करना = पक्ष लेना। असंभव = जो संभव न हो।

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(पृष्ठ-46) : सादा-दिल = साधारण हृदय वाला। मुमकिन = संभव। शब्दों का जामा पहनाना = शब्द रूपी वस्त्र पहनाना। जटिल = उलझे हुए विचारों वाले। विश्वास = भरोसा। नैसर्गिक = साधारण। अथाह = अंतहीन गहराई। भ्रमणशील = घूमने वाले। यायावरी = घूमते रहने की प्रवृत्ति। सुराग = खोज। नतीजा = परिणाम।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

HBSE 9th Class Hindi मेरे बचपन के दिन Textbook Questions and Answers

मेरे बचपन के दिन पाठ का सार HBSE 9th Class प्रश्न 1.
‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर-
(क) उस समय भारतीय समाज में लड़कियों की दशा अच्छी नहीं थी। उन्हें प्रायः बोझ समझा जाता था और जन्म के समय ही मार दिया जाता था। लड़की के जन्म पर सारे घर में मातम छा जाता था। महादेवी ने अन्यत्र लिखा है कि लड़के के जन्म की प्रतीक्षा में बैंड वाले व नौकर-चाकर खुश बैठे रहते थे। लड़की के जन्म का समाचार मिलते ही सब चुपचाप विदा हो जाते थे। ऐसे वातावरण में लड़कियों के प्रति अन्याय होना स्वाभाविक ही था।
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज स्थिति बदल चुकी है। शिक्षा के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ लड़के-लड़कियों के बीच भेदभाव का दृष्टिकोण बदल रहा है। उनमें कोई भेदभाव नहीं समझा जाता। आज लड़कियाँ लड़कों से भी अधिक संख्या में पढ़ने-लिखने में आगे आ रही हैं, किंतु फिर भी लड़कियों के प्रश्न को लेकर कहीं-न-कहीं मन में एक कसक बाकी बची हुई है। उसका प्रमाण हम कन्या भ्रूण हत्या के रूप में देख सकते हैं। कन्या को जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है। इससे लड़के-लड़कियों के अनुपात में अंतर हो गया है और समाज में अनेक समस्याएँ उत्पन्न होने का भय बना हुआ है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

पाठ 7 मेरे बचपन के दिन HBSE 9th Class प्रश्न 2.
लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
उत्तर-
लेखिका की उर्दू-फ़ारसी सीखने में जरा भी रुचि नहीं थी। लेखिका ने इस तथ्य को स्वयं स्वीकार किया है-“ये (बाबा) अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फारसी सीख पाऊँ।” लेकिन यह मेरे वश की बात नहीं थी। इसलिए जब उन्हें मौलवी साहब उर्दू-फारसी पढ़ाने घर पर आए तो वे चारपाई के नीचे जाकर छुप गईं।

मेरे बचपन के दिन प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 3.
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर-
लेखिका की माँ हिंदी व संस्कृत का अच्छा ज्ञान रखती थी। उन्होंने ही उसे ‘पंचतंत्र’ पढ़ाया था। लेखिका की माँ आस्थावादी थी। वह पूजा-पाठ में विश्वास रखती थी। वह हर रोज भगवान की वंदना करती थी। वह गीता का अध्ययन भी करती थी। इतना ही नहीं, लेखिका की माँ हिंदी में कविता भी लिखती थी और सूरदास व मीराबाई के पद भी गाती थी।

प्रश्न 4.
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर-लेखिका के परिवार के संबंध नवाब साहब के परिवार के साथ अपनों से भी बढ़कर थे। जवारा की बेगम ने ही उनके छोटे भाई का नाम ‘मनमोहन’ रखा था। वे हर उत्सव के समय उनके साथ घुल-मिल जाती थी। ऐसे आत्मीय संबंधों की तो आज के युग में कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज तो हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे पर संदेह करते हैं और उनमें सांप्रदायिक भेदभाव बना हुआ है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होती/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर-
ज़ेबुन्निसा के स्थान पर यदि हम महादेवी वर्मा के लिए काम करते तो हम उनसे यह अपेक्षा करते कि वह हमें कविता लिखना सिखाए और हमारी पढ़ाई-लिखाई में भी सहायता करे।

प्रश्न 6.
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर-
महादेवी वर्मा को काव्य-प्रतियोगिता में विजयी होने पर चाँदी का कटोरा पुरस्कार स्वरूप मिला था। यदि हमें भी काव्य-प्रतियोगिता में विजयी रहने पर पुरस्कार के रूप में चाँदी का कटोरा मिले और उसे हमें देश हित या आपदा निवारण में देना पड़े तो हम अपने आपको धन्य समझेंगे क्योंकि यह एक महान कार्य होता है जिसमें हमें अपना योगदान करने का अवसर मिलेगा। ऐसा करने पर हमें सुख एवं संतोष अनुभव होगा और अपने ऊपर गर्व भी होगा।

प्रश्न 7.
लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है, उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर-
लेखिका ने छात्रावास के बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है। वहाँ विभिन्न भाषाएँ बोलने वाली छात्राएँ रहती थीं। वहाँ हिंदी, संस्कृत मराठी आदि भाषाएँ बोलने वाली छात्राएँ विभिन्न क्षेत्रों से आकर एक साथ अध्ययन करती थीं। इसलिए वहाँ एक-दूसरी छात्रा के साथ रहती हुई छात्राओं को अपनी मातृभाषा के अतिरिक्त अन्य भाषाएँ सीखने का भी अवसर मिलता था। वहाँ हिंदी, उर्दू, संस्कृत, अंग्रेज़ी आदि भाषाएँ पढ़ाई जाती थीं। सभी अपनी-अपनी मातृभाषा बोलने के लिए स्वतंत्र थीं। कहीं भी भाषा को लेकर किसी प्रकार का विवाद नहीं था।

प्रश्न 8.
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर-
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़कर हमारे मानस-पटल पर भी बचपन की अनेक स्मृतियाँ उभरती हैं। जब मैं पाँचवीं कक्षा में पढ़ता था तो गाँव में सरदार बख्शी सिंह हमारे पड़ोसी थे। उनके यहाँ कोई पुत्र नहीं था। उनकी दो बेटियाँ थीं जिनका विवाह हो चुका था। सरदार जी मुझे अपने बेटे की भाँति मानते थे। उनके मन में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं था। विभिन्न त्योहारों को दोनों परिवार साथ-साथ मनाते थे। सरदार जी मुझे अपनी घोड़ी पर बिठाकर अनेक बार खेत में ले जाते थे। आरंभ में मैं घोड़ी पर बैठने से डरता था, किंतु बाद में घोड़ी की सवारी करने में मुझे आनंद आता था। उनके आकस्मिक निधन पर मुझे बहुत दुःख हुआ था। मुझे लगा था कि मेरे सिर से वह साया उठ गया था, जिसके नीचे बैठकर मैंने अपने बचपन के अनेक क्षण बिताए थे। आज भी बचपन की वे स्मृतियाँ मेरे मानस-पटल पर ताज़ा हो आती हैं।

प्रश्न 9.
महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का ज़िक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर-
दिनांक………….
आज विद्यालय का वार्षिक उत्सव आरंभ होने वाला है। मुझे इस उत्सव में देश भक्ति का गीत गाना है। कार्यक्रम काफी लंबा है और मेरी बारी काफी देर में आएगी। उस समय मैं अपनी बारी की प्रतीक्षा करता हुआ बेचैन हो रहा था। मेरे मन में उस समय बहुत शंकाएँ उत्पन्न हो रही थीं कि पता नहीं मैं वह गीत ठीक प्रकार से गा पाऊँगा या नहीं। सुनने वालों को मेरा गीत कैसा लगेगा। कभी लगता था कि कहीं मैं घबराकर गीत भूल न जाऊँ। मन में ऐसे विचार आने से मेरी बेचैनी और भी बढ़ती जा रही थी। किंतु अंततः मेरा नाम पुकारा गया। मैं पूर्ण विश्वास से मंच पर गया और भगवान का धन्यवाद करते हुए गीत गाने लगा तो संपूर्ण पंडाल में खामोशी छा गई। जब मेरा गीत समाप्त हुआ तो पंडाल तालियों की ध्वनि से गूंज उठा था।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

भाषा-अध्ययन

10. पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढकर लिखिए-
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर-
विद्वान = मूर्ख
अनंत = सीमित
निरपराधी = अपराधी
दंड = पुरस्कार
शांति . = अशांति।

11. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए
निराहारी – निर् + आहार + ई
सांप्रदायिकता
अप्रसन्नता
अपनापन
किनारीदार
स्वतंत्रता
उत्तर-
सांप्रदायिकता = संप्रदाय + इक + ता
अप्रसन्नता = अ + प्रसन्न + ता
अपनापन = अपना + पन
किनारीदार = कि + नारी + दार
स्वतंत्रता = स्व + तंत्र + ता

12. निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग – अन्, अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर-
उपसर्ग = अनाधिकार, अन्वेषण
अ = अधर्म, अज्ञान
सत् = सत्कर्म, सत्प्रकाश
स्व = स्वाभिमान, स्वतंत्र
दुर् = दुरुपयोग, दुर्गुण

प्रत्यय
दार = देनदार, किराएदार
हार = देवनहार, खेवनहार
वाला = दिलवाला, रखवाला
अनीय = दर्शनीय, पठनीय

13. , पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-
पूजा-पाठ — पूजा और पाठ
उत्तर-
कवि-सम्मेलन = कवियों का सम्मेलन
रोना-धोना = रोना और धोना
उत्तर
विद्यापीठ = विद्या की पीठ
ब्रजभाषा = ब्रज की भाषा
निराहार = बिना आहार
ताई-चाची = ताई और चाची
जेब खर्च = जेब के लिए खर्च
सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रहा
प्रचार-प्रसार = प्रचार और प्रसार

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
बचपन पर केंद्रित मैक्सिम गोर्की की रचना ‘मेरा बचपन’ पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर-
विद्यार्थी इसे स्वयं करेंगे।

प्रश्न 2.
‘मातृभूमि : ए विलेज विदआउट विमेन’ (2005) फिल्म देखें। मनीष झा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में कन्या भ्रूण हत्या की त्रासदी को अत्यंत बारीकी से दिखाया गया है।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है।

प्रश्न 3.
कल्पना के आधार पर बताइए कि लड़कियों की संख्या कम होने पर भारतीय समाज का रूप कैसा होगा?
उत्तर-
विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

यह भी जानें

स्त्री दर्पण-इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका श्रीमती रामेश्वरी नेहरू के संपादन में सन 1909 से 1924 तक लगातार प्रकाशित होती रही। स्त्रियों में व्याप्त अशिक्षा और कुरीतियों के प्रति जागृति पैदा करना उसका मुख्य उद्देश्य था।

HBSE 9th Class Hindi मेरे बचपन के दिन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘मेरे बचपन के दिन’ शीर्षक पाठ का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर-
‘मेरे बचपन के दिन’ संस्मरण में महादेवी वर्मा ने अपने बचपन की प्रमुख घटनाओं का वर्णन किया है। उन्होंने इस पाठ में बेटियों (कन्याओं) के प्रति समाज के संकीर्ण दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया है। उनके अपने परिवार में भी लड़कियों के जन्म को उचित नहीं माना जाता था। दो-सौ वर्षों के पश्चात् उनके परिवार में कन्या (महादेवी) का जन्म हुआ था। उन्होंने छात्रावास के जीवन में सुभद्रा कुमारी चौहान व अन्य छात्राओं से मित्रता के प्रसंगों का वर्णन कर तत्कालीन परिस्थितियों व छात्रावास के वातावरण को सजीव रूप में प्रस्तुत किया है। सम्पूर्ण पाठ में भारतीय जीवन-मूल्यों को उजागर करना भी प्रस्तुत पाठ का मूल उद्देश्य है।

प्रश्न 2.
महादेवी वर्मा को कविता लिखने की प्रेरणा किससे और कैसे मिली?
उत्तर-
महादेवी वर्मा को कविता लिखने की प्रेरणा अपनी माता से मिली थी। उनकी माता धार्मिक प्रवृत्ति की स्त्री थी। वह भजन लिखती भी थी और गाती भी थी। बचपन से ही महादेवी जी अपनी माता को गाते हुए सुनती थीं। यहाँ से उन्हें ब्रजभाषा में लिखने की प्रेरणा मिली। जब वे क्रास्थवेट कॉलेज, इलाहाबाद में पढ़ने के लिए आई तो वहाँ छात्रावास में उनका परिचय सुप्रसिद्ध हिंदी कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान से हुआ। वे उस समय खड़ी बोली हिंदी में कविता लिखती थीं। उनके संपर्क में आने पर महादेवी जी ने भी खड़ी बोली हिंदी में तुकबंदी करनी आरंभ कर दी। वे वहाँ कवि-सम्मेलनों में भी जाने लगीं। वे इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली ‘स्त्री दर्पण’ नामक पत्रिका में कविताएँ भेजने लगी थी। उन्हीं दिनों महादेवी वर्मा ने कविता पाठ प्रतियोगिता में अनेक पुरस्कार भी प्राप्त किए थे। इस प्रकार महादेवी जी का काव्य लिखने में उत्साह दिनोंदिन बढ़ता गया।

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प्रश्न 3.
स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ कवि-सम्मेलनों व हिंदी के प्रचार-प्रसार के आयोजन का क्या लक्ष्य था?
उत्तर-
सन 1917 के आसपास भारतवर्ष स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। वे संपूर्ण देश को एक सूत्र में बाँधना चाहते थे। भारत के बहुत बड़े भाग में हिंदी समझी व बोली जाती है, इसलिए स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ कवि सम्मेलनों व हिंदी के प्रचार-प्रसार का आयोजन किया जाता था। हिंदी के माध्यम से ही देश-प्रेम को उत्पन्न किया जा रहा था।

प्रश्न 4.
‘ताई साहिबा और लेखिका के परिवार में बड़ी घनिष्ठता थी’-इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने बताया है कि ताई साहिबा और उनके परिवार में आपस में बहुत प्रेम था। बच्चों के जन्मदिन के अवसर पर दोनों परिवारों के लोग एक-साथ भोजन करते और शुभकामनाएँ देते। वे हर त्योहार को मिलकर मनाते थे। ताई साहिबा ने लेखिका के छोटे भाई का नामकरण भी किया था। नेग भी साधिकार प्राप्त किया था। इन सब तथ्यों से पता चलता है कि ताई साहिबा व लेखिका के परिवारों में अत्यधिक घनिष्ठता थी।

प्रश्न 5.
छात्रावास में लेखिका और सुभद्राकुमारी के बीच मित्रता कैसे हुई?
उत्तर-
छात्रावास में लेखिका एवं सुभद्राकुमारी दोनों एक ही कमरे में रहती थीं। सुभद्राकुमारी खड़ी बोली में कविता लिखती थीं। उसको कवयित्री के रूप में थोड़ी-बहुत प्रसिद्धि भी मिल चुकी थी। महादेवी जी उनसे बहुत प्रभावित थीं और छुप-छुपकर थोड़ी बहुत तुकबंदी भी करने लगी थीं। जब सुभद्रा को महादेवी के इस रहस्य का पता चला तो उसने उसे और भी उत्साहित किया, जिससे दोनों की मित्रता गहन होती चली गई। आगे चलकर दोनों साथ-साथ विभिन्न कवि सम्मेलनों में भी भाग लेने लगी थीं।

प्रश्न 6.
छात्रावास का वातावरण कैसा था ? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर-
महादेवी जी क्रास्थवेट कॉलेज के छात्रावास में रहती थीं। महादेवी जी ने उस समय के वातावरण के विषय में लिखा है कि उस समय का वातावरण बहुत अच्छा था। वहाँ रहने वाली छात्राओं में आपस में बहुत स्नेह था। वे सब एक-दूसरे की सहायता करती थीं। उनमें सांप्रदायिकता का भाव नहीं था। विविध धर्मों और विविध क्षेत्रों से आई विविध भाषी छात्राएँ एक साथ बिना किसी भेदभाव के वहाँ रहती थीं। उनमें से कोई अवधी बोलती, तो कोई बुंदेलखंडी में बातें करती थी। कॉलेज में हिंदी व उर्दू पढ़ाई जाती थी। किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं था। अतः यह सिद्ध होता है कि वहाँ का वातावरण बड़ा स्नेही एवं सहयोगमयी था।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मेरे बचपन के दिन’ शीर्षक पाठ किसके द्वारा रचित है?
(A) हजारी प्रसाद द्विवेदी :
(B) महादेवी वर्मा
(C) प्रेमचंद
(D) चपला देवी
उत्तर-
(B) महादेवी वर्मा

प्रश्न 2.
लेखिका के अनुसार किसमें एक विचित्र आकर्षण होता है?
(A) खेलकूद में
(B) बचपन की स्मृतियों में
(C) सपनों में
(D) लड़कपन में
उत्तर-
(B) बचपन की स्मृतियों में ।

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प्रश्न 3.
लेखिका के परिवार में कोई लड़की कितने वर्ष बाद पैदा हुई थी?
(A) चालीस वर्ष बाद
(B) पचास वर्ष बाद
(C) अस्सी वर्ष बाद
(D) दो सौ वर्ष बाद
उत्तर-
(D) दो सौ वर्ष बाद

प्रश्न 4.
लेखिका के बाबा ने कौन-सी भाषा पढ़ी थी?
(A) अंग्रेज़ी
(B) हिंदी
(C) संस्कृत
(D) फारसी एवं उर्दू
उत्तर-
(D) फारसी एवं उर्दू

प्रश्न 5.
लेखिका के परिवार में सबसे पहले अंग्रेज़ी किसने पढ़ी थी?
(A) स्वयं लेखिका ने
(B) लेखिका की माता ने
(C) पिता ने
(D) दादा ने
उत्तर-
(C) पिता ने

प्रश्न 6.
लेखिका की माँ कौन-सी भाषाएँ जानती थी?
(A) हिंदी एवं संस्कृत
(B) अंग्रेज़ी एवं पंजाबी
(C) उर्दू एवं फ़ारसी
(D) बंगला एवं उड़िया
उत्तर-
(A) हिंदी एवं संस्कृत

प्रश्न 7.
लेखिका को सर्वप्रथम किस स्कूल में दाखिल करवाया गया था?
(A) पुतली पाठशाला
(B) मिशन स्कूल
(C) विद्या भारती
(D) राजकीय उच्च विद्यालय
उत्तर-
(B) मिशन स्कूल

प्रश्न 8.
छात्रावास में लेखिका की सबसे पहली सहेली कौन बनी थी?
(A) इंदिरा गाँधी
(B) रानी लक्ष्मीबाई
(C) सुभद्रा कुमारी
(D) उषा प्रियंवदा
उत्तर-
(C) सुभद्रा कुमारी

प्रश्न 9.
सुभद्रा और महादेवी किस कॉलेज में साथ-साथ पढ़ी थी?
(A) क्रास्थवेट
(B) हिंदू गर्ल्स कॉलेज
(C) नेशनल कॉलेज
(D) शांति निकेतन
उत्तर-
(A) क्रास्थवेट

प्रश्न 10.
महादेवी की विद्यार्थी जीवन की रचनाएँ किस पत्रिका में छपती थीं?
(A) सारिका
(B) सरस्वती
(C) हंस
(D) स्त्री दर्पण
उत्तर-
(D) स्त्री दर्पण

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प्रश्न 11.
महादेवी जी ने अपना कटोरा किसे दे दिया था?
(A) जवाहर लाल नेहरू को
(B) गाँधी जी को
(C) मोतीलाल नेहरू जी को .
(D) शास्त्री जी को
उत्तर-
(B) गाँधी जी को

प्रश्न 12.
लेखिका की सहेली जेबुन्निसा (जेबुन) कहाँ की रहने वाली थी?
(A) बंबई
(B) पूना
(C) अहमदाबाद
(D) कोल्हापुर
उत्तर-
(D) कोल्हापुर

प्रश्न 13.
ज़ेबुन कैसी पोशाक पहनती थी?
(A) किनारीदार साड़ी
(B) कुर्ता सलवार
(C) कुर्ता और घाघरा
(D) पैंट्स-कमीज
उत्तर-
(A) किनारीदार साड़ी

प्रश्न 14.
महादेवी के भाई का नाम क्या रखा गया था?
(A) आलोक मोहन
(B) मनमोहन
(C) क्षितिज मोहन
(D) त्रिभुवन
उत्तर-
(B) मनमोहन

प्रश्न 15.
श्री मनमोहन किस विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बने थे?
(A) पंजाब विश्वविद्यालय
(B) दिल्ली विश्वविद्यालय
(C) गोरखपुर विश्वविद्यालय
(D) बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
उत्तर-
(C) गोरखपुर विश्वविद्यालय

प्रश्न 16.
किसकी नवाबी छिन गई थी?
(A) लखनऊ के नवाब की
(B) जवारा के नवाब की
(C) दिल्ली के नवाब की
(D) कलकत्ता के नवाब की
उत्तर-
(B) जवारा के नवाब की

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

मेरे बचपन के दिन प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

1. अपने परिवार में मैं कई पीढ़ियों के बाद उत्पन्न हुई। मेरे परिवार में प्रायः दो सौ वर्ष तक कोई लड़की थी ही नहीं। सुना है, उसके पहले लड़कियों को पैदा होते ही परमधाम भेज देते थे। फिर मेरे बाबा ने बहुत दुर्गा-पूजा की। हमारी कुल-देवी दुर्गा थीं। मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। परिवार में बाबा फारसी और उर्दू जानते थे। पिता ने अंग्रेज़ी पढ़ी थी। हिंदी का कोई वातावरण नहीं था।
मेरी माता जबलपुर से आईं तब वे अपने साथ हिंदी लाईं। वे पूजा-पाठ भी बहुत करती थीं। पहले-पहल उन्होंने मुझको ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया। [पृष्ठ 69]

शब्दार्थ-उत्पन्न हुई = पैदा हुई। परमधाम भेज देना = मार देना। खातिर होना = सम्मान होना। वातावरण = परिस्थितियाँ, माहौल। अपने साथ हिंदी लाना = हिंदी का ज्ञान होना। पंचतंत्र = धार्मिक ग्रंथ का नाम। .

प्रसंग-प्रस्तुत गद्य-पंक्तियाँ हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित “मेरे बचपन के दिन’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसकी रचयिता महादेवी वर्मा जी हैं। इस पाठ में उन्होंने अपने बचपन की घटनाओं का वर्णन किया है तथा उस समय देश में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन और समाज में लड़कियों के प्रति सामाजिक रवैये पर भी प्रकाश डाला है। इन पंक्तियों में महादेवी जी ने अपने परिवार की परंपराओं और परिस्थितियों का उल्लेख किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-महादेवी जी ने अपने बचपन की स्मृतियों को बताते हुए लिखा है कि वे अपने परिवार में कई पीढ़ियों के पश्चात उत्पन्न हुई थीं अर्थात उनके परिवार में लड़की पैदा ही नहीं हुई थी। दो सौ वर्षों से उनके परिवार में कोई लड़की नहीं थी। ऐसा सुना है कि उससे पहले लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। महादेवी जी ने पुनः बताया है कि उनके बाबा जी ने उनकी प्राप्ति के लिए दुर्गा माता की प्रार्थना की थी। दुर्गा उनके कुल की देवी थी। जब महादेवी जी का जन्म हुआ तो उनके परिवार को बहुत खुशी हुई। इसलिए उनका परिवार में बहुत सम्मान व सेवा हुई। महादेवी को वे सब कष्ट नहीं सहन करने पड़े थे जो उनसे पूर्व उत्पन्न लड़कियों को उनके परिवार में सहने पड़े थे। कहने का भाव है कि उनके परिवार में लड़की को जन्म के तुरंत बाद ही मार दिया जाता था। उनके परिवार में उनके बाबा उर्दू-फारसी ही जानते थे। बाद में उनके पिताजी ने अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भी प्राप्त किया था। उनके परिवार में हिंदी भाषा को पढ़ने-लिखने वाला कोई नहीं था। किंतु उनकी माता जबलपुर से वधू बनकर उनके परिवार में आईं तो वह हिंदी जानने व पढ़ने-लिखने वाली थीं। इस प्रकार उनकी माता के आने पर उनके परिवार में हिंदी भाषा का पढ़ना-लिखना व बोलना आरंभ हुआ था। वह पूजा-पाठ भी बहुत करती थीं। उन्होंने ही मुझे सबसे पहले ‘पंचतंत्र’ पढ़ना सिखाया था।

विशेष-

  1. कन्याओं के प्रति समाज के संकीर्ण दृष्टिकोण को प्रकट किया गया है।
  2. भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
  3. तत्सम शब्दों का प्रयोग किया गया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) महादेवी के परिवार में कितने समय बाद किसी कन्या का जन्म हुआ था ?
(2) महादेवी के जन्म के समय लड़कियों के प्रति समाज का दृष्टिकोण कैसा था ?
(3) महादेवी का जन्म किस देवी की मन्नत (आशीर्वाद) से हुआ था ?
(4) महादेवी के परिवार में हिंदी का प्रचलन कैसे हुआ था ?
उत्तर-
(1) महादेवी के परिवार में किसी कन्या का जन्म व पालन-पोषण लगभग दो सौ वर्षों के पश्चात हुआ था।
(2) महादेवी के जन्म के समय समाज में लड़कियों को बोझ समझा जाता था। इसलिए उन्हें जन्म के तुरंत बाद मार दिया जाता था। यदि वे जीवित भी रह जातीं तो उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता था। उन्हें लड़कों की तुलना में हीन समझा जाता था। उनकी दशा अत्यंत शोचनीय थी।
(3) महादेवी के दादा ने उनके जन्म के लिए अपनी कुल देवी ‘दुर्गा माता’ की वंदना की थी। अतः महादेवी दुर्गा माता के आशीर्वाद से उत्पन्न हुई थी।
(4) महादेवी के दादा उर्दू-फारसी जानते थे और पिता ने अंग्रेज़ी भाषा भी सीख ली थी। उनकी माता हिंदी भाषा को पढ़ने-लिखने का ज्ञान रखती थी। वह ‘पंचतंत्र’ जैसे ग्रंथ पढ़ती थी। इसलिए उसने महादेवी को भी हिंदी पढ़ना-लिखना सिखाया था। अतः उसकी माता के प्रयास से उनके परिवार में हिंदी का प्रचलन हुआ था।

2. बाबा कहते थे, इसको हम विदुषी बनाएँगे। मेरे संबंध में उनका विचार बहुत ऊँचा रहा। इसलिए ‘पंचतंत्र’ भी पढ़ा मैंने, संस्कृत भी पढ़ी। ये अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी। तब पंडित जी आए संस्कृत पढ़ाने। माँ थोड़ी संस्कृत जानती थीं। गीता में उन्हें विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय मैं भी बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी। उसके उपरांत उन्होंने मिशन स्कूल में रख दिया मुझको। मिशन स्कूल में वातावरण दूसरा था, प्रार्थना दूसरी थी। मेरा मन नहीं लगा। वहाँ जाना बंद कर दिया। जाने में रोने-धोने लगी। तब उन्होंने मुझको क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में भेजा, जहाँ मैं पाँचवें दर्जे में भर्ती हुई। यहाँ का वातावरण बहुत अच्छा था उस समय। हिंदू लड़कियाँ भी थीं, ईसाई लड़कियाँ भी थीं। हम लोगों का एक ही मेस था। उस मेस में प्याज़ तक नहीं बनता था। [पृष्ठ 69-70]]

शब्दार्थ-विदुषी = विद्वान स्त्री। पंचतंत्र = धार्मिक ग्रंथ का नाम। ऊँचा विचार = अच्छा विचार। मौलवी = उर्दू-फ़ारसी पढ़ाने वाले अध्यापक। उपरांत = पश्चात। मेस = भोजनालय । वातावरण = माहौल।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित एवं महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मेरे बचपन के दिन’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इस पाठ में उन्होंने अपने बचपन की घटनाओं का वर्णन स्मृतियों के सहारे किया है। इस गद्यांश में बताया गया है कि महादेवी जी ने किस प्रकार हिंदी पढ़ना सीखा था। उन्हें किन-किन स्कूलों में भर्ती करवाया गया था। साथ ही क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज और वहाँ के छात्रावास का वर्णन किया गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-महादेवी जी ने अपने बचपन की स्मृतियों का उल्लेख करते हुए कहा है कि उनके बाबा उन्हें खूब पढ़ाना-लिखाना चाहते थे। वे चाहते थे कि महादेवी एक विदुषी बने ताकि परिवार का नाम ऊँचा हो। इसलिए महादेवी ने ‘पंचतंत्र’ में संकलित कहानियों को भी पढ़ा था। महादेवी ने बचपन में संस्कृत भी सीखी थी। महादेवी के दादा जी चाहते थे कि वह उर्दू-फ़ारसी भी पढ़ना-लिखना सीख ले, किंतु उर्दू-फारसी भाषा में उनकी जरा-सी भी रुचि नहीं थी। उसके दादा जी ने उनको उर्दू-फारसी पढ़ाने के लिए एक मौलवी साहब की नियुक्ति की थी। महादेवी ने जब मौलवी साहब को देखा तो वह डर गई और दूसरे दिन जब मौलवी साहब आए तो वह चारपाई के नीचे छुप गई थी। इस प्रकार महादेवी को उर्दू-फारसी पढ़ने से छुट्टी मिल गई थीं। तब उन्हें संस्कृत पढ़ाने के लिए एक पंडित जी को बुलाया गया। महादेवी की माता जी भी संस्कृत का ज्ञान रखती थीं। उनकी गीता पढ़ने में बहुत रुचि थी। जब उनकी माता पाठ-पूजा करतीं तो वह भी अपनी माता के साथ बैठ जातीं और माता द्वारा बोली गई संस्कृत को बड़े ध्यान से सुनती थीं। कुछ दिन महादेवी ने घर पर ही संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की। इसके पश्चात् उन्हें मिशन स्कूल में दाखिल करवा दिया गया। किंतु वहाँ का वातावरण महादेवी जी के अनुकूल नहीं था। वहाँ बोली जाने वाली प्रार्थना भी दूसरी ही थी। उस स्कूल में महादेवी जी का मन नहीं लगा। उन्होंने वह स्कूल त्याग दिया और तब उन्हें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में भेजा जाने लगा। वहाँ उन्हें पाँचवीं कक्षा में दाखिल करवाया गया था। वहाँ का माहौल बहुत अच्छा था। महादेवी जी को वह कॉलेज बहुत पसंद था। उस समय वहाँ विभिन्न धर्मों की लड़कियाँ पढ़ती थीं। सब लड़कियों का भोजनालय भी एक अर्थात सभी लड़कियाँ एक साथ एक ही भोजनालय में भोजन खाती थीं। उस मेस में प्याज़ तक प्रयोग नहीं होता था अर्थात वहाँ पूर्णतः शाकाहारी भोजन बनता था।

विशेष-

  1. महादेवी जी के बचपन में उन्हें दी गई शिक्षा का उल्लेख किया गया है।
  2. महादेवी जी की शिक्षा के प्रति रुचि का उल्लेख भी हुआ है।
  3. महादेवी जी की माता के स्वभाव पर भी प्रकाश डाला गया है।
  4. भाषा-शैली भावानुकूल है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) महादेवी के बाबा जी उसे क्या बनाना चाहते थे ?
(2) लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीखना चाहती थी ?
(3) मिशन स्कूल में लेखिका का मन क्यों नहीं लगा था ?
(4) क्रास्थवेट कॉलेज का वातावरण कैसा था ?
उत्तर-
(1) लेखिका के बाबा जी चाहते थे कि वह पढ़-लिखकर महान विदुषी बने। इसलिए उसकी शिक्षा के लिए घर पर प्रबंध किया गया था।
(2) लेखिका की रुचि उर्दू-फारसी पढ़ने में नहीं थी। मौलवी साहब को देखकर वह चारपाई के नीचे छुप गई थी। इसके अतिरिक्त उनकी रुचि संस्कृत सीखने में थी।
(3) मिशन स्कूल का वातावरण महादेवी जी के मनोनुकूल नहीं था। वहाँ प्रार्थना भी दूसरी थी जो महादेवी जी ने पहले कभी नहीं बोली थी। इसलिए महादेवी जी वहाँ जाने के नाम पर रो पड़ती थीं। इन्हीं कारणों से उनका मन मिशन स्कूल में नहीं लगा था।
(4) क्रास्थवेट कॉलेज का वातावरण खुला था। वहाँ विभिन्न धर्मों तथा विविध भाषाएँ बोलने वाली लड़कियाँ पढ़ती थीं। वहाँ किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता था। सभी लड़कियाँ साथ-साथ रहती थीं और एक साथ बैठकर खाना खाती थीं। अतः स्पष्ट है कि वहाँ का वातावरण अच्छा था।

3. फिर हम दोनों की मित्रता हो गई। क्रास्थवेट में एक पेड़ की डाल नीची थी। उस डाल पर हम लोग बैठ जाते थे। जब और लड़कियाँ खेलती थीं तब हम लोग तुक मिलाते थे। उस समय एक पत्रिका निकलती थी-‘स्त्री दर्पण’-उसी में भेज देते थे। अपनी तुकबंदी छप भी जाती थी। फिर यहाँ कवि-सम्मेलन होने लगे तो हम लोग भी उनमें जाने लगे। हिंदी का उस समय प्रचार-प्रसार था। मैं सन् 1917 में यहाँ आई थी। उसके उपरांत गांधी जी का सत्याग्रह आरंभ हो गया और आनंद भवन स्वतंत्रता के संघर्ष का केंद्र हो गया। जहाँ-तहाँ हिंदी का भी प्रचार चलता था। कवि-सम्मेलन होते थे तो क्रास्थवेट से मैडम हमको अपने साथ लेकर जाती थीं। हम कविता सुनाते थे। कभी हरिऔध जी अध्यक्ष होते थे, कभी श्रीधर पाठक होते थे, कभी रत्नाकर जी होते थे, कभी कोई होता था। कब हमारा नाम पुकारा जाए, बेचैनी से सुनते रहते थे। मुझको प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। सौ से कम पदक नहीं मिले होंगे उसमें। [पृष्ठ 70-71]

शब्दार्थ-तुक मिलाना = कविता बनाना। उपरांत = पश्चात्। सत्याग्रह = सच्चाई के लिए आग्रह। संघर्ष = मुकाबला। पुरस्कार = इनाम। पदक = मैडल।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘मेरे बचपन के दिन’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इस निबंध में महादेवी जी ने स्मृतियों के सहारे अपने बचपन की विविध घटनाओं पर प्रकाश डाला है। साथ यह भी बताया है कि उस समय के समाज का लड़कियों के प्रति क्या दृष्टिकोण था। इन पंक्तियों में लेखिका ने हिंदी के प्रचार-प्रसार के प्रयासों पर प्रकाश डाला है और महात्मा गांधी जी के सत्याग्रह आंदोलन की ओर भी संकेत किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण लेखिका क्रास्थवेट कॉलेज के छात्रावास में रहते हुए घटित घटनाओं को याद करती हुई कहती है कि छात्रावास में रहते हुए उनकी मित्रता सुभद्राकुमारी चौहान से हो गई थी। छात्रावास में एक पेड़ था। उसकी शाखाएँ बहुत लंबी और झुकी हुई थीं। जब दूसरी लड़कियाँ खेल-कूद में व्यस्त रहतीं तो वे दोनों वृक्ष की डालियों पर बैठकर तुकबंदी करती थीं अर्थात् कविताएँ लिखती थीं। उस समय ‘स्त्री दर्पण’ नामक एक पत्रिका प्रकाशित होती थी। उस पत्रिका में वे अपनी रचनाएँ भेजती थीं। उनकी वे तुकबंदी छप भी जाती थी। यह देखकर महादेवी जी को बहुत प्रसन्नता होती थी। फिर वहाँ कवि सम्मेलन भी होने लगे थे तो महादेवी जी उनमें भाग लेने लगी थीं। उस समय हिंदी के प्रचार-प्रसार का काम भी जोरों पर था। महादेवी जी सन् 1917 में छात्रावास में आई थी। उसके बाद ही गांधी जी के सत्याग्रह आंदोलन आरंभ हुए थे। इलाहाबाद में आनंद भवन उन दिनों स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बना हुआ था। हिंदी का प्रचार-प्रसार कई प्रकार से हो रहा था। उसके लिए हिंदी कवि सम्मेलन किए जाते थे। जहाँ भी कवि सम्मेलन का आयोजन होता था तो महादेवी जी की मैडम उन्हें अपने साथ ले जाती थी। महादेवी जी वहाँ अपनी कविताएँ सुनाती थीं। कभी हरिऔध जी कवि सम्मेलन के अध्यक्ष होते तो कभी श्रीधर पाठक होते थे तो कभी रत्नाकर जी अयक्षता करते। कभी कोई और साहित्यकार सम्मेलन की अध्यक्षता करते। महादेवी जी उस समय बड़ी बेचैनी से प्रतीक्षा करती रहती थीं कि कब उसका नाम पुकारा जाए। महादेवी जी को प्रायः कवि सम्मेलनों में प्रथम पुरस्कार मिलता था। उन्हें सौ से भी अधिक पदक मिले होंगे।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

विशेष-

  1. महादेवी जी की बचपन की यादों का सुंदर उल्लेख किया गया है।
  2. तत्कालीन समाज में हिंदी का प्रचार-प्रसार जोरों पर था।
  3. स्वतंत्रता आंदोलनों की ओर भी संकेत किया गया है।
  4. भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

उपर्युक्त गपांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) सन 1917 में हिंदी की क्या स्थिति थी?
(2) जब दूसरी लड़कियाँ खेलती थीं तो लेखिका उस समय क्या करती थी?
(3) सन 1917 में चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
(4) इलाहाबाद में 1917 के आसपास कवि सम्मेलनों की अध्यक्षता कौन-कौन करते थे?
उत्तर-
(1) सन 1917 में हिंदी का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा था। अनेक स्थानों पर हिंदी कवि सम्मेलन किए जाते थे। हिंदी का प्रचार-प्रसार स्वतंत्रता आंदोलन का ही एक भाग बन गया था। सुभद्राकुमारी चौहान, हरिऔध, रत्नाकर जैसे महान कवि हिंदी के विकास में लगे हुए थे।
(2) महादेवी वर्मा क्रास्थवेट कॉलेज के छात्रावास में रहती थीं। जब दूसरी लड़कियाँ खेलती थीं तो महादेवी वर्मा और सुभद्राकुमारी चौहान वृक्ष की शाखा पर बैठकर तुकबंदी अर्थात कविताएँ लिखती थीं।
(3) इस पाठ में बताया गया है कि सन 1917 में स्वतंत्रता आंदोलन आरंभ हो चुका था। गांधी जी के नेतृत्व में सत्याग्रह भी चलने लगे थे। जन-साधारण को आंदोलन से जोड़ने के लिए हिंदी का प्रयोग किया जाता था। उसके लिए हिंदी प्रचार-प्रसार भी बराबर चल रहा था। इलाहाबाद में आनंद भवन राष्ट्रीय आंदोलनों का गढ़ बन गया था। वहाँ ही राष्ट्रीय आंदोलनों की रूप-रेखा तैयार की जाती थी।
(4) इलाहाबाद में सन 1917 के आसपास होने वाले कवि सम्मेलनों की अध्यक्षता हरिऔध, रत्नाकर एवं श्रीधर पाठक जैसे महान कवि करते थे।

4. उसी बीच आनंद भवन में बापू आए। हम लोग तब अपने जेब-खर्च में से हमेशा एक-एक, दो-दो आने देश के लिए बचाते थे और जब बापू आते थे तो वह पैसा उन्हें दे देते थे। उस दिन जब बापू के पास मैं गई तो अपना कटोरा भी लेती गई। मैंने निकालकर बापू को दिखाया। मैंने कहा, ‘कविता सुनाने पर मुझको यह कटोरा मिला है।’ कहने लगे, ‘अच्छा, दिखा तो मुझको।’ मैंने कटोरा उनकी ओर बढ़ा दिया तो उसे हाथ में लेकर बोले, ‘तू देती है इसे?’ अब मैं क्या कहती? मैंने दे दिया और लौट आई। दुख यह हुआ कि कटोरा लेकर कहते, कविता क्या है? पर कविता सुनाने को उन्होंने नहीं कहा। लौटकर अब मैंने सुभद्रा जी से कहा कि कटोरा तो चला गया। सुभद्रा जी ने कहा, ‘और जाओ दिखाने!’ फिर बोलीं, ‘देखो भाई, खीर तो तुमको बनानी होगी। अब तुम चाहे पीतल की कटोरी में खिलाओ, चाहे फूल के कटोरे में।
[पृष्ठ 71-72]

शब्दार्थ-सरल हैं। …….

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ से उद्धृत है। इसकी रचयिता महादेवी वर्मा हैं। इस पाठ में उन्होंने स्मृतियों के माध्यम से अपने बचपन की घटनाओं का उल्लेख किया है। इन पंक्तियों में लेखिका ने उस घटना का उल्लेख किया है जब उन्हें आनंद भवन में महात्मा गांधी जी मिले थे और उन्होंने पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा देश-सेवा के लिए महात्मा गांधी को दे दिया था।

व्याख्या/पाव ग्रहण-महादेवी जी ने अपने बचपन की एक घटना का उल्लेख करते हुए कहा है कि उन दिनों महात्मा गांधी आनंद भवन में अकसर आते थे। हम लोग अपने जेब-खर्च में से पैसे बचाकर सदैव एक-एक, दो-दो आने देश के लिए बचाते थे। जब भी बापू गांधी जी से भेंट होती तो हम वह राशि उन्हें भेंट कर देते। उस दिन जब महात्मा गांधी आनंद भवन में आए तो मैं अपना चाँदी का कटोरा भी साथ लेकर उनसे मिलने गई। अपना वह कटोरा निकालकर गांधी जी को दिखाया और कहा कि यह कटोरा मुझे कविता सुनाने पर पुरस्कार के रूप में मिला था। गांधी जी को यह कटोरा बहुत पसंद आया। महादेवी ने अपना कटोरा गांधी जी की ओर बढ़ा दिया। उन्होंने इसे हाथ में लेकर कहा कि क्या तुम इस कटोरे को मुझे दे रही हो। उस समय महादेवी जी ने कुछ नहीं कहा और कटोरा गांधी जी को भेंट कर दिया तथा वह लौट आई। महादेवी जी को इस बात का दुःख हुआ कि उन्होंने कटोरे के बारे में तो पूछा किंतु कविता कौन-सी सुनाई थी, यह नहीं पूछा। उन्होंने कविता सुनाने को भी नहीं कहा। छात्रावास में लौटकर सुभद्रा कुमारी ने कहा कि और जाओ कटोरा दिखाने! फिर बोली कि चाहे कुछ हो खीर तो तुम्हें खिलानी ही होगी। अब चाहे तुम पीतल की कटोरी में खिलाओ या फूल के कटोरे में। मुझे इससे कुछ लेना-देना नहीं है। कहने का अभिप्राय है कि महादेवी को स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग देने की खुशी भी थी, साथ ही पुरस्कार में मिले कटोरे के पास न रहने पर थोड़ी निराशा भी थी।

विशेष-

  1. महादेवी के बचपन की घटनाओं का मनोरम चित्रण किया गया है।
  2. आनंद भवन में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों की ओर संकेत किया गया है।
  3. सुभद्राकुमारी चौहान और महादेवी की मित्रता का भी बोध होता है।
  4. भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

उपर्यक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में लेखिका व उसकी सहेलियों ने कैसे योगदान दिया था?
(2) अपना पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा गांधी जी को भेंट करने पर महादेवी की क्या प्रतिक्रिया हुई थी?
(3) इस गद्यांश से उस समय का कैसा चित्र उभरता है? ।
(4) महादेवी का कटोरा गांधी जी द्वारा ले लेने पर सुभद्राकुमारी के मन में क्या प्रतिक्रिया हुई? ।
उत्तर-
(1) राष्ट्रीय आंदोलन में महादेवी वर्मा व उसकी सहेलियों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इलाहाबाद के क्रास्थवेट कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राएँ अपने प्रतिदिन के जेब-खर्च में से कुछ पैसे बचाकर महात्मा गांधी को दे देती थीं। महादेवी जी ने अपना चाँदी का कटोरा भी गांधी जी को दे दिया था।

(2) महात्मा गांधी जी को अपना पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा दे देने पर महादेवी जी को बहुत खुशी हुई, क्योंकि उन्हें यह पता था कि उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में कुछ सहयोग किया है। किंतु उनके मन में थोड़ी-सी निराशा भी हुई कि गांधी जी ने उनसे कविता सुनाने के लिए नहीं कहा।

(3) इस गद्यांश को पढ़कर पता चलता है कि उस समय भारतवर्ष गुलाम था। किंतु देश का बच्चा-बच्चा स्वतंत्रता-प्राप्ति के संघर्ष में लगा हुआ था। यह बात भी स्पष्ट है कि देश-प्रेम की भावना न केवल बड़ों में, अपितु बच्चों में भी देखी जा सकती थी।

(4) महादेवी.जी ने आनंद भवन से लौटकर कहा कि चाँदी का कटोरा तो चला गया। यह सुनकर सुभद्राकुमारी चौहान के मन में न कोई खुशी हुई और न ही गम, अपितु उन्होंने व्यंग्य में कहा कि खीर तुम्हें खिलानी पड़ेगी चाहे पीतल की कटोरी में खिलाओ या फूल के कटोरे में।

मेरे बचपन के दिन Summary in Hindi

मेरे बचपन के दिन लेखक-परिचय

प्रश्न-
महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
महादेवी वर्मा का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय लिखिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-महादेवी वर्मा का जन्म सन 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद नगर के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। नौ वर्ष की अल्पायु में ही इन्हें विवाह के बंधन में बाँध दिया गया था, किंतु यह बंधन स्थायी न रह सका। इन्होंने अपना समय अध्ययन में लगाना प्रारंभ कर दिया और सन् 1932 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इनकी योग्यताओं से प्रभावित होकर इन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या के रूप में नियुक्त किया गया। इन्हें छायावादी हिंदी . काव्य के चार स्तंभों में से एक माना जाता है। इन्हें विभिन्न साहित्यिक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। इनका देहांत 11 सितंबर, 1987 को हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-महादेवी वर्मा ने कविता, रेखाचित्र, आलोचना आदि अनेक साहित्यिक विधाओं में रचना की है। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं
(i) काव्य-ग्रंथ-‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘यामा’ आदि।
(ii) नारी-साहित्य-‘श्रृंखला की कड़ियाँ’।
(iii) रेखाचित्र-संस्मरण-‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’, ‘क्षणदा’ ।
(iv) आलोचना-‘हिंदी का विवेचनात्मक गद्य’, ‘विभिन्न काव्य-संग्रहों की भूमिकाएँ।
(v) संपादन-‘चाँद’, ‘आधुनिक कवि काव्यमाला’।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

3. साहित्यिक विशेषताएँ-महादेवी वर्मा मूलतः कवयित्री हैं तथा इन्हें अपनी काव्य रचनाओं के लिए ही अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त हुई है, किंतु महादेवी जी ने हिंदी गद्य साहित्य के विकास में भी अपना बहुमूल्य सहयोग दिया है। निबंध, आलोचना, रेखाचित्र, संस्मरण आदि विधाओं पर महादेवी जी ने अपनी लेखनी सफलतापूर्वक चलाई है। इसके अतिरिक्त संगीत, चित्रकला, प्रकृति एवं पशु-पक्षियों में भी महादेवी जी की रुचि रही है। इनसे संबंधित भी इन्होंने गद्य-शैली में लिखा है। महादेवी जी के निबंध-साहित्य में जहाँ राष्ट्रीय स्वर मुखरित हुआ है, वहीं दीन-दुखियों के दर्द व पीड़ाओं का भी वर्णन हुआ है। इन्होंने अपने निबंध साहित्य में शिक्षा और विद्या का सूक्ष्म अंतर बताते हुए भारत भूमि की प्राचीन उज्ज्वल परंपराओं और आधुनिक आवश्यकताओं की ओर विद्यार्थियों का ध्यान आकृष्ट किया है। नारी जीवन के विविध पक्षों पर भी इन्होंने अपने निबंधों के माध्यम से प्रकाश डाला है। महादेवी जी का निबंध-साहित्य समाज की पहचान करवाता है। नारी जागरण पर इन्होंने विशेष बल दिया है।

4. भाषा-शैली-महादेवी वर्मा जी के गद्य-साहित्य की भाषा भी उनके काव्य की भाषा की भाँति ही अत्यंत सहज, स्वाभाविक एवं प्रवाहमयी है। कहीं-कहीं गद्य में भी काव्यात्मक भाषा के दर्शन होते हैं। बीच-बीच में तत्सम शब्दों की भरमार के कारण भाषा साधारण पाठक की समझ से बाहर हो जाती है। महादेवी जी की भाषा के दो रूप साफ तौर पर देखे जा सकते हैं-विचारात्मक एवं भावात्मक। सटीक वर्णन, प्रभावशाली बिंब-योजना एवं चित्रात्मकता इनकी शैली की अन्य प्रमुख विशेषताएँ हैं।

मेरे बचपन के दिन पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘मेरे बचपन के दिन’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में लेखिका ने अपने बचपन के दिनों की प्रमुख घटनाओं का मनोरम चित्रण किया है। उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए लिखा है कि उनके खानदान में लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। अतः दो सौ वर्षों के बाद महादेवी ने अपने परिवार में जन्म लिया था। महादेवी के बाबा ने दुर्गा की पूजा करके कन्या को माँगा था। अतः महादेवी को बचपन में कोई कष्ट नहीं सहन करना पड़ा था। उन्हें हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवा दी गई थी। उनके लिए घर पर ही उर्दू, फारसी, अंग्रेज़ी आदि की पढ़ाई का प्रबंध किया गया था। किंतु उनकी माता ने उन्हें हिंदी पढ़ना सिखाया था। महादेवी ने बचपन में ‘पंचतंत्र’ आदि का अध्ययन किया, किंतु उर्दू में उनका मन नहीं रमा। फिर उन्हें मिशन स्कूल में दाखिल करवा दिया गया। उन्हें मिशन स्कूल की प्रार्थना और वहाँ का वातावरण भी रास नहीं आया। तब उन्हें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज की पाँचवीं कक्षा में प्रवेश दिलवाया गया।

छात्रावास में रहते हुए सुभद्राकुमारी चौहान से महादेवी जी की मित्रता हो गई। सुभद्राकुमारी कविताएँ लिखती थी। महादेवी जी की माता भी भक्ति के गीत लिखती व गाती थी। इन्हें माता से ही कविता लिखने की प्रेरणा मिली थी। इन्होंने पहले ब्रजभाषा में लिखना आरंभ किया था। सुभद्राकुमारी चौहान की संगति में रहकर महादेवी जी भी खड़ी बोली हिंदी में कविता लिखने लगी थीं। जब सुभद्राकुमारी चौहान को पता चला कि वह छिप-छिपकर कविताएँ लिखती है तो उसने इनकी कापियाँ ढूँढकर कविताओं का पता लगाया और सारे छात्रावास में इस रहस्य को उजागर कर दिया। तब दोनों में पक्की मित्रता हो गई। जब दूसरी छात्राएँ खेला करतीं तो ये दोनों बैठकर तुकबंदी किया करती थीं। सौभाग्य से वह तुकबंदी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छप जाती थी।

महादेवी जी की कविता पर पकड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। वे अब कवि सम्मेलनों में भी भाग लेने लगी थीं। यह समय हिंदी प्रचार का समय था। महादेवी ने भी इस शुभ कार्य में अपनी कविताओं के माध्यम से महत्त्वपूर्ण सहयोग दिया। कवि सम्मेलनों में श्री हरिऔध, श्रीधर पाठक व रत्नाकर जैसे महान् मनीषी होते थे। ऐसे सम्मेलनों में महादेवी अपना नाम सुनने के लिए बड़ी व्याकुल रहती थी। अनेक कवि सम्मेलनों में महादेवी जी प्रथम स्थान पर रहीं।

एक कवि सम्मेलन में प्रथम पुरस्कार के रूप में उन्हें चाँदी का नक्काशीदार कटोरा मिला था। उन्हीं दिनों गाँधी जी आनंद भवन में आए थे। उन दिनों आनंद भवन स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बना हुआ था। महादेवी जी और उनकी अनेक सखियाँ अपने जेब खर्च में से पैसे बचाकर देश हित के लिए देती थीं। महादेवी जी ने गाँधी जी को पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा दिखाया। गाँधी जी ने उस समय उनकी कविता तो नहीं सुनी, उनका वह कटोरा अवश्य रख लिया। महादेवी अपने कटोरे को देश के प्रति अर्पित करके बहुत प्रसन्न हुई थीं।

महादेवी वर्मा के छात्रावास में अनेक स्थानों से आई हुई छात्राएँ रहती थीं। जेबुन्निसा नाम की एक मराठी लड़की महादेवी जी का साफ-सफाई का काम देखती थी। वह हिंदी और मराठी दोनों भाषाएँ बोलती थी। किंतु वहाँ रहने वाली उस्तानी जीनत बेगम को मराठी बोलने पर एतराज था। किंतु जेबुन कहती है कि हम मराठी हैं, तो मराठी ही बोलेंगे। वहाँ अवध से आई हुई कन्याएँ अवधी बोलती थीं और बुंदेलखंड से आई हुई बालिकाएँ बुंदेली बोलती थीं। सभी छात्राएँ एक मेस में खाना खाती थीं और एक प्रार्थना का उच्चारण करती थीं। वहाँ कोई विवाद नहीं था अर्थात वहाँ सांप्रदायिक भावना का नामोनिशान नहीं था।

महादेवी ने विद्यापीठ में आने पर बेगम साहिबा का किस्सा लिखते हुए कहा है कि जब वह विद्यापीठ में उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु आई, तो भी उनके बचपन के संस्कार बने रहे। जिस भवन में महादेवी जी रहती थी, उसी में जवारा के नवाब भी रहते थे। उनकी बेगम आग्रह करती थीं कि महादेवी उन्हें ताई कहे। बेगम के बच्चे महादेवी की माँ को चची जान कहते थे। दोनों परिवारों में अत्यधिक प्रेम था। बच्चों के जन्मदिन भी मिलकर मनाए जाते थे। बेगम साहिबा अपने बच्चों को तब तक पानी नहीं देती थी जब तक महादेवी उन्हें राखी न बाँधे।

इसी तरह मुहर्रम पर इनके लिए भी नए वस्त्र बनते थे। . इसी प्रकार महादेवी जी के छोटे भाई के जन्म के अवसर पर बेगम साहिबा ने उनके पिता से कहकर नेग लिया तथा बच्चे के लिए नए वस्त्र बनवाए। बच्चे का नाम भी बेगम ने ही ‘मनमोहन’ रखा था। वही मनमोहन बड़े होकर जम्मू और गोरखपुर विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर बने। घर में अवधी बोली जाती थी, किंतु बाहर हिंदी व उर्दू का प्रयोग होता था। आरंभ में भारतवर्ष के वातावरण में जितनी निकटता व स्नेह का भाव था, यदि उतना बाद तक बना रहता तो भारतवर्ष की कहानी आज कुछ अलग प्रकार की होती।

कठिन शब्दों के अर्थ –

[पृष्ठ-69] : स्मृतियाँ = यादें। विचित्र = अनोखा। आकर्षण = खिंचाव। परमधाम भेजना = मार देना। खातिर होना = सेवा होना। वातावरण = परिस्थितियाँ। विदुषी = विद्वान स्त्री। दर्जा = कक्षा।

[पृष्ठ-70] : मेस = भोजनालय। सीनियर = श्रेष्ठ। प्रभाती = प्रभात के समय गाया जाने वाला गीत। प्रतिष्ठित होना = सम्मानित होना। तलाशी लेना = खोजना। अपराधी = दोषी।

[पृष्ठ-71] : प्रचार-प्रसार = बढ़ावा देना। उपरांत = बाद में। सत्याग्रह = सच्चे मार्ग पर चलने का निश्चय करना। संघर्ष करना = मुकाबला करना। पुरस्कार = इनाम। पदक = मैडल। नक्काशीदार = बेल-बूटे के काम से युक्त।

[पृष्ठ-72] : फूल = ताँबे व रांगे के मेल से बनी एक मिश्र धातु। अवकाश = समय, अवसर। सांप्रदायिकता = संप्रदाय (जाति) के नाम पर भेदभाव। विवाद = झगड़ा।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

[पृष्ठ-73] : संस्कार = गुण। कंपाउंड = क्षेत्र, स्थान। निराहार = बिना कुछ खाए-पिए। नेग = सामाजिक रीति-रिवाज़ों के अंतर्गत दी जाने वाली भेंट। यूनिवर्सिटी = विश्वविद्यालय। वाइस-चांसलर = कुलपति। तात्पर्य = अर्थ। कथा = कहानी।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 वाख

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 वाख Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 10 वाख

HBSE 9th Class Hindi वाख Textbook Questions and Answers

वाख के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi  प्रश्न 1.
‘रस्सी’ यहाँ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है और वह कैसी है ?
उत्तर-
‘रस्सी’ यहाँ जीवन को चलाने के साधन व उपाय के लिए प्रयुक्त हुआ है। कवयित्री की दृष्टि में वह नाशवान व कमजोर है।

वाख In Hindi HBSE 9th Class  प्रश्न 2.
कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं ?
उत्तर-
कवयित्री की दृष्टि में जीवन कच्ची मिट्टी के सकोरे के समान है, जो पानी की बूँद लगते ही नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार सांसारिक साधनों से, जो नश्वर एवं क्षणभंगुर हैं, मोक्ष प्राप्त करने के सभी प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं।

HBSE 9th Class Chapter 10 वाख प्रश्न 3.
कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
वस्तुतः कवयित्री आत्मा का घर ईश्वर को मानती है। जब आत्मा यह जान लेती है कि संसार उसका वास्तविक घर नहीं है, तब वह संसार को त्यागकर ईश्वर के पास अर्थात अपने घर जाने की इच्छा व्यक्त करती है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) जेब टटोली कौड़ी न पाई।
(ख) खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति में कवयित्री ललद्यद ने बताया कि जब उसने आत्मालोचन किया तो उसने पाया कि उसके जीवन में सत्कर्म रूपी कुछ भी धन नहीं था और न ही उसके जीवन में ईश्वर-भक्ति रूपी पूँजी थी।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवयित्री ने बताया है कि सांसारिक सुखों का भोग करने से तुझे कुछ नहीं मिलेगा। इससे जीवन व्यर्थ ही व्यतीत हो जाएगा। दूसरी ओर, यदि कुछ खाएगा नहीं, और केवल धन-दौलत को एकत्रित करेगा तो तुझे धन-दौलत का अहंकार हो जाएगा। अतः सांसारिक साधन या धन-दौलत का भोग करना या उनको जोड़ना, दोनों ही मानव-मुक्ति के मार्ग की बाधाएँ हैं।

प्रश्न 5.
बंद द्वार की साँकल खोलने के लिए ललघद ने क्या उपाय सुझाया है ?
उत्तर-
कवयित्री ने बताया है कि इंद्रियों का निग्रह करके समभावना रखने से ही बंद द्वार की साँकल खुल सकेगी अर्थात समभावना रखने से चेतना व्यापक होगी और मोक्ष के द्वार खुल सकेंगे।

प्रश्न 6.
ईश्वर-प्राप्ति के लिए बहुत से साधक हठयोग जैसी कठिन साधना भी करते हैं, लेकिन उससे भी लक्ष्य प्राप्ति नहीं होती। यह भाव किन पंक्तियों में व्यक्त हुआ है ?
उत्तर-
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!

प्रश्न 7.
‘ज्ञानी’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
ज्ञानी से कवयित्री का अंभिप्राय आत्मज्ञानी है। आत्मज्ञानी व्यक्ति ही ईश्वर को पहचान सकता है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है-
(क),आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है ?
(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।
उत्तर-
(क) आज हमारे समाज में जो भेदभाव दिखाई देता है उसके कारण देश और समाज में अनेक हानियाँ हो रही हैं।
(1) समाज में सांप्रदायिक भेदभाव बढ़ रहा है।
(2) आए दिन धर्म व जाति को लेकर दंगे व झगड़े होते हैं।
(3) इससे देश की एकता कमजोर पड़ रही है।
(4) जनता का ध्यान विकास की अपेक्षा अपने धर्म को श्रेष्ठ सिद्ध करने की ओर लग जाता है।
(5) समाज में भाईचारे व सह-अस्तित्व की भावना को भी ठेस पहुंचती है।

(ख) (1) हमें सबको समान समझने की भावना को धारण करना चाहिए।
(2) अन्य धर्मों व धार्मिक ग्रंथों का आदर करना चाहिए। इससे आपसी भेदभाव की भावना कम होगी।
(3) दूसरों के सुख-दुःख व तीज-त्योहारों में भाग लेना चाहिए।
(4) सबको ईश्वर की संतान समझकर समानता का व्यवहार करना चाहिए।

पाठेतर सक्रियता

भक्तिकाल में ललयद के अतिरिक्त तमिलनाडु की आंदाल, कर्नाटक की अक्क महादेवी और राजस्थान की मीरा जैसी भक्त-कवयित्रियों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए एवं उस समय की सामाजिक परिस्थितियों के बारे में कक्षा में चर्चा कीजिए।
ललयद कश्मीरी कवयित्री हैं। कश्मीर पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इसे अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi वाख Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवयित्री ने ईश्वर प्राप्ति के लिए कौन-सा मार्ग बताया है ?
उत्तर-
कवयित्री ने बताया है कि आत्मा परमात्मा का ही अभिन्न अंग है। इसलिए परमात्मा की प्राप्ति के लिए दिल में बेचैनी का बना रहना स्वाभाविक है। उनके अनुसार सांसारिक उपाय नश्वर हैं। इनसे ईश्वर की प्राप्ति असंभव है। जीवन में सहज त्याग और भोग में अनासक्ति आवश्यक है। इसके साथ-साथ अपने आप को जानना अर्थात् आत्मज्ञान-प्राप्ति का मार्ग मोक्ष ही ईश्वर-प्राप्ति का उचित मार्ग है। .

प्रश्न 2.
कवयित्री के अनुसार ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग में कौन-कौन-सी प्रमुख बाधाएँ हैं ?
उत्तर-
कवयित्री ईश्वर-प्राप्ति के लिए सहज भक्ति मार्ग का समर्थन करती है। इसलिए वह सांसारिक आडंबरों, हठयोग आदि को ईश्वर-प्राप्ति के मार्ग में बाधा बताती है। कवयित्री के अनुसार अहंकार ईश्वर-प्राप्ति की सबसे बड़ी बाधा है। इसी प्रकार सांप्रदायिक भेदभाव में फँसा व्यक्ति भी मोक्ष या ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकता।

प्रश्न 3.
‘वाख’ कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने स्पष्ट किया है कि सांसारिक जीवन नश्वर है। सांसारिक मोह में लीन रहने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती। किन्तु जब आत्मा अपने स्वरूप को पहचान लेती है अर्थात् जब उसे आत्मज्ञान हो जाता है, तब वह ईश्वर से मिलने के लिए बेचैन हो उठती है। सहज भाव की भक्ति से ही व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। योग, त्याग या हठयोग से ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
ललघद किस भाषा की कवयित्री थी ?
(A) पंजाबी
(B) मराठी
(C) कश्मीरी
(D) हरियाणवी
उत्तर-
(C) कश्मीरी

प्रश्न 2.
ललघद किस काव्यधारा की कवयित्री थी ?
(A) संत काव्यधारा की
(B) सगुण भक्ति काव्यधारा की
(C) आधुनिक काव्यधारा की
(D) छायावादी काव्यधारा की
उत्तर-
(A) संत काव्यधारा की

प्रश्न 3.
कवयित्री ललघद का जन्म कब हुआ ?
(A) सन् 1236 में
(B) सन् 1320 में
(C) सन् 1326 में
(D) सन् 1400 में
उत्तर-
(B) सन् 1320 में

प्रश्न 4.
ललघद का जन्म किस जिले में हुआ था ?
(A) जम्मू में
(B) पापोर जिले में
(C) श्रीनगर में
(D) उधमपुर जिले में
उत्तर-
(B) पांपोर जिले में

प्रश्न 5.
कवयित्री ललघद का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1361 में
(B) सन् 1371 में
(C) सन् 1381 में
(D) सन् 1391 में
उत्तर-
(D) सन् 1391 में

प्रश्न 6.
ललयद किस काव्य शैली में लिखती थी ?
(A) दोहा शैली में
(B) चौपाई शैली में
(C) वाख शैली में
(D) मुक्तक शैली में
उत्तर-
(C) वाख शैली में

प्रश्न 7.
ललयद के वाखों का संबंध किससे है ?
(A) धन से
(B) ईश्वर से
(C) जीवन से
(D) प्रकृति से
उत्तर-
(C) जीवन से

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

प्रश्न 8.
ललघद ने किसका कड़ा विरोध किया था ?
(A) धार्मिक आडंबरों का
(B) लालची प्रवृत्ति का
(C) झूठ का
(D) रूढ़ियों का
उत्तर-
(A) धार्मिक आडंबरों का

प्रश्न 9.
ललयद ने किस मार्ग पर चलने का उपदेश दिया ?
(A) धर्म के मार्ग पर
(B) भक्ति के मार्ग पर
(C) सांसारिक मार्ग पर
(D) योग के मार्ग पर
उत्तर-
(B) भक्ति के मार्ग पर

प्रश्न 10.
कवयित्री ललबद ने जीवन में सबसे मूल्यवान किसे बताया ?
(A) प्रेम को
(B) त्याग को
(C) वैराग्य को
(D) साधना को
उत्तर-
(A) प्रेम को

प्रश्न 11.
ललघद का काव्य किन तत्त्वों से प्रेरित था ?
(A) जीवन मूल्य
(B) लोक जीवन
(C) सामाजिक मूल्य
(D) वैज्ञानिक
उत्तर-
(B) लोक जीवन

प्रश्न 12.
ललधद का काव्य किस भाषा का स्तंभ माना जाता है ?
(A) पंजाबी भाषा का
(B) आधुनिक कश्मीरी भाषा का
(C) मराठी भाषा का
(D) उड़िया भाषा का
उत्तर-
(B) आधुनिक कश्मीरी भाषा का

प्रश्न 13.
‘खा-खाकर ………………… द्वार की।’ पद्यांश का प्रमुख विषय है-
(A) भक्ति-भावना
(B) बाह्याडंबरों का विरोध
(C) लालच
(D) जातिगत भेदभाव
उत्तर-
(B) बाह्याडंबरों का विरोध

प्रश्न 14.
कवयित्री ने ईश्वर प्राप्ति के अपने प्रयासों की उपमा किससे की है ?
(A) कच्चे सकोरे से
(B) फूलों से
(C) पक्की रस्सी से
(D) सोने के बर्तन से
उत्तर-
(A) कच्चे सकोरे से

प्रश्न 15.
कवयित्री को कौन-सी चाह घेरे हुई थी ?
(A) घर जाने की
(B) बगीचे में जाने की
(C) देहली जाने की
(D) सैर करने की
उत्तर-
(A) घर जाने की

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प्रश्न 16.
कवयित्री ने मनुष्य को किस स्थिति में अहंकारी होने की बात कही है ?
(A) न सोने की
(B) सैर न करने की
(C) न खाने की
(D) न मरने की
उत्तर-
(C) न खाने की

प्रश्न 17.
कवयित्री के अनुसार समभावी कैसे बन सकते हैं ?
(A) सबसे समान व्यवहार करने से
(B) सब कुछ खाने से
(C) समान भाव से सोचने से
(D) समान भाव से सोने से
उत्तर-
(A) सबसे समान व्यवहार करने से

प्रश्न 18.
‘खुलेगी साँकल बंद द्वार की’ में किस द्वार की ओर संकेत किया गया है ?
(A) जेल के द्वार
(B) मन रूपी द्वार
(C) घर के द्वार
(D) पाठशाला के द्वार
उत्तर-
(B) मन रूपी द्वार

प्रश्न 19.
‘खुलेगी साँकल बंद द्वार की’ पंक्ति में साँकल से तात्पर्य है-
(A) मोहमाया के बंधन
(B) प्रेम के बंधन
(C) लालच
(D) भ्रम
उत्तर-
(A) मोहमाया के बंधन

प्रश्न 20.
‘आई सीधी राह से’ में आने से क्या तात्पर्य है ?
(A) जन्म लेना
(B) आकाश से नीचे उतरना
(C) संसार में प्रवेश करना
(D) परमात्मा के घर से आना
उत्तर-
(A) जन्म लेना

प्रश्न 21.
‘आई सीधी राह ………. क्या उतराई’ पद में माँझी किसे कहा गया है ?
(A) नाविक को
(B) मनुष्य को
(C) ईश्वर को
(D) पति को
उत्तर-
(C) ईश्वर को

प्रश्न 22.
‘जेब टटोली, कौड़ी न पाई।’ में ‘कौड़ी’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त किया गया है ?
(A) एक सिक्के के लिए
(B) धन के लिए
(C) रुपए के लिए
(D) सद्कर्म के लिए
उत्तर-
(D) सद्कर्म के लिए

प्रश्न 23.
ललधद के अनुसार शिव (परमात्मा) कहाँ बसता है ?
(A) आकाश में
(B) हर स्थान में
(C) पर्वत पर
(D) मंदिर में
उत्तर-
(B) हर स्थान में

प्रश्न 24.
कवयित्री ने ज्ञानी किसे कहा है ?
(A) जो ज्ञान रखता हो
(B) जो शास्त्र पढ़ता हो
(C) जो स्वयं को जानता हो
(D) जो दूसरों को जानता हो
उत्तर-
(C) जो स्वयं को जानता हो

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प्रश्न 25.
ललघद ने ईश्वर की पहचान क्या बताई है ?
(A) आत्मा की पहचान
(B) संसार की पहचान
(C) अच्छे-बुरे की पहचान
(D) छोटे-बड़े की पहचान
उत्तर-
(A) आत्मा की पहचान

प्रश्न 26.
‘रस्सी कच्चे धागे की’ कहने के पीछे कवयित्री का क्या आशय है ?
(A) सांसें
(B) धागा कच्चा है
(C) धागा कपास का है
(D) कमजोर साथी
उत्तर-
(A) सांसें

वाख अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे।
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे ॥ [पृष्ठ 97]

शब्दार्थ-रस्सी कच्चे धागे = कमजोर व नाशवान सहारे। नाव = जीवन रूपी नाव । भवसागर = संसार रूपी सागर । सकोरा = मिट्टी का बना छोटा कटोरा । हूक = पीड़ा।

प्रश्न
(1) कवयित्री एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश का भाषा-वैशिष्ट्य स्पष्ट कीजिए।
(6) ‘घर जाने की चाह है घेरे’ में कौन-से ‘घर’ की ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर-
(1) कवयित्री-ललद्यद।
कविता-वाख।

(2) व्याख्या कवयित्री का कथन है कि मैं अपनी जीवन रूपी नाव को कच्चे धागों के समान अत्यंत क्षीण एवं कमजोर साधनों से खींच रही हूँ अर्थात संसार रूपी सागर से जीवन रूपी नाव को सांसारिक एवं नश्वर उपायों द्वारा पार ले जाने का प्रयास कर रही हूँ। न जाने ईश्वर कब मेरी प्रार्थना सुनकर मेरी जीवन रूपी नाव को संसार रूपी सागर से पार करेंगे। मेरा यह जीवन मिट्टी के सकोरे के समान नाशवान एवं क्षणभंगुर है। जैसे कच्ची मिट्टी का सकोरा पानी लगने से गलकर टूट जाता है; ऐसा ही मेरा जीवन नश्वर है। इसलिए जीवन की इस नाव को खींचने के मेरे सारे प्रयास व्यर्थ प्रतीत होते हैं। संसार एवं जीवन की नश्वरता को देखकर मेरे हृदय में एक तीव्र पीड़ा उठती रहती है और अपने घर अर्थात ईश्वर के पास जाने की इच्छा सदैव घेरे रहती है।
भावार्थ-कवयित्री के कहने का भाव है कि मानव-जीवन नश्वर एवं क्षणिक है। उसके द्वारा संसार रूपी सागर को तब तक पार नहीं किया जा सकता जब तक ईश्वर की कृपा न हो।

(3) प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री ने मानव-जीवन की तुलना कच्चे धागे एवं कच्ची मिट्टी के सकोरे से करके उसकी नश्वरता एवं क्षणभंगुरता को व्यक्त किया है। साथ ही कवयित्री ने प्रभु से अपनी मुक्ति हेतु प्रार्थना की है। प्रभु-मिलन की आत्मा की व्याकुलता को भी उद्घाटित किया गया है।

(4) (क) प्रस्तुत पद्य ‘वाख’ शैली में रचित है।
(ख). ‘नाव’ तथा ‘भवसागर’ में रूपक अलंकार है।
(ग) ‘रह-रह’ में वीप्सा अलंकार का प्रयोग है।
(घ) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ङ) संपूर्ण पद में संगीतात्मकता है।

(5) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है। कवयित्री ने अपने काव्य की भाषा को जहाँ संगीतमय बनाया है, वहीं अलंकारों का उचित प्रयोग भी दृष्टिगोचर होता है। ‘वाख’ शैली का सफल प्रयोग किया गया है।

(6) प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री ने आत्मा के वास्तविक घर परमात्मा के पास जाने का संकेत किया है।

2. खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी,
खुलेगी साँकल बंद द्वार की। [पृष्ठ 97]

शब्दार्थ-अहंकारी = घमंडी। सम (शम) = अंतःकरण एवं बाह्य-इंद्रियों का निग्रह (इंद्रियों को उनके विषयों से विमुख करके ईश्वर में लगाना)। समभावी = समानता की भावना। खुलेगी साँकल बंद द्वार की = चेतना व्यापक होगी, मन मुक्त होना।

प्रश्न
(1) कवयित्री एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य लिखिए।
(5) व्यक्ति समभावी कैसे बन सकता है ?
(6) ‘खुलेगी साँकल बंद द्वार की’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवयित्री-ललद्यद। कविता-वाख।

(2) व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने मनुष्य को चेतावनी देते हुए कहा है कि इस जीवन में सांसारिक सुखों को भोगने पर कुछ भी प्राप्त नहीं होगा और यदि तू सांसारिक वस्तुओं अर्थात धन-दौलत को जोड़ेगा तो तेरे मन में धन-दौलत का अहंकार उत्पन्न हो जाएगा। कहने का अभिप्राय है कि सांसारिक सुखों को भोगना व धन-दौलत को एकत्रित करना, दोनों ही मनुष्य की मुक्ति के मार्ग में बाधक हैं। कवयित्री ने इनसे बचने के उपाय की ओर संकेत करते हुए कहा है कि मनुष्य को अंतःकरण एवं बाह्य-इंद्रियों का निग्रह करना चाहिए। सांसारिक साधनों के प्रति समभाव बनाए रखना चाहिए, तभी मनुष्य समभावी बन सकता है। ऐसा करने पर उसकी चेतना का विकास होगा और उसे मुक्ति प्राप्त होगी अर्थात मनुष्य को सांसारिक मोह-माया के बंधनों से मुक्ति मिल सकेगी।
भावार्थ-कवयित्री के कहने का अभिप्राय है कि मानव को सुख-दुख में समभाव बनाए रखना चाहिए। इसमें ही उसकी मुक्ति संभव है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

(3) मनुष्य को समभाव रखते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए। अपनी इंद्रियों को वश में करके उन्हें ईश्वर की भक्ति में लगाने का प्रयास करना चाहिए, तभी वह मोक्ष को प्राप्त कर सकेगा।

(4) (क) ‘वाख ‘शैली का सुंदर एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ख) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ग) ‘खा-खाकर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(घ) ‘सम’ में यमक अलंकार है।
(ङ) ‘बंद द्वार’ अवरुद्ध चेतना का प्रतीक है।

(5) कवयित्री के अनुसार सम खाने से अर्थात अंतःकरण एवं बाह्य-इंद्रियों का निग्रह करने पर ही व्यक्ति समभावी बन सकता है।

(6) प्रस्तुत पंक्ति में बताया गया है कि समभाव अपनाने से मनुष्य की चेतना का विकास होगा और सांसारिक मोह-माया के बंधन से मुक्ति या मोक्ष प्राप्त होगा।

3. आई सीधी राह से, गई न सीधी राह।
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
माझी को दूं, क्या उतराई ? [पृष्ठ 97]

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

शब्दार्थ-सुषुम-सेतु = सुषुम्ना नाड़ी रूपी पुल (हठयोग में शरीर की तीन प्रधान नाड़ियों में से एक नाड़ी सुषुम्ना है, जो नासिका के मध्य भाग ब्रह्मरंध्र में स्थित है)। जेब टटोली = आत्मालोचन किया। कौड़ी न पाई = कुछ भी प्राप्त न हुआ। माझी = नाविक, ईश्वर, गुरु। उतराई = सत्कर्म रूपी मेहनताना।

प्रश्न
(1) कवयित्री एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(5) जेब टटोलना का क्या तात्पर्य है ?
(6) प्रस्तुत पद में किस भक्ति-पद्धति का विरोध किया गया है ?
उत्तर-
(1) कवयित्री-ललद्यद। कविता-वाख।

(2) व्याख्या प्रस्तुत पद में कवयित्री ने बताया है कि प्राणी इस संसार में सीधे मार्ग से आता है। उस समय उसके मन में किसी प्रकार की कोई बुराई नहीं होती, किन्तु संसार में आकर वह ईश्वर-विमुख मार्ग पर चलने लगता है और अंत तक उसी मार्ग पर चलता रहता है। कवयित्री पुनः कहती है कि मैं हठयोग आदि विभिन्न उपायों के माध्यम से ईश्वर-प्राप्ति का प्रयास करती रही, किन्तु संपूर्ण जीवन बीत गया, पर ईश्वर की प्राप्ति नहीं हुई। तत्पश्चात उसने अपनी जेब टटोली अर्थात आत्मालोचन किया तो पता चला कि मेरे पास तो अपने माझी (गुरु, ईश्वर व नाविक) को देने के लिए कुछ भी नहीं है।
भावार्थ-कहने का तात्पर्य है कि मनुष्य इस संसार से अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाता। इसलिए उसे सांसारिक लोभ अथवा मोह में नहीं बँधना चाहिए।

(3) प्रस्तुत पद में कवयित्री ने मानव को सीधे मार्ग अर्थात ईश्वर-भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। मानव को ईश्वर-प्राप्ति का सहज मार्ग अपनाना चाहिए। आत्मालोचन भी अनिवार्य है, क्योंकि इससे अपने हृदय में विद्यमान गुण-दोषों का बोध हो जाता है।

(4) (क) प्रस्तुत पद ‘वाख’ शैली में रचित है। (ख) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है। (ग) ‘जेब टटोली’ एवं ‘कौड़ी न पाई’ पदों का लाक्षणिक प्रयोग देखते ही बनता है। (घ) स्वर-मैत्री का प्रयोग है।

(5) ‘जेब टटोलना’ का तात्पर्य आत्मालोचन करना है, क्योंकि आत्मालोचन से ही मनुष्य अपने गुण-दोषों को पहचान सकता है।

(6) इस पद में कवयित्री ने हठयोग-पद्धति का विरोध किया है।

4. थल-थल में बसता है शिव ही,
भेद न कर क्या हिंदू-मुसलमां।
ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
वही है साहिब से पहचान ॥ [पृष्ठ 98]

शब्दार्थ-थल-थल = सब जगह। शिव = ईश्वर। साहिब = ईश्वर, स्वामी।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 11 सवैये

प्रश्न
(1) कवयित्री एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
(3) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(4) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(5) कवयित्री के अनुसार ईश्वर कहाँ बसता है ? ।
(6) इस पद में ज्ञानी किसे कहा गया है ?
(7) इस पद के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवयित्री-ललद्यद। कविता-वाख।

(2) प्रस्तुत पद में कवयित्री ने ईश्वर के सर्वव्यापक रूप को पहचानने का उपदेश दिया है।

(3) व्याख्या कवयित्री का कथन है कि ईश्वर (शिव) हर स्थान में विद्यमान है। प्रत्येक प्राणी के हृदय में उसका निवास है। इसलिए हिंदुओं व मुसलमानों के ईश्वर अलग-अलग नहीं हैं। ईश्वर को लेकर हमें ऐसा भेदभाव नहीं करना चाहिए। जो आत्मालोचन द्वारा स्वयं को जान लेता है, वही सच्चा ज्ञानी होता है। अपने-आपको अर्थात आत्मा को पहचानना ही ईश्वर को पहचानना है।
भावार्थ-कहने का भाव है कि ईश्वर सर्वव्यापक है और आत्मज्ञान से ही उसे प्राप्त किया जा सकता है।

(4) (क) प्रस्तुत पद ‘वाख’ शैली में रचित है।
(ख) ‘थल-थल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ग) भाषा सरल, सहज एवं प्रवाहयुक्त है।
(घ) शब्द-चयन विषयानुकूल है।

(5) कवयित्री के अनुसार ईश्वर प्रत्येक स्थान पर बसता है। उसे प्रत्येक प्राणी के हृदय में अनुभव किया जा सकता है।

(6) जिसे आत्मज्ञान हो, उसे ही कवयित्री ने ज्ञानी कहा है। आत्मज्ञानी ही ईश्वर को पहचान सकता है।

(7) कवयित्री ने ईश्वर की सर्वव्यापकता को स्पष्ट किया है। उनके अनुसार ईश्वर जल-थल और हर तीर्थ स्थान में भी रहता है। आत्मज्ञान के द्वारा ईश्वर को जानने वाला व्यक्ति ही ज्ञानी है। अतः हमें ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। यही मानव-जीवन का परम लक्ष्य है।

वाख Summary in Hindi

वाख कवयित्री-परिचय

प्रश्न-
संत-कवयित्री ललघद का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
संत-कवयित्री ललद्यद का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-ललद्यद का नाम कश्मीरी संत कवियों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। वे अपने युग की कश्मीरी भाषा की लोकप्रिय संत-कवयित्री थीं। उनका जन्म सन् 1320 के लगभग कश्मीर स्थित पांपोर के सिमपुरा गाँव में हुआ था। उनके जीवन के विषय में विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। अन्य संत कवियों की भाँति ही उनके जीवन के विषय में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती। ललधद को लल्लेश्वरी, लला, ललयोगेश्वरी, ललारिफा आदि नामों से भी जाना जाता है। उनकी मृत्यु सन् 1391 के लगभग स्वीकार की गई है।

2. प्रमुख रचनाएँ-ललद्यद की सभी काव्य-रचनाएँ ‘वाख’ शीर्षक के अंतर्गत उपलब्ध हैं। वस्तुतः ‘वाख’ उनकी काव्य-शैली है। जिस प्रकार हिंदी में कबीर के दोहे, मीरा के पद, तुलसी की चौपाइयाँ तथा रसखान के सवैये प्रसिद्ध हैं; उसी प्रकार ललद्यद के ‘वाख’ प्रसिद्ध हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-ललद्यद के काव्य की सबसे बड़ी विशेषता है कि वह तत्कालीन जीवन से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अपने वाखों के माध्यम से जाति एवं धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठकर भक्ति के मार्ग को अपनाने की प्रेरणा दी है। उनके काव्य में समाज में एकता स्थापित करने की भावना पर बल दिया गया है-

“थल-थल में बसता है शिव ही,
भेद न कर क्या हिंदू-मुसलमां।”

उनकी प्रवृत्ति खंडनात्मक न होकर मंडनात्मक थी। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि उन्होंने लोकमंगल की भावना को अभिव्यक्त किया है। उन्होंने धार्मिक आडंबरों का सर्वत्र विरोध किया है और प्रेम को सबसे बड़ा जीवन-मूल्य घोषित किया है।
संत-कवयित्री ललद्यद ने आत्मज्ञान को प्रमुखता दी है, क्योंकि आत्मज्ञान से ही स्वयं को एवं परमात्मा को जाना जा सकता है-

“ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
वही है साहिब से पहचान”

4. भाषा-शैली-संत-कवयित्री ललद्यद की रचनाएँ लोकजीवन से संबंधित हैं। इसलिए उन्होंने अपनी रचनाओं में तत्कालीन पंडिताऊ भाषा संस्कृत और दरबार के बोझ से दबी फारसी के स्थान पर लोकभाषा का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है। उनके काव्य की भाषा में लोकजीवन से संबंधित लोकभाषा के अनेक शब्दों का सार्थक प्रयोग किया गया है। उन्होंने अपने काव्य की भाषा को जहाँ संगीतमय बनाया है, वहाँ लोकप्रचलित मुहावरों एवं लोकोक्तियों का प्रयोग करके उसे सारग्राही एवं रोचक भी बनाया है। सदियों से कश्मीरी जनता की स्मृति और वाणी में ललद्यद की रचनाएँ जीवित हैं। विद्वान आधुनिक कश्मीरी भाषा के उद्भव एवं विकास का आधार-स्तंभ उनकी वाणी को मानते हैं।

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वाख कविता का सार/काव्य-परिचय

वाख

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘वाख’ शीर्षक कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
ललद्यद की प्रस्तुत काव्य-रचना ‘वाख’ में मानव-जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला गया है। उनकी दृष्टि में मानव-जीवन कच्चे धागे के समान कमजोर है। वह कभी भी टूट सकता है। मानव-जीवन की दशा कच्चे सकोरे की भाँति है, जो पानी लगने से नष्ट हो जाता है। दूसरे पद में कवयित्री ने अंतःकरण तथा बाह्य-इंद्रियों का निग्रह करने पर बल दिया है और जीवन में समभाव बनाए रखना आवश्यक बताया है। इसी से मानव-जीवन का कल्याण संभव है। तीसरे पद में कवयित्री ने ईश्वर की प्राप्ति के लिए हठयोग जैसी भक्ति-पद्धति की अपेक्षा सहज एवं स्वाभाविक भक्ति-पद्धति पर बल दिया है। अंतिम पद में ललद्यद ने ईश्वर की सर्वव्यापकता पर प्रकाश डाला है। उनके अनुसार ईश्वर कण-कण में बसता है। उसकी दृष्टि में हिंदू और मुसलमान आदि का कोई भेदभाव नहीं है। सब ईश्वर की संतान हैं। आत्मज्ञान से ही हम स्वयं को और ईश्वर को पहचान सकते हैं। अतः स्पष्ट है कि भक्तिकालीन अन्य संत कवियों की भाँति ही ललद्यद का काव्य भी मानव-जीवन से जुड़ा हुआ है।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

HBSE 9th Class Hindi नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Textbook Questions and Answers

नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर-
बालिका मैना ने सर्वप्रथम तर्क देते हुए सेनापति ‘हे’ से कहा कि इस मकान को गिराने में आपका क्या उद्देश्य है ? दूसरा तर्क देते हुए मैना ने कहा कि जिन लोगों ने आपके विरुद्ध शस्त्र उठाए थे, वे दोषी हैं; परंतु इस जड़ पदार्थ मकान ने क्या अपराध किया है ? इसके अतिरिक्त अंतिम बात जो मैना ने कही और जो सेनापति ‘हे’ को अत्यधिक प्रभावित कर गई वह थी कि मैना और ‘हे’ की बेटी ‘मेरी’ दोनों सखियाँ थीं और दोनों सहपाठिनें भी थीं। ‘मेरी’ का एक पत्र उस समय भी उसके पास था। यह सब सुनकर सेनापति ‘हे’ उसके महल की रक्षा का प्रयास करने लगा था।
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नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया का सारांश HBSE 9th Class प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?
उत्तर-
मैना उस मकान में रहती थी। उसके लिए वह केवल मकान नहीं, अपितु उसका घर था जिसमें पलकर वह बड़ी हुई थी। इसलिए उस मकान के प्रति उसके मन में अथाह प्रेम था। यही कारण था कि वह उस मकान को बचाना चाहती थी। दूसरी ओर, अंग्रेज़ अधिकारी नाना साहब से बदला लेने के लिए उससे संबंधित हर वस्तु को मिटा देना चाहते थे, क्योंकि उनके मन में बदले की आग जल रही थी। वे नाना साहब को तो गिरफ्तार न कर सके थे, किंतु उनके वंश के प्राणियों और मकान आदि को नष्ट करके अपने गुस्से व घृणा को शांत करना चाहते थे।

Class 9 Kshitij Chapter 5 Question Answer HBSE प्रश्न 3.
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे?
उत्तर-
वस्तुतः सर टामस ‘हे’ को अंग्रेज़ सरकार का आदेश था कि नाना साहब का कोई वंशज मिल जाए तो उसे मार डाला जाए। उसकी सारी संपत्ति को भी नष्ट कर दिया जाए। अंग्रेज़ होने के नाते उसे भी नाना साहब पर क्रोध था, किंतु देवी मैना ने उसे बताया कि उसकी बेटी ‘मेरी’ और उसके बीच मित्रता का संबंध था और वे दोनों एक-दूसरे को बहुत चाहती थीं। उसे ‘मेरी’ की मृत्यु के समाचार से बहुत दुःख हुआ था। “आप भी हमारे यहाँ पहले कई बार आ चुके हैं। उसका एक पत्र मेरे पास अब तक है।” यह सब सुनकर सेनापति ‘हे’ अत्यंत प्रभावित हुआ तथा मैना के प्रति दया के भाव दिखाने लगा और कहा कि यद्यपि मैं सरकारी नौकर हूँ और सरकार की आज्ञा पालन करना मेरा कर्तव्य है, किंतु फिर भी मैं तुम्हारी रक्षा करने का प्रयास करूँगा।

Class 9th Kshitij Chapter 5 Question Answer HBSE प्रश्न 4.
मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा.पूर्ण न होने दी?
उत्तर-
एक बार अर्द्ध रात्रि की चाँदनी में देवी मैना स्वच्छ एवं उज्ज्वल वस्त्र पहनकर नाना साहब के महल के मलबे के ढेर पर बैठी रो रही थी। उसकी आवाज सुनकर अनेक अंग्रेज़ सैनिक और जनरल अउटरम वहाँ आ पहुँचे। जनरल अउटरम ने उसे पहचान लिया और कहा कि यह नाना साहब की बेटी मैना है। उसने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया। तब मैना ने कहा कि मुझे कुछ समय दीजिए, जिसमें आज मैं यहाँ जी भरकर रो लूँ। यही उसकी अंतिम इच्छा थी, किंतु पाषाण हृदय जनरल अउटरम ने उसे ऐसा नहीं करने दिया क्योंकि उसे भय था कि कहीं मैना फिर आलोप न हो जाए और उसकी बदनामी होगी कि वह एक बालिका को गिरफ्तार नहीं कर सका। ऐसा करके वह सरकार की नज़रों में भी अच्छा बनना चाहता था।

Class 9 Hindi Chapter 5 Question Answer HBSE प्रश्न 5.
बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर-
बालिका मैना एक वीर और देशभक्त बालिका थी। वह इतनी बड़ी संख्या में अंग्रेज़ी सेना की उपस्थिति में तनिक नहीं डरी। उसके मन में अपने देश और अपने घर के प्रति अत्यधिक प्रेम था। इसलिए उसने अपने अकाट्य तर्कों के बल पर सेनापति ‘हे’ को भी अपने मकान और जीवन की रक्षा के लिए सहमत कर लिया था। कहने का भाव यह है कि बालिका मैना एक वीर, निडर, देशभक्त और तर्कशील कन्या थी। यही उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं जिन्हें हम अपने जीवन में अपनाना चाहेंगे ताकि हम भी उसकी भाँति वीर, निडर, देशभक्त और तर्कशील कहलवा सकें।

Class 9 Hindi Shitish Chapter 5 Question Answer HBSE प्रश्न 6.
‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था- ‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी।’ इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से क्या आशय है?
उत्तर-
पत्र के ‘भारत सरकार’ शब्द से आशय है-तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी, जो भारत में शासन चला रही थी, वह नाना साहब को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी।

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रचना और अभिव्यक्ति

Chapter 5 Hindi Class 9 Kshitij HBSE प्रश्न 7.
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?
उत्तर-
कहा गया है कि जो शक्ति तोप और तलवार में नहीं होती, वह शक्ति साहित्य में होती है। जो काम हम शक्ति का भय दिखाकर नहीं कर सकते, वही कार्य साहित्य सहज ही कर डालता है। कहने का भाव यह है कि ऐसे लेखन का जन-साधारण पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वे देवी मैना जैसी कन्या के महान त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े होंगे अथवा जो पहले से स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले रहे होंगे, उन्हें नई प्रेरणा व शक्ति मिली होगी और उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की गति को तीव्र कर दिया होगा जिससे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। अतः निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि ऐसे लेखन की स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने में मुख्य भूमिका रही होगी।

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है, इसलिए विद्यार्थी इसे स्वयं तैयार करेंगे।

प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप
(क) कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
(ख) अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं।

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प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर-
दिनेश मेरे स्कूल की छठी कक्षा का विद्यार्थी है। उसे इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर बहादुरी के लिए राष्ट्रपति ने पुरस्कार दिया है, जिसे सुनकर न केवल नगर के अपितु पूरे राज्य के लोग उस पर गर्व करने लगे हैं। हुआ यह था कि एक दिन जब वह स्कूल से लौट रहा था तो एक घर में रोने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं। ये आवाजें सुनकर उसने उस घर की घंटी बजाई तो भयंकर शक्ल वाला आदमी उसे डाँटने लगा। दिनेश ने यह समझ लिया था कि यह कोई चोर है। उसने कहा अंकल मुझे बड़ी प्यास लगी है, मुझे पानी पीना है। पानी के बहाने वह मना करने पर भी अंदर चला गया। उसने वहाँ देखा कि दो आदमी मकान मालिक की पत्नी का गला दबा रहे थे। दिनेश ने अपनी जान खतरे में डालकर एक आदमी की पीठ पर जोर से मुक्का मारा। वह आदमी औरत को छोड़कर उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ा, तब तक बाहर खड़ा आदमी भी दिनेश को पकड़ने में उसकी मदद करने के लिए आ गया, किंतु दिनेश इतनी तेजी से दौड़ा था कि उनकी पकड़ में नहीं आया और बाहर आकर उसने ‘चोर-चोर’ कहकर शोर मचा दिया। उसकी आवाज सुनकर रास्ते पर चलने वाले और आस-पड़ोस के लोग एकत्रित हो गए और चोरों पर टूट पड़े। दो चोर भागने में सफल हो गए, किंतु तीसरे को पकड़ लिया गया और पुलिस के हवाले कर दिया। इससे उस महिला की जान बच गई। दिनेश को उसकी इस बहादुरी के लिए पुरस्कार मिला।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिंदी गय का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए।
“इके बाद कराल रूपधारी जनरल अउटरम भी वहाँ पहुँच गया। वह उसे तुरंत पहिचानकर बोला-“ओह! यह नाना की लड़की मैना है!” पर वह बालिका किसी ओर न देखती थी और न अपने चारों ओर सैनिकों को देखकर ज़रा भी डरी। जनरल अउटरम ने आगे बढ़कर कहा,-“अंगरेज़ सरकार की आज्ञा से मैंने तुम्हें गिरफ्तार किया।”
उत्तर-
इसके पश्चात भयंकर रूपधारी अउटरम भी वहाँ पहुँच गया। वह उसे तुरंत पहचान कर बोला, “ओह! यह नाना की बेटी मैना है। पर वह बालिका किसी की ओर नहीं देख रही थी और न ही चारों ओर खड़े सैनिकों को देखकर ज़रा भी डरी। जनरल अउटरम ने आगे बढ़कर कहा,-“अंग्रेज सरकार की आज्ञा से मैं तुम्हें गिरफ्तार करता हूँ।”

पाठेतर सक्रियता

अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
इन पुस्तकों को पढ़िए-
‘भारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ’-राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
‘1857 की कहानियाँ’-ख्वाजा हसन निज़ामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
नोट-विद्यार्थी यह कार्य स्वयं करेंगे।
अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आज़ाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हज़ार रुपए भेंट किए। भाभी ने वे रुपए वहीं वापस कर दिए। कहा-“जब हम आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हज़ार रुपए दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।”

मुझे याद आता है सन 1937 का ज़माना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया-“चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।”

मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।

(1) स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया ?
(2) दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपए लेने से इंकार क्यों कर दिया ?
(3) दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं ?
(4) आज़ादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा ?
(5) दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे?
उत्तर-
(1) स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान उन्हें पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा 51 हजार रुपए भेंट करके व अनेक बड़े नेताओं द्वारा चुनाव लड़ने के लिए निमंत्रण देकर किया गया।
(2) दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपए लेने से यह कहकर इंकार कर दिया कि उसने स्वतंत्रता आंदोलन में व्यक्तिगत लाभ के लिए भाग नहीं लिया था। इन रुपयों से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, जिसको नई पीढ़ी के लोग पढ़कर क्रांतिकारी आंदोलन से अवगत होंगे।
(3) दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से इसलिए दूर रहना चाहती थी ताकि वह अपने जीवन का शेष समय नई पीढ़ी के निर्माण में लगा सके।
(4) आजादी के पश्चात उन्होंने अपने-आपको व्यस्त रखने के लिए एक विद्यालय आरंभ किया था जहाँ वह नई पीढ़ी के निर्माण के लिए रात-दिन लगी रहती थी।
(5) दुर्गा भाभी के जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, अपितु देश को स्वतंत्र करवाने के लिए भाग लिया था। इसलिए हमें भी सर्वप्रथम देश के हित की बात सोचनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत हित की।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

यह भी जानें

हिंदू-पंच-अपने समय की चर्चित पत्रिका हिंदू पंच का प्रकाशन 1926 में कलकत्ता से हुआ। इसके संपादक थे-ईश्वरीदत्त शर्मा। 1930 में इसका ‘बलिदान’ अंक निकला जिसे अंग्रेज़ सरकार ने तत्काल जब्त कर लिया। चाँद के ‘फाँसी’ अंक की तरह यह भी आज़ादी का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। इस अंक में देश और समाज के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले व्यक्तियों के बारे में बताया गया है।

HBSE 9th Class Hindi नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’, नामक पाठ के उद्देश्य (प्रतिपाद्य) को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
निश्चय ही यह पाठ महान उद्देश्य को लेकर लिखा गया है। मातृभूमि की स्वतंत्रता और उसकी रक्षा के लिए जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए, उनके जीवन का उत्कर्ष हमारे लिए गौरव और सम्मान की बात है। बहुत-से ऐसे वीर पुरुष व महिलाएँ हैं जिन्होंने अपना सब कुछ देश को स्वतंत्र करवाने में लगा दिया था। यहाँ तक कि अपने प्राणों की बाजी भी लगा दी। किंतु इतिहास में उन्हें कहीं कोई स्थान नहीं मिला। प्रस्तुत पाठ में नाना साहब की बेटी मैना के बलिदान का उल्लेख करके उनके प्रति श्रद्धा एवं सम्मान व्यक्त करना ही इसका प्रमुख लक्ष्य है। मैना चाहती तो समझौता करके आराम का जीवन जी सकती थी, किंतु वह एक वीर बालिका थी। उसने अंग्रेज़ों से जरा भी भय अनुभव नहीं किया और न ही अपने प्राणों की भीख ही माँगी। उसे अपने देश और अपनी आन से पूर्ण लगाव था। इसलिए उसने एक वीर बालिका की भाँति अपने जीवन का बलिदान किया। लेखिका ने इस पाठ के माध्यम से देश की नई पीढ़ी को अपने देश को आजाद करवाने वाले शहीदों के प्रति श्रद्धा एवं आदर का भाव रखने की प्रेरणा दी है। यही इस पाठ का प्रमुख लक्ष्य है जिसे व्यक्त करने में लेखिका को पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है।

प्रश्न 2.
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ नामक पाठ को पढ़ने पर अंग्रेज़ों के प्रति जो आपकी धारणा बनती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में सन 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वर्णन के साथ-साथ देवी मैना के महान त्याग और बलिदान का उल्लेख किया गया है। इस पाठ में बताया गया है कि कानपुर की लड़ाई में असफल होने पर नाना साहब इतनी जल्दी में वहाँ से भाग निकले कि अपनी बेटी मैना को अपने साथ न ले जा सके। उनके जाने के बाद कानपुर के विद्रोह का दमन करने के पश्चात तत्कालीन अंग्रेज जनरल अउटरम ने नाना साहब के बिठूर वाले भवन को तहस-नहस इसलिए कर दिया कि वह नाना साहब का था। इतना ही नहीं, उनकी निर्दोष एवं निरीह बालिका मैना को उसकी इच्छा के विरुद्ध गिरफ्तार करके कानपुर के किले में कैद ही नहीं किया, अपितु उसे जलती हुई भीषण आग में जीवित जला डाला। यह सब कुछ बदले की भावना से किया गया था यद्यपि देवी मैना निर्दोष थी। इस प्रकार पाठ में वर्णित घटना से पता चलता है कि अंग्रेज़ लोग अत्यंत संकीर्ण एवं निर्दयी थे। बदले की भावना में वे मानवता को भी भूल गए थे।

प्रश्न 3.
पठित पाठ के आधार पर बालिका मैना का चरित्र-चित्रण सार रूप में कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में मैना के महान बलिदान का चित्रण किया गया है। पाठ के पढ़ने पर पता चलता है कि बालिका मैना अत्यंत सुंदर व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। लेखिका ने कहा है कि जब अंग्रेज़ सैनिकों ने महल को गिराने के लिए वहाँ तोपें लगाईं तो महल के बरामदे में एक अत्यंत सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई। इसी प्रकार इतिहासकार महादेव चिटनवीस ने भी उसे अनुपम बालिका कहा है। इससे सिद्ध है कि देवी मैना अत्यंत सुंदर बालिका थी।

देवी मैना के मन में अपने घर के प्रति अत्यंत स्नेह था। इसलिए उसने सेनापति ‘हे’ को उसे न गिराने का अनुरोध ही नहीं किया, अपितु अपने तर्कों द्वारा उसे सहमत भी कर लिया था।
उसके मन में अंग्रेज़ों द्वारा अपने परिवार एवं देश के लोगों को मार देने का दुःख था। इसलिए वह अपने महल के मलबे के ढेर पर बैठकर जी भरकर रोना चाहती थी। यही उसकी अंतिम इच्छा भी थी।

देवी मैना वीर एवं निडर थी। वह अंग्रेज़ सेनाधिकारी व सैनिकों को इतनी बड़ी संख्या में देखकर जरा भी नहीं डरी, अपितु उसने साहसपूर्वक अपनी बात उनके सामने रखी। मौत का भय दिखाने पर भी वह अपने इरादे से टस-से-मस न हुई।

मैना एक तर्कशील युवती थी। उसने अपने तर्कों के द्वारा सेनापति ‘हे’ को परास्त कर दिया था और वह महल और उसके जीवन की रक्षा के लिए तैयार ही नहीं हो गया था, अपितु उसने गवर्नर को तार भी लिख भेजा था।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ पाठ की लेखिका का क्या नाम है?
(A) चपला देवी
(B) महादेवी वर्मा
(C) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(D) हरिशंकर परसाई
उत्तर-
(A) चपला देवी

प्रश्न 2.
नाना साहब का पूरा नाम क्या है?
(A) नाना साहब
(B) धुंधूपंत नाना साहब
(C) श्रीपंत नाना साहब
(D) पंत नाना साहब
उत्तर-
(B) धुंधूपंत नाना साहब

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प्रश्न 3.
मैना किसकी पुत्री थी?
(A) मंगल पाण्डेय
(B) गंगाधर राव
(C) धुंधूपंत नाना साहब
(D) गजराजपंत
उत्तर-
(C) धुंधूपंत नाना साहब

प्रश्न 4.
कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ों का सैनिक दल किस ओर गया था?
(A) बिठूर की ओर
(B) झाँसी की ओर
(C) लखनऊ की ओर
(D) बनारस की ओर
उत्तर-
(A) बिठूर की ओर

प्रश्न 5.
अंग्रेज़ अधिकारियों को किसको बरामदे में खड़े देखकर हैरानी हुई थी?
(A) नाना साहब को
(B) मैना देवी को
(C) झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को
(D) नाना साहब की पत्नी को
उत्तर-
(B) मैना देवी को

प्रश्न 6.
मैना ने अंग्रेज़ी अधिकारी से क्या करने के लिए कहा था?
(A) उसे रिहा करने को
(B) सेना को वापस ले जाने को
(C) महल पर गोले न बरसाने को
(D) उसकी रक्षा करने को
उत्तर-
(C) महल पर गोले न बरसाने को

प्रश्न 7.
मैना ने अंग्रेज़ अधिकारी से क्या प्रश्न किया था?
(A) क्या आप कृपा कर इस महल की रक्षा करेंगे
(B) क्या आप कृपा कर मेरी रक्षा करेंगे.
(C) क्या आप भारत छोड़कर नहीं जाएंगे।
(D) क्या तुम्हें निरीह प्राणियों पर दया आती है
उत्तर-
(A) क्या आप कृपा कर इस महल की रक्षा करेंगे

प्रश्न 8.
“कर्त्तव्य के अनुरोध से मुझे यह मकान गिराना ही होगा।”-ये शब्द किसने कहे थे?
(A) अउटरम ने
(B) सेनापति ‘हे’ ने
(C) लार्ड केनिंग ने
(D) सेनापति टोमस ने
उत्तर-
(B) सेनापति ‘हे’ ने

प्रश्न 9.
“नाना का स्मृति-चिह्न तक मिटा दिया जाए।”-ये शब्द किसने कहे थे?
(A) लॉर्ड केनिंग ने
(B) सेनापति ‘हे’ ने
(C) लंडन के मंत्रीमंडल ने
(D) सेनाध्यक्ष अउटरम ने
उत्तर-
(C) लंडन के मंत्रीमंडल ने

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प्रश्न 10.
उस समय लंडन का प्रसिद्ध अखबार कौन-सा था?
(A) नेशनल हेराल्ड
(B) टॉइम्स
(C) टॉइम्ज इंडिया
(D) हिन्दुस्तान टाइम्स
उत्तर-
(B) टाइम्स

प्रश्न 11.
“नाना की जिस कन्या के प्रति ‘हे’ ने दया दिखाई है, उसे उन्हीं के सामने फाँसी पर लटका देना चाहिए।” ये शब्द किसने कहे हैं?
(A) लंडन की महारानी ने
(B) लॉर्ड केनिंग ने
(C) हाउस ऑफ लार्ड्स ने
(D) भारतमंत्री ने
उत्तर-
(C) हाउस ऑफ लार्ड्स ने

प्रश्न 12.
नाना के भग्नावशिष्ट प्रासाद के ढेर पर बैठकर कौन रो रहा था?
(A) नाना साहब का बेटा
(B) नाना साहब की पत्नी
(C) नाना साहब का भाई
(D) नाना साहब की बेटी मैना
उत्तर-
(D) नाना साहब की बेटी मैना

प्रश्न 13.
मैना ने जनरल अउटरम के सामने अपनी कौन सी अंतिम इच्छा व्यक्त की थी?
(A) जी भरकर रोने की
(B) जी भरकर सोने की
(C) जी भरकर अपने नष्ट हुए महल को देखने की
(D) कुछ समय के लिए प्रार्थना करने की
उत्तर-
(A) जी भरकर रोने की

प्रश्न 14.
मैना की मृत्यु का समाचार किस अखबार में प्रकाशित हुआ था?
(A) मिलाप
(B) भारत मित्र
(C) बाखर
(D) टाइम्स
उत्तर-
(C) बाखर

प्रश्न 15.
लोगों ने जलती हुई मैना को देखकर उसे क्या समझकर प्रणाम किया था?
(A) देवी
(B) वीर पुत्री
(C) देशभक्त
(D) निडर भारतीय नारी
उत्तर-
(A) देवी

प्रश्न 16.
प्रस्तुत पाठ में नाना साहब के चरित्र की किस विशेषता को उजागर किया गया है?
(A) महान् योद्धा थे
(B) महान् देशभक्त थे
(C) महान् शासक थे
(D) महान् दानी थे
उत्तर-
(B) महान् देशभक्त थे

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नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

1. सन 1857 ई० के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। देवी मैना बिठूर में पिता के महल में रहती थी; पर विद्रोह दमन करने के बाद अंगरेज़ों ने बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया। उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है। [पृष्ठ 51]

शब्दार्थ-विद्रोही = क्रांतिकारी। दमन = समाप्त। क्रूरता = निर्दयता। निरीह = बेसहारा। निरपराध = बेकसूर। रोमांचकारी = रोंगटे खड़े कर देने वाला। पाषाण = पत्थर। द्रवीभूत = भावुक होना, पिघला देना।।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यावतरण हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ नामक पाठ से उद्धृत है। इसकी लेखिका चपला देवी हैं। यह पाठ वस्तुतः एक रिपोर्ट है। इसमें देवी मैना के बलिदान का रोमांचकारी उल्लेख किया गया है। इन पंक्तियों में नाना साहब की विवशता और देवी मैना के बलिदान का एक साथ उल्लेख किया गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखिका ने बताया है कि सन 1857 में हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में नाना साहब का महान योगदान था। वे अनेक मोर्चों पर लड़े थे। वे कानपुर की लड़ाई में असफल होने पर जब भागने लगे तो उनके पास इतना समय नहीं था कि वे अपनी पुत्री को महल से अपने साथ ले आते। देवी मैना बिठूर में अपने पिता के महल में रहती थी। अंग्रेजों ने कानपुर में क्रांति को दबाने के पश्चात बड़ी निर्दयतापूर्ण उस बेसहारा और बेकसूर देवी को आग में जलाकर भस्म कर दिया था। वह दृश्य ऐसा दर्दनाक था कि उसका वर्णन मात्र ही पत्थर हृदय वाले व्यक्तियों को भावुक बना देता है। उनके हृदय पिघल जाते हैं। कहने का भाव है कि देवी मैना को अत्यंत क्रूरतापूर्वक जलाया गया था।

विशेष-

  1. देवी मैना के महान बलिदान का उल्लेख अत्यंत भावनात्मकतापूर्ण शैली में किया गया है।
  2. लेखिका की देश-भक्ति और देवी मैना के प्रति श्रद्धा-भावना का बोध होता है।
  3. भाषा-शैली एक साधारण रिपोर्ताज जैसी है। – उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) मैना बिठूर के महल में कैसे रह गई ?
(2) मैना को जीवित जला डालने की सजा क्यों दी गई थी ?
(3) निरीह और निरपराध किसे और क्यों कहा गया है ?
(4) “उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है।” वाक्य का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
(1) जब नाना साहब कानपुर में रहकर स्वतंत्रता संग्राम का संचालन कर रहे थे तब उनकी बेटी मैना बिठूर के राजमहल में रह रही थी। नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। इस कारण वह बिठूर के महल में रह गई।
(2) मैना का कसूर बस इतना था कि वह स्वतंत्रता सेनानी नाना साहब की बेटी थी। नाना साहब से बदला लेने के लिए उनकी बेटी मैना को जीवित ही आग में जला दिया गया था। यह अंग्रेज़ों का अमानवीय एवं नीच कर्म था।
(3) निरीह और निरपराध मैना को कहा गया है। उसे निरीह इसलिए कहा गया है कि वह महल में अकेली रह गई थी। निरपराध उसे इसलिए कहा गया है कि उसने कभी किसी को पीड़ा तक नहीं पहुँचाई थी। न ही किसी को उससे किसी प्रकार का भय था।
(4) इस वाक्य के माध्यम से लेखक ने बताया है कि नाना साहब की शत्रुता का बदला उसकी मासूम बेटी को जीवित आग में भस्म करके लेना अंग्रेज़ों की कायरता का सबसे बड़ा प्रमाण है।

2. आपके विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाए थे, वे दोषी हैं; पर इस जड़ पदार्थ मकान ने आपका क्या अपराध किया है ? मेरा उद्देश्य इतना ही है, कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है, इसी से मैं प्रार्थना करती हूँ, कि इस मकान की रक्षा कीजिये। [पृष्ठ 52]

शब्दार्थ-विरुद्ध = खिलाफ। दोषी = कसूरवार। जड़ पदार्थ = निर्जीव। अपराध = कसूर।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसकी लेखिका चपला देवी हैं। इस पाठ में देवी मैना की अंग्रेज़ सेनाधिकारी जनरल अउटरम द्वारा निर्ममतापूर्ण हत्या का वर्णन किया गया है। इन पंक्तियों में देवी मैना के अपने महल के प्रति स्वाभाविक स्नेह को अभिव्यक्त किया गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-जब अंग्रेज सेनाधिकारी सर टामस ‘हे’ नाना साहब के बिठूर वाले महल को तोपों के गोलों से नष्ट करने वाले थे, तभी देवी मैना महल के बरामदे में आकर उनसे कहती है कि मैं मानती हूँ कि जिन लोगों ने अंग्रेज़ शासन के विरुद्ध शस्त्र उठाए थे अर्थात युद्ध किया वे कसूरवार हैं, आपके अपराधी हैं, किंतु इस जड़ पदार्थ मकान ने कौन-सा अपराध किया है जो आप इसे नष्ट करने पर तुले हुए हो। मेरी तो आपसे इतनी-सी प्रार्थना है कि आप इस मकान की रक्षा कीजिए। मेरे कहने का उद्देश्य यह है कि मुझे यह स्थान बहुत प्रिय है। इसलिए आप इसे नष्ट न करें।

विशेष-

  1. देवी मैना का अपने पैतृक मकान के प्रति स्वाभाविक लगाव का वर्णन किया गया है।
  2. देवी मैना की तर्कशीलता देखते ही बनती है।
  3. भाषा-शैली भावानुकूल एवं प्रभावशाली है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) ये शब्द किसने किससे कहे हैं ?
(2) प्रस्तुत पंक्तियों में मैना की किस भावना का बोध होता है ?
(3) अंग्रेजों द्वारा महल को गिराना उनकी किस भावना को उजागर करता है ?
(4) नाना साहब का यह महल कहाँ स्थित था ?
उत्तर-
(1) ये शब्द नाना साहब की बेटी मैना द्वारा अंग्रेज़ सेनापति ‘हे’ को कहे गए हैं।
(2) इन पंक्तियों में मैना की महल के प्रति स्नेह भावना एवं तर्कशीलता का पता चलता है।
(3) अंग्रेज़ों द्वारा नाना साहब के महल को गिराना उनकी क्रूरता एवं बदले की भावना को दर्शाता है।
(4) नाना साहब का यह महल बिठूर में स्थित था।

3. बड़े दुःख का विषय है, कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी, जिस पर समस्त अंगरेज़ जाति का भीषण क्रोध है। जब तक हम लोगों के शरीर में रक्त रहेगा, तब तक कानपुर में अंगरेज़ों के हत्याकांड का बदला लेना हम लोग न भूलेंगे। [पृष्ठ 54]

शब्दार्थ-दुर्वांत = निडर। भीषण = भयंकर। हत्याकांड = किसी को मारने की घटना।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ नामक पाठ से उद्धृत है। इसमें लेखिका चपला देवी ने देवी मैना के महान बलिदान और नाना साहब के अंग्रेज़ सत्ता पर छाए आतंक को चित्रित किया है। ये पंक्तियाँ तत्कालीन इंग्लैंड के प्रसिद्ध समाचार पत्र ‘टाइम्स’ में प्रकाशित हुई थीं। इन पंक्तियों में अंग्रेज़ जाति के नाना साहब पर किए गए क्रोध को दर्शाया गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-कानपुर में अंग्रेज़ सेना और भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में संघर्ष हुआ था। उसमें भारतीय सेनाएँ हार गई थीं और विद्रोह को दबा दिया गया था, किंतु इसकी कीमत अंग्रेज़ों को बहुत महँगी पड़ी थी। उसमें उनके स्त्री, पुरुष और बच्चे भी मारे गए थे। इसलिए अंग्रेज़ नाना साहब को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानने लगे थे। तत्कालीन भारत में अंग्रेज़ी सरकार नाना साहब को पकड़ नहीं सकी थी। इसलिए समाचार-पत्र में उनके ये विचार प्रकाशित हुए थे कि बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आज तक दुर्दात नाना साहब को पकड़ नहीं सकी, जिस पर समस्त अंग्रेज़ जाति का भयंकर क्रोध व्यक्त हो रहा था। उनका कहना था कि जब तक लोगों के शरीर में रक्त का प्रवाह रहेगा, तब तक कानपुर में हुए अंग्रेज़ों के हत्याकांड का बदला लेना हम लोग नहीं भूलेंगे।

विशेष-

  1. नाना साहब की देशभक्ति और बहादुरी का उल्लेख किया गया है। नाना साहब अंग्रेजों की आँख का काँटा बन गया था।
  2. भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) अंग्रेज़ जाति नाना साहब को दुर्दात क्यों मानती थी ?
(2) ये शब्द किसने और क्यों कहे थे ?
(3) इन पंक्तियों से अंग्रेजों की किस विशेषता का पता चलता है ?
(4) इन पंक्तियों में नाना साहब के जीवन की किस विशेषता का परिचय मिलता है ?
उत्तर-
(1) सन 1857 के संग्राम में कानपुर में अंग्रेज़ नर-नारियों की क्रूर हत्या की गई थी। इस हत्याकांड के लिए अंग्रेज़ लोग क्रांतिकारियों को दोषी मानते थे। अंग्रेज़ नाना साहब को क्रांतिकारियों का नेता समझते थे। इस हत्याकांड के लिए अंग्रेज़ नाना साहब को ही दोषी मानते थे। इसलिए वे उसे दुर्दीत अर्थात अत्याचारी कहते थे।
(2) ये शब्द ‘हाउस ऑफ़ लार्डस’ के सदस्यों द्वारा कहे गए थे जिन्हें तत्कालीन प्रमुख समाचार-पत्र ‘टाइम्स’ में प्रकाशित किया गया था।
(3) इन पंक्तियों से अंग्रेज़ जाति में बदले की भावना का पता चलता है। बदला लेने के लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।
(4) इन पंक्तियों से पता चलता है कि नाना साहब एक महान देशभक्त थे। वे देश को स्वतंत्र करवाना चाहते थे। शत्रु भी उनके नाम से डरता था।

5. “कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शान्त और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया।” [पृष्ठ 55]

शब्दार्थ-भीषण = भयंकर। हत्याकांड = हत्या का घृणित कार्य। अनुपमा = जिसकी कोई उपमा न हो।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्य-पंक्तियाँ हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग 1 में संकलित चपला देवी द्वारा रचित ‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ शीर्षक पाठ से उद्धृत हैं। इस पाठ में देवी मैना के देश-प्रेम और महान बलिदान का उल्लेख किया गया है। ये पंक्तियाँ महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध इतिहासकार महादेव चिटनवीस द्वारा प्रकाशित ‘बाखर’ नामक समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थीं जिन्हें लेखिका ने उद्धृत किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-श्री महादेव चिटनवीस ने लिखा है कि कल कानपुर के किले में एक भयंकर हत्याकांड हो गया अर्थात अग्नि में जलाकर मार देने की घटना घटित हुई। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना को धधकती हुई आग में जलाकर राख कर डाला। भीषण आग में बिना चिल्लाए शांत और सरल मूर्ति उस अत्यंत सुंदर बालिका को आग में जलते हुए देखकर सबने उसे देवी मानकर श्रद्धा भाव से प्रणाम किया। कहने का तात्पर्य है कि निरपराध बालिका को जीते जी आग में जलाने जैसा अमानवीय कार्य करना अंग्रेज़ जाति की संकीर्ण मनोवृत्ति को दर्शाता है।

विशेष-

  1. इस समाचार के माध्यम से देवी मैना के महान बलिदान का वर्णन किया गया है, साथ ही अंग्रेज़ शासन की क्रूरता को भी अभिव्यंजित किया गया है।
  2. भाषा-शैली भावों को अभिव्यंजित करने में पूर्णतः सक्षम है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) प्रस्तुत पंक्तियाँ किस समाचार-पत्र में प्रकाशित हुई थीं ?
(2) मैना को किस प्रकार मार डाला गया था ?
(3) कानपुरवासियों ने किसे देवी समझकर प्रणाम किया था ?
(4) इस गद्यांश के आधार पर अंग्रेज़ों की क्रूरता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
(1) प्रस्तुत पंक्तियाँ महादेव चिटनवीस के समाचार-पत्र ‘बाखर’ में प्रकाशित हुई थीं।
(2) मैना को धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दिया गया था। इस प्रकार उसकी निर्ममतापूर्ण हत्या की गई थी।
(3) कानपुरवासियों ने नाना साहब की पुत्री मैना को धधकती हुई आग में भस्म होते हुए देखा। उन्होंने उस बालिका को देवी समझकर प्रणाम किया था।
(4) इस गद्यांश से पता चलता है कि अंग्रेज़ अत्यंत क्रूर एवं निर्दयी हैं। उन्होंने एक भोली-भाली बालिका मैना को धधकती हुई आग में भस्म कर डाला। उसका इतना-सा दोष था कि वह नाना साहब की बेटी थी। इससे यह भी पता चलता है कि अंग्रेज़ बदले की भावना से भी ग्रस्त थे।

नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Summary in Hindi

नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया लेखक-परिचय

प्रश्न-
चपला देवी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
चपला देवी का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
चपला देवी द्विवेदी युग की लेखिका थीं। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विषय में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इतना अवश्य है कि स्वतंत्रता आंदोलन के समय पुरुष लेखकों व साहित्यकारों के साथ-साथ अनेक महिलाओं ने भी अपनी-अपनी साहित्यिक रचनाओं व अन्य लेखों से स्वतंत्रता आंदोलन को गति प्रदान की थी। उन्हीं महिला लेखिकाओं में से चपला देवी भी एक हैं। कई बार अनेक साहित्यकार इतिहास में स्थान नहीं पा सकते। चपला देवी भी उन्हीं साहित्यकारों में से एक हैं।

यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि सन 1857 की क्रांति के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब ने देश को आजाद करवाने में अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया था। बालिका मैना देवी नाना साहब की पुत्री थी जिसे क्रूर अंग्रेज़ों ने जिंदा जला दिया था। उस बालिका मैना देवी के महान बलिदान की कहानी को चपला देवी ने इस गद्य रचना में अभिव्यक्त किया है। यह गद्य रचना रिपोर्ताज का आरंभिक रूप है।

प्रस्तुत रचना को पढ़कर पता चलता है कि लेखिका चपला देवी ने इसमें अत्यंत सरल, सहज एवं व्यावहारिक भाषा का प्रयोग किया है। वाक्य-रचना कुछ स्थलों को छोड़कर व्याकरण की दृष्टि से सही है। तद्भव शब्दावली का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है। भावात्मक शैली का प्रयोग किया गया है। रिपोर्ताज में बालिका के बलिदान का चित्र सजीव हो उठता है। यही इस पाठ की सबसे बड़ी विशेषता है।

नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
मातृभूमि को स्वतंत्र करवाने के लिए जिन देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहति दी थी, उनमें देवी मैना का नाम भी सदा आदर से लिया जाएगा। प्रस्तुत पाठ को पाठ्यपुस्तक में रखने का प्रमुख लक्ष्य नई पीढ़ी के लोगों को देश को स्वतंत्र करवाने वाले बलिदानियों के विषय में जानकारी देना है। सन 1857 में जब नाना साहब कानपुर में भीषण नरसंहार में असफल होकर वहाँ से निकलने लगे तो अपनी बेटी मैना को साथ न ला सके। देवी मैना बिठूर में अपने पिता के महल में रहती थी। विद्रोह के दमन के पश्चात अंग्रेज़ सैनिक अधिकारियों ने निरीह एवं निरपराध देवी को जीवित ही आग में जला डाला। उस दृश्य को देखकर तो कठोर दिल वालों का भी हृदय पिघल गया होगा।

कानपुर पर कब्जा करने के पश्चात अंग्रेज़ सेना बिठूर के महल की ओर बढ़ी। वहाँ उन्होंने महल को लूटा, किंतु वहाँ उनके हाथ बहुत कम संपत्ति लगी। बाद में उस महल पर तोपों के गोले दागकर नष्ट करने की योजना बनाई गई। तब महल के बरामदे में एक सुंदर बालिका आकर खड़ी हो गई। उसने अंग्रेज़ सेना अधिकारी को गोले बरसाने से मना कर दिया और तर्क देते हुए कहा कि महल तो जड़ है। उसने किसी का क्या बिगाड़ा है। उसने अंग्रेज सेनापति ‘हे’ से महल की रक्षा करने के लिए कहा। किंतु सेनापति ने अपने कर्त्तव्य की दुहाई देते हुए अपनी असमर्थता व्यक्त की। देवी मैना ने एक अन्य तर्क देते हुए कहा कि उसकी बेटी ‘मेरी’, जो अब इस दुनिया में नहीं रही और उसमें बहत प्रेम था, उसका एक पत्र भी उसके पास है। यह सुनकर सेनापति का हृदय पसीज गया तथा उसने देवी मैना को पहचान भी लिया। उसने उसकी रक्षा के प्रयास करने का वचन भी दिया। किंतु उसी समय वहाँ प्रधान सेनापति जनरल अउटरम आ पहँचा। उसने बिगड़कर पूछा कि अभी तक महल क्यों नहीं उड़ाया गया। सेनापति ‘हे’ ने उससे महल को न उड़ाने का अनुरोध किया। किंतु जनरल अउटरम ने कहा कि नाना के वंश व महल पर दया दिखाना असंभव है। तभी उसने सेना को महल का द्वार तोड़कर अंदर घुसने के लिए आदेश दिया। ‘हे’ के चले जाने के बाद मैना छुप गई। सैनिक प्रयास करने पर भी उसे ढूँढ न सके। उसी समय लंडन के मंत्रिमंडल का तार भी आ गया कि वहाँ (लंडन की) की आज्ञा के विरुद्ध वे कुछ नहीं कर सकते। तभी तोपों के गोलों ने देखते-ही-देखते महल को मलबे के ढेर में बदल डाला, किंतु मैना का कहीं पता न चल सका।

उस समय लंडन के सुप्रसिद्ध समाचार पत्र ‘टाइम्स’ में 6 सितंबर, 1857 को एक लेख में लिखा गया था कि अत्यंत खेद का विषय है कि नाना साहब को आज तक भारत सरकार नहीं पकड़ सकी। संपूर्ण अंग्रेज़ जाति का उस पर भयंकर क्रोध है। वे उससे बदला लेना नहीं भूलेंगे। उस दिन पार्लमेंट की ‘हाउस ऑफ लार्ड्स’ की सभा में सर टामस ‘हे’ की उस रिपोर्ट का मज़ाक उड़ाया गया जिसमें उसने नाना की बेटी को क्षमा करने के लिए कहा था। इस रिपोर्ट को उन्होंने ‘हे’ का प्रेमालाप कहकर उसे अस्वीकार कर दिया।

सन 1857 की सितंबर मास की आधी रात के समय चाँदनी में एक बालिका स्वच्छ वस्त्र पहने हुए नाना साहब के महल के मलबे के ढेर पर बैठी हुई रो रही थी। उसकी रोने की आवाज सुनकर अंग्रेज़ सैनिक वहाँ आ गए। वह उनके किसी प्रश्न का उत्तर न देकर केवल रोती रही। उसी समय जनरल अउटरम भी वहाँ आ गया और उसने मैना को पहचान लिया तथा उसे गिरफ्तार कर लिया। वह सैनिकों के बीच घिरी हुई होने पर भी डरी नहीं। उसने इतना ही कहा कि मुझे जी भरकर रो लेने दीजिए। किसी ने उसकी नहीं सुनी और उसे कानपुर के किले में लाकर कैद कर दिया। उस समय के महान महाराष्ट्रीय इतिहासकार महादेव चिटनवीस के ‘बाखर’ नामक समाचार पत्र में छपा था, “कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया। नाना साहब की एकमात्र कन्या मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई। भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझकर प्रणाम किया।”

कठिन शब्दों के अर्थ –

[पृष्ठ-51] : विद्रोही = क्रांतिकारी। दमन करना = समाप्त करना। निरीह = बेसहारा। निरपराध = बेकसूर। अग्नि = आग। भस्म करना = जलाकर राख कर देना। पाषाण हृदय = पत्थर दिल, कठोर दिल। द्रवीभूत करना = पिघला देना। आश्चर्य = हैरानी। करुणापूर्ण = दयापूर्ण। अल्पवयस = कम उम्र।

[पृष्ठ 52] : उद्देश्य = लक्ष्य । वासस्थान = रहने का स्थान। विध्वंस = नष्ट। हृदय से चाहना = अत्यधिक प्रेम करना। होश उड़ना = अत्यधिक हैरान होना। सहचरी = सखी, सहेली। फिक्र = चिंता, सोच।

[पृष्ठ-53] : असंभव = जो हो न सके। फाटक = मुख्य द्वार। आशय = भाव, अर्थ। स्मृति-चिह्न = याद की पहचान। आज्ञा = आदेश। विरुद्ध = विपरीत। क्रूर = निर्दयी। मिट्टी में मिला देना = नाश कर देना।

[पृष्ठ-54-55] : भारत सरकार = उस समय के भारत में अंग्रेज़ी शासन को भारत सरकार कहा गया है। दुर्दीत = निडर। भीषण = भयंकर। कलंक = दोष । संहार करना = मार देना। वृद्धावस्था = बुढ़ापा। मोहित होना = आकृष्ट होना। प्रेमालाप = प्रेम की बातें। भग्नावशिष्ट = खंडहर। प्रासाद = महल। कराल = भयंकर। रूपधारी = रूप धारण करने वाला। कैद कर देना = बंदी बना देना। इतिहासवेत्ता = इतिहास को जानने वाला। हत्याकांड = किसी को मारने की घटना। अनुपमा = जिसकी कोई उपमा न हो।

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HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Grammar Change of Narration Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Grammar Change of Narration

Direct and Indirect Speech :
There are two ways of reporting the words spoken by a person :
(i) We may quote the actual words of the speaker. This is called Direct Speech. The words of the speaker are enclosed within inverted commas. For example, Ram said to me, “I am going to Delhi.”
(ii) We may convey the meaning or sense of the speaker without using his actual words. This is called Indirect Speech or Reported Speech. For example: Ram told me that he was going to Delhi.

The Reporting Verb and the Reported Speech: The part outside the inverted commas has three elements i.e. the verb introducing the speech is the Reporting Verb. It has a subject and an object as, e.g. Ram (subject) said (Reporting verb) to me (object). The words of the speech which are placed within the inverted commas are called “the reported speech”. Thus in the above sentence, “I am going to Delhi” is the reported speech.

General Rules For Changing Direct Speech Into Indirect Speech
(a) Change in Pronouns :
A sentence of Direct Speech has two parts. The part before the inverted commas is called Reporting Verb and the part within the inverted commas is called Reported Speech. When a direct sentence is changed into an indirect one, the pronouns of the Reported Speech change according to the reporting verb.

The following rules should be kept in mind :

  • The pronouns of the Ist person are changed according to the subject of the Reporting Verb.
  • The pronouns of the IInd person are changed according to the object of the Reporting Verb.
  • The pronouns of the IIIrd person of the Direct Speech are not changed at all.

The following diagram will make it clear :
HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration 1
For different kinds of pronouns, please study the following chart carefully.
HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration 2

(C) Change in Tenses :
(i) If the reporting verb is in the Present or Future tense, the tense of the Direct Speech does not change : He says, “I am going to Delhi.”
He says that he is going to Delhi.
(ii) When the reporting verb is in the past tense, the tense of the direct speech changes as follows:

DirectIndirect
Simple presentSimple past
Present continuousPast continuous
Present perfectPast perfect
Present perfect continuousPast perfect continuous
Simple pastPast perfect
Past continuousPast perfect continuous
FutureConditional (words/should)
Future continuousConditional continuous (would/should + be + verb + ing)
Future PerfectConditional Perfect (would should + have + III form)
Future perfect continuousConditional perfect continuous
CanCould
MayMight

HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration

Exceptions :
(i) The Present simple, when stating a general truth, does not change. He said, “Honesty is the best policy.” [H.B.S.E. March 2018 (Set-A)] He said that Honesty is the best policy.
(ii) Imaginary conditions (If …. were clauses) do not change :
He said, “If my son were here, I would be very happy.”
He said that if his son were there, he would be very happy.

(d) Change of Must :
(i) When must indicates future necessity or compulsion, it changes into the conditional :
He said, “I must leave tomorrow.”
He said that he would have to leave the next day.
(ii) For immediate necessity, must is changed into had to :
She said, “I must go home now.”
She said that she had to go home then.
(iii) When must indicates permanent rule, prohibition, etc., it does not change:
The Principal said, “Students mustn’t smoke in the class.”
The Principal said that the students mustn’t smoke in the class.

Different Types of Sentences in the Direct Speech
There are the following four kinds of sentences in the Direct Speech :
(a) Statements.
(b) Questions. (Interrogative Sentences)
(c) Imperative sentences.
(d) Exclamations.
We shall now discuss these one by one.

A. Statements

Rules for changing direct statements into the indirect :
(i) The conjunction that is placed between the reporting verb and the reported speech, but it is not essential and is often omitted. He said, “I like swimming.” He said that he liked swimming. Mohan said, “I am an early riser.” [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)] Mohan said that he is an early riser.
(ii) All the other general rules given earlier are followed.

Some Other Examples:

Direct SpeechIndirect Speech
1. Raju said, “We are moving into a new house.”Raju said that they were moving into a new house.
2. The servant says, “Lunch is ready.”The servant says that the lunch is ready.
3. Sita said, “Ram is my husband.”Sita said that Ram was her husband.
4. Monika said, “Godis omnipresent.”[2018 (Set-D)]Monika said that God is omnipresent.
5. He said to me, “I am speaking the truth.”He told me that he was speaking the truth.
6. Ramesh said, “I came here yesterday.”Ramesh said that he had come there the previous day.
7. He said, “I have won a lottery today.”He said that he had won a lottery that day.
8. She said, “I am not well.” [2018 (Set-A)]She said that she was not well.
9. He says, “The train will be late” [2020 (Set-B)]He says that the train will be late.
10. He said, “I like the book.” [2018 (Set-C)]He said that he liked the book.

Exercise 1
Rewrite the following statements into Indirect Speech:
1. “We are moving into a new house,” my neighbour said.
2. “If it rains we will have to cancel the match,” the captain said.
3. “We shall go to the zoo,” Ashok said to his friend.
4. I asked him, “Are you happy?” [H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]
5. “Those who have written the essay can go home,” the teacher said.
6. All my friends tell me, “You will be a great man one day.” (H.B.S.E. 2020 (Set-B)] [H.B.S.E. 2020 (Set-B)]
7. I said, “I have been ill since Monday.”
8. The teacher said, “Mahatma Gandhi believed in non-violence.”
9. “Your husband will soon be well.” Dr. Sapru told Mrs Rao.
10. “I am going to Delhi on the 10th.” Harpreet said.
Answers:
1. My neighbor said that they were moving into a new house.
2. The captain said that if it rained they would have to cancel the match.
3. Ashok told his friend that they would go to the zoo.
4. I asked him if he was happy.
5. The teacher said that those who had written the essay could go home.
6. All my friends tell me that I will be a great man one day.
7. I said that i had been ill since Monday.
8. The teacher said that Mahatma Gandhi believed in non-violence.
9. Dr. Sapru told Mrs. Rao that her husband would soon be well.
10. Harpreet said that he was going to Delhi on the 10th.

B. Interrogative Sentences
Rules of changing questions into Indirect Speech :
(i) The reporting verb is changed into ‘ask’, ‘inquire’, ‘wonder’, etc.
(ii) The interrogative form of the verb is changed into affirmative form by placing the subject before
the verb and deleting the question mark (?). When ‘do’, ‘does’, ‘did’ are used as helping verbs, they are deleted.
(iii) If the question begins with a question word, (or wh-word), for example, when, where, who, why, which, whose, whom, how, etc., no conjunction is used between the reporting verb and the reported speech.
(iv) If the question begins with a helping verb, ‘if’ or ‘whether’ is used as a conjunction between reporting verb and the reported speech.
(v) If shall indicates normal future, it changes into would or should. If it indicates request or suggestion, it changes into should.
(vi) For yes or no as answers to question, a clause must be provided for changing them into indirect speech.

Examples :
Direct: He said to me, “Where are you going ?”
Indirect: He asked me where I was going.
Direct: She said to me, “Do you know her ?” [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]
Indirect: She asked me if I knew her.
Direct: The teacher asked the pupil, “Have you done your work ?”.
Indirect: The teacher asked the pupil if (or whether) he had done his work.
Direct: He said to me, “Shall I help you ?”
Indirect: He asked me if he should help me.
Direct: I said to him, “Do you know Mohan ?” “No”!
Indirect: I asked him if he knew Mohan and he said that he did not know Mohan.

HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration

Some Other Examples :

Direct SpeechIndirect Speech
1. He said to me, “Do you live in Delhi ?”He asked me if I lived in Delhi.
2. She said to me, “Are you going to School ?”She asked me if (whether) I was going to school.
3. The teacher said to me, “Did you come late ?”The teacher asked me if I had come late.
4. I said to him, “May I take your pen?I asked him if I might take his pen.
5. She said to me, “Will you take tea ?”She asked me if I would take tea.
6. She said to me, “Where are you going ?”She asked me where I was going.
7. The girl said, “I shall do it.”The girl said that she would do it. [2019 (Set-B)]
8. She said to me, “What do you want ?”She asked me what I wanted.
9. She said to Ram, “When did you come ?”She asked Ram when he had come.
10. The teacher said to me, “Why have you not done your homework?”The teacher asked me why I had not done my homework.

Exercise 2
Change the form of narration in the following sentences :
1. The teacher said, “Oil floats on water.
2. Mohan said to me, “Are you going to Sangrur ?”
3. I said to her, “Do you want my help ?”
4. He said to me, “Are you well ?”
5. I said to my friend, “When did you come ?”
6. He said to me, “Is your father a doctor ?”
7. The shopkeeper said to me, “What do you want ?”
8. “Where does the Principal live ?” a parent asked the peon.
9. She said to her brother, “Do you like chocolate ?”
10. The student said to the Headmaster, “May I come in ?”
11. The policeman said to me, “Where do you live ?”
12. Ram said to Shyam, “What are you reading ?” [H.B.S.E. 2019 (Set-B)] [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]
Answers:
1. The teacher said that oil floats on water.
2. Mohan asked me if I was going to Sangrur.
3. I asked her if she wanted my help.
4. He asked me if I was well.
5. I asked my friend when he had come.
6. He asked me if my father was a doctor.
7. The shopkeeper asked me what I wanted.
8. A parent asked the peon where the Principal lived.
9. She asked her brother if he liked chocolate.
10. The student asked the Headmaster if he might come in.
11. The policeman asked me where I lived.
12. Ram asked Shyam what he was reading.

C. Imperative Sentences
Commands, requests, suggestions] Rules for changing Imperative Sentences into Indirect Speech :
(i) In indirect narration, the reporting verb ‘say’ is changed into ask, tell, order, command, beg, urge, remind, warn, etc. according to sense of the sentence. The word ‘ask’ can be used in all general imperative sentences where it is not clear whether the sentence is an order, request, etc.
(ii) After the reporting verb, to + infinitive is used.
(iii) Negative commands, requests, etc. are expressed by not + to-infinitive or forbid + to-infinitive.
(iv) Use of ‘let’: If élet’ means proposal, suggestion, command, or order, we use proposed, suggested, ordered, etc. If it means permission, we use “let’ + infinitive or ‘might be allowed.’

Examples :
Direct: He said, “Open the door.”
Indirect: He ordered/requested/told/asked me to open the door.
Direct: The captain said to the soldiers, “Fire at the enemy.”
Indirect: The captain ordered the soldiers to fire at the enemy.
Direct: The beggar said, “Please give me a rupee.”
Indirect: The beggar requested me to give him a rupee.
Direct: The teacher said, “Don’t make a noise, boys.”
Indirect: The teacher told the boys not to make a noise.
Or
The teacher forbade the boys to make a noise.
Direct: He said, “Let us go out for a walk.”
Indirect: He suggested going out for a walk.
Or
He suggested that we/they should go out for a walk.

Some Other Examples :

Direct SpeechIndirect Speech
1. He said to me, “Help the poor.”He asked me to help the poor.
2. The mother said to Leela, “Do not waste your time.”The mother advised Leela not to waste her time.
Or
3. Harish said to Mohan, “Listen to what I say.”The mother forbade Leela to waste her time.
4. I said to my father, “Allow me to go on an educational trip, please.”Harish asked Mohan to listen to what he said.
5. The commander said to his men, “March forward.”I requested my father to allow me to go on an educational trip.
6. He said to me, “Open the door.” [2017 (Set-A)]The commander ordered his men to march forward. He ordered me to open the door.
7. The teacher said to the boys, “Obey your parents.” The teacher advised the boys to obey their parents.
8. He said to me, “Put it on the table.”He asked me to put it on the table.
9. “Work hard if you want to pass,” said the teacher.The teacher advised him to work hard if he wanted to pass.
10. Father said to his son, “Do not mix up with bad boys.”Father advised his son not to mix up with bad boys.

Exercise 3
Change the following into Indirect Speech :
1. The Principal said to the peon, “Bring that file to me.”
2. The Headmaster said to the peon, “Ring the bell.”
3. I said to him, “Please don’t smoke here.”
4. She said to the me, “Open the window.”
5. He said to his son, “Never tell a lie.”
6. The captain said to the soldiers, “Fire at the enemy.”
7. Ram said to Mohan, “Listen to what I say.”
8. The manager said to the servant, “Go and post this letter.”
9. I said to the students, “Work regularly.”
10. “Lie down, Mohan”, the father said to his son. [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] [H.B.S.E. March, 2019 (Set-C)]
Answers:
1. The Principal ordered the peon to bring that file to him.
2. The Headmaster ordered the peon to ring the bell.
3. I requested him not to smoke there.
4. She ordered me to open the window.
5. He advised his son never to tell a lie.
6. The captain ordered the soldiers to fire at the enemy.
7. Ram asked Mohan to listen to what he said.
8. The Manager ordered the servant to go and post that letter.
9. I advised the students to work regularly.
10. The father ordered his son, Mohan to lie down.

D. Exclamations
There is no entirely accurate way of expressing exclamations in reported speech. The best method is to try to express the spirit of the exclamation in the indirect speech. You needn’t make indirect of every word in the direct speech. On the other hand, you may add extra words to convey the right spirit.

The following points, may, however, be noted :
(i) The reporting verb is changed into “exclaim’, “sigh’, etc. as the case may be. Some examples are:

InterjectionSuitable words showing sense
Alas!Sorrow
hurrah!joy
ugh, oh, heavens, whatsurprise/disgust
damn!swear
bravo!applaud/encourage
hello!greet
pooh-pooh!contempt

(ii) Exclamations with ‘what’ and ‘how’ are changed into, “He remarked/exclaimed that ……”
Examples :
Direct: He said, “Alas! I have injured my foot.”
Indirect: He exclaimed with sorrow that he had injured his foot.
Direct: The boys said, “Hurrah! We have won the match.”
Indirect: The boys exclaimed with joy that they had won the match.
Direct: He said, “Pooh pooh! what a dirty fellow.”
Indirect: He exclaimed with contempt that he was a very dirty fellow.
Direct: She said to me, “For God’s sake, save me.”
Indirect: She begged me to save her.

HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration

Some Other Examples :

Direct SpeechIndirect Speech
1. He said to me, “May you win a scholarship !”He wished that I might win a scholarship.
2. The teacher said, “May you top the list !”The teacher wished that I might top the list.
3. She said to Tinku, “May you recover soon !”She prayed that Tinku might recover soon.
4. Aruna said, “How foolish I have been!”Aruna confessed that she had been very foolish.
5. He said, “What a great misery!” [2020 (Set-A)]He exclaimed that it was great misery.
6. The woman said, “May God bless you !”The woman wished that God might bless him.
7. I said to Mohan, “What a powerful shot it is!”I applauded Mohan saying that it was a very powerful shot.
8. The farmer said, “Alas! I am ruined.”The farmer exclaimed with sorrow that he was ruined.
9. “Bravo! Well done!” he said. [2019 (Set-A)]He applauded them saying that they had done well.
10. Anil said, “How foolishly you acted.”Anil exclaimed that he had acted very foolishly.

Exercise 4
Change the following sentences into Indirect Speech :
1. “What a pleasant evening! Shall we go for a walk ?” said Sudhir to his friends.
2. “How stuffy it’s here! Let’s go and sit in the garden.” Prema said to her friends.
3. “How nice of you to have come !” my friend said to me.
4. My friend said to me, “How persuasively your lawyer argued the case !”
5. “What a pity you did not come to the party !” my friend said to me.
6. “What a lazy girl you are! How shabbily you have done your work !” the teacher said to Renuka.
7. “May God bless you !” said the old man to the boy.
8. “Alas ! what shall I do now?” cried the traveller. “Who will show me the way in this jungle ?”
9. “What a ghastly accident! the passer-by said. [H.B.S.E. March 2019 (Set-D)]
Answers:
1. Sudhir exclaimed that it was a pleasant evening and suggested to his friends that they should go for a walk.
2. Prema exclaimed that it was very stuffy there and proposed to her friends that they should go and sit in the garden.
3. My friend told me that it was very nice of me to have come.
4. My friend told me that my lawyer had argued the case very persuasively.
5. My friend exclaimed that it was a pity I had not come to the party.
6. The teacher rebuked Renuka, calling her a lazy girl, and said that she had done her work very shabbily.
7. The old man wished that God might bless the boy.
8. The traveller wondered sorrowfully what he should do then and who would show him the way in that jungle.
9. The passer-by exclaimed with wonder that it was a very ghastly accident.

Exercises For Practice (Solved)
Exercise 1
Change the form of the narration :
1. I said to her, “How is your father?” [H.B.S.E. March 2018 (Set-D)]
2. The teacher said, “Boys, don’t waste your time if you want to pass the examination.”
3. Ram will say, “I saw my teacher in the park.” [H.B.S.E. 2020 (Set-A)]
4. The girl said to him, “Where are we now ?”
5. I said, “ I have finished my work.” [H.B.S.E. 2020 (Set-C)]
6. Her husband said to her, “You may wear natural flowers.”
7. His uncle said, “Two and two make four.” [H.B.S.E. 2020 (Set-C)]
8. I said, “Boys, don’t make a noise in the class.”
9. “Do you wish to open an account ?” the manager asked the customer. [H.B.S.E. 2019 (Set-A)]
10. Mother said, “Tea is ready”. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]
Answers:
1. I asked her how her father was.
2. The teacher advised the boys not to waste their time if they wanted to pass the examination.
3. Ram will say that he saw his teacher in the park.
4. The girl asked him where they were then.
5. I said that i had finished my work.
6. Her husband told her that she might wear natural flowers.
7. His uncle said that two and two make four.
8. I forbade the boys to make a noise in the class.
9. The manager asked the customer if he wished to open an account.
10. Mother said that tea was ready.

Exercise 2
Change the form of the narration :
1. He said, “I have won a lottery today.” [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
2. I said to her, “Will you dine with me at the hotel?”
3. “I posted the letter,” said the boy. [H.B.S.E. 2019 (Set-B)]
4. The beggar said to me, “May God bless you with all the pleasures of life!”
5. The policeman said to him, “Give me your name and address.”
6. Mr. Hudson said to me, “I could show you one.”
7. I said to him, “Leave this place at once.” [H.B.S.E. 2018 (Set-D)]
8. He said, “I shall go there.” [H.B.S.E. 2020 (Set-D)]
9. I said to Mr. Hudson, “How long will they stay under ?”
10. “I have read a new novel by R. K. Narayan”, said Monika.” [H.B.S.E. 2019 (Set-A)]
Answers:
1. He said that he had won a lottery that day.
2. I asked her if she would dine with me at the hotel.
3. The boy said that he had posted the letter.
4. The beggar wished me that God might bless me with all the pleasures of life.
5. The policeman suggested to him that he should give him his name and address.
Or
The police advised him to give him his name and address.
6. Mr. Hudson told me that he could show me one.
7. I asked him to leave that place at once.
8. He said that he would go there.
9. I asked Mr. Hudson how long they would stay under.
10. Monika said that she had read a new novel by R.K. Narayan.

Exercise 3
Change the form of the narration :
1. She said to her father, “I will not marry the boy you have selected for me.”
2. “Wait a minute,” he said to his assistant.
3. The teacher said, “Don’t make a noise boys.” [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
4. Pasteur said, “What works for dogs may not work for human beings.”
5. Pasteur asked him if he thought he dared go abroad.
6. I said, “I agree to what he said.” [H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]
7. She said, “Kamla do you like this book?” [H.B.S.E. 2020 (Set-D)]
8. The man said, “We only prepare, Socrates, just so much as we deem enough.”
9. The teacher said to the boy, “Shut the door.” [H.B.S.E. 2020 (Set-C)]
10. The priest said, “Truth wins in the long race.” [H.B.S.E. 2020 (Set-D)]
Answers:
1. She told her father that she would not marry the boy he had selected for her.
2. He advised his assistant to wait a minute.
3. The teacher forbade the boys to make a noise.
4. Pasteur said that what worked for dogs might not work for human beings.
5. Pasteur said to him, “Do you think you dare go abroad?”
6. I said that I agreed to what he had said.
7. She asked Kamla if she liked that book.
8. The man told Socrates that they only prepared just so much as they deemed enough.
9. The teacher ordered the boy to shut the door.
10. The priest said that truth wins in the long race.

Exercise 4
Change the form of the narration :
1. “Go out and play for some time,” said the mother to her son. [H.B.S.E. 2019 (Set-D)]
2. I said to him, “Don’t trust him. He will leave you in the lurch.”
3. Her husband cried, “How stupid you are!”. [H.B.S.E. 2017 (Set-B) ]
4. “Choose, my dear,” said Madame Forestier to Loisel.
5. She asked him, “What do you wish me to do with that?”
6. The assistant asked the doctor, “Is he going to live ?”
7. The man’s wife asked, “Is he now out of danger ?”
8. Shivam said, “We are moving into a new house.”[H.B.S.E. 2017 (Set-D)]
9. He said to Meena, “I have passed the test.”
10. He said, “I do Yogasanas daily.” [H.B.S.E. 2019 (Set-C)]
Answers:
1. The mother asked her son to go out and play for some time.
2. I warned him not to trust him as he would leave him in the lurch.
3. Her husband exclaimed with surprise that she was very stupid.
4. Madame Forestier told Loisel lovingly to choose.
5. She asked him what he wished her to do with that.
6. The assistant asked the doctor if he was going to live.
7. The man’s wife asked if he was now out of danger.
8. Shivam said that they were moving into a new house.
9. He told Meena that he had passed the test.
10. He said that he does Yogasanas daily.

Exercise 5
Change the form of the narration :
1. I said to Miss Beam, “I have heard so much about the originality of your school.”
2. The old man said, “Alas! my only son is dead.” [H.B.S.E. 2017 (Set-D)]
3. Mohan said to his sister, “Where were you going with your friend yesterday?”
4. I said, “We are going toward the house.”
5. “I see some beautiful grounds,” I said.
6. The old man said to the boy, “May God bless you.” [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
7. Jack said to his aunt, “Sit down, you must be tired.”
8. Jill said, “What do you think of our little nest, Aunt Jane ?”
9. “What shall I tell him, Mummy ?” the child asked. [H.B.S.E. 2019 (Set-C)]
10. He said, “Let us go out for a walk.” [H.B.S.E. 2017 (Set-D)]
Answers:
1. I asked Miss Beam that I had heard so much about the originality of her school.
2. The old man exclaimed with sorrow that his only son was dead.
3. Mohan asked his sister where she had been going with her friend the previous day.
4. I said that they were going toward the house.
5. I said that I saw some beautiful grounds.
6. The old man wished the boy that God might blessed him.
7. Jack requested his aunt to sit down as she must have been tired.
8. Jill asked Aunt Jane what she thought of their little nest.
9. The child asked the Mummy what (he/she) should tell him.
10. He proposed that they should go out for a walk.

HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration

Exercises For Practice (Unsolved)
Exercise 1
Change the form of the narration :
1. Sid said to Tom, “Why didn’t you wake me sooner ?”
2. Tom said, “I don’t want to stay home from school.”
3. Tom said, “Sid, don’t juggle me.”
4. Şid told Tom not to wait and asked him to come quickly.
5. Tom said, “Auntie, please don’t pull it out.”
6. Sid asked, “Tom, why didn’t you wake me sooner ?”
7. She said, “Now that your tooth is out, you should go to school.”
8. Auntie said, “You should not have frightened me like this.”
9. Tom said to Sid, “Don’t call anybody.”
10. She said to Tom, “Open your mouth.”

Exercise 2
Change the form of the narration :
1. Sid said, “Aunt Polly, Tom is dying.”
2. Aunt Polly said, “What is the matter with your tooth ?”
3. “I don’t believe it,” said Aunt Polly.
4. Aunt Polly asked Tom what the matter with him was.
5. Tom said, “One of them is loose.”
6. Tom said, “Auntie, my sore toe is mortified.”
7. Auntie said to Tom, “Don’t begin that groaning again.”
8. She said, “Tom, what a turn you gave me.”
9. Sid asked, “How long have you been this way, Tom ?”
10. Sid said to Tom, “It makes my flesh crawl to hear you.”

Exercise 3
Change the form of the narration :
1. “Let’s get our fares back,” said one of the passengers.
2. “They stick by each other,” said a passenger.
3. “What is your number ?” said a passenger to the conductor.
4. “He has got his rules,” he said.
5. “He has been offered, and he won’t take it,” said he.
6. “I shall certainly do nothing of this kind,” said the woman.
7. “Call the police,” said someone.
8. The conductor said, “That is my order.”
9. “What is your number ?” said one.
10. Her lady companion said, “You have a cough.”

Exercise 4
Change the form of the narration :
1. “It would kill me,” said the lady.
2. “I will go on the top,” said the lady at last.
3. They said, “Let’s all report against him.”
4. “It’s nonsense,” said her male companion.
5. He told the lady that she must take that dog out.
6. The policeman asked him to give him his name and address.
7. I said to the conductor, “You have kept the rule and broken the spirit.”
8. He said, “Good Night.”
9. I said to him, “You should mix your rules with a little goodwill.”
10. The conductor wished him good night.

Exercise 5
Change the form of the narration :
1. I said to her, “Are your guides kind to you ?”
2. I said, “There is an old man tying up roses.”
3. I asked her if she did not ever peep.
4. She said, “Let us go out for a little walk.”
5. Miss Beam asked the writer what he saw outside.
6. Miss Beam said to the girl, “Here is a gentleman come to talk to you.”
7. She said, “What is the colour of her hair ?”
8. She said, “Then there is something in my system after all.”
9. She suggested that they should go out for a little walk.
10. I asked Miss Beam, “What are your scholastic methods ?”

HBSE 12th Class English Grammar Change of Narration

Exercise 6
Change the form of the narration :
1. “What do you see ?” Miss Beam asked me.
2. I asked the girl, “Shall I lead you somewhere ?”
3. My companion asked, “What has the girl got on ?”
4. The author said, “She seems to be a helpless cripple.”
5. He said to himself, “Can I see other’s woe ?”
6. She said, “I am coming to that.”
7. Miss Beam said, “The real aim of my school is to instil thoughtfulness.”
8. Miss Beam said to the author, “Lookout of the window for a minute.”
9. The girl said, “I think she is Millie.”
10. Miss Beam said, “Millie is the head girl.”

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

HBSE 9th Class Hindi ल्हासा की ओर Textbook Questions and Answers

ल्हासा की ओर पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्रवेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों ?
उत्तर-
लेखक जब पहली बार तिब्बत की यात्रा पर गया तो एक भिखारी के वेश में था। यात्रा के समय मार्ग में उसकी मुलाकात मंगोल जाति के बौद्ध भिक्षु से हुई थी, जिसे लेखक ने सुमति का नाम दिया। सुमति की तिब्बत के गाँवों में बहुत जान-पहचान थी। वहाँ के लोग उसका बहुत सम्मान करते थे। उसके साथ होने के कारण ही लेखक को भिखारी के वेश में भी ठहरने का उचित स्थान मिला था। किन्तु दूसरी बार वह एक सम्मानित यात्री के रूप में संध्या के समय तिब्बत पहुंचा था। उस समय वहाँ के लोग नशीला पदार्थ पीने के कारण नशे की अवस्था में थे। इसलिए उसे ठहरने के लिए कोई उचित स्थान नहीं मिला था।

ल्हासा की ओर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 2.
उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था ?
उत्तर-
उस समय जब लेखक ने तिब्बत की यात्रा की थी तब वहाँ हथियार का कानून न होने के कारण लोग लाठियों की भाँति पिस्तौल और बंदूक उठाए फिरते थे। उस समय एकांत मार्ग पर चलते समय डाकुओं का भय सदा बना रहता था कि कहीं कोई डाकू उनका खून न कर डाले। कहने का भाव है कि यात्रियों के साथ लूटपाट व उनकी हत्या होने का भय बना रहता था।

ल्हासा की ओर प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 3.
लेखक लड़कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया था ?
उत्तर-
लेखक के अपने साथियों से पिछड़ने के मुख्यतः दो कारण थे-

  1. उसका घोड़ा बहुत धीमी चाल से चल रहा था।
  2. दूसरा कारण था कि लेखक रास्ता भूल गया था। उसे एक-डेढ़ मील चलने पर पता चला था कि वह गलत मार्ग पर जा रहा है। वहाँ से लौटने में भी उसे देरी हो गई थी।

Lhasa Ki Aur Summary In Hindi HBSE 9th Class प्रश्न 4.
लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परन्तु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ?
उत्तर-
शेकर विहार में लेखक का मित्र सुमति अपने यजमानों को, जो आसपास के गाँवों में रहते थे, मिलना चाहता था। लेखक ने उसे इसलिए रोका क्योंकि वह अपने यजमानों से मिलने में कई दिन लगा देता और यात्रा में और भी विलंब हो जाता। दूसरी बार लेखक ने सुमति को यजमानों से मिलने के लिए इसलिए नहीं रोका क्योंकि लेखक मंदिर में रखी हस्तलिखित कन्जुर (बुद्धवचन-अनुवाद) की पोथियों को पढ़ना चाहता था। उसके जाने पर उसे उन पोथियों को पढ़ने का समय मिल जाता।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

Lhasa Ki Aur Class 9 HBSE Hindi प्रश्न 5.
अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ? [H.B.S.E. March, 2017]
उत्तर-
लेखक को पहाड़ों पर पैदल चलना पड़ा था। इसके साथ ही लेखक को अपना सामान भी स्वयं उठाना पड़ा था। दूसरी बड़ी कठिनाई यह रही कि लेखक साधारण यात्री के वेश में नहीं था। उसने भिखमंगे का रूप धारण किया हुआ था जबकि तिब्बत में भिखमंगों के प्रति आदर का भाव नहीं रखा जाता था। इसलिए लेखक को कदम-कदम पर संदेह की दृष्टि से देखा जाता था। लेखक को भार ढोने वाला व्यक्ति न मिलने पर भी यात्रा में कठिनाई का सामना करना पड़ा। एक स्थान पर जब लेखक ने भार उठाने और सवार होने के लिए घोड़ा लिया तो वह बहुत ही धीमी गति से चला, फलस्वरूप लेखक अपने अन्य साथियों से पिछड़ गया। निर्जन मार्ग पर चलते समय डाकुओं द्वारा लूटने व हत्या होने का भय भी लेखक के मन में था।

ल्हासा की ओर पाठ 2 के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 6.
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था ?
उत्तर-
जिस समय लेखक ने तिब्बत की यात्रा की थी, उस समय तिब्बत का सामाजिक ढाँचा व्यवस्थित था। वहाँ पर जातिगत भेदभाव नहीं किया जाता था। सब एक-दूसरे को समान समझते थे। स्त्रियाँ भी परदा नहीं करती थीं। भिखमंगों को छोड़कर सभी का आदर या सम्मान किया जाता था। किन्तु हथियार रखने का कानून न होने के कारण वहाँ प्रत्येक व्यक्ति लाठी की भाँति हथियार (पिस्तौल व बंदूक) उठाए फिरता था। निर्जन मार्ग में डाकुओं का भय भी था। तिब्बत में जागीरदारी व्यवस्था थी। वहाँ छोटे-बड़े सभी प्रकार के जागीरदार थे, किन्तु अधिकाँश जागीरें बौद्ध विहारों के पास थीं। खेतों में काम करने वाले मजदूरों का शोषण किया जाता था। जागीरों में बौद्ध भिक्षुओं को राजा के समान आदर दिया जाता था।

प्रश्न 7.
‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था। नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं ?
उत्तर-
सुमति के यजमान और अन्य परिचितों का हर गाँव में मिलने से पता चलता है कि वह बहुत ही मिलनसार व्यक्ति है। वह सबके भले की कामना करता है, तभी उसे हर गाँव में सम्मान दिया जाता है। वह परोपकारी व्यक्ति है। वह हमारे लेखक के लिए तिब्बत में प्रवेश की राहदारी बनवाता है और अपने परिचितों के यहाँ ठहराता है। वह थोड़ा-सा लालची प्रवृत्ति का भी है क्योंकि वह हर गाँव में अपने यजमानों को गंडे देना चाहता है क्योंकि उसके बदले में यजमान उसे दान-दक्षिणा अवश्य देते हैं।

प्रश्न 9.
‘हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी खयाल करना चाहिए था’-उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर-
हमारे आचार-व्यवहार के तरीकों का वेशभूषा के आधार पर तय होना उचित नहीं है क्योंकि किसी भी व्यक्ति की वेशभूषा को देखकर उसके अच्छे-बुरे का निर्णय करना अथवा उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए इसका अंदाजा लगाना उचित नहीं है। अतः हमें किसी की वेशभूषा की अपेक्षा व्यक्ति के गुणों को देखकर ही उसके साथ व्यवहार करना चाहिए।

प्रश्न 10.
यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
तिब्बत पहाड़ों में बसा एक देश है। वहाँ ऊँचे-ऊँचे पर्वत हैं तथा उनको काटती हुई अनेक जल की धाराएँ बहती हैं। वहाँ के कुछ पहाड़ों पर कुछ हरे-भरे वृक्ष बर्फ से ढके हुए हैं तो कुछ बिल्कुल नंगे हैं। कहीं-कहीं थोड़ी-बहुत समतल भूमि भी है कहीं-कहीं तो पहाड़ों से घिरा हुआ टापू-सा लगता है। कहीं-कहीं पहाड़ों की ढलानों पर छोटे-छोटे गाँव बसे हुए हैं। पहाड़ों को काटकर छोटे-छोटे मार्ग व सड़कें बनाई हुई हैं। पहाड़ी की चढ़ाई कहीं-कहीं सरल है तो कहीं-कहीं अत्यंत सीधी और कठिन है। हमारे हरियाणा राज्य से तिब्बत की भौगोलिक स्थिति पूर्णतः भिन्न है। यहाँ की भूमि सर्वत्र समतल है और चारों ओर हरे-भरे खेत लहराते हैं। सिंचाई के अनेक साधन हैं। आवागमन के लिए सड़कों व रेल की पटरियों का जाल बिछा हुआ है।

प्रश्न 11.
आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी, यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें।
उत्तर-
मैंने छोटी-छोटी कई यात्राएँ की हैं। उनमें से एक यात्रा के दौरान हुए अनुभवों का वर्णन इस प्रकार है। मैं अपने स्कूल के बच्चों के साथ गर्मियों के अवकाश में कुल्लू-मनाली गया था। स्कूल की ओर से एक प्राइवेट बस का प्रबंध किया गया। हम लगभग 40 विद्यार्थी और दो अध्यापक उस यात्रा में थे। सबसे रोचक अनुभव मेरे लिए यह रहा कि मैंने प्रथम बार रात को यात्रा की थी। प्रातः होते ही हम कुल्लू पहुँच गए थे। वहाँ से नाश्ता करने के पश्चात् हमारी बस मनाली के लिए चल पड़ी। मार्ग में घुमावदार पहाड़ी सड़कों से जाते पहाड़ों एवं नदी-नालों के दृश्य देखते ही बनते हैं। मनाली हिमाचल प्रदेश का सबसे सुंदर पर्यटन स्थल है। वहाँ हम एक दिन ठहरे तथा आस-पास के सुंदर स्थान एवं प्राकृतिक दृश्य देखे। अगले दिन हमने रोहतांग दर्रा देखने का निश्चय किया और कई छोटी बसें किराए पर कीं। आस-पास के पूरे क्षेत्र में बर्फ दिखाई दे रही थी। वहाँ का तापमान बहुत कम था। वहाँ पर अनेक विदेशी पर्यटक भी घूमने के लिए आए हुए थे। कुछ ही दूरी पर चीन का बार्डर दिखाई दे रहा था। हम रोहतांग दर्रा देखकर लौट रहे थे कि एक बर्फीला तूफान आ गया। पहले तो मैं घबरा गया कि हम अपने ठहरने के स्थान पर कैसे पहुंचेंगे। किन्तु बस के ड्राइवर ने हमें साहस दिलाया और कहा कि यह तूफान थोड़ी देर में निकल जाएगा। तूफान खत्म होने पर हम फिर चल पड़े और सूर्य छिपते-छिपते हम मनाली लौट आए। अगले दिन प्रातः वहाँ से वापस चल पड़े और अपनी यात्रा के खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ घर पहुँच गए।।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

प्रश्न 12.
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है। आपकी इस पाठ्यपुस्तक में कौन-कौन सी विधाएँ हैं ? प्रस्तुत विधा उनसे किन मायनों में अलग है ?
उत्तर-
हमारी पाठ्यपुस्तक में कहानी, निबंध, यात्रा, संस्मरण, रिपोर्ताज, व्यंग्य आदि गद्य साहित्यिक विधाएँ संकलित हैं। प्रत्येक विधा का अपना-अपना महत्त्व है। ‘यात्रा’ विधा इन सभी विधाओं से अलग है। कहानी में कथानक, पात्र, संवाद, देशकाल और वातावरण प्रमुख होता है। निबंध विचारों का गुंफन होता है और संस्मरण में पूर्व जीवन में बीती बातों को अनुभव के साथ लपेटकर प्रस्तुत किया जाता है तो व्यंग्य में किसी प्रवृत्ति पर करारा व्यंग्य करके उसकी वास्तविकता को नंगा करने का प्रयास किया जाता है। किन्तु यात्रा में यह सब कुछ नहीं होता। यात्रा में देखी और अनुभव की हुई बातों के साथ प्राकृतिक दृश्यों, स्थान-विशेष की भौगोलिक स्थितियों, वहाँ की संस्कृति, सामाजिक जीवन, रीति-रिवाजों आदि को यथार्थ रूप से साहित्यिक भाषा में प्रस्तुत किया जाता है। यह कल्पना की अपेक्षा तथ्यों पर आधारित होती है। रोचकता का तत्त्व इसमें आदि से अंत तक बना रहता है। अतः स्पष्ट है कि यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक स्वतंत्र विधा है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे–
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए
‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर-
(1) घोड़ा अत्यंत मरियल चाल से चल रहा था।
(2) जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा चल भी रहा है कि नहीं।
(3) घोड़े की चाल से पता चलता था कि मैं अपने लक्ष्य स्थान पर कभी नहीं पहुँच पाऊँगा।

प्रश्न 14.
ऐसे शब्द जो किसी ‘अँचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आँचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर-
बसेरा, चोभी, टोटीदार, छङ्, डाँडा, गिराँव, कुची-कुची, भीटे, गंडे, कंडे, थुक्पा आदि।

प्रश्न 15.
पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभरकर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर-
मुख्य) परित्यक्त, आखिरी, अच्छी, निर्जन, उतना, सर्वोच्च, बराबर, थोड़ी, सुस्त, जल्दी आदि।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
यह यात्रा राहुल जी ने 1930 में की थी। आज के समय यदि तिब्बत की यात्रा की जाए तो राहुल जी की यात्रा से कैसे भिन्न होगी ?
उत्तर-
जब राहुल जी ने यह यात्रा की थी तब आवागमन के साधन नहीं थे और न ही तिब्बत जाने वाला मार्ग ‘फरी-कलिङ्पोङ् खुला था। इसलिए उस समय की यात्रा और आज की जाने वाली यात्रा में निश्चित रूप से अंतर होगा। उस समय कोई मोटरगाड़ी आदि वहाँ नहीं चलती थी। इसलिए उन्हें यात्रा पैदल व घोड़ों पर करनी पड़ी थी। मार्ग में चोर-डाकुओं का भी डर निरंतर बना रहता था, किन्तु आजकल तिब्बत में आने-जाने के साधन उपलब्ध हैं। चोर-डाकुओं का भी कोई डर नहीं है। कहने का तात्पर्य है कि आज की तिब्बत यात्रा राहुल जी की 1930 में की गई यात्रा से अत्यंत सरल एवं आरामदायक होगी।

प्रश्न 2.
क्या आपके किसी परिचित को घुमक्कड़ी/यायावरी का शौक है ? उसके इस शौक का उसकी पढ़ाई/काम आदि पर क्या प्रभाव पड़ता होगा, लिखें।
उत्तर-
निश्चय ही घुमक्कड़ी या यायावरी से किसी भी व्यक्ति की पढ़ाई या काम पर प्रभाव अवश्य पड़ेगा क्योंकि प्रत्येक काम को करने का एक निश्चित समय होता है। यदि उस काम को समय पर न किया गया तो उसमें सफलता नहीं मिलेगी। मेरे एक संबंधी घुमक्कड़ प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। वे अच्छे इंसान हैं। वे साहसी भी हैं, किन्तु अपनी घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के कारण गृहस्थ जीवन की जिम्मेवारियों को पूर्ण करने में सफल नहीं हो सके। यदि वे अपनी यात्राओं को योजनाबद्ध करके करते तो शायद उनका उनके कार्यों पर बुरा प्रभाव न पड़ता।

प्रश्न 3.
अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आम दिनों में समुद्र किनारे के इलाके बेहद खूबसूरत लगते हैं। समुद्र लाखों लोगों को भोजन देता है और लाखों उससे जुड़े दूसरे कारोबारों में लगे हैं। दिसंबर 2004 को सुनामी या समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफानी लहरों के प्रकोप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुदरत की यह देन सबसे बड़े विनाश का कारण बन सकती है।

प्रकृति कब अपने ही ताने-बाने को उलटकर रख देगी, कहना मुश्किल है। हम उसके बदलते मिजाज को उसका कोप कह लें या कुछ और मगर यह अबूझ पहेली अकसर हमारे विश्वास के चीथड़े कर देती है और हमें यह अहसास करा जाती है कि हम एक कदम आगे नहीं, चार कदम पीछे हैं। एशिया के एक बड़े हिस्से में आने वाले उस भूकंप ने कई द्वीपों को इधर-उधर खिसकाकर एशिया का नक्शा ही बदल डाला। प्रकृति ने पहले भी अपनी ही दी हुई कई अद्भुत चीजें इंसान से वापस ले ली हैं जिसकी कसक अभी तक है।

दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है। वह हमारे जीवन में ग्रहण लाता है, ताकि हम पूरे प्रकाश की अहमियत जान सकें और रोशनी को बचाए रखने के लिए जतन करें। इस जतन से सभ्यता और संस्कृति का निर्माण होता है। सुनामी के कारण दक्षिण भारत और विश्व के अन्य देशों में जो पीड़ा हम देख रहे हैं, उसे निराशा के चश्मे से न देखें। ऐसे समय में भी मेघना, अरुण और मैगी जैसे बच्चे हमारे जीवन में जोश, उत्साह और शक्ति भर देते हैं। 13 वर्षीय मेघना और अरुण दो दिन अकेले खारे समुद्र में तैरते हुए जीव-जंतुओं से मुकाबला करते हुए किनारे आ लगे। इंडोनेशिया की रिजा पड़ोसी के दो बच्चों को पीठ पर लादकर पानी के बीच तैर रही थी कि वह विशालकाय साँप ने उसे किनारे का रास्ता दिखाया। मछुआरे की बेटी मैगी ने रविवार को समुद्र का भयंकर शोर सुना, उसकी शरारत को समझा, तुरंत अपना बेड़ा उठाया और अपने परिजनों को उस पर बिठा उतर आई समुद्र में, 41 लोगों को लेकर। महज 18 साल की यह जलपरी चल पड़ी पगलाए सागर से दो-दो हाथ करने। दस मीटर से ज्यादा ऊँची सुनामी लहरें जो कोई बाधा, रुकावट मानने को तैयार नहीं थीं, इस लड़की के बुलंद इरादों के सामने बौनी ही साबित

जिस प्रकृति ने हमारे सामने भारी तबाही मचाई है, उसी ने हमें ऐसी ताकत और सूझ दे रखी है कि हम फिर से खड़े होते हैं और चुनौतियों से लड़ने का एक रास्ता ढूँढ निकालते हैं। इस त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए जिस तरह पूरी दुनिया एकजुट हुई है, वह इस बात का सबूत है कि मानवता हार नहीं मानती।

(1) कौन-सी आपदा को सुनामी कहा जाता है ? ।
(2) ‘दुख जीवन को माँजता है, उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता है’-आशय स्पष्ट कीजिए।
(3) मैगी, मेघना और अरुण ने सुनामी जैसी आपदा का सामना किस प्रकार किया ?
(4) प्रस्तुत गद्यांश में ‘दृढ़-निश्चय’ और ‘महत्त्व’ के लिए किन शब्दों का प्रयोग हुआ है ?
(5) इस गद्यांश के लिए एक शीर्षक ‘नाराज समुद्र’ हो सकता है।
आप कोई अन्य शीर्षक दीजिए।
उत्तर-
(1) समुद्री भूकंप से उठने वाली तूफानी लहरों को सुनामी कहा जाता है।
(2) जीवन में आने वाले दुख व संकट का सामना करने से मनुष्य के जीवन में साहस और हिम्मत उत्पन्न होती है। उसी साहस और हिम्मत के बल पर हम जीवन को और भली-भाँति जीने का प्रयास करते हैं। अतः यह कहना ठीक है कि दुख जीवन को माँजता है और उसे आगे बढ़ने का हुनर सिखाता हैं। दुख न हो तो मनुष्य साहसी नहीं बन सकता।
(3) मैगी ने अपने बेड़े पर अपने परिवार के अतिरिक्त 41 लोगों की जानें बचाई थीं। उसने समुद्र की भयंकर लहरों का सामना करके साहसी कार्य किया था।
मेघना-13 वर्षीय मेघना दो दिन अकेली समुद्र के खारे पानी में तैरती हुई और समुद्री जीव-जंतुओं का मुकाबला करती हुई समुद्र के किनारे आ लगी।
अरुणा-अरुणा दो दिनों तक समुद्र की लहरों का मुकाबला करती हुई किनारे पर आ पहुँची थी। उसके साहस को देखकर अच्छे-अच्छे तैराक भी अवाक् रह गए थे।
(4) दृढ़ निश्चय और महत्त्व के लिए क्रमशः ‘बुलंद इरादों’ और ‘अहमियत’ का प्रयोग किया गया है। (5) इस गद्यांश का शीर्षक ‘नाराज समुद्र’ के अतिरिक्त ‘समुद्री प्रकोप’ भी हो सकता है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

HBSE 9th Class Hindi ल्हासा की ओर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘लहासा की ओर’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘लहासा की ओर’ एक यात्रावृत्त है। इसमें श्री राहुल सांकृत्यायन ने अपनी तिब्बत यात्रा का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया है। लेखक ने यह यात्रा नियमानुकूल नहीं की अपितु छद्मवेश में की है क्योंकि उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी। इस यात्रावृत्त के लेखन का प्रमुख उद्देश्य तिब्बत के लोगों के जीवन का वर्णन करना है। साथ ही तिब्बत एक पहाड़ी क्षेत्र हैं वहाँ की प्राकृतिक छटा को दर्शाना भी लेखक के लिए मुख्य बात थी। भारत से तिब्बत तक की यात्रा करने में कैसी-कैसी कठिनाइयाँ आती हैं, दर्शाना भी यात्रावृत्त का लक्ष्य है। तिब्बत में लोगों का जीवन कैसा है, उनके व्यवसाय, समाज, संस्कृति अर्थिक व्यवस्था आदि सभी का एक साथ वर्णन करना भी महत्त्वपूर्ण लक्ष्य रहा है।

प्रश्न 2.
पठित पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि भारतीय महिलाओं की अपेक्षा तिब्बती महिलाओं की स्थिति अधिक सुरक्षित है।
उत्तर-
भारत में महिलाओं को पुरुषों से परदा करना पड़ता है, जबकि तिब्बत में ऐसी कोई प्रथा नहीं है। भारत में महिलाएँ अपरिचित व्यक्ति को घर में नहीं घुसने नहीं देतीं। उनके घर के अन्दर तक जाना तो और भी कठिन है। इसका कारण है कि वे असुरक्षित अनुभव करती हैं। तिब्बती महिलाएँ न तो परदा करती हैं और न ही किसी अपरिचित से भयभीत ही होती हैं, अपितु वे अपरिचितों पर सहज विश्वास करके उनका स्वागत करती हैं और मुसीबत में अपनी सुरक्षा स्वयं कर लेती हैं।

प्रश्न 3.
पठित पाठ के आधार पर नम्से का परिचय देते हुए उसके जीवन की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
नम्से एक बौद्ध भिक्षु था। वह तिब्बत में शेकर बिहार नामक जागीर का प्रमुख बौद्ध भिक्षु था। उस जागीर में उसका खूब मान-सम्मान था। वह अत्यन्त ही भला व्यक्ति था। अहंकार तो उसे छूता भी नहीं था। वह लेखक से अत्यन्त प्रेम एवं सम्मानपूर्वक मिला। यद्यपि उस समय लेखक भिखारी की वेशभूषा में था, किन्तु नम्से ने इस ओर ध्यान न देकर उसका हार्दिक स्वागत किया।

प्रश्न 4.
लेखक को भिखारी के वेश में तिब्बत की यात्रा क्यों करनी पड़ी ? [H.B.S.E. March, 2020]
उत्तर-
पाठ में बताया गया है कि तिब्बत के पहाड़ों में निर्जन स्थान अधिक है। वहाँ लूटपाट व हत्या का भय बना रहता है। वहाँ ज्यादातर हत्याएँ धन व रुपए-पैसे लूटने के लिए की जाती हैं। लेखक ने डाकुओं से बचने के लिए यह वेश धारण किया था। जब भी लेखक के सामने कोई भयानक दिखने वाला व्यक्ति आता तो वह कुची-कुची (दया-दया) ‘एक पैसा’ कहकर भीख माँगने लगता। अतः स्पष्ट है कि लेखक ने अपने जान-माल की सुरक्षा हेतु यह उपाय किया था।

प्रश्न 5.
लेखक सुमति को उसके यजमानों से मिलने को क्यों मना करता था ?
उत्तर-
सुमति का स्वभाव थोड़ा लालची था। वह यजमानों के पास जाकर हफ्ता-हफ्ता आने का नाम नहीं लेता था। इतने दिनों तक लेखक को उसकी प्रतीक्षा में एक ही स्थान पर ठहरना पड़ता था। इससे उसकी यात्रा में बाधा पड़ती थी। इसलिए लेखक सुमति को उसके यजमानों से मिलने से मना करता था।

प्रश्न 6.
पाठ में वर्णित ‘थोङ्ला के जंगल’ का उल्लेख सार रूप में कीजिए।
उत्तर-
डाँडा थोङ्ला का जंगल तिब्बत का खतरनाक स्थान माना जाता है। यह जंगल सोलह-सत्रह हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित है। इन जंगलों के आस-पास कोई गाँव व बस्ती नहीं है। नदियों के मोड़ों व पहाड़ों के कारण यहाँ कोई आदमी दिखाई नहीं देता। ये जंगल डाकुओं के लिए सुरक्षित स्थल हैं। यहाँ सरकार पुलिस पर अधिक धन खर्च नहीं करती। इसलिए यहाँ आदमी की हत्या करना बहुत सरल है। डाकू पहले आदमी को मार डालते हैं फिर उसका माल लूटते हैं। यही कारण है कि लोग यहाँ अपनी सुरक्षा के लिए लाठी की अपेक्षा बंदूक व पिस्तौल लिए फिरते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘ल्हासा की ओर’ नामक पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
(A) राहुल सांकृत्यायन
(B) प्रेमचंद
(C) हजारीप्रसाद द्विवेदी
(D) श्यामाचरण दुबे
उत्तर-
(A) राहुल सांकृत्यायन

प्रश्न 2.
‘ल्हासा की ओर’ पाठ हिंदी साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आता है ?
(A) कहानी
(B) यात्रा-वृत्तांत
(C) एकांकी
(D) निबंध
उत्तर-
(B) यात्रा-वृत्तांत

प्रश्न 3.
ल्हासा किस देश में स्थित है ?
(A) चीन
(B) बर्मा
(C) भारत
(D) तिब्बत
उत्तर-
(D) तिब्बत

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प्रश्न 4.
राहुल सांकृत्यायन कहाँ के रहने वाले थे ?
(A) हरियाणा
(B) पंजाब
(C) मध्य प्रदेश
(D) उत्तर प्रदेश
उत्तर-
(D) उत्तर प्रदेश

प्रश्न 5.
लेखक ने अपना नाम परिवर्तन कब किया था ?
(A) तिब्बत जाने पर
(B) विवाह करने पर
(C) बौद्ध धर्म ग्रहण करने पर
(D) चीन जाने पर
उत्तर-
(C) बौद्ध धर्म ग्रहण करने पर

प्रश्न 6.
राहुल सांकृत्यायन ने बौद्ध धर्म कब ग्रहण किया था ?
(A) सन् 1925 में
(B) सन् 1930 में
(C) सन् 1935 में
(D) सन् 1940 में
उत्तर-
(B) सन् 1930 में

प्रश्न 7.
राहुल जी ने किस शास्त्र की रचना की है ?
(A) कामशास्त्र
(B) राजनीतिशास्त्र
(C) घुमक्कड़ी शास्त्र
(D) अर्थशास्त्र
उत्तर-
(C) घुमक्कड़ी शास्त्र

प्रश्न 8.
श्री राहुल सांकृत्यायन प्रथम बार तिब्बत किस रास्ते से गए थे ?
(A) नेपाल
(B) फरी-कलिङ्पोङ्
(C) बर्मा
(D) चीन
उत्तर-
(A) नेपाल

प्रश्न 9.
लेखक, ने तिब्बत के किस स्थान की यात्रा को खतरनाक बताया है ?
(A) थोङ्ला
(B) ल्हासा
(C) डाँडा
(D) लङ्कोर
उत्तर-
(C) डाँडा

प्रश्न 10.
तिब्बत में डाकुओं के लिए कौन-सा स्थान अच्छा माना गया है ?
(A) डाँडा
(B) ल्हासा
(C) लङ्कोर
(D) थोङ्ला
उत्तर-
(A) डाँडा

प्रश्न 11.
कुची-कुची का क्या अर्थ है?
(A) धीरे-धीरे
(B) कुछ-कुछ
(C) दया-दया
(D) परे-परे
उत्तर-
(C) दया-दया

प्रश्न 12.
डाँड़े की समुद्रतल से कितनी ऊँचाई है ?
(A) 15-16 हजार फीट
(B) 16-17 हजार फीट
(C) 17-18 हजार फीट
(D) 20-22 हजार फीट
उत्तर-
(C) 17-18 हजार फीट

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प्रश्न 13.
रात को लेखक और उसका मित्र किस स्थान पर ठहरे थे ?
(A) लङ्कोर
(B) तिकी
(C) डाँड़े
(D) थोङ्ला
उत्तर-
(A) लङ्कोर

प्रश्न 14.
लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से क्यों पिछड़ गया था ?
(A) आराम करने के कारण
(B) चाय पीने के कारण
(C) मार्ग भूल जाने के कारण
(D) घोड़े से गिर जाने के कारण
उत्तर-
(C) मार्ग भूल जाने के कारण

प्रश्न 15.
तिकी का मैदान कैसा था ?
(A) पहाड़ों से घिरा हुआ
(B) नदियों से घिरा हुआ
(C) बर्फ से ढका हुआ
(D) फसलों से भरा हुआ
उत्तर-
(A) पहाड़ों से घिरा हुआ

प्रश्न 16.
‘तिकी-समाधि-गिरि’ किसका नाम है ?
(A) मैदान का
(B) छोटी-सी पहाड़ी का
(C) मंदिर का
(D) गाँव का
उत्तर-
(B) छोटी-सी पहाड़ी का

प्रश्न 17.
राहुल सांकृत्यायन एवं उसका साथी तिभी से कितने बजे चले थे ?
(A) 8 बजे (प्रातः)
(B) 10-11 बजे
(C) 12 बजे
(D) दोपहर 2 बजे
उत्तर-
(B) 10-11 बजे

प्रश्न 18.
तिब्बत में जागीरों का बड़ा भाग किनके हाथों में है ?
(A) राजाओं के
(B) मठों के
(C) भिक्षुओं के
(D) किसानों के
उत्तर-
(B) मठों के

प्रश्न 19.
शेकर के मंदिर में रखी बुद्धवचन की हस्तलिखित पोथियों को क्या कहा जाता है ?
(A) कंजुर
(B) बुद्ध ग्रंथ
(C) हस्तलिखित बुद्ध ग्रंथ
(D) काव्य ग्रंथ
उत्तर-
(A) कंजुर

प्रश्न 20.
एक कंजुर का वजन अनुमानतः कितना-कितना बताया गया है ?
(A) 8-10 सेर
(B) 12-12 सेर
(C) 15-15 सेर
(D) 20-20 सेर
उत्तर-
(C) 15-15 सेर

प्रश्न 21.
सुमति कौन था ?
(A) लेखक का नौकर
(B) मंगोल भिक्षु
(C) लेखक का गुरु
(D) लेखक का संबंधी
उत्तर-
(B) मंगोल भिक्षु

प्रश्न 22.
मंगोल भिक्षु का नाम लोब्ज था। लोज़ का सामान्य अर्थ है-
(A) सुबुद्धि .
(B) प्रज्ञ
(C) सुमति
(D) सुविचार
उत्तर-
(C) सुमति

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प्रश्न 23.
तिब्बत में किस धर्म के अनुयायी रहते हैं ?
(A) हिंदू धर्म
(B) सिक्ख धर्म
(C) बौद्ध धर्म
(D) जैन धर्म
उत्तर-
(C) बौद्ध धर्म

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ल्हासा की ओर प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

1. वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी-कलिङ्पोङ् का रास्ता जब नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिंदुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थीं। यह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसलिए जगह-जगह फौजी चौकियाँ और किले बने हुए हैं, जिनमें कभी चीनी पलटन रहा करती थी। आजकल बहुत से फौजी मकान गिर चुके हैं। दुर्ग के किसी भाग में, जहाँ किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है, वहाँ घर कुछ आबाद दिखाई पड़ते हैं। [पृष्ठ 25]

शब्दार्थ-फरी-कलिङपोङ् = तिब्बती सीमावर्ती स्थान का नाम। व्यापारिक = व्यापार से संबंधित। फौजी चौकियाँ = सेना की एक टुकड़ी के ठहरने का स्थान। पलटन = सेना। दुर्ग = किला। बसेरा = घर। आबाद = बसे हुए।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘ल्हासा की ओर’ शीर्षक यात्रावृत्त से लिया गया है। इसके लेखक श्री राहुल सांकृत्यायन हैं। इस पाठ में लेखक ने अपनी तिब्बत की राजधानी ल्हासा की यात्रा का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में लेखक ने भारत की स्वतंत्रता से पूर्व के समय के तिब्बत जाने वाले मार्ग एवं वहाँ के लोगों की स्थितियों का वर्णन किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक का कथन है कि जब उसने तिब्बत की यात्रा की थी, उस समय भारत का प्रत्येक यात्री तथा व्यापारिक वस्तुएँ भी नेपाल से होकर तिब्बत पहुँचती थीं। लेखक भी उसी प्रमुख रास्ते से तिब्बत गया था, क्योंकि उस समय फरी-कलिङपोङ् का रास्ता नहीं खुला था। नेपाल की ही नहीं, भारतवर्ष की वस्तुएँ भी इसी मार्ग से तिब्बत ले जाई जाती थीं। यह केवल व्यापार करने का ही रास्ता नहीं था, अपितु सैनिक रास्ता भी था। सेना भी इसी मार्ग से होकर जाती थी। इसलिए स्थान-स्थान पर सेना के ठहरने के लिए चौकियाँ (अस्थाई व्यवस्था) और किले (सेना के ठहरने के बड़े-बड़े भवन) बनाए हुए थे। इनमें चीनी सेनाएँ रहा करती थीं। आजकल (जब लेखक ने यात्रा की थी) बहुत-से फौजी मकान गिर चुके थे। दुर्ग के किसी-किसी भाग में जहाँ किसानों ने अपना घर बना लिया था वह भाग ही आबाद दिखाई पड़ता था अन्यथा शेष भाग गिर चुके थे। अतः स्पष्ट है कि लेखक ने तत्कालीन नेपाल से तिब्बत जाने के मार्ग का यथार्थ चित्र अंकित किया है।

विशेष-

  1. तत्कालीन तिब्बत जाने वाले मार्ग की दशा और उससे भी पूर्व उस मार्ग पर बनाई चीनी सैनिक व्यवस्था की ओर भी संकेत किया गया है।
  2. लेखक ने तथ्य एवं घटना को आधार बनाकर सुंदर एवं रोचक वर्णन किया है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं व्यावहारिक है जिसमें तत्सम शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फारसी शब्दों का भी सफल प्रयोग किया गया है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) पहले तिब्बत जाने के लिए कौन-सा रास्ता प्रयोग में लाया जाता था ?
(2) इस मार्ग में स्थान-स्थान पर क्या बना हुआ है ? उनका क्या प्रयोग होता था ?
(3) बाद में भारत से तिब्बत जाने का कौन-सा मार्ग खुला था ?
(4) तिब्बत में भिखमंगों की कैसी स्थिति थी ?
उत्तर-
(1) आरंभ में भारत से तिब्बत जाने के लिए नेपाल के मार्ग से जाना पड़ता था। उस समय कोई अन्य मार्ग नहीं बना था।
(2) नेपाल से तिब्बत के मार्ग पर स्थान-स्थान पर. फौजी चौंकियाँ बनी हुई थीं। मार्ग में अनेक किले भी बने हुए थे। इनमें कभी चीन की सेनाएँ रहती थीं। अब इनमें से बहुत-सी चौकियाँ व दुर्ग गिर चुके थे।
(3) बाद में भारत से तिब्बत जाने के लिए ‘फरी-कलिङ्पोङ्’ नामक मार्ग बना दिया गया था। इसके बनने से तिब्बत जाने के लिए नेपाल नहीं जाना पड़ता था।
(4) तिब्बत में भिखमंगों की स्थिति अच्छी नहीं थी। लोग चोरी के डर के कारण उन्हें अपने घरों में घुसने नहीं देते थे।

2. वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न औरतें परदा ही करती हैं। बहुत निम्न श्रेणी के भिखमंगों को लोग चोरी के डर से घर के भीतर नहीं आने देते; नहीं तो आप बिलकुल घर के भीतर चले जा सकते हैं। चाहे आप बिलकुल अपरिचित हों, तब भी घर की बहू या सासु को अपनी झोली में से चाय दे सकते हैं। वह आपके लिए उसे पका देगी। [पृष्ठ 25]

शब्दार्थ-छुआछूत = छोटे-बड़े के भेदभाव की भावना। सवाल = प्रश्न। निम्न श्रेणी = तुच्छ। भिखमंगों = भिखारी, भीख माँगने वाले। अपरिचित = अनजान।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘ल्हासा की ओर’ शीर्षक पाठ से अवतरित है। इस पाठ के रचयिता श्री राहुल सांकृत्यायन हैं। इसमें लेखक ने अपनी तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है, साथ ही वहाँ के लोगों की चारित्रिक विशेषताओं का भी उल्लेख किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक का कथन है कि तिब्बत में जातिगत भेदभाव नहीं किया जाता। विभिन्न जातियों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं। वहाँ छुआछूत की भावना भी नहीं है। वे सबको एक समान समझते हैं। वहाँ स्त्रियाँ भी परदा नहीं करतीं। कहने का तात्पर्य है कि स्त्रियाँ पुरुषों के समान स्वतंत्रतापूर्वक काम करती हैं। किन्तु वहाँ घटिया किस्म के भीख माँगने वालों को घर में घुसने नहीं दिया जाता क्योंकि उनके द्वारा चोरी करने का संदेह होता है। अन्यथा सामान्य व्यक्ति उनके घरों में आ-जा सकता है। चाहे आप उनसे अनजान भी हों तो भी आप उनके घरों में बेरोक-टोक जा सकते हैं। आप अनजान होने पर भी उनके घर की बहू या सास को अपनी झोली में से चाय निकालकर दे सकते हैं। वे आपको पकाकर दे देंगी। कहने का अभिप्राय है कि तिब्बत में स्त्रियाँ अधिक स्वतंत्र हैं। उन पर विश्वास किया जाता है।

विशेष-

  1. लेखक ने तिब्बती समाज की सामाजिक दशा और स्त्रियों के जीवन के विषय में बताया है।
  2. तिब्बत में भिखारियों को अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता।
  3. भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) तिब्बत में जातिगत स्थिति कैसी है ?
(2) क्या तिब्बत में परदा प्रथा है ?
(3) तिब्बत में भिखारियों को घर में क्यों नहीं आने देते ? (4) आम लोगों के प्रति तिब्बत की औरतों का व्यवहार कैसा है ? उत्तर-(1) तिब्बत में जातिगत भेदभाव नहीं किया जाता। वहाँ जातिगत दृष्टि से सबको समान देखा जाता है। (2) तिब्बत में नारियाँ परदा नहीं करतीं। वे पुरुषों के समान काम करती हैं। (3) तिब्बत में निम्न स्तर के भिखारियों को घरों में चोरी के भय के कारण नहीं आने दिया जाता।
(4) आम लोगों के प्रति तिब्बती नारियों का व्यवहार सम्मानजनक होता है। आप सीधे उनके घरों में जा सकते हो। वे आपको चाय आदि भी बनाकर दे देंगी।

{3} नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण बहुत दूर तक आदमी को देखा नहीं जा सकता। डाकुओं के लिए यही सबसे अच्छी जगह है। तिब्बत में गाँव में आकर खून हो जाए, तब तो खूनी को सज़ा भी मिल सकती है, लेकिन इन निर्जन स्थानों में मरे हुए आदमियों के लिए कोई परवाह नहीं करता। [पृष्ठ 26]

शब्दार्थ-कोनों = किनारों। खून होना = मार देना। खूनी = मारने वाला। निर्जन = एकांत स्थान।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यावतरण हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘ल्हासा की ओर’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसके लेखक श्री राहुल सांकृत्यायन हैं। इस गद्यांश में लेखक ने तिब्बत के निर्जन स्थानों पर डाकुओं के डर की ओर संकेत किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक जब तिब्बत-यात्रा पर था तो उसके मार्ग में ‘डाँडा थोङ्ला’ एक ऐसा स्थान आया, जो बिल्कुल सुनसान था। सोलह-सत्रह हजार फुट की ऊँचाई होने के कारण वहाँ मार्ग के दोनों ओर कोई गाँव या थोड़ी-बहुत आबादी नहीं थी। यहाँ तक कि नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण वहाँ मीलों तक कोई आदमी दिखाई नहीं देता। यह उस यात्रा का सबसे खतरनाक स्थल था, क्योंकि डाकुओं के लिए डाका डालने के लिए यही सबसे अच्छा स्थान है। यहाँ डाकू अपनी मनमानी करते हैं। तिब्बत में यदि किसी गाँव में किसी का खून हो जाए तो खूनी को सजा होती है, किन्तु एकांत स्थान पर यदि किसी का खून हो
विरुद्ध किसी प्रमाण का न मिलना ही है।

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विशेष-

  1. लेखक ने तिब्बत यात्रा के समय विशेषकर ‘डाँड़े थोङ्ला’ स्थान को पार करने में होने वाले खतरे का उल्लेख किया है।
  2. तिब्बत में कानून की डुलमुल स्थिति की ओर भी संकेत किया गया है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं व्यावहारिक है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) उक्त गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम बताइए।
(2) तिब्बत की सड़कों पर बहुत दूर तक आदमी क्यों नहीं दिखाई देते थे ?
(3) डाकुओं के लिए कौन-सी जगह सबसे अच्छी थी ?
(4) कहाँ खून करने पर खूनी को सजा मिल सकती है ?
(5) निर्जन स्थानों से लेखक का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
(1) पाठ का नाम ल्हासा की ओर लेखक का नाम-राहुल सांकृत्यायन।
(2) तिब्बत एक पहाड़ी क्षेत्र है। यहाँ गाँव बहुत दूर-दूर बसे हुए हैं। नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण दूर-दूर तक आदमी दिखाई नहीं देता।
(3) डाकुओं के लिए नदियों के मोड़ व पहाड़ों के कोनों वाला स्थान ही अधिक अच्छे होते हैं क्योंकि ऐसे स्थानों पर दूर-दूर तक आदमी दिखाई नहीं देते और उन्हें लूटमार करने का अवसर मिल जाता है।
(4) तिब्बत में गाँव में किए गए खून के कारण सजा मिल सकती है। गाँव के बाहरी क्षेत्रों में किए गए खून के लिए कोई सजा नहीं दी जाती।
(5) निर्जन स्थानों से तात्पर्य है-एकांत व शांत स्थान जहाँ दूर-दूर तक कोई आदमी दिखाई नहीं देता।

4. सरकार खुफिया विभाग और पुलिस पर उतना खर्च नहीं करती और वहाँ गवाह भी तो कोई नहीं मिल सकता। डकैत पहिले आदमी को मार डालते हैं, उसके बाद देखते हैं कि कुछ पैसा है कि नहीं। हथियार का कानून न रहने के कारण यहाँ लाठी की तरह लोग पिस्तौल, बंदूक लिए फिरते हैं। डाकू यदि जान से न मारे तो खुद उसे अपने प्राणों का खतरा है। [पृष्ठ 26]

शब्दार्थ-खुफिया-विभाग = गुप्त-विभाग। गवाह = साक्षी। डकैत = डाका डालने वाले। हथियार का कानून = हथियार रखने का नियम।

प्रसंग-ये गद्य-पंक्तियाँ हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित श्री राहुल सांकृत्यायन की प्रमुख रचना ‘ल्हासा की ओर’ से उद्धृत हैं। इन पंक्तियों में उन्होंने तिब्बत की कानून-व्यवस्था का उल्लेख किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने अपनी तिब्बत-यात्रा के समय वहाँ की सामाजिक व्यवस्था को ध्यानपूर्वक देखा तो उन्हें पता चला कि वहाँ की सरकार खुफ़िया-विभाग (गुप्त रूप से सरकार को सूचनाएँ देने वाला विभाग) और पुलिस पर बहुत कम व्यय करती है, इसीलिए वहाँ का गुप्त-विभाग अधिक सक्रिय एवं सतर्क नहीं है। किसी हत्यारे के विरुद्ध कोई कार्रवाई इसलिए भी नहीं की जा सकती क्योंकि वहाँ उसके विरुद्ध कोई गवाही भी नहीं देता। वहाँ डाकू भी अत्यंत निर्दयी एवं हृदयहीन होते हैं। वे पहले व्यक्ति को मारते हैं फिर देखते हैं कि उसके पास पैसा है भी या नहीं। ऐसा शायद वे इसलिए करते हैं कि यदि वे उसकी हत्या नहीं करते तो कहीं वह उन्हें मार न डालें या उनके विरुद्ध गवाही देकर उन्हें पुलिस के हवाले न कर दे। तिब्बत में हथियार रखने का कोई कानून नहीं है। यही कारण है कि वहाँ लोग लाठी की भाँति ही पिस्तौल व बंदूक लिए घूमते हैं। कहने का तात्पर्य है कि तिब्बत में हथियार रखने पर सरकार की ओर से कोई पाबंदी नहीं है। इसलिए कानून-व्यवस्था ठीक नहीं है। हर कोई हथियार रख सकता है। डाकू भी इसलिए डरते हैं कि कहीं कोई उन पर पहले वार करके उन्हें न मार डाले।

विशेष-

  1. तिब्बत की कानून-व्यवस्था का यथार्थ चित्रण किया गया है।
  2. तिब्बत में हथियार रखने का कोई नियम नहीं है, जिससे वहाँ की सरकार की कमजोरी का कोई भी नाजायज फायदा उठा सकता है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) तिब्बत में लोगों की सुरक्षा का क्या प्रबंध है ?
(2) तिब्बत में लोग लाठी की बजाए पिस्तौल या बंदूक क्यों रखते हैं ?
(3) डकैत आदमी को लूटने से पहले क्यों मार देते हैं ?
(4) प्रस्तुत गद्यांश के आशय पर प्रकाश डालिए। .
उत्तर-
(1) तिब्बत में लोगों की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध नहीं है। यहाँ की सरकार खुफिया विभाग तथा पुलिस पर अधिक खर्च नहीं करती। यहाँ कोई किसी की गवाही भी नहीं देता।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

(2) तिब्बत में हथियार रखने या न रखने का कोई कानून नहीं है। वहाँ कोई भी नागरिक अपनी इच्छानुसार हथियार रख . सकता है। यही कारण है कि यहाँ लोग अपनी सुरक्षा के लिए लाठी की अपेक्षा पिस्तौल या बंदूक रखते हैं।

(3) डकैत जानते हैं कि यहाँ लोग अपनी सुरक्षा के लिए पिस्तौल या बंदूक रखते हैं। इसलिए उन्हें अपनी जान का खतरा रहता है। यही कारण है कि वे आदमी को मारते पहले हैं और उसका धन बाद में लूटते हैं।

(4) प्रस्तुत गद्यांश में बताया है कि तिब्बत में कानून-व्यवस्था उचित नहीं है। यहाँ डाकुओं के लिए लूटमार करके या खून करके बच निकलना बहुत आसान है। निर्जन स्थान होने के कारण कोई गवाह भी नहीं मिलता। सरकार भी इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं देती।

5.तिब्बत की ज़मीन बहुत अधिक छोटे-बड़े जागीरदारों में बँटी है। इन जागीरों का बहुत ज्यादा हिस्सा मठों (विहारों) के हाथ में है। अपनी-अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है, जिसके लिए मज़दूर बेगार में मिल जाते हैं। खेती का इंतजाम देखने के लिए वहाँ कोई भिक्षु भेजा जाता है, जो जागीर के आदमियों के लिए राजा से कम नहीं होता। [पृष्ठ 28]

शब्दार्थ-जागीरदार = बहुत बड़े भू-भाग के स्वामी। हिस्सा = भाग। बेगार = बिना मजदूरी दिए काम करवाना। इंतजाम = प्रबंध। भिक्षु = बौद्ध धर्म का अनुयायी।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘ल्हासा की ओर’ यात्रावृत्त से लिया गया है। इस पाठ के लेखक श्री राहुल सांकृत्यायन हैं। इसमें उन्होंने अपनी तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में उन्होंने तिब्बत की भूमि-विभाजन अथवा जागीरदारी व्यवस्था का वर्णन किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने अपनी तिब्बत यात्रा के समय देखा कि तिब्बत की जमीन बहुत-सी छोटी-बड़ी जागीरों में बँटी हुई है। इनके स्वामी जागीरदार हैं। तिब्बत की अधिकांश जागीरें वहाँ के बौद्ध धर्म के मठों व विहारों के अधीन हैं। कहने का तात्पर्य है कि वहाँ के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर बौद्ध धर्म का अत्यधिक प्रभाव है। इन जागीरों के स्वामी अपनी-अपनी जागीरों में कुछ खेती स्वयं करवाते हैं क्योंकि वहाँ मजदूरों की कमी नहीं है। वहाँ बहुत कम मजदूरी पर मजदूर उपलब्ध हो जाते हैं। विहारों की जागीरों का प्रबंध करने के लिए किसी बौद्ध भिक्षु को भेजा जाता है। वहाँ उस बौद्ध भिक्षु की स्थिति किसी राजा से कम नहीं होती। जागीरों में काम करने वाले आदमी भिक्षु को राजा के समान आदर-सत्कार देते हैं।

विशेष-

  1. लेखक ने तिब्बत में प्रचलित जागीरदारी व्यवस्था का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया है।
  2. जागीरदारी व्यवस्था में होने वाले मजदूरों के शोषण की ओर भी संकेत किया गया है।
  3. लेखक ने भिक्षु की स्थिति राजा के समान बताकर वहाँ की व्यवस्था पर व्यंग्य किया है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) तिब्बत की जागीर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
(2) तिब्बत में खेती का प्रबंध करने वाले भिक्षुओं की स्थिति कैसी है ?
(3) तिब्बत में खेती मजदूरों की दशा कैसी है ?
(4) जागीरों का बड़ा हिस्सा किसके हाथ में है ?
उत्तर-

(1) तिब्बत में सारी जमीन छोटे-बड़े जागीरदारों में विभाजित है। इन जागीरों में अधिक जागीरें बौद्ध मठों व विहारों के अधीन हैं। बौद्ध भिक्षु ही वहाँ जागीरों में खेती-बाड़ी का काम देखते हैं। इन भिक्षुओं को अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है।
(2) खेती का प्रबंध करने वाले भिक्षुओं की स्थिति एक राजा जैसी होती है। वहाँ के लोग भिक्षु को राजा जैसा सम्मान देते हैं।
(3) तिब्बत में खेती मज़दूरों की दशा दयनीय है। वहाँ खेती मज़दूरों को बहुत कम मजदूरी दी जाती है।
(4) जागीरों का बड़ा हिस्सा विहारों व मठों के हाथ में है।

ल्हासा की ओर Summary in Hindi

ल्हासा की ओर लेखक-परिचय

प्रश्न-
श्री राहुल सांकृत्यायन का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री राहुल सांकृत्यायन का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय श्री राहुल सांकृत्यायन का नाम आधुनिक हिंदी साहित्यकारों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। वे घुमक्कड़ प्रवृत्ति वाले थे। उन्होंने अपनी इसी प्रवृत्ति के कारण हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। श्री राहुल सांकृत्यायन का जन्म सन् 1893 में गाँव पंदहा, जिला आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ। उनका असली नाम केदार पांडेय था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में प्राप्त की। तत्पश्चात् काशी, आगरा और लाहौर में उच्च शिक्षा ग्रहण की। सन् 1930 में उन्होंने श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। तब से ही ये केदार पांडेय से राहुल सांकृत्यायन बन गए थे। उन्होंने हिंदी के अतिरिक्त पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, रूसी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, उर्दू, फारसी आदि अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। इसीलिए उन्हें ‘महापंडित’ कहा जाता था। माँ भारती के इस सपूत की मृत्यु सन् 1963 में हुई थी। उन्होंने आजीवन साहित्य की रचना की।

2. प्रमुख रचनाएँ-श्री राहुल सांकृत्यायन ने एक सफल साहित्यकार की भाँति अनेक विधाओं पर अपनी लेखनी साधिकार चलाई। उन्होंने उपन्यास, कहानी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, जीवनी, आलोचना, शोध आदि अनेक साहित्यिक विधाओं की रचना की है। इतना ही नहीं, उन्होंने अनेक ग्रंथों का हिंदी अनुवाद भी किया है। ‘मेरी जीवन यात्रा’ (छह भाग), ‘दर्शन-दिग्दर्शन’, ‘बाइसवीं सदी’, ‘वोल्गा से गंगा’, ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’, ‘दिमागी गुलामी’, ‘घुमक्कड़ शास्त्र’ आदि उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। साहित्य के अतिरिक्त दर्शन, राजनीति, धर्म, इतिहास, विज्ञान आदि विभिन्न विषयों पर भी उनकी लगभग 150 रचनाएँ उपलब्ध हैं। राहुल सांकृत्यायन ने हिंदी साहित्य की छुपी हुई सामग्री को ढूँढ़कर साहित्य का उद्धार कर अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।

3. साहित्यिक विशेषताएँ-यात्रावृत्त लेखन-कार्य में राहुल सांकृत्यायन जी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने घुमक्कड़ी शास्त्र की रचना की। इसमें उन्होंने घुमक्कड़ी से होने वाले लाभों का सविस्तार वर्णन किया है। उन्होंने यात्रावृत्त पर प्रकाश डालते हुए मंजिल के स्थान पर यात्रा को ही घुमक्कड़ का उद्देश्य बताया है। कहने का भाव है कि मंजिल पर पहुंचने से पहले यात्रा करते समय जो अनुभव होते हैं, वे अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं। घुमक्कड़ी में मनोरंजन, ज्ञानवर्धन एवं अज्ञात स्थानों की जानकारी के साथ-साथ भाषा एवं संस्कृति का भी आदान-प्रदान होता है। घुमक्कड़ी से मनुष्य साहसी और संघर्षशील भी बनता है। राहुल जी ने विभिन्न स्थानों के भौगोलिक वर्णन के अतिरिक्त वहाँ के जन-जीवन का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया है। इसे ही यदि राहुल जी के यात्रावृत्तों की महत्त्वपूर्ण विशेषता कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

4. भाषा-शैली-राहुल जी को विभिन्न भाषाओं का गहन ज्ञान था। हिंदी के प्रति उनका विशेष लगाव था। उन्होंने अपनी रचनाओं में शुद्ध साहित्यिक हिंदी का प्रयोग किया है, किन्तु यात्रावृत्तों में विभिन्न-विभिन्न स्थानों की बोलियों एवं भाषाओं के शब्दों का प्रयोग प्रसंगानुकूल किया है। इससे भाषा में व्यावहारिकता एवं रोचकता का समावेश हुआ है। लोक-प्रचलित मुहावरों का प्रयोग करके भाषा को सारगर्भित रूप भी प्रदान किया है। सुगठित वाक्य-रचना के कारण भाषा प्रभावशाली बन पड़ी है। गंभीर भावों व विचारों को सरलतम भाषा में व्यक्त करना श्री राहुल जी की भाषा-शैली की प्रमुख विशेषता है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

ल्हासा की ओर पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘ल्हासा की ओर’ शीर्षक यात्रावृत्त का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘ल्हासा की ओर’ श्री राहुल सांकृत्यायन की प्रथम तिब्बत यात्रा है जो उन्होंने 1929-30 में नेपाल के रास्ते से की थी। उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी। इसलिए राहुल जी ने यह यात्रा भिखमंगे के छद्मवेश में की थी।

इसमें उन्होंने तिब्बत की राजधानी ‘ल्हासा’ की ओर जाने वाले दुर्गम रास्तों का वर्णन अत्यंत रोचकतापूर्ण किया है। जब राहुल जी ने यह यात्रा की थी, तब फरी-कलिङपोङ्ग का मार्ग नहीं खोला गया था। इसलिए भारत की वस्तुएँ नेपाल होकर ही तिब्बत जाती थीं। इसे सैनिक व व्यापारिक रास्ता भी कहा जाता था। मार्ग में स्थान-स्थान पर चीनी सेना की चौकियाँ और किले बने हुए थे जिनमें चीनी पलटन के सैनिक रहते थे। किन्तु आजकल वे दुर्ग गिर चुके हैं और उनमें किसान रहते हैं। मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहाँ जातिगत भेदभाव नहीं हैं और न ही स्त्रियाँ वहाँ परदा करती हैं। वे आपके लिए निःसंकोच खाना पका देंगी व चाय बना देंगी। वे यात्रियों की खूब सेवा करती हैं।

परित्यक्त चीनी किले से चाय पीने के पश्चात् जब लेखक आगे बढ़ा तो उन्हें राहदारी देनी पड़ी। उसी दिन वे थोङ्ला के पहले के अंतिम गाँव में पहुंच गए। वहाँ उनके सहायक सुमति के जान-पहचान के आदमी थे। भिखमंगे के वेश में होने पर भी उन्हें रहने के लिए अच्छी जगह मिली। लेखक पाँच वर्ष पश्चात् एक यात्री के रूप में इस स्थान से गुजरा था, किन्तु तब उसे किसी ने अच्छी जगह नहीं दी थी। यह वहाँ के लोगों की मनोवृत्ति पर निर्भर करता है।

लेखक को अब सबसे खतरनाक मार्ग डाँड़ा थोङ्ला पार करना था। तिब्बत में सबसे खतरनाक स्थान डाँड़े है। यहाँ दूर-दूर तक मार्ग के दोनों ओर कोई गाँव नहीं है। डाकुओं के लिए यह सबसे अच्छी जगह है। ऐसे स्थान पर हुए खून की वहाँ परवाह नहीं की जाती और न ही सरकार इस ओर कोई ध्यान देती है। हथियार का कानून न होने के कारण वहाँ लाठी की भाँति लोग पिस्तौल व बंदूक रखते हैं। इस मार्ग पर अनेक खून हो चुके थे, किन्तु लेखक को खून की कोई परवाह नहीं थी क्योंकि वह भिखमंगे के वेश में था। पहाड़ की ऊँची चढ़ाई और पीठ पर सामान लदा हुआ था। अगला पड़ाव भी 16-17 मील की दूरी पर था। लेखक के सहायक ने दो घोड़े लेने की सलाह दी।

अगले दिन वे घोड़ों पर सवार होकर चले और दोपहर तक डाँड़े से ऊपर जा पहुँचे। वहाँ हजारों मील तक पहाड़-ही-पहाड़ थे। भीटे की ओर दिखाई देने वाले पहाड़ तो बिल्कुल नंगे थे। डाँड़े के सबसे ऊँचे स्थान पर वहाँ के देवता का स्थान था, जो पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिरंगे कपड़ों की झाड़ियों से सजाया हुआ था। लेखक के साथ कुछ और घुड़सवार भी चल रहे थे। अब चढ़ाई कम थी, किन्तु उतराई अधिक थी। लेखक का घोड़ा बहुत सुस्त पड़ गया था। इसलिए लेखक अन्य सवारों से पिछड़ गया था। आगे चलकर दो मार्ग फूट रहे थे। लेखक गलत मार्ग पर चल पड़ा। एक डेढ़-मील चलकर पता चला कि वह गलत मार्ग पर जा रहा है। उसने लौटकर सही मार्ग पकड़ा। गाँव से मील भर की दूरी पर लेखक सुमति से सांय के चार-पाँच बजे मिला। वह उस पर लाल-पीला हो उठा। किन्तु लेखक ने घोड़े की धीमी गति का बहाना बताकर उसे शांत कर दिया। लङ्कोर में वे एक अच्छी जगह पर ठहरे थे। पहले उन्होंने चाय-सत्तू खाया और रात को गरमागरम थुक्पा मिला।

अंततः लेखक तिकी के विशाल मैदान में पहुँच गया जो पहाड़ों से घिरा टापू-सा लगता था। उसमें एक छोटी-सी पहाड़ी दिखाई देती थी। उसी पहाड़ी का नाम ‘तिश्री-समाधि-गिरि’ था। वहाँ सुमति के अनेक यजमान थे जिनके पास वह जाना चाहता था। किन्तु लेखक ने उसे जाने की आज्ञा नहीं दी। हाँ, इतना अवश्य कहा कि जिस गाँव में वे रुके थे, उसी गाँव के यजमानों में वह गंडे बाँट सकता है। सुमति ने यह बात स्वीकार कर ली। दूसरे दिन उन्हें कोई भरिया नहीं मिला। वे सुबह ही आगे चल दिए। तिब्बत में 10-11 बजे तक धूप बहुत तेज हो जाती है। वे दो बजे तक सूरज की ओर मुँह करके चलते रहे। ललाट धूप से जलता रहा। तिब्बत की जमीन बहुत-से छोटे-बड़े ज़मींदारों में बँटी हुई है। प्रत्येक ज़मींदार अपनी-अपनी जमीन पर खेती स्वयं कराते हैं, जिसके लिए मजदूर बेगार में मिल जाते हैं। खेती का प्रबंध देखने के लिए किसी भिक्षु को भेज दिया जाता है। वह किसी राजा से कम नहीं होता। सुमति के यजमान शेकर की खेती का मुखिया भिक्षु बहुत अच्छा व्यक्ति था। वह लेखक के भिखारी के वेश में होने पर भी बहुत प्रेम से मिला। वहाँ उन्हें एक मंदिर में ठहराया गया। इस मंदिर में कन्जुर (बुद्धवचन अनुवाद) की हस्तलिखित 103 पोथियाँ रखी हुई थीं। वे मोटे और अच्छे कागज पर लिखित थीं। एक-एक पोथी का बोझ 15-15 सेर से कम न था। लेखक उनमें रम गया तथा सुमति दूसरे दिन तक अपने यजमानों से मिलकर लौट आया। तिकी गाँव वहाँ से दूर नहीं था। उन्होंने अपना-अपना सामान पीठ पर लादा और अपने मार्ग पर चल दिए।

कठिन शब्दों के अर्थ

(पृष्ठ-25) : व्यापारिक = व्यापार से संबंधित। सैनिक = सेना के लिए। पलटन = सेना का भाग। दुर्ग = किला। बसेरा = रहने के लिए घर। आबाद = बसे हुए। परित्यक्त = छोड़ा हुआ। तकलीफें = कठिनाइयाँ। औरतें = नारियाँ । अपरिचित = अनजान।

(पृष्ठ-26) : राहदारी = जेनम् गाँव के पास पुल से नदी पार करने के लिए जोपोन (मजिस्ट्रेट) के हाथ की लिखी लमयिक् (राहदारी) जो लेखक ने अपने मंगोल दोस्त के माध्यम से प्राप्त की (पहचान के लिए दी गई चिट्ठी)। थोङ्ला = तिब्बती सीमा का एक स्थान। भद्र = सज्जन। छङ् = नशीला पदार्थ । दुरुस्त = स्वस्थ, सही। डाँडा = ऊँची जमीन। गाँव-गिराँव = गाँव या बस्ती। निर्जन = एकांत। डकैत = डाकू। पड़ाव = ठहरने का स्थान।

(पृष्ठ-27) : श्वेत = सफेद। शिखर = चोटियाँ। सर्वोच्च = सबसे ऊँचा। दोन्क्विक्स्तो = स्पेनिश उपन्यासकार सार्वेतेज (17 वीं शताब्दी) के उपन्यास ‘डॉन क्विक्ज़ोट’ का नायक, जो घोड़े पर चलता था। सुमति = लेखक को यात्रा के दौरान मिला मंगोल भिक्षु जिसका नाम लोब्जङ् शेख था। इसका अर्थ है-सुमति प्रज्ञ। अतः सुविधा के लिए लेखक ने उसे सुमति नाम से पुकारा है। इंतजार = प्रतीक्षा। सत्तू = भूने हुए अन्न (जौ, चना) का आटा। थुक्पा = सत्तू या चावल के साथ मूली, हड्डी और माँस के साथ।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 2 ल्हासा की ओर

(पृष्ठ-28-29) : तिकी = तिब्बत के महत्त्वपूर्ण स्थान का नाम। गडे = मंत्र पढ़कर गाँठ लगाए हुए धागे व वस्त्र। चिरी = फाड़ी हुई। भरिया = भारवाहक। ललाट = माथा। बेगार = बिना मजदूरी या कम मजदूरी पर। इंतजाम = व्यवस्था। पुस्तकों के भीतर = पुस्तकें पढ़ने में लीन।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

HBSE 9th Class Hindi उपभोक्तावाद की संस्कृति Textbook Questions and Answers

उपभोक्तावाद की संस्कृति गद्यांश HBSE 9th Class प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार जीवन में ‘सुख’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लेखक ने ‘सुख’ को व्यंग्यात्मक शैली में परिभाषित करते हुए कहा है कि आज उपभोग का भोग ही सुख है।

उपभोक्तावाद की संस्कृति के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है ?
उत्तर-
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को अनेक प्रकार से प्रभावित कर रही है। एक ओर इस संस्कृति में उपभोग की वस्तुओं का अत्यधिक निर्माण हो रहा है जिससे आकृष्ट होकर हम उसे बिना सोचे-समझे खरीदते चले जा रहे हैं। इससे संतुष्टि की अपेक्षा अशांति एवं अँधी होड़ की भावना बढ़ती है। दूसरी ओर, समाज के विभिन्न वर्गों में सद्भाव की अपेक्षा संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है। सीमित साधनों का अपव्यय हो रहा है। सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। हम पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण करने के कारण अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं। इस उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास से हमारी अपनी संस्कृति के मूल्य खतरे में पड़ गए हैं।

उपभोक्तावाद की संस्कृति HBSE 9th Class प्रश्न 3.
गांधी जी ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है ?
उत्तर-
गांधी जी सदा भारतीय संस्कृति के पुजारी रहे हैं। वे चाहते थे कि हम नए विचारों को अपनाएँ, किन्तु अपनी संस्कृति की नींव से दूर न हटें अर्थात् अपनी संस्कृति का त्याग न करें। गांधी जी ने अनुभव कर लिया था कि उपभोक्ता संस्कृति हमारी सामाजिक नींव को हिला रही है। यह हमारे समाज के लिए खतरा है। इसलिए गांधी जी ने इसे समाज के लिए चुनौती कहा है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

उपभोक्तावाद की संस्कृति Class 9 HBSE प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए
(क) जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं।
(ख) प्रतिष्ठा के अनेक रूप होते हैं, चाहे वे हास्यास्पद ही क्यों न हों।
उत्तर-
(क) इस पंक्ति में लेखक ने उपभोक्तावाद की संस्कृति के विकास से उत्पन्न वातावरण के प्रभाव को चित्रित किया है। जाने-अनजाने आज के वातावरण में हमारा चरित्र बदल रहा है अर्थात् हमारी सोच में परिवर्तन आ रहा है। हम जिन बातों या विचारों को पहले उचित नहीं समझते थे, आज उन्हीं को करने में गर्व अनुभव करने लगे हैं। हम अपने-आपको उत्पाद के प्रति समर्पित करते जा रहे हैं अर्थात् उत्पादन ही हमारा सब कुछ बन गया है, मानवीय मूल्य गौण होते जा रहे हैं।

(ख) इस पंक्ति में लेखक ने आज के दिखावे की प्रतिष्ठा पर करारा व्यंग्य किया है। लेखक ने बताया है कि हम अपनी प्रतिष्ठा अर्थात् मान-सम्मान को बनाने के लिए तरह-तरह के ढंग अपना रहे हैं, भले ही वे हास्यास्पद ही क्यों न हों। कहने का तात्पर्य है कि हम साधनों की चिंता नहीं करते, वे कैसे भी हों हमें तो अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है।

रचना और अभिव्यक्ति

Upbhoktavad Ki Sanskriti Prashn Uttar HBSE 9th Class प्रश्न 5.
कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या न हो, लेकिन टी०वी० पर विज्ञापन देखकर हम उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित होते हैं, क्यों ?
उत्तर-
आज के युग में किसी भी वस्तु को खरीदने के लिए उसकी आवश्यकता का होना अनिवार्य नहीं है। कुछ वस्तुएँ ऐसी भी हैं, जिन्हें हम विज्ञापन देखकर इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि उन वस्तुओं को खरीदने से हमारी हैसियत का पता चलता है और समाज में प्रतिष्ठा भी बढ़ती है। अतः स्पष्ट है कि हम दिखावे की शान को बनाए रखने के लिए ऐसी वस्तुओं को खरीदने के लिए लालायित होते हैं।

उपभोक्तावाद की संस्कृति Question And Answer HBSE 9th Class प्रश्न 6.
आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन ? तर्क देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
हमारे अनुसार किसी भी वस्तु को खरीदने का प्रमुख आधार उसकी गुणवत्ता एवं उपयोगिता होनी चाहिए, न कि विज्ञापन। यदि हम केवल विज्ञापन को देखकर किसी वस्तु को खरीदते हैं तो यह आवश्यक नहीं है कि उसमें वे सभी गुण होंगे, जो हम चाहते हैं। इसलिए हमें किसी भी वस्तु को खरीदने के लिए उसके गुणों को देखना चाहिए। यही उचित एवं सार्थक होगा। विज्ञापन में तो केवल चमक-दमक ही अधिक दिखाई जाती है।

Upbhoktavad Ki Sanskriti Shabdarth HBSE 9th Class प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही ‘दिखावे की संस्कृति’ पर विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही दिखावे की संस्कृति का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया गया है। सर्वप्रथम इस संस्कृति से हमारे धन का अपव्यय बढ़ा है। हम अधिकाधिक वस्तुओं को खरीदने के लिए लालायित हो उठते हैं। इस संस्कृति के विकास से भारतीय संस्कृति के मूल्यों को आघात पहुँचा है। हम उपभोक्तावाद के चक्कर में फँसकर अथवा झूठी प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए मानवीय मूल्यों से दूर हटते जा रहे हैं। लेखक का यह भी मानना है कि उपभोक्तावादी युग में समाज के विभिन्न वर्गों की दूरियाँ कम होने की अपेक्षा बढ़ी हैं। सामाजिक सद्भावना व सहयोग की भावना की अपेक्षा अँधी प्रतिस्पर्धा का विकास हुआ है जिसमें दया, सहिष्णुता, ममता आदि सद्भावों के लिए कोई स्थान नहीं है।

Upbhoktavad Ki Sanskriti Ke Prashn Uttar HBSE 9th Class प्रश्न 8.
आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है ? अपने अनुभव के आधार पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
आज की उपभोक्ता संस्कृति न केवल हमारे दैनिक जीवन को, अपितु हमारे रीति-रिवाजों और त्योहारों को भी प्रभावित कर रही है। इससे पूर्व रीति-रिवाज व त्योहार एक महान् उद्देश्य की पूर्ति हेतु मनाए जाते थे। उनसे आपस में प्रेम, सद्भाव, मेल-जोल आदि भावों का विकास होता था। यही उनका मुख्य लक्ष्य भी था, किन्तु आज उपभोक्ता संस्कृति के आने पर हम रीति-रिवाजों व त्योहारों पर अनेकानेक वस्तुएँ खरीदते हैं और प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए महँगे-महँगे उपहार देते हैं। दिखावे के लिए अनावश्यक वस्तुओं को खरीदते हैं। इससे समाज के लोगों में होड़ की भावना उत्पन्न होती है और धन का अपव्यय होता है। उदाहरणार्थ, दीपावली दीपों एवं सद्भावना का त्योहार है। हम दीप जलाने की अपेक्षा महँगे पटाखे, बम आदि चलाते हैं। अपने संबंधियों व पड़ोसियों को महँगे-महँगे तोहफे देते हैं। हम इस त्योहार के वास्तविक उद्देश्य से भटककर दिखावे की भावना में फँस जाते हैं। इस प्रकार उपभोक्ता की संस्कृति का हमारे रीति-रिवाजों व त्योहारों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

Class 9th Upbhoktavad Ki Sanskriti Prashn Uttar HBSE

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है।
इस वाक्य -में ‘बदल रहा है’ क्रिया है। यह क्रिया कैसे हो रही है-धीरे-धीरे। अतः यहाँ धीरे-धीरे क्रिया-विशेषण है। जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, क्रिया-विशेषण कहलाते हैं। जहाँ वाक्य में हमें पता चलता है क्रिया कैसे, कब, कितनी और कहाँ हो रही है, वहाँ वह शब्द क्रिया-विशेषण कहलाता है।

(क) ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए क्रिया-विशेषण से युक्त लगभग पाँच वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिए।
उत्तर-

  1. आपको लुभाने की जी तोड़ कोशिश में निरंतर लगी रहती हैं।
  2. हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें।
  3. विकास के विराट उद्देश्य पीछे हट रहे हैं।
  4. नैतिक मानदंड ढीले पड़ रहे हैं।
  5. शीघ्र ही शायद कॉलेज और यूनिवर्सिटी भी बन जाए।

(ख) धीरे-धीरे, जोर से, लगातार, हमेशा, आजकल, कम, ज्यादा, यहाँ, उधर, बाहर-इन क्रिया-विशेषण शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
उत्तर-
धीरे-धीरे – मोहन धीरे-धीरे चल रहा है।
जोर से – जोर से मत बोलो।
लगातार – वह लगातार दौड़ रहा है।
हमेशा – प्रभु शर्मा हमेशा गाता है।
आजकल – तुम आजकल पढ़ते नहीं हो।
कम – तुम कम तोलते हो।
ज्यादा – वह ज्यादा हँसता है।
यहाँ – राम यहाँ सोता है।
उधर – वह उधर रहता है।
बाहर – सीता बाहर देख रही थी।

(ग) नीचे दिए गए वाक्यों में से क्रिया-विशेषण और विशेषण शब्द छाँटकर अलग लिखिए-

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति 1
उत्तर-
क्रिया-विशेषण– विशेषण
(1) निरंतर — कल
(2) मुँह में पानी आ गया — पके
(3) जोरों की — हलकी
(4) उतना ही — जितनी
(5) भरा — आजकल

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

पाठेतर सक्रियता

‘दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले विज्ञापनों का बच्चों पर बढ़ता प्रभाव’ विषय पर अध्यापक और विद्यार्थी के बीच हुए वार्तालाप को संवाद शैली में लिखिए।
इस पाठ के माध्यम से आपने उपभोक्ता संस्कृति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। अब आप अपने अध्यापक की सहायता से सामंती संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त करें और नीचे दिए गए विषय के पक्ष अथवा विपक्ष में कक्षा में अपने विचार व्यक्त करें।

क्या उपभोक्ता संस्कृति सामंती संस्कृति का ही विकसित रूप है।

आप प्रतिदिन टी.वी. पर ढेरों विज्ञापन देखते-सुनते हैं और इनमें से कुछ आपकी ज़बान पर चढ़ जाते हैं। आप अपनी पसंद की किन्हीं दो वस्तुओं पर विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi उपभोक्तावाद की संस्कृति Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ शीर्षक पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ नामक इस निबन्ध में लेखक का उद्देश्य यह बताना है कि आज के बदलते युग की नवीन . जीवन-शैली के साथ-साथ उपभोक्तावादी संस्कृति भी पनप रही है। आज उपभोक्तावादी जीवन-दर्शन में सुख की परिभाषा बदल गई हैं। मानव का चरित्र भी बदल रहा है। लेखक ने मानव को विलासिता की वस्तुओं व दिखावे का जीवन न जीने का उपदेश दिया है। विज्ञापनों की चकाचौंध में न आकर अपनी आवश्यकताओं पर ध्यान देना चाहिए। भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं के अवमूल्यन के प्रति भी हमारा ध्यान आकृष्ट करना लेखक का प्रमुख लक्ष्य है। दिखावे की संस्कृति से निरन्तर अशांति बढ़ती है, इसलिए दिखावे को त्यागकर सत्य का दामन थामना चाहिए उसी से ही शांति मिल सकती है। लेखक ने उपभोक्तावादी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के प्रति चिंता व्यक्त की है तथा हमें उसके प्रति सचेत किया है। यह इस निबन्ध का परम लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
आधुनिक युग में आम आदमी के जीवन में विज्ञापन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
आधुनिक युग में आम आदमी का जीवन अत्यंत व्यस्त हो गया है। हर वस्तु की जाँच-पड़ताल करना उसके लिए असंभव हो गया है। इसलिए वह अपनी इस कमी को विज्ञापन की सहायता से पूरा करता है। वह विज्ञापन के द्वारा वस्तुओं के गुणों, उनके प्रयोग आदि की जानकारी हासिल करता है। विज्ञापन ही आम व्यक्ति के सामने वस्तुओं के कई-कई विकल्प प्रस्तुत करता है जिससे वह अपनी पसंद की वस्तु प्राप्त कर सकता है। विज्ञापन आम आदमी के लिए कई बार हानिकारक भी सिद्ध होता है। वह आम आदमी के मन में नई वस्तुओं के लिए लालच उत्पन्न करता है। तब उसे पुरानी वस्तुएँ व्यर्थ लगने लगती हैं। इससे फिजूलखर्ची बढ़ती है।

प्रश्न 3.
लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है?
उत्तर-
लेखक का मानना है कि हम नए विचारों को अपनाने के साथ-साथ अपनी संस्कृति की नींव से दूर न हटें अर्थात् अपनी संस्कृति का त्याग न करें। परन्तु उपभोक्ता संस्कृति हमारी सामाजिक नींव को हिला रही है। आपसी दूरी बढ़ती जा रही है। नैतिकता पीछे छूटती जा रही है। स्वार्थ परमार्थ पर भारी पड़ता जा रहा है। यह हमारे समाज के लिए खतरा है। इसलिए लेखक ने इसे समाज के लिए चुनौती कहा है।

प्रश्न 4.
हम भारतीय लक्ष्य-भ्रम की पीड़ा से पीड़ित हैं। कैसे ?
उत्तर-
प्राचीनकाल से भारत के लोगों का उच्च विचार साधारण जीवन-शैली में विश्वास था। इस प्रकार हर व्यक्ति शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करता था। किन्तु आज हम आधुनिकता की चमक-दमक में फँस गए हैं। हम अपने जीवन का लक्ष्य भूल गए हैं। भारतीय जीवन के पुराने संस्कार जो हमें धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष आदि के लिए जीना सिखाते थे, हम उन्हें पूरी तरह भूल चुके हैं। हम पश्चिमी जीवन के उपभोक्तावाद के समर्थक बन बैठे हैं जिसमें कही संतुष्टि व शांति नहीं है। इस दिखावे व चमक-दमक के छलावे में फँसकर जीवन के वास्तविक लक्ष्य से भ्रमित हो गए हैं। हर समय दिखावे व उपभोक्तावाद की भावना से ग्रसित रहने के कारण हमारे जीवन में अशांति व दुःख ही छाए रहते हैं। इसलिए हम लक्ष्य-भ्रम की पीड़ा से पीड़ित रहने लगे हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्तावादी युग में विशिष्ट जन समाज का सामान्य जन पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर-
उपभोक्तावादी संस्कृति एवं सभ्यता के प्रचार-प्रसार से समाज का हर वर्ग प्रभावित हुआ है। जिनके पास अधिक धन है वे उपभोक्तावादी समाज के उच्च वर्ग के लोग हैं। इन्हें ही विशिष्ट जन भी कहते हैं। इस वर्ग के लोगों के सुख व वैभवपूर्ण जीवन को देखकर सामान्य जन भी उनका अनुकरण करने लगता है। वह भी उपभोक्तावादी संस्कृति की ओर लालायित हो उठता है। किन्तु उनकी आय सीमित होती है। वे उपभोक्तावादी संस्कृति में अपने आपको चाहते हुए भी सम्मिलित नहीं कर सकते इसलिए तनावपूर्ण जीवन जीने के लिए विवश हो जाते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

प्रश्न 6.
भारत में उपभोक्तावादी संस्कृति का विकास कौन और क्यों कर रहा है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि भारत में उपभोक्तावादी संस्कृति का विकास करने में सामंती संस्कृति का योगदान रहा है। भारत में भले ही सामंत बदल गए हैं, किन्तु उनके गुण व आदतें अब तक वहीं हैं। इसके अतिरिक्त पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता का अंधानुकरण भी उपभोक्तावादी संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। विज्ञापन का प्रचार-प्रसार भी उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास का एक प्रमुख कारण है। इसके अतिरिक्त आधुनिकता और दिखावे की अंधी दौड़ भी कुछ हद तक उपभोक्तावादी संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए जिम्मेदार है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
(A) आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
(B) प्रेमचंद
(C) महादेवी वर्मा
(D) श्यामाचरण दुबे
उत्तर-
(D) श्यामाचरण दुबे

प्रश्न 2.
श्यामाचरण दुबे का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1912 में
(B) सन् 1922 में
(C) सन् 1932 में
(D) सन् 1942 में
उत्तर-
(B) सन् 1922 में

प्रश्न 3.
श्यामाचरण दुबे की मृत्यु कब हुई ? .
(A) सन् 1986 में
(B) सन् 1990 में
(C) सन् 1992 में
(D) सन् 1996 में
उत्तर-
(D) सन् 1996 में

प्रश्न 4.
‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ है एक
(A) निबंध
(B) कहानी
(C) एकांकी
(D) संस्मरण
उत्तर-
(A) निबंध

प्रश्न 5.
नए जीवन-दर्शन को लेखक ने कौन-सा दर्शन कहा है ?
(A) समाज-दर्शन
(B) उपभोक्तावाद का दर्शन
(C) साहित्य-दर्शन
(D) शिक्षा का दर्शन
उत्तर-
(B) उपभोक्तावाद का दर्शन

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार चारों ओर किस बात पर जोर दिया जा रहा है ?
(A) गीत गाने पर
(B) अधिक खर्च करने पर
(C) उत्पादन बढ़ाने पर ।
(D) बचत करने पर
उत्तर-
(C) उत्पादन बढ़ाने पर

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार आज किसे सुख समझा जाता है ?
(A) ईश्वर-भक्ति को
(B) उपभोग-भोग को
(C) अधिक धन को
(D) अत्यधिक वस्तुएँ खरीदने को
उत्तर-
(B) उपभोग-भोग को

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प्रश्न 8.
बाजार कैसी सामग्री से भरा पड़ा है ?
(A) आवश्यकता की
(B) विलासिता की
(C) हवन की
(D) पूजा की
उत्तर-
(B) विलासिता की

प्रश्न 9.
नए डिज़ाइन के परिधान कैसे हैं ?
(A) सस्ते
(B) सुंदर और टिकाऊ
(C) महँगे
(D) घटिया
उत्तर-
(C) महँगे

प्रश्न 10.
उपभोक्तावादी समाज को कौन ललचाई दृष्टि से देखते हैं ?
(A) कंजूस लोग
(B) अमीर लोग
(C) साधारण लोग
(D) गरीब लोग
उत्तर-
(C) साधारण लोग

प्रश्न 11.
हमारी नई संस्कृति कैसी संस्कृति बन गई है ?
(A) अनुकरण की
(B) त्याग की
(C) उपभोग की
(D) पैसे की
उत्तर-
(A) अनुकरण की

प्रश्न 12.
हम कौन-सी दासता को स्वीकार करते जा रहे हैं ?
(A) धन की दासता
(B) बौद्धिक दासता
(C) भाषा की दासता
(D) सभ्यता की दासता
उत्तर-
(B) बौद्धिक दासता

प्रश्न 13.
कौन-सी शक्तियों के अभाव में हम दिग्भ्रमित होते जा रहे हैं ?
(A) संस्कृति की नियंत्रक शक्ति
(B) चारित्रिक शक्ति
(C) वैराग्य की शक्ति
(D) संस्कृति के परिवर्तन की शक्ति
उत्तर-
(A) संस्कृति की नियंत्रक शक्ति

प्रश्न 14.
हमारी मानसिक शक्ति कौन बदल रहा है ?
(A) सरकार
(B) विज्ञापन और प्रसार के तंत्र
(C) फैशन
(D) उद्योगपति
उत्तर-
(B) विज्ञापन और प्रसार के तंत्र

प्रश्न 15.
उपभोक्तावाद की संस्कृति में किसका घोर अपव्यय हो रहा है ?
(A) सीमित साधनों का
(B) भावनाओं का
(C) धर्म का
(D) पारस्परिक संबंधों का
उत्तर-
(A) सीमित साधनों का

प्रश्न 16.
लेखक ने ‘सुख’ किसे कहा है ?
(A) उपभोग सुख
(B) मानसिक व शारीरिक आराम
(C) धन की प्राप्ति
(D) वैराग्य सुख
उत्तर-
(A) उपभोग सुख

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प्रश्न 17.
सांस्कृतिक अस्मिता का अर्थ है-
(A) सांस्कृतिक पहचान
(B) सांस्कृतिक विकास
(C) सांस्कृतिक पतन
(D) सांस्कृतिक मेल
उत्तर-
(A) सांस्कृतिक पहचान

प्रश्न 18.
दूसरों को श्रेष्ठ समझकर उनकी बौद्धिकता के प्रति बिना आलोचनात्मक दृष्टि अपनाए उसे स्वीकार कर लेना कहलाता है-
(A) बौद्धिक दासता
(B) बौद्धिक विलास
(C) बौद्धिक उन्नति
(D) बौद्धिक दिवालिया
उत्तर-
(A) बौद्धिक दासता

प्रश्न 19.
संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर कितने हजार की सौंदर्य सामग्री का होना मामूली बात है ?
(A) दस
(B) बीस
(C) तीस
(D) चालीस
उत्तर-
(C) तीस

प्रश्न 20.
सामान्य जन किस समाज को ललचाई दृष्टि से देखते हैं ?
(A) पूँजीपति समाज
(B) विशिष्टजन समाज
(C) संत-समाज
(D) वेतनभोगी समाज
उत्तर-
(B) विशिष्टजन समाज

प्रश्न 21.
लेखक के अनुसार भारत में अशांति और आक्रोश का प्रमुख कारण क्या है ?
(A) दिखावे की संस्कृति का विकास
(B) संस्कृति को भूल जाना
(C) संस्कृति का परिवर्तन
(D) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
उत्तर-
(A) दिखावे की संस्कृति का विकास

प्रश्न 22.
भारतीय संस्कृति के पुराने संस्कार सिखाते हैं-
(A) संतोषमय जीवन जीना
(B) आवेशमय जीवन जीना
(C) आक्रोशमय जीवन जीना
(D) प्रतियोगितामय जीवन जीना
उत्तर-
(A) संतोषमय जीवन जीना

प्रश्न 23.
आधुनिक चकाचौंध में भारतीय किस पीड़ा से पीड़ित हैं ?
(A) वियोग की
(B) लक्ष्य भ्रम की
(C) अपव्यय की
(D) धन की बचत होने की
उत्तर-
(B) लक्ष्य भ्रम की

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उपभोक्तावाद की संस्कृति प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

1. धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है। एक नयी जीवन-शैली अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। उसके साथ आ रहा है एक नया जीवन-दर्शन-उपभोक्तावाद का दर्शन। उत्पादन बढ़ाने पर ज़ोर है चारों ओर। यह उत्पादन आपके लिए है; आपके भोग के लिए है, आपके सुख के लिए है। ‘सुख’ की व्याख्या बदल गई है। उपभोग-भोग ही सुख है। एक सूक्ष्म बदलाव आया है नई स्थिति में। उत्पाद तो आपके लिए हैं, पर आप यह भूल जाते हैं कि जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं। [पृष्ठ 35]

शब्दार्थ-जीवन-शैली = जीवन जीने का ढंग। वर्चस्व = प्रमुखता। जीवन-दर्शन = जीवन संबंधी विचारधारा। उत्पादन = निर्माण। माहौल = वातावरण। समर्पित होना = अपने-आपको सौंप देना।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ शीर्षक पाठ से उद्धृत है। इसके रचयिता श्री श्यामाचरण दुबे हैं। इस पाठ में लेखक ने आज की उपभोक्तावादी संस्कृति और विज्ञापन की चमक-दमक से भ्रमित समाज आदि के प्रश्नों पर प्रकाश डाला है। इन पंक्तियों में बताया गया है कि उपभोक्तावादी प्रवृत्ति के विकास के कारण सामाजिक परिस्थितियों में बदलाव आ गया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने बताया है कि आज भौतिक विकास के कारण समाज में धीरे-धीरे सब कुछ बदल रहा है। आज एक नए जीवन जीने के ढंग की प्रमुखता स्थापित हो रही है। जीवन के प्रति नई सोच, विचारधारा, दर्शन अथवा उपभोक्तावाद का दर्शन आ रहा है। चारों ओर उत्पादन बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है अर्थात अधिक-से-अधिक वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है। यह उत्पादन आपके उपभोग के लिए है। आप इन सब वस्तुओं का प्रयोग करके सुख प्राप्त कर सकते हैं। आज के युग में सुख की परिभाषा बदल गई है। पहले सुख संतुष्टि या संतोष से संयमपूर्वक जीवन जीने से प्राप्त होता था। अब उपभोग-भोग ही सुख है अर्थात् अधिक-से-अधिक वस्तुओं का उपभोग ही सुख है। इस प्रकार इन परिस्थितियों में जीवन में एक सूक्ष्म बदलाव आया है। जीवन जीने के मानदंड अथवा मूल्य ही बदल गए हैं। अधिकाधिक भोग में संतुष्टि नहीं है। उपभोग की कामनाएँ बढ़ती ही जाती हैं। निश्चय ही, सभी उत्पादन हमारे लिए हैं, किन्तु हम यह भूल गए हैं जाने-अनजाने आज के वातावरण में हमारा चरित्र भी बदल गया है। हम आज उत्पादनों के प्रति अपने-आपको अर्पित कर रहे हैं। वस्तुतः विकास के साथ-साथ हमारे चरित्र का भी विकास होना चाहिए था, परन्तु ऐसा लगता है कि जैसे हम केवल उत्पादकों के भोग के लिए जी रहे हैं। यही हमारे जीवन का लक्ष्य बन गया है।

विशेष-

  1. लेखक ने आज की उपभोक्तावादी परिस्थितियों पर करारा व्यंग्य किया है।
  2. भौतिकवाद की कमियों की ओर संकेत किया गया है।
  3. उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास के साथ-साथ मानव चरित्र में आई गिरावट का उद्घाटन करना भी लेखक का लक्ष्य है।
  4. भाषा-शैली सरल, सहज एवं भावानुकूल है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) धीरे-धीरे क्या बदल रहा है ?
(2) उपभोक्तावाद किसे कहते हैं ?
(3) सुख की व्याख्या में क्या परिवर्तन आया है ?
(4) हम क्या भूल जाते हैं ?
उत्तर-
(1) धीरे-धीरे हमारा वातावरण बदल रहा है। एक नई संस्कृति पनप रही है। जीने का नया ढंग हम पर हावी हो रहा है।
(2) उपभोग को ही जीवन का सब कुछ मान लेना, उपभोक्तावाद कहलाता है। इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि मनुष्य उपभोग को ही अपने जीवन का लक्ष्य मान लेता है।
(3) पहले सुख के अंतर्गत शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक हर प्रकार का आनंद व संतुष्टि आती थी। किन्तु अब तो केवल उपभोग के साधनों को भोगना ही सुख कहलाता है।
(4) हम भूल जाते हैं कि जाने-अनजाने में आज के माहौल में हमारा चरित्र बदल रहा है। हम उत्पादन को समर्पित होते जा रहे हैं। हम उत्पादों के पूर्णतः गुलाम बनते जा रहे हैं।

2. संभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर तीस-तीस हज़ार की सौंदर्य सामग्री होना तो मामूली बात है। पेरिस से परफ्यूम मँगाइए, इतना ही और खर्च हो जाएगा। ये प्रतिष्ठा-चिह्न हैं, समाज में आपकी हैसियत जताते हैं। पुरुष भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। पहले उनका काम साबुन और तेल से चल जाता था। आफ्टर शेव और कोलोन बाद में आए। अब तो इस सूची में दर्जन-दो दर्जन चीजें और जुड़ गई हैं। [पृष्ठ 36]

शब्दार्थ-संभ्रांत = अमीर। सौंदर्य = सुंदरता। परफ्यूम = सुगंधित तेल । प्रतिष्ठा = सम्मान। आफ्टर शेव = शेव करने के बाद लगाया जाने वाला पदार्थ।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित एवं श्री श्यामाचरण दुबे द्वारा रचित ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ शीर्षक निबंध से लिया गया है। इस पाठ में लेखक ने आज के युग में बढ़ती हुई उपभोक्तावादी प्रवृत्ति के दुष्परिणामों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। इन पंक्तियों में अमीर वर्ग की स्त्रियों द्वारा सौंदर्य प्रसाधनों पर किए गए फिजूलखर्च का वर्णन किया गया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास में अंधी प्रतिस्पर्धा का उल्लेख करते हुए कहा है कि आज अमीर वर्ग की नारियाँ केवल अपने-आपको श्रेष्ठ दिखाने की ललक में महँगे-से-महँगे सौंदर्य प्रसाधन खरीदती हैं। एक संभ्रांत महिला के ड्रेसिंग टेबल पर तीस-तीस हजार की सौंदर्य सामग्री का होना उसके लिए साधारण-सी बात है। ये लोग पेरिस से सुगंधित तेल मँगवाते हैं, जो इतनी ही कीमत में आते हैं। ऐसे महँगे सौंदर्य प्रसाधनों की आवश्यकता नहीं, अपितु ये तो प्रतिष्ठा के चिह्न हैं। समाज में अमीर होने के भाव को प्रदर्शित करते हैं तथा उनकी हैसियत भी बताते हैं कि उनमें कितना धन खर्च करने की शक्ति है। यह बात स्त्रियों पर ही लागू नहीं, अपितु पुरुष भी आज इस दौड़ में पीछे नहीं हैं। पहले पुरुष केवल साबुन और तेल का ही प्रयोग करते थे। अब तो आफ्टर शेव, कोलोन आदि तरह-तरह के सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग भी खूब करते हैं। अब तो सौंदर्य प्रसाधनों की सूची में दर्जन-दो-दर्जन चीजें और जुड़ गई हैं। कहने का तात्पर्य है कि उपभोक्तावादी संस्कृति में कुछ वस्तुएँ तो पहले की भाँति अनिवार्य हैं किन्तु कुछ समाज में अपनी हैसियत का प्रदर्शन करने के लिए खरीदी जाती हैं।

विशेष-

  1. लेखक ने अमीर वर्ग के लोगों की प्रदर्शनप्रिय वृत्ति पर व्यंग्य किया है।
  2. उपभोक्तावादी संस्कृति फिजूलखर्ची को अधिक बढ़ावा देती है।
  3. अन्य प्रतिस्पर्धाओं की भाँति सौंदर्य प्रसाधनों के प्रयोग की प्रतिस्पर्धा पर भी प्रकाश डाला गया है।
  4. भाषा व्यंग्यात्मक एवं प्रभावशाली है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) संभ्रांत महिलाएँ कौन हैं ? उनकी किस वृत्ति पर कटाक्ष किया गया है ?
(2) सौंदर्य प्रसाधन क्या बनते जा रहे हैं ?
(3) पुरुष वर्ग भी किस दौड़ से पीछे नहीं और कैसे ?
(4) प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) अमीर परिवारों की महिलाओं को संभ्रांत महिलाएँ कहा जाता है। लेखक ने उनकी फिजूलखर्ची पर कटाक्ष किया है। उनकी ड्रेसिंग टेबल पर तीस-चालीस हजार की सामग्री का होना तो मामूली बात है।
(2) सौंदर्य प्रसाधन आज के समाज की झूठी प्रतिष्ठा के प्रतीक बनते जा रहे हैं। इससे समाज में आपकी हैसियत का पता चलता है।
(3) पुरुष वर्ग भी सौंदर्य प्रसाधन प्रयोग की अंधी दौड़ में पीछे नहीं रहा। पहले पुरुष साबुन व तेल से काम चला लेते थे। अब तो वे भी इस तरह साबुन, शैंपू, आफ्टर शेवलोशन, कोलोन आदि का प्रयोग करते हैं। उनकी इस सूची में और भी कई वस्तुएँ जुड़ गई हैं।
(4) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि उपभोक्तावाद के इस युग में जहाँ फिजूलखर्ची बड़ी वहीं दिखावे की भावना ने भी जन्म लिया। कुछ ऐसी वस्तुएँ हैं जिनका वास्तव में इतना प्रयोग नहीं होता अपितु अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए उन्हें महँगे दामों में खरीदकर रखा जाता है। इस दौड़ में स्त्रियों के साथ-साथ पुरुष भी आगे बढ़ रहे हैं।

3. हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात कितनी ही करें; परंपराओं का अवमूल्यन हुआ है, आस्थाओं का क्षरण हुआ है। कड़वा सच तो यह है कि हम बौद्धिक दासता स्वीकार कर रहे हैं, पश्चिम के सांस्कृतिक उपनिवेश बन रहे हैं। हमारी नई संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है। [पृष्ठ 37]

शब्दार्थ-अस्मिता = अस्तित्व, सत्ता। अवमूल्यन = मूल्यों में गिरावट आना। आस्था = विश्वास। क्षरण = विनाश । दासता = गुलामी। अनुकरण = पीछे चलने वाली।

प्रसंग-प्रस्तुत अवतरण हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ शीर्षक निबंध में से उद्धृत है। इसके रचयिता श्री श्यामाचरण दुबे हैं। इस निबंध में लेखक ने आज के युग में पनपती ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ के दुष्परिणामों से सावधान किया है। इन पंक्तियों में लेखक ने बताया है कि इस संस्कृति के विकास से मानवीय जीवन-मूल्यों को हानि पहुँची है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक का मत है कि आज हम भले ही अपने सांस्कृतिक जीवन की कितनी ही बातें क्यों न करें, किन्तु इसमें संदेह नहीं है कि इस नई संस्कृति के विकास से अर्थात् उपभोक्तावादी संस्कृति से हमारी परंपराओं के मूल्य में गिरावट अवश्य आई है। हमारे विश्वासों का भी. विनाश हुआ है। आज हम केवल भौतिक विकास की बात तो करते हैं, किन्तु इससे भावात्मक संबंधों के टूटने की ओर हमारा ध्यान नहीं जाता। यह कटु सत्य है कि हम बौद्धिक दासता को स्वीकार करते जा रहे हैं अर्थात् मानसिकता के स्तर पर हम दूसरों के गुलाम बनते जा रहे हैं। हमारी अपनी सोच व जीवन-शैली समाप्त हो रही है। पश्चिम देशों के लोगों ने अपने सांस्कृतिक उपनिवेश बना लिए हैं। आज की उपभोक्तावाद की नई संस्कृति वस्तुतः हमारी संस्कृति नहीं रही, अपितु वह दूसरों की नकल की संस्कृति बन गई है। कहने का भाव है कि आज की उपभोक्तावादी सोच के कारण हमारी भारतीय संस्कृति के मूल्यों को आघात पहुँचा है और हम पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति के मानसिक तौर पर गुलाम बनते जा रहे हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

विशेष-

  1. लेखक ने उपभोक्तावाद की संस्कृति से उत्पन्न खतरों के प्रति हमें सचेत एवं सावधान किया है।
  2. भाषा-शैली विषयानुकूल एवं विश्लेषणात्मक है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) ‘सांस्कृतिक अस्मिता’ से आप क्या समझते हैं ?
(2) कड़वा सच क्या है ?
(3) कौन और कैसे बौद्धिक दास बने हैं ?
(4) सांस्कृतिक उपनिवेश क्या होते हैं ?
उत्तर-
(1) सांस्कृतिक अस्मिता, इन दोनों शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं। सांस्कृतिक का अर्थ है संस्कृति से संबंधित या विशेष जीवन-शैली जिसे अपनाकर लोग जीवन व्यतीत करते हैं। अस्मिता का अर्थ है-पहचान। इस प्रकार सांस्कृतिक अस्मिता का तात्पर्य है एक ऐसी जीवन-शैली जिससे किसी समाज विशेष की पहचान होती है।
(2) लेखक ने इस बात को कड़वा सच बताया है कि हम भारतीय अपनी परंपराओं एवं विचारधाराओं से हटकर पश्चिम से आई उपभोक्तावादी संस्कृति को स्वीकार करते जा रहे हैं।
(3) भारतवासी पश्चिम देशों की बौद्धिकता के दास बनते जा रहे हैं अर्थात हम भारतीय अपनी विचारधारा व सोच को हेय समझते हैं। पश्चिमी विचारों को श्रेष्ठ समझकर उन्हें अपना रहे हैं। इस प्रकार दूसरों की सोच को सही मानकर हम उनके बौद्धिक दास बन रहे हैं।
(4) जब कोई शक्तिशाली देश विजेता के रूप में दूसरे देश पर अपनी संस्कृति या जीवन-शैली को बलात् थोपता है और वहाँ के लोग उसे स्वीकार करके अपनी पहचान भूल जाते हैं, तब वह देश विजेता देश का सांस्कृतिक उपनिवेश बन जाता है। कहने का भाव है कि अपनी संस्कृति व विचारधारा तथा जीवन-शैली का प्रचार-प्रसार करके अपनी तरह की एक और कॉलोनी बना लेना।

4. समाज में वर्गों की दूरी बढ़ रही है, सामाजिक सरोकारों में कमी आ रही है। जीवन स्तर का यह बढ़ता अंतर आक्रोश और अशांति को जन्म दे रहा है। जैसे-जैसे दिखावे की यह संस्कृति फैलेगी, सामाजिक अशांति भी बढ़ेगी। हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का हास तो हो ही रहा है, हम लक्ष्य-भ्रम से भी पीड़ित हैं। विकास के विराट उद्देश्य पीछे हट रहे हैं, हम झूठी तुष्टि के तात्कालिक लक्ष्यों का पीछा कर रहे हैं। [पृष्ठ 38]

शब्दार्थ-सरोकार = संबंध, मेल-मिलाप। अंतर = भीतरी। आक्रोश = विरोध। अस्मिता = अस्तित्व, पहचान। हास = विनाश। लक्ष्य-भ्रम = उद्देश्य से भटकना। पीड़ित = दुखी। विराट = महान् । तुष्टि = संतुष्टि, पूर्ति । तात्कालिक = क्षणिक, उसी समय का।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ शीर्षक पाठ से अवतरित है। इस पाठ के लेखक श्री श्यामाचरण दुबे हैं। इस प्राठ में लेखक ने उपभोक्तावाद की संस्कृति से उत्पन्न खतरों के प्रति हमें सावधान किया है। इन पंक्तियों में बताया गया है कि आज उपभोक्तावाद के विकास से सामाजिक संबंधों में बिखराव आया है और मानसिक अशांति भी बढ़ी है। हम अपने जीवन के महान उद्देश्यों को भूल गए हैं।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने बताया है कि हम उपभोक्तावाद की इस संस्कृति के विकास से समाज में विद्यमान वर्गों की दूरियाँ बढ़ी हैं अर्थात् अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब और गरीब। मालिक और नौकर तथा कारखानेदार और मजदूर में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो रही है। आपसी सद्भाव की भावना समाप्त होती जा रही है। एक ओर जीवन स्तर बढ़ता जा रहा है तो दूसरी ओर मन की शांति समाप्त होती जा रही है। हर व्यक्ति विकास के लिए व्याकुल है। लोगों के मन में आक्रोश की भावना बढ़ती जा रही है। लेखक का मत है कि जैसे-जैसे उपभोक्तावादी संस्कृति का प्रसार एवं विकास होगा, वैसे-वैसे सामाजिक अशांति बढ़ेगी। उपभोक्तावाद के विकास से प्रतिस्पर्धा का जन्म होता है और प्रतिस्पर्धा में कभी किसी को चैन नहीं मिलता। इससे समाज में अशांति को बढ़ावा मिलता है। हमारे सांस्कृतिक जीवन का विनाश हो रहा है। हम अपनी संस्कृति को भूलकर उपभोक्तावाद की संस्कृति की ओर बढ़ रहे हैं। आज हम अपने लक्ष्य से भटकने की पीड़ा से पीड़ित हैं। हमारे सामने कोई स्पष्ट एवं महान् उद्देश्य नहीं है, इसलिए हम भटकने की स्थिति में फँस गए हैं। हम झूठी तुष्टि के क्षणिक लक्ष्यों को अपनाते जा रहे हैं। तात्कालिक लक्ष्यों की पूर्ति से कभी भी स्थायी शांति प्राप्त नहीं हो सकती।

विशेष-

  1. लेखक ने उपभोक्तावाद से उत्पन्न नई संस्कृति में समाज के विभिन्न वर्गों में उत्पन्न संघर्ष व दूरियों की स्थिति पर प्रकाश डाला है।
  2. तात्कालिक व क्षणिक लक्ष्यों की अपेक्षा अपने जीवन में विराट एवं उदात्त लक्ष्यों की अपनाने की प्रेरणा दी गई है।
  3. भाषा-शैली अत्यंत सरल, स्पष्ट एवं भावानुकूल है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-

(1) आज के समाज की सबसे बड़ी चिंता क्या है ?
(2) समाज में आक्रोश और अशांति क्यों बढ़ रही है ?
(3) हमारी सांस्कृतिक अस्मिता का हास कैसे हो रहा है ?
(4) ‘झूठी तुष्टि के तात्कालिक लक्ष्य’ का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
(1) आज के समाज की सबसे बड़ी चिंता यह है कि समाज के विभिन्न वर्गों की दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। सामाजिक संबंध बिखरते जा रहे हैं।
(2) जीवन स्तर के बढ़ते अंतर के कारण समाज में अशांति और आक्रोश बढ़ रहा है। आज अमीर अधिक अमीर होता जा रहा है। आम आदमी की खरीदने की क्षमता कम होती जा रही है। इस वर्ग के मन में इसलिए अशांति और आक्रोश है और धनी वर्ग में आपसी प्रतियोगिता की भावना के कारण अशांति है।
(3) आज हम अपनी जीवन-शैली, रहन-सहन व सोच को त्यागकर पश्चिम की जीवन-शैली और सोच को अपनाते जा रहे हैं। इसलिए हमारी सांस्कृतिक अस्मिता (पहचान) का ह्रास (हानि) हो रहा है।
(4) मानव को भोग के साधनों के उपभोग से कभी संतुष्टि नहीं हो सकती। इनके उपभोग की इच्छा बढ़ती ही जाती है। फिर वह इन्हीं को सुख मानकर मन को सांत्वना दे देता है। इसे ही ‘झूठी तुष्टि’ कहते हैं। इस झूठी तुष्टि को प्राप्त करने का तात्कालिक लक्ष्य है-उपभोग के आधुनिक साधन; जैसे एल.इ.डी., फ्रिज, कंप्यूटर, कार, मोबाइल फोन आदि।

उपभोक्तावाद की संस्कृति Summary in Hindi

उपभोक्तावाद की संस्कृति लेखक-परिचय

प्रश्न-
श्री श्यामाचरण दुबे का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री श्यामाचरण दुबे का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-श्री श्यामाचरण दुबे का नाम सामाजिक वैज्ञानिकों में बड़े आदर से लिया जाता है। उन्होंने भारतीय समाज की बदलती परिस्थितियों पर जमकर लिखा है। ऐसे गंभीर चिंतक का जन्म सन् 1922 में मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में हुआ। उन्होंने आरंभिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में प्राप्त की। बाद में उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से मानव-विज्ञान में पीएच०डी० की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के अग्रणी समाज-वैज्ञानिक रहे हैं। उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया तथा अनेक महत्त्वपूर्ण पदों पर भी सफलतापूर्वक कार्य किया। इसके साथ ही आजीवन लेखन-कार्य भी किया। ऐसे महान् लेखक का निधन सन् 1996 में हुआ।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

2. प्रमुख रचनाएँडॉ० श्यामाचरण दुबे ने अनेक ग्रंथों की रचना की है। उनमें से हिंदी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं’मानव और संस्कृति’, ‘परंपरा और इतिहास बोध’, ‘संस्कृति तथा शिक्षा’, ‘समाज और भविष्य’, ‘भारतीय ग्राम’, ‘संक्रमण की पीड़ा’, ‘विकास का समाज-शास्त्र’, ‘समय और संस्कृति’ आदि।

3. साहित्यिक विशेषताएँ-डॉ० श्यामाचरण दुबे जहाँ महान् समाजशास्त्री हैं, वहीं साहित्यकार भी हैं। उन्होंने आजीवन अध्यापन कार्य किया। उन्होंने अपने युग के समाज, जीवन और संस्कृति का गहन अध्ययन किया है। उनसे संबंधित ज्वलंत विषयों पर उनके विश्लेषण और स्थापनाएँ उल्लेखनीय हैं। डॉ० -दुबे ने आज के बदलते जीवन मूल्यों में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त की है। वे परिवर्तन के विरोधी नहीं हैं, अपितु गलत दिशा में हो रहे परिवर्तनों का उन्हें बेहद दुःख है। आज के भौतिकतावादी और प्रतियोगिता की अंधी दौड़ के युग में वे चाहते हैं कि हमें विकास तो करना चाहिए, किन्तु अपनी सभ्यता और संस्कृति का मूल्य चुकाकर नहीं। व्यक्तिगत विकास व सुख के साथ-साथ परोपकार की भावना को नहीं भूलना चाहिए। ऐसा उनका स्पष्ट मत है।
भारत की जन-जातियों और ग्रामीण समुदायों पर केंद्रित उनके लेखों ने बृहत समुदाय का ध्यान आकृष्ट किया है। वे जानते हैं कि भारतवर्ष की संस्कृति की जड़ें यहाँ के ग्रामीण जीवन में ही फँसी हुई हैं। यदि हम अपनी संस्कृति के वास्तविक रूप को देखना चाहते हैं तो हमें ग्रामीण जीवन-शैली को समझना होगा।

4. भाषा-शैली-श्री श्यामाचरण दुबे के साहित्य की भाषा-शैली अत्यंत सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। वे जटिल विचारों को तार्किक विश्लेषण के साथ सहज भाषा में व्यक्त करने की कला में कुशल हैं। उनकी भाषा में वाक्य-गठन अत्यंत सरल एवं स्पष्ट है। उन्होंने लोक प्रसिद्ध मुहावरों एवं लोकोक्तियों का प्रयोग भी विषयानुकूल किया है।

उपभोक्तावाद की संस्कृति पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ आज के जीवन की समस्या को उजागर करने वाला निबंध है। यह पाठ बाजार की गिरफ्त में आ रहे समाज की वास्तविकता को प्रस्तुत करता है। आज का युग तीव्र गति से बदल रहा है। इस बदलते युग में एक नई जीवन-शैली का उद्भव हो रहा है। इसके साथ ही उपभोक्तावादी जीवन-दर्शन भी आ रहा है। चारों ओर उत्पादन के बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है। यह सब हमारे सुख के लिए तथा भोग के लिए हो रहा है। आज सुख की परिभाषा भी बदल गई है। वस्तुओं का भोग ही सुख समझा जाने लगा है। नई परिस्थितियों में जाने-अनजाने में हमारा चरित्र ही बदलता जा रहा है। हम अपने-आपको उत्पाद को अर्पित करते जा रहे हैं।

आज बाजार विलासिता की वस्तुओं से भरा पड़ा है। आज हमें लुभाने के लिए दैनिक जीवन मे काम आने वाली वस्तु के तरह-तरह के विज्ञापन दिए जा रहे हैं। उदाहरणार्थ, टूथ-पेस्ट को ही ले लीजिए। कितने ही प्रकार के टूथ-पेस्ट आ गए हैं।

प्रत्येक टूथ-पेस्ट के अलग-अलग गुण बताकर हमें लुभाया जा रहा है। इसी प्रकार टूथ-ब्रश के लिए भी तरह-तरह के विज्ञापन दिए जा रहे हैं। इससे हम इनके प्रति आकृष्ट होकर आवश्यकता से अधिक वस्तुएँ खरीद लेते हैं। इसी प्रकार सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुओं को देख सकते हैं। प्रति माह बाजार में नए-नए उत्पादन आ रहे हैं। उच्चवर्ग की महिलाएँ तो अपने ड्रेसिंग टेबल पर तीस-तीस हजार रुपए का सामान खरीदकर रख लेती हैं। यह सब उनके उपभोग के लिए कम और प्रतिष्ठा के लिए अधिक है। पुरुष भी इस दौड़ में पीछे नहीं रहते।

इसी प्रकार वस्त्रों की दुनिया में भी यही दशा है। जगह-जगह बुटीक खुल गए हैं। नए-नए डिजाइन के परिधान बाजार में आ गए हैं। प्रतिदिन नए-नए डिज़ाइन आते हैं और पहले वाले परिधान व्यर्थ लगने लगते हैं। इसी प्रकार घड़ी का काम समय बताना है। चार-पाँच सौ रुपए की घड़ी भी यह काम करती है, किन्तु अपनी प्रतिष्ठा दिखाने के लिए पचास-साठ हजार रुपए की ही नहीं लाख, डेढ़ लाख रुपए की घड़ियाँ भी खरीदी जाती हैं। इसी प्रकार म्यूजिक सिस्टम और कंप्यूटर आदि वस्तुएँ भी अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा दिखाने के लिए खरीदी जाती हैं। यह बात उच्च वर्ग के लिए ही नहीं है, अपितु मध्य वर्ग के लोग भी पीछे नहीं रहते। अतः समाज में उपभोक्तावाद की संस्कृति के युग में अंधी होड़ से समाज में जीवन-स्तर भले ऊपर उठ रहा हो, किन्तु सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्य नष्ट होते जा रहे हैं।

आज बात भोजन खाने की हो या फिर बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलवाने की हो, पाँच सितारा होटल या स्कूल का होना अनिवार्य है। बीमार पड़ने पर पाँच सितारा अस्पतालों में जाना भी प्रतिष्ठा का प्रदर्शन है। इतना ही नहीं, अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में तो स्वयं मरने से पहले ही अपने अंतिम संस्कार और अनंत विश्राम का प्रबंध भी कर सकते हैं, किन्तु एक विशेष मूल्य चुकाकर। आने वाले समय में यह कार्य भारत में भी हो सकता है। प्रतिष्ठा के अनेक रूप हो सकते हैं, भले ही वे हास्यास्पद ही क्यों न हों। यह उदाहरण विशिष्टजन समाज (धनी लोगों) का है, किन्तु साधारण व्यक्ति भी इसे ललचाई हुई दृष्टि से देखते हैं तथा अपने मन की शांति को खो बैठते हैं।

भारतवर्ष में धनी लोग अर्थात् सामंती संस्कृति के तत्त्व पहले भी रहे हैं, किन्तु आज सामंती संस्कृति के अर्थ बदल गए हैं। आज हम सांस्कृतिक अस्मिता की बात भले ही करें, किन्तु सच्चाई यह है कि परंपराओं का अवमूल्यन हो रहा है और आस्थाएँ टूट रही हैं। हम पश्चिम की बौद्धिक दासता को तेज गति से अपनाने में लगे हुए हैं। आज की नई संस्कृति केवल ढोंग है। यह तो अनुकरण संस्कृति है। प्रतिष्ठा की अंधी दौड़ में हम अपने को खोकर छदम आधुनिकता की गिरफ्त में आते जा रहे हैं, दिग्भ्रमित हो रहे हैं। हमारा समाज ही दूसरे से निर्देशित हो गया है। विज्ञापन और प्रसार के साधनों ने हमारी मानसिकता बदल डाली है।

लेखक ने इस संस्कृति के फैलाव व प्रसार के परिणाम के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त की है। हमारे सीमित साधनों का अपव्यय हो रहा है। जीवन की गुणवत्ता आलू के चिप्स से नहीं सुधर सकती और न ही नए बहुविज्ञापित शीतल पेयों से। आज उपभोक्तावाद की संस्कृति के उदय के कारण आपसी दूरी बढ़ती जा रही है। जीवन का बढ़ता हुआ स्तर मानव-जीवन में अशांति और आक्रोश को जन्म दे रहा है। दिखावे की संस्कृति से अशांति बढ़ेगी तथा सांस्कृतिक अस्मिता का विनाश होगा। हमारे विराट उद्देश्य धुंधले पड़ गए हैं तथा मर्यादाएँ टूट रही हैं। नैतिकता पीछे छूटती जा रही है। स्वार्थ परमार्थ पर भारी पड़ता जा रहा है। भोग की कामनाएँ आकाश को छू रही हैं। इनकी कोई सीमा दिखाई नहीं देती।

गांधी जी ने कहा था कि स्वस्थ सांस्कृतिक प्रभावों के लिए अपने दरवाज़े-खिड़की खुले रखें पर अपनी बुनियाद पर कायम रहें। उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारी सामाजिक नींव को ही हिलाकर रख दिया है। यह हमारे लिए चिंता एवं चुनौती का विषय है।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-35) : वर्चस्व = प्रधानता। स्थापित होना = बनना। जीवन-दर्शन = जीवन के प्रति विचारधारा, सोच। उत्पादन = वस्तुओं का निर्माण। सूक्ष्म = बारीक । बदलाव = परिवर्तन। माहौल = वातावरण, परिस्थितियाँ । विलासिता = ऐश्वर्य। लुभाना = आकृष्ट करना। दुर्गंध = बदबू। मैजिक फार्मूला = जादुई तरीका। बहुविज्ञापित = अत्यधिक प्रचारित/सूचित। कीमती ब्रांड = महँगी वस्तु। सौंदर्य प्रसाधन = सुंदरता बढ़ाने वाली सामग्री।

(पृष्ठ-36) : जर्स = सूक्ष्म कीटाणु। संभ्रांत औरतें = अमीर महिलाएँ। प्रतिष्ठा-चिहून = सम्मानसूचक। परिधान = पहनने के वस्त्र। बुटीक = वस्त्र भंडार। ट्रेंडी = रिवाज के। म्यूज़िक सिस्टम = संगीत के साधन।

(पृष्ठ-37) : हास्यास्पद = हँसी के योग्य। विशिष्टजन = विशेष व्यक्ति (अमीर लोग)। निगाहें = नज़रें । सामंत = अमीर लोग। मुहावरा बदलना = अर्थ में परिवर्तन होना। अस्मिता = पहचान, अस्तित्व। अवमूल्यन = मूल्य गिरा देना।
प्रतिस्पर्धा = होड़। उपनिवेश = वह विजित देश, जिसमें विजेता राष्ट्र के लोग आकर बस गए हों।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति

(पृष्ठ-38) : गिरफ्त = पकड़। नियंत्रक = नियंत्रण करने वाली। क्षीण = कमजोर। दिग्भ्रमित = दिशाहीन, रास्ते से भटकना। वशीकरण = वश में करना। अपव्यय = फिजूलखर्च। आक्रोश = गुस्सा। तात्कालिक = उसी समय का। परमार्थ = दूसरों की भलाई। हावी होना = प्रभाव पड़ना। आकांक्षाएँ = इच्छाएँ। आसमान को छूना = बहुत अधिक बढ़ना। बुनियाद = नींव।

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HBSE 12th Class English Grammar Tenses

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Grammar Tenses Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Grammar Tenses

What is a Tense?
The word ‘tense’ has been derived from the Latin word ‘Tempus’ which means ‘time’. Therefore, a tense is a form of the verb which indicates the time of an action or its state.

Kinds of Tenses
There are three main tenses corresponding to the three divisions of time. These are :
(a) The Present Tense (वर्तमान काल)
(b) The Past Tense (भूतकाल)
(c) The Future Tense (भविष्य काल)

Each of these three main tenses has four forms :

  1. Simple or Indefinite
  2. Continuous or Progressive
  3. Perfect
  4. Perfect Continuous

This can be shown diagrammatically as follows :
HBSE 12th Class English Tenses 1

Thus there are twelve forms of tenses.

1. The Simple Present (Or The Present Indefinite) Form: The Simple Present Tense is formed by using the 1st form of the verb. When the tense is used for the third person singular, we add ‘s’ or ‘es’ to the first form, e.g. (हिंदी में अनुवाद करने पर वाक्य के अंत में ता है, ती है, ता हूँ, ते है की आवाज आती है।)
A cow eats grass.
Cows eat grass. The negative and interrogative sentences are formed by using ‘do’ or does, e.g.
A cow eats grass but it does not eat meat.
Do lions eat grass? No, they don’t eat grass.

Chart of the Present Indefinite Tense
HBSE 12th Class English Tenses 2

Uses of the Simple Present Tense :
(a) To describe a habitual action: Manohar gets up early in the morning. Then he goes for a long walk.
(b) To express a general, universal or scientific truth: The sun rises in the east. The truth fears no examination.
(c) To express a fact which is true at the time of speaking: Ravina lives in Mumbai. The Express train does not stop at this station.
(d) To express the past events in a more vivid way. This use of the present tense is called Historical present. Hemu and Akbar face each other on the battlefield. Akbar shoots an arrow. Hemu falls off his elephant. His army runs away in confusion. Akbar wins the battle.
(e) In describing running commentaries: Anil passes the ball to Shubham and he hits it into the goal.

Forms of 70 be:
HBSE 12th Class English Tenses 4

Forms of Have:
HBSE 12th Class English Tenses 8
Note: Just as we have does’ as singular from ‘do’, similarly we have ‘has’ from have’. Has’ appears to be the short form of ‘haves’.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

Exercise 1

Put the verbs in the brackets into Simple Present Tense :
1. The Price of these Jeans (to be) reasonable. [H.B.S.E. March 2018 (Set-A)]
2. We often (find) new pools appearing all over.
3. You (think) they are kind, Jack?
4. Five of these prizes (award) every year.
5. I (not think) we can go that far.
6. Time and tide (wait/waits) for none. [H.B.S.E. March 2019 (Set-B)]
7. If Senor Columbus (wish) to speak, he will be heard.
8. Maoris (live) in wooden houses.
9. How many mangoes Krishna (want)?
10. They will not site a man unless he (hurt) them.
Answer:
1. is
2. find
3. think
4. are awarded
5. not think
6. wait
7. wishes
8. live
9. wants
10. hurts.

2. The Present Continuous Tense
Form: This tense is formed by using the forms of the auxiliary ‘be’ and the ‘ing form of the verb. The negative sentences are formed by adding ‘not to the auxiliary. The interrogative is formed by placing the helping verb before the subject : (वाक्य का हिंदी अनुवाद करने पर रहा है, रही है, रहे हैं की आवाज आती है।)
Is he playing? No, he is not playing. He is resting.

Chart of Present Continuous Tense :

PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
FirstAffirmative
Negative
Interrogative
I am playing.
I am not playing.
Am I playing?
We are playing

We are not playing.
Are we playing?

SecondAffirmative
Negative
Interrogative
You are playing.
You are not playing.
Are you playing?
You are playing.
You are not playing.
Are you playing?
ThirdAffirmative
Negative
Interrogative
He is playing.
She is not playing.
Is Raju playing?
They are playing
They are not playing.
Are they playing?

Uses of the Present Continuous Tense :
(a) It shows what is happening now, at the time of writing or speaking. Rahim is studying in his room, but his brother Karim is playing in the garden.

(b) To express an action which may not be actually going on at the time of speaking, but is going on in general :
He is writing a book on Chemistry. They are building a new bridge on the river.

(c) To express an action which is likely to happen in near future: My brother is coming next week. I am going to Delhi tomorrow.

(d) To express repeated happenings: He is always losing his things. His son is always bringing strange friends home.

The following verbs are not normally used in the continuous form :
(a) Verbs of senses: see, hear, smell, notice, feel, watch, etc.

(b) Verbs of emotion: want, wish, desire, refuse, forgive, care, like, hate, dislike, etc.

(c) Verbs of thinking: think, feel, realize, understand, mean, suppose, believe, expect, forget, remember, recollect, etc.

(d) Verbs of possession: own, owe, belong, possess.

(e) Such verbs as seem, signify, appear, contain, consist, concern, cost, matter, etc.

However, the above verbs can be used in the continuous form, when they have different meanings, or when they show the deliberate uses of senses, e.g. I am seeing the officer tomorrow. (to meet) Sita is smelling the contents of the bottle to judge what it contains. (to smell deliberately) The judge is hearing the case. (proceedings of a legal case)

Exercise 2
Put the verbs in the brackets into Present Continuous Tense.

1. Sid flew downstairs and said, “Aunty, Tom (die).”
2. Look! they (go) down. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
3. As a witness of this desire of mine, I (make) this request.
4. The conductor (walk) on the footpath.
5. Swami (solve) a simple sum.
6. The young penguin (feed) by the mother penguin.
7. Who (sit) there cross-legged?
8. Tom (paint) with exertion.
9. Susan (bring) fifty girls home.
10. Lt. Brown (lead) the patrolling.
Answer:
1. is dying
2. are going
3. am making
4. is walking
5. is solving
6. is being fed
7. is sitting
8. is painting
9. is bringing
10. is leading

3. The Present Perfect Tense
Form: This tense is formed by using has/have + IIIrd form of the verb. In negative, ‘not’ is added after has/have. In interrogative sentences, has/have is placed before the subject. (वाक्य का हिंदी अनुवाद करने पर चुका है, चुकी है, चुके हैं, की आवाज आती है।)
He has done his homework.
I have not taken lunch.
Have you met Dinesh?

Chart of the Present Perfect Tense :
HBSE 12th Class English Tenses 9

Uses of the Present Perfect Tense :
(a) To express an action which has just been completed: Have you written a letter? Yes, I have just completed it.

(b) To express an action which began in the past and has continued upto the present. For this use of the tense for and since can be used to denote the length of time. For is used to show the length of time and since to show the point of time. I have lived in this house for ten years.

(c) To express an action which happened in the past at an indefinite time. We either don’t know its time or we do not mention it. I have seen the Taj Mahal. I have met the author of this book.

(d) But if the past time is mentioned, we don’t use this tense. Then it is better to use Simple Past Tense. I have taken my lunch. I took it an hour ago.

Exercise 3
Put the verbs in the brackets into Present Perfect Tense :
1. We (consider) all this before. [H.B.S.E: 2017 (Set-A)]
2. We have looked into the saliva of mad dogs that (just-die).
3. Many an accident (has/have) recently taken place. [H.B.S.E. 2019 (Set-C)]
4. As I have grown older, this attachment also (grow).
5. I (miss) him from my bus route of late.
6. What that bird (get) under its tail?
7. Mihir Sen (show) remarkable courage.
8. Neither of the two boys (has/have) done it. [H.B.S.E. 2019 (Set-A)]
9. The conductor (win) his victory.
10. My hostess (keep) her promise.
Answer:
1. have considered
2. has just died
3. have
4. has grown
5. have missed
6. has got
7. has showed
8. has
9. has won
10. has kept.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

4. The Present Perfect Continuous Tense
Form: This tense is formed by using has/have + been + Ist form of the verb + ing. The negative is formed by placing not after has/have and in interrogatives has/have is placed before the subject. (वाक्य का हिंदी अनुवाद करने पर से रहा है, से रही है, से रहा था की आवाज आती है।)
Have you been living in this city for a long time? No, I have not been living here since long.
I have been living here only for five years.

Chart of the Present Perfect Continuous Tense :

PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
FirstAffirmative
Negative
Interrogative
I have been waiting.
I have not been waiting.
Have I been waiting?
We have been waiting.
We have not been waiting.
Have we been waiting?
PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
SecondAffirmative
Negative
Interrogative
You have been waiting
You have not been waiting.
Have you been waiting?
You have been waiting.
You have not been waiting.
Have you been waiting?
ThirdAffirmative

Negative
Interrogative

He has been waiting.
Mohan has been waiting.
He has not been waiting.
Has she been waiting?
They have been waiting.
Mohan and Sohan have been
waiting.
They have not been waiting.
Have the giris been waiting?

Uses of the Present Perfect Continuous Tense :
(a) To express an action which began in the past but it still continuing: It has been raining since morning. We have been waiting for Mohan to come.

(b) To express an action, which has just finished, but whose effect or result still continues: I am tired; I have been watering the plants since morning. I am late because I have been washing my car.

Exercise 4
Put the verbs in the brackets into Present Perfect Continuous Tense :
1. Aunt Jane is surprised at the way they (live).
2. The Maoris (use) hot water for years.
3. Ram (cry) since morning. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]
4. They (quarrel) since morning.
5. The conductor (work) for an hour. [H.B.S.E. 2017 (Set-D)]
6. He (plays) the piano for many years.
7. Tom (cry) since morning.
8. Uncle Podger (try) to hang the picture since afternoon.
9. I (watch) the moods of the Ganga since my childhood.
10. Girls (enjoy) tea for an hour.
Answer:
1. have been living
2. have been using
3. has been crying
4. have been quarreling
5. has been working
6. has been playing
7. has been crying
8. has been trying
9. have been watching
10. have been enjoying.

5. The Simple Past Tense Form :
The Simple Past Tense is formed by using the IInd form of the verb. The negatives are formed by using did not + Ist form of the verb and the interrogatives by placing ‘did’ before the subject and using the Ist form of the verb. (वाक्य का हिंदी अनुवाद करने पर आ, ई, ऐ की आवाज आती है।)
Did you go to the theatre last night?
No, I did not go to the theatre. I went to the club.

Chart of the Simple Past (Past Indefinite) Tense :
HBSE 12th Class English Tenses 11

Uses of the Simple Past Tense :
(a) The Simple Past Tense is used to express an action completed in the definite past. I came to this city in 1985. At that time it was a calm area.
businessman set up a factory here and the place became very noisy
(b) To express a past habit: When I was at Jaipur, I always got up at five in the morning and went for a walk.
(c) To express an action which continued for some time in the past. But we now refer to the completed action. He waded through the water to bring her hat. He climbed the stairs slowly.

Exercise 5
Put the verbs in the brackets into Past Indefinite Tense :
1. Three persons got out and (disappear) into the night. [H.B.S.E. 2017 (Set-D)]
2. The director as well as the dancers (was/were) honoured. [H.B.S.E. 2019 (Set-B)]
3. The lady (not go) up the stairs.
4. Alfred Nobel (be) born on 21st October 1833. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
5. He (not carry away) by his success.
6. More men than one (was/were) absent today. [H.B.S.E. 2019 (Set-A)]
7. Mr Hudson assured me that it (can do) no harm.
8. Did this mean all his work (be) wasted?
9. No student and no teacher (was/were) present. [H.B.S.E. 2019 (Set-C)]
10. When Nehru (write) his will? [H.B.S.E. 2017 (Set-B)]
Answer:
1. disappeared
2. were
3. did not go
4. was
5. was not carried away
6. were
7. could do
8. was
9. was
10. did Nehru write.

6. The Past Continuous Tense
Form: This tense is formed by was/were + Ist form of the verb + ing. The negative is formed by adding not to was/were. In interrogative sentences was/were is placed before the subject.
(हिंदी अनुवाद करने पर वाक्य के अंत में रहा था, रही थी, रहे थे की आवाज आती है।) The teacher came into the classroom and found that Mukesh was sleeping. “Were you sleeping ?” asked the teacher.
“No, Sir, I was reading a book, I was not sleeping,” replied Mukesh.

Chart of the Past Continuous Tense:
HBSE 12th Class English Tenses 13

Uses of the Past Continuous Tense :
(a) This tense is used to express an action which was continuing at some point of time in the past. The fire was burning when we came in.
He was taking lunch when I went to see him.
(b) To express actions which were happening repeatedly in the past: He was always asking me for help.
(c) To express two or more actions happening simultaneously in the past: While she was writing, he was looking out of the window. While others were watching the television, Prem was studying in his room.

Exercise 6
Put the verbs in the brackets into Past Continuous Tense :
1. We saw that she (float) on the water of the river. [H.B.S.E. 2017 (Set-D)]
2. As he could see, she (cry) silently.
3. Jonas knew what they (go) to do.
4. Tom (paint) with his exertions by this time.
5. Curious eyes watched her to see if she (cry).
6. The dog (blink) his eyes when I saw it.
7. Prof. Ambrik Singh saw that the girl (weep).
8. The Maoris (sing) hymns when we reached there.
9. The old penguin (move) slowly.
10. Lt. Martis (carry) a gun when I saw him.
Answer:
1. was floating
2. was crying
3. were going
4. was painting
5. was crying
6. was blinking
7. was weeping
8. were singing
9. was moving
10. was carrying.

7. The Past Perfect Tense
Form: The Past Perfect Tense is formed by using had + IIIrd form of the verb. The negative is formed by adding not to had. The interrogative is formed by placing had before the subject. The robber had robbed her before the police came. But they had not touched her diamond ring.
Had she hidden it somewhere?

Chart of the Past Perfect Tense :
HBSE 12th Class English Tenses 14

Uses of the Past Perfect Tense :
(a) When two actions happened in the past, the past perfect tense shows which action was completed before the other action started: The thieves had run away when the police arrived.
(b) To express an action completed before a certain point of time in the past: I had completed my work at 10 p.m.
(c) To express an impossible condition of the past: If he had worked hard, he would have passed.

Exercise 7
Put the verbs in the brackets into Past Perfect Tense :
1. Susan realised what she ……………. (do) and began to cry.
Answer:
had done

2. Loisel possessed eighteen thousand francs which his father ……………. (leave) him.
Answer:
had left

3. The patient ………… (die) before the doctor arrived.
Answer:
had died

4. They …………… (know) each other for forty years.
Answer:
had known

5. Miss Beam was all that I …………. (expect).
Answer:
had expected

6. It was an old car which Professor Ambrik Singh recently ………….. (purchase).
Answer:
had purchased

7. Swami ………….. (solve) the sum before father scolded him.
Answer:
had solved

8. Susan ………….. (reach) the school before the bell rang.
Answer:
had reached

9. He thanked me for what I ………….. (do). [H.B.S.E. 2017 (Set-B)]
Answer:
had done

10. The enemy …………… (flee) before we opened fire.
Answer:
had fled.

8. The Past Perfect Continuous Tense
Form: This tense is formed by using had + been + Ist form of the verb + ing. The negative is formed by putting not between had and been. In interrogative sentences, had is put before the subject. The fire had been burning for four hours before the fire brigade arrived. Had it been burning since morning? No, it had not been burning since morning.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

Chart of the Past Perfect Continuous Tense :

PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
FirstAffirmative
Negative
Interrogative
I had been  Playing
I had not been playing.
Had I been playing?
We had been playing.
We had not been playing.
Had we been playing?
SecondAffirmative
Negative
Interrogative
You had been playing.
You had not been playing.
Had you been playing?
You had been playing.
You had not been playing.
Had you been playing?
ThirdAffirmative
Negative
Interrogative
He had been playing.
She had not been playing.
Had Gurpreet been playing?
They had been playing.
The girls had not been
playing.
Had the boys been playing?

Uses of the Past Perfect Continuous Tense :
This tense is used to express the continuity of an action at a given point in the past. In other words, the action started before a given point in the past. It was continuing at that time and probably continued after that also. He had been waiting for me when I reached there. The match had been going on for two hours when I reached the stadium.

Exercise 8

Put the verbs in the brackets into Past Perfect Continuous Tense :
1. They (talk) about the treasure hunt for two hours.
2. This was the opportunity he (wait) for.
3. The conductor (pull) the bell for a long time when the bus stopped.
4. Pasteur (carry on) with his experiments since long.
5. Nobel (work) on the chemical composition of the explosives for a long time.
Answer:
1. had been talking
2. had been waiting
3. had been pulling
4. had been carrying on
5. had been working.

9. The Simple Future (Future Indefinite) Tense
Form: The Simple Future Tense is formed by using shall/will + infinitive without ‘to’ Ist form of the verb. The negative is formed by putting ‘not’ after shall/will. In interrogative sentences, shall/will is placed before the subject. I shall/will play. Will Mohinder visit us tomorrow? No, he will not visit us. He is going to Agra.

Chart of the Simple Future (Future Indefinite) Tense :

PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
FirstAffirmative
Negative:
Interrogative
I shall play.
I shall not play.
Shall I play?
We shall play.
We shall not play.
Shall we play?
SecondAffirmative
Negative
Interrogative
You will play.
You will not play.
Will you play?
You will play.
You will not play.
Will you play?
ThirdAffirmative
Negative
Interrogative
He will play.
She will play.
The boy will play.
He will not play.
Will he play?
They will play.
The boys will play.
They will not play.
Will they play?

Uses of the Simple Future Tense :
(a) To show future: He will go to Mumbai next week.
(b) To express the speaker’s opinions or assumptions about the future: I think he will not come back. We hope that Akhil will get First Division.
(c) Sometimes, the simple future tense is used to express habitual actions or general truths. He will always tell lies. A dog’s tail will remain crooked.
(d) Generally, shall is used with first person (I, we) and will is used with 2nd and 3rd persons. But will can be used with Ist person in order to express intention or promise. Shall can be used with promise, prohibition, etc. (see the chapter on Modal Auxiliaries): I will always help you in your need (promise). We will fight to the finish (determination). You shall not enter my room with muddy feet (prohibition).

Other ways of expressing the future :
Apart from shall/will, there are several other ways of expressing the future time in English. Some of these are:
(a) The Simple Present Tense: This tense can be used for a planned future action, particularly when it concerns a journey. We leave Jind at six, arrive Chandigarh at eleven and take a plane for Kullu at twelve.

(b) The Present Continuous Tense: It is used to express definite future arrangements. Usually, it is used to express an action which will take place in near future. He is leaving at the end of this week. My uncle is coming tomorrow.

(c) Going to + Ist form of the verb: This form is used to express the speaker’s intention or his certainty about an event. I am going to build a new house (intention). It is going to rain (certainty about an action).

Exercise 9

Put the verbs in the brackets into Future Indefinite Tense :
1. He …………… (die) of sunstroke if he keeps on like this.
Answer:
will die

2. …………… (tell) you after wards.
Answer:
shall tell

3. I ………….. (do) certainly nothing of this kind.
Answer:
shall do

4. If you go on the top, you ……………. (have) pneumonia.
Answer:
will have

5. Give me my ship and I ………….. (bring) enough.
Answer:
shall bring

6. If God smiles, Spain ………….. (become) wealthy and victorious.
Answer:
will become

7. That chain I ………………………. (not break).
Answer:
shall not break

8. When the poison reaches his heart, he . ………. (die).
Answer:
will die

9. Roux …………… (conduct) a new experiment.
Answer:
will conduct

10. He …………… (visit) us next week. [H.B.S.E. 2017 (Set-B)]
Answer:
will visit.

10. The Future Continuous Tense
Form: This tense is formed by using shall/will + present participle (Ist form + ing). The negative is formed by putting ‘not’ after shall/will. In interrogative sentences, will/shall is placed before the subject.
Will you be playing a match tomorrow? No, I shall not be playing. I shall be sitting in a train this time tomorrow.

Chart of the Future Continuous Tense :

PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
FirstAffirmative
Negative:
Interrogative
I shall play.
I shall not play.
Shall I play?
We shall play.
We shall not play.
Shall we play?
SecondAffirmative
Negative
Interrogative
You will play.
You will not play.
Will you play?
You will play.
You will not play.
Will you play?
ThirdAffirmative
Negative
Interrogative
He will play.
She will play.
The boy will play.
He will not play.
Will he play?
They will play.
The boys will play.
They will not play.
Will they play?

Uses of the Future Continuous Tense :
(a) To express an action which is expected to take place in the normal course. It is less definite than the present continuous. We are seeing the manager tomorrow (definite arrangement). We shall be seeing the manager tomorrow (less definite).

(b) To express an action that will be in progress at a given point of time in future: When you reach Shimla, it will be snowing there. At this time tomorrow, I shall be traveling in a train.

(c) In the interrogative, the Future Continuous implies a polite request or query. Will you be coming with me?

Exercise 10

Put the verbs in the brackets into Future Continuous Tense :
1. He ……………. (wait) for you when you reach there.
Answer:
will be waiting

2. The conductor ………….. (wait) for an opportunity when you reach there.
Answer:
will be waiting

3. Alfred …………… (draw up) his will by next week.
Answer:
will be drawing up

4. The author …………… (meet) an Arab diver at this hour tomorrow.
Answer:
will be meeting

5. The divers ……………. (chew) their food slowly when you see us.
Answer:
will be chewing.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

11. The Future Perfect Tense Form :
This tense is formed with shall/will + have + past participle (III form of the verb). The negative is formed by putting ‘not’ after shall/will. In the interrogative sentences, shall/will is placed before the subject. He will have done this work. Will he have started the next work also?
No, he will not have started the next work. He will have gone home.

Chart of the Future Perfect Tense :

PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
FirstAffirmative
Negative
Interrogative
I shall have played.
I shall not have played.
Shall I have played?
We shall have played.
We shall not have played.
Shall we have played?
SecondAffirmative
Negative
Interrogative
You will have played.
You will not have played.
Will you have played?
You will have played.
You will not have played.
Will you have played?
ThirdAffirmative
Negative
Interrogative
He will have played.
She will have played.
Mohan will not have played.
Will the boy have played?
They will have played.
They will not have played
Will the boys have played?

Uses of the Future Perfect Tense :
(a) To express an action which is expected to be completed by a given future time: I shall have solved the sum by that time. By the time the doctor arrives, the patient will have died.

(b) To express the speaker’s belief or guess about an action: Subodh will have reached Delhi by now. (Perhaps Subodh has reached Delhi by now.) You will have read about Akbar the Great.

Exercise 11

Put the verbs in the brackets into Future Perfect Tense :
1. Dr. Raman (save) the life of Gopal before you reach there.
2. Swami (solve) the sum before the night falls.
3. The Maoris (decorate) the church by the time the priest returns.
4. The journalist (visit) the front before the war breaks out.
5. Tom (go) to the school before Aunt Polly comes.
Answer:
1. will have saved
2. will have solved
3. will have decorated
4. will have visited
5. will have gone.

12. The Future Perfect Continuous Tense
Form: The Future Perfect Continuous Tense is formed with shall/will + have been + present participle (Ist form + ing). The negative is formed by putting ‘not’ after shall/will. In interrogative sentences, will/ shall is put before the subject. Will the gardener have been watering the plants in the evening? No, he will not have been watering the plants. He will have been trimming the plants.

Chart of the Future Perfect Continuous Tense :

PersonForm of the SentenceSingular NumberPlural Number
FirstAffirmative
Negative
Interrogative
I shall have been playing.
I shall not have been playing.
Shall I have been playing?
We shall have been playing.
We shall not have been playing.
Shall we have been playing?
SecondAffirmative
Negative
Interrogative
You will have been playing.
You will not have been playing.
Will you have been playing ?
You will have been playing.
You will not have been playing.
Will you have been playing?
ThirdAffirmative
Negative
Interrogative
He will have been playing.
She will not have been playing.
Will Mohan have been playing?
They will have been playing.
They will not have been playing.
Will the boys have been playing?

Uses of the Future Perfect Continuous Tense :
This tense is used to express an action which will begin before a certain time in the future, will be continuing at that certain point of time and will continue even after that. When you reach the ground, the match will have been going on for one hour. (The match will begin, one hour before you reach, will still be in progress at the time of your reaching there and will continue even after your arrival.)

Exercise 12

Put the verbs in the brackets into Future Perfect Continuous Tense :
1. Hari ……………. (show) them maps for an hour when the teacher arrives.
Answer:
will have been showing

2. The divers …………. (dive) since morning when they get a warning.
Answer:
will have been diving

3. Swami …………… (think) about the mangoes for half an hour before he gets these.
Answer:
will have been thinking

4. The child ……………. (cry) since morning when the mother picks it up.
Answer:
will have been crying

5. Dr. Raman …………… (examine) his patients for a long time when you reach there.
Answer:
will have been examining.

Conjugation of Verbs Or Three Forms of Verbs
HBSE 12th Class English Tenses 15

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Exercises For Practice (Solved)

Exercise 1
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. Snakes (not make) holes. They (live) in the holes made by other creatures.
2. Four miles (is/are) not a long distance. [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)]
3. I or he (am/is) to be rewarded. [H.B.S.E. March, 2019 (Set-C)]
4. I(not hear) from him since he (go) to Delhi.
5. Our teacher (speak) so quickly that most of the students (not understand) him.
6. In Tamilnadu men usually (wear) lungis.
7. Run fast! The train ……………… (leave). [H.B.S.E. March 2020 (Set-C)]
8. I cannot answer the telephone because I (make) an omelette.
9. She always …………………… (find) faults in others. [H.B.S.E. March, 2020 (Set-A)]
10. You (love) her? No, I (like) her manners but I (not love) her.
11. You (know) why water (boil) when we (heat) it?
12. Who (make) so much noise in the next room ?
13. I usually (celebrate) Diwali with pomp and show, but this year I (not celebrate) it as my mother-in-law has died.
14. This story is about a man who (sell) his land and (go) to the country of Bashkirs.
15. What evidence (is/are) these acts ? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-A)]
Answers :
1. do not make, live;
2. is;
3. is;
4. have not heard, went;
5. speaks, do not understand;
6. wear;
7. is leaving;
8. I am making;
9. finds;
10. Do you love; like, do not love;
11. Do you know, boils, heat;
12. is making;
13. celebrate, I am not celebrating;
14. sells, goes;
15. are.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

Exercise 2

Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. I cannot go out as it (rain).
2. He generally (wear) white clothes, but today he (wear) a red shirt.
3. Milk (cost) Thirty rupees a kilo.
4. Rain (fall) from the clouds.
5. Crime never (pay).
6. The workers (repair) the road at present.
7. People (wear) new clothes at Diwali.
8. When I (reach) his house, he (have) his breakfast.
9. I usually (drink) coffee but now I (drink) tea.
10. We (have) our lunch at the Bulbul Restaurant this afternoon.
11. As it is good weather, children (play) in the garden.
12. The doctor (examine) the patient in the next room.
13. Do not make a noise. The baby (sleep) in the cradle.
14. I (hear) a noise from the next home. Vijay is beating his wife again.
15. Water ……….. (to boils) at 100°. [H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)]
Answers:
1. is raining;
2. wears is wearing;
3. costs;
4. falls;
5. pays;
6. are repairing;
7. wear;
8. reached, was having;
9. drink, am drinking;
10. are having;
11. are playing;
12. is examining;
13. is sleeping;
14. hear;
15. boils.

Exercise 3
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. He (take) meal and is playing in the garden now.
2. Please give me your pen. I (forget) mine at home.
3. I (ring) the bell for five minutes, but nobody (come) to answer.
4. This woman (visit) the shop five times but so far she (not purchase) anything.
5. He …………… (be) a teacher since 1988. [H.B.S.E. 2020 (Set-A)]
6. I (wait) for you for the last one hour.
7. I ……………… (dig) in the garden since morning. [H.B.S.E. 2020 (Set-B)]
8. You cannot meet Rajesh. He (just go) out.
9. Geeta went to Delhi six months ago, but I (not hear) from her so far.
10. He …………….. (not come) back yet. [H.B.S.E. 2020 (Set-D)]
11. India and Pakistan (fight) three wars.
12. You cannot go out till you (complete) your homework.
13. I (help) him five time in the past, but he (not improve).
14. He already (write) five letters and is still writing.
15. The clock …………….. (just strike) twelve. [H.B.S.E. 2020 (Set-B)]
Answers:
1. has taken;
2. have forgotten;
3. have been ringing, come;
4. has visited, has not purchased;
5. has been;
6. have been waiting;
7. have been digging;
8. has just gone;
9. have not heard;
10. has not come;
11. have fought;
12. have completed;
13. have helped, has not improved;
14. written;
15. has just strike.

Exercise 4
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. A liar is a person who habitually (tell) lies. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
2. He (play) for two hours and still (not stop).
3. The burglars (try) to get into the house for two hours.
4. You cannot meet him. He (write) a letter.
5. He generally (go) to college in a car, but today he (go) on a cycle.
6. I (smell) something burning.
7. I (not met) the minister so far but I (meet) him tomorrow.
8. There is no use of calling the doctor; the patient already (die).
9. The hungry child (cry) for ten minutes.
10. Mohan (like) to swim in the river.
11. He (wear) that coat for fifteen years and it (wear out) at the elbows.
12. I never (see) such a beautiful girl.
13. Everybody (admire) a smart boy.
14. It is high time the Govt. (take) strong measures to curb the menace of terrorism.
15. I want to go to the theatre; I not (see) a good play for a long time.
Answers:
1. tells;
2. has been playing, has still not stopped;
3. have been trying;
4. is writing;
5. goes, is going;
6. smell;
7. have not met, am meeting;
8. has already died;
9. has been crying;
10. likes;
11. has been wearing, has worn out;
12. have never seen;
13. admires;
14. is taking;
15. have not seen.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

Exercise 5
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. I (meet) the author of this book. I (meet) him last month.
2. I (see) the Taj Mahal. I (see) it ten years ago.
3. When I was on my way to the college, my scooter suddenly (break) down. I (get) it repaired but it (make) me late by one hour.
4. You (see) the film that is showing at the Kundan Theatre? Yes, I (see) it last week.
5. There (be) a very good programme on the T.V. last night. You (see) it ?
6. I (start) writing articles at the age of 20 and by now I (write) 400.
7. You (meet) Mohan lately? I (ring) his room several times but (get) no answer.
8. Sudha (go) to the market two hours ago, but she (not return) yet.
9. My uncle (just arrive) from Kolkata.
10. He (suffer) from typhoid since Sunday.
Answers:
1. have met, met;
2. have seen, saw;
3. broke, got, made;
4. Have you seen, saw;
5. was, Did you see;
6. started, have written;
7. Have you met, rang, got;
8. went, has not returned;
9. has just arrived;
10. has been suffering.

Exercise 6
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. We (lit) the fire at 6 a.m. and it (burn) brightly when we came back at 9 a.m.
2. When I (enter) the room, everybody (be) busy. But Mohan (look) out of the window.
3. Last Saturday, i ……………. (stay) at home. [H.B.S.E. March 2020 (Set-A, D)]
4. She (have) a bath when doorbell (ring). She hurriedly (put) on her clothes and (come) out. It was a detective. He (ask) her what she (doing) at the time.
5. I suddenly (find) that I (travel) in the wrong direction.
6. When I (enter) the room, I (find) that everything (be) scattered on the floor. My son (search) for his lost pen.
7. He (sit) at the bank, fishing. Suddenly he (see) something floating. He (jump) into the lake and (find) that it was a dead body.
8. When I (enter) the classroom. I found that the lecture had begun and the teacher (write) on the blackboard.
9. I (leave) the party early because I (not enjoy) myself.
10. The officer (play) golf when he (hear) the news of strike in the factory.
Answers:
1. lit was burning;
2. entered, was, was looking;
3. stayed;
4. was having, rang, put, came, asked, was she doing;
5. found, was traveling;
6. entered, found, was, was searching;
7. was sitting, saw, jumped, found;
8. entered, was writing;
9. left, was not enjoying;
10. was playing, heard.

Exercise 7
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. He (sit) down after he (deliver) the speech.
2. The teacher (say) that we could go home if we (complete) our work.
3. After he (see off) his wife at the airport, he (come) home.
4. When he (come) home, he (find) that thieves (break into) his home in his absence.
5. He (find) that they (take) his electronic typewriter.
6. A woman brought a small child and said that he (swallow) a safety pin.
7. He (return) the book to me and (say) that he (enjoy) it very much.
8. When the doctor came he (find) that the patient (died).
9. By the time the fire engine (arrive) most of the huts (be destroy).
10. I ran very fast but I was disappointed to find that the train (leave).
Answers:
1. sat, had delivered.
2. said, had completed.
3. had seen off, came
4. came, found, had broken into.
5. found, had taken.
6. had swallowed
7. returned, said, had enjoyed.
8. found, had died.
9. arrived, had been destroyed.
10. had left.

Exercise 8
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. At 9 p.m. last night, I (watch) the television.
2. The players (enter) the stage carrying torches.
3. It started to rain while we tennis. (to play) [H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]
4. He (cross) the room and (sit) in the chair.
5. It ……………… (happen) in the year 1924. [H.B.S.E. March 2020 (Set-)]
6. When he came in we (take) dinner.
7. Last year I (attend) a conference at Chennai.
8. An accident (take) place at the crossroads last evening.
9. When Mohan (be) five years old, his father (die).
10. When I was walking along the road, the wind (blow) off my hat.
11. I (think) hard and (find) a solution.
12. After walking for four kilometers I (realize) that I (go) in the wrong direction.
13. I (break) my leg when I was dancing.
14. Hitler (get) a great number of Jews killed.
15. The doctor (examine) the patients when I went to see him.
Answers:
1. was watching.
2. entered.
3. were playing
4. crossed sat.
5. happened.
6. were taking.
7. attended,
8. took place,
9. was, died.
10. blew off.
11. thought found.
12. realized, was going.
13. broke.
14. got.
15. was examining.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

Exercise 9
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. When I (reach) the cinema hall I found that I (have) no money for the tickets.
2. Mohan (read) quietly when a stranger (rush) in.
3. I(walk) along the Mall when I (come) across a man with a long beard.
4. I(go) to the Dentist but he (be) out.
5. I (pick) up the receiver and (dial) a number. The bell (ring) but nobody (seem) to be there.
6. When we went out early this morning the sun (shine).
7. He (slip) and injured his leg when he (get) down the bus.
8. I (see) a man’s hat floating down the river when I (fish).
9. It (rain) heavily when he (wake) up.
10. He (remember) that his friend (come) for lunch in the afternoon.
Answers:
1. reached, had.
2. was reading, rushed.
3. was walking, came.
4. went, was
5. picked up, dialled, was ringing, seemed.
6. was shining.
7. slipped, was getting down.
8. saw, fishing.
9. was raining, woke.
10. remembers, was coming.

Exercise 10
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. The woman told the doctor that her son just (break) his leg.
2. The accident (occur) at 10.30 a.m. this morning.
3. When I reached the house I (find) that thieves (break) into it.
4. I found that they (take) away a lot of money.
5. The thieves (run) away before I reached the house.
6. The match (begin) before we reached the stadium.
7. The thieves (run) away before the police (arrive).
8. When I reached the cinema hall, the picture already (begin).
9. He (leave) just for his office.
10. We ……………… (have) our dinner before she left.
11. When I (reach) the bus stop, the bus (leave).
12. He went home after we (see) the film.
13. He (become) happy when he (know) that he (pass).
14. If he (work) hard, he would have won the prize.
15. I (thank) her for what she (do) for me. [H.B.S.E. March, 2020 (Set-C)]
Answers:
1. had just broken.
2. occurred.
3. found, had broken
4. had taken.
5. had run
6. had begun.
7. had run, arrived.
8 had already begun.
9. has left.
10. had.
11. reached, had left.
12. had seen.
13. became, knows, had passed.
14. had worked.
15. thanked, had done for me.

Exercise 11
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. I wonder if I (get) tickets in advance.
2. I (know) the results in a week’s time.
3. If you work hard, you (pass).
4. Perhaps he (arrive) in time for lunch.
5. At this time tomorrow, I (travel) in a train.
6. By six p.m. tomorrow, I (do) this work.
7. I(to Finish) this novel by this time tomorrow. [H.B.S.E. March, 2018 (Set-D)]
8. There is going to be a bus strike. Everyone (look) for taxis and rickshaws next week.
9. What ……………. (happen) if you fail. [H.B.S.E. March, 2020 (Set-B)]
10. He has lost of weight since he (join) the Health Club.
Answers:
1. shall get;
2. shall know;
3. will pass;
4. will arrive;
5. shall be travelling;
6. shall have done;
7. shall have finished;
8. will be looking;
9. will happen;
10. joined.

Exercise 12
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. If you walk fast, you (catch) the train.
2. When you reach there he (read) a book.
3. By evening 1 (read) half the book.
4. At 7 p.m. he (ring) for two hours.
5. I (return) your book tomorrow.
6. I (help) you in your difficulty.
7. You (know) your result next week.
8. A number of tourists (arrive) Shimla next summer.
9. The train (leave) by the time you reach the station.
10. As you sow, so you (reap).
11. The gardener (water) the plants before the sun rises.
12. The sun (rise) before we reach the top.
13. I (do) the washing tomorrow morning.
14. If he is clever enough, he (get) his answer.
15. When she (peel) the potatoes, she (cut) her finger.
Answers:
1. will catch.
2. will be reading.
3. will have read.
4. will have been ringing
5. will return
6. will help.
7. shall know
8. will arrive.
9. will have left.
10. shall you reap
11. waters
12. had arisen
13. will do
14. will get
15. was peeling, cut.

Exercises For Practice (Unsolved)

Exercise 1
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. Bad students never (work) hard.
2. He just decided that he (undertake) the job.
3. I could not get his scooter because he (sell) it.
4. I(do) the last question when the bell (ring).
5. I shall not go to his house unless he (invite) me.
6. There (to go) the bell. [H.B.S.E. March, 2018 (Set-B)]
7. The meeting (start) after the President (arrive).
8. He (finish) his studies before the war broke out.
9. If father (give) me one lakh rupees I (buy) that car.
10. I (live) here for the last two years.
11. Ever since I (leave) my town, I (live) in Delhi.
12. She (finish) her homework when her sister (see) her yesterday.
13. Mohan (go) to market in the morning but he (not return) yet.
14. They (buy) a house in Delhi two years ago.
15. Mumps (to be) not common among adults. [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)]

Exercise 2
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. My servant (leave) me two weeks ago.
2. Either Mohan or I (to go). [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)]
3. The teacher (teach) the lesson before I (come) to the school yesterday.
4. I(live) here for the last five years.
5. Indians (become) politically conscious before they (get) their freedom.
6. He (become) an officer if he (pass) the I.A.S.
7. Wood always (float) on water.
8. They (return) to Delhi when the plane (develop) engine trouble.
9. The police (catch) the thief last night.
10. The sun (shine) when we went out.
11. If I (go) to meet him in the morning, I certainly (meet) him.
12. If he (go) into that field the bull (chase) him.
13. Baba started weeping when he (to come) out of the court. [H.B.S.E. March, 2018 (Set-D)]
14. We (attend) a function tomorrow evening. We (come) back by ten.
15. I (make) a doll. I (expect) to finish it soon.

HBSE 12th Class English Grammar Tenses

Exercise 3
Use the correct form of the Verb given in brackets.
1. I (know) already that he (say) no to my proposal.
2. Although the work (seem) difficult I could finish it in time.
3. He (live) in this city for the last five years.
4. Here (to be) two apples. [H.B.S.E. March 2018 (Set-D)]
5. It is decided that we (attend) the college function tomorrow.
6. He was so proud that no one (like) him.
7. How often you (go) to the cinema?
8. He (meet) with an accident and now is in hospital.
9. He is your younger brother; you (help) him.
10. The mayor as well as his brothers (to be) going to prison. [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]
11. We (leave) the city before he came.
12. If I (be) a ghost I (frighten) all the people I dislike.
13. She normally (wear) spectacles but today she is not wearing them.
14. The robbers (rob) the traveller of all his money and (bind) his hands and legs with a rope.
15. He (play) since morning.

Exercise 4
Use the correct form of the Verb given in brackets:
1. I (see) him (complete) his work.
2. They (to burn) Panchkula yesterday. [H.B.S.E. March, 2018 (Set-B)]
3. The boys (decorate) the school for the minister’s visit. The minister (arrive) here tomorrow.
4. He (write) the letter, put it in an envelope and (go) out to post it.
5. I never (forget) what you just (tell) me.
6. I(work) since morning and now I am tired.
7. He usually (read) the newspaper at breakfast.
8. We (stop) playing as it (begin) to rain heavily.
9. Although the work (be) tough I (finish) it within time.
10. When they visited the hospital, Mohan (get) discharged.
11. She (read) the newspaper when her brother (come) home.
12. Either my brothers or my father (to be) responsible.[H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)]
13. You (think) differently from this when you (be) older.
14. No sooner had he left the room than it (begin) to rain.
15. If you (tell) the truth, the teacher would not have punished you.

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