Author name: Prasanna

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

HBSE 11th Class Geography जैव-विविधता एवं संरक्षण Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. जैव-विविधता का संरक्षण निम्न में किसके लिए महत्त्वपूर्ण है?
(A) जंतु
(B) पौधे
(C) पौधे और प्राणी
(D) सभी जीवधारी
उत्तर:
(D) सभी जीवधारी

2. निम्नलिखित में से असुरक्षित प्रजातियाँ कौन सी हैं?
(A) जो दूसरों को असुरक्षा दें
(B) बाघ व शेर
(C) जिनकी संख्या अत्यधिक हों अधिक हों
(D) जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है
उत्तर:
(D) जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

3. नेशनल पार्क (National parks) और पशुविहार (Sanctuaries) निम्न में से किस उद्देश्य के लिए बनाए गए है?
(A) मनोरंजन
(B) पालतू जीवों के लिए
(C) शिकार के लिए
(D) संरक्षण के लिए
उत्तर:
(D) संरक्षण के लिए

4. जैव-विविधता समृद्ध क्षेत्र हैं-
(A) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र
(B) शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र
(C) ध्रुवीय क्षेत्र
(D) महासागरीय क्षेत्र
उत्तर:
(A) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र

5. निम्न में से किस देश में पृथ्वी सम्मेलन (Earth summit) हुआ था?
(A) यू०के० (U.K.)
(B) ब्राजील
(C) मैक्सिको
(D) चीन
उत्तर:
(B) ब्राजील

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जैव-विविधता क्या है?
उत्तर:
जैव-विविधता (Bio-diversity)-किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव-विविधता कहा जाता है। यह विकास के लाखों वर्षों के इतिहास का परिणाम है।

प्रश्न 2.
जैव-विविधता के विभिन्न स्तर क्या हैं?
उत्तर:
जैव-विविधता को निम्नलिखित तीन स्तरों पर समझा जाता है-

  • आनुवांशिक जैव-विविधता
  • प्रजातीय जैव-विविधता
  • पारितन्त्रीय जैव-विविधता।

प्रश्न 3.
हॉट स्पॉट (Hot Spot) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हॉट स्पॉट (Hot Spot)-जिन क्षेत्रों में जैव-विविधता अति समृद्ध एवं संवेदनशील हो और मानवीय गतिविधियों के कारण खतरे में हो ऐसे क्षेत्रों को जैव-विविधता के हॉट स्पॉट कहा जाता है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

प्रश्न 4.
मानव जाति के लिए जन्तुओं के महत्त्व का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर:
मानव अपनी मूलभूत आवश्यताएँ; जैसे रोटी, कपड़ा और मकान तथा विकसित सुखी जीवन की अन्य सुविधाएँ भिन्न-भिन्न तरीकों से जैविक विविधता से ही प्राप्त करता है। जीवों की अनेक प्रजातियाँ हमें बहुत-से पदार्थ प्रदान करती हैं जिससे हमारी भौतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सन्तुष्टि होती है, जो कल्याणकारी जीवन के लिए अति आवश्यक है।

प्रश्न 5.
विदेशज प्रजातियों (Exotic Species) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विदेशज प्रजातियाँ (Exotic Species)-वे प्रजातियाँ जो स्थानीय आवास की मूल जैव प्रजाति नहीं हैं लेकिन उस तन्त्र में स्थापित की गई हैं, उन्हें विदेशज प्रजातियाँ कहते हैं।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
प्रकृति को बनाए रखने में जैव-विविधता की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
जैव-विविधता ने मानव संस्कृति के विकास में बहुत योगदान दिया है, इसी प्रकार, मानव समुदायों ने भी आनुवंशिक, प्रजातीय व पारिस्थितिक स्तरों पर प्राकृतिक विविधता को बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया है।

दूसरे शब्दों में जिस पारितंत्र में जितनी प्रकार की प्रजातियाँ होंगी, वह पारितंत्र उतना ही अधिक स्थायी होगा।
1. जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका-

  • सभी मनुष्यों के लिए दैनिक जीवन में जैव-विविधता एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है, जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण भाग ‘फसलों की विविधता’ है, जिसे कृषि जैव विविधता कहा जाता है।
  • जैव-विविधता को संसाधनों के उन भंडारों के रूप में भी समझा जा सकता है, जिनकी उपयोगिता भोज्य-पदार्थ, औषधियाँ और सौंदर्य प्रसाधन आदि बनाने में है।

2. जैव-विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका-

  • जीव व प्रजातियाँ ऊर्जा ग्रहण कर उसका संग्रहण करती हैं। प्रत्येक जीव अपनी जरूरत पूरी करने के साथ-साथ दूसरे जीवों के पनपने में भी सहायक होता है।
  • प्रजातियाँ जलवायु को नियंत्रित करने में सहायक होती है। ये पारितंत्री क्रियाएँ मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ हैं।
  • पारितंत्र में जितनी अधिक विविधता होगी, प्रजातियों के प्रतिकूल स्थितियों में भी रहने की संभावना और उनकी उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होगी।

3. जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका-

  • जैव-विविधता इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक प्रजाति हमें यह संकेत देती है, कि जीवन का आरंभ कैसे हुआ और भविष्य में कैसे विकसित होगा।
  • पारितंत्र में हम भी एक प्रजाति हैं, तथा मानव प्रजाति की क्या भूमिका है, इसे हम जैव-विविधता से समझ सकते हैं।
  • यह समझना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हमारे साथ सभी प्रजातियों को जीवित रहने का अधिकार हैं। अतः कई प्रजातियों को स्वेच्छा से विलुप्त करना नैतिक रूप से गलत है।

प्रश्न 2.
जैव-विविधता के हास के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों का वर्णन करें। इसे रोकने के उपाय भी बताएँ।
उत्तर:
जैव-विविधता के ह्रास के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं
1. जनसंख्या में वृद्धि जनसंख्या वृद्धि के कारण लोगों को रहने के लिए एवं कृषि के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है जिसकी पूर्ति वनों को काटकर की जाती है। इस प्रकार विभिन्न प्रजातियों के आवास स्थल नष्ट हो जाते हैं और बहुत-सी प्रजातियाँ लुप्त हो जाती हैं। इसलिए बढ़ती जनसंख्या जैव-विविधता के लिए बड़ा खतरा है।

2. वन्य जीवों का अवैध शिकार वन्य प्राणियों से बहुमूल्य पदार्थ प्राप्त करने के लिए उनका अवैध शिकार किया जाता है जिससे बहुत-सी प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं जो जैव-विविधता के लिए एक खतरा हैं।

3. प्रदूषण-पर्यावरण प्रदूषण, विशेषकर जलीय पारितन्त्र को खराब कर देता है, इससे जलीय जीवों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।

4. विदेशज प्रजातियों का आगमन किसी भी क्षेत्र में विदेशी प्रजातियों के आगमन से स्थानीय प्रजातियों के आवास एवं भोजन आदि के लिए उनके साथ संघर्ष करना पड़ता है। इस संघर्ष में स्थानीय कमजोर प्रजातियाँ नष्ट हो जाती हैं।

जैव-विविधता हास को रोकने के उपाय-जैव-विविधता ह्रास को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं-

  • संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास किए जाने चाहिएँ।।
  • प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए उचित योजनाएँ व प्रबन्धन किया जाना चाहिए।
  • वन्य जीवों के आवास के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पार्क बनाए जाने चाहिएँ।
  • वनस्पति एवं प्राणी प्रजातियों की किस्मों को संरक्षित करना चाहिए।

जैव-विविधता एवं संरक्षण HBSE 11th Class Geography Notes

→ जैव-विविधता (Biodiversity)-पृथ्वी अथवा किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्रों के पौधों, प्राणियों व सूक्ष्म जीवों की विविधता को जैव-विविधता कहते हैं।

→ टैक्सोनोमी (Taxonomy)-जीवों के वर्गीकरण के विज्ञान को टैक्सोनोमी कहते हैं।

→ तप्त स्थल (Hot Spots)-संसार के जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता पाई जाती है, उन्हें विविधता के ‘तप्त स्थल’ कहा जाता है।

→ आनुवंशिकी (Genetics)-आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचरण की विधियों और कारणों के अध्ययन को आनुवंशिकी कहते हैं।

→ आनुवंशिकता (Heredity)-जीवधारियों की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में विभिन्न लक्षणों के प्रेक्षण या संचरण को आनुवंशिकता कहते हैं।

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HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. पृथ्वी पर कितने परिमंडल हैं?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(C) 4

2. तटीय मरुस्थलों में प्रायः तापमान रहता है
(A) 21° – 38°C
(B) 2° – 25°C
(C) 15° – 35°C
(D) 29° – 37°C
उत्तर:
(C) 15° – 35°C

3. निम्नलिखित में से उच्च प्रदेशीय जीवोम कहाँ पाया जाता है?
(A) एंडीज
(B) स्टैपी
(C) प्रवालभित्ति
(D) रूब-एल-खाली
उत्तर:
(A) एंडीज

4. वायुमंडल में जीवमंडल का विस्तार कितनी ऊँचाई तक है?
(A) 2000 मी०
(B) 3000 मी०
(C) 4000 मी०
(D) 5000 मी०
उत्तर:
(D) 5000 मी०

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

5. वनस्पति जगत और प्राणी जगत किसके वर्ग हैं?
(A) स्थलमंडल
(B) वायुमंडल
(C) जलमंडल
(D) जैवमंडल
उत्तर:
(D) जैवमंडल

6. कौन-सी गैस ‘हरित गृह प्रभाव’ उत्पन्न करती है?
(A) कार्बन-डाइऑक्साइड
(B) ओजोन
(C) हाइड्रोजन
(D) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन
उत्तर:
(A) कार्बन-डाइऑक्साइड

7. Ecology’ शब्द यूनानी शब्दों Oikos तथा logos से मिलकर बना है। इनमें ‘आइकोस’ शब्द का क्या अर्थ है?
(A) जीव के प्रजनन का स्थान
(B) वनस्पति
(C) पर्यावरण
(D) रहने का स्थान
उत्तर:
(D) रहने का स्थान

8. ‘Ecology’ शब्द जर्मनी भाषा के किस शब्द से बना है?
(A) Oekology
(B) Oekologie
(C) Ekology
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) Oekologie

9. Ecosystem’ (पारिस्थितिक तंत्र) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस विद्वान ने किया था?
(A) ए०जी०टांसली
(B) लिंडमैन
(C) मोंकहाऊस
(D) सेंट हिलेयर आइसोडॉट ज्योफ्री
उत्तर:
(A) ए०जी०टांसली

10. जैवमंडल की सर्वप्रथम संकल्पना किसने प्रस्तुत की?
(A) ए०जी०टांसली
(B) लिंडमैन
(C) मोंकहाऊस
(D) एडवर्ड सुवेस
उत्तर:
(D) एडवर्ड सुवेस

11. निम्नलिखित में से अपघटक वर्ग में किसको रखा जा सकता है?
(A) पेड़-पौधे
(B) बकरी
(C) बैक्टीरिया
(D) सौर विकिरण
उत्तर:
(C) बैक्टीरिया

12. निम्नलिखित में से जैवमंडल का सदस्य नहीं है-
(A) शैवाल
(B) कवक
(C) जल
(D) पादप
उत्तर:
(C) जल

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

13. निम्नलिखित में से कौन-सा उदाहरण स्वपोषित घटक का है?
(A) घास
(B) मनुष्य
(C) हिरण
(D) गिद्ध
उत्तर:
(A) घास

14. पारिस्थितिक तंत्र में उपभोक्ता उन्हें कहा जाता है जो-
(A) अपना आहार स्वयं बनाते हैं।
(B) स्वपोषित प्राथमिक उत्पादक (पौधों) से भोजन प्राप्त करते हैं
(C) मृत जंतुओं और पौधों को गलाते-सड़ाते हैं
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) स्वपोषित प्राथमिक उत्पादक (पौधों) से भोजन प्राप्त करते हैं

15. निम्नलिखित में से किसको सर्वाहारी वर्ग में रखा जा सकता है?
(A) कीट, चूहे
(B) गाय, भैंस
(C) मनुष्य
(D) उल्लू, शेर, चीता
उत्तर:
(C) मनुष्य

16. जमीन पर कोई भी शाकाहारी, मांसाहारी और सर्वाहारी नहीं बचेगा, यदि-
(A) सारे पौधे हटा दिए जाएँ
(B) सारे खरगोश और हिरण हटा दिए जाएँ
(C) सारे शेर हटा दिए जाएँ
(D) सारे सूक्ष्म जीव व जीवाणु हटा दिए जाएँ
उत्तर:
(A) सारे पौधे हटा दिए जाएँ

17. निम्नलिखित में से मानव निर्मित पारिस्थितिक तंत्र का हिस्सा नहीं है-
(A) जनजातीय पारिस्थितिक तंत्र
(B) वनीय पारिस्थितिक तंत्र
(C) कृषि पारिस्थितिक तंत्र
(D) ग्रामीण पारिस्थितिक तंत्र
उत्तर:
(B) वनीय पारिस्थितिक तंत्र

18. खाद्य शृंखला के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(A) आद्य श्रृंखला में एक प्राणी दूसरे को खाकर ऊर्जा का स्थानान्तरण करता है
(B) इसमें केवल 50% ऊर्जा अगले पोषण तल को प्राप्त होती है
(C) इसके तीसरे स्तर पर मांसाहारी जानवर आ जाते हैं
(D) अधिकतर खाद्य शृंखलाएँ चार या पाँच स्तरों तक ही सीमित हो जाती हैं
उत्तर:
(B) इसमें केवल 50% ऊर्जा अगले पोषण तल को प्राप्त होती है

19. गिद्ध इसलिए समाप्त हो चुके हैं क्योंकि-
(A) वर्तमान जलवायु उनके अनुकूल नहीं रही
(B) भोजन व पानी की कमी ने उनका सफाया कर दिया
(C) पोषण तल के उच्चतम स्तर पर होने के कारण उनमें घातक रसायन एकत्रित हो गए
(D) गिद्ध को अन्य मांसाहारी जीव खा गए
उत्तर:
(C) पोषण तल के उच्चतम स्तर पर होने के कारण उनमें घातक रसायन एकत्रित हो गए

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें-

प्रश्न 1.
खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
घास।

प्रश्न 2.
उष्ण कटिबंधीय घास के मैदानों को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
सवाना।

प्रश्न 3.
शैलों में उपस्थित लोहांश से ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया होने पर क्या बनता है?
उत्तर:
आयरन ऑक्साइड।

प्रश्न 4.
वनस्पति जगत और प्राणी जगत किसके वर्ग हैं?
उत्तर:
जैवमंडल के।

प्रश्न 5.
कौन-सी गैस ‘हरित गृह प्रभाव उत्पन्न करती है?
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड।

प्रश्न 6.
‘Ecosystem’ (पारिस्थितिक तंत्र) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किस विद्वान ने किया था?
उत्तर:
ए०जी० टांसली ने।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 7.
जैवमंडल की सर्वप्रथम संकल्पना किसने प्रस्तुत की?
उत्तर:
एडवर्ड सुवेस ने।

प्रश्न 8.
जैवमण्डल के दो वर्ग कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. वनस्पति जगत और
  2. प्राणी जगत।

प्रश्न 9.
होमोसेपियन्स (Homo Sapiens) क्या है?
उत्तर:
एक प्रजाति के रूप में आधुनिक मानव।

प्रश्न 10.
पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत क्या है?
उत्तर:
सूर्यातप।

प्रश्न 11.
पारिस्थितिक तन्त्र (Ecosystem) के घटकों के दो वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. जैव
  2. अजैव।

प्रश्न 12.
सभी प्राकृतिक चक्रों को ऊर्जा प्रदान करने वाला प्रमुख स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
सौर विकिरण।

प्रश्न 13.
एक प्रमुख पारितंत्र का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वन एक प्रमुख पारितंत्र है।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी के परिमण्डलों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. स्थलमण्डल
  2. वायुमण्डल
  3. जलमण्डल और
  4. जैवमण्डल।

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं के तीन मुख्य वर्ग बताइए। अथवा जीवों के मुख्य वर्ग कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. शाकाहारी (Herbivores)
  2. मांसाहारी (Carnivores)
  3. सर्वाहारी (Omnivores)।

प्रश्न 3.
अपघटक (Decomposers) क्या होते हैं?
उत्तर:
अपघटक वे सूक्ष्म जीव व जीवाणु होते हैं जो खाद्य श्रृंखला के सभी स्तरों से गले-सड़े जैव पदार्थ को अपना भोजन बनाते हैं।

प्रश्न 4.
पारिस्थितिक तन्त्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
किसी भी क्षेत्र या प्रदेश के भौतिक वातावरण तथा जीवों के पारस्परिक सम्बन्धों के व्यवस्थित अध्ययन को पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। यह एक जटिल तन्त्र है, जिसमें दोनों के आपसी सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन सम्मिलित है। पारिस्थितिक तन्त्र में जैविक तथा अजैविक जगत की पारस्परिक प्रक्रियाओं तथा सम्बन्धों का विश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 5.
पारितन्त्र क्या है?
उत्तर:
पारितन्त्र पर्यावरण के सभी जैव तथा अजैव घटकों के एकीकरण का परिणाम है। दूसरे शब्दों में, जीव तथा उसके पर्यावरण के बीच की स्वतन्त्र इकाई को पारितन्त्र (Ecosystem) कहा जाता है।

प्रश्न 6.
जैवमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
जैवमण्डल से अभिप्राय पृथ्वी के उस अंग से है, जहाँ जीवन सम्भव है। सभी जीवित प्राणी जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे इसी मण्डल में पनपते हैं।

प्रश्न 7.
पारितंत्रीय विविधता क्या है?
उत्तर:
पारितंत्रीय विविधता पारितंत्र के प्रकारों की व्यापक भिन्नता, पर्यावासों की विविधता और प्रत्येक पारितंत्र में घटित हो. रही पारिस्थितिकीय प्रक्रियाओं से नजर आती है। पारितंत्रीय सीमाओं का निर्धारण न केवल जटिल है, बल्कि कठिन भी है।

प्रश्न 8.
शाकाहारी और माँसाहारी में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
शाकाहारी और माँसाहारी में निम्नलिखित अन्तर हैं-

शाकाहारीमाँसाहारी
1. शाकाहारी जीव अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर करते हैं।1. माँसाहारी जीव अपना भोजन शाकाहारी जीवों के माँस से प्राप्त करते हैं।
2. ये पहले स्तर पर प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं।2. ये गौण उपभोक्ता कहलाते हैं।
3. कीट, चूहे, बकरियाँ, गाय, भैंस आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं।3. शेर, चीता, उल्लू, गिद्ध आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 9.
खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में क्या अन्तर है?
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल में निम्नलिखित अन्तर हैं-

खाद्य शृंखलाखाद्य जाल
1. किसी पारिस्थितिक तन्त्र में एक स्रोत से दूसरे स्रोत में ऊर्जा स्थानान्तरण की प्रक्रिया को खाद्य शृंखला कहते हैं।1. जब बहुत-सी खाद्य शृंखलाएँ एक-दूसरे से घुल-मिलकर एक जटिल स्प धारण करती हैं, तो उसे खाद्य जाल कहते हैं।
2. खाद्य शृंखला ऊर्जा का प्रवाह चक्र है।2. खाद्य जाल अनेक स्रोतों से ऊर्जा के अन्तरण की एक जटिल प्रक्रिया है।

लातुरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जैवमण्डल का पर्यावरण में क्या स्थान है?
उत्तर:
जैवमण्डल प्राकृतिक पर्यावरण का एक विशिष्ट अंग है। इस मण्डल में सभी जीवित प्राणियों, मानव तथा जीव जन्तुओं की क्रियाएँ सम्मिलित हैं। जैवमण्डल के कारण भू-तल पर जीवन है। पर्यावरण के अन्य सभी अंग जैवमण्डल के प्राणियों को उत्पन्न करने तथा उनके क्रियाशील रहने में सहायक हैं। जैवमण्डल वायुमण्डल की ऊपरी परतों से महासागरों की गहराइयों तक विस्तृत रूप से फैला हुआ है। मनुष्य इस जैवमण्डल में पर्यावरण की समग्रता लाने में क्रियाशील है। मनुष्य भू-तल की सम्पदाओं का बुद्धिमत्ता से उपयोग करके इसका संरक्षण कर सकता है, इसलिए जैवमण्डल को प्राकृतिक पर्यावरण का सबसे महत्त्वपूर्ण तथा विशिष्ट मण्डल कहा जाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादक तथा उपभोक्ता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
उत्पादक तथा उपभोक्ता में निम्नलिखित अन्तर हैं-

उत्पादकउपभोक्ता
1. उत्पादक सौर ऊर्जा का प्रयोग करके अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं।1. उपभोक्ता अपना भोजन स्वयं उत्पन्न करने में असमर्थ होते हैं। ये अन्य जीवों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
2. ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बोहाइड्रेट उत्पन्न करते हैं तथा खाद्य शृंखला के दूसरे उपभोक्ताओं को भोजन प्रदान करते हैं।2. उपभोक्ता प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाने में अमसर्थ हैं, इन्हें शाकाहारी, माँसाहारी तथा सर्वाहारी इन वर्गों में बाँटा जाता है ।
3. पेड़-पौधे, नीली-हरी शैवाल तथा कुछ जीवाणु इनके प्रमुख उदाहरण हैं।3. भेड़, बकरियाँ, उल्लू, मनुष्य आदि इनके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 3.
जैवमण्डल हमारे लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जैवमण्डल से अभिप्राय पृथ्वी के उस अंग से है, जहाँ सभी प्रकार का जीवन पाया जाता है। स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल जहाँ मिलते हैं, वहीं जैवमण्डल स्थित है। इस मण्डल में सभी प्रकार का जीवन सम्भव है। सभी जीवित प्राणी जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे इसी मण्डल में पनपते हैं, इसलिए जैवमण्डल हमारे लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 4.
जैवमण्डल का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैवमण्डल क्षैतिज रूप से सारे भूमण्डल पर और लम्बवत् रूप से सागरों की गहराई से वायुमण्डल की ऊँचाई तक, जहाँ-जहाँ जीवन सम्भव है, तक फैला हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जैवमण्डल का विस्तार महासागरों में 9,000 मीटर की गहराई तक, स्थल के नीचे 300 मीटर की गहराई तक तथा वायुमण्डल में 5,000 मीटर की ऊँचाई तक है। जैवमण्डल की परत पतली किन्तु अत्यन्त जटिल है और किसी भी प्रकार का जीवन इसी परत में सम्भव है।

प्रश्न 5.
ऊर्जा प्रवाह में 10 प्रतिशत ऊर्जा स्थानान्तरण के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जीवविज्ञानी किन्डलमान (Kindlemann) ने सन् 1942 में एक सामान्यीकरण (Generalisation) प्रस्तुत किया जिसके अनुसार खाद्य श्रृंखला में एक पोषण तल के निकटतम उच्च पोषण तल (Trophic Level) में जब ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है तो ऊर्जा का अधिकांश भाग (90%) विभिन्न शारीरिक क्रियाओं में ताप के रूप में नष्ट हो जाता है। केवल 10 प्रतिशत ऊर्जा अगले पोषण तल को प्राप्त होती है। स्पष्ट है कि जैसे-जैसे हम खाद्य के प्राथमिक स्रोत से दूर होते जाते हैं वैसे-वैसे जन्तुओं द्वारा प्राप्त ऊर्जा की मात्रा न्यून होती चली जाती है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि ज्यों-ज्यों हम खाद्य श्रृंखला में ऊपर की ओर जाते हैं तो जन्तुओं की संख्या और उनकी विविधता कम होती जाती है। उदाहरणतः एक जंगल में हज़ारों पेड़-पौधे हो सकते हैं जिनमें सौ हिरण हो सकते हैं, दो चार लक्कड़बग्घे परन्तु शेर एक ही रह सकता है।

प्रश्न 6.
पारिस्थितिक सन्तुलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र की प्राकृतिक अवस्था में विविध चक्रों और ऊर्जा प्रवाहों में पूरा सामंजस्य होता है, जिससे एक गतिशील सन्तुलन स्थापित हो जाता है। इसे पारिस्थितिक सन्तुलन कहते हैं। सन्तुलन की इस दशा में विभिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं (जीव-जन्तुओं) की सापेक्षिक संख्या इस प्रकार निश्चित होती है कि किसी भी जीव के लिए खाद्य पदार्थ की कमी नहीं है।

छोटे और कमज़ोर जीवों अर्थात् प्राथमिक उपभोक्ताओं की कम जरूरत के कारण उनकी संख्या अधिक तथा उनकी प्रजनन दर भी तीव्र होती है। बड़े अर्थात् द्वितीय तथा तृतीय स्तर के उपभोक्ता संख्या में कम होते हैं और उनकी प्रजनन दर भी कम होती है। जब कभी किसी पारिस्थितिक तन्त्र में विभिन्न प्रकार के प्राणियों की सापेक्ष संख्या में अन्तर आ जाता है तो विविध चक्रों और ऊर्जा प्रवाहों का सामंजस्य भंग हो जाता है, परिणामस्वरूप पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ जाता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पारिस्थितिक तन्त्र पर मनुष्य के प्रभाव की विवेचना करें।
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्र एक स्वचालित प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य अथवा किसी भी प्राणी की भूमिका गड़बड़ाने पर इस जटिल किन्तु संवेदनशील तन्त्र की प्रक्रिया में बाधा आ जाती है जिसके कुप्रभाव और दुष्परिणाम समस्त जीव-जगत् को भुगतने पड़ते हैं। इस जैवमण्डल के असंख्य जीवों में से एक होते हुए भी अपनी बुद्धि विज्ञान तथा तकनीकी विकास के सहारे मनुष्य पारिस्थितिक तन्त्र को अधिकाधिक प्रभावित करने की क्षमता धारण करता जा रहा है। मनुष्य द्वारा किए गए जानवरों के वर्णात्मक (Selective) शिकार से वह खाद्य शृंखला भंग हो गई है जिसमें वे जानवर प्रतियोगिता करते थे। एक खाद्य श्रृंखला भंग होने पर खाद्य जाल में कार्यरत अनेक खाद्य शृंखलाएँ बाधित होती हैं।

मनुष्य ने अपने आर्थिक लाभ और उपयोग के लिए अनेक पौधों और पशुओं को पालतू बना लिया है। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक चयन का स्थान मानवीय चयन ने ले लिया है। हमारी फसलें और गाय, भैंस, भेड़-बकरी तथा मुर्गी जैसे पालतू पशु-पक्षी इसी पर्यावरणीय नियन्त्रण का परिणाम हैं। इस प्रक्रिया में मानव ने पौधों और प्राणियों की आनुवंशिकी (Genetics) में भी परिवर्तन कर दिए हैं ताकि नई वांछनीय विशेषताएँ आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाई जा सकें। कई बार मनुष्य द्वारा जानबूझ कर अथवा आकस्मिक ढंग से अनेक पौधों और प्राणियों को उनके मूल स्थान से हटा कर नए क्षेत्रों में बसाया गया है। इस पराए वातावरण में कई बार पौधों और प्राणियों को प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता। परिणामस्वरूप उनकी संख्या अन्य जीवों से अधिक हो जाती है और वे पारिस्थितिक तन्त्र को भंग कर देते हैं।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

प्रश्न 2.
पारिस्थितिक तन्त्र की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इसके विभिन्न अंगों में पदार्थ चक्रण और ऊर्जा प्रवाह को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पारिस्थितिक तन्त्र की अवधारणा-किसी क्षेत्र के भौतिक पर्यावरण तथा उसमें रहने वाले जीवों के बीच होने वाली पारस्परिक क्रियाओं की जटिल व्यवस्था को पारिस्थितिक तन्त्र (Ecosystem) कहते हैं। पारिस्थितिक तन्त्र छोटा या बड़ा किसी भी आकार का हो सकता है। उदाहरणतः गाँव का छोटा-सा तालाब, अमेज़न का वर्षा-वन (Rain forest) जो कई देशों पर विस्तृत है, एक महासागर अथवा सारा संसार एक पारिस्थितिक तन्त्र हो सकता है। पारिस्थितिक तन्त्र के निर्माण, पुनरुत्थान और उसके जीवन-निर्वाह के लिए ऊर्जा का प्रवाह तथा पदार्थ का चक्रण अनिवार्य है।

पारिस्थितिक तन्त्र छोटा हो या बड़ा, उसकी मुख्य विशेषता होती है उसके विभिन्न अंगों में ऊर्जा का प्रवाह और पदार्थ का चक्रण (Circulation)। ऊर्जा तथा पदार्थ का उपयोग पारिस्थितिक तन्त्र के निर्माण, पुनरुत्थान और उसके जीवन निर्वाह के लिए किया जाता है।
1. पदार्थ चक्रण-सभी जीवों का निर्माण मुख्यतः तीन तत्त्वों से मिलकर हुआ है। ये तत्त्व हैं-(1) कार्बन, (2) हाइड्रोजन तथा (3) ऑक्सीजन। थोड़ी मात्रा में अन्य तत्त्वों; जैसे नाइट्रोजन, लोहा, फॉस्फोरस और मैंगनीज़ की भी आवश्यकता पड़ती है। इन सभी तत्त्वों को पोषक कहते हैं। जैवमण्डल में ये तत्त्व पौधों के द्वारा पहुँचते हैं।

पारिस्थितिक तन्त्र के विभिन्न अंगों के बीच पदार्थ चक्रीय ढंग से घूमते हैं। इन पदार्थों में तत्त्व (Elements) और यौ (Compounds) दोनों होते हैं। पदार्थ चक्रण के मार्ग स्पष्ट एवं सुसंगत होते हैं। उदाहरणतः कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और जल वायुमण्डल, स्थलमण्डल, जलमण्डल और जैवमण्डल के बीच एक प्राकृतिक व्यवस्था के तहत स्थानान्तरित होते रहते हैं। कुछ पदार्थों का चक्रण थोड़े समय में ही पूरा हो जाता है जबकि अन्य कुछ पदार्थ किसी एक रूप में लम्बे समय तक संचित पड़े रहते हैं और उनका चक्रण हज़ारों, लाखों अथवा करोड़ों वर्षों में पूरा होता है। परन्तु ये पदार्थ कभी भी पृथ्वी के बाहर नहीं जा पाते।

2. ऊर्जा प्रवाह जैसे किसी भी कार्य के लिए ऊर्जा (Energy) की आवश्यकता होती है वैसे ही पारिस्थितिक तन्त्र के विभिन्न अंग ऊर्जा के संचरण द्वारा ही कार्य करते हैं।

पारिस्थितिक तन्त्र में ऊर्जा का प्रवाह क्रमबद्ध स्तरों की एक श्रृंखला में होता है जिसे खाद्य शृंखला (Food Chain) कहते हैं। खाद्य शृंखला वास्तव में एक समुदाय में जीवित प्राणियों का ऐसा अनुक्रम (Sequence) होता है जिसमें एक प्राणी दूसरे प्राणी को खाकर खाद्य ऊर्जा का स्थानान्तरण करता है। सरल शब्दों में, खाद्य श्रृंखला “कौन किसको खाता है” (Who eats whom) की एंक सूची होती है। आइए! निम्नलिखित खाद्य शृंखला के माध्यम से ऊर्जा प्रवाह को क्रमिक ढंग से समझें-

(1) खाद्य श्रृंखला में पहले स्तर पर हरे पौधे आते हैं जिन्हें उत्पादक कहते हैं। ये पौधे प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन-डाइऑक्साइड तथा जल को रासायनिक ऊर्जा में बदल देते हैं जो पौधों में कार्बोहाइड्रेट के रूप में संचित हो जाती है। ऊर्जा रूपान्तरण की यह प्रक्रिया प्रकाश-संश्लेषण (Photo-synthesis) कहलाती है जिसके अन्तर्गत जीवनदायक जैव रासायनिक अणुओं की उत्पत्ति होती है। ऐसे पौधे जो प्रकाश-संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं अकार्बनिक पदार्थों से तैयार करते हैं, स्वपोषित (Autotroph) कहलाते हैं।

(2) इन पौधों अथवा उत्पादकों को शाकाहारी (Herbivores) प्राणी खा जाते हैं। ये प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं। कीट, चूहे, भेड़, बकरियाँ, गाय-भैंस आदि प्राथमिक उपभोक्ताओं के उदाहरण हैं।

(3) खाद्य शृंखला के तीसरे स्तर पर माँसाहारी (Carnivores) जानवर आते हैं जो प्राथमिक उपभोक्ताओं अर्थात् शाकाहारी जानवरों को खाकर जीवित रहते हैं। इन्हें गौण अथवा द्वितीयक उपभोक्ता कहते हैं। उल्ल, शेर, चीता आदि इसके उदाहरण हैं।

(4) कुछ जातियों को सर्वाहारी (Omnivores) कहते हैं क्योंकि वे शाकाहारी और माँसाहारी दोनों होते हैं। मनुष्य सर्वाहारी श्रेणी में आता है।

(5) कुछ सूक्ष्म जीव तथा जीवाणु जिन्हें अपघटक (Decomposers) कहते हैं, खाद्य श्रृंखला के सभी स्तरों से प्राप्त अवशेष या गले-सड़े जैव पदार्थ को अपना भोजना बना कर जीवित रहते हैं। ये अपघटक पारिस्थितिक तन्त्र में खनिज पोषकों के पुनर्चक्रण में सहायता करके खाद्य-शृंखला को पूरा करते हैं।

प्रश्न 3.
पारिस्थितिकी तथा पारिस्थितिक तन्त्र के बारे में विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर:
पारिस्थितिकी (Ecology)-पारिस्थितिकी का सीधा सम्बन्ध जैविक तथा अजैविक तत्त्वों के पारस्परिक सम्बन्धों से है अर्थात् जैव समूहों एवं जीवों तथा भौतिक वातावरण के बीच जो सम्बन्ध होते हैं, उनका अध्ययन पारिस्थितिकी में किया जाता है। प्रसिद्ध जर्मन वैज्ञानिक एरंट हैकल के अनुसार, “पारिस्थितिकी ज्ञान, जिसमें जैविक तत्त्वों का अपने चारों ओर के संसार के साथ सम्बन्धों के योगफल का अध्ययन किया जाता है।”

सन् 1860 में Ernt Haeckel ने सर्वप्रथम (Ecology) पारिस्थितिकी शब्द का प्रयोग किया था, लेकिन 20वीं शताब्दी में इसका व्यापक प्रयोग पर्यावरण के सन्दर्भ में किया जाने लगा। किसी भी क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण का प्रभाव वहाँ की वनस्पति तथा जीव-जन्तओं पर पड़ता है, ये आपस में एक-दूसरे से प्रभावित होते हैं तथा प्रभावित करते हैं। इसलिए Kerbs ने सन 1972 में लिखा है, “पारिस्थितिकी वातावरण की उन पारस्परिक प्रतिक्रियाओं के अध्ययन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो जीव-समूहों के कल्याण, उनके वितरण को विनियमित करने, प्रचुरता पुनरुत्यति तथा विकास को नियन्त्रित करते हैं।”

पारिस्थितिक तन्त्र (Eco-System)-किसी भी क्षेत्र या प्रदेश के भौतिक वातावरण एवं जीवों के पारस्परिक सम्बन्धों का व्यवस्थित अध्ययन पारिस्थितिकी तन्त्र कहलाता है। यह एक जटिल व्यवस्था (तन्त्र) है, जिसमें दोनों के आपसी सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन सम्मिलित है।

उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि पारिस्थितिकी तन्त्र में जैविक जगत् तथा अजैविक जगत् (Biotic and Abiotic World) की पारस्परिक प्रक्रियाओं एवं सम्बन्धों का विश्लेषण किया जाता है। जैव जगत् (Biotic World) में पशु-पक्षी, मानव, पेड़-पौधों आदि तथा अजैविक जगत् (Abiotic World) में भूमि, मिट्टी, जलवायु आदि तत्त्व सम्मिलित हैं। पारिस्थितिकी तन्त्र के विभिन्न अंग होते हैं जो एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। उदाहरणार्थ किसी वन प्रदेश में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, घास, झाड़ी, लताएँ, फफूंदी, जीवाणु, पशु-पक्षी तथा बड़े-बड़े जंगली जीव होते हैं। इन सभी का आपसी सम्बन्ध होता है। पेड़-पौधे तथा घास अपने लिए मिट्टी से पोषक तत्त्व पानी, हवा आदि ग्रहण करते हैं। कुछ पौधे परजीवी होते हैं।

जंगल में रहने वाले जीव-जन्तु कुछ तो वनस्पति से भोजन प्राप्त करते हैं तथा जो माँसाहारी होते हैं, वे छोटे जीवों का शिकार करके अपना भोजन जुटाते हैं। जीव-जन्तुओं के मरने के बाद उसके अवशेषों से मिट्टी का निर्माण अथवा मिट्टी में पोषक तत्त्वों की वृद्धि होती है। यही पोषक तत्त्व वनस्पति के विकास में सहायक होते हैं और फिर जीवों का भोजन बनाते हैं अर्थात् भौतिक वातावरण तथा जैविक वातावरण का पारस्परिक घनिष्ठ सम्बन्ध है और इन सम्बन्धों का वैज्ञानिक और व्यवस्थित अध्ययन पारिस्थितिकी तन्त्र है। यह महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि इन्हीं दोनों तत्त्वों में पोषक चक्र (Nutrient Cycle) गतिज ऊर्जा (Energy Flow) के माध्यम से विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा जीवन-संचार करते हैं।

प्रश्न 4.
जैव भू-रासायनिक चक्र के सम्पन्न होने के क्रमों को समझाइए।
उत्तर:
जैव भू-रासायनिक चक्र के सम्पन्न होने के क्रम-जैव भू-रासायनिक चक्र निम्नलिखित क्रम में सम्पन्न होता है-
1. पौधों के उगने-बढ़ने के लिए कुछ अजैव तत्त्व आवश्यक होते हैं। वे अजैव तत्त्व हैं कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन। थोड़ी मात्रा में अन्य तत्त्वों यथा-नाइट्रोजन, लोहा, गंधक, फॉस्फोरस और मैंगनीज की भी आवश्यकता होती है। इन सभी तत्त्वों को पोषक (Nutrients) कहा जाता है।

2. चट्टानों के अपघटन से प्राप्त अवसादों से मिट्टी बनती है जिसमें लोहा, तांबा, सोडियम और फॉस्फोरस जैसे खनिज (पोषक) तत्त्व स्वतः उपलब्ध होते हैं। वर्षा जल के साथ कुछ रासायनिक पोषक-कार्बन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन वायुमण्डल से निकलकर मिट्टी में मिल जाते हैं।

3. मृदा और वायु से प्राप्त इन पोषक तत्त्वों को पौधे अपनी जड़ों के द्वारा घोल के रूप में प्राप्त करते हैं। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति से हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड को ऑक्सीजन और कार्बनिक यौगिक (जैव पदार्थ) में परिवर्तित कर देते हैं।

4. पृथ्वी पर पहुँचने वाले सूर्यातप का मात्र 0.1 प्रतिशत भाग ही प्रकाश संश्लेषण में काम आता है। इसका आधे से अधिक भाग पौधों की श्वसन क्रिया में व्यय होता है और शेष ऊर्जा अस्थायी रूप से पौधों के अन्य भागों में संचित हो जाती है।

5. चट्टानों से मिट्टियों में आए कुछ रासायनिक तत्त्वों को वर्षा के जल के माध्यम से नदियाँ समुद्रों में पहुँचा देती हैं और .. वे अजैव तत्त्व जलमण्डल का अंग बन जाते हैं।

6. पौधे जिन पोषक तत्त्वों को मिट्टी से ग्रहण करते हैं वे आहार-शृंखला के माध्यम से विभिन्न पोषक तत्त्वों में स्थानांतरित होते रहते हैं। उदाहरणतः पौधों को शाकाहारी प्राणी खाते हैं। शाकाहारी प्राणियों को माँसाहारी प्राणी खाते हैं और इन दोनों को सर्वाहारी खाते हैं।

7. पौधों के सूखने और प्राणियों के मर जाने के बाद अपघटक जीव इन्हें फिर से अजैव रासायनिक तत्त्वों में बदल देते हैं अर्थात् इनका कुछ भाग गैसों के रूप में वायुमण्डल में जा मिलता है और अधिकांश भाग ह्यूमस तथा रसायनों के रूप में मिट्टी में मिल जाता है।

8. यही तत्त्व पौधों में पुनः उपयोग में आते हैं और यह जैव भू-रसायनिक चक्र अनवरत चलता रहता है। पिछले 100 करोड़ वर्षों में वायुमण्डल और जलवाष्प की संरचना में रासायनिक घटकों का सन्तुलन बिगड़ा नहीं है। रासायनिक तत्त्वों का यह सन्तुलन पौधों व प्राणी ऊतकों में होने वाले चक्रीय प्रवाह से बना हुआ है।

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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धातुओं के कुछ भौतिक गुण लिखिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
धातुएँ भारी, चमकदार, तन्य तथा आघातवर्ध्य होती हैं। ये ऊष्मा और विद्युत की सुचालक होती हैं।

प्रश्न 2.
आघातवर्ध्यता से क्या तात्पर्य है? –
उत्तर-
किसी पदार्थ को हथौड़े से पीटने पर पतली चादर में परिवर्तित हो जाने के गुण को आघातवर्ध्यता कहते हैं।

प्रश्न 3.
कौन-सी धातु सामान्य ताप पर तरल होती है? (RBSE 2016)
उत्तर-
पारा (Hg)।

प्रश्न 4.
एक्वा-रेजिया क्या है?
उत्तर-
एक्वा रेजिया सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एवं सान्द्र नाइट्रिक अम्ल को 3 : 1 के अनुपात में मिलाकर बना ताजा मिश्रण है जो सोने व प्लैटिनम को गला सकता है।

प्रश्न 5.
तरल अधातु का नाम बताइए।
उत्तर-
ब्रोमीन।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में सबसे कम क्रियाशील धातुओं को छाँटिए-K, Zn, Ag,Au
उत्तर-
Au.

प्रश्न 7.
आयनिक यौगिकों के कठोर होने का क्या कारण है?
उत्तर-
धनात्मक एवं ऋणात्मक आयनों के बीच मजबूत आकर्षण बल के कारण आयनिक यौगिक ठोस एवं थोड़े कठोर होते हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 8.
किसी शुद्ध धातु की अपेक्षा उसके मिश्रातु की विद्युत चालकता एवं गलनांक कैसा होता है?
उत्तर-
विद्युत चालकता एवं गलनांक कम होता है।

प्रश्न 9.
किन्हीं दो धातुओं के नाम लिखिए जो हाइड्रोजन से संयुक्त होकर हाइड्राइड बना सकती हैं।
उत्तर-
सोडियम (Na) तथा कैल्सियम (Ca)।

प्रश्न 10.
दो ऑक्साइडों के नाम लिखिए जो न तो अम्लीय हैं और न ही क्षारीय।
उत्तर-
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)।

प्रश्न 11.
किस अधातु का गलनांक तथा क्वथनांक उच्च होता है तथा वह अत्यन्त कठोर भी होती है ?
उत्तर-
हीरा (कार्बन)।

प्रश्न 12.
नाइट्रोजन व क्लोरीन परमाणुओं का इलैक्ट्रोनिक विन्यास लिखिए। (RBSE 2016)
उत्तर-
नाइट्रोजन — परमाणु क्रमांक 7 (2, 5)
क्लोरीन – परमाणु क्रमांक 17 (2, 8, 7)

प्रश्न 13.
नाइट्रोजन व क्लोरीन परमाणुओं के मध्य इलैक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण से सोडियम क्लोराइड का बनना दर्शाइए। (RBSE 2017)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 1

प्रश्न 14.
मिश्रातु क्या होती है?
उत्तर-
किसी धातु का अन्य धातु या अधातु से बना समांगी मिश्रण मिश्रातु कहलाता है।

प्रश्न 15.
अधातुएँ विद्युत का चालन क्यों नहीं करती हैं?
उत्तर-
अधातुओं के पास मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते, इस कारण से ये विद्युत का चालन नहीं करती हैं। ये इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती हैं तथा ऋणायन बनाती हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 16.
गोल्ड तथा सिल्वर प्रकृति में स्वतन्त्र अवस्था में क्यों पाए जाते हैं?
उत्तर-
गोल्ड तथा सिल्वर बहुत ही कम अभिक्रियाशील हैं, इसलिए ये स्वतंत्र अवस्था में पाए जाते हैं।

प्रश्न 17.
अभी तक कितने तत्व ज्ञात हैं? किन दो वर्गों में इन सभी तत्वों को बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
अभी तक कुल 114 तत्व ज्ञात हैं। इन तत्वों को इनके गुणों के आधार पर धातुओं और अधातुओं में बाँटा जा सकता है।

प्रश्न 18.
वायु में रहने पर ऐलुमिनियम की सतह पर कौन-सी परत बन जाती है? इस परत का क्या उपयोग है?
उत्तर-
वायु में रहने पर ऐलुमिनियम की सतह पर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत बन जाती है। यह परत धातु को संक्षारित होने से बचाती है।

प्रश्न 19.
धातु तथा अधातु किस प्रकार अभिक्रिया करते हैं?
उत्तर-
धातु तथा अधातु एक धातु से दूसरी अधातु पर इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण द्वारा अभिक्रिया करते हैं। .धातुओं का निष्कर्षण (Extraction of Metals)

प्रश्न 20.
अयस्क के संवर्धन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
खनिजों से अवांछित अशुद्धियों को दूर करना अयस्कों का संवर्धन कहलाता है।

प्रश्न 21.
उन धातुओं के नाम बताइए जो अपचायक की भाँति प्रयोग पाई जाती हैं।
उत्तर-
उच्च याशील धातुएँ, जैसे-सोडियम, कैल्सियम अपचायक की भाँति प्रयोग में लाई जाती हैं।

प्रश्न 22.
धातु ऑक्साइड का ऐलुमिनियम चूर्ण द्वारा अपचयित होना कौन-सा प्रक्रम कहलाता है?
उत्तर-
ऐलुमिनियम चूर्ण द्वारा धातु ऑक्साइड का अपचयन ऐलुमिनो थर्मिट प्रक्रम अथवा थर्मिट प्रक्रम कहलाता है।

प्रश्न 23.
पृथ्वी की सतह पर सबसे अधिक पायी जाने वाली धातु का नाम बताइए। इस धातु के महत्त्वपूर्ण अयस्क का नाम लिखिए।
उत्तर-
ऐलुमिनियम। इसका महत्त्वपूर्ण अयस्क बॉक्साइट है।

प्रश्न 24.
अशुद्ध धातुओं के शोधन में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाली विधि कौन-सी है?
उत्तर-
विद्युत-अपघटनी शोधन।

प्रश्न 25.
विद्युत-अपघटनी शोधन द्वारा शुद्ध की जाने वाली प्रमुख धातुएँ कौन-सी हैं?
उत्तर-
कॉपर, जिंक, टिन, निकिल, सिल्वर तथा सोना।

प्रश्न 26.
कॉपर के एक अयस्क का नाम लिखिए।
उत्तर-
क्यूप्रस सल्फाइड (Cu2S)।

प्रश्न 27.
विद्युत-अपघटनी परिष्करण द्वारा परिष्कृत की जाने वाले तीन धातुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
ताँबा (Cu), चाँदी (Ag), टिन (Sn).

प्रश्न 28.
उन धातु ऑक्साइडों के नाम बताइए जो कार्बन के साथ गर्म किए जाने पर धात्विक अवस्था में अपचयित नहीं होते हैं।
उत्तर-
Cr2O3, Mn3O4 अपचायक Al है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 29.
गालक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
गालक वे पदार्थ हैं जो अयस्क में उपस्थित अम्लीय अशुद्धियों को गलनीय पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं।

प्रश्न 30.
निस्तापन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
निस्तापन वह प्रक्रम है जिसमें कार्बोनेट अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है।

प्रश्न 31.
सोने के आभूषणों में ताँबा क्यों मिलाया जाता है?
उत्तर-
शुद्ध सोना मुलायम होता है जिससे आभूषण नहीं बनाये जा सकते, इस कारण सोने को कठोरता प्रदान करने के लिए सोने में थोड़ा ताँबा मिलाया जाता है।

प्रश्न 32.
पीतल के अवयव घटक लिखिए।
उत्तर-
ताँबा तथा जस्ता।

प्रश्न 33. नाइट्रोजन के ऑक्साइड के नाम लिखिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन के तीन ऑक्साइड N2O, NO एवं NO2, हैं।

प्रश्न 34.
पीतल किन धातुओं से मिलकर बनती है?
उत्तर-
पीतल कॉपर व जिंक धातु से मिलकर बनती है।

प्रश्न 35.
किस प्रकार के अयस्कों का भर्जन करते है?
उत्तर-
सल्फाइड अयस्कों का भर्जन करते हैं जिससे ये ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाते हैं।

प्रश्न 36.
धातुकर्म के विभिन्न पदों को लिखें।
उत्तर-
धातुकर्म के विभिन्न पद निम्न हैं –

  1. अयस्क का पीसना (Pulverisation)
  2. सान्द्रण (Concentration)
  3. अपचयन (Reduction)
  4. शोधन (Purification)।

प्रश्न 37.
किसी एक अम्लीय व क्षारीय गालक का उदाहरण दें।
उत्तर-
अम्लीय गालक – SiO2
क्षारीय गालक – CaO.

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तत्वों को धातुओं अथवा अधातुओं में वर्गीकृत करते समय विचारणीय गुण बताइए।
उत्तर-
तत्वों को धातुओं एवं अधातुओं में वर्गीकृत करते समय निम्नलिखित गुण आवश्यक रूप से विचारणीय होते-

  • चमक,
  • चालकता,
  • कठोरता,
  • वायु में जलना,
  • तन्यता,
  • ध्वनि,
  • अम्लों व जल के साथ अभिक्रिया।

प्रश्न 2.
उपधातुएँ क्या हैं? किन्हीं पाँच उपधातुओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
कुछ पदार्थ धातु और अधातु दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं, ऐसे पदार्थों को उपधातु कहते हैं। निम्नलिखित पाँच धातुएँ उपधातुएँ हैं आर्सेनिक (As), पोलोनियम (Po), सिलिकॉन (Si), एंटीमनी (Sb), टेलुरियम (Te)।

प्रश्न 3.
जल में विलेय धातु ऑक्साइडों के उदाहरण दीजिए। जल में घोलने पर धातु ऑक्साइड क्या बनाते हैं?
उत्तर-
सोडियम ऑक्साइड तथा पोटैशियम ऑक्साइड जल में विलेय धातु ऑक्साइड हैं।
Na2O(s)+H2O(l) → 2NaOH
K2O (s) + H2O (l) → 2KOH
धातु ऑक्साइड जल में विलेय होकर क्षार बनाते हैं।

प्रश्न 4.
टाइटेनियम धातु की विशेषता क्या है जिसके कारण इसे सामरिक महत्त्व की धातु कहा जाता है?
उत्तर-
टाइटेनियम धातु अल्प अभिक्रियाशील धातु है इसकी तनाव सहने की क्षमता अत्यधिक होती है, यही कारण है कि इसका प्रयोग नाभिकीय संयन्त्रों, सैन्य उपकरणों, गैस टरबाइनों व जेट इंजनों आदि में होता है। यह धातु शीघ्रता से क्षरित नहीं होती है।

प्रश्न 5.
निम्न अभिक्रियाओं का समीकरण लिखिए
(i) भाप के साथ आयरन की क्रिया
(ii) जल के साथ कैल्सियम तथा पोटैशियम।
उत्तर-
(i) आयरन धातु भाप के साथ क्रिया करके आयरन ऑक्साइड व हाइड्रोजन बनाती है।
3Fe (s) +4H2O (g) → Fe3O4(s) +4H2 (g)
(ii) जल के साथ कैल्सियम व पोटैशियम की क्रिया होने पर सम्बन्धित हाइड्रॉक्साइड बनते हैं तथा हाइड्रोजन गैस निकलती है।
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HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 6.
सक्रियता श्रेणी किसे कहते हैं? इसकी एक उपयोगिता लिखें।
उत्तर-
सक्रियता श्रेणी (Activity series) धातुओं की क्रियाशीलता को अवरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर जो सूची (श्रेणी) प्राप्त होती है, उसे सक्रियता श्रेणी कहते हैं। सक्रियता श्रेणी निम्नवत् है-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 3
उपयोगिता-इसकी सहायता से हमें तत्वों की क्रियाशीलता की जानकारी होती है।

प्रश्न 7.
विभिन्न धातुओं की जल के साथ अभिक्रियाओं का वर्णन करो। ..
उत्तर-
विभिन्न धातुओं की जल साथ अभिक्रियाएँ निम्नवत् हैं
(i) सोडियम धातु जल के साथ ताव अभिक्रिया करके सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाती है।
2Na (s) +2H2O(l) → 2NaOH (aq)+H2 (g)
(ii) मैग्नीशियम धातु ठण्डे जल की बजाय गर्म जल से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
ऐलुमिनियम ठण्डे व गर्म जल से अभिक्रिया नहीं करता है परन्तु यह भाप के साथ अभिक्रिया करके ऐलुमिनियम ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाता है।
2Al (s) +3H2O (g) → Al2O3 (s) +3H2 (g)
रक्त तप्त आयरन भाप से अभिक्रिया करके आयरन (II, III) ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन बनाता है।
3Fe (s) +4H2O (g) → Fe3O4(s) +4H2 (g)
धातुएँ, जैसे-लैड, कॉपर, गोल्ड, चाँदी, जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 8.
(a) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए
(i) कैल्सियम धातु जल से अभिक्रिया करती है।
(ii) सिनाबार को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है।
(iii) मैंगनीज डाइऑक्साइड को ऐलुमिनियम पाउडर के साथ गर्म किया जाता है।
(b) मिश्रधातु क्या हैं? मिश्रधातुओं के दो गुणधर्मों की सूची बनाइए। (CBSE 2019)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 5
(b) दो या दो से अधिक धातुओं अथवा एक धातु व एक अधातु के समांगी मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं।

मिश्रधातु के दो गुणधर्म-
(i) मिश्रधातु धातुओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली होती है।
(ii) मिश्रधातु वायु में रखने पर संक्षारित नहीं होती है।

प्रश्न 9.
अधातु क्या हैं ? इनका दैनिक जीवन में क्या महत्त्व है?
उत्तर-
वे तत्व जो धातुओं की तरह व्यवहार नहीं करते हैं, अधातु कहलाते हैं। कमरे के ताप पर अधातुएँ या तो ठोस होती हैं या गैस। इनमें केवल ब्रोमीन ही द्रव रूप में होती है। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन आदि अधातुओं के उदाहरण हैं।

दैनिक जीवन में अधातुओं का महत्त्व-

  • वायु में ऑक्सीजन की उपस्थिति से ही हम सभी साँस लेते हैं तथा यह गैस ज्वलन में सहायक होती है।
  • हाइड्रोजन का उपयोग वनस्पति घी एवं अमोनिया के निर्माण में किया जाता है।
  • नाइट्रोजन का उपयोग अमोनिया, उर्वरकों तथा नाइट्रिक अम्ल के उत्पादन में किया जाता है।
  • सल्फर का उपयोग बारूद बनाने में तथा कवकनाशी दवाइयाँ बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 10.
मिश्रधातु किसे कहते हैं? इसके बनाने के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। अथवा मिश्रधातु किसे कहते हैं? दो उदाहरण दीजिए। (RBSE 2017)
उत्तर-
मिश्रधातु या मिश्रातु-किसी धातु का अन्य धातु या अधातु के साथ मिलकर बनाया गया समांगी मिश्रण, मिश्रातु कहलाता है। उदाहरण के लिए; पीतल, कांसा, सोल्डर, स्टील आदि सभी मिश्रातु हैं।

मिश्रातुओं के उपयोग-

  1. मिश्रातु बनाने से कठोरता बढ़ जाती है, जैसे-लोहे में कार्बन की मात्रा मिलाकर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में ताँबा मिलाने से उसकी कठोरता बढ़ जाती है।
  2. संक्षारण रोकने के लिए मिश्रातु उपयोगी है, जैसे-लोहे तथा जिंक से बनी मिश्रातु पर जंग नहीं लगता।
  3. घरों में मिश्रातुओं का उपयोग बहुत अधिक होता है। घरों के बर्तन, पंखे, अलमारी आदि में मिश्रातुओं का प्रयोग होता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए
(a) सोडियम क्लोराइड एक आयनी यौगिक है जो ठोस अवस्था में विद्युत का चालन नहीं करता है जबकि यह पिघली अवस्था के साथ-साथ जलीय विलयन में विद्युत का चालन करता है।
(b) नाइट्रिक अम्ल में डुबोने पर ऐलुमिनियम की सक्रियता कम हो जाती है।
(c) कैल्सियम और मैग्नीशियम जैसी धातुएँ प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती हैं। (CBSE 2019)
उत्तर-
(a) सोडियम क्लोराइड ठोस अवस्था में विद्युत का चालन नहीं करता परन्तु पिघली अवस्था के साथ-साथ जलीय विलयन में विद्युत का चालन करता है क्योंकि सोडियम क्लोराइड के आयन उसकी कठोर संरचना के कारण गतिशील नहीं होते। विद्युत चालन के लिए आयनों का गतिशील होना आवश्यक है। पिघली और जलीय अवस्था में आयन गति के लिए मुक्त होते हैं अतः वे विद्युत संचालित करते हैं।

(b) नाइट्रिक अम्ल एक शक्तिशाली ऑक्सीकारक है इसलिए ऐलुमिनियम को इसमें डुबाने पर, ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत जम जाती है, जिसके कारण इसकी सक्रियता कम हो जाती है।

(c) कैल्सियम और मैग्नीशियम धातुएँ प्रकृति में मुक्तावस्था में नहीं पाई जाती हैं क्योंकि अधिक क्रियाशील होने के कारण ये अन्य तत्वों के साथ अभिक्रिया करके यौगिकों का निर्माण करती हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 12.
सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर स्थित धातुओं के निष्कर्षण की विधि, सक्रियता श्रेणी के मध्य में स्थित धातुओं के निष्कर्षण की विधि से किस प्रकार भिन्न है? उनके लिए भी समान प्रक्रिया क्यों नहीं अपनायी जाती है? इन धातुओं के निष्कर्षण की प्रक्रिया का नाम लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर –

सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर स्थित धातुओं का निष्कर्षण (K, Na, Ca, Mg तथा AI)सक्रियता श्रेणी में मध्य में स्थित धातुओं का निष्कर्षण (Zn, Fe, Pb)
1. इस प्रकार की धातुएँ बहुत अधिक क्रिया- शील होती हैं।1. इस प्रकार की वस्तुएँ मध्यम क्रियाशील होती हैं।
2. इन धातुओं को वैद्युत अपघटन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है।2. इन धातुओं के यौगिकों(कार्बोनेट तथा सल्फा- इड) के पहले ऑक्साइड में बदला जाता है फिर उनका अपघटन करके धातु को प्राप्त किया जाता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन या भर्जन कहा जाता है।

इन धातुओं के लिए समान प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती क्योंकि सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर स्थित धातुओं के ऑक्साइडों को कार्बन के साथ अपघटित नहीं किया जा सकता। कार्बन के साथ अपघटित होने की अवस्था में ये धातुएँ कार्बन से क्रिया करके कार्बाइड यौगिक बना देंगी जिससे हम धातु प्राप्त नहीं कर पाएंगे।

प्रश्न 13.
वात्या भट्टी में हेमेटाइट अयस्क से आयरन के निष्कर्षण में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लोहे के अयस्क, कोक, चूने के पत्थर को भट्टी में एक साथ रखकर उच्च ताप दिया जाता है। इस उच्च ताप के कारण चूने का पत्थर निम्न रासायनिक अभिक्रिया के रूप में विघटित हो जाता है-
CaCO3 → CaO+CO2,
कैल्सियम ऑक्साइड, सिलिकन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है तथा कैल्सियम सिलिकेट द्रवित रूप में बनाता है।
CaO + SiO2 → CaSiO3
इस प्रकार प्राप्त सिलिकन ऑक्साइड से मुक्त लोहे के ऑक्साइड का अपचयन हो जाता है।

प्रश्न 14.
धातु शोधन की गलनिक पृथक्करण विधि क्या है?
उत्तर-
धातु शोधन की इस विधि में एक ढलावदार भट्टी का प्रयोग किया जाता है, अशुद्ध धातु को भट्टी के ऊपरी भाग में एक जाली के ऊपर रखा जाता है। भट्टी के ताप को इस प्रकार बढ़ाया जाता है कि वह गलनांक के ऊपर स्थिर रहे। ताप के कारण धातु पिघलकर नीचे आ जाती है तथा अशुद्धियाँ जाली पर शेष रह जाती हैं। टिन, लेड बिस्मथ आदि धातुएँ इसी प्रकार शोधित की जाती हैं।

प्रश्न 15.
खनिज तथा अयस्क में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

खनिजअयस्क
1. उन प्राकृतिक पदार्थों को जिनमें धातुओं के यौगिक पाए जाते हैं, खनिज कहलाते हैं।1. जिन खनिजों से धातुएँ सुविधापूर्वक प्राप्त की जा सकती हैं, उन्हें अयस्क कहते हैं।
2. कुछ खनिजों में आपत्तिजनक अशुद्धियाँ होती हैं जो धातु के निष्कर्षण को बाधित करती हैं।2. इनमें किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक अशुद्धि नहीं होती है।
3. सभी खनिजों को धातु निष्कर्षण के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।3. सभी अयस्कों को धातु निष्कर्षण के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
कुछ आयनिक यौगिकों के नामों को उनके सूत्र तथा उनमें उपस्थित आयनों के साथ लिखिए। .
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 6

प्रश्न 17.
Ca, Pb,AI,Na,Mg एवं Cuमें से किन-किन धातुओं को विद्युत अपघटनी विधि द्वारा निष्कर्षित किया जाता है और क्यों?
उत्तर-
ऐसी धातुएँ जो अत्यधिक क्रियाशील एवं अत्यधिक धनविद्युती प्रकृति की होती हैं वह अच्छी अपचायक होती हैं। अतः ऐसी धातुओं का निष्कर्षण रासायनिक अपचयन द्वारा नहीं किया जा सकता है। इनका निष्कर्षण केवल विद्युत अपघटनी विधि से ही करते हैं। इस कारण Ca, AI, Na तथा Mg का निष्कर्षण विद्युत अपघटनी विधि से करते हैं।

प्रश्न 18.
प्रमुख मिश्रातुओं के नाम, उनके घटक तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर-
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प्रश्न 19.
जंग लगाना किसे कहते हैं? लोहे पर जंग लगने की परिस्थितियों की जाँच के लिए किसी क्रियाकलाप का नामांकित आरेख सहित वर्णन कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
किसी लोहे की वस्तु को काफी समय तक नम वायु में रखने पर, इसके ऊपर भूरे रंग की आयरन ऑक्साइड की परत बनने के प्रक्रम को जंग लगना कहते हैं। (पाठ्य पुस्तक में क्रियाकलाप 3.14 देखिए)।

प्रश्न 20.
जंग लगने से बचाने के कुछ उपायों को बताइए।
उत्तर-
जंग लगने से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं-

  1. तेल या ग्रीस की तह आदि लोहे पर जमा पीतल दी जाए तो नम वायु लोहे के सम्पर्क में नहीं आ पाती जिससे जंग नहीं लगती है।
  2. लोहे की सतह पर रंग-रोगन करके जंग लगने से बचाया जा सकता है। बसों, कारों, स्कूटर आदि पर एनमल की तह जमाई जाती है।
  3. लोहे पर जस्ते की परत जमा कर (यशदलेपन) इसे जंग लगने से बचाया जाता है, जैसे-लोहे की बाल्टियाँ, चादरों आदि पर यह प्रक्रिया अपनायी जाती है।
  4. निकिल, क्रोमियम आदि धातुओं की तह विद्युत् लेपन के द्वारा लोहे की सतह पर चढ़ाने से जंग नहीं लगती है, जैसे-वाहनों के रिम, हैंडिल आदि।

प्रश्न 21.
निस्तापन और भर्जन में अंतर बताइए।
उत्तर-
हवा की सीमित सप्लाई में अयस्क को गलन के ताप तक गर्म करके उसमें से नमी एवं वाष्पशील पदार्थों को अलग करने की क्रिया को निस्तापन कहते हैं जबकि हवा की मुक्त सप्लाई में अयस्क को गलन से कम ताप पर गर्म करके ऑक्सीकृत करना भर्जन कहलाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धातुओं के महत्त्वपूर्ण गुणधर्म लिखिए।
उत्तर-
धातुओं के महत्त्वपूर्ण गुणधर्म निम्नलिखित हैं-

  • धातुएँ ऊष्मा व विद्युत की सुचालक होती हैं तथा लैड व पारा ऊष्मा के कुचालक होते हैं।
  • धातुओं में चमक होती है, इन पर पॉलिश की जा सकती है।
  • इनमें आघातवर्धनीयता होती है अर्थात् इन्हें पीटकर चादरों में बदला जा सकता है।
  • इनमें तन्यता होती है अर्थात् इन्हें खींचकर इनके तार बनाए जा सकते हैं।
  • इनमें कठोरता होती है परन्तु सोडियम (Na) व पोटैशियम (K) धातुएँ होकर भी नरम हैं।
  • धातुएँ सामान्य ताप पर ठोस अवस्था में रहती हैं। केवल पारा द्रव अवस्था में रहता है।
  • धातुओं का घनत्व उच्च होता है परन्तु सोडियम (Na) व पोटैशियम (K) धातुएँ हल्की हैं।
  • धातुएँ प्रबल होती हैं तथा इनके गलनांक व क्वथनांक उच्च होते हैं। परन्तु सोडियम (Na) व पोटैशियम (K) के गलनांक व क्वथनांक निम्न होते हैं।
  • धातुएँ कठोर सतह से टकराकर ध्वनि उत्पन्न करती हैं।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
धातुओं एवं अधातुओं के बीच कैसे विभेद करेंगे? (CBSE 2017)
उत्तर-
धातुओं एवं अधातुओं के गुणों में विभेद भौतिक गुणों में विभेद –
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रासायनिक गुणों में विभेद

धातुएँअधातुएँ
1. धातुओं द्वारा क्षारीय ऑक्साइड का निर्माण होता है जिसमें से कुछ क्षार बनाती हैं।1. अधातुएँ अम्लीय एवं उदासीन ऑक्साइड बनाती हैं।
2. धातुएँ धनात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं।2. अधातुएँ ऋणात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं।
3. धातुएँ अपचायक हैं।3. अधातुएँ ऑक्सीकारक हैं।
4. धातुएँ जलीय विलयन में धनायन बनाती हैं।4. अधातुएँ जलीय विलयन में ऋणायन बनाती हैं।

प्रश्न 3.
धातु एवं अधातु किस प्रकार अभिक्रिया करते हैं? समझाइए।
उत्तर-
धातु एवं अधातु अपने संयोजक कक्ष में पाए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर अभिक्रिया करते हैं, उदाहरण के लिए-सोडियम का परमाणु क्रमांक 11 है अतः इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8 1 है। इसके सबसे बाहरी कक्ष में केवल 1 इलेक्ट्रॉन है। यदि यह अपना एक इलेक्ट्रॉन सबसे बाहरी कक्ष से त्याग देता है तब यह Na’ (सोडियम धनायन) प्रदान करता है। दूसरी ओर क्लोरीन का परमाणु क्रमांक 17 है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8 7 है। इस प्रकार क्लोरीन के सबसे बाहरी कोश में 7 इलेक्ट्रॉन हैं अतः यह 1 इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपना अष्टक पूर्ण कर सकता है। इससे क्लोराइड ऋणायन Cl प्राप्त होता है।
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प्रश्न 4.
अधातु क्या हैं? इनके रासायनिक गुणधर्मों को बताइए।
उत्तर-
जो तत्व धातुओं की तरह व्यवहार नहीं करते हैं, अधातु कहलाते हैं। हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन, सल्फर, क्लोरीन आदि अधातुओं के उदाहरण हैं अधातुओं के रासायनिक गुणधर्म-अधातुएँ इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करके, ऋण आवेशित आयन (ऋणायन) बनाती हैं। अतः इनको ऋण विद्युत तत्व कहते हैं।
Cl+e → Cl
0+2e → O2-

(i) ऑक्सीजन से अभिक्रिया-अधातुएँ ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्साइड बनाती हैं।
C(s) + O2(g) → CO2(g)
अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय या उदासीन होते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड अम्लीय ऑक्साइड है जोकि जल में घुलकर अम्ल बनाती है तथा इसका जलीय विलयन नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है।
CO2(g)+ H2O(l) → H2CO3(aq) (कार्बोनिक अम्ल)

(ii) अम्लों से क्रिया-अधातुएँ तनु अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करती हैं। तनु अम्लों से अधातुओं द्वारा हाइड्रोजन का विस्थापन तभी सम्भव है जबकि अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न प्रोटॉनों (H+) को इलेक्ट्रॉनों की पूर्ति की जाए।
H2SO4(aq) → 2H+ (aq) + SO42-(aq)
2H+ (aq) + 2e →H2(g)
धातुएँ इलेक्ट्रान को ग्रहण करने वाली होती हैं।

(iii) क्लोरीन से अभिक्रिया-अधातुएँ क्लोरीन से अभिक्रिया करके क्लोराइड बनाती हैं। ये सह संयोजी यौगिक के रूप में होती हैं जो सामान्यतया वाष्पशील द्रव या गैस होती हैं।
P4(s) + 6Cl2(g) → 4PCl3(g) (फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड)

(iv) हाइड्रोजन से अभिक्रिया-अधातुएँ हाइड्रोजन से क्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं।
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प्रश्न 5.
सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखकर व्याख्या कीजिए कि क्या होता है जब-
(i) मरक्यूरिक ऑक्साइड को गरम किया जाता है।
(ii) क्यूप्रस ऑक्साइड और क्यूप्रस सल्फाइड के मिश्रण को गरम किया जाता है।
(iii) ऐलुमिनियम की मैंगनीज डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करायी जाती है।
(iv) फेरिक ऑक्साइड को ऐलुमिनियम के साथ अपचयित किया जाता है।
(v) जिंक कार्बोनेट का निस्तापन होता है। (CBSE 2020)
उत्तर-
(i) जब मरक्यूरिक ऑक्साइड को 300 °C पर गरम किया जाता है तो यह विघटित हो जाती है तथा पारा धातु (Hg) प्राप्त होती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 11

(ii) क्यूप्रस ऑक्साइड और क्यूप्रस सल्फाइड के मिश्रण को जब ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में गरम किया जाता है तो ताँबा धातु और सल्फर डाइऑक्साइड गैस प्राप्त होते हैं।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 12

(iii) जब ऐलुमिनियम की मैंगनीज डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करायी जाती है तो MnO, का अपचयन होता है तथा Mn धातु प्राप्त होती है। A1 धातु एक अपचायक का कार्य करता है।
3MnO2(s) + 4AI(s) →3Mn(1) + 2Al2O3 (s)

(iv) फेरिक ऑक्साइड को जब ऐलुमिनियम के साथ अपचयित किया जाता है तो Fe2O3, का अपचयन होता है तथा पिघला हुआ तरल Fe (लोहा) धातु प्राप्त होती है।
Fe2O3 (s) + 2Al(s) → 2Fe(l) + Al2O3 (s)

(v) जिंक कार्बोनेट की विस्थापन अभिक्रिया से कार्बोनेट अयस्क, जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 13

प्रश्न 6.
(i) इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण द्वारा मैग्नीशियम क्लोराइड में आबन्ध बनना दर्शाइए तथा इस यौगिक में उपस्थित आयनों की पहचान कीजिए।
(ii) आयनी यौगिक ठोस होते हैं। इसका कारण दीजिए।
(iii) किसी धातु पर भाप की क्रिया को दर्शाने के लिए प्रायोगिक व्यवस्था का नामांकित आरेख खींचिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 14
(ii) आयनी यौगिकों के विपरीत आवेशित आयन परस्पर – अधिक मात्रा के वैद्युत बल के कारण काफी पास पाए जाते हैं, इसलिए आयनिक यौगिक ठोस होते हैं।
(iii)
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प्रश्न 7.
कारण बताइए-
(a) प्लेटिनम, सोना तथा चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
(b) सोडियम पोटैशियम को केरोसिन तेल के अन्दर . संग्रहित किया जाता है।
उत्तर-
(a) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है, क्योंकि ये धातुएँ सक्रियता श्रेणी में निम्नतम स्थान पर होती हैं तथा जल, ऑक्सीजन अथवा अम्लों से अभिक्रिया नहीं करतीं। ये संक्षारित भी नहीं होती। ये धातएँ आघातवर्ध्यनीय तथा तन्य होती हैं; इसलिए आभूषणों के विभिन्न डिजाइन सरलतापूर्वक बनाए जा सकते हैं।
(b) सोडियम एवं पोटैशियम धातु का ज्वलन ताप (Ignition Temperature) अत्यन्त ही कम होता है, वायु के सम्पर्क में आते ही यह आग पकड़ लेता है। सोडियम, पोटैशियम का वायु से सम्पर्क रोकने के लिए सोडियम एवं पोटैशियम को केरोसिन में डुबोकर रखा जाता है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 8.
अयस्क किसे कहते हैं? ताँबे के परिष्करण की विद्युत अपघटनी विधि का सचित्र वर्णन करें। (CBSE 2018)
उत्तर-
अयस्क (Ores)-जिन खनिजों में किसी विशेष धातुं की मात्रा अधिक रूप से होती है, जिसे निकालना लाभकारी होता है, उन्हें अयस्क कहते हैं।
तांबे के परिष्करण की विद्युत् अपघटनी विधि-इस विधि में अशुद्ध धातु को ऐनोड बनाते हैं तथा उसी धातु की शुद्ध धातु की पट्टी को कैथोड की तरह प्रयुक्त करते हैं। इन दोनों इलेक्ट्रोडों को एक उपयुक्त वैद्युत अपघटनी विश्लेषित्र में रखते हैं जिसमें उसी धातु का लवण घुला रहता है। अधिक क्षारकीय धातुएँ विलयन में रहती हैं तथा कम क्षारकीय धातुएँ ऐनोड पंक में चली जाती हैं।

उदाहरण-ताँबे का शोधन इस विधि से करते हैं। अशुद्ध कॉपर ऐनोड के रूप में तथा शुद्ध कॉपर पत्ती कैथोड के रूप में लेते हैं। कॉपर सल्फेट का अम्लीय विलयन वैद्युत अपघटनी होता है तथा वैद्युत अपघटन के परिणामस्वरूप शुद्ध कॉपर ऐनोड से कैथोड की तरफ स्थानान्तरित हो जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 16
फफोलेदार कॉपर से अशुद्धियाँ ऐनोड पंक के रूप में जमा होती हैं। इनमें ऐण्टिमनी, सिलीनियम, टेल्यूरियम, चाँदी, सोना तथा प्लैटिनम मुख्य धातुएँ होती हैं। इस विधि से प्राप्त धातु में 99.98% शुद्धता होती है।

प्रश्न 9.
(a) थर्मिट प्रक्रिया किसे कहते हैं? इस प्रक्रिया का उपयोग कहाँ किया जाता है? इसमें होने वाली रासायनिक अभिक्रिया का सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
(b) इस प्रक्रिया में उपयोग होने वाली धातु ऐलुमिनियम का, धातु की सक्रियता श्रेणी में स्थान कहाँ पर है?
(c) इस प्रक्रिया में उपचयित तथा अपचयित होने वाले पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(a) जब ऐलुमिनियम धातु को आयरन ऑक्साइड के साथ गर्म करके अभिक्रिया करवाई जाती है तो इसे थर्मिट प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में गर्म तरल लोहा धातु प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया का उपयोग रेलवे लाइनों की वैल्डिंग करके मरम्मत करने में किया जाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 17
(b) ऐलुमिनियम धातु, धातुओं की सक्रियता श्रेणी में अधिक क्रियाशील श्रेणी में आती है।
(c) इस प्रक्रिया में आयरन ऑक्साइड का अपचयन होता है तथा आयरन (लोहा) धातु प्राप्त होती है। ऐलुमिनियम धातु का उपचयन होता है और उससे Al2O3 प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
कार्बन, सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम के ऑक्साइडों से इनकी निजी धातुओं को अपचयित नहीं कर सकती हैं, क्यों? धातुओं की सक्रियता श्रेणी में इन धातुओं को कहाँ रखा गया है? इन धातुओं को इनके अयस्कों से किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है? कोई एक उदाहरण लेकर रासायनिक समीकरणों सहित धातु को निष्कर्षित करने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए। (CBSE 2020)
उत्तर-
सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम धातुएँ, कार्बन से अधिक क्रियाशील हैं, इसलिए इनके ऑक्साइड कार्बन से अपचयित नहीं हो पाते जिसके कारण ये धातुएँ प्राप्त नहीं हो पाती हैं। इन धातुओं को सक्रियता श्रेणी में सबसे ऊपर रखा गया है क्योंकि ये अधिक क्रियाशील धातुएँ हैं। इन धातुओं को इनके अयस्कों से वैद्युत अपचयन विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है।

ऐलुमिनियम धातु का उसके ऑक्साइड अयस्क से निष्कर्षण करना-एक विशेष प्रकार के विद्युत सैल में तरल ऐलुमिनियम ऑक्साइड में से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो इसके अपचयन से हमें ऐलुमिनियम धातु तरल रूप में ऋण टर्मिनल (कैथोड) पर प्राप्त होती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 18

प्रश्न 11.
कोई धातु X जिसका उपयोग थर्मिट प्रक्रिया में होता है, ऑक्सीजन में गर्म किए जाने पर कोई ऑक्साइड Y बनाती है जो प्रकृति में उभयधर्मी है। X और Y को पहचानिए। ऑक्साइड Y की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रियाओं के सन्तुलित रासायनिक समीकरण लिखिए। (CBSE 2019)
उत्तर-
जब ऐलुमिनियम को ऑक्सीजन में गर्म किया जाता है तो ऐलुमिनियम ऑक्साइड बनता है जो प्रकृति में उभयधर्मी है।
4Al2 + 3O2 → 2Al2O3
‘X’ ऐलुमिनियम धातु है।
‘Y’ ऐलुमिनियम ऑक्साइड (Al2O3) है।
ऐलुमिनियम ऑक्साइड की हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया
Al2O3 + 6HCl → 2Alcl3 + 3H2O ऐलुमिनियम ऑक्साइड की सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ अभिक्रिया-
Al2O3 + 2NaOH → 2NaAlO2 + H2O

प्रश्न 12.
(a) आयनिक यौगिकों के कोई दो भौतिक गुण कारण सहित लिखिए।
(b) दो ऐसी धातुओं के नाम लिखिए जो पृथ्वी की ऊपरी परत में स्वतंत्र रूप में पाई जाती हैं। वह धातुओं की क्रियामाला में किस स्थान पर स्थित हैं? (c) जो धातु, धातुओं की क्रियामाला में सबसे ऊपर पायी जाती है उन्हें उनके ऑक्साइडों से कार्बन के साथ क्रिया अपचयित करके प्राप्त क्यों नहीं किया जा सकता?
उत्तर-
(a) आयनिक यौगिकों के कोई दो भौतिक गुण-
(i) इनका गलनांक व क्वथनांक उच्च होता हैं क्योंकि उनके विपरीत आवेशित आयन परस्पर अधिक वैद्युत आकर्षण बल के कारण जुड़े रहते हैं।
(ii) अपने जल के विलयन के रूप में यह विद्युत धारा के सुचालक होते हैं क्योंकि विलयनों के रूप में इनके आयन स्वतन्त्र होकर विद्युत धारा को प्रवाहित कर पाते हैं।
(b) सोना तथा प्लेटिनम धातु पृथ्वी की ऊपरी परत में स्वतंत्र रूप में पाई जाती हैं। ये धातुएँ, धातुओं की क्रियामाला में नीचे की ओर स्थित होती हैं।
(c) इन धातुओं के ऑक्साइड कार्बन के साथ क्रिया करके अपने कार्बाइड यौगिक बनाते हैं, इसलिए इनके ऑक्साइडों का अपचयन कार्बन द्वारा नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 13.
एक धातु M प्रकृति में अपने कार्बोनेट अयस्क के रूप में पाया जाता है। इसका उपयोग लोहे के जस्तीकरण के लिए भी किया जाता है। इस धातु M को पहचानिए तथा इसके इस अयस्क का नाम लिखिए। इस अयस्क से इस धातु को कैसे प्राप्त किया जा सकता है? (CBSE 2018)
उत्तर-
धातु M जस्ता (जिंक) है। इसका संकेत Zn है। इसका कार्बोनेट अयस्क (ZnCO3) है जिसे कैलेमाइन अयस्क कहते हैं।
इस अयस्क से Zn धातु प्राप्त करना-
(i) पहले जिंक कार्बोनेट अयस्क को निस्तापन क्रिया द्वारा जिंक ऑक्साइड यौगिक में बदला जाता है। जब जिंक कार्बोनेट को उच्च ताप पर वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है तो यह विघटित होकर जिंक ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 19
(ii) अब जिंक ऑक्साइड को कार्बन (कोक) के साथ गर्म करने पर ऑक्साइड का अपचयन हो जाता है, तथा जिंक धातु प्राप्त हो जाती है।
HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 20

बहुविकल्पीय प्रश्न (Objective Type Questions)

1. इनमें से सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन-सी है-
(a) सीसा
(b) पारा
(c) सोडियम
(d) लोहा।
उत्तर-
(c) सोडियम।

2. निम्न धातुओं में से कौन-सी धातु प्रकृति में मुक्त अवस्था में पायी जाती है –
(a) सोडियम
(b) गोल्ड
(c) पोटैशियम
(d) ऐलुमिनियम।
उत्तर-
(b) गोल्ड।

3. जब धातुएँ किसी कठोर सतह से टकराती हैं तो एक आवाज उत्पन्न होती है। इन धातुओं को कहते हैं –
(a) ध्वनिक
(b) सोनोरस
(c) उपर्युक्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) उपर्युक्त दोनों।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

4. कौन-सी धातु ठण्डे या गर्म जल से क्रिया नहीं करती
(a) Na
(b) Ca
(c) Mg
(d) Fe.
उत्तर-
(d) Fe.

5. निम्न में से कौन-सी धातुएँ मुक्त अवस्था में प्रकृति में पायी जाती हैं –
(i) Cu
(ii) Au
(iii) Zn
(iv) Ag
(a) (i), (ii)
(b)(i), (iii)
(c) (ii), (iv)
(d) (iii), (iv).
उत्तर-
(c) (ii), (iv).

6. सोने और प्लैटिनम को गलाने वाले अम्ल का नाम है
(a) सान्द्र HCL
(b) एक्वा-रेजिया
(c) सान्द्र नाइट्रिक अम्ल
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) एक्वा-रेजिया।

7. पृथ्वी की भूपर्पटी में सर्वाधिक मात्रा में मिलने वाली धातु है –
(a) आयरन
(b) कॉपर
(c) ऐलुमिनियम
(d) मर्करी।
उत्तर-
(c) ऐलुमिनियम।

8. कौन-सी अधातु चमकयुक्त होती है ?
(a) सल्फर
(b) ऑक्सीजन
(c) नाइट्रोजन
(d) आयोडीन।
उत्तर-
(d) आयोडीन।

9. कौन-सी अधातु द्रव अवस्था में होती है –
(a) कार्बन
(b) ब्रोमीन
(c) फॉस्फोरस
(d) सल्फर। .
उत्तर-
(b) ब्रोमीन।

10. ऐलुमिनियम पर मोटी ऑक्साइड की परत बनने की प्रक्रिया को कहते हैं –
(a) ऐनोडीकरण
(b) कैथोडीकरण
(c) तन्यता
(d) कठोरता।
उत्तर-
(a) ऐनोडीकरण।

11. Fe2O3 + 2Al → 2Fe + Al2O3 + ऊष्मा, इस अभिक्रिया का क्या नाम है-
(a) ऐनोडीकरण
(b) थर्मिट
(c) यशदलेपन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) थर्मिट।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

12.कॉपर को खुला छोड़ देने पर उस पर हरे रंग की परत जम जाती है। इसका कारण है –
(a) CuSO4
(b) CuCO3
(c) Cu(NO3)2
(d)CuO.
उत्तर-
(a) CuSO4

13. यशदलेपन में किस धातु की परत चढ़ाई जाती है –
(a) ताँबा
(b) ऐलुमिनियम
(c) जस्ता.
(d) चाँदी।
उत्तर-
(c) जस्ता।

14. सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करने को कहते हैं –
(a) निस्तापन
(b) संयोजन
(c) भर्जन
(d) दहन।
उत्तर-
(c) भर्जन।

15. कार्बोनेट अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करने को कहते हैं –
(a) निस्तापन
(b) संयोजन
(c) भर्जन
(d) दहन।
उत्तर-
(a) निस्तापन।

16. अमलगम एक मिश्रातु है जो एक या एक से अधिक धातुओं का –
(a) मर्करी के साथ मिश्रण होता है |
(b) सोडियम के साथ मिश्रण होता है |
(c) कैल्सियम के साथ मिश्रण होता है |
(d) पोटैशियम के साथ मिश्रण होता है।
उत्तर-
(a) मर्करी के साथ मिश्रण होता है।

17. निम्न में से उदासीन ऑक्साइड है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड
(c) सल्फर डाइऑक्साइड
(d) सल्फर ट्राइऑक्साइड।
उत्तर-
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड।

18. जंग लगने के लिए
(a) केवल वायु की आवश्यकता होती है
(b) केवल जल की आवश्यकता होती है
(c) वायु एवं जल दोनों की आवश्यकता होती है
(d) वायु एवं जल दोनों की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्तर-
(c) वायु एवं जल दोनों की आवश्यकता होती है।

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

19. अयस्क से गैंग को दूर करने को कहते हैं –
(a) निस्तापन
(b) भर्जन
(c) समृद्धीकरण
(d) अपचयन।
उत्तर-
(c) समृद्धीकरण।

20. सीसा एवं टिन की मिश्रातु को कहते हैं
(a) अमलगम
(b) सोल्डर
(c) काँसा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) सोल्डर।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill In the blanks)

1. ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर धातुएँ ……………………………… बनाती हैं।
उत्तर-
क्षारकीय ऑक्साइड,

2. भू-पर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले तत्वों या यौगिकों को …………………………….. कहते हैं।
उत्तर-
खनिज,

3. रेल की पटरी और मशीन के पुों की दरारों को …………………………….. द्वारा जोड़ा जाता है।
उत्तर-
थर्मिट अभिक्रिया,

4. सोडियम, मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम धातुएँ, …………………………….. से अधिक क्रियाशील हैं।
उत्तर-
कार्बन,

5. अधातुएँ ऊष्मा की …………………………….. होती हैं, केवल ग्रेफाइट अधातु ऊष्मा की …………………………….. है।
उत्तर-
कुचालक, सुचालक।

सुमेलन संबंधी प्रश्न (Matrix Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्न को सुमेलित कीजिये।

कॉलम (1) (धातु)कॉलम (ii) (धातु के अयस्क)
1. ऐलुमिनियम(a) कैलेमाइन (Calamine)
2. आयरन(b) डोलोमाइट (Dolomite)
3. लेड(c) सिनेबार (Cinnabar)
4. मरकरी(d) हीमेटाइट (Haematite)
5. जिंक(e) गैलेना (Galena)
6. कैल्सियम(f) बॉक्साइट (Bauxite)

उत्तर-

कॉलम (1) (धातु)कॉलम (ii) (धातु के अयस्क)
1. ऐलुमिनियम(f) बॉक्साइट (Bauxite)
2. आयरन (d) हीमेटाइट (Haematite)
3. लेड (e) गैलेना (Galena)
4. मरकरी(c) सिनेबार (Cinnabar)
5. जिंक(a) कैलेमाइन (Calamine)
6. कैल्सियम(b) डोलोमाइट (Dolomite)

HBSE 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
निम्न को समेलित करें –

कॉलम-Iकॉलम-II
1. विद्युत अपघटनी अपचयन(a) एल्युमीनियम
2. कार्बन से अपचयन(b) जिंक
3. एल्युमीनियम से अपचयन(c) सोडियम
(d) आयरन
(e) मैग्नीशियम
(f) क्रोमियम

उत्तर-
1. विद्युत अपघटनी अपचयन → (a) एल्युमीनियम, (c) सोडियम
2. कार्बन से अपचयन → (b) जिंक, (d) आयरन
3. एल्युमीनियम से अपचयन → (e) मैग्नीशियम, (f) क्रोमियम

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HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. कौन-सा देश भारतीय उपमहाद्वीप में शामिल नहीं है?
(A) पाकिस्तान
(B) अफगानिस्तान
(C) भूटान
(D) बांग्लादेश
उत्तर:
(B) अफगानिस्तान

2. सर्वप्रथम ‘इंडिया’ शब्द का प्रयोग भारत के लिए किस भाषा में किया गया था?
(A) उर्दू
(B) यूनानी
(C) अरबी
(D) फारसी
उत्तर:
(B) यूनानी

3. भारत का पूर्वी देशांतर है
(A) 97° 25’E
(B) 68° 7’E
(C) 77° 9’E
(D) 82° 32’E
उत्तर:
(B) 68° 7’E

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

4. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल व सिक्किम राज्यों की सीमाएँ किस एक देश के साथ मिलती हैं?
(A) चीन
(B) भूटान
(C) नेपाल
(D) म्यांमार
उत्तर:
(C) नेपाल

5. क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन-सा है?
(A) मध्य प्रदेश
(B) उत्तर प्रदेश
(C) आंध्र प्रदेश
(D) राजस्थान
उत्तर:
(D) राजस्थान

6. गर्मियों की छुट्टियों में यदि आप सिलवासा आए हुए हैं तो आप कहाँ पर अवस्थित हैं?
(A) बंगाल की खाड़ी के किसी द्वीप पर
(B) अरब सागर के किसी द्वीप पर
(C) गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर
(D) तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सीमा पर
उत्तर:
(C) गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर

7. कर्क रेखा किस एक राज्य से नहीं गुज़रती?
(A) गुजरात
(B) राजस्थान
(C) ओडिशा
(D) त्रिपुरा
उत्तर:
(C) ओडिशा

8. निम्नांकित में से कौन-सा भारतीय राज्य म्यांमार देश की सीमा पर स्थित नहीं है?
(A) त्रिपुरा
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) नागालैंड
(D) मणिपुर
उत्तर:
(A) त्रिपुरा

9. रेटक्लिफ रेखा भारत के साथ किस देश की सीमा निर्धारित करती है?
(A) चीन
(B) पाकिस्तान
(C) भूटान
(D) बांग्लादेश
उत्तर:
(B) पाकिस्तान

10. कर्क रेखा भारत के कितने राज्यों से होकर गुज़रती है?
(A) 5
(B) 6
(C) 8
(D) 7
उत्तर:
(C) 8

11. भारत की स्थलीय सीमा कितनी लंबी है?
(A) 15,200 कि०मी०
(B) 20,015 कि०मी०
(C) 17,500 कि०मी०
(D) 7,516 कि०मी०
उत्तर:
(A) 15,200 कि०मी०

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

12. किस देश की भारत के साथ सबसे लंबी स्थल सीमा है?
(A) चीन
(B) म्यांमार
(C) पाकिस्तान
(D) बांग्लादेश
उत्तर:
(D) बांग्लादेश

13. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन 82°30’E के संबंध में सही नहीं है?
(A) यह भारत की मानक देशांतर रेखा है
(B) इस रेखा का स्थानीय समय ग्रीनविच समय से 5.30 घंटे आगे है
(C) यह रेखा मिर्जापुर से गुज़रती है
(D) यह रेखा देश को दो बराबर भागों में बाँटती है
उत्तर:
(D) यह रेखा देश को दो बराबर भागों में बाँटती है

14. भारत के किस राज्य की तटरेखा सबसे लंबी है?
(A) गुजरात
(B) आंध्र प्रदेश
(C) तमिलनाडु
(D) कर्नाटक
उत्तर:
(A) गुजरात

15. संपूर्ण विश्व के क्षेत्रफल में भारत का हिस्सा है-
(A) 16%
(B) 2.4%
(C) 4.2%
(D) 1.6%
उत्तर:
(B) 2.4%

16. भारतीय तटरेखा की कुल लंबाई है
(A) 3,500 कि०मी०
(B) 7,516.6 कि०मी०
(C) 6,000 कि०मी०
(D) 9,500 कि०मी०
उत्तर:
(B) 7,516.6 कि०मी०

17. निम्नलिखित में से कौन-सा द्वीप मन्नार की खाड़ी में स्थित है?
(A) न्यूमूर
(B) एलिफेंटा
(C) लक्षद्वीप
(D) पांबन
उत्तर:
(D) पांबन

18. भारत का 30° का देशांतरीय विस्तार पृथ्वी की परिधि का कौन-सा भाग है?
(A) छठा
(B) बारहवाँ
(C) चौथा
(D) आठवाँ
उत्तर:
(B) बारहवाँ

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सर्वप्रथम ‘इंडिया’ शब्द का प्रयोग भारत के लिए किस भाषा में किया गया था?
उत्तर:
यूनानी।

प्रश्न 2.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
राजस्थान।

प्रश्न 3.
रेटक्लिफ रेखा भारत के साथ किस देश की सीमा निर्धारित करती है?
उत्तर:
पाकिस्तान की।

प्रश्न 4.
कर्क रेखा भारत के कितने राज्यों से होकर गुज़रती है?
उत्तर:
आठ।

प्रश्न 5.
भारत के किस राज्य की तटरेखा सबसे लंबी है?
उत्तर:
गुजरात की।

प्रश्न 6.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार के देशों में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
सातवाँ।

प्रश्न 7.
भारत के लगभग बीचों-बीच कौन-सी अक्षांश रेखा गुज़रती है?
उत्तर:
कर्क रेखा।

प्रश्न 8.
भारत के किस स्थान पर बंगाल की खाड़ी, अरब सागर तथा हिन्द महासागर मिलते हैं?
अथवा
भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम बिन्दु कौन-सा है?
उत्तर:
कन्याकुमारी।

प्रश्न 9.
‘संसार की छत’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
पामीर की गाँठ।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 10.
भारत और श्रीलंका को कौन-सी जल-सन्धि अलग करती है?
उत्तर:
पाक जल-सन्धि।

प्रश्न 11.
मिज़ोरम राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
आइज़ोल।

प्रश्न 12.
मणिपुर राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
इम्फाल।

प्रश्न 13.
नागालैण्ड राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
कोहिमा।

प्रश्न 14.
कर्नाटक राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
बंगलुरु।

प्रश्न 15.
भारतीय यात्री कैलाश और मानसरोवर किन दरों से होकर जाते हैं?
उत्तर:
माना तथा नीति दरों से।

प्रश्न 16.
सिक्किम राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
गंगटोक।

प्रश्न 17.
त्रिपुरा राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
अगरतला।

प्रश्न 18.
मेघालय राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
शिलांग।

प्रश्न 19.
कर्क रेखा भारत को किन दो जलवायु प्रदेशों में बाँटती है?
उत्तर:

  1. उष्ण कटिबन्धीय
  2. उपोष्ण कटिबन्धीय।

प्रश्न 20.
भारत का प्रामाणिक समय किस देशान्तर से लिया जाता है? कौन-सी देशान्तर रेखा भारत के लगभग बीच से गुज़रती है?
अथवा
उत्तर:
82\(\frac { 1 }{ 2 }\)° पूर्वी देशान्तर।

प्रश्न 21.
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
इटानगर।

प्रश्न 22.
भारत का सबसे छोटा केन्द्र-शासित प्रदेश कौन-सा है?
उत्तर:
लक्षद्वीप।

प्रश्न 23.
गुजरात राज्य की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर:
गाँधीनगर।

प्रश्न 24.
भारत में कुल कितने राज्य व केन्द्र-शासित प्रदेश हैं?
उत्तर:
28 राज्य व 8 केन्द्र-शासित प्रदेश।

प्रश्न 25.
भारत का क्षेत्रफल बताइए।
उत्तर:
32,87,263 वर्ग कि०मी०।

प्रश्न 26.
भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल/स्थलीय धरातल का कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
2.4 प्रतिशत।

प्रश्न 27.
भारत के किस राज्य में कर्क रेखा सर्वाधिक दूरी तय करती है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश से।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 28.
कर्क रेखा पर स्थित दो भारतीय नगरों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. गाँधीनगर
  2. जबलपुर।

प्रश्न 29.
82° पूर्वी देशान्तर पर स्थित प्रमुख नगर का नाम लिखें।
उत्तर:
इलाहाबाद।

प्रश्न 30.
तट पर स्थित भारत के केन्द्र-शासित प्रदेशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. दमन
  2. पुदुच्चेरी।

प्रश्न 31.
भारत के दक्षिण में स्थित दो पड़ोसी देशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. श्रीलंका
  2. मालदीव।

प्रश्न 32.
कौन-सा चैनल निकोबार द्वीप को अण्डमान द्वीप से अलग करता है?
उत्तर:
10° चैनल।

प्रश्न 33.
अण्डमान व निकोबार द्वीपों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
जलमग्न पहाड़ियों के शिखरों के कारण।

प्रश्न 34.
प्रायद्वीप भारत का दक्षिणतम बिंदु कौन-सा है?
उत्तर:
कन्याकुमारी।

प्रश्न 35.
भारत का मानक समय ग्रीनविच मानक समय से कितना आगे है?
उत्तर:
5 : 30 मिनट आगे।

प्रश्न 36.
भारत की मुख्य भूमि की तटरेखा कितनी है?
उत्तर:
6,100 कि०मी०।

प्रश्न 37.
भारत का सबसे बड़ा पठारी राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
मध्य प्रदेश।

प्रश्न 38.
भारत की प्रामाणिक मध्याह रेखा क्या कहलाती है?
उत्तर:
80°30′ पूर्वी देशांतर।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की मुख्य भूमि का अक्षांशीय तथा देशान्तरीय विस्तार बताइए।
उत्तर:
भारत की मुख्य भूमि 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तथा 68°7′ पूर्वी देशान्तर से 97°25′ पूर्वी देशान्तर तक है।

प्रश्न 2.
भारत के दक्षिणतम बिन्दु का नाम और अक्षांश बताइए।
उत्तर:
इन्दिरा प्वाइंट, 6°45′ उत्तरी अक्षांश (ग्रेट निकोबार द्वीप)।

प्रश्न 3.
भारत के उत्तरी छोर से दक्षिण छोर तक तथा पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक कितनी दूरी है?
अथवा
भारत की पूर्व से पश्चिम छोर के बीच की दूरी कितनी है?
उत्तर:
भारत उत्तर से दक्षिण तक 3,214 कि०मी० तथा पूर्व से पश्चिम तक 2,933 कि०मी० स्थित है। प्रश्न 4. भारत का कौन-सा स्थान व भाग इण्डोनेशिया के निकटतम है? उत्तर:स्थान-इन्दिरा प्वाइंट व भाग-ग्रेट निकोबार द्वीप।

प्रश्न 5.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कौन-कौन से भारतीय द्वीप स्थित है?
उत्तर:
क्रमशः लक्षद्वीप तथा अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह।

प्रश्न 6.
बांग्लादेश की सीमा से लगने वाले पाँच भारतीय राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. पश्चिम बंगाल
  2. असम
  3. मेघालय
  4. त्रिपुरा
  5. मिज़ोरम।

प्रश्न 7.
इन्दिरा कॉल कहाँ हैं? यहाँ कौन-कौन से देश मिलते हैं?
उत्तर:
भारत के उत्तर में पामीर की गाँठ के पास, भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तजाकिस्तान तथा चीन।

प्रश्न 8.
भारत के उन चार राज्यों के नाम बताओ जो न तो समुद्र को छूते हैं और न ही अन्तर्राष्ट्रीय सीमा को।
उत्तर:

  1. हरियाणा
  2. मध्य प्रदेश
  3. छत्तीसगढ़
  4. झारखण्ड।

प्रश्न 9.
पाकिस्तान की सीमा से लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. गुजरात
  2. राजस्थान
  3. पंजाब
  4. जम्मू और कश्मीर (अब जम्मू और कश्मीर केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है)।

प्रश्न 10.
भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित सात राज्यों के नाम बताएँ।
अथवा
भारत के किन राज्यों को ‘सेवन सिस्टर्स’ कहा जाता है?
उत्तर:

  1. अरुणाचल प्रदेश
  2. असम
  3. नागालैण्ड
  4. मणिपुर
  5. मिज़ोरम
  6. त्रिपुरा
  7. मेघालय।

प्रश्न 11.
रेटक्लिफ व मैकमोहन रेखाएँ भारत की किन देशों के साथ सीमाएँ निर्धारित करती हैं?
उत्तर:
रेटक्लिफ रेखा-एक कत्रिम रेखा है जो भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमा रेखा बनाती है। मैकमोहन रेखा-भारत व चीन के बीच प्राकृतिक अन्तर्राष्ट्रीय सीमा का कार्य करती है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 12.
भारत के पूर्व तथा पश्चिम में स्थित तीन-तीन देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
पश्चिम में पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा ईरान। पूर्व में बांग्लादेश, म्याँमार तथा थाइलैण्ड।

प्रश्न 13.
नेपाल की सीमा के साथ लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. उत्तर प्रदेश
  2. उत्तराखंड
  3. बिहार
  4. पश्चिम बंगाल
  5. सिक्किम।

प्रश्न 14.
भूटान की सीमा के साथ लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. सिक्किम
  2. पश्चिम बंगाल
  3. असम
  4. अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 15.
म्यांमार की सीमा के साथ लगने वाले भारतीय राज्यों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  1. अरुणाचल प्रदेश
  2. नागालैण्ड
  3. मणिपुर
  4. मिज़ोरम।

प्रश्न 16.
मैकमोहन रेखा किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूटान से पूर्व में भारत और चीन के बीच हिमालय की शिखर रेखा जो भारत-चीन-म्यांमार की त्रि-सन्धि तक विस्तृत है।

प्रश्न 17.
कर्क रेखा भारत के किन-किन राज्यों से होकर गुजरती है?
उत्तर:
कर्क रेखा गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों से होकर गुजरती है।

प्रश्न 18.
भारत का जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा और सबसे छोटा राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
सबसे बड़ा राज्य-उत्तर प्रदेश। सबसे छोटा राज्य-सिक्किम।

प्रश्न 19.
भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा और सबसे छोटा राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
सबसे बड़ा राज्य-राजस्थान। सबसे छोटा राज्य-गोवा।

प्रश्न 20.
ग्रीनविच तथा भारतीय मानक समय के बीच 5% घंटों के अंतर का कारण बताइए।
उत्तर:
इलाहाबाद के निकट 82°30′ पू० देशांतर के स्थानीय समय को संपूर्ण भारत का मानक समय माना गया है। एक से दूसरे देशांतर के बीच 4 मिनट का अंतर होता है। इस प्रकार 82°30′ x 4 = 51/2 घंटे 30 मिनट का अंतर आएगा। यही कारण है कि भारत का मानक समय ग्रीनविच मानक समय से 5 घंटे आगे है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“भारत भूगोल और इतिहास दोनों के सन्दर्भ में महान् है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की सभ्यता और संस्कृति 5,000 वर्षों से भी अधिक पुरानी है। अपनी बहु-आयामी विशिष्टता के कारण भारत आदि काल से ही विश्व के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहा है। भौगोलिक रूप से भी यह एक विस्तृत और विशाल देश है जो उत्तर में हिमालय की गगनचुम्बी श्रेणियों व दक्षिण में हिन्द महासागर के बीच फैला हुआ है। यह विश्व के सबसे बड़े महाद्वीप एशिया के दक्षिण मध्य में स्थित है।

प्रश्न 2.
भारत की धरातलीय विविधता का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत-भूमि विविध प्रकार की है। इसके उत्तर में काँप की मिट्टी से बना विशाल उपजाऊ मैदान है व जीवनदायिनी नदियों के स्रोत, हिमाच्छादित लम्बी पर्वतीय शृंखलाएँ हैं। भारत के उत्तर:पश्चिम में थार का विशाल मरुस्थल है व दक्षिण में प्रायद्वीपीय भाग है, जो ऊबड़-खाबड़ पठारों से बना है। भारत के पूर्व में पूर्वी घाट व पूर्वी तटीय मैदान हैं तथा पश्चिम में पश्चिमी घाट व पश्चिमी तटीय मैदान हैं। ये तटीय मैदान नारियल व लैगून झीलों के लिए प्रसिद्ध हैं। मुख्य भूमि का लगभग 6,100 कि०मी० लम्बा समुद्री तट भारत की स्थिति को व्यापकता प्रदान करता है।

प्रश्न 3.
कर्क रेखा भारत के मध्य से गुज़रती है, इसके क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
कर्क रेखा भारत के मध्य से गुज़रती है। इसके मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं-
1. दो विभिन्न जलवायु कटिबंध-कर्क रेखा के भारत के मध्य से गुज़रने के कारण देश दो जलवायु कटिबंधों में बँटा हुआ है। इसका उत्तरी भाग समशीतोष्ण कटिबंध में और दक्षिणी भाग उष्ण कटिबंध में स्थित है। यही कारण है कि इसका दक्षिणी भाग . उत्तरी भागों की अपेक्षा अधिक गर्म है।

2. दक्षिणी भारत में सूर्य की लंबवत् किरणें-उत्तरी भारत में किसी भी स्थान पर सूर्य की किरणें लंबवत् नहीं पड़तीं, जबकि दक्षिणी भारत के सभी स्थानों पर वर्ष में दो बार सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं।
भारत-स्थिति

प्रश्न 4.
क्या कारण है कि कन्याकुमारी में दिन और रात के समय में अंतर पता नहीं चलता, परंतु कश्मीर में ऐसा – नहीं है?
उत्तर:
कन्याकुमारी भारत के दक्षिण में स्थित होने के कारण भूमध्य रेखा के बहुत निकट है और कश्मीर भारत के उत्तर में के कारण भूमध्य रेखा से बहुत दूर पड़ता है। क्योंकि भूमध्य रेखा पर दिन और रात लगभग बराबर होते हैं, इसलिए, जो स्थान भूमध्य रेखा के निकट होंगे जैसे कि कन्याकुमारी है, वहाँ दिन और रात के समय का इतना अंतर नहीं होगा। जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा से दूर चलते जाएँगे, वैसे-वैसे दिन और रात के समय में भी अंतर बढ़ता जाएगा। इसी कारण कश्मीर में, जो भूमध्य रेखा से अपेक्षाकृत काफी दूर है, दिन और रात के समय में काफी अंतर पड़ जाएगा।

प्रश्न 5.
भारतीय उप-महाद्वीप से क्या अभिप्राय है? यह किन देशों से मिलकर बना है?
उत्तर:
भारतीय उप-महाद्वीप एशिया में स्थित होते हुए भी एक अलग भौगोलिक इकाई दिखाई देता है। इस उप-महाद्वीप में कई देश सम्मिलित हैं। इसके उत्तर:पश्चिम में पाकिस्तान, केंद्र में भारत, उत्तर में नेपाल, उत्तर:पूर्व में भूटान तथा पूर्व में बांग्लादेश हैं। भारत के दक्षिण में श्रीलंका और मालदीव हिंद महासागर में स्थित हैं। ये दोनों द्वीपीय राष्ट्र हैं। नेपाल में प्रजातंत्र तथा भूटान में राजतंत्र शासन है। शेष सभी देश गणतंत्र हैं।

प्रश्न 6.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग की दृष्टि से भारत की स्थिति बहुत ही महत्त्वपूर्ण है-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत की स्थिति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग के संदर्भ में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण भारत एक ओर से स्वेज़ नहर द्वारा यूरोप के देशों से जुड़ा हुआ है और दूसरी ओर से जापान आदि पूर्वी देशों व ऑस्ट्रेलिया से जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त भारत की स्थिति खाड़ी तथा अरब देशों के संदर्भ में भी बड़ी महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 7.
“भारत न तो भीमकाय है और न ही बौना।” इस कथन की व्याख्या कीजिए। क्षेत्रफल के आधार पर विश्व के देशों में भारत की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। क्षेत्रफल में भारत से बड़े छः देश क्रमशः रूस, चीन, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील तथा ऑस्ट्रेलिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत से पौने तीन गुना व रूस भारत से साढ़े पाँच गुना बड़ा है। भारत पाकिस्तान से चार गुना, फ्रांस से छह गुना, जर्मनी से नौ गुना व बांग्लादेश से 23 गुना बड़ा है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि “भारत का आकार न तो भीमकाय है और न ही बौना।”

प्रश्न 8.
उन दो भौतिक लक्षणों के नाम बताइए जिन्होंने भारत के एक विशिष्ट भौगोलिक स्वरूप के विकास में सहयोग दिया है।
उत्तर:
निम्नलिखित दो भौतिक लक्षणों ने भारत के विशिष्ट भौगोलिक स्वरूप के विकास में काफी सफल भूमिका निभाई है।
1. उत्तर में हिमालय पर्वत एक अटूट श्रृंखला के रूप में हज़ारों कि०मी० तक फैला हुआ है। विश्व का यह उच्चतम पर्वत भारत को मध्य एशिया से अलग किए हुए है। अपारगम्यता के कारण हिमालय को पार करना कठिन है। इस विशिष्टता ने भारत के जन समूह के एकीकरण की भूमिका निभाई।

2. हिन्द महासागर ने जहाँ देश को एक तरफ विलगता प्रदान की वहाँ उसने पूर्व व पश्चिम के सुदूर स्थित देशों को भारत के साथ जोड़ने का प्रयास किया। इस प्रकार जलीय विस्तार ने अलगाव को भी बढ़ावा दिया तथा सम्पर्कों द्वारा सभ्यता को भी उन्नत किया। इससे भारतीय सभ्यता में एक विशिष्ट एकरूपता विकसित हुई।

प्रश्न 9.
भारत का अक्षांशीय विस्तार बताइए। इसके प्रभाव को समझाइए।
उत्तर:
भारत लगभग 8°4′ उत्तरी अक्षांश तथा 37°6′ उत्तरी अक्षांश के मध्य स्थित है। भारत विषुवत् वृत्त के उत्तर में स्थित होने के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में आता है। प्रधान मध्याह्न रेखा के पूर्व में स्थित होने के कारण भारत की गणना पूर्वी गोलार्द्ध में होती है। वास्तव में भारत का विस्तार एशिया महाद्वीप के दक्षिणी मध्य प्रायद्वीप में है। अपनी इस स्थिति के कारण प्राचीनकाल में भारत ने पश्चिम में अरब देशों से तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं सुदूर-पूर्व के साथ सांस्कृतिक तथा अन्य प्रकार के संबंध स्थापित कर रखे थे।

प्रश्न 10.
मैकमोहन रेखा किसे कहते हैं? इसका क्या महत्त्व है? इसका निर्धारण कैसे हुआ है?
उत्तर:
भारत और चीन के मध्य सीमा-मान्य रेखा को मैकमोहन रेखा कहते हैं। यह हिमालय के साथ-साथ कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक मान्य है। इस रेखा के उत्तर में चीन के सिक्यांग और तिब्बत के पठार स्थित हैं। इसके उत्तर:पूर्व में म्यांमार, भारत तथा चीन आपस में मिलते हैं। यह सीमा-रेखा मुख्यतः प्राकृतिक है और ऐतिहासिक रूप से निर्धारित की हुई है। हिमालय पर्वत भारतीय उत्तरी सीमा पर एक प्रहरी के रूप में स्थित है। उच्च हिमालय के शिखर जल विभाजक के रूप में फैले हुए हैं जो भारत और चीन को अलग करते हुए सीमारेखा को प्राकृतिक रूप प्रदान करते हैं।

प्रश्न 11.
भारत के अधिक देशान्तरीय विस्तार की भौगोलिक विशेषता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है इसलिए पृथ्वी के पूर्वी भाग पश्चिमी भागों की अपेक्षा सूर्य के समक्ष पहले आते हैं। अरुणाचल प्रदेश सौराष्ट्र के पूर्व में है, इसलिए वहाँ सूर्योदय पहले होगा। सौराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में 30 देशान्तरों का अन्तर होने के कारण इनके स्थानीय समय में दो घण्टे का अन्तर होता है क्योंकि सूर्य के समक्ष पृथ्वी एक देशान्तर को 4 मिनट में पार करती है (30 x 4 = 120 मिनट)। अतः जब अरुणाचल प्रदेश में सूर्योदय हो चुका होता है तो सौराष्ट्र में रात बाकी होती है। समय के इस भ्रम को 82°30′ पूर्वी देशान्तर के स्थानीय समय को प्रामाणिक समय घोषित करके दूर किया जाता है।

प्रश्न 12.
भारत के कौन-से राज्य किस देश के साथ लगते हैं?
उत्तर:

देशसीमा पर अवस्थित भारतीय राज्य
1. पाकिस्तान1. गुजरात, 2. राजस्थान, 3. पंजाब।
2. चीन1. हिमाचल प्रदेश, 2. सिक्किम, 3. अरुणाचल प्रदेश, 4 उत्तराखंड।
3. नेपाल1. उत्तर प्रदेश, 2. उत्तराखंड, 3. बिहार, 4. पश्चिम बंगाल, 5. सिक्किम।
4. भूटान1. सिक्किम, 2. पश्चिम बंगाल, 3. असम, 4. अरुणाचल प्रदेश।
5. बांग्लादेश1. पश्चिम बंगाल, 2. असम, 3. मेघालय, 4. त्रिपुरा।
6. म्यांमार1. अरुणाचल प्रदेश, 2. नागालैण्ड, 3. मणिपुर, 4. मिज़ोरम।
नोट-वर्तमान में जम्मू कश्मीर केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है।

प्रश्न 13.
“हिन्द महासागर वास्तव में हिन्द का सागर है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के तट को स्पर्श करने वाले समुद्रों के विस्तार ने भारत के साथ निकटस्थ प्रदेशों के परस्पर सम्बन्ध की प्रकृति निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिन्द महासागर के शीर्ष पर स्थित होने के कारण, भारत यूरोप, अफ्रीका तथा पूर्वी एशिया के व्यापारिक मार्गों से जुड़ा है। प्राचीनकाल में इसी सागर की लहरों पर बेबीलोन, मिस्र तथा फोनेशिया की नौकाएँ यात्रा करती थीं।

अरबों का समुद्री व्यापार भी इसी सागर के माध्यम से होता था। भारतीय नौकाएँ लगभग 4,000 वर्षों तक दजला, फरात एवं नील नदी की घाटियों को अपना माल पहुँचाया करती थीं। स्वेज नहर के खुलने से भूमध्य सागर को हिन्द महासागर से जोड़ दिया गया है और इस प्रकार दक्षिणी यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका भी हिन्द महासागर के प्रभाव क्षेत्र में आ गए हैं।

हिन्द महासागर में भारत की स्थिति बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। हमारे देश के अतिरिक्त संसार के किसी भी अन्य देश की इतनी लम्बी तट-रेखा इस समुद्र के साथ नहीं है। भारत का दक्कन प्रायद्वीप हिन्द महासागर की ओर इस प्रकार प्रक्षेपित है कि इस देश के लिए अपने पश्चिमी तट से पश्चिमी एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप तथा पूर्वी तट से दक्षिणी-पूर्वी एशिया तथा सुदूर पूर्व की ओर एक साथ देखना सम्भव है।

प्रश्न 14.
सूर्योदय अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में गुजरात के पश्चिमी भाग की अपेक्षा 2 घंटे पहले क्यों होता है, जबकि दोनों राज्यों में घड़ी एक ही समय दर्शाती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अरुणाचल प्रदेश 97° 25′ पूर्वी देशांतर पर स्थित है, जबकि भारत के सबसे पश्चिमी छोर जोकि गुजरात में है। वह 68° 7′ पूर्वी देशांतर पर स्थित है। अतः अरुणाचल प्रदेश और गुजरात के देशांतरों में (97° 25′- 68°7′ = 29° 18′) लगभग 30° का अंतर है और देशांतर में 1° का अंतर होने से 4 मिनट के समय का अंतर आ जाता है। इसलिए गुजरात और अरुणाचल प्रदेश में भी सूर्योदय के समय में 30 x 4 = 120 मिनट अर्थात 2 घंटे का अंतर है। लेकिन पूरे भारत वर्ष में एक ही भारतीय मानक समय स्वीकार किया गया है।

प्रश्न 15.
“भारत को हिन्द महासागर में सर्वाधिक केन्द्रीय स्थिति प्राप्त है।” यह कथन कहाँ तक उचित है?
उत्तर:
हिन्द महासागर का विस्तार 40° पूर्व से 120° पूर्व देशान्तर तक है। भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम सिरा (केरल और तमिलनाडु) लगभग 76° से 80° पूर्वी देशान्तर के बीच स्थित है। इस प्रकार भारत को हिन्द महासागर में केन्द्रीय स्थिति प्राप्त है। भारतीय प्रायद्वीप अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है। हिन्द महासागर में किसी भी देश की तट-रेखा भारतीय तट-रेखा जितनी लम्बी नहीं है। भारत पूर्व और पश्चिम दोनों दिशाओं में स्थित देशों के मध्य में स्थित है। इसी केन्द्रीय स्थिति के कारण ही हिन्द महासागर वास्तव में ‘हिन्द का महासागर’ है।

प्रश्न 16.
भारत के पड़ोसी देशों के बीच सीमा विस्तार को सूचीबद्ध करें।
उत्तर:

  • भारत-बांग्लादेश सीमा – 4,096 कि०मी०
  • भारत-चीन सीमा – 3,439 कि०मी०
  • भारत-नेपाल सीमा – 1,761 कि०मी०
  • भारत-पाक सीमा – 3,310 कि०मी०
  • भारत-म्यांमार सीमा – 1,643 कि०मी०
  • भारत-भूटान सीमा – 587 कि०मी०
  • भारत-अफगानिस्तान सीमा – 106 कि०मी०

प्रश्न 17.
भारत के लिए हमें एक मानक मध्याहून रेखा की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
विशाल देशांतरीय विस्तार के कारण भारत के पूर्वी तथा पश्चिमी सुदूर बिंदुओं के स्थानीय समय में दो घंटों का अंतर है। उदाहरण के लिए जब अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में सूर्योदय होता है, तो उस समय गुजरात के पश्चिमी भाग में रात रहती है। इसका तात्पर्य यह है कि हर स्थान का अपना अलग-अलग स्थानीय समय होता है। किंतु हम इस स्थानीय समय को, जो भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है, स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसा करने से परेशानी पैदा होगी तथा चारों ओर अव्यवस्था फैल जाएगी और दुर्घटनाएँ होंगी। इन सभी परिस्थितियों से बचने के लिए सारे देश के लिए एक सामान्य समय स्वीकार कर लिया जाता है, जो उस देश का मानक समय (Standard Time) कहलाता है।

हमारे देश में 82°30′ पूर्वी देशांतर को मानक रेखा स्वीकार किया गया है। इलाहाबाद के निकट से गजरने वाली इस मध्याहन रेखा का समय ही भारत का मानक समय (I.S.T.) है, जो ग्रीनविच समय से 5 1/2 घंटे आगे है। हमने 82°30′ पूर्वी देशांतर को भारत की प्रधान मध्याहून रेखा इसलिए स्वीकार किया है, क्योंकि यह रेखा भारत के लगभग बीचो-बीच से होकर गुज़रती है। भारतीय मानक समय के कारण सारे देश में समय की एकरूपता प्राप्त की जा सकी है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के आकार, स्थिति तथा विस्तार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आकार और स्थिति क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व का सातवाँ तथा जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरा बड़ा देश है। भारत की मुख्य भूमि 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 68°7′ पूर्वी देशान्तर से 97°25′ पूर्वी देशान्तर तक विस्तृत है। बंगाल की खाड़ी में स्थित मुख्य भूमि से दूर अण्डमान व निकोबार द्वीप-समूह का दक्षिणतम बिन्दु इन्दिरा प्वाइण्ट (Indira Point), जिसे पहले पिग्मेलियन प्वाइण्ट कहा जाता था, 6°45′ उत्तरी अक्षांश पर स्थित है।

उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कन्याकुमारी तक भारत की लम्बाई 3,214 कि०मी० है। भारत का अक्षांशीय विस्तार लगभग 30° है जो भू-मध्य रेखा और उत्तरी ध्रुव के बीच कोणीय दूरी का एक तिहाई है। कच्छ के रन से अरुणाचल प्रदेश तक पूर्व-पश्चिम दिशा में भारत की चौड़ाई 2,933 कि०मी० है। भारत का देशान्तरीय विस्तार लगभग 30° है जो पृथ्वी की परिधि का बारहवाँ भाग है। यह देशान्तरीय विस्तार स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड्स, जर्मनी व पोलैण्ड के सम्मिलित देशान्तरीय विस्तार के समान है। कर्क रेखा (Tropic of Cancer) हमारे देश के लगभग मध्य से गुजरती है।

विस्तार-भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि० मी० है जो विश्व के क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। क्षेत्रफल में भारत से बड़े छः देश क्रमशः रूस (170.75 लाख वर्ग कि०मी०), चीन (95.97 लाख वर्ग कि० मी०), कनाडा (92.15 लाख वर्ग कि० मी०), संयुक्त राज्य अमेरिका (90.72 लाख वर्ग कि०मी०), ब्राजील (85.12 लाख वर्ग कि० मी०) तथा ऑस्ट्रेलिया (76.82 लाख वर्ग कि०मी०) है। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत से पौने तीन गुना व रूस भारत से साढ़े पाँच गुना बड़ा है। भारत पाकिस्तान से चार गुना, फ्रांस से छः गुना, जर्मनी से नौ गुना व बांग्लादेश से 23 गुना बड़ा है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि “भारत का आकार न तो भीमकाय है और न ही बौना।”

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 2.
भारत की भौगोलिक स्थिति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। अथवा भारत की भौगोलिक स्थिति का क्या महत्त्व है? वर्णन करें।
उत्तर:
भारत की भौगोलिक स्थिति की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. केन्द्रीय स्थिति-भारत की मुख्य भूमि 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 68°7′ पूर्वी देशान्तर से 97°25′ पूर्वी देशान्तर तक विस्तृत है। इस प्रकार भारत उत्तरी गोलार्द्ध में होने के साथ-साथ पूर्वी गोलार्द्ध के बीचो-बीच स्थित है। परिणामस्वरूप भारत एक ओर यूरोप से व दूसरी ओर उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट से लगभग बराबर दूरी पर स्थित है।

2. अन्तर्राष्ट्रीय महामार्गों पर स्थित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दृष्टि से भी भारत की स्थिति अत्यन्त लाभदायक है। अनेक समुद्री व्यापारिक महामार्ग एवं वायुमार्ग भारत से होकर जाते हैं।

3. कर्क रेखा का देश के बीच से गुज़रना-देश के दक्षिणी सिरे से भूमध्य रेखा की निकटता तथा कर्क रेखा (23%° उ०) का देश के बीच से गुज़रना भारत के लिए सारा साल उष्ण व उपोष्ण प्रकार की जलवायुवी दशाएँ पैदा करते हैं। इन दशाओं में पूरे वर्ष खेती की जा सकती है। अपनी इसी स्थिति के कारण ही भारत आज एक कृषि प्रधान देश बना हुआ है।

4. लम्बी तट रेखा भारत की मुख्य भूमि की तट-रेखा 6,100 कि०मी० तथा द्वीपों सहित देश की तट-रेखा 7,516 कि०मी० लम्बी है। समुद्र के इस लम्बे विस्तार ने निकटस्थ प्रदेशों के परस्पर सम्बन्धों की प्रकृति निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लम्बी तट-रेखा के कारण भारत को अनेक बन्दरगाहों की सुविधा उपलब्ध है जिससे हमारे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बल मिलता है।

5. देश की सुरक्षा-उत्तर में हिमालय पर्वत तथा दक्षिण में हिन्द महासागर ने प्राकृतिक सीमा बनकर युगों से देश की बाहरी तत्त्वों से सुरक्षा की है।

6. मानसूनी जलवायु-हिन्द महासागर के सिरे पर भारत की स्थिति के कारण ही भारत को ग्रीष्म ऋतु में मानसूनी वर्षा प्राप्त होती है जो इस देश के करोड़ों लोगों की आजीविका के साधन-कृषि का आधार है।

इस प्रकार भारत की भौगोलिक स्थिति ने भारत में आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास में अनेक प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 3.
भारत को किन आधारों पर एक उप-महाद्वीप का दर्जा दिया गया है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एक उप-महाद्वीप विशाल भौगोलिक इकाई होती है जो शेष महाद्वीप से भिन्न पहचान रखती है। यूरोपीय विद्वान् डॉ० क्रेसी ने भारत के विस्तार इसकी भौतिक, मानवीय व सांस्कृतिक विभिन्नताओं, विशाल जनसंख्या, हिमालय की लम्बी एवं बर्फीली श्रेणियों द्वारा स्थापित किया गया पृथक्, अस्तित्व, अनेक प्रकार की जलवायु के कारण इसे उप-महाद्वीप की संज्ञा दी है। .. इन आधारों की व्याख्या इस प्रकार है-
1. बड़ा क्षेत्रफल-भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि०मी० है जो विश्व के क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में सातवें स्थान पर है। रूस भारत में साढ़े पाँच गुना बड़ा है जबकि भारत पाकिस्तान से चार गुना, फ्रांस से छः गुना, जर्मनी से नौ गुना व बांग्लादेश से 23 गुना बड़ा है।

2. धरातलीय विभिन्नता-भारत-भूमि विविध प्रकार की है। इसके उत्तर में विशाल उपजाऊ मैदान व जीवनदायिनी नदियों के स्रोत हिमाच्छादित लम्बी पर्वत शृंखलाएँ हैं। भारत के उत्तर-पश्चिम में थार का मरुस्थल तथा दक्षिण में ऊबड़-खाबड़ पठारों से बना विशाल प्रायद्वीपीय भाग है। भारत के लम्बे और विस्तृत तट एवं घाट तथा नदियाँ और झीलें इसकी भौगोलिक विविधता को और अधिक प्रखर करती हैं।

3. विशाल जनसंख्या और उसकी विविधता-लगभग 121.01 करोड़ जनसंख्या (2011) के साथ भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत की जनसंख्या की नृ-जातीय तथा सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं में भी पर्याप्त विविधता पाई जाती है। अनेक जाति-वर्ग, भाषायी व धार्मिक समूह इस देश की विशालता और विविधता को उजागर करते हैं।

4. जलवायु की विविधता-भारत में दुनिया की हर प्रकार की जलवायु पाई जाती है। जलवायु की यह विविधता प्रादेशिक स्तर पर तापमान, वायुदाब, वर्षा की मात्रा, शुष्कता और आर्द्रता में भिन्नता के रूप में देखी जा सकती है। ब्लैंफोर्ड ने सत्य कहा था कि “हम भारत की जलवायुओं के बारे में कह सकते हैं, जलवायु के विषय में नहीं क्योंकि स्वयं विश्व में जलवायु की इतनी विषमताएँ नहीं मिलती जितनी अकेले भारत में।”

5. प्राकृतिक सीमाएँ-भारत उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में हिन्द महासागर के बीच फैला हुआ है। हिमालय भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल व भूटान को भी शेष एशिया से अलग करके उन्हें एक अनूठी भौगोलिक विशिष्टता प्रदान करता है। समुद्री मार्गों के कारण भारत ने अन्य देशों के सामाजिक-सांस्कृतिक गुणों को आत्मसात् किया। इन समुद्रों से अलगाव ही बनाए रखा जिससे भारत अपनी भौगोलिक विशिष्टता को बचाए रख सका।

6. परिबद्ध चरित्र-भारत चारों ओर से विशाल तथा कई मध्यम पर्वतों द्वारा घिरा हुआ है। इन पर्वतों ने हज़ारों कि०मी० की दूरी तक अखण्ड रूप से घेर कर भारत को परिबद्ध (Enclosed) चरित्र प्रदान किया है। इस पर्वतीय धेरे ने भारत को एशिया के अन्य भागों से व्यावहारिक रूप से अलग कर दिया है।

7. प्रचुर एवं विविध प्राकृतिक संसाधन-भू-गर्भिक, धरातलीय एवं जलवायविक विविधता ने भारत को नाना प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न किया है। यहाँ के खनिजों, मृदा, जल, वनस्पति, जीव-जन्तुओं की विविधता के साथ-साथ मानवीय संसाधनों ने देश के आर्थिक विकास के आधार को मज़बूत किया है। संसाधनों की इतनी अधिक विविधता एवं सम्पन्नता अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती।

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर प्रमाणित होता है कि भारत सही अर्थों में एक उप-महाद्वीप की हैसियत रखता है। इस उप-महाद्वीप में भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका देश भी शामिल हैं।

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निबंधात्मक उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव प्राणियों की उत्पत्ति के संबंध में आप क्या जानते हैं?
अथवा
मानव प्राणियों की उत्पत्ति के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
मानव प्राणियों की उत्पत्ति कब और कैसे हुई यह एक लंबी एवं जटिल कहानी है। इस संबंध में अनेक उत्तर अभी भी खोजे जाने वाले बाकी हैं। नवीनतम खोजों के आधार पर मानव विकास के अनेक घटनाक्रमों को परिवर्तित करना पड़ा है। मानव विकास अनेक चरणों में हुआ है। निम्नलिखित चरण मानव के विकास पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालते हैं

1. प्राइमेट:
प्राइमेट स्तनपायी (mammals) प्राणियों के एक विशाल समूह के अधीन एक उपसमूह (subgroup) है। इस उपसमूह में बंदर (monkeys), पूँछहीन बंदर (apes) एवं मानव (humans) सम्मिलित थे। उनके जिस्म पर बाल होते थे। उनका बच्चा जन्म लेने से पहले अपेक्षाकृत काफी समय तक माता के गर्भ में पलता था। उनकी माताओं के बच्चों को दूध पिलाने के लिए स्तन होते थे। इन प्राइमेट प्राणियों के दाँत विभिन्न प्रकार के होते थे। ऐसे प्राणी 360 से 240 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका एवं एशिया में पाए जाते थे।

2. होमिनॉइड:
होमिनॉइड समूह 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया था। यह प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह था। इसमें पूँछहीन बंदर सम्मिलित थे। इनका मस्तिष्क छोटा होता था। अतः उनमें सोचने की शक्ति कम थी। उनके चार पैर थे। वे चलते समय चारों पैरों का प्रयोग करते थे। उनके शरीर का अगला हिस्सा और दोनों पैर लचकदार होते थे। वे सीधे खड़े होकर चल नहीं सकते थे। होमिनॉइड बंदरों से कई प्रकार से भिन्न होते थे। उनका शरीर बंदरों से बड़ा होता था। उनकी पूँछ भी नहीं होती थी। उनके बच्चों का विकास धीरे-धीरे होता था।

3. होमिनिड:
होमिनिड 56 लाख वर्ष पूर्व होमिनॉइड उपसमूह से विकसित हुए। इनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें लेतोली (Laetoli) तंजानिया से एवं हादार (Hadar) इथियोपिया से प्राप्त हुए हैं। दो प्रकार के साक्ष्यों से पता चलता है कि होमिनिडों का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। प्रथम, अफ्रीकी वानरों के समूह का होमिनिडों के साथ बहुत गहरा संबंध है। दूसरा, होमिनिडों के सबसे प्राचीन जीवाश्म (fossils) पूर्वी अफ्रीका में पाए गए हैं।

ये 56 लाख वर्ष पुराने हैं। अफ्रीका से बाहर जो जीवाश्म पाए गए हैं वे 18 लाख वर्ष से पुराने नहीं हैं। होमिनिड, होमिनिडेइ (Hominidae) नामक परिवार के साथ संबंधित हैं। इस परिवार में सभी रूपों के मानव प्राणी (human beings) सम्मिलित हैं। इस समूह की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-

    • इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा होता था।
    • वे सीधे खड़े हो सकते थे।
    • वे दो पैरों के बल चल सकते थे।
    • उनके हाथ विशेष प्रकार के होते थे।

वे इन हाथों की सहायता से औज़ार (tools) बना सकते थे और उनका प्रयोग कर सकते थे। होमिनिड आगे अनेक शाखाओं में विभाजित थे। इन्हें जीनस (genus) कहा जाता है। इन शाखाओं में आस्ट्रेलोपिथिकस और होमो सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है …

(क) आस्ट्रेलोपिथिकस:
आस्ट्रेलोपिथिकस के जीवाश्म 56 लाख वर्ष पुराने थे। जीवाश्म हमें तंजानिया के ओल्डवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त हए हैं। होमो की तुलना में उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था। उनके जबड़े अधिक भारी थे एवं दाँत भी ज्यादा. बड़े होते थे। आस्ट्रेलोपिथिकस बंदरों की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे दो पैरों पर खड़े हो सकते थे।

उनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी। इसका कारण यह था कि वे अभी अपना काफ़ी समय पेड़ों पर गुजारते थे। वे अपनी सुरक्षा के लिए औज़ारों का निर्माण करने लगे थे।

(ख) होमो :
होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। होमो लातीनी भाषा का एक शब्द है। इसका भाव है आदमी। इसमें पुरुष एवं स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित थे। आस्ट्रेलोपिथिकस की तुलना में होमो का मस्तिष्क बड़ा था, जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे एवं दाँत छोटे थे। वैज्ञानिकों ने होमो को निम्नलिखित तीन प्रमुख प्रजातियों में उनकी विशेषताओं के आधार पर बाँटा है–

1) होमो हैबिलिस :
होमो हैबिलिस औजार बनाने वाले के नाम से जाने जाते हैं । उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे अपने हाथों का दक्षतापूर्वक प्रयोग कर सकते थे। वे प्रथम होमिनिड थे जिन्होंने पत्थर के औजार बनाए।

2) होमो एरेक्टस :
होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औजारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।

3) होमो सैपियंस :
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष पूर्व से 1.60 लाख वर्ष के दौरान हुआ। आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं, जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। उस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था।

अत: वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हए उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 1

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 2.
होमो से आपका क्या अभिप्राय है? होमो हैबिलिस, होमो एरेक्टस तथा होमो सैपियंस के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
होमो से अभिप्राय (Meaning of Homo) होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। होमो लातीनी (Latin) भाषा का एक शब्द है। इसका भाव है आदमी। इसमें पुरुष एवं स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित थे। आस्ट्रेलोपिथिकस की तुलना में होमो का मस्तिष्क बड़ा था, जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे एवं दाँत छोटे थे। वैज्ञानिकों ने होमो को अनेक प्रजातियों (species) में उनकी विशेषताओं के आधार पर बाँटा है। इनमें से प्रमुख प्रजातियों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. होमो हैबिलिस :
होमो हैबिलिस औज़ार बनाने वाले (the tool makers) के नाम से जाने जाते हैं। उनके प्राचीनतम जीवाश्म 22 लाख वर्ष पूर्व से 18 लाख वर्ष पूर्व तक हैं। ये जीवाश्म हमें इथियोपिया में ओमो (Omo) एवं तंज़ानिया में ओल्डुवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त हुए हैं। उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे अपने हाथों का दक्षता पूर्वक प्रयोग कर सकते थे।

वे प्रथम होमिनिड थे जिन्होंने पत्थर के औज़ार बनाए। ये औज़ार उनके लिए शिकार के लिए बहुत उपयोगी प्रमाणित हुए। शिकार करते समय उन्हें आपसी सहयोग की आवश्यकता होती थी। इससे भाषा का विकास संभव हुआ। प्रसिद्ध इतिहासकार एडवर्ड मैक्नल बर्नस के अनुसार, “होमो हैबिलिस को स्पष्ट रूप से मानव जाति का मुखिया कहना उचित है।”

2. होमो एरेक्टस:
होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खडे होकर पैरों के बल चलना जानते थे। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। होमो एरेक्टस के प्राचीनतम जीवाश्म 18 लाख वर्ष पूर्व के हैं। ये जीवाश्म हमें अफ्रीका एवं एशिया दोनों महाद्वीपों से प्राप्त हुए हैं। इसके प्रसिद्ध केंद्र कूबी फ़ोरा (Koobi Fora), पश्चिमी तुर्काना (West Turkana), केन्या (Kenya), मोड़ जोकर्तो (Mod Jokerto), संगीरन (Sangiran) एवं जावा (Java) थे। अफ्रीका में पाए गए जीवाश्म एशिया में पाए गए जीवाश्मों की तुलना में अधिक प्राचीनकाल के हैं।

अत: संभव है कि होमो एरेक्टस पूर्वी अफ्रीका से चल कर दक्षिणी एवं उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी एवं पूर्वोत्तर एशिया एवं संभवतः यूरोप में गए। होमो एरेक्टस का मस्तिष्क होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक बड़ा था। अत: वे अधिक समझदार थे। उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औज़ारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था।

उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। आग के संबंध में हमें प्रथम साक्ष्य केन्या के चेसोवांजा (Chesowanja) से प्राप्त हुआ है। निस्संदेह होमो एरेक्टस मानव विकास की कड़ी में एक मील पत्थर सिद्ध हुए। उनका लोप 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ।

3. होमो सैपियंस :
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव (the wise man)। मानव (modern humans) के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष से 1.60 लाख वर्ष पूर्व के दौरान हुआ। इस मानव के प्राचीनतम साक्ष्य हमें अफ्रीका के विभिन्न भागों में मिले हैं। इनमें इथियोपिया का ओमो किबिश (Omo Kibish), दक्षिण अफ्रीका के बॉर्डर गुफ़ा (Border Cave), डाई केल्डर्स (Die Kelders) एवं कलासीज नदी का मुहाना (Klasies River Mouth) एवं मोरक्को का दार-एस सोल्तन (Dar-es-Solton) बहुत प्रसिद्ध हैं। इससे प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि आधुनिक मानव का उद्भव कहाँ हुआ? इस प्रश्न पर विद्वानों में दो मत प्रचलित हैं। कुछ विद्वान् प्रतिस्थापन मॉडल (replacement model) का समर्थन करते हैं।

उनके अनुसार आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक (anatomical) एवं जननिक (genetic) समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे अन्य स्थानों को गए।

दूसरी ओर कुछ अन्य विद्वान् क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल (regional continuity model) का समर्थन करते हैं। उनके विचारानुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ। इस अंतर को स्पष्टतः आज भी देखा जा सकता है।
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आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। इस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था। अतः वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी। इससे उसे भोजन की तलाश में भटकना नहीं पड़ा। उसने अब खाना पकाने की विधि की जानकारी प्राप्त कर ली थी।

उसने अब किसी प्राकृतिक संकट के समय भोजन का भंडारण (store) करना सीख लिया था। उसके हथियार बहुत उत्तम थे। उसने अनेक नए हथियारों का निर्माण भी कर लिया था। इससे वह जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा अधिक अच्छे ढंग से कर सका। उसने सूई का आविष्कार कर लिया था। अतः उसने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे। उसने कला एवं भाषा के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति कर ली थी। निस्संदेह आधुनिक मानव की उपलब्धियाँ महान् थीं। प्रसिद्ध इतिहासकार पी० एस० फ्राई का यह कहना ठीक है कि, “नए मानव की ये उपलब्धियाँ स्पष्ट करती हैं कि वह अपने पूर्वजों में सर्वश्रेष्ठ था।”

(क) होमो हाइडलवर्गेसिस :
उन्हें हाइडलबर्ग मानव के नाम से भी जाना जाता है। उनका यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि उनके प्राचीनतम जीवाश्म जर्मनी के शहर हाइडलबर्ग से प्राप्त हुए हैं। ये जीवाश्म यूरोप, एशिया एवं अफ्रीका में पाए गए हैं। हाइडलबर्ग मानव का मस्तिष्क काफ़ी बड़ा था। उसके अंग तथा हाथ बहुत भारी भरकम थे। उसके जबड़े बहुत भारी थे। उसके शरीर पर काफी बाल थे। वह संभवतः बोल सकता था किंतु भाषा का विकास नहीं कर पाया था। वे गुफ़ाओं में निवास करते थे।
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(ख) होमो निअंडरथलैंसिस:
उन्हें निअंडरथल मानव के नाम से भी जाना जाता है। उनका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उनके प्राचीनतम जीवाश्म जर्मनी की निअंडर घाटी से प्राप्त हुए हैं। उनके जीवाश्म हमें यूरोप एवं पश्चिमी तथा मध्य एशिया के अनेक देशों से प्राप्त हुए हैं। यह मानव कद में छोटा था। उसका सिर बड़ा था। उसकी नाक चौड़ी थी। उसके कंधे चौड़े थे।

उसका मस्तिष्क कोष काफी बड़ा किंतु निम्नकोटि का था। वह गुफ़ाओं में रहता था। उसे अग्नि की जानकारी थी। उसके प्रमुख भोजन जंगली फल एवं शिकार थे। वे अपने शवों को बहत सम्मान के साथ दफनाते थे।

प्रश्न 3.
प्रारंभिक समाज में मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीके क्या थे?
अथवा
आदिकालीन मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिकालीन मानव अनेक तरीकों से अपना भोजन जुटाते थे। इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण तरीके निम्नलिखित थे

1. संग्रहण :
आदिकालीन मानव पूर्ण रूप से प्रकृति जीवी थे। वे कृषि से अपरिचित थे। इसके अतिरिक्त वे पशुपालन भी नहीं करते थे। अतः आरंभ में आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वे पेड-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों जैसे-बीज, गुठलियाँ (nuts), फल एवं कंदमूल (tubers) एकत्र करते थे। संग्रहण के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।

इस संबंध में हमें प्रत्यक्ष प्रमाण बहुत कम मिले हैं। इसका कारण यह है कि हमें हड्डियों के जीवाश्म (fossil bones) तो काफी संख्या में प्राप्त हुए हैं जबकि पौधों के जीवाश्म (fossilised plant remains) बहुत कम प्राप्त हुए हैं। संग्रहण द्वारा भोजन जुटाने का मुख्य कार्य स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था। पुरुष मुख्य रूप से शिकार के लिए बाहर जाते थे।

2. अपमार्जन:
 (आदिकालीन मानव अपमार्जन द्वारा अथवा रसदखोरी द्वारा भी अपना भोजन जुटाता था। अपमार्जन (scavenging) से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। रसदखोरी (foraging) से अभिप्राय भोजन की तलाश करना है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस (meat) एवं मज्जा (marrow) प्राप्त करते थे। इनके अतिरिक्त वे छोटे-छोटे पक्षियों एवं उनके अंडों, सरीसृपों (reptiles), चूहों एवं अनेक प्रकार के कीड़े-मकोड़ों (insects) को खाते थे।

3. शिकार:
शिकार द्वारा भोजन प्राप्त करना आदिकालीन मानव का एक प्रमुख स्रोत रहा है। शिकार प्रमुख तौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता था। वे शिकार का पीछा करते हुए अपने निवास स्थान से काफी दूर तक निकल जाते थे। वे छोटे-मोटे पशुओं का शिकार स्वयं कर लेते थे। वे बड़े पशुओं का शिकार सम्मिलित रूप से करते थे। इसका कारण यह था कि बड़े पशुओं का अकेले शिकार करने में उनके स्वयं के मारे जाने की संभावना अधिक रहती थी।

वे जंगली घोड़ों, जंगली भैंसों जिन्हें बाइसन कहा जाता था, गैंडों, रीछों एवं विशालकाय जानवरों जिन्हें मैमथ कहा जाता था का शिकार करते थे। वे शिकार के लिए भालों एवं पत्थरों का प्रयोग करते थे। बाद में आदिमानव ने शिकार के लिए कुत्तों का सहयोग लेना आरंभ कर दिया था।

योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों का शिकार एवं उनका वध करने की सबसे पुरानी उदाहरण हमें दो स्थलों है। दूसरी उदाहरण 4 लाख वर्ष पूर्व की है। यह जर्मनी में शोनिंजन (Schoningen) से संबंधित है। लगभग 35 हजार वर्ष पूर्व आदिमानव द्वारा योजनाबद्ध ढंग से शिकार करने के कुछ साक्ष्य हमें कुछ यूरोपीय खोज स्थलों से प्राप्त हुए हैं। ऐसा ही एक स्थल चेक गणराज्य में नदी के पास स्थित दोलनी वेस्तोनाइस (Dolni Vestonice) था।

इस स्थान को बहुत सोच-समझकर चुना गया था। यहाँ अनेक जानवर पानी पीने के लिए आते थे। इसके अतिरिक्त घोड़े एवं रेडियर आदि जानवरों के झुंड पतझड़ एवं वसंत के मौसम में नदी के उस पार जाते थे। इस अवसर पर इन जानवरों का बड़े पैमाने पर शिकार किया जाता था। इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि उस समय के लोगों को जानवरों की आवाजाही की पूर्ण जानकारी होती थी।

आदिमानव द्वारा जिन जानवरों का शिकार करना होता था उन्हें घेरे में ले लेते थे। जब कोई विशालकाय पशु बीमार अथवा घायल अवस्था में मिल जाता था तो उसे पानी अथवा बर्फ में फंसा कर सुगमता से मार डालते थे। यदि जिस जानवर का शिकार किया गया हो वह छोटा हो तो उसे गुफ़ा में लाकर खाया जाता था। दूसरी ओर यदि वह जानवर विशालकाय हो तो उसके धड़ को वहीं खा लिया जाता था जबकि शेष भाग को काट कर गुफ़ा में लाया जाता था।

इसका अनुमान इस बात से लगाया जाता है कि हमें मृत पशुओं के लघु अंगों की हड्डियाँ गुफ़ाओं से प्रचुर मात्रा में मिली हैं जबकि उनकी रीढ़ की हड्डियाँ एवं पसलियाँ कम प्राप्त हुई हैं। आदिकालीन मानव मारे गए पशुओं की खाल को साफ करके धूप में सुखा लेता था तथा उससे पहनने एवं बिछाने का काम लेता था।

4. मछली पकड़ना (Fishing) मछली पकड़ना भी आदिकालीन मानव का भोजन जुटाने का एक महत्त्वपूर्ण ढंग था। वे नदियों एवं तालाबों से हाथ द्वारा ही मछली पकड़ लिया करते थे। इसके अतिरिक्त वे छोटी मछली पकड़ने के लिए काँटे का एवं बड़ी मछली पकड़ने के लिए हार्पून का प्रयोग भी करते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 4.
आदिमानव के निवास स्थान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिमानव कहाँ निवास करता था? वह पेड़ों से गुफ़ाओं तक तथा फिर खुले स्थलों पर कैसे पहुँचा? इस संबंध में हम साक्ष्यों के आधार पर पुनर्निर्माण करने का प्रयास करेंगे। इसका एक ढंग यह है कि उनके द्वारा निर्मित शिल्पकृतियों के फैलाव की जाँच करना (plotting the distribution of artefacts)। शिल्पकृतियाँ मानव निर्मित वस्तुएँ होती हैं।

इसमें अनेक प्रकार की वस्तुएँ सम्मिलित हैं जैसे-औजार, चित्रकारियाँ, मूर्तियाँ, उत्कीर्ण चित्र आदि। उदाहरण के तौर पर हमें केन्या में किलोंबे (Kilombe) तथा ओलोर्जेसाइली (Olorgesailie) नामक स्थलों से बड़ी संख्या में शल्क उपकरण (flake tools) एवं हस्त कुठार (hand axes) मिले हैं।

ये वस्तुएँ 7 लाख वर्ष पूर्व से 5 लाख वर्ष पूर्व पुरानी हैं। इतने सारे औज़ार एक स्थान पर किस प्रकार इकट्ठे हुए। यह अनुमान लगाया जाता है कि जिन स्थानों पर खाद्य प्राप्ति के संसाधन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थे वहाँ लोग बार-बार आते रहे होंगे। ऐसे क्षेत्रों में वे अपनी शिल्पकृतियाँ छोड़ जाते रहे होंगे। जिन स्थानों में उनका आवागमन कम था वहाँ ऐसी शिल्पकृतियाँ हमें बहुत कम प्राप्त हुई हैं।

1. पेड़:
प्रारंभ में आदि मानव पेड़ों पर रहते थे। वे अपना अधिकाँश समय पेड़ों पर ही बिताते थे। इसका कारण यह था कि पेड़ों पर वे अपना भोजन सुगमता से जटा सकते थे। यहाँ उसे फल, कंदमल, पक्षी एवं उनके अंडे बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते थे। अतः उसे भोजन की तलाश में स्थान-स्थान भटकने की आवश्यकता नहीं थी।

उस समय पेड़ों पर ही बंदर, लंगूर एवं तेंदुए (leopards) आदि निवास करते थे। इन जानवरों से अपनी सुरक्षा करना आदिमानव के लिए एक भारी समस्या थी। इसके अतिरिक्त भयंकर तूफ़ान एवं भयंकर शीत से बचाव करना एक अन्य समस्या थी।

2. गुफ़ाएँ :
आज से 4 लाख वर्ष पूर्व आदिमानव ने गुफ़ाओं को अपना निवास स्थान बना लिया था। गुफ़ाओं में रहने के उसे अनेक लाभ हुए। प्रथम, वे भयंकर जानवरों से अपने को सुरक्षित रख सके। दूसरा, गुफ़ाओं में रहने के कारण उन्हें भयंकर तूफ़ानों के समय अथवा शीत के समय किसी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता था।

तीसरा, गुफ़ाओं की दीवारों से पानी रिसता रहता था। अतः उन्हें पानी पीने के लिए किसी दूसरे स्थान पर नहीं जाना पड़ता था। हमें आदिमानव के गुफ़ाओं में निवास करने के जो साक्ष्य प्राप्त हुए हैं उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध दक्षिण फ्राँस में स्थित लेज़रेट गुफ़ा (Lazaret cave) है। इस गुफ़ा का आकार 12 x 4 मीटर है।

इस गुफा के अंदर से हमें दो चूल्हों (hearths), अनेक प्रकार के फलों, सब्जियों, बीजों, काष्ठफलों (nuts), पक्षियों के अंडों एवं मछलियों जैसे ट्राउट (trout), पर्च (perch) एवं कार्प (carp) आदि के साक्ष्य (evidence) मिले हैं।

3. झोंपड़ियाँ :
आदिमानव ने 1.25 लाख वर्ष पूर्व झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। यह आदिमानव द्वारा प्रगति की दिशा में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पग था। उसने अब कृषि आरंभ कर दी थी। इसलिए उसे स्थायी निवास की आवश्यकता हुई।

अतः उसने झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ किया। आदिमानव के झोंपड़ियों के निर्माण संबंधी हमें जो साक्ष्य मिले हैं उनमें दक्षिणी फ्रांस में स्थित टेरा अमाटा (TerraAmata) नामक झं बहुत प्रसिद्ध है। यह झोंपड़ी घास-फूस से बनाई गई थी। इसकी छत लकड़ी की थी। इस झोंपड़ी के किनारों को सहारा देने के लिए बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया था।

फ़र्श पर जो पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े बिखरे हुए हैं वे उन स्थानों को दर्शाते हैं जहाँ बैठ कर लोग पत्थर के औजार बनाते थे। यहाँ से हमें चूल्हे को दर्शाने के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।

4. अग्नि (Fire)-अग्नि के आविष्कार के कारण आदिमानव के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आए। इसका आविष्कार कब हुआ इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके प्रथम साक्ष्य हमें केन्या में चेसोवांजा (Chesowanja) एवं दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रांस (Swartkrans) से प्राप्त हुए हैं। यहाँ से पत्थर के औज़ारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी और जली हुई हड्डियों के अंश प्राप्त हुए हैं। ये 14 लाख वर्ष पूर्व के हैं। इन वस्तुओं को किस प्रकार आग लगी इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता।

अग्नि का आविष्कार मानव के लिए अनेक पक्षों से लाभकारी प्रमाणित हुआ। प्रथम, आग से जंगली जानवरों को डर लगता था। अतः आदिमानव अग्नि से गुफ़ाओं को प्रज्वलित रखने लगा। इस कारण उसे जंगली जानवरों से सुरक्षा प्राप्त हुई। दूसरा, अग्नि की सहायता से आदिमानव के लिए भयंकर शीत से बचाव सुगम हो गया। तीसरा, इस कारण गुफ़ाओं के अंदर जहाँ अंधेरा रहता था प्रकाश करना संभव हुआ।

चौथा, अग्नि की सहायता से भोजन को पकाना संभव हुआ। यह कच्चे भोजन की अपेक्षा अधिक स्वाद होता था। चूल्हों के प्रयोग के बारे में हमें सबसे प्रथम साक्ष्य 1.25 लाख वर्ष पूर्व का मिला है। पाँचवां, अग्नि औज़ारों के निर्माण में काफी उपयोगी सिद्ध हुई।

प्रश्न 5.
आदिमानव ने औज़ारों का निर्माण किस प्रकार किया ?
उत्तर:
आदिमानव के जीवन में औज़ारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वह इनका प्रयोग जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा एवं अपने लिए भोजन जुटाने के लिए करता था। इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ पक्षी एवं वानर आदि भी औज़ारों का निर्माण करते हैं एवं उनका प्रयोग करते हैं। किंतु आदिमानव द्वारा बनाए गए औजार अधिक कौशल एवं स्मरण शक्ति को दर्शाते हैं।

आदिमानव के औज़ार पत्थर से निर्मित थे। संभवत: वे लकड़ी के औजार भी बनाते थे। किंतु लकड़ी के औजार समय के साथ नष्ट हो गए। पत्थर के बने औज़ारों को तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है। प्रथम श्रेणी में आने वाले औज़ारों को हस्त कुठार (hand axes) कहा जाता है। हस्त कुठारों को मुट्ठी (fist) में पकड़ा जाता था। ये अनेक प्रकार के होते थे। इनका प्रयोग किसी वस्तु को काटने अथवा किसी वस्तु को कुचलने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के औज़ार हमें बड़ी संख्या में तंजानिया के ओल्डुवई गोर्ज (Olduvai Gorge) से प्राप्त हुए हैं।

दूसरी श्रेणी में गंडासे (choppers) सम्मिलित थे। उन्हें भारी पत्थरों से तैयार किया जाता था। इसमें शल्कों (flakes) को निकाल कर धारदार बनाया जाता था। इनका प्रयोग संभवत: माँस काटने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के हथियार हमें बड़ी संख्या में एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप के अनेक स्थानों से प्राप्त हुए हैं। तीसरी श्रेणी में शल्क औज़ार (flake tools) सम्मिलित थे। ये हस्त कुठारों एवं गंडासों की अपेक्षा छोटे एवं पतले होते थे। इनके किनारे अधिक पैने होते थे। ये औज़ार अधिक उपयोगी तथा दूर तक प्रहार करने में सक्षम होते थे।

पत्थर के औजार बनाने एवं इनका प्रयोग किए जाने के सबसे प्राचीन साक्ष्य हमें इथियोपिया (Ethiopia) एवं केन्या (Kenya) से प्राप्त हुए हैं। विद्वानों (scholars) के विचारानुसार आस्ट्रेलोपिथिकस ने सबसे पहले पत्थर के औज़ार बनाए थे। लगभग 35,000 वर्ष पूर्व जानवरों के शिकार करने के तरीकों में सुधार हुआ। इसका साक्ष्य यह है कि इस काल में नए प्रकार के भालों का निर्माण किया गया। इसके अतिरिक्त तीर-कमान भी बनाए गए। 21,000 वर्ष पूर्व सिलाई वाली सूई का आविष्कार हुआ।

निस्संदेह यह एक महत्त्वपूर्ण आविष्कार था। अब आदिमानव ने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे। अब हड्डी एवं हाथी दाँत से भी औज़ार बनाए जाने लगे। इनके अतिरिक्त अब छेनी (punch blade) जैसे छोटे-छोटे औजार भी बनाए जाने लगे। इनकी सहायता से हड्डी, सींग (antler), हाथी दाँत एवं लकड़ी पर नक्काशी (engravings) की जाने लगी।

हम निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकते कि औज़ारों का निर्माण पुरुषों अथवा स्त्रियों अथवा दोनों द्वारा मिल कर किया जाता था। यह संभव है कि स्त्रियाँ अपने और अपने बच्चों के लिए भोजन जुटाने के लिए कुछ विशेष प्रकार के औजारों का निर्माण एवं प्रयोग करती रही होंगी।

प्रश्न 6.
भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी सुविधा मिली होगी? इस पर चर्चा कीजिए। इन क्रियाकलापों के लिए विचार संप्रेषण के अन्य किन तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता था ?
अथवा
आदिमानव ने भाषा का विकास किस प्रकार किया ? इसका उनके जीवन में क्या महत्त्व था?
उत्तर:
भाषा का विकास आदिमानव की प्रगति की राह में एक मील पत्थर सिद्ध हआ। इनका संक्षिप्त वर्णन
निम्नलिखित अनुसार है
1. भाषा :
प्रारंभिक चरणों में जब भाषा का विकास नहीं हुआ था तो आदिमानव के लिए अपने विचारों की अभिव्यक्ति करना संभव न था। इस कारण उसकी प्रगति करने की रफ्तार बहुत धीमी रही। भाषा के विकास ने उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। प्रसिद्ध इतिहासकार जे० ई० स्वैन के अनुसार, “भाषा की श्रेष्ठता ने मानव को अन्य प्राइमेट के मुकाबले सांस्कृतिक तौर पर अधिक विकसित किया।” भाषा का विकास किस प्रकार हुआ इस संबंध में अनेक मत प्रचलित हैं।

  • होमिनिड भाषा में हाव-भाव (gestures) अथवा हाथों का संचालन (hand movements) सम्मिलित था।
  • उच्चरित (spoken) भाषा से पूर्व प्रचलन हुआ।
  • मानव भाषा का आरंभ संभवत: बुलावों (calls) की क्रिया से हआ था जैसा कि अन्य प्राइमेटों द्वारा किया जाता था।

समय के साथ-साथ इन ध्वनियों ने भाषा का रूप धारण कर लिया। बोलने वाली भाषा का आरंभ कब हुआ इस संबंध में विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार भाषा का सबसे पहले विकास 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ था। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार इसका विकास 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ था जब स्वरतंत्र (vocal tract) का विकास हुआ था।

इसका संबंध विशेष तौर पर आधुनिक मानव से है। कुछ अन्य विद्वानों के विचारानुसार भाषा का विकास 40,000 से 35,000 वर्ष पूर्व तब हुआ जब कला का विकास आरंभ हुआ। इसका कारण यह है कि ये दोनों ही विचार अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। भाषा के प्रयोग से शिकार करने में तथा आश्रय बनाने में अनेक लाभ हुए।

(क) शिकार करने में (In Hunting)-भाषा का प्रयोग शिकार करने में निम्नलिखित पक्षों से लाभकारी प्रमाणित हुआ-

  • लोग शिकार करने की योजना बना सकते थे।
  • वे जानवरों के क्षेत्रों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे जानवरों की प्रकृति पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे शिकार के लिए आवश्यक औज़ारों पर विचार कर सकते थे।
  • वे मारे गए जानवरों के उपयोग के संबंध में चर्चा कर सकते थे।

(ख) आश्रय बनाने में (In Constructing Shelters)-भाषा का प्रयोग आश्रय बनाने में निम्नलिखित पक्षों से लाभकारी प्रमाणित हुआ-

  • लोग आश्रय बनाने के लिए सुरक्षित क्षेत्रों पर चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के लिए उपलब्ध सामग्री की जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के तरीकों के संबंध में चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल के निकट उपलब्ध सुविधाओं पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल को जंगली जानवरों एवं भयंकर तूफ़ानों से सुरक्षित रखने के उपायों के बारे में सोच सकते थे।

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प्रश्न 7.
आदिमानव की कला पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
आदिकालीन मानव को प्रारंभ से ही कला में विशेष दिलचस्पी थी। अतः उसने चित्रकला एवं मूर्तिकला के क्षेत्रों में अपना हाथ आजमाया।

(क) चित्रकला :
प्रारंभ में आदिमानव अपने दैनिक जीवन में जिनसे प्रभावित होता था उन्हें वह पूर्ण भाव के साथ व्यक्त करने का प्रयास करता था। उसने जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों, सूर्य, चंद्रमा, तारों, नदियों आदि के चित्र बनाए। क्योंकि उनके जीवन में शिकार का विशेष महत्त्व था अतः उन्होंने इससे संबंधित सर्वाधिक चित्र बनाए। ये चित्र गुफ़ाओं की दीवारों एवं छतों पर बनाए गए थे।

इनमें से स्पेन में स्थित आल्टामीरा (Altamira) तथा फ्रांस में स्थित लैसकॉक्स (Lascaux) तथा चाउवेट (Chauvet) नामक गुफाएं विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। आल्टामीरा गुफ़ा की खोज 1879 ई० में मार्सिलीनो सैंज दि सउतुओला (Marcelino Sanz de Sautuola) एवं उसकी पुत्री मारिया (Maria) ने की।

इस गुफ़ा से हमें जो अनेक चित्र प्राप्त हुए हैं उनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध एक जंगली भैंसे का चित्र है। 1994 ई० में लैसकॉक्स एवं चाउवेट नामक गुफ़ाओं की खोज हुई। इनमें भी बड़ी संख्या में सुंदर चित्र प्राप्त हुए हैं। इनमें जंगली बैलों (bison), घोड़ों, पहाड़ी बकरों (ibex), हिरणों, मैमथों (mammoths), गैंडों (rhinos), शेरों, भालुओं, चीतों, लकड़बग्धों एवं उल्लुओं आदि के चित्र विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन चित्रों में विशेष रूप से चार रंगों-काला, लाल, पीला एवं सफ़ेद का प्रयोग किया गया है। इन चित्रों को 30,000 से 12,000 वर्ष पूर्व बनाया गया था।

उपरोक्त चित्रों के संबंध में अनेक प्रश्न उठाए गए हैं। उदाहरणस्वरूप इन चित्रों में अधिकाँश शिकार के चित्र क्यों बनाए गए हैं ? इन्हें गुफ़ाओं के उन स्थानों पर क्यों बनाया गया था जहाँ अंधकार होता था? इन चित्रों में कुछ विशेष चित्रों को ही चित्रित क्यों किया गया है? केवल पुरुषों को ही जानवरों के साथ चित्रित किया गया है स्त्रियों को क्यों नहीं? इन प्रश्नों के संबंध में विद्वानों ने अलग-अलग स्पष्टीकरण दिए हैं। इन चित्रों के उद्देश्यों के संबंध में विद्वानों में मतभेद पाए जाते हैं। कुछ विद्वानों का विचार है कि ये चित्र गुफ़ाओं को सुंदर बनाने के उद्देश्य से बनाए गए थे।

कुछ अन्य का विचार है कि इन चित्रों को इसलिए चित्रित किया गया था ताकि वे भावी पीढ़ियों को शिकार के संबंध में अपनी जानकारी दे सकें। अधिकांश विद्वानों का विचार है कि इन चित्रों का वास्तविक उद्देश्य धार्मिक था। प्रसिद्ध इतिहासकारों जे० एच० बेंटली एवं एच० एफ० जाईगलर का यह कहना ठीक है कि, “इन चित्रों की सादगी एवं उन्हें दर्शाने की शक्ति ने प्रारंभिक 20वीं शताब्दी से आधुनिक आलोचकों पर गहन प्रभाव छोड़ा। प्रागैतिहासिक काल के कलाकारों के कौशल ने मानव प्रजातियों की अद्भुत दिमागी शक्ति को दर्शाया है।

2. मूर्तिकला (Sculpture)-आदिकालीन मानव ने कुछ छोटे आकार की मूर्तियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। उन्होंने मानवों एवं जानवरों की अनेक मूर्तियाँ बनाईं। इनमें से अधिकाँश मूर्तियाँ स्त्रियों से संबंधित थीं। इसका कारण यह था कि वे स्त्रियों को जनन (fertility) शक्ति का स्रोत समझते थे। इनमें प्रायः स्त्रियों के मुख को नहीं दर्शाया जाता था। इस प्रकार की अनेक मूर्तियाँ हमें यूरोप के विभिन्न स्थानों से प्राप्त हुई हैं। इन मूर्तियों को वीनस (Venus) देवी के नाम से जाना जाता था।

प्रश्न 8.
हादज़ा जनसमूह का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रसिद्ध मानव विज्ञानी (anthropologist) जेम्स वुडबर्न (James Woodburn) द्वारा 1960 ई० में अफ्रीका के हादज़ा जनसमूह के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला गया। इसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार हादज़ा एक लघु समूह है जो एक खारे पानी की झील ‘लेक इयासी’ (Lake Eyasi) के इर्द-गिर्द रहते हैं। वे शिकारी तथा खाद्य संग्राहक हैं। पूर्वी हादज़ा का क्षेत्र सूखा एवं चट्टानी है। यहाँ सवाना घास, काँटेदार झाड़ियाँ तथा एकासिया (accacia) नामक पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ जंगली खाद्य पदार्थ भी काफी मात्रा में मिलते हैं।

20वीं शताब्दी के आरंभ में हादज़ा प्रदेश में बड़ी मात्रा में जानवर पाए जाते थे। यहाँ पाए जाने वाले बड़े जानवरों में हाथी, शेर, तेंदुए, लकड़बग्घे, गैंडे, भैंसे, चिंकारा, हिरण, बबून बंदर, जेब्रा, जिराफ़, वाटरबक एवं मस्सेदार सूअर (warthog) आदि थे। इनके अतिरिक्त यहाँ अनेक प्रकार के छोटे जानवर भी पाए जाते थे। इनमें खरगोश एवं कछुए आदि थे। हादज़ा लोग केवल हाथी को छोड़ कर अन्य सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं एवं उनका माँस खाते हैं। यहाँ यह बात स्मरण रखने योग्य है कि हादज़ा लोग विश्व में सबसे अधिक माँस खाते हैं। इसके बावजूद वे इस बात का ख्याल रखते हैं कि शिकार को भविष्य में कोई ख़तरा न हो।

साधारण दर्शकों को हादज़ा क्षेत्र में पाए जाने वाले कंदमूल, बेर, बाओबाब पेड़ के फल सुगमता से दिखाई नहीं देते। इसके बावजूद ये अत्यंत सूखे मौसम में भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। वहाँ वर्षा ऋतु के 6 महीनों में मिलने वाले खाद्य पदार्थ सूखे के मौसम में मिलने वाले खाद्य पदार्थ से भिन्न होते हैं। किंतु वहाँ कभी भी खाद्य पदार्थ की कोई कमी नहीं रहती। यहाँ पाई जाने वाली सात प्रकार की मधुमक्खियाँ, शहद एवं सूंडियों को विशेष चाव के साथ खाया जाता है। इनकी आपूर्ति (supplies) मौसम के अनुसार बदलती रहती है।

वर्षा ऋतु में संपूर्ण देश में जल स्रोतों की कोई कमी नहीं रहती। ये बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। किंतु सूखे के मौसम में इनमें से अधिकाँश सूख जाते हैं। इसलिए वे प्रायः अपने शिविर जल स्रोतों से एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थापित नहीं करते हैं। हादज़ा लोगों के कुछ क्षेत्रों में घास के विशाल मैदान हैं। इसके बावजूद वे कभी भी वहाँ अपना शिविर स्थापित नहीं करते। वे अपने शिविर पेड़ों अथवा चट्टानों के मध्य अथवा उन स्थानों पर लगाते हैं जहाँ ये दोनों सुविधाएँ उपलब्ध हों।

हादज़ा लोग ज़मीन और उसके संसाधनों पर अपना दावा नहीं करते। कोई भी व्यक्ति जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। वह वहाँ से कंदमूल, फल एवं शहद एकत्र कर सकता है तथा पानी ले सकता है। वास्तव में इस संबंध में हादज़ा प्रदेश में कोई प्रतिबंध नहीं है। यद्यपि हादज़ा प्रदेश में बड़ी मात्रा में जानवर शिकार के लिए उपलब्ध हैं फिर भी हादज़ा लोग अपने भोजन का 80 प्रतिशत जंगली साग-सब्जियों से प्राप्त करते हैं। वे अपने भोजन का शेष 20 प्रतिशत माँस एवं शहद से प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 9.
क्या आज के शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में प्राप्त सूचनाओं को अतीत के मानव जीवन के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जा.सकता है?
अथवा
क्या वर्तमान शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में प्राप्त जानकारी के सुदूर अतीत के मानव के जीवन को पुनर्निर्मित करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है?
उत्तर:
मानव विज्ञानियों (anthropologists) के अध्ययनों के आधार पर वर्तमान समय के शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में जैसे-जैसे हमारे ज्ञान में वद्धि हई वैसे-वैसे हमारे सामने यह प्रश्न आता है कि क्या आज के शिकारी संग्राहक समाजों के बारे में प्राप्त सूचनाओं को अतीत के मानव जीवन के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस संबंध में इतिहासकारों में निम्नलिखित दो मत प्रचलित हैं

(क) कुछ इतिहासकारों के विचारानुसार वर्तमान समय के शिकारी संग्राहक समाजों से प्राप्त तथ्यों को प्राचीनकालीन प्राप्त अवशेषों के अध्ययन के लिए प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए कुछ पुरातत्त्वविदों (archaeologists) का विचार है कि 20 लाख वर्ष पूर्व के होमिनिड स्थल जो तुर्काना झील (Lake Turkana) के किनारे स्थित हैं वास्तव में आदिकालीन मानवों के निवास स्थान थे। यहाँ वे सूखे के मौसम में जब स्रोतों में कमी आ जाती थी, आकर निवास करते थे। वर्तमान समय में हादज़ा (Hadza) एवं कुंग सैन (Kung San) समाज भी इसी ढंग से रहते हैं।

(ख) दूसरी ओर कुछ अन्य इतिहासकारों का विचार है कि संजातिवृत्त (ethnography) संबंधी तथ्यों का उपयोग अतीत के समाजों को समझने के लिए नहीं किया जा सका क्योंकि दोनों समाज एक-दूसरे से अलग हैं। संजातिवृत्त में समकालीन नृजातीय समूहों (ethnic groups) का विश्लेषणात्मक अध्ययन होता है। इसमें उनके रहन-सहन, खान-पान, आजीविका के साधन, रीति-रिवाजों, सामाजिक रूढ़ियों एवं राजनीतिक संस्थाओं का अध्ययन किया जाता है।

आज के शिकारी संग्राहक समाज शिकार एवं संग्रहण के अतिरिक्त कई अन्य आर्थिक गतिविधियों में भी लगे रहते हैं। उदाहरण के तौर पर वे जंगलों में पाए जाने वाले छोटे-छोटे उत्पादों का आपस में विनिमय (exchange) करते हैं तथा इनका व्यापार भी करते हैं। वे पड़ोसी किसानों के खेतों में मजदूरी का काम भी करते हैं। सबसे बढ़कर वे जिन हालातों में रहते हैं वे आदिकालीन मानवों से पूर्णतः भिन्न हैं।

वर्तमान काल के शिकारी संग्राहक समाजों में आपस में भी बहुत भिन्नता है। उनकी गतिविधियों में बहुत अंतर है। वे शिकार एवं संग्रहण को अलग-अलग महत्त्व देते हैं। उनका आकार भी छोटा-बड़ा होता है। भोजन प्राप्त करने के संबंध में श्रम विभाजन (division of labour) को लेकर भी मतभेद पाए जाते हैं।

यद्यपि आज भी अधिकाँश स्त्रियाँ खाद्य-पदार्थों को एकत्र करने का कार्य करती हैं एवं पुरुष शिकार करते हैं किंतु फिर भी अनेक ऐसे समाजों के उदाहरण मिलेंगे जहाँ स्त्रियाँ एवं पुरुष दोनों ही शिकार करते हैं, संग्रहण का कार्य करते हैं तथा औजार बनाते हैं। निस्संदेह इससे ऐसे समाजों में स्त्रियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका की जानकारी प्राप्त होती है। अतः अतीत के संबंध में कोई अनुमान लगाना कठिन है।

प्रश्न 10.
अध्याय के अंत में दिए गए प्रत्येक कालानुक्रम में से किन्हीं दो घटनाओं को चुनिए और यह बताइए कि इनका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
कालानुक्रम-1

1. होमिनॉइड और होमिनिड की शाखाओं में विभाजन : नोट-इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 1 के भाग 2 एवं 3 का उत्तर देखें।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 4

2. होमो एरेक्टस : नोट-इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 2 के भाग 2 का उत्तर देखें।

कालानुक्रम-2
1. आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव : नोट- इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 2 के भाग 3 का उत्तर देखें।
2. निअंडरथल मानव का प्रादुर्भाव : नोट-इस भाग के उत्तर के लिए विद्यार्थी कृपया प्रश्न नं० 2 के भाग 3 का (ख) भाग देखें।

क्रम संख्यावर्षघटना
1 .-240 लाख वर्ष पूर्वप्राइमेट प्राणियों का अफ्रीका एवं एशिया में उत्थान।
2 .240 लाख वर्ष पूर्वहोमिनॉइड का उत्थान।
3 .56 लाख वर्ष पूर्वआस्ट्रेलोपिथिकस अस्तित्व में आए।
4 .25 लाख वर्ष पूर्वहिम युग का आरंभ, होमो अस्तित्व में आए।
5 .22 लाख वर्ष पूर्वहोमो हैबिलिस का उत्थान।
6 .20 लाख वर्ष पूर्वहोमिनिड का तुर्काना झील पर स्थल।
7 .18 लाख वर्ष पूर्वहोमो एरेक्टस का अस्तित्व में आना।
8 .13 लाख वर्ष पूर्वआस्ट्रेलोपिथिकस का विलुप्त होना।
9 .8 लाख वर्ष पूर्वहोमो हाइडलबर्गेसिस का अस्तित्व में आना।
10 .5 लाख वर्ष पूर्वबॉक्सग्रोव, इंग्लैंड से स्तनपायी जानवरों का योजनाबद्ध ढंग से शिकार का साक्ष्य।
11 .4 लाख वर्ष पूर्वशोनिंजन, जर्मनी से स्तनपायी जानवरों का योजनाबद्ध ढंग से शिकार का साक्ष्य, गुफ़ाओं में निवास।
12.2 लाख वर्ष पूर्वहोमो एरेक्टस का लोप होना।
13.1.95 लाख वर्ष पूर्वआधुनिक मानव का अस्तित्व में आना।
14.1.30 लाख वर्ष पूर्वहोमो निअंडरथलैंसिस का अस्तित्व में आना।
15.1.25 लाख वर्ष पूर्वझोंपड़ियों का निर्माण।
16.35 हज़ार वर्ष पूर्वनिअंडरथल मानवों का लोप, शिकार के तरीकों में सुधार।
17.21 हज़ार वर्ष पूर्वसिलाई वाली सूई का आविष्कार।
18.1879 ई०आल्टामीरा गुफ़ा की खोज हुई।
19.1959 ई०ओल्डुवई गोर्ज की खोज हुई।
20.1960 ईमानव विज्ञानी जेम्स वुडबर्न द्वारा हादज़ा जनसमूह का वर्णन।

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न
(Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
होमिनॉइड और होमिनिड से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
1) होमिनॉइड-होमिनॉइड समूह 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया था। यह प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह था। इसमें पूँछहीन बंदर सम्मिलित थे। इनका मस्तिष्क छोटा होता था। अत: उनमें सोचने की शक्ति कम थी। उनके चार पैर थे। वे चलते समय चारों पैरों का प्रयोग करते थे। उनके शरीर का अगला हिस्सा और दोनों पैर लचकदार होते थे। वे सीधे खड़े होकर चल नहीं सकते थे। होमिनॉइड बंदरों से कई प्रकार से भिन्न होते थे। उनका शरीर बंदरों से बड़ा होता था। उनकी पूँछ भी नहीं होती थी। उनके बच्चों का विकास धीरे-धीरे होता था।

2) होमिनिड-होमिनिड 56 लाख वर्ष पूर्व होमिनॉइड उपसमूह से विकसित हुए। इनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें लेतोली तंजानिया से एवं हादार इथियोपिया से प्राप्त हुए हैं। दो प्रकार के साक्ष्यों से पता चलता है कि होमिनिडों का उद्भव अफ्रीका में हुआ था। ये 56 लाख वर्ष पुराने हैं। अफ्रीका से बाहर जो जीवाश्म पाए गए हैं वे 18 लाख वर्ष से पुराने नहीं हैं। होमिनिड, होमिनिडेइ नामक परिवार के साथ संबंधित हैं। इस परिवार में सभी रूपों के मानव प्राणी सम्मिलित हैं। इस समूह की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-

  • इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा होता था।
  • वे सीधे खड़े हो सकते थे।
  • वे दो पैरों के बल चल सकते थे।
  • उनके हाथ विशेष प्रकार के होते थे। वे इन हाथों की सहायता से औजार बना सकते थे और उनका प्रयोग कर सकते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 2.
दिए गए सकारात्मक प्रतिपुष्टि व्यवस्था को दर्शाने वाले आरेख को देखिए। क्या आप उन निवेशों की सूची दे सकते हैं जो औज़ारों के निर्माण में सहायक हुए ? औज़ारों के निर्माण से किन-किन प्रक्रियाओं को बल मिला ?
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 5
उत्तर:
औज़ारों के निर्माण में सहायक निवेश

  • मस्तिष्क के आकार और उसकी क्षमता में वृद्धि।
  • औज़ारों के इस्तेमाल के लिए बच्चों व चीज़ों को ले जाने के लिए हाथों का मुक्त होना।
  • सीधे खड़े होकर चलना।
  • आँखों से निगरानी, भोजन और शिकार की तलाश में लंबी दूरी तक चलना।

प्रक्रियाएँ जिनको औज़ारों के निर्माण से बल मिला

  • सीधे खड़े होकर चलना।
  • आँखों से निगरानी, भोजन और शिकार की तलाश में लंबी दूरी तक चलना।
  • मस्तिष्क के आकार और उसकी क्षमता में वृद्धि।

प्रश्न 3.
मानव और लंगूर तथा वानरों जैसे स्तनपायियों के व्यवहार तथा शरीर रचना में कुछ समानताएँ पाई जाती हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि संभवतः मानव का क्रमिक विकास वानरों से हुआ।
(क) व्यवहार और
(ख)शरीर रचना शीर्षकों के अंतर्गतः दो अलग-अलग स्तंभ बनाइए और उन समानताओं की सूची दीजिए। दोनों के बीच पाए जाने वाले उन अंतरों का भी उल्लेख कीजिए जिन्हें आप महत्त्वपूर्ण समझते हैं।
उत्तर:
(क) समानताएँ-व्यवहार एवं शरीर रचना

मानववानर तथा लंगूर
1. मानव पेड़ों पर चढ़ सकता है।1. वानर भी पेड़ों पर चढ़ सकते हैं।
2. माताएँ अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं।2. मादा वानर भी अपने बच्चों को दूध पिलाती है।
3. मानव लंबी दूरी तक चल सकता है।3. वानर भी लंबी दूरी तक चल सकते हैं।
4. मानव प्रजनन द्वारा अपने जैसी संतान उत्पन्न करते हैं।4. वानर भी ऐसा ही करते हैं।
5. मानव रीढ़धारी हैं।5. वानर भी रीढ़धारी होते हैं।

(ख) असमानताएँ-व्यवहार एवं शरीर रचना

मानववानर तथा लंगूर
1. मानव दो पैरों पर चलता है।1. वानर चार पैरों पर चलता है।
2. मानव खेती करके अपने भोजन के लिए अनाज उगाता है।2. वानर ऐसा नहीं कर सकते।
3. मानव सीधे खड़ा होकर चल सकता है।3. वानर ऐसा नहीं कर सकते।
4. मानव की पूँछ नहीं होती।4. वानरों की पूँछ होती है।
5. मानव का शरीर बड़ा होता है।5. वानरों का शरीर अपेक्षाकृत छोटा होता है।

प्रश्न 4.
मानव उद्भव के क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के पक्ष में दिए गए तर्कों पर चर्चा करिए। क्या आपके विचार से यह मॉडल पुरातात्विक साक्ष्य का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण देता है ?
उत्तर:
आधुनिक मानव का उद्भव कहाँ हुआ इस संबंध में इतिहासकार एक मत नहीं है। कुछ विद्वान् क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल का समर्थन करते हैं। उनके विचारानुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति किसी एक विशेष क्षेत्र में नहीं अपितु अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई है। उनका मानना है कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ।

इस अंतर को स्पष्टतः आज भी देखा जा सकता है। कुछ अन्य विद्वान् प्रतिस्थापन मॉडल का समर्थन करते हैं। उनका कथन है कि आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ। अपने पक्ष में वे तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक एवं जननिक समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे विश्व के विभिन्न भागों में फैले।

प्रश्न 5.
आस्ट्रेलोपिथिकस मानव के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
आस्ट्रेलोपिथिकस शब्द लातीनी भाषा के शब्द ‘आस्ट्रल’ भाव दक्षिणी एवं यूनानी भाषा के शब्द ‘पिथिकस’ भाव बंदर से मिल कर बना है। इसका कारण यह था कि मानव के इस रूप में बंदर के अनेक लक्षण बरकरार रहे। आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें तंज़ानिया के ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं। इसकी खोज 17 जुलाई, 1959 ई० को मेरी एवं लुईस लीकी ने की थी। उनके जीवाश्म 56 लाख वर्ष पुराने थे। होमो की तुलना में उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था। उनके जबड़े अधिक भारी थे एवं दाँत भी ज़्यादा बड़े होते थे।

आस्ट्रेलोपिथिकस बंदरों की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे दो पैरों पर खड़े हो सकते थे। उनमें सीधे खड़े होकर चलने की क्षमता अधिक नहीं थी। इसका कारण यह था कि वे अभी भी अपना काफी समय पेड़ों पर गुजारते थे। वे अपनी सरक्षा के लिए औज़ारों का निर्माण करने लगे थे। लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व ध्रुवीय हिमाच्छादन अथवा हिम युग के प्रारंभ से पृथ्वी के बड़े-बड़े भाग बर्फ से ढक गए। इस कारण जलवायु एवं वनस्पति की स्थिति में बहुत परिवर्तन हुए। तापमान एवं वर्षा में कमी के कारण पृथ्वी पर वन कम हो गए। इसके चलते 13 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस लुप्त हो गए।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 6.
‘होमो’ शब्द से आप क्या समझते हैं ? इन्हें किन-किन प्रजातियों में बाँटा गया है ?
उत्तर:
होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। होमो लातीनी भाषा का एक शब्द है। इसका भाव है में पुरुष एवं स्त्रियाँ दोनों सम्मिलित थे। आस्ट्रेलोपिथिकस की तुलना में होमो का मस्तिष्क बड़ा था, जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे एवं दाँत छोटे थे। वैज्ञानिकों द्वारा होमो को निम्नलिखित तीन प्रमुख प्रजातियों में बाँटा गया है

1) होमो हैबिलिस-होमो हैबिलिस औज़ार बनाने वाले के नाम से जाने जाते हैं। उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे आस्ट्रेलोपिथिकस की अपेक्षा अधिक समझदार थे। वे अपने हाथों का दक्षतापूर्वक प्रयोग कर सकते थे। वे प्रथम होमिनिड थे जिन्होंने पत्थर के औजार बनाए।

2) होमो एरेक्टस-होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औज़ारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया।

3) होमो सैपियंस-होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष पूर्व से 1.60 लाख वर्ष के दौरान हुआ। आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। उस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था। अतः वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी।

प्रश्न 7.
होमो एरेक्टस से आपका क्या अभिप्राय है ? उनकी क्या विशेषताएँ थीं ?
अथवा
‘होमो एरेक्टस’ मानव के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
उन मानवों को जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे होमो एरेक्टस कहा जाता था। वे दौड़ सकते थे। वे अपने हाथों का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग कर सकते थे। होमो एरेक्टस के प्राचीनतम जीवाश्म 18 लाख वर्ष पूर्व के हैं। ये जीवाश्म हमें अफ्रीका एवं एशिया दोनों महाद्वीपों से प्राप्त हुए हैं। होमो एरेक्टस का मस्तिष्क होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक बड़ा था। अत: वे अधिक समझदार थे।

उन्होंने होमो हैबिलिस की अपेक्षा अधिक विकसित औज़ारों का निर्माण किया। उन्होंने भाषा का भी अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने आग के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर ली थी। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। आग के संबंध में हमें प्रथम साक्ष्य केन्या के चेसोवांजा से प्राप्त हुआ है। निस्संदेह होमो एरेक्टस मानव विकास की कड़ी में एक मील पत्थर सिद्ध हुए।

प्रश्न 8.
प्रतिस्थापन मॉडल एवं क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
1) प्रतिस्थापन मॉडल-आधुनिक मानव के उद्भव के बारे में कुछ विद्वान् प्रतिस्थापन मॉडल का समर्थन करते हैं। उनके अनुसार आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक एवं जननिक समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात् अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे विभिन्न स्थानों में गए।

2) क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल-दूसरी ओर कुछ अन्य विद्वान् क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल का समर्थन करते हैं। उनके विचारानुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। अपने पक्ष में वे यह तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ। इस अंतर को स्पष्टतः आज भी देखा जा सकता है।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 1 iMG 6

प्रश्न 9.
होमो सैपियंस मानव की प्रमुख विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। इस मानव का प्रादुर्भाव 1.95 लाख वर्ष पूर्व से 1.60 लाख वर्ष पूर्व के दौरान हुआ। आधुनिक मानव की अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं जो उसे पहले के मानव से अलग करती हैं। इस मानव का मस्तिष्क अब तक के सभी मानवों में सबसे बड़ा था। अतः वह सबसे समझदार था। इस कारण उसके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। उसने गुफ़ाओं के अतिरिक्त अपने निवास के लिए झोंपड़ियों का निर्माण आरंभ कर दिया था।

वह अब एक स्थायी रूप से निवास करने लगा था। उसने अब कृषि करनी आरंभ कर दी थी। इससे उसे भोजन की तलाश में भटकना नहीं पड़ा। उसने अब खाना पकाने की विधि की जानकारी प्राप्त कर ली थी। उसके हथियार बहुत उत्तम थे। उसने अनेक नए हथियारों का निर्माण भी कर लिया था। इससे वह जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा अधिक अच्छे ढंग से कर सका। उसने सूई का आविष्कार कर लिया था। अतः उसने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे। एवं भाषा के क्षेत्रों में काफ़ी विकास कर लिया था।

प्रश्न 10.
आदि मानव के भोजन प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदिकालीन मानव निम्नलिखित तरीकों से अपना भोजन प्राप्त करते थे
1) संग्रहण-आदिकालीन मानव पूर्ण रूप से प्रकृति जीवी थे। उन्हें कृषि की जानकारी नहीं थी। वे पशुपालन भी नहीं करते थे। अत: आरंभ में आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वे पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों जैसे-बीज, गुठलियाँ, फल एवं कंदमूल एकत्र करते थे। संग्रहण के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। इस संबंध में हमें प्रत्यक्ष प्रमाण बहत कम मिले हैं। संग्रहण द्वारा भोजन जुटाने का मुख्य कार्य स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था। पुरुष मुख्य रूप से शिकार के लिए बाहर जाते थे।

2) अपमार्जन-आदिकालीन मानव अपमार्जन द्वारा अथवा रसदखोरी द्वारा भी अपना भोजन प्राप्त करता था। अपमार्जन से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। रसदखोरी से अभिप्राय भोजन की तलाश करना है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस एवं मज्जा प्राप्त करते थे।

3) शिकार-शिकार द्वारा भोजन प्राप्त करना आदिकालीन मानव का महत्त्वपूर्ण स्रोत रहा है। शिकार मुख्यतः पुरुषों द्वारा किया जाता था। वे शिकार का पीछा करते हुए अपने निवास स्थान से काफ़ी दूर तक निकल जाते थे। वे छोटे-मोटे पशुओं का शिकार स्वयं कर लेते थे। वे बड़े पशुओं का शिकार सम्मिलित रूप से करते थे। इसका कारण यह था कि बड़े पशुओं का अकेले शिकार करने में उनके स्वयं के मारे जाने का खतरा अधिक रहता था।

वे जंगली घोड़ों, जंगली भैंसों जिन्हें बाइसन कहा जाता था, गैंडों, रीछों एवं विशालकाय जानवरों जिन्हें मैमथ कहा जाता था, का शिकार करते थे। वे शिकार के लिए भालों एवं पत्थरों का प्रयोग करते थे। बाद में कुत्तों ने आदिमानव को शिकार के लिए बहुमूल्य योगदान दिया।

4) मछली पकड़ना-मछली पकड़ना भी आदिकालीन मानव का भोजन प्राप्त करने की एक महत्त्वपूर्ण विधि थी। वे नदियों एवं तालाबों से हाथ द्वारा ही मछली पकड़ लिया करते थे। इसके अतिरिक्त वे छोटी मछली पकड़ने के लिए काँटे का एवं बड़ी मछली पकड़ने के लिए हार्पून का प्रयोग भी करते थे।

प्रश्न 11.
संग्रहण और अपमार्जन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
1) संग्रहण-आदिकालीन मानव पूर्ण रूप से प्रकृति जीवी थे। उन्हें कृषि की जानकरी नहीं थी। इसके अतिरिक्त वे पशुपालन भी नहीं करते थे। अतः आरंभ में आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वे पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों जैसे-बीज, गुठलियाँ, फल एवं कंदमूल एकत्र करते थे। संग्रहण के बारे में तो केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है।

इस संबंध में हमें प्रत्यक्ष प्रमाण बहुत कम मिले हैं। इसका कारण यह है कि हमें हड्डियों के जीवाश्म तो काफ़ी संख्या में प्राप्त हुए हैं जबकि पौधों के जीवाश्म बहुत कम प्राप्त हुए हैं। संग्रहण द्वारा भोजन जुटाने का मुख्य कार्य स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था। पुरुष मुख्य रूप से शिकार के लिए बाहर जाते थे।

2) अपमार्जन-आदिकालीन मानव अपमार्जन द्वारा अथवा रसदखोरी द्वारा भी अपना भोजन प्राप्त करता था। अपमार्जन से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। रसदखोरी से अभिप्राय भोजन की तलाश करना है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस एवं मज्जा प्राप्त करते थे। इनके अतिरिक्त वे छोटे-छोटे पक्षियों एवं उनके अंडों, गों चूहों एवं अनेक प्रकार के कीड़े-मकोड़ों को खाते थे।

प्रश्न 12.
आदिमानव शिकार द्वारा भोजन किस प्रकार प्राप्त करता था ?
उत्तर:
शिकार द्वारा भोजन प्राप्त करना आदिकालीन मानव का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत रहा है। शिकार प्रमुख तौर पर पुरुषों द्वारा किया जाता था। वे शिकार का पीछा करते हुए अपने निवास स्थान से काफ़ी दूर तक निकल जाते थे। वे छोटे-मोटे पशुओं का शिकार स्वयं कर लेते थे। वे बड़े पशुओं का शिकार सम्मिलित रूप से करते थे।

इसका कारण यह था कि बड़े पशुओं का अकेले शिकार करने में उनके स्वयं के मारे जाने की संभावना अधिक रहती थी। वे जंगली घोड़ों, जंगली भैंसों जिन्हें बाइसन कहा जाता था, गैंडों, रीछों एवं विशालकाय जानवरों जिन्हें मैमथ कहा जाता था, का शिकार करते थे। वे शिकार के लिए भालों एवं पत्थरों का प्रयोग करते थे। बाद में आदिमानव ने शिकार के लिए कुत्तों का सहयोग लेना आरंभ कर दिया था।

योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों का। उनका वध करने की सबसे परानी उदाहरण हमें दो स्थलों से मिलती है। प्रथम उदाहरण 5 लाख वर्ष पर्व की है। यह दक्षिणी इंग्लैंड में बॉक्सग्रोव से संबंधित है। दूसरी उदाहरण 4 लाख वर्ष पूर्व की है। यह जर्मनी में शोनिंजन से संबंधित है।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 13.
अग्नि का आविष्कार किस प्रकार आदिमानव के लिए क्रांतिकारी सिद्ध हुआ ?
उत्तर:
अग्नि का आविष्कार आदिमानव के जीवन में क्रांतिकारी प्रमाणित हुआ। इसका आविष्कार कब हुआ इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके प्रथम साक्ष्य हमें केन्या में चेसोवांजा एवं दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रांस से प्राप्त हुए हैं। यहाँ से पत्थर के औजारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी और जली हुई हड्डियों के अंश प्राप्त हुए हैं। ये 14 लाख वर्ष पूर्व के हैं। इन वस्तुओं को किस प्रकार आग लगी, इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। अग्नि का आविष्कार मानव के लिए अनेक पक्षों से बहुमूल्य प्रमाणित हुआ।

प्रथम, आग से जंगली जावरों को डर लगता था। अत: आदिमानव अग्नि से गुफ़ाओं को प्रज्वलित रखने लगा। इस कारण उसे जंगली जानवरों, से सुरक्षा प्राप्त हुई। दूसरा, अग्नि की सहायता से आदिमानव के लिए भयंकर शीत से बचाव सुगम हो गया। तीसरा, इस कारण गुफ़ाओं के अंदर जहाँ अंधेरा रहता था प्रकाश करना संभव हुआ। चौथा, अग्नि की सहायता से भोजन को पकाना संभव हुआ। यह कच्चे भोजन की अपेक्षा अधिक स्वाद होता था।

प्रश्न 14.
आदिमानव के औज़ारों के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
आदिमानव के औजार पत्थर से निर्मित थे। संभवतः वे लकड़ी के औजार भी बनाते थे। किंतु लकड़ी के औज़ार समय के साथ नष्ट हो गए। पत्थर के बने औज़ारों को तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है। प्रथम श्रेणी में आने वाले औज़ारों को हस्त कुठार कहा जाता है। हस्त कुठारों को मुट्ठी में पकड़ा जाता था। ये अनेक प्रकार के होते थे। इनका प्रयोग किसी वस्तु को काटने अथवा किसी वस्तु को कुचलने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के औज़ार हमें बड़ी संख्या में तंजानिया के ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं।

दूसरी श्रेणी में गंडासे सम्मिलित थे। उन्हें भारी पत्थरों से तैयार किया जाता था। इसमें शल्कों को निकाल कर धारदार बनाया जाता था। इनका प्रयोग संभवतः माँस काटने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के हथियार हमें बड़ी संख्या में एशिया, अफ्रीका एवं यूरोप के अनेक स्थानों से प्राप्त हुए हैं। तीसरी श्रेणी में शल्क औज़ार सम्मिलित थे। ये हस्त कुठारों एवं गंडासों की अपेक्षा छोटे एवं पतले होते थे। इनके किनारे अधिक पैने होते थे। ये औज़ार अधिक उपयोगी तथा दूर तक प्रहार करने में सक्षम होते थे।

प्रश्न 15.
मानव ने बोलना कैसे सीखा ?
अथवा
भाषा का विकास किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
भाषा का विकास किस प्रकार हुआ इस संबंध में अनेक मत प्रचलित हैं।

  • होमिनिड भाषा में हाव-भाव अथवा हाथों का संचालन सम्मिलित था।
  • उच्चरित भाषा से पूर्व गुनगुनाने का प्रचलन हुआ।
  • मानव भाषा का आरंभ संभवत: बुलावों की क्रिया से हुआ था जैसा कि अन्य प्राइमेटों द्वारा किया जाता था। समय के साथ-साथ इन ध्वनियों ने भाषा का रूप धारण कर लिया।

बोलने वाली भाषा का आरंभ कब हुआ इस संबंध में विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार भाषा का सबसे पहले विकास 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ था। कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार इसका विकास 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ था जब स्वरतंत्र का विकास हुआ था। इसका संबंध विशेष तौर पर आधुनिक मानव से है। कुछ अन्य विद्वानों के विचारानुसार भाषा का विकास 40,000 से 35,000 वर्ष पूर्व तब हुआ जब कला का विकास आरंभ हुआ। इसका कारण यह है कि ये दोनों ही विचार अभिव्यक्ति के माध्यम हैं। भाषा के प्रयोग से शिकार करने में तथा आश्रय बनाने में अनेक लाभ हुए।।

प्रश्न 16.
भाषा के प्रयोग से (क) शिकार करने और (ख) आश्रय बनाने के काम में कितनी मदद मिली होगी ? उस पर चर्चा करिए।
उत्तर:
1) शिकार करने में-भाषा का प्रयोग शिकार करने में निम्नलिखित पक्षों से बहुमूल्य प्रमाणित हुआ

  • लोग शिकार करने की योजना बना सकते थे।
  • वे जानवरों के क्षेत्रों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे जानवरों की प्रकृति पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे शिकार के लिए आवश्यक औज़ारों पर विचार कर सकते थे।
  • वे मारे गए जानवरों के उपयोग के संबंध में चर्चा कर सकते थे।

2) आश्रय बनाने में-भाषा का प्रयोग आश्रय बनाने में निम्नलिखित पक्षों से बहुमूल्य प्रमाणित हुआ

  • लोग आश्रय बनाने के लिए सुरक्षित क्षेत्रों पर चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के लिए उपलब्ध सामग्री की जानकारी प्राप्त कर सकते थे।
  • वे आश्रय बनाने के तरीकों के संबंध में चर्चा कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल के निकट उपलब्ध सुविधाओं पर विचार-विमर्श कर सकते थे।
  • वे आश्रय स्थल को जंगली जानवरों एवं भयंकर तूफ़ानों से सुरक्षित रखने के उपायों के बारे में सोच सकते थे।

प्रश्न 17.
हादज़ा जन समूह के विषय में आपके क्या जानते हो ?
उत्तर:
हादज़ा एक लघु समूह है जो एक खारे पानी की झील ‘लेक इयासी’ के आस-पास रहते हैं। वे शिकारी तथा खाद्य संग्राहक हैं। हादज़ा लोग केवल हाथी को छोड़ कर अन्य सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं .एवं उनका माँस खाते हैं। यहाँ यह बात स्मरण रखने योग्य है कि हादज़ा लोग विश्व में सबसे अधिक माँस खाते हैं।

इसके बावजूद वे इस बात का ख्याल रखते हैं कि शिकार को भविष्य में कोई ख़तरा न हो। वर्षा ऋतु में संपूर्ण देश में जल स्रोतों की कोई कमी नहीं रहती। ये बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। किंतु सूखे के मौसम में इनमें से अधिकाँश सूख जाते हैं। इसलिए वे प्रायः अपने शिविर जल स्रोतों से एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थापित नहीं करते हैं। हादज़ा लोग ज़मीन और उसके संसाधनों पर अपना दावा नहीं करते।

कोई भी व्यक्ति जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। वह वहाँ से कंदमूल, फल एवं शहद एकत्र कर सकता है तथा पानी ले सकता है। वास्तव में इस संबंध में हादज़ा प्रदेश में कोई प्रतिबंध नहीं है। यद्यपि हादज़ा प्रदेश में बड़ी मात्रा में जानवर शिकार के लिए उपलब्ध हैं फिर भी हादज़ा लोग अपने भोजन का 80 प्रतिशत जंगली साग-सब्जियों से प्राप्त करते हैं। वे अपने भोजन का शेष 20 प्रतिशत माँस एवं शहद से प्राप्त करते हैं।

अति संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवाश्म से आपका क्या अभिप्राय है ?
अथवा
जीवाश्म से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जीवाश्म अत्यंत प्राचीन पौधे, जानवर अथवा मानव के वे अवशेष होते हैं जो अब पत्थर का रूप धारण करके किसी चट्टान में समा गए हैं। ये लाखों वर्ष तक सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रजाति अथवा स्पीशीज़ से आपका क्या भाव है ?
उत्तर:
प्रजाति अथवा स्पीशीज़ जीवों का एक ऐसा समूह होता है जिसके नर एवं मादा मिल कर संतान उत्पन्न कर सकते हैं। किसी एक प्रजाति के जीव किसी दूसरी प्रजाति के जीव के साथ संभोग करके संतान उत्पन्न नहीं कर सकते।

प्रश्न 3.
चार्ल्स डार्विन कौन था ? उसने कौन-सा सिद्धांत पेश किया ?
अथवा
चार्ल्स डार्विन क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:
चार्ल्स डार्विन (1809-1882 ई०) ब्रिटेन का एक प्रसिद्ध विद्वान् था। उसने 1859 ई० में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पुस्तक जिसका नाम ‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़’ प्रकाशित की। इसमें उसने मानव उत्पत्ति के संबंध में विस्तृत प्रकाश डाला है।

प्रश्न 4.
मानव विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
मानव विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के उद्विकासीय पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 5.
प्राइमेट से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
प्राइमेट स्तनधारियों के विशाल समूह में एक छोटा समूह है। इस उपसमूह में बंदर, पूंछहीन बंदर एवं मानव सम्मिलित हैं। प्राइमेट 360 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए।

प्रश्न 6.
प्राइमेट की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • इनके शरीर पर बाल होते थे।
  • इनका गर्भकाल अपेक्षाकृत लंबा होता था।

प्रश्न 7.
होमिनॉइड कब अस्तित्व में आए ? उनकी कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
होमिनॉइड कौन थे ?
उत्तर:

  • होमिनॉइड 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए।
  • इनका मस्तिष्क छोटा होता था।
  • होमिनॉइड सीधे खड़े होकर नहीं चल सकते थे।

प्रश्न 8.
होमिनॉइड एवं बंदरों में कोई दो अंतर बताएँ।
उत्तर:

  • होमिनॉइड का शरीर बंदरों से बड़ा होता था।
  • उनकी पूँछ नहीं होती थी।

प्रश्न 9.
होमिनिड की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा होता था।
  • वे सीधे खड़े हो सकते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 10.
होमिनिड तथा होमिनॉइड के मध्य कोई दो अंतर बताएँ।
उत्तर:

  • होमिनिड सीधे खड़े होकर चल सकते थे। होमिनॉइड ऐसा नहीं कर सकते थे।
  • होमिनिड का मस्तिष्क होमिनॉइड की अपेक्षा बड़ा था।

प्रश्न 11.
आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म किसने, कब तथा कहाँ से प्राप्त किए ?
उत्तर:
आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म मेरी एवं लुईस लीकी ने, 17 जुलाई, 1959 ई० को ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त किए।

प्रश्न 12.
आस्ट्रेलोपिथिकस की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • इनके जबड़े अधिक भारी थे।
  • इनके दाँत बहुत बड़े थे।

प्रश्न 13.
आस्ट्रेलोपिथिकस एवं होमो में कोई दो अंतर लिखें।
उत्तर:

  • आस्ट्रेलोपिथिकस का मस्तिष्क होमो की तुलना में छोटा था।
  • आस्ट्रेलोपिथिकस के जबड़े होमो की तुलना में भारी थे।

प्रश्न 14.
‘होमो’ शब्द से आप क्या समझते हैं ? ‘होमो’ की तीन प्रजातियाँ बताएँ।।
उत्तर:
होमो लातीनी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है आदमी। वे 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। वैज्ञानिकों ने उन्हें उनकी विशेषताओं के आधार पर तीन प्रजातियों-होमो हैबिलिस, होमो एरेक्टस तथा होमो सैपियंस में बाँटा है।

प्रश्न 15.
होमो की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • होमो का मस्तिष्क बड़ा था।
  • उनके जबड़े बाहर की ओर कम निकले हुए थे।

प्रश्न 16.
होमो हैबिलिस कौन थे ?
उत्तर:
होमो हैबिलिस औजार बनाने वाले थे। वे 22 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। उनका मस्तिष्क बड़ा था। वे हाथों का दक्षतापूर्वक प्रयोग कर सकते थे। उन्होंने भाषा का प्रयोग आरंभ किया। उनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें इथियोपिया में ओमो तथा तंज़ानिया में ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 17.
होमो एरेक्टस से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे। उनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें अफ्रीका एवं एशिया से प्राप्त हुए हैं। वे बहुत समझदार थे। उन्होंने भाषा का अधिक विकास कर लिया था। उन्होंने अग्नि के संबंध में जानकारी प्राप्त कर ली थी।

प्रश्न 18.
होमो सैपियंस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
होमो सैपियंस से अभिप्राय है समझदार मानव। उसे आधुनिक मानव के नाम से भी जाना जाता है। यह मानव 1.95 से 1.60 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। इस मानव के प्राचीनतम जीवाश्म हमें अफ्रीका से प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 19.
आधुनिक मानव की कोई दो सफलताएँ लिखें।
उत्तर:

  • उसने कृषि आरंभ कर दी थी।
  • उसने सिले हुए वस्त्र पहनने आरंभ कर दिए थे।

प्रश्न 20.
प्रतिस्थापन मॉडल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
प्रतिस्थापन मॉडल इस बात का समर्थन करता है कि आधुनिक मानव का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका अपने पक्ष में वे तर्क देते हैं कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक एवं जननिक समरूपता पाई जाती है उसका कारण यह था कि उसके पूर्वज एक ही क्षेत्र भाव अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे। यहाँ से वे अन्य स्थानों को गए।

प्रश्न 21.
क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल इस बात का समर्थन करता है कि आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। अपने पक्ष में तर्क देते हुए उनका कथन है कि आधुनिक मानव में जो शारीरिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं वे इस कारण हैं कि उसका उद्भव विभिन्न भागों में हुआ।

प्रश्न 22.
हाइडलबर्ग मानव की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • उसका मस्तिष्क काफी बड़ा था।
  • उसके अंग एवं हाथ काफी भारी थे।

प्रश्न 23.
निअंडरथल मानव की कोई दो विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:

  • यह मानव कद में छोटा था।
  • उसका सिर काफी बड़ा था।

प्रश्न 24.
क्रोमैगनन मानव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्रोमैगनन मानव के जीवाश्म हमें फ्राँस से प्राप्त हुए हैं। यह मानव आज से 35 हज़ार वर्ष पहले रहा करता था। वह काफी लंबा होता था। उसका चेहरा काफी चौड़ा होता था। वह आधुनिक मानव से काफी मिलता जुलता था।

प्रश्न 25.
जावा मानव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जावा मानव के जीवाश्म 1894 ई० में डॉक्टर यूजन दुबोरस ने जावा से प्राप्त किए थे। यह मानव लगभग 5 लाख वर्ष पहले रहा करता था। इसका मस्तिष्क आधुनिक मानव से छोटा था। वह खड़ा होकर चलता था।

प्रश्न 26.
आदिकालीन मानव किन-किन तरीकों से अपना भोजन प्राप्त करता था ?
उत्तर:
आदिकालीन मानव संग्रहण द्वारा, अपमार्जन द्वारा, शिकार करके एवं मछलियाँ पकड़ कर अपना भोजन प्राप्त करता था।

प्रश्न 27.
अपमार्जन और संग्रहण से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
संग्रहण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
1) अपमार्जन-अपमार्जन से अभिप्राय त्यागी हुई वस्तुओं की सफ़ाई करने से है। आदिकालीन मानव उन जानवरों से जो अपने आप मर जाते थे अथवा किसी अन्य हिंसक जानवर द्वारा मार दिए जाते थे, की लाशों से माँस एवं मज्जा प्राप्त करते थे।

2) संग्रहण-संग्रहण से अभिप्राय है जुटाना। आदिकालीन मानव अपना भोजन संग्रहण द्वारा जुटाता था। वह पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों को एकत्र करता था। यह कार्य मुख्य तौर पर स्त्रियों एवं बच्चों द्वारा किया जाता था।

प्रश्न 28.
खाद्य संग्राहक और खाद्य उत्पादक शब्दों का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:

  • खाद्य संग्राहक-इससे अभिप्राय उस मानव से था जो जंगली पौधे खाकर एवं शिकार करके अपना गुजारा करता था।
  • खाद्य उत्पादक-इससे अभिप्राय उस मानव से था जो खेती करता था एवं पशु पालता था।

प्रश्न 29.
योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों के शिकार करने की सबसे प्रथम उदाहरण कब और कहाँ से प्राप्त हुई है ?
उत्तर:
योजनाबद्ध ढंग से शिकार करने की सबसे प्रथम उदाहरण 5 लाख वर्ष पूर्व इंग्लैंड में बॉक्सग्रोव से प्राप्त हुई है।

प्रश्न 30.
दोलनी वेस्तोनाइस कहाँ स्थित है ? यह क्यों प्रसिद्ध था ?
उत्तर:

  • दोलनी वेस्तोनाइस चेक गणराज्य में स्थित है।
  • यह शिकार के स्थल के लिए प्रसिद्ध था।

प्रश्न 31.
आदिमानव के गुफ़ाओं में निवास के कोई दो लाभ बताएँ।
उत्तर:

  • इससे जंगली जानवरों से आदिमानव को सुरक्षा प्राप्त हुई।
  • इससे आदिमानव भयंकर शीत का सामना सुगमता से कर सका।

प्रश्न 32.
लेज़रेट गुफ़ा कहाँ स्थित है ? इसका आकार क्या है ?
उत्तर:

  • लेज़रेट गुफा दक्षिण फ्रांस में स्थित है।
  • इसका आकार 12×4 मीटर है।

प्रश्न 33. टेरा अमाटा कहाँ स्थित है ? इसकी कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  • टेरा अमाटा दक्षिण फ्राँस में स्थित है।
  • इसकी छत घास-फस एवं लकडी से बनायी गयी थी।
  • इस झोंपड़ी को सहारा देने के लिए बड़े-बड़े पत्थरों का प्रयोग किया गया था।

प्रश्न 34.
चेसोवांजा कहाँ स्थित है ? वहाँ से हमें किस बात का प्रमाण मिला है ?
उत्तर:

  • चेसोवांजा केन्या में स्थित है।
  • वहाँ से हमें पत्थर के औज़ारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी एवं जली हुई हड्डियों के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 35.
आग की खोज ने आदिमानव के जीवन को कैसे प्रभावित किया ?
अथवा
आग की खोज का महत्त्व लिखिए।
उत्तर:

  • अग्नि के कारण आदिमानव अपने भोजन को पका सका।
  • अग्नि के कारण आदिमानव भयंकर शीत से अपना बचाव कर सका।
  • अग्नि के कारण आदिमानव जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा कर सका।

प्रश्न 36.
पहिए की खोज का महत्त्व लिखिए।
अथवा
पहिए के आविष्कार ने मानव जीवन में कौन-कौन से परिवर्तन लाए ?
उत्तर:

  • चाक की सहायता से अब पहले की अपेक्षा कहीं सुंदर बर्तन बनाए जाने लगे।
  • चरखे के कारण अब कपास कातना सरल हो गया।
  • पहिए का उपयोग गाड़ी खींचने के लिए भी किया जाने लगा। इससे मनुष्य एवं सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना सुगम हो गया।

प्रश्न 37.
आदिमानव के प्राचीन औज़ार किस वस्तु के बने थे ? किन्हीं दो प्रकार के औज़ारों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • आदिमानव के प्राचीन औज़ार पत्थर के बने थे।
  • उस समय हस्त कुठारों एवं गंडासों का प्रयोग होता था।

प्रश्न 38.
मानव ने बोलना कैसे सीखा?
उत्तर:
मानव ने भाषा के विकास के साथ-साथ बोलना सीखा। इसका आरंभ बोलने वाली क्रिया से हुआ। बाद में इसने ध्वनियों का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न 39.
भाषा का विकास शिकार करने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुआ ?
उत्तर:

  • इस कारण लोग शिकार संबंधी योजना बना सके।
  • इस कारण वे शिकार के लिए आवश्यक औज़ारों पर विचार कर सके।
  • इस कारण वे मारे गए जानवरों के उपयोग के संबंध में चर्चा कर सके।

प्रश्न 40.
भाषा का विकास किस प्रकार आश्रय बनाने में सहायक सिद्ध हुआ ?
उत्तर

  • इस कारण लोग आश्रय बनाने के लिए सुरक्षित क्षेत्रों की चर्चा कर सके।
  • वे आश्रय बनाने के लिए आवश्यक सामग्री पर चर्चा कर सके।
  • वे आश्रय स्थल की जंगली जानवरों से सुरक्षा के बारे में विचार कर सके।

प्रश्न 41.
आल्टामीरा गुफ़ा कहाँ स्थित है ? इसकी खोज किसने तथा कब की ? यह क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर:

  • आल्टामीरा गुफ़ा स्पेन में स्थित है।
  • इसकी खोज मार्सिलोना सैंज दि सउतुओला एवं उसकी पुत्री मारिया ने की।
  • यह चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 42.
आल्टामीरा एवं चाउवेट गुफ़ाओं से हमें किन जानवरों के चित्र प्राप्त हुए हैं ?
उत्तर:
आल्टामीरा एवं चाउवेट गुफ़ाओं से हमें बड़ी संख्या में जंगली भैंसों, बैलों, घोड़ों, पहाड़ी बकरों, हिरणों, मैमथों, गैंडों, शेरों, भालुओं, चीतों, लकड़बग्घों एवं उल्लुओं के चित्र प्राप्त हुए हैं।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 43.
मानव विज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
मानव विज्ञान से अभिप्राय एक ऐसे विज्ञान से है जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के उद्विकासीय पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 44.
हादज़ा जनसमूह के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:

  • हादजा एक लघु समूह है जो लेक इयासी के आस-पास के क्षेत्रों में रहते हैं।
  • वे शिकारी एवं खाद्य-संग्राहक थे।
  • वे भूमि एवं उसके संसाधनों पर कभी अधिकार नहीं जमाते।

प्रश्न 45.
हादज़ा जनसमूह के भोजन के बारे में बताएँ।
उत्तर:

  • उनका 80% भोजन जंगली साग-सब्जियाँ हैं।
  • उनका 20% भोजन माँस एवं शहद द्वारा पूरा किया जाता है।
  • वे हाथी को छोड़कर अन्य सभी जानवरों का माँस खाते हैं।

प्रश्न 46.
हादज़ा लोग ज़मीन एवं उसके संसाधनों पर अपना दावा क्यों नहीं करते ?
उत्तर:

  • वे जहाँ चाहें वहाँ रह सकते हैं।
  • उन्हें कहीं भी पशुओं का शिकार करने की पूर्ण स्वतंत्रता है।
  • वे कहीं से भी कंदमूल एवं शहद एकत्र कर सकते हैं।

प्रश्न 47.
हादज़ा लोगों के पास सूखा पड़ने पर भी भोजन की कमी क्यों नहीं होती ?
उत्तर:
हादज़ा लोगों के पास सूखे के मौसम में भी कंदमूल, बेर, बाओबाब पेड़ के फल बड़ी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसलिए उनके पास भोजन की कमी नहीं होती।

प्रश्न 48.
हादज़ा लोगों के शिविरों के आकार और स्थिति में मौसम के अनुसार परिवर्तन क्यों होता रहता है?
उत्तर:
नमी के मौसम में हादज़ा लोगों के शिविर आमतौर पर छोटे एवं दूर-दूर तक फैले होते हैं किंतु सूखे के मौसम में जब पानी की कमी होती है तो उनके शिविर पानी के स्रोतों के आसपास एवं घने बसे होते हैं।

प्रश्न 49.
आज के शिकारी समाजों में पाई जाने वाली कोई दो भिन्नताएँ बताओ।
उत्तर:

  • आज के शिकारी समाज शिकार एवं संग्रहण को अलग-अलग महत्त्व देते हैं।
  • उनके आकार भी छोटे-बड़े होते हैं।

प्रश्न 50.
इनमें से कौन-सी क्रिया के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं : (क) संग्रह ) औज़ार बनाना, (ग) आग का प्रयोग।
उत्तर:
इन बनाने के साक्ष्य व प्रमाण पुरातात्विक अभिलेख में सर्वाधिक मिलते हैं।

प्रश्न 51.
ट से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
फ़ट से अभिप्राय उर्वर अर्धचंद्राकार क्षेत्र से है। यह क्षेत्र मध्य सागर तट से लेकर ईरान में जागरोस पर्वतमालागीक फला हुआ था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक मानव लगभग वर्ष पूर्व पैदा हुए थे ?
उत्तर:
1,60,000.

प्रश्न 2.
‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ नामक पुस्तक की रचना किसके द्वारा की गई थी ?
उत्तर:
चार्ल्स डार्विन।

प्रश्न 3.
चार्ल्स डार्विन द्वारा अपनी पुस्तक ‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ की रचना कब की गई थी?
उत्तर:
1859 ई०।

प्रश्न 4.
प्राइमेट स्तनपायी कब अस्तित्व में आए ?
उत्तर:
360 से 240 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 5.
लेतोली कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
तंजानिया में।

प्रश्न 6.
पूर्वी अफ्रीका में आस्ट्रेलोपिथिकस वंश कब पाया गया था ?
उत्तर:
लगभग 56 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 7.
होमिनॉइड समूह कितने वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया था ?
उत्तर:
240 लाख।

प्रश्न 8.
होमिनिड कितने वर्ष पूर्व होमिनॉइड से विकसित हुए थे ?
उत्तर:
56 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 9.
‘होमो’ शब्द किस भाषा का शब्द है ?
उत्तर:
लातिनी।

प्रश्न 10.
लातिनी भाषा के शब्द ‘होमो’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
आदमी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

प्रश्न 11.
ओल्डुवई गोर्ज की खोज कब हुई ?
उत्तर:
1959 ई० में।

प्रश्न 12.
औज़ार बनाने वाले क्या कहलाते थे ?
उत्तर:
होमो हैबिलिस।

प्रश्न 13.
वे कौन-से मानव थे जो सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलना जानते थे ?
उत्तर:
होमो एरेक्टस।

प्रश्न 14.
आग के संबंध में हमें प्रथम साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुआ है ?
उत्तर:
चेसोवांजा से।

प्रश्न 15.
आधुनिक मानव की खोज कब की गई थी ?
उत्तर:
1.95 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 16.
आधुनिक मानव सर्वप्रथम कहाँ पाए गए थे ?
उत्तर:
आस्ट्रेलिया।

प्रश्न 17.
आधुनिक मानव किन वस्तुओं से औजारों का निर्माण करते थे ?
उत्तर:
पत्थरों व हड्डियों से।

प्रश्न 18.
दार-एस-सोल्तन कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
मोरक्को में।

प्रश्न 19.
जर्मनी के किस नगर से हमें योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों के शिकार एवं उनके वध का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
उत्तर:
शोनिंजन से।

प्रश्न 20.
दक्षिणी फ्राँस में स्थित टेरा अमाटा क्या है ?
उत्तर:
एक प्रसिद्ध झोंपड़ी।

प्रश्न 21.
स्वार्टक्रान्स कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में।

प्रश्न 22.
सिलाई वाली सूई का आविष्कार कब हुआ ?
उत्तर:
21,000 वर्ष पूर्व।

प्रश्न 23.
स्पेन का कौन-सा स्थान आदिमानव की चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
आल्टामीरा।

प्रश्न 24.
हादज़ा जनसमूह के बारे में किस विद्वान् ने प्रकाश डाला ?
उत्तर:
जेम्स वुडबर्न ने।

प्रश्न 25.
वर्तमान समय के दो शिकारी संग्राहक समाज कौन-से हैं ?
उत्तर:
हादज़ा एवं कुंग सैन।

प्रश्न 26.
आधुनिक मानव कब अस्तित्व में आया था ?
उत्तर:
1.95 लाख वर्ष पूर्व।

प्रश्न 27.
आदिकालीन मानव किन ढंगों से अपना भोजन एकत्रित करते थे ?
उत्तर:
संग्रहण तथा अपमार्जन।

प्रश्न 28.
होमिनिडों द्वारा संचार के लिए प्रयोग की जाने वाले अंगविक्षेप पद्धति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
हाव-भाव अथवा हाथों को हिला कर अपनी बात समझाना।।

प्रश्न 29.
अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान में रहने वाले शिकारी संग्राहक का नाम क्या था ?
उत्तर:
कुंग सैन।

प्रश्न 30.
मानव विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
इसमें मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 31.
संजातिवृत क्या होता है ?
उत्तर:
इसमें नृजातीय समूहों का विश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 32.
शिकारियों व संग्राहकों के जनसमूह को क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
हादजा जनसमूह।

प्रश्न 33.
पूर्ण मानव कहाँ निवास करते थे ?
उत्तर:
गुफ़ाओं व कच्ची झोपड़ियों में।

रिक्त स्थान भरिए

1. आधुनिक मानव लगभग …………….. वर्ष पूर्व पैदा हुए थे।
उत्तर:
1,60,000

2. ‘ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़’ नामक पुस्तक की रचना …………….. ने की थी।
उत्तर:
चार्ल्स डार्विन

3. 240 लाख वर्ष पूर्व ‘प्राइमेट’ श्रेणी में एक उपसमूह उत्पन्न हुआ जिसे …………….. कहते हैं।
उत्तर:
होमिनॉइड

4. होमिनिड प्राणियों का साक्ष्य …………….. लाख वर्ष पूर्व प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
56

5. होमिनिड जीवाश्म …………….. वंश से संबंधित है।
उत्तर:
आस्ट्रेलोपिथिकस

6. सर्वप्रथम होमिनिड जीवाश्म …………….. से पाए गए थे।
उत्तर:
पूर्वी अफ्रीका

7. ओल्डुवई गोर्ज की खोज …………….. में हुई थी।
उत्तर:
17 जुलाई, 1959 ई०

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

8. लातिनी भाषा के शब्द ‘होमो’ का अर्थ है ……………. ।
उत्तर:
आदमी

9. जर्मनी के शहर हाइडलवर्ग में पाए गए जीवाश्मों को ……….. कहा गया है।
उत्तर:
होमोहाइडल बर्गेसिस

10. होमो निअंडरथलैंसिस जीवाश्म …………….. से प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
निअंडर घाटी

11. एशिया व यूरोप से प्राप्त जीवाश्मों को ……………. कहा जाता था।
उत्तर:
हाइडवर्ग मानव

12. आधुनिक मानव की खोज …………….. में हुई थी।
उत्तर:
1.95 लाख वर्ष पूर्व

13. आधुनिक मानव सर्वप्रथम …………….. में पाए गए थे।
उत्तर:
आस्ट्रेलिया

14. …………….. तथा …………….. आदिकालीन मानवों के भोजन एकत्रित करने के मुख्य साधन थे।
उत्तर:
संग्रहण, शिकार

15. …………….. से तात्पर्य त्यागी हुई वस्तुओं की सफ़ाई करने से है।
उत्तर:
अपमार्जन

16. ……………. से अभिप्राय भोजन की तलाश करने से है।
उत्तर:
रसदखोरी

17. पूर्व मानव द्वारा …………. नामक स्थान को शिकार के लिए चुना गया था।
उत्तर:
दोलनी वेस्तोनाइस

18. मानव निर्मित वस्तुओं को ……………. कहा जाता था।
उत्तर:
शिल्पकृतियाँ

19. पूर्व मानव द्वारा …………….. तथा …………….. वस्तुओं का निर्माण किया गया।
उत्तर:
औज़ार, चित्रकारियाँ

20. पूर्व मानव …………….. तथा …………….. में निवास करते थे।
उत्तर:
गुफ़ाओं, कच्ची झोपड़ियों

21. पूर्व मानव ने औज़ारों का निर्माण …………….. के लिए किया।
उत्तर:
शिकार

22. पूर्व मानव …………….. तथा …………….. से औज़ारों का निर्माण करते थे।
उत्तर:
हड्डियों, सींगों

23. पूर्व मानव द्वारा औज़ार बनाने व प्रयोग किए जाने का सबसे प्राचीन साक्ष्य ……………. तथा से प्राप्त हुआ है।
उत्तर:
इथियोपिया, केन्या

24. ह्यूमेनिटिज शब्द लातीनी शब्द …………… से बना है।
उत्तर:
ह्यूमिनिटास

25. होमिनिड …………….. विधि द्वारा आपस में संप्रेषण व संचार करते थे।
उत्तर:
अंगविक्षेप

26. होमिनिडों द्वारा संचार के लिए प्रयोग की जाने वाली अंगविक्षेप विधि से अभिप्राय ……………. से था।
उत्तर:
हाथों को हिला कर बात करने

27. भाषा का विकास …………….. वर्ष पूर्व आरंभ हुआ।
उत्तर:
20

28. स्पेन में पूर्व मानव द्वारा निर्मित चित्र ……………. गुफ़ा से प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
आल्टामीरा

29. फ्रांस में पूर्व मानव द्वारा निर्मित चित्र …………….. तथा …………….. की गुफ़ाओं से प्राप्त हुए हैं।
उत्तर:
लैसकॉक्स, शोवे

30. अफ्रीका के कालाहारी रेगिस्तान में रहने वाले शिकारी संग्राहक का नाम …………….. था।
उत्तर:
कुंग सैन

31. मानव संस्कृति और मानव जीव विज्ञान के बारे में जानने वाले विषय को ………… कहा जाता है।
उत्तर:
मानव विज्ञान

32. ‘शिकारियों व संग्राहकों के जन समूह को …………… कहा जाता था।
उत्तर:
हादज़ा जनसमूह

33. …………. में समकालीन नृजातीय समूहों का विश्लेषणात्मक अध्ययन होता है।
उत्तर:
संजातिवृत

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. आधुनिक मानव कब अस्तित्व में आए?
(क) 2.95 से 1.60 लाख वर्ष पहले
(ख) 1.95 से 1.60 लाख वर्ष पहले
(ग) 2.95 से 1.95 लाख वर्ष पहल
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) 1.95 से 1.60 लाख वर्ष पहले

2. जीवाश्म से आपका क्या अभिप्राय है?
(क) बहुत पुराने पौधों, पशुओं एवं जानवरों के अवशेष जो पत्थर का रूप धारण करके चट्टानों में समा जाते हैं
(ख) जीवों का एक समूह जिसके नर तथा मादा मिल कर बच्चे उत्पन्न कर सकते हैं
(ग) आस्ट्रेलोपिथिकस का प्रारंभिक रूप
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(क) बहुत पुराने पौधों, पशुओं एवं जानवरों के अवशेष जो पत्थर का रूप धारण करके चट्टानों में समा जाते हैं

3. ऑन दि ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़ का लेखक कौन है?
(क) न्यूटन
(ख) आइंसटीन
(ग) गैलिलियो
(घ) चार्ल्स डार्विन।
उत्तर:
(घ) चार्ल्स डार्विन।

4. प्राइमेट कौन थे?
(क) स्तनपायी प्राणियों का समूह
(ख) एशिया के निवासी
(ग) अफ्रीका के निवासी
(घ) आदिमानव।
उत्तर:
(क) स्तनपायी प्राणियों का समूह

5. होमिनॉइड कब अस्तित्व में आए?
(क) 360 लाख वर्ष पहले
(ख) 240 लाख वर्ष पहले
(ग) 56 लाख वर्ष पहले
(घ) 160 लाख वर्ष पहले।
उत्तर:
(ख) 240 लाख वर्ष पहले

6. होमिनिडों का उद्भव कहाँ हुआ?
(क) एशिया में
(ख) अफ्रीका में
(ग) यूरोप में
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) अफ्रीका में

7. होमिनिड समूह की प्रमुख विशेषता क्या है?
(क) मस्तिष्क का बड़ा आकार
(ख) हाथ की विशेष क्षमता
(ग) पैरों के बल सीधे खड़े होना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

8. आस्टूलोपिथिकस किन दो शब्दों के मेल से बना है ?
(क) लैटिन और अंग्रेज़ी
(ख) ग्रीक और संस्कृत
(ग) फ्रेंच और जर्मन
(घ) लैटिन और ग्रीक।
उत्तर:
(घ) लैटिन और ग्रीक।

9. आस्ट्रेलोपिथिकस कब विलुप्त हो गए?
(क) 360 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 240 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 25 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 13 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(घ) 13 लाख वर्ष पूर्व।

10. निम्नलिखित में से कौन-सी होमो की प्रजाति है?
(क) होमो हैबिलिस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) होमो सैपियंस
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

11. निम्नलिखित में से कौन विकसित औज़ार बनाने वाले थे?
(क) होमो सैपियंस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) होमो हैबिलिस
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) होमो हैबिलिस

12. ओल्डुवई गोर्ज कहाँ स्थित है?
(क) इथियोपिया में
(ख) तंजानिया में
(ग) केन्या में
(घ) सूडान में।
उत्तर:
(ख) तंजानिया में

13. होमो एरेक्टस कब अस्तित्व में आए?
(क) 25 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 20 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 18 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 10 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(ग) 18 लाख वर्ष पूर्व

14. होमीनिड के सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें किस स्थान से प्राप्त हुए हैं?
(क) पूर्वी अफ्रीका
(ख) दक्षिणी अफ्रीका
(ग) उत्तरी अफ्रीका
(घ) दक्षिणी एशिया।
उत्तर:
(क) पूर्वी अफ्रीका

15. हाइडलबर्ग मानव कब अस्तित्व में आए?
(क) 25 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 18 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 8 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 1 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(ग) 8 लाख वर्ष पूर्व

16. निअंडरथल मानव के जीवाश्म सर्वप्रथम कहाँ मिले हैं ?
(क) एशिया में
(ख) यूरोप में
(ग) अमरीका में
(घ) ऑस्ट्रेलिया में।
उत्तर:
(ख) यूरोप में

17. आधुनिक मानव का वैज्ञानिक नाम क्या है ?
(क) होमो सैपियंस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) नियंडरथल
(घ) होमो हैबिलिस।
उत्तर:
(क) होमो सैपियंस

18. प्रतिस्थापन सिद्धांत के अनुसार मनुष्य का उद्भव कहाँ हुआ?
(क) एशिया में
(ख) अफ्रीका में
(ग) यूरोप में
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) अफ्रीका में

19. आदिकालीन मानव निम्नलिखित में से किस तरीके से अपना भोजन जुटाता था?
(क) संग्रहण
(ख) शिकार
(ग) अपमार्जन
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

20. मानव ने शिकार करना कब आरंभ किया?
(क) 15 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 10 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 5 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 1 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(ग) 5 लाख वर्ष पूर्व

21. शोनिंजन कहाँ स्थित है?
(क) इंग्लैंड में
(ख) पूर्वी अफ्रीका में
(ग) फ्राँस में
(घ) जर्मनी में।
उत्तर:
(घ) जर्मनी में।

22. चेक गणराज्य के किस स्थान से हमें योजनाबद्ध तरीके से शिकार करने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है?
(क) दोलनी वेस्तोनाइस
(ख) बॉक्सग्रोव
(ग) शोनिंजन
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) दोलनी वेस्तोनाइस

23. लज़ारेट गुफ़ा कहाँ स्थित है?
(क) उत्तरी फ्रांस में
(ख) दक्षिणी फ्राँस में
(ग) पूर्वी अफ्रीका में
(घ) दक्षिणी अफ्रीका में।
उत्तर:
(ख) दक्षिणी फ्राँस में

24. आदिकालीन मानव के लिए आग का प्रमुख लाभ क्या था?
(क) वह आग द्वारा गुफ़ाओं के अंदर प्रकाश करता था
(ख) वह आग द्वारा जानवरों को डराने का काम लेता था
(ग) वह आग द्वारा भोजन को पकाता था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 1 समय की शुरुआत से

25. निम्न में से किसने सर्वप्रथम पत्थर के औज़ार बनाए?
(क) आस्ट्रेलोपिथिकस
(ख) होमो एरेक्टस
(ग) होमो हाइडलबर्गसिस
(घ) निअंडरथलैंसिस।
उत्तर:
(क) आस्ट्रेलोपिथिकस

26. सर्वप्रथम भाषा का उपयोग कब आरंभ हुआ?
(क) 35 लाख वर्ष पूर्व
(ख) 30 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 25 लाख वर्ष पूर्व
(घ) 20 लाख वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(घ) 20 लाख वर्ष पूर्व।

27. स्पेन की किस गुफ़ा से हमें चित्रकला के प्राचीन साक्ष्य प्राप्त हुए हैं ?
(क) आल्टामीरा
(ख) बॉर्डर गुफ़ा
(ग) नियाह गुफ़ा
(घ) चाउवेट गुफ़ा।
उत्तर:
(क) आल्टामीरा

28. आल्टामीरा की खोज कब हुई ?
(क) 1869 ई० में
(ख) 1879 ई० में
(ग) 1885 ई० में
(घ) 1889 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1879 ई० में

29. हादज़ा जनसमूह कहाँ के रहने वाले हैं ?
(क) एशिया
(ख) अफ्रीका
(ग) यूरोप
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) अफ्रीका

30. हादजा लोग निम्नलिखित में से किस जानवर का माँस नहीं खाते हैं ?
(क) हाथी
(ख) शेर
(ग) गैंडा
(घ) जिराफ़।
उत्तर:
(क) हाथी

31. हादज़ा लोग ज़मीन और उसके संसाधनों पर अपना दावा क्यों नहीं करते?
(क) वे जहाँ चाहें रह सकते हैं
(ख) वे कहीं भी पशुओं का शिकार कर सकते हैं
(ग) वे कहीं से भी कंदमूल एवं शहद इकट्ठा कर सकते हैं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

समय की शुरुआत से HBSE 11th Class History Notes

→ मानव प्राणियों की उत्पत्ति कब हुई, इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं। प्राइमेट स्तनपायी 360 से 240 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका एवं एशिया में अस्तित्व में आए। इस समूह में बंदर, पूँछहीन बंदर एवं मानव सम्मिलित थे। होमिनॉइड 240 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। यह प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह है।

→ इसमें पूँछहीन बंदर सम्मिलित थे। इनमें सोचने की शक्ति कम थी एवं वे सीधे खड़े होकर चल नहीं सकते थे। 56 लाख वर्ष पूर्व होमिनिड समूह का विकास हुआ। इनके सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें अफ्रीका में लेतोली (तंजानिया) एवं हादार (इथियोपिया) से प्राप्त हुए हैं।

→ इनके मस्तिष्क का आकार बड़ा था तथा वे सीधे खड़े होकर चल सकते थे। आस्ट्रेलोपिथिकस के सबसे प्राचीन जीवाश्म हमें 1959 ई० में ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं। इनकी खोज मेरी एवं लुइस लीकी ने की थी। होमो की तुलना में उनके मस्तिष्क का आकार छोटा था एवं जबक भारी थे।

→ 13 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस लुप्त हो गए। होमो 25 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। उन्हें उनकी विशेषताओं के आधार पर अनेक प्रजातियों में बाँटा जाता है। होमो हैबिलिस 22 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। इनके प्राचीनतम जीवाश्म हमें ओमो एवं ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं।

→ वे औज़ार बनाने वाले के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने पत्थर के औज़ार बनाए। उन्होंने शिकार के लिए भाषा का प्रयोग आरंभ किया। होमो एरेक्टस वे मानव थे जो सीधे खड़े होकर चलना जानते थे। वे 18 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए। वे अफ्रीका से एशिया एवं फिर यूरोप में गए। उन्होंने आग का आविष्कार किया एवं भाषा का अधिक विकास किया। इससे उनके जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन आए। आधुनिक मानव को होमो सैपियंस के नाम से जाना जाता है। यह मानव 1.95 लाख वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया।

→ प्रतिस्थापन मॉडल के अनुसार उनका उद्भव अफ्रीका में हुआ। दूसरी ओर क्षेत्रीय निरंतरता मॉडल के अनुसार आधुनिक मानव की उत्पत्ति अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के विभिन्न भागों में हुई। यह मानव सबसे समझदार था। उसने खेती सीख ली थी तथा स्थायी निवास आरंभ कर दिया था। उसके औज़ार बहुत उत्तम थे। उसने सूई का आविष्कार कर लिया था। अत: उसने सिले हुए कपड़े पहनने आरंभ कर दिए थे। आदिकालीन मानव संग्रहण द्वारा, अपमार्जन द्वारा, शिकार द्वारा तथा मछली पकड़ कर अपना भोजन जुटाता था।

→ आदिमानव द्वारा योजनाबद्ध ढंग से स्तनपायी जानवरों के शिकार एवं उनके वध करने के सबसे प्राचीन साक्ष्य हमें लाख वर्ष पूर्व इंग्लैंड के बॉक्सग्रोव नामक स्थल से एवं 4 लाख वर्ष पूर्व जर्मनी के शोनिंजन नामक स्थान से प्राप्त हुए हैं। 35 हज़ार वर्ष पूर्व शिकार के तरीकों का सुधार हुआ। इस संबंध में हमें चेक गणराज्य में स्थित दोलनी वेस्तोनाइस नामक स्थल से जानकारी प्राप्त होती है।

→ आदिकालीन मानव का प्रारंभिक निवास पेड़ों पर था। 4 लाख वर्ष पर्व उसने गफ़ाओं में अपना निवास आरंभ कर दिया। इससे उसे भयंकर शीत एवं जंगली जानवरों से सरक्षा मिली। 1.25 लाख वर्ष पर्व उसने झोंपडियों का निर्माण आरंभ कर दिया था। दक्षिणी फ्राँस से प्राप्त टेरा अमाटा नामक झोंपड़ी इसकी प्रसिद्ध उदाहरण है।

→ अग्नि का आविष्कार आदिकालीन मानव के लिए बहुत क्रांतिकारी प्रमाणित हुआ। इसके प्रथम साक्ष्य हमें केन्या में चेसोवांजा तथा दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रांस से प्राप्त हुए हैं। आदिकालीन मानव के जीवन में औज़ारों का विशेष महत्त्व रहा है। प्रारंभिक औजार पत्थर के थे। इनमें हस्त कुठार, गंडासे एवं शल्क औज़ार सम्मिलित थे। इनका प्रयोग आदिमानव जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा एवं उनके शिकार के लिए करता था।

→ भाषा एवं कला के विकास ने आदिमानव के जीवन को एक नई दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्पेन में स्थित आल्टामीरा तथा फ्राँस में स्थित लैसकॉक्स एवं चाउवेट नामक गुफ़ाओं में की गई चित्रकारी को देख कर व्यक्ति चकित रह जाता है। उनकी अधिकाँश मूर्तियाँ स्त्रियों से संबंधित थीं क्योंकि वे उन्हें जनन शक्ति का स्रोत समझते थे।

→ 1960 ई० में प्रसिद्ध मानव विज्ञानी जेम्स वुडबर्न ने अफ्रीका के हादज़ा जनसमूह के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला है। उनके अनुसार हादज़ा एक छोटा समूह है जो लेक इयासी के आस-पास रहता है। वे केवल हाथी को छोड़कर अन्य सभी जानवरों का शिकार करते हैं। वे विश्व में सबसे अधिक माँस खाते हैं। वे अपने भोजन का 80% भाग जंगली साग-सब्जियों से प्राप्त करते हैं।

→ उनके प्रदेश में सूखे में भी भोजन की कोई कमी नहीं होती। वे ज़मीन एवं उसके संसाधनों पर अपना दावा नहीं करते क्योंकि वे इनका स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग करते हैं। आज का शिकारी संग्राहक समाज प्राचीन शिकारी समाज से अनेक बातों से भिन्न है। इससे अतीत के संबंध में कोई अनुमान लगाना कठिन है। ब्रिटेन के प्रसिद्ध विद्वान् चार्ल्स डार्विन ने 24 नवंबर, 1859 ई० को एक विश्व प्रसिद्ध पुस्तक ऑन दि ओरिजिन ऑफ़ स्पीशीज़ का प्रकाशन करवाया। इसमें मानव के क्रमिक विकास का विस्तृत वर्णन किया गया।

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HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

HBSE 11th Class Geography भारत-स्थिति Textbook Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चयन करें-

1. निम्नलिखित में से कौन-सा अक्षांशीय विस्तार भारत की संपूर्ण भूमि के विस्तार के संदर्भ में प्रासंगिक है?
(A) 8°41′ उ० से 35°17′ उ०
(B) 8°4′ उ० से 35°6′ उ०
(C) 8°4′ उ० से 37°6′ उ०
(D) 6°45′ उ० से 37°6′ उ०
उत्तर:
(C) 8°4′ उ० से 37°6′ उ०

2. निम्नलिखित में से किस देश की भारत के साथ सबसे लंबी स्थलीय सीमा है?
(A) बांग्लादेश
(B) पाकिस्तान
(C) चीन
(D) म्यांमार
उत्तर:
(A) बांग्लादेश

3. निम्नलिखित में से कौन-सा देश क्षेत्रफल में भारत से बड़ा है?
(A) चीन
(B) फ्रांस
(C) मिस्र
(D) ईरान
उत्तर:
(A) चीन

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

4. निम्नलिखित याम्योत्तर में से कौन-सा भारत का मानक याम्योत्तर है?
(A) 69°30′ पूर्व
(B) 75°30′ पूर्व
(C) 82°30′ पूर्व
(D) 90°30′ पूर्व
उत्तर:
(C) 82°30′ पूर्व

5. अगर आप एक सीधी रेखा में राजस्थान से नागालैंड की यात्रा करें तो निम्नलिखित नदियों में से किस एक को आप पार नहीं करेंगे?
(A) यमुना
(B) सिंधु
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) गंगा
उत्तर:
(B) सिंधु

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
क्या भारत को एक से अधिक मानक समय की आवश्यकता है? यदि हाँ, तो आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
हाँ, भारत को एक से अधिक मानक समय की आवश्यकता है, क्योंकि देशांतर रेखाओं के मानों से स्पष्ट होता है कि इनमें लगभग 30 डिग्री का अंतर होता है। हमारे देश के सबसे पूर्वी और सबसे पश्चिमी भागों के समय में लगभग 2 घंटे का अंतर है। विश्व में अनेक देश ऐसे हैं जिनमें अधिक पूर्व-पश्चिम विस्तार के कारण एक से अधिक मानक देशांतर रेखाएँ हैं; जैसे अमेरिका में लगभग 7 समय मानक या कटिबंध पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
भारत की लंबी तटरेखा के क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा है। भारत की तटीय रेखा द्वीपों सहित 7516.6 कि०मी० है। इतनी लंबी तटीय रेखा के कारण भारत विश्व में मछली उत्पादन में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके अतिरिक्त समुद्री संसाधनों से खनिज तेल, नमक, मोती आदि की भी प्राप्ति होती है।

बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के रूप में देश की तटरेखा समुद्री यातायात और पर्यावरणीय दृष्टि से लाभदायक है। तटीय रेखाओं पर स्थित समुद्री मार्गों या बंदरगाहों के माध्यम से भारत विदेशों से वस्तुओं का आयात-निर्यात करता है। इनके कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अधिक होता है।

प्रश्न 3.
भारत का देशांतरीय फैलाव इसके लिए किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
भारत 68°07′ पूर्वी देशांतर से 97°5′ पूर्वी देशांतर के बीच फैला हुआ है। इसका देशांतरीय विस्तार या फैलाव 28°55′ है। इतने कम देशांतरीय फैलाव के कारण ही भारत की एक ही मानक समय रेखा अर्थात् 80°30′ पूर्व है। यह रेखा देश के बीचो-बीच से गुजरती है, इसी कारण इसको देश का मानक समय माना जाता है। आधुनिक संदर्भ में वर्तमान देशांतरीय फैलाव मानक समय की दृष्टि से लाभप्रद है।

प्रश्न 4.
जबकि पूर्व में, उदाहरणतः नागालैंड में, सूर्य पहले उदय होता है और पहले ही अस्त होता है, फिर कोहिमा और नई दिल्ली में घड़ियाँ एक ही समय क्यों दिखाती हैं?
उत्तर:
यह बात सत्य है कि देश के पूर्वी भाग में सूर्य पहले उदय होता है और पहले ही अस्त होता है, लेकिन देश के अन्य भागों में सूर्योदय और सूर्यास्त बाद में होता है। परन्तु दोनों स्थान पर समय एक ही होता है अर्थात् घड़ियाँ एक ही समय दिखाती हैं। इसका मुख्य कारण 80°30′ पूर्व याम्योत्तर को देश की मानक याम्योत्तर चुना गया है जो देश के बीचो-बीच से गुजरती है। देश में घड़ियों के समय का निर्धारण इसी के द्वारा होता है। इसलिए देश के विभिन्न भागों में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में अंतर होने के बावजूद घड़ी के समय में अंतर नहीं होता। यही कारण है कि कोहिमा और नई दिल्ली में घड़ियाँ एक ही समय दिखाती हैं।

परिशिष्ट-I पर आधारित क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
एक ग्राफ पेपर पर मध्य प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, गोवा, केरल तथा हरियाणा के जिलों की संख्या को आलेखित कीजिए। क्या ज़िलों की संख्या का राज्यों के क्षेत्रफल में कोई संबंध है?
उत्तर:

राज्यज़िलों की संख्याराज्यों का क्षेत्रफल (वर्ग कि०मी०)
मध्य प्रदेश553,08,000
कर्नाटक311,91,791
मेघालय1122,429
गोवा023,702
केरल1438,863
हरियाणा2244,212

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति 3
हाँ, ज़िलों की संख्या का राज्यों के क्षेत्रफल से संबंध है; जैसाकि रेखाचित्र या ग्राफ से दर्शाया गया है। ग्राफ़ से पता चल रहा है कि जिस राज्य का क्षेत्रफल अधिक है उसमें जिलों की संख्या अधिक है और जिस राज्य का क्षेत्रफल कम है उसमें जिलों की संख्या भी कम है। गोवा और मध्य प्रदेश इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा, राजस्थान तथा जम्मू और कश्मीर में से कौन-सा राज्य सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला और कौन-सा एक न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है?
उत्तर:

2001 की जनगणना के अनुसार2011 की जनगणना के अनुसार
राज्यजनसंख्या घनत्व (वर्ग कि०मी०)राज्यजनसंख्या घनत्व (वर्ग कि०मी०)
उत्तर प्रदेश690उत्तर प्रदेश829
पशिचम बंगाल903पशिचम बंगाल1,029
गुजरात258गुजरात308
अरुणाचल प्रदेश13अरुणाचल प्रदेश17
तमिलनाडु480तमिलनाडु555
त्रिपुरा305त्रिपुरा350
राजस्थान165राजस्थान201
जम्मू और कशमीर99जम्मू और कश्मीर124

2001 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य पश्चिम बंगाल (903 वर्ग कि०मी०) और न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश (13 वर्ग कि०मी०) है। 2011 की जनगणना के अनुसार सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला राज्य पश्चिम बंगाल (1029 वर्ग कि०मी०) और न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य अरुणाचल प्रदेश. (17 वर्ग कि०मी०) है।

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

प्रश्न 3.
राज्य के क्षेत्रफल व जिलों की संख्या के बीच संबंध को ढूंढिए।
उत्तर:
राज्य के क्षेत्रफल व जिलों की संख्या के बीच धनात्मक संबंध पाया जाता है। यदि किसी राज्य का क्षेत्रफल अधिक है, तो उस राज्य के जिलों की संख्या भी अधिक होती है और यदि किसी राज्य का क्षेत्रफल कम है तो उसके जिलों की संख्या भी कम होती है।

प्रश्न 4.
तटीय सीमाओं से संलग्न राज्यों की पहचान कीजिए।
उत्तर:
भारत की तटीय सीमा की कुल लंबाई 7,516.6 कि०मी० है। इतनी लंबी तटीय सीमा को देश के 9 राज्यों की सीमाएँ स्पर्श करती हैं। सबसे लम्बी सीमा गुजरात की और सबसे छोटी सीमा गोवा की है। भारत के तटीय सीमा से लगने वाले राज्य निम्नलिखित हैं

तटीय सीमाओं से संलग्न राज्य अरब सागर की ओर से-

  • गुजरात
  • महाराष्ट्र
  • गोवा
  • कर्नाटक
  • केरल।

बंगाल की खाड़ी की ओर से-

  • तमिलनाडु
  • आंध्र प्रदेश
  • ओडिशा
  • पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 5.
पश्चिम से पूर्व की ओर स्थलीय सीमा वाले राज्यों का क्रम तैयार कीजिए।
उत्तर:
पश्चिम से पूर्व की ओर स्थलीय सीमा वाले राज्य निम्नलिखित हैं-

  • जम्मू और कश्मीर (अब जम्मू और कश्मीर केंद्र-शासित प्रदेश बन गया है। इसको जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख दो भागों में ट दिया गया है।)
  • हिमाचल प्रदेश
  • उत्तराखण्ड
  • उत्तर प्रदेश
  • बिहार
  • पश्चिम बंगाल और
  • अरुणाचल प्रदेश।

परिशिष्ट-II पर आधारित क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
उन केंद्र-शासित क्षेत्रों की सूची बनाइए जिनकी स्थिति तटवर्ती है।
उत्तर:

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  2. पदुच्चेरी
  3. लक्षद्वीप
  4. दमन व दीव
  5. दादर व नगर हवेली।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रफल और जनसंख्या में अंतर की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रफल और जनसंख्या में अंतर है-

वर्गराष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्लीअंडमान व निकोबार द्वीप समूह
क्षेत्रफल (वर्ग कि०मी०)1,4838,249
जनसंख्या1,67,53,2353,79,944
जनसंख्या घनत्व (प्रति वर्ग कि०मी०)11,29746

(i) 2011 की जनगणना के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की जनसंख्या अंडमान व निकोबार द्वीप समूह से अधिक है।

(ii) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का क्षेत्रफल अंडमान व निकोबार द्वीप समूह से कम है।

प्रश्न 3.
एक ग्राफ पेपर पर दंड आरेख द्वारा केंद्र शासित क्षेत्रों के क्षेत्रफल व जनसंख्या को आलेखित कीजिए।
उत्तर:
2011 की जनगणना के अनुसार-

केंद्र शासित प्रदेशक्षेत्रफल (वर्ग कि०मी०)जनसंख्या
1. दिल्ली1,4831,67,53,235
2. चण्डीगढ़11410,54,686
3. लक्षद्वीप3264,429
4. पुद्दुच्चेरी49012,44,464
5. दमन व दीव1112,42,911
6. दादर व नगर हवेली4913,42,853
7. अंडमान व निकोबार द्वीप समूह8,2493,79,944

Note-विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से ग्राफ स्वयं बनाने का प्रयास करें।

भारत-स्थिति HBSE 11th Class Geography Notes

→ अंतःक्रिया (Interaction)-दो या अधिक तत्त्वों का एक-दूसरे पर पड़ने वाला आपसी प्रभाव।

→ स्थानीय समय (Local Time)-किसी स्थान पर सूर्य की अधिकतम ऊंचाई का समय।

→ प्रामाणिक समय (Standard Time) किसी देशांतर विशेष पर सूर्य की अधिकतम ऊंचाई का समय जो उस संपूर्ण क्षेत्र में लागू किया जाए।

→ प्रायद्वीप (Peninsula)-ऐसा स्थलखंड जो तीन ओर से समुद्रों से घिरा हो।

→ सापेक्षिक स्थिति (Relative Position)निकटवर्ती स्थानों के संदर्भ में किसी क्षेत्र की स्थिति।

→ जलडमरुमध्य (Strait)-दो स्थलखंडों को अलग करता पानी का हिस्सा।

→ खाड़ी (Gulf)-विस्तृत घुमाव वाले सागरीय तट से घिरा हुआ समुद्र का एक भाग जिसका नाम निकटवर्ती क्षेत्र के आधार पर होता है; जैसे बंगाल की खाड़ी, मैक्सिको की खाड़ी इत्यादि।

→ भारत की स्थिति (Location of India)-भारत एशिया महाद्वीप का एक ऐसा देश है जो एशिया के दक्षिणी भाग में हिन्द महासागर के शीर्ष पर तीन ओर समुद्र से घिरा हुआ है। संपूर्ण भारत उत्तरी गोलार्द्ध में है।

→ राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश (States and Union Territories)-वर्तमान में भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित। प्रदेश हैं।

→ विस्तार (Expansion)-भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4′ उत्तरी अक्षांश से 37°6′ उत्तरी अक्षांश तक और देशांतर विस्तार 68°7′ पूर्वी देशांतर से 97°25′ पूर्वी देशांतर तक है।

→ आकार (Size) भारत त्रिकोणीय आकार का देश है। इसकी उत्तर से दक्षिण तक लम्बाई 3214 कि०मी० और पूर्व से पश्चिम तक लम्बाई 2933 कि०मी० है।

→ क्षेत्रफल एवं जनसंख्या (Area and Population)-क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में भारत का सातवाँ स्थान है। भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि०मी० है। जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या लगभग 121.2 करोड़ है।

  • क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य – राजस्थान
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा राज्य – गोवा
  • जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य – उत्तर प्रदेश
  • जनसंख्या की दृष्टि से भारत का सबसे छोटा राज्य – सिक्किम

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति

अन्तिम सीमा बिन्दु (Last Boundary Points)-भारत के अन्तिम सीमा बिंदु हैं-

  • उत्तरी बिंदु – इंदिरा कॉल (जम्मू-कश्मीर)
  • दक्षिणी बिंदु – इंदिरा प्वाइंट (ग्रेट निकोबार द्वीप)
  • पूर्वी बिंदु – किबिथू (अरुणाचल प्रदेश)
  • पश्चिमी बिंदु – राजहर कीक (गुजरात)
  • मुख्य भूमि की दक्षिणी सीमा – कन्याकुमारी (तमिलनाडु)

भारत: राज्य, राजधानी, क्षेत्रफल, जनसंख्या और जनसंख्या घनत्व-2011
HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति 1
भारत : केंद्र-शासित प्रदेश, राजधानियाँ, क्षेत्रफल और 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या एवं जनसंख्या घनत्व

राज्यराजधानीक्षेत्रफलजनसंख्याजनसंख्या घनत्व
1. अंडमान व निकोबार द्वीप-समूहपोर्ट ब्लेयर8,2493,79,94446
2. चण्डीगढ़चण्डीगढ़11410,54,6869,252
3. दादर व नगर हवेलीसिलवासा4913,42,853698
4. दमन व दीवदमन1112,42,9112,169
5. लक्षद्वीपकवरत्ती3264,4292,013
6. पुद्दुच्चेरीपुद्धु्चेरी49012,44,4642,598
7. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्लीनई दिल्ली1,4831,67,53,23511,297

HBSE 11th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-स्थिति 2
नोट – जून, 2014 में तेलगांना भारत का नवगठित राज्य बना। इसकी राजधानी हैदराबाद को बनाया गया।

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HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. प्राकृतिक आपदाएँ प्रतिवर्ष भारत के कितने लोगों को प्रभावित करती हैं?
(A) 2 करोड़
(B) 6 करोड़
(C) 10 करोड़
(D) 12 करोड़
उत्तर:
(B) 6 करोड़

2. विश्व के सर्वाधिक आपदा संभावित देशों में भारत का कौन-सा स्थान है?
(A) दूसरा
(B) तीसरा
(C) चौथा
(D) पाँचवां
उत्तर:
(A) दूसरा

3. सामान्यतः भारत का कितने प्रतिशत क्षेत्र सूखे से ग्रस्त रहता है?
(A) 5%
(B) 10%
(C) 14%
(D) 16%
उत्तर:
(D) 16%

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

4. निम्नलिखित में से कौन-सा एक इलाका भूकंप की दृष्टि से अति जोखिम क्षेत्र के अंतर्गत आता है?
(A) दक्कन पठार
(B) पूर्वी हरियाणा
(C) पश्चिमी उत्तर प्रदेश
(D) कश्मीर घाटी
उत्तर:
(D) कश्मीर घाटी

5. भूकंप किस प्रकार की आपदा है?
(A) वायुमण्डलीय
(B) भौमिकी
(C) जलीय
(D) जीवमण्डलीय
उत्तर:
(B) भौमिकी

6. आपदा प्रबंधन नियम किस वर्ष बनाया गया?
(A) वर्ष 2003 में
(B) वर्ष 2005 में
(C) वर्ष 2007 में
(D) वर्ष 1999 में
उत्तर:
(B) वर्ष 2005 में

7. भारत में सूखे का प्रभाव लगभग कितने क्षेत्र पर होता है?
(A) 5 लाख वर्ग कि०मी०
(B) 7 लाख वर्ग कि०मी०
(C) 10 लाख वर्ग कि०मी०
(D) 15 लाख वर्ग कि०मी०
उत्तर:
(C) 10 लाख वर्ग कि०मी०

8. भुज में विनाशकारी भूकंप कब आया था?
(A) 26 जनवरी, 1999
(B) 26 जनवरी, 2000
(C) 26 जनवरी, 2001
(D) 26 जनवरी, 2002
उत्तर:
(C) 26 जनवरी, 2001

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

9. भुज में 2001 को आए भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता क्या थी?
(A) 2.5
(B) 3.5
(C) 5.2
(D) 7.9
उत्तर:
(D) 7.9

10. आपदाओं के संबंध में कौन-सा कथन असत्य है?
(A) समय के साथ प्राकृतिक आपदाओं के प्रारूप में परिवर्तन आया है
(B) सभी संकट आपदाएँ होती हैं
(C) समय के साथ आपदाओं द्वारा किए गए नुकसान में वृद्धि हो रही है
(D) आपदाओं के भय ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है
उत्तर:
(B) सभी संकट आपदाएँ होती हैं

11. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही नहीं है?
(A) सर्वाधिक चक्रवात अक्तूबर और नवम्बर में आते हैं
(B) ये पूर्वी प्रशांत महासागर, मैक्सिको तथा मध्य अमेरिकी तट पर भी पैदा होते हैं
(C) इनकी उत्पत्ति भूमध्यरेखा के पास 0° से 5° अक्षांशों के बीच होती है।
(D) इन चक्रवातों में समदाब रेखाएँ एक-दूसरे के नजदीक होती हैं
उत्तर:
(C) इनकी उत्पत्ति भूमध्यरेखा के पास 0° से 5° अक्षांशों के बीच होती है।

12. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात सामान्यतः निम्नलिखित अक्षांश में आते हैं-
(A) 0° – 5° अक्षांशों के बीच
(B) 5° – 15° अक्षांशों के बीच
(C) 15° – 20° अक्षांशों के बीच
(D) 5° – 20° अक्षांशों के बीच
उत्तर:
(D) 5° – 20° अक्षांशों के बीच

13. आपदाओं के संबंध में जो कथन सही नहीं है, उसे चिहनित कीजिए-
(A) देश में 4 करोड़ हैक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित घोषित किया गया है
(B) देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 30 प्रतिशत भाग पर सूखे का प्रभाव रहता है
(C) सूखे का अधिक प्रभाव वहाँ पड़ता है जहाँ वर्षा की परिवर्तिता का गुणांक 20 प्रतिशत से अधिक होता है
(D) भूस्खलन की दृष्टि से हरियाणा अधिक सुभेद्यता क्षेत्र में आता है
उत्तर:
(D) भूस्खलन की दृष्टि से हरियाणा अधिक सुभेद्यता क्षेत्र में आता है

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदाएँ प्रतिवर्ष भारत के कितने लोगों को प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
लगभग 6 करोड़।

प्रश्न 2.
विश्व के सर्वाधिक आपदा सम्भावित देशों में भारत का कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
दूसरा।

प्रश्न 3.
भारत के किस राज्य में सर्दी के महीनों में बाढ़ आती है?
उत्तर:
तमिलनाडु में।

प्रश्न 4.
भूकम्पों के आने का क्या कारण है?
उत्तर:
विवर्तनिक हलचलें।

प्रश्न 5.
भारतीय प्लेट किस दिशा में खिसक रही है?
उत्तर:
उत्तर दिशा।

प्रश्न 6.
सामान्यतः भारत का कितना प्रतिशत क्षेत्र सूखे से ग्रस्त रहता है?
उत्तर:
16 प्रतिशत।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 7.
चक्रवात में समदाब रेखाओं की आकृति लगभग कैसी होती है?
उत्तर:
लगभग गोल।

प्रश्न 8.
धरातल के उस बिन्दु का नाम बताएँ जहाँ सबसे पहले भूकम्पीय तरंगें पहुँचती हैं।
उत्तर:
अधिकेन्द्र।

प्रश्न 9.
भूकम्प की तीव्रता को किस स्केल पर मापा जाता है?
उत्तर:
रिक्टर स्केल पर।

प्रश्न 10.
रिक्टर स्केल पर कितनी इकाइयाँ होती हैं?
उत्तर:
1 से 9 तक।

प्रश्न 11.
भुज में 26 जनवरी, 2001 को आए भूकम्प की रिक्टर स्केल पर तीव्रता क्या थी?
उत्तर:
7.9।

प्रश्न 12.
भारत में अत्याधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र के एक जिले का नाम लिखें।
उत्तर:
बीकानेर (राजस्थान)।

प्रश्न 13.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात सामान्यतः किन अक्षांशों में आते हैं?
उत्तर:
5° से 20° अक्षांशों के बीच।

प्रश्न 14.
भारत में बाढ़ों का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
भारी मानसून तथा चक्रवात।

प्रश्न 15.
प्रायद्वीपीय भारत में बातें कम क्यों आती हैं?
उत्तर:
नदियाँ मौसमी होने के कारण।

प्रश्न 16.
उत्तराखण्ड में भयंकर प्राकृतिक आपदा कब आई?
उत्तर:
16 जून, 2013 में।

प्रश्न 17.
पृथ्वी के अन्दर भूकम्प कितनी गहराई तक उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
75 कि०मी० की गहराई तक।

प्रश्न 18.
पृथ्वी के अन्दर भूकम्प उत्पत्ति वाले स्थान का नाम बताओ।
उत्तर:
उद्गम केन्द्र या भूकम्प मूल।

प्रश्न 19.
रिक्टर स्केल का आविष्कारक कौन था?
उत्तर:
चार्ल्स फ्रांसिस रिक्टर।

प्रश्न 20.
महाराष्ट्र के लाटूर में आए भूकम्प का क्या कारण था?
उत्तर:
भारतीय प्लेट का उत्तर दिशा में खिसकना।

प्रश्न 21.
भूकम्प और ज्वालामुखी की सर्वोत्तम व्याख्या कौन-सा सिद्धान्त करता है?
उत्तर:
प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धान्त।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूखा क्यों पड़ता है?
उत्तर:
वर्षा की परिवर्तनीयता के कारण सूखा पड़ता है।

प्रश्न 2.
भारत में आने वाली प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. बाढ़
  2. सूखा
  3. चक्रवात
  4. भू-स्खलन
  5. भूकम्प
  6. ज्वारीय तरंगें इत्यादि।

प्रश्न 3.
कोयना भूकम्प क्यों आया था?
उत्तर:
कोयना जलाशय में पानी के भारी दबाव के कारण यहाँ भूकम्प आया था।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 4.
चक्रवातों से प्रभावित भारत के तीन राज्यों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. ओडिशा
  2. आन्ध्र प्रदेश तथा
  3. तमिलनाडु।

प्रश्न 5.
प्राकृतिक आपदा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जल, स्थल अथवा वायुमण्डल में उत्पन्न होने वाली ऐसी घटना या बदलाव जिसके कुप्रभाव से विस्तृत क्षेत्र में जान-माल की हानि और पर्यावरण का अवक्रमण होता हो, प्राकृतिक आपदा कहलाती है।

प्रश्न 6.
बाढ़ संभावित क्षेत्रों में कौन-कौन से क्षेत्र आते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय बाढ़ आयोग ने देश में 4 करोड़ हैक्टेयर भूमि को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। असम, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्य सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में से हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत की ज्यादातर नदियाँ, विशेषकर पंजाब और उत्तर प्रदेश में बाढ़ लाती रहती हैं।

प्रश्न 7.
सुनामी लहरें क्या हैं?
उत्तर:
भूकम्प और ज्वालामुखी से उठी समुद्री लहरों को सुनामी लहरें तरंगें कहा जाता है। महासागरों की तली पर आने वाले भूकम्प से महासागरीय जल विस्थापित होता है जिससे ऊर्ध्वाधर ऊँची तरंगें पैदा होती हैं जिन्हें ‘सुनामी’ कहा जाता है। महासागरों के तटीय क्षेत्रों में ये तरंगें ज्यादा प्रभावी होती हैं। कई बार तो इनकी ऊँचाई 15 मीटर या इससे भी अधिक होती है।

प्रश्न 8.
सूखा किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूखा एक घातक पर्यावरणीय आपदा है। यह मनुष्य, जीव-जंतुओं, वनस्पति तथा कृषि को प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र विशेष अथवा प्रदेश या देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। किसी क्षेत्र में लंबी अवधि तक वर्षा की कमी, कम वर्षा होना, अत्यधिक वाष्पीकरण तथा जलाशयों तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाती है, जिसे सूखा कहते हैं। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार जब किसी क्षेत्र में सामान्य वर्षा से 75 प्रतिशत से कम वर्षा होती है तब सूखा उत्पन्न होता है।

प्रश्न 9.
बाढ़ से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नदी की क्षमता से अधिक जल का बहाव, जिसमें नदी तट के निकट की निम्न व समतल भूमि डूब जाए, बाढ़ कहलाती है। नदी में जल का उसकी क्षमता से अधिक विसर्जन भारी वर्षा, अत्यधिक हिम के पिघलने, प्राकृतिक अवरोध के खण्डित हो जाने तथा बाँध टूटने के परिणामस्वरूप होता है।

प्रश्न 10.
महाराष्ट्र के कोयना क्षेत्र में आए भूकंप के पीछे कौन-सा कारण माना जाता है ?
उत्तर:
कोयना बाँध महाराष्ट्र में दक्षिणी पठार पर बनाया गया है। इस क्षेत्र को स्थिर और भूकंप-रहित समझा जाता था, परन्तु यहाँ 11 दिसम्बर, 1967 में कोयना बाँध पर आए भूकंप ने सभी को अचम्भित कर दिया। यह भूकंप कोयना बाँध के जलाशय में अधिक जल के भर जाने के कारण आया। इस जल के अधिक भार के कारण स्थानीय भू-सन्तुलन बिगड़ गया तथा चट्टानों में दरारें पड़ गईं। इस भूकंप को मानवकृत भूकंप कहा जा सकता है।

प्रश्न 11.
प्राकृतिक आपदा और अकाल में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
जहाँ आपदाएँ और संकट प्राकृतिक परिघटनाएँ हैं, वहाँ अकाल एक मानव-जनित (Man made) स्थिति है। अकाल तब पड़ता है जब भोजन, दवाइयों व राहत-सामग्री की कमी तथा यातायात और संचार की अपर्याप्त सुविधा के कारण लोग भूख, बीमारी और बेबसी से त्रस्त होकर मरने लगते हैं।

प्रश्न 12.
भू-स्खलन को रोकने के दो उपाय बताइए।
उत्तर:

  1. पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाए तथा किसी नीतिगत ढंग से पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाया जाए।
  2. पर्वतों में गैर जरूरी खनन पर रोक लगाई जाए।

प्रश्न 13.
भू-स्खलन क्या होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभावाधीन पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी शिलाओं से लेकर काफी बड़े भू-भाग के ढलान के नीचे की ओर सरकने या खिसकने की क्रिया को भूस्खलन कहा जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बाढ़ से आपका क्या अभिप्राय है? बाढ़ आने के किन्हीं चार कारणों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नदी की क्षमता से अधिक जल का बहाव, जिसमें नदी तट के निकट की निम्न व समतल भूमि डूब जाए, बाढ़ कहलाती है। नदी में जल का उसकी क्षमता से अधिक विसर्जन भारी वर्षा, अत्यधिक हिम के पिघलने, प्राकृतिक अवरोध के खण्डित हो जाने तथा बाँध टूटने के परिणामस्वरूप होता है।

बाढ़ आने के कारण-बाढ़ आने के कारण निम्नलिखित हैं-
(1) भारी वर्षा-दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनें सीमित अवधि में भारी वर्षा करती हैं। इस वर्षा का तीन-चौथाई भाग मानसून पवनों द्वारा जून से सितम्बर तक प्राप्त किया जाता है। इस कारण गंगा व उसकी अनेक सहायक नदियों में वर्षा ऋतु में बाढ़ आ जाती है। इसी प्रकार पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों व पश्चिमी तटीय मैदान तथा असम में हिमालय में भारी तथा निरन्तर वर्षा के कारण ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ जाती है।

(2) उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात-भारत के पूर्वी तट पर आन्ध्र प्रदेश व उड़ीसा में तथा पश्चिमी तट पर गुजरात में बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर से उठने वाले उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात भयंकर बाढ़ लाते हैं।

(3) विस्तृत जल-ग्रहण क्षेत्र भारत की अधिकांश नदियों के जलग्रहण क्षेत्र बहुत विस्तृत हैं। परिणामस्वरूप इन नदी घाटियों के मध्य व निम्न भागों में भारी मात्रा में जल भर जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है।

(4) नदी के प्रवाह में अवरोध नदी के तली में मिट्टी व अन्य अवसादों के जमाव, भूस्खलन तथा नदी विसर्जन (Meandering) आदि से नदी के जल का प्रवाह अवरुद्ध होने लगता है। अवरोध के अचानक टूटने के बाद नदी का जल अत्यन्त तेजी के साथ बहकर निकटवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ ला देता है।

प्रश्न 2.
सूखे के चार प्रकारों के नाम लिखिए व किसी एक प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूखा निम्नलिखित प्रकार का होता है-

  • मौसम विज्ञान सम्बन्धी सूखा
  • जल विज्ञान सम्बन्धी सूखा
  • भौमिक जल सम्बन्धी सूखा
  • कृषि अथवा मृदा जल सम्बन्धी सूखा।

मौसम विज्ञान सम्बन्धी सूखा-यह सूखा सामान्य से कम वर्षा होने की स्थिति में पैदा होता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Dept.) के अनुसार, यदि दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों से औसत वार्षिक वर्षा के 75 प्रतिशत से कम हो तो सूखा पड़ता है और यदि यह वर्षा सामान्य से 50 प्रतिशत से भी कम हो तो भीषण सूखा पड़ता है।

प्रश्न 3.
भूकम्प के परिणाम बताते हुए इसके प्रभाव को कम करने के सुझाव दीजिए।
उत्तर:
भूकम्प में बड़े पैमाने पर भू-तल और जनसंख्या प्रभावित होती है। इससे जान और माल की भारी क्षति होती है तथा भूकम्प बुनियादी ढाँचे, परिवहन व संचार व्यवस्था, उद्योग और अन्य विकासशील क्रियाओं को ध्वस्त कर देता है। इससे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट पहुँचती है।

भूकम्प के प्रभाव से होने वाले नुकसान को कम करने के निम्नलिखित तरीके हैं-

  • भूकम्प-नियन्त्रण केन्द्रों की स्थापना की जाए ताकि भूकम्प सम्भावित क्षेत्रों में लोगों को सूचित किया जा सके। GPS प्रणाली की सहायता से प्लेट हलचल का पता लगाया जा सकता है।
  • भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में घरों के प्रकार और भवन डिजाइन में सुधार करना।
  • भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में भूकम्प प्रतिरोधी भवन बनाना और हल्की निर्माण सामग्री का प्रयोग करना।

प्रश्न 4.
भूकम्प आने के किन्हीं दो कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर:
1. भू-प्लेटों का खिसकना-जब अधिकांश वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि भूकम्प भू-प्लेटों के खिसकने से आते हैं। पृथ्वी का कठोर स्थलमंडल भू-प्लेटों से बना है, जिनकी औसत मोटाई 100 कि०मी० है। इन प्लेटों के नीचे दुर्बलता मंडल स्थित हैं। ये प्लेटें एक साथ गतिशील रहती हैं। इन प्लेटों के आपस में टकराने से भूकम्प पैदा होते हैं। अधिकांश भूकम्प इन प्लेटों के किनारों पर आते हैं।

2. ज्वालामुखी क्रिया-प्रचण्ड वेग से मैग्मा व गैसें जब भूपटल पर आने का प्रयास करती हैं तो कड़ी शैलों के अवशेष के कारण चट्टानों में कम्पन पैदा होता है। इसके अतिरिक्त भूपटल के कमज़ोर भागों को तोड़कर मैग्मा जब भारी विस्फोट के साथ बाहर निकलता है तो इससे चट्टानों में कम्पन आता है। लेकिन इस तरह के झटके छोटे क्षेत्र तक सीमित रहते हैं।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 5.
भारत में भूकंपीय क्षेत्रों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में कोई भी क्षेत्र भूकम्पों के प्रभाव से अछूता नहीं हैं। भारत मध्य महाद्वीपीय भूकम्प पेटी में आता है। सबसे अधिक भूकम्प भारत के हिमालयी क्षेत्र में आते हैं। इसका कारण यह है कि ये नवीन मोड़दार पर्वत आज भी ऊपर उठ रहे हैं। इससे इस क्षेत्र का सन्तुलन बिगड़ता है और भूकम्प आते हैं। अरावली से पूर्व में असम तक फैले उत्तरी भारत के मैदान में जलोढ़ के भारी जमाव द्वारा उत्पन्न भू-असन्तुलन के कारण भूकम्प आते हैं। मैदानी भाग के भूकम्प कम विनाशकारी होते हैं।

दक्कन पठार अब तक भूकम्पों से इसलिए मुक्त समझा जाता था क्योंकि यह विश्व के सबसे कठोर स्थल खण्डों में से एक है। लेकिन सन् 1967 में कोयना तथा सन् 1993 में लाटूर में आए भूकम्पों ने इस भ्रम को भी तोड़ दिया। फिर भी यह माना जा सकता है कि दक्षिणी पठार पर बहुत कम भूकम्प आते हैं। भारत में अब तक का सबसे बड़ा भूकम्प सन् 2001 में गुजरात के भुज में आया था। इसमें 50,000 से अधिक लोग मारे गए थे। सन् 2005 में कश्मीर में आए भूकम्प में भी 15,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

प्रश्न 6.
भूकम्प क्या है? उसके परिणाम लिखिए।
अथवा
भूकम्प के किन्हीं चार दुष्परिणामों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी के आंतरिक भाग में संचित दबाव तथा हलचलों के कारण तरंगों का संचरण चट्टानों में कंपन पैदा करता है, इसे भूकंप कहते हैं। भूकंप पृथ्वी की ऊपरी सतह में होने वाली विवर्तनिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न ऊर्जा से पैदा होते हैं। भूकम्प के दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

  • भूकम्पों से न केवल हजारों-लाखों लोग मारे जाते हैं, बल्कि भारी संख्या में मकान और खेत इत्यादि भी नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं।
  • भूकम्प के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन होता है जिनसे नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। इससे बातें आती हैं जो जन और धन की हानि करती हैं।
  • भूकम्प के आने पर समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं। इन भूकम्पीय समुद्री लहरों को जापान में सुनामी तरंगें (Tsunamis) कहा जाता है। ये तरंगें तटीय भागों का विनाश करती हैं।
  • भूकम्प से भूपटल पर पड़ी दरारों के कारण न केवल यातायात अवरुद्ध हो जाता है बल्कि अनेक इम पशु इनमें समा जाते हैं।

प्रश्न 7.
भू-स्खलन निवारण के मुख्य उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
भू-स्खलन निवारण के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग उपाय होने चाहिएँ, जो निम्नलिखित हैं-

  • अधिक भू-स्खलन वाले क्षेत्रों में सड़क और बाँध निर्माण कार्य पर प्रतिबन्ध होना चाहिए।
  • स्थानान्तरी कृषि वाले क्षेत्रों में (उत्तर:पूर्वी भाग) सीढ़ीनुमा खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए।
  • पर्वतीय क्षेत्रों में वनीकरण को बढ़ावा देना चाहिए।
  • जल-बहाव को कम करने के लिए बाँधों का निर्माण किया जाना चाहिए।

प्रश्न 8.
भूकम्पों से होने वाले प्रमुख लाभों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. भूकम्पों के माध्यम से हमें पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  2. भूकम्पीय बल से उत्पन्न भ्रंश और वलन अनेक प्रकार के भू-आकारों को जन्म देते हैं; जैसे पर्वत, पठार, मैदान और घाटियाँ आदि। भूमि के धंसने से झरनों और झीलों जैसे नए जलीय स्रोतों की रचना होती है।
  3. समुद्र तटीय भागों में आए भूकम्पों के कारण कम गहरी खाड़ियों का निर्माण होता है जहाँ सुरक्षित पोताश्रय बनाए जा सकते हैं।

प्रश्न 9.
भू-स्खलन के दुष्परिणामों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. बेशकीमती जान और माल की हानि होती है।
  2. नदी मार्ग अवरुद्ध हो जाने से बाढ़ें आती हैं। उदाहरणतः अगस्त, 1998 में पिथौरागढ़ का लामारी गाँव भूस्खलन से अवरुद्ध हुई काली नदी के जल में डूबकर नष्ट हो गया था।
  3. भू-स्खलनों से न केवल पर्यावरण नष्ट हो रहा है, बल्कि उपजाऊ मिट्टी के रूप में प्राकृतिक संसाधनों का भी विनाश हो रहा है।
  4. हरित आवरण विहीन ढलानों पर बहते जल का अवशोषण न हो पाने की स्थिति में जलीय स्रोत सूख रहे हैं।

प्रश्न 10.
“उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात केवल प्रायद्वीपीय भारत में ही अधिक प्रभावशाली होते हैं।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
चक्रवातों की उत्पत्ति के निम्नलिखित कारण हैं-
(1) चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए पर्याप्त कॉरियालिस बल चाहिए ताकि पवन चक्राकार घूम सके। भूमध्य रेखा व इसके दोनों ओर 5° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच कॉरियालिस बल क्षीण होता है। इसीलिए चक्रवात 5° से 20° अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं।

(2) विस्तृत समुद्री क्षेत्र जिसके तल का तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो ताकि चक्रवात को भारी मात्रा में आर्द्रता मिल सके। आर्द्र वायु के संघनित होने पर जो गुप्त ऊष्मा मुक्त होती है, वही चक्रवात की अपार ऊर्जा का स्रोत होती है।

(3) शान्त वायु क्षेत्र का होना भी आवश्यक है।

(4) चक्रवात के ऊपर 8 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रतिचक्रवात अर्थात् उच्च वायुदाब होना चाहिए ताकि धरातल से ऊपर उठने वाली वायु को बाहर निकलने का मौका मिलता रहें और धरातल में स्थित केन्द्र में निम्न वायुदाब बना रहे। दी गई दशाएँ बंगाल की खाड़ी व अरब सागर में उपलब्ध होती हैं। यही कारण है कि चक्रवात इन जलराशियों में उत्पन्न होकर निकटवर्ती भारतीय प्रायद्वीय पर अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।

प्रश्न 11.
चक्रवातों की उत्पत्ति के मुख्य कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
चक्रवातों की उत्पत्ति के निम्नलिखित कारण हैं-
(1) चक्रवातों की उत्पत्ति के लिए पर्याप्त कॉरियालिस बल चाहिए ताकि पवन चक्राकार घूम सके। भूमध्य रेखा व इसके दोनों ओर 5° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों के बीच कॉरियालिस बल क्षीण होता है। इसीलिए चक्रवात 5° से 20° अक्षांशों के बीच उत्पन्न होते हैं।

(2) विस्तृत समुद्री क्षेत्र जिसके तल का तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो ताकि चक्रवात को भारी मात्रा में आर्द्रता मिल सके। आर्द्र वायु के संघनित होने पर जो गुप्त ऊष्मा मुक्त होती है, वही चक्रवात की अपार ऊर्जा का स्रोत होती है।

(3) शान्त वायु क्षेत्र का होना भी आवश्यक है।

(4) चक्रवात के ऊपर 8 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर प्रतिचक्रवात अर्थात उच्च वायुदाब होना चाहिए ताकि धरातल से ऊपर उठने वाली वायु को बाहर निकलने का मौका मिलता रहे और धरातल में स्थित केन्द्र में निम्न वायुदाब बना रहे। यही कारण है कि चक्रवात इन जलराशियों में उत्पन्न होकर निकटवर्ती भारतीय प्रायद्वीय पर अत्यधिक प्रभावशाली होते हैं।

प्रश्न 12.
भूकम्प की आपदा से कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
भूकम्प कुदरत का एक ऐसा कहर है जिसे रोकना तो सम्भव नहीं किन्तु संगठित प्रयासों से उसके विनाश को कम किया जा सकता है। भूकम्प सैंकड़ों वर्षों के विकास को क्षण-भर में मिटा सकता है। भूकम्प का प्रतिकार करना किसी अत्यन्त शक्तिशाली शत्रु से युद्ध करने जैसा है। अतः भूकम्प के विरुद्ध एक नीतिगत रक्षा कवच बनाया जाना जरूरी है। इसके तहत न केवल भूकम्पमापी केन्द्रों की संख्या बढ़ाई जाए बल्कि भूकम्प की सूचना को कारगर तरीके से आखिरी आदमी तक फैलाया जाए। संवदेनशील भूकम्प क्षेत्रों में लोगों को भूकम्प से पहले, उसके दौरान व बाद में उठाए जाने वाले कदमों का अभ्यास करवाते रहना चाहिए। वहाँ तरंगरोधी मकानों की योजना लागू करना जरूरी है।

भूकम्प के विरुद्ध उपाय और इच्छाशक्ति जन-धन की अपार हानि को कम कर सकती है।

प्रश्न 13.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सूखे के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सूखे के निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं
(1) कृषि उपज में कमी-वर्ष 1987 के सूखे के कारण II 25 अरब से अधिक कृषि उपज का नुकसान हुआ। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों ने सूखे पर लगभग II 75 अरब व्यय किए। खाद्यान्नों के उत्पादन में लगभग 165 लाख टन की गिरावट आई। खाद्य समस्या के कारण जन-जीवन अस्त व्यस्त हो गया।

(2) प्रति व्यक्ति आय में कमी-सूखे के परिणामस्वरूप कम कृषि उपज के कारण भारत की प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है, जिसको बढ़ाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

(3) कृषि मजदूरों की दुर्दशा-सूखे का सबसे बुरा प्रभाव कृषि मजदूरों पर पड़ता है। मज़दूर बेरोज़गार हो जाते हैं, क्योंकि वर्षा न होने के कारण खेतों में कोई काम नहीं रहता और धन के अभाव के कारण मजदूरों का भूख से मरना शुरु हो जाता है।

(4) बीमारियों की बढ़ोत्तरी-सूखे में जल के अभाव के कारण अनेक बीमारियाँ पनपने लगती हैं। पौष्टिक भोजन में कमी होने के कारण बच्चों तथा स्त्रियों में बीमारियाँ बहुत फैल जाती हैं। सरकार के राहत कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं, जिससे राजस्व पूँजी में कमी आ जाती है।

(5) पशुधन में कमी-चारे के अभाव के कारण लाखों पशु मर जाते हैं, जिसका खाद्य आपूर्ति पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राकृतिक आपदाएँ क्या हैं? भारत के संदर्भ में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं का वर्णन कीजिए। अथवा भारत में प्राकृतिक आपदाओं के क्षेत्रों का वर्णन करें।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदा का अर्थ (Meaning of Natural Disaster)-जल, थल अथवा वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली एक असामान्य घटना जिसके कुप्रभाव से एक विस्तृत क्षेत्र में जान-माल की हानि तथा पर्यावरण का ह्रास होता है, प्राकृतिक आपदा कहलाती है। यह प्राकृतिक घटना जो सीमित अवधि के लिए आती है उस देश की सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था को बुरी तरह छिन्न-भिन्न कर देती है। आपदा केवल प्राकृतिक नहीं होती, यह मानव-जनित भी हो सकती है। आपदाओं के विभिन्न स्वरूपों के आधार पर उन्हें निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • प्राकृतिक अथवा भौगोलिक आपदा
  • मानवकृत अथवा कृत्रिम आपदा
  • जैविक आपदा।

विभिन्न प्राकृतिक आपदाएँ (Various Natural Disasters)-प्राकृतिक प्रकोप अथवा कारणों से उत्पन्न आपदाएँ प्राकृतिक आपदाएँ कहलाती हैं। ये धरातल के ऊपर अथवा नीचे कार्यरत शक्तियों की क्रिया का परिणाम होती हैं। विश्व जलवायु संगठन के अनुसार प्राकृतिक घटनाओं का प्रलयकारी परिणाम या इन घटनाओं की संगठित क्रिया जिससे बड़े पैमाने पर जनहानि तथा मानव क्रियाकलापों का उच्छेदन हो, प्राकृतिक आपदा कहलाती है। इनका वर्गीकरण अनेक निम्नलिखित दृष्टियों से किया जा सकता है

  • विवर्तनिक (Tectonic) आपदाएँ भूकंप (Earthquake) तथा ज्वालामुखी उदगार (Volcanic Eruption)।
  • भौमिक अथवा भू-तलीय आपदाएँ-भूस्खलन (Landslide), हिमस्खलन या हिमघाव (Avalanche) तथा भू-क्षरण।
  • वायुमंडलीय आपदाएँ-चक्रवात (Cyclone), तड़ित (Lightning), तड़ितझंझा (Thunder Storm), टारनैडो (Tomado), बादल फटना (Cloud Brust), सूखा (Drought), पाला (Frost), लू (Loo)।
  • जलीय आपदाएँ-बाढ़ (Flood), ज्वार (Tide), महासागरीय धाराएँ (Ocean Currents), सुनामी (Tsunami)।

इनमें से प्रमुख आपदाओं का विवरण इस प्रकार है–
1. भूकंप-पृथ्वी के आंतरिक भाग में संचित दबाव तथा हलचलों के कारण तरंगों का संचरण चट्टानों में कंपन पैदा करता है, इसे भूकंप कहते हैं। भूकंप पृथ्वी की ऊपरी सतह में होने वाली विवर्तनिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न ऊर्जा से पैदा होते हैं।
देश को निम्नलिखित पांच भूकंपीय क्षेत्रों में बांटा गया है-
(1) सर्वाधिक तीव्रता का क्षेत्र इस क्षेत्र में उत्तर:पूर्वी राज्य, नेपाल, बिहार सीमावर्ती क्षेत्र, उत्तराखंड, हिमालय पर्वत श्रेणी, पश्चिमी हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला क्षेत्र, कश्मीर घाटी के कुछ क्षेत्र, कच्छ प्रायद्वीप तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह सम्मिलित हैं।

(2) अधिक तीव्रता का क्षेत्र-इसके अंतर्गत कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के बचे भाग, उत्तरी पंजाब, पूर्वी हरियाणा, बिहार के उत्तरी मैदानी भाग एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश आते हैं।

(3) मध्यम तीव्रता का क्षेत्र-इसके अंतर्गत उत्तरी प्रायद्वीपीय पठार सम्मिलित हैं।

(4) निम्न तीव्रता का क्षेत्र देश के शेष बचे हुए भागों में से तमिलनाडु, उत्तर:पश्चिम तथा पूर्वी राजस्थान, ओडिशा का प्रायद्वीपीय भाग, उत्तरी मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ आते हैं।

(5) अति निम्न तीव्रता का क्षेत्र इस क्षेत्र में जोन-II के क्षेत्रों के भीतरी भाग शामिल हैं।

2. भूस्खलन-पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में चट्टानों के टुकड़ों का पर्वतीय ढलानों पर अचानक नीचे की ओर सरकना तथा लुढ़कना भूस्खलन कहलाता है। यह प्राकृतिक आपदा मुख्यतया पर्याप्त वर्षा वाले पर्वतीय क्षेत्रों में आती है। भूस्खलन एक त्वरित घटने वाली प्राकृतिक घटना है जिससे जन-धन की हानि होती है। नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं तथा यातायात प्रभावित होता है। भूस्खलन अनेक प्रकार के होते हैं, जिनमें-

  • अवपात
  • सर्पण
  • अवसर्पण
  • प्रवाह तथा
  • विसर्पण मुख्य होते हैं।

भारत के प्रमुख भूस्खलन क्षेत्र इस प्रकार है।

  • अति उच्च भूस्खलन क्षेत्र-इसमें हिमालय के राज्य; जैसे हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड आते हैं। इन क्षेत्रों में अत्यधिक हानि होती है।
  • उच्च भूस्खलन क्षेत्र इसमें समस्त पूर्वोत्तर राज्य; जैसे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, असम आदि आते हैं। यहाँ वर्षाकाल में जानमाल की हानि अधिक होती है।
  • मध्यम भूस्खलन क्षेत्र इसके अंतर्गत पश्चिमी घाट, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु राज्यों के नीलगिरी पहाड़ियों के क्षेत्र आते हैं।
  • निम्न भूस्खलन क्षेत्र-इस क्षेत्र में पूर्वीघाट के राज्यों के सागर तटीय क्षेत्र आते हैं। यहाँ वर्षाकाल में हानि अधिक है। सामान्य भूस्खलन की घटनाएँ होती रहती हैं।
  • अतिनिम्न भूस्खलन क्षेत्र इस क्षेत्र में विंध्याचल की पहाड़ियाँ तथा पठारों के भाग शामिल हैं। यहाँ कभी-कभी भूस्खलन की घटनाएँ होती हैं।

3. चक्रवात उष्ण कटिबंधीय चक्रवात 30° उत्तर से 30° दक्षिण अक्षांशों के मध्य पाए जाते हैं। साधारणतया इनका व्यास 500 से 1000 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ होता है। इनकी ऊर्ध्वाधर ऊँचाई 12-14 किलोमीटर तक होती है। प्राकृतिक आपदाओं में उष्ण कटिबंधीय चक्रवात सर्वाधिक शक्तिशाली, विध्वंसक, प्राणघातक तथा खतरनाक होते हैं। चक्रवातों को उनके था मौसम के आधार पर चार प्रकारों में बाँटा जा सकता है-

  • विक्षोभ
  • अवदाब
  • तूफान तथा
  • हरिकेन या टाइफून।

भारत में चक्रवातों का वितरण-भारत के प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। भारत में आने वाले चक्रवात इन्हीं दोनों जलीय क्षेत्रों से उत्पन्न होते हैं। बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवात अधिकतर अक्तूबर व नवम्बर में 16° से. 21° उत्तरी अक्षांश तथा 92° पूर्व देशांतर के पश्चिम में पैदा होते हैं। ये चक्रवात जुलाई के महीने में सुंदरवन डेल्टा के पास 18° उत्तर अक्षांश तथा 90° पूर्व देशांतर के पश्चिम से उत्पन्न होते हैं।

4. सूखा-सूखा एक घातक पर्यावरणीय आपदा है। यह मनुष्य, जीव-जंतुओं, वनस्पति तथा कृषि को प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र विशेष अथवा प्रदेश या देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। किसी क्षेत्र में लंबी अवधि तक वर्षा की कमी, कम वर्षा होना, अत्यधिक वाष्पीकरण तथा जलाशयों तथा भूमिगत जल के अत्यधिक प्रयोग से भूतल पर जल की कमी हो जाती है, जिसे सूखा कहते हैं। विभाग ने सूखे को दो वर्गों में बांटा है

  • प्रचंड सूखा-जब वास्तविक वर्षा सामान्य वर्षा से 50 प्रतिशत अथवा इससे भी कम होती है तो इसे प्रचंड सूखा कहते हैं
  • सामान्य सूखा जब वास्तविक वर्षा सामान्य वर्षा से 50 से 75 प्रतिशत के मध्य होती है तो इसे सामान्य सूखा कहते हैं।

भारत में सूखाग्रस्त क्षेत्र भारत में सूखे से प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्र बिहार, झारखंड का पठारी भाग, गुजरात, पश्चिमी राजस्थान, मराठवाड़ा, तेलंगाना, ओडिशा के कालाहाण्डी तथा समीपवर्ती क्षेत्र आदि मुख्य हैं। सूखे की तीव्रता के आधार पर भारत को निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में बांटा गया है
(i) अत्यधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-राजस्थान, विशेषकर पश्चिमी राजस्थान का मरुस्थल जिसमें राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर जिले शामिल हैं। यहाँ औसत वर्षा 90 मि०मी० से भी कम होती है तथा गुजरात का रन व कच्छ क्षेत्र आता है।

(ii) अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्र-इस क्षेत्र के अंतर्गत राजस्थान के पूर्वी भाग, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के पूर्वी भाग, कर्नाटक का पठारी भाग, आंध्र प्रदेश के भीतरी भाग, तमिलनाडु का उत्तरी भाग, दक्षिणी झारखंड तथा ओडिशा के भीतरी भाग सम्मिलित हैं।

(iii) मध्यम सूखा प्रभावित क्षेत्र-इसमें उत्तरी राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिले, पूर्वी गुजरात, झारखंड, तमिलनाडु से कोयम्बटूर पठार तक तथा आंतरिक कर्नाटक शामिल हैं।

5. बाढ बाढ का संबंध अतिवष्टि से है। प्राकतिक आपदाओं में बाढ भी एक अत्यंत तबाही मचाने वाली आपदा है। नदियों में जल-स्तर इतना बढ़ जाता है कि जल की विशाल राशि उन क्षेत्रों में प्रविष्ट कर जाती है जहाँ सामान्यतया उसकी उपेक्षा नहीं की जाती। इस प्रकार जल के अनियंत्रित तथा असीमित फैलाव को बाढ़ कहा जाता है। सामान्य शब्दों में वर्षा जल की अधिकता के कारण जल अपने प्रवाह मार्ग में न बहकर तटबंधों से बाहर आकर मानव अधिवासों तथा समीपवर्ती भूभाग को जलमग्न कर देता है तो उसे बाढ़ कहते हैं। सामान्यतया बाढ़ विशेष ऋतु में तथा विशेष क्षेत्र में ही आती है।

बाढ़ मूलतः प्राकृतिक कारकों का प्रतिफल है, परंतु मानवीय कारक भी इसमें सक्रिय योगदान देते हैं। मानवीय क्रियाकलाप; जैसे नदियों के मार्ग में परिवर्तन, नगरीकरण, बांध का निर्माण, अंधाधुंध वन कटाव, अवैज्ञानिक कृषि, भूमि उपयोग में परिवर्तन, बाढ़ के मैदानों में मानव अधिवास के कारण बाढ़ की तीव्रता, परिमाण तथा विध्वंसता में वृद्धि होती है

6. सुनामी-भूकम्प और ज्वालामुखी से उठी समुद्री लहरों को सुनामी तरंगें कहा जाता है। महासागरों की तली पर आने वाले भूकम्प से महासागरीय जल विस्थापित होता है जिससे ऊर्ध्वाधर ऊँची तरंगें पैदा होती हैं जिन्हें ‘सुनामी’ कहा जाता है। महासागरों के तटीय क्षेत्रों में ये तरंगें ज्यादा प्रभावी होती हैं कई बार तो इनकी ऊँचाई 15 मीटर या इससे भी अधिक होती है।

सुनामी लहरों के क्षेत्र-सुनामी लहरें आमतौर पर प्रशान्त महासागरीय तट जिसमें अलास्का, जापान, फिलीपाइन, दक्षिण-पूर्वी एशिया के दूसरे द्वीप, इण्डोनेशिया और मलेशिया तथा हिन्द महासागर में म्यांमार, श्रीलंका और भारत के तटीय भागों में आती हैं।

सुनामी लहरों के प्रभाव तट पर पहुँचने पर सुनामी लहरें अत्यधिक ऊर्जा निर्मुक्त करती हैं और समुद्र का जल तेजी से तटीय क्षेत्रों में घुस जाता है और तट के निकटवर्ती क्षेत्रों में तबाही फैलाता है। अतः तटीय क्षेत्रों में जनसंख्या अधिक होने के कारण दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की अपेक्षा सुनामी अधिक जान-माल का नुकसान पहुँचाती है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 7 प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ

प्रश्न 2.
भारत में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का वर्णन कीजिए तथा बाढ़ों से होने वाली क्षति का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नदी में जब पानी की मात्रा उसकी जलमार्ग क्षमता से अधिक हो जाती है तब उसे बाढ़ के रूप में जाना जाता है। बाढ़ की मात्रा घर्षण की मात्रा और तीव्रता, तापमान, तथा ढाल पर निर्भर करती है। लम्बी अवधि तक होने वाली वर्षा से मिट्टी अपनी सम्पूर्ण क्षमता तक पानी से परिपूर्ण हो जाती है और वहाँ का अनुपात बढ़ता जाता है। बजरी, जिसके नीचे अप्रवेश्य पदार्थ न हो, इसका अपवाद है। जहाँ पर झंझावातों द्वारा भारी वर्षा होती है, वहाँ बाढ़ का खतरा अधिक होता है। बाढ़ निम्नलिखित दो प्रकार की होती है

आकस्मिक बाढ़-इनकी अवधि बहुत छोटी होती है, इस प्रकार की बाढ़ गरज के साथ होने वाली प्रबल बौछारों से आती है। दीर्घ अवधि बाद-लम्बे समय तक वर्षा होने के कारण जल की मात्रा बहुत बढ़ जाती है, जिससे सम्पूर्ण जल विभाजक क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है।।

भारत में बाढ़ग्रस्त क्षेत्र बाढ़ से जन-जीवन अव्यवस्थित हो जाता है। जन-धन की अपार हानि होती है। शहरी क्षेत्र में पेय जल की समस्या के कारण अनेक बीमारियाँ पनपने लगती हैं। भारत का अधिकांश भाग बाढ़ सम्भावित क्षेत्र है। अधिकांश बाढ़ भारत के उत्तरी भाग में आती है। गंगा तथ ब्रह्मपुत्र नदियों के अप्रवाह क्षेत्र में भारत का 60% बाढ़ग्रस्त क्षेत्र आता है। हर वर्ष गंगा, यमुना, सतलुज, रावी, व्यास, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा, कावेरी, महानदी आदि नदियों में बाढ़ आती है।

असम, बिहार, आन्ध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश आदि में बाढ़ का प्रकोप बना रहता है। कोसी, तिस्ता और टोर्सा नदियाँ हिमाचल से उतरकर अवसादों के निक्षेपण से अपने रास्ते बदल लेती हैं। कोसी नदी को ‘शोक की नदी’ कहा जाता है, क्योंकि इससे काफी मात्रा में फसल नष्ट होती है। ब्रह्मपुत्र नदी असम में बाढ़ लाती है। हुगली नदी पश्चिमी बंगाल में बाढ़ लाती है। महानदी से ओडिशा के कई भाग प्रभावित होते हैं। हरियाणा में जल निकास की अव्यवस्था के कारण बाढ़ आ जाती है।

बाढ़ से होने वाली क्षति या प्रभाव-बाढ़ों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ा है-

  • बाढ़ों से फसलें समाप्त हो जाती हैं। कृषि उपज में गिरावट आ जाती है।
  • प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है।
  • बिजली आपूर्ति ठप्प होने से करोड़ों रुपए की हानि होती है।
  • कृषि भूमि अनुपजाऊ बन जाती है।
  • परिवहन तन्त्र गड़बड़ा जाता है।
  • उत्पादन प्रक्रिया ठप्प होने से काफी नुकसान होता है।
  • विकास कार्य रुक जाते हैं।
  • राहत कार्यों पर करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं।
  • पीने का पानी, खाद्य सामग्री की व्यवस्था बिगड़ जाती है।

इस प्रकार प्रत्येक वर्ष भारत में सूखा तथा बाढ़ के प्रकोप से करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। हमारी अर्थव्यवस्था में गिरावट का यह मुख्य कारण है। अतः हमें सूखा तथा बाढ़ को रोकने के लिए समय-समय पर उचित कदम उठाने चाहिएँ। हमें योजना बनाकर इस समस्या से निपटना चाहिए। हमारे द्वारा किया गया सही नियोजन करोड़ों रुपयों की पूँजी बचा सकता है।

प्रश्न 3.
एक प्राकृतिक आपदा के रूप में भूकम्प क्या है? इसके कारणों तथा परिणामों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण जब धरातल का कोई भाग अकस्मात् काँप उठता है तो उसे भूकम्प कहते हैं। चट्टानों की तीव्र गति के कारण हुआ यह कम्पन अस्थायी होता है। भूकम्प आने के कारण भूकम्प आने का मुख्य कारण पृथ्वी की सन्तुलित अवस्था में व्यवधान का पड़ना है। सन्तुलन की अवस्था में अस्थिरता निम्नलिखित कारणों से आती है-
1. भू-प्लेटों का खिसकना-पृथ्वी का कठोर स्थलमंडल भू-प्लेटों से बना है। इन प्लेटों के नीचे दुर्बलता मंडल स्थित हैं। ये प्लेटें एक साथ गतिशील रहती हैं तथा इन प्लेटों के आपस में टकराने से भूकम्प पैदा होते हैं। अधिकांश भूकम्प इन प्लेटों के किनारे पर आते हैं।

2. ज्वालामुखी क्रिया प्रचण्ड वेग से मैग्मा व गैसें जब भूपटल पर आने का प्रयास करती हैं तो कड़ी शैलों के अवरोध के कारण चट्टानों में कम्पन पैदा होती है। इसके अतिरिक्त भूपटल के कमजोर भागों को तोड़कर मैग्मा जब भारी विस्फोट के साथ बाहर निकलता है तो इससे चट्टानों में कम्पन आती है।

3. भूपटल का संकुचन पृथ्वी के भीतर का भाग धीरे-धीरे ठण्डा होकर सिकुड़ रहा है। ऊपर की चट्टानें जब नीचे की सिकुड़ती हुई चट्टानों से समायोजन करती हैं तो शैलों में आई अव्यवस्था के कारण भूकम्प आते हैं।

4. भूसन्तुलन भूपटल की ऊपरी चट्टानों ने ऊपर-नीचे समायोजित होकर सन्तुलन बना लिया है। कालान्त भू-भागों के अपरदन से उत्पन्न तलछट धीरे-धीरे समुद्री तली में निक्षेपित होने लगता है। इससे पृथ्वी का सन्तुलन भंग हो जाता है। अतः पुनः सन्तुलन प्राप्त करने की प्रक्रिया भूकम्प को जन्म देती है।

5. इलास्टिक रिबाऊन्ड सिद्धान्त-चट्टानें रबड़ की तरह प्रत्यास्थ होती हैं, इनमें पैदा होने वाले सम्पीड़न और तनाव की एक सीमा होती है। उस सीमा के बाद शैल और अधिक तनाव सहन नहीं कर सकती और वह टूट जाती है; ठीक उसी प्रकार जैसे रबड़ अत्यधिक खिंचाव के बाद टूट जाती है। शैल खण्डों का अकस्मात् टूटना और पुनः अपना स्थान ग्रहण करना भूकम्प पैदा करता है।

6. जलीय भार जब कभी मानव-निर्मित बड़े-बड़े जलाशयों में जल एकत्रित कर लिया जाता है तो जल भार से नीचे की चट्टानों पर दबाव बढ़ता है। इससे भूसन्तुलन अस्थिर हो जाता है। अतः उस क्षेत्र में जब भूसन्तुलन पुनः स्थापित होता है तब भूकम्प आते हैं।

7. गैसों का फैलाव-भूगर्भ में ऊँचे ताप के कारण चट्टानों के पिघलने और रिसे हुए समुद्री जल के उबलने से गैसों की उत्पत्ति होती है। चट्टानों पर सतत् बढ़ता हुआ दबाव उनमें कम्पन पैदा करता है।

8. अन्य कारण भस्खलन (Landslide), भारी हिमखण्डों (Avalanches) का ढलानों से नीचे गिरना, चना प्रदेशों (Karst Regions) में बड़ी गुफाओं की छतों का गिरना, खानों (Mines) की छतों का नीचे बैठना, पोखरण जै परीक्षण तथा भारी मशीनों और रेलों का चलना आदि ऐसे कारण हैं जो स्थानीय स्तर पर भूकम्प लाते हैं।

भूकम्पों से होने वाली हानियाँ (परिणाम)-
(1) भूकम्पों से न केवल हजारों-लाखों लोग मारे जाते हैं, बल्कि भारी संख्या में मकान और खेत इत्यादि भी नष्ट-भ्रष्ट हो जाते हैं। बीसवीं शताब्दी में लाखों भूकम्प आए किन्तु इनमें से केवल 34 भूकम्प ऐसे थे जिनके कारण लगभग 67 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु हुई।

(2) भूकम्प के कारण बड़े पैमाने पर भूस्खलन होता है जिनसे नदियों के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। इससे बातें आती हैं जो जन और धन की हानि करती हैं।

(3) भूकम्प के आने पर समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठती हैं। इन भूकम्पीय समुद्री लहरों को जापान में सुनामी तरंगें (Tsunamis) कहा जाता है। ये तरंगें तटीय भागों का विनाश करती हैं। सन् 1960 में चिली में आए भूकम्प से उत्पन्न सुनामी तरंगों ने काफी कहर बरसाया था।

(4) भूकम्प से भूपटल पर पड़ी दरारों के कारण न केवल यातायात अवरुद्ध हो जाता है बल्कि अनेक इमारतें, मनुष्य और पुश इनमें समा जाते हैं। सन् 1897 में असम में आए भूकम्प के कारण वहाँ 12 मील लम्बी व 35 फुट चौड़ी दरार पड़ गई थी।

(5) भूकम्प से पड़ी दरारों में से गैस, जल व कीचड़ आदि बाहर निकलते रहते हैं। गैसें वायु के सम्पर्क में आकर प्रज्ज्वलित हो उठती हैं जिससे भीषण आग लग जाती है। जल और कीचड़ में आसपास के क्षेत्र डूब जाते हैं।

प्रश्न 4.
भूस्खलन के कारणों और प्रभावों पर टिप्पणी कीजिए।
अथवा
भूस्खलन के कारण और इससे होने वाले दुष्परिणामों या संकटों का वर्णन करें।
उत्तर:
भूस्खलन के कारण यद्यपि भूस्खलन प्रकृति-जनित दुर्घटना है, लेकिन इस आपदा की आवृत्ति व उसके प्रभाव को बढ़ाने में मनुष्य की भूमिका को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। भूस्खलन के जिम्मेदार प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं-
1. वनों का विनाश-वक्षों की जड़ें मिट्टी को जकड़े रहती हैं। इससे वर्षा का बहता जल मिट्टी में कटाव नहीं कर पाता । वनों के विनाश से जल ढाल पर निर्बाध गति से बहता है और वृहत् स्तर पर मिट्टी और मलबे को बहा ले जाता है। वनों का विनाश मुख्यतः निम्नलिखित कारणों से होता है

  • पहाड़ों पर बढ़ती जनसंख्या खेती के लिए वनों को साफ करती है और ईंधन के लिए वृक्षों को काटती है।
  • जनसंख्या के साथ पशुओं-गाय, भेड़-बकरी आदि की संख्या भी बढ़ रही है। पशुओं से होने वाले अति चारण से वनस्पति का आवरण तेजी से हट रहा है।
  • वन विभागों व ठेकेदारों की मिली-भगत से ‘वुड माफ़िया’ पनप जाता है जो भ्रष्ट तरीकों के नियत संख्या से ज्यादा पेड़ काट लेते हैं।

2. भकम्प हिमालयी क्षेत्र में प्रायः आने वाले भूकम्प के झटके शिलाखण्डों को हिला देते हैं जिससे वे टकर नीचे की ओर खिसक जाते हैं।

3. सड़क निर्माण-पहाड़ों में सड़क निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। वहाँ एक किलोमीटर लम्बी सड़क बनाने के लिए लगभग 6 हजार घन मीटर मलबा हटाना पड़ता है। इतनी बड़ी मात्रा में ढीला मलबा जहाँ भी पड़ता है, वर्षा के जल का अवशोषण कर ढलान के साथ नीचे की ओर सरक कर विनाश का कार्य करता है।

4. भवन निर्माण-पहाड़ों में बढ़ती जनसंख्या के लिए मकान व पर्यटन के विकास के लिए भवन एवं स्थल विकसित किए . जा रहे हैं। इन क्रियाओं से भी भूस्खलन में वृद्धि होती है।

5. स्थनान्तरी कृषि-उत्तर:पूर्वी राज्यों के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी प्रचलित स्थानान्तरी अथवा झूम कृषि वनों को साफ करके की जा रही है। इससे भी भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ती हैं।

भूस्खलन से होने वाले संकट (दुष्परिणाम) अथवा प्रभाव भूस्खलन से होने वाले दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

  • बेशकीमती जान और माल की हानि होती है।
  • नदी मार्ग अवरुद्ध हो जाने से बाढ़ें आती हैं। उदाहरणतः अगस्त, 1998 में पिथौरागढ़ का लामारी गाँव भूस्खलन से अवरुद्ध हुई काली नदी के जल में डूबकर नष्ट हो गया था।
  • भूस्खलनों से न केवल पर्यावरण नष्ट हो रहा है, बल्कि उपजाऊ मिट्टी के रूप में प्राकृतिक संसाधनों का भी विनाश हो रहा है।
  • हरित आवरण विहीन ढलानों पर बहते जल का अवशोषण न हो पाने की स्थिति में जलीय स्रोत सूख रहे हैं।

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

HBSE 10th Class Science नियंत्रण एवं समन्वय Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन सा पादप हॉर्मोन है –
(a) इन्सुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) सायटोकाइनिन।
उत्तर-
(d) सायटोकाइनिन।

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य खाली स्थान को कहते हैं –
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्सॉन
(d) आवेग।
उत्तर-
(b) सिनेप्स।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है –
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का सन्तुलन बनाने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों, क्या समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं ?
उत्तर-
शरीर में स्थित संवेदांग (Sensory receptors) शरीर के भीतरी एवं बाहरी वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का अनुभव करके संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को पहुँचा देते हैं। ये संवेदांग ग्राही कहलाते हैं। गन्ध का ज्ञान घ्राणग्राही द्वारा, स्वाद का ज्ञान स्वादग्राही द्वारा, स्पर्श का ज्ञान त्वक्ग्राही द्वारा, ध्वनि तथा सन्तुलन का ज्ञान श्रवणोसन्तुलनग्राही द्वारा होता है। जब ग्राही अपना कार्य सामान्य रूप से नहीं करते हैं तो उपर्युक्त संवेदनाओं को ग्रहण नहीं किया जा सकता जिससे कभी-कभी विकराल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

जैसे-गर्म वस्तु पर हाथ पड़ने पर यदि ताप की पीड़ा का उद्दीपन संवेदी तंत्रिका द्वारा केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में प्रेषित नहीं होगा तो व्यक्ति जलकर घायल हो जाएगा। सामान्य स्थिति में प्रतिवर्ती क्रिया के फलस्वरूप गर्म वस्तु पर हाथ पड़ने पर ताप का उद्दीपन संवेदी तंत्रिका द्वारा मेरुरज्जु में पहुँचता है और चालक तंत्रिका द्वारा सम्बन्धित कंकाल पेशी को पहुँचा दिया जाता है। कंकाल पेशी में संकुचन के फलस्वरूप हाथ गर्म वस्तु से हट जाता है।

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प्रश्न 5.
एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए। (नमूना प्र.प. 2012, राज. 2015)
उत्तर-
तंत्रिका कोशिका की संरचना (Structure of Neuron) –
(1) केन्द्रक (Nucleus) केन्द्रक तंत्रिका कोशिका का केन्द्र होता है। यह तंत्रिका कोशिका को कार्य करने के निर्देश देता है एवं सभी प्रकार के संदेशों का वहन इसकी सहायता से ही होता है।
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(2) कोशिकाकाय (Cell Body)-यह केन्द्र के चारों ओर बना होता है। इसका कार्य केन्द्रक की सुरक्षा करना होता है।
(3) दुमिका (Dendrite)-दूमिका, तंत्रिका कोशिका के सिरे पर बनी होती है, इसका कार्य तंत्रिका से जुड़ने का होता है।
(4) तंत्रिकाक्ष (Axon)-इसका कार्य पिछली तंत्रिका के अन्तिम सिरे से प्राप्त संदेश को उसके केन्द्रक तक पहुँचाना होता है।
तंत्रिका कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती है
(i) संवेदी तंत्रिकोशिका-संवेदनाओं को शरीर के विभिन्न भागों से मस्तिष्क की ओर ले जाती है।
(ii) प्रेरक तंत्रिकोशिका-यह मस्तिष्क से आदेशों को पेशियों तक ले जाती हैं।
(iii) बहुध्रुवी तंत्रिकोशिका-यह संवेदनाओं को मस्तिष्क की ओर तथा मस्तिष्क से पेशियों की ओर ले जाती है।

तंत्रिका कोशिका के कार्य-

  • तंत्रिका कोशिका आपस में मिलकर श्रृंखलाएँ बनाती हैं। ये उद्दीपन और प्रेरणाओं को विद्युत् आवेश के रूप में द्रुत गति से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाती हैं जिससे क्रियाएँ तुरन्त सम्पन्न हो जाती हैं। .
  • तंत्रिका कोशिका का अन्य कार्य अवचेतन मस्तिष्क से जुड़े रहना भी है गौरतलब है कि अवचेतन मस्तिष्क मनुष्य के जीवन से जुड़ी सभी यादों को सुरक्षित एवं संग्रहित करके रखता है। इस कारण तंत्रिका कोशिका का कार्य अनेकों क्षणों की प्रतिमा पहुँचाना भी है।

प्रश्न 6.
पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर-
पादप प्ररोह का प्रकाश की ओर मुड़ना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। प्ररोह में एक पादप हॉर्मोन ऑक्सिन का स्रावण होता है। जब प्ररोह को एक दिशीय प्रकाश मिलता है तो ऑक्सिन प्रकाश की विपरीत दिशा की ओर विसरित हो जाता है। ऑक्सिन के कारण प्रकाश के विपरीत दिशा वाली प्ररोह कोशिकाएँ तीव्र विभाजन करती हैं जिससे पादप प्ररोह प्रकाश की ओर मुड़ जाता है।
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प्रश्न 7.
मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों को आने में व्यवधान होगा?
उत्तर-
मेरुरज्जु आघात में प्रतिवर्ती क्रियाएँ तथा अनैच्छिक ‘क्रियाओं के लिए आने वाले संकेतों में व्यवधान होगा।

प्रश्न 8.
पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
पादप में रासायनिक समन्वय हॉर्मोन्स द्वारा होता है। पादपों में उद्दीपित कोशिकाएँ विभिन्न हॉर्मोन्स का स्रावण करती हैं। विभिन्न हॉर्मोन्स पौधों की वृद्धि, विकास एवं पर्यावरण के प्रति अनुक्रिया के समन्वयन में सहायता करते हैं। हॉर्मोन्स का संश्लेषण प्रायः क्रिया क्षेत्र से दूर होता है और इनका स्थानान्तरण विसरण द्वारा होता है।

उदाहरण के लिए, वृद्धि हॉर्मोन पादप प्ररोह के शीर्ष भाग में संश्लेषित होकर विभिन्न भागों में पहुँचता है जो कि कोशिका प्रवर्धन, शीर्ष प्रभावन, जड़ों की वृद्धि में कमी उत्पन्न करता है। इसी प्रकार साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन को उत्प्रेरित करता है। एब्सीसिक अम्ल पतझड़ के मौसम में पर्णविलगन को बढ़ाता है। एथिलीन हॉर्मोन फलों के पकने में सहायता प्रदान करते हैं।

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प्रश्न 9.
एक जीव में नियन्त्रण एवं समन्वयन के तंत्र की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
किसी भी जीव को अपने पर्यावरण में स्वयं के अस्तित्व के लिए नियन्त्रण एवं समन्वय की आवश्यकता होती है। सभी पादपों एवं प्राणियों में नियन्त्रण एवं समन्वय की क्षमता पायी जाती है। जीव में नियन्त्रण एवं समन्वय तंत्र की आवश्यकता निम्न दो प्रमुख प्रकार्यों के लिए होती है
1. इससे शरीर के विभिन्न अंग एवं अंगतंत्र एक सुनिश्चित तथा व्यवस्थित तरीके से कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, जब हम भोजन करते हैं तो इस समय हमारे हाथ भोजन लेकर मुँह की ओर आते हैं, घ्राण अंग भोजन की गन्ध लेते हैं, चक्षु भोजन को देखते हैं, दाँत भोजन को चबाते हैं, उसी समय लार स्रावित होती है इत्यादि। ये सभी अंग एवं अंगतंत्र एक नियन्त्रित तरीके से कार्य करते हैं।

2. बहुत सी क्रियाएँ आदतन हो जाती हैं, जैसे-गर्म वस्तु को छूने पर हाथ का दूर छिटकना, काँटा चुभने पर अंग को वापस खींचना आदि। ये क्रियाएँ हमारे मस्तिष्क में विचार आने से पहले ही घट जाती हैं। पौधों में भी ऐसी अनेक क्रियाएँ होती हैं, जैसे प्रतानों का आधार के सहारे लिपटना आदि।

प्रश्न 10.
अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर-
अनैच्छिक एवं प्रतिवर्ती क्रियाओं में भिन्नता-

प्रतिवर्ती क्रियाएँ (Reflex Action)अनैच्छिक क्रियाएँ (Involuntary Action)
हमारे शरीर में अनेक क्रियाएँ ऐसी होती हैं जो शीघ्र घटित होती हैं और उनका नियन्त्रण मस्तिष्क द्वारा न होकर मेरुरज्जु द्वारा हो जाता है। ऐसी क्रियाओं को प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहते हैं। उदाहरण के लिए, किसी गर्म वस्तु से हाथ छू जाने पर हाथ का पीछे खींचा जाना।हमारे शरीर में अनेक ऐसी क्रियाएँ भी होती हैं जिनका नियन्त्रण मस्तिष्क द्वारा होता है। ऐसी क्रियाएँ अनैच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं। जैसे, भोजन को देखकर मुँह में लार आना, उल्टी होना आदि। इन क्रियाओं का नियन्त्रण केन्द्र पश्च- मस्तिष्क का मेडुला भाग होता है।

प्रश्न 11.
जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वयन के लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक (Contrast) कीजिए।
उत्तर-
जन्तुओं में नियन्त्रण एवं समन्वयन दो तंत्रों के द्वारा होता है-
(i) तंत्रिका तंत्र (Nervous System),
(ii) हॉर्मोनी तंत्र या अन्तःस्रावी तंत्र (Endocrine System)।

तन्त्रिकीय नियन्त्रणहॉर्मोनिक क्रियाविधि
1. यह तंत्रिकाओं द्वारा होता है तथा तंत्रिकाएँ शरीर में जाल बनाती हैं।यह हॉर्मोन्स द्वारा होता है। हॉर्मोन्स का स्रावण अन्तः ग्रन्थियों द्वारा होता है।
2. यह एक तीव्रगामी क्रिया है। तंत्रिकाओं द्वारा तुरन्त आवश्यक क्रियाओं का नियन्त्रण होता है।यह एक मन्द गति से होने वाली क्रिया है।
3. इससे तंत्रिका कोशिकाएँ संवेदांगों से उद्दीपन प्राप्त करके इन्हें मस्तिष्क या मेरुरज्जु तक पहुँचाती हैं। ये उद्दीपन, प्रेरणाओं के रूप में मस्तिष्क द्वारा कार्यकारी अंगों तक विद्युत् आवेश के रूप में प्रेषित किये जाते हैं।हॉर्मोन्स अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित होकर लक्ष्य कोशिकाओं में पहुँचकर उनकी उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करते हैं।
4. इसके कार्यकर अंग प्रायः पेशियाँ या ग्रंथिंया होती है। यह अंग प्रतिक्रिया को प्रदर्शित करते हैं।हॉर्मोन प्रायः पाचन, वृद्धि जनन, स्त्रावण, उपापचय आदि क्रियाओं का नियन्त्रण और नियमन करते हैं।

प्रश्न 12.
छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँगों में होने वाली गति के तरीके में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
छुई-मुई पादप में गति-छुई-मुई पादप में गति स्पर्श उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया के फलस्वरूप होती है। ऐसी गति को स्पर्शानुकुंचन (Thigmonasty) कहते हैं। जब पत्ती को छूते हैं तब उद्दीपन पत्ती में आधार तक संचरित हो जाता है और पत्तियाँ नीचे की ओर झुक जाती हैं। यह आधार कोशिकाओं में परासरणीय दाब में कमी होने के कारण होता है।

हमारे पैरों (टाँगों) की गति-हमारे पैरों की हड्डियों से कंकाल पेशियाँ जुड़ी होती हैं और पेशियों का सम्बन्ध तंत्रिकाओं से होता है। इन तंत्रिकाओं का संचालन मस्तिष्क द्वारा न होकर मेरुरज्जु द्वारा क्रियाएँ कहलाती हैं। जैसे, हो जाता है। ऐसी क्रियाओं भोजन को देखकर मुँह में लार को प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहते आना, उल्टी होना आदि। इन हैं। उदाहरण के लिए, क्रियाओं का नियन्त्रण केन्द्र किसी गर्म वस्तु से हाथ छु पश्च- मस्तिष्क का मेडुला जाने पर हाथ का पीछे खींचा भाग होता है। जाना।

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(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 132)

प्रश्न 1.
प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अन्तर है ?
उत्तर-
प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच अन्तर-

प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action)टहलना (Walking)
1. वे क्रियाएँ जिन्हें हम अपनी इच्छानुसार नहीं कर सकते प्रतिवर्ती क्रियाएँ कहलाती हैं।वे क्रियाएँ जिन्हें हम अपनी इच्छानुसार कर सकते हैं ऐच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं अतः टहलना एक ऐच्छिक क्रिया है।
2. यह क्रिया मेरुरज्जु द्वारा नियन्त्रित होती हैं।यह मस्तिष्क द्वारा नियन्त्रित होता है।

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्गंथन (सिनेप्स) में क्या होता है ?
उत्तर-
तंत्रिका तंत्र में तंत्रिका कोशिकाएँ आपस में जुड़कर शृंखलाएँ बनाकर सूचनाओं का प्रेषण करती हैं। दो र तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) पर न्यूरॉन के तंत्रिकाक्ष (axon) का घुण्डीनुमा अन्तिम छोर । दूसरी न्यूरॉन के डेन्ड्राइट के साथ सन्धि बनाता है।
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“निकटवर्ती तंत्रिका कोशिकाओं की जोड़ी के बीच अति सूक्ष्म रिक्त स्थान जिसके पार तंत्रिका आवेगों को जब एक तंत्रिका कोशिका से अगली तंत्रिका कोशिका को जाने पर, आगे बढ़ाया जाता है, अंतर्ग्रथन कहलाता है।” अंतर्ग्रथन वास्तव में एकलमार्ग वाल्वों की तरह कार्य करते हैं। कारण यह है कि सन्धि स्थल पर रासायनिक पदार्थ केवल एक तरफ उपस्थित होता है। इसके कारण न्यूरॉन के एक विशिष्ट सेट के द्वारा तंत्रिका आवेग केवल एक तरफ से ही पार जा सकते हैं।

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प्रश्न 3.
मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा सन्तुलन का अनुरक्षण करता है ?
उत्तर-
पश्च मस्तिष्क (Hind brain) का अनुमस्तिष्क (Cerebellum) भाग हमारे शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है।

प्रश्न 4.
हम एक अगरबत्ती की गन्ध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर-
हम अगरबत्ती की गंध का पता नासिका में स्थित घ्राण संवेदांगों (Olfactory receptors) द्वारा लगाते हैं। गंध ज्ञान का केन्द्र हमारे मस्तिष्क के प्रमस्तिष्क भाग में स्थित होता है।

प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका
उत्तर-
सामान्यतः दैहिक प्रतिवर्ती क्रियाएँ मेरुरज्जु द्वारा नियन्त्रित की जाती हैं तथापि मध्य मस्तिष्क सिर, गर्दन एवं धड़ की प्रतिवर्ती क्रियाओं का नियन्त्रण करता है। यह नेत्र पेशियों (eye muscles); आइरिस पेशियों के संकुचन व शिथिलन, नेत्र लेंस की फोकस दूरियों में परिवर्तन आदि क्रियाओं को भी नियन्त्रित करता है। पश्च मस्तिष्क का मस्तिष्क पुच्छ (Medulla oblongata) हृदय स्पंदन, श्वास दर, खाँसना, छींकना, लार स्रवण, रुधिर दाब, वमन, पसीना आना आदि क्रियाओं का नियमन करता है।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 136)

प्रश्न 1.
पादप हॉर्मोन्स क्या हैं ?
उत्तर-
पौधों में उत्पन्न विशेष प्रकार के कार्बनिक पदार्थ जो पौधों की वृद्धि, विकास एवं अनुक्रियाओं का नियमन करते हैं, पादप हॉर्मोन्स (Phyto hormones) कहलाते हैं। इन्हें वृद्धि नियामक (Growth regulators) भी कहते हैं। पौधों में पाँच प्रकार के पादप हॉर्मोन्स पाए जाते हैं- ऑक्सिन्स, जिब्रेलिन्स, साइटोकाइनिन्स, एब्सीसिक अम्ल तथा इथाइलीन ।

प्रश्न 2.
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति एक अनुकुंचन (Nastic) गति है। इसे स्पर्शानुकुंचन (Thigmonasty) कहते हैं और यह उद्दीपन की दिशा से प्रभावित नहीं होती है।
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इसके विपरीत प्रकाश की ओर प्ररोह की गति अनुवर्तन (Tropic) गति है। इसे प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) कहते हैं और इस पर उद्दीपन की दिशा का प्रभाव होता है।

प्रश्न 3.
एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है।
उत्तर-
ऑक्सिन (Auxin)।

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प्रश्न 4.
किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर-
प्रतान (Tendril) स्पर्शानुवर्तन (Thigmotropism) गति प्रदर्शित करता है अर्थात् यह स्पर्श के प्रति संवेदनशील होता है। प्रतान जैसे ही किसी आधार के सम्पर्क में आता है इसमें स्थित ऑक्सिन स्पर्श के दूसरी ओर विसरित हो जाता है जिससे दूसरी ओर की कोशिकाएँ अधिक विवर्धन करने लगती हैं और प्रतान विपरीत दिशा में मुड़ता है। इस प्रकार वह सहारे के चारों ओर लिपट जाता है।

प्रश्न 5.
जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए।
उत्तर-
जलानुवर्तन का प्रदर्शन (Demonstration of Hydrotropism)- नमी के कारण होने वाली पादप गति को जलानुवर्तन कहते हैं। इस प्रकार की गति उच्च श्रेणी के पौधों की जड़ों, ब्रायोफाइट्स के मूलाभास, कवकों के हाइफा आदि में देखने को मिलती है। प्रयोग के लिए एक हम काँच की दो द्रोणिकाएँ A और B लेते हैं और प्रत्येक में 3-4 सेमी मोटी मृदा की सतह बिछाते हैं। दोनों द्रोणिकाओं में समान किस्म का एक-एक बीज बोते हैं और बीज उगने तक बराबर पानी छिड़कते हैं। अब द्रोणी A में एक समान जल देते हैं जबकि द्रोणी B में जल से भरा सछिद्र बर्तन चित्रानुसार रखते हैं।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 7
हम देखते हैं कि द्रोणी A के पौधे की जड़ सीधी रहती है, जबकि द्रोणी B के पौधे की जड़ पानी से भरे बर्तन की ओर मुड़ जाती है। इससे स्पष्ट है कि जड़ें जलानुवर्तन गति प्रदर्शित करती हैं।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 139)

प्रश्न 1.
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर-
जन्तुओं में रासायनिक समन्वय (Chemical Coordination) अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित हॉर्मोन्स द्वारा होता है। ये हार्मोन्स विशिष्ट ग्रन्थियों से स्रावित होकर रासायनिक संदेशवाहकों के रूप में लक्ष्य कोशिकाओं में पहुँचकर उनके कार्यों पर नियन्त्रण एवं समन्वयन करते हैं। हॉर्मोन्स द्वारा क्रियाओं का मंद गति से नियमन होता है।

प्रश्न 2.
आयोडीन युक्त नमक खाने की सलाह क्यों दी जाती है?
उत्तर-
अवटुग्रन्थि अथवा थायरॉइड ग्रन्थि द्वारा थायरॉक्सिन के निर्माण के लिए आयोडीन आवश्यक है। थायरॉक्सिन हमारे शरीर में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का नियन्त्रण करता है जिससे वृद्धि के लिए उत्कृष्ट सन्तुलन उपलब्ध कराया जा सके। यदि भोजन में आयोडीन की कमी हो जाती है तो थायरॉक्सिन के निर्माण में कमी आ जाती है। इसके कारण थायरॉइड ग्रन्थि फूल जाती है जिसे घेघा (goiter) रोग कहते हैं। इस बीमारी का एक लक्षण फूली हुई गर्दन है।

प्रश्न 3.
जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर-
एड्रीनलीन (adrenaline) को “आपातकालीन हॉर्मोन’ भी कहते हैं क्योंकि भय, क्रोध अथवा संकट की अवस्था में यह हॉर्मोन ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए शरीर को तुरन्त तैयार करता है। ऐसी स्थिति में एड्रीनल ग्रन्थि में काफी मात्रा में एड्रीनलीन का स्रावण होता है।

इससे हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि शरीर की पेशियों को अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध हो सके। पाचन तंत्र एवं त्वचा में रुधिर आपूर्ति कम हो जाती है। रुधिर की दिशा कंकाल पेशियों की ओर हो जाती है। पसलियों तथा डायफ्राम की पेशियों में तीव्र गति होने लगती है जिससे श्वास दर बढ़ जाती है। ये सभी क्रियाएँ मिलकर जन्तु शरीर को संकट की स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।

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प्रश्न 4.
मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इन्सुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है?
उत्तर-
इन्सुलिन हॉर्मोन अग्न्याशय में स्थित लैंगरहँस की B कोशिकाओं से स्रावित होता है। यह रुधिर में शर्करा की मात्रा का नियमन करता है। यदि इन्सुलिन का स्रावण उचित मात्रा में नहीं होता है तो रुधिर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है इससे शरीर पर हानिकारक प्रभाव होने लगते हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए मधुमेह रोगी को इन्सुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं।

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क्रियाकलाप 7.1 (पा. पु. पृ. सं. 128)

प्रश्न 1.
कुछ चीनी अपने मुँह में रखिए। इसका स्वाद कैसा है?
उत्तर-
चीनी मीठी (sweet) लगती है।

प्रश्न 2.
अपनी नाक को अंगूठा तथा तर्जनी अंगुली से दबाकर बन्द कर लीजिए। अब फिर से चीनी खाइये। इसके स्वाद में क्या कोई अन्तर है?
उत्तर-
द्वितीय क्रिया में स्वाद में कोई अन्तर नहीं होता है।

प्रश्न 3.
खाना खाते समय उसी तरह से अपनी नाक बन्द कर लीजिए तथा ध्यान दीजिए कि जिस भोजन को आप खा रहे हैं, क्या उस खाने का आप पूरा स्वाद ले रहे हैं?
उत्तर-
तीसरी क्रिया में खाने की गन्ध न मिलने से खाने का पूरा स्वाद नहीं आता है।

क्रियाकलाप 7.2 (पा. पु. पृ. सं. 134)

प्रश्न-
(i) क्या प्ररोह और जड़ के पुराने भागों ने दिशा बदल दी है ? क्या ये अन्तर नयी वृद्धि की दिशा में है?
(ii) इस क्रियाकलाप से हम क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर-
(i) हाँ, प्ररोह प्रकाश की ओर तथा जड़ प्रकाश से विपरीत दिशा में वृद्धि करेगी।
(ii) प्ररोह प्रकाशानुवर्तनी गति तथा जड़ें गुरुत्वानुवर्तनी गति प्रदर्शित करती हैं।

क्रियाकलाप 7.3 (पा. पु. पृ. सं. 137)

प्रश्न-
अन्य ग्रंथियों के कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त करके निम्न तालिका में प्रदर्शित करें।
उत्तर
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HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

Haryana State Board HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य Important Questions and Answers.

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निबंधात्मक उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
12वीं शताब्दी में यायावरिता के स्वरूप का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के आधुनिक मंगोलिया प्रदेश में रहने वाला एक यायावर समूह था। 12वीं शताब्दी में चंगेज़ खाँ के उत्थान से पूर्व मंगोल यायावरिता के स्वरूप की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

1. प्रमुख व्यवसाय (Chief occupations):
12वीं शताब्दी में यायावरी कबीलों का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था। उस समय मंगोलिया में अनेक अच्छी चरागाहें थीं। अल्ताई पहाड़ों की बर्फीली चोटियों से निकलने वाले सैंकड़ों झरनों तथा ओनोन (Onon) एवं सेलेंगा (Selenga) नदियों के पानी के कारण यहाँ हरी घास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती थी।

मंगोल जिन पशुओं का पालन करते थे उनमें प्रमुख थे घोड़े एवं भेड़ें। इनके अतिरिक्त वे गायों, बकरियों एवं ऊँटों का पालन भी करते थे। इन पशुओं का प्रयोग वे दूध, माँस एवं ऊन प्राप्त करने के लिए तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोने के लिए करते थे। घोड़ों का प्रयोग वे घुड़सवारी के लिए करते थे। मंगोल घोड़ों पर सवार होकर ही युद्धों में भाग लेते थे।

कुछ मंगोल शिकार संग्राहक (hunter gatherers) थे। वे जंगली जानवरों का शिकार करते थे एवं मछलियाँ पकडते थे। वे साइबेरियाई वनों में रहते थे। वे पशुपालक लोगों की तुलना में अधिक गरीब होते थे। उस समय मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं। अतः यायावरी कबीले कृषि कार्य नहीं करते थे। इस कारण यायावरी कबीलों की अर्थव्यवस्था घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थी। अतः यहाँ कोई नगर नहीं उभर पाया।

2. निवास स्थान (Dwellings):
यायावरी कबीले चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे। अतः वे किसी स्थान में स्थाई रूप से नहीं रहते थे। मंगोल गोलाकार तंबुओं में रहते थे जिसे वे जर (ger) कहते थे। जनसाधारण लोगों के तंबू छोटे आकार के होते थे। धनी लोगों के तंबुओं का आकार बड़ा होता था। ये तंबु सन के बने होते थे। इन तंबुओं का प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर होता था। इसका कारण यह था कि मंगोलिया में शीत हवाएँ उत्तर की ओर से आती थीं। तंबू को दो भागों में बाँटा जाता था। एक भाग मेहमानों के लिए होता था। दूसरा भाग घर के सदस्यों के लिए होता था।

3. समाज (Society):
यायावरी समाज की मूल इकाई परिवार थी। उस समय परिवार पितृपक्षीय (patriarchal) होते थे। परिवार का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति इसकी देखभाल करता था। धनी परिवार बहुत विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु एवं चारागाहें होती थीं। इस कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे तथा स्थानीय राजनीति में उनकी उल्लेखनीय भूमिका होती थी।

प्राकृतिक आपदाओं जैसे भीषण शीत ऋतु के दौरान एकत्रित की गई शिकार एवं अन्य सामग्रियों के समाप्त हो जाने की स्थिति में अथवा वर्षा न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने की स्थिति चारागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।

इस कारण वे लटपाट करने के लिए बाध्य हो जाते थे। अतः परिवारों के समूह अपनी रक्षा हेतु अधिक शक्तिशाली कुलों से मित्रता कर लेते थे तथा परिसंघ का गठन कर लेते थे। अधिकांश परिसंघ छोटे एवं अल्पकालिक होते थे। उस समय परिवार में पुत्र का होना बहुत आवश्यक माना जाता था।

उस समय मंगोल समाज में बहु-विवाह (polygamy) प्रथा प्रचलित थी। उस समय स्त्रियाँ समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। वे न केवल घरेलू कार्य करती थीं अपितु आवश्यकता पड़ने पर रणभूमि में दुश्मनों से लोहा लेती थीं।

4. भोजन (Diet) :
यायावरी लोगों का प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। मंगोल घोड़े का माँस खाने के बहुत शौकीन थे। वे गायों, भेड़ों एवं बकरियों का माँस भी खाते थे। इनके अतिरिक्त वे कुत्तों, लोमड़ियों, खरगोशों तथा चूहों का माँस भी खाते थे। वे सामान्य तौर पर पकाए हुए अथवा उबले हुए माँस का प्रयोग करते थे। कभी-कभी वे कच्चा माँस भी खा जाते थे। बचे हुए माँस को वे चमड़े के थैले में रख लेते थे।

वे खाने के बर्तनों की सफाई की ओर बहुत कम ध्यान देते थे। वे घोड़ी का दूध पीने के बहुत शौकीन थे। इसे कुम्मी (kumiss) कहा जाता था। धनी लोग शराब पीने के भी शौकीन थे। इसे. चीन से मंगवाया जाता था। इसके सेवन को बहुत सम्मानजनक समझा जाता था।

5. पोशाक (Dress):
यायावरी लोग सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। वे सूती एवं रेशमी वस्त्रों का चीन से आयात करते थे। ऊनी वस्त्र वे स्वयं बनाते थे। जनसाधारण के वस्त्र सामान्य प्रकार के होते थे। धनी लोग बहुमूल्य वस्त्रों को धारण करते थे। सर्दियों से बचाव के लिए वे फर के कोट एवं टोप पहनते थे। स्त्रियों के वस्त्र एवं उनके सिर पर डालने वाला टोप विशेष प्रकार से बना होता था।

6. मृतकों का संस्कार (Disposal of the Dead):
यायावरी लोग रात्रि के समय अपने मृतकों का संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे। मंगोल मृत्यु के पश्चात् जीवन में विश्वास रखते थे। अतः वे शवों के साथ खाने-पीने की वस्तुएँ एवं बर्तनों आदि को भी रखते थे। धनी व्यक्तियों के साथ अनेक बहुमूल्य वस्तुएँ, उसके घोड़ों, नौकरों एवं स्त्रियों को भी दफ़न किया जाता था। प्रायः शवों को उस स्थान पर दफ़न किया जाता था जिसका चुनाव उसने अपने जीवनकाल में किया हो अथवा जो स्थान उसे सबसे अधिक प्रिय हो।

7. व्यापार (Trade):
स्टेपी क्षेत्र अथवा मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी। अतः यायावरी कबीले व्यापार के लिए अपने पड़ोसी देश चीन पर निर्भर करते थे। उनका व्यापार वस्तु-विनिमय (barter) पर आधारित था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले चीन से कृषि उत्पाद एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे। इनके बदले वे घोड़ों, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे।

कभी-कभी दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने हेतु सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे एवं लूटपाट में भी सम्मिलित हो जाते थे। इस संघर्ष में यायावरों को कम हानि होती थी। इसका कारण यह था कि वे लूटपाट कर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे। चीन को इन यायावरी आक्रमणों से बहुत क्षति पहुँचती थी। अतः चीनी शासकों ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए ‘चीन की महान् दीवार’ को अधिक मज़बूत किया।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 2.
चंगेज़ खाँ कौन था? उसके प्रारंभिक जीवन एवं उत्थान के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ यायावर साम्राज्य अथवा मंगोलों का सबसे महान् एवं प्रसिद्ध शासक था। चंगेज़ खाँ के प्रारंभिक जीवन के बारे में हमें अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है। प्राप्त स्रोतों के आधार पर हमें जो जानकारी प्राप्त हुई है उसका संक्षिप्त वर्णन अग्रलिखित अनुसार है

1. जन्म एवं माता-पिता (Birth and Parents):
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं। अधिकांश इतिहासकारों का कथन है कि चंगेज़ खाँ का जन्म 1162 ई० में हुआ। कुछ इतिहासकारों का विचार है कि चंगेज खाँ का जन्म 1167 ई० में हुआ। चंगेज़ खाँ का जन्म मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसके पिता का नाम येसूजेई (Yesugei) था। वह एक छोटे से कबीले कियात (Kiyat) का मुखिया था। वह बोरजिगिद (Borjigid) कुल से संबंधित था।

चंगेज खाँ की माता का नाम ओलुन-के (Oelun-eke) था। वह ओंगीरत (Onggirat) कबीले से संबंधित थी। चंगेज खाँ का बचपन का नाम तेमुजिन (Temujin) था। कहा जाता है कि जिस समय बालक का जन्म हुआ उस समय उसका पिता येसूजेई अपने एक विरोधी तातार (Tatar) कबीले के मुखिया तेमुजिन को पराजित कर वापस लौटा था। अत: मंगोलियाई परंपरा के अनुसार नव जन्मे बालक का नाम तेमुजिन रखा गया।

2. तेमुजिन की कठिनाइयाँ (DImculties of Temujin):
तेमुजिन की अल्पायु में उसके पिता येसूजेई की धोखे से तातार कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। येसूजेई की हत्या का समाचार सुनकर तेमुजिन की माँ ओलुन इके पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने पाँच बच्चों को लेकर कहाँ जाए। कियात कबीले के लोग तेमुजिन को अपना मुखिया स्वीकार करने को तैयार नहीं थे क्योंकि वह स्वयं अभी एक बच्चा था।

इस संकट के समय में ओलुन-इके ने अपना धैर्य न खोया। वह शिकार कर एवं जंगली फल खाकर अपना एवं अपने बच्चों का गुजारा करती रही। वह तेमुजिन को अपने कबीले की गौरव गाथाएँ सुनाकर एक नई प्रेरणा स्रोत उत्पन्न करती रही।

3. तेमुजिन के बहादुरी भरे कारनामे (Acts of Bravery of Temujin):
तेमुजिन जब युवा हुआ तो उसमें अदम्य उत्साह था। एक बार उसके विरोधी कबीले वालों ने तेमुजिन पर अचानक आक्रमण कर उसे बंदी बना लिया। निस्संदेह यह तेमुजिन के लिए सबसे विकट स्थिति थी।

ऐसे समय में तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया। एक दिन जब कबीले के लोग रंगरलियों में मस्त थे तो यह स्वर्ण अवसर देखकर तेमुजिन वहाँ से भागने में सफल हुआ। वह वापस अपने परिवार के सदस्यों के साथ आ मिला। यह घटना उसके जीवन में एक नया मोड़ सिद्ध हुई। एक दिन कुछ चोरों ने तेमुजिन के परिवार के आठ घोड़ों को चुरा लिया।

जब तेमुजिन को इसका पता चला तो वह फौरन अपने घोड़े पर अकेला ही उनके पीछे हो लिया। रास्ते में बोघूरचू (Boghurchu) नामक एक युवक उसके साथ हो लिया। इन दोनों ने चोरों को घेर लिया तथा अत्यंत बहादुरी से अपने घोड़ों को छुड़वा लिया। इस प्रकार बोधूरचू तेमुजिन का प्रथम मित्र बना। वे सदैव एक विश्वस्त साथी के रूप में एक-दूसरे के साथ रहे। जब तेमुजिन 18 वर्ष का हुआ तो उसका विवाह बोरटे के साथ हो गया। इस विवाह के कारण तेमुजिन की स्थिति कुछ सुदृढ़ हुई।

तेमुजिन ने जमूका (Jamuqa) को जो कि जजीरात (Jajirat) कबीले से संबंधित था को अपना सगा भाई (आंडा anda) बनाया। इसके पश्चात् तेमुजिन तुगरिल खाँ (Tughril Khan) अथवा ओंग खाँ (Ong Khan) से आशीर्वाद लेने उसके दरबार में पहुंचा।

वह कैराईट (Kereyite) कबीले का मुखिया था तथा तेमुजिन के पिता का सगा भाई (आंडा) बना था। तुगरिल खाँ ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसी समय के दौरान मेरकिट (Merkit) कबीले के मुखिया ने तेमुजिन के कैंप पर आक्रमण कर दिया तथा उसकी पत्नी बोरटे को बंदी बनाकर अपने साथ ले गया।

इस संकट के समय में जमूका एवं तुगरिल खाँ ने तेमुजिन की बहुमूल्य सहायता की। अत: वह अपनी पत्नी बोरटे को मेरकिट कबीले के चंगुल से छुड़ाने में सफल रहा। प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज वर्नडस्की के अनुसार, “मेरकिटों के विरुद्ध अभियान के दौरान तेमुजिन ने बहुत बहादुरी दिखायी तथा उसने अनेक नए मित्र बनाए। वास्तव में यह उसके जीवन में एक नया मोड़ प्रमाणित हुई।”

4. तेमुजिन का चंगेज खाँ बनना (Temujin became Genghis Khan):
अपनी आरंभिक सफलताओं न का साहस बढ़ गया था। इसी समय जमूका, तेमुजिन एवं तुगरिल खाँ के मध्य बढ़ते हुए मैत्रीपूर्ण संबंधों के कारण ईर्ष्या करने लगा। उसने तेमुजिन के सभी विरोधी कबीलों के साथ गठजोड़ आरंभ कर दिया था। तेमुजिन इसे सहन करने को तैयार नहीं था। अतः उसने तुगरिल खाँ के सहयोग से जमूका को कड़ी पराजय दी।

निस्संदेह यह तेमुजिन की एक महान् सफलता थी। इसके पश्चात् तेमुजिन ने शक्तिशाली तातार, नेमन एवं कैराईट कबीलों को पराजित किया। स्वयं तुगरिल खाँ जो बाद में तेमुजिन का शत्रु बन गया था उससे पराजित हुआ।

इस कारण तेमुजिन स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। तेमुजिन की इन महान् उपलब्धियों को देखते हुए कुरिलताई (quriltai) जो कि मंगोल सरदारों की एक सभा थी, ने 1206 ई० में उसे चंगेज़ खाँ (सार्वभौम शासक) की उपाधि से सम्मानित किया।

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प्रश्न 3.
चंगेज खाँ की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी सफलता के क्या कारण थे?
उत्तर:
1206 ई० में चंगेज़ खाँ मंगोलों का नया शासक बना। उसने सर्वप्रथम अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने की ओर ध्यान दिया। इस उद्देश्य से चंगेज़ खाँ ने अपनी एक विधि संहिता यास (Yasa) को लागू किया। इसके पश्चात् उसने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया। इस सेना के सहयोग से चंगेज खाँ ने महान् सफलताएँ प्राप्त की। इन सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है

1. उत्तरी चीन की विजय (Conquest of Northern China):
चंगेज़ खाँ ने सर्वप्रथम अपना ध्यान चीन की ओर दिया। उस समय चीन तीन राज्यों में विभाजित था। प्रथम राज्य उत्तर-पश्चिमी प्रांत था। यहाँ तिब्बती मूल के सी सिआ (Hsi Hsia) लोगों का शासन था। दूसरे राज्य में चीन का उत्तरी क्षेत्र आता था। यहाँ चिन राजवंश का शासन था। तीसरे राज्य में चीन का दक्षिणी क्षेत्र सम्मिलित था। यहाँ शंग राजवंश का शासन था।

चीन पर आक्रमण करने से पूर्व चंगेज़ खाँ ने अपनी सेना को संबोधित करते हुए कहा, “चीन के शासकों ने हमारे पूर्वजों एवं मेरे संबंधियों का बहुत अपमान किया है। अब वह महान् परमात्मा मुझे यह भरोसा दिलाता है कि विजय हमारी होगी। चीन के इस राज्य में उसने मुझे अवसर एवं शक्ति दी है ताकि मैं अपने पूर्वजों के अपमान का बदला ले सकूँ।

चीन के विरुद्ध चंगेज़ खाँ का अभियान एक लंबे समय तक चला। 1209 ई० में चंगेज़ खाँ ने सर्वप्रथम सी सिआ लोगों को सुगमता से पराजित कर दिया। 1215 ई० में चंगेज़ खाँ ने पीकिंग (Peking) पर कब्जा करने में सफलता प्राप्त की। इसके पश्चात् चंगेज़ खाँ ने पीकिंग में भयंकर लूटमार मचाई। चिन शासक को भी बाध्य होकर अपनी एक पुत्री का विवाह चंगेज़ खाँ से करना पड़ा। चंगेज़ खाँ की यह विजय उसके लिए बहुत निर्णायक सिद्ध हुई।

2. करा खिता की विजय (Conquest of Qara Khita):
चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन की विजय के पश्चात् अपना ध्यान करा खिता की विजय की ओर किया। इस उद्देश्य से उसने 1218 ई० में 20,000 सैनिकों को मंगोल सेनापति जेब (Jeb) की अधीनता में करा खिता भेजा। उस समय करा खिता में कुचलुग (Kuchlug) का शासन था।
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 iMG 1

जेब ने सुगमता से कुचलुग को पराजित कर करा खिता पर अधिकार कर लिया। इस विजय के कारण मंगोल साम्राज्य की सीमाएँ अमू दरिया (Amu Darya), तूरान (Turan) एवं ख्वारज़म (Khwarazm) राज्य तक फैल गईं।

3. ख्वारज़म शाह के विरुद्ध अभियान (The Campaign against the Khwarazm Shah):
1200 ई० में मुहम्मद (Muhammad) ख्वारज़म का नया शाह बना था। उसने अपने शासनकाल में अनेक क्षेत्रों पर अधिकार कर अपने साम्राज्य का काफी विस्तार कर लिया था। ऐसे शक्तिशाली साम्राज्य से टक्कर लेना चंगेज़ खाँ के लिए कोई सहज कार्य न था। 1218 ई० में चंगेज़ खाँ ने चार सदस्यों का एक व्यापारिक मंडल मुहम्मद के पास भेजा।

जब यह मंडल ख्वारजम साम्राज्य के ओट्रार (Otrar) नामक स्थान पर ठहरा तो वहाँ के गवर्नर इनाल खाँ (Inal Khan) ने मुहम्मद के इशारे पर इन सदस्यों का वध कर दिया तथा उनका सामान लूट लिया। जब यह समाचार चंगेज़ खाँ को मिला तो उसने मुहम्मद को संदेश भेजा कि वह इनाल खाँ के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करे तथा उसे बंदी बनाकर उसके दरबार में भेजे। मुहम्मद ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप चंगेज़ खाँ आग बबूला हो गया। उसने मुहम्मद को एक अच्छा सबक सिखाने का निर्णय किया।

उसने लगभग एक लाख सैनिकों की विशाल सेना के साथ ख्वारज़म साम्राज्य पर 1219 ई० में आक्रमण कर दिया। मंगोल सेना ने जिस ओर रुख किया वही भयंकर तबाही मचा दी। लाखों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया एवं अनेक नगरों एवं गाँवों का ऐसा विनाश किया गया कि जिसे सुनकर रूह भी काँप उठे। 1219 ई० से 1222 ई० के दौरान मंगोल सेना ने ओट्रार (1219 ई०), बुखारा (1220 ई०), समरकंद (1220 ई०), बल्ख (1221 ई०), मर्व (1221 ई०), निशापुर (1221 ई०) एवं हेरात (1222 ई०) पर कब्जा कर लिया। मुहम्मद ने मंगोल सेना का सामना करने का साहस न किया।

वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर भागता रहा। उसका पीछा करते हुए मंगोल सेनाएँ अज़रबैजान (Azerbaizan) तक चली गईं। यहाँ मंगोल सेना ने क्रीमिया (Crimea) में रूसी सेना को कड़ी पराजय दी। मुहम्मद का पुत्र जलालुद्दीन भाग कर भारत आ गया। चंगेज़ खाँ उसका पीछा करता हुआ 1221 ई० में भारत आ पहुँचा। यहाँ की भयंकर गर्मी के कारण एवं चंगेज़ खाँ के ज्योतिषी द्वारा दिए गए अशुभ संकेतों के कारण चंगेज़ खाँ ने वापस मंगोलिया लौटने का निर्णय किया।

4. साम्राज्य का विस्तार (Extent of the Empire):
चंगेज़ खाँ की 1227 ई० में मृत्यु हो गई थी। अपनी मृत्यु से पूर्व उसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर ली थी। उसका साम्राज्य अब फ़ारस से लेकर पीकिंग तक तथा साईबेरिया से लेकर सिंध तक फैला था। यह साम्राज्य इतना विशाल था कि किसी भी यात्री को मंगोल साम्राज्य की यात्रा एक सिरे से दूसरे सिरे तक करने के लिए दो वर्ष का समय लग जाता था। चंगेज़ खाँ ने कराकोरम (Karakoram) को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया था।

चंगेज़ खाँ की गणना विश्व के महान् विजेताओं में की जाती है। उसने 20 वर्ष के अल्प काल में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर सबको स्तब्ध कर दिया था। उसकी सफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1) चंगेज़ खाँ स्वयं जन्मजात सेनापति था। वह जिस ओर रुख करता सफलता उसके कदम चूमती थी।

2) चंगेज़ खाँ ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया था। यह सेना बहुत अनुशासित थी। इस सेना का मुकाबला करना कोई सहज कार्य न था।

3) चंगेज़ खाँ का जासूसी विभाग अत्यंत कुशल था। उनके द्वारा दी गई जानकारी उसके लिए बहुत बहुमूल्य सिद्ध होती थी।

4) चंगेज़ खाँ मनोवैज्ञानिक युद्ध (psychological warfare) के महत्त्व को भली-भाँति जानता था। अत: जब भी किसी स्थान के लोग उसकी सेना का मुकाबला करने का साहस करते तो उसकी सेना वहाँ इतना विनाश करती जिसे सुनकर लोग थर-थर काँपने लगते थे। अतः लोग बिना लड़ाई किए ही उसके समक्ष आत्म-समर्पण कर देते थे।

5) मंगोल सैनिक घुडसवारी एवं तीरंदाजी में इतने कशल थे कि शत्र भौचक्के रह जाते थे।

6) चंगेज़ खाँ आमतौर पर शीत ऋतु में अपने अभियान आरंभ करता था। इस ऋतु में नदियाँ बर्फ के कारण जम जाती थीं। अत: इन नदियों को पार करना सुगम हो जाता था।

7) चंगेज़ खाँ ने शत्रु दुर्गों को नष्ट करने के लिए घेराबंदी यंत्र (siege engine) एवं नेफ़था (naphtha) बमबारी का व्यापक प्रयोग किया। इनके युद्ध में घातक प्रभाव होते थे। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार,

“यद्यपि चंगेज़ ख़ाँ अनपढ़ था किंतु वह साइरस, डेरियस तथा सिकंदर से महान् सेनापति था तथा उसके कारनामों ने नेपोलियन तथा हिटलर को भी मात कर दिया था।”

प्रश्न 4.
मंगोल प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
अथवा
मंगोल प्रशासन के सैनिक एवं नागरिक प्रशासन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ यद्यपि अपना संपूर्ण जीवन युद्धों में ही उलझा रहा इसके बावजूद वह एक कुशल प्रशासक भी प्रमाणित हुआ। उसने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसका प्रशासन इतना अच्छा था कि यह लगभग उसी रूप में उसके उत्तराधिकारियों के समय में भी जारी रहा।

I. सैनिक प्रशासन
चंगेज़ खाँ एक महान् योद्धा था। अत: उसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार एवं इसकी सुरक्षा के लिए सैनिक प्रशासन की ओर विशेष ध्यान दिया। मंगोलों के सैनिक प्रशासन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

1. भर्ती (Recruitment):
चंगेज़ खाँ के समय सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सेना में भर्ती होना अनिवार्य था। केवल पुरोहितों, डॉक्टरों एवं विद्वानों को इसमें छूट दी गई थी। अधिकारियों की भर्ती का कार्य केवल चंगेज़ खाँ के हाथों में था। प्रायः ऊँचे और बहुत ही विश्वसनीय अधिकारियों के पुत्रों को अफसर पद पर नियुक्त किया जाता था।

2. संगठन (Organization) :
चंगेज़ खाँ की सेना पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। यह 10, 100, 1000 एवं 10,000 सैनिकों की इकाइयों में विभाजित थी। 10 सैनिकों की इकाई को पलाटून, 100 सैनिकों की इकाई को कंपनी, 1000 सैनिकों की इकाई को ब्रिगेड तथा 10,000 सैनिकों की इकाई को तुमन कहा जाता था। चंगेज़ खाँ से पूर्व एक इकाई में एक ही कुल (clan) अथवा कबीले (tribe) के सैनिक होते थे। चंगेज़ खाँ ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसकी इकाइयों में विभिन्न कुलों एवं कबीलों के सैनिकों को सम्मिलित किया जाता था।

3. रचना (Composition):
चंगेज़ खाँ की सेना में विभिन्न मंगोल जनजातियों के लोग सम्मिलित थे। उसने विभिन्न देशों के लोगों को जिन्हें उसने अपने अधीन किया, को भी सेना में भर्ती किया। इसमें उसकी सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार करने वाले तुर्की मूल के उइगुर (Uighurs) लोग सम्मिलित थे। यहाँ तक कि चंगेज़ खाँ ने अपनी सेना में कैराईटों (Kereyits) को भी सम्मिलित किया। कैराईट चंगेज़ खाँ के कट्टर शत्र थे।

4. प्रशिक्षण (Training):
चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। उसने संपूर्ण सेना को अपने चार पुत्रों के अधीन किया। वे विशेष कप्तानों को नियुक्त करते थे जिन्हें नोयान (noyans) कहा जाता था। इनके अतिरिक्त सैनिकों को प्रशिक्षण देने में ऐसे व्यक्तियों ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिन्हें चंगेज़ खाँ अपना सगा भाई (आंडा) कहता था।

5. अनुशासन (Discipline):
चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से अनेक नियम बनाए थे। इनका उल्लंघन करने वाले सैनिकों को मृत्यु दंड दिया जाता था। ये नियम थे-

  • युद्ध के आरंभ होने पर छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
  • सभी सैनिकों के लिए आवश्यक था कि वे अपने अधिकारियों के आदेश का पालन करें।
  • कोई भी सैनिक अपनी इकाई को छोड़कर किसी दूसरी इकाई में नहीं जा सकता था।
  • युद्ध में जाने से पहले सभी सैनिकों को अपने हथियारों का निरीक्षण कर लेना चाहिए।
  • कोई भी सैनिक अपने अधिकारियों की अनुमति के बिना लूटपाट न करे।
  • अधिकारियों द्वारा अनुमति मिलने पर ही लूटपाट आरंभ की जाए। लूट के धन से अधिकारियों एवं खाँ का हिस्सा दिया जाना चाहिए।

6. सेना की कुल संख्या (Total Strength of the Army):
चंगेज़ खाँ की सेना की कुल संख्या के बारे में इतिहासकारों में मतभेद हैं। इसका कारण यह है कि आरंभ में उसकी सेना की संख्या कम थी। जैसे-जैसे उसके साम्राज्य का विस्तार होता गया वैसे-वैसे उसके सैनिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती चली गई। अनुमानतयः यह 1 लाख से 1.5 लाख के मध्य थी।।

7. हथियार एवं सामान (Arms and Equipments):
उस समय घुड़सवार सेना का युग था। अतः प्रत्येक सैनिक के पास एक से अधिक घोड़े होते थे। ये घोड़े बहुत फुर्तीले थे। प्रत्येक घोड़ा एक दिन में सहजता से 100 मील दौड़ सकता था। हल्के घुड़सवार (light cavalry) सैनिकों के पास दो धनुष (bows) एवं दो तरकस (quivers) होते थे जिनमें अनेक तीर रखे जाते थे। मंगोल सैनिक तीरअंदाज़ी में बहुत कुशल थे।

उनके द्वारा छोड़े गए तीर 200 से 300 गज की दूरी तक तबाही मचाने की समर्था रखते थे। उनके तीर इतने नुकीले होते थे कि वे लोहे में भी सुराख कर सकते थे। ये तीर शत्रु सेना में तहलका मचा देते थे। भारी घुड़सवार (heavy cavalry) सैनिक तलवारों एवं भालों से लैस होते थे। मंगोल सैनिक इन्हें चलाने में बहुत दक्ष थे। इनके अतिरिक्त मंगोल सैनिक शत्रु के दुर्गों का विनाश करने के लिए घेराबंदी यंत्र (siege engine) एवं नेफ़था बमबारी (naphtha bombardment) का प्रयोग करते थे।

प्रत्येक मंगोल सैनिक लोहे का टोप (helmet) छाती एवं भुजाओं पर लोहे के कवच (armour) डालते थे। वे चमड़े के भारी बूट डालते थे। वे सर्दियों में फर का कोट एवं फर का टोप पहनते थे। प्रत्येक सैनिक के पास एक चमड़े का बैग होता था। इसमें कुछ खाने-पीने का सामान, व रखे जाते थे। घोड़ों की सुरक्षा के लिए उन्हें चमड़े का कवच पहनाया जाता था।

8. लड़ाई का ढंग (Mode of warfare):
कोई भी अभियान आरंभ करने से पूर्व मंगोल खानों द्वारा कुरिलताई की सभा का आयोजन किया जाता था। इसमें युद्ध के उद्देश्यों एवं योजना के संबंध में विस्तृत चर्चा की जाती थी। इस सभा में सभी कप्तान सम्मिलित होते थे तथा वे खाँ से विशेष निर्देश प्राप्त करते थे। युद्ध आरंभ होने से पूर्व मंगोल जासूसों द्वारा शत्रु देश में झूठी अफ़वाहें फैलाई जाती थीं। इसका उद्देश्य शत्रु सैनिकों के मनोबल को नीचा करना था। शत्रु देश के सैनिकों को बिना लड़ाई के आत्म-समर्पण करने अथवा विनाश की चेतावनी दी जाती थी।

मंगोल सैनिक जिस प्रदेश पर आक्रमण करना होता था उसे चारों ओर से घेरा डाल लेते थे। यदि किसी स्थान पर शत्रु सेना का सामना करना पड़ता तो मंगोल सैनिक वहाँ से पीछे भागने का नाटक करते। शत्रु सेना उन्हें भगौड़ा समझ कर उनका पीछा करती। निश्चित स्थान पर पहुँचने पर मंगोल सैनिक शत्रु सेना पर टूट पड़ते एवं उन्हें कड़ी 167 पराजय देते। इसके पश्चात् मंगोल वहाँ इतनी भयंकर लूटमार करते कि उनका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते थे। इससे मंगोलों की विजय का काम सुगम हो जाता था। प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज वनडस्की के अनुसार,

“13वीं शताब्दी में मंगोल सेना युद्ध का एक शक्तिशाली यंत्र थी। निस्संदेह यह उस समय के विश्व में सर्वोत्तम थी।”

II. नागरिक प्रशासन

मंगोल यायावर समाज से संबंधित थे। इसलिए उनका नागरिक प्रशासन न तो अधिक उत्तम था एवं न ही अच्छी प्रकार संगठित । इसके बावजूद यह उस समय की परिस्थितियों के अनुकूल था। मंगोलों के नागरिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

1. खाँ की स्थिति (Position of Khan):
मंगोल साम्राज्य में खाँ (सम्राट) की स्थिति सर्वोच्च थी। उसे असीम शक्तियाँ प्राप्त थीं। उसके द्वारा राज्य की सभी आंतरिक एवं बाह्य नीतियाँ तैयार की जाती थीं। राज्य की समस्त सेना उसके अधीन होती थी तथा उसके निर्देश अनुसार कार्य करती थी। राज्य के सभी उच्च पदों की नियुक्ति चाहे वे सैनिक हों अथवा असैनिक उसके द्वारा की जाती थी।

उसे किसी देश के साथ युद्ध करने अथवा उससे संधि करने का अधिकार प्राप्त था। वह प्रजा पर कोई भी नया कर लगा सकता था अथवा पुराने करों को हटा सकता था अथवा उन्हें कम या अधिक कर सकता था। उसके मुख से निकला प्रत्येक शब्द प्रजा के लिए कानून होता था। कोई भी व्यक्ति इसका उल्लंघन नहीं कर सकता था। ऐसा करने पर उसे मृत्यु दंड दिया जाता था। यद्यपि खाँ की शक्ति किसी तानाशाह से कम नहीं थी किंतु उसकी शक्तियों पर कुरिलताई द्वारा कुछ अंकुश ज़रूर लगाया जाता था।

2. नागरिक प्रशासकों की भूमिका (Role of Civil Administrators):
चंगेज़ खाँ स्वयं अनपढ़ था तथा वह यायावर समाज से संबंधित था। उसने अपनी बहादुरी से एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर ली थी। इसमें विभिन्न जातियों एवं सभ्य समाजों से संबंधित लोग थे। ऐसे लोगों पर शासन करना कोई सुगम कार्य न था। इस कार्य में मंगोल उसकी सहायता करने में असमर्थ थे।

अतः चंगेज़ खाँ ने अपने अधीन किए गए सभ्य समाजों में से नागरिक प्रशासकों को भर्ती किया। चंगेज़ खाँ उनकी भर्ती के समय केवल उनकी योग्यता को प्रमुख रखता था। वह उनकी जाति अथवा धर्म को कोई महत्त्व नहीं देता था। इन नागरिक प्रशासकों ने मंगोल साम्राज्य की नींव को सुदृढ़ करने एवं उसे संगठित करने में प्रशंसनीय भूमिका निभाई।

यहाँ तक कि इन्होंने मंगोल शासकों को प्रशासन के प्रति अपनी नीतियाँ बदलने में काफी सीमा तक प्रभाव डाला। इनमें चीनी मंत्री ये-लू-चुत्साई (Yeh-lu-Chut sai) तथा इल-खानी शासक गज़न खाँ के वज़ीर रशीदुद्दीन (Rashiduddin) के नाम उल्लेखनीय हैं।

3. उलुस (Ulus):
मंगोल प्रशासन की एक उल्लेखनीय विशेषता चंगेज़ खाँ द्वारा उलुस का गठन करना था। इसके अनुसार चंगेज़ खाँ ने नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चारों पुत्रों को दे दिया। उलुस से भाव किसी निश्चित भू-भाग से नहीं था क्योंकि इनमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासक जैसी थी।

उनके अधीन अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा) थीं। वे अपने अधीन क्षेत्रों से लोगों को सेना में भर्ती कर सकते थे। उन्हें लोगों पर नए कर लगाने का अधिकार दिया गया था। इसके चलते बाद में जोची ने दक्षिणी रूस में गोल्डन होर्ड (Golden Horde) एवं तोलूई के वंशजों ने चीन में युआन वंश एवं ईरान में इल-खानी वंशों की स्थापना की।

4. याम (Yam) :
चंगेज़ खाँ की एक बहुमूल्य देन याम की स्थापना करना था। याम एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। मंगोल साम्राज्य में प्रत्येक 25 मील की दूरी पर ऐसी चौकियाँ स्थापित की गई थीं। इन चौकियों में घुड़सवार संदेशवाहक तथा फुर्तीले घोड़े सदैव तैनात रहते थे।

घुड़सवार संदेशवाहक सभी प्रकार के सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे। इन यामों में ठहरने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए उनके खाने पीने का पूरा इंतजाम किया जाता था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से एक प्रकार के पास जारी किए जाते थे।

इन पासों को फ़ारसी में पैज़ा (paiza) तथा मंगोल भाषा में जेरेज़ (gerege) कहते थे। प्रत्येक याम में यात्रियों को इन पासों के अनुसार सुविधाएँ दी जाती थीं। इन चौकियों के कारण सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया जाता था। इस सुविधा के लिए व्यापारी सरकार को बाज़ (baz) नामक कर देते थे। इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मंगोल सरकार को अपने पशुओं का दसवाँ हिस्सा देते थे। इसे कुबकुर (kubcur) कहा जाता था।

इस संस्था का उद्देश्य मंगोल साम्राज्य के दूरस्थ स्थानों पर नियंत्रण रखना एवं संपूर्ण साम्राज्य की महत्त्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना था। याम संस्था अपने उद्देश्य में काफी सीमा तक सफल रही। जॉर्ज वर्नडस्की के अनुसार,

“यह (याम) बहुत ही लाभकारी तथा भली-भाँति संचालित संस्था थी।”

5. यास (Yasa):
मंगोल प्रशासन चलाने में यास की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। यास वे विधि नियम थे जिन्हें चंगेज़ खाँ के शासनकाल में 1206 ई० में कुरिलताई द्वारा पारित किया गया था। इन नियमों को 1218 ई० में अंतिम रूप दिया गया था। ये नियम उसके उत्तराधिकारियों के समय में भी जारी रहे। ये नियम मंगोल सेना, शिकार, डाक प्रणाली, नैतिक एवं सामाजिक व्यवस्था से संबंधित थे।

इन नियमों को मंगोलों ने पराजित लोगों पर भी लागू किया। वास्तव में यास ने मंगोलों को एक सूत्र में पिरोने, उनकी अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने, जटिल शहरी समाजों पर शासन करने तथा एक विश्वव्यापी मंगोल साम्राज्य की स्थापना में प्रशंसनीय योगदान दिया।

6. प्रजा का सुख (Welfare of the Subjects) :
मंगोल प्रशासन की एक अन्य विशेषता यह थी कि मंगोल शासक अपनी प्रजा के सुख का सदैव ध्यान रखते थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि चंगेज़ खाँ एवं अन्य मंगोल शासकों ने अनेक प्रदेशों को विजित करने के उद्देश्य से वहाँ भयंकर विनाश किया।

किंतु इन प्रदेशों को अपने साम्राज्य में सम्मिलित करने के पश्चात् वहाँ नगरों का पुनः निर्माण किया तथा शांति व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से अनेक पग उठाए। मंगोल शासकों ने सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया। उन्होंने व्यापारियों को बहुत प्रोत्साहन दिया। लोगों पर बहुत कम कर लगाए गए थे।

7. धार्मिक नीति (Religious Policy):
मंगोल शासकों का धर्म में बहुत विश्वास था। वे मुख्य रूप से तेंगरी (Tengri) भाव सूर्य देवता की उपासना करते थे। वे इसे सर्वशक्तिमान् मानते थे। वे इसे प्रसन्न करने के लिए जानवरों एवं विशेषतः घोड़ों की बलियाँ देते थे। वे पवित्र धार्मिक लोगों जिन्हें शामन (shamans) कहा जाता था का विशेष सम्मान करते थे। मंगोल शासकों की विशेषता थी कि उन्होंने सभी धर्मों ईसाई, मुस्लिम, यहूदी, बौद्ध एवं ताओ आदि के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।

उन्होंने सब धर्मों के लोगों को अपने रीति-रिवाजों का पालन करने की पूर्ण छूट दी थी। उनके साम्राज्य में नौकरियाँ बिना किसी धार्मिक मतभेद के योग्यता के आधार पर दी जाती थीं। निस्संदेह यायावर समाज के शासकों द्वारा अपनाई गई धार्मिक सहनशीलता की नीति उस युग की एक महान् उपलब्धि थी। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर जे० जे० सांडर्स के अनुसार,

“एशिया के महाद्वीप में कभी भी इतनी धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी गई तथा विभिन्न मिशनरियों ने अपने धर्म का प्रचार करने का इतना प्रयास कभी नहीं किया।”
HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 iMG 2

क्रम संख्यावर्षघटना
1.1162 ई०तेमुजिन का जन्म।
2.1206 ई。कुरिलताई द्वारा तेमुजिन को चंगेज़ खाँ घोषित करना। चंगेज़ खाँ द्वारा यास की घोषणा।
3.1209 ई०चीन के उत्तर-पश्चिमी प्राँत के सी-सिआ लोगों को पराजित करना।
4.1215 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा पीकिंग पर अधिकार करना।
5.1218 ई。चंगेज़ खाँ द्वारा करा रिता की विजय।
6.1219 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा ओट्रार पर अधिकार।
7.1220 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा बुखारा एवं समरकंद पर अधिकार।
8.1221 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा बल्ख, मर्व एवं निशापुर पर अधिकार।
9.1222 ई०चंगेज़ खाँ द्वारा हेरात पर अधिकार।
10.1227 ई०चंगेज़ खाँ की मृत्यु।
11.1229-41 ई。ओगोदेई का शासनकाल।
12.1234 ई。ओगोदेई द्वारा चीन पर अधिकार।
13.1236-42 ई०चंगेज़ खाँ के पोते बाटू द्वारा रूस, हंगरी, पोलैंड एवं ऑस्ट्रिया पर अधिकार।
14.1246-48 ई०गुयूक का शासनकाल।
15.1251-59 ई०मोंके का शासनकाल।
16.1254 ई०फ्राँस के शासक लुई नौवें के राजदूत विलियम का मोंके के दरबार में पहुँचना।
17.1258 ई०मंगोलों का बगदाद पर अधिकार एवं अब्बासी वंश का अंत।
18.1260-94 ई०कुबलई खाँ का शासनकाल।
19.1260 ई०कुबलई खाँ द्वारा चीन में यूआन वंश की स्थापना।
20.1275-92 ई०वेनिस यात्री माक्को पोलो द्वारा चीन की यात्रा।
21.1295-1304 ई०गज़न खाँ का शासनकाल।

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ? उनके समाज की प्रमुख विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया में रहने वाला एक यायावर समूह था। ये लोग मूलतः घुमक्कड़ थे। वे पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे। उनका समाज विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इन कबीलों में आपसी लड़ाइयाँ चलती रहती थीं। लूटमार करना उनकी जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था। वे चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते रहते थे। वे तंबुओं में निवास करते थे। उनके परिवार पितृपक्षीय थे। अतः परिवार में पुत्र का होना आवश्यक समझा जाता था।

उस समय धनी परिवार बहुत विशाल होते थे। उस समय बहु-विवाह का प्रचलन था। उनका प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। वे सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। मंगोल अपने मृतकों का रात्रि के समय संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे तथा उनके साथ कुछ आवश्यक वस्तुएँ भी रखते थे। क्योंकि उस समय स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी इसलिए मंगोलों ने चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे।

प्रश्न 2.
मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे ? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देगें?
उत्तर:
मंगोल स्टेपी क्षेत्र के यायावर कबीले थे। यह क्षेत्र बहुत मनोरम एवं पहाड़ी था। दूसरी ओर बेदोइन अरब के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहते थे। वे अपने लिए भोजन एवं पशुओं के लिए चारे की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान आते-जाते रहते थे। उनका मुख्य भोजन खजूर एवं मुख्य पशु ऊँट था। इसके विपरीत मंगोल यायावरों के पास हरी-भरी विशाल चरागाहें थीं। उनके पास पानी की कोई कमी नहीं थी।

उनके प्रदेश में ओनोन तथा सेलेंगा जैसी नदियाँ तथा बर्फीली पहाड़ियों से निकलने वाले सैकड़ों झरने भी थे। उनके मुख्य पशु घोड़े एवं भेड़ें थीं। वे शिकारी संग्राहक थे। उनका मुख्य व्यवसाय व्यापार करना था। दूसरी ओर बेदोइन शिकारी संग्राहक नहीं थे। वे मुख्यतः पशुपालक थे। उनकी भिन्नता का मुख्य कारण उनके प्रदेश की भौगोलिक भिन्नताएँ थीं।

प्रश्न 3.
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र अथवा मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी। अतः यायावरी कबीले व्यापार के लिए अपने पड़ोसी देश चीन पर निर्भर करते थे। उनका व्यापार वस्तु-विनिमय पर आधारित था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले चीन से कृषि उत्पाद एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे। इनके बदले वे घोड़ों, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे। कभी-कभी दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने हेतु सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे एवं लूटपाट में भी सम्मिलित हो जाते थे। इस संघर्ष में यायावरों को कम हानि होती थी।

इसका कारण यह था कि वे लूटपाट कर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे। चीन को इन यायावरी आक्रमणों से बहुत क्षति पहुँचती थी। अत: चीनी शासकों ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए ‘चीन की महान् दीवार’ को अधिक मज़बूत किया।

प्रश्न 4.
चंगेज़ खाँ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चंगेज़ खाँ ने यायावर साम्राज्य की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उसका जन्म 1162 ई० में हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई था तथा वह कियात कबीले का मुखिया था। उसकी माता का नाम ओलुन-इके था। तेमुजिन का विवाह बोरटे के साथ हुआ था। उसके बचपन में ही उसके पिता की एक विरोधी कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसलिए उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

इसके बावजूद तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया। इस संकट के समय उसे बोघूरचू, जमूका तथा तुगरिल खाँ ने बहुमूल्य सहयोग दिया। तेमुजिन ने अनेक शक्तिशाली कबीलों को पराजित कर अपने नाम की धाक जमा दी। उसकी सफलताओं को देखते हुए कुरिलताई ने 1206 ई० में तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से सम्मानित किया।

चंगेज़ खाँ ने 1227 ई० तक शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन एवं करा खिता को विजित किया। उसने ख्वारज़म के शाह मुहम्मद को पराजित कर उसके अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। उसने कराकोरम को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया। चंगेज़ खाँ ने मंगोल साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार के उद्देश्य से अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया।

उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसकी महान् सफलताओं को देखते हुए उसे आज भी मंगोलिया के इतिहास में महान् राष्ट्र-नायक के रूप में स्मरण किया जाता है।

प्रश्न 5.
मंगोल कबीलों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) मंगोल कबीले नृजातीय और भाषायी संबंधी के कारण आपस में जुड़े हुए थे। परंतु उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के अभाव के कारण उनका समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था।

(2) धनी-परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चरण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में भी उनका अधिक दबदबा होता था। इसलिए उनके अनेक अनुयायी होते थे।

(3) समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि भीषण शीत-ऋतु के दौरान उनके द्वारा एकत्रित शिकार-सामग्रियाँ तथा अन्य खाद्य भंडार समाप्त हो जाते थे। वर्षा न होने पर घास के मैदान भी सूख जाते थे। इसलिए उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।

(4) मंगोल कबीलों में आपसी संघर्ष भी होता था। पशुधन प्राप्त करने के लिए वे लूटपाट भी करते थे।

(5) प्रायः परिवारों के समूह आक्रमण करने अथवा अपनी रक्षा करने के लिए शक्तिशाली कुलों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ बना लेते थे।

प्रश्न 6.
चंगेज़ खाँ की सफलता के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की सफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1) चंगेज़ खाँ स्वयं जन्मजात सेनापति था। वह जिस ओर रुख करता सफलता उसके कदम चूमती थी। अतः उसका नाम सुनते ही शत्रु की रूह कॉप जाती थी।

2) चंगेज़ खा ने एक शक्तिशाली सेना का गठ यह सेना बहुत अनुशासित थी। इस सेना का मुकाबला करना कोई सहज कार्य न था।

3) चंगेज़ खाँ का जासूसी विभाग अत्यंत कशल था। उसके जासस कोई भी युद्ध आरंभ होने से पूर्व उसके शत्र के संबंध में प्रत्येक छोटी से-छोटी जानकारी उपलब्ध करवाते थे। यह जानकारी उसके लिए बहुत बहमुल्य सिद्ध होती थी।

4) चंगेज़ खाँ मनोवैज्ञानिक युद्ध के महत्त्व को भली-भाँति जानता था। अतः जब भी किसी स्थान के लोग उसकी सेना का मुकाबला करने का साहस करते तो उसकी सेना वहाँ इतना विनाश करती जिसे सुनकर लोग थर-थर काँपने लगते थे। अतः लोग बिना लड़ाई किए ही उसके समक्ष आत्म-समर्पण कर देते थे।

5) मंगोल सैनिक घुड़सवारी एवं तीरंदाज़ी में इतने कुशल थे कि शत्रु भौचक्के रह जाते थे।

6) चंगेज़ खाँ ने शत्रु दुर्गों को नष्ट करने के लिए घेराबंदी यंत्र एवं नेफ़था बमबारी का व्यापक प्रयोग किया। इनके युद्ध में घातक प्रभाव होते थे।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 7.
यास से आपका क्या अभिप्राय है ? इसके प्रमुख नियम क्या हैं ?
उत्तर:
यास वे विधि नियम थे, जिन्हें चंगेज़ खाँ के शासनकाल में कुरिलताई द्वारा पारित किया गया था। इसके प्रमुख नियम निम्नलिखित थे

1) लोगों को एक परमात्मा में विश्वास रखना चाहिए जो कि स्वर्ग एवं पृथ्वी का स्वामी है। वह ही जीवन एवं मृत्यु, अमीरी तथा ग़रीबी देता है।

2) धार्मिक नेताओं, परामर्शदाताओं, पुरोहितों, मस्जिदों की देखभाल करने वालों, डॉक्टरों एवं शवों को स्नान कराने वालों को राज्य की तरफ से मुफ्त भोजन दिया जाना चाहिए।

3) जो भी व्यक्ति कुरिलताई से मान्यता प्राप्त किए बिना अपने आपको खाँ घोषित करता है उसे मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।

4) जिन कबीलों ने मंगोलों की अधीनता स्वीकार कर ली हो उनके मुखिया महत्त्वपूर्ण उपाधियाँ धारण नहीं कर सकते।

5) जो कोई शासक अथवा कबीला मंगोलों की अधीनता स्वीकार नहीं करता उसके साथ किसी प्रकार का कोई समझौता न किया जाए।

6) सभी धर्मों का सम्मान किया जाए। सभी धर्मों के पुरोहितों को सभी प्रकार के करों से मुक्त रखा जाए।

7) किसी चलते हुए दरिया में वस्त्र धोकर अथवा मलमूत्र द्वारा गंदा करने पर कड़ा प्रतिबंध था। ऐसा करने वालों को मृत्यु दंड दिया जाता था।

प्रश्न 8.
चंगेज़ खाँ ने सेना में अनुशासन बनाए रखने के लिए कौन-से नियम बनाए ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। वह अनुशासनहीन सेना को एक भीड़ मात्र समझता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से अनेक नियम बनाए थे। इनका उल्लंघन करने वाले सैनिकों को मृत्यु दंड दिया जाता था। ये नियम थे

  • युद्ध के आरंभ होने पर छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
  • सभी सैनिकों के लिए आवश्यक था कि वे अपने अधिकारियों के आदेश का पालन करें।
  • कोई भी सैनिक अपनी इकाई को छोड़कर किसी दूसरी इकाई में नहीं जा सकता था।
  • युद्ध में जाने से पहले सभी सैनिकों को अपने हथियारों का निरीक्षण कर लेना चाहिए।
  • कोई भी सैनिक अपने अधिकारियों की अनुमति के बिना लूटपाट न करे।
  • अधिकारियों द्वारा अनुमति मिलने पर ही लूटपाट आरंभ की जाए। लूट के धन से अधिकारियों एवं खाँ का हिस्सा दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 9.
चंगेज़ खाँ के सैनिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ के समय सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सेना में भर्ती होना अनिवार्य था। केवल पुरोहितों, डॉक्टरों एवं विद्वानों को इसमें छूट दी गई थी।
  • चंगेज़ खाँ की सेना पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। यह 10,100, 1000 एवं 10,000 सैनिकों की इकाइयों में विभाजित थी।
  • चंगेज़ खाँ की सेना में विभिन्न मंगोल जनजातियों के लोग सम्मिलित थे।
  • चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। उसने विशेष कप्तानों को नियुक्त किया था, जिन्हें नोयान कहा जाता था।
  • चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। वह अनुशासनहीन सेना को एक भीड़ मात्र समझता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य में अनेक नियम बनाए थे।

प्रश्न 10.
चंगेज़ खाँ को मंगोलों का सबसे महान् शासक क्यों माना जाता था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ को निम्नलिखित कारणों से मंगोलों का सबसे महान शासक माना जाता था

  • उसने मंगोलों को एक झंडे के अधीन एकत्रित किया।
  • उसने लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों का अंत किया।
  • उसने मंगोलों को चीनियों द्वारा किए जा रहे शोषण से मुक्ति दिलवाई।
  • उसने एक महान् साम्राज्य की स्थापना की।
  • उसके व्यापार द्वारा मंगोलों को समृद्ध बनाया।
  • उसने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया।

प्रश्न 11.
याम से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की एक बहुमूल्य देन याम की स्थापना करना था। याम एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। मंगोल साम्राज्य में प्रत्येक 25 मील की दूरी पर ऐसी चौकियाँ स्थापित की गई थीं। इन चौकियों में घुड़सवार संदेशवाहक तथा फुर्तीले घोड़े सदैव तैनात रहते थे। घुड़सवार संदेशवाहक सभी प्रकार के सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे।

प्रत्येक घुड़सवार अपने घोड़े के गले में एक घंटी बाँध कर रखता था। जब वह किसी याम के निकट पहुँचता तो इस घंटी की आवाज़ सुन कर संदेशवाहक अपने घोड़े के साथ आगे गंतव्य तक बढ़ने के लिए तैयार हो जाता।

इन यामों में ठहरने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए उनके खाने-पीने का पूरा इंतजाम किया जाता था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से एक प्रकार के पास जारी किए जाते थे। इन पासों को फ़ारसी में पैजा तथा मंगोल भाषा में जेरेज़ कहते थे। ये पास तीन प्रकार-सोने, चाँदी एवं लोहे के होते थे। प्रत्येक याम में यात्रियों को इन पासों के अनुसार सुविधाएँ दी जाती थीं। इन चौकियों के कारण सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया जाता था।

प्रश्न 12.
उलुस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मंगोल प्रशासन की एक उल्लेखनीय विशेषता चंगेज़ खाँ द्वारा उलुस का गठन करना था। इसके अनुसार चंगेज़ खाँ ने नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चारों पुत्रों को दे दिया। उसके सबसे ज्येष्ठ पुत्र जोची को रूसी स्टेपी का प्रदेश दिया गया। उसके दूसरे पुत्र चघताई को तूरान का स्टेपी क्षेत्र तथा पामीर पर्वत का उत्तरी क्षेत्र दिया गया। चंगेज़ खाँ ने संकेत दिया कि उसका तीसरा पुत्र ओगोदेई उसका उत्तराधिकारी होगा।

उसके सबसे छोटे पुत्र तोलुई को मंगोलिया का क्षेत्र दिया गया। उलुस से भाव किसी निश्चित भू-भाग से नहीं था क्योंकि इनमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासक जैसी थी। उनके अधीन अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा) थीं। वे अपने अधीन क्षेत्रों से लोगों को सेना में भर्ती कर सकते थे। उन्हें लोगों पर नए कर लगाने का अधिकार दिया गया था।

प्रश्न 13.
मंगोलों की हरकारा पद्धति क्या थी?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ द्वारा स्थापित एक फुर्तीली संचार व्यवस्था को हरकारा पद्धति कहा जाता था। इस कारण राज्य के दूर स्थित स्थानों में आपसी संपर्क बना रहता था। निश्चित की गई दूरी पर निर्मित सैनिक, चौकियों में स्वस्थ एवं बलवान घोड़े एवं घुड़सवार तैनात रहते थे। इस संचार पद्धति के संचालन के लिए मंगोल यायावर अपने घोड़ों अथवा अन्य पशुओं का दसवां भाग प्रदान करते थे। इसे कुबकुर कर कहते थे। यायावर लोग यह कर अपनी इच्छा से प्रदान करते थे। इससे उन्हें अनेक लाभ प्राप्त होते थे। चंगेज़ खाँ की मृत्यु के पश्चात् मंगोलों ने इस पद्धति में और भी सुधार किए। इस कारण महान् खाँनों को अपने विस्तृत साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं पर निगरानी रखने में सहायता मिलती थी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 14.
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को पसंद नहीं करते थे । क्यों?
उत्तर:
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को निम्नलिखित कारणों से पसंद नहीं करते थे

  • मंगोलों ने अपने युद्धों के दौरान अनेक भव्य नगरों को नष्ट कर दिया था।
  • मंगोलों ने कृषि भूमि को भारी हानि पहुँचाई थी।
  • उनके आक्रमणों के दौरान विजित क्षेत्रों के व्यापार को व्यापक पैमाने पर क्षति पहुंची थी।
  • इन युद्धों के कारण दस्तकारी वस्तुओं का उत्पादन लगभग ठप्प हो गया था।
  • इन युद्धों के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे तथा कइयों को दास बना लिया गया था।
  • इन युद्धों के दौरान समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा था।

प्रश्न 15.
कुबलई खाँ पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
कुबलई खाँ ने 1260 ई० में पीकिंग में यूआन वंश की स्थापना की घोषणा की। कुबलई खाँ ने 1294 ई० तक शासन किया। कुबलई खाँ एक योग्य एवं महान् शासक प्रमाणित हुआ। उसने सर्वप्रथम उत्तरी चीन में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया। उसने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसके पश्चात् उसने अरिक बुका को पराजित किया। 1280 ई० में कुबलई खाँ ने दक्षिण चीन के शुंग शासक को पराजित करने में सफलता प्राप्त की।

निस्संदेह यह कुबलई खाँ की एक महान् सफलता थी। इसके पश्चात् उसने बर्मा, चंपा एवं कंबोडिया के शासकों को पराजित किया। कुबलई खाँ ने न केवल अपने साम्राज्य का विस्तार ही किया अपितु इसे अच्छी प्रकार से संगठित भी किया। उसने चीन में प्रचलित परंपराओं को जारी रखा। उसने अनेक नई सड़कों का निर्माण किया एवं पुरानी की मुरम्मत करवाई। उसने सड़कों के किनारे छाया वाले वृक्ष लगवाए। उसने यात्रियों की सुविधा के लिए सराएँ बनवाईं।

उसने शिक्षा को प्रोत्साहित किया। उसने सिविल सर्विस में उल्लेखनीय सुधार किए। उसने राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से अनेक कदम उठाए। उसने 1282 ई० में कागज़ की मुद्रा का प्रचलन किया। उसने अकालों से निपटने के लिए भी अनेक प्रयास किए। यद्यपि कुबलई खाँ का झुकाव बौद्ध धर्म की ओर था किंतु उसने अन्य धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।

अति संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के आधुनिक मंगोलिया प्रदेश में रहने वाला एक यायावर समूह था। यह समूह विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इनमें प्रमुख थे मंगोल, तातार, नेमन एवं खितान । मंगोल पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे।

प्रश्न 2.
खानाबदोश या यायावर साम्राज्य से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
खानाबदोश या यायावर लोग मूलतः घुमक्कड़ होते हैं। ये सापेक्षिक तौर पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन एवं प्रारंभिक राजनैतिक संगठन के साथ परिवारों के समूह में संगठित होते हैं।

प्रश्न 3.
मंगोलों का सबसे बहुमूल्य स्रोत किसे माना जाता है ? इसका रचयिता कौन था ?
उत्तर:

  • मंगोलों का सबसे बहुमूल्य स्रोत ‘मंगोलों का गोपनीय इतिहास’ को माना जाता है।
  • इसका रचयिता ईगोर दे रखेविल्ट्स था।

प्रश्न 4.
मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
उत्तर:

  • मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया था।
  • मंगोलों की पशुपालक एवं शिकार संग्राहक अर्थव्यवस्थाएँ भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थीं।

प्रश्न 5.
मंगोलों के धनी परिवारों के अनेक अनुयायी क्यों होते थे ?
उत्तर:

  • उनके पास अधिक संख्या में पश एवं चारण भमि होती थी।
  • वे स्थानीय राजनीति में काफी प्रभावशाली होते थे।

प्रश्न 6.
मंगोल कबीलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पड़ता था ?
उत्तर:

  • शीत ऋतु में मंगोल कबीलों द्वारा एकत्रित की गई खाद्य सामग्री समाप्त हो जाती थी।
  • वर्षा न होने से घास मैदान सूख जाते थे।

प्रश्न 7.
मंगोलों के निवास स्थान को क्या कहा जाता था ? इसकी कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:

  • मंगोलों के निवास स्थान को जर (तंबू) कहा जाता था।
  • इसका प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर होता था ताकि उत्तर से आने वाली शीत हवाओं से बचा जा सके।
  • जर को दो भागों में बाँटा जाता था। एक भाग मेहमानों के लिए एवं दूसरा घर के सदस्यों के लिए होता था।

प्रश्न 8.
मंगोल कृषि कार्य क्यों नहीं करते थे ?
उत्तर:

  • उस समय स्टेपी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं।
  • वहाँ केवल सीमित काल में ही कृषि करना संभव था।

प्रश्न 9.
12वीं शताब्दी में मंगोल समाज की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • उस समय परिवार पितृपक्षीय होते थे।
  • उस समय समाज में बहु-विवाह प्रणाली प्रचलित थी।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 10.
मंगोल अपने मृतकों का संस्कार कैसे करते थे ?
उत्तर:
मंगोल अपने मृतकों के शवों को जमीन में दफनाते थे। वे उनके साथ दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएँ एवं बर्तनों आदि को भी दफनाते थे। धनी लोगों के शवों के साथ अनेक बहुमूल्य वस्तुओं, घोड़ों, नौकरों एवं स्त्रियों आदि को भी दफ़न किया जाता था।

प्रश्न 11.
मंगोल कौन थे ? मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
अथवा
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
अथवा
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
मंगोल स्टेपी क्षेत्र में रहते थे। इस क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी। उनके लिए व्यापार जीविका का एकमात्र साधन था। अतः मंगोलों के लिए व्यापार बहुत महत्त्वपूर्ण था।

प्रश्न 12.
मंगोल चीन से किन वस्तुओं का आयात-निर्यात करते थे ?
अथवा
चीन से मंगोलों को कौन-सी वस्तुएँ निर्यात की जाती थीं?
उत्तर:

  • मंगोल चीन से कृषि उत्पादों एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे।
  • मंगोल चीन को घोड़े, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे।

प्रश्न 13.
वाणिज्यिक क्रियाकलापों में मंगोलों को कभी-कभी तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
कभी-कभी व्यापार करने वाले दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने की होड़ में सैनिक कार्यवाही कर देते थे एवं लूटपाट में सम्मिलित हो जाते थे। इस कारण उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता था।

प्रश्न 14.
चीन की महान् दीवार क्यों बनवाई गई थी ?
उत्तर:
चीन की महान् दीवार इसलिए बनवाई गई थी क्योंकि यायावर कबीले चीन पर बार-बार आक्रमण करते रहते थे। इन आक्रमणों से चीन की सुरक्षा के लिए यह दीवार बनवाई गई थी।

प्रश्न 15.
चंगेज़ खाँ कौन था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ मंगोलों का सबसे महान् नेता था।
  • उसने 1206 ई० से 1227 ई० तक शासन किया।

प्रश्न 16.
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ ? उसका प्रारंभिक नाम क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ का जन्म 1162 ई० में हुआ।
  • उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था।

प्रश्न 17.
चंगेज़ खाँ के पिता का नाम क्या था ? वह किस कबीले का मुखिया था ?
उत्तर:

  • चंगेज खाँ के पिता का नाम येसूजेई था।
  • वह कियात कबीले का मुखिया था।

प्रश्न 18.
चंगेज़ खाँ का नाम तेमुजिन क्यों रखा गया था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ का नाम तेमुजिन इसलिए रखा गया था क्योंकि उसके जन्म के समय उसके पिता येसूजेई ने तातार कबीले के मुखिया तेमुजिन को पराजित किया था। अतः मंगोलियाई परंपरा के अनुसार नव-जन्में बालक का नाम तेमुजिन रखा गया।

प्रश्न 19.
आंडा (anda) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
आंडा से अभिप्राय ऐसे व्यक्तियों से है जिन्हें मंगोल सौगंध के आधार पर अपना सगा भाई बना लेते थे।

प्रश्न 20.
तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से कब तथा किसने सम्मानित किया था ? इससे क्या भाव था ?
उत्तर:

  • तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से 1206 ई० में कुरिलताई ने सम्मानित किया था।
  • इससे भाव था सार्वभौम शासक।

प्रश्न 21.
खाँ की उपाधि से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
खाँ की उपाधि से अभिप्राय है सार्वभौम शासक। कुरिलताई ने तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से 1206 ई० में सम्मानित किया था।

प्रश्न 22.
कुरिलताई से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कुरिलताई प्रतिष्ठित मंगोल सरदारों के कबीले की एक सभा थी।

प्रश्न 23.
कुरिलताई के कोई दो प्रमुख कार्य बताएँ।
उत्तर:

  • उत्तराधिकार संबंधी निर्णय लेना।।
  • राज्य के भविष्य एवं अभियानों संबंधी निर्णय लेना।

प्रश्न 24.
चंगेज़ खाँ की कोई दो महत्त्वपूर्ण विजयें बताएँ।
उत्तर:

  • उत्तरी चीन की विजय।
  • ख्वारज़म की विजय।

प्रश्न 25.
चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया ? उस समय वहाँ किस राजवंश का शासन था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर 1215 ई० में अधिकार किया।
  • उस समय वहाँ चिन राजवंश का शासन था।

प्रश्न 26.
चंगेज खाँ ने खारजम पर आक्रमण कब किया ? इसका तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ ने ख्वारज़म पर 1219 ई० में आक्रमण किया था।
  • इसका तात्कालिक कारण यह था कि ओट्रार के गवर्नर ने वारज़म शाह के इशारे पर चंगेज़ खाँ के एक व्यापारिक मंडल के चार सदस्यों की हत्या कर दी थी।

प्रश्न 27.
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ?
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ। इसका कारण यह है कि यायावर नगरों में भयंकर लूटमार करते थे तथा उन्हें नष्ट कर देते थे।

प्रश्न 28.
क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ा कर संख्या क्यों बताई है ?
उत्तर:
फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की संख्या इतनी बढ़ा-चढ़ा कर इसलिए बताई है क्योंकि वे मंगोलों को क्रूर हत्यारा दर्शाना चाहते थे।

प्रश्न 29.
चंगेज़ खाँ की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की मृत्यु 1227 ई० में हुई।

प्रश्न 30.
चंगेज़ खाँ का साम्राज्य कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था ? उसकी राजधानी का नाम क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ का साम्राज्य फ़ारस से लेकर पीकिंग तक तथा साईबेरिया से लेकर सिंध तक फैला था।
  • उसकी राजधानी का नाम कराकोरम था।

प्रश्न 31.
चंगेज़ खाँ की सफलता के दो प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ स्वयं एक महान् सेनापति था।
  • चंगेज़ खाँ ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया था।

प्रश्न 32.
चंगेज़ खाँ की अलोकप्रियता के दो कारण लिखिए।
अथवा
चंगेज़ खाँ द्वारा विजित लोगों को अपने नवीन यायावर शासकों से कोई लगाव न था। इसके कोई दो कारण बताएँ।
अथवा
क्या कारण था कि 13वीं शताब्दी में चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी स्टेपी के गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे ?
उत्तर:

  • मंगोलों ने अपने युद्धों के दौरान अनेक नगरों का विनाश कर दिया था।
  • मंगोलों ने युद्धों के दौरान लाखों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।

प्रश्न 33.
यास से क्या अभिप्राय है ? इसका प्रचलन कब और किसने किया ?
अथवा
यांस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:

  • यास से अभिप्राय है विधि संहिता।
  • इसका प्रचलन 1206 ई० में चंगेज़ खाँ ने किया।

प्रश्न 34.
यास क्या था? इसके दो सैनिक नियम क्या थे?
उत्तर:

  • यास चंगेज़ खाँ की विधि संहिता थी।
  • युद्ध आरंभ होने की स्थिति में छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
  • कोई भी सैनिक अपने कमांडर की अनुमति के बिना लूटमार नहीं कर सकता।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 35.
यास के कोई दो महत्त्वपूर्ण नियम बताएँ।
उत्तर:

  • जो भी व्यक्ति कुरिलताई से मान्यता प्राप्त किए बिना अपने आपको खाँ घोषित करता है उसे मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।
  • सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए तथा उनके पुरोहितों को सभी प्रकार के करों से मुक्त रखा जाना चाहिए।

प्रश्न 36.
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज़ खाँ की स्मृति के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंधों को उजागर करता है ?
उत्तर:
परवर्ती मंगोल यास को चंगेज़ खाँ की विधि संहिता कह कर पुकारते थे। वे स्वयं का यास लागू करना चाहते थे। इससे उनके तनावपूर्ण संबंध उजागर होते हैं।

प्रश्न 37.
चंगेज़ खाँ के सैनिक प्रशासन की कोई दो प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  • उसने अपनी सेना को दशमलव पद्धति के अनुसार गठित किया।
  • उसकी सेना में न केवल विभिन्न मंगोल जनजातियों अपितु विभिन्न देशों के लोग सम्मिलित थे।

प्रश्न 38.
मंगोलों के नागरिक प्रशासन की कोई दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:

  • मंगोल प्रशासन में खाँ की स्थिति सर्वोच्च थी।
  • मंगोलों ने अपने नागरिक प्रशासकों को योग्यता के आधार पर भर्ती किया था।

प्रश्न 39.
उलुस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उलुस का गठन चंगेज़ खाँ ने किया था। इसके अधीन चंगेज़ खाँ ने अपने पुत्रों को नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का अधिकार दिया था। उलुस से भाव किसी निश्चित क्षेत्र से नहीं था क्योंकि इसमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासकों जैसी थी।

प्रश्न 40.
ये-लू-चुत्साई कौन था ?
उत्तर:
ये-लू-चुत्साई एक चीनी मंत्री था। उसे मंगोलों ने 1215 ई० के आक्रमण के दौरान बँदी बना लिया था। उसने मंगोल प्रशासन को एक नया स्वरूप देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

प्रश्न 41.
याम (yam) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
याम की स्थापना चंगेज़ खाँ ने की थी। यह एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। यहाँ से घुड़सवार संदेशवाहक सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे। इन यामों में यात्रियों के ठहरने का पूरा प्रबंध था।

प्रश्न 42.
कुबकुर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कुबकुर एक प्रकार का कर था। इसके अधीन मंगोल यायावर अपने पशु समूहों से अपने घोड़े अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ हिस्सा सरकार को देते थे। मंगोल इन पशुओं का प्रयोग अपनी संचार व्यवस्था को बनाए रखने के लिए करते थे।

प्रश्न 43.
पैज़ा (paiza) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पैज़ा एक प्रकार के पास थे जिन्हें यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए मंगोल सरकार द्वारा जारी किया जाता था। ये पास तीन प्रकार सोने, चाँदी एवं लोहे के होते थे। इसे यात्री अपने माथे पर बाँधते थे। इन पासों के आधार पर ही इन यात्रियों एवं व्यापारियों को यामों में सुविधाएँ दी जाती थीं।

प्रश्न 44.
मंगोलों के धार्मिक जीवन की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • मंगोलों का प्रमुख देवता तेंगरी था। वे उसे सर्वशक्तिमान समझते थे।
  • मंगोल शासकों ने विभिन्न धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।

प्रश्न 45.
चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी कौन था ? उसका शासनकाल क्या था ?
उत्तर:

  • चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी ओगोदेई था।
  • उसने 1229 ई० से 1241 ई० तक शासन किया।

प्रश्न 46.
ओगोदेई की कोई दो प्रमुख सफलताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • उसने उत्तरी चीन में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया।
  • उसने ईरान के शासक जलालुद्दीन को कड़ी पराजय दी।

प्रश्न 47.
ओगोदेई के कोई दो प्रमुख प्रशासनिक सुधार बताएँ।
उत्तर:

  • उसने मंगोल साम्राज्य में अनेक न्यायालयों की स्थापना की।
  • उसने करों को नियमित कर मंगोल अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया।

प्रश्न 48.
बाटू कौन था ?
उत्तर:
बाटू चंगेज़ खाँ का पोता था। उसने 1236 ई० से 1242 ई० तक अपने अभियानों के दौरान रूस, हंगरी, पोलैंड एवं ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर मंगोल साम्राज्य के विस्तार में प्रशंसनीय योगदान दिया। उसने दक्षिण रूस में सुनहरा गिरोह की स्थापना की।

प्रश्न 49.
मोंके कौन था ?
उत्तर:
मोंके चंगेज़ खाँ का पोता एवं तोलूई का पुत्र था। वह 1251 ई० से 1259 ई० तक मंगोलों का महान् खाँ रहा। वह चंगेज़ खाँ के उत्तराधिकारियों में सबसे योग्य प्रमाणित हुआ।

प्रश्न 50.
कुबलई खाँ कौन था ?
उत्तर:
कुबलई खाँ चीन में मंगोलों का एक प्रसिद्ध शासक था। उसने 1260 ई० से 1294 ई० तक शासन किया। उसने दक्षिण चीन को अपने अधीन किया। उसने शिक्षा को प्रोत्साहित किया एवं अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया। उसकी राजधानी का नाम पीकिंग था।

प्रश्न 51.
प्रसिद्ध वेनिस यात्री मार्को पोलो ने चीन की यात्रा कब की तथा वह किसके दरबार में रहा ?
अथवा
मार्को पोलो कौन था ?
उत्तर:

  • प्रसिद्ध वेनिस यात्री मार्को पोलो ने चीन की यात्रा 1275 ई० से 1292 ई० तक की।
  • वह कुबलई खाँ के दरबार में रहा।
  • उसने कुबलई खाँ के शासनकाल के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला है।

प्रश्न 52.
हुलेगु ने बग़दाद पर कब अधिकार किया ? उसने किस खलीफ़ा का वध किया ? वह किस वंश से संबंधित था ?
उत्तर:

  • हुलेगु ने बग़दाद पर 1258 ई० में अधिकार किया।
  • उसने खलीफ़ा अल-मुस्तासिम का वध किया।
  • वह अब्बासी वंश से संबंधित था।

प्रश्न 53.
फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार जुवाइनी किस शासक का दरबारी इतिहासकार था ? उसकी रचना का नाम क्या था ?
उत्तर:

  • फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार जुवाइनी हुलेगु का दरबारी इतिहासकार था।
  • उसकी रचना का नाम हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मध्य एशिया का एक यायावर समूह।

प्रश्न 2.
बर्बर शब्द यूनानी भाषा के किस शब्द से उत्पन्न हुआ है ?
उत्तर:
बारबोस।

प्रश्न 3.
मंगोल कहाँ का रहने वाला एक यायावर समूह था ?
उत्तर:
मध्य एशिया का।

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 4.
मंगोलों का गोपनीय इतिहास का लेखक कौन था ?
उत्तर:
ईगोर दे रखेविल्ट्स।।

प्रश्न 5.
मंगोल जिन तंबुओं में रहते थे उन्हें क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
जर।

प्रश्न 6.
मंगोलों का सर्वाधिक प्रसिद्ध नेता कौन था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ।

प्रश्न 7.
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
1162 ई० में।

प्रश्न 8.
चंगेज़ खाँ किस कुल से संबंधित था ?
उत्तर:
बोरजिगिद।

प्रश्न 9.
चंगेज खाँ के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर:
तेमुजिन।

प्रश्न 10.
मंगोलों के किस शासक को समुद्री खाँ की उपाधि दी गई थी ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ।

प्रश्न 11.
मंगोलों द्वारा बुखारा पर आधिपत्य कब स्थापित किया गया ?
उत्तर:
1221 ई०।

प्रश्न 12.
मंगोलों ने हिरात पर अपना अधिकार कब स्थापित किया ?
उत्तर:
1222 ई०।

प्रश्न 13.
चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया था ?
उत्तर:
1215 ई० में।

प्रश्न 14.
चंगेज़ खाँ ने यास का प्रचलन कब किया था ?
उत्तर:
1206 ई० में।

प्रश्न 15.
चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए किन्हें नियुक्त किया था ?
उत्तर:
नोयान को।

प्रश्न 16.
ये-लू-चुत्साई कौन था ?
उत्तर:
एक चीनी मंत्री।

प्रश्न 17.
मंगोल साम्राज्य में व्यापारी अपनी सुरक्षा के लिए कौन-सा कर देते थे ?
उत्तर:
बाज़।

प्रश्न 18.
चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी कौन था ?
उत्तर:
ओगोदेई।

प्रश्न 19.
मंगोलों ने बग़दाद पर कब अधिकार कर लिया था ?
उत्तर:
1258 ई० में।

प्रश्न 20.
पीकिंग में यूआन वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर:
कुबलई खाँ ने।

प्रश्न 21.
इल-खानी वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर:
हुलेगु।

प्रश्न 22.
हिस्ट्री-ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड का लेखक कौन था ?
उत्तर:
जुवाइनी।

प्रश्न 23.
मंगोलों ने अब्बासी वंश का अंत कब किया ?
उत्तर:
1258 ई०।

प्रश्न 24.
चीन में यूआन राजवंश का अंत कब हुआ ?
उत्तर:
1368 ई०।

प्रश्न 25.
गजन खाँ किस वंश का शासक था ?
उत्तर:
इल-खानी।

प्रश्न 26.
मंगोलों ने गोल्डन होर्ड की स्थापना कहाँ की थी ?
उत्तर:
दक्षिण रूस में।

रिक्त स्थान भरिए

1. चंगेज़ खाँ का जन्म .. ……………. ई० में हुआ।
उत्तर:
1162

2. चंगेज़ खाँ का प्रारंभिक नाम …………….. था।
उत्तर:
तेमुजिन

3. मंगोलों द्वारा चंगेज़ खाँ को …………….. तथा …………….. उपाधि से नवाजा गया।
उत्तर:
समुद्री खाँ, सार्वभौम शासक

4. मंगोलों का महानायक …………….. को घोषित किया गया।
उत्तर:
चंगेज़ खाँ

5. मंगोलों द्वारा निशापुर पर आधिपत्य …………….. ई० में किया गया।
उत्तर:
122

6. मंगोलों ने बग़दाद पर अधिकार व अब्बासी खिलाफ़त का अंत …………….. ई० में किया।
उत्तर:
1258

7. चीन में 1368 ई० में …………….. राजवंश का अंत हो गया।
उत्तर:
यूआन

8. मंगोलों द्वारा पीकिंग को ……………. ई० में लूटा गया।
उत्तर:
1215

9. ईरान में 1295-1304 ई० तक ……………. का शासन काल रहा।
उत्तर:
गज़न खाँ

10. गज़न खाँ सिंहासन पर …………….. ई० में बैठा।
उत्तर:
1295 ई०

11. जोची की मृत्यु …………….. ई० में हुई थी।
उत्तर:
1227

12. चंगेज़ खाँ के बड़े पुत्र जोची के पुत्र का नाम …………….. था।
उत्तर:
बाटू

बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. 13वीं-14वीं शताब्दी में स्थापित विश्व का सबसे महत्त्वपूर्ण खानाबदोश साम्राज्य था
(क) मंगोल
(ख) हूण
(ग) हुआंग डी
(घ) गोवांग।
उत्तर:
(क) मंगोल

2. मंगोल कहाँ के निवासी थे ?
(क) मध्य एशिया के
(ख) भूमध्यसागर के
(ग) टुंड्रा के
(घ) चीन के।
उत्तर:
(क) मध्य एशिया के

3. यायावर से आपका क्या अभिप्राय है ?
(क) लुटेरे
(ख) कबीला
(ग) घुमक्कड़
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) घुमक्कड़

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

4. मंगोलों का प्रमुख व्यवसाय क्या था ?
(क) कृषि
(ख) पशुपालन
(ग) व्यापार
(घ) शिकार।
उत्तर:
(ख) पशुपालन

5. मंगोल निम्नलिखित में से किस जानवर को सबसे अधिक महत्त्व देते थे ?
(क) ऊँट
(ख) भेड़
(ग) घोड़ा
(घ) गाय।
उत्तर:
(ग) घोड़ा

6. मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
(क) मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया था
(ख) मंगोलों की अर्थव्यवस्था घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थी
(ग) मंगोलों का निवास स्थाई नहीं था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

7. मंगोलों ने कृषि कार्य को क्यों नहीं अपनाया ?
(क) क्योंकि वे कृषि को पसंद नहीं करते थे
(ख) क्योंकि वे अपनी सभी खाद्य वस्तुएँ चीन से मंगवाते थे
(ग) क्योंकि मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ग) क्योंकि मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं

8. 12वीं शताब्दी में यायावरी समाज में धनी परिवार विशाल क्यों होते थे ?
(क) उनके पास बड़ी संख्या में पशु एवं चारण भूमि होती थी
(ख) उनके बड़ी संख्या में अनुयायी होते थे
(ग) उनका स्थानीय राजनीति में बहुत दबदबा होता था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।

9. मंगोलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पडता था ?
(क) क्योंकि मंगोलिया में चरागाहों की बहत कमी थी
(ख) वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे
(ग) क्योंकि मंगोल बड़ी संख्या में पशुपालन का कार्य करते थे
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे

10. मंगोलों के लिए व्यापार क्यों महत्त्वपूर्ण था ?
(क) क्योंकि इनसे राज्य को काफी धन प्राप्त होता था
(ख) क्योंकि इससे व्यापारी बहुत प्रसन्न थे।
(ग) क्योंकि मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) क्योंकि मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी

11. मंगोल साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
(क) रोमानोव
(ख) माँचू
(ग) तैमूर लंग
(घ) चंगेज़ खाँ।
उत्तर:
(घ) चंगेज़ खाँ।

12. चंगेज खाँ कौन था ?
(क) चीनियों का प्रसिद्ध नेता
(ख) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता
(ग) ईरानियों का प्रसिद्ध नेता
(घ) जापानियों का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(ख) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता

13. चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ ?
(क) 1160 ई० में
(ख) 1162 ई० में
(ग) 1165 ई० में
(घ) 1167 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1162 ई० में

14. चंगेज़ खाँ का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) तेमुजिन
(ख) माँचू
(ग) तातार
(घ) कगान।
उत्तर:
(क) तेमुजिन

15. कुरिलताई से क्या भाव है ?
(क) मंगोल सरदारों की सभा
(ख) मंगोलिया का प्रसिद्ध पर्वत
(ग) मंगोलिया की प्रसिद्ध नदी
(घ) मंगोलिया का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(क) मंगोल सरदारों की सभा

16. चंगेज़ खाँ मंगोलों का शासक कब बना ?
(क) 1203 ई० में
(ख) 1205 ई० में
(ग) 1206 ई० में
(घ) 1209 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1206 ई० में

17. चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया था ?
(क) 1206 ई० में
(ख) 1209 ई० में
(ग) 1213 ई० में
(घ) 1215 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1215 ई० में।

18. चंगेज खाँ की राजधानी का नाम क्या था ?
(क) कराकोरम
(ख) बुखारा
(ग) पीकिंग
(घ) हेरात।
उत्तर:
(क) कराकोरम

19. यास से आपका क्या अभिप्राय है?
(क) विधि संहिता
(ख) मंगोल प्राँत
(ग) मंगोल सेनापति
(घ) मंगोल हरकारा पद्धति।
उत्तर:
(क) विधि संहिता

20. यास का प्रचलन किसने किया ?
(क) ओगोदेई ने
(ख) अल-मुस्तासिम ने
(ग) चंगेज़ खाँ ने
(घ) जुवाइनी ने।
उत्तर:
(ग) चंगेज़ खाँ ने

21. ये-लू-चुत्साई कौन था ?
(क) फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार
(ख) एक चीनी मंत्री
(ग) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता
(घ) तातारों का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(ख) एक चीनी मंत्री

22. पैजा अथवा जेरेज़ क्या था ?
(क) यात्रियों को दिया जाने वाला पास
(ख) सेना का एक महत्त्वपूर्ण पद
(ग) प्रांत का मुखिया
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) यात्रियों को दिया जाने वाला पास

23. चंगेज़ खाँ की मृत्यु कब हुई थी?
(क) 1206 ई० में
(ख) 1226 ई० में
(ग) 1227 ई० में
(घ) 1237 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1227 ई० में

24. चंगेज़ खाँ के बाद मंगोलिया का शासक कौन बना ?
(क) ओगोदेई
(ख) जोची
(ग) तोलुई
(घ) चघताई।
उत्तर:
(क) ओगोदेई

25. ओगोदेई ने चीन पर कब अधिकार कर लिया था ?
(क) 1231 ई० में
(ख) 1232 ई० में
(ग) 1234 ई० में
(घ) 1241 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1234 ई० में

26. बाटू कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
(ख) कुबलई खाँ का पोता
(ग) तैमूर का पुत्र
(घ) मोंके का पुत्र।
उत्तर:
(क) चंगेज़ खाँ का पोता

27. मोंके कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
(ख) ओगोदेई का पोता
(ग) जमूका का पुत्र
(घ) ओंग खाँ का पुत्र।
उत्तर:
(क) चंगेज़ खाँ का पोता

28. मंगोलों के किस नेता ने बग़दाद पर अधिकार कर लिया था ?
(क) चंगेज़ खाँ
(ख) ओगोदेई
(ग) जोची
(घ) हुलेगु।
उत्तर:
(घ) हुलेगु।

29. यूआन वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ
(ख) ओगोदेई
(ग) बाटू
(घ) कुबलई खाँ।
उत्तर:
(घ) कुबलई खाँ।

30. कुबलई खाँ की राजधानी का नाम क्या था ?
(क) कराकोरम
(ख) पीकिंग
(ग) शंघाई
(घ) बगदाद।
उत्तर:
(ख) पीकिंग

HBSE 11th Class history Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

31. कुबलई खाँ के दरबार में कौन-सा महान् यात्री पहुंचा था ?
(क) मार्कोपोलो
(ख) कोलंबस
(ग) ह्यनसांग
(घ) वास्कोडिगामा।
उत्तर:
(क) मार्कोपोलो

32. इल-खानी वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) ओगोदेई
(ख) कुबलई खाँ
(ग) हुलेगु
(घ) जोची।
उत्तर:
(ग) हुलेगु

33. जुवाइनी की प्रसिद्ध रचना का नाम क्या था ?
(क) हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड
(ख) मंगोलों का गोपनीय इतिहास
(ग) हिस्ट्री ऑफ़ द मंगोलस
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड

34. गज़न खाँ किस वंश का प्रसिद्ध शासक था ?
(क) सी सिया
(ख) तातार
(ग) इल-खानी
(घ) यूआन।
उत्तर:
(ग) इल-खानी

35. गोल्डन होर्ड की स्थापना कहाँ की गई थी?
(क) रूसी स्टेपी क्षेत्र में
(ख) मंगोलिया में
(ग) ईरान में
(घ) जापान में।
उत्तर:
(क) रूसी स्टेपी क्षेत्र में

यायावर साम्राज्य HBSE 11th Class History Notes

→ मंगोल मध्य एशिया में रहने वाला एक यायावर समूह था। ये लोग मूलतः घुमक्कड़ थे। वे पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे। उनका समाज विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इन कबीलों में आपसी लड़ाइयाँ चलती रहती थीं। लूटमार करना उनकी जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था।

→ वे चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते रहते थे। वे तंबुओं में निवास करते थे। उनके परिवार पितृपक्षीय थे। अतः परिवार में पुत्र का होना आवश्यक समझा जाता था। उस समय धनी परिवार बहुत विशाल होते थे।

→ उस समय बहु-विवाह का प्रचलन था। उनका प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। वे सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। मंगोल अपने मृतकों का रात्रि के समय संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे तथा उनके साथ कुछ आवश्यक वस्तुएँ भी रखते थे।

→ क्योंकि उस समय स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी इसलिए मंगोलों ने चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे। मंगोलों एवं चीनियों द्वारा की जाने वाली लूटमार के कारण इनके संबंधों में आपसी दरार भी उत्पन्न हो जाती थी।

→ चंगेज़ खाँ ने यायावर साम्राज्य की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उसका जन्म 1162 ई० में हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई था तथा वह कियात कबीले का मुखिया था।

→ उसकी माता का नाम ओलुन-इके था। तेमुजिन का विवाह बोरटे के साथ हुआ था। उसके बचपन में ही उसके पिता की एक विरोधी कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसलिए उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया।

→ इस संकट के समय उसे बोघूरचू, जमुका तथा तुगरिल खाँ ने बहुमूल्य सहयोग दिया। तेमुजिन ने अनेक शक्तिशाली कबीलों को पराजित कर अपने नाम की धाक जमा दी। उसकी सफलताओं को देखते हुए कुरिलताई ने 1206 ई० में तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से सम्मानित किया।

→ चंगेज़ खाँ ने 1227 ई० तक शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन एवं करा खिता को विजित किया। उसने ख्वारज़म के शाह मुहम्मद को पराजित कर उसके अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।

→ उसने कराकोरम को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया। चंगेज़ खाँ ने मंगोल साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार के उद्देश्य से अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसकी महान् सफलताओं को देखते हुए उसे आज भी मंगोलिया के इतिहास में महान् राष्ट्र-नायक (national hero) के रूप में स्मरण किया जाता है।

→ चंगेज़ खाँ की मृत्यु के पश्चात् ओगोदेई (1229-41 ई०), गुयूक (1246-48 ई०) एवं मोंके (1251-59 ई०) ने शासन किया। उन्होंने मंगोल साम्राज्य के विस्तार एवं संगठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोंके की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य अनेक वंशों में विभाजित हो गया था।

→ इनमें चीन में कुबलई खाँ द्वारा स्थापित किया गया यूआन वंश, ईरान में हुलेगु द्वारा स्थापित किया गया इल-खानी वंश एवं दक्षिण रूस में बाटू द्वारा स्थापित किया गया गोल्डन होर्ड वंश उल्लेखनीय थे। स्टेपी निवासियों का अपना साहित्य लगभग न के बराबर था।

→ अतः यायावरी समाज के बारे हमारा ज्ञान मुख्य तौर पर इतिवृत्तों (chronicles), यात्रा वृत्तांतों (travelogues) तथा नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों (documents produced by city based literateurs) से प्राप्त होता है। इन लेखकों की यायावरों के जीवन संबंधी सूचनाएँ अज्ञात एवं पूर्वाग्रहों (biased) से ग्रस्त हैं।

→ इनमें यायावर समुदायों को आदिम बर्बर (primitive barbarians) एवं मंगोलों को स्टेपी लुटेरों के रूप में पेश किया गया। मंगोलों पर सबसे बहुमूल्य शोध कार्य 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में रूसी विद्वानों ने किया।

→ इनमें बोरिस याकोवालेविच ब्लाडिमीरस्टॉव (Boris Yakovlevich Vladimirtsov) एवं वैसिली ब्लैदिमिरोविच बारटोल्ड (Vasily Vladimirovich Bartold) के नाम उल्लेखनीय हैं। हमें पारमहाद्वीपीय (transcontinental) मंगोल साम्राज्य के विस्तार से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी चीनी, मंगोलियाई, फ़ारसी, अरबी, इतालवी, लातीनी, फ्रांसीसी एवं रूसी स्रोतों से मिलती है।

→ मंगोलों के इतिहास पर बहुमूल्य प्रकाश डालने वाले दो महत्त्वपूर्ण स्रोत ईगोर दे रखेविल्ट्स (Igor de Rachewiltz) की रचना मंगोलों का गोपनीय इतिहास (The Secret History of the Mongols) तथा मार्को पोलो (Marco Polo) का यात्रा वृत्तांत (travels) हैं।

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

HBSE 10th Class Science विद्युत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता है। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम में संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ है तो R/R’ अनुपात का मान क्या है
(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25.
उत्तर-
(d) 25.

संकेत-प्रत्येक कटे भाग का प्रतिरोध R/5 होगा।
अतः तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{R^{\prime}}=\frac{1}{R / 5}+\frac{1}{R / 5}+\frac{1}{R / 5}+\frac{1}{R / 5}+\frac{1}{R / 5}\)
\(\frac{1}{R^{\prime}}=\frac{5}{R}+\frac{5}{R}+\frac{5}{R}+\frac{5}{R}+\frac{5}{R}=\frac{25}{R}\)
अतः \(\frac{R}{R^{\prime}}\) = 25

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता ?
(a) PR
(b) IR2
(c)VI
(d)V2/R.
उत्तर-
(b) IR2

प्रश्न 3.
किसी विद्युत बल्ब का अनुमंताक 220 v; 100 w है। जब इसे 110V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है?
(a) 100W
(b) 75w
(c) 50 W
(d) 25 W
उत्तर-
(d) 25 W.
संकेतसूत्र P= \(\frac{\mathrm{v}^2}{\mathrm{R}}\) अतः बल्ब का प्रतिरोध R = \(\frac{v^2}{P}\)
R = \(\frac{220 \times 220}{100}\) = 484Ω
∴ द्वितीय स्थिति में शक्ति खर्च P1 = \(\frac{v_1^2}{R}\)
= \(\frac{110 \times 110}{484}\) =25 W

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 4.
दो चालक तार जिनके पदार्थ, लम्बाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पावक्रम में संयोजित किए जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?
(a) 1:2
(b) 2:1
(c) 1:4
(d) 4:1.
उत्तर-
(c) 1 : 4.

संकेत-यदि एक तार का प्रतिरोध R हो तो श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध R1 = 2R व पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध R2 = \( \frac{\mathrm{R}}{2}\) होगा।
यदि विभवान्तर V है तो ऊष्माओं का अनुपात
\(\frac{\mathrm{H}_1}{\mathrm{H}_2}=\frac{\mathrm{V}^2 / \mathrm{R}_1}{\mathrm{~V}^2 / \mathrm{R}_2}=\frac{\mathrm{R}_2}{\mathrm{R}_1}=\frac{\mathrm{R} / 2}{2 \mathrm{R}}=\frac{1}{4}\)

प्रश्न 5.
किसी विद्युत परिपथ में दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है ?
उत्तर-
दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर को दोनों बिन्दुओं के बीच में पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है।

प्रश्न 6.
किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5 mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 x 10-8Ωm है। 100 प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लम्बे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुना व्यास का तार लें तो प्रतिरोध में क्या अन्तर आएगा?
हल : दिया है प्रतिरोधकता ρ = 1.6 x 10-8 Ωm,
प्रतिरोध R=10Ω
व्यास 2r= 0.5 mm
∴ त्रिज्या r = \(\frac{0.5}{2}\) mm = 2.5 x 10-4m
∵ R = ρ \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
∴ तार की लम्बाई l = \(\frac{R \times A}{\rho}\)
= \(\frac{10 \times \pi \mathrm{r}^2}{\rho}\)
= \(\frac{10 \times 3.14 \times\left(2.5 \times 10^{-4}\right)^2}{1.6 \times 10^{-8} \Omega \mathrm{m}} \)
= 12.26 x 103m = 122.6 m
व्यास दोगुना करने पर त्रिज्या r दोगुनी तथा अनुप्रस्थं क्षेत्रफल (A = πr²) चार गुना हो जाएगा।
∵ R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
∴ क्षेत्रफल चार गुना होने पर प्रतिरोध एक चौथाई रह जाएगा।
अतः नया प्रतिरोध R1 = \(\frac{1}{4}\) R = \(\frac{1}{4} \times 10\) = 2.5 Ω

प्रश्न 7.
किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर v के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत धाराओं I के संगत मान आगे दिए गए हैं –
I(ऐम्पियर),: 0.5 1.0 2.0 3.0 4.0
v(वोल्ट): 1.6 3.4 6.7 10.2 13.2
V और I के बीच ग्राफ खींचकर इस प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 1
हल : अभीष्ट ग्राफ के लिए उपयुक्त चित्र देखिए। प्रतिरोधक का प्रतिरोध, ग्राफ के ढाल के बराबर होगा।
R= \(\frac{\Delta V}{\Delta I}\)
अर्थात्
दिए गए आँकड़ों से,
V 1 =3.4V, V2 = 10.2V
तथा संगत धाराएँ I1 = 1.0A
I2 = 3.0A
ΔV=V2 -V1
= 10.2 – 3.4=6.8V

ΔI= I2 -I1
= 3.0 – 1.0=2.0A
∴ प्रतिरोध R = \( \frac{\Delta \mathrm{V}}{\Delta \mathrm{I}}=\frac{6.8 \mathrm{~V}}{2.0 \mathrm{~A}}\) = 3.4Ω

प्रश्न 8.
किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12V की बैटरी को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5 mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।
हल : दिया है : V= 12 V, I = 2.5 mA= 2.5 x 10-3A
प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\frac{12 \mathrm{~V}}{2.5 \times 10^{-3} \mathrm{~A}}\)
=4.8 x 103 Ω या R=4.8kΩ

प्रश्न 9.
9v की किसी बैटरी को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 122 के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है, 122 के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी ?
हल : दिया है-
R1 = 0.2Ω, R2 = 0.3Ω, R3 = 0.4Ω, R4 = 0.5Ω तथा R5 = 12Ω
श्रेणी संयोजन का कुल प्रतिरोध
R =R1 +R2+R3 + R4 + R5
= 0.2+0.3+0.4+0.5+ 12
R =13.4Ω

∴ परिपथ में प्रवाहित कुल धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{9}{13.4}\) = 0.67A
श्रेणी संयोजन में प्रत्येक प्रतिरोध से होकर इतनी ही धारा प्रवाहित होगी।
∴ 122 के प्रतिरोध में धारा = 0.67A

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 10.
176 Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत स्रोत के संयोजन से 5A विद्युत धारा प्रवाहित हो ?
हल : I=5A, V= 220 V
परिपथ की प्रतिरोधकता R=\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\frac{220}{5} \) = 44Ω
प्रत्येक प्रतिरोधक का प्रतिरोध r = 176Ω
यदि n प्रतिरोधक, प्रत्येक की प्रतिरोधकताको पार्श्वक्रम में संयोजित करें तो इच्छित प्रतिरोध होगा R = r/n
या 44 = \(\frac{176}{n}\) or n=\(\frac{176}{44}\) = 4

प्रश्न 11.
यह दर्शाइए कि आप 6Ω प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध
(i) 9Ω, (ii) 4Ω हो।
हल :
(i) 9Ω का प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए, पहले दो प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में और इसके बाद तीसरे प्रतिरोध को श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 2
पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}=\frac{2}{6}\)
या R = \(\frac{6}{2}\) = 3Ω
यह 3 Ω का प्रतिरोध 6Ω के तीसरे प्रतिरोध के साथ श्रेणीक्रम में जुड़कर 3 + 6 = 9Ω का प्रतिरोध हो जाएगा।

(ii) 4Ω का प्रतिरोध पाने के लिए पहले 6-60 के दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ना होगा और फिर इसके पश्चात् तीसरा प्रतिरोधक इनके पार्श्वक्रम में जोड़ना होगा।
6Ω – 6 Ω के दो प्रतिरोधकों के श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध 6 + 6 = 12 Ω होगा।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 3
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{6}+\frac{1}{12}=\frac{2+1}{12}=\frac{3}{12}\)
अत: R=\(\frac{12}{3}\) =4Ω

प्रश्न 12.
220 V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10 w है। यदि 220 V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं ?
हल : माना n बल्बों को पार्यक्रम में जोड़ा जाता है, तब परिपथ में कुल शक्ति व्यय
P=n x एक बल्ब की शक्ति
=n x 10 W = 10 nw होगी।
दिया है : V= 220 V, I = 5A
तब P= VI से, (10 nw = 220 V x 5A)
n = \(\frac{220 \times 5}{10}\) = 110
अर्थात् 110 बल्बों को पार्यक्रम में जोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 13.
किसी विद्युत भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियोंA तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 24 0 है तथा इन्हें पृथक्-पृथक्, श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्टी 220 V विद्युत स्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं ?
हल : दिया है : V = 220 V, कुंडलियों का प्रतिरोध
R1 = R2 = 24Ω
प्रथम स्थिति में : जब किसी एक कुण्डली का प्रयोग किया जाता है तो कुल प्रतिरोध
R1 = R2 = 24Ω
∴ ली गई धारा 1= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220}{24}\) = 9.17A
द्वितीय स्थिति में : जब दोनों कुण्डलियों को श्रेणीक्रम में प्रयोग किया जाता है तब कुल प्रतिरोध
R= R1 + R2 = 48 Ω
∴ ली गई धारा I= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220}{48}\) = 4.58 A

तृतीय स्थिति में : जब कुण्डलियों को पार्यक्रम में संयोजित किया जाता है, तब
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}=\frac{1}{24}+\frac{1}{24}=\frac{2}{24}\)
R = \(\frac{24}{2}\) = 120
∴ ली गई धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220}{12}\) = 18.33 A

प्रश्न 14.
निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए :
(i) 6 V की बैटरी से संयोजित 1Ω तथा 2Ω श्रेणीक्रम संयोजन,
(ii) 4 V बैटरी से संयोजित 12Ω तथा 2Ω का पावक्रम संयोजन।
हल :
(i) दिया है, V=6V 1Ω, 2Ω के श्रेणी संयोजन का प्रतिरोध R= 1+2=3Ω
परिपथ में धारा I= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{6}{3}\) = 2A
श्रेणीक्रम में प्रत्येक प्रतिरोध में धारा 2A ही प्रवाहित होगी अत: 2 Ω के प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्ति
P1, =I2 R = (2)2 x 2 =8 W
(ii) ∵ दोनों प्रतिरोध पार्श्वक्रम में जुड़े हैं ; अतः प्रत्येक प्रतिरोध के सिरों के बीच एक ही विभवान्तर 4 V होगा।
∴ 2Ω के प्रतिरोध द्वारा उपभुक्त शक्ति
P2 = \(\frac{\mathrm{V}^2}{\mathrm{R}}\)
P2 = \(\frac{(4 \mathrm{~V})^2}{2 \Omega}\) = 8W
अतः दोनों दशाओं में 2Ω प्रतिरोधक में समान शक्ति खर्च होगी।

प्रश्न 15.
दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W; 220 V तथा दूसरे का 60 W; 220 V है, विद्युत मेन्स के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत मेन्स से कितनी धारा ली जाती है ?
हल : प्रथम बल्ब के लिए V1, = 220 V, P1, = 100 W
माना इसका प्रतिरोध R1, है ता P = V2/R से, .
R1 = \(\frac{\mathrm{V}_1^2}{\mathrm{P}_1}=\frac{(220 \mathrm{~V})^2}{100 \mathrm{~W}}\) = 484 Ω
दूसरे बल्ब के लिए
V2 = 220V, P2= 60W
∴ इसका प्रतिरोध R2 = \(\frac{\mathrm{V}_2^2}{\mathrm{P}_2} \) = \(\frac{(220 \mathrm{~V})^2}{60}=\frac{2420}{3} \Omega\)
माना कि दोनों को पार्श्वक्रम में जोड़ने पर संयोजन का प्रतिरोध R है, तो \(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}=\frac{1}{484}+\frac{8}{2420}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{5+3}{2420}=\frac{8}{2420}\)
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{2420}{8}\) = 302.5 Ω
∴ लाइन वोल्टेज V = 220 v
∴ लाइन से ली गई धारा I= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{220}{302.5}\) = 0.73A

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 16.
किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती है : 250 w का टी.वी. सेट जो एक घण्टे तक चलाया जाता है अथवा 120 W का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है ?
हल : T.V. सेट के लिए P1, = 250 W
t1, = 1h= 60 x 60s
खर्च की गई ऊर्जा = P1 t1 = 250 x 60 x 60
=9x 105 जूल
तथा विद्युत हीटर के लिए P2 = 120 W, t2, = 10 min =600s
∴ खर्च की गई ऊर्जा = P2 x t2 = 120 x 600=7.2 x 104 जूल
अतः T.V. सेट द्वारा खर्च की गई ऊर्जा अधिक है।

प्रश्न 17.
8Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेन्स से 2 घण्टे तक 15A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।
हल : दिया है R=8Ω, I = 15A .
विद्युत हीटर में ऊष्मा उत्पन्न होने की दर या विद्युत हीटर की शक्ति
P=I2R
=(15)2 x 8= 1800W .

प्रश्न 18.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए
(a) विद्युत लैम्पों के तन्तुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है ?
(b) विद्युत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रातुओं के क्यों बनाए जाते हैं ?
(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है ?
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता
(e) विद्युत संचारण के लिए प्रायः कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है ?
उत्तर-
(a) विद्युत लैम्पों के तन्तुओं में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग किया जाता है, क्योंकि टंगस्टन के बहत पतले तार बनाए जा सकते हैं तथा टंगस्टन का गलनांक 3400°C होता है जो अन्य धातुओं की तुलना में बहुत अधिक होता है।

(b) ब्रेड-टोस्टर, विद्युत इस्तरी आदि के चालक मिश्रधातुओं के इसलिए बनाए जाते हैं, क्योंकि मिश्रधातुओं की प्रतिरोधकता, शुद्ध धातुओं की तुलना में अधिक होती है तथा ताप वृद्धि के साथ इनकी प्रतिरोधकता में नगण्य परिवर्तन होता है। इसके अलावा मिश्रधातुओं का ऑक्सीकरण भी कम होता है। फलतः मिश्रधातुओं से बने चालकों की उम्र शुद्ध धात्विक चालकों की तुलना में अधिक होती है।

(c) श्रेणीक्रम में प्रतिरोध बढ़ने पर अलग-अलग प्रतिरोधकों के सिरों के बीच उपलब्ध विभवान्तर घटता जाता है। अतः परिपथ में धारा भी घटती जाती है। यदि घरों में प्रकाश करने के लिए श्रेणी सम्बद्ध व्यवस्था प्रयोग की जाए तो परिपथ में जितने अधिक संयन्त्र (बल्ब), जुड़े होंगे उनका प्रकाश उतना ही कम हो जाएगा। इसके अतिरिक्त श्रेणीक्रम में सभी संयन्त्र एक साथ एक ही स्विच से कार्य करेंगे व एक साथ एक ही स्विच से बंद होंगे एवं यदि कोई एक भी संयन्त्र खराब हो जाएगा तो शेष सभी उपकरण कार्य करना बन्द कर देंगे। इस कारण से घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता ।

(d) तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात् |

(e) कॉपर तथा एलुमिनियम के तारों का प्रतिरोध न्यूनतम है। इस कारण से इनका प्रयोग विद्युत संचारण के लिए प्रयुक्त तारों में किया जाता है। ये दोनों धातुएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं एवं सस्ती भी हैं।

HBSE 10th Class Science विद्युत InText Questions and Answers

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 222)

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
किसी विद्युत धारा के सतत तथा बन्द पथ को विद्युत परिपथ कहते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
विद्युत धारा का S.I. मात्रक ऐम्पियर है। इसे A से प्रदर्शित करते हैं।
सूत्र I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\) से यदि Q = 1C, 1 = 1s तब I = 1A
अतः यदि आवेश 1 कूलॉम/सेकण्ड की दर से प्रवाहित होता है तब उस चालक में प्रवाहित होने वाली धारा 1A होगी।

प्रश्न 3.
एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए।
हल : दिया है
Q = 1C
∵ सूत्र Q = n e से,
n = \(\frac{\mathrm{Q}}{e}=\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{10 \times 10^{18}}{1.6}\) = 6.25 × 1018
अतः 1 कूलॉम आवेश में 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन होंगे।

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 224)

प्रश्न 1.
उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवान्तर बनाए रखने में सहायता करती है।
उत्तर-
विद्युत सेल।

प्रश्न 2.
यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 1V है?
उत्तर-
इस कथन का अर्थ है कि 1C के आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में 1J कार्य करना होगा।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 3.
6 V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है ?
उत्तर-
बैटरी का विभवान्तर 6V अर्थात 6J/C है, अतः । हर एक कूलॉम आवेश को 6J ऊर्जा दी जाएगी।

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 232)

प्रश्न 1.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
किसी चालक का प्रतिरोध R उसकी लम्बाई 1, उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल A तथा उसके पदार्थ पर निम्न प्रकार से निर्भर करता है
R ∝ l, R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\) अत: R= ρ\(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
जहाँ p चालक के पदार्थ की प्रतिरोधकता है।

प्रश्न 2.
समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्रोत से संयोजित किया जाता है ? क्यों ?
उत्तर-
∵ तार का प्रतिरोध RC अतः मोटे तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल अधिक है अतः इसका प्रतिरोध कम होगा, इसलिए मोटे तार से धारा आसानी से प्रवाहित हो जाएगी।

प्रश्न 3.
मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवान्तर को उसके पूर्व के विभवान्तर की तुलना में घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है। तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा में क्या परिवर्तन होगा ?
उत्तर-
धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) जब R नियत है तब I∝ V अर्थात् विभवान्तर का मान आधा कर देने पर धारा भी आधी हो जाएगी।

प्रश्न 4.
विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरियों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
मिश्रातुओं की प्रतिरोधकता शुद्ध धातुओं की तुलना में अधिक होती है तथा तापवृद्धि के साथ इनकी प्रतिरोधकता में नगण्य परिवर्तन होता है, इसके अतिरिक्त मिश्रातुओं का ऑक्सीकरण भी कम होता है, इस कारण से टोस्टर, इस्त्री आदि के चालक मिश्रातुओं के बनाए जाते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तालिका (पृ. 298) में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए-
(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा वैद्युत चालक है ?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है?
उत्तर-
(a) आयरन की प्रतिरोधकता 10 x 10-8 Ω m
तथा मर्करी (Hg) की प्रतिरोधकता 94 x 10-8Ω m है। अतः आयरन (Fe), मर्करी (Hg) की अपेक्षा विद्युत का अच्छा चालक है।
(b) सारणी के आधार पर सिल्वर (Ag) की प्रतिरोधकता 1.6 x 10-8Ω m अर्थात् सबसे कम है ; अतः यह सर्वश्रेष्ठ चालक है।

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 237)

प्रश्न 1.
किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2 V के तीन सेलों की बैटरी, एक 5Ω प्रतिरोधक, एक 8Ω प्रतिरोधक, एक 12Ω प्रतिरोधक तथा प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों।
हल:
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 4

प्रश्न 2.
प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 12Ω के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए। ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?
हल:
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 5
परिपथ में जुड़े 5Ω , 8Ω , व 12Ω का तुल्य प्रतिरोध
R=R1,+R2,+R3,
=5+8+ 12 = 25Ω
∵ बैटरी में तीन सेल श्रेणीक्रम में जुड़ी हैं अतः बैटरी का विभवान्तर V=2 + 2 + 2 = 6V
∵ परिपथ में धारा I = \(\frac{V}{R}=\frac{6}{25}\) = 0.24 A
अतः अमीटर का पाठ्यांक 0.24 A होगा।
12Ω के सिरों पर जुड़े वोल्टमीटर का पाठ्यांक
V3 =IR3, = 0.24 x 12
V3= 2.88 V
अत: वोल्टमीटर का पाठ्यांक 2.88 V होगा।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

(पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 240)

प्रश्न 1.
जब (a) 1Ω तथा 106 Ω
(b) 1Ω , 103 तथा 106Ω के प्रतिरोध पार्श्वक्रम में संयोजित किए जाते हैं तो इनके तुल्य प्रतिरोध के सम्बन्ध में आप क्या निर्णय करेंगे?
हल :
(a) दिया है R1, = 12,R2, = 106 = 1000000Ω
समान्तर संयोजन के सूत्र \(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}\) स
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{1}+\frac{1}{1000000}\)
= \(\frac{1000000+1}{1000000}=\frac{1000001}{1000000}\)
अतः तुल्य प्रतिरोध R = \(\frac{1000000}{1000001} \) = 0.9999 Ω
अतः तुल्य प्रतिरोध, संयोजन में जुड़े अल्पतम प्रतिरोध से भी कम प्राप्त होता है।

(b) दिया है, R1 = 1Ω, R2, = 103Ω = 1000Ω
R3= 1000000Ω
समान्तर संयोजन के सूत्र
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_1}+\frac{1}{\mathrm{R}_2}+\frac{1}{\mathrm{R}_3}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{1}+\frac{1}{1000}+\frac{1}{1000000}\)
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{1}+\frac{1}{1000}+\frac{1}{1000000}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1000000+1000+1}{1000000}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1001001}{1000000}\)
∴ तुल्य प्रतिरोध R = \(\frac{1000000}{1001001}\) = 0.999Ω
अतः तुल्य प्रतिरोध, संयोजन में जुड़े अल्पतम प्रतिरोध से भी कम होता है।

प्रश्न 2.
100Ω का एक विद्युत लैम्प, 50Ω का एक विद्युत टोस्टर तथा 500 Ω का एक जल फिल्टर 200 V के विद्युत स्रोत से पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। उस विद्युत इस्तरी का प्रतिरोध क्या है जिसे यदि समान स्रोत के साथ संयोजित कर दें तो वह उतनी ही विद्युत धारा लेती है जितनी तीनों युक्तियाँ लेती हैं। यह भी ज्ञात कीजिए कि इस विद्युत इस्तरी से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होती है ?
हल : विद्युत इस्तरी, तीनों उपकरणों के बराबर धारा लेती है; अत इस्तरी का प्रतिरोध, उपकरणों के समान्तर संयोजन के तुल्य प्रतिरोध के बराबर होगा।

यहाँ R1, = 100 Ω, R2,= 50 Ω तथा R3, =500 Ω
माना कि इस्तरी का प्रतिरोध R है तो समान्तर संयोजन के सूत्र से,
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}=\frac{1}{100}+\frac{1}{50}+\frac{1}{500}\)
= \(\frac{5+10+1}{500}=\frac{16}{500}\)
∴ विद्युत इस्तरी का प्रतिरोध R= \(\frac{500}{16}\) = 31.25 Ω
तथा विद्युत इस्तरी द्वारा ली गई धारा
I = \(\frac{V}{R}=\frac{220}{(500 / 16)}\) = 7.04 A

प्रश्न 3.
श्रेणीक्रम में संयोजित करने के स्थान पर वैद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
उपकरणों को पार्यक्रम में जोड़ने से निम्नलिखित लाभ होते हैं
(i) पार्श्वक्रम में जोड़ने पर किसी भी चालक में स्विच का उपयोग करके स्वतन्त्रतापूर्वक विद्युतधारा भेजी जा सकती
(ii) उपकरणों को पार्यक्रम में जोड़ने पर सभी उपकरणों को समान विभवान्तर प्राप्त हो जाता है।

प्रश्न 4.
2Ω,3Ω तथा 6Ω के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि संयोजन का कुल प्रतिरोध (a) 4Ω, (b) 1Ω हो ?
हल :
(a) यहाँ R1 = 2Ω,R2,=3Ω तथा R3, =6Ω,4Ω तुल्य प्रतिरोध प्राप्ति हेतु 3Ω व 6Ω के प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में जोड़कर उन्हें श्रेणीक्रम में चित्रानुसार जोड़ना होगा
अतः3Ω व 6Ω के पार्श्व संयोजन का प्रतिरोध यदि R’ हो, तब
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 6
\(\frac{1}{R^{\prime}}=\frac{1}{3}+\frac{1}{6}=\frac{2+1}{6}=\frac{3}{6}\)
∴ R’ = \(\frac{6}{3}\) = 2Ω
यह R’ = 2Ω का प्रतिरोध 20 के साथ श्रेणीक्रम में जुड़ा है अतः तुल्य प्रतिरोध R= R1, + R’ = 2 + 2 = 4Ω

(b) 1 Ω तुल्य प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए तीनों प्रतिरोधकों को पार्यक्रम में जोड़ना होगा।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 7
चित्र-तुल्य प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु पार्श्व क्रम संयोजन
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_1}+\frac{1}{\mathrm{R}_2}+\frac{1}{\mathrm{R}_3}\)
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{2}+\frac{1}{3}+\frac{1}{6}\)
\(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{3+2+1}{6}=\frac{6}{6}\)
अतः R= 1Ω

प्रश्न 5.
4Ω,8Ω, 12 Ω तथा 24 Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को किस प्रकार संयोजित करें कि संयोजन से (a) अधिकतम, (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके ?
उत्तर-
(a) यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में रखा जाए तो अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होगा
Rs=4Ω+8Ω+ 12Ω + 24Ω=48Ω
(b) न्यूनतम प्रतिरोध पाने के लिए उपर्युक्त चारों प्रतिरोधों को पार्यक्रम में रखा जाएगा।
\(\frac{1}{R_P}=\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{12}+\frac{1}{24}=\frac{6+3+2+1}{24}=\frac{12}{24}\)
Rp = \(\frac{24}{12}\) = 2 Ω

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 242) .

प्रश्न 1.
किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती, जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है ?
उत्तर-
विद्युत हीटर की कुण्डली मिश्रधातु नाइक्रोम की बनी होती है। नाइक्रोम की प्रतिरोधकता ताँबे से बहुत अधिक होने के कारण कुण्डली का प्रतिरोध डोरी में प्रयुक्त ताँबे के प्रतिरोध से बहुत अधिक होता है।
विद्युत हीटर में व्यय शक्ति P = I2 R के अनुसार समान धारा I के लिए P ∝ R
अतः विद्युत हीटर कुण्डली में डोरी की तुलना में अधिक शक्ति व्यय होती है जिससे उसकी कुण्डली उत्तप्त हो जाती है जबकि डोरी उत्तप्त नहीं होती है।

प्रश्न 2.
एक घण्टे में 50 w विभवान्तर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानान्तरित करने में उत्पन्न ऊष्मा का परिकलन कीजिए।
हल : दिया है; V = 50 W, स्थानान्तरित आवेश
Q=96000 कूलॉम
आवेश के स्थानान्तरण में खर्च की गई ऊर्जा
W =OV
=96000×50=4800000J
=4.8x 106J

प्रश्न 3.
202 प्रतिरोध की कोई विद्युत इस्तरी 5 A विद्युत धारा लेती है। 30s में उत्पन्न ऊष्मा परिकलित कीजिए।
हल : दिया है R = 20Ω, I = 5A, t=30s
∴उत्पन्न ऊष्मा (H) = I2Rt
= (5)2 x 20 x 30 = 15000 जूल
= 1.5 x 104 जूल

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 245)

प्रश्न 1.
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण विद्युत शक्ति द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 2.
`कोई विद्युत मोटर 220 V के विद्युत स्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता है। मोटर की शक्ति निर्धारित कीजिए तथा 2 घण्टे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए।
हल : दिया है : V = 220 V, I = 5A, समय t=2 घंटे
∴ मोटर की शक्ति P= VI= 220 x 5 = 1100 W
अत: 2 घंटे में मोटर द्वारा व्यय ऊर्जा W = Pt
∴ W = 1100 Wx 2 h = 2200 Wh
W = 2.2 kWh

HBSE 10th Class Science विद्युत InText Activity Questions and Answers

क्रियाकलाप 12.1 (पा. पु. पृ. सं. 226)

प्रश्न 1.
विभवान्तर V तथ विद्युत धारा I के प्रत्येक युगल के लिए अनुपात V/I परिकलित कीजिए।
उत्तर –
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 8

प्रश्न 2.
V तथा I के बीच ग्राफ खींचिए तथा इस ग्राफ की प्रकृति का प्रेक्षण कीजिए।
उत्तर-
इस क्रियाकलाप में हम यह पाते हैं कि प्रत्येक प्रकरण में VII का मान लगभग एक समान प्राप्त होता है। इस प्रकार V-I ग्राफ मूल बिन्दु से गुजरने वाली एक सरल रेखा होती है। 1827 में जर्मन वैज्ञानिक जार्ज साइमन ओम ने यह बताया कि “किसी धातु के तार में प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा उस तार के सिरों के बीच विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है, परन्तु तार का ताप समान रहना चाहिए” इसे ही ओम का नियम कहते हैं । ग्राफ चित्र में प्रदर्शित है। ।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 9
चित्र निक्रोम तार के लिए V-I ग्राफ। सरल रेखीय ग्राफ यह दर्शाता है कि जैसे-जैसे तार में प्रवाहित विद्युत धारा बढ़ती है विभवान्तर रैखिकतः बढ़ता है। यही ओम का नियम है।

क्रियाकलाप 12.2. (पा. पु. पृ.सं. 228)

क्रिया विधि (Procedure)-
1. एक निक्रोम तार, एक टॉर्च बल्ब, एक 10 W का बल्ब तथा एक ऐमीटर (0-5A परिसर), एक प्लग कुंजी तथा कुछ संयोजी तार लेकर चार शुष्क सेलों (प्रत्येक 1.5 V का) को श्रेणीक्रम में संयोजित करके परिपथ में XY एक अन्तराल छोड़ देते हैं।
2. अन्तराल XY में निक्रोम के तार को जोड़कर परिपथ पूरा करके कुंजी लगाकर ऐमीटर का पाठ्यांक नोट करके प्लग कुंजी को बाहर निकाल लेते हैं।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 10

3. अब निक्रोम तार के स्थान पर XY में टार्च बल्ब को परिपथ में जोड़कर ऐमीटर का पाठ्यांक लेकर बल्ब में प्रवाहित विद्युत धारा मापते हैं तथा XY में विभिन्न अवयवों को जोड़ने पर ऐमीटर के पाठ्यांक के भिन्न-भिन्न होने का अवलोकन करते हैं।

प्रेक्षण (Observation)-इस क्रियाकलाप से यह पता चलता है कि किसी चालक से होकर इलेक्ट्रानों की गति उसके प्रतिरोध द्वारा मन्द हो जाती है। एक ही आकार के चालकों में जिसमें प्रतिरोध कम होता है वह अच्छा चालक होता है। पर्याप्त आकार के चालकों में जो पर्याप्त प्रतिरोध आरोपित करता है, प्रतिरोधक कहलाता है।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत

क्रियाकलाप 12.3. (पा. पु. पृ. सं. 229)

प्रश्न 1.
क्या विद्युत धारा चालक की लम्बाई पर निर्भर करती है?
उत्तर-
हाँ, चालक में प्रवाहित विद्युत धारा चालक की लंबाई के व्युक्रमानुपाती होती है। क्योंकि लंबाई बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ जाता है व धारा की मात्रा कम हो जाती है।

प्रश्न 2.
क्या विद्युत धारा उपयोग किए जान वाले तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर निर्भर करती है?
उत्तर-
हाँ, विद्युत धारा चालक के तार के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के समानुपाती होती है।
I ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~L}}\)
अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ने पर प्रतिरोध कम हो जाता है अत: धारा का मान बढ़ जाता है।

क्रियाकलाप 12.4. (पा. पु. पृ. सं. 234)

प्रश्न-क्या आप एमीटर के द्वारा विद्युत धारा के मान में कोई अंतर पाते हैं?
उत्तर-
ऐमीटर के पाठ्यांक में कोई भी परिवर्तन नहीं होता है अतः प्रत्येक स्थिति में धारा का मान समान रहता है। अथात् श्रणी क्रम में जुड़े सभा प्रतिरोधका से समान धारा प्रवाहित होती है।

क्रियाकलाप 12.5. (पा. पु. पृ. सं. 234)

प्रश्न-श्रेणी में x वY के बीच वोल्टमीटर V1,V2, V3, लगाने पर कुल विभवान्तर क्या होगा?
उत्तर-
विभवान्तर V, अन्य विभवान्तरों V1,V2, व V3, के योग के बराबर प्राप्त होता है।
V= V1+V2 + V3,

क्रियाकलाप 12.6. (पा. पु. पृ. सं. 237)
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 12 विद्युत 11

प्रेक्षण (Observation)-प्रेक्षण करने पर यह पाया गया कि कुल विद्युत धारा 1, संयोजन की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित होने वाली पृथक् धाराओं के योग के बराबर है।
∴ I= I1+I2+I3

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HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Haryana State Board HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

HBSE 10th Class Science जैव प्रक्रम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तन्त्र का भाग है जो सम्बन्धित है –
(a) पोषण से
(b) श्वसन से
(c) उत्सर्जन से
(d) परिवहन से।
उत्तर-
(c) उत्सर्जन से।

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन।
उत्तर-
(a) जल का वहन।

प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है –
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 4.
पायरूवेट के विखण्डन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है
(a) कोशिका द्रव्य
(b) माइटोकॉण्ड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केन्द्रक।
उत्तर-
(d) केन्द्रक।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 5.
हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है ? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर-
हमारे शरीर में वसा (Fat) का पाचन आहार नाल (alimentary canal) में लाइपेज (lipase) नामक विकर द्वारा होता है। पित्त रस (bile juice) में उपस्थित पित्त लवण (bile salts) वसा का इमल्सीकरण करते हैं। जठर रस, अग्न्याशयी रस तथा आंत्रीय रस में लाइपेज एन्जाइम उपस्थित होता है। यह इमल्सीकृत वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में बदलता है। इस प्रकार वसा का पाचन होता है।

प्रश्न 6.
भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर-
भोजन के पाचन में लार की भूमिका निम्न प्रकार है-

  • यह भोजन को गीला एवं चिकना करती है जिससे भोजन को चबाने तथा निगलने में आसानी होती है।
  • लार में उपस्थित टायलिन (Ptylin) विकर भोजन की मंड को माल्टोज शर्करा में बदलता है।
  • लार में उपस्थित लाइसोजाइम (Lysozyme) जीवाणु एवं अन्य सूक्ष्म जीवों को नष्ट करता है।
  • लार दाँतों के बीच फंसे अन्न के कणों को निकालने में सहायता करती है।

प्रश्न 7.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन-सी हैं और उनके उपोत्पाद क्या हैं ?
उत्तर-
स्वपोषी पोषण (Autotrophic nutrition) के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ अथवा कारक निम्नलिखित

  • सूर्य का प्रकाश,
  • पादपों में उपस्थित पर्णहरित,
  • जल तथा
  • कार्बन डाइऑक्साइड।

सभी हरे पौधों में पर्णहरित (chlorophyll) उपस्थित होता है। इसकी सहायता से ये पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल द्वारा भोजन (कार्बोहाइड्रेट) का निर्माण करते हैं।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1
ग्लूकोज प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया का मुख्य उत्पाद ग्लूकोज है तथा. इसके उपोत्पाद जल तथा ऑक्सीजन हैं।

प्रश्न 8.
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अन्तर है? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है। (नमूना प्रश्न-पत्र 2012)
उत्तर-
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में अन्तर-

वायवीय श्वसन (Aerobic Respiration)अवायवीय श्वसन  (Anaerobic Respiration)
1. इसे ऑक्सीश्वसन भी कहते हैं।1. इसे अनॉक्सीश्वसन भी कहते हैं।
2. यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है।2. ऑक्सीजन की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है।
3. इसके द्वारा भोज्य पदार्थों का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है।3. इसके द्वारा भोज्य पदार्थों का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।
4. इसके अन्तिम उत्पाद कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल होते हैं।4. इसके अन्तिम उत्पाद कार्बन डाइऑक्साइड तथा कार्बनिक अम्ल होते हैं।
5. इसमें अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।5. इसमें अपेक्षाकृत कम ऊर्जा उत्पन्न होती है।

यीस्ट में अवायवीय श्वसन होता है। इसके द्वारा ग्लूकोज के अपघटन से इथाइल ऐल्कोहॉल तथा CO2, उत्पन्न होते

प्रश्न 9.
गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं ?
उत्तर –
श्वसन नली (Trachea) वक्ष गुहा में प्रवेश करके दाईं तथा बाईं दो शाखाओं में विभाजित हो जाती है। अब इन्हें श्वसनियाँ कहते हैं। फेफड़ों में प्रवेश करके प्रत्येक श्वसनी पुनः बार-बार विभाजित होकर अनेक श्वसनिकाओं (Bronchioles) में बँट जाती हैं। श्वसनियाँ पुनः कूपिका नलिकाओं में बँट जाती हैं। प्रत्येक कूपिका नलिका दो-तीन छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाओं में खुलती है जिन्हें कूपिकाएँ (Alveoli) कहते हैं।

हमारे प्रत्येक फेफड़े में लगभग 15 करोड़ कूपिकाएँ होती हैं। इस प्रकार दोनों फेफड़ों की सतह के धरातल का क्षेत्रफल जिसके द्वारा गैस-विनिमय होता है, लगभग 80 वर्ग मीटर होता है। कूपिकाओं की इतनी अधिक संख्या के कारण सतह का धरातल भी अत्यधिक बड़ा होता है जिससे गैस-विनिमय अधिक दक्षतापूर्वक होता है।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 10.
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर-
हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन का प्रमुख कार्य फेफड़ों से ऑक्सीजन ग्रहण करके शरीर के विभिन्न ऊतकों तक पहुँचाना है अतः इसे श्वसन वर्णक भी कहते हैं। हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन (haemoglobin) की कमी के कारण फेफड़ों से शरीर की कोशिकाओं के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता में कमी हो जाएगी, फलस्वरूप भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण में बाधा उत्पन्न होगी। ऐसा होने से शरीर की विभिन्न क्रियाओं के संचालन के लिए आवश्यक ऊर्जा में कमी हो जाएगी। इसके कारण स्वास्थ्य खराब हो सकता है तथा शरीर में थकान रहने लगती है। हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाले रोग को रक्ताल्पता (anaemia) कहते हैं। इसकी अत्यधिक कमी से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न 11.
मनुष्य में दोहरे परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
मनुष्य के हृदय में चार कक्ष पाए जाते हैं-दो अलिंद तथा दो निलय। ऐसी व्यवस्था होने से मनुष्य में शुद्ध (ऑक्सीकृत) तथा अशुद्ध (अनॉक्सीकृत) रुधिर पृथक रहता है। मनुष्य के रुधिर परिसंचरण में रुधिर को हृदय से होकर दो बार गुजरना पड़ता है। पहले चक्र में अशुद्ध रुधिर को हृदय फेफड़ों में ऑक्सीकृत होने के लिए पम्प करता है। फेफड़ों से ऑक्सीकृत रुधिर वापस बाएँ निलय में आता है जहाँ से दूसरे चक्र में इसे विभिन्न अंगों को पम्प किया जाता है। शरीर के अंगों से अशुद्ध रुधिर पुनः हृदय के दाएँ अलिन्द में आता है। अतः रुधिर का परिसंचरण दो बार होता दोहरा परिसंचरण होने के कारण शरीर के विभिन्न ऊतकों को अधिक-से-अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध हो पाती है। मनुष्य को नियततापी होने के कारण ताप नियन्त्रण के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो श्वसन से प्राप्त होती है।

प्रश्न 12.
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अन्तर है?
उत्तर-
जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में अन्तर –

जाइलम में वहनफ्लोएम में वहन
1. जाइलम में जल एवं इसमें घुलित खनिज लवणों का वहन होता है।1. इसमें पत्तियों में संश्लेषित खाद्य पदार्थों का वहन होता है।
2. जाइलम में वहन केवल ऊपर की ओर होता है।2. फ्लोएम में वहन ऊपर तथा नीचे की ओर दोनों दिशाओं में होता है।
3. जाइलम में वहन भौतिक बलों द्वारा सम्पन्न होता है।3. फ्लोएम में वहन ऊर्जा का उपयोग करके होता है।

प्रश्न 13.
फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रिया-विधि की तुलना कीजिए।
उत्तर-
फुफ्फुस में कूपिकाओं तथा वृक्क  में वृक्काणु की तुलना

फुफ्फुस में कूपिकाएँवृक्क में वृक्काणु
1. वायु कूपिकाएँ फेफड़ों की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाइयाँ हैं।1. वृक्काणु वृक्क की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाइयाँ हैं।
2. इनकी संख्या अत्यधिक (लगभग 15 करोड़ प्रति फेफड़ा) होती है।2. इनकी संख्या भी अत्यधिक (लगभग 10 लाख  प्रति वृक्क) होती है।
3. इनमें पतली केशिकाओं का जाल होता है।3. इनमें भी पतली केशि काओं का जाल होता है।
4. वायु कूपिकाएँ गैसों के आदान-प्रदान के लिए अत्यधिक सतह धरातल उपलब्ध कराती हैं।4. वृक्काणु रुधिर से उत्सर्जी पदार्थों को पृथक् करने के लिए अत्यधिक सतह धरातल उपलब्ध करात हैं।
5. कूपिकाओं में CO2, रुधिर से अलग तथा O2, रुधिर होते हैं।5. वृक्काणु में रुधिर से वर्ण्य नाइट्रोजनी पदार्थ पृथक् में मिलती है।

HBSE 10th Class Science तत्वों का आवर्त वर्गीकरण  InText Questions and Answers

(पाठ्य-पुस्तक पृ.सं. 105)

प्रश्न 1.
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है ?
उत्तर-
हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में विसरण द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो सकती क्योंकि विसरण द्वारा ऑक्सीजन उन्हीं कोशिकाओं में पहुँच सकती है जो वायु के सम्पर्क में होती हैं। हमारे आंतरिक अंगों की कोशिकाएँ एवं ऊतक वायु से दूर गहराई में स्थित होते हैं। अतः इन्हें विसरण द्वारा ऑक्सीजन नहीं मिल सकती।

प्रश्न 2.
कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदण्ड का उपयोग करेंगे? .
उत्तर-
किसी वस्तु को सजीव की संज्ञा तभी दी जा सकती है जब उसमें निम्नलिखित लक्षण उपस्थित होते हैं-

  • सजीवों का एक निश्चित आकार एवं आकृति होती
  • सजीवों का शरीर कोशिका/कोशिकाओं/ऊतकों का बना होता है।
  • सजीवों में पोषण होता है।
  • सजीवों में विभिन्न उपापचयी क्रियाएँ; जैसे-पाचन, श्वसन, स्वांगीकरण आदि पायी जाती हैं।
  • सजीव जनन करके अपनी संतति को बढ़ाते हैं।
  • सजीवों में वृद्धि होती है।
  • सजीव गति करते हैं तथा संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हैं।
  • सजीवों की मृत्यु होती है।

यद्यपि सजीव रूप-रंग, आकार आदि में समान भी होते हैं और भिन्न भी। जन्तु दौड़ते-भागते हैं, साँस लेते हैं, बोलते हैं, उत्सर्जन करते हैं। परन्तु पौधों में चलने, साँस लेने, बोलने या उत्सर्जन की क्षमता नहीं होती फिर भी पौधे सजीव हैं, क्योंकि इनमें अन्य सभी क्रियाएँ सामान्य रूप से होती हैं।

प्रश्न 3.
किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
किसी जीव द्वारा कच्ची सामग्रियों का उपयोग कार्बन आधारित अणुओं के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 4.
जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर-
जीवन के अनुरक्षण के लिए, हम पोषण (Nutrition), श्वसन (Respiration), परिवहन (Transportation), वृद्धि (Growth), उत्सर्जन (Excretion) आदि को आवश्यक प्रक्रम मानेंगे।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 111)

प्रश्न 1.
स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में अन्तर –

स्वयंपोषी पोषण  (Autotrophic Nutrition)विषमपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition)
1. वे जीवधारी जो सरल अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक भोज्य पदार्थों का निर्माण स्वयं कर लेते हैं, स्वयंपोषी कहलाते हैं और पोषण की यह विधि स्वयंपोणी पोषण कहलाती है।वे जीवधारी जो सरल अकार्बनिक पदार्थों से भोजन निर्मित नहीं कर पाते और दूसरे जीवों से प्राप्त करते हैं, विषमपोषी कहलाते हैं और यह पोषण विधि विषमपोषी पोषण कहलाती है।
2. सभी हरे पौधे स्वयंपोषी पोषण विधि अपनाते हैं और ये सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पर्णहरित द्वारा जल व CO2, से ग्लूकोज का निर्माण करते हैं | उदाहरण-सभी हरे पौधे, नीले-हरे शैवाल तथा कुछ प्रकाश-संश्लेषी जीवाण।।सभी जन्तु विषमपोषी पोषण विधि प्रदर्शित करते हैं, तथा ये शाकाहारी, माँसाहारी, परजीवी या मृतोपजीवी हो सकते हैं। उदाहरण-सभी जन्तु, कवक, अधिकांश जीवाणु, परजीवी पादप।

प्रश्न 2.
प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है ?
उत्तर-
प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री के रूप में पौधे को प्रकाश सूर्य से प्राप्त होता है। जल पौधे की जड़ों द्वारा मृदा से ग्रहण किया जाता है तथा कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल से ली जाती है। पौधे के प्रकाशसंश्लेषी भागों में रन्ध्र (Stomata) उपस्थित होते हैं जिनसे होकर CO2, ऊतकों तक पहुँचती है। मृदा से जड़ों द्वारा अवशोषित जल जाइलम द्वारा प्रकाश-संश्लेषी भाग तक पहुँचता है। जलीय पौधे जल में घुली हुई CO2, तथा जल तने की सतह द्वारा अवशोषित करते हैं।

प्रश्न 3.
हमारे आमाशय में अम्ल की क्या भूमिका है?
उत्तर-
हमारे आमाशय में उपस्थित जठर ग्रन्थियों (Gastric glands) द्वारा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) स्रावित होता है। यह आमाशय में अम्लीय माध्यम बनाता है जिससे पेप्सिन नामक विकर प्रभावशाली होकर प्रोटीन पाचन का कार्य करता है। HCl भोजन के साथ आए जीवाणुओं को नष्ट करके भोजन को सड़ने से बचाता है। यह भोजन में उपस्थित Ca को कोमल बनाता है। यह पाइलोरिक वाल्वों के खुलने एवं बन्द होने पर भी नियन्त्रण रखता है। साथ ही यह वसा के इमल्शीकरण में भी सहायक होता है।

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प्रश्न 4.
पाचक एन्जाइमों का क्या कार्य है ?
उत्तर-
एन्जाइम (Enzymes) कार्बनिक जैव-उत्प्रेरक (Biocatalysts) हैं जो विभिन्न जैव-रासायनिक क्रियाओं की दर बढ़ा देते हैं। ये पाचन क्रिया में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व वसा के पाचन को सुगम बनाते हैं। मुख गुहा में एमिलेस नामक एन्जाइम कार्बोहाइड्रेट का आंशिक पाचन करके इसे माल्टोज में बदलता है। उदर में लाइपेज नामक एन्जाइम वसा को वसीय अम्ल एवं ग्लिसरॉल में बदलता है। आंत्र लाइपेज, सुक्रेज, माल्टेज एवं लैक्टेज क्रमशः वसा, सुक्रोज, माल्टोज एवं दुग्ध शर्करा का पाचन करते हैं। अतः पाचक एन्जाइम हमारी पाचन क्रिया को सुगम बनाते हैं।

प्रश्न 5.
पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर-
छोटी आंत अर्थात् क्षुद्रांत्र (small intestine) की भीतरी सतह पर असंख्य उंगली सदश रसांकर (villi) तथा सूक्ष्म रसांकुर (microvilli) पाए जाते । ये क्षुद्रांत्र की अवशोषी सतह को लगभग 600 गुना बढ़ा देते हैं। प्रत्येक रसांकुर में रुधिर कोशिकाओं तथा लसीका कोशिकाओं का जाल फैला रहता है। वसीय अम्लों एवं ग्लिसरॉल का अवशोषण लसीका कोशिकाओं द्वारा तथा अन्य भोज्य पदार्थों का अवशोषण रुधिर कोशिकाओं द्वारा होता है। अतः क्षुद्रांत्र को पचे हुए भोजन के अवशोषण का स्तम्भ माना जाता है।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 116)

प्रश्न 1.
श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है ?
उत्तर-
जलीय जीव श्वसन के लिए जल में घुली हुई ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं। जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा सीमित होती है। स्थलीय जीव वायु से ऑक्सीजन लेते हैं जहाँ ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। अतः स्थलीय जीव को जलीय जीव की अपेक्षा अधिक ऑक्सीजन मिल जाती है।

प्रश्न 2.
ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं ?
उत्तर-
विभिन्न जैविक-क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है, जोकि ATP के रूप में संचित रहती है। विभिन्न जीवधारियों में ग्लूकोज का ऑक्सीकरण निम्न प्रकार से हो सकता है –
1. वायवीय श्वसन (Aerobic respiration)- यदि ग्लूकोज का ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है तो इसे वायवीय श्वसन कहते हैं। अधिकांश जीवों में इसी प्रकार से ऊर्जा उत्पादन होता है।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2
2. अवायवीय श्वसन (Anaerobic respiration)यदि ग्लूकोज का ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है तो इसे अवायवीय श्वसन कहते हैं। , .
(i) जब अवायवीय श्वसन किसी सूक्ष्म जीव (जैसेयीस्ट) में होता है तो इथाइल ऐल्कोहॉल, CO2, तथा ऊर्जा उत्पन्न होती है।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3

(ii) जब अवायवीय श्वसन माँसपेशियों में होता है तब लैक्टिक अम्ल एवं ऊर्जा उत्पन्न होती है।
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प्रश्न 3.
मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर-
श्वासोच्छ्वास की क्रिया में खींची गयी वायु फेफड़ों की कूपिकाओं (Alveoli) में भर जाती है। फेफड़ों के अन्दर रुधिर केशिकाओं का जाल फैला रहता है। लाल रुधिराणुओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन में ऑक्सीजन के प्रति काफी सहिष्णुता होती है। अतः वायु कूपिकाओं से विसरित होकर ऑक्सीजन हीमोग्लोबिन के अणुओं से बँध जाती है। रुधिर इस ऑक्सीजन को ऑक्सीजन की कमी वाले ऊतकों में पहुँचा देता है। CO2, रुधिर में विलेय होकर फेफड़ों तक लायी जाती है। वायु कूपिकाओं में CO2,’ की सान्द्रता कम होने के कारण रुधिर से यह विसरित होट र फेफड़ों में आ जाती है। अब CO2, युक्त वायु निःश्वसन द्वारा शरीर से बाहर निकाल दी जाती है।

प्रश्न 4.
गैसों के विनिमय के लिए मानव फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर-
श्वास नाल अथवा ट्रैकिया (Trachea) वक्ष गुहा में प्रवेश करके दाईं तथा बाईं दो शाखाओं में बँट जाती है। अब इन्हें श्वसनियाँ (Bronchi) कहते हैं। फेफड़ों में प्रवेश करके प्रत्येक श्वसनी, पुनः बारम्बार विभाजित होकर अनेक श्वसनिकाओं (Bronchioles) में बँट जाती हैं। श्वसनिकाएँ पुनः कूपिका नलिकाओं (Alveolar ducts) में बँट जाती हैं। प्रत्येक कूपिका नलिका दो-तीन छोटी-छोटी थैलीनुमा रचनाओं में खुलती है जिन्हें कूपिकाएँ (alveoli) कहते हैं। हमारे प्रत्येक फेफड़े (Lung) में लगभग 15 करोड़ वायु कूपिकाएँ (Alveoli) होती हैं। इस प्रकार दोनों फेफड़ों का सतह धरातल जिसके द्वारा गैस विनिमय होता है, लगभग 80 वर्ग मीटर होता है। इस प्रकार हमारे फेफड़े गैसों के अधिकतम आदान-प्रदान के लिए उपयोजित होते हैं।

(पाठ्य-पुस्तक पृ. सं. 122)

प्रश्न 1.
मानव में परिवहन तन्त्र के घटक कौन से हैं ? इन घटकों के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
मानव में परिवहन तन्त्र के घटक एवं इनके कार्य निम्नलिखित हैं-

  1. हृदय (Heart)-यह मानव शरीर में एक पम्पिंग स्टेशन का कार्य करता है। यह रुधिर को विभिन्न अंगों में पम्प करता है।
  2. धमनियाँ (Arteries)-ये मोटी भित्ति वाली रुधिर वाहिकाएँ हैं जो हृदय से रुधिर को विभिन्न अंगों में पहुँचाती
  3. शिराएँ (Veins)-ये पतली भित्ति वाली वाहिकाएँ हैं जो विभिन्न अंगों से रुधिर एकत्र कर हृदय में लाती हैं।
  4. केशिकाएँ (Capillaries)-ये अत्यधिक पतली एवं संकीर्ण वाहिकाएँ हैं जो धमनियों को शिराओं से जोड़ती हैं।
  5. रुधिर (Blood)-रुधिर में एक प्रकार के तरल संर्योजी ऊतक होते हैं, जो भोजन, ऑक्सीजन, लवणों, विकरों, हॉर्मोनों एवं अपशिष्ट पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक पहुँचाते हैं।

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प्रश्न 2.
स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
स्तनधारी तथा पक्षियों में दोहरा रुधिर परिसंचरण (Double blood circulation) पाया जाता है। इसका अर्थ है कि रुधिर अपने एक चक्र में दो बार हृदय से होकर गुजरता है। स्तनधारी एवं पक्षियों का हृदय चार कक्षों में बँटा होता है-दो अलिन्द तथा दो निलय। हृदय का बायाँ भाग दैहिक हृदय (Systemic heart) तथा दायाँ भाग पल्मोनरी हृदय (Pulmonary heart) कहलाता है। बाएँ भाग में शुद्ध रुधिर तथा दाएँ भाग में अशुद्ध रुधिर भरा होता है।

शुद्ध अथवा ऑक्सीजन युक्त रुधिर शरीर के विभिन्न अंगों को पहुँचाया जाता है जबकि अशुद्ध रुधिर फेफड़ों में शुद्ध होने के लिए भेजा जाता है। शुद्ध तथा अशुद्ध रुधिर के पृथक् होने से ऑक्सीजन का ऊतकों में वितरण अधिक प्रभावी तरीके से किया जाता है। स्तनधारी तथा पक्षियों के शरीर का ताप सदैव एक जैसा बनाए रखने एवं अधिक ऊर्जा की उत्पत्ति के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
उच्च संगठित पादपों में परिवहन तन्त्र के घटक क्या हैं?
उत्तर-
उच्च संगठित पादपों में परिवहन तन्त्र के निम्नलिखित घटक हैं –

  • जाइलम (Xylem)-यह ऊतक जड़ों द्वारा अवशोषित जल एवं खनिज लवणों को पौधे के विभिन्न वायवीय भागों में परिवहन करता है।
  • फ्लोएम (Phloem)-यह ऊतक पत्तियों में प्रकाशसंश्लेषण के फलस्वरूप बने कार्बनिक भोज्य पदार्थों तथा हॉर्मोन्स का पौधे के विभिन्न भागों में परिवहन करता है।

प्रश्न 4.
पादप में जल और खनिज लवण का परिवहन कैसे होता है ?
उत्तर-
पादप में जल एवं इसमें घुलित लवणों का परिवहन जाइलम ऊतक (Xylem tissue) द्वारा किया जाता है। जाइलम वाहिकाएँ तथा वाहिनिकाएँ आपस में सम्बद्ध होकर पादप की जड़ से लेकर पत्तियों तक एक अनवरत जल संचालक मार्ग बनाती हैं। ऐसे अनेक मार्ग पौधे के विभिन्न भागों तक पहँचते हैं। पौधे की पत्तियों में उपस्थित रंध्रों (Stomata) से जल का वाष्पोत्सर्जन होता है जिससे अनवरत जलमार्ग में एक ‘ वाष्पोत्सर्जन अपकर्ष उत्पन्न होता है। साथ ही जल के अणुओं में ससंजक एवं आसंजक क्षमता भी पायी जाती है जिसके फलस्वरूप जड़ों से लेकर पत्तियों तक जल का एक सतत स्तम्भ बना रहता है और जल ऊपर की ओर चढ़ता है!

प्रश्न 5.
पादप में भोजन का स्थानान्तरण कैसे होता है।
उत्तर-
पादप की पत्तियों में प्रकाश-संश्लेषण द्वारा निर्मित भोज्य पदार्थों का पौधे के अन्य भागों में स्थानान्तरण फ्लोएम (Pholem) नामक ऊतक द्वारा होता है। फ्लोएम चालनी नलिका तथा सहचर कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है। ऊर्जा का उपयोग करके फ्लोएम द्वारा भोजन का स्थानान्तरण होता है। वह स्थान जहाँ भोजन का निर्माण होता है, स्त्रोत (Source) कहलाता है तथा जहाँ इसका प्रयोग होता है, उपभोग (Sink) कहलाता है। स्रोत से भोज्य पदार्थ ATP की ऊर्जा का प्रयोग करके फ्लोएम की चालनी नलिकाओं में भरा जाता है।

अब शर्करायुक्त चालनी नलिका में परासरण द्वारा जल प्रवेश करता है जिससे फ्लोएम ऊतकों में दाब बढ़ जाता है। फ्लोएम भोज्य पदार्थों का उच्च दाब क्षेत्र से कम दाब क्षेत्र की ओर परिवहन करता है। भोज्य पदार्थों का परिवहन उपभोग स्थल एवं संचय स्थल की ओर अधिक होता है।

(पाठ्य-पुस्तक घृ. सं. 124)

प्रश्न 1.
वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रिया विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वृक्काणु (Nephrons)-वृक्काणु मानव के वृक्क की उत्सर्जी इकाई कहलाते हैं। प्रत्येक वृक्क का निर्माण असंख्य सूक्ष्म कुण्डलित वृक्क नलिकाओं या वृक्काणु से होता है। प्रत्येक वृक्काणु के दो भाग होते हैं-

  • मैल्पीघी कोष (Malpighian corpuscles) तथा
  • स्रावी नलिका (Secretory tubule)।

मैल्पीघी कोष में प्यालेनुमा संरचना बोमैन सम्पुट (Bowman’s capsule) तथा रुधिर केशिकाओं का गुच्छा ग्लोमेरुलस (glomerulus) होता है।

स्रावी नलिका के तीन भाग होते हैं-
(a) समीपस्थ कुण्डलित नलिका (Proximal convulated tube),
(b) मध्य का हेनले लूप (middle Henle’s loop) तथा
(c) अन्तिम कुण्डलित नलिका (Distal convulated tube)।

मध्य U-आकार की नलिका हेनले लप के चारों ओर रुधिर केशिकाओं का बना परिनालिका केशिका चालक होता है। वृक्काणु का अन्तिम कुण्डलित भाग चौड़ी गुहा वाली संग्रह नलिका में खुलता है। ग्लोमेरुलस के रुधिर का परानिष्यंदन (ultrafiltration) होता है। इसके फलस्वरूप नेफ्रिक फिल्ट्रेट (nephric filtrate) बनता है। इससे पुनः अवशोषण (re-absorption) तथा स्रावण (secretion) द्वारा मूत्र (Urine) का निर्माण होता हैं। मूत्र में विभिन्न उत्सर्जी पदार्थ; जैसे-यूरिया, अमोनिया, यूरिक अम्ल, औषधि आदि होते हैं।
HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम 5

प्रश्न 2.
उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं ?
उत्तर-
उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादपों ‘ में निम्नलिखित विधियाँ पायी जाती हैं-

  • पादपों का मुख्य उत्सर्जी पदार्थ CO2, है। इसका निर्माण श्वसन क्रिया में होता है। श्वसन क्रिया में उत्पन्न CO2, तथा जलवाष्प का निष्कासन सामान्य विसरण द्वारा रन्ध्रों (Stomata) एवं वातरन्ध्रों (Lenticels) द्वारा किया जाता
  • पौधों के उत्सर्जी वर्ण्य पदार्थों को पत्तियों, छाल एवं फलों में पहुँचा दिया जाता है। इनके पौधों से पृथक् होने पर पौधों को इनसे छुटकारा मिल जाता है।
  • अनेक उत्सर्जी पदार्थ कोशिकाओं की रिक्तिकाओं में संचित कर दिए जाते हैं।
  • गोंद, रेजिन, टेनिन आदि पदार्थ मृत काष्ठ में पहुँचा दिए जाते हैं।
  • अनावश्यक जल वाष्पोत्सर्जन द्वारा वायुमण्डल में मुक्त कर दिया जाता है।
  • कुछ अपशिष्ट पदार्थों को पौधों की जड़ों द्वारा मृदा में स्रावित कर दिया जाता है।

प्रश्न 3.
मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर-
मूत्र बनने की मात्रा प्रमुख रूप से पुनः अवशोषण पर निर्भर करती है। वृक्काणु नलिका द्वारा पानी का पुनः अवशोषण निम्न बातों पर निर्भर करता है-

  • जब शरीर के ऊतकों में पर्याप्त मात्रा में जल हो, तब एक बड़ी मात्रा में तनु मूत्र का उत्सर्जन होता है और पुनः अवशोषण कम होता है। यदि शरीर के ऊतकों में जल की मात्रा कम हो, तब सान्द्र मूत्र का उत्सर्जन होता है और पुनः अवशोषण अधिक होता है।
  • जब मूत्र में घुलनशील उत्सर्जकों (जैसे-यूरिया, यूरिक अम्ल, औषधि) की मात्रा अधिक हो तो इनके उत्सर्जन के लिए अधिक जल की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है।

HBSE 10th Class Science जैव प्रक्रम InText Activity Questions and Answers

क्रियाकलाप 6.1 (पा. पु. पृ. सं. 107)

प्रश्न 1.
पत्ती के रंग का क्या होता है? विलयन का रंग कैसा हो जाता है?
उत्तर-
पत्ती का हरा भाग रंगहीन हो जाता है। विलयन का रंग क्लोरोफिल निकलने के कारण हरा हो जाता है।

प्रश्न 2.
पत्ती के रंग का अवलोकन कीजिए और प्रारम्भ में पत्ती का जो हरा भाग ट्रेस किया था उससे इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर-
पत्ती का वह भाग जो पहले हरा था अब वह बैंगनी काला हो गया है।

प्रश्न 3.
पत्ती के विभिन्न भागों में मंड की उपस्थिति के बारे में आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर-
निष्कर्ष- क्रोटन अथवा मनीप्लांट की पत्ती शबलित या चितकबरी होती है। पत्ती के हरे भाग में पर्णहरित की उपस्थिति के कारण मंड का निर्माण हुआ जो आयोडीन परीक्षण करने पर बैंगनी काला हो गया। पत्ती के रंगहीन भाग पर मंड परीक्षण का प्रभाव नहीं हुआ। इससे स्पष्ट है कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में मंड के निर्माण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।

HBSE 10th Class Science Solutions Chapter 6 जैव प्रक्रम

क्रियाकलाप 6.2 (पा. पु. पृ. सं. 108)

प्रश्न 1.
क्या दोनों पत्तियाँ समान मात्रा में मंड की उपस्थिति दर्शाती हैं ?
उत्तर-
नहीं, (a) पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ रखे गये पौधे की पत्ती में मंड अनुपस्थित है, जबकि पौधे (b) की पत्ती में मंड उपस्थित है।

प्रश्न 2.
इस क्रियाकलाप से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं ?
उत्तर-
इस क्रियाकलाप से यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि मंड के निर्माण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड की आवश्यकता होती है। पौधा (a) के साथ पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड रखने से यह बेलजार के अन्दर की सारी CO2, को सोख लेता है और पौधे को प्रकाश-संश्लेषण के लिए CO2, उपलब्ध नहीं होती है।

क्रियाकलाप 6.3 (पा. पु. पृ. सं. 109)

प्रश्न 1.
किस परखनली में आपको रंग में परिवर्तन दिखाई दे रहा है ?
उत्तर-
परखनली ‘B’ के विलयन का रंग परिवर्तित हो जाता है। परखनली ‘A’ में रंग परिवर्तन नहीं होता है। . प्रश्न 2. दोनों परखनलियों में मंड की उपस्थिति के बारे में यह क्या इंगित करता है ? – उत्तर-लार में एमाइलेज एन्जाइम होता है। जब परखनली ‘A’ में 1 ml लार डाली जाती है तो इसमें उपस्थित एन्जाइम एमिलेस मण्ड को माल्टोज शर्करा में बदल देता है। जब दोनों परखनलियों में आयोडीन डाली जाती है तो परखनली ‘B’ में उपस्थित मंड के कारण विलयन का रंग नीला हो जाता है। परखनली ‘A’ में बने माल्टोज पर आयोडीन की क्रिया नहीं होती, अतः इसका रंग अपरिवर्तित रहता है।

प्रश्न 3.
यह लार की मंड पर क्रिया के बारे में क्या दर्शाता है ?
उत्तर-
लार में उपस्थित ऐमिलेस एन्जाइम मंड से क्रिया करके इसे माल्टोज शर्करा में बदल देता है।

क्रियाकलाप 6.4 (पा. पु. पृ. सं. 112)

प्रश्न 1.
एक परखनली में ताजा तैयार किया हुआ चूने का पानी लीजिए। इस चूने के पानी में निःश्वास द्वारा निकली वायु प्रवाहित कीजिए। नोट कीजिए कि चूने के पानी को दूधिया होने में कितना समय लगता है?
उत्तर-
छात्र स्वयं समय नोट करें।

प्रश्न 2.
एक सिरिंज या पिचकारी द्वारा दूसरी परखनली में ताजा चूने का पानी लेकर वायु प्रवाहित करते हैं। चित्र (b)। नोट कीजिए कि इस बार चूने के पानी को दूधिया होने में कितना समय लगता है।
उत्तर-
छात्र स्वयं समय नोट करें।

प्रश्न 3.
निःश्वास द्वारा निकली वायु में कार्बन डाइ ऑक्साइड की मात्रा के बारे में यह हमें क्या दर्शाता है?
उत्तर-
निःश्वास द्वारा निकली वायु में CO2, की मात्रा सामान्य वायु की अपेक्षा अधिक होती है। यह चूने के पानी के साथ क्रिया करके कैल्सियम कार्बोनेट बनाती है, जोकि एक अवक्षेप के रूप में चूने के पानी को दूधिया कर देता है।
Ca(OH)2, + CO2, →CaCO2, + HO
इससे यह भी सिद्ध होता है कि नि:श्वास में निकली वायु में CO2, होती है।

क्रियाकलाप 6.5 (पा. पु. पृ. सं. 112)

प्रश्न-किण्वन के उत्पाद के बारे में यह हमें क्या दर्शाता है ?
उत्तर-
फल के रस या चीनी के घोल में यीस्ट द्वारा किण्वन की क्रिया होती है जिससे एक गैस उत्पन्न होती है। यह गैस चूने के पानी को दूधिया कर देती है। इससे पता चलता है कि किण्वन की क्रिया में CO2, गैस उत्पन्न होती है अर्थात् CO2, गैस किण्वन का उत्पाद है।

क्रियाकलाप 6.6 (पा.पु. पृ.सं. 114)

प्रश्न 1.
एक जलशाला में मछली का अवलोकन कीजिए। वे अपना मुँह खोलती और बन्द करती रहती हैं, साथ ही आँखों के पीछे क्लोमछिद्र (या क्लोमछिद्र को ढकने वाला प्रच्छद) भी खुलता है और बन्द होता रहता है। क्या मुँह और क्लोम छिद्र के खुलने और बन्द होने के समय में किसी प्रकार का समन्वय है?
उत्तर-
मछलियाँ जल में घुली हुई ऑक्सीजन को अपनी श्वसन क्रिया के लिए ग्रहण करती हैं। जल में वायु की अपेक्षा कम ऑक्सीजन घुली रहती है। मछलियाँ अपना मुँह खोलकर पानी अन्दर खींचती हैं और क्लोम छिद्र से होकर बाहर निकाल देती हैं। अतः क्लोम छिद्र एवं मुँह के खुलने में आपसी समन्वय है।

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प्रश्न 2.
गिनती करो कि मछली एक मिनट में कितनी बार मुँह खोलती और बन्द करती है। इसकी तुलना आप अपनी श्वास को एक मिनट में अन्दर और बाहर करने से कीजिए।
उत्तर-
हम एक मिनट में 15 से 18 बार श्वास लेते हैं जबकि मछलियाँ एक मिनट में इससे अधिक बार मुँह खोलती हैं एवं बन्द करती हैं।

क्रियाकलाप 6.7 (पा. पु. पृ. सं. 116) 

प्रश्न 1.
अपने आस-पास के एक स्वास्थ्य केन्द्र का भ्रमण कीजिए और ज्ञात कीजिए कि मनुष्यों में हीमोग्लोबिन की मात्रा का सामान्य परिसर क्या है ?
उत्तर-
मनुष्यों में हीमोग्लोबिन का सामान्य परिसर 12 से 15% होता है।

प्रश्न 2.
क्या यह बच्चे और वयस्क के लिए समान
उत्तर-
हाँ, यह बच्चे और वयस्क के लिए समान

प्रश्न 3.
क्या पुरुष और महिलाओं के हीमोग्लोबिन स्तर में कोई अन्तर है ?
उत्तर-
प्रायः महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर पुरुषों से कुछ कम होता है।

प्रश्न 4.
अपने आस-पास के एक पशुचिकित्सा क्लीनिक का भ्रमण कीजिए। ज्ञात कीजिए कि पशुओं, जैसे-भैंस या गाय में हीमोग्लोबिन की मात्रा का सामान्य परिसर क्या है ?
उत्तर-
भैंस या गाय में हीमोग्लोबिन की मात्रा के सामान्य परिसर में थोड़ा फर्क होता है। गाय का हीमोग्लोबिन परिसर 11.4 से 17% एवं भैंस का 12 से 18% तक होता है।

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क्रियाकलाप 6.8 (पा. पु. पृ. सं. 121)

प्रश्न-
क्या आप दोनों में कोई अन्तर देखते हैं ?
उत्तर-
हाँ, पौधे लगे गमले के ऊपर ढके बेलजार की भीतरी सतह पर पानी की बूँदें जमा हो जाती हैं। दूसरे गमले में ऐसा नहीं होता है।

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